Novel Cover Image

Rebirth in novel

User Avatar

siya Rawat

Comments

100

Views

30701

Ratings

330

Read Now

Description

यह कहानी है एक ऐसी लड़की की जो अपनी शादी के ही दिन अपने मंगेतर को अपनी बहन के साथ आपत्ति जनक हालत में देखती है तो उसका दिल टूट जाता है 2 घंटे बाद उसकी शादी थी और उसका मंगेतर और उसकी बहन उसे धोखा दे रही थी जब उसे बर्दाश्त नहीं होता वह वहां से निकल कर...

Total Chapters (77)

Page 1 of 4

  • 1. Rebirth in novel - Chapter 1

    Words: 1005

    Estimated Reading Time: 7 min

    यह कहानी उस लड़की की है जिसका दिल टूट गया जब उसने अपनी शादी के दिन ही अपने मंगेतर को अपनी बहन के साथ आपत्तिजनक हालत में देखा। दो घंटे बाद उसकी शादी थी, और उसका मंगेतर और उसकी बहन उसे धोखा दे रहे थे। यह सहन न कर पाकर, वह वहाँ से निकल गई और सोचने लगी कि उसने इस इंसान से शादी करने के लिए अपने माता-पिता, भाई-भाभी सबको कितना दर्द दिया, कितनी तकलीफ दी…💔

    और वही इंसान उसे धोखा दे रहा था, और इस सब में उसकी खुद की बहन उसका साथ दे रही थी। उस बहन को, जिसे उसने हमेशा अपना माना, जिसे उसने हमेशा सब कुछ दिया जो उसे मिलता था, उसने ही उसे धोखा दिया। यही सब सोचते हुए, वह छत पर आकर खड़ी हो गई…

    और आसमान को देखते हुए कहा, “मैंने जिन दो लोगों से सबसे ज़्यादा प्यार किया, उन दोनों ने ही मुझे धोखा दिया। और अब मैं कैसे अपनी फैमिली को फेस करूंगी? कैसे मैं यह सब कुछ बर्दाश्त करूंगी?” फिर वह खड़ी हुई और कहा…

    “मैं इन दोनों को ऐसे तो नहीं जाने दूंगी। क्योंकि इन्होंने प्यार में मुझे धोखा दिया है, और अब मैं बताऊंगी कि धोखा देना किसे कहते हैं।” और वहाँ से मंडप की तरफ चल दी। वहाँ जाकर अपने चाचा-चाची, माता-पिता, भाई-भाभी और अपने मंगेतर के परिवार से कहा, “मेरे साथ चलिए…

    आपको कुछ दिखाना है।” सब लोग पीहू के साथ उसे कमरे की तरफ चले गए जहाँ वह ले जा रही थी। अचानक से, उसने कमरे का गेट खोल दिया, और सब लोग कमरे में दाखिल हो गए। जब उन्होंने कमरे में प्रेम-लीला को देखा, तो शर्म से सबके चेहरे झुक गए। वह दोनों भी हड़बड़ी में एक-दूसरे से अलग हो गए…

    तभी पीहू हाथ बांधकर खड़ी हो गई और बोली, “तुम दोनों ने मुझे धोखा दिया। मैंने तुम दोनों से अपनी ज़िंदगी में सबसे ज़्यादा प्यार किया। और हाँ, आज के बाद तुम दोनों की मेरी ज़िंदगी में, या मेरे घर में कोई जगह नहीं है। निकल जाओ यहाँ से, वरना ऐसी जगह मारूँगी ना कि पानी भी नहीं मिलेगा। और हाँ, एक बात हमेशा याद रखना, मैं बेवकूफ़ नहीं थी…

    बल्कि मैं तुम दोनों पर भरोसा करती थी। तुम दोनों बचपन से मेरे साथ थे, लेकिन तुम दोनों ने मेरे भरोसे का, और मेरे प्यार का कत्ल कर दिया। अब शायद मैं ज़िंदगी में कभी किसी पर भरोसा ना कर सकूँ।” और कमरे से बाहर निकल गई…

    और कमरे से बाहर आने के बाद उसने खुद को आईने में देखा और कहा, “यह तुम तो नहीं थीं, पीहू तो ऐसे कभी नहीं थी। तुम तो इतनी अच्छी थीं, इतनी नटखट, चुलबुली, सबको हंसाने वाली, सबका ख्याल रखने वाली। तुम कैसे किसी और के लिए खुद को बदल सकती हो? यह तो गलत है ना? हम जिससे प्यार करते हैं, उसे बदला नहीं करते, बल्कि उसकी अच्छी और बुरी आदतों को अपना लेते हैं…”

    अपने कपड़े बदलकर नीचे आई और सबसे माफ़ी माँगी अपने किए के लिए। तभी उसकी चाची अचानक से आकर उसकी गर्दन पकड़ ली और बोली, “तेरी वजह से आज मेरी बेटी का नाम खराब हुआ। मैं तुझे छोड़ूँगी नहीं!” और चाकू से उसका गला काट दिया। पीहू नीचे गिर गई…

    उसे सामने देख रही थी उसकी पूरी फैमिली, लेकिन कोई उसे बचाने नहीं आया। सब लोग उसे ऐसे देख रहे थे जैसे वह कोई… अपने आखिरी वक्त में वह भगवान से कहती है, “भगवान जी, क्यों किया मेरे साथ ऐसा? मैंने हमेशा इस फैमिली को प्यार दिया, लेकिन आज मैं जा रही हूँ…

    कि यह फैमिली तो मेरी कभी थी ही नहीं। यह फैमिली शुरू से सिर्फ़ और सिर्फ़ निशा की थी। इसीलिए तो हर चीज़ में मेरी गलती बताई जाती थी।” और आखिरी वक्त में भगवान से कहती है, “मुझे अगर एक मौका मिले, तो मैं अपनी ज़िंदगी को पूरी तरीके से बदल दूँगी। कभी किसी पर भरोसा नहीं करूँगी।” और अपने आखिरी वक्त में भगवान से यही माँगती रहती है कि उसे एक मौका मिलना चाहिए…

    एक आलीशान कमरे में एक लड़की बेड पर सोई हुई थी। उसके बाल पूरे बेड पर बिखरे हुए थे। वह देखने में परियों की तरह खूबसूरत थी…

    तभी कमरे का दरवाज़ा खुला, और एक औरत अंदर आई। और उस लड़की के माथे पर हाथ फेरकर बोली, “उठ जाओ बेटा, कॉलेज भी जाना है तुम्हें। कब सोती रहोगी? बाहर सब लोग तुम्हारे आने का इंतज़ार कर रहे हैं। अगर तुम टाइम से नहीं आईं, तो तुम्हारे पापा फिर से नाराज़ हो जाएँगे, और तुम फिर से एक अच्छी बेटी नहीं बन पाओगी। सब तुम्हें वैसे भी पसंद नहीं करते हैं।” तभी उस लड़की की आँखें धीरे-धीरे खुलने लगीं…

    वह अपने चारों तरफ़ देखती है और कहती है, “मुझे तो मार दिया गया था। मैं यहाँ ज़िंदा कैसे?” फिर वह उठकर बैठ जाती है, तो देखती है कि उसके कमरे में एक अनजान औरत उसके लिए कपड़े निकाल रही थी। वह उठकर खड़ी हो जाती है और आईने में खुद का चेहरा देखकर एक पल के लिए डर जाती है। जब वह ध्यान से देखती है, तब उसे समझ आता है कि उसके चेहरे पर अत्यधिक मेकअप किया हुआ है…

    फिर वह चारों तरफ़ देखती है, तो उसे कमरे में ऐसे ही अजीबोगरीब सामान रखे हुए थे, जैसे वह किसी लड़की का नहीं, बल्कि किसी साइको का कमरा हो। तभी वह औरत उस लड़की के पास आती है और बोलती है, “आप जल्दी मुझसे प्यार हो जाओ, फिर हम नीचे चलते हैं।” लड़की बिना कुछ कहे बाथरूम में चली जाती है…

    हेलो दोस्तों, कैसे हो आप सब? आशा करती हूँ आप सब लोग बहुत अच्छे होंगे। मैं आपके लिए एक नई स्टोरी लेकर आई हूँ, “Rebirth” नाम से। मेरी इस कहानी को भी बाकी कहानियों की तरह बहुत सारा प्यार देना और ढेर सारे कमेंट करना…

    Do like, share, comment, support guys ❤️ ❤️ 🤳

  • 2. Rebirth in novel - Chapter 2

    Words: 1564

    Estimated Reading Time: 10 min

    फिर उसने चारों तरफ देखा। कमरे में अजीबो-गरीब सामान रखा हुआ था, जैसे यह किसी लड़की का नहीं, बल्कि किसी साइको का कमरा हो।

    तभी वह औरत लड़की के पास आई और बोली,
    "आप जल्दी मुझसे प्यार हो जाओ, फिर हम नीचे चलते हैं।"

    लड़की बिना कुछ कहे बाथरूम में चली गई।


    बाथरूम में जाकर उसने अपना चेहरा देखा। उसे अपना ही चेहरा डरावना लग रहा था। उसने पहले आईने में खुद को देखकर अपने चेहरे से मेकअप साफ किया। मेकअप के पीछे से बहुत ही खूबसूरत लड़की का चेहरा नज़र आया। फिर उसने अपने बालों को देखा, जो हरे रंग में रंगे हुए थे। उसने अपने बालों में हाथ डाला तो उसे अपने बालों में कुछ मिला। वह शावर के नीचे जाकर खड़ी हो गई और अपने बालों को अच्छे से शैंपू से धोकर साफ किया। अब उसके बाल बिल्कुल काले और शाइनी हो गए थे। उसने खुद को आईने में देखकर कहा,
    "इस लड़की ने खुद का क्या हुलिया बना रखा है यार! कुछ समझ ही नहीं आ रहा। क्या यह साइको थी क्या?"

    फिर उसने अपने चेहरे, बालों, हाथ-पैरों से टैटू साफ किए और अच्छे से खुद को आईने में देखा। अब जाकर वह अपने चेहरे से संतुष्ट हुई थी। वरना पहले वह उसे लड़की कम, जोकर ज़्यादा लग रही थी।


    तभी उसकी नज़र अपने आइब्रोज़ पर गई, जो एक-दूसरे से मिली हुई थीं। फिर उसने उनको अच्छे से साफ किया। अब जाकर उसे थोड़ा रिलैक्स फील हो रहा था। फिर उसने बाथरूम के कपड़े पहनकर बाहर आई और अपने कपड़े पहनने लगी। लेकिन वह कपड़े उसे पसंद नहीं आए, तो वह अलमारी में जाकर कपड़े ढूंढने लगी। उसे कोई भी अच्छा कपड़ा दिखाई नहीं दिया। इसलिए उसने सारे कपड़ों को लाकर डस्टबिन में फेंक दिया।


    तभी उसकी नज़र एक पिंक कलर की साड़ी पर गई। उसने वह साड़ी पहनकर तैयार हो गई और अपने कमरे से बाहर निकल गई। जब वह सीढ़ियों से नीचे आ रही थी, तब उसकी हील की टकटक से सब लोग उसकी तरफ देखने लगे। अपने घर में एक अनजान लड़की को देखकर सारे लोग हैरान हो गए। उसके नीचे आने पर सब लोग उसे तरह-तरह के सवाल करने लगे। तभी वह लड़की अचानक चीखी और बोली,
    "चुप हो जाओ तुम लोग! क्या मेरे कान खा जा रहे हो इतनी देर से?"


    जब सब लोगों ने लड़की की आवाज़ सुनी, तो सब लोग बहुत हैरान हो गए। क्योंकि यह उन्हीं की अपनी बेटी थी, जिसे वह पहचान नहीं पाए थे। तभी लड़की का भाई उसके पास आया और उसके चेहरे को छूकर कहा,
    "यह तुम हो अनिका?"

    अनिका इस नॉवेल की हीरोइन थी, और वह एक पागल लड़की थी। जिसे जो चीज पसंद आ जाए, वह उसे चाहिए ही चाहिए थी। और उसकी फैमिली इसी बात से सबसे ज़्यादा नाराज़ रहती थी। लेकिन आज अनिका का यह रूप देखकर सब लोग हैरान और परेशान दोनों थे।


    अनिका किसी पर ध्यान दिए बिना घर से बाहर जाने लगी। तभी उसके पापा बोले,
    "रुको! कहाँ जा रही हो बिना पूछे और बिना कुछ बताए?"

    अनिका पलटकर उनकी तरफ देखी और बोली,
    "क्या आप मुझसे बात कर रहे हैं?"

    वह बोले,
    "शायद तुमने सुना नहीं।"

    अनिका उनके सामने खड़ी हो गई और अपने हाथों को बांधकर बोली,
    "देखिए मिस्टर, आप जो कोई भी हैं, whatever, but मेरे रास्ते में आने की कोशिश मत करिए, क्योंकि मैं आपकी कॉल नहीं लगती।"


    राजेंद्र जी घुरकर अनिका की तरफ देखे और बोले,
    "तुम बदतमीज़ थी, यह मुझे पता था। लेकिन तुम इतनी बदतमीज़ हो कि अपने खुद के बाप से कैसे बात करनी है, यह तुम्हें नहीं आता।"

    उसने भी घुरकर उनकी तरफ देखा और बोली,
    "तो आपने कब कौन सा अपना फ़र्ज़ निभाया, जो मैं आपको अपना बाप मानूँ? इस घर में जो भी रहते हैं, जो भी लोग हैं, उन्होंने कभी मुझे अपना नहीं समझा। मैं कब बीमार होती हूँ, मैं कब घर आती हूँ, मैं कब खाना खाती हूँ, कब नहीं खाती हूँ या बिना खाए ही सो जाती हूँ, किसी को इस बात की फ़िक्र है? जो मैं किसी और की फ़िक्र करूँ..."


    आज अनिका के तेवर देखकर सब लोग खामोश थे। और सब जानते थे कि अनिका जो कह रही है, वह सच था। राजेंद्र जी फिर भी अनिका की तरफ देखकर बोले,
    "तो किसने कहा तुम्हें इस घर में रहने के लिए? मत रहो, चली जाओ यह घर छोड़कर! मैं भी देखता हूँ कि इस घर के, और इस घर के पैसों के बिना तुम दो दिन भी बाहर नहीं निकल सकती हो।"

    अनिका भी अपने हाथ बांधकर राजेंद्र जी के सामने खड़ी हो गई और बोली,
    "ठीक है, चली जाऊँगी इस घर से, आपसे, आपकी सो-कॉल्ड फैमिली से दूर। लेकिन मेरी भी एक शर्त है।"

    सब लोग हैरानी से अनिका को देख रहे थे। क्योंकि अनिका ने कभी भी राजेंद्र जी से इस तरह बात नहीं की थी। वह तो मरती थी राजेंद्र जी की एक नज़र खुद पर देखने के लिए, राजेंद्र जी से बात करने के लिए। इसलिए वह हमेशा उटपटांग हरकतें करती थी।


    उस घर के अंदर एक लड़का आया। देखने में बहुत स्मार्ट, ड्रेसिंग सेंस अच्छा, 5 फीट 6 इंच हाइट, कुल मिलाकर वह किसी मॉडल से कम नहीं था। तभी उस लड़के को देखकर एक लड़की उसके पास गई और गले लग गई और बोली,
    "Rahul बेबी! तुम यहां क्यों आए? तुम्हें पता है ना, जब अनिका घर होती है, वह क्या-क्या ड्रामा करती है।"

    वह अनिका को देखने लगा, लेकिन अनिका पर उसके इस तरह देखने से कोई फ़र्क नहीं पड़ा।


    Rahul अनिका के सामने जाकर खड़ा हो गया और कहा,
    "तुम कभी अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आओगी! लगता है तुम हमेशा दूसरों को सिर्फ़ परेशान करना जानती हो।"

    अनिका उसकी तरफ देखकर बोली,
    "तुम कौन हो? और मेरे और मेरे पिता के बीच बोलने वाले तुम कौन हो? मैं तुमसे नहीं, अपने पापा से बात कर रही हूँ। और इस घर में किसी को भी अधिकार नहीं है कि वह बेटी को अपने पिता से बात करने से रोके। इसलिए इसके लिए आए हो ना, उसी के पास जाकर खड़े हो जाओ, वरना किसी के सामने बोलने लायक नहीं रखूँगी तुम्हें।"


    आज अनिका का ऐसा रूप देखकर Rahul हैरान हो गया। क्योंकि वह तो अनिका से मिलने, उससे बात करने के लिए मरता था। लेकिन आज की अनिका... आज की अनिका तो सबको झटका दे रही थी। अनिका की मम्मी अनिका के पास आई और बोली,
    "यह क्या बदतमीज़ी अनिका? तुम अपने पापा से इस तरह से क्यों बात कर सकती हो?"

    तभी उसने अपनी मम्मी की तरफ देखा और बोली,
    "अरे! मैं तो भूल ही गई। माता श्री, आप तो आई हैं ना अपने पति की पैरवी करने। अरे यार! चलो कोई नहीं, आप भी सुन लो। जैसे मेरा इस घर से कोई रिश्ता नहीं है, ना घर के किसी भी मेंबर से कोई रिश्ता है। और अगर कभी कहीं किसी मोड़ पर मैं आप लोगों को मिल जाऊँगी, तो अजनबी समझकर भूल जाना। यह मेरी शादी थी। आज के बाद मेरा आपसे, आपकी फैमिली से, आपकी फैमिली के किसी भी मेंबर से कोई रिश्ता नहीं है। मैं आपको दिखाऊँगी कि अनिका क्या चीज़ है और कहाँ तक जा सकती है। वेट एंड वॉच!"

    कहकर वह घर से बाहर निकल गई।


    अनिका बाहर आकर गहरी साँस ली और बोली,
    "अच्छा हुआ जो मैं जेल से बाहर आई, वरना वहाँ सब लोग मुझे जिस तरीके से देख रहे थे, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे अभी मेरा मर्डर कर देंगे सब लोग।"


    आज अनिका का इस तरह इस घर को छोड़कर जाना पूरी फैमिली को परेशान कर गया था। क्योंकि सब लोग जानते थे कि अनिका ना तो पढ़ाई में अच्छी थी और ना ही उसका किसी के साथ सलूक अच्छा था। तो वह इस शहर में, क्या इस देश में भी सर्वाइव नहीं कर सकती थी। राजेंद्र जी अपनी पत्नी की तरफ देखकर बोले,
    "अगर तुमने थोड़ा ध्यान इस लड़की के ऊपर दिया होता ना, तो यह बदतमीज़ नहीं होती।"

    अनिका की मम्मी सर झुका ली और बोली,
    "मैं क्या करती? पूजा भी तो छोटी थी ना, उसे पर भी तो ध्यान देना था। इसलिए मैं अनिका पर ध्यान नहीं दे पाई।"


    अनिका की दादी खड़ी हुई और बोली,
    "आज आजाद होगी वह इस घर के बंधनों से। और देखना, वह खुद को साबित करके दिखाएगी कि वह तुम लोगों के बिना भी एक अच्छी ज़िन्दगी जी सकती है। और देखना, उसकी ज़िन्दगी में एक ऐसा इंसान आएगा जो उसे अपनी सर आँखों पर बिठाकर रखेगा और तुम्हारी किसी की भी उसे कोई ज़रूरत नहीं होगी।"

    अपनी माँ की बात सुनकर राजेंद्र जी की आँखों में नमी आ गई। लेकिन वह किसी के सामने इस बात को ज़ाहिर नहीं होने देते। क्योंकि राजेंद्र जी अगर किसी से सबसे ज़्यादा प्यार करते थे, तो सिर्फ़ अनिका से। लेकिन अनिका की हरकतों की वजह से वह नाराज़ रहते थे।

    bye
    Do like share comment guys

  • 3. Rebirth in novel - Chapter 3

    Words: 2509

    Estimated Reading Time: 16 min

    आज अनिका का इस तरह इस घर को छोड़कर जाना, पूरी फैमिली को परेशान कर गया था। क्योंकि सब लोग जानते थे कि अनिका ना तो पढ़ाई में अच्छी थी और ना ही उसका किसी के साथ सलूक अच्छा था। तो क्या वह इस शहर में, क्या इस देश में भी सर्वाइव नहीं कर सकती थी? राजेंद्र जी अपनी पत्नी की तरफ देखकर कहते हैं,
    "अगर तुमने थोड़ा ध्यान इस लड़की के ऊपर दिया होता ना, तो यह बदतमीज नहीं होती।"

    अनिका की मम्मी सर झुका लेती हैं और कहती हैं,
    "मैं क्या करती? पूर्वी भी तो छोटी थी ना, उसे पर भी तो ध्यान देना था। इसलिए मैं अनिका पर ध्यान नहीं दे पाई..."

    अनिका की दादी खड़ी होती हैं और कहती हैं,
    "आज आजाद होगी वह इस घर के बंधनों से। और देखना, वह खुद को साबित करके दिखाएगी कि वह तुम लोगों के बिना भी एक अच्छी जिंदगी जी सकती है। और देखना, उसकी जिंदगी में एक ऐसा इंसान आएगा जो उसे अपनी सर आंखों पर बिठाकर रखेगा। और तुम्हारी उसे किसी की भी कोई जरूरत नहीं होगी।"

    अपनी मां की बात सुनकर राजेंद्र जी की आंखों में नमी आ जाती है। लेकिन वह किसी के सामने इस बात को झलकने नहीं देते। क्योंकि राजेंद्र जी अगर किसी से सबसे ज्यादा प्यार करते थे, तो सिर्फ अनिका से। लेकिन अनिका की हरकतों की वजह से वह नाराज रहते थे।

    अनिका वहाँ से निकलकर सीधा एयरपोर्ट गई और टिकट कराकर वह वहाँ से मुंबई चली गई। क्योंकि वह अब इन लोगों के पास नहीं रहना चाहती थी और ना ही इन लोगों से कोई मतलब था। क्योंकि इन लोगों ने जो सलूक अनिका के साथ किया था, उसके बाद से वह सबसे नफरत करती थी और ना ही किसी रिश्ते को मानती थी।

    दो महीने में अनिका ने खुद की कंपनी मुंबई में खड़ी कर ली थी। क्योंकि उसने इन सबके लिए अपनी फ्रेंड सपना से मदद ली थी। उसकी फ्रेंड सपना एक रिच फैमिली से बिलॉन्ग करती थी और उसका खुद का बिजनेस था, जो उसने अपनी पढ़ाई कंप्लीट होने के बाद टेकओवर कर लिया था। और अब उसके पापा रेस्ट करते थे। इसीलिए उसने बिना कोई वजह जाने अनिका को सपोर्ट किया था। क्योंकि वह जानती थी कि अनिका बुरी नहीं है, उसे बुरा उसकी फैमिली ने बनाया था। अगर उन्होंने थोड़ा ध्यान उसके ऊपर दिया होता, तो शायद आज अनिका की जिंदगी ऐसी ना होती।

    अनिका के पापा राजेंद्र जी ने अनिका को ढूंढने की हर मुमकिन कोशिश कर ली थी। लेकिन उनकी सारी कोशिशें बेकार जा रही थीं। क्योंकि उन्हें आज तक यह भी नहीं पता चला था कि वह इस घर से बाहर निकलने के बाद कहाँ चली गई, किसके पास गई, किसके साथ है, वह किन हालातों में है; कोई कुछ नहीं जानता था। वहीं राहुल भी अपने स्तर पर अनिका को ढूंढने की कोशिश कर रहा था। भले ही वह अनिका से नाराज हो, लेकिन एक वक्त था जब अनिका उसकी बेस्ट फ्रेंड हुआ करती थी।

    अनिका ने जल्दी-जल्दी अपने फ्लैट का ताला लगाकर बाहर निकली तो उसने देखा कि उसका असिस्टेंट वहाँ खड़ा था। असिस्टेंट कहता है,
    "हमें जल्द से जल्द वहाँ पहुंचना होगा। वरना आप नहीं जानतीं, वह मल्होत्रा कॉर्पोरेशन का जो मालिक है ना, वह थोड़ा सनकी टाइप का इंसान है। और अगर हम एक मिनट भी लेट हुए ना, तो वह हमें ऑफिस में भी नहीं घुसने देगा।"

    अनिका अपनी असिस्टेंट पिया को समझाते हुए कहती है,
    "तुम फ़िक्र मत करो पिया, हम टाइम से पहुँच जाएँगे। जैसे आज तक हमें हर एक डील मिली है ना, यह भी मिलेगी।"
    पिया अनिका की तरफ देखकर कहती है,
    "लेकिन मुझे आज बहुत फ़िक्र हो रही है। क्योंकि यह जो मिस्टर मल्होत्रा है ना, यह बहुत ही अजीब सा इंसान है। आप भी जानती हैं, यह तो बहुत बड़ा बिजनेस टाइकून है, बट इसकी हरकतें ना किसी साइको जैसी लगती हैं। इसलिए मुझे आपके लिए डर लग रहा है। क्योंकि उसने मीटिंग में सिर्फ़ आपको बुलाया है।"

    वे दोनों बात करते हुए मल्होत्रा कॉर्पोरेशन पहुँच जाती हैं और वहाँ से जल्दी से अपनी मीटिंग रूम की तरफ बढ़ जाती हैं। आइए जानते हैं अपने हीरो के बारे में। हमारे हीरो का नाम है समय मल्होत्रा। जिस समय के साथ चलना उसे अच्छे से आता है, वह अपना एक सेकंड भी किसी के लिए वेस्ट नहीं करता, चाहे उसकी फैमिली ही क्यों ना हो। वह हर किसी से सिर्फ़ उतनी ही बात करता है जितनी उसे ज़रूरी लगती है। वरना वह ज्यादातर सिर्फ़ अपने बिज़नेस में लगा रहता है। उसका एक ही सपना है, इस दुनिया पर राज करना, और वह कर भी रहा है।

    समय मल्होत्रा छह फ़ीट हाइट का, गोरा रंग, काली आँखें, ब्राउन बाल, चेहरे पर हल्की सी दाढ़ी, उसके सिक्स पैक एब्स और उसकी परफेक्ट बॉडी लाइन। वह किसी हॉलीवुड हीरो की तरह लगता है। वह वर्ल्ड का फ़ेमस बैचलर है, जिसके सपने हर एक लड़की देखती है; उसे पाना या उसके साथ एक रात बिताना उन लड़कियों का ख्वाब है। लेकिन समय मल्होत्रा आज तक कभी किसी की तरफ आँख उठाकर नहीं देखा। अब इसका रीज़न क्या है, यह तो पता नहीं, लेकिन वह लड़कियों से बहुत नफ़रत करता है, इतनी नफ़रत कि जिसकी कोई मिसाल नहीं है। इसीलिए वह किसी लड़की को अपने आसपास भी बर्दाश्त नहीं करता है।

    समय बिज़नेस टाइकून होने के साथ-साथ एक माफ़िया किंग भी था, जिसकी आइडेंटिटी के बारे में आज तक उसकी फैमिली भी नहीं जानती थी। वह इतना क्रुएल था कि किसी को मारने से पहले एक पल नहीं सोचता है। अब क्या होगा बेचारी अनिका का? क्योंकि उसकी ज़िंदगी में एक डेविल की एंट्री हो चुकी है। यह तो मैं जानती हूँ, जो मैं चाहूँगी वही होगा।

    कॉन्फ़्रेंस हॉल में सब कुछ आ चुका था और अब बारी थी समय के आने की। नौ बजे होने में एक सेकंड था, तभी समय अपने कॉन्फ़्रेंस हॉल में एंट्री लेता है। समय को देखकर सब लोग खड़े हो जाते हैं। वहीं पिया और अनिका तो अपनी आँखें फाड़े समय को देख रही थीं, क्योंकि समय इतना हैंडसम लग रहा था।

    समय मीटिंग स्टार्ट करने को बोलता है। सब लोग अपना-अपना प्रपोज़ल समय के आगे रखते हैं और अपनी-अपनी प्रेजेंटेशन देते हैं। लेकिन समय को अभी तक कोई भी प्रेजेंटेशन पसंद नहीं आई थी, इसलिए वह इरिटेट हो चुका था। तभी बारी आती है हमारी प्यारी सी अनिका की। अनिका खड़े होकर प्रोजेक्टर पर जाती है और अपनी पेन ड्राइव लगाकर प्रेजेंटेशन देना शुरू करती है। उसका समझाने और बताने का तरीका इतना अच्छा था कि समय एकटक उसे देख रहा था। और पता नहीं क्यों, अनिका को देखते हुए उसकी आँखें अनिका के पूरे बदन को तराश रही थीं; उसके सर के बालों से लेकर उसके पैरों के नाखूनों तक, वह एकटक देखे जा रहा था। ऐसा लग रहा था वह हिप्नोटाइज़ हो गया था। अनिका को देखते-देखते वह खो सा गया, उसे पता ही नहीं चला। तभी उसे तालियों की आवाज़ सुनाई देती है। वह अपने होश में आकर चुपचाप अपनी चेयर पर बैठ जाता है।

    एक नज़र सबकी तरफ़ देखकर कहता है,
    "ठीक है, आप सबको कल पता चल जाएगा कि हम यह प्रोजेक्ट किसके साथ करना चाहते हैं। अभी आप सब लोग जा सकते हैं।"

    सब लोग वहाँ से जाने लगते हैं। तभी समय अनिका की तरफ़ इशारा करके कहता है,
    "मिस नानी, आप नहीं जा सकतीं। आप मेरे ऑफिस में आइए, मुझे आपसे बात करनी है।"

    पिया घबरा जाती है। वहीं पिया शौक से अनिका को देख रही थी, क्योंकि वह जानती थी जो भी लड़की आज तक समय के ऑफिस में गई है, कभी ज़िंदा वापस नहीं आई। लेकिन अनिका ने तो कोई हरकत भी नहीं की थी, जिसकी वजह से समय इतना नाराज़ हो जाए।

    अनिका ऑफिस में आती है और आकर खड़ी हो जाती है। तभी एकाएक उसे समय की आवाज़ सुनाई देती है,
    "अपना टॉप उतारो और दीवार की तरफ़ घूम जाओ।"

    समय की यह बात सुनकर अनिका की आँखें हैरानी से चौड़ी हो जाती हैं। क्योंकि समय ने यह बात कितनी आसानी से कह दी थी। अनिका उस आदमी को हैरानी से देखने लगती है। उसने आधे घंटे ऑफिस में बैठकर इस आदमी का इंतज़ार किया था और कौन पहली मुलाक़ात में एक लड़की से इस तरह पेश आता है? अनिका समय की तरफ़ देखकर कहती है,
    "मिस्टर मल्होत्रा, मुझे लगता है आपको कोई गलतफ़हमी हुई है। मैं कोई ऐसी-वैसी लड़की नहीं हूँ जिसको आप बोलोगे टॉप उतारो और मैं अपना टॉप उतारकर आपकी गोदी में बैठ जाऊँगी। यह आपकी सबसे बड़ी गलतफ़हमी है।"

    यह सुनकर समय ने अपनी नज़रें अपनी फ़ाइल से हटाकर अनिका की तरफ़ देखी जो उसकी डेस्क के बिल्कुल सामने खड़ी थी। अनिका को अपनी गहरी नज़रों से देखते हुए समय कहता है,
    "मैं जानता हूँ तुम्हें यह प्रोजेक्ट चाहिए, इसीलिए तुम्हें कुछ भी करके मुझे खुश करना होगा, तो मैं तुम्हें यह प्रोजेक्ट दे सकता हूँ।"

    अनिका समय की तरफ़ देखती है और कहती है,
    "आपको लगता है कि मैं आपकी बात मानूँगी? पर सॉरी मिस्टर मल्होत्रा, मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ जो एक प्रोजेक्ट पाने के लिए अपनी इज़्ज़त की नीलामी कर दे। मेरी ज़िंदगी में प्यार-मोहब्बत किसी चीज़ की कोई जगह नहीं है। मेरा सिर्फ़ एक ही मकसद है और वह मकसद है बिज़नेस वर्ल्ड में राज करना।"

    समय बहुत दिलचस्पी से अनिका को देख रहा था क्योंकि वह बिना डरे समय से बात कर रही थी। वरना कोई भी लड़की एक पल भी समय की आँखों में नहीं देख पाती थी और डर के मारे बेहोश हो जाती थी। लेकिन वह बिना डरे उसके सामने खड़ी होकर उसे उसकी बातों का जवाब दे रही थी। यही बात समय को बहुत पसंद आ रही थी क्योंकि उसे अपने लिए एक ऐसी ही लड़की चाहिए थी जो उसकी टक्कर की हो, उसकी दौलत से नहीं, उससे प्यार करे।

    समय अपनी चेयर से खड़ा होता है और कहता है,
    "और अगर मैंने यह कॉन्ट्रैक्ट किसी और को दे दिया, तो तुम शांत हो जाओगी? तुमने जो मार्केट से पैसा उठाया है इस कॉन्ट्रैक्ट के लिए, वह सब डूब जाएगा और तुम्हारी जो कंपनी अभी-अभी शुरू हुई है ना, वह खत्म हो जाएगी।"

    अपने दोनों हाथों को बाँधकर समय के आगे खड़ी हो जाती है और कहती है,
    "मत दीजिए यह कॉन्ट्रैक्ट, मुझे चाहिए भी नहीं। क्योंकि एक मर्द के हाथों अपनी इज़्ज़त गँवाकर पाया गया कॉन्ट्रैक्ट अनिका को तो बिल्कुल नहीं चाहिए।"

    उसने बचपन से अपनी शर्तों पर जीती आई है और अपनी ही शर्तों पर जीएगी। और मैं आपको एक बात बता देती हूँ, मेरी ज़िंदगी में आप जैसे मर्द की कोई ज़रूरत नहीं है जो औरतों को अपना खिलौना समझते हैं।

    समय अनिका के करीब आकर उसके कान में अपनी ख़र्राटेदार आवाज़ में कहता है,
    "अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी तो मैं तुम्हारी कंपनी के साथ-साथ तुम्हारी दोस्त की कंपनी को भी बर्बाद कर दूँगा।"

    अनिका समय से कहती है,
    "अगर आपको लड़ना है ना, तो मुझे लड़ाई में मेरी दोस्त को बीच में लाने की ज़रूरत नहीं है। और हाँ, अगर आपको मुझसे मोहब्बत होती या मैं आपको पसंद करने लगती तो शायद मैं आपको खुद को सौंप देती, लेकिन एक बिज़नेस डील के लिए तो सॉरी, मैं उन लड़कियों जैसी नहीं हूँ जो अपने बिज़नेस को ऊँचाइयों पर पहुँचाने के लिए किसी के साथ भी बिस्तर पर हो जाएँ। और हाँ, अब आप मुझे यह प्रोजेक्ट देंगे, बिना किसी शर्त के, तभी मैं यह प्रोजेक्ट करूँगी। क्योंकि आप जैसे आदमी के साथ काम करने से अच्छा है कि मैं बेरोज़गार रह लूँ।"

    अनिका जैसे ही अपना एक कदम ऑफिस से बाहर निकलने को बढ़ाती है, तभी उसके कान में समय की आवाज़ गूंजती है,
    "सोच लो मिस अनिका, ऐसा ना हो कि आपका सपना, सपना ही रह जाए, एक सक्सेसफुल बिज़नेस वूमेन बनने का।"

    अनिका पलटकर ऑफिस में आती है और समय के आगे खड़ी होकर कहती है,
    "मैं वह अनिका हूँ Mr. मल्होत्रा, जिसने कभी अपने आप की भी नहीं सुनी। और मैं हमेशा यही कहती हूँ, जो गलत है, वह गलत है। मेरे बाप ने कभी मुझे प्यार नहीं दिया, तो मैंने उससे भी छोड़ दिया और अपनी ज़िंदगी अपनी शर्तों पर और अपने बलबूते पर जीती हूँ। मुझे किसी आदमी की या किसी की भी दया की ज़रूरत नहीं है। और इस प्रोजेक्ट की बात तो, इस प्रोजेक्ट को लात मारकर निकाल दो, समझें आप?"

    और ऑफिस से निकल जाती है।

    ऑफिस से निकलने के बाद अनिका समय को भर-भर कर गालियाँ दे रही थी और पिया उसकी बातें सुनकर डर रही थी। क्योंकि यह ऑफिस समय का था। अगर किसी ने सुन लिया और समय को पता चल गया, तो पता नहीं अनिका के साथ क्या होगा। लेकिन पिया जानती थी ज़रूर कोई बात हुई होगी, वरना अनिका कभी भी इतना गुस्सा नहीं होती। क्योंकि वह जल्दी ही किसी को जज नहीं करती है। लेकिन आज समय के बारे में वह ऐसी बातें बोल रही थी जो सुन-सुनकर पिया के कान पक गए थे।

    अनिका के जाने के बाद समय अपनी चेयर पर बैठ जाता है और अपने असिस्टेंट को बुलाकर कहता है,
    "मुझे अनिका की पूरी डिटेल्स चाहिए, और एक घंटे के अंदर-अंदर। और एक भी डिटेल छूटनी नहीं चाहिए, उसके जन्म से लेकर आज सुबह तक की एक-एक डिटेल चाहिए।"

    असिस्टेंट सिर हिलाकर बाहर चला जाता है और भगवान के आगे हाथ जोड़कर कहता है,
    "भगवान, इस लड़की ने क्या बिगाड़ा था? आपने इस डेविल के सामने उसे लाकर खड़ा कर दिया। अब यह डेविल उसकी ज़िंदगी हराम कर देगा।"

    और अपने काम में लग जाता है क्योंकि वह जानता था अगर एक घंटे में एक मिनट भी लेट हो गया ना, तो यह डेविल सबसे पहले उसे ही खा जाएगा।

    समय अपनी चेयर पर बैठा बार-बार अनिका के गुस्से भरे चेहरे को याद कर रहा था और उसके चेहरे पर स्माइल आने का नाम ही नहीं ले रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे समय ने जानबूझकर अनिका को इतना उकसाया था कि वह उसके सामने कुछ भी कहकर चली गई थी। समय मुस्कुराते हुए अपने ड्रॉअर में से एक छोटी सी डॉल निकालता है और कहता है,
    "मुझे नहीं पता था मेरी डॉल को इतना गुस्सा भी आता है। तुम्हारा तो इंतज़ार कर रहा था मैं इतने सालों से। अब जब तुम मुझे मिली हो तो मैं तुम्हें खुद से कभी दूर नहीं जाने दूँगा। मैं जानता हूँ तुम शायद मुझे भूल चुकी हो, वरना मेरे पास आकर मैंने तुम्हें वह ब्रेसलेट दिखाया था, अगर तुम्हें मैं याद होता तो तुम तुरंत ब्रेसलेट को पहचान लेतीं, जैसे मैंने तुम्हारे उस ब्रेसलेट को पहचान लिया था।"

    Do like share comment support Review guys 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • 4. Rebirth in novel - Chapter 4

    Words: 2374

    Estimated Reading Time: 15 min

    अनिका पलटकर ऑफिस में आई और समय के सामने खड़ी होकर कहा, "मैं वह अनिका हूँ, Mr. मल्होत्रा, जिसने कभी अपने आप की भी नहीं सुनी। और मैं हमेशा यही कहती हूँ, जो गलत है, वह गलत है। मेरे बाप ने कभी मुझे प्यार नहीं दिया, तो मैंने उससे भी छोड़ दिया और अपनी ज़िंदगी अपनी शर्तों पर और अपने बलबूते पर जीती हूँ। मुझे किसी आदमी की या किसी की भी दया की ज़रूरत नहीं है। और इस प्रोजेक्ट की बात तो, इस प्रोजेक्ट को लात मारकर निकाल दो, समझे आप?" वह ऑफिस से निकल गई।


    ऑफिस से निकलने के बाद अनिका समय को भर-भर कर गालियाँ दे रही थी। पिया उनकी बातें सुनकर डर रही थी क्योंकि यह समय का ऑफिस था। अगर किसी ने सुन लिया और समय को पता चल गया, तो पता नहीं अनिका के साथ क्या होगा। लेकिन पिया जानती थी, ज़रूर कोई बात हुई होगी। वरना अनिका कभी इतना गुस्सा नहीं होती, क्योंकि वह जल्दी किसी को जज नहीं करती है। लेकिन आज समय के बारे में वह ऐसी बातें बोल रही थी, जो सुन-सुनकर पिया के कान पक गए थे।


    अनिका के जाने के बाद समय अपनी चेयर पर बैठ गया और अपने असिस्टेंट को बुलाकर कहा, "मुझे अनिका की पूरी डिटेल्स चाहिए, और एक घंटे के अंदर-अंदर। और एक भी डिटेल छूटनी नहीं चाहिए। उसके जन्म से लेकर आज सुबह तक की एक-एक डिटेल चाहिए।" असिस्टेंट ने गर्दन हिलाकर बाहर चला गया और भगवान के आगे हाथ जोड़कर कहा, "भगवान, उस लड़की ने क्या बिगाड़ा था आपका? आपने उसे डेविल के सामने लाकर खड़ा कर दिया। अब यह डेविल उसकी ज़िंदगी हराम कर देगा।" फिर वह अपने काम में लग गया, क्योंकि वह जानता था अगर एक घंटे में एक मिनट भी लेट हो गया, तो यह डेविल सबसे पहले उसे ही खा जाएगा।


    समय अपनी चेयर पर बैठा, बार-बार अनिका के गुस्से भरे चेहरे को याद कर रहा था। उसके चेहरे पर स्माइल आने का नाम ही नहीं ले रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे समय ने जानबूझकर अनिका को इतना उकसाया था कि वह उसके सामने कुछ भी कहकर चली गई थी। समय मुस्कुराते हुए अपने डॉल में से एक छोटी सी डॉल निकाली और कहा, "मुझे नहीं पता था मेरी डॉल को इतना गुस्सा भी आता है। तुम्हारा तो इंतज़ार कर रहा था मैं इतने सालों से। अब जब तुम मुझे मिली हो, तो मैं तुम्हें खुद से कभी दूर नहीं जाने दूँगा। मैं जानता हूँ तुम शायद मुझे भूल चुकी हो, वरना मेरे पास आकर मैंने तुम्हें वह ब्रेसलेट दिखाया था। अगर तुम्हें मैं याद होता, तो तुम तुरंत ब्रेसलेट को पहचान लेतीं, जैसे मैंने तुम्हारे उस ब्रेसलेट को पहचान लिया था।"


    अचानक समय के फ़ोन पर किसी का कॉल आया। उसने समय को कुछ ऐसा बताया, जिसे सुनकर समय गुस्से में पागल हो गया और अपने पूरे ऑफिस में तोड़फोड़ करना शुरू कर दिया। उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था कि उसकी डॉल अपनी ज़िंदगी में किसी और को शामिल भी कर सकती थी।


    जब से समय को यह पता चला था कि अनिका की ज़िंदगी में राहुल था, जिससे वह प्यार करती थी, लेकिन राहुल ने अनिका की जगह उसकी बहन को चुन लिया था, तब से समय गुस्से में पागल हो चुका था। उसकी डॉल उसे कैसे भूल सकती है और उसके सिवा किसी और को अपनी ज़िंदगी में कैसे शामिल कर सकती है? अब वह गुस्से में इस क़दर बौखला गया था कि सही-गलत का फ़र्क भी भूल गया था।


    समय सोच रहा था, अब वह अनिका को हर कीमत पर अपनी ज़िंदगी में शामिल करेगा, चाहे उसमें अनिका की मर्ज़ी हो या ना हो। वह ज़बरदस्ती भी उसे खुद के करीब रखेगा। लेकिन वह अनिका को अब किसी भी कीमत पर खुद से दूर नहीं जाने देगा। और अनिका को सज़ा तो मिलेगी, किसी और को अपनी ज़िंदगी में जगह देने की।


    तभी समय के पास उसके असिस्टेंट का कॉल आया और उसने कहा कि अनिका का परिवार उसे ढूँढ रहा है, क्योंकि उसकी छोटी बहन की शादी है उसके दोस्त के साथ और उनका प्लान अनिका को बुलाकर उसके साथ कुछ बुरा करने का है। समय ने उसकी बात सुनकर कहा, "ठीक है, मैं भी जाऊँगा, लेकिन वहाँ किसी को पता नहीं चलेगा।"


    Anika को यह पता चला कि उसके पापा उसे ढूँढ रहे हैं, तो वह उनके पास जाने और उनसे बात करने के लिए तैयार हो गई और दिल्ली के लिए निकल गई। दिल्ली पहुँचती है तो देखती है, एयरपोर्ट पर उसे लेने के लिए कोई नहीं आया था। यह देखकर वह फिर मुस्कान के साथ बोलती है, "मैं कैसे भूल गई थी कि यह परिवार मेरा नहीं है।" लेकिन फिर भी वह राहुल की शादी में जाना चाहती थी, क्योंकि राहुल और अपनी बहन को ऐसा कोई मौका नहीं देना चाहती थी जिससे आगे चलकर वह उसे नीचा दिखाएँ।


    लेकिन अनिका इस बात से बेखबर थी कि समय साया की तरह हर पल, हर वक्त उसके साथ था और उस पर नज़र रखे हुए था। जब वह घर में इंटर करती है, तब वह देखती है कि राहुल और उसकी बहन की मेहँदी का फ़ंक्शन चल रहा था। अनिका को वहाँ देखकर सब मुँह बना लेते हैं, लेकिन उसकी दादी और उसके पापा के चेहरे पर एक स्माइल आ जाती है।


    सबको इग्नोर करके अनिका अपने कमरे में चली जाती है। इस बात से सबसे ज़्यादा हर्ट उसके पापा को होता है, क्योंकि उन्होंने खुद ही अपनी बेटी को अपनी ज़िंदगी से दूर कर दिया था। शाम को राहुल और मुक्ति की शादी थी। इसलिए वह अपने कमरे में जाकर तैयार होकर जब बाहर आती है, तो देखती है जयमाला का प्रोग्राम चल रहा था। तभी उसकी सौतेली माँ उससे कहती है, "क्या तुम मेरी बेटी की खुशी में दो शब्द कहना चाहोगी?"


    "ज़िन्दगी के सफ़र में शादीशुदा लोग मोह-माया के जाल में फँस जाते हैं, अपने पार्टनर को वक़्त कम देते हैं, उन्हें चीट करते हैं। शादी को सबसे पवित्र रिश्ता माना जाता है, जिससे दो चाहने वाले एक जिस्म और एक जान बन जाते हैं। पर जैसे-जैसे समय बीतता जाता है और परेशानियाँ आती हैं, प्यार का असर कम होता जाता है। पर अगर हम एक-दूसरे से सच्चा प्यार करते हैं ना, तो चाहकर भी एक-दूसरे को हर्ट नहीं कर सकते।" अनिका ने इमोशनल होकर कहा, "हमारे नए कपल को दुनिया की हर एक खुशी मिले और उनके रिश्ते को मज़बूत करने के लिए जल्दी एक नन्हा-मुन्ना सा तोहफ़ा उनकी लाइफ़ में आए।" अपनी स्पीच देने के बाद अनिका गेस्ट के सामने से दूसरी तरफ चली जाती है।


    जो बात बिना किसी इमोशंस के कही थी, लेकिन वह बात पता नहीं क्यों राहुल को अपने दिल में चुभती हुई महसूस हुई थी। क्योंकि एक टाइम ऐसा था जब राहुल सिर्फ़ अनिका के आगे-पीछे रहता था, हर वक़्त उसका ख़्याल रखता था, उससे प्यार से बात करता था, और वह अनिका से प्यार भी करता था। लेकिन पता नहीं उसे रातों-रात ऐसा क्या हुआ कि राहुल के दिल में अनिका के लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ नफ़रत भर गई। तभी उसकी नज़र अनिका पर जाती है, जो अपनी हैरानी भरी नज़रों से किसी को देख रही थी।


    अनिका की नज़र वहाँ बैठे समय पर जाती है और वह सोचती है, "यह यहाँ क्या कर रहा है? क्या वह शादी में गेस्ट बनकर आया है या किसी और काम से आया है?" समय के आसपास बहुत सारी लड़कियाँ खड़ी हुई थीं, जो आपस में समय के बारे में बात कर रही थीं और बार-बार पीछे घूमकर समय को देख रही थीं। यह देखकर अनिका हैरान रह गई कि इतनी खूबसूरत लड़कियाँ, जो समय के एक इशारे पर उससे शादी करने के लिए रेडी हो जाती हैं। पर वह इतना मशहूर होने के बावजूद भी, समय की ज़िन्दगी में आज तक कोई लड़की नहीं थी।


    Anika अपना सर झटकती है और मैरिज हॉल से बाहर जाने लगती है। तभी राजेंद्र जी उसके सामने आकर खड़े हो जाते हैं और कहते हैं, "अनिका, रुक जाओ! तुम ऐसे शादी छोड़कर कहाँ जा रही हो? तुम्हें पता है ना, आज तुम्हारी बहन का कितना इम्पॉर्टेन्ट दिन है? तुम उसके दिन को ख़राब करना चाहती हो?"


    हैरानी से अपने पापा की तरफ़ देखती है और कहती है, "मैं तो यहाँ आना भी नहीं चाहती थी। आपने मुझे यहाँ ज़बरदस्ती बुलाया था। और मैं यहाँ अपनी उपस्थिति दर्ज कर देना तो अब क्या चाहिए आपको? मैं आपकी बेटी नहीं हूँ और ना ही आप पर मेरा हुक्म चलेगा। मैं यहाँ इसलिए नहीं आई थी क्योंकि आपने मुझे बुलाया था या मुझे मेरी सो-कॉल्ड बहन की शादी में शामिल होना था। मैं यहाँ इसलिए आई थी क्योंकि मेरा यहाँ कुछ ज़रूरी सामान था और अब मैं जा रही हूँ। और हाँ, अंदर मुझे कांटेक्ट करने की कोशिश मत करना, क्योंकि मेरा आपसे कोई रिश्ता नहीं है। जिस दिन मेरी माँ मारी गई थी ना, उसी दिन मेरा आपसे भी रिश्ता ख़त्म हो गया था। क्योंकि एक माँ अपने बच्चों को किसी भी कीमत पर पाल लेती है, लेकिन एक पिता को हमेशा दूसरी औरत की ज़रूरत पड़ती है। आपको मेरे लिए माँ की ज़रूरत नहीं थी, आपको अपने लिए अपनी बीवी की ज़रूरत थी, जो आपकी नीड्स को पूरा कर सके।" अनिका की बात सुनकर राजेंद्र जी का चेहरा काला पड़ जाता है, क्योंकि अनिका ने उनकी दुखती रग पर हाथ रख दिया था।


    एक बार और राजेंद्र जी की तरफ़ देखती है और कहती है, "एक बार आपने कहा था ना, पूरे परिवार के बीच में, कि मैं अपनी माँ जैसी नहीं हूँ और मेरी माँ बहुत अच्छी थी और आप उनसे बहुत प्यार करते थे। अगर यह सच होता ना, तो आप कभी भी मेरी माँ को भूलकर किसी दूसरी औरत से शादी नहीं करते। यह झूठ था! आप मेरी माँ से प्यार नहीं करते थे, बल्कि आप तो मेरी माँ के मरने की दुआ माँग रहे थे कि किस दिन वह मरे और आप अपनी इस दूसरी बीवी को इस घर में ले आएँ। और मैं आपको आज एक बात बता देती हूँ, मेरा आपसे कोई रिश्ता नहीं है। अब आप यह समझ लीजिए, इस दुनिया में आपकी सिर्फ़ एक बेटी है और वह मुक्ति है, मैं नहीं। और हाँ, कभी भी मुझे कॉल करके डिस्टर्ब मत करना, क्योंकि मैं सब कुछ बर्दाश्त कर सकती हूँ, लेकिन अब आप लोगों की वजह से मुझे कोई दर्द हो, कोई तकलीफ हो या कोई मुझे डिस्टर्ब करे, यह मैं बर्दाश्त नहीं करूँगी।" और वहाँ से सीधा बाहर निकल जाती है।


    आज अनिका की बातें राजेंद्र जी को बहुत हर्ट कर गई थीं, क्योंकि अनिका ने जो कहा था, उसमें कुछ परसेंट सच्चाई भी थी। राजेंद्र जी को अनिका के लिए माँ की नहीं, अपने लिए पत्नी की ज़रूरत थी। वरना वह खुद ही अनिका को पाल सकते थे अपनी माँ की मदद से। लेकिन फिर भी उन्होंने दूसरी शादी की और उनसे एक बच्ची को भी पैदा किया। और उसके बाद उन्होंने कभी अनिका पर ध्यान नहीं दिया। हमेशा जो उनकी बीवी कहती थी, वह बात मान लिया करते थे, चाहे वह काम अनिका ने किया हो या ना किया हो। कभी उन्होंने पता करने की कोशिश नहीं की। लेकिन आज उन्हें अपनी गलती का एहसास हो चुका था कि उन्होंने अपनी पत्नी के साथ तो धोखा किया ही था, उन्होंने अपनी बच्ची को भी खुद से अलग कर दिया था, जो उनके और उनकी पत्नी के प्यार की निशानी थी। उन्होंने उसे इतना दर्द, इतनी तकलीफ दी थी कि वह अब उनसे कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती थी।


    अनिका घर से निकलकर रोड पर खड़ी होकर लंबी-लंबी साँसें लेने लगती है और किसी ऑटो या टैक्सी का इंतज़ार करने लगती है। लेकिन अभी तक कोई ऑटो या टैक्सी वहाँ नहीं आया था, क्योंकि आज बहुत लंबा जाम लगा हुआ था। अनिका धीरे-धीरे रोड के किनारे चलने लगती है। उसे आज अपनी ज़िन्दगी फिर से उन गलियों में गुज़रती हुई दिखाई दे रही थी, जिन गलियों में वह कभी ख़ुशी से आया करती थी। आज उसे यह शहर अनजान लग रहा था। हाँ, अनिका के लिए शहर अनजान ही था, वह तो रीबर्थ होकर आई थी।


    कनिका की बॉडी में, लेकिन जब वह अनिका के दर्द के बारे में सोचती थी ना, तो उसे बहुत दर्द, बहुत तकलीफ होती थी। उसे अपना दर्द भी उसे कमज़ोर नहीं लगता था। लेकिन वह कमज़ोर नहीं थी, क्योंकि कनिका तो कब की मर चुकी थी। जो थी, वह यह अनिका थी, जिसकी ज़िन्दगी में सिर्फ़ एक ही मक़सद था और वह मक़सद था एक बहुत बड़ी बिज़नेस वूमेन बनने का और दुनिया पर राज करने का। अब वह किसी को मौक़ा नहीं देगी खुद को हर्ट करने का। पिछले जन्म में उसके अपनों ने ही उसे मार दिया था प्यार के नाम पर। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा।


    पिछली बार अपने प्यार के हाथों मारी गई थी, अपने परिवार के हाथों मारी गई थी, और इस बार भी उसके साथ यही हो रहा था। उसका परिवार, उसका प्यार उससे ऐसे ही ट्रीट करते थे। इसीलिए अब उसे किसी पर कोई विश्वास नहीं था। अब उसे खुद पर विश्वास था। तभी वह देखती है, उसके सामने एक गाड़ी आकर रुकती है। जब अनिका अपना सर उठाकर देखती है, तो उसे गाड़ी की विंडो नीचे होती है और उसमें से उसे समय का हैंडसम चेहरा दिखाई देता है।


    समय पहले अनिका को देख रहा था। आज उसे अनिका की हालत, उसका दर्द, उसका सब कुछ पता चल गया था। तो उसने अनिका को पनिशमेंट देने का अपना विचार त्याग दिया था। लेकिन आगे वह अनिका को पनिशमेंट ज़रूर देगा, अगर वह किसी और मर्द के करीब गई तो। समय अनिका की तरफ़ देखकर कहता है, "बैठो।" अनिका कहती है, "मुझे आपके साथ कहीं नहीं जाना।" समय कहता है, "मैंने बोला बैठो, वरना यहाँ से उठाकर ले जाऊँगा और किसी को पता भी नहीं चलेगा।" थोड़ा सहम जाती है अनिका और जाकर उसके साइड में बैठ जाती है।


    Do like, share, comment, support, review guys 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • 5. Rebirth in novel - Chapter 5

    Words: 2374

    Estimated Reading Time: 15 min

    अनिका पलटकर ऑफिस में आई और समय के सामने खड़ी होकर बोली, "मैं वह अनिका हूँ, Mr. मल्होत्रा, जिसने कभी अपने आप की भी नहीं सुनी। और मैं हमेशा यही कहती हूँ, जो गलत है, वह गलत है। मेरे बाप ने कभी मुझे प्यार नहीं दिया, तो मैंने उससे भी छोड़ दिया और अपनी ज़िंदगी अपनी शर्तों पर, अपने बलबूते पर जीती हूँ। मुझे किसी आदमी की, या किसी की भी दया की ज़रूरत नहीं है। और इस प्रोजेक्ट की बात तो, इस प्रोजेक्ट को लात मारकर निकाल दो, समझ गए आप?" वह ऑफिस से निकल गई।


    ऑफिस से निकलने के बाद, अनिका समय को खूब गालियाँ दे रही थी। पिया उसकी बातें सुनकर डर रही थी क्योंकि यह समय का ऑफिस था। अगर किसी ने सुन लिया और समय को पता चल गया, तो पता नहीं अनिका के साथ क्या होगा। लेकिन पिया जानती थी, ज़रूर कोई बात हुई होगी। वरना अनिका कभी इतनी गुस्से में नहीं होती, क्योंकि वह जल्दी किसी को जज नहीं करती। लेकिन आज समय के बारे में वह ऐसी बातें बोल रही थीं, जो सुन-सुनकर पिया के कान पक गए थे।


    अनिका के जाने के बाद, समय अपनी चेयर पर बैठ गया और अपने असिस्टेंट को बुलाकर कहा, "मुझे अनिका की पूरी डिटेल्स चाहिएं, और एक घंटे के अंदर-अंदर। एक भी डिटेल छूटनी नहीं चाहिए, उसके जन्म से लेकर आज सुबह तक की, एक-एक डिटेल चाहिए।" असिस्टेंट ने गर्दन हिलाकर बाहर चला गया और भगवान के आगे हाथ जोड़कर कहा, "भगवान, इस लड़की ने क्या बिगाड़ा था? आपका दोस्त डेविल के सामने उसको लाकर खड़ा कर दिया। अब यह डेविल उसकी ज़िंदगी हराम कर देगा।" फिर वह अपने काम में लग गया, क्योंकि वह जानता था अगर एक घंटे में एक मिनट भी लेट हो गया, तो यह डेविल सबसे पहले उसे ही खा जाएगा।


    समय अपनी चेयर पर बैठा, बार-बार अनिका के गुस्से भरे चेहरे को याद कर रहा था। उसके चेहरे पर स्माइल आने का नाम ही नहीं ले रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे समय ने जानबूझकर अनिका को इतना उकसाया था कि वह उसके सामने कुछ भी कहकर चली गई थी। समय मुस्कुराते हुए अपने डॉल में से एक छोटी सी डॉल निकाली और कहा, "मुझे नहीं पता था मेरी डॉल को इतना गुस्सा भी आता है। तुम्हारा तो इंतज़ार कर रहा था मैं इतने सालों से। अब जब तुम मुझे मिली हो, तो मैं तुम्हें खुद से कभी दूर नहीं जाने दूँगा। मैं जानता हूँ तुम शायद मुझे भूल चुकी हो, वरना मेरे पास आकर मैंने तुम्हें वह ब्रेसलेट दिखाया था। अगर तुम्हें मैं याद होता, तो तुम तुरंत ब्रेसलेट को पहचान लेतीं, जैसे मैंने तुम्हारे उस ब्रेसलेट को पहचाना था।"


    अचानक समय के फ़ोन पर किसी का कॉल आया। उसने समय को कुछ ऐसा बताया, जिसे सुनकर समय गुस्से में पागल हो गया और अपने पूरे ऑफिस में तोड़फोड़ करना शुरू कर दिया। उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था कि उसकी डॉल अपनी ज़िंदगी में किसी को शामिल भी कर सकती थी।


    जब से समय को यह पता चला था कि अनिका की ज़िंदगी में राहुल था, जिससे वह प्यार करती थी, लेकिन राहुल ने अनिका की जगह उसकी बहन को चुन लिया था, तब से समय गुस्से में पागल हो चुका था। उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था कि उसकी डॉल उसे कैसे भूल सकती है और उसके सिवा किसी और को अपनी ज़िंदगी में कैसे शामिल कर सकती है। अब वह गुस्से में इस क़दर बौखला गया था कि सही-गलत का फ़र्क भी भूल गया था।


    समय ने सोच लिया था, अब वह अनिका को हर कीमत पर अपनी ज़िंदगी में शामिल करेगा, चाहे अनिका की मर्ज़ी हो या ना हो। वह ज़बरदस्ती भी उसे अपने करीब रखेगा। वह अनिका को अब किसी भी कीमत पर खुद से दूर नहीं जाने देगा, और अनिका को सज़ा तो मिलेगी ही, किसी और को अपनी ज़िंदगी में जगह देने की।


    तभी समय के पास उसके असिस्टेंट का कॉल आया और उसने कहा कि अनिका का परिवार उसे ढूँढ रहा है, क्योंकि उसकी छोटी बहन की शादी है उसके दोस्त के साथ, और उनका प्लान अनिका को बुलाकर उसके साथ कुछ बुरा करने का है। समय ने उसकी बात सुनकर कहा, "ठीक है, मैं भी जाऊँगा, लेकिन वहाँ किसी को पता नहीं चलेगा।"


    Anika को यह पता चला कि उसके पापा उसे ढूँढ रहे हैं, तो वह उनके पास जाने और उनसे बात करने के लिए तैयार हो गई और दिल्ली के लिए निकल गई। दिल्ली पहुँचती है, तो देखती है एयरपोर्ट पर उसे लेने के लिए कोई नहीं आया था। यह देखकर वह फिर मुस्कराते हुए बोली, "मैं कैसे भूल गई थी कि यह परिवार मेरा नहीं है।" लेकिन फिर भी वह राहुल की शादी में जाना चाहती थी, क्योंकि राहुल और अपनी बहन को ऐसा कोई मौका नहीं देना चाहती थी जिससे आगे चलकर वह उसे नीचा दिखा सकें।


    लेकिन अनिका इस बात से बेखबर थी कि समय साये की तरह हर पल, हर वक्त उसके साथ था और उस पर नज़र रखे हुए था। जब वह घर में इंटर करती है, तब वह देखती है कि राहुल और उसकी बहन की मेहँदी का फंक्शन चल रहा था। अनिका को वहाँ देखकर सब मुँह बना लेते हैं, लेकिन उसकी दादी और उसके पापा के चेहरे पर एक स्माइल आ जाती है।


    सबको इग्नोर करके वह अपने कमरे में चली जाती है। इस बात से सबसे ज़्यादा हर्ट उसके पापा को होता है, क्योंकि उन्होंने खुद ही अपनी बेटी को अपनी ज़िंदगी से दूर कर दिया था। शाम को राहुल और मुक्ति की शादी थी। इसलिए वह अपने कमरे में जाकर तैयार होकर जब बाहर आती है, तो देखती है जयमाला का प्रोग्राम चल रहा था। तभी उसकी सौतेली माँ उससे कहती है, "क्या तुम मेरी बेटी की खुशी में दो शब्द कहना चाहोगी?"


    "ज़िन्दगी के सफ़र में, शादीशुदा लोग मोह-माया के जाल में फँस जाते हैं, अपने पार्टनर को वक़्त कम देते हैं, उन्हें चीट करते हैं। शादी को सबसे पवित्र रिश्ता माना जाता है, जिससे दो चाहने वाले एक जिस्म और एक जान बन जाते हैं। पर जैसे-जैसे समय बीतता जाता है और परेशानियाँ आती हैं, प्यार का असर कम होता जाता है। पर अगर हम एक-दूसरे से सच्चा प्यार करते हैं ना, तो चाहकर भी एक-दूसरे को हर्ट नहीं कर सकते।" अनिका ने इमोशनल होकर कहा, "हमारे नए कपल को दुनिया की हर एक खुशी मिले और उनके रिश्ते को मज़बूत करने के लिए जल्दी एक नन्हा-मुन्ना सा तोहफ़ा उनकी लाइफ़ में आए।" अपनी स्पीच देने के बाद अनिका गेस्ट के सामने से दूसरी तरफ चली जाती है।


    जो बात बिना किसी इमोशंस के कही थी, लेकिन वह बात पता नहीं क्यों राहुल को अपने दिल में चुभती हुई महसूस हुई थी। क्योंकि एक टाइम ऐसा था जब राहुल सिर्फ़ अनिका के आगे-पीछे रहता था, हर वक़्त उसका ख्याल रखता था, उससे प्यार से बात करता था, और वह अनिका से प्यार भी करता था। लेकिन पता नहीं उसे रातों-रात ऐसा क्या हुआ कि राहुल के दिल में अनिका के लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ नफ़रत भर गई। तभी उसकी नज़र अनिका पर जाती है, जो अपनी हैरानी भरी नज़रों से किसी को देख रही थी।


    उसकी नज़र वहाँ बैठे समय पर जाती है और वह कहती है, "यह यहाँ क्या कर रहा है? क्या वह शादी में गेस्ट बनकर आया है या किसी और काम से आया है?" समय के आस-पास बहुत सारी लड़कियाँ खड़ी हुई थीं, जो आपस में समय के बारे में बात कर रही थीं और बार-बार पीछे घूमकर समय को देख रही थीं। यह देखकर अनिका हैरान हो गई कि इतनी खूबसूरत लड़कियाँ जो समय के एक इशारे पर उसे शादी करने के लिए रेडी हो जाती हैं, पर इतना मशहूर होने के बावजूद भी, समय की ज़िंदगी में आज तक कोई लड़की नहीं थी।


    Anika अपना सर झटका और मैरिज हॉल से बाहर जाने लगती है। तभी राजेंद्र जी उसके सामने आकर खड़े हो जाते हैं और कहते हैं, "अनिका, भावी, तुम ऐसे शादी छोड़कर कहाँ जा रही हो? तुम्हें पता है ना आज तुम्हारी बहन का कितना इम्पॉर्टेंट दिन है? तुम उसके दिन को ख़राब करना चाहती हो?"


    हैरानी से अपने पापा की तरफ़ देखती हुई वह कहती है, "मैं तो यहाँ आना भी नहीं चाहती थी। आपने मुझे यहाँ ज़बरदस्ती बुलाया था, और मैंने यहाँ अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी, तो अब क्या चाहिए आपको? मैं आपकी बेटी नहीं हूँ, और ना ही आप पर मेरा हुक्म चलेगा। मैं यहाँ इसलिए नहीं आई थी क्योंकि आपने मुझे बुलाया था या मुझे मेरी सो-कॉल बहन की शादी में शामिल होना था। मैं यहाँ इसलिए आई थी क्योंकि मेरा यहाँ कुछ ज़रूरी सामान था और अब मैं जा रही हूँ। और हाँ, अंदर मुझे कांटेक्ट करने की कोशिश मत करना, क्योंकि मेरा आपसे कोई रिश्ता नहीं है। जिस दिन मेरी माँ मारी गई थी ना, उसी दिन मेरा आपसे भी रिश्ता ख़त्म हो गया था। क्योंकि एक माँ अपने बच्चों को किसी भी कीमत पर पाल लेती है, लेकिन एक पिता को हमेशा दूसरी औरत की ज़रूरत पड़ती है। आपको मेरे लिए माँ की ज़रूरत नहीं थी, आपको अपने लिए अपनी बीवी की ज़रूरत थी जो आपकी नीड्स को पूरा कर सके।" अनिका की बात सुनकर राजेंद्र जी का चेहरा काला पड़ जाता है, क्योंकि अनिका ने उनकी दुखती रग पर हाथ रख दिया था।


    एक बार और राजेंद्र जी की तरफ़ देखती हुई वह कहती है, "एक बार आपने कहा था ना, पूरे परिवार के बीच में, कि मैं अपनी माँ जैसी नहीं हूँ, और मेरी माँ बहुत अच्छी थी और आप उनसे बहुत प्यार करते थे। अगर यह सच होता ना, तो आप कभी भी मेरी माँ को भूलकर किसी दूसरी औरत से शादी नहीं करते। यह झूठ था कि आप मेरी माँ से प्यार करते थे। बल्कि आप तो मेरी माँ के मरने की दुआ माँग रहे थे कि किस दिन वह मरे और आप अपनी इस दूसरी बीवी को इस घर में लेकर आएँ। और मैं आपको आज एक बात बता देती हूँ, मेरा आपसे कोई रिश्ता नहीं है। अब आप यह समझ लीजिये, इस दुनिया में आपकी सिर्फ़ एक बेटी है, और वह मुक्ति है, मैं नहीं। और हाँ, कभी भी मुझे कॉल करके डिस्टर्ब मत करना, क्योंकि मैं सब कुछ बर्दाश्त कर सकती हूँ, लेकिन अब आप लोगों की वजह से मुझे कोई दर्द हो, कोई तकलीफ हो, या कोई मुझे डिस्टर्ब करे, यह मैं बर्दाश्त नहीं करूंगी।" और वह वहाँ से सीधा बाहर निकल जाती है।


    आज अनिका की बातें राजेंद्र जी को बहुत हर्ट कर गई थीं, क्योंकि अनिका ने जो कहा था, उसमें कुछ परसेंट सच्चाई भी थी। राजेंद्र जी को अनिका के लिए माँ की नहीं, अपने लिए पत्नी की ज़रूरत थी। वरना वह खुद ही अनिका को पाल सकते थे अपनी माँ की मदद से। लेकिन फिर भी उन्होंने दूसरी शादी की और उससे एक बच्ची को भी पैदा किया। और उसके बाद उन्होंने कभी अनिका पर ध्यान नहीं दिया। हमेशा जो उनकी बीवी कहती थी, वह बात मान लिया करते थे, चाहे वह काम अनिका ने किया हो या ना किया हो। कभी उन्होंने पता करने की कोशिश नहीं की। लेकिन आज उन्हें अपनी गलती का एहसास हो चुका था कि उन्होंने अपनी पत्नी के साथ तो धोखा किया ही था, उन्होंने अपनी बच्ची को भी खुद से अलग कर दिया था, जो उनके और उनकी पत्नी के प्यार की निशानी थी। उसने इतना दर्द, इतनी तकलीफ दी थी कि वह अब उनसे कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती थी।


    अनिका घर से निकलकर रोड पर खड़ी होकर लंबी-लंबी साँसें लेने लगी और किसी ऑटो या टैक्सी का इंतज़ार करने लगी। लेकिन अभी तक कोई ऑटो या टैक्सी वहाँ नहीं आया था, क्योंकि आज बहुत ज़बरदस्त जाम लगा हुआ था। अनिका धीरे-धीरे रोड के किनारे चलने लगी। उसे आज अपनी ज़िन्दगी फिर से उन गलियों में गुज़रती हुई दिखाई दे रही थी, जिन गलियों में वह कभी खोया करती थी। आज उसे यह शहर अंजान लग रहा था। हाँ, अनिका के लिए शहर अंजान ही था, वह तो रिबर्थ होकर आई थी।


    कनिका की बॉडी में, लेकिन जब वह अनिका के दर्द के बारे में सोचती थी ना, तो उसे बहुत दर्द, बहुत तकलीफ होती थी। उसे अपना दर्द भी उसे कमज़ोर नहीं लगता था, लेकिन वह कमज़ोर नहीं थी, क्योंकि कनिका तो कब की मर चुकी थी। जो थी, वह अनिका थी, जिसकी ज़िंदगी में सिर्फ़ एक ही मक़सद था, और वह मक़सद था एक बहुत बड़ी बिज़नेस वूमेन बनने का और दुनिया पर राज करने का। अब वह किसी को मौका नहीं देगी खुद को हर्ट करने का। पिछले जन्म में उसके अपनों ने ही उसे मार दिया था, प्यार के नाम पर, चीट किया था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा।


    पिछली बार अपने प्यार के हाथों मारी गई थी, अपने परिवार के हाथों मारी गई थी, और इस बार भी उसके साथ वैसा ही हो रहा था। उसका परिवार, उसका प्यार, उससे ऐसे ही ट्रीट करते थे। इसीलिए अब उसे किसी पर कोई विश्वास नहीं था। अब उसे खुद पर विश्वास था। तभी वह देखती है, उसके सामने एक गाड़ी आकर रुकती है। जब अनिका अपना सर उठाकर देखती है, तो उसे गाड़ी की विंडो नीचे होती है और उसमें से उसे समय का हैंडसम चेहरा दिखाई देता है।


    समय एकटक अनिका को देख रहा था। आज उसे अनिका की हालत, उसका दर्द, उसका सब कुछ पता चल गया था। तो उसने अनिका को पनिशमेंट देने का अपना विचार त्याग दिया था। लेकिन आगे वह अनिका को पनिशमेंट ज़रूर देगा, अगर वह किसी और मर्द के करीब गई तो। समय अनिका की तरफ़ देखकर कहता है, "बैठो।" अनिका कहती है, "मुझे आपके साथ कहीं नहीं जाना।" समय कहता है, "मैंने बोला, बैठो, वरना यहाँ से उठाकर ले जाऊँगा, और किसी को पता भी नहीं चलेगा।" थोड़ा हिचकिचाकर अनिका उसके साइड में बैठ जाती है।


    Do like share comment
    support Review guys 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • 6. Rebirth in novel - Chapter 6

    Words: 2546

    Estimated Reading Time: 16 min

    एक अनजान जगह पर समय का जेट उतर गया था और समय उसमें से अनिका को अपनी बाहों में लेकर अंदर चला गया। वहाँ आसपास चारों तरफ सिर्फ़ पानी और जंगल ही था, और कुछ नहीं। जंगल और पानी के बीच में एक खूबसूरत सा घर बना हुआ था, और समय अनिका को लेकर वहीं चला गया। उसने अनिका को बिस्तर पर लिटाया और एक एंटीडोट उसके हाथ में लगा दिया। फिर वह कमरे से बाहर निकल गया, क्योंकि उसे अभी बहुत कुछ करना था। उसे पता था अनिका को होश आने में दो से तीन घंटे लगेंगे।


    एक घंटे बाद, धीरे-धीरे अनिका की आँखें हिलने लगीं। जब उसने अपनी आँखें खोलीं, तो उसे सब कुछ धुंधला-धुंधला दिख रहा था। फिर उसने अपनी आँखें बंद करके फिर खोलीं। अनजान जगह, अनजान कमरा देखकर वह डर गई। लेकिन तभी उसे समय का खुद को अपने घर लाना याद आया। उसे लगा कि गेट खुला हुआ है। वह गेट से बाहर निकलकर भागने लगी। जब वह घर से बाहर आई, तो उसकी आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं, क्योंकि चारों तरफ सिर्फ़ जंगल और पानी था। वह चारों तरफ घूमती रही और अंत में घुटनों के बल बैठ गई।


    "यह तुमने ठीक नहीं किया, मिस्टर समय मल्होत्रा!" उसने कहा, "अब मैं तुम्हें बताती हूँ कि मुझसे पंगा लेने का अंजाम क्या होता है!"


    वह चारों तरफ देखती रही, लेकिन उसे वहाँ से भागने का कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था।


    तभी पीछे से किसी ने हाथ रखा। अनिका डर के मारे चीख उठी।


    "मेरे अलावा तुम्हें कोई छू नहीं सकता," समय ने कहा।


    अनिका ने समय को अपने पास खींचकर उसे धक्का दे दिया। समय संभल नहीं पाया और गिर गया।


    "मेरे करीब आने की कोशिश मत करना, वरना तुम्हारी जान ले लूँगी!" अनिका ने उंगली दिखाते हुए कहा।


    समय उठकर खड़ा हो गया।


    "तुम जिस वक़्त जहाँ हो ना, वहाँ तुम्हें मेरे अलावा कोई भी नहीं मिलेगा," उसने कहा। "और मेरी एक बात ध्यान से सुन लो। अब तुम्हें कुछ समय मेरे साथ रहना है। प्यार से रहोगी तो फ़ायदे में रहोगी। अगर मैंने जबर्दस्ती करने की कोशिश की ना, तो तुम सह नहीं पाओगी।"


    वह घर की तरफ़ चला गया।


    अनिका वहीं घुटनों के बल बैठ गई और आसमान की तरफ़ देखकर बोली, "क्यों दिया था मुझे दूसरा मौका? इसलिए कि मैं किसी के हाथ की कठपुतली बन जाऊँ? इसलिए कि मैं अपनी ज़िंदगी में कुछ ना कर पाऊँ? मैंने आपसे क्या चाहा था भगवान? सिर्फ़ यही ना कि मैं खुद के लिए जीऊँ। मोहब्बत में तुमसे धोखा मिल ही गया था। मेरे अपनों ने मुझे धोखा दिया। इस जन्म में भी, इस नॉवेल में आने के बाद भी, मुझे धोखा ही तो मिल रहा है!"


    "भगवान जी, प्लीज़ मुझे क्षमा करो! मुझे कुछ नहीं चाहिए। मुझे सिर्फ़ एक आजाद ज़िंदगी चाहिए। मैं किसी के कैद में रहकर नहीं रह सकती।"


    वह वहीं बिस्तर पर लेट गई और कब उसकी नींद लग गई, उसे पता ही नहीं चला। पेड़ के पीछे खड़ा समय अनिका की बातें सुन रहा था। उसने उसकी आखिरी बात नहीं सुनी थी, लेकिन बाकी सब कुछ सुन लिया था।


    समय अनिका की तरफ़ देखकर बोला, "मैं तुम्हें कैद नहीं करना चाहता अनिका, लेकिन तुम मुझसे भाग रही हो, और मैं तुम्हें खुद से दूर नहीं जाने दे सकता। मैं तुम्हें सिर्फ़ प्यार देना चाहता हूँ, तुम्हारी ज़िंदगी में खुशियाँ भरना चाहता हूँ, लेकिन तुम... तुम मुझसे नफ़रत करती हो। अब मैं इस नफ़रत को मोहब्बत में बदलना चाहता हूँ, इसलिए तुम्हें यहाँ लाया।"


    "मैं खुद को दस दिन का टाइम दे रहा हूँ। अगर इन दस दिन में मैं तुम्हारे दिल में खुद के लिए कोई फीलिंग्स नहीं ला पाया, तो दूर चला जाऊँगा तुम्हारी ज़िंदगी से। और हमेशा तुम्हारी यादों के सहारे अपनी ज़िंदगी बिताऊँगा। और तुम अपनी ज़िंदगी अपनी शर्तों पर जीओगी।"


    वह अनिका के पास गया, उसे अपनी बाहों में उठा लिया और घर के अंदर चला गया।


    घर के अंदर जाकर समय ने उसे कमरे में लिटाया और अच्छे से कंबल से ढँक दिया। फिर वह कमरे से बाहर चला गया। क्योंकि इस वक़्त वह भी दुखी था कि उसकी मोहब्बत उससे नफ़रत करती है। वह लड़की, जिसके लिए उसने आज तक किसी और लड़की को अपनी ज़िंदगी में नहीं आने दिया, किसी की तरफ़ एक नज़र नहीं उठाई, वह लड़की आज उससे नफ़रत करती है। यही बहुत होता है किसी इंसान को तोड़कर रख देने के लिए...


    समय घर से बाहर निकलकर टापू के पास बैठ गया, क्योंकि वहाँ से उसे वह खूबसूरत समुंदर दिखाई दे रहा था, जिससे उसका बहुत गहरा रिश्ता था। उसके अपनों ने उसे धोखा दिया था। सिर्फ़ उसकी डॉल थी उसकी ज़िंदगी में, जिसके लिए वह जी रहा था, लेकिन आज उसकी डॉल भी उससे नफ़रत करती थी। और यही बात समय बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था।


    समय वहीं बैठा रहा। दोपहर से शाम और शाम से रात हो गई, लेकिन वह अभी तक वापस नहीं आया था। जब शाम को अनिका की नींद खुली, तो उसने खुद को कमरे में पाया। पहले तो वह हैरान हुई, लेकिन फिर समझ गई कि समय ही उसे यहाँ लाया होगा। फिर वह वहाँ से निकलकर बाहर आई, तो पूरे घर में अंधेरा छाया हुआ था और चारों तरफ़ सन्नाटा था। वह चारों तरफ़ स्विचबोर्ड ढूँढ़ने लगी। जब उसे स्विच मिला, तो उसने लाइट चालू कर दी।


    अनिका चारों तरफ़ समय को ढूँढ़ रही थी, लेकिन वह उसे कहीं नहीं मिला। वह वहाँ से बाहर निकलकर आई, तो वहाँ भी समय नहीं था। वह चारों तरफ़ समय को ढूँढ़ रही थी, क्योंकि उसे उस वीरान जंगल में डर लग रहा था। सिर्फ़ समय ही तो था जिसे वह जानती थी, और उसके साथ उसे डर भी नहीं लगता था।


    वह समुद्र के किनारे पहुँची, तो देखा कि समय वहीं बैठा हुआ था। उसे अनिका के आने का एहसास तक नहीं हुआ था। अनिका उसके बगल में जाकर बैठ गई।


    "यहाँ क्या कर रहे हो? तुम्हें पता है रात हो चुकी है। मैं वहाँ अकेली डर रही थी। जब तुम मुझे यहाँ लाए हो, तो मेरी ज़िम्मेदारी उठाओ ना। अगर वहाँ कोई जानवर आ जाता, या कोई और आदमी आ जाता, मुझे मार देता या मेरे साथ कुछ गलत कर देता, तो क्या तुम यहाँ बैठकर मुझे बचा पाते...?"


    समय ने अनिका की तरफ़ देखा।


    "यह जंगल बिलकुल सेफ़ है। यहाँ कोई नहीं आ सकता, ना कोई जानवर और ना ही कोई इंसान, जब तक मेरी इजाज़त ना हो। और हाँ, इस जंगल में जानवर ज़रूर हैं, लेकिन वे इस घर के आसपास नहीं आएंगे। और जिस दिन मैंने उन्हें इशारा कर दिया ना, तो वे इस घर में भी आ सकते हैं।"


    अनिका ने अजीब सा मुँह बनाकर समय की तरफ़ देखा।


    "मुझे ना एक बात समझ नहीं आती। तुम इंसान ही हो ना? कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है कि कहीं तुम जानवर तो नहीं हो, क्योंकि तुम हमेशा अजीब बर्ताव करते हो।"


    समय ने अनिका की तरफ़ देखा।


    "तुम्हें पता है अनिका, मेरी ज़िंदगी में कुछ भी ऐसा नहीं है, जिसके लिए मैं जीता हूँ। सिर्फ़ तुम हो, जिसके लिए मैं जीना चाहता हूँ। बचपन से जिसके सपने देखता हूँ, जिसके साथ पूरी ज़िंदगी बिताना चाहता हूँ, वह सिर्फ़ तुम हो।"


    अनिका हैरानी से समय की तरफ़ देखती रही।


    "लेकिन मैं तो तुम्हें जानती भी नहीं।"


    "तुम मुझे जानती हो, अनिका। बहुत अच्छे से जानती हो। लेकिन शायद तुम्हारी यादों पर धूल की परत जम गई है। जिस दिन तुम वह परत हटाकर मुझे देखोगी ना, तो तुम मुझे पहचान जाओगी कि मैं कौन हूँ। और सच बोल रहा हूँ, उस दिन तुम मुझसे मिलकर मुझसे ज़्यादा खुश होगी। अब चलो यहाँ से, रात बहुत हो गई है। खाने के लिए कुछ बनाते हैं।"


    अनिका ने हाँ कहा और उठकर खड़ी हो गई और समय के साथ चलने लगी। तभी अचानक बारिश होने लगी। अनिका ने समय का हाथ पकड़ लिया।


    "चलो ना जल्दी यहाँ से। तुम्हें पता है ना बारिश हो रही है। हम कितने भी भाग कर जाएँगे ना, फिर भी भीगेंगे ही हैं। इसलिए आराम से चलो, भागने की जल्दी क्या है?"


    समय हैरानी से अनिका की तरफ़ देख रहा था। समय की व्हाइट शर्ट भीगने की वजह से उसके शरीर से चिपक गई थी, और उसके सिक्स पैक एब्स और आकर्षक शरीर साफ़ दिखाई दे रहे थे। अनिका की नज़र समय के शरीर से हटी नहीं रही थी। तभी अचानक समय की नज़र अनिका पर पड़ी। पानी पड़ने की वजह से अनिका के कपड़े उसकी बॉडी से चिपक गए थे, और वे बिल्कुल ट्रांसपेरेंट हो गए थे, जिसमें से समय को अनिका का पूरा शरीर दिखाई दे रहा था।


    समय ने अपनी नज़रें हटाईं।


    "जल्दी से चलो, और अपनी हालत देखो पहले। ऐसे कपड़ों में कोई बाहर आता है क्या?"


    अनिका ने अपने दोनों हाथों को क्रॉस कर लिया, लेकिन समय अनिका की तरफ़ नहीं देख रहा था, और यही बात अनिका को बहुत पसंद आई।


    अनिका चलते-चलते अचानक समय का हाथ पकड़ लिया।


    "मैं किसी पर विश्वास नहीं करती समय, क्योंकि मुझे मेरे अपनों ने धोखा दिया है। मेरे पिता ने धोखा दिया है, तो तुम बताओ मैं किसी अनजान पर कैसे भरोसा कर लूँ? तुम्हें पता है मेरी माँ की मौत के बाद मेरे पापा ने दूसरी शादी कर ली, क्योंकि उन्हें मेरे लिए माँ की नहीं, बल्कि अपने लिए पत्नी की ज़रूरत थी।"


    "फिर एक साल बाद, उनके जीवन में उनकी बेटी आई। उसके बाद मेरे पापा का रवैया मेरी तरफ़ बदल गया। उन्होंने कभी मुझे प्यार नहीं दिया, मुझे इज़्ज़त नहीं दी, मुझे सम्मान नहीं दिया। वे हमेशा मुझसे उखड़े रहते थे, लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा। सबके चक्कर में मैं बदतमीज़ और बेलीहाज़ हो गई। लेकिन बोलते हैं ना, जब अकल आती है ना, तब जाकर समझ आता है कि हमने क्या खाया और क्या पाया।"


    "समय, आप बताओ, जब आपके माँ-बाप आपके साथ ऐसा करें, तो क्या बीतेगा आपके ऊपर? मेरी दुनिया थे मेरे मम्मी-पापा, और उन्होंने मेरी दुनिया ही उजाड़ दी। मेरी माँ मेरे पापा की बेवफ़ाई बर्दाश्त नहीं कर पाई, और उन्होंने सुसाइड कर लिया। यह बात मेरे और पापा के अलावा कोई नहीं जानता, दादी तक नहीं जानती। मेरे पापा का उनकी सेक्रेटरी के साथ अफ़ेयर चल रहा था, और उनका फिज़िकल रिलेशन बन गया था। जब मेरी माँ को पता चला, तो उन्होंने मेरे बारे में नहीं सोचा, उन्होंने खुद के बारे में सोचा, खुद के दर्द के बारे में सोचा, और खुद को ख़त्म कर दिया। उस वक़्त उन्होंने मुझे भी ख़त्म कर देती ना, तो शायद आज मेरी ज़िंदगी इतनी बर्बाद ना होती।"


    "मैं अपनी ज़िंदगी में अब किसी मर्द को नहीं लाना चाहती। मैंने एक दोस्त बनाया था, उससे प्यार किया था, उसे अपना हर ग़म बताया था। और वक़्त आने पर उसने मेरे साथ धोखा किया, बेवफ़ाई की और मेरी बहन मुक्ति से शादी कर ली। तुम बताओ, इस दुनिया में प्यार होता है या नहीं होता? मेरे पापा ने मेरी माँ को धोखा दिया, और मेरे प्यार ने मुझे धोखा दिया। तुम बताओ मैं किसी लड़के पर कैसे भरोसा कर लूँ?"


    "समय, मैं नहीं जानती मैं ये सारी बातें आपको क्यों बता रही हूँ, लेकिन मैं बस आपसे ये कहना चाहती हूँ, मुझसे दूर रहो। आप मेरे साथ रहोगे तो बर्बाद हो जाओगे, क्योंकि आज तक जो-जो मेरे साथ रहा है ना, वह बर्बाद ही हुआ है। और मैं आपको बर्बाद नहीं करना चाहती। आज आपकी आँखों में अपने लिए इज़्ज़त और सम्मान देखकर मुझे इतना समझ आ गया है कि आपका मुझे यहाँ लाने का मक़सद कुछ और है, मुझे कैद करना नहीं। क्योंकि अगर आपको मुझे कैद करके मेरे साथ जबरदस्ती करनी होती ना, तो आप यहाँ आने के बाद ही मेरे साथ सब कुछ कर चुके होते, या आपको मुझे यहाँ लाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती।"


    समय एकटक अनिका के चेहरे को देख रहा था। अभी तक समय की नज़र अनिका के चेहरे से हटकर उसके शरीर पर नहीं पड़ी थी। अनिका भी एकटक समय की आँखों में देख रही थी। अचानक से बिजली कड़कने की आवाज़ आई, और अनिका समय के शरीर से चिपक गई, क्योंकि उसे बिजली से डर लगता था। समय ने अपना हाथ अनिका की पीठ पर रख दिया।


    "कुछ नहीं हुआ, मैं हूँ ना तुम्हारे पास..."


    अनिका अभी भी समय से चिपकी हुई थी। समय को अनिका के शरीर का हर एक हिस्सा अपने शरीर पर महसूस हो रहा था, और उसका कंट्रोल खुद पर से छूट रहा था। उसने अचानक से अनिका को खुद से दूर किया।


    "प्लीज़ मुझसे दूर रहो। अगर आज मैंने कुछ कर दिया ना, तो तुम्हारी वह बात सच हो जाएगी कि हर मर्द एक जैसा होता है।"


    अनिका हैरानी से समय की तरफ़ देखती रही। फिर उसकी नज़र समय के पेट के निचले हिस्से पर गई, तो वह शर्म की वजह से अपना चेहरा हटा ली और आगे चलने लगी।


    वहाँ कीचड़ होने की वजह से अनिका का पैर फिसल गया और वह गिर पड़ी। समय उसे संभालने के चक्कर में दोनों नीचे गिर पड़े। अनिका नीचे थी और समय उसके ऊपर। और दोनों के होंठ एक-दूसरे से चिपके हुए थे। वहाँ दोनों ही इस स्थिति में क्या करें, उन्हें नहीं पता था। दोनों फ्रीज़ हो चुके थे। तभी अचानक अनिका को अपने होंठों पर समय के होंठों का स्पर्श महसूस हुआ, जो धीरे-धीरे अनिका के होंठों पर दब रहे थे। अनिका के हाथ अपने आप समय की पीठ पर चले गए।


    अनिका के इस रिएक्शन को देखकर समय ने अपनी आँखें बंद कर लीं और शिद्दत से अनिका के होंठों को चूमने लगा। क्योंकि अनिका के रसीले होंठ उसे हमेशा अपनी तरफ़ आकर्षित करते थे, और यह अनचाहे किस उसके अरमान पूरे करने के लिए काफ़ी थी।


    समय बहुत शिद्दत से अनिका के होंठों को चूम रहा था, और बारिश भी जोरों पर थी। तभी अचानक अनिका के हाथ समय की पीठ को सहलाने लगे। और ऐसा करते ही समय को अपने शरीर में एक गर्मी का एहसास हुआ। वह अपने होश में वापस आया और अचानक से अनिका के ऊपर से हट गया। अनिका भी खड़ी हो गई।



    "Rebirth in novel"


    Do like, share, comment, support, review guys 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • 7. Rebirth in novel - Chapter 7

    Words: 2622

    Estimated Reading Time: 16 min

    समय ने अनिका के चेहरे को एकटक देखा। अभी तक उसकी नज़र उसके चेहरे से हटकर उसके शरीर पर नहीं पड़ी थी। अनिका भी समय की आँखों में देख रही थी। अचानक बिजली कड़कने की आवाज़ आई और अनिका समय के शरीर से चिपक गई क्योंकि उसे बिजली से डर लगता था। समय ने अपना हाथ अनिका की पीठ पर रख दिया और कहा,

    "कुछ नहीं हुआ, मैं हूँ ना तुम्हारे पास..."


    उनका अभी भी समय से चिपकी हुई थी। समय को अनिका के शरीर का हर एक हिस्सा अपने शरीर पर महसूस हो रहा था और उसका कंट्रोल खुद पर से छूट रहा था। उसने अचानक अनिका को खुद से दूर किया और कहा,

    "प्लीज मुझसे दूर रहो। अगर आज मैंने कुछ कर दिया ना तो तुम्हारी वह बात सच हो जाएगी कि हर मर्द एक जैसा होता है।"


    अनिका ने हैरानी से समय की तरफ देखा। फिर उसकी नज़र समय के पेट के निचले हिस्से पर गई तो वह शर्म से अपना चेहरा छिपा लेती है और आगे चलने लगी।


    वहाँ कीचड़ होने की वजह से अनिका का पैर फिसल गया और वह गिर पड़ी। समय उसे संभालने के चक्कर में दोनों नीचे गिर पड़े। अनिका नीचे थी और समय उसके ऊपर, और दोनों के होंठ एक-दूसरे से चिपके हुए थे। वह दोनों इस स्थिति में क्या करें, यह उन दोनों को नहीं पता था। दोनों जम गए थे। तभी अचानक, अनिका ने समय के होंठों पर अपने होंठों का स्पर्श महसूस किया जो धीरे-धीरे अनिका के होंठों पर दब रहे थे। अनिका को नहीं पता क्या हुआ, उसके हाथ अपने आप समय की पीठ पर चले गए।


    अनिका का ऐसा रिएक्शन देखकर समय ने अपनी आँखें बंद कर लीं और शिद्दत से अनिका के होंठों को चूमने लगा। क्योंकि अनिका के रसीले होंठ उसे हमेशा अपनी ओर आकर्षित करते थे और यह अनचाहा चुम्बन उसके अरमान पूरे करने के लिए काफी था।


    समय बहुत शिद्दत से अनिका के होंठों को चूम रहा था और बारिश जोरों पर थी। तभी अचानक अनिका के हाथ समय की पीठ सहलाने लगे। ऐसा करते ही समय को अपने शरीर में एक गर्मी का एहसास हुआ और वह अपने होश में वापस आया। उसने अचानक अनिका के ऊपर से खड़ा होकर उसकी तरफ पीठ कर ली। अनिका भी खड़ी हो गई।


    अनिका को न तो पिछले जन्म में और न ही इस जन्म में किसी का प्यार मिला था। इसीलिए समय का स्पर्श, उसका प्यार अनिका को बहका रहा था। अनिका को उस पल में नहीं पता क्या हुआ, उसने पीछे से समय को अपनी बाहों में भर लिया और उसकी पीठ पर अपना सिर रखते हुए कहा,

    "मैं खुद को एक मौका देना चाहती हूँ। उसे, समय को एक मौका देकर देखना चाहती हूँ कि दुनिया वाकई में मोहब्बत के लिए बनी है या सब एक-दूसरे का फ़ायदा उठाना चाहते हैं।"


    समय ने अनिका के हाथों को आगे करके उसे अपने सामने खड़ा किया और कहा,

    "अगर तुम खुद को मौका देना चाहती हो तो शौक से दो, लेकिन इस पल में बेहतर होगा मुझे कोई मौका मत दो, क्योंकि मैं तुम्हारा प्यार चाहता हूँ अनिका, तुम्हारी बॉडी को नहीं। और मेरी एक बात हमेशा याद रखना, इस दुनिया में तुम्हारे साथ कोई नहीं होगा, ना तब ही तुम मुझे अपने साथ खड़ा पाओगी..."


    अनिका समय का हाथ पकड़कर आगे चलने लगी। अचानक वह मुड़कर समय से बोली,

    "तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड थी पहले? या किसी से तुम प्यार करते हो या किसी के करीब आए हो?"


    समय ने अपनी गर्दन हिलाते हुए कहा,

    "मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी और ना ही मैं किसी से प्यार करता था। मेरी लाइफ में आने वाली तुम पहली और आखिरी लड़की हो, क्योंकि समय मल्होत्रा इतना कमज़ोर नहीं और ना ही उसकी मोहब्बत इतनी कमज़ोर है कि एक के जाने के बाद उसकी लाइफ में दूसरी आ जाए..."


    अनिका समय से बहुत प्रभावित हो चुकी थी। पहले वह यहाँ से भागने के बहाने ढूँढ़ रही थी, लेकिन अब वह यहाँ रहने के बहाने ढूँढ़ रही थी। समय ने अनिका की तरफ देखते हुए कहा,

    "दुनिया में नहीं रहना चाहती हो ना? ठीक है। जब तुम सुबह उठोगी तो तुम खुद को अपने घर में पाओगी।"


    अचानक अनिका के चलते कदम रुक गए और वह हैरानी से समय की तरफ देखने लगी।


    समय ने अनिका के चेहरे को अपने हाथों में भर लिया और कहा,

    "मैं यहाँ तुम्हें सिर्फ़ अपने पर विश्वास करने लाया था और कुछ ऐसा था जो मैं तुम्हें बताना नहीं चाहता। वक़्त आने पर तुम्हें खुद पता चल जाएगा।"


    अनिका ने समय का हाथ पकड़कर कहा,

    "मैं तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ और अभी मैं इतनी जल्दी यहाँ से कहीं नहीं जाना चाहती, समझे तुम...?"


    अनिका ने समय की तरफ देखते हुए कहा,

    "क्या मैं तुम्हें किस कर लूँ? क्योंकि मुझे तुम्हें किस करने का मन कर रहा है।"


    समय अनिका की बात सुनकर हँसने लगा। अनिका शर्म से अपना चेहरा छिपा लेती है तो समय ने अनिका को पीछे से अपनी बाहों में भरते हुए कहा,

    "क्यों? अब तुम्हें मुझे किस नहीं करना?"


    अनिका ने समय का हाथ झटक कर चलने लगी। तभी अचानक सामने एक जानवर आकर खड़ा हो गया। उसे देखकर अनिका की हालत खराब हो गई। वह भागकर समय से चिपक गई। अब दोनों की बॉडी एक-दूसरे के संपर्क में आ गई थी और इतनी चिपकी हुई थी कि उनके बीच से हवा जाने की भी जगह नहीं थी।


    समय ने लोमड़ी की तरफ देखा और अपनी आँखों में गुस्सा भर लिया। समय की आँखों में गुस्सा देखकर वह लोमड़ी वहाँ से भाग गई और समय ने अनिका को अपनी बाहों में छुपा लिया। धीरे से उसे खुद से अलग करते हुए कहा,

    "वह चली गई..."


    लेकिन अनिका फिर भी समय को छोड़ने को तैयार नहीं थी। समय ने उसे अपनी बाहों में उठाकर अंदर ले जाने लगा। ऊपर से हो रही बारिश और उन दोनों के शरीर एक-दूसरे से मिल रहे थे। दोनों की इच्छाएँ और भावनाएँ दोनों को मदहोश कर रही थीं।


    अचानक आसमान में चमकदार बिजली कड़की। उसी के साथ अनिका एकदम से समय से चिपक गई और समय अपना बैलेंस खोकर जमीन पर गिर गया। अब अनिका समय के ऊपर थी और समय अनिका के नीचे। पता नहीं उस पल में क्या हुआ कि दोनों ही एक-दूसरे में खो चुके थे। अनिका के होंठ धीरे-धीरे समय के चेहरे के नज़दीक जाने लगे और अचानक अनिका ने अपने कोमल होंठों को समय के कठोर होंठों पर रख दिया और उसे किस करने लगी। जब समय को इस बात का एहसास हुआ तो अब वह भी खुद को कंट्रोल नहीं कर पाया और अनिका के होंठों को अपने कब्ज़े में ले लिया और घूमकर अनिका को अपने नीचे कर लिया।


    समय और अनिका का किस, वक़्त बीतने के साथ बहुत ही पैशनेट होता जा रहा था। वह दोनों एक-दूसरे को चूम और काट रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे आज प्यासे को पानी मिला हो जो कब से रेगिस्तान में भटक रहे थे। यह सच भी था। समय अनिका को ढूँढ़ने में भटक रहा था और अनिका...वह तो पता नहीं किस दुनिया से भटककर इस नई दुनिया में आ गई थी। उसे भी तो मोहब्बत चाहिए थी जो उसे कभी किसी से नहीं मिली। जब किसी लड़की को कोई चाहने वाला मिल जाता है ना तो वह किसी भी तरीके से उस पर निर्भर हो जाती है क्योंकि उसे लगता है इस दुनिया में उससे ज़्यादा महत्व उसके लिए कहीं नहीं है।


    अनिका और समय एक-दूसरे के होंठों को चबाने में लगे हुए थे और बारिश जोरों पर बरस रही थी, लेकिन उन दोनों पर इस चीज का कोई असर नहीं हो रहा था। तभी अचानक समय ने अनिका के होंठों को छोड़ा, उसकी गर्दन में अपना चेहरा छुपाया और अपनी दाढ़ी से उसकी गर्दन को छूने लगा। समय का यह करना ही अनिका के शरीर को कंट्रोल से बाहर कर गया था। अनिका ने अपने दोनों हाथों से समय की पीठ पर दबाव बनाकर उसे अपने ऊपर खींचने लगी और समय भी पूरी तरह से मदहोश हो चुका था।


    समय ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर अनिका के टॉप के बंधन खोल दिए। अनिका ने हैरानी से अपनी आँखें बड़ी करके समय को देखने लगी। तो समय ने उसके कान के पास अपने होंठ ले जाकर कहा,

    "अब तुम्हें कपड़ों की कोई ज़रूरत नहीं, क्योंकि अब मैं तुम्हें खुद से नंगी करूँगा।"


    और उसके कान को चाट लिया।


    अनिका शर्म से अपनी आँखें बंद कर लेती है। वहीं समय ने अपना एक हाथ नीचे बढ़ाकर अनिका की शर्ट भी उतार दी। अनिका सिर्फ़ अंडरवियर में समय के सामने थी। समय खड़ा होकर अपने पैंट भी निकाल कर फेंक देता है और वह अपने और अनिका के उतरे हुए कपड़े भी वहीं डाल देता है।


    और अनिका के ऊपर आ जाता है। अनिका ने भी समय की गर्दन में अपने दोनों हाथ फँसा लिए। समय ने अनिका की तरफ देखते हुए कहा,

    "अभी भी वक़्त है, रोक दो मुझे, क्योंकि एक बार मैंने तुम्हें अपना बना लिया ना, उसके बाद तुम चाह कर भी मुझसे दूर नहीं जा सकती..."


    समय ने अनिका के गाल के पास अपने होंठ लाते हुए कहा,

    "मैं कह रहा हूँ, रोक लो मुझे, वरना फिर तो मेरा जुनून, मेरी मोहब्बत देखोगी।"


    अनिका ने अचानक से अपना चेहरा ऊपर करके समय के होंठों को अपने होंठों में भर लिया। समय उसके जवाब की उम्मीद नहीं कर रहा था। उसे लगा था अनिका यहाँ से बाहर जाने के लिए उसके साथ यह सब कुछ कर रही है।


    समय ने अनिका के कान के पास कहा,

    "अगर तुम यहाँ से जाने के लिए मेरी इतनी करीब आ रही हो तो बताओ, मैं तुम्हें वैसे ही यहाँ से जाने दूँगा।"


    अनिका ने एकदम से समय के सीने में सिर छुपा लिया। समय ने कहा,

    "जब एक लड़की सामने से तुम्हारे सीने में सिर छुपाती है, तो इसका मतलब है वह खुद दिल से तुम्हें चाहती है, वरना किसी के अंदर इतनी ताक़त नहीं जो अनिका को फ़ोर्स करके उसके साथ कुछ भी कर सके..."


    अनिका का जवाब सुनकर समय बहुत खुश हुआ और उसके पूरे शरीर को चूमने और काटने लगा और उसके कमर के निचले हिस्से पर अपने होंठ रखकर उसे चूमने लगा। समय का ऐसा करना अनिका के पूरे शरीर में करंट दौड़ा गया था। उसे ऐसा लग रहा था उसके पेट में हज़ारों तितलियाँ उड़ रही हैं और उसका शरीर अब उसके कंट्रोल में नहीं रहा था। ऐसा लग रहा था वह सब समय के कंट्रोल में चला गया था। वहीं समय ने 10 मिनट तक उसे चूमने और काटने के बाद अनिका के ऊपर आता है और कहता है,

    "आगे बढ़ो..."


    और अनिका बोल ही पाती, समय उसके अंदर समा जाता है। अनिका की एक तेज चीख़ की आवाज़ पूरे जंगल में गूंज जाती है, क्योंकि अनिका का यह पहला अनुभव था, तो उसे दर्द होना लाज़िमी था।


    उनका दर्द महसूस करके समय ने अपनी आँखें बंद कर लीं। क्योंकि समय को लगा था कि वह इतने टाइम राहुल के साथ रिलेशनशिप में थी तो हो सकता है उन दोनों के बीच कुछ हुआ हो, लेकिन आज उसका यह एहसास बहुत दूर हो गया था और उसे बहुत खुशी हो रही थी कि उसकी अनिका सिर्फ़ उसकी है।


    समय धीरे-धीरे अनिका के शरीर को सहलाने लगा जिससे उसका दर्द कम होने लगा। वह बार-बार उसके होंठों को चूम रहा था जिससे अनिका का ध्यान उसके पास बना रहे। समय का आराम, उसकी देखभाल, उसका सब कुछ देखकर अनिका की आँखें नम हो गईं, क्योंकि आज तक किसी ने भी उसे इतना प्यार और इतनी केयर नहीं की थी जितनी समय दे रहा था।


    अनिका ने समय की तरफ़ देखते हुए कहा,

    "आगे बढ़ो, समय..."


    समय अब धीरे-धीरे अनिका को अपनी मोहब्बत भरी दुनिया में ले जाता है जहाँ वे दोनों एक ऐसी दुनिया में पहुँच गए थे जहाँ से वे दोनों वापस ही नहीं आना चाहते थे। ऊपर से हो रही तेज बारिश और नीचे उन दोनों के जिस्म की गर्मी एक-दूसरे को एक-दूसरे के सामने कमज़ोर नहीं पड़ने दे रही थी। दोनों इस क़दर एक-दूसरे में खोए हुए थे कि कब रात से सुबह हो गई, उन दोनों को पता ही नहीं चला। वह तो अच्छा था कि जंगल में कोई नहीं था, वरना वे उन दोनों को इस तरह देखकर पता नहीं कैसे रिएक्ट करते। वे दोनों बिना कपड़ों के अभी भी एक-दूसरे के साथ लगे हुए थे। ऐसा लग रहा था जैसे रेगिस्तान में उन्हें पानी मिल गया हो। वे दोनों थकने का नाम नहीं ले रहे थे और रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।


    अनिका थक चुकी थी। उसने समय से कहा,

    "मैं थक गई हूँ। प्लीज..."


    समय रुक जाता है, उसके ऊपर से हटकर साइड में लेट जाता है। अनिका शर्माने लगती है क्योंकि कल रात अंधेरा था और अब उजाला हो चुका था और दोनों एक-दूसरे के शरीर को बहुत अच्छे से देख पा रहे थे। वहीं अनिका के शर्म से लाल चेहरा देखकर समय ने उसकी तरफ़ करवट लेते हुए कहा,

    "अब तो हमारे बीच सब कुछ हो चुका है तो इतना शर्माने की ज़रूरत नहीं है। जैसे मैंने तुम्हें पूरा देखा, तो मुझे पूरा देख लो..."


    अनिका ने समय से कहा,

    "तुम कितने बेशर्म हो!"


    समय ने कहा,

    "यह बेशर्मी, यह प्यार, यह केयर सिर्फ़ तुम्हारे लिए है और किसी के लिए नहीं।"


    अनिका समय के गले लग जाती है तो समय कहता है,

    "अब तुम गलत टाइम पर गले लग रही हो। मैं फिर से शुरू हो जाऊँगा ना तो रात से पहले तुम्हें छोड़ने वाला नहीं हूँ।"


    अनिका एकदम से उठकर बैठ जाती है तो उसे अपनी निचली बॉडी में बहुत दर्द होता है। दर्द से उसकी आँखें बंद हो जाती हैं।


    समय उठकर खड़ा होता है और अनिका को अपनी गोदी में उठा लेता है। इस समय वे दोनों बिना कपड़ों के एक-दूसरे के साथ थे। जहाँ समय की नज़रें अनिका के चेहरे पर थीं, वहीं अनिका शर्मा रही थी क्योंकि उसे नीचे से समय की बॉडी साफ़ दिख रही थी। इसलिए दोनों अंदर जाते हैं। समय अनिका को लेकर बाथरूम में चला जाता है और शॉवर के नीचे खड़ा करके ऊपर से शॉवर चला देता है। दोनों के ऊपर शॉवर का पानी पड़ रहा था और दोनों एक-दूसरे को तड़प-तड़प कर मदहोशी से देख रहे थे।


    आगे बढ़कर अनिका ने समय के होंठों पर अपने होंठ रख दिए। बस फिर क्या था, समय फिर से उसे चूमने और काटने लगता है, उसके साथ प्यार करने लगता है। दोनों इस एहसास में एक-दूसरे के साथ जी रहे थे। ऐसा लग रहा था इस दुनिया में उन दोनों के सिवा कुछ था ही नहीं। लेकिन यह सच भी था। उस टापू पर उन दोनों के अलावा कोई नहीं था, एक इंसान पर भी नहीं, जानवर भी नहीं। क्योंकि यह समय का पर्सनल टापू था और यहाँ आना किसी के लिए अलाउड नहीं था। समय ने इतनी टाइट सिक्योरिटी रखी हुई थी कि वह यहाँ एक परिंदे को भी पर नहीं मारने दे सकता था।


    "Rebirth in novel"


    Do like, share, comment, support, review guys 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • 8. Rebirth in novel - Chapter 8

    Words: 2531

    Estimated Reading Time: 16 min

    अनिका समय से कहती है, "तुम कितने बेशर्म हो!" समय कहता है, "यह बेशर्मी, यह प्यार, यह केयर सिर्फ़ तुम्हारे लिए है, और किसी के लिए नहीं।" अनिका समय के गले लग जाती है। समय कहता है, "अब तुम गलत टाइम पर गले लग रही हो। मैं फिर से शुरू हो जाऊँगा। ना तो रात से पहले तुम्हें छोड़ने वाला हूँ।" अनिका एकदम से उठकर बैठ जाती है। उसे अपनी लोअर बॉडी में बहुत दर्द होता है। दर्द से उसकी आँखें बंद हो जाती हैं।


    समय उठकर खड़ा होता है और अनिका को अपनी गोदी में उठा लेता है। उस समय वे दोनों बिना कपड़ों के एक-दूसरे के साथ थे। जहाँ समय की नज़रें अनिका के चेहरे पर थीं, वहीं अनिका शर्मा रही थी क्योंकि उसे नीचे से समय की बॉडी का स्पर्श महसूस हो रहा था। इसलिए दोनों अंदर जाते हैं। समय अनिका को लेकर वॉशरूम में चला जाता है और शॉवर के नीचे खड़ा करके ऊपर से शॉवर चला देता है। दोनों के ऊपर शॉवर का पानी पड़ रहा था और दोनों एक-दूसरे को तड़प-तड़प कर, मदहोशी से देख रहे थे।


    आगे बढ़कर, अनिका समय के फ़ोटो पर अपनी फ़ोटो रख देती है। बस फिर समय उसे हंगरी चुम्बन और काटने लगता है। उनके साथ ऐसा होने लगता है। दोनों इस एहसास में एक-दूसरे के साथ जी रहे थे। ऐसा लग रहा था कि इस दुनिया में उन दोनों के सिवा कुछ था ही नहीं। लेकिन यह सच भी था। उस टापू पर उन दोनों के अलावा कोई नहीं था। एक परिंदा भी पर नहीं मार सकता था क्योंकि यह समय का पर्सनल टापू था और यहाँ आना किसी के लिए अलाउड नहीं था। समय की सिक्योरिटी इतनी टाइट थी कि वह यहाँ एक परिंदे को भी पर नहीं मारने दे सकता था।


    दोनों एक-दूसरे को आज़ाद करके, नहा-धोकर, तैयार होकर बाहर आते हैं। समय अनिका की तरफ देखता है और कहता है, "हमें वापस जाना है। मेरे पास अर्जेंट काम है।" अनिका अपनी गर्दन हिला देती है।


    और वे दोनों उस टापू से वापस मुंबई के लिए निकल जाते हैं। जब दोनों मुंबई पहुँचते हैं, तो वहाँ पर दोनों की अलग-अलग गाड़ियाँ खड़ी थीं। अनिका समय की तरफ देखती है। समय कहता है, "मुझे अर्जेंट कहीं जाना है। तुम घर पर जाओ, ठीक है?" अनिका, "हाँ," बोलकर अपने फ़्लैट की तरफ निकल जाती है। अनिका के जाने के बाद समय भी दूसरी तरफ निकल जाता है। यह रात ऐसे ही निकल जाती है। अगली सुबह, न्यूज़ की हेडलाइंस में आ रहा था: "मशहूर बिज़नेस टायकून समय मल्होत्रा की सगाई अपनी बचपन की दोस्त शनाया के साथ हो चुकी है। कल रात दोनों ने एक-दूसरे को अंगूठी पहनकर अपने रिश्ते पर मोहर लगाई है।" वही यह न्यूज़ देखकर अनिका हैरान होकर सोफ़े पर बैठ जाती है। उसे ऐसा लग रहा था कि किसी ने उसे धोखा दिया है। इस बार का धोखा बहुत बड़ा था, जिससे उसका निकलना शायद नामुमकिन था।


    वह खुद को मज़बूत करती है और कहती है, "यह दुनिया धोखेबाज़ों से भरी पड़ी है। तूने एक बार फिर गलत इंसान पर भरोसा किया, इसलिए तुझे धोखा देकर चला गया। अब तुझे इन सबसे ऊपर उठकर खुद की पहचान बनानी है। अगर वह तुझे धोखा दे सकता है, तो देने दे। मैं एक बार भी उसके पास यह पूछने नहीं जाऊँगी कि उसने ऐसा क्यों किया।" यही सब अपने मन में सोचकर, वह खड़ी हो जाती है और ऑफिस निकल जाती है।


    समय अपने ऑफिस पहुँच चुका था और जो न्यूज़ चल रही थी, उसके बारे में भी समय को पता चल चुका था। लेकिन वह कोई रिएक्ट नहीं करता, जैसे उसके लिए कोई बड़ी बात हो ही न या उसे इस न्यूज़ से कोई फ़र्क ही न पड़ा हो। लेकिन वह यह नहीं जानता था कि इस न्यूज़ का असर अनिका के ऊपर बहुत बड़ा पड़ा था। यह सच था या झूठ, यह तो समय ही जानता था। वहीं अनिका अपनी ऑफिस पहुँचकर काम में लग जाती है। अब उसे किसी से कोई मतलब नहीं था। उसके दिल में एक दर्द था, लेकिन वह दर्द अपने चेहरे पर नहीं आने देती। उसे दर्द था धोखे का, उसे डर था एक बार फिर टूटकर बिखर जाने का, लेकिन अब वह किसी के सामने खुद को कमज़ोर नहीं पड़ने देगी।


    पूरे दिन अनिका अपने ऑफिस के कामों में बिज़ी रहती है और रात को 1:00 बजे ऑफिस से बाहर निकलती है। अपनी गाड़ी लेकर अपने फ़्लैट की तरफ़ चली जाती है, लेकिन आज उसका वहाँ जाने का मन नहीं था। इसलिए वह समुद्र किनारे जाकर गाड़ी से निकलकर एक पत्थर पर बैठ जाती है और समुद्र को देखते हुए कहती है, "मैं भी अब अपने अंदर इतनी गहराई बनाऊँगी कि कोई यह ना जान पाए कि इसके अंदर कितनी नफ़रत या कितनी मोहब्बत, कितने एहसास हैं। अब मैं खुद को ऐसा बनाऊँगी कि लोग मेरी तरफ़ नज़र उठाने से पहले भी सौ बार सोचेंगे। मैंने तुम्हें और खुद को एक मौका दिया था, समय, लेकिन तुमने मुझे धोखा दिया। जब तुम्हें किसी और से शादी करनी थी, तो मेरे करीब तो आना ही नहीं चाहिए था।"


    वहाँ बैठी पूरी रात यही सब सोचती रहती है, लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिलता। वहीं समय भी अपने काम में इतना बिज़ी हो गया था कि वह अनिका के बारे में बिल्कुल भूल चुका था। उसे एहसास ही नहीं था कि कोई उसका इंतज़ार कर रहा है, उसकी सफ़ाई का इंतज़ार कर रहा है। पहले उसने उसे कुछ पूछा ना हो, लेकिन अनिका चाहती थी कि समय खुद उससे जाकर अपनी सफ़ाई दे, लेकिन समय का ना आना अनिका को उसे खोने पर मजबूर कर रहा था।


    अगली सुबह अनिका फिर से तैयार होकर अपने ऑफिस पहुँच जाती है। वह वहाँ जाकर बिल्डिंग के मालिक से कुछ बात करती है और फिर वहाँ से अपने ऑफिस को कहीं और शिफ्ट करने के बारे में सोचती है और अपने सारे स्टाफ़ से कह देती है कि वह अपने बिज़नेस को देहरादून में शिफ्ट कर रही है। अगर वे लोग देहरादून में उसे ज्वाइन करना चाहते हैं, तो वे उसके साथ आ सकते हैं, नहीं तो वह अपने लिए दूसरे एम्पलाइज़ रख लेगी। वे ईमानदार थे, इसलिए सब लोग अनिका के साथ देहरादून जाने के लिए मान जाते हैं। अनिका तीन दिन में अपना पूरा बिज़नेस देहरादून में शिफ्ट कर लेती है क्योंकि अब उसे मुंबई में नहीं रहना था। अब उसे शांति चाहिए थी। वह ऐसी जगह रहना चाहती थी जहाँ कोई ना उसे पहचाने, जहाँ वह किसी को ना पहचाने।


    ऐसे ही देखते-देखते एक हफ़्ता बीत जाता है, लेकिन समय और अनिका की कोई बात नहीं होती। ना समय ने अनिका को कॉल किया था, ना अनिका ने समय को कॉल किया था। आज समय अपने काम से फ़्री होता है, तो वह अपने असिस्टेंट की तरफ़ देखकर कहता है। असिस्टेंट अपना सर झुकाकर कहता है, "सर, मैं अनिका के घर गया था, लेकिन उसके फ़्लैट में ताला पड़ा हुआ था। मैं उनके ऑफिस गया, तो उन्होंने वह ऑफिस खाली कर दिया है। वह कहाँ है, कोई नहीं जानता। जैसे अचानक कोई शहर में आई थी, वैसी ही अचानक कोई शहर से ग़ायब हो गई।" अपने असिस्टेंट की बात सुनकर समय गुस्से में खड़ा हो जाता है और कहता है, "तुम्हें समझ नहीं आता तुम क्या कह रहे हो?" असिस्टेंट अपना सच छुपाकर कहता है, "सर, इसमें आपकी गलती है। वह न्यूज़ आने के बाद आप एक भी बार अनिका से बात नहीं किए थे, तो उन्हें तो यही लगेगा ना कि आपने उन्हें धोखा दिया है और किसी और से शादी करने वाले हैं।" अब जाकर समय को अपनी गलती का एहसास होता है।


    समय अपना फ़ोन उठाकर अनिका को कॉल करता है, लेकिन अनिका का कॉल स्विच ऑफ़ आ रहा था। समय पूरे दिन अनिका को फ़ोन करता है, उसके बारे में पता करने की कोशिश करता है, लेकिन उसे अनिका के बारे में कोई ख़बर नहीं मिलती। तभी उसे न्यूज़ की याद आती है और समय को शनाया से सगाई की बात याद आती है। जाकर उसे एहसास होता है कि वह न्यूज़ उसकी और अनिका के रिश्ते के लिए शायद बहुत घातक साबित हुई थी। इसीलिए तो अनिका ग़ायब हो गई थी, बिना उससे मिले, बिना उससे बात किए, बिना उसके सफ़ाई दिए। क्योंकि उसने भी एक बार भी इस न्यूज़ के बारे में अनिका से बात नहीं की थी। वह जानता था अनिका को उसके अपनों ने धोखा दिया था, तो वह इतनी जल्दी किसी पर विश्वास नहीं कर सकती, लेकिन फिर भी उसने समय पर विश्वास किया और समय ने उसे धोखा दिया।


    समय अनिका को ढूँढ़ते-ढूँढ़ते परेशान हो चुका था, लेकिन अनिका उसे कहीं नहीं मिली। समय धीरे-धीरे हारने लगा था, लेकिन फिर भी वह अनिका को ढूँढ़ने की अपनी पूरी कोशिश कर रहा था। लेकिन अनिका का कोई पता नहीं लग रहा था। देहरादून में अपना बिज़नेस सेट कर चुकी थी। अब उसने ना किसी से दोस्ती की थी, ना किसी के इतने करीब आई थी कि कोई आकर उसे धोखा दे सके। वह सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने बिज़नेस में लग गई थी। अब उसे सिर्फ़ एक बिज़नेस वुमन बनना था। प्यार, रिश्ते, दोस्ती, हर किसी से धोखा मिल चुका था। अब उसे किसी से कोई उम्मीद नहीं थी, और न ही पहचान थी। इस दुनिया में प्यार-मोहब्बत नाम की कोई चीज़ नहीं थी।


    देखते-देखते समय अपनी गति से चलता रहता है और एक साल बीत जाता है। इस 1 साल में समय ने अनिका को ढूँढ़ने की हर मुमकिन कोशिश की थी, लेकिन अनिका उसे कहीं नहीं मिली। 1 साल में उसने अपनी कंपनी को टॉप 10 में लाकर खड़ा कर दिया था। इतनी मेहनत की थी उसने। कोई भी एक इंडस्ट्रीज़ के बारे में कुछ नहीं जानता था- इंडस्ट्रीज़ किसकी थी, उसकी ओनर कौन थी, कुछ भी नहीं- लेकिन उसकी कंपनी ने पूरी दुनिया में तहलका मचा रखा था। प्रोजेक्ट अनिका के ही होते थे।


    एक बार भी अनिका मीडिया के सामने नहीं आई थी क्योंकि वह खुद को छुपाना चाहती थी। किसी को बताना नहीं चाहती थी कि एक्स इंडस्ट्रीज़ की ओनर वह खुद है। इसलिए वह चुपचाप अपना काम कर रही थी और जो भी प्रेस कॉन्फ़्रेंस होती थी, उसमें अनिका की सेक्रेटरी ही जाकर बात करती थी और इंटरव्यू देती थी। वहीं अनिका अपने ऑफिस में बैठी अपना काम कर रही थी। तभी उसकी सेक्रेटरी, नैंसी, उसके पास आती है और कहती है, "मल्होत्रा इंडस्ट्रीज़ का बिज़नेस प्रपोज़ल आया है।"


    बिना देखे ही नैंसी से कहती है, "रिजेक्ट कर दो। मुझे मल्होत्रा इंडस्ट्रीज़ के साथ कोई काम नहीं करना है। और हाँ, उनको यह भी बोल देना कि आगे से कभी भी मुझे अप्रोच करने की कोशिश ना करें, क्योंकि मैं कभी भी मल्होत्रा इंडस्ट्रीज़ के साथ कोई काम नहीं करूँगी।" नैंसी अनिका की बात सुनकर परेशान हो जाती है क्योंकि मल्होत्रा इंडस्ट्रीज़ दुनिया की नंबर वन इंडस्ट्रीज़ थी। उसके साथ काम करने वालों की लाइन लगी रहती है और अनिका प्रपोज़ल तक रिजेक्ट कर रही थी।


    लेकिन नैंसी अनिका के ख़िलाफ़ नहीं जा सकती थी, इसलिए वह "ओके" कहकर बाहर चली जाती है, लेकिन वह मल्होत्रा इंडस्ट्रीज़ को मना नहीं करती, बल्कि उनसे मीटिंग फ़िक्स कर देती है क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि मल्होत्रा इंडस्ट्रीज़ अनिका के ख़िलाफ़ कुछ करें, लेकिन वह मीटिंग वह खुद अटेंड करने वाली थी। जब इसका प्रोजेक्ट साइन हो जाता, तब जाकर वह यह बात अनिका को बताने वाली थी क्योंकि यह प्रोजेक्ट बहुत बड़ा था और यह प्रोजेक्ट करने से उनकी कंपनी टॉप फ़ाइव में आ जाती। इसीलिए नैंसी बिना अनिका से बात किए सब कुछ अपने आप ही कर लेती है।


    नैंसी के ऑफिस से बाहर जाते ही अनिका सर उठाकर ऊपर देखती है और फिर सीट से अपना सर टिकाकर रह जाती है। "एक बार फिर मैं तुम्हें अपनी ज़िंदगी में दस्तक नहीं देने दूँगी, समय। एक बार देख चुके हो तुमने, सब कुछ बर्बाद कर दिया था मेरा, मुझे तोड़कर रख दिया था अंदर से। अब मैं तुम्हें अपना चेहरा नहीं दिखाऊँगी और न ही तुम्हारा चेहरा देखूँगी।"


    मल्होत्रा इंडस्ट्रीज़


    समय अपनी चेयर पर बैठा हुआ था और उसके सामने उसका असिस्टेंट खड़ा था। वह कहता है, "सर, सारा काम हो गया है और एक इंडस्ट्रीज़ ने हमारा प्रपोज़ल एक्सेप्ट कर लिया है और एक हफ़्ते बाद मीटिंग शेड्यूल हुई है और मीटिंग के लिए हम लोगों को देहरादून जाना पड़ेगा।" समय "हाँ" बोलकर उसे जाने का इशारा करता है। समय अपनी सीट से टिकाकर कहता है, "कहाँ हो, अनिका? प्लीज़ वापस आ जाओ। नहीं जी रहा हूँ तुम्हारे बिना..."


    समय अपनी टेबल पर रखी हुई अनिका की फ़ोटो पर हाथ फेर देता है और कहता है, "यह सब कुछ शनाया की वजह से हुआ था और मैंने उसे ऐसी सज़ा दी है कि अब वह किसी को अपना मुँह दिखाने लायक नहीं। वही उसका बिज़नेस, उसका सब कुछ बर्बाद कर दिया मैंने। लेकिन तुम्हें नहीं ढूँढ़ पा रहा हूँ मैं। तुम कहाँ छुप गई हो? प्लीज़ जल्दी से वापस आ जाओ। एक साल बीत गया है। एक साल, मेरे लिए पूरे एक जन्म के बराबर था। प्लीज़ वापस आ जाओ, यार..."


    वहीं दूसरी तरफ़ मुंबई में राजेंद्र जी परेशान हो चुके थे। उन्हें अनिका का कोई पता नहीं चल रहा था। जिस दिन अनिका उनके घर से गई थी, उस दिन के बाद उनके पास अनिका की कोई जानकारी नहीं थी। अनिका कहाँ गई? किसके साथ गई? वह कहाँ पर है?


    राजेंद्र जी ने सब कुछ अब अपने हाथ में दे दिया था- पूरा बिज़नेस और उनके नाम था। इसीलिए ज़्यादातर वह अपने ऑफिस में बिज़ी रहते थे और उन्होंने कामिनी, मुक्ति और राहुल सबके ख़र्च बंद कर दिए थे और वे सब लोग मोहताज हो गए थे राजेंद्र जी के। और राजेंद्र जी ने एक वसीयत करवाई थी जिसमें उन्होंने अपनी सारी प्रॉपर्टी अनिका के नाम कर दी थी। कुछ भी किसी के नाम नहीं था। उनका हर कुछ सिर्फ़ और सिर्फ़ अनिका के नाम था।


    राहुल अपने कमरे की खिड़की पर खड़ा बाहर के अंधेरे को देख रहा था और उसके दिमाग में सिर्फ़ अनिका चल रही थी क्योंकि उसने मुक्ति से शादी सिर्फ़ प्रॉपर्टी के लिए की थी और इसलिए कि शादी के बाद वह इस कंपनी का सीईओ बन जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और उसने अपना प्यार भी खो दिया, अपनी दोस्ती भी, और उसे मिला भी कुछ नहीं। इसलिए वह मुक्ति से अपना पीछा छुड़ाने के बहाने ढूँढ़ रहा था कि कैसे भी करके मुक्ति कोई गलती करे और वह मुक्ति को तलाक दे।


    देहरादून में अनिका अपने ऑफिस में थी और अपना काम कर रही थी। तभी नैंसी उसके पास आती है और कहती है, "प्रताप इंडस्ट्रीज़ से एक प्रपोज़ल आया है। क्या आप उसे एक्सेप्ट करना चाहेंगी?" अनिका ज़्यादा ध्यान नहीं देती है और कहती है, "प्रोजेक्ट देखो क्या है, हमें कितना प्रॉफ़िट है, क्या है। सब कुछ देखकर फिर मुझे बताओ, फिर हम सोचते हैं क्या करना है।" नैंसी "हाँ" बोलकर चली जाती है। प्रताप इंडस्ट्रीज़ को कॉल करके कहती है कि वे अपना प्रेजेंटेशन दिखाएँ और मीटिंग करें। उसके बाद डिसाइड करते हैं। राजेंद्र जी नैंसी की बात सुनकर "हाँ" बोलकर कॉल कट कर देते हैं।


    "रीबर्थ इन नॉवेल"


    Do like, share, comment, support, review guys 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • 9. Rebirth in novel - Chapter 9

    Words: 2829

    Estimated Reading Time: 17 min

    वहीं दूसरी तरफ, दिल्ली में राजेंद्र जी परेशान हो चुके थे। उन्हें अनिका का कोई पता नहीं चल रहा था। जिस दिन वह उनके घर से गई थी, उसके बाद से उनके पास अनिका की कोई जानकारी नहीं थी। अनिका कहाँ गई? किसके साथ गई? वह कहाँ है?


    राजेंद्र जी ने सब कुछ अपने हाथ में दे दिया था। पूरा बिज़नेस उनके नाम था। इसीलिए, ज्यादातर वह अपने ऑफिस में बिजी रहते थे। उन्होंने कामिनी, मुक्ति और राहुल सबके खर्च बंद कर दिए थे। अब सब लोग राजेंद्र जी पर मोहताज हो गए थे। राजेंद्र जी ने एक वसीयत करवाई थी जिसमें उन्होंने अपनी सारी प्रॉपर्टी अनिका के नाम कर दी थी। कुछ भी किसी के नाम नहीं था। उनका हर कुछ सिर्फ और सिर्फ अनिका के नाम था।


    राहुल अपने कमरे की खिड़की पर खड़ा था। वह बाहर के अंधेरे को देख रहा था। उसके दिमाग में सिर्फ अनिका चल रही थी। उसने मुक्ति से शादी सिर्फ प्रॉपर्टी के लिए की थी। उसे लगा था कि शादी के बाद वह कंपनी का सीईओ बन जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। उसने अपना प्यार खो दिया, अपनी दोस्ती भी। उसे कुछ भी नहीं मिला। इसलिए, वह मुक्ति से अपना पीछा छुड़ाने के बहाने ढूंढ रहा था। वह चाहता था कि मुक्ति कोई गलती करे, ताकि वह उसे तलाक दे सके।


    देहरादून में, अनिका अपने ऑफिस में थी और अपना काम कर रही थी। तभी नैंसी उसके पास आई और बोली,
    "मैंने प्रताप इंडस्ट्रीज से एक प्रपोजल पाया है। क्या आप उसे एक्सेप्ट करना चाहेंगी?"

    अनिका ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और बोली,
    "प्रोजेक्ट देखो, क्या है। हमें कितना प्रॉफिट है, क्या है। सब कुछ देखकर फिर मुझे बताओ। फिर हम सोचते हैं क्या करना है।"

    नैंसी "हाँ" बोलकर चली गई। उसने प्रताप इंडस्ट्रीज को कॉल करके कहा कि वे अपना प्रेजेंटेशन दिखाएँ और मीटिंग करें। उसके बाद डिसाइड किया जाएगा। राजेंद्र जी ने नैंसी की बात सुनकर "हाँ" बोलकर कॉल काट दिया।


    राजेंद्र जी जल्दी से घर आए और अपना बैग पैक करके देहरादून के लिए निकल गए। उनके लिए यह मीटिंग बहुत जरूरी थी क्योंकि यह कंपनी टॉप फाइव में पहुँचने वाली थी। इसके साथ काम करके वह अपनी कंपनी को एक नई ऊँचाई दे सकते थे।


    वह अनिका को ढूँढने में लगा हुआ था, लेकिन उसे कहीं नहीं मिली थी। उसकी हिम्मत जवाब देने लगी थी। इस चक्कर में वह बहुत क्रूर और डेविल बन गया था। हर समय उसकी नाक पर गुस्सा रहता था। एक गलती पर वह या तो किसी की जान भेज देता था या फिर उसे कंपनी से बाहर फेंक देता था।


    दूसरी तरफ, जब अनिका घर पहुँची, तो वह घर बिल्कुल खाली था। उसे घर आने की जल्दी नहीं थी क्योंकि वह जानती थी कि कोई उसका इंतज़ार नहीं कर रहा है। अगर वह दस दिन भी घर नहीं आएगी, तो कोई उसे पूछने वाला नहीं था कि वह घर क्यों नहीं आई। अगर वह खाना नहीं खाएगी, तो कोई उसे डाँटने वाला नहीं था। ये सब सोचते हुए अनिका अपने कमरे में आकर बेड पर लेट गई और अपने दिल पर हाथ रखकर बोली,
    "तुमने मेरे साथ बहुत गलत किया। समय, तुम्हें मेरी ज़िन्दगी में आना ही नहीं चाहिए था। अगर आए थे, तो फिर अपने रिश्ते को निभाते। लेकिन शायद तुम भी दूसरों की तरह, मेरा शरीर चाहते थे, जिसे पाने के बाद तुमने किसी और से शादी कर ली।"


    अनिका यही सब सोचते हुए, बिना कपड़े चेंज किए, बिना खाना खाए, सो गई। अनिका सो चुकी थी। वहीं दूसरी तरफ, मुंबई में समय अभी भी जाग रहा था। वह अपने कमरे की बालकनी में खड़ा था। वह अंधेरे को देखते हुए बोला,
    "कहाँ हो अनिका? बहुत जल्द वापस आ जाओ, वरना मैं टूट कर बिखर जाऊँगा। अब मैं टूट रहा हूँ। मेरा विश्वास टूट रहा है। मेरा भरोसा टूट रहा है। प्लीज़ वापस आ जाओ।"


    तभी उसके पास एक कॉल आया।
    "सर, हमें कल मीटिंग के लिए देहरादून जाना है।"
    समय ने कहा,
    "ठीक है। कब चलना है, बता देना।"
    "सर, अभी निकलते हैं, फिर सुबह तक पहुँच जाएँगे। सुबह 8:00 बजे मीटिंग है।"
    समय ने कहा, "ठीक है, मैं आता हूँ। तुम सारी तैयारी करके रखो।"

    समय तैयार होकर देहरादून निकल गया। तीन घंटे बाद, जब समय देहरादून की ज़मीन पर अपना कदम रखता है, तो उसे ऐसा लगता है जैसे इन हवाओं में एक अपनापन था।


    समय अपनी बाहें फैलाकर उन हवाओं को महसूस करता है और कहता है,
    "मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि मेरा कोई अपना यहाँ मौजूद है? जिसके होने का एहसास मुझे यहाँ कदम रखते ही हो गया था। और मेरा इतना अपना तो सिर्फ एक इंसान है, वह तुम हो अनिका। अगर तुम यहाँ हो, अगर तुम एक बार मेरे सामने आ गई, तो मैं तुम्हें हमेशा के लिए अपना बना लूँगा। तुम्हें खुद से एक पल दूर नहीं करूँगा। लेकिन प्लीज़ वापस आ जाओ।"


    फिर अपनी गाड़ी में बैठकर, वह वहाँ से होटल के लिए निकल जाता है। होटल पहुँचते ही, अपने कमरे में जाकर फ्रेश होकर तैयार होकर, वह वहाँ से प्रताप इंडस्ट्रीज के लिए निकल जाता है।


    उधर, राजेंद्र जी भी मीटिंग के लिए पहुँच चुके थे। राजेंद्र जी की मीटिंग 10:00 बजे थी और समय की 8:00 बजे। तो राजेंद्र जी इस वक़्त अपने होटल में बैठकर आराम कर रहे थे और अपनी प्रेजेंटेशन बना रहे थे। अनिका ऑफिस पहुँच चुकी थी। तभी नैंसी बोली,
    "आपकी मीटिंग है, मल्होत्रा इंडस्ट्रीज के मालिक के साथ।"

    अनिका हैरानी से नैंसी की तरफ देखती है। नैंसी बोली,
    "यह प्रोजेक्ट हमारे लिए बहुत ज़रूरी है। अगर यह प्रोजेक्ट साइन हो जाता है, तो हमारी कंपनी टॉप 5 में पहुँच जाएगी और आपकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी।"


    अनिका को नैंसी पर गुस्सा आ रहा था, लेकिन वह उसे दिखा नहीं रही थी। उसने जो सोचा था, उसके लिए सोचा था। लेकिन वह जानती थी कि मल्होत्रा इंडस्ट्रीज का मालिक कौन है। जिस इंसान से वह पिछले एक साल से भाग रही थी, अब उसे उसी इंसान के सामने जाना पड़ेगा और उसे किसी और के साथ, किसी और की बाहों में देखना पड़ेगा। जिस चीज को सोचकर ही अनिका का दिल तड़पता था, वह चीज अब करनी पड़ेगी।


    "ठीक है, मैं जाकर तैयारी करती हूँ।"

    अनिका दस मिनट में खुद को तैयार करके उठकर कॉन्फ्रेंस हॉल की तरफ चली जाती है। वहाँ बैठा समय अपने फ़ोन में अपने मेल चेक कर रहा था। तभी वहाँ हाई हील्स की आवाज़ आती है। सब लोग उसकी तरफ़ देखते हैं और अनिका को देखकर सब शौक हो जाते हैं कि एक इंडस्ट्रीज की मालिक एक लड़की है। यह देखकर ही वे लोग थोड़े परेशान थे। तभी वह आकर सेंटर में खड़ी हो जाती है और कहती है,
    "हेलो एवरीवन, कैसे हो आप सब? मुझे उम्मीद है आप सब अच्छे होंगे। माइसेल्फ अनिका..."


    अनिका का नाम सुनकर समय बहुत जल्दी ऊपर देखता है और अपने सामने अनिका को देखकर वह नीचे उठकर खड़ा हो जाता है और अनिका की तरफ़ देखने लगता है, लेकिन अनिका एक बार भी समय की तरफ़ नहीं देखती थी। अनिका सबका इंट्रोडक्शन करवा देती है, फिर बैठकर प्रेजेंटेशन देने लगती है। सब लोग प्रेजेंटेशन दे रहे थे और वहीं समय की निगाहें सिर्फ अनिका के चेहरे पर थीं। कितनी बदल चुकी है यह लड़की...


    समय सबकी प्रेजेंटेशन देखता है और उसके बाद वह कहता है,
    "आप सबकी प्रेजेंटेशन बहुत अच्छी थी, बट मिस अनिका की प्रेजेंटेशन आउटस्टैंडिंग है। इसलिए मैं यह प्रोजेक्ट अनिका के साथ करना चाहूँगा।"


    समय अनिका से हाथ मिलाता है और कॉन्ट्रैक्ट साइन करता है। अभी तक ना समय ने अनिका से कुछ कहा था और ना अनिका ने समय से कुछ कहा था। फिर प्रोजेक्ट साइन होने के बाद, नैंसी बोली,
    "मिस्टर मल्होत्रा, आपका लंच आज हमारे साथ ही है। तो आप चलकर मेरे साथ उनके ऑफिस में बैठिए। तब तक मैं आपके लिए लंच लेकर आती हूँ और प्लीज़ आप अपने असिस्टेंट को भी बुला लीजिएगा।"


    नैंसी कॉन्फ्रेंस हॉल से बाहर चली जाती है और उसके साथ ही समय का सेक्रेटरी भी चला जाता है। वहीं उनके जाने के बाद, अनिका उठकर जाने लगती है, तो समय उसका हाथ पकड़ कर उसे एकदम से अपने ऊपर खींच लेता है और अनिका समय की बाहों में जाकर गिरती है।


    अनिका समय को खुद से दूर करते हुए कहती है,
    "आपको शर्म नहीं आती मिस्टर मल्होत्रा? आप शादीशुदा हो, फिर भी आप ऐसी हरकतें कर रहे हो? छोड़ दीजिए मुझे और प्लीज़, अगर आपको गोदी में बिठाने का शौक है, तो अपनी बीवी को बताइए जाकर।"


    समय अनिका की तरफ़ देखकर कहता है,
    "यह मेरी मर्ज़ी है कि मैं किसको अपनी बाहों में लेता हूँ और किसको नहीं। आज मेरा मन तुम्हें अपनी बाहों में लेने का है, तो मैं ले रहा हूँ।"

    अनिका समय का हाथ झटक देती है और कहती है,
    "मैं कोई बेज़ार औरत नहीं हूँ मिस्टर मल्होत्रा, जिसे आप जब चाहे अपनी बाहों में लो और जब चाहो उसे उठाकर फेंक दो।"


    अनिका के मुँह से अपने लिए ऐसी बातें सुनकर समय को बहुत गुस्सा आता है। वह खींचकर थप्पड़ अनिका के चेहरे पर मार देता है और कहता है,
    "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इतने गलत शब्द मेरे बारे में बोलने की? मैं तुम्हारी शिकायत सुन रहा था ना, तो तुमसे किसने कहा इतनी बदतमीज़ी से बात करने के लिए?"

    वह अनिका के बालों को जमकर पकड़ कर कहता है,
    "तुम मेरे बारे में सब कुछ जानती हो, फिर भी ऐसी गलती तुमने की कैसे?"


    अनिका समय के हाथ को अपने बालों से निकालने की कोशिश कर रही थी, लेकिन समय उसके बालों को नहीं छोड़ रहा था और अपने चेहरे को उसके चेहरे के करीब लाते हुए कहता है,
    "तुम मेरी हो, समय मल्होत्रा की हो, तुम। और तुम्हें अपने बारे में कोई भी गलत शब्द बोलने की ज़रूरत नहीं है। वरना अभी जो थप्पड़ तुम्हारे गाल पर पड़ा है ना, इसकी जगह तुम्हारा गला काटकर फेंक दूँगा मैं। क्योंकि जो इंसान मेरा है, वह सिर्फ मेरा है।"


    अनिका समय के हाथ को झटक देती है और कहती है,
    "मैं आपकी कोई पर्सनल प्रॉपर्टी नहीं हूँ। मैं एक लड़की हूँ, जीती-जागती लड़की, जिसकी फ़ीलिंग्स हैं, जिसको दर्द होता है, तकलीफ़ होती है। आप शादी से आने के बाद मेरे बारे में एक बार भी जानने की कोशिश नहीं की, क्योंकि आपको मुझसे मतलब नहीं था। आपको सिर्फ मेरा शरीर चाहिए था, जो आप ले चुके थे। उसके बाद आपको मेरी ज़रूरत नहीं थी। इसीलिए आप मुझे उसी दिन घर भेजकर खुशी से सगाई करने चले गए। मिस्टर मल्होत्रा, अगर यह आपकी मोहब्बत थी, तो मुझे ऐसी मोहब्बत नहीं चाहिए।"


    समय हैरानी से अनिका की तरफ़ देख रहा था। अनिका बोली,
    "इतना हैरान होने की ज़रूरत नहीं है। आपकी शादी और आपके इंगेजमेंट की ख़बरें बहुत सुर्ख़ियों में रहीं और मैं बहुत खुश हूँ कि आप अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ गए। लेकिन प्लीज़ मुझसे दूर रहिए, क्योंकि यह मेरी एक गलती थी कि मैं इस वक़्त आपके करीब आ गई। मुझे लगा आप इस दुनिया में सबसे अलग, सबसे जुदा हो, लेकिन मैं भूल गई थी कि हर मर्द एक जैसा होता है और उसे औरत से सिर्फ एक चीज चाहिए होती है और वह लेने के बाद वह उसे छोड़ देता है क्योंकि उसे मिल चुकी चीज आदमी दोबारा नहीं चाहता।"


    अनिका की बातें समय को गुस्सा दिला रही थीं और वह गुस्से में पागल हो चुका था। उसके माथे की नसें उभर कर दिखने लगी थीं और हाथ की नसें तो ऐसा लग रहा था जैसे अभी फट जाएँगी। लेकिन अनिका का ध्यान अभी तक समय के गुस्से पर नहीं गया था और वह अपने मन की भड़ास निकालने में लगी हुई थी।


    समय गुस्से में अनिका को अपनी बाहों में उठा लेता है और वहाँ से प्राइवेट एरिया की तरफ़ निकलकर सीधा अपनी गाड़ी में बैठकर वहाँ से निकल जाता है। अनिका समय से छूटने की कोशिश कर रही थी, लेकिन समय उसे नहीं छोड़ रहा था। समय गुस्से में इतना पागल हो चुका था कि इस वक़्त उसे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था, ना ही कुछ सुनाई दे रहा था। उसके कानों में अनिका के कहे शब्द गूंज रहे थे।


    जो शब्द अनिका ने समय से कहे थे कि समय को सिर्फ अनिका का शरीर चाहिए था और उसे अनिका से प्यार नहीं था, यही सारी बातें समय के कानों में गूंज रही थीं और समय का गुस्सा बढ़ता जा रहा था। वह गुस्से में बहुत तेज ड्राइव कर रहा था। ऐसा लग रहा था कि आज या तो वह खुद मर जाएगा या आज ऐसा कुछ कर जाएगा कि जिससे निकट भविष्य में उबर नहीं पाएगा।


    जब समय की गाड़ी रुकती है, तो उनके सामने दिखता है, वह मैरिज रजिस्ट्रार का ऑफिस था। उसे देखकर अनिका हैरानी से समय की तरफ़ देखती है, लेकिन समय एक बार भी अनिका की तरफ़ नहीं देखता और उसका हाथ पकड़ कर उसे जबरदस्ती अंदर ले जाता है। और थोड़ी देर में समय और अनिका की शादी हो जाती है। उसके बाद समय अनिका को फिर से गाड़ी में बिठाकर निकल जाता है। अनिका को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है।


    अनिका समय की तरफ़ देखती है और कहती है,
    "गाड़ी रोको! समय, मुझे तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाना और तुम मेरे कुछ नहीं लगते। यह कागज़ के टुकड़ों से शादी नहीं होती है, समझे तुम?"

    वह समय का हाथ रोकने की कोशिश कर रही थी, लेकिन समय गाड़ी नहीं रोकता, बल्कि उसकी स्पीड बढ़ा देता है। थोड़ी देर में उनकी गाड़ी एक मंदिर के सामने आकर रुकती है। जब अनिका सामने देखती है, तो मंदिर देखकर वह एक बार फिर हैरानी से समय की तरफ़ देखती है।


    समय अनिका को लेकर मंदिर में चला जाता है और जबरदस्ती उसके साथ शादी करने लगता है। अनिका अपने आप को छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रही थी, लेकिन समय उसे नहीं छोड़ता। जब शादी हो जाती है, तो समय अनिका का हाथ छोड़ देता है और कहता है,
    "आज से तुम मेरी पत्नी हो। तुम्हारे जिस्म पर, तुम्हारे मांग के सिंदूर पर, हर चीज पर मेरा हक़ है। लेकिन आज जो बातें तुमने मुझसे कहीं हैं ना, मैं उसे कभी नहीं भूल सकता। इसीलिए जा रहा हूँ तुम्हें छोड़कर। अब तुम जैसे चाहो, वैसे अपनी ज़िन्दगी जी सकती हो। आज के बाद मैं पलट कर कभी तुम्हारी तरफ़ नहीं देखूँगा। यह वादा है मेरा तुमसे।"


    जाते हुए समय का हाथ रोककर अनिका बोली,
    "क्या साबित करना चाहते थे तुम? जबरदस्ती शादी करके दूसरी औरत बनाकर रख दिया मुझे। अगर कल को तुम्हारी बीवी को पता चलता है, तो वह मुझे तुम्हारी रखैल कहेगी। बस यही बाकी रह गया था ना मेरी ज़िन्दगी में देखने को? आज मैं तुमसे एक वादा करती हूँ, समय! इस दुनिया में मैं सबसे ज़्यादा नफ़रत तुमसे करूँगी। जितनी नफ़रत आज तक मैंने कभी किसी से नहीं की, उतनी नफ़रत मैं तुमसे करूँगी। तो मेरी एक बात याद रखना, यह सिंदूर, यह मंगलसूत्र, यह कागज़ के टुकड़े मुझे बंध नहीं सकते तुम्हारे साथ। मैं अपनी ज़िन्दगी अपने हिसाब से जीऊँगी और तुमसे बेहतर इंसान से शादी करके अपना घर बसाऊँगी। यह चैलेंज है मेरा!"


    समय अनिका की दूसरी शादी वाली बात सुनकर गुस्से में अनिका की तरफ़ पलटता है और उसके बालों को पकड़ कर कहता है,
    "हिम्मत भी मत करना किसी आदमी के करीब जाने की, वरना सबसे पहले तुम्हें जान से मार दूँगा। उसके बाद, तुम पर, तुम्हारी आत्मा पर, तुम्हारी रूह पर सिर्फ मेरा हक़ है, सिर्फ समय मल्होत्रा का, समझे तुम अनिका?"

    अनिका समय के हाथ को झटक देती है और कहती है,
    "अब मैं तुमसे वादा करती हूँ, हर रात मैं नए आदमी के साथ रहूँगी, हर रात शादी करूँगी और हर रात सुहागरात मनाऊँगी। रोक सकते हो तो रोक लेना मुझे!"


    और मंदिर से बाहर जाने लगती है। अब समय का गुस्सा काफ़ी बढ़ चुका था, क्योंकि अनिका अपने गुस्से में कुछ भी बोल रही थी, जिसका एहसास उसे अभी नहीं था। समय उठकर अनिका को अपनी गोदी में उठाकर अपनी गाड़ी में पटक देता है और गाड़ी को वहाँ से फुल स्पीड में लेकर चला जाता है।


    समय की गाड़ी आकर उसके प्राइवेट विला पर रुकती है और समय अनिका को जबरदस्ती उठाकर उसे विला में ले जाकर पटक देता है और कहता है,
    "आज के बाद यह घर तुम्हारी दुनिया है। यह चार दीवारी तुम्हारी किस्मत। आज से तुम यहीं रहोगी और तुम्हें यहाँ से कहीं जाने की इजाजत नहीं है।"


    "Rebirth in novel"

    Do like, share, comment, support, Review guys 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • 10. Rebirth in novel - Chapter 10

    Words: 2588

    Estimated Reading Time: 16 min

    समय अनिका को लेकर मंदिर में गया और जबरदस्ती उसके साथ शादी करने लगा। अनिका अपने आप को छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रही थी, लेकिन समय उसे नहीं छोड़ रहा था। जब शादी हो गई, तो समय अनिका का हाथ छोड़कर बोला, "आज से तुम मेरी पत्नी हो। तुम्हारे जिस्म पर, तुम्हारी मांग के सिंदूर पर, हर चीज पर मेरा हक है। लेकिन आज जो बातें तुमने मुझसे कहीं हैं, मैं उन्हें कभी नहीं भूल सकता। इसीलिए जा रहा हूँ तुम्हें छोड़कर। अब तुम जैसे चाहो, वैसे अपनी ज़िंदगी जी सकती हो। आज के बाद मैं पलटकर कभी तुम्हारी तरफ नहीं देखूँगा। यह वादा है मेरा तुमसे।"


    जाते हुए, समय का हाथ पकड़कर अनिका बोली, "क्या साबित करना चाहते थे तुम? जबरदस्ती शादी कर, दूसरी औरत बनाकर रख दिया मुझे। अगर कल को तुम्हारी बीवी को पता चलता है, तो वह मुझे तुम्हारी रखैल समझेगी। बस यही बाकी रह गया था ना मेरी ज़िंदगी में देखने को? आज मैं तुमसे वादा करती हूँ, समय, इस दुनिया में मैं सबसे ज़्यादा नफ़रत तुमसे करूँगी। जितनी नफ़रत आज तक मैंने कभी किसी से नहीं की, उतनी नफ़रत मैं तुमसे करूँगी। तो मेरी एक बात याद रखना, यह सिंदूर, यह मंगलसूत्र, यह कागज़ के टुकड़े मुझे बंध नहीं सकते तुम्हारे साथ। मैं अपनी ज़िंदगी अपने हिसाब से जीऊँगी, और तुमसे बेहतर इंसान से शादी करके अपना घर बसाऊँगी। यह चैलेंज है मेरा।"


    समय अनिका की दूसरी शादी वाली बात सुनकर गुस्से में अनिका की तरफ़ पलटा और उसके बालों को पकड़कर बोला, "हिम्मत भी मत करना किसी आदमी के करीब जाने की, वरना सबसे पहले तुम्हें जान से मारूँगा। उसके बाद, तुम पर, तुम्हारी आत्मा पर, तुम्हारी रूह पर सिर्फ़ मेरा हक है। सिर्फ़ समय मल्होत्रा का, समझी तुम अनिका?" अनिका समय के हाथ को झटकते हुए बोली, "अब मैं तुमसे वादा करती हूँ, हर एक रात मैं नए आदमी के साथ रहूँगी, हर रात शादी करूँगी और हर रात सुहागरात मनाऊँगी। रोक सकते हो तो रोक लेना मुझे।"


    और मंदिर से बाहर जाने लगी। अब समय के गुस्से का पारा चढ़ चुका था क्योंकि अनिका अपने गुस्से में कुछ भी बोल रही थी, जिसका एहसास उसे अभी नहीं था। समय, जाती हुई अनिका को अपनी गोदी में उठाकर अपनी गाड़ी में पटक दिया और गाड़ी को वहाँ से फ़ुल स्पीड में ले गया।


    समय की गाड़ी उसके प्राइवेट विला पर पहुँची। समय अनिका को जबरदस्ती उठाकर विला में ले जाकर पटक दिया और बोला, "आज के बाद यह घर तुम्हारी दुनिया है। यह चारदीवारी तुम्हारी किस्मत। आज से तुम यहीं रहोगी और तुम्हें यहाँ से कहीं जाने की इजाज़त नहीं है।"


    अनिका समय के सामने हाथ बाँधकर खड़ी हो गई और बोली, "अगर रोक सकते हो ना, तो रोक लेना। मैं तो यहाँ से भाग जाऊँगी। लेकिन एक बात याद रखना, अगर इस बार मैं यहाँ से भाग गई, तो तुम ज़िंदगी में कभी मुझे पकड़ नहीं पाओगे।" अनिका की बात सुनकर समय को बहुत गुस्सा आ रहा था। समय अनिका के सामने खड़ा हो गया और बोला, "तो ठीक है, कोशिश कर लो भागने की। फिर मैं भी तुम्हें बताता हूँ, अगर तुमने एक कदम भी इस घर से बाहर निकाला, तो मैं तुम्हारे दोनों पैर तोड़कर तुम्हें घर में बंद कर दूँगा और फिर हमेशा इसी घर में पड़ी रहना।"


    अनिका बोली, "तो कोशिश करके देख लो, और अपनी सारी सिक्योरिटी लगा लेना, और खुद भी लग जाना। लेकिन फिर भी तुम अनिका को यहाँ से भागने से नहीं रोक पाओगे। क्योंकि अनिका वह तूफ़ान है जो किसी के कैद में कभी नहीं रह सकती। प्यार करती थी तुमसे, इसलिए तुम पर विश्वास किया था। अपना सब कुछ तुम्हें दिया था, लेकिन तुमने किसी और से शादी करके जो धोखा मुझे दिया है, उसके बदले में मेरी नफ़रत तुम्हारी नसीब में आएगी अब…"


    समय भी हाथ बाँधकर खड़ा हो गया और बोला, "ठीक है। अगर तुम इस घर से भागने में कामयाब हो गईं, तो तुम जो कहोगी, मैं करने को तैयार हूँ। और अगर तुम इस घर से नहीं भाग पाईं, तो जो मैं कहूँगा, वह तुम करोगी। चैलेंज एक्सेप्टेड…"


    समय घर से बाहर जाने लगा तो अनिका बोली, "अपनी पहली बीवी को बोल देना जाकर कि तुम एक लड़की को प्यार करने वाले बंदे नहीं हो। तुम्हें हज़ार लड़कियाँ चाहिए होती हैं। एक घर में उसे छोड़ा है, दूसरे घर में मुझे, और शायद तीसरे घर में कोई तीसरी होगी।"


    अनिका की बात सुनकर समय गुस्से में मुट्ठी कसता हुआ उसकी तरफ़ पलटकर बोला, "हाँ, जा रहा हूँ उसके पास, क्योंकि वह तुमसे अच्छी है। प्यार करती है मुझसे, जो कहता हूँ वह मानती है, जैसा कहता हूँ वैसे रहती है, जैसा बोलता हूँ सुनती है, जो चाहता हूँ करती है। तुमसे तो लाख गुना अच्छी है। तुम जैसी बदतमीज़ और बिगड़ी हुई लड़की मैंने आज तक अपनी ज़िंदगी में नहीं देखी।"


    अनिका ने कहा, "मिस्टर मल्होत्रा, मैंने भी नहीं कहा था कि आप इस बदतमीज़, बिगड़ी हुई लड़की से शादी करो। आप ही ने की है, तो ठीक है, जाने दो मुझे यहाँ से। फिर आपको कभी भी इस बदतमीज़ और बिगड़ी हुई लड़की की शक्ल नहीं देखनी पड़ेगी।"


    समय अनिका के सामने खड़ा हुआ और बोला, "यह तो पॉसिबल नहीं है, क्योंकि अब तुम रहोगी इस पिंजरे में। ओके? तुम्हें रिहाई नहीं मिलेगी, समझी? और एक बात, आज रात मेरे लिए बहुत स्पेशल होने वाली है, क्योंकि भाई शादी तो मैंने तुमसे की है, लेकिन फ़र्स्ट नाइट तो मुझे अपनी पहली पत्नी के साथ मनानी है ना? तो मैं वहीं जा रहा हूँ। इंतज़ार मत करना मेरा, क्योंकि मैं वापस नहीं आऊँगा। उसी के पास रहूँगा।"


    अनिका बोली, "ठीक है ना, मैंने कब तुमसे मना किया है जाने के लिए? जो वैसे भी तुम्हारे घर में बहुत सारे बॉडीगार्ड्स हैं, जो स्मार्ट एंड हैंडसम हैं, मैं उनमें से किसी को पटा लूँगी और यहाँ रहना भी मेरे लिए आसान हो जाएगा। ओके, जाओ, जल्दी जाओ, मुझे देर हो रही है यहाँ से।" और खुद ऊपर कमरे की तरफ़ चली गई। अनिका का ऐसा रिएक्शन देखकर समय गुस्से में पागल हो गया और सामने पड़ी कांच की टेबल पर जोर से लात मार दी। वह टेबल टुकड़ों में बिखर गई।


    ऊपर रेलिंग के पास खड़ी अनिका, नीचे समय का गुस्सा देखकर मुस्कुराने लगी और बोली, "यह तो शुरुआत है, समय। आगे आकर देखो, तुम्हें इतना गुस्सा दिलाऊँगी कि तुम खुद मुझे इस घर से बाहर भेज दोगे, और मुझे मेहनत करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी।"


    अनिका वहाँ से फिर चारों तरफ़ देखने लगी। वहाँ पर सिर्फ़ एक ही कमरा था, इसलिए अनिका उस कमरे में चली गई। अनिका उस कमरे में पहुँची तो देखा, वह कमरा समय का था, क्योंकि वहाँ पर समय की बहुत सारी फ़ोटोस लगी हुई थीं। अनिका फ़ोटोस को देखकर उन पर हाथ फिरते हुए बोली, "तुम सच में बहुत बुरे इंसान हो। तुमने मेरी पूरी ज़िंदगी बर्बाद कर दी। अब अपनी पहली बीवी के पास गए हो मौज-मस्ती करने। अच्छी बात है।"


    अनिका अपने कपड़े बदलकर बाहर आई। उसे घर में अपने कोई कपड़े नहीं थे, इसीलिए अनिका ने इस वक़्त समय की एक शर्ट पहनी हुई थी, जो उसके घुटनों के ऊपर तक आ रही थी। व्हाइट कलर की उस शर्ट में अनिका बहुत खूबसूरत लग रही थी।


    वहीं इस पूरे घर में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे, इसके बारे में किसी को नहीं पता था, सिवाय समय के। समय उन कैमरों में अनिका को देख रहा था और इस तरह देखकर समय का गुस्सा अपने लेवल पर पहुँच गया, क्योंकि समय इस वक़्त अपनी एक ज़रूरी मीटिंग में जा रहा था, लेकिन अनिका को इस तरह गार्डन में जाता हुआ देखकर समय अपनी गाड़ी को यू-टर्न लेकर वापस अपने घर की तरफ़ मोड़ लेता है, क्योंकि वह नहीं चाहता था कि अनिका को इस रूप में उसका कोई भी बॉडीगार्ड्स देखें। तभी वह अपने हेड गार्ड को फ़ोन करता है और कहता है, "सारे गार्डों को छुट्टी दे दो और बाहर से गेट बंद करके ताला डाल देना। और एक बात, कोई भी गार्ड्स या कोई भी सर्वेंट घर के अंदर नहीं रहना चाहिए।"


    बॉडीगार्ड्स वही करते हैं जो समय ने उन्हें करने के लिए बोला था। अब इस पूरे घर में सिर्फ़ अनिका अकेली थी और अनिका को इस बात का एहसास भी नहीं था। इसीलिए वह गार्डन में घूम रही थी और ऊपर आसमान को देख रही थी क्योंकि आज सुबह से उसने कोई काम नहीं किया था और उसके पास ना उसका फ़ोन था, ना ही घर में कहीं पर कोई फ़ोन था कि वह नैंसी से बात करके अपना काम पूरा कर सके। इसीलिए वह बिल्कुल फ़्री थी और आसमान में चमक रहे तारों को देख रही थी।


    अनिका को एहसास हुआ कि धीरे-धीरे पूरे घर की लाइट बंद हो रही थी। अनिका उठकर बैठ गई और चारों तरफ़ नज़र घुमाती है तो पूरा घर खाली था, कोई बॉडीगार्ड्स नहीं था, ना ही कोई सर्वेंट था, और धीरे-धीरे पूरे घर की लाइट बंद होती जा रही थी। यह देखकर अनिका अपनी आँखें बंद कर लेती है।


    फिर अपनी आँखें खोलकर घर की तरफ़ बढ़ने लगी। जैसे-जैसे वह घर की तरफ़ बढ़ रही थी, डर की वजह से उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी। भले ही अनिका कितनी भी बहादुर थी, लेकिन थी तो वह एक लड़की ही, और अंधेरे से उसे डर लगता था। पिछले जन्म नॉवेल में आने से पहले जो उसके साथ हुआ था, वह अंधेरे कमरे में हुआ था, इसीलिए उसे डर लग रहा था।


    वहीं अंधेरे में एक साया अनिका के पीछे-पीछे चल रहा था और पीछे से अनिका की कमर को पकड़कर खुद के सीने से चिपका लेता है। अनिका के डर के मारे हालत खराब हो रही थी, लेकिन अगर वह थोड़ा अपना दिमाग लगाती, तो उसे पता चल जाता कि वह इंसान कौन है। डर की वजह से अनिका उस इंसान को खुद के करीब आने से रोक रही थी।


    तभी वह इंसान धीरे-धीरे उसकी गर्दन पर अपने होंठ रखने लगा। यह एहसास होते ही अनिका की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं। अब उसे समझ आ चुका था कि वह इंसान कौन है। इसीलिए वह उस इंसान को खुद से दूर धक्का देती है और कहती है, "आप तो अपनी पहली बीवी के पास गए थे ना, तो अब आपको मेरे पास आने की ज़रूरत कहाँ से पड़ गई?" बस अनिका के इतना कहते ही पूरे घर की लाइट अपने आप बुझ गई और जब वह सामने देखती है, तो उसके सामने समय अपनी पैंट की पॉकेट में अपने दोनों हाथ डाले खड़ा था।


    समय अनिका की तरफ़ देखा और बोला, "मैं तो यह चेक कर रहा था कि अकेले घर में तुम्हें डर तो नहीं लग रहा, क्योंकि ना तो यहाँ बॉडीगार्ड्स हैं और ना ही कोई सर्वेंट है। अब आपको अपना काम सारा खुद ही करना पड़ेगा, चाहे वह खाना बनाना हुआ, कपड़े धुलना हुआ या घर की साफ़-सफ़ाई हुई। हाँ, बस इस घर से बाहर जाने की इजाज़त नहीं है। आपका सामान इस घर में आपको वक़्त से मिल जाएगा।"


    अनिका समय के पास जाकर खड़ी हो जाती है और कहती है, "मेरी एक बात हमेशा याद रखना, समय। अनिका को तुम कभी भी कैद करके नहीं रख सकते। जिस दिन मुझे मौका मिलेगा ना, मैं भाग जाऊँगी यहाँ से। और अगर मैं भाग गई ना, तो तुम मुझे ढूँढ़ नहीं पाओगे। अगर ढूँढ़ भी लिया, तो तुम मुझे अपना नहीं बना पाओगे, समझे?" और वहाँ से ऊपर कमरे की तरफ़ चली जाती है। वहीं अनिका को इस वक़्त व्हाइट शर्ट में देखकर समय की हालत खराब हो रही थी, लेकिन वह जानता था कि अनिका इस वक़्त उससे नाराज़ है, उसे नफ़रत करती है, और उसके करीब नहीं जा सकता था। अगर वह उसके करीब जाता भी, तो वह उसकी नफ़रत बढ़ावा देगा। इसलिए वह खुद को कंट्रोल कर लेता है।


    और अपनी गर्दन पर हाथ फेरते हुए कहता है, "जिस दिन तुम्हारी नफ़रत, नाराज़गी प्यार में बदल गई ना, उस दिन मैं तुमसे गिन-गिन कर बदला लूँगा, अपनी हर एक तड़प का, अपने इंतज़ार का, और अपने प्यार का भी।" और वहाँ से नीचे वाले एक कमरे में चला जाता है, क्योंकि वह अनिका को इस घर में अकेला छोड़कर नहीं जा सकता था, वह भी तब जब इस घर में कोई भी मौजूद नहीं था। और उसने अपनी मीटिंग कैंसिल कर दी थी और नेक्स्ट मॉर्निंग के लिए रख ली थी।


    अनिका कमरे में आकर गेट को लॉक करके बेड पर लेट जाती है और कहती है, "मैं जानती हूँ तुम मुझे डराने की कोशिश कर रहे थे या अंधेरे में मेरा फ़ायदा उठाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन मैं इतनी कमज़ोर नहीं हूँ जो तुम्हारी कोशिशों को कामयाब होने दूँ।" और अपनी आँखें बंद कर लेती है। धीरे-धीरे उसे नींद आ जाती है। जब अनिका गहरी नींद में सो जाती है, तभी अनिका के कमरे का गेट खुलता है और एक परछाई कमरे के अंदर आती है।


    अनिका को इतनी गहरी नींद में सोता हुआ देखकर कहता है, "मेरी नींद खराब करके और देखो, खुद कितने आराम से सो रही है।" और जाकर अनिका के पास बैठ जाता है और उसके फ़ोरहेड पर किस करके उसके माथे से अपना माथा जोड़ लेता है और कहता है, "जानता हूँ नाराज़ हो, यह भी जानता हूँ कितनी जल्दी नहीं मानोगी, लेकिन मैं तुम्हें सच्चाई बताना चाहता हूँ, लेकिन तुम कुछ सुनने को तैयार नहीं हो। अगर अभी मैं तुमसे कहूँगा कि मेरी शादी नहीं हुई है और वह सब कुछ एक फ़ेक न्यूज़ थी, तो तुम कभी भी मेरी बात को नहीं मानोगी। जब तक मैं फिर से तुम्हारा विश्वास नहीं जीत जाता, तब तक मैं तुम्हें यह सच्चाई नहीं बताऊँगा।"


    समय अनिका को अपनी बाहों में भरकर उसके पास लेट जाता है और अपनी आँखें बंद कर लेता है। धीरे-धीरे समय नींद के आगोश में चला जाता है। समय के सोते ही अनिका अपनी आँखें खोल लेती है और समय की तरफ़ देखकर कहती है, "इसका मतलब तुम्हारी शादी सानिया से नहीं हुई थी? और मतलब आज तक मैं तुमसे जो नफ़रत कर रही थी, वह बेकार थी। तुमसे भाग रही थी, उसका कोई वजूद नहीं था। लेकिन तुम्हें परेशान करूँगी, क्योंकि तुमने भी मुझे बहुत परेशान किया है। और आज तुमने जबरदस्ती मुझसे शादी की, मेरी मर्ज़ी के बिना। अगर मुझे मना करना था, तो मुझे मना कर शादी कर देनी चाहिए थी। मेरी शादी के सारे सपनों को तोड़कर रख दिया तुमने। अब तुम देखो, मैं तुम्हें कितना परेशान करती हूँ। अब तुमसे बदला लेना तो बनता है।"


    और समय के सीने पर अपना सर रखकर अपनी आँखें बंद कर लेती है। दोनों एक-दूसरे को परेशान और सताने के बहाने ढूँढ कर एक-दूसरे के करीब भी सो जाते हैं। और आज पूरे एक साल बाद उन दोनों को इतनी अच्छी नींद आई थी क्योंकि दोनों ही एक-दूसरे के लिए तड़पे थे और आज एक-दूसरे को हराने के लिए, एक-दूसरे को ही कमज़ोर साबित करने के लिए, एक-दूसरे को ही नीचे दिखा रहे थे।


    Do like share comment support Review guys 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • 11. Rebirth in novel - Chapter 11

    Words: 2497

    Estimated Reading Time: 15 min

    अनिका को इतनी गहरी नींद में सोता हुआ देखकर, समय ने कहा, "मेरी नींद खराब करके और देखो, खुद कितने आराम से सो रही है।" और जाकर अनिका के पास बैठ गया। उसने उसके फोरहेड पर किस किया और उसके माथे से अपना माथा जोड़ लिया। फिर कहा, "जानता हूँ, नाराज हो। यह भी जानता हूँ कितनी जल्दी नहीं मानोगी। लेकिन मैं तुम्हें सच्चाई बताना चाहता हूँ, लेकिन तुम कुछ सुनने को तैयार नहीं हो। अगर अभी मैं तुमसे कहूँगा कि मेरी शादी नहीं हुई है और वह सब कुछ एक फेक न्यूज़ थी, तो तुम कभी भी मेरी बात को नहीं मानोगी। जब तक मैं फिर से तुम्हारा विश्वास नहीं जीत जाता, तब तक मैं तुम्हें यह सच्चाई नहीं बताऊँगा।"


    समय ने अनिका को अपनी बाहों में भरकर उसके पास लेट गया और अपनी आँखें बंद कर लीं। धीरे-धीरे समय नींद के आगोश में चला गया। समय की नींद में जाते ही अनिका ने अपनी आँखें खोल लीं और समय की तरफ देखकर कहा, "इसका मतलब तुम्हारी शादी सनाया से नहीं हुई थी? और मतलब आज तक मैं तुमसे जो नफरत कर रही थी, वह बेकार थी? तुमसे भाग रही थी, उसका कोई वजूद नहीं था? लेकिन तुम्हें परेशान करूँगी, क्योंकि तुमने भी मुझे बहुत परेशान किया है। और आज तुमने जबरदस्ती मुझसे, मेरी मर्ज़ी के बिना, शादी की मेहंदी कर दी। अगर मुझे मनाना था, तो मुझे मनाकर शादी करनी चाहिए थी। तुमने मेरी शादी के सारे सपनों को तोड़कर रख दिया। अब तुम देखो, मैं तुम्हें कितना परेशान करती हूँ। अब तुमसे बदला लेना तो बनता है।"


    और समय के सीने पर अपना सर रखकर, अनिका ने अपनी आँखें बंद कर लीं। दोनों एक-दूसरे को परेशान और सताने के बहाने ढूँढकर, एक-दूसरे के करीब सो गए। और आज पूरे एक साल बाद उन दोनों को इतनी अच्छी नींद आई थी क्योंकि दोनों ही एक-दूसरे के लिए तड़पे थे, और आज एक-दूसरे को हराने के लिए, एक-दूसरे को ही कमज़ोर साबित करने के लिए, एक-दूसरे को ही नीचा दिखा रहे थे।


    अगली सुबह


    जब अनिका की नींद खुली, समय उसके पास नहीं था। उठकर बाहर आकर चारों तरफ देखती है, तो पूरे घर में कोई भी नहीं था। इतने बड़े घर में अनिका अकेली थी। लेकिन अनिका को इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता था, क्योंकि बचपन से लेकर जवानी तक वह अकेली ही रही थी, और अब उसे अकेलेपन से डर नहीं लगता था; बल्कि अकेलापन उसे अच्छा लगता था। इसलिए वह वापस कमरे में आकर वाशरूम में जाकर शॉवर लेती है और फिर तौलिया ओढ़कर बाहर आती है। घर में लगे हिडन कैमरों में समय अनिका को देख रहा था। समय को लगा था कि उसे अकेला देखकर अनिका डर जाएगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। और अनिका को ऐसे देखकर अब समय की हालत खराब हो रही थी।


    अनिका ने खुद को तौलिये में लपेटकर नीचे आकर किचन में जाकर अपने लिए पास्ता बनाया। जहाँ-जहाँ अनिका जा रही थी, समय की नज़र उसके पीछे-पीछे वहीं जा रही थी, लेकिन वह कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि वह अनिका से बहुत दूर था। अगर आता भी, तब भी वह उसके पास नहीं पहुँच सकता था। समय सुबह पाँच बजे ही अपनी मीटिंग के लिए शहर से बाहर गया हुआ था, और वह अपना लैपटॉप अपने साथ ले गया था जिसमें घर की सीसीटीवी फ़ुटेज थी।


    अनिका डाइनिंग टेबल पर बैठी अपना पास्ता खा रही थी, तभी अचानक थोड़ा सा पास्ता उसकी तौलिये पर गिर गया। उसने तौलिये को उठाकर, खुद से अलग करके, टेबल पर रख दिया और बैठकर अपना पास्ता खाने लगी। अनिका को बिना कपड़ों के ऐसी हालत में देखकर अब समय का सब्र जवाब दे गया था। इसलिए वह खुद को वह सब देखने से रोक रहा था, लेकिन उसकी नज़रें बार-बार लैपटॉप स्क्रीन पर जाकर रुक रही थीं, जिसमें अनिका डाइनिंग टेबल पर ऐसे ही बैठकर पास्ता खा रही थी। फिर वह वहाँ से उठकर, तौलिये को दूसरी साइड से खुद से लपेटकर कमरे में आ जाती है और आकर एक शर्ट पहन लेती है, क्योंकि अभी भी उसके कपड़े वहाँ नहीं थे।


    ब्लैक कलर की शर्ट अनिका की मजबूत बॉडी को बहुत ही उपहार कर दिखा रही थी; अनिका उस ब्लैक शर्ट में बहुत ख़ूबसूरत लग रही थी कि अब समय खुद को उसके पास आने से रोक नहीं पा रहा था। समय ने जल्दी अपनी मीटिंग ख़त्म की और वहाँ से अपने घर के लिए निकल गया, लेकिन फिर भी समय को आते-आते शाम हो गई थी। जब समय शाम को घर पहुँचा, तो देखा कि घर बिल्कुल सुनसान पड़ा हुआ था; वहाँ कोई भी नहीं था। जब वह अपने कमरे में गया, तो देखा कि अनिका बेड पर सो रही थी और उसकी शर्ट उसके कमर से ऊपर थी। उसे इस हालत में देखकर समय खुद को कंट्रोल नहीं कर पाया और उसके ऊपर जाकर, उसके होंठों को अपने कब्ज़े में ले लिया। जब अनिका को साँस लेने में दिक्कत हुई, तब जाकर उसने अपनी आँखें खोलीं, तो देखा कि समय उसके ऊपर लेटा हुआ था और उसके होंठों को चूम रहा था।


    अनिका ने अपने हाथों से समय को खुद के ऊपर से उठाने की कोशिश की, लेकिन समय अब पूरी तरह से अनिका में खो चुका था। अब वह किसी भी कीमत पर अनिका को खुद से दूर नहीं जाने देना चाहता था, क्योंकि आज सुबह से जो अनिका की हरकतें थीं, उन्होंने समय के अंदर के उस राक्षस को जगा दिया था। अब जो अनिका का शिकार करके ही शांत होने वाला था।


    समय ने अनिका को नहीं छोड़ा और एक हाथ डालकर उसकी शर्ट के सारे बटन तोड़कर, उसके वजूद से अलग करके फेंक दिया। अब अनिका बिना किसी कपड़े के, समय के सामने थी। समय ने अपने ऊपर से खड़ा होकर अपने कपड़े भी निकाल कर फेंक दिए। अनिका बेड से उठकर भागने की कोशिश करती है, तो समय उसे पकड़कर ज़बरदस्ती बेड पर पटक देता है और खुद उसके ऊपर आ जाता है और कहता है, "सुबह से तुमने जो आग मेरे अंदर जलाई है ना, अब उसे बुझाओगी भी। तुम ही तो मेरी बीवी हो, फ़र्ज़ बनता है तुम्हें मुझे हर तरीके से सेटिस्फ़ाइड करने का…"


    अनिका खुद को समय से अलग करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन अब तक वह समय को खुद से अलग नहीं कर पाई थी। वहीं समय अब पूरा भारी अनिका के ऊपर डाल देता है और अनिका अब समय के नीचे दब चुकी थी। समय अपने दोनों हाथों से अनिका के दोनों उभारों को जोर-जोर से मसल रहा था, और उसी के साथ अनिका की सिसकियाँ तेज होने लगती हैं, क्योंकि अनिका का सेंसिटिव पॉइंट ही उसके उभार थे; वहाँ हाथ लगते ही वह अपना कंट्रोल खो देती थी, और अब वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी। अब सही-ग़लत, लड़ाई-झगड़ा, सब कुछ उसके दिमाग से निकल चुका था। अब उसके दिमाग में सिर्फ़ एक चीज़ चल रही थी, वह थी समय को पाना, क्योंकि वह भी समय से काफ़ी समय से दूर थी।


    समय धीरे-धीरे अनिका के होंठों को छोड़कर, उसकी गर्दन और क्लीवेज पर किस करने लगता है। साथ ही वहाँ वह जोर से चूम रहा था, जिससे लाल और नीले निशान उसके पूरे शरीर पर बनते जा रहे थे। तभी समय नीचे झुककर अनिका के एक उभार को अपने मुँह में भर लेता है और दूसरे को हाथ से जोर से दबाता है, जिससे अनिका जोर से कराहने लगती है। समय तिरछी स्माइल देकर उसे उभार को अपने दाँतों से काट लेता है।


    अनिका की कराहने की आवाज़ पूरे कमरे में गूँजने लगती है। आज समय बिल्कुल जानवर की तरह पेश आ रहा था, क्योंकि सुबह से अनिका को उस हालत में देखकर समय खुद को कंट्रोल किए हुए था और अब वह आउट ऑफ़ कंट्रोल हो गया था। अब उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, बस उसे अब अनिका चाहिए थी, किसी भी कीमत पर…


    समय अपने पैरों और हाथों से अब उसके जांघों और कमर के निचले हिस्से को सहलाने लगता है और अपने दाँतों से अनिका के दोनों उभारों को काटने लगता है। अनिका पागल हो चुकी थी; ऐसा लग रहा था अब उसे समय के अलावा कोई चाहिए ही नहीं था। तभी समय एकदम से उसके अंदर समा जाता है और अनिका की एक चीख निकल जाती है, क्योंकि एक साल से वह किसी के साथ रिलेशन में नहीं आई थी और ना ही उसने किसी के साथ फिजिकल रिलेशन बनाया था। वही अनिका का ऐसा रिएक्शन देखकर समय खुश हो जाता है, क्योंकि उसे पता चल गया था कि अनिका को छूने वाला समय ही एकमात्र इंसान था। इसलिए समय पूरे जोश में अनिका के साथ अपनी हदें पार करने लगता है; वह पागल हो गया था। अनिका को पाकर, एक साल की तड़प, एक साल की चाहत, सब कुछ हाथ में आने वाला था, क्योंकि…


    अनिका के हाथ समय के बालों में फँसे हुए थे और समय पूरी तरह से अनिका में खोया हुआ था। दोनों पागलों की तरह एक-दूसरे को प्यार करने में लगे हुए थे। इस वक़्त दोनों अपना गुस्सा, अपनी नाराज़गी, अपनी नफ़रत, सब कुछ भूल चुके थे और एक-दूसरे को पाना चाहते थे। दूसरी तरफ़ राजेंद्र जी होटल में बैठे नैंसी से मीटिंग कर रहे थे। नैंसी ने बताया था कि उसकी मैडम को किसी ज़रूरी काम से बाहर जाना पड़ा था, इसलिए वह मीटिंग करने आई है। और नैंसी को राजेंद्र जी का प्रोजेक्ट अच्छा लगा, इसलिए वह प्रोजेक्ट करने के लिए तैयार हो जाती है और कल सुबह राजेंद्र जी को ऑफ़िस बुला लेती है।


    दूसरी तरफ़ राहुल भी अनिका को ढूँढने की पूरी कोशिश कर रहा था, क्योंकि अब उसे किसी भी हालत में अनिका चाहिए थी। इसलिए उसने ज़मीन-आसमान एक कर दिया था अनिका को ढूँढने के लिए, लेकिन अब तक अनिका के बारे में कोई भी जानकारी पता नहीं कर पाया था।


    अनिका का पता लगाते-लगाते राहुल मुक्ति पर ध्यान नहीं दे पा रहा था, जिस वजह से मुक्ति का रिश्ता उसके ही सेक्रेटरी के साथ हो गया था, क्योंकि मुक्ति को फिजिकल नीड थी, जिसे वह अब अपने सेक्रेटरी के साथ मिलकर पूरी करती थी, क्योंकि वह सेक्रेटरी दिन-रात उसके साथ रहता था, और वह मुक्ति से सिर्फ़ अपनी नीड्स पूरी कर रहा था, क्योंकि वह जानता था मुक्ति जैसी लड़की कभी किसी की नहीं हो सकती। इसलिए जब मुक्ति को उसकी ज़रूरत होती तो मुक्ति उसे बुला लेती; जब उसे मुक्ति की ज़रूरत होती तो दोनों का फिजिकल रिलेशन ऐसे ही चल रहा था, जिस बात से राहुल अभी तक अनजान था कि उसकी बीवी किसी और के साथ अपनी नीड्स को पूरा कर रही है।


    वहीं एक हवेली में एक लड़का छत पर खड़ा हुआ था। उस लड़के की हाइट छह फ़ीट दो इंच थी और उसकी आँखें काली, गहरी थीं; ऐसा लगता था जैसे आँखों में कई राज़ दफ़्न हैं। वह शर्टलेस खड़ा होकर अपने बॉडीगार्ड को कुछ समझा रहा था। तभी एक आदमी जाकर उसके पास खड़ा हो जाता है और कहता है, "हुक़ूम, हमें पता चल गया है कि वह कौन थी जिसने उस रात आपकी जान बचाई थी।" वह लड़का पलटकर उस आदमी की तरफ़ देखता है, तो वह आदमी कहता है, "हुक़ूम, उनका नाम अनिका है। वह एक इंडस्ट्रीज़ की मालकिन है और उसी ने उस रात आपकी जान बचाई थी और आपको हॉस्पिटल पहुँचाकर आपको ब्लड दिया था।"


    तभी उस लड़के की आँखों में आई उस चमक को देखकर, वह लड़का अपनी गर्दन नीचे झुकाकर कहता है, "लेकिन सर, वह दो दिन से लापता है। किसी को उनके बारे में कुछ नहीं पता कि अचानक वह कहाँ ग़ायब हो गई और उनकी फ़ैक्ट्री नैंसी बहुत परेशान है क्योंकि उसे अब तक अनिका का कोई पता नहीं चल पाया है।" वह लड़का उस आदमी की तरफ़ देखता है और कहता है, "पता करो कि वह कहाँ है, किसने उनके साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की, क्योंकि…"


    "…आपको हमारी और उनकी हिफ़ाज़त करना हमारा फ़र्ज़ बनता है। उन्होंने उस वक़्त हमारी जान बचाई थी जब हमारे घर के आदमी हमारी जान नहीं बचा पाए थे, और उन्होंने हमें ब्लड दिया था और हमारे माँ-बाप का बेटा वापस लौट आया था। और राजस्थान को… मुझे उनके बारे में पता कीजिए, वह कहाँ है, कैसी है, और एक बात, हमें उनके बारे में हर एक छोटी-बड़ी जानकारी चाहिए।"


    वह आदमी सर झुकाकर कहता है, "जो हम आपको सारी जानकारी इकट्ठा करके देते हैं।" तभी बाद में वहाँ से चला जाता है। वह लड़का आसमान को देखकर कहता है, "हमने कहा था ना, हम बहुत ज़्यादा नहीं माँगते। आपका चेहरा याद रखने के बारे में जानकारी इकट्ठा करें, आपकी और हमारी मुलाक़ात… क्योंकि सूर्यांश राणा अपनों को कभी नहीं छोड़ता, और फिर भी हमने आपसे एक रिश्ता बाँध लिया है, और वह रिश्ता है मोहब्बत का। इसलिए अब आपको हमसे कोई जुदा नहीं कर सकता। आप हमेशा-हमेशा के लिए हमारी हो जाएँगी और हमारे साथ राजस्थान की… पीहू कुमारी साहनी की… हमने आपके अंदर बहुत तेज देखा है जो कभी हमारी दादी के अंदर हुआ करता था।"


    "इकलौती इंसान है जो हमारे कहीं बाहर जाने पर भी हमारे राजस्थान की रक्षा कर सकती है। इसलिए अब आपको किसी भी कीमत पर हमारी ज़िंदगी में शामिल होना होगा, क्योंकि सूर्यांश राणा की नज़र आप पर पड़ चुकी है, और अब आपको हमारा होने से कोई नहीं रोक सकता, खुद आप भी नहीं…"


    सूर्यांश राणा, राजस्थान के हुक्मरान और राणा इंडस्ट्रीज़ के मालिक, जो पूरे वर्ल्ड में नंबर वन हैं, और आज तक कोई नहीं जानता है कि राणा इंडस्ट्रीज़ का मालिक कौन है, कैसा दिखता है, क्योंकि आज तक सूर्यांश ना तो मीडिया के सामने आया था और ना ही किसी सेरेमनी में गया था। वह हमेशा अपने छोटे भाई को भेजता था, और उसे उस रात जब वह अकेला कहीं जा रहा था, तब उसके दुश्मनों ने उस पर हमला किया था, जहाँ अनिका ने उसकी जान बचाई थी, अस्पताल पहुँचाया, दो दिन उसके साथ रही और उसे ब्लड दिया, फिर वापस देहरादून आ गई क्योंकि वह राजस्थान किसी मीटिंग के सिलसिले में गई हुई थी।


    क्या होने वाला है अंजाम समय और अनिका के रिश्ते का? क्योंकि उन दोनों के बीच में आने वाला है सूर्यांश राणा, जिसने कभी हारना नहीं सीखा। क्या अनिका और समय की मोहब्बत इतनी ही रह जाएगी या समय और अनिका हर एक परिस्थिति से लड़कर एक-दूसरे को पा लेंगे? क्या सूर्यांश नाम का ग्रहण कभी अनिका और समय की ज़िंदगी में लगेगा या सूर्यांश समझ जाएगा कि अनिका किसी की पत्नी है?


    लाइक, शेयर, कमेंट, सपोर्ट, रिव्यू गाइज़ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • 12. Rebirth in novel - Chapter 12

    Words: 2544

    Estimated Reading Time: 16 min

    आप हमारी हैं और उनकी हिफाज़त करना हमारा फ़र्ज़ बनता है। उसने वक़्त पर हमारी जान बचाई थी, जब हमारे घर के आदमी हमारी जान नहीं बचा पाए थे। और उन्होंने हमें दिया था और हमारे माँ-बाप का बेटा लौट आया था। और राजस्थान में, मुझे उनके बारे में पता कीजिए; वह कहाँ है, कैसी है? और एक बात, हमें उनके बारे में हर एक छोटी-बड़ी जानकारी चाहिए।


    बाद में, सर झुकाकर, वह कहता है, "जो हम आपको सारी जानकारी इकट्ठा करके देते हैं।" तभी बाद में वहाँ से चला जाता है। वह लड़का आसमान को देखकर कहता है, "हमने कहा था ना? हम बहुत कुछ जानते थे, और नहीं, आपका चेहरा याद नहीं।" के बारे में जानकारी इकट्ठा करें। आपकी और हमारी मुलाक़ात… क्योंकि सूर्यांश राणा अपनों को कभी खुशी नहीं देते, और फिर भी हमने आपसे एक रिश्ता बाँध लिया है, और वह रिश्ता है मोहब्बत का। इसीलिए अब आपको हमसे कोई जुदा नहीं कर सकता। आप हमेशा-हमेशा के लिए हमारी हो जाएँगी, और हमारे साथ, राजस्थान में… पीहू कुमारानी साहनी… आप। हमने आपके अंदर बहुत तेज़ देखा है, जो कभी हमारी दादी के अंदर हुआ करता था।


    इकलौती इंसान है जो हमारे कहीं बाहर जाने पर भी हमारे राजस्थान की रक्षा कर सकती है। इसीलिए अब आपको किसी भी कीमत पर हमारी ज़िंदगी में शामिल होना होगा। क्योंकि सूर्यांश राणा की नज़र आप पर पड़ चुकी है, और अब आपको हमारा होने से कोई नहीं रोक सकता; खुद आप भी नहीं…


    सूर्यांश राणा, राजस्थान के हुक्म सा और राणा इंडस्ट्रीज़ के मालिक, जो पूरे वर्ल्ड में नंबर वन हैं। और आज तक कोई नहीं जानता है कि राणा इंडस्ट्रीज़ का मालिक कौन है, कैसा दिखता है। क्योंकि आज तक सूर्यांश ना तो मीडिया के सामने आया था, और ना ही किसी सेरेमनी में गया था। वह हमेशा अपने छोटे भाई को भेजता था। और उसे रात, जब वह अकेला कहीं जा रहा था, तब उसके दुश्मनों ने उस पर हमला किया, जहाँ अनिका ने उसकी जान बचाई थी। अस्पताल पहुँचा। दो दिन उसके साथ रही, उसे ब्लड दिया। फिर वापस देहरादून आ गई, क्योंकि वह राजस्थान किसी मीटिंग के सिलसिले में गई हुई थी।


    जब से सूर्यांश अनिका को ढूँढ रहा था, उसके पास आने की कोई जानकारी नहीं थी। इसलिए उसे अभी तक अनिका के बारे में कुछ पता नहीं चला था। लेकिन अब उसने पता लगा लिया था, इसलिए वह जल्द से जल्द अनिका को राजस्थान लाना चाहता था। और उसके लिए उसने जो प्रोजेक्ट अनिका की कंपनी को देने के लिए कहा था, जिसकी मीटिंग कल होने वाली थी।


    वहीं दूसरी तरफ़, समय और अनिका एक-दूसरे से लिपटकर सोए हुए थे। तभी समय का फ़ोन बजने लगता है। समय उठकर टाइम देखा; सुबह के 10:00 बज रहे थे। समय फ़ोन उठाता है, तो सामने से समय के सेक्रेटरी की आवाज़ आती है, "सर, मेरी सेक्रेटरी, नैंसी, उनसे बात करना चाहती है। बहुत ज़रूरी काम है।" समय "हाँ" कहकर कॉल काट देता है और अनिका को जगाकर कहता है, "नैंसी तुमसे बात करना चाहती है।" नैंसी का नाम सुनकर अनिका उठकर बैठ जाती है।


    समय कमरे में जाकर ड्रॉअर में से अनिका का फ़ोन निकालकर अनिका के हाथ में थमा देता है और कहता है, "विश्वास कर रही हो, तोड़ना मत। मैं जानता हूँ, मुझसे ग़लती हुई है। मुझे तुम्हें सारा सच पहले ही बता देना चाहिए था। लेकिन अब हमारे रिश्ते की नई शुरुआत हुई है, और मैं नहीं चाहता अब किसी की भी वजह से हमारे रिश्ते में कोई दरार आए…"


    अनिका समय की गाल पर किस करके कहती है, "कभी नहीं होगा। और मैं कभी भी आपको छोड़कर नहीं जाऊँगी। लेकिन हाँ, अगर बिज़नेस ट्रिप हुई या बिज़नेस मीटिंग हुई, तो मुझे जाना पड़ेगा।" समय अनिका के माथे को चूमकर वॉशरूम में चला जाता है। वहीं अनिका समय की शर्ट पहनकर नैंसी को कॉल लगा देती है। नैंसी फ़ोन उठाकर कहती है, "मैम, आप कहाँ थीं? तीन दिन हो गए, आप ऑफ़िस नहीं आईं, ना आप फ़ोन अटेंड कर रही हैं, ना कोई ईमेल का जवाब दे रही हैं। आपको पता है, राजस्थान की सबसे बड़ी कंपनी, बल्कि पूरी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी, राणा इंडस्ट्रीज़, हमारे साथ काम करना चाहती है।"


    "आपको पता है, जो इंसान एक बार राणा इंडस्ट्रीज़ के साथ जुड़ जाता है, उसकी किस्मत अपने आप चमक जाती है। और आज उन्होंने हमें मीटिंग के लिए राजस्थान बुलाया है। उनके किसी पर्सनल इश्यू की वजह से वह मुंबई नहीं आ सकते हैं। प्लीज़, कुछ तो जवाब दीजिए…"


    "अनिका, क्या जवाब दूँ? तुम मुझे बोलने का कोई मौका दोगी? तब तो मैं कोई जवाब दूँगी ना! तुम जब से नॉनस्टॉप बोल ही जा रही हो!" "हाँ, मैं तीन दिन की छुट्टी पर थी, क्योंकि मैं शादी कर ली है, और मैं तीन दिन से अपने हस्बैंड के साथ वक़्त बिता रही थी। इसमें तुम्हें कोई परेशानी है?"


    नैंसी का मुँह हैरानी से खुला रह जाता है। वह कहती है, "मैम! आपने शादी कर ली? बताया भी नहीं! आपने तो हमें पार्टी भी नहीं दी…"


    "पार्टी तो मैं तुम्हें अभी भी दे सकती हूँ। लेकिन पहले काम की बात करते हैं। लेकिन राणा इंडस्ट्रीज़ हमारी कंपनी में इतना इंटरेस्ट क्यों ले रही है? पता किया तुमने?" "नहीं। मैम, हमने जो प्रेज़ेंटेशन उन्हें भेजी थी और जो डेटा भेजे थे, वह उन्हें बहुत पसंद आए। बस इसी के बेसिस पर वह हमसे मीटिंग करना चाहते हैं। और इस मीटिंग में हर कोई, पूरी दुनिया का बिज़नेसमैन, शामिल होगा। और उन्हें जिसकी प्रेज़ेंटेशन सबसे बेस्ट लगेगी, वह उसी को यह प्रोजेक्ट देंगे। लेकिन अगर हम यह प्रोजेक्ट साइन करते हैं, तो हमें 6 महीने तक राजस्थान में रहना होगा। यह उनकी पहली शर्त है। जो भी कंपनी अगर यहाँ आकर इस मीटिंग में शामिल होना चाहती है, तो उन्हें पहले ही बता दिया गया है कि जिस भी कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन होता है, उसे 6 महीने राजस्थान में ही रहना होगा…"


    "अनिका, ठीक है। निकलना कब है?" "मैं आज शाम को।" "ठीक है, तो ऐसा करो, तुम सारी फ़ाइल्स वग़ैरह सब कुछ पैक कर लो। तुम्हें मेरे साथ चलना होगा राजस्थान। और मैं भी अपना सारा सामान पैक कर लेती हूँ। और हाँ, मेरे घर जाकर सारे कपड़े वग़ैरह पैक कर देना। मैं शाम को तुम्हें सीधा एयरपोर्ट पर मिलूँगी। और हाँ, मैं आज ऑफ़िस नहीं आऊँगी। ठीक है, नैंसी?" "ओके, मैम…"


    तभी समय वॉशरूम से बाहर आता है, तो अनिका बेड पर बैठी कुछ सोच रही थी। समय उसकी तरफ़ देखता है और कहता है, "क्या हुआ है अनिका? कुछ नहीं… मुझे राजस्थान जाना होगा। मेरी एक मीटिंग है कल। और अगर यह प्रोजेक्ट मुझे मिलता है, तो मुझे 6 महीने राजस्थान में ही रहकर काम करना होगा। क्योंकि यह राणा इंडस्ट्रीज़ का प्रोजेक्ट है…"


    समय अनिका के चेहरे को अपने हाथ में भर लेता है और कहता है, "राणा इंडस्ट्रीज़ बहुत बड़ी कंपनी है, और इस कंपनी के साथ काम करना हर किसी का सपना होता है। और अगर तुम्हें अपना सपना साकार करने का मौका मिल रहा है, तो तुम करो। और रही 6 महीने राजस्थान में रहने की बात, तो मैं भी आ जाया करूँगा। वैसे भी, सैटरडे-संडे ऑफ़ रहता है, तो मैं फ़्राइडे नाइट में तुम्हारे पास, सैटरडे-संडे साथ में रहेंगे। मंडे को फिर मैं वापस आ जाऊँगा। और जब तुम्हें टाइम मिले, तो तुम मुंबई आ जाना। इस तरह हम दोनों एक-दूसरे के साथ भी रहेंगे, और तुम्हारा एक फ़ेमस बिज़नेस वुमन बनने का सपना भी सच हो जाएगा…"


    अनिका समय के गले में अपनी बाँहें डाल देती है और कहती है, "वह तो ठीक है, समय। पर मैं भी नहीं जाना चाहती… पता नहीं मुझे क्यों एक स्ट्राँग फ़ीलिंग आ रही है कि कुछ होने वाला है, जो हम लोगों के लिए ठीक नहीं होगा।" समय अनिका के माथे को चूमकर कहता है, "पागल! ज़्यादा सोच रही हो। कुछ भी नहीं है। अनिका, हम 1 साल बाद मिले हैं, समय… और 1 साल में सिर्फ़ हम तीन दिन साथ रह पाए हैं। और अब मैं दूर चली जाऊँगी… वहाँ पर मुझे कब टाइम मिलता है, कब नहीं मिलता… कुछ समझ नहीं आ रहा…"


    "समय, कोई बात नहीं। मैं भी आ जाया करूँगा ना तुमसे मिलने के लिए। तो कोई प्रॉब्लम नहीं है। तुम जो कहोगी, अनिका, समय… लेकिन आज का पूरा दिन मैं तुम्हारे साथ बिताना चाहती हूँ। हम दोनों, एक साथ, अकेले… तुम ऐसा करो, सारे सर्वेंट को छुट्टी दे दो। और शाम को 10:00 बजे मेरी फ़्लाइट है, तो हम 8:00 बजे यहाँ से निकल जाएँगे।" समय अनिका को आराम से अपनी बाहों में कैद कर लेता है और कहता है, "ठीक है। मैं भी ऑफ़िस नहीं जाता। लेकिन तुम इतना परेशान मत हो, और ना इतना बेचैन हो। कुछ नहीं होगा। समय और अनिका हमेशा साथ रहेंगे, और हमारे बीच कोई नहीं आ सकता…"


    अनिका समय से कहती है, "मैं शावर लेकर आती हूँ, क्योंकि मुझे बहुत भूख लगी है।" समय, "ओके, जाओ। मैं तब तक तुम्हारे लिए ब्रेकफ़ास्ट बनाता हूँ।" अनिका "ओके" बोलकर वॉशरूम में चली जाती है। वहीं समय नीचे जाकर ब्रेकफ़ास्ट बनाने लगता है। अनिका जब शावर लेकर कपड़े पहनती है, तो वह आज भी कपड़े लाना भूल गई थी। वह अपने माथे को सहलाकर कहती है, "पता नहीं मैं कहाँ खोई रहती हूँ…"


    अनिका टॉवल लपेटकर बाहर आती है और आकर अपने बाल सुखाने लगती है। तभी पीछे से किसी की गरम साँसें अनिका को अपने कंधे पर महसूस होती हैं। और उसे क्षण भर में समझ आ जाता है कि वह कोई और नहीं, समय है। समय उसकी कमर में अपने दोनों हाथ डालकर अनिका की पीठ और कंधे को धीरे-धीरे चूम रहा था। अनिका उसे खुद से दूर करके कहती है, "मुझे पेट भर लेने दो। उसके बाद करते हैं ना जो तुम चाहते हो।" समय, "लेकिन मेरा पेट तो तुम्हें खाकर भरेगा… मुझे तो खाना नहीं खाना…"


    "अनिका, तुम्हारा पेट तो मुझे खाकर भर जाएगा, समय। लेकिन मेरा पेट तो खाना खाकर भरेगा। तो प्लीज़, पहले मुझे खाना खाने दो।" और सोफ़े पर बैठकर खाना खाने लगती है। वहीं अनिका जानबूझकर इस तरह बैठी थी। उसे देखकर समय की हालत वक़्त बीतने के साथ ख़राब होती जा रही थी। वहीं अनिका जानबूझकर खाना बार-बार अपने होठों पर लगा रही थी, और समय अपना टेंपर रोक रहा था, क्योंकि वह अभी उसे परेशान नहीं करना चाहता था।


    तब अनिका अपने होठों पर जीभ घुमाने लगती है, जिसकी वजह से समय एकदम से अनिका के करीब जाकर उसके होठों को अपने होठों के बीच में दबाकर चूमने लगता है। समय पूरी तरीके से पागल हो चुका था। ऊपर से समय के दिमाग में यह चल रहा था कि शाम को अनिका उससे दूर चली जाएगी, फिर वह हफ़्ते में सिर्फ़ दो दिन उससे मिल पाएगा। वहीं दोनों पागलों की तरह एक-दूसरे को चूम और काट रहे थे। वहीं खाने के खाली बर्तन वहीं फ़र्श पर इधर-उधर बिखर गए थे। लेकिन इन दोनों को इस चीज़ का कोई ख्याल नहीं था। वह दोनों तो एक-दूसरे में इस तरह खो चुके थे, जैसे एक-दूसरे से बाहर निकलेंगे ही नहीं…


    समय अनिका को उठाकर वहीं टेबल पर बिठा देता है और उसके टॉवल को खोलकर नीचे फेंक देता है और धीरे-धीरे उसके पूरे शरीर पर चूमने लगता है। अनिका भी समय के चुम्बन से अपने हाथ-पैरों को जोर-जोर से हिला रही थी, और उसके मुँह से अजीब-अजीब आवाज़ें निकल रही थीं। उन आवाज़ों को सुनकर समय और ज़्यादा वाइल्ड होता जा रहा था।


    समय अचानक से अनिका के कमर के निचले हिस्से को चूम लेता है। जैसे ही अनिका की एक सिसकी निकल जाती है, जिसे सुनकर अब समय अपना ऊपर अपना कण्ट्रोल खोकर अपने कपड़े निकालकर अनिका के ऊपर आ जाता है। अनिका टेबल पर लेटी हुई थी, और समय नीचे खड़ा हुआ था। समय अचानक से अनिका के अंदर समा जाता है, और अनिका की आँखें दर्द की वजह से बंद हो जाती हैं।


    अनिका की आँखों से आँसू उसके बालों में जा रहे थे। वहीं समय अपनी रफ़्तार से अनिका के साथ अपनी मोहब्बत की दुनिया में पूरी तरह से खो चुका था। कमरे की ऐसी कोई जगह नहीं रही थी जहाँ आज समय ने अनिका को प्यार ना किया हो। उसने कमरे के हर एक हिस्से में अनिका के वजूद को शामिल कर दिया था, ताकि अनिका के न होने पर वह अनिका को हर पल अपने पास महसूस कर सकता था…


    दोनों पागलों की तरह पूरे दिन एक-दूसरे को अपनी मोहब्बत का एहसास दिलवाते रहते हैं। शाम के 6 बज चुके थे, और अभी भी समय और अनिका एक-दूसरे के साथ इस तरह अपनी मोहब्बत में खोए हुए थे। तभी अनिका का फ़ोन बजने लगता है। अनिका उसे नंबर देखती है, तो वह नैंसी का था। अनिका समय को अपने ऊपर से उठने का इशारा करती है, लेकिन समय एक बार फिर उसके होठों को अपने कब्ज़े में ले लेता है। ऐसे करते-करते 8 बज चुके थे, लेकिन समय अनिका को छोड़ नहीं रहा था। वहीं दूसरी तरफ़, नैंसी अनिका को फ़ोन करके-करके परेशान हो चुकी थी, लेकिन अनिका फ़ोन ही नहीं उठा रही थी।


    अनिका समय से कहती है, "समय, मेरे जाने का वक़्त हो गया है।" समय, "प्लीज़, छोड़ दो…" समय न चाहते हुए अनिका के ऊपर से उठकर साइड में लेट जाता है और अपनी आँखें बंद कर लेता है। अनिका समय के चेहरे को बहुत गौर से देख रही थी।


    समय के सीने पर अपना चेहरा रखकर कहती है, "यह सिर्फ़ एक बिज़नेस डील है। ज़रूरी नहीं कि वह प्रोजेक्ट मुझे ही मिल जाए। हो सकता है किसी और कंपनी को मिल जाए। तो मैं कल शाम तक वापस आ जाऊँगी। आप क्यों इतना परेशान हो रहे हो? और वैसे भी, मैं सिर्फ़ मीटिंग के लिए जा रही हूँ, बिज़नेस ट्रिप पर नहीं जा रही…"


    समय एक झटके में अनिका को पलटकर उसके ऊपर आ जाता है और कहता है, "आज तो यह बात कह दी… कभी मत कहना। तुम सिर्फ़ मेरी हो, और मेरी ही रहोगी। कोई भी तुम्हें मुझसे अलग नहीं कर सकता; ना मेरे जीते जी, और ना मेरे मरने के बाद।" फिर अनिका को अपनी बाहों में उठाकर वॉशरूम में ले जाता है। दोनों साथ में शावर लेकर तैयार होकर घर के बाहर आते हैं, क्योंकि 9:00 बज चुके थे, और 10:00 बजे अनिका की फ़्लाइट थी। दोनों लोग गाड़ी में बैठकर एयरपोर्ट के लिए निकल जाते हैं।


    दोनों की गाड़ी 9:30 बजे एयरपोर्ट पर पहुँच चुकी थी। जब अनिका बाहर निकलकर देखती है, तो नैंसी वहाँ खड़ी, चारों तरफ़ अनिका को ढूँढने की कोशिश कर रही थी। अनिका जाकर उसके सामने खड़ी हो जाती है। अनिका को देखकर अब जाकर नैंसी को तसल्ली हुई थी, वरना उसे लगा था कि अनिका आज आएंगी ही नहीं। वहीं अनिका के साथ समय को देखकर नैंसी को कुछ समझ नहीं आता। तो अनिका नैंसी से कहती है, "यह समय मल्होत्रा, मेरे हस्बैंड। और समय, यह नैंसी है, मेरी दोस्त, मेरी असिस्टेंट, मेरे दुख और सुख की साथी, और मेरे स्ट्रगल की दोस्त…"


    Do like, share, comment, support, review guys 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • 13. Rebirth in novel - Chapter 13

    Words: 2130

    Estimated Reading Time: 13 min

    अनिका की आँखों से आँसू उसके बालों में जा रहे थे। वहीं समय, अपनी रफ्तार से, अनिका के साथ अपनी मोहब्बत की दुनिया में पूरी तरह खो चुका था। कमरे की ऐसी कोई जगह नहीं रही थी जहाँ उस दिन समय ने अनिका को प्यार न किया हो। उसने कमरे के हर एक हिस्से में अनिका के वजूद को शामिल कर दिया था ताकि अनिका के न होने पर वह अनिका को हर पल अपने पास महसूस कर सके।

    दोनों पागलों की तरह पूरे दिन एक-दूसरे को अपनी मोहब्बत का एहसास दिलवाते रहे थे। शाम के छह बज चुके थे और अभी भी समय और अनिका एक-दूसरे के साथ इस तरह अपनी मोहब्बत में खोए हुए थे कि तभी अनिका का फ़ोन बजने लगा। आने वाले नंबर को देखकर वह समझ गई कि वह नैंसी का था। उसने समय को अपने ऊपर से उठने का इशारा किया, लेकिन समय एक बार फिर उसके होठों को अपने कब्जे में ले लेता है। ऐसे करते-करते आठ बज चुके थे, लेकिन समय अनिका को छोड़ना नहीं चाहता था। वहीं दूसरी तरफ, नैंसी अनिका को बार-बार फोन करके परेशान हो चुकी थी, लेकिन अनिका फ़ोन नहीं उठा रही थी।

    अनिका बोली, "समय, मेरे जाने का वक्त हो गया है। प्लीज़, छोड़ दो।"

    समय, अनिका की बात मानते हुए, उसके ऊपर से उठकर साइड में लेट गया और अपनी आँखें बंद कर लीं। अनिका समय के चेहरे को बहुत गौर से देख रही थी।

    समय के सीने पर अपना चेहरा रखकर अनिका बोली, "अगर आप इस तरह करोगे तो मैं कैसे जा पाऊँगी? यह सिर्फ़ एक बिज़नेस डील है। ज़रूरी नहीं कि वह प्रोजेक्ट मुझे ही मिले। हो सकता है किसी और कंपनी को मिल जाए। तो मैं कल शाम तक वापस आ जाऊँगी। आप क्यों इतना परेशान हो रहे हो? और वैसे भी, मैं सिर्फ़ मीटिंग के लिए जा रही हूँ, बिज़नेस ट्रिप पर बसने नहीं जा रही हूँ।"

    समय एक झटके में उठकर अनिका को पलट कर अपने ऊपर ले आया और कहा, "आज तो यह बात कह दी। कभी मत कहना। तुम सिर्फ़ मेरी हो और मेरी ही रहोगी। कोई भी तुम्हें मुझसे अलग नहीं कर सकता, ना मेरे जीते जी और ना मेरे मरने के बाद।" फिर उसने अनिका को अपनी बाहों में उठाकर बाथरूम में ले गया। दोनों साथ में शावर लेकर तैयार होकर घर के बाहर आए क्योंकि नौ बज चुके थे और दस बजे अनिका की फ़्लाइट थी। दोनों लोग गाड़ी में बैठकर एयरपोर्ट के लिए निकल गए।

    दोनों की गाड़ी साढ़े नौ बजे एयरपोर्ट पर पहुँच चुकी थी। जब वे बाहर निकले तो नैंसी वहाँ खड़ी, अनिका को चारों तरफ़ ढूँढ़ने की कोशिश कर रही थी। अनिका जाकर उसके सामने खड़ी हो गई। अनिका को देखकर नैंसी को तसल्ली हुई, वरना उसे लगा था कि अनिका आज आएगी ही नहीं। वहीं, अनिका के साथ समय को देखकर नैंसी को कुछ समझ नहीं आया। अनिका ने नैंसी से कहा, "यह समय मल्होत्रा, मेरे पति हैं, और यह नैंसी है, मेरी दोस्त, मेरी असिस्टेंट, मेरे दुःख और सुख की साथी और मेरे स्ट्रगल की दोस्त..."

    समय ने नैंसी की तरफ़ हाथ बढ़ाते हुए कहा, "नैंसी, मैं अपनी अनिका को आपको सौंप रहा हूँ। उसका ख्याल रखना और हर वक़्त, सही तरह से, उसके साथ रहना। वह अपना ख्याल रखने में थोड़ी कच्ची है, तो प्लीज़ आप उसका ख्याल रखेंगे। और अगर यह आपकी बात नहीं मानती है तो आप मुझे कॉल कर देना। यह मेरा कार्ड है, इसमें मेरा पर्सनल नंबर है।"

    नैंसी और समय की बातें सुनकर अनिका समय को गुस्से में देखने लगी। वहीं, समय अनिका को इग्नोर करते हुए नैंसी से बोला, "तुम मेरी बहन की तरह हो, और अपना भी ख्याल रखना। ठीक है?" समय की यह बात सुनकर अनिका के चेहरे पर मुस्कान आ गई। वहीं, जब वे दोनों एयरपोर्ट के अंदर जाने लगे, तो समय अनिका का हाथ पकड़कर उसे अपने करीब खींच कर गले लगाकर, उसके माथे को चूमकर बोला, "ख्याल रखना, बीवी। और सैटरडे को तो मैं ही आऊँगा तुम्हारे पास। ओके? लव यू, जान।"

    "आई लव यू टू, समय..." अनिका ने कहा।

    अनिका वहाँ से अंदर चली गई। समय तब तक अनिका को देखता रहा जब तक अनिका का फ़्लाइट वहाँ से नहीं निकल गया। उसके बाद समय वहाँ से सीधा ऑफ़िस चला गया क्योंकि अब उसका घर जाने का बिल्कुल मन नहीं था क्योंकि उसे घर में अब उसकी अनिका नहीं थी।

    वहीं, चार घंटे बाद अनिका की फ़्लाइट राजस्थान में लैंड करती है। अनिका और नैंसी बाहर निकलकर आती हैं, तभी अनिका को नैंसी के कई बॉडीगार्ड घेर लेते हैं। अनिका हैरानी से नैंसी की तरफ़ देखती है तो नैंसी कहती है, "यह सब समय सर ने किया है।" अनिका कुछ नहीं कहती क्योंकि वह जानती थी समय उसे लेकर कितना पजेसिव है।

    वहीं, दो लड़कियों के पीछे इतने सारे बॉडीगार्ड्स को देखकर सबकी नज़र उसी तरफ़ चली जाती है। वहीं एक आदमी अनिका के आने के बाद सीधा फ़ोन करके कहता है, "हुकुम मैडम आ चुकी हैं और उनके साथ ढेर सारे बॉडीगार्ड्स भी हैं और एक लड़की भी है।" सूर्यांश कहता है, "सूर्यांश राणा की मोहब्बत कमज़ोर तो हो ही नहीं सकती। और हाँ, सही-सलामत उन्हें हमारे होटल तक पहुँचा देना, क्योंकि अभी हम उनके सामने आएंगे तो वे हज़ार तरह के सवाल करेंगे हमसे और अभी हम उन्हें राणा महल में भी नहीं रख सकते..."

    तभी अनिका के सामने एक ड्राइवर आकर खड़ा हो जाता है और कहता है, "मैडम, सर ने गाड़ी भेजी है और सर ने अपने सारे बिज़नेसमैन का रहने का इंतज़ाम अपने अलग-अलग फ़्लैट में किया है, तो आपको होटल चेक आउट करने की ज़रूरत नहीं है।" अनिका ड्राइवर को देखकर ज़्यादा कुछ नहीं सोचती और उसके साथ चली जाती है। जब वह फ़्लैट पर पहुँचती है, तो वह फ़्लैट बहुत खूबसूरत था। उसने आज तक इतना खूबसूरत फ़्लैट नहीं देखा था। चारों तरफ़ हरियाली और उसका कमरा इतना खूबसूरत था कि अनिका मुस्कुरा रही थी। तभी अचानक अनिका का फ़ोन बजने लगा। आने वाले नाम को देखकर अनिका मुस्कुराने लगी और सीधा वहाँ से अपने कमरे में चली गई और समय का कॉल अटेंड कर लिया।

    "अनिका, क्या तुम मेरे यहाँ पहुँचने का इंतज़ार कर रही थी? अभी तक सोई नहीं? तुम्हें पता है ना कितना टाइम हो रहा है?"

    "समय, तुम्हारे बिन नींद नहीं आ रही है मुझे। मेरा घर, मेरा बिस्तर, सब कुछ खाली है तुम्हारे बिना। ऐसा लग रहा है कि तुम अपने साथ-साथ मेरी नींद, मेरा सुख, मेरा चैन, सब कुछ अपने साथ ले गई हो।" अनिका बेड पर लेट गई और बोली, "तुम्हें पता है, मुझे बहुत गर्मी लग रही है। राजस्थान में बहुत गर्मी है। वीडियो कॉल करो, मैं भी देखूँ तुम्हें कितनी गर्मी लग रही है।"

    अनिका ने अपने कमरे का गेट लॉक करके समय को वीडियो कॉल लगा दिया और सामने स्टैंड पर लगाकर एक-एक करके अपने सारे कपड़े उतारने लगी। वहीं, अनिका की हरकत देखकर समय की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं। समय ने अनिका से कहा, "देखो, तुम क्या खेल रही हो? तुम जानती हो ना मुझे? फिर चाहे बिज़नेस हो या पहाड़, मैं अभी के अभी तुम्हारे पास पहुँच जाऊँगा और तुम्हारा वह हाल करूँगा कि तुम हफ़्ते भर तक बिस्तर से नहीं उठ पाओगी..."

    अनिका मुस्कुराते हुए बोली, "मुझे सज़ा देने या मेरे साथ कुछ करने के लिए आपको यहाँ आना पड़ेगा, नहीं तो ऐसे ही तड़पते रहो।" सारे कपड़े उतारकर अनिका बेड पर लेट गई। अनिका को इस तरह देखकर समय की हालत ख़राब हो चुकी थी। समय के शरीर में गर्मी बढ़ गई। समय ने अनिका से कहा, "देख लो, अगर मैं यहाँ आ गया ना, तो मैं तुम्हारी वह हालत करूँगा कि शादी के दो महीने में ही मां बन जाओगी। फिर मुझसे मत कहना कि शादी की इतनी जल्दी तुमने मुझे मान लिया।" समय की बातें सुनकर अनिका हँसने लगी और बोली, "बातें हवा में ना करिए, मल्होत्रा साहब..."

    अनिका का इस तरह मज़ाक़ बनाना देख समय को गुस्सा आ गया और उसने अपना फ़ोन स्विच ऑफ करके रख लिया। वहीं अनिका मुस्कुराने लगी और जाकर शावर लेकर नाइट कपड़े पहनकर सो गई क्योंकि उसे कल ग्यारह बजे मीटिंग में पहुँचना था। वहीं दूसरी तरफ़...

    सूर्यांश राणा महल के टेरेस पर खड़ा था और उसके पीछे उसके आदमी खड़े थे, उसे आज की अपडेट दे रहे थे। जैसे ही अनिका राजस्थान में एंटर करती है, उसका आना, उसका एटीट्यूड, उसकी चाल, सब कुछ सूर्यांश को अपनी तरफ़ आकर्षित कर रही थी और सूर्यांश अनिका के लिए पागल होता जा रहा था। वह अनिका की वीडियो पर ध्यान लगाते हुए कहता है, "कल आपसे मुलाक़ात होगी और अब आप राजस्थान से बाहर नहीं जा सकती क्योंकि अब कैदी बन गई है आप हमारी..."

    सूर्यांश पागलों की तरह अनिका की वीडियो देख रहा था। वहीं, उसके पीछे खड़े उसके सारे आदमी सर झुकाकर खड़े थे क्योंकि वे जानते थे कि सूर्यांश को एक बार जो इंसान पसंद आ गया, उसे वह किसी भी कीमत पर अपनी ज़िन्दगी में शामिल करके रहता था, चाहे उसके लिए कितना भी गलत काम क्यों न करना पड़े। और अब अनिका सूर्यांश की नज़रों में आ चुकी थी और वहीं सूर्यांश अनिका की हर एक अदा पर पागल होता जा रहा था...

    अगली सुबह अनिका तैयार होकर डाइनिंग टेबल पर बैठकर समय को फोन लगा रही थी, लेकिन अभी तक समय ने फोन नहीं उठाया था। अनिका परेशान होकर उसे मैसेज भेज देती है, लेकिन मैसेज भी सीन नहीं हो रहे थे। वह वहाँ से मीटिंग के लिए राणा कॉरपोरेशन निकल जाती है। जब वह राणा कॉरपोरेशन में पहुँचती है, तो देखती है कि वहाँ हर एक इंसान उसे इज़्ज़त और कायदे से बात कर रहा था। उसे लगता है शायद राजस्थान का वह कितना बड़ा बिज़नेसमैन है, इसीलिए उसके यहाँ सब लोग ऐसे ही इज़्ज़त करते होंगे...

    जब अनिका मीटिंग हॉल में पहुँचती है, तो वहाँ कुल मिलाकर पच्चीस बिज़नेसमैन बैठे हुए थे। सब अपने-अपने प्रेजेंटेशन देने लगते हैं। वहीं सूर्यांश की नज़रें तो एकटक अनिका के ऊपर थीं। वह उसके चेहरे के भाव, उसकी हर एक चीज़ को नोटिस कर रहा था और उसने यह भी नोटिस किया था कि अनिका बार-बार किसी को कॉल लगा रही थी और फ्रस्ट्रेटेड होकर अपने बालों को खींच रही थी...

    फिर अनिका के प्रेजेंटेशन की बारी आती है, तो वह सामने खड़ी होकर अपना प्रोजेक्ट डिटेल देने लगती है। वहीं, उसके प्रोजेक्ट और उसके आइडियाज़ सुनकर सूर्यांश की आँखों में एक चमक आ जाती है। वहीं सारे बिज़नेसमैन समझ चुके थे कि यह प्रोजेक्ट अनिका को ही मिलेगा क्योंकि सूर्यांश किस तरह से उसे बारीकी से देख रहा था, सब लोग समझ चुके थे, इसलिए कोई कुछ नहीं कहता। जब अनिका का प्रेजेंटेशन ख़त्म होता है, तो सब लोग तालियाँ बजाने लगते हैं। सूर्यांश खड़ा होकर अनिका से हाथ मिलाकर कहता है, "यह प्रोजेक्ट आपका। सारे कागज़ात और कॉन्ट्रैक्ट साइन करने के लिए चलिए, ऑफ़िस में बैठकर बात करते हैं।" वहीं अनिका का हाथ अभी भी सूर्यांश के हाथ में था। अनिका धीरे से अपना हाथ सूर्यांश के हाथ से हटाती है।

    सूर्यांश के ऑफ़िस में जाने के बाद वे दोनों अपना-अपना कॉन्ट्रैक्ट साइन करते हैं और एक-दूसरे से हाथ मिलाकर वहाँ से जाने लगती हैं। तो सूर्यांश कहता है, "साथ में लंच करते हैं, क्योंकि लंच का टाइम हो चुका है और अब आप हमारी बिज़नेस पार्टनर हैं, तो हम आपको ऐसे तो नहीं जाने दे सकते।" अनिका सूर्यांश की तरफ़ देखकर कहती है, "सॉरी, मिस्टर राणा, लेकिन आज नहीं, क्योंकि आज मुझे कहीं जाना है और वैसे भी मेरी असिस्टेंट बाहर मेरा वेट कर रही है और मैं उसके बिना अकेले तो नहीं खा सकती ना? क्योंकि मेरे एम्प्लॉयी मेरे लिए मेरे दोस्त जैसे हैं। उन्हें छोड़कर मैं आपके साथ अगर लंच करने लगी ना तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा। वैसे आपका लंच उधर ही रहा, नेक्स्ट टाइम।" और वहाँ से चली जाती है...

    अनिका की बातें सूर्यांश के दिल में जगह कर गई थीं, क्योंकि सूर्यांश को ऐसी ही तो हुक्मरानी चाहिए थी अपने राजस्थान के लिए, जो छोटे से छोटे दर्द को भी महसूस कर सके। अब तो सूर्यांश का इरादा और पक्का हो गया था अनिका को अपनी पत्नी बनाने का और उसे अपनी मोहब्बत से लूटने का, लेकिन सूर्यांश इस बात से बेखबर था कि अनिका पहले ही किसी की पत्नी बन चुकी है।

    Do like, share, comment, support, review guys 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • 14. Rebirth in novel - Chapter 14

    Words: 2509

    Estimated Reading Time: 16 min

    Next morning, Anika, after getting ready, sat at the dining table and called Samay. However, Samay didn’t answer. Annika, worried, sent him a message, but the messages weren’t being delivered. Annika then left for a meeting at Rana Corporation. Upon arriving at Rana Corporation, she noticed everyone treated her with respect and formality. She thought perhaps this was because of Rajvansh's significant business stature.


    When Anika reached the meeting hall, approximately twenty-five businessmen were seated, each giving their presentations. Suryaansh's gaze, however, remained fixed on Anika. He observed her expressions and every detail, noting that she repeatedly tried calling someone and then pulled at her hair in frustration.


    When it was her turn to present, she stood before them and detailed her project. Suryaansh's eyes gleamed at her project and ideas. All the businessmen understood that Anika would receive the project, given Suryaansh's intense scrutiny. No one spoke. When Anika finished her presentation, everyone applauded. Suryaansh stood, shook Anika's hand, and said,


    “This project is yours. Let's go to the office to sign the contract and finalize all the paperwork.”


    Anika gently withdrew her hand from Suryaansh’s.


    After going to Suryaansh’s office, they both signed the contract, shook hands, and Anika prepared to leave. Suryaansh said,


    “Let’s have lunch together. It’s lunchtime, and now you are our business partner; we can’t let you go like this.”


    Anika looked at Suryaansh and replied,


    “Sorry, Mr. Rana, but I can’t today. I have to go somewhere, and my assistant is waiting outside. I can’t eat without her; my employees are like family to me. I wouldn't feel right leaving them to have lunch with you. We can have lunch another time.”


    She then departed.


    Suryaansh was captivated by Anika's words. He desired a strong woman like her for his family, someone sensitive to the smallest needs. His resolve to make her his wife and win her love solidified. However, Suryaansh was unaware that Anika was already married.


    Leaving Suryaansh’s office, Anika went straight to Nancy. They left for their hotel. About an hour later, when they reached their flat, Nancy received a call. After speaking, Nancy said,


    “I have to go home immediately. There’s a problem. I’ll be back in two or three days. Can you manage alone until then?”


    Anika placed her hand on Nancy’s and said,


    “You go. I’ll handle it.”


    Nancy immediately booked a flight, as the airport was an hour and a half away, and her flight was imminent. Anika unlocked the flat and went inside. She felt incredibly lonely without Nancy, her only solace. Anika kept thinking about Samay; his phone was still switched off.


    Anika locked the outer gate, switched off all the lights, and went to her room. She began to undress, wrapping herself in a towel when she felt someone's breath on her neck. Her eyes widened. A hand encircled her waist, pulling her into an embrace. At the touch, Anika's eyes closed peacefully; she relaxed completely. A deep, masculine voice whispered in her ear,


    “Aren't you going to defend yourself?”


    Anika, gripping his hand, said,


    “Where can I escape you? I want to be in your arms.”


    It was Samay, who had arrived at Anika's flat in her absence. He hugged her tightly, saying,


    “You worried me terribly last night. I finished all my work and came to you this morning, but you’d already left for the office. I waited for you.”


    He pulled the towel from her body. Anika looked at him and said,


    “You’re so shameless.”


    Samay embraced her again.


    “Shameful with my wife? How can I be ashamed of my wife? How will we have children then?”


    Neither of them was wearing clothes. They felt each other's presence intensely. Suddenly, Anika pressed her lips to Samay's, kissing him passionately. Their soft kiss turned into an intense embrace. Samay's hands traced the contours of her body; Anika's hands moved along his back. They kissed frantically, as if they might never see each other again.


    Samay pressed her against the wall, kissing and nibbling her back. Anika moaned with pleasure, completely enthralled by his nearness. Suddenly, Anika’s phone vibrated. She ignored it. It vibrated again. Samay pulled away, saying,


    “Check it. It might be urgent.”


    Anika answered; it was an unknown number.


    “Hello?”


    A voice replied,


    “I’m waiting for you in the dining area. I also know Nancy went home because of an emergency. Would you like to have dinner with me? Lunchtime has passed, so we could have dinner.”


    Anika glanced at Samay and said,


    “Sorry, Mr. Rana, but I’ve already had lunch. Regarding dinner, okay, I’ll have dinner with you, but you’ll have to wait a while. It’s only 5:00 PM, and dinner is at 9:00 PM. If you can wait until 9:00, it's fine.”


    Suryaansh replied,


    “Okay, no problem. I have a meeting to attend. I’ll be in the dining area at 9:00.”


    Anika said, “Okay,” ended the call, and switched off her phone. Samay watched Anika’s face. She nestled into his lap, saying,


    “Mr. Rana invited me for dinner.”


    Samay looked at her and said,


    “I only had two days, and I wanted to spend them with you. Now, I feel I made a mistake,” and he started to get up.


    Anika pushed him back onto the bed, sitting on top of him, saying,


    “I have to leave at 9:00. Let’s spend this time together. And we'll have dinner together, no matter what.”


    They embraced again, expressing their love intensely.


    Anika shifted, and Samay caressed her lower back intensely. Anika moved her head back and forth; she had lost all control. Samay teased her, punishing her. Unable to bear it anymore, Anika pulled him down, and he entered her. They created their beautiful world of love. Downstairs, Suryaansh waited in the dining area for Anika, it was 8:00 PM, but she hadn't arrived. Her phone was switched off.


    Suryaansh grew angry. He told his secretary,


    “Sir, she said 9:00 PM, and it’s only 8:00. We have to wait an hour. If she doesn’t come, we’ll check her flat.”


    Suryaansh remained silent. The man who valued every second had waited six hours for Anika, to spend some time with her. Anika felt content in her husband's arms. To stop Samay, who didn’t want to let her go, she said,


    "It’s 8:30. I have to go for dinner at 9:00.”


    Samay reluctantly released her and went to the washroom. Anika realized he was upset, but she had to go. This project was with Suryaansh Rana, a punctual man, and she knew this. She also went to the other washroom to get ready. Returning to her room, Samay was gone. She left a note on the table and left.


    Samay returned to the room to find Anika gone. He picked up the note: she was going to dinner. He clenched his fists in anger, got ready, and went out. As he was leaving, Suryaansh’s secretary spotted him.


    “Mr. Malhotra, you are in Rajasthan, and we didn't know. ”


    Samay looked at him.


    “I came for personal business; that’s why I didn’t inform anyone. Any problem?”


    “No sir, but you are a guest in Rajasthan. Please join them for dinner.”


    Samay agreed and left the hotel.


    Raghav approached Suryaansh.


    “Sir, Mr. Samay Malhotra, owner of Malhotra Industries, is staying at our hotel. I just saw him leave; he looked very angry.”


    When Anika heard about Samay, she tensed, understanding he’d left because he was angry with her. She called him, but he didn't answer. She grew worried because her husband was stubborn and unpredictable.


    Suryaansh looked at Raghav.


    “Okay, if he calls back, schedule a meeting with him. I need to talk to him. Let’s start dinner.”


    Suddenly, Anika’s phone rang. Seeing Nancy’s name, she quickly answered.


    “Your father wants to meet you. He’s been at our office for three days.”


    Anika replied,


    “Tell him I don’t want to meet him. He can wait as long as he wants. I don’t change my principles for anyone. Tell him to focus on his wife and daughter, not me. After my mother died, I became an orphan. Orphans don't have families.”


    Suryaansh, hearing everything, understood Anika's pain but remained silent. Anika approached him.


    “Sorry, Mr. Rana, but I have to go. I’m not in the mood.”


    “It’s okay. Go. I understand your pain.”


    Anika went to her room to find her belongings scattered. She realized Samay had thrown them in anger. She sighed and called Samay, but he didn’t answer. She messaged him, but he didn't reply. Samay, lying in his car in the wilderness, looked at his phone, which still showed Anika’s missed calls.

  • 15. Rebirth in novel - Chapter 15

    Words: 2626

    Estimated Reading Time: 16 min

    राघव सूर्यांश के पास गया और कहा, "सर, मल्होत्रा इंडस्ट्रीज के मालिक, मिस्टर समय मल्होत्रा, अपने होटल में रुके हुए थे। मैंने उन्हें अभी-अभी होटल से बाहर जाते हुए देखा। इस वक्त वह बहुत गुस्से में लग रहे थे।"

    अनीका ने जब समय के बारे में सुना, तो उसके कान खड़े हो गए। वह समझ गई कि समय उसी से नाराज होकर होटल से चला गया है। उसने अपना फोन उठाकर समय को कॉल किया, लेकिन समय ने उसका फोन नहीं उठाया। वह परेशान हो गई क्योंकि उसका पति इतना जिद्दी था, जिसके बारे में कुछ कह नहीं सकते थे।


    सूर्यांश राघव की तरफ देखकर बोला, "तो ठीक है। अगर वह वापस बुलाते हैं, तो आप उनसे मेरी मीटिंग फिक्स कीजिए। मुझे उनसे कुछ बात करनी है। और जाकर अपना डिनर कर लो।"

    वे डिनर शुरू करने ही वाले थे कि अनीका का फ़ोन बजने लगा। स्क्रीन पर नाम देखकर उसने जल्दी से कॉल उठा लिया। दूसरी तरफ से नैंसी की आवाज आई, "मैं आपके पापा आपसे मिलना चाहते हैं। वह तीन दिन से हमारे ऑफिस में पूरे दिन बैठे रहते हैं।"


    अनीका नैंसी की बात सुनकर रह गई। "उनसे बोल दो कि मुझे उनसे कोई मतलब नहीं है और ना ही मैं उनसे मिलना चाहती हूँ। उन्हें जहाँ जाना है, जितना इंतज़ार करना है, वह कर सकते हैं।" अनीका किसी के लिए अपने उसूल नहीं बदल सकती थी। "उनसे कह देना कि यह करो, वह करो... यह अपनापन कहाँ गया था जब उन्होंने मेरी माँ की मृत्यु के बाद मुझे अकेला छोड़ दिया था? उनसे कहो वह अपनी बीवी और अपनी बेटी पर ध्यान दें, मुझ पर नहीं। क्योंकि मेरी माँ के मरने के बाद ही मैं अनाथ हो गई थी, और अनाथों के घर-परिवार नहीं होते।"


    सूर्यांश, जो अनीका की सारी बातें सुन रहा था, उसे भी अनीका के दर्द का एहसास हुआ, लेकिन वह कुछ नहीं बोला। तभी अनीका सूर्यांश के पास आई और बोली, "सॉरी मिस्टर राणा, लेकिन मुझे जाना होगा। मेरा मन बिल्कुल नहीं है।" "सो... सॉरी। कोई बात नहीं है जी, आप जा सकती हैं। मैं समझ सकता हूँ आपका दर्द।" अनीका अपने कमरे की तरफ चली गई। जब वह कमरे में पहुँची, तो कमरे में सारा सामान इधर-उधर बिखरा पड़ा था। वह समझ गई कि समय ने गुस्से में ही यह सारा सामान फेंका है। उसने साँस ली और समय को कॉल किया, लेकिन समय ने उसका कॉल नहीं उठाया। फिर उसने उसे मैसेज किया। समय ने मैसेज पढ़ लिया, लेकिन उसका कोई रिप्लाई नहीं दिया। वहीं, जंगल में अपनी गाड़ी पर लेटा हुआ समय अपनी फ़ोन को देख रहा था, जिस पर अभी भी अनीका का कॉल आ रहा था।


    लेकिन समय ने अनीका का कॉल रिसीव नहीं किया और फ़ोन गाड़ी में डालकर वहीं बोनट पर लेट गया। अनीका समय को बार-बार फ़ोन करके परेशान हो चुकी थी, लेकिन समय फ़ोन नहीं उठा रहा था। रात के लगभग 2:00 बजे के आसपास समय वापस आया और आकर वॉशरूम में चला गया। समय ने लाइट ऑन नहीं की थी। उसे लग रहा था कि अनीका सो रही होगी, लेकिन अनीका सोफे पर बैठी उसे ही देख रही थी।


    समय वॉशरूम से निकलने के बाद कपड़े पहने और तैयार होकर बाहर निकलने लगा। फिर एक चिट उठाकर उस पर कुछ लिखकर वहीं रख दिया। जब वह कमरे से बाहर जा रहा था, तभी अचानक से कमरे की लाइट ऑन हो गई। जब समय पीछे मुड़कर देखा, तो सोफे पर अनीका बैठी थी और इस वक्त गुस्से में उसका पूरा चेहरा लाल पड़ रहा था, और उसकी आँखें खून की तरह लाल थीं। ऐसा लग रहा था जैसे वह अपने गुस्से को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी।


    समय ने अनीका की तरफ देखा, लेकिन कुछ नहीं कहा। अनीका समय के सामने आकर खड़ी हो गई और बोली, "कहाँ जा रहे हो आप? वह भी मुझसे बिना मिले, मुझे बिना बताए...?" "सर, मैं अभी..." समय कुछ नहीं कह पाया। अनीका ने एकदम खींचकर समय को अपने सामने खड़ा कर दिया और कहा, "कुछ पूछ रही हूँ मैं आपसे, आपको जवाब देना होगा। मेरी बात का। कहाँ थे आप पूरी रात? और इस वक्त जाकर चोरों की तरह कहाँ जा रहे थे?" समय ने अनीका का हाथ हटा दिया और कहा, "मैं वापस मुंबई जा रहा हूँ। मेरा कुछ अर्जेंट काम है। और तुम रहो यहाँ पर आराम से। अपने मिस्टर राणा के साथ डिनर पर जाओ। उनके साथ काम करो जो करना है, करो। लेकिन प्लीज मुझसे दूर रहो।"


    अनीका हैरानी से समय के चेहरे को देख रही थी। उसके चेहरे पर कोई भी भाव नहीं था। वहीं अनीका गुस्से में बोली, "ठीक है, जाना चाहते हो ना? जाओ। लेकिन जाने से पहले मेरी एक बात सुन लेना। तुम अगर आज तुम यहाँ से चले गए, तो तुम मुझे हमेशा के लिए खो दोगे। मैं फिर कभी तुम्हारे पास वापस नहीं आऊँगी। मैं हमेशा के लिए राजस्थान में ही रह जाऊँगी, और तुम मुझे कभी ढूँढ नहीं पाओगे।"


    समय अचानक से अनीका के दोनों हाथों को पकड़कर दीवार से लगा दिया और बोला, "बहुत जवान चलने लगी है ना तुम्हारी? तुम अच्छे से जानती हो कि मुझे यह सब पसंद नहीं है, फिर भी तुम मेरे आगे फ़ालतू की बकवास कर रही हो।" अनीका ने समय के हाथों को झटक दिया और बोली, "क्यों? गुस्सा आपको ही आ सकता है? किसी और को गुस्सा नहीं आ सकता?"


    समय ने अनीका को छोड़कर उसकी तरफ पीठ करके खड़ा हो गया। पीछे से अनीका ने समय की पीठ पर अपना हाथ रख लिया और बोली, "मैं जानती हूँ आप नाराज हो, बट यह बिज़नेस मीटिंग थी, और उन्होंने इनवाइट किया था। मेरा जाना ज़रूरी था। और मैं जानती हूँ कि कोई पत्नी होने के नाते सबसे पहले मेरी प्रायोरिटी आपका होना चाहिए था, लेकिन आप ही ने मुझसे कहा था ना कि मैं 9:00 के बाद जा सकती हूँ, तो फिर आप नाराज क्यों हो रहे हो? आप कभी भी बिज़नेस मीटिंग में जाते हो या कहीं भी जाते हो, तो मैं तो नाराज़ होती ही नहीं हूँ आपसे। एक साल बाद मिले हैं हम, और फिर से वही लड़ाई-झगड़ा, वही सब कुछ। ऐसे कैसे चलेगा? समय, हम दोनों को एक-दूसरे को समझना होगा। अगर हम छोटी-छोटी बातों पर ऐसे रिएक्ट करेंगे, तो हमारा रिश्ता कैसा हो जाएगा? जानते हो ना आप? एक बात बताओ, आपको मुझ पर यकीन नहीं है? विश्वास नहीं मुझ पर?" समय पलटकर अनीका को अपने सीने से लगा लिया और बोला, "बहुत विश्वास है तुम पर, लेकिन पता नहीं क्यों यह सूर्यांश राणा मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा। ऐसा लग रहा है वह जानबूझकर तुम्हारे करीब आने की कोशिश कर रहा है। वरना जिस सूर्यांश राणा को मैं जानता हूँ, वह कभी भी औरतों से मीटिंग नहीं करता, नहीं उनका साथ डिनर पर जाता है, नहीं लंच पर इनवाइट करता है, नहीं अपना पर्सनल नंबर किसी को देता है। लेकिन वह तुम्हारे साथ यह सब कुछ कर रहा है। मुझे डाउट है। अनीका, वह तुम्हें मुझसे अलग ना कर दे।"


    "समय, पहले तो मेरे दिल में ऐसा कुछ नहीं है। और अगर मिस्टर राणा के दिल में ऐसा कुछ है भी, तो वह उनकी अपनी प्रॉब्लम है, मेरी नहीं। और जिस दिन मुझे लगा कि वह अपनी लिमिट क्रॉस कर रहे हैं, उस दिन मैं उन्हें अपनी शादी का सच बता दूँगी, और उस दिन मैं आपको भी बोलूँगी। आप हमारी शादी को पब्लिकली अनाउंस कर दीजिए। लेकिन मुझे थोड़ा वक्त तो आप दे सकते हैं ना?" समय अनीका को अपने सीने से लगाकर खड़ा हुआ और बोला, "मुझे डर लग रहा है। इनका। मैं आज तक कभी किसी चीज़ को खोने से नहीं डरा, लेकिन आज तुम्हें खोने से मैं डर रहा हूँ।"


    "अनीका, तुम मेरे पास हो। इसका एक सॉल्यूशन है।" समय ने उसकी तरफ देखा और कहा, "आप मेरे साथ इस प्रोजेक्ट में पार्टनरशिप कर लीजिए। फिर आप हमेशा मेरे साथ इस प्रोजेक्ट पर रहेंगी। मुझे कभी भी मिस्टर राणा से अकेले में मीटिंग नहीं करनी पड़ेगी, और आपको भी कभी इनसिक्योर फील नहीं होगा।" अनीका की बात सुनकर समय ने अनीका के माथे को चूमा और कहा, "थैंक यू सो मच मुझे समझने के लिए।"


    अनीका भी मुस्कुराकर समय के गले लग गई और अपनी आँखें बंद कर ली। उसने समय से कहा, "मुझे नींद आ रही है। आपके चक्कर में ना मैं पूरी रात नहीं सोई। सो जाइए, मुझे भी सोने दीजिए।" समय अनीका को अपनी बाहों में उठाकर बेड पर लिटा दिया और ब्लैंकेट से ढँककर उसके पास लेट गया। अनीका समय के पास खिसककर उसके सीने पर अपना सर रखकर आँखें बंद कर ली। वहीं समय भी अपनी आँखें बंद कर लिया और दोनों गहरी नींद में चले गए।


    वहीं दूसरी तरफ, राणा महल की सबसे ऊपर टेरिस पर खड़े सूर्यांश राणा पूरे राजस्थान को देख रहे थे, और उनके मन में सिर्फ़ और सिर्फ़ अनीका घूम रही थी। तभी उनके पीछे खड़ा उनका आदमी, राघव, बोला, "सर..."


    राघव: "सर, हम अनीका मेम पर..."

    सूर्यांश घूमकर राघव की तरफ देखा।

    राघव: "...सर, हम हुकुम रानी सा पर पूरी नज़र रखे हुए हैं। और वह डिनर के बाद जब अपने फ़्लैट में गई, उसके बाद वह बाहर नहीं आई, और उनके साथ इस वक्त वहाँ कोई मौजूद नहीं है। क्योंकि नैंसी को तो हमने अपने ही कमरे से वापस मुंबई भेज दिया था।"


    सूर्यांश राघव की तरफ देखकर बोला, "मैंने तुम्हें उन पर नज़र रखने के लिए नहीं बोला, मैंने तुम्हें उन्हें प्रोटेक्ट करने के लिए बोला है। तो आज के बाद कभी भी नज़र मत रखना उन पर। क्योंकि वह खुद में ही इतनी काबिल है कि वह किसी को अपनी तरफ़ आँख उठाकर बिना देखने दे।" सूर्यांश की बात सुनकर राघव बोला, "सर, एक बार उनके बारे में पता करना चाहिए। क्या पता उनकी ज़िंदगी में कोई हो जिससे वह प्यार करती हो या..."


    सूर्यांश एकदम राघव की गर्दन पकड़कर दबा दिया, और राघव के हाथ-पैरों पर झटके आने लगे। वह कुछ बोल नहीं पा रहा था क्योंकि सूर्यांश अभी भी राघव की गर्दन को दबा रहा था। जब लगा कि राघव मर जाएगा, तब जाकर सूर्यांश ने राघव की गर्दन छोड़ दी। राघव जमीन पर गिर गया और जोर-जोर से खांसने लगा। सूर्यांश एक पैर के बल नीचे बैठ गया और बोला, "वह सिर्फ़ हमारी हैं, और हमारे अलावा उनकी ज़िंदगी में कोई नहीं हो सकता। और अगर हुआ भी, तो हम जान से मार देंगे उसे। लेकिन अपनी हुकुम रानी सा को खुद से दूर कभी नहीं जाने देंगे। और यह बात आज आप अपने दिमाग में अच्छे से बिठा लीजिए। राजस्थान की हुकुम रानी सा और हमारी पत्नी सिर्फ़ और सिर्फ़ अनीका बनेगी, और इसमें हम कभी भी कोई भी मज़ाक या कोई डाउट बर्दाश्त नहीं करेंगे।"


    राघव ने अपनी गर्दन नीचे झुकाकर खड़ा रहा। सूर्यांश वहाँ से नीचे चला गया। तभी राघव ऊपर देखकर बोला, "सर, लेकिन जब आपको पता चलेगा कि हमसे मिलने के लिए एक लड़का आता है, और एक बच्चे के साथ... वह पहले भी रह चुकी है। अगर वह उनका बॉयफ़्रेंड या उनके पति हुआ, तो आप क्या करेंगे? जहाँ तक मैं आपके पागलपन को जानता हूँ, आप उसे लड़की की जान ले लेंगे। लेकिन क्या फिर आपको हुकुम रानी सा का प्यार मिलेगा? कभी नहीं। नफ़रत करेंगी वह आपसे। अगर आपको उन्हें जीतना है, तो प्यार से जीत लीजिए, जबरदस्ती और छीनकर नहीं।" लेकिन यह सारी बातें वह पीछे ही बोल सकता था, क्योंकि सूर्यांश के मुँह पर वह यह सब बातें कह ही नहीं सकता था, वरना सूर्यांश उसे राजस्थान के किसी चौराहे पर लटका चुका होता।


    सूर्यांश जब अपने कमरे में पहुँचा, तो सुबह के 5:00 बज रहे थे। सूर्यांश अपने कमरे से निकलकर जिम में चला गया और एक्सरसाइज करने लगा। धीरे-धीरे राणा खानदान के सारे बेटे जिम में आ गए, क्योंकि सबको पता था सूर्यांश को लेट आने वाले लोग बिल्कुल पसंद नहीं थे, और सब अपनी पनिशमेंट नहीं चाहते थे। इसीलिए सब वक़्त से जिम में पहुँच गए। वहीं सूर्यांश को वहाँ पहले से ही एक्सरसाइज करते देख सबके मुँह बन गए, क्योंकि उन्हें लगा था आज वह जल्दी उठ गए तो वह सूर्यांश से पहले जिम में पहुँच जाएँगे, लेकिन हर बार की तरह सूर्यांश पहले से ही वहाँ मौजूद था।


    आईए जानते हैं सूर्यांश की फैमिली के बारे में:

    वीरेंद्र राणा: सूर्यांश के दादाजी
    गायत्री वीरेंद्र राणा: सूर्यांश की दादी माँ
    राजीव राणा: सूर्यांश के पापा
    सुप्रिया राजीव राणा: सूर्यांश की माँ
    केतन राणा: सूर्यांश के चाचा
    कामिनी केतन राणा: सूर्यांश की चाची
    सविता राणा: सूर्यांश की बुआ, जो अपनी पति की मौत के बाद अपने बच्चों के साथ राणा महल में ही रहती हैं।
    रोहित: सूर्यांश का छोटा भाई
    कनक: सूर्यांश की छोटी बहन
    रोनित: सूर्यांश के चाचा का बेटा
    गौरी: सूर्यांश के चाचा की बेटी
    साहिल और समर: सूर्यांश की बुआ के बेटे


    तो यह थी राणा फैमिली। सूर्यांश इस घर का सबसे बड़ा बेटा और राजस्थान का हुकुम साहब और राणा फैमिली का वारिस है। इस घर में सब लोग बहुत अच्छे थे, लेकिन जो जैसा दिखता है वैसा हो, यह ज़रूरी तो नहीं। और यह मैं क्यों बोला, यह आपको आगे पता चलेगा।


    कनक सूर्यांश के आगे आकर खड़ी हो गई और बोली, "भाई साहब, आपसे बात करनी है।" सूर्यांश ट्रेडमिल बंद करके कनक के आगे खड़ा हो गया। कनक ने अपनी नज़र नीचे कर ली, क्योंकि उसे सूर्यांश से बहुत डर लगता था, लेकिन फिर भी उसे सूर्यांश को सब कुछ बताना था। अगर सूर्यांश को खुद पता चला, तो वह जानती थी कि सूर्यांश उन सब के साथ क्या कर सकता है। वहीं कनक की बात सुनकर सब लोग अपना सर नीचे करके सूर्यांश के सामने खड़े हो गए।


    सूर्यांश ने एक नज़र सबको देखा और कहा, "अब कौन सी गलती की है तुम सब ने? क्योंकि मैं जानता हूँ बिना गलती के तुम लोग सर नीचे करके खड़े होने वालों में से तो बिल्कुल नहीं हो।" कनक बोली, "भाई साहब, हमारे कॉलेज में एक लड़का है, मोहित नाम है उसका। वह मुझे बहुत परेशान करता है, और कल उसने मेरे और गौरी के साथ बदतमीज़ी करने की कोशिश की। लेकिन आपकी कही अनुसार हमने पूरे कॉलेज में किसी को नहीं बताया। हम राणा खानदान के बच्चे हैं, और उसने मुझे धमकी दी है कि अगर मैं कल उसका प्रपोज़ एक्सेप्ट नहीं किया, तो वह मुझे पूरे कॉलेज के सामने बिना कपड़ों के घुमाएगा और मेरी इज़्ज़त को नीलाम कर देगा।"


    कनक और गौरी की बात सुनकर सूर्यांश का गुस्सा अपनी हर हद पार कर गया, और वह खींचकर अपने चारों भाइयों को थप्पड़ मारने लगा। "तुम चारों के होते हुए कोई भी लड़का आकर मेरी बहनों की इज़्ज़त पर हाथ डालने की बात करता है, और तुम लोग कुछ नहीं कर पाते?" वहीं अपनी गलती मानकर वह चारों अपनी गर्दन नीचे कर लिए, क्योंकि उन चारों को कोई लड़ाई-झगड़ा बिल्कुल पसंद नहीं था। वे अहिंसावादी लोग थे, लेकिन सूर्यांश... अब मोहित के साथ क्या करेगा, यह तो भगवान ही जानता था, क्योंकि मोहित ने उनकी बहन की इज़्ज़त पर नहीं, राणा खानदान की इज़्ज़त पर हाथ डाला था, और सूर्यांश अब उन्हें माफ़ करने वालों में से तो नहीं था।


    Do like, share, comment, support, review guys 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • 16. Rebirth in novel - Chapter 16

    Words: 2683

    Estimated Reading Time: 17 min

    कनक सूर्यांश के आगे आकर खड़ी हो गई और बोली, "भाई साहब, आपसे बात करनी है।" सूर्यांश ट्रेडमिल बंद करके कनक के आगे खड़ा हो गया। कनक अपनी नज़र नीचे कर ली क्योंकि उसे सूर्यांश से बहुत डर लगता था। लेकिन उसे सूर्यांश को सब कुछ बताना था। वह जानती थी कि अगर सूर्यांश को खुद पता चला, तो वह क्या कर सकता है। कनक की बात सुनकर सब लोग सिर नीचे करके सूर्यांश के सामने खड़े हो गए।


    सूर्यांश ने सबको एक नज़र देखा और कहा, "अब कौन सी गलती की है तुम सब ने? क्योंकि मैं जानता हूँ, बिना गलती के तुम लोग सिर नीचे करके खड़े होने वालों में से तो बिल्कुल नहीं हो।"


    कनक बोली, "भाई साहब, हमारे कॉलेज में एक लड़का है, मोहित नाम है उसका। वह मुझे बहुत परेशान करता है। और कल उसने मेरे और गौरी के साथ बदतमीजी करने की कोशिश की। लेकिन आपकी बातों के अनुसार, हमने पूरे कॉलेज में किसी को नहीं बताया। वह खानदान का बच्चा है और उसने मुझे धमकी दी है कि अगर मैं कल उसका प्रपोज़ल एक्सेप्ट नहीं किया, तो वह मुझे पूरे कॉलेज के सामने बिना कपड़ों के घुमाएगा और मेरी इज़्ज़त नीलाम कर देगा।"


    गौरी की बात सुनकर सूर्यांश का गुस्सा अपनी हर हद पार कर गया। उसने अपने चारों भाइयों को खींचकर थप्पड़ मारे। "तुम चारों के होते हुए कोई भी लड़का आकर मेरी बहनों की इज़्ज़त पर हाथ डालने की बात करता है और तुम लोग कुछ नहीं कर पाते?" अपनी गलती मानकर, चारों ने अपनी गर्दन नीचे कर ली। उन्हें लड़ाई-झगड़ा बिल्कुल पसंद नहीं था; वे अहिंसावादी थे। लेकिन सूर्यांश अब मोहित के साथ क्या करेगा, यह तो भगवान ही जानता था। मोहित ने उनकी बहन की इज़्ज़त पर नहीं, राणा खानदान की इज़्ज़त पर हाथ डाला था, और सूर्यांश माफ करने वालों में से नहीं था।


    सूर्यांश ने अपनी दोनों बहनों के सिर पर हाथ फेर कर कहा, "तुम्हें डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। तुम्हारे भाई के होते हुए किसी की इतनी औकात नहीं है कि वह मेरी बहनों की इज़्ज़त में हाथ डाल पाए। और आज तुम्हारे कॉलेज में तूफान आएगा, ऐसा तूफान जैसा आज तक राजस्थान में कहीं नहीं आया होगा। आज मैं उन लड़कों को सिखाऊँगा कि औरतों की इज़्ज़त करना और करवाना क्या होता है, जो संस्कार उनके माँ-बाप ने नहीं दिए, अब उन्हें वह संस्कार सूर्यांश राणा देगा।"


    कनक सूर्यांश के गले लग गई और गौरी भी। दोनों अपने भाई के गले लगकर रोने लगीं। वे दोनों सच में डर चुकी थीं कि अगर उनके साथ कुछ हो गया, तो कैसे जियेंगी, कैसे क्या करेंगी। लेकिन आज सूर्यांश का साथ पाकर, उसका प्यार भरा स्पर्श पाकर, वे दोनों हर जंग के लिए तैयार थीं। तभी सूर्यांश ने उनके बालों को सहलाते हुए कहा, "दोनों लोग तैयार हो जाओ। तुम दोनों मेरे साथ कॉलेज जाओगी, और मैं देखता हूँ आज किसकी माँ ने इतना दूध पिलाया है जो राणा खानदान की बेटियों की इज़्ज़त पर हाथ डालेगा..."


    कनक और गौरी अपने कमरे में चली गईं। वहीं, चारों भाई अभी भी गर्दन नीचे करके खड़े थे क्योंकि गलती तो उनकी थी। अगर वे भाई रहते अपनी बहनों को प्रोटेक्ट करते, तो शायद आज बात सूर्यांश तक नहीं पहुँचती। लेकिन वे चारों अपनी ही मस्ती में मस्त रहते थे; उन्हें किसी चीज़ से कोई मतलब ही नहीं था। इसीलिए कनक और गौरी की बात को उन्होंने हवा में उड़ा दिया था। लेकिन बात इतनी बड़ी और हाथ से निकल चुकी थी, यह बात उन चारों को भी नहीं पता थी। अब जब उन्हें सच पता चला था, तो उन चारों को भी ख़ून खौल रहा था कि कैसे एक अदना सा लड़का उनकी बहनों की इज़्ज़त पर हाथ डाल सकता है।


    कनक और गौरी तैयार होकर नीचे आईं। सूर्यांश अभी भी हाल में खड़ा था। उन दोनों के आते ही सूर्यांश घर से बाहर निकल गया और अपनी गाड़ी में बैठ गया। वे दोनों भी सूर्यांश के साथ उसकी गाड़ी में बैठ गईं। उधर, चारों भाई अलग गाड़ी में बैठकर कॉलेज के लिए रवाना हो गए। वहीं, आने वाले खतरे से अनजान, कॉलेज में इस वक्त मस्ती-मजाक का माहौल था।


    राजस्थान यूनिवर्सिटी।


    यह राणा खानदान की ही प्रॉपर्टी थी, और ज़्यादातर लोग सूर्यांश राणा को जानते थे। सबको यह तो पता था कि सूर्यांश राणा के और भी भाई-बहन हैं, लेकिन वे कौन हैं, कहाँ पढ़ते हैं, कैसे दिखते हैं, यह बात किसी को नहीं पता थी। वहीं, मोहित और उसका ग्रुप अपनी बाइक्स पर बैठकर लड़कियों को छेड़ रहे थे। उन सब के डर के मारे पूरा कॉलेज प्रशासन भी उनसे कुछ नहीं कहता था क्योंकि वे अमीरों के बेटे थे, और इसलिए पूरा कॉलेज उनसे डरता था। यहाँ तक कि प्रोफ़ेसर भी उनके खिलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं कर सकते थे।


    तभी कॉलेज के गेट में एक साथ तीस से चालीस गाड़ियाँ एंटर हुईं। इतनी सारी गाड़ियों को कॉलेज में आते हुए देखकर सारे बच्चे शॉक हो गए। किसी को भी यकीन नहीं हो रहा था कि इतना बड़ा आदमी कौन है जो आज उनके कॉलेज में आया है, जिसके बारे में किसी को जानकारी नहीं थी। वहीं, सूर्यांश का सेक्रेटरी बाहर निकला। उसे देखकर कॉलेज के प्रोफ़ेसर, प्रिंसिपल, सब सकते में आ गए क्योंकि सब समझ चुके थे कि कॉलेज में आने वाला शख़्स कोई और नहीं, बल्कि सूर्यांश राणा है, राजस्थान का हुक्मशाह और इस यूनिवर्सिटी का मालिक...


    तभी गेट खुलते ही सूर्यांश गाड़ी से बाहर निकला। सूर्यांश का आकार ही काफी था सबको डरा देने के लिए। सूर्यांश के निकलते ही... सूर्यांश बाहर निकलकर अंदर अपना एक हाथ बढ़ाया। तभी उसके हाथ पर एक नाज़ुक सा हाथ आया, और एक लड़की बाहर आई। सूर्यांश के साथ कनक और गौरी को देखकर सब लोग डर गए क्योंकि किसी को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर कनक और गौरी सूर्यांश के साथ कॉलेज क्यों आई थीं। वहीं, मोहित अब ये समझ चुका था कि इन दोनों ने सूर्यांश से उसकी शिकायत की है, और अब वह गुस्से में और भर गया था। अब उसका बदला लेने का हौसला और भी मज़बूत हो चुका था।


    मोहित को लग रहा था कि वह अपने पापा के दम पर इन लड़कियों को झूठा साबित कर देगा। लेकिन वह यह भूल गया था कि वह सूर्यांश राणा है; वह ऐसे ही किसी को नहीं जाने देता है, और यहाँ बात उनकी अपनी बहनों की थी। वह राजस्थान में किसी की बहन और बेटी के साथ गलत नहीं होने दे सकता था।


    सूर्यांश आकर पूरे कॉलेज के कैंपस के बीचो-बीच खड़ा हो गया और गौरी और कनक की तरफ़ देखकर बोला, "अब बताओ, कौन है वो लड़के जिन्होंने तुम दोनों के साथ बदतमीजी करने की कोशिश की थी?" कनक और गौरी मोहित और उसके ग्रुप की तरफ़ इशारा कर दिया। तभी मोहित का बाप आगे आया और बोला, "हुकमशाह, ये लड़कियाँ झूठ बोल रही हैं। मेरा बेटा ऐसा कोई काम नहीं कर सकता। अरे, हम जैसे छोटे घर की लड़कियाँ होती हैं ऐसी ही जो अमीर लड़कों को फँसाने के चक्कर में अपनी मान-मर्यादा भूल जाती हैं।" मोहित के बाप के हर शब्द के साथ सूर्यांश की मुट्ठी बनती जा रही थी और उसका गुस्सा हर हद पार कर रहा था। वहीं राघव ऊपर हाथ जोड़कर भगवान से दुआ कर रहा था कि कोई उसे बचा ले।


    वह बोला, "सर, आप नहीं जानते, ये दोनों लड़कियाँ मेरे बेटे के पीछे पड़ी थीं और उसे पैसा चाहती थीं। इसीलिए जब उनकी दाल नहीं गली, तो इन्होंने आपसे जाकर मेरे बेटे की शिकायत कर दी।" तभी सूर्यांश ने एक घूँसा मोहित के बाप के मुँह पर मार दिया। सूर्यांश का एक वार ही काफी था मोहित के बाप को जमीन पर गिराने के लिए। तभी मोहित और बाकी टीचर और प्रिंसिपल जाकर उसे पकड़ लेते हैं। सूर्यांश गुस्से की आग में जल रहा था और बोला, "क्या कहा तूने? एक बार फिर से बोलना। इन दोनों के पास दौलत की कमी है? अरे, तुम जानते ही क्या इन दोनों के बारे में? ये मेरी, सूर्यांश राणा की बहनें हैं। इतनी गिरी हुई नहीं हैं कि वह किसी लड़के के लिए या उसकी प्रॉपर्टी के लिए अपनी इज़्ज़त, सम्मान दाव पर लगा दें।"


    सबके कानों में अब यही बात गूंज रही थी कि सूर्यांश राणा की बहनें इतनी भी गिरी-गुज़री नहीं हैं। सब लोग कनक और गौरी की तरफ़ देख रहे थे और दहशत से चार कदम पीछे हो गए क्योंकि सब लोग समझ चुके थे कि जिन बहनों की बात अक्सर राणा परिवार में हुआ करती थी, वे दोनों कनक और गौरी हैं। वहीं, कनक की दोस्त माही अभी भी नम आँखों से कनक की तरफ़ देख रही थी। वहीं सूर्यांश अपने चारों भाइयों को आवाज़ देकर आगे बढ़ा और बोला, "तुम चारों भाइयों के होते हुए किसी की ये हिम्मत कैसे हुई मेरी बहनों पर आँख उठाकर देखने की, और उनका दुपट्टा पकड़ने की? या तुम भूल गए हो कि सूर्यांश राणा कौन है?"


    सूर्यांश ने मोहित की गर्दन पकड़ ली और बोला, "क्या कहा था तूने मेरी बहन से? कि तू इसकी इज़्ज़त को पूरे कॉलेज में उछालेगा, उसे बिना कपड़ों के घुमाएगा? यही कहा था ना? चल, तेरी मुराद पूरी होगी, लेकिन कपड़े किसी और के नहीं, तेरे उतरेंगे, और तुझे नंगा करके मैं पूरे कॉलेज में घुमाऊँगा। फिर देखता हूँ कि तेरी क्या इज़्ज़त रह जाती है सबके सामने, क्योंकि तुम जैसे लोग इज़्ज़त के लायक नहीं होते हो।"


    सूर्यांश घूरकर उन चारों की तरफ़ देखा और बोला, "कपड़े निकालो इन सबके, और इन्हें पूरा नंगा करके पूरे राजस्थान में घुमाओ। पूरे राजस्थान को पता चलना चाहिए कि जो इंसान औरतों की इज़्ज़त नहीं करता, उसे इंसान कहने वाला राजस्थान का हुक्मशाह सूर्यांश राणा क्या करता है। और सब में ये ख़बर पहुँचा दो, किसी भी कॉलेज, किसी भी यूनिवर्सिटी या किसी के घर में, या बाहर, किसी ने भी किसी भी लड़की या महिला के साथ कुछ भी गलत व्यवहार करने की कोशिश की, या उसकी बिना मर्ज़ी के उसे छूने की कोशिश की, तो यह सूर्यांश राणा उसे भरे चौराहे पर सज़ा देगा।"


    सूर्यांश की बातें सुनकर अब प्रिंसिपल और बाकी प्रोफ़ेसरों की भी हालत ख़राब हो गई क्योंकि कनक और गौरी ने बहुत बार उन लोगों से मोहित की शिकायत की थी, लेकिन उन्होंने कोई ठोस एक्शन नहीं लिया था। और अब जब उन्हें पता चल चुका है कि कनक और गौरी राणा खानदान की बेटियाँ और सूर्यांश राणा की बहनें हैं, तो अब वे सब लोग डर रहे थे क्योंकि आज जो हालात मोहित और उसके ग्रुप की हुई थी, जो मोहित के बाप की हुई थी, वही हालात उन सब की होने वाली थी। सूर्यांश उनके सबके सामने खड़ा हुआ और बोला, "तुम लोगों ने शिक्षा को व्यवसाय का ज़रिया बना लिया है और बड़े लोगों के तलवे चाटते हो। तुम लोगों की मुझे अपने कॉलेज में, अपनी यूनिवर्सिटी में कोई ज़रूरत नहीं है। यह कॉलेज आज से चार दिन तक बंद रहेगा, जब तक नए प्रिंसिपल, नए टीचर और नए प्रोफ़ेसर नहीं आ जाते। और मैं पूरी कोशिश करूँगा कि तुम में से किसी को भी पूरी दुनिया में कहीं भी जगह ना मिले। दर-दर की ठोकरें खाओ तुम लोग..."


    कनक और गौरी सूर्यांश के गले लग गईं। सूर्यांश ने उन्हें अपनी बाहों में छुपा लिया और उनके माथे को चूमते हुए बोला, "अगर ये बात तुम दोनों ने पहले मुझे बता दी होती ना, तो तुम्हें इतना सब कुछ बर्दाश्त करना ही नहीं पड़ता। तुम्हारा भाई कठोर ज़रूर है, मान-मर्यादा का पक्का है, लेकिन वह इतना भी कठोर नहीं है कि अपनी बहन की तरफ़ उठती हुई नज़रों को भी उन्हीं की गलती बता दे। और आज के बाद इस कॉलेज में अगर किसी भी स्टूडेंट ने किसी भी लड़की के साथ या किसी भी टीचर के साथ कोई भी बदतमीज़ी करने की कोशिश की, तो उसका हाल इन चारों से भी बेहतर करूँगा।" वहीं, बिना कपड़ों के खड़े वो ग्रुप और मोहित का बाप शर्म से मर रहे थे क्योंकि सूर्यांश ने उन्हें पूरे कॉलेज के सामने नंगा खड़ा कर दिया था। सूर्यांश ने अपने गार्ड्स को इशारा करके कहा, "इनका मुँह काला करके इन्हें बाँधकर पूरे राजस्थान में घुमाओ। और हाँ, पूरे राजस्थान में घूमने के बाद इन्हें मेरे पर्सनल विला पर ले आना, जहाँ मैं सबकी सज़ा मुकर्रर करूँगा।"


    सूर्यांश वहाँ से अपनी गाड़ी में बैठकर निकल गया, और उसके पीछे उसके सारे बॉडीगार्ड। वहाँ, उसके चारों भाई और कनक और गौरी खड़े थे। वहीं सब लोग आकर कनक और गौरी से पूछने लगे कि उन्होंने कभी उन्हें क्यों नहीं बताया कि वे राजस्थान के हुक्मशाह की बहनें हैं। लेकिन वे दोनों किसी से कुछ नहीं बोलीं और वहाँ से चुपचाप घर के लिए निकल गईं। अब घर में हंगामा होने वाला था, जो कनक और गौरी के लिए नहीं, लेकिन उन चारों के लिए बहुत नुकसानदायक था क्योंकि अभी तक सूर्यांश ने उन्हें कोई सज़ा नहीं दी थी, और अब घर जाने के बाद उन्हें अपनी सज़ा मिलने वाली थी। और वे जानते थे कि इस बार की गलती उनकी माफ़ी के लायक नहीं है, इसलिए घर का कोई भी सदस्य उनकी मदद करने नहीं आएगा, बल्कि वे और उन्हें सज़ा देने के लिए सूर्यांश को प्रेरित करेंगे...


    सूर्यांश की गाड़ी राणा महल के अंदर गई। सूर्यांश को इतनी जल्दी घर वापस आते हुए देखकर पूरा घर हाल में इकट्ठा हो गया। सूर्यांश गुस्से की आग में अभी भी जल रहा था; उसे अभी भी अपनी बहनों के आँसू और उनकी लाचारी दिखाई दे रही थी। वहीं, सूर्यांश को इतने गुस्से में देखकर सूर्यांश की माँ ने उसके कंधे पर हाथ रख दिया और बोली, "बेटा, क्या हुआ? क्यों इतना परेशान है?" सूर्यांश ने अपनी माँ का हाथ अपने कंधे से हटाते हुए कहा...


    "माँ सा, आपको भी कनक और गौरी के आँसू नहीं दिखे? माँ, आपको उन दोनों के चेहरे की लाचारी और बेबसी नहीं दिखी? आप कैसी माँ हैं जो आप अपनी बेटियों के दर्द को नहीं समझ पाईं? बुआ सा, क्या कर रही थीं आप लोग? जब कनक और गौरी घर वापस आती थीं, तो क्या आप उनके दिन का हाल-चाल नहीं पूछती थीं? या आप तीनों लोग अपनी गपशप में और अपने में इतना व्यस्त रहती थीं कि आपने कभी उन बच्चियों की कोई ख़बर लेने की ज़रूरत नहीं समझी...?"


    सब लोग हैरानी से सूर्यांश को देख रहे थे। तभी सब लोग आकर हाल में खड़े हो गए। सूर्यांश गौरी और कनक की तरफ़ देखकर बोला, "आप दोनों अपने-अपने कमरे में जाइए, और आप चारों हमारे सामने आकर खड़े हो जाइए।" अपने पूरे परिवार की क्लास लगाने के बाद अब बारी थी उन चारों की। वहीं, अभी तक उनमें से किसी को भी पूरी बात पता नहीं चली थी। तभी सूर्यांश ने चारों की तरफ़ देखकर अपना व्हिप माँगा, और व्हिप की दर से दादा साहब बोले, "हुकमशाह, बिना पूछे जाने और बिना उनका गुनाह साबित किए आप सज़ा नहीं दे सकते..."


    हेलो दोस्तों, कैसे हो आप सब? आई होप आप लोग अच्छे होंगे। तो बताइए, क्या सज़ा देगा सूर्यांश अपने भाइयों को? और आज का एपिसोड आप लोगों को कैसा लगा? कमेंट करके ज़रूर बताइए...


    Do like, share, comment, support, review guys 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • 17. Rebirth in novel - Chapter 17

    Words: 2597

    Estimated Reading Time: 16 min

    सूर्यांश की गाड़ी राणा महल के अंदर गई। सूर्यांश को इतनी जल्दी घर वापस आते देख पूरा घर हाल में इकट्ठा हो गया। सूर्यांश गुस्से की आग में जल रहा था; उसे अपनी बहनों के आँसू और उनकी लाचारी दिखाई दे रही थी। सूर्यांश को इतने गुस्से में देखकर, सूर्यांश की माँ ने उसके कंधे पर हाथ रख दिया और कहा, "बेटा, क्या हुआ? क्यों इतना परेशान है?"

    सूर्यांश ने अपनी माँ का हाथ अपने कंधे से हटाते हुए कहा,


    "माँ सा, आपको भी कनक और गौरी के आँसू नहीं दिखे? माँ, आपको उन दोनों के चेहरे की लाचारी और बेबसी नहीं दिखी? आप कैसी माँ हैं जो अपनी बेटियों के दर्द को नहीं समझ पाईं? बुआ सा, क्या कर रहे थे आप लोग? जब कनक और गौरी घर वापस आईं, तो क्या आप उनके दिन का हाल-चाल नहीं पूछते थे? या आप तीनों लोग अपनी किटी पार्टी में और अपने में इतना व्यस्त रहते थे कि आपने कभी उन बच्चियों की कोई खबर लेने की जरूरत नहीं समझी?"


    सब लोग हैरानी से सूर्यांश को देख रहे थे। तभी सब लोग हाल में खड़े हो गए। सूर्यांश गौरी और कनक की तरफ देखकर बोला, "आप दोनों अपने-अपने कमरे में जाइए।" फिर उसने चारों की ओर इशारा करते हुए कहा, "और आप चारों हमारे सामने आकर खड़े हो जाइए।" अपने पूरे परिवार की क्लास लगाने के बाद, अब बारी थी उन चारों की। अभी तक उनमें से किसी को भी पूरी बात पता नहीं चली थी। सूर्यांश ने ऊंचे स्वर में हुकुम साहब से अपना हंटर माँगा। हंटर की दर की वजह से दादा साहब हुकुम ने ऊँची आवाज में कहा, "हुकुम साहब, बिना बजे जाने और बिना गुनाह साबित किए आप सजा नहीं दे सकते।"


    🏨 Hotel


    समय और अनिका एक-दूसरे को बाहों में भर लेते थे। समय ने अनिका के माथे को चूमते हुए कहा, "मुझे आज शाम वापस जाना होगा। कल मॉर्निंग में मेरी बहुत जरूरी मीटिंग है, और उसके बाद फिर मैं शनिवार को ही आऊँगा। तुम अपना ख्याल रखना।" अनिका ने समय के सीने में अपना चेहरा छिपा लिया और कहा, "समय, प्लीज आप मत जाओ ना। मेरे पास ही रुक जाओ।"

    समय ने कहा, "जाना तो मैं भी नहीं चाहता, बीवी, लेकिन यह जरूरी है। अगर इतना जरूरी नहीं होता, तो मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाता। अगर तुम्हें एक-दो दिन का गैप मिले, तो तुम मुंबई आ जाना।"


    अनिका समय के सीने में अपना चेहरा छिपाए रही। समय को अपने सीने पर कुछ गीलापन लगा। उसने अनिका का चेहरा ऊपर उठाकर देखा और कहा, "यह क्या, बीवी? तुम रो रही हो?" अनिका समय के गले लग गई और बोली, "समय, मुझे कभी प्यार नहीं मिला। ना कभी माँ-बाप का प्यार मिला, ना बहन का, ना भाई का, ना दोस्त का। मेरे पास अगर प्यार, रिश्ते और हर चीज के नाम पर कोई है, तो वह सिर्फ तुम हो। मैं तुम्हारे बिना जी नहीं पाऊँगी। समय, प्लीज मुझे छोड़कर मत जाना।"


    समय उठकर बैठ गया और अनिका को अपनी बाहों में भरकर अपनी गोदी में बिठा लिया। उसने धीरे से उसके माथे को चूमते हुए कहा, "समय का अनिका के बिना कोई नहीं, जैसे अनिका का समय के बिना कोई नहीं। अनिका, मेरे पास रिश्तों के नाम पर तो बहुत रिश्ते हैं, लेकिन अपने और सच्चे रिश्ते मेरे पास सिर्फ एक है, और वह तुम हो। मेरे अपनों ने मुझे धोखा दिया है, अनिका, और ऐसा धोखा, जिसे खाकर मैं कभी उस घर में नहीं गया। नफ़रत हो गई है मुझे उन घरवालों से।"


    अनिका हैरानी से समय की तरफ देखती रही। समय ने कहा, "आज मेरे पास टाइम नहीं है तुम्हें यह सब बताने को। जिस दिन टाइम होगा, मैं तुम्हें सब बताऊँगा। लेकिन बस, मैं तुमसे यह जानना चाहता हूँ, कल को किसी राह पर अगर मेरे पास कुछ ना रहे; ना यह धन-दौलत, ना प्रॉपर्टी, ना शोहरत, सिर्फ़ मेरे पास एक नाम रहे, 'समय', तो क्या तुम तब भी मेरा साथ निभाओगी? क्या तब भी तुम मेरे साथ एक छोटी झोपड़ी में रहोगी?" अनिका ने समय का माथा चूमते हुए कहा, "अगर तुम्हारे पास कुछ भी नहीं रहेगा, समय, तब भी तुम्हारे पास तुम्हारी अनिका रहेगी। अगर तुम सड़क पर सोओगे, तो तुम्हारी अनिका तुम्हारे साथ सड़क पर सो जाएगी, लेकिन तुम्हें छोड़कर किसी और का दामन कभी नहीं थामेगी।"


    समय अनिका को अपनी बाहों में भरकर लेट गया और अनिका के बाल सहलाने लगा। वह जानता था अनिका ने बचपन से जितना कुछ सहा है, बर्दाश्त किया है, उसके लिए यह प्यार उसके लिए बहुत मायने रखता है। आज अनिका अपने ऑफिस भी नहीं गई थी, क्योंकि वह आज का पूरा वक्त सिर्फ और सिर्फ समय के साथ बिताना चाहती थी। वह समय का टाइम किसी को नहीं दे सकती थी; समय उसका पति, उसका प्यार, उसका सब कुछ था। प्यार अगर इतनी आसानी से मिल जाए, तो बात क्या है? आपकी ज़िंदगी में बहुत सारी मुश्किलें हैं।


    समय और अनिका एक-दूसरे के साथ वक्त बिता रहे थे। आज दोनों के बीच कोई फिजिकल कनेक्शन नहीं हुआ था, लेकिन यह जो पल थे – साथ में बात करना, खाना खाना, एक-दूसरे को टाइम देना, एक-दूसरे के दिल की बातें जानना – यह रिश्ते में सबसे मज़बूत कड़ी होती है। आज वह दोनों सच में एक नॉर्मल कपल की तरह एक-दूसरे के साथ थे। लेकिन यह साया भी उनके बीच अब दूरियाँ लाने वाला था, क्योंकि समय मुंबई जाने वाला था और अनिका राजस्थान में रहने वाली थी।


    अनिका ने समय से कहा, "समय, चलो डिनर करते हैं। 9:00 बज गए हैं।" समय उठकर खड़ा हुआ और वॉशरूम में चला गया। दोनों फ़्रेश होकर डिनर करते हैं। डिनर करने के बाद समय तैयार होकर हाल में आया, जहाँ अनिका अपनी आँखों में आँसू लिए समय को देख रही थी। समय ने उसके माथे पर किस किया और कहा, "सिर्फ़ चार दिन की बात है, पाँचवें दिन मैं तुम्हारे पास होऊँगा। इंतज़ार करना, मेरा। और हाँ, काम में खुद को इतना डुबो मत देना कि खाने-पीने का भी होश ना रहे तुम्हें।"


    समय और अनिका वहाँ से अलग-अलग निकले, क्योंकि वे अभी किसी को बताना नहीं चाहते थे कि वे दोनों कपल हैं। अनिका समय को एयरपोर्ट छोड़ने जा रही थी। समय ने मना भी किया था, लेकिन अनिका नहीं मानी। अनिका समय को एयरपोर्ट पहुँचाती है। समय ने एक बार फिर अनिका को गले लगाकर, उसके माथे को चूमते हुए कहा, "अपना ख्याल रखना। चार दिन बाद मैं वापस आ जाऊँगा।" "ओके," अनिका ने कहा और आँखों से समय को विदा किया। जाते हुए समय बार-बार पलटकर अनिका को देख रहा था। आज ऐसा कुछ था कि दोनों को ही एक-दूसरे के बिना अच्छा नहीं लग रहा था; या दोनों एक-दूसरे के बिना रहना नहीं चाहते थे। वहीं, समय के जाने के थोड़ी देर बाद ही सूर्यांश का आदमी, राघव, किसी को रिसीव करने एयरपोर्ट आया था। उसने वहाँ अनिका को देखकर पहले तो हैरान हुआ, फिर टाइम देखा; रात के 11:30 बज रहे थे।


    राघव अनिका के पास गया और कहा, "मिस सोनी, आप यहाँ क्या कर रही हैं? और इतनी रात को? आप जानती हैं ना, इतनी रात को अकेले निकलना सही नहीं है।" अनिका ने एक नज़र राघव को देखते हुए कहा, "मैं यहाँ अपनी फ़्रेंड को छोड़ने आई थी। आपको कोई प्रॉब्लम है?" राघव ने कहा, "मुझे क्या प्रॉब्लम होगी? आप प्लीज़ घर चली जाइए, क्योंकि अब रात काफी हो चुकी है, और अकेली लड़की का रात को इस तरह बाहर रहना सेफ़ नहीं है।"


    दूसरी तरफ, यह वह वक्त था जब सूर्यांश कॉलेज से घर वापस आया था, और सारे घर वाले उससे जवाब माँग रहे थे कि क्यों वह उन चारों को सजा देना चाहता है। सूर्यांश गुस्से में खड़ा हो गया और अपने दादा साहब हुकुम और अपने पापा साहब हुकुम से कहा, "इन चारों की वजह से कनक और गौरी की इज़्ज़त पर आँच आई है। यह चारों मिलकर एक लड़के को सबक नहीं सिखा पाए जो उनकी बहनों की तरफ़ गंदी नज़र से देख रहा था और कॉलेज में उनकी इज़्ज़त जाने की बात कर रहा था।"


    सूर्यांश गुस्से में अपनी माँ से बोला, "और आप दिन भर किटी पार्टी करने के अलावा, आपके पास कोई दूसरा काम है? खाना आपको नहीं बनाना, घर का काम आपको नहीं करना, तो आप सब लोग इतना बिज़ी किस चीज़ में रहते हैं? क्या आप घर में दो बच्चियों का ख्याल नहीं रख सकतीं? आज इन दोनों में से अगर किसी को कुछ हो जाता, ना, तो मैं आप सबको क्या करता, यह मैं खुद भी नहीं जानता।"


    सूर्यांश का गुस्सा देखकर पूरा घर अपनी नज़रें नीचे कर लेता है, क्योंकि सब लोग जानते थे कि अगर किसी ने सूर्यांश से कोई बात कही, तो वह क्या कर देगा, यह कोई नहीं जानता था। वहीं, सूर्यांश का गुस्सा उसके आपा से बाहर हो चुका था। वहीं, जब राघव को लगा कि अब कुछ गलत होने वाला है, तो राघव सूर्यांश के कान में आकर बोला, "राणा साहब, अनिका की तबीयत खराब है, इसीलिए वह आज ऑफ़िस नहीं आई।" अनिका की तबीयत खराब है, यह सुनकर सूर्यांश का सारा गुस्सा पल भर में शांत हो गया। यह देखकर पूरा राणा परिवार हैरान हो गया कि ऐसा क्या कहा राघव ने कि सूर्यांश का गुस्सा बिल्कुल पानी की तरह ठंडा हो गया।


    वहीं सूर्यांश सीधा वहाँ से ऑफ़िस के लिए निकल गया। सब लोग राघव को अपने पास बुलाते हैं और राघव से पूछते हैं। राघव कहता है, "सर को मोहब्बत हो गई है, और अभी सर को पता चला कि उनकी तबीयत खराब है, इसीलिए सर ऑफ़िस चले गए। और प्लीज़ आप में से कोई भी राणा साहब के आगे यह बात नहीं बोलेगा कि मैंने आपको बताया है, वरना वह मेरी ज़िंदगी हराम कर देंगे। और मैं बहुत जल्द आपसे उन्हें मिलवा दूँगा, लेकिन प्लीज़ यह बात सब लोग अपनी तक ही सीक्रेटली रखना। सर उनसे बहुत प्यार करते हैं, और उनके लिए खुद को भी बदलने को तैयार हैं। आपको पता है, वह गुस्सा भी बहुत कम करने लगे हैं ऑफ़िस में, क्योंकि वह नहीं चाहते कि हुकुम रानी सा उनसे डर जाएँ।"


    पूरा राणा परिवार राघव की बात सुनकर खुश हो जाता है कि चलो, उनके बेटे को किसी से प्यार तो हुआ। अब उनका बेटा भी नॉर्मल ज़िंदगी जिएगा, इतना गुस्सा नहीं करेगा। सब लोग खुश थे; अगर सबसे ज़्यादा खुश था, तो वह चारों लोग थे, जिन्हें अभी सजा मिलने वाली थी। वह चारों दादा साहब के पास जाते हैं और कहते हैं, "दादा साहब हुकुम, यह चमत्कार हो गया क्या? मतलब, हमेशा हुकुम साहब आई नहीं और उन्होंने आने से पहले हम लोगों को बचा लिया। सच में यार, दादा साहब हुकुम, वह तो हमारे लिए जीवनदायिनी बन जाएँगी अगर वह इस घर में आ गईं।"


    तभी एक कर्कश आवाज पूछती है, "किस टॉपिक पर बात हो रही है? जरा हमें भी कोई बताएगा?" सब लोगों की साँसें थम जाती हैं, क्योंकि राणा साहब एक बार फिर वापस आ गए थे। सब लोग उनकी तरफ़ देखकर कहते हैं, "कुछ नहीं, बस ऐसे ही।" राणा साहब अपना फ़ोन उठाते हुए कहते हैं, "आज आप लोगों को छोड़ दिया है, लेकिन अगर आइंदा से ऐसी गलती हुई, तो आप सब लोग समझ लीजिएगा कि मैं आप सबके साथ क्या करूँगा। और हाँ, इस बात को भूल जाइएगा कि कोई भी मेरे गुस्से से आपको बचा सकता है।"


    रात का वक्त


    उस वक्त जब अनिका और राघव एयरपोर्ट पर थे, राघव अपने फ़ोन से सूर्यांश को मैसेज कर देता है कि अनिका इस वक्त एयरपोर्ट पर है। सूर्यांश भी वहीं था। वह वापस आता है और अनिका के पास खड़े होकर कहता है, "आप यहाँ? इस वक्त? आप जानती हैं ना..." अनिका ने एक नज़र सूर्यांश की तरफ़ देखते हुए कहा, "राणा साहब बस जाने ही वाले थे। हम अपनी दोस्त को छोड़ने आए थे। अभी निकलते हैं।"


    सूर्यांश ने कहा, "आप अकेले कहीं नहीं जाएंगी। हम आपको छोड़कर आते हैं। चलिए, आप हमारे साथ।" अनिका ने मना किया, लेकिन जो बात सूर्यांश राणा मान जाए, वह थोड़ी ही है।


    सूर्यांश ज़बरदस्ती अनिका को अपने साथ ले जाता है। इस वक्त वह अनिका को अकेला नहीं छोड़ सकता था; इसीलिए उसे फ़्लैट पर ले जाने के बजाय उसे राणा महल ले जाता है। अनजान रास्ते को देखकर अनिका डर जाती है, तो सूर्यांश उसकी तरफ़ बिना देखे कहता है, "फ़िक्र मत कीजिए। आपको अपने घर ले जाना है। और हमारे घर में हमारे तो बहनें हैं, माँ हैं, दादी हैं, काकी सा हैं, और हमारी बुआ सा हैं; हमारी पूरी फैमिली रहती है। माँ, आप फ़िक्र ना करें। आपके चेहरे को देखकर हमें ऐसा लग रहा है कि आप इस वक्त बहुत उदास हैं।" अनिका कुछ नहीं कहती, क्योंकि सच में वह समय के जाने से उदास थी। वहीं, अनिका अपना फ़ोन निकालकर समय को मैसेज करती है, तो समय भी उसका तुरंत रिप्लाई देता है कि वह बस थोड़ी देर में मुंबई पहुँच जाएगा। अनिका मैसेज के ज़रिए समय से बात कर रही थी, वहीं सूर्यांश अपनी टेढ़ी नज़रों से अनिका को देख रहा था।


    थोड़ी देर में राणा साहब की गाड़ी राणा महल के आगे रुकती है, और सूर्यांश बाहर निकलकर अनिका का गेट खोलता है। अनिका भी बाहर निकलती है। वहीं, अपने-अपने कमरों की खिड़कियों पर खड़ा पूरा परिवार यह नज़ारा देख रहा था; जो सूर्यांश राणा किसी के लिए नहीं रुकता था, आज वह एक लड़की के लिए गेट खोल रहा था। जब अनिका बाहर निकलती है, तो अनिका की ख़ूबसूरती देखकर पूरा परिवार मंत्रमुग्ध हो जाता है; अनिका थी इतनी ख़ूबसूरत।


    अनिका बाहर निकलकर सूर्यांश से कहती है, "आपको इतना परेशान करने की ज़रूरत नहीं थी, मिस्टर राणा। मैं फ़्लैट पर चली जाती।" सूर्यांश अनिका को अंदर आने का इशारा करता है और सर्वेंट से कहकर उसके लिए खाना बनवाता है। वहीं, अब पूरा परिवार हाल में इकट्ठा था। अनिका सबको देखकर खड़ी हो जाती है और सबको हाथ जोड़कर नमस्ते करती है। अनिका का पहनावा देखकर दादी सा, दादा सा, माँ सा, बाबा साहब, काका, काकी और सारे बच्चे बहुत खुश हो जाते हैं, क्योंकि अनिका ने इस वक्त एक अनारकली सूट पहना हुआ था, और वह उसमें बहुत ख़ूबसूरत लग रही थी।


    तभी अनिका का फ़ोन बजने लगता है। अनिका अपने फ़ोन पर चमक रहे नाम को देखकर खुश हो जाती है और जल्दी से कॉल उठा लेती है। समय कहता है, "कहाँ हो आप?" अनिका कहती है, "हम कहाँ होंगे? घर पर ही तो हैं।" समय कहता है, "अच्छा, तो आपको नींद नहीं आ रही?" अनिका कहती है, "नहीं, हमें बिल्कुल नींद नहीं आ रही। और आप? बस हम तैयार होकर मीटिंग में जा रहे हैं।" समय कहता है, "लेकिन इतनी रात में कौन सी मीटिंग होती है? अब क्या करें? अब जल्दी-जल्दी काम खत्म करेंगे, तभी तो आपके पास आएंगे।"


    Do like share comment support Review guys 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • 18. Rebirth in novel - Chapter 18

    Words: 2602

    Estimated Reading Time: 16 min

    सूर्यांश ने जबरदस्ती अनिका को अपने साथ ले जाया। वह इस वक्त निकाह को अकेला नहीं छोड़ सकता था। इसीलिए उसने अनिका को फ्लैट पर ले जाने के बजाय राणा महल ले जाया। अनजान रास्ते को देखकर अनिका डर गई। सूर्यांश ने उसकी तरफ बिना देखे कहा, "फ़िक्र मत कीजिए। आपको अपने घर ले जाना है। और हमारे घर में हमारा तो बहाना है, मन है, दादी हैं, काकी सा है और हमारी बुआ सा है। हमारी पूरी फैमिली रहती है। मां, आप फ़िक्र ना करें। आपके चेहरे को देखकर हमें ऐसा लग रहा है कि आप इस वक्त बहुत उदास हैं।" अनिका सच में समय के जाने से उदास थी। उसने अपना फ़ोन निकालकर समय को मैसेज किया। समय ने तुरंत रिप्लाई दिया कि वह बस थोड़ी देर में मुंबई पहुँच जाएगा। अनिका मैसेज के ज़रिए समय से बात कर रही थी। वहीं सूर्यांश अपनी टेढ़ी नज़रों से अनिका को देख रहा था।


    थोड़ी देर में राणा साहब की गाड़ी महल के आगे रुकी। सूर्यांश बाहर निकला और अनिका का गेट खोला। अनिका बाहर निकली। वहीं, अपने-अपने कमरों की खिड़कियों पर खड़ा पूरा परिवार यह नज़ारा देख रहा था। सूर्यांश राणा किसी के लिए नहीं रुकता था, पर आज एक लड़की के लिए गेट खोल रहा था। जब अनिका बाहर निकली, तो उसकी खूबसूरती देखकर पूरा परिवार मंत्रमुग्ध हो गया। अनिका इतनी खूबसूरत थी...


    अनिका बाहर निकलकर सूर्यांश से बोली, "आपको इतनी परेशान करने की ज़रूरत नहीं थी, मिस्टर राणा। मैं फ़्लैट पर चली जाती।" सूर्यांश ने अनिका को अंदर आने का इशारा किया और सर्वेंट से कहकर उसके लिए खाना बनवाया। वहीं, पूरा परिवार हॉल में इकट्ठा था। अनिका सबको देखकर खड़ी हो गई और सबको हाथ जोड़कर नमस्ते किया। अनिका का पहनावा देखकर दादी साहब, दादा साहब, माँ साहब, बाबा साहब, काका, काकी और सारे बच्चे बहुत खुश हो गए। अनिका ने एक अनारकली सूट पहना हुआ था, और वह उसमें बहुत खूबसूरत लग रही थी।


    तभी अनिका का फ़ोन बजने लगा। अनिका ने अपने फ़ोन पर चमक रहे नाम को देखकर खुशी से कॉल उठा ली। समय ने कहा, "कहाँ हो आप?"
    अनिका ने कहा, "हम कहाँ होंगे? घर पर ही तो हैं।"
    समय ने कहा, "अच्छा, तो आपको नींद नहीं आ रही?"
    अनिका ने कहा, "नहीं, हमें बिल्कुल नींद नहीं आ रही। और आप? बस हम तैयार होकर मीटिंग में जा रहे हैं।"
    समय ने कहा, "लेकिन इतनी रात में कौन सी मीटिंग होती है? अब क्या करें? अब जल्दी-जल्दी काम ख़त्म करेंगे, तभी तो आपके पास आएंगे..."


    अनिका समय की बात सुनकर मुस्कुराने लगी। सब लोग अनिका की तरफ़ देख रहे थे। अनिका ने समय से कहा, "आप जल्दी अपनी मीटिंग ख़त्म करके आइए, फिर हम लोग वीडियो कॉलिंग पर बात करते हैं।" समय कुछ नहीं बोला और बाय कहकर कॉल काट दिया।


    अनिका सब लोगों के पास आई और बोली, "आप मुझे इजाज़त दीजिए। क्योंकि मुझे अपने फ़्लैट पर ही अच्छा लगता है। मैं हमेशा से अकेली रही हूँ, इसलिए मुझे फैमिली के बीच अजीब सी बेचैनी होती है। आई एम सो सॉरी, मेरी बातें आपको बुरी लग रही होंगी, लेकिन मैं हमेशा से, जब से जन्म हुआ है, तब से मैं अकेले ही रही हूँ। ऐसा नहीं है कि मेरे पास फैमिली नहीं थी। मेरे पास बहुत बड़ी फैमिली थी, लेकिन उस फैमिली में मेरे लिए जगह नहीं थी। इसीलिए मुझे कमरे में बंद करके रखा जाता था। और मुझे अकेले रहने की ही आदत है।" अनिका ने सूर्यांश की तरफ़ देखकर कहा, "मिस्टर राणा, क्या आप मुझे मेरे फ़्लैट तक छोड़ देंगे?" सूर्यांश कुछ बोलता, उससे पहले ही हॉल में एक भारी आवाज़ आई। सब लोग उस तरफ़ देखे तो वह दादाजी थे। दादाजी ने कहा, "चली जाएगी, लेकिन पहले आप जाकर फ़्रेश हो जाइए, नाश्ता कीजिए, उसके बाद जाएगी। हम आपको नहीं रोकेंगे..."


    अनिका कुछ नहीं बोल पाई। उसने अपनी गर्दन हिला दी। कनक और गौरी अनिका के साथ अपने कमरे की तरफ़ बढ़ गईं। कमरे में पहुँचते ही, उन्होंने अनिका को अपने कपड़े बढ़ा दिए। अनिका ने बिना किसी बहस के कपड़े लेकर वॉशरूम में चली गई। वहीं, अनिका के वॉशरूम में जाने के बाद, गौरी भागकर कनक के गले लग गई और बोली, "भाभी मुझे बहुत पसंद आई, कनक! सच में है ना? और सबसे अच्छा, वह एकदम साफ़ बोलने वाली है, भाई की तरह। वह चापलूसी वाली लड़की नहीं है, ना? जैसे जब भी भाई के लिए कोई रिश्ता आता है, वो लड़कियाँ होती हैं।" कनक ने गौरी के सिर पर हाथ रखा। "लेकिन तुमने जो चीज़ गौर नहीं की, गौरी, वो मैंने की है। उनके फ़ोन पर जब कॉल आया था ना, तो उसके पर हार्ट बने हुए थे, और वो उनसे इतने प्यार से बातें कर रही थीं। अगर उनके दिल में पहले से कोई और है, तो वहाँ पर भाई साहब कभी नहीं हो सकते..."


    कनक की बात सुनकर अब गौरी भी परेशान हो गई, क्योंकि वह चीज़ उसने भी नोटिस की थी। फिर वो दोनों कुछ नहीं बोलीं और बाहर आ गईं। थोड़ी देर में अनिका भी तैयार होकर नीचे आई और सबके साथ बैठकर ब्रेकफ़ास्ट करने लगी।


    अनिका का फ़ोन एक बार फिर बजने लगा। अनिका ने फ़ोन उठाकर बात की, तो सामने से नैंसी की आवाज़ आई, "मैं आज आ गई हूँ, लेकिन आप फ़्लैट पर नहीं हैं।" अनिका ने कहा, "मुझे किसी काम से जरा बाहर आना था। तो ऐसा करो, तुम्हारे पास डुप्लीकेट चाबी तो है ही ना, तो मुझे गेट खोलकर अंदर चली जाओ। और हाँ, मेरे लिए ब्रेकफ़ास्ट मत बनाना, मैंने कर लिया है। और तुम्हारे लिए भी मैं यहाँ से ऑर्डर करती हूँ, क्योंकि तुम सफ़र करके आई हो, तो थक गई होगी। और यह बताओ, तुम्हारी मम्मी-पापा की तबीयत कैसी है? ओके, नैंसी, तुम ख्याल रखो अपना। मैं आती हूँ 1 घंटे में..."


    सूर्यांश समझ गया कि जिसका फ़ोन आया था, वह कोई और नहीं, बल्कि नैंसी थी, क्योंकि उसे पता था कि वह अपने कलीग्स का कितना ख्याल रखती है। इसीलिए उसने कुछ नहीं कहा। सब लोग अपना ब्रेकफ़ास्ट करते रहे। तभी एक बार फिर अनिका के फ़ोन पर वाइब्रेशन हुआ। अनिका ने मैसेज खोलकर चेक किया। इसमें समय का मैसेज आया था: "टाइम से ब्रेकफ़ास्ट करना, और हाँ, लंच भी करना। और लंच के बाद मैं तुम्हें कॉल करूँगा। ओके? अभी मेरी मीटिंग चल रही है। और हाँ, ज़्यादा तली हुई चीज़ मत खाना, वरना आगे हमारे पैरेंट्स बनने में प्रॉब्लम हो जाएगी। ओके जान, आई लव यू।" अनिका मैसेज पढ़कर मुस्कुरा दी।


    दादी अनिका की तरफ़ देखकर बोलीं, "बेटा, तुम क्या काम करती हो? मैं देख रही हूँ, जब से तुम आई हो, तुम्हारा फ़ोन वाइब्रेट ही हो रहा है।" अनिका ने एक नज़र दादी को देखते हुए कहा, "दादी, मैं एक इंडस्ट्रीज की मालकिन हूँ, और 1000 मीटिंग्स, ईमेल्स होते हैं जो मेरे पास आते हैं। अगर आपको डिस्टर्ब होगा, तो आई एम सो सॉरी। इसीलिए मैं आपको बोली थी कि मुझे मॉर्निंग में जाने दीजिए।" दादी ने इंडस्ट्रीज का नाम सुनते ही कहा, "वही इंडस्ट्रीज ना, जो पिछले 1 साल में फ़र्श से अर्श पर जाकर पहुँच गई, और जो टॉप फ़ाइव में आ चुकी है? वो मेरी कंपनी है!" अनिका बोली, "बिजनेस वूमेन बनना मेरी मॉम का सपना था। मेरी मॉम तो बन नहीं पाईं, लेकिन अपनी मॉम का सपना मैंने पूरा किया है। अगर मेरे पास रिश्तों में कुछ है, तो सिर्फ़ मेरी मॉम है, जिनकी यादें ही काफी हैं मेरे जीने के लिए।" अनिका उठकर खड़ी हुई और बोली, "आप सब लोगों से मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगा। अब मैं चलती हूँ, क्योंकि मेरी इम्पॉर्टेंट मीटिंग है, और जिस प्रोजेक्ट पर मैं मिस्टर राणा के साथ काम कर रही हूँ, उसकी साइट देखने भी मुझे जाना है मिस्टर राणा के साथ, उससे पहले मुझे मेरे फ़्लैट पर जाना है।" अनिका वहाँ से निकल गई।


    सूर्यांश जाती हुई अनिका को बहुत गौर से देख रहा था। तभी अनिका भागी और वह ऊपर कमरे में चली गई। किसी को कुछ समझ नहीं आया, लेकिन कनक और गौरी उसके पीछे गईं। जब अनिका बाथरूम से बाहर आई, तो उसके हाथ में मंगलसूत्र था। मंगलसूत्र को देखकर उन दोनों की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं। वो दोनों अनिका की तरफ़ देखने लगीं। अनिका बोली, "मेरी शादी हो चुकी है। यह मेरे पति की निशानी है, जो मैं गलती से बताना भूल गई थी। और मैं भी नहीं चाहती कि आप यह बात अपने घर में किसी को भी बताएँ। ओके?" और वहाँ से निकल गई। उसने अपना मंगलसूत्र बात करते हुए अपने गले में पहन लिया था और उसे अपने कपड़ों के अंदर छिपा लिया था।


    वो दोनों एक-दूसरे की तरफ़ देखने लगीं और बेड पर बैठकर कनक बोली, "इसका मतलब भाई को नहीं पता है कि अनिका जी शादीशुदा हैं! भाई साहब का दिल ही टूट जाएगा। लाइफ़ में पहली बार तो उन्होंने कोई लड़की पसंद की है।" गौरी ने कनक से कहा, "अब इसमें हम कुछ नहीं कर सकते, दीदी। क्योंकि भाई साहब के उनकी ज़िंदगी में आने से पहले ही वो किसी और की ज़िंदगी में, उनकी पत्नी बन चुकी थी। अब हम यह बात किसी के सामने नहीं कहेंगे।" कनक ने गौरी की तरफ़ देखकर कहा, "लेकिन हमारी फैमिली अनिका जी को अपनी बहू मान रही है, तो हम यह कैसे बर्दाश्त कर सकती हैं?"


    गौरी और कनक एक-दूसरे से कुछ नहीं बोलीं और वो जल्दी से तैयार होकर अपने कॉलेज जाने के लिए निकल गईं। क्योंकि सब लोग अपने-अपने काम पर जा चुके थे। लेकिन आज कनक और गौरी के दिमाग में सिर्फ़ सूर्यांश का ख्याल चल रहा था कि जिस दिन सूर्यांश को पता चलेगा कि अनिका शादीशुदा है, तो वो कैसे रिएक्ट करेगा? उन्हें यही सब समझ नहीं आ रहा था, क्योंकि वो सूर्यांश को बहुत अच्छे से जानती थीं। एक बार अगर कुछ पसंद आ जाता था, तो सूर्यांश हर कीमत पर उसे पकड़ लेता था। क्योंकि सूर्यांश को हारना बिल्कुल पसंद नहीं था। और यहाँ तो वो ज़िंदगी में सबसे बड़ी चीज़ को हार चुका था, उसे जीतने से पहले ही। और इस सब पर वो कैसे रिएक्ट करेगा, यही उन दोनों बहनों को समझ नहीं आ रहा था।


    अनिका अपने फ़्लैट पर पहुँची, तो देखा कि नैंसी उसका इंतज़ार कर रही थी। नैंसी और अनिका दोनों वहाँ से सीधे अपने ऑफ़िस के लिए निकल गईं। पूरा दिन अनिका इतनी बिज़ी थी कि वो समय का कॉल रिसीव नहीं कर पाई। जिस वजह से अनिका को थोड़ा डर लग रहा था, क्योंकि वो समय के गुस्से को बहुत अच्छे से जानती थी। लेकिन वो कुछ नहीं कर सकती थी। रात के 11:00 बजे अनिका अपने फ़्लैट पर आई। वो इतनी थक चुकी थी कि उसे इतना भी नहीं बन रहा था कि जाकर कपड़े चेंज कर ले।


    नैंसी ने जबरदस्ती उसे बाहर डिनर करवा दिया था, वरना वो तो डिनर भी ना करती। अनिका अपने कमरे में जाकर थोड़ी देर लेटी। फिर उठकर वॉशरूम चली गई और पानी से भरा टब में बैठ गई। पानी में बैठने के बाद अब उसे अपनी बॉडी थोड़ी रिलैक्स महसूस हो रही थी। तभी अचानक से अनिका का फ़ोन बजने लगा। अनिका ने फ़ोन उठाकर देखा, तो उसे पर समय का वीडियो कॉल आ रहा था। अनिका ने समय का वीडियो कॉल उठा लिया।


    अनिका को अपने सामने इस हालत में देखकर समय की आँखें बड़ी हो गईं। समय ने कहा, "यह रात के 11:30 बजे नहाने का कौन सा टाइम है?" अनिका ने आँखें बंद किए हुए कहा, "मैं क्या करूँ, समय? बहुत थक गई हूँ आज। अब तुम यहाँ होते ना, तो मेरा सारा काम तुम करते थे। अब तुम तो यहाँ हो नहीं, तो मुझे सब कुछ एडजस्ट करना पड़ रहा है।"


    समय ने अनिका की तरफ़ देखा और कहा, "क्यों इतना स्ट्रेस ले रही हो? खुद को थोड़ा रिलैक्स करो ना। और हाँ, यह फ़ालतू की बकवास करने की ज़रूरत नहीं है। और इतनी रात तुम ठंडे पानी से नहा रही हो, तुम्हारी तबीयत ख़राब हो जाएगी ना? चुपचाप से कमरे में जाओ और सो जाओ। मैं सुबह तुम्हें कॉल करता हूँ।" अनिका बेमन से उठी। अनिका को इस तरह अपने सामने देखकर समय की हालत ख़राब हो गई, लेकिन वह जानता था कि अभी वह कुछ नहीं कर सकता। इसीलिए अनिका कमरे में गई और समय की एक शर्ट पहनकर सो गई। उसने अभी भी वीडियो कॉल चालू रखा हुआ था। वहीं समय भी अनिका को देखते-देखते अपनी आँखें बंद कर लेता है और दोनों गहरी नींद में चले जाते हैं।


    अगली सुबह जब समय की आँख खुली, तो देखा कि अनिका अभी भी सोई हुई थी। अनिका को देखकर उसने अपना फ़ोन चार्जिंग में इस तरह लगाया कि उसे अनिका का रूप और अनिका को उसका रूप और कमरे में कुछ भी करते समय दिखता रहे। तभी अनिका की नींद खुली। उसने सामने देखा तो समय बिना कपड़ों के खड़ा था और अलमारी से अपने कपड़े निकाल रहा था। ढीले होने की वजह से उसका तौलिया नीचे गिर गया।


    अनिका की आँखें बड़ी हो गईं। अनिका का गला सूखने लगा। वह उठकर बैठी और कॉल काटकर बाथरूम में जाकर तैयार हुई और वहाँ से गाड़ी लेकर निकल गई। अनिका ने सूर्यांश को कॉल किया और कहा, "मिस्टर राणा, मैं एक हफ़्ते तक ऑफ़िस नहीं आऊँगी। आप यह एक हफ़्ते मैनेज कर लीजिएगा, क्योंकि मेरी मॉम की बरसी है और मुझे वापस जाना है। और आप प्लीज़ यह प्रोजेक्ट डिले मत कीजिएगा..."


    बरसी वाली बात सुनकर सूर्यांश कुछ नहीं बोला। क्योंकि इस वक्त सूर्यांश खुद इतना बिज़ी था। अनिका एयरपोर्ट आई और मुंबई के लिए निकल गई। वहीं मुंबई में समय ने जब फ़ोन की तरफ़ देखा तो फ़ोन कट चुका था। समय को लगा कि उसका फ़ोन डिस्चार्ज हो गया होगा, इसलिए कट गया। वहीं समय तैयार होकर ऑफ़िस के लिए चला गया। अनिका चार-पाँच घंटे में मुंबई पहुँच गई। पहले वो मंदिर जाकर अपनी माँ की बरसी की और फिर शाम को वो समय के घर चली गई। अभी तक समय घर नहीं आया था। इसीलिए अनिका अपने कमरे में जाकर तकिया लेकर बेड पर लेट गई। उसे पता ही नहीं चला कि कब उसकी आँख लग गई।


    अनिका की नींद खुली तो उसने देखा कि कमरे में समय मौजूद था, लेकिन वो उसे पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा था। उसने समय को आवाज़ दी। समय पीछे मुड़कर अनिका की तरफ़ देखा और कहा, "मुझे पता है, अभी मैं तुम्हारे पास आऊँगा, तुम ग़ायब हो जाओगी। इसीलिए मैं तुम्हारे पास नहीं आऊँगा। जैसे तुम मेरे साथ इसी तरह रहो।" समय की बात सुनकर अनिका हँसने लगी। वो अचानक से बेड से समय के ऊपर कूद गई।


    समय हड़बड़ाकर अनिका को पकड़ लिया। लेकिन जब समय को अनिका फ़ील हुई, तब जाकर उसे समझ आया कि अनिका सच में उसके पास है। समय एकदम से अनिका के होंठों को अपने कब्ज़े में ले लेता है और शिद्दत से उन्हें चूमने और काटने लगता है। अनिका पूरा साथ दे रही थी समय का...


    लाइक, शेयर, कमेंट, सपोर्ट, रिव्यू गाइज़ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • 19. Rebirth in novel - Chapter 19

    Words: 2835

    Estimated Reading Time: 18 min

    नेक्स्ट मॉर्निंग, जब समय की आँख खुली, तो उसने देखा कि अनिका अभी भी सो रही थी। अनिका को देखकर वह अपना फ़ोन चार्जिंग में रखा ताकि उसे अनिका का रूम और अनिका साफ़ दिखती रहे, और अनिका को उसका रूम और उसे कमरे में कुछ भी करते हुए समय दिखता रहे। तभी अनिका की नींद खुली। उसने सामने देखा तो समय बिना कपड़ों के खड़ा था और अलमारी से अपने कपड़े निकाल रहा था। ढीले होने की वजह से उसका तौलिया नीचे गिर गया।


    आँखें बड़ी हो गईं। अब अनिका का गला सूखने लगा। वह उठकर बैठी और कॉल काटकर बाथरूम में जाकर तैयार हुई और वहाँ से गाड़ी लेकर निकल गई। अनिका ने सूर्यांश को कॉल किया और कहा,


    "मिस्टर राणा, मैं एक हफ़्ते तक ऑफ़िस नहीं आऊँगी। आप यह एक हफ़्ता मैनेज कर लीजिएगा क्योंकि मेरी मॉम की बरसी है और मुझे वापस जाना है। और आप प्लीज़ यह प्रोजेक्ट डिले मत कीजिएगा..."


    बरसी वाली बात सुनकर सूर्यांश कुछ नहीं बोला क्योंकि इस वक़्त सूर्यांश ख़ुद इतना बिज़ी था। वह एयरपोर्ट गई और मुंबई के लिए निकल गई। वहीं मुंबई में, समय ने जब अपने फ़ोन को देखा, तो पाया कि वह स्विच ऑफ़ हो चुका था। समय को लगा कि उसका फ़ोन डिस्चार्ज हो गया होगा इसलिए कॉल कट हो गई होगी। वही समय तैयार होकर ऑफ़िस के लिए चला गया। अनिका चार-पाँच घंटे में मुंबई पहुँच गई। पहले वह मंदिर गई और अपनी माँ की बरसी की, और फिर शाम को वह समय के घर चली गई। अभी तक समय घर नहीं आया था, इसीलिए अनिका अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गई। उसे पता ही नहीं चला कि कब उसकी आँख लग गई।


    अनिका की नींद खुली तो उसने देखा कि कमरे में समय मौजूद था, लेकिन वह उसे बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा था। उसने समय को आवाज़ दी तो समय पीछे मुड़कर उसकी तरफ़ देखा और कहा,


    "मुझे पता है, अभी मैं तुम्हारे पास आऊँगा तो तुम ग़ायब हो जाओगी, इसीलिए मैं तुम्हारे पास नहीं आऊँगा। जैसे तुम मेरे साथ हो, वैसे ही रहो।"


    समय की बात सुनकर अनिका हँसने लगी। वह अचानक से बिस्तर से समय के ऊपर कूद गई।


    समय हड़बड़ाकर अनिका को पकड़ लिया, लेकिन जब समय को अनिका का स्पर्श हुआ, तब जाकर उसे समझ आया कि अनिका सच में उसके पास है। समय एकदम से अनिका के होठों को अपने कब्ज़े में ले लिया और शिद्दत से उन्हें चूमने और काटने लगा। अनिका पूरा साथ दे रही थी। समय अपना सारा प्यार, अपनी सारी फ़ीलिंग्स, अनिका के साथ बांट रहा था। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि अनिका उससे मिलने राजस्थान से मुंबई आ सकती है। वही समय अनिका को अभी भी अपनी बाहों में ऐसे ही पकड़े हुए था, उसके होठों को शिद्दत से चूम रहा था। वक़्त के साथ-साथ वह और भी ज़्यादा वाइल्ड होता जा रहा था। तभी समय को एहसास हुआ कि अनिका को साँस लेने में प्रॉब्लम हो रही है। तब जाकर समय अनिका के होठों को छोड़कर उसके गले में अपना चेहरा छुपा लिया।


    अनिका लम्बी-लम्बी साँसें ले रही थी जिसकी वजह से उसकी छाती तेज़-तेज़ ऊपर-नीचे हो रही थी, जो समय को अपनी छाती पर महसूस हो रहा था। अचानक से उसने अनिका के गले में काट लिया और कहा,


    "बस ज़्यादा मुँह मत बना।"


    अब अनिका को एहसास हुआ तो वह समय से और ज़्यादा चिपक गई और बोली,


    "पति हो आप मेरे, ऐसे कैसे मैं आपसे दूर जा सकती हूँ?"


    फिर समय अनिका को खुद से दूर करके बोला,


    "डिनर किया तुमने अनिका?"


    अनिका ने अपनी गर्दन हिला दी। समय बोला,


    "पागल लड़की! सोना ही था तो डिनर करके सो सकती थी। अगर अभी तुम नहीं उठती तो भूखी सो जाती, नहीं सो जाती...?"


    अनिका मुस्कुरा कर अपने दोनों हाथ समय की गर्दन में लपेट लिए और बोली,


    "आपको ना, मेरा ख़्याल रखने के लिए आपके होते हुए मुझे अपना ख़्याल रखने की ज़रूरत ही कहाँ है?"


    समय मुस्कुराकर अनिका को अपनी बाहों में उठाकर नीचे डाइनिंग टेबल पर ले गया और उसे बिठाकर ख़ुद खाना गर्म करके लाया और एक ही प्लेट में सजाकर अनिका की तरफ़ पहला निवाला बढ़ा दिया।


    अनिका ने भी प्यार से निवाला खा लिया क्योंकि भूखी भी लगी थी। अनिका समय को खाना खिलाती है, उसे समय अनिका को ऐसे ही एक-दूसरे को खिलाते हुए दोनों अपना डिनर ख़त्म करते हैं। अनिका ने एक फ़ैसला किया।


    "समय,"


    "हाँ, बोलो, मैं सुन रहा हूँ।"


    "मैं चाहती हूँ कि राजस्थान वाला प्रोजेक्ट मैं माही को दे दूँ। माही वह प्रोजेक्ट संभाल लेगी। वह मेरी दोस्त होने के साथ-साथ मेरी बिज़नेस पार्टनर भी है, तो मैं चाहती हूँ कि राजस्थान वाला प्रोजेक्ट वही देखे और मैं यहाँ मुंबई वाले प्रोजेक्ट देखूँगी।"


    समय अनिका के पास जाकर बोला,


    "जो तुम्हें ठीक लगे, अपने बिज़नेस के लिए तुम वो करो।"


    अनिका ने माही को कहा कि वह कल सुबह ही राजस्थान चली जाए क्योंकि राजस्थान में जो बड़ा प्रोजेक्ट है, उसे ही हैंडल करना है।


    माही ने कहा कि वह अभी नहीं जा सकती, एक हफ़्ते बाद जाएगी। एक हफ़्ते तक अनिका एडजस्ट कर ले क्योंकि उसके मम्मी-पापा की एनिवर्सरी है और उसके बाद ही वहाँ जाएगी क्योंकि फिर वहाँ उसे आने का टाइम नहीं मिल पाएगा।


    माही की बात मान ली गई और अनिका ने कहा,


    "मुझे कल सुबह जाना होगा। फिर मैं एक हफ़्ते बाद आ जाऊँगी। फिर हम दोनों साथ रहेंगे।"


    समय कुछ नहीं बोला क्योंकि वह जानता था कि बिज़नेस में थोड़ा-बहुत कॉम्प्रोमाइज़ तो सभी को करना पड़ता है। इसीलिए वह भी अनिका को लेकर अपने रूम में चला गया और उसे अपनी बाहों में भरकर लेट गया क्योंकि अनिका को फ़ील करना चाहता था।


    नेक्स्ट मॉर्निंग अनिका राजस्थान के लिए निकल गई और वहाँ से सीधा वह अपने ऑफ़िस जाकर अपने काम में लग गई क्योंकि वह चाहती थी कि एक हफ़्ते में वह इतना काम तो कर ही ले कि वह थोड़ा-बहुत माही का लोड कम कर दे। तभी अनिका का फ़ोन बजा। अनिका ने देखा तो उस पर दादी का फ़ोन आ रहा था। अनिका ने कॉल उठाकर कहा,


    "जी दादी, कहिए?"


    "बेटा, आज गणगौर है। आज के दिन लड़कियाँ व्रत करती हैं अपने पति की लम्बी आयु के लिए। अगर तुम यह व्रत रखना चाहती हो तो रख सकती हो। तुम यहीं आ जाना, यहीं पर सब लोग पूजा कर लेंगे।"


    अनिका कुछ सोची और बोली,


    "ठीक है, मैं आ जाऊँगी।"


    शाम को ऑफ़िस के काम से फ़्री होकर अनिका राणा महल चली गई। जब वह पहुँची तो पूरे राणा महल को बहुत ही भव्य तरीके से सजाया गया था। ऐसा लग रहा था जैसे आज यहाँ किसी की शादी है, लेकिन अनिका इस बात पर ज़्यादा ध्यान नहीं देती और वह अंदर चली जाती है। अंदर सब लेडीज़ मेहँदी लगवा रही थीं। तभी दादी ने कहा,


    "कनक, गौरी, अनिका के हाथ-पैर मेहँदी लगा दो। कल उसका व्रत है ना, और मेहँदी आज ही लगनी चाहिए।"


    अनिका ने भी अपने दोनों हाथ आगे करके बैठ गई।


    कनक और गौरी अनिका के दोनों हाथों पर मेहँदी लगाने लगीं। कनक अनिका की तरफ़ देखकर जोर से बोली,


    "आप अपनी मेहँदी में किसका नाम लिखवाना चाहती हैं?"


    अनिका धीरे से कनक के कान में बोली,


    "समय।"


    यह नाम सुनकर कनक और गौरी एक-दूसरे को देखने लगीं क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि समय अनिका के पति का नाम है।


    घर में किसी ने नहीं सुना था कि अनिका ने अपनी मेहँदी में किसका नाम लिखवाया है, लेकिन वही ऊपर खड़ा सूर्यांश यह सब कुछ देख रहा था। उसे लग रहा था कि अनिका यह सब कुछ उसके लिए कर रही है। उसे ग़लतफ़हमी हो गई थी, जो दादी के बुलाने पर वह एक बार में आ गई थी, लेकिन वह यह नहीं जानता था कि अनिका पहले से किसी और की हो चुकी है।


    रात हो गई और सब लोग अपना-अपना डिनर करके कमरे में सोने चले गए। कमरे में जाने के बाद अनिका का फ़ोन बजने लगा। अनिका फ़ोन उठाकर वीडियो कॉल पर बात करने लगी और समय को अपने हाथ की मेहँदी दिखाई। समय ने अनिका की मेहँदी में अपना नाम देखा और खुश हो गया और उसने कहा,


    "कल मेरा गणगौर का पहला व्रत है और मैं चाहती हूँ कि आप कल मेरा व्रत खोलें।"


    समय ने कहा,


    "क्या तुम राणा फैमिली के सामने हमारे रिश्ते को ज़ाहिर करना चाहती हो?"


    अनिका ने कहा,


    "हाँ, ये लोग मुझे अपने लगते हैं और मैं अपने रिश्ते को इन लोगों के सामने ज़ाहिर भी कर दूँगी। ना तभी मुझे कोई परेशानी नहीं है।"


    समय ने "ओके" कह दिया।


    बात करते-करते ही अनिका सो गई। जब कनक अनिका को देखने आई तो देखा कि अनिका का फ़ोन चालू था। जब उसने अनिका के फ़ोन को देखा तो वहाँ एक लड़का अनिका की तरह आँखें बंद करके सोया हुआ था। कनक समझ गई कि अनिका का पति समय है।


    वह अनिका के फ़ोन को वैसे ही छोड़कर वहाँ से बाहर चली गई और जब अपने कमरे में आई तो गौरी ने कनक से पूछा, तो कनक ने कहा,


    "बस भाई साहब ये समझ जाएँ कि अनिका दीदी उनकी नहीं हैं क्योंकि अनिका दीदी अपने हस्बैंड से बहुत प्यार करती हैं। अभी मैं देखकर आई, दोनों बात करते-करते ही सो गए थे और एक-दूसरे को महसूस कर रहे थे।"


    "अब ये तो भाई साहब के ऊपर डिपेंड करता है कि वो कैसे रिएक्ट करते हैं।"


    फिर वो दोनों भी सो गईं। नेक्स्ट मॉर्निंग पूरे राणा महल में जोर-जोर से आज के व्रत की तैयारी चल रही थी। पूरे दिन ऐसे ही चलता रहा। शाम को सब लोग तैयार होने अपने-अपने कमरे में चले गए। दादी ने अनिका को जोड़ा दिया, लेकिन अनिका ने वो जोड़ा नहीं पहना क्योंकि समय ने उसे पहले ही एक जोड़ा भेज दिया था। अब वह अपने पति का दिया हुआ जोड़ा पहनकर दादी का दिया हुआ...


    अनिका तैयार होकर जब बाहर आई तो सबकी नज़रें अनिका पर ही टिक गईं, लेकिन दादी का चेहरा उदास हो गया क्योंकि अनिका ने दादी का दिया हुआ जोड़ा नहीं पहना था, लेकिन दादी कुछ नहीं बोली। अनिका को नीचे आता हुआ देखकर ही वो खुश हो गईं और अपनी पूजा करने बैठ गईं।


    अपनी पूजा करने के बाद बाहर आई जहाँ सब लोग शाम को अपने-अपने पति का चेहरा देखकर व्रत खोल रही थीं, लेकिन समय अभी तक नहीं आया था, इसलिए अनिका अभी भी उसका इंतज़ार कर रही थी। पूरे राणा परिवार ने अपना व्रत खोल लिया था, लेकिन अनिका अभी भी वैसे ही गार्डन में बैठी थी।


    सूर्यांश अनिका के पास आया और बोला,


    "ये लीजिए, पानी पी लीजिए। ये मिठाई खा लीजिए, क्योंकि पूजा आप कर चुकी हैं तो आप व्रत भी खोल लीजिए।"


    अनिका ने एक नज़र सूर्यांश को देखा और कहा,


    "नहीं, मैं अभी व्रत नहीं खोलूँगी।"


    लेकिन सूर्यांश जबरदस्ती उसे पानी पिलाने की कोशिश करने लगा, तभी एक हाथ आकर सूर्यांश के हाथ को पकड़ लिया। वहीँ पूजा में आए हुए सारे लोग सूर्यांश की तरफ़ देख रहे थे। तभी किसी ने सूर्यांश का हाथ पकड़ना देखकर सब लोग सतर्क हो गए। जब सूर्यांश पीछे मुड़ा तो उसके पीछे समय खड़ा था। समय को देखकर सूर्यांश हैरान हो गया, लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आया। वहीँ समय को आया हुआ देखकर अनिका खुशी से समय के गले लग गई और बोली,


    "आप अपने आने में इतनी देर क्यों कर दी...?"


    पूरे परिवार को और सूर्यांश को भी समझ नहीं आ रहा था कि अनिका समय के आने से इतना खुश क्यों है। समय और राणा परिवार का एक रिश्ता था जिसके बारे में अभी तक अनिका नहीं जानती थी।


    "मैं जब आ रहा था ना, तो एक आदमी का एक्सीडेंट हो गया था। मैं उसे अस्पताल छोड़ने गया। फिर वहाँ उसका इलाज हुआ। वह ठीक हो गया। तुम्हें पता है, उसकी बीवी ने मुझे बताया कि मैं जिससे भी शादी करूँगा ना, वह बहुत किस्मतवाली होगी।"


    यह सुनकर अनिका मुस्कुराने लगी। तभी अनिका समय को लेकर वहाँ आई जहाँ पूजा हो रही थी। अनिका समय को खड़ा करके चलने लगी। समय का चेहरा देखकर चाँद को देखते हैं। वहीँ गैस देकर सब लोग दंग रह गए। किसी को भी समझ नहीं आ रहा था। वहीँ सूर्यांश की आँखों में आग जल रही थी।


    समय की आरती करके अनिका ने उसके पैर छुए। तभी समय ने उसकी थाली में से थोड़ा सा सिंदूर लेकर उसकी माँग भर दी। यह देखकर दादी ने अपने मुँह पर हाथ रख लिया और पूरा परिवार हैरान हो गया। सिर्फ़ गौरी और कनक को छोड़कर क्योंकि उन दोनों को तो पता ही था कि अनिका शादीशुदा है, लेकिन समय कौन है यह वह नहीं जानती थीं।


    समय ने मिठाई खिलाकर अनिका को पानी पिलाया। तभी सूर्यांश जाकर अनिका का एक हाथ पकड़ लिया और बोला,


    "ये आप क्या कर रही हैं? ये व्रत कुँवारी लड़कियाँ अपने लिए करती हैं, किसी और के लिए नहीं।"


    अनिका अपना हाथ सूर्यांश के हाथ से छुड़ाकर बोली,


    "ये व्रत मैंने अपने पति के लिए किया था और समय मल्होत्रा मेरे पति हैं और अपने पति के हाथों से व्रत खुलवाना कोई बुरी बात तो नहीं है। यहाँ दादी साहब, आंटी जी सबने अपने पतियों से व्रत खुलवाया है।"


    यह सब सुनकर सूर्यांश के ऊपर जैसे बिजली गिर गई। तभी अनिका समय का हाथ पकड़कर उसे सबके सामने लाई और बोली,


    "दादी, ये मेरे पति हैं। इनके लिए मैंने व्रत किया था। मैं यहाँ सिर्फ़ इस प्रोजेक्ट के लिए आई थी, वरना मैं अपने समय को छोड़कर कहीं नहीं जा सकती।"


    समय ने अनिका के चेहरे पर हाथ रखकर कहा,


    "तुम जाकर अपना सामान ले लो, उसके बाद हम लोग घर चलते हैं।"


    अनिका ने "हाँ" बोलकर घर के अंदर चली गई। वहीँ दादी जाकर समय के चेहरे पर हाथ रखकर बोली,


    "इतने साल बाद आया है समय।"


    समय ने दादी का हाथ अपने चेहरे से हटा दिया और कहा,


    "मैं यहाँ आप लोगों के लिए नहीं, बल्कि अपनी बीवी के लिए आया था क्योंकि मेरी बीवी ने मुझे बुलाया था। वरना मैं आपकी दहलीज पर कभी नहीं आता। मैं उसे इतनी मोहब्बत करता हूँ कि उसके लिए मैं कुछ भी कर जाता हूँ। तो इस घर की दहलीज पार करना कोई बड़ी बात नहीं थी मेरे लिए..."


    सूर्यांश भी समय को देख रहा था। सूर्यांश समय की तरफ़ देखकर बोला,


    "शादी कर ली, सब कुछ कर लिया, किसी को एक बार बताना भी ज़रूरी नहीं समझा।"


    समय सूर्यांश की तरफ़ देखकर बोला,


    "आपको मैं क्यों बताऊँ कि मैंने शादी कर ली? आपको क्यों बताऊँ कि मैं किसके साथ हूँ? आप लोगों ने मेरी उस वक़्त नहीं सुनी थी जब मुझे आप लोगों के सपोर्ट की, आप लोगों के साथ की, आप लोगों के प्यार की ज़रूरत थी। आप लोग मेरे लिए उसी दिन मर गए थे जब आपने 15 साल के बच्चे को घर से बाहर निकाल दिया था और उस वक़्त मैंने कुछ भी नहीं किया था। ये बात मैं प्रूफ़ कर सकता हूँ, लेकिन मैं नहीं करूँगा क्योंकि मैं आप लोगों को ज़िंदगी भर दर्द, ग़म और दिल में देखना चाहता हूँ। खुद को राजस्थान का हुक्मरान समझते हुए..."


    "...अपने छोटे भाई की सच्चाई का भी पता नहीं कर सके। मैं तुमसे छोटा ज़रूर था सूर्यांश, लेकिन इतना भी छोटा नहीं था कि मैं खुद के लिए स्टैंड ना ले सकूँ। मैं 15 साल की उम्र से लोगों के घर में काम करके, होटल में काम करके अपनी ज़िंदगी बनाई है और अब मेरी ज़िंदगी में खुशी का एकमात्र कारण मेरी बीवी अनिका है और तुम्हारी नज़र मेरी बीवी पर है, ये बात मैं बहुत पहले समझ गया था। इस नज़र को काबू में रखो क्योंकि वह तुम्हारे छोटे भाई की बीवी है और राजपूतों में तो छोटे भाई की बीवी को बहन कहा जाता है, इसलिए तू रहना उससे दूर वरना आज तक तुमने सिर्फ़ समय का गुस्सा देखा है, समय का मतलब खेल नहीं पाओगे आप लोग..."


    कनक और गौरी समय के आगे आकर खड़ी हो गईं और बोलीं,


    "आप हमारे समय भाई साहब हैं ना, जिनके बारे में हमें अनिका ने बताया था।"


    समय ने उन दोनों की तरफ़ देखा और उन दोनों के सर पर हाथ रखकर कहा,


    "अपना ख़्याल रखना, लेकिन मुझे कोई रिश्ता मत तोड़ना क्योंकि इस घर से मेरा रिश्ता बहुत पहले ही टूट चुका था।"


    Do like share comment support Review guys 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • 20. Rebirth in novel - Chapter 20

    Words: 2154

    Estimated Reading Time: 13 min

    सूर्यांश ने भी समय को देखा था। सूर्यास्त की ओर देखते हुए उसने कहा, "शादी कर ली, सब कुछ कर लिया। किसी को एक बार बताना भी ज़रूरी नहीं समझा।" समय ने सूर्यांश की ओर देखा और कहा, "अपने आपको क्यों बताऊँ कि मैंने शादी कर ली? आपको क्यों बताऊँ कि मैं किसके साथ हूँ? आप लोगों ने मेरी उस वक़्त सुनी थी जब मुझे आप लोगों के सहारे, आप लोगों के साथ, आप लोगों के प्यार की ज़रूरत थी। आप लोग मेरे लिए उसी दिन मर गए थे जब आपने अपने 15 साल के बच्चे को घर से बाहर निकाल दिया था। और उस वक़्त मैंने कुछ भी नहीं किया था। यह बात मैं प्रूफ़ कर सकता हूँ, लेकिन नहीं करूँगा, क्योंकि मैं आप लोगों को ज़िन्दगी भर दर्द, ग़म और दिल की तकलीफ़ देखना चाहता हूँ।" खुद को राजस्थान का हुक्मशहा कहते हुए…


    अपने छोटे भाई की सच्चाई का भी पता नहीं कर सके। मैं तुमसे छोटा ज़रूर था सूर्यांश, लेकिन इतना भी छोटा नहीं था कि मैं खुद के लिए खड़ा ना हो सकूँ। मैं 15 साल की उम्र से लोगों के घरों में काम करके, होटलों में काम करके अपनी ज़िन्दगी बिताई है। और अब मेरी ज़िन्दगी में खुशी का एकमात्र कारण मेरी पत्नी है, अनिका। और तुम्हारी नज़र मेरी पत्नी पर है, यह बात मैं बहुत पहले समझ गया था। इस नज़र को काबू में रखो, क्योंकि वह तुम्हारे छोटे भाई की पत्नी है, और राजपूतों में तो छोटे भाई की पत्नी को बहन कहा जाता है। इसलिए, तू रहना इससे दूर, वरना आज तक तुमने सिर्फ़ समय का गुस्सा देखा है। समय के साथ खेल नहीं पाओगे आप लोग…


    कनक और गौरी समय के आगे आकर खड़ी हो गईं और कहा, "आप हमारे समय भाई साहब हैं ना? जिनके बारे में हमें माँ ने बताया था।" समय ने उन दोनों की ओर देखा और दोनों के सिर पर हाथ रखकर कहा, "अपना ख्याल रखना, लेकिन मुझे कोई रिश्ता मत छोड़ना। क्योंकि इस घर से मेरा रिश्ता बहुत पहले ही टूट चुका था।"


    कनक ने समय का हाथ पकड़ रखा था। "एक बहन का रिश्ता कभी अपने भाई से नहीं टूटता। और अगर आप हमें अपनी बहन मानते हैं, या आपके दिल में कभी अपनी बहनों के लिए कोई प्यार था, तो हमसे कभी अपना रिश्ता मत तोड़ना।" समय ने उन दोनों को अपने सीने से लगा लिया और कहा, "इस घर ने मुझे कभी कुछ नहीं दिया, हमेशा इल्ज़ाम दिए… सच बोलूँ तो मुझे इस घर में रहने वाले किसी भी इंसान से एक प्रतिशत भी फर्क नहीं पड़ता। लेकिन तुम दोनों को देखकर आज मुझे ऐसा लग रहा है कि काश मैं यहाँ रहा होता, काश वह काली रात हमारी ज़िन्दगी में कभी ना आती, तो मुझे तुम जैसी प्यारी बहनें मिल जातीं। तो मेरी भी कलाई कभी सूनी ना रहती, मेरा भी माथा कभी बिना तिलक का ना रहता।"


    तभी समय की माँ ने उसके सामने हाथ जोड़ लिए और कहा, "हमें माफ़ कर दो समय, हम उस वक़्त तुम्हारे लिए खड़े नहीं हो पाए।" समय ने उनकी ओर बिना देखे कहा, "आज मुझे आपकी ज़रूरत नहीं है। आपको आपका परिवार मुबारक हो, और मुझे मेरा परिवार। मेरा परिवार सिर्फ़ एक इंसान से है, वह है मेरी पत्नी, मेरा प्यार, मेरी अनिका। अगर आपके इस बेटे ने मेरी पत्नी की तरफ़ नज़र उठाकर भी देखा ना, फिर आप दोनों भाइयों की लड़ाई देखना। आज तक मैं उनकी हर एक बात को बर्दाश्त करता आया हूँ, लेकिन आज बात मेरी इज़्ज़त की है, मेरी रूह की है, मेरी पत्नी की है।"


    सूर्यांश समय के सामने आकर खड़ा हो गया और कहा, "अनिका तुमसे पहले हमारी ज़िन्दगी में आई थी, इसलिए उस पर हमारा अधिकार है।"


    समय तेज़ हँसने लगा और कहा, "अनिका आपके सामने आए हुए शायद एक-दो साल हुए होंगे, लेकिन मेरे पास वह 15 साल पहले आ गई थी। आपको याद है जिस रात मुझे इस घर से निकाला गया था, जिस रात मैं भारी ठंड में, बारिश में, इन सड़कों पर घूम रहा था ना, उस रात वह लड़की मेरे पास आई थी, मुझे अपने साथ लेकर गई थी और अपने घर में खाना खिलाया, अपनी माँ के साथ बिठाया। और उसके बाद वह मेरी पूरी दुनिया बन गई। पर आपको लगता है कि वह आपकी ज़िन्दगी में पहले आई थी? भूल जाइए इस बात को, मिस्टर सूर्यांश! क्योंकि अब समय अपनी चीज़ों की हिफ़ाज़त करना बहुत अच्छे से जानता है। और अब बात तो मेरी पत्नी की है, मेरी इज़्ज़त की है। अगर किसी ने मेरी इज़्ज़त के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश की ना, या मेरी पत्नी और मेरे बीच आने की कोशिश की, तो आप समय मल्होत्रा का वो रूप देखोगे जो आज तक आपने कभी नहीं देखा होगा…"


    तभी उस तनाव भरे माहौल में एक आवाज़ आई, "क्या आप हमसे भी नाराज़ हैं?" तभी समय की नज़र अपनी बुआ माँ पर गई। अपनी बुआ माँ को इतने सालों बाद अपने सामने देखकर समय की आँखें नम हो गईं और वह भागकर उनके गले लग गया और कहा, "उस दिन इन सबके सामने एक आप ही तो थीं जो मेरे लिए खड़ी थीं, जिन्होंने अपने पति तक को छोड़ दिया था मेरे लिए। मैं आपसे कभी नाराज़ हो ही नहीं सकता, बुआ माँ…"


    वहाँ पर अनिका आ गई और समय की तरफ़ देखकर बोली, "आप बुआ जी को जानते हो?" समय ने कहा, "हाँ, मैं जानता हूँ। अच्छा, तुम सारा सामान ले लिया ना, अनिका?" अनिका ने अपनी गर्दन हिला दी। तो समय बोला, "मैं आज इन सबके सामने तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ। क्या तुम मेरी बात मानोगी, बिना किसी सवाल-जवाब के?" अनिका ने "हाँ" कह दिया। समय ने कहा, "वादा करो, आज के बाद तुम कभी भी राणा महल में नहीं आओगी, और ना ही कभी राणा महल के किसी भी सदस्य से कोई रिश्ता रखोगी…"


    अनिका ने समय के हाथ पर अपना हाथ रख दिया। "हम आपसे वादा करते हैं। हम इस घर के, या इस शहर के किसी भी इंसान के साथ कोई रिश्ता नहीं रखेंगे। हमारा रिश्ता सिर्फ़ आपसे है और आपसे ही रहेगा। जैसे हम अपनी दुनिया में अपनों के होते हुए भी अकेले थे, वैसे ही आप अपनी दुनिया में सबके होते हुए अकेले थे। और हम दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। और अब तो हमारी दुनिया में एक और सदस्य शामिल होने वाला है।"


    समय अनिका की तरफ़ देख रहा था। "हम माता-पिता बनने वाले हैं, और आप पापा। और अब हमारा परिवार पूरा हो जाएगा।" वहीँ अनिका की यह बात सुनकर सबसे ज़्यादा झटका अगर किसी को लगा तो वह सूर्यांश था, क्योंकि उसे लगा था कि समय और अनिका की शादी को भी थोड़ा ही वक़्त हुआ होगा, तो वह अनिका को समय से अलग कर देगा। लेकिन अब अनिका समय के बच्चे की माँ बनने वाली थी, और अब उसे समय से अलग करना इतना आसान नहीं होगा।


    समय अनिका को लेकर वहाँ से चला गया। वहीँ पूरा राणा परिवार समय और अनिका को जाते हुए देखता रहा। कोई कुछ नहीं बोला। तभी सूर्यांश वहाँ रखे सारे सामान को तोड़ने लगा और सब कुछ फेंक रहा था। सूर्यांश के गुस्से को देखकर पूरा परिवार सकते में आ गया था, क्योंकि किसी को खबर नहीं थी कि सूर्यांश अनिका के लिए कितना पागल है। लेकिन आज उसका पागलपन देखकर सब लोग डर गए थे।


    कनक ने हिम्मत करके सूर्यांश के सामने आकर खड़ी हो गई और कहा, "आप हमेशा से हमारे आदर्श थे, लेकिन आज की आपकी हरकतें देखकर हम मजबूर हो गए हैं यह सोचने पर कि शायद 15 साल पहले जो भी राज है, उसमें कभी भी समय भाई साहब की कोई गलती नहीं रही होगी। और आपका गुस्सा देखकर आज हमें एहसास हो गया है कि आप अपने गुस्से के आगे, और अपने अहंकार के आगे किसी रिश्ते को नहीं रखते हैं। आपकी वजह से हमने अपना एक भाई खोया था, और आज आपकी वजह से हम अपनी भाभी को भी खोने वाले थे। और आज हम आपसे शर्त लगाकर कहते हैं, अनिका भाभी हमेशा ही समय भाई की पत्नी रहेगी, और उन्हें कोई अलग नहीं कर सकता। आप ही नहीं, कोशिश करके देख लीजियेगा! अगर आपने कभी भी समय भाई और अनिका भाभी के बीच में दरार लाने की कोशिश की, तो फिर आप एक बहन की बगावत देखेंगे…"


    भले ही उस वक़्त हुआ जी ने भाई की मदद की हो, लेकिन उन्होंने बगावत नहीं की थी, लेकिन हम बगावत करेंगे आपके खिलाफ़। तभी गौरी कनक के पास खड़ी हो गई और सूर्यांश की तरफ़ देखकर बोली, "जितनी बात आज हम जाने ना भाई, उसे हम एहसास हो चुका है। इस परिवार ने भाई के साथ बहुत गलत किया है, और अब हम दोनों बहनें अपने भाई की ढाल हैं। कोशिश मत कीजिएगा हमारे भाई के करीब जाने की, वरना आप एक बहन की बगावत देखेंगे।" अपने भाई से कहकर वह वहाँ से चली गई। सूर्यांश सकते में आ गया था कि जो बहनें कभी उसके सामने नज़र उठाकर बात नहीं करती थीं, आज वह बहनें उसे चैलेंज देकर गई थीं।


    सब लोग धीरे-धीरे करके अपने-अपने कमरों में चले गए, और पूरा बाग़ खाली हो गया। वहीँ उस खाली बाग़ में खड़ा सूर्यांश अभी भी उस रास्ते को देख रहा था जिस पर समय अनिका को लेकर गया था। फिर वह अपने असिस्टेंट राघव की तरफ़ देखकर बोला, "मुझे किसी भी कीमत पर, राघव, किसी भी कीमत पर अनिका चाहिए। कुछ भी करो, समय को मारना पड़े तो मार दो, लेकिन मुझे अनिका अपनी पत्नी के रूप में चाहिए…"


    वहीँ महल से निकलने के बाद समय गाड़ी में बिलकुल खामोश बैठा था। ऐसा लग रहा था उसके पास बोलने के लिए कोई शब्द ही नहीं बचे थे। अनिका उसके चेहरे को देख रही थी, लेकिन उसने अभी तक समय से कोई सवाल नहीं किया था। वैसे वह पूरी बात गेट पर खड़े होकर सुन चुकी थी, और वह यह भी जान चुकी थी कि राणा परिवार समय का अपना परिवार है, जिसके बारे में समय ने एक बार उसे बताया था। लेकिन समय अपने नाम के आगे राणा ना लगाकर मल्होत्रा लगाता था, तो उसका भी कोई कारण होगा।


    अनिका ने समय के कंधे पर अपना सिर रख लिया और समय से कहा, "हम माँ नहीं बनने वाले हैं। समय, हमने वह बात सिर्फ़ सूर्यांश को बोली थी, क्योंकि उसकी आँखों में हमने एक पागलपन देखा था। आप उसे इस बात का यकीन दिलाना चाहते हैं कि हम आपके बच्चे की माँ बनने वाले हैं, तो वह कभी हम पर गंदी नज़र नहीं डालेगा।"


    समय अनिका को अपनी बाहों में भर लिया और कहा, "जानते हो, हम जानते हैं कि तुमने झूठ बोला था। यह भी जानते हैं कि तुम हमारी सारी बातें गेट के पास खड़े होकर सुन चुकी थीं। लेकिन तुम पूरी बात अभी भी नहीं जानती हो।" अनिका ने समय के चेहरे को अपने हाथों में भरकर रखा। "हमें पहले इस राजस्थान से ले चलिए, क्योंकि राजस्थान में हमारा दम घुट रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे हमारे शरीर से हमारी आत्मा ही बाहर जा रही है। हमें एक ऐसी जगह ले चलिए समय, जहाँ कुछ वक़्त तक मेरी और आपके अलावा कोई ना हो।" समय कुछ नहीं बोला और अनिका को अपने कंधे पर रख दिया। अनिका ने भी अपनी आँखें बंद कर लीं।


    अगली सुबह जब अनिका की नींद खुली, तो अनिका ने अपने आप को एक लकड़ी के घर में पाया। और उस घर को देखकर अनिका समझ गई कि समय एक बार फिर उसे उस टापू पर ले आया है जहाँ वह पिछली बार उसे ले आया था। और यह देखकर अनिका बहुत खुश हो गई और वह जल्दी से भागकर बाहर आई, तो समय बाहर एक शर्ट में एक्सरसाइज़ कर रहा था। अनिका एकदम से उसकी पीठ पर जाकर बैठ गई। लेकिन समय पर इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ा। वह अपनी एक्सरसाइज़ करता रहा।


    समय ने कहा, "तुम यह पागलपन कब करना छोड़ोगी?" अनिका कुछ नहीं बोली और उसकी पीठ से उतरकर जमीन पर लेट गई, धीरे-धीरे खिसक कर समय के नीचे आ गई। समय अभी भी अपनी एक्सरसाइज़ कर रहा था। जब भी समय एक्सरसाइज़ करते हुए नीचे जाता, अनिका उसके होंठों को चूम लेती…


    समय एक्सरसाइज़ करने लगा और अपने होठों से अनिका के होठों को हल्के-हल्के चुम्मा करने लगा। वहीं अनिका और समय की पूरी बॉडी एक-दूसरे से टच हो रही थी, और दोनों की बॉडी में अजीब सी सनसनी होने लगी। अब दोनों को एक-दूसरे की ज़रूरत लग रही थी। और जल्दी से समय अनिका के ऊपर आकर उसके होठों को अपने कब्ज़े में ले लेता है और उन्हें शिद्दत और तलब से चूमने और काटने लगता है।


    Do like comment follow rating guys 😘😘😘