life in novel
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निशा के लिए ज़िंदगी हमेशा से एक संघर्ष रही थी। बचपन में ही माता-पिता का साया उसके सिर से उठ गया था, और अनाथ आश्रम में पलते हुए उसने केवल बेबसी और अकेलेपन का ही अनुभव किया था। भगवान ने उसे खूबसूरत चेहरा, अच्छी क़िस्मत या दौलत तो नहीं दी थी, लेकिन टैलेंट की कोई कमी नहीं थी। वह गाने में माहिर थी, उसकी आवाज़ किसी भी दिल को छू सकती थी। वह बेहतरीन डांसर थी, उसकी बनाई गई कोरियोग्राफी पर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे। उसकी पेंटिंग्स देखने वालों को दूसरी दुनिया में ले जाती थीं, और उसका डिज़ाइन किया गया हर आउटफिट बेमिसाल होता था। लेकिन इन सभी चीज़ों का क्रेडिट उसे कभी नहीं मिला। निशा ने जितना भी किया, वह दूसरों के नाम से दुनिया के सामने आया। उसकी आवाज़ किसी और की बन गई, उसके बनाए स्टेप्स किसी और की शोहरत बढ़ाने लगे, उसके डिज़ाइन्स किसी और के ब्रांड में बिके, और उसकी रिसर्च किसी और के नाम से सम्मानित हुई। वह दिन-रात मेहनत करती, लेकिन हर बार कोई न कोई उसके साथ छल कर जाता। इन सब चीज़ों से तंग आकर, एक दिन उसने खुद को एक नॉवेल पढ़ने में डुबो दिया। उसने एक मोबाइल ऐप डाउनलोड किया और एक नॉवेल की तलाश करने लगी, ताकि अपनी मुश्किल ज़िंदगी से कुछ देर के लिए ध्यान हटा सके। तभी उसकी नज़र एक टाइटल पर पड़ी— "I Left My Four Soulmate Husbands for You." "क्या नाम है ये?" उसने खुद से कहा, लेकिन उत्सुकता के चलते उसने किताब खोल ली। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ी, वह उसमें पूरी तरह खो गई। यह एक सोलमेट स्टोरी थी, जहाँ हर इंसान को जन्म के समय एक खास टैटू मिलता था, जो उसके सोलमेट से जुड़ा होता था। कहानी की फीमेल लीड माही के चार सोलमेट्स थे, जो उससे बहुत प्यार करते थे। चारों पति किसी भी लड़की के सपने से कम नहीं थे—एक बिजनेसमैन, एक फेमस एक्टर, एक टॉप सिंगर और एक माफिया। वे चारों अपनी सोलमेट वाइफ के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार थे। लेकिन माही की बहन नेहा को यह पसंद नहीं था। वह जलती थी, नफरत करती थी। और इस नफरत में उसने माही को धोखे में डालकर अपने पतियों को छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। उनके बीच में मिसअंडरस्टैंडिंग खड़ी कर । उसके पास सिर्फ एक सोलमेट था पर माही के पास 4 । वो ये बर्दाश्त नहीं कर सकती थी। उसकी बहन ने उसके खाने में ड्रग्स मिलाए , जिससे उसका शरीर मोटा हो गया और चेहरा बिगड़ गया। लेकिन इसके बावजूद उसके चारों पति उसे वैसे ही प्यार करते रहे। उन्होंने कभी उसके लुक्स से फर्क नहीं पड़ने दिया, लेकिन फिर भी वह अपनी बहन की बातों में आकर उन पर शक करने लगी और उन सभी को छोड़ दिया। इसके बाद, वह एक दूसरे आदमी के पास चली गई, जो उसे प्यार करने का दिखावा करता था। लेकिन असल में, उसे सिर्फ़ उसकी जायदाद चाहिए थी। जैसे ही उसे सबकुछ मिल गया, उसने नायिका को उसकी ही बहन और अपने असली प्रेमी के साथ मिलकर मार डाला। "कितनी बेवकूफ़ लड़की थी!" निशा ने गुस्से में कहा। "चार-चार पति थे! जो उसे इतना प्यार करते थे, उसका इतना ध्यान रखते थे, फिर भी उसने उन्हें छोड़ दिया? और किसके लिए? एक ऐसे आदमी के लिए जिसने उसे मार डाला? अगर मैं उसकी जगह होती, तो उन दोनों को ऐसा सबक सिखाती कि ज़िंदगीभर याद रखते! और अपने चारों पतियों के साथ आराम से रहती!" ये कहते-कहते उसकी आँखें भारी होने लगीं, और वह धीरे-धीरे नींद के आगोश में चली गई। जब निशा की आँखें खुलीं, तो सबकुछ बदला हुआ था। वह अपने अनाथ आश्रम के छोटे से कमरे में नहीं थी। न ही वहाँ की टूटी-फूटी छत थी, न ही वो पुराना बिस्तर। उसने जब अपने आसपास देखा, तो उसे एक भव्य और आलीशान कमरा नज़र आया। "ये... मैं कहाँ हूँ?" कमरे की हर चीज़ उसकी ज़िंदगी में पहली बार देखी गई चीज़ों से कहीं ज्यादा शानदार थी। बेड के चारों तरफ़ सुनहरे रंग के परदे थे, जो नरम हवा में हल्के-हल्के हिल रहे थे। दीवारों पर कीमती पेंटिंग्स लगी थीं, और एक कोने में चमचमाते क्रिस्टल से बनी एक अलमारी रखी थी। ज़मीन पर महंगे कारपेट बिछे थे, जिन पर चलते ही ऐसा लगता जैसे किसी मुलायम बादल पर पैर रख दिया हो। वह घबराकर उठने की कोशिश करने लगी, लेकिन उसका शरीर भारी लग रहा था। वह झटके से उठने लगी, लेकिन तभी उसे अपने शरीर में एक भारीपन महसूस हुआ। जैसे ही उसने अपनी बाज़ुओं को देखा, वह चौंक गई। "ये... ये क्या?" उसकी पतली कलाईयाँ अब मोटी और भरी-भरी लग रही थीं। उसकी उंगलियाँ भी पहले से चौड़ी हो गई थीं। उसे अपने पूरे शरीर में एक अजीब-सा बदलाव महसूस हो रहा था—वह अब पहले जैसी दुबली-पतली नहीं रही थी। "नहीं... ये कैसे हो सकता है?" वह घबराकर बिस्तर से उतरने की कोशिश करने लगी, लेकिन उसके पैर भी भारी लग रहे थे। जैसे ही वह खड़ी हुई, उसके सामने शीशा था। और जब उसने उसमें खुद को देखा, तो उसकी चीख निकलने से पहले ही उसकी सांसें रुक गईं। शीशे में जो लड़की थी, वो निशा नहीं थी। उसके बाल अब भी घने और सिल्की थे, लेकिन चेहरा... चेहरा वैसा नहीं था जैसा वह उम्मीद कर रही थी। "ये... ये मैं हूँ??" शीशे में जो लड़की दिख रही थी, वह निशा नहीं थी। उसका चेहरा बहुत ही बदसूरत था भी वो इतनी भी बदसूरत नहीं थी। नहीं, ऐसा नहीं था कि उसके फीचर्स खराब थे, बल्कि उसके चेहरे पर कुछ अजीब था। उसकी आँखें बड़ी और चमकदार थीं, लेकिन उनके नीचे गहरे काले घेरे थे, जो उसे थका हुआ और बुझा-बुझा दिखा रहे थे। उसके होंठ गुलाबी थे, मगर उन पर हल्की सी सूजन थी, जिससे वे अजीब लग रहे थे। सबसे डरावनी चीज़ थी उसकी त्वचा—चेहरे के कुछ हिस्से पर त्वचा हल्की सिकुड़ी हुई थी, जैसे कोई जला हुआ निशान हो। कहीं-कहीं हल्के धब्बे थे, और कहीं-कहीं खुरदरापन। अगर कोई दूर से देखे तो शायद सुंदरता की झलक दिखे, मगर करीब से... वह अजीब और असामान्य लग रही थी। उसका दिल ज़ोर से धड़कने लगा। "ये... ये मैं नहीं हो सकती..." वह काँपते हाथों से अपने चेहरे को छूने लगी। ठुड्डी थोड़ी भारी थी, गालों का आकार असंतुलित था, और सबसे अजीब था उसके चेहरे का बनावट। ऐसा लगता था जैसे सुंदरता और कुरूपता का अजीब सा मेल हो गया हो। लेकिन उसका शरीर...? वह पहले पतली-दुबली निशा थी, मगर अब? अब वह बहुत भारी हो चुकी थी। उसकी कमर, बाज़ू, और टाँगें, सबकुछ बहुत अलग था। वह अपनी कलाई पकड़ती है, फिर अपना पेट छूती है—उसकी उंगलियाँ उसकी कमर को वैसे नहीं पकड़ पा रही थीं, जैसे पहले पकड़ सकती थी। "ये सपना है... हाँ, ये सपना है!" उसने खुद को एक चुटकी काटी। "आउच!" उसे दर्द हुआ। यह सपना नहीं था। वह तेजी से कमरे में इधर-उधर देखने लगी, जवाब तलाशने लगी। तभी उसकी नज़र एक शीशे की मेज़ पर रखे कागज़ पर पड़ी। उसने काँपते हाथों से उसे उठाया। Mrs. माही O.K.S.R. " माही O.K.S.R.? ये कौन है?" यह नाम उसे अजनबी लग रहा था। लेकिन... कहीं उसने यह नाम पहले सुना था, है ना? फिर अचानक, उसका दिमाग़ तेज़ी से पीछे दौड़ने लगा। पिछली रात वह एक नॉवेल पढ़ रही थी। "I Left My Four Husbands for You" हाँ, उसने गुस्से में उस नॉवेल की फीमेल लीड माही को बहुत बुरा-भला कहा था। "कितनी बेवकूफ लड़की थी! अगर मैं उसकी जगह होती तो कभी अपने चारों पतियों को नहीं छोड़ती!" और फिर... फिर वह सो गई थी। उसका शरीर सुन्न होने लगा। "नहीं... नहीं, ये नहीं हो सकता!" उसका दिमाग़ मानने को तैयार नहीं था, लेकिन दिल जानता था कि यही सच था। वह उस नॉवेल की दुनिया में आ गई थी। और न सिर्फ आई थी, बल्कि वह वही माही बन गई थी जिसे उसने गुस्से में खूब कोसा था। "नहीं, नहीं, नहीं!" उसने शीशे में खुद को फिर से देखा। वही चेहरे के बदसूरत दाग़, वही भारी शरीर, वही असामान्यता। उसे अचानक याद आया—नॉवेल में माही शुरू में सुंदर थी, लेकिन उसकी बहन ने उसके खाने में दवाइयाँ मिलाई थीं, जिससे वह मोटी हो गई और उसका चेहरा खराब हो गया। और यही तो हो चुका था! अब आगे क्या होने वाला था ये उसे नहीं पता था। उसे ये भी नहीं पता था कि वो अभी नोवेल के किस हिस्से में है। वो अपना और पकड़ बेड पर बैठ जाती हैं । निशा को जगह अब से मै माही लिखूंगी । माही अपना सर पकड़ बेड पर बैठती हैं। तभी दरवाजे पर नोक होता है। वो come in कहती है। ओर एक मैड अंदर आकर बोली , “ मैडम लंच रेडी मै क्या वो मैं आपके लिए लेकर आऊ अभी । “ मैड की आवाज सुन माही उसकी तरफ देखती है। माही वो उसे देख कुछ याद आता है। नोवेल में एक जगह मेंशन किया गया था । माही की बहन नेहा ने एक मैड को पैसे दिए थे रोज उसके खाने में ड्रग्स मिलाने के। ओर ये वही मैड मै । ये मैड ही उसके लिए रोज़ खाना लेकर आती हैं । माही की साँसें तेज़ हो गईं। उसकी नज़र उस मैड पर टिक गई, जो सिर झुकाए खड़ी थी। वह वही थी… वही मैड जिसने माही के खाने में ज़हर घोला था। माही के दिल में हलचल मच गई। नॉवेल में इस मैड का नाम रीना था। उसे याद आया कि नेहा ने इस मैड को मोटी रकम देकर हायर किया था ताकि वह रोज़ खाने में ऐसी दवाइयाँ मिलाए जो माही का वजन बढ़ा दें और उसकी स्किन खराब कर दें। "तो यही वजह थी मेरी इस हालत की?" उसका गला सूखने लगा। अगर वह नॉवेल की माही बन चुकी थी, तो इसका मतलब था कि यह ज़हर अभी भी उसके खाने में मिलाया जा रहा था। "अगर आज भी मैंने यह खाना खा लिया, तो मैं धीरे-धीरे और बिगड़ती जाऊंगी!" माही की उंगलियाँ बेडशीट को कसकर पकड़ने लगीं। अब वह जान चुकी थी कि यह लड़की दुश्मन थी, लेकिन रीना नहीं जानती थी कि माही को सच का पता चल चुका है। माही ने एक लंबी साँस ली और अपने डर को छुपाते हुए चेहरे पर हल्की मुस्कान लाई। "ठीक है, लंच लेकर आओ। मैं यहीं खाऊँगी।" रीना ने सिर झुकाकर कहा, "जी मैडम," और कमरे से बाहर चली गई। जैसे ही दरवाज़ा बंद हुआ, माही की पूरी बॉडी झनझना उठी। "अब मैं क्या करूँ?" उसका मन कर रहा था कि वह चिल्लाकर इस मैड को बाहर फेंक दे, लेकिन नहीं—अगर उसने ऐसा किया तो नेहा को शक हो जाएगा कि उसे सच्चाई पता चल चुकी है। "मुझे होशियारी से खेलना होगा... पहले इस घर के हर एक शख्स के बारे में जानना होगा।" उसने अपनी उंगलियों से अपने सिर की मालिश की और नॉवेल की कहानी याद करने लगी। माही की बहन नेहा इस घर की सबसे बड़ी दुश्मन थी। उसने सिर्फ़ माही को बदसूरत और मोटा बनाने की साजिश नहीं रची थी, बल्कि उसके चारों पतियों के दिलों में भी ज़हर घोलने का काम किया था। "और वे चारों कहाँ हैं?" नॉवेल में माही के फोर सोलमेट थे —समीर, आरव, कबीर और देव। वो अभी नहीं जानती थी वो नोवेल के किस टाइम लाइन में है । क्या वो चारो अब भी उसके साथ है या उसने अपना सोलमेट बॉन्ड तोड़ दिया अब तक । वो जल्दी अपने बॉडी पर टैटू देखती हैं। उसकी कलाई पर चार टैटू थे जो चारों के की पर्सनैलिटी से मैच करते है। समीर के लिए डायमंड था। क्योंकि समीर के मैं बिजनेस में से एक डायमंड का भी बिजनेस था। आरव के लिए स्टार था , कबीर के लिए उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक आई। "अब मैं असली वाली से कहीं ज़्यादा ख़तरनाक हूँ।" अब उसे समझ आ गया था कि उसे करना क्या है। पहला कदम—खुद अपनी बॉडी ओर फेस को नॉर्मल करना । दूसरा कदम— अपने पतियों के साथ प्यार से लेना। माही ने अपने चारों पतियों को बहुत दुख पहुंचाया था। तीसरा कदम— अपने दुश्मनों को बर्बाद कर देना । माही ने गहरी साँस ली और खुद को शीशे में देखा। वह पहले जैसी नहीं दिख रही थी, लेकिन यह केवल उसकी शुरुआत थी। अब यह दुनिया उसकी थी, और वह इसे अपनी शर्तों पर जीने वाली थी। "खेल तो अब शुरू हुआ है।"