अन्य , सोलह साल का लडका , उसे क्यो करनी पडी अपने प्यार को छोड कर किसी और से शादी
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बीस साल पहले
महाराष्ट्र के एक छोटे से गाँव में दो ऐसे लोग रहते थे जो बहुत गहरे दोस्त थे। उन दोनों में इतनी गहरी दोस्ती थी कि उसकी मिसाल दी जाती थी। पहले दोस्त का नाम राजेश कदम था। उसकी पत्नी पूर्वा थी जो उस समय प्रेग्नेंट थी। राजेश एक सरकारी कंपनी में काम करता था। दूसरे दोस्त का नाम परमवीर सिंघानिया था। उसकी पत्नी पूजा सिंघानिया और एक बेटा मयूर सिंघानिया था। उसकी उम्र लगभग दस साल थी। वह बहुत गुस्सैल स्वभाव का था। परमवीर एक बिज़नेस मैन था। उसने मुंबई जाकर एक फैक्ट्री लगाने का सोचा था। उसने जमीन खरीदकर फैक्ट्री का काम शुरू किया था।
एक दिन राजेश परमवीर से कहता है,
"परम यार, तू बहुत बड़ा आदमी बन गया है। अब तो तू यहाँ से चला जाएगा। फिर तो तू हम सब को पहचानेगा भी नहीं।"
"ये कैसी बात कर रहा है? हम दोनों रिश्तेदार बनेंगे। मैं तुझसे वादा करता हूँ कि तेरे होने वाले बच्चे से मैं अपने बेटे की शादी करवाऊँगा।"
"अगर मुझे बेटा हुआ तब क्या करेगा?"
"तुम्हें मेरी बात पर विश्वास नहीं है? चलो इस गाँव की परंपरा अनुसार हम दोनों अपने बच्चों की शादी अभी ही करा देते हैं।"
यह कहकर वे दोनों शादी की तैयारी करते हैं और फिर यह शादी हो जाती है। उस गाँव में अजन्मे बच्चे की शादी भी कराई जा सकती थी। यह भी एक रिवाज था। कोई भी इसे तोड़ नहीं सकता था।
कुछ दिन बाद पूर्वा एक बेटे को जन्म देती है। उसका नाम मयंक रखते हैं। मयूर उस बच्चे को अपनी पत्नी मानता था।
थोड़े दिन बाद परमवीर की फैक्ट्री का काम पूरा हो जाता है जिसके लिए वह मुंबई जाने लगता है। वह वहाँ रहकर ही अपना बिज़नेस बड़ा करना चाहता था।
जाते हुए वह राजेश से कहता है कि मयंक उसकी अमानत है और जब वह अठारह साल का हो जाएगा तो वह उन दोनों की फिर से शादी करा अपने घर ले आएगा। यह कहकर वह वहाँ से चला जाता है। यह बात भूलना नहीं है।
वर्तमान समय
एक लड़का अपने पीठ पर बैग टाँगे तेजी से स्कूल जा रहा था। वह दौड़कर गेट पर पहुँचता है। गेट बंद होने में कुछ ही सेकंड बाकी बचे थे। गेटकीपर उसे देखकर गेट खोलकर उसे अंदर करता है।
"अरे बच्चा, तू आज फिर से इतना लेट आया। कुछ ही समय में गेट बंद हो जाता ना।"
अन्य अपना सिर नीचे कर अफ़सोस से कहता है, "आई एम सॉरी, सब कुछ करते हुए लेट हो गया और ऊपर से आज बस भी छूट गई। दौड़ते हुए आ रहा हूँ।"
उसकी बात सुनकर गेटकीपर को भी बुरा लगता है। वह आगे कुछ नहीं बोलता है और उसे आगे जाने देता है।
अन्य सोलह साल का बेहद खूबसूरत लड़का था। वह अपनी मौसी के साथ रहता था। उसकी नीली आँखें किसी को भी दीवाना बना देती थीं। उस पर उसका फिजिक जो किसी ग्रीक गॉड से कम नहीं था। सभी की आँखें उस पर ठहर जाती थीं। लोग उसे कुछ समय के लिए देखने को मजबूर हो जाते थे।
वह तेजी से अपनी क्लास में जाता है। वह हायर सेकेंडरी में था। वह जाकर सबसे पहले अपनी क्लास टीचर को गुड मॉर्निंग विश करता है। उसकी आवाज़ सुनकर टीचर भी उसे स्माइल पास करती है।
वह बहुत ध्यान से अपने क्लास को अटेंड कर रहा था। लंच ब्रेक के समय अन्य के पास उसके दोस्त आते हैं। अन्य के दोस्त तब से उसके साथ हैं जब से वह इस शहर आया था। उसके दोस्तों का नाम राज, रमा, प्रिया और दीप था।
प्रिया अपना लंच बॉक्स अन्य की तरफ़ बढ़ाते हुए कहती है, "ये ले, आज इतनी देर कैसे हो गई? और खाते हुए ही बात कर लेना, तुझे भूख लगी होगी। आज जब इतना लेट हुआ है तो तू बिना खाए ही आया होगा।"
अन्य उसकी बात सुनकर अपना सिर नीचे झुका लेता है। उसकी बात सही थी। वह सच में भूखा था और लंच लेकर भी नहीं आया था। यह लगभग रोज ही होता था। उसे अपना लंच बनाने का टाइम ही नहीं मिलता था तो वह वैसे ही आ जाता था। उसे अपना लंच खुद ही बनाना रहता था। कोई और उसके लिए लंच बनाने वाला नहीं था। उसके फ़्रेंड उसके बारे में सब जानते थे।
"आज क्या हुआ?" दीप पूछता है।
"वह आज मौसी के गेस्ट आने वाले थे। इसलिए दिन की सब्जी और दाल चटनी बनाकर आ रहा हूँ। यह सब करते हुए लेट हो गया और बस भी छूट गई। फिर दौड़ते हुए स्कूल आ रहा हूँ।"
"तेरी मौसी दो आदमी का खाना खुद नहीं बना सकती है क्या? और भी तो नौकर हैं ना। उन्हें ही कह देती लेकिन नहीं, हर काम तुझे ही करना है। बहुत ही घटिया है।" राज कहता है।
"राज, प्लीज़ ऐसा मत बोलो। उनके बहुत एहसान हैं मेरे ऊपर।" अन्य कहता है।
"राज, रहने दे यार।" दीप कहता है। "वह सही ही कह रहा है, वह उनके साथ रहता है तो वो अपनी मनमानी करेंगे ही। मुझे तो अंकल-आंटी पर गुस्सा आता है कि उन्होंने क्यों इसे छोड़ दिया।"
अन्य यह सब सुनकर उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं। वह वाशरूम जाने के बहाने से वहाँ से उठकर अलग चला जाता है। एक जगह अकेला होकर रोने लगता है।
वहीं दूसरी ओर उसके फ़्रेंड दीप को डाँट रहे थे।
"दीप, कितनी बार कहा है कि उसके आगे उसके माँ-बाप का ज़िक्र मत किया करो। तुम सोच भी नहीं सकते कि वह कैसा महसूस करता होगा। सब कुछ होते हुए भी वह उन्हें नहीं मिल सकता। माँ-बाप होते हुए भी वह उनके प्यार को नहीं पा सकता है। पता नहीं क्यों वे उससे इतनी नफ़रत करते हैं कि उससे अलग रहते हैं। उसका सही कारण तो वह बेचारा खुद भी नहीं जानता है। वह कुछ नहीं कर सकता है। तुम लोग प्लीज़ रोज उसे एक ही बात के लिए ताना मारना बंद करो। वह कैसे इन बातों को झेलने के बाद भी अपने को स्ट्रांग बनाने की कोशिश करता है यह हम में से कोई नहीं समझ सकता।" रमा कहती है।
रमा की बात सुनकर उन्हें भी अपनी गलती का एहसास हो रहा था।
दूसरी ओर जब अन्य रो रहा था तो एक लड़का आकर उसके गले लग जाता है। उसे देखकर अन्य और जोर से रोने लगता है।
अन्य को चुप कराते हुए वह लड़का, जिसका नाम शोभित था, कहता है, "चुप हो जाओ, वर्ना मैं किस कर लूँगा।"
"मना किसने किया है?" अन्य उसके सटते हुए कहता है।
शोभित अन्य को पैशनेट किस करने लगता है और पाँच मिनट बाद अलग हो जाता है। अन्य उससे अलग होकर उसे बाय बोलकर अपने क्लास चला जाता है।
शोभित एक पच्चीस साल का लड़का है। वह एक बिज़नेस मैन है। वह इस स्कूल का एक ट्रस्टी भी है। अन्य के जाने के बाद वह भी अपने काम पर चला जाता है।
अगले भाग में जारी...
अन्य और शोभित कपल थे। उनके रिश्ते की शुरुआत आज से लगभग छह महीने पहले स्कूल के सिंगिंग कंपटीशन के दौरान हुई थी। शोभित एक बिज़नेस मैन होने के साथ-साथ रॉकस्टार भी था, एज ए जज शामिल हुआ था। उसकी खुद की म्यूजिक कंपनी थी।
छह महीने पहले स्कूल में सिंगिंग कंपटीशन चल रहा था। अन्य के दोस्त उसका वेट कर रहे थे। वह अभी भी नहीं आया था।
रमा- ये लड़का कहाँ रह गया? उसे पता है ना आज उसे कंपटीशन में भाग लेना है। अगर वह नहीं आया तो उसके marks भी कट हो जाएँगे। यह compulsory है। ओ गॉड, कहाँ रह गया ये?
सारे फ्रेंड वहीं हाल में चक्कर लगा रहे थे जहाँ यह कंपटीशन हो रहा था। तभी ऐंकर अगला नाम पुकारता है।
ऐंकर- हमारे अगले participate हैं अन्य देशमुख।
यह सुनकर उन सब की हार्ट बीट तेज हो जाती है। वो लोग भागकर स्टेज पर जाते हैं और ऐंकर से कहते हैं, "मैम, आप प्लीज़ पाँच मिनट का ब्रेक ले लीजिये, वह अभी तक नहीं आ पाया है।"
ऐंकर, जो कि उनकी क्लास टीचर थी और अन्य की सारी मुश्किल और मजबूरी समझती थी, वह पाँच मिनट का ब्रेक ले लेती है।
ऐंकर- "देखो, इससे ज़्यादा और कुछ मैं नहीं कर सकती हूँ।"
पाँच मिनट बीत जाते हैं। अन्य अभी तक नहीं आया था। सारे लोग यही सोचते हैं कि वह अब अयोग्य घोषित हो जाएगा। तभी एक आवाज़ आती है। उस इंसान ने अपने को अंधेरे में ही रखा हुआ था। उसकी आवाज़ कमाल थी। उसके गाते ही सबका ध्यान उसकी ओर आ गया।
"टूटा टूटा एक परिंदा
ऐसे टूटा कि फिर
जुड़ ना पाया
लूटा लूटा किसने
उसको ऐसे लूटा
कि फिर उड़ ना पाया
टूटा टूटा एक परिंदा
ऐसे टूटा कि फिर
जुड़ ना पाया
लूटा लूटा किसने
उसको ऐसे लूटा
कि फिर उड़ ना पाया
गिरता हुआ वो आसमा से
आके गिरा ज़मीन पर
ख्वाबों में फिर भी बादल ही थे
वो कहता रहा मगर
अल्लाह के बंदे हँस दे,
अल्लाह के बंदे हँस दे
अल्लाह के बंदे हँस दे,
जो भी हो कल फिर आएगा
अल्लाह के बंदे हँस दे,
अल्लाह के बंदे हँस दे
अल्लाह के बंदे हँस दे
जो भी हो कल फिर आएगा
खो के अपने पर ही तो
उसने था उड़ना सीखा
खो के अपने पर ही तो...
खो के अपने पर ही तो
उसने था उड़ना सीखा
ग़म को अपने साथ में ले ले
दर्द भी तेरे काम आएगा
के अल्लाह के बंदे हँस दे
अल्लाह के बंदे हँस दे
अल्लाह के बंदे हँस दे
जो भी हो कल फिर आएगा
अल्लाह के बंदे हँस दे
अल्लाह के बंदे हँस दे
अल्लाह के बंदे हँस दे
जो भी कल फिर आएगा
टुकड़े टुकड़े हो गए थे
हर सपना जब वो टूटा
टुकड़े टुकड़े हो गया था आ आ आ....
टुकड़े टुकड़े हो गया था
हर सपना जब वो टूटा
बिखरे टुकड़े में
अल्लाह की मर्ज़ी
का मंज़र पाएगा
अल्लाह के बंदे हँस दे
अल्लाह के बंदे हँस दे
अल्लाह के बंदे हँस दे
जो भी हो कल फिर आएगा
टूटा टूटा एक परिंदा ऐसे टूटा
फिर जुड़ ना पाया
लूटा लूटा किसने उसको
ऐसे लूटा कि फिर उड़ ना पाया
गिरता हुआ वो आसमा से
आकर गिरा ज़मीन पर
ख्वाबों में फिर भी बादल ही
थे वो कहता रहा मगर
अल्लाह के बंदे हँस दे
अल्लाह के बंदे हँस दे
अल्लाह के बंदे हँस दे
जो भी कल फिर आएगा
अल्लाह के बंदे हँस दे
अल्लाह के बंदे हँस दे
अल्लाह के बंदे हँस दे
जो भी कल फिर आएगा।"
उसका गाना ख़त्म होने पर वह अंधेरे से स्पॉटलाइट में आता है। वह लड़का अन्य ही था। उसे देखकर शोभित अपना सुध-बुध खो देता है। अन्य के अलावा उसे कुछ और नहीं दिख रहा था।
तभी ऐंकर की आवाज़ से शोभित का ध्यान टूटता है। वह उसे स्टेज पर अवार्ड समारोह के लिए बुला रही थी।
बेस्ट सिंगर की ट्राफी अन्य को मिली थी। वह आकर शोभित से हाथ मिलाता है। उसके हाथ मिलाने से शोभित को कुछ बहुत ही अजीब फील हुआ।
अन्य के दोस्त उसे गले लगा लेते हैं। वो सब उसके लिए बहुत खुश थे।
प्रिया- "तू कब आया? हम कब से तेरा वेट कर रहे थे। तूने तो जान ही निकाल दी थी। हम कितने डर गए थे।"
अन्य- "बस जिस समय मेरा नाम अनाउंस हुआ था उसी समय आया था, लेकिन उस समय मौसी का कॉल आ गया था तो उनसे बात करने लगा।"
उसके बाद अन्य सबसे मिलता है। उसकी क्लास टीचर भी उसके प्राइज़ जीतने पर बहुत खुश थी। सब लोग उसे मुबारकबाद देते हैं।
उस दिन के बाद से ही शोभित उसके बारे में जानने के लिए एक्साइटेड था। धीरे-धीरे उसने अन्य के बारे में सारी जानकारी निकाल ली। वह पहली बार ही उसे देखकर पसंद करने लगा था।
एक दिन जब अन्य अपने क्लास में जा रहा था, उसी समय एक स्टाफ आकर उसे अपने साथ लेकर शोभित के केबिन में ले जाता है और वहाँ से चला जाता है। अन्य यही सोच रहा था कि शोभित जिंदल जैसे बड़े आदमी को उससे क्या काम है? पर वह शांत होकर वहाँ खड़ा रहता है।
शोभित अन्य से- "बीयर, मैं तुमसे साफ़-साफ़ बात कर रहा हूँ। तुम्हें मुझे मना करने का कोई ऑप्शन नहीं है। बीयर, मैं तुम्हें प्यार करता हूँ। तुम सिर्फ़ मेरे हो। जब तुम अठारह साल के हो जाओगे तो मैं तुमसे शादी कर लूँगा। आज से मैं और तुम एक कपल हैं।
मुझे मना करने की कोशिश की तो मैं तुम्हें बर्बाद कर दूँगा। तेरी स्कॉलरशिप भी कैंसिल कर दूँगा। तेरे माँ-डैड का सारा बिज़नेस ठप्प कर दूँगा। मैं यह बात जानता हूँ कि तू उनके साथ नहीं रहता है। अभी तू अपनी मौसी के साथ रहता है ना, उन्हें भी बर्बाद करने में मुझे दो मिनट लगेंगे।" अन्य के पास उसकी बात मानने के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं था। उसे ना चाहते हुए भी हाँ बोलना पड़ता है क्योंकि वह शोभित की पहुँच जानता था।
अन्य- "शोभित सर, यह बात अभी किसी को पता नहीं चलनी चाहिए। मैं नहीं चाहता कि आपकी वजह से लोग मुझे अलग ट्रीटमेंट दें।"
शोभित उसकी बात को मानकर उसे पैशनेट किस करता है। अन्य भी उसे मना नहीं कर पाता। उसे भी यह किस अच्छा फील करा रहा था। उसके पास ऐसे भी कोई और ऑप्शन नहीं था। वह चाहकर भी उसे रोक नहीं सकता था, इसलिए उसने हालात से समझौता कर लिया।
उस दिन के बाद से वो दोनों एक-दूसरे के साथ रिलेशनशिप में थे। पर उन दोनों का रिश्ता अब भी कोई नहीं जानता है।
शोभित डोमिनेटिंग था पर वह अन्य को सच में बहुत ज़्यादा प्यार करता था। वह किसी भी कीमत पर उसे पाना चाहता था इसलिए उसने धमकी का सहारा लिया। वह यह जानता था कि अन्य किसी के साथ भी रिलेशनशिप में नहीं आना चाहता था। शोभित जिस चीज़ को पाना चाहता था, पाकर रहता था तो वह अपने प्यार को कैसे छोड़ देता? वह उसका ख्याल भी रखता था। वह तो उसे अपने साथ भी रखने को तैयार था पर अन्य ऐसा नहीं करना चाहता था।
अगले भाग में जारी......
क्लास खत्म होने के बाद अन्य अपना बैग उठाकर अपने घर जाने के लिए निकला। वह बार-बार अपनी घड़ी देख रहा था और उसका फ़ोन भी, जो डेड था। उसने एक गहरी साँस ली। उसे पता था कि आज उसे लेट हो गया है और अब उसे फिर फटकार मिलेगी। वह तेज़ी से अपने घर गया।
घर के अंदर जाने से पहले उसने एक लंबी साँस ली। फिर वह अंदर चला गया। वह अपने आप को आगे की सिचुएशन के लिए तैयार कर रहा था।
अन्य का घर बहुत खूबसूरत था। वह एक बंगला था। अन्य पुणे शहर में रहता था। जैसे ही वह अंदर गया, एक लगभग पैंतालीस साल की, खूबसूरत औरत खड़ी थी। इस उम्र में भी वह अपनी उम्र के मुकाबले बहुत जवान दिखती थी। उसके कपड़ों और गहनों को देखकर आसानी से पता चलता था कि वह पैसे वाली है।
"कहाँ से आ रहा है? किसके साथ घूम रहा था? इतनी देर तक कहाँ था? कुछ भी ऐसा-वैसा किया ना तो टाँगें तोड़ दूँगी और सड़क पर भीख मँगवाऊँगी।" वह औरत अन्य से कहती है।
"मौसी, मैं स्कूल में ही था। आज एक्स्ट्रा क्लास थी। फ़ोन में पैसे नहीं रहने के कारण डेड हो गया था, इसलिए कॉल नहीं कर पाया। आई एम सॉरी।" यह कहकर वह सर झुकाकर खड़ा हो गया।
उसी समय एक आदमी, जिसकी उम्र पचास साल होगी, सूट पहनकर ऑफिस से आ रहा था। उसे देखकर आसानी से यकीन किया जा सकता था कि वह एक अच्छी पर्सनालिटी का बंदा है। वह उस औरत से कहता है-
"अरे पूर्वा, डार्लिंग! कूल डाउन। उसने कहा ना कि आज उसकी क्लास थी, इसलिए लेट हो गया। तुम आराम करो। मैं तेरे लिए एक कप चाय मँगवाता हूँ।" यह कहकर वह अपने नौकर को आवाज़ लगाता है।
"राजेश, अभी घर पर कोई नौकर नहीं है। मैंने सबको छुट्टी दे दी है। आज घर का सारा काम अन्य करेगा। यह इसकी सज़ा है। अब यहाँ खड़ा होकर मुँह क्या देख रहा है? जाओ जाकर चाय बनाओ। पता नहीं क्या सोचकर मैं इसे यहाँ ले आई। जैसे इसे सोनम और सिद्धांत ने घर से निकालकर सड़क पर फेंक दिया था, मुझे भी इसे वहीं रहने देना चाहिए था। पर इसे देखकर मुझे तरस आ गया और मैं इसे अपने साथ ले आई।" पूर्वा कहती है।
अन्य को यह सब सुनकर रोना आ रहा था, पर वह कुछ रिएक्ट नहीं करता और चुपचाप कपड़े बदलकर अपना काम करने लगता है।
सब लोग डिनर करके सोने जाते हैं। अन्य भी डिनर करके किचन समेटने लगता है। यह सब करने के बाद जब वह सोने जाता है तो बारह बज जाते हैं। यह उसके लिए लगभग रोज़ की बात थी।
वह सोने के लिए जाता है तो देखता है कि राजेश उसके बेड पर बैठकर उसका इंतज़ार कर रहा था।
अन्य उसे देखकर उसके पास आकर पूछता है, "मौसा जी, आपको कोई काम था क्या मुझसे?"
"नहीं, मैं तुझे यह चॉकलेट देने आया था। आई एम सॉरी, पूर्वा को तेरे साथ ऐसे बिहेव नहीं करनी चाहिए थी। पर वह ऐसी ही है। मैं तेरे लिए कुछ नहीं कर पाता।" राजेश कहता है।
"इट्स ओके मौसा जी। आप अपने कमरे में जाइए, नहीं तो मौसी नाराज़ हो जाएँगी, फिर आपको डाँट पड़ेगी।" अन्य कहता है।
उसकी बात सुनकर राजेश तेज़ी से उसके कमरे से निकल जाता है। उसके जाने के बाद अन्य अपने मेज़ के ड्रॉअर से एक फोटोफ़्रेम लेकर अपने हाथों में लेकर उसमें मौजूद तस्वीर को अपने हाथों से छूने लगता है।
उसकी आँखों से आँसू निकलने लगते हैं। वह रोते हुए कहता है, "माँ, डैड, प्लीज़ मुझे यहाँ से ले जाओ। आप जो बोलोगे वही करूँगा। आपकी सारी बात मानूँगा। आपसे कभी कुछ भी नहीं डिमांड करूँगा। मुझे अच्छा नहीं लगता है यहाँ। आपने मुझे क्यों छोड़ दिया? मुझे अपने साथ रख लो ना। आपको मेरी याद क्यों नहीं आती? आप लोग तो मुझे ऐसे इग्नोर करते हो जैसे मैं आपका बच्चा ही ना हूँ। एक बार मेरी तरफ़ भी तो देखिए, मैं भी मान भाई और विन्नी की तरह आपकी ही औलाद हूँ। आपको मेरा दर्द क्यों नहीं दिखता है?"
वह ऐसे ही रोते हुए सो जाता है। उसके पास ऐसा कोई नहीं था जो उसके दर्द का ख्याल करे।
अगली सुबह, जब वह सोया हुआ था, उसी समय उसे एक कॉल आता है। उसके फ़ोन पर शोभित का कॉल आया। शोभित का कॉलर आईडी में नाम पढ़कर वह चौंक जाता है। वह जल्दी से कॉल उठाता है।
"आपके पास मेरा नंबर कैसे आया? आपने कॉल क्यों किया?" अन्य पूछता है।
"बीयर, शांत हो जाओ। मेरे लिए कुछ भी पता करना बहुत आसान है। मैं चाहूँ तो अभी ही तेरे को अपने पास रख लूँ और कोई कुछ नहीं कर पाएगा। मुझे तुझसे मिलना है। आज स्कूल में मेरे पास आ जाना, समझ गए?" शोभित कहता है।
"ओके शोभित सर।" अन्य जवाब देता है।
"बीयर, आई लव यू। स्कूल में आ जाना, वर्ना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।" शोभित कहता है।
"जी, आ जाऊँगा।" अन्य कहता है।
"ठीक है, मैं फ़ोन रखता हूँ। मुझे एक कॉन्फ़्रेंस अटेंड करना है। बाय, लव यू।" शोभित कहता है।
"आई लव यू सर।" अन्य कहता है।
उसके बाद शोभित फ़ोन रख देता है।
अन्य अपने मन में सोचता है, "शोभित मुझे बहुत प्यार करते हैं। बस उनके प्यार जताने का तरीका रूड है। पर अच्छा है कि कोई तो मुझसे भी प्यार करता है।"
अन्य अपना काम खत्म कर जल्दी से स्कूल पहुँच जाता है। वहाँ पहुँचकर वह देखता है कि शोभित अपनी कार लेकर उसका इंतज़ार कर रहा था।
शोभित आज बहुत हॉट लग रहा था। उसने आज ब्लैक जीन्स और वाइन कलर की टीशर्ट पहन रखी थी। उसने गॉगल्स पहन रखा था। उसने अपने कान में बाली पहन रखी थी। उसके बाल मैसी हुए थे जो उसके चेहरे पर आ रहा था। उसने जो टीशर्ट पहन रखी थी वह बॉडी फिट थी जिससे उसके बाइसेप्स पता चल रहे थे।
अन्य उसे देखकर शॉक रह गया। वह बिना पलक झपकाए हुए उसे ही देख रहा था। शोभित उसे ऐसे देखकर स्माइल करते हुए उसके पास आ जाता है और कहता है, "मैं कैसा लग रहा हूँ?"
अन्य खोये हुए ही जवाब देता है, "हॉट, मुझे तो ऐसे देखकर साँस नहीं आ रही है। कोई इतना सुंदर कैसे लग सकता है?"
शोभित उसकी बात सुनकर उसके चेहरे के करीब अपने होंठों को लाकर उसके गाल पर किस कर देता है। यह महसूस कर वह अपनी आँख बंद कर लेता है। तभी शोभित उसके कानों के पास जाकर सेडक्टिव आवाज़ में कहता है, "तो बीयर, तुम मेरे साथ डेट पर चलने के लिए तैयार हो?"
अन्य उसकी आवाज़ और करीबी से अपने आप में सिमटने लगा था। वह अपने आप पर काबू कर हाँ में सिर हिला देता है।
शोभित उसके एक हाथ को डेलीगेटली पकड़कर कार में बिठा देता है। फिर उसके बगल में बैठ जाता है। फिर वह ड्राइवर को कार चलाने के लिए कहता है।
थोड़ी देर बाद वे दोनों एक बड़े से मॉल में जाते हैं। वह बहुत बड़ा मॉल था। अन्य उस मॉल को देखकर देखता ही रह जाता है। आज से पहले वह कभी मॉल में नहीं आया था। कोई भी उसे लेकर कहीं भी नहीं जाता था। वह सिर्फ़ घर से स्कूल और स्कूल से घर जाता था।
शोभित अन्य को लेकर मेन्स आउटफ़िट के सेक्शन में ले जाता है और ढेर सारे कपड़े पसंद कर ट्राई करने देता है।
अन्य भी उसकी बात मानकर चुपचाप सारे कपड़े ट्राई करता है। वह जानता था कि शोभित उसके मुँह से ना नहीं सुन सकता है। शोभित ने जो भी कपड़ा अन्य ने पहना था, सारे खरीद लिए, चाहे उसे पसंद हो या नहीं।
"शोभित सर, आपने सारे कपड़े क्यों ले लिए? इसमें तो बहुत से कपड़े मुझे फ़िट भी नहीं आए।" अन्य कहता है।
"जो भी चीज़ तेरे बदन से छूकर आएगी, वह सारी चीज़ें मेरे पास ही रहेगी। तेरी बदन से उतरा हुआ हर कपड़ा सिर्फ़ मेरे लिए है। अगर तुम्हें कुछ और पसंद हो तो आराम से ले लो।" शोभित कहता है।
अन्य ना में सिर हिला देता है। शोभित उन कपड़ों में से एक सुन्दर सा वाइन कलर का सूट अलग कर लेता है। फिर वह अन्य के साथ एक सुन्दर और लग्ज़ीरियस होटल में जाता है जिसके पूरे वीआईपी एरिया को उसने बुक कर रखा था। उस पूरे एरिया में वेटर और मैनेजर के अलावा और कोई नहीं था। पूरा एरिया रेड फ़्लावर से सजाया हुआ था। उसके अलावा वहाँ की लाइटिंग बहुत सुन्दर थी। अन्य ये सब देखकर शॉक था। वह उस जगह की खूबसूरती में खो गया था। उस जगह को देखकर लग ही नहीं रहा था कि अभी दिन ही है। वह रात के खूबसूरत नज़ारे का यकीन दिला रही थी।
शोभित उसके सामने चुटकी बजाता है जिससे वह होश में आता है। वह उसे लेकर एक लग्ज़ीरियस रूम में ले जाता है और उसे वही सूट देकर तैयार होकर आने के लिए कहता है।
अन्य उसकी बात मानकर चुपचाप तैयार होने चला जाता है। कुछ देर बाद वह तैयार होकर आता है।
अन्य उस सूट में कामदेव का अवतार लग रहा था। उस सूट ने उसकी पर्सनालिटी को एक अलग लेवल पर पहुँचा दिया था। शोभित उसका हाथ पकड़कर अपने साथ लेकर एक टेबल पर आ जाता है जहाँ पर उसने लंच का इंतज़ाम कर रखा था। वह उसे चेयर पर बिठा देता है और वह सामने जाकर एक स्टूल पर बैठ जाता है। उस स्टूल के पास गिटार रखा था। वह उस गिटार को ट्यून कर अन्य को देखते हुए कहता है, "बीयर, आई लव यू फ़्रॉम माई हार्ट। दिस सांग इज़ फ़ॉर यू।" यह कहकर वह गाने लगता है-
ह्म्म्म्म ह्म्म्म्म
ला ला ला
ये ज़मीं रुक जाए
आसमाँ झुक जाए
तेरा चेहरा जब
नज़र आए
ये ज़मीं रुक जाए
आसमाँ झुक जाए
तेरा चेहरा जब
नज़र आए
तू इजाज़त दे अगर
तुझसे थोड़ा प्यार
मैं कर लूँ जाने जा
बैठ मेरे सामने
खाली दिल खाली नज़र
भर लूँ जाने जा
तू खफ़ा हो जाए
रात अभी हो जाए
दिन तेरे आँचल में
छुप जाए छुप जाए
ये ज़मीं
तू अगर कह दे मुझे
चाँद भी ले आऊँ
जाने जा जाने जा
एक तारा माँग ले
आसमाँ ले आऊँ
जाने जा जाने जा
याद तू जब आए
नींद भी ले जाए
ख्वाबों के जंगल में
छुप जाए छुप जाए
ये ज़मीं
हो तेरा चेहरा जब नज़र आए
हो तेरा चेहरा जब नज़र आए
वह गाना गाकर अन्य के पास आकर अपने घुटनों पर बैठकर अपने हाथ में एक रिंग लेकर उसे प्रपोज करते हुए कहता है, "क्या तुम मेरे बनोगे? क्या तुम मेरा साथ दोगे?"
अन्य यह सब देखकर रोने लगता है और हाँ में अपना सिर हिला देता है। यह देखकर शोभित बहुत खुश हो जाता है। वह उसे गले लगा लेता है। थोड़ी देर बाद दोनों अलग होते हैं।
फिर वे दोनों लंच करते हैं। लंच करने के बाद शोभित उसे अपने साथ लेकर रूम में आता है। वह उसे बेड पर बिठाकर खुद उसके बगल में बैठ जाता है और कहता है कि मैं तुम्हें अपनी फैमिली से मिलवाना चाहता हूँ।
"क्या वे मुझे एक्सेप्ट करेंगे? मुझे तो अपने माँ-बाप ने भी एक्सेप्ट नहीं किया। मुझे डर लग रहा है। आप मुझे थोड़ा टाइम दे दीजिए। मैं अभी तैयार नहीं हूँ।" अन्य कहता है।
"ओके बीयर। आज के लिए मैं तेरी बात मान जाता हूँ, पर मेरी फैमिली से मिलना तो तुझे पड़ेगा ही ना।" शोभित कहता है।
अन्य भी उसकी बात पर हम्म कह देता है। फिर वे दोनों वहाँ से वापस लौट जाते हैं। आज का दिन अन्य के लिए सपने से कम नहीं था। उसने कभी नहीं सोचा था कि उसकी लाइफ़ में कोई ऐसा आएगा जो उसे इस तरह स्पेशल फील कराएगा। वह बहुत खुश था। आज उसकी लाइफ़ का पहला दिन होगा जिसमें उसे इतनी खुशियाँ मिली थीं।
अगले भाग में जारी.......
अगला दिन अन्य स्कूल आया। वह बहुत खुश था। शोभित के साथ बिताया समय उसे खुशी दे गया था।
वह तेज़ी से अपनी क्लास में जाकर अपना बैग रखा। उसी समय उसके दोस्त भी उसके पास आ गए। वह उन लोगों से मिलकर बहुत खुश हुआ। वह लोग आगे कुछ भी बात करते, उसके पहले ही क्लास टीचर आ गई और उन सब ने उन्हें गुड मार्निग विश किया और अपना सारा ध्यान अपनी पढ़ाई पर लगा दिया।
लंच ब्रेक के समय अन्य के पास उसके सब दोस्त बैठे थे। वे सब इधर-उधर की बात कर रहे थे। तभी दीप उससे पूछता है,
"दीप- तू कल स्कूल क्यों नहीं आया?"
"अन्य- कल मेरी तबीयत ठीक नहीं थी, तो मैं नहीं आया।"
उसके बाकी के दोस्त उससे पूछने लगे कि वह अब कैसा है।
"अन्य- मैं अब बिलकुल ठीक हूँ। कल मन नहीं किया, तो नहीं आया।"
उसकी बात सुनकर दीप उसे एक थप्पड़ खींचकर मारता है। यह देखकर उसके सारे फ्रेंड सदमे में चले गए क्योंकि दीप अन्य के लिए बहुत पॉज़िटिव था। वह उसे प्रोटेक्ट करता था। दीप के डैड भी बिज़नेस मैन थे। वह बहुत हैंडसम और रिच था।
"राज- दीप पागल हो गया है क्या? एक तो उसकी तबीयत खराब है और तू उसे थप्पड़ मार रहा है। हमें उसका ख्याल रखना चाहिए।"
"दीप- हा हा! तबीयत तो खराब होगी ही, आखिर होटल ब्लू हैवन में किसी के साथ मौज करके जो आ रहा है।"
अन्य उसकी बात सुनकर रोने लगा। यह देखकर उसके फ्रेंड दीप को कहते हैं, "तू अपने होश में नहीं है क्या? क्या अनाप-शनाप बकवास कर रहा है।"
दीप गुस्से में चिल्लाते हुए कहता है, "अनाप-शनाप नहीं बक रहा, जो सच्चाई है वो बता रहा हूँ। मैंने उसे अपनी आँखों से किसी के साथ वीआईपी रूम से बाहर निकलते देखा है। इससे पूछो, वह वहाँ किसके साथ था और क्या कर रहा था।"
अन्य उसकी बात सुनकर गुस्से में चिल्लाकर कहता है, "मैं एक कैरेक्टरलेस लड़का हूँ। जो पैसे के लिए किसी के साथ सो जाता है। क्या तुम भी मेरे साथ सोना चाहते हो? एक रात की कीमत बता देता हूँ।"
"मैं शरीफ़ कैसे हो सकता हूँ? मेरी तो कोई औकात ही नहीं है। जिसे जब मन करता है, मेरा कैरेक्टर उछाल देता है और मैं कुछ नहीं कर पाता।"
"मैं कुछ भी करूँ या कहीं भी जाऊँ, इस बात के लिए मुझे जज करने वाले तुम कौन होते हो? खैर, जाने दो। जब मेरे माँ-बाप मुझसे नफ़रत करते हैं, तो मैं किसी और से क्या एक्सपेक्ट कर सकता हूँ?" यह कहकर वह वहाँ से चला जाता है।
"रमा- दीप यार, मुझे तुझसे यह उम्मीद नहीं थी। ये क्या तरीका था उससे बात करने का? तुमने सीधे उस पर इल्ज़ाम ही लगा दिया। वह कोई तेरा बॉयफ्रेंड नहीं है जो तुझे बिना बताए कहीं आ जा नहीं सकता।"
"दीप- पर उसने हम सब से झूठ बोला। बहाने बनाए।"
"प्रिया- वह क्या तेरा या हमारा गुलाम है कि सब सच बता ही दे? वह सिर्फ़ एक दोस्त है। वह हमसे दोस्ती भी नहीं कर रहा था, पर हम सब ने उसे इस बात का यकीन दिलाया था कि औरों की तरह हम उसे जज नहीं करेंगे। हम सब की तरह वह भी एक होगा। क्या तूने कभी हमसे झूठ नहीं बोला है, बताओ मुझे? सब लोग थोड़ा बहुत झूठ बोलते ही हैं। हो सकता है वह अभी हमें सच बताना ना चाहता हो, इसलिए उसने झूठ बोला। हम सिर्फ़ दोस्त हैं यार, उसके मालिक या भगवान नहीं, समझे? मुझे अब तुझसे बात भी नहीं करनी।" यह कहकर वह भी गुस्से से वहाँ से चली गई और उसके साथ रमा भी थी। राज तो पहले ही अन्य के पीछे जा चुका था।
अन्य रोते हुए गार्डन के बेंच पर जाकर बैठ गया। उसी समय उसके पास राज आया। उसे देखकर वह जोर-जोर से रोने लगा। थोड़ी देर बाद जब वह शांत हुआ, तो कहता है,
"अन्य- राज, लोग मुझे कैरेक्टरलेस क्यों समझते हैं? मैं कल होटल गया था। कल मेरी डेट थी। मैं अभी इस बात को शेयर करने में कम्फ़र्टेबल नहीं था, इसलिए झूठ बोला। मेरे एक झूठ से मैं कैरेक्टरलेस बन गया।"
राज उसे हग कर लेता है। उसके हग करने पर अन्य कहता है, "मैं शोभित सर के साथ डेट पर गया था। हम दोनों रिलेशनशिप में हैं। कल उन्होंने मुझे ऑफिशियली प्रपोज़ किया था। वे मुझे अपनी फैमिली से मिलाना चाहते हैं। मुझे भी उनके साथ अच्छा लगता है।"
यह सब सुनकर अन्य के सभी दोस्तों पर बम ब्लास्ट जैसा असर किया जो कि वहाँ आ चुके थे। उन लोगों के मुँह खुले रह गए थे।
अपने इमोशन को कंट्रोल कर रमा कहती है, "तेरा कहना है कि द रॉकस्टार शोभित जिंदल, जिसकी दीवानी सारी दुनिया है, वह तेरा बॉयफ्रेंड है?"
अन्य उसकी बात पर अपना सिर हाँ में हिला देता है। वह अब शर्मा रहा था।
"राज- शोभित सर ने बिज़नेस और सिंगिंग से इतना टाइम निकाल लिया और कल का दिन तेरे साथ बिताया।"
"अन्य- हाँ, कल उन्होंने मुझसे इंगेजमेंट की है।" यह कहकर वह उन लोगों को अपनी रिंग दिखा देता है।
"प्रिया- कब हुआ ये, बता ना।"
अन्य उसे सब बता देता है। उसकी बात सुनकर वे लोग आश्चर्य में थे कि इतना बड़ा आदमी उसका बॉयफ्रेंड था और रोज अपने बिज़ी शेड्यूल से समय निकालकर उससे मिलता है।
"दीप- अन्य, आई एम सॉरी। मैं तेरे लिए बहुत खुश हूँ। मुझे लगा कि कहीं परेशानी के कारण तूने कोई गलत कदम उठा लिया है। तू तो जानता है तेरे लिए मैं कितना पॉज़िटिव हूँ। मैं किसी को भी तुझे नुकसान पहुँचाने नहीं दे सकता, तुझे भी नहीं।"
अन्य उसके गले लग जाता है और कहता है, "अगली बार ऐसा कुछ मत करना, वर्ना माफ़ नहीं कर पाऊँगा। समझ गए ना?"
दीप उसकी बात पर अपना सिर हिला देता है।
"अन्य- पागल कहीं का।"
"दीप- बस तेरे लिए। एक बात सच-सच बताना, मि. शोभित सच में तेरे लिए लॉयल तो है ना?"
"अन्य- हाँ, मेरी माँ, वह मुझे लेकर लॉयल है।"
दीप उसके गले लगकर कहता है, "मैं तेरे लिए बहुत खुश हूँ। अच्छा हुआ कि वह तुझे प्यार करता है, वर्ना उसे भी नहीं छोड़ता।"
"अन्य- अब ये बातें बहुत हो गईं। अब मैं जा रहा हूँ।" यह कहकर वह वहाँ से चला जाता है।
प्रिया और राज भी उसके पीछे चले जाते हैं। सिर्फ़ रमा और दीप वहाँ रुके थे।
"रमा- दीप, तुम ठीक हो? मैं जानती हूँ कि तुम अन्य को प्यार करते हो, पर उसकी खुशी कोई और है। मैंने तुझसे पहले भी कहा था कि उसे अपनी फीलिंग बता दो, पर तुमने यह बात नहीं मानी।"
"दीप- मैं ठीक हूँ। वह मेरे लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी है। वह खुश है तो मैं भी खुश हूँ। अब चलो, क्लास अटेंड करना है।"
रमा उसकी बात मानकर उसके साथ जाने लगती है। वह सोचती है, दीप अन्य को किसी और के साथ देखकर कैसे बर्दाश्त करेगा?
अगले भाग में जारी........
मुंबई
एक बड़े से विला के एक लग्ज़ीरियस रूम में, लगभग अट्ठाईस साल का एक लड़का, एक छोटे से बच्चे की तस्वीर को अपने सीने से लगाए सोया हुआ था।
उसी समय, उसके कमरे में उसका बचपन का दोस्त आता है। उसे ऐसे सोया देखकर, वह अपने सिर को झटककर उसे उठाते हुए कहता है,
"मयूर यार, उठ जा, आठ बज गए हैं। नौ बजे से मीटिंग भी है, जो कि बहुत इम्पोर्टेन्ट है। तेरा उसमें रहना ज़रूरी है।"
मयूर सिंघानिया, इस कहानी का मेन लीड है। इसकी उम्र लगभग अट्ठाईस साल है। यह इंडिया के टॉप बिज़नेस मैन में से एक है। इनका गोरा रंग, छह फीट दस इंच की हाइट और खूबसूरत बाडी इन्हें लड़कियों का क्रश बनाते हैं। ऊपर से उनकी काली आँखें किसी को भी अपने में डूबने के लिए मजबूर कर सकती हैं।
मयूर बेड से उठते हुए कहता है, "यार जीत, तेरी प्रॉब्लम क्या है? मुझे सोने क्यों नहीं देते? तू हमेशा मेरी नींद का दुश्मन बना रहता है।"
यह दूसरा लड़का, जीत सहगल है, जो मयूर का बचपन का दोस्त है। यह एक अनाथ है जिसे मयूर के माँ, पूजा सिंघानिया और डैड, परमवीर सिंघानिया ने गोद लिया है। यह मयूर का असिस्टेंट भी है। इसके साथ ही, यह कंपनी में पच्चीस पर्सेंट का पार्टनर भी है। यह भी दिखने में बहुत सुंदर है। यह एक फ़्लर्ट करने में एक्सपर्ट है। इन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि सामने लड़का है या लड़की, बस इनका मूड पर हर चीज़ डिपेंड करती है। ऐसे तो यह मज़ाकिया इंसान है, पर गुस्सा होने के बाद यह सिर्फ़ अपनी माँ, पूजा की बात ही मान सकते हैं।
मयूर एक कोल्ड हार्टेड मैन है। यह अपने बचपन से सिर्फ़ अपनी वाइफ़, मयंक को प्यार करता है। इसलिए, वह सोने के पहले उसकी तस्वीर को अपने सीने से लगाकर रखता है। यह अखंड सिंगल है। इन्होंने आज तक किसी से भी रिलेशनशिप नहीं रखा है। वह पिछले अठारह साल से अपनी वाइफ़ का वेट कर रहे हैं।
यह अपने करीब किसी को भी आने नहीं देता है। पूरे बिज़नेस मैग्ज़ीन में ही इनके रूड बिहेवियर की बातें छपती रहती हैं। पर इन्हें इस बात से कोई प्रॉब्लम नहीं है क्योंकि उन्हें लगता है कि उनका वाइफ़ भी उनकी तरह ही उनके इंतज़ार में होगा।
"मयूर यार, मुझ पर क्यों भड़क रहा है? तू ही मेरी भाभी की याद में रात को देर तक जगता है और सुबह मुझसे झगड़ा करता है।" - जीत
मयूर उसकी बात सुनकर ब्लश करने लगता है और तेज़ी से वाशरूम में भाग जाता है।
जीत अपने मन में सोचता है, "भाभी बहुत लकी है जिसे मेरे भाई जैसा प्यार करने वाला मिलेगा। जो बचपन से सिर्फ़ उनकी याद में जी रहा है। अब बस मेरे भाई का इंतज़ार ख़त्म हो जाए।" वह बाहर हाल में आ जाता है। मयूर का रूम ऊपर था।
जीत नीचे आकर डायनिंग टेबल पर बैठ जाता है जहाँ पर पूजा, परमवीर और मीनल उन दोनों का वेट कर रहे थे।
"जीत, कैसा है? तबीयत ठीक है ना? आज तुझे इतनी देर हो गई।" - पूजा
"माँ, मैं ठीक हूँ। वह मयूर को उठाने में लेट हो गया।" - जीत
"भैया पता नहीं कब टाइम पर उठना सीखेंगे। हर दिन लेट करते हैं।" - मीनल
उसी समय मयूर नीचे आकर मीनल के कान मरोड़ते हुए कहता है, "छुटकी, आजकल तुम बहुत बोलने लगी हो। चुपचाप अपना ब्रेकफ़ास्ट फ़िनिश करो, समझी?" यह कहकर वह उसका कान छोड़ देता है।
"मयू बेटा, आजकल तुम देर तक सोते हो, तबीयत ठीक है ना तुम्हारा?" उनकी बातों से उनका कंसर्न साफ़ पता चल रहा था। - परमवीर
"आई एम टोटल फ़ाइन, डैड।" - मयूर
"डैड, उसे कोई आम बीमारी नहीं बल्कि एक स्पेशल बीमारी हुई है।" - जीत
"कौन सी बीमारी?" - परमवीर
"सर्दी-खाँसी ना, मलेरिया हुआ। मैं तो गया यारों, मुझे लवेरिया हुआ। भाई को लवेरिया हो गया है।" - जीत
"जीत के बच्चे, अपना मुँह बंद कर, वर्ना तोड़ दूँगा। चलो, जल्दी लेट हो रहा है।" यह कहकर वह सैंडविच को अपने मुँह में जल्दी से डालकर जूस पीने लगता है और जीत का हाथ पकड़कर उसे खींचते हुए ले जाता है।
उसके जाने के बाद पूजा और परमवीर जी हँसने लगते हैं। पूजा और परमवीर जी एक-दूसरे को देखते हुए कहते हैं, "यह बात तो सही है कि मेरा बेटा आज भी मयंक का वेट कर रहा है। अब समय आ गया है कि हम राजेश और पूर्वा से बात करें और अपनी बहु को अपने पास लेकर आएँ।"
दूसरी तरफ, मयूर जीत के साथ अपनी ऑफ़िस पहुँचता है। वहाँ जाते ही वह सीधे अपनी केबिन में जाता है।
अब वह दोनों एक बिज़नेस मैन की तरह बैठे थे और आने वाली मीटिंग पर फ़ोकस कर रहे थे। इस मीटिंग में उसके साथ उसका एक और बिज़नेस पार्टनर भी था। वह दोनों मीटिंग हाल में जाते हैं जहाँ का टेम्परेचर अचानक ही चेंज हो गया था। वह तीनों पूरे ही एटिट्यूड के साथ सामने वाले के सामने बैठे थे।
"लुक मि, रहाणे आप। आप प्लीज़ अपना बिज़नेस प्रपोज़ल बताइए।" यह कहते हुए उसकी आवाज़ कोल्ड थी। - मयूर
मि. रहाणे कुछ भी बोलने की जगह इधर-उधर देख रहे थे। उसी समय एक गोली आकर उनके कंधे को छूते हुए निकल गई। सभी उस ओर देखने लगे। पर गोली चलाने वाले पर कोई असर नहीं पड़ा। वह अपने गार्ड को ऑर्डर देकर सब कुछ क्लीन करने के लिए कहता है और उस आदमी को पकड़कर सब पता करने के लिए कहता है।
उसके बाद वह तीनों वहाँ से निकल जाते हैं और मयूर के केबिन में आ जाते हैं।
"अरे यार शोभित, उसे गोली मारने की क्या ज़रूरत थी? ऐसे तू इतना कब से सुधर गया कि कंधे पर ही गोली मारी? वर्ना तू तो सीधे सिर पर गोली मारता था।" - मयूर
"हाँ यार, बिलकुल सही कहा। क्या हो गया है तुझे? तबीयत तो ठीक है ना? तू कब से इतना सुधर गया?" - जीत
"हाँ यार, सुधर गया हूँ मैं। रॉकस्टार शोभित जिंदल को प्यार हो गया है। अब मैं ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता जिससे मेरा बीयर हर्ट हो।" - शोभित
"शोभित, तू रिलेशनशिप में आ गया, इसका मतलब तुझे वह मिल गया जिसकी तलाश थी। जो कि तुझसे भी अच्छा सिंगर हो।" - मयूर
"हाँ यार, वह जितना अच्छा गाता है उतना ही खूबसूरत है। वह तन के साथ मन का भी सोना है। मुझे जैकपॉट लग गया है। तू भी उसे देखेगा तो देखता रह जाएगा।" - शोभित
"ये सब तो ठीक है पर अपने दुश्मनों का क्या करेंगे? वो कभी भी हमला करने के फिराक में रहते हैं। साले बास्टर्ड, सही ढंग से बिज़नेस करना नहीं होता है।" - मयूर
"यह सब बाद में देखेंगे। अभी तो शोभित, तू हम दोनों को हमारी होने वाली भाभी की तस्वीर दिखा। बहाना तो करना नहीं क्योंकि उसकी तस्वीर तो ज़रूर तेरे पास होगी।" - जीत
"अभी दिखाता हूँ। वह मेरा सब कुछ है।" यह कहकर वह अपने फ़ोन के स्क्रीन पर अपनी गर्लफ़्रेंड की तस्वीर निकालकर जैसे ही उन दोनों को दिखाने वाला होता है कि उसे एक कॉल आ जाता है और वह उन दोनों से विदा लेकर सीधा निकल गया।
उसे जाता देखकर जीत और मयूर एक साथ कहते हैं, "ये अपने हर काम में सीरियस है, इसलिए तो इतना सक्सेसफ़ुल है।"
अगले भाग में जारी.......
आज रविवार था, इसलिए अन्य घर में रहकर काम कर रहा था। उसी समय उसकी मौसी ने उससे कहा, "आज मेरी किटी पार्टी है, तो घर अच्छे से साफ कर दो। फिर जाकर जल्दी से ब्रेकफास्ट तैयार कर दो। मयंक को भी उठा देना।"
अन्य ने कहा, "जी मौसी।" यह कहकर वह फिर से अपना काम करने लगा। उसने सफाई खत्म कर जल्दी से चाय बनाकर अपने मौसा और मौसी को दी। फिर उसने ब्रेकफास्ट तैयार किया और एक गहरी सांस लेकर मयंक के कमरे में गया।
मयंक, उम्र अठारह साल, एक बिज़नेस मैनेजमेंट का स्टूडेंट था। वह एक सामान्य दिखने वाला इंसान था। वह बहुत घमंडी और सिरफिरा था। वह बहुत ही मतलबी इंसान था। पैसों के बल पर वह रोज अपनी गर्लफ्रेंड बदलता था, जबकि उसे पता था कि वह शादीशुदा है। उसकी शादी जब वह छोटा था, तब मयूर से हो चुकी थी। वह इस शादी को नहीं मानता था। उसे अपनी लाइफ़ अपने तरीके से जीना पसंद था।
अन्य मयंक के कमरे में गया। उसने देखा कि पूरा कमरा ही गंदा था। कई जगह पर शराब की खाली बोतलें पड़ी थीं। उसका सामान भी इधर-उधर फेंका हुआ था। उसने सबसे पहले कमरे को साफ़ किया। फिर वह मयंक को उठाने लगा।
अन्य ने कहा, "भैया उठिए। मौसी और मौसा जी वेट कर रहे हैं।" उसने काफी देर तक उसे उठाने की कोशिश की, पर वह नहीं उठा। फिर उसने हिम्मत करके उसके चेहरे पर पानी के छींटे मारे। इससे मयंक उठ गया और गुस्से में एक जोरदार थप्पड़ उसे मार दिया।
मयंक ने कहा, "तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे मुँह पर पानी डालने की? अपनी औकात मत भूलो। मेरे ही मामा डैड के टुकड़ों पर पल रहे हो। यह सब कुछ मेरा है। मेरा स्लीपर और तौलिया दो, फ्रेश होना है। गेट आउट, और जाने के पहले मेरे अलमारी से मेरी ब्लू जींस और ब्लैक जैकेट और वाइट शर्ट भी निकालते जाना।"
अन्य चुपचाप उसने जो कहा था, सारे काम कर वहाँ से बाहर निकल आया। डायनिंग टेबल पर उसने ब्रेकफास्ट लाकर रख दिया। उसी समय मयंक भी तैयार होकर आया।
मयंक ने कहा, "गुड मॉर्निंग माम, गुड मॉर्निंग डैड। आप सबसे कितनी बार कहा है कि सुबह-सुबह उस मनहूस को मेरे कमरे में मत भेजा करो, पर आप लोग मेरी बात ही नहीं मानते हैं। वह मुझे जरा भी पसंद नहीं है।"
राजेश ने कहा, "मयंक बेटा, ये क्या बात हुई? तुम उसके बारे में इतना क्यों बोल रहे हो, वो तेरा भाई भी है।"
पूर्वा ने कहा, "आप उस गधे के लिए मेरे बेटे को डाँटेंगे? उसी ने कुछ किया होगा जिस वजह से वह इतने गुस्से में है। यह मत भूलिए कि यह हमारा बेटा है, वो नहीं।"
राजेश ने कहा, "तुम दोनों से बात करना ही बेकार है। चलो ब्रेकफास्ट करो।"
वे लोग ब्रेकफास्ट करने लगे। कुछ देर बाद अन्य भी अपना ब्रेकफास्ट कर रहा था। उसी समय मयंक उसके पास आकर बोला,
मयंक ने कहा, "मैं अपने दोस्तों के साथ जा रहा हूँ। मेरे कमरे में मेरा होमवर्क रखा है, उसे सही से बना देना और असाइनमेंट भी, समझ गए ना?"
अन्य ने कहा, "जी भैया, समझ गया।"
मयंक अपनी कार की चाबी लेकर चला गया। बाकी लोग भी अपने काम में लग गए। अन्य भी मयंक का दिया काम करने लगा।
अगले दिन भी मयंक और अन्य दोनों की छुट्टी थी। मयंक आज खुद से आकर डायनिंग टेबल पर बैठ गया था। अन्य जल्दी से ब्रेकफास्ट सर्व करके हट गया। उसी समय राजेश को एक कॉल आया। उस कॉल को देखकर राजेश घबरा गया, फिर अपने आप को संभालते हुए फ़ोन उठाया।
राजेश ने कहा, "हैलो परम। कैसा है यार? आज इतने दिनों बाद मेरी याद कैसे आ गई?"
परमवीर ने कहा, "देख यार, मैं आज अपने मतलब की बात के लिए कॉल किया है। भाभी जी कहाँ हैं? उन्हें भी बुला लो और फ़ोन स्पीकर पर डाल दो।"
राजेश ने कहा, "पूर्वा भी यहीं पर है। पूजा भाभी कहाँ हैं?" यह कहकर उसने फ़ोन स्पीकर पर डाल दिया।
परमवीर ने कहा, "पूजा भी मेरे साथ फ़ोन पर ही है। मेरा फ़ोन भी स्पीकर पर ही है। मैं अब अपनी बहू को अपने पास बुलाना चाहता हूँ। अगले महीने की 10 तारीख को पंडित जी ने दिन निकाला है। उस दिन फिर से उन दोनों की शादी कराकर मैं अपनी बहू को अपने पास रख लूँगा। समझ गए ना? अब मैं अपनी अमानत लेने आ रहा हूँ।" यह कहकर उसने फ़ोन रख दिया।
यह सुनकर मयंक के ऊपर जैसे बम फट गया हो। वह एकदम बुत बन गया था। अन्य ने मयंक पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और मयंक को बधाई दे दी।
मयंक तेज़ी से अंदर अपने कमरे में जाकर अपने सामान को तोड़कर अपना गुस्सा दिखा रहा था। उसने अपना पूरा कमरा बर्बाद कर दिया था।
उसी समय पूर्वा उसके कमरे में आई। उसने मयंक को रोका। मयंक उसके गले लगकर रोने लगा।
मयंक ने कहा, "माम, मुझे यह शादी नहीं करनी है। मैं किसी की वाइफ़ नहीं बन सकता। मेरा इंटरेस्ट लड़कियों में है। कुछ भी करो पर इस शादी को रोक दो।"
पूर्वा ने कहा, "बेटा, हम ऐसा नहीं कर सकते हैं। तू उस घर की अमानत ही है। तू कोशिश तो कर, हो सकता है कि तुझे भी मयूर पसंद आ जाए।"
मयंक ने कहा, "माम, वह एक खड़ूस और घमंडी लड़का है। उसके पास कोई भी नहीं रह पाता है। प्लीज़ माम, मुझे बचा लो, मैं बर्बाद हो जाऊँगा।"
उसी समय राजेश उसके पास आकर बैठकर बोला, "मयंक बेटा, यह बात तो तुम जानते हो ना कि तुम्हारी शादी हो चुकी है। अब तुम्हें इसे निभाना ही पड़ेगा, वर्ना हम बर्बाद हो जाएँगे।" यह कहकर वे दोनों कमरे से निकल गए। मयंक कमरे में ही बंद रह गया।
दूसरे दिन जब अन्य स्कूल में था, तो उसके पास शोभित का कॉल आया और उसने उसे अपने ऑफिस बुलाया। उसने अन्य के लिए अपनी गाड़ी भेज दी थी। अन्य उस कार में बैठकर शोभित के ऑफिस चला गया।
अगले भाग में जारी......
अन्य शोभित के केबिन में आया। वहाँ किसी को नहीं देखकर वह डर गया।
अन्य: शोभित! शोभित! कहाँ हैं आप? प्लीज, मेरे सामने आइए। अगर आप नहीं आए तो मैं आपसे बात नहीं करूँगा। कह रहा हूँ।
शोभित: क्यों? मुझे मार... उसके आगे कुछ नहीं कह पाया क्योंकि अन्य ने आज पहली बार उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर पैशनेट किस किया था। दो मिनट बाद वह अलग हो गया।
अन्य: शोभित सर, आपने मुझे क्यों बुलाया है?
शोभित: क्या यार! फिर से "सर"? अभी जब मैं तेरे सामने नहीं था, तब मुझे शोभित पुकार रहा था। अब जब मैं तेरे पास हूँ तो "सर" कह रहा है। फिर से चला जाता हूँ।
अन्य ने उसका हाथ पकड़कर कहा, "शोभित, मैं आपको फिर कभी 'सर' नहीं कहूँगा, पर मुझे छोड़कर जाने की बात मत कीजिए।"
शोभित: वह तो कभी नहीं होगा कि मैं तुझे छोड़ दूँ। पर मैं एक मुश्किल में फँस गया हूँ, जिससे तुम ही मुझे बाहर निकाल सकते हो।
अन्य: मैं क्या कर सकता हूँ?
शोभित: मेरा सिंगर नहीं आया है। तुम्हें एक रिकॉर्डिंग करनी होगी, वर्ना मेरा बहुत लॉस हो जाएगा। मेरी मदद करोगे ना?
अन्य: ठीक है।
वह रिकॉर्डिंग रूम में जाकर गाना रिकॉर्ड करवा देता है। उसका गाना सुनकर सब मंत्रमुग्ध होकर सुन रहे थे। अन्य ने अपने चेहरे को मास्क से ढँका हुआ था। वह अपनी आइडेंटिटी रिवील नहीं करना चाहता था।
रिकॉर्डिंग रूम से वह सीधे शोभित के पास आकर कहता है, "मैंने गाना रिकॉर्ड कर दिया है। अब मैं जा सकता हूँ ना?"
शोभित ने उसे पकड़कर अपनी कुर्सी पर बिठाते हुए कहा, "बीयर, तुम हमेशा जाने की बात क्यों करते हो? अभी थोड़ी देर मेरे पास रहो ना, प्लीज।"
अन्य उसकी बात पर स्माइल करते हुए उसके बालों को सहलाने लगता है, जो उसके लैप पर अपना सर रखे हुए था। वह ऐसे ही अपना प्यार दिखाता था। वे दोनों कभी किस से आगे नहीं बढ़े थे।
अन्य: "आई लव यू। मैं नहीं जानता था कि कोई ऐसा इंसान मेरी ज़िंदगी में आएगा जो मुझे बिना किसी बात पर जज किए प्यार करेगा। थैंक्स यू फॉर कमिंग इन माय लाइफ।" यह कहकर वह शोभित के माथे पर लाइट किस कर देता है।
शोभित: "बीयर, आज तुम मुझे झटके पर झटके दे रहे हो। हार्ट अटैक दिलानी है क्या?"
अन्य उसे मारते हुए कहता है, "ऐसी बात करोगे तो आज के बाद आपसे कभी बात नहीं करूँगा।"
शोभित ने उसे खींचकर खुद पर बेंड कर दिया था। फिर वह कहता है, "तुम ऐसे कैसे बात नहीं करोगे? मेरी धड़कनों को धड़कने के लिए एनर्जी चाहिए, जो तेरी ये स्माइल ही दे सकती है, माय लव।"
अन्य: "घर जाना है। लेट होगा तो डाँट पड़ेगी। प्लीज, जाने दीजिए ना।"
शोभित: "ठीक है, जाओ।" यह कहकर वह अन्य को देखकर गाना गाता है-
ओ मेरे दिल के चैन
ओ मेरे दिल के चैन
चैन आए मेरे दिल को दुआ कीजिए
ओ मेरे दिल के चैन
चैन आए मेरे दिल को दुआ कीजिए
अपना ही साया देखकर
तुम जाने कहाँ शर्मा गए
अभी तो ये पहली मंजिल है
तुम तो अभी से घबरा गए
मेरा क्या होगा सोचो तो जरा
हाय ऐसे ना आँखें भरा कीजिए
ओ मेरे दिल के चैन
चैन आए मेरे दिल को दुआ कीजिए
आपका अरमां आपका नाम
मेरा तराना और नहीं
इन झुकती पलकों के सिवा
दिल का ठिकाना और नहीं
जंचता ही नहीं आँखों में कोई
दिल तुमको ही चाहे तो क्या कीजिए
ओ मेरे दिल के चैन
चैन आए मेरे दिल को दुआ कीजिए
यूँ तो अकेला भी अक्सर
गिर के संभल सकता हूँ मैं
तुम जो पकड़ लो हाथ मेरा
दुनिया बदल सकता हूँ मैं
माँगा है तुम्हें दुनिया के लिए
अब खुद ही सनम फैसला कीजिए
ओ मेरे दिल के चैन
चैन आए मेरे दिल को दुआ कीजिए
यह सब देखकर अन्य रोने लगता है और कहता है, "शोभित, मैं सपना नहीं देख रहा ना? हम और आप साथ रहेंगे ना? मैं हमेशा आपके साथ ही रहना चाहता हूँ। प्लीज, मुझे कभी धोखा मत दीजिएगा, वर्ना मर जाऊँगा आपके बिना।"
शोभित उसे गले लगाकर कहता है, "अगर तू अलग भी हुआ ना, तो भी मैं जबरन तुझे अपने पास ले आऊँगा। आई मीन इट, माय बीयर। मेरा तो एक ही सपना है कि एक दिन तू मुझसे भी बड़ा सिंगिंग स्टार बने। जब मेरी शादी हो जाए, तो मेरा हर दिन की शुरुआत तेरे इस प्यारे से चेहरे से हो।"
फिर वह उसे लेकर उसके घर छोड़ देता है। अन्य जब घर पहुँचता है तो देखता है कि घर पर कुछ लोग शगुन का सामान लेकर आए थे। वो उसे देकर चले जाते हैं।
अन्य यह सब देखकर शॉक में था। क्योंकि उसमें बहुत सारे कपड़े, जूते, बैग और भी कई सारी ब्रांडेड चीज़ें थीं। अन्य अंदर जाकर अपने कपड़े बदलकर आता है तो देखता है कि उसकी मौसी और मौसा परेशान हैं।
पूर्वा: "यह सब क्या हो रहा है? वो लोग इतने एक्साइटेड हैं। पर मयंक तो मयूर के पास जाने के लिए तैयार नहीं है।"
राजेश: "मयंक को समझाओ। अगर हमने उसे मना किया तो हम फिर से सड़क पर आ जाएँगे। पहले तो कम से कम नौकरी थी, पर अब तो वह भी नहीं है। हमें भीख ही माँगना होगा। और कुछ करने लायक वह नहीं छोड़ेंगे।"
मयंक: "डैड, अगर आपने मजबूर किया तो जहर खाकर जान दे दूँगा।" यह कहकर वह अपने रूम में चला जाता है।
अन्य को यह बात समझ नहीं आ रही थी कि मयंक भाई अपने हसबैंड के साथ रहना क्यों नहीं चाहते हैं। वह अपने विचार को झटक कर डिनर तैयार करने लगता है।
कुछ दिन बाद शोभित उसे अपने पास बुलाता है। वह अन्य को अपने साथ लेकर एक मंदिर आता है। उस मंदिर की यह मान्यता थी कि अगर कोई अपने पार्टनर के नाम की चुनरी माता को चढ़ाकर अपने पार्टनर को पहना दे तो वह कभी अलग नहीं होते हैं।
यह जानकर अन्य भी माता को चुनरी चढ़ाने की जिद करता है और एक चुनरी खरीदकर शोभित के नाम से चढ़ा देता है।
पंडित: "बेटा, भगवान तुम्हारी मनोकामना पूरी करे।" कहकर वह चुनरी अन्य को देता है।
अन्य उसे लेकर शोभित को ओढ़ाने जाता है, पर वह हवा से उड़कर दूसरी ओर चली जाती है। अन्य यह सब देखकर घबरा जाता है। दूसरी ओर वह चुनरी आकर एक लड़के पर गिरती है। उस लड़के को कुछ समझ नहीं आता है। वह उसे माता का प्रसाद समझकर रख लेता है।
पुजारी जी ने इस घटना को बड़े ध्यान से देखा था। वह कहते हैं, "यह पहली बार है कि किसी और के नाम की चुनरी किसी और के पास चली गई। इसका मतलब यह है कि माता ने उसे इस बच्चे के लिए खुद चुना है।"
अन्य: "ये क्या हो गया? शोभित, मैं आपसे दूर नहीं जाना चाहता। मैं एक चुनरी नहीं संभाल पाया तो आपका प्यार कैसे संभालूँगा? प्लीज, माफ़ कर दीजिए।"
शोभित: "बीयर, जस्ट चिल। हवा थी इसलिए चुनरी उड़ गई, इसमें इतना क्या सोचना? तुम शांत हो जाओ।" यह कहकर वह उसे लेकर वहाँ से निकल जाता है।
एक दिन शोभित अन्य से मिलने आता है। वह देखता है कि अन्य बहुत टेंशन में था।
शोभित: "क्या हुआ जो इतने परेशान हो?"
अन्य: "पता नहीं, बस ऐसे ही। आपने मुझे यहाँ क्यों बुलाया है?"
शोभित: "बीयर, एक बहुत ही इम्पॉर्टेंट प्रोजेक्ट के लिए मुझे कुछ समय के लिए बाहर जाना होगा। थोड़ी देर बाद निकल रहा हूँ, इसलिए चाहता हूँ कि तुम जाने के पहले मेरे पास रहो।"
अन्य: "आपका जाना ज़रूरी है? प्लीज, मत जाइए ना। पता नहीं क्यों मेरा दिल बहुत घबरा रहा है। ऐसा लग रहा है कि कुछ ऐसा होने वाला है जो नहीं होना चाहिए। रुक जाइए ना।"
शोभित: "बीयर, ऐसे जिद मत करो। अगर यह प्रोजेक्ट नहीं हुआ तो मेरी कंपनी को बहुत लॉस होगा। मेरे लिए यह प्रोजेक्ट पूरा होना बहुत ज़रूरी है। जैसे ही यह प्रोजेक्ट खत्म होगा मैं तेरे पास आ जाऊँगा। लव यू बीयर।" यह कहकर वह उसके माथे पर किस कर लेता है।
अन्य भी अब आगे कुछ और नहीं बोलता है। वह नहीं चाहता था कि उसकी वजह से शोभित का नुकसान हो। इसलिए वह अपने आप को संभाल लेता है और उसे बाय कर देता है। उसे बहुत ज़्यादा घबराहट हो रही थी। वह उसे जाते देखता रहता है।
अगले भाग में जारी.....
अब शोभित के गए पन्द्रह दिन बीत चुके थे। अन्य को उसकी बहुत याद आ रही थी। वह रोज सोचता था कि आज शोभित वापस आ जाएगा।
दो दिन बाद मयंक और मयूर की शादी थी। पूर्वा, अन्य और मयंक तथा राजेश के साथ मुंबई आ गए थे। वह अब भी मयंक को समझाने की कोशिश कर रहे थे, पर वह समझने को तैयार नहीं था।
आखिरकार शादी का दिन आ गया था। सारी तैयारियाँ पूरी थीं। सारे इंतज़ाम सही से थे। मयंक की शादी में अन्य की माँ भी आई थी। वह बहुत खुश थी और अपनी बहन को बार-बार बधाई दे रही थी।
अन्य दूर से ही अपनी माँ को देखकर खुश था। वह अपनी माँ के पास जाना चाहता था, पर वह इसकी हिम्मत नहीं कर पा रहा था।
पूर्वा शादी के कपड़े लेकर मयंक के पास जाती है। मयंक अपने हाथ में चाकू लेकर अपनी नस काटने की कोशिश कर रहा था, पर हिम्मत नहीं कर पाया था।
पूर्वा उसे ऐसे देखकर शॉक हो जाती है। वह जल्दी से उसके हाथ से चाकू छीन लेती है।
"मयंक बेटा, ये क्या हरकत थी? अगर तुझे कुछ हो जाता तो मेरा क्या होता? मैं तो मर ही जाती ना। ये करने से पहले एक बार भी मेरे बारे में नहीं सोचा।" पूर्वा बोली।
"अपनी ज़िन्दगी घुट-घुट कर बिताने से अच्छा मर जाना है। यह शादी मेरी ज़िन्दगी में घुटन ला देगी। मैं उस खड़ूस के साथ कैसे अपनी लाइफ़ बिता सकता हूँ जो पूरे वर्ल्ड में अपने रूड और एरोगेंस के लिए फेमस है? बाद में भी वह कभी मुझे अलग नहीं होने देगा। मेरी ज़िन्दगी बर्बाद हो जाएगी। प्लीज़ माँ, मुझे बचा लो।" मयंक ने कहा।
उसी समय राजेश भी कमरे में आता है। उन दोनों को ऐसे देखकर कहता है, "क्या हुआ? तुम तैयार क्यों नहीं हुए? बारात भी आ गई है।"
तभी पूर्वा उसे जो हुआ सब बताती है और कहती है,
"आपको तो अपने बच्चे की कभी फ़िक्र ही नहीं हुई है। कुछ भी करके यह सब रोको।"
"हम एक काम कर सकते हैं। अगर मयूर की शादी मयंक की जगह किसी और से करा दी जाए तो सब ठीक हो जाएगा। ऐसे भी मैंने अपना सारा बिज़नेस सेट अप लंदन में तैयार कर लिया है। कुछ ही दिन में हम वहाँ शिफ़्ट हो जाएँगे, फिर हमें कोई खतरा नहीं रहेगा।" राजेश ने कहा।
"पर ऐसा लड़का मिलेगा कहाँ?" पूर्वा ने पूछा।
"अन्य किस दिन काम आएगा? हम उसकी शादी मयूर से करा देते हैं। किसी ने भी मयंक को नहीं देखा है। ऐसे भी मयूर एक सक्सेसफ़ुल बिज़नेस मैन है। वह उसके साथ खुश रहेगा। वह तुमसे तो कम ही खड़ूस होगा। अन्य जब तेरे साथ रह सकता है तो किसी के भी साथ रह जाएगा।" राजेश ने कहा।
अन्य जो कुछ काम से अपने मौसी को खोजते हुए वहाँ आया था, वह यह सब सुनकर शॉक हो जाता है। उसे यह सुनकर धक्का लगता है।
"मौसा जी, ये आप क्या कह रहे हैं? मैं यह शादी नहीं कर सकता। वह तो भाई के हसबैंड हैं। फिर उनकी शादी मुझसे कैसे हो सकती है?" अन्य ने कहा।
राजेश ने खींचकर एक जोरदार थप्पड़ उसे मारते हुए कहा, "मैं तुझसे पूछ नहीं रहा, बल्कि बता रहा हूँ कि तेरी शादी मयूर से होगी। ये लो कपड़े और तैयार होकर आ जाओ।" यह कहकर वह उसे कपड़े दे देता है और कमरा बंद कर देता है।
अन्य किसी तरह उस कमरे से बाहर निकलकर मयूर के कमरे में आता है। उसने अपने कपड़े बदल लिए थे। वह मयूर को खोज रहा था।
वह मयूर के कमरे में जाकर मयूर को खोजता है जो अपने कमरे में नहीं था। वह जल्दी से एक लेटर में सारी सच्चाई लिखकर रख देता है। वह उम्मीद कर रहा था कि मयूर उस लेटर को पढ़कर शादी से इंकार कर दे।
राजेश जब उसे मयूर के कमरे के पास देखता है तो वह उसे वहाँ से खींचकर ले आता है और एक कमरे में ले जाता है जहाँ पर पूर्वा भी थी।
"अन्य, चुपचाप मेरी बात मानकर यह शादी कर लो। अगर मेरी बात नहीं मानी तो मैं तेरी बहन विन्नी की जान ले लूँगा।" राजेश ने कहा।
"मौसा जी, आप ऐसा क्यों कर रहे हैं? आप उन्हें सच्चाई बता दीजिये तो सब सही हो जाएगा।" अन्य ने कहा।
"मुझे क्या करना है यह मैं अच्छे से जानता हूँ। तेरी बहन और माँ दोनों ही गन पॉइंट पर हैं। इसलिए चुपचाप वह करो जो मैं कह रहा हूँ। यह बात कि तू मयंक नहीं, अन्य है, यह वहाँ किसी को पता नहीं चलनी चाहिए, वर्ना मैं वही करूँगा जो कहा है। तेरी माँ और बहन को खत्म कर दूँगा। इसलिए चुपचाप अपना हुलिया ठीक करो और मेरे पास आओ। तू जानता है कि मैं ऐसा कर सकता हूँ।" राजेश ने धमकी दी।
अन्य उसकी बात को मानकर तैयार होकर आ जाता है। उसकी आँखों में आँसू थे। वह चुपचाप खड़ा हो जाता है। वह अपनी माँ और बहन को खतरे में डालना नहीं चाहता था। आज उसकी हालत समझने वाला कोई नहीं था।
उसी समय पूर्वा कहती है, "अब हमें चलना चाहिए। सब लोग इंतज़ार कर रहे हैं। अगर नहीं पहुँचे तो शक हो सकता है कि हमें इतना समय कहाँ लग रहा है।" फिर वह अन्य के साथ बाहर आ जाती है।
मयूर मंडप में बैठकर शादी की विधियाँ कर रहा था, जिसे देखकर अन्य यह समझ गया कि उसने उसकी चिट्ठी नहीं पढ़ी है। अन्य को बुलाकर उसके बगल में बिठा दिया जाता है। उसका मुँह पूरा ढका था। अन्य मयूर को कुछ बोलने की कोशिश करता है तो देखता है कि उसकी माँ गनर के निशाने पर है। वह चुपचाप शादी की विधियाँ करने लगता है। धीरे-धीरे उन दोनों की शादी कंप्लीट हो जाती है। अन्य की आँखों से आँसू गिरने लगते हैं। सब को यह लगता है कि अपने माँ-बाप से दूर होने का सोचकर वह रो रहा है।
उसी समय शोभित वहाँ आता है। वह मयूर को बधाई देता है। उसे वहाँ देखकर अन्य उससे बात करना चाहता है, पर वह कुछ रिएक्ट करता, उससे पहले ही उसकी नज़र अपनी बहन पर जाती है जो छत की रेलिंग के पास खड़ी थी। अगर एक धक्का लगता तो वह सीधे खाई में गिर जाती क्योंकि उस ओर खाई था। एक आदमी बिलकुल उसके पास खड़ा था। वह आगे कुछ नहीं करता है। शोभित वहाँ से वापस चला जाता है।
अन्य को मयूर के कमरे में लाया जाता है। मयूर बाहर अपने दोस्तों से बात कर रहा था। अन्य अपनी लिखी चिट्ठी खोज रहा था जो उसे नहीं मिली। वह सोचता है कि शायद उसके मौसा जी ने उस चिट्ठी को वहाँ से हटा दिया है।
कुछ देर बाद अन्य की विदाई हो जाती है। वह मयूर के साथ बैठा था। वह लगातार खिड़की की तरफ़ देख रहा था। उसने अपने हाथ से शोभित की दी रिंग निकालकर अपने पाकेट में रख ली। वह अब मैरिड था इसलिए वह यह अंगूठी नहीं पहन सकता था।
मयूर गाड़ी में बैठे हुए अपने एक हाथ से उसके हाथ को कसकर पकड़ लेता है। अन्य अपना चेहरा खिड़की से नहीं हटाया। मयूर बहुत प्यार से उसे देखे जा रहा था। आज इतने सालों बाद उसका प्यार उसकी वाइफ़ उसके पास उसके साथ बैठा है, यह सोचकर ही वह बहुत खुश था। अब उस बेचारे को क्या पता कि उसके साथ क्या हुआ है।
वह अन्य के साथ अपने घर पहुँचता है। वह कार से निकलकर अन्य की तरफ़ का दरवाज़ा खोलकर उसकी ओर अपना हाथ बढ़ाता है। अन्य ना चाहते हुए भी उसका हाथ पकड़ लेता है और कार से बाहर निकल जाता है।
"वेलकम इन माय लाइफ़ वाइफ़ी। बहुत साल इंतज़ार किया है। आई लव यू वाइफ़ी।" यह कहकर वह चुपके से उसके गालों पर किस कर लेता है। यह देखकर अन्य फ़्रिज़ हो जाता है। मयूर उसके हाथों को पकड़कर कहता है, "वाइफ़ी, जानते हो तेरा नाम मयंक इसलिए पड़ा क्योंकि तू मेरा है। आज मैं तुझे नहीं छोड़ूँगा। इतने साल जो मुझसे दूर रहा है ना, सबकी कसर निकालूँगा। रात का इंतज़ार करना।" यह कहकर वह उसे आँख मार देता है।
गृह प्रवेश की रस्म के बाद उन दोनों को कमरे में ले जाया जाता है। मयूर अन्य को अपने बाहों में भर लेता है, उसी समय उसे एक इम्पोर्टेन्ट कॉल आ जाता है और वह चला जाता है।
अन्य जाकर फ़्रेश हो जाता है। उसने अभी जीन्स और टीशर्ट पहन रखी थी। वह बेड पर बैठकर रोने लगता है। उसे अपनी और शोभित की एक साथ बिताए सारे पल याद आ रहे थे, जिसे याद कर वह हँस और रो दोनों रहा था। ऐसे ही वह सो जाता है। मयूर जब कमरे में वापस आता है तो वह देखता है कि अन्य सोया हुआ है तो वह उसे डिस्टर्ब नहीं करता और उसे अच्छे से ब्लैंकेट से कवर कर देता है। फिर वह उसके आँखों पर हल्के से किस कर देता है और बाहर चला जाता है।
अगले भाग में जारी......
थोड़ी देर बाद अन्य की नींद टूट गई। उसने सोचा कि वह शोभित को सच कैसे बताएगा। अगर शोभित ने सब मयूर को बता दिया तो उसकी माम की जान खतरे में पड़ सकती थी। वह शोभित को कुछ भी नहीं बता सकता था।
उसी समय उसके कमरे में मीनल आई। मीनल और अन्य लगभग एक ही उम्र के थे। वह आकर उसका पैर छूने लगी।
"अन्य- इसकी ज़रूरत नहीं है। हम दोनों फ्रेंड की तरह रह सकते हैं। आप ऐसे भी हमारी ही ऐज की हैं।"
"मीनल- भाभी, दादी और माम आपको नीचे बुला रही हैं। आप प्लीज ये कपड़े पहनकर आ जाइए।" यह कहकर वह चली गई।
अन्य वो कपड़े लेकर चेंजिंग रूम में चला गया। वह कपड़े बदलकर आया। उसने देखा कि नीचे रश्मों की तैयारी चल रही थी। उसे नीचे आता देखकर पूजा अपने पास ले आई।
"पूजा- मयंक बेटे, इनसे मिलो।" यह कहकर वह एक बूढ़ी औरत की तरफ इशारा करते हुए बोली, "ये मयूर की दादी हैं और हमारी बुआ हैं।"
अन्य उनके पास जाकर उनके पैर छुए। उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया। उनकी शक्ल से ही पता चल रहा था कि उन्हें अन्य पसंद नहीं आया था। वह अपने पहचान में शादी कराना चाहती थीं।
पूजा जीत के पास जाकर बोली, "अब इससे मिलो, यह जीत है। यह तुम्हारा देवर है। एक बात याद रखना, यह अपने भाई और दोस्त से बहुत प्यार करता है। एक तरह से समझो कि आज मेरे बेटे जीत ने तुझे अपना भाई सौंपा है।"
"अब इससे मिलो, यह मीनल है, तेरी ननद है। यह बहुत मासूम और नटखट है। यह इस घर की लाडली है। मयूर और जीत इसे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करते हैं।"
"अन्य- अब से यह हमारी भी प्यारी बहन और दोस्त दोनों है।"
तभी पूजा के पास आकर परमवीर खड़ा हो गया। उन्हें देखकर अन्य उनके पैर छूते हुए बोला, "डैडी जी, प्रणाम।"
उसकी बात सुनकर परम हँसने लगा। फिर वह बोला, "उसके पैर छूने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि वो अभी भी मयूर और जीत से ज़्यादा यंग है।" उसकी बात पर सब हँस पड़े और पूजा बोली, "अब इसकी आदत डाल लीजिए क्योंकि हमारी बहू बड़ों का सम्मान करना जानता है।" फिर उसे बाकी रिश्तेदारों के पास लाया गया। ऐसे ही एक-एक कर उसे सबसे मिलवाया जा रहा था।
फिर उसे एक जगह बिठा दिया गया। वहाँ पर मयूर भी बैठा था जो बहुत प्यार से उसे देख रहा था। मयूर को देखकर अन्य को भी अजीब लग रहा था। उसकी आँखों में वह अपने लिए प्यार देख सकता था।
उन दोनों के बीच में एक बर्तन रखा गया। उसमें रंगीन पानी था। उसमें एक अंगूठी डाली गई।
"पूजा- बेटा, तुम दोनों को अंगूठी खोजना है। यह प्रक्रिया तीन बार होगी। जिसने ज़्यादा बार इसे निकाला वह विजेता होगा। आगे जाकर घर पर उसी का राज होगा। चलो शुरू करो।"
वह दोनों उस बर्तन में अपने हाथ डालकर अंगूठी खोजने लगे। सब मिलकर उन दोनों की हौसला अफ़ज़ाई कर रहे थे। जैसे ही मयूर का हाथ अन्य से छू गया, अन्य फ़्रीज़ हो गया। उसके हाथों ने हरकत बंद कर दी। इस कारण से तीनों बार ही मयूर जीता।
"पूजा- यह गेम मयूर जीता। इस कारण यह अंगूठी इसकी हुई।" यह कहकर वह उसके हाथ में अंगूठी दे दी।
मयूर अन्य के पास आकर उसका हाथ पकड़कर उसकी रिंग फ़िंगर में वह अंगूठी पहना दी और सबके बीच में बोला, "मैं चाहे कोई भी गेम जीत जाऊँ, पर मेरी ज़िंदगी सिर्फ़ तुम्हारी होगी। आई एम ओनली योर्स माय डियर वाइफ मयंक मयूर सिंघानिया।" उसकी बात सुनकर सब ताली बजाने लगे।
"जीत- भाभी, मेरा भाई तो आपसे दीवानों की तरह प्यार करता है। उसका ख्याल रखना।"
अन्य अपना सर हिला दिया। अन्य को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। वह ना सच बता पा रहा था और ना वह मयूर को धोखा देना चाहता था। वह शोभित के साथ भी बेवफ़ाई नहीं करना चाहता था।
ऐसे ही वह सारी रस्में कराए गए जो भी होने थे। उन सबके खत्म होने के बाद सब डिनर के लिए इकट्ठा हुए। डिनर कंप्लीट करने के बाद सब हाल में थे। उस समय सब लोग मिलकर मयूर को छेड़ रहे थे। अन्य चुपचाप बैठा हुआ था।
"परम- अब रात बहुत हो चुकी है। सब लोग थके हैं। सब सोने जाओ। आज सबको बहुत अच्छी नींद आएगी। बस दो को छोड़कर सब सो जाएँगे।" यह सुनकर मयूर बहुत शर्मा गया।
"परम- मयू बेटा, तुम मयंक को अपनी गोद में उठाकर रूम में ले जाओगे। यह इस घर की परंपरा है।"
मयूर अन्य के पास आकर उसे अपनी गोद में लेकर अपने रूम चला गया और उसके जाते ही बाकी लोग भी सोने चले गए।
मयूर अन्य को बेड पर रखता है और वह फ़्रेश होने चला जाता है। अन्य ने भी अपने कपड़े चेंज कर लिए थे। उसने ब्लू कलर का नाइट सूट पहना था जिसमें वह बहुत क्यूट लग रहा था। वह आकर बेड पर बैठ जाता है।
थोड़ी देर बाद मयूर सिर्फ़ बाथरोब में बाहर निकला। उसने अभी नहाया था जिस कारण वह बहुत अट्रैक्टिव और हॉट लग रहा था। पर अन्य अपने ख्यालों में ही उलझा हुआ था। आज जो कुछ भी उसके साथ हुआ, यह सब सोचकर वह बहुत परेशान था। वह सब उसके दिमाग में एक फिल्म की तरह चल रहा था। एक ही दिन में उसके साथ बहुत ग़लत हो गया था। वह अब किसी और का हो गया था। उसका प्यार उससे अलग हो गया था। उसका ध्यान तब टूटता है जब उसे अपने हाथ पर किसी और का हाथ फील होता है। वह देखता है कि मयूर केवल बाथरोब में उसके करीब आकर बैठा है और अपने एक हाथ से उसका हाथ पकड़कर रखा था।
"मयूर- वाइफी, आई लव यू सो मच। मैंने हर साल, हर महीने, हर सप्ताह, हर दिन, हर घंटे और हर पल तेरा वेट किया है।"
यह सुनकर अन्य को हँसी आ जाती है और वह कहता है, "आप मिनट और सेकंड भूल गए।" उसकी बात ने अन्य को उस सिचुएशन में भी हँसी दिला दी थी।
मयूर उसे हँसते देखकर उसमें खो गया था। वह अभी बहुत प्यारा लग रहा था। मयूर आगे बढ़कर उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर उसे किस करने लगता है। अन्य की आँखों में आँसू आ जाते हैं। किस करते हुए ही वह अन्य को बेड पर लिटा देता है। फिर वह किस को ब्रेक कर उसके नाइट वेयर को कंधे से नीचे कर किस करता है तो अन्य की आँखें बहने लगती हैं। यह महसूस कर मयूर एक बार अन्य को देखता है तो वह रो रहा था। वह झटके से उससे अलग हो जाता है।
मयूर उसे अपनी बाहों में थाम लेता है। फिर उसे शांत करने लगता है।
कुछ देर बाद मयूर अन्य से पूछता है कि क्या हुआ और वह रो क्यों रहा है।
"अन्य- मैं अभी इस चीज़ के लिए तैयार नहीं हूँ। मैं यह नहीं करना चाहता। मुझे अभी समय चाहिए।"
उसकी बात ने मयूर को गुस्सा दिला दिया था। वह अन्य से कहता है, "वाइफी, मैंने पूरे अठारह साल तक तेरा इंतज़ार किया है। तुम नहीं चाहते यह सब करना तो ठीक है। जब तक तुम खुद मेरे पास नहीं आओगे, मैं तेरे पास नहीं आऊँगा। ना ही हम तुझे टच करेंगे।" यह कहकर वह गुस्से से कमरे से निकल गया।
अन्य अपने को ठीक करता है और रोने लगता है। फिर वह सो जाता है।
अगले भाग में जारी...
अगले दिन, जब अन्य की नींद खुली, तो उसने देखा कि मयूर कमरे में नहीं था। वह जल्दी से फ्रेश होकर नीचे गया और उसे खोजने लगा। उसे मयूर के लिए बुरा लग रहा था। उसने देखा कि मयूर नीचे हाल में एक सोफे पर अपने पैर मोड़कर सोया हुआ था।
अन्य - "जी सुनिए। आप प्लीज जाकर अपने कमरे में सो जाइए। यहाँ आपको दिक्कत हो रही है।"
मयूर उठकर बैठ गया और गुस्से से कहा, "अब मेरे यहाँ सोने से भी तुम्हें प्रॉब्लम है तो ठीक है। कल से मैं जीत के साथ सो जाऊँगा। फाइन।"
अन्य - "आप मुझे माफ़ कर दीजिए। इतना गुस्सा मत कीजिए। आपने इतने साल वेट किया है तो मेरी यह माँग नहीं मान सकते हैं? पहली बार आपसे कुछ माँगा है। बस मुझे थोड़ा समय चाहिए। आप हमारे कमरे में चलिए। प्लीज।"
मयूर - "ठीक है। तुम्हें जितना टाइम चाहिए ले लो। तुमने मुझसे पहली बार कुछ माँगा है तो वह तुम्हें ज़रूर दूँगा। पर मेरे मरने से पहले ज़रूर मान जाना, वर्ना मुझे कुँवारा ही मरना पड़ेगा। मैं अभी भी वर्जिन हूँ।"
अन्य - "आप कमरे में चलिए। ऐसे अच्छा नहीं लगता है। सारी कल रात के लिए।"
अन्य की बात मानकर मयूर अपने कमरे में जाकर सो गया। अन्य भी उसके पीछे चला गया।
यह सब दो लोग देख रहे थे। ये कोई और नहीं, पूजा और जीत थे। उन दोनों ने रात को ही देख लिया था कि मयूर गुस्से में नीचे आकर सोफे पर सो गया था। यह सब देखकर वे यह समझ गए थे कि उन दोनों का झगड़ा हो गया है। वे दोनों सुबह में मयूर से बात करने का सोचते हैं।
जीत पूजा से - "माम, मुझे नहीं लगा था कि भाभी इतनी आसानी से भाई को मना लेगी। उन्होंने बहुत आराम से सारी बातें संभाल लीं। अब मुझे पूरा यकीन है कि भाभी के आने के बाद मेरा भाई इस दुनिया का सबसे लकी इंसान है।"
पूजा - "हाँ, तेरे भाई को जैकपॉट लग गया है। बस वह उसे अच्छे से संभाल कर रखे। उसे अपने गुस्से में हर्ट ना करे।"
थोड़ी देर बाद पूजा मयूर के कमरे का दरवाज़ा नॉक करती है। अन्य दरवाज़ा खोलता है। वह देखता है कि सामने पूजा खड़ी है। वह पैर छूकर प्रणाम करता है और कहता है - "आंटी, बाहर क्यों खड़ी हैं? अंदर आकर बैठ जाइए।" यह कहकर वह दरवाज़े से हट जाता है।
पूजा अंदर जाकर काउच पर बैठ जाती है। वह देखती है कि मयूर आराम से बेड पर सोया है। उसका पूरा कमरा क्लीन है। सारी चीज़ें अपनी जगह पर रखी हैं।
पूजा बहुत प्यार से अन्य को अपने पास बुलाती है, जो बेड पर मयूर के पैर के पास बैठा था।
पूजा - "बेटा, अब मैं आंटी नहीं, माम हूँ, तो मुझे माम कहना। ये कपड़े लो और बदल लो। आज तेरी पहली रसोई है। क्या तुम खाना बनाना जानते हो? अगर नहीं भी जानते तो कोई बात नहीं है। यहाँ बहुत लोग हैं जो तेरी मदद कर देंगे।"
अन्य - "माँ, मुझे खाना बनाना आता है। यह कैसे नहीं आएगा? बचपन से तो यही किया है।"
पूजा - "मतलब?"
पूजा की बात सुनकर अन्य का ध्यान अपनी बात पर जाता है। वह बात संभालते हुए कहता है, "माँ, मुझे बचपन से ही कुकिंग करने का शौक था, जिस कारण खाना बनाना सीख लिया।"
पूजा - "ठीक है। ये कपड़े पहनकर आ जाओ और हम सबको भी अपने हाथ का खाना खिलाओ।" यह कहकर वह वहाँ से चली जाती है।
थोड़ी देर बाद अन्य मयूर के साथ नीचे आता है। मयूर की आज छुट्टी थी। इसलिए वह अपने कैज़ुअल में था, जिसमें वह बहुत हैंडसम लग रहा था। वह आकर सोफे पर परम और जीत को ज्वाइन कर लेता है।
वहीं अन्य किचन में जाकर ब्रेकफ़ास्ट तैयार करने लगता है। कुछ ही देर में वह सब कुछ बनाकर डाइनिंग टेबल पर रख देता है।
सब लोग मिलकर ब्रेकफ़ास्ट करने लगते हैं। अन्य सबको सर्व कर रहा था। अन्य मयूर के पास जाकर उसके प्लेट में पराठे डालते हुए कहता है, "आप नहीं ले रहे? आपको पसंद नहीं आया? जो आपने अभी तक एक भी पराठा खत्म नहीं किया।"
मीनल - "भाभी, थोड़ा ध्यान हम पर भी दे दीजिए। हम भी यहाँ हैं। या सारा प्यार सिर्फ़ भाई के लिए है।"
अन्य - "ऐसी बात नहीं है। आप भी लीजिए। मैं और पराठा लेकर आता हूँ।" यह कहकर वह वहाँ से हट जाता है। यह सब सुनकर उसे अजीब फील हो रहा था।
ऐसे ही सब लोग ब्रेकफ़ास्ट खत्म कर लेते हैं।
परम - "मायू बच्चा, आप मयूर के पास आओ।"
अन्य उसकी बात मानकर मयूर के पास आकर खड़ा हो जाता है।
परम उसे गिफ्ट देता है। सभी बड़े उसे उसकी पहली रसोई की तारीफ़ करते हैं और गिफ्ट देते हैं।
आज शाम को अन्य की मुँह दिखाई थी। सब लोग उसकी सुंदरता की तारीफ़ कर रहे थे। उसी समय एक औरत कहती है, "खूबसूरत होना अलग है और गुणी होना अलग। मेरी बहू देखने में सुंदर नहीं है, पर बहुत गुणी है। वह क्या मीठे-मीठे भजन गाती है। पूजा, क्या यह भजन गा सकता है?"
पूजा - "लता यार, रहने दे। यह सब क्यों कर रही है?"
लता - "गा सकता है तो बोलो कि गाए।"
उसकी बात सुनकर अन्य को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। वह पूजा को ऐसे एम्बैरेस्ड नहीं देख पा रहा था क्योंकि वह जब से इस घर में आया था, पूजा ने उसका बहुत केयर किया था।
वह गाने लगता है-
"तू प्यार का सागर है
तू प्यार का सागर है
तेरी एक बूंद के प्यासे हम
तेरी एक बूंद के प्यासे हम
लौटा जो दिया तुमने
चले जाएँगे जहाँ से हम
चले जाएँगे जहाँ से हम
तू प्यार का सागर है
तू प्यार का सागर है
तेरी एक बूंद के प्यासे हम
तेरी एक बूंद के प्यासे हम
तू प्यार का सागर है
घायल मन का पागल पंछी
उड़ने को बेकरार
उड़ने को बेकरार
पंखों के कोमल आँखें हैं धुंधली
जाना है सागर पार
जाना है सागर पार
अब तू ही इसे समझा
अब तू ही इसे समझा
राह भूले थे कहाँ से हम
राह भूले थे कहाँ से हम
तू प्यार का सागर है
तेरी एक बूंद के प्यासे हम
तेरी एक बूंद के प्यासे हम
तू प्यार का सागर है
इधर झूम के गाए ज़िंदगी
उधर है मौत खड़ी
उधर है मौत खड़ी
कोई क्या जाने कहाँ है सीमा
उलझन आन पड़ी
उलझन आन पड़ी
कानों में जरा कह दे
कानों में जरा कह दे
कि आए कौन दिशा से हम
कि आए कौन दिशा से हम
तू प्यार का सागर है
तेरी एक बूंद के प्यासे हम
तेरी एक बूंद के प्यासे हम
तू प्यार का सागर है
तू प्यार का सागर है"
उसका भजन सुनकर सब लोग वाह-वाह करने लगते हैं। सब फ़ंक्शन आसानी से समाप्त हो जाता है।
मयूर अन्य से - "मैं नहीं जानता था कि मेरी वाइफ़ इतना अच्छा गाती है। और क्या-क्या छुपाकर रखा है स्वीटहार्ट।" फिर वह उसके माथे पर लाइट किस कर देता है।
अन्य और मयूर की शादी का दो महीना बीत गया था। अन्य मयूर की हर ज़रूरत का ख्याल रखता था, पर अब भी उसके करीब नहीं गया था। मयूर ने भी उसकी बात मानकर कभी जबरदस्ती करने की कोशिश नहीं की। वह अब भी मयंक का इंतज़ार कर रहा है कि वह खुद आगे बढ़े और दोनों का रिश्ता कंप्लीट हो जाए।
अगले भाग में जारी.......
एक दिन मीनल अन्य के पास आई। अन्य किचन में पूजा के साथ खाना बना रहा था और साथ ही मयूर की फेवरेट फूड बनाना भी सीख रहा था। दस दिन बाद मयूर का बर्थडे था, जिसमें वह उसे यह बनाकर सरप्राइज़ देना चाहता था। अन्य एक दोस्त की तरह मयूर को पसंद करने लगा था।
मीनल- माम, भाभी मुझे आपसे बात करनी है।
पूजा- हाँ, बोलो हम दोनों सुन रहे हैं।
मीनल- माम, बात यह है कि मैं चाहती हूँ कि आज हम सब पिकनिक पर चलें। इसी बहाने भाभी भी हमारा शहर घूम लेंगी। जब से उनकी शादी हुई है, वे कभी बाहर नहीं निकली हैं।
यह कहते हुए उसका हाथ गलती से कढ़ाही से सट गया और वह जल गई क्योंकि वह अभी भी गैस पर चढ़ा था।
अन्य उसके हाथ को पकड़कर पानी के नीचे रखा। फिर उसने उसे किचन से निकाल कर बाहर हाल में सोफ़े पर बिठा दिया। उस समय पर सब लोग आ गए। वे लोग कुछ कहते, उसके पहले ही पूजा ने इशारे से उन्हें चुपचाप सामने देखने के लिए कहा।
सब लोग सामने देख रहे थे जहाँ अन्य बर्फ लेकर उसके जले की सिकाई कर रहा था। उसकी आँखों में आँसू थे। उसने उसका फर्स्ट एड कर दिया।
अन्य- आप प्रॉमिस करो कि आप ऐसी लापरवाही दुबारा नहीं करेगी। आपको कितना दर्द हो रहा होगा।
मीनल- आप अगर मेरी एक बात मान जाएँगे तो मुझे जरा भी दर्द नहीं होगा। भाभी, चलिए ना आज हम सब पिकनिक पर चलते हैं।
अन्य- ठीक है। पर आप अपना पूरा ख्याल रखेगी और कोई लापरवाही नहीं करेगी। ओके।
मीनल- जी भाभी, आपकी हर बात मंजूर है। अब चलो चलते हैं।
अन्य- पहले पिकनिक की तैयारी कर लेते हैं, फिर हम सब चलेंगे।
यह कहकर वह पिकनिक की तैयारी करने चला गया। मीनल भी अपने कमरे में आराम करने गई क्योंकि अन्य ने उससे कहा था।
परम- मुझे नहीं पता था कि ननद-भाभी के बीच इस तरह की बॉन्डिंग है। मीनल का हाथ जल गया और उसने घर में सर नहीं उठाया और तो और मयंक को शांत करने के लिए रोई भी नहीं। उसके बदले मयंक ही रो रहा था। एक ही बार में उसकी बात मान ली।
पूजा- हमारे हाथ हीरा लगा है जिसने हमारे बीच के बंधन को और मज़बूत कर दिया है।
जीत और मयूर भी आकर उनके गले लग जाते हैं।
पिकनिक की तैयारी करते हुए ही अन्य को याद आता है कि उसने तो किसी से पूछा ही नहीं है।
अन्य- डैड, हब्बी और जीत भैया, आप हमारे साथ पिकनिक पर चलेंगे। मैंने और मीनल ने आज पिकनिक का प्रोग्राम बनाया है। माम, आप भी साथ रहिएगा, प्लीज़।
मयूर तो अन्य के मुँह से "हब्बी" सुनकर ही शॉक था। इतने दिनों में पहली बार था जब अन्य ने उसे हब्बी कहा था। वह बस उसे "जी सुनिए" कहता था।
मयूर- माम, डैड चलिए ना, वाइफ़ी ने आज पहली बार कुछ कहा है। उसका मन है तो चलते हैं ना।
परम- मयू, तेरी तबीयत ठीक है ना? आज एक ही बार में तू छुट्टी करने के लिए तैयार हो। वरना तू तो कभी नहीं जाता। तुझे मनाते हुए मेरे बाल सफ़ेद हो गए।
मयूर- डैड, प्लीज़। डू नॉट टीज़ मी।
जीत- तू कैसे जा सकता है? आज बहुत इम्पॉर्टेन्ट मीटिंग है। जल्दी से तैयार होकर ऑफ़िस चलो।
मयूर- एक मीटिंग नहीं करूँगा तो गरीब नहीं हो जाऊँगा। मैं ऑफ़िस नहीं जा रहा।
जीत- यार, जिद मत कर। करोड़ों का नुकसान हो जाएगा।
अन्य- हब्बी, कोई बात नहीं, आप जाकर काम कीजिए। मैं, मीनल और माम, डैड के साथ चला जाऊँगा। मैं नहीं चाहता कि आपका लॉस हो। यह आपके रेप्युटेशन के लिए सही नहीं है।
जीत- इट्स ओके भाभी। आज कोई मीटिंग नहीं है। मैं सिर्फ़ इसे छेड़ रहा था। मुझे लगा था कि आप इससे झगड़ा करेगी, पर आप तो इसे ऑफ़िस भेज रहे हैं।
अन्य- मैं कभी भी उनके काम के बीच नहीं आऊँगा। वे हमेशा अपने काम को आगे रखेंगे, यह मेरा वादा है आप सब से।
परम- अब सब जल्दी से चलो। पिकनिक के लिए देर हो रही है।
वो सब पिकनिक के लिए जाते हैं। वहाँ पर वे सब मिलकर खूब मस्ती करते हैं। आज ज़िन्दगी में पहली बार अन्य ने इतनी मस्ती की थी। उसके लिए यह सब बहुत अलग सा था।
मयूर उसे अपने साथ लेकर वह जगह अच्छे से दिखाने लगता है। वह जगह बहुत सुन्दर थी। वहाँ मौजूद झील और उसमें बहता पानी और आस-पास की हरियाली को देखकर कोई आस-पास देखे बिना नहीं रह सकता था। यह जगह अन्य को बहुत पसंद आती है।
अचानक ही मयूर अन्य को अपने पास खींच लेता है। अन्य जाकर सीधे उसके चेस्ट से टकरा जाता है। उसी समय मयूर का बॉडीगार्ड्स का चीफ़ उसके पास आकर खड़ा हो जाता है और कहता है कि सर, मैंने उस आदमी को पकड़ लिया है जिसने सेकेंड फ्लोर पर अभी गोली चलाई।
मयूर उसे जाने का इशारा कर देता है क्योंकि वह अन्य को डराना नहीं चाहता था। अन्य यह देखकर जल्दी से मयूर से पूछता है- आप ठीक हैं ना? कहीं चोट तो नहीं आई?
मयूर- मैं ठीक हूँ। यह सब तो चलता रहता है। चलो हम अपनी छुट्टी इन्जॉय करते हैं।
यह कहकर वह उसे वहाँ ले जाता है जहाँ बाकी लोग थे। इस वाक्ये से अन्य यह समझ गया था कि मयूर की जान को खतरा रहता है। थोड़ी देर इन्जॉय करने के बाद वे लोग घर आ जाते हैं।
कुछ दिन बाद मयूर ऑफ़िस जाने के लिए तैयार हो चुका था। घर के बाकी सदस्य शादी में गए थे। अन्य उनके साथ नहीं गया था क्योंकि वह मयूर को अकेले नहीं छोड़ना चाहता था। जीत भी पूजा और परमवीर के साथ गया था ताकि उनकी जान को कोई खतरा ना हो।
अन्य नहा कर बाथरोब पहनकर अपने बालों को पोछ रहा था। उसी समय उसका मोबाइल बजने लगता है। अन्य फ़ोन उठाकर उसका कॉलर आइडी चेक करता है तो यह फ़ोन मयूर के चीफ़ बॉडीगार्ड का था।
चीफ़ बॉडीगार्ड- सर, मयूर सर कहाँ हैं? वो मेरा फ़ोन नहीं उठा रहे हैं। आप प्लीज़ आज उन्हें मीटिंग में आने से कैसे भी रोक दीजिए। उनकी जान को खतरा है। अगर वो यहाँ आ गए तो हो सकता है उनकी जान चली जाए।
यह सुनकर अन्य को बहुत बड़ा धक्का लगता है। वह फ़ोन रख देता है। उसी समय मयूर फ़ोन लेने कमरे में आता है। वह अपना फ़ोन लेकर जैसे ही जाने लगता है, उसी समय अन्य उसका हाथ पकड़कर कहता है- हब्बी, प्लीज़ आप आज ऑफ़िस मत जाइए। मुझे अकेला लग रहा है।
मयूर- वाइफ़ी, आज बहुत इम्पॉर्टेन्ट मीटिंग है जिसमें रहना ज़रूरी है, वरना बहुत लॉस होगा। मैं मीटिंग जल्द ख़त्म कर आता हूँ।
यह कहकर वह उसके माथे पर किस कर जाने लगता है।
अन्य अपने मन में- कैसे भी करके इसे रोक ले, वर्ना तेरे पति की जान को खतरा है। अगर उसे कुछ हो गया तो तू क्या करेगा?
यह सोचकर अन्य अपने आप में निश्चय करता है कि वह मयूर को रोक कर रहेगा, चाहे उसे जो भी करना पड़े।
अन्य दौड़ते हुए मयूर के पास जाता है और उसका हाथ पकड़ लेता है।
मयूर- वाइफ़ी, मैंने कहा ना मैं नहीं रुक सकता, आज तुझे क्या हो गया है? बच्चों की तरह जिद...
वह उसके आगे कुछ नहीं कह पाता क्योंकि अन्य ने उसे पैशनेट किस करना शुरू कर दिया था। मयूर फिर यह देखकर खुश हो जाता है और उसे किस करने लगता है। थोड़ी देर बाद दोनों अलग होते हैं। मयूर अन्य की आँखों में देख रहा था। आज पहली बार उसने खुद से उसे किस किया था।
अन्य- हब्बी, आई वांट टू बी योर्स, मुझे अपना बना लो। तुम मुझमें समा जाओ। प्लीज़ लव मी।
मयूर उसकी बात सुनकर उसे अपने गोद में उठाकर बेडरूम में ले जाता है। वह उसे बेड पर रखकर किस करने लगता है। फिर वह उससे अलग होकर उसके बाथरोब का फीता खोल उसे हटा देता है। यह महसूस कर अन्य अपनी आँखें बंद कर लेता है। फिर मयूर अपने सारे कपड़े उतारकर अन्य के ऊपर आ जाता है।
मयूर- वाइफ़ी, आँखें खोलकर मुझे देखो ना। मैं तेरी आँखों में अपने आप को देखना चाहता हूँ।
अन्य उसकी बात मानकर अपनी आँखें खोलकर उसे देखने लगता है। कुछ देर ऐसे ही दोनों एक-दूसरे को देखकर खुश हो रहे थे। तभी मयूर अन्य के पलकों पर किस करता है। यह महसूस कर वह अपनी आँखें बंद कर उसके प्यार को महसूस करने लगता है। मयूर उसे ऐसे प्यार कर रहा था जैसे वह एक नाजुक फूल हो। उसका प्यार अन्य को भी बहका रहा था। कुछ ही देर में दोनों एक-दूसरे को किस और बाइट कर रहे थे। उनके दोनों के शरीर पर लाल रंग के निशान बनने लगे थे।
तभी मयूर अन्य को झटके से अपने नीचे कर लेता है और उसे लिप किस करने लगता है। ऐसे ही वह अन्य में इंटर होता है। दर्द से अन्य चिल्लाना चाहता था पर होठ बंद रहने के कारण नहीं कर पाता और सिर्फ़ उसकी घुट्टी हुई आवाज़ ही आ रही थी। थोड़ी देर में उसका दर्द कम हो जाता है। मयूर बहुत प्यार से अन्य को प्लेज़र कर रहा था। कुछ देर बाद वह शांत हो जाता है और अन्य के ऊपर ही सो जाता है। अन्य भी ऐसे ही सोता है। वे दोनों ऐसे एक-दूसरे को पकड़े थे जैसे वे दो जिस्म ना होकर एक ही हों। मयूर के चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान थी, वहीं दूसरी ओर अन्य भी थका लग रहा था पर उसका चेहरा आज अलग ही ग्लो कर रहा था।
अगले भाग में जारी............
वह दोनों गहरी नींद में सोये थे। दोनों का फ़ोन लगातार बज रहा था, पर उनकी नींद नहीं टूटी।
वह दोनों अभी भी वैसे ही सोये हुए थे। उनके ऊपर कुछ भी नहीं था। उनके बेड के नीचे उनके कपड़े पड़े थे, सब मिलकर इस बात की गवाही दे रहे थे कि थोड़ी देर पहले कमरे में क्या हुआ है।
उसी समय पूजा हड़बड़ाते हुए मयूर के कमरे में आई। उसने सामने का नज़ारा देखकर जल्दी से रूम बंद कर बाहर निकल गई।
उसी समय जीत भी पूजा के पास आया और कहा- "माम, मयूर फ़ोन नहीं उठा रहा है। मैं जाकर मयंक से पूछता हूँ कि वह जानता है कि मयूर कहाँ है। मुझे तो लगा था कि मयंक मयूर को रोक लेगा।"
"जीत, मयूर ठीक है। वह पूरी तरह सेफ़ है। अभी उसके कमरे में मत जाओ। मयंक ने उसे रोक लिया है।" पूजा ने कहा।
असल में बात यह थी कि बॉडीगार्ड ने जीत को कॉल किया था। जीत मयूर की जान बचाने के लिए वापस लौट गया था, तो पूजा भी साथ में आ गई थी। दोनों लगातार मयूर को कांटेक्ट करने की कोशिश कर रहे थे, पर वह कॉल नहीं उठा रहा था। वे दोनों उसकी सेफ्टी के लिए कंसर्न थे। रास्ते भर इस चीज़ की प्रार्थना कर रहे थे कि उनके पहुँचने तक वह बाहर ना निकले, ताकि वे दोनों उसे रोक सकें।
कुछ घंटों बाद मयूर और अन्य की नींद टूट गई। मयूर अभी भी अन्य के ऊपर ही था। वह लगातार उसे देख रहा था।
अन्य को उसे ऐसे देखते हुए शरारत सूझी। उसने कहा- "क्या देखते हो?"
मयूर ने भी उसके अंदाज़ में जवाब दिया- "सूरत तुम्हारी।"
"क्या चाहते हो?" अन्य ने पूछा।
"चाहत तुम्हारी।" मयूर ने कहा।
"ना हम जो कह दें।" अन्य बोला।
"कह ना सकोगे।" मयूर ने कहा।
"लगती नहीं ठीक नियत तुम्हारी। अब हटिये मेरे ऊपर से, वर्ना साँस नहीं लेने के कारण मर जाऊँगा।" यह कहकर उसने उसे धक्का दे दिया।
मयूर बेड से नीचे गिर गया और अपनी कमर पकड़कर कहा, "इतनी जोर से धकेला कि मेरी कमर तोड़ दी है। अच्छे खासे रोमांटिक मूड का कचरा कर दिया।"
"अपनी कमर की चिंता है? मेरी कमर जो तोड़ दी, उसका क्या करूँ?" वह उठते हुए बोला। उसका पूरा लोअर हिस्सा दर्द कर रहा था। वह किसी तरह उठकर बाथरूम में गया।
उसे जाते देखकर मयूर भी बाथरूम में चला गया। उसके कमरे में दो बाथरूम थे। थोड़ी देर बाद अन्य वापस आया। वह अपने पास से शोभित की दी हुई रिंग लेकर बोला- "आई एम सॉरी शोभित। मैं अपनी लाइफ़ में आगे बढ़ गया। आज मैं और मेरा पति एक हो गए। क्या करता, मुझे मेरे प्यार और फ़र्ज़ में से एक को चुनना था। मैंने अपने प्यार को कुर्बान कर दिया। इसमें तेरी कोई गलती नहीं थी, पर तुझे भी सज़ा मिल रही है। मेरे करीब क्यों आए? मैं तेरे प्यार के काबिल नहीं था, इसलिए तो उसे नहीं संभाल पाया। गुड बाय, हमारा साथ यहीं तक था।"
उसी समय मयूर आकर उसे साइड हग कर लेता है। फिर वह उसके टीशर्ट को साइड कर उसके गले पर किस करने लगता है। फिर वह अचानक से उसे बाइट कर लेता है, जिससे अन्य चीख उठता है।
"हब्बी ये क्या है? अभी भी आपका मन नहीं भरा? फिर से ये शुरू कर दिया। अब मुझमें जरा भी ताकत नहीं बची कि मैं यह सब सहूँ। जल्दी से नीचे चलिए। माम डैड आने वाले हैं। अगर मुझे नहीं देखा तो क्या सोचेंगे?" यह कहकर वह मयूर के माथे पर लाइट किस कर वहाँ से भाग जाता है।
वह जैसे ही नीचे जाता है तो देखता है कि पूजा और जीत आये हैं और पूजा लंच तैयार कर रही है।
अन्य जाकर पूजा के पैर छूकर प्रणाम कहता है और उसके हाथ पकड़कर उसे किचन से बाहर निकाल कर बैठाते हुए कहता है- "माम, आप कब आईं? मुझे माफ़ कर दीजिए, आज मैं इतनी देर नीचे आया। आप आराम कीजिए, मैं अभी लंच तैयार करके लगाता हूँ।"
"कोई बात नहीं, आज तूने मेरे ऊपर जो एहसान किया है उसके आगे यह लंच बनाना कुछ नहीं है।" पूजा ने कहा।
अन्य उसकी बात को समझकर कहता है- "वह कोई एहसान नहीं, फ़र्ज़ था। ऐसे भी मैं अपने पति को कुछ नहीं होने दे सकता।"
पूजा उसके बाल को सहला देती है। अन्य वहाँ से किचन चला जाता है। जीत जो उन दोनों की बात सुनकर कुछ समझ नहीं पाता, वह पूजा से पूछता है तो वह कहती है कि आज मयूर को रोकने में उस बच्चे ने अपना सब कुछ दे दिया। अब से मयूर के कमरे में बिना नॉक किए मत जाना।
जीत भी पूजा की बात समझ जाता है। वह कहता है कि वह इस बात का ध्यान रखेगा।
थोड़ी देर बाद मयूर भी नीचे आता है। उसने अभी कैजुअल पहन रखे थे। वह आकर पूजा जी की गोद में अपना सर रख देता है।
"क्या हुआ मयू?" पूजा ने पूछा।
"कुछ नहीं माम, आज मैं बहुत खुश हूँ।" मयूर ने कहा।
उसी समय अन्य उन लोगों को डाइनिंग टेबल पर बैठने कहकर वह लंच सर्व करने लगता है। उसी समय मीनल और परम भी आ जाते हैं। अन्य परम के हाथ से सामान लेकर उन्हें हग कर लेता है। परम ने उसका सिर सहला दिया।
सब बैठकर लंच करने लगते हैं। उसी समय मीनल की नज़र अन्य पर जाती है। वह उसके गर्दन पर छूते हुए कहती है- "भाभी ये आपकी गर्दन पर क्या हुआ है? देखो नीले लाल निशान पड़ गए हैं।"
उसकी बात सुनकर सब का ध्यान उस पर आ जाता है। सब उसे देखने लगते हैं। सब को अपनी ओर देखता देखकर उसे बहुत शर्म आती है। वह अपनी नज़र को झुकाकर प्लेट पर कर देता है। उसका मन कर रहा था कि वह गायब हो जाए और किसी को नज़र ना आए।
"मीनल चुपचाप लंच करो। हर बात नहीं पूछते हैं। मायू बेटा तुम कम्फ़र्टेबल रहो। आराम से खाओ। अब कोई कुछ नहीं पूछेगा।" यह कहकर परम खाने लगता है।
लंच फ़िनिश कर अन्य अपने रूम में आता है। उसी समय कोई उसे पकड़कर अपने बांहों में भर लेता है। अन्य समझ जाता है कि वह मयूर है।
"हब्बी छोड़िए ना।" अन्य ने कहा।
"ऐसे कैसे छोड़ दूँ? प्यार करता हूँ। अब ये हाथ नहीं छोड़ूँगा। अब तो तू मेरे साँसों में समाया है।" यह कहकर वह उसके गर्दन पर किस करता है जहाँ बाइट मार्क था। उसके इस ऐक्शन से अन्य सिहर गया और उससे अलग होकर उसकी आँखों में देखते हुए कहता है- "अगर आपको पता चले कि मैं आपको धोखा दे रहा हूँ तो क्या आप मुझे माफ़ कर पाएँगे?"
"मैं हमेशा तुझसे प्यार करूँगा।" यह कहकर वह उसके होठ पर अपने होठ रख देता है। अन्य उसके इस मूव से शॉक था। फिर वह भी उसे किस बैक करने लगता है।
अगले भाग में जारी.........
वह दोनों एक-दूसरे को किस कर रहे थे। मयूर का एक हाथ उसकी कमर पर था, जिससे वह उसकी कमर सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसका बाल पकड़कर उसे अपनी ओर खींच रहा था। अन्य का हाथ मयूर की पीठ पर था, जिसमें उसके नाखून गड़े हुए थे जिससे स्क्रैच हो रहा था। वे दोनों पैशनेटली एक-दूसरे को किस कर रहे थे।
उसी समय जीत मयूर के पास आया। उसे एक फ़ाइल पर उसके साइन चाहिए थे। वह जैसे ही मयूर के कमरे के पास पहुँचा, तो सामने का नज़ारा देखकर उसके मुँह से चीख निकल गई।
"क्या हुआ इतनी जोर से चिल्ला रहा है?" मयूर ने पूछा।
"ये तू मुझसे ये पूछ रहा है? अरे यार, लव मेकिंग करनी हो तो कमरा तो लॉक रखा करो।" जीत ने कहा।
यह सुनकर अन्य नीचे भाग गया। उसे बहुत शर्म आ रही थी। वह अभी जीत का सामना नहीं करना चाहता था। यह सब उसके लिए अजीब था।
"यार, तेरी टाइमिंग बहुत गलत है। आज कितने दिन बाद वह करीब आया था। तूने तो मेरी किस भी पूरी नहीं होने दी। पता नहीं वह क्या सोच रहा होगा।" मयूर ने कहा।
"कांग्रेट ब्रो, मैं तेरे लिए बहुत खुश हूँ। आखिरकार तुझे इतने वक्त के बाद अपना प्यार मिल गया। तुम दोनों एक हो गए। भाभी लव यू सो मच।" जीत ने कहा।
"आज मैं दुनिया का सबसे लकी इंसान हूँ। ऐसे भी आज मुझे मेरा प्यार, मेरी वाइफ भी मिल गई, वो भी मेरा हो गया है।" मयूर ने कहा।
कुछ दिन बाद, सुबह के समय मयूर उठकर बैठ गया और लगातार अन्य को देख रहा था। अन्य इन सब से बेखबर आराम से सोया हुआ था। वह उसके बालों को माथे से हटा रहा था। अन्य सिर्फ़ ब्लैंकेट से ढका हुआ था। उसके ऊपर कोई कपड़ा नहीं था। वह उसे बहुत सुंदर लग रहा था। उसने खिड़की के पर्दों को भी बराबर कर दिया था जिससे अन्य की नींद ना टूटे। उसने अलार्म भी बंद कर दिया था।
वह नीचे जाकर सबके लिए चाय और ब्रेकफ़ास्ट बनाने लगा। जब वह सब कुछ बनाकर ले आया, तो उसे डाइनिंग टेबल पर रख दिया और अन्य को उठाने जाने लगा। उसी समय अन्य सीढ़ियों से नीचे आ रहा था। वह बहुत हड़बड़ी में था। मयूर जल्दी से उसके पास आया।
"वाइफी इतनी हड़बड़ी में क्यों हो? नाइट सूट में ही नीचे आ गए। फ़्रेश तो हो जाते।" मयूर ने कहा।
"हब्बी, आठ बज गए हैं। मैं अभी तक सोया था। अभी तक ब्रेकफ़ास्ट भी नहीं बनाया। मीनल का लंच भी तैयार नहीं हुआ। मैं इतनी देर कैसे सो सकता हूँ? मेरी वजह से आज सबको भूखे ही काम पर जाना पड़ेगा। पता नहीं अलार्म क्यों नहीं बजा।" अन्य ने कहा।
"वाइफी शांत हो जाओ। सब कुछ हो चुका है। अलार्म मैंने ही बंद किया था।" मयूर ने कहा।
"पर हब्बी, आपने ऐसा क्यों किया? अब सब लेट होगा। मैं ऐसे लापरवाह नहीं बन सकता हूँ।" अन्य ने कहा।
"मैं चाहता था कि तुम अपनी नींद पूरी करो। तुम अपनी नींद भी नहीं ले पाते। रात को मैं तुझे परेशान करता हूँ। वह करना तो बंद नहीं कर सकता। पर कभी-कभी सुबह में तेरी मदद ज़रूर कर सकता हूँ। इसलिए मैंने आज तेरा सारा काम कर दिया। अब जाकर फ़्रेश हो जाओ। अगर तुम चाहो तो मैं तुझे कंपनी दे सकता हूँ।" मयूर ने कहा।
अन्य उसे मारते हुए बोला, "मुझे कोई ज़रूरत नहीं है। आप दुनिया के सबसे बड़े बेशरम हैं। मैं जा रहा हूँ। आप बहुत गंदे हो। आप ठरकी भी हो।" कहकर वह वहाँ से भाग गया। उसका गाल लाल हो चुका था।
"पागल, पर यह क्यूट भी है। ऐसा प्यारा बेबी सिर्फ़ मेरा है। थैंक्स गॉड उसे मेरी लाइफ में लाने के लिए। उसके आने के बाद मेरी लाइफ सुधर गई है। मेरी लाइफ अब बोरिंग नहीं रह गई। उसमें अनेक रंग भर गए हैं।" मयूर ने कहा।
अन्य जल्दी से फ़्रेश होकर आया। उसने देखा कि सब लोग मिलकर डाइनिंग टेबल पर बैठ चुके हैं।
अन्य जैसे ही आया, परम उसे अपने पास बिठाकर उसके लिए ब्रेकफ़ास्ट सर्व करने लगा।
"डैड, ये क्या कर रहे हैं? ये मेरा काम है खाना सर्व करना। मैं इस घर का सन इन ला हूँ। ये सब मुझे करना चाहिए, है ना?" अन्य ने कहा।
"आज तू मेरे हाथों से खाएगा। तू मेरा बहू या दामाद बाद में है, पहले मेरा बेटा है।" परम ने कहा।
अन्य फिर कुछ और नहीं कहता है। वह बहुत प्यार से उसे खिला रहे थे।
ब्रेकफ़ास्ट के खत्म होते ही मयूर सबको हाल में बुलाता है।
"मयूर क्या हुआ, हम सब को क्यों बुलाया है?" पूजा ने पूछा।
"माँ, मुझे आप सब से कुछ कहना है। माँ, अगले महीने से हमारा नया प्रोजेक्ट शुरू हो जाएगा, फिर मैं बहुत बिज़ी हो जाऊँगा। इसलिए मैं वाइफ़ी के साथ सात दिन के हनीमून के लिए पेरिस जा रहा हूँ।" मयूर ने कहा।
"ये आप क्या कह रहे हैं?" अन्य ने कहा।
"देख, शादी के बाद नहीं जा पाए तो अभी जाऊँगा। दो घंटे में फ़्लाइट है।" मयूर ने कहा।
"माँ, ये क्या बात हुई? इनसे कहिए मैं इतनी जल्दी तैयारी कैसे करूँगा? मैं नहीं जा रहा।" अन्य ने कहा।
"वाइफ़ी, तू तो जाएगा ही। हनीमून पर हसबैंड और वाइफ़ दोनों जाते हैं। इसलिए चलो और तैयारी करो।" यह कहकर वह उसे रूम में ले आया।
"ऐसे कोई प्रोग्राम बनाया जाता है? कपड़े भी तैयार नहीं हैं।" अन्य ने कहा।
मयूर उसके पास आकर उसे अपनी बाहों में भरकर कहता है, "वाइफ़ी इतना परेशान क्यों है? तुझे तो कपड़े की ज़रूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि मैं तुझे बेड से उठने ही नहीं दूँगा।"
"ठरकी, बेशरम! आपके दिमाग में मुझे लेकर ऐसे ही थॉट आते हैं।" अन्य ने कहा।
"अब मेरी वाइफ़ इतनी हैंडसम है तो मैं कंट्रोल कैसे कर सकता हूँ? ऐसे तू जो भी पहनेगा उसमें ही हैंडसम लगेगा और मेरे लिए तो तू बिना कपड़ों का ही हैंडसम लगता है।" मयूर ने कहा।
"आपका कुछ नहीं हो सकता है। आपने अगर अपना मुँह बंद नहीं किया तो मैं आपको पूरे एक सप्ताह तक अपने पास नहीं आने दूँगा।" अन्य ने कहा।
मयूर उसकी यह बात सुनकर चुप हो जाता है। उसे लगता है कि अगर सच में ऐसा किया तो उसकी हनीमून बेकार हो जाएगा। वह ऐसा रिस्क नहीं ले सकता था।
थोड़ी देर बाद दोनों एयरपोर्ट के लिए निकल जाते हैं। आज दोनों ने जींस पहना था और वे दोनों बहुत सुंदर लग रहे थे।
अगले भाग में जारी.....
पेरिस एयरपोर्ट
मयूर एक हाथ से अन्य का हाथ पकड़कर बाहर निकला। उसने दूसरे हाथ में लगेज पकड़ी हुई थी। वे दोनों टैक्सी लेकर एक होटल में गए। वह होटल बहुत ही लग्ज़ीरियस था। उसके हाल में बहुत ही खूबसूरत और बड़े झूमर लगे थे। वह पूरा गोल्डन कलर का चमक रहा था। अन्य उस होटल की खूबसूरती में खो गया था। वह होटल किसी का भी ध्यान अपनी ओर खींच सकता था। उसमें मौजूद हर चीज यूनिक और ब्यूटीफुल थी। वह वहाँ के सबसे लग्ज़ीरियस होटलों में से एक था।
मयूर रिसेप्शन में गया। उसने अभी भी अन्य का हाथ पकड़ा हुआ था।
"एक्सक्यूज मी मिस, मैंने मि. एंड मिसेज मयूर सिंघानिया के नाम से हनीमून सूट बुक किया है। प्लीज प्रोवाइड मी की।" मयूर ने कहा।
रिसेप्शनिस्ट उसे देखकर शॉक रह गई। मयूर आज जींस और टीशर्ट में भी डैशिंग और हैंडसम लग रहा था। वह उसमें खो गई थी।
"आप सुन रही हैं ना?" मयूर ने पूछा।
रिसेप्शनिस्ट होश में आकर उसे कुंजी दे देती है। वह उसे लेकर अन्य के साथ अपने रूम में आ जाता है। वह अपना लगेज रखकर फ्रेश होने जाता है। थोड़ी देर बाद वह अन्य को आवाज लगाता है।
"वाइफी, मेरे कपड़े दे दो। लाना भूल गया। ठंड लग रही है।" मयूर ने कहा।
उसकी बात सुनकर अन्य जल्दी से कपड़े लेकर बाथरूम के डोर को नॉक करता है।
"हब्बी, आप अपने कपड़े ले लीजिए। मैं ले आया हूँ।" अन्य ने कहा।
मयूर उसका हाथ पकड़कर अंदर खींच लेता है। उसके इस एक्शन पर अन्य सही से रिएक्ट भी नहीं कर पाया क्योंकि वह समझ ही नहीं पाया था कि उसके साथ क्या हुआ। वह बुत की तरह खड़ा था। तभी उसे ठंड लगने लगी। उसने देखा कि मयूर ने उसे खुद से चिपकाकर शावर के नीचे खड़ा कर दिया है।
"हब्बी, पानी बहुत ठंडा है। प्लीज मुझे जाने दीजिए।" अन्य ने कहा, उसके दांत किटकिटा रहे थे।
मयूर गर्म पानी का कनेक्शन भी खोल देता है जिससे अन्य को आराम मिलता है। तभी उसकी नज़र अन्य के होंठों पर जाती है। उसका चेहरा लाल हुआ था और उसके गुलाबी होंठ बहुत सुंदर लग रहे थे। और अन्य को ऐसे देखकर उसे अपना टेम्परेचर अचानक से बढ़ता नज़र आ रहा था। वह अन्य के होंठ को अपने कब्जे में लेकर बेतहाशा चूमने लगता है। वह एक-एक कर उसके बदन से सारे कपड़े हटा देता है। उसने तो पहले से ही कपड़े नहीं पहने हुए थे। वह उसके बदन के हर हिस्से को छू रहा था। उसने अपने आप से उसे सटाकर रखा था और अपने हाथ से उसके पूरे बदन को एक्सप्लोर कर रहा था। उसके इस तरह छूने से अन्य ने भी अपना कंट्रोल खो दिया था। वह भी उसे किस करने लगा था। थोड़ी देर एक-दूसरे को किस करने के बाद जब उन्हें साँस लेने में दिक्कत होती है तो वे एक-दूसरे से अलग होते हैं। दोनों एक-दूसरे को देख रहे थे।
मयूर के होंठों के पास पानी जमा हो रहा था जो उसके बालों से टपक रहा था, जो उसे बहुत हॉट बना रहा था। अन्य उसे ऐसे देखकर होश खो बैठा था। वह आगे बढ़कर उसके होंठों को चूम लेता है। उसके इस हरकत ने मयूर की धड़कनों को बढ़ा दिया था। वह अपने आप को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था। अन्य उसे दीवार की ओर धक्का देकर उससे सटा देता है। फिर वह उसके पूरे बदन को चूमने लगा। अब मयूर अपने को नहीं संभाल पा रहा था। उसकी मोआनिंग की आवाज पूरे बाथरूम में गूंज रही थी। पूरे पन्द्रह मिनट से अन्य यह कर रहा था।
"वाइफी, रुक जाओ, वर्ना मैं तुझे नहीं छोड़ूँगा।" मयूर ने कहा।
अन्य फिर भी नहीं रुकता है और अपना काम कर रहा था। मयूर एक झटके से उसे खींचकर वॉल में लगा देता है और उसे किस करने लगता है। वह उसके पैरों को अपनी कमर में डालकर उसमें इंटर करता है। आधे घंटे के हॉट सेशन के बाद वे दोनों अलग होते हैं। मयूर अन्य को अपनी गोद में उठाकर बाथरूम से बाहर आ जाता है। इस समय दोनों ने बाथरोब पहन रखा था। वह अन्य को बेड पर बैठा देता है और वह खुद बगल में लेट जाता है। वह बहुत खुश था। वह अन्य को लगातार देख रहा था, जो पूरा रेड हुआ था। अब यह बात तो वही बेहतर बता सकता था कि वह ठंड के कारण लाल था या शर्म के कारण।
मयूर अन्य का हाथ पकड़कर अपनी ओर खींचकर उसे खुद में सटा लेता है और कहता है, "वाइफी, सो जाओ, बहुत थक गए हैं। शाम को पेरिस भी घूमना है।" अन्य भी फिर कुछ नहीं कहता है। वह भी बहुत थक गया था। वह भी मयूर को कडल कर सो जाता है। उसे तुरंत ही नींद आ जाती है। मयूर उसे पूरा अपने ऊपर कर लेता है और ब्लैंकेट ओढ़ लेता है और थोड़ी देर में उसे भी नींद आ जाती है।
शाम के समय अन्य की नींद टूट गई। वह देखता है कि वह पूरा का पूरा मयूर के ऊपर ही सोया है। वह फिर ध्यान से मयूर को देखने लगता है। वह उसे बहुत प्यारा लग रहा था। वह अपने को मयूर से अलग करता है और उसके आँखों पर किस कर लेता है। फिर वह उसके गालों पर किस करता है। फिर वह उसके होंठों को किस कर लेता है।
"वाइफी, इतनी एक्सरसाइज के बाद भी तेरा मन नहीं भरा जो मेरे नींद में रहने का फायदा उठा रहे थे।" मयूर ने कहा।
"हब्बी, जो चीज आपकी है तो उसका फायदा कोई और उठाएगा क्या? आप सिर्फ मेरे हो। आप इतने सेक्सी हो कि आपको देखकर किसी की नियत भी डोल सकती है। मैं तो बस अपनी चीज इस्तेमाल कर रहा था।" यह कहकर वह उसके गालों पर किस कर लेता है। वह तेजी से वाशरूम में चला जाता है।
मयूर उसकी बात सुनकर ब्लश करने लगता है। मयूर अपने मन में सोचता है, "मैंने यह कभी नहीं सोचा था कि मेरी वाइफी भी मुझे इस तरह का शॉक दे सकता है। वह इतना बोल्ड भी हो सकता है।" फिर वह कॉल करके कुछ ऑर्डर देता है।
अगले भाग में जारी...
अन्य फ्रेश होकर बाहर आया। उसने देखा कि मयूर अभी भी बेड पर बैठा था। उसने अपने कपड़े चेंज कर लिए थे। उसने लाइट ग्रीन टीशर्ट और ब्लैक जींस विथ ब्लैक जैकेट पहनी हुई थी। उसने गॉगल्स पहन रखे थे जो ब्लू कलर के थे। वह अपना मोबाइल स्क्रॉल कर रहा था।
अन्य चुपके से उसके पास जाकर उसके हाथ से मोबाइल लेने की कोशिश करता है, पर उसके पहले ही मयूर उसका हाथ पकड़कर झटके से अपने पास खींच लेता है। उसके ऐसा करने से वह सीधे उसकी गोद में गिर जाता है। अन्य अपने आप को उठाने की कोशिश करता है, पर उठ नहीं पाता क्योंकि मयूर ने जोर से उसकी कमर पकड़ कर रखी थी।
"हब्बी छोड़िए ना प्लीज, मुझे कपड़ा पहना है। मैं सिर्फ बाथरोब में हूँ।" अन्य ने कहा।
"अभी किसी ने मुझसे कहा था कि मैं उसका हूँ और वो कुछ भी कर सकता है। तुम भी तो मेरे हो तो मैं..." मयूर ने कहा।
"हब्बी मुझे ठंड लग रही है। जाने दीजिए, जैकेट पहनकर आता हूँ।" अन्य ने बहुत ही मासूमियत से कहा।
"सच में तुझे ठंड लग रही है?" यह कहकर वह उसे अपने में चिपकाकर अपनी जैकेट को बंद कर लेता है। अपने को ऐसे देखकर अन्य अपना चेहरा उसके गर्दन में घुसा लेता है।
"आई लव यू हब्बी।" अन्य ने कहा।
"आई लव यू टू। तू बहुत स्पेशल है मेरे लिए। तू जरूरी है धड़कनों सा, अब जिंदगी के लिए तू जरूरी है मेरे लिए। अगर तू चला गया तो जीना छोड़ दूँगा। इसलिए जान कभी मेरा साथ मत छोड़ना।" मयूर ने कहा।
"आपकी कसम हब्बी, मैं कभी आपको छोड़कर नहीं जाऊँगा, पर अगर आपने मुझे अपने आप से दूर किया तो कभी वापस लौटकर नहीं आऊँगा। पूरी जिंदगी गुजार दूँगा पर नहीं आऊँगा। यह बात याद रखिएगा।" अन्य ने कहा।
"मैं एक नॉर्मल इंसान हूँ। मैं अपनी धड़कनों को दूर कैसे कर सकता हूँ? जिंदा रहने के लिए तू जरूरी है साँसों की तरह। साँसों के बिना भी हो सकता है कुछ पल जी जाऊँ, पर तेरे बिना एक पल जीना भी गवारा नहीं है।" यह कहकर वह उसे किस कर लेता है।
उसी समय डोर बेल बजता है।
मयूर अन्य को लिए हुए ही गेट खोलने चला जाता है। अन्य ने अपने पैरों को मयूर की कमर में बाँध रखे थे। वह अभी बिल्कुल एक छोटे से पाण्डा की तरह लग रहा था।
मयूर वह पैकेट उसे देते हुए कहता है- "वाइफी इसे पहनकर तैयार हो जाओ। फिर हम दोनों पेरिस घूमने चलेंगे।"
"पहले जैकेट तो खोलो।" अन्य उसकी बात मानकर कहता है। मयूर उसे अपने से अलग करता है। अन्य वह पैकेट लेकर चेंज करने चला जाता है। थोड़ी देर बाद वह आता है। उसे देखकर मयूर को लगता है कि उसकी धड़कनें तेज हो गई हैं।
अन्य ने आज वाइट शर्ट के नीचे लाइट पिंक कलर का पैंट और ब्लैक जैकेट पहन रखा था। वह इस ड्रेस में बहुत सुंदर और क्यूट लग रहा था।
अन्य मयूर के पास आकर कहता है- "हब्बी मैं तैयार हूँ। चलिए ना घूमने चलते हैं।"
मयूर अन्य की आवाज सुनकर अपने आप को संभालते हुए कहता है- "वाइफी पहले यह मास्क और गॉगल्स पहन लो, मैं नहीं चाहता कि मेरी वाइफी को लोग घूर-घूरकर देखें।"
अन्य उसकी बात सुनकर हँसने लगता है। उसी समय उसका फ़ोन बजने लगता है। अन्य फ़ोन उठाता है।
"बच्चा तू ठीक तो है ना? कब से फ़ोन कर रही हूँ, तुम दोनों को कॉल उठा क्यों नहीं रहे थे?" पूजा ने कहा।
"माँ प्रणाम, हम दोनों ठीक हैं और अच्छे से पहुँच गए हैं। माँ, वह फ़ोन साइलेंट मोड पर रखा था फ़्लाइट में, फिर उसे ठीक करना भूल गया। फिर हम लोग होटल आकर सो गए। आई एम रियली सॉरी माँ।" अन्य ने कहा।
"क्या भाभी, पेरिस जाकर भी आपको सोना ही था और कुछ नहीं तो बेड एक्सरसाइज़ ही कर लेते। आपसे ये उम्मीद नहीं थी।" जीत ने कहा।
मयूर, जो फ़ोन के स्पीकर पर होने के कारण सब कुछ सुन रहा था, वह कहता है, "अपने तरह का गधा समझ रखा है। अभी तक ना एक गर्लफ्रेंड बनी है और ना बॉयफ्रेंड बना है। जनाब सिर्फ़ फ़्लर्ट ही करते हैं। कुछ मुझसे भी सीख ले। तेरी तरह सिर्फ़ सोता नहीं रहता। आते साथ ही मैंने बाथरूम रोमांस जी भर के किया था। फिर थककर सो गया।"
अन्य उन दोनों की बात सुनकर embarrassed हो रहा था, पर वह कुछ नहीं कहता है क्योंकि उसे पता था कि वह दोनों एक-दूसरे से कुछ भी नहीं छिपाते, चाहे वह बेडरूम रोमांस क्यों ना हो।
"हब्बी अब बस भी कीजिए। मुझे शर्म आ रही है।" अन्य ने कहा।
"ओके भाभी, अब इस बारे में बात नहीं करूँगा। वैसे यह नालायक आपको लेकर घूमने गया या नहीं? इसका बस चले तो बस आपको होटल के हनीमून सूट के अलावा और कुछ देखने ना दे। इसलिए मेरी बात मानकर घूमने निकल जाइए। ओके बाय, आई लव यू भाभी।" जीत ने कहा।
"ओके बाय, जीत भैया। आई लव यू टू।" अन्य ने कहा।
"वाइफी चलो घूम कर आते हैं।" यह कहकर वह अपना हाथ बढ़ाता है, जिसे अन्य जोर से पकड़ लेता है और वह दोनों वहाँ से निकल जाते हैं। होटल के रिसेप्शन पर मयूर उसी रिसेप्शनिस्ट से कहता है- "एक्सक्यूज मी, क्या एक टैक्सी का इंतज़ाम हो सकता है?"
रिसेप्शनिस्ट, जिसका पूरा ध्यान सिर्फ मयूर पर था, वह टैक्सी बुला देती है। मयूर अन्य के साथ निकल जाता है।
"इसे तो अपना बनाकर रहूँगी। बस एक रात के लिए यह मेरा होगा।" रिसेप्शनिस्ट सोचती है।
मयूर अन्य को लेकर सबसे पहले पेरिस के मशहूर म्यूजियम Louvre Museum ले जाता है। यह एक आर्ट म्यूजियम है जिसमें कई सारे दुर्लभ पेंटिंग, मूर्तियाँ, और कई तरह की वस्तुएँ हैं। यह बहुत बड़े कलाकारों द्वारा बनाई गई हैं। यह अलग-अलग समय काल से संबंधित हैं। अन्य और मयूर उन चीजों को देखकर रोमांचित हो रहे थे। वह दोनों कई सारे फोटो खींचते हैं।
अन्य अभी भी मास्क में ही था। मयूर ने उसे गॉगल्स और मास्क हटाने नहीं दिया था। मयूर ने अपने सोशल नेटवर्किंग साइट पर इन तस्वीरों को अपलोड कर दिया। वहाँ से निकल वह लोग और भी जगह घूमते हैं। फिर वह लोग Jardin du Luxembourg जाते हैं। यह 17वीं शदी में बना है। यहाँ अलग-अलग तरह के फूल, पौधे और पेड़ हैं। यह एक अलग लय में बना है। यहाँ पर आकर अन्य बहुत खुश होता है। उसने पूरा ही गार्डन घूम लिया था, जिस कारण से वह बहुत थक जाता है और वह वापस जाने के लिए कहता है। मयूर अन्य की बात मानकर वापस होटल आ जाता है।
दोनों कमरे में पहुँचकर फ्रेश होते हैं। मयूर स्नैक्स और कॉफ़ी ऑर्डर करता है। वह दोनों स्नैक्स का वेट कर रहे होते हैं, उसी समय मयूर के फ़ोन पर शोभित का कॉल आता है।
मयूर कॉल उठा लेता है और अन्य को अपने से सटा लेता है।
"शोभित यार कैसा है? इतने दिनों बाद मेरी याद कैसे आ गई?" मयूर ने कहा।
"याद तो तू रोज आता है। पर क्या करूँ? मैं तो अपने दिल के करार को खोज रहा हूँ, पता नहीं कहाँ चला गया। मुझे उसे छोड़कर नहीं जाना चाहिए था। उसने कहा भी था। ये सब छोड़, ये बता भाभी के साथ पूरी मस्ती हो रही है? उन्हें मास्क के पीछे क्यों छिपा रखा है? उनके दीदार कब होंगे?" शोभित ने कहा।
"उसके लिए तो तुझे वापस लौटकर आना पड़ेगा।" मयूर ने कहा।
"अब मैं कभी लौटकर नहीं आऊँगा। ऐसे बहुत अच्छे लग रहे हो साथ में दोनों। अच्छा फ़ोन रखता हूँ।" शोभित ने कहा।
उसकी बात अन्य भी सुन रहा था। वह बहुत बुरा फील कर रहा था, पर वह कुछ नहीं रिएक्ट करता है।
अन्य चुपचाप मयूर के साथ मिलकर अपना स्नैक्स इन्जॉय करता है। मयूर को एक बिज़नेस कॉल आ जाता है, जिसे रिसीव करने वह कमरे से बाहर निकल जाता है।
उसके जाते ही अन्य जोर-जोर से रोने लगता है। उसने किसी तरह अपने आप को मयूर के सामने संभालकर रखा था।
"ये मैंने क्या कर दिया? शोभित की लाइफ रुक गई है। मैंने सही नहीं किया। पर अब मैं मुड़कर नहीं देख सकता। प्लीज मुझे माफ़ कर दीजिए और मुझे भूलकर अपनी लाइफ में आगे बढ़ जाइए।" वह लगातार उससे माफ़ी माँग रहा था।
अगले भाग में जारी........
अन्य ने मयूर और शोभित की सारी बातें सुनी थीं। उसे शोभित के लिए बहुत बुरा लग रहा था। वह चाहता था कि अपनी सच्चाई बता दे, पर उसकी हिम्मत नहीं हुई।
थोड़ी देर बाद मयूर अपना कॉल खत्म कर अन्य के पास आया। वह अन्य को देखकर घबरा गया क्योंकि रोने के कारण उसकी आँखें लाल हो गई थीं और चेहरा भी लाल था।
"वाइफी, क्या हुआ? क्या तुम रो रहे थे?" मयूर ने पूछा।
"हब्बी, वो मैंने चिप्स खाई थीं और हाथ धोना भूल गया और उसी हाथ से अपनी आँख छू ली," अन्य ने उत्तर दिया।
"बिल्कुल पागल है तू! मेरी जान ही निकाल दी थी," मयूर ने कहा।
अन्य ने उसके मुँह पर अपना हाथ रख दिया। मयूर उसकी इस हरकत पर मुस्कुराया। उसने अन्य को उठाकर बालकनी में ले आया। वहाँ पर एक झूला लगा था, पर वह जमीन पर बैठा था। उसने अपने और अन्य के सारे कपड़े उतार दिए थे। उसने अपने लैप पर उसे बैठा रखा था। अन्य की पीठ मयूर के चेस्ट से लग रही थी। अपने चारों ओर उन्होंने चादर लपेट रखी थी। दोनों साथ मिलकर सामने आकाश के चाँद-तारों का दीदार कर रहे थे।
मयूर अन्य के कंधों पर अपना सिर टिका देता है। फिर वह अपने सेडक्टिव आवाज़ में कहता है,
"वाइफी, तुम जानते हो, तुम ना उस चाँद से भी ज़्यादा खूबसूरत हो। मैं इस दुनिया का सबसे अमीर इंसान हूँ, क्योंकि मेरे पास इस दुनिया की सबसे प्रेस्टीजियस चीज है, जिसके आगे सब फेल है। वह तुम हो मेरी जान।" यह कहकर वह अन्य के कोलरबोन को किस कर लेता है। वह धीरे-धीरे उसके पूरे गर्दन को किस करने लगता है।
अन्य भी अपने को टर्न कर लेता है, जिससे दोनों का चेहरा एक-दूसरे के सामने और बेहद करीब रहता है। दोनों लगातार एक-दूसरे की आँखों में देखने लगते हैं। अन्य अपने दोनों बाहें उसकी गर्दन में डाल देता है। वह अभी भी अपनी प्यार भरी नज़रों से मयूर को देख रहा था।
मयूर उससे पूछता है कि वह क्या देख रहा है। वह उसे कोई जवाब नहीं देते हुए गाना लगता है:
"बाहों के दरमियान,
दो प्यार मिल रहे हैं,
बाहों के दरमियान,
दो प्यार मिल रहे हैं,
जाने क्या बोले मन,
डोले सुनकर बदन,
धड़कन बनी जुबा।"
"बाहों के दरमियान,
दो प्यार मिल रहे हैं,
बाहों के दरमियान,
दो प्यार मिल रहे हैं,
जाने क्या बोले मन,
डोले सुनकर बदन,
धड़कन बनी जुबा।"
उसके बाद वह उसके होठों पर अपने होठ रख देता है। फिर उससे अलग होकर गाता है:
"खुलते बंद होते,
लबों की यह अनकही,
खुलते बंद होते,
लबों की यह अनकही,
मुझसे कह रही है,
कि बढ़ने दे बेखुदी,
मिल यूँ कि दौड़ जाए,
नस-नस में बिजलियाँ।"
"बाहों के दरमियान,
दो प्यार मिल रहे हैं,
बाहों के दरमियान,
दो प्यार मिल रहे हैं,
जाने क्या बोले मन,
डोले सुनकर बदन,
धड़कन बनी जुबा।"
फिर वह मयूर को कसकर गले लगा लेता है और उसे किस करने लगता है। उसकी इस हरकत पर मयूर मदहोश हो रहा था। उसकी मदहोशी हर पल के साथ बढ़ती जा रही थी। वह भी अन्य को किस करने लगता है। अन्य उसके चेहरे को पकड़कर अपने चेस्ट पर रख देता है। वे दोनों आसमां के नीचे एक-दूसरे के ऊपर थे।
"आसमाँ को भी यह,
हसीं राज है पसंद,
उलझी-उलझी साँसों,
की आवाज़ है पसंद।"
उसी समय हल्की-हल्की फुहार पड़ने लगती है। यह देखकर वह आगे गाता है:
"आसमाँ को भी यह,
हसीं राज है पसंद,
उलझी-उलझी साँसों,
की आवाज़ है पसंद,
मोती लुटा रही है,
सावन की बदलियाँ,
बाहों के दरमियान,
बाहों के दरमियान,
दो प्यार मिल रहे हैं,
जाने क्या बोले,
डोले सुनकर बदन,
धड़कन बनी जुबा,
बाहों के दरमियान।"
अंत में थक कर दोनों वहीं पर लेट जाते हैं। वे दोनों एक-दूसरे के साथ साँपों की तरह लिपटे थे। मयूर ने अपने दोनों हाथों से अन्य के पीठ को पकड़कर रखा था। थोड़ी देर बाद मयूर को नींद आ जाती है। अन्य अभी भी जागा था। वह मयूर को लगातार देख रहा था।
"हब्बी, मेरी सच्चाई जानने के बाद आप मुझे छोड़ तो नहीं दीजिएगा। आगे जो भी हो, पर मैं आगे के लिए आपके साथ अच्छी यादें बनाना चाहता हूँ, जिससे अगर आप मेरे साथ ना भी हों तो इनके सहारे जी सकूँ। बस इतना चाहता हूँ कि जब कभी आपको मेरी सच्चाई पता चले तो एक बार शांत होकर मेरी बात सुन लीजिएगा।" यही सोचते-सोचते उसे भी नींद आ जाती है।
सुबह दोनों फ्रेश होकर बाहर हाल में जाकर ब्रेकफास्ट करने का निश्चय करते हैं। वे दोनों फ़ूड जोन में जाकर अपने लिए सैंडविच और कॉफ़ी ऑर्डर देते हैं। अन्य ने अभी भी मास्क पहन रखा था। मयूर और अन्य दोनों एक-दूसरे का हाथ पकड़ कर थे। वे दोनों एक टेबल पर बैठ जाते हैं।
दोनों का ब्रेकफास्ट आता है, जिसे लेकर दोनों खाने लगते हैं। अन्य ने अपना मास्क हटा दिया था। उस जगह पर बैठे सभी लोगों की नज़र उन दोनों पर ही थी। वे दोनों भी अपने ऊपर लोगों की नज़र को महसूस कर रहे थे।
यह महसूस कर मयूर को बहुत जलन हो रही थी। कुछ लोग बहाने से अन्य से बात करना चाह रहे थे। वह अन्य का हाथ पकड़कर सबको सुनते हुए कहता है, "वाइफी, जल्दी से ब्रेकफास्ट करो, फिर हमें घूमने भी जाना है।" उसकी बात सुनकर अन्य जल्दी-जल्दी ब्रेकफास्ट खत्म करने लगता है। इस हड़बड़ी के कारण उसे गला लग जाता है। मयूर जल्दी से उसे पानी पिलाता है और उसे डाँटते हुए कहता है, "ऐसे कैसे खा रहे हो? अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मैं मर जाऊँगा।"
अन्य उसकी बात सुनकर उसे सब कहता है। फिर वे दोनों अपने कमरे में चले जाते हैं। फिर वे तैयार होकर पेरिस घूमने निकल जाते हैं। आज उन्हें आए हुए चार दिन हो चुके थे। वे पूरी तरह मज़ा ले रहे थे।
अगले भाग में जारी.....
मयूर और अन्य आज एफिल टावर देखने गए। उन्होंने वहाँ पर ढेर सारी मस्ती की। आज का पूरा दिन उन्होंने घूमकर बिताया।
मयूर उसे लेकर एक मॉल गया। फिर उसने सबके लिए शॉपिंग की। फिर उसने अपनी वाइफ़ी के लिए भी एक नाइट सूट खरीदा। फिर उसने ढेर सारी शॉपिंग की। दोनों शॉपिंग करके थक गए थे, तो आगे कुछ और घूमने की ताकत नहीं बची थी। वे दोनों वापस लौटने लगे। वापस लौटते समय उनकी नज़र सड़क किनारे पड़े एक छोटे से बच्चे पर गई। वह जोर-जोर से रो रहा था। उसे ऐसे रोता देखकर अन्य को अपने दिल में बहुत दर्द हो रहा था।
"गाड़ी रोकने को कहो," उसने कहा।
फिर वह उस बच्चे को उठा लेता है। उसके बगल में ही एक और बच्चा था। दोनों की हालत बहुत खराब थी। उन्हें चोटें लगी थीं। वह उन्हें लेकर कार में आया, फिर वह वहाँ से हॉस्पिटल गया। जहाँ पर उन दोनों बच्चों का फर्स्ट एड कर दिया गया।
वहाँ उसे पता चला कि इन बच्चों के माँ-बाप मर चुके हैं और उनका कोई नहीं है। यह सब सुनकर अन्य को शॉक लगा। वह मयूर के पास पहुँचकर कहता है- "हब्बी, मुझे आपसे कुछ बात करनी है।"
"वाइफ़ी, जो भी कहना है कहो, तुम्हें मेरे परमिशन की ज़रूरत नहीं है। तू कभी भी कुछ भी बोल सकता है," मयूर ने कहा।
"हब्बी, क्या हम इन दोनों बच्चों को अपने साथ रख सकते हैं?" अन्य ने पूछा।
"ऐसा नहीं होगा, इन्हें मैं एक अच्छे अनाथ आश्रम में छोड़ दूँगा," मयूर ने कहा।
मयूर की बात सुनकर उसे बुरा लगा। वह आगे कुछ नहीं कहता है। वह जानता था कि अकेले बच्चों के साथ क्या-क्या हो सकता है। पर वह मयूर के खिलाफ़ नहीं जाना चाहता था। वह उदास होकर बैठ गया। वह लगातार उन दोनों बच्चों को देख रहा था। उसे लग रहा था कि फिर से कोई दूसरा बच्चा अन्य देशमुख बनेगा।
मयूर का भी ध्यान अन्य पर ही था। उसे यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा कि उसकी वाइफ़ी उसके कारण उदास है। उसने उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी ओर घुमाकर कहा- "वाइफ़ी, इतनी सी बात पर नाराज़ हो गए?"
"मैं आपसे नाराज़ नहीं हूँ हब्बी, बस मैं चाहता हूँ कि इनकी लाइफ़ में खुशियाँ रहें," अन्य ने कहा।
"ठीक है, हम दोनों इन्हें गोद ले लेंगे। मेरे लिए मेरी वाइफ़ी की हर खुशी ज़रूरी है। अगर इन दोनों को साथ रखने से तुम खुश हो तो मैं तैयार हूँ। मैं जाकर एडॉप्शन के पेपर बनवाता हूँ, तब तक माय डियर वाइफ़ी, हमारे बेटों को ले लो," मयूर ने कहा।
अन्य उसकी बात एक्साइटमेंट में उसे किस कर देता है और उसे जोर से "आई लव यू" बोल देता है।
मयूर जाकर सारी कार्रवाई पूरी करता है और लीगली उन दोनों बच्चों को अडॉप्ट कर लेता है। वे दोनों उन दोनों बच्चों को लेकर वापस होटल आ गए। रास्ते में उन्होंने बच्चों के लिए ज़रूरी सभी चीज़ें खरीद ली थीं।
रूम में पहुँचते ही अन्य सबसे पहले पूजा और परमवीर को वीडियो कॉल करता है।
"मायू बेटा कैसा है? तेरे हब्बी ने तुझे ज़्यादा परेशान तो नहीं किया? अगर वह ऐसा कुछ करे तो मुझे बताना, मैं उसकी अच्छी खबर लूँगी," पूजा ने कहा।
"इसमें मैं भी तेरी माँ का पूरा साथ दूँगा," परम ने कहा।
"माँ-डैड, मुझे आपसे किसी से मिलवाना है," अन्य ने कहा।
"कौन है वो?" पूजा ने पूछा।
"माँ-डैड, इससे मिलिए। ये दोनों आपके पोते हैं। हमने इन दोनों को गोद ले लिया है," अन्य ने कहा और फिर सारी बात बता देता है।
"तेरी हिम्मत कैसे हुई उसे गोद लेने की?" परम ने पूछा।
"हाँ, बताओ यह क्यों किया? मयूर के बच्चे की टाँगें ही तोड़ देनी हैं। वह नालायक ऐसा कैसे कर सकता है?" पूजा ने कहा।
अन्य की आँखों में आँसू आ जाते हैं और वह कहता है- "माँ, इसमें हब्बी की गलती नहीं है। उन्होंने मना किया था, पर मेरी ज़िद के कारण उन्हें यह करना पड़ा। आई एम सॉरी। उन्हें कुछ मत कहिए।"
"माँ-डैड, अब बस भी करो। आपके मज़ाक के कारण भाभी रो रहा है। और वह नालायक पता नहीं कहाँ है। भाभी, माँ-डैड मज़ाक कर रहे हैं। हम लोग बहुत खुश हैं," जीत ने कहा।
"मायू बच्चे, हम लोग सिर्फ़ तेरी खिंचाई कर रहे थे। हम लोग तुझसे नाराज़ हैं कि तुम लोग एक दिन बाद आ रहे हो। मुझसे अब इंतज़ार नहीं हो रहा। मैं भी अपने पोते को गोद में लेना चाहती हूँ। एक बात ज़रूर मानना और उस नालायक को मेरा पोता मत देना," पूजा ने कहा।
"भाभी, जल्दी आ जाओ। तेरे बिना मन नहीं लग रहा," जीत ने कहा।
"जीत, तू जाकर अपनी गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड बनाने पर ध्यान दो और मेरी वाइफ़ी को छोड़ दो," मयूर ने कहा।
ऐसी ही इधर-उधर की बात कर वे लोग फ़ोन रख देते हैं। फिर वे दोनों बच्चों को लेकर डिनर करने जाते हैं। सामने डांस फ़्लोर था जिस पर लोग नाच रहे थे। डिनर फ़िनिश कर वे लोग वहीं बैठकर डांस देखने लगते हैं।
उसी समय उस रिसेप्शनिस्ट की नज़र मयूर पर जाती है। वह उसे अपने साथ सुलाना चाहती थी। वह उसे वहाँ बैठा देखकर बहुत खुश होती है। वह एक वेटर को ड्रग्स मिलाकर जूस मयूर को देने कहती है। इधर दोनों बच्चे सो चुके थे। वेटर लाकर वह जूस मयूर को देता है, पर मयूर उसे पीने से मना कर देता है क्योंकि वह वाइन पी रहा था। जूस देखकर अन्य उसे पी लेता है। पन्द्रह मिनट वहाँ रुककर दोनों वापस कमरे में लौट जाते हैं। उधर वह रिसेप्शनिस्ट मयूर को खोजती है, पर वह उसे नहीं मिलता है।
अन्य बच्चों को सुला देता है। उसे अजीब लग रहा था। उसके शरीर से पसीना आने लगता है। उसे अपना बॉडी टेम्परेचर अचानक से बहुत बढ़ता लग रहा था। वह बाथरूम में शॉवर लेने लगता है। उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हुआ है। उसने एक-एक कर अपने सारे कपड़े खोलकर ठंडे पानी के शॉवर में खड़ा रहता है। यह करने पर भी उसे आराम नहीं मिलता है। वह किसी तरह अपने को शांत करने की कोशिश कर रहा था।
उसी समय मयूर उसे खोजते हुए अंदर रूम में आता है। वह कॉल करने के लिए बाहर निकल गया था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि बच्चे डिस्टर्ब हों।
वह ध्यान देता है तो उसे बाथरूम से शॉवर की आवाज़ सुनाई देती है। "ये वाइफ़ी को क्या हुआ है? इतनी देर रात को क्या कर रहा है? इसका दिमाग ख़राब हो गया है जो वह अभी शॉवर ले रहा है। सर्दी-ज़ुकाम हो जाएगा," मयूर सोचता है। वह जल्दी से अन्य के पास आता है और उसे शॉवर से दूर कर कहता है, "क्या कर रहा है? तबीयत ख़राब हो जाएगा।" अन्य आकर उससे चिपक जाता है।
"हब्बी, बहुत दर्द हो रहा है। ऐसे ही रहिए, आराम लग रहा है," यह कहकर वह उसे किस और बाइट करने लगता है। उसके ऐसे करने से वह उसकी तरफ़ देखता है और उसे समझ आ जाता है कि किसी ने उसे ड्रग्स दिया है। वह एक बिज़नेस मैन था और इन सब से हमेशा दो-चार होता रहता था।
वह अपने आप को बिल्कुल शांत छोड़ देता है क्योंकि वह जानता था कि आज उसकी वाइफ़ी को उसकी बहुत ज़्यादा ज़रूरत है। वह अन्य को लेकर बेड पर आता है। अन्य ने उसके कपड़ों को फाड़कर अलग कर दिया था। वह उसे लगातार उसके पूरे बदन पर किस और बाइट कर रहा था। अन्य की इस हरकत से वह मदहोश हो जाता है। वह अन्य को झटके से अपने नीचे करता है।
वह अन्य के साथ इंटिमेट होने लगता है। सुबह जाकर यह सब शांत होता है। वे दोनों थककर सो गए थे।
करीब 8 बजे बच्चों के रोने से मयूर की नींद खुलती है और वह बच्चों को दूध पिलाकर शांत कर देता है।
फिर वह फ्रेश होने जाता है। आज शाम को उन दोनों को लौटना था। वह नहाकर निकला था, उसने सिर्फ़ टॉवेल लपेट रखा था। उसके पूरे शरीर पर लाल और नीले रंग के बाइट मार्क थे। उसकी पीठ पूरी नाखून के खरोचने के निशान से भरी थी। वह उस पर दवा लगाने की कोशिश कर रहा था। तभी एक हाथ उसके हाथ से दवा लेकर लगाने लगता है। वह जानता था कि यह उसकी प्यारे वाइफ़ी का हाथ है।
अन्य उसके घाव पर फूँक मारकर किस करते हुए दवा लगा रहा था। जब वह दवा लगा लेता है तो रोते हुए कहता है- "माफ़ कर दीजिए। मुझे कुछ भी होश नहीं था। मेरे कारण आपको इतना दर्द हो गया।"
"जब मैं तेरा हूँ तो हक़ है तेरा। अब जाकर फ्रेश हो जाओ, रात भर बहुत मस्ती की है हमने साथ में। ऐसे मुझे तो बहुत मज़ा आया। मेरा वाइफ़ी इतना हॉट है कि उसे देखने के बाद कुछ और पता नहीं चलता," मयूर ने कहा।
अन्य उसकी बात सुनकर शर्माकर भाग जाता है। उसके जाने के बाद मयूर एक कॉल करता है और उस आदमी से कहता है- "जिसने भी यह किया है उसका पता करो और मेक श्योर वो कल का सूरज ना देख पाए। उसकी वजह से मेरा वाइफ़ी फूट-फूटकर रोया है। उसके आँसुओं की कीमत तो चुकाई ही होगी।" यह कहकर वह फ़ोन रख देता है।
थोड़ी देर बाद अन्य फ्रेश होकर आता है। वे दोनों ब्रेकफ़ास्ट करते हैं। अन्य अभी भी बहुत उदास था। उसे कल रात के लिए बहुत बुरा लग रहा था।
थोड़ी देर बाद मयूर के पास एक कॉल आता है। मयूर उसे अटेंड करता है। फिर वह अन्य को कहता है कि वह आराम करे, वह थोड़ी देर में आता है।
मयूर वहाँ से सीधे एक बेसमेंट में जाता है। वहाँ पर उस वेटर और रिसेप्शनिस्ट को रखा गया था। मयूर उसे जिंदा ही शेर के आगे डालने कहता है। फिर वह वहाँ से चला जाता है।
फिर वह होटल आता है और अपनी बीबी और बच्चों के साथ वापस मुंबई लौट जाता है।
अगले भाग में जारी......
मयूर और अन्य बच्चों के साथ घर पहुँचे। घर के बाहर बैंड का इंतज़ाम था जो वहाँ गाना बजा रहे थे। साथ में आतिशबाजी का भी इंतज़ाम किया गया था। यह सब देखकर मयूर और अन्य शॉक थे। वहाँ पूरा जश्न का इंतज़ाम था।
वह दोनों अंदर जाने लगे तो उन्हें बाहर ही रोक दिया गया। फिर पूजा जी आरती की थाली लेकर उन चारों का तिलक करती हैं। फिर वह चारों को लेकर अंदर आती हैं। अंदर एक छोटी सी पार्टी की तैयारी थी जिसमें घर के सभी सदस्य शामिल थे।
मयूर: माम, ये सब क्या है?
पूजा: मेरा पोता पहली बार घर आया है तो स्वागत तो होगा ही। वह परमवीर सिंघानिया और पूजा सिंघानिया के घर का चिराग है तो स्वागत भी उसी तरह होगा।
उसी समय मीनल आकर दोनों बच्चों को अपने गोद में लेने लगती है तो मयूर बोल पड़ता है- "तू क्यों ले रही है? तू तो खुद एक छोटी बच्ची है। ठीक से पकड़ना, मेरे बेटे को कुछ नहीं होना चाहिए।"
मीनल: माम, देखा भाई ने क्या कहा, मैं अब भाई से बात भी नहीं करूँगी।
अन्य अपने गोद से एक बच्चे को मीनल को दे देता है। उसके ऐसा करने के बाद मयूर उससे कहता है कि ध्यान देना कि बच्चे को चोट ना लगे।
उसी समय परम आकर दूसरे बच्चे को ले लेता है और मयूर से कहता है- "मयूर, तुम दोनों फ़्रेश होकर आ जाओ, मैंने नामकरण की पूजा रखी है।"
उसकी बात मानकर वह दोनों फ़्रेश होने चले जाते हैं। फिर थोड़ी देर बाद वह वापस आते हैं। आज उन दोनों ने ट्रेडिशनल आउटफ़िट पहने थे जिसमें वह दोनों बहुत कमाल लग रहे थे। जब वह दोनों बाहर आते हैं तो देखते हैं कि उनके बच्चों ने भी ट्रेडिशनल कपड़े पहने थे जिसमें वे बहुत क्यूट लग रहे थे।
पंडित के आने के बाद पूजा शुरू होती है। जीत और मीनल को बुलाया जाता है। वह दोनों बच्चे के पास आते हैं।
जीत: मेरे भतीजे का नाम मीत होगा। मेरे नाम से मिलता हुआ। मैं इसे फ़्लर्ट करना सिखाऊँगा।
मीनल: कभी तो कोई ढंग का काम कर लिया कर, हमेशा गलत ही काम करेगा। अरे मेरे भतीजे को बिगाड़ने की ज़रूरत नहीं है। मेरे इस भतीजे का नाम मृणाल रहेगा मेरे नाम पर। ओके। मयूर और अन्य को भी नाम पसंद आया। पूजा खत्म होने के बाद वह चारों सोने जाते हैं। मयूर ने दोनों बच्चों के लिए स्पेशल बेड लगवाए थे। वह दोनों बच्चों को उस पर सुला देता है।
ऐसे ही कुछ महीने और बीत जाते हैं। आज दोनों की शादी की सालगिरह थी। आजकल मयूर अपनी कंपनी के काम को लेकर बहुत बिज़ी हो गया था। उसका पूरा ध्यान केवल कंपनी को और बढ़ाने पर था।
इधर अन्य भी बच्चों और घर के काम के कारण बहुत थक जाता था। उन दोनों के बीच प्राइवेट मोमेंट बहुत कम होने लगे थे जिसका असर उन दोनों के रिश्ते पर पड़ रहा था।
आज सालगिरह के दिन भी मयूर सुबह 6 बजे ही ऑफ़िस निकल गया। अन्य मीत की तबीयत खराब होने के कारण रात देर से सोया था। वह अभी गहरी नींद में था। मयूर उसे नहीं उठाता है और वह उसके होठों पर लाइट किस कर गुड मार्निंग विश कर चला जाता है।
अन्य जब उठता है तो मयूर को अपने पास ना देखकर उसे खोजने लगता है। उसी समय उसकी नज़र एक चिट पर जाती है जो मयूर ने लिखा था- "मैं ऑफ़िस जा रहा हूँ।" अन्य को यह पढ़कर बुरा लगता है।
आज सालगिरह के दिन भी उसका चला जाना उसके दिल को तोड़ रहा था। वह फ़्रेश होकर नीचे आता है तो देखता है कि जीत, पूजा और परमवीर आपस में बात कर रहे हैं।
पूजा: जीत, क्या आज सच में बहुत ज़रूरी काम था जो मयूर का जाना ज़रूरी था? वो भी इतनी सुबह।
जीत: माम, सच कहूँ, अगर मयूर चाहता तो यह मीटिंग आराम से कल के लिए मैनेज हो जाती। पता नहीं उस गधे के दिमाग में यह बात घर कर गई है कि भाभी अब उससे प्यार नहीं करते। वह सिर्फ़ बच्चों का ख्याल रखता है। वह मयूर को अपने पास नहीं आने देना चाहता।
पूजा: वो एक नंबर का गधा है। बच्चे छोटे हैं तो वह उस पर ज़्यादा ध्यान तो देगा ना। असल में बात यह है कि उसे मयूर के 100% अटेंशन की आदत हो चुकी है। उसे इस बात को मानने में समय लगेगा कि अब मयूर के लाइफ में उसके अलावा बच्चे भी हैं।
परम: सही कहा तुमने, मीनल के होने के बाद भी कुछ महीनों तक वह तुमसे बात भी नहीं करता था। हम दोनों को उन दोनों को पास बिठाकर सब क्लियर करना चाहिए। मैं नहीं चाहता कि उन दोनों के बीच बढ़ती गलतफ़हमी से उनका रिश्ता खराब हो। कल मैं मयूर से बात करूँगा और तुम मयूर से बात कर लेना। पूजा भी उसकी बात पर सहमत थी।
अन्य ने सब बातें सुन ली थीं। उसे भी लगता है कि उसने मयूर के साथ अनजाने में सही नहीं किया है। वह जल्दी से किचन में जाकर मयूर का फ़ेवरेट फ़ूड बनाता है और उसे टिफ़िन में पैक कर टिफ़िन जीत को दे देता है। साथ ही एक और टिफ़िन जीत के लिए देता है। अन्य जीत से कहता है- "भैया, यह लंच ज़रूर करा दीजिएगा। और शाम को उनको लेकर ज़रूर आइएगा। मैं वेट करूँगा।"
जीत उसकी बात सुनकर स्माइल करते हुए कहता है कि "आप चिंता मत कीजिए, आपके हब्बी लंच भी करेंगे और शाम को घर भी आएंगे।"
जीत मयूर को लंच करा देता है। फिर वह दोनों घर पर आ जाते हैं। मयूर अपने रूम में जाकर देखता है तो अन्य तैयार होकर मीत और मृणाल को खाना खिला रहा था। उसका पूरा ध्यान सिर्फ़ बच्चों पर था। वह पीछे से जाकर अन्य को पकड़ लेता है और उसे गर्दन पर किस करने लगता है। उसके इस बिहेवियर पर अन्य कहता है- "हब्बी, अभी बच्चों को फ़ीड करा रहा हूँ, दो मिनट बाद आपसे बात करता हूँ।"
मयूर गुस्से से कहता है- "तुम्हें जो करना है करो, अब पास नहीं आऊँगा। डिस्टर्ब नहीं करूँगा।" यह कहकर वह अपने कपड़े चेंज करने चला जाता है।
अन्य भी शाम की पार्टी के लिए फिर से तैयार होता है क्योंकि उसके कपड़े गंदे हो गए थे। वह बच्चों को भी तैयार कर नीचे हाल में ले जाता है। जब वह नीचे उतरता है तो वहाँ मौजूद सारे लोग एकटक सिर्फ़ अन्य को ही देख रहे थे।
उसने आज डार्क ब्लू कलर की थ्री पीस सूट विद पिंक कलर शर्ट पहन रखा था। उसके बाल मैसी थे। उसकी आँखों पर ब्राउन कलर का गॉगल्स पहना था। आज वह बहुत हैंडसम और सेक्सी लग रहा था। उसने अपने गोद में दोनों बच्चों को लिया हुआ था।
सब की नज़रें अपने ऊपर पाकर अन्य मयूर को खोज रहा था कि वह उसे कैसा लग रहा है। अन्य ने आज सब कुछ मयूर की पसंद का पहन रखा था जो उसने अन्य को गिफ्ट में दिया था। मयूर भी अन्य को देखकर शॉक रह जाता है पर उसने यह दिखाया कि उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ा।
अन्य पूरे पार्टी में मयूर के करीब जाने की कोशिश कर रहा था पर मयूर उसे इग्नोर कर रहा था। वह अपने बिज़नेस पार्टनर के साथ बिज़ी होने का नाटक कर रहा था।
अंत में इस तरह इग्नोर किए जाने से अन्य की आँखों में आँसू आ गए। वह गाना लगता है।
"तेरे आके यू जाने से
बेचैन है फ़िज़ा मेरी
हो हर नज़र हर ख़बर पर
पे रहती है निगाह मेरी
हो तुझे कैसे ये बताएँ
हमने क्या क्या देखा
कैसे लोगों से रिश्ते थे
कैसे थे मेरे कर्म
हम कहीं खो ना जाएँ
ये डर है रहता
तू हाथ थाम के मेरा
बस तोड़ दे भ्रम
सूना सा यह जहाँ
काली रातों में हम
तन्हा बैठे यहाँ
तुझसे एक ही चीज़ मांगते हैं हम
तू जाना ना पिया
मेरा तेरे बिना कोई ना यहाँ
ये दिल कह रहा
तू जाना ना पिया
छोटी सी उम्र से सब है देखा
अब झेला जाए ना
तू आ जा
नहीं लगदा नहीं लगदा
नहीं लगदा तेरे बिन मेरा
नहीं लगदा नहीं लगदा जिया
तू आ जा
नहीं लगदा नहीं लगदा
नहीं लगदा तेरे बिन मेरा
नहीं लगदा नहीं लगदा जिया
हो जान ए जान
ये है मेरी ज़िंदगी
के मुझे वो ना मिला
जिसकी मुझे थी कमी
पर अब समझ आया ये
की जीना मेरा है तुझसे ही
बस बोल नहीं पाए हम
पर बाते कई ना छुप सकी
अब लगे
सूना सा ये जहाँ
काली रातों में हम
तन्हा बैठे ये यहाँ
तुझसे एक चीज़ मांगते हैं हम
तू जाना पिया
मेरा तेरे बिना कोई ना यहाँ
ये दिल कह रहा
तू जाना पिया
छोटी सी उम्र से सब है देखा
अब झेला जाए ना
तू आ जा
नहीं लगदा नहीं लगदा
नहीं लगदा तेरे बिन मेरा
नहीं लगदा नहीं लगदा जिया
तू आ जा
नहीं लगदा नहीं लगदा
नहीं लगदा तेरे बिन मेरा
नहीं लगदा नहीं लगदा जिया
तू आ जा
तू आ जा
तू आ जा"
यह गाकर अन्य अपने घुटनों पर आकर रोने लगा। वह बहुत जोर से रो रहा था। उसे ऐसे देखकर मयूर दौड़ते हुए उसके पास आकर उसे अपने गले से लगा लेता है। उसे अपने गले लगा देखकर अन्य उससे कहता है-
अन्य: हब्बी, आई एम सॉरी, अब कभी आपको इग्नोर नहीं करूँगा। मैं आपकी हर बात मानूँगा। मेरे लिए सबसे ज़रूरी आप हैं। आपकी नाराज़गी के साथ जी नहीं पाऊँगा। मैं पूरी कोशिश करूँगा कि आपको नाराज़ होने का कोई भी मौका ना दूँ।
मयूर: वाइफ़ी, पागल हो गया है। मैं तुझसे नाराज़ नहीं हूँ। मेरी लाइफ़ पर सिर्फ़ तेरा हक़ है। तेरे और बच्चों के बिना अब मैं अपनी ज़िंदगी सोच भी नहीं सकता। आई एम सॉरी कि मेरी वजह से तू हर्ट हुआ, तेरी आँखों में आँसू आए। माफ़ कर दो। यह कहकर वह सबके सामने अपना दोनों कान पकड़कर खड़ा हो जाता है।
उन दोनों को ऐसे देखकर परम पूजा को बोलते हैं- "ये दोनों एक-दूसरे को इतना चाहते हैं कि कोई भी गलतफ़हमी इनके बीच नहीं आ सकती है। इनके बीच किसी तीसरे शख्स की सलाह की कोई ज़रूरत नहीं है। वह दोनों अपना रिश्ता खुद ही संभाल लेंगे।"
पूजा: ये तो बिल्कुल सही कहा, जहाँ प्यार है वहाँ किसी और चीज़ की कोई गुंजाइश नहीं है।
मयूर अन्य और अपने बच्चों को कसकर गले लगाकर रहता है। वो तीनों उसके बाहों के घेरे में थे।
जीत: मयूर यार, छोड़ दे वर्ना तेरी वजह से मेरा भाभी का दम घुट जाएगा।
मयूर: मेरी बाहों में उसका दम नहीं घुट सकता। वह उसकी साँसों के लिए ज़रूरी है। है ना वाइफ़ी?
अन्य उसकी बात पर अपना सिर हिला देता है और कहता है- "इनमें मैं अपनी पूरी लाइफ़ बिता सकता हूँ।"
उसकी बात सुनकर सब तालियाँ बजाते हैं और डिनर करने जाते हैं। यह सब कर पार्टी खत्म हो जाती है।
अगले भाग में जारी.......
अब अन्य और मयूर के बीच सब कुछ ठीक हो गया था। वे दोनों एक-दूसरे के साथ समय बिताने का मौका तलाशते थे।
एक दिन मयूर, जीत और परमवीर सब परेशान से स्टडी रूम में बैठे थे। तीनों के चेहरे पर बेचैनी साफ़ देखी जा सकती थी।
मयूर- "उस देव के बच्चे के धोखे ने सब बर्बाद कर दिया है। दो घंटे बाद मीटिंग है। इतनी जल्दी नया प्रपोजल कैसे बनेगा? हमें करोड़ों का नुकसान होगा और रेप्युटेशन पर भी फ़र्क पड़ेगा।"
जीत- "मैं उसे जान से मार दूँगा। बस एक बार मिल जाए, ऐसे भी भागकर कहाँ जाएगा? उसे मैं पाताल से भी खोज निकालूँगा।"
परमवीर- "वह सब बाद में करते रहना, अभी यह सोचो कि अब क्या करना है? आज एक घंटे के अंदर ही सब करना है।"
तीनों मिलकर इस बारे में सोच रहे थे, पर उन्हें कुछ उपाय नहीं सूझ रहा था। वे तीनों अपना सिर पकड़कर बैठ गए।
उसी समय अन्य चाय लेकर उनके पास आया और उन लोगों को ऐसे देखकर चिंतित हो गया।
अन्य- "डैडी जी, क्या हुआ? आप इतने चिंतित क्यों हैं? प्लीज बताइए ना।" ऐसे वह बिज़नेस रिलेटेड बातों से दूर रहता था, इसलिए उसे कुछ पता नहीं था।
परमवीर- "बच्चा, कुछ बिज़नेस प्रॉब्लम है।" यह कहकर वह सब कुछ बता देता है।
अन्य- "इतनी सी बात पर आप चिंतित हैं? आपके प्रॉब्लम का सॉल्यूशन आपके सामने खड़ा है। आप बस सारी डिटेल दे दीजिये। मैं आधे घंटे में प्रपोजल बना देता हूँ और मीटिंग में उसे प्रेजेंट भी कर दूँगा।"
मयूर- "आर यू श्योर?"
अन्य- "हंड्रेड परसेंट।"
फिर वे लोग कुछ नहीं बोलते और सारे डिटेल दे देते हैं। अन्य उन डिटेल को जल्दी से नोट करने लगता है। लगभग बीस मिनट के बाद उसने वह प्रपोजल बना लिया। वह उन्हें दिखा देता है। फिर वह तैयार होने जाता है।
मयूर और जीत उस प्रपोजल को देखकर शॉक रह जाते हैं। उसने कमाल का प्रपोजल बनाया था जिसमें एक भी गलती नहीं थी। वे तीनों भी ऑफिस जाने की तैयारी करने लगते हैं। उसी समय अन्य भी तैयार होकर नीचे आता है।
मयूर उसे देखकर शॉक रह जाता है। वही हाल जीत का भी था; उसका मुँह खुला रह गया था। वे दोनों उसे देखकर आश्चर्य में थे। आज पहली बार वह एक कॉर्पोरेट लुक में था। वे दोनों सोच भी नहीं सकते थे कि उसका यह रूप इतना कातिल होगा।
अन्य ने आज पहली बार ब्लैक कलर का टैक्सिडो, वाइन कलर का शर्ट और लेंस का चश्मा पहन रखा था। उसके हाथों में ब्रेसलेट और घड़ी भी थी।
वह सीधे नीचे आकर पूजा के पास जाता है और कहता है- "माँ, मैं डैड और हस्बैंड के साथ एक मीटिंग में जा रहा हूँ। तब तक मीत और मृणाल को देख लीजियेगा।" पूजा भी उसे ऐसे देखकर शॉक थी। उन्हें उसे देखकर अच्छा लग रहा था।
उसके बाद वह मयूर के पास आता है। वह मयूर का हाथ पकड़कर उसके साथ कार में बैठकर ऑफिस निकल जाता है। ऑफिस पहुँचकर वह पूरे एटीट्यूड के साथ मयूर का हाथ पकड़कर अंदर जाता है। ऑफिस में सारे स्टाफ़ बस आँखें फाड़कर अन्य को घूर रहे थे।
मयूर, परम और जीत मीटिंग रूम में बैठे थे। सामने एक लगभग छब्बीस साल का लड़का बैठा था जिसका नाम अध्यक्ष सक्सेना था। वह लगभग छह फ़ीट की हाइट वाला खूबसूरत और सेक्सी लड़का था। उसकी आँखें बहुत सुंदर थीं।
वह लंदन का नंबर वन बिज़नेस मैन था। वह अपने बिज़नेस को लंदन से इंडिया शिफ़्ट करना चाहता था। इसलिए वह इंडियन इंडस्ट्रीज़ में अपना इन्वेस्टमेंट कर रहा था।
मयूर- "हैलो मि. सक्सेना, माय नेम इज़ मयूर सिंघानिया। ये मेरे डैड परमवीर सिंघानिया और मेरा भाई और बिज़नेस पार्टनर जीत सहगल सिंघानिया हैं।"
अध्य- "नाइस टू मीट यू। लेट्स स्टार्ट द मीटिंग प्लीज़।"
उसी समय अन्य डोर नॉक करते हुए कहता है, "मे आई कम इन? आई एम रियली सॉरी फॉर गेटिंग लेट।"
मयूर स्माइल करते हुए कहता है- "यस, कम इन।"
अन्य अध्य के पास जाकर कहता है, "हैलो मि. सक्सेना, लेट्स स्टार्ट द मीटिंग।" यह कहकर वह सामने प्रोजेक्टर पर सारे क्लिप चलाने लगता है और उसकी डिटेल बताने लगता है। लगभग आधे घंटे बाद प्रेजेंटेशन कंप्लीट होती है।
अध्य- "इससे आपको ज़्यादा फ़ायदा है तो मैं इसमें इन्वेस्टमेंट क्यों करूँ?"
अन्य- "सर, हमारी कंपनी आपको पूरे छब्बीस परसेंट प्रॉफ़िट दे रही है जो पूरे वर्ल्ड मार्केट से भी ज़्यादा है जो कोई और कंपनी नहीं दे सकती।" यह कहकर वह एक डेटा चला देता है जिसमें पूरे बारीकी से सब डिटेल बताई गई थी। वह देखकर अध्य डील के लिए मान जाता है।
अध्य- "हैलो मि.? आई एम सो सॉरी, मैंने आपका नाम नहीं पूछा।"
अन्य- "माय नेम इज़ मयंक।"
अध्य- "वेरी गुड नेम। यह डील तो हो रही है पर मुझे तुमसे कुछ कहना है। मेरा नाम अध्यक्ष सक्सेना है। मेरे माँ-डैड दोनों इंडियन हैं। मैं अभी लंदन में रहता हूँ।"
अन्य- "आई नो सर।"
मयूर जीत से- "ये मि. सक्सेना क्या करना चाह रहे हैं? वह अपनी डिटेल क्यों दे रहा है? उसे क्या शादी करनी है जो बायोडाटा दे रहा है?"
जीत- "मेरे भोले बाबा, वह भाभी के साथ फ़्लर्ट कर रहा है। तुम शांत रहो। कुछ गड़बड़ मत कर देना। वह अभी कुछ भी गलत नहीं कर रहा है। भाभी की मेहनत पर पानी मत फेर देना।"
अध्य- "मि. मयंक, मैं एक स्ट्रेट फ़ारवर्ड इंसान हूँ। मुझे तुम पहली झलक में ही पसंद आ गए। आई वांट टू मैरी यू। आराम से सोचकर जवाब देना। मैं लंदन का मोस्ट एलिजिबल बैचलर हूँ। कई देशों में मेरी कंपनी है। मैं अब इंडिया में सेटल होना चाहता हूँ। इसलिए मैंने सोचा कि तुमसे बात कर ही लूँ। मैं देरी नहीं करना चाह रहा था।"
अन्य उसकी बात सुनकर शॉक होकर मयूर को देखने लगा। जीत भी कभी अन्य को और कभी मयूर को देख रहा था। उसका मुँह खुला रह गया था। परम जी भी शॉक थे कि यह क्या हो रहा है। मयूर ने गुस्से में अपने हाथ की मुट्ठी बाँध ली थी। वह कभी भी उसे एक पंच मार सकता था। अन्य ऐसा कुछ भी होने नहीं दे सकता था। वह नहीं चाहता था कि उसकी वजह से कंपनी में परेशानी आए।
अन्य मामले को संभालते हुए अध्य से कहता है- "मि. सक्सेना, आपने मुझे प्रपोज करने में देर कर दी है। मेरा पूरा नाम मयंक मयूर सिंघानिया है। मयूर मेरे हसबैंड हैं, जो इसी मीटिंग में आपके साथ बैठे हैं। मेरे तीन साल के दो बच्चे भी हैं। आप मेरे लाइफ़ पार्टनर तो नहीं पर बिज़नेस पार्टनर बन सकते हैं। हमारे साथ बिज़नेस कर आप प्रॉफ़िट में ही रहेंगे। अब जब आपने हमारा प्रपोजल एक्सेप्ट कर ही लिया है तो हम और आप फ़्रेंड बन सकते हैं।"
उसकी बात सुनकर अध्य उससे फ़्रेंडशिप कर लेता है और कहता है- "अगर तुम्हें कभी दूसरी शादी करने का मन करे तो आई एम ऑलवेज़ रेडी। मेरा प्रपोजल हमेशा ही तैयार मिलेगा।"
अन्य- "जब भी ऐसा होगा तो मैं जरूर सोचूँगा।" अन्य ने मामले को ठंडा करने के लिए कहा।
उसकी बात सुनकर मयूर कहता है कि ऐसा कुछ कभी ना हो इसका पूरा ख्याल रखूँगा। मेरी वाइफ़ मेरी लाइफ़ है।
मयूर की बात पर अध्य हँसने लगता है। वह समझ गया था कि मयूर को जलन हो रही है। वह आगे कुछ और कहता, उससे पहले ही उसे फ़ोन आ जाता है और वह दूसरी मीटिंग के लिए निकल जाता है।
उसके जाने के बाद परम और जीत मयूर को देखकर जोर-जोर से हँसने लगते हैं। उन दोनों को हँसते देख मयूर चिढ़ गया और अन्य को शर्म आ रही थी।
जीत- "कांग्रेट भाई, सौतन मुबारक हो। ऐसे बहुत ही डैशिंग हैं, बचकर रहना। आज तो भाभी ने मना कर दिया पर अगली बार कहीं ना मान जाए। अगर मुझे कहता तो मैं प्रपोजल एक्सेप्ट कर लेता।" यह कहकर वह एक बार फिर से हँसने लगा।
मयूर- "तू चुपचाप रह, मेरी वाइफ़ मुझसे बहुत प्यार करता है। इसलिए वह कभी दूर नहीं जाएगा। तुझे उसके पास जाना है तो तू जा सकता है।"
परम- "पर यह तो दुनिया में पहली बार हुआ होगा कि एक हसबैंड के सामने किसी ने सीधे शादी के लिए वाइफ़ को प्रपोज किया हो। कांग्रेट, तुमने आज रिकॉर्ड बना दिया।" यह कहकर वह जीत को एक हाई-फ़ाइव देता है। उन दोनों से चिढ़कर मयूर अन्य का हाथ पकड़कर बाहर निकल जाता है।
अगले भाग में जारी......
डिनर टाइम पर, जब वे सब मिलकर एक साथ इकट्ठे थे, जीत बोला, "माम, आज तो कमाल ही हो गया था। आज तो मैं अपनी भाभी खोते-खोते बच गया।"
पूजा- "मायू बच्चा, तू ठीक है ना? तुझे कुछ हुआ तो नहीं?"
अन्य- "माम, मैं ठीक हूँ। मुझे कुछ भी नहीं हुआ।"
परम- "उसे नहीं, मयूर का हार्ट अटैक आते हुए रुका।" यह कहकर वह सारी बात बताने लगा। अब मीनल और पूजा को भी बहुत हँसी आ रही थी।
पूजा- "मानना पड़ेगा कि तुम रिकॉर्ड होल्डर हो। मेरे बेटे के साथ जो भी होता है, यूनिक होता है।" यह कहकर वह हँसने लगी।
मयूर- "डैड, अगर मैंने रिकॉर्ड बनाया है, तो आप दोनों ने भी रिकॉर्ड बनाया है। आप भी इस दुनिया के पहले ससुर होंगे, जिसके सामने उसकी बहू को उसके पति के आगे मैरेज प्रपोज़ल मिला। अब मेरा मज़ाक उड़ाना बंद कीजिए। मैं क्या करूँ? मेरा वाइफ इतना हैंडसम और हॉट जो है।"
अन्य उन सबकी बात सुनकर शर्म से अपना पूरा ध्यान अपनी प्लेट पर लगा देता है।
परम- "यह सब मज़ाक छोड़ो। मायू, तुम ऑफिस ज्वाइन क्यों नहीं लेते? तुम्हारा बिज़नेस नॉलेज कमाल है। मेरे बात मानकर ऑफिस जाया करो।"
अन्य- "डैड, मेरा इसमें कोई इंटरेस्ट नहीं है। जब भी मेरी ज़रूरत होगी, मैं आ जाऊँगा। मेरे लिए मेरे बच्चे मेरी प्राथमिकता हैं। प्लीज़ डैड, मुझे यह सब नहीं करना है।"
परम- "जब तुम नहीं चाहते, तो ठीक है।"
कुछ दिन बाद प्रोजेक्ट शुरू हो जाता है। मयूर, जीत और अध्य एक साथ मिलकर इस पर डिस्कशन कर रहे थे। अध्य को कुछ पॉइंट पर डाउट थे, जिसे वह क्लियर करना चाहता था।
अध्य- "मयूर, मयंक कहाँ है? वह अभी तक नहीं आया।"
मयूर- "क्यों? वह घर पर है। वह ऑफिस में काम नहीं करता है।"
अध्य- "मुझे कुछ डाउट हैं, जो वो ही दूर कर सकता है। क्योंकि यह पूरा प्रपोज़ल पर उसकी मेहनत है। प्लीज़ उसे बुला लो।"
मयूर- "मैं उसे वीडियो कॉल कर देता हूँ। बात कर लो। वह अभी इतनी जल्दी ऑफिस नहीं आ सकता है।" यह कहकर वह कॉल लगा देता है।
उसका नाम देखकर अन्य कॉल उठा लेता है। वह अभी सिर्फ़ लोअर और स्लीवलेस टीशर्ट में था। वह बहुत हैंडसम और हॉट लग रहा था।
अन्य- "हब्बी, आप ठीक तो हैं ना? आपको कोई परेशानी तो नहीं है?" यह कहकर वह मयूर को देखने लगा।
मयूर- "नहीं, मैं ठीक हूँ। वह प्रोजेक्ट से रिलेटेड कुछ डाउट थे, जिसे क्लियर करना है।"
अध्य, जो मयूर के पास खड़ा था, वह एकटक अन्य को देखे जा रहा था। मयूर उसे फ़ोन दे देता है, पर उसे बहुत गुस्सा आ रहा था।
अध्य- "हैलो मयंक, पहचाना मुझे? मैं अध्य हूँ, तेरा आशिक। तेरे बिना मन नहीं लग रहा था, तो कॉल करवा लिया।"
अन्य- "मि. सक्सेना, यह सब बातें छोड़िए। आपको क्या जानना था, उस पर फ़ोकस कीजिए।" यह कहकर दोनों उस डील के बारे में बात करने लगते हैं।
दोनों के बीच हँसी-मज़ाक भी हो रहा था। अन्य का अध्य के साथ बॉन्डिंग दो-तीन मुलाक़ात में ही अच्छा हो गया था। उन दोनों को ऐसे क्लोज़ देखकर मयूर को जलन और गुस्सा भी आ रहा था।
जैसे ही कॉल कट होता है, मयूर अध्य के साथ किसी तरह अपना काम करता है। उसके बाद वह तेज़ी से घर आता है और अपने कमरे में आता है।
वह देखता है कि अन्य अभी भी लोअर पहने हुए था। वह बच्चों के साथ खेल रहा था।
मयूर- "बच्चो, तुम लोग बाहर जाकर खेलो। डैड को मम्मा से कुछ काम है। तुम दोनों दादी के पास चले जाओ।"
उसकी बात मानकर बच्चे कमरे से चले जाते हैं। मयूर अन्य के पास आता है और उसके बाल को कसकर पकड़कर किस करने लगता है। आज उसके किस में गुस्सा और जलन भी शामिल था। वह उसके होठों को बाइट भी कर रहा था। उसने लगभग उसके होठों को चबा डाला था। आज वह अपने किस से अन्य को अपनी नाराज़गी जता रहा था।
वह उसे गोद में लिए हुए बेड पर आ जाता है और झटके से उसके टीशर्ट और लोअर को निकाल देता है। फिर वह उसके पूरे बदन पर किस कर रहा था, साथ में बाइट भी कर रहा था। वह अपना पूरा गुस्सा निकाल रहा था। वह उसके पूरे बदन को छू रहा था। वह उसे लिक और सक भी कर रहा था। आज उसके प्यार में यह दिखा रहा था कि वह सिर्फ़ उसका है। उस पर उसका पूरा हक़ है, जिसे वह कभी भी ले सकता है। फिर वह उसके साथ इंटिमेट होने लगता है। अन्य भी उसका पूरा साथ दे रहा था। थोड़ी देर बाद दोनों शांत हो जाते हैं। मयूर अभी भी अन्य से लिपटा हुआ था। अन्य भी उसकी करीबी को महसूस कर रहा था। मयूर अन्य की करीबी से शांत हो रहा था।
मयूर जब पूरी तरह रिलैक्स हो जाता है, तब उसका ध्यान अन्य के ऊपर जाता है। वह देखता है कि उसका होठ पूरी तरह से सूजा हुआ था। उसके होठों से ब्लड आ रहा था। उसके शरीर पर कई सारे बाइट मार्क थे, जिनमें से कुछ से हल्का ब्लड आ रहा था। अन्य बहुत थका हुआ लग रहा था। उसे ऐसे देखकर मयूर को अपने पर बहुत गुस्सा आ रहा था। वह गुस्से में अपना हाथ मिरर पर मारने जाता है, पर अन्य उसके पहले ही उसका हाथ पकड़कर लेता है।
अन्य- "हब्बी, इतना गुस्सा क्यों है कि अपने को हर्ट करना चाह रहे हैं?"
मयूर- "मुझे क्यों रोका? मुझे सज़ा मिलनी चाहिए। मैंने तुझे इतना हर्ट किया। अपने गुस्से में तुझे दर्द दे दिया।"
अन्य- "मुझे दर्द नहीं हो रहा है। मुझे खुशी है कि आप मुझ पर अपना हक़ मानते हैं। हमेशा ऐसे ही रहना। मुझे आज पता चला कि आप मुझे हद से ज़्यादा प्यार करते हैं। मैं आपका हूँ। आई लव यू।"
मयूर उसके घावों पर दवा लगाता है और उसे आराम करने कहता है। उसकी बात मानकर अन्य चुपचाप बेड पर सो जाता है।
मयूर नीचे जाकर रात का डिनर बनाने लगता है। उसी समय पूजा भी किचन में आती है। वह उसे वहाँ देखकर पूछती है, "तू किचन में क्या कर रहा है? अब क्या किया तूने अपने गुस्से में? किस चीज़ से तू इतना परेशान है? मायू ठीक तो है ना?"
मयूर- "माम, आई एम सॉरी। आज मैंने उसे बहुत हर्ट किया है। अपने गुस्से में उसे चोट पहुँचाई। मैं अध्य के साथ उसकी दोस्ती बर्दाश्त नहीं कर पाया।"
उसी समय अन्य भी किचन में आता है। वह सीधे आकर उसकी आँख पोछता है, क्योंकि वह रो रहा था। उसे मयूर का रोना बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था।
अन्य- "हब्बी, रोना बंद कीजिए, वर्ना फिर कभी बात नहीं करूँगा। मुझे यह रोँदू हब्बी पसंद नहीं है। अगर आप चुप नहीं हुए, तो मैं किसी और को खोज लूँगा।"
मयूर उसे पकड़कर अपने गले लगाते हुए कहता है कि सपने में भी ऐसा मत सोचना कि तू किसी और के पास जा सकता है। मैं बहुत पोज़ेसिव हसबैंड हूँ।
पूजा जी उन दोनों को ऐसे देखकर जोर से अपना गला ख़राशते हुए कहती है कि आजकल के बच्चे बहुत बेशर्म हैं। अपनी माम का लिहाज़ भी नहीं है।
यह सुनकर अन्य झटके से अलग होते हुए कहता है, "माफ़ कर दीजिए, आगे से ऐसा कुछ भी नहीं होगा।"
पूजा- "तू तो एक नंबर का बेवकूफ़ है। कभी भी इसे पता ही नहीं चलता कि मैं मज़ाक कर रही हूँ। तुम जाकर सबको बुला लो, मैं डिनर तैयार कर रख दे रही हूँ।"
कुछ देर बाद सब डिनर करने आ जाते हैं। मयूर ने आज अन्य को अपने पास बैठाया था। उसे देखकर सबको उसके लिए बुरा लग रहा था।
मयूर अन्य को अपने हाथ से खिलाने वाला था। अन्य चुपचाप अपनी आँखें नीचे कर बैठा था। वह जैसे ही पहली बाइट खिलाता है, अन्य के मुँह से सिसकारी निकल जाती है। कटने के कारण उसे जलन हो रही थी। यह देखकर मयूर उसे खिलाना बंद कर जल्दी से किचन में जाता है। उसे अचानक से जाते देखकर अन्य को लगता है कि वह नाराज़ हो गया है। वह भी पीछे जाने लगता है, पर परम उसे रोक देता है।
थोड़ी देर बाद मयूर अपने हाथ में हलवा का बाउल लेकर आता है। आज उसने ड्राई फ्रूट्स का हलवा बनाया था। वह अन्य के पास बैठकर उसे ठंडा करके खिलाने लगता है। जब उसका खाना हो जाता है, तो उसे दवा खिलाकर सोने भेज देता है, क्योंकि बच्चे अकेले थे।
उसके जाते ही परम, जीत और मीनल, जो गुस्से में थे, वो बोल पड़ते हैं।
परम- "मयूर, ये क्या हरकत थी? वो तेरा हसबैंड है, कोई पंचिंग बैग नहीं, कि उसके ऊपर अपना पूरा गुस्सा उतार दिया।"
जीत- "देख यार, मैं जानता हूँ कि तू भाभी को बहुत चाहते हो। पर उसकी भी एक पर्सनल ज़िंदगी है। तुम्हें अध्य पसंद नहीं, तो ठीक है, समझ सकता हूँ, पर मयंक भी सिर्फ़ हमारे प्रॉफिट के लिए इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। वर्ना इतने दिनों में उसने कभी ये तक नहीं कहा कि वह बिज़नेस में इतना अच्छा है। उसे घर पर नहीं रहना। उसे अपना करियर बनाना है। उसने अपनी लाइफ़ तेरे और हमारे लिए सैक्रिफ़ाइस कर रखी है। वह हर चीज़ में परफ़ेक्ट है। वह इतना हैंडसम है कि कोई भी उससे फ़्लर्ट कर सकता है। पर उसने कभी भी तेरे अलावा किसी और पर ध्यान नहीं दिया है। वह तुझसे बहुत प्यार करता है। फिर कभी उसके साथ ऐसा कुछ मत करना, वर्ना मैं कभी बात नहीं करूँगा।"
मीनल- "भाई, आगे से ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए। आज आपकी वजह से मेरी भाभी दर्द में है। आई हेट यू।" यह कहकर वह उठकर चली गई। उसके पीछे सारे लोग भी चले गए।
मयूर भी अपने कमरे में जाकर फ़्रेश होकर आता है। वह देखता है कि अन्य ऐसे ही सोया हुआ था। उसने अपने पैरों को मोड़कर अपने पेट में घुसा लिया था, पर ब्लैंकेट नहीं ओढ़ा था। वह जाकर उसे ब्लैंकेट से ढक देता है और उसको पकड़कर कहता है, "वाइफ़ी, मैं तेरे आस-पास किसी को बर्दाश्त नहीं कर पाता। आई एम सॉरी। अब से अपने गुस्से पर कंट्रोल करूँगा।"
अन्य उसे पकड़कर अपने में सटाते हुए कहता है, "पर मुझे तो आप ऐसे ही पसंद हैं। एंग्री यंग मैन वाले लुक में अच्छे लगते हैं। कभी चेंज मत होना। आई लव यू।" यह कहकर वह उसके होठों पर अपने होठ रख देता है। यह देखकर मयूर शांत हो जाता है। थोड़ी देर बाद दोनों सो जाते हैं।
अगले भाग में जारी...