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You are my therapist

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Zarna Parmar

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प्यार में पागल होना किसे कहते है ? प्यार को महसूस होना किसे कहते हैं? प्यार में जुनून और दीवानगी दोनों ही होती हैं.. एक मानसिक रूप से बीमार लड़की जिसका अभी तक शोषण ही हो रहा था!वो एक बंध पिंजरे से बाहर निकल जाती हैं ... ओर मिल जाती हैं अपने ही फरिश्त...

Total Chapters (58)

Page 1 of 3

  • 1. You are my therapist - Chapter 1

    Words: 1169

    Estimated Reading Time: 8 min

    बंगलौर की एक मानसिक अस्पताल में, एक लड़की यहाँ से वहाँ अपने नाखूनों से दीवार पर कुछ-कुछ लिख रही थी। उसके बिखरे हुए बाल, उसकी लाल आँखें, जो बयान कर रही थीं कि वह कितने दिनों से सोई नहीं है। उसके फटे हुए, आधे-अधूरे कपड़े, जिन्हें देखकर लग रहा था कि यह लड़की कई दिनों से नहाई नहीं है। शरीर के हर हिस्से में गहरे घाव के निशान थे, जिन्हें कोई देखे तो उसकी रूह काँप जाए। वह अपने आप में ही बोलती रही, "अच्छा नहीं हुआ... अच्छा नहीं हुआ..."

    वह अपने नाखूनों से दीवार पर अजीब से निशान बना रही थी। तभी वहाँ एक नर्स आई और बोली, "ओविया... ओ ओविया..." वह प्यार से पुकारते हुए कहती है।

    ओविया, वही लड़की जो अभी दीवार पर कुछ लिख रही थी, अपना नाम सुनते ही अपने बिखरे हुए बालों से नर्स की ओर देखती है और कहती है, "हम... दीदी..." वह अपने मुँह को टेढ़ा करते हुए कहती है।

    "नर्स: बेटा, चलो मेरे साथ। तुम्हें लेने के लिए कोई आया है!"

    यह सुनते ही ओविया हैरानी भरी आँखों से कहती है, "हम... वो इतना सुनकर खुश हो जाती है और अपने हाथों से तालियाँ बजाते हुए कहती है, "कौन आया है? मम्मी-पापा? कौन?" लेकिन नर्स दीदी, आपने तो कहा था कि मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है..."

    ओविया की बात सुनकर नर्स कहती है, "बेटा, तुम्हें यहाँ कोई और लेने आया है। चलो मेरे साथ, तुम्हें अच्छे और नए कपड़े पहना दूँगी।"

    "चलो बेटा..."

    ओविया नर्स दीदी की बात अच्छी तरह से सुनती है और कहती है, "अच्छा? क्या सच में मुझे नए कपड़े मिलेंगे?"

    "नर्स: जी हाँ, बेटा। चलो मेरे साथ..."

    "ओविया: यह बात सुनते ही अपने हाथों पर तालियाँ बजाते हुए कहती है, "ये मेरे लिए नए कपड़े आए हैं! मेरे लिए नए कपड़े आए हैं! मैं कपड़े पहनकर घूमने जाऊँगी!"

    नर्स यह देखकर हँसते हुए कहती है, "जाऊँगी नहीं, बेटा, जाऊँगी..."

    "ओविया: अच्छा, जाऊँगी..."

    वे दोनों अभी रास्ते पर ही जा रहे थे कि तभी उनका रास्ता दूसरी नर्स रोक लेती है और वह पहली नर्स से कहती है, "तुम इसे इतना पैंपर क्यों करती हो?"

    यह बात सुनते ही वह नर्स ओविया के सामने हँसते हुए कहती है, "क्योंकि यह दिमागी रूप से अपनी ही अलग दुनिया में है और उसे इस दुनिया के डरावने चेहरे के बारे में कुछ नहीं पता है। और मेरे लिए सिर्फ ओविया नहीं, बल्कि सारी लड़कियाँ मेरी बेटी समान हैं।"

    दूसरी नर्स यह बात सुनकर कुछ खास खुश नहीं होती और वह अपना मुँह बिगाड़ते हुए वहाँ से चली जाती है। ओविया के साथ वह नर्स ओविया के कपड़े बदलने के लिए चली जाती है।

    ओविया रेडी होकर बाहर नर्सिंग स्टेशन में आ जाती है। उसके बिगड़े बालों में अब तेल लगा दिया गया था और उसे छोटा बना दिया गया था। उसके फटे हुए कपड़ों की जगह उसे बेहद ही प्यारे कपड़े पहना दिए गए थे। साथ ही साथ, उसका सामान भी पैक कर दिया गया था।

    ओविया वहाँ पर शांत खड़ी हुई थी।

    तभी किसी की गहरी आवाज़ ओविया के कानों पर पड़ती है, "नर्स, क्या ओविया रेडी है?"

    नर्स आती हुई आवाज़ की ओर देखती है और कहती है, "जी सर, ओविया रेडी है..." सामने कोई और नहीं, बल्कि तमिलनाडु के फेमस जाने-माने सेलेब्रिटी खड़े थे। उनकी उम्र करीबन 45 साल की है। उनकी गहरी काली मूँछ, आँखों पर काले चश्मे और साथ ही नीचे लुंगी पहनी हुई थी। उनको देखकर पता चल रहा था कि वह बेहद ही जाने-माने नाम हैं। उनको वहाँ पर देखकर सभी नर्स खुश हो जाती हैं और कहती हैं, "अधीरा साहब..." "आप ही हैं वो जो हमारी ओविया को लेने के लिए आए हैं?"

    ओविया को वहाँ पर हो रही बातों के बारे में कुछ भी नहीं पता था! वह सिर्फ वहाँ पर देख ही रही थी... आखिर क्या हो रहा है और क्या नहीं...

    "अधीरा साहब: जी हाँ। मुझे जब पता चला कि मेरी बेटी ओविया यहाँ पर एडमिट है, तो मैं पहली ही फुर्सत में उसे लेने के लिए यहाँ आ गया।"

    हेड नर्स उनको अपनी रेस्पेक्ट भरी आवाज़ से पूछती है, "लेकिन यह तो मेंटल..."

    "अधीरा साहब: जी, मेंटल कौन नहीं होता? आपके दिमाग में भी कई सारे सवाल हैं जो दिखाते हैं कि आप मेरे बारे में कुछ संदेह महसूस कर रही हैं। लेकिन क्या करें? आपका काम है अपने पेशेंट को संभालना। मैं उसका आदर करता हूँ, लेकिन अब मैं मेरी बेटी को यहाँ नहीं रखना चाहता।"

    "हेड नर्स: यह बात तो सच है। ठीक है, हम आपको ओविया की ज़रूरी दवाइयाँ और उसकी फाइल आपको दे देते हैं। आपको गवर्नमेंट के कागज़ात हमें देने होंगे। हम उसकी प्रोसेस कर देते हैं और प्रूफ़ भी कि आप ही हमारी ओविया के पिता हैं। बाद में आप यहाँ से ओविया को लेकर जा सकते हैं, लेकिन आपको ओविया को दिखाने के लिए हर महीने लाना होगा, जिससे हमें भी संतुष्टि रहे और यह यकीन रहे कि हमारी बेटी आपके वहाँ सुरक्षित है।"

    यह सुनते ही अधीरा साहब स्माइल करते हुए कहते हैं, "ठीक है, जैसे आपकी इच्छा।" वह इतना कहकर Mr. अय्यर को बुला लेते हैं, जो उनके वकील हैं, और उनको कहते हैं, "आप इन्हें हमारे सारे कागज़ात और प्रूफ़ दिखा दीजिए।"

    करीबन एक घंटे तक सारी प्रोसेस चलती है और उसके बाद ओविया आखिरकार उस मेंटल हॉस्पिटल को छोड़कर चली जाती है। उसके जाने के बाद, एक नर्स, जो ओविया को दिल से अपनी बेटी मानती थी, वह हेड नर्स से शंका भरी आँखों से सवाल पूछते हुए कहती है, "हेड नर्स... पता नहीं क्यों, लेकिन मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा है। मुझे ऐसा लग रहा है कि यह गलत हुआ है। अगर अधीरा साहब ओविया के पिता होते, तो एक महीने पहले ही लेकर जाते। अब तक कहाँ पर थे?"

    हेड नर्स एक गहरी साँस लेकर कहती है, "सुमिता, डॉक्यूमेंट सभी सही थे। अब हम कुछ नहीं कह सकते। तुम भी ओविया को दिल से आशीर्वाद दे दो, उसे अपना परिवार मिल गया है इसलिए।"

    "सुमिता: जी, हेड नर्स..." वह इतना कहकर अपने मन ही मन में ओविया के बारे में चिंतित हो जाती है।

  • 2. You are my therapist - Chapter 2

    Words: 1165

    Estimated Reading Time: 7 min

    ओविया अब मानसिक अस्पताल से निकल चुकी थी। उसके जाने के बाद नर्सें चिंतित हो गईं, लेकिन हेड नर्स के कारण वे कुछ नहीं कह सकीं।

    ओविया अपने कपड़ों पर हाथ घुमाते हुए बोली, "ये कपड़े बेहद ही प्यारे हैं..." उसके चेहरे पर आ रही खुशी को देखकर अधीरा साहब बहुत खुश हो गए! और वे ओविया के माथे पर हाथ रखते हुए बोले, "तुम्हें ये पसंद आए?"

    ओविया उनकी बात सुनकर बोली, "जी हाँ, ये तो मुझे पसंद आए हैं..." वह इतना कहकर खुशी भरी निगाहों से अधीरा साहब को देखने लगी।

    ओविया और अधीरा साहब और उनके साथ आए बॉडीगार्ड, चारों लोग पर्सनल जेट में बैठ गए और बेंगलुरु से तमिलनाडु जाने के लिए निकल गए।

    दूसरी तरफ...

    मुंबई,

    मालाबार हिल्स,

    The Oberoi Cosmetic FFC कंपनी...
    FFC (Forest Face Care)

    बड़ी सी कांच की इमारत, जो करीबन 50 फ्लोर की थी, वह पूरी नीले कांच से ढकी हुई थी। जिसमें 45वें फ्लोर पर एक आदमी, ब्लैक कलर का थ्री-पीस सूट पहने, फोन पर बात करते हुए कह रहा था, "अच्छा, तो आज की सभी तैयारी हो गई? सभी मीडिया वालों को बुला लो। आज सभी ब्रांड वाले भी देखेंगे हमारे नए ब्यूटी प्रोडक्ट को..."

    दूसरी तरफ से किसी की आवाज आई, "सभी तैयारियाँ हो गई हैं। आप भी सर, नीचे कॉन्फ्रेंस हॉल में आ जाएँ..."

    यह सुनते ही वह आदमी बोला, "ठीक है, सबको बैठा दो, मैं अभी आ रहा हूँ..."

    दूसरी तरफ से आवाज आई, "ठीक है, अवीक सर..."

    यह अवीक ओबेरॉय, ओबेरॉय कंपनी के CEO थे, जिनकी उम्र करीबन 29 साल थी। जिनकी पर्सनैलिटी बेहद आकर्षक और चार्मिंग थी। अवीक की एक समस्या थी, वह अपने सामने बैठे हुए हर एक के मन की बात जान लेता था और उसे अपने बिज़नेस में 2% का भी लॉस बर्दाश्त नहीं होता था।

    अवीक ओबेरॉय जल्दी से नीचे जाकर कॉन्फ्रेंस हॉल में पहुँच गया। उसके आते ही वहाँ बैठे सारे लोग खड़े हो गए और सभी मीडिया वाले एक के बाद एक सवालों की बौछार करने लगे। उसके आते ही वहाँ पर आवाज़ की गूंज होने लगी। तभी अवीक ने अपनी गहरी और कड़क आवाज़ में कहा, "गुड इवनिंग, माई डियरेस्ट..."

    उसके इतना बोलते ही वहाँ पर हो रहा शोर शांत हो गया! और सभी लोग अवीक की ओर देखने लगे। आज वहाँ पर बड़े पैमाने पर बड़े लोग आए हुए थे।

    अवीक: "मैं आज आप सबके सामने मेरा एक नया ब्यूटी प्रोडक्ट लॉन्च करने जा रहा हूँ..." वह इतना कहकर सामने स्क्रीन पर रखी हुई लाइट जला देता है! जिसमें एक बेहद ही प्यारी और काली आँखें दिखाई गई थीं! और नीचे लिखा हुआ था... 24 hr fresh eyeliner... is eye of earth...

    उसका नाम Eye of Earth रखा था।

    यह सुनते ही सभी लोग अवीक की ओर बेहद खुश होते हुए देखने लगे। अवीक उन सभी के बारे में बता रहा था और वह यह भी कह रहा था कि यह प्रोडक्ट सिर्फ़ अमीर घरों में ही नहीं, बल्कि हर घर के लोग खरीद सकते हैं। इसका प्राइस होगा 50 रुपये...

    यह सुनते ही वहाँ पर एक बार वापस से आवाज़ का शोर गूंजने लगा! साथ ही साथ वहाँ मौजूद दूसरे ब्रांड वाले लोग हैरानी भरी आँखों से अवीक की ओर देखने लगे।

    एक रिपोर्टर सवाल करते हुए पूछती है, "आप इतने बड़े ब्रांड के मालिक हो... आपका एक प्रोडक्ट मामूली सा लोशन 500 रुपये से शुरू होता है... फिर आप इतना सस्ता क्यों बेच रहे हैं? क्या इसमें कोई खराबी है?"

    यह सुनते ही अवीक उन्हें शांत करते हुए कहता है, "इसके पीछे मेरा एक ही उद्देश्य है कि अब मैं अपना प्रोडक्ट हर घर में ले जाऊँ... मैं अपना प्रोडक्ट हर घर में देखना चाहता हूँ... इसलिए मैंने यह प्राइस रखी हुई है..."

    यह सुनते ही वहाँ मौजूद सारे मीडिया वाले अवीक की बात सुनकर इम्प्रेस हो जाते हैं! और अवीक के कानों में तालियों की आवाज़ गूंजने लगती है...

    अवीक उन सभी लोगों को आईलाइनर के बारे में बता देता है और बाद में सभी को खाने का कहने लगता है। अवीक ओबेरॉय, जो दिल से अच्छा लेकिन दिमाग से बेहद चालाक था...उसकी पीठ पर हाथ रखते हुए उसका दोस्त आरव हँसते हुए कहता है, "वाह भाई! क्या दिमाग लगाया है..."

    अवीक डेविल स्माइल करते हुए कहता है, "इसे तो कहते हैं बिज़नेस... सभी लोगों को लगता है मैंने इसलिए किया है ताकि यह हर घर में पहुँचे... नहीं, यह बात तो वैसे सच है, लेकिन इन सभी के प्राइस के साथ वो लोग मेरे दूसरे प्रोडक्ट को खरीदने के लिए मजबूर हो जाएँगे... और मेरा बिज़नेस टॉप 10 से टॉप 5 में आ जाएगा..."

    आरव उसकी बात सुनकर हँसने लगता है।

    आरव मेहरा, जो अवीक का खास दोस्त है, वह उस कंपनी में स्किन केयर का डिपार्टमेंट संभालता है। उन दोनों की बातचीत अभी चल ही रही थी, तभी वहाँ पर एक मीडिया वाली आती है! और वह अवीक से सीधे क्वेश्चन पूछते हुए कहती है, "आप हमें अपने आने वाले नए प्रोजेक्ट के बारे में कुछ हिंट देकर बताएँ..."

    यह सुनते ही अवीक स्माइल करता है! और अपनी गहरी आवाज़ में कहता है, "मेरा नया प्रोजेक्ट सबके दिल में राज करने वाला है... वह अभी आपको नहीं पता चलेगा... लेकिन जैसे ही कुछ खबर होगी, मैं आपको बता दूँगा..." वह इतना कहकर वहाँ से आगे चल जाता है। यह देखकर वह मीडिया वाली खुश होते हुए कहती है, "यार! यह अवीक ओबेरॉय तो दूर से ही नहीं, बल्कि पास से तो कुछ ज़्यादा ही हैंडसम लगता है..."

    आरव और अवीक दोनों ही साथ में थे। तभी आरव के फोन पर किसी ज़रूरी काम के लिए कॉल आ जाता है। थोड़ी देर बाद वह कॉल से बात करने के बाद अवीक के पास आता है! और उसको कहता है, "कल हमारी मीटिंग है तमिलनाडु में... हमें जाना है। वहाँ पर हमारी बड़ी कॉन्फ्रेंस रखी गई है! और उसमें से हमें एक लड़की को सेलेक्ट करके हमारी ब्रांड की मॉडल भी बनानी है... तुम्हें याद है ना...?"

    अवीक: "जी हाँ, ठीक है... तो हमारी जाने की व्यवस्था करवा दो..."

    आरव: "ठीक है..."


    किस्मत में लिखा हुआ कहीं नहीं जाता है...
    उसे आज नहीं तो कल मिल ही जाता है...
    कल वो हमारे नहीं होते, वो हमारे आज हो जाते हैं...
    किस्मत हमें बेवजह किसी से नहीं मिलाती...
    किस्मत के आगे हर कोई अपना सिर झुकाता है...

  • 3. You are my therapist - Chapter 3

    Words: 1229

    Estimated Reading Time: 8 min

    अवीक आरव की बात सुनकर कहा, "ठीक है, हमारी तमिलनाडु जाने की तैयारी शुरू कर दो।"

    ये सुनते ही आरव बोला, "जी मेरे बनियान..."

    दोनों वहाँ से बाहर निकल गए। आरव कल की तैयारी करने चला गया। और अवीक ने सोचा कि पहले वो घर जाकर सबको ये सूचित कर दे कि वो कल तमिलनाडु जा रहा है। इसलिए वो वहाँ से बाहर निकल ही पाया था कि उसे उसका सेक्रेटरी अंशुमान दिखाई दिया। अंशुमान अवीक को देखते हुए बोला, "अवीक सर, अवीक सर..."

    अवीक अंशुमान की आवाज सुनकर रुक गया और पीछे मुड़कर उसे घूरते हुए कहा, "कहो?? क्या हुआ??"

    "सर, आपसे मिलने के लिए कोई मैडम आई हैं।"

    "कौन?? मैडम..."

    "मैंने उनको पूछा, लेकिन वो बता ही नहीं रही हैं। वो इतना ही कह रही हैं कि वो बात करेंगी तो सिर्फ और सिर्फ अवीक से।"

    अवीक अपनी भौंहें ऊपर चढ़ाते हुए बोला, "ऐसा कौन आया है??"

    "कहाँ पर हैं???"

    अंशुमान ने कहा, "फिलहाल तो वो अब आपके केबिन में हैं।"

    अवीक की बात सुनकर अवीक अपने केबिन में जाने के लिए निकल पड़ा।

    उसके केबिन में आते ही अवीक अंशुमान को वहाँ से जाने के लिए कह दिया। ये देखते ही अंशुमान वहाँ से निकल गया।

    अवीक अपने आप से बोला, "अब ये कौन आई???"

    अवीक अंदर गया और जब उसने सामने बैठी हुई लड़की को देखा तो उसकी आँखें हैरानी से भर गईं! सामने कोई और नहीं, बल्कि अवीक की बचपन की दोस्त राधिका बैठी हुई थी! जिसने शॉर्ट कपड़े, बेबी पिंक कलर की जैकेट और लिपस्टिक लगाई हुई थी। उसको देखकर अवीक मुस्कुराते हुए बोला, "राधिका तुम???"

    "हाँ मैं..." वो भी मुस्कुरा दी और उसे हग करने के लिए चली गई।

    दोनों ने एक-दूसरे को हग कर लिया।

    "तुम यहाँ कब आई???"

    "मैं कल रात को ही आई हूँ!"

    दरअसल, राधिका पढ़ाई के लिए लंदन चली गई थी और बाद में कुछ साल वहाँ ही शिफ्ट हो गई थी। उसने अपने पापा के बिज़नेस को लंदन में ही डेवलप कर दिया था। वो भी जानी-मानी बहुत बड़ी कॉस्मेटिक और ब्यूटी मॉडल है। उसकी कंपनी के सारे प्रोडक्ट्स (Radhika's Beauty Brand) की तस्वीर राधिका ही है, यानी कि उसके प्रोडक्ट की मॉडल वो खुद ही है।

    "तुम तो बिल्कुल जैसे प्रोडक्ट में दिखती हो, वैसी हो।"

    राधिका उसकी बात सुनकर हँसते हुए बोली, "तुम भी अवीक, क्या बात करते हो..."

    अवीक और राधिका दोनों ही एक-दूसरे के साथ बात करने लगे।

    "अब कहो, क्या प्लान है???"

    "किस बारे में???"

    "मेरेज के बारे में और क्या?? कोई मिला या अभी तक सिंगल ही हो???"

    राधिका उसकी बात सुनकर बोली, "तो तुम ये चाहते हो?? मैं तुम्हें छोड़कर दूसरे लड़के के साथ शादी कर लू???"

    अवीक ये बात सुनकर हैरानी भरी आँखों से राधिका को देखने लगा।

    राधिका उसका रिएक्शन देखकर थोड़ी देर उसे देखती रही, बाद में जोर-जोर से हँसते हुए बोली, "अरे बाबा, मैं मजाक कर रही हूँ..."

    अवीक ये सुनते ही बोला, "हे भगवान, ऐसे कौन डराता है??? मुझे लगा कि तुम वो अभी तक नहीं भूली..."

    "नहीं, कैसी बात कर रहे हो। मुझे भी पता है तुम भी तब छोटे थे और मैं भी छोटी थी! वैसे वो बात तो तुम भी नहीं भूले..."

    अवीक ये सुनते ही हँसते हुए बोला, "अरे, मुझे याद आते ही इतनी हँसी निकल जाती है कि मैं बचपन में ऐसा भी करता था!"

    राधिका भी उसकी बात पर हँसने लगी और आगे बात करते हुए बोली, "मुझे लंदन में शिफ्ट हुए २० साल हो गए थे। मैंने सोचा मैं तुम्हें मिलने के लिए आ जाती हूँ, वरना तुम तो मिलने से रहते मुझे..."

    "ऐसा कुछ नहीं है..." वो इतना कहकर मुस्कुराने लगा और बोला, "रुको राधिका, मैं कुछ ऑर्डर करता हूँ।" वो इतना कहकर डेस्क के पास जाकर कुछ ऑर्डर करने लगा।

    उसको ऑर्डर करते हुए राधिका लगातार देख रही थी। वो अपने मन ही मन में बोली, "काश तुम्हारा बचपन का वादा सच होता... और तुम अभी मेरे होते..."

    राधिका और अवीक दोनों ही बचपन के दोस्त हैं। जब वो दोनों छोटे थे, तब उन्होंने खेल-खेल में नकली शादी की थी और उन्होंने पति और पत्नी दोनों का रोल निभाया था। यहाँ तक अवीक ने राधिका को यह तक कह दिया था कि अगर मैं सच में शादी करूँगा तो सिर्फ राधिका से। उसके बाद राधिका बाहर शिफ्ट हो गई और वक्त के साथ अवीक उन सभी जज़्बातों को भूलता चला गया। वैसे भी कहते हैं, बचपन की यादें एक मासूम फूल की कली की तरह होती हैं... लेकिन ये बात राधिका के लिए गलत साबित हुई। समय के साथ-साथ राधिका के अंदर अवीक के लिए फीलिंग बढ़ती गईं।

    राधिका को अपनी तरफ इस कदर देखते हुए वो इशारे से बोला, "क्या हुआ???"

    "कुछ नहीं..."

    तभी वहाँ पर आरव आते हुए बोला, "ओये मेरे बनियान, देखो हमारे जाने की सभी तैयारी हो गईं। चलो अब..." वो अपने दोनों हाथ हवा में लहराते हुए आ रहा था। तभी उसकी नज़र सामने बैठी हुई खूबसूरत लड़की पर गई। उसको देखकर आरव अचानक से रुक गया और उसको लगातार देखने लगा। उसे ये लग रहा था कि उसके आस-पास गिटार बज रहा है। वो अपने मन ही मन में गाना गाने लगा, "तुम्हें देखा तो ये जाना सनम..." वो अभी आगे गा पाता, उससे पहले अवीक उसे हिलाते हुए बोला, "कहाँ खो गया मेरे चड्डी..."

    आरव ये सुनकर अपना मुँह बिगाड़ते हुए बोला, "कभी तो सही से बोला कर..." वो इतना कहकर राधिका की ओर देखने लगा।

    राधिका जो सोफे पर बैठकर ये सब देख रही थी, उसके फेस पर मुस्कान आ गई।

    उसको मुस्कुराते हुए देखकर आरव अवीक के कानों में आकर बोला, "सुन बनियान, ये कौन हैं?? तूने कभी बताया नहीं। ये तेरी...?"

    वो आगे बोल पाता, उससे पहले ही अवीक ने उसे चिमटी काटते हुए कहा, "ये मेरी बचपन की दोस्त है।"

    राधिका की ओर देखते हुए आरव बोला, "लेकिन इनको कहीं देखा नहीं..."

    "वो फ़ौरन शिफ्ट हो गई थी। इसलिए... चल, मैं तुझे मिलवाता हूँ। राधिका, ये मेरा सबसे अच्छा दोस्त है। तुम्हारे जाने के बाद आरव ने ही मुझे संभाला है।"

    राधिका ये सुनते ही बोली, "अच्छा..." वो मुस्कुराते हुए अपना हाथ आगे कर दिया। ये देखकर खोया हुआ आरव उससे हाथ मिलाते हुए बोला, "Hi राधिका, मैं चड्डी मेहरा..."

    बचपन की यादें फूल की कली की तरह होती हैं, नाजुक... उसको संभाला नहीं गया तो वो टूट जाती हैं। वैसे ही यादें संभाली नहीं गईं तो उसे भूलने में वक्त नहीं लगता।

    क्रमशः

  • 4. You are my therapist - Chapter 4

    Words: 1220

    Estimated Reading Time: 8 min

    आरव राधिका के सामने देखते हुए कहा, "हैलो राधिका.. मेरा नाम चड्डी मेहरा..."

    ये सुनते ही राधिका उसके सामने एक कन्फ्यूज सा चेहरा बनाकर देख रही थी! और बाद में राधिका की नज़र उसके पास खड़े अवीक पर गई।

    अवीक ने आरव को जोर से चिमटी भर दी। तभी आरव बोला, "मेरा मतलब, मेरा नाम आरव मेहरा..."

    राधिका उसकी यह बात सुनकर जोर-जोर से हंसने लगी। राधिका आरव को देख रही थी! आरव उसे अपनी ओर देखते हुए पागल हो गया! लेकिन तभी उसे पता चला कि राधिका उसे अपना हाथ छोड़ने के लिए कह रही थी, जो अभी भी दोनों ने हैंडशेक के लिए पकड़े हुए थे।

    अवीक बीच में हाथ रखते हुए बोला, "आरव, मेरे भाई, चलो हमें निकलना भी है..."

    "कहां पर??", राधिका ने पूछा।

    "तमिलनाडु। हमारा एग्ज़िबिशन है। और हमारे प्रोडक्ट के लिए नई मॉडल भी चाहिए इसलिए...", अवीक ने बताया।

    "अरे उसकी क्या ज़रूरत है?? मैं हूँ न.. चलो, मैं ही मॉडल बन जाती हूँ..", राधिका ने कहा।

    "बुरा मत लगाना.. लेकिन हमें ब्रांड वाली या महंगी मॉडल चाहिए.. हम उनको मौका देना चाहते हैं जिनका सपना है मॉडलिंग करने का...", अवीक ने समझाया।

    राधिका यह सुनते ही मुस्कुरा दी और हाँ में सिर हिला दिया।

    अवीक ने उससे पूछा, "तुम इंडिया में कब तक हो???"

    "मैं अभी दो महीने तक!", राधिका ने जवाब दिया।

    "ठीक है, तो तुम मेरे साथ घर चलो। सामान और रहना वहाँ पर दो महीने तक...", अवीक ने प्रस्ताव रखा।

    "नहीं-नहीं, मैं अपने फार्म हाउस पर चली जाऊँगी! वैसे भी मुझे यहाँ पर बहुत सारे काम हैं...", राधिका ने मना किया।

    "ठीक है... तो हम चलें??", अवीक ने राधिका से पूछा।

    राधिका अभी अवीक के घर जा रही थी ताकि वह सब से मिल सके। दोनों के जाते ही आरव, जो अभी तक राधिका को देख रहा था, उसने अपने उस हाथ को चूमा, जिस हाथ से राधिका ने आरव के हाथों को पकड़ा हुआ था।


    दूसरी ओर, ओविया और अधीर साहब दोनों ही अभी फ़्लाइट में थे। अधीर साहब ओविया को देखते हुए अपने मन ही मन में कह रहे थे, "एक बार हमें वहाँ पर पहुँचने दो.. बाद में तू कौन और मैं कौन..", वो मन ही मन में हँसने लगे।


    इधर मुंबई, अवीक और राधिका दोनों ही ओब्रॉय मेंशन में आ गए थे। तभी राधिका पूरे बंगले को देखते हुए बोली, "ये काफी एथेस्टिक है..." अवीक मुस्कुराते हुए बोला, "होगा तो सही न..." "ये किसका है?", राधिका ने पूछा।

    "अंकल का..", राधिका ने जवाब दिया।

    अवीक उसे घूरने लगा और राधिका ने उसके लिए माफ़ी माँगी। अवीक और राधिका दोनों ही अभी हाल में पहुँचे थे, तभी वहाँ पर बड़ी दादी आ गईं, जिनका नाम मालती देवी था, करीबन 65 साल की। मालती देवी ने पटियाला ड्रेस पहना हुआ था, उनकी आँखों पर काला चश्मा लगा हुआ था और उनके हाथों में एक बड़ा सा स्मार्टफ़ोन था। मालती देवी अवीक के साथ एक लड़की को देखकर हैरान हो गईं और उन्होंने अवीक से इशारे से पूछा, "ये कौन है???"

    अवीक उनका इशारा पाते ही बोला, "दादी ये हैं राधिका, मेरी स्कूल और बचपन की दोस्त..."

    "राधिका??", मालती देवी ने याद करते हुए कहा।

    "हाँ दादी, मैं...", राधिका ने कहा।

    "अरे वही न, जो अभी लंदन से आई है??", मालती देवी ने पूछा।

    "हाँ दादी, वही..", राधिका ने उत्तर दिया।

    "आपको कैसे पता??", अवीक ने हैरानी से पूछा।

    राधिका और दादी दोनों ही साथ में हँसने लगीं और अवीक हैरानी भरी आँखों से दोनों की ओर देखते हुए बोला, "क्या हुआ???"

    अवीक की बात सुनकर दादी हँसते हुए बोलीं, "मैंने इसका इंस्टा स्टोरी देखा था!"

    अवीक हैरानी भरी आँखों से बोला, "क्या?? इंस्टा?? आपने कब खोला???"

    मालती देवी ने अपनी आँखें दिखाते हुए कहा, "अभी कल ही.. क्या तुम्हें नहीं पसंद आया???"

    "नहीं दादी, ऐसी कोई बात नहीं है...", अवीक ने कहा।

    राधिका को दादी का स्वभाव बेहद पसंद आ गया। वह दादी जी के साथ बात ही कर रही थी, तभी अवीक बोला, "अच्छा, अब मैं चलता हूँ.."

    "कहाँ पर??", मालती देवी ने पूछा।

    राधिका बीच में बोलते हुए बोली, "इसे तमिलनाडु जाना है.. अपने बिज़नेस के चलते.."

    मालती देवी हँसते हुए और अवीक को हैरान करते हुए बोलीं, "वाह! अब हमसे पहले राधिका को सब पता होगा??", वो हँसते हुए बोलीं।

    राधिका यह सुनते ही मुस्कुराने लगी और उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया। यह देखकर अवीक राधिका को घूरने लगा।

    राधिका को जब पता चला कि अवीक उसे ही देख रहा है, वह शांत बैठ गई।

    "आंटी??", राधिका ने पूछा।

    "वो अपने मायके गई है.. और अंकल बिज़नेस के चलते आउट ऑफ़ कंट्री हैं...", मालती देवी ने बताया।

    "अच्छा...", राधिका ने कहा।

    "जी हाँ, अभी मैं और इसका छोटा भाई, हम दोनों ही हैं..", मालती देवी ने कहा।

    राधिका हँसते हुए बोली, "अरे हाँ, वो गोलू-मोलू बच्चा कहाँ है???"

    पीछे से आवाज आई, "अब वो गोलू-मोलू नहीं रहा। अब वो काफी हैंडसम हो गया है.." यह सुनते ही राधिका पीछे मुड़ गई। पीछे एक बेहद ही हैंडसम सा लड़का था, जिसकी उम्र 24 साल की थी और उसके हाथ में बास्केटबॉल पकड़ा हुआ था। उसकी पूरी टी-शर्ट पसीने से लथपथ थी और उसके चेहरे पर अजीब से भाव थे, जैसे कि वह कह रहा हो, "ये कौन है?"

    अवीक उसे घूरते हुए बोला, "इतनी रात कहाँ से???"

    वो लड़का आगे आते हुए पहले राधिका को देखता है और बाद में अपनी मासूम आवाज बनाते हुए कहता है, "भाई, मैं बड़ी मेहनत कर रहा था! इसलिए.."

    अवीक उसके करीब आते हुए बोला, "क्या यह बात दादी को पता है?? कि तूने अभी एक पेग मारा है?"

    वो लड़का हैरानी भरी आँखों से बोला, "आपको कैसे पता???"

    "मैं तुझे उम्र में और एक्सपीरियंस दोनों में ही बड़ा हूँ...", अवीक ने कहा।

    "प्लीज मत कहना दादी से..", लड़के ने विनती की।

    "ठीक है...", अवीक ने कहा।

    वो लड़का खुश हो गया। राधिका बोली, "अरे हमसे तो बात करो।"

    वो लड़का पीछे मुड़ता है और अपने हाथ को आगे करते हुए कहता है, "मेरा नाम अभय.."

    "Nice to meet you..", राधिका ने कहा।

    बाद में सभी लोग डिनर के लिए बैठ गए और खाना खाने के बाद राधिका अपने घर और बाकी सब सोने के लिए चले गए।

    दूसरे दिन सुबह 6 बजे, आरव जल्दी से नीचे कार लेकर आ गया और अवीक आरव के साथ तमिलनाडु जाने के लिए निकल पड़ा।


    दूसरी ओर (तमिलनाडु में), ओविया एक बंद कमरे में सिसक-सिसक कर रो रही थी! उसके लिप्स और आँखों के नीचे चोट के गहरे धब्बे थे, बिखरे हुए बाल... उसकी ऐसी हालत देखकर सामने बैठा हुआ आदमी बेहद खुश हो रहा था! और वो कहता है, "अब जाके मुझे अच्छा लगा है.. तुमने क्या सोचा?? तुम अगर वहाँ पर रहोगी तो मुझे पता नहीं चलेगा??? Ha ha ha तुम्हें अब मुझसे कोई नहीं बचा सकता.. कोई भी नहीं।" ओविया यह सुनते ही और ज़्यादा रोने लगी।

    To be continued...

    आखिर ओविया के साथ क्या हो रहा है??
    वो आदमी कौन है??
    क्या लिखा है ओविया के किस्मत में??

  • 5. You are my therapist - Chapter 5

    Words: 1148

    Estimated Reading Time: 7 min

    तमिलनाडु

    ओविया एक कमरे में बैठी-बैठी सिसक-सिसक कर रो रही थी। उसकी हालत बेहद खराब थी। उसके सामने बैठा आदमी अपनी गहरी आवाज़ में हँसते हुए बोला, "तुम्हें क्या लगा? तुम मेंटल हॉस्पिटल में जाकर बच जाओगी? लेकिन तुम गलत थीं। तुम नहीं बचीं और वापस से तुम मेरे पास आ गईं। अब तुम्हें कौन मुझसे बचाएगा?"

    ओविया ये सुनते ही अपने पैरों के आगे सिर रखकर वापस रोने लगी और रोते हुए बोली, "आखिर तुम मेरा पीछा क्यों नहीं छोड़ रहे हो? क्या चाहिए तुम्हें? तुम्हें जो चाहिए था वो कल रात जबरदस्ती करके ले लिया, अब क्या बाकी रह गया है?"

    ये सुनते ही वो आदमी हँसते हुए बोला, "सिर्फ़ जिस्म नहीं चाहिए, मुझे तुम चाहिए... तुम और तुम... आत्मा भी मेरे नाम करनी होगी। तुम्हें मुझसे प्यार करना होगा।"

    "प्यार इस तरह जबरदस्ती करके नहीं होता।" वो रोते हुए उस आदमी को जवाब दिया।

    वो आदमी हँसते हुए बोला, "तो क्या तुम्हें अपने फैमिली की परवाह नहीं है? क्या तुम्हें अपने पापा की फ़िक्र नहीं है?"

    "फ़िक्र है, इसलिए तो मैं तुम्हारा ये स्वभाव सहन कर रही हूँ।"

    वो आदमी हँसते हुए बोला, "बेबी करना तो पड़ेगा देखो, वरना तुम्हारे फैमिली वाले सड़क पर आ जाएँगे।"

    ओविया उसको लगातार देख रही थी।

    दूसरी ओर, अवीक और आरव दोनों ही अब तमिलनाडु पहुँच गए थे। तमिलनाडु के चेन्नई शहर में उन्होंने अपने प्रोडक्ट के लिए एग्ज़िबिशन रखा हुआ था और साथ ही साथ पास वाले स्कूल में चीफ़ गेस्ट भी थे। वो सभी शेड्यूल के चलते, वो दोनों आज बहुत ही बिज़ी थे।

    "सब हो गया?" अवीक ने पूछा।

    "हाँ, सब कुछ हो गया है।" आरव ने जवाब दिया।

    "ठीक है, तो पहले हम दोनों स्कूल में जाते हैं। दोपहर के बाद एग्ज़िबिशन संभालेंगे।" अवीक ने कहा।

    "ठीक है भाई।" आरव ने कहा।

    वो दोनों स्कूल में जाकर प्रोग्राम अटेंड कर लेते हैं।

    थोड़ी देर बाद, अवीक अपने एग्ज़िबिशन में मॉडल को देख रहा होता है, तभी उसके कानों में पीछे से सिक्योरिटी गार्ड की आवाज़ सुनाई देती है, "तुम अंदर नहीं जा सकतीं! पकड़ो किसी इस पागल लड़की को, जल्दी-जल्दी!" इतना कहकर वो अंदर आने लगते हैं। अवीक और आरव दोनों ही ये सुनकर हैरान हो जाते हैं, आखिर बात क्या है?

    तभी वो दोनों देखते हैं, एक पागल लड़की, जिसके बिखरे हुए बाल हैं, जिसके पूरे बदन पर घाव के निशान हैं, जो अभी अंदर आ रही है दौड़ते हुए।

    अवीक उसे देखकर मुँह बना लेता है और सिक्योरिटी गार्ड को कहता है, "आखिर कौन है ये?"

    अवीक की तेज आवाज़ सुनकर वो लड़की अपने बाल सही करते हुए अवीक के सामने देखती है। वो लड़की कोई और नहीं, बल्कि ओविया थी।

    ओविया सामने खड़े लड़के, यानी कि अवीक के पास जाते हुए कहती है, "मुझे बचा ले, प्लीज़। आप मुझे बचा लीजिए। मेरी कोई गलती नहीं है।" ओविया के बदन पर घाव के निशान देखकर अवीक सिक्योरिटी गार्ड को कहता है, "एक काम करिए, आप लोग जाइए और डॉक्टर को बुला लीजिए, लेकिन लेडीज़ डॉक्टर होनी चाहिए।" उसके घाव की ओर देखते हुए वो कहता है।

    "अरे ये क्या कर रहा है? छोड़, ये तो दिखने में भी पागल लगती है। इसका कोई वजूद नहीं है। यार हमें इन सब में नहीं पड़ना चाहिए।" आरव ने कहा।

    "पागल है तो क्या हुआ? जीने का हक़ तो उसे भी है।" इतना कहकर अवीक एक लड़की को एक कमरे में ले जाने के लिए कह देता है।

    आरव इसके आगे कुछ नहीं बोलता। वो दोनों एग्ज़िबिशन अटेंड करने लगते हैं। एक से एक बड़ी मॉडल आई हुई थीं और उन सभी ने अवीक के प्रोडक्ट को परफेक्ट लग रही थीं। लेकिन अवीक था कि किसी को सेलेक्ट ही नहीं कर पा रहा था। तभी आरव उसे घूरते हुए कहता है, "ये आखिरी लड़की है, बस इसके आगे कोई नहीं है।"

    "बुला लो।" अवीक ने कहा।

    आरव उसके बाद उस लड़की को बुला लेता है।

    लेकिन अवीक था कि उसको भी रिजेक्ट कर देता है। ये देखकर आरव मुँह बनाते हुए कहता है, "तुम्हें आखिर में कैसी लड़की चाहिए?"

    तभी अवीक के दिमाग में पागल लड़की का ख्याल आने लगता है और वो कहता है, "ये सब छोड़, चल मेरे साथ, देखते हैं कि वो लड़की ठीक है या नहीं!"

    "तुम क्यों?" आरव आगे बोल पाता है, उसे पहले ही अवीक वहाँ से चल जाता है। उसे जाते हुए देख आरव गुस्सा करते हुए कहता है, "ये सब कुछ इस पागल की वजह से हुआ है।"

    अवीक ओविया जहाँ पर थी, उस तरफ़ चला जाता है। तभी अंदर से उस लड़की के चिल्लाने की आवाज़ सुनाई देती है। ओविया पूरी तरह से दर्द में चिल्ला रही थी! ये देखकर अवीक को पता चल जाता है कि अभी ओविया के घाव का इलाज हो रहा है।

    तभी वहाँ पर आरव भी आ जाता है। कुछ मिनट के बाद डॉक्टर बाहर आती है और वो अवीक के सामने देखते हुए कहती है, "ये पुलिस केस होना चाहिए।"

    ये सुनते ही अवीक हैरानी भरी आँखों से कहता है, "क्यों?"

    डॉक्टर: "क्योंकि इसके साथ रेप हुआ है! वो भी बहुत ही बुरी तरह से। उसके घाव भी गहरे हैं और साथ ही साथ बदन पर भी कई चोटों के निशान हैं। और हाँ, मुझे लगता है ये लड़की थोड़ी मेंटली अनस्टेबल है। इसे किसी की ज़रूरत है जो इसका ख्याल रख सके और साथ ही साथ उसे संभाल सके। अगर आप चाहें तो आप इन्हें..." वो आगे बोल पाती है, उसे पहले आरव घूरते हुए कहता है, "क्या? इस लड़की को अवीक संभालेगा?"

    डॉक्टर: "नहीं, मेरा वो मतलब नहीं है। आप मेरी पूरी बात सुनिए। अगर आप चाहें तो अच्छे से एक मेंटल हॉस्पिटल में इनका इलाज करवा सकते हैं। वो लोग इस लड़की का अच्छी तरह से ख्याल रख पाएँगे।"


    अवीक ये सुनते ही डॉक्टर को धन्यवाद कह देता है।

    अवीक एक गहरी सोच में पड़ा हुआ था। वो एक बार अंदर जाकर ओविया को देखना चाहता है। तभी आरव कहता है, "इसे यहीं के पुलिस स्टेशन में दे देते हैं, ताकि ये लोग..."

    "नहीं आरव।" अवीक अपनी गहरी आवाज़ में कहता है, "तुम्हें पता है, अभी तक रेपिस्ट को अच्छी सज़ा नहीं मिली है और कई इसका फ़ायदा उठाकर कोई और इस लड़की को परेशान करने लगे तो?"

    "तो फिर तू क्या चाहता है?" आरव ने पूछा।

    अवीक कुछ सोचते हुए कहता है, "इसे हम ले जाते हैं, हमारे साथ।"

    To be continued...

    आखिर में ओविया वहाँ से कैसे आई?
    क्या अवीक ओविया को लेकर जाएगा?
    क्या होगा? कौन है वो आदमी? क्या वो आधीरा साहब तो नहीं?

  • 6. You are my therapist - Chapter 6

    Words: 1088

    Estimated Reading Time: 7 min

    अवीक कुछ सोचते हुए बोला, "इसे हम अपने साथ लेकर जाएँगे..." यह सुनते ही आरव अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से अवीक की ओर देखने लगा और बोला, "तुम क्या कह रहे हो?? तुम्हें पता भी है???"

    अवीक ने कहा, "हमारे साथ मतलब... हम उसे मुंबई के हॉस्पिटल में भर्ती करवा देंगे..." यह सुनते ही आरव बोला, "इतना हमे इन सब में पड़ना क्यों है???"

    अवीक: "हम इसकी मदद नहीं करेंगे तो सोचो इसके साथ क्या-क्या हो सकता है!" यह सुनते ही आरव बोला, "ठीक है! हमें लगता है कि हमें इसे मुंबई लेकर ही जाना चाहिए..."

    दोनों ने डॉक्टर से लिखवा दिया। और अवीक अपने काम के लिए आया था! वह काम उसने आज किया ही नहीं! यह देखते हुए अवीक अपने मन ही मन में बोला, "पहली बार किसी लड़की की वजह से अपना काम नहीं कर पाया! पता नहीं यह कहाँ से आ गई! वो इतना कहकर सोती हुई Oviya की ओर देखने लगा।"

    अवीक अब काम से पूरी तरह से डिस्ट्रैक्ट हो गया था। वह आरव को बिना बताए छत पर चला गया। अवीक वहाँ खड़े-खड़े कुछ सोचने लगा। तभी उसके फ़ोन पर आरव का कॉल आ गया। आरव के कॉल आते ही उसने कॉल उठा लिया। "हाँ भाई, बोल!"

    दूसरी ओर से आरव अपनी चिंता भरी आवाज़ में पूछा, "कहाँ पर है???"

    अवीक: "मैं छत पर!"

    आरव: "छत पर?? लेकिन क्यों???"

    अवीक: "बस शांति चाहिए थी! जो मुझे यहाँ आकर मिल रही है!"
    यह सुनते ही आरव बोला, "अरे तू नीचे आ जा, उस लड़की को होश आ गया है!"

    आरव की बातें सुनकर अवीक बोला, "क्या सच में???"

    आरव: "हाँ भाई, चल..."

    अवीक नीचे आ गया। जब उसने Oviya को देखा, तो उसे देखते ही रह गया; उसका यह मासूम चेहरा जिसके पीछे छिपा हुआ यह दर्द... यह याद करते ही अवीक की आँखें भर आईं।

    अवीक कुछ देर वहीं बैठा रहा और बाद में Oviya को प्राइवेट स्पेस देकर चला गया।

    अवीक के जाते ही Oviya के कमरे में कोई नहीं था। Oviya अपने हाथ पैरों के पास लाते हुए बोली, "हे भगवान, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद! आज आपकी वजह से मैं उस जेल से निकल पाई हूँ!" वह इतना कहकर फ्लैशबैक में चली गई।

    फ्लैशबैक

    Oviya के सामने बैठा हुआ आदमी, जो लगातार जानवर की तरह Oviya की परेशानी पर हँस रहा था, तभी उसके फोन पर किसी का कॉल आ गया। उसने कॉल उठाकर कहा, "कहो..... क्या???? वो हैरानी भरी आँखों से फोन में बात करता हुआ बोला, "नहीं-नहीं, तुम फिक्र मत करो, मैं अभी आता हूँ! और हाँ, उसका ख्याल रखना! बस मैं अभी आ रहा हूँ!" वह इतना कहकर कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। कॉल रखते ही Oviya की ओर देखने लगा और बोला, "आज रात के लिए तू बच नहीं...वरना आज भी कल की तरह तुझे मुझे चखना था!" यह सुनते ही Oviya वापस घबरा गई।

    Oviya को घबराते हुए देखकर वह आदमी बोला, "न-न, डर मत... तू बिलकुल डर मत... अब देखो मैं तुम्हें यहाँ छोड़कर जा रहा हूँ, लेकिन वापस आकर तुम्हें अपनी मदहोशी में ले लूँगा! तुम्हें मैं इतना प्यार करूँगा कि तू बचकर भी गई तो किसी के साथ प्यार करने से डरेगी! तुझे भले ही ऐसा लगा कि मैं तुम्हें मेंटल हॉस्पिटल से कैसे ले आया, तो तुझे उसके लिए मेरे खास दोस्त Mr. अधीरा साहब का धन्यवाद करना चाहिए... क्योंकि उसकी वजह से आज तू मेरे पास है..." वह इतना कहकर वापस हँसने लगा। उसकी हँसी डरावनी थी! लेकिन अब जब Oviya को पता चला कि अभी वह वापस कहीं जा रहा है, तो उसके जान में जान आ गई और मन ही मन में बोली, "मुझे कुछ तो ऐसा करना होगा! जिससे मैं यहाँ से बचकर बाहर जा पाऊँ..."

    वह आदमी Oviya के करीब आया। वहाँ काफी अंधेरा था। सिवाय Oviya को उसकी आवाज़ ही आ रही थी। Oviya ने कभी उस इंसान को देखा नहीं। कल रात भी उसने Oviya का चेहरा बांधकर उसके साथ दुष्कर्म किया था। आज भी अंधेरा था जिसकी वजह से Oviya उसे देख नहीं पा रही थी। वह सिर्फ़ उसकी आवाज़ से ही उसे पहचान पा रही थी।

    Oviya के करीब आते हुए वह उसके गाल पर हाथ फेरता है, लेकिन Oviya अपना सिर दूसरी ओर मोड़ देती है। लेकिन वह Oviya को नहीं छोड़ता। वह उसके करीब जाकर उसके होठों को अब छूने ही वाला था कि तभी उस कमरे का दरवाज़ा खुलता है और एक बॉडीगार्ड अंदर आते हुए कहता है, "सर, आप के जाने का सारा इंतज़ाम हो गया है!"

    यह सुनते ही उस आदमी को बॉडीगार्ड पर ज़्यादा गुस्सा आने लगा... उसकी वजह से आज वह उसे छू नहीं पाया और किस भी नहीं कर पाया!

    वह आदमी गुस्से में बोला, "ठीक है..." वह खड़े होकर चला गया। वह देख पा रही थी। वह जहाँ बैठी थी ठीक सामने एक दरवाज़ा था और उसकी आती हुई रोशनी से उसे एक नन्ही सी खिड़की दिखाई देती है जो कमरे के निचले हिस्से की दीवार पर बनी हुई थी। यह देखकर वह सामने खड़े इंसान को देखने लगी। इस आदमी के जाते ही वह बॉडीगार्ड अंदर आ जाता है और कहता है, "यहाँ से भागने की कोशिश तू नहीं कर सकती! यहाँ तुझे ऐसा कुछ नहीं मिलेगा जो तुझे बाहर ले जा सके।"

    वह आदमी इतना कहकर वहाँ से चला जाता है। उसके जाते ही Oviya आवाज़ किए बिना ही उस नन्ही सी खिड़की की ओर चली जाती है। Oviya पतली होने के कारण वह आसानी से बाहर जा सकती है। उस खिड़की को देखकर Oviya बोली, "शायद यह पुराने ज़माने का किला है! क्योंकि पुराने ज़माने में बचने के लिए इसे कई सारे सीक्रेट दरवाज़े बनाए गए थे!" वह इतना कहकर खिड़की खोलने की कोशिश करने लगती है। कुछ देर बाद खिड़की खुल भी जाती है और उसे दूसरी ओर अंधेरे के अलावा कुछ नहीं दिखाई देता। वह अपने आप में बोली, "अगर मुझे इस रास्ते के अंदर ज़िन्दगी भर रहना पड़े तो भी मैं तैयार हूँ!"

    क्रमशः

  • 7. You are my therapist - Chapter 7

    Words: 1090

    Estimated Reading Time: 7 min

    ओविया जैसे ही खिड़की के पास आई, वैसे ही उसने जल्दी-जल्दी उसे खोलना शुरू कर दिया। और देखा, दूसरी ओर गहरा अंधेरा था। लेकिन उसने हिम्मत जुटाकर अंदर चली गई और सीधे नीचे गिरते हुए एक बंद कमरे में आ गिरी। यह देखकर ओविया घबरा गई। लेकिन जब उसे एक छेद से प्रकाश की किरणें आती हुई दिखाई दीं, तो वह उस तरफ भागने लगी। और देखा कि वहाँ एक और खिड़की थी। अब वह ऊपर वापस नहीं जा सकती थी; नहीं, यहाँ रह सकती। इसलिए उसने सोचा कि इस बार फिर से वह एक रिस्क ले लेती है, और खिड़की के द्वारा वापस से नीचे की ओर गिर पड़ी। लेकिन अब वह किसी बंद जगह पर नहीं, बल्कि खुले मैदान में आ गिरी। यह देखकर वह सोच में पड़ गई और कहती है, "अच्छा, यह टर्नल था!" वह यह सोचते हुए ऊपर देखती है तो वह किला २ माले का था।

    ओविया अब वहाँ ज्यादा नहीं रहना चाहती थी। इसलिए वह जल्दी-जल्दी वहाँ से आगे चली गई। और भागते हुए उसे कोई कैंप दिखाई दिया, और वह बिना सोचे-समझे अवीक से टकरा गई।

    फ्लैश बैक ऑफ...

    ओविया भगवान को आभार मानते हुए कहती है, "हे भगवान, आपकी वजह से मैं उस राक्षस के चंगुल से दूर हो पाई हूँ! आप हमें ऐसे ही मदद करते रहना!"

    दूसरी ओर, आरव और अवीक दोनों ही बैठे हुए थे। अवीक आरव को एक एम्बुलेंस तैयार करने के लिए कहता है और अपने लिए फ्लाइट रेडी करवाने के लिए कहता है।

    आरव उसकी बातों से सहमत होते हुए हाँ में सिर हिला देता है।

    दूसरे दिन, वे सभी लोग मुंबई जाने के लिए निकल पड़े। अवीक आरव के साथ था; दूसरी ओर, ओविया भी उन लोगों के हिसाब से कार में निकल चुकी थी, आरव और अवीक के मैनेजर के साथ।


    ओविया कार की खिड़की से बाहर की ताजी हवा और आसमान की ओर देखकर अपने मन ही मन में कहती है, "अब मैं आजाद हूँ... अब आजाद हूँ मैं उस पिंजरे से, जहाँ पर सिर्फ और सिर्फ मेरा इस्तेमाल ही हुआ है! अब मैं अपनी लाइफ एक नॉर्मल हॉस्पिटल में भी जी सकती हूँ। अब मैं आजाद हूँ..."

    (लेकिन आने वाली मुसीबत हमेशा बिना बताए आती है, और शांति हमेशा तूफान के पहले वाली ही होती है!)

    कुछ घंटे बाद वे सब लोग मुंबई आ जाते हैं। मुंबई आते ही अवीक अपने मैनेजर को बुला लेता है, ओविया के साथ। ओविया जो अभी कार में सो रही थी, उसको देखकर अवीक की मैनेजर ओविया की ओर देखने लगती है और अपने साथी, यानी कि दूसरे मैनेजर को कहती है, "ये तो अभी गहरी नींद में है!"

    "तो क्या हुआ? जगा दो। वैसे भी सर ने बुलाया है। इसे लेकर जाना ही पड़ेगा!" दूसरा मैनेजर कहता है।

    अवीक की मैनेजर ओविया को जगाते हुए कहती है, "ओविया, उठो। हमें सर बुला रहे हैं!" सर का नाम सुनकर ओविया नींद ही नींद में घबरा जाती है और उसकी साँसें फूलने लगती हैं। जिसे देखकर वे दोनों घबरा जाते हैं और जल्दी से कार हॉस्पिटल की ओर मोड़ देते हैं। अवीक की मैनेजर अवीक को कॉल करते हुए कहती है, "सर, पता नहीं क्या हुआ, लेकिन ओविया की तबियत बिगड़ती जा रही है। हम उसे City हॉस्पिटल में भर्ती कर रहे हैं।"

    यह सुनते ही अवीक कहता है, "ठीक है... मैं भी पहुँचता हूँ..."

    आरव उसकी ओर देखकर कहता है, "क्या हुआ?"

    अवीक: "कुछ नहीं। ओविया की तबियत बिगड़ती जा रही है, इसलिए वो दोनों उसे हॉस्पिटल ले गए हैं। चल, मैं भी जा रहा हूँ। तू भी आजा!"

    यह सुनकर आरव अवीक की ओर घूरते हुए कहता है, "हुआ क्या है????? तू क्यों उसकी पीछे पड़ा है?? तुम्हें आखिर उसे मिलने के बाद क्या हुआ है?? तू किसी भी लड़की को इतनी सीरियस नहीं लेता, पता है ना! अब तक कितनी सारी लड़कियों को तूने रिजेक्ट किया है, लेकिन वो पागल जब से तुम्हें मिली है, तब से तुम बस उसके पीछे पागल हो रहे हो! आखिर हुआ क्या है..."

    आरव की बातें सुनकर अवीक खुद भी सोच में पड़ जाता है और वह कहता है, "हाँ यार, तू ये बात भी सही कह रहा है! लेकिन पता नहीं क्या हुआ है! मुझे उसे मिलने के बाद में तो सच में हर बार उसके ही ख्यालों में हो रहता हूँ..."

    आरव: "तो इसलिए तू उसे भूल जा! अभी ले गए हैं तो जाने दे। मत जा उसके पीछे। वो पागल लड़की है और तू पागल मत बन, समझा!"

    अवीक उसको घूरते हुए कहता है, "पहले तू उसे पागल कहना बंद कर दे..."

    "देख, अब तू उसकी वजह से हमारी दोस्ती तोड़ रहा है! देख, तू मुझे बोल रहा है!"

    इतना कहकर आरव अवीक की ओर देखने लगता है।

    अवीक: "जाने दे। हमारी मॉडल भी सेलेक्ट नहीं हुई! अब हम क्या करेंगे???? कौन लेंगे हम???? तूने कुछ सोचा है? क्या?"

    आरव: "नहीं... लेकिन कुछ न कुछ कर लेंगे... अभी तू आराम कर..." इतना कहकर आरव अवीक के घर से निकल पड़ता है। अवीक जो अभी-अभी आरव ने कहा था उसके बारे में सोच रहा था। वह कन्फ्यूज था; आखिर वह करे तो करे क्या? इसलिए वह सोने की ट्राई करता है, लेकिन उसे नींद नहीं आती है और वह उठकर बैठ जाता है। वापस से उसके मन में सिर्फ और सिर्फ ओविया के ही ख्याल घूम रहे थे।

    ओविया के ख्याल आते ही अवीक अपनी कार की चाबी उठा लेता है और बिना कुछ समझे, बिना सोचे-समझे City हॉस्पिटल जाने के लिए निकल पड़ता है।

    दूसरी ओर...

    तमिलनाडु के उस किले में...

    "नहीं सर, कोई नहीं है... पता नहीं कहाँ गई! लेकिन यहाँ कहाँ जा सकती है?" एक आदमी ओविया को जिस रूम में कैद किया था, उस रूम में आ जाता है और कहता है...

    दूसरी ओर से एक गहरी आवाज सुनाई देती है: "कुछ भी हो जाए लेकिन तुम उसे ढूँढ कर मेरे पास लेकर आना! अगर वो लड़की बचकर चली गई तो समझो हम सबका खेल खत्म... और साथ ही साथ ये याद रखना! वो सिर्फ मेरी है! उसे मैं ही टच करूँगा! तुम लोग उसे किसी भी हालत में ढूँढकर मेरे पास लेकर आओ..."

    इतना कहकर दूसरी ओर से कॉल डिस्कनेक्ट हो जाता है!

    To be continued 💫 🦋 💙

  • 8. You are my therapist - Chapter 8

    Words: 1090

    Estimated Reading Time: 7 min

    ओविया की याद आते ही अवीक ने अपनी कार पहले अस्पताल के लिए मोड़ दी। अस्पताल में अपने बॉस को देखकर दोनों सचिव हैरान हो गए। और वे दोनों बोले, "सर आप ??"

    "क्या हुआ ओविया को?? क्या वो सही हैं... ?? उसको क्या हुआ है???" अवीक ने पूछा।

    ओविया की बात सुनकर वे दोनों एक-दूसरे की ओर देखने लगे। तभी अवीक वापस उन दोनों को देखने लगा। जैसे ही अवीक उन दोनों को देखा, उन दोनों में से एक सचिव ने कहा, "सर, डॉक्टर ने कहा है कि उसके प्राइवेट पार्ट पर ज़्यादा सूजन है और उसकी सूजन बढ़ती ही जा रही है! इसलिए उसको अभी एडमिट किया है और इसी वजह से उसे चक्कर आए थे!"

    यह सुनकर अवीक बोला, "ठीक है। फिर तुम दोनों में से रवीना, तुम यहीं रुक सकती हो... लेकिन मयंक, तुम्हें एक बात का ख़ास ध्यान रखना होगा! तुम्हें यह बात किसी को नहीं बतानी है! और यह बात मीडिया तक पहुँचनी ही नहीं चाहिए। अगर पहुँच गई तो उस बिचारी की ज़िन्दगी ख़राब हो जाएगी! ठीक है!" इतना कहकर उसने मयंक की ओर देखा। यह देखकर मयंक बोला, "ठीक है सर, यह बात किसी को नहीं पता चलेगी!"

    "ठीक है, फिर हमें चलना चाहिए..." इतना कहकर अवीक और मयंक दोनों चले गए। लेकिन रवीना वहीं रुक गई।

    दूसरी ओर...

    अवीक अपने कमरे में आ गया और सोने की तैयारी करने लगा। लेकिन उसके दिमाग से ओविया का चेहरा जा ही नहीं रहा था। इसलिए वह बैठकर वापस अपने हाथों में मैगज़ीन लेकर पढ़ने लगा। पढ़ते हुए उसे काफ़ी समय हो गया, लेकिन उसकी आँखों और दिमाग से ओविया का चेहरा निकल ही नहीं रहा था।

    तभी उसके कमरे का दरवाज़ा बजा और बाहर से एक प्यारी सी आवाज़ सुनाई दी, "अवीक... अवीक..."

    यह आवाज़ किसी और की नहीं, बल्कि राधिका की थी। राधिका की आवाज़ सुनकर अवीक ने अपने हाथों में बंधी घड़ी देखी और कहा, "यह आवाज़ राधिका की है! लेकिन राधिका इस वक़्त क्या कर रही है!"

    अवीक दरवाज़ा खोलने के लिए गया। जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला, उसके सामने राधिका मुस्कुराते हुए, हाथ में हाथ बाँधे, उसका इंतज़ार कर रही थी। उसे देखकर अवीक बोला, "तुम इस वक़्त?? कुछ काम था क्या??"

    अवीक की बात सुनकर राधिका हँसते हुए बोली, "नहीं, मुझे कोई काम नहीं था। मैं नीचे टहल रही थी, तो मैंने देखा तुम्हारे कमरे की लाइट अभी भी जल रही थी! इसलिए मैंने सोचा कि मैं भी तुम्हारे कमरे आकर तुम्हारे साथ हमारी बचपन की बातें करती हूँ, जिसे मुझे भी अच्छा लगे!"

    यह सुनकर अवीक उसे घूरता था, लेकिन अंदर आने का इशारा भी कर दिया। राधिका अंदर आते ही वह जहाँ बैठा था, वहीं जाकर बैठ गई। यह देखकर अवीक ने कहा, "क्या तुम मेरी एक बात मानोगी??"

    राधिका खुश होते हुए बोली, "कौन सी बात?? कहो, मैं क्यों नहीं मानूँगी???"

    अवीक ने कहा, "तो प्लीज़ क्या तुम मेरे पर्सनल सोफ़े पर से खड़ी हो जाओगी??? क्योंकि यह सोफ़ा मैं किसी और के साथ शेयर कभी नहीं करता हूँ!"


    यह सुनकर राधिका बोली, "ओह, ऐसा! मुझे नहीं पता था! ठीक है, तुम यहाँ बैठो, मैं सामने वाले सोफ़े पर जाकर बैठती हूँ!"

    राधिका वहाँ से उठकर सामने वाले सोफ़े पर बैठ गई और अवीक अपने सोफ़े पर... वे दोनों आपस में बातें करने लगे। उन दोनों को बात करते हुए एक घंटा निकल गया। तभी अवीक को याद आया कि उसे कल सुबह ओविया को देखने के लिए भी जाना है। इसलिए अवीक राधिका की ओर देखकर बोला, "राधिका, प्लीज़ क्या अब हम सो सकते हैं?? क्योंकि कल मुझे मीटिंग में भी जाना है!"

    राधिका उसकी बात सुनकर थोड़ी हँसते हुए बोली, "क्या यहीं पर ही सो जाऊँ?? इतना कहकर वह हँसने लगी!

    लेकिन अवीक उसे देखकर सीरियस एक्सप्रेशन देते हुए बोला, "मज़ाक नहीं, मुझे कल सच में मीटिंग में जाना है! तो प्लीज़ अभी तुम जाओ।"

    यह सुनकर राधिका "इट्स ओके" कहकर चली गई। उसके जाते ही अवीक भी सोने के लिए बिस्तर पर चला गया।

    दूसरे दिन...

    अवीक सुबह जल्दी ही 6 बजे उठकर ओविया को देखने के लिए चला गया। अवीक इतना जल्दी उठा था कि किसी की नज़र उस पर नहीं पड़ी। अवीक के आते ही रवीना ने उसे ओविया का कमरा (वार्ड) दिखा दिया। यह देखकर ओविया ने हाँ में सिर हिलाया और पूछा, "अब कैसी है?"

    अवीक की यह बात सुनकर रवीना बोली, "अब तो वह पहले से बेहतर है!" तभी वहाँ पर नर्स आ गई। नर्स के हाथों में सुबह-सुबह ओविया के लिए ब्रेकफ़ास्ट था और हाथों में फल... यह देखकर अवीक भी उसके पीछे-पीछे चला गया।

    ओविया जो सोई हुई थी, वह अचानक उठ गई और अपने हाथों में इतनी सारी सुईयाँ देखकर डर गई। घबराने लगी और अपने आस-पास देखने लगी और खुद बोली, "ये मैं कहाँ पर हूँ??"

    तभी उसके वार्ड में नर्स की एंट्री हुई। नर्स ओविया को परेशान देखकर फल जल्दी से पास वाले टेबल पर रख दिए और ओविया को शांत करने लगी। उसके पीछे ही अवीक की एंट्री हुई। अवीक को देखकर ओविया के दिल में मचा हुआ तूफ़ान एकदम शांत हो गया और वह लगातार अवीक की ओर देखने लगी।

    अवीक जब ओविया को अपनी ओर इस तरह लगातार देखते हुए देखता है, तो वह अपने आप को संभाल नहीं पाता और न जाने क्या होता है! लेकिन वह भी ओविया को देखने लगता है... ओविया को देखने के चक्कर में वह फल वाले बाउल से टकरा जाता है और बाउल नीचे गिर जाता है, जिससे वे दोनों अपने होश में आ जाते हैं।

    तभी अचानक रवीना भागते हुए आई और बोली, "सर ये देखिए..." इतना कहकर उसने अपना फ़ोन अवीक की ओर बढ़ा दिया। जिसे देखकर अवीक की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं।

    क्रमशः

  • 9. You are my therapist - Chapter 9

    Words: 1027

    Estimated Reading Time: 7 min

    रवीना बाहर से भागते हुए अंदर आई और कहा, "सारे ये देखिए ये वीडियो...जिसमें आप के बाहों में Oviya हैं...ये वही वीडियो है जहाँ पर आप और Oviya पहली बार तमिलनाडु में मिले थे..." इतना कहकर वो वीडियो अवीक को दिखाने लगी।

    ये वीडियो किसी टीवी न्यूज़ चैनल की फेमस चैनल्स में से एक था जिसमें दिखाया गया था कि अवीक के बाहों में एक लड़की है जिसकी वजह से अवीक ने अपना एग्ज़िबिशन कैंसिल किया। दिखने में ये लड़की तो भिखारी थी, लेकिन ये क्या? अवीक ने क्यों किया अपना एग्ज़िबिशन कैंसिल? आखिर क्या ये लड़की अवीक की जान की दुश्मन है? आखिर कौन है? ये सब कुछ जानने के लिए मेरे साथ बने रहिए डेली न्यूज़ में, आप के साथ पूजा शर्मा।

    अवीक ये सुनते ही रवीना की ओर देखने लगा। बाद में Oviya की ओर, जो मासूम आँखों से अवीक की ओर देख रही थी।

    अवीक रवीना को बाहर ले गया और कहा, "रवीना ये सब कुछ क्या है? आखिर ये वीडियो इतनी गलत तरीके से क्यों दिखाया गया? और ये क्या? Oviya का चेहरा आखिर इस वीडियो में आया क्यों? मैंने कहा था इसको कोई प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए। जल्दी से जल्दी डेली न्यूज़ वाले एडिटर इन चीफ से मेरी बात करवाए।"

    "ठीक है सर, मैं अभी आपकी बात एडिटर इन चीफ से करवाती हूँ।" इतना कहकर वो किसी को कॉल करने लगी।

    तभी अवीक का फ़ोन रिंग हुआ। अवीक ने अपने फ़ोन की ओर देखा तो उसमें आरव का कॉल आ रहा था। आरव के कॉल को देखकर अवीक को पता चल गया कि उसने क्यों कॉल किया।

    "भाई ये सब कुछ क्या है?" आरव ने पूछा।

    "पता नहीं क्या? और कैसे हुआ ये मुझे भी पता नहीं," अवीक ने जवाब दिया।

    "एक मिनट, अभी तुम कहाँ हो?"

    "हॉस्पिटल में।"

    "क्यों?"

    "अरे, मैं आ रहा हूँ, आकर मैं बात करता हूँ...ठीक है...चलो।"

    आरव इतना सुनते ही कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। अवीक वापस Oviya से मिलने के लिए चला गया। जैसे ही वो अंदर गया, अवीक ने देखा कि Oviya अपने आप को नाखूनों से खरोच रही थी और अभी Oviya के आस-पास कोई भी नहीं था! ये देखकर अवीक घबरा गया। Oviya के पास जाते हुए उसने अपना रुमाल Oviya के हाथों में लगा दिया ताकि उसके घाव में आ रहे खून के बहाव को रोका जा सके। और वो रुमाल लेकर उसे रोकने लगा। Oviya अपने हाथों में अवीक का हाथ देखते ही उसकी ओर देखने लगी, लेकिन वो अपने आप को नॉर्मल नहीं दिखा सकी। इसलिए Oviya अवीक के हाथों को दूर करते हुए पहले की तरह बर्ताव करने लगी, लेकिन फिर भी अवीक था कि वो उसे दूर हो ही नहीं रहा था! न चाहते हुए Oviya ने अवीक को धक्का दे दिया और उसे नीचे गिरा दिया।

    अवीक जैसे ही Oviya के हाथों से नीचे गिरा, उसे होश आया! वो आखिर Oviya के पास बार-बार क्यों जाता है? आखिर वो Oviya के बारे में इतना क्यों सोचने लगा है। अवीक अपने मन ही मन में कहा, "कुछ भी हो जाए, लेकिन अब से इस लड़की को देखने के लिए नहीं आना है। बस, जितना हो सके उतना इसे दूर रहना है।" इतना कहकर वो जल्दी-जल्दी बाहर चला गया। उसे जाते हुए देख Oviya अपने मन ही मन में कहा, "अगर उसको पता चल गया कि मैं आप के साथ हूँ तो मुझे डर है वो आप को भी नहीं छोड़ेगा। मुझे कुछ करना पड़ेगा।"

    दूसरी ओर, तमिलनाडु में, अधिरा साहब किसी से फोन पर बात कर रहे थे। तभी बॉडीगार्ड अंदर आया और कहा, "सर, आप से मिलने के लिए कोई आया है।"

    "कौन?"

    "वही आप के दोस्त।"

    ये सुनते ही अधिरा साहब के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई और उन्होंने कहा, "अच्छा, तो उन्हें अंदर भेजिए।"

    "ठीक है, अभी भेजते हैं।" इतना कहकर बॉडीगार्ड वहाँ से चला गया।

    अधिरा साहब अपने पैरों पर चढ़ाकर बैठ गए। तभी उनके दरवाजे का खुलने की आवाज़ आई। "तुम्हें कब से परमिशन लेने की ज़रूरत पड़ने लगी?" अधिरा साहब ने पूछा।

    एक आदमी, जिसने काला सूट पहना हुआ था, जिसकी आँखें बेहद काली और गहरी थीं, जिसके हाथों में एक बहुत बड़ा बिच्छू वाला टैटू था, वो अपनी गहरी आवाज़ में अधिरा की ओर देखते हुए बोला, "तुमने तो कहा था कि तुम्हारे होते हुए Oviya तमिलनाडु से बाहर पैर भी नहीं रखेगी? फिर उस बात का क्या हुआ?"

    ये सुनते ही अधिरा साहब चौंक गए और बोले, "क्या? लेकिन मैंने उसको तुम्हारे हवाले कर दिया था! फिर?"

    वो आदमी, जिसने अपना मुँह पर मास्क पहना हुआ था, उसकी सिर्फ़ आँखें ही दिखाई दे रही थीं। वो बोला, "नहीं, वो लड़की भाग गई। और इस तरह से भागी है कि वो सीधे तुम्हारे तमिलनाडु में Mr. अवीक ओब्रॉय के एग्ज़िबिशन में टकराई। अब पूरे तमिलनाडु में वो कहीं नहीं है। हमने हर जगह छानबीन कर ली, लेकिन वो कहीं पर नहीं मिली। डेली न्यूज़ में भी अवीक के साथ उसकी अफ़वाह फैल रही है। अधिरा, तुम अपनी दोस्ती में नाकामयाब रहे।" इतना कहकर वो आदमी जोर-जोर से हँसने लगा और अपने पॉकेट में हाथ डाल दिया।

    उसकी हँसी सुनकर अधिरा थोड़ा सा घबरा गया और बोला, "तुम इतना हँस क्यों रहे हो? रुको, मैं पता लगवाता हूँ कि आखिर वो है कहाँ।"

    वो आदमी हँसते हुए बोला, "वो टाइम तुम गवाह बैठे।" इतना कहकर उसने अपनी जेब से gun निकालकर एक साथ दो गोलियाँ अधिरा के शरीर में मार दीं।

    क्रमशः

  • 10. You are my therapist - Chapter 10

    Words: 1099

    Estimated Reading Time: 7 min

    अधीर के शरीर में गोलियाँ नहीं लगी थीं; वह जीवित था।

    वह आदमी हँसते हुए बोला, "तुम्हें तो मैं पाकर रहूँगा, बेबी। जहाँ भी होगी, वहाँ से ढूँढकर मेरे कदमों में लाऊँगा तुम्हें।" इतना कहकर वह जोर-जोर से हँसने लगा।

    बॉडीगार्ड झुक गया। उसने पहले अधीर की ओर देखा, फिर उस आदमी की ओर। बॉडीगार्ड को देखकर वह आदमी हँसते हुए बोला, "तुमने अपना काम बिल्कुल सही किया। मैं तुम्हारे काम से खुश हूँ। एक काम करो, इसे खाई में गिरा दो और न्यूज़ में भी दे दो। ठीक है?"

    बॉडीगार्ड ने कहा, "जी सर, ज़रूर।" इतना कहकर वह वहाँ से जाने लगा।

    दूसरी ओर,

    आरव और अवीक दोनों ही ओब्रॉय FFC कंपनी में पहुँचे थे। आरव अवीक को घूरते हुए बोला, "अवीक, ये सब कुछ क्या है?"

    अवीक ने कहा, "मुझे भी नहीं पता, लेकिन इतना पता है ये काम हमारे न चाहने वालों का ही है।"

    आरव ने कहा, "वो तो मुझे भी पता है, लेकिन अब करना क्या है?"

    अवीक ने कहा, "कुछ नहीं। थोड़ी देर में रवीना उस क्लिप को डेली न्यूज़ से हटवा देगी और पहले जैसा नॉर्मल हो जाएगा। वैसे भी हमें इन सब की आदत है पहले से।"

    आरव ने कहा, "ये बात तुमने एकदम सही कही।"

    अवीक ने कहा, "चलो, हमारी मॉडल को चुनना है। हमें किसी और को लेना पड़ेगा जिसकी ब्यूटी ही हमारे आईलाइनर को नया मुकाम हासिल करवा दे।"

    आरव ने कहा, "लेकिन अभी कहाँ से मिलेगा? ये सब उस पहली लड़की की वजह से हो रहा है।"

    अवीक अपनी आँखें दिखाते हुए बोला, "मैंने कितनी बार मना किया, उसे पागल मत बोलो। उसका नाम Oviya है। उसे भी जीने का हक है।"

    आरव उसे घूरते हुए बोला, "ये सब कुछ बोलना तुम्हें किसने सिखाया? और तुम उसके लिए ऐसे कब से हो गए?"

    अवीक यह सुनते ही जोर-जोर से हँसने लगा और बोला, "तुम्हें क्या लगता है? मैंने जो भी किया और ये जो क्लिप पब्लिश हुई है, वो ऐसे ही हो गई?"

    आरव इतना सुनते ही हैरानी भरी आँखों से अवीक की ओर देखने लगा और बोला, "अभी तो कहा रवीना हटवा देगी और अभी तुम कह रहे हो... मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है। जो भी कहना हो वो क्लियर ही कहो।"

    अवीक ने कहा, "यही कि वो पागल है, उसको पता नहीं वो अभी कहाँ पर है, और हमारा नया प्रोडक्ट भी लॉन्च होने जा रहा है, जिसका थीम ये था कि उसको हर कोई इस्तेमाल कर सके। अब ये Oviya वाली फुटेज मैंने ही दी है ताकि मेरी हाइप बनी रहे और सभी जगह मेरे नाम का इस्तेमाल होता रहे। समझे?"

    आरव हँसते हुए बोला, "बनियान, तेरा मतलब ये था कि ये सब कुछ पब्लिसिटी स्टंट है?"

    अवीक अपने हाथों में पानी का गिलास लेते हुए बोला, "हाँ, नहीं तो... ये सब कुछ फेक पब्लिसिटी की वजह से है ताकि हमारी हाइप बनी रहे।"

    आरव ने कहा, "लेकिन ये नेगेटिव न्यूज़?"

    अवीक ने कहा, "अभी नेगेटिव आएगा, लेकिन रवीना को ऐसा कुछ देने के लिए कहा था जिससे ये नेगेटिव पॉजिटिव में बदल जाएगा।"

    आरव ने कहा, "क्या? मैं कुछ समझा नहीं।"

    अवीक ने कहा, "रुको, एक मिनट।" इतना कहकर वो टीवी ऑन कर देता है जिसमें अभी अवीक और Oviya की वीडियो नहीं थी, बल्कि डेली न्यूज़ एडिटर इन चीफ लाइव आए थे और जिस डॉक्टर ने तमिलनाडु में Oviya की हेल्थ चेकअप किया हुआ था, उसे अभी लाइव में दिखाया जा रहा था।

    आरव उस डॉक्टर को देखते हुए बोला, "क्या मतलब, बनियान? तुम्हारे माइंड में ये सब कब से था?"

    अवीक ने कहा, "जब से तुमने मुझे मना किया था और Oviya मुझसे टकराई थी, तब से।"

    आरव ये सुनते ही खुश हो जाता है और अवीक के गले लग जाता है।

    दूसरी ओर,

    हॉस्पिटल में,

    Oviya इन सब से बेखबर अपने आप में ही सोच रही थी, "मुझे यहाँ से निकलना ही होगा, वरना वो मेरी वजह से अवीक को भी नुकसान पहुँचाएगा।" Oviya इतना कहते हुए अपने हाथों में लगी हुई सुई बाहर निकाल देती है ताकि वह आराम से भाग सके। अभी वह बाहर जा पाती, उसे पहले ही अवीक का एक मैनेजर दिखाई देता है।

    Oviya ने सोचा, "नहीं, इन सब के सामने खुलेआम भागना कहीं अवीक को ही परेशान न करे। तो अब मैं क्या करूँ?"

    Oviya इतना सोचते हुए अपने आस-पास देखने लगती है। तभी उसे खिड़की दिखाई देती है। Oviya अभी पहले फ्लोर पर थी, इसलिए वह आसानी से बाहर जा सकती थी।

    Oviya ये देखते ही बाहर जाने लगती है और एक बार फिर भाग निकलती है।

    दूसरी ओर, ओबेरॉय कंपनी में,

    आरव और अवीक दोनों बैठकर आपस में बातें कर रहे थे। तभी अवीक कहता है, "क्यों न एक काम करते हैं! एक बार हॉस्पिटल में राउंड मार लेते हैं और तुम मेरा चोरी-छुपे वाला वीडियो बनाना जिससे हमारी फेक पब्लिसिटी बरकरार रहे।"

    आरव ने कहा, "इसलिए तुम्हें सब इंटेलिजेंस और पावरफुल माइंडेड कहते हैं।"

    अवीक यह सुनते ही आरव की ओर देखकर कहता है, "तुम्हें क्या? कोई शक है?"

    आरव ने कहा, "बिल्कुल नहीं।"

    अवीक ने कहा, "चलो अब।"

    वो दोनों हॉस्पिटल जाने के लिए चलते हैं। कुछ देर बाद हॉस्पिटल में वो लोग आ जाते हैं। अभी भी Oviya का रूम बंद था। वो दोनों जब अंदर पहुँचते हैं तो देखकर हैरान हो जाते हैं कि Oviya अभी वहाँ पर मौजूद नहीं है।

    Oviya को वहाँ पर न पाते हुए वो दोनों एक-दूसरे की ओर देखने लगते हैं और सीधे अपने मैनेजर के पास जाते हुए कहते हैं, "Oviya किधर है?"

    मैनेजर ने कहा, "वो तो अंदर..."

    अवीक दाँत पीसते हुए कहता है, "वो अंदर नहीं है। कहाँ पर ध्यान है तुम्हारा?"

    मैनेजर ये सुनते ही हैरान हो जाता है और कहता है, "लेकिन मैंने उसे बाहर आते हुए नहीं देखा!" तभी अवीक याद करते हुए कहता है, "आरव, शायद वो खिड़की से बाहर गई है।" इतना कहकर वो दोनों नीचे चले जाते हैं, लेकिन उन दोनों को Oviya कहीं पर नहीं मिलती। इसलिए कार ऑन कर देते हैं, लेकिन जैसे ही वो लोग कुछ आगे बढ़ पाते हैं, उन्हें दूर ऐसा कुछ दिखाई देता है जिसे देखकर उन दोनों की आँखें फटी की फटी रह जाती हैं।

    क्रमशः 💫 🦋 💙

  • 11. You are my therapist - Chapter 11

    Words: 1009

    Estimated Reading Time: 7 min

    वो दोनों ओविया को वहाँ पर न पाकर हैरान हो गए। अवीक अपने दाँत पीसते हुए बोला, "आखिर क्या हुआ?? और वो कहाँ पर है???? मुझे वो किसी भी तरह चाहिए, अगर वो नहीं मिली तो मेरी सारी प्लानिंग खराब हो जाएगी!"

    आरव अवीक के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला, "तुम फ़िक्र मत करो, वो कहीं पर होगी।" वो दोनों कार में बैठकर चले गए। लेकिन जैसे ही वो दोनों आगे बढ़े, उनकी नज़र सामने के गार्डन में पड़ी जहाँ ओविया बैठी हुई थी। ओविया वहाँ शांति से बैठी हुई थी! उसे इतने शांति से बैठे हुए देख अवीक और आरव हैरान हो गए।

    वो दोनों जल्द से जल्द गार्डन के उस पार चले गए। अवीक ओविया के पास जाते हुए बोला, "ओविया???"

    ओविया अपना नाम सुनकर भी कुछ नहीं बोली। लेकिन फिर अवीक बोला, "ओविया....."

    ओविया अब अपनी एक आँख खोलते हुए अवीक की ओर देखी और पागलों की तरह एक्टिंग करने लगी—अपने माथे में खुजली करना, अपनी उंगलियाँ अपनी नाक में रखना। ये सब कुछ देखकर अवीक का मुँह बिगड़ गया और आरव तो उतली हो रही हो वैसी ही एक्टिंग करने लगा।

    अवीक अपने आप को शांत करते हुए बोला, "ओविया, तुम इधर कैसे पहुँची?? क्या हुआ?? और यहाँ इस तरह से क्यों बैठी हो???"

    ओविया इस बात को रिपीट करते हुए बोली, "मैं इधर???" वो इतना कहकर इधर-उधर देखने लगी। बाद में वापस से अपनी बात को रिपीट करते हुए बोली, "मैं इधर?? क्या कर रही हूँ???" इतना कहकर अपने हाथों को माथे के ऊपर खुजाने लगी।

    अवीक अपने मन ही मन में बोला, "इसकी हालत तो मैंने सोची थी उससे भी खराब है।" अवीक ओविया की ओर देखने लगा और बोला, "ओविया, चलो अब अंदर चलो तुम।"

    ओविया अब उसकी बात सुनकर अवीक के हाथों को पकड़ लिया और बोली, "चलो... चलो... चलो..."

    ओविया के ऐसा करते ही अवीक अपने हाथों को छोड़ने की कोशिश करता है, लेकिन वो नहीं छोड़ पाता क्योंकि ओविया ने अवीक के हाथों को कुछ ज़्यादा ही जकड़कर पकड़ा हुआ था! अब क्या कर सकता है अवीक, जब वो खुद ही लेने आया था...

    आरव और अवीक दोनों ही साथ-साथ ओविया को लेकर अंदर चले गए! ओविया जाते हुए पीछे मुड़कर देखने लगी। जहाँ एक तरफ नज़र पड़ते ही ओविया अपना मुँह आगे ले लेती है और अवीक के बाहों में अपना सिर रखकर अंदर जाने लगी।

    ओविया अपने मन ही मन में बोली, "भागी थी इनको बचाने के लिए... लेकिन हर बार यही मुझे बचाकर अपने पास ले आते हैं। अच्छा हुआ मैंने उस आदमी को देख लिया था जिसने मुझे कैद किया था तमिल नाडु में... और मैं अवीक को देखकर गार्डन में जाकर बैठ गई। अच्छा हुआ, लगता है भगवान भी यही चाहता है कि मैं अवीक के सहारे ही जियूँ।"

    ओविया के साथ वो दोनों जब ऊपर चले गए, साथ ही साथ ओविया अपने कमरे में आ गई। ओविया को कमरे में रखते ही अवीक सामने वाले सोफ़े पर बैठ गया। ओविया सामने बैठा हुआ अवीक की ओर देखने लगी। ओविया की छोटी-छोटी आँखें अब सामने बैठे हुए अवीक को देख रही थीं। वो इतने प्यार से निहार रही थी कि कब उसे इंजेक्शन दे दिया गया होगा, वो भी पता नहीं चला।

    अवीक और आरव दोनों ही अब बाहर जाने लगे! दवा के डोज़ की वजह से अब ओविया को नींद आने लगी। ओविया सो गई।

    बाहर अवीक बोला, "चलो अब हमारा काम हो गया... अब हमें कोई प्रॉब्लम नहीं होगी। अब ओविया की मदद से मैं अपने प्रोडक्ट को आसानी से सभी जगह नई ऊँचाई पर पहुँचा दूँगा!"

    आरव: "ये कैसे करेगा???"

    अवीक: "तूने देखा नहीं क्या???"

    आरव: "क्या???"

    अवीक: "वो भले ही पागल हो लेकिन दिखती खूबसूरत है।"

    आरव: "इसका मतलब तू इसे लेना चाहता है अपनी नई प्रोडक्ट के फेस के तौर पर???"

    अवीक: "यही सही समझा।"

    आरव: "लेकिन खतरा है... ये पागल है, अगर किसी ने ऐतराज़ किया तो?? ये पागल है, तुम्हारा कोई अधिकार नहीं तब???"

    अवीक: "कुछ नहीं होगा ऐसा। तुम फ़िक्र मत करो।"

    इतना कहकर एलिवेटर से नीचे जाने के लिए आगे बढ़ने लगा। अवीक के साथ-साथ आरव भी आगे बढ़ने लगा। वो दोनों कार में बैठकर ओबरॉय मेंशन में आ गए। उन दोनों को आते हुए देख गार्डन में टहल रही राधिका के चेहरे पर मुस्कान आ गई और वो अवीक की कार के पास जाने लगी।

    जिस तरफ़ राधिका खड़ी थी, उस तरफ़ से आरव बाहर आया। आरव जैसे ही बाहर आया, उसे दिखाई दी राधिका। राधिका को देखकर आरव के मन में मस्त पियानो बजने लगा। फूलों की बौछार सी हो गई, सामने खड़ी राधिका के बाल लहराने लगे। आरव अपने चेहरे पर मुस्कान लिए राधिका को देखने लगा।

    दूसरी ओर से अवीक भी निकला। आरव को देखकर अवीक मन ही मन में हँसने लगा। आरव बोला, "You are so cute राधिका..." आरव अपने में गुम होकर बोल रहा था।

    तभी अवीक अपने मन ही मन में बोला, "इसे बड़ी राधिका पसंद आई है।"

    राधिका इस तरह से आरव को देखकर हँसने लगी और बोली, "अरे क्या हुआ???"

    आरव जब राधिका को देखता है तब उसे पता चलता है कि आखिर उसने अभी क्या-क्या किया।

    राधिका बोली, "अरे तुम्हें क्या हो गया है???"

    अवीक हँसते हुए बोला, "प्यार में पागल दीवाना हुआ है तेरे..."

    ये सुनकर आरव अपनी फटी हुई आँखों से अवीक की ओर इशारा करने लगी।

  • 12. You are my therapist - Chapter 12

    Words: 1007

    Estimated Reading Time: 7 min

    अवीक की बातें सुनकर आरव उसे घूरने लगा।

    अवीक: ऐसे क्यों घूर रहा है??? जो सच है वही कह रहा हूँ।

    आरव: लेकिन इस तरह से???

    अवीक: तो क्या फूल लेकर बोलूँ???? अवीक आरव के पास जाता हुआ कहता है: आरव.. देखो ये ठीक है?? उसने अपने हाथ लड़की की तरह मोड़ दिए और कहा: राधिका.. मैं तुमसे प्यार करता हूँ।

    आरव अवीक की यह एक्टिंग देखकर अपनी आँखें फाड़कर देखने लगा और कहा: "eww 🤢 तुम कितनी गंदी एक्टिंग करते हो।"

    अवीक उसकी ओर देखकर हँसते हुए कहता है: "हाँ, क्योंकि मैं तुम्हारी जैसी एक्टिंग नहीं कर पाता।"

    यह सुनते ही आरव गुस्से से लाल हो गया और अवीक को मारने के लिए आगे बढ़ा। अवीक ने पहले ही अपनी आँखों से राधिका की ओर इशारा कर दिया, जैसे कि वह कहना चाहता हो, "देखो, सामने राधिका खड़ी है।"

    उसका इशारा पाते ही आरव शांत हो गया और राधिका की ओर हँसते हुए कहा: "हे हे हे.. ये मज़ाक कर रहा है!"


    राधिका, जो कब से वहाँ खड़ी-खड़ी उन दोनों की हरकतें देख रही थी, उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं। उसने कहा: "अवीक, तुम इतने नौटंकी हो??? मैंने तो सुना था कि तुम सीरियस टाइप के इंसान हो।"

    यह सुनते ही अवीक सीरियस हो गया और चुप हो गया। वह अपने मन ही मन में कहता है: "हर किसी के लिए नहीं.. लेकिन सिर्फ अपनों के लिए ही ऐसा हूँ।"

    आरव: "नहीं राधिका.. ये बाहर की दुनिया में सीरियस है और अंदर, मतलब कि प्राइवेट में, एकदम कूल बंदा है। हाँ, लेकिन उसे झूठ और धोखा पसंद नहीं।"

    राधिका उन दोनों की ओर देखकर हँसते हुए कहती है: "अच्छा, ऐसी बात है। मैं भी वैसे अवीक की तरह ही हूँ! मुझे भी झूठ बोलने वाले इंसान ज़्यादा पसंद नहीं।"

    वह तीनों अंदर चले गए।

    उधर, हॉस्पिटल में..

    ओविया बैठी-बैठी कुछ सोच रही थी और अपने आप में ही कह रही थी: "मैं इधर तो आ गई, लेकिन आगे की दुनिया का क्या?? मतलब मेरी ज़िंदगी का क्या??? कहीं उसने मुझे पकड़ लिया तो??? क्या होगा अगर वह मेरे सामने आ गया तो?? अगर उसने वापस से मेरे साथ वह सब किया तो??? मुझे तो सोचते ही डर लगने लगता है। जब मेरे साथ होगा सब कुछ वही पहले की तरह, तो क्या होगा????" ओविया इतना सुनते ही अपनी आँखों में आँसू भर लेती है, जैसे कि उसे रोना आ रहा हो।

    ओविया अपने आप को रोने देती है, जिससे वह एकदम से ठीक हो जाए और अपने आप को फ्रेश करने के चक्कर में वाशरूम की ओर चली जाती है। कुछ मिनट के बाद वह वाशरूम से बाहर तो आती है, लेकिन वह सुनती है कि कोई लड़की बाहर खड़ी-खड़ी किसी से अवीक के बारे में बात कर रही है।

    अवीक के बारे में सुनते ही ओविया के कदम अपने आप ही उस ओर चले जाते हैं।

    "मैं भले ही अवीक के यहाँ काम करती हूँ, लेकिन मुझे साथ तुम्हारा चाहिए। मैं प्यार करती हूँ, इसलिए मैं यह सारी इन्फॉर्मेशन तुम्हें टाइम टू टाइम देती रहूँगी। तुम फ़िक्र मत करो, मैं तुम्हारे साथ हूँ। चलो अब मैं कॉल रखती हूँ, मुझे उस पागल ओविया के पास भी तो जाना है।" इतना कहकर वह कॉल को डिस्कनेक्ट कर देती है।

    ओविया जैसे ही उस लड़की के मुँह से अंदर आने की बात सुनती है, वह जल्दी से बेड की ओर चली जाती है और बैठ जाती है। थोड़ी ही देर में रवीना अंदर आती है। रवीना को देखकर ओविया हैरान हो जाती है और अपने ही मन में कहती है: "तो क्या? इन सब के पीछे रवीना का हाथ है??? लेकिन क्यों?? वह इतनी बड़ी कंपनी में काम करती है। आखिर रवीना किसे प्यार करती है???"

    रवीना होठों पर मुस्कराहट लिए ओविया के पास आती है। ओविया को देखकर कहती है: "बेटा ओविया, ये क्या कर रही हो? किस खयालों में खोई हुई हो???"

    ओविया अपने ही मन में सोचते हुए कहती है: "आखिर ये मुझसे प्यार से बात क्यों कर रही है? और बेटा क्यों???" फिर अचानक से याद करते हुए अपने मन ही मन में कहती है: "हाँ, पता चला.. मैं तो पागल हूँ, इसलिए शायद प्यार से कर रही है।"

    तभी ओविया महसूस करती है कि रवीना ने उसके हाथों को एकदम जकड़ कर पकड़ रखा था। यह महसूस होते ही उसे पता चलता है कि वह भले ही प्यार से बात कर रही है, लेकिन पीठ पीछे घाव दे रही है।

    रवीना: "बेटा.. तुम किसी हो??? अब कितने दिन यह पर रहने वाली हो?? तुम्हें शर्म नहीं आती??? किसी के ऊपर इतने दिनों से बोझ बनते हुए?? आखिर क्यों तुम नहीं चली जाती किसी सड़क पर?? पता नहीं क्यों अवीक सर ने तुम्हें यहां पर क्यों रखा हुआ है!" यह सुनकर ओविया अपने मन में कहती है: "मुझे भी पता नहीं चलता.. आखिर अवीक ने तुम्हें अपनी इतनी बड़ी कंपनी में बिना परखे कैसे रख लिया।"

    रवीना उसके हाथों पर अब दबाव बढ़ाती जा रही थी। वह बस अब ओविया को कैसी भी हालत में चोट पहुँचाने के बारे में ही सोच रही थी। ओविया को चोट पहुँचाते हुए देख रवीना को अंदर ही अंदर बड़ा अच्छा लग रहा था। ओविया अपने हाथों पर बड़े दबाव को निकालने की पूरी कोशिश कर रही थी, लेकिन निकाल ही नहीं पा रही थी। ओविया अपने ही मन में कहती है: "अब मैं जो कदम उठा रही हूँ, उसकी ज़िम्मेदार भी तुम खुद होगी।" इतना कहकर वह अपने हाथों को जोर से झटक देती है और एक थप्पड़ लगा देती है रवीना के गालों पर।

    क्रमशः

  • 13. You are my therapist - Chapter 13

    Words: 1024

    Estimated Reading Time: 7 min

    ओविया के हाथों से थप्पड़ लगते ही रवीना हैरान हो गई। आँखें बड़ी-बड़ी करके ओविया को देखने लगी। थप्पड़ तो ओविया ने मार दिया था, अब उसे किसी भी हालत में अपने आप को बचाना था! इसलिए वह पागल होने का नाटक करते हुए बोली, "बड़ा मजा आया...आपको थप्पड़ मारा...बड़ा मजा आया..."

    ओविया छोटे बच्चों की तरह उछलने लगी थी। रवीना उसे गुस्से भरी आँखों से देखने लगी।

    "रवीना दीदी, क्या मैं आपको एक बार वापस मार सकती हूँ???" ओविया ने कहा।

    ओविया की बात सुनकर रवीना हैरान हो गई! "शायद तू नहीं जानती...तू किससे मार रही है...लेकिन अभी तुझे ठीक तरह से समझाने का वक्त नहीं है...मैं तुम्हें बाद में सबक सिखाऊँगी, इस थप्पड़ का बदला तुमसे लेकर ही रहूँगी..." इतना कहकर वह वहाँ से उठकर बाहर चली गई।

    ओविया उसे जाते हुए देखकर अपने आप ही शांत हो गई और रिलैक्स हो गई। रवीना के जाते ही ओविया गहरी साँस लेती है और कहती है, "बच गई...लेकिन मुझे किसी भी हालत में अवीक को कहना पड़ेगा...भले ही मेरा उनकी जिंदगी पर कोई हक नहीं...लेकिन जिन्होंने मुझे जीवन दान दिया है, उस नाते तो मैं उनको बचा ही सकती हूँ..." इतना कहकर वह कुछ सोचने लगी।

    तभी उसे वहाँ पर एक डायरी और पेन दिखाई देता है, जो ओविया के लिए ही रखी गई थी! ताकि उसका मन दूसरी ओर डायवर्ट होता रहे। यह देखकर ओविया बाजू वाले टेबल पर से पेन और डायरी में से एक पेपर निकाल लेती है और लिखती है:

    आपके ही आप को धोखा देंगे...
    ऐसे ही छुपे हुए हैं अपनों के भेष में जहरीले...
    कोई तो है...जो आपको धोखा दे रहा है...
    वह बेहद ही आपके नज़दीक की पोजीशन में है...
    कौन है वो आपको पता करना पड़ेगा,
    लेट किया तो हो सकता है आप खो बैठें सब कुछ अपने ही हाथों से...

    Your well-wisher...

    इतना लिख लेती है और उस पेपर को फोल्ड कर देती है। अब उसे अवीक के यहाँ आने की प्रतीक्षा थी। इधर ओविया अवीक को बचाने की कोशिश करती है ताकि उसकी पूरी जिंदगी की hardworking विफल ना जाए।

    वहाँ पर दूसरी ओर राधिका, अवीक और आरव तीनों ही कमरे में बैठे हुए थे। आरव जो अभी राधिका से बात कर रहा था, वह देखता है कि अवीक कई गुमसुम से लगातार किसी सोच में पड़ा हुआ था। अवीक को गहरी सोच में देखकर आरव कहता है, "ओए बनियान, क्या हुआ??? किस सोच में है???"

    "कुछ नहीं, चड्डी..." अवीक ने कहा।

    यह सुनते ही आरव 😬😬 यह करते हुए राधिका की ओर देखने लगता है। राधिका भी उसको इस तरह से देखते हुए देखकर हँसने लगती है।

    तभी अवीक आगे बोलते हुए कहता है, "पता नहीं क्यों लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है कि कोई मुझे बुला रहा है..."

    "हे?? ये तू कैसी बात कर रहा है...पागल तो नहीं हो गया...हम सब यहाँ पर हैं...अब तुम्हें कौन बुला रहा होगा..." आरव ने कहा।

    "पता नहीं..." अवीक ने कहा।

    "क्या पता नहीं! मैं बता नहीं रहा, मैं कह रहा हूँ..." आरव ने कहा।

    राधिका "अवीक..." इतना बोल पाती है कि पहले ही उन तीनों के कानों पर आवाज सुनाई देती है, "कैसे हो अवीक बेटा..." अवीक जैसे ही यह सुनता है, वैसे ही पीछे घूमते हुए देखता है तो सामने कोई और नहीं बल्कि अवीक की माँ वर्षा जी खड़ी थीं, जिन्होंने शादी का जोड़ा पहना हुआ था और दिखने में किसी हीरोइन से कम नहीं थीं।

    अवीक अपनी मम्मी को देखकर खुश हो जाता है, साथ ही साथ आरव और राधिका भी खुश हो जाते हैं। अवीक अपनी माँ के पास भागते हुए चला जाता है और अपनी माँ से गले लग जाता है। वर्षा जी उसके foreheade पर किस करते हुए कहती हैं, "कैसा है??? तू..."

    "मैं तो बिल्कुल ठीक हूँ! आप कहिए, आप कैसे हैं???" अवीक ने कहा।

    अवीक की मम्मी वर्षा जी कहती हैं, "बिल्कुल ठीक..."

    तभी उन चारों के कानों पर एक और आवाज सुनाई देती है, "सब प्यार माँ को ही मिलेगा?? मुझे कुछ नहीं क्या???" यह सुनते ही अवीक देखता है तो सामने उसके पापा रंजीत ओबेरॉय खड़े थे। रंजीत जी को देखकर अवीक खुश हो जाता है और उनके भी गले लग जाता है। तभी आरव भी आता है और उन दोनों के पैर छू लेता है। लेकिन आरव को देखकर रंजीत को कुछ खुशी नहीं मिली थी। वह देखते हैं कि एक प्यारी सी, नाजुक सी लड़की जो सामने उन सभी को स्माइल करते हुए देख रही थी। यह देखकर रंजीत कहता है, "बेटा ये कौन??? मुझे इसका चेहरा कुछ जाना पहचाना क्यों लग रहा है???"

    तभी अवीक अपनी सॉफ्ट और पोलिट आवाज़ में कहता है, "पापा ये मेरी बचपन की दोस्त राधिका ठाकुर है। उसके पापा का लंदन में हमारी तरह ही कॉस्मेटिक की प्रोडक्ट का प्रोडक्शन है।"

    "अच्छा, ऐसा...नाइस टू मीट यू, बेटा..." रंजीत ने कहा।

    यह सुनकर राधिका कहती है, "सेम टू यू, अंकल..." इतना कहकर वह उन दोनों के पैर छू लेती है। एक इंडियन मोम की तरह ही वर्षा जी भी राधिका के अंदर अपनी बहू की छवि ढूँढने की कोशिश करती है।

    वह पाँचों बात करते हैं। कुछ देर बाद आरव, राधिका, रंजीत और वर्षा अवीक को कमरे में छोड़कर अपने-अपने कमरे में और आरव ऑफिस में चला जाता है।

    उन सभी के जाने के बाद अवीक हमेशा की तरह ओबरॉय मेंशन में बने हुए उसके सबसे बड़े कमरे की गैलरी में जाकर हाथों में कॉफी लेकर बाहर बैठ जाता है और सोचते हुए कहता है, "अभी भी ठीक क्यों नहीं लग रहा है..." इतना कहकर वह कॉफी को साइड में करते हुए रेलिंग के पास चला जाता है और आगे कहता है, "नहीं, आरव जो मुझे याद कर रहा है, वह शायद यहाँ पर नहीं है..."

    To be continued 💫 🦋 💙

  • 14. You are my therapist - Chapter 14

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

    दूसरे दिन सुबह, ओविया अभी तक सोई हुई थी। तभी उसके कानों पर किसी के पैरों के निशान सुनाई दिए। वह उसकी ओर आगे बढ़ रहा था! उसके हाथों में एक knife थी। उस knife से वह आगे मारने के लिए बढ़ रहा था। नजदीक आकर वह इंसान ओविया के पेट पर हमला कर देता है। यह देखकर ओविया घबरा गई! और चिल्लाते हुए उठी।

    "नहीं.......नहीं....."

    इतना कहकर वह अपने बेड पर उठ गई! ओविया पूरी पसीने से भीगी हुई थी। उसके माथे पर पसीने की लकीर छाई हुई थी।

    "अच्छा तो ये मेरा सपना था!" ओविया कहती है, "लेकिन वो अगर आ गया तो मैं क्या करूंगी???"

    इतना कहकर वह घबरा रही थी! तभी उसे अपने कानों पर, सपने की तरह, पैरों की आवाज सुनाई दी। यह सुनकर ओविया घबरा गई और डरते हुए बोली,

    "कहीं वो तो नहीं???"

    इतना कहकर उसने अपने आस-पास देखा, लेकिन उसे कुछ नहीं मिला। लेकिन जैसे ही उसकी नज़र इंजेक्शन पर गई, वैसे ही उसने इंजेक्शन उठा लिया और अपने बचाव के लिए तैयार हो गई।

    जैसे ही दरवाज़ा खुला, वैसे ही कोई और नहीं, बल्कि अवीक अंदर आया! अवीक को देखकर ओविया रिलैक्स हो गई! लेकिन उसे इतना अलर्ट देखकर अवीक हैरान हो गया! किसी भी मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम वाले इतने अलर्ट नहीं हो सकते, इसलिए अवीक ओविया की ओर हैरानी भरी नज़रों से देखने लगा।

    ओविया उसकी यह कन्फ़्यूज़न समझ गई और जोर से चिल्लाते हुए बोली, "सेनापति तुम इधर?? अगर तुम यहाँ हो तो फिर राजा की देखभाल कौन करेगा???"

    यह सुनते ही अवीक सब कुछ इग्नोर कर देता है और अपने मन ही मन में कहता है, "अच्छा तो यह बात है!"

    अवीक के आने से ओविया वापस से नाटक करते हुए शांत हो गई और चुपचाप बैठ गई। उसके बैठते ही अवीक उसके करीब जाने लगा। आज अवीक ने कला सूट और अंडर वाइट कलर की शर्ट पहनी हुई थी।

    ओविया कैसे भी करके अपनी चिट्ठी अवीक के पास पहुँचाना चाहती थी, लेकिन वह कैसे पहुँचाए, यही सोच रही थी। तभी नर्स अंदर आई और ओविया के लिए ब्रेकफास्ट दे देती है। अवीक नर्स को देखते हुए कहता है, "अब इन्हें डिस्चार्ज कब मिलेगा???"

    यह सुनते ही ओविया अपने कान खड़े कर देती है और चुपचाप सुनने लगती है। तभी नर्स कहती है, "आज शाम को इनका डिस्चार्ज है; क्योंकि इनकी हेल्थ पूरी तरह से अब ठीक हो चुकी है!" यह सुनते ही अवीक कहता है, "थैंक यू सो मच। मुझे आपसे एक और फेवर भी चाहिए था।"

    "जी कहिए सर," नर्स ने कहा।

    "जी मुझे उस मेंटल हॉस्पिटल की डिटेल्स चाहिए जहाँ पर ओविया एकदम सही-सलामत रह सके," अवीक ने कहा।

    "ठीक है सर, आप एक बार डॉक्टर से बात कर लीजिए," नर्स ने कहा।

    "ठीक है," अवीक ने कहा।

    नर्स अपने हाथों में लाई हुई ट्रे में ओविया के लिए फ्रूट्स और जूस लाई थी। यह देखकर ओविया खुश हो जाती है और खुश होते हुए कहती है, "वाह ऑरेंज जूस! मुझे बहुत पसंद है।"

    ओविया नर्स के पास चली जाती है और बड़ी चालाकी से अपने हाथों को नर्स की ट्रे के नीचे ले जाती है और उछल देती है! जिससे जूस का ग्लास बाजू में खड़े अवीक के ऊपर गिर जाता है और उसका पूरा सूट बिगड़ जाता है।

    यह देखते ही अवीक को ओविया पर बहुत तेज गुस्सा आने लगता है और वह कहता है, "ये क्या किया?? पागल लड़की।"

    अवीक का गुस्सा देखकर ओविया एक बार हैरान हो जाती है और कहती है, "क्या किया???"

    अवीक उसकी ओर देखकर कुछ नहीं बोलता। नर्स कहती है, "सर आप अपना सूट हमें दीजिए, हम सर्वेंट को दे देते हैं।"

    "नहीं, उसकी कोई ज़रूरत नहीं है! मैं खुद कर लूँगा!" इतना कहकर अवीक अपने सूट को साफ करने लगता है और कहता है, "आप सिर्फ़ यह साफ कर दीजिए।"

    अवीक की बात सुनकर नर्स हाँ कह देती है।

    कुछ देर बाद, अवीक अपने सूट को साफ करते हुए बाहर लेकर आता है और उसे सूखने के लिए रख देता है। आज उसे ओविया पर बहुत तेज गुस्सा आ रहा था।

    अवीक ओविया की ओर गुस्से से देखते हुए फ़ोन में बात करने लगता है, लेकिन दूसरी ओर नेटवर्क न होने की वजह से वह खिड़की के पास चला जाता है। इससे ओविया को एक और मौका मिल जाता है और वह नोट्स को अवीक के सूट के अंदर डाल देती है।

    अवीक बात करने के बाद वहाँ रखे सोफ़े पर बैठ जाता है। ओविया अब सोने का नाटक करने लगती है। तभी नर्स आती है और कहती है, "सर मैंने ही डॉक्टर को पूछ लिया था। आपने मेंटल हॉस्पिटल के बारे में पूछने को कहा था तो..."

    "तो क्या कहा???" अवीक ने पूछा।

    "उन्होंने कहा है कि वह हॉस्पिटल शिफ्ट हो रही है और बड़ी बनाने के लिए प्रोसेस में है। अगर आपको प्रॉब्लम न हो तो क्या आप ओविया का एडमिशन 1 वीक के लिए करवा सकते हैं???" नर्स ने कहा।

    यह सुनते ही अवीक कुछ सोच में पड़ जाता है।

    दूसरी ओर, सोने का नाटक कर रही ओविया यह सुनते ही अपने आप में ही खुश हो रही थी क्योंकि उसे एक और मौका मिल रहा था, उस शैतान से बचने का।

    "ठीक है! थैंक यू सिस्टर, आपने मेरा काम किया। मैं कुछ करूँगा, लेकिन मुझे उस हॉस्पिटल की डिटेल्स चाहिए," अवीक ने कहा।

    "ठीक है! आपके फ़ोन नंबर पर मिल जाएगा," नर्स ने कहा।

    "ठीक है," अवीक ने कहा। इतना कहकर वह अपने आप में कुछ सोचने लगता है और कहता है, "आखिर अब मैं ओविया को कहाँ पर रखूँगा??? क्या उसे अपने घर लेकर जाना सही रहेगा???"

    क्रमशः

  • 15. You are my therapist - Chapter 15

    Words: 1090

    Estimated Reading Time: 7 min

    शाम के 6 बजे ओविया को डिस्चार्ज मिल गया था। उसके डिस्चार्ज होते ही अवीक, बिना सोचे-समझे, ओविया को अपने घर लेकर चला गया।

    ओब्रॉय मैंशन।

    करीब आधे घंटे बाद वे लोग ओविया के साथ ओब्रॉय मैंशन पहुँचे। अवीक ने आरव को यह बात नहीं बताई थी कि वह ओविया को लेकर अपने घर आ रहा है।

    जैसे ही ओविया कार से बाहर निकली, उसकी आँखों में एक अलग सी चमक दिखाई देने लगी। सामने बेहद खूबसूरत मैंशन था। उसके नाम प्लेट में "ओब्रॉय मैंशन" लिखा हुआ था, और उसकी सुनहरी रोशनी ओविया की आँखों को अलग तरह से भा रही थी।

    ओविया अपने मन ही मन में कहती है, "क्या सच में आज यहाँ रहने वाली हूँ?"

    अवीक उसे इशारा करते हुए कहता है, "चलो मेरे साथ।"

    अवीक उसे अंदर लेकर चला गया। जैसे ही ओविया अंदर पहुँची, उसने देखा और मन ही मन में कहा, "यह मैंशन बाहर से ही नहीं, अंदर से भी बेहद प्यारा और खूबसूरत है।"

    तभी उसके कानों पर एक कड़क आवाज पड़ी, "ये कौन है, अवीक???"

    यह आवाज सुनकर ओविया भी सामने की ओर देखने लगी। सामने कोई और नहीं, बल्कि मालती देवी बैठी हुई थीं। मालती देवी का रुतबा देखकर ओविया एक बार तो डर गई और सहम गई। लेकिन तभी अवीक कहता है, "दादी, ये हमारे घर कुछ दिन रहेगी।"

    मालती देवी: "लेकिन ये हैं कौन???"

    अवीक: "बात ये है कि..." इतना कहकर वह पूरी बात दादी को सुना देता है। और मालती देवी ओविया की ओर देखकर कहती हैं, "इसे यहाँ लाने की क्या ज़रूरत थी?? इसे कहीं और भी लेकर जा सकते थे, या फिर कहीं और रख सकते थे।"

    दादी की बातें ओविया के दिल को चीर रही थीं, लेकिन वह समझ पा रही थी कि दादी भी तो सही हैं। आखिर किसी अनजान, पागल को रखना खतरे से खाली नहीं।

    अवीक: "बस दादी, कुछ ही दिनों की बात है।"

    तभी रंजीत जी की आवाज सुनाई देती है, "अगर तुम्हें इसे यहाँ रखना है, तो तुम्हें बाहर बने हुए गेस्ट हाउस में रखना पड़ेगा। हम नहीं चाहते कि कोई भी अनजान यहाँ आकर हमारे घर के लिए खतरा बने।" वर्षा जी भी रंजीत जी के साथ हाँ में हाँ मिलाती हैं।

    यह देखकर अवीक ओविया की ओर देखने लगता है। ओविया अपनी मासूम सी आँखों से इधर-उधर देखने लगती है। तभी रंजीत जी कहते हैं, "देखिए अवीक बेटा, आप को पता है, हमें वैसे भी ऐसी गंदी चीज़ें पसंद नहीं जो सीधे रास्ते से आई हों, और ये तो पागल है। अगर यहाँ रहकर इसने कोई गलत काम कर दिया तो?? तुम्हें पता है!"

    मालती देवी: "वैसे भी इस घर में लाखों की चीज़ें रखी गई हैं; ये फ्लावर वास और सब कुछ... इसने अपने गंदे हाथों से छू लिया तो ये सब कुछ गंदा हो जाएगा।" इतना कहकर वे ओविया की ओर देखने लगते हैं। ओविया जैसे कुछ सुन ही नहीं रही हो, वैसा नाटक करने लगती है।

    मालती देवी: "अगर तुम्हें किसी की हेल्प करनी है, तो तुम उसे गेस्ट हाउस में रख सकते हो, क्योंकि ओब्रॉय मैंशन में बना हुआ गेस्ट हाउस हर किसी के नसीब में नहीं होता।"

    अवीक: "ठीक है दादी, जैसा आप कह रही हो। वैसे भी एक हफ़्ते की तो बात है, बाद में सब कुछ सही हो जाएगा। और उसे मैं मेंटल हॉस्पिटल में लेकर चल जाऊँगा।"

    वर्षा जी अवीक की बात सुनकर अपने मन ही मन में कहती हैं, "जिस लड़के को अपने अलावा कुछ सूझ नहीं रहा था, आज वह इस लड़की के बारे में क्यों इतना सोच रहा है?? आखिर बात क्या है??? मुझे लगता है, कुछ तो बात है..."

    अवीक: "गुड़िया... गुड़िया..." अवीक अपने घर में काम कर रही नौकर को बुलाते हुए कहता है, "...एक काम करो, ओविया को तुम बाहर बने हुए गेस्ट हाउस में लेकर जाओ और कोई भी कमी न रहे, उसका ध्यान रखना।"

    गुड़िया: "ठीक है सर।" इतना कहकर वह ओविया को साथ लेकर चली जाती है।

    जाती हुई ओविया एक बार पीछे मुड़कर अवीक की ओर देखती है। अवीक जो अभी अपने कमरे में जाने के लिए ऊपर चढ़ रहा था। यह देखकर वह आगे मुड़ते हुए गुड़िया के साथ चली जाती है।

    ऊपर खड़ी राधिका यह सब कुछ देख रही थी, लेकिन उसे यह पता नहीं चल पा रहा था कि अवीक ने ओविया को अपने गेस्ट हाउस में भी क्यों रहने दिया।

    राधिका अभी अवीक के पास जाने लगती है। राधिका को देखकर अवीक उसे कहता है, "राधिका, देखो तुमको भी ओविया के बारे में बात करनी है तो मुझे कोई बात नहीं करनी है, क्योंकि तुम भी यही पूछोगी... आखिर मैंने क्यों ओविया को रखा... और देखो अभी मैं बहुत ही थका हुआ हूँ।"

    इतना कहकर वह राधिका को साइड करते हुए आगे चला जाता है। उसके जाते ही राधिका कहती है, "मैं खुद ही पता लगा लूँगी।"

    दूसरी ओर:

    ओविया जैसे ही गेस्ट हाउस में आती है, वह देखती है कि वह उसके घर से भी बड़ा था। यह देखकर उसके मुँह से निकलता है, "Wow..."

    गुड़िया ओविया को देखकर खुश हो रही थी। गुड़िया की उम्र ओविया से कम थी।

    गुड़िया ओविया को अंदर लेकर जाती है और कहती है, "देखो ओविया, तुम्हें यहाँ ही रहना है।" ओविया यह देखकर पागलों की तरह इशारा करते हुए कहती है, "Wow! बड़ा मज़ा आया... बड़ा मज़ा आया..." इतना कहकर वह अंदर चली जाती है, जिसमें 2 रूम, एक किचन और एक हॉल था। हॉल में बड़ा सा टीवी भी रखा हुआ था। वह यह सब कुछ देखकर मन ही मन में अवीक को थैंक यू कह रही थी।

    इधर ओविया खुश हो रही थी, उधर अवीक के फ़ोन में आरव का कॉल आ रहा था। आरव का कॉल देखकर अवीक तुरंत ही उठा लेता है और कहता है, "हाँ, बोलो..."

    आरव: "ये मैं क्या सुन रहा हूँ..."

    अवीक: "क्या? मुझे क्या पता तुम क्या सुन रहे हो???"

    आरव: "ओविया को तुम घर पर लेकर आए???"

    अवीक: "तुम्हें कैसे पता चला? किसने बताया???"

    आरव: "राधिका ने..."

    अवीक यह सुनकर हँसने लगता है। आरव: "पागल हो गया है क्या? Hmm हँस क्यों रहे हो???"

    To be continued 💫🦋💙

  • 16. You are my therapist - Chapter 16

    Words: 1213

    Estimated Reading Time: 8 min

    अवीक: तुम्हें कैसे पता चला???

    आरव: राधिका ने कहा।

    अवीक: ओह, अच्छा।

    आरव: तुमने उसे वहाँ क्यों रखा है? क्या सच में तुम इतने अच्छे इंसान हो? मुझे ये तो पता ही नहीं था।

    अवीक आरव की बातें सुनकर जोर-जोर से हँसने लगा।

    आरव: क्या हुआ? उस लड़की के साथ-साथ तुम भी पागल नहीं हो गए???

    अवीक हँसते हुए कहा: नहीं, ऐसा नहीं, लेकिन... तुम भूल गए हो... मैं मेरे मतलब के बिना कुछ नहीं करता हूँ।

    आरव: लेकिन क्या???

    अवीक: वही जो मैंने कहा था।

    आरव: अच्छा... याद आया... पब्लिसिटी स्टंट...

    अवीक: बिल्कुल सही समझे।

    आरव: लेकिन तुम्हारे घर पर लेकर कैसे पब्लिसिटी स्टंट हुआ?

    अवीक: वो तो तुम्हें पता चल ही जाएगा। चलो, अब मैं कॉल रखता हूँ क्योंकि मैं बहुत थका हुआ हूँ।

    आरव: ठीक है। कल मिलते हैं ऑफिस में।

    अवीक कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। जैसे ही कॉल डिस्कनेक्ट हुआ, खिड़की के पास उनकी बातें सुन रही राधिका वहाँ से जाने लगी और अपने आप में खुश होते हुए बोली, "अच्छा, तो ये बात है।" वो इतना कहकर वहाँ से चली गई।

    दूसरी ओर ओविया... अब वहाँ कोई नहीं था! गुड़िया सब कुछ रखकर चली गई थी! लेकिन अबीक ने उसके पास ही रहने के लिए कहा था, इसलिए वो अपना सामान लेने के लिए चली गई।

    ओविया अपने आप को वहाँ पाकर भगवान से बोली, "पता नहीं था उस खंडहर से निकलकर किसी स्वर्ग में आ पहुँचूँगी। ऐसा लगता है जैसे आप ही मेरे साथ हो हर कदम में। थैंक यू भगवान, अब मैं बच गई। अब मेरे सामने वो दानव कभी नहीं आएगा, कभी नहीं..."

    तभी ओबेरॉय मैंशन का दरवाज़ा खुला और एक बड़ी सी लक्ज़रियस कार अंदर आई। वो कार बड़ी और ब्लैक कलर की थी। उसके पीछे करीब 5 बॉडीगार्ड थे। वो कार सीधे ओबेरॉय मैंशन के दरवाज़े पर जाकर रुक गई। उसमें से एक काले कपड़े पहने हुए बॉडीगार्ड बाहर आया और दरवाज़ा खोल दिया। जिसमें से एक 37 साल का आदमी बाहर आया। उसकी हाइट 6 फुट, घनी दाढ़ी, व्हाइट कलर का थ्री-पीस सूट पहना हुआ, बाल प्रॉपर कॉम्ब किए हुए... दिखने में हैंडसम... आशीष ओबेरॉय... नीचे निकलते हुए ओबेरॉय मैंशन के अंदर चले गए।

    उनके अंदर जाते ही बॉडीगार्ड्स की लाइन उनके पीछे लग गई। आशीष ओबेरॉय अंदर जाते ही वर्षा और उनके भाई रंजीत को बुलाने लगा। "बड़े भाई... अबीक अबीक... किधर हो? अबीक..." ये आवाज़ सुनकर अबीक, वर्षा, और रंजीत, उनके साथ मालती देवी भी बाहर आ गए। वो चारों जैसे ही बाहर आए, वैसे ही उनके चेहरों पर मुस्कान आ गई। और रंजीत बोला, "मेरे छोटे भाई..." वर्षा जी: "देवर जी..." अबीक आशीष को देखकर खुश हो गया और बोला, "चाचा..." मालती देवी मुस्कुराते हुए उसके पास जाती हुई बोली, "मेरा बेटा... कितने दिनों बाद तुम्हें देखा है..." वो इतना कहकर अपने बेटे आशीष के माथे पर चुम्बन कर लिया।

    वर्षा, रंजीत और अबीक तीनों ही भागते हुए आशीष से मिलने लगे! वो चारों आशीष से मिलकर बहुत खुश थे और सोफ़े पर बैठकर बातें करने लगे।

    मालती देवी: बेटा, इतने महीने कहाँ था?

    आशीष: आपको पता है, मेरा अलग ही कारोबार है... मैं बस अपने प्लॉट के लिए बाहर गया था!

    मालती देवी: लेकिन बिना बताए???

    आशीष: माँ, मैं वापस आ गया हूँ ना! अब आप बीती हुई बातों को भूलिए।

    अवीक: सही कहा आपने... दादी, जाने दीजिए।

    मालती देवी: ठीक है।

    कुछ देर बाद वो सब लोग डिनर करने के लिए बैठ गए। तभी अबीक गुड़िया को इशारा करते हुए बोला, "खाना?"

    गुड़िया: आपको परोसने के बाद उनको दे आऊँगी!

    अवीक: ठीक है!

    वहाँ बैठा आशीष सब कुछ देख रहा था। इसलिए अबीक की ओर देखकर बोला, "क्या हुआ? किसकी बात कर रहे हो?"

    अबीक बात कर पाता, उससे पहले ही रंजीत बोला, "ये वो उस पागल की बात कर रहा है..." लेकिन जब वो बोल रहे थे, तभी आशीष के फ़ोन पर किसी का कॉल आ गया। ये देखकर आशीष बोला, "दो मिनट भाई..." वो इतना कहकर कॉल उठाने के लिए चला गया।

    तभी अबीक रंजीत को इशारा करते हुए बोला, "क्या पापा आप भी... जाने दीजिए चाचा को मत कहिए... वरना वो तो यहाँ रहने ही नहीं देंगे। आपको पता है ना उनको गरीबों से कितनी नफ़रत है... तो ये तो फिर भी पागल है... प्लीज़ आप चुप रहिए..."

    अवीक की बात सुनकर रंजीत कुछ नहीं बोला। कुछ देर बाद गुड़िया ओविया के लिए खाना लेकर चली गई। तभी आशीष बोला, "हाँ तो आप क्या कह रहे थे? पा? क्या?"

    अवीक: कुछ नहीं चाचा आप भी क्या... छोड़िए ये सब और मम्मी ने आपके लिए भिंडी कढ़ी बनाई है! वो टेस्ट तो करिए।

    अवीक की बातें सुनकर आशीष कुछ नहीं बोला और टेस्ट किया। टेस्ट करते हुए वो भिंडी खाते हुए बोला, "वाह, बहुत ही बढ़िया टेस्ट है! आपने बहुत ही मज़ा बनाया है।" इतना कहकर वो लोग खाने लगे। थोड़ी देर बाद आशीष उन सबके सामने हाथ जोड़ते हुए बोला, "चलिए तो अब मैं चलता हूँ।"

    अवीक ये सुनकर बोला, "कहाँ जाना है?"

    उनके साथ मालती देवी भी बोली, "बेटा ये क्या? ये भी तुम्हारा ही तो घर है..."

    रंजीत जी अपनी गहरी आवाज़ में बोले, "आशीष... बस आपको जाने की ज़रूरत नहीं है... अब तुम यहाँ ही रहोगे।"

    आशीष हँसते हुए बोला, "जी, मैं वैसे भी कहीं पर नहीं जाने वाला था! मैं तो आपके साथ मज़ाक कर रहा था... लेकिन हाँ, मुझे चलने की आदत है, मुझे चलने के लिए जाना पड़ेगा! तो क्या अबीक बेटा, चलोगे मेरे साथ?"

    अवीक: क्यों नहीं, चलिए।

    वो दोनों बाहर चले गए। उनके जाते ही मालती देवी बोली, "आशीष के आते ही घर की रौनक वापस आ गई है ऐसा लग रहा है।"

    दूसरी ओर वो दोनों बाहर चल रहे थे। अबीक ने सफ़ेद कलर का कुर्ता पहना हुआ था। इसलिए वो अपने हाथ अंदर जेब में डालता है तो देखता है, उसका फ़ोन डाइनिंग टेबल पर ही रह गया! इसलिए अबीक आशीष को बोला, "चाचा, आप रुकिए, मैं अभी आता हूँ, मेरा फ़ोन अंदर रह गया है।"

    अवीक के कहते ही आशीष बोला, "ठीक है, मैं यहीं इंतज़ार करता हूँ।"

    अवीक जाने लगा। उसके जाते ही आशीष इधर-उधर देख रहा था। तभी वो अपने मन ही मन में बोला, "ये क्या? गेस्ट हाउस में लाइट क्यों चली हुई है?" वो इतना कहकर गेस्ट हाउस की ओर जाने लगा।

    क्रमशः

  • 17. You are my therapist - Chapter 17

    Words: 1184

    Estimated Reading Time: 8 min

    अवीक के जाते ही आशीष इधर-उधर टहलने लगा। तभी उसकी नज़र गेस्ट हाउस पर गई, जहाँ अंडर की लाइट जली हुई थी। यह देखकर आशीष सोचा, "आखिर यह पर लाइट क्यों जली हुई है?"

    उधर, गुड़िया ओविया को संभाले हुए कहती है, "Please दीदी, आप खा लो ना। अगर आप नहीं खाओगी तो मुझे बुरा लगेगा। Please खा लीजिए।"

    ओविया, पागलपन का नाटक करते हुए कहती है, "नहीं-नहीं। अगर आपने मुझे पकड़ लिया तो हम सोचेंगे..."

    "दीदी, please खा लीजिए," गुड़िया ने कहा।

    ओविया अपने मन में कहती है, "आखिर पता नहीं क्यों, लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि मैं पहली बार नहीं मिली हूँ। ऐसा ही लगता है कि मैं हमेशा से ही गुड़िया के साथ रही हूँ।" वह मन में सोचते हुए बाहर गेट तक आ गई। और गुड़िया ओविया को स्टैच्यू कह देती है, जिससे ओविया स्टैच्यू हो जाती है।

    वहाँ दूसरी ओर, आशीष ओबेरॉय यह सोच रहा था कि गेस्ट हाउस की लाइट क्यों जली हुई है? इतना सोचते हुए वह उस तरफ जाने लगा। जाते ही, जैसे ही वह बेल बजाने वाला था, पीछे से अविेक की आवाज सुनाई दी, "चाचा! आप यहाँ क्या कर रहे हैं?"

    "कुछ नहीं, यही देखने आया था कि यहाँ कोई है?" आशीष ने अपनी गहरी आवाज में कहा।

    "क्यों? आपको ऐसा क्यों लग रहा है?" अविेक ने पूछा।

    "क्योंकि मैंने यहाँ लाइट जलती हुई देखी," आशीष ने उत्तर दिया।

    "नहीं, हमने कुछ समय के लिए गुड़िया को गेस्ट हाउस में रहने के लिए कहा है, इसलिए," अविेक ने समझाया।

    "अच्छा, ऐसा है!" आशीष ने कहा।

    "चलिए," अविेक ने कहा।

    "ठीक है," आशीष ने उत्तर दिया।

    दूसरी ओर, स्टैच्यू बनी ओविया बाहर आशीष की आवाज सुनकर घबरा गई और उसकी साँसें अचानक फूलने लगीं। यह देखकर गुड़िया जल्दी से नज़दीक आई और कहती है, "क्या हुआ दीदी? आपको क्या हो रहा है?"

    लेकिन जैसे ओविया के कानों पर आशीष की बातें पड़ीं, ओविया की साँसें तेज़ होती गईं। उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे और नाक से पानी का बहाव भी होने लगा। यह देखकर गुड़िया घबरा गई और पानी लेने के लिए चली गई।

    ओविया अपने आप से कह रही थी, "वो आ गया... वो आ गया... अब मैं नहीं बचूँगी... अब मैं नहीं बचूँगी..." ओविया बोलते-बोलते बेहोश हो गई।

    गुड़िया बेहोश ओविया को देखकर परेशान हो गई और उसके मुँह पर पानी के छींटे छिड़कने लगी।

    लेकिन कुछ देर बाद ओविया होश में आ गई। और अपने आस-पास देखती है तो गुड़िया ने उसे कमरे में लेटा दिया था। गुड़िया अभी भी ओविया के बगल में बैठी हुई थी। जैसे ही वह होश में आती हुई देखती है, गुड़िया खुश हो जाती है और कहती है, "क्या हो गया था आपको? पता है, आप अचानक से बेहोश हो गई थीं।"

    ओविया के लिए इतनी फिक्र देखकर उसे कुछ अपनापन महसूस होने लगा। और थोड़ी नन्हे बच्चे की तरह एक्टिंग करते हुए कहती है, "वो बात ये है कि मैंने किसी की आवाज सुनी थी! क्या आपने कोई आवाज सुनी थी?"

    ओविया की बातें सुनकर गुड़िया कहती है, "कैसी आवाज? मैंने तो कोई भी आवाज नहीं सुनी। आप किस आवाज की बात कर रही हो?"

    "क्या सच में आपने कोई आवाज नहीं सुनी थी?" ओविया ने पूछा।

    "नहीं दीदी, सच में मैंने किसी की आवाज नहीं सुनी थी," गुड़िया ने कहा।

    यह सुनकर ओविया अपने मन में कहती है, "लगता है मुझे शायद भ्रम हुआ होगा। भ्रम की वजह से ही मुझे लगा कि वो दानव वापस आ गया।" गुड़िया खोई हुई ओविया को देखकर कहती है, "क्या सोच में पड़ गई आप?"

    तभी ओविया कहती है, "मुझे बहुत भूख लगी है! क्या आप मुझे खिलाओगी?" यह सुनकर गुड़िया खुश हो जाती है और कहती है, "क्यों नहीं, चलिए।" इतना कहकर वे खाने लगती हैं।

    दूसरे दिन सुबह, अविेक जल्दी से रेडी होकर ऑफिस के लिए निकलने लगा। लेकिन अभी उसे ओविया को भी देखना था, इसलिए वह ओविया को देखने के लिए चल जाता है।

    दूसरी ओर, ओविया अभी भी सोई हुई थी। उसे सोता हुआ देखकर गुड़िया उसे जगाती नहीं है और उसे सोने ही देती है, क्योंकि कल रात बड़ी ही मुश्किल से वह सोई थी। लेकिन तभी गेस्ट हाउस की रिंग बज जाती है। गुड़िया सोचती है, "हे राम! कौन आया होगा? पता नहीं, लेकिन जल्दी ही खोलना पड़ेगा, वरना ओविया दीदी जल्द ही उठ जाएँगी।" वह इतना सोचते हुए जल्दी-जल्दी में डोर ओपन करने के लिए चली जाती है।

    जैसे ही गुड़िया डोर ओपन करती है, वैसे ही उसे सामने अविेक खड़ा हुआ दिखाई देता है। अविेक को देखकर गुड़िया कहती है, "अच्छा हुआ साहब, आप आ गए।"

    अविेक अंदर आते हुए कहता है, "क्यों? क्या हुआ?"

    गुड़िया कल रात हुई सारी हरकतें बता देती है, जिसे सुनकर अविेक हैरान हो जाता है और कहता है, "क्या? लेकिन अचानक से क्या हुआ?"

    "पता नहीं क्या, लेकिन वो किसी की आवाज के बारे में बात कर रही थी," गुड़िया ने बताया।

    "किसकी?" अविेक ने पूछा।

    "पता नहीं किसकी, लेकिन किसी की आवाज के बारे में बात कर रही थी। उसने मुझे भी पूछा, लेकिन मुझे कुछ भी नहीं सुनाई दिया, इसलिए मैंने उनको मना कर दिया," गुड़िया ने जवाब दिया।

    "शायद उसको कोई भ्रम हुआ होगा," अविेक ने कहा।

    "मैंने भी ओविया को यही कहा था," गुड़िया ने कहा।

    "उठ गई?" अविेक ने पूछा।

    "नहीं, अभी नहीं," गुड़िया ने उत्तर दिया।

    "ठीक है, कहाँ पर है?" अविेक ने पूछा।

    "वो ऊपर वाले कमरे में," गुड़िया ने बताया।

    यह सुनते ही अविेक ऊपर की ओर बढ़ जाता है। अविेक ओविया के सोए हुए कमरे में आ जाता है। वह देखता है कि ओविया बड़े ही आराम से सोई हुई है। उसको सोता हुआ देख अविेक उसके करीब चला जाता है। वह देख पा रहा था कि खिड़की से आ रही सूरज की किरणें सीधे ओविया के चेहरे पर पड़ रही थीं, जिससे ओविया को सोने में परेशानी हो रही थी। उसकी आँखें झपटपटा रही थीं। ऐसा देखकर अविेक ओविया के सामने आकर खड़ा हो जाता है, जिससे धूप अब ओविया के चेहरे पर नहीं आ रही थी। और ओविया के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। उसे मुस्कुराते हुए देख अविेक उसे लगातार देखने लगता है। वह देखता है कि ओविया के बाल अब उसके चेहरे पर आ रहे थे। अविेक के हाथ अपने आप ही ओविया के चेहरे की ओर आगे बढ़ जाते हैं और वह उसके बालों को पीछे कर देता है। लेकिन अविेक हाथ ले पाता, उससे पहले ही ओविया अविेक के हाथों को पकड़ कर अपने गाल के नीचे रखकर सो जाती है।

    यह देखकर अविेक हड़बड़ा जाता है और सीधे ओविया के चेहरे के पास आकर गिर जाता है।

    क्रमशः…

  • 18. You are my therapist - Chapter 18

    Words: 1040

    Estimated Reading Time: 7 min

    अवीक सीधे ओविया के चेहरे के पास आकर गिर गया। जैसे ही अवीक नीचे गिरा, उसकी नज़र सामने सो रही ओविया पर गई। ओविया की आँखें और उसके होठों की मुस्कान, जो नींद में भी बेहद प्यारी लग रही थी... तभी गुड़िया अंदर आते हुए कहती है, "सर, अगर आप कहें तो..." वो उसके आगे कुछ कहती, उसे पहले ही देखती है, अवीक ओविया को लगातार देख रहा था। यह सब कुछ देखकर गुड़िया कुछ नहीं बोलती, लेकिन अवीक ने गुड़िया की आवाज़ सुन ली थी, इसलिए वह गुड़िया की ओर देखता है और कहता है, "यहाँ ऐसा कुछ नहीं हो रहा है जिससे देखकर तुम्हारे मन में कोई और गलतफ़हमी पैदा हो जाए। इसलिए अपने विचार को काबू में रखना, और यहाँ हुई हरकत तुम किसी को मत कहना।"

    "जी साहब," इतना कहकर वह चली जाती है।

    उसके जाने के बाद अवीक भी बाहर चला जाता है। जैसे ही अवीक बाहर निकला, ओविया अपनी आँखें खोल देती है और कहती है, "उनका मेरे पास होना अंदर से अलग ही हिम्मत पैदा करती है।"


    दूसरी ओर, अवीक ओबेरॉय अपने ऑफिस में पहुँच जाता है और कहता है, "आरव, हमारा प्रोजेक्ट कहाँ तक पहुँचा है?"

    "बस अवीक, वो on the way ही है।"

    "तो फिर ठीक है।" इतना कहकर वह कॉल डिस्कनेक्ट कर देता है।

    अवीक अपने कामों में लग जाता है। तभी उसके कानों में एक गहरी आवाज़ सुनाई देती है, "क्या कर रहे हो मेरे बच्चे?"

    यह सुनकर अवीक सामने की ओर देखता है, तो सामने कोई और नहीं, बल्कि आशीष ओबेरॉय है।

    आशीष को देखकर अवीक कहता है, "चाचा आप यहाँ?"

    आशीष अपने हाथों को जेब में रखते हुए अंदर आता है और कहता है, "क्या तुम्हारा चाचा नहीं आ सकता?"

    अवीक अपने चेयर से खड़े होकर कहता है, "अरे नहीं चाचा, ऐसा नहीं... आप अक्सर यहाँ आते नहीं हो इसलिए... और आप जिंदगी में दूसरी ही बार आए हो।"

    "आज हमें इच्छा हुई तो हमने सोचा हम आ जाएँ।" वो दोनों आपस में बातें करने लगते हैं। तभी आरव अंदर आते हुए कहता है, "अब हमें काजल के लिए क्या करना है? और आईलाइनर के लिए? किसको अप्रोच करना है?" आरव अपने ही धुन में अंदर आ रहा था। तभी उसकी नज़र सामने बैठे हुए आशीष ओबेरॉय पर जाती है, जिनको देखकर आरव थोड़ा खुश और हिचकिचाते हुए कहता है, "चाचा? आप..."

    आशीष ओबेरॉय जब आरव को देखता है, तो अवीक की ओर देखकर कहता है, "अच्छा तो आपका दोस्त यहाँ ही है।"

    यह सुनकर अवीक कहता है, "बुराई ही क्या है? हमारी कंपनी की तुलना इंडिया में कहीं पर भी नहीं है।"

    "हाँ, तुम्हारे वजह से ये तो कुछ भी कर दे।" इतना कहकर मुस्कुराने लगता है और कहता है, "...कोई न बताओ कैसा है?"

    आरव जब आशीष के ताने सुन रहा था, तब उसका मूड बहुत ही खराब हो गया था, लेकिन जब उसका नॉर्मल बातचीत हो गई, तब उसका मूड अच्छा हो गया था और कहता है, "मैं ठीक हूँ। आप...?"

    "मैं तो अच्छा ही रहूँगा, लेकिन आरव क्या कह रहा है? किसलिए फ़ेस की बात हो रही है?"

    "कुछ नहीं चाचा, मैंने न्यू आईलाइनर लॉन्च की है, उसकी ही बात हो रही है। उसका फ़ेस मुझे नहीं मिल रहा है। एक्चुअली में तमिलनाडु गया हुआ था, लेकिन कोई बात नहीं बनी।"

    "अच्छा तो आई ऑफ़ अर्थ की बात हो रही है।"

    "बिल्कुल सही कहा।"

    "कोई बात नहीं, हमारे घर में एक नई लड़की है ना, क्या नाम है... राधिका... हाँ, राधिका। उसे कहो, वो किसी मॉडल से कम है क्या?"

    "नहीं, हम उसको नहीं कह सकते क्योंकि वो अपने प्रोडक्ट की खुद मॉडल है, और अब वो दूसरे के साथ काम नहीं कर सकती।"

    "अवीक, हमने उसके लिए तो उसको रखा है, क्यों न कुछ दिनों में वो काम भी कर दे!"

    आशीष यह सुनकर सख्त भरी निगाहों से आरव की ओर देखने लगता है और कहता है, "किसे हायर किया है...?"

    यह सुनकर अवीक अपना मुँह टेढ़ा करते हुए इशारा करता है, जैसे कि वो कह रहा हो कि आखिर तुमने यह सब कुछ क्यों कहा?

    आशीष का चेहरा आरव की आँखों से नीचे हट ही नहीं रहा था और आशीष की आँखों से आरव खुद भी डरा हुआ था, इसलिए आरव कुछ बोल नहीं पाता।

    तभी अवीक कहता है, "दरअसल हमने सोचा है कि हम मॉडल इस साल उनको ही लेंगे जो एकदम मिडिल क्लास से बिलॉन्ग करती हो।"

    "यह क्या? दुनिया में इतनी अच्छी-अच्छी मॉडल हैं! तुम्हें मिडिल क्लास के पीछे क्यों भागना है? तुम्हें नहीं पता, लेकिन ये जो मिडिल क्लास वाली लड़कियाँ होती हैं, वो बहुत ही चालक होती हैं। मुझे नहीं लगता कि तुम्हें ऐसे किसी को अपनी आईलाइनर के लिए चेहरा बनाना चाहिए।"

    आशीष की बात सुनकर अवीक आरव की ओर देखकर आँख से इशारा कर देता है और कहता है, "ठीक है चाचा, जैसा आप कहो।"

    तभी आरव के फ़ोन पर किसी का कॉल आ जाता है। आरव कॉल उठाते हुए कहता है, "जी कहो..."

    वो दोनों आरव को ही लगातार देख रहे थे। जैसे ही आरव कॉल डिस्कनेक्ट करता है, वैसे ही आरव कहता है, "अवीक, हमारे ब्यूटी ऑफ़ फ़ेस की बात चल रही थी। उसमें हम जिस फाउंडेशन की लॉन्चिंग करने वाले थे, उसका सैंपल रेडी है, तो हमें डॉक्टर ने 6th फ़्लोर पर बुलाया है।"

    यह सुनकर अवीक कहता है, "ठीक है। चाचा, तो क्या अब हम चलें? हम आपसे बाद में बात करें क्या?"

    यह सुनकर आशीष कहता है, "ठीक है... मैं भी अब चलता हूँ।" इतना कहकर वो भी बाहर जाने लगता है।

    अवीक अपने हाथों को जेब में रखते हुए आगे बढ़ रहा होता है। तभी उसे अपनी जेब में कुछ महसूस होता है और अपने हाथों में एक कागज़ की चिट देखकर हैरान हो जाता है।

    To be continued 💫 🦋 💙

  • 19. You are my therapist - Chapter 19

    Words: 1003

    Estimated Reading Time: 7 min

    अवीक ने जैसे ही अपने जेब में हाथ रखा, उसे कुछ कागज जैसा महसूस हुआ। लेकिन वह उसे जेब से निकाल पाता, इससे पहले ही रवीना उसके पास आते हुए बोली, "सर, हमने फाउंडेशन के लिए सैंपल देख लिया है! और एक लड़की पर लगाकर भी देखा है… लेकिन उसे कोई एलर्जी रिएक्शन नहीं हुआ… हमें लगता है फाउंडेशन को फाइनल करना चाहिए…"

    अवीक ने यह सुनते ही कहा, "ठीक है, कोई बात नहीं। आप एक काम करो, मुझे उसकी मॉडल फाइनल करके दे दीजिए…"

    यह सुनते ही रवीना बोली, "कोई बात नहीं, ठीक है…" वे दोनों आपस में बात करते हुए आ रहे थे, इसलिए उनका ध्यान सामने से आ रही प्यून पर नहीं गया और सारा फाउंडेशन अवीक के सूट पर गिर गया। यह देखकर अवीक उस प्यून को डांटने ही वाला था, लेकिन रवीना अपनी अच्छाई का नाटक करते हुए बोली, "सर, इसकी भी तो कोई गलती नहीं है… एक काम करते हैं… मैं आपको आपका सूट एकदम नया करके देती हूँ… ठीक है… लाइए…"

    यह सुनते ही अवीक ने उसे अपना सूट दे दिया।

    दूसरी ओर, ओविया गेस्ट हाउस को बड़े ही प्यार से निहार रही थी। तभी उसके दरवाजे पर वर्षा जी का आगमन हुआ। वर्षा जी ने ओविया को देखकर कहा, "कैसी हो???"

    तभी ओविया ने कहा, "मैं तो ठीक हूँ…"

    वर्षा जी उसके पास आते हुए बोली, "लगता नहीं है कि तुम पागल हो… लेकिन हम सच को धिक्कार नहीं सकते…" जैसे ही ओविया ने यह सुना, उसे याद आया कि उसे अपने पागल होने का नाटक करना है। इसलिए वह नाटक करते हुए बोली, "आप कोच्चि हो???" वह बच्चे की तरह बोलने लगी।

    यह देखते ही वर्षा जी के चेहरे पर मुस्कान आ गई और वे बोली, "मैं ठीक हूँ…" वे इधर-उधर देखते हुए गुड़िया को बुला लेती हैं। गुड़िया को बुलाने के बाद बोली, "इसका अच्छी तरह से ध्यान रखना, जब तक अवीक कहता है… तब तक इसका ध्यान रखना, ठीक है…"

    उनकी बात सुनकर गुड़िया ने हाँ में सिर हिला दिया। वर्षा जी जाते-जाते एक बार ओविया की ओर देखती हैं और ओविया के माथे पर हाथ फेर देती हैं।

    उनके इस हरकत से ओविया अपने मन ही मन में हैरान हो गई। वह मन ही मन में सोच रही थी, आखिर कल वे अलग थे, आज वे अलग क्यों हैं??

    ओविया नन्हे बच्चे की तरह एक्टिंग करते हुए बोली, "ये आंटी कितनी अच्छी हैं ना???"

    गुड़िया हँसते हुए बोली, "ये तो बहुत ही अच्छी हैं! हाँ, वो अपना प्यार नहीं दिखातीं, लेकिन वो प्यार करती हैं।" यह सुनते ही ओविया गुड़िया की ओर देखने लगी और जाते हुए वर्षा की ओर देखने लगी।

    जाते हुए वर्षा की ओर देखकर ओविया अपने मन ही मन में बोली, "लेकिन उनका इस तरह से हाथ घुमाना मुझे ऐसा लगता है जैसे उनके आँखों में दर्द छिपा हुआ हो…"

    दूसरी ओर, ऑफिस में…

    रवीना अवीक को सूट धोकर दे देती है। उनके सूट के साफ होने के बाद ही अवीक और रवीना दोनों ही उस सैंपल में लग जाते हैं। लेकिन कुछ देर बाद उस लड़की का चेहरा पूरी तरह से लाल हो गया था और उनके केमिकल कंपाउंड की गड़बड़ी की वजह से उनके चेहरे पर छोटे-छोटे फोड़ों जैसे पिंपल होने लगे। यह देखकर अवीक हैरान हो जाता है और सामने गुस्से से डॉक्टर से कहता है, "ये क्या?? इस बार भी हमारा HD फाउंडेशन तैयार नहीं हो रहा है… अब मुझे तुम्हारा रिजल्ट फाइनल चाहिए… अब नहीं हुआ तो मैं इसकी उम्मीद आप लोगों से छोड़ दूँगा और आपको मैं कुछ नहीं कहने वाला…" अवीक का गुस्सा देखकर कोई भी उसके सामने बोलने की हिम्मत नहीं रख पा रहा था। इसलिए अवीक बिना कुछ कहे ही चला जाता है।

    उसके जाने के बाद रवीना सामने खड़ी डॉक्टर को देखने लगती है और उसे आँख मार देती है। रवीना और अवीक के जाने के बाद वह डॉक्टर जिस लड़की पर सैंपल किया गया था, उसके चेहरे से अच्छी तरह से मेकअप हटा देती है और उस लड़की की त्वचा एकदम साफ हो जाती है। डॉक्टर हँसते हुए कहती है, "ये लो तुम्हारे पैसे…" वह पैसे देते हुए कहती है, "अब तुम्हारा काम हो गया है! अगर तुम चाहो तो अब जा सकती हो।" वह लड़की, जिसका नाम प्रियांशी था, कहती है, "ठीक है! तो अभी मैं चलती हूँ, लेकिन कोई काम हो तो मुझे जरूर से बताना…"

    यह सुनकर वह डॉक्टर कहती है, "ठीक है…"

    दूसरी ओर, रवीना अवीक के पास आते हुए कहती है, "सर, ये प्लान भी फ़ेल हो गया है! अब???"

    अवीक: "मुझे कुछ देर अकेला रहने दो…"

    रवीना: "ठीक है सर…" वह इतना कहकर खड़ी रह जाती है।

    जब रवीना अवीक के केबिन से बाहर नहीं निकलती, तो अवीक उसे घूरते हुए कहता है, "क्या हुआ? यहाँ पर खड़ी क्यों हो???"

    रवीना: "जी मुझे…" वह आगे बोल पाती, इससे पहले ही अवीक अपनी गुस्से भरी आवाज में कहता है, "यहाँ से निकलो…"

    रवीना वहाँ से बाहर निकल जाती है और अपने हाथों में पकड़ी हुई ओविया की चिट्ठी देखकर कहती है, "पता नहीं, लेकिन मुझे लगता है ये मेरे बारे में बात हो रही है! अच्छा हुआ मैंने सूट को धोने के लिए लिया, वरना सर को किसी पर भी शक हो जाता, तो हमारे लिए अच्छा नहीं रहता…" वह इतना कहकर उस चिट्ठी को फाड़कर फेंक देती है और अपने मन ही मन में कहती है, "लेकिन ये चिट्ठी सर को भेजी किसने होगी?? और कब भेजी होगी???"

    To be continued 💫 🦋 💙

  • 20. You are my therapist - Chapter 20

    Words: 1017

    Estimated Reading Time: 7 min

    इधर रवीना ये सब सोच रही थी, उधर अवीक को अपना फेल्यर कुछ रास नहीं आया था। इसलिए वो बौखला गया था! अवीक आरव को कॉल करते हुए कहता है, "हमारा फाउंडेशन अभी भी अच्छा नहीं बना है! हमें अब जल्द से जल्द आईलाइनर के लिए फेस खोजना होगा... बस हमें अब उस आईलाइनर का सहारा लेना पड़ेगा।"

    उधर आरव कहता है, "ठीक है, तुम क्या कह रहा हूँ? तुम एक काम करो, राधिका को कहो, उसके नज़र में और ध्यान में कोई बढ़िया सा मॉडल ज़रूर होगी!"

    "ठीक है," अवीक ने कहा।

    अवीक कॉल डिस्कनेक्ट करते हुए डायरेक्ट राधिका को कॉल लगा देता है। राधिका को कॉल लगाते हुए कहता है, "हेलो राधिका, क्या तुम फ़्री हो?"

    अवीक की बातें सुनकर राधिका मन ही मन खुश होते हुए कहती है, "क्यों नहीं? क्या काम था?"

    अवीक उसे बारी-बारी सब बता देता है।

    उसकी बात सुनकर राधिका कहती है, "ठीक है, तो तुम एक काम करो, आईलाइनर यहाँ पर ही भेजवा दो, मैं खुद उसकी मॉडल बनूँगी।"

    "लेकिन राधिका…" अवीक बोल पाता इससे पहले ही राधिका अवीक को चुप कराते हुए कहती है, "देखो हम दोनों दोस्त हैं! और दोस्त ही दोस्त के काम नहीं आएंगे? तो फिर कौन आएगा?"

    ये सुनकर अवीक कहता है, "ठीक है! मैं तुम्हें सैंपल के कुछ आईलाइनर भेजवा देता हूँ!"

    "ठीक है! और उसके साथ कैमरामैन भी…" राधिका ने कहा।

    अवीक हँसते हुए कहता है, "पागल हो क्या? कैमरामैन के बगैर मैं कैसे तुम्हारा फ़ोटोशूट करवा पाता?"

    राधिका भी मुस्कुराकर कॉल डिस्कनेक्ट कर देती है।

    कुछ देर बाद… ओबेरॉय मैंशन में…

    ओबेरॉय हाउस के गेस्ट हाउस में ओविया बैठी हुई थी। वो अभी वर्षा जी के स्वभाव से बहुत ही खुश थी, लेकिन वो अंदर बैठे-बैठे कुछ ज़्यादा ही बोर हो रही थी। वो सोचती है, वो बाहर जाकर कुछ पल गार्डन में गुज़ारे। इसलिए वो बिना गुड़िया को बताए बाहर गार्डन की ओर चली जाती है।

    उधर राधिका अभी तैयार होकर बैठी हुई थी। तभी अवीक का मैनेजर अंशुमान आता है और कहता है, "मैडम, कैमरा सेटअप, सब कुछ रेडी है। चलिए।"

    राधिका ये सुनकर कहती है, "आपने किस तरह तैयार किया हुआ है?"

    वह कहता है, "मैडम, गार्डन में…"

    राधिका ने बढ़िया सी रेड वाइन कलर की ड्रेस पहनी हुई थी जिसमें उसने अपने बालों को बेहद ही प्यारी तरह से खुला रखा हुआ था। राधिका गार्डन के एरिया में आते हुए कहती है, "चलो फिर, मैं रेडी हूँ।"

    राधिका अवीक का आईलाइनर लेते हुए उसे अपनी आँखों में लगाने लगती है और उसका वीडियो शूट करने लगती है। उसका करीबन 2 घंटे तक रेड वाइन कलर की ड्रेस में फ़ोटोशूट और वीडियोशूट चलता है। राधिका को दो कलर की ड्रेस पहननी थी, इसलिए वो अभी ड्रेस बदलने चली जाती है। उसके पीछे-पीछे उनके मेकअप आर्टिस्ट और सब भी चले जाते हैं, सिर्फ़ कैमरामैन के अलावा।

    उधर राधिका रेडी हो रही थी, दूसरी ओर ओविया घूमते-घूमते गार्डन के शूटिंग वाले एरिया में आ पहुँचती है। वहाँ की सजावट देखकर ओविया का दिल जैसे झूमने लगा हो। ओविया खुशी-खुशी आसपास देखे बिना ही आगे चलने लगती है और वहाँ पर रखा आईलाइनर लगाने लगती है! उसका अंदाज़ ही इतना नेचुरल था कि सामने खड़ा कैमरामैन रुक ही नहीं पाता और अपने चेहरे पर मुस्कान लिए वो ओविया का वीडियो बनाने लगता है! और साथ ही साथ उसकी नेचुरल ही फ़ोटोशूट जिसमें उसके चेहरे पर कोई भी प्रकार का मेकअप नहीं था और न ही कुछ ज़्यादा ही थपेड़ा किया हुआ। उसने अभी सिंपल सा गुड़िया का दिया हुआ व्हाइट कलर का ड्रेस पहना हुआ था जो उसके मासूम चेहरे पर कुछ ज़्यादा ही भा रहा था।

    बिना सामने देखे ओविया के चेहरे पर मुस्कान बढ़ने लगती है और वो कहती है, "वाह! ये कितना सॉफ्ट है…" लेकिन तभी उसे अपने नाम की पुकार सुनाई देती है! जिसे सुनकर वो दूसरी ओर मुड़ती है… वहाँ पर उसे बुलाने वाला कोई और नहीं, बल्कि गुड़िया ही थी!

    गुड़िया को देखकर ओविया उस आईलाइनर को छोड़कर वहाँ से चली जाती है और कैमरामैन जाती हुई ओविया को देखने लगता है।

    गुड़िया उसे कहती है, "ये क्या? तुम इधर क्यों आई?"

    ओविया ये बात सुनकर छोटे बच्चे की तरह कहती है, "क्योंकि इधर बहुत ही अच्छी सजावट थी! और मुझे ये सजावट बेहद ही प्यारी लगी… पर ये आँखों में लगाने के लिए भी था! तो देखो मैंने आँखों में लगाया…" वो अपनी उंगली से आँखों की ओर इशारा करते हुए दिखाती है।

    गुड़िया ये देखकर उसे जल्दी से गेस्ट हाउस में लेकर जाती है और मन दरवाज़ा बंद करते हुए कहती है, "ये क्या किया?! तुम्हें पता है अगर राधिका मैम को पता चल जाता तो तुम्हारे साथ-साथ मुझे भी डाँटती…"

    गुड़िया की बातें सुनकर ओविया अपने मन ही मन में कहती है, "फिर तो अच्छा हुआ कि वहाँ पर कोई नहीं था! और नहीं किसी ने मुझे आईलाइनर लगाते हुए देखा…" (ओविया ये बात से अनजान थी कि उसका वीडियो और फ़ोटो पहले से ही आ गया है…)

    कुछ देर बाद राधिका का भी फ़ोटोशूट और वीडियोशूट खत्म हो जाता है।

    ओबेरॉय कंपनी में…

    आरव बैठे-बैठे अपना काम कर रहा था। तभी वहाँ पर उसकी टीम आ जाती है जो टीम राधिका के फ़ोटोशूट करने के लिए गई हुई थी।

    कैमरामैन प्रदीप कहता है, "सर, इस पेनड्राइव में वीडियो और फ़ोटो दोनों मैंने एडजस्ट कर दिया है! बस आप एक बार वापस से चेक कर दीजिए।"

    "ठीक है!" आरव ने कहा।

    प्रदीप उसे देकर चला जाता है।

    आरव सभी वीडियो-फ़ोटो देखने लगता है, लेकिन अंदर कुछ ऐसा देखता है जिससे उसकी आँखें बड़ी-बड़ी और हैरानी में परिवर्तित हो जाती हैं।

    आरव जल्दी से अवीक को कॉल कर देता है और उसे कहता है, "अवीक, जल्दी ही इधर आ जा, मैं तुम्हें कुछ दिखाता हूँ!"

    "क्या?" अवीक ने पूछा।

    "वही जिसकी हमें तलाश थी…" आरव ने कहा।

    To be continued 💫 🦋 💙