यह कहानी है निविशा की अपनों से मिले धोखे का बदला लेने की और वापस से अपने पति का प्यार पाने की क्या निविशा होगी कामयाब एक बार फिर मिलेगी उसे अपनों के ही हाथों हार...... माया उसे लड़की के करीब आकर कहती है...... निविषा तुम्हारे साथ जो हुआ ना वह तुम्हारी... यह कहानी है निविशा की अपनों से मिले धोखे का बदला लेने की और वापस से अपने पति का प्यार पाने की क्या निविशा होगी कामयाब एक बार फिर मिलेगी उसे अपनों के ही हाथों हार...... माया उसे लड़की के करीब आकर कहती है...... निविषा तुम्हारे साथ जो हुआ ना वह तुम्हारी वजह से हुआ क्योंकि तुम्हें हम लोगों पर विश्वास था तुम्हें खुद के पति पर विश्वास नहीं था जो तुम्हें हमेशा हमसे दूर रहने के लिए बोलता था क्योंकि वह बहुत पहले से हमारी सच्चाई जानता है..... वह लड़की नम आंखों से उन सब की तरफ देखकर कहती है मैं तुम लोगों को कभी माफ नहीं करूंगी अगर मुझे मेरी जिंदगी को जीने का दोबारा मौका मिला तो तुम सब की मौत मेरे हाथों होगी यह वादा है मेरा तभी वह तीनों निकाल कर उसके ऊपर तान देते हैं और एक साथ तीनों गन निकालकर गोली मार देते हैं लोग उसके शरीर में ढेर सारी बुलेट दाग देते हैं और वह लड़की वही 2 मिनट में मर जाती है....... only on pocket maniya pr 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
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मुंबई एक साधारण से घर में एक लड़की किचन में काम कर रही थी और बाहर से एक औरत के चीखने और चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी वह लड़की रोते हुए फिर भी काम किया जा रही थी तभी पीछे से उसी की उम्र की एक लड़की आती है और उसके बालों को कसकर अपनी मुट्ठी में पकड़ लेती है और कहती है तुम मर क्यों नहीं जाती क्यों हम सबके ऊपर बोझ बनी हुई है अरे जिस आदमी ने तुझसे मोहब्बत की तू उसे आदमी का ना हो सके तो आपको किसकी होगी अरे मर जाना तो हम भी इस मोड़ से मुक्त हो जाएं......... उसे लड़की की आंखों में आंसू आ जाते हैं और वह उसे दूसरी लड़की की तरफ देखकर कहती है लेकिन मेरा दीदी मैंने तो वही किया ना जो आपने मुझसे कहा आपने कहा कि वह मुझसे प्यार नहीं करती वह सिर्फ मेरी खूबसूरती से प्यार करते थे इसीलिए वह हर पल मेरे साथ फिजिकल होना चाहते थे आपने जो जो कहा मैंने वह किया तो आप कैसे कह सकती हैं कि वह आदमी मुझे इतना प्यार करता था और मैंने उसे छोड़ दिया............ माया कसकर उसे लड़की का चेहरा पकड़ लेती है और कहती है इतनी इनोसेंट बनने की जरूरत नहीं है तू बहुत चालाक है तूने जानबूझकर अपने रूप और माया जाल में अद्विक को फसाया था वरना मेरा अद्विक मुझे छोड़कर तुझे कभी शादी नहीं करता शादी पिक कि उसने तेरे साथ सुहागरात भी मनाए और तुझे प्यार भी करने लगा ऐसा तो हो नहीं सकता था जरूर तूने उसके ऊपर कोई काला जादू किया होगा.......... वह लड़की माया का हाथ पकड़ कर कहती है मैंने कुछ नहीं किया था दीदी आप हमेशा मुझसे बोलती थी कि अद्विक जी आपसे प्यार करते हैं इसीलिए मैंने कभी अद्विक जी को प्यार का जवाब प्यार से नहीं दिया मैं हमेशा उनके साथ बहुत गलत बर्ताव करती थी और मैं जब उनसे तलाक मांगा तो उन्होंने मुझे रोकने की बहुत कोशिश की थी लेकिन फिर भी मैं आपके कहने पर आकर उन्हें तलाक दे दिया........ तभी पीछे से एक औरत और एक आदमी आकर उसे लड़की को सीधा कर कर एक के बाद उसे लड़की के चेहरे पर 8 से 10 थप्पड़ मार देते हैं उसे लड़की का पूरा चेहरा सूज गया था तभी वह तीनों हंसते हुए उसे लड़की से कहते हैं अरे पागल लड़की अद्विक राय जाता तुझसे ही प्यार करता था........ हमने यह सब कुछ प्लान किया था जिससे हम अद्विक राय ज्यादा को तुम्हारी जिंदगी से निकलकर माया की शादी उससे कर सके लेकिन वह तो इतना पत्नी भक्त निकला कि तुम्हें तलाक देने के बाद भी उसने माया से शादी करने से साफ-साफ इनकार कर दिया और उसने कहा तुमने भले ही तलाक के पेपर पर साइन किए थे........ अद्विक रायजादा ने तुम्हें तलाक नहीं दिया है तुम आज भी उसकी बीवी हो वह आज भी तुमसे मिलने की कोशिश करता है और जानती हो आज तो तुमसे मिलने आया था और हमने उसे जान से मार दिया जैसे ही उसे लड़की के कानों में यह आवाज आती है कि अद्विक को मार दिया वह लड़की जोर से चिल्लाती है..... और गुस्से से कहती है यह तुम लोगों ने ठीक नहीं किया आज तक तुमने जो कहा मैंने सब किया लेकिन तुमने सबने मेरे साथ धोखा किया और आप इस धोखे का सिर्फ एक अंजाम हो सकता है वह है मौत......... तभी वह तीनों लोग उसे लड़की के बालों को पकड़ कर उसे फर्श पर धक्का देकर कहते हैं यह तो कुछ भी नहीं आज तक तुम्हारे और अद्विक के बीच जो कुछ भी हुआ वह सब कुछ हम लोगों ने जान पूछ कर किया उसे रात माया और अद्विक के बीच कुछ नहीं हुआ था अद्विक ने तो माया को खुद को हाथ भी नहीं लगाने दिया था लेकिन तुमने जो देखा तुमने उसे सच मान और तुम्हें लगा कि अद्विक और माया एक दूसरे से प्यार करते हैं.............. यह सब कुछ हमने जान कर किया और तुम इतनी बड़ी बेवकूफ थी कि तुमने हमारी हर बात को आंख बंद कर कर विश्वास किया इसमें हम लोगों की गलती नहीं थी बल्कि इसमें तुम्हारी बेवकूफी की गलती थी......... तभी वह तीनों जोर जोर लड़की अपनी आंखों को बंद करके कहती है तुम तीनों ने मेरे साथ धोखा किया मैंने तुम्हें अपना परिवार माना था और तुम लोगों ने मेरे साथ विश्वास घात किया मैंने तुम लोगों के चक्कर में आकर अपने पति को छोड़ दिया जो इस दुनिया में मुझे सबसे ज्यादा प्यार करता था मैं तुम लोगों को कभी माफ नहीं करूंगी अगर आज अगर मेरी मौत हो भी जाती है तब भी मैं तुम तीनों को अपने साथ लेकर मरूंगी.......... वह तीनों उसे लड़की को देखकर जोर-जोर से हंसने लगते हैं तभी माया उसके करीब आकर फिर से उसके गाल पर थप्पड़ मार कर कहती है तू kuch bhi nahi कर सकती तू सिर्फ हम लोगों के लिए एक मोहर थी जिसे जब तक हमारा मन किया हमने इस्तेमाल किया और अब तू हमारे किसी काम की नहीं क्योंकि हमें अद्विक राय ज्यादा की पूरी प्रॉपर्टी मिल चुकी है जो उसने तेरे नाम कर दी थी और कल रात हमने तुझे वह पेपर सेंड कर कर अपने नाम कर ली अब तू जिए या मार हमें कोई फर्क नहीं पड़ता.......... माया उसे लड़की के करीब आकर कहती है...... निविषा तुम्हारे साथ जो हुआ ना वह तुम्हारी वजह से हुआ क्योंकि तुम्हें हम लोगों पर विश्वास था तुम्हें खुद के पति पर विश्वास नहीं था जो तुम्हें हमेशा हमसे दूर रहने के लिए बोलता था क्योंकि वह बहुत पहले से हमारी सच्चाई जानता है..... वह लड़की नम आंखों से उन सब की तरफ देखकर कहती है मैं तुम लोगों को कभी माफ नहीं करूंगी अगर मुझे मेरी जिंदगी को जीने का दोबारा मौका मिला तो तुम सब की मौत मेरे हाथों होगी यह वादा है मेरा तभी वह तीनों निकाल कर उसके ऊपर तान देते हैं और एक साथ तीनों गन निकालकर गोली मार देते हैं लोग उसके शरीर में ढेर सारी बुलेट दाग देते हैं और वह लड़की वही 2 मिनट में मर जाती है....... क्या निविषा को मिलेगा दोबारा मौका अपना बदला लेने का या रह जाएगा निविषा का बदला अधूरा रह जायेगा .... Do like share comment support Review follow guys 🙏 ♥️
तीनों ने उस लड़की को देखकर जोर-जोर से हँसना शुरू कर दिया। तभी माया उसके पास आकर फिर से उसके गाल पर थप्पड़ मारते हुए बोली, "तू कुछ भी नहीं कर सकती। तू सिर्फ हम लोगों के लिए एक मोहर थी, जिसे जब तक हमारा मन किया, हमने इस्तेमाल किया और अब तू हमारे किसी काम की नहीं, क्योंकि हमें अद्विक राय की पूरी प्रॉपर्टी मिल चुकी है जो उसने तेरे नाम कर दी थी और कल रात हमने तुझे वो पेपर भेजकर अपने नाम कर ली। अब तू जिए या मर, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता।"
माया उस लड़की के करीब आकर बोली, "निविषा, तुम्हारे साथ जो हुआ ना, वो तुम्हारी वजह से हुआ क्योंकि तुम्हें हम लोगों पर विश्वास था, तुम्हें खुद के पति पर विश्वास नहीं था, जो तुम्हें हमेशा हमसे दूर रहने के लिए बोलता था क्योंकि वह बहुत पहले से हमारी सच्चाई जानता है।"
वह लड़की नम आँखों से उन सबकी तरफ देखते हुए बोली, "मैं तुम लोगों को कभी माफ नहीं करूँगी। अगर मुझे मेरी ज़िन्दगी जीने का दोबारा मौका मिला, तो तुम सबकी मौत मेरे हाथों होगी। यह वादा है मेरा।" तभी तीनों ने बंदूकें निकालकर उस पर तान दीं और एक साथ तीनों ने गोली मार दी। लोगों ने उसके शरीर में ढेर सारी गोलियाँ दाग दीं और वह लड़की वहीं 2 मिनट में मर गई।
एक बहुत ही खूबसूरत कमरे में एक लड़की बेड पर सोई हुई थी और उसके चारों तरफ किसी के तेज़-तेज़ साँस लेने की आवाज़ आ रही थी। वह लड़की धीरे-धीरे अपनी आँखें खोली और जैसे ही उसने अपनी आँखें खोलीं, उसे सामने एक बहुत ही खूबसूरत व्हाइट कलर की दीवार दिखाई दी। वह दीवार को देखकर उठकर बैठ गई। तभी किसी ने उसके सर पर हाथ रखकर कहा, "आप ठीक हैं? आपकी तबीयत कैसी है?" जैसे ही यह आवाज़ उस लड़की के कानों में गई, वह लड़की हैरानी से एक झटके में अपनी दूसरी तरफ देखी, जहाँ उस वक्त उस लड़की का पति अद्विक बैठा था।
अद्विक को एक बार फिर अपनी आँखों के सामने देखकर निविषा की आँखों में आँसू आ गए। उसे ऐसा लगा जैसे उसने यह सब कुछ सपना देखा हो। वह एक झटके में अद्विक के सीने से लग गई। यह पहली बार था जब निविषा अद्विक के गले लगी थी, वरना वह हमेशा अद्विक से दूर रहती थी, कभी उसे अपने करीब नहीं आने देती थी। शायद उसके दिल में कोई डर था या शायद उसे अद्विक से प्यार नहीं था। यह सब बातें अद्विक को लगती थीं, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था।
अद्विक हैरानी से अपने सीने से लगी उस लड़की को देख रहा था जो कभी उसे एक उंगली तक नहीं छूने देती थी। आज वह लड़की उसके सीने में छुपकर रो रही थी। अद्विक प्यार से निविषा के बालों पर अपना हाथ फेरते हुए बोला, "क्या हुआ? कोई बुरा सपना देखा या अभी भी तबीयत खराब है? बताओ मुझे, मैं डॉक्टर को बुला देता हूँ।" कुछ पल खुद को शांत करने के बाद निविषा अद्विक से अलग होकर बोली, "नहीं, ऐसा कुछ नहीं।"
अद्विक ने एक बार फिर अपना चेहरा बिना किसी भाव के बना लिया क्योंकि निविषा का उससे दूर जाना उसे पसंद नहीं आया था, लेकिन वह निविषा पर कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती भी नहीं करना चाहता था। वह चाहता था कि यह लड़की उससे मोहब्बत करे, उसके करीब रहे, उसे अपना हक़ समझे, किसी और के लिए अपना हक़ ना छोड़े। अद्विक ने निविषा को बदलने की बहुत कोशिश की थी, लेकिन वह बदली नहीं, बल्कि वह अद्विक को छोड़कर चली गई थी। यह सब बातें निविषा के मन में चल रही थीं। इन सब बातों से अनजान अद्विक एकदम से उठकर खड़ा हो गया और बोला, "सॉरी, मुझे तुम्हारे कमरे में नहीं आना चाहिए था।" यह कहकर जैसे ही वह कमरे से बाहर जाने लगा, उसके कानों में एक बहुत ही प्यारी और मीठी आवाज़ पहुँची, "आप ऐसा क्यों कह रहे हो, अद्विक? यह आपका घर है और मैं आपकी पत्नी हूँ। आप मेरे पास कभी भी आ सकते हैं।"
अद्विक के चेहरे पर एक सुंदर मुस्कान आ गई और वह मुड़कर निविषा की तरफ देखते हुए बोला, "तुम तैयार होकर नीचे आ जाओ, साथ में ब्रेकफ़ास्ट करते हैं।" निविषा ने हाँ में सिर हिला दिया। अद्विक उस कमरे से बाहर चला गया। अद्विक के कमरे से निकलने के बाद निविषा धीरे से उठकर वॉशरूम की तरफ चली गई और वॉशरूम का गेट लॉक करके आईने के सामने खड़ी हो गई।
आज वह उतनी खूबसूरत लग रही थी जितनी वह अपनी शादी के वक्त हुआ करती थी। निविषा को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उसने जो देखा, वह सपना था या सच, लेकिन अभी वह इसी असमंजस में थी कि तभी उसे वॉशरूम में रखा अपना फ़ोन दिखाई दिया। उसने अपना फ़ोन खोला और जैसे ही उसने आज की तारीख़ देखी, उसके चेहरे की हवाइयाँ उड़ गईं।
उसे याद आया, यह शादी के बाद 8 दिन की बात थी जब निविषा की तबीयत खाना ना खाने की वजह से खराब हो गई थी। निविषा अपने मन में बोली, "इसका मतलब मैं 5 साल पीछे आ गई हूँ, जहाँ मेरी और अद्विक की शादी हुई थी और अभी हमारी शादी को 8 दिन हुए हैं और आज माया यहाँ आकर तमाशा करने वाली है, मुझे अद्विक के खिलाफ भड़काने वाली है, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा।"
"कहीं मुझे महादेव ने दूसरा मौका तो नहीं दिया? वह मेरे बदले में मेरा साथ तो नहीं देना चाहते? ऐसा तो नहीं है कि यह सब मेरा भ्रम है?" यही सब सोचते हुए निविषा की नज़र आईने में खुद पर गई। ना उसकी मांग में सिंदूर था, ना गले में मंगलसूत्र, ना हाथों में चूड़ा, ना पैरों में पायल। यह सब कुछ उसने माया और उसके माँ-बाप के कहने पर निकाल दिया था। एक दिन जब अद्विक ने इस बारे में बात की तो निविषा ने उसे उल्टा जवाब दिया था कि वह शादी को नहीं मानती और ना ही उसे अपना पति मानती है। यह सब याद करके निविषा के चेहरे पर नफ़रत के भाव आ गए और वह अपनी आँखों में नफ़रत भरते हुए बोली, "तुम लोगों ने मेरे साथ जो किया, उसके लिए मैं तुम लोगों को एक बार के लिए माफ़ कर भी सकती थी क्योंकि बचपन से पालकर बड़ा किया था तुम लोगों ने मुझे, लेकिन जो तुमने अद्विक के साथ किया, उसके लिए यह निविषा तुम्हें कभी माफ़ नहीं करेगी, क्योंकि एक बेटी या एक मुँहबोली बेटी तुम लोगों को माफ़ कर सकती थी, लेकिन एक पत्नी तुम लोगों को कभी माफ़ नहीं करेगी। अब मैं माया या उसके परिवार की परछाई भी अपने पति पर नहीं पड़ने दूँगी।"
निविषा अभी भी आईने में देखकर यही सब अपने मन में सोच रही थी तभी बाहर से एक नौकरानी की आवाज़ आई, "मैडम, आप तैयार हो गईं? सर आपका इंतज़ार कर रहे हैं।" अंदर से निविषा की प्यारी सी आवाज़ आई, "आप जाइए, हम आते हैं।" निविषा जल्दी से शावर लेकर वॉशरूम से बाहर आई। जब वह ड्रेसिंग रूम में गई तो वहाँ एक से बढ़कर एक ब्रांडेड कपड़े रखे थे।
लेकिन उसने इन 10 दिनों में कभी भी इन कपड़ों को हाथ नहीं लगाया था, लेकिन आज वह अद्विक को अपना पति भी मानती है और इस घर को अपना भी। इसीलिए उसने अलमारी में से एक ग्रीन कलर की साड़ी निकालकर पहन ली। आईने के सामने जाकर खड़ी होकर उसने अपने बाल सँवारे, मांग में सिंदूर भरा, गले में मंगलसूत्र पहना, हाथों में सुहाग का चूड़ा पहना, पैरों में पायल और बिछिया पहनी, नाक में नोज़पिन, माथे पर लाल कलर की बिंदी और होठों पर लिपस्टिक लगाई। कुल मिलाकर वह एक नई-नवेली दुल्हन लग रही थी।
आज तो हमारे अद्विक बाबू की नज़रें नहीं हटेंगी अपनी बीवी से। वह खुद को एक बार आईने में देखकर मुस्कुराकर कमरे से बाहर आ गई। जैसे-जैसे वह सीढ़ियों से नीचे आ रही थी, उसके पायल की छन-छन पूरे घर में गूंज रही थी, जिसे सुनकर एक बार को अद्विक भी हैरान रह गया। तभी उसकी नज़रें सीढ़ियों से उतरती हुई अपनी बीवी पर पड़ीं, जिसे देखकर उसकी नज़रें उस पर ठहर गईं। सबसे पहले अद्विक की नज़र निविषा के मांग में सजे सिंदूर पर पड़ी, फिर मंगलसूत्र पर। उसे माथे से लेकर पैरों तक देखकर अद्विक के चेहरे पर एक न दिखने वाली मुस्कान आ गई और वह मुस्कुराते हुए बोला, "फाइनली, आज मुझे मेरी बीवी मिल गई।"
लेकिन कैसे? यह पता करना पड़ेगा। और वह निविषा से अपनी नज़रें नहीं हटा रहा था, बल्कि एकटक उसे देखता ही रहा। तभी अद्विक के पीछे खड़ा उसका सेक्रेटरी और दोस्त, उसका भाई, सब कुछ उसके कान में कह रहा था, "ऐसे क्यों देख रहा है? नज़र लग जाएगी मेरी भाभी को।" अपने दोस्त की बातें सुनकर अद्विक ने उसकी तरफ अपनी कठोर नज़रों से देखते हुए कहा, "तेरी भाभी बाद में है, पहले मेरी बीवी है और अपनी बीवी को देखना कोई गुनाह नहीं।" सक्षम अपने दोस्त की बात सुनकर हैरान रह गया।
लेकिन सामने से आ रही उस लड़की को देखकर उसके मन में आया कि कहीं यह फिर से नाटक तो नहीं कर रही अद्विक से दूर जाने के लिए। यह सब दिमाग में आते ही सक्षम का मन खट्टा हो गया क्योंकि वह माया को बहुत अच्छे से जानता था और वह निविषा की मासूमियत को भी जानता था कि माया निविषा को हमेशा अपने इशारों में नाचना चाहती है। निविषा डाइनिंग टेबल के पास जाकर सबको गुड मॉर्निंग बोली, तो अद्विक और सक्षम ने भी उसे गुड मॉर्निंग कहा। निविषा अद्विक के बगल में बैठ गई और अद्विक की प्लेट में ब्रेकफ़ास्ट सर्व किया।
यह देखकर सक्षम को कुछ अजीब लग रहा था, लेकिन फिर वह इस बात पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। तभी बाहर से एक गार्ड ने कहा, "सर, बाहर माया मैडम आई हैं और वह निविषा मैडम से मिलना चाहती हैं।" निविषा गार्ड की तरफ़ बिना देखे बोली, "उनको जाकर बोल दो कि निविषा घर पर नहीं है, वह अनाथ आश्रम गई है।" जैसे ही अद्विक और सक्षम के कानों में निविषा के कहे शब्द गए, दोनों हैरानी से निविषा को देखने लगे, लेकिन निविषा तो अपने ब्रेकफ़ास्ट पर अपना ध्यान लगाए हुए थी।
सक्षम धीरे से अद्विक की तरफ़ झुककर बोला, "भाई, आज मैं कोई सपना तो नहीं देख रहा? यह भाभी को क्या हुआ है जो आज वह अपनी बहन से मिलने से मना कर रही है? यह तो चमत्कार हो गया। कहीं भाभी को पता तो नहीं चल गया कि उनकी बहन चुड़ैल है।"
अद्विक ने अपनी कठोर नज़रों से सक्षम को देखा तो सक्षम हड़बड़ाकर सीधा बैठ गया और चुपचाप अपनी प्लेट में अपना ध्यान लगा लिया। वहीं वह गार्ड अभी भी खड़ा हुआ था। निविषा उसकी तरफ़ देखते हुए बोली, "अब क्या हुआ है आपको?" वह गार्ड खड़ा होकर बोला, "मैंने उनसे पहले ही कहा था मैडम कि आप घर पर नहीं हैं, तो उन्होंने यह कहा कि अगर आप घर पर नहीं हैं तो वह अद्विक सर से मिलना चाहती हैं।"
निविषा ने गहरी साँस लेते हुए कहा, "ठीक है, उन्हें अंदर भेज दो।" और खुद डाइनिंग टेबल से खड़ी हो गई। अद्विक ने निविषा की तरफ़ देखा तो निविषा अद्विक की तरफ़ देखते हुए बोली, "मैं देखना चाहती हूँ कि वह अभी यहाँ किस मक़सद से आई है क्योंकि जितना मैं उन्हें जानती हूँ, वह यहाँ बिना किसी मक़सद के कभी नहीं आ सकती। तो बस मैं यही जानना चाहती हूँ।" अद्विक ने सिर हिला दिया क्योंकि वह भी यही चाहता था कि उसकी बीवी को उसके परिवार की सच्चाई पता चल जाए।
और वह हमेशा के लिए उन लोगों से दूर रहे। वह बॉडीगार्ड वहाँ से बाहर चला गया और निविषा वहीं पिलर के पीछे खड़ी हो गई और उसके पास उसी पिलर के पीछे सक्षम खड़ा हुआ था और सोफ़े पर अद्विक एक राजा की तरह बैठा हुआ था। उसके चेहरे पर कोई भाव नज़र नहीं आ रहे थे, लेकिन उसके दिल में एक उम्मीद थी कि आज उसकी बीवी को माया की सच्चाई पता चल जाएगी और उसके दिल में जो निविषा को खोने का डर है...
वह डर भी हमेशा के लिए ख़त्म हो जाएगा। तभी एक लड़की शॉर्ट ड्रेस पहने, हाई हील्स पहने हुए, हाल में दाखिल हुई और एकदम से जाकर अद्विक के गले लगने को हुई तो अद्विक ने अपना हाथ दिखाकर उसे रोक दिया। अद्विक के इस रवैये से माया को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन वह अद्विक पर गुस्सा नहीं कर सकती थी क्योंकि अद्विक उसकी पहुँच से बाहर था। वह पिछले 1 साल से अद्विक को सेड्यूस करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं था। तभी अद्विक ने अपनी कठोर आवाज़ में कहा,
"तो मुझे क्यों मिलना चाहती थी जबकि तुम्हें पता है कि तुम्हारी बहन घर पर मौजूद नहीं है इस वक्त?" माया बड़े एटीट्यूड से दूसरे सोफ़े पर बैठ गई और बोली, "अद्विक, मैं तुमसे कितनी बार कहा है, वह बेवकूफ़ लड़की तुम्हारे किसी काम की नहीं है। वह तुम्हें ना तो प्यार दे सकती है और ना ही फिजिकल नीड्स को पूरा कर सकती है। उस बेवकूफ़ लड़की से शादी करके तुमने अपनी ज़िन्दगी बर्बाद की है। मैं कहती हूँ, अगर उसे बीवी बनाकर रखना है तो रख लो, लेकिन मेरे साथ तुम फिजिकल तो हो ही सकते हो।" माया की बात सुनकर अद्विक की आँखें और कठोर हो गईं। उन काली गहरी आँखों में मौत का सन्नाटा पसरा हुआ था। वहीं पिलर के पास खड़ी निविषा का चेहरा काला पड़ गया था। उसे अपने अतीत की बातें याद आने लगीं और उसके चेहरे और आँखों में नफ़रत नज़र आने लगी। सक्षम निविषा के चेहरे को बहुत गौर से देख रहा था।
सक्षम धीरे से निविषा के कान में बोला, "देख, कितनी बेकार है तुम्हारी बहन और तुम अपनी बहन की बातों में आकर मेरे दोस्त को हमेशा दुःख और दर्द ही देती रही।" सक्षम की तरफ़ देखकर निविषा को याद आया कि सक्षम उसके घर आया था निविषा को मनाने के लिए, वापस अद्विक के पास ले जाने के लिए, लेकिन निविषा ने सक्षम का बहुत अपमान किया था और उसे धक्के मारकर अपने घर से बाहर निकाल दिया था। फिर भी सक्षम उसके घर के बाहर खड़े होकर उससे बात करने की कोशिश करता था और एक दिन माया ने अपने आदमियों के द्वारा सक्षम को मरवा दिया था क्योंकि सक्षम के ज़िद के कारण एक बार को निविषा के मन में आया था कि वह अद्विक से मिलकर सारी बातें क्लियर कर दे, लेकिन उससे पहले ही सक्षम की मौत हो गई थी। यह सब याद आते ही निविषा की आँखों में नमी आ गई और वह सक्षम की तरफ़ देखकर बोली, "आप फ़िक्र मत करो भाई, इस बार मैं माया के किसी चाल में फँसने वाली नहीं हूँ।"
निविशा ने गहरी साँस ली। "ठीक है, उन्हें अंदर भेज दो," उसने कहा और खुद डाइनिंग टेबल से खड़ी हो गई। अद्विक ने घर में निविशा की ओर देखा। निविशा ने अद्विक की ओर देखते हुए कहा, "मैं देखना चाहती हूँ कि वह अभी यहाँ किस मकसद से आई है। क्योंकि जितना मैं उन्हें जानती हूँ, वह यहाँ बिना किसी मकसद के कभी नहीं आ सकती। तो बस, मैं यही जानना चाहती हूँ।"
अद्विक ने अपनी गर्दन हिला दी। वह भी यही चाहता था कि उसकी पत्नी को उसके परिवार की सच्चाई पता चल जाए, और वह हमेशा के लिए उन लोगों से दूर रहे। बॉडीगार्ड वहाँ से बाहर चला गया। निविशा उसी पिलर के पीछे खड़ी हो गई। उसके पास, उसी पिलर के पीछे, सक्षम खड़ा था। सोफे पर अद्विक एक राजा की तरह बैठा हुआ था। उसके चेहरे पर कोई भाव नज़र नहीं आ रहे थे, लेकिन उसके दिल में एक उम्मीद थी कि आज उसकी पत्नी माया की सच्चाई जान जाएगी, और उसके दिल में जो निविशा को खोने का डर था...वह डर भी हमेशा के लिए ख़त्म हो जाएगा।
तभी, एक लड़की, शॉर्ट ड्रेस पहने, हाई हील्स की टक-टक करते हुए, हाल में दाखिल हुई और एकदम से जाकर अद्विक के गले लगने को हुई। अद्विक ने अपना हाथ दिखाकर उसे रोक दिया। अद्विक के इस रवैये से माया को बहुत गुस्सा आया, लेकिन वह अद्विक पर गुस्सा नहीं कर सकती थी क्योंकि अद्विक उसकी पहुँच से बाहर था। वह पिछले 1 साल से अद्विक को सेड्यूस करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ था। तभी, अद्विक ने अपनी कठोर आवाज़ में कहा, "तो मुझे क्यों मिलना चाहती थी? जबकि तुम्हें पता है कि तुम्हारी बहन घर पर मौजूद नहीं है इस वक़्त।"
माया बड़े एटीट्यूड से दूसरे सोफे पर बैठ गई और बोली, "अद्विक, मैं तुमसे कितनी बार कह चुकी हूँ, वह बेवकूफ़ लड़की तुम्हारे किसी काम की नहीं है। वह तुम्हें ना तो प्यार दे सकती है और ना ही फिजिकल नीड्स को पूरा कर सकती है। उस बेवकूफ़ लड़की से शादी करके तुमने अपनी ज़िन्दगी बर्बाद कर ली है। मैं कहती हूँ, अगर उसे बीवी बनाकर रखना है तो रख लो, लेकिन मेरे साथ तुम फिजिकल तो हो ही सकते हो।"
माया की बात सुनकर अद्विक की आँखें और कठोर हो गईं। उन काली, गहरी आँखों में मौत का सन्नाटा पसरा हुआ था। वहीं, पिलर के पास खड़ी निशा का चेहरा काला पड़ गया था। उसे उसके अतीत की बातें याद आने लगी थीं, और उसके चेहरे और आँखों में नफ़रत नज़र आने लगी थी। सक्षम निविशा के चेहरे को बहुत गौर से देख रहा था।
सक्षम ने धीरे से निविशा के कान में कहा, "देख, कितनी बेकार है तुम्हारी बहन! और तुम अपनी बहन की बातों में आकर मेरे दोस्त को हमेशा दुःख और दर्द ही देती रही हो।" सक्षम की तरफ़ देखकर निविशा को याद आया कि सक्षम उसके घर आया था, निविशा को मनाने के लिए, वापस अद्विक के पास ले जाने के लिए। लेकिन निविशा ने सक्षम का बहुत अपमान किया था और उसे धक्के मारकर अपने घर से बाहर निकाल दिया था। फिर भी, सक्षम उसके घर के बाहर खड़े होकर उससे बात करने की कोशिश करता था। और एक दिन, माया ने अपने आदमियों के द्वारा सक्षम को मरवा दिया था। क्योंकि सक्षम के जिद्दीपन को देखकर एक बार को निविशा के मन में आया था कि वह अद्विक से मिलकर सारी बातें क्लियर कर दे, लेकिन उससे पहले ही सक्षम की मौत हो गई थी। यह सब याद आते ही निविशा की आँखों में नमी आ गई, और उसने सक्षम की तरफ़ देखते हुए कहा, "आप फ़िक्र मत करो भाई, इस बार मैं माया के किसी चाल में फँसने वाली नहीं हूँ।"
अद्विक का रिजेक्शन सुनकर माया की आँखें गुस्से से लाल हो गईं, और वह गुस्से में दाँत पीटते हुए अद्विक से बोली, "अगर आज तुमने मुझे नहीं अपनाया, तो मैं निविशा को हमेशा-हमेशा के लिए तुमसे दूर कर दूँगी।" माया की बात सुनकर अद्विक को बहुत गुस्सा आया, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। वहीं, निविशा माया की बात सुनकर हैरानी से उसकी तरफ़ देख रही थी।
सक्षम और निविशा सब सामने थे, कि तभी माया ने एक झटके में अपने वन-पीस ड्रेस को उतार दिया और वह इस वक़्त सिर्फ़ इनरवियर में अद्विक के सामने खड़ी थी। यह देखकर सक्षम ने अपनी पीठ माया की तरफ़ कर ली। वहीं, निविशा ने अपने मुँह पर हाथ रख लिया। उसे पता था कि माया बेशर्म है, बदतमीज़ है, और वह अपनी हया गिराई हुई लड़की है, लेकिन वह इतनी गिरी हुई लड़की है, यह उसे बिलकुल नहीं पता था। वह एक झटके में माया की तरफ़ बढ़ गई। माया ने निविशा को अपने सामने देखकर अपनी आँखों में आँसू भर लिए। "देखो निविशा, तुम्हारे पति ने मेरे साथ क्या किया! उसने मुझे इस तरह हाल में खड़ा करके, बिना कपड़ों के कर दिया!" जैसे ही सक्षम और अद्विक के कानों में यह बात गई, दोनों हैरानी से माया की तरफ़ देखे, लेकिन दोनों ही अपनी नज़रें उससे हटा लेते हैं।
निविशा ने माया की तरफ़ देखते हुए कहा, "पहले तुम कपड़े पहनो, उसके बाद बात करती हूँ मैं।" माया तुरंत ही अपना ड्रेस पहन लेती है। तभी सक्षम भी आकर अद्विक के पीछे खड़ा हो जाता है। वहीं अद्विक अपनी गहरी नज़रों से निविशा को देख रहा था। तभी निविशा ने एक झटके में माया को अपनी तरफ़ करके कहा, "यह क्या बदतमीज़ी थी माया? तुम्हें शर्म नहीं आती? तुम किस तरीक़े से खड़ी थी?" माया आँखों में आँसू भर के बोली, "मैंने कुछ नहीं किया निविशा! यह सब कुछ अद्विक ने किया। वह मुझे ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहा था। वह मेरे साथ फिजिकल होना चाहता था, क्योंकि तुम उसके साथ कोई रिलेशन नहीं रखती ना, इसीलिए वह अपनी नीड्स मुझसे पूरी करना चाहता था।" जैसे ही निविशा के कानों में माया की बात पहुँची, निविशा ने खींचकर माया के गाल पर जोरदार थप्पड़ मारा।
माया हैरानी से निविशा की तरफ़ देखती है, तो निविशा ने अपनी उंगली माया की तरफ़ करके कहा, "मैं घर पर ही मौजूद थी माया, इसलिए मुझसे झूठ बोलने की कोशिश मत करना। जब से तुम हाल में आई थी, मैं तब से तुम्हें देख रही थी, और मैं यह भी जानती हूँ कि किसने क्या कहा और किसने क्या सुना। इसीलिए, इस बार मुझसे झूठ बोलने की गलती मत करना। मैं हर बार तुम्हारी हर बात को सच मानती रही। आज मुझे ऐसा लग रहा है कि तुम्हारी हर बात को सच मानकर मैंने खुद को धोखा दिया है। तुमने कहा, अद्विक ने मुझे धोखा दिया, मैंने माना। तुमने कहा, अद्विक ने तुमसे बदला लेने के लिए मुझसे शादी की, मैंने माना। तुमने कहा, अद्विक बहुत जल्द मुझे तलाक दे देगा, मैंने माना। लेकिन आज तो मुझे सच्चाई कुछ और ही नज़र आ रही है।"
माया पहले ही निविशा के थप्पड़ मारने से गुस्से में थी, अब उसकी बातें सुनकर वह गुस्से से आग बबूला हो गई, लेकिन वह इस वक़्त कुछ नहीं कर सकती थी क्योंकि अगर वह कुछ करती तो उसका सारा प्लान ख़राब हो सकता था। इसीलिए उसने अपना सर नीचे करके कहा, "मैं सच कह रही हूँ निविशा, इन्होंने मेरे साथ यह सब कुछ किया।"
निविशा गुस्से में माया और अद्विक की तरफ़ देखकर बोली, "आज मैं, निविशा अद्विक रायज़ादा, यह फैसला करती हूँ कि मेरी बहन माया या मेरे परिवार का कोई भी सदस्य इस घर में कभी नहीं रहेगा। और अद्विक, अगर आपने यह गलती की है, तो मैं आपको सज़ा ज़रूर दूँगी। और तुम अभी के अभी यहाँ से चली जाओ, क्योंकि मेरा दिमाग गुस्से से पागल हो गया है। अगर मैं कुछ कह दूँगी, तो सबको बुरा लगेगा, और आप अभी यहाँ से अपनी शक्ल नहीं देखना चाहती हूँ मैं आपकी।" निविशा की बात सुनकर अद्विक की आँखों में नमी आ गई, लेकिन उसने अपनी नमी को शो नहीं किया। वहीं माया एक तिरछी स्माइल देकर वहाँ से चली गई। माया की वह स्माइल निविशा, सक्षम और अद्विक तीनों ने देखी थी। अद्विक वहाँ से जाने लगा, तभी निविशा ने उसका हाथ पकड़ लिया।
निविशा अद्विक के सामने आकर बोली, "आई एम सॉरी, मैंने आपसे उसके सामने इस तरह बात की। लेकिन अभी मैं उसके सामने ऐसी बात नहीं करती, तो उसे लगता कि हमारे बीच सब कुछ ठीक हो रहा है, और वह हमें अलग करने के लिए कोई और चाल चलने की कोशिश करती। मैंने यह सब सिर्फ़ इसीलिए किया कि अब वह थोड़े दिनों शांत बैठेगी।"
निविशा ने अद्विक के चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर कहा, "मुझे आप पर पूरा भरोसा है अद्विक। क्या आप कभी भी ऐसा कोई काम नहीं करोगे जिससे मेरा भरोसा आप पर से टूटे, या आप मेरे सिवा किसी और को अपनी ज़िन्दगी में लाने की सोचोगे? यह मैं सपने में भी नहीं सोच सकती। मैं जानती हूँ, मैंने पहले जो गलतियाँ की हैं, वह माफ़ी के लायक नहीं हैं, लेकिन फिर भी, हाथ जोड़कर आपसे माफ़ी माँग रही हूँ।"
अद्विक ने जल्दी से निविशा के हाथों को पकड़ लिया और कहा, "आज तो तुमने यह हाथ मेरे सामने जोड़ लिए बीवी, आइंदा से मत करना। क्योंकि मैं अपनी बीवी को अपने सामने भी झुकते हुए नहीं देख सकता। तुम मेरा मन हो, मेरा सम्मान हो, और मैं अपने सम्मान को अपने आगे भी नहीं झुक सकता। इसलिए, आइंदा से ऐसी हरकत मत करना, वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। तुम पर मेरा बराबर का अधिकार है, वैसे ही तुम्हारा मुझ पर बराबर का अधिकार है। यह घर जितना मेरा है, उससे कहीं ज़्यादा यह घर तुम्हारा है। तुम हक़ रखती हो इस घर में मुझे रहने देने का या ना रहने देने का। इसलिए, आगे से ऐसी हरकत दोबारा ना हो।" निविशा जल्दी से अद्विक के सीने से लग गई, और अद्विक ने निविशा को अपनी बाहों में समा लिया।
सक्षम तुरंत ही वहाँ से बाहर की तरफ़ निकल गया। अद्विक निविशा को लेकर अपने कमरे में आ गया। निविशा अभी भी अद्विक के साथ चल रही थी। अद्विक ने निशा की तरफ़ देखते हुए कहा, "तुमसे कुछ बात करना चाहता हूँ। क्या तुम सही-सही जवाब दोगी?" निविशा ने हाँ बोल दिया। तो अद्विक ने कहा, "तुम्हें माया की सच्चाई कब पता चली?" निविशा ने अपना चेहरा इधर-उधर करके कहा, "यह मैं आपको अभी नहीं बता सकती, जब तक मेरा बदला पूरा नहीं हो जाता। लेकिन यह सच है कि मुझे माया की नहीं, बल्कि उसके माँ-बाप की सच्चाई भी पता चल चुकी है, और मुझे यह भी पता चल चुका है कि वह मेरे अपना परिवार नहीं है, इसीलिए उन्होंने मेरे साथ इतनी घटिया हरकत करने की कोशिश की।"
अद्विक ने निविशा के बालों में अपना हाथ फेरते हुए कहा, "ठीक है, जो तुम्हें ठीक लगे, तुम करो। अगर कभी मेरी हेल्प की ज़रूरत हो, तो बता देना। तुम हमेशा अपने साथ मुझे खड़ा पाओगी।" निविशा ने अद्विक का हाथ पकड़कर कहा, "आपसे कुछ पूछना चाहती हूँ।" अद्विक घूमकर निविशा के करीब आकर खड़ा हो गया। निविशा ने अपनी नज़र नीचे कर ली और कहा, "माया जो कह रही थी, वह सच है? आपकी फिजिकल नीड्स मैं पूरी नहीं कर सकती? क्या मैं इस लायक नहीं हूँ?"
अद्विक ने निविशा का हाथ पकड़कर उसे सोफे पर बिठाया और खुद भी उसके बगल में जाकर बैठ गया। "निविशा, अगर फ़िजिकल नीड्स की बात होती, ना तो मैं अब तक जाने कितनी लड़कियों के साथ फिजिकल हो चुका होता, और वह लड़कियाँ मुझे मना भी नहीं करतीं, क्योंकि अद्विक रायज़ादा एक ब्रांड है, और ब्रांड को पाने के लिए कितने लोग लाइन में लगे होते हैं, यह बात तुमसे ज़्यादा कोई नहीं जानता। मेरे दिल ने तुम्हें चाहा, तुमसे मोहब्बत की, मैं शादी की तुमसे। अगर तुम्हारा शरीर ही मुझे चाहिए होता, तो मैं तुम्हें बिना शादी के भी पा लेता, ना? लेकिन मुझे तुम्हारे शरीर से नहीं, तुम्हारे दिल से प्यार हुआ था। जिस दिन तुमने बिना किसी रिश्ते के, बिना किसी वजह के, सक्षम की जान बचाई थी, उसी दिन तुम मेरे इस दिल में समा गई थीं, और अब वहाँ से तो मैं निकलना किसी के बस की बात नहीं, चाहे हज़ार मायाएँ भी आ जाएँ, ना वह भी अद्विक को उसकी निविशा से दूर नहीं कर सकतीं।"
निविशा अद्विक के गले लग गई। अद्विक ने निविशा को उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया और उसके सर को अपने सीने से लगाकर कहा, "आइंदा से यह फ़ालतू की बकवास तुम्हारे दिमाग में नहीं आनी चाहिए वाइफ़, वरना तुम जानती नहीं हो मुझे कि मैं क्या करूँगा।"
अद्विक उठकर खड़ा हुआ और निविशा के फोरहेड पर चुम्बन करते हुए कहा, "मुझे एक मीटिंग के लिए जाना है। रात को देर हो जाएगी लौटने में, तो अपना ख्याल रखना, और डिनर कर लेना, क्योंकि मेरे टाइम का कोई पता नहीं कि मैं कब तक वापस आऊँ।"
निविशा अद्विक की तरफ़ देखकर उसके पास आकर उसकी टाई ठीक करते हुए बोली, "मैं आपका इंतज़ार करूँगी। आप चाहे कभी भी आओ, लेकिन आपको आपकी बीवी आपका इंतज़ार करते हुए मिलेगी। इसीलिए जल्दी आने की कोशिश करना, और बाहर ड्रिंक मत करना, क्योंकि आप जानते हो ना आजकल लड़कियाँ क्या-क्या बकवास करती रहती हैं। और आज माया की जो बेइज़्ज़ती हुई है, वह उसका बदला लेने के लिए कुछ भी कर सकती है, और मैं नहीं चाहती कि उसे जैसी लड़की के हाथ भी आपको छुएँ, क्योंकि आपको छूने का, आपके पास आने का, आपके साथ रहने का हर अधिकार मेरा है।"
सभी अद्विक के कमरे पर थे, कि तभी बाहर से कोई गेट खटखटाया। अद्विक बाहर जाकर देखा, तो सक्षम खड़ा था। सक्षम ने अद्विक की तरफ़ देखते हुए कहा, "टाइम हो गया है, वरना मीटिंग के लिए लेट हो जायेंगे।" अद्विक ने घूमकर निविशा के माथे को एक बार फिर चूमकर कमरे से बाहर निकल गया। कमरे में अकेली इस वक़्त निविशा मौजूद थी, और उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कराहट थी, जो इस बात का सबूत थी कि अब माया उसके परिवार के साथ कुछ बुरा होने वाला है, लेकिन क्या होने वाला है, यह तो सिर्फ़ निविशा जानती थी।
अद्विक और सक्षम गाड़ी में बैठकर वहाँ से निकल गए। अद्विक की गाड़ी के पीछे पाँच गाड़ियाँ थीं, और उसकी गाड़ी के आगे पाँच गाड़ियाँ थीं। अद्विक का काफ़िला अपने घर से रोड पर निकलने लगा। वहीं सक्षम अद्विक की तरफ़ देखते हुए बोला, "तुझे भाभी पर विश्वास है? मतलब इस बार वह कोई चाल तो नहीं चल रही तेरे खिलाफ़?" अद्विक ने सक्षम की तरफ़ देखते हुए कहा, "नहीं, इस बार वह कोई चाल नहीं चल रही है, बल्कि कुछ ऐसा है जिसके बारे में हमें नहीं पता। सक्षम, तुम पता करो कि निविशा को कैसे माया और उसके परिवार की सच्चाई पता चली? क्योंकि इन सब में कुछ गड़बड़ है जो हमें दिखाई नहीं दे रही। वरना एक लड़की एक रात में इतना कैसे बदल सकती है? क्या अपने परिवार को अपना परिवार ही ना माने?"
"तो क्या करने वाली है निविशा माया के साथ? जानने के लिए पढ़ते रहिए! मिलते हैं नेक्स्ट एपिसोड में, तब तक के लिए बाय।"
अद्विक उठकर खड़ा हुआ और निविशा के माथे पर चुम्बन करते हुए कहा, "मुझे एक मीटिंग के लिए जाना है। रात को देर हो जाएगी लौटने में, तो अपना ख्याल रखना और डिनर कर लेना क्योंकि मेरे टाइम का कोई पता नहीं कि मैं कब तक वापस आऊँगा।"
निविशा अद्विक की तरफ देखकर उसके पास आई और उसकी टाई ठीक करते हुए कहा, "मैं आपका इंतज़ार करूँगी। आप चाहे कभी भी आओ, लेकिन आपको आपकी बीवी आपका इंतज़ार करते हुए मिलेगी। इसीलिए जल्दी आने की कोशिश करना और बाहर ड्रिंक मत करना, क्योंकि आप जानते हो ना, आजकल लड़कियाँ क्या-क्या बकवास करती रहती हैं। और आज माया की जो बेइज़्ज़ती हुई है, वह उसका बदला लेने के लिए कुछ भी कर सकती है। और मैं नहीं चाहती कि उसे जैसी लड़की के हाथ भी आपको छुएँ, क्योंकि आपको छूने का, आपके पास आने का, आपके साथ रहने का हर अधिकार मेरा है।"
तभी अद्विक के कमरे पर बाहर से कोई गेट खटखटाया। अद्विक बाहर जाकर देखा तो सक्षम खड़ा था। सक्षम अद्विक की तरफ देखकर बोला, "टाइम हो गया है, वरना मीटिंग के लिए लेट हो जाएगा।" आदमी घूमकर निविशा के माथे को एक बार फिर चूमा और कमरे से बाहर निकल गया। कमरे में अकेली निविशा तब भी मौजूद थी और उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कराहट थी, जो इस बात का सबूत थी कि अब माया उसके परिवार के साथ कुछ बुरा करने वाली थी। लेकिन क्या होने वाला था, यह तो सिर्फ़ निविशा जानती थी।
अद्विक और सक्षम गाड़ी में बैठकर वहाँ से निकल गए। अद्विक की गाड़ी के पीछे पाँच गाड़ियाँ थीं और उसकी गाड़ी के आगे पाँच गाड़ियाँ थीं। अद्विक का काफिला अपने घर से रोड पर निकलने लगा। वहीं सक्षम अद्विक की तरफ देखकर बोला, "तुझे भाभी पर विश्वास है? मतलब इस बार वह कोई चाल तो नहीं चल रही तेरे खिलाफ़?" अद्विक सक्षम की तरफ देखकर बोला, "नहीं, इस बार वह कोई साज़िश नहीं रच रही है, बल्कि कुछ ऐसा है जिसके बारे में हमें नहीं पता। सक्षम, तुम पता करो कि निविशा को कैसे माया और उसके परिवार की सच्चाई पता चली, क्योंकि इन सब में कुछ गड़बड़ है जो हमें दिखाई नहीं दे रही। वरना एक लड़की एक रात में इतना कैसे बदल सकती है? क्या अपने परिवार को अपना परिवार ही ना माने?"
निविशा किसी को कॉल करके माया और उसके माँ-बाप पर नज़र रखने के लिए कह दिया, क्योंकि वह जानती थी कि वह तीनों आज के थप्पड़ के बाद शांत नहीं बैठेंगे। वे कोई न कोई साज़िश ज़रूर रचेंगे, अद्विक और निविशा के खिलाफ़। और इस बार निविशा ऐसा कुछ नहीं होने दे सकती थी। थोड़ी देर बात करने के बाद निविशा ने कमरे में चारों तरफ़ अपनी नज़रें दौड़ाईं। फिर अद्विक की एक ब्लैक कलर की शर्ट लेकर उसे पहन लिया।
वहीं अपने ऑफिस में बैठा अद्विक लैपटॉप पर अपने कमरे की लाइव फ़ुटेज देख रहा था। वह निविशा की हर एक हरकत को देख रहा था। और जब निविशा कमरे में ही अपने सारे कपड़े निकालकर उस शर्ट को पहना, तो अद्विक की साँसें तेज हो गईं। उसे अपने शरीर में गर्मी का एहसास होने लगा। उसके बॉडी का हर एक पार्ट एक्टिव हो गया। लेकिन वह जल्दी से लैपटॉप बंद कर दिया। अभी २ सेकंड भी नहीं हुए थे कि उसकी नज़रें फिर से लैपटॉप पर टिक गईं। वहाँ अपने ब्लैक शर्ट में निविशा को देखकर अद्विक का इरादा डगमगाने लगा और वह तुरंत लैपटॉप बंद करके अपने ऑफिस से बाहर निकल गया और वहाँ से सीधा अपने मेंशन के लिए चला गया।
सक्षम जो अद्विक को आवाज़ दे रहा था, लेकिन अद्विक ने उसकी किसी बात को नहीं सुना। वह तेज़ी से अद्विक के पीछे गया कि कहीं निविशा ने फिर से कोई कांड तो नहीं कर दिया। वहीं अद्विक पूरी गाड़ी में निविशा के उस अंदाज़ को इमेजिन कर रहा था।
पूरे रास्ते में यह ग़ौर नहीं किया कि उसकी गाड़ी के पीछे ही सक्षम की गाड़ी लगी हुई थी। सक्षम को कुछ बुरा होने का अंदाज़ा हो रहा था। वहीँ मोहब्बत और नशे में लीन होकर अपनी बीवी के पास जा रहा था। वहीं आधे घंटे बाद अद्विक जल्दी से गाड़ी से निकलकर अंदर चला गया। वहीं ५ मिनट बाद सक्षम की गाड़ी रुकी। वह भी भागते हुए अद्विक के पीछे गया। अद्विक जैसे ही कमरे का गेट खोलकर सामने देखा, उसकी बीवी उसे ब्लैक शर्ट में कयामत लग रही थी और उसके सामने खड़ी थी। यह देखकर अद्विक उसके पीछे जाकर खड़ा हुआ और उसे अपनी बाहों में भर लिया। वहीं उसके पीछे आया सक्षम, जब यह देखा तो उल्टे पैर वहाँ से वापस चला गया और नीचे हॉल में आकर मुस्कुराने लगा और बोला, "मैं तो ख़ान का ही परेशान हो गया, और यह तो जब अपनी मोहब्बत के नशे में लीन होकर आया है! मैं खाना खा लिया, चल बेटा सक्षम, निकाल ले यहाँ से, वरना उसे (निविशा को) पता चल गया ना तो तुझे पता नहीं..."
सक्षम हॉल में खड़े होकर खुद से ही बातें कर रहा था। वहाँ खड़े सारे सर्वेंट उसे अजीब नज़रों से देख रहे थे। सक्षम सब की तरफ़ देखकर बोला, "आज तुम सब की छुट्टी है। तभी मेंशन में आना, उससे पहले आना मत।" सब लोग सक्षम की बात सुनकर चुपचाप वहाँ से चले गए, क्योंकि अद्विक का ऑर्डर था कि अगर उसके सिवाय अगर सक्षम कोई ऑर्डर देता है तो उन्हें सक्षम की सारी बातें माननी थीं। इसीलिए सक्षम के एक बार कहने पर सारे सर्वेंट वहाँ से चले गए और जो लंच बनाया था उसे सारे को फ्रिज में रखकर सक्षम भी वहाँ से चला गया और बॉडीगार्ड को सख्त हिदायत देकर गया कि कोई भी आए तो उन्हें सिर्फ़ यह कहना है कि सक्षम और निविशा मैडम घर पर नहीं हैं, वह दोनों कहाँ गए हैं उन्हें नहीं पता।
उन लोगों को नहीं पता था। बॉडीगार्ड को सारी बात समझकर सक्षम वहाँ से ऑफिस के लिए निकल गया, क्योंकि अभी ऑफिस में कोई नहीं था तो ऑफिस को सक्षम को संभालना था। अभी सक्षम को गए हुए तो मिनट नहीं बीते थे कि वहाँ पर माया और उसके पिता श्री कमल सिंह की गाड़ी रुकी। बॉडीगार्ड उनके लिए गेट नहीं खोली तो माया और उसके पिता श्री कमल सिंह वहाँ जाकर गेट खोलने के लिए कहने लगे। तो बॉडीगार्ड्स उनसे बोले कि अद्विक और निविशा घर पर नहीं हैं, वह दोनों कहाँ गए हैं उन्हें नहीं पता। वह दोनों चले गए। थोड़ी दूरी पर जाकर वे इंतज़ार करने लगे कि क्या बॉडीगार्ड सक्षम के कहने पर झूठ तो नहीं बोल रहे। वहीं मेंशन के अंदर...
मेंशन के अंदर अद्विक निविशा को अपनी बाहों में भरकर उसके पीछे खड़ा था। एक पल को तो निविशा डर गई थी, लेकिन जब उसे अद्विक के होने का एहसास हुआ तो वह अपनी आँखें बंद कर ली। अद्विक निविशा के कान में धीरे से बोला, "तुम्हें मुझसे डर नहीं लग रहा?" निविशा अद्विक की तरफ देखकर बोली, "अपने पति से कैसा डरना?" निविशा की बात सुनकर अद्विक के चेहरे पर एक न दिखने वाली मुस्कान आ गई।
अद्विक निविशा की कमर पर अपने हाथ रख दिया। निविशा अपनी आँखें बंद करके गहरी-गहरी साँसें लेने लगी, क्योंकि अद्विक की हर एक हरकत निविशा को काबू से बाहर कर रही थी। उसकी बॉडी ना चाहते हुए भी अद्विक के हर एक टच से रिएक्ट कर रही थी, जो उसके लिए बहुत शर्मिंदगी भरा था।
अद्विक के चेहरे पर एक शरारती मुस्कान आ गई और वह जानबूझकर निविशा की कमर को सहलाने लगा। अद्विक के इस तरह निविशा की कमर को सहलाने से निविशा के मुँह से हल्की सी आवाज़ निकलने लगी। अद्विक धीरे से निविशा के कान में छुपकर बोला, "अभी तो मैंने कुछ किया ही नहीं, अभी से तुम्हारी आवाज़ निकलने लगी। जब मैं कुछ करूँगा तो तुम क्या करोगी?" निविशा शर्माकर अद्विक के सीने में अपना चेहरा छुपा ली। वहीं अद्विक को आज निविशा पर बहुत प्यार आ रहा था। जैसे ही अद्विक निविशा के होंठों पर अपने होंठ रखने जा रहा था, तभी अचानक से निविशा का फ़ोन बजने लगा। निविशा अपने फ़ोन की रिंगटोन देखकर उसे अवॉइड करने की कोशिश करती है, लेकिन अद्विक निविशा से दूर होकर उसके फ़ोन को उसके हाथ में पकड़कर बोला, "तुम्हारी बहन का फ़ोन आ रहा है।"
निविशा गहरी साँस लेकर खुद को शांत करने की कोशिश करती है। फिर उसके बाद अपना फ़ोन उठाकर अपने कान से लगाकर बोली, "बोलिए दीदी, कैसे फ़ोन किया है शाम को?"
माया दांत पीसकर बोली, "मैं तुम्हारे घर गई थी, तुम नहीं थी वहाँ। कहाँ गई हो तुम?"
निविशा माया की बात सुनकर गुस्से में अपने फ़ोन को कस के पकड़ ली। फिर अपनी आवाज़ में मिठास लाकर बोली, "दीदी, अद्विक जी ने मुझे कहीं भेजा है। यह कौन सी जगह है मुझे नहीं पता। आज मैंने उनसे बदतमीज़ी से बात की, इसलिए उन्होंने मुझे पनिशमेंट के तौर पर यह जंगल में भेज दिया है। दीदी, मुझे यहाँ बहुत डर लग रहा है। प्लीज़ मुझे बचा लो आकर।"
माया के कानों में जैसे ही निविशा की बात पड़ी, माया हड़बड़ा गई और बोली, "यह तुम कैसी बातें कर रही हो निविशा? मैं वहाँ कैसे आ सकती हूँ? और अगर अद्विक को पता चल गया तो वह मुझे भी वही कैद कर देगा। ऐसा करो, जब तक वह तुम्हें वहाँ रखता है तुम वहाँ रहो।"
निविशा बेचारी आवाज़ में बोली, "दीदी, मुझे यहाँ डर लग रहा है। प्लीज़ बचा लो। मेरे फ़ोन की बैटरी भी ख़त्म होने वाली है। मुझे नहीं पता दीदी, वह मुझे कब यहाँ से निकालेंगे। आपकी वजह से ही मैं इस मुसीबत में फँसी हूँ। प्लीज़ मुझे बचा लो।" माया तुरंत फ़ोन काट दी। वह निविशा की किसी बात का जवाब नहीं दी। वहीं माया के फ़ोन काटते ही निविशा जोर-जोर से हँसने लगी।
निविशा को अब जाकर एहसास हुआ कि कमरे में वह अकेली नहीं थी, बल्कि उसके साथ अद्विक भी मौजूद था। वह हड़बड़ाकर अद्विक की तरफ देखती है तो अद्विक कातिल निगाहों से निविशा को देख रहा था। फिर वह धीरे-धीरे चलकर उसके करीब आया। तो निविशा अपने पैर पीछे लेने लगी। अब जाकर निविशा दरवाज़े से टकरा गई। अद्विक उसकी दोनों तरफ़ अपने दोनों हाथ रखकर बोला, "तो मैंने तुम्हें जंगल में छोड़ दिया है? क्या सही कह रहा हूँ ना?"
निविशा मासूम शक्ल बनाकर अद्विक की तरफ़ देखती है और कहती है, "अगर मैं यह नहीं करती ना तो वह बार-बार हमें डिस्टर्ब करती रहती। और आज आप छुट्टी लेकर मेरे लिए आए हैं, और कल संडे है, तो मैं आज आपकी छुट्टी और कल संडे उनकी वजह से क्यों बर्बाद करती? पहले ही मैं उनकी वजह से बहुत वक़्त बर्बाद कर चुकी हूँ। अब मैं आपसे अलग बिल्कुल नहीं रहना चाहती अद्विक। इसीलिए मैंने यह सब किया। अब मैं अपना फ़ोन स्विच ऑफ़ कर रही हूँ, जैसे उन्हें यह लगे कि मेरे फ़ोन की बैटरी ख़त्म हो गई है।"
निविशा अद्विक के सीने से लगकर रहती है, "आपको पता है अद्विक, मैंने उन्हें अपनी बड़ी बहन माना था और उन दोनों को अपना माँ-बाप। लेकिन उन तीनों ने मेरे साथ धोखा किया। आपको मुझसे अलग करने की कोशिश की है। उन्होंने... आप नहीं जानते, अद्विक, मेरी ज़िन्दगी में रिश्तों के नाम पर सिर्फ़ आप रह गए हो। तो मैं आपको खोना नहीं चाहती। इसीलिए मैं अपने तरीक़े से माया को खुद से दूर रखना चाहती हूँ। मैं चाहती हूँ कि मैं उसे अपने हाथों से सज़ा दूँ। और मैं यह भी जानती हूँ कि अगर आप चाहो तो एक पल में माया और उसके माँ-बाप को ख़त्म कर सकते हो। लेकिन मैं उन्हें तड़प-तड़प कर मारना चाहती हूँ। मैं उन्हें वही दर्द देना चाहती हूँ जो वह बचपन से मुझे देते आए हैं। मैं उनसे उनका घमंड, उनका रुतबा, उनका पैसा छीनना चाहती हूँ। और इसके लिए मुझे आपकी मदद की ज़रूरत पड़ेगी।"
अद्विक निविशा के चारों तरफ़ अपनी बाहों को कसकर उसे खुद के सीने से लगाकर कहता है, "मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ। अगर तुम मुझसे ना भी रहती, ना तभी मैं तुम्हारे साथ था। मैं तो हमेशा से तुम्हें तीनों की सच्चाई बताना चाहता था, लेकिन तुमने ही कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया। अब तुम फ़िक्र मत करो, मैं हूँ तुम्हारे साथ। उनको उनकी औक़ात तो दिखानी होगी।"
निविशा अद्विक के सीने से लगे हुए अपने मन में कहती है, "भगवान ने मुझे दूसरा मौक़ा दिया है। यह उनकी मर्ज़ी थी, यह मेरे रब की मर्ज़ी थी। और मैं अपने रब की मर्ज़ी को जय नहीं जाने दूँगी। मैं उन सबको उनके किए की सज़ा देकर रहूँगी और अपने परिवार के बारे में पता करके रहूँगी। मेरा अस्तित्व क्या है? मेरी पहचान क्या है? मैं सब कुछ पता लगाकर रहूँगी। उससे पहले मुझे उन लोगों को अपनी बातों में फँसाए रखना होगा, वरना सारा खेल ख़राब हो जाएगा।"
निविशा धीरे से अद्विक के सीने से अपना चेहरा निकालती है और देखती है अद्विक आँखें बंद किए निविशा के चारों तरफ़ अपनी बाहों का घेरा बनाकर खड़ा था। अद्विक की आँखें बंद थीं। निविशा अपने चेहरे को ऊपर करके अद्विक के होंठों पर अपने होंठ रख देती है... क्योंकि किस करना निविशा को आता नहीं था। यह निविशा और अद्विक की पहली किस थी, बल्कि यह निविशा की फ़र्स्ट किस थी जो आज उसने अपने पति, अपने अद्विक को दी थी। वहीं अद्विक को जब निविशा के होंठ अपने होंठों पर महसूस होते हैं तो वह झट से अपनी आँखें खोलकर निविशा के चेहरे को देखता है जो आँखें बंद किए अपने होठों को अद्विक के होठों से लगाकर खड़ी थी। अद्विक के हाथ निविशा की कमर पर कस जाते हैं और उसके हाथ निविशा के होठों पर हरकत करने लगते हैं।
निविशा भी अद्विक का पूरा साथ देने की कोशिश कर रही थी। जब अद्विक को एहसास होता है कि निविशा उसका साथ दे रही है तो वह और ज़्यादा एक्साइटेड होकर निविशा के होठों को किस करने लगता है, क्योंकि यह अद्विक की भी पहली किस थी। आज तक अद्विक कभी किसी लड़की के करीब नहीं गया था। निविशा उसकी पहली और आख़िरी मोहब्बत थी और अद्विक की ज़िन्दगी में आने वाली पहली और आख़िरी लड़की थी। वहीं दोनों एक-दूसरे को पैशनेटली चूम रहे थे। दोनों ही एक-दूसरे को छोड़ना नहीं चाहते थे। जैसे रेगिस्तान में भटकते हुए प्यासे को पानी मिल जाता है, इस तरह अद्विक को आज उसकी निविशा मिल गई थी। इसीलिए वह निविशा को पूरी तरीके से खुद में शामिल करना चाहता था।
निविशा और अद्विक की मोहब्बत का आगाज़ तो हो चुका है। अब इसका अंजाम क्या होगा, यह आपको आगे के एपिसोड में मिलेगा। तब तक के लिए बाय।
Ch 5 - निविषा का बालकनी से कूदना.... अद्विक निविषा के चारों तरफ अपनी बाहों को कसकर उसे खुद के सीने से लगाकर कहता है मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं अगर तुम मुझसे ना भी रहती ना तभी मैं तुम्हारे साथ था मैं तो हमेशा से तुम्हें तीनों की सच्चाई बताना चाहता था लेकिन तुमने ही कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया अब तुम फ़िक्र मत करो मैं हूं तुम्हारे साथ आप उन्हें उनकी औकात तो दिखानी होगी....... निविशा अद्विक के सीने से लगे हुए अपने मन में रहती है भगवान ने मुझे दूसरा मौका दिया है यह उनकी मर्जी थी यह मेरे रब की मर्जी थी और मैं अपनी रब की मर्जी को जय नहीं जाने दूंगी मैं उन सबको उनके किए की सजा दे कर रहूंगी और अपने परिवार के बारे में पता करके रहूंगी मेरा अस्तित्व क्या है मेरी पहचान क्या है मैं सब कुछ पता लगा कर रहूंगी उससे पहले मुझे उन लोगों को अपनी बातों में फंसाए रखना होगा वर्ना सारा खेल खराब हो जाएगा.......... निविशा धीरे से अद्विक के सीने से अपना चेहरा निकलती है और देखते हैं अद्विक आंखें बंद करें निविशा के चारों तरफ अपनी बाहों का घेरा बनकर खड़ा था अद्विक की आंखें बंद थी निविशा अपने चेहरे को ऊपर करके अद्विक के होठों पर अपने होंठ रख देती है ......क्योंकि किस करना निविशा को आता नहीं था यह निविषा और अद्विक की पहली किश thi बल्कि यह निविशा की फर्स्ट किस थी जो आज उसने अपने पति अपने अद्विक को दी थी वही अद्विक को जब निविशा के होंठ अपने होठों पर महसूस होते हैं तो वह झट से अपनी आंखें खोलकर निविशा के चेहरे को देखता है जो आंखें बंद करें अपने होठों को अद्विक के होठों से लगाकर खड़ी थी अद्विक के हाथ निविशा की कमर पर कश जाते हैं और उसके हाथ निविशा के होठों पर हरकत करने लगते हैं........ निविशा भी आद्विक का पूरा साथ देने की कोशिश कर रही थी जब आद्विक को एहसास होता है निविशा उसका साथ दे रही है तो वह और ज्यादा एक्साइटेड होकर निविषा के होठों को किस करने लगता है क्योंकि यह अद्विक की भी पहली किस thi आज तक अधिक कभी किसी लड़की के करीब नहीं गया था निविशा उसकी पहली और आखरी मोहब्बत थी और आद्विक की जिंदगी में आने वाली निविशा पहले और आखिरी लड़की थी वही दोनों एक दूसरे को पैशनेटली चूम रहे थे दोनों ही एक दूसरे को छोड़ना नहीं चाहते थे जैसे रेगिस्तान में भटकते हुए प्यासे को पानी मिल जाता है इस तरह आद्विक को आज उसकी निविशा मिलकर ही थी इसीलिए वह निविशा को पूरी तरीके से खुद में शामिल करना चाहता था.......... निविशा के हाथ कब अद्विक के बालों में चले गए अद्विक को एहसास ही नहीं हुआ ....वही अभी अद्विक निविशा में खोया हुआ था तभी अचानक बाहर से शोर की बहुत तेज आवाज आने लगी....... अद्विक ना चाहते हुए भी निविशा से अलग होकर बालकनी मे जाकर बाहर की तरफ देखता है..... जहां माया जबरदस्ती मेंशन में आने की कोशिश कर रही थी लेकिन बॉडीगार्ड उसको अंदर नहीं आने दे रहे थे यह देखकर अद्विक अंदर आ जाता है और निविशा के पास खड़े होकर कहता है यह तुम्हारी बहन कितनी बेशरम है यार इसको शर्म नाम की चीज नहीं है इसको पता है कि मैं और तुम घर पर नहीं है फिर भी यह घर में घुसने की कोशिश कर रही है....... निविशा धीरे से अद्विक को पीछे से अपनी बाहों में भर लेती है और कहती है वह अंदर आने की कोशिश इसलिए कर रही है क्योंकि वह कोई प्लान बनाकर आई होगी जिससे वह आपको हासिल कर सके फिर मुझे आपकी जिंदगी से अलग कर सके....... अद्विक निविशा को अपने आगे कर कर उसे अपने सीने से लगाकर कहता है ऐसा करते हैं आज रात कहीं चलते हैं जहां हम दोनों अकेले हैं और वह यहां जो करना चाहती है उसे करने देते हैं लेकिन इस पूरे घर में hidden कैमरास लगे हुए हैं जिसे हम देख सकते हैं कि वह क्या करने की कोशिश कर रही है......... निविशा गहरी सांस लेकर रहती है इस लड़की की वजह से हम अपने घर में चैन से रह भी नहीं सकते हैं मैं आपके साथ अपने रिश्ते की शुरुआत अपने घर में करना चाहती हूं कहीं बाहर नहीं इसलिए आप कुछ भी करो लेकिन इस लड़की को हमारी जिंदगी से बाहर निकाल कर फेंक दीजिए........ अद्विक निविशा के चेहरे को अपने हाथ में भरकर कहता है अगर ऐसी बात है तो फिर हमें अपने घर जाना चाहिए मैं यहां सिर्फ तुम्हारी वजह से रहता था क्योंकि यहां से तुम्हारा मायका पास था और मैं तुम्हें वहां नहीं ले जा सकता था जहां मैं रहता था क्योंकि वहां का पता मेरी खुद की फैमिली को भी नहीं है तो अगर यही बात है तो हम अपने घर चलते हैं जहां कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता......... निविषा खुशी से अद्विक के गले लगा कर कहती है आप सच बोल रहे हो ना अद्विक आपका रियल घर नहीं है ना मैं अपनी गर्दन हिला देता है और उसे अपनी गोदी में उठाकर सीक्रेट डोर से घर से बाहर चला जाता है वहीं वह बॉडीगार्ड को एक मैसेज कर देता है कि वह माया को अंदर आने दे और जो वह करना चाहती है उसे करने दे और अगर वह ऐसी वैसी कोई हरकत करती है तो अपने किसी बॉडीगार्ड्स को उसके साथ छोड़कर उसकी गर्मी को शांत कर दिया जाए.......... निविशा और अद्विक अपनी कर में बैठकर वहां से निकल जाते हैं थोड़ी दूर जाने पर वहां एक प्राइवेट प्लेन खड़ा हुआ था अद्विक निविशा को लेकर उसे प्लेन में बैठ जाता है और वह प्लेन वहां से उड़ान भर देता है अभी मुश्किल से 1 घंटा हुआ होगा कि उनका प्लेन एक बहुत खूबसूरत से संगमरमर के सफेद बंगले पर आकर लैंड करता है उसे बंगले की खूबसूरती बाहर से ही बहुत थी तो अंदर से तो उसके क्या ही खाने उसे मेंशन की खूबसूरती देखकर निविषा खुद को मुस्कुराने से रोक नहीं पाती है........... अद्विक निविषा का हाथ पड़कर घर के अंदर चला जाता है वहां काम कर रहे सारे सर्वेंट अद्विक के साथ एक लड़की को देखकर हैरान परेशान हो जाते हैं क्योंकि आज तक उसे बंगले में कभी भी कोई लड़की नहीं आई थी यह बहुत ही आश्चर्य की बात थी कि अद्विक अपने साथ आज किसी लड़की को लेकर आया था और सारे सर्वेंट के लिए यह किसी शौक से काम नहीं था वहीं अपने आप पर किसी की नजरे महसूस करके अद्विक चारों तरफ अपनी नज़रें घूमता है तो सर्वेंट को खुद की तरफ इस तरह देखा का वह गुस्से में अपनी आंखें निकाल कर देखने लगता है सारे सर्वेंट डर की वजह से इधर-उधर हो जाते हैं....... तभी उसे हाल में अद्विक की ठंडी आवाज सुनती है स्टॉप सब लोग अपनी जगह खड़े हो जाते हैं और अद्विक की तरफ देखकर अपना सर नीचे करके खड़े हो जाते हैं अद्विक सारे सर्वेंट और बॉडीगार्ड्स की तरफ देखकर कहता है यह आप सबकी लेडी बॉस है उनकी शान में कोई भी गुस्ताखी होनी नहीं चाहिए इनका ऑर्डर्स आपके लिए सबसे पहले है मुझसे पहले भी सारे सर्वेंट आफ बॉडीगार्ड शौक हो जाते हैं लेकिन वह कुछ नहीं बोल सकते थे क्योंकि यह उनके बॉस का ऑर्डर था........... अद्विक निविषा का हाथ पड़कर उसे अपने रूम में ले जाता है वह एक मास्टर बेडरूम था जो इतना बड़ा था कि अद्विक के पिछले घर के बराबर अकेला आदमी का यह रूम था इतना बड़ा बेडरूम देकर निशा हैरानी से मुंह खोलकर देख रही थी तभी अद्विक उसका मुंह बंद करते कहता है क्या हुआ निशा हैरानी से अपनी नज़रें अद्विक की तरफ करके कहती है यह रूम है मुझे तो यह पूरा एक घर लग रहा है आदमी को हंसी आ जाती है और निशा को खुद के करीब करके कहता है आज से यही हमारा घर है बल्कि पहले भी यही था कुछ वक्त के लिए हम वहां रहते थे जो मैंने तुम्हारी वजह से जल्दबाजी में लिया था वरना वह घर अद्विक raizada के रहने के लिए तो बिल्कुल नहीं था...... निविशा अपने दोनों हाथों को अद्विक के गले में डालकर रहती है आपके पास इतना सब कुछ है आप इतने हैंडसम हो इतने रिच हो आपकी फैमिली एक रॉयल फैमिली है फिर भी आपने मुझ में ऐसा क्या देखा अद्विक..... जो आप मुझसे इतनी मोहब्बत करने लगे मुझसे शादी कर ली मेरी बदतमीजियां सहने लगे बिना किसी अरगुमेंट के जबकि मैंने देखा है आपके आसपास रहने वाले लोग आपसे नजरे मिलाने में भी कतराते हैं की कब उन्हें उनकी मौत नसीब हो जाए........ अद्विक निविशा की कमर में अपना हाथ डालकर उसे खुद से चिपक लेता है और कहता है पता नहीं क्या देख मेरे दिल ने तुम्हें जो तुम्हारा दीवाना हो गया बस इतना जानता हूं आज कि कलयुग भरी दुनिया में मतलबी और लालची दुनिया में तुम एक सॉफ्ट हार्टेड और पूरे लड़की थी जिसे बिना किसी रिश्ते के मेरे दादाजी की मदद की उनकी जान बचाई तुम्हारे बारे में सुनकर तुम्हारे बारे में जान के तुम्हारे बारे में पता करके पता नहीं मुझे कब तुमसे प्यार हो गया तब तक तो मैं तुम्हारा चेहरा भी नहीं देखा था लेकिन जिस दिन तुम्हारा चेहरा देखा ना सच में दीवाना हो गया था मैं तुम्हारा....... Nimisha Apne pairon ke panjon per Khade hokar advik ke hilte hue hothon per Apne honth rakhkar unhen pyar se chum leti hai aur kahati hai sach mein adhik aapane bahut patient se kam liya isiliye aapane mujhe Jeet liya aaj main aapse itni Mohabbat Karti hun itni Mohabbat Karti hun agar aapane Aaj mujhse meri jaan bhi mange Na main vah bhi de sakti hun adhik nivesha ki baat sunkar use khud se thoda dur karke upar se niche dekh kar tedhi smile se kahta hai....... तो दे दो अपनी जान कूद जाओ इस बालकनी से नीचे फिर मैं मान जाऊंगा कि तुम्हें मुझसे मोहब्बत है अगर तुम नहीं होती तो मैं नहीं मानूंगा निविशा ने जैसी अद्विक की बात सुनी उसने advik की पूरी बात भी नहीं सुनी थी वह तुरंत बालकनी से नीचे चलांग लगा देती है यह देखकर अद्विक की सांस उनके हलक में अटक जाती हैं तभी नीचे खड़े बॉडीगार्ड तुरंत एक मिनट लाकर कर देते हैं और निविशा उसे नेट पर गिरती है अद्विक भी तुरंत ऊपर से नीचे चलांग लगा देता है और निविशा के पास जाकर अपने पैरों के बल खड़ा होकर कहता है यह क्या बदतमीजी थी आप इन्हें तो कहा था कि मुझे अपना प्यार साबित करना है तो लोग कर दिया अपना प्यार साबित....... अद्विक निविशा के सर पर मार के कहता है पागल लड़की तुम्हारी जान चली जाती यहां से तो कैसे प्यार साबित करती है अपना मेरी मोहब्बत सच्ची है देख और इस जन्म में यह निविशा आपको छोड़कर कहीं नहीं जाएगी आप चाहोगे बिना तब भी मैं आपसे दूर नहीं जाऊंगी अद्विक तुरंत निविशा को अपनी बाहों में उठा पीछे के दरवाजे से अपने कमरे में चला जाता है वहीं सारे बॉडीगार्ड अद्विक के इस व्यवहार से हैरान थे क्योंकि इतने प्यार से आज तक उसने किसी से बात करते हुए नहीं देखा था जितने प्यार से वह निविशा से बात कर रहा था......... अद्विक निविशा को लेकर जैसे ही अपने कमरे में पहुंचता है वह देखता है निविषा गहरी नींद में जा चुकी थी अद्विक मुस्कुराकर उसे बेड पर डाटा देता है और उसके फोरहेड को चुनकर कहता है पागल लड़की मेरी जान निकाल दी थी ऐसा कोई करता है भला पहले मैं डरता था की पता नहीं तुम कभी इस रिश्ते को मानोगी या नहीं लेकिन आज मुझे बहुत खुशी हो रही है अपने फैसले पर कि मैं तुमसे जबरदस्ती शादी की और आज मुझे मेरा प्यार मेरी बीवी दोनों मिल चुके हैं....... अद्विक वहां से वॉशरूम में चला जाता है और अपने कपड़े चेंज करके कमरे में आकर निविशा को अपनी बाहों में भरकर आंखें बंद कर लेता है..... धीरे-धीरे adhik hogi nind a jaati hai vah gehri nind mein chala jata hai...... दूसरी तरफ अद्विक के दूसरे मेंशन में माया अंदर आ चुकी थी और वह पूरे मेंशन को घूम घूम कर देख रही थी और अपने मन में रहती है बहुत जल्द मैं इस मेंशन की मालिक बन जाऊंगी और निविशा को यहां से धक्के मार कर बाहर निकाल दूंगी...... अभी एक सर्वेंट जाकर माया से कहती है कि डिनर रेडी हो गया है आप चलकर कर लीजिए अद्विक सर का खाना रख दिया है वह रात को लौट कर खाएंगे जैसे मैं लिए सुनती है वह तुरंत थी वहां से उसे सर्वेंट के पीछे चली जाती है और उसे खाने में ड्रग्स मिला देती है उसे खुद भी खाती है जिससे वह अद्विक को खुश करने में पीछे ना रह पाए........ क्या होने वाला है माया के साथ जानने के लिए पढ़ते रहिए मिलते हैं नेक्स्ट एपिसोड में नेक्स्ट एपिसोड में होने बाला है धमाका जो माया की जिंदगी. को बर्बाद कर देगा....
माया ने अपने खाने में ड्रग्स मिला लिए थे। वक्त के साथ उसकी बॉडी गर्म होने लगी और वह अपने होशोहवास खोने लगी। उसे एहसास ही नहीं हो रहा था कि वह क्या और क्यों कर रही है। तभी अद्वैत का पर्सनल बॉडीगार्ड, तेजस, वहाँ आ गया। माया ने तेजस को लस्टपूर्वक देखा और उसके करीब जाने लगी। तेजस जल्दी से पीछे हट गया। तभी माया ने उसे पकड़ लिया और किस करने की कोशिश करने लगी। तेजस ने उसे जोर से धक्का मार दिया, जिससे माया जमीन पर गिर गई।
अपने कमरे में बैठा अद्विक वहाँ की लाइफ फुटेज देख रहा था। उसे देखकर उसने तुरंत तेजस को मैसेज कर दिया। तेजस ने जैसे ही अद्विक का मैसेज देखा, उसकी आँखें हैरानी से चौड़ी हो गईं। मैसेज इस प्रकार था:
"तेजस, आज तक तुमने मेरे बहुत सारे काम किए और उन कामों का इनाम मैं तुम्हें आज तक नहीं दिया। यह लड़की, आज से २ दिन के लिए तुम्हारी है। इसके साथ जो चाहे कर सकते हो, लेकिन हाँ, दिल लगाने की गलती मत करना। ऑल द बेस्ट एंड एंजॉय योर नाइट।"
माया जमीन से उठकर फिर से तेजस के करीब आने लगी। अब जब उसे अद्विक का आर्डर मिल चुका था, तो वह माया को कैसे हल्के में छोड़ सकता था? वह झट से माया का हाथ पकड़कर उसे खींचते हुए अपने साथ गेस्ट रूम में ले गया और एक झटके में उसे बेड पर फेंक दिया। फिर तेजस ने अपने सारे कपड़े उतार दिए। माया ने भी अपने सारे कपड़े उतारकर नीचे फेंक दिए। ड्रग्स के नशे में माया को पता ही नहीं चल रहा था कि वह किसके साथ और क्या कर रही है।
तेजस बेरहमी से माया पर टूट पड़ा। उसने माया के साथ कोई रहम नहीं दिखाया। वह जबरदस्ती माया के साथ वह सब कुछ कर रहा था जो उसके शरीर की डिमांड थी, लेकिन उसने माया के होठों को एक बार भी नहीं छुआ था क्योंकि यह तेजस के उसूल के खिलाफ था। लेकिन वह उसके साथ बहुत दरिंदगी से सब कुछ कर रहा था और माया को उसके इस वाइल्डनेस से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था; बल्कि वह मजे से तेजस का साथ दे रही थी। तेजस ने मन ही मन उसे देखते हुए कहा, "बेशर्म औरत।"
दूसरी तरफ, अद्विक ने घर का लाइफ फुटेज बंद कर दिया था क्योंकि वह जानता था कि उसने जो काम तेजस को दिया है, तेजस उसे बखूबी निभाएगा। लेकिन तेजस की एक आदत और थी: एक बार वह किसी के साथ फिजिकल हो जाता था, तो वह दोबारा उसे हाथ नहीं लगाता था क्योंकि वह उसके लिए एक की हुई चीज़ हो जाती थी, जिसे वह दोबारा टच करना पसंद नहीं करता था। और माया के साथ भी वह यही करने वाला था। आज तक तेजस को कभी किसी से प्यार नहीं हुआ था और न ही उसे उन सब चीजों में इंटरेस्ट था। उसे अपने बॉडी की नीड्स को पूरा करना होता था, लेकिन वह सिर्फ उन औरतों के साथ करता था जो पहले से उसे उकसाती थीं या उसके साथ फिजिकल होने के लिए अपने मन से रेडी होती थीं।
निविशा गहरी नींद में सो रही थी और अद्विक उसे अपनी बहुत ही शिद्दत भरी नज़रों से देख रहा था। उसे निविशा के साथ बहुत कुछ करना था, लेकिन वह जानता था कि उसकी बीवी सो चुकी है।
तभी अद्विक को निविशा की आँखों में हलचल दिखाई दी और वह समझ गया कि उसकी बीवी उसे बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है। इसलिए अद्विक धीरे-धीरे कदमों से निविशा के पीछे जाकर लेट गया और निविशा की तरफ देखते हुए कहा, "अच्छा है ये सो गई। अब मैं जूली से बात कर लेता हूँ और उसे बुला लेता हूँ, क्योंकि ये तो मेरे साथ कुछ भी करने से रही। अच्छा है ना, इसको कुछ पता भी नहीं चलेगा। वैसे भी, एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर तो आजकल सभी करते हैं।"
अचानक निविशा अद्विक के पेट पर बैठ गई और बोली, "आपको शर्म नहीं आती? अपनी बीवी के होते हुए आप दूसरे के पास जाओगे? जान से मार दूँगी आपको और खुद भी मर जाऊँगी, लेकिन आपको किसी और के साथ बात नहीं करनी चाहिए। इसलिए आइंदा से ये बात आपके ज़ेहन पर ना आए।"
अद्विक तुरंत पलटकर निविशा को अपने नीचे कर लिया और उसके चेहरे पर अपनी उंगलियाँ घुमाते हुए कहा, "तुम मुझसे बचने की कोशिश कर रही थी ना, इसलिए सोने का नाटक कर रही थी?" निविशा अद्विक की तरफ देखकर धीरे से उसके कान में बोली, "एक लड़की कभी पहल नहीं करती, क्योंकि उसके अंदर शर्म और हया होती है। इन सब चीजों में एक मर्द को ही पहल करनी होती है, और मैं तो आपकी पूरी तरह से बनना चाहती हूँ।" अद्विक ने निविशा की नाक पर किस कर लिया और कहा, "तुम मेरे किस जन्म का पुण्य हो, मुझे नहीं पता, बट तुम मेरी ज़िंदगी का वो हिस्सा हो जो अब मेरे शरीर से कभी अलग नहीं होगा।"
अद्विक ने निविशा का सर अपने सीने पर रखकर कहा, "सो जाओ, बहुत रात हो गई है। और हमारी फ़र्स्ट नाइट बहुत खूबसूरत होगी। मेरे भी कुछ सपने हैं, कुछ अरमान हैं, और मैं जानता हूँ तुम्हारे भी कुछ सपने और अरमान होंगे। और हम दोनों मिलकर उन सपनों और अरमानों को पूरा करेंगे।" यह अद्विक सिर्फ़ निविशा के लिए सॉफ्ट हार्टेड था, वरना दुनिया के लिए वह एक डेविल किंग था और हमेशा वही रहेगा।
निविशा अद्विक के सीने पर अपना सर रखकर अपनी आँखें बंद कर लीं और सुकून से कब सो गई, उसे पता ही नहीं चला। वहीं अद्विक अभी भी निविशा के बालों में अपनी उंगलियाँ चला रहा था क्योंकि उसका सुकून उसके पास था। धीरे-धीरे उसे भी नींद आ गई और निविशा और अद्विक दोनों अपनी सुकून भरी नींद में खो गए।
अगली सुबह धीरे-धीरे माया की आँखें खुलीं। उसने देखा कि उसके पास एक आदमी सोया हुआ था, जिसकी हाइट और पीछे से बनावट बिल्कुल अद्विक जैसी थी। यह देखकर उसके चेहरे पर एक शातिर मुस्कान आ गई और वह तुरंत लाइव वीडियो चलाकर दुनिया को बताने लगी कि अद्विक के साथ उसके बीच कल बहुत कुछ हुआ था। तभी अचानक तेजस पलट गया और लाइव वीडियो में तेजस का चेहरा दिखने लगा। यह देखकर माया हैरान रह गई।
उसे समझ नहीं आ रहा था कि अचानक उसके साथ क्या हुआ। वहीं तेजस ने तुरंत माया के हाथ से फ़ोन छीनकर उसे दीवार पर मार दिया और वह टूटकर बिखर गया। माया हैरानी से बेडशीट से खुद को ढँकने लगी। वहीं तेजस ने टेढ़ी मुस्कान से माया की तरफ देखते हुए कहा, "वैसे तुम्हारे अंदर कोई खास ज़्यादा चीज़ नहीं है जिससे मैं इम्प्रेस होता। जब मेरे बॉडीगार्ड तुमसे इम्प्रेस नहीं हुए, तो मैं क्या खाकर इम्प्रेस होता? तुम बेशर्म तो बहुत हो, सच्ची यार! मतलब, अपनी इस हालत में तुम लाइव स्ट्रीमिंग कर रही थीं? तुमने ना औरत नाम को कलंकित कर दिया है और तुम जैसी औरत ना किसी की बीवी बनने के लायक है। तुम्हारे शरीर में बहुत गर्मी है ना? तुम्हारी ये गर्मी तो ठंडी होगी।" वैसे भी तेजस शर्मा एक बार की हुई चीज़ को दोबारा हाथ नहीं लगाता, लेकिन हाँ, हमारे इस मेंशन में बहुत सारे बॉडीगार्ड्स हैं...
जिनको एक शरीर की नींद है और वह तुम अच्छे से दे सकती हो। फ़िक्र मत करो, हम तुम्हें तुम्हारे हिसाब से पैसे दे देंगे। कोई प्रॉब्लम नहीं है। अब मेरा टाइम तो ख़त्म हो गया, तो मैं चलता हूँ। अभी कोई और आएगा तो दिल से और अच्छे से उसका वेलकम करना। और एक बात, यह घर अद्विक सर का नहीं था। अद्विक सर सिर्फ़ कुछ वक़्त के लिए रहने आए थे, लेकिन वह कल ही अपनी पत्नी के साथ यहाँ से जा चुके हैं। अब वह कहाँ रहते हैं, कहाँ गए हैं, यह तो मुझे भी नहीं पता, लेकिन तुम्हारी ज़िंदगी ज़रूर ख़राब हो गई है...
क्योंकि तुम अब उनके बॉडीगार्ड्स के हाथ लग गई हो और तुमने जो बेशर्मी कल मेरे साथ की ना, उसका सबूत मेरे पास है कि मैंने तुम्हारे साथ कोई ज़बरदस्ती नहीं की। जो हुआ, तुमने किया। तो मेरे बॉडीगार्ड्स को खुश करो, वरना मैं यह वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दूँगा क्योंकि तुम्हारी जैसी गिरी हुई और नीची लड़की सिर्फ़ इसी के लायक है। क्योंकि तुम्हारी जैसी लड़कियों के चक्कर में और भी औरतें और लड़कियाँ बदनाम होती हैं, जो देवी की तरह पूजनीय होनी चाहिए। लोग उन्हें भी घृणा और नफ़रत की नज़र से देखते हैं। सो मिस माया, एंजॉय योर डे एंड बाय।
तेजस वहाँ से उठकर अपने कपड़े पहनता है और कमरे से बाहर निकल जाता है। तेजस के बाहर निकलते ही दो बॉडीगार्ड्स कमरे में आते हैं। तभी एक बॉडीगार्ड कुछ इशारा करता है और वह कमरे से बाहर चला जाता है। अब एक बॉडीगार्ड कमरे में मौजूद था। उसकी हाइट लगभग सात-आठ फीट थी और वह इतना तगड़ा था कि वह खली को भी फेल कर देता। अपने सामने इतने लंबे और तगड़े आदमी को देखकर माया की हालत खराब हो गई।
वह बॉडीगार्ड एक पल में माया पर जानवरों की तरह टूट पड़ा। पूरे मेंशन में माया के दर्दनाक चीखें सुनाई दे रही थीं, जो उसके लालच और बेशर्मी की वजह से हुआ था।
माया जैसी औरतें समाज के नाम पर कलंक होती हैं, जो खुद की भाभी के पति पर नज़र डाल रही थी, लेकिन वह भूल गई थी कि वह जिससे पंगा ले रही थी, वह डेविल था और इतनी आसानी से उसे छोड़ने वाला नहीं था। पल-पल तरसेगी वह अब यहाँ से निकलने के लिए। इस मेंशन में आने के लिए उसने बहुत मेहनत की थी।
माया की हालत कल रात और आज पूरे दिन में खराब हो चुकी थी। उसके साथ सिर्फ़ दो लोगों ने ही वह सब कुछ किया था, फिर भी माया की हालत किसी भिखारी की तरह हो गई थी। उसे पूरे मेंशन में कोई सर्वेंट नहीं था; सिर्फ़ माया और वह बॉडीगार्ड थे। वह बॉडीगार्ड माया के पास आकर उसे कपड़े देता है और कहता है, "पहनो और बाहर चलो। तुम्हें पूरे मेंशन की सफ़ाई करनी है। यहाँ कोई सर्वेंट नहीं है काम करने के लिए, इसलिए यह अबला नारी का अवतार मेरे सामने मत करना, क्योंकि तुम इसी के लायक हो। जानती हो, तुम तो उनसे भी गई-गुज़री हो जो धंधा करती हैं। कम से कम वो अपनी मजबूरी में करती हैं वो सब कुछ, लेकिन तू जैसी औरतें सिर्फ़ अपने शरीर की नुमाइश करने के लिए बाकियों को भी कलंकित करती हैं।"
क्या निविशा को पता चलेगा कि अद्विक ने माया के साथ क्या किया? जानने के लिए पढ़ते रहिए। मिलते हैं अगले एपिसोड में।
उसे समझ नहीं आ रहा था कि अचानक उसके साथ क्या हुआ। वहीँ, तेजस तुरंत माया के हाथ से फोन छीनकर उसे दीवार पर मार देता है। फोन टूटकर बिखर गया। माया हैरानी से बेडशीट से खुद को कवर करने लगी। तेजस टेढ़ी मुस्कान से माया की तरफ देखकर बोला, "वैसे तुम्हारे अंदर कोई खास चीज़ नहीं है जिससे मैं इम्प्रेस होता। जब मेरे बॉडीगार्ड तुमसे इम्प्रेस नहीं हुए, तो मैं क्या खाकर होता? पैसे? तुम बेशर्म तो बहुत हो, सच्ची यार! मतलब, अपनी इस हालत में तुम लाइव स्ट्रीमिंग कर रही थीं! तुमने ना, औरत नाम को कलंकित कर दिया है। तुम जैसी औरत ना किसी की बीवी बनने के लायक नहीं है। तुम्हारे शरीर में बहुत गर्मी है ना? तुम्हारी गर्मी तो हमें ठंडी होगी। वैसे भी, तेजस शर्मा एक बार छूई हुई चीज़ को दोबारा हाथ नहीं लगाता। लेकिन हाँ, हमारे इस मेंशन में बहुत सारे बॉडीगार्ड्स हैं..."
"...जिनको एक शरीर की नींद है, और वह तुम अच्छे से दे सकती हो। फ़िक्र मत करो, हम तुम्हें तुम्हारे हिसाब से पैसे दे देंगे। कोई प्रॉब्लम नहीं है। अब मेरा टाइम ख़त्म हो गया, तो मैं चलता हूँ। अभी कोई और आता होगा, तो दिल से और अच्छे से उसका वेलकम करना। और एक बात, यह घर अद्विक सर का नहीं था। अद्विक सर सिर्फ़ कुछ वक़्त के लिए रहने आए थे, लेकिन वह कल ही भाभी के साथ यहाँ से जा चुके हैं। अब वह कहाँ रहते हैं, कहाँ गए हैं, यह तो मुझे भी नहीं पता। लेकिन तुम्हारी ज़िंदगी झंड हो गई है..."
"...अब क्योंकि तुम अब मेरे बॉडीगार्ड्स के हाथ लग गई हो। और तुमने जो बेशर्मी कल मेरे साथ की ना, उसका सबूत मेरे पास है। मैं तुम्हारे साथ कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं करी। जो हुआ, तुमने किया। तो मेरे बॉडीगार्ड्स को खुश करो, वरना मैं यह वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दूँगा। क्योंकि तुम्हारे जैसी गिरी हुई और नीची लड़की सिर्फ़ इसी के लायक है। क्योंकि तुम्हारे जैसी लड़कियों के चक्कर में और भी औरतें और लड़कियाँ बदनाम होती हैं, जो देवी की तरह पूजनीय हैं। लोग उन्हें भी नफ़रत की नज़र से देखते हैं। सो, मिस माया, एन्जॉय योर डे एंड बाय..."
तेजस वहाँ से उठकर अपने कपड़े पहनता है और कमरे से बाहर निकल जाता है। तेजस के बाहर निकलते ही दो बॉडीगार्ड्स कमरे में आते हैं। तभी एक बॉडीगार्ड कुछ इशारा करता है और वह कमरे से बाहर चला जाता है। अब एक बॉडीगार्ड कमरे में मौजूद था। उसकी हाइट लगभग सात-आठ फ़ीट थी, और वह बिल्कुल इतना तगड़ा था कि वह खली को भी फ़ेल कर रहा था। अपने सामने इतने लम्बे-तगड़े आदमी को देखकर माया की हालत ख़राब हो जाती है।
वह बॉडीगार्ड एक पल में माया पर जानवरों की तरह टूट पड़ता है। उसे पूरे मेंशन में माया के दर्दनाक चीखें सुनाई दे रही थीं, जो उसके लालच और बेशर्मी की वजह से हुआ था।
माया जैसी औरतें समाज के नाम पर कलंक होती हैं, जो खुद की बहन के पति पर डोरे डाल रही थी। लेकिन वह भूल गई थी, वह जिससे पंगे ले रही थी, वह डेविल था, और इतनी आसानी से उसे छोड़ने वाला नहीं था। पाल-पाल तरसेगी वह अब यहाँ से निकलने के लिए। इस मेंशन में आने के लिए उसने बहुत मेहनत की थी।
माया की हालत कल रात और आज पूरे दिन में ख़राब हो चुकी थी। उसके साथ सिर्फ़ दो लोगों ने वह सब कुछ किया था, फिर भी माया की हालत किसी भिखारी की तरह हो गई थी। उसे पूरे मेंशन में कोई सर्वेंट नहीं था। सिर्फ़ माया और वह बॉडीगार्ड थे। वह बॉडीगार्ड माया के पास आकर उसे कपड़े देता है और कहता है, "पहनो और बाहर चलो। तुम्हें पूरे मेंशन की सफ़ाई करनी है। यहाँ कोई सर्वेंट नहीं है काम करने के लिए। इसलिए यह अबला नारी का अवतार मेरे सामने मत करना, क्योंकि तुम इसी लायक हो। जानती हो, तुम तो उनसे भी गई-गुज़री हो जो धंधा करती हैं। कम से कम वह अपनी मजबूरी में करती हैं वह सब कुछ, लेकिन तू जैसी औरतें सिर्फ़ अपने शरीर की नुमाइश करने के लिए बाकियों को भी कलंकित करती हैं।"
माया गुस्से में लाल आँखें करके उस बॉडीगार्ड की तरफ़ देखती है। वह बॉडीगार्ड माया के बालों को बेरहमी से पकड़कर माया को ज़मीन से ऊपर उठाता है और कहता है, "इस मेंशन में आने की तुम्हें जल्दी थी? हम लोगों के मना करने के बाद भी तुम यहाँ आई थीं? लेकिन तुम भूल गई थीं, यह मेंशन सर जी का है, और वह यहाँ रहते नहीं हैं। तुमने तो सोचा था कि जो ड्रग्स तुमने खुद के और सर जी के खाने में मिलाया था, वह तो सर जी ने खाया ही नहीं, क्योंकि सर जी तो मैडम जी के साथ पहले ही चले गए थे। तुझे एक बात बताऊँ, तेरे साथ जो कुछ भी हो रहा है ना, वह सर जी की मर्ज़ी से हो रहा है। सर जी दुनिया में सबसे ज़्यादा नफ़रत तुमसे करते हैं। समझी?"
माया गुस्से और नफ़रत से उस बॉडीगार्ड को देख रही थी। वह बॉडीगार्ड हँसते हुए कहता है, "चल, चल, जल्दी से कमरा साफ़ कर, खाना बना। उसके बाद रात को फिर से एक्सरसाइज़ होगी। चल जल्दी! और हाँ, आज तो दो लोग और बढ़ गए हैं तेरी एक्सरसाइज़ के लिए। जल्दी-जल्दी काम कर और फ़्री हो।" माया नफ़रत से उसे जाते हुए देखकर कहती है, "मैंने तुम्हें बर्बाद नहीं किया ना Advik! तुमने मेरा नाम भी... माया..."
माया कमरे से निकलकर बाहर आती है। धीरे-धीरे वह पूरे घर की सफ़ाई करती है। सफ़ाई करते हुए उसकी हालत ख़राब हो चुकी थी। फिर उसने पूरी किचन साफ़ की, बर्तन धुले, फिर खाना बनाया। जब खाना बनाकर वह डाइनिंग एरिया में पहुँची, तो देखती है वहाँ तकरीबन 20 से 22 बॉडीगार्ड बैठे थे। सब लोग खाना लेकर खाने लगे। सब लोग खाना खाकर वहाँ से उठकर जाने लगे, तो माया चिल्लाते हुए कहती है, "मेरा खाना भी तुम लोगों ने खा लिया? मैं क्या खाऊँगी? मैं कल से कुछ नहीं खाया है!" तेजस हँसते हुए कहता है, "यह तो तुम्हें इस मेंशन में आने से पहले सोचना चाहिए था कि तुम्हें खाना मिलेगा या कुछ और।" नरेंद्र खड़ा हो जाता है, तो तेजस उसकी तरफ़ देखकर कहता है, "आधी रात तक के लिए तेरे पास, और आधी रात के बाद इसे विजय को ट्रांसफ़र कर देना।" और वहाँ से निकल जाता है।
अपने साथ कल रात की तरह फिर से वही दर्द की सोचकर ही माया का शरीर काँपने लगता है। तभी नरेंद्र आगे आता है और माया का एक हाथ पकड़कर उसे घसीटते हुए सीढ़ियों से ऊपर लेकर चला जाता है। छत पर आने के बाद, वह उसे धक्का देता है और एक झटके में उसके सारे कपड़े फाड़कर फेंक देता है। और उसके साथ फिर वही सब होने लगता है। माया के चिल्लाने की आवाज़ पूरे मेंशन में गूँज रही थी, लेकिन माया को बचाने वाला वहाँ कोई भी मौजूद नहीं था।
अद्विक तेजस को फोन करता है और कहता है, "कल से उसके साथ सिर्फ़ एक इंसान रहेगा, क्योंकि वह लड़की है। उसके साथ इतनी दरिंदगी भी सही नहीं है। लेकिन हाँ, अगर ज़्यादा बकवास करे, तो मार देना।" और कॉल काट देता है।
निविशा गहरी नींद में सोई हुई थी। अद्विक उसे एक नज़र प्यार से देखकर वॉशरूम में चला जाता है और अपने सारे कपड़े निकालकर शावर के नीचे खड़ा हो जाता है। उसे बार-बार वही बातें याद आ रही थीं, जो उसने सुनी थीं, जो तेजस ने उसे बताई थीं—कि माया और उसकी फैमिली निविशा को बेचने वाले थे किसी को। निविशा की नींद खुलती है, तो वह देखती है कि वह कमरे में अकेली है। वह आधी नींद में थी, तो वह बेड पर से उठकर सीधा बाथरूम में घुस जाती है और अपने सारे कपड़े निकालकर शावर के नीचे खड़ी हो जाती है।
वहाँ शावर के नीचे खड़ा अद्विक निविशा की हरकतों को देख रहा था। उसे हँसी भी आ रही थी कि यह लड़की नींद में इतनी ज़्यादा बिजी है कि उसको यह भी नहीं पता कि बाथरूम में उसके अलावा भी कोई है। वहीँ अद्विक एक झटके में निविशा को खुद के करीब कर लेता है।
क्योंकि निविशा इस वक़्त बिना किसी कपड़े के अद्विक के सामने खड़ी थी। अद्विक भी एक इंसान था, निविशा से प्यार करता था, उसकी बीवी थी, तो उसके साथ थोड़ा सा कुछ करने में तो कोई बुराई भी नहीं थी। निविशा की आँखें झटके से खुल जाती हैं और अपने सामने अद्विक को देखकर वह कहती है, "यू गंदे आदमी! तुम बाथरूम में क्या कर रहे हो?" अद्विक उसके चेहरे पर, एक seductive way में अपनी उँगलियाँ घुमाते हुए कहता है, "मैं तो पहले से ही यहाँ था..."
"...मुझे लग रहा है तुम्हें ना, सुहागरात मनाने की बहुत जल्दी है, इसीलिए तो मेरे सामने ऐसे खड़ी हो गई हो।" अब जाकर निविशा को अपनी हालत का एहसास होता है। वह अद्विक को धक्का मारने लगती है, लेकिन अद्विक उसे और ज़्यादा खुद से चिपका लेता है। अब दोनों की बॉडी एक-दूसरे से चिपक गई थी। अद्विक की हार्डनेस निविशा की सॉफ्टनेस से टच होने लगी थी।
यह देखकर दोनों के ही शरीर में करंट और मदहोशी दौड़ जाती है। अद्विक निविशा के होठों पर अपने होंठ रखकर उसे पैशन के साथ किस करने लगता है। निविशा के हाथ कब अद्विक के बालों में चले जाते हैं, उसे पता ही नहीं चलता। ऊपर से शावर का चलता पानी उन दोनों की उत्तेजना को कम करने के बजाय बढ़ा रहा था। दोनों एक-दूसरे पर भारी पड़ रहे थे।
कभी निविशा अद्विक के लबों को काटने लगती है, कभी अद्विक निविशा के लबों को काटने लगता है। वहीँ अद्विक एक झटके में निविशा को सामने वाली दीवार से सटा देता है और उसकी पूरी पीठ पर अपने होंठ घुमाने लगता है, और साथ ही साथ उसे चूम भी रहा था। निविशा की मदहोश कर देने वाली सिसकियाँ पूरे बाथरूम में गूँज रही थीं। वहीँ निविशा की पूरी पीठ को चूमने के बाद अद्विक एकदम से निविशा को पलट देता है। अब वह निविशा के सीने को बहुत ही सेडक्टिव तरीके से देख रहा था।
वह अपना एक हाथ बढ़ाकर निविशा के दोनों उभारों को अपने हाथों से सहलाने लगता है। निविशा के मुँह से सिसकियों की आवाज़ बंद ही नहीं हो रही थी। वहीँ अद्विक अपने आप को कंट्रोल नहीं कर पाता और निविशा के एक उभार को अपने मुँह में भर लेता है और एक को अपने हाथों से मसलने लगता है।
निविशा भी तड़प रही थी, क्योंकि वह भी एक इंसान थी। उसके भी शरीर की नीड्स थीं, जो वह अपने पति के साथ पूरी करना चाहती थी। अद्विक दो घंटे तक बाथरूम में निविशा को इसी तरह परेशान करता रहता है, लेकिन अभी तक अद्विक ने अपनी लिमिट क्रॉस नहीं की थी। वहीँ अद्विक निविशा को इसी तरह बिना किसी कपड़े के वॉशरूम से उठाकर कमरे में ले आता है और उसे बेड पर लिटाकर उसके ऊपर आ जाता है।
और दोनों को ब्लैंकेट से ढँक लेता है। एक बार फिर अद्विक के होंठ निविशा के होठों पर चलने लगते हैं। वह निविशा को बिना किसी वार्निंग के उसके अंदर समा जाता है। यह निविशा का पहला टाइम था, और इस वजह से दर्द दोनों को हो रहा था। निविशा की चीख पूरे कमरे में गूँज जाती है। एक पल के लिए तो अद्विक रुक जाता है, लेकिन फिर उसे एहसास होता है कि अगर वह अभी निविशा के अंदर से बाहर आया, तो फिर शायद निविशा उसे अपने अंदर इंटर करने नहीं देगी। इसीलिए वह खुद को निविशा के अंदर ही रखता है और उसके शरीर को सहलाने लगता है।
अद्विक के पैंपर करने से निविशा का दर्द कम हो जाता है, और वह भी अद्विक का पूरा साथ देने लगती है। न जाने कितने घंटे तक दोनों की मोहब्बत का सिलसिला ऐसे ही चलता रहता है। सुबह कब शाम हो जाती है, दोनों को पता ही नहीं चलता। आज दोनों को भूख भी नहीं लगी थी, दोनों एक-दूसरे में ही बिजी थे।
तेजस बार-बार अद्विक को कॉल कर रहा था, क्योंकि आज अद्विक की फ़ॉरेन क्लाइंट के साथ मीटिंग थी, लेकिन अद्विक का फ़ोन कंटिन्यू स्विच ऑफ़ आ रहा था।
हार कर तेजस अद्विक के P.A. को कॉल करता है, तो वह बताता है कि आज वह अपने मेंशन से बाहर ही नहीं आया। तभी सारे बॉडीगार्ड खड़े होकर यह सोचते हैं कि क्या उन्हें अंदर जाकर देखना चाहिए। तभी तेजस और मोहित दोनों ही अद्विक के कमरे की तरफ़ चले जाते हैं। अद्विक का कमरा साउंड प्रूफ़ था, लेकिन अद्विक ने कमरे का गेट लॉक नहीं किया था। जैसे ही वह दोनों अद्विक के कमरे के गेट पर आते हैं, अंदर से आ रही आवाज़ों को सुनकर दोनों ही शर्मा जाते हैं और तुरंत वहाँ से भाग जाते हैं, क्योंकि वह जानते थे कि अगर अद्विक को पता चल गया, तो अद्विक उन दोनों की गर्दन काट देगा एक पल नहीं लगाएगा। यह करते हुए वहीँ, वह दोनों जाकर नीचे मुस्कुराने लगते हैं और वहाँ से मीटिंग अटेंड करने के लिए चले जाते हैं, क्योंकि जब-जब अद्विक नहीं होता था, वह दोनों ही मीटिंग अटेंड करते थे, और आज भी उन दोनों को ही करनी थी, क्योंकि वह समझ चुके थे कि अद्विक आज ना तो ऑफ़िस जाएगा और ना ही किसी मीटिंग में।
निविशा अब थक चुकी थी और वह लगभग बेहोशी की हालत में जा चुकी थी। जब अद्विक सेटिस्फ़ाई हो जाता है, तब जाकर वह निविशा के ऊपर से उठकर साइड में लेट जाता है और निविशा को खुद के ऊपर लेटकर उसकी पीठ को सहलाने लगता है। थोड़ी देर बाद अपनी साँसों को कंट्रोल करने के बाद वह वहाँ से उठकर वॉशरूम की तरफ़ चला जाता है। वॉशरूम में खुद को फ़्रेश करके और नीचे एक ब्लैक कलर का लोअर पहनकर अद्विक बाहर आता है। उसके हाथ में इस वक़्त एक गीला टॉवल था। उस गीले टॉवल से वह निविशा के पूरे शरीर को साफ़ करता है।
फिर अद्विक निविशा को एक ओवरसाइज़ शर्ट पहना देता है और उसे अपनी बाहों में उठाकर सोफ़े पर लिटा देता है। फिर वह बेड की बेडशीट को चेंज करता है, क्योंकि उसे बेडशीट पर ब्लड के दाग़ लगे हुए थे, जो इस बात की गवाही दे रहे थे कि निविशा पूरी तरीके से अद्विक की हो चुकी है, और अद्विक पूरी तरीके से निविशा का हो चुका है। अद्विक उस बेडशीट को अच्छे से फ़ोल्ड करके अपने कपबोर्ड में रख देता है और नई बेडशीट बेड पर डालकर निविशा को लिटाकर आराम से ब्लैंकेट से ढँक देता है और अपनी बाहों में भरकर लेट जाता है, क्योंकि वह जानता था कि जब निविशा उठेगी, उसे बहुत दर्द होगा, क्योंकि उसका फ़र्स्ट टाइम था। इसलिए अद्विक एक पल के लिए भी निविशा को अकेला नहीं छोड़ना चाहता था।
अद्विक के हाथ निविषा के गरम होठों पर चलने लगे। उसने निविषा को बिना किसी चेतावनी के अपने अंदर समा लिया। यह निविषा का पहला अनुभव था और दर्द दोनों को हो रहा था। निविषा की चीख पूरे कमरे में गूंज गई। एक पल के लिए अद्विक रुक गया, लेकिन फिर उसे एहसास हुआ कि अगर वह अभी निविषा के अंदर से बाहर आया, तो निविषा उसे फिर कभी अपने अंदर प्रवेश नहीं करने देगी। इसलिए उसने खुद को निविषा के अंदर ही बनाए रखा और उसके शरीर को सहलाने लगा।
अद्विक के स्नेह से निविषा का दर्द कम हुआ और वह भी अद्विक का पूरा साथ देने लगी। न जाने कितने घंटे तक दोनों के प्रेम का सिलसिला यूँ ही चलता रहा। सुबह कब शाम हो गई, दोनों को पता ही नहीं चला। आज दोनों को भूख भी नहीं लगी थी; दोनों एक-दूसरे में ही मग्न थे।
तेजस बार-बार अद्विक को कॉल कर रहा था क्योंकि आज अद्विक की एक विदेशी क्लाइंट के साथ मीटिंग थी, लेकिन अद्विक का फ़ोन लगातार स्विच ऑफ आ रहा था।
हारकर तेजस अद्विक के पी.ए. को कॉल करता है। वह बताता है कि आज अद्विक अपने मेंशन से बाहर ही नहीं निकला। तभी सारे बॉडीगार्ड खड़े होकर यह सोचते हैं कि क्या उन्हें अंदर जाकर देखना चाहिए। तभी तेजस और मोहित दोनों ही अद्विक के कमरे की तरफ चल देते हैं। अद्विक का कमरा साउंडप्रूफ़ था, लेकिन अद्विक ने कमरे का गेट लॉक नहीं किया था। जैसे ही वे दोनों अद्विक के कमरे के गेट पर पहुँचे, अंदर से आ रही आवाज़ों को सुनकर दोनों शर्मा गए और तुरंत वहाँ से भाग गए, क्योंकि वे जानते थे कि अगर अद्विक को पता चल गया, तो वह उन दोनों की गर्दन काट देगा, एक पल भी नहीं लगाएगा। वहाँ से वे नीचे आकर मुस्कुराने लगे और वहाँ से मीटिंग अटेंड करने के लिए चल दिए, क्योंकि जब-जब अद्विक नहीं होता था, वे दोनों ही मीटिंग अटेंड करते थे और आज भी उन्हें ही करनी थी, क्योंकि वे समझ चुके थे कि अद्विक आज न तो ऑफिस जाएगा और न ही किसी मीटिंग में।
निविषा अब थक चुकी थी और वह लगभग बेहोशी की हालत में पहुँच चुकी थी। जब अद्विक संतुष्ट हो गया, तब जाकर वह निविषा के ऊपर से उठकर बाजू में लेट गया और निविषा को अपने ऊपर लेटाकर उसकी पीठ सहलाने लगा। थोड़ी देर बाद, अपनी साँसों को नियंत्रित करने के बाद, वह वहाँ से उठकर वॉशरूम की तरफ चला गया। वॉशरूम में खुद को फ्रेश करके और नीचे एक ब्लैक कलर का लोअर पहनकर अद्विक बाहर आया। उसके हाथ में इस वक्त एक गीला तौलिया था। उस गीले तौलिये से उसने निविषा के पूरे शरीर को साफ़ किया।
फिर अद्विक ने निविषा को एक ओवरसाइज़ शर्ट पहनाई और उसे अपनी बाहों में उठाकर सोफ़े पर लिटा दिया। फिर उसने बेड की बेडशीट बदल दी, क्योंकि उसे बेडशीट पर खून के धब्बे लगे हुए थे, जो इस बात की गवाही दे रहे थे कि निविषा पूरी तरह से अद्विक की हो चुकी थी और अद्विक पूरी तरह से निविषा का हो चुका था। अद्विक ने बेडशीट को अच्छे से फोल्ड करके अपने अलमारी में रख दिया और नई बेडशीट बेड पर बिछाकर निविषा को लिटाकर आराम से कंबल ओढ़ा दिया और अपनी बाहों में भरकर लेट गया, क्योंकि वह जानता था कि जब निविषा उठेगी, उसे बहुत दर्द होगा क्योंकि उसका पहला अनुभव था। इसलिए अद्विक एक पल के लिए भी निविषा को अकेला नहीं छोड़ना चाहता था।
निविषा जाग चुकी थी, लेकिन वह अपनी आँखें नहीं खोल रही थी क्योंकि वह अद्विक को यह एहसास नहीं होने देना चाहती थी कि वह जाग गई है। वहीं निविषा अपने मन में अद्विक के बारे में सोचकर कहती है, "मैंने तुम्हें इस कदर फँसाया है कि तुम मुझसे दूर जा ही नहीं सकते। मैं तुम्हें कभी किसी और के करीब नहीं जाने दूँगी। तुम पर सिर्फ़ मेरा, निविषा का, अधिकार होगा। पिछले जन्म में मैंने तुम्हें खोया था, मेरी गलतियों की वजह से, लेकिन इस जन्म में मैं तुम्हें एक पल के लिए भी खुद से दूर नहीं जाने दूँगी।"
"अपनी और अपने प्यार की ऐसी आदत लगाऊँगी कि तुम चाहकर भी मुझसे दूर नहीं जा पाओगे। अब मुझे बदलना होगा क्योंकि मुझे मेरा बदला लेना है—अपनी मौत का बदला, अपने अस्तित्व का बदला, अपनी आबरू का बदला। और अब तांडव होगा, और यह तांडव माया और उसके माँ-बाप के लिए बहुत भयानक होने वाला है। अभी मैं सिर्फ़ अद्विक पर फोकस करना चाहती हूँ क्योंकि मैं नहीं चाहती कि अद्विक मेरे खिलाफ़ जाए, लेकिन मैं यह भी बहुत अच्छे से जानती हूँ कि मेरी इस लड़ाई में मेरा सबसे बड़ा हथियार अद्विक ही होगा।"
निविषा अपने मन में एक खतरनाक योजना बना रही थी माया और उसके माँ-बाप को सबक सिखाने के लिए, लेकिन निविषा इस बात से अनजान थी कि अद्विक ने पहले ही माया की ज़िन्दगी नरक बना रखी थी और अब उसकी ज़िन्दगी और नरक बनने वाली थी क्योंकि अद्विक के कहने पर तेजस ने इसका एक वीडियो वायरल नहीं किया था, बल्कि उसे लाइव टेलीकास्ट दिखाया था जिसमें वह अपने बॉडीगार्ड के साथ अपनी हर हद पार कर रही थी और उसकी ज़िन्दगी पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी थी। उसके माँ-बाप किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रहे थे।
तेजस अपनी गाड़ी से बाहर निकलता है और वह अद्विक के मेंशन में आ जाता है, जिसके बारे में तेजस और उसके कुछ खास बॉडीगार्ड जानते थे। वहीं वह नीचे आकर अद्विक को कॉल करके नीचे बुला लेता है। अद्विक एक नज़र सोई हुई निविषा को देखकर कमरे से चला जाता है। अद्विक के कमरे से जाते ही निविषा झट से उठकर बैठ जाती है, लेकिन उसे अपने निचले हिस्से में बहुत दर्द हो रहा था।
फिर वह अपना फ़ोन उठाकर कुछ करती है। तभी उसे एक न्यूज़ ट्रेंडिंग चलती हुई दिखाई देती है। यह देखकर वह उत्सुक हो जाती है और जैसे ही वह लिंक पर क्लिक करती है, सामने चल रहे वीडियो को देखकर उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कराहट आ जाती है और वह मुस्कुराते हुए जल्दी से वीडियो बंद करके कहती है, "मतलब मेरे पतिदेव ने मेरा बदला लेना शुरू भी कर दिया! Not bad. I like it." और तुरंत लेट जाती है, क्योंकि वह जानती थी कि अगर अद्विक ने उसे देख लिया, तो वह उसे हज़ार सवाल करेगा और इस वक़्त वह अद्विक के किसी भी सवाल का जवाब नहीं देना चाहती थी।
अद्विक इस वक़्त अपने स्टडी रूम में मौजूद था और उसके सामने पाँच लोग अपना सिर झुकाए खड़े थे। अद्विक उन सब की तरफ़ देखकर कहता है, "पता करो इशिका खन्ना कहाँ पर है। इस वक़्त मुझे किसी भी हाल में इशिका खन्ना वापस चाहिए क्योंकि वह तुम्हारी लेडी बॉस की बेस्ट फ़्रेंड है और जैसे ही वह अपनी ज़िन्दगी में थोड़ा नॉर्मल होती है, वह इसके बारे में पता करने की कोशिश ज़रूर करेगी, क्योंकि माया की वजह से निविषा ने इशिका से अपनी दोस्ती तोड़ दी थी और अब जब वह खुद बदल रही थी, तो वह इसके बारे में ढूँढने की कोशिश करेगी, उससे पहले ही अद्विक इशिका को ढूँढना चाहता था जिससे वह अपनी बीवी को तुरंत ही इशिका खन्ना के बारे में बता सके।"
तेजस और उसके पास खड़े चारों लोग जल्दी से "ओके बॉस" बोल देते हैं और वहाँ से निकल जाते हैं। अभी वे लोग सीढ़ियों से नीचे उतर ही रहे थे कि उनमें से एक बॉडीगार्ड तेजस की तरफ़ देखकर कहता है, "यार, इस बॉस का भी कुछ समझ नहीं आता। यह लेडी बॉस के चक्कर में ना पूरी तरह से पागल हो गए हैं। खुद की तो शादी हो गई, अपनी बीवी के साथ रहते हैं और हम सब की ज़िन्दगी ज़हरीली कर रखी है। यार, क्या करें? कुछ समझ नहीं आ रहा हमें।"
तो तेजस उसकी तरफ़ देखकर कहता है, "मोहित, अगर जिंदा रहना चाहता है ना, तब ही अपनी जुबान को कण्ट्रोल में रखा कर। क्योंकि बॉस कौन है, यह बात हम पाँचों से बेहतर कोई नहीं जानता। और अगर तुम्हें अपनी ज़िन्दगी में सुकून और शांति चाहिए, तो चुपचाप से उनके ऑर्डर्स फ़ॉलो करो। वरना वह इस दुनिया के किस कोने में तुम्हें मारकर फेंक देंगे, तुम्हारी परछाई को भी पता नहीं चलेगा। वह लेडी बॉस के सामने जितने शांत, सौम्य और अच्छे हैं ना, उतने ही वह हम सबके लिए और पूरी दुनिया के लिए खतरनाक हैं। ऐसे लोगों ने रक्ख नहीं बोलते हैं, इसलिए अपने काम पर ध्यान दो, सर पर नहीं।"
मोहित तुरंत सॉरी बोल देता है। तभी उनके साथ चल रहा एक और लड़का सबकी तरफ़ देखकर कहता है, "वैसे बात तो सही है तेजस सर। इतनी खतरनाक है, लेकिन मैडम को उनके असली रूप के बारे में कुछ नहीं पता। और जिस दिन अगर उन्हें पता चल गया..." तभी तेजस की आवाज़ सुनाई देती है, "उस दिन भूकम्प आ जाएगा और उस भूकम्प में सबसे पहले बिल्डिंग ही नहीं, हम सबकी लगेगी। क्योंकि सर के असली रूप के बारे में हम सभी जानते हैं और गलती से भी तुम लोगों की जुबान से ये लफ़्ज़ निकलने नहीं चाहिए।"
अद्विक थोड़ी देर स्टडी रूम में बैठता है और वहाँ से सीधा अपने कमरे की तरफ़ चला जाता है। जब वह अपने कमरे में पहुँचता है, तो देखता है निविषा गहरी नींद में सो रही थी, क्योंकि अद्विक ने उसे बहुत थका दिया था और अब सच में वह गहरी नींद में थी। अद्विक अच्छे से उसे कंबल ओढ़ाकर उसके पास बैठकर उसके चेहरे को देखकर कहता है, "तुम क्या लगती हो बीवी? मुझे पता नहीं था कि तुम इस वक़्त जाग रही थी और तुम्हारे दिमाग में ज़रूर कुछ ना कुछ प्लान चल रहा है। तुम फ़िक्र मत करो, तुम्हारे हर एक प्लान को अंजाम देना मेरा काम है। तुम सिर्फ़ एक कदम बढ़ाओ और कामयाबी तुम्हारे कदम चूमेगी। यह मेरा वादा है तुमसे।"
थककर अद्विक थोड़ी देर में वह भी सो जाता है। वहीं वे पाँचों घर से निकलकर बाहर आते हैं और पता करते हैं कि इशिका कहाँ जा सकती है। वे इसके आसपास के लोगों से पता करते हैं, लेकिन किसी को नहीं पता था कि इशिका कहाँ है और कहाँ चली गई। जिस दिन निषा और इशिका की लड़ाई हुई थी, उस दिन इशिका को आखिरी बार इस शहर में देखा गया था। उसके बाद वह कहाँ गई, उसका कोई रिकॉर्ड नहीं मिल रहा था। पता नहीं क्यों इशिका के नाम से तेजस को बहुत स्ट्रांग फीलिंग हो रही थी, लेकिन वह अपनी इन सारी फीलिंग्स को अपने अंदर ही दबाकर रखना चाहता था। वह नहीं चाहता था कि कोई भी लड़की उसकी कमज़ोरी बने। इसीलिए आज तक उसने बहुत लड़कियों के साथ रिश्ते बनाए थे, लेकिन एक रात से ज़्यादा उसका रिश्ता किसी के साथ नहीं चला था।
वहीं दूसरी तरफ़ अद्विक के मेंशन में माया की हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी क्योंकि जो फ़ॉरेन बॉडीगार्ड था, उसने ड्रग्स लिया था और माया नॉर्मल में थी, इसीलिए वह उसे रोक नहीं पा रही थी। उसके प्राइवेट पार्ट से ब्लीडिंग होने लगी थी, लेकिन वहाँ खड़े किसी भी इंसान को उस पर दया नहीं आ रही थी क्योंकि वे सब लोग अद्विक के बॉडीगार्ड थे। वे वही करते थे जो उनका बॉस कहता था और उसके बॉस ने इस लड़की को नर्क के दर्शन करने के लिए बोला था, तो वे इस चीज़ में कैसे पीछे रह सकते थे? इस लड़की ने उनकी लेडी बॉस को बेचने की कोशिश की थी, तो सज़ा देना तो बनता था। उन सबके लिए सिर्फ़ अद्विक का ऑर्डर ही भगवान का ऑर्डर था। वे न सुनते थे, न देखते थे, न बोलते थे। वे सिर्फ़ अद्विक की आवाज़ से एक्टिव होते थे।
एक पहाड़ पर एक लड़की खड़ी, सामने अंधेरे को देख रही थी और कहती है, "महादेव, आपने मुझे सब कुछ छीन लिया। पहले माँ-बाप, घर, परिवार, एक मेरी दोस्त, मेरी ज़िन्दगी थी, तो आपने उसे भी मुझसे छीन लिया। एक साल हो गया है, उसने एक बार भी मुझे कॉल नहीं किया, ना मुझसे मिलने की कोशिश की, ना मेरे घर आई। मैं हर रोज घर पर फ़ोन करके इसी मकसद से पूछती हूँ कि शायद किसी दिन वह आ जाए और फिर से हमारी दोस्ती पहले की तरह हो जाए। क्या उसके लिए, उसके माँ-बाप और उसकी बहन इतनी ज़रूरी है कि उसने हमारी बचपन की दोस्ती तोड़ दी?"
तभी पीछे से एक औरत उसके कंधे पर हाथ रखती है और वह उस औरत से लिपटकर रोती है, "बोलो ना, काकी माँ, क्यों मेरी निविषा मुझसे दूर हो गई? वह तो मेरी दोस्त थी, मेरी बेस्ट फ़्रेंड, मेरी बहन, सब कुछ थी। क्या वह मुझे पूरी तरह से भूल चुकी है? क्या उसके दिल में मेरे लिए कुछ नहीं है? और मैंने सुना है उसकी शादी भी हो चुकी है। उसने मुझे अपनी शादी में भी नहीं बुलाया। काकी माँ, क्या मैं उसके लिए इतनी पराई हो गई हूँ?"
काकी माँ, जिनका नाम सविता देवी था, इशिका की माँ-बाप के यहाँ काम करती थीं। उनकी मौत के बाद इशिका को इन्होंने ही पाल-पोसकर बड़ा किया था। इशिका और निविषा की दोस्ती पूरे शहर में मिसाल दी जाती थी, लेकिन फिर इनकी दोस्ती को नज़र लग गई माया की, और आज दोनों अलग-अलग जगह एक-दूसरे को याद करती हैं।
सविता जी कहती हैं, "बेटा, अभी हमारे दिल्ली वाले घर से फ़ोन आया था। वहाँ पर कुछ लोग आपको ढूँढ़ते हुए आए थे और वे बोल रहे थे कि निषा ने उन्हें आपको ढूँढ़ने के लिए भेजा है। क्या आप बात करना चाहेंगी? यह नंबर देखिए, अगर आपको यह खबर पहुँचे तो आप इस नंबर पर कॉल कर लीजिए।" इशिका जल्दी से सविता जी के हाथ से फ़ोन छीनकर उस नंबर पर कॉल मिला देती है। वह नंबर किसी और का नहीं, बल्कि अद्विक का था। अद्विक के फ़ोन की रिंग बजती है। तभी अद्विक की नींद खुल जाती है। वह एक अनजान नंबर देखकर पहले तो नहीं उठाने वाला था, फिर उठा लेता है। अद्विक की आवाज़ सुनकर इशिका परेशान हो जाती है और कहती है, "यह तो मेरी दोस्त का नंबर है ना?" अद्विक अपनी भारी आवाज़ में कहता है, "इशिका खन्ना? राइट?"
"इशिका हूँ, मैं। आप कौन...?"
"अद्विक। अद्विक रायज़ादा। तुम्हारी दोस्त निविषा रायज़ादा का पति।"
इशिका हैरानी से फ़ोन को अपने कान से हटाकर नंबर देखती है, फिर अपने कान पर लगाकर कहती है, "तो आपके आदमी मुझे ढूँढ़ क्यों रहे थे?"
"क्योंकि मैंने उन्हें ढूँढ़ने के लिए भेजा था। निविषा आपको ढूँढ़ने की कोशिश कर रही थी, लेकिन आप दिल्ली में नहीं थीं, इसीलिए..."
इशिका अद्विक की बात सुनकर कहती है, "जीजू, मेरी दोस्त ठीक है ना? क्या माया और उसके माँ-बाप ने उसके साथ कुछ किया तो नहीं? बताइए ना! एक साल हो गया है मैंने उसे नहीं देखा, उसकी आवाज़ नहीं सुनी। वे लोग बहुत बुरे थे, निविषा को बहुत परेशान करते थे।"
"तुम्हारी दोस्त को माया और उसके परिवार की सच्चाई पता चल चुकी है और यह भी जान चुकी है कि वे तीनों उसके अपने नहीं हैं। बल्कि अब तो निविषा उन तीनों से ही बेइंहा नफ़रत करती है। शायद तुमने आज की ट्रेंडिंग न्यूज़ नहीं देखी है। एक बार देख लो। और हाँ, इस नंबर पर मैं अपने घर का एड्रेस सेंड कर रहा हूँ। जल्द से जल्द यहाँ पहुँच जाओ। कल सुबह तक का वक़्त है तुम्हारे पास। अगर अपने दोस्त से मिलना चाहती हो, तो कल सुबह जब सोकर उठोगी, तो तुम उसके सामने होनी चाहिए। वरना मैं फिर कभी तुम्हें निविषा से मिलने नहीं दूँगा।"
एक पहाड़ पर एक लड़की खड़ी थी, सामने अंधेरे को देख रही थी। उसने कहा, "महादेव, आपने मुझे सब कुछ छीन लिया। पहले माँ-बाप, घर, परिवार, एक मेरी दोस्त, मेरी ज़िंदगी थी, तो आपने उसे भी मुझसे छीन लिया। एक साल हो गया है, उसने एक बार भी मुझे कॉल नहीं किया, ना मुझसे मिलने की कोशिश की, ना मेरे घर गई। मैं हर रोज़ घर पर फोन कर-कर इसी मकसद से पूछती हूँ कि शायद किसी दिन वह आ जाए और फिर से हमारी दोस्ती पहले की तरह हो जाए। क्या उसके लिए उसके माँ-बाप और उसकी बहन इतनी ज़रूरी हैं कि उसने हमारी बचपन की दोस्ती तोड़ दी?"
तभी पीछे से एक औरत आई और उसके कंधे पर हाथ रखा। लड़की उस औरत से लिपट गई। "बोलो ना kaki माँ, क्यों मेरी निविषा मुझसे दूर हो गई? वह तो मेरी दोस्त थी, मेरी बेस्ट फ्रेंड, मेरी बहन, सब कुछ थी। क्या वह मुझे पूरी तरीके से भूल चुकी है? क्या उसके दिल में मेरे लिए कुछ नहीं है? और मैंने सुना है उसकी शादी भी हो चुकी है। उसने मुझे अपनी शादी में भी नहीं बुलाया। kaki माँ, क्या मैं उसके लिए इतनी पराई हो गई हूँ?"
Kaki माँ, सविता देवी, इशिका की माँ-बाप के यहाँ काम करती थीं। उनकी मौत के बाद इशिका को इन्होंने ही पाला-पोसा था। इशिका और निविषा की दोस्ती पूरे शहर में मिसाल दी जाती थी, लेकिन फिर इनकी दोस्ती बिगड़ गई, माया की वजह से, और आज दोनों अलग-अलग जगह एक-दूसरे को याद करती हैं।
सविता जी ने कहा, "बेटा, अभी हमारे दिल्ली वाले घर से फोन आया था। वहाँ पर कुछ लोग आपको ढूँढते हुए आए थे और वो बोल रहे थे कि निशा ने उन्हें आपको ढूँढने के लिए भेजा है। क्या आप बात करना चाहेंगी? वो एक नंबर दे गए हैं, कि अगर आपके पास ये खबर पहुँचे तो आप इस नंबर पर कॉल कर लो।" इशिका ने जल्दी से सविता जी के हाथ से फ़ोन छीना और उस नंबर पर कॉल मिला दी। वह नंबर किसी और का नहीं, बल्कि आद्विक का था। अद्विक के फ़ोन की रिंग बजने लगी। तभी अद्विक की नींद खुली। उसने एक अनजान नंबर देखकर पहले तो नहीं उठाने वाला था, फिर उठा लिया। अद्विक की आवाज़ सुनकर इशिका परेशान हो गई और बोली, "ये तो मेरी दोस्त का नंबर है ना?" अद्विक ने अपनी भारी आवाज़ में कहा, "इशिका खन्ना, राइट?"
"इशिका जी, आप कौन...?"
"अद्विक, अद्विक रायजादा, तुम्हारी दोस्त निविषा रायजादा का पति।"
इशिका हैरानी से फ़ोन को अपने कान से हटाकर नंबर देखने लगी। फिर उसे कान पर लगा लिया। "तो आपके आदमी मुझे ढूँढ क्यों रहे थे?"
"क्योंकि मैंने उन्हें ढूँढने के लिए भेजा था। निविषा आपको ढूँढने की कोशिश कर रही थी, लेकिन आप दिल्ली में नहीं थीं, इसीलिए..."
इशिका अद्विक की बात सुनकर रह गई। "जीजू, मेरी दोस्त ठीक है ना? वो माया और उसके माँ-बाप ने उसके साथ कुछ किया तो नहीं ना? बताइए ना! एक साल हो गया है, मैंने उसे देखा नहीं, उसकी आवाज़ नहीं सुनी। वो लोग बहुत बुरे थे, निविषा को बहुत परेशान करते थे।"
"तुम्हारी दोस्त को माया और उसके परिवार की सच्चाई पता चल चुकी है, और ये भी जान चुकी है कि वो तीनों उसके अपने नहीं हैं। अब तो निविषा उन तीनों से ही बेइंतहा नफ़रत करती है। शायद तुमने आज की ट्रेंडिंग न्यूज़ नहीं देखी है, एक बार देख लो। और हाँ, इस नंबर पर मैं अपने घर का एड्रेस सेंड कर रहा हूँ। जल्द से जल्द यहाँ पहुँच जाओ। कल सुबह तक का वक़्त है तुम्हारे पास, अगर अपने दोस्त से मिलना चाहती हो तो। कल सुबह जब सोकर उठोगे, तो तुम उसके सामने होनी चाहिए। वरना मैं फिर कभी तुम्हें निविषा से मिलने नहीं दूँगा।"
इशिका अद्विक की बात सुनकर रह गई। "कल सुबह-सुबह सोकर जागूँगी ना, मैं आपको आपके घर पर मिलूँगी। क्योंकि मैं मेरी दोस्त से दूर नहीं रह सकती। उसे नाराज़ किया है तो उसके सामने रहकर मनाऊँगी, उसे दूर रहकर नहीं। इंतज़ार कीजिए।" उसने कॉल काट दिया।
अद्विक जब बालकनी से कमरे में आया, तो देखा निशा सोफ़े पर बैठी कुछ सोच रही थी। अद्विक उसके पास आकर बैठ गया और बोला, "क्या हुआ? क्या सोच रही हो?" निविषा ने एक नज़र अद्विक को देखकर कहा, "मैं इशिका के बारे में सोच रही हूँ। वो मेरी बेस्ट फ्रेंड थी, और मैंने माया और उसके माँ-बाप के लिए अपनी बेस्ट फ्रेंड से दोस्ती तोड़ दी। मैं नहीं जानती अद्विक जी, वो कहाँ है, कैसी है, किन हालात में है, और मैं उससे मिलना चाहती हूँ, उससे माफ़ी माँगना चाहती हूँ, उसे अपने सीने से लगाकर सुकून हासिल करना चाहती हूँ।"
अद्विक ने निविषा को अपने सीने से लगा लिया और कहा, "उससे मिलना है, माफ़ी माँगनी है, वो सब ठीक है। लेकिन उसके गले मत लगना, क्योंकि तुम्हें गले लगाने का, तुम्हें छूने का, तुम्हें प्यार करने का, हर चीज़ का अधिकार सिर्फ़ मुझे है, सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारे पति अद्विक को, और किसी को नहीं। अगर लड़का हो या लड़की, किसी को अपने आस-पास मत आने देना, वरना उसकी मौत की ज़िम्मेदार तुम खुद होगी। मेरी ये बात कान खोलकर सुन लो।"
निविषा ने अद्विक की तरफ़ देखते हुए कहा, "How rude..."
अद्विक ने निविषा की तरफ़ देखते हुए कहा, "तुम्हें जो समझना है समझो, पर तुम मेरे अलावा किसी को छू नहीं सकती। दूर से बात कर लेना।" निशा हँसने लगी और अद्विक की गोदी में बैठ गई। "अद्विक जी, आपने मुझे अपने परिवार के बारे में नहीं बताया। हमारी शादी को पूरे 15 दिन हो गए हैं, और इन 15 दिनों में मैंने कभी आपकी फैमिली को नहीं देखा, और ना ही वो लोग हमसे मिलने आए।"
निविषा की बात सुनकर अद्विक सोफ़े पर से उठकर खड़ा हो गया और बोला, "चलो, चलकर सोते हैं। रात के 2:00 बजने वाले हैं, और तुम्हें अभी भी जागना है?"
निविषा ने अद्विक का हाथ पकड़कर कहा, "बात टालने की कोशिश मत करो।"
अद्विक ने निविषा का हाथ पकड़कर कहा, "मेरी फैमिली इस दुनिया में मैटर करती है निशा, लेकिन मेरे लिए वो कोई मैटर नहीं करती। तो मेरी फैमिली के बारे में कुछ नहीं जानती हो। और जिस दिन जान जाओगी उस दिन तुम खुद उनसे नफ़रत करोगी। इसलिए बेहतर है उनसे जितना हो सके उतना दूर रहो।" वह बेड पर जाकर लेट गया और आँखें बंद कर लीं ताकि निविषा फिर उससे कोई सवाल-जवाब न कर सके।
अगली सुबह,
एक सफ़ेद कलर की संगमरमर की हवेली में पूरा परिवार बैठकर ब्रेकफ़ास्ट कर रहा था। सब लोग शांति से अपना ब्रेकफ़ास्ट कर रहे थे। वहीं एक लड़का उछलता-कूदता हुआ आया और अपने दादी और दादाजी को गुड मॉर्निंग विश करके बोला, "हेलो माय ग्रैंडपेरेंट्स, कैसे हो आप लोग?"
वो बूढ़े लोग दोनों उसकी बात पर मुस्कुरा कर बोले, "हम दोनों तो ठीक हैं, तुम बताओ कहाँ से आ रहे हो और इतना खुश किस बात से हो?"
"मैं कुछ इस बात से हूँ कि जो खुशी की बात मैं आप लोगों को बताने वाला हूँ, उसके बाद आप लोग भी खुश हो जाओगे।" सब लोग मुस्कुरा कर उस लड़के की तरफ़ देखने लगे। वो लड़का बोला, "अद्विक भाई ने शादी कर ली है, वो भी अपनी पसंद की लड़की से, और वो मेरी भाभी से बहुत मोहब्बत करते हैं। आपको पता है, उनके लिए कुछ भी कर सकते हैं।" जैसे ही पूरा परिवार उसे लड़के के मुँह से ये सब सुनता है, सब लोग खुश हो जाते हैं।
ये है अद्विक की फैमिली, रायजादा फैमिली...
संतोष रायजादा, अद्विक के दादाजी...
गायत्री संतोष रायजादा, अद्विक की दादी माँ...
धनुष रायजादा, अद्विक के पापा...
कीर्ति रायजादा, अद्विक की सौतेली माँ...
आकाश रायजादा, अद्विक का सौतेला भाई... जो अभी-अभी दादाजी और अपनी दादी माँ को अपने भाई की शादी की खुशखबरी सुना रहा था।
दादाजी अपनी चेयर से खड़े हो गए और आकाश को अपने सीने से लगाकर बोले, "तू सच बोल रहा है ना? मेरे अद्विक की ज़िंदगी में कोई आ गई है? मेरा बच्चा खुश रहता है ना?" आकाश ने अपने दादाजी को खुद से अलग किया और उनके दोनों हाथों को अपने हाथों में लेकर बोला, "हाँ दादा जी, वो बहुत खूबसूरत है। मैं भाई का पीछा कर रहा था। कल जब मैंने उन्हें उनके सीक्रेट घर में जाते देखा, मुझे लगा कि मैं उनके घर में जा सकता हूँ, लेकिन ये मेरी गलतफ़हमी थी। यहाँ का कोई भी मेंबर उनके घर में नहीं जा सकता। फिर मैंने भाभी को घर से निकलते हुए देखा। भाभी ने रेड कलर की साड़ी पहनी थी, माँग में सिंदूर, गले में मंगलसूत्र, और वो भाई के साथ हँसती-मुस्कुराती, उसका हाथ पकड़कर घर के अंदर चली गई थी।"
कीर्ति जी आकाश के पास आ गईं। "तू सच बोल रहा है ना? मेरे अद्विक ने शादी कर ली?" तभी धनुष जी की आवाज़ सुनाई दी, "इतना खुश होने की ज़रूरत नहीं है। किसी को हम सब लोग जानते हैं कि अद्विक हम सब से कितनी नफ़रत करता है। तुम तो उसे अपनी माँ का कातिल समझता है, और मुझे अपना पिता नहीं मानता, क्योंकि उसे लगता है कि मेरा और कीर्ति का शादी से पहले जो चक्कर चल रहा था, उसकी वजह से उसकी माँ की मौत हुई है।"
कीर्ति जी ने धनुष जी का हाथ पकड़कर कहा, "वो बच्चा था धनुष। उसे जो सिखाया गया, जो दिखाया गया, उसने वही देखा, वही सुना और उसे ही सच माना।"
धनुष ने सीरियस फेस के साथ सबकी तरफ़ देखते हुए कहा, "8 साल का था वो जब इस घर को छोड़कर भाग गया था। डर-डर की ठोकरें खाई थीं उसने, भीख माँगकर अपना पेट पाला था उसने, लेकिन हमारे पास नहीं आया था। हम दूर से उसे देखते थे। दुख, दर्द, ग़म, तकलीफ़, गुस्सा, सब कुछ आता था हम लोगों को, लेकिन हम कुछ कर नहीं सकते थे, क्योंकि मेरा खुद का बेटा मुझसे नफ़रत करता है। जानती हो, जब वो रोड पर खड़े होकर भीख माँगता था ना, मेरा सीना छलनी हो जाता था। मुझे मेरा पैसा, प्रॉपर्टी, सब कुछ बेमानी लगता था। और फिर उसने अपनी मेहनत से R.R इंडस्ट्रीज को चालू किया और आज वो दुनिया का नंबर वन बिज़नेसमैन है। और उसकी क्रूरता की कहानी हम सब बहुत अच्छे से जानते हैं। इतनी नफ़रत करता है कि आज तक हमारे घर के दरवाज़े पर नहीं आया, लेकिन हम लोगों की हर एक जानकारी उसके पास रहती है। इसीलिए तो वो शक्ल से भी आकाश को पहचानता है, वरना उसके सामने तो आकाश का जन्म भी नहीं हुआ था।"
गायत्री जी ने धनुष जी का हाथ पकड़ लिया। "नाराज़ है, नफ़रत करता है, हम मना लेंगे ना उसको।"
धनुष ने एक फ़ीकी मुस्कान के साथ कहा, "वो कभी नहीं आएगा माँ, कभी नहीं। नफ़रत करता है वो हम सब से। माँ सलोनी की मौत की ज़िम्मेदार हम नहीं हैं, ये बात हम सब जानते हैं, लेकिन उसे कौन समझाए? की सलोनी की मौत से जितना वो टूटा था ना, उससे कहीं ज़्यादा मैं टूटा था। और उसे नशे में, उसमें... कीर्ति के साथ वो हरकत कर बैठा जो मैं कभी होश में नहीं कर सकता था। फिर कीर्ति माँ बनने वाली थी। तुम जो उससे शादी करनी थी, क्योंकि वो बच्चा मेरा था। मैं उसे यूँ ही डर-डर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर नहीं कर सकता था, लेकिन मेरे बेटे ने कुछ भी नहीं समझा और मुझे सज़ा सुनाकर चला गया।"
कीर्ति जी रोते हुए वहीं चेयर पर बैठ गईं और बोलीं, "मेरी क्या गलती थी धनुष जी? जो मेरे बच्चे ने मुझे इतनी नफ़रत की कि वो अपनी सौतेली माँ को ही अपनी माँ का कातिल बन बैठा? मेरी क्या गलती थी?"
आकाश सबकी तरफ़ देखकर बोला, "मैंने फ़ैसला ले लिया है। मैं कैसे भी करके, लेकिन आपके भाई के घर जाऊँगा और अपने भाई के साथ ही रहूँगा। क्योंकि मेरे भाई को भी अपने परिवार के साथ रहने का हक़ है, और मुझे मेरे बड़े भाई का प्यार पाने का हक़ है। इसीलिए अब मैं वहाँ जाऊँगा, चाहे भाई मुझे घर से धक्के मारकर ही क्यों ना निकाल दें।"
सब लोगों को आकाश की बात सही लगी। कम से कम वो अद्विक की ज़िंदगी के बारे में जान तो पाएँगे। आकाश ब्रेकफ़ास्ट करके वहाँ से बाहर निकल गया। कुछ लोगों को पैसे देकर वो खुद पर हमला करने के लिए बोला, क्योंकि वो जानता था कि अद्विक के सीक्रेट गार्डन हमेशा पूरी फैमिली के पीछे रहते हैं। इसके बारे में पूरी फैमिली नहीं जानती थी, लेकिन आकाश जानता था।
अद्विक और निविषा ब्रेकफ़ास्ट कर रहे थे, तभी अद्विक का फ़ोन बजने लगा। अद्विक ने कॉलर आईडी देखी और जल्दी से कॉल पिक कर ली। तभी दूसरी तरफ़ से बताया गया कि किसी ने आकाश पर जानलेवा हमला किया है। अद्विक ने तुरंत फ़ोन काट दिया और घर से बाहर निकल गया। निविषा हैरानी से जाते हुए अद्विक को देख रही थी।
10 मिनट में अद्विक उस जंगल के एरिया में पहुँच गया जहाँ उसके सीक्रेट बॉडीगार्ड्स ने आकाश को गाड़ी के अंदर बिठाया हुआ था। अद्विक जैसे ही गाड़ी से बाहर निकला, अद्विक का औरा, उसका रौब, उसके चलने का तरीका, सब कुछ देखकर आकाश की आँखें चौड़ी हो गईं। उसने अपने भाई से ज़्यादा हैंडसम आदमी आज तक नहीं देखा था, और उससे भी ज़्यादा उसका वो चलने का तरीका, किसी राजा की तरह था। वो अपने हिडन कैमरे से वीडियो बना रहा था, अद्विक का, जो वो अपने घर भेजने वाला था।
अद्विक जल्दी से वहाँ जाकर खड़ा हुआ। बॉडीगार्ड ने जल्दी से गाड़ी का गेट खोला और आकाश बाहर निकला। आकाश अपने सामने खड़े इंसान को देखकर अनजान बनते हुए बोला, "कौन हो आप लोग? और मुझे इस तरह क्यों बिठा के रखा है? देखिए, मुझे जाने दीजिए, घर पर मेरी फैमिली मेरा वेट कर रही होगी।" अद्विक ने आकाश के चेहरे को देखा, फिर उसे घुमा-घुमाकर उसके पूरे शरीर को देखकर बोला, "ज़्यादा नाटक करने की ज़रूरत नहीं है। मैं अच्छे से जानता हूँ कि तुम जानते हो कि मैं कौन हूँ। और जो ये नाटक किया है ना, अगर इसमें तुम्हें चोट लग जाती ना, तो मैं खुद अपने हाथों से तेरे हाथ-पैर तोड़कर रख देता। तुझे क्या लगता है, मेरी नज़र नहीं रहती तेरे ऊपर? तू गुंडों को पैसे देगा, वो गुंडे तुझे मारेंगे आकर? इतनी भी औक़ात नहीं किसी को कि अद्विक रायजादा के भाई को हाथ लगा सके।"
आकाश अपना सर नीचे करके खड़ा हो गया, क्योंकि वो जान गया था कि उसके भाई ने उसकी चोरी पकड़ ली है। वो मासूमियत अपनी आवाज़ में लाते हुए बोला, "मैं आपके साथ रहना चाहता था भाई। पूरी फैमिली देखी मैंने, सब कुछ देखा। जब कॉलेज जाता हूँ ना, और अपने दोस्तों के बड़े भाइयों को देखता हूँ तो आपको बहुत मिस करता हूँ मैं। लेकिन आप तो मुझे मिस नहीं करते ना, इसीलिए तो कभी मुझसे मिलने नहीं आते। आपकी नाराज़गी दादा-दादी, माँ-बाप से है ना? मुझे किस चीज़ की नाराज़गी है? जिस वक़्त आपने ये घर छोड़ा था, मैं तो पैदा भी नहीं हुआ था भाई।"
अद्विक ने आकाश का हाथ पकड़कर उसे अपने साथ गाड़ी में बिठा लिया और वहाँ से निकल गया। आकाश अद्विक को बहुत गौर से देख रहा था। तभी अद्विक, बिना आकाश की तरफ़ देखे बोला, "मेरे चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रहे हो, लेकिन पढ़ नहीं पाओगे। और हाँ, तुम्हें मेरे साथ रहना है ना, इसलिए तुम्हें अपने मेंशन पर छोड़ रहा हूँ, क्योंकि मुझे कंपनी जाना है। घर पर तुम्हारी भाभी है, आराम से उसके साथ वक़्त बिताना। और हाँ, मुझे धोखा देने की कोशिश बिल्कुल मत करना, क्योंकि मेरी नज़र सब पर रहती है।" बंगले के आगे जाकर गाड़ी रोककर आकाश को उतरने का इशारा किया। आकाश तुरंत गाड़ी से बाहर आ गया। अद्विक की गाड़ी स्पीड से वहाँ से निकल गई।
आकाश सबकी तरफ देखकर बोला, "मैंने फैसला ले लिया है। मैं कैसे भी करके आपके भाई के घर जाऊँगा और अपने भाई के साथ ही रहूँगा। क्योंकि मेरे भाई को भी अपने परिवार के साथ रहने का हक़ है, और मुझे मेरे बड़े भाई का प्यार पाने का हक़ है। इसीलिए अब मैं वहाँ जाऊँगा, चाहे भाई मुझे घर से धक्के मारकर ही क्यों ना निकाल दें।"
सब लोगों को आकाश की बात सही लगती है। कम से कम वह अद्विक की ज़िंदगी के बारे में जान तो पाएंगे। आकाश ब्रेकफ़ास्ट करके वहाँ से निकल गया। कुछ लोगों को पैसे देकर वह खुद पर हमला करने के लिए बोला, क्योंकि वह जानता था कि अद्विक के सीक्रेट गार्ड हमेशा पूरी फैमिली के पीछे रहते हैं। इसके बारे में पूरी फैमिली नहीं जानती थी, लेकिन आकाश जानता था।
अद्विक और निविषा ब्रेकफ़ास्ट कर रहे थे। तभी अद्विक का फ़ोन बजने लगा। अद्विक ने कॉलर आईडी देखी और जल्दी से कॉल पिक कर ली। दूसरी तरफ़ से बताया गया कि किसी ने आकाश पर जानलेवा हमला किया है। अद्विक ने तुरंत फ़ोन काट दिया और घर से बाहर निकल गया। निविषा हैरानी से जाते हुए अद्विक को देख रही थी।
10 मिनट में अद्विक उस जंगल के एरिया में पहुँच गया जहाँ उसके सीक्रेट बॉडीगार्ड्स ने आकाश को गाड़ी के अंदर बिठाया हुआ था। अद्विक जैसे ही गाड़ी से बाहर निकला, अद्विक का औरा, उसका रौब, उसके चलने का तरीका, सब कुछ देखकर आकाश की आँखें चौड़ी हो गईं। उसने अपने भाई से ज़्यादा हैंडसम आदमी आज तक नहीं देखा था, और उससे भी ज़्यादा, उसका चलने का तरीका किसी राजा की तरह था। वह अपने हिडन कैमरे से वीडियो बना रहा था, अद्विक की, जो वह अपने घर भेजने वाला था।
अद्विक जल्दी से जाकर वहाँ खड़ा हुआ। बॉडीगार्ड्स ने जल्दी से गाड़ी का गेट खोला और आकाश बाहर निकला। आकाश अपने सामने खड़े इंसान को देखकर अनजान बनते हुए बोला, "कौन हो आप लोग? और मुझे इस तरह क्यों बिठाकर रखा है? देखिए, मुझे जाने दीजिए। घर पर मेरी फैमिली मेरा वेट कर रही होगी।" अद्विक ने आकाश के चेहरे को देखा, फिर उसे घुमा-घुमाकर उसके पूरे शरीर को देखकर कहा, "ज़्यादा नाटक करने की ज़रूरत नहीं है। मैं अच्छे से जानता हूँ कि तुम जानते हो कि मैं कौन हूँ। और जो यह नाटक किया है ना, अगर इसमें तुम्हें चोट लग जाती, तो मैं खुद अपने हाथों से तेरे हाथ-पैर तोड़कर रख देता। तुझे क्या लगता है, मेरी नज़र नहीं रहती तेरे ऊपर? तू गुंडों को पैसे देगा, वह गुंडे तुझे मारेंगे आकर? इतनी भी औक़ात नहीं है और लोगों की, जो अद्विक रायजादा के भाई को हाथ लगा सकें!"
आकाश अपना सर नीचे करके खड़ा हो गया, क्योंकि वह जान गया था कि उसके भाई ने उसकी चोरी पकड़ ली है। वह मासूमियत अपनी आवाज़ में लाते हुए बोला, "मैं आपके साथ रहना चाहता था भाई। पूरी फैमिली देखी मैंने, सब कुछ देखा। जब कॉलेज जाता हूँ ना, और अपने दोस्तों के बड़े भाइयों को देखता हूँ, तो आपको बहुत मिस करता हूँ मैं। लेकिन आप तो मुझे मिस नहीं करते ना? इसीलिए तो कभी मुझसे मिलने नहीं आते। आपकी नाराज़गी दादा-दादी, मम्मी-पापा से है ना? मुझे किस चीज़ की नाराज़गी है? जिस वक़्त आपने वह घर छोड़ा था, मैं तो पैदा भी नहीं हुआ था भाई।"
अद्विक ने आकाश का हाथ पकड़कर उसे अपने साथ गाड़ी में बिठाया और वहाँ से निकल गया। आकाश अद्विक को बहुत गौर से देख रहा था। तभी अद्विक, बिना आकाश की तरफ़ देखे बोला, "मेरे चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रहे हो, लेकिन पढ़ नहीं पाओगे। और हाँ, तुम्हें मेरे साथ रहना है ना, इसलिए तुम्हें अपने मेंशन पर छोड़ रहा हूँ, क्योंकि मुझे कंपनी जाना है। घर पर तुम्हारी भाभी है, आराम से उसके साथ वक़्त बिताना। और हाँ, मुझे धोखा देने की कोशिश बिल्कुल मत करना, क्योंकि मेरी नज़र सब पर रहती है।" बंगले के आगे जाकर गाड़ी रुक गई और अद्विक ने आकाश को उतरने का इशारा किया। आकाश तुरंत गाड़ी से बाहर आ गया। अद्विक की गाड़ी स्पीड से वहाँ से निकल गई।
अद्विक के मेंशन में, अद्विक के जाने के बाद, निविषा खड़ी होकर हैरानी से देख रही थी। तभी कोई पीछे से उसके गले लग गया। यह एहसास पाते ही निविषा की आँखें अपने आप बंद हो गईं और वह, बिना पीछे देखे, बोली, "आई एम सॉरी इशिका, आई एम रियली वेरी सॉरी।" जैसे ही इशिका ने निविषा के मुँह से अपना नाम सुना, वह हैरान रह गई, क्योंकि उसे पता था दोनों एक साल से एक-दूसरे के टच में नहीं थीं। लेकिन फिर भी निविषा उसके एहसास को पहचानती थी। वह उसके गले लगकर बोली, "तो सॉरी क्यों बोल रही है यार? वह लोग कितने बुरे थे, यह बात तो हम सब लोग जानते हैं ना? और मैं तुझे बिल्कुल भी नाराज़ नहीं हूँ।"
निविषा इशिका को लेकर सोफ़े पर बैठ गई और बोली, "तुझे मेरा एड्रेस कैसे मिला?"
इशिका सोफ़े पर आकर निविषा की गोदी में अपना सर रखकर बोली, "जीजू का फ़ोन आया था कल रात मेरे पास। उन्होंने मुझे धमकी दी कि अगर कल सुबह तक मैं तुम्हारे पास नहीं पहुँचती, तो वह तुम्हें फिर कभी मुझसे मिलने नहीं देंगे। इसीलिए मुझे मजबूरी में कल रात ही शिमला से मुंबई आना पड़ा।"
निविषा मुस्कुराकर इशिका की तरफ़ देखकर बोली, "यह तो बहुत अच्छी बात है कि अद्विक ने तुमसे बात की। वरना उसके मुँह से कोई शब्द सुनना बहुत बड़ी बात होती है।"
इशिका निविषा की तरफ़ देखकर बोली, "इसका मतलब वह तेरे साथ रोमांस भी नहीं करते?"
निविषा मुँह बनाकर बोली, "क्या खाक रोमांस करते हैं? कुछ नहीं आता उन्हें, सिर्फ़ बिज़नेस करना आता है।"
तभी निविषा के कानों में एक ठंडी आवाज़ पड़ी, "तो आज मैं तुम्हें बताऊँगा कि मुझे रोमांस करना आता है कि नहीं आता।" जैसे ही निविषा के कानों में अद्विक की आवाज़ आई, उसका कलेजा मुँह को आ गया, क्योंकि वह कल रात ही अद्विक का जंगलीपन देख चुकी थी।
वहीं, अद्विक के बगल में खड़ा आकाश मुस्कुराकर अपनी भाभी को देख रहा था, जो अपनी दोस्त से अपने पति की बुराई कर रही थी।
निविषा जल्दी से अद्विक के पास आकर बोली, "आप इतनी जल्दी कहाँ गए थे? आपको पता है मुझे कितनी टेंशन हो गई थी!"
अद्विक ने एक नज़र अपने बगल में खड़े आकाश को देखकर कहा, "यह आकाश है, मेरा भाई। इसी के एक्सीडेंट की ख़बर सुनकर मैं भाग गया था। आकाश, तुम अपनी भाभी से बात करो, मैं आता हूँ अभी थोड़ी देर में।" तभी निविषा मुँह बनाकर बोली, "इस राक्षस को यहाँ बुलाया किसने था?" तभी अद्विक की ठंडी आवाज़ निविषा के कानों में पड़ी, "सुनाई दे रहा है मुझे..."
निविषा मुँह बिगाड़ते हुए बोली, "सुनाई देने के लिए ही तो बोला है।" अद्विक गुस्से में निविषा को देखता है, तो निविषा अपना चेहरा फेर लेती है और अद्विक अपनी गर्दन हिलाकर अपने कमरे में चला जाता है। वह आकाश को गेट पर छोड़कर अपने ऑफ़िस के लिए निकल गया था, लेकिन फिर उसे याद आता है कि वह अपना लैपटॉप घर पर ही भूल गया है। इसलिए वह वापस आया था और आकर उसे अपनी बीवी की बातें सुनने को मिलीं, जो वह अपनी दोस्त से उसकी बुराई कर रही थी।
निविषा जल्दी से एक प्यारी सी मुस्कान आकाश को देकर बोली, "आओ बैठो। इशिका, यह आकाश है, अद्विक जी के छोटे भाई।" इशिका ने "हेलो" बोलकर आकाश का अभिवादन किया, आकाश ने भी इशिका को "हेलो" बोला। तभी निविषा उन दोनों की तरफ़ देखकर बोली, "मैं आकाश के लिए कुछ खाने को लाती हूँ, तब तक तुम दोनों बातें करो।" और वह जल्दी से किचन में चली गई। आकाश निविषा की हर एक हरकत को कमरे में कैद कर रहा था, क्योंकि उसे यह सारी वीडियो अपने घर भेजनी थी। जिससे उसके दादा-दादी और मम्मी-पापा उसके भाई की तरफ़ से निश्चित हो जाएँ कि अब अद्विक की ज़िंदगी में कोई था जो उसे नॉर्मल ज़िंदगी जीने पर मजबूर कर रहा था।
अद्विक सीढ़ियों से नीचे आ रहा था और निविषा किचन से आई थी। तभी अद्विक ठंडी आवाज़ में, और शर्तेदार लहजे के साथ, विश्वास से बोला, "मैंने आपको बोला था ना निविषा, आपके किचन में कोई काम नहीं करेंगे, तो आप क्यों गई थीं किचन में?" यह कहते हुए अद्विक निविषा के पास आकर खड़ा हो गया था। निविषा ट्रे को टेबल पर रख देती है और अपने दोनों हाथ बाँधकर अद्विक की आँखों में आँखें डालकर बोली, "यह घर किसका है?"
अद्विक बोला, "यह आपका घर है निविषा। अगर मैं किचन से कुछ कर भी लिया अपने देवर के लिए, तो इसमें कोई बुराई की बात नहीं है। और हर बात में आपको ठोका क्यों होता है? अद्विक, मुझे कुछ नहीं होगा। अगर मेरे साथ कुछ गलत होता है, तो आप हो ना मेरी रक्षा करने के लिए। प्लीज़ अद्विक, खुद भी ज़िंदगी खुलकर जियो और मुझे भी जीने दो। आप मुझे कैद करके नहीं रख सकते हैं।"
अद्विक ने निविषा के गाल पर अपना हाथ रखकर कहा, "मैंने इसलिए बोला क्योंकि अगर आप चल जाती हैं, आपको चोट लग जाती है, आप थक जाती हैं, तो आपकी बॉडी पर गलत इफ़ेक्ट पड़ता ना..."
अद्विक ने निविषा के फोरहेड पर किस करके वहाँ से बाहर चला गया। वहीं, इशिका और आकाश दोनों अद्विक के सॉफ़्ट साइड को देखकर हैरान और परेशान दोनों थे। वरना सारी दुनिया जानती है कि अद्विक रायजादा कितना क्रुएल इंसान है। वह अपनी बीवी के सामने उसकी डाँट खा रहा था, उसकी सारी बातें मान रहा था। यह किसी शौक़ से काम नहीं था, लेकिन यह सब सिर्फ़ निविषा के लिए हो सकता था, और किसी के लिए नहीं।
अद्विक के जाते ही निविषा उन दोनों की तरफ़ देखती है, तो वह दोनों शौक़ से खड़े, अभी भी निविषा को देख रहे थे। निविषा जाकर उनके पास बैठ जाती है और कहती है, "ऐसे क्या देख रहे हो तुम लोग? बैठो। कॉफ़ी?" आकाश निविषा के पास आकर उसके पैरों में बैठ जाता है और कहता है, "थैंक यू सो मच भाभी, मेरे भाई की ज़िंदगी में आने के लिए, उसे एक नॉर्मल इंसान बनाने के लिए, उसे इतना सारा प्यार देने के लिए, और उसका ख़्याल रखने के लिए। आप नहीं जानतीं भाभी, भाई 8 साल के थे जब से वह हमसे, अपने परिवार से दूर है। बड़ी माँ की मौत के बाद भाई ने वह घर छोड़ दिया था। उसके बाद आज तक कभी भी वह घर की दहलीज़ पर नहीं गया। उसे घर में बड़ी माँ की यादें हैं, लेकिन फिर भी वह आज तक घर में नहीं गया। बड़ी माँ की तस्वीर सिर्फ़ उसे घर में है, फिर भी वह कभी उन तस्वीरों को लेने नहीं गया। एक बार उन्होंने मोहित को भेजा था, तेजस को भेजा था, लेकिन पापा ने बड़ी माँ की कोई भी तस्वीर उन दोनों को देने से मना कर दिया था। पापा ने बोला था..."
जिस दिन एक बेटा अपनी माँ की तस्वीर लेने आएगा, उस दिन वह उसे बड़ी माँ की सारी यादें दे देंगे। लेकिन ना भाई कभी घर गया, और ना ही भाई और बड़ी माँ की कोई भी याद इस घर में आई।
निविषा आकाश को अपने पास बिठाकर बोली, "मैं यह तो नहीं जानती आकाश, कि अद्विक अपने परिवार से क्या टेंशन है या किसी बात की नफ़रत है, पर मैं इतना जानती हूँ, मेरा अद्विक नारियल की तरह है, ऊपर से कठोर और अंदर से बिल्कुल नरम, मासूम बच्चे की तरह। तुम फ़िक्र मत करो, जो बचपन उनका मन के जाने के बाद खो गया है ना, उसे बचपन को मैं वापस लाकर रहूँगी। यह वादा है मेरा। चाहे वह मेरे सामने अपना बचपन करें, लेकिन करेंगे ज़रूर। और मैं तुम्हें उसे वक़्त की वीडियो बनाकर दिखाऊँगी, जैसे अभी तुम मेरी और अद्विक की वीडियो रिकॉर्ड कर रहे हो, इस तरह..."
आकाश हैरानी से निविषा की तरफ़ देखता है, तो निविषा अपने कंधे उठाकर बोली, "आख़िर में अद्विक जी की बीवी हूँ, इतनी तो आँखें मेरी भी खुली रहती हैं कि कौन कब क्या कर रहा है। और यह वीडियो तुम घर भेजने वाले हो ना, आराम से भेजो, मुझे कोई दिक्कत नहीं है।" फिर आकाश से कहती है, "चलो, मैं तुम्हें और इशिका दोनों को तुम्हारा कमरा दिखा देती हूँ। उसके बाद तुम लोग आराम करो, और दोपहर के लंच पर मिलते हैं।"
निविषा आकाश और इशिका दोनों को कमरा दिखा देती है और उसके बाद खुद अपने कमरे में चली जाती है। अपने कमरे में आने के बाद वह कमरे के गेट को अच्छे से लॉक कर लेती है और फिर अपना सीक्रेट लैपटॉप निकालकर उस पर कुछ काम करने लगती है। अभी काम करते हुए उसे 10 मिनट नहीं हुए थे, उसके बाद वह सामने लगी एलईडी को चालू कर देती है, जिस पर एक ब्रेकिंग न्यूज़ चल रही थी। और वह ब्रेकिंग न्यूज़ थी माया की मॉम की, उनकी बेइज़्ज़ती पूरे हिंदुस्तान में हो रही थी। वही जब अद्विक ने न्यूज़ को देखा, तो उसके चेहरे पर एक मिस्टीरियस मुस्कान आ जाती है, जैसे वह जानता था कि उसकी बीवी क्या करने वाली है।
निविषा फिर से अपना काम करने लगती है और अपने मन में सोचती है, "यह तो सिर्फ़ शतरंज के कुछ प्यादे हैं, इन्हें मारकर हम इसके राजा तक पहुँचना है। उनका क्या लगता है कि जिस दिन मेरी मौत हुई उस दिन मैंने उन्हें इंसान नहीं देखा था? यह उन लोगों की सबसे बड़ी गलतफ़हमी थी।"
जिस इंसान को मैंने अपना भगवान माना था, जिस इंसान को मैंने अपनी दुनिया माना था, वह इंसान भी इन सब के साथ शामिल था। उसे क्या लगता है कि वह पीछे रहेगा? तो मुझे पता नहीं है कि वह कौन है...
निविषा दोपहर के 2:00 बजे तक अपने काम में लगी रहती है। फिर वह अपने कमरे से फ़्रेश होकर बाहर आती है और जब डाइनिंग टेबल पर पहुँचती है, तो लंच लग चुका था। तभी आकाश और इशिका भी आ जाते हैं। निविषा अपने फ़ोन की तरफ़ देखकर कहती है, "आकाश, अगर तुम्हारा भाई 5 मिनट में नहीं आया ना, तो आज उनको लंच नहीं मिलेगा। यह मेरा ऑर्डर है।" अभी वह चुप भी नहीं हुई थी कि तभी उसे एक ठंडी आवाज़ सुनाई देती है, "बीवी, आजकल तुम्हारी ज़बान ज़्यादा लंबी हो गई है। अगर ज़्यादा लंबी हुई ना, तो इसे काटने में मुझे एक सेकंड का वक़्त नहीं लगेगा। भले ही मुझे गूँगी बीवी से काम चलाना पड़े, पर तुम्हारी ज़बान तो मैं ज़रूर किसी दिन काटूँगा।" अद्विक की बात सुनकर निविषा जल्दी से अपने मुँह पर हाथ रख लेती है।
दूसरी तरफ़, रायजादा मेंशन में...
पूरा परिवार हॉल में बैठा हुआ था और बड़ी सी एलईडी पर अद्विक और निविषा की वीडियो चल रही थी। कैसे निविषा अद्विक को डाँट रही थी, सब कुछ दिखाई जा रहा था। यह देखकर धनुष जी की आँखों में आँसू आ जाते हैं। आज कितने सालों बाद उन्होंने अपने बेटे को देखा था। एक वक़्त था जब अद्विक अपने पापा के बिना एक पल नहीं रहता था, और आज का वक़्त है कि वह सबसे ज़्यादा नफ़रत इस दुनिया में अपने पापा से ही करता है।
और अभी-अभी जो डाइनिंग टेबल पर हुआ, उसकी वीडियो भी चलने लगती है। पूरा परिवार अद्विक और निविषा की इस प्यारी सी नोंकझोंक देखकर मुस्कुरा रहा था। वहीं दादी माँ निविषा की बड़ाई लेने पर लगी हुई थी कि उसकी लड़की की वजह से उनका पोता एक नॉर्मल ज़िंदगी जीने की कोशिश कर रहा है।
धनुष जी वहाँ से उठकर बाहर गार्डन में चले जाते हैं और अपने बेटे को याद करके आँसू बहने लगते हैं। उनके पीछे खड़ी कीर्ति जी सारी चीज़ देख रही थी और अपने मन में सोच रही हैं, "हमारी वजह से आपने अपना बेटा खोया है धनुष जी। जिस दिन आपको पता चल गया ना कि जो हमारे बीच हुआ, वह गलती से नहीं, बल्कि हमारी मर्ज़ी से हुआ था, तो आप हमें कभी माफ़ नहीं कर पाएँगे। हमारी बहन के मरने के बाद हम अपनी बहन की जगह लेना चाहते थे, इसीलिए हमने वह हरकत कर दी। लेकिन उसके बाद हम हर रोज़ पछताए अपनी हरकत पर। उस दिन आपने हमें पहले और आख़िरी बार छुआ था। उस दिन के बाद दुनिया, समाज, सब की नज़रों में हम आपकी पत्नी ज़रूर हैं, लेकिन आज तक आपने हमें हाथ नहीं लगाया है। हमारी उस एक गलती ने हमारी ज़िंदगी यहाँ तक पहुँचा दी, और सबसे ज़्यादा हमारे बच्चे, हमारे अद्विक को..."
ऐसा कौन सा सच है जो कीर्ति जी छुपा रही है? सबसे जानने के लिए पढ़ते रहिए। मिलते हैं नेक्स्ट एपिसोड में...
निविषा ने आकाश और इशिका को उनका कमरा दिखाया और उसके बाद स्वयं अपने कमरे में चली गई। कमरे में आने के बाद उसने कमरे का गेट अच्छे से लॉक किया और फिर अपना सीक्रेट लैपटॉप निकालकर उस पर कुछ काम करने लगी। वह काम करते हुए लगभग १० मिनट ही हुए थे कि उसने सामने लगी एलईडी चालू कर दी। उस पर एक ब्रेकिंग न्यूज़ चल रही थी। वह ब्रेकिंग न्यूज़ माया की माँ की बेइज़्ज़ती के बारे में थी जो पूरे हिंदुस्तान में हो रही थी। अद्विक ने जब यह न्यूज़ देखी तो उसके चेहरे पर एक मिस्टीरियस मुस्कान आ गई, जैसे वह पहले से ही जानता था कि उसकी बीवी क्या करने वाली है।
निविषा फिर से अपने काम में लग गई और मन ही मन सोचने लगी, "यह तो सिर्फ़ शतरंज के कुछ प्यादे हैं। इन्हें मारकर हमें इसके राजा तक पहुँचना है। क्या उन्हें लगता है कि जिस दिन मेरी मौत हुई, उस दिन मैंने उसे इंसान को देखा नहीं था? यह उनकी सबसे बड़ी गलतफ़हमी थी।"
"जिस इंसान को मैंने अपना भगवान माना था, जिस इंसान को मैंने अपनी दुनिया माना था, वह इंसान भी इन सब में शामिल था। क्या उसे लगता है कि वह पीछे छिपकर रहेगा? मुझे पता नहीं है कि वह कौन है..."
निमिषा दोपहर के २:०० बजे तक अपने काम में लगी रही। फिर वह अपने कमरे से फ्रेश होकर बाहर आई और जब डाइनिंग टेबल पर पहुँची तो लंच लग चुका था। तभी आकाश और इशिका भी आ गए। निमिषा ने अपने फ़ोन की तरफ देखते हुए कहा, "आकाश, अगर तुम्हारा भाई ५ मिनट में नहीं आया ना, तो आज उसे लंच नहीं मिलेगा। यह मेरा ऑर्डर है!" वह इतना ही बोली थी कि तभी उसे एक ठंडी आवाज़ सुनाई दी, "बीवी, आजकल तुम्हारी ज़ुबान ज़्यादा लंबी हो गई है। अगर ज़्यादा लंबी हुई ना, तो इसे काटने में मुझे एक सेकंड का वक़्त नहीं लगेगा। भले ही मुझे गूंगी बीवी से काम चलाना पड़े, पर तुम्हारी ज़ुबान तो मैं किसी दिन ज़रूर काटूँगा।" अद्विक की बात सुनकर निशा ने जल्दी से अपने मुँह पर हाथ रख लिया।
दूसरी तरफ, रायज़ादा मेंशन में...
पूरा परिवार हॉल में बैठा हुआ था और बड़ी सी एलईडी पर अद्विक और निमिषा की वीडियो चल रही थी। कैसे निविषा अद्विक को डाँट रही थी, सब कुछ दिखाई दे रहा था। यह देखकर धनुष जी की आँखों में आँसू आ गए। आज कितने सालों बाद उन्होंने अपने बेटे को देखा था! एक वक़्त था जब अद्विक अपने पिता के बिना एक पल नहीं रहता था और आज वह इस दुनिया में सबसे ज़्यादा नफ़रत अपने पिता से ही करता है।
और अभी-अभी जो डाइनिंग टेबल पर हुआ था, उसकी वीडियो भी चलने लगी। पूरा परिवार अद्विक और निमिषा की इस प्यारी सी नोंकझोंक देखकर मुस्कुरा रहा था। वहीं दादी माँ निविषा की तारीफ़ करने लगीं कि एक लड़की की वजह से उनका पोता एक नॉर्मल जिंदगी जीने की कोशिश कर रहा है।
धनुष जी वहाँ से उठकर बाहर गार्डन में चले गए और अपने बेटे को याद करके आँसू बहने लगे। उनके पीछे खड़ी उनकी पत्नी सारी चीजें देख रही थी और अपने मन में सोच रही थी, "हमारी वजह से आपने अपना बेटा खोया है। धनुष जी, जिस दिन आपको पता चल गया ना कि जो हमारे बीच हुआ, वह गलती से नहीं बल्कि हमारी मर्ज़ी से हुआ था, तो आप हमें कभी माफ़ नहीं कर पाएँगे। हमारी बहन के मरने के बाद हम अपनी बहन की जगह लेना चाहते थे, इसीलिए हमने वह हरकत कर दी। लेकिन उसके बाद हम हर रोज पछताते रहे अपनी हरकत पर। उस दिन आपने हमें पहली और आख़िरी बार छुआ था। उस दिन के बाद दुनिया, समाज, सबकी नज़रों में हम आपकी पत्नी ज़रूर हैं, लेकिन आज तक आपने हमें हाथ नहीं लगाया है। हमारी उस एक गलती ने हमारी ज़िंदगी बर्बाद कर दी और सबसे ज़्यादा हमारे बच्चे, हमारे अद्विक को..."
धनुष जी अद्विक को इतने सालों बाद देखकर बहुत भावुक हो चुके थे। वह अपने बेटे से बहुत प्यार करते हैं, इतना प्यार उन्होंने आज तक किसी से नहीं किया। इतना प्यार तो वह आकाश से भी नहीं करते, जितना प्यार वह अद्विक से करते हैं। लेकिन Advik उनसे उतनी ही नफ़रत करता है।
वहीं दूसरी तरफ, शाम को सब लोग हॉल में बैठे हुए थे। इशिका अपने कमरे में कुछ काम कर रही थी। वह अपना काम ख़त्म करके जैसे ही हॉल में पहुँची...
अपने सामने किसी को देखकर इशिका के कदम लड़खड़ा गए, लेकिन तब तक निविषा की नज़र इशिका पर पड़ चुकी थी। निविषा जल्दी से इशिका के पास जाकर बोली, "क्या हुआ? तबीयत खराब है क्या?" इशिका ने अपनी गर्दन हिलाकर कहा, "नहीं, कुछ नहीं। मैं बिलकुल ठीक हूँ।" इशिका की आवाज़ सुनकर तेजस और मोहित दोनों जल्दी से पलटकर पीछे देखते हैं और २ साल बाद अपने सामने इशिका को देखकर तेजस की आँखों में नमी आ जाती है। वहीं मोहित के चेहरे पर गिल्ट साफ़ दिखाई दे रहा था।
इशिका हॉल में आकर बैठ गई। अद्विक इशिका की तरफ़ देखकर बोला, "क्या हुआ? कल तो फ़ोन पर तुम बहुत लड़ रही थी मुझसे, और आज तुम्हारे कदम लड़खड़ा रहे हैं।"
इशिका अद्विक की तरफ़ देखकर बोली, "ऐसा कुछ नहीं है जीजू। बस कुछ ऐसे लोगों को देख लिया जिन्हें मैं अपनी ज़िंदगी में कभी नहीं देखना चाहती। और आप फ़िक्र ना करें, इशिका मेहरा इतनी कमज़ोर नहीं है कि इतनी जल्दी गिरकर, टूटकर, बिखर जाए।" निविषा इशिका से गले लगकर बोली, "एक बार उसे ढूंढने की कोशिश तो कर। उसे अपने सवालों के जवाब तो माँग। क्यों उसने तुझे शादी करके तुझे छोड़कर चला गया? क्या बिगाड़ा था तूने उसका, जो उसने तेरी पूरी ज़िंदगी बर्बाद कर दी?"
अद्विक हैरानी से निविषा की तरफ़ देखता है, तो निविषा अद्विक से कहती है, "हमारी इशिका की शादी हुई थी, उसके पापा ने कराई थी। लेकिन वह लड़का एक नंबर का बदमाश था। याद है? उसने इशिका को शादी के मंडप पर शादी करके छोड़कर चला गया क्योंकि उसने उसकी इंसल्ट की थी। उसे लगा था कि वह कोई आवारा लड़का है, इसीलिए उसने खुद को प्रोटेक्ट करने के लिए उस लड़के को थप्पड़ मार दिया था और उस लड़के ने इसी बात का बदला मेरी जान से लिया, पूरी ज़िंदगी का दर्द और ज़ख्म देकर गया है।"
अद्विक की आँखों में गुस्सा उतर आता है और वह इशिका की तरफ़ देखकर कहता है, "कौन था वह लड़का? क्या नाम था उसका? एक बार बता दो बहन। माना है तो मैं अपनी पूरी ताकत से भी उसे ढूंढकर ले आऊँगा और उसे वह मौत दूँगा कि उसकी रूह भी काँपेगी। किसी लड़की के साथ इतना बड़ा धोखा करने से पहले..."
अद्विक की बात सुनकर तेजस और मोहित की साँस अटक जाती है क्योंकि वे जानते थे कि जिस दिन अद्विक को पता चल गया, उस दिन अद्विक उनकी सबकी ज़िंदगी जहन्नुम बना देगा।
तभी उन दोनों के कानों में इशिका की आवाज़ गूंजती है, "नहीं जीजू, वह मेरे लिए इतना मायने नहीं रखता कि उसके लिए मैं आपके हाथों से किसी का खून करवाऊँ। और जैसे वह अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ गया है ना, मैं भी अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ जाऊँगी। उसके धोखे ने मुझे मेरे माँ-बाप छीन लिए। वह मुझे मंडप पर छोड़कर चला गया था जीजू, और यह सदमा मेरे मम्मी और पापा बर्दाश्त नहीं कर पाए। पापा ने तुरंत सुसाइड कर लिया और पापा की सुसाइड की खबर सुनकर माँ को हार्ट अटैक पड़ गया। पल भर में उस आदमी ने मुझे अनाथ बना दिया था..."
तेजस के कानों में जैसे ही इशिका के कहे शब्द पहुँचते हैं, उसकी आँखों में आँसुओं का सैलाब उमड़ आता है, लेकिन वह उसे सैलाब को बाहर नहीं निकाल सकता था, वरना अद्विक उसकी शरीर से उसकी आत्मा को निकाल देता।
अद्विक निविषा की तरफ़ देखकर कहता है, "तुम नहीं गई थी इशिका की शादी में? क्या तुमने उस इंसान को नहीं देखा था?"
निविषा, "मैं नहीं गई थी अद्विक जी, क्योंकि मुझे माया ने जाने नहीं दिया था। वरना मैं उस इंसान को कहीं से भी ढूंढकर निकालती, जिसने मेरी इशिका की ज़िंदगी बर्बाद कर दी।"
तभी हॉल में एक चहल-पहल भरी आवाज़ आती है, "और मेरे भाई क्या कर रहे हो आप? ऑफिस से आगे मुझे पता ही नहीं था..." आकाश को अपने पास देखकर अद्विक की मुस्कान छोटी हो जाती है और वह उसकी तरफ़ देखकर कहता है, "तुम अभी तक अपने घर नहीं गए? यहाँ क्या कर रहे हो?"
आकाश अपने ३२ दांत दिखाते हुए कहता है, "मुझे तो मेरी भाभी ने घर में रहने का परमिट दिया है। अब मैं यहीं रहूँगा अपनी भाभी के साथ और यहीं सब अपनी पढ़ाई कंप्लीट करूँगा।"
आकाश ने अपनी नॉटी बातों से उस गमगीन माहौल को हल्का कर दिया था। तभी आकाश इशिका के पास जाकर कहता है, "वैसे ब्यूटीफुल, आप खूबसूरत बहुत हैं। क्या आप मेरी गर्लफ्रेंड बनेंगी? मैं हैंडसम हूँ, लेकिन मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं बनती।" इशिका मुस्कुराकर रह जाती है। "अगर तुम मुझे गर्लफ्रेंड बनाना चाहते हो तो मैं बन जाऊँगी, लेकिन एक कंडीशन है इसमें..."
आकाश, "और वह क्या है ब्यूटीफुल?"
इशिका, "अगर मैं तुम्हें बॉयफ्रेंड बनाऊँगी ना, तो तुम्हें मुझसे शादी करनी पड़ेगी। क्योंकि मैं बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड के रिश्ते में बिलीव नहीं रखती। मुझे तो हस्बैंड और वाइफ वाला रिश्ता पसंद है। बोलो, करोगे मुझसे शादी? अगर शादी कर सकते हो तो गर्लफ्रेंड बनाना, वरना नहीं।"
वह दोनों एक-दूसरे से फ़्लर्ट कर रहे थे। वहीं, फिर से इशिका को मुस्कुराता देखकर निविषा की आँखों में भी खुशी आ जाती है। शक्ति तरफ़ देखकर कहती है, "अच्छा... सब लोग चलो, डिनर का वक़्त हो गया है। तेजस और मोहित, आप दोनों भी डिनर करके जाना।" दोनों वहाँ रुकना नहीं चाहते थे क्योंकि इशिका की नज़रें उन दोनों को शर्मिंदगी से भर रही थीं।
सब लोग डाइनिंग टेबल पर बैठ जाते हैं और डिनर करना शुरू कर देते हैं। तभी आकाश तेजस की तरफ़ देखकर कहता है, "भाई, मैंने सुना था आपकी शादी हो गई थी। भाभी कहाँ है? अच्छी नहीं लगती मुझे, घर पर भी याद आती है..." तेजस की शादी हुई थी, लेकिन आज तक तेजस ने अपनी वाइफ़ को किसी से नहीं मिलाया था। अद्विक तेजस की तरफ़ देखता है, तो तेजस हड़बड़ाहट में कहता है, "वह गाँव में रहती है, यहाँ नहीं रहती। मैं कभी-कभी गाँव चला जाता हूँ।" तेजस का झूठ सुनकर इशिका के चेहरे पर एक झूठी मुस्कान आ जाती है।
सब लोग चुपचाप अपना डिनर करने लगते हैं। तभी अद्विक तेजस के सर पर एक बम फोड़ देता है, "तेजस, आज रात तुम अपने गाँव निकल जाओ और कल अपनी पत्नी को अपने साथ लेकर घर पर आना। मैं नहीं चाहता कि मेरे यहाँ काम करने की वजह से तुम्हारी पत्नी को तुम्हारा टाइम ना मिले। पहले मैंने इस चीज़ पर ध्यान नहीं दिया था क्योंकि मेरी खुद खुशहाल शादी नहीं हुई थी, लेकिन जब मैं खुद निविषा के बिना नहीं रह सकता..."
"...तो तुम इतने सालों से अपनी पत्नी के बिना यहाँ रह रहे हो?" तेजस मोहित की तरफ़ देखता है और मोहित अपना सर नीचे झुका लेता है। तेजस और मोहित डिनर अधूरा छोड़कर वहाँ से निकल जाते हैं। निविषा जल्दी से अपना डिनर फ़िनिश करके कहती है, "मैं गार्डन में जा रही हूँ, आप लोग खाना खाओ..."
तेजस और मोहित अभी गार्डन में खड़े ही थे कि उनके पीछे किसी की आवाज़ सुनाई देती है, "किसी को धोखा देकर, किसी की पूरी दुनिया पर बात करके, एक लड़की की खुशियाँ उजाड़कर, उसे रुलाकर, उसे एक छोड़ी हुई औरत का टैग देकर क्या खुशी मिल गई आपको, मिस्टर तेजस? और आप, मिस्टर मोहित? आप तो दोस्त हैं ना? उनकी शादी में बारातियों बनकर आए थे ना? मेरे सर पर हाथ रखकर भाई होने की बात कही थी ना? कहाँ गया भाई होने का फ़र्ज़...?"
"मुझे आप दोनों से कोई रिश्ता नहीं रखना है। ना मुझे तेजस्विनी बना है और ना ही मुझे मोहित की बहन बना है। इसीलिए तलाक के पेपर्स बनवा रही हूँ। साइन कर देना, वरना जीजू को सारी हक़ीक़त बता दूँगी। उसके बाद वह तुम्हारे साथ क्या करेंगे, यह तो मैं भी नहीं जानती।"
इशिका उन दोनों की तरफ़ देखकर कहती है, "बद्दुआ तो मैं तुम दोनों को बहुत देना चाहती हूँ, बहुत-बहुत। कोसना चाहती हूँ, लेकिन फिर सोचती हूँ, अगर मैंने ऐसा किया तो तुम और मुझमें अंतर ही क्या रह जाएगा? इसलिए माफ़ किया, लेकिन तलाक के पेपर साइन करके भेज देना, वरना मुझे जीजू को सारी हक़ीक़त बताने में १ मिनट नहीं लगेगा।"
इशिका जैसे ही पीछे मुड़कर जाने लगती है, वैसे ही तेजस उसका हाथ पकड़कर उसे अपने सामने खींच लेता है और कहता है, "बात तो सुन लो यार। मेरी मान लो। मुझसे गलती हुई।" इशिका ज़ोर से तेजस का हाथ झटकते हुए कहती है, "गलती नहीं, गुनाह किया था तुमने! मुझे, मेरे माँ-बाप को छीन लिया। मेरे माँ-बाप की सालों की बनाई हुई इज़्ज़त छीन ली। मुझे मेरी खुशियाँ छीन लीं। सिर्फ़ इसलिए क्योंकि मैंने तुम्हें गुंडा समझकर थप्पड़ मार दिया था, तो तुमने मुझे मेरा सब कुछ छीन लिया! इससे तो अच्छा था कि तुम मुझे मेरी जान ले लेते ना तेजस, शायद मुझे उतना दर्द नहीं होता जितना पिछले ४ सालों में मैंने बर्दाश्त किया है।"
वह तीनों इस बात से अनजान थे कि उनके पीछे खड़ा अद्विक उनकी सारी बातें सुन चुका था। सब कुछ उस वक़्त हो गया था जब तेजस और मोहित को देखकर इशिका के कदम लड़खड़ा गए थे, उसके बाद इशिका का अद्विक से बात करते हुए तेजस को टॉंट करना और उसके बाद तेजस के वहाँ से निकलते ही इशिका का पीछे आना, सब कुछ अद्विक की नज़रों के सामने था। इसीलिए वह इस बात को झुठला नहीं सकता था कि तेजस और मोहित ने इशिका की ज़िंदगी बर्बाद की थी और अब इसकी सज़ा उन दोनों को ज़रूर मिलेगी, और बराबर मिलेगी।
इशिका गार्डन से सीधा अपने कमरे में चली जाती है। वहीं तेजस और मोहित एक-दूसरे को देखकर उस मेंशन से बाहर निकल जाते हैं। लेकिन उनके जाते ही अद्विक उस दीवार के पीछे से आता है और कहता है, "तुमने एक लड़की की इज़्ज़त के साथ खिलवाड़ किया है तेजस। इसकी सज़ा तो तुम्हें मिलेगी ही। अगर इशिका तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहती तो तुम्हें इशिका को तलाक देना होगा, वरना मैं तुम्हारे शरीर से तुम्हारी रूह को निकालकर फेंक दूँगा।"
अद्विक सीधा किसी को फ़ोन करके कहता है कि मेरे टॉर्चर रूम में मोहित और तेजस दोनों को पकड़कर रखो, मैं आता हूँ। जैसे ही वह दोनों उस हवेली पर पहुँचते हैं, बॉडीगार्ड उन्हें तुरंत पकड़कर टॉर्चर रूम में ले जाते हैं। तेजस समझ जाता है कि अद्विक को सच्चाई पता चल चुकी है। तेजस मोहित की तरफ़ देखकर कहता है, "सर जी को पता चल गया कि हमने इशिका के साथ क्या किया था। अब वह हमारे साथ क्या करेंगे यह तो हम भी नहीं जानते, पर मैं अपने गुनाहों का प्रायश्चित ज़रूर करूँगा। मैंने एक लड़की की पूरी ज़िंदगी बर्बाद की है।"
उस कमरे में एक ठंडी और सर्द आवाज़ पूछती है, "तो तुम्हें एहसास है कि तुमने एक लड़की की ज़िंदगी बर्बाद की है? और तुम उसे माया के साथ भी... वह सब कुछ कर रहे थे? तुम्हें शर्म नहीं आई कि तुम्हारी एक बीवी थी, भले ही तुमने उसे मंडप पर छोड़ दिया था, लेकिन उसकी तरफ़ लॉयल तो रह लेते। तुमने माया जैसी गंदी लड़की को छुआ क्यों? क्योंकि तुम्हें अपने शरीर की नीड्स को पूरा करना था। इसीलिए मैंने फैसला किया है कि अब इशिका तुम्हारे साथ किसी रिश्ते में नहीं रहेगी। वह तुमसे तलाक चाहती है, तो यह तलाक होगा और आज तुम दोनों को मैं वह सज़ा दूँगा कि ज़िंदगी में कभी किसी मासूम लड़की का फायदा ना उठा सको।"
इशिका जैसे ही पीछे मुड़कर जाने लगती है वैसे ही तेजस उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने सामने खींच लेता है और कहता है बात तो सुन लो यार मेरी मानता हूं मुझसे गलती हुई ishika जोर से तेजस का हाथ झटक रहती है गलती नहीं गुनाह किया था तुमने मुझे मेरे मां-बाप को छीन लिया मेरे मां-बाप की सालों की बनाई हुई इज्जत छीन ली मुझे मेरी खुशियां छीन ली इसलिए क्योंकि मैं तुम्हें गुंडा समझ कर थप्पड़ मार दिया था तो तुमने मुझे मेरा सब कुछ छीन लिया इससे तो अच्छा तो मुझे मेरी जान ले लेते ना तेजस तो शायद मुझे उतना दर्द नहीं होता जितना पिछले 4 सालों में मैं बर्दाश्त किया है........... वह तीनों इस बात से अनजान थे कि उनके पीछे खड़ा अद्विक उनकी सारी बातें सुन चुका था शब्दों से इस वक्त हो गया था जब तेजस और मोहित को देखकर इशिका के कदम लड़खड़ा गए थे उसके बाद इशिका का अद्विक से बात करते हुए तेजस को टौंट करना और उसके बाद तेजस का वहां से निकलते ही इशिका का पीछे आना सब कुछ अद्विक की नजरों के सामने था इसीलिए वह इस बात को झूठला नहीं सकता था कि तेजस और मोहित ने इशिका की जिंदगी बर्बाद की थी और आप इसकी सजा उन दोनों को जरूर मिलेगी और बराबर मिलेगी........ इशिका गार्डन से सीधा अपने कमरे में चली जाती है वहीं तेजस और मोहित एक दूसरे को देख उसे मेंशन से बाहर निकल जाते हैं लेकिन उन तीनों के जाते हैं advik उसे दीवार के पीछे से आता है और कहता है तुमने एक लड़की की इज्जत के साथ खिलवाड़ किया है तेजस इसकी सजा तो मैं मिलेगी अगर इशिका तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहती तो तुम्हें इशिका को तलाक देना होगा वरना मैं तुम्हारे शरीर से तुम्हारी रूह को निकाल कर फेंक दूंगा...... अद्विक सीधा किसी को फोन करके कहता है कि मेरे टॉर्चर रूम में मोहित और तेजस दोनों को पकड़ कर रखो मैं आता हूं जैसे ही वह दोनों उसे हवेली पर पहुंचते हैं बॉडीगार्ड उन्हें तुरंत पकड़ कर टॉर्चर रूम में ले जाते हैं तेजस समझ जाता है कि अद्विक को सच्चाई पता चल चुकी है तेजस मोहित की तरफ देखकर कहता है सर जी को पता चल गया कि हमने इशिका के साथ क्या किया था अब वह हमारे साथ क्या करेंगे यह तो हम भी नहीं जानते पर मैं मेरे गुनाहों का प्रायश्चित जरूर करूंगा मैं एक लड़की की पूरी जिंदगी बर्बाद की है.......... सभी उसे कमरे में ठंडी और सर्द आवाज पूछता है तो तुम्हें एहसास है कि तुमने एक लड़की की जिंदगी बर्बाद की है और तुम उस माया के साथ भी वह सब कुछ कर रहे थे तुम्हें शर्म नहीं आई कि तुम्हारी एक बीवी थी भले ही तुमने उसे मंडप पर छोड़ दिया था लेकिन उसकी तरफ लॉयल तो रह लेते तुमने माया जैसी गंदी लड़की को छुआ क्यों क्योंकि तुम्हें अपने शरीर की नीड्स को पूरा करना था इसीलिए मैंने फैसला किया है कि अब इशिका तुम्हारे साथ किसी रिश्ते में नहीं रहेगी वह तुमसे तलाक चाहती है तो यह तलाक होगा और आज तुम दोनों को मैं वह सजा दूंगा की जिंदगी में कभी किसी मासूम लड़की का फायदा ना उठा सको तो दोनों....... अद्विक उसे कमरे से बाहर निकल जाता है तेजस अपने घुटनों के बाल जमीन में बैठ जाता है और उसे अब अद्विक की कई हर एक बात समझ आ रही थी उसने कभी इशिका के साथ ईमानदारी नहीं निभाई थी वह उसकी बीवी थी फिर भी वह दूसरी लड़कियों के पास जाता रहा था आज उसे खुद से ही नफरत हो रही थी लेकिन अब उसे नफरत का कोई मतलब नहीं था क्योंकि Ishika उसकी जिंदगी से बहुत दूर जा चुकी थी.......... मोहित तेजस के पास बैठकर कहता है मैं जानता हूं तेजस यह सब कुछ मेरी गलती की वजह से हुआ है उसने मुझे थप्पड़ मारा था मुझे उसे दिन सगाई में देखकर तुझे वह सब कुछ नहीं बताना था मैंने तुझे बड़ा चढ़ा कर बताया था बात सिर्फ इतनी थी कि उसे लगा कि मैं उसके पीछा करने वाला वह इंसान हूं जो मार्केट से घर तक उसका पीछा कर रहा था इसीलिए उसने मुझे थप्पड़ मारा था लेकिन मैं तुझ पर दांत चढ़ा कर इसलिए बताया क्योंकि मैं उससे बदला लेना चाहता था लेकिन बाद में मुझे एहसास हुआ कि मेरे इस बदले के चक्कर में एक लड़की की पूरी जिंदगी की बर्बाद हो गई........... Tejas मोहित से कुछ नहीं कहता क्योंकि गलती उसकी भी थी ll उसे बिना सजाने किसी की बात पर भरोसा नहीं करना चाहिए था लेकिन उसने किया और उसका अंजाम था दो मासूम लोगों की मौत और एक लड़की की पूरी जिंदगी पर बात हो जाना अब वह दोनों अफसोस मना रहे थे लेकिन आप अफसोस मनाने के लिए वक्त और हालात दोनों खत्म हो चुके थे....... Advik see the mention aata hai to dekhta hai.... इशिका सोफे पर बैठी कुछ सोच रही थी वह इशिका के पास जाकर खड़ा हो जाता है और उसके सर पर हाथ रखकर कहता है जानता हूं मेरी किसी भी बात से तुम्हारे दर्द और जख्म भरेंगे नहीं लेकिन तुम तेजस से अपना रिश्ता खत्म कर सकती हो तुम उसे सजा दिला सकती हो जो तुम चाहे तुम वह कर सकती हो और इन सब में तुम्हारा भाई तुम्हारे साथ है जैसे ही इशिका अद्विक के मुंह से तेजस और मोहित का नाम सुनती है वह समझ जाती है कि अभी को सब कुछ सच-सच पता चल चुका है....... इशिका खड़े होकर अद्विक के पास आकर रहती है मुझे किसी को सजा नहीं देनी है जीजू मुझे सिर्फ अपनी जिंदगी सुकून और शांति से जीनी है मैं यहां नहीं रह सकती क्योंकि मैं यहां रहूंगी तो वह दोनों मेरी आंखों के सामने रहेंगे इसीलिए मैंने फैसला किया है कि मैं वापस शिमला चली जाऊंगी और वहीं अपनी जिंदगी गुजरूंगी और जब मेरा मन करेगा मैं निविशा से मिलने आ जाऊंगी या निविशा मुझसे मिलने आ जाएगी....... अद्विक इशिका के सर पर हाथ रखकर कहता है जैसी तुम्हारी मर्जी जीजू मैं अभी जाना चाहती हूं क्योंकि मैं निविशा की नजरों का सामना नहीं करना चाहती वरना वह एक नजर मुझे देखकर ही पहचान लेगी की जरूर कुछ ना कुछ गड़बड़ हुई है क्या मुझे आप अभी भेज सकते हो अद्विक हां बोलकर अपने भरोसेमंद आदमी के बारे में सोचता है लेकिन तेजस और मोहित से ज्यादा वह किसी पर भरोसा नहीं करता था इसलिए वह यह काम आकाश को सौंप देता है क्योंकि आकाश उसका भाई था और औरतों की इज्जत करना बहुत अच्छे से जानता था आकाश अद्विक के एक बार बोलने पर इशिका को लेकर शिमला के लिए चला जाता है उसने एक बार भी advik से सवाल जवाब नहीं किया था....... निविशा अपने कमरे में सो रही थी उसे तो पता ही नहीं था कि उसकी दोस्त एक बार फिर उससे दूर हो चुकी थी लेकिन यह दूरी भी अच्छी थी क्योंकि इस दूरी से इशिका को अपनी जिंदगी का लक्ष्य मिलने वाला था उसे अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करनी थी क्योंकि हम जिस इंसान पर भरोसा नहीं करते उसके साथ रहना किसी सजा से काम नहीं होता........ अद्विक जब कमरे में पहुंचता है तो देखा है निविशा गहरी नींद में सो रही थी यह देखकर अद्विक के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वह उसे देखते हुए अपने कपड़े चेंज करके निविशा को अपनी बाहों में भर के आंखें बंद कर लेता है अद्विक की धीमी धीमी सांसें जब निविशा को अपनी गर्दन पर महसूस होती हैं तो वह समझ जाती है कि अद्विक सो चुका है तभी वह अपनी आंखें खुलकर रहती है इसका मतलब जिन दो लोगों ने मेरी इशिका के साथ गलत किया वह दोनों तेजस और मोहित थे......... निविशा धीरे से अपनी आंखें बंद कर लेती है क्योंकि उसे भी अब नींद आने लगी थी ll वही पूरी रात अद्विक के बॉडीगार्ड्स ने मोहित और तेजस को बहुत टॉर्चर किया था और सुबह होते ही उन्हें छोड़ दिया गया था उनके शरीर बिल्कुल भी काम नहीं कर रहा था मोहित तेजस की तरफ देखकर कहता है यार यह बस कितनी क्रुएल है ना हम उनके इतने खास आदमी है फिर भी उन्होंने हमें इतनी भयानक सजा दी....... Tejas सिर्फ सजा देकर छोड़ दिया है यह शुक्र माना कि हमसे हमारी जान नहीं चीनी वरना तू अच्छे से जानता है ना कि जो भी कोई किसी अच्छी और सच्ची लड़की के साथ या किसी बेगुनाह इंसान के साथ कुछ करता है तो कर उसके शरीर से उसकी जान निकाल लेते हैं और कई बार यह नेक काम हमने भी किया है लेकिन हमें कभी पता नहीं था कि आज हम भी उसे जगह और उन लोगों में शामिल हो जाएंगे जो किसी बेपनाह इंसान की जिंदगी पर बात कर देते हैं......... वह दोनों अपने दर्द को सहते हुए वहां से अपने घर के लिए निकल जाते हैं क्योंकि दोनों एक ही अपार्टमेंट में रहते थे...... अगली सुबह Nisha aur advik ek sath kamre se bahar aate Hain तभी उन्हें नीचे आकाश दिखाई देता है आकाश को देखकर अपनी छोटी-छोटी आंखों से उसे देखकर कहता है मैंने तुझे कल रात को एक काम दिया था ना तो तू यहां क्या कर रहा है....... भाई आपने जो काम मुझे दिया था वह हो गया और मैं अभी थोड़ी देर पहले ही वापस आया हूं जब मैं वहां पहुंच सब कुछ सेटल था तो मुझे कुछ भी करने की जरूरत नहीं थी इसीलिए फिर मैं वापस आ गया मैं वहां रुक कर भी क्या करता फिर उनके पास उनके अपने लोग हैं वहां....... अद्विक आकाश की तरफ देखकर कुछ इशारा करता है तो आकाश हमें अपनी गर्दन हिला देता है आकाश निविशा की तरफ देखकर कहता है भाभी आदमी से कॉलेज जाना है तो क्या आप मेरे लिए नाश्ता बना देंगे क्योंकि मुझे ना आपके यहां के सैफ का खाना पसंद नहीं आता मुझे तो आपके हाथ का खाना पसंद आता है निविशा मुस्कुराकर किचन में चली जाती है वहीं निविशा के जाते ही आकाश अद्विक को सारी जानकारी दे देता है....... अद्विक आकाश की तरफ देखकर कहता है तो मैं अपने घर जाना चाहिए वहां पर तुम्हारे मां-बाप हैं तुम्हारे दादा दादी हैं....... Aakash dada dadi aur mummy papa ke sath मैं 22 साल रहा हूं भाई लेकिन अब मैं अपने भाई के साथ रहना चाहता हूं अपने भाई की परछाई बनना चाहता हूं अपने भाई पर अपना प्यार लुटाना चाहता हूं गलत जगह उम्मीद लगा रहे हो आकाश मेरे दिल में किसी के लिए कोई जगह नहीं है और खास कर उसे फैमिली के लिए तो बिल्कुल नहीं जिनकी वजह से मैंने मेरी मां को खो दिया जिनकी वजह से मैं मेरा बचपन खो दिया जिनकी वजह से मैं भीख मांग कर अपना पेट भरा था तो मैं लगता है कि मैं उन लोगों को माफ करूंगा इस जन्म में तो यह पॉसिबल नहीं है मैं जानता हूं तुम्हें बुरा लगा होगा क्योंकि वह तुम्हारे बाप तुम्हारी मां है लेकिन मेरे लिए वह मेरी मां के कातिल है............. आकाश भाई मैं यह नहीं कह रहा कि उन्होंने जो किया वह सही था या गलत पर मैं इतना जानता हूं कि आप अपनी जगह पर बिल्कुल सही थे अगर आपकी जगह अगर मैं भी होता ना तो मैं वही करता जो आपने किया आप मेरे आइडियल हो भाई आपको पता है मैं जब 18 साल का था तो मैं आपके एक इंटरव्यू देखा था मैं जानता हूं आप इंटरव्यू ज्यादा नहीं देते लेकिन उसे इंटरव्यू में आपका फेस रिवील नहीं हुआ था सिर्फ आपकी बातें दिखाई जा रही थी मैंने वह इंटरव्यू बहुत गौर से देखा और आप मेरे आइडल बन गए एक दिन मैंने आपको होटल से निकलते हुए देखा उसे दिन से मैं आपका पीछा करने लगा......... सुबह आपके घर के बाहर आकर खड़ा हो जाता आपके पीछे आपके ऑफिस जाता है आप जहां भी जाते मैं आपके पीछे रहता था घर से बोल देता कि मुझे कॉलेज का काम है फिर एक दिन मैंने आपकी तस्वीर बड़ी मॉम के कमरे में देखी और जब मैं घर में सबसे पूछा कि आप कौन हो तो किसी ना मुझे नहीं बताया फिर मुझे बड़ी मॉम की एक डायरी मिली उसे डायरी में बड़ी मॉम ने आपके बारे में बहुत कुछ लिखा था तब जाकर मुझे पता चला कि आप मेरे बड़े भाई हो और उसे दिन से मैं सच्चाई पता लगाना शुरू की फिर मुझे पता चला कि आपने वह घर क्यों छोड़ा था......... भाई आप मेरी बात का यकीन नहीं करेंगे लेकिन मैं उसे वक्त भी आपको ही सही मानता था और आज भी मानता हूं मेरे दिल में यह कसक हमेशा रहती थी कि अगर मैं कोई काम करूं तो मुझे बचाने के लिए मेरा भाई हो लेकिन मेरा भाई तुमसे मिलना भी नहीं चाहता था नफरत करता था मुझे लेकिन मैं अपने भाई से बहुत प्यार करता था करता हूं और हमेशा करता रहूंगा आप देखना भाई एक दिन ऐसा आएगा कि आप मेरे कान पर पर्दा डालने मेरे कॉलेज या मेरे ऑफिस जरूर आएंगे और यह मेरा पता है आपसे मैं आपके दिल में अपने लिए वही प्यार जगह कर रहूंगा भाई जो मेरे दिल में आपके लिए है........ रही बात इस घर से जाने की तो सॉरी भाई मैं कहीं नहीं जा रहा मैं यहीं रहूंगा आपकी परछाई बनकर इसीलिए अपनी एनर्जी मुझे यहां से भेज कल best करने की जरूरत नहीं है क्योंकि मैं कहीं नहीं जाऊंगा..... . अपनी बात कह कर आकाश तुरंत मेंशन से बाहर चला जाता है वहीं आकाश को जाता हुआ देखकर अद्विक की आंखों में जो नमी थी वह पूरी तरह से अपनी आंखों में ही बंद कर लेता है जिस दिन से आकाश ने उसका पीछा करना शुरू किया था उसी दिन advik ने आकाश की पूरी जानकारी निकाल वाली थी अगर अद्विक चाहता ना तो आकाश कभी भी उसके बारे में पता नहीं कर सकता था उसका पीछा करना तो बहुत बड़ी बात थी लेकिन अभी कुछ चाहता था कि आकाश उसकी जिंदगी में शामिल हो क्योंकि उसे सब में आकाश की तो कोई गलती ही नहीं थी तो वह अपने भाई से कैसे नफरत कर सकता था लेकिन बचपन से अकेला रहा था इसीलिए प्यार जताना भूल गया है........... R.R यूनिवर्सिटी...... RR University pure Bharat ki top university hai..... क्योंकि यहां ज्यादातर अमीर फैमिली के बच्चे पढ़ने आते हैं उन्हें में से एक है आकाश राय ज्यादा लेकिन कोई भी आकाश की रियल आइडेंटिटी नहीं जानता वह सबके लिए एक स्कॉलरशिप स्टूडेंट है इसीलिए बड़े घर के बच्चे उससे दोस्ती नहीं करते इसीलिए आकाश ने अपने आइडेंटिटी को हाइड रखा है क्योंकि वह नहीं चाहता कि फेक और धोखे बाज लोग उसके दोस्त बने इस पूरे कॉलेज में उसके चार दोस्त हैं दो लड़के और दो लड़कियां वह भी स्कॉलरशिप स्टूडेंट ही है लेकिन आकाश का आकर्षण में ऐसा है की लड़कियां उस इंप्रेस हो ही जाती है वह लड़कियों से फ्लर्ट तो करता है पर किसी के साथ अपनी लिमिट क्रॉस नहीं करता....... आज कॉलेज में दो ग्रुप के बीच लड़ाई हो गई थी एक ग्रुप था आकाश का और एक ग्रुप था सुमित बाजवा का सुमित बाजवा इंडस्ट्रीज के मालिक रमेश बाजवा का बेटा है जो बहुत ही घमंडी अपने आगे किसी को कुछ नहीं समझता पूरे कॉलेज को अपने जूते की नोक पर रखता है प्रिंसिपल से लेकर दिन तक सुमित से डरते हैं लेकिन हमारे आकाश बाबू सुमित से एक पल भी नहीं डरते उन्हें सुमित को देखकर हंसी आती है क्योंकि वह अपने आप के पैसों पर अपनी अय्याशियां करता है...... सुमित ने धोखे से आकाश को केले पकड़ लिया था और उसको मारा था जिससे उसके चेहरे और हाथ पैरों में चोट लग गई थी सब लोग आकाश को घेर कर खड़े थे तभी वहां पर आकाश के ग्रुप के चारों लोग आ जाते हैं आकाश अपने दोस्त शिवम को अपना फोन देकर कहता है इसमें भाई नाम से एक नंबर सेव है उसे नंबर पर कॉल करके कहो कि कॉलेज में लड़ाई झगड़ा होने की वजह से मुझे बहुत सारी चोट लगी है और मैं बेहोश हो गया हूं उसके बाद होगा असली धमाका......... शिवम को नहीं पता था कि आकाश किस फोन करने की बोल रहा था लेकिन आकाश जानता था कि अगर अद्विक को पता चल गया सुमित की वजह से आकाश को इतनी चोट लगी है तो अद्विक बाजवा इंडस्ट्रीज का नाम इस दुनिया की डिक्शनरी से मिटा देगा और अब आकाश यही हड़कांडा अपनाना चाहता था क्योंकि जब तक सुमित इस कॉलेज में रहेगा वह किसी को चैन से पढ़ने नहीं देगा........ शिवम तुरंत ही कॉल लगा देता है अभी दो रिंग गई थी कि उधर से एक भारी भरकम आवाज आती है बोलो आकाश...... भाई मैं आकाश नहीं आकाश का दोस्त शिवम बोल रहा हूं कॉलेज में लड़ाई हो गई है जिसमें आकाश को बहुत चोट लगी है.... और सुमित बाजवा हमें आकाश को हॉस्पिटल नहीं ले जाने दे रहा.... अभी शिवम की बात पूरी नहीं हुई थी की दूसरी तरफ से फोन कट जाता है तभी सुमित आकाश की तरफ हंसकर कहता है देख तेरे भाई ने तो फोन ही काट दिया डर गया वह सुमित का नाम सुनकर आकाश एक किलर स्माइल देकर कहता है यह तेरी गलतफहमी है मिस्टर बाजवा अभी सिर्फ 5 काउंट करता हूं उसके बाद होता है असली धमाका 1 2 3 4 और 5 तभी एक साथ काम से कम 25 car कॉलेज के अंदर इंटर करती है....... इतनी सारी करें अपने कॉलेज में देखकर सब लोग हैरान रह जाते हैं तभी सारी कारों से ढेर सारे बॉडीगार्ड निकलते हैं तभी बीच की कर में से एक बहुत ही भयानक और खतरनाक इंसान निकलता है जिसे देखकर सब लोग डर कर चार कदम पीछे हो गए थे प्रिंसिपल भी अब तक देख कर जो तमाशा देख रहा था खड़े होकर उसकी जान भी हलक में आ गई थी क्योंकि अद्विक रायजादा को कौन नहीं जानता ...... Advik को देखकर तुरंत आकाश अपनी आंखें बंद कर लेता है क्योंकि वह पहले से ही जमीन में लेटा हुआ था...... अद्विक को आता हुआ देकर सुमित की हालत खराब हो जाती है वहीं अद्विक जल्दी से आकाश के पास आकर कहता है क्या हुआ तुझे किसने मारा मेरे भाई को जैसे ही सबके कानों में यह बात पहुंचती है कि आकाश अद्विक रायजादा का भाई है यह सोचकर ही सब की जान उनकी हालत में आ जाती है क्योंकि सब जानते थे अब उनके साथ क्या होने वाला है........ Do like share comment support Review follow guys are 🔥🔥🔥
RR यूनिवर्सिटी पूरे भारत की टॉप यूनिवर्सिटी है। क्योंकि यहाँ ज्यादातर अमीर फैमिली के बच्चे पढ़ने आते हैं। उनमें से एक है आकाश राय। लेकिन कोई भी आकाश की रियल आइडेंटिटी नहीं जानता। वह सबके लिए एक स्कॉलरशिप स्टूडेंट है। इसीलिए बड़े घर के बच्चे उससे दोस्ती नहीं करते। इसीलिए आकाश ने अपनी आइडेंटिटी को हाइड रखा है, क्योंकि वह नहीं चाहता कि फेक और धोखेबाज लोग उसके दोस्त बनें। इस पूरे कॉलेज में उसके चार दोस्त हैं, दो लड़के और दो लड़कियाँ। वे भी स्कॉलरशिप स्टूडेंट ही हैं। लेकिन आकाश का आकर्षण ऐसा है कि लड़कियाँ उससे इम्प्रेस हो ही जाती हैं। वह लड़कियों से फ़्लर्ट तो करता है, पर किसी के साथ अपनी लिमिट क्रॉस नहीं करता।
आज कॉलेज में दो ग्रुप के बीच लड़ाई हुई थी। एक ग्रुप था आकाश का और एक ग्रुप था सुमित बाजवा का। सुमित बाजवा, इंडस्ट्रीज के मालिक रमेश बाजवा का बेटा है, जो बहुत ही घमंडी है। अपने आगे किसी को कुछ नहीं समझता। पूरे कॉलेज को अपने जूते की नोक पर रखता है। प्रिंसिपल से लेकर चौकीदार तक सुमित से डरते हैं। लेकिन हमारे आकाश बाबू सुमित से एक पल भी नहीं डरते। उन्हें सुमित को देखकर हँसी आती है, क्योंकि वह अपने आप के पैसों पर अपनी ऐयाशियाँ करता है।
सुमित ने धोखे से आकाश को केले से मारा था और उसे मारा था, जिससे उसके चेहरे और हाथ-पैरों में चोट लग गई थी। सब लोग आकाश को घेर कर खड़े थे। तभी वहाँ पर आकाश के ग्रुप के चारों लोग आ जाते हैं। आकाश अपने दोस्त शिवम को अपना फ़ोन देकर कहता है,
"इसमें 'भाई' नाम से एक नंबर सेव है। उसे नंबर पर कॉल करके कहो कि कॉलेज में लड़ाई-झगड़े की वजह से मुझे बहुत सारी चोट लगी है और मैं बेहोश हो गया हूँ। उसके बाद होगा असली धमाका।"
शिवम को नहीं पता था कि आकाश किससे फ़ोन करने को बोल रहा था। लेकिन आकाश जानता था कि अगर अद्विक को पता चल गया कि सुमित की वजह से आकाश को इतनी चोट लगी है, तो अद्विक बाजवा इंडस्ट्रीज़ का नाम इस दुनिया की डिक्शनरी से मिटा देगा। और अब आकाश यही हड़कंप मचाना चाहता था, क्योंकि जब तक सुमित इस कॉलेज में रहेगा, वह किसी को चैन से पढ़ने नहीं देगा।
शिवम तुरंत ही कॉल लगा देता है। अभी दो रिंग गई थीं कि उधर से एक भारी-भरकम आवाज आती है,
"बोलो आकाश..."
"भाई, मैं आकाश नहीं, आकाश का दोस्त शिवम बोल रहा हूँ। कॉलेज में लड़ाई हो गई है, जिसमें आकाश को बहुत चोट लगी है... और सुमित बाजवा हमें आकाश को हॉस्पिटल नहीं ले जाने दे रहा है..."
अभी शिवम की बात पूरी नहीं हुई थी कि दूसरी तरफ़ से फ़ोन कट जाता है। तभी सुमित आकाश की तरफ़ हँसकर कहता है,
"देख, तेरे भाई ने तो फ़ोन ही काट दिया। डर गया वो सुमित का नाम सुनकर।"
आकाश एक किलर स्माइल देकर कहता है,
"यह तेरी गलतफ़हमी है, मिस्टर बाजवा। अभी सिर्फ़ 5 काउंट करता हूँ, उसके बाद होता है असली धमाका। 1, 2, 3, 4 और 5।"
तभी एक साथ कम से कम 25 कार कॉलेज के अंदर इंटर करती हैं।
इतनी सारी कारें अपने कॉलेज में देखकर सब लोग हैरान रह जाते हैं। तभी सारी कारों से ढेर सारे बॉडीगार्ड निकलते हैं। तभी बीच की कार में से एक बहुत ही भयानक और खतरनाक इंसान निकलता है, जिसे देखकर सब लोग डरकर चार कदम पीछे हो गए थे। प्रिंसिपल भी अब तक जो तमाशा देख रहा था, खड़े होकर उसकी जान हलक में आ गई थी, क्योंकि अद्विक रायजादा को कौन नहीं जानता।
अद्विक को देखकर तुरंत आकाश अपनी आँखें बंद कर लेता है, क्योंकि वह पहले से ही जमीन में लेटा हुआ था। अद्विक को आता हुआ देखकर सुमित की हालत खराब हो जाती है। वहीं अद्विक जल्दी से आकाश के पास आकर कहता है,
"क्या हुआ तुझे? किसने मारा मेरे भाई को?"
जैसे ही सबके कानों में यह बात पहुँचती है कि आकाश अद्विक रायजादा का भाई है, यह सोचकर ही सबकी जान उनकी हालत में आ जाती है, क्योंकि सब जानते थे अब उनके साथ क्या होने वाला है।
अद्विक घुटनों के बल आकाश के पास बैठ जाता है और कहता है,
"आँखें खोलो आकाश। बोल ना। मैंने-मैंने तुमसे सुबह भी कहा था कि तुम्हारे शरीर पर एक खरोच नहीं आनी चाहिए। तो किसकी इतनी हिम्मत हो गई जो अद्विक रायजादा के भाई पर हाथ उठाया? उसके खून निकालूँगा, उसके चोट मारने वाले इंसान को मैं दुनिया से ऐसे बाहर करूँगा कि कभी इस दुनिया में, क्या उस दुनिया में भी उसे जगह नहीं मिलेगी।"
अद्विक की बात सुनकर सुमित का शरीर काँपने लगता है और वह धीरे-धीरे अपने पैरों को पीछे लेने लगता है। तभी मोहित उसके पीछे जाकर खड़ा हो जाता है और कहता है,
"गलत इंसान से पंगा लिया था तुमने। किसी से पंगा लेने से पहले जान लिया करो कि वो कौन है। भले ही आकाश सर अपनी आइडेंटिटी को छुपा कर रखते हैं, इसका यह मतलब नहीं है कि उनके आगे-पीछे कोई नहीं है। अब तुम्हारे साथ क्या होने वाला है, यह तो सर जी जानते हैं।"
अद्विक आकाश को उठाता है और उसके चेहरे की एक-एक चोट को देखकर गुस्से में खड़ा होकर सुमित की तरफ़ अपने कदम बढ़ाकर कहता है,
"बहुत गलत इंसान से पंगा लिया है तुमने। एक बार को अद्विक रायजादा अपने दुश्मन को माफ़ी कर भी दे, लेकिन मेरे भाई पर हाथ उठाने वाले को मौत के दर्शन ना करवाऊँ, ना तो कहना।"
सुमित की हालत खराब हो जाती है अद्विक की बात सुनकर।
आकाश शिवम के सहारे बैठा था और उसके ग्रुप के और तीन लोग उसके साथ बैठे थे। तभी शिवम धीरे से आकाश के कान में कहता है,
"तूने मुझे बताया क्यों नहीं कि तू इस Devil 👿 का भाई है?"
आकाश धीरे से, वैसे ही शिवम के कान में कहता है,
"इसीलिए क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि किसी को पता चले। अगर आज यह इंसान मेरे भाई पर नहीं जाता ना, तो मैं आज भी भाई को नहीं बुलाता। लेकिन उसने मेरे भाई के ऊपर जाकर अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी गलती की थी और उसे उस गलती की सज़ा तो बहुत ज़रूर मिलेगी ना।"
आकाश के साइड में बैठी उसकी एक दोस्त रिया बोलती है,
"तेरा भाई कितना हॉट है यार! मेरी सेटिंग करा देना।"
चारों लोग उसे अजीब नज़रों से देखने लगते हैं। तभी आकाश धीरे से रिया के कान में कहता है,
"जिस पर तुम ट्राई करने की कोशिश कर रही हो ना, वह ऑलरेडी शादीशुदा है। इसलिए किसी और पर ट्राई करो, उस पर नहीं। तो मेरी भाभी बहुत अच्छी है, बहुत सुंदर है। मेरा भाई पागल है मेरी भाभी के पीछे। और अगर उन्हें पता चल गया ना कि तुम्हारे दिमाग में ये ओल्ड चलूंगी बातें चल रही हैं ना, तो वो ये सुमित के साथ तुम्हें भी फाँसी के फंदे पर लटका देगा।"
रिया इमेजिन करने लगती है कि अद्विक ने उसे फाँसी पर लटका दिया है। वह जल्दी से कहती है,
"नहीं-नहीं, मुझे नहीं चाहिए ऐसा आदमी। मैं तेरे से सिंपल आदमी से काम चला लूंगी।"
लेकिन मुझे तुझे ना यार...वही उसकी हालत देखकर आकाश, शिवम और उसका दोस्त सब लोग हँसने लगते हैं। रिया मुँह बनाकर रह जाती है।
"यार, वो अच्छा लगा इसलिए बोल दिया। इसमें मज़ाक बनाने वाली क्या बात है?"
अपने बॉडीगार्ड द्वारा अद्विक सुमित को वहाँ से अपने Devil Mansion भेज देता है, क्योंकि सुमित को इतनी आसान सज़ा नहीं मिलने वाली थी।
अद्विक की वो खतरनाक बातें सुनकर सब लोग पहले से ही डरे हुए थे और अद्विक के वहाँ से हाथ हिलाकर उन सबको भेजने के बारे में सोचकर सब लोग वहाँ से नौ दो ग्यारह हो जाते हैं।
अद्विक आकाश के पास आकर बोलता है,
"मेरे साथ चलना है या यहीं रहना है?"
आकाश उठकर खड़ा होता है तो उसके कदम लड़खड़ा जाते हैं। जल्दी से अद्विक उसे संभाल लेता है। शिवम अद्विक की तरफ़ देखकर कहता है,
"भाई, हम लोग चलें आकाश के साथ। हम उसे इस हालत में अकेला नहीं छोड़ सकते।"
अद्विक एक नज़र शिवम को देखता है तो शिवम अपनी गर्दन को नीचे झुका लेता है, क्योंकि उसे अद्विक की आँखों से बहुत डर लग रहा था।
अद्विक मोहित की तरफ़ देखकर कहता है,
"इन सबको अपनी गाड़ी में लेकर आओ और मैं आकाश को अपने साथ ले जा रहा हूँ। तेजस, तू मेरे साथ चल।"
सब लोग वहाँ से चले जाते हैं। तेजस की तरफ़ देखकर अद्विक बोलता है,
"मुझे कल की कल ही कॉलेज अपने अंदर चाहिए।"
आकाश अद्विक की तरफ़ देखकर कहता है,
"भाई, जाने दीजिये ना। गलती हो गई उससे।"
अद्विक आकाश की तरफ़ देखता है और कहता है,
"तुम इतने कमज़ोर नहीं हो जितना खुद को दिखाने की कोशिश कर रहे हो। तुम्हें क्या लगा? मुझे पता है कि तुम बेहोशी का नाटक कर रहे थे। तुमने जानबूझकर मुझे बुलाया था। वरना आज तक, या तो तुम अपने मैटर्स खुद सॉल्व करते थे, ना अपने पापा को बुलाते थे। आज तुमने मुझे क्यों बुलाया? और फिर तुम्हारे फ़ोन से तुम्हारा दोस्त फ़ोन करे और उसके पीछे से मुझे तुम्हारी आवाज़ आ रही थी। मैं वहाँ आया क्योंकि मैं तुम्हें छोटा साबित नहीं होने दे सकता था।"
अद्विक की बात सुनकर आकाश अपना सर नीचे झुकाकर कहता है,
"भाई, वो जब तक मुझे गाली देता रहा, मुझे बुरा नहीं लगा, लेकिन जब उसने आपके बारे में गलत शब्द कहे, ये मैं बर्दाश्त नहीं कर पाया। भाई, मैं पैसों का शौक़ीन नहीं हूँ और ना मुझे एक हाई क्लास ज़िंदगी चाहिए। मैं छोटे सपनों के साथ बहुत खुश हूँ और आप फ़िक्र ना करें, क्योंकि चोट जल्दी ठीक हो जाएगी।"
गुस्से में एक नज़र आकाश को देखता है, वहीं तेजस उन दोनों भाइयों के बीच के बॉन्ड को देखकर बहुत हैरान था। कुछ दिनों में ही अद्विक का बॉन्ड आकाश के साथ कितना अच्छा हो गया था। वहीं तेजस अद्विक से माफ़ी माँगने का मौका ढूँढ रहा था, लेकिन अद्विक ने उसे मौका ही नहीं दिया था माफ़ी माँगने का।
थोड़ी देर में सारी कारें Mansion के अंदर चली जाती हैं। Mansion के अंदर जाते ही पहले अद्विक बाहर निकलता है, तभी उसे वहाँ खड़ी निमिषा नज़र आती है। निमिषा जल्दी से भागकर आकाश के साथ कार का गेट खोलकर उसे हाथ पकड़कर बाहर निकालती है। आकाश के सारे दोस्त गाड़ी से बाहर खड़े होकर यह नज़ारा देख रहे थे। निमिषा अद्विक को डाँटते हुए कहती है,
"कैसे भाई हो आप? आपके भाई को इतनी चोट लगी है कॉलेज में लड़कों ने पीटा और आप कुछ नहीं कर पाए? अरे, जान से मार देना चाहिए था उन लोगों को, जिसने मेरे देवर को हाथ लगाया! कैसे भाई हैं आप...?"
"निमिषा, कितनी चोट लगी है मेरे बच्चे को? शर्म नहीं आती आपको? अपना भाई के नाम पर कलंक को अपने आप में बढ़ाती हुई..." निमिषा आकाश को लेकर सोफ़े पर बिठा देती है और जल्दी से फर्स्ट एड बॉक्स लेकर उसकी दवाइयाँ लगाने लगती है। बाकी सब लोग सोफ़े पर बैठकर यह नज़ारा देख रहे थे। सच बोल रहा था आकाश कि सच में निमिषा बहुत खूबसूरत है और सबसे ज़्यादा अच्छा, वह आकाश से बहुत प्यार करती है। वह और औरतों की तरह एक भाई को दूसरे भाई से अलग नहीं करती, जैसे मेरे भाई-भाभी ने घर में आकर मेरे भाई को हम सब से दूर कर दिया...
हॉट हेड अद्विक निमिषा की तरफ़ देखकर कहता है,
"ज़्यादा पैनिक करने की ज़रूरत नहीं है। इतनी भी चोट नहीं आई उसे। ठीक है। दवाई लगाओ, ठीक हो जाएगा। तुम तो ऐसे पैनिक कर रही हो जैसे इसका हाथ-पैर टूट गया है, यह चल-फिर नहीं सकता।"
जल्दी से खड़ी होकर निमिषा अद्विक की तरफ़ उंगली दिखाकर कहती है,
"अपनी बकवास बंद करिए आप! जब देखो तो मेरे बच्चे के बारे में गलत-गलत बोलते रहते हो। शर्म नहीं आती आपको? मेरे बच्चे को परेशान करते हुए..."
वहीं अद्विक अपनी गर्दन हिला देता है, क्योंकि इन कुछ दिनों में निमिषा और आकाश के बीच का रिश्ता बहुत अच्छा हो गया था। आकाश निमिषा को अपनी माँ मानने लगा था, निमिषा आकाश को अपना बेटा समझती थी।
निमिषा आकाश को सहारा देकर उसके कमरे में ले जाकर लिटा देती है और फिर उसके लिए नाश्ता बनाने चली जाती है। अद्विक अपने कमरे में चला जाता है। मोहित और तेजस बाहर चले जाते हैं। तो चारों लोग वहीं बैठे थे, वे भी उठकर आकाश के कमरे की तरफ़ चले जाते हैं। आकाश के कमरे में आने के बाद वे चारों आकाश को कहते हैं,
"सच में यार, तू बहुत लकी है, जो तुझे इतने प्यार करने वाले भाई-भाभी मिली हैं। वरना बहुत सी भाभियाँ तो ऐसी होती हैं जो उनके भाई या बेटे को उनकी ज़िंदगी से हमेशा के लिए अलग कर देती हैं। लेकिन तुम्हारी भाभी को देखकर ऐसा लगा कि शायद इस दुनिया में अभी भी अच्छा ही बाकी है।"
आकाश उन चारों की तरफ़ देखकर कहता है,
"मेरी इससे भी बड़ी फैमिली है। दादी हैं, दादाजी हैं, मम्मी है, पापा हैं। लेकिन मेरे भाई की उन लोगों से कुछ पर्सनल मैटर्स हैं और मैं अपने भाई के फैसलों में उनके साथ था, इसलिए मैं अपने भाई के पास आ गया। और तुमने देखा, मेरा भाई जानता था कि मैंने खुद से फ़ोन किया है या करवाया है, फिर भी वो मुझे बचाने वहाँ पहुँच गए। हर पल मुझे प्रोटेक्ट करते हैं, हर पल मेरा ख्याल रखते हैं।"
शिवानी आकाश की तरफ़ देखकर कहती है,
"मुझे एक बात समझ में नहीं आई, आकाश। तुम्हारा भाई इतना अच्छा है, इतना केयरिंग है, फिर भी उसके चेहरे पर कभी स्माइल क्यों नहीं आती?"
आकाश शिवानी की तरफ़ देखकर कहता है,
"उनके चेहरे पर मुस्कान सिर्फ़ भाभी के सामने आती है। बाकी कोई भी, कितना भी बड़ा गेस्ट हो, उनकी स्माइल कभी मौजूद नहीं होती। वो हमेशा एकांत में अकेले बैठे रहते हैं और जब भाभी आस-पास होती हैं तो भाई के चेहरे की हँसी कभी ग़ायब ही नहीं होती।"
अभी वो बातें कर ही रहे थे कि तभी वहाँ पर निमिषा आ जाती है। निमिषा सबको चाय-नाश्ता कराती है और वहीं उनके पास बैठकर बातें करने लगती है। तुमसे कब शाम हो जाती है, किसी को पता ही नहीं चलता। पवन चारों के जाने का इंतज़ार करता है। रात में तो किसी दूसरे के घर में नहीं रख सकते थे ना, फिर भी दुनिया की नज़रों में अद्विक एक मिस्टीरियस पर्सन था।
उन सबके जाते ही आकाश अपनी आँखें बंद करके बेड पर लेट जाता है। अभी उसे आँखें बंद किए हुए मुश्किल से 2 मिनट हुए होंगे कि उसे अपने सर पर किसी का भारी हाथ महसूस होता है और वह समझ जाता है कि यह उसका भाई है, इसलिए वह भी अपनी आँखें धीरे से बंद कर देता है।
आकाश के कमरे से निकलने के बाद अद्विक जैसे ही अपने कमरे में पहुँचता है तो उसकी नज़रें अपने सामने सो रही अपनी खूबसूरत बीवी पर पड़ती हैं, जो दुनिया से बेख़बर गहरी नींद में सोई हुई थी।
आकाश शिवानी की तरफ देखकर कहता है, "उनके चेहरे पर मुस्कान सिर्फ भाभी के सामने आती है। बाकी कोई भी, कितना भी बड़ा गेस्ट हो, उनकी अपीरियंस कभी भी मौजूद नहीं होती। वह हमेशा एकांत में अकेले बैठे रहते हैं और जब भाभी आसपास होती हैं, तो भाई के चेहरे की हंसी कभी गायब ही नहीं होती।"
अभी बातें कर ही रहे थे कि तभी वहाँ पर निविषा आ गई। निविषा सब कुछ, चाय-नाश्ता कर लेती है और वहीं उनके पास बैठकर बातें करने लगती है। "तुमसे कब शाम हो जाती है, किसी को पता ही नहीं चलता।" पवन चारों के जाने का रात में तो किसी दूसरे के घर में नहीं रख सकते थे ना। फिर भी, दुनिया की नज़रों में Advik एक मिस्टीरियस पर्सन था।
उन सबके जाते ही आकाश अपनी आँखें बंद करके बेड पर लेट गया। अभी उसे आँखें बंद किए हुए मुश्किल से २ मिनट हुए होंगे कि उसने अपने सर पर किसी का भारी हाथ महसूस किया और वह समझ गया कि यह उसका भाई है। इसलिए उसने भी अपनी आँखें बंद कर लीं।
आकाश के कमरे से निकलने के बाद, अद्विक जैसे ही अपने कमरे में पहुँचा, तो उसकी नज़रें अपने सामने सो रही अपनी खूबसूरत बीवी पर पड़ीं, जो दुनिया से बेखबर गहरी नींद में सोई हुई थी।
दूसरे दिन सुबह निविषा, अद्विक और आकाश तीनों ब्रेकफास्ट कर रहे थे। तभी निविषा कुछ सोचकर बोली,
"वैसे आकाश भैया, आप कब शादी कर रहे हो?"
निमिषा का अचानक से ऐसा सवाल सुनकर आकाश के गले में खाना अटक गया और वह खांसने लगा। तो निविषा उसकी तरफ पानी का ग्लास बढ़ाते हुए बोली,
"आपके गले में खाना तो ऐसे अटक गया, जैसे आपकी दो-तीन बीवियाँ और चार-पाँच बच्चे ऑलरेडी हैं और मैं आपसे फिर से शादी करने के लिए कह रही हूँ।"
आकाश निविषा की तरफ देखकर कहता है, "भाभी, अभी मेरी उम्र ही क्या है? अभी तो मैं कॉलेज में पढ़ रहा हूँ। कर लूँगा शादी। वैसे भी, अभी मेरा शादी करने का कोई इरादा नहीं है क्योंकि मैं अपनी लाइफ को इन्जॉय करना चाहता हूँ। मैं नहीं चाहता कि शादी की जिम्मेदारियों में फँस जाऊँ और फिर जो लड़की मेरे साथ मेरी ज़िंदगी में आएगी, उसका ख्याल रखना, उसकी ज़रूरतें पूरी करना मेरा फ़र्ज़ बनता है। और अभी मैं खुद अपने भाई और आप के पैसों पर जी रहा हूँ, तो मैं उसे कैसे उसकी मनपसंद ज़िंदगी दे पाऊँगा? इसलिए मेरा शादी करने का कोई इरादा नहीं है।"
निविषा की बात सुनकर आकाश की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं, लेकिन खांसी की वजह से वह कुछ बोल नहीं पाया। उसने पानी पिया और फिर बोला,
"ऐसा कुछ भी नहीं है भाभी। मैं पहले चाचू बनूँगा, फिर शादी करूँगा।"
यह कहकर उसने तिरछी नज़रों से अद्विक को देखा, जो उसकी बात सुनकर खाते हुए रुक गया था। लेकिन तभी निविषा झुककर आकाश के कान में धीरे से बोली,
"पर आप तो ऑलरेडी चाचू बन गए हो ना, फिर शादी क्यों नहीं कर रहे?"
निविषा की बात सुनकर आकाश चौंककर उसे देखने लगा और थोड़ा ज़ोर से बोला,
"क्या...?"
आकाश के इतनी ज़ोर से बोलने पर निविषा धीरे से बोली,
"धीरे बोलिए भैया। आपको पता है, मैं हब्बी की दूसरी बीवी हूँ। इनकी पहले से ही एक बीवी और एक बच्चा भी है।"
निविषा के बोलने पर आकाश को लगा कि कोई गलतफ़हमी हो रही है, तो वह तुरंत ही बोल पड़ा, लेकिन इस बार उसकी आवाज़ बहुत धीमी थी,
"नहीं नहीं भाभी। आप ही अद्विक की इकलौती बीवी हो। आपको कोई गलतफ़हमी हुई होगी।"
आकाश की बात सुनकर निविषा अपनी आँखें छोटी-छोटी करके बोली,
"आप पूरा दिन इनके साथ होते हो, फिर भी आपको नहीं पता। चलो कोई नहीं, मैं ही बता देती हूँ। हब्बी की पहली बीवी उनका लैपटॉप है, यानि लैपटॉप और फ़ोन उनका बच्चा। पूरा दिन दोनों से चिपके ही रहते हैं। आजकल तो फ़ोन में भी इतनी ज़्यादा टेक्नोलॉजी आ गई है कि मुझे तो लगता है कि किसी दिन इनका फ़ोन मुझे छोटी माँ कहकर बुलाना भी शुरू कर देगा।"
निविषा आखिर में हँसते हुए बोली, तो उसकी बात सुनकर आकाश ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा। अद्विक उन दोनों को खुसुर-फुसुर करते देख चुपचाप ब्रेकफ़ास्ट कर रहा था, जैसे उसे उनकी बातों में कोई इंटरेस्ट ही ना हो। आकाश हँसते हुए बोला,
"क्या भाभी, आप भी! हा हा।"
आकाश को हँसता देख निविषा भी हँसते हुए धीरे से बोली,
"मैं बिल्कुल सच कह रही हूँ भैया।"
थोड़ी देर बाद अद्विक और आकाश ऑफ़िस के लिए निकल गए। कार में बैठते ही अद्विक अपनी ठंडी आवाज़ में बोला,
"तुम दोनों क्या बातें कर रहे थे?"
अद्विक का सवाल सुनकर आकाश को हँसी आ गई, लेकिन वह सीरियस फ़ेस के साथ बोला,
"भाभी को लगता है कि आपके पहले से ही एक बीवी और एक बच्चा है।"
आकाश का इतना कहना था कि अद्विक की आँखें छोटी-छोटी हो गईं। वह बोला,
"व्हाट द हेल! और तुम इस बात पर हँस रहे थे, इडियट।"
अद्विक गुस्से से बोला, तो आकाश हँसने लगा और हँसते हुए बोला,
"पर भाभी की बात भी तो सही है ना अद्विक। भाभी से ज़्यादा तो तू अपने लैपटॉप और फ़ोन से चिपका रहता है, तो वह तेरे लैपटॉप को तेरी पहली बीवी और फ़ोन को तेरा बच्चा ही समझेगी ना।"
आकाश की बात सुनकर अद्विक की आँखें हल्की सी बड़ी हो गईं और वह बोला,
"व्हाट?"
आकाश बोलता चला गया, लेकिन वह बोलने में इतना खो गया था कि उसे यह भी महसूस नहीं हुआ कि उसकी बातें सुनकर कार का टेंपरेचर धीरे-धीरे गिरता जा रहा था, जिसे आगे ड्राइव कर रहा ड्राइवर भी महसूस करके काँप रहा था। वह ड्राइवर मन ही मन बोला,
"ये आकाश बॉस तो बोलते ही जा रहे हैं। क्या ज़रूरत थी इन्हें डेविल को इतना भड़काने की? अब इनकी तो खैर नहीं, साथ में दूसरे भी बहुत बुरे फँसेंगे।"
ड्राइवर अभी यह सोच ही रहा था कि अद्विक की ठंडी आवाज़ उसके कानों में पड़ी,
"स्टॉप द कार।"
उसके इतना कहते ही ड्राइवर ने तुरंत कार रोक दी। तो आकाश ने अद्विक को देखा, जिसकी आँखें लाल हो गई थीं। अद्विक उसे देखकर बोला,
"गेट आउट ऑफ़ कार।"
आकाश जल्दी से कार से उतर गया, तो अद्विक बोला,
"आज तुम पैदल ऑफ़िस आओ और जल्दी आना। लेट आए तो पनिशमेंट के लिए तैयार रहना।"
इतना कहकर उसने विंडो का ग्लास ऊपर कर दिया और ड्राइवर को कार स्टार्ट करने का इशारा किया। तो ड्राइवर ने कार स्टार्ट कर दी। उसके पीछे-पीछे बाकी सारी कार्स भी चली गईं। तो आकाश चिल्लाते हुए बोला,
"मैं छोड़ूँगा नहीं। डेविल कहीं के।"
इतना कहकर वह बिचारा सड़क पर दौड़ने लगा क्योंकि उसे टाइम से ऑफ़िस भी तो पहुँचना था।
अद्विक जानबूझकर आज आकाश को ऑफ़िस लेकर गया था क्योंकि वह चाहता था कि आकाश अपनी जिम्मेदारियाँ समझे। आगे चलकर उसे अपने पापा की कंपनी को संभालना था। जब तक वह अद्विक के साथ था, अद्विक उसे पूरी तरीके से बिज़नेस में डील करने लायक बना देना चाहता था। आखिर वह उसका भाई था।
अद्विक ऑफ़िस पहुँचकर अपने केबिन में चला जाता है। थोड़ी देर में आकाश भी ऑफ़िस पहुँच जाता है, लेकिन रिसेप्शनिस्ट आकाश को अंदर नहीं जाने देती। लेकिन जब तेजस आकाश को बाहर खड़ा देखा, तो वह रिसेप्शनिस्ट पर चिल्लाकर कहता है, "तुम्हें पता है तुमने किसे रोका है? वह अद्विक सर के छोटे भाई हैं। तुम्हारी नौकरी जा सकती है।" जैसे ही वह रिसेप्शनिस्ट को यह बताता है कि आकाश अद्विक का छोटा भाई है, उसकी आँखें हैरानी से चौड़ी हो जाती हैं क्योंकि उसे डर था कि अद्विक उसे क्या सज़ा देने वाला है।
आकाश तेजस की तरफ देखकर कहता है, "कोई ज़रूरत नहीं है भाई, कोई यहां की कोई बात बताने की। और वैसे भी, यहां कोई मुझे जानता थोड़ी है। मैं पहली बार ऑफ़िस आया हूँ। तो चलो यार, अब मैं यहां से चला जाता हूँ।" वह अद्विक के पास जाकर कहता है, "भाई, प्लीज़, मुझे भी मौज-मस्ती करना चाहता हूँ। मुझे भी ऑफ़िस नहीं जाना है। जब मुझ पर ज़िम्मेदारी आएगी, मैं कर लूँगा।"
अद्विक आकाश को घूरने लगता है, तो आकाश अपना सर नीचे करके कहता है, "मैं भाभी से शिकायत करूँगा।" जैसे ही अद्विक के कानों में आकाश की शिकायत जाती है, वह आकाश की तरफ देखकर कहता है, "गेट लॉस्ट! और दोबारा यहाँ दिखना मत।" आकाश तो सेकंड के अंदर वहाँ से नौ दो ग्यारह हो जाता है।
आकाश की कार अपने मेंशन में आकर रुकती है। जब वह अंदर जाता है, तो देखता है कि सब लोग हाल में बैठे हुए थे। आकाश दादा-दादी के पैर छूता है और उनके पास बैठकर कहता है, "कैसे हो आप दोनों? मैंने आप दोनों को बहुत मिस किया।" दादा-दादी आकाश के सर पर हाथ रखकर कहते हैं, "हम दोनों ठीक हैं। तू बता, तू कैसा है? और तू यहाँ क्या कर रहा है? तुझे तो अपने भाई के साथ होना था ना?" "हाँ, भाई ऑफ़िस गए थे, तो मैंने सोचा मैं आप लोगों से मिलने आ जाऊँ। वैसे सच कहूँगा, मुझे भाई के साथ बहुत अच्छा लगता है। भाभी और भाई की वह प्यारी-प्यारी लड़ाइयाँ मुझे बहुत पसंद हैं। आप नहीं जानतीं दादी, तो हमें घर जैसी फीलिंग्स आती हैं। यह घर सच में बड़ी माँ का घर है, क्योंकि इसे घर का नाम भी तो बड़ी माँ के नाम पर है। फिर भी भाभी को कोई एतराज नहीं है इस चीज़ से।"
शाम के वक्त अद्विक ऑफ़िस से घर के लिए निकलता है, लेकिन तभी अर्जेंट में उसके पास एक मीटिंग के लिए कॉल आ जाती है। तो वह मीटिंग अटेंड करने के लिए चला जाता है और वह निविषा को कॉल करके बता देता है कि वह आज रात भर आएगा। निविषा को भी अद्विक के काम करने से कोई परेशानी नहीं थी, इसीलिए वह भी ओके बोल देती है और अपना डिनर करके कमरे में चली जाती है। वह नॉवेल पढ़ रही थी, जिसमें एक लड़की की आत्मा दूसरी लड़की के शरीर में चली जाती है। यह स्टोरी उसे इंटरेस्टिंग लग गई थी।
रात के तकरीबन १२:०० बजे अद्विक घर आता है और जैसे ही वह अपने कमरे में आता है, उसे निविषा दिखाई देती है, जिसके कपड़े अस्त-व्यस्त थे और वह लैपटॉप में नॉवेल पढ़ने में बिजी थी। क्योंकि उसके आगे के एपिसोड उसे बुक में नहीं थे, जो बुक अभी वह पढ़ रही थी, उसके कुछ एपिसोड बुक में मिसिंग थे। इसीलिए वह लैपटॉप पर सर्च करके पढ़ रही थी, और जो उसमें हीरो और हीरोइन के पर्सनल एक्सपीरियंस के बारे में लिखा हुआ था। तभी उसे अपने पीछे एक ठंडी हवा का झोंका महसूस होता है। वह समझ जाती है कि अद्विक उसके पीछे है। अद्विक उसकी गर्दन में अपना चेहरा छुपाकर कहता है, "अगर तुम्हें मेरे साथ टाइम बिताने का इतना ही मन था, तो तुम मुझे कॉल कर देतीं। मैं मीटिंग पोस्टपोन कर देता।"
अद्विक के होंठ निविषा की गर्दन पर अपनी हरकत कर रहे थे और निविषा बिल्कुल फ्रीज़ हो गई थी। उसे पता ही नहीं चला कि कब अद्विक ने उसकी गर्दन को चूमते हुए अपने हाथ आगे करके लैपटॉप बंद करके बेड की साइड में टेबल पर रख दिया और अब उसके हाथ निविषा के नाइट सूट के श्रग की नॉट की तरफ बढ़ गए थे। उसने धीरे से नॉट खोली और उसका श्रग निकालकर फेंक दिया। अद्विक ने उसकी गर्दन को चूमते हुए ही अपने होंठ आगे निविषा की ठुड्डी की तरफ बढ़ा दिए, तो निविषा खुद-ब-खुद अपना सिर पीछे अद्विक के कंधे पर झुका दी, जिससे अद्विक आसानी से उसकी ठुड्डी को चूम पाए।
अद्विक ने एक हाथ से निविषा की स्पोंज जैसी कमर को पकड़ा हुआ था और दूसरा हाथ निविषा की बॉडी को एक्सप्लोर कर रहा था। उसने निविषा के कमर पर रखे हाथ से निविषा को घुमा दिया और अपने ऊपर कर लिया, जिससे निविषा का लाल चेहरा उसके चेहरे के सामने आ गया। अद्विक ने एक ही सेकंड में निविषा के होंठों को अपने होंठों के बीच में कैद कर लिया, जिससे निविषा हैरानी से उसे देखने लगी, लेकिन अद्विक के पैशनेटली किस करने पर उसने भी मदहोशी से अपनी आँखें बंद कर ली थीं और उसकी किस में इंवॉल्व होने लगी। अद्विक निविषा के मुँह में अपनी जीभ डालने की कोशिश करने लगा, लेकिन निविषा ने अपना मुँह बंद कर रखा था। तो अद्विक ने अपने एक हाथ से उसकी उभारों को ज़ोर से प्रेस किया, जिससे निविषा के मुँह से
"आह..."
निकल गया और उसका मुँह खुल गया, जिसका फ़ायदा उठाकर अद्विक ने अपनी जीभ निविषा के मुँह में डाल दी और उसके मुँह को एक्सप्लोर करने लगा। फिर अपनी जीभ को निविषा की जीभ के साथ उलझाने लगा, जिसमें निविषा भी उसका साथ दे रही थी।
कुछ ही देर में उनकी किस वाइल्ड स्मूच में बदल गई, जिसकी आवाज़ें पूरे रूम में गूंज रही थीं। अद्विक ने निविषा को स्मूच करते हुए ही उसे अपने नीचे कर लिया था और अपने हाथों से उसकी नाइटी की स्ट्रेप्स कंधे से उतार दी। अद्विक निविषा को बहुत ही पैशनेटली चूम रहा था, जिस वजह से उसे दर्द होने लगा, तो वह बोली,
"हब्बी, आराम से।"
उसकी बात सुनकर अद्विक ने कुछ भी नहीं कहा और उसकी गर्दन को चूमता रहा, लेकिन अब वह पहले की तरह रफ़ली नहीं चूम रहा था, बल्कि बहुत ही सॉफ्टली चूम रहा था।
निविषा बहुत ज़ोर-ज़ोर से मोन कर रही थी। आखिर में अद्विक वापस से ऊपर आ गया और खुद को सेट करके निविषा के अंदर समा गया, तो दर्द की वजह से निविषा की आँखों से आँसू बह निकले और उसने अपने नाखून अद्विक की पीठ पर गड़ा दिए। अपने गले से निकलने वाली आवाज़ रोकने के लिए उसने दोनों होंठ कसकर भींच लिए थे। अद्विक उसके अंदर एंटर करने के बाद रुका और उसके होंठों को चूमने लगा। वह निविषा की बॉडी को अपने हाथ से सहला रहा था ताकि निविषा का दर्द कम हो। कुछ देर बाद उसे लगा कि निविषा अब ठीक है, तो वह धीरे-धीरे अपनी बॉडी मूव करने लगा। अद्विक अपनी बॉडी मूव करने के साथ-साथ निविषा के होंठों को चूमता, तो कभी उसकी गर्दन को चूमता और उसका हाथ निविषा के दोनों ब्रेस्ट के साथ बारी-बारी से खेल रहा था। धीरे-धीरे अद्विक अपनी स्पीड बढ़ाते जा रहा था और निविषा की सिसकियाँ भी बढ़ती जा रही थीं।
कुछ ही देर में दोनों एक अलग ही दुनिया में खो गए थे।
रूम का माहौल बहुत ही ज़्यादा गर्म हो गया था और दोनों ही पसीने से भीग गए थे। माहौल में इतनी गर्मी आ गई थी कि एसी भी काम नहीं कर रहा था। सुबह के चार बजने को आए थे और निविषा और अद्विक कई बार इंटीमेट हुए थे, पूरी रात, जिससे निविषा बहुत थक गई थी, लेकिन अद्विक अभी भी सेटिस्फ़ाई नहीं हुआ था। थक-हारकर निविषा बोली,
"अब नहीं। मैं बहुत ज़्यादा थक गई हूँ हब्बी।"
निविषा बोली, लेकिन अद्विक पर उसका कोई फ़र्क नहीं पड़ा। निविषा वैसे ही सो गई, तो अद्विक अब धीरे-धीरे अपनी बॉडी मूव कर रहा था। थोड़ी देर बाद जब वह सेटिस्फ़ाई हुआ, तो निविषा के ऊपर से साइड में आ गया और उसके अंदर समाए हुए ही सो गया।
उसकी बात सुनकर अद्विक ने कुछ नहीं कहा और उसकी गर्दन चूमता रहा। लेकिन अब वह पहले की तरह रफली नहीं, बल्कि बहुत ही सॉफ्टली चूम रहा था।
निविषा बहुत ज़ोर-ज़ोर से मोन कर रही थी। आखिर में अद्विक वापस ऊपर आया और खुद को सेट करके निविषा के अंदर समा गया। दर्द की वजह से निविषा की आँखों से आँसू बह निकले और उसने अपने नाखून अद्विक की पीठ पर गड़ा दिए। अपने गले से निकलने वाली आवाज़ रोकने के लिए उसने दोनों होंठ कसकर भींच लिए थे। अद्विक उसके अंदर एंटर करने के बाद रुका और उसके होंठों को चूमने लगा। वह निविषा की बॉडी को अपने हाथ से सहला रहा था ताकि निविषा का दर्द कम हो। कुछ देर बाद उसे लगा कि निविषा अब ठीक है, तो वह धीरे-धीरे अपनी बॉडी मूव करने लगा। अद्विक अपनी बॉडी मूव करने के साथ-साथ निविषा के होंठों को चूमता, तो कभी उसकी गर्दन को चूमता और उसका हाथ निविषा के दोनों उभारों के साथ बारी-बारी से खेल रहा था। धीरे-धीरे अद्विक अपनी स्पीड बढ़ाता जा रहा था और निविषा की सिसकियाँ भी बढ़ती जा रही थीं।
कुछ ही देर में दोनों एक अलग ही दुनिया में खो गए थे।
रूम का माहौल बहुत ही ज़्यादा गर्म हो गया था और दोनों ही पसीने से भीग गए थे। माहौल में इतनी गर्मी आ गई थी कि एसी भी काम नहीं कर रहा था। सुबह के चार बजने को आ रहे थे और निविषा और अद्विक कई बार इंटीमेट हुए थे। पूरी रात की वजह से निविषा बहुत थक गई थी, लेकिन अद्विक अभी भी सेटिस्फाई नहीं हुआ था। थक हारकर निविषा बोली,
"अब नहीं... मैं बहुत ज़्यादा थक गई हूँ हब्बी।"
निविषा ने बोला, लेकिन अद्विक पर उसका कोई फर्क नहीं पड़ा। निविषा वैसे ही सो गई। अद्विक अब धीरे-धीरे अपनी बॉडी मूव कर रहा था। थोड़ी देर बाद जब वह सेटिस्फाई हुआ, तो निविषा के ऊपर से साइड में आ गया और उसके अंदर समाए हुए ही सो गया।
कमरे में हल्की-हल्की रोशनी आने लगी। निविषा कुनमुनाने लगी और अपने चेहरे पर हाथ रखकर दूसरी तरफ करवट लेने गई। उसे अपने निचले हिस्से में दर्द हुआ जिससे उसकी सारी नींद झटके से दूर हो गई। उसने आँखें खोलकर खुद को और अद्विक को देखा जो उसे अपने से चिपकाए हुए सो रहा था। फिर उसका ध्यान नीचे गया तो उसका चेहरा लाल हो गया। जो पहले शर्म की वजह से तो कुछ ही पल बाद गुस्से से लाल हुआ क्योंकि वह अद्विक से दूर नहीं हो पा रही थी। अद्विक की पकड़ बहुत मज़बूत थी उस पर।
जब कोशिशें करते हुए वह थक गई, तो चुपचाप उस डेविल को घूरने लगी। निविषा खुद से ही बोली,
"आज आप पर बिल्कुल प्यार नहीं आ रहा है।"
इतना कहकर उसने अद्विक के बिखरे हुए बाल और ज़्यादा बिखेर दिए। निविषा अभी भी अद्विक को घूर रही थी। थोड़ी देर बाद अद्विक की नींद खुली तो उसने निविषा को देखा जो उसे घूर रही थी। अद्विक ने नज़रें हटा लीं, जैसे उसे कोई फर्क ही ना पड़ता हो। फिर वह निविषा को अपनी पकड़ से आज़ाद करके वहाँ पास में पड़ा टॉवेल उठाकर अपनी कमर पर बाँध लेता है। रात को शॉवर लेने के बाद निविषा टॉवेल से बाल पोछते हुए ही लैपटॉप लेकर बैठ गई थी, इसलिए टॉवेल वहीं पड़ा था। अद्विक सीधा बाथरूम में घुस गया। निविषा को और भी ज़्यादा गुस्सा आया जिससे उसकी नाक हल्की सी लाल हो गई थी।
दो मिनट बाद जब अद्विक बाथरूम से बाहर आया, तो निविषा गुस्से से बोली,
"मैं आपसे गुस्सा हूँ। अगर आपको दोबारा इंटीमेट होना होगा, तो कम से कम मेरी परमिशन तो लेंगे, पर आप तो सीधे शुरू हो गए थे।"
निविषा की बात सुन अद्विक बाथरूम के दरवाज़े पर ही रुका, फिर निविषा की तरफ़ ही बढ़ गया। उसे देख निविषा अपने ब्लैंकेट को कसकर पकड़ते हुए बोली,
"आप... आप इधर क्यों आ रहे हो?"
निविषा के सवाल के जवाब में अद्विक कुछ नहीं बोला और वैसे ही उसकी तरफ़ बढ़ता रहा। बेड के पास आकर वह निविषा की तरफ़ झुकते हुए धीमी आवाज़ में बोला,
"आई थिंक यू नीड मी मोर।"
उसकी बात सुन निविषा की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं और वह जल्दी से बोली,
"नहीं नहीं..."
लेकिन बाकी के शब्द उसके मुँह में ही रह गए क्योंकि तब तक अद्विक ने उसे सीधा अपनी गोद में उठा लिया था और बाथरूम की तरफ़ बढ़ गया था। निविषा कन्फ़्यूज़ हो गई, लेकिन वह कुछ पूछती, तब तक वह बाथटब में थी। बाथटब में पहले से ही हल्का गुनगुना पानी भरा हुआ था, जो थोड़ी देर पहले अद्विक ने ही भरा था। निविषा हैरानी से अद्विक की तरफ़ देखती है, तो अद्विक बोला,
"मैं सीधे शुरू हो गया था, तो एन्जॉय तो तुमने भी किया। राइट?"
यह कहकर उसने अपनी एक उंगली से अपने सीने की तरफ़ इशारा किया जहाँ रात को एक्साइटमेंट में निविषा ने अपने नाखून गड़ाए थे, जिसके निशान अभी तक थे। इसे देख निविषा सकपका गई और इधर-उधर देखने लगी। अद्विक उससे दूर होकर शॉवर के नीचे खड़ा हो गया और शॉवर ऑन कर देता है। निविषा की नज़रें उस पर ही जम गईं।
एकदम परफेक्ट मस्कुलर बॉडी थी उसकी और उसके एट पैक एब्स के कट बिल्कुल क्लियर थे, जिस पर से शॉवर का बहता पानी फिसल रहा था। निविषा बहुत ध्यान से अद्विक को देख रही थी... उसके हल्के से ब्राउन और ब्लैक मिक्स बाल जो अभी पानी की वजह से उसके फॉरहेड को ढक रहे थे... उसकी शेर जैसी ऑरेंज ब्राउन आँखें... पतले होंठ और बिल्कुल परफेक्ट जॉ लाइन।
अद्विक के चेहरे से उसकी नज़र हट ही नहीं रही थी, जिसका पता अद्विक को भी था, लेकिन उसने कुछ भी रिएक्ट नहीं किया। शॉवर लेकर उसने बाथरोब पहना और बाहर जाने लगा। फिर रुककर निविषा को देखता है जो अभी भी मंत्रमुग्ध होकर उसे ही देख रही थी। अद्विक अपनी ठंडी आवाज़ में बोला,
"जल्दी से रेडी होकर नीचे आओ ब्रेकफास्ट के लिए, वरना फिर अकेले ही ब्रेकफास्ट करना।"
इतना कहकर वह चला गया। निविषा होश में आई और अपने सिर पर चपत लगाते हुए बोली,
"अम्मू... तू पागल हो गई है। तू कैसे घूर रही थी उन्हें... पता नहीं वो क्या सोच रहे होंगे तुम्हारे बारे में।"
खुद को कोसते हुए निविषा भी बाथटब से खड़ी होकर बाथरोब पहन लेती है और बाथरूम से बाहर निकलकर सीधा क्लोजेट में चली गई।
थोड़ी देर में निविषा रेडी होकर नीचे आ गई। अद्विक ने एक नज़र उसे देखा और वापस से अपने फ़ोन में देखने लगा। निविषा आकर अपनी चेयर पर बैठ गई और दोनों ने ब्रेकफास्ट करना शुरू कर दिया। तभी मीना आंटी आईं। मीना आंटी को देखकर निविषा कन्फ़्यूज़ थी क्योंकि उसे यहाँ हुए इतना टाइम हो गया था, लेकिन उसने मीना आंटी को नहीं देखा था। वह अद्विक की तरफ़ देखकर कहती है, "आप मीना आंटी को जानते हैं? कौन है ये...?"
अद्विक एक ठंडी आवाज़ में कहता है, "मीना आंटी इस घर की हेड हैं। मीना आंटी की वजह से ही आज तुम्हारा पति ज़िंदा है। इसके बारे में तुम्हें फिर कभी बताऊँगा, लेकिन मेरी एक बात हमेशा याद रखना- मीना आंटी के साथ कभी भी बदतमीज़ी करने की कोशिश मत करना। अगर उनसे कोई गलती हो जाती है या कुछ भी, तो तुम प्यार से बात करना, वरना तो मेरा वो रूप देखोगी जो मैं तुम्हें कभी दिखाना नहीं चाहता..."
मीना आंटी अद्विक की तरफ़ देखकर कहती हैं, "अद्विक बाबा, कोई बात नहीं। वह अभी-अभी इस घर में आई हैं, उन्हें पता नहीं है। मैं समझा दूँगी उन्हें..."
निमिषा मीना आंटी की तरफ़ देखकर कहती है, "कोई बात नहीं आंटी। बस मुझे ये पता चल गया कि आप Advik के लिए बहुत ख़ास इंसान हैं। इससे ज़्यादा मुझे कुछ नहीं जानना..."
"आप आज काफ़ी लेट उठे अद्विक बाबा... आपकी तबियत तो ठीक है ना?"
मीना आंटी फ़िक्र से बोली तो अद्विक ने सिर्फ़ सिर हिला दिया। लेकिन उनका सवाल सुन निविषा ज़ोर-ज़ोर से खांसने लगी। उसका चेहरा लाल हो गया था। अब वो लाल खांसने की वजह से हुआ था या शर्म से, ये बताना थोड़ा मुश्किल था। लेकिन मीना आंटी का ध्यान निविषा पर चला गया था और उसे देखकर वो सब समझ गई, तो मुस्कुराकर वहाँ से चली गई।
मीना आंटी के जाने के बाद डाइनिंग टेबल पर पूरी तरह से शांति छाई हुई थी, जिसे तोड़ने का काम निविषा के फ़ोन ने किया। उसके फ़ोन की रिंग सुन निविषा और अद्विक दोनों का ही ध्यान उसके फ़ोन पर चला गया। निविषा ने अपने फ़ोन को देखा और उस पर फ़्लैश हो रहे नाम को देखकर उसके चेहरे के एक्सप्रेशन बदल गए, जिसे अद्विक ने नोटिस कर लिया। निविषा फ़ोन रिसीव करते हुए जितनी हो सके उतनी प्यारी आवाज़ में बोली,
"हाँ बोलिए मॉम।"
निविषा के मुँह से "मॉम" सुन अद्विक ने सिर हिलाकर अपनी नज़रें ब्रेकफ़ास्ट पर ही कर लीं, लेकिन वह अभी भी काफ़ी ध्यान से निविषा की बातें सुन रहा था।
दूसरी तरफ़ से मिसेज़ शर्मा भी अपना झूठा प्यार और फ़िक्र दिखाते हुए बोली,
"निविषा बेटा... तुम्हें अपनी मॉम की बिल्कुल भी याद नहीं आती ना, इसीलिए तुम इतने दिनों से मिलने नहीं आई। तुम्हारे डैड भी तुम्हें काफ़ी याद कर रहे हैं, लेकिन हमारी बेटी तो अब पराई हो गई है।"
"बेटा, एक बार तो घर आ जाइए। माया भी पता नहीं अचानक कहाँ चली गई है, मिल ही नहीं रही। तो मुझे ढूँढने में हमारी मदद कर दो ना..."
"बेटा, मैं और तुम्हारे पापा माया की वजह से परेशान हैं। निमिषा, तुम भी हमारी बेटी हो, तुम्हारा फ़र्ज़ बनता है कि तुम अपने पापा की मदद करो..."
"तुम तो वहाँ जाकर हम सबको भूल ही गई..."
उनकी ऐसी बातें सुन निविषा का मन उल्टी करने का हो रहा था, लेकिन वह भी मिसेज़ शर्मा की तरह ही बोली,
"मैं आप दोनों को भूल जाऊँ, ऐसा हो सकता है मॉम। मैं भी आप दोनों को बहुत मिस कर रही हूँ।"
उसकी बात सुन मिसेज़ शर्मा तुरंत ही बोली,
"तो आज आ जाओ शर्मा निवास और हाँ, इस बार एक-दो दिन रुको ऐसी आना... हर बार की तरह मिलकर चली मत जाना।"
मिसेज़ शर्मा की बात सुन निविषा ने अद्विक की तरफ़ देखा जो अपना ब्रेकफ़ास्ट ही खा रहा था, लेकिन वहाँ इतनी शांति थी कि मिसेज़ शर्मा की बातें उसे भी सुनाई दे रही थीं।
निविषा धीमी आवाज़ में बोली,
"मॉम, मैं उनसे पूछकर बताती हूँ।"
निविषा के इतना कहते ही सामने से मिसेज़ शर्मा उखड़ी हुई आवाज़ में बोली,
"तुम्हें हर काम अद्विक से पूछकर करने की ज़रूरत नहीं है निविषा। पति है वो तुम्हारा ना कि तुम्हारा मालिक जिससे तुम्हें साँस लेने के लिए भी उसकी मंज़ूरी चाहिए।"
मिसेज़ शर्मा की बात सुन निविषा को गुस्सा तो बहुत आया और वह गुस्से में कुछ कह भी देती, लेकिन तभी अद्विक ने अपनी चम्मच ज़ोर से टेबल पर पटकी। निविषा ने चौंककर उसे देखा और अद्विक को गुस्से में देखकर वह तुरंत बोली,
"मॉम... प्लीज़। मैं बाद में कॉल करके बताती हूँ कि मैं आऊँगी या नहीं। हाँ, बाय।"
इतना कहकर उसने कॉल कट कर दिया और अद्विक को देखकर बोली,
"सॉरी..."
उसके मुँह से "सॉरी" सुन अद्विक बिना कुछ बोले चेयर से खड़ा हो गया। निविषा भी अपनी चेयर से खड़ी होते हुए बोली,
"क्या मैं आज वहाँ जा सकती हूँ?"
निविषा ने पीछे से पूछा तो अद्विक ने अपना सिर हाँ में हिलाया और ऑफ़िस के लिए निकल गया।
उसके जाने के बाद निविषा भी अपना अधूरा ब्रेकफ़ास्ट वैसे ही छोड़ देती है क्योंकि उसे अकेले ब्रेकफ़ास्ट और डिनर करना पसंद नहीं था। लंच टाइम में तो वह पहले स्कूल या कॉलेज में ही होती थी, इसीलिए लंच वह अकेले कर लेती थी।
निविषा लिविंग हॉल में बैठकर सोच में पड़ गई कि मिसेज़ शर्मा उसे वहाँ क्यों बुला रही है? बिना मतलब के तो वह उसे वहाँ बुला ही नहीं सकती थी। तो वह क्या करने वाली है, वह निविषा समझ नहीं पा रही थी। लेकिन फिर ज़्यादा ना सोचते हुए वह शर्मा निवास जाने के लिए निकल गई। उसके साथ उसके बॉडीगार्ड्स भी थे जो अद्विक ने स्पेशली निविषा के लिए ही रखे थे...
जैसे ही उनकी कार शर्मा निवास के आगे पहुँचती है, वह देखती है कि वहाँ पहले से ही एक कार खड़ी हुई थी। उस कार को देखकर निविषा समझ जाती है कि ये अद्विक के बॉडीगार्ड्स हैं जो उसकी सेफ़्टी के लिए यहाँ आए हैं...
निविषा ना चाहते हुए भी शर्मा निवास के अंदर चली जाती है। जैसे ही वह गेट तक पहुँचती है, उसे अंदर से मिस्टर और मिसेज़ शर्मा के बोलने की आवाज़ आती है, "पता नहीं ये मनहूस कब आएगी और हमें कब पता चलेगा कि हमारी बेटी कहाँ है? इस लड़की की वजह से मेरी बेटी नाराज़ होकर कहीं चली गई है। आप नहीं जानते, मेरा मन इस लड़की को जान से मार देने को करता है..."
श्री शर्मा श्रीमती शर्मा को चुप करते हुए कहते हैं, "चुप हो जाओ! अगर वह आ गई और उसने सुन लिया, तो लेने के देने पड़ जाएँगे हमारे। इतने साल की मेहनत बर्बाद हो जाएगी और उसे अपनी हकीकत पता चल जाएगी कि हकीकत में वह कौन है। इसीलिए जितना हो सके अभी उतना शांत रहो। हमारा काम निकल जाने दो, उसके बाद इसकी मौत तो वैसे भी होनी ही है..."
उन दोनों पति-पत्नी की बात सुनकर निविषा के चेहरे पर नफ़रत उतर आती है क्योंकि वह जानती थी ये दोनों कितने घटिया हैं और सबसे ज़्यादा घटिया इनकी बेटी है जो हमेशा उसके पति पर डोले डालने की कोशिश करती है...
निविषा अपने चेहरे पर झूठी मुस्कान सजा लेती है और कहती है, "मॉम, डैडी, कहाँ हो आप लोग?" जैसे ही वह दोनों निविषा की आवाज़ सुनते हैं, तुरंत ही हरकत में आ जाते हैं। और मिसेज़ शर्मा तो इतनी जल्दी अपनी आँखों में आँसू लाती हैं, जैसे गिरगिट रंग बदलता है। उसे देखकर, निविषा जैसे ही जाकर सोफ़े पर बैठी है, मिसेज़ शर्मा को रोते हुए देखकर कहती है, "क्या हुआ? आप रो क्यों रही हो...?"
मिसेज़ शर्मा रोते हुए कहती हैं, "रंग नहीं, तो क्या करूँ बेटा? पता नहीं माया पिछले एक हफ़्ते से कहाँ है। उसका कुछ पता नहीं चल रहा। पता नहीं मेरी बेटी किस हालत में होगी और तुम कैसी बहन हो? तुम अपनी बहन को ढूँढ नहीं सकती हो? अरे, अपने पति से बोलो ना, वह मुझे मेरी बेटी ढूँढ कर देगा..."
निविषा गुस्से में श्रीमती शर्मा की तरफ़ देखकर कहती है, "वह कोई ऐसा-वैसा आदमी नहीं है मॉम, जो मेरे कहने से वह आपकी बेटी को ढूँढने लग जाएगा। आप जानती हैं ना, वह कितना बड़ा डेविल है? वह मुझसे तक तो बात नहीं करता, मैं कैसे जाकर उसको बोलूँ कि मैं हमेशा उससे खुद को दूर भागती रहती हूँ और अब मैं उसके पास जाकर उसे यह बोलूँ कि आप मेरी बहन को ढूँढ दो। चाहती क्या हो...?"
"आप जानती हैं ना, आप ही ने मुझे उसे खुद से दूर रखने के लिए बोला था कि मैं उसके पास जाकर उसे हेल्प माँगू..."
माहौल को बदलते देखा और निविषा को मिसेज़ शर्मा से बहस करते देख मिस्टर शर्मा की आँखें हैरानी से चौड़ी हो जाती हैं क्योंकि आज तक इतने सालों में निविषा ने कभी भी किसी से बहस नहीं की थी। उनकी बात को हमेशा एक सीधी गाय की तरह मान लिया था, लेकिन आज यह सीधी गाय बैल बनी हुई थी। इसलिए मिस्टर शर्मा श्रीमती शर्मा के हाथ-पैर पकड़कर उन्हें शांत रहने के लिए बोल देते हैं...
निविषा ने अपने चेहरे पर झूठी मुस्कान सजा ली और कहा, "मॉम, डैडी, कहाँ हो आप लोग?" जैसे ही उन्होंने निविषा की आवाज़ सुनी, तुरंत हरकत में आ गए। मिसेज़ शर्मा ने इतनी जल्दी अपनी आँखों में आँसू भर लिए, जैसे गिरगिट रंग बदलता है। निविषा सोफ़े पर बैठते ही रोती हुई मिसेज़ शर्मा को देखकर बोली, "क्या हुआ? आप क्यों रो रही हैं?"
मिसेज़ शर्मा रोते हुए बोलीं, "रंग नहीं तो क्या करूँ बेटा? पता नहीं माया पिछले एक हफ़्ते से कहाँ है। उसका कुछ पता नहीं चल रहा। पता नहीं मेरी बेटी किस हालत में होगी। और तुम कैसी बहन हो? तुम अपनी बहन को ढूँढ नहीं सकती हो? अरे, अपने पति से बोलो ना, वह मुझे मेरी बेटी ढूँढ कर देगा।"
निविषा गुस्से में श्रीमती शर्मा की तरफ़ देखकर बोली, "वह कोई ऐसा-वैसा आदमी नहीं है, मॉम, जो मेरे कहने से आपकी बेटी को ढूँढने लगेगा। आप जानती हैं ना, वह कितना बड़ा डेविल है। वह मुझसे तो बात नहीं करता, मैं कैसे जाकर उससे बोलूँ? मैं हमेशा उससे खुद को दूर भागती रहती हूँ, और अब मैं उसके पास जाकर उसे यह बोलूँ कि आप मेरी बहन को ढूँढ लाओ? क्या चाहती हैं आप?"
"आप जानती हैं ना, आप ही ने मुझे उसे खुद से दूर रखने के लिए बोला था कि मैं उसके पास जाकर उससे हेल्प माँगूँ।"
माहौल बदलता देख, और निविषा को मिसेज़ शर्मा से बहस करते देख, मिस्टर शर्मा की आँखें हैरानी से चौड़ी हो गईं। क्योंकि आज तक इतने सालों में निविषा ने कभी किसी से बहस नहीं की थी। उनकी बात को हमेशा एक सीधी गाय की तरह मान लिया था, लेकिन आज यह सीधी गाय बैल बनी हुई थी। इसलिए मिस्टर शर्मा ने श्रीमती शर्मा के हाथ-पैर पकड़कर उन्हें शांत रहने के लिए कहा।
अब जाकर Mr. और Mrs. शर्मा का ध्यान निविषा के कपड़ों पर गया। उसकी मांग में सजा सिंदूर, गले का मंगलसूत्र, और साड़ी में उसे देखकर Mr. शर्मा की आँखें चौड़ी हो गईं।
निविषा ने एक पिंक कलर की ऑर्गेन्ज़ा साड़ी पहनी थी, जिसके साथ एक ब्लू कलर का हाई नेक ब्लाउज़ पहना था जिसमें आगे की तरफ़ चैन थी। निविषा ने साड़ी कुछ इस तरह से पहनी हुई थी कि उसका पूरा शरीर ढका हुआ था, लेकिन उसका कर्वी फिगर भी दिखाई दे रहा था। दूसरे कपड़ों के मुकाबले वह साड़ी में ज़्यादा सेक्सी लग रही थी।
इन सब में मिसेज़ शर्मा को जो सबसे ज़्यादा हैरान कर रहा था, वह यह था कि आज निविषा ने अपने गले में मंगलसूत्र और मांग में सिंदूर लगाया हुआ था।
मिसेज़ शर्मा और माया के कहने पर निविषा ने अपनी शादी के दिन के बाद कभी भी मंगलसूत्र नहीं पहना था और ना ही कभी सिंदूर लगाया था। ऐसा नहीं था कि निविषा मंगलसूत्र और सिंदूर को कोई महत्व नहीं देती थी, लेकिन मिसेज़ शर्मा और माया ने उसे कहा था कि वह बहुत छोटी है। अगर वह ऐसे कॉलेज जाएगी, तो लोग उसका मज़ा उड़ाएँगे और सबका अटेंशन उसकी तरफ़ हो जाएगा। बस इसीलिए निविषा ने सिंदूर और मंगलसूत्र को कभी नहीं पहना था क्योंकि उसे सबका अटेंशन अपनी तरफ़ नहीं करना था। वैसे ही, उसकी खूबसूरती की वजह से वह जहाँ भी जाती, लोगों का ध्यान अपनी तरफ़ खींच ही लेती थी, और सबका ध्यान खुद पर देखना उसे पसंद नहीं था।
पर आज निविषा जानबूझकर ऐसे तैयार होकर आई थी ताकि मिसेज़ शर्मा को भी उसके और अद्विक के रिश्ते की गहराई के बारे में पता चल जाए। वैसे तो उसका और अद्विक का रिश्ता अभी उतना गहरा नहीं था, और ना ही वह जानती थी कि अद्विक के दिल में उसके लिए क्या है, लेकिन वह अद्विक से समुंदर की गहराइयों से भी ज़्यादा प्यार करती थी। साथ ही निविषा को यह भी पता था कि सारा को निविषा की खूबसूरती से ज़्यादा नफ़रत है। निविषा को कैद करने के बाद वह रोज उसे इतने ज़ख़्म देती थी कि जिससे उसकी खूबसूरती छिन जाए।
मिसेज़ शर्मा अभी भी निविषा को घूर ही रही थीं कि निविषा बोली,
"मॉम, अब क्या आप मुझे ऐसे ही देखती रहेंगी? नाराजगी से?"
उसकी आवाज़ सुनकर मिसेज़ शर्मा होश में आईं और जल्दी से बोलीं,
"नहीं नहीं बेटा..."
मिस्टर शर्मा के पास बैठकर निविषा, गिल्टी फील करने की एक्टिंग करते हुए बोली,
"आई एम सॉरी डैड... हमारी कंपनी को उस वक़्त मेरी ज़रूरत थी, लेकिन मैं आपकी मदद नहीं कर पाई। यकीन मानिए... मैं आपकी हेल्प करना चाहती थी, लेकिन अभी-अभी ही तो हमारा रिश्ता आगे बढ़ा है, तो हस्बैंड चाहते थे कि मैं ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त उनके साथ ही बिताऊँ।"
निविषा ने अपना चेहरा झुका रखा था, और वह यह सब जानबूझकर बोल रही थी क्योंकि उसे पता था कि मिस्टर शर्मा बहुत ज़्यादा चालाक हैं और उन्हें उस पर ज़रूर शक हो गया होगा, जो सही भी था। मिस्टर शर्मा को सच में निविषा पर शक हो गया था जब उसने मदद करने से मना किया था, लेकिन निविषा को ऐसे चेहरा झुकाए बोलता देख उनका शक दूर हो गया। मिस्टर शर्मा को लगा कि निविषा अभी भी उनके काबू में है, जिससे वह जो चाहे उससे करवा सकते हैं, लेकिन उन्हें क्या पता था कि इस बार निविषा उनके लिए बहुत बड़ा जाल बिछा रही है।
वह निविषा के सिर पर हाथ फेरते हुए बोले,
"कोई बात नहीं बेटा... मैं समझ सकता हूँ।"
तभी मिसेज़ शर्मा जल्दी से बोलीं,
"हाँ... वैसे भी सारा ने एक बहुत बड़ी डील हासिल करके हमारी कंपनी को बचा लिया है।"
मिसेज़ शर्मा माया की तारीफ़ करते हुए बोलीं, तो निविषा भी अपनी खुशी दिखाते हुए मिसेज़ शर्मा से बोली, "मैं जानती हूँ मॉम, कि माया दीदी बहुत अच्छी है, और देखना वह जल्दी वापस आ जाएगी।" फिर उसने अपना फ़ोन लेकर अद्विक को एक मैसेज टाइप किया और उसे बोला कि वह माया को छोड़ दे, क्योंकि वह जानती थी कि माया उसी की कैद में है।
थोड़ी देर बाद अद्विक का मैसेज आया कि वह माया को नहीं छोड़ सकता, लेकिन वह माया की जगह किसी दूसरी लड़की को माया बनाकर भेज सकता है, ताकि आगे चलकर निविषा को उसके घर में आने-जाने में कोई परेशानी ना हो। निविषा को भी अद्विक की बात सही लगी और वह भी उसकी इस बात के लिए मान गई।
"मुझे पता था कि दीदी मुझसे भी ज़्यादा अच्छे तरीके से बिज़नेस संभाल लेगी। दीदी बहुत ज़्यादा टैलेंटेड है।"
निविषा बोली, तो बाकी सब मुस्कुरा दिए। वहीं मिसेज़ शर्मा तो माया की तारीफ़ों के पुल बाँधे जा रही थीं, और इस बार तो मिस्टर शर्मा भी उनका साथ दे रहे थे। भले ही वह जानते थे कि माया ने यह डील कैसे हासिल की है, लेकिन उनके लिए उनका फायदा ज़्यादा मायने रखता था।
उनकी बातें सुनते-सुनते निविषा के कान पक रहे थे, लेकिन फिर भी वह मुस्कुराते हुए सारी बातें सुन रही थी। पर जब उसे बर्दाश्त नहीं हुआ, तो वह बोली,
"मॉम... डैड... अब लंच कर लेते हैं... मुझे बहुत भूख लगी है।"
निविषा की बात पर उन्होंने हाँ में सिर हिला दिया। वे सभी लंच करने के लिए बैठ गए। लंच करते हुए मिसेज़ शर्मा बोलीं,
"निविषा, मैंने तुम्हें मना किया था ना इस सिंदूर और मंगलसूत्र के लिए? फिर तुमने क्यों पहना? ऊपर से साड़ी... मतलब ज़माना इतना मॉडर्न है, तुम्हें साड़ी पहनने की क्या ज़रूरत है? क्या अद्विक ने तुम्हें फ़ोर्स किया है?"
उनकी बात सुनकर निविषा बोली,
"नहीं मॉम... हस्बैंड मुझसे कभी कुछ नहीं कहते। यह साड़ी, मंगलसूत्र और सिंदूर तो मैंने अपनी मर्ज़ी से पहना है। आपने मना किया था क्योंकि तब मैं छोटी थी और कॉलेज में मुझे सब परेशान कर सकते थे, लेकिन अब तो मैं बड़ी हो गई हूँ और कॉलेज भी ख़त्म हो गई है, तो अब तो मैं यह सब पहन सकती हूँ ना, और मुझे यह सब अच्छा लगता है।"
निविषा की बात सुनकर मिस्टर शर्मा ने मिसेज़ शर्मा को चुप रहने का इशारा किया, क्योंकि मिसेज़ शर्मा ने जैसे बात की थी, उससे तो किसी को भी शक हो सकता था, और वे नहीं चाहते थे कि निविषा के दिमाग में उनके लिए कोई शक आए, वरना उनकी सालों की मेहनत बर्बाद हो जाती।
लंच करने के बाद निविषा बोली,
"मॉम, डैड, मैं कुछ देर अपने कमरे में आराम करना चाहती हूँ... बहुत थक गई हूँ मैं।"
उसकी बात पर मिसेज़ शर्मा ने हाँ में सिर हिला दिया, तो वह ऊपर के फ़्लोर पर अपने कमरे में चली गई। उसके जाने के बाद मिसेज़ शर्मा उठ खड़ी हुईं, तो मिस्टर शर्मा बोले,
"तुम कहाँ जा रही हो?"
मिस्टर शर्मा के सवाल का जवाब देते हुए मिसेज़ शर्मा बोलीं,
"मैं उस निविषा को ये कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स देकर आती हूँ, वरना अगर वह अद्विक के बच्चे की माँ बन गई, तो उसे अद्विक से कभी दूर नहीं कर पाएँगे, और हमारा मकसद भी कभी पूरा नहीं होगा।"
मिसेज़ शर्मा ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा,
"हाँ, सारा की बात सही है... हम उस अद्विक का बच्चा निविषा की कोख में कभी नहीं पलने दे सकते।"
थोड़ी देर बाद वहाँ माया आ जाती है। माया को आया हुआ देखकर मिस्टर शर्मा खुश होकर माया को अपने गले से लगा लेते हैं। माया की तरफ़ देखकर मिसेज़ शर्मा माया से कहती हैं, "तुम ये पिल्स जाकर निविषा को दे दो, जिससे वह अद्विक के बच्चे को जन्म ना दे सके।"
माया सीढ़ियों से ऊपर चली गई और निविषा के कमरे में आ गई। वहीं निविषा, जो अभी बिस्तर पर लेटी ही थी, माया के वहाँ आने से काफ़ी इरिटेट हो गई, लेकिन फिर वह बोली,
"क्या हुआ दीदी? आप यहाँ?"
उसकी बात सुनकर माया उसके पास बैठकर बोली,
"निविषा, तू ये कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स ले ले, क्योंकि अभी तेरी उम्र काफ़ी कम है, और तू अभी माँ बनकर अपना फ़्यूचर ख़तरे में नहीं डाल सकती ना? अभी तो तुझे बहुत कुछ करना है। मुझे पता है कि तुझे इन सबके बारे में ज़्यादा पता नहीं है, लेकिन मैं तो तुम्हारी बड़ी बहन हूँ ना... मुझे तो इस बारे में सोचना ही होगा।"
माया की बात सुनकर निविषा ने गुस्से से अपनी मुट्ठियाँ भींच लीं, लेकिन फिर खुद को शांत करते हुए उसने वह पिल्स का पैकेट ले लिया और बोली,
"सच में दीदी... आप ना होतीं तो पता नहीं क्या होता।"
निविषा की बात सुनकर सारा ने एक ईविल स्माइल दी और वहाँ से चली गई।
माया के जाने के बाद निविषा ने वह पैकेट सीधा साइड में फेंक दिया और बिस्तर पर लेट गई, क्योंकि पूरी रात अद्विक ने उसे सोने नहीं दिया था, इसलिए वह बहुत ज़्यादा थकान महसूस कर रही थी।
निविषा जल्दी से अद्विक को मैसेज करके माया के बारे में पूछती है, तो अद्विक कहता है उसने अभी असली माया को भेजा है, क्योंकि वह नहीं चाहता कि किसी को शक हो। थोड़े दिन में वह असली माया को नकली माया से रिप्लेस कर देगा। तब तक उसे बहुत सावधान रहना होगा।
दूसरी तरफ़, ए आर कॉर्पोरेशन में आज हर कोई उस डेविल के गुस्से का सामना कर रहा था। अब तक अद्विक ना जाने कितने एम्प्लॉयीज़ को फ़ायर कर चुका था। इस वक़्त वह मीटिंग रूम में था। अद्विक जब नॉर्मल मूड में होता था, तब भी लोग उसकी तरफ़ देखने से भी डरते थे, तो अभी तो वह इतने गुस्से में था कि सबके पसीने छूट रहे थे और वे सब काँप रहे थे।
मीटिंग रूम में अभी पूरी तरह से शांति छाई हुई थी। तभी अद्विक गुस्से से बोला,
"कल से अपनी शक्ल दिखाने की ज़रूरत नहीं है यहाँ। यू ऑल आर फ़ायर्ड।"
इतना कहकर वह गुस्से से ही वहाँ से निकल गया, लेकिन उसके जाने के बाद वहाँ बैठे सभी डिपार्टमेंट के हेड कार्तिक को देखने लगे और उससे रिक्वेस्ट करने लगे। जिसे देखकर कार्तिक ने सिर हिला दिया और वहाँ से निकल गया।
कार्तिक राय अद्विक का बचपन का दोस्त और उसका असिस्टेंट था। उसने अब अद्विक के घर में रहना छोड़ दिया था क्योंकि अद्विक की शादी हो गई थी, लेकिन वह अभी भी एक ही ऑफ़िस में काम करते थे। कार्तिक अनाथ था, उसका इस पूरी दुनिया में कोई नहीं था। बचपन में कार्तिक रोड के किनारे भीख माँग कर खाना खा रहा था, जब अद्विक की नज़र उस पर पड़ी थी। क्योंकि अद्विक की भी हालत कुछ ऐसी ही थी, उसी दिन अद्विक और कार्तिक एक हो गए थे। तभी उन्हें मीना आंटी मिली थीं और मीना आंटी ने उन दोनों को अपने घर में रखा था और उन दोनों की परवरिश की थी। इसीलिए दोनों ही मीना आंटी को बहुत मानते थे।
कार्तिक अद्विक के केबिन में आते हुए बोला,
"आज क्या हुआ है तुझे जो इतने गुस्से में है तू?"
कार्तिक का सवाल सुनकर अद्विक ने उसे भी गुस्से से घूरा, तो कार्तिक को भी डर लगा, लेकिन वह हिम्मत करते हुए बोला,
"बता तो सही कि हुआ क्या है? भाभी से जुड़ी कोई बात है जो तू इतने गुस्से में है?"
कार्तिक अपना शक जाहिर करते हुए बोला, तो अद्विक गुस्से से पेपरवेट उठाकर सामने ग्लास पर मारते हुए बोला,
"वह आज शर्मा निवास गई है और मुझे बिलकुल भी सही फीलिंग नहीं है।"
अद्विक के पेपरवेट फेंकने से सामने की ग्लास वॉल टूट गई, जिसकी आवाज़ से कार्तिक भी एक पल के लिए थोड़ा उचक गया, लेकिन फिर बोला,
"तो मैं जाकर ले आता हूँ भाभी को वहाँ से।"
कार्तिक बोला, तो अद्विक ने उसे खा जाने वाली नज़रों से देखा और बोला,
"उसकी कोई ज़रूरत नहीं है। मैं खुद जा रहा हूँ वहाँ।"
इतना कहकर वह अपने ब्लेज़र के बटन बंद करते हुए उठ खड़ा हुआ, तो कार्तिक मुस्कुरा दिया।
अद्विक ड्राइवर से कार की चाबी लेकर खुद ही ड्राइव करते हुए शर्मा निवास आ गया। उसने अपने सारे गार्ड्स को भी मना कर दिया था आने से। अद्विक ने आकर डोर बेल बजाई, तो माया ने दरवाज़ा खोला और सामने अद्विक को देखकर वह बहुत ज़्यादा खुश हो गई और वह बोली,
"कितनी बेशर्म लड़की है ना? अद्विक ने इसको इतना पनिशमेंट दिया, इतना सब कुछ इसके साथ किया, फिर भी इसके पीछे पागलों की तरह घूम रही है। लगता है इसकी यह चीज़ इसको फिर से मौत के घाट उतारने वाली है..."
"हेलो अद्विक।"
लेकिन अद्विक ने उसे देखे बिना ही सारा के बॉडीगार्ड्स को देखा, तो एक बॉडीगार्ड बोला,
"मैम अपने कमरे में है। सीढ़ियों से लेफ़्ट साइड दूसरा कमरा।"
अद्विक सिर हिलाकर सारा की साइड से निकलकर सीधा निविषा के कमरे की तरफ़ बढ़ गया। वहीं पीछे माया अद्विक के ऐसे इग्नोर करने पर अपने पैर पटकने लगीं। अद्विक कमरे में आया तब निविषा आराम से सो रही थी। दोपहर से रात हो गई थी, लेकिन निविषा की नींद अभी भी नहीं खुली थी क्योंकि पिछली रात वह बहुत ज़्यादा थक गई थी। निविषा साड़ी पहने हुए ही सो गई थी और नींद में ही उसका पल्लू गिर गया था, जिससे उसकी कमर और उस पर अद्विक के दिए हुए निशान साफ़-साफ़ दिखाई दे रहे थे।
अद्विक तो उसे साड़ी में देख अपनी आँखें हल्की सी सिकोड़ते हुए उसके बिस्तर की तरफ़ बढ़ गया। निविषा के गले में मंगलसूत्र और मांग में सिंदूर देख वह एकटक निविषा को घूरने लगा। तभी निविषा ने दूसरी तरफ़ करवट ली, तो अद्विक का ध्यान भंग हुआ और उसने निविषा से अपनी नज़रें हटा लीं।
उसने अपने पैरों के पास गिरे हुए पैकेट को उठाया और उस पैकेट को अच्छे से देखने लगा। अद्विक को समझ आ गया कि वह कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स हैं, तो उसकी आँखें गुस्से से लाल हो गईं और उसने सो रही निविषा का हाथ पकड़कर उसे बिठा दिया और उसके होंठों को अपने होंठों के बीच में लेकर बहुत बुरी तरह से चूमने लगा।
अद्विक के ऐसा करने से निविषा, जो आराम से सो रही थी, वह झटके से जागी और अद्विक को देखकर तो उसे लगा कि वह कोई सपना देख रही है, लेकिन उसका यह भ्रम जल्दी ही टूट गया जब अद्विक ने बहुत बुरी तरह से उसके निचले होंठ को काटा। दर्द का एहसास होते ही निविषा के मुँह से सिसकी निकल गई, जो अद्विक के होंठों की वजह से मुँह में ही दब गई।
अद्विक उसके निचले होंठ को बहुत बुरी तरह से चबा रहा था, जिसे निविषा उसका गुस्सा महसूस कर पा रही थी, लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह गुस्सा क्यों है, तो वह अपना एक हाथ अद्विक के सिर के पीछे की तरफ़ रखकर उसके बाल सहलाने लगी, जिससे कि अद्विक शांत हो सकें। लेकिन अद्विक का गुस्सा शांत नहीं हो रहा था, पर वह निविषा के इस तरह बाल सहलाने पर इतना तो समझ गया कि निविषा उसे शांत करवाना चाहती है, तो उसने निविषा के होंठों को आज़ाद कर दिया। तो निविषा लम्बी-लम्बी साँसें लेते हुए बोली,
"आप गुस्सा क्यों हैं?"
उसका सवाल सुनकर अद्विक ने गुस्से से ही उसके सामने कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का पैकेट रख दिया, तो निविषा ने उस पैकेट को देखा, फिर अद्विक को, और जल्दी से बोली,
"ये मैं नहीं लाई थीं... माया दीदी ने दिया था, लेकिन मैंने ये फेंक दी।"
निविषा डर रही थी कि अद्विक उससे नाराज़ हो जाएगा और वह उसे नाराज़ नहीं करना चाहती थी। वहीं निविषा की बात सुनकर अद्विक उसके होंठों की तरफ़ देखने लगा जो अभी सूज गए थे और उसके निचले होंठ में से खून भी निकल रहा था। निविषा उसे कुछ ना बोलता देखकर बोली,
"मैंने सच में..."
लेकिन आगे के शब्द उसके मुँह में ही रह गए क्योंकि अद्विक ने एक बार फिर उसके होंठों को अपने होंठों की गिरफ़्त में ले लिया था, जिससे निविषा हैरान रह गई थी।
अद्विक उसके होंठ पर लगे खून को चाट रहा था और उसने दोनों हाथों से निविषा की कमर पर पकड़ बना ली थी। निविषा उसके सीने पर हाथ रखकर उसे दूर कर रही थी क्योंकि अभी वे दोनों शर्मा निवास में थे, लेकिन तभी उसका ध्यान बाहर खड़ी माया पर गया, जो बाहर खड़ी उन दोनों को देखकर जल रही थी। उसकी जलन और गुस्सा उसके चेहरे पर साफ़-साफ़ दिखाई दे रहा था, जिसे देख निविषा उसे और ज़्यादा जलाने के लिए अद्विक के सीने पर रखे हाथ उसकी गर्दन के इर्द-गिर्द लपेटकर अपने होंठों की हरकत से अद्विक का साथ देने लगी, जिसे देखकर माया की हालत काटो तो खून नहीं ऐसी हो गई थी। वहीं अद्विक का हाथ उसकी कमर से ऊपर बढ़ते हुए उसके सीने पर आ गया था और उसके ब्लाउज़ की चैन खोलकर उसके उभारों को सहलाने लगा था।
अद्विक और निविषा के होंठ बहुत बुरी तरह से एक-दूसरे से उलझ चुके थे। बहुत देर तक तो माया वैसे ही देखती रही, लेकिन जब वह और ज़्यादा देख नहीं पाई, तो चली गई, और उसके जाते ही निविषा अद्विक को रोकती, उससे पहले ही अद्विक रुक गया और बोला,
"चली गई तुम्हारी बहन।"
अद्विक के इतना कहते ही निविषा ने चौंककर अद्विक की तरफ़ देखा, जो उससे दूर होने के बाद भी अपने हाथ के बीच में पकड़ी उसके उभार को ही देख रहा था। निविषा ने मन ही मन सोचा कि क्या अद्विक को पहले से ही पता था कि माया उन दोनों को देख रही है? इस सवाल का जवाब उसको भी पता था कि इसका जवाब हाँ है, लेकिन अगले ही पल उसके दिमाग में यह सवाल ज़रूर आ गया था कि क्या अद्विक को यह भी पता चल गया था कि वह माया को जलाने के लिए ही उसकी किस में इन्वॉल्व हुई थी? यह सवाल दिमाग में आते ही उसका चेहरा लाल हो गया था।
निविषा अपनी शर्म छिपाते हुए बोली,
"आप यहाँ कैसे?"
निविषा का सवाल सुनकर अद्विक उसके उभार को हल्का सा प्रेस करते हुए बोला,
"क्यों? तुम्हारे घरवाले अपने दामाद की खातिरदारी नहीं कर पाएँगे?"
अद्विक का सवाल सुनकर और उसके प्रेस करने पर निविषा हल्का करहाते हुए बोली,
"आह... छोड़िए, कोई देख लेगा।"
निविषा बोली, तो अद्विक ने छोड़ दिया और उसके ब्लाउज़ की चैन बंद करते हुए उसकी आँखों में देखता है, जैसे कह रहा हो, "थोड़ी देर पहले किसी को दिखाने के लिए ही तुम यह सब चाहती थी।" यह समझते ही निविषा हल्की सी झेंप गई और अपनी जगह से खड़ी होकर पल्लू ठीक करने लगी। अद्विक एकटक उसे ही देख रहा था, जिससे निविषा लाल होते जा रही थी।
अपनी साड़ी ठीक करते ही वह कमरे से बाहर भागी, यह जाने बिना कि बाहर एक मुसीबत उसका इंतज़ार कर रही है।
निविषा के पीछे-पीछे अद्विक भी कमरे से बाहर निकल आया और अपने तेज कदमों से निविषा के साथ हो गया था। सीढ़ियाँ उतरते हुए अद्विक ने अचानक ही निविषा का हाथ पकड़ लिया, तो निविषा ने चौंककर उसकी तरफ़ देखा, जिस पर अद्विक उसके कान के पास झुककर बहुत धीरे से बोला,
"तुम इन सबको दिखाना चाहती थीं ना कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ, तो बस यह नाटक कर लो... तुम्हारा ही फायदा है।"
इतना कहकर वह सीधा हो गया और निविषा का हाथ पकड़े सीढ़ियाँ उतरने लगा। लिविंग रूम में बैठे मिस्टर और मिसेज़ शर्मा और माया ने जब अद्विक को निविषा के इतना करीब देखा, तो उन्हें इस बात पर यकीन हो चला कि शायद उस रात के बाद वाकई में दोनों बहुत करीब आ गए हैं, जिस वजह से अद्विक निविषा को अकेला छोड़ ही नहीं रहा है। माया तो थोड़ी देर पहले भी देख आई थी कि वे दोनों कितने करीब हैं।
दूसरी तरफ़, निविषा को कहीं ना कहीं अद्विक की बात चुभी। हाँ, वह मिस्टर और मिसेज़ शर्मा और माया के सामने झूठ बोलती रही थी कि अद्विक उससे प्यार करता है और दोनों एक-दूसरे के बिना नहीं रह पा रहे हैं, लेकिन यह झूठ बोलने के पीछे उसका मकसद सिर्फ़ इतना ही था कि मिस्टर और मिसेज़ शर्मा और माया को ऐसा लगे कि वह अभी भी उनके काबू में ही है, लेकिन बस अद्विक की वजह से उनका कहा नहीं कर पा रही है। पर अद्विक ने जब "नाटक" शब्द कहा, तो निविषा को अपने दिल में बेहद दर्द हुआ।
हाँ, यह सच था कि अद्विक और उसके बीच में प्यार जैसा रिश्ता सिर्फ़ उसकी तरफ़ से ही था... अद्विक की तरफ़ से ऐसा कुछ भी नहीं था। उसे तो अभी भी यह समझ नहीं आया था कि कल रात को अद्विक उसके साथ फिर से इंटीमेट क्यों हुआ... इस सवाल का जवाब तो शायद ही उसे कभी मिलने वाला था, लेकिन वह सच में अद्विक के साथ एक प्यार भरी ज़िन्दगी गुज़ारना चाहती थी। वह एक बार अपना बदला पूरा करने के बाद एक आख़िरी कोशिश ज़रूर करेगी, लेकिन अगर अद्विक को उससे प्यार नहीं होगा, तो वह बिना प्यार के रिश्ते में भी नहीं रहेगी। भले ही वह पूरी ज़िन्दगी अद्विक से ही प्यार करेगी, लेकिन अद्विक को इस रिश्ते से ज़रूर आज़ाद कर देगी। वह बस एक ज़िम्मेदारी बनकर नहीं रहना चाहती थी अद्विक के साथ।
निविषा के दिमाग में यही सब चल रहा था, तो वहीं इन सबसे अलग लिविंग रूम में एक ऐसा इंसान भी था जो निविषा को तब से एकटक घूर रहा था जब से निविषा अपने कमरे से बाहर निकली थी। अद्विक की नज़र तो उस शख्स पर बहुत पहले ही पड़ गई थी। अपनी सोच में गुम निविषा आख़िरी सीढ़ी पर ही थी कि वह शख्स उसके सामने आ गया और बोला,
"हेलो निविषा... आफ़्टर लॉन्ग टाइम सी यू। मुझे तो पता ही नहीं था कि तुम भी यहाँ हो।"
उसकी आवाज़ सुनकर निविषा अपनी सोच से बाहर आई, लेकिन सामने वाले शख्स को देख वह अनकम्फ़र्टेबल हो गई।
उसका नाम मनीष था, जो माया के एक दूर के मामा का बेटा था। वह अक्सर ही उनके घर आया करता था और उसकी निविषा पर शुरू से ही बहुत ख़राब नज़र थी, जिस वजह से निविषा हमेशा ही उससे अनकम्फ़र्टेबल हो जाती थी। मनीष जैसे उसे गले लगाता था... हाथ मिलाता था, उससे निविषा को बहुत बुरी फीलिंग आती थी। उसे पता था कि मनीष उसके बारे में घटिया सोच रखता था, लेकिन वह हमेशा चुप रही ताकि उसकी माँ यानी मिसेज़ शर्मा को बुरा ना लगे।
निविषा मनीष को देखकर कुछ रिएक्ट करती, उससे पहले ही मनीष अपने दोनों हाथ फैलाकर उसे गले लगाने के लिए गया, कि अद्विक ने निविषा को अपने सीने से लगा लिया, जिससे निविषा भी हैरान रह गई। वहीं मनीष ने अपने फैलाए हुए हाथ सीधे कर लिए और अद्विक से बोला,
"हेलो मिस्टर रायज़ादा..."
अद्विक ने एक नज़र उसे देखकर वापस से अपनी नज़रें निविषा की तरफ़ कर लीं, जैसे मनीष वहाँ हो ही नहीं। अद्विक ने निविषा का चेहरा ऊपर किया और उसके होंठ पर लगे खून को पोंछने लगा।
दरअसल निविषा अपनी साड़ी ठीक करके बाहर तो आ गई थी, लेकिन अद्विक के उसके होंठ को काटने की वजह से अभी भी खून रिस रहा था, जिस पर निविषा का ध्यान ही नहीं था। अद्विक ने उसके होंठ पर लगे खून को साफ़ करते...
उसका सवाल सुनकर, अद्विक ने गुस्से से उसके सामने contraceptive pills का पैकेट रख दिया। निविषा ने पैकेट देखा और फिर अद्विक से जल्दी से बोली,
"ये मैं नहीं लाई थीं। माया दीदी ने दिया था, लेकिन मैंने ये फेंक दिया।"
निविषा डर रही थी कि अद्विक उससे नाराज़ हो जाएगा, और वह उसे नाराज़ नहीं करना चाहती थी। निविषा की बात सुनकर, अद्विक उसके सूजे हुए होंठों की ओर देखने लगा, जिनमें से खून भी निकल रहा था। निविषा उसे कुछ ना बोलता देखकर बोली,
"मैंने सच में..."
लेकिन आगे के शब्द उसके मुँह में ही रह गए, क्योंकि अद्विक ने एक बार फिर उसके होंठों को अपने होंठों में ले लिया था। निविषा हैरान रह गई थी।
अद्विक उसके होंठ पर लगे खून को चाट रहा था और उसने दोनों हाथों से निविषा की कमर पर पकड़ बना ली थी। निविषा उसके सीने पर हाथ रखकर उसे दूर करने की कोशिश कर रही थी, क्योंकि वे अभी भी शर्मा निवास में थे। लेकिन तभी उसका ध्यान बाहर खड़ी माया पर गया, जो बाहर खड़ी उन दोनों को देखकर जल रही थी। उसकी जलन और गुस्सा उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था। इसे देखकर, निविषा ने अद्विक के सीने पर रखे हाथ को उसकी गर्दन के इर्द-गिर्द लपेट लिया और अपने होंठों की हरकत से अद्विक का साथ देने लगी। माया की हालत देखते ही बन रही थी। वहीं, अद्विक का हाथ उसकी कमर से ऊपर बढ़ते हुए उसके सीने पर आ गया था, और उसने उसके ब्लाउज की चैन खोलकर उसके उभारों को सहलाना शुरू कर दिया था।
अद्विक और निविषा के होंठ बहुत बुरी तरह से एक-दूसरे से उलझे हुए थे। बहुत देर तक माया वैसे ही देखती रही, लेकिन जब वह और ज़्यादा देख नहीं पाई, तो चली गई। उसके जाते ही, निविषा अद्विक को रोकने से पहले ही, अद्विक रुक गया और बोला,
"चली गई तुम्हारी बहन।"
अद्विक के इतना कहते ही, निविषा ने चौंककर अद्विक की तरफ देखा, जो उससे दूर होने के बाद भी अपने हाथों के बीच में पकड़े उसके उभार को ही देख रहा था। निविषा ने मन ही मन सोचा कि क्या अद्विक को पहले से ही पता था कि माया उन दोनों को देख रही है? इस सवाल का जवाब उसे भी पता था कि हाँ है, लेकिन अगले ही पल उसके दिमाग में यह सवाल जरूर आ गया था कि क्या अद्विक को यह भी पता चल गया था कि वह माया को जलाने के लिए ही उसकी किस में शामिल हुई थी। यह सवाल दिमाग में आते ही उसका चेहरा लाल हो गया था।
निविषा अपनी शर्म छुपाते हुए बोली,
"आप यहां कैसे?"
निविषा का सवाल सुनकर, अद्विक उसके उभार को हल्का सा दबाते हुए बोला,
"क्यों? तुम्हारे घरवाले अपने दामाद की खातिरदारी नहीं कर पाएँगे?"
अद्विक के सवाल और उसके दबाव पर, निविषा हल्का कराहते हुए बोली,
"आह... छोड़िए, कोई देख लेगा।"
निविषा के बोलते ही, अद्विक ने उसे छोड़ दिया और उसके ब्लाउज की चैन बंद करते हुए उसकी आँखों में देखने लगा, जैसे कह रहा हो कि थोड़ी देर पहले किसी को दिखाने के लिए ही तुम यह सब चाहती थीं। यह समझते ही, निविषा हल्की सी शर्मा गई और अपनी जगह से खड़ी होकर अपना पल्लू ठीक करने लगी। अद्विक एकटक उसे ही देख रहा था, जिससे निविषा लाल होती जा रही थी।
अपनी साड़ी ठीक करते ही, वह कमरे से बाहर भागी, यह जाने बिना कि बाहर एक मुसीबत उसका इंतज़ार कर रही है।
निविषा के पीछे-पीछे अद्विक भी कमरे से बाहर निकल आया और अपने तेज कदमों से निविषा के साथ हो गया था। सीढ़ियाँ उतरते हुए, अद्विक ने अचानक ही निविषा का हाथ पकड़ लिया। निविषा ने चौंककर उसकी तरफ़ देखा, जिस पर अद्विक उसके कान के पास झुककर बहुत धीरे से बोला,
"तुम इन सबको दिखाना चाहती थीं ना कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ, तो बस यह नाटक कर लो। तुम्हारा ही फायदा है।"
इतना कहकर वह सीधा हो गया और निविषा का हाथ पकड़े सीढ़ियाँ उतरने लगा। लिविंग रूम में बैठे मिस्टर एंड मिसेज़ शर्मा और माया ने जब अद्विक को निविषा के इतना करीब देखा, तो उन्हें इस बात पर यकीन हो गया कि शायद उस रात के बाद वाकई में दोनों बहुत करीब आ गए हैं, जिस वजह से अद्विक निविषा को अकेला छोड़ ही नहीं रहा है। माया तो थोड़ी देर पहले भी देख आई थी कि वे दोनों कितने करीब हैं।
दूसरी तरफ, निविषा को कहीं न कहीं अद्विक की बात चुभ गई। हाँ, वह मिस्टर एंड मिसेज़ शर्मा और माया के सामने झूठ बोलती रही थी कि अद्विक उससे प्यार करता है और दोनों एक-दूसरे के बिना नहीं रह पा रहे हैं। लेकिन यह झूठ बोलने के पीछे उसका मकसद सिर्फ इतना ही था कि मिस्टर एंड मिसेज़ शर्मा और माया को ऐसा लगे कि वह अभी भी उनके काबू में ही है, लेकिन बस अद्विक की वजह से उनका कहा नहीं कर पा रही है। पर अद्विक ने जब "नाटक" शब्द कहा, तो निविषा को अपने दिल में बेहद दर्द हुआ।
हाँ, यह सच था कि अद्विक और उसके बीच में प्यार जैसा रिश्ता सिर्फ उसकी तरफ से ही था। अद्विक की तरफ से ऐसा कुछ भी नहीं था। उसे तो अभी भी यह समझ नहीं आया था कि कल रात को अद्विक उसके साथ फिर से इंटीमेट क्यों हुआ। इस सवाल का जवाब तो शायद ही उसे कभी मिलने वाला था, लेकिन वह सच में अद्विक के साथ एक प्यार भरी ज़िंदगी गुज़ारना चाहती थी। वह एक बार अपना बदला पूरा करने के बाद एक आखिरी कोशिश ज़रूर करेगी, लेकिन अगर अद्विक को उससे प्यार नहीं होगा, तो वह बिना प्यार के रिश्ते में भी नहीं रहेगी। भले ही वह पूरी ज़िंदगी अद्विक से ही प्यार करेगी, लेकिन अद्विक को इस रिश्ते से ज़रूर आज़ाद कर देगी। वह बस एक ज़िम्मेदारी बनकर नहीं रहना चाहती थी अद्विक के साथ।
निविषा के दिमाग में यही सब चल रहा था, तो वहीं इन सबसे अलग लिविंग रूम में एक ऐसा इंसान भी था, जो निविषा को तब से एकटक घूर रहा था, जब से निविषा अपने कमरे से बाहर निकली थी। अद्विक की नज़र तो उस शख्स पर बहुत पहले ही पड़ गई थी। अपनी सोच में गुम निविषा आखिरी सीढ़ी पर ही थी कि वह शख्स उसके सामने आ गया और बोला,
"हेलो निविषा... आफ्टर लॉन्ग टाइम सी यू। मुझे तो पता ही नहीं था कि तुम भी यहाँ हो।"
उसकी आवाज़ सुनकर, निविषा अपनी सोच से बाहर आई, लेकिन सामने वाले शख्स को देखकर वह अनकम्फ़र्टेबल हो गई।
उसका नाम मनीष था, जो माया के एक दूर के मामा का बेटा था। वह अक्सर ही उनके घर आया करता था, और उसकी निविषा पर शुरू से ही बहुत खराब नज़र थी, जिस वजह से निविषा हमेशा ही उससे अनकम्फ़र्टेबल हो जाती थी। मनीष जैसे ही उसे गले लगाता था, हाथ मिलाता था, निविषा को बहुत बुरी फ़ीलिंग आती थी। उसे पता था कि मनीष उसके बारे में घटिया सोच रखता था, लेकिन वह हमेशा चुप रही, ताकि उसकी माँ, यानी मिसेज़ शर्मा को बुरा न लगे।
निविषा मनीष को देखकर कुछ रिएक्ट करती, उससे पहले ही मनीष अपने दोनों हाथ फैलाकर उसे गले लगाने के लिए गया, कि अद्विक ने निविषा को अपने सीने से लगा लिया। निविषा भी हैरान रह गई। वहीं, मनीष ने अपने फैलाए हुए हाथ सीधे कर लिए और अद्विक से बोला,
"हेलो मिस्टर रायज़ादा..."
अद्विक ने एक नज़र उसे देखकर वापस से अपनी नज़रें निविषा की तरफ़ कर ली, जैसे मनीष वहाँ हो ही नहीं। अद्विक ने निविषा का चेहरा ऊपर किया और उसके होंठ पर लगे खून को पोछने लगा।
दरअसल, निविषा अपनी साड़ी ठीक करके बाहर तो आ गई थी, लेकिन अद्विक के उसके होंठ को काटने की वजह से अभी भी खून रिस रहा था, जिस पर निविषा का ध्यान ही नहीं था। अद्विक को अपने होंठ पर लगे खून को साफ़ करते देख, निविषा शर्मा गई, लेकिन उन दोनों को ऐसे क्लोज़ देखकर माया और मनीष दोनों के तन-मन में आग लग गई।
माया उन दोनों को ऐसे देख नहीं पा रही थी, तो वह मनीष के पास आकर बोली,
"अद्विक जी... यह मेरे और निविषा के दूर के मामा का बेटा है, मनीष। यह यहाँ सरप्राइज़ देने आया था, लेकिन निविषा को देखकर खुद ही सरप्राइज़ हो गया।"
उसकी आवाज़ सुनकर भी अद्विक ना ही उस पर एक नज़र डाली और ना ही मनीष पर। अद्विक का पूरा ध्यान निविषा के होंठों पर था। उसका अंगूठा, जो पहले निविषा के होंठ पर लगा खून साफ़ कर रहा था, अब उसके निचले होंठ को सहलाने लगा था। अद्विक जितना उसके होंठों को देखता, उतना ही उसे अपना गला सूखता हुआ महसूस हो रहा था। अद्विक को वह कहाँ हैं, किसके सामने हैं, किस पोज़िशन में हैं, इस बात की बिलकुल फ़िक्र नहीं थी। उसे तो बस निविषा के होंठ ही दिख रहे थे। वहीं निविषा अद्विक के ऐसे होंठ सहलाने पर सिहर रही थी।
जब अद्विक से कंट्रोल नहीं हुआ, तो वह निविषा की तरफ़ झुक गया और उसके होंठ पर अपने होंठ रखने गया, कि निविषा जल्दी से उसके होंठों पर अपनी हथेली रखते हुए बोली,
"डिनर का टाइम हो गया है।"
निविषा का चेहरा बिलकुल लाल हो गया था इस वक़्त। भले ही वह अपने रिश्ते के बारे में झूठ बोलकर मिस्टर एंड मिसेज़ शर्मा और सारा को डराकर रखना चाहती थी, लेकिन इसके लिए वह उन सबके सामने अद्विक को खुद को किस तो नहीं करने दे सकती थी। आखिर वह इतनी भी बेशर्म नहीं थी।
वहीं मिस्टर एंड मिसेज़ शर्मा, माया और मनीष ने भी उनको ऐसे देखकर हाँ में सिर हिला दिया था। मिसेज़ शर्मा बोली,
"मैं देखकर आती हूँ कि डिनर रेडी हुआ या नहीं।"
यह कहकर वह किचन में चली गई, तो सारा भी बोली,
"मैं भी मॉम की हेल्प कर देती हूँ।"
यह कहकर वह भी चली गई, तो निविषा उन्हें जाते हुए देखती रही। निविषा को दाल में काला लग रहा था।
निविषा, अद्विक, मिस्टर शर्मा और मनीष डाइनिंग टेबल पर बैठ गए। मिस्टर शर्मा अद्विक से पूछना चाहते थे कि वह अचानक से शर्मा निवास क्यों आया, लेकिन अद्विक के ठंडे एक्सप्रेशन देख उनकी हिम्मत ही नहीं हुई। वहीं मनीष अभी भी निविषा को घूर रहा था, तो अद्विक ने एक ठंडी नज़र उस पर डाली, जिससे मनीष को अपनी रीढ़ की हड्डी तक एक कंपन महसूस हुआ। डरकर उसने निविषा को देखना बंद कर दिया।
वहीं किचन में, मिसेज़ शर्मा परेशान होते हुए बोली,
"माया, अब हम क्या करेंगे? हमने तो निविषा को वह नशीली दवाई खिलाकर उसे मनीष को सौंपने का प्लान बनाया था, लेकिन अब तो अद्विक भी यहीं पर है, और अगर उसे पता चल गया तो वह हमें कहीं का नहीं छोड़ेगा।"
मिसेज़ शर्मा परेशान हो अपने हाथ में पकड़ी ड्रग की पुड़िया को देख रही थी, तो माया अपना शैतानी दिमाग चलाते हुए बोली,
"मॉम, आई थिंक अद्विक..."
अगर निविषा को मनीष की बाहों में देख लेगा तो वह कभी भी निविषा को अपनाएगा नहीं और फिर आप सिंपैथी जन करके मेरी शादी अद्विक से करवा देना......
Mrs. शर्मा माया की तरफ देखकर कहती हैं, "वह इतना भी अच्छा इंसान नहीं है कि हम उसके हाथ में लॉलीपॉप देंगे, वह ले लेगा। वह अद्विक रायज़ादा है, समझी? वह तेरे और मेरे जैसों को तो पता नहीं बेचकर खा जाएगा..."
निविषा अद्विक के पास आकर रहती है, "हब्बी, आकाश का कॉल आया था, वह अर्जेंट हमें घर बुला रहा है, तो हमें अभी जाना होगा..."
Mr. शर्मा, मनीष, श्रीमती शर्मा और माया चारों हैरान रह जाते हैं। निविषा इतना कहते ही, अद्विक जल्दी से डाइनिंग टेबल से खड़ा होकर कहता है, "ठीक है, चलते हैं..."
माया आगे आकर खड़ी हो जाती है और कहती है, "तुम्हें तमीज़ नहीं है, निविषा! तुम बिना खाना खाए यहाँ से ले जा रही हो, वह भी डाइनिंग टेबल पर बैठे! तुम्हारे मैनर्स कहाँ चले गए? तुम्हें इतनी भी अक्ल नहीं है कि अद्विक जी खाना खा रहे थे और तुम यहाँ से लेकर जा रही हो..."
तभी माया के कान में अद्विक की ठंडी आवाज़ पहुँचती है, "वह मेरी पत्नी है, मुझे जैसे चाहे वैसे बिहेव कर सकती है। और मेहनत की बात कर रही हो ना तुम, तो तुम्हारी माँ ने तुम्हें यही मेहनत सिखाई है कि तुम अपने भाई, अपने पिता और अपने जीजा के सामने इस तरह के कपड़े पहनकर आ जाओ? तो इसका मतलब तो यही है कि तुम्हारी माँ तुम्हें भी मेहनत सिखाने में फ़ेल हो गई है। तो पहले खुद मेहनत सीखो, उसके बाद मेरी पत्नी से बात करना। चलो, निविषा..."
अद्विक तुरंत निविषा का हाथ पकड़कर उसे वहाँ से लेकर चला जाता है। वहीं वे चारों लोग सिर्फ़ अपने हाथ मलते रह जाते हैं...
देर रात, अद्विक और निविषा जब अपने मेंशन वापस पहुँचते हैं, तो आकाश हाल में बैठा उन दोनों का इंतज़ार कर रहा था। आकाश जैसे ही अद्विक को देखता है, बॉस के पास भागकर आता है और कहता है, "भाई, दादाजी को हार्ट अटैक आया है। वे आपको याद कर रहे हैं, आपसे मिलना चाहते हैं..."
अद्विक एक नज़र आकाश की तरफ़ देखकर कहता है, "मुझे उनसे मिलने में कोई इंटरेस्ट नहीं है। वे तुम्हारे दादाजी हैं, तुम चाहो तो जा सकते हो, लेकिन मुझे उनका कोई भी रिश्ता जोड़ने की कोशिश मत करो। क्योंकि जब मैं 8 साल की उम्र से सड़कों पर भटक रहा था, तभी तो वे मेरे पास आ सकते थे ना? मुझसे कह सकते थे, 'चल, तुझे घर में नहीं जाना,' तो मेरे साथ चल, मेरे साथ रह। मेरे लिए अपने बेटे को छोड़ सकते थे ना? लेकिन उन्होंने अपने बेटे और बहू को चुना था। तो अब मेरा उनसे कोई रिश्ता नहीं है। अगर वे मर भी जाते हैं, तब भी मैं नहीं जाऊँगा। अगर इस बारे में किसी ने मुझसे बहस करने की कोशिश की, तो मेरे गुस्से का सामना करने के लिए तैयार रहे..."
अद्विक की बात सुनकर निविषा और आकाश दोनों उसका चेहरा देखने लगते हैं, क्योंकि आकाश भी समझ गया था कि अद्विक के साथ जो कुछ भी हुआ है, उसे भुलाना इतना आसान नहीं है। और शायद अगर आकाश भी अद्विक की जगह होता, तो वह कभी भी उन लोगों को माफ़ नहीं करता। इसीलिए वह बिना अद्विक की तरफ़ देखे वहाँ से चला जाता है...
निविषा अद्विक की तरफ़ देखकर कहती है, "एक बार आपको जाकर मिलना चाहिए। कम से कम आप उनके सामने जाकर उन्हें उनकी गलती का एहसास तो करा सकते हैं ना, कि उन्होंने क्या किया है। इस बात का आप वही गलती क्यों करना चाहते हैं, अद्विक? जो गलती दादाजी ने या आपकी बाकी फ़ैमिली ने की थी..."
अद्विक निविषा की तरफ़ अपनी ठंडी आँखों से देखकर कहता है, "मुझे उनसे या उनके परिवार से कोई मतलब नहीं है। वे जिएँ या मरें, या कुछ भी करें, मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। मुझे मतलब सिर्फ़ मेरी माँ से था, है और रहेगा। उन लोगों ने धोखा किया था मेरी माँ के साथ, और उसे धोखे की सिर्फ़ एक सज़ा है। अगर वे मर भी जाते हैं ना, तब भी मैं वहाँ नहीं जाऊँगा।" और वहाँ से सीधा अपने कमरे में चला जाता है...
हॉस्पिटल...
आकाश हॉस्पिटल पहुँच चुका था। जब धनुष आकाश की तरफ़ देखते हैं, तो आकाश ना में अपनी गर्दन हिलाकर कहता है, "उन्होंने आने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि आपसे या दादाजी से उनका कोई रिश्ता नहीं है, इसलिए कोई नहीं आएगा..."
धनुष आकाश की तरफ़ देखकर कहते हैं, "मुझे एड्रेस दे, मैं बात करूँगा उससे।" आकाश उनके सामने हाथ बाँधकर खड़ा हो जाता है और कहता है, "क्या बात करना चाहते हैं आप उनसे? 8 साल के थे भाई जब वह घर छोड़कर गए थे। आपने एक बार भी उन्हें मनाकर लाने की कोशिश की? या उनके आस-पास रहने की कोशिश की? कुछ नहीं किया आप लोगों ने। तो किस हैसियत से आप लोग चाहते हो कि भाई आपको माफ़ कर दे? या आपके साथ आकर रहने लगे? या आपसे मिलने आए? अगर भाई की जगह मैं भी होता ना, तो मैं भी कभी नहीं आता। अगर आपने मेरी माँ को धोखा दिया होता, तो मैं भी आपसे वैसी ही नफ़रत करता, जैसे भाई आपसे नफ़रत करते हैं..."
डॉक्टर बाहर आकर कहते हैं कि उनकी कंडीशन अब पहले से बेहतर है और वह ख़तरे से बाहर है, लेकिन वह किसी अद्विक से मिलना चाहते हैं...
आकाश गहरी साँस लेकर दादाजी के कमरे में चला जाता है। वहीं दादी माँ, कीर्ति जी और धनुष एक-दूसरे का चेहरा देखने लगते हैं। अब उन्हें अपनी गलतियों का एहसास होता है, लेकिन अब एहसास होने से कुछ नहीं होता, क्योंकि अद्विक के दिल में उन सबके लिए बेपनाह नफ़रत थी, और वह नफ़रत कभी मोहब्बत में तो बदल नहीं सकती थी, क्योंकि उसकी माँ के साथ गलत हुआ था, और उसके पिता ने उसकी माँ के साथ गलत किया था। जब वह घर छोड़कर गया, तो उसे लेने नहीं आए। हर चीज़ में सबने गलती की थी, और बचपन से लेकर आज तक अद्विक के दिल में वह भावनाएँ गहरी बन चुकी थीं, अब जो कभी नहीं भरने वाली थीं...
अद्विक और निमिषा जब अपने मेंशन पर वापस पहुँचे, तो आकाश हाल में बैठा उन दोनों का इंतज़ार कर रहा था। आकाश ने जैसे ही अद्विक को देखा, बॉस के पास भागकर आकर कहा, "भाई, दादाजी को हार्ट अटैक आया है। वे आपको याद कर रहे हैं, आपसे मिलना चाहते हैं।"
अद्विक ने एक नज़र आकाश की तरफ देखकर कहा, "मुझे उनसे मिलने में कोई इंटरेस्ट नहीं है। वे तुम्हारे दादाजी हैं, तुम चाहो तो जा सकते हो, लेकिन मुझे उनका कोई भी रिश्ता जोड़ने की कोशिश मत करो। क्योंकि जब मैं 8 साल की उम्र से सड़कों पर भटक रहा था, तब वे मेरे पास आ सकते थे ना? मुझसे कह सकते थे, 'चल, तुझे इस घर में नहीं रहना, तो मेरे साथ चल, मेरे साथ रह।' मेरे लिए अपने बेटे को छोड़ सकते थे ना? लेकिन उन्होंने अपने बेटे और बहू को चुना था। तो अब मेरा उनसे कोई रिश्ता नहीं है। अगर वे मर भी जाते हैं, तब भी मैं नहीं जाऊँगा। अगर इस बारे में किसी ने मुझसे बहस करने की कोशिश की, तो मेरे गुस्से का सामना करने के लिए तैयार रहें।"
अद्वित की बात सुनकर निमिषा और आकाश दोनों उसका चेहरा देखने लगे। क्योंकि आकाश भी समझ गया था कि अद्वित के साथ जो कुछ भी हुआ है, उसे भुला पाना इतना आसान नहीं है। और शायद अगर आकाश भी अद्वित की जगह होता, तो वह कभी भी उन लोगों को माफ़ नहीं करता। इसीलिए वह बिना अद्वित की तरफ देखे वहाँ से चला गया।
निमिषा अद्वित की तरफ देखकर बोली, "एक बार आपको जाकर मिलना चाहिए। कम से कम आप उनके सामने जाकर उन्हें उनकी गलती का एहसास तो करा सकते हैं ना? कि उन्होंने क्या किया है? इस बात का आपको इतना दुःख क्यों है? अद्वित, जो गलती दादाजी ने या आपकी बाकी फैमिली ने की थी..."
अद्वित निमिषा की तरफ अपनी ठंडी आँखों से देखकर बोला, "मुझे उनसे या उनके परिवार से कोई मतलब नहीं है। वे जियें या मरें, या कुछ भी करें, मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। मुझे मतलब सिर्फ़ मेरी माँ से था, है और रहेगा। उन्होंने धोखा किया था मेरी माँ के साथ, और उस धोखे की सिर्फ़ एक ही सज़ा है। अगर वे मर भी जाते हैं ना, तब भी मैं वहाँ नहीं जाऊँगा।" वह वहाँ से सीधा अपने कमरे में चला गया।
आकाश हॉस्पिटल पहुँच चुका था। जब धनुष ने आकाश की तरफ़ देखा, तो आकाश ने ना में अपनी गर्दन हिलाकर कहा, "उन्होंने आने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि उनका दादाजी से कोई रिश्ता नहीं है, इसलिए वे नहीं आयेंगे।"
धनुष ने आकाश की तरफ़ देखकर कहा, "मुझे एड्रेस दो, मैं बात करूँगा उससे।"
आकाश उनके सामने हाथ बाँधकर खड़ा हो गया और बोला, "क्या बात करना चाहते हैं आप उनसे? 8 साल के थे भाई जब वे घर छोड़कर गए थे। आपने एक बार भी उन्हें मनाकर लाने की कोशिश की? या उनके आसपास रहने की कोशिश की? कुछ नहीं किया आप लोगों ने! तो किस हैसियत से आप लोग चाहते हो कि भाई आपको माफ़ कर दे? या आपके साथ आकर रहने लगे? या आपसे मिलने आए? अगर भाई की जगह मैं भी होता ना, तो मैं भी कभी नहीं आता। अगर आपने मेरी माँ को धोखा दिया होता, तो मैं भी आपसे उतनी ही नफ़रत करता, जितनी भाई आपसे नफ़रत करते हैं।"
डॉक्टर बाहर आकर बोले कि उनकी कंडीशन अब पहले से बेहतर है और वे खतरे से बाहर हैं, लेकिन वे अद्वित से मिलना चाहते हैं।
आकाश गहरी साँस लेकर दादाजी के कमरे में चला गया। वहीं दादी माँ कीर्ति जी और धनुष एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे। अब उन्हें अपनी गलतियों का एहसास हो रहा था, लेकिन अब एहसास होने से कुछ नहीं होता। क्योंकि अद्वित के दिल में उन सबके लिए बेपनाह नफ़रत थी, और वह नफ़रत कभी मोहब्बत में तो बदल नहीं सकती थी। क्योंकि उसकी माँ के साथ ग़लत हुआ था, और उसके पिता ने उसकी माँ के साथ ग़लत किया था। जब वह घर छोड़कर गया, तो उसे लेने नहीं आए। हर चीज़ में सबने गलती की थी, और बचपन से लेकर आज तक अद्वित के दिल के ज़ख्म नासूर बन चुके थे, जो अब कभी नहीं भरने वाले थे।
आकाश दादाजी के पास जाकर स्टूल पर बैठ गया। दादाजी ने उसकी तरफ़ देखकर कहा, "अद्वित आया?"
आकाश ने ना में अपनी गर्दन हिलाकर कहा, "वह नहीं आया, और ना कभी आएगा। नफ़रत करते हैं वह आप सबसे। आप सब ने उनसे उनका बचपन छीन लिया, उनसे उनकी माँ को छीन लिया। तो आप लोग किस हक़ से अपनी ज़िन्दगी में उन्हें लाना चाहते हैं? वह खुश है भाभी के साथ, तो क्यों तुम सब लोग उसकी ज़िन्दगी में दखल देना चाहते हो? उन्हें रहने दीजिए ना। कहीं ऐसा ना हो कि तुम दोनों के बीच की कड़ी बनते-बनते मैं अपने भाई को खो दूँ, और मैं ऐसा कभी नहीं होने दूँगा।"
दादाजी आकाश के हाथ को अपने हाथों में लेकर बोले, "मैं एक बार उससे मिलना चाहता हूँ। मैं एक बार उससे माफ़ी माँगना चाहता हूँ। माफ़ करना ना करना उसकी मर्ज़ी होगी, पर मुझे माफ़ी माँगने का मौक़ा तो मिलना चाहिए। मैं नहीं जानता मेरी ज़िन्दगी कितने दिन की है। मैं अपने दिल पर बोझ लेकर नहीं जाना चाहता, बेटा।"
आकाश, "मैं यह बात उन्हें बता दूँगा। आपसे मिलना ना मिलना उनका फ़ैसला होगा, और आप फ़िक्र ना करें।"
आकाश कमरे से बाहर आकर बरामदे पर बैठ गया, जहाँ इस वक़्त धनुष, कीर्ति जी और दादी माँ बैठे थे। आकाश उन तीनों की तरफ़ देखकर बोला, "आप सबने जो भाई के साथ किया है ना, उसके बाद उनका आपसे नफ़रत करना बिल्कुल ठीक है। और मैं अपने मन ही मन अपने भगवान से दुआ करता हूँ कि वह कभी आपको माफ़ ना करें, कभी नहीं! एक 8 साल के बच्चे की ज़िन्दगी पर बात कर दी आप लोगों ने अपनी-अपनी ख़्वाहिशों के लिए।"
"पापा, आप रहते तो ना... क्या भाई से बहुत प्यार करते हैं आप? भाई के लिए कुछ भी कर सकते हैं। अगर आप भाई से इतना ही प्यार करते ना, तो माँ से शादी करने के बाद उन्हें अपने घर छोड़कर भाई के पास जा सकते थे, उनके साथ रह सकते थे। भाई नहीं चाहते थे कि आप माँ के साथ रिश्ता रखो, तो आपने अपनी पत्नी का दर्जा देकर भाई के साथ एक पिता का फ़र्ज़ निभा सकते थे।"
दादी माँ, "अगर ये नहीं जा सकते थे, तो आप और दादाजी तो जा सकते थे ना? लेकिन आप सब ने अपना-अपना स्वार्थ देखा। लेकिन भाई जो कर रहा है ना, वह बिल्कुल ठीक है, और यह होना भी चाहिए।"
आकाश की बात सुनकर कीर्ति जी वहाँ से उठकर बाहर की तरफ़ चली गईं। वहीं धनुष जी दादाजी से मिलने के लिए उनके कमरे में चले गए, और दादी माँ अपनी आँखें बंद करके वहीं बैठ गईं। सच तो कह रहा था आकाश, उन सब ने मिलकर एक मासूम लड़के को जानवर बनने पर मजबूर कर दिया था। एक शैतान बन गया वह, आपको शैतान! उन सब से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहता था। उसके अंदर की भावनाएँ, फीलिंग्स, सब कुछ ख़त्म हो चुका है, जो कभी भी वापस नहीं आ सकता।
अगली सुबह
अद्वित और निमिषा डाइनिंग टेबल पर बैठे थे, तभी वहाँ आकाश आ गया। आकाश को देखकर निमिषा ने उससे पूछा,
"आकाश, दादाजी की तबीयत कैसी है?"
"भाभी, पहले से बेहतर है, और वह ख़तरे से बाहर है। भाई, आपसे एक बात कहूँ, आप मानोगे?"
अद्वित, "अगर यह बात दादाजी से मिलने से रिलेटेड है, तो सॉरी, मैं उनसे मिलने में इंटरेस्टेड नहीं हूँ, और ना ही मैं उनसे मिलना चाहता हूँ। क्योंकि ना वे मेरे अपने हैं, और ना ही मेरा परिवार। तो मैं उनसे क्यों मिलूँ? और अजनबियों से मिलना अद्वित की फ़ितरत नहीं है।"
"भाई, पहले मेरी पूरी बात तो सुन लीजिए।"
अद्वित, "बोलो, क्या बोलना चाहते हो?"
"भाई, दादाजी एक आखिरी बार आपसे मिलना चाहते हैं। उसके बाद वे कभी आपसे नहीं मिलेंगे। वे आपसे मिलकर माफ़ी माँगना चाहते हैं, अपने किए गए हर एक गुनाह का प्रायश्चित करना चाहते हैं। मरने वाले की आखिरी इच्छा पूरी की जाती है, ऐसा कहा जाता है। तो आप उनकी आखिरी इच्छा समझकर ही उनसे एक बार मिल लीजिए। मैं आपको उन्हें घर में जाने के लिए नहीं बोल रहा हूँ, भाई। मैं चाहता हूँ कि आप हॉस्पिटल में उनसे मिल लीजिए।"
अद्वित आकाश की तरफ़ देखकर बोला, "मैं उनसे नहीं मिलना चाहता, और यह मेरा आखिरी फ़ैसला है। जैसे मैं तड़पा था अपनी माँ के लिए, वैसे ही अब मैं उन्हें तड़पते हुए देखना चाहता हूँ मुझसे मिलने के लिए।"
निमिषा अद्वित के हाथ पर अपना हाथ रखकर बोली, "मैं आपकी नफ़रत को समझती हूँ, Advik, लेकिन उनकी आखिरी ख़्वाहिश समझकर ही उनसे मिल लीजिए। मैं किसी की बददुआ नहीं लेना चाहती हूँ।"
अद्वित निमिषा की तरफ़ गुस्से से देखकर बोला, "तुम्हें पूरी बात नहीं पता है अभी। जिस दिन तुम्हें पूरी बात पता चल जाएगी ना, तब तुम भी नफ़रत करोगी उस फैमिली से। मैं आज तक अपने मन की बात किसी को नहीं बताई, इसका यह मतलब नहीं है कि मैं उन बातों को भूल गया हूँ। मुझे आज भी वह धोखा याद है, मेरी माँ की मौत याद है।"
निमिषा अद्वित का हाथ पकड़कर बोली, "मैं आपसे कह भी नहीं रही कि आप भूल जाओ सब कुछ। मैं बस यह कह रही हूँ, एक बार मिलकर उन्हें यह दिखा दो कि उन लोगों से अलग रहकर भी आप खुश हो। उन लोगों ने आपको छोड़ दिया था, तब भी आप ज़िंदा हो और इतने सक्सेसफ़ुल हो कि आपसे मिलने के लिए लोग सालों पहले अपॉइंटमेंट लेते हैं। उन्हें बता दीजिए कि उन लोगों ने आपकी माँ के साथ धोखा किया था, जिसका बदला अब आप उन लोगों से ले रहे हैं। देखो, इमोशनल बदला सबसे बड़ा बदला होता है। आप धन-दौलत, प्रॉपर्टी, सब कुछ छीनोगे ना, तब भी वे सरवाइव कर लेंगे। लेकिन जब वे अपने सामने अपने बेटे को, अपने पोते को, खुद से नफ़रत करते हुए देखेंगे ना, तो वह कभी बर्दाश्त नहीं कर पाएँगे।"
निमिषा और आकाश दोनों ही उम्मीद से अद्वित को देख रहे थे। अद्वित उन दोनों की तरफ़ देखकर बोला, "मैं उन्हें कुछ भी साबित करने के लिए तुम दोनों के साथ नहीं जा रहा। मैं वहाँ इसलिए जा रहा हूँ क्योंकि मेरी पत्नी और मेरा छोटा भाई ऐसा चाहता है। मेरे भाई का इन सब में कोई हाथ नहीं था, और ना ही उसकी कोई गलती है। मैं सिर्फ़ तुम दोनों के लिए जा रहा हूँ, और यह पहली और आखिरी बार है। आगे से तुम दोनों मुझे किसी चीज़ के लिए फ़ोर्स नहीं करोगी, वरना अद्वित के गुस्से को तुमसे बेहतर निमिषा कोई नहीं जानता।"
आकाश और निमिषा दोनों के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। तीनों लोग वहाँ से अद्वित की गाड़ी में बैठकर हॉस्पिटल के लिए निकल गए। अद्वित की गाड़ी के आगे-साथ गाड़ियाँ थीं। अद्वित की गाड़ी के पीछे 10 गाड़ियाँ थीं, और बीच में अद्वित की गाड़ी थी। उसका अंदाज़ और उसका प्रेज़ेंस इतना ख़तरनाक था कि रोड पर चलने वाले लोग भी साइड होकर खड़े हो गए थे, क्योंकि अद्वित की गाड़ी पर लगा अद्वित के नाम का लोगो इस बात का प्रतीक था कि यह काफ़िला अद्वित रायज़ादा का है।
लोगों के मन में Advik का खौफ़ कितना था कि कभी भी कोई उसके साथ गद्दारी करने के बारे में सोच भी नहीं सकता था। वह सबसे 10 क़दम आगे रहता था। कब कौन क्या करता है, उसे सब कुछ पता था, लेकिन वह वक़्त आने पर अपनी चाल चलता था। दूसरे को मौक़ा देता था कि वह जो करना चाहता है, कर ले। लेकिन जब अद्वित अपना वार करता था, तो कोई भी उसके वार से बच नहीं सकता था।
अद्वित का काफ़िला सिटी हॉस्पिटल के आगे आकर रुका। बॉडीगार्ड जल्दी से गाड़ी से निकलकर पूरे अस्पताल में तैनात हो गए। सब लोग हैरानी से बॉडीगार्ड्स को देख रहे थे, लेकिन जब बॉडीगार्ड की यूनिफ़ॉर्म पर लगा लोगो देखा, तो समझ गए कि यह कोई और नहीं, डेविल किंग है। सब लोग वहाँ से अपने-अपने वार्ड में चले गए। कोई भी अद्वित की नज़रों में नहीं आना चाहता था।
अद्वित का असिस्टेंट और दोस्त कार्तिक जल्दी से वहाँ आया और अद्वित की गाड़ी का गेट खोला। जैसे ही निमिषा की नज़रें कार्तिक पर गईं, उसे अपना पिछला जन्म याद आ गया कि कैसे पिछले जन्म में उसकी वजह से कार्तिक की जान गई थी। यही सब याद आकर उसकी आँखों में आँसू आ गए, लेकिन उसने आँसुओं को अपनी आँखों से बाहर नहीं आने दिया, क्योंकि अद्वित उसे सौ सवाल करता।
अद्वित गाड़ी से बाहर आया और फिर अपना हाथ आगे बढ़ाकर निमिषा को बाहर निकाला। आगे की सीट से आकाश बाहर आया।
अद्वित और निमिषा बराबर में चल रहे थे, और अद्वित के एक साइड कार्तिक चल रहा था, और दूसरी साइड आकाश चल रहा था, और उसके पीछे 10 बॉडीगार्ड चल रहे थे। उसका अंदाज़ इतना ख़तरनाक था कि देखने वालों की रूह काँप गई थी। वहीं जैसे ही वे दादाजी के वार्ड के आगे आए, अद्वित को इतने सालों बाद अपने सामने देखकर दादी माँ, धनुष जी और कीर्ति जी की आँखों में आँसू आ गए, लेकिन अद्वित बिना किसी पर ध्यान दिए सीधे वार्ड के अंदर चला गया।
अद्वित, आकाश, कार्तिक और निमिषा के अंदर जाते ही बाकी के लोग भी अंदर आ गए। अद्वित दादाजी के पास आकर खड़ा हो गया, लेकिन अभी तक उसने एक शब्द नहीं बोला था। तभी आकाश ने दादाजी को आवाज़ देकर कहा, "दादू, देखिए, भाई आपसे मिलने आए हैं।" जैसे ही दादाजी के कानों में यह आवाज़ आई, दादाजी एक झटके में अपनी आँखें खोल दिए।
दादाजी ने अपना एक हाथ बढ़ाकर अद्वित के हाथ को पकड़ने की कोशिश की, तो अद्वित दो क़दम पीछे हटते हुए बोला, "मैं यहाँ सिर्फ़ अपनी पत्नी और अपने भाई के कहने से आया हूँ। आप लोगों से मिलने का मेरा कोई मन नहीं था। नफ़रत करता हूँ मैं आप लोगों से। यह बात तो आप लोग बहुत अच्छे से जानते हैं। तो बाबा, आप सब लोग मेरे भाई को हथियार बनाकर मुझे बर्बाद करना चाहते हैं? मेरा सब कुछ तो आप लोगों ने छीन लिया, आप क्या और छीनना चाहते हैं? कुछ नहीं है मेरे पास। और यह अद्वित वह 8 साल का बच्चा नहीं है जिसे आप पहले फ़ैसला सुनाकर घर से भगा सकते थे, और मैं चला जाऊँगा।"
बातें सुनकर कीर्ति जी के चेहरे पर पसीने की बूँदें आ गईं। वहीं धनुष जी और दादी माँ दादाजी हैरानी से अद्वित को देख रहे थे। अद्वित धनुष जी की तरफ़ देखकर बोला, "पूछिए अपनी पत्नी से, क्या उसने मुझे घर से बाहर नहीं निकाला था? आधी रात को मैं अपनी मर्ज़ी से घर छोड़कर नहीं गया था, बल्कि आपकी दूसरी बीवी ने मुझे घर से बाहर फेंका था और मुझे यह बोला था कि मैं कभी लौटकर ना आऊँ। क्योंकि यह सब कुछ उनके अपने बेटे का था, तो मैं नहीं आया। जब मेरा बाप ही मेरा नहीं रहा, मेरा परिवार मेरा नहीं रहा, तो मैं उस धन-दौलत, प्रॉपर्टी का क्या करता?"
अद्वित की बात सुनकर पूरे परिवार के चेहरे पर हैरानी के भाव आ गए। वहीं आकाश के चेहरे पर तो नफ़रत झलकने लगी, और वह नफ़रत से अपनी माँ की तरफ़ देखने लगा, जो अपना सर नीचे करके खड़ी थी।
अद्विक गाड़ी से बाहर आया और अपना हाथ बढ़ाकर निविषा को आगे की सीट से बाहर निकाला। आकाश भी बाहर आ गया।
अद्विक और निविषा साथ-साथ चल रहे थे। कार्तिक अद्विक के एक ओर और आकाश दूसरी ओर चल रहा था। उनके पीछे 10 बॉडीगार्ड चल रहे थे। उनका यह दृश्य इतना प्रभावशाली था कि देखने वालों की साँसें रुक गई थीं। जैसे ही वे दादाजी के वार्ड के सामने पहुँचे, इतने सालों बाद अद्विक को देखकर दादी माँ, धनुष जी और कीर्ति जी की आँखों में आँसू आ गए। लेकिन अद्विक, बिना किसी पर ध्यान दिए, सीधे कमरे में चला गया।
अद्विक, आकाश, कार्तिक और निविषा के अंदर जाते ही बाकी लोग भी अंदर आ गए। अद्विक दादाजी के पास आकर खड़ा हो गया, लेकिन अभी तक उसने एक शब्द नहीं बोला था। तभी आकाश ने दादाजी को पुकारते हुए कहा, "दादू, देखिए, भाई आपसे मिलने आए हैं।" जैसे ही दादाजी के कानों में यह आवाज पड़ी, दादाजी एक झटके से अपनी आँखें खोल दिए।
दादाजी ने अपना एक हाथ बढ़ाकर अद्विक के हाथ को पकड़ने की कोशिश की। अद्विक दो कदम पीछे हटते हुए बोला, "मैं यहाँ सिर्फ़ अपनी पत्नी और अपने भाई के कहने से आया हूँ। आप लोगों से मिलने का मेरा कोई मन नहीं था। मैं आप लोगों से नफ़रत करता हूँ। यह बात आप लोग बहुत अच्छे से जानते हैं। बाबा, आप सब लोग मेरे भाई को हथियार बनाकर मुझे बर्बाद करना चाहते हैं। मेरा सब कुछ आप लोगों ने छीन लिया है। आप क्या और छीनना चाहते हैं? कुछ नहीं है मेरे पास। और यह अद्विक वह 8 साल का बच्चा नहीं है जिसे आप पहले घर से भागने पर मजबूर कर सकते थे। मैं चला जाऊँगा।"
बातें सुनकर कीर्ति जी के चेहरे पर पसीने की बूँदें आ गईं। वहीं धनुष जी, दादी माँ और दादाजी हैरानी से अद्विक को देख रहे थे। अद्विक धनुष जी की ओर देखकर बोला, "पूछिए अपनी पत्नी से। क्या उसने मुझे घर से बाहर नहीं निकाला था? आधी रात को मैं अपनी मर्ज़ी से घर छोड़कर नहीं गया था, बल्कि आपकी दूसरी पत्नी ने मुझे घर से बाहर फेंका था और मुझे यह बोला था कि मैं कभी लौटकर na aauँ, क्योंकि यह सब कुछ उनके अपने बेटे के लिए था। तो नहीं आया मैं कभी लौटकर। जब मेरा baap ही मेरा नहीं रहा, मेरा परिवार मेरा नहीं रहा, तो मैं उसकी धन-दौलत, प्रॉपर्टी का क्या करता?"
अद्विक की बात सुनकर पूरे परिवार के चेहरे पर हैरानी के भाव आ गए। वहीं आकाश के चेहरे पर तो नफ़रत झलकने लगी और वह नफ़रत से अपनी माँ की ओर देखने लगा, जो अपना सर नीचे करके खड़ी थी।
अद्विक ने एक बार फिर सबकी ओर देखते हुए कहा, "जब 8 साल के बच्चे पर आप लोगों को तरस नहीं आया था, तो अब तो मैं 28 साल का हो चुका हूँ। और आप लोगों की मुझे कोई ज़रूरत नहीं है। क्योंकि जब ज़रूरत थी तब आप नहीं थे, तो अब आपके होने-ना होने से कोई मतलब नहीं है। और एक बात, बार-बार मेरे भाई को मेरे पास भेजने की कोशिश ना करें, क्योंकि मैं अपने भाई से बहुत प्यार करता हूँ और ऐसा ना हो कि कभी आप लोगों के चक्कर में मैं मेरे भाई को दुखी कर दूँ।"
धनुष जी आगे आए और अद्विक के हाथ को पकड़ने की कोशिश की। लेकिन अद्विक दो कदम पीछे हट गया और बोला, "कातिल हो आप लोग मेरी माँ के! और मैं अपनी माँ के कातिलों के साथ कोई रिश्ता नहीं रख सकता। अगर आपको पहले से ही इस औरत से प्यार था या इस औरत से आपका कोई रिश्ता था, तो आप मेरी माँ को तलाक दे देते। उसे मारने की क्या ज़रूरत थी? तलाक के बाद कम से कम मैं अपनी माँ के साथ होता, मेरी माँ ज़िंदा होती, मुझे डर-डर की ज़िंदगी नहीं जीनी पड़ती। जब रात को मैं डर जाता था, तब मेरी माँ मेरे पास होती। जब मैं उनके पेट में सोता था, कम से कम मेरी माँ मेरे साथ होती। आप लोगों ने तो मुझे मेरी माँ ही छीन ली।"
कीर्ति जी आगे आकर हाथ जोड़कर बोलीं, "मुझे माफ़ कर दो अद्विक। मैं स्वार्थ में अंधी हो गई थी। मैं तुम्हारे पापा को पाने के लिए अंधी हो गई थी, क्योंकि मुझे धनुष जी से मोहब्बत थी। जब से वह दीदी को देखने आए थे, मैं उन्हें हर कीमत पर पाना चाहती थी। बस इसीलिए मुझे यह भूल हो गई।"
अद्विक जोर-जोर से हँसने लगा और बोला, "भूल हुई आपसे? आपने एक औरत की जान ले ली, एक 8 साल के बच्चे को अनाथ कर दिया, उसे उसके ही परिवार से अलग कर दिया, उसे रात के अंधेरे में घर से बाहर कर दिया, और आप कहती हैं आपसे भूल हो गई? यह भूल नहीं, गुनाह है! और ऐसे गुनाह की कोई माफ़ी नहीं होती। मेरी नज़र में तो कोई माफ़ी नहीं है। आपका पति, आपका परिवार आपको माफ़ कर दे, मुझे इस बात से कोई हैरानी नहीं होगी, क्योंकि पहले भी उन्होंने आपका ही साथ दिया था और आज भी वे आपका ही साथ देंगे। जो आदमी अपने बच्चे तक का ना हो सका, उस आदमी से कुछ और उम्मीद की जा सकती है?"
"आप सब लोग आज मेरी एक बात कान खोलकर अपने दिमाग में बिठा लो – मेरा आप लोगों से कोई रिश्ता नहीं है, ना कभी था और ना ही कभी होगा। और मेरा घर सिर्फ़ मेरे भाई के लिए खुला हुआ है, बाकी किसी के लिए नहीं। अगर किसी ने मेरी ज़िंदगी में दखल देने की कोशिश की या मेरी ज़िंदगी में शामिल होने की कोशिश की, तो कसम खाकर कहता हूँ, उसे इतनी बुरी मौत मारूँगा ना, उसकी आत्मा तक जख्मी हो जाएगी। क्योंकि मेरे अंदर आप लोगों के लिए सिर्फ़ नफ़रत है, और मैं यह नफ़रत निकालना नहीं चाहता, पर कैसे बढ़ाना चाहता हूँ। आज तक आप लोग मेरे सामने नहीं आए थे, इसीलिए मैंने अपना बदला नहीं लिया, लेकिन मेरे बदले की शुरुआत होती है आज से…"
अद्विक निविषा का हाथ पकड़कर वहाँ से जाने लगा। तभी आकाश की आवाज़ आई, "मैं भी आपके साथ चलूँगा भाई। मुझे नहीं पता था मैं कातिलों के साथ रहता हूँ। मुझे नहीं पता था मेरी माँ इतनी बुरी औरत है। मुझे नहीं पता था कि मेरी माँ ने बड़ी माँ की ज़िंदगी ख़राब की है। मुझे नहीं पता था कि यह अपने पिता के नाम पर कलंक hai…"
आकाश की बात सुनकर कीर्ति जी घुटनों के बल ज़मीन पर बैठ गईं और बोलीं, "यह सब कुछ मैंने तुम्हारे लिए तो किया था…"
आकाश अपनी माँ के सामने खड़ा हो गया और बोला, "नहीं, यह सब कुछ आपने अपने लिए किया था। क्योंकि आपके पापा चाहिए थे। आपने यह सब कुछ अपने फायदे के लिए किया, क्योंकि सब कुछ आपको चाहिए था। मैं तो उस वक़्त दुनिया में भी नहीं आया था, मेरा तो नामो-निशान नहीं था। तो आप यह सब कुछ मेरे माथे मत मलिये। खुद को अच्छा साबित करने की कोशिश मत कीजिए। अगर मैं उस वक़्त इतना बड़ा होता, तो मैं अपने भाई के साथ जाता, आपके पास नहीं रहता। आज से मेरा भी आपके पास कोई रिश्ता नहीं है…"
अद्विक ने एक हाथ से निविषा का हाथ पकड़ रखा था और दूसरे हाथ से आकाश का हाथ थाम लिया। एक तेज़ी से मुस्कराहट कीर्ति जी को देते हुए, वह कमरे से बाहर निकल गया। कीर्ति जी पीछे जाते हुए कहती रहीं, "आकाश, रुक जाओ! आकाश, यह आदमी सब कुछ जानबूझकर कर रहा है। आकाश, रुक जाओ! यह तुम्हें मुझसे दूर करना चाहता है। तू मेरा बेटा है, आकाश! अपनी माँ के पास आओ!" कीर्ति जी पागलों की तरह चिल्लाती रहीं, लेकिन आकाश अपने भाई का हाथ थामकर वहाँ से चला गया।
धनुष जी, नफ़रत और गुस्से से, कीर्ति जी का हाथ पकड़कर उन्हें खड़ा करते हुए बोले, "क्यों किया था तूने यह सब कुछ? किस लिए किया था? जिस दिन तूने मुझे यह कहा था कि तुम मुझसे प्यार करती हो, मैं उसी दिन तुझे क्लियर कर दिया था कि मैं तुझसे प्यार नहीं करता। मैं हमेशा से अपनी बीवी से प्यार करता था, आज भी करता हूँ। तूने गलती से और धोखे से मेरे साथ रिश्ता बनाया था, तब जाकर आकाश इस दुनिया में आया।"
"तूने मुझे मेरा सब कुछ छीन लिया – मेरी पत्नी, मेरा बेटा, मेरा परिवार, सब कुछ बर्बाद कर दिया। तुमने सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी कामयाब मोहब्बत के लिए… क्या मिला तुझे इतना सब कुछ करके? तूने मुझे उसे रात के बाद कभी नहीं पाया। तू मेरे साथ एक कमरे में तो रही, लेकिन मेरी पत्नी नहीं बन पाई। तू मेरे साथ हर जगह गई, लेकिन तूने खुद को मेरी पत्नी नहीं बताया। मैंने कभी तुझे अपनी पत्नी नहीं बताया। आकाश को मैंने अपना बेटा बताया, क्योंकि आकाश मेरा बेटा था, गलती का ही सही, लेकिन बेटा था। लेकिन तूने, तूने मेरे जिगर के टुकड़े को मुझसे अलग कर दिया। अगर मुझे पता होता ना कि वह घर छोड़कर नहीं गया था, बल्कि तूने उसे घर से निकाला था, तो उसी वक़्त मैं तुझे और उसे घर से बाहर फेंक देता, चाहे मुझे तुझसे आकाश को छीना ही क्यों ना पड़ता।"
दादी माँ कीर्ति जी की ओर देखकर नफ़रत से बोलीं, "मैंने तो तुझे अपनी बहू के रूप में इसलिए स्वीकार किया था कि तू मेरी बहू की बहन थी। मुझे लगा तू मेरे अद्विक को संभाल लेगी, तू उसे एक माँ का प्यार देगी। लेकिन तुमने तो उसे सब कुछ छीन लिया। आज वह हम सबसे नफ़रत करता है। हमारी भी गलती है, मैं भी उसके साथ जानी चाहिए थी। वह थोड़े दिन हमसे नाराज़ रहता, लेकिन शायद फिर वह हमें माफ़ कर देता। लेकिन २० साल बाद, अब तो वह हमें कभी माफ़ नहीं करेगा। उसके दिल में नफ़रत घर कर चुकी है। आज तुमने अपनी नफ़रत में क्या पाया? तुम्हारा खुद का बेटा तुम्हें छोड़कर चला गया…"
दादाजी धनुष जी और गायत्री जी की ओर देखकर बोले, "इसे बोलो यहाँ से चली जाएँ और दोबारा यहाँ ना आए, क्योंकि मैं इनकी शक्ल नहीं देखना चाहता। इनकी वजह से मेरा पूरा परिवार ख़त्म हो गया है…"
अद्विक, निविषा और आकाश तीनों अपनी गाड़ी के पास आकर खड़े हो गए। अद्विक गाड़ी में बैठ गया, क्योंकि उसके साइड के बॉडीगार्ड ने गेट खोल दिया था। दूसरी साइड आकाश ने निविषा के लिए गेट खोला और निविषा भी उसमें बैठ गई। आकाश सामने, ड्राइवर के साथ बैठ गया। गाड़ी में पूरी तरह खामोशी छाई हुई थी, क्योंकि आज अद्विक की बात सुनकर आकाश को अपनी माँ से नफ़रत हो गई थी, अपने पिता से, अपने पूरे परिवार से। उसके लिए उसकी माँ ने अद्विक के साथ इतना बड़ा धोखा किया था, और अपने पिता और दादा-दादी से, क्योंकि उन्होंने एक बार भी अद्विक को ढूँढकर उसे अपनी ज़िंदगी में लाने की कोशिश नहीं की थी।
अद्विक खिड़की के बाहर देख रहा था। आज एक बार फिर उसका दर्द, उसकी यादें ताज़ा हो गई थीं। निविषा ने देखा कि अद्विक परेशान है, तो उसने अद्विक के हाथ पर अपना हाथ रख दिया। "सारी दुनिया आपका साथ छोड़ सकती है, देखा, लेकिन मैं हमेशा आपके साथ रहूँगी, आप चाहोगे तब भी और आप नहीं चाहोगे तब भी। यह वादा है मेरा आपसे। मैं जानती हूँ आप एक अच्छे बेटे हैं, एक अच्छे पति हैं, एक अच्छे भाई हैं, और आप आगे चलकर एक बहुत अच्छे पिता भी बनेंगे…"
अद्विक जल्दी से गाड़ी का पार्टीशन ऑन कर दिया और निविषा को उठाकर अपनी गोदी में बिठा लिया और उसके होठों पर टूट पड़ा, क्योंकि इस वक़्त उसे अपनी पुरानी यादों से बाहर आना था, उसे अपनी माँ की चीखों से बाहर आना था। शायद अभी ऐसा कुछ राज़ था जो अद्विक के सीने में दफ़्न था, जिसे अद्विक अभी किसी के सामने लाना नहीं चाहता था। ऐसा कुछ था जो अद्विक को उन सब से नफ़रत करने पर मजबूर कर रहा था। वह पूरी तरह निविषा पर हावी हो चुका था; वह निविषा के होठों को पागलों की तरह काट रहा था।
निविषा को अपने पास देखकर अद्विक को एक सुकून का एहसास हो रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे निविषा के रूप में उसके पास दुनियाँ भर का सुकून और शांति है, लेकिन उसकी आँखों में एक आग थी। वह आग थी नफ़रत की, जो शायद अब किसी को जलाकर रख देने वाली थी।
1 घंटे निविषा के होठों से खिलवाड़ करने के बाद, जब गाड़ी रुकी, तब जाकर अद्विक निविषा को छोड़ा। निविषा गहरी-गहरी साँसें लेते हुए खुद को नॉर्मल करने लगी। अद्विक ने तो 1 मिनट के अंदर खुद को नॉर्मल कर लिया था और गाड़ी से बाहर निकलकर निविषा की साइड का गेट खोलकर उसे हाथ पकड़कर बाहर निकाला। आकाश, बिना अद्विक से नज़रें मिलाए, अंदर की ओर बढ़ गया।
जाते हुए आकाश को अद्विक ने एक नज़र देखा और उसके बाद वह अपने कमरे की ओर बढ़ गया। निविषा अद्विक के पीछे आते हुए बोली, "आपको वह सारी बातें आकाश के सामने नहीं करनी चाहिए थीं। उसे बच्चे पर सारी बातों का गलत असर पड़ेगा।"
अद्विक अपनी गहरी नज़रों से निविषा को देखकर बोला, "उसे भी तो पता चलना चाहिए कि उसकी माँ ने क्या-क्या गलत किया है किसी के साथ। और जो गलत करेगा… उसे भी गलत सहने के लिए तैयार रहना पड़ेगा…"
आकाश अपने कमरे में बैठक के सहारे टिककर जमीन पर बैठा था। पूरे कमरे में अंधेरा था। कमरे का सामान इधर-उधर बिखरा पड़ा था। वह बैठक के सहारे बैठकर बोला, "क्यों आपने ऐसा किया? प्यार का मतलब हमेशा किसी को पा लेना तो नहीं होता ना? प्यार का मतलब किसी की खुशी के लिए उसे छोड़ देना भी होता है। मन तो आपने ऐसा क्यों किया? क्यों आपने बड़ी माँ के साथ इतना गलत किया? क्यों अपने भाई से उसका परिवार छीन लिया? क्यों अपने ८ साल की उम्र में भाई से उसकी माँ को छीन लिया और उसे, उस मासूम बच्चे को, इस घर से बाहर कर दिया?"
"आप तो माँ कहलाने के लायक नहीं हैं। मौसी भी तो माँ जैसी ही होती है ना? तो अपने भाई को उसकी माँ बनकर प्यार क्यों नहीं किया? आप मुझे जन्म न देकर, अगर भाई को अपना बेटा बना लेतीं ना, अगर मैं इस जन्म में आपके पास नहीं भी आता, तब भी मुझे कोई डर, कोई अफ़सोस नहीं होता। लेकिन आज मुझे आपको अपनी माँ मानने पर अफ़सोस हो रहा है। नफ़रत करता हूँ मैं आपसे, बेहद नफ़रत। आज मैंने भाई के चेहरे पर जो नफ़रत देखी, उसे देखकर मुझे इतना तो एहसास हो गया है कि अभी ऐसा बहुत कुछ है जो हम नहीं जानते…"
"कसम से माँ, अगर उसमें आपका जरा सा भी हाथ हुआ ना, मैं आपसे मन होने का भी हक़ छीन लूँगा। नफ़रत तो वैसे भी आपसे हो गई है, फिर मैं आपको अपनी माँ मानने से भी इंकार कर दूँगा।" और अपना सर नीचे करके रोने लगा। वहीं कमरे के गेट पर खड़ा अद्विक आकाश की हर बात सुन चुका था। आज उसे अपने भाई को अपना बनाने में बहुत गर्व महसूस हो रहा था, कि उसका भाई सच का साथ देने वाला है, चाहे बुराई के रास्ते पर उसकी खुद की माँ ही क्यों ना हो, लेकिन वह सच का और अपने भाई का साथ दे रहा था।
घंटेभर निविषा के होंठों से खिलवाड़ करने के बाद, जब गाड़ी रुकी, तब अद्विक ने निविषा को छोड़ा। निविषा ने गहरी-गहरी साँसें लेकर खुद को सामान्य करने की कोशिश की। अद्विक ने तो एक मिनट के अंदर ही खुद को सामान्य कर लिया था। वह गाड़ी से बाहर निकलकर निविषा की तरफ़ का दरवाज़ा खोला और उसका हाथ पकड़कर उसे बाहर निकाला। आकाश, अद्विक से नज़रें मिलाए बिना, अंदर की ओर चला गया।
जाते हुए आकाश को अद्विक ने एक नज़र देखा और फिर अपने कमरे की ओर बढ़ गया। निविषा, अद्विक के पीछे आते हुए बोली, "आपको वह सारी बातें आकाश के सामने नहीं करनी चाहिए थीं। उसे बच्चे पर सारी बातों का गलत असर पड़ेगा।"
अद्विक ने अपनी गहरी नज़रों से निविषा को देखा और कहा, "उसे भी तो पता चलना चाहिए कि उसकी माँ ने क्या-क्या गलत किया है किसी के साथ। और जो गलत करेगा... उसे भी गलत सहने के लिए तैयार रहना पड़ेगा।"
आकाश अपने कमरे में एक कुर्सी के सहारे जमीन पर बैठा था। पूरे कमरे में अंधेरा था। कमरे का सामान इधर-उधर बिखरा पड़ा था। वह बैठकर बोला, "क्योंकि आपने ऐसा किया? प्यार का मतलब हमेशा किसी को पा लेना तो नहीं होता ना? प्यार का मतलब किसी की खुशी के लिए उसे छोड़ देना भी होता है। मन ही मन में सोचता रहा, आपने ऐसा क्यों किया? क्यों आपने बड़ी माँ के साथ इतना गलत किया? क्यों आपने अपने भाई से उसका परिवार छीना? क्यों आपने 8 साल की उम्र में भाई से उसकी माँ छीन ली और उसे, उस मासूम बच्चे को, इस घर से बाहर कर दिया?"
"आप तो माँ कहलाने के लायक नहीं हैं! मौसी भी तो माँ जैसी ही होती है ना? तो आपने अपने भाई को उसकी माँ बनकर प्यार क्यों नहीं किया? आप मुझे जन्म न देकर अगर भाई को अपना बेटा बना लेतीं ना, अगर मैं इस जन्म में आपके पास नहीं भी होता ना, तब भी मुझे कोई डर, कोई अफ़सोस नहीं होता। लेकिन आज मुझे आप को अपनी माँ मानने पर अफ़सोस हो रहा है। नफ़रत करता हूँ मैं आपसे, बेइंतिहा नफ़रत! आज मैंने भाई के चेहरे पर जो नफ़रत देखी, उसे देखकर मुझे इतना तो एहसास हो गया है कि अभी ऐसा बहुत कुछ है जो हम नहीं जानते हैं।"
"कसम से माँ, अगर उसमें आपका जरा सा भी हाथ हुआ ना, मैं आपसे मन होने का भी हक़ छीन लूँगा। नफ़रत तो वैसे भी आपसे हो गई है। फिर मैं आपको अपनी माँ मानने से भी इंकार कर दूँगा।" वह सर नीचे करके रोने लगा। वहीं कमरे के दरवाज़े पर खड़ा अद्विक आकाश की हर बात सुन चुका था। आज उसे अपने भाई को अपना बनाने में बहुत गर्व महसूस हो रहा था कि उसका भाई सच्चाई का साथ देने वाला है, चाहे बुराई के रास्ते पर उसकी खुद की माँ ही क्यों न हो। लेकिन वह सच्चाई का और अपने भाई का साथ दे रहा था।
अद्विक अपने कमरे के वॉशरूम में शॉवर के नीचे शर्टलेस खड़ा था। उसकी बॉडी से ठंडा पानी जमीन पर बह रहा था, लेकिन उसके कानों में अभी भी कुछ आवाज़ें गूंज रही थीं: "मुझे मत मारो, प्लीज़! मुझे मत मारो! मेरा बच्चा अकेला रह जाएगा! मैं धनुष से बहुत प्यार करती हूँ! प्लीज़ मुझे मत मारो!" तभी एक झटके में अद्विक की आँखें खुल गईं। इस वक़्त उसकी आँखों में नफ़रत के सिवाय कुछ नहीं था। यह अद्विक, वह अद्विक नहीं लग रहा था जो निविषा के साथ होता था। यह अद्विक तो ऐसा लग रहा था जैसे इसके अंदर नफ़रत के सिवाय कुछ है ही नहीं।
एक घंटे बाद अद्विक वॉशरूम से बाहर आया तो देखा कि निविषा कमरे में कहीं नहीं थी। निविषा को कमरे में न देखकर अद्विक की आँखें छोटी हो गईं और वह तुरंत लोअर और शर्ट पहनकर कमरे से बाहर निकल गया। जैसे ही वह सीढ़ियों के पास पहुँचा, तो देखा कि निविषा आकाश को डाइनिंग टेबल पर बिठाकर समझा रही थी। अपने मन में उसने कहा, "आकाश को संभालने के लिए तो तुम हो निविषा, लेकिन उस वक़्त मुझे संभालने के लिए कोई नहीं था; न पिता, न दादा, न दादी, न दोस्त, न यार। सिर्फ़ मीणा आंटी, जिन्होंने मेरी ज़िंदगी बचाई, मुझे रहने के लिए छत दी और कार्तिक..."
कार्तिक की आवाज़ सुनाई दी। कार्तिक एक ब्रीफ़केस लेकर खड़ा था। अद्विक नीचे आकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गया। कार्तिक को देखकर निविषा कार्तिक के पास गई और बोली, "भाई, आप जाकर फ़्रेश हो जाइए और अपना सामान कमरे में रख दीजिए। मैं कल किसी से कहकर सारा सामान लगवा दूँगी।" वह बहुत खुश था। उसे लग रहा था कि अब उसके दोस्त की ज़िंदगी में खुशियाँ आ जाएँगी। और शायद आप भी कहीं हैं। कार्तिक वहाँ से फ़्रेश होने चला गया। आज डाइनिंग टेबल पर बहुत शांति थी क्योंकि हमेशा शैतानियाँ करके बातें करने वाला आकाश बिल्कुल शांत बैठा था।
निविषा आकाश की तरफ़ देखकर बोली, "इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं थी, आकाश। तुम तो उस वक़्त इस दुनिया में भी नहीं आए थे, तो तुम्हें हम लोग कैसे गुनाहगार मान सकते हैं? और फिर जिसने गुनाह किया था, उसे सज़ा मिलनी चाहिए, तुम्हें नहीं। अगर अद्विक को लगता कि तुम ज़िम्मेदार हो या कुछ भी है, तो वह तुम्हें कभी अपनी ज़िंदगी में नहीं आने देते और न ही कभी तुम्हें इस घर में रहने देते। आकाश, अद्विक कितना भी किसी से नफ़रत करे, लेकिन वह तुमसे नफ़रत नहीं करता।"
आकाश निविषा की बातों पर कुछ नहीं बोला। तभी आकाश के कानों में एक ठंडी और सर्द आवाज़ पड़ी, "अगर मुझे किसी को सज़ा देनी है, तो वह वह परिवार है, तुम नहीं। तुम मेरे भाई थे, हो और हमेशा रहोगे। लेकिन बस मेरी एक बात का ध्यान रखना: कभी किसी औरत के साथ बदतमीज़ी मत करना, कभी किसी लड़की के साथ गलत हरकत मत करना, वरना सबसे पहले तुम्हें मारने वाला तुम्हारा भाई होगा।"
आकाश अद्विक की तरफ़ देखकर बोला, "क्यों भाई? क्यों आप मुझसे नफ़रत नहीं करते? मेरी वजह से, मेरी माँ ने वह सब कुछ किया था, तो आपको मुझसे नफ़रत करनी चाहिए ना? आपकी ज़िंदगी मेरी वजह से बर्बाद हुई थी, सब कुछ मेरी वजह से हुआ।"
अद्विक आकाश की तरफ़ बिना देखे बोला, "किसने बोला कि तुम्हारी वजह से हुआ? तुम्हारी वजह से कुछ नहीं हुआ था। उस औरत ने यह सब कुछ प्लान बहुत पहले कर लिया था, तब तक तो तुम उसकी ज़िंदगी में शामिल भी नहीं थे। आकाश, ऐसा बहुत कुछ है जो अभी किसी को नहीं पता, और मैं तुम्हें बताना भी नहीं चाहता क्योंकि मैं तुम्हारी आँखों में कल ही तुम्हारी माँ के लिए नफ़रत देखी थी। और जिस दिन तुम्हें अपनी माँ का असली चेहरा साफ़ तरीके से दिखेगा ना, तुम खुद अपने हाथों से अपनी माँ को मार दोगे, और मैं ऐसा नहीं चाहता। मैं चाहता हूँ तुम खुलकर अपनी ज़िंदगी जियो, खुश रहो, शादी करो, सेटल हो जाओ। और रही तुम्हारी माँ से बदला लेने की बात, तो वह तो मैं लेकर रहूँगा। जिस तरह मैंने डर-डर की ठोकरें खाई हैं, वैसे ही उस औरत को भी खानी होंगी। मैं उस औरत को चैन से जीने नहीं दूँगा।"
अद्विक आकाश की तरफ़ अपनी नज़रें करके बोला, "कल से चुपचाप कॉलेज जाना और शांति से पढ़ाई करना, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि किसी भी वजह से तुम्हारी पढ़ाई में कोई दिक्कत आए। और मुझे इस बार तुम कॉलेज में टॉप करते हुए दिखना चाहिए, वरना हर साल की तरह प्रमोट होकर पास मत होना। क्योंकि मैंने प्रिंसिपल से बात कर ली है। जो नया प्रिंसिपल आया है, वह मेरा दोस्त है, तो तुम्हारे प्रमोट होने के चांस तो बिल्कुल नहीं हैं। और तुम्हारी हर एक गलती या तुम्हारी हर एक अच्छाई को वह मुझे तुमसे पहले बताएगा। मेरी नज़र हमेशा तुम पर रहेगी, इसलिए अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। और हाँ, तुम्हारे दोस्त अच्छे हैं, उनसे दोस्ती रखना। ऐसे दोस्त आजकल के टाइम में मिलते नहीं हैं।"
अद्विक का फरमान सुनकर आकाश का मुँह बन गया। वहीं आकाश को फिर से पहले की तरह मुँह बनाते देखकर निविषा के चेहरे पर मुस्कान आ गई। तभी कार्तिक कुर्सी पर आकर बैठ गया और बोला, "भाभी, आज खाने में खुशबू तो बहुत अच्छी आ रही है। किसने बनाया है?"
"निविषा कार्तिक की तरफ़ देखकर बोली, "भाई, आज का खाना मैंने बनाया है, आप सबके लिए।"
कार्तिक और आकाश दोनों एक साथ बोले, "आपको खाना बनाना आता है, भाभी?"
निविषा बोली, "मुझे खाना बनाना क्यों नहीं आता? मुझे खाना बनाना आता है।" धीरे-धीरे सब लोग सामान्य हो गए थे, लेकिन अद्विक सामान्य नहीं हुआ था। वह सिर्फ़ दिख रहा था, लेकिन अंदर से उसके अंदर तूफ़ान चल रहा था, जिस चीज़ को निविषा बहुत अच्छे से समझ चुकी थी, लेकिन वह अभी किसी के आगे कुछ कहना नहीं चाहती थी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि आकाश फिर से परेशान हो जाए।
निविषा किचन का काम निपटाकर जैसे ही अपने कमरे में पहुँची, तो कमरे की लाइट बंद थी। वह जैसे ही कमरे के अंदर एक क़दम रखती है, पीछे से कमरे का दरवाज़ा अपने आप बंद हो जाता है और निविषा को अपने कमर पर दो ठंडे हाथ महसूस होते हैं। उन ठंडे हाथों को महसूस करके निविषा के शरीर में एक कंपकपी दौड़ गई।
अद्विक उसके गर्दन और कंधे के बीच में अपना सर रखकर धीरे-धीरे अपनी साँस उसकी गर्दन पर फेरने लगा। निविषा तुरंत ही अद्विक के हाथों को पकड़कर बोली, "प्लीज़, नहीं!" लेकिन अद्विक निविषा की कोई भी बात सुनने के मूड में बिल्कुल नहीं था।
अद्विक निविषा को अपनी तरफ़ घुमा लिया और उसके होंठों को चूमने लगा। क्योंकि काफ़ी देर से अद्विक की नज़र निविषा के होंठों पर थी और निविषा के होंठों को देखकर अद्विक का गला सूख रहा था। अद्विक को याद आया, यह वही कोमल होंठ हैं जिन्हें उसने गाड़ी में भी चूमा था। अद्विक, पागलपन के साथ, निविषा के होंठों को चूम और काट रहा था। अद्विक के इस तरह छूने से निविषा के शरीर में भी मदहोशी छा गई थी। कब निविषा के हाथ अद्विक के बालों में चले गए, निविषा को खुद ही पता नहीं चला।
दोनों काफ़ी देर तक एक-दूसरे को इसी तरह चूमते रहे। जब निविषा को साँस लेने में दिक्कत हुई, तब जाकर अद्विक निविषा के होंठों को छोड़ा और निविषा को अपनी बाहों में उठाकर बेड पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर जाकर उसके गले को चूमने लगा।
निविषा के लाल और सूजे हुए होंठों को देखकर अद्विक खुद को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था और वह उसके गले में अपना चेहरा छिपा लेता है। उसके बालों से आ रही भीनी-भीनी खुशबू को महसूस करने लगा। वहीं निविषा भी तेज़-तेज़ साँस ले रही थी। उसका पूरा चेहरा लाल हो गया था। और होता भी क्यों नहीं? अद्विक ने आज उसकी साँसों को अपने अंदर खींच लिया था क्योंकि वह इतने पागलपन के साथ उसे किस कर रहा था कि निविषा की साँसें बुरी तरह से उखड़ रही थीं। निविषा की आँखें अभी भी बंद थीं और इसी तरह आँखें बंद किए हुए साँस ले रही थी। अद्विक इस तरह निविषा के कानों के पास अपने होंठ ले जाकर बड़े ही मदहोशी के साथ बोला, "मुझे आज तुम्हारी ज़रूरत है। क्या आज तुम मेरा साथ दोगी? क्योंकि आज मैं तुम्हें पूरे पैशन के साथ पाना चाहता हूँ।"
निविषा जब अद्विक की बात सुनती है, तो वह अद्विक के गले में अपनी दोनों बाहें डालकर उसे अपने ऊपर खींच लेती है। इस वक़्त निविषा की आँखों में अद्विक के लिए बेशुमार प्यार दिखाई दे रहा था। अद्विक ने इतने प्यार से निविषा से यह सब पूछा था कि निविषा चाहकर भी मना नहीं कर पाई और वह अपनी आँखें बंद करके हाँ का इशारा दे देती है। जैसे ही अद्विक को निविषा की परमिशन मिलती है, उसके साथ ही अद्विक तुरंत निविषा के होंठों को फिर से चूमने लगता है।
वह उसे बहुत ही गहरा, पैशनेट किस करने लगा। अद्विक का किस इतना जबरदस्त था कि निविषा पागल हो रही थी और दोनों ही एक-दूसरे को बेहिसाब चूम रहे थे। कुछ देर बाद निविषा की साँसें भारी होने लगीं, तब अद्विक उसके होंठों को छोड़कर उसकी गर्दन, कॉलरबोन, कंधों पर बड़े ही पैशनेट तरीके से किस करने लगा। निविषा अद्विक के इस तरह पैशनेटली प्यार करने पर बेचैन हो रही थी। वह एकदम से अद्विक को मज़बूती से पकड़ लेती है ताकि एक सेकंड के लिए भी उसे दूर न जाए। अद्विक निविषा के बदन को बड़े ही प्यार से सहलाता है और निविषा का कोमल, मखमली बदन अद्विक को पागल बना रहा था। उसके शरीर की खुशबू अद्विक को पागल कर रही थी, उसके लिए वह बिल्कुल एक नशे का काम कर रही थी, जो कि अद्विक को बहुत ही ज़्यादा मदहोश कर रही थी। दोनों अपने होश खोने पर मजबूर हो चुके थे।
धीरे-धीरे अद्विक के अंदर का जानवर बाहर आने लगा और वह पूरी तरीके से निविषा को अपने आगोश में भर लेता है। निविषा और अद्विक कई बार एक-दूसरे के साथ यह सब कर चुके थे, फिर भी हर बार अद्विक निविषा को बहुत पैशन के साथ प्यार करता था और निविषा को यह सब एहसास बिल्कुल नहीं होता था। लगता ही नहीं था कि वह दोनों पति-पत्नी हैं। लगता था कि वह दोनों पहली बार ही आज एक-दूसरे के करीब आए हैं।
अद्विक के हाथ निविषा के सीने पर पहुँच जाते हैं और वह हल्के हाथों से उसके सीने को रगड़ने लगता है। इसी के साथ निविषा बेडशीट को कसकर पकड़ लेती है और उसके मुँह से मदहोश कर देने वाली सिसकियाँ निकलने लगती हैं, जो कि अद्विक को पागल बनाने के लिए काफ़ी थीं। निविषा के पूरे शरीर के रोएँ खड़े हो गए थे। उसे अपने शरीर में कुछ अलग सा महसूस हो रहा था, जिससे उसके कान लाल होने लगे। तभी निविषा को अपने निचले हिस्से में कुछ गीलापन का एहसास होता है और इसी के साथ निविषा के गाल लाल हो जाते हैं। अद्विक अभी भी निविषा के ऊपर था और वह एक झटके में निविषा के अंदर समा जाता है।
निविषा के मुँह से एक सिसकी निकलती है और धीरे-धीरे कमरे का माहौल बहुत ही रोमांटिक हो जाता है। क्योंकि दोनों पहले भी कई बार एक-दूसरे के साथ सब कुछ कर चुके थे, इसीलिए अब निविषा को भी इसकी आदत हो गई थी, इसीलिए अब उसे ज़्यादा दर्द नहीं होता था। लेकिन आज अद्विक कुछ ज़्यादा ही वाइल्ड था, इसलिए निविषा को अब हल्का-हल्का दर्द होने लगा था, लेकिन वह फिर भी अद्विक को खुद से दूर नहीं कर रही थी क्योंकि आज अद्विक के दर्द को उसने सिर्फ़ एक प्रतिशत महसूस किया था।
निविषा अद्विक को सुकून और शांति देना चाहती थी। अद्विक आज बहुत ज़्यादा वाइल्ड था। पूरी रात अद्विक ने निविषा को परेशान किया था। एक पल के लिए भी उसने निविषा को खुद से दूर नहीं जाने दिया था और न ही निविषा ने अद्विक से दूर जाने की कोशिश की थी क्योंकि वह जानती थी कि अद्विक के सिवा उसकी दुनिया में कोई नहीं था और अद्विक की दुनिया में भी निविषा, आकाश और कार्तिक के अलावा कोई नहीं था। वह अद्विक को इतनी मोहब्बत देना चाहती थी कि कभी भी वह और अद्विक एक-दूसरे से दूर न हों।
वहीं दूसरी तरफ़ कार्तिक रायजयदा मेंशन के बाहर खड़ा था और पूरे मेंशन में शॉर्ट सर्किट हो गया था। कार्तिक के चेहरे पर एक टेढ़ी मुस्कराहट थी क्योंकि यह सब कुछ अद्विक के कहने पर ही तो हुआ था। वहीं घर में शॉर्ट सर्किट होते ही कीर्ति जी भागकर बाहर की तरफ़ आने लगीं, लेकिन बाहर का गेट बंद था। यह सब कुछ कार्तिक गाड़ी में बैठा अपने लैपटॉप पर देख रहा था और कहता है, "तुमने मेरे दोस्त को बहुत परेशान किया। परेशान होने की बारी तुम्हारी है। यह तो सिर्फ़ एक नमूना था तुम्हें डर का एहसास करवाने का। अब तुम्हें इतना डराया जाएगा कि तुम खुद अपना गुनाह सबके सामने कबूल करोगी।"
कीर्ति जी की हालत को देखते हुए कार्तिक सीटी बजाते हुए गाड़ी लेकर वहाँ से निकल जाता है क्योंकि वह यह वीडियो कल सुबह अद्विक को दिखाना चाहता था।
क्या करने वाला है अद्विक कीर्ति जी के साथ? जानने के लिए इंतज़ार कीजिए अगले एपिसोड का, क्योंकि अगले एपिसोड में आपको और भी मज़ा आने वाला है कीर्ति को डरा हुआ देखकर।