ये कहानी है एक प्यारी सी और एंबिशियस लड़की मैथिली की जो एक छोटे से शहर से अपने बड़े सपनों को पूरा करने के लिए दाखिला लेती है जोधपुर के रॉयल कॉलेज में। वहां उसकी मुलाकात होती है कुछ साथियों से जो बिल्कुल उसके जैसे ही थे और एक रॉयल प्रिंस से भी जो मैथि... ये कहानी है एक प्यारी सी और एंबिशियस लड़की मैथिली की जो एक छोटे से शहर से अपने बड़े सपनों को पूरा करने के लिए दाखिला लेती है जोधपुर के रॉयल कॉलेज में। वहां उसकी मुलाकात होती है कुछ साथियों से जो बिल्कुल उसके जैसे ही थे और एक रॉयल प्रिंस से भी जो मैथिली के बिल्कुल विपरीत था। युवराज जो बहुत संयमित, शांत और रूढ़िवादी था वहीं मैथिली के ख्याल बिल्कुल आजाद। जहां मैथिली ने इतने सपने सजाए थे इस कॉलेज में,but being a commoner ये इतना आसान नहीं होने वाला था। रॉयल्स के बीच कैसे एडजस्ट करेगी मैथिली? कैसा रहेगा मैथिली का सफर? कैसे रहेगा युवराज और मैथिली का सामंजस्य? आइए जानते हैं इस कहानी में....।
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मैथिली।।
आज सुबह सुबह ही शर्मा हाउस में काफी चहल पहल थी। सुजाता जी जल्दी जल्दी किचेन में सारा काम निपटा रही थीं। प्रकाश जी जिनके हाथ में यूं तो अखबार था परन्तु उनकी नजर भी सुजाता जी पर ही टिकी हुई थी। वो उन्हें जल्दीबाजी करते बड़ी आराम से देख रहे थे तभी अचानक ही सुजाता जी का हाथ एक खाली बर्तन से लगता है। वो बर्तन के गिरने की जोर की आवाज आती है। जिसके आवाज सुनकर एक बूढ़ी महिला जो प्रकाश जी के पास बैठकर अपनी आंखों को बंद किए हाथ में माला लिए जाप कर रही थीं। वो आंखे खोलते हुए सुजाता जी को डांट लगाते हुए कहती हैं क्या कर रही है बहु इतनी जल्दबाजी भी ठीक नहीं है ऐसे तो तू खुद को चोट पहुंचा लेगी। ये सुन कर सुजाता जी माफी मांगते हुए कहती हैं क्या करु मां जी आज ध्यान ही नहीं लग रहा मेरा किसी भी काम में। ये सुन कर प्रकाश जी अपना सर हिलाते हुए अपने नजर के चश्मे को एडजस्ट करते हैं और वापिस अपनी नज़रे अखबार में केंद्रित कर लेते हैं। तभी करीबन 15 साल का लड़का जो एक लैपटॉप लेकर प्रकाश जी पास सोफे के दूसरे तरफ बैठा हुआ था वो चीखते हुए कहता है मम्मी जल्दी आओ प्रोग्राम शुरू हो गया है। इतना सुनते ही सुजाता जी जल्दी से गैस ऑफ करके हॉल की तरफ लगभग भागते हुए आती हैं। ये सुनकर दादी जी ओर प्रकाश जी भी ध्यान से लैपटॉप में देखने लगते हैं। दादीजी ने तो अपने हाथ अभी तक जोड़े हुए थे। तभी सुजाता जी परेशान होकर कहती हैं अरे मैथिली अब तक उठी या नहीं । अब तो प्रोग्राम भी शुरू हो गया है। उनकी बात सुन प्रकाश जी कहते हैं सुजाता जी आप शांत हो जाइए ये बस एक रिजल्ट ही तो है। इस बात पर सुजाता जी बिफरते हुए कहती हैं आप शांत हैं न वही काफी है और मैं कैसे शांत हो जाऊ मैने देखा है मेरी बच्ची की मेहनत अगर उसको एडमिशन नहीं मिला तो उसको कितना बुरा लगेगा। ये सुन दादी भी कहती हैं कि बहु बिल्कुल ठीक बोल रही है लल्ला अरे बिटिया की मेहनत तो हम भी अपनी आंखों से देखे हैं दिन रात एक कर दिया था उसने। वही दूसरी तरफ फर्स्ट फ्लोर के एक कमरे में एक लड़की जिसने स्काई ब्लू कलर की टीशर्ट और शॉर्ट्स पहन रखी थी वो आइने के सामने खड़ी होकर अपने बाल बना रही थी ऐसा लग रहा था जैसा वो अभी नहा कर आई हो उसके गीले बालों से पानी टपक रहा था। ये है हमारी कहानी की मुख्य किरदार मैथिली। मैथिली अपने बाल सुखाती है फिर एक फेस क्रीम अप्लाई करती है। होठों पर एक लिप बाम लगाती है और नजर उठा कर अपने आप को आइने में देखती है। इससे ज्यादा मेकअप की तो उसे जरूरत भी नहीं थी। मैथिली शर्मा उम्र 21 साल गोरा रंग लंबे काले बाल, घनी पलकें, काली आंखे जिनमें उसके एंबीशन साफ नजर आते थे। सही कद काठी और स्लिम फिगर। प्रकाश शर्मा और सुजाता शर्मा की बड़ी बेटी जिसने हमेशा पढ़ाई में टॉप किया था और अपने सपनों को लेकर बहुत सीरियस रहा करती थी। प्रकाश शर्मा एक सरकारी बैंक में वरीय कर्मचारी थे तो सुजाता शर्मा एक स्कूल टीचर। मैथिली की दादी आराधना शर्मा भी उसके साथ ही रहती थी और दिन भर भगवान की आराधना में ही लगी रहती थी। मैथिली का एक छोटा भाई जिसका नाम आदित्य है लेकिन उसे प्यार से सब आदि ही बुलाते हैं। वो अभी दसवीं में है। यूं तो मैथिली के बहुत ज्यादा दोस्त हैं क्योंकि वो बहुत चुलबुले मिजाज की है लेकिन उसकी सबसे अच्छी दोस्त अंजलि है। दोनों में बचपन से दोस्ती है और दोनों का घर भी अगल बगल ही है परन्तु अंजलि एक साल पहले ही होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई करने बाहर चली गई थी तो अब दोनों की बस फोन पर ही बाते हो पाती हैं। मैथिली अपने आप को आइने में देखती है और कहती है All the best Maithili आज का रिजल्ट जो कुछ भी हो पर तू ये याद रखना कि तूने बहुत मेहनत की है तो कॉलेज में एडमिशन मिले या न मिले पर तेरी मेहनत कभी खाली नहीं जाएगी। दरअसल मैथिली एक आर्किटेक्ट बनना चाहती है लेकिन उसके finances इतने स्ट्रांग नहीं है कि वो एक अच्छे प्राइवेट कॉलेज को अफोर्ड कर सके। पर उसने अपने जूनियर कॉलेज में The Royal College of Jodhpur के बारे में सुना था जिसे राजस्थान के कुछ शाही परिवार सालों से चला रहे हैं। पहले तो यहां सिर्फ शाही घरानों के बच्चे ही पढ़ते थे मगर अब कुछ 10 सालों से इसे commoners के लिए भी खोला गया था। मगर इसमें बाहर से ज्यादा बच्चे एडमिशन ले नहीं पाते हैं क्योंकि इसके क्राइटेरिया बहुत स्ट्रिक्ट होते हैं। दरअसल इस कॉलेज में पढ़ाई के साथ साथ सारे रॉयल्स तौर तरीके भी सिखाए जाते हैं जिनसे शाही घरानों के बच्चों को कम्प्लीटली एक रॉयल बनाया जा सके इसीलिए यहां की एक भी क्राइटेरिया अगर कोई बच्चा फुलफिल नहीं कर पाता तो उसे एडमिशन नहीं मिलता। यूं तो 10 सालों से commoners allowed थे but कुछ गिने चुने स्टूडेंट्स ही इसमें एडमिशन ले पाते थे। मगर सबसे बड़ी बात थी कि अगर कोई commoner एडमिशन लेता था तो उसका सारा खर्च कॉलेज वाले खुद ही उठाते थे। मैथिली को जब यह बात पता लगी की उसे यहां 100 परसेंट स्कॉलरशिप मिल जाएगी तो उसने इसके इंट्रेंस एग्जाम के लिए कड़ी मेहनत कर एग्जाम दिया ओर आज उसका रिजल्ट भी आने वाला था। मैथिली खुद से बात कर जैसे ही बाहर जाने को मुड़ती है वैसे ही बेड पर पड़ा उसका फोन बज पड़ता है। मैथिली देखती है तो उसमें अंजलि का कॉल आ रहा था। ये देखकर मैथिली के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ जाती है। वो जल्दी से फोन उठा कर कहती है हेलो , उधर दूसरी तरफ से अंजलि खुशी से चीखते हुए कहती है कैसी है मेरी जान, आज तो रिजल्ट है तेरा पर तू बिल्कुल भी टेंशन न लियो सब कुछ ठीक होगा ,मुझे तो तुझ पर पूरा भरोसा है , पर तू कुछ बोल क्यों नहीं रही ,देख तू ज्यादा टेंशन न ल,े बस अब बोल न कुछ। तभी मैथिली उसे बीच में टोकते हुए कहती है अरे मैं कैसे बोलूं तू कुछ बोलने दे तब न ओर हा मुझे कोई टेंशन नहीं है ,मेरा काम था एग्जाम देना जो मैने दे दिया अब जो होगा देखा जाएगा। ये सुन अंजलि कहती है ये हुई न मेरी जान वाली बात, अच्छा सुन अब मैं फोन रखती हु तुझे शाम में फोन करूंगी ओके, अभी मेरी क्लास का टाइम हो रहा है, बाय। ये सुन मैथिली भी उसे बाय ओर थैंक्यू बोल फोन काट देती है। ओर अंजलि को याद कर कहती है हमेशा हवा में ही सवार रहती है ये लड़की । ये बोल वो हंसते हुए फोन वापिस बेड पर फेंकती है और दरवाजा खोल बाहर निकल जाती है। मैथिली ऊपर से नीचे सीढ़ियों से उतरकर हाल में जाने लगती है जहां सबके ध्यान उस लैपटॉप के ऊपर लगे थे । कोई भी इधर उधर कही नहीं देख रहा था। किसी का ध्यान उसपर आया भी नहीं था । हालांकि मैथिली जानती थी कि कुछ ऐसा ही माहौल होगा इसलिए उसे जरा भी हैरानी नहीं हो रही थी घर बहुत ज्यादा बड़ा नहीं था साधारण सा ही था दो फ्लोर का घर जिसमें पांच कमरे थे। सामने एक बड़ा हाल जिसके दाएं तरफ एक ओपन किचेन ओर उसी से लगे एक छोटी बालकनी जहां कुछ पौधे लगे थे। उसके बाई तरफ पूजा घर भी था । नीचे की फ्लोर पर दो कमरे थे जिसमें से एक कमरे में मैथिली की दादी तो दूसरे में उसके मम्मी पापा रहते थे। वही एक तरफ से कुछ सीढ़ियां ऊपर की तरफ जाती थी। ऊपर तीन कमरे और एक छोटा स्टोर रूम था । जिसमें से एक कमरा मैथिली का तो दूसरा आदि का था और एक कमरा किसी गेस्ट के आने पर उन्हें दिया जाता था। एक तरफ छत पर जाने को सीढ़ियां बनी हुई थीं। मैथिली ने पूरे घर को बहुत सुंदर से सजाया था । उसने बहुत प्यारे प्यारे इनडोर प्लांट्स भी लगाए थे। कुल मिलाकर घर बहुत प्यारा लगता था। ओर लगता भी क्यों न आखिर ये घर अभी कुछ तीन साल पहले ही उन्होंने लोन लेकर लिया था। इसके पहले वो लोग एक किराए के घर में रहते थे।। मैथिली सबसे पहले पूजा घर जाकर भगवान को प्रणाम करती है तभी सुजाता जी की नजर मैथिली पर पड़ती है। वो उसे देखते ही कहती हैं अरे मैथिली तू आ गई बेटा। जल्दी आजा इधर उन्होंने रिजल्ट अपलोड कर दिया है। आदि अभी pdf ही download कर रहा है। ये सुन मैथिली भी थोड़ी नर्वस होकर लैपटॉप की तरफ देखने लगती है। अभी के लिए हमने मैथिली के बारे में जाना। आगे के चैप्टर में हम जानेंगे युवराज के बारे में तो बने रहे में।।।।
युवराज अगस्त्या सिंह राठौर।।
एक बड़ा सा महल जो कि कई एकड़ में फैला हुआ था। सफ़ेद संगमरमर सा महल जिसके आस पास काफी हरियाली थी।बिल्कुल शीश महल जैसा लग रहा था। इस महल के दो हिस्से थे। जिसमें से एक हिस्से को टूरिस्ट के लिए खोल दिया गया था ताकि लोग राजे रजवाड़ों की शान, उनकी जिंदगी जीने के तौर तरीके को समझ सके देख सके। उस महल का नाम था दीवान महल ।
राजस्थान घूमनेवाले टूरिस्ट दीवान महल भी जरूर जाया करते थे। इसमें जाने के लिए टिकट लगता थl और शाही परिवार ने इसमें एक खूबसूरत स कैफे और रेस्टोरेंट भी बनवाया था।जिससे कि ये टूरिस्ट्स का पसंदीदा स्पॉट बनl हुआ है सालों से। इसका देख रेख भी शाही परिवार ही करता आया है। ये महल जोधपुर से कुछ 45 किमी दूर स्थित है।
वहीं महल का दूसरा हिस्सा जिसमें राजस्थान का शाही परिवार अब भी रहता है। ये महल दीवान पैलेस से करीबन तीन गुना ज्यादा बड़ा है। इसमें सारी तरह की सुख सुविधाएं मौजूद हैं। इस महल का नाम चंद्रिका महल है। इन महलों का नामकरण राजस्थान के भूतपूर्व राजा रानी के नाम पर किया गया है। इसी महल में अभी राजस्थान के राजा अथवा हुकुम सा एवं भावी युवराज रहते हैं।
चंद्रिका महल में आज बहुत चहल पहल चल रही है और हो भी क्यों न आज राजस्थान के युवराज एवं भावी हुकुम सा के राज्याभिषेक की तिथि घोषित होने वाली है। इसका इंजेज़ार शाही परिवार के साथ साथ प्रजा को भी बेहद है। सब लोग टकटकी लगा कर चंद्रिका महल से आने वाली खबर को सुनने के लिए बेकरार हैं। इतने में एक सेवक चंद्रिका महल की बालकनी में आता है और जोर से बिगुल बजा , माइक में कहता है कि जिस घड़ी का सबको इंतज़ार था वो घड़ी आ चुकी है, हमारे युवराज और भावी हुकुम सा का राज्याभिषेक आज से ठीक दो साल बाद होगा। कल प्रातः इसी समय युवराज अगस्त्या सिंह राठौर प्रजा का अभिवादन करेंगे। आप लोग भी युवराज की मंगल कामना करें। इतना बोल वो अंदर की तरफ चला जाता है। ये सुन लोग एक पल को सोच में पड़ जाते हैं कि शाही परिवार इतना वक्त क्यू ले रहा है जबकि युवराज का राज्याभिषेक तो जल्द ही हो जाना चाहिए आखिर हमारे युवराज हर तरह से काबिल हैं और वो प्रजा को भी बेहतरीन तरीके से संभाल सकते हैं।
इधर दूसरी तरफ चंद्रिका महल के हॉल में माहौल काफ़ी गंभीर लग रहा था। हॉल में एकदम शांति पसरी हुई होती है। तभी इस शांति को भंग करते हुए करीबन 72 वर्ष की महिला बोल उठती हैं राजपुरोहित जी ऐसे कैसे चलेगा कोई तो उपाय होगा इस समस्या का। ये सुन सबलोग राजपुरोहित की तरफ देखने लगते हैं। तभी ये सुन राजपुरोहित बोलते हैं राजमाता हमने उपाय तो बता दिया है। इसका एकमात्र उपाय यही है कि अगर हम युवराज को किसी मृत्यु दोष से बचाना चाहते है तो इनके राज्याभिषेक के समय इनकी अर्धांगिनी इनके साथ होनी चाहिए। अर्थात् युवराज का विवाह राज्याभिषेक से पहले हर हाल में हो ही जाना चाहिए। ये सुन शlही परिवार के सदस्य एक दूसरे को देखने लगते हैं।
राजपुरोहित जी पुनः कहते हैं इसीलिए हमने राज्याभिषेक का समय दो साल बाद रखा है जिससे राजस्थान को उसकी रानी सा आराम से मिल जाए ।ये बोल वो कहते हैं कि अगर आपलोगो को कोई आपत्ति है तो कहिए अन्यथा अब हमें जाने की इजाजत दीजिए। ये सुन राजमाता कहती हैं कि क्या इतनी जल्दी हमें युवरानी मिलेंगी? आप तो जानते हैं न युवराज का स्वभाव। उसके बाद राजमाता युवरlज की तरफ घूम कर उनसे पूछती है, युवराज क्या कोई सुयोग्य कन्या आपके नजरों में हैं?या फिर हम कोई सुयोग्य शाही कन्या आपके लिए देखें? ये सुन युवराज अगस्त्या सिंह राठौर जो अभी तक भावहीन बैठे थे वो एकदम से अपनी गहरी आवाज में कहते हैं, जी नहीं राजमाता आप जैसा चाहती हैं वैसा ही होगा। राजस्थान की युवरानी कोई मामूली कन्या नहीं बन सकती। इस पदवी के लिए सुयोग्य कोई शाही परिवार की कन्या ही होनी चाहिए जिन्हें राज परिवार के सारे तौर तरीके पता हो। वैसे भी रॉयल्स की शादी रॉयल्स में ही होनी चाहिए। ये सुन कुछ लोगों के चेहरे पर मुस्कान चली आती है। वही कुछ लोग भावहीन हो जाते हैं।
राजमाता तो जैसे युवराज से यही सुनना चाहती थीं वह खुश होकर युवराज से कहती हैं ये तो बिल्कुल ठीक कहा आपने युवराज। इतना बोल वो राजपुरोहित जी से कहती हैं अब तो युवराज भी मान गए हैं अब हमें कोई परेशानी नहीं । हम आज से ही शाही परिवारों में रिश्ते की बात करना शुरू करेंगे। ये सुन राजपुरोहित जी जिनकी उम्र करीबन 85 वर्ष है परन्तु उनके मुख पर गजब का तेज़ झलक रहा है वो थोड़ा हंसकर राजमाता से कहते है कि नियति पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता और हमें ऐसा लग रहा है कि राजस्थान की हवा कुछ बदलने वाली है आने वाले दिनों में। जरूरी नहीं जैसा हम चाहे वैसा ही हो। युवराज को सिर्फ उनकी युवरानी ही नहीं बल्कि संगिनी भी मिलेंगी जिससे उनके जीवन की सारी खालीपन मिट जायेगी। वो युवराज की जिंदगी में एक रोशनी की तरह आएंगी बस आपलोगो को उनका खुलेदिल से स्वागत करना होगा। ये दो साल युवराज की जिंदगी की दिशा ओर दशा दोनों बदल कर रख देंगे। ये सुन सबसे ज्यादा खुश तो युवराज की मा सा हो जाती हैं परन्तु वो अपने मुख पर अपनी खुशी नहीं आने देती। वहीं राजमाता ये सुन थोड़ी विचलित जरूर होती हैं क्योंकि वो जानती हैं कि राजपुरोहित के मुख से निकली कोई बात कभी खाली नहीं जाती। परन्तु फिर भी खुद को गंभीर बनाए रखती हैं। वहीं युवराज तो जैसे एक शून्य में ताक रहे थे जैसे उन्हें इन सब बातों से कोई मतलब ही न हो।
तभी राजपुरोहित जी अपनी बात बोल खड़े हो जाते हैं और अपने दोनों हाथ जोड़ राजमाता से जाने की इजाजत मांगते हैं। राजमाता के साथ साथ शाही परिवार के अन्य सदस्य भी खड़े हो कर हाथ जोड़ कर उनका अभिवादन करते हैं। उसके बाद कुछ ही क्षणों में राजपुरोहित जी चंद्रिका महल से प्रस्थान कर जाते हैं।
राजमाता तो बहुत खुश नजर आ रही थीं और खुश होकर सबसे बातचीत कर रही थीं। वहीं युवराज की मा सा कादंबरी जी की आंखे बस युवराज पर ही टिकी थी। युवराज अब उठकर किसी से बिना कुछ बोले सीधा अपने कमरे की तरफ जाने लगते हैं। जब वो देखती हैं कि सभी अपने में व्यस्त हैं तब वो होले से युवराज के पीछे उनके कमरे में चली जाती हैं।
वो जैसे ही कमरे का दरवाज़ा नॉक करतीं है तो युवराज जो अभी अभी कमरे में आकर सोफे पर बैठे ही थे वो खड़े होकर कहते हैं अरे मां सा आप आए न । कादंबरी ji ध्यान से अपने बेटे के चेहरे को देखने लगती हैं। युवराज का वो भावहीन चेहरा , गोरा रंग , घनी पलकों की पीछे छिपी स्याह काली आंखे जिनमें न जाने कितना खालीपन हो, चेहरे पर हल्के बेयर्ड और सेट किए हुए बाल और कसी हुई बॉडी । युवराज यक़ीनन बहुत हैंडसम हैं लेकिन गुस्सा मानो शिव के रौद्र रूप जैसा। आज भी युवराज के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। मा सा को ऐसा देखते देख युवराज पूछते हैं क्या बात है मां सा क्या देख रही हैं आप। इस बात पर कादंबरी जी कहती हैं खुशी खोज रही हूं अपने बच्चे के चेहरे पर पर पता नहीं क्यों मिल ही नहीं रही। आशु बच्चे आप खुश हैं न ? ये सुन एक पल को युवराज चुप हो जाते है फिर खुद को सम्भाल बोल पड़ते हैं सब तो खुश हैं मा सा ,आप खुश नहीं हैं क्या? मा सा युवराज के गाल पर हाथ रख बोलती हैं सबके ओर हमारे खुश होने से क्या होगा बेटा खुशी तो आपकी ज्यादा मायने रखती है न। इस बात पर युवराज अपनी नज़रे चुरा कर बोलते हैं हम भी खुश हैं मा सा आप ज्यादा सोच रही हैं। कादंबरी ji kuchh बोलती उसके पहले ही युवराज का फोन बज पड़ता है।
अभी तक हमने जाना युवराज के बारे में।
आगे हम जानेंगे शाही परिवार के सदस्यों के बारे में। बने रहिए रॉयल लव की आगे की कहानी में।।।।
शाही परिवार।।
अभी तक हमने देखा ।
मैथिली जो कि अपने रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार कर रही होती है। ओर युवराज के घर में राजपुरोहित जी राज्याभिषेक की तिथि घोषित करते है।
अब आगे।
युवराज का फोन बज पड़ता है परन्तु उनके उठाने के पहले ही कट जाता है। ये देख युवराज कादंबरी जी से कहते है मां सा आपको कुछ काम था क्या। कादंबरी ji को भी पता था कि युवराज बहुत बिजी रहते हैं इसीलिए बिना समय गंवाए वो कहती हैं आशु हम जानते है कि आप जिम्मेदारियों को निभाने के लिए कुछ भी कर जायेंगे लेकिन बच्चे हम चाहते हैं कि राजस्थान को युवरानी तो मिले पर वो युवरानी हमारे आशु के लिए आए ना कि राजस्थान के युवराज के लिए। बेटा वो आपकी संगिनी हो, आपकी दोस्त , आपके दुख सुख की साथी हो।वो आपको ी बिना आपकी पदवी के पसंद करे। हमें फर्क नहीं पड़ता कि वो कन्या शाही हो या न हो लेकिन हमारे बच्चे की साथी ज़रूर होनी चाहिए। बेटा हम जानते हैं कि हम आपको स्वार्थी लग रहे होंगे लेकिन जिंदगी बहुत बड़ी है बच्चे और अगर जीवनसाथी अच्छा न हो तो एक एक दिन काटना मुश्किल हो जाता है। आप समझ रहे हैं न हम क्या कहना चाह रहे हैं।
युवराज ये सुन बस हां में अपना सर हिला देते हैं। कादंबरी जी आगे कहती है राजपुरोहित जी ने जो कहा है हमें उस पर पूरा भरोसा है बेटा हम तरस गए हैं आपके चेहरे पर खुशी देखने के लिए। इतना बोलते हुए उनकी आंखें नम हो जाती हैं। युवराज ये देख बोलते है मासा आप ज्यादा सोच रही हैं हम बहुत खुश हैं। कादंबरी जी कहती हैं बेटा हम मां हैं आपकी । आपको हमसे कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि हम तो अपने बच्चे का चेहरा देख कर सब बता सकते हैं। आप हमें वचन दीजिए कि कभी कोई खुशी आपकी जिंदगी में आए तो आप जिम्मेदारियों का नाम देकर उनसे मुंह नहीं मोड़ेंगे बेटा। युवरlज को समझ नहीं आता कि वो क्या ही कहे लेकिन अपनी मां सा की खुशी के लिए वो वचन दे देते हैं ।
ये देख कादंबरी जी अपनी आंखों से आंसू पूछती हैं और थोड़ा मुस्कुरा कर कहती हैं वैसे बेटा अगले हफ्ते आपको कॉलेज जाना है ना ? युवराज ये सुन हां में सर हिला देते हैं। कादंबरी ji आगे कहती हैं आप जानते है न कि ये दो साल आपके कॉलेज के आखिरी साल हैं इसके बाद तो आप प्रजा की जिम्मेदारियों और बिज़नेस में व्यस्त हो जाएंगे बेटा इसीलिए इसको खुल के एंजॉय करिएगा बेटा समझे। युवराज ये सुन कर भी बस हां में सर हिला देते हैं। कादंबरी जी थोड़ी देर अपने बेटे के चेहरे को देखती हैं जिसपे अब भी कोई भाव नहीं थे। वो एक गहरी सांस लेकर खड़ी हो जाती हैं और युवराज से पूछती हैं पैकिंग में कोई मदद चाहिए बेटा ? युवराज ये सुन ना में सर हिला कहते हैं नहीं मां सा हो गया है सब कुछ। ये सुन कादंबरी जी युवराज के चेहरे पर हाथ फेर कर कहती हैं ठीक है बेटा हम चलते हैं, कोई जरूरत हो तो अपनी मां सा को बुला लीजिएगा और हमने जो कहा है उसे जरूर याद रखिएगा। ये सुन युवराज जी मा सा कहते हैं।
कादंबरी ji एक पल रुक फिर कमरे से बाहर निकल जाती है हैं और थोड़ा रुक कर सोचती हैं आप कितना भी कह ले बेटा पर आप अभी तक उस हादसे से बाहर नहीं आए है। इतने साल हो गए पर आप अभी तक कुछ भूले नहीं हैं। उस हादसे में हमने आपका बचपन खो दिया बेटा । ये सोच उनकी आंखें छलक उठती है। वो अपनी आंसू साफ कर आगे बढ़ती है कि तभी एक सेविका आकर उनसे कहती है रानी सा आपको राजमाता नीचे हॉल में बुला रही हैं। ये सुन रानी सा हा में सर हिला उस तरफ बढ़ जाती हैं।
इधर मा सा के जाने के बाद युवराज सोफे से अपना सर टीकाकार आंखे बंद किए अपनी मां सा की बातों को ही सोच रहे थे। उनके हाथ सोफे पर दोनों तरफ फैले हुए थे और एक पैर दूसरे पैर पर चढ़ा कर बिल्कुल किसी राजा की तरह बैठे हुए थे। उनके मुख से एक अलग ही तेज झलकता है। उनका औरl बहुत ही खतरनाक और खूबसूरत लगता है। अभी वो सोच ही रहे थे कि तभी उनका फोन बजता है। देखने पर पता लगा कि ये तो उनके असिस्टेंट दक्ष का फोन आ रहा था । युवराज फोन रिसीव करते हुए बालकनी की तरफ बढ़ जाते है।
आइए अब जान लेते हैं शाही परिवार के सदस्यों के बारे में।
राजमाता _ आराधना सिंह राठौर
राजा सा_ विश्वनाथ सिंह राठौर
रानी सा_ कादंबरी सिंह राठौर
भावी हुकुम सा_ अगस्त्या सिंह राठौर
राजकुमारी_ नंदिनी सिंह राठौर
युवराज की बड़ी मा सा _ सुमित्रा सिंह राठौर
बड़ी बहन_ जानवी सिंह राठौर
युवराज के बड़े बाबा सा और सुमित्रा जी के पति अब इस दुनिया में नहीं हैं। सुमित्रा जी के बेटे अभिमन्यु सिंह राठौर इस परिवार से अलग रहते हैं। शाही परिवार से उन्हें एक तरह से अलग ही कर दिया गया है। ये युवराज के बड़े भाई है वैसे कायदे से तो भावी राजा सा अभिमन्यु ही होने वाले थे लेकिन राजमाता ने उनकी जगह अगस्त्या को चुना। इस कारण सुमित्रा जी परिवार से खासी नाराज़ रहती हैं। अभिमन्यु के बारे में हम आगे कहानी में जानेंगे।
अब आगे।
थोड़ी देर के बाद रानी सा हॉल में आती हैं तो देखती हैं कि राजमाता वहां बैठी सबसे अलग अलग राजकुमारियों की जानकारी ले रही थीं। वो उन्हें देखती ही बोलती हैं, आओ कादंबरी देखो तुम्हारे बेटे के लिए तो लड़कियों की जैसे कतारें ही लगा दी हैं हमने। कादंबरी जी ये देख थोड़ा मुस्कुरा देती हैं। आखिर वो तो यही चाहती थी कि उनका बेटा अपनी जीवनसाथी खुद चुने जो उसे खुश रखे।लेकिन ये बात वो सबके सामने बोल नहीं सकती थीं तो बस मुस्कुरा कर रह गईं।
बड़ी देर से ये सब चीजें सुमित्रा जी देख रही थीं तो जब उनसे रहा नहीं जाता तो बोल ही पड़ती हैं _ आप सब युवराज की शादी के बारे में तो सोच रहे हैं लेकिन ये भूल गए क्या की जानवी की शादी उनसे पहले ही सुजलगढ़ के राजकुमार से तय हो चुकी है तो हमें उनकी सगाई के बारे में पहले सोचना चाहिए। हमें तो लगा था कि आप सब इस बारे में बात करेंगे लेकिन यहां तो शायद किसी को याद भी नहीं है। ये सुन विश्वनाथ जी कहते हैं, भाभी सा हम कुछ भी नहीं भूले हमें सब कुछ याद है और नंदिनी की शादी के बाद ही युवराज की शादी होगी। जानवी इस घर की बड़ी बेटी हैं और हम उनके विवाह में कोई कमी नहीं आने देंगे और खुद युवराज भी यही चाहते हैं कि जानवी की शादी बड़ी धूम धाम से करेंगे। कादंबरी ji कहती हैं जीजी सा आप खामखां ही इतने सोच रही हैं भला ऐसा हो सकता है कि हम अपनी जानवी के बारे में भूल जाए इतना बोल वो जानवी के सिर पर प्यार से हाथ रख देती हैं। जानवी जो राजमाता और नंदिनी के साथ बैठी थी वो उनका स्पर्श पाकर अपनी नजर झुका लेती है।
जानवी को जो ममतामई प्यार कादंबरी जी से मिला था वो उसे अपनी मां सा सुमित्रा जी से कभी नहीं मिल पाया था इसीलिए वो कादंबरी जी के पास ही ज्यादा रहा करती हैं। राजमाता ये देख कहती हैं सुमित्रा आपकी तो आदत सी हो गई है परेशान होने की अरे जानवी की शादी तो सारा राजस्थान देखेगा अरे मैने तो कल ही सुजलगढ़ संदेश भिजवाया था कि अगले हफ्ते वो लोग यहां आएं और हम सब मिलकर सगाई तो तिथि घोषित करें। ये सुन सुमित्रा जी जरा खुश हो जाती हैं।
नंदिनी माहौल को हल्का करने के लिए हंस कर कहती हैं, हा भाई नंदिनी की इकलौती जीजी की शादी है और हमें तो शॉपिंग करने के लिए कम से कम दो महीने चाहिए आखिर हमें सबसे सुंदर जो दिखना है। नंदिनी ये इतनी नौटंकी से बोलती है कि सब लोग ठहाके मारकर हंस देते हैं ऊपर खड़े युवराज जो सीढ़ियां उतरकर नीचे आ रहे थे वो भी ये सुन थोड़ा मुस्कुरा जरूर देते हैं लेकिन किसी को दिखने से पहले छुपा भी लेते हैं।
आगे जानने के लिए बने रहिए इस कहानी में ।
भाग समाप्त।।
रिजल्ट।।
अब तक।
अब तक हमने देखा कि मैथिली अपने रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार कर रही थी। साथ ही साथ उसका पूरा परिवार भी टकटकी लगाकर उसके रिजल्ट की तरफ ही देख रहे थे। इधर दूसरी तरफ चंद्रिका महल में युवराज अगस्त्या सिंह राठौर का पूरा परिवार हॉल में बैठा राजकुमारी जानवी की शादी के बारे में चर्चा कर रहा था। साथ ही साथ राजा सा ने ये ऐलान भी कर दिया कि युवराज की शादी जानवी की शादी के बाद ही होगी। कादंबरी जी जो युवराज की जल्दी शादी से कुछ ज्यादा खुश नहीं थीं बल्कि वो चाहती थीं कि युवराज अपनी मनपसंद कन्या से ही शादी करें। लेकिन ये सब कुछ जैसे उन्हें असंभव सा लग रहा था ।
अब आगे।
चंद्रिका महल।
सुमित्रा जी जानवी की शादी की तैयारियों के बारे में सुन कर थोड़ी शांत हो जाती हैं और सबके साथ मुस्कुराते हुए आगे की तैयारियों के बारे में डिस्कस करने लगती हैं। तभी राजमाता की नजर सीढ़ियों से उतरकर बाहर जाते युवराज पर चली जाती है। वो युवराज को रोकते हुए कहती हैं, अरे युवराज आप किधर जा रहे हैं आइए तनिक हमारे साथ बैठिए और हमें बताइए तो सही की आपक हिसाब से राजस्थान की युवरानी कैसी होनी चाहिए आखिर राजस्थान के युवराज अगस्त्या सिंह राठौर की पत्नी लाखों में एक होनी चाहिए।
ये सुन युवराज एक पल के लिए कादंबरी जी की ओर देखते हैं जिनकी आंखों में इस बातवको ले बेचैनी साफ नजर आ रही थी मगर दूसरे ही पल युवराज उनसे नज़रे हटा राजमाता को जवाब देते है, दादी सा हमे पूरा भरोसा है कि आप जिसे भी हमारे लिए चुनेगी वो लाखों में एक ही होगी। हमारी कोई विशेष पसंद नहीं है।
ये सुन कादंबरी जी जल्दी से बोल उठती हैं अरे इतनी भी क्या जल्दी है अभी तो हमारे युवराज कॉलेज में ही हैं और पसंद नापसंद बनने में भी तो समय लगता है। तो हमें लगता है कि हमें युवराज की शादी की बात उनके कॉलेज के खत्म हो जाने के बाद ही करनी चाहिए और हमें क्या पता की तब तक उनका ये जवाब भी बदल जाए। उनकी दोहरी बातों का मतलब विश्वनाथ जी अच्छे से समझ जाते है और उनकी बातों में छिपी बेचैनी भी भांप जाते है। लेकिन राजमाता को ये जवाब तनिक भी नहीं भाता। वह थोड़ी कड़क होकर बोलती हैं ये आप क्या कह रही हैं कादंबरी भूलिए मत हमारे युवराज को हमेशा एक शुद्ध शाही खून से ब्याहने को ही अच्छा माना जाएगा और ये प्रजा के हित में होगी। कोई बाहर से आई लड़की क्या राज परिवार की मर्यादा को समझ पाएगी। जो गलती एक बार हुई है वो हम नहीं चाहते कि दोहराया जाए इसीलिए आप इस गलतफहमी में ना ही रहे तो बेहतर है।
सुमित्रा जी राजमाता की बातों में छुपे तंज को समझकर तिलमिला उठती हैं वहीं कादंबरी जी बिल्कुल शांत हो जाती हैं और विश्वनाथ जी की तरफ देखती हैं जो उन्हें पलके झपकाकर शांत रहने का इशारा दे रहे थे। ये सब देख युवराज कहते हैं मा सा हम ऑफिस जा रहे हैं एक इंपॉर्टेंट मीटिंग है। कादंबरी ji बस हां में सर हिला देती हैं। विश्वनाथ जी युवराज को रोकते हुए कहते हैं, रुकिए युवराज हम भी आपके साथ ऑफिस चलते हैं। वो जाने के खड़े े हुए ही थे कि नंदिनी झट से बोलती है लेकिन बाबा सा आप क्यों जा रहे हैं अभी आपकी तबियत पूरी तरह से ठीक नहीं हुई है तो आप... नंदिनी की बात बीच में ही काटकर विश्वनाथ जी बोलते हैं हम बिल्कुल ठीक हैं हमारी गुड़िया और हम बस एक मीटिंग कर वापस आ जाएंगे।इतना बोल वो नंदिनी का सिर सहला देते हैं। नंदिनी भी मुस्कुरा कर रह जाती है। विश्वनाथ जी राजमाता से विदा लेकर ओर कादंबरी जी से नजरों से ही जाने का इशारा कर वहां से निकल जाते है। राजमाता भी उन सबके जाने के बाद अपने कक्ष में आराम करने चली जाती हैं और कादंबरी जी से मिलने कुछ महिलाएं आई हुई थी तो वो भी व्यस्त हो जाती हैं।
इधर दूसरी तरफ।
शर्मा निवास में सबलोग लैपटॉप में नज़रे गड़ाए बैठे थे तभी आदि pdf ओपन कर देता है तो देखता है कि इस बार कुल 11 बच्चों का सिलेक्शन अलग अलग सब्जेक्ट्स के लिए हुआ था। यूं तो The Royal College of Jodhpur me लगभग सभी सब्जेक्ट्स पढ़ाए जाते थे परन्तु सारे सब्जेक्ट्स में बच्चे क्राइटेरिया फुलफिल ही नहीं कर पाए थे इसीलिए कुछ सब्जेक्ट्स में ही सिलेक्शन हो पाया था। मैथिली अपनी आर्किटेक्चर के स्ट्रीम में इकलौती कॉमनर स्टूडेंट थी।
जैसे ही आदि सबको रिजल्ट दिखाता है सारे ही बहुत खुश हो जाते हैं। शकुन्तला जी तो हाथ जोड़ भगवान को धन्यवाद देने लगती हैं। सुजाता जी खुश होकर मैथिली को अपने सीने से लगा लेती हैं। मैथिली के पापा और आदि भी बेहद खुश थे। आखिर उनकी बच्ची ने वो कर दिखाया था जो उसका सपना था। प्रकाश जी जैसे ही कुछ कहने को होते हैं तभी उनका फोन बज पड़ता है। सबकी नजर फोन की तरफ चली जाती है। प्रकाश जी फोन उठlकर कहते है; हेलो।
उधर से आवाज आती है: हेलो क्या मैं मिस्टर प्रकाश शर्मा से बात कर रही हूँ?
जी मैं प्रकाश शर्मा ही बोल रहा हु। आप कौन?
मैं The Royal College of Jodhpur से बात कर रही हूं। क्या मेरी बात मैथिली शर्मा के फादर से हो रही है।
जी मैं मैथिली शर्मा का फादर प्रकाश शर्मा बात कर रहा हूं। कहिए।।
Congratulaions सर!! मिस मैथिली शर्मा ने आर्किटेक्ट स्ट्रीम में स्कॉलरशिप हासिल की है जैसा कि हमने रिजल्ट भी अपलोड कर दिया है। I hope आपने देख लिया होगा अब तक।
थैंक्यू mam!! जी हां हमने देख लिया है।
सर मैने आपको इनफॉर्म करने के लिए कॉल किया है कि क्लासेज 10 दिन बाद से शुरू हो जाएगी मगर स्टूडेंट्स को एक हफ्ते पहले ही बुलाया गया है ताकि वो कॉलेज के ओरिएंटेशन प्रोग्राम में पार्ट ले सकें। मिस मैथिली को यहां पर उनके बुक्स एंड रूम्स अलॉट कर दिए जाएंगे। और कॉलेज की तरफ से उन्हें 100% स्कॉलरशिप मिली है तो आपको कोई fee पे करने की कोई जरूरत नहीं है।
जी धन्यवाद mam मैं समझ गया। मैथिली वक्त पर कॉलेज पहुंच जाएगी।
सर मै एक और बात बता दूं कि मिस मैथिली की स्कॉलरशिप उनके मार्क्स पर भी डिपेंड करती है तो उन्हें अपने अच्छे मार्क्स आगे भी ऐसे ही बरकरार रखने होंगे। I hope आप मेरी बात समझे होंगे।
जी मैं समझ गया ओर मैथिली को भी अच्छे से समझा दूंगा।
ओके sir have a good day!! We are happy to have a student like miss Maithili Sharma.
जी thank you!!
प्रकाश जी ने इतना बोल फोन काट दिया। सब लोग जो उनकी बात ध्यान से सुन रहे थे क्योंकि प्रकाश जी ने फोन को स्पीकर पर डाल दिया था। इतना सुन सुजाता जी कहती हैं अरे बाप रे!! इतनी जल्दी जाना है फिर तो बहुत सारी तैयारियां करनी होंगी। ये देख आदि कहता है मम्मी आपने सुना ना वहां सब कुछ मिलता तो है।
तो क्या मैं अपनी बच्ची को खाली हाथ भेज दूंगी। बिल्कुल नहीं मैं तो घर से सब कुछ दूंगी। इतना बोल वो वापस रसोई में चली गईं। ये देख सबने अपना सर हिला दिया ओर हसने लगे।
भाग समाप्त।।।
जाने कि तैयारी।।
मैथिली के घर में उसके कॉलेज जाने को लेकर जोर शोर से तैयारी चल रही थी। मैथिली अपनी मां के साथ जाकर काफी कुछ खरीदारी भी कर रही थी। वो अपने हिसाब से सारी चीजें रख रही थी। यूं तो मैथिली बहुत चुलबुले मिजाज की है और बहुत जल्दी सबसे दोस्ती कर लेती है लेकिन अब उसे भी डर लग रहा था।
वो अपने कमरे में बैठी सब कुछ अपने बैग में डाल रही थी तभी सुजाता जी हाथ में दो तीन डब्बे लिए उसके कमरे में आती हैं। वो मैथिली को एक दो बार आवाज भी देती हैं लेकिन मैथिली उनकी तरफ नहीं देखती वो तो जैसे किसी सोच में गुम बैठी थी। उसे इतना तल्लीन हो कर बैठा देख सुजाता जी उसके कंधे पर हाथ रख बोलती हैं _ मैथिली कहां गुम हो बेटा? मैं कबसे तुम्हे आवाजें दिए जा रही हूं और तुम सुन ही नहीं रही हो। क्या बात है अगर कोई परेशानी है तो बताओ मुझे। मैथिली बताना तो चाहती थी लेकिन वो अपनी मां को परेशान नहीं करना चाहती इसीलिए चुप रह जाती है। सुजाता जी उसकी चुप्पी को भांप कर उसे प्यार से पूछती हैं _ मैथिली देखो बेटा जो भी बात है उसे खुल कर कहो और फिर मेरी मैथिली तो बोलती मुस्कुराती ही अच्छी लगती है। तो चलो जल्दी से अपनी मां को बताओ की ऐसी क्या बात हो गई जिसने मेरी मिठ्ठू को सोचने पर मजबूर कर दिया।
मैथिली अपनी मां की गोद में सर रखकर लेट जाती है और फिर कुछ सोचते हुए कहती है मां वहां पर सब ठीक तो होगा न? I mean उधर तो सारे राज परिवार के बच्चे ही पढ़ते हैं तो वहां मैं एडजस्ट तो हो पाऊंगी न? और अगर न हो पाई तो...तो क्या होगा? मैं अपने क्लास में अकेली कॉमनर हु तो समझ नहीं आ रहा कि सब मेरे साथ कैसा बिहेव करेंगे। उसकी बात सुन सुजाता जी उसके बालों को प्यार से सहलाते हुए जवाब देती हैं है_ बस इतनी सी बात से मेरी मैथिली परेशान थी । देखो बेटा तुमने ये एडमिशन अपनी मेहनत से पाया है। तो तुम तो वैसे भी वहां सबसे आगे हो और अच्छे बुरे लोग तो हर जगह होते हैं न बेटा ।ऐसे में दूसरों के व्यवहार के बारे में न सोचना ही सबसे अच्छा विकल्प है और देखो बेटा जब भी तुम्हे लगे कि कुछ तुम्हारे हिसाब से नहीं चल रहा तो याद रखना कि वहां तुम अपने सपने पूरे करने जा रही हो तो सबसे ज्यादा ध्यान उसपर देना इससे किसी दूसरी चीज़ों पर ध्यान ही नहीं जाएगा।
यूं तो सुजाता जी भी मैथिली की चुलबुले मिजाज से वाकिफ थी तो लास्ट में उसे ध्यान दिलाना नहीं भूलती_ मैथिली देखो बेटा सबसे बात करना , सबके साथ हंसना खेलना अच्छी बात है लेकिन कभी भी किसी पर आंख बंद कर भरोसा मत करना l तुम समझ रही हो न मैं क्या कहना चाह रही हूं तुम्हे। मैथिली ये सुन अपना सर हां में हिला देती है। मैथिली से बात कर सुजाता जी वहां से उठते हुए कहती हैं _ ठीक है मिठ्ठू अब बाकी की तैयारियां कर लो कल शाम पांच बजे की ट्रेन है। मैं तो तुम्हे ये स्नैक्स के डब्बे देने आई थी। अब मैं भी नीचे जाकर बाकी की तैयारियां देखती हूं। ये बोलते हुए सुजाता जी वहां से निकल जाती हैं। मैथिली भी फिर से बैग पैक करने में लग जाती हैं।
चंद्रिका महल।
इधर दूसरी तरफ ।
युवराज अपने कमरे में सोफे पर बैठे अपने ऑफिस का कोई काम कर रहे थे और एक सर्वेंट उनका समान पैक कर रहा था। तभी एक दूसरा सेवक युवराज के कमरे में आकर कहता है_ युवराज आपको राजा सा अपने study room में बुला रहे हैं। ये सुन युवराज अपना सर हा में हिला देते हैं और सेवक को जाने का कह देते हैं। सारा सामान अच्छे से पैक कर दीजिए okay? दूसरे सेवक को ऑर्डर देकर युवराज अपने पिता से मिलने उनके study room की तरफ निकल जाते हैं।
Study room में।
युवराज आप तो जानते ही हैं कि इस बार हमारी गुड़िया नंदिनी बाईसा भी कॉलेज ज्वाइन कर रही हैं। ये सुन युवराज हा में सर हिला देते हैं। तो आपको अपने साथ साथ अब उनका भी ध्यान रखना होगा । विश्वनाथ जी आगे कहते हैं युवराज हम चाहते हैं कि आप भी अपनी कॉलेज लाइफ अच्छे से एंजॉय करे। आगे चलकर भी आपको बहुत सारी जिम्मेदारियों को निभाना होगा। युवराज बस हां में सर हिला देते हैं। कुछ पल रुक विश्वनाथ जी उन्हें जाने को कह देते हैं। एक गहरी सांस ले विश्वनाथ जी कहते हैं। युवराज हम आपको ऐसे कब तक देखेंगे। हम उम्मीद करते हैं आपके मां सा की उम्मीद सही साबित हो। कुछ देर सोचने के बाद वो वापस अपने काम में लग जाते हैं।
नंदिनी बाईसा भी जोर शोर से अपने कॉलेज की तैयारियों में लगी हुई थीं।उनके कमरे में कादंबरी जी, जानवी और कुछ सेविकाएं उनकी मदद कर रही थीं
ओफ्फो जीजी ये वाली ड्रेस नहीं वो वाली ड्रेस चाहिए। अरे मां सा ये वाला दुप्पटा नहीं वो पीला वाला दुप्पटा रखिए ना। अरे अगर आप लोग इतना धीरे पैकिंग करोगे तो हमारे पहुंचने से पहले ही कॉलेज शुरू हो चुका होगा। ये कहते हुए नंदिनी बाईसा अपनी पैकिंग करने में लगी हुई थीं ओर बाकी सब उनकी बात सुने हसी ठिठोली में उनकी मदद कर रहे थे। उनके कमरे का हाल ऐसा था जैसे वहां कोई भूचाल आया हो। इस तरह आज का दिन बीती जाता है।
अगले दिन ।
मैथिली सबसे विदा लेकर अपने पिता के साथ स्टेशन की तरफ चल पड़ती है । स्टेशन पहुंच कर वो दोनों अपनी ट्रेन का इंतेज़ार करने लगते हैं। थोड़ी देर में उनकी ट्रेन भी आ जाती है और मैथिली ट्रेन में अपने पापा के साथ बैठ जाती है और कुछ ही पलों में ट्रेन चल पड़ती है। मैथिली ट्रेन के खिड़की से अपने पीछे छूटते हुए शहर को देखे जा रही थी।
दूसरी तरफ चंद्रिका महल से युवराज और नंदिनी भी निकलने ही लगे थे। कादंबरी ji नंदिनी को भर भर के नसीहतें दे रहे थे और नंदिनी बस उनकी बाते सुन रही थी वो धीरे से जानवी के कान में कहती है_ जीजी ऐसा लगता है कि मैं कॉलेज नहीं ससुराल जा रही हूं। मां सा तो मुझे ऐसे सुना रही हैं जैसे मैं कितना ही बड़ा काम करने जा रही हूं अरे कॉलेज ही तो जाना है। जानवी उनकी बात सुन मुस्कुरा देती हैं। नंदिनी वैसे तो ज्यादा मस्तीखोर नहीं थी मगर वो ज्यादा गंभीर भी नहीं थी। इतने में एक सेवक आकर कहता है_ बाईसा नीचे युवराज आपका इंतेज़ार कर रहे हैं। ये सुन नंदिनी नीचे की तरफ चल पड़ती है।
थोड़ी ही देर में नंदिनी और युवराज चंद्रिका महल से कॉलेज के लिए निकल जाते हैं। उनके साथ शाही काफिला चल रहा था। युवराज की गाड़ी के साथ बॉडीगार्ड्स की लगभग आठ गाड़ियां चल रही थी।
भाग समाप्त।।।
नई जगह।।
पूरे एक दिन के सफर के बाद मैथिली करीबन चार बजे जोधपुर स्टेशन पर पहुंच जाती है। मैथिली को अब थोड़ी ज्यादा नर्वसनेस फील होने लगी थी। प्रकाश जी भी मैथिली की मनोदशा समझ रहे थे लेकिन उन्होंने कुछ ना कहना ही बेहतर समझा क्योंकि वो जानते थे कि मैथिली ने अपने लिए ये जिंदगी खुद चुनी है और आगे उसे अकेले ही सफर तय करना होगा।
वो लोग स्टेशन से बाहर निकल कॉलेज तक पहुंचने के लिए कोई taxi खोजने लगते है। थोड़ी ही देर में उन्हें taxi मिल भी जाती है और प्रकाश जी मैथिली के साथ taxi में बैठ कॉलेज के लिए निकल जाते हैं। रास्ते में मैथिली थोड़ी गुमसुम बैठी थी और खिड़की से बाहरबदेख रही थी। प्रकाश जी मैथिली के कंधे पर हाथ रख कहते हैं _ मैथिली बेटा, मैं जानता हूं इस वक्त तुम नर्वस फील कर रही हो। आज से तुम एक नई जिंदगी की शुरुआत करने जा रही हो। आज से तुम्हारी जिंदगी में एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। बेटा यहां तुम्हे बहुत से लोग मिलेंगे कुछ तुम्हारे जैसे होंगे और कुछ तुमसे अलग। बेटा अपने दोस्त सोच समझकर चुनना। कभी किसी भी परिस्थिति में तुम्हे ऐसा लगे कि कोई तुमपे भरोसा नहीं कर रहा ओर तुम सही हो तो याद रखना बेटा, चाहे कुछ भी हो जाए तुम्हारे मा बाप, तुम्हारा परिवार तुमपे ही भरोसा करेगा तो कोई भी प्रॉब्लम हमसे शेयर करने से पहले हिचकिचाना मत। ठीक है।।
मैथिली अपनी पिता की बातें सुन एकदम आश्वस्त हो चुकी थी कि वो सबकुछ सम्भाल सकती है। वो एकदम relax हो जाती है और एक अलग ही आत्मविश्वास उसके चेहरे पर दिखने लगता है। वो अपने पिता की बातों का मुस्कुराते हुए जवाब देती है _ जी पापा मै हमेशा याद रखूंगी। प्रकाश जी भी ये सुन प्यार से उसके बालों में हाथ फेरने लगते हैं। तभी टैक्सी वाले की आवाज आती है _ साहब कॉलेज पहुंच गए।
ये सुन दोनों का ध्यान बाहर जाता है और दोनों टैक्सी से उतरवाते हैं। Taxi वाला पीछे डिक्की से सामान निकलने लगता है । मैथिली taxi से उतरकर सामने देखती है तो एक बड़ा सा गेट होता है जिसपर सुनहरे अक्षरों में लिखा होता है_ The Royal College of Jodhpur।। मैथिली वहां आस पास के माहौल को देखने लगती है। अब कॉलेज कई एकड़ में फैला था तो गेट भी बहुत सारे थे और ये वाला गेट भी बहुत बड़ा था । मैथिली इस वक्त गेट नंबर २ के पास काफी थी। उस बड़े से गेट के बगल में एक छोटा गेट भी था जो शायद स्टूडेंट्स के लिए खोला जाता होगा। वहां पर करीब पांच से छह शाही पोशाकों में गार्ड्स खड़े थे। एक तरफ मेटल डिटेक्टर मशीन लगी हुई थी। आस पास फूल पौधे भी लगे हुए थे। कुल मिलाकर माहौल बिल्कुल शांत और खूबसूरत लग रहा था ।
मैथिली अभी देख ही रही थी कि तभी वो देखती है कि एक शाही पोशाक पहने एक गार्ड उनकी तरफ आ रहा है। प्रकाश जी भी टैक्सी वाले को पैसे देकर वहl से जाने को कह देते हैं।
कुछ ही पलों में एक दरबान उनके पास आकर पूछता है _ क्या आपको कॉलेज के अंदर जाना है।
ये सुन प्रकाश जी हां में जवाब देते हैं।
सर अंदर जाने के लिए आपके पास 🆔 होनी चाहिए। क्या आपके पास 🆔 है?
प्रकाश जी मैथिली से 🆔 देने को कहते हैं तो मैथिली झट से अपने कंधे पर टांगे बैग से 🆔 निकाल कर दे देती है।
वो गार्ड उस 🆔 को गौर से देखनेवालगता है । वो आगे कहता है_ सर आपलोग मेरे साथ अंदर चलिए आपका लगेज आपके allotted रूम तक पहुंच जाएगा।
प्रकाश जी और मैथिली उस गार्ड के साथ अंदर जाने लगते हैं। वो गार्ड उन्हें उस बड़े से गेट से अंडरवलेकर जाता है।
जैसे ही वो गेट खुलता है मैथिली अंदर के दृश्यों को देख एकदम खुश हो जाती है। ये उसके सपनों की तरफ उसका पहलवकदम था। वो लोग जैसे जैसे अन्दर जा रहे थे वैसे वैसे वो अंदर के खूबसूरत एनवायरमेंट को ऑब्जर्व कर रहे थे। वहां लगे बड़े बड़े पेड़। खूबसूरत फूल पौधे उनपर मंडराती तितलियां देख कर मैथिली का दिल खुश हो गया क्योंकि वो तो खुद एक बहुत बड़ी नेचर लवर थी। वो गार्ड उन्हें एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक के पास लाकर उन्हें अंदर जाने को बोल देता है। मैथिली अपने पापा के साथ एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक में इंटर कर जाती है। वहां उसे सबसे पहले एक रिसेप्शनिस्ट मिलती है जो उसकी 🆔 देख उसे रूम नंबर ३ में जाने को कहती है।
इन रूम नंबर ३.।
May I come in madam? मैथिली सामने बैठी महिला से कहती है जिसने इस वक्त एक पिंक कलर की साड़ी पहनी थी और इस वक्त अपने लैपटॉप में काम कर रही थी। उसकी उम्र करीबन तीस साल के आस पास होगी।
Yes please।। Paas me your 🆔
Oh ! So you are miss Maithili Sharma right? Please take your seat, welcome Mr prakash sharma please take your seat sir,,
Yes mam
Congrats miss Sharma for your admission।
वैसे तो आपके एडमिशन की सारी प्रोसेसिंग हो चुकी है बट मैं अभी आपको एक फॉर्म दे रही हूं जिसे आपको भरना है। And sir तब तक मैं आपको बाकी की चीजें समझा देती हूं। Please allow me।
मैथिली प्रकाश जी के साथ वो फॉर्म लेकर भरने लगती है। तब तक मैडम प्रकाश जी को सारे रूल्स एंड रेगुलेशंस समझाने लगी।
सर आप मिस मैथिली को अभी यहां पर छोड़ कर जा सकते हैं। आज इन्हें इनका रूम आलोट हो जाएगा एंड कल इनको इनकी बुक्स भी मिल जाएंगी। आप चाहे तो कॉलेज कैंपस घूम सकते हैं बट हॉस्टल एरिया में आउटसाइडर्स allowed नहीं हैं।
So Miss Maithili Sharma आप मुझसे आधे घंटे में यही मिलिए मैं आपको आपके रूम में लेकर चलूंगी। ओके? एंड डोंट वरी सर यहां के हर स्टूडेंट की तरह मिस शर्मा भी हमारी जिम्मेदारी है तो आप इनकी बिल्कुल फ़िक्र न करे हम इनका अच्छे से ध्यान रखेंगे।
ये सुन प्रकाश जी पुरसुकून हो जाते हैं।
मैथिली हां में जवाब देकर अपना फॉर्म सबमिट कर देती है
प्रकाश जी मैथिली के फॉर्म सबमिट करने के बाद उसके साथ बाहर निकल जाते हैं। थोड़ी देर कॉलेज कैंपस घूमने के बाद वो वापस जाने को तैयार हो जाते हैं। अपने पापा को जाता देख मैथिली थोड़ी इमोशनल हो जाती है लेकिन वो खुद को कंट्रोल भी कर लेती है। कुछ पलो के बाद प्रकाश जी मैथिली को आशीर्वाद देकर वापिस बिहार के लिए ट्रेन पकड़ने जोधपुर स्टेशन की तरफ निकल जाते हैं। मैथिली थोड़ी देर तक उस रास्ते को निहारती रहती है जहां से अभी उसके पापा गए फिर एक गहरी सांस भर वापिस एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक की तरफ चली जाती है।
इधर दूसरी तरफ।
हॉस्टल के हर कमरे में दो स्टूडेंट रहते थे । हर रूम में एक कॉमन एरिया उससे जुड़े दो रूम ओर दो रिस्पेक्टिव वाशरूम्स थे ।
नंदिनी बाईसा और युवराज कल ही कॉलेज पहुंच चुके थे। युवराज के रूममेट उनके बचपन के दोस्त समर थे। लेकिन नंदिनी बाईसा को अभी तक कोई रूममेट नहीं मिली थी।
नंदिनी बाईसा के रूम में चार पांच लड़कियां बैठी थीं जो उनसे जान पहचान बढ़ाना चाह रही थीं। उसमें से तो ज्यादा तर किसी न किसी शाही परिवार से थीं लेकिन वो नंदिनी बाईसा की खास बनना चाहती थीं ताकि राज परिवार खास कर युवराज के करीब आ सकें। नंदिनी भी अच्छे समझ पा रही थीं कि ये लोग उनसे नहीं बल्कि राजपरिवार की राजकुमारी और युवराज की बहन से बात करने आई हैं। वो सारी लड़कियां बड़े बड़े ब्रांड्स और पार्टीज के बारे में बात कर नंदिनी को इंप्रेस करना चाह रही थीं ताकि उनमें से किसी एक को उनकी रूममेट बनने का सुनहरा मौका मिल जाए। नंदिनी बाईसा बस बेमन से उनकी बाते सुन रही थीं। तभी उनके गेट पर कोई नॉक करता है। एक लड़की जा कर दरवाजा खोलती है तो सामने मालविका खड़ी थी। उन्हें देख नंदिनी के एक्सप्रेशन जरा सर्द हो जाते हैं। सारी लड़कियां मालविका को ग्रीट करने लगती है। हालांकि उनके चेहरे से पता लग रहा था कि वो लोग मालविका के आने से कुछ ज्यादा खुश नहीं हैं। मालविका उन सब को इग्नोर करते हुए सीधा नंदिनी बाईसा के पास आती है क्योंकि उसे बाकी सब से कोई मतलब जो नहीं था।
भाग समाप्त।।।
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अगर आपको मेरी स्टोरी पसंद आ रही है तो प्लीज़ कमेंट करें ताकि मै स्टोरी को ओर आगे बढ़ा सकूं ।।।
रूम मेट।।
कहानी अब तक।
मैथिली अपने पापा के साथ कॉलेज
पहुंच जाती है। उसने अपने कॉलेज का फॉर्म भरके भी जमा कर देती है। थोड़ी देर तक प्रकाश जी मैथिली के साथ कॉलेज कैंपस को थोड़ा एक्सप्लोर करते हैं और बहुत सारी बातें मैथिली को समझाते भी हैं। करीबन 1 घंटे बाद प्रकाश जी मैथिली से विदा लेकर वापिस बिहार के लिए ट्रेन पकड़ने को जोधपुर स्टेशन की तरफ निकल जाते हैं। वहीं युवराज और नंदिनी भी एक दिन पहले ही कॉलेज पहुंच चुके थे। युवराज के रूममेट उनके बचपन के दोस्त समर सिंह थे लेकिन नंदिनी बाईसा को अभी तक कोई रूममेट नहीं मिली थी। नंदिनी बाईसा के कमरे में बहुत सारी लड़कियां बैठी हुईं थीं जो उनसे पहचान बढ़ने को आई थीं। तभी वहां मालविका एंट्री लेती है।
अब आगे।
मालविका को देख कर लगभग वहां कोई भी खुश नहीं था और नंदिनी बाईसा के एक्सप्रेशन भी सर्द हो गए थे। नंदिनी को मालविका से मिलने में कोई इंटरेस्ट नहीं था या यूं कह लो कि वो मालविका से कोसों दूर रहना चाहती थीं। मालविका बड़ी अदा से अपनी high heels की टक टक की आवाज के साथ अंदर आती है और नंदिनी बाईसा को ग्रीट करती है_ प्रणाम नंदिनी बाईसा। नंदिनी भी जवाब देते हुए कहती हैं _ प्रणाम मालविका बाईसा , आप यहl इस वक्त , खैर इतने दिनों बाद आपसे मिलकर अच्छा लगा । मालविका अतिउत्साहित होते हुए जवाब देती हैं _आप नहीं जानती कि आपको देख कर हमें यहां कितना अच्छा लग रहा है। आप तो जानती हैं कि आप मेरे लिए कितनी खास हैं और आपका खयाल रखना तो हमारा कर्तव्य भी है। अगर आपको कोई भी तकलीफ हो तो आप हमसे बेझिझक बता सकती हैं और आप तो जानती हैं कि युवराज हमपे कितना भरोसा करते है। वैसे हमने सुना है कि आपको अभी तक रूममेट नहीं मिली है तो अगर आप चाहे तो हम आपके रूममेट बन सकते हैं क्योंकि आप तो जानती हैं कि अगर सेम स्टैंडर्ड के लोग साथ में रहे तो ज्यादा अच्छा होता है।
ये बोल वो एक उड़ती हुई सी नजर वहां खड़ी लड़कियों पर डालती है। ये देख वहां खड़ी लड़कियों का मुंह बन जाता है और वो वहां से एक एक कर जाने लगती हैं। कोई भी मालविका से पंगा लेना नहीं चाहता था। जैसे ही मालविका की नजर नंदिनी पर जाती है वो तुरंत खुद को करेक्ट कर कहती है_ I mean हमारी understanding भी तो कितनी अच्छी है ना बाईसा।दरअसल मालविका भी एक शाही परिवार से थीं ओर राजा सा ओर उनके पिता के बीच बिजनेस रिलेशंस भी थे।
नंदिनी बाईसा काफी देर से मालविका का शो ऑफ देखे जा रही थी। वो एकदम से अपने चेहरे पर एक फीकी सी मुस्कान के साथ कहती हैं _ धन्यवाद बाईसा लेकिन हमें यहां कोई परेशानी नहीं है और अगर हमें परेशानी हुई भी तो उसके लिए यहां हमारे भाई सा हैं, समर भाई सा है। आपको हमारी वजह से तकलीफ उठाने की कोई जरूरत नहीं हैं। और रही बात रूममेट की तो हमें लगता है कि हमारी रूममेट सेम सब्जेक्ट से हो तो अच्छा है। हम यहां आर्किटेक्चर स्ट्रीम में हैं तो हमें रूममेट भी इसी स्ट्रीम से चाहिए। वो क्या है ना पढ़ाई में मदद मिल जाएगी।
दरअसल युवराज, समर और मालविका MBA stream में थे और मैथिली और नंदिनी B. Architecture stream में। मालविका नंदिनी बाईसा की टेढ़ी बातें सुन गुस्से में अपनी मुट्ठी कस लेती है लेकिन गुस्सा अपने चेहरे पर आने नहीं देती। मालविका अपने चेहरे एक जबरदस्ती की मुस्कान चिपका लेती है _ जी बेहतर बाईसा । आपने सही कहा युवराज के होते हुए किसी को क्या तकलीफ हो सकती है। अच्छा आप आराम करें हमें जरा कुछ जरूरी काम है तो हम प्रोफेसर से मिलकर आते हैं। नंदिनी भी उसे सिर हिलl जाने की इजाजत दे देती है।
मालविका के जाते ही नंदिनी उठकर जल्दी से दरवाज़ा बंद कर देती है और वापिस अपने बिस्तर पर बैठते हुए कहती है_ एक बार हमने गलती की थी मालविका आपसे दोस्ती करने की, आपको अपना हिमायती समझने की ओर उसका रिजल्ट भी हम देख चुके हैं। आपको हमसे नहीं हमारे खानदान से मतलब है और हमें ऐसी मतलबी दोस्ती नहीं चाहिए। कभी भी नहीं चाहिए और ऐसी गलती हम दुबारा कभी नहीं करेंगे। ये बोल वो एक गहरी सोच में डूब जाती है। फिर कुछ सोचकर वो युवराज से मिलने उनके कमरे की तरफ चली जाती हैं । वहीं मालविका बाहर आते ही गुस्से से अपना सर झटककर कहती है_ नंदिनी बाईसा बस एक बार हमें युवरानी बन जाने दीजिए फिर देखिए हम आपको आपकी औकात कैसे दिखाते है। ये बोल वो गुस्से में आगे बढ़ जाती है।
वहीं दूसरी तरफ युवराज के कमरे में।
समर अपने बेड पर लेटा फोन स्क्रोल कर रहा था तभी उसकी नजर युवराज पर जाती है जो सामने चेयर पर बैठे शांति से कोई बिजनेस रिलेटेड बुक पढ़ रहे थे। इस वक्त उन्होंने एक वाइट शर्ट के साथ ब्लैक पैंट पहना था । पैरों में ब्लैक शूज, हाथ में ब्रांडेड घड़ी , जेल से सेट किए बाल । कुल मिलाकर युवराज एक दम सीरियस एंड हैंडसम लग रहे थे।
समर को शरारत सुझाती है और वो युवराज के मजे लेने के लिए एकदम से कहते हैं _
ये हम क्या सुन रहे हैं युवराज? ये आपने क्या किया? हमें कम से कम आपसे तो ये उम्मीद नहीं थी?
ये सुन युवराज अपनी किताब नीचे रख उनकी तरफ देखने लगते है और अपनी शांत ओर डीप आवाज में कहते हैं _ क्या हुआ समर ऐसा क्या सुना आपने।
अरे यही युवराज की आप आजादी शहीद करने वाले हैं ।
युवराज उन्हें अपनी आंखे छोटी करके देखने लगते है।
ये देख समर थोड़ा संभालते हुए कहते हैं। अरे युवराज हमारे कहने का मतलब ये था कि आप कॉलेज खत्म होते ही एक से दो होने के प्लांस बना रहे हैं।
ये सुन युवराज ना में सर हिलाते हुए अपनी जगह से खड़े हो खिड़की के पास जाकर खड़े हो जाते है और बाहर देखते हुए ही कहते हैं _ राजस्थान को उनकी युवरानी की जरूरत है और उनकी जरूरत को पूरी करना हमारी जिम्मेदारी।
और आपकी जरूरत का क्या युवराज। आपकी ईच्छाओं का क्या। ये शादी कोई छोटी बात नहीं होती। समर एकदम से व्याकुल हो युवराज से सवाल कर बैठते हैं।
युवराज बाहर देखते हुए ही जवाब देते हैं _ हमारी कोई जरूरत नहीं है समर हम अपनी सारी जरुरते खुद पूरी कर सकते हैं और वैसे भी राजा का कर्तव्य प्रजा के प्रति पहले होता है उसके बाद ही कुछ और आता है।
लेकिन युवराज फिर भी आपने कभी तो सोचा होगा कि आपको कैसी संगिनी चाहिए। कुछ तो सोचा होगा । कुछ तो बताए हमें_ समर insist करते हुए युवराज से कहते हैं।
युवराज अभी बाहर देख ही रहे होते हैं कि उनकी नजर एकदम से से एक लड़की पर जाती है जिसके बाल हवा में उड़ रहे थे और वो बेपरवाही से उन्हें समेटने की कोशिश कर रही थी तभी वो अपने गले से स्कार्फ निकालती है और अपने बालों तो एक छोटी की तरह स्कार्फ से बांध लेती है इससे उसका चेहरा साइड से दिखने लगता है।
ये देख अनायास ही युवराज के मुंह से निकल जाता है_ हमारी संगिनी...वो जो थोड़ी बेपरवाह हो , थोड़ी संजीदा भी, हवाओं का रुख बदलना जानती हो तो हवाओं के साथ उड़ना भी, जो हमारी खामोशी सुनना जानती हो, जिन्हें सिर्फ अगस्त्या से मतलब हो सिर्फ अगस्त्या से .... ना तो कोई आगे ना कोई पीछे।
ये सुन समर को तो जैसे सदमा ही लग जाता है क्योंकि उसे तो जरा भी उम्मीद नहीं थी कि युवराज इस बात का जवाब भी देंगे वो भी इतने संजीदा होकर । कम बोलने वाले और समर के सवालों को ज्यादा तर इग्नोर करने वाले युवराज ने आज समर को जवाब देकर हैरान ही कर दिया था।
वहीं बाहर दरवाजे के पास खड़ी नंदिनी भी ये सुनकर हैरान हो गई थी और बहुत खुश भी। ये सुन वो अंदर जाने का नहीं सोचती और दरवाजा जो खुला था उसे थोड़ा सटा कर वो वापिस चली जाती है लेकिन जाते वक्त उसके चेहरे पर मुस्कान थी और मन में प्रार्थना भी _ हे भगवान। हमारे भाई सा की मुराद जरूर पूरी करना। वो अपने रूम में जा कर ये सब कादंबरी जी को भी बताना चाह रही थी।
समर एकदम से खुश होकर कहते हैं _ वह युवराज आपने तो हमें हैरान ही कर दिया। सच कहे तो आज हम बहुत खुश हैं।आज जा कर हमें ऐसा लगा जैसे हम अपने बचपन के दोस्त अगस्त्या से मिले हैं। ये कहते हुए समर युवराज अगस्त्या के पास जाकर उनके कंधे पर हाथ रख देते है।
समर के हाथ रखने से युवराज की तंद्रा एकदम से टूटती है तो वो देखते हैं कि वो लड़की अबतक उनकी नज़रों से ओझल हो चुकी थी। वो समर की बात सुनकर थोड़ा झेंप जाते हैं क्योंकि इतनी पर्सनल बात शेयर करने का उनका कोई इरादा नहीं था। समर युवराज के बिहेवियर को समझ जाते है और माहौल को थोड़ा हल्का करने के लिए कहते है_ बाकी सब तो ठीक है युवराज लेकिन कोई ऐसी लड़की जिसे युवरानी के पद का मोह न हो ये तो बड़ा मुश्किल है। युवराज भी ये सुन कर अपना सर बस हां में हिला देते हैं
वहीं दूसरी तरफ जैसे ही नंदिनी अपने रूम के पास आती हैं तो वो देखती है कि एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक की रिसेप्शनिस्ट एक लड़की के साथ उनके रूम के बाहर खड़ी है। नंदिनी उस लड़की की तरफ ध्यान से देखने लगती है _ मासूम सा चेहरा, बड़ी बड़ी आँखें, स्कार्फ से बंधे उसके लंबे बाल , हल्के पीले सलवार सूट में उसके सामने खड़ी थी। वो क्यूरियस होकर इधर उधर देखे जा रही थी हालांकि अभी उसकी नजर नंदिनी पर पड़ी नहीं थी।
भाग समाप्त।।।।
मुलाक़ात।।
कहानी अब तक।
मालविका बाईसा नंदिनी बाईसा से मिलने आती हैं और उन्हें अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में लेने की कोशिश भी करती हैं लेकिन नंदिनी बाईसा उन्हें सीधा और स्पष्ट जवाब देखकर उन्हें चलता कर देती है। वहीं मैथिली कॉलेज कैंपस को एक्सप्लोर कर रही होती है। और दूसरी तरफ युवराज और समर भी युवराज की संगिनी के बारे में बात कर रहे होते हैं।
अब आगे।।
नंदिनी बाईसा मैथिली को एकटक निहारे जा रही थीं या यूं कहे कि मैथिली की चंचलता और मासूमियत में खो सी गई थी। मैथिली ने जो हल्के पीले रंग का सूट पहन रखा था वो उसपर काफी जच रहा था। उसके लंबे बालों में एक दो छोटे छोटे फूल भी अटके पड़े थे जो शायद कॉलेज कैंपस में लगे पेड़ो के ही थे। वहीं मैथिली मस्त मगन सी इधर उधर देखने में लगी थी। तभी रिसेप्शनिस्ट की नजर नंदिनी बाईसा पर जाती है तो वो अपना सर हल्का झुकाकर उनका अभिवादन करती है। नंदिनी भी बस बदले में अपना सर हिला देती है। नंदिनी थोड़ा और करीब जा कर रिसेप्शनिस्ट से पूछती हैं _ जी कहिए आप मेरे कमरे के सामने क्यों खड़ी हैं। ये सुनते ही मैथिली की नजर भी नंदिनी पर चली जाती है। वो उसे देखते ही एक प्यारी सी स्माइल कर देती है।
रिसेप्शनिस्ट कहती है_ वो बाईसा हम इन्हें रूम दिखाने आए थे । ये हैं..
इससे पहले कि रिसेप्शनिस्ट अपनी बात पूरी करती मैथिली झट से आगे आकर अपना हाथ आगे बढ़ा नंदिनी से कहती है _ हाय! मैं मैथिली। मैथिली शर्मा फ्रॉम बिहार। मैने तो यहां B आर्किटेक्चर join किया है । और आप? आप कौन ? क्या आप ही मेरी रूममेट हैं। आपसे मिलकर खुशी हुई।
नंदिनी और रिसेप्शनिस्ट मैथिली को इतनी तेजी में बोलते देख एकदम हैरान ही हो जाती है।
रिसेप्शनिस्ट मैथिली के बढ़े हुए हाथ को देखकर बोलती है_ अरे आप इन्हें नहीं जानती ? ये तो..
इससे पहले वह अपनी बात पूरी करती नंदिनी आगे बढ़ मैथिली से हाथ मिलाते हुए कहती है_ हाय मै नंदिनी और मै यही राजस्थान से हु ओर हां मै भी B आर्किटेक्चर stream में ही हूं। मुझे भी आपसे मिलकर खुशी हुई।
मैथिली ये सुनते ही खुशी से उसके गले ही लग जाती है और कहती है_ थैंक गौड यार तुम मिल गई वरना मुझे तो लगा था कि मैं पता नहीं यहां कोई दोस्त बना पाऊंगी या नहीं। इतना बड़ा कैंपस है। फिर वो नंदिनी से थोड़ा अलग होकर पूछती है_ वैसे तुम भी कोई रॉयल हो क्या ?
नंदिनी बाईसा मैथिली की इस तरह गले लगने पर एकदम से हैरान ही हो जाती है क्योंकि आज तक सब उससे फॉर्मल ही बिहेव करते थे और ज्यादा तर लोग तो बस उसके राजकुमारी होने के नाते उससे फॉर्मेलिटी ही रखते थे। आज पहली बार मैथिली ने उससे थोड़ा अलग बिहेव किया था ओर अपनापन दिखाया था । वो मैथिली के सवाल पर बस हां में सर हिला देती है । मैथिली देखती तो है कि नंदिनी के चेहरे पर हैरानी ओर खुशी के मिले जुले भाव हैं मगर वो इतना ध्यान नहीं देती और रूम की तरफ जाते हुए कहती है_ यार नंदिनी चलो दरवाज़ा खोलो । तुम्हे पता है मै इतना ज्यादा थक चुकी हूं न कि मुझे तो अब बस सोना है। इतना बोल वो दरवाजे से टिककर खड़ी हो जाती है।
ये देख रिसेप्शनिस्ट को तो जैसे सदमा ही लग जाता है कि कोई राज परिवार की राजकुमारी को आदेश दे रहा है। वो कुछ बोलने वाली होती ही है तभी उसकी नजर नंदिनी पर जाती है जो उसे आंखों से घूर कर वहां से जाने को कह रही थी। ये देख वो रिसेप्शनिस्ट जल्दी से वहां से जाने लगती है मगर वो ओर ज्यादा हैरान हो जाती है जब वो नंदिनी को खुद आगे बढ़कर दरवाज़ा खोलते हुए देखती है।
वहीं नंदिनी नहीं चाहती थी कि मैथिली को उसके स्टेटस के बारे में पता चले। वो अभी मैथिली के इस बिहेवियर को और एंजॉय करना चाहती थी। और मैथिली को तो जैसे नंदिनी के रॉयल होने से भी कोई फर्क भी नहीं पड़ा था ।
नंदिनी जैसे ही दरवाज़ा खोलती है मैथिली एकदम से भागते हुए अंदर आती है और एकदम से बेड पर पसर जाती है। नंदिनी को मैथिली की ये बेपरवाही देखकर हँसी आ जाती है। मैथिली उसके हसने की आवाज सुन अपनी अधखुली आंखों से कहती है_ नंदिनी तुम्हे हंसी आ रही है? तुम्हे पता है मैं तो इतनी थकी हुई हु कि मुझे ना एक उंगली भी हिलाने में न मेहनत करनी पड़ रही है। अच्छा सुनो मुझे खाने के वक्त उठा देना ना please। इतना बोलकर वो आड़े तिरछे ही सो जाती है। नंदिनी उसके पास आ उसे गौर से देखती है कि मैथिली बेतरतीब तरीके से सो रही है और उसके बाल पूरे बिस्तर पर फैले हुए हैं। नंदिनी उसे देखकर थोड़ा हस्ती है और कहती है_ ये तो बिल्कुल तूफान मेल है। अब मज़ा आएगा नंदिनी इस कॉलेज में। ये बोल वो मैथिली को ब्लैंकेट से कवर कर देती है और खुद अपने बेड पर एक बुक लेकर बैठ जाती है।
इधर युवराज के कमरे में।
युवराज और समर आपस में किसी बिजनेस रिलेटेड idea पर डिस्कशन कर रहे थे। तभी समर एकाएक पूछते हैं _ युवराज इस बार तो नंदिनी बाईसा भी कॉलेज आई हैं न ? युवराज भी कहते हैं _ हां आईं तो हैं लेकिन हम भी कल के बाद उनसे मिल नहीं पाए हैं। फिर देरी किस बात की युवराज चलिए मिल लेते हैं वैसे भी डिनर का भी वक्त हो चला है _ ये कहते हुए समर उठ खड़े होते हैं। युवराज भी सर हिला कर खड़े हो जाते हैं _ हां हम नंदिनी बाईसा के साथ ही डिनर कर लेते हैं। कुछ ही पलों में दोनों नंदिनी बाईसा के कमरे की तरफ बढ़ जाते हैं।
वहीं दूसरी तरफ नंदिनी बाईसा जो बुक पढ़ने में व्यस्त थी एकदम से तेज फोन के रिंगटोन से उनकी तंद्रा टूटती है। वो आस पास देखती हैं तो टेबल पर पड़ा मोबाइल बज रहा था। वो उठकर देखती हैं तो उसपर मां के कॉलर id से फोन आ रहा है। नंदिनी समझ जाती हैं कि ये मैथिली का फोन है तो वो मैथिली की तरफ देखती है जो अभी भी फैल कर आराम से सो रही थी।
डिनर का टाइम भी हो रहा है हमें अब मैथिली बाईसा को उठा देना चाहिए _ ये सोच वो मैथिली को उठाने की कोशिश करती हैं लेकिन मैथिली करवट बदल कर सो जाती है। इतनी देर में तीन बार फोन आकर कट गया था ओर चौथी बार फोन फिर से बजने लगा था। नंदिनी कुछ सोच कर हिचकते हुए फोन उठा लेती हैं _ हेलो!!
हेलो!! मिठ्ठू बेटा कहा है तू ? कब से फोन किए जा रहे हैं? तू ठीक तो है न? _ एक फिकर से भरी आवाज उधर से सुजाता जी की आती है।
नंदिनी बहुत सहजता से जवाब देती है_ जी मैं मैथिली की रूममेट बोल रही हूं आंटी । और आप फिकर न करें मैथिली बिल्कुल ठीक है बस वो अभी सो रही है। हमने उठाने की कोशिश की लेकिन वो उठी नहीं।
ये सुनकर सुजाता जी अफसोस से सिर हिला कर कहती हैं _ हे भगवान! कितना समझाया था इसको की कम से कम वहां जा कर ऐसी हरकते न करें लेकिन ये लड़की समझती ही नहीं है। बेटा माफ करना । लेकिन ये लड़की ऐसे नहीं उठेगी सोने में तो बिल्कुल कुंभकर्ण है। इसको जरा जोर से जगाना होगा। और जब ये जग जाए तो कहना कि अपनी मां से बात कर ले । आज तो उसकी क्लास लगाती हु मैं। ठीक है बेटा मैं रखती हु।
नंदिनी _ जी आंटी हम कोशिश करते हैं। इतना बोल नंदिनी भी फोन रख देती है।
नंदिनी मैथिली की तरफ देखती है तो उसे कुछ शरारत सुझाती है। वो एकदम से मैथिली के कान के पास जा कर जोर से कहती है_ मिठ्ठू ऊ ऊ..............।।
मैथिली ये सुन एकदम से डर के मारे उठ कर बैठ जाती है। ये देख नंदिनी जोर जोर से हसने लगती है। वो इतनी जोर से हस रही थी कि उनकी हसी की आवाज बाहर तक जा रही थी।
वहीं बाहर युवराज और समर जो उनके कमरे के पास तक पहुंच चुके थे वो नंदिनी बाईसा की इतनी तेज हसी की आवाज सुन कर हैरान रह जाते है। वो एक दूसरे की तरफ देखते है और फिर तेज कदमों से उनके कमरे की तरफ बढ़ जाते हैं।
इधर कमरे में जैसे ही मैथिली को ये आभास होता है कि ये नंदिनी बाईसा ने उसे जगाने के लिए किया है तो वो एकदम से बेड पर खड़ी हो जाती है और चिल्लाते हुए कहती है_ यार नंदिनी !! ये तुमने ठीक नहीं किया । अब तुम्हे मुझसे कोई नहीं बचा सकता और इतना बोल वो एक तकिया नंदिनी की तरफ फेक देती है। नंदिनी तकिया से बचते हुए हस्ते हस्ते इधर उधर भागे जा रही थी। और मैथिली उस पर एक एक कर तकिए फेंके जा रही थी।
तभी नंदिनी बचते हुए दरवाजे की तरफ भाग जाती है। मैथिली उस पर aim करके तकिया फेंकती है नंदिनी ये देख तुरंत झुक जाती है और तभी युवराज अंदर आने के लिए दरवाज़ा खोल देते हैं। युवराज के अंदर आते ही एक तकिया उनके मुंह पर तपाक से जाकर लगता है। वो जल्दी से संभालते है कि इतने में दूसरा तकिया भी आकर उनके सीने से लगता है। वहीं समर और नंदिनी एक तरफ खड़े होकर हैरानी से युवराज और मैथिली को देखे जा रहे थे।
भाग समाप्त।।।।
अगर आप सब को मेरी कहानी पसंद आ रही है तो please comment करके मुझे बताएं।।
कहानी अब तक।
मैथिली को कॉलेज में उसका रूम आलोट कर दिया जाता है और उसकी नई रूममेट और कोई नहीं बल्कि नंदिनी बाईसा ही होती हैं। नंदिनी मैथिली से मिलकर बहुत खुश होती हैं क्योंकि पहली बार कोई सिर्फ नंदिनी से दोस्ती कर रहा था : राजकुमारी नंदिनी बाईसा से नहीं। नंदिनी की बात मैथिली की मां से भी होती है जो उसे मैथिली की बेपरवाही के बारे में आगाह करती है। नंदिनी को तो जैसे एक बार फिरसे मैथिली के साथ अपने बचपन जीने का मौका मिल रहा था तो वो उसके साथ मस्ती करने लगती है। उन दोनों ने पिलो फाइट्स होने लगती हैं कि उसी वक्त युवराज वहां एंट्री ले लेते हैं।
अब आगे।।
मैथिली जैसे ही देखती है कि तकिया किसी और को लग गया है तो वो एकदम शांत खड़ी हो कर देखने लगती है। वहीं युवराज भी अपनी गुस्से भरी नज़रों से उसे ही देखे जा रहे थे। जैसे ही उनकी नजर उसपर पड़ती है तो ऐसा लगता है मानो समय थोड़ा थम सा गया हो। बिस्तर पर खड़ी एक लड़की जिसके बाल पूरे बिखरे हुए थे, आंखों में नींद अब भी भरी थी, चंचलता और सादगी उसके चेहरे से ही दिखाई दे रही थी। उसके पीले सूट को देखकर ही युवराज समझ जाते हैं कि ये वही लड़की है जिसे उन्होंने थोड़ी देर पहले कॉलेज कैंपस से गुजरते हुए देखा था ।
मैथिली को जैसे ही ये आभास होता है कि सामने खड़े लड़के की नजर उसपर ही है तो वो थोड़ी awkward हो जाती है। वो अपने आप को देखती है तो उसे अंदाजा होता है कि वो अभी किस हालत में खड़ी है। वो जल्दी जल्दी अपने बाल समेटने लगती है। युवराज अब भी उसे एकटक देखे तो जा रहे थे मगर उनके चेहरे पर कोई भाव न थे।
कमरे में पिछले कुछ मिनटों से एकदम पिन ड्रॉप साइलेंस था। समर ओर नंदिनी बाईसा एक तरफ खड़े थे। वो दोनों कभी कभी एकदूसरे को देखते तो कभी मैथिली को तो कभी युवराज को। युवराज के गुस्से का अंदाजा तो उन्हें हो ही चुका था । बस वो इस इंतेज़ार में थे कि युवराज कहीं ज्यादा क्रोधित न हो जाए क्योंकि अभी अभी राजस्थान के भावी हुकुम सा पर एक पिद्दी सी लड़की ने तकिए से हमला जो किया था । और रही बात युवराज की तो उनकी जिंदगी में तो इन अठखेलियों की कोई जगह थी ही नहीं। माहौल तो इंटेंस होता देख समर नंदिनी बाईसा को कुछ इशारा करते हैं।
नंदिनी बाईसा तुरंत आगे आकर कहती हैं _ भाई सा आप यहां?
ये सुन युवराज की तंद्रा एकदम से टूटती है और वो मैथिली से अपनी नजर हटा कर नंदिनी की तरफ देखकर अपनी डीप आवाज में कहते हैं _ ये सब क्या हो रहा है? यहां पर।
वो भाई सा ये मैथिली है हमारी रूममेट और हमारी नई दोस्त। हम दोनों बस मस्ती कर रहे थे।
वहीं मैथिली जैसे ही ये सुनती है कि सामने खड़ा लड़का नंदिनी का भाई है वो एकदम से बेड से कूदते हुए नीचे उतरते हुए युवराज ओर समर के सामने खड़ी हो जाती है। ये देख समर ओर युवराज एक दूसरे को देखने लगते हैं।
मैथिली खुशी से नंदिनी से कहती है _ नंदिनी ये दोनों तुम्हारे भाई हैं। नंदिनी भी मुस्कुरा कर बस हां में सर हिला देती है। बस ये सुनने की ही देर थी ... मैथिली झट से युवराज के सामने अपना हाथ बढ़ा कर कहती है_ हाय , मैं हु मैथिली ; नंदिनी की दोस्त ओर तुम , तुम कौन हो ? क्या नाम है तुम्हारा ? ये देखकर को नंदिनी एक पल को अपनी आंखे ही बंद कर लेती है और मन में कहती है_ मैथिली ये आप क्या कर रही हैं। राजस्थान के राजा सा से इतना इनफॉर्मल बिहेव करने वाली शायद आप पहली इंसान हैं। वहीं समर को तो ये देख खासी ही आ जाती है। युवराज भी अजीब नजरों से कभी मैथिली तो कभी उसके बढ़े हुए हाथ को ही देखे जा रहे थे।
समर सिचुएशन को संभालने के लिए कहते हैं _ प्रणाम बाईसा मै हु समर सिंह और ये है युवराज अगस्त्या सिंह राठौर। और हमें आपसे मिलकर बहुत ज्यादा ही खुशी हुई।
समर की आखिरी लाइन सुन युवराज उनकी तरफ ही देखते हैं। जहां नंदिनी और समर अपनी हसी छुपाने में लगे थे वहीं युवराज इरिटेट हो रहे थे।
मैथिली समर के जुड़े हुए हाथ को देख अपना हाथ पीछे कर लेती है और खुद भी हाथ जोड़कर दोनों को प्रणाम करती है फिर अगले ही पल बोल पड़ती है _ हाय समर, तो तुमलोग यहां क्यों आए ?नंदिनी से मिलने आए हो क्या । समर ये सुन अपना सर हां में हिला कर जवाब देते हुए कहते हैं _ umm वो एक्चुअली हमलोग नंदिनी बाईसा को डिनर के लिए कहने आए थे। मगर अब आप भी हैं यहां और नंदिनी बाईसा की दोस्त भी हैं , तो आप भी चलिए हमारे साथ , हमें ज्वाइन कीजिए। हमें अच्छा लगेगा। युवराज ये सुन समर को घूर कर देखने लगते हैं लेकिन समर उन्हें सक्सेसफुली इग्नोर कर देते हैं। मैथिली ये सुन बड़ी खुश हो जाती हैं _ how sweet of you Samar !!हां हां क्यों नहीं हम भी चलेंगे। वैसे भी डिनर का वक्त तो हो ही चला है। ।
युवराज से अब और वहां रुका नहीं जाता तो वो नंदिनी बाईसा की तरफ देख कर बोलते हैं _ आप लोग जल्दी आएं हम डाइनिंग हॉल में आपका इंतेज़ार कर रहे हैं। जी भाई सा , हमलोग अभी आते हैं _ नंदिनी जवाब देते हुए कहती हैं। युवराज बाहर जा ही रहे होते हैं कि उन्हें एक आवाज सुनाई देती है जिसे सुनकर वहां सब लोग एक बार फिर से हैरान हो जाते हैं। और ये आवाज थी मैथिली की।
मैथिली_ अगस्त्या , एक मिनिट रुको जरा ।
इतना सुनते ही युवराज झट से पीछे मुड़ मैथिली की तरफ हैरानी से देखते हैं जिसने अभी अभी उनको अगस्त्या कह कर बुलाया था। युवराज के लिए ये बहुत नया था क्योंकि उनको कभी किसी ने नाम से नहीं पुकारा था। इनफैक्ट सब लोग उन्हें युवराज कह कर ही बुलाते थे और उनके सामने सर झुकाते थे। नंदिनी और समर भी इस बात से हैरान थे कि क्या मैथिली को कोई फर्क नहीं पड़ता कि सामने खड़ा इंसान रॉयल ऑफ द रॉयल्स है। लेकिन मैथिली को इन सब बातों से कहां कोई फर्क पड़ता था ।उसके लिए तो ये सब बिल्कुल नया था।
युवराज को पीछे घूमते देख वो उनके पास जाती है और कहती है_ अगस्त्या सुनो। क्या तुम डिनर पर मेरे पिलो को भी साथ लेकर जाओगे क्या ? ये भी अलाउड है क्या डिनर में ? इतना बोल वो हसने लगती है। तभी सबका ध्यान युवराज के हाथ पर जाता है जिसमें उन्होंने अभी तक उस तकिए को पकड़ रखा था जो उन्हें उनके मुंह पर आकर लगा था। ये देख समर ओर नंदिनी और नंदिनी की भी हंसी छूट जाती है। युवराज के होठों के कोने भी थोड़े ऊपर की तरफ मुड़ जाते है जिसे समर और नंदिनी भी नोटिस कर लेते हैं। युवराज सबको हस्ते देख थोड़ा झेंप जाते हैं और एक नजर उनपर डाल कर वो तकिया मैथिली के हाथ में दे जल्दी से बाहर निकल जाते हैं। उनको जाता देख समर भी उनके पीछे ही निकल जाते हैं।
उनके जाते ही मैथिली नंदिनी की तरफ मुड़कर कहती है _ यार नंदिनी , तुम्हारा भाई तो बहुत क्यूट है। नंदिनी भी इस बात पर खुल कर हंस देती है आखिर युवराज और मैथिली की इस छोटी सी तकरार में उसे भी बहुत मजा आया था । वो मैथिली से कहती है _ भाई सा को क्यूट बोलने वाली आप पहली इंसान होंगी ,मैथिली । खैर अब जल्दी से अपना हुलिया सुधार कर चलिए डाइनिंग हॉल की तरफ क्योंकि आपके उस क्यूट इंसान को गुस्सा भी बड़ा जल्दी आता है। इतना बोल वो कमरे में फैले तकियों को उठाकर रखने लगती है। मैथिली भी जल्दी से खुद को ठीक कर नंदिनी के साथ डाइनिंग हॉल की तरफ निकल जाती है।
इधर दूसरी तरफ युवराज बाहर निकल कर रेलिंग से टिककर खड़े होकर अभी जो हुआ वहीं सोचे जा रहे थे और उनके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कुराहट भी थी। जिसे शायद ही कभी किसी ने देखा होगा। जिसका अंदाजा युवराज को भी नहीं था ।
तभी समर भी वहां पर आ जाते हैं। युवराज को ऐसे मुस्कुराते देख वो थोड़े हैरान जरूर होते हैं मगर खुद को जल्द ही सम्भल युवराज के कंधे पर हाथ रख कहते हैं _ क्या बात है युवराज ? किसकी हसीन यादों में खोए हुए हैं आप ? कहीं वो मैथिली बाईसा तो नहीं ?
ये सुन युवराज हकीकत में वापिस आते हुए कहते हैं _ ये आप क्या कह रहे हैं, समर ? हम भला किसी और के बारे में क्यों सोचेंगे और वैसे भी हम तो ये सोच रहे थे कि वो लड़की बिल्कुल एक मुसीबत है । हमें नंदिनी बाईसा का उसके साथ रहना बिल्कुल ठीक नहीं लग रहा और वैसे भी संगति का असर तो होता ही है। तो हम ये सोच रहे थे कि नंदिनी बाईसा के लिए एक नई रूममेट के बारे में बात करनी चाहिए।
युवराज की बात सुन समर एक गहरी सांस लेकर कहते हैं _ माना कि मैथिली बाईसा हम सब से अलग हैं युवराज मगर इसका ये मतलब तो नहीं कि वो गलत हैं और वैसे भी कैसी को एक ही मीटिंग में इतना जज करना भी सही नहीं है । लेकिन मैं एक बात जरूर कहना चाहता हूं। ये सुन युवराज उनकी तरफ ध्यान से देखने लगते हैं। समर आगे कहते हैं _ हमने पहली बार नंदिनी बाईसा को इतना हस्ते मुस्कुराते देखा है जो शायद मैथिली बाईसा के वजह से ही हुआ है तो आप रूममेट बदलने वाली बात पर दुबारा जरूर सोचें। खैर , चलिए चलते है । वो लोग भी आती ही होंगी। समर ओर युवराज दोनों डाइनिंग हॉल की तरफ बढ़ जाते हैं मगर समर की बातें युवराज को सोचने पर मजबूर जरूर कर देती हैं।
भाग समाप्त।।।
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कहानी अब तक।
नंदिनी बाईसा जल्द ही मैथिली से बहुत घुल मिल गईं थीं। मैथिली के चंचल स्वभाव ने जैसे उन्हें मोहित कर लिया था। एक राजकुमारी के जिम्मेदारी और दायरे में संजीदगी से जीने वाली नंदिनी मैथिली के साथ बिल्कुल खुल कर हंस खेल रही थीं । मैथिली ने तो ये राजे रजवाड़ों को बस फिल्मों में ही देखा था तो उसे इन पदों की अहमियत ज्यादा पता नहीं थी। ऐसा नहीं था कि मैथिली बहुत केयर लेस है बल्कि उसके लिए ये सब बिल्कुल ही नया था। युवराज नंदिनी से मिलने उनके कमरे में जैसे ही इंटर करते हैं उनका स्वागत मैथिली द्वारा फेंके गए तकिए से होता है। युवराज और मैथिली की पहली मुलाकात थोड़ी तकरार से भरी थी। हालांकि युवराज के दिल को मैथिली की बेपरवाही भा तो गई थी मगर वो इतनी जल्दी मानने वाले नहीं हैं क्योंकि दिल की सुनना तो उन्होंने सालों पहले ही बंद कर दिया है।
कहानी आगे।
डाइनिंग एरिया एक बहुत ही बड़ा और लैविश हॉल था । उसमें कम से कम हजार बच्चे एक साथ बैठ सकते थे । अंदर की तरफ बहुत बड़ा सा किचेन एरिया था जहां बहुत सारे chefs खाना बना रहे थे। एक तरफ फूड काउंटर था ओर वहां पर प्लेट्स और पानी भी रखे थे। वहां कई लंबे टेबल्स लगे थे जिस पर कई सारी चेयर्स लगी थी। वहां कुछ टेबल्स सिंगल भी लगे थे जिसपर तीन या चार चेयर्स ही लगे होते थे।
रात के करीबन आठ बजे डाइनिंग हॉल स्टूडेंट्स से खचाखच भरा हुआ था। सभी स्टूडेंट्स अपना खाना खा रहे थे। युवराज और समर जैसे ही डाइनिंग एरिया में इंटर करते हैं तो उन्हें वहां देख सारे स्टूडेंट्स उनके रिस्पेक्ट में अपनी सीट्स से खड़े होने लगते। युवराज ये देख बस अपना सर हिला देते हैं और अपनी टेबल ; जिसपर अक्सर सिर्फ वही बैठा करते थे उसपर जा कर बैठ जाते हैं। यूं तो डाइनिंग हॉल में सारे स्टूडेंट्स साथ ही बैठा करते थे। वहां किसी के लिए भी कोई स्पेशल अरेंजमेंट्स नहीं थे लेकिन युवराज के उस टेबल पर बैठने के बाद उसपर फिर कोई दूसरा नहीं बैठा। पहले उस टेबल पर सिर्फ तीन चेयर लगते थे _ एक समर के लिए , एक युवराज के लिए और एक पर कभी कभी मालविका आकर बैठा करती थी। चूंकि मालविका के पिता राजा सा के बिजनेस पार्टनर थे तो मालविका कॉलेज में सबको यही जताने की कोशिश करती थी कि वो युवराज और राज परिवार के सबसे करीब है। मालविका पूरे कॉलेज में इस बात का रोब भी जमाती थी और किसी से सीधे मुंह बात भी नहीं करती थी । हालांकि मालविका कभी किसी को कुछ खास पसंद नहीं थी। समर तो बस उसे झेलते थे और युवराज के लिए तो मालविका का होना ओर ना होना एक ही बराबर था । युवराज ने शायद ही कभी मालविका पर ध्यान दिया हो लेकिन मालविका कोई मौका नहीं छोड़ती थी युवराज को रिझाने का।
उन दोनों के वहां पहुंचते ही कुछ पल बाद ही मालविका भी डाइनिंग एरिया में पहुंच जाती है और वहां पहुंचते ही सीधा उसकी नज़रे युवराज को खोजने लगती हैं। तभी उसकी नज़रे युवराज पर जाती है जो समर से बात कर रहे थे। उन्हें देखते ही मालविका की चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती जाती है। मालविका सीधा जा कर युवराज के सामने वाली चेयर पर बैठ जाती है । वैसे तो उसे युवराज के बगल में बैठना था मगर वहां समर बैठा था। समर की वजह से मालविका कभी युवराज के बगल में बैठने का मौका ी नहीं पाती थी इसीलिए वो समर से थोड़ा चिढ़ती भी थी। मगर वो जानती थी कि समर युवराज के करीबियों में आते हैं इसीलिए वो उनसे कभी भी बदतमीजी नहीं करती थी।
मालविका बैठते ही युवराज को ग्रीट करने लगती है _ हेलो युवराज !! कैसे हैं आप ?
युवराज मालविका की तरफ देखे बिना ही बस जवाब में अपना सर हिला देते हैं। इस वक्त उनका ध्यान अपने फोन में था जिसमें वो एक इंपॉर्टेंट मेल चेक कर रहे थे।
मालविका युवराज के इतने ठंडे रिएक्शन से मायूस तो होती है मगर उसे येे एक्सपेक्टेड था क्योंकि युवराज का बिहेवियर हमेशा इतना ही कोल्ड रहता था।
मालविका अब समर की तरफ घूम कर उससे बात करने की कोशिश करती है _ हाय समर !! आप लोग कब आए कॉलेज में ?
वहीं समर जो मालविका को इग्नोर करने के लिए अपने फोन में सर घुसा कर बैठा था वो एक जबरदस्ती की मुस्कान चिपका कर कहता है _ वो मिस मालविका हमलोग तो कल ही आ गए थे।
मालविका आगे कुछ कहने ही वाली थी तभी एक स्टाफ वहां पर दो ओर चेयर लगा देता है। एक चेयर वो युवराज के तरफ लगाता है और एक समर के तरफ । मालविका एक चेयर की जरूरत तो समझ रही थी कि ये नंदिनी बाईसा के लिए लगाए गए हैं लेकिन दूसरी चेयर देख कर वो कन्फ्यूज थी।
अपनी इसी कन्फ्यूजन में वो समर से पूछ बैठती है_ समर ये दो चेयर्स की क्या जरूरत है। I mean नंदिनी बाईसा के लिए तो एक चेयर भी काफी है ना।
समर मालविका के इरादों से कभी अंजान नहीं था । वो थोड़ा मुस्कुरा कर कहता है _ मिस मालविका ये चेयर हमारे एक खास मेहमान के लिए है !! है ना युवराज? समर युवराज को थोड़ा छेड़ता है। युवराज बस एक नजर समर को घूर कर देखते हैं और फिर अपनी नज़रे फोन में लगा लेते हैं।
मालविका अब थोड़ी ओर कन्फ्यूज हो चुकी थी और वो जल्द से जल्द उस नए पर्सन से मिलना चाहती थी। कुछ पांच मिनट बाद ही नंदिनी और मैथिली भी वहां पहुंच जाती है। मैथिली तो अपनी नजर चारों तरफ घुमा कर पूरा डाइनिंग एरिया एक्सप्लोर कर रही थी वहीं नंदिनी का मूड तो मालविका को देख कर एक बार फिर बिगड़ सा गया था।
जैसे ही समर की नजर उन पर पड़ती है वो उन्हें हाथ हिला कर अपनी तरफ आने का इशारा करते हैं। वो दोनों भी समर को देख उनकी तरफ चल पड़ती हैं। युवराज भी उन्हें आता देख अपना फोन नीचे रख देते हैं। मालविका कि नजर भी उस ओर चली जाती है और वो भी उन दोनों को ध्यान से देखने लगती है।
समर उन्हें देख अपनी चेयर से खड़ा होकर दूसरी चेयर पर बैठ जाता है और नंदिनी बाईसा युवराज के बगल में बैठ जाती है। और मैथिली युवराज के दूसरे तरफ जो खाली चेयर थी उस पर बैठ जाती है। मालविका जो अभी तक तो मैथिली पर इतना ध्यान नहीं दे रही थी लेकिन वो उसके इस तरह युवराज के बगल में बैठने से एकदम अलर्ट हो जाती है। मगर अगले ही पल वो हद से ज्यादा हैरान भी हो जाती है।
मैथिली के यूं बगल में बैठने से युवराज थोड़े असहज से हो गए थे वो अपनी नजर इधर उधर घुमाने लगते हैं। हालांकि जब से मैथिली ने डाइनिंग एरिया में इंटर किया था वो उसे ही अपने चोर नज़रों से देखे जा रहे थे। उन्हें मैथिली के इस अलग बिहेवियर से फर्क तो पड़ा था । कहीं न कहीं उन्हें अच्छा लगा था जब मैथिली ने उन्हें सिर्फ अगस्त्या समझा था । लेकिन युवराज इतनी जल्दी भी इस बात को मानने वाले नहीं थे। उन्हें अपनी नज़रे यूं इधर उधर करता देख मैथिली एकदम से बोल पड़ती है_ अगस्त्या क्या हुआ ? इधर उधर कहां देख रहे हो ? कोई और भी आने वाला है क्या ?
युवराज ये सुन उसकी तरफ देखते हैं और फिर उससे नजर हटाकर सिर्फ ना में सर हिला देते हैं। समर जवाब देते हुए कहते हैं _ अरे नहीं बाईसा हम तो आपका ही इंतेज़ार कर रहे थे । अब जब सबलोग आ गए हैं तो डिनर स्टार्ट करते हैं।
मैथिली ये सुनते ही उठ खड़ी होती है और अपने बगल में बैठे अगस्त्या का हाथ पकड़ कर कहती है_ तो फिर ठीक है न अब जब सब लोग आ गए हैं तो खाना लेने चलते हैं ना । मुझसे तो अब भूख बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रही । चलो अगस्त्या हम चलते है। नंदिनी समर तुम दोनों भी चलो जल्दी । इतना बोल वो युवराज का हाथ पकड़ उन्हें खींचते हुए वहां से फूड काउंटर की तरफ चली जाती है। उसके पीछे समर और नंदिनी भी मुस्कुरा कर चले जाते हैं। वहीं युवराज तो मानो मैथिली के पीछे बस खींचे चले जा रहे थे। वहां पर डिनर कर रहे स्टूडेंट्स भी ये नजारा देख हैरान हो गए थे। उन्हें लगने लगा था कि ज़रूर ये युवराज की बहुत खास है तभी तो युवराज उसके इतने करीब है।
वहीं मालविका को तो झटके पर झटके लग रहे थे। वो अपनी जगह पर बैठी ही रह जाती है। मालविका मैथिली के बिहेवियर से हद से ज्यादा हैरान रह जाती है । वो अपने मन में कहती है _ ये लड़की कौन है इसे तो पहले कभी कॉलेज में नहीं देखा। कही ये राज परिवार से तो नहीं ? मगर इसे कभी पहले तो वहां नहीं देखा । तो फिर ? इसमें इतनी हिम्मत है कहा से आई कि ये युवराज को उनके नाम से बुला रही है। मालविका ने जवाब युवराज को मैथिली की बातों का जवाब देते देखा तो वो ओर ज्यादा हैरान हो गई थी क्योंकि युवराज तो जल्दी किसी को जवाब नहीं देते थे। कम से कम उसे तो शायद ही कभी एक या दो बार ही दिया होगा। मालविका अपनी चेयर पर बैठी अपनी सोच में गुम ही थी कि तभी सारे लोग अपनी प्लेट्स लेकर टेबल के पास वापस आ चुके थे।
समर मालविका को यूं सोच में गुम देख कर कहता है _ आ मिस मालविका आप डिनर नहीं करेंगी क्या?
ये सुन मालविका की तंद्रा टूटती है और वो अपने चेहरे पर एक फीकी सी मुस्कान चिपका कर कहती है_ जरूर समर मैं बस जा ही रही थी । आप लोग शुरू करे मैं अभी आती हूं। ये बोल मालविका वहां से उठकर फूड काउंटर की तरफ चली जाती है।
भाग समाप्त।।
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कहानी अब तक।
मैथिली और युवराज अपने अपने प्लेट्स लेकर टेबल पर वापस आ गए थे । उनके पीछे पीछे समर और नंदिनी भी आ गए थे। समर जब मालविका को अकेले टेबल पर बैठा देखते हैं तो उन्हें थोड़ा अजीब लगता है। सब के चले जाने के बाद भी मालविका यूं ही वहीं बैठी हुई थी जैसे उसे खाना खाना ही न हो। समर मालविका को खाने के लिए पूछते हैं। उनकी आवाज सुन कर मालविका अपनी गहरी सोच से बाहर आती है। वो अपने पूरा दिमाग लगा रही थी कि मैथिली कौन है और युवराज को इतने करीब से कैसे जानती है। वो अपने दिमाग पर पूरा जोर लगा रही थी कि कहीं वो कुछ मिस तो नहीं कर रही ।
कहानी आगे।
मालविका समर की बात सुनकर एक अजीब सी हसी हंसकर कहती है" हां हां डिनर करना है ना। वो मैं आपलोगो का ही इंतजार कर रही थी और वैसे भी इतने दिनों बाद युवराज के साथ i mean आप सब के साथ डिनर करने का मौका मिला है तो मैं तो बहुत खुश हूं । मैं अभी अपनी प्लेट्स लेकर आती हूं। " इतना बोल वो थोड़ा जल्दबाजी में उठकर वहां से फूड काउंटर की तरफ चली जाती है। हालांकि उसके बिहेवियर में थोड़ी हड़बड़ाहट सबने भांप ली थी।
मैथिली की नजर अब जाकर मालविका पर जाती है। उसे यूं अजीब बिहेव करता देख वो नंदिनी से पूछती है " नंदिनी क्या ये भी हमारी क्लासमेट है ? क्या ये भी तुम्हारी दोस्त है क्या? इसपर नंदिनी जो अभी तक चेहरे पर गंभीरता लिए मालविका को जाते देख रही थी वो मैथिली की बात सुन जरा मुस्कुराते हुए जवाब देते है " अरे नहीं नहीं ये हमारी क्लासमेट नहीं है बल्कि ये तो भाई सा की क्लासमेट है। उनके परिवार से हमारे परिवार की एक अच्छी जान पहचान है बस उससे ज्यादा कुछ नहीं । ये सुन मैथिली एकदम से बोल उठती है " ओ.... तो इसका मतलब ये अगस्त्या की दोस्त हैं। अरे वाह आपकी पसंद तो बड़ी अच्छी है।
मैथिली ने बस यूं ही कह दिया था क्योंकि इतनी देर से मालविका हो अपनी हर दूसरी सेंटेंस में युवराज का नाम लिए जा रही थी ये उससे छुपा नहीं था और वो अभी तक ये भी समझ गई थी कि अगस्त्या को यहां के लोग युवराज ही बोलते हैं।
ये सुन समर को तो जैसे ठसका ही लग जाता है। वो खांसने लगते हैं और बड़ी मुश्किल से अपनी हसी कंट्रोल करने की कोशिश करने लगते हैं। वहीं नंदिनी के चेहरे पर भी थोड़ी मुस्कुराहट आ जाती है क्योंकि सबको पता था कि युवराज को मालविका से कितनी चीड़ है। उनका नाम मालविका के साथ किसी भी सूरत में जोड़ा जाए ये उन्हें जरा भी पसंद नहीं था। वहीं युवराज को मैथिली का ऐसा कहना जरा भी पसंद नहीं आया था पता नहीं क्यों लेकिन मैथिली का उनका नाम मालविका के साथ जोड़ना उन्हें एक अजीब सी फीलिंग दे गया था । जैसे वो चाहते ही न हो कि मैथिली मालविका का नाम तक ले। अपने खयालों को दरकिनार कर युवराज थोड़ा कड़क हो कहते हैं " हमें खाते वक्त बाते करना पसंद नहीं। उसके बाद वो अपना पानी का ग्लास समर की तरफ थोड़ा जोर से रखकर कहते है" पी लीजिए आपकी खासी ओर हसी दोनों बंद हो जाएगी। मैथिली कुछ बोलने वाली थी ही की इतने में नंदिनी उसे टोकते हुए कहती है " मैथिली अभी डिनर कर लेते हैं बाकी की बातें हम कमरे में जा कर करेंगे ।ओके?
मैथिली भी हां में सर हिला देती है और अपने डिनर में ध्यान देने लगती है।
तभी मालविका भी जल्दी से अपनी प्लेट लेकर आती है और जल्दी से टेबल पर बैठ जाती है। वो सबको देख कहती है " i am sorry वो मुझे थोड़ा लेट हो गया । वो एक्चुअली .... । उसने अभी इतना बोला ही था कि मैथिली उसे टोकते हुए कहती है " खाने के वक्त बाते नहीं करते। इतना बोल वो अपनी टिमटिमाए आंखों से युवराज की तरफ देख कर कहती है" ठीक कहा न मैने ? ये सुन सबके चेहरे पर थोड़ी मुस्कुराहट आ जाती है मगर मैथिली का मालविका को यूं टिकना उसके गुस्से को ज्वालामुखी बनाने के लिए काफी था ।
वैसे तो वो युवराज या नंदिनी सामने कुछ बोल नहीं सकती थी इसीलिए बस थोड़ा जबरदस्ती से मुस्कुरा कर रह गई। मगर मन ही मन उसने ठान लिया था कि उसे मैथिली का कुछ तो करना पड़ेगा ।मैथिली उसे पहली मुलाकात में ही पसंद नहीं आई थी ऊपर से उसका युवराज के साथ बैठना बिल्कुल भी पसंद नहीं आया था । वो मन ही मन खुदसे कहती है " मिस मैथिली तुम जो कोई भी हो वो तो मैं पता लगा ही लूंगी । तुम्हारी इतनी औकात नहीं है कि तुम मालविका के सामने खड़ी भी रहो और तुम तो जुबान चला रही हो। एंड अगर तुम मेरे ओर युवराज के बीच आने की कोशिश करोगी तो i swear तुम्हारा wo हाल karungi की किसी को तुम्हारा पता तक नहीं लगेगा । वो मन ही मन खुद से बाते किए जा रही थी और उसकी पकड़ fork में कस्ती जा रही थी।
हाल में एकदम शांति थी बस थोड़ी धीमी धीमी खुसुर पुसुर की आवाजें आ रही थीं जो स्टूडेंट्स के आपस में बाते करने की वजह से थी। मैथिली को भी यूं शांति से खाना खाने की आदत तो बिल्कुल न थी । वो भी नंदिनी से बाते करना चाहती थी मगर दोनों के बीच में युवराज बैठे थे । इसीलिए वो कुछ बोल नहीं सकती थी ऊपर से अभी अभी युवराज ने उसे शांति से खाने को कहा था जो कि उसे बिल्कुल पसंद नहीं आया था और उसके हिसाब से तो उसे डांटा गया था।कहा आजाद हवाओं में उड़ने वाली मैथिली उसने कहां कभी किसी रूल्स की परवाह की थी । इसीलिए पहले तो उसने जल्दी जल्दी खाना खाया क्योंकि उसे तेज भूख लगी थी मगर जैसे ही उसका पेट थोड़ा भर गया तो वो अब इधर इधर देखने लगी थी ।
सब लोग शांति से अपना डिनर कर रहे थे । उसकी नजर युवराज पर भी गई जो उसके बनते बिगड़ते एक्सप्रेशन को नोट कर रहे थे। उनसे नज़रे मिलते ही मैथिली थोड़ा जबरदस्ती मुस्कुरा कर अपनी प्लेट में वापिस देखने लगती है। युवराज का मैथिली को यूं बीच बीच में सबसे नज़रे बचा कर देखना समर और मालविका की नजरों से बचा नहीं था ।
वहीं युवराज को अपनी ओर देखता देखा मैथिली शांति से अपना सिर झुका कर एक एक चावल का दाना अपनी स्पून में उठा कर अपने मुंह में डालने लगती है या यूं कहो कि चिड़िया की तरह चुगना शुरू कर देती है और मन ही मन सोचने लगती है" कितना खडूस आदमी है ये huh । "खाते वक्त बाते नहीं करते" अरे!! तो तुम मत करो न तुमसे किसने बाते करने को बोला है। पर हमें तो करने दो।इतने रूल्स इसको तो स्टूडेंट की जगह प्रोफेसर होन चाहिए था ।नंदिनी कितनी अच्छी है समर भी कितना अच्छे हैं मगर नंदिनी के भाई बिल्कुल भी अच्छे नहीं है ।और भी न जाने वो अपनी मन मर्जी की बाते खुद से किए जा रही थी। वहीं मालविका उसका पूरा ध्यान अपने डिनर से ज्यादा मैथिली पर था ।वो उसकी एक एक हरकत नोटिस कर रही थी। ओर उसका युवराज की तरफ देख कर मुस्कुराना तो जैसे मालविका के दिल में आग लगा गया था । ऊपर से युवराज का मैथिली की तरफ देखना उसे बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था। ये कहना गलत नहीं होगा कि मालविका मैथिली की वजह से आज पहली बार इनसिक्योर फील कर रही थी।
अभी चंद मिनट ही बीते होंगे कि एकदम से चार पांच लोग हॉल में इंटर होते है। उनके तेज कदमों की आवाज से वहां की शांति थोड़ी भंग सी हो जाती है। मैथिली भी अपनी नज़रे उठा कर उस तरफ देखती है । चार लोग एक साथ चले आ रहे थे। बीच में एक अच्छी खासी पर्सनेलिटी वाला एक लड़का चल रहा था और उसके इर्द गिर्द तीन लड़के चल रहे थे। बीच वाला लड़का काफी रॉब से आगे चल रहा था । उसने ब्रांडेड कपड़े और एक्सेसरीज कैरी की हुई थी। देखने से ही वो एक अच्छा खास रईसजादा लग रहा था । हॉल में बैठे सारे स्टूडेंट्स की नजर अपने आप ही उस ओर उठ गई थीं। ये देख बीच में चल रहे लड़के के चेहरे पर घमंड भरी एक मुस्कुराहट आ जाती है। उसने अभी इंटर किया ही था कि उसे युवराज दिखाई देते हैं। यूं तो सबकी नज़रे उसकी ओर थी लेकिन कुछ लोग थे जो अब भी उसे नहीं देख रहे थे और उसमें से एक थे युवराज । ये देख उस लड़के को जरा भी अच्छा नहीं लगता ।
वो नज़रे तरेर कर युवराज की तरफ देखता है जो अपने डिनर में व्यस्त थे। अपने चेहरे पर एक जबरदस्ती की मुस्कुराहट सजाए वो युवराज की तरफ बढ़ता है " प्रणाम युवराज !! बड़े दिनों बाद मिले, कैसे हैं आप ? उसकी आवाज में एक रॉब साफ झलक रहा था ।
तभी मालविका की नज़रे भी उसकी तरफ उठती है और उसे देख कर वो एकदम से बोल पड़ती है " अभिमान !!! आप यहां??
भाग समाप्त!!!!
कहानी अब तक।
मैथिली , युवराज , समर , नंदिनी और मालविका साथ में बैठकर डिनर कर रहे थे। टेबल पर एकदम शांति फैली थी और सब शांति से बैठ कर अपना खाना खा रहे थे वहीं मैथिली को इतनी शांति से कभी खाना खाने के आदत न थी तो वो बार बार युवराज को अपने मन में इस लिए कोस भी रही थी। मालविका का पूरा पूरा ध्यान मैथिली पर ही था वो मैथिली की हर एक हरकत को नोट किए जा रही थी। युवराज भी सब से नज़रे बचाकर मैथिली को छुप छुप कर देख रहे थे । तभी वहां एंट्री होती है अभिमान की । अभिमान और मालविका आपस में कजिंस है।
कहानी आगे।
हॉल में बैठे सारे स्टूडेंट्स अभिमान को ध्यान से देख रहे थे। जहां अभी तक सारे स्टूडेंट्स शांति से अपना डिनर कर रहे थे वहीं अब लगभग सबकी नज़रे अभिमान पर थी। अभिमान की पर्सनेलिटी भी डैशिंग थी। उसने ब्लैक टीशर्ट , डेनिम जींस के साथ डेनिम जैकेट कैरी किया हुआ था । पैरों में ऑलिव ग्रीन बूट्स, हाथों में महंगी , चमकती हुई घड़ी , जेल से सेट किए बाल , गले में एक सिल्वर चैन ओर उसकी वो हस्की मेनली डियो की खुशबू काफी थी सबका ध्यान उसकी तरफ खींचने के लिए।
अभिमान को सेंटर ऑफ अट्रैक्शन बनना बहुत पसंद था। शो ऑफ करना तो जैसे उसके नसों में भरा हुआ था । लोगों पर रॉब जमाना उसकी आदतों में शुमार था। वो खुद को बाकी सब से बहुत सुपीरियर समझता था । बस अभिमान को युवराज से बहुत इनसिक्योरिटी होती थी क्योंकि वो खुद को उनके सामने कमतर महसूस करता था।
अभिमान आज तक कभी भी युवराज से किसी भी स्किल में आगे नहीं निकल पाया था फिर चाहे वो बिजनेस हो या एकेडमिक्स या फिर स्पोर्ट्स । इसका मलाल उसे हमेशा रहता था । अब युवराज से सीधा सीधा तो वो भीड़ नहीं सकता था इसलिए वो हमेशा पीठ पीछे वार करता था और उसकी इस हरकत से युवराज सहित लगभग सभी लोग बहुत अच्छे से वाकिफ थे। वो कोई भी मौका युवराज को नीचे दिखाने का छोड़ता नहीं था हालांकि आज तक कभी वो कामयाब नहीं हो पाया था। अब युवराज की पर्सनेलिटी ही ऐसी थी कि सामने वाला खुद को उनके सामने अपने आप ही कमतर महसूस करने लगता था।
कॉलेज के सारे स्टूडेंट्स अभिमान से दूरी ही बना कर रखते थे। बस उसके कुछ चेले चपाती ही उसके साथ हर वक्त घूमते थे।
अभिमान जैसे ही युवराज को हॉल में यूं बैठा देखता है । उसके मन में एक जलन अपने आप आ जाती है। वो अपने होठों पर एक जबरदस्ती की मुस्कान सजाए युवराज के पास जाता है और साइड के एक टेबल से चेयर खींच मालविका के बगल में पैर पर पैर चढ़ा स्टाइल से बैठ जाता है । मालविका उसे देख हैरान हो जाती है। दरअसल मालविका ओर अभिमान कजिंस हैं और अभिमान अपनी छुट्टियों में इंग्लैंड चला गया था । जब आज सुबह मालविका ने उसे कॉल करके कॉलेज आने के बारे में पूछा तो उसने कहा था कि वो कुछ दिन ओर एंजॉय करने के बाद इंडिया वापिस आएगा मगर उसका यूं अचानक कॉलेज आ जाने से मालविका थोड़ी हैरान सी हो गई थी। वो अभिमान से अभी कुछ कहती ही की अभिमान उसे इग्नोर करके युवराज से कहता है " प्रणाम युवराज !! प्रणाम नंदिनी बाईसा!! प्रणाम समर सा!! बड़े दिनों बाद आप सबसे मुलाकात हुई । I hope आप सबकी छुटियां काफी अच्छी बीती होंगी।"
युवराज उसे देख थोड़ा संजीदा हो जाते हैं । नंदिनी बाईसा भी बस एक फॉर्मल स्माइल कर देती हैं । समर भी उसे देख स्माइल कर देते हैं। मगर अभिमान को जवाब कोई नहीं देता । अभिमान को युवराज का ये रवैया शुरू से ही पसंद नहीं था। वो चाहता था कि जैसे सारे उसके आगे पीछे घूमते हैं , उसे भाव देते हैं वैसे ही युवराज भी उसे स्पेशल ट्रीट करें। अभिमान हार न मानते हुए दोबारा से कहता है " अरे नंदिनी बाईसा !! आप का स्वागत है कॉलेज में । मां सा ने हमें बताया था कि आप भी कॉलेज ज्वाइन करने वाली हैं। अच्छा लगा आपको यहां देख कर । अब यहां आपको कोई भी प्रॉब्लम हो आप बेझिझक हमसे कह सकती हैं। And I hope you find some good companions otherwise मालविका तो है ही।" अभिमान की इस बात का नंदिनी कुछ जवाब देती उससे पहले ही मालविका बोल पड़ती है " आपने बिल्कुल सही कहा अभिमान हम तो हमेशा ही नंदिनी बाईसा के लिए अवेलेबल हैं मगर उन्होंने अपने लिए नए फ्रेंड्स ढूंढ लिए है " । उसके बाद वो मैथिली की तरफ इशारा कर कहती है " इनसे मिलिए ये है मैथिली .. नंदिनी बाईसा की रूम पार्टनर ओर उनकी नई दोस्त भी। " वहीं मैथिली जो अभी तक बस सबको ऑब्जर्व कर रही थी वो अचानक ही सबकी नज़रे अपनी ओर उठता देख थोड़ी awkward हो जाती है।
नंदिनी अभिमान को जवाब देते हुए कहती है" धन्यवाद कुंवर अभिमान लेकिन मेरी मदद के लिए मेरे भाई सा ओर समर भाई सा काफी है और हमें उम्मीद रहेगी कि हमारी वजह से आपको कभी डिस्टर्बेंस न हो।"
नंदिनी ने क्लियर शब्दों में अभिमान को मना कर दिया था। लेकिन अभिमान का ध्यान अब सब से हट कर मैथिली पर आ चुका था। मैथिली को भी इस बात का भान था कि अभिमान लगातार उसे ही देख रहा है। उसे ऐसे देखता देख मैथिली थोड़ी अनकंफर्टेबल हो रही थी मगर अभिमान तो मानो उसमें खो ही गया था। वैसे भी लड़कियों के मामले में अभिमान का ट्रैक रिकॉर्ड बिल्कुल भी अच्छा नहीं था और ये बात सभी जानते थे। वो आए दिन नई लड़कियों के साथ स्पॉट होता रहता था।
युवराज जो अपने फोन में कुछ देख रहे थे अचानक से अपनी नज़रे उठाते हैं तो उनकी नजर सीधा सामने बैठे अभिमान पर जा रुकती हैं जो मैथिली को ताड़े जा रहा था। ये देख युवराज का तो जैसे पारा चढ़ जाता है। वो एकदम से अपने चेयर से खड़े होते हैं। उनके फोर्स से chair भी थोड़ी पीछे खिसक जाती है। टेबल पर बैठे सबलोग उन्हें ही देखने लगते हैं।
युवराज थोड़ा रूखे भाव से कहते है "डिनर का वक्त खत्म हो गया है और अब हमें लगता है कि हम सबको अपने कमरे में जाना चाहिए ।" फिर वो नंदिनी बाईसा की तरफ मुड़कर कहते हैं " बाईसा आप अपने कमरे की तरफ चले।" नंदिनी उनकी बात सुन कर मैथिली से कहती है " बाईसा चलिए हम अपने कमरे में चलते है।" इतना बोल वो मैथिली को अपने साथ लेकर निकल जाती है।
उनके जाने के बाद युवराज अभिमान की तरफ अपना रुख करते है " आपसे मिलकर खुशी हुई कुंवर अभिमान । हमें उम्मीद है कि आप शाही परिवार के कायदों का पालन जरूर करेंगे।" इतना बोल युवराज समर के साथ डाइनिंग एरिया से निकल जाते हैं। उनके जाते ही अभिमान जो अभी तक चेयर पर बैठा हुआ था वो गुस्से में जोर से अपनी हाथ टेबल पर पटकता है। उसे युवराज का यूं वार्निंग देना जरा भी पसंद नहीं आया था। उसे यूं गुस्से में तिलमिलाते देख मालविका थोड़ा मुस्कुराते हुए कहती है " अब यूं गुस्सा दिखने से क्या होगा ? युवराज के सामने तो आपकी बोली भी नहीं फूटती। वैसे कुछ भी कहो युवराज का स्वैग ही अलग है। उन्हें हैंडल करना हर किसी की बस की बात नहीं है।"
उसकी बात सुन अभिमान थोड़ा खिसियाते हुए कहता है" ओह !! जस्ट शट अप मालविका। you just dont tell me what I have to do or what not?? और वैसे भी आप उस युवराज की तारीफ कर रही हैं जो आपकी तरफ देखते भी नहीं है। आपको क्या लगता मुझे आपके खयालातों के बारे में नहीं पता। And let me tell you one thing malvika उन्हें ये घमंड उनकी विरासत में मिली राजगद्दी का है otherwise he has nothing special." मालविका ये सुन अभिमान के तरफ देखने लगती है तभी अभिमान बात घुमाते हुए थोड़ा क्यूरियस होते हुए कहता है" bye the way ! what you were telling earlier about the new girl ? she is nandini bai sa's friend or what ??'" ये सुन मालविका एक गहरी सांस लिए कहती है " हां अभी के लिए तो मुझे यही पता है कि वो नंदिनी बाईसा की नई रूममेट है बट डोंट वरी मै बहुत जल्दी उसके बारे में पता लगा ही लूंगी। आते ही उसने मालविका की नजरों में आने की कोशिश की है अब उसका हिसाब तो करना होगा ना।" उसके चेहरे पर एक सीरियसनेस देख कर अभिमान के चेहरे पर भी एक मक्कारी भरी स्माइल आ जाती है । उसे मालविका के नेचर के बारे में अच्छे से पता था।
वो दोनों अभी बाते कर ही रहे थे कि तभी एक लड़की पीछे से आकर अभिमान के कंधे पर हाथ रख कहती है" hi baby!! when did you came back ?? oh I missed you much." अभिमान उसके आवाज को सुन कर पहचान जाता है क्योंकि ये आवाज उसकी करेंट गर्लफ्रेंड तारा राजावत की थी। वह भी उसके हाथ को चूमकर कहता है " मिस्ड you too baby !! come lets eat dinner". इतना बोल वो मालविका को लगभग इग्नोर कर उस लड़की की हाथ में हाथ डाले फूड काउंटर की तरफ बढ़ जाता है। मालविका ये देख अपनी आँखें रोल कर कहती है " ये नहीं सुधरने वाले।"
भाग समाप्त।।🥰
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कहानी आगे।
" नंदिनी कल से मैं तुम्हारे भाई के साथ तो डिनर बिल्कुल भी नहीं करूंगी ।" मैथिली ने थोड़ा खिसियाते हुए नंदिनी बाईसा से कहा।
" क्यों क्या हुआ बाईसा भाई सा ने क्या किया? " नंदिनी ने थोड़ा चौंकते हुए पूछा ।
" क्या हुआ ? क्या हुआ का क्या मतलब है । तुमने देखा नहीं हमारे टेबल पर खाते वक्त ऐसी शांति थी जैसे किसी की शोक सभा हो। अरे भाई मैंने इतनी शांति से खाना पहली बार खाया है। मुझे तो लग रहा था कि ये शांति ही मेरी जान ना ले ले। और वैसे भी खाना तो बातचीत करते हुए , थोड़ा मस्ती करते हुए ही खाना चाहिए । इससे क्या होता है न कि खाना भी जल्दी डाइजेस्ट हो जाता है और बहुत मज़ा भी आता है।" मैथिली ने पूरी नौटंकी करते हुए कहा।
मैथिली की हरकते देख नंदिनी को बहुत मजा आ रहा था। उसे ये तो अब तक साफ पता हो गया था कि मैथिली जिस माहौल से आई है वो उसके माहौल से बिल्कुल उलट है।
नंदिनी हंसते हुए जवाब देती है " अरे बस बस !! मैथिली बाईसा आप चिंता मत कीजिए । भाई सा तो वैसे भी रोज हमारे साथ नहीं खाने वाले । उन्हें बहुत काम होता है वो तो आज वो फ्री थे इसीलिए उन्होंने हमे ज्वाइन कर लिया। और देखा जाए तो भाई सा बुरे नहीं है बस थोड़े स्ट्रिक्ट जरूर है।"
" अब तुम अपने अपने भाई के बारे में गलत थोड़े न बोलोगी । तुम्हारा भाई है तो तुम्हे तो अच्छा ही लगेगा न । अब मुझे ही देख लो मेरा भाई किसी काम का नहीं है एक नंबर का गधा है लेकिन मैने कभी उसकी बुराई की ? नहीं ना । तो फिर। अपने भाई की बुराई कौन ही करता है।" मैथिली बोलते वक्त तरह तरह के मुंह बनाती, कभी आंखे रोल करती , तो कभी अपने हाथ घुमाती। मैथिली की ये नौटंकी देख नंदिनी हंसे जा रही थी।
मैथिली दिन भर तो सो चुकी थी तो अब उसे नींद नहीं आ रही थी । तभी वो कुछ सोचते हुए थोड़ा एक्साइट होकर नंदिनी से कहती है " नंदिनी अभी हमारे पास टाइम है उसके बाद तो ओरिएंटेशन और क्लासेज शुरू हो जाएंगी और फिर हम व्यस्त हो जाएंगे । तो क्यों न आज हमलोग एक मूवी देखे । मैं न तुम्हे अपनी फैवरेट वाली मूवी दिखाऊंगी । ओके ??"
नंदिनी भी ये सुन खुश हो जाती है " हां बाईसा ये तो बहुत अच्छा idea है । हमने भी न जाने कब से कोई मूवी नहीं देखी । तो आज रात तय रहा हम मूवी देखेंगे।"
अभी दोनों डाइनिंग एरिया से निकल कर अपने हॉस्टल की तरफ जा रहे थे। जैसे ही वो लोग गार्डन के पास पहुंचते है तभी सामने से उन्हें युवराज और समर आते दिखते हैं । समर वहां खड़े कुछ लड़कों से बात करने लग जाते है वहीं युवराज उन्हें देख उनकी तरफ आने लगते हैं।
" नंदिनी देखो तुम्हारा भाई आ रहा है।" मैथिली की नजर जैसे ही युवराज पर जाती है वो अपने कोहनी से नंदिनी को इशारा कर कहती है ।
नंदिनी भी उन्हें देख रुक जाती है। युवराज नंदिनी के पास आ कर कहते है" बाईसा !! कल से आपका ओरिएंटेशन प्रोग्राम शुरू हो जाएगा । " युवराज ने एक नजर मैथिली की तरफ भी डाली जो अपनी बड़ी बड़ी गोल आंखों से उन्हें ही देख रही थी । मैथिली इस वक्त काफी क्यूट लग रही थी ।
युवराज अपनी नज़रे उससे फेरते हुए आगे कहते हैं " कल सुबह छह बजे आप सबको कॉलेज कैंपस के ग्राउंड में पहुंच जाना होगा । वहां आपको आगे की सारी एक्टिविटीज के बारे में बता दिया जाएगा ।" तो हम उम्मीद कर....... अभी युवराज अपनी बात पूरी कर ही रहे थे कि मैथिली तपाक से उनकी बात काटते हुए कहती है " क्या !!!! सुबह के छह बजे !! ये भी कोई टाइम होता है क्या ? अरे कम से कम दो तीन दिन तो देने ही चाहिए कि बंदा पहले अपने नए माहौल में एडजस्ट तो कर ले । उसके बाद करेंगे न एक्टिविटीज और मैं तो अभी ज्यादा किसी को जानती भी नहीं हूं ।"
मैथिली की बात सुन युवराज इरीटेशन से अपनी आँखें भींच लेते हैं । अभी तक जो मैथिली उन्हें क्यूट लग रही थी अब वही उन्हें एक आफत लगने लगी थी । युवराज के बदलते एक्सप्रेशन को देख नंदिनी बाईसा तुरंत बात संभालते हुए कहती है " मैथिली बाईसा हम ये कमरे में जाकर डिसकस करते हैं और वैसे भी ओरिएंटेशन कॉलेज प्रोग्राम का एक हिस्सा है तो हमारे लिए जरूरी ही होगा न ।" नंदिनी इतना बोल आंखों ही आंखों में मैथिली को इशारा करती है बाद में बात करने का ।
मैथिली अभी कुछ बोलने ही वाली थी कि युवराज की सख्त आवाज उनके कानों में टकराती है " जरूरी होगा नहीं जरूरी है । ओरिएंटेशन यहां आए हर नए स्टूडेंट के लिए जरूरी है । और बाईसा डिसाइड करने जैसा कुछ नहीं है । आपको ये प्रोग्राम अटेंड करना ही होगा ये आपके ओवरऑल डेवलपमेंट के लिए बेहतरीन है ।"
युवराज एक चिढ़ के साथ मैथिली की तरफ एक उड़ती हुई नजर डाल कर आगे कहते हैं " और जो लोग यहां टाइम पास करने और जान पहचान बनाने आए हैं वो यहां से जा सकते हैं । ओर भी बहुत कॉलेजेस हैं बाहर । हमारे कॉलेज की कीमती सीट बर्बाद करने की जरूरत नहीं है । " बाईसा हमें उम्मीद है कि आप एक बेहतर रूम मेट के बारे में सोचेंगी । इतना बोल वो आगे बढ़ जाते हैं।
मैथिली को साफ समझ में आ रहा था कि ये ताना उसे ही मारा गया है । वो एकदम से चिढ़ जाती है " ये तुम्हारा भाई..." इससे पहले मैथिली अपनी बात पूरी करती नंदिनी उसे शांत कराते हुए कहती है " बाईसा आप शांत हो जाए । वो दरअसल भाई सा नियमों का पालन करने में थोड़े स्ट्रिक्ट हैं और उन्हें नहीं पसंद की कोई नियमों के खिलाफ जाए । फिर वैसे भी हम दोनों तो.. वैसे भी ओरिएंटेशन अटेंड करने वाले ही थे न तो कल से ही हो जाए तो क्या फर्क पड़ता है । हम movie का प्लान कभी और बना लेंगे । " नंदिनी की बात सुन मैथिली थोड़ी शांत हो जाती है पर बुरा तो लगा था उसे । मन ही मन वो युवराज को कोसे जा रही थी ।
तभी उसे नंदिनी की आवाज सुनाई देती है " अच्छा अब अगर आपका भाई सा को कोसना हो गया हो तो हम आपसे एक जरूरी बात कहना चाहते है ।" मैथिली ये सुन हां में सर हिला नंदिनी को आगे बोलने का इशारा करती है । नंदिनी आगे कहती है " वो एक्चुअली बाईसा हमारे भाई सा को बिल्कुल पसंद नहीं है कि कोई उनकी बात काटे । वो बहुत जल्दी गुस्सा हो जाते हैं । आप अपनी बात रखिए मगर उनके अपनी बात पूरी कर लेने के बाद ।" मैथिली इस बात पर घूर कर नंदिनी को देखती है और फिर थोड़ा मुंह बिचकाए कहती है " ठीक है !! मैं कोशिश करूंगी ।" नंदिनी के चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ जाती है ।
वो लोग आगे बढ़कर अपने हॉस्टल की तरफ चले जाते हैं । अभी वो हॉस्टल में दाखिल हुए ही थे कि एक लड़की उनकी तरफ आकर कहती है " मिस मैथिली आप हैं ? " मैथिली ये सुन हां में सर हिला देती है । तो वो लड़की आगे कहती है " आपको वार्डन मैडम बुला रही हैं .. अर्जेंट । तो आप मिल ले उनसे जा कर ।" ये बोल वो लड़की चली जाती है मगर मिथिली मन ही मन परेशान हो जाती है ।
भाग समाप्त।।
पिछले अध्याय में आपने देखा कि मैथिली, नंदिनी के भाई के साथ डिनर करने में सहज नहीं थी क्योंकि उन्हें शांत वातावरण पसंद नहीं था। उन्होंने एक मूवी देखने की योजना बनाई, तभी युवराज और समर उनसे मिलते हैं। युवराज ने उन्हें ओरिएंटेशन के बारे में सूचित किया, जिस पर मैथिली ने आपत्ति जताई, जिससे युवराज नाराज हो गए। युवराज ने मैथिली पर ताना मारा, जिससे वह और नंदिनी के बीच तनाव पैदा हो गया। नंदिनी ने मैथिली को शांत किया और उसे युवराज के गुस्से से बचने की सलाह दी। अंत में, वार्डन ने मैथिली को अर्जेंट मीटिंग के लिए बुलाया।
अब आगे।
वो लोग आगे बढ़कर अपने हॉस्टल की तरफ चले जाते हैं । अभी वो हॉस्टल में दाखिल हुए ही थे कि एक लड़की उनकी तरफ आकर कहती है " मिस मैथिली आप हैं ? " मैथिली ये सुन हां में सर हिला देती है । तो वो लड़की आगे कहती है " आपको वार्डन मैडम बुला रही हैं .. अर्जेंट । तो आप मिल ले उनसे जा कर ।" ये बोल वो लड़की चली जाती है मगर मिथिली मन ही मन परेशान हो जाती है ।
उसे लगने लगता है कि हो न हो ज़रूर उसकी कंप्लेन की होगी युवराज ने । वो मन ही मन थोड़ा डर रही थी । वहीं उसके चेहरे के बनते बिगड़ते भाव देख नंदिनी उसे थोड़ा हिलाते हुए कहती है " मैथिली बाईसा क्या सोच रही हैं ? जाइए न। " मैथिली नंदिनी के तरफ घूम उसके दोनों कंधों को पकड़ कर कहती है " नंदिनी वार्डन मुझे क्यों बुलाएगी वो भी इस वक्त पर । मुझे तो लगता है कि जरूर तुम्हारे भाई ने हो मेरी कंप्लेन की होगी । मैं बता रही हूं न जरूर इसी लिए डांटने को बुलाया होगा मुझे । मैं नहीं जाने वाली ।" नंदिनी ये सुन थोड़ा हंसते हुए कहती है " बाईसा हमारे भाई सा कंप्लेन करने वालो में से नहीं है । वो तो खुद ही एक्शन ले लेते हैं । तो हमें नहीं लगता कि उन्होंने कुछ भी किया होगा । ज़रूर वार्डन ने आपको दूसरे काम से बुलाया होगा । आप जाकर देखे तो सही ।" नंदिनी ने अपनी तरफ से मैथिली को समझाया मगर मगर मैथिली पर कोई असर न होता देख वो खुद ही मैथिली का हाथ पकड़ आगे की तरफ चलने लगी ।
नंदिनी मैथिली का हाथ पकड़ के वार्डन के रूम के सामने ला खड़ा करती है और फिर उसे अंदर जाने को कहती है। मैथिली अभी भी अंदर जाने के मूड में नहीं थी । वो नंदिनी की तरफ थोड़ा झुकते हुए उसके कान में कहती है " नंदिनी आज रहने देते हैं ना... कल बात कर लेंगे .... तब तक मामला भी थोड़ा ठंडा पड़ जाएगा ।" मगर नंदिनी पर इस बात का कोई भी असर नहीं हुआ ।
"बिल्कुल भी नहीं बाईसा आप अभी ही जाएंगी ... तो जाइए अंदर । " इतना बोल नंदिनी मैथिली को आगे की तरफ थोड़ा धकिया देती है । नंदिनी हौले कदमों से वार्डन रूम के अंदर जाने लगती है । दरअसल मैथिली हमेशा शरारती बच्ची रही है जिसकी वजह से अक्सर उसके स्कूल और ट्यूशन से उसकी कंप्लेन आती ही रहती थी। जिसकी वजह से मैथिली की मम्मी काफी परेशान रहा करती थी । इसीलिए इस बार कॉलेज आने से पहले उन्होंने मैथिली को बहुत अच्छे से समझाया था या फिर यूं कहो कि धमकाया ही थी कि अगर मैथिली की कोई भी शरारत की कंप्लेन घर आई तो वो वहीं आकर उसकी क्लास लेंगी । वैसे भी मैथिली की मम्मी उसे कहीं पर भी डांटने से कोई परहेज नहीं करती थी । वह कहीं पर भी शुरू हो जाती थीं।
मैथिली के मन में ये सारे खयाल एक एक कर चल रहे थे । मगर फिर वो उन्हें दरकिनार कर धीरे से वार्डन के गेट पर नॉक कर उनसे अंदर आने के लिए पूछती है
"मे आई कम इन मैडम ?"
वार्डन जो सर झुका कर अपना काम कर रही थी वो मैथिली को देख मुस्कुरा कर उसे अंदर आने को कहती है " यस प्लीज़ कम इन माई चाइल्ड ।"
मैथिली को इतने वर्म वेलकम की कोई उम्मीद नहीं थी ।उसने कुछ ही सेकंड्स में वार्डन मैडम को पूरा ऊपर से नीचे स्कैन कर लिया था। वार्डन एक मिडिल एजेड वुमन थी । मगर उन्होंने खुद को काफी अच्छे से मेंटेन किया हुआ था । सफेद और नीले की mix की cotton की सारी काफी अच्छे से बांध रखी थी उन्होंने , बालों में एक जुड़ा बनाया हुआ था और आंखों पर नजर का चश्मा लगा था । इतनी रात को भी बिल्कुल फ्रेश ही नजर आ रही थी वह । वो अपने चेयर पर बैठी हुईं थीं और उनके सामने एक बड़ा सा टेबल रखा था जिसपर वो काम कर रही थीं। पूरा ऑफिस सुव्यवस्थित था। मैथिली एक सरसरी निगाह पूरे केबिन में दौड़ाती है । " एक बात तो है इस कॉलेज में की यहां का सारा स्टाफ बहुत ही वेल मेंटेंड और वेल स्पोकेन है ।" मैथिली अपने मन में इंप्रेस होती हुई कहती है।
"हैव अ सीट मिस मैथिली " वार्डन की आवाज ने मैथिली को अपने सेंसेज में वापस ला दिया था । मैथिली जाकर वार्डन के सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ जाती है और उनकी आगे की बातों का इंतजार करने लगती है।
वार्डन आगे कहती है "ऐज यू नो मिस मैथिली की ये कॉलेज रॉयल फैमिलीज के बच्चों से भरा हुआ है बट यहां कुछ commoners को भी पढ़ने का मौका मिलता है एंड यू आर वन ऑफ दोज़ लक्की स्टूडेंट्स ।"
ये सुन मैथिली अपना सिर हां में हिला देती है । वार्डन अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहती हैं " तो इसीलिए यहां के रूल्स बहुत स्ट्रिक्ट हैं जो सबको मानने पड़ते हैं । मिस मैथिली आप यहां एक स्कॉलरशिप स्टूडेंट हैं इसीलिए मैं आपको कुछ खास बाते पहले ही साफ कर देना चाहती हूँ । मैं चाहूंगी कि आप अपने पढ़ाई से ही मतलब रखे और अदर एक्टिविटीज में पार्टिसिपेट करें जो आपके लिए अच्छे हैं। एंड खुद को रॉयल कम्युनिटी में ज्यादा इन्वॉल्व करने की कोशिश ना करें मगर आप अच्छे दोस्त जरूर बना सकती हैं । जैसा कि आपको पता है आपके परफोर्मेंस से ही आपके स्कॉलरशिप को असेस किया जाएगा तो आप उसपर ज्यादा फोकस करे । अगर आपको कॉलेज में कोई प्रॉब्लम होती है तो आप स्कॉलरशिप स्टूडेंट्स के विंग में जाकर बेझिझक बात कर सकती हैं और अगर हॉस्टल में कोई प्रॉब्लम होती है तो आप मुझे आकर बता सकती हैं। आप अपना पूरा फोकस खुद पर ही रखे बेवजह किसी से ज्यादा बातचीत रखने की कोई जरूरत नहीं है। "
वार्डन अपनी बात कह चुप हो जाती है । उन्होंने ढके छुपे शब्दों में कहीं ना कहीं मैथिली को आने वाले obstacle के लिए आगाह कर दिया था मगर उनकी बातों ने कितना असर किया था ये तो आने वाला वक्त ही बताने वाला था । मैथिली ने उनकी सारी बाते सुनी तो थी मगर उसे कुछ खास समझ नहीं आया था कि उससे ये बाते क्यो ही कही जा रही है क्योंकि अभी तक तो सब अच्छा ही हो रहा था उसके साथ । मगर हर चिराग तले अंधेरा होता ही है ये बात अभी उसे समझ नहीं आई थी ।
" ओके मैडम मैं याद रखूंगी ।" मैथिली अपनी बात आगे रखते हुए कहती है। ये सुन वार्डन उसे एक वर्म सी स्माइल के साथ उसे जाने को कह देती हैं । मैथिली वार्डन की कही बातों को सोचते हुए ही बाहर आ जाती है जहां नंदिनी खड़ी होकर बेसब्री से उसका इंतजार कर रही थी ।
भाग समाप्त।।।।
पिछले अध्याय में आपने देखा कि मैथिली को वार्डन ने अर्जेंट मीटिंग के लिए बुलाया।
अब, वे हॉस्टल की ओर चलते हैं, तभी एक लड़की मैथिली को वार्डन द्वारा बुलाए जाने की सूचना देती है। मैथिली चिंतित हो जाती है, उसे लगता है कि युवराज ने उसकी शिकायत की होगी। नंदिनी उसे शांत करती है और वार्डन के कमरे में ले जाती है। मैथिली अनिच्छुक है, लेकिन नंदिनी उसे अंदर जाने के लिए कहती है। वार्डन उसे कॉलेज के नियमों और छात्रवृत्ति के बारे में बताती है, उसे अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने और अनावश्यक बातचीत से बचने की सलाह देती है। मैथिली वार्डन की बातों को सुनकर बाहर आती है, जहाँ नंदिनी उसका इंतज़ार कर रही थी।
अब आगे।
मैथिली खुद में ही खोई खोई सी बाहर आती है जहां नंदिनी उसका बेसब्री से इंतजार कर रही थी । मैथिली को यूं खोया देख कर नंदिनी उससे पूछती है " मैथिली बाईसा क्या हुआ अंदर ?" पर मैथिली अब तक वार्डन की कही बात को ही सोच रही थी । उसे रिएक्ट ना करते देख नंदिनी उसे थोड़ा हिलाते हुए ऊंची आवाज में पूछती है " बाईसा कहां खोई है आप ? ऐसा क्या कह दिया वार्डन मैडम ने । " अब जा कर मैथिली का ध्यान नंदिनी पर जाता है और वो सारी बाते जस के तस नंदिनी को बता देती है जो भी वार्डन ने अंदर उससे कहा था । दोनों बातें करते करते अपने रूम तक आ चुकी थी।
अंदर आकर मैथिली बेड पर बैठते हुए अपने बालों को पकड़ कर सिर झुका लेती है और एकदम से फ्रस्ट्रेट होकर कहती है "ओफ्फो !! मुझे तो और कन्फ्यूज कर दिया है । मेरे समझ नहीं आ रहा कि वो कहना क्या चाहती हैं । मैं इस कॉलेज में एडजस्ट करने की कोशिश तो कर ही रही हूं ना तो फिर और क्या करूं और मैं क्यों किसी से पंगे लूंगी ? मैं तो बस पढ़ने आई हूं ।"
हालांकि नंदिनी को सारी बाते समझ आ गई थीं। कॉलेज के अंदर होने वाली चीजों से अंजान नहीं थी वो मगर मैथिली को इतना परेशान देख कर अभी उसने कुछ ना कहना ही बेहतर समझा। नंदिनी प्यार से मैथिली को समझाते हुए कहती है " बाईसा उन्होंने बस आपको गाइडलाइंस दी हैं जो हर स्टूडेंट को दी जाती हैं तो आपको इतना ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं हैं । और वैसे भी अब हमें सो जाना चाहिए क्योंकि अर्ली मॉर्निंग ओरिएंटेशन भी तो अटेंड करना है ना और भाई सा ने खास कहा भी है तो हमें लेट नहीं होना चाहिए ।"
उसकी बात सुन मैथिली जो अभी तक वार्डन की बातों से ही परेशान थी वो एकदम से बेड पर कूदते हुए कहती है " हां हां सो जाओ कल ओरिएंटेशन मीट अटेंड करना है । मुझे पहले दिन लेट नहीं होना है और तुम्हे तो बिल्कुल नहीं होना चाहिए वरना तुम्हारा वो भाई फिर मुझे ही कोसेगा । और वैसे भी कॉलेज लाइफ एक ही बार मिलती है तो मैं तो इसे खुल के जीने वाली हूं ...बाद में अपने बच्चों को भी तो बताऊंगी ना अपनी कहानियां ।" इतना बोल मैथिली सिर से पांव तक चादर ओढ लेती है और सोने के पोजीशन में आ जाती है ।
मैथिली को सोता देख नंदिनी गहरी सांस लेती है क्योंकि उसने मैथिली का ध्यान हटाने के लिए ही जान बूझकर ओरिएंटेशन का नाम लिया था । मगर मैथिली की बाद की बातें याद करके उसे हँसी भी आ जाती है । फिर वो उठ कर लाइट्स ऑफ करती है और खुद भी बिस्तर पर चली जाती है ।
दूसरी तरफ ।
चंद्रिका महल।। जोधपुर ।।
कादंबरी जी अपने कमरे में आराम कर रही थी तभी एक सेविका उनके कमरे का दरवाजा खटखटाती है " अंदर आ जाईए ।" कादंबरी जी अपनी चिर परिचित सौम्य अंदाज में कहती हैं।
"हुकुम रानी सा आपको राजमाता नीचे बैठक में बुला रही हैं ।" अंदर आई सेविका ने सिर झुका कर बड़े ही आदर के साथ कहा ।
" ठीक है आप जाइए हम आते हैं । " कादंबरी जी ने सेविका को भेज दिया परंतु वे मन ही मन सोच रही थीं कि राजमाता ने उन्हें अचानक क्यों बुलाया क्योंकि राजमाता तो आज एक शाही परिवार में न्योता में जाने वाली थीं। कुछ सोचते विचारते कादंबरी जी नीचे बैठक की ओर जाने लगीं। वहां पहुंच कर उन्होंने देखा कि राजमाता , सुमित्रा जी और उनकी पुरानी ओर विश्वसनीय सेविका अम्बा बैठी थीं। अम्बा युवराज और नंदिनी की दाई मां भी थीं। और कादंबरी जी भी उनका सम्मान करती थीं।
उन्हें आता देख राजमाता ने कहा " आइए बहु हम आपका ही इंतजार कर रहे थे । "
कादंबरी जी ने कुछ ही पलों में वहां का माहौल भांप लिया था । जहां राजमाता के चेहरे पर एक चौड़ी सी मुस्कान , अम्बा के चेहरे पर एक सधी सी मुस्कान के पीछे छुपी हुई मायूसी और सुमित्रा जी के लबों पर प्यारी सी मुस्कान के साथ आंखों से झलकती कुटिलता .. कादंबरी जी के अनुभवी नेत्रों से छुपी नहीं रह सकी ।
" जी मां सा कहिए कुछ काम था आपको हमसे।" कादंबरी जी ने अपने व्याकुल हृदय को संभालते हुए सामान्य भाव से कहा ।
" हां काम तो है बहु और वह भी बहुत जरूरी ।" राजमाता ने अपने चेहरे के भाव गंभीर बनाते हुए कहा ।
" हां हां अब भावी हुकुम रानी सा चुनने से ज्यादा जरूरी क्या काम हो सकता है भला ? है ना मां सा ।" सुमित्रा जी ने कुटिलता से मुस्कुराते हुए बीच में कहा ।
" क्या ??? भावी हुकुम रानी सा ?? लेकिन अभी इतनी जल्दी भी क्या है । हमारा मतलब अभी तो दो साल है ना फिर इतनी जल्दी क्यों ? "
भावी हुकुम रानी सा चुनने की बात सुन कादंबरी जी के लबों की मुस्कान सिमट सी गई थी । आखिर जिस बात का डर था वो होने जा रहा था । वो कभी नहीं चाहती थी कि युवराज की संगिनी इस प्रकार चुनी जाए ।
" जल्दी नहीं है बहु मगर हमें अपने युवराज के लिए सुयोग्य कन्या खोजनी है जो इतना आसान नहीं होने वाला । तो हमें ज्यादा देरी नहीं करनी चाहिए ।"
" मगर मां सा हमें लगता है ये मौका हमे युवराज को ही देना चाहिए । अगर वो अपने हिसाब से ......"
अभी उन्होंने अपनी बात पूरी भी नहीं की थी तभी सुमित्रा जी उनकी बात काटते हुए कहती है " शायद आपने सुना नहीं देवरानी सा लेकिन युवराज ने स्वयं ये जिम्मेदारी मां सा के हाथ सौंपी थी । और वैसे भी मां सा से बेहतर युवराज के लिए पत्नी और जोधपुर की भावी हुकुम रानी सा कौन चुन सकता है । क्या आपको मां सा के फैसले पर शक है ?" इसी के साथ सुमित्रा जी ने अपना दांव चल दिया था ।
कादंबरी जी तो निशब्द होकर रह गईं । तभी राजमाता ने आगे कहा " बड़ी बहु ने एक रिश्ता सुझाया है हमे "
" धरा " " बड़ी बहु के भाई की बेटी । हमारे सामने ही बड़ी हुई बच्ची है तो एक बार देखने में कोई बुराई नहीं है । अगर रिश्ता नहीं जचा तो कहीं और देख लेंगे ।"
" आपका क्या कहना है बहु इस बारे में ।" राजमाता ने अपनी बात साफ करते हुए कहा ।
अब जा कर कादंबरी जी के समझ में आया कि सुमित्रा जी इतनी महीन मिश्री क्यों बन रही थीं अब तक ।
" जैसा आप ठीक समझे मां सा ।" कादंबरी जी ने मौके की नजाकत को समझते हुए कहा । उनका अभी मना करना एक नई परेशानी का कारण बन सकता था । सुमित्रा जी के इरादों से अंजान नहीं थीं वो ।
"ठीक है फिर तय रहा हम धरा को अपने युवराज के लिए जांचेंगे परखेंगे फिर कोई बात शुरू होगी" राजमाता ने बैठक से उठते हुए कहा ।
" जी राजमात धरा आपको शिकायत का कोई मौका नहीं देंगी " सुमित्रा जी ने राजमाता के पीछे जाते हुए कहा।
वहीं कादंबरी जी अम्बा के साथ अब भी वहीं बैठक में खड़ी थीं।
समाप्त।।।
कहानी अब तक ।
पिछले अध्याय में आपने देखा कि मैथिली को वार्डन ने मीटिंग के लिए बुलाया।
अब, मैथिली वार्डन से बात करने के बाद नंदिनी के साथ हॉस्टल लौटती है। वह वार्डन की बातों से परेशान है, उसे लगता है कि वह उसे कॉलेज के नियमों का पालन करने और अनावश्यक बातों से बचने के लिए कह रही थी। नंदिनी उसे शांत करती है और वे अपने कमरे में वापस आ जाती हैं, जहाँ मैथिली निराश होकर बैठ जाती है। नंदिनी उसे समझाती है और दोनों अगली सुबह ओरिएंटेशन के लिए जाने का फैसला करती हैं। दूसरी ओर, जोधपुर में, कादंबरी जी को राजमाता ने बुलाया। राजमाता, सुमित्रा जी और अम्बा के साथ, युवराज के लिए एक संभावित दुल्हन, धरा पर चर्चा कर रही हैं। कादंबरी जी को यह बात पसंद नहीं है, लेकिन सुमित्रा जी के प्रभाव के कारण, वह कुछ नहीं कर पाती। राजमाता ने धरा को युवराज के लिए देखने का फैसला किया।
अब आगे।
बैठक से सब के चले जाने के बाद कादंबरी जी और अम्बा जी साथ में बैठी थी । कादंबरी जी एक गहरी सोच में डूबी थी । उन्हें यूं शांत बैठा देख कर अम्बा जी बेचैनी से कहती हैं "अब हम के करेंगे रानी सा ? हम सभी बड़ी बहुरानी और उन्हें मायके वालो से चिर परिचित हैं ऐसे में वा घर की बेटी को हुकुम के लिए पसंद करना मने तो उचित ना लग रहा । "
" उचित तो हमें भी नहीं लग रहा जीजी । युवराज की संगिनी ही हमारी एक मात्र आशा है जो हमारे युवराज में कुछ अच्छा परिवर्तन ला सकती है । मगर आप चिंता न कीजिए हम अपने बेटे के लिए सब कुछ करने को तैयार हैं । हम भी देखते हैं कि हमारे बेटे की जिंदगी का इतना बड़ा फैसला उनकी मर्जी के बिना कैसे होगा।" कादंबरी जी ने धीमी मगर आत्मविश्वास से भरपूर आवाज में कहा ।
" और अगर युवराज को किसी सामान्य लड़की से प्यार हो गया तो ? तब आप क्या करेंगी छोटी मा सा ?"
अचानक से पीछे से आई आवाज ने कादंबरी जी और अम्बा दोनों को चौका दिया था । वो पीछे मुड़ कर कर देखती हैं तो उनसे कुछ कदम की दूरी पर जानवी खड़ी थी । जानवी को देख दोनों की धड़कन जरा सामान्य होती है।
अरे ! जानवी बेटा आप ? आइए ना बैठिए हमारे पास । अम्बा जी जानवी को प्यार से पुचकारते हुए कहती हैं।
मगर जानवी सबकुछ अनसुना करते हुए एक बार फिर से अपना वही सवाल दोहराती है " बताइए ना छोटी मा सा ...युवराज ने अगर कोई सामान्य लड़की पसंद की जो किसी राज परिवार से ना हुई तो ? तब आप क्या करेंगी ?"
जानवी का सवाल सुन कादंबरी जी सोच में पड़ जाती हैं क्योंकि ऐसा कुछ तो उन्होंने सोचा ही नहीं था । अभी के लिए वो जानवी को टालते हुए कहती हैं " हमे नहीं लगता कि ऐसा कुछ कभी हो सकता है । आप तो जानती हैं न युवराज को... वो तो शाही परिवार की लड़कियों से ही इतनी बातें नहीं करते फिर सामान्य लड़कियों से बात करने का मौका उन्हें कहां मिलता होगा । आप ज्यादा सोच रही हैं जानवी बेटा ।"
मगर जानवी उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुई थी। उनके चेहरे पर गंभीरता ज्यों की त्यों बनी थी । वो गंभीर स्वर में कहती है " होने को तो कुछ भी हो सकता है छोटी मा और पहले भी हो चुका है । आप सबकुछ जानती हैं । ऐसे में हमें पहले ही तैयारी रखनी चाहिए। " जानवी की इस तरह की घुमावदार बातों ने कादंबरी जी और अम्बा दोनों को ही दुविधा में डाल दिया था । जानवी के चेहरे से साफ दिख रहा था कि वो सब कुछ ऐसे ही तो नहीं बोल रही जरूर इसके पीछे कोई बात हैं । इससे पहले कोई कुछ पूछ पाता सामने से सुमित्रा जी आती दिख जाती हैं तो जानवी बिना कुछ कहे चुपचाप बैठक से बाहर निकल जाती है।
दरअसल जानवी को मा का प्यार जो सुमित्रा जी से मिलना चाहिए था वो उनसे ना मिल के कादंबरी जी से मिला था इसीलिए वो उनके साथ ज्यादा सहज रहती थी। मगर सुमित्रा जी को ये बात जरा भी पसंद नहीं थी और वो जानवी को अक्सर इस बात के लिए अच्छा खासा सुनाया करती थी इसीलिए जानवी उनके सामने कादंबरी जी से बात करने से बचती थी । जिसे कादंबरी जी ने भी बखूबी भांप लिया था ।
इधर जानवी अपने कमरे में बैठ कर थोड़ी देर पहले की बात याद कर रही थी जब उसने नंदिनी से बात की थी ।
फ्लैशबैक
जानवी अभी नहा का आई थी और अपने गीले बालों को सूखा ही रही थी तभी उसका फोन बज पड़ता है । जब तो फोन देखती है तो नंदिनी का कॉल आ रहा था । नंदिनी का कॉल आता देख जानवी के चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल आ जाती है वो तुरंत ही कॉल पिक कर लेती है
जानवी_ " ख़म्मा घनी बाईसा .. कैसी हैं आप ? "
नंदिनी _ " ख़म्मा घनी जीजी ... हम बिल्कुल ठीक हैं । आप बताएं आप और महल के सारे लोग कैसे हैं ।" दूसरी तरफ से नंदिनी की चहकती हुई सी आवाज आती है ।
जानवी _ " हम बिल्कुल ठीक हैं और महल के सारे लोग भी बिल्कुल ठीक हैं । मगर आज हमारी छुटकी कुछ ज्यादा ही खुश नजर आ रही हैं ? इसकी वजह तो बताइए हमें ।"
नंदिनी _ हंसते हुए अपनी खिलखिलाती हुई आवाज में कहती है " वजह है न जीजी और वजह का नाम है....मैथिली ।"
जानवी _ " मैथिली ... ये मैथिली कौन हैं ?"
नंदिनी _ हां जीजी मैथिली ... हमारी रूम मेट ओर हमारी दोस्त ।
जानवी _ " अच्छा हमे तो बताइए अपनी मैथिली के बारे में ।""
और बस फिर क्या था....नंदिनी ने जानवी को मैथिली से पहली मुलाकात से लेकर अभी तक की सारी बाते बता दी । जानवी को पहले तो बड़ा मजा आ रहा था मगर जैसे जैसे नंदिनी मैथिली और युवराज के बिहेवियर के बारे में बताने लगी वैसे वैसे जानवी के भाव बदलने लगे ।
" क्या.. क्या कहा आपने मैथिली बाईसा युवराज को अगस्त्या कह कर बुलाती हैं और युवराज को इस बात से कोई प्रॉब्लम भी नहीं है ? " जानवी ने नंदिनी को बीच में ही रोकते हुए क्यूरियस होकर पूछा ।
" हां जीजी यही तो हम कह रहे है कि भाई सा मैथिली के साथ थोड़ा अलग बिहेव करते हैं । उन्होंने उसे एक बार भी नहीं टोका अपना नाम लेने के लिए और तो और उनके साथ बैठ कर खाना भी खाया । और क्या बताएं जीजी ... भाई सा तो मैथिली को छुप छुप के देख भी रहे थे । अगर आपको हम पर भरोसा नहीं है तो आप समर भाई सा से भी पूछ सकती हैं ।" नंदिनी जानती थी कि उसकी बातों पर शायद कोई यकीन न करे इसीलिए उसने अपनी बात साबित करने के समर के नाम का सहारा लिया ।
" नहीं नहीं बाईसा इसकी कोई जरूरत नहीं है । हमे आप पर पूरा भरोसा है । अच्छा अभी हमे कुछ काम करना है तो हम आपसे बाद में बात करते हैं । आप अपना खयाल रखिएगा । बाय ।।"
जानवी ने थोड़े हड़बड़ाहट में फोन काट दिया और कमरे में इधर से उधर घूमने लगी । एक अनजाने से डर ने उसके दिलों दिमाग पर कब्जा कर लिया था । कुछ ऐसा जो वो होने नहीं देना चाहती थी ।
कुछ सोच कर उसने समर का नंबर निकाल लिया मगर एक दो रिंग जाने पर ही फोन काट दिया । आखिर समर से यूं ही बात नहीं कर सकती थी वो । जानवी को तभी कादंबरी जी का खयाल आता है और वो उनसे बात करणे निकल पड़ती है मगर वहां तो मामला ही कुछ और चल रहा था ।
फ्लैशबैक खत्म।।।
जानवी अभी अपने बिस्तर के किनारे बैठी हुई सोच में गुम ही थी कि उसे सुमित्रा जी की कड़क आवाज आती है " जानवी बाईसा ध्यान कहां है आपका ? आपको सुनाई नहीं दे रहा आपका फोन कब से बज रहा है ? समर कुंवर सा आपको फोन कर रहे हैं । आपकी हिम्मत कैसे हुई उनका फोन इग्नोर करने की ?"
जानवी इससे पहले कि अपनी सफाई में कुछ कहती फोन दुबारा बजने लगता है तो वो हड़बड़ाकर फोन उठा लेती है।
भाग समाप्त।।
कहानी अब तक ।
पिछले अध्याय में आपने देखा कि मैथिली वार्डन से मिली और नंदिनी के साथ हॉस्टल वापस आई। कादंबरी जी और राजमाता युवराज के लिए धरा से विवाह की बात कर रहे थे, कादंबरी जी को यह पसंद नहीं था। जानवी, कादंबरी जी से युवराज के भविष्य के बारे में सवाल करती है, वह चिंतित है। नंदिनी ने जानवी को मैथिली और युवराज के बीच की बातों के बारे में बताया था।
अब आगे।
जानवी ने सुमित्रा जी के डर से समर का फोन झट से उठा तो लिया था मगर क्या बोले उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था । वहीं उसके फोन उठाते ही सुमित्रा जी ने इशारे से उसे सलीके से बात करने की हिदायत दे कमरे से चली जाती हैं । जानवी ने अब भी फोन को बस यूं ही अपने कान में लगा रखा था तभी उसे समर की शांत आवाज आती है " हेलो !! बाईसा आपने फोन किया था ।"
समर की आवाज सुन जानवी की हार्टबीट स्किप सी हो जाती है । वो अपने धड़कते दिल को संभालते हुए धीरे से कहती है " वो... वो गलती से लग गया था । माफ कीजियेगा हमारा आपको डिस्टर्ब करने का कोई इरादा नहीं था । " जानवी की हिचकिचाती हुई आवाज सुन कर समर के चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ जाती है ।
" चलिए गलती से ही सही लेकिन कम से कम हमें अपनी रानी साहिबा की आवाज सुनने को तो मिली ।" समर फ्लर्ट करते हुए कहते हैं । समर के इतना कहते ही जानवी के चेहरे पर एक शर्म भरी मुस्कुराहट आ जाती है।
दरअसल समर सुजलगढ़ रियासत के युवराज हैं जिनसे जानवी का रिश्ता तय हुआ है । रिश्ता समर की तरफ से तो लव मैरेज का है मगर जानवी की तरफ से अरेंज । इस रिश्ते को फिक्स करवाने के समर ने कितने पापड़ बेले हैं उनका पता हमे आगे लगेगा ।
" कैसे हैं आप ? " जानवी सकुचाते हुए सवाल करती है।
" पहले का तो पता नहीं मगर अब आपके पूछते ही ठीक हो चुके हैं हम और आगे भी ठीक ही होंगे । " समर हंसते हुए कहते हैं ।
ऐसे ही थोड़ी देर जानवी और समर के बीच हल्की फुल्की बातें करके फोन रख देते हैं । कादंबरी जी और नंदिनी के बाद समर ही थे जिसके सामने जानवी खुलके अपनी बाते कह सकती थी । हां समर के सामने थोड़ी सकुचाहट थी उसे मगर वो खुश थी। अपने ही घर में अपने ही मां सा के साथ उन्हें कभी अपनापन महसूस ही नहीं हुआ था मगर उन्हें उम्मीद थी कि समर उन्हें निराश नहीं करेंगे । अपने ओर समर के बारे में सोचते हुए ही जानवी की आंख लग जाती है।
अगली सुबह ।।
द रॉयल कॉलेज ऑफ जोधपुर।।
" बाईसा जल्दी कीजिए वरना हम लेट हो जाएंगे सच में " नंदिनी ने अपनी शूलेस बांधते हुए कहा ।
" हां हां बस चल रही हूं तुम आगे बढ़ो मैं भी बस आती हूं । हे भगवान !! रात में कितना सोच कर सोई थी कि जल्दी से सबकुछ कर लूंगी सुबह उठ कर मगर फिर भी लेट हो गया। " मैथिली जो कि अपनी यूनिफॉर्म जैकेट पहन रही थी उसने बड़बड़ाते हुए कहा ।
मैथिली तो सुबह उठ भी नहीं रही थी मगर नंदिनी ने उसे जबरदस्ती उठाया था वो भी युवराज का नाम लेकर डराते हुए ।
इधर दूसरी तरफ ।
ओरिएंटेशन हॉल।।
लगभग सारे बच्चे हॉल में पहुंच चुके थे बस कुछ ही बच्चे मिसिंग थे जिसमें मैथिली और नंदिनी दोनों थे । वहां सीनियर ओर जूनियर दोनों तरह के स्टूडेंट्स प्रेजेंट थे । सबने यूनिफॉर्म पहनी हुई थी जिसमें व्हाइट ट्रैक पैंट, व्हाइट टीशर्ट , व्हाइट स्पोर्ट्स शूज और व्हाइट जैकेट था और जैकेट के लेफ्ट साइड पर कॉलेज का लोगो बना था । पैंट और टीशर्ट के साइड में येलो, ब्ल्यू , रेड और ग्रीन जैसे अलग अलग रंगों की तीन धारियां बनी थी जो अलग अलग हाउस को दर्शाते थे ।
युवराज , समर , मालविका और उनसे कुछ दूरी पर अभिमान भी खड़ा था । युवराज बार बार अपनी घड़ी देख रहे थे और उन्हें गुस्सा भी आ रहा था क्योंकि ओरिएंटेशन स्टार्ट होने में बस पांच मिनट रह गए थे और नंदिनी का कोई अता पता नहीं था अब तक । समर बार बार उन्हें शांत रहने का इशारा कर रहे थे मगर उन्हें भी पता था कि कल युवराज ने नंदिनी को सब समझाया था फिर भी उनका लेट होना सही नहीं था । युवराज ने सोच ही लिया था कि आज वो नंदिनी बाईसा की इस इग्नोरेंस के लिए जम कर क्लास लगाने वाले हैं इसीलिए वो उन्हें लेने खुद जाने लगे । उन्हें जाता देख समर भी उनके पीछे जाने लगे ताकि उन्हें रोक सके । मालविका भी उनके पीछे हो ली क्योंकि वो तो वैसे भी युवराज के पास होने का एक मौका नहीं छोड़ती थी ।
अभी वो लोग हॉल से बाहर निकले ही थे कि सामने सीढ़ियों से नंदिनी और मैथिली जल्दी जल्दी उतरती नजर आती हैं । युवराज ने एक नजर नंदिनी को देखा ओर उनकी तरफ बढ़ने लगे । नंदिनी भी युवराज को सामने देख थोड़ी सकपका सी गई थी । उसे ये अच्छी तरह पता था कि युवराज किसी भी काम में इग्नोरेंस पसंद नहीं करते हैं । उसके कदम थोड़े धीमे पड़ गए । जैसे ही युवराज उन दोनों के पास पहुंचते हैं उनकी नजर मैथिली पर जाती है और नजर गई तो सही मगर अटक भी गई ।
मैथिली जल्दी जल्दी सीढ़ियों से उतर रही थी और वो अपने दोनों हाथों से अपने बाल बनाते आ रही थी जिसमें की कुछ लटें उसके चेहरे पर भी झूल रहे थे। उसने अपने होठों में रबर बैंड दबा रखा था और उसके जैकेट की चैन भी खुली थी जो हवा से इधर उधर हो रही थी । मैथिली ने जैसे ही किसी की नजर अपने ऊपर महसूस की तो उसने अपना सर उठा कर सामने देखा और सामने युवराज को देखते ही उसके चेहरे की हवाइयां उड़ गईं । इससे पहले कि युवराज कुछ कहते मैथिली ने झट से अपना रबर बैंड अपने होठों से निकाला और जल्दी से अपनी सफाई देने लगी ।
" वो अगस्त्या ... आई एम सौरी ! वो क्या है न मेरा अलार्म ही नहीं बजा । मैने लगाया था सच्ची ।" मैथिली ने अपनी सच्चाई प्रूफ करने के लिए अपने गले पर चुटकी ली । मैथिली अपनी बात कहते कहते युवराज के बिल्कुल सामने आ खड़ी हुई थी । युवराज के सीने तक ही आती थी वो । युवराज उसे अपना सिर झुका कर देख रहे थे वहीं मैथिली उनके बराबर आने के लिए अपने पंजों पर खड़ी थी । मैथिली की बच्चों जैसी हरकत देख कर युवराज की आँखें भी थोड़ी नर्म पड़ी ।
तभी पीछे से मालविका की तानों भरी आवाज आती हैं " इट्स ओबीवियस ! हमे पता ही था कि ये लेट तुम्हारी वजह से ही हुआ होगा क्योंकि नंदिनी बाईसा कभी ऐसी छोटी मोटी गलतियां नहीं कर सकती । आफ्टर ऑल वो युवराज की बहन हैं...सो वी ऑल नो ईट की नंदिनी बाईसा तुम्हारी वजह से ही लेट हुई होंगी । " मालविका का ऐसा बोलना वहां किसी को पसंद नहीं आया था और मैथिली को तो नाकाबिले बर्दाश्त था।
वो तुरंत ठुनकते हुए कहती है " क्यों.. क्यों नहीं कर सकती नंदिनी कोई गलती । गलती तो इंसानों से ही होती है और नंदिनी इंसान नहीं है क्या ? और तुम्हे ऐसा क्यों लगता है कि नंदिनी अगस्त्या की बहन है तो उसके ही जैसे होगी । दोनों अलग इंसान है और हमें कभी किसी को कंपेयर नहीं करना चाहिए । और हां एक बात और .... जरूरी नहीं कि सारे भाई बहन एक जैसे हों । भाई तो रावण ओर विभीषण भी थे मगर वो एक जैसे नहीं थे ।"
इतना बोल वो नंदिनी का हाथ पकड़ कर आगे बढ़ते हुए कहती हैं " चलो नंदिनी हमारा ओरिएंटेशन है इनका नहीं तो हमें लेट बिल्कुल नहीं होना चाहिए । " इतना बोल वो ओरिएंटेशन हॉल में घुस जाती है। वहां खड़े लोग तो उसे देखते ही रह गए थे ।
भाग समाप्त।।
पिछले अध्याय में आपने देखा कि जानवी को समर का फोन आता है और वह उनसे बात करती है। समर से बात करने के बाद जानवी खुश हो जाती है। अगले दिन, मैथिली और नंदिनी कॉलेज के ओरिएंटेशन के लिए देर से पहुंचते हैं। वहां, युवराज, समर और मालविका मौजूद थे। मालविका, मैथिली को ताना मारती है और मैथिली उसे जवाब देती है। इसके बाद, वे ओरिएंटेशन हॉल में प्रवेश करते हैं।
अब आगे।
मैथिली अपने करारे जवाब से सबको एकदम शांत कर देती है । उसके बाद नंदिनी का हाथ पकड़ कर आगे बढ़ते हुए कहती हैं " चलो नंदिनी हमारा ओरिएंटेशन है इनका नहीं तो हमें लेट बिल्कुल नहीं होना चाहिए । " इतना बोल वो ओरिएंटेशन हॉल में घुस जाती है।
वहां खड़े लोग तो उसे देखते ही रह गए थे । खास कर युवराज ..उन्होंने इतनी जल्दी तीन एक्सप्रेशन बदलते शायद ही पहले किसी को देख था ... मैथिली जब आई तब युवराज को देख उसके चेहरे पर डर के एक्सप्रेशन थे , वहीं युवराज से बात करते वक्त बच्चे सी मासूमियत तो मालविका को जवाब देते वक्त लाल सेब सा तमतमाया हुआ चेहरा । तभी उन्हें समर के ठहाके लगाने की आवाज सुनी जो मैथिली के example को सुन हंसे जा रहे थे । युवराज ने उन्हें इग्नोर किया और वो भी ओरिएंटेशन हॉल में चले गए ।
मगर मालविका अभी भी वहीं खड़ी थी उसको मैथिली का लंबा चौड़ा भाषण जरा भी पसंद नहीं आया था " वो अपने दांत पिस्ते हुए कहती है मैथिली यू आर गेटिंग ऑन माई नर्वस । यू जस्ट वेट एंड वॉच । " फिर अपने पैर पटकते हुए वो भी हॉल में चली जाती है।
मैथिली ओरिएंटेशन हॉल को एक बार अच्छे से स्कैन करती है । हॉल बहुत बड़ा था कम से कम तीन चार सौ स्टूडेंट्स उसमें आराम से आ सकते थे । सामने एक बड़ा सा स्टेज बना हुआ जिसपर लेफ्ट साइड में एक पोडियम रखा था जिसके ऊपर माइक भी लगा था । स्टेज के बीच में बड़ा सा टेबल और उसके किनारे सात आठ चेयर्स रखे थे । टेबल एक ऊपर भी हर चेयर के आगे एक माइक लगा था और चेयर्स के सामने रिफ्रेशमेंट्स भी रखे थे । जाहिर है ये टीचर्स के लिए थे । सभी सब्जेक्ट्स के स्टूडेंट्स के लिए अलग अलग लाइने लगी थी ।
मैथिली और नंदिनी भी अपनी लाइन में जा कर खड़े हो जाते हैं । स्टेज से ओरिएंटेशन स्टार्ट होने का एक अनाउंसमेंट किया जाता है और फिर स्टूडेंट्स एकदम डिसिप्लिन्ड वे में अपने लाइंस में खड़े हो जाते हैं । टीचर्स आ कर अपनी सीट्स लेते हैं और प्रिंसिपल पोडियम के आगे खड़े होकर अपनी स्पीच स्टार्ट करते हैं
" डियर स्टूडेंट्स वेलकम टू द रॉयल कॉलेज ऑफ जोधपुर । आई नो की आप सब काफी एक्साइटेड होंगे अपनी कॉलेज लाइफ के लिए और होना भी चाहिए बट लेट में टेल यू की आप सबको यहां से अपनी लाइफ के स्किल्स भी सीखने हैं । सो मेक द मोस्ट ऑफ योर कॉलेज लाइफ।" ऐसे ही प्रिंसिपल उन्हें कॉलेज के बारे में आगे बताते हैं । उसके बाद डिफरेंट सेक्टर्स के टीचर्स भी स्टूडेंट्स को एड्रेस करते हैं । ओरिएंटेशन बेसिकली एक इंट्रोडक्शन मीट की तरह ही था ।
सब स्टूडेंट्स स्पीच सुन रहे थे मगर मैथिली का ध्यान इन सब में बिल्कुल भी नहीं था । उसका पूरा मूड खराब हो चुका था । वो सर झुका कर चुप चाप खड़ी थी । वहीं युवराज की नजर भी मैथिली पर बनी थी । उन्हें भी समझ आ गया था कि मैथिली नाराज़ है । अब तक युवराज भी मैथिली की काफी सारी हरकतों से परिचित हो गए थे । या यूं कहो कि जब मैथिली सामने होती तो ना चाहते हुए भी वो उसे नोटिस करते ही रहते थे । तभी युवराज की आँखें कन्फ्यूजन में थोड़ी छोटी हो जाती है जब मैथिली अपना एक हाथ अपने ट्रैक पैंट की जेब में डालकर उसमें से एक बेबी पिंक लिप ग्लॉस निकलती है और अपने होठों पर लगाने लगती है ।
" सच आ वियर्ड गर्ल " युवराज के मन में यही बात मैथिली के लिए आती है । थोड़ी देर में ओरिएंटेशन खत्म हो चुका था और सभी स्टूडेंट्स में रिफ्रेशमेंट बांटे जा रहे थे । मैथिली चुप चाप अपना रिफ्रेशमेंट लेकर हॉल से बाहर निकल जाती है और साइड में बने sunflower गार्डन में जाकर एक बेंच पर अकेली बैठ जाती है । आज उसे अपने पुराने स्कूल और उसके दोस्तों की बहुत याद आ रही थी । कैसे वो सब साथ में मस्ती करते , कैसे मैथिली उन्हें परेशान किया करती थी और कैसे वो उसे हर कांड से बचा भी लिया करते थे । ये सब याद करके उसके चेहरे पर एक धीमी सी मुस्कान आ गई थी । वो अपना फोन निकालती है और उसकी सबसे अच्छी सहेली अंजलि को फोन लगा देती है मगर दूसरी तरफ से अंजलि फोन नहीं उठाती पर उसे एक मैसेज ड्रॉप कर देती है " अभी क्लास में हूं तुझे शाम को कॉल करती हूं ।" ये पढ़कर मैथिली को ध्यान आता है कि उसे टाइम देख लेना चाहिए था कॉल करने से पहले क्योंकि अभी नौ बज रहे थे जो कॉलेज क्लासेज का टाइम होता है । मैथिली यहां के नए माहौल के फर्क को समझ रही थी । यहां के लोग बहुत अलग थे सबके चेहरे पर शाही परिवार का एक मुखौटा था ।
अभी वो इन सब चीजों के बारे में ही सोच रही थी कि उसे अपने पीछे से एक आवाज आती है " आप यहां अकेली क्यों बैठी हैं बेटा ? क्या आपने ओरिएंटेशन अटेंड नहीं किया ? " मैथिली ये आवाज सुन पीछे मुड़कर देखती हैं जहां एक मिडिल एजेड पर्सन खड़े थे जिन्होंने काले रंग का सूट पहना हुआ था और काफी वेल मेंटेंड भी लग रहे थे । उन्होंने आगे पूछा " अपने बताया नहीं ? वैसे आप किस शाही परिवार से बिलोंग करती हैं ? "
ये सवाल सुन मैथिली का मुंह बन जाता है और वो थोड़ा उखड़े अंदाज में कहती है " मैं किसी शाही परिवार से नहीं हूं मैं बस मैथिली हूं ।" मैथिली के बोलने के तरीके को देख सामने खड़े शख्स के चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ जाती है। वो मैथिली के सर पर प्यार से हाथ रख कर कहते हैं " अच्छा तो आप बस मैथिली हैं तो आप बताएंगी की आप सारे स्टूडेंट्स से अलग यहां अकेली क्या कर रही हैं ?" उनका स्नेह भरा स्पर्श पाकर मैथिली की आँखें पनीली हो जाती हैं और वो अपना चेहरा घुमा लेती है ,शायद यही अपनेपन का एहसास तो वो यहां मिस कर रही थी । ये देख राजा सा थोड़े परेशान होकर पूछते हैं " क्या आपको किसी ने परेशान किया ? आप हमें बताइए हम उसकी अच्छे से खबर लेंगे ।" वैसे तो मैथिली उन्हें जानती नहीं थी मगर फिर भी उनके आस पास होने से उसे एक सेफ एनवायरमेंट फील हो रहा था। वो थोड़ा सुबकते हुए हां में सिर हिला देती है । राजा सा चिंतित होकर पूछते हैं " कौन है वो ? आप बस हमें उनका नाम बताइए ।" मैथिली रोनी सी आवाज में अपनी नाक सिकोड़ते हुए कहती है " है यहां पर एक सनकी युवराज वही मुझे परेशान कर रहा है ।"
" युवराज " राजा सा अपने मन में दोहराते हैं " क्या आप युवराज अगस्त्या की बात कर रही हैं ? पर उन्होंने क्या किया ? वो तो कभी किसी को परेशान नहीं करते ।" राजा सा हैरान होकर कहते हैं ।
बस इतना सुनने की देर थी कि मैथिली का रहा सहा सबर भी खत्म हो जाता है । एक तो वो मालविका की बातों से पहले ही परेशान थी और अब ये अंजान इंसान भी युवराज की तरफदारी कर रहा है । ये उसकी बर्दाश्त के बाहर था । वो एकदम से कहती है " बिल्कुल नहीं वो बहुत बेकार आदमी है । उसे बस अपनी ही चलानी होती है । दिन भर अपने साथ एक सेक्रेटरी लेकर घूमता है जो उसकी जगह लोगों को ताने देती रहती है । पता नहीं लोगों को उसमें क्या अच्छा लगता है ।"
" अरे आपको नहीं पता ... अगस्त्या कितना परेशान करता है । जब भी बोलता है तो जैसे जहर ही उगलता है । मुझसे तो पता नहीं क्या प्रॉब्लम है उसको । ऐसे देखता है मानो आंखों से ही भस्म कर देगा । " मैथिली अपनी पूरी भड़ास निकाल कर तेज तेज सांसे लेने लगती है । वहीं राजा सा तो एकदम जैसे जम ही गए थे मैथिली की बातों को सुनकर ।
भाग समाप्त ।।
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कहानी अब तक ।
मैथिली, नंदिनी को लेकर ओरिएंटेशन हॉल में जाती है। युवराज मैथिली को घूरता है। मालविका, मैथिली के जवाब से गुस्सा हो जाती है। मैथिली ओरिएंटेशन हॉल को देखती है और फिर अपनी लाइन में खड़ी हो जाती है। प्रिंसिपल स्पीच देते हैं, लेकिन मैथिली का ध्यान कहीं और होता है। युवराज उसे देखता है। ओरिएंटेशन खत्म होने के बाद, मैथिली अकेली गार्डन में बैठ जाती है और पुराने दोस्तों को याद करती है। तभी एक आदमी आता है और मैथिली से बात करता है। मैथिली, युवराज के बारे में शिकायत करती है।
कहानी आगे ।
इतना बोलने के बाद मैथिली को ध्यान आता है कि उसने क्या क्या बोल दिया है और राजा सा के एक्सप्रेशन तो उसे और डरा रहे थे । वो उन्हें जरा हिलाते हुए कहती है " अंकल क्या हुआ कहां खो गए आप ? " राजा सा उसके हिलाने से जरा होश में आते हैं और कहते हैं " क्या आप सच कह रही हैं बेटा ? युवराज अगस्त्या आपको परेशान करते हैं ? "
मैथिली अब उन्हें जरा ध्यान से देखती है क्योंकि पहले तो उसने आउट ऑफ इमोशन सब कुछ बोल दिया था मगर अब उसे घबराहट हो रही थी । उसकी हिचकिचाहट भाप कर राजा सा उसे प्यार से कहते हैं " आप घबराइए मत बेटा। आप हमसे आराम से बात कर सकती हैं । हम किसी से भी कुछ नहीं कहेंगे ।"
मैथिली थोड़ा क्यूरियस होकर पूछती है " अंकल आप हैं कौन ? "
इसपर राजा सा उसे हस्ते हुए जवाब देते हैं " बेटा हम इस कॉलेज के ट्रस्टी हैं ।" इतना सुनते ही मैथिली के होश उड़ जाते हैं । वो घबराते हुए कहती है " देखिए सर आई एम सौरी । बट आप प्लीज मेरी कही बातें सीरियसली मत लीजिएगा । मैने तो बस ऐसे ही कह दिया था ।"
राजा सा हस्ते हुए कहते हैं " नहीं बेटा आप डरिए मत आप अपनी बातें खुल कर हमसे कह सकती हैं । ये बातें बस हमारे बीच ही रहेंगी । " राजा सा के इस विनम्र स्वभाव से मैथिली भी अब निश्चिंत हो जाती है । हालांकि उसे ये नहीं पता था कि वो युवराज की शिकायत उनके ही पिता से कर रही है ... बेचारी मैथिली ।
" तो आप युवराज के बारे में बता रही थीं । क्या आपको उनसे डर लगता है ? " राजा सा अपनी बात पूरी करते हैं ।
" मैं कोई डरती वर्ती नहीं उससे । होगा वो युवराज... तो मैं कोई झांसी की रानी से कम हूं क्या ? इस बार तो मैने उसे कुछ नहीं कहा लेकिन अगर अगली बार उसने या उस उसकी चमची ने मुझे कुछ कहा न तो मैं भी उसे छोडूंगी नहीं । " मैथिली ने पूरी अकड़ में कहा ।
राजा सा को पहली बार कोई ऐसा इंसान मिला था जो न सिर्फ युवराज को उनके नाम से बुला रहा था बल्कि उनकी जम कर बुराई भी कर रहा था । " हम्ममम हमने भी सुना है उनके बारे में काफी कुछ । आप चिंता मत करिए बेटा हम उन्हें अच्छे से डांट लगाएंगे ।" राजा सा सोचने का नाटक करते हुए कहते हैं।
" हां अंकल बिल्कुल जम के क्लास लगाएगा उसकी... बस मेरा नाम मत लीजिएगा वरना फिर वो मुझे अपनी आंखों के तीर से ही भस्म कर देगा ।" मैथिली अपना मुंह बनाते हुए कहती है ।
मैथिली की नौटंकी देख राजा सा भी हंसने लगे थे । इतना खुल कर जाने वो पिछली बार कब हंसे थे । उन्हें यूं हंसता देख भानसिंह जो कि उनके थोड़े पीछे खड़े होकर चुप चाप उनकी बातें सुने जा रहे थे वो भी काफी हैरान थे । राजा सा के साथ मैथिली भी हंसने लगती है । ऐसी ही है मैथिली बस पल भर में किसी को भी अपना बना लेती है । भानसिंह राजा सा के प्रमुख सहयोगी थे और उनके साथ करीबन पच्चीस सालों से काम कर रहे थे उनके चेहरे पर भी एक भीनी मुस्कान आ जाती है । आज उन दोनों के सामने युवराज का एक अलग ही रूप सामने आया था ।
तभी सामने से युवराज आते दिख जाते हैं । मैथिली उसे देख झट से कहती है " देखिए अंकल वो अकडू इधर ही आ रहा है । आप उसको जम कर डांटिएगा । ठीक है ? मगर अब मैं जाती हूं क्योंकि उसने मुझे देखा न तो उसे पता लग जाएगा कि मैने ही उसकी शिकायत की है ।" ये बोल कर मैथिली जैसे ही जाने को मुड़ती है राजा सा उसे रोक कर कहते है " रुकिए बेटा ये लीजिए ये हमारा कार्ड है आगे से अगर आपको युवराज परेशान करें तो आप हमसे सीधा शिकायत कर सकती हैं । हम अच्छे से उनकी खबर लेंगे । " मैथिली भी खुश होकर वो कार्ड ले लेती है । अभी वो जा पाती की तब तक युवराज भी लगभग वहां पहुंच ही गए थे । मैथिली युवराज को देख झट से अपने रिफ्रेशमेंट उठाती है और उनके बगल से ही भागते हुए निकल जाती है । युवराज उसे अपने बगल से भागते हुए देखते हैं और फिर राजा से के पास चले आते हैं । दरअसल राजा सा अक्सर कॉलेज में मैनेजमेंट का जायजा लेने आते थे क्योंकि ये कॉलेज राज परिवार का ही था और वो जब भी आते तब युवराज से इसी sunflower गार्डन में मिलते थे ।
" ख़म्मा घनी बाबा सा " युवराज राजा सा के पांव छूते हुए कहते हैं ओर फिर भानसिंह जी को भी प्रणाम करते हैं ।
" सदा सुखी रहिए " राजा सा उन्हें आशीर्वाद देते हैं ।
" बाबा सा आपने सब कुछ देख लिया ? हमे विश्वास है कि सारे मैनेजमेंट बिल्कुल ठीक हैं । हमने कुछ दिन पहले ही सबकुछ रिचेक किया था । commoners के लिए भी एडवाइजरी जारी करवा दी गई है ।" युवराज चिर परिचित अंदाज में अपनी बातें आगे रखते हुए कहते हैं ...बिल्कुल भावहीन और स्ट्रेट फॉरवर्ड ।
राजा सा कुछ सोचते हुए कहते हैं " हम्ममम बाकी सब तो ठीक है युवराज । आपने हमेशा की तरह अपना काम बिल्कुल परफेक्ट किया है मगर हमें आपसे ये उम्मीद तो बिल्कुल नहीं थी ।"
" हमने क्या किया बाबा सा ? " युवराज अचंभित होते हुए पूछते हैं ।
"आप एक मासूम सी बच्ची को क्यों परेशान कर रहे हैं ? ये तो बिल्कुल गलत बात है ।" राजा सा डांटने का नाटक करते हुए कहते हैं ।
" हमने किस मासूम को परेशान किया ..... कौन मासूम " अभी युवराज सोच ही रहे थे कि उन्हें याद आता है कि उन्होंने अभी मैथिली को यहां देखा था । ये याद करते हुए वो एकदम से कहते हैं " ये सब आपसे उन मैथिली बाईसा ने कहा न । मासूम और मैथिली बाईसा ... कभी नहीं । आपको पता नहीं है बाबा सा .. वो बाईसा एक आफत की पुड़िया है । अरे उनकी वजह से तो नंदिनी बाईसा की आदतें भी बिगड़ने लगी हैं और हम तो बस उन्हें ... " इतना कहते ही युवराज रुक से जाते हैं क्योंकि शायद ये पहली बार था जब उन्होंने अपने बाबा सा से यूं खुल कर बात की हो और शायद पहली बार ही राजा सा ने उन्हें किसी बात के लिए टोका भी था । युवराज ने खुद को इतना धीर गंभीर कर लिया था कि किसी से हंस कर दो पल बात करना भी जैसे रेयर ही हो गया था ।
युवराज को यूं बोलते देख राजा सा की आंखों में भी एक चमक आ गई थी मगर फिर उन्हें रुकते देख वो भी शांत आवाज में उनसे कहते हैं " हम जानते हैं युवराज की अपने उन्हें परेशान नहीं किया होगा । मगर वो बड़ी प्यारी बच्ची है और उन्हें आपके बिहेवियर से दुख हुआ है तो आप उनसे माफी जरूर मांग लीजिएगा । ये आपका कॉलेज लाइफ है युवराज जिसमें आपको पूरा हक है एंजॉय करने का । आज हमने अगस्त्या की एक झलक आपमें देखी जिसे आपने एक युवराज की जिम्मेदारी तले कही छुपा लिया है । यहां आप सिर्फ अगस्त्या हैं तो वही रहिए । आज हमे बहुत खुशी हुई आपसे मिल कर ।" राजा सा युवराज का कंधा थपथपाते हुए कहते हैं ।
" जी बाबा सा हम ध्यान रखेंगे । " युवराज जवाब देते हैं ।
थोड़ी देर तक दोनों में कुछ बाते होती हैं फिर राजा सा उन्हें खयाल रखने को बोलकर वापिस महल के लिए निकल जाते हैं । युवराज भी अपने रूम की तरफ जाने के लिए निकल जाते हैं मगर रास्ते भर वो मैथिली के बारे में ही सोचे जा रहे थे कि कैसे पहली बार किसी ने उनकी शिकायत उनके ही पिता से लगाई है । ये सोच उनके चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान आ जाती है मगर वो जल्द ही सामान्य होकर अपने कमरे में बढ़ जाते हैं ।
भाग समाप्त।।
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कहानी अब तक।
मैथिली और नंदिनी कॉलेज के ओरिएंटेशन के लिए देर से पहुंचते हैं, जहां मालविका, मैथिली को ताना मारती है और वे ओरिएंटेशन हॉल में प्रवेश करते हैं। मैथिली, युवराज के बारे में शिकायत करती है । मैथिली ने राजा सा से युवराज की शिकायत की। राजा सा ने मैथिली को आश्वासन दिया कि वे युवराज को डांटेंगे। युवराज ने मैथिली को देखा और राजा सा से मिलने गए। राजा सा ने युवराज को मैथिली से माफी मांगने और कॉलेज लाइफ का आनंद लेने को कहा। युवराज मैथिली के बारे में सोचने लगा। नंदिनी, जानवी को बता रही थी कि वे ओरिएंटेशन हॉल में मैथिली को न देखकर परेशान हो गए थे।
अब आगे।।
"अरे हां जीजी हम सच कह रहे हैं । हमसब मैथिली बाईसा को ओरिएंटेशन हॉल में न देख परेशान हो गए थे और भाई सा तो कुछ ज्यादा ही विचलित हो रहे थे ।" नंदिनी ओरिएंटेशन की बातें जानवी को बता रही थी।
थोड़ी देर पहले ।
ओरिएंटेशन हॉल ।।
सब बच्चे अपनी अपनी रिफ्रेशमेंट्स ले रहे थे और बाहर की तरफ निकल रहे थे जहां छोटे मोटे गेम्स स्टूडेंट्स के लिए अरेंज किए गए थे । वहां पर सब थे मगर मैथिली नहीं मिल रही थी । नंदिनी इधर उधर अपनी नजरें दौड़ा रही थी लेकिन उसे मैथिली कहीं नहीं दिख रही थी तभी उसे वॉलंटियरिंग करते हुए समर दिखते हैं जो रिफ्रेशमेंट डिस्ट्रिब्यूशन करवा रहे थे । दरअसल सीनियर स्टूडेंट्स को आज के फक्शन में वॉलंटियर करना था तो समर , मालविका , युवराज और बाकी सारे सीनियर्स भी हॉल में ही मौजूद थे ।
वो समर के पास जा कर उनसे पूछती है " समर भाई सा क्या आपने मैथिली बाईसा को देखा ? वो कहीं मिल नहीं रही हमें ।" नंदिनी को परेशान देख समर भी अपनी नजरें इधर उधर करते हैं मगर उन्हें भी मैथिली दिख नहीं रही थी । उनके बगल में खड़े युवराज ने भी उनकी बातें सुनी और उन्हें भी ध्यान आता कि स्पीच खत्म होने के बाद से उन्होंने भी मैथिली को नहीं देखा । पूरे हॉल और बाहर भी स्टूडेंट्स की काफी भीड़ थी तो उसमें किसी को खोजना वैसे भी मुश्किल काम था । युवराज के चेहरे पर थोड़ी बेचैनी तो आ गई थी , वो अपना कंसर्न शो करते हुए कहते हैं " वाय शी इस सो irresponsible? हम ऐसा करते हैं कि अनाउंसमेंट करवा देते हैं मैथिली शर्मा के नाम से । वो जहां भी होंगी आ जाएंगी यहां ।. "
समर दोनों को शांत कराते हुए कहते हैं " अरे इसकी कोई जरूरत नहीं है युवराज मैथिली बाईसा जरूर बाहर किसी गेम में पार्टिसिपेट कर रही होंगी । आप लोग तो जानते हैं न उन्हें , वो कहीं मस्ती कर रही होंगी । तो आप इतना परेशा....न मत होइए युवराज ।" समर ने युवराज को चिढ़ाते हुए कहा । नंदिनी से भी युवराज की ये तब्दीली छुपी नहीं थी । युवराज थोड़ा खीझते हुए कहते हैं " हम खास तौर से उनके लिए परेशान नहीं हैं । वी आर वॉलंटियरिंग टुडे सो इट्स ऑर रिस्पांसिबिलिटी टू फाइंड हर thats it ..." युवराज ने इतना कहा और गेमिंग एरिया की तरफ चले गए ।
उनके जाने के बाद नंदिनी समर के कान में कहती है " आपको नहीं लगता है भाई सा ...की कुछ तो बदल रहा है ।"
समर बस मुस्कुरा कर हामी भर देते हैं और नंदिनी के हाथ में भी रिफ्रेशमेंट्स पकड़ा देते हैं ।
प्रेजेंट ...
"तो जीजी ऐसा हुआ था । हमे तो लगता है कि कुछ तो एक्साइटिंग हो सकता है ।" नंदिनी भावनात्मक होकर कहती है ।
मगर दूसरी तरफ से जानवी की संजीदगी भरी आवाज आती है " बाईसा हम समझ रहे हैं आपकी भावना मगर ये सही नहीं है । आप तो जानती हैं न कि मैथिली बाईसा एक सामान्य लड़की हैं और युवराज भावी हुकुम सा तो अगर उन दोनों के बीच कुछ होने की संभावना है भी तो उसे खत्म हो जाना चाहिए । हम ये नहीं कह रहे कि मैथिली बाईसा गलत हैं मगर हमें लगता कि शाही परिवार की राजनीति में उनकी मासूमियत खोनी नहीं चाहिए तो बेहतर यही होगा कि दोनों एक दूसरे से दूर हों ।"
जानवी की बात सुन नंदिनी भी सोच में पड़ जाती है क्योंकि एक पल को तो वो अपने ओर मैथिली के बीच के अंतर को भूल ही गई थी । जब से वो मैथिली से मिली थी अपनी जिंदगी खुल कर जीने लगी थी मानो उसे दूसरा ही जनम मिल गया हो जहां वो बस नंदिनी हो कोई राजकुमारी नहीं । नंदिनी खुद को संयमित कर कहती है " जीजी हम तो बस अपनी मन की बात कह रहे थे मगर भाई सा ओर मैथिली बाईसा के बीच ऐसा कुछ भी नहीं है । भाई सा तो उनसे सीधे मुंह कभी बात भी नहीं करते और मैथिली बाईसा को तो युवराज फूटी आंख नहीं सुहाते । आप सही कह रही है जीजी हमने ही ज्यादा सोच लिया था । पता नहीं क्यों पर हमें मैथिली बाईसा में एक उम्मीद की किरण दिखाई दी । तो बस हम..."
" हम समझते हैं बाईसा मगर अभी आपको मैथिली बाईसा से मिले वक्त ही कितना हुआ है । कुछ चीज़ भगवान पर छोड़ देनी चाहिए । वो सब कुछ ठीक ही करेंगे ।आप बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान दीजिए और अपनी कॉलेज लाइफ एंजॉय कीजिए । आपको हमारा ढेर सारा प्यार ..ठीक है ! अब हम फोन रखते हैं । " जानवी ने अपनी तरफ से नंदिनी को समझाया और फोन रख दिया ।
जानवी जैसे ही फोन रख कर पीछे घूमती है तो सामने सुमित्रा जी खड़ी थी जो अपनी पैनी निगाहों से उसे ही घूर रही थीं। अपनी मां सा को सामने देख जानवी का दिल धक्क से रह जाता है " कहीं मां सा ने कुछ सुन तो नहीं लिया ? हे भगवान ! अब क्या होगा ? " नंदिनी के चेहरे पर पसीने की बूंदे दिखने लगीं थी । वो हिचकिचाते हुए पूछती हैं" मा... मां सा आप यहां ? कुछ काम था आपको ? "
दूसरी तरफ ।
गाड़ी में ।
राजा सा वापिस चंद्रिका महल लौट रहे थे । आगे ड्राइवर गाड़ी चला रहा , उसके बगल में भानसिंह और पीछे की सीट पर राजा सा बैठे थे । उनकी गाड़ी के आगे पीछे उनके बॉडी गार्ड्स के गाड़ियों का काफिला भी चल रहा था। भानसिंह की नजर बार बार रेयर व्यू मिरर पर जा रही थी जहां राजा सा का अक्स दिखाई दे रहा था । राजा सा खिड़की से बाहर देखते हुए मंद मंद मुस्काए जा रहे थे । थोड़ी देर बाद जब भानसिंह से रहा ना गया तो उन्होंने पूछ ही लिया " हुकुम सा इतने अरसे के बाद आपके चेहरे पर इतनी मोहक मुस्कान देखी है । कोई विशेष बात है तो हमें भी बताइए ।" इतना सुनते ही राजा सा की मुस्कुराहट और बड़ी हो गई और उन्होंने कहा " आपसे कुछ भी छुपना नामुमकिन है भानसिंह जी । आज भी आप हमारे हर भावना को आसानी से समझ जाते हैं ।"
" जी हुकुम सा अब इतने बरस का साथ है तो हम कैसे नहीं समझेंगे । वैसे ये खुशी युवराज से मिलने की है या फिर उस प्यारी सी बाईसा के मिलने पर ।" भानसिंह जी ने अपनी जिज्ञासा सामने रखते हुए कहा ।
" हम्ममम ..... तो फिर हम कहेंगे कि दोनों से मिलने की है । भानसिंह जी आज सालों बाद हमने युवराज में अपने बेटे को देखा है बिल्कुल वैसे जैसे वो बचपन में बेधड़क ओर बेपरवाह से थे । और मैथिली बाईसा के तो क्या कहने , बड़ी ही प्यारी बिटिया है । पहली बार हमने किसी को देखा जिसे शाही परिवार से कोई लेना देना ही ना हो , उन्होंने तो जिसको जैसा समझा वैसा कहा । उनके लिए सब बराबर हैं और ऐसे बड़े ही कम लोग होते हैं भानसिंह जी क्योंकि आधे से ज्यादा लोग तो बस ओहदे के गुलाम बन चुके हैं।" राजा सा ने अपनी बात समझाते हुए कहा ।
" ये तो अपने ठीक कहा हुकुम सा । पहले तो हम भी हैरान थे कि कोई हुकुम की शिकायत भी कर सकता है क्या... मगर कितनी सादगी से उन्होंने अपनी बात रखी कि हमें भी उनका स्वभाव बहुत भाया ।" भानसिंह जी ने भी राजा सा की हां में हां मिलाते हुए कहा । अब मैथिली ने अपने सरल स्वभाव से उनका दिल जो जीत लिया था । ऐसे ही काफिला चंद्रिका महल पहुंच चुका था ।
भाग समाप्त ।।।
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