आंखों में बसे हो तुम दिल में बसे हो तुम मेरी नस-नस में हो तुम !! कहकर जय हंसा..... " सच में आप बहुत पागल हैं......ऐसे जोर से कोई बोलता है क्या ???? " लड़की नकली गुस्सा करते हुए " जय ने अब डरना छोड़ दिया है....और वैसे भी कुछ दिन की बात ह... आंखों में बसे हो तुम दिल में बसे हो तुम मेरी नस-नस में हो तुम !! कहकर जय हंसा..... " सच में आप बहुत पागल हैं......ऐसे जोर से कोई बोलता है क्या ???? " लड़की नकली गुस्सा करते हुए " जय ने अब डरना छोड़ दिया है....और वैसे भी कुछ दिन की बात है फिर हम शादी करेंगे ...." जय कालेज बिल्डिंग की छत की दीवार पर बैठकर लड़की सहमकर " जय हमें नहीं लगता , हमारे दादाजी मानेंगे ! उन्हे मान-प्रतिष्ठा सबसे प्यारी है और दूसरी जाति में तो बिलकुल नहीं.......जय क्या करें हम ! हम आपके बिना भी न रह सकेंगें !" जय हाथ पकड़कर " एग्जाम हो जाने दो फिर हम मंदिर में शादी करेंगें...." लड़की हाथ छुड़ाकर दो कदम दूर हो " आपके परिवार का सम्मान है तो हमारे दादाजी शहर के जाने-माने विद्वान पंडित है....हम ऐसा सोच नहीं सकते..." जय नाराजगी से " फिर ठीक है लास्ट ईयर है ! तुम्हारे दादाजी कहे वैसे ही कर लेना ! मेरा जो होना है हो जाएगा !" नीचे गर्दन करके रोती हुई " जय हम आपके बिना नहीं रह पायेंगे ! " " अरे यार जय कितनी बातें करोगे.....चल नीचे चल ! इसका भाई ढूंढ रहा है और आप पहले नीचे जाइए ! जल्दी..." दूसरा लड़का जहन में आते ही कुछ देर पहले की घटना याद कर दुल्हन के वेशभूषा में बैठी लड़की रोने लगी ! रोते -रोते थक गई और अपनी किस्मत को कोस रही थी और सोच रही थी जय ने उसे धोखा क्यों दिया ??? क्या कमी थी मुझमें ??? क्यों कहा हम दोनों जीवन भर एक दूसरे का साथ निभायेंगें ! सिर्फ तुम्हारे लिए अपने दादाजी का सर शर्म से झुका दिया ! क्यों जय.....क्यों जय....तुम क्यों नहीं रुके जय.....एक कायर की तरह भाग गए......तुमसे एक घंटे इंतजार नहीं हुआ....तो जिंदगी भर क्या इंतजार कर पाते.......सब बंधनों को दरकिनार कर के , घर छोड़ आई थी.....जय आप अपना प्यार न निभा सके ! बेबसी और बेकसी से उसकी आंखों में आंसू लगातार बहते जा रहे थे ! जबसे इस रूम में आई है तब से कमरे के कोने में दुबकी रो रही थी ! जोर से चीख कर अपनी आत्मसंतुष्टि भी नहीं कर सकती थी ! जाने वो कहां है....कौन लोग है....जो लाया है उसे भी पूरी तरह नहीं जानती और उसने ऐसा क्यों किया ???? दिन का छठा पहर जाने को और सांतवा ( रात 12-3 बजे ) पहर आने को है ! उस बड़े शाही रूम वह लड़की अकेली थी ! जो शादी करके लाया है उसका पता नहीं ! घर की मुलाजिमा उसे इस कमरे तक लाई थी और छोड़कर व वापस चली गई ! लड़की शादी का जोड़ा पहने ही कोने में निढाल सी बैठ गई ! लड़की का दिमाग सोच सोच कर फटने लगा था ! अपने घर वालों के बारे में , जो शादी करके लाया है उसके बारे में , उन सब से ऊपर जय उसे मंदिर में आने से पहले ही छोड़कर चला गया ! जाने क्यों...क्यों खेल रहा था उसके साथ.....उस के जज्बातों के साथ.........सब के विरुद्ध जाकर उसने जय के साथ शादी करने का वादा किया था..... वो लड़की इधर-उधर कुछ ढूंढने लगी ! उस नए कमरे में उसे कुछ न दिखा तो अपनी चुन्नी याद आई ! रूम में ही दो क्लासिकल चेयर के साथ रखे स्टूल को उठाकर बैड पर रखने लगी ! स्टूल भारी होने के कारण नाजुक सी लड़की को काफी मशक्कत करनी पड़ी ! बैड पर खड़ी हो चुन्नी का फंदा बनाकर आत्महत्या का प्रयास करने लगी ! बस यही सोचकर कि " जो भी हुआ है उसमें वह खुद अपराधी है.....उसने जय पर भरोसा कर के बहुत गलत किया है....सबका दिल दुखाया है.....हमें जीने का हक ही नहीं है....." क्रमशः*****
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