उसने अपने प्यार के लिए अपनी कुरबानी देदी। राजकुमारी की हादसे से बहुत बुरी मृत्यु हो गई, पति ने धोखा दिया और आग के समुंदर में उनकी जान चली गई लेकिन वो आग उनके दिल का दर्द और नफरत नहीं जला पाई। उस हादसे के बाद जब उनकी आंख खुली तो उन्हें पता चला कि वो स... उसने अपने प्यार के लिए अपनी कुरबानी देदी। राजकुमारी की हादसे से बहुत बुरी मृत्यु हो गई, पति ने धोखा दिया और आग के समुंदर में उनकी जान चली गई लेकिन वो आग उनके दिल का दर्द और नफरत नहीं जला पाई। उस हादसे के बाद जब उनकी आंख खुली तो उन्हें पता चला कि वो सब कुछ सही कर सकती है एक बार फिर से।।।।लेकिन उसके रास्ते में था एक ऐसा इंसान जिससे सभी डरते है।वो डरावना राजकुमार जिसके नाम से ही पूरा देश डरता है क्या है उसके इरादे राजकुमारी के साथ।।।।।जानने के लिए जरूर पढ़े मेरी कहानी ।।।
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शिवाय राजवंश 71 साका साल का 6 महीना शिवाय राजवंश के सुंदर राज्य में, पूरे महल में हलचल थी। दूर आगे तहखानों में बहुत अंधेरा और शांति थी। सिर्फ किसी की हल्की सांसे सुनाई दे रही हैं।अचानक से तहखाने का दरवाजा आवाज के साथ खुला और कमरे में रोशनी भर गई जब दो सैनिक मशाले लेके अन्दर आए। कोने में कोई ठंडी जमीन पर बैठा है जबकि उसके हाथ किसी कपड़े से बांधे हुए हैं। आवाज आने पर उस बैठे हुए इंसान ने अपना सिर ऊपर करके देखा। सिर ऊपर करने के बाद पहली चीज जो उसने देखी की कोई लंबा इंसान सुनहरे चमकीले कपड़ो में खड़ा है। "मेरे युवराज" उस दुबली औरत ने कहा। उसकी आवाज काफी कमजोर थी लेकिन कमरे की शांति की वजह से उसकी आवाज कई बार सुनाई दी। "क्या अब आप खुश हैं?" वो लंबा आदमी जो कमरे के बीच में खड़ा था वो शिवाय राजवंश के युवराज पार्थ थे। उन्होंने उस कमजोर औरत की तरफ देखा जो नीचे बैठी थी।वो काफी कमजोर और दुबली थी लेकिन उसे चेहरे पर अजीब मुस्कान थी उसके बिगड़े हुए चेहरे पर। उसके गालों पर करने के निशान थे जिसकी वजह से वो बहुत डरावनी लग रही थी। "अगर तुम मुझे चाबी के बारे में बता देती तो ये सब बिल्कुल भी नहीं होता। तुम इतनी जिद्दी क्यू हो?" उवराज ने अपनी आवाज को हल्का करके बोलने की कोशिश की। "चाबी?" उस दुबली औरत ने अपना सिर झुकते हुए बोला " उवराज, मुझे कुछ नहीं पता!" उवराज का चेहरा गुस्से से भर गया "तुम्हारे कहने का क्या मतलब है कि तुम्हे कुछ नहीं पता? तुम्हारे पिता की मौत से पहले उन्होंने तुम्हे चाबी दी होगी लेकिन तुम सच हो बोल रही हो। क्या तुम चाहती हो की में तुम्हे बहुत तड़पाओ उसके बाद तुम सच बोलोगी? "क्या आप मुझे अभी तड़पा नहीं रहे हैं, उवराज?" उस दुबली औरत ने पूछा "उस बात को तीन साल हो गए, राजकुमार और शायद आज का ही दिन था जब 4 साल पहले हमारी शादी हुई थी" पार्थ की आंखों में कुछ अलग भाव थे, वो अपने दिल को धीमा करने की कोशिश कर रहा था। वो अपने सामने बैठी औरत को अच्छे से पहचानता हैं।वो ऐसा कुछ भी नहीं कहेगी जो वो नहीं बोलना चाहती। पार्थ ने अपनी आंखे झुके और उसकी तरफ कोमल नजर से देखा। "तुम ऐसा क्यू कर रही हो? तुम्हे इतना दर्द क्यू सहना हैं ?क्यू नहीं बता देती तुम की चाबी कहा है?मुझे पता है कि अपने माता-पिता की मृत्यु का बहुत गुस्सा हैं।में मदद करना चाहता था लेकिन में सिर्फ एक राजकुमार था और पिता जी के कामों में कुछ भी बोलने का हक नहीं था। वो यहां के सम्राट थे और मुझे उनके रास्तों पर ही चलना पड़ा" उसने उस औरत के बालो पर हाथ फिराया और एक बाल की कर को कान के पीछे कर दिया। उस औरत का शरीर बहुत कमजोर था और उसके बाल उलझे और खराब।कभी एक दम साफ और सुंदर आज बहुत गंदी और बदसूरत। उवराज ने गहरी सांस लेने के बाद कहा" तुम हमारी बीवी हो, और में तुम्हारा पति, इसलिए तुम्हे मेरे पीछे रहकर मेरी ताकतवर बनने में मदद करनी चाहिए। क्युकी आगे चलकर जब में सम्राट बहुंगा तो तुम मेरी सम्राज्ञी बनोगी। तो यह तुम्हारा कर्तव्य हैं कि तुम चाबी ढूढने में हमारी मदद करो।एक बार में सम्राट बन गया तो तुम सबके ऊपर राज कर सकती हो" पार्थ सिर्फ चाहता था की वो सच बता दे जिससे वो चाबी ढ़ूढ सके। "मेरे युवराज" उस औरत ने हल्के से हंसा लेकिन उसकी आवाज बहुत भरी थी " में युवरानी बनी और अभी यह तहखाने में बंद हु किसी मुजरिम की तरह, आपको लगता हैं कि मेरे शरीर में इतनी शक्ति हैं में ताकतवर होने के बारे सोची या किसी के ऊपर राज करने के बारे??" वो औरत जोर से हसी, उसकी हसी दरवानी और दर्द से भरी थी जिसकी वजह से मशाल लिए सैनिक भी आश्चर्य में आ गए। युवराज गुस्से में खड़े हुए और बोले "तू कपटी औरत" पार्थ ने औरत की तरफ उंगली करके कहा"में तुझे सिर्फ एक मौका दे रहा था की अपनी आगे की जिंदगी, खुशी से बिता सके लेकिन तू नहीं मन रही? तू कितनी बड़ी मूर्ख हैं! मुझे पछतावा है कि मेने तुझसे शादी की। एक बीवी का फर्ज हैं उसके पति की सेवा करना और तू मेर बीवी होकर इतनी छोटी चीज में मेरी मदद नहीं कर सकती। तेरे लिए मेरे दिल और मेरे महल किसी में जगह नहीं है। शिवाय राजवंश को तेरे जेसी कपटी युवरानी की कोई जरूरत नहीं हैं" पार्थ ने चिल्ला कर कहा वो दुबली औरत ऐसे जोर से हसी जेसे उसने युवराज को नहीं सुना।उसकी आंखे भर आई और उसकी आंखों से आंसू गिरने लगे।उसकी त्वचा सुख गई है और अब उसके दिल में उसे कोई दर्द महसूस नहीं होता। क्या ये वही सुशील और कोमल राजकुमार है। जिससे इसने 4 साल पहले शादी की थी।उसने इसके लिए अपना सब कुछ कुरबान कर दिया था, सिर्फ इसकी बीवी बनने के लिए, सिर्फ इसका प्यार पाने के लिए और फिर भी अंत में उसने इसे तहखाने में बंद कर के बहुत परेशान किया।क्या उसके त्याग और प्यार का यह उपहार था?? उसने अपना सिर उठाकर उस आदमी को देखा जो अब भी अच्छा दिखता हैं लेकिन अब वो पागल नहीं हैं।वो जानती हैं उस मुस्कान के पीछे केसा इंसान हैं।वो औरत भी मुस्कुराई। "मेरे युवराज, आप ने कभी मेरे लिए कुछ नहीं किया।यह तक अपने मेरे पूरे परिवार को मारने पर मजबूर किया और मुझे यहा तहखाने में बंद कर दिया। अपने उन झूठे सबूत पे विश्वास किया और मुझे बचाने की कभी कोई कोशिश नहीं की और आप मुझेपे कपटी होने का इन्लजाम लगा रहे हैं?उसकी आवाज में बहुत दर्द था लेकिन फिर भी वो जोर से बोल रही थी। वो अपने शरीर को घसीटके आगे की तरफ लाई और अपने हथकड़ियों को जोर से जमीन पर पटकने लगी, उसकी आंखों आंसूयों से बहुत लाल हो गई थी जिसकी वजह से लग रहा था की उसकी आंखों से खून का तालाब की तरह बह रहा था। "मेने आपके लिए अपना सब कुछ त्याग कर दिया फिर भी आप खुश नहीं हुए। अब आप मुझसे और क्या चाहते हैं?क्या अपने मुझे अपनी बीवी माना भी था? युवराज पार्थ आप कुछ नहीं बस एक धोखेबाज हैं जो अपने अलावा किसी की नहीं सोचता। आपने मेरे पिता पर देश को धोखा देने का आरोप लगाया और उन्हें मरने पर मजबूर किया। अपने मेरी मां को विधवा बना दिया और उन्हें दर्द से मरने पर मजबूर किया। अपने तब भी कुछ नहीं किया जब मुझसे किसी बाहर वाले के साथ संबंध में होने का आरोप लगा, आप वहा थे खड़े होकर देख रहे थे कैसे सब मुझे मौत के समुंदर में धकेल रहे थे और अब आप को जानना हैं की चाबी कहा हैं?? "वो औरत जोर से हसी और उस आदमी को घूर रही थी "तुम्हे पता हैं क्या?आप सही है। मेरे पिता ने मुझे चाबी के बारे में बताया था और वो चाबी मेरे पास है" उस औरत ने कहा पार्थ की आंखे आश्चर्य में बड़ी हो गई और उनमें नई तरह की रोशनी थी "मुझे पता था। बता मुझे कहा है वो?बता?" "मेरे युवराज, आपको पता हैं उस चाबी का क्या उपयोग हैं?" उस औरत ने युवराज का जवाब देने की जगह कहा "आपके पिता को भी उस चाबी के बारे में नहीं पता, अब आप उसके बारे में इतना जाना चाहते हैं तो सुनिए, वो चाबी एक स्त्रोत है बहुत ताकतवर बनने की।ये भी बोला जाता हैं जिसपे वो चाबी होते हैं वो देश को 100 साल तक राज कर सकता है" पार्थ ने उसके तरफ देखा और अपनी मुठ्ठी बंद कर ली।उसका शरीर काप रहा था। उसे पता था की उस चाबी में बहुत ताकत हैं।इसने अपने पिता को भी उसके बारे में पता चलने नहीं दिया था। लेकिन वो उसके बारे में जानकारी नहीं के पा रहा। वो चाबी स्वर्गीय 4 नम्बर सैनिको के मुखिया पे थी जो उसकी युवरानी के पिता भी थे।अगर उसे पता होता की वो चाबी वो मरने से पहले अपनी बेटी को दे जाएंगे तो चाबी के लिए ही सही युवरानी को अच्छे से रखा होता। "मारवी, हमारी शादी को कितने साल हो गए हैं और में तुमसे प्यार करता हु लेकिन तुम पर लगे इल्जाम बहुत बड़े हैं और उनपर सबूत भी हैं।अगर तुम मुझे चाबी के बारे में बता दो तो में पिता जी से बात कर सकता हु की तुम बेकसूर हो और हमारी मदद कर सकती हो तो वो तुम्हे यह से निकाल कर तुम्हे तुम्हारी जगह वापस दे देंगे और तुम हमरे राजवंश के वंश को जन्म दे सकती हो।में कुछ भी करूंगा जिससे पिताजी तुम्हे माफ करदे और यहां से निकल वा ले तुम्हे सिर्फ हा कहना हैं" वो उसे अपने जाल में फसाने की कोशिश कर रहा था। वो सोचता था कि कोई औरत पैसा और ताकत नहीं छोड़ेगी।वो सोच रहा था की वो उसे कभी मना नहीं करेगी और हा बोल देगी क्युकी वो उससे प्यार करती थी और पूरे दिल से अपने आप को इसे दे दिया था। मारवी हसी "युवराज में आपकी बीवी हु, आपको लगता है मुझे वो सब चीज़े चाहिए ?शायद चाहिए होती बीते हुए वक्त में लेकिन अब नहीं। " पार्थ को बहुत गुस्सा आया और वो चिल्ला कर बोला"ठीक है, अब तुम्हे कुछ नहीं चाहिए तो मेरे पास बोलने के लिए कुछ नहीं हैं।मेने तुम्हे कई मायके दिए लेकिन तुमने सब ठुकरा दिए।तुम सब कुछ छोड़ कर जा सकती थी और एक नई जिंदगी शुरू कर सकती थी लेकिन नहीं तूने यहां मरने की सोचा हैं"वो उसकी तरफ देख कर रुक गया। ऐसा लग रहा था की वो इंतजार का रहा हैं की वो हा बोलेगी लेकिन उसने कुछ नहीं बोला सिर्फ वो युवराज को घूर कर देख रही थी बिना कई भाव के। पार्थ को अपने अंदर कुछ अजीब महसूस हुआ।मारवी उसे हमेशा बहुत प्यार और चिंता के साथ देखती थी।वो जब भी उसके सामने जाता था वो मुस्कुरा देती थी लेकिन अब नहीं। उसे ऐसा लग रहा था उसके सामने उससे प्यार करने वाली औरत नहीं कोई अजनबी बैठ था। उसने अपनी मुठ्ठी बंद कर की, इसे चाबी चाहिए लेकिन वो नहीं देगी। उसे वो किसी भी हालात में चाहिए लेकिन मारवी ही है जिसे पता हैं कि वो चाबी कहा है। उसने गुस्से में कहा – "सैनिकों इस पूरी जगह को जला दो।सबको बता दो कि युवरानी की तबियत बिगड़ गई और वो अजीब हरकते करने लगी। उसे शांत कराते वक्त उन्होंने गलती से तहखाने में आग लगा दी"युवराज ने उस औरत की तरफ एक बार देखा और वह से बहर चले गए। उन दो सेनिको ने बिल्कुल समय खराब नहीं करा और तैयारी करने लगे। वो बाहर की तरफ झाकर पूरे कमरे पर तेल डाल रहे थे और फिर बाहर निकलने से पहले अपनी मसाले वहा फेक गए, पार्थ बाहर खड़ा सब देख रहा था की कैसे आग सब चीज़ो को धीरे धीरे जला रही थी। वो फिर से चिल्लाया "अभी भी समय हैं, अगर तुमने मेरी बात मान की तो में तुम्हे बचा लूंगा, मूर्ख मत बनो और चाबी के बारे में मुझे बता दो" मारवी अपने शरीर को दीवाल के सहारे से टिका कर खड़ी हुई।उसने अपने आस पास देखा तो उसका दिल बैठ गया। उसकी आंखों में दर्द था और दिल बदले से जल रहा था। उसने उस आदमी को देखा जो एक समय पर उससे प्यार करता था। वो सिर्फ इसकी हालात का जिम्मेदार नहीं था बल्कि इसने अपना सब कुछ उसके लिए कुर्बान कर दिया था उसकेबाद भी इसकी ऐसी मृत्यु होगी?? वो सोच रही थी की इसके साथ ही ऐसा अत्याचार क्यू?? आग आस पास होने बाद भी वो चिल्लाई और बोली" युवराज पार्थ, में इसे याद रखूंगी। तुम बहुत बड़े धोखेबाज हो।तुम रक्षक यह मत सोचना की तुम इससे बच जाओगे। अगर भगवान ने तुम्हे सजा नहीं दी तो में भूत बनकर आऊंगी और तुम्हे सजा दूंगी। अगर मुझे एक बारी और मिली तो मैं कसम खाती हु तुम्हे बरबाद करने की।में जब तक नहीं रुकूंगी जब तक तुम्हे अपने हाथो से मार न दू "वो चिल्लाई "युवराज, में तुम्हे कभी माफ नहीं करूंगी"और उसकी चीख आग में समा गई। पार्थ ने वहा खड़े होकर सब देखा। मारवी के साथ चाबी मिलने का सुराग भी जल गया और खत्म हो गया।जब वो उसे बता नहीं रही थी की चाबी कहा हैं तो वो पार्थ के किसी काम की नहीं थी और वो उसे जीने नहीं दे सकता था क्युकी उसे कई गहरे राज पता थे उस चाबी से संभदित। मरते वक्त भी उसने कुछ नहीं कहा। उसने आज तक इतनी जिद्दी औरत नहीं देखी थी। "जाओ आग भुजा दो और पिताजी को खबर देदो"उसने हुकुम दिया जब वो तहखाने से बाहर जा रहा था "दिविज" उसने अपने सेवक को बुलाया जो उसके पीछे ही चल रहा था। "जी युवराज" "जाओ चाबी को ढूंढो, कुछ तो सुराग होंगे मारवी के पिता के घर में।हम वो चाबी ढ़ूढनी हैं" युवराज ने कहा और फिर लंबे कदमों में वहा से बाहर निकल गए। दिविज ने एक बार पीछे मूड कर देखा और अंधेरे में कही गायब हो गया।
शिवाय राजवंश। ; प्रधानमंत्री का महल बाहर हल्की हवा चल रही थी और खिड़की पर लगे परदे उसकी वजह से उड़ रहे थे । यहां का आंगन बाकी महल के आंगनो से छोटा था और थोड़ा टूटा हुआ भी था ।बगीचे के बीच में एक पानी का एक छोटा तालाब था ।यह काम कर रहे नौकरों की संख्या भी कम थी ।सिर्फ दो काम उम्र की लड़कियां अपने मालिक के साथ और दो कम उम्र के सेवक। दो लड़कियां कमरे के अंदर कही थी और कोई भी हल्के रोने की आवाज सुन सकता था जो शांत कमरे से आ रही थी। एक लड़की जो सेवको वाले कपड़े पहनी थी वो अपने मालिक को देख रही थी जो कुर्सी पर बैठ कर रो रहे थे।उसकी आंखे बिस्तर के पास पड़े शरीर पर गई को एक दम एक लाश जैसा लग रहा था । "कुमारी हम क्या करेंगे??"उस लड़की ने धीरे से पूछा।उसके मालिक की आंखे उस बिस्तर के पास शरीर पर पड़ी और उसका दिल थम गया। "नंदिनी" उस औरत ने रोते हुए आवाज लगाई।उसके परिवार की एक लौटी सदस्य अब एक लाश की तरह बिस्तर के बगल में पड़ी थी ।वो उसकी आवाज का जवाब भी नहीं दे रही ,उसकी सिर्फ एक छोटी बहन ।अगर उसे कुछ हो गया तो ये क्या करेगी। उन दोनो के माता –पिता बहुत पहले ही मर गए और बहनों को अकेला छोड़ गए थे।वो जानते थे की बाकी लोग उनका परिवार नहीं है सिर्फ देखानें के लिए असलियत में नहीं। "चोटी मालकिन बहुत दिन से बीमार है।मेने बड़ी मालकिन को बता दिया था लेकिन उन्होंने हमारी छोटी मालकिन के लिए कोई चिकित्सक नहीं भेजा।कल रात उनका बुखार इतना बढ़ गया था की उनका पूरा शरीर कपकपा रहा था और उसके बाद उन्होंने हिलना बंद कर दिया और ऐसे ही पड़ी है ,बिना कुछ बोले ,बिना हिले" दूसरी सेवक को कमरे के गेट पर खड़ी वो भी रोने लगी।उसने अपने मालकिन को ऐसे बेसुध हालत पर बेड पर पड़ा देख के उसे बुरा लग रहा था।उसे यहां की बड़ी मालकिन बिलकुल नही पसंद।वो बीमार लड़की के साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं जेसे उनका खून का रिश्ता न हो।अगर उसकी मालकिन मार गई तो वो भी खुशी से उनके साथ ही चली जायेगी।उसने अपना इरादा पक्का कर लिया। "कुमारी क्या हमे बताना चाहिए?"पहली सेवक ने फिर से पूछा। वो लड़की जो कुर्सी पर बैठ कर रो रही थी उसने अपना सिर उठाया और अपनी छोटी बहन के चेहरे को सहलाया।उसकाचेहरा बेरंग और सफेद हो गया है।उसका शरीर ठंडा पड़ गया है। उस लड़की के हाथ रुके और वो फिर से रोने लगी। "मेरी बहन ,मेरा इकलौता परिवार,तुम अपनी बड़ी बहन को ऐसे छोड़ कर जेसे जा सकती हो??अब मैं क्या करूंगी और यहा कैसे रहूंगी"उस लड़की ने पूछा ,अपनी आंखे बंद करके रोने लगी ।"नंदिनी ,मुझे ऐसे पूछे छोड़ कर मत जा"उसने बोला। दोनो सेवक शांति से खड़े होके रो रही थी ,पूरा आंगन शांत था। नंदिनी के शरीर पर एक सफेद रोशनी पड़ी और उसका शरीर हिला ,उसके मुंह से दर्द से भरी आवाज निकली आई उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।उसने अपनी आंखे खोली और झपझपाई कमरे की रोशनी की वजह से।उसने इधर उधर देखा और वो आश्चर्यचकित हो गई । वो कहा है?वो तो मर गई थी ना?? छोटी मालकिन उठ गई" किसी के खुशी से बोलने की आवाज आई।नंदिनी उस आवाज की तरफ मुड़ी ।वो एक लड़की थी शायद 16 साल की ,उसकी आंखों में आसूं थे लेकिन चेहरे पे हसी। "नंदिनी" किसी के कोमल से हाथो ने उसके हाथ पकड़े अपनी तरफ देखने के लिए ।वहा एक और लड़की थी जो बहुत सुंदर थी और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी। "तुम...."वो रो गई "मेने सोचा की मेने तुझे खो दिया ।मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा की तू उठ गई है" नंदिनी को कुछ समझ नही आ रहा था की उसके आस पास क्या हो रहा है? एक वक्त वो तहखाने में आग के समुंदर में जल रही थी और दूसरे वक्त अब वो कुछ अनजाने चेहरों को देख रही थी??इसका तो कोई रास्ता ही था की कोई उसे बचाए लेकिन वो यहां कैसे पहुंच गई?अचानक उसके सिर में दर्द हुआ और कुछ तस्वीरे दिखी ।उसने अपना सिर जोर से पकड़ लिया। "क्या हुआ?"उसके बगल में बैठी हुई लड़की ने पूछा "क्या तुझे दर्द हो रहा है, उमी पानी लेके आ" लड़की के पीछे खड़ी सेवक ने अपना सिर हिलाया।उसने एक पानी का ग्लास लाके दिया और नंदिनी ने उसे पूरा पी लिया।उसने अपने दिल को शांत किया और फिर उस लड़की को देखा जो अभी उसका हाथ पकड़ी हुई थी ।मुस्कुराते हुए उसने कहा "बड़ी दीदी ,क्या मेने आपको डरा दिया था?" उसके सामने जो लड़की बैठी थी उसका नाम शिवानी था ।वो इस शरीर की असली मालिक की बड़ी बहन है।थोड़ा सोचने के बाद नंदिनी ने समझा कि वो जिंदा नही है बल्कि दूसरे शरीर में आ गई है। इस शरीर की मालिक का नाम नंदिनी था जिसकी मौत हो गई बुखार से क्युकी उसका इलाज सही समय पे नही किया गया,लेकिन उसकी मौत ने मारवी को जीने का एक और मौका दिया है।उसे नही पता ये कैसे हुआ लेकिन वो इसके लिए बहुत खुश थी।वो नंदिनी के लिए बहुत दुखी थी ,जैसा व्यवहार हुआ उसके साथ लेकिन उसकी वजह से मारवी को एक मौका मिला इस शरीर में फिर से जन्म लेने का । "नंदिनी मैं बहुत दर गई थी" शिवानी रो रही थी। "उस औरत ने किसी चिकित्सक को लाने से मना कर दिया था और मेरे पास भी बिल्कुल पैसे नही थे जिससे में उन्हें बुलाती ।मुझे समझ नही आ रहा था की मैं क्या करू।मेने सोचा....तू...." नंदिनी ने उसका हाथ हल्के से सहलाया "में अब ठीक हु ,बुखार भी चला गया है" मारवी ये नही बोल सकती थी की वो उसकी बहन नही है।वो तो पहले ही काफी बड़ी थी जब वो आग में मार गई ,वो 21 की थी लेकिन नंदिनी तो बहुत छोटी थी ,सिर्फ 16 साल की। "में इसके लिए बहुत शुक्रगुजार हु"शिवानी मुस्कुराई ।उसका भागता हुआ दिल अब थोड़ा शांत हुआ "तुझे भूख लगी है??में तेरे लिए कुछ बना देती हु छोटी रसोई में" नंदिनी को याद आया शरीर की मदद से की दोनो बहने अभी के प्रधानमंत्री के नीचे रहते थे लेकिन असलियत में वो खुद के दम पे ही रहते थे ।प्रधान मंत्री का घर उन्हें कुछ भी नहीं देता था और वो एक छोटे से आंगन में रहते थे जो की प्रधान मंत्री के घर के कोने से जुड़ा हुआ था ।उनकी बाकी के लोगो से भी कोई बात नही होती थी किसी त्योहार या कोई उत्सव के अलावा। नंदिनी में मुस्कुराया और कहा "ठीक है" नंदिनी को बहुत अजीब लग रहा था की उसकी मारवी नाम की जिंदगी अब खत्म हो चुकी थी।वो उस तहखाने में कितनी बुरी तरह मारी थी लेकिन फिर भी कोई भूत nhi बनी बल्कि किसी दूसरी लड़की के शरीर में फिर से जन्म ले लिया ।उसे ऐसा लग रहा था की भगवान ने उसे द्वारा अवसर दिया है।वो उसे एक और अवसर दे रहे है की वो अपनी सब गलती सही करे और हर चीज को सही करे ।नंदिनी ने अपनी मुठ्ठी बंद कर ली। "छोटी कुमारी ,क्या आपको कुछ चाहिए?"वो छोटी लड़की जो उसके बिस्तर के बगल में खड़ी थी उसने पूछा ।नंदिनी ने अपनी नजर उठा कर उसकी तरफ देखा और इस लड़की को अपनेआप को देखते हुए पाया । उस लड़की का नाम विधि था ।इस शरीर मतलब असली नंदनी की काबिल सेवक। नंदिनी ने अपना सिर हिलाते हुए कहा "हा,मेरे लिए एक शीशा ले आओ" विधि ने अपना सिर हिलाया और कोने की तरफ बड़ी ।उसने वहा से एक भूरे रंग का शीशा उठाया और नंदिनी को देदिया।जब उसने शीशे में देखा तो एक अनजाना चेहरा पाया ।उसका चेहरा किसी बच्चे जैसा था ,उसके चेहरे से पता चल रहा था कि असली नंदिनी 16 साल की थी ।उसकी मौत कितनी जल्दी हो गई और उसमें उसकी गलती भी नही थी। वो अपनी जिंदगी जी सकती थी अगर उसके नाम वाले परिवार ने उसकी थोड़ी भी मदद की होती । उसके चेहरे पर कटने के निशान भी थे ।वो निशान उसकी सीधी भौं से होते हुए उसके गाल से जाके उसके कान तक था ।उसकी वजह से वो बदसूरत लग रही थी ।ये चेहरा ऐसा नहीं था की कोई आदमी इसे दो बार देखेगा ।नंदिनी ने अपनी आंखे से उस निशान पर देखा और उसका दिल टूट गया ।वो फिरे जिंदा हुई है और उसका सिर्फ एक मकसद है की उसे शिवाय राजवंश से बदला लेना है और उसे खत्म करना है और उसके लिए उसे एक अच्छी प्रेरणा चाहिए । "विधि मेरे लिए एक चाकू और स्याही ले आओ" विधि जो अपनी मालिक को हर चीज करते हुए देख रही थी चौक गई जब नंदिनी ने उसे अचानक आवाज दी तो।उसने अपनी मालकिन को ऐसे बोलते हुए नही सुना था ।उसके बोलने का ढंग और हैं भाव इतने बदल गए है की वो एक दम अलग इंसान लग रही है।बिना कुछ बोले उसने नंदिनी का कहना माना और उसे चाकू और स्याही लाके दी। नंदिनी अपने बिस्तर से खड़ी हुई। उसका शरीर सही नही था लेकिन फिर भी वो अच्छे से चल कर खिड़की तक पहुंच गई।आसमान साफ था सिर्फ कुछ बादल थे । इस जिंदगी में ,वो नही रुकेगी जब तक वो सबको बरबाद न करदे जिसने भी उसे दर्द दिया है।वो उन्हें बेहरमी से मरते हुए देखना चाहती हैं इन्हीं आंखों से। उसने चाकू को निकाला और शीशे की तरफ देखा ।अपने नीचे वाले होठ को दातों में दबाकर ,अपने दिल को कर्रा करा और चाकू को अपने चेहरे के निशान पर काटने लगी और उसका खून बहने लगा । विधि जोर से चिल्लाई जब उसने देखा की क्या हो रहा है।उसने कभी नही सोचा था की उसकी मालकिन कुछ ऐसा करेंगी ।नंदिनी ने अपने चेहरे पर कुछ निशान बनाए थे ।उसके सीधी तरफ उसके चोट के निशान को ढकते हुए ।उसका आधा चेहरा खून में बिगड़ गया था लेकिन नंदिनी एक बार रोई या हिली भी नही। "मालकिन आप क्या कर रही है" विधि इतना दर गई थी बात भी चीख कर ,कर रही थी।शिवानी जो ऊमी के साथ खाना बनाने गई थी वो भाग कर कमरे में आई ।वो बहुत चौक गई नंदिनी की हालत देख कर । "नंदिनी ,ये तू क्या कर रही है??"शिवानी ने उसके हाथ को रोकने की कोशिश की लेकिन उसने अपने हाथ ऊपर कर दिए । "चिंता मत करो बड़ी दीदी ,ये कुछ भी नही है"उसनेचकू नीचे रखा और फिर एक ब्रश लेके उसे स्याही में डूबा दिया ,उसने शीशे में देखा और जो निशान अभी उसने बनाए उन्हें रंगने लगी "ये निशान बहुत बदसूरत था तो में इसे सुंदर बना रही हु"ये उसको ये भी बताएगा की उसका फिर से जन्म क्यू हुआ है।।।।।
शिवानी की आंखे नम हो गई।क्युकी वो जानती थी इन निशानों की वजह से नंदिनी को कितना कुछ सहना पड़ा था।उसका चेहरा एक दम सही था ।लेकिन अगर उनके चाचा की चोटी बेटी नायरा ने ये किया न होता तो नंदिनी का चेहरा बिल्कुल सही होता। नंदिनी ने उन निशानों को रंगना बंद दिया और खून को अपने चेहरे से साफ किया ।चोट के फिरसे खुलने के दर्द से नंदिनी का शरीर कपकपा गया लेकिन उसने जो जीने का रास्ता चुना वो इससे कई ज्यादा दर्दनाक और मुश्किल था।उसका चेहरा खराब तो हो ही गया था दूसरो की हिसाब से तो उसने अपने चेहरे को ऐसा बना लिया की अब कोई उसे भूल नही पाएगा। अब से जो भी उसे देखेगा उसके चेहरे के इन रंग से भरे निशानी को भुला नहीं पाएगा। "क्या तेरे दर्द है" शिवानी ने चिंता में पूछा "मेरे पास कुछ दर्द की गोलियां है क्या तुझे चाहिए??" नंदिनी ने अपना सिर हिलाया " नही ,चिंता मत करो में ठीक हु"उसने एक जबरदस्ती की मुस्कान दिखाई। वो नही चाहती थी की ये दर्द जाए ।ये दर्द उसे याद दिलाता है की उसके दिल में कितना दर्द और बदला लेने की इच्छा है और वो इसे दूर नही जाने देगी जब तक नही तब तक वो उस परिवार को बिलकुल खत्म नही कर देती। "नंदिनी तू–" शिवानी ने एक गहरी सांस ली ।उसे समझ नही आ रहा था की उसकी बहन इतनी कैसे बदल हुई।नंदिनी तो बहुत सीधी थी और अब उसने अपने आप को इतनी चोट लगाली और एक आंसू भी निकाला? नंदिनी ने शिवानी के चेहरे को देखा वो समझ गई थी की शिवानी क्या सोच रही थी।उसने एक गहरी सांस ली और शिवानी का हाथ पकड़ लिया "बड़ी दीदी मुझे पता है आपको बहुत अजीब लग रहा होगा लेकिन इस बारे में इतना मत सोचो।मेने इसके बारे में बहुत सोचा है।हम यहां रह रहे है फिर भी चाचा ने कभी हमारी चिंता नही की।उन्होंने कभी चिंता नही की और न ही करेंगे ।उनके लिए सिर्फ सभा में इज्जत और जगह की चिंता है।सबके सामने वो हमारे लिए चिंता दिखाते है लेकिन असलियत तो हम जानते है न?" शिवानी ने उसकी तरफ देखे हा में सिर हिलाया।ये बात उसे कैसे समझ नहीं आई?उसने इन सालो में जो भी हुआ सब देखा है तो जो भी नंदिनी बोल रही थी वो सच था और वो कुछ नही बोल सकती थी। "हम अपने ऊपर ही जीना होगा।हम दूसरो पर निर्भर नहीं हो सकते और अपने उपर निर्भर होने के लिए हम ताकतवर बनना होगा और दिखना भी होगा ।अगर मां और पिता यह होते तो–" नंदिनी रुक गई और नीचे सिर कर लिया। "नंदिनी मुझे माफ कर दे " शिवानी रो गई और नंदिनी को गले लगा लिया। नंदिनी ने अपनी आंखे बंद कर ली।ये इन लोगो को नहीं जानती थी लेकिन नंदिनी और मारवी दोनो अपनी जिंदगी में अकेले थे और उन्हें अपनी जिंदगी के लिए खुद लड़ना था ।वो अपनी पुरानी जिंदगी नहीं बदल पाएगी लेकिन वो इस नई जिंदगी को बदल देगी और इस बार उस पर एक जिम्मेदारी भी है–उसकी बहन और उसे अपनी बहन की किसी भी हालत में रक्षा करनी है। उसी वक्त दूसरे तरफ की एक सेवक ,दूसरी सेवक को लेके आई "बड़ी कुमारी, आपकी बड़ी मालकिन ने महल आने का बुलावा दिया है" नंदिनी और शिवानी दूर हुए और उन दोनो सेवको की तरफ देखा जो की बुलावा लेके आई थी। नंदिनी के चेहरे पे अब भीं कुछ खून के निशान थे और वो स्याही अभी अच्छे से सुखी नहीं थी।जो सेवक बुलावा देने आई थी उसने नंदिनी की तरफ देखा और नजर नीचे कर ली। "महल जाने का बुलावा??" नंदिनी ने ऊपर देखके कहा ,उसकी आंखो में अचानक से ठंडापन आ गया । ऐसा लग रहा है की हमारी मालकिन साहिबा के पास बताने के लिए कुछ ऐसे ही जिसके लिए उनसे इंतजार नही हुआ।।।। ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। मालकिन उरवी ,एक बहुत ही होशियार और चालबाज औरत थी जिसने इस घर के मालिक यानी की यह के प्रधान मंत्री से शादी की जब वो सिर्फ 17 साल की थी ।एक अफवाह ये भी थी की उनका रिश्ता शादी से पहले भी वो एक दूसरे से प्यार करते थे जिसके अंत में उनकी शादी हुई।प्रधान मंत्री पूरव उर्वी से नहीं मिले थे जब उनकी सगाई एक जानेमाने व्यापारी की बेटी से हो गई थी लेकिन जबतक शादी की तारिक तह होती ,हर जगह ये खबर फैल गई की प्रधान को किसी औरत के सतह सोते पकड़ा गया था और फिर कुछ दिन बाद पता चलता है की वो और उर्वी एक साथ संबंध में थे। वो एक दूसरे से प्यार करते थे और उनकी सगाई उनकी मर्जी के खिलाफ ,परिवार द्वारा कराई गई थी।ये खबर फैलने की वजह से पूर्व के परिवार को उर्वी से उनकी शादी करानी पड़ी अपनी इज्जत बचाने के लिए और उसके बाद उर्वी इस जगह की मालकिन बन गई और हर कोई उसे वही बुलाता है तब से ।उसने दो सुंदर बेटियों को जन्म दिया जिनके नाम थे नायरा और किआरा ।उसकी बेटियों को पूरे साम्राज्य में अच्छी इज्जत थी। प्रधान का पूरा परिवार अपनी जिंदगी ऐश और आराम से जी रहे थे लेकिन उन लोगो ने कभी उन दोनो बेटियों के बारे में नही सोचा जो महल के पीछे के ही टूटे हुए आंगन में रहती थी।महल के पास ही एक छोटा सा घर था जिसमे उनके प्रधान पूरब के असली खून के भाई रहते थे अपने परिवार के साथ। लेकिन पैसे की कमी होने की वजह से और उनके बहुत काम करने की वजह से पति और पत्नी दोनो की मृत्यु हो गई ,वो अपनी बेटियों को अपने पर पे खड़ा कर पाते उससे पहले ।प्रधान और उन लोगो ने सबको अच्छे से ये दिखाया की वो दोनो बहनों का अच्छे से ख्याल रखते थे और सबका दिल जीत लिया था लेकिन किसी को भी यहां की असलियत नही पता थी। शिवानी और नंदिनी को अपनी जिंदगी अपने बल पर जीनी थी ।यह रहने के लिए बस हर महीने 10 तांबे के सिक्के आते थे।यह तक यहां काम करने वाले सेवको को कुछ भी नही मिलता था लेकिन उन सेवको ने अपनी जिंदगी दोनो बहनों के नाम कर दी थी। विधि और ऊमि दोनो यहां सिर्फ दोनो बहनों की वजह से थी।और बाकी दो सेवक जो यह काम करते थे वो थोड़ी शर्मीली लड़कियां थी।ये आंगन और कमरे पीछे की तरफ थे इसलिए यहां कोई आता नहीं था तो सभी लोग यहां शांति से रहते थे लेकिन दिक्कत ये थी की उनके खाने पीने के लिए पैसे नहीं थे। नंदिनी ये बात अच्छे से जानती थी ।वो इस बात के लिए खुशनसीब थी की असली नंदिनी अपनी यादें इस शरीर में छोड़ गई है जिससे मारवी सब कुछ समझ सकती है।वो अब कोई कमज़ोर औरत नही है पहले की तरह ।उसके फिर से जन्म लेके का मकसद था बदला और वो नही रुकेगी जब तक उसे पूरा ना कर ले लेकिन अभी वो कुछ नही कर सकती।उसका दूसरा जन्म बहुत बुरी हालत में हुआ था बिना किसी मदद के।वो अपना बदला कैसे लेगी जब उसपे खर्च करने के लिए एक रूपा भी नहीं है और कुछ भी जिससे वो सब कुछ संभाल सके।।।।।।
कुछ भी करने से पहले नंदिनी को ये सोचना होगा की सब करना कैसे है जिससे उसकी बहन की जान सुरक्षित हो।पिछली जिंदगी में उसके कोई भी भाई या बहन नही थे लेकिन इस जिंदगी में उसके पास एक बड़ी बहन है जो उससे बहुत प्यार करती है। असलियत में तो वो शिवानी से बड़ी है लेकिन अब वो बड़ी है और नंदिनी छोटी क्युकी अब वो मारवी नही है, बिना ताज की युवरानी।वो अब नंदिनी है,प्रधान के घर की एक छोटी बच्ची। "अब मैडम को क्या चाहिए" शिवानी ने कहा "क्या कोई उत्सव है जिसमे वो चाहती है हम भी शामिल हो?"शिवानी भोली थी बेवकूफ नही। नंदिनी ने मेज पर रखे हुए खाने को देखा।ज्यादातर खाना शाकाहारी था।वो अब खर्चा बहुत कम कर है लेकिन इस खाने से शरीर को कोई फायदा नही होगा। "शायद" नंदिनी ने कहा और विधि की तरफ मुड़ी "जा बाकी दोनों को भी बुला दे,ज्यादा खाना नही है 6 लोग नही खा पाएंगे तो हम सब एक साथ खा लेंगे।" विधि ने चौक कर देखा "कुमारी,आप और बड़ी कुमारी खा लीजिए हम बाद में देख लेंगे" "क्या देखलोगे?" नंदनी ने कहा "अगर तुम आधा पेट भी नही खाओगे तो काम कैसे करोगे?तुम्हे अपना शरीर खराब करना है?अभी खर्चे काम है और साथ खाने से समय भी बचेगा और वैसे भी हम सब एक ही चीज खाने वाले है तो बाद में खाके क्या करोगे ?नंदिनी ने कुछ प्लेट निकाली ।प्लेट पे बना चित्र छुटने लगा है ।इसे पता चल रहा था की वो कितनी पुरानी थी।उसने खाना परोस दिया फिर कहा "जा विधि इन दोनो को भी बुला ला" विधि का दिल खुश था।वो जानती थी की उसकी मालकिन का दिल बहुत बड़ा था लेकिन उसे यकीन नही था की वो इतनी उदार होंगी ।मालिको का सेवको के साथ खाना तो कही नही होता था लेकिन मालिको का सेवको को अपने जैसा माना कही नहीं दिखेगा।अगर कोई रास्ता नही होऔर उसे इस टूटे घर में भूखा भी रहना पड़ेगा तो विधि पीछे नही हटेगी।उसने अपने आंख के कोने से आता हुआ आंसू पोछा उर सिर हिलाकर खुशी से एक कमरे की तरफ चली गई । ऊमी कोने में खड़ी आंखो में आंसू और चेहरे पर मुस्कान लिए खड़ी थी। थोड़ी देर में दोनों बाकी सेवक भी आ गया और सबने शांति से खाना खाया ।उनका घर हमेशा बहुत शांत रहता था। "बड़ी दीदी ,मेने इस बारे में सोचा था।हम यहां बहुत लंबे समय से रह रहे है लेकिन यह कोई और किसी को इस जगह के बारे में नहीं पता" ऊमी और विधि के खाने की मेज साफ करने के बाद नंदिनी ने कहा । शिवानी ने उसकी तरफ देखा " हमारे पास कोई हक या ताकत नही है।कोई हम पहचानता नही है तो हमारे पास कोई अच्छा घर कैसे होगा??अगर शायद पिता और मां जिंदा होते तो.." "तो क्या? नंदिनी पूछना चाहती थी।अगर वो जिंदा भी होते तो क्या करते ।नंदिनी के पिता एक गरीब आदमी थे।उनके दादाजी पड़े लड़के के लिए महल और सब कुछ छोड़ गए लेकिन दूसरे बेटे का क्या को गरीबी में तड़प रहा था? "मां और पिता ने हम खुश रखने के लिए बहुत मेहनत की "शिवानी ने कहा "तू बहुत छोटी थी तू नही जानती लेकिन मेने देखा है।उन्होके हम सब कुछ देने की पूरी कोशिश की लेकिन दादाजी की वजह से वो अपने जगह पर आगे नही बढ़ पाए। "दादाजी पिता की तरफ ऐसे क्यू थे?" नंदिनी ने पूछा ।एक पिता जो अपने दोनो बेटो को अलग तरह से रखते थे ,नंदिनी को इस बात पर कुछ शक था। "क्युकी पिता जी बीवी के जन्मे बच्चे नही थे ।मुझे अच्छे से नहीं पता लेकिन एक बार मां ने कहा था।हमारी दादी ,दादाजी की असली बीवी नहीं थी ।मां ने ये भी कहा था की दादाजी ,हमारी दादी को घूमते वक्त मिले थे और उन्होंने अपनी रात सतह गुजारी थी।दादाजी ,दादी को पसंद नही करते थे लेकिन दादी जी ने उन्हे जाने से मना कर दिया क्युकी एक पिता जी से पेट से थी तो उन्होंने दादाजी को उन्हे महल ले जाने को कहा लेकिन पिता को जन्म देते है उनकी मौत हो गई क्युकी उनका शरीर दर्द नहीं खेल पाया और पिता को अकेला छोड़ गईं ।दादा जी ने हमारे पिता को अपनाया नहीं था लेकिन ठुकराया भी नही था।मेने सुना था की उन्होंने पिता को बिना किसी प्यार और इज्जत के बड़ा होने दिया ।वो उन्होेके इसलिए किया जिससे पिता को पता चले की दादाजी उन्हें अपनाना नही चाहते थे। नंदिनी को अंदर ही अंदर घुटन हो रही थी अपनाना नही चाहते ?? वो थे जो किसी अजनबी औरत के साथ सो गए,उसे पेट से कर दिया और फिर एक इस्तेमाल किए हुए जूते की तरह फेक दिया । क्या उस आदमी में दिल भी था? अगर द्वारा लड़का उनकी बीवी ने पैदा नहीं किया तो क्या थे तो वो उनके ही खून।वो उन्हें अपनी जिंदगी में परेशान होते हुए देखते रहे लेकिन पिता की तरह उनकी मदद नही की। कितना नीच आदमी । "मेरे ख्याल से अब हम मैडम से मिलने जाना चाहिए ।वो गुस्सा करेंगी अगर हम देर से जायेंगे तो" शिवानी ने गहरी सांस लेते हुए कहा। "आपको जाने की कोई जरूरत नही है"नंदिनी खड़ी हुई।उसे पता था की इस न्योते में कुछ खास नहीं है और फिर उसके दिमाग में ऐसा कोई उत्सव नही आ रहा था जिसके लिए वो इन्हे बुलाएंगी।वो इन्हे सिर्फ किसी चीज के बारे में दिखाने के लिए बुला रही होंगी। "लेकिन मैड–" "आपको चिंता करने की कोई जरूरत नही है बड़ी दीदी"नंदिनी मुस्कुराई।उसे पता था की शिवानी डरी हुई थी। मैडम ने कई सालो को उनको बहुत परेशान किया हुआ था।उनसे वो सब करवाती थी जो वो चाहती थी लेकिन अब चीज बदल गई है।वो अब कोई सीधे कोमल लड़की नही रही।वो एक युवरानी थी जिसने दो जिंदगियां जी है।उसके जेसी कोई छोटी कदम उसके नजरो में कुछ नही है। "न्योते से लगता है वो सिर्फ कुछ बताना चाहती है,तो बड़ी बात नही है" नंदिनी मुस्कुराई ।उसकी नजर मेज पर पड़े धागों पे पड़ी "तब तक आप बुनाई क्यू नही कर लेती?" "ठीक है" शिवानी ने कहा "में जाति हु और देखती हू की उन्हें क्या बोलना है" नंदिनी ने कमरे से बाहर निकलते हुए कहा ।उसके पीछे विधि शांति से चली गई। "बड़ी मालकिन,क्या आपकी बुनाई करनी है?" ऊमी ने पूछा। शिवानी ने अपना सिर हा में हिलाया " हमारे पास करने के लिए ज्यादा कुछ नही है।मेरा कितने पढ़ने का मन था लेकिन हमारे पास है नहीं तो बुनाई ही कर लेती हु" ऊमी मुस्कुराई "मालकिन,आपकी बुनाई बहुत अच्छी है।मैडम ने आपके लिए कोई भी शिक्षक नही लगाया था फिर भी आप उन बहनों से अच्छी बुनाई करती है जिन्होके कई सालो उसे सीखा। "मां को बुनाई करना बहुत पसंद था"शिवानी ने मुस्कुराके कहा "मुझे खुशी है उन्होंने मुझे कुछ तरीके बता दिए ।" उसने अपना सिर उठाके खिड़की के बार देखा। वो सोच रही थी की क्या ऐसा दिन आएगा जा वो और उसकी चोरी बहन अपनी जिंदगी शांति से जिएंगे। । ।। । । । ।। । । । । । ।। । । । । । ।। । । । । । । । ।।
नंदिनी का छोटा और टूटा घर महल के पीछे वाले हिस्से में ही था फिर भी उसको महल के द्वार तक पहुंचने में आधा घंटा लग गया।रखवाली करने के लिए दो आदमी द्वार पर ही खड़े थे।जब उन्होंने नंदिनी को उनकी तरफ आते हुए देखा तो पहले तो उन्होंने घिनौना सा चेहरा बनाया पर जेसी ही नंदिनी उनके करीब पहुंची उनकी आंखे चौड़ गई।उसने आपने बालो का जुड़ा बनाया हुआ था लेकिन सबसे ज्यादा चौकाने वाली चीज थी उसके सीधे गाल पर वो आकृति ।गहरी स्याही उसके छोटे से चेहरे पर साफ दिख रही थी और काफी चमक रही थी।उन्हें आज लगा की चोटी लड़की बहुत बदली लग रही है।नंदिनी ने उनकी तरफ देखा और कहा "मुझे मैडम ने बुलाया था"दोनो आदमियों ने एक दूसरे की तरफ देखा और सिर हिलाकर द्वार खोल दिया ।विधि जो नंदिनी के पीछे खड़ी थी वो चौक गई । वैसे ये आदमी उनको परेशान करते थे लेकिन आज उन्होंने एक शब्द नहीं बोला।उसने अपन सिर हिलाया और नंदिनी के पीछे अंदर चली गई। प्रधान के बीच वाले आंगन में एक बड़ी सी कुर्सी पर एक औरत बैठी थी जिसकी उम्र 30 होगी।उसके कपड़े साफ थे और महंगे आभूषण पहनी थी।उसके चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान थी।उसके अलावा वहा उसकी दो बेटियां भी बैठी थी।किआरा ,प्रधान की पहली और बड़ी बेटी जो 16 साल की है और नायरा जो 15 की है।वो खुशी से बाते कर रहे थे। "मां ,क्या ये सच है??" नायरा ने काफी खुश होते पूछा । वो अपनी खुशी नहीं छुपा पा रही थी इतनी खुश थी। मैडम उर्वी मुस्कुराई " हा बिल्कुल,तुम्हे लगता है तुम्हारे पिता इतने गंभीर मामले में झूठ बोलेंगे ?तुम्हारे दादाजी ने भी मंजूरी दी है" मैडम ने हल्के से कहा नायरा मुस्कुराई "बड़ी दीदी,तुम बहुत भाग्यशाली हो" किआरा सिर्फ हल्का सा मुस्कुराई और अपनी चाय का एक घूट लिया। नायरा ने द्वार की तरफ देखा और मूंह बनाया "वो अभी तक यहां क्यू नहीं आई है?"जेसे ही उसने पूछा ,उनकी एक सेवक अंदर गई और उनको बताया "मैडम ,पीछे वाले घर से लड़की आई है"मैडम उर्वी अपना हाथ हवा में हिलाते हुए इशारा किया की अंदर आने दो उसे ।थोड़ी देर बाद नंदिनी ,विधि के साथ अंदर आ गई ।उसने पूरे आंगन में देखा फिर उसकी नजर बीच में शांति से बैठे 3 लोगो पर पड़ी । नायरा ने गंदी सी शकल बनाई "तू यह इतना देर से क्यों आई है?मां तुम्हारे लिए बहुत देर से इंतजार कर रही है।" नंदिनी ने सिर्फ उसकी तरफ देखा और कुछ नहीं कहा ।वो मैडम उर्वी की तरफ मुड़ी और हलके से कहा " मैडम हमें क्यू देखना चाहती थी?" नायरा जो अभी तक अनदेखा हो रही थी गुस्से में आ गई।वो बिना धैर्य वाली औरत है और दूसरो को परेशान करने में उसे बड़ा आनंद आता है।जब नंदिनी ने उसे अनदेखा किया तो तो वो बहुत गुस्सा हो गई लेकिन उससे पहले वो चिल्ला पाती किआरा ने उसका हाथ पकड़ लिया उसे रोकने के लिए ।वो कुछ कहना चाहती थी लेकिन किआरा को उसे घूरता देख वो चुप हो गई""परेशानी मत बना" किआरा ने कहा " मां अब भी यही है,सिर्फ रुक और देख"दुख के साथ नायरा ने अपनी मां की तरफ देखा और शांत हो गई। मैडम जो नंदिनी को देख रही थी ,उन्होंने कहा "नंदिनी तुम्हारे चेहरे को क्या हुआ?" नंदिनी मुस्कुराई "मैडम ,ये कोई ऐसी बात नही है जो आपको नहीं पता " उसकी मुस्कान खुशी नहीं उन्हे परेशान करने के लिए थी।मैडम उर्वी चौक गई ।वो अच्छे से जानती थी की नंदिनी के चेहरे को क्या हुआ था। नायरा पूरी पागल थी और उसने ही नंदिनी के चेहरे को ये किया था। उसके चेहरे के वो कटे के निशान नंदिनी को बदसूरत दिखाते थे ।लेकिन आज मैडम ने देखा की वो निशान आज एक आकृति में बदल गए है,वो चौक गई थी।चौकाने वाली बात ये थी की वो आकृति उसके चेहरे पर बदसूरत नहीं लग रही थी बल्कि वो काफी अलग लग रही थी। "उसे भूल जाओ" मैडम उर्वी ने अपना हाथ ऊपर उठाकर बोला।वो इस बारे में बात करना नही चाहती थी क्युकी अगर वो करेंगी तो बाद में नायरा की बात जरूर आएगी। "तुम्हारी बड़ी बहन कहा है? वो क्यू नही आई?" "बड़ी दीदी ,काम रही थी।वो आना चाहती थी लेकिन वो टूटा हुआ घर में सेवको की कमी है तो उन्हें काफी काम।खुद करना पड़ता है"नंदिनी ने जवाब दिया "टूटा घर?" मैडम उर्वी ने कहा"हा,वो वैसे भी बहुत पुराना और टूटा है तो–" "जो भी तुम बुलाना चाहो" मैडम उर्वी ने नंदिनी से बैठे के लिए कहा ।नंदिनी शांति से बैठ गई। "अब तुम यहां आ गई तो मुझे कुछ बताना था ।हम लोग अलग रहते है इसके बावजूद तुम दोनो बहने अब भी हमसे जुड़े हुए हो।यह एक खुशी का अवसर है तो में चाहती हु की तुम दोनो भी शामिल हो" मैडम उर्वी ने मुस्कुराते हुए कहा ।उन्होंने अपनी बड़ी बेटी पर गर्व से देखा। "हमारी किआरा बहुत भाग्यशाली है क्युकी इसे युवराज की महा राजकुमारी के रूप में चुना गया है।सम्राट ने ये बात तुम्हारे चाचा जी को बताई।" नंदिनी चौक गई " युवराज?लेकिन युवराज तो शादी शुदा है न?" "तुझे अब भी नही पता" नायरा ने शकल बनाते हुए कहा "वो गिरी हुई पिछली युवरानी का इससे क्या लेना देना है?उसका पहले से ही किसी और आदमी के साथ चक्कर था और उसे फिर भी राजघराने में रहना था?" नंदिनी ने अपनी मुठ्ठी बंद कर ली और उसका दिल फिर से जलने लगा।वो इतने गुस्से में थी की वो उसी वक्त नायरा का गाला उड़ा देना चाहती थी यह बकवास करने के लिए । "नायरा,यह किस तरह के शब्द इस्तेमाल कर रही हो? मैडम उर्वी ने अपनी बच्ची की तरफ देखते हुए कहा ।वो नंदिनी की तरफ मुड़ी "नायरा ने जो भी कहा गलत तरीके से कहा ,लेकिन वही सही है।पिछली युवरानी तहखाने में 3 दिन पहले मर गई थी।ये।बोला गया की वाहा अचानक आग लग लग गई और उनकी वहा मौत हो गई।अब क्युकी महल।में युवराज की बीवी नहीं है तो सम्राट ने कहा की किआरा एक दम सही औरत रहेगी।तुम्हारे चाचा उनके एक सलाहकार भी है तो वो खुश थे की उनके हमारे साथ अच्छे रिश्ते होंगे "मैडम उर्वी ने गर्व से कहा। "बड़ी दीदी,आप पूरे शिवाय राजवंश में सबसे सुंदर हो और कलायो में भी बहुत अच्छी हो तो सम्राट को पता है की उनके युवराज के लिए कौन सही रहेगा" नायरा ने बहुत बड़ी मुस्कान दी।"कुछ लोगो की तरह की नही" उसने नंदिनी की तरफ देखते हुए कहा।उसने सोचा की नंदिनी को जलन होगी लेकिन वो चौक गई जेसे ही नंदिनी खड़ी हुई। "अगर यही बात थी जो आप बताना चाहती थी तो में अपनी बड़ी बहन को ये बता दूंगी।अब मुझे जाना चाहिए" नंदिनी ने मुस्कुराते हुए कहा। मैडम उर्वी ने आंखे चोरी करके देखा और सोचा की नंदिनी ने कोई भाव भी नहीं दिखाया ।मैडम ने अपने हाथ हिलाके उसे जाने को कहा नंदिनी मुड़ी और बाहर जाने लगी। "बड़ी दीदी,आगे जाकर आप यहां को सम्राज्ञी बनोगी।में आपके लिए बहुत खुश हु "नायरा के खुशी के शब्द नंदिनी के कानो में गूंजे। नंदिनी के चेहरे की मुस्कान गायब हो गई जिस वक्त वो पीछे मुड़ी।एक अजीब और डरावनी मुस्कुराहट फिर से उसके चेहरे पर आ गई। ओह ,सम्राज्ञी वो भी देखना चाहेगी कि अगर युवराज सम्राट बन भी पाएंगे या नहीं।क्युकी आज से असली युवरानी नर्क से वापस आ गई है शिवाय राजवंश की किस्मत लिखने।। । । ।।।।।।।।।।।।।।।।
जब नंदिनी वापस उस टूटे घर में पहुंची तो उसने देखा की शिवानी बहुत ध्यान से बुनाई कर रही है।को लाल और नीले रंग इस्तेमाल कर रही थी।जबकि उमी उसके पीछे खड़े होकर उसकी बुनाई को देख रही थी।नंदिनी मुसकाई और उनकी तरफ बड़ी।शिवानी अपने काम को इतने ध्यान से कर रही थी की उसे नंदिनी के आने का पता नहीं चला,वो उमी थी जिसने नंदिनी को देखा और बोला "छोटी मालिक वापस आ गई!" शिवानी ने अपना सिर ऊपर कर के देखा और नंदिनी को कुर्सी पे बैठा पाया उसके बगल में "तू कब आ गई?" "बिल्कुल अभी ,आप अपने काम में इतना व्यस्त थे तो मेने आपको परेशान नहीं किया ""मैडम ने क्या कहा?" नंदिनी मुस्कुराई "बस एक बेकार की घोषणा ।वो सबको ये बताना चाहती थी की वो किआरा की शादी कराने की सोच रही है,बताना नहीं जलाना चाहती थी!" "क्या?किस से?शिवनी ये सुनके चौक गई।उसने अपनी बुनाई मेज पर नीचे रख दी और नंदिनी की तरफ देखा। नंदिनी कुर्सी पर अच्छे से पीछे होकर बैठ गई और आलस में बोला "पार्थ महोदय" उसने युवराज बोलने के जगह सीधे उसका नाम लेकर बताया ।ऐसा लग था की उसके दिल में उस इंसान के लिए बिल्कुल इज्जत नहीं है। शिवानी चौक गई "युवराज??" "हा...." शिवानी ने नंदिनी की तरफ देखा जिसे इस खबर से कोई फरक नहीं पड़ा फिर भी उसके पूछने पर उसने आलस में बता दिया ।इस समय उसका दिल टूट गया।वो 17 साल की हो गई थी लेकिन उसकी शादी करने के कोई आसार नहीं थे।इस समय उसे कियारा से जलन हो रही थी जिसके पास उसके माता-पिता थे उसकी शादी करने के लिए।उसने कोई ऐसी इच्छा नहीं की थी उसे कोई अमीर पति मिले पर उसे कोई आम आदमी भी नहीं मिलेगा ।इस बार जब वो 18 की होजाएगी तो उससे शादी करने के कोई तैयार नहीं होगा ।वो बहुत दुखी हो गई । नंदिनी ने शिवानी के चेहरे के भाव बदलते हुए देखा ।उसने एक अंदर ही अंदर गहरी सांस ली उसकी पिछली जिंदगी में उसके पास कोई भाई – बहन नहीं थे लेकिन इस जिन्दगी में उसे शिवानी अपने बड़ी बहन के रूप में मिली है।वो जानती थी की 16 साल की उम्र पे हर लड़की शादी के लिए लायक हो जाती है और अगर उसकी शादी 18 साल तक नहीं होती तो उसके लिए एक अच्छा पति मिलना मुश्किल हो जाता है।इस जिंदगी में उसे बदले लेने की चाह के साथ कुछ जिम्मेदारियां भी मिली हैं।उसे अपनी बहन के लिए एक अच्छा और काबिल पति ढूढना होगा । "राजकुमार से शादी करके ,जरूरी नहीं की तुम खुश ही रहोगे ,बड़ी दीदी" नंदिनी ने शिवानी को अपने दिमाग में घुसने से निकालने के लिए कहा । शिवानी ने उसी चेहरे से उसकी तरफ देखा बिना किसी भाव दिए। नंदिनी मुस्कुराई "मैडम बस अपनी पूरी जिंदगी के लिए ऐश और आराम चाहती है लेकिन ये सब किस को बिन कुछ खोए मिलता है??ऊपर पहुंचने का कोई आसान रास्ता नहीं है और अगर वो तुम्हे आसानी से मिल रही है मतलब अंत तुम्हारे लिए बहुत बुरा होगा" उसी की तरह । उस भी सोचा था की पार्थ से शादी के उसे सब खुशियां मिल गई क्युकी पार्थ युवराज था और अब वो युवरानी थी।उसने वो सब किया जो वो कर सकती थी अपने पति के लिए लेकिन वो हर चीज जो उसे आसानी से मिली थी उसकी वजह से उसकी मौत आग के समुंदर में हुई वो भी तरह तरह के दाग उसके ऊपर लगे हुए।क्या वो वही था जो वो चाहती थी? "नंदिनी,क्या बोल रही है?" शिवानी ने धीरे से पूछा । नंदिनी कुछ नही कर सकती थी । "बड़ी दीदी,में ये कहना चहीती हु की जिंदगी जीना आसान नहीं है और बड़े महल में तो बिल्कुल नहीं लेकिन आपको इस चीज को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।हमारी जिंदगी आज से इतनी खराब नहीं होगी।"नंदिनी ने बोला और फिर शांत होकर बैठ गई।नंदिनी आगे की तरफ झुकी और शिवानी की बुनाई को उठा लिया । "ओह,यह बुनाई बहुत अच्छी लग रही है" शिवानी में मुस्कुराते हुए वो बना हुआ रुमाल नंदिनी के हाथ में देडिया अच्छे से देखने के लिए "ये तुझे अच्छा लगा?" नंदिनी ने अपना सिर हा में बिलाया " आपके बुनाई करने का तरीका बहुत अच्छा है लेकिन यह आकृति...." शिवानी ने अपना सिर हिलाया " मेरे पे कोई अच्छी आकृति नहीं है,मेरे पास सिर्फ ये चपरासी का फूल ही था " "ये किस तरह की आकृति है??" नंदिनी ने पूछा "इसे क्रीवल कढ़ाई कहते हैं,मां इसे किया करती थी और मेने ये उनसे ही सीखा था।लेकिन इस फूल को चुने में ये अच्छा नहीं लगेगा क्योंकि मेने ऊन के धागे इस्तेमाल नहीं किए हैं। ऊन इस तरह की कढ़ाई के लिए सबसे अच्छी होती है।"शिवानी ने मुस्कुराते हुए कहा। नंदिनी ने थोड़ा सोचा ।उसने अपनी पूछले जिंदगी में कई तरह की बुनाई और कढ़ाई देखी थी और खरीदी भी थी।लेकिन ये क्रीवल काफी अलग थी।उसने सोचा की ऐसा कोई नहीं होता जो इस तरह की कढ़ाई कर सकता हो।वो सोच रही थी की कैसे पैसे कमाए जाए क्युकी उन्हें उसकी जरूरत थी।वो अपनी पूरी जिंदगी इस टूटे हुए घर में बिता नहीं सकते ।और फिर उसे शिवानी के लिए एक अच्छा पति ढूढना है उसके 18 साल के होने से पहले।एक ऊपर उसके दिमाग में आया । "बड़ी दीदी अपनी कड़ाई करने का तरीका बाकी लोगो से अलग है।आप कोई और तरह की कढ़ाई फिर जानती हो क्या?" शिवानी ने हा में सिर हिलाया " मां मुझे ज्यादा समय के लिए सिखा नहीं पाई लेकिन उन्होंने कुछ मुझे सिखाए थे।में क्रॉस सिलाई कढ़ाई एक लेती हु और हक कढ़ाई आती है।" "कपड़ो का क्या ?मेरा मतलब क्या आप कपड़ो पर कढ़ाई कर सकते हो?"नंदिनी ने फिर से पूछा । "कपड़ो पे कढ़ाई करना मुश्किल होता है लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो में कर सकती हु।लेकिन मेरे अकेले होने से मुश्किल होगी लेकिन तुम ये सब क्यू पूछ रही हो??" नंदिनी मुस्कुराई "विधि मेरे लिए एक कलम और एक कागज ले आ " विधि जो नंदिनी के पीछे ही खड़ी थी वो जल्दी से कागज और कलम लेने के लिए चली गई ।शिवानी के समझ नही आ रहा था की नंदिनी क्या सोच रही है। "नंदिनी तू क्या कर रही है??"
नंदिनी तू क्या कर रही है?"नंदिनी मुस्कुराई लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया।उसने इस्याई उठाई और कागज पे कुछ बनाने लगी।अपनी पिछली जिंदगी में उसने सब कुछ सीखा था और उसकी अच्छी कला थी चित्रकारी।वो किसी भी का भी चित्र बनाती थी और वो एक दम असली लगता था। ये एक ऐसी बात थी जिसके बारे में किसी को नहीं पता था उसकी पुरानी दासी राशि की सिवाई जिसकी मृत्यों हो गई पार्थ के हाथों जब मुझे तहखाने में डाला गया उसके बाद।"ये!" शिवानी की आंखे उस देख के चौक गई।उसने कागज की चित्रकारी की तरफ देखा। नंदिनी ने कागज उठाया और उसे सूखने के लिए उसपे फूक मारा। "आपको क्या लगता है,बड़ी दीदी?" नंदिनी ने शिवानी से पूछा। "नंदिनी ,ये बहुत सुंदर है।और जब ये आकृति कपड़े पे की जाएगी तो ये और भी सुंदर और मनमोहक लगेगी।"शिवानी ने कहा। "बड़ी दीदी,आपको लगता है राज्य में बाकी औरतों को ये कला पसंद आएगी??"नंदिनी ने अपनी चित्रकारी की तरफ देखते हुए कहा। "बिल्कुल,इतनी सुंदर चित्रकारी जब कढ़ाई के साथ मिलकर कपड़े पे करेंगे तो बहुत सुंदर लगेगा,मुझे लगता है की राज्य की औरते इससे बने एक रुमाल के लिए भी लड़ेंगी।हैं Na उमी?" "जी,बड़ी मालकिन" उमी ने सिर हिलाते हुए कहा।"मेने राज्य में बहुत औरतों को पड़ते हुए देखा है किसी भी नई चीज के लिए को बाजार में आती है।उन्हें सबको अपने हाथ में कोई भी नहीं और अलग चीज़ दिखाकर उसके बारे में बाते करने में बहुत मजा आता है।" नंदिनी ने जोर से मुस्कुरा कर कहा"ठीक है,फिर तह हुआ""क्या तह हुआ?" शिवानी ने कहा "अब जब हमारे हाथों में इतनी अनमोल चीज है जो उसे बेकर क्यू जाने देना? और वैसे भी प्रधान के घर वाले हमारी जिंदगी की बिल्कुल परवाह नहीं करते तो हमे अपनी जिंदगी सुधारने के लिए हम खुद कुछ करना होगा" "नंदिनी तू सच कह रही है" शिवानी ने चौकते हुए पूछा। नंदिनी ने अपना सिर हिलाया "हम ऐसे ही नहीं कर सकते न और न ही हम ऐसे ही सकते हैं जब तक हम बुड्ढे होंगे" "लेकिन अगर मैडम को पता चल गया तो?" शिवानी ने हिचकिचाते हुए पूछा। "आप उसकी चिंता मत करो।हम वो सबके सामने नहीं करेंगे ।हम सिर्फ यह पर अपनी कला दिखाएंगे "नंदिनी ने शिवानी से कहा और फिर उमी और विधि की तरफ मुड़ी "बाहर जाओ और एक ऐसी जगह ढूंढो जहा ज्यादा भीड़ न हो और ज्यादा सुनसान भी न हो।उसके बाद कुछ नए सेवको को भी ढूंढों और काम पर रखो।" ————————————महल का अंदर,पार्थ एक पश्चिमी दिशा के कमरे की तरफ जा रहा है।पूरा गैलरी सुंदर परदे और मोमबत्तियों से सजी हुई है ।द्वार पर खड़ी दो दासियों ने झूला पार्थ को इज्जत दी जब उन्होंने उसे देखा ।पार्थ ने उनकी तरफ सिर हिलाया कमरे में जाने से पहले। "मां" अंदर जाते ही पार्थ ने कहाएक औरत जिसकी उम्र 30 साल तक होगी वो गुदगुदी कुर्सी पर बैठ कर एक किताब पढ़ रही थी। उस औरत ने एक नारंगी रंग की पोषक पहनी हुई है।उसके बाल ढीले तरीके से बांधे थे और उसके चेहरे पे आलस का भाव था।उस औरत की काफी उम्र होने के बाद भी वो इतनी सुंदर थी की ऐसा लग रहा था की वो अभी सिर्फ 20 साल की है।पार्थ की आवाज सुनकर उसने ऊपर देखा और मुस्कराई। "मेरा बच्चा?" वो किसी फूल की तरह मुस्कराई। पार्थ ने उसे नमस्कार किया और उसके बगल वाली कुर्सी पर बैठ गया "मां,ये क्या है?मेने सुना की पिता जी ने मेरी शादी तह कर दी है?" उसके सामने जो औरत थी वो कोई नहीं बल्कि पूरे शिवाय राजवंश की सम्राज्ञी आर्या थी और पार्थ की असली मां।वो सम्राट शिवम की पहली और सबसे खास बीवी थी। "क्या हुआ??तुमसे इस बात से खुशी नहीं हुई क्या ??" आर्या ने पूछा।पार्थ ने अपना न में हिलाया "मुझे जानना हैं ,मेरी बीवी के लिए अपने किसे चुना है?" आर्या मुस्कुराई"वो हमारे प्रधान मंत्री की पहली बेटी ,कुमारी किआरा।वो सुंदर है और गुडबान भी ।उसके पिता जी की सभा में बहुत इज्जत है और तुम्हारे पिता जी जानते हैं ,अगर उन्हें अपनी सभा में संभालना है तो ये शादी जरूरी है।मुझे पता है ये फैसला अचानक लीया गया है लेकिन इस बारे में तुम्हे भी अच्छे से सोचना चाहिए" पार्थ ने अपना सिर हिलाया "चिंता मत कीजिए मां,में ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा जिससे पिता जी इज्जत को कोई नुकसान हो।लेकिन क्या आपको लगता है ये किआरा पिछली वाली से अच्छी होगी?" आर्या ने कहा " पिछली वाली की क्या? उस पागल को तेरे पे चिपकने के अलावा आता क्या था ?? वो औरत ,उसने किया ही क्या तुम्हारे लिए?वो बोलती थी की तुम्हे प्यार करती है और तुम्हारे प्रति वफादार है लेकिन फिर भी उसने नहीं बताया की वो चाबी कहा है।यही सही है की वो मर गई ,अगर वो जिंदा होती तो हमारे लिए मुसीबाते ही बढ़ती ।उस औरत के बारे में मत सोच ।वो पहली ही जा चुकी है और अब तुम्हे आगे बढ़ना है।तुम इस साम्राज्य के युवराज हो और तुम अकेले नहीं रह सकते ।तुम्हे जल्द किआरा से शादी करनी होगी ,उसके बाद किआरा लड़के को जन्म देगी जिससे तुम्हारे इज्जत और बढ़ेगी और आगे जा कर तुम्हारे काम आएगी जब तुम सम्राट बनोगे।" पार्थ ने सिर हिलाया "जी मां, में समझ गया।मेने सुना की वो पिता जोहार साल वाले समारोह में आने वाले है?" आर्या में भी अपना सिर हिलाया " एक खबर है,वो कभी भी आए हैं आज तक ।मेरे समझ नही आ रहा इस साल उनका फैसला कैसे बदल लिया??" "कोई बात नहीं मां,वो दुश्मन नहीं है।और वैसे भी मेरी बुआ शिवाय कभी कभी ही आती है तो ये एक अच्छी बात है". आर्या ने सिर हिलाया "हा ,सही बोल रहे हो।क्या तुमने खाना खा लिया।पार्थ ने अपना सिर हिलाया "नही ,मेने अभी सभा के कुछ काम खत्म कर और सीधे यह आ गया ।युग फिरसे मुसीबत खड़ी करने की कोशिश कर रहा है।" आर्या ने गुस्से का चेहरा बना लिया "वो उस चुड़ैल का बेटा बहुत कमीना है।अगर में कर सकती तो बहुत पहले ही उसे मार चुकी होती लेकिन तुम्हारे पिता जी उसे काफी तक बहुत मानते थे तो में वो नही कर पाई" पार्थ ने अपनी मां का हाथ हल्के से थपथपाया "चिंता मत करो मां,उन्हें आप मुझ पर छोड़ दो।वो एक छोटे कीड़े की तरह है जिसे हम किसी भी वक्त कुचल सकते हैं" आर्या जोर से हसी " अब जब तुमने खाना नहीं खाया है ,तो चलो साथ में खाते हैं।हम साथ में कुछ भी खाए काफी वक्त हो गया है" पार्थ ने आओ सिर हा में हिलाया और उसे लेकर खाने वाली जगह लेकर जाने लगा । उन दोनों में से किसी को भी नहीं पता की शिवाय की हवा बदल गई है जो की आने वाले समय में बहुत बदलाव लाने वाली है ।जो वो सोच रहे हैं क्या वो होगा या वो बदलाब पूरे शिवाय को बदल देगा।।। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~£
अगली सुबह ,प्रधान मंत्री के घर से फिर से नंदिनी और शिवानी के लिए बुलावा आया।इस बार उन्हें परिवार की तरह साथ में खाना खाने के लिए बुलाया गया है। चाचा जी सभा के काम की वजह से वहा नहीं थे लेकिन उनके दादाजी खाने की मेज पर उपस्थित हैं।नंदिनी और शिवानी दादाजी को अच्छे से जानते नहीं थे क्युकी दादाजी उनके कभी अपनी नंदिनी और शिवानी को पोतियां नहीं माना जो की उनके अवैध लड़के की संतान हैं।उन्होंने उस औरत और अपने बेटे को सब कुछ दिया और उन दिनों बच्चियों की बिल्कुल चिंता नहीं की जो पीछे वाले घर में रहते हैं उनके माता और पिता के मरने के बाद। अभी सभी लोग खाने की मजे पर बैठे हैं और कुछ सेवक उन्हें खाना परोस रहे हैं।मैडम उर्वी उन दोनों लड़कियों की तरफ देख रही हैं जो बल्कि लोगो से थोड़ी दूर बैठी है और उन्हें देखकर मुस्कुराई।उर्वी की बेटियों को यह सबसे ज्यादा प्यार और इज्जत मिलती है इन दोनों की तरह नहीं लेकिन उनके प्रति वो उसके दिल की कड़वाहट बाहर नहीं दिखनी चाहिए ।उस एक अच्छी औरत और चाची बनकर सबको दिखाना होगा। मेज की शुरुआत में बीच वाली बड़ी कुर्सी पर एक बूढ़ा आदमी बैठा है जिसके चेहरे पर बहुत झुरिया है लेकिन फिर भी शान से चमक रहा है।वो अपने जवानी के समय पर सभा के सबसे इज्जत वाले आदमी थे और अब उनका बेटा सम्राट का सलाहकार हैं और उसकी सभा में बहुत इज्जत है।उसे उस बात का बहुत अपने बेटे के प्रति बहुत गर्व होता है।वो 70 से साल से ऊपर की उम्र के हैं,उनके चेहरे पर झुरिया है लेकिन उनका शरीर अभी भी स्वास्थ्य हैं । यहां के ज्यादातर जरूरी फैसले वही लेते हैं। उस बूढ़े आदमी ने नंदिनी और शिवानी की तरफ देखा और अपना मुंह बनाया। ठंडा सा चेहरा बनाकर उन अपना गला साफ किया जिससे सब उसकी तरफ ध्यान दे । "हम सब खाना खाए उससे पहले , मैं कुछ कहना चाहता हु" मैडम उर्वी मुस्कुराई"जी पिता जी,हम सभी यही है ,बोलिए आपको क्या कहना है" सानंद ने हा में अपना सिर हिलाया "आज का मामला बहुत जरूरी है।इस मामले में हमारा पूरा परिवार शामिल है और हमारा आने वाला कल।हमारी पिछली युवरानी की अचानक मौत हो गई ,सम्राट ने युवराज की शादी फिर से करवाने का सोचा हैं।वो शिवाय का भविष्य है तो वो अकेले नहीं रह सकते ।सम्राट ने इस मामले में हम पर भरोसा किया है और उनके सेवक होने के नाते हम वो सब कुछ करेंगे जो हम उनके लिए कर सकते हैं।और किआरा के पिता कि सभा में बहुत इज्जत है और सम्राट उस पर बहुत भरोसा करते हैं,इसलिए सम्राट ने फैसला लिया है कि हमारी कियारा ,युवराज की बीवी बनेगी और शिवाय की अगली युवरानी"उन बुड्ढे आदमी ने कहा और नंदिनी और शिवानी की तरफ देखा जो उनसे दूर बैठे हैं।उसने सोचा था की वो दोनो उसकी बाते सुनकर चौक जाएंगी ।वो चाहता था की उन दोनों को जलन हो । लेकिन वो खुद चौक गया क्युकी उन दोनों ने कोई भी भाव नहीं दिया जैसा उसने सोचा था।वो वहा शांति से बैठकर उसकी तरफ देख रही थीं।उसे कुछ समझ नही आया फिर वो बोला "कुछ दिन में इसकी घोषणा हो जाएगी और फिर शादी की तैयारियां शुरू करेंगे "फिर वो अपनी चहीती पोती की तरफ देखने लगा " हमारी कियारा बहुत सुंदर है और सुशील भी और अब वो महल में रहेगी और उनके परिवार का हिस्सा बनेगी।ये हमारे लिए बहुत इज्जत की बात है" मैडम उर्वी ने अपना सिर हिलाते हुए कहा "पिता जी ,आप सही है।किआरा बचपन से ही बहुत लाड प्यार से बड़ी हुई है ।वो उसने हर तरह के कलाए सीखी है जिससे वो हमारे परिवार की इज्ज़त बड़ा सके। दूसरी तरफ नंदिनी ने ये सब देख कर अपनी आंखे घुमाई ।ये दोनों कितने एक से है ।ये जानते हुए किसको क्या और कितना दिखाना है और फिर उसी को दूसरो के ऊपर गिरा देना है ।इसी वजह से उसके पिता कभी इस बड्डी और कठोर आदमी से कुछ भी नहीं करवा पाए ।इस आदमी पे एक अच्छा दिल भी नहीं हैं और कोई इसका दिल कैसे जीतेगा जब इसका मोटे चेहरे के साथ इसका काला और खाली दिल है। और अब इन्होंने ये बताने के लिए इन्हें बुलाया था??इसमें इतने गर्व की क्या बात है??उसने फिरसे अपनी आंखे घुमाई। शिवानी का दिल कस रहा था।उसे पता था की दादाजी ये सब क्यू बोल रहे हैं।उन्होंने उन दिनों की बेज़्जती करने के लिए उन्हें यह बुलाया था ।उसने नंदिनी की तरफ देखा जो अपने खाने में अपनी चमच्च को घुमा रही थी जेसे जो उसने कुछ नहीं सुना ये लोग क्या बात कर रहे हैं।शिवानी ने एक गहरी सांस ली और अपनी चमच्च मेज पर रख दी और कुछ भी नहीं खाया । मैडम उर्वी ने उनकी तरफ देखा और मूंह बनाया ।उसके हिसाब से उन्हें खुश होने चाहिए था की वो ये अच्छा खाना सबके साथ मिलकर खा रहे थे लेकिन ये दोनों इतनी शांत बैठी और उर्वी के प्रति उनके चेहरे पर बिल्कुल इज्जत नहीं है उन्हें याह खाने पर बुलाने के लिए।"शिवानी ,नंदिनी क्या हुआ??क्या ये खाना तुम्हारे हिसाब का नहीं है?क्या में कुछ और लगवा दू??" उसने जान बुझ कर ये कहा सानंद ने उनकी तरफ घूर के देखा और गुस्से में कहा " शांत! ये तुम्हारी उदारता है की तुमने इन्हें यह खाने के लिए बुलाया है और फिर भी ये ऐसा व्यवहार कर रह है??तुम दोनो को अपनी चाची का शुक्रिया करना चाहिए और इसकी उदारता को मानना चाहिए " नाइरा टेडी मुस्कुराई।उसने दुखी शकल की और बोली " बहन ,तुम्हे दादाजी को ऐसा नाराज नहीं करना चाहिए। मां ने तुम्हारे लिए अलग से ये सब बनवाया है और फिर भी तुम ऐसा व्यवहार दिखा रहे हो?" किआरा ने उसकी तरफ देखा "नाइरा ऐसे मत बोल।अपना मुंह बंद कर" उसने अपनी बहन को डाटा लेकिन कोई भी उसके चेहरे पर खुशी देख सकता था क्युकी नंदिनी और शिवानी की सब बेज़्जती कर रहा थे। "पिता जी,आप गुस्सा मत होइए ,ये ऐसा कुछ नहीं चाहते !" उर्वी मुस्कुराई। शिवानी ने अपनी मुठ्ठी बंद कर ली।ये सब ये जान बुझ कर, कर रहे हैं।नंदिनी ने उनकी तरफ देखा और मुस्कराई ।उन्हें लगता है उसके सामने वो जो भी चाहते हैं वो कर सकते हैं??वो कोई पागल नही है।उसने अपनी चमच मेज पर रखी और उर्वी की तरफ देखा। "मैडम आपसे कोई गलती हुई है।हम इस बार से बहुत खुश हैं की आपने हमे यह इतने बड़े और मेहनत से बने भोजन पर बुलाया और बहन किआरा की शादी के बारे में जानकारी दी ।ऐसा नहीं ही की हम मैडम के भोजन की इज्ज़त नहीं करते लेकिन ऐसा की हम बहुत सालो से बेकार खाना खा रहे हैं तो अब अच्छा खाना पचेगा नहीं । मैं मैडम को धन्यवाद करती हु हमें इतनी बड़े भोजन के लिए बुलाने के लिए " मैडम उर्वी की मुस्कान उड़ गई और सानंद उनकी तरफ ठंडे चेहरे से देख रहा था ।नाइरा शांत हो गई क्युकी उसके समझ नहीं आया की क्या हुआ किआरा समझ गई की नंदिनी के कहने का क्या मतलब था।उसने अपने रुमाल को जोर से पकड़ लिया। नंदिनी की बात का मतलब आसान था ।वो लोग बहुत सालो से बेकार खाना खा रहे हैं जिसकी वजह से अब वो अच्छा खाना नहीं खा सकते जो की प्रधान के महल में बना है।जबकि मैडम।उर्वी इस बात को जानते हैं फिर भी उन्होंने खाना बदल वाने को पूछा कि अगर वो उनके स्वाद के हिसाब से नहीं बना है।उसने आज तक इतने सालो तक उनकी मदद नही की और अब सबके सामने ऐसा ढोंग कर रहीं हैं जिसकी वजह से उनकी और बेज़्जती ही
उर्वी जबरदस्ती की मुस्कान दे रही थी।यह शांत रहने वाली अचानक से चालाकी से बोलने वाली कैसे बन गई जिसकी वजह से उसे वापस क्या बोले उर्वी को कुछ समझ नही आ रहा था।यह तक की सानंद भी उर्वी के पक्ष में कुछ नहीं बोल पाया। नंदिनी शांति से बैठकर उनके चेहरों को देखकर मन में ही मुस्कुरा रही थी।वो शिवाय की युवरानी थी,जो महल में रह चुकी है और बहुत कुछ देखा है।वो चीज जो उसे वहा महल में रहने के लिए सबसे जरूरी थी वो था अपने शब्दों का सही इस्तेमाल।शब्दों के साथ खेलन उसने अपनी पिछली जिंदगी से बहुत अच्छे से सीख लिया था और ये छोटा सा ताना जो उसने यह इस घर में अभी मारा वो तो कुछ भी नहीं है।वो देखना चाहती थी की क्या कोई उसके शब्दों का जवाब दे पाएगा। शिवानी जो बगल में बैठ कर हसने वाली थी। सानंद ने फिर से खास कर सबका ध्यान अपनी तरफ किया "तुम दोनो को वापस अपने घर चला जाना चाहिए" ।वो उन सोनो को और झेल नहीं सकता था।उससे नंदिनी के जवाब से गुस्सा आ रहा था लेकिन वो कुछ बोल नहीं सकता था क्योंकि वो आग में घी डालने वाली बात होगी। "हमारी इतनी खातिरदारी करने के लिए धन्यवाद" नंदिनी शिवानी को लेके खड़ी हुई,उसका हाथ पकड़ कर वो दोनो वहा से चले गए। जा वो अपने टूटे घर पहुंचे तो उन्होंने विधि को देखा ,वो द्वार पर ही खड़ी थी उनका इंतजार कर रही थी। "मालकिन" विधि ने जब उन्हें आते हुए देखा तो उनकी तरफ भाग कर पहुंच गई। "तुम्हे क्या हुआ? " नंदिनी ने पूछा "छोटी मालकिन जो काम आपने मुझे दिया था वो मेने पूरा कर दिया" विधि खुश लग रही थी। नंदिनी ने अपना सिर हिलाया " पहले अंदर चलते हैं" वह घर के अंदर घुसे और उनके पीछे का दरवाजा बंद हो गया। उमी ने उन दोनों को चाय दी वह महंगी नहीं थी लेकिन पीने लायक थी और उसका स्वाद बुरा नहीं था। जा और कुछ खाना बना कर ला"शिवानी ने कुर्सी पर बैठने के बाद कहा। "बड़ी मालकिन आपने कुछ खाया नहीं है?" Umi ने चौक कर कहा। वह दोनों खाना खाने के लिए गए थे और फिर भी शिवानी खाना बनाने के लिए कह रही है? शिवानी ने अपना सीर हिलाया" उनके ताने ही हमारा पेट भरने के लिए काफी थे। अब जा और कुछ बनाकर ला जितना भी सामान हमारे पास है उससे" उमी को बुरा लगा लेकिन वो अपना सिर हिलाके वहा से चली गई। "हां, तो हमारे पास क्या खबर है?"नंदिनी ने विधि से पूछा। "छोटी मालकिन आपकी कहने पर मैं बाहर एक अच्छी जगह ढूंढने गई थी। हमारी राजधानी बहुत बड़ी है और यहां कोई अच्छी जगह ढूंढना बहुत कठिन है। यहां ऐसी कई दुकानें हैं जो छोटे से बड़े हो रही है और नाम कमा रही है। तो मैं अपने राज्य के उल्टे तरफ गई वहां एक कपड़े की दुकान है जो अभी अच्छे से चल नहीं रही है। वहां का मालिक उसे दुकान को यहां तक की बेचना चाहता है क्योंकि उसे अपना कर्ज देना है और दुकान से बिल्कुल कमाई नहीं हो पा रही है"विधि ने समझाया। नंदिनी ने थोड़ी देर के लिए सोचा। एक दुकान जो अच्छे से नहीं चल रही और उसका मालिक उसे बेचना चाहता है? वह दुकान अपना व्यापार करने के लिए एकदम सही है। "और वहां की जगह कैसी है?" "वो जगह बिल्कुल वैसी है जैसी आपको चाहिए न ज्यादा भीड़ है और ना ज्यादा लोग हैं" विधि ने कहा। "अच्छा है " "नंदिनी,तू क्या करने की सोच रही है?" नंदिनी शिवानी की तरफ देखकर मुस्कुराई " बड़ी दीदी इस घर के लोग हमारी कोई चिंता नहीं करते है। और न ही उन्होंने आज तक की है। जो मैं कर रही हूं वह है हमारे जीने के लिए एक सहारा ढूंढना । हम ऐसे नहीं जी सकते हैं । गंदी तरह का खाना खाना और इस टूटे हुए घर में रहना किसी भिखारी की तरह–सड़कों पर रहने वाले भिखारी की भी हमसे ज्यादा अच्छी जिंदगी होती है" "लेकिन इस दुकान का क्या? क्या तू उसे खरीदने की सोच रही है??" हा " शिवानी चौक गई "क्या?? लेकिन हमारे पास पैसे तो है ही नहीं!!" नंदिनी ने अपना सिर हिलाया " हमेशा एक रास्ता होता है कुछ करने का जब तुम्हारे पास पैसे नहीं होते " वो मुस्कुराई "पैसा ही हर चीज का जवाब नहीं होता" "लेकिन विधि बोल रही है कि उस दुकान का मालिक दुकान को बेच रहा है?" नंदिनी में सिर हिलाया "हा,मुझे पता है लेकिन मेरे पास उससे भी बाद उसे देने के लिए कुछ उससे भी बड़ा है उसके कर्ज से भी ज्यादा बड़ा" शिवानी को समझ नहीं आ रहा था कि नंदिनी क्या सोच रही है? और नंदिनी के शब्द भी शिवानी को बात समझने में कोई मदद नहीं कर रहे थे। उसने एक गहरी सांस ली और नंदिनी की तरफ देखा ।उसे लगा कि उठने के बाद उसकी बहन पूरी बदल चुकी है। नंदिनी खड़ी हुई "मुझे जाकर उस जगह को देखना है!" "अभी?" नंदिनी ने सिर हिलाया "जितना जल्दी ,उतना सही" उनके चाचा जी ने उन्हें दो बार बुला लिया है तो वह उन्हें फिर से बुलाएंगे और अब कियारा उसे क**** से जुड़ी हुई है तो नंदिनी को अपना बदला जल्दी से शुरू करना होगा और सब कुछ ऐसे करना होगा कहीं कुछ भी गलती ना हो और वह पार्थ को उसकी मौत तक लेकर जाए। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~ शिवाय राजवंश के महल के बाहर बड़ी-बड़ी रथे घूम रही है। हर कोई बता सकता है कि वह रथे शाही परिवार से थी। रथ के अंदर दो जवान आदमी शराब पी रहे थे। इनमें से एक आदमी सफेद रंग का आदमियों वाला सूट पहना हुआ था और बहुत अच्छा दिख रहा था जबकि दूसरा आदमी एक गहरा नीला आदमियों का सूट पहना था और ऐसा लग रहा था जैसे नर्क का राजा जमीन पर उतर आया है। "इतने सालों के बाद अब पिताजी ने फैसला ले ही लिया शिवाय राजवंश में आने का" सफेद कपड़े पहने हुए वाले आदमी ने कहा। उन्हें बस कोई चाहिए जो जासूसी करें" नीले सूट वाले ने आलस में जवाब दिया। सफेद सूट वाले ने अपना सर हिलाया " तुम्हें यह बोलने की सच में बहुत हिम्मत है अगर मां ने सुन लिया तो मां पक्का तुम्हारी डांट लगाएंगी" नीले कपड़े वाले ने सफेद कपड़े वाले की तरफ देखा और आंखें घूमाई "अगर मां पिताजी से समय निकालकर यह बोल पाएंगी तो मुझे बहुत खुशी होगी" सफेद सूट वाला आदमी जोर से हंसा "पिताजी चाहते हैं ,कि वो हमेशा उनके साथ ही रहे। शिवाय राजवंश काफी गहरा दिखता है। मैंने सुना कि यहां की पुरानी युवरानि अचानक आग से जलकर मर गई तहखाने में!!" मेरे सूट वाले में हस कर कहा "सच में, बहुत खराब अंत। मुझे लगता है उसकी आत्मा बदले की आग में जल रही होगी और सोच रही होगी जिसने उसे मारा है उसकी जान कैसे लेनी है" "तुम्हारा मतलब उनका खून किया गया?" "तुझे क्या लगता है?" नीले कपड़े वाले आदमी ने पूछा।"उसे पर खाने में कुछ कमरों के अलावा थाही क्या? कोई भी आदमी उसे दिखाने को बिना किसी की इजाजत के इतना जल ही नहीं सकता। ऐसे सोच रहा हूं कि उसे वहां पर काफी समय तक रखा होगा लेकिन किस वजह से उसकी अचानक मौत हो गई?" "भूल जाओ उसके बारे में!" सफेद सूट वाले ने अपना हाथ ऊपर करके कहा।"उस सबसे हमें कोई भी लेना देना नहीं हमें सिर्फ यहां अपने ऊपर ध्यान देना है" फिर वो मुस्कुराया।"अब जब मैं पहली बार शिवाय आया हूं तो मैं यहां से कुछ अच्छी चीजे अपने साथ ले जाना चाहता हूं कुछ खजाना जो यहां कीमती है" नीले सूट वाले आदमी ने उस आदमी की तरफ देखा और अपनी आंखें फिर से एक बार घुमाई और फिर बंद कर ली। फिर पूरी रथ शांति से फिर से भर गई सिर्फ घोड़े की आवाज आ रही थी।।।।