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Vampire

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Nidhi Sharma

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क्या एक वैम्पायर और इंसान में कॉन्ट्रैक्ट मैरिज हो सकती है? रेयांश मेहरा,एक खतरनाक वैम्पायर ने एक डॉक्टर,ईशा के सामने कॉन्ट्रैक्ट मैरिज का प्रपोज़ल रखा तो वो चौंक गई। कॉन्ट्रैक्ट मैरिज और वो भी तीन साल के लिए। क्या ईशा रेयांश के इस प्रपोज़ल को एक्सेप्ट...

Total Chapters (2)

Page 1 of 1

  • 1. Vampire - Chapter 1

    Words: 1583

    Estimated Reading Time: 10 min

    ये शहर है अमन का, यहाँ की फिज़ा है निराली, यहाँ पे बस शांति शांति है...... देहरादून  का खूबसूरत शहर। हजारों लोगों की आबादी जहां बस्ते हैं इंसान और कुछ शैतान यानि vampires. दिन में इन vampires के बारे में कोई भी नहीं जान सकता क्यूंकी ये इंसानों के बीच इंसान बनकर घूमते हैं। लेकिन अगर रात में ये vampires तभी अपने असली रूप में आते हैं जब इन्हें शिकार करना होता है। खासकर पूर्णिमा की रात को ये अपना भयानक रूप दिखाते हैं। इंसानों को अच्छे से पता है कि उनके बीच कहीं ना कहीं vampires रहते हैं। लेकिन वो भेड़िये कौन हैं, ये उन्हें नहीं पता।   ऐसी काली और भयानक दुनिया में पनपेगी -- एक वैम्पायर, रेयांश मेहरा और लड़की, ईशा शर्मा की प्रेम कहानी। देहरादून  रात 1 बजे  देहरादून, एक खूबसूरत शहर जो चारों तरफ पहाड़ियों से घिरा हुआ था। दिसम्बर की ठंड की वजह से चारों तरफ तरफ कोहरा छाया हुआ था।  सिटी हॉस्पिटल से बाहर निकलकर एक लड़की तेजी से निकलकर बाहर की तरफ चल पड़ी। वो अपनी घड़ी देखकर बड़बड़ाई,"हे भगवान! एक बज गया। आज तो शिफ्ट में कुछ ज़्यादा ही देर हो गई। ईशा! तुझसे किसने कहा था कि डॉक्टर बन। अब भुगत।" वो तेजी से पैदल ही अपने घर की तरफ चल पड़ी। बहुत ज़्यादा ठंड भी थी। ईशा अपने हाथ आपस में रब करते हुए धीमे कदमों से आगे बढ़ने लगी। "इतनी ठंड है, यार। ऊपर से ये कोहरा। कुछ भी ना तो दिखाई दे रहा है और ना रास्ता पता चल रहा है।" एकदम घना अंधेरा छाया हुआ था। ईशा थोड़ा घबरा भी गई। उसे ऐसे में पता ही नहीं चला कि वो एक खाई के करीब पहुँच गई। इससे पहले कि वो अगला कदम रखती, एक साये के हाथ ने उसे पकड़ा और अपने करीब खींच लिया। ईशा उस साये के ऊपर जा गिरी। "ये क्या बतमीज़ी है?" साया धीमे से बोला,"बतमीज़ी? एक कदम और आगे बढ़ाती तो तुम सीधा नीचे खाई में जा गिरती, बेवकूफ लड़की।" ईशा ये सुनकर बुरी तरह से कांप गई। वो उठकर खड़ी हुई और उसने देखा कि सच में वो एक खाई के करीब थी।  साया ईशा की तरफ ही देख रहा था जो सच में बहुत खूबसूरत थी। ईशा शर्मा,उम्र 26 साल,भूरी आँखें, खूबसूरत नैन-नक्श और पतला छरहरा बदन। दिखने में इतनी सुंदर कि परियाँ भी शरमा जाएँ। और पेशा एक डॉक्टर का। वो एक नाइट शिफ्ट से लौट रही थी। इस टाइम उसने साधारण सा सूट पहन रखा था और उसके ऊपर ओवरकोट पहना हुआ था। वो साया उसे देखता रह गया।   उस साये के ऊपर ईशा के खून की महक असर कर रही थी। वो साया और कोई नहीं बल्कि एक खतरनाक वैम्पायर था।  ईशा उस वैम्पायर की ओर देखकर,"Thank you. आपने मेरी जान बचाई।" वो साया गुर्राने लग गया। ईशा उसे देखकर घबरा गई। वो वैम्पायर ईशा को बुरी तरह से घूर रहा था। ईशा थोड़ा पीछे हुई,”तुम?” लेकिन वैम्पायर उसे बिना कोई जवाब दिए वहाँ से चला गया।  "कमाल का आदमी है। मैं तो ना उसे देख पाई और ना थैंक्स कर पाई अब अगर वो मेरे सामने आ भी जाए तो मैं उसे पहचान भी नहीं सकती।" वो सिर हिलाकर अपने घर ओकलैंड निवास की तरफ चल पड़ी। वहीं वो वैम्पायर उसे दूर से अभी भी देख रहा था। वो मुसकुराते हुए बोला,"ये लड़की मेरे बहुत काम आएगी। इतनी सुंदर लड़की मैने आज तक नही देखी। इसे पाना तो अब मेरी ज़िद्द है।" वो बहुत देर तक ईशा के बारे में सोचता रहा।उसके बाद वो वहाँ से गायब हो गया।   अगली सुबह  देहरादून का ओकलैंड निवास  एक छोटा- सा घर। वहाँ सुबह -सुबह पूजा करने की आवाज़ आ रही थी। तभी आवाज़ आई,"रेणु! मेरी चाय कहाँ है?" रेणु ने अपनी पूजा खत्म करके जवाब दिया,"विजय! आप थोड़ी देर इंतज़ार नहीं कर सकते। आप देख रहे हैं ना कि मैं पूजा कर रही हूँ। अब हमारी तीन-तीन बेटियाँ हैं और आपको ना सही लेकिन मुझे उन तीनों की शादी की बहुत चिंता है।" विजय जी खड़े हुए और रेणु के पास आए और उनके कंधे पर हाथ रखते हुए बोले,"आप क्यूँ चिंता कर रही हैं, रेणु जी? हमारी तीनों बेटियाँ इतनी सुंदर हैं कि कोई भी लड़का उन्हें पसंद कर लेगा।" रेणु ने गहरी संस लेते हुए कहा,"देहरादून में कौन मिलेगा? कोई भी अमीर लड़का नहीं है जो मेरी बेटियों का हाथ थामकर उन्हें अच्छी लाइफ दे सके।" विजय जी सिर हिलाते हुए,"तुम्हें अमीर चाहिए या अच्छा लड़का?" "दोनों। मैं नहीं चाहती कि शादी के बाद मेरी बेटियों को कोई भी कमी हो।" विजय जी कुछ बोलने ही लगे थे कि उनकी सबसे छोटी बेटी, पूजा ने उन्हें चुप रहने का इशारा किया।  वो रेणु के गले लगते हुए बोली,"क्या मम्मी? आप भी ना जाने कौन सी चिंता लगाकर बैठी हो।" रेणु उसके गाल पर मारते हुए बोली,"जब तू माँ बनेगी तब पता चलेगा कि बच्चों की चिंता किसे कहते हैं?" पूजा ने कहा,"आप सोचो। मैं तो चली कॉलेज। बाय।" रेणु इससे पहले कि उसे आवाज़ देती, वो वहाँ से चली गई। विजय जी ने कहा,"एक बेटी तुम्हारी डॉक्टर है। उसकी चिंता करने की तो ज़रूरत नहीं है।" रेणु ईशा के कमरे की तरफ बढ़ते हुए बोली,"महारानी सो रही होगी अभी तक। इसे ड्यूटी पर नहीं जाना क्या?" उसने दरवाज़ा खोला और देखा कि ईशा गहरी नींद में सो रही थी।  "ये देखिए। अभी तक सो रही है।" ईशा गहरी नींद में एक सपना ले रही थी। ईशा के पीछे कोई खतरनाक आदमी लगा हुआ था। ईशा घने जंगल में भागती जा रही थी। वो आदमी ईशा के सामने आ गया। ईशा बुरी तरह से कांप गई। उस आदमी के पैने दाँत थे। वो घबरा गई और कांपने लगी। उस आदमी ने अपने हाथ ईशा के आसपास रखे और बोला,"तुम्हें मुझसे शादी करनी ही होगी।" ईशा ने ना में सिर हिलाते हुए कहा,"नहीं! मैं आपसे शादी नहीं करूंगी।" उस आदमी को गुस्सा आ गया और उसने अपने पैने दाँत बाहर निकाल लिए और उसने ईशा गले पर ज़ोर से काटा। "ये मेरी लव बाइट है। पहली लव बाइट। अभी तो ऐसी बहुत सी लव बाइट्स तुम्हें देने वाला हूँ।"  ईशा ने उसे धक्का दिया और भागने लगी। तभी वो आदमी ठीक उसके सामने खड़ा था। उसने ईशा को पकड़ लिया और उसे ज़बरदस्ती किस करने लगा। ईशा खुद को बचाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन उस आदमी ने ईशा को पेड़ से सटाया और उसके आसपास हाथ रखकर उसे किस करने लग गया। उसका किस बहुत डीप था। ईशा की गहरी सांसें चलने लगी। उस आदमी का सॉफ्ट और passionate किस खत्म ही नहीं हो रहा था।  ईशा रोते हुए,"मुझे जाने दो।" वो आदमी गुर्राते हुए,"अब तो तुम मेरी बीवी बनने वाली हो। तुम्हारे करीब आना मेरा हक है। समझी। मुझे तुम्हारी प्यास है और मैं अपनी प्यास बुझाकर रहूँगा।" वो ईशा के और भी करीब आता जा रहा था और वो उसके साथ ज़बरदस्ती करने लग गया। वो अपनी सभी मर्यादाएँ लांघ रहा था।  ईशा ने चीख मारी और उसकी नींद खुल गई।  रेणु उसके पास आ गई और बैठकर उसके बालों में हाथ फेरते हुए बोली,"क्या हुआ, ईशा बेटा?" ईशा के चेहरे पर पसीने की बूंदें थीं। रेणु ने उसका पसीना पोंछा और बोली,"बेटा, कुछ भी नहीं हुआ।"  ईशा रेणु के गले से लग गई। रेणु ने उसके बिस्तर पर नज़र डाली जहां एक बुक पड़ी थी। उसने वो बुक हाथ में लेकर नाम पढ़ा,"Vampire. अब तुम ऐसी किताबें पढ़ोगी तो यही होगा ना। कितनी बार मना किया है कि ऐसी बुक्स मत पढ़ा कर। अब ऐसे सपने नहीं आएंगे तो क्या होगा।" ईशा उठकर खड़ी हो गई।  "मम्मी! इन कहानियों में मुझे बहुत मज़ा आता है।" "तभी ऐसे सपने आते हैं। समझी। और वैसे भी कहते हैं कि  देहरादून में vampires बसते हैं।" ईशा स्माइल देते हुए,"अगर कोई सच में मेरे सामने वैम्पायर आ जाए, तो देखूँ कि वो कैसा लगता है। लंबे दाँत, होंठों से रिसता खून। वाउ।" रेणु ने उसका ब्लैंकेट ठीक करते हुए कहा,"तू डॉक्टर पता नहीं कैसे बन गई? तुझे तो ओझा या तांत्रिक कुछ होना चाहिए था।" ईशा इस बात पर हंसने लग गई और बोली,"मैं हॉस्पिटल जाने के लिए रेडी हो रही हूँ। आज मेरी दिन की शिफ्ट है। आप ब्रेकफास्ट लगा दो।" रेणु सिर हिलाकर वहाँ से चली गई। लेकिन वो नहीं जानती थी कि वो पिछली रात वाला वैम्पायर उसी के घर के आसपास मंडरा रहा था। "तुम्हें नहीं पता,ईशा कि तुम अब सिर्फ मेरी हो। सिर्फ मेरी। मेरा प्यार नही हो तुम। लेकिन तुम मेरे मकसद में बहुत काम आओगी।" इसके बाद वो वहां से चला गया। कुछ देर में ही ईशा तैयार हो चुकी थी। उसने अपना लैब कोट, स्टेथस्कोप और मोबाईल लिया और बाहर पहुँच गई। कुछ देर में ईशा ब्रेकफास्ट करके अपने हॉस्पिटल के लिए निकल गई।  रेणु को तभी कॉल आया।  "हाँ विद्या।" दूसरी तरफ से विद्या ने कहा,"एक खबर है।" "क्या?" "ग्रीन विला को किसी ने खरीदा है। सुना है कि वहाँ बड़े अमीर लोग रहने आ रहे हैं।" ये सुनकर रेणु की आँखों में चमक आ गई। "क्या? सच में।" "और सुन है कि जिसने इस विला को खरीदा है वो काफी हैन्सम है और यंग और आज ही शिफ्ट हो रहा है।"  रेणु खुश होते हुए,"वाउ! तूने बहुत अच्छी खबर सुनाई।" "हाँ! क्या पता कि तेरी तीन बेटियों में से किसी की वहाँ शादी फिक्स हो जाए।" रेणु के चेहरे पर रौनक आ गई। "काश ऐसा हो जाए।" उसके बाद रेणु ने फोन रख दिया।  ग्रीन विला  उसी शाम ग्रीन विला में किसी ने कदम रखा। उसका बड़ा सा ट्रक सामने रुका और उसमें से सामान उतरने लगा। आखिर उस विला में कौन रहने आया है? आगे जारी..... ॐ नमः शिवाय

  • 2. Vampire - Chapter 2

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

    ग्रीन विला उसी शाम ग्रीन विला में किसी ने कदम रखा। उसका बड़ा सा ट्रक सामने रुका और उसमें से सामान उतरने लगा। दिखने में वो सब काफी बड़े लोग लग रहे थे। आसपास के सभी लोग उन लोगों को देखकर हैरान थे क्यूंकी शायद वो लोग देहरादून के सबसे अमीर लोग थे।  पहले  एक बड़ी सी कार आकर रुकी जो ब्लैक कलर की मर्सिडीज़ थी। सब आसपास के लोग उसी तरफ देख रहे थे। ग्रीन विला देहरादून का सबसे बड़ा बंगला था जो करोड़ों रुपयों का था। कई साल से ये खाली पड़ा था और अचानक इसे किसी ने खरीद लिया था। "पता नहीं कौन लोग हैं? इतने अमीर लोग मैंने तो आज तक देहरादून में नहीं देखे।" किसी ने उस कार की तरफ देखते हुए कहा।  इस पर किसी दूसरे का जवाब था,"दिखने में ही कोई खानदानी लोग लग रहे हैं।" "मुझे नहीं लगता कि ये लोग किसी से भी बात करेंगे।" एक ने आकर कहा।  मर्सिडीज़ की पीछे की सीट से एक आदमी उतरा। देखने में बहुत हैन्सम, नीली आँखें। छह फूट, भूरा रंग और घुंघराले बाल। जिसने भी उसे देखा वो देखता रह गया। बाहर निकलकर उसने अपना ओवर-कोट ठीक किया और आसपास देखा।  सब लोग उसकी आँखों को देखकर घबरा गए और वहाँ से चले गए। इस पर उस आदमी के चेहरे पर स्माइल आ गई। तभी कार में से एक लड़की उतरी जो देखने में काफी खूबसूरत थी। इस लड़की की भी नीली आँखें थीं। गोरा रंग, काले घने बाल, सुंदर चेहरा। "रेयांश! अंदर चलो। क्या देख रहे हो?" ये आदमी रेयांश मेहरा था जिसने ये ग्रीन विला खरीदी थी और अब ये देहरादून का सबसे अमीर आदमी होने वाला था। रेयांश ने उस लड़की की तरफ देखा,"जूही दी! देहरादून की वादियों और यहाँ के लोगों पर नज़र डाल रहा हूँ।" रूही मुसकुराते हुए,"रेयांश! तुम यहाँ के रिचेस्ट आदमी हो। इसलिए तुम्हें किसी को भी देखने की ज़रूरत नहीं है बल्कि सब लोग तुम्हें ही देखेंगे। देखेंगे क्या? देख रहे है।" रेयांश ने स्माइल दी और बोला,"आओ अंदर चलें।" जूही अंदर चली गई। इससे पहले कि रेयांश आगे बढ़ता कोई उससे ज़ोर से टकराया। रेयांश गुस्से में चिल्लाया,"दिखाई नहीं देता है क्या?" उससे टकराने वाली एक लड़की थी।  वो और कोई नहीं बल्कि ईशा थी। रेयांश की आवाज़ सुनकर वो रुक गई और उसने उसकी तरफ पीछे मुड़कर देखा। "I am so sorry." लेकिन रेयांश तब तक वहाँ से जा चुका था। ईशा बड़बड़ाते हुए,"अजीब आदमी है।" रेयांश के कान बहुत तेज़ थे। उसने पीछे घूमकर देखा। लेकिन तब तक ईशा वहाँ से जा चुकी थी। रेयांश अंदर विला में पहुंचा जो काफी बड़ी थी। सब कुछ डेकोरटेड था। बस रेयांश और जूही की जरूरतों का सामान ट्रक से नीचे उतारा जा रहा था। जूही ने विला पर नज़र डालते हुए कहा,"रेयांश! वैसे जगह बुरी नहीं है।" रेयांश पूरी विला की तरफ देखते हुए बोला,"पूरा देहरादून ही काफी इन्टरेस्टिंग है।" जूही ने मज़ाक करते हुए कहा,"एकदम भूतिया।" रेयांश ने गहरी नज़रों से जूही की तरफ देखा,"दी! हमसे खतरनाक कोई भूत भी नहीं।" ये बोलकर उसके चेहरे पर कोल्ड लुक्स आ गए। जूही सिर हिलाते हुए,"रेयांश! तुम्हें कितनी बार कहा है कि इस तरह के लुक्स मुझे नहीं दिया करो।" रेयांश ने अपनी आँखें और भी गहरी करते हुए कहा,"क्यूँ ? आपको मुझसे डर लगता है?" उसी टाइम जूही के चेहरे का रूप बदलने लगा। वो अगले ही पल रेयांश के करीब थी। उसका चेहरा काफी भयानक बन चुका था। उसने रेयांश का गला पकड़ लिया। "अब बोलो! हम दोनों में से ज़्यादा डैन्जरस कौन है?" जूही ने पूछा।  रेयांश ने जूही की आँखों में देखते हुए कहा,"आप।" फिर उसने जूही को आँख मार दी। जूही ने खुद को नॉर्मल करना शुरू किया और कुछ पलों में उसका चेहरा पहले की तरह हो गया। "मैंने आपका सामान सेकंड फ्लोर पर रखवा दिया है। और मैं फर्स्ट फ्लोर पर रहूँगा।" रेयांश ने ऑर्डर देते हुए कहा।  जूही ने मुंह बनाते हुए कहा,"हाँ! पहले ही सब तुम्हारा डिसाइडिड है। छोटा होकर भी हुकूम चलाता है।" रेयांश ने फिर से अपना सर्द चेहरा बनाया तो जूही उसकी तरफ देखते हुए,"रेयांश! तुम मुझसे छोटे हो ना। तो वैसे ही रहा करो। और कभी अपने चेहरे पर स्माइल ले आओगे तो कुछ हो नहीं जाएगा।" रेयांश ने अपनी भौहें उठाते हुए उसकी तरफ देखा,"मुझसे नहीं होता। फिलहाल! मुझे यहाँ अपने काम सेट करने हैं। ये स्माइल देने का मेरे पास फालतू टाइम नहीं है।" "यहाँ नौकर कब आएंगे? अगर तुम्हें लग रहा है कि मैं कोई काम करूंगी तो सॉरी।" रेयांश ने उसे सामने  देखने के लिए कहा जहां दरवाज़े से दो तीन सर्वेन्ट्स चले आ रहे थे।  रेयांश अपने रूम की तरफ बढ़ गया। जूही के चेहरे पर स्माइल आ गई। "Now see yourself. मैं चला। मुझे बहुत ज़ोरों से नींद आ रही है।" रेयांश सीधा अपने कमर में चला गया। उसका रूम काफी बड़ा था। सामने एक ग्लास बालकनी थी। वो उस बालकनी में गया जहां से देहरादून की खूबसूरत वादियाँ दिख रही थीं। रेयांश ने अंगड़ाई ली और बड़बड़ाया,"सो ब्यूटीफुल।" कुछ देर वो वहीं खड़ा रहा और फिर वो अंदर जाकर अपने क्लोज़ेट में जाकर चेंज करने लग गया जहां उसके हजारों कपड़े थे। ये सब उसके यहां आने से पहले ही कई दिनों पहले सेट किया जा चुका था। रेयांश ने कमरे को अपने हिसाब से बनवाया था। साथ में एक क्लोज़ेट, वॉशरूम, जिम, लाइब्रेरी और एक सीक्रेट रूम। बाहर आकर उसने ड्रेसिंग टेबल के शीशे में खुद पर नज़र डाली। वो खुद को देख रहा था। इस टाइम वो बेर चेस्ट था। गठीला बदन, सुडौल शरीर, बाइसेप्स उसे काफी हैन्सम बना रहे थे। रेयांश ने टेबल पर हाथ रखा और अपने चेहरे पर दूसरा हाथ लगाते हुए बोला,"Vampires are really the most handsome supernaturals." ओकलैंड ईशा का घर वहीं ईशा अपने घर पहुंची और धम्म से सोफ़े पर बैठ गई। पानी पीते हुए उसने रेणु से पूछा,"ग्रीन विला में कोई रहने आया है क्या?" रेणु खुश होते हुए,"तूने उन्हें देखा क्या?" ईशा ने ना में सिर हिलाते हुए कहा,"देखा तो नहीं। वहाँ कोई आदमी था जिससे मेरी टक्कर हो गई। उसके साथ में एक लड़की भी थी।" रेणु मन में सोचने लगी,"हे भगवान! कहीं वो आदमी और औरत हज़्बन्ड-वाइफ तो नहीं थे। मुझे पता लगाना होगा।" ईशा उसे देखकर,"आप कहाँ खो गए?" रेणु ने पूछा,"फिर क्या हुआ?" "होना क्या था? कोई बतमीज़ है। हल्की सी टक्कर पर ऐसे ज़ोर से चिल्लाया जैसे मैंने उसका सिर फोड़ दिया हो।" रेणु मुंह बनाते हुए,"तो सॉरी बोल देती।" ईशा खड़े होकर,"बोली थी। लेकिन वो तब तक अंदर अपनी विला में जा चुका था।" "बड़े अमीर लोग हैं। देहरादून के सबसे अमीर लोग।" ईशा ने रेणु की तरफ देखा,"मम्मी! जो आप सोच रही हैं ना, मत सोचिए।" वो बड़बड़ाते हुए अंदर चली गई। रेणु सिर हिलाते हुए बड़बड़ाई,"तीनों ने लगता है मेरे सिर पर ही बैठना है। एक भी ठीक से कोई बात भी नहीं सुनती।" ईशा अपने रूम में गई और कपड़े चेंज किये। उसके कमरे के साथ भी एक अटैच बालकनी थी। वो उसमे जाकर खड़ी हो गई। शाम के सात बज चुके थे। सर्दियों की वजह से धुंध होती जा रही थी। ईशा ने अपने हाथ फैलाए और ठंडी हवा को खुद पर महसूस करने लग गई। "I just love this winter season." उसने हवा में गहरी सांस ली जिसके बाद उसके चेहरे पर स्माइल आ गई। कुछ देर बाद उसे रेणु ने आवाज़ लगाई,"ईशा, ईशा।" ईशा बाहर गई,"जी मम्मी।" "मेरा एक काम कर। ये मैंने खाना बनाया है। जाकर ग्रीन विला में दे आ।" ये सुनकर ईशा की आँखें फैल गईं,"क्या? ग्रीन विला में? लेकिन क्यूँ? इतने बड़े लोग हैं और उनके वहाँ तो नौकर-चाकर होंगे। आपको क्या मुसीबत पड़ गई है?" रेणु नाराज़ होते हुए,"एक तो तू मुझसे ठीक से बात कर। ऊपर से जितना कहा, उतना कर।" ईशा मुंह बनाते हुए,"मम्मी! वो लोग हमारे बारे में क्या सोचेंगे कि ऐसे उनके घर पहुँच गए।" "घर नहीं बंगला बोल। अब ये बैग पकड़ और जा जल्दी।" ईशा ने उसकी तरफ देखा तो रेणु ने उसके गाल पर हाथ लगाते हुए कहा,"प्लीज़ बेटा।" ईशा ने बैग अपने हाथ में लिया और सिर हिलाकर वहाँ से निकल गई। काफी कोहरा छाया हुआ था। वो बड़बड़ाते हुए बोली,"ये मम्मी भी ना। कुछ भी करती हैं। और अगर उनके काम को ना बोलो, तो मुहँ बना लेती हैं।" रास्ते में उसकी बहन सुहाना आ रही थी। ईशा की सबसे छोटी बहन, उम्र 19 साल, दिखने में सुंदर, लेकिन हर टाइम बड़बड़ करने वाली। "तू कहाँ जा रही है?" "ग्रीन विला।" सुहाना हैरान होकर,"क्यूँ? वहाँ क्या है?" ईशा ने बैग दिखाते हुए कहा,"खाना देने जा रही हूँ। वहाँ कोई नए लोग रहने आए हैं। आ जा। तू भी मेरे साथ चल।" "लेकिन मम्मी परेशान होंगी।" ईशा ने जवाब दिया,"फोन करके उन्हें बोल दे।" सुहाना ने रेणु को कॉल कर दी और दोनों ग्रीन विला की तरफ बढ़ गईं। जैसे ही उन दोनों ने ग्रीन विला के लॉन में कदम रखा, कमरे में सो रहे रेयांश की नींद खुल गई। इंसान की स्मेल उसे साफ महसूस हो रही थी। वो बड़बड़ाया,"कौन आया है?" उसके चेहरे का रंग साथ ही बदल गया। वो एकदम भयानक रूप लेने लग गया। क्या रेयांश की ईशा से पहली मुलाकात एक वैम्पायर के रूप में होगी? आगे जारी........ ॐ नमः शिवाय