ये कहानी है एक ऐसे डेविल और इंसानी बच्चे की जो इंसान होते हुए भी, डेविल के दुनिया का बादशाह था,,,,।। और अपने पिछले जन्म के प्यार को पाने के लिए,, कयामत की रात ने चमत्कार कर उसे दूसरा जन्म दिया,,,,,। पृथ्वी पर आकर वो,, माफिया रूप में काम क... ये कहानी है एक ऐसे डेविल और इंसानी बच्चे की जो इंसान होते हुए भी, डेविल के दुनिया का बादशाह था,,,,।। और अपने पिछले जन्म के प्यार को पाने के लिए,, कयामत की रात ने चमत्कार कर उसे दूसरा जन्म दिया,,,,,। पृथ्वी पर आकर वो,, माफिया रूप में काम करने लगा,,और कुछ ही वक्त में यहां भी माफिया बादशाह बन गया ! लेकिन क्या वो ढूंढ पाएगा अपने प्यार को? क्या क्रुएलिटी होते हुए भी उसने बचाया मानवता को आखिर क्यों? प 1 हजार साल पुराने डेविल की कहानी? होगा जब वो सिख जाएगा प्यार करना? पढ़े मेरी स्टोरी " my rebirth devil"
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एक वीरान घर में, दूर से हँसने की आवाज और साथ ही किसी चीज़ के टप्प-टप्प गिरने की आवाज आ रही थी।
वह कुछ देर और रुकती तो आज उसके भी ब्लड का मज़ा ले लेता। उसके ब्लड की खुशबू इतनी ज़्यादा मेरे नाक में घुसी जा रही थी।
"क्या बात कर रहे हो दोस्त, मैं होता तो आज उसकी खुशबू मेरे से आती तुमको," रॉबर्ट बोला।
"ये अच्छा है कि तुमने ह्यूमन ब्लड को कंज्यूम करना सीख लिया है," रॉबर्ट ने कहा।
"हाँ, क्योंकि जो मज़ा ह्यूमन ब्लड में है वो एनिमल में नहीं," योशी ने उत्तर दिया।
योशी और रॉबर्ट दोनों दोस्त थे, दोनों वैम्पायर थे जो ह्यूमन ब्लड कंज्यूम करते थे।
हाँ, आज ऐसे राहत से बैठा हूँ मैं।
"तुम तो हमारे वैम्पायर साम्राज्य के अगले वारिस हो और आज से तीस दिन बाद तुम्हें इस का सम्राट बना दिया जाएगा," रॉबर्ट ने कहा।
"मुझे नहीं बनना, मुझे इसी महल में रहना है, कहीं नहीं जाना है," योशी ने कहा।
"बनना तो पड़ेगा। इसके लिए तुमको सियान चेन ने ह्यूमन वर्ल्ड में भेजने का फैसला लिया है," रॉबर्ट ने बताया।
"नहीं, मैं नहीं जाऊँगा!" योशी ने ज़िद की।
तभी चारों ओर एक ओर से लाल रंग की तरंग निकलकर दोनों के चारों ओर घूमने लगती है।
"मैं नहीं जाऊँगा?" योशी ने फिर कहा।
"जाना पड़ेगा भाई, सियान चेन का बुलावा है, चलो," रॉबर्ट ने उसे समझाया।
"तुम जाओ, मैं नहीं आऊँगा। जिसे मिलना है वो खुद आएगा," योशी ने कहा। इतना कहकर रॉबर्ट रूम से बाहर निकल गया।
रॉबर्ट सर झुकाए हुए, एक गोल काले कांच के महल में खड़ा था। चारों ओर अंधेरा था, पीली लाइट का फ़ोकस पड़ रहा था। सामने एक डिमन सिंहासन पर पीछे मुँह किए हुए खड़ा था। चारों ओर कैट डेमन, ख़ुख़र हालत में जंजीरों से बंधे थे। मुँह से ख़ून और लार टपक रही थी। इतना सन्नाटा था कि ख़ून के गिरने की आवाज साफ़-साफ़ सुनाई दे रही थी।
टप…टप…टप… भेडि़ये की गुराहट की आवाज साफ़ सुनाई दे रही थी।
रॉबर्ट झुककर अभिवादन करते हुए खड़ा होता है।
"तुम्हारे साथ वो क्यों नहीं आया?" सियान चेन ने पूछा।
"उसने आने से मना कर दिया," रॉबर्ट ने जवाब दिया।
"तुम उसके भाई हो। अगर उसकी गलती की सज़ा तुमको मिले तो…" चेन ने कहा।
"मैं तैयार हूँ," रॉबर्ट ने कहा।
"इन सब डेमन को देखो। एक-एक बूंद पानी को तराश रहे हैं। इसलिए क्योंकि ये गलती करते हैं और लॉर्ड के फ़रमान को नहीं मानते," चेन ने समझाया।
चेन अपने तरफ़ से एक लंबी हैंड पाशा फेंकता है जो बिजली के जैसे लाइट फेंकती हुई रॉबर्ट के पास पहुँचने वाली थी।
तभी योशी बिजली की तरह आगे आकर हैंड पाशा को पकड़ लेता है। "मेरे भाई पर एक भी ख़रोच आया तो…"
"तो आ गए शहज़ादे। तुम्हारा ह्यूमन वर्ल्ड में जाने का टाइम आ गया है। लॉर्ड ने संदेश भेजा है। तब तक इस का साम्राज्य रॉबर्ट देखेगा तुम्हारी जगह पर," चेन ने कहा।
"मैं जाने के लिए तैयार हूँ," योशी ने कहा।
योशी, रॉबर्ट दोनों अपने रूम में आते हैं।
"मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूँगा यार," रॉबर्ट ने कहा।
"जब मेरा कोई नहीं था तब तुमने मुझे अपनाया," रॉबर्ट ने याद दिलाया।
(दो साल पहले)
रॉबर्ट एक 19 साल का लड़का था जिसका पूरा परिवार बिखरा हुआ था, अधमरे हालत में रोड पर पड़ा था।
तभी योशी उसकी मदद करता है।
"बदला लेना है? अपने दुश्मनों से?" योशी ने पूछा।
"हाँ," इतना कहते ही रॉबर्ट बेहोश हो जाता है।
और योशी उसको एक वैम्पायर में बदल देता है और उसको अपने साथ यहाँ "कांच महल" में ले आया।
"मैं कुछ दिन रहा हूँ ह्यूमन वर्ल्ड में, मैं रहना सीख जाऊँगा," योशी ने कहा।
"मुझे डर लगता है, फिर भी मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ। ह्यूमन वर्ल्ड में मेरी 'ग्रेनी' (ग्रैंड मदर) है। तुम पहले वहाँ जाना, वो तुमको सब तरीक़ा सिखा देंगी," रॉबर्ट ने कहा।
रॉबर्ट योशी को एक गोल रेत घड़ी देता है। "ये लो, ये ग्रेनी को दिखा देना।"
योशी लंबी आह के साथ हामी भरता है और बोला, "रात होते ही चला जाऊँगा।"
दोनों अलग हो जाते हैं, अपने रूम पर चले जाते हैं।
योशी खिड़की के साइड जाकर बैठ जाता है और दूर तक उसे काली पहाड़ियाँ और डार्क जंगल जैसे अंधेरे में गोता लगा रहा होता है।
उसे अपने फादर की याद आती है जब वो बचपन में अपने फादर के साथ सी साइड घूमने जाते थे और रेत का घर बनाते थे। उसकी मॉम उसके लिए…
"यशो…यशो," कहते हुए गले से लगा लेती थी।
लेकिन अब…
सब पीछे छूट गया। मैं बड़ा हो गया और ज़िम्मेदारी भी।
यशो अब पूरी तरह से तैयार, कांच महल से बाहर निकल जाता है और ग्रेनी के घर पहुँचता है।
"आ गए? बेटा कितना इंतज़ार किया हमने," ग्रेनी ने कहा।
यशो (योशी) ग्रेनी को रॉबर्ट की दी हुई घड़ी देता है।
"मुझे…मुझे पता है तुम उसके दोस्त हो। उसने मुझे बताया था," ग्रेनी ने कहा।
"लेकिन मैं पहले आया भी नहीं था और आप अनजान को अपने घर में रख रही हैं। मैं आपका सारा काम करूँगा," यशो ने कहा और ग्रेनी के हाथ से दूध का पैकेट ले लेता है।
और डिनर टेबल पर जाता है।
यशो को ब्लड की आदत थी, उससे खाना खाया नहीं जा रहा था।
"धीरे-धीरे आदत हो जाएगी, ट्राई करते रहो," ग्रेनी ने कहा।
दोनों डिनर करते हैं। और वो अपने रूम में जाता है, जो ग्रेनी ने अच्छे से सजाया था।
यशो को घुटन होती है, रूम की लाइट बंद कर देता है और खिड़की के पास जाकर बैठ जाता है।
फिर भी उसे अच्छा नहीं लग रहा होता है। रात के 2 बज रहे थे। वो छत पर जाता है, चारों ओर रोशनी रहती है।
उसे दूर रास्ते से किसी की आवाज आती है। वो समझ नहीं पाता कि आवाज कहाँ से आ रही है। वो हवा के झोंके के जैसे रोड पर आ जाता है।
"आ…हेल्प…हेल्प…"
ये आवाज कहाँ से आ रही है?
वो और आगे जाता है, एक पेड़ के नीचे खड़ा हो जाता है।
और आवाज… "आ…मुझे छोड़ दो…मुझे छोड़ दो नहीं तो पुलिस में कंप्लेंट कर दूँगी।"
योशी पास में एक भेड़िया देखता है और वो भेड़िया योशी को देखकर खुद को बचाने के चक्कर में भागता है। लगभग 5 मिनट की रेस योशी और भेड़िये के बीच होती है। अब दोनों आमने-सामने होते हैं! और योशी डेविल रूप में गुर्राता हुआ अपने नुकीले दाँत बाहर निकालता है और आँखें ब्लू में ब्लिंक करती हैं और एक झटके में भेड़िये का पेट फाड़ देता है और गर्दन से सारा ख़ून चूस लेता है और वहाँ से भागकर वापस पेड़ के पास आता है और ऊपर देखता है। उसके मुँह में फिर से पानी आ जाता है और वो पेड़ के ऊपर लटकी लड़की को देखता हुआ ऊपर चढ़ने लगता है!
शिकार देखकर उसके नुकीले दाँत चमकने लगते हैं।
आगे क्या होगा, जानने के लिए नेक्स्ट पार्ट में…
यशो के ऊपर लड़की उल्टी कर देती है ,,सारा शराब ,,,,,,,,,,,, यशो~,,,ये क्या बला है ? ,,,,,पेड़ पर जैसे चुडैल लटकी हुई ,,उसके बाल ,,नीचे की ओर थे जिससे उसका सिर दिखाई नहीं दे रहा था ,,,, वो लड़की पेड़ से बोलती है ,,मुझे नीचे उतारो नही तो,, मैं पुलिस को बुला दूंगी ,,,,,। यशो उसको देख कर ,,अपना शिकार देख कर सोचता है ब्लड कंज्यूम करने को ,लेकिन उसको ऐसे हालात में देख कर ,,वो खुद कन्फ्यूज हो जाता है ,,की क्या करे ,,,। उसे हसी आ रही थी! ,,की ह्यूमन वर्ल्ड के लोग ऐसा भी करते है। यशो उसको एक पावर से, नीचे उतार देता है ,,, वो नीचे गिर जाती है ,,,और बड़बड़ाने लगती है ,,,,,और यशो को देखती है तो ,,, अरे sss ,,, देखो ना जिंदगी मेरे साथ क्या की है ,,मुझे जॉब से निकाल दिया गया ,और अभी मैं पढ़ाई कर रही हु,,,कॉलेज की फीस भी ज्यादा है ,,, यशो उसकी क्यूट नेस देख कर ,,अपना वेंपेयर 😈 फेस छिपा लेता है ,,और उसकी बकवास सुनता रहता है ,,,। वो लड़की ,,यशो के उपर चढ़ जाती है ,,,और बोली मुझे वहा ले चलो ,,,,यशो पहली बार ऐसी लड़की से मिल रहा था ,,जो उससे डर नहीं रही है ,,,,बल्कि अपनी प्रोब्लम सुना रही थी ,,,। यशो इन सब चीजों के लिए तैयार नहीं था ,,,,की मेरे साथ ऐसा भी हो सकता है ,,,ये लड़की मेरे साथ ऐसा करेंगी। कुछ देर बाद यशो उसे भी ग्रेनी के घर के आता है क्योंकि इतनी रात में ऐसे ,,किसी लड़की को बाहर छोड़ना अच्छा नही था । ग्रेनी ~ ये कोन है बेटा,,आते ही तुम्हारी गर्ल फ्रेंड भी बन गई । यशो ~ नही ,, ग्रेनी ये लड़की वहा पेड़ पर लटकी थी ,,मैने आवाज सुन तो,,,,,, ग्रेनी ~ बीच में बात काटते हुए । ये तो ,,, क्योंग है ,, पास के घर में किराए दार हैं। यशो उसको रूम पर छोड़ दो ,,जाओ ! यशो उसे रूम पर ले जाता है ,,और फिर उपर आ जाता है छत पर ,,,उसको था बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था ,,यशो की एक और प्रोब्लम थी ,,उसे रात में नींद नही आती थीं। जैसे ही सुबह होती है ,,,यशो अपने रूम में जाकर सो जाता है ,,,,। तभी उसे उसी ब्लड की महक आती है (जो उसे शुरुआत के आ रहा था ) वो नींद में ही ,,,,उस ब्लड को कैंजुक्म करने के लिए ,,उठ पड़ता है ,,और तभी महक बंद हो जाती है ,,,यशो बेड पर गिर जाता है ,,,ब्लड न मिलने की वजह से उसे वीकनेस होने लगता है ,,,और उसका रूप बदलने लगता है उसके ,नाखून बड़े होने लगे ,और दांत बड़े होकर मुंह से बाहर आ रहे थे ,,,,वो खुद को कंट्रोल करता है लेकिन होता नही है। तभी ग्रेनी आती है ,उसके रूम पर और उसको देख कर मुस्कुरा कर उसके पास बैठ जाती हैं, यशो को होश आता है। यशो ~ आप मेरे से दूर रहो ,,मैं आप को नुकसान नहीं पहुंचना चाहता हु ,,,,। ग्रेनी ~ ये लो ह्यूमन ब्लड है ! पाई लो,,, यशो उसको देखते ही ,,एक ही बार में पूरा पी जाता है, और बेहोशी के हालत में ,लंबी ~लंबी सांस लेते हुए ,अपने ह्यूमन फॉर्म में वापस आ जाता है ,,, ग्रेनी आप को ये सब पता था । मैं कोन हूं? ग्रेनी ~ बेटा ,मैं भी कभी वैंपेयर ग्रुप का हिस्सा हुआ करती थी ,आज मैंने ह्यूमन वर्ल्ड में रहना सीख लिया है। यशो अब तुम आराम करो,,,,बाकी टाइम आने पर मैं सब बता दूंगी । यशो आराम करता है,,,। दूसरे दिन ,,,चेन का मैसेज आता है ,,आज का टास्क है । 1) ब्लड टेस्ट . यशो ~ मैं ये सब कैसे करूंगा ? चेन ~ ये सब तो तुमको करना होगा ,देखते है तुम खुद पर कैसे कंट्रोल करना सीखते हो ? जब तक कंट्रोल करना नहीं आएगा तब तक तुम दूसरे टास्क पर नहीं जा सकते हो । इतना कहने के बाद चेन चला जाता है । यशो ~ मैं क्या करू ,,,ग्रेनी से पूछता हु? ग्रेनी ,,, ओ ग्रेनी ,,, जिंदा हूं मैं अभी ,,इतनी बूढ़ी भी नही हुई की ,,मुझे सुनाई नहीं देता है,,,। यशो~ ओह ग्रेनी ! आप की हेल्प चहिए ,,,। ग्रेनी ~ क्या हुआ ? यशो ~ सारी बात बताता है । ग्रेनी~ बस इतनी सी बात ,,ब्लड टेस्ट के वैंपेयर के लिय ,उसे उसका एनर्जी ब्लड सर्च पड़ता है,जिससे उसे पॉवर 100 गुना बढ़ जाती है, क्योंकि जब एक वैंपेयर ह्यूमन ब्लड कंज्यूम करना छोड़ देता है ,तो उसी ब्लड की एक बूंद उसके लिए अमृत का काम करती है। यशो ~ ग्रेनी ! लेकिन मैं ह्यूमन ब्लड कंज्यूम करना नहीं छोड़ सकता हूं ? ग्रेनी ~ ये तो सही टाइम आने पर तुमको पता चल जाएगा। यशो~ उसके बाद मैं उस इंसान को कैसे सर्च करूंगा इतने भीड़ में? ग्रेनी ~ तुमको उसकी महक ,लाखो करोड़ों की भीड़ में भी आ जाएगी ,,ऐसी खुशबू जिसके पीछे तुम ,,अपने आप खींचे चले जाओगे !! यशो ~ ग्रेनी आप ये सब कैसे जानती है ? ग्रेनी ~ मुस्कुराती है , और बोली जाओ बाहर की दुनिया भी देख कर आओ . यशो ~ सिर झुका कर , हां करता है ! ग्रैनी~ ( धीमे आवाज में )कोई तुम्हारा इंतजार कर रहा है ? यशो ~ आप ने कुछ कहा ? ग्रेनी ~ उसे देख कर चली जाती है ,,,, *********(बाहर का नजारा )******* यशो घूमते हुए ,पास के समुंद्र के बीच पर जाता है ,चारो ओर खूब सूरत मौसम, बदल छाए हुए ,हवा भी अच्छी चल रही थी, वो टहलता हुआ आगे चला जा रहा था , तभी उसे एक शंख दिखाई देती है ,वो उसे उठा कर चारो ओर घुमा कर देख रहा था , शंख बहुत की धार वाली थी जिससे उसके हाथ में लग जाती है ,और ब्लड निकल जाता है ,वो ब्लड शंख के अंदर चला जाता है। यशो ~ शंख उठा कर , समुंद्र में फेक देता है ,और आगे चला जाता है । शंख समुंद्र में जाते ही बड़े तेज से आवाज करता है ,और यशो के ब्लड के वजह से उसे शंख में कैद ," संखिफिश" "जिसे "हकीरा"ने क़ैद किया था , आजाद हो जाती है ,जो यशो को देख कर, बहुत खुश होती है ,, क्योंकि आजाद तो वही किया था अनजाने में ,वो समुंद्र में चली जाती है ,,और फूड स्टोर पर आता है । उसे वहा पर फिर से महक आने लगती है ,,,और वो उसी महक का पीछा करते हुए ,,आगे जाने लगता है,,, तभी उसके पास ,,,,,,,,,,,,,, आगे नेक्स्ट पार्ट में ,,,,
भाग ~ 3
तभी उसके पीछे से आवाज आई।
"Sir! आप क्या लेंगे? यहां पर आपको कुछ चाहिए?"
"यहां पर आपको सी-साइड फ़ूड मिलेगा, जो कि इसका फ़ेमस फ़ूड है।"
यशो पीछे देखा। पहली बात तो उसे वो महक आनी बंद हो गई, और उसे देखते ही,
"तुम तो कल वाली लड़की हो? जो पेड़ पर उल्टा लटकी हुई थी।"
"ओह, तो आप ने मेरी मदद की थी।"
"हलो! आई एम क्योंग।"
यशो: "ओह।"
क्योंग: "आप ने मेरी मदद की तो, आपको मैं टिप दे रही हूँ। आप बैठो, नया फ़ूड लेकर आई हूँ।"
यशो यही सोच रहा था कि अचानक से वो महक कैसे बंद हो गई।
तभी क्योंग उसके लिए फ़ूड लेकर आई। दोनों टेबल पर बैठकर फ़ूड इन्जॉय करने लगे। क्योंग के कल के बर्ताव को देखकर यशो को हँसी आ रही थी, और वह उसे देखकर हँस रहा था।
क्योंग: "वो मैंने कल ज़्यादा ही पी लिया था। टेंशन बहुत हो गई थी क्योंकि मुझे अपने कॉलेज की फ़ीस भी भरनी है, और ऐसे में जॉब नहीं होना बहुत दिक्कत करता है।"
यशो एक लंबी स्माइल दिया।
तभी अचानक से क्योंग के हाथ में चाकू लग गई, और उसने अपना हाथ झटक दिया। यह देखकर यशो का वेयरवुल्फ रूप बाहर आने लगा। वह खुद को बहुत कंट्रोल करता है, और उसे फिर से महक आनी शुरू हो जाती है। क्योंग उठकर जल्दी से टिशू पेपर से हाथ साफ़ करती है, लेकिन उसके हाथ का खून की एक बूँद यशो के फ़ूड में चली जाती है। क्योंग वहाँ से उठकर चली जाती है, और हाथ में बैंडेज करके आती है।
यशो खुद पर कंट्रोल कर लिया था और जिस फ़ूड बाइट पर खून गिरा था, यशो उसे खा लेता है।
क्योंग: "सारी मेरे वजह से, आपको परेशानी हुई।"
"नो! इट्स ओके," यशो बोला।
यशो को तभी आसमान का रंग का बदलाव दिखाई दिया; एक ऊर्जावान बिजली, इन्द्रधनुष जैसी आकर सफ़ेद चमकती हुई रोशनी, बादलों को चीरते हुए समुद्र तल तक टकरा जाती है। उसे सफ़ेद पंख भी दिखाई देते हैं।
"मुझे अब चलना चाहिए। थैंक यू!"
यशो जल्दी से जाने लगा। वो जैसे-जैसे सी-साइड से दूर हो रहा था, महक उतनी तेज होती जा रही थी। यह सब कैसे हो रहा है? ये पंख वहाँ पर दिखना? क्या हो सकता है?
वो वहाँ से रूम में आकर डोर लॉक कर लेता है। "मैं क्या करूँ!"
तभी उसके शरीर के छोटे-मोटे घाव जल्दी से ठीक हो जाते हैं। "ये सब कैसे हो रहा है? ये घाव तो मुझे दस साल से हैं। ये सब क्या है?"
तभी चेन का मैसेज आता है।
"योर टास्क इज़ कंप्लीट।"
इतना कहकर वह चला जाता है।
यशो सोचता है, "मैंने तो कुछ किया भी नहीं। वो महक ना जाने किसकी है?"
इतना सोचते हुए, वो राबर्ट के पास, अपने इनर पावर से संपर्क करता है और बात करता है।
उसे राबर्ट बताता है,
"कि तुम्हारा एक टास्क कंप्लीट हो गया है। मैंने अभी इनलेट रूम में जाकर देखा है। योर बैलेंस।"
यशो उसे सब कुछ बताता है।
राबर्ट: "यार मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है, क्योंकि दो वाइब्रेशन हैं। एक तो शंख, दूसरा वो लड़की। इन दोनों में से कोई एक है जिसमें तुझको हील करने की पावर है।"
"और अब मैं जा रहा हूँ। मुझे किसी के ज़िंदगी का लेखा पूरा करना है।" इतना कहकर राबर्ट चला जाता है।
यशो बैठा हुआ सोच रहा था। उसे क्योंग का चेहरा भुला नहीं जाता। "इतना प्यारा चेहरा मैंने आज तक नहीं देखा।"
तभी उसके रूम में रखी हुई फ़िश बोलती है,
"क्योंकि उसके पहले तुमने सच में लड़की नहीं देखी थी!!" इतना कहकर हँसने लगती है।
यशो: "कौन? कौन है?"
शंखफ़िश को आज़ाद करने की वजह से यशो के पास ये पावर आ गई थी कि वो फ़िश की भाषा समझ सकता था।
फ़िश: "मैं हूँ?"
यशो: "मैं कौन?"
फ़िश: "नीचे देखो, नई फ़िश बोल रही हूँ!"
यशो: "क्या तुम बोल भी सकती हो?"
फ़िश: "मैं तो पैदा हुई तब से बोलना जानती हूँ। 😁😁😁"
यशो: "अरे... मतलब कि तुम हमारी भाषा समझ सकती हो?"
फ़िश: "हाँ, वो तो मैं जानती हूँ, लेकिन यहाँ पर मेरी आवाज़ आपको सुनाई दे रही है, इसका मतलब है कि आप मेरी भाषा समझ सकते हो?"
यशो: "लेकिन ये कैसे हो सकता है?"
फ़िश: "क्या कैसे? मुँह बनाती हुई बोली..."
"किया होगा कोई उपकार मेरे महारानी पर..."
"तभी चौक रहे हो मेरे मधुर बानी पर..."
इतना कहकर फिर से हँसने लगती है।
यशो: "क्या-क्या मतलब?"
फ़िश: "मैं चली आराम करने, खुद सुलझाओ, पहेली मुझे डिस्टर्ब मत करो, मेरे खाने का टाइम हो गया है, अभी ग्रेनी आती ही होंगी।"
तभी ग्रेनी के चलने की आवाज़ आती है, छप...छाप।
फ़िश: "लो आ गई, बुढ़िया, फिर से वही घटिया खाना, वैसे भी जब से मैं यहाँ आई हूँ, तब से..."
ग्रेनी: "ओह मेरी प्यारी फ़िश, एक्वेरियम कैसा है तुम्हारा?"
फ़िश: "वैसे ही जैसे तुम्हारा खाना घटिया है!"
फ़िश की बात सिर्फ़ यशो को समझ आ रही थी, ग्रेनी तो नहीं समझ सकती थी।
यशो: "ग्रेनी आप कल से तकलीफ मत करना, मैं खुद इस फ़िश का ध्यान रखूँगा!"
ग्रेनी: "अच्छा किया, बेटा, जो तुम रखोगे क्योंकि अब मुझे ऊपर आने-जाने में तकलीफ होती है!"
फ़िश: "तो कौन बोलता है नीचे जाओ, वैसे भी अब तुम नीचे रहने लायक नहीं हो, ऊपर ही चली जाओ..."
यशो को खूब तेज़ हँसी आती है। वो अपनी हँसी पर कंट्रोल करता है।
ग्रेनी: "ठीक है बेटा, अब से तुम ही ख्याल रखना।" और चली जाती है।
यशो रूम लॉक करके खूब तेज़-तेज़ हँसता है।
यशो: "तुम ये सब कैसे बोल सकती हो? वो तुम्हारा कितना ख्याल रखती है। अच्छा अब ये बताओ कि पहेली का मतलब? नहीं तो आज तुम बिना खाए ही रहोगी।"
फ़िश: "ऐसा मत करो, मैं बताती हूँ..."
क्या है फ़िश की कहाँ नी, कौन है उसकी महारानी...?
जाने नेक्स्ट पार्ट में। लाइक, कमेंट।💐💐🐠🐠🐠
फिश ने अपने भोजन के कारण बताया कि, "हज़ारों साल पहले, जब डेमन, वैम्पायर और सी क्रिएचर के बीच अपने अस्तित्व को लेकर महायुद्ध हुआ था, उस समय हमारे समुद्र में 'तरंग दिहू' के राजा राज करते थे। उनके साम्राज्य में सब बहुत खुश रहते थे। उनकी रानी लिलियाला गर्भवती थी। लिलियाला इतनी खूबसूरत थी कि उसके आगे सब राज्यों की रानियाँ लिलियाला के प्रकाश से अपनी आँखें बंद कर लेती थीं। उसके पास पानी में रहने के साथ-साथ हवा में उड़ने की भी ताकत थी। उसके पास पंख भी थे।"
यशो: ये कैसे हो सकता है? उसके पास पंख?
फिश: हाँ, क्योंकि वह समुद्र के बहुत ही ताकतवर, लाखों साल पुराने वंश से जुड़ी थी और उन्हें ये सारी शक्तियाँ अपने पूर्वजों से मिली थीं।
एक दिन, राजा 'तरंग दिहू' ने सभा की और उन्हें पता चला कि धरती और पाताल लोक के वासियों में काफी संघर्ष चल रहा था। वैम्पायर जो पाताल लोक से धरती पर आ गए थे, और कुछ वैम्पायर जो धरती के लोगों में शादी करके अपने परिवार के साथ रहते थे।
इंसान जहाँ भी वैम्पायर को देखते थे, उनका शिकार कर लेते थे, और वैम्पायर इंसानी खून पीने के आदी हो गए थे। समुद्री लोग इस बात से अनजान थे।
ऐसे ही चारों ओर अंधकार और काली वैम्पायर शक्तियों का आह्वान होता रहा।
वैम्पायर को ह्यूमन ब्लड से शक्ति मिलती थी और वे और भी खूबसूरत हो जाते थे।
हमारे राजा तरंग दिहू ने माहौल को ठीक करने के लिए वैम्पायर के किंग हुसुकन डेमन को, धरती के महान ऋषि चंद्र ऋषि को और विचेस की रानी लोहिता को बुलाया।
ये चारों लोग मिलकर इस समस्या को शांत करने के लिए वार्ता करने लगे।
लेकिन वैम्पायर और विचेस ने समुद्र में लगे डायमंड सील्ड को पाने की लालच में एक योजना बनाई।
यशो: डायमंड सील्ड क्या है?
फिश: डायमंड सील्ड राजा और लिलियाला रानी के आने वाले वंशज को प्रोटेक्ट करती थी, और जो डायमंड सील्ड रखता था, वह तीनों लोक को अपने हक़ में करने का अधिकार रखता था। यह सील्ड तीन रत्नों में से एक था:
1) डायमंड सील्ड
2) गोल्डन सील्ड
3) इनविज़िबल सील्ड
डायमंड सील्ड समुद्री राजा तरंग के पास थी। गोल्डन सील्ड दो टुकड़ों में थी जो वैम्पायर और विचेस के पास थी, समझौते के बाद। और इनविज़िबल सील्ड ह्यूमन के पास थी, जो ऋषि चंद्र ऋषि के पास थी।
सभा शुरू होती है।
विचेस: काली शक्तियों के पास काला घेरा बना, चारों ओर धुआँ सा, काली शक्तियाँ प्रवाहित हो रही थीं। और ऋषि जो ऋद्धि-सिद्धि तप से तेजस्वी योग चमकता हुआ दिखाई देता है।
सभा में हुसुकन डेमन इनविज़िबल शील्ड का आधा हिस्सा माँगता है।
ऋषि: मैं मानव जाति का रक्षक होने के नाते यह नहीं कर सकता हूँ, और आपको पता है कि अगर हमने ऐसा किया तो मानव जाति संकट में पड़ जाएगी।
विचेस लोहिता: हमें भी धरती पर रहने का अधिकार है। हमें अपने आने वाले वंशज को बढ़ाना है।
राजा तरंग: ऋषिवर, आप काली पहाड़ी का हिस्सा विचेस और वैम्पायर को दे दें, जिससे यह मामला सुलझ सके।
ऋषि: आप कह रहे हैं तो मैं यह करने को तैयार हूँ, लेकिन एक शर्त है कि काली पहाड़ी के इलाकों को छोड़कर ये दोनों कभी ह्यूमन राइट्स में नहीं आयेंगे, और अगर पाए गए तो मौत के घाट उतार दिए जाएँगे। उस पहाड़ी पर पाए जाने वाले जड़ी-बूटियों को हर महीने हमारे लोग लेने जाएँगे।
डेमन और विचेस को यह मंज़ूर था क्योंकि अब वे पाताल लोक से धरती पर रह सकते थे।
सभा खत्म होती है।
विचेस और वैम्पायर अपने-अपने लोक चले जाते हैं।
ऋषिवर भी विदा लेते हैं तो तरंग दिहू ऋषि को रोक कर अपनी पत्नी के पेट में पल रहे बच्चे का भविष्य देखने को कहते हैं।
लिलियाला आती है। ऋषिवर देखते हैं तो कहते हैं कि,
"धोखा हो रहा है, राजा हमारे साथ।"
तरंग: ये आप क्या कह रहे हैं!
ऋषि: आपकी पुत्री को जान का खतरा है। विचेस और वैम्पायर ने आपके साम्राज्य पर हमला करने और डायमंड सील्ड को पाने के लिए एक बड़ी फ़ौज तैयार कर ली है।
तरंग: लेकिन हमारी पुत्री को खतरा, बिना इस संसार में आए?
लिलियाला: मैं अपनी पुत्री को इस संसार में लेकर आऊँगी, उसके लिए चाहे मुझे इस दुनिया से ही क्यों ना जाना पड़े।
ऋषिवर: मैं अपना डायमंड सील्ड अपनी पुत्री को बचाने के लिए उसमें समा देना चाह रही हूँ।
राजा तरंग अपना सील्ड लिलियाला के शरीर में स्थानांतरित कर देता है और एक जोरदार प्रकाश के साथ डायमंड शील्ड लिलियाला के भ्रूण में समा जाता है।
ऋषि: आपकी पुत्री ही हम मानव जाति और वैम्पायर जाति में सबसे ज्यादा ताकतवर और शक्तिशाली होगी।
तभी अचानक से विचेस और वैम्पायर दोनों अपनी सेना लेकर आक्रमण कर देते हैं। चारों तरफ़ घमासान युद्ध और लाशें बिखरी हुई थीं। युद्ध को खत्म करने के लिए लिलियाला ने अपनी पूरी शक्ति का आह्वान किया। चारों ओर धुआँ, अंधेरा, जोर का प्रकाश, और उस प्रकाश से विचेस और वैम्पायर अपनी दुनिया पाताल लोक में वापस जाने लगे, और उसकी गोल्डन सील्ड बंद होने लगी। सारे वैम्पायर पाताल लोक में वापस चले गए। लिलियाला इतनी कमजोर हो गई कि मुँह से खून की धार टपक रही थी।
ऋषि लिलियाला की पुत्री को इस संसार में लाने के लिए अपने इनविज़िबल सील्ड से लिलियाला की पुत्री को घेरे में रख देता है, और लिलियाला खुद को पत्थर की मूर्ति में बदल लेती है। और उसके पेट में पल रहा भ्रूण जिंदा अपनी माँ के पेट में साँस ले रहा था। लिलियाला की एक बहन भी थी जिसका नाम संखीफिश था, जिसे हाकिरा ने अपने मंत्र से शंख में बाँध लिया था और बोला था कि तुम तभी आज़ाद होगी जब किसी किंग वैम्पायर के खून की बूँद इस शंख पर पड़ेगी।
और राजा तरंग तब से पानी के अंदर कहीं समा गए, और वे तब वापस आयेंगे जब उनकी पुत्री को उसकी शक्तियाँ मिल जाएँगी।
यशो: लेकिन उसकी पुत्री तो लिलियाला के पेट में है जो पत्थर की है, और वह कैसे बाहर आ सकती है? और उस ऋषि का क्या हुआ?
फिश: अब मुझे कुछ ज़्यादा नहीं पता, जितना था उतना बता दिया। अब मुझे खाना दो, भूख लगी है। आ… खाना दो।
यशो: तो मैं तुम्हारी आवाज़ कैसे सुन रहा हूँ?
फिश: अरे, खुद याद कर लो। अब मुझे खाना दो नहीं तो मैं अपना दम तोड़ दूँगी।
यशो: पहले बताओ तब।
फिश: अरे, खाने के बाद बता दूँगी।
यशो फिश को खाना देता है। फिश खाना खाकर एक्वेरियम में बने घर में छिप जाती है और बोली, "अब नहीं बताऊँगी कुछ।"
यशो: मैं यह एक्वेरियम तोड़ दूँगा।
फिश: अच्छा, बताती हूँ… इतना कहकर वह बताने वाली थी…
तभी चेन का मैसेज आता है। अब क्या टास्क है, जानने के लिए पढ़ते रहें। लाइक, कमेंट प्लीज। अपना सपोर्ट और प्यार दिखाएँ। आप लोग प्लीज सपोर्ट करिए।
यशो को कार्य सौंपा गया था, तभी चेन का संदेश आया।
यशो के हाथ से एक गोल, सुनहरा प्रकाश निकला। तारों और तरंगों के साथ, सुनहरे रंग के साथ काले रंग की तरंगें, श्याही भी निकलीं। एक-एक शब्द...
निकला।
यह यात्रा यशो के लिए यादगार होने वाली थी, पर उसे यह नहीं पता था।
एक-एक शब्द...
निकलते हुए एक पहेली बन गया।
*****पहेली******
मैं चाह कर आसमान भी छू सकता हूँ?
मैं उड़ना जानता हूँ, लेकिन
मालिक बिना उड़ नहीं सकता!🔥
********†*****
यशो को पहेली कुछ समझ नहीं आई। यह सब क्या था? चेन का संदेश जाते ही, सुनहरा और काला प्रकाश, जो यशो के हाथों में गोल-गोल घूम रहा था, वह...
धूल के जैसे नीचे गिर गया।
यशो उसे उठाकर एक जार में भर दिया। जार के अंदर जाते ही, वह दोनों, गोल्डेन और ब्लैक धूल अलग हो गईं, और चमकने लगीं।
यशो को कुछ समझ नहीं आया। तभी उसे खून की महक आई। यशो पीछा करते हुए ऊपर छत पर गया। वह टहल ही रहा था कि...
तभी क्योंग की प्रविष्टि हुई। वह पास की खिड़की पर पैर फैलाए हुई थी, उसके बाल खड़े थे, और उसके दोनों हाथ काले रंग में रंगे हुए थे क्योंकि पास में पेंट का डिब्बा रखा था। वह तभी यशो को देखती है और देखते ही बोलती है,
"क्योंग: हैलो! मैं आपसे मिल चुकी हूँ। क्या आप मुझे जानते हैं? मुझे पहचाना? 😮💨😟"
"यशो: आवाज तो पहचान रहा हूँ, लेकिन तुम्हारा चेहरा ठीक से नहीं दिख रहा है। इसलिए थोड़ी परेशानी हो रही है। क्या तुम सीधा हो सकती हो?"
"क्योंग: मैं अगर सीधा हो सकती तो आपके सामने होती, यहाँ नहीं!"
"यशो: हाँ, बात तो यह भी सही है। लेकिन एक बात और, तुम उल्टा क्यों लटकी रहती हो हमेशा?"
"क्योंग: क्या आप मेरी मदद कर सकते हो?"
"यशो: हाँ! कर तो दूँगा।"
"क्योंग: तो कर क्यों नहीं रहे हो?"
"यशो: क्योंकि तुमने बोला ही नहीं अभी तक।"
"क्योंग: 😤😤अब बोल रही हूँ। मुझे नीचे उतारो!😤"
"यशो: हाँ!"
यशो क्योंग को नीचे उतार रहा था, तभी अचानक दोनों नीचे गिर गए। क्योंग का हाथ यशो के चेहरे पर पड़ा, और उसका चेहरा काला पड़ गया। दोनों उठे। क्योंग अपना हाथ पीछे छिपा लेती है, और हँसने लगती है। तभी यशो का पैर पेंट के डिब्बे से टकरा गया, और दोनों फिर से गिर गए, एक दूसरे के ऊपर। यशो का मुँह क्योंग की गर्दन के पास गया। वहाँ क्योंग को गिरते समय खरोच लग गई थी। वहाँ पर खून की बूँदें साफ-साफ दिख रही थीं।
यशो का वैम्पायर रूप बाहर आ गया। उसकी आँखें भूरी हो गईं, और दाँत दोनों ओर बड़े हो गए, बाहर की ओर निकले दाँत चमकने लगे। यशो खून पीने के लिए उतावला हो रहा था। वह अपने आप को रोकने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसका वैम्पायर रूप उसे खून पीने के लिए मजबूर कर रहा था।😈😈😈
यशो काबू नहीं कर पाया और उसने उसके घाव पर अपने होंठ रख दिए। क्योंग कुछ समझ नहीं पाई और उसे हटाने की कोशिश की, लेकिन यशो क्योंग का खून चख लेता है, और उसकी गर्दन को चूम लेता है जिससे खून उसके अंदर चला जाता है। और तुरंत ही क्योंग का जख्म जो लगा था वह ठीक हो जाता है। यशो कुछ समझ नहीं पा रहा था कि यह सब क्या हो रहा है, तब तक क्योंग बेहोश हो गई। यशो उसे लेकर कमरे में गया। दोनों ऐसे हालात में थे कि कोई भी देखे तो सोच में पड़ जाए कि दोनों किस प्रजाति के हैं। 😅🤣🤣 यशो का आधा चेहरा काला था, और कपड़े खिंचाव में फट गए थे। क्योंग को होश आया। वह यशो को देखकर हँसने लगी। यशो समझ नहीं पा रहा था कि वह क्यों हँस रही है, तब वह अपना चेहरा आईने में देखता है, और देखते ही चौंक जाता है और खुद से डर जाता है। "ये क्या हो गया मेरे साथ? मेरा चेहरा कैसे बदल गया?" उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि क्या हुआ।
क्योंग यशो का चेहरा साफ करते हुए बोली, "यह पेंट है, साफ हो जाएगा।"
"यशो: मेरा हैंडसम चेहरा क्या हो गया? कैसे ठीक करूँ?"
क्योंग हँसते हुए, उसके पास तौलिया लेकर जाती है, और उसका चेहरा साफ करती है।
दोनों के बीच ऐसे ही नोकझोंक चल रही थी।
***अगले दिन सुबह***
यशो अपनी पहेली को सुलझाने के लिए जंगल के बीचों-बीच गया। वहाँ उसे ऊँची-ऊँची पहाड़ी क्षेत्रों तक पहुँची हुई, हरे पेड़ों के चादर से ढकी, देखने को मिली। यशो को कुछ समझ नहीं आया। वह छलांग लगाकर, हवा को चीरते हुए, पेड़ों की ऊँची रिहायशी चोटियों को पार करता हुआ, एक पहाड़ी पर पहुँचा।
वहाँ का नज़ारा ही अलग था। रंगों का प्रकाश आपस में अठखेलियाँ कर रहा हो। चारों तरफ बस मनमोहन दृश्य था। यशो ने अपने जीवन में ऐसा कुछ पहले नहीं देखा था! वह... बस पेड़ों की खूबसूरती, फूलों की महकती वाडियाँ...
चिड़ियों की चहचहाहट, और तितलियों के साथ, भँवरों के साथ, खुद को महसूस कर रहा था! मानो वह स्वर्ग के रास्ते में पहुँच गया हो!
यशो ने क्योंग का रक्त पान करने के बाद खुद को फुर्तीला महसूस किया। उसके हाथ में सोने और काले रंग का धूल का कण था, जो अभी भी चमक रहा था। यशो पहाड़ों के बीच गया। ऐसा लगता था कि वह पहले यहां आ चुका है। उसे पुरानी बातें याद आती हैं, कि जब वह छोटा था, तो ऐसे ही स्थान पर आने की जिद किया करता था। उन रंगों को छूने से पहले ही, उस धूल का कण इतना चमकीला हो जाता था कि वह उसी में खो सा जाता था। उसके चेहरे पर एक मुस्कान, वैम्पायर जैसी, आने लगती थी।
आज यशो उस पहेली से रूबरू होने जा रहा था जिसका उसे अंदाजा भी नहीं था। वह उन चमकीले धूल के कणों में खोता हुआ, एक अदृश्य जाल में फँस गया।
वह खूब झटपटाया, लेकिन ऐसा कोई उपाय नहीं था जिससे यशो वहाँ से निकल सके। जहाँ पैर रखता, वहाँ उसे पानी की आवाज, और कभी ऐसे रहस्यमय आवाजें आतीं, जिससे वह अपने आप से बाहर हो जाता। यशो एक वैम्पायर भले ही था, लेकिन उसके अंदर कहीं न कहीं सच्चाई और प्यार उसके दिल में था।
उसे कुछ नहीं समझ आता था। यशो का वैम्पायर रूप और भी तेज होता जा रहा था। उसका हाथ विशालकाय होता जा रहा था, दांत और भी नुकीले। ऐसा लग रहा था कि कोई अभी सामने आ जाए तो यशो उसे मौत के घाट उतार देगा। उसकी उलझन बढ़ती जा रही थी।
तभी उसे अपने दोस्त राबर्ट की याद आई। उसने उससे संपर्क बनाने की कोशिश की। काफी कोशिश करने के बाद,
राबर्ट का संदेश आया:
"बस अपने दिल में अच्छे विचार लाओ, जो तुमने अपनी आँखों से देखा हो और वो दुनिया का सबसे खूबसूरत वस्तु हो।" इतना कहने के बाद, संपर्क भी टूट गया।
यशो सबको याद करता है, लेकिन उसे सुकून नहीं मिलता। जब वह क्योंग के बारे में सोचता है, तो उसका मन और दिल, क्योंग की नादानियों और उसके मुस्कान भरे चेहरे, यशो के सामने आ जाते हैं।
यशो थम सा जाता है, और उसका वह विकराल वैम्पायर रूप सामान्य हो जाता है। और सारा धूल का कण नीचे गिर जाता है। यशो भी ऊपर से गिरते हुए पहेली ही सोच रहा था:
"आसमान छूना, मालिक बिना बेकार।"
यशो सोचता है, "काश मेरे पास मेरे पंख होते, तो आज मैं आसमान की ऊँचाइयों को छू रहा होता।"
इतना कहते ही यशो को याद आता है:
"ओह! ये तो पहेली का सही जवाब है! मतलब मैं सही हूँ!" तभी यशो खुद को घर की छत पर पाता है। "मैं यहाँ कैसे?"
चेन: "तुम्हारे पहेली का सही जवाब है! लेकिन तुम्हें अपने पंख, जो तुमसे छीन गए थे, उन्हें ढूँढ कर पंख का सही चुनाव करना होगा।"
इतना कहकर वह चला जाता है।
यशो छत पर था, और वह क्योंग से मिलने के लिए समुद्र के किनारे बीच पर गया। और क्योंग को देखकर, मन ही मन में मुस्कराता हुआ क्योंग की ओर चला जा रहा था। पीछे एक लॉरी आ रही थी। तभी क्योंग यशो को देखती है और हटने का इशारा करती है। यशो क्योंग पर ध्यान नहीं दे रहा था, उसे बस उसकी आँखों की चमक नज़र आ रही थी।
क्योंग दौड़ती हुई आती है और यशो को धक्का देकर साइड कर देती है, और दोनों रेत में लुढ़कते हुए नीचे चले जाते हैं।
क्योंग: "तुम पागल तो नहीं हो गए हो! हाँ, सुनाई नहीं देता है, अभी तुम लॉरी के नीचे आ जाते!"
यशो: "अरे, मैं यहाँ कैसे?"
क्योंग: "ध्यान तो रहता नहीं है, तो कहाँ से पता होगा?"
यशो को याद आता है कि वह तो रक्त की महक से खींचा क्योंग की ओर चला आ रहा था।
दोनों उठते हैं। यशो सॉरी बोलता है। क्योंग कुछ नहीं कहती और जाने लगती है। यशो उसका हाथ पकड़ लेता है। क्योंग थोड़ा हिचकिचा जाती है, क्योंकि उसको कभी भी ऐसे किसी ने नहीं पकड़ा था।
क्योंग: अपना हाथ छुड़ाती हुई बोली, "क्या हुआ?"
यशो: "यह क्लब क्या होता है?" बचने के लिए बहाना बनाता हुआ।
क्योंग: हँसते हुए, "यही नहीं पता? चलो वैसे भी शाम होने वाली है, मैं लेकर चलती हूँ तुम्हें क्लब, कभी गए नहीं?"
यशो: "नहीं," एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ बोलता है।
शाम होती है।
******दोनों क्लब जाते हैं******
क्योंग की छोटी-छोटी आँखें, खुले बाल, उसके गुलाबी होंठ, गाल पर खुशी की लाली साफ झलक रही थी, जैसे वह पहली बार डेट पर जा रही हो। यशो की नज़र उस पर से हट ही नहीं रही थी। इतनी खूबसूरत लग रही थी, और उसके रक्त की खुशबू उसे पागल कर रही थी।
दोनों हँसते हुए जा रहे थे। यशो इतना स्मार्ट लग रहा था कि रास्ते की सारी लड़कियाँ उसे घूर रही थीं। दोनों क्लब में जाते ही, यशो के पास लड़कियों की भीड़ लग जाती है। क्योंग गुस्से में सबको धक्का देते हुए बोली, "ये मेरा दोस्त है, दूर हटो! मेरा दोस्त है!" तभी एक लड़की बोलती है, "तो क्या हुआ, बॉयफ्रेंड तो नहीं है ना?" इतना कहकर वह सब यशो को अपने साथ लेकर चली जाती हैं। क्योंग गुस्से में पैर पटककर चेयर पर जाकर बैठ जाती है। "हाँ, क्लब आना था, मेरा दोस्त है और देखो, कैसे लड़कियों के साथ खेल रहा है, प्लेबॉय कहीं का!" और एक शॉट पी लेती है।
इधर, यशो एक लड़की को कोने में लेकर जाता है। वह मदहोशी की हालत में यशो को अपने आगोश में लेना चाह रही थी, लेकिन तभी यशो की दोनों आँखें चमक उठीं और उसके दोनों दांत बाहर निकल आते हैं। और यशो को देखकर वह लड़की भागती है। इससे पहले यशो उसके गले में दांत लगाकर उसका रक्त पान कर लेता है। खून की धार से यशो का मुँह लाल पड़ गया था, और वह मुँह पोछते हुए बोला, "ह्यूमन पर्सनेलिटी कितनी पागल होती है, किसी पर भी यकीन कर लेती है!" तभी वह लड़की को यशो छत से धक्का दे देता है, और वह गिरकर मर जाती है। उसके अंदर रक्त पान करने का एक जुनून सा सवार हो गया था। वह बाहर आकर एक लड़की को अपनी ओर ले जाने लगता है, लेकिन तभी देखता है कि क्योंग के आस-पास कुछ लड़के खड़े होकर उसे छेड़ रहे हैं, और वह नशे की हालत में बेहोश थी।
यशो आकर उन सबको खूब मारता है और क्योंग को अपने गोद में उठाकर ले जाता है। रास्ते में क्योंग यशो से झगड़ा करते हुए उसका बाल खींच रही थी, और बोल रही थी, "तुम ना मेरे दोस्त नहीं हो, झूठे हो तुम, प्लेबॉय हो तुम!" इतना कहकर वह सड़क पर खूब तेज-तेज से चिल्लाने लगती है। यशो जब चुप रहने को बोलता है तो वह यशो को किस कर लेती है। तभी यशो को पुरानी यादें आने लगती हैं, और उसे पंख कहाँ पर मिलेंगे वह भी याद आ जाता है। वह क्योंग को अपने आगोश में ले लेता है। दोनों एक-दूसरे को पसंद तो करने लगे थे, लेकिन कहते नहीं थे। यशो क्योंग को गोद में उठा लेता है और कमरे तक लेकर आता है। दोनों एक-दूसरे के बाहों में थे। यशो का यह अद्भुत जीवन का सबसे बेहतरीन पल था, लेकिन वह क्योंग को छोड़कर अपने पंख लेने के लिए चला जाता है।
आगे की रोमांचक कहानी जानने के लिए बने रहें।
यशो अपने पंख के लिए रास्ता ढूँढता था। उसे याद आया उस दिन समुद्र के किनारे उसने वह पंख देखा था। "मुझे जाना होगा," उसने सोचा।
यशो समुद्र के किनारे गया। जैसे ही वह समुद्र के ऊपर अपना हाथ रखता था, तभी पानी की तेज धार 🌊🌊🌊🌊🌀 छलछलाती हुई, छपछप-छपाछप की आवाज़ करती हुई, एक सीढ़ियों के रूप में बनती जाती थी।
यशो को कुछ समझ नहीं आ रहा था। वह ऊपर जैसे-जैसे कदम रखता, सीढ़ियाँ बनती जाती थीं। यह सफ़र इतना आसान और खतरनाक होगा, यह यशो के लिए रोमांचक सफ़र से कम नहीं था। वह ऊँचे बादलों तक सीढ़ियों से पहुँच गया। नीचे देखता है तो उसे समुद्र में वैसे ही आवाज़ सुनाई देती थी, जैसे उसने पहली बार शंख को फेंकते समय सुनी थी। उसे मालूम हो गया कि वह कैसे और किसकी मदद से यहाँ पहुँचा था। 🌀
वह मन में मुस्कुराता हुआ आगे की ओर बढ़ता चला गया।
कुछ दूर चलने पर उसे मालूम हुआ कि वह स्वर्ग की सीमा रेखा को छू रहा है, और दूसरी ओर नरक का दरवाज़ा। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये दोनों दरवाज़े एक साथ कैसे थे।
आगे एक बोर्ड पर लिखा था:
"अपनी शक्ति और सौंदर्य का मोह ना करे,
अपने आने वाले कल को चुने।"
यशो असमंजस में था। "मुझे तो आगे चलकर अपने वैम्पायर साम्राज्य को एक वारिस देना है, जो हमारी रीति और काली शक्तियों को आगे बढ़ाएगा," उसने सोचा।
यशो सोच ही रहा था कि उसके अंतरात्मा दो भागों में बँटकर बाहर आती है:
एक एंजेल 🧚
दूसरी डेमन 😈
एंजेल: "तुमने बहुत पाप किए हैं। अपने पापों का प्रायश्चित कर स्वर्ग का सुख भोगो और अपने एंजेल रूप को अपना लो।"
डेमन: "नहीं यशो, ये एंजेल लोग झूठ बोलते हैं। सारी जिंदगी दूसरों की मदद करते हैं और अंत में ये खुद गुमनाम मौत मर जाते हैं। तुम एक वैम्पायर साम्राज्य के राजा बनने वाले हो। तुमको मरते दम तक अपने इसी रूप में रहना होगा। और अगर तुमने एंजेल को चुन भी लिया, तो दुनिया भी तुमको एक शापित एंजेल के रूप में कभी स्वीकार नहीं करेगी।"
एंजेल: "ऐसा नहीं है। तुम्हें दूसरों की मदद करके जो सुकून मिलेगा, वह और कहीं नहीं मिलेगा। तुम अपने साथ दुनिया को भी बचा सकते हो। लोग तुम्हारी मिसाल देंगे। यह पूरा वर्ल्ड तुम्हारा है, यशो।"
यशो इतना कन्फ्यूज़ था कि उसने उन दोनों को झगड़ा करने से मना कर कुछ दूर आगे चल दिया।
चारों ओर सिर्फ़ बादल ☁️☁️☁️☁️☁️🌈☁️☁️☁️☁️ इतना मनमोहक दृश्य देखकर यशो जी भरकर निहार रहा था।
यशो अपनी रियलिटी जानता था कि वह एक वैम्पायर है। उसे कभी भी एंजेल रूप में लोग स्वीकार नहीं करेंगे। वह वैम्पायर गेट की तरफ़ बढ़ता चला गया।
आगे एक मशीन लगी थी, जिस पर पैर रखकर यह पता किया जा सकता था कि कौन किस पंख को पाएगा - 🖤 ब्लैक या एंजेल 🤍। यशो अपना पैर एक एंजेल गेट और दूसरा डेमन गेट पर रखता है।
मशीन का पारा ऊपर-नीचे करते हुए चर-चर-चर की आवाज़ ss sss करती हुई आगे बढ़ रही थी। दोनों का पारा शून्य से ऊपर की ओर बढ़ रहा था। तभी अचानक दोनों का पारा— एंजेल 🧚 और डेमन 😈— दोनों का पारा बराबर पर रुकता है। उसका एंजेल पारा एक पॉइंट कम था, लेकिन उसके दिल में अचानक क्योंग का ख्याल आता है, और एंजेल का वह एक पॉइंट अब डेमन पॉइंट के बराबर हो जाता है।
ऐसा पहली बार हुआ कि किसी को दोनों बराबर मिले। अब इसी के आधार पर सभी डेमन और एंजेल के पंख तैयार होते थे।
यशो के पंख तैयार हो रहे थे। एंजेल भी परेशान थे कि ऐसा जीव भी है जिसकी ऐसी रचना हुई है। कुछ देर बाद यशो के पंख बाहर आते हैं।
उसके दोनों पंख अलग-अलग थे—एक एंजेल और दूसरा डेमन का। यशो के पास पंख तो थे, लेकिन अलग-अलग शक्तियाँ भी। इतना मनमोहक और हैरान करने वाला मंज़र था! ये क्या? उसके पास पंख तो आ गए—ब्लैक डेमन 😈 और लाल-सफ़ेद चमकते पंख एंजेल 🧚😇 का। यशो का पंख जैसे ही शरीर में जुड़ता है, यशो दोनों शक्तियों को बर्दाश्त नहीं कर पाता। इतनी जलन और उतना ही शक्तियों का आह्वान!
दोनों रूप अब रूह से एक होने वाले थे। इतना भयानक मंज़र था कि नीचे से ग्रेनी और चेन इस मंज़र को देख पा रहे थे, और क्योंग पर भी इसका असर हो रहा था।
(लेकिन क्यों? यह आपको कहानी के बीच में पता चलेगा अगर आप कहानी रोज पढ़ोगे तो।)
यशो कुछ देर बाद बेहोशी की हालत में बादलों के बीच अपने पंखों के साथ नीचे गिरता चला जाता है।
चाँद, तारे, ब्रह्मांड और इस मिस्टीरियस यात्रा के बीच यशो खुद को एक शून्य सा प्रतीत करता है, और वह समुद्र के बीचों-बीच आकर गिर जाता है। इस तरह से यशो अपने पंख पा तो जाता है, लेकिन क्योंग जो असल में क्या थी, किसी को नहीं पता था। वह दर्द से, डर से काँप रही थी। इधर यशो को शंख फेंककर ऊँचे चट्टान पर छोड़कर वापस चली जाती है, और छोटे से चट्टान से बैठकर यशो को वहीं से देख रही थी।
यशो को कुछ देर बाद होश आता है। वह एक काली रात में खुद को अकेला पाता है, और अपने आगे के बारे में सोच रहा था। "मुझे तो कोई अपनाएगा नहीं। यह सब क्योंग की वजह से हुआ है। अगर मैं उसके बारे में नहीं सोचता, तो आज मैं फ़ुल डेमन 😈 विंग में होता।" गुस्सा होकर वह तेज से हवा को चीरते हुए, पंख फैलाए, क्योंग से मिलने और उसको मारने के लिए तेज़ी से आगे उड़ता हुआ चला जा रहा था, और देखता है क्योंग...
आगे जानने के लिए पढ़ते रहें। कमेंट तो कर दिया करो आप। आप लोग कमेंट करके नहीं बताते हो कि स्टोरी कैसी लगी। माना आप जैसे महान लेखक नहीं हूँ, लेकिन थोड़ा बहुत तो सपोर्ट कर सकते हो ना। 😐😐😐😐💗💗💗💗💗
लीरा, एंजेल अनाथाश्रम में पढ़ने वाली तेरह साल की बच्ची थी, और वह दादी बच्चों की प्रिय दादी थी।
दादी कौन थी? कहाँ से आई थी? किसी को नहीं पता था। बस वह रात में बच्चों को कहानियाँ सुनाती थी, जिसे बच्चे कहानी वाली दादी कहकर बुलाते थे।
लीरा के कई सारे दोस्त भी थे; वे सब भी दादी को पसंद करते थे।
अभी सारे बच्चे वहाँ से उठे भी नहीं थे, तभी गार्ड आकर बोला, "चलो बच्चो, सो जाओ। आज रात के दस बज गए हैं!"
दादी अपनी लाठी पकड़ी, जो लाठी बहुत ही चमक रही थी और उस पर जगह-जगह भूरे रंग का धब्बा पड़ा था। लाठी पूरी तरह से सीधी नहीं थी, बस टेढ़ी-मेढ़ी थी। उसे लाठी के सहारे वह उठकर खुद को संभालती हुई कुर्सी से उठ गई।
बच्चे भी अब उठकर अपने-अपने कमरों में चले गए।
गार्ड: "दादी मां, आप इन बच्चों को हमेशा ऐसी कहानियाँ क्यों सुनाती हैं जो इस दुनिया में होती ही नहीं हैं!"
दादी: "बच्चों को ऐसी ही कहानियाँ अच्छी लगती हैं! और बच्चे तो मैजिकल और अच्छी कहानियाँ ही सुनना चाहते हैं!"
गार्ड: "मतलब कि जैसे डेविल या वैम्पायर? ऐसा कुछ नहीं है आज की दुनिया में!"
दादी गुस्से में उसकी ओर देखी और एक खतरनाक मुस्कान देते हुए आगे चली गई। इससे आगे प्यार के रास्ते में घना जंगल था।
दादी मां धीरे-धीरे जंगल के रास्तों में चली जा रही थी। दूर से देखने पर बस उनकी चोटी की एक सफेद बिजली के तार जैसे चमक रही थी।
गार्ड अंदर आया और गेट को लॉक कर लिया। उसके बाद जाकर कुर्सी पर बैठ गया। तभी उसका फ़ोन बजने लगा।
और वह फ़ोन देखकर हँसने लगा। लगातार वह फ़ोन में देखकर हँस रहा था।
उसके हँसने की आवाज गूंज रही थी। तभी अचानक से यह आवाज बंद हो गई।
और सुबह होने पर पता चला कि गार्ड को किसी ने मार दिया है। गार्ड का पूरा शरीर नीला पड़ चुका था।
बहुत सारी पुलिस आई।
डॉक्टर ईशान ने पोस्टमार्टम किया। वहाँ से रिपोर्ट आई कि गार्ड की मौत फाँसी लगाकर की गई है और उसके गर्दन पर दांतों के निशान मिले हैं। डॉक्टर ईशान को यह नहीं समझ में आता था कि दोनों में से किस वजह से मौत हुई है। और इस केस को जितना डीपली जाकर देखने की कोशिश करते, उन्हें कुछ नहीं मिलता। और गार्ड के शरीर में एक भी बूंद खून नहीं था जिससे पता चले कि किस जानवर ने उसे काटा है।
जब यह रिपोर्ट वापस अनाथाश्रम आई तो एंजेल अनाथाश्रम के ऑनर, राहुल मल्होत्रा से संपर्क किया गया। राहुल के माथे पर सिकुड़न की उभार आ गई। कुछ तो है जो राहुल को पता है, उसके अलावा किसी और को नहीं पता है।
यह अनाथाश्रम की पहली घटना नहीं थी। इससे पहले भी दो और मौतें हो चुकी थीं, लेकिन वे दो मौतें राहुल मल्होत्रा के कहने पर यहाँ के मैनेजर ने पुलिस को नहीं बताई थीं।
राहुल मल्होत्रा ने मैनेजर से कहा, "आप इस केस को दबा दो! और ये लो दस लाख रुपये। और सब रफ़ा-दफ़ा करो!" इतना कहकर फ़ोन काट दिया।
लीरा और उसके दोस्त, विवेक, राहुल, अंश, शौर्य; ये पाँचों ये सब देख रहे थे कि बहुत सारी पुलिस आई है, लेकिन क्यों, यह नहीं पता था।
सुबह के बारह बजे तक सारा मामला रफ़ा-दफ़ा हो गया।
सारे बच्चे खेल-कूद कर रहे थे।
लीरा विवेक से बोली, "जब मैं बड़ी हो जाऊँगी ना, तो मैं भी उस जंगल में जाऊँगी जहाँ यशो जाता था, वहीं से उसे पंख मिले थे!"
अंश: "हाँ! और मैं भी वहीं चलूँगा!"
शौर्य: "हाँ, हम चारों साथ में चलेंगे! और आज दादी मां से आगे की कहानी सुनने के बाद, मैं भी पूछूँगा कि क्या मैं भी जादू कर सकता हूँ!"
तभी घंटी बजी और सारे बच्चे भोजन-हॉल में इकट्ठा हो गए।
सारे बच्चे बैठकर भोजन करते हैं।
अब सभी लोग साथ में मिलकर पढ़ते भी हैं। शाम के पाँच बजे वापस से दादी मां अपनी कुबड़ी लाठी को लिए, ठक-ठक की आवाज करते हुए, जंगल से चली आ रही थीं।
उनकी लाठी की आवाज सुनकर लीरा, विवेक, अंश, शौर्य सभी लोग दौड़ते हुए आए।
और दादी के पास दौड़ते हुए आते हैं, "दादी आ गई!"
तभी विवेक बोला, "दादी, आज पता है, वो जो गार्ड अंकल थे कल वाले, रात में उनको किसी जंगली जानवर ने मार दिया!"
दादी: "अरे बच्चों, जो इस दुनिया में आया है उसकी मौत होनी निश्चित है!"
अंश: "दादी, आप हमें छोड़कर मत जाना! हम चारों आप के साथ हमेशा रहेंगे!"
दादी मां मुस्कुराते हुए बोलीं, "हाँ बच्चों, हमेशा रहूँगी!"
इतना कहते हुए दादी अपने थैले से एक-एक सेब निकालकर चारों लोगों को देती हैं और बोलती हैं, "चलो अब कहानी शुरू करते हैं!"
लीरा: "दादी मां, क्या मैं भी एंजेल बन सकती हूँ? क्या मैं भी जादू कर सकती हूँ?"
दादी: "हाँ! अगर तुम्हारे पास योग-साधना का बल है तो तुम कुछ भी कर सकती हो। बस तुमको रोज़ दस मिनट, फिर तीस मिनट, फिर एक घंटा; ऐसे करते हुए जब तुम योग-साधना करने लगोगी तो तुम जो चाहे वो कर सकती हो!"
अंश: "दादी, क्या मैं भी ये कर सकता हूँ?"
दादी हँसते हुए बोली, "चलो अब कहानी शुरू करते हैं!"
लीरा: "वैसे, ये सेब बहुत मीठा है!"
दादी मां बोलीं, "तो बेटा हम लोग कहाँ पहुँचे थे कहानी में?"
शौर्य: "दादी मां, वो मछली तड़प रही थी और यशो देख रहा था!"
दादी मां: "अच्छा, तुम लोग बताओ कि क्या यशो उनकी मदद करेगा?"
लीरा: "मैं होती तो ज़रूर करती!"
दादी मां: "हाँ, क्योंकि तुम लोग अच्छे बच्चे हो!"
तभी अनाथाश्रम की वार्डन आई कि बच्चों, कहानी सुनने के बाद सीधा अपने कमरों में जाना! कहीं बाहर नहीं! बाहर शेर घूम रहा है, जो बहुत ही खूंखार जानवर है।
सभी बच्चे एक साथ: "ठीक है, मैडम जी!"
इतना कहते हुए लीरा मन में बोली, "खुद बची रहना, नहीं तो आज रात तुम्हारा ही टर्न होगा!" और मुस्कुराते हुए बोली, "दादी, अब कहानी शुरू करो!"
आज की कहानी क्या है? राहुल मल्होत्रा कौन है? दादी कौन है? ये सब जानने के लिए आप लोग नेक्स्ट पार्ट तक बने रहें!
यशो ने क्योंग को जमीन पर पड़ा देखा; उसकी हालत ठीक नहीं थी। यह सब देखकर, यशो ने अपना गुस्सा छोड़कर क्योंग को उठाया और उसे अस्पताल ले गया।
क्योंग को होश आया तो उसने यशो को देखकर रोने का नाटक किया।
यशो ने उसे दिलासा दिया और उसे गले लगा लिया। यशो के दिल में क्योंग के लिए प्यार था। दोनों फिर कमरे में आ गए।
"तुम बेहोश कैसे हुई थी? क्या हुआ था?" यशो ने पूछा।
"आ... पता नहीं," क्योंग ने हिचकिचाते हुए कहा, "मुझे पूरे बदन में जलन हो रही थी, और आधा बदन बहुत ठंडा और आधा बहुत गर्म था। मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी! पता नहीं क्यों ऐसा हो रहा था, और कुछ देर बाद मैं बेहोश हो गई। फिर क्या हुआ, मुझे नहीं पता।"
"कोई बात नहीं, तुम आराम करो। किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो मेरे पास कॉल करना या मुझे बुला लेना।" यशो ने कहा।
"हाँ, ठीक है।" क्योंग ने हामी भरी।
यशो अपने कमरे में आया।
"कहाँ थे तुम? तुम्हारी वजह से मैं कल से बिना खाए हूँ!" फ़िश ने कहा।
"ओह, तो तुम्हें भूख लगी है?" यशो ने पूछा।
"हाँ!" फ़िश ने कहा।
यशो ने उसे खाना दिया और बोला, "फ़िशू, मुझे बहुत कंफ़्यूज़न हो रहा है!"
"क्यों? क्या हुआ?" फ़िश ने पूछा।
"मुझे चोट लगी तो इफ़ेक्ट क्योंग को हुआ! वो भी उसी टाइम पर जब मुझे दर्द हुआ!" यशो ने कहा।
"मतलब?" फ़िश ने पूछा।
"नहीं! कुछ नहीं!" यशो ने कहा।
तभी ग्रेनी आई।
"यशो! तुम्हारा ड्रिंक!" ग्रेनी ने कहा।
"ओह, ग्रेनी! आप मुझे बुला लेतीं, मैं आ जाता!" यशो ने कहा।
"कोई बात नहीं। अगली बार से तुम ही आना। सीढ़ियाँ चढ़ने में मुझे अब दिक्कत होती है।" ग्रेनी ने कहा।
यशो ने ग्रेनी को गले लगा लिया।
"कभी-कभी हमारे ज़िन्दगी में जो होता है, हमें वो समझ में नहीं आता है, लेकिन आगे समय के साथ सब समझ आ जाता है।" ग्रेनी ने कहा।
ग्रेनी नीचे चली गई।
यशो ने ग्रेनी की बात याद की और बिस्तर पर सिर नीचे किए बैठ गया।
कुछ देर बाद बहुत सोचने के बाद वो फ़िश के पास आगे की कहानी जानने के लिए उसके एक्वेरियम के पास बैठ गया।
"फ़िशू, अब आगे की बात बताओ कि क्या हुआ? उस मूर्ति के पेट में पल रहे भ्रूण का क्या हुआ? और संखीफ़िशी का क्या हुआ?" यशो ने पूछा।
"ओह! तो तुमको जानना है? सुनो तब!" फ़िश ने कहा।
"तुम एक वैंपायर हो, और उस दिन जो तुमको समुद्र के किनारे शंख मिली थी, उसमें संखीफ़िश कैद थी जो तुम्हारे खून की बूंद से आज़ाद हो गई और आज तुम मेरी आवाज़ सुन पा रहे हो, उसी का नतीजा है!" फ़िश ने बताया।
"उसके बदले संखीफ़िश ने मेरी बहुत मदद की है!" यशो ने कहा।
"क्या? कैसे है हमारी रानी?" फ़िश ने पूछा।
"मुझे ज़्यादा तो पता नहीं, लेकिन अगर तुम लिलियाला के पेट में जो भ्रूण था, वो अब है कि नहीं इस दुनिया में, ये बताओ?" यशो ने पूछा।
"हाँ, आ तो गया, लेकिन निर्जीव मूर्ति में रहने की वजह से उसे वो शक्ति नहीं मिली जो उसे पैदा होते ही मिल जानी चाहिए थी। लिलियाला की बहन संखीफ़िश ने उस भ्रूण को इस इंसानी दुनिया में लाया ताकि वो वैंपायर और विचेज़ से दूर रहकर अपना जीवन यापन कर सके, लेकिन हकीरा नाम का जादूगर उसे पकड़ लिया और कैद करके उसे बीच पर फेंक दिया!" फ़िश ने बताया।
"लेकिन वो जो भ्रूण इस दुनिया में आई तो कहाँ गई?" यशो ने पूछा।
"मुझे इतना ही पता है।" फ़िश ने कहा।
"क्या उसकी शक्तियाँ उसे मिल गई होंगी?" यशो ने पूछा।
"ये तो नहीं पता!" फ़िश ने कहा।
यशो कुछ सोचता है, फिर समुद्र के किनारे घूमने चला जाता है।
तभी उसे खून की खुशबू आने लगती है।
"ये खुशबू मुझे ही क्यों आती है? कहाँ से आती है? मैं आज तक पता नहीं कर पाया!" यशो ने अपनी आँखें बंद कीं और फिर खुशबू का पीछा करते हुए क्योंग की दुकान तक पहुँच जाता है और क्योंग से टकरा जाता है। उसे देखकर ये महक गायब हो जाती है। क्योंग को देखकर वो फिर से वहीं जाता है और आँखें बंद करके फिर से वहीं से चला आता है और वापस क्योंग के पास आकर टकराता है!
"तुम यहाँ क्या कर रही हो? तुम्हें तो घर पर होना चाहिए था। तुम ठीक नहीं हो, चलो यहाँ से!" यशो ने कहा।
"मैं ठीक हूँ! लेकिन तुम ठीक नहीं लग रहे हो? ये बार-बार आँखें बंद करके क्या ढूँढ रहे हो?" क्योंग ने पूछा।
"ओह, मैं तो भूल गया। रुको, देखो, महसूस करो। एक खुशबू कब से मुझे पागल किए जा रही है!" यशो ने कहा।
"यहाँ सिर्फ़ सी फ़ूड की खुशबू आती है।" क्योंग ने कहा और खूब हँसी। यशो क्योंग को देखता रह जाता है। यशो को उसका यूँ हँसना इतना आकर्षक लगता है कि वो खुद भी भूल जाता है।
"कहाँ खो गए?" क्योंग ने चुटकी बजाई।
"नज़रें चुराते हुए! कुछ नहीं, वो मैं... खुशबू..." इतना कहकर यशो फिर से वहीं चला जाता है। "वैसे एक बात बोलूँ, तुम्हारा नाम लिली होना चाहिए था!"
"ऐसा क्यों?" क्योंग ने पूछा।
"क्योंकि तुम बहुत ही आकर्षक लगती हो!" यशो ने कहा।
"बचपन में मुझे सब लिली कहकर ही बुलाते थे, लेकिन ये नाम तो कॉलेज और ऑफिस के चक्कर में रखना पड़ा! और तुम मुझे लिली बुला सकते हो!" क्योंग ने कहा।
और फिर से आखिरी बार कोशिश करता है, लेकिन इस बार भी वो क्योंग के पास ही जाकर रुकता है!
उसे समझ आ जाता है कि लिली ही वो लड़की है जो मेरी शक्ति को बढ़ा सकती है!
यशो ये जानकर बहुत खुश होता है और फिर क्योंग के बारे में सोचते हुए घर के लिए जाने लगता है, लेकिन उसे तभी समुद्र में मछली की पूँछ नज़र आती है! वो देखता है वो मछली की पूँछ जैसे किसी मुसीबत में हो और तड़प रही हो!
यशो बिना कुछ सोचे उसे बचाने के लिए समुद्र में कूद जाता है।
**(कहानी अब अतीत काल में आती है जो किसी दादी के द्वारा बच्चों को सुनाई जा रही थी।)**
"क्या, यशो जान पाएगा इस मछली की पूँछ का राज?" एक बच्चे ने अधेड़ उम्र की औरत से पूछा। उसके सफ़ेद बाल सफ़ेद कुर्सी से नीचे तक लटक रहे थे। उस औरत को बच्चे दादी कहकर पुकारते थे। औरत के पास सात बच्चे बैठे थे, जिसमें तीन लड़कियाँ और चार लड़के थे। सारे बच्चे बारह और तेरह साल के बीच में थे।
"दादी, तो यशो खून पीता था, वो तो डेविल था ना?" एक बच्चे ने पूछा।
अधेड़ उम्र की औरत खांसते हुए धीरे से बोली, "बेटा, आज के लिए इतना ही, कल अब!"
तभी एक लड़की बोली, उसका नाम लीरा था।
"दादी, एक बात पूछूँ?" लीरा ने पूछा।
"हाँ, बेटा बोलो?" दादी ने कहा।
"क्या सच में यशो डेविल था? और क्या सच में मछली बात करना जानती है?" लीरा ने पूछा।
"हाँ, बेटा! ये सारी चीज़ें होती हैं! लेकिन अब आगे की कहानी कल सुनाऊँगी! चलो सभी लोग! जाकर अब सो जाओ!" दादी ने कहा।
लीरा की बातें दादी सुन सकती थीं। वह वार्डन को देखकर एक किलिंग स्माइल करती है और वापस से स्टोरी शुरू करती है।
दादी: "मछली को तड़पता देख..."
यशो बिना कुछ सोचे-समझे समुद्र में कूद गया।
छा... चप्पक...
छल... छल... और तैरता हुआ...
यशो को जब से पंख मिले थे, उसके पास वैम्पायर की शक्ति के साथ-साथ किसी भी परिस्थिति या जलवायु में रहने और खुद को सुरक्षा प्रदान करने की शक्ति थी।
वह पानी के बीचों-बीच पहुँच गया। "ये क्या है?" तभी उसे एक सीप में मोटे जाल में फंसी हुई संखफिश दिखाई दी।
यशो संखफिश के पास गया।
यशो: "क्या तुम ठीक हो? मैं तुमको अभी आजाद करता हूँ!"
संखफिश: "नहीं, तुम ऐसा नहीं कर सकते। यह अभिमंत्रित जाल है, खास जलपरियों के लिए समुद्र में बिछाया जाता है!"
यशो: "आपने हमेशा मेरी मदद की है, मैं बिना आपकी आजादी किए बिना नहीं जाऊँगा!"
यशो अपनी शक्ति का एक साथ लगाकर जाल को तोड़ने की कोशिश करता है, लेकिन...
जाल नहीं टूटता और यशो झटके के साथ पीछे जा गिरता है।
संखफिश: "यशो, तुम यहाँ से जाओ! मेरी किस्मत हमेशा से मेरे साथ नहीं रही है! मैं हमेशा ऐसे हालातों से लड़ती हुई बड़ी हुई हूँ। तुम यहाँ से जाओ!"
और संखफिश सिसक-सिसक कर रोने लगती है।
यशो: "मैं हार नहीं मानता। मैं कुछ न कुछ करके आपको आजाद कर लूँगा। ये क्या? आपके आँसू तो मोतियों में तब्दील हो रहे हैं?"
संखफिश: "इसी बेशकीमती मोतियों की वजह से कुछ लालची इंसान हम जलपरियों का शिकार करते हैं! मैं अपने परिवार को और जलपरियों के टापू को बचाने के लिए नई जगह की खोज में निकली थी, जिसमें मैं जाल में फँस गई। मुझे आजादी हमारे वर्षों पुरानी राजमाता दिला सकती है, लेकिन मैं... अब जा नहीं सकती।"
यशो: "मैं लेकर चलता हूँ!"
इधर, जाल बिछाने वाले शिकारी आ जाते हैं। यशो समुद्री तूफान ला देता है और जाल की रस्सी शिकारियों के जहाज से टूट जाती है। वह संखफिश के बताए हुए रास्ते में अपनी जादुई शक्ति से जलपरियों के टापू पर पहुँचता है।
संखफिश: "राजमाता? राजमाता?"
मेरी मदद करो... तभी अंदर से पाँच छोटी-छोटी, हीरे के जैसे चमकती हुई मछलियाँ आती हैं और सारे जाल को चारों ओर से खा लेती हैं। संखफिश आजाद हो जाती है।
यशो: "ये मोती आपके पीछे करते हुए टापू तक आ गए?"
संखफिश: "हाँ, क्योंकि अगर ये मोती बिना पानी के बाहर रहते तो ये मोती ही बनकर रह जाते, लेकिन ये पानी में रहने के कारण अब ये जलपरियों के रूप में जन्म लेंगी!"
यशो: "ऐसा तो नहीं होता?"
संखफिश: "होता है, क्योंकि मोती बारह घंटे में पानी में रहने के कारण एक जीवित मोती के रूप में सीपियों में रख दिए जाते हैं! और फिर सीपियों में बारह घंटे रहने के बाद वो जलपरियों के रूप में विकसित हो जाती हैं, और अगर ये बाहर बिना पानी के रहें तो मोती के रूप में रह जाती हैं! चलो! राजमाता से मिलती हूँ आपको!"
यशो: "राजमाता!"
संखफिश कुछ दूर आगे चलती है और खंडहर से बने एक टूटे महल की ओर ले जाने लगती है।
आगे-आगे जैसे यशो बढ़ रहा था, उसे संखफिश की सारी बातें, जो उसने बताई थीं, वैसा ही महल और वैसे ही टूटे प्रांगण दिखाई दिए। यशो सोच में था...
क्या हुआ होगा यहाँ पर?
संखफिश: "कुछ ऐसा जिसने हमारे इस साम्राज्य को खंडहर में बदल दिया!"
"राजा तरंग दिहू..." इतना कहते ही...
यशो: "...और रानी लिलियाना का राज था। खुशहाल जीवन और रानी प्रेग्नेंट थी!"
संखफिश: "ये कैसे पता आपको?"
यशो: "मेरे पास एक फिश एक्वेरियम है, वहाँ पर मैंने एक फिशू मछली को पाल रखा है। वो मुझे ये सब बताया था!"
संखफिश: "मैं उस मछली से मिलना चाहूँगी। ये घटना आज से तकरीबन दो लाख साल पहले की बात है, और इतनी सारी बातों को जानने वाली मछली कोई आम मछली नहीं है! इसका मतलब मुझे अब भी मेरी बहन लिलियाना के बच्चे के जिंदा होने की उम्मीद है!"
आगे चलते ही, वही पाँच हीरे की मछलियाँ एक मूर्ति की ओर चक्कर लगा रही थीं। मूर्ति पीछे से देखने पर लग रहा था कि वह सजीव चित्रण हो।
यशो को संखफिश आँखें बंद करने को बोलती है और मूर्ति के सामने अभिवादन करने को कहती है।
दोनों अभिवादन करते हैं। यशो जैसे ही आँखें खोलता है...
वह मूर्ति देखकर स्तब्ध रह जाता है।
यशो: "ये कैसे हो सकता है?"
संखफिश: "क्या कैसे हो सकता है? यही खुद को संभालते हुए... ये कि ये मूर्ति एकदम सजीव लग रही है!"
संखफिश: "हाँ! अब हमारे इस टापू को हमारी रानी लिलियाना की वारिस मिल जाए जिससे हम अपने साम्राज्य को एक नई रानी दे सकें जो हमारी रक्षा कर सके!"
दोनों वहाँ से निकलते हैं।
संखफिश: "आओ, मैं आपको मोतियों से निकलने वाली छोटी जलपरियों को दिखाऊँ!"
रंगीन जलपरियाँ सीपियाँ खोलकर बाहर आ रही थीं और संखफिश को देखते ही उन्हें माँ समझकर उनके ऊपर खुद को जाती हैं।
"माँ, मैं यहाँ हूँ..."
दासी: "रानी, ये आपके मोतियों से निकली जलपरियाँ, जिसमें... जिसमें एक जलपरी और पाँच जलराजकुमार निकले हैं, लेकिन सारे राजकुमारों का रंग काला है! और जलपरी का आधा हिस्सा काला है!"
संखफिश: "ऐसा कैसे हो सकता है?"
दासी: "हो सकता है अगर आप किसी..."
संखफिश: (बीच में ही बात काटते हुए) "हाँ, मुझे पता है!"
यशो, देखो इनको... वो सारी जलपरियाँ जाकर यशो को प्यार करने लगती हैं! यशो भी खुशी से उनको गले लगाकर और बुलबुलों से खेल रहा था।
संखफिश: "यशो, आपका आभार। मैं आपकी उस मछली से मिलना चाहूँगी!"
यशो: "बिल्कुल! मुझे जाना होगा, और जब भी आपको मिलना होगा आप अपने संखों को बाहर भेज देना, मुझे पता चल जाएगा, और मैं उस मछली को आपसे मिलवा दूँगा!"
यशो अब वहाँ से अलविदा लेता है, लेकिन उसके मन में अब भी बहुत से प्रश्न थे जो उसको परेशान कर रहे थे।
1) रानी लिलियाना लिली के जैसे क्यों दिख रही है?
2) फिशू ये सब कैसे जानता है?
3) संखफिश के मोती से निकले बच्चे काले रंग के क्यों थे?
लीरा: "यशो को तैरना भी आता है। दादी, मुझे तो नहीं आता!"
दादी: "आगे सुनो बच्चों, तब..."
यशो परेशान होकर बैठा था। क्यों कि वह जानना चाहता था कि यह सब क्या हो रहा है उसके साथ। वह एक वेम्पायर है, कैसे यह सब देखना पड़ रहा है? उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है। वह ही क्यों यह सब देख पा रहा है? उसे ही क्यों यह भेजा गया?
तब तक नीचे से ग्रेनी आवाज देती है।
ग्रेनी: "यशो बेटा..."
"आओ, लंच रेडी है!"
यशो नीचे गया और कुछ करने लगा। ग्रेनी ने उसे जूस में दिया गया था खून!
यशो: "ग्रेनी, ये...ये तो खून है!"
ग्रेनी: "हाँ। आज सी साइड पर हमें एक मछुहारे की डेथ बॉडी मिली। तुम्हारे लिए... इतना तो कर सकती हूँ, बेटे हो तुम मेरे!"
यशो सोच में था। यह सब क्या हो रहा है? वह मछुआरा मारा गया...कैसे हो सकता है कि ग्रेनी ने उसका खून निकाला हो?
ग्रेनी: "तुम्हारी ताकत दिन-ब-दिन खत्म हो जाएगी अगर हमें खून न मिले तो!"
यशो: "अब से मैं शिकार खुद करूँगा!"
यशो: "अब मैं खुद रात में जाऊँगा शिकार करने!"
ग्रेनी: "निकलते समय यह ध्यान रखना, आसपास तुम्हारे बहुत से सक्रिय शक्तियां होंगी जो तुम्हारे ऊपर हमला कर सकते हैं। तुम्हें ध्यान रखना होगा क्योंकि बाहर जाने से दिक्कतें बढ़ती जाती हैं और तुम तो एकदम वेम्पायर राजकुमार हो। तुम्हें आगे बहुत दिक्कत हो सकती है।"
यशो: "ग्रेनी, आप चिंता क्यों करती हैं? मैं ठीक हूँ! मेरे पास इतनी शक्तियां हैं कि मैं खुद की रक्षा कर सकता हूँ।"
ग्रेनी: "मुझे पता है। इसी बात का तो मुझे डर सताता है कि तुम अब इतने बड़े हो गए हो कि खून भी कंज्यूम नहीं कर सकते खुद की रक्षा के लिए।"
यशो: "ग्रेनी, आपसे प्रेम करता हूँ। आई लव यू ग्रेनी।"
ग्रेनी: "तुम्हारी इन हरकतों पर प्यार आता है!"
यशो: "किस बात को लेकर आप डरती हैं?"
ग्रेनी: "कुछ बातें हैं जो समय आने पर पता चल जाएंगी।"
यशो: "ग्रेनी, मेरा समय हो गया है। अब मुझे जाना चाहिए। और रात काली अंधेरी है। आज तो मेरी शक्तियों का कोई मुकाबला नहीं कर सकता।"
ग्रेनी: "संभल के जाना। कहीं रास्ते में तुम्हें कोई भूत ना उठा ले जाए?"
यशो: "ग्रेनी, आप भी ऐसी बातें करती हो! मैं भूतों से थोड़ी डरता हूँ! डरता हूँ तो इंसानों से, वह भी उस इंसान से जो रहती है अपने घर के पास में।"
ग्रेनी: "प्यारी बच्ची लिली की बात कर रहे हो।"
यशो: "आपने सही समझा!"
ग्रेनी: "यशो, टाइम से वापस चले आना, दिन होने से पहले।"
यशो: "मैं छोटा बच्चा नहीं रहा हूँ अब।"
ग्रेनी: "बाय!"
यशो सड़क पर टहलने लगा। उसने देखा, आसपास की सारी शॉप बंद हो चुकी थीं। लोग अपने घर चले गए थे। कुछ शराबी, या और पागल कह सकते हैं, वही लोग अब दिख रहे थे!
तभी उसे रास्ते में एक लड़की को शराबी परेशान करते हुए दिखा। यशो को यह बात पसंद नहीं आई। यह सब देखते हुए, वह इग्नोर करके चला गया!
वैसे भी, आजकल की लड़कियां और आजकल के बॉयफ्रेंड भी तो ऐसे ही होते हैं!
मैं तो धरती पर रहते हुए थक गया हूँ। पता नहीं कब मुझे लेकर जाएँगे!
मेरे प्यारे दोस्त, मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही है।
तब तक यशो के अंदर की दो शक्तियां बाहर आ गईं। एक जो एंजेल वाली होती है। और दूसरी डेमन वाली।
एंजेल वाली शक्ति बोली: "यशो, उसकी मदद कर। यह तुम्हारे पुण्य का काम होगा जो तुम्हारे लेखा-जोखा में काम आएगा।"
दूसरा वेम्पायर बोला: "नहीं, यशो! यह तुम्हारे पास ब्लड कंज्यूम करने का अच्छा मौका है। इससे यहाँ पर किसी को यह नहीं पता चलेगा कि तुम वेम्पायर हो और तुम्हारा काम भी हो जाएगा। तुम जल्दी से ब्लड कंज्यूम कर लो। चलो जल्दी चलो जल्दी चलो जल्दी चलो! हमें कंज्यूम करना है।😈😈😈"
इसके बाद यशो के सिर पर वेम्पायर की शक्ति हावी हो गई। और वह उस लड़की को बचाने की जगह पर उसका ब्लड कंज्यूम करने के लिए आगे बढ़ने लगा।
आगे बढ़ने पर उसे पता चला कि लड़की जानी पहचानी है। जैसे ही वह उसके पास आया, वह दोनों शराबी भाग गए!
लड़की पीछे मुड़कर देखती है, तो यशो!
यशो को देखकर लिली खुश हो जाती है और उसे गले से लगा लेती है।
लिली: "यशो!"
यशो: "तुमने फिर से शराब पिया है!"
यशो मन में सोचता है! यशो का वेम्पायर रूप बाहर आ रहा था और लिली के गले पर बाइट करने वाला था, तभी! अचानक पीछे से हॉर्न आता है।
(यशो मन में सोच रहा था) "तुमने आज मेरा रात भी खराब कर दिया। अब मैं कैसे करूँगा ब्लड कंज्यूम?"
तभी आगे से एक बस एक्सीडेंट हो जाती है और वही शराबी की मौत हो जाती है। इस तरह से उसे ब्लड कंज्यूम करने का मौका मिल जाता है।
लिली को सड़क के पास बिठाकर वह खुद चला जाता है। लिली बेहोशी की हालत में पड़ी बड़बड़ाती रहती है। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या हो रहा है, और अभी उसी हालत में पता नहीं क्या-क्या बोल रही है।
यशो ब्लड कंज्यूम करके आता है तो देखता है कि लिली वहाँ नहीं है!
लिली वापस से उसी तरह पेड़ पर लटकी हुई होती है, सर नीचे था, उल्टा लटकी हुई। पेड़ पर चढ़ी, जोर-जोर से चिल्ला रही थी: "माँ, मैं आ रही हूँ तुम्हारे पास! आज मुझे मरने से कोई नहीं बचा सकता!" और नीचे कूद जाती है। तभी अचानक से आकर उसे पकड़ लेता है। लिली यशो की गोद में गिरती है।
यशो लिली की मासूमियत देखकर उसको किस करने वाला होता है...
यशो का डेमन रूप बोलता है: "क्या हो रहा है तुम्हें यशो? तुमको यह शक्ति ब्लड कंज्यूम करने के लिए मिली है, न कि ऐसे प्यार करके खुद को बर्बाद करने के लिए!"
आगे जानने के लिए आपके कमेंट और पढ़ने की ज़रूरत है!
अंश: "जब मैं बड़ा हो जाऊँगा ना दादी, तो आपकी रक्षा करूँगा। सबसे, जैसे यशो अपनी दादी का करता है। दादी, आप भी हम सबको ऐसे ही प्यार करती हैं ना!"
दादी: (खांसते हुए) "हाँ बेटा, तुम सब मेरे अपने ही तो हो!"
आगे कहानी शुरू करते हुए दादी बोली,
एंजेल: (हँसते हुए) "ओह, डेमन भाई! तुमको पता नहीं है क्या? प्यार पर किसी का ज़ोर नहीं! वो कब? कैसे? कहाँ हो जाए?"
यशो: "तुम दोनों चुप करो अपना मुँह!"
यशो ने लिली को पास के स्विमिंग पूल में उठाकर फेंक दिया।
पानी में गिरते ही लिली की आँखें खुलीं और उसे होश आया। लिली को तैरना नहीं आता था। उसकी हाइट भी छोटी सी थी, एंजेल जैसी।
लिली: "हेल्प! कोई बचाओ मुझे?"
यशो: "ड्रामा बंद करो और! बाहर आओ, घर चलना है!"
लिली की आवाज़ आनी बंद हो गई और वो बेहोश हो गई।
यशो आगे बढ़ा ही था कि पीछे से किसी ने लिली को एक गोल शक्तियों के घेरे में लेकर उठा लिया और ले जाने लगा।
यशो ने पीछे देखा तो लिली हवा में लटक रही थी, अपने आप चली जा रही थी।
यशो: "लिली! एस एस एसएसएसएस!"
वह वेम्पायर रूप में आ गया और उन अंजानी शक्तियों को तोड़कर लिली को बचा लिया। उसने उन अंजानी शक्तियों को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वे भाग गए।
यशो: "लिली! Are you ok? लिली उठो... लिली?" यशो खुद को कोस रहा था। ग्लानि से उसका मन भर गया और उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे।
एंजेल जिस तरफ़ बैठा था, यशो अपने आँसुओं को देखकर हैरान हो गया। "मेरी आँखों से आँसू निकल रहा है! पहली बार ऐसा हुआ!" यशो ने अपनी शक्तियों से उसे ठीक करने की कोशिश की, लेकिन लिली पर उसकी शक्तियों का कोई असर नहीं हुआ।
तभी यशो का आँसू लिली के गले में पड़ा और लिली ने अचानक से खूब तेज साँस ली और होश में आ गई।
लिली: "यशो... वहाँ... वहाँ...कुछ था?" (कपकपाती आवाज़ में)
यशो: "मैं हूँ! लिली, मैं अब आ गया हूँ!"
लिली वापस बेहोश हो गई।
यशो लिली को उठाकर पास के होटल में ले गया।
रूम में पहुँचकर यशो ने लिली को बेड पर लिटा दिया। लिली यशो का हाथ नहीं छोड़ रही थी।
यशो उसके पास बैठ गया। लिली को ठंड लग रही थी। लिली यशो का गरम हाथ महसूस कर पा रही थी और उससे चिपककर सो गई।
यशो देख रहा था कि लिली का शरीर ठंड से काँप रहा था। यशो को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है? मैं क्या करूँ?
एंजेल ने यशो की हार्ट बीट बढ़ा दी और गायब हो गया।
यशो खुद को रोक नहीं पाया और लिली के पास जाकर खुद को लिली के हवाले कर दिया।
लिली ने गर्माहट पाकर यशो को अपने काबू में कर लिया और यशो को पकड़कर सोने लगी। यशो उससे कुछ दूर होता तो लिली उसे पकड़कर अपने और करीब कर लेती।
यशो के लिए ये अहसास पहली बार था। यशो चुपचाप लेटा रहा और लिली के इशारे पर नाचता हुआ दिख रहा था। लिली और यशो के बीच ये रोमांटिक सा माहौल बन गया था।
लेकिन यशो को लिली का प्यार, उसका पास आना, उसके दिल और मन में कोई अहसास नहीं हुआ। इसे क्या कहते हैं?
बिना किसी अहसास के यशो लिली के प्यार को नहीं समझ पाया, लेकिन एक सुकून की नींद ज़रूर सो गया आज यशो।
राबर्ट: "सियान चेन, आपने यशो के अंदर इमोशन को निकालकर अच्छा नहीं किया। नहीं तो आज यशो और लिली एक हो जाते!"
सियान चेन: "हाँ, और उसके बाद तुम अपना दोस्त भी खो देते!"
राबर्ट: "हुँ! लेकिन आप लिली को मार देते उस समय! यशो भी तो नहीं था उसके पास। अच्छा मौका था!"
सियान चेन: "जब तक दोनों आसपास रहेंगे, दोनों में से किसी को मारा नहीं जा सकता है!"
राबर्ट: "क्या तुम चाहते हो कि यशो बिना किसी इमोशन के ज़िंदा रहे?"
सियान चेन: "तुम्हारी भलाई के लिए है।"
लिली उठी तो देखा कि वह यशो को पकड़कर सो रही थी। लिली का पैर यशो के मुँह पर था और वह खुद आधी लटकी हुई बेड से अपना हाथ नीचे फेंक रही थी। जब उठी तो देखा कि यशो आराम से लिली का पैर पकड़कर सो रहा है!
लिली: "यशो! तुम क्या कर रहे हो? छोड़ो मुझे! दूर हटो! क्या कर रहे हो?"
यशो को होश नहीं था। लिली जितनी बार बोली, यशो की पकड़ उतनी तेज होती चली गई!
लिली ने यशो को अपने पैर से धक्का दे दिया। वह बेड से नीचे गिर गया और लिली उठ गई।
लिली: "तुमने क्या किया है मेरे साथ? देखो मेरी क्या हालत कर दी है तुमने! तुमने मेरे साथ कुछ गलत किया है? मैं पुलिस में कंप्लेंट कर दूँगी और मैं यह भी बता दूँगी कि तुमने मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की है!"
यशो अचानक उठा और बोला, "मैंने तुम्हारे साथ कुछ नहीं गलत किया है और मैंने तुम्हारी जान बचाई। गलत तो तुमने मेरे साथ किया है। मेरी इज़्ज़त लूटने की कोशिश की!" थोड़ा सा अपने चेहरे पर दोनों हाथ रखकर उसने कहा, "तुमने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा। अब मैं अपनी शक्ल कहाँ दिखाऊँगा? किसको दिखाऊँगा? और कौन लड़की मुझसे शादी करेगी? तुमने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा लिली! अब मैं क्या करूँ?"
लिली: "अपना ड्रामा बंद करो! मैंने तुम्हारे साथ कुछ नहीं किया है। इसका मतलब साफ़ है, हम दोनों के बीच कुछ नहीं हुआ है। झूमते हुए! मुझे तो सुकून मिला। चलो अब यहाँ से घर चलते हैं। ग्रैनी तुम्हारा इंतज़ार कर रही होगी और मेरा डोगी भूखा रह गया तुम्हारी वजह से!"
यशो सोच रहा था, "आज रात इतनी लंबी क्यों थी?"
कुछ गलत हुआ है जो मुझे पता नहीं है!
यशो इंसानों के बीच अब प्यार से रहना सीख गया था, लेकिन उसको क्या पता था कि क्या हो रहा है उसके साथ, आगे क्या होगा?
क्या होने वाला है आगे? जानने के लिए बने रहें नेक्स्ट पार्ट तक!
दादी ने अपनी वाणी को विराम दिया। "आज बस इतना ही। अब उससे आगे कल मैं वापस आऊँगी तो सुनाऊँगी!"
लीरा: "दादी माँ, थोड़ा सा और सुना दो ना!"
दादी: खाँसते हुए, "बेटा, आगे की कहानी अब तुम लोग सोचो। उसके आगे मैं तुम लोगों के सुनकर ही डिसाइड करूँगी कि आगे स्टोरी कैसे रहेगी!"
अंश: "देखना, मेरी स्टोरी सबसे ज़्यादा अच्छी रहेगी!"
विवेक: "वो तो कल दादी माँ बताएँगी!" इतना कहकर, शौर्य से बोला, "चलो हम दोनों अपनी कहानी बनाते हैं!" दोनों उठकर चले गए।
दादी अपनी कुर्सी उठाती हुई, कमर को झुकाए हुए, आगे तक निकलने लगीं।
लीरा: "दादी, चलो मैं गेट तक आपको छोड़ आती हूँ!"
दादी: हँसते हुए, "और बेटा, मैं चली जाऊँगी!" इतना कहकर दादी माँ अपने थैले से एक किताब निकालकर लीरा के हाथ में थमाते हुए बोलीं, "ये लो बेटा, ये योग विद्या की किताब है। इसे सबसे छुपाकर रखना। अगर कोई देख लेगा तो छीन लेगा तुमसे! और ये किताब तुम रोज़ सुबह उठकर पढ़ना और अपनी अंतरात्मा को जागृत करना। उससे तुम बहुत ही ताकतवर बन जाओगी, लेकिन ये बात किसी को बताना नहीं, अपने दोस्तों को भी नहीं।"
ये बात पूछे से अंश सुन रहा था।
लीरा को दादी दरवाज़े तक छोड़ते ही बोलीं, "बस बेटा, अब तुम लोग अंदर जाओ।"
तभी वार्डन आई और बोली, लीरा का हाथ पकड़कर, "जब देखो तब तुम लीडर बनती रहती हो। कल को कुछ हो गया तुमको तो ये बुढ़िया आकर तुमको बचाएगी नहीं।" लीरा गुस्से में उसे देखती रही। तभी वार्डन गुस्से में लीरा के गाल पर एक थप्पड़ मार दिया।
लीरा जमीन पर गिर गई। छोटी और नाज़ुक सी जान लीरा को अंश आकर पकड़ लिया।
और लीरा को अंश अपने साथ लेकर उसके कमरे तक गया।
इधर वार्डन बोली, "ए बुढ़िया, चल निकल! पता नहीं कहाँ- कहाँ से लोग आ जाते हैं! ये तो बुढ़िया कम, चुड़ैल ज़्यादा लगती है! अब घूर क्या रही है? चल जा यहाँ से!"
इतना कहकर वार्डन ने दरवाज़ा बंद कर दिया और दादी अपने जंगल के रास्ते को पकड़ लिया। काली रात में सिर्फ़ दादी के पैरों के चलने की आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी। पास की झाड़ी से कुछ हलचल हुई और एक बड़ा सा काला साया दिखाई दिया और गर्गराहट की आवाज़ आई। कुछ दूर जाने के बाद बुढ़िया किसी से बात करने लगी।
"शांत हो जा बेटा! कल एक शिकार लाया था और रोज़-रोज़ ऐसे करने पर किसी को शक हो जाएगा तो हमारी वर्षों की मेहनत पर पानी फिर जाएगा!"
बुढ़िया उस काले साये के साथ बीच जंगल में एक कुटिया में गई और कुटिया के अंदर जल रही लालटेन अब काली रात के आगोश में बुझ चुकी थी।
इधर लीरा उस बुक को लेकर अपने लड़कियों के कमरे में गई और पास की अलमारी से एक पुराना अखबार निकाला और दादी की दी हुई किताब पर हाथ फेरते हुए, किताब पर कुछ लिखावट महसूस की और फिर उस पर पुराने अखबार की कवर चढ़ाकर, उसे अपने सिरहाने रखकर सो गई।
सुबह के पाँच बजे की घंटी के साथ सारे बच्चे प्रेयर के लिए बाहर आए। सारे बच्चे प्रेयर करके वापस नहाने, ब्रश करने में लग गए। इधर लीरा बुक उठाकर बाहर गैलरी में बैठकर पढ़ने लगी।
किताब के शब्द:
"योग विद्या एक ऐसी विद्या है जिसे भारत वर्ष में ऋषि मुनि द्वारा अपनाया जाता था! योग विद्या करने वाले व्यक्ति को खुद के जीवन और योग का स्वरूप... योग शब्द वेदों, उपनिषदों, गीता एवं पुराणों आदि में अति पुरातन काल से व्यवहृत होता आया है। भारतीय दर्शन में योग एक अति महत्त्वपूर्ण शब्द है। आत्मदर्शन एवं समाधि से लेकर कर्मक्षेत्र तक योग का व्यापक व्यवहार हमारे शास्त्रों में हुआ है। योगदर्शन के उपदेष्टा महर्षि पतञ्जलि ‘योग’ शब्द का अर्थ चित्तवृत्ति का निरोध करते हैं। प्रमाण, विपर्यय, विकल्प, निद्रा एवं स्मृति ये पञ्चविध वृत्तियाँ जब अभ्यास एवं वैराग्यादि साधनों के द्वारा निरुद्ध हो जाती हैं और (आत्मा) अपने स्वरूप में अवस्थित हो जाता है, तब योग होता है..."
तभी अंश आया और बोला, "ये कहानी मुझे भी सुनाओ नहीं तो मैं सबको बता दूँगा कि..."
लीरा: "अच्छा ठीक है, चुपचाप बैठकर सुनो तब!"
आगे लीरा पढ़ती है, "...महर्षि व्यास योग का अर्थ समाधि करते हैं। व्याकरणशास्त्र में ‘युज्’ धातु से भाव में घञ् प्रत्यय करने पर योग शब्द व्युत्पन्न होता है। महर्षि पाणिनि के धातुपाठ के दिवादिगण में (युज् समाधौ), रुधादिगण में (युजिर् योगे) तथा चुरादिगण में (युज् संयमने) अर्थ में ‘युज्’ धातु आती है। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि संयमपूर्वक साधना करते हुए आत्मा का परमात्मा के साथ योग करके (जोड़कर) समाधि का आनन्द लेना योग है।"
"आत्मा जब परमात्मा की उपासना करता है तो भगवान् के दिव्य ज्ञान, दिव्य प्रेरणा, दिव्य सामर्थ्य, दिव्य सुख-शान्ति एवं दिव्य आनन्द से युक्त हो जाता है। भगवान् की दिव्यता से जुड़ना यही योग है।"
"ऋषियों की मान्यताओं के अनुसार योग का तात्पर्य स्वचेतना और पराचेतना के मुख्य केन्द्र परमचैतन्य प्रभु के साथ संयुक्त हो जाना है। सम्यक् बोध से रागोपहति होने पर जब व्यक्ति वैराग्य के भाव से अभिभूत होता है, तब वह समस्त क्षणिक भावों, वृत्तियों से ऊपर उठकर आत्मसत्ता के सम्पर्क में आता है।"
"चित्त की पाँच अवस्थाएँ हैं– क्षिप्त, मूढ़, विक्षिप्त, एकाग्र एवं निरुद्ध। इनमें से प्रथम तीन अवस्थाओं में योग एवं समाधि नहीं होती। एकाग्र और निरुद्ध अवस्थाएँ में अविद्यादि पंच क्लेशों एवं कर्म के बन्धन के शिथिल होने पर क्रमशः सप्रज्ञात समाधि (वितर्कानुगत, विचारानुगत, आनन्दानुगत, अस्मितानुगत) और असप्रज्ञात समाधि (भवप्रत्ययगत एवं उपायप्रत्ययगत) की प्राप्ति होती है।"
लीरा अटक-अटक कर पढ़ रही थी।
अंश: "इसमें तो संस्कृत भाषा भी है!"
लीरा: "चलो उठो, हमें अब अभ्यास करना होगा!"
लीरा और अंश किताब को बंद करके योग मुद्रा में बैठते हुए, आँखें बंद करके, "ॐ ॐ ॐ" का उच्चारण करने लगे।
कुछ मुश्किल से पाँच मिनट ही कर पाए दोनों।
अंश: "ये सब मुझसे नहीं होगा!"
लीरा: "तो ठीक है, मैं अकेले सब कर लूँगी!"
अंश: "नहीं, हम दोनों रोज़ करेंगे योग। तभी तो हम दोनों को यशो के जैसे पंख मिलेंगे!"
इतना कहकर दोनों बुक उठाकर हॉल की ओर भाग गए।
आगे जानने के लिए बने रहें नेक्स्ट पार्ट तक।
लीरा और अंश ने दोनों बुक को छिपा दिया, और पाठशाला के लिए अपना थैला उठाकर भागते हुए चले गए।
सारा दिन निकल गया।
संध्या हो गई। दादी अपने हाथ में लालटेन लिए, कमर झुकाए हुए, लगातार आगे अनाथालय की ओर कुबरी का सहारा लिया, चली आ रही थी।
तभी वार्डन ने उन्हें देखा और बोली,
"आ गई बुढ़िया!"
दादी गेट तक आई।
वार्डन लेडी ने कहा, "कल से मत आना। तुम्हारी डरावनी कहानियों की वजह से बच्चे रात में डरते हैं।"
दादी ने कहा, "अरे, मैं तो उन्हें मैजिकल कहानियाँ सुनाती हूँ, और कुछ नहीं!"
वार्डन ने कहा, "आज के बाद अब मत आना यहाँ!"
दादी ने कहा, "ठीक है! बेटा, नहीं आऊँगी।" दादी पीछे जंगल की ओर देखकर मुस्कुराई, दो बार हाँ में सिर हिलाया और अंदर आ गई।
दादी के आते ही लीरा दादी से जाकर चिपक गई और बोली, "अंश, विवेक, शौर्य, आओ दादी आ गई है!"
कुछ और बच्चे भी थे जो आकर दादी को घेर लेते हैं।
दादी कुर्सी पर बैठते हुए बोली, "चलो बच्चों, अब कहानी शुरू करते हैं!"
दादी कहानी शुरू करते हुए बोली, "डेविल सबसे ज़्यादा ताकतवर होता है! और यह काली रात खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी। यशो को लग रहा था कि कुछ तो बुरा होने वाला है, लेकिन क्या? यशो का शक सच्चाई में बदल गया जब वह घर आया तो ग्रैनी को मरा हुआ पाया।"
धरती पर आने के बाद ग्रैनी के साथ इतना अच्छा संबंध बन पाया था कि वह उसे अपनी माँ की तरह मानने लगा था।
और इस तरह, ग्रैनी को मरा हुआ देखकर उसके इमोशन्स बाहर आने लगे।
यशो काबू से बाहर हो रहा था।
जिसकी वजह से सियान चेन ने ग्रैनी की हत्या कर दी थी।
घर के आसपास पुलिस थी। पता चला कि ग्रैनी की उम्र ज़्यादा हो गई थी जिसकी वजह से उनकी मृत्यु हो गई थी।
लेकिन यह सच्चाई नहीं थी।
यशो को पता था कि यह काम सियान चेन का ही है।
यशो को अपने ऊपर बहुत गुस्सा आया क्योंकि वह कल रात बाहर जाने की ज़िद नहीं करता तो ग्रैनी ज़िंदा होती।
वह आकर फिशू को देखता है तो फिर से नीचे फिश एक्वेरियम से निकलकर टूटे हुए टुकड़े में थोड़ा सा पानी इकट्ठा था; फिशू उसी में पड़ा अपनी साँसें गिन रहा था।
यशो ने फिश को उठाकर दूसरे पॉट में रखा। तब फिर फिशू को जान में जान आई और उसने सारा वाकया बताया,
"कि एक काले कोट और टोपी लगाकर कोई जादूगर आया था। उसने ग्रैनी से कहा कि चाबी मुझे दे दो, लेकिन उन्होंने चाबी देने से मना कर दिया। और फिर उन्होंने ग्रैनी को किसी तरह का धागा दिया। धागा पहनते ही ग्रैनी तड़प-तड़प कर मर गई।"
यशो को बहुत तेज गुस्सा आया। गुस्से में उसका वैम्पायर वाला चेहरा और आँखें लाल हो गईं और उसके दोनों दांत बाहर निकल आए। उसने फिशू से पूछा, "ग्रैनी से किस तरह की चाबी माँग रहे थे?"
फिशू बोला, "उन्होंने छोटी चाबी मुझे दे दी थी। मेरे पास में डाल दिया था, और मैं बच गया... भोजन समझकर खा गया था। वह भी मेरे पेट में! उसको कैसे निकालूँ, मुझे समझ नहीं आ रहा। इसी की वजह से ग्रैनी की जान गई। ग्रैनी यह भी बोल रही थी कि मैं अपने जीते जी यह चाबी तुम्हें हरगिज़ नहीं दूँगी, और यशो को तुम्हारी सच्चाई बता दूँगी!"
तभी लिली दौड़कर बाहर से आई। "यह सब क्या हो गया? यशो? यशो?"
लिली के आते ही यशो का चेहरा अपने सामान्य रूप में आ गया। तब तक लिली यशो को गले लगा लेती है और बोलती है, "मैं तुम्हारा ख्याल रखूँगी। यह सब तुम परेशान ना हो। गॉड जैसा चाहता है वैसा मेरे साथ होता है। मैंने भी बचपन में अपने माँ-बाप को खो दिया था, और तुम्हारे पास अब यह तुम्हारी ग्रैनी थी। उम्र होने के साथ-साथ भगवान अपने पास बुला लेता है।"
ग्रैनी का फ्यूनरल हुआ। माहौल थोड़ा शांत हो गया।
यशो के मन में यह सब बातें गूंज रही थीं। आखिर ऐसा क्या था जो मुझे नहीं पता है? मेरे बारे में ग्रैनी मुझसे क्या बताना चाह रही थी?
यशो ने फिशू से चाबी निकालने को कहा।
फिशू ने कहा, "मैं कैसे निकालूँ? निकल नहीं रही है!"
यशो ने उसे खूब चारा खिलाया जिससे वह वॉमिटिंग कर गया और चाबी निकल आई।
यशो चाबी देखता है तो उसे याद आता है, "यह चाबी मेरे साथ थी! यह चाबी तो मेरे बचपन की है, जब मैं अपने मॉम, डैड से अलग हुआ था तो यही एक निशानी रह गई थी!"
यह चाबी ग्रैनी के पास कैसे आई?
यह चाबी उस भयानक रात के साथ कहीं दफन हो गई थी, तो मुझे बचाया किसने? और मेरी चाबी?
यह सब क्या हो रहा है? यशो वापस अपनी दुनिया में आया और उसे कुछ समझ नहीं आया। एक के बाद एक पहेली! कैसे मुमकिन है?
आखिर यह चाबी कहाँ की है? यशो के मन में यह सब बातें गूंज रही थीं। आखिर ऐसा क्या था जो मुझे नहीं पता है? मेरे बारे में ग्रैनी मुझसे क्या बताना चाह रही थी?
तभी लिली अपने साथ एक बॉक्स लेकर आई। खोलने पर पता चला कि वह टिफिन बॉक्स है।
लिली यशो को पकड़कर डाइनिंग टेबल पर ले आई और पास में बैठकर खाना खाने के लिए ज़िद करती है और अपने हाथों से खाना खिलाती है।
लिली बोली, "उस दिन मैंने गलतफहमी की वजह से ऐसा बोला था।"
यशो लिली का हाथ पकड़ लेता है और उसके हाथ से निवाला गिरा देता है। "मुझे किसी की सिम्पैथी नहीं चाहिए।"
इस हादसे के बाद यशो अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था। उसे बस बदला चाहिए था।
लिली रोती हुई वहाँ से चली गई।
यशो का डेमन रूप बाहर आ गया। उसका रंग और रूप अब पहले से और भयानक हो गया था। उसके बाल बढ़कर कंधों पर लटक रहे थे, दोनों वैम्पायर दांत बाहर की ओर नुकीले, उसके नाखून और बढ़ गए थे। यशो पूरी तरह से क्रोध में सियान चेन को बुलाता है।
सियान चेन आया।
यशो ने सियान चेन का गला काटकर उसकी आंतड़ियाँ बाहर निकालकर फेंक दी और उसका खून पी गया। खून से उसका पूरा शरीर लथपथ था। जोर-जोर से चिल्ला रहा था। "हूँ... हूँ..." यशो की गरज से साफ पता चल रहा था कि वह अभी शांत नहीं हुआ है।
कुछ देर बाद यशो खूब तेज चिल्लाया। कान सुन्न कर देने वाली आवाज़। इतनी तेज उठी कि आसमान में बादल गरज उठे, मानो कोई तूफ़ान आने वाला हो, और बिन मौसम बारिश होने लगी।
यशो इतनी तकलीफ़ में था कि उसे बस बदला चाहिए था। वह भूल चुका था कि उसके अंदर फ़ीलिंग नहीं है।
यशो की आँखों से एक बूँद भी आँसू नहीं निकला। कुछ दर्द था तो वह आवाज़ में था।
तभी यशो के डैड, रॉबर्ट की एंट्री हुई। रॉबर्ट आकर यशो को गले लगा लेता है।
रॉबर्ट ने कहा, "यह क्या हाल बना लिया है तुमने? यशो?"
यशो का डेमन रूप अब शांत हो गया। उसकी हालत अब पहले जैसी हो गई। रॉबर्ट को देख यशो नज़ारा छुपा लेता है।
तभी पीछे से अचानक सियान चेन की आंतड़ियाँ वापस से पहले जैसे होकर सियान के शरीर से जुड़ जाती हैं, और सियान चेन वापस उठ खड़ा होता है।
"यशो? देखो मैं आ गया?"
सियाचिन चेन की अतरिया जुड़ते ही वह वापस खड़ा हो गया। मानो किसी जादू के टोटके से उसने अपने पूरे शरीर को पहले जैसा कर लिया हो। उसकी आँखें, जो बाहर निकली हुई थीं, वापस अपनी जगह आ गईं। खून, जो बह रहा था, उसके शरीर में वापस चला गया। खौफनाक मंज़र देखकर यशो भी चकरा गया। कैसे हो सकता है?
सियाचिन बोला, "मैं अमर हूँ! मुझे कोई नहीं मार सकता। और तुमने मुझ पर हमला करके यह साबित कर दिया कि तुम अब मेरे साम्राज्य के राजकुमार नहीं बन सकते।"
"और जो कहानी मैं तुम्हें बताने वाला हूँ, ध्यान से सुनो। वह रॉबर्ट नहीं था जिसे मैंने सड़क के किनारे से उठाया था, वह तुम थे। जिसे मैंने सड़क के किनारे से उठाया था, तुम कोई राजकुमार नहीं हो। मैंने अपनी शक्तियाँ तुम्हें दीं। काली शक्तियों से मैंने तुम्हें साम्राज्य में जगह दिलाई, जिससे तुम नई ज़िन्दगी शुरू कर सको।"
"मैंने तुम्हें पृथ्वी पर अपने फायदे के लिए भेजा था। मेरा फायदा यह था कि तुम यहाँ आकर उस लास्ट... उस समुद्र से हीरा मुझे दे सको, ताकि मैं अपने मकसद में कामयाब हो सकूँ! और पृथ्वी पर एक ऐसी तबाही लेकर आओ, जिससे पूरी पृथ्वी नष्ट हो जाए और मैं एक अलग दुनिया की नींव रखूँगा!"
"हा हा हा..." हँसते हुए।
"तुम कुछ नहीं कर सकते? तुम्हें कुछ पता ही नहीं है? तुम कौन हो? तुम कहाँ से हो?"
"उस समय, जब वैम्पायर, फ़ॉक्स वैम्पायर और जलीय जीवों का युद्ध हो रहा था, उसमें तुम्हारे माँ-बाप मारे गए थे, और मैंने तुम्हें बचाया था! तुमने मेरी मदद करने के बजाय मुझसे दगा किया। सो, तुम्हारे माँ-बाप को मैंने नहीं मारा था।"
"उन समुद्री कीड़े-मकोड़ों ने मारा था, मैंने नहीं। और रॉबर्ट मेरा बेटा है!"
"आज से मैं तुम्हारी सारी शक्तियाँ वापस लेता हूँ। अब से तुम मुझे हीरा शील्ड लेकर दोगे!"
"तुम्हें यह शर्त मंजूर है? या नहीं? और तुम अपने माँ-बाप को जानते भी नहीं हो! अगर तुम्हें अपने माँ-बाप की तस्वीर तक एक झलक देखनी है, तो तुम्हें यह शर्त माननी होगी!"
सियाचिन ने कहा, "सोचकर बता देना।" ऐसा कहकर वह दो कदम आगे बढ़ा और अचानक पीछे मुड़कर यशो की सारी शक्तियाँ खींचने लगा। यह सारी शक्तियाँ निकलने पर यशो के चीखने से बादलों में गरज होने लगी। यशो चीखता-चिल्लाता रहा, लेकिन सियाचिन ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया। रॉबर्ट पास में खड़ा हुआ अपने मित्र को ऐसी हालत में देख रहा था। उसके शरीर से शक्तियाँ निकलने पर वह बेहोश हो गया। सियाचिन जैसे ही शक्तियाँ लेकर जाने लगा, वापस से वे शक्तियाँ यशो के अंदर समा गईं। सियाचिन समझ नहीं पाया और बार-बार ऐसा करने लगा।
और यशो को बार-बार तड़पता हुआ देखकर रॉबर्ट से रहा नहीं गया और उसने कहा, "माय लॉर्ड! ऐसा ना करें, यह सबको बहुत तकलीफ हो रही है।" सियाचिन गुस्से में रॉबर्ट को अपनी शक्तियों से उठाकर दीवार के ऊपरी छोर पर टांग दिया। पास में पड़े कील से उसका पेट छिल गया और खून निकलने लगा।
सियाचिन अपनी हार होते हुए देखकर वहाँ से वापस चला गया। इधर, ये शक्तियाँ यशो के अंदर समा गईं। उधर, दूसरे लिफ़्ट से लिली अंदर आई।
अंदर आते ही उसने सबको ऐसी हालत में देखकर यशो को देखकर रोना शुरू कर दिया।
"क्या हुआ ये? यशो? यह क्या हो गया तुमको? तुमने अपनी हालत ऐसे कैसे कर ली? क्या हो गया? सब कैसे हुआ यशो? यशो, उठ जाओ! उठो ना!"
कहते हुए वह रोने लगी और पास में रॉबर्ट को देखकर और उस अनजान शख्स को देखकर उसके पास गई। "कौन हो तुम? उठो, देखो ना क्या हो गया तुम लोगों को? खून से लथपथ रॉबर्ट? यह सब कैसे हुआ? मैं एंबुलेंस को फोन करती हूँ!"
और एंबुलेंस बुलाकर दोनों को हॉस्पिटल ले गई।
हॉस्पिटल में, जब दोनों को होश आया, तो उन्हें पता ही नहीं था कि वे यहाँ कैसे पहुँचे। लिली रोती हुई यशो के पास आई।
"यशो, तुम ठीक तो हो ना? मैं बहुत डर गई थी। यह सब पता नहीं कैसे क्या हो गया?"
"तुम कभी ठीक रहते हो, कभी अचानक से तुमको यह सब हो जाता है। मुझे बहुत डर लगता है। तुम ठीक हो ना?"
पास में रॉबर्ट भी दोनों को देखकर बहुत खुश हुआ। रॉबर्ट को समझ में आ गया था कि यशो और लिली एक-दूसरे से प्यार करते हैं। लेकिन यह प्यार का पहला पड़ाव था, जिससे दोनों अनजान थे। बस एक-दूसरे की केयर करके एक-दूसरे से बात कर रहे थे।
लिली ने यशो के सर पर अपना हाथ रखा और उसके बालों को सहलाने लगी, जैसे कोई माँ अपने बच्चे को प्यार कर रही हो। यशो को पहली बार एहसास हुआ कि उसे बहुत सुकून मिल रहा था। यशो के दिल की धड़कनें तेज हो गई थीं।
और यह सब इस वजह से हुआ था क्योंकि जब सियाचिन ने हमला किया और उसकी शक्तियाँ बार-बार निकलकर यशो के शरीर में आ रही थीं, तभी यशो को वह फीलिंग, जो सियाचिन ने निकाल ली थी, सियाचिन के शरीर से होती हुई यशो के अंदर आ गई थी, जिससे यशो को उसकी फीलिंग वापस मिल गई थी। यशो को एहसास होने लगा था।
लिली रोते हुए बहुत ही क्यूट लग रही थी। यशो उसे एकटक देख रहा था। "लिली कितनी क्यूट लग रही है! इसके जैसी क्यूट लड़की तो मैंने आज तक नहीं देखी," यशो ने मन में कहा।
यशो: "मेरे साथ कोई और भी था?"
लिली: "हाँ! तुम उसे ढूँढ रहे हो ना, वह भी है, वह पास में ही है।"
और लिली रॉबर्ट के पास गई। "अब तुम कैसे हो?" लिली ने रॉबर्ट से पूछा।
रॉबर्ट मुस्कुरा दिया।
लिली ने बीच का पर्दा हटाते हुए यशो और रॉबर्ट से कहा, "आप दोनों लोग बात कर लीजिए! मैं बाहर बिल पे करके आती हूँ!"
और उसने रॉबर्ट को डिस्चार्ज करने के लिए डॉक्टर से सलाह ली और दोनों को घर ले गई। दोनों अब पहले से बेहतर थे।
यशो: "राबर्ट, मुझे मेरे दिल की धड़कनें तेज क्यों लग रही हैं?"
राबर्ट कुछ बताने से पहले ही बोला, "ये क्या? समुद्र में... इतना बड़ा सुनामी?"
राबर्ट ने यशो से पूछा, "ये कैसा एहसास है? मेरे दिल की धड़कनें क्यों तेज हो रही हैं? और ये लिली पहले से ज़्यादा खूबसूरत लग रही है!"
तभी लिली आई। "क्या बातें कर रहे हो? यशो, क्या हुआ?"
यशो ने खुद को संभाला और बिस्तर पर बैठ गया।
लिली ने पूछा, "वैसे, ये शख्स कौन है?"
यशो ने जवाब दिया, "ये मेरा दोस्त है!"
लिली ने कहा, "ओह, अच्छा ठीक है।"
नीचे टैक्सी इंतज़ार कर रही थी। चलते हुए, लिली ने राबर्ट और यशो को सहारा दिया और वे अस्पताल के बाहर आए।
राबर्ट टैक्सी ड्राइवर के पास जाकर बैठ गया, और लिली यशो के साथ पीछे की सीट पर बैठ गई।
यशो का खुद पर से नियंत्रण कम होता जा रहा था। उसका शरीर पहले से ज़्यादा कमज़ोर हो चुका था, और वह ब्लड कंजम्पशन के बारे में सोच रहा था।
यशो ने लिली के कंधे पर अपना सिर रख लिया। लिली यशो को सांत्वना दे रही थी और उसे और आराम देने के लिए, यशो के हाथ पर हाथ रखकर थोड़ा थपथपा रही थी। यशो अब लिली की गोरी गर्दन को देखकर, अपनी वैम्पायर पर्सनैलिटी को बाहर आने लगा। उसकी आँखें नीली चमकने लगीं, और उसके दोनों खूनी दांत बाहर आने लगे।
लिली लगातार यशो के हाथ को सहला रही थी।
यशो खुद के नियंत्रण से बाहर होता जा रहा था। लिली के गले की दूरी और यशो के खूनी दांतों की दूरी बस एक इंच से अब आधी इंच की दूरी पर थी।
लिली इस बात से अनजान थी।
तभी टैक्सी ड्राइवर ने कार रोकी। यशो कार के अचानक रुकने से खुद को संभाल नहीं पाया और आगे की सीट से जाकर टकरा गया। लिली ड्राइवर को चिल्लाने लगी, "कैसे ड्राइव करते हो? एक तो इन लोगों को चोट लगी है और तुम ऐसी ड्राइव करते हो!"
ड्राइवर ने माफ़ी मांगी।
यशो ने अपना वैम्पायर रूप छुपाते हुए कहा, "लिली, मैं ठीक हूँ!"
राबर्ट ने कहा, "हम अपार्टमेंट आ चुके हैं।" लिली यशो को पकड़कर बाहर निकली।
यशो ने अपना चेहरा असली रूप में लाया और बाहर थोड़ा नाटक करते हुए बोला, "ओह, मुझे तो चक्कर आ रहा है!"
लिली ने कहा, "क्या हो गया?" उसने यशो को संभाला। "चलो अपार्टमेंट चलो!"
लिफ्ट से लिली, यशो और राबर्ट कमरे तक गए।
यशो जाकर तुरंत नाटक करते हुए बिस्तर पर लेट गया।
यशो को इस समय खून की ज़रूरत थी।
लिली बोली, "मुझे जाना है। थोड़ा काम है वर्कशॉप में।" असल में, लिली एक छोटे परिवार से ताल्लुक रखती थी।
और उसने अपने माँ-बाप को बचपन से ही नहीं देखा था। उसकी दादी ने उसका पालन-पोषण किया था और आज वह अपनी दादी के लिए वर्कशॉप चलाती थी जो सीफ़ूड और दिन में केक की दुकान चलाती थी। लिली वहीं अपनी दुकान पर जा रही थी।
लिली कुछ देर बाद चली गई।
राबर्ट ने यशो से कहा, "चलो मेरे साथ शिकार पर!"
यशो ने कहा, "मैं नहीं जा सकता हूँ! बहुत कमज़ोरी हो गई है!"
राबर्ट ने यशो का हाथ पकड़ा और कुछ मंत्र बुदबुदाने लगा: "डेविल राज समर्ज्य अंधेरा अनस्त्र इति सर्बम शक्तियां..."
यही लगातार तीन बार बोलने पर, कमरे में चारों ओर काला धुआँ सा छा गया, और लाल रंग का एक चमकीला तारा जैसी कोई शक्ति आकर यशो के चारों ओर लिपट गई। यशो ज़मीन से कुछ फुट ऊपर उस शक्ति के साथ उठ गया। राबर्ट यशो का हाथ बहुत ज़ोर से पकड़े हुए था।
कुछ देर बाद सारी शक्तियाँ यशो के अंदर समा गईं और यशो बेहोश हो गया।
राबर्ट ने यशो को एक जादुई पट्टे में बांधकर सोफ़े पर लिटा दिया। यशो के शरीर से अब भी जादुई काले धुएं लारियो की तरह निकल रहे थे।
राबर्ट यह देखकर यशो से लगभग पाँच कदम की दूरी पर बैठा था, और यशो के उठने का इंतज़ार कर रहा था। कुछ देर इंतज़ार करने के बाद, यशो बेहोशी के हालात से बाहर आया और राबर्ट को देखा तो वह एकदम ठीक-ठाक उसके सामने बैठा था। यशो ने खुद को संभाला और उठा। "तुम ठीक हो!"
यशो ने पूछा, "ये सब तुमने क्या किया?"
राबर्ट ने बताया कि, "ये सब मुझे बहुत पहले से आता है। जब कोई डेविल धरती पर आता है तो उसे खून न मिलने की स्थिति में वह यह तरीका अपना सकता है, बस दस बार ही। लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि कोई इंसान उसका हाथ पकड़े हो, क्योंकि दूसरे इंसान के मन में यह विश्वास होना चाहिए कि वह ठीक हो जाएगा!"
"तो ये मंत्र बहुत तेज़ काम करता है! मैंने इससे पहले पाँच बार इस्तेमाल किया था और यह छठा बार तुम्हारे लिए था।"
"और अब तुम्हारे लिए मैंने खुद की एक शक्ति का और प्रयोग तुम्हारे लिए कर लिया!"
यशो खुद को तरोताज़ा महसूस कर रहा था। अब वह उठा। इतने में लिली की एंट्री हुई। यशो वापस से नाटक करते हुए सोफ़े पर लेट गया, और राबर्ट ने खुद भी अपने हाथ में लगे बैंडेज को वापस लगा लिया।
लिली आई और अपने साथ कुकीज़ और कुछ पेस्ट्री लाई थी।
लिली ने फ़ूड टेबल पर रख दिया। और यशो को उठाया। राबर्ट ने कहा, "मुझे अब घर जाना है। घर पर मेरे डैडी मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे!"
लिली ने कहा, "रुको राबर्ट, ये लो।" लिली के हाथ में पेस्ट्री का डिब्बा था और उसने उसे राबर्ट को देते हुए कहा, "ये खा लेना!" राबर्ट ने लिया और कमरे से बाहर निकल गया।
लिली ने अपने हाथों से यशो को कुकीज़, नूडल्स और पेस्ट्री देते हुए कहा, "ये लो, खा लो!"
यशो ने पूछा, "लिली, तुम क्रिश्चियन हो क्या?"
लिली ने थोड़ा रुककर और अपनी आँखें चुराते हुए कहा, (जैसे कोई बात लिली छुपा रही हो) "तुमको कब से जाति-पाती का ख्याल आने लगा? और क्या क्रिश्चियन लोग नहीं होते क्या?"
यशो ने मुस्कुराते हुए कहा, "मेरा यह मतलब नहीं था। लिली, बस तुम्हारी लैंग्वेज से थोड़ा लगता है!"
लिली ने खुद को संभाला। "ये लो, खा लो। दवा भी तो खानी है आपको!"
यशो आराम से खाते हुए बोला, "मुझे दवा नहीं खानी है!"
लिली ने कहा, "दवा तो खानी पड़ेगी!"
सारे फ़ूड खत्म करने के बाद, लिली ने ज़बरदस्ती यशो को दवा खिलाई। यशो के दवा ना खाने की वजह से, लिली के हाथ से पानी का ग्लास यशो पर गिर गया। और यशो बाथरूम गया।
बाथरूम में यशो कपड़े बदलने लगा। लिली पीछे से यशो को देख रही थी। लिली कुछ देखना चाह रही थी यशो की पीठ पर, लेकिन यशो के शरीर के आगे होने की वजह से, लिली बस यशो का सिक्स पैक ही देख पा रही थी। और यह क्या? उसके शरीर के सारे निशान, सारी चोटें मिट चुकी थीं, जैसे कुछ हुआ ही ना हो!
तभी लिली का पैर फिसला और लिली नीचे गिर गई।
क्या लिली यशो का सच जान पाएगी? लिली क्या छुपा रही है? जानने के लिए बने रहें अगले भाग तक!
यशो उसी हालत में बाहर आया। लिली नीचे गिरी हुई थी, अपने पैर पकड़कर बैठी थी।
यशो बाहर आया और लिली के पास बैठते हुए बोला, "क्या बात है? लुका-छिपी, ताक-झाँक कर रही हो तुम मेरे रूम में?"
"नहीं, बस मैं यहां से जा रही थी, और पर स्लिप कर गई!" लिली ने कहा।
यशो लिली को गोद में उठाकर रूम तक ले गया और बिस्तर पर बिठा दिया। लिली का हाथ यशो के सीने पर पड़ा। लिली यशो की मस्कुलर बॉडी को अच्छे से महसूस कर पा रही थी।
"तुम रुको, मैं चेंज करके आता हूँ।" यशो ने कहा।
"ओह, सॉरी! मेरी वजह से!" लिली ने आँखें बंद करते हुए कहा।
यशो ने लिली के होंठ पर उंगली रखकर कहा, "चुप। अब कुछ बोलना नहीं!"
लिली बस यशो की आँखों में ही देख रही थी।
कुछ देर बाद यशो आया तो लिली ने पूछा, "तुमको तो चोट लगी थी, अचानक से ठीक कैसे हो गए?"
"तुम साथ हो इसलिए! मैं ठीक हो गया हूँ!" यशो ने कहा।
"अच्छा, बहानेबाजी न करो! चलो बताओ अब!" लिली ने कहा।
"ये देखो," यशो ने हाथ में एक जड़ी-बूटी का टुकड़ा दिखाते हुए कहा, "इससे तुरंत दर्द और चोट गायब हो जाते हैं!"
यशो ने लिली के पैरों की उंगलियों पर इसे सहलाते हुए एड़ियों तक ले गया। बस अभी दो ही मिनट हुए थे कि लिली अपने पैरों का दर्द महसूस ही नहीं कर पा रही थी। "कैसे हुआ? इतनी जल्दी! मुझे आराम हो गया! क्या कमाल की है!"
"कहाँ मिलती है ये? मुझे भी बताओ, मैं भी लाऊँगी!" लिली ने कहा।
"ये तुम रख लो! मैं राबर्ट से मँगवा लूँगा। उसकी जड़ी-बूटियों का बिजनेस है!" यशो ने कहा।
लिली बिस्तर से उतरकर नीचे खड़ी हुई और बोली, "अब मैं अपने रूम में जा रही हूँ! कोई काम हो या ज़रूरत पड़े तो बताना!"
लिली भागती हुई अपने रूम में चली गई।
यशो मन में हँसता हुआ सी-साइड पर गया। उसे पहले ही अहसास था कि कुछ होने वाला है, और यह शहर, जहाँ पर लिली रहती है, यहाँ सुनामी आने वाली है। यशो कुछ दूर आगे जाकर अपने चारों ओर मुँह घुमाता है और देखता है कि कोई देख तो नहीं रहा, और अचानक से समुद्र में छलांग लगा देता है!
चप्प, छप, छप की आवाज बस आ रही थी।
यशो समुद्र की गहराइयों में लगातार गोता लगा रहा था। वह संख फिशू के पास पहुँच जाता है। संख फिशू अचानक यशो को देखकर बोला, "तुम यहां अचानक से? क्या हुआ?"
"कुछ देर में समुद्री सुनामी आने वाली है!" यशो ने कहा।
"क्या...?" संख फिशू ने कहा।
"हाँ, इसलिए मैं यहां आया हूँ कि तुम लोगों को आगाह कर सकूँ!" यशो ने कहा।
"यह महल हमारी हमेशा सुरक्षा करता आया है! हम सब इस महल में ही रहेंगे, हमें कुछ नहीं होगा?" संख फिशू ने कहा।
"आप सब जल्दी से यहां आओ, मैं एक शील्ड बना देता हूँ जिससे तुम लोग सुरक्षित रहोगे!" यशो ने कहा।
यशो अपने मन में बड़बड़ाता है। एक चमकीली शक्ति निकलती है और चारों ओर से समुद्री पौधों की एक-एक जड़ और टहनियाँ गोलाई का रूप लेते हुए सारी मछलियों को एक अदृश्य शील्ड में प्रोटेक्ट कर देती हैं।
यशो अब चिंतामुक्त हो जाता है और खुशी से वापस सी-साइड पर आ जाता है।
यशो को अब भी जानना था कि क्या लिलिया, लिली के जैसे क्यों लगती है उसे? क्या वह अब भी ज़िंदा है? और मोती से निकले जलपरी काली कैसे थी?
सुनामी के आने का समय हो गया था और समुद्री लहरें तट को चूमती हुई विकराल रूप ले लेती हैं।
लिली अपना सामान समेट रही थी तभी वह यशो को देखती है और उसे दूर से ही आवाज देती है, "चलो यहाँ से, समुद्री तूफ़ान आने वाला है!" यशो जब यह सुनता है तो लिली उसके पास जाती है और वह गुस्सा करने लगती है कि तुम्हें चोट लगी थी और अब तुम यहाँ क्या कर रहे हो? चलो जल्दी घर चलो!
यशो पीछे मुड़कर देखता है तो लिली जोर-जोर से चिल्ला रही थी, "घर चलो!"
यशो चट्टानों से नीचे उतरकर लिली के पास आने लगता है, और उधर लहरों का बहाव बहुत तेज लिली के पास आ रहा था। यह यशो देख लेता है, और तभी लिली अपने पीछे देखती है तो उसके होश उड़ जाते हैं। वह बस एकटक यही देख रही थी और डर से अपनी आँखें बंद कर लेती है। तभी बिजली की रफ़्तार से यशो आता है और लिली को अपने गोद में उठाकर शॉप के चेयर पर लेकर चला आता है, और वह लहर जो अब तक लिली के पीछे थी, यह देखते ही अपना रुख बदलकर अब यशो के पीछे पड़ चुकी थी।
यशो मानो लहरों के साथ खेल रहा हो! और वह वहाँ से लिली को फिर से गोद में उठाया और अब सीधा घर के टेरेस पर आकर रुकता है।
लिली अपनी आँखें धीरे-धीरे खोलती है और यह देखती है कि अब वह घर पर है तो यशो को घूरती है। उसके लिए यह सब बहुत नया था। यशो मुस्कुराता हुआ लिली को देख रहा था। लिली उसे हँसता हुआ देख वापस बेहोश हो जाती है।
यशो लिली को बिस्तर पर लिटाकर वापस सी-साइड जाकर लहरों की रफ़्तार को देख रहा था। दूर समुद्र में काले बादल बिजली के साथ कड़कते हुए दिख रहे थे।
यशो आराम से बस तबाही का मंज़र देख रहा था, और यह तबाही देखकर उसे एक सुकून सा मिल रहा था, लेकिन क्यों? यह तो यशो को भी नहीं पता था।
तभी अचानक से एक बिजली की चमक, तार जैसे पतली, जो वह यशो के पास आती है और उसे अपनी जकड़ में ले लेती है, और यशो के शरीर पर जहाँ-जहाँ बिजली के तार थे वहाँ से खून निकलने लगता है। यह सब कैसे हो रहा है? यशो को कुछ समझ नहीं आता है।
तभी लीरा बीच में दादी को रोकती हुई कहती है, "दादी मां, ऐसा नहीं होना चाहिए ना! यशो मेरे स्टोरी का हीरो है, सुपर हीरो! उसको कुछ नहीं होना चाहिए!"
"यशो तुम्हारा हीरो है, और हमेशा रहेगा, जन्मों..." दादी इतना कहते ही रुक जाती है और बोलती है, "हाँ, यशो तुम्हारा हीरो है, उसको कुछ नहीं होगा।"
इतना कहकर दादी बोलती है, "आज के लिए कहानी बस इतना ही, बाकी कल आऊँगी तो!"
"रात बहुत हो चुकी है, अब मुझे जाना होगा!"
सारे बच्चे उठकर चले जाते हैं। अब बस लीरा और शौर्य ही बचे थे। विवेक और विजय उठकर चले जाते हैं।
"दादी, यह कहानी बहुत मस्त है!" लीरा ने कहा।
"लीरा, तुम कल से प्रैक्टिस तो कर रही हो ना?" दादी ने पूछा।
"हाँ दादी, साथ में मैं भी!" शौर्य ने कहा।
"हाँ दादी, मैं रोज़ सुबह प्रैक्टिस करूँगी, और आज तो किया भी था!" लीरा ने कहा।
"लीरा, तुमको ज़्यादा से ज़्यादा ध्यान लगाना होगा ताकि तुम योग विद्या में माहिर हो सको!" दादी ने कहा।
"ठीक है दादी मां! मैं दोनों टाइम अब से योग करूँगी!" लीरा ने कहा।
दादी अब अपनी कुर्सी लेकर खुद को संभालते हुए उठती है। तभी वहाँ की लेडी बॉर्डन आती है और बोलती है, "ए बुढ़िया, तू सुधरेगी नहीं! रोज़ मुँह उठाकर चली आती है!"
दादी कुछ बोलती नहीं और मुस्कुराती हुई बाहर आ जाती है। गेट से बाहर निकलते ही दादी काले साये को इशारा करती है और चली जाती है।
कुछ देर बाद लेडी बॉर्डन कुछ खर-खरहट की आवाज सुनती है और बाहर आती है टॉर्च लेकर देखने। तभी काला साया लेडी को अपनी ओर खींच लेता है, और लेडी के शरीर से बस खून की धार निकल रही थी, और कोई बड़ा जानवर आवाज करता हुआ खून को लगातार पी रहा था!
और उधर लीरा ध्यान मुद्रा में बैठी किसी मंत्र का जाप कर रही थी, और अचानक उसके पीछे किसी काले साये की परछाई लगातार लीरा की ओर बढ़ रही थी!
लीरा लगातार मंत्रों का जाप करती हुई, खुद में डूबती चली गई।
लीरा के मंत्रों के उच्चारण के साथ, उसे क्या हो रहा था, यह उसे खुद नहीं पता था। तभी अचानक से मौसम का रंग ठंडा हो गया और आसमान में बादल छा गए। बिजली की गड़गड़ाहट और चमक से पूरा जंगल साफ दिखने लगा।
इधर, लीरा की ध्यान मुद्रा और लीन गहरी होती जा रही थी। लीरा अभी इन विद्याओं को सिख ही तो रही थी। अचानक से इतनी सारी शक्तियों का भंडार लीरा का शरीर सह नहीं पाया। लीरा अपने अवचेतन मन में प्रवेश करती जा रही थी। उसके अवचेतन मन में प्रवेश करने के साथ-साथ, लीरा जमीन से कुछ एक फुट की दूरी पर, ऊपर योग मुद्रा के आसन में उठती चली गई। उसके उठने के साथ-साथ उसके अवचेतन मन में उसके प्रवेश की गति और तेज होती चली जा रही थी। लीरा का पूरा शक्ति का केंद्र उसका मस्तिष्क बन गया था और उसका अवचेतन मन लगातार कुछ दृश्य दिखा रहा था, जो वह समझ नहीं पा रही थी। लीरा की आत्मा लगातार अवचेतन मन में प्रवेश करते हुए, आयाम को चीरते हुए, लगातार आगे चली जा रही थी।
जंगल की दादी को यह चीज पता चल गई। उन्हें पता था कि अगर लीरा अब और आगे गई, तो वह कभी अवचेतन मन के आयाम से बाहर नहीं आ पाएगी। इसलिए, उसने अपनी कुठारी, जो उसके पास रहती थी, जमीन पर जोरदार ठोकर मारी। ठोकर मारने के साथ, बिजली के तार सी लहर जमीन से अंदर तक होती हुई, लीरा तक आ गई। और लीरा, जो योग मुद्रा के ध्यान में अपने मस्तिष्क में खोई जा रही थी, अचानक से जमीन पर गिर गई और बेहोश हो गई।
सीन अब सुबह में शिफ्ट होता है। सुबह में सभी लोग बोर्डेन को ढूँढते हैं, लेकिन वह कहीं नहीं मिलती। बोर्डेन के न मिलने से चारों तरफ तहलका मच जाता है। वहाँ के सारे गार्ड और टीचर्स, जो बच्चों की देखभाल करते थे, वह सारे लोग वहाँ पर ढूँढने लगते हैं, लेकिन वहाँ पर उन्हें बोर्डेन नहीं मिलती। कुछ और आगे जाने पर, तहखाने के रास्ते से पीछे वाले रास्तों पर खून की कुछ बूँदें और लाश घसीटने के निशान मिले। वहाँ का एक गार्ड टॉर्च लेकर देखता हुआ पीछा करते हुए निकला, तो जंगल के मुहाने पर आ गया। जंगल के मुहाने पर उसने देखा कि लाश के चीथड़े उड़े हुए थे, उसकी आँतें निकली हुई थीं, और उसकी एक आँख खुली थी, और एक आँख गायब थी! उसकी जीभ बाहर थी, उसके हाथ की उंगलियाँ गायब थीं। ऐसा भयानक दृश्य देखकर गार्ड दौड़ता हुआ वापस आया और पुलिस को इन्फॉर्म किया। कुछ देर बाद एम्बुलेंस आई और लाश को लेकर पोस्टमार्टम के लिए ले गई।
डॉक्टर ईशान वापस से ऐसी लाश देखकर अपने मन में सोचते हैं, "कुछ तो गड़बड़ जरूर है। एंजेल आनथालय के पास आज तक किसी बच्चे की जान नहीं गई है, और अगर गई है, तो सिर्फ़ ऐसे इंसान की जो 25 से 30 साल के अंदर थे। और ऐसे में मृत्यु होना किसी अशुभ चीज का संकेत देता है।" डॉक्टर ईशान पेशे से तो एक डॉक्टर थे, लेकिन उन्हें योग मुद्रा, योग ज्ञान और कुछ जादुई चीजों का तोड़ मालूम था। डॉक्टर ईशान पहले अपने पिताजी के साथ ऐसे कई जगहों पर घूम चुके थे, जहाँ पर उन्हें ऐसे बहुत सारे केस स्टडी करने को मिले थे। केस स्टडी करने के बाद ही वह डॉक्टर लाइन में गए थे। फिलहाल ईशान को पता था कि कुछ तो मुसीबत जरूर है वहाँ पर, और वहाँ का ओनर कौन है—शायद राहुल मल्होत्रा! जो इन सब बातों पर ध्यान नहीं दे रहा है, उसकी भी जान को खतरा है!
राहुल मल्होत्रा कुछ तो छुपा रहा है, जो वहाँ के बच्चों को और वहाँ के लोगों को नहीं पता है। और यह अनाथालय ऐसे बच्चों को पालता है, जिनका पता ही नहीं चलता कि वे बच्चे कहाँ से हैं, और न ही उन बच्चों के आगे-पीछे कोई रहता है। यही सब सोचते हुए वह कुछ दूर आगे बढ़े। अचानक से बोर्डेन की लाश में हलचल हुई। डॉक्टर ईशान पीछे मुड़कर देखते हैं, तो बोर्डेन की बॉडी अपने आप अकड़ चली जा रही थी। डॉक्टर ईशान अपनी आँखें छोटा करते हुए, योग मुद्रा में अपने हाथों को बनाते हुए, एक हाथ में योग मुद्रा और दूसरे हाथ से अपने हाथ को धीरे-धीरे घुमाते हुए, लाश की ओर इशारा करते हैं, जिससे लाश वापस से ठीक हो जाती है। डॉक्टर ईशान वहाँ के गार्ड को बोलते हैं, "इस लाश को ले जाकर उसी जंगल में दफन दिया जाए, और अगर दफना न पाओ, तो वहाँ पर जला देना। और यह काम जितनी जल्दी हो सके, उतनी जल्दी कर देना।"
गार्ड वहाँ से एम्बुलेंस में लाश ले जाकर जंगल में दफन कर देते हैं, क्योंकि उस टाइम बारिश हो रही थी।
लाश को दफन करने के बाद, डॉक्टर के गार्ड वापस जल्दी से एम्बुलेंस में बैठकर, बिना पीछे मुड़े, एम्बुलेंस को तेज रफ्तार में चलते हुए डॉक्टर के पास आते हैं।
डॉक्टर ईशान उनसे पूछते हैं, "तुमने जैसा कहा था, वैसा ही किया?"
"हाँ," गार्ड बताता है, "और वह ताबीज आपने दी थी, मैंने उसके गले में पहना दिया।"
"तुमने ऐसा क्यों किया?" गार्ड पूछता है।
डॉक्टर ईशान बोलते हैं, "वह कोई मामूली मौत नहीं थी। और जिसकी मौत अकाल मृत्यु होती है, वह वापस अपना बदला लेने ज़रूर आता है, या फिर वह किसी के बस या नियंत्रण में होकर सारी ज़िंदगी यूँ ही भटकता रहता है।"
इतना बोलकर डॉक्टर ईशान अपने घर के लिए निकल जाते हैं।
इधर, लीरा सुबह उठती है, तो उसे पता चलता है कि बोर्डेन की मौत हो गई है। लीरा को कुछ समझ में नहीं आता कि बोर्डेन की मौत अचानक से कैसे हुई। तो शौर्य बोलता है, "अच्छा हुआ, बहुत बोलती थी!"
"मुझे पता है," लीरा बोलती है, "बोर्डेन की मौत कैसे हुई। रात में एक काला साया आया था, उसको घसीटता हुआ ले गया। उसकी आँखें निकाल लीं, एक आँख निकाल कर खा गया और दूसरा उसका पेट फाड़ दिया और सारा खून पी गया! और पता है तुमको, वह वैम्पायर था!"
लीरा सुबह उठी तो उसे पता चला कि बॉर्डन की मौत हो गई है। लीरा को कुछ समझ नहीं आया कि बॉर्डन की मौत इतनी अचानक कैसे हुई।
शौर्य बोला, "अच्छा हुआ, बहुत बोलती थी!"
लीरा बोली, "मुझे पता है कैसे हुई। रात में एक काला साया आया था। उसने बॉर्डन को घसीटते हुए ले गया। उसकी आँखें निकाल लीं, एक आँख खा गया और दूसरी के बाद उसका पेट फाड़ दिया और सारा खून पी गया! और पता है? वह वैम्पायर था!"
विवेक हँसते हुए बोला, "ऐसा कुछ होता है? वैम्पायर नहीं होते। बस कहानियों में ये सब होता है!"
अंश बोला, "लीरा, अपनी बकवास बंद करो। चुपचाप चलो। आज यहाँ दूसरी बॉर्डन आने वाली है। मैंने सुना है, उसके पास बहुत सारी शक्तियाँ हैं। वह जादू-तंत्र-मंत्र जानती है।"
राहुल बोला, "सब भूत ही तो हैं यहाँ!"
विवेक बोला, "आज तक हम लोगों को पता भी नहीं चला कि हम कहाँ से हैं, हमारे माँ-बाप कौन हैं, और ना ही हम लोगों को कोई अडॉप्ट करने आता है। हमने सुना है ऑर्फन में जो लोग रहते हैं, उनको अडॉप्ट कर लेते हैं, लेकिन हम लोगों को तो कोई अडॉप्ट नहीं कर रहा है। पता नहीं हम लोगों को कोई अच्छा घर मिलेगा भी या नहीं!"
लीरा बोली, "तुम लोग परेशान मत हो। मैं तुम लोगों को अपने साथ रखूँगी। जब मैं बड़ी हो जाऊँगी, मैं घर बनाऊँगी। उसमें हम, शौर्य, विवेक, राहुल, हम चारों-पाँच लोग मिलकर रहेंगे!"
अंश बोला, "हाँ लीरा, तुम सही कह रही हो!"
लीरा को यह नहीं पता था कि उसने जो बताया, वह सारी बातें सच थीं। उसे यह भी नहीं पता था कि उसे ये बातें कैसे पता चलीं। लेकिन लीरा बार-बार ज़ोर देकर बोल रही थी, "अंश, मैं सच कह रही हूँ। उसकी ऐसे ही मौत हुई है। तुम चाहे जाकर जिससे भी पूछ लो, मैं सच बता रही हूँ क्योंकि मैंने देखा था।"
अंश बोला, "तुम तो मीना के साथ थीं, और उसी के पास लेटी हुई थीं सारी रात। तुम गईं कब? और कल तो तुम हम लोगों से पहले सो गई थीं। रात में मैं आया था तुम्हारे रूम में तुमको देखने। मैंने सोचा मैं बुक लेकर पढ़ लूँ, लेकिन तुम सो रही थीं, इसलिए मैंने तुम्हें उठाया नहीं।"
लीरा अपने मन में सोचती रही। कल रात लगभग दस बजे वह योग मुद्रा कर रही थी। उसके बाद क्या हुआ? वह लगातार इतना सोचती रही कि उसे पता नहीं क्या हो रहा था और वह क्या-क्या उल्टी-सीधी बातें बोल रही थी। उसे ऐसा नहीं बोलना चाहिए था। यह सोचकर लीरा वापस डिनर हाल में चली गई। सभी लोग वहाँ पर जाकर एक साथ बैठकर खा रहे थे। तभी नई बॉर्डन की एंट्री हुई और वह बोली, "आप लोगों की आज से मैं नई वार्डन हूँ। तुम लोग मेरा कहना मानोगे। और यहाँ पर जो कुछ भी हो रहा है, अगर कोई पूछे तो तुम लोग बिल्कुल नहीं बताओगे। तुम लोगों को यही बोलना है कि हम लोग कुछ नहीं जानते, ठीक है? तुम लोगों की सुरक्षा हमारी ज़िम्मेदारी है।"
यह जंगल और एंजेल अनाथालय दूर पहाड़ी तेलंगाना के कुंदनबाग में स्थित था। उसके आसपास पाँच किलोमीटर तक घने जंगल हुआ करते थे। बीच में एक पक्की सड़क थी जो आगे चलकर दो रास्तों में बढ़ गई थी और उन रास्तों से बढ़ते हुए आगे-पीछे खाई थी।
राहुल मल्होत्रा को जब यह खबर पता चली तो वह बच्चों के अडॉप्शन के लिए दूसरे राज्यों से लोगों को बुलाता था और सबको अलग-अलग बच्चों को अडॉप्शन के लिए तैयार करके उनके पैरेंट्स के साथ भेज दिया जाता था।
अब लगभग कुछ बच्चे बचे थे, जिसमें लीरा, विवेक, अंश, शौर्य और राहुल ही बचे थे। ये पाँचों एक-दूसरे को अपना एक-एक निशान देते हैं कि कल को अगर हम एक-दूसरे से दूर हो जाएँ और बाद में मिलें तो एक-दूसरे को पहचान लें। लीरा अपने हाथ के ब्रेसलेट के मोतियों को निकालकर चारों को दे देती है और बोलती है, "जब तुम लोग मुझे ये दिखाओगे तो मैं तुम लोगों को पहचान लूँगी।"
इतना बोलकर सब लोग एक-दूसरे से गले मिलते हैं। यह अनाथालय अब बंद हो रहा था। राहुल मल्होत्रा इसे बंद कर रहे थे। राहुल मल्होत्रा को सारे काम करने के बारे में पता था, इसलिए वह इसे बंद करने के प्लान में थे।
देवगढ़ के राव देव लीरा को लेने आए थे और बोले, "मैं लीरा के लिए आया हूँ।"
राहुल मल्होत्रा बोले, "आपको सब पता है और आप लीरा को कैसे संभालेंगे यह अब बस आप ही जानें। और अब मेरा और आपका मानो कोई रिश्ता ही नहीं था।" इतना बोलकर राहुल मल्होत्रा फोन काट देते हैं।
इधर, नई वार्डन लीरा को अपने साथ ले जाती है और बोलती है, "बेटा, तुम्हें लेने वाले आ गए हैं। चलो, मैं तुम्हें तैयार कर दूँ और एक बार चेकअप कर लूँ कि तुम ठीक हो या नहीं। चलो!"
वार्डन इतना बोलकर लीरा को अपने साथ ले जाती है और लीरा को नया ड्रेस देते हुए बोलती है, "यह तुम्हारे नए पैरेंट्स ने दिया है। और यह बैठो!"
वार्डन लीरा को अच्छे से तैयार कर देती है।
वार्डन पूछती है, "ये हाथ में क्या है?"
लीरा कहती है, "ये कहानी की बुक है। मुझे ये अपने पास रखना है। एक यही तो मेरा अपना है!"
वार्डन प्यार से बोलती है, "ठीक है, ये लो थैला और बुक रख लो!"
वार्डन एक इंजेक्शन हाथ में लेकर बोलती है, "ये देखो, यह है तुम्हें ठीक रखने की दवा जिससे तुम वहाँ बीमार नहीं पड़ोगी!"
इतना बोलकर वार्डन इंजेक्शन लीरा के हाथ में लगा देती है और बोलती है, "अब से तुम रावदेव की पोती हो!"
इतना बोलकर वह मुस्कुराती है। लीरा उठती है तो उसे पिछला कुछ याद नहीं रहता। रावदेव लीरा के पास जाते हुए बोलते हैं, "मेरा बेटा, रुहिका कैसा है? मेरा बेटा!"
लीरा कहती है, "दादा जी, मैं ठीक हूँ! आप कैसे हो? इतने दिन बाद मुझसे मिलने आए हैं आप!"
रावदेव कहते हैं, "क्योंकि तुम्हारा इलाज चल रहा था और अब तुम ठीक हो चुकी हो!"
लीरा गेट से बाहर निकल जाती है। पीछे उसके दोस्त लीरा का बदला हुआ व्यवहार देखकर बोलते हैं, "लीरा को अच्छा घर मिल गया। लीरा तो बदल गई!"
लीरा जाकर कार में बैठती है और पीछे देखते हुए, बुक के थैले को अपने हाथ में पकड़े हुए, निकल जाती है। लीरा की अब ज़िंदगी बदलने वाली थी और अब वह अपना अतीत भूल चुकी थी।
रास्ते में कुछ दूर चलने पर लीरा की नज़र जंगल के बीच में पड़ती है तो दादी कुबरी खड़ी हुई, एकटक बस लीरा को देख रही थी। लीरा बुढ़िया को देखकर डरकर दादा जी से चिपक जाती है। दादा जी कार का कांच बंद कर लेते हैं और बोलते हैं, "क्या हुआ रुहिका बेटा?"
"अच्छा, मैं तुम्हें कहानी सुनाता हूँ!"
लीरा कहती है, "हाँ दादा जी!"
क्या लीरा सब भूल गई? कौन है लीरा?
लियाज लगातार इस तरह के बदलाव से खुद को कमजोर महसूस करती जा रही थी। उसे खुद नहीं पता था कि उसके साथ यह सब क्या हो रहा है। फादर हमेशा डरते रहते थे कि कुछ हो न जाए! लियाज कौन है और यह धरती पर कैसे आई? इसके माँ-बाप कौन हैं? फादर लेकिन अब लियाज को अपनी बेटी की तरह प्यार करने लगे थे और उसे हमेशा खुश करने की कोशिश करते रहते थे।
फादर लियाज की ऐसी हालत देखकर डर गए थे, और तभी लियाज बेहोश हो गई।
थोड़ी देर बाद, वह सामान्य अवस्था में बदल गई।
*********अगले दिन सुबह*********
लियाज सुबह उठी और खुद को आईने में देखा। उसके पूरे शरीर पर खरोंच थीं और पट्टी बंधी हुई थी।
"ये सब मेरे साथ ही क्यों होता है? क्या हो जाता है मुझे खुद को नहीं पता रहता है? कहीं मैंने... ssss... फादर, मदर को तो कुछ नहीं किया...!"
"मैं क्या करूँ?"
तभी फादर की एंट्री हुई।
"बेटी लियाज, अब कैसे हो?"
"फादर! मैं बहुत परेशान हूँ। मुझे नहीं पता ये कैसे होता है मेरे साथ? मुझे डर लगता है, कहीं मैं तुम्हें भी हर्म न कर दूँ?"
"बेटा, फादर स्ट्रांग है। मैं ठीक हूँ। तेरे केयर करने के वास्ते ही मैंने खुद को स्ट्रांग बनाया है।" फादर ने लियाज के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।
"आज तुमको कॉलेज नहीं जाने को, क्योंकि आज मैं तुमको बाहर घुमाने के वास्ते लेकर जाऊँगा।"
"हुँ..." लियाज ने एक लंबी मुस्कान के साथ कहा।
"चलो अब नाश्ता कर लो।"
दोनों नीचे आए।
"आ गए तुम दोनों? अब कैसा है लियाज, तुम?" मदर ने पूछा।
"मेरा खून है, लियाज स्ट्रांग है, फादर की जैसे!"
"ये क्या, पैर के नीचे चूहा..." मदर ने कहा।
"कहाँ? आह, कहाँ है?" फादर ने कहा।
"लो देख लो, लियाज फादर की बहादुरी...जूठा..." मदर ने कहा, हँसते हुए।
लियाज हँसने लगी। घर का माहौल खुशनुमा हो गया।
कुछ देर बाद सब अपने काम से चले गए।
लियाज रूम में आराम करने चली गई। उसके रूम के पास एक झील थी, जिसकी आवाज इतनी मनमोहक थी कि लियाज को इस आवाज के बिना नींद नहीं आती थी।
झील काफी पुरानी थी।
लियाज सोकर उठी तो उसके बॉडी के पूरे निशान खुद ही ठीक हो चुके थे।
लियाज काफी परेशान हो जाती थी कि मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है? मुझे आज तक नहीं पता कि रात में बेहोश होने के बाद मेरे साथ क्या होता है।
यही सब सोचते हुए लियाज कब घर से उस झील के पास आ गई, पता ही नहीं चला। लियाज अपने सोच से बाहर आई और मौसम का लुत्फ़ उठाती हुई झील के किनारे चली गई और पत्थरों पर बैठकर छोटे-छोटे कंकड़ उठाकर झील के पानी में फेंकती रही—छा, प्पा sss, क,... चप्पक, स्लैप, छपक।
वह अपने पीछे देखती है, वही दोनों लोमड़ियाँ जिसे कल रात को लियाज ने बचाया था, वे दोनों पानी पीने आई थीं।
"अच्छा हुआ कि कल हमें प्रिंसेज लोमड़ी ने बचा लिया, नहीं तो आज हम वाली चढ़ रहे होते।" पहली लोमड़ी बोली।
"चुप रहो, नहीं तो कोई सुन ले कि प्रिंसेज को किंग से..." दूसरी लोमड़ी ने कहा।
"तभी पहली लोमड़ी, वो देखो... लुलु (लियाज) यहाँ कैसे?"
"पता नहीं, कब मुझे सब सच्चाई का पता होगा। मदर-फादर को भी कुछ नहीं पता रहता है।"
"अहह... क्या करूँ मैं अपना?"
तभी वह अपने पीछे उन दोनों लोमड़ियों को देखती है। "अरे, इनको तो मैंने कहीं देखा है, लेकिन कहाँ, कुछ याद नहीं।"
दोनों लोमड़ियाँ पानी पीती हैं और चली जाती हैं। लियाज दोनों लोमड़ियों का पीछा करती है।
वे दोनों लोमड़ियाँ यह देखकर बहुत तेज़ भागती हैं।
"भागो, जल्दी! अगर लुलु ने पीछा किया और हमें पकड़ लिया तो, तो मेरा मुँह अपने आप सब बता देगा।" इतना कहकर दोनों भागती हैं।
लियाज उनका पीछा करती हुई बोली,
"रुको, मुझे तुम लोगों से कुछ पूछना है!" वैसे एक बात और, लियाज जानवरों से बात करने में एक्सपर्ट थी, उसे चिड़ियों की भी भाषा आती थी।
"देखा मैंने कहा था ना, ये हमारे बहाने ही सब कुछ जानने की कोशिश करेगी। भागो, जल्दी भागो!" दूसरी लोमड़ी पहली से कहती है। दोनों जंगल में आवाज़ करती हुई भागती हैं— शाय sss sss, चप्पक्क, आह आह...
"हम तो थक गए हैं, उससे बहुत दूर निकल आए हैं। चलो आराम कर लो, मेरे से और भागा नहीं जा रहा है।"
"हाँ, तुम सही कह रही हो।"
दोनों एक छोटी सी गुफा में घुस जाती हैं, और तभी...
"देखो, वो हमारे पीछे ही है।" दोनों छिप जाती हैं।
लियाज गुफा के बाहर थककर बैठ गई। "अरे, क्या बला है! पहली बार किसी एनिमल ने अपने आप से बात न करने के वास्ते भागा। ज़रूर कुछ बात है!"
"ऐसे हम हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठ सकते हैं, कुछ तो करना होगा।" पहली लोमड़ी बोली।
"अरे, हम तो गाल पर हाथ धरे हैं! " दूसरी लोमड़ी दांत दिखाती हुई बोली।
"चुप करो तुम, कुछ तो करना होगा। मैं बाहर जाकर उससे बात करती हूँ।" पहली लोमड़ी बोली।
"मैं भी चलूँ?"
"हाँ, चल चल।"
दोनों गुफा से बाहर आती हैं।
"तुम दोनों अपने आप को देखकर भागी क्यों?" लियाज उन दोनों के पास जाती हुई कहती है।
"वो हम कसरत कर रहे थे, क्योंकि सुबह हमने किया नहीं था।" पहली लोमड़ी बोली।
"अरे, तो मैंने सुबह तो तुम्हारे साथ तो बाहर निकलकर घूमने आए थे।" दूसरी लोमड़ी हँसते हुए बोली।
"तुम अपना मुँह बंद नहीं रख सकती हो?" पहली लोमड़ी बोली।
"लियाज, तुम दोनों झगड़ा करना बंद करो। ये बताओ क्या हम पहले मिले हैं तुम दोनों से?"
"हाँ..." दूसरी लोमड़ी बोली।
"चुप रहो तुम।" पहली लोमड़ी बोली।
"(दूसरी से) लियाज बोली, तुम चुप रहो, उसे बोलने दो।"
"हाँ, हम दोनों अभी कुछ देर पहले ही झील के सामने तो मिले थे?" दूसरी लोमड़ी बोली।
दोनों लोमड़ियाँ हँसने लगती हैं—ही ही ही...
"हाँ, लेकिन मुझे लगा मैंने तुमको कहीं देखा है। वैसे तुम दोनों बहुत क्यूट हो, मुझे अच्छा लगा तुम दोनों। मेरे दोस्त बनोगी?"
दोनों लोमड़ियाँ हाँ हाँ में सिर हिलाते हुए हामी भर देती हैं।
तभी वे दोनों लोमड़ियाँ अचानक से एक लाल रंग के धागे, जो चारों ओर तेज चमकीली रोशनी फेंकता हुआ, अपने बंधन में...