आप सबके सामने पेश कर रहा हूँ । एक धमाकेदार स्टोरी जिसका नाम है । 🔥 बाज़ीगर 🔥
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धरती मे बहुत से ऐसे अनसुलझे रहस्य छुपे होते है जिनको समझना मनुष्यो के बस की बात नही होती । मायावन *****"* " देवदूत महाराज कृष्णकान्त अपनी पत्नी देविका से बहुत प्रेम करते थे उन्ही की खुशी और उनकी इच्छा के अनुसार महाराज ने हिमालय की विशाल पर्वत के अंदर अपना छोटा सा कुल स्थापित कर लिया था जिसका नाम मायावन रखा मायावन बिल्कुल स्वर्ग के मनमोहक नजारे की तरह दिखता था वहाँ मानवो को छोड़ हरा भरा पेड़ पौधे , फल फुल , जंगली जानवर , पशु पक्षी , मौजूद थे सब एक परिवार की तरह मिल जुलकर रहते थे और उन सबकी रानी देवदूत महाराज कृष्णकान्त की पुत्री राजकुमारी अनन्या थी उसे बचपन से ही पशु पक्षियों से बहुत लगाव था जिसके कारण महाराज ने अपनी देवपुत्री राजकुमारी अनन्या की इच्छा को भी पूर्ण किया था जंगल के थोड़े दूरी पर एक बड़ा सफ़ेद महल था जहाँ महाराज कृष्णकान्त अपनी पत्नी देविका और अपनी पुत्री राजकुमारी अनन्या के साथ महल मे रहता था वहाँ काम करने वाली कुछ दासियाँ भी रहती थी महाराज कृष्णकान्त मायावन से बाहर जाते वक्त अपना कार्यभार जोगी बाबा को सौप देते थे जोगी बाबा एक बड़े जादूगर थे वह भी महाराज के साथ महल मे रह कर सबकी देख रेख करते थे । महल के पीछे एक बड़ा खूबसूरत झरना था जहाँ कभी कभी महारानी देविका अपनी सखियों के साथ झरने मे जाकर स्नान कर लेती थी मायावन मे कोई भी साधारण मानव नही रहते थे महारानी की यही इच्छा थी कि वह शान्त और खूबसूरत वातावरण मे अपना जीवन स्थापित करे .. महाराज ने अपनी पत्नी और पुत्री की इच्छानुसार मायावन की रचना की जब भी देवताओं का कोई संदेश आता है तो देवदूत महाराज कृष्णकान्त मायावन से बाहर चले जाते थे । " राजकुमारी अनन्या अपनी माँ देविका से भी ज्यादा खूबसूरत थी अगर वह बाहरी दुनिया मे होती तो सब उसके कायल हो जाते जानवरो और पक्षियों की भाषा राजकुमारी बड़ी आसानी से समझ जाती थी वह अभी बाल्यवस्था मे थी सभी पशु पक्षियां उनका बड़ा आदर करते थे । लाल घाट ******** मायावन के थोड़ी दूर लाल घाट था या कह लो छोटा सा नर्क या जहन्नूम जहाँ शैतान का सबसे बड़ा सिपहेसालार कालोम्बो का राज था वहाँ हमेशा अंधेरा ही छाया रहता है वहाँ मरे हुए पेड़ पौधे रुहे आत्माए और मुर्दे लोग भी कालोम्बो के गुलाम थे लाल घाट मे कालोम्बो का एक बड़ा डरावणा महल भी था जो लाल रंग का था कालोम्बो वहाँ अपने बेटे और अपनी शैतानी सेनाओ के साथ रहता था कालोम्बो पूर्व जमाने मे चीन का शासक था उसका और उसके बेटे का शक्ल सूरत चाइना वालो की तरह था कालोम्बो के बेटे का नाम विंगो जो अभी बाल्यावस्था मे था उनके साथ एक जोराफ नाम का तात्रिक भी शामिल था वह हर बार शैतान का ही पूजा पाठ करता रहता है जिसके कारण वहाँ के लोग उसे शैतानी पंडित भी कहते है । शैतान के कहने पर कालोम्बो और तान्त्रिक जोराफ ने मिलकर ही लाल घाट मे अपना कुल स्थापित किया था यह कुल धरती के थोड़ी गहराई पर स्थित है जबकि मायावन धरती के ऊपर बसा हुआ है । महाराज देवदूत कृष्णकान्त और शैतान के सिपहेसालार कालोम्बो आपस मे एक दूसरे के दुश्मन बन चुके थे शैतान तो क्रूर और धूर्त होता है उन दोनो की दुश्मनी महारानी देविका को लेकर खड़ी हुई थी कालोम्बो महारानी देविका की खूबसूरती पर फ़िदा था वह महारानी को हासिल करने के लिए तात्रिक जोराफ के जरिए महारानी पर कई जादुएं आजमाता रहता था पर जोगी बाबा के दिए लॉकेट के कारण महारानी देविका पर तान्त्रिक का जादू असफल हो जाता था । " मायावन और लाल घाट दोनो कुल आस पड़ोस मे थे । पर उनके गुरुदेव एक ही थे सत्यानंद जी महाराज बहुत बड़े तपस्वी और ज्ञानी थे जो हिमालय की चोटी पर रहकर साधना करते थे उन्होंने दोनो कुल पर नियम और कानून बनाए थे कि कोई भी अपने कुल से दूसरे कुल पर कदम नही रखेगा , लड़ने झगड़ने पर भी पाबंधी थी इसी कारण कालोम्बो महारानी देविका से मिलने मायावन मे नही जा सकता था उसकी ये मजबूरी थी कालोम्बो लाल घाट महल के सिहासन का स्वामी था उसके पास शैतान की तलवार भी मौजूद थी तलवार के मुठ पर 💀 एक मानव खोपड़ी की आकृति बनी हुई थी जिस तलवार को शैतान ने खुद ही उसे भेट मे दिया था साथ मे कालोम्बो के पास प्राचीन ड्रैगन्स की सेना भी मौजूद थी वह अपने को बड़ा ताकतवर स्वामी समझता था । महाराज कृष्णकान्त के पास ज्यादा सेना तो नही पर उसके पास भगवान की तलवार जरूर थी जिसे देवदूत महाराज कृष्णकान्त के कार्यो से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हे भेट मे दिया था GOD की तलवार जिसके मुठ पर आँखों की तरह चमकते सफ़ेद मोती लगे हुए थे इन दोनो तलवारो के बारे मे गुरुदेव को भी पता था कि अगर शैतान और भगवान की तलवार आपस मे टकराए तो विनाश निश्चिचित है । इन्ही कारणों से गुरुदेव ने दोनो कुलो के बीच नियम और कानून लागू कर दिए थे ताकि दोनो कुल एक दूसरे से अलग रह सके पर शैतान तो वक्त और लालच मे अपना नियम जरूर तोड़ता है कलोम्बो महारानी देविका के लिए पागल हो गया था ऐसे ही एक बार ऐसी घटना घट गई जिसके कारण दोनो कुल का सत्यानाश हो गया .. उन दोनो के गुरुदेव हिमालय के एक बड़े गुफा मे बैठे तप साधना मे लीन थे । देवदूत महाराज कृष्णकान्त किसी कार्य के सिलसिले मे मायावन से बाहर गए हुए थे राजकुमारी अनन्या पशु पक्षियों के साथ रहकर बातें कर रही थी महारानी देविका उस वक्त अकेली झरने मे नहा रही थी उसकी कुछ सखियाँ महारानी के वस्त्रों के पास खड़ी थी जोगी बाबा के दिए हुए लॉकेट को भी महारानी ने नहाते वक्त अपने गले से निकाल कर वस्त्रों के पास रख दिया था महारानी नहाने मे व्यस्त थी किसी को ये नही पता था कि झाडी के पास कालोम्बो छुपा हुआ महारानी को नहाते देख शैतानी मुस्कान बिखेर रहा था पर जोगी बाबा को भनक लग गई थी जब कालोम्बो ने मायावन मे कदम रखा था वह पलट कर महल से बाहर निकल पाते उससे पहले दरवाजे के पास खड़ा तान्त्रिक जोराफ मुस्कुराते हुए बोला हमे तो भूल ही गए जोगी बाबा .... ! " जोगी बाबा जोराफ को यहाँ देख ग़ुस्से मे जोर से बोले जोराफ हट जा मेरे रास्ते से मुझे पता है कॉलोम्बो भी यहाँ आया है । " जोराफ कुटिलता से मुस्कुराते हुए बोला शान्त हो जाइए जोगी बाबा हम लोग तो आपके पड़ोसी मेहमान है और मेहमानो का आना जाना तो लगा ही रहता है वैसे आप घबराइए मत मालिक तो बस महारानी से मिलने गए है शायद आज मालिक के लिए खुशी का दिन हो क्योकि आपने महारानी को लौकेट देकर मालिक को महारानी से मिलने के सारे दरवाजे ही बंद कर दिए थे इस कारण हमे यहाँ आना पड़ा । जोगी बाबा चीखा " जोराफ ....... वह मंत्र पढ़ पाते उससे पहले जोराफ ने जोगी बाबा को पकड़ कर उसे मजबूत रस्सियों मे बाँध दिया साथ मे उसके मुँह पर भी कपड़ा ठूस दिया ताकि वह मंत्र का इस्तेमाल ना कर सके जोगी बाबा कैदी की तरह जमीन पर गिर गया जिसे देखकर जोराफ हँसने लगा " जोराफ हट्टा कट्टा मजबूत शरीर वाला जवान तान्त्रिक था जबकि जोगी बाबा बुढ़ा हो चुके थे इस कारण वह जोराफ से नही लड़ सके अगर लड़ाई जादू की होती तो नतीजा उल्टा होता जोगी बाबा की जगह जोराफ कैद मे होता पर ऐसा ना हो पाया ....? ⬛⬜⬛⬜⬛⬜⬛⬜⬛⬜⬛⬜⬛⬜⬛⬜⬛⬜⬛⬜⬛⬜⬛⬜⬛⬜ आगे क्या क्या होगा बने रहिये इस कहानी मे ...... जितनी जल्दी कमेट आएंगे उतना जल्दी पार्ट आएगा Comming Soon : Chapter 2 ⚫⚪⚫⚪⚫⚪⚫⚪⚫⚪⚫⚪⚫⚪⚫⚪⚫⚪⚫⚪⚫⚪⚫⚪