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टाइम मशीन सपनो की दुनिया की कहानी

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prahlad deshmukh

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प्यारे  रीडर्स यह कहानी  काल्पनिक है कहानी पढ़कर आपका मनोरंजन करना है  प्रतिलिपि पर टाइम मशीन को लेकर बहुत सी कहानी लिखी गयी है  लेकिन उन कहानियो मे से  ये कहानी बिल्कुल अलग है यह कहानी मे एक रॉकी नाम लड़का  टाइम मशीन  के जरिये भूतकाल की नकली दुनिया  म...

Total Chapters (4)

Page 1 of 1

  • 1. टाइम मशीन सपनो की दुनिया की कहानी - Chapter 1

    Words: 2923

    Estimated Reading Time: 18 min

         कोलकत्ता  ********                                 पांच मंजिला बिल्डिंग मे एक बड़ी कंपनी की मीटिंग चल रही थी जिसमे अलग अलग कंपनीयओ  के वैज्ञानिक मिलकर एक बड़ी काम के बारे मे चर्चा  कर रहे थे  मीटिंग चालू होने मे 10 मिनट बचे थे  सब लोग आ चुके थे उन लोगो के बॉस के आने मे देरी थी की एक सफ़ेद कमीज़  काला कोट  और काला पेंट पहने एक शख्स ने दरवाजा खोलकर अंदर  एंट्री ली और जाकर अपनी सीट पर बैठ गया सब लोग बाते करने मे मग्न थे की उस आदमी पर ध्यान नही दिया ।                                                         तभी उसके पास बैठने वाले आदमी ने कहा की कैसे हो मिस्टर संजय संजय ने कहा मे ठीक हूँ  और आप बताइये आप कैसे है मे भी ठीक हूँ यार  ये बताइये की आपका काम पुरा हो गया की नही तो फिर संजय शिंग ने जवाब दिया की काम को पुरा होने मे दो महीने लगेंगे  फिर उस आदमी ने कहा आपक काम चौकाने वाला है मुझे पता चला है की आप उस काम को करने मे 8 साल लग गये हा                                                         संजय सिंह ने कहा आप बिल्कुल सही बोल रहे है मिस्टर शेखर  उस  आदमी का नाम शेखर था वो दोनो बहुत अच्छे दोस्त थे मै जिस चीज को बनाने मे 8 साल से ज्यादा हो गये वो कोई मामूली चीज नही है  फिर् मिस्टर शेखर ने कहा  अरे यार इतना घुमा फ़िरा के क्यू बात कर रहा है सीधा बताना  मिस्तर् संजय बताने के लिए मुँह खोले ही थे की दरवाजे के अंदर एक महगा ट्री सर्ट पहना एक मोटे आदमी ने एंट्री ली  ।                             ऑफिस मे जितने वैज्ञानिक बैठे थे उन लोगो से ज्यादा प्रतीत होते थे  और वो उस ऑफिस का बॉस था  उसी की कम्पनी मे महगे चीजों की नीलामी होती थी बॉस ने अंदर एंट्री ली और उसको सब देख कर खड़े हो गये साथ मे बॉस ने उन लोगो को बैठने की इज्जाजत दी ।                                 फिर बॉस ने खड़े होकर कहा की  इस साल की अगली नीलामी   उसी महल मे होगी जहा  अगली नीलामी हुई थी तो आप सब लोगो से ये कहना छता हूँ की  अगली नीलामी मे विदेशो के बड़े बड़े बिजनेस मैनो की आने की जानकारी मिली है  तो आप लोग  समझ जाइये की  इस साल कोई छोटे चीजों की नीलामी नही होगी  इस साल कीमती चीजे जो लोगो को देखकर आकर्षण का केंद्र हो ।                                  बॉस की बात सुनकर सब लोगो ने एक दूसरे से बात करना शुरु कर दिया दूसरे लोगो का कहना है की इस साल ज्यादा कीमती वस्तु हमारे पास नही है  किसी के पास नही थे सब चुप चाप बैठे थे लेकिन संजय सिंह धीरें धीरे मुस्कुरा रहे थे ।                             बॉस की नज़र जब संजय सिंह पर पड़ी तो वो भी हलके से मुस्कुरा दिये और पूछा क्यो मिस्टर संजय इस बार भी अपना कमाल नही दिखाओ गे नही सर ऐसी बात नही है  वो क्या है ना  मेरा भी काम कम्प्लीट नही है तो फिर बॉस ने कहा तो फिर मुस्कुराने की वजह सर मे इसलिये मुस्कुराया क्योकि लगातार 5 साल तक नीलमी  मे हमारी ही कंपनी  जीती है तो  इस बार हमारे लोगो के पास कीमती वस्तु नही है तो पहली बार हमे हार का सामना करना पड़ेगा ।                        सही कहा  मि संजय  लगातार 3 बार तो आपकी ही मेहरबानी से जिता है हर बार जीत नही मिलत्ती दूसरी कंपनी भी इस बार नीलमी  मे जम कर फायदा उठाएंगे  सही कहा  सर आपने  मेरा निर्णय तो अभी उचित नही है वक्त आने पर मे आपको फोन पर बता दुगा  तो ठीक है  मीटिंग  अब यही ख़त्म होती है और  सबसे पहले बॉस बहार गया फिर सब लोग एक के बाद एक बाहर निकलने लगे ।                           फिर लास्ट मे शेखर और संजय सिंह बाहर निकलने लगे तो सेहर ने कहा यार होटल चलते है  डिनर् करके घर के लिए निकलेंगे ऐसे ही हमें  इस साल 2 महीने की छुट्टी मिली है फिर संजय ने कहा ठीक है चलो चलते है फिर दोनो होटल के लिए निकल गये  ।                               5 मिनट होटल पहुंचने के बाद दोनो होटल के अंदर  डिनर् टेबल पर जाके बैठे  और कुछ खाने का ऑडर किया  फिर लंच करते हुए शेखर ने कहा  तूने ऑफिस मे कुछ बता रहा था  वो बोल क्या कहना चाहता था तु तो फिर संजय सिंह ने कहा तो सुन मे कोई मामूली चीज नही बना रहा हूँ  मे वो चीज बना रहा हूँ जो दुनिया मे किसी के पास नही है  जानेगा क्या ...                       तो उसने जवाब दिया क्या  फिर संजय सिंह ने  गहरी  सांस लेकर कहा  टाइम मशीन के बारे मे पढ़ा होगा  हा यार किताबों मे पढ़ा है लेकिन यह कैसे सम्भव है कोई इसका अविष्कार कैसे कर सकता है  सही कहा तुमने इतना आसान नही है  मे खुद भी हैरान था की मे टाइम मशीने का अविष्कार कर पाउगा नही इसके लिए मैने कई प्रकार के किताबों का अध्ययन किया  इंटरनेट पर  पुराने जमाने की जानकारिया  हासिल की है साथ मे  विदेशो  मे टाइम मशीन बनाने वाले अविष्कारको से  उसकी id से बहुत कुछ जानकारी हासिल हुई  एक एक समान कम्पनियो से ऑडर्स करता  ऐसे ही करके मैने 8 साल  लग गये  और मे आधे कामो मे महारथ हासिल कर ली बस 2 महिने के बाद काम पुरा हो जायेगा मैने ये बंचपन से सोच लिया था की बड़ा होकर एक महान वैज्ञानिक बनुगा मेरा भी एक नाम होगा पर मुझे उम्मीद नही थी की मे पुरी तरह सफल हो पाउगा  पर मेरी हिम्मत ने जवाब दे दिया की मे सफल जरूर होउगा ओरु जो मशीन मे बना कर तैयार करुगा वो मशीन  सपनो की दुनिया मे सेर करने वाली मशीन होगी जो मानव उसमे सेर करेगा वो सपनो की दुनिया मे जाकर भी उसे कुछ नही होगा उसे भूख प्यास नही लगेगी अगर उस दुनिया मे कोई जानवर टाइम मशीन के जरिए सेर करने वाले लोगो पर नकली दुनिया मे हमला करता है तो उन लोगो पर एक करोच भी नही पड़ेगी  वो उस दुनिया मे जाकर अमर रहेंगे क्योकि जिन लोग टाइम मशीन पर सेर करेंगे ना वो उन लोगो के लिए वो दुनिया नकली होगी  बस एक या दो घंटे सेर कराकर अपनी दुनिया मे वापिस लाया जा सकता है  ।                         मिस्टर शेखर यह सुनकर  अचाक रह गये फिर मिस्टर सिंह बोले मे जानता हूँ  तुघे मेरे बात पर झटका लगा है  फिर                          शेखर ने कहा तो तेरा काम पुरा हो गया है तो तूने बॉस को अपने काम के बारे मे पुरा क्यो नही बताया और तो नीला्मी मे अरबो की सम्पति तेरी होती और हमारी कंपनी। भी नही जाती   तुम सही कह रहे हो पर मेरा काम पुरा नही हुआ है और दूसरी बात उन मसीनो मे जान का खतरा है जान तो नही जाएगी पर डर अवश्य लगेगा  अगर कुछ लोग उसमे सेर कर गये और मशीन बीच मे खराब हो गयी तो जिम्मेदार कों होगा मे ना इसलिए मे खुद उसका सफल परीक्छन  न कर लु उसमे किसी को सेर नही करा सकता मेरी बात तो समझ गये होगे                    हा यार तु तो वाकई मे महान वैज्ञानिक बनने के करीब पहुंच गया है और हा मुझे भी टाइम मशीन मे सेर करवाना नब भूलना  फिर संजय सिंह ने कहा अभी कुछ कहा नही जा सकता  आगे वक्त ही बताएगा  अब लंच खत्म हो गया हो तो चले  घर जाकर आराम करेंगे   दोनो हस दिये और हस्ते हस्ते अपनी अपनी गाड़ियों मे घर के लिए निकल गये.........? कॉलेज मे......                      उठ बे रॉकी और कितना  देर तक सोएगा आज कॉलेज का लास्ट डिन है  और तु सुबह होने के बाद भी टाइम बेस्ट कर रहा है उठ जा वरना पानी  गिरा दुगा तो मत बोलना फिर फिर रॉकी ने अपनी आँखे बंद करे ही जवाब दिया सालो तुम लोग ने तो मूझे जीना ही हराम कर रखा है कल रात को जम कर पार्टी  एन्जॉय  किया अब रात को देर मे सोया हूँ तो सूबह भी देर मे उठुंगा ना                            कॉलेज के पहली ही  दिनों से  ही ऐसे ही बतमीजी कर रहे हो मेरे साथ अब तो में घर जाकर ही  अपना नींद पुरा करुगा फिर अभय ने कहा बस कर अब ज्यादा मत झाड़ यार  अब चल उठ कर तैयार हो जा आज अपने कॉलेज के दोस्तों के साथ्  फोटो के साथ डिनर  भी करेंगे हर दोस्तों की मुलाक़ात बार बार नही होती  ।                          आज का दिन हमारा आतिम डिन होगा फिर वरुण बोला लेकिन हम तीनो का नही   फिर रॉकी ने कहा हा हम लोग तो बीच बीच  मे मिलते क्योकि  रॉकी के दो दोस्त थे अभय और वरुण  सब लोग तैयर होकर अपने कॉलेज के आतिम दिनों को यादगार बनाया और फिर  सब लोग अपने अपने बैग पैक करके घर निकलने की तैयारी करने लगे ।                                रॉकी ने अपने लिए प्लान बनाया था की मे बिना  बताये हि अपने घर जाऊगा घर जाकर मा को सरप्राइज़ दुगा  फिर खुशी मे वो भी बेग पैक करने लगा पर रॉकी को नही पता था की घर जाकर उसके साथ क्या होगा  सुबह होते हीं सब लोग अपने घर के लिए निकल गये ...? दूसरी और     संजय सिंह का घर  -                                संजय सिंह अपने घर के लैब मे  अपने कामों  व्यस्त थे की किसी  महिला  ने  लेब के अंदर चाय लेकर आयी और बोली दिन भर लेब मे रहते हो कभी खाना खाने भी भी ड्राइविंग टेबल पर आ जाया करो  इस मशीन की इतनी फ़िक्र पड़ी है आपहो को खाना पानी मे कुछ ध्यान नही दे रहे                          मिस्टर संजय ने उसे बीच मे टोकते हुए कहा अरे बस भी करो अनिता  वो महिला संजय सिंह  की बीवी थी  अरे मेरा यह 8 साल का काम आज खत्म होने वोला है  ये मशीन अब पुरी तरह बनकर तैयार हो गयी है  कुछ दिनों के बाद बॉस को भी इसकी जानकारी दे दुगा  रात हो गई थी तो अपना काम निपटा कर  सोने चले गये  लेकिन टाइम मशीन की क्लिप बोर्ड पर से निकालना भूल गये थे ।                                  सुबह  होते हीं  संजय सिंह अपनी पत्नी के साथ लेब की साफ सफाई करने मे लगे हुए थे की किसी लड़के ने अपने कंधो पर बैंग टांगे दरवाजे से घर के अंदर एंट्री ली वो लड़का  रॉकी  था जो अपना कॉलेज  क्म्पलीट करने के बाद अपना घर आया था संजय सिंह और अनिता उसके माता पिता थे उन लोगो की एक हीं संतान थे रॉकी  ।                              घर के अंदर आने के बाद रॉकी ने अपना बैग सोफे पर रखा और दबे पाव किचन रूम की तरफ अपनी माँ को ढूढ़ने लगा सब रून मे देखने के बाद लेब रूम के अंदर कुछ गिरने की आवाज़ आयी आवाज के जरिये रॉकी भी उस तरफ जाने लगा रॉकी के माता पिता साफ सफाई करने मे इतना मग्न थे की  उन लोग को अंदाजा भी नही हुआ की की कोई उसकी लेब की तरफ बढ़ रहा है  ।                          रॉकी  लेब के दरवाजे पर गया था की  मशीन से आवाजे आने लगी आवाज बढ़ती गयी  और मशीन हिलने लगा साथ मे मशीन की तेज रोशनी दरवाजे पर खड़े रॉकी पर पड़ी  संजय सिंह और उसकी पत्नी अपने कानो मे हाथ रखे खड़े थे संजय सिंह सॉचने लगे की मैने तो इसे चालु भी नही किया तो ये कैसे  चालु हो गया ।                          दोनो सोचने मे मग्न थे जब मशीन की तेज लाइट दरवाजे पर पड़ी तो वो दोन  भी उस तरफ देखने लगे दरवाजे के पास रॉकी खड़ा  था अपने आँखों को लाइट की किरणों से बचाने के लिए एक हाथ हो अपने चेहरे पर रखा था की रॉकी का शरीर कापने लगा धीरें धीरें  उसके आँखों पर अंधरा छाने लगा और आखिर बेहोश होकर वही पर गिर गया  ।                               टाइम मशीन चालू को चुका था रॉकी की आत्मा टाइम मशीन के अंदर जा चुकी थी  अब धीरें धीरें मशीन पर् सार्ट सर्किट करंट फेकने लगा मशीन की आधी चीजे गर्म होने लगी लेब मे धीरें धीरें धुँवा उठने लगा संजय सिंह की नज़र रॉकी पर हटकर मशीन पर पड़ी तो झट से मशीन के पास जाकर मशीन की किल्प को बोर्ड से निकालकर खिड़खी को खोला  फिर मशीन की आवाजे आणी भी बंद हो गयी ।                              वो दोनो अब भी बूत बनकर खड़े थे अभी अभी क्या हुआ  वो समझने की कोसिस करने लगे  जब रॉकी की माँ की नजर बेहोश पड़े हुए रॉकी पर पड़ी तो  वो उसके पास  जाकर उसे उठाने की कोशिश करने लगी  जब उसके पिता अभी भी  मशीन की फ़िक्र मे खोये हुए थे की रॉकी के माँ की रोने की आवाज़ उसकी कानो मे पड़ी तब उसकी तंदा टूटी और वो भी रॉकी के पास पहुँचा  और रॉकी को देखकर बोला की तुमने मुघे  क्यो नही बताया की रॉकी यहा आ रहा है फिर उसकी माँ ने रोते हुए जवाब दिया मुझे भी नही बताया था तो मे आपको क्या बताती  देखो मेरा बच्चा बेहोश पड़ा है जल्दी डॉक्टर को बुलाओ जी कहकर उसकी माँ फिर रोने लगी  ...                              रॉकी के पिता ने एक नज़र रॉकी पर डाली फिर मशीन की ओर जाकर मशीन की साइलेट मे उसका ईयर देखने लगे उसमे लिखाया था ईयर 1750 फिर उसके पिता के माथे पर चिंता की लकीरें खींचने लगी वो रॉकी दो साथ क्या हुआ और वो कहा गया वो सब जान चुके थे फिर भी  अपनी पत्नी के सामने चुपचाप जाकर रॉकी को उठा कर उसके रूम मे ले जाकर बेड पर लिटा दिया  ।                             उसकी माँ ने उसके चेहरे पर पानी छीडकने की भी कोशिश की पर कोई फायदा नही हुआ तो  वो तेज आवाज़ मे बोली क्या खड़े हो जी डॉक्टर बुलवाइये जल्दी  अब संजय सिंह गहरी चिता मे थे की उसे कैसे समझाये फिर थक हार कर अपनी पत्नी को सच बताने की सोची  देखो अनिता  रॉकी डॉक्टर के इलाज से ठीक नही होगा ।                              फिर उसकी बीवी ने कहा ये आप क्या कह रहे हो जी  मे ठीक कह रहा हूँ अनिता रॉकी मेरा बेटा है और उसके साथ अचानक घटी घटना के कारण मे भी बहुत दुखी हूँ  मे तुम्हे सब बताऊगा पहले अपने आपको सभालो और रोना बंद करो  रॉकी को कुछ नही होगा  रॉकी को  उसके रूम मे छोड़कर उसकी माँ खाना बनाने चली गयी  ।                            दूसरी ओर संजय सिंह एक बार फिर मशीन का निरीक्क्षण करने चले गये लेब मे जाकर  ध्यान से देखने की कोशिश करने लगे  की मशीन अपने आप चालू कैसे हो गयी  फिर बोर्ड पर नज़र मरने के बाद याद आया की मशीन को बनाते वक्त उसकी किल्प को बोल्ड से निकालना भूल गया था  दिवार क नीचे कोने मे हीं बोर्ड लगा था साथ मे 2 लाल रंग का मोटा वायर भी कटा हुआ मिला देखने पर वायर को काटा गया प्रतीत पर रहा था फिर चारों तरफ नज़र घुमाने पर कुछ नही दिखा तो मशीन के नीचे देखने लगा नीचे से कुछ चीज की बदबू आ रही थी फिर ध्यान से देखने पर पता चला की वो चूहा था फिर उसको  समझने देर नही लगी की  चूहा दिवार के कोने  मे लगा बोर्ड से चिपककर आने के कारण बटन चालु हुए थी फिर चुहे को वायर काटने के कारण करंट का झटका लगा और वो यही मर गया  फिर और भी मशीन के आस पास देखा उन मशीन की 40% चीजे जल चुकी थी बाकी सब सही सलामत था यह देख कर संजय सिंह ने चैन की सास ली क्योकि ये मशीन बनाने मे 8 साल लगे है  जो जो समान जला था उसको डायरी मे नोट की फिर थोड़ी देर बाद वह भी अपनी पत्नी के पास चला गया  ।                              उसकी पत्नी ड्राविंग टेबल पर बैठ कर अब भी चुपचाप अपने बेटे के बारे मे सोचरही थी की संजय सिंह ने अपनी कुर्सी पर बैठकर बोला मे जानता हूँ तुम क्या सोच रही हो  फिर उसकी बीवी भी उसकी ओर देख कर बोली  आप मुझें कुछ बताने वाले थे ना बताइये मेरा बच्चा को क्या हुआ है  और वो कैसे ठीक होगा  फिर संजय सिंह ने एक नज़र अपनी पत्नी पर डाली और गहरी सांस लेकर बोलना शुरु किया की यह सब टाइम मशीन के कारण हुआ है और रॉकी उसी के जरिये वापिस आएगा  फिर उसकी पत्नी ने उसकी बात बीच मे काट कर कहा तो फिर मेरे बेटे को वापिस लाइये ना  ।                             संजय सिंह ने शांत आवाज़ मे कहा पुरी बात सुनलो फिर बोलना जिस मशीन ने रॉकी की आत्मा को खींचा है वो कोई मामूली मशीन नही है वो सपनो की दुनिया अर्थात भूतकाल में सेर करने वाली मशीन है  जो भी मानव उसमे सेर करेगा उसकी आत्मा निकलकर  भूतकाल मे चाली जाएगी उसका असली शरीर यही गिर जायेगा  जिस भूतकाल मे पहुंचेगा उसके लिये वो बिल्कुल नकली दुनिया होगी  उस दुनिया मे वो अमर होगा  कोई जानवर क्या  भूत प्रेत जिन्न भी उसका कुछ नही बिगड़ पायेगा  बस उसको नकली दुनिया मे डर बस लगेगा  उसकी  मृत्यु नही होगी  मृत्यु होगी तो वो सिर्फ उसकी असली दुनिया मे होगी  जो की हमारे यहा भूतकाल मे उसकी  मृत्यु  निश्चित नही हीं  यही रॉकी के साथ भी होगा  अब तु समझ् गयी होगी और जब तक मशीन पुरी तरह नही बन जाता तब तक तुम्हे रॉकी के शरीर का ख्याल रखना होगा  ।                              उसकी पत्नी ने उसकी बात सुनी तो  अचाक् रह गयी  फिर भी संजय सिंह ने अपनी पत्नी को दिलासा दी की रॉकी मेरा भी बेटा है और मे उसे वापिस लाने के लिए रात दिन एक कर दुगा  बस समान पहुंचने मे कुछ हपते लगेंगे  और हा अगर रॉकी के दोस्त पूछे तो बोलना की वो अपने मामा जी के घर घूमने गया है  रॉकी के रूम मे हम दोनो के शिवाय किसी को भी मत भेजना  समझ गयी ना इससे उसके शरीर को खतरा हो सकता है  उसकी बीवी ने कहा की मे अपने बेटे का ख्याल बहुत् अच्छे  से रहूगी किसी को उसके बारे मे नही बताऊगी  बस यही उम्मीद बचा कर रखना भगवान से दुआ करना की हमारा बेटा सही  सलामत  आ जाये  ....?

  • 2. टाइम मशीन सपनो की दुनिया की कहानी - Chapter 2

    Words: 3840

    Estimated Reading Time: 24 min

    वीरागढ़ राज्य सन् - 1750  *********                                          जंगलो से घिरा हरियाली का विशाल राज्य  जहाँ  बड़े बडे चट्टानो के ऊपर से झरनो का पानी  मधुर् आवाज के साथ नीचे गिर रहा था उसके आसपास फल फुल पेड़ पौधे चारो तरफ  पक्षीयो की  आवाजे शांत वातावरण को तोड़ रही थी  ।                             उसकी धोड़ी दूरी पर घना जंगल था जहाँ डाकू लोग रहते है  उसकी  दक्षिण दिसा मे एक बड़ा विशाल महल  था और महल के थोड़ी नही उन्ही के निवासियों की बस्ती थी  उसकी बायी तो पंडालो से सजाया गया   हॉट बाजार लगा था जहाँ फल फूल चूड़ी कंगन कपड़े मिट्टी के बर्तन जदी बुटिया खाने काम समान सब्जियाँ  सभी प्रकार के चीज देखने को  बिल्कुल मेले जैसे  लग रहे थे   ।                              महल के अंदर राजा वीरसिह् अपने सिहासन पर बैठे थे की  एक सिपाही  महराज के पास आकर सलाम किया और बोला महाराज वो डाकुओ का पता चल गया है जो हमारे निवासियों के लोगो का समान लूट कर चला जाता है वह लोग जंगल मे रहते है लूट के सामनों को वाही अपने गुफा मे एकत्र करते है  ।                        महाराज  बोले अब की बार जंगल की सीमा पर कुछ सिपाही तैनात कर दो इस बार आये तो  जरूर पकड़ना उन डाकुओ को और हा जंगल के सीमा के अंदर मत जाना  सिपाही ने कहा जो हुकुम महाराज  अभी जाकर अपने सिपाहियों को काम पर लगा देता हूँ  ।                          दूसरी ओर डाकुओ के सरदार  मंगल सिंह  अपने जाबाज सिपाही जीत सिंह से बात  कर रहे थे की  एक डाकू आकर बोला सरदार जंगल की सीमा के बाहर महाराज वीर सिंह ने अपने सिपाहियों को तैनात कर दिया है  हमारे 2 साथी बस्तियों मे भेस बदलकर घूम रहे है  अब वो लोग यहा नही आ पाएंगे  और हमारे पास दूसरा रास्ता नही है  ।                              जीत सिंह बोले मुझे पहले से मालूम था यह सब होगा  क्योकि सबसे ज्यादा लूट उन्ही की बस्तियों पर करते थे  चिता मत करो वो लोग जंगल के अंदर नही आएंगे  रही बात हमारे साथियो की तो वो  लोग खुद हीं आ जयेंगे  तभी डाकुओ के थोड़ी दूरी पर  एक बुढ़ा शख्स सफ़ेद दाढ़ी काली धोती  गले मे माला पहने वो बुढ़ा व्यक्ति मगलसिंह के पास जाकर खड़ा हॉ गया ।                           मंगलसिंह के साथ उसके आदमियों ने भी खड़े होकर  उस बूढ़े व्यक्ति को प्रणाम किया  और बोले आपको फिर कैसे आना हुआ गुरुदेव  वह एक तपस्वी गुरु दत्त थे और बोले देखो मंगल सिंग मुझे 1 स्त्री की आवश्कता है  तुमको सूरज ढलते तक जगल सीमा के पहाड़ी के पास  लेकर आना  मुझें उनकी बली दे कर आज रात की सक्तियां प्राप्त करनी है और यह काम हॉ जाना चाहिये तुम समझ गये ना ।                              आप  उसकी  चिता मत कीजिये काम हॉ जायेगा गुरुदेव  ढत बोले  मै चलता हूँ  बोल कर वो आगे बढ़ गये   फिर उसके सरदार ने कहा की  तुम यह काम अच्छी तरह कर लोगे जीत सिंह जीत सिंह बोले क्यो नही सरदार  आप  आज्ञा तो दे मे अभी गया और अभी लाया  ।                                    उसके सरदार ने जीत सिंह के साथ कुछ डाकुओ को भी जीत सिंह के साथ भेज दी क्योकि राजा के सिपाही जंगली सीमा पर तैनात है  वह अपने आदमियों सच पकड़वाना नही चाहते थे  दोपहर का समय हुआ था की आसमान मे तेज हवाये चलने लगी  पेड़ पौधे मिट्टी धूल सब उड़ने लगे  उसी के पास तालाब मे कुछ स्त्री पानी भर रही थी की थोड़ी दूरी पर घोड़ो के टापो की आवाजे सुनाई देने लगी                               उनकी नज़र डाकुओ पर पड़ी तो सब अपने बस्ती की तरफ भागने  लगे  एक स्त्री जल्दी भागने के चककर मे उसका पैर फिसल गया और वो मुह के बल वही गिर गयी  सब लड़किया वहा से भाग चुकी थी  ।                                    सब डाकू  नदी के पास पहुंच कर गिरी हई लड़की को एक नज़र मारे और उसकी तरफ बढ़ने लगे एक डाकू ने कहा हमारा काम तो रास्ते  हीं मे पुरा हॉ गया सरदार  वो लड़की दोनो हाथ जोड़ कर रोते हुए बोली मुघे छोड़ दो मेरे पास कुछ नही है मुझे जाने दो  ।                            जीतसिंह अपने  डाकू साथियो  को  लड़की को उठाने के लिए कहा  इसे घोड़े पर बिठा कर जल्दी चलो  भागने वाली लड़किया जरूर राजा वीर सिंह के सिपाहियों को खबर देगी चलो निकलो जल्दी  वो लोग घोड़े पर बैठ कर थोड़े दूर गये थे की  वहा तेज हवाये के साथ धूल मिट्टी उड़ने लगे साथ मे  गोल् गोल् चक्रवात पैदा होने लगे  जिसके कारण डाकुओ के घोड़े एक जगह रुक कर हिनहिनाने लगे  ।                            आधे डाकू घोड़े से नीचे गिर गये और वो लड़की भी छुट गयी धीरें धीरें आसमान से जमीन तक भयानक चकवात  गोल गोल घूमते हुए बड़ी होने लगी यह नज़ारा  राजा वीर सिंह के साथ  उसके बस्तियों के लोग भी देखने लगे सब लोग देख कर डर गये थे साथ मे राजा वीर सिंह भी देख कर डर गये थे  सब लोग सोच रहे थे की खी ये हमारे बस्ती के तरफ ना आ जाये  राजा भी छत से वह नज़ारा देख रहे थे  जीत सिंह के आधे डाकू तो पुरी धूल मिट्टी से संज्ञे थे  सब लोग घोड़े से उतरकर पेड़ के पीछे चिप गये  ।                                  चक्रवात  बड़ा होने लगा और उसके अंदर किसी  मानव्  की अकृति बनने लगी उन डाकुओ को धूल कणों के कारण कुछ दिखाई नही दे रहा था  धीरें धीरें मानव अकृति एक लड़के के रूम मे तब्दील होने लगी और चक्रवात् भी शांत होने लगा  फिर  रॉकी का शरीर धम से जमीन पर गिर गया  और धीरें धीरें चक्रवात गायब होने लगी  ।                                जब पुरी तरह आसमान साफ हुआ तो सब लोगो ने राहत की सांस ली  छुपे हुए डाकू जब बाहर निकल् कर उस लड़की को ढूढ़ने लगे पर वो लड़की तो  छूटते हीं फरार हॉ चुकी थी  इधर उधर ढूढ़ने के बाद भी नही मिला तो एक डाकू ने कहा लगता है सरदार वो यहां से भाग गयी ।                            जीत सिंह उन लोगो को डाट कर बोले की मूर्खो एक लड़की को भी संभाल नही सकते  इतनी आसानी से मिली थी वो भी गवा बैठे दूसरे डाकू ने डरे सहमे कहा पर सरदार वो चक्रवात  तो भी इतना बयानक था मेने तो जीवन मे पहली बार इतनी नजदीक से यहा का माजरा देखा है डर अभी भी लग रहा है कही वह फिर ना आ जाये  ।                             उसके सरदार ने फिर डाट लगाई चुप रहो  हमारे घोड़े तो भाग गये  अब पैदल हीं जाना पड़ेगा चलो वो लोग चार कदम बढ़े थे की एक लड़का बेहोश पड़ा हुआ मिला सब डाकू उसके पास जाकर ध्यान से देखने लगे  सब लोग उसे 1 मिनट तक घूरते रहे  फिर डाकू ने कहा सरदार इसका पहनावा तो  बिल्कुल अजीब तरह का लगता है  जीतसिंग बोले बाकी बाते हम अपना निवास पर कर लेंगे इसे उठा कर ले चलो जंगल मे क्या  पता वीर सिंह अपने सिपाही के साथ यही पर आ जाये मुझे यहा बिल्कुल ठीक नही लग रहा चलो  जल्दी और वो लोग घने जंगल की ओर बड़ गये  .....? दूसरी ओर  महल मे ******                              राजा वीर सिंह  अपने सिहासन पर बैठ कर उस भयानक चक्रवात के बारे मे सोचने लगे  और फिर बोले हमें वहा जाकर देखना चाहिए  की  वहा पर  क्या क्या हुआ है  जाकर देखना तो जरूर पड़ेगा  फिर वीर सिंह के सेनापति सुजान  बोले महराज   मे खुद उस जगह जाकर  देखूगा फिर आपको खबर करुगा  महराज बोले नही सुजान मे भी साथ चलुगा और कुछ सिपाहियों को भी ले चलो  हम भी तो  देखे वहां का नज़ारा क्या है  सेनापति सुजान बोले ठीक है महराज  मे कुछ सिपाहियों को इकट्ठा करता हूँ  महराज ने भी हा मे सिर हिला दिया ...! जंगल मे ******                       जंगल के अंदर गये थे की रॉकी को होश आ गया और जब उसे मालूम चला की कोई उसे घसीट कर ले जा रहा है तो उसे धीरें धीरें सब कुछ साफ दिखने लगा उसे कुछ घनी दाढ़ियों वाले डाकू घसीट कर ले जा रहे थे तब रॉकी उन लोगो को देख कर डर गया था कही ये लोग मुझे होश मे देख कर मेरा मर्डर न कर दे  इसके कारण वह अब भी बेहोशी का नाटक  कर रहा था  ।                           चलते हुए एक डाकू ने कहा सरदार  इसे गुरुदेव के पास ले चलते है  हमारे पास समय भी नही है की हम अभी  स्त्री की खोज कर सके गुरुदेव अगर हमसे नाराज होगे तो हम उस चक्रवात के बारे मे बोल देंगे  जीतसिंह कुछ सोचने लगा जब उसके साथी की बात ठीक लगी तो  वो लोग अपना गुफा की तरफ जाने की छोड़ पहाड़ी की तरफ बढ़ने लगे जहाँ उनके गुरु ने उने बुलाया था अगर खाली हाथ गये तो और भी ग़ुस्सा हॉ जाएगे आखिर् जाना तो पड़ेगा हीं  वो लोग सोचते हुए पहाड़ी के पास पहुंच गये  डर तो सबको लग रहा  था  की कही गुरुदेव को क्रोध आ गया तो उसे जानवर ना बना दे ।                              उनके गुरु अपने दोनो आँखे बंद कर ध्यान मे मग्न थे दूसरे डाकू रॉकी को दुर् से लाने के कारण बहुत थक गये थे  उसको वही एक पाधर पर लेदा दिया और सब गुरुदेव के सामने हाथ जोड़कर खड़े हॉ गये जीत सिंह ने डर कर शांत आवाज़ मे कहा  गुरुदेव  ....                           उसकी आवाज सुनकर गुरुदेव ने अपनी आंखे खोली और बोले काम हुआ  जीत सिंग दरी हुयी आवाज मे गुरुदेव  काम  हॉ गया था लेकिन उस विशाल चक्रवात के कारण हम अपने आप को नही संभाल पाये और वो मौक़े का फायदा उठा कर भाग गयी हमें  माफ़ कर दीजिये पहली बार आपके काम मे असफल रहे  दूसरी बात जंगल के बाहर महराज वीर सिंह अपने सिपाहियों को तैनात कर चुके है जिसके कारण हम उस बस्ती पर नही जा सकते हमारे पास समय भी काम था तो हम लोग क्या करते गुरु देव सब लोग सर झुका कर खड़े रहे गुरुदेव नाराज तो हुए पर उनके गुरु को भी उस चक्रवात की भनक लग चुकी थी आखिर उन लोगो को वापिस अपने निवास  पर जाने ले लिए बोल दिया ।                            उनके गुरु खुद उन सवालों मे उलझे थे तो उन लोगो को कुछ बोलना ठीक नही  समझा वैसे भी उन उन विशाल चक्रवात के आवाजो के कारण  पुरी जंगल सीमा काप गयी थी साथ मे उनके गुरु दत की साधना भी बीच मे टूट गयी थी इसलिए उन लोगो को कुछ नही कहा सब डाकू राहत की सांस लिए  ।                       अपनी बस्ती की ओर जाने लगे डाकुओ का ध्यान भी नही गया की जो लड़का वो लेकर गये थे उसे वही छोड़ दिया  जब वो लोग अपने गुरु के साथ बात करने माग थे की रॉकी झट से उठ कर चट्टनों पर चिप गया साथ मे उन लोगो की बाते भी सुनी थी गुरुदेव अब भी वही बैठ कर उन  चक्रवात के बारे मे हि सोच रहे थे ।                          दूसरी ओर रॉकी  भी सोच रहा था की उन डाकू लोग उनको सब हाथ जोड़कर गुरुदेव क्यो बोल रहे थे फिर एक नज़र उन लोगो के गुरुदेव दत पर डाली ये दिखने मे तो किसी तपस्वी की तरह दिखते है क्या पता  मेरे लिए साफ सहायता कर दे आखिर इस जंगल मे किसके पास जाऊ सहायता मांगने                            बहुत सोचा फिर मैने तय किया की इसी के पास जाऊगा सहायता मागने जो होगा देखा जायेगा और  रॉकी उस ओर बढ़ने लगा  गुरुदेव दत्त के पास जाकर सीधे उसके पैर पकड़ लिया और बोले बाबा अपने पैर मे किसी का स्पर्श पाकर गुरु दत्त की तंदा टूटी जब उसकी नज़र नीचे बैठे रॉकी पर पड़ी तो  वोले कों हॉ बालक इतनी घना जंगल मे क्या कर रहे हो ।                            रॉकी के पास कुछ जवाब नही था वो खुद नही जानता था की वो यहा कैसे आया  उसे इतना  मालूम  था की वह अपने कॉलेज खत्म होने के बाद अपना घर आया था  गुरु दत्त उसे चुप देख कर फिर बोले  कौन हॉ तुम ......                         तो फिर रॉकी ने कहा बाबा मे इस आपकी तरह इंसान हूँ मे अपने घर मे था मुझे नही पता मे यहा कैसे आया  कहा रहते हॉ  रॉकी ने कहा मे कोलकत्ता शहर मे रहता हूँ उसकी बाते गुरुदेव दत्त को कुछ संघ नही आयी रॉकी सफ़ेद सर्ट नीली जैकेट ब्लैक जींस  उसके कपड़ो को देख कर गुरु देव उसको घूरने लगे  पर रॉकी बाबा  के पैरो को पकड़ कर घर पहुचाने की जिद मे डटा था ।                                 गुरु दत्त ने अपने पैरो को छोड़ाने का भरपुर प्रयास किया  पर सफल नही  हुए  ठीक है  अब मेरा पैर छोड़ो ओर बताओ की तुम्हे इस जंगल मे किसने लाया रॉकी सोचने लगा तो याद आया  बाबा आपके पास  जो डाकू  आये थे वही लोगो ने तो मुझेे उठा कर लाया था  यह  सुन कर उसके गुरु को बहुत ग़ुस्सा आया उन मूर्खो ने खुद  इस् पागल को उठा कर लाया ओर मेरे पास रख कर चला गया ।                                 तुरंत गुरु दत्त खड़े हो रहे थे की फिर रॉकी उसका पैर फिर कसकर पकड़ लिया  ओर बोले बाबा पहले मुझे मेरे माँ के पास छोड़ दीजिये फिर आप चले जाना बाद मे आपको तंग नही करुगा बाबा इस पागल से बचने के लिए सोचने लगे ओर बोले ठीक है  तुम अपने दोनो आँखे बंद कर दो  जब तक मे खोने खोलने को ना कहु तब तक मत खोलना फिर तुम अपने घर पहुंच जाओगे  रॉकी यह सुनकर बहुत खुश हो गया जो ओर फिर अपने दोनो आँखे बंद कर लिए                               गुरु दत्त को ओर क्या चाहिए था वह् झट से खड़ा हुआ ओर दबे पाव अपने धोती को उठा कर सरपट भागा  डाकुवो के अड्डे की वर दूसरी ओर मंगल ओर जीत सिंह उस् भयानक चक्रवत के बारे मे बात चित कर रहे थे उनके बड़े सरदार मंगल सिंह बोले मे अपने कुटिया मे सोया था की जंगल मे तेज आवाज के साथ जमीन कापने लगा  फिर मेरे आदमी लोग बाहर बुलाने लगे मे अपनी कुटिया से  बाहर आकर देखा तो  मुझे यकीन नही हुआ की इतनी भयानक चक्रवात पहली बार देखा था  जमीन से लेकर आसमान तक तेज आँधियो का गुबार गोल गोल हवावो मे घूम रही की  आपने सही कहा सरदार  हम लोग तो उसके पास मे ही थे  पेड़ो पर छिप कर जान बची है वरना  हम लोग भी उसमे समा जाते  धोड़ी दूरी पर किसी को  अपनी तरफ कोई साया तेजी से दौड़ते हुए आता दिखा ।                            तो सब लोग हथियार लिए सतर्क हो गये  जब थोड़े पास आने पर पता चला की  वो उनके गुरु दत्त थे जो  तेज कदमो के साथ उसके पास आकर हफ़ने लगे  गुरु दत्त को इस तरह भागते देख कर सब लोग डर गये कही कोई संकट तो नही आ गया  ।                        मंगल सिंह ने पूछा क्या हुआ गुरुदेव फिर वो तेज आवाज मे बोले  तुम्हारे आदमियों  ने  किसी पागल व्यक्ति को  उठाकर मेरे पास छोड़ कर चले गये बड़ी मुश्किल से उसका पीछा छुड़ा कर यहा आया हूँ  जो जो डाकू रॉकी को उठा कर लाये थे वो लोग ये सुनकर घबरा गये  ।                           जब उनके बड़े सरदार ने जीत सिंह से इसके बारे मे पूछा तो  वह भी सिर् नीचाँ किये खड़ा रहा  ओर हा  सरदार  यह काम मैने नही इन मूर्खो ने किया है किसने छोड़ा था वहा बड़े सरदार जोर से चिल्लाया  ।                              फिर उनके दो डाकू  कापते हाथो से अपने दोनो हाथ जोड़कर बोला माफी सरदार माफी हम पैदल चलने से  इतने थक गये थे की उस लड़के को वही रखना पड़ा पर बातो ही बातो मे हम सब वही उसे भुूल गये  यह सुनकर गुरु दत्त की भोहे तन गयी ओर  तेज आवाज मे बोले  मूर्ख जहा तु उसको छोड़ा था वो मेरा तप स्थल है  वहा  मेरे बुलाने के बगैर कोई नही आ सकता इसकी सजा तुम दोनो को  मिलेगी ऐसा कहकर उसने अपने लोटे से  धोड़ी जल हाथ मे ली ओर कुछ मंत्र पड़ कर उन दोनो के ऊपर पानी छिड़क दिया ।                                 दोनो कुछ दर बाद दोनो बड़े चील  बन गये यह देख कर बाकि डाकू भी डर गये  गुरु दत्त बोले  की पछि बन कर अपना दिमाक लगाओ ओर हा अभी उसको उठा कर  खत्म कर दो  अगर जिंदा बचा तो राजा वीर सिंह को जंगल के बारे मे बता देगा  फिर गुरु दत्त वहा से अदृश्य हो गये                           मंगल सिंह ने  ने फिर जीत सिंह को उसके कुछ डाकुवो के साथ रॉकी जा खात्मा करने भेज दिया  दूसरी ओर रॉकी  बहुत देर से आँखे बंद किये बैठा था जब बाबा का कोई रिप्लाई नही आया तो वह भी धीरे धीरे अपनी आँखे खोली तो देखा की ये क्या मे तो यही पर हूँ  ।                          फिर उसके नज़र   जहा बाबा बैठे थे वहा पर पड़ी तो बाबा गायब थे  चारो ओर नज़र मारी तो कोई दिखाई नही दिया  फिर रॉकी का पारा चढ़ गया साले सब के सब ढोंगी बाबा है  मे अपने हाथ जोड़कर सहायता मांगी ओर मुझे ही धोखा देकर भाग गये  अगर सच्चा बाबा होता तो मेरी मदद जरूर करते  ।                           ये साले डाकू भी कितने मूर्ख है जो ढोंगी बाबाओ को अपना गुरु मानते है  हमारे देश मे भी ढोंगी बाबावो की संख्या बड़ गयी है कों असली है कोन नकली  इसका पता भी नही चलता यही आज मेरे साथ हुआ है  मे भी इन डाकुओ के कारण बेवकूफ बन गया अगर अब की बार उस ढोंगी बाबा से मुलाक़ात होगी तब बताउगा की  उसने किसके साथ पंगा लिया है ।                            रॉकी अभी जिस रास्ते मे जा रहा था वही उसी रास्ते से  डाकू लोग भी उसको पकड़ने आ रहे थे  रॉकी को घोड़ो के टापो की आवाज़ सुनाई दी झाड़ियों के पास जाकर  रॉकी एक बड़े पेड़ के पीछे छिप गया जब डाकू पहाड़ी के पास आकर इधर उधर देखने लगे  उसके छोटे सरदार बोले कहा गया वो लड़का  ।                              आसपास ढूढो उसे  सब डाकू चारो दिसावो मे ढूढ़ने लगे  रॉकी समझ गया की वो लोग मुझे ही ढूढ़ रहे है भाग जा बेटा रॉकी अब की बार हाथ लगा तो बन्दुक से भून डालेंगे  डाकू लोग उसकी थोड़ी दूर पर थे  रॉकी वहा से सरपट भागा जहा से डाकू आये थे  रॉकी भागता हुआ बहुत दूर निकल गया ।                           जब झाड़ियों से निकल कर रास्ते मे चलने लगा तो नीचे किसी पंछी की परछाई  जमीन पर पड़ी तो रॉकी आसमान के ऊपर देखा तो 2 बड़े चील उसी की तरफ आ रहे थे  यह देख कर रॉकी वहा से फिर भागा ओर भागता ही रहा पर वो चील उसका पीछा नही छोड़े  2 बार उसे नोंचने की भी कोसिस की  पर रॉकी  झुक कर बच गया  उधर ही राजा वीर सिंह अपने सेनापति ओर कुछ सिपाहियों के साथ  उस जगह को देखने जा रहे थे जहा भयानक चक्रवात पैदा हुआ था ।                                     सेनापति की नज़र आसमान से नीचे उड़ते  दो बड़े काली चील पर पड़ी तो जो नीचे मे ही उड़ रहे थे महराज ने भी उस ओर नज़र मारी  वह चील बकी चील की से थोड़े बड़े थे  सुजान बोले महराज से शिकार की तलाश मे नीचे उड़ रहे है  मुझे आगे जाना ठीक नही लग रहा है यहा से जंगल का सीमा सुरु होता है  देखने पर तो यह जगह वैसा ही है मुझे तो कुछ  नज़र नही आ रहा जैसे यहा कुछ हुआ ही ना हो ।                               राजा वीर सिंह ने भी गौर से आसपास देखा  तुम ठीक कहते हो सुजान  हमें यहा से अब चलना चाहिये  सूरज भी डूब रहा है  वो लोग् वापस मुड़े ही थे की एक सैनिक की नज़र  तेजी से इसी तरफ आते एक साये पर पड़ी  जो जंगल की सीमा के अंदर से वो इस तरफ भाग कर आ रहा था ।                            सैनिक ने चिलाकर कहा महराज वो देखो कोई इस तरफ तेजी से आ रहा है ये सुन कर सब् उस तरफ देखने लगे  सेनापति ने अपना तलवार निकाल लिया  यह देख कर बाकी सैनिक भी अपने भाला  को तिरछी लड़ने की मुद्रा मे पकड़ लिए  रॉकी जब उसके पास पहुंचा तो फिर सोच मे पढ़ गया  अभी  डाकुओ से जान बचा कर आ रहा हूँ  की फिर मुसीबत आ गयी  वैसे ये लोग डाकू नही लगते वो सब रॉकी को घूरने लगे रॉकी भी उन लोगो को घूरने लगा  .....                            ओर बोला वो डाकू लोग मुझे मारना चाह्ते है साथ मे वो जो चील दिख रहे है ना वो भी मेरे शिकार की तलाश मे घूम रहे है  फिर एक सैनिक ने कहा इस जंगल के अंदर जो भी जाता है वो लोट कर नही आता तु पहला इंसान है जो यहा से सही सलामत वापिस लोटा है।                                    सेनापति सुजान बोले महराज इसकी वैसभूसा कुछ विचित्र लग रही है मुझे लगता है ये हमारे राज्य का नही है  महराज ने भी एक नज़र रॉकी पर डाली  ओर अपने सेनिको को बोले पकड़ो इसको ओर महल की जेल मे डाल दो बाद मे इसको पेस किया जायेगा  सैनिक रॉकी को पकड़ कर महल की ओर चल पड़े  साथ मे राजा ओर सेनापति भी                          वही थोड़ी सी दूरी पर एक पेड़ के उपर बैठे 2 चील  रॉकी को ले जाते देख रहे थे  पर कुछ कर नही पाये  क्योकि राजा के साथ सेनापति सुजान था वो चीलो को पता था की सेनापति का निशाना अचुक है अगर वो दोनो चील  हमला करते तो  तीर बान से सेनापति उन दोनो को  मौत के घाट उतार देते  इसलिए वो चील कुछ नही कर पाये फिर वो उड़ कर डाकुओ की बस्ती की ओर चले गये  जीतसिंह के साथी रॉकी  को बहुत  खोजने के बाद भी रॉकी का पता नही चला तों  वो लोग भी अपनी बस्ती की तरफ चले गये क्योकि थोड़ी देर मे अंधेरा होने वाला था ।                                 सब डाकू बस्ती मे पहुँचे तो मंगल सिंह ने जीत सिंह से पूछा काम हुआ फिर जीत सिंह थकी हुयी आवाज़ मे बोले  जब हम लोग पहाड़ी के पास पहुँचे तो वो लड़का वहा से गायब था हमने सभी जगह छान मारा  वो कही उसका नामो निसान तक नही मिला  जीत सिंह  के हाव भाव देख कर मंगल सिंग जान चुका था की वो काफी थक गया है उसको ओर कुछ पूछना ठीक नही समझा                                फिर पेड़ के ऊपर से  एक डाकू की आवाज़ सुनाई दी सब लोग ऊपर देखे पर अंधेरे के कारण कुछ नही दिख रहा था  फिर उसके सरदार ने  कहा कोन है सामने आके बोलो  फिर 2 पक्छी  उड़ते हुए अपने सरदार के पास आके बैठ गये  सब लोग उन चीलो को इंसानी  भाषा बोलते हुए चौक गये उनके सरदार भी  फिर उनके सरदार बोले अरे वाह तुम तो बड़े काम के लायक निकले बोलो क्या बोल रहे थे एक चील ने बोलना सुरु किया सरदार रास्ते मे भागते हुए वो लड़का हमे  दिखा था  हमने उसे  नोंचने की भी कोसिस की पर  वो हर बार बच जाता  वह भागता भागता जंगल की सीमा से बाहर निकल गया  उसी तरफ राजा वीर सिंग अपने सेनापति सुजान ओर कुछ सिपाहियों के साथ  उसी तरफ आ रहे थे तो हमने उस पर हमला करना बंद कर दिया  उस लोगो की नज़र भी उस लड़के पर पड़ गयी थी  फिर उस लड़के से कुछ बाते किये ओर उसको पकड़ कर महल की ओर ले गये ।                               यह बात सुनकर उनके सरदार को धोड़ा दुखी हो गये ओर बोले आज तक इस जंगल से हम् लोगो के अतिरिक्त कोई बच कर नही निकला  फ़िक्र करने की कोई जरूरत नही  तुम आज से बस्तियों का  संदेश यहा आकर सुनाओगे  तुम्हारा काम यही है  तुम्हारा भोजन भी यही मिलेगा फिर दोनो चील  एक साथ बोले जो हुकुम सरदार  जाओ सब आरम करो  ये दोनो वही डाकू थे जिनको गुरु दत ने  श्राप देकर एक बड़े चील मे परिवर्तित कर दिया था .........?

  • 3. टाइम मशीन सपनो की दुनिया की कहानी - Chapter 3

    Words: 3442

    Estimated Reading Time: 21 min

    राज महल मे ******                                                       रॉकी को 2 दिन हो गये जेल मे रहते हुए रॉकी अपने ख्यालो मे खोया हुआ अपने कॉलेज के दिनों को याद कर रहा था जब अभय ओर वरुण मेरे साथ रहते थे  कॉलेज के  पहली ही दिनों मे उन दोनो के रहते मुझे कॉलेज मे कभी अकेला पन महसूस नही हुआ जब मेरे साथ दूसरे लड़के से बहस बाजी या मार पीट होती तो वो लोग मुझे समझाने के बजाय दूसरे लड़के के साथ भीड़ जाते थे ऐसे  ही कॉलेज के पहले दिन सर्त रखी की हम दोस्त बनाएंगे तो बनाएंगे पर गर्लफ्रेंड नही बनाएंगे  ।                           मे ये सुन कर जम कर हसा क्योकि ये दोनो तो पढ़ाई शुरु होने से पहले ही गर्लफ्रेंड बना कर रख लेंगे साले ओर मुझे नसीहत दे रहा है  अगर कॉलेज मे कोई खूबसूरत लड़की दिखी तो सबसे पहले उसी पर काटा फेकेंगे अगर फस गया तो खुश नही फसा तो दुख  ।                           पर इन दोनो से मे भी कहा कम था मे तो था ही दिलवाला  जिस लड़की मेरे दिल मे फस्ती उसे  अपना गर्लफ्रेंड बना लेता  पर ऐसा असल मे कुछ नही था  मेने कॉलेज मे  गर्लफ्रेंड नही बनाये  लेकिन लड़कियों के साथ दोस्ती जरूर की  जेल के बाहर से कुछ सिपाही उसी की तरफ आ रहे थे  जेल मे लगी ताला को खोलते वक्त रॉकी का ध्यान टूटा  ओर वह अपने ख्यालो से बाहर आया ....                              फिर उन दो सिपाहियों ने रॉकी को घुरा ओर उसको पकड़ कर ले जाने लगे  रॉकी चीखा अबे मुझे ऐसे पकड़  कर क्यो ले जा रहे हो छोड़ो मुझे  पर उन सेनिको ने उसको नही छोड़ा  ।                             राजा वीर सिंह अपने सिहासन पर बैठे थे की  उनके सैनिक रॉकी को उसके पास लाकर् थोड़ी दूर मे खड़े हो गये  रॉकी ने एक नज़र उन सब लोगो पर डाली  राजा उची सिहासन पर बैठे थे वही उसके नीचे अगल बगल लाइनो मे कुर्सियां लगे हुए थे  जहा  महाराज वीर सिंह के सेनापति महामंत्री  के साथ अन्य सदस्य बैठे हुए थे  रॉकी को इतना तो पता चल चुका था की वह किसी राजा महराजावो के शासन मे आ चुका है  ।                            राजा वीर सिंह ने सेनापति को हाथ उठा कर इसारा किया की बात चीत आगे बढ़ाया जाये  सुजान सिंह महराज की आज्ञा मानी  ओर खड़े हो कर रॉकी से पूछना शुरु किया  आप  ये बताइये  की  आप कहा के निवासी है आपकी वेशभुसा देख कर लग रहा है की आप यहा के निवासी नही है                            फिर रॉकी ने जवाब दिया  आप लोगो ने ठीक कहा मे यहा का निवासी नही हूँ मे कोलकत्ता शहर  का रहने वाला हूँ  मुझे भी नही पता की मै  यहाँ कैसे आया सुजान सिंह उसको घूरे  फिर सुजान सिंह  उससे जंगल के बारे मे पूछने वाला था की  एक सैनिक बीच मे दखल देते हुए कहा माफ़ करना  मालिक वो ड्रैगनपति जंकुश के गुरु दत आये है ।                         यह सुनकर सब चौक गये आज इनके गुरु को  कैसे आना हुआ  महराज सोच मे पड़ गये थे फिर सैनिक ने कहा क्या हुआ मालिक तब राजा को होश आया जाओ बुलाओ उनको जो हुकुम मालिक कहकर वो सैनिक चला गया ।                                   रॉकी ने जब एक सैनिक के मुख से ड्रैगनपति का नाम सुनकर रॉकी डर गया क्या ये सच मे होते है  फिर उसने एक बार और गौर किया की  मेरे दुनिया मे ये सब होना  नामुमकिन है लेकिन जहा मै हूँ वहा तो कुछ भी हो सकता है  उपर से ये दुनिया मेरे लिए बिल्कुल अनजान है  सब लोगो  अपने अपने कुर्सियो के पास खड़े हो गये गुरु दत आ गये थे सब लोगो ने हाथ जोड़ कर अभिवादन किया इधर रॉकी का भी ध्यान टूटा ।                          जब रॉकी का ध्यान गुरु दत पर पड़ी और उसी वक्त गुरु दत की नज़र रॉकी पर पड़ी तो दोनो एक दूसरे को आँखों ही आँखो मे घूरने लगे रॉकी को याद आया की इस बाबा ने उसके साथ धोखा किया  था  ये याद आते ही रॉकी का पारा चढ़ गया फिर गुरु दत को गुस्से मे घूरने लगे ।                                  गुरु दत रॉकी का गुस्सा देख कर थोड़ा डर गया फिर अपने माथे पर आये पसीने को पोछते हुए राजा वीर सिंह से बोले  मै अपना साधना  पुरी करके यहाँ से जा रहा था तो सोचा थोड़ी देर आप लोगो से मिललु  महाराज बोले कोई बात नही आप यहाँ रुक सकते है  गुरु दत बोले ठीक है कल सुबह यहाँ से चला जाऊगा  आज यही विश्राम करता हूँ राजा वीर सिंह ने अपने  एक सेनिक को बुलाकर बोले जाओ गुरु दत को उनके विश्राम कक्ष मे लेकर उनके लिए भोजन पानी का इंतजाम करो  सैनिक ने अपना सिर झुका लिया और बोले ठीक है मालिक  बोलकर वहा से जाने लगे उसके पीछे गुरु दत भी जाने लगे ।                           यह देख कर रॉकी को अच्छा नही लगा ओर रॉकी  महराज से बोले की  राजा जी आप इस बाबा को इतनी सेवा क्यो दे रहे है आप नही जानते  ये ढोंगी बाबा है ये लोग बाबा बनकर सब लोगो को लुटते है  ओर  ये बाबा उन जंगलो के डाकुओ से भी मिले हुए है ।                             यह सुनकर गुरु दत के चलते कदम रुक गये ओर बोले मेरे लिए कोई वस्तु मायने नही रखती चाहे वो जानवर हो चोर हो डाकू हो सब  लोग मेरे लिए एक है जो लोग  मेरे शरन मे आते है उनको मै आशीर्वाद देता हूँ ।                               यह सुनकर रॉकी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी  अच्छा तो मैंने भी तो जंगल मे आपके पैर पकड़ कर सहायता मांगा था ओर कहा मेरे सहायता करने के छोड़ आप मुझे उस जंगल मे छोड़कर भाग गये  सब लोग हम दोनो की बहस को चुपचाप सुन रहे थे ।                              मेरा बात को सुनकर गुरु दत आगबबूला हो गये वो बोले मूर्ख बालक पागल लोगो की सहायता मेरे हाथ मे नही है ।                        रॉकी को पागल के साथ मूर्ख भी कहा तो रॉकी को भी ग़ुस्सा आ गया ओर वो भी उन के सामने बोल दिया साला बुढ़ा ढोंगी बाबा बनकर शर्म आनी चाहिए अगर मेरे दुनिया मे होता तो लात मार कर निकाल  देता साले ढोंगी ओर पागल किसको बोला बे  अपनी शक्ल देखी है अगर तु असली बाबा होता तो जंगल मे मुझे अकेला छोड़कर नही जाते आप एक इंसान को भी नही पहचान पा रहे की वो पागल है या नही  रॉकी की बातो का जवाब उसके पास नही था  ।                              गुर दत ग़ुस्से मे महराज की वर देख कर बोले  इस बालक ने सबके सामने मेरा अपमान किया है  इसे अभी के अभी सजा दो वरना  मै अपने शिष्य जकुश को इस बारे मे खबर कर दूंगा गुरु दत के मुह से यह बात सुनकर सब डर गये  अगर ऐसा हुआ तो राजा वीर सिंह के राज्य पर खतरा आ सकता है वह अपने राज्य पर खतरा मोल नही लेना चाहता था ओर तुरंत अपने सिपाहियों को बुला कर उसे फिर कैदखाने  मे डालने  की आज्ञा दे दी  सिपाही रॉकी को पकड़ कर केड़खाने मे ले जाकर बंद कर दिया  ।                             रॉकी को यह सुनकर बुरा तो लगा पर कुछ कर नही सका  दूसरी  ओर  राजा वीर सिंह ने गुरु दत से माफ़ी मांगी  ओर उनको खुद विश्राम कक्ष मे छोड़ने चले गये  गुरु दत को क्रोध तो आया था पर वह  राजा वीर सिंह के सामने प्रकट न कर सके  और वह आराम करने लिए अपने क्क्ष के अंदर चले गये  ।                              राजा वीर सिंह भी अपने सयन कक्ष की तरफ चले गये राजा वीर सिंह को भी गुरु दत पसंद नही थे क्योकि वो राक्छसो के गुरु थे जो सब राज्य को अपना गुलाम बनाये रखा है  जो राजा अपने राज्य के  लिए उनके साथ युद्ध किये  वो भी शहीद हो गये उनका राज्य भी हड़प लिया  फिर सब राज्य के राजा उनके गुलाम बनने को तैयार हो गये  उनके पास और कोई दूसरा रास्ता था ही नही  उनके पास ड्रैगन की सेना भी मौजूद है जो उनकी गुलामी करते है  यही सब कारनो के कारण मुझे भी उनका गुलाम बनना पड़ा  राजा वीर सिंह यही ख्यालो मे खोये हुए अपने रूम के अंदर चल दिये ।                             इधर रॉकी का गुस्सा  कम होने का नाम ही नही ले रहा था  पहले बाबा पर ग़ुस्सा अब उसको राजा वीर सिंह पर भी ग़ुस्सा आने लगा था वैसे मैने ठीक तो कहा था  वैसे उस बाबा मे ऐसा क्या है जो  सब लोग एक बार मे बात मान गये  मुझे उस ढोंगी बाबा के बारे कुछ पता लगाना पड़ेगा  पर कैसे मै तो यहा बंद हूँ  मुझे बाहर निकालने वाला कोई नही है ।                                फिर रॉकी अपना दिमाक दौड़ाने लगा रॉकी इस मामले मे बहुत चतुर था  मुसीबत के वक्त वह अपने दिमाक पर हर एक प्लान तैयार कर लेता था  फिर उसकी दिमाक की बत्ती जली क्यो ना यही के कुछ सेनिको  से पूछ लूं  ऐसा सोचकर  जेल के अंदर से झांक कर आजु बाजू देखा तो कुछ सैनिक उसके पास मे ही पहरा दे रहे थे  फिर रॉकी ने ऊगली से एक सैनिक को इसारा कर अपने पास बुलाया  पहले सैनिक रॉकी को घुरा फिर उसके पास आकर बोले क्या है फिर रॉकी ने कहा                                    अरे यार इस केड़खाने मे रहकर बोर हो गया हूँ  तो सोचा की आप लोग से कुछ बाते कर लूँ वैसे भी मै यहा का निवासी नही हूँ तो  मुझे यहा के बारे मे कुछ नही पता  इसलिए तो आपको कुछ पूछना छता हूँ  पहले सैनिक सोचा जब उसको मेरी बात सही लगी तो  वो बोला हा पूछो ये जो बाबा  है ना जिसका सब लोग  आदर करते है सैनिक ने कहा कोंन गुरु दत  रॉकी बोला हा वही  ।                               उसके बारे मे जानना है  फिर सैनिक बोला  उसके बारे मे पुरी बात तो नही मालूम पर कुछ बाते हम उनके बारे मे सुन चुके है  रॉकी बोला उतनी ही बता दो  फिर सैनिक ने बोलना शुरु किया  जिस बाबा को तुम ढोंगी कह रहे थे ना उसकी उम्र 250 साल है यह सुन कर रॉकी हक्का बक्का रह गया ऐसा कैसे हो सकता है  कोई इतने सालो तक कैसे जी सकता है  ऐसा हो सकता है  वो बाबा कोई मामूली बाबा नही वो 150 साल तक साधना मे लीन थे उन्ही के बल पर  अपने अंदर  ढेर सारी  सक्तियां  समाहित की  जकुस जैसे राक्षस उनके  शिष्य बने  उन्ही के दम पर अपने ड्रगणो की सेना बढ़ा रहा है अब तो पूरे राज्य मे उसकी गुलामी स्वीकार कर ली है  तुम तो शुक्र मनाओ की तुम बच गये वरना तुम्हे श्राप देकर जानवर्  या मूर्ति बना देता कई लोग उनका ऐसे ही शिकार हुए है  इन्ही के कारण यहा क्या सब जगह उनका आदर करते है  रॉकी उसके बातो को ध्यान  से सुन रहा था  ।                          गये बेटा रॉकी गुस्से मे  तो उसको ढोंगी बाबा बोल दिया अगर अब की बार दोबारा मुलाक़ात हुयी तो  मुझे तो  गधा ही बना देंगे दुआ करो की ऐसा ना हो  फिर महल के बहार से नगाड़े और शहनाई की आवाज़ आ रही थी  तो रॉकी ने पूछा की ये कैसा आवाज़ है तो सैनिक ने कहा लगता है इस राज्य की राजकुमारी आ गयी  सब जगह जोरो शोरो से तैयारी चल रही है उनके स्वागत के लिए  मुझे भी जाना चाहिए  यह कहकर सैनिक भी चला गया  ।                              रॉकी सोच मे पड़ गया कहानी मे तो पढ़ा है की राजकुमारिया बहुत खूबसूरत होती है  मुझे भी पहली बार अपने आँखों से देखने की  इच्छा हो रही है पर साले ये लोग  मुझे केदखाने मे डाल कर वहा  आनंद उठाने गये है  यहा का ताला भी इतना मोटा है की तोड़ नही सकता  क्या पाप किया है मैने  इन लोगो  के साथ  फिर भी बिना सबूत के यहा फेकवा दिया यहा के लोग ही मूर्ख है जो सहायता करने के बजाय अपनी तारीफदारी मे लगे रहते है अब तो कुछ भी हो जाये मुझे यहा से निकलने का प्लान सोचना पड़ेगा  यहा कोई मेरा रिस्तेदार भी नही जो मुझको छुड़ाने आये  अगर ऐसा ही चलता रहा तो साले गेडे लोग मुझे मरते दम तक यही दफ़न कर देंगे  बस यहा से निकल जाऊ  फिर आगे  क्या करना है वो सोच लूँगा .....!                       दूसरी ओर महल को  फूलो से सजाया गया था  तरह तरह के पकवान बनाये गये थे  बस्तिवासी सभी लोग अपने राज्य की राजकुमारी को देखने लिए बेताब थे  राजा वीर सिंह  की एक ही संतान थी  उसकी बेटी जुली  थी  महराज वीर सिंह की पत्नी जब जुली को जन्म देने के 1महिने बाद उसके बीमार रहने के कारण मृत्यू हो गयी   जुली को अपनी मा से एक महीने का प्यार मिला उसके माँ के जाने के बाद राजा वीर सिंह ने अपने बेटी  की देखभाल खुद किये राजा वीर सिंह  के पत्नी के जाने के बाद  राजा ने दूसरी शादी नही की राजा वीर सिंह ने जुली को 10 साल तक अपने पास रखा फिर उसे  शिक्षा प्राप्त करने के लिए गुरु आचार्यों  के आश्रम  मे  रहकर  युद कलाये तलवार एव तीर बाजी  के साथ महत्वपूर्ण विद्याये भी सीखी  थी  वहां रहकर राजकुमारी जुली ने 8 साल व्यतीत किये जब उसकी विद्याये पूर्ण हुई तो आचर्यो ने उसे आश्रम से बिदाई दी  आज राजकुमारी फिर महल लौट रही थी  इसी खुशी मे राजा वीर सिंह पूरे बस्तिवासियों को अपने यहा भोज के लिए आंमत्रित किया ताकि सब  बड़े बुजुर्ग  राजकुमारी जुली को आशीर्वाद प्रदान करे  राजकुमारी जुली अपने राज्य मे कदम रख चुकी थी वह रथ पर सवार हो कर आगे बढ़ रही थी  सब लोग उसके ऊपर फुल बरसा कर आशीर्वाद देते थे बाकी लोग राजकुमारी को देखते ही दीवाना बन गये  राजकुमारी जुली थी ही इतनी  खूबसूरत  नीली आँखे  गुलाबी होंठ कमर तक लहराते काले लम्बे बाल कोई भी एक बार देख ले तो वह उनका दीवाना बन जाता है जुली स्वर्ग की किसी     अप्सरा से कम नही लगती जुली अब 18 वर्ष की हो गयी थी  ।                               महल के पास पहुँह कर जुली रथ से नीचे उतरी  ओर सभी को दोनो हाथ जोड़कर प्रणाम किया  फिर अपने पिताजी के चरण स्पर्श  करने के बाद उसके गले लग गये राजा वीर सिंह बोले मेरी प्यारी गुड़िया इतनी बड़ी हो गयी  फिर जुली को लेकर महल के अंदर चले गये  बस्तिवासी ने भरपेट भोजन किया ओर  सब लोग अपने अपने घरो की तरफ चले गये  भोज करने  डाकुवो के सरदार मगलसिंग ओर जीतसिंह भी आये थे अपनों को छुपाकर वहा से चले गये  ...?                       उधर रॉकी अब भी  यहा से निकलने के बारे मे सोच रहा था  बहुत सोचने के बाद  कुछ दिमाक मे नही आया तो  वह सामने पत्थर के दीवारों को अपने एक  हाथो से मरने लगा ओर मरता ही रहा  रॉकी को ऐसा करता देख एक सैनिक उसके पास जाकर अपने भाला मे रॉकी को कोचका                         तो रॉकी को होश आया ओर वह मारना बंद कर दिया  कुछ देर तक रॉकी अपने हाथ को उलट पल्ट  कर देखा तो वो चौक गया  ये क्या बे  मेरे हाथ मे तो चोट का क्या दर्द का नामो निसान तक नही है  फिर ध्यान से उस  पत्थर को देखा जिस पत्थर को अपने एक हाथो से मारा था  वहा धोड़ी बहुत  दरार आने के साथ छोटे छोटे  पत्थर टूट गये थे ये  देख कर रॉकी को यकीन नही हुआ  एक बार फिर अपने एक हाथो से दम लगाकर मारा इससे आधी बड़ी सी चट्टान टूट गयी  इसी  के साथ एक जोरदार पत्थर के टूटने  की आवाज़ सेनिको के कानो मे पड़ी ।                        सब सैनिक रॉकी के पास  जाकर देखे  तो रॉकी वहा चुप चाप बैठा  था  तभी एक सैनिक बोले आवाज़ तो मुझे अंदर से ही  आई थी क्यो ना हम अंदर जाकर देखते है  कुछ सैनिक जेल के अंदर गये  जाकर सब जगह को देखा तो कुछ नही दिखा  तो वो लोग वापिस आ रहे थे की एक सैनिक की नज़र  रॉकी के कपड़े मे लगे चमकीली वस्तु पर पड़ी जो अंधेरे के कारण चमक रहा था ।                           सैनिक ये देख कर उनकी आंखे चमकी और वो रॉकी के कपड़ो पर झपट पड़े रॉकी के ऊपर कूदने से रॉकी नीचे गिर गया ओर वो चिलाया उसकी आवाज़ सुनकर  दो सैनिक ओर अंदर आये  ओर अपने सैनिक को उठाने की कोशिश करने लगे  उन दोनो सेनिको की नज़र रॉकी के जींस पर पड़ी तो  वो भी अंधेरे मे चमक रहा था  अब वो दोनो सैनिक  पहले सैनिक को छोड़कर रॉकी के जींस को खींचने लगे  ।                             ये देख कर रॉकी  चीखा  अबे  साले मै कोई कन्या नही हूँ बे छोड़ो सालो शर्म आनी चाहिए  तुम लोगो को की एक लड़के के साथ ऐसी हरकत करते  हुये ची आक थुु........!                              कुछ देर के बाद सैनिक रॉकी  के कपड़े ओर जींस को  निकाल  चुके थे अब उनके जींस ओर कपड़ो को फाड़कर  उस चमकीली बस्तु को निकलने लगे  रॉकी जब अपने कपड़े  को फाड़ते देखा  तो उन सेनिको पर देर सारी गालिया बक दी  फिर भी उन सेनिको पर कुछ असर नही पड़ा तो  ।                           रॉकी अपना सर पीट कर बैठ गया और वो सैनिक जिसको चमकिले हीरे समझ रहे थे वो तो  कांच ओर प्लास्टिक के बनाये गये छोटे छोटे लोकल हीरें थे  जिसको महगे कपड़ो मे डिजाइनर  एक फ़ेंसी ड्रेस मे तैयार करते थे जींस मे भी चमकिले बटन लगाए जाते थे जो अंधेरे मे चादी जैसी चमकती थी  उन सेनिको को क्या पता की अब के जमाने मे  फैसन की दुनिया बन गयी है  ।                             उधर रॉकी  बिना कपड़ो के मोगली बन चुका था रॉकी  खुद को कोसता की  काश मै उस पत्थर को नही मारता तो मेरे कपड़े भी  सही  सलामत होते  अब ती यहा से भागना हीं पड़ेगा जब यहा के पहरेदार भोजन करने एक जगह इकठे होगे तो यही  सही मौका  रहेगा  ।                   ओर वो वक्त आ ही गया मेरे लिए भोजन लाकर  मेरे सामने रखे ओर ताला लगा कर चल दिया  फिर वो सैनिक कुछ दूर जाकर खड़े हो गये फिर  खट की आवाज़ सेनिको की कानो मे पड़ी तो वो मेरे पास आकर देखने लगे  तो फिर मै एक ऊगली उठा कर      बोला आवाज़ मुझे उधर से आई थी  तो वो सैनिक दूसरी तरफ देखने चले गये  कुछ देर बाद वो सैनिक अपनी जगह आकर खड़े हो गये  यह देख कर मै हल्के से मुस्कुराया  क्योकि  मैने एक जोरदार मुक्का ताला पे मारा था जो एक मुक्के मे ही खट की आवाज़ से खुल गयी  अंधेरा होने के कारण सेनिको की नज़र ताले पर नही पड़ी  जिससे मेरा आधा काम हो गया था।                               कुछ देर बाद सब सैनिक इकट्ठे हो कर गोल घेरा बनाकर भोजन करने लगे  वहा तो अंधेरा था  पर मसालो की रोशनी  से थोड़ी थोड़ी प्रकाश पड़ रही थी  मैने उसका फायदा उठाया  और दबे पाव धीरे धीरे दीवारों के सहारे सीढ़ियों तक पहुंचा वो लोग एक दूसरे से बाते करने मे  मग्न थे  और मैने तहलखाने के बाहर का दरवाजा पार कर लिया  अब महल से बाहर जाने का रास्ता तो मुझे नही मालूम था  फिर भी धीरे धीरे मै आगे बढ़ता ओर  खम्भो की ओट मे छुप जाता   कुछ देर तक लुक छिप कर चलने के बाद आगे दो दो पहरेदार     भाला लिए  खड़े थे ।                          अब आगे तो नही जा सकता था इसलिए  मुझे पीछे जाना पड़ा मै कुछ कदम आगे बढ़ा था की उस तरफ भी दो पहरेदार आ गये  इसका मतलब इनके भोजन का टाइम खत्म हो चुका है  अब मै तो जेल से निकल गया  अब यहा से कैसे भागु  यहा के राजा तो मोट तगड़े लोगो को ही पहरेदार  नियुक्त किये है  साला मै तो इनके सामने बच्चा ही हूँ  वैसे रॉकी की उम्र 21 साल थी ।                             रॉकी चारो तरफ देख कर  छुपने  के लिए  जगह देखने लगा  रॉकी के पास एक ही कमरा था  बाकी कमरे बहुत दूर थे  रॉकी बिना सोचे उस कमरे मे घुस गया  और अंदर  झांक कर देखने लगा  अंदर किसी को ना पाकर चेन की  सांस ली  ओर  फिर रॉकी  उस कमरों को देखने लगा कमरे को बहुत  अच्छी तरह सजाया गया था  चारो ओर गुलाब के फूलो के साथ एक एक जगह मोमबत्तीय जल रही थी  सामने किसी राजकुमारी की पेटिंग लगी हई थी  वो पेटिंग जुली की थी रॉकी उस पेटिंग को देख कर खो सा गया फिर किसी के चलने की आवाज़ रॉकी के कानो पर पड़ी तो उसे होश आया  लगता है यहा कोई आ रहा है ।                            अब रॉकी छुपने के लिए इधर उधर देखा तो  रॉकी की नज़र परदे पर पड़ी तो झट से उस तरफ दौड़ा परदे के उस पार नीचे  सीढ़िया लगी हुई थी  रॉकी भी सीढ़ियों  के साथ नीचे उतरा  तो रॉकी को समझते देर नही लगी  की वो स्नान गृह था जहा एक बड़े से कुड़ मे पानी भरा हुआ था  उसमे ढेर सारे फुल डाला गया था पानी के उपर धुँआ उठ रहा था पानी के बाहर खुशबू फ़ैल रही थी कुंड के चारो ओर  मोमबतिया जल रही थी  अब फिर आवाजे आनी शुरु हो गयी यह आवाजे तो लड़कियों की है जो हस्ते मुस्कुराते हुए  इधर ही आ रही थी  दो लड़किया सीढ़ियों तक पहुंच गयी थी  रॉकी को सोचने का टाइम नही मिला तो वो जल कुंड मे  कूद गया  ओर पानी के अंदर बैठ गया ...?

  • 4. टाइम मशीन सपनो की दुनिया की कहानी - Chapter 4

    Words: 2600

    Estimated Reading Time: 16 min

    chaptar -3  मे आपने पढ़ा कै की रॉकी एक कुंड के पानी मे छुप कर बैठ जाता है                            उधर राजकुमारी जुली अपनी सखियो के साथ बाते करते हुए  उस कुंड की तरफ आने लगी  उसके पास दो लड़किया रुकी ओर बाकी  लड़किया  परदे के उस पार पहरा देने लगी  ताकि कोई  अंदर ना  जा पाये  ।                            उधर राजकुमारी जुली अपने वस्त्रों को निकाल कर  कुंड के पानी के अंदर बैठ गयी और स्नान करने लगी  उनकी दो सखिया कुछ देर के बाद राजकुमारी को छोड़कर  चली गयी  क्योकि राजकुमारी को पानी के अंदर  खेलना पसंद था  अपने दोनो आंखे बंद किये कुंड के पानी  के अंदर सिर निकालकर  लेटी थी  ।                              उधर रॉकी भी पानी के अंदर अपने पैरो को सिकोड़ कर अपने दोनो हाथो से अपने दोनो आँखों को बंद किये बैठा था वह करीब 15 मिनट तक पानी के अंदर रहा फिर उसको ख्याल आया की पानी के अंदर वो साँस कैसे ले पा रहा है फिर अपने दोनो आँखों को खोलकर देखा तो उसे यकीन हि नही हुआ  कि वह पानी के अंदर भी साँस ले सकता है  फिर उसका ध्यान  दो सुंदर गोरे पैर पर पड़ी  जो बिना वस्त्रों के थे ।                             राजकुमारी जुली का चेहरा ऊपर था इस कारण रॉकी नही देख पाया पर जुली के शरीर  को बिना वस्त्रों के देखकर उसे 1000 बोल्ट का झटका लगा  रॉकी अपने आपको  संभालने की भरपुर कोशिश की पर सफल नही हुआ जब आपके सामने कोई लड़की बिना वस्त्रों के खड़ी हो जाये तो आप अपने आपको नही संभाल सकते वैसे हीं रॉकी के साथ भी वही हुआ जुली का निर्वस्त्र  शरीर रॉकी को अपनी वर आकर्षित कर रहा था रॉकी जान गया था की अब मै और यही रुका तो मै अपने आपको नही सभाल पाऊंगा और वो इस चककर  मे पानी के अंदर झट  से खड़ा हो गया उसके खड़े होते हीं राजकुमारी जुली को अंदाजा हुआ की उसके पास कोई है ओर झट से अपनी दोनो आँखे खोल दी राजकुमारी भी अपने सामने किसी अनजान पुरुष को देख कर डर गयी  फिर वह चीखने के लिए अपनी मुँह खोली थी की रॉकी झट से उसके पास आकर उसके मुँह पर अपना हाथ रख दिया  और उन दोनो की आँखे एक दूसरे मिली  ......                           रॉकी जुली की आँखों को देख कर भूल गया की उसे यहा से भागना है  रॉकी उसकी आंखे ओर होठो को देख कर दीवाना बन गया उधर राजकुमारी डर से कापने लगी रॉकी ने यह देखा तो वह भी जान गया था की मै बिना वस्त्रों के हूँ  ओर वो डर गयी है फिर रॉकी ने शांत आवाज़ मे कहा घबराओ मत मै तुम्हे कुछ नही करुँगा तुम अपनी आँखे बंद कर दो  जुली भी डर कर अपनी आंखे बंद कर दी  एक बार फिर रॉकी उसके चेहरे को देख कर रॉकी के होठो पर मुस्कान आ गयी  और वो पानी के कुंड से  निकल कर  सीढ़ियां चढ़कर उस परदे के पीछे छिप गया जिस परदे के बाहर जुली की सखिया पहरा दे रही थी ।                            कुछ हीं सेकंड के बाद जुली की चीख सुनाई दी  उनके सब सखिया जुली की तरफ भागी  उधर रॉकी भी परदे के पीछे से निकलकर दरवाजे की तरफ भागा  उधर एक लड़की भी दरवाजे के अंदर आ रही थी  जिससे रॉकी उससे जा टकराया फिर उस लड़की ने उसे ग़ुस्से मे  रॉकी  की तरफ देखा फिर अपनी नज़र दूसरी तरफ फेर ली क्योकि रॉकी के शरीर मे चड्डी मात्र था रॉकी बिना समय गवाएं सरपट भागा खम्भो पर छुप छुप कर आगे बढ़ता गया ।                              उसी तरफ सेनापति ओर महराज वीर सिंह आते दिखाई दिये तो रॉकी झट से एक बड़े दरवाजे को खोलकर अंदर घुस गया और राहत की साँस ली  अंदर का नज़ारा देखा तो यहा ज्यादा साफ सफाई नही की गयी थी  सब समानो मे मकड़ी के जाले लगे हुए थी  धूल मिट्टी से सने हुए थे  सब जगह नज़र दौड़ाई तो मेरी नज़र आलमारी पर पड़ी  फिर सोचा की पहनने के लिए कपड़े इसमे हो सकता है  तो वह आलमरी पहले से टूटी हुयी थी  उसके अंदर  कुछ किताबे ओर चार्ट रखी थी  निराश हो कर फिर अगल बगल देखा  फिर दिवार के पास जाकर देखा तो मेरे आँखे चमकी  वहा  एक सीसी के अंदर अंग्रेजो के डिजाइन जैसे बनाई गयी  कपड़े ओर काली पेंट  के साथ घुटनो तक  आते काले लेजर के जूते  साथ मे बेल्ट के अंदर चाक़ू भी फसा हुआ था  सब सीसी के अंदर मौजूद थे मैने उसके गोल चककर लगाया पर उसको खोलने की कोई चीज नही मिली 2 मिनट तक सोचता रहा फिर याद आया है  की इसे सीसी ओर लकड़ी को आपस मे जोड़कर  बनाया गया है  फिर मैने काँच को तोड़ने का सोचा  फिर  रुक गया  अगर इसको तोड़ूगा तो आवाज़ आएगी इसलिए इसे तोड़ने का छोड़ खिसकाने का सोचा  उसे खिसकाने के लिए ज्यादा ताकत नही लगानी पड़ी  और फिर उस सीसी को निकाल कर अलग रख दिया  और उस कपड़े हो पहना साथ मे  लेजर  के जूते को भी पहना  फिर सीसे को पोछा फिर उसमे देखा अरे वाह यह तो  मेरे हीं साइज का  फिट हो गया  कुंड के पानी के कारण बाल उलझ गये थे  फिर मैने अपने हाथो से  बाल को ठीक करने मे आधा घंटा लगा फिर यहा से भागने का सोचने लगा  बाहर झांक देखा तो  सब सैनिक इधर उधर कमरों मे घुस कर किसी को खोज रहे थे मै समझ गया था की ये  लोग मुझे खोज रहे थे अब मै यहा ज्यादा देर तक नही रुक सकता था मुझे यहा से भागना हीं था की मेरा नज़र खिड़की पर पड़ी  उस  खिड़खी से  अंदर बाहर आया जा सकता है जब खिड़की  के पास पहुँच कर नीचे झाका तो  हैरान हो गया  क्योकि वो खिड़की  2 मंजिल से ऊपर थी  उसके निचे बगीचे के साथ हरे भरे पेड़ पौधे भी लगे थे ध्यान से देखने पर कोई सैनिक बगीचे के आसपास नही दिखे  फिर रॉकी का दिमाक उछाल  मारने लगा ।                             मेने  सोचा  की  जेल मे  बड़े बड़े  पटथर को अपने हाथो से मारा था  लोहे के ताले को अपने हाथो से तोड़ा था  और पानी के अंदर भी  मुझे साँस आता रहा  इन सब मे  मुझे एक बूंद तक दर्द नही हुआ  तो क्यो ना मै इस खिड़की  से कूद कर निकल जाऊ मेरे पास और कोई रास्ता नही है  अगर अब की बार पकड़ा गया तो पता नही साले ये लोग मेरा क्या हाल करेंगे   मै अपने दोनो आँख बंद करके भगवान को स्मरण किया और कूद गया खिड़की से  नीचे  नीचे पहुंचते हीं मैने  एक हाथ को जमीन पर रखकर घुटनो के बल जमीन मे लेडिंग ली बिल्कुल किसी सुपरहीरो की जैसे  और इस दुनिया का था हीं मै सुपरहीरो  एक नज़र उस महल पर डाला  और अपने होठो पर मुस्कान लाते हुये  मै उस बस्तियों के तरफ बढ़ गया ...........?                                दूसरी ओर  राजकुमारी जुली  अपनी सखियो को डाट रही थी की  मेरे स्नान कक्ष मे एक अनजान पुरुष कैसे आ गया सभी सखिया रोते हुए बोली  हम सच बोल रही है जब हम लोग पहरे दे रही थी तो हम लोगो के शिवाय आपके पास कोई नही आया था हो सकता है की हम लोगो के आने से पहले वो पुरुष यहा छिप कर बैठ  गया हो  जुली ने कहा बात तो सही है पर यहा किसका इतनी  हिम्मत है की एक राजकुमारी के कक्ष मे बिला पूछे प्रवेश कर सके  उस पुरुष को तो मै पकड़वा कर ही रहूगी  ओर उसे सजा भी मै दुगी .  !                               इधर राजा वीर सिंह भी अपनी उची जगह पे बैठे थे  वो थोड़े गुस्से मे थे की इतने पहरेदार हो कर भी कोई अजनबी किसी के  क्क्ष मे कैसे घुस सकता है ! महराज  अपने  ख्यालो मे खोये थे की  एक सैनिक  ने सिर झुका कर कहा  महराज  हमने उस पुरुष को सब जगह ढूढ़ा  सब कमरों मे भी जा कर ढूढ़ा गया  पर उसका कुछ पता नही चला  ।                           ये सुनकर राजा को बहुत गुस्सा आया  फिर सेनापति सुजान बोले महाराज  आप शांत हो जाइये  पहले हमारी बात सुनिए ऐसे ही  किसी  पुरुष का बिना चेहरा देखे उसे ढूढ़ना बहुत मुश्किल है  ओर उसे पहचानने मे भी कठिनाई होगी की कौन असली है या  कौन नकली  तो हम चाहते है की  राजकुमारी से पूछ कर उस अनजान पुरुष का  चेहरा  छपवाया जाये  इससे हमे ढूढ़ने मे आसानी होगी  फिर भी अगर नही मिला तो उसपर इनाम रख देंगे ।                              महाराज को सेनापति सुजान की बात ठीक लगी ओर एक सैनिक को बुलाकर बोले  जाओ हमारे राज्य के सबसे अच्छे चित्रकार को बुलाओ  वो सैनिक सिर झुका कर चला गया  उधर राजा वीर सिंह  राजकुमारी जुली के कक्ष की तरफ चले गये  जुली अपनी सखियो के साथ बैठकर  कुछ सोच रही थी की ।                               राजा वीर सिंह ने अंदर प्रवेश किया ये देखकर उनकी सखी महाराज के सामने सिर झुका कर बाहर चली गयी जुली अपने पिताजी के पास जाकर बोली उसका क्या हुआ पिताजी  राजा बोले उसको पुरा महल मे ढूढ़ा गया पर नही मिला लगता है वो यहा से निकल कर बाहर भाग गया होगा  लेकिन तुम उसकी चिता मत करो मुझे ये बताओ की तुम्हे उस पुरुष का  चेहरा अच्छी  तरह याद है की नही  राजकुमारी जुली  याद करने लगी  ओर बोली लेकिन आप ये क्यो पूछ रहे है पिताजी   क्योकि उसके चेहरे के बिना उसे ढूढ़ना मुश्किल है  हम इनाम भी रखेंगे उसपर ये सुनकर जुली बोली हा पिताजी मुझे अच्छे से याद है उसका चेहरा  महराज बोले ठीक है मैने  चित्रकार को बुलवाने भेज दिया है  जब वो आएगा तो अच्छे से याद करके बता देना  फिर हम उसको पकड़वाने का इंतजाम करेंगे जुली बोली जी पिताजी  कुछ देर  बाद  चित्रकार आया ओर राजकुमारी जुली से पूछ कर  रॉकी का स्केच बना कर चला गया ....!                                             बस्तियों के बाजारों मे रॉकी  इधर उधर घूम रहा था  सब लोग उसे राजकुमार समझ कर सलाम करने लगे  क्योकि रॉकी  की बेशभूसा राजकुमार जैसे ही थी रॉकी जब खाने के समानो को देखता तो सोच मे पड़ जाता की इतने दिनों तक मैने एक बार भी भोजन नही किया लेकिन  मुझे  तो ऐसे महसूस हो रहा की अभी पेट भर भोजन करके इधर टहल रहा हूँ  ऐसी कई बाते है जो मेरे दिमाक मे समझ से परे है  रात होते ही सब अपने अपने घरो मे चले गये  अब मै अकेला बचा जाकर एक पत्थर पर  बैठ गया ठंड का मौसम था  लेकिन मुझे तो सब चीज नार्मल लगती थी  मै अपने ख्यालो मे खोया  हुआ था ।                             की एक युवक मेरे पास आकर  पूछा इतनी रात को आप यहा क्यो बैठे है  आपको ठंड नही लगती क्या  तो मैने ना मे सिर हिला दिया उस युवक का घर जहा मै बैठा था उसी के पास था  वाह बिना कुछ बोले अंदर चला गया  दिखने मे वह युवक मेरे उम्र का लगता था  मै उस पत्थर पर लेट गया ओर अपने दोनो हाथो को सिर के पीछे रखा  ओर आसमान की ओर देख कर सोचने लगा                           उस कन्या के बारे मे जब उस पानी के कुंड मे  पहली बार देखा था  उसकी नीली आँखे  उसका खूबसूरत चेहरा को देख कर मन कर रहा है की अभिच महल मे जाके उस कन्या को अपने प्यार का इजहार कर लूं उसे गुलाब का फूल दु  मै सोच मे मग्न था की फिर उस युवक  ने आकर मेरे ख्यालो को तोड़ा  ओर बोले मुझे  ठीक नही लगता आपको इतनी ठंड मे देखकर  अगर आपका घर नही है तो मेरे घर मे आ जाये आपके आराम करने के लिए भी जगह है ।                          मैने ये सुनकर तो चौका की किसी अनजान व्यक्ति को अपने घर मे जाने कैसे दे रहा है  उसका हाव भाव देखकर लगता है की  वो लड़का बिल्कुल शरीफ है मैने भी उसकी बात मान ली  ओर उसके घर के अंदर चला गया घर  छोटा था  पर रहने की बात की जाये तो 5 से 6 लोग आसानी से रह सकते है  घर के अंदर  खाना बनाने के साथ कुछ अन्य वस्तु भी रखे हुए थे  घर के अंदर 2 कमरे थे  आँगन मे पलग बिछा हुआ था मै वही बैठ गया ।                              फिर वो युवक बोला कुछ लेंगे क्या मै  बोला नही मुझे कुछ नही चाहिए अरे तुम खड़े क्यो हो तुम भी बैठो ना जब वो मेरे पास बैठा तो  मैने पूछा इस घर मे  कोई नही दिख रहे है  तुम्हारे मा पिताजी कहा है  उस युवक ने कहा  वो लोग  अब इस दुनिया मे नही है मै अकेला ही रहता हूँ  ये जान कर मुझे बहुत दुख हुआ  अच्छा वो बात छोड़ो ये बताओ अपना नाम क्या है ।                             उसने कहा  मेरा नाम समीर है   उसने भी  मेरा नाम पूछा तो मैने भी कहा मेरा  नाम रॉकी है  चलो हाथ मिलाओ ओर आज से तुम अकेले नही  मै भी तुम्हारे साथ हूँ  आज से हम दोनो मित्र हुए  यह सुनकर वह युवक खुश हो गया  फिर मैने कहा रात बहुत हो गयी है तुम आराम करो  सुबह बात करेंगे  फिर उसने भी हा मे सिर हिला दिया  ...?    अगले दिन ⛅ *******                          अगले दिन की शुरुवात सूरज की किरणो सें हुई  समीर उठ कर  अपने लिए भोजन बनाने लगा ये देख कर मै बोला  इतनी सुबह से भोजन तैयार कर लिए  कहा जाने का प्लान है तो समीर बोला  मेरा भी यहा जड़ी  बुटीयो की दुकान है  वही पर रहता हूँ  तुम भी चलोगे  मै  बोला क्यो नही  जरूर चलुगा  तो आप जल्दी तैयार हो जाओ फिर हम लोग तैयार हो कर  निकल पड़े समीर के दुकान की ओर  ...                           सब दुकाने खुल चुकी थी मै वहा का नज़ारा देख रहा था  समीर कुछ  जड़ी बुटियों को  कुट रहा था फिर वहा पर नगाड़े की आवाजे सुनाई दी  फिर मैने समीर को पूछा की वहा क्या हो रहा है तो उसने कहा लगता है  राजा ने कुछ जरूरी  सूचना भेजी है  तुम यही रुको मै देख कर आता हूँ ।                              रॉकी ने हा मे सिर हिला दिया  ओर समीर उस तरफ चला गया  वहा कुछ सैनिक पोस्टर लिए  उसको दूर दूर मे जाके चिपका रहे थे वहा सब बस्ती वाले इकठा हो गये  फिर उनमे से एक तगड़े पहलवान ने कहा  सुनो इस पोस्टर मे छपा हुआ युवक अगर कही दिखे तो  उसे पकड़कर लाने वाले  को महराज वीर सिंह  1000 सोने के सिक्के इनाम दिये जाएगे यह सुनकर सब लोग आपस मे बातचीत  करने लगे जब समीर ने उस फोटो पर नज़र मारी तो जाना पहचाना सा  दिखा जब पास जाकर देखा तो वह चौक गया  वह ओर कोई नही बल्कि वो रॉकी  की तस्वीर थी  समीर उस पोस्टर को पकड़ा  ओर जाने लगा तो एक सैनिक की निगाहेँ  समीर पर पड़ी  तो  उसे पकड़कर कहा तुमने इसे देखा है  ये सुनकर समीर थोड़ा शा दर गया ओर ना मे सिर हिलाया  तो सैनिक ने पोस्टर की ओर  हाथ दिखाया  ओर बोला इसे कहा ले जा रहे हो  तो समीर ने कहा मै इसे अपने दुकान पर लगाऊगा  ताकि इसका चेहरा अच्छे से याद रहे  फिर दूसरे सैनिक ने कहा जाने दो उसे  उस युवक को महराज ने जल्द से जल्द पकड़वाने के निर्देश दिये है  फिर समीर जल्दी से अपने दुकान पर पहुंचा  ओर रॉकी के पास जाकर बोला  जल्दी से अपना चेहरा छुपा लो  ।                                           यह सुनकर रॉकी बोला क्यो क्या हुआ वो सब बाद मे बताउगा  पहले अपना चेहरा छुपाओ  फिर रॉकी ने अपना रुमाल निकाला  ओर अपने चेहरे पर बाँध दिया  अब समीर झट से अपनी  दुकान बंद करने लगा ओर रॉकी को लेकर घर चला गया इधर रॉकी को कुछ समझ नही आया  की अभी अभी क्या हुआ है  ...?🙏 😩😩😩😩😩😩😩😞😞😞😞 आगे का भाग भी जल्द ही  प्रकासित होगा  तब तक आप मुझे कमेंट करते रहिये कुछ लोगो ने मेरी कहानी पढ़ी है पर मुझे किसी ने फ़ॉलो नही किया पर फिर भी मै इस कहानी को पुरा करना चाहता हूँ  एक फॉलो  ही मेरे लिए काफी है  मिलेंगे अगले पार्ट मे ...?🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏