नॉवेल है एक ऐसी लड़की की जो हमेशा से बहोत घमंडी थी (ऐसा सबको लगता था )जिसके चलते वो हमेशा दूसरों को दुख पहुंचाया करती थी। इसलिए उस के घरवालों ने उसे हॉस्टल मै डलवा दिया ताकि वो सुधर जाये पर वहा उसके साथ जो हुआ उसे सुन कर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाये।... नॉवेल है एक ऐसी लड़की की जो हमेशा से बहोत घमंडी थी (ऐसा सबको लगता था )जिसके चलते वो हमेशा दूसरों को दुख पहुंचाया करती थी। इसलिए उस के घरवालों ने उसे हॉस्टल मै डलवा दिया ताकि वो सुधर जाये पर वहा उसके साथ जो हुआ उसे सुन कर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाये। वो किसी शख्स से बेपनाह मोहब्बत करती थी जिसने हमेशा उसे रुसवाई के सिवा कुछ नहीं दिया फिर भी उसके लिए उसकी मोहब्बत कम ना हुई पर फिर एक दिन ऐसा भी आया की वो खुद अपनी मोहब्बत से दूर चली गई। उस लड़की को हमेशा ही ब्लैक कपड़ो से नफरत थी पर फिर उसकी ज़िन्दगी मै कुछ ऐसा हुआ की उसने काले रंग के अलावा और कोई रंग पहना ही नहीं। उसे सबसे प्यारा अपना चेहरा लगता था पर अब उसे सबसे ज्यादा नफरत उसी चेहरे से थी। जिस लड़की को सबने बचपन से ही शॉर्ट कपड़ो मै देखा था अब वही लड़की उन्हें सर पर चुन्नी डाले बिना किसी से बात तक नहीं करती थी । उसे मेकअप करना भी बहुत पसंद था पर अब उसे नफरत हो चुकी थी इनसब चीज़ो से। जिस लड़की को उसके परिवार वालों और रिलेटिव्स और फ्रेंड जानते थें वो ये थी ही नहीं। उसने तो कभी अपना सर झुका कर अपनी नज़रे निचे कर कभी किसी से बात नहीं की पर फिर ऐसा क्या हुआ उसके साथ जो वो हमेशा अपनी नज़रे निचे ही रखती थी। पर इनसब मै एक चीज बहुत अजीब हुई जिस शख्स से उसने बेपनाह मोहब्बत की उसने कभी उसकी कदर नहीं की पर फिर ऐसा हुआ की अब वो शख्स उसे दिलो जान से चाहने लगा पर वो अब चाह कर भी उसकी ज़िन्दगी का हिस्सा नहीं बन सकती। आखिर ऐसा क्या हुआ उस लड़की के साथ जो वो इतना बदल गई??क्या हुआ था उसके हॉस्टल मै उसके साथ??? वो क्यों नहीं अब अपनी मोहब्बत के करीब जा सकती???? और भी बहुत से सवाल है जिनके जवाब इस नॉवेल के अंदर है
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बेनर्जी भवन, जो एक आलिशान महलनुमा घर था। ये एक पोश एरिया का इलाका था जहाँ पर सिर्फ अमीरों के ही घर मिलते थे। आज इस महलनुमा घर मे एक आलिशान पार्टी organize की थी क्यूंकि आज इस घर की सबसे लाड़ली बेटी अपनी पढ़ाई कम्प्लीट करके पेरिस से अपने देश अपने घर आ रही थी पर उसी के साथ एक शख्स भी अपने घर लोट रहा था अपने बिज़नेस को पुरे एशिया मे फैला कर। वो हॉल लोगो से घिरा हुआ था हर तरफ चहल पहल थी। उस हॉल मे दो 49 ऐज के आदमी बड़ी ख़ुशी से एक दूसरे को चेयर्स करते हुए ड्रिंक करने लगते है। ये दोनों एक दूसरे के पक्के वाले मित्र है। और ये पार्टी भी इन्ही ने आर्गेनाइज़ की है। पहला आदमी जिसका नाम महेश बेनर्जी था वो बड़े उत्साह से अपने दोस्त को कहता है -,, यार आज मै बहुत खुश हु इतने सालो बाद मेरी छोटी बेटी अपनी पढ़ाई कर के अपने घर आ रही है। पता भी मेरी तो आँखे तरस गई थी अपनी गुड़िया को देखने के लिए। वही उनके परम मित्र अविनाश माहेश्वरी जी भी एक सभ्य मुस्कुराहट के साथ कहते है -,, तभी तो आज इतनी बड़ी पार्टी आर्गेनाइज़ की है। महेश जी कहते है -,, हम्म पर ये बता तेरा शेर कब आ रहा है। टाइम तो हो गया। अविनाश जी अपनी वाच मे टाइम देख कर कहते है -,, बस 10 मिनट्स। फिर वो दोनों उस पार्टी मे आये हुए मेहमानों से बाते करने लग गए। वही कुछ औरते एक ग्रुप बना कर टेबल पर बैठी हुई थी। जो दिखने मे ही अमीर घराने की लग रही थी। एक औरत अपने सामने बैठी हुई औरत को देख कर कहती है -,, वैसे मानना पड़ेगा मिसेस बेनर्जी क्या शानदार पार्टी दी है आपने। पर कबतक आएंगे इस पार्टी की जान। मिसेस बेनर्जी यानि महेश जी की वाइफ स्माइल करते हुए कहती है -,, बस आने ही वाले है। तभी एक दूसरी औरत कहती है -,, वैसे एक बात बताइये मिसेस माहेश्वरी अगर आप बुरा ना मैने तो,, उनकी बात सुनकर अविनाश जी की वाइफ कहती है -,, अरे नहीं नहीं मे क्यों बुरा मानूंगी आप पूछो जो पूछना है,, वो औरत कहती है -,,, आज आपका एकलौता बेटा भी इतने सालो बाद अपने घर आने वाला है वो भी एक कामयाब इंसान बन के तो फिर आपने आज पार्टी क्यों नहीं दी,,? उनकी बात सुन कर अविनाश जी की वाइफ जिनका नाम मीनाक्षी था वो कहती है -,, क्यूंकि मेरे हस्बैंड चाहते थे की हमारी पार्टी भी बेनर्जी हॉउस के अंदर हो और क्या फर्क पड़ता है पार्टी हमारे घर हो या मेरी दोस्त के घर। आखिर है तो हम एक ही परिवार,, दरअसल मीनाक्षी जी और महेश जी की वाइफ जिनका नाम अनीता है वो दोनों बचपन की सहेली है और इनदोनो दोस्तों की शादी लव मैरिज हुई थी। एक दूसरे के पायी के दोस्त से। तभी एक औरत जो उनकी ही एक करीबी रिश्तेदार थी वो अनीता जी से कहती है -,, अनीता मेने सुना है मिष्टी वापस आ चुकी है पर वो है कहा दिखाई नहीं दे रही। उनकी बात सुन कर अनीता जी का चेहरा उतर जाता है। और बाकि सारी औरते भी उन्हें ही देखने लगती है। वो ज़बरदस्ती मुस्कुरा कर कहती है -हा जीजी आपने बिलकुल सही सुना है मिष्टी वापस आ चुकी है और वो अपने कमरे मे है। तभी वो औरत अनीता जी को टोंट करते हुए कहती है -,, अगर वो वापस आ चुकी है तो पार्टी मे क्यों नहीं आई कही ऐसा तो नहीं उसे अपनी ही छोटी बहन से जलन हो रही हो की उसके बहन की आने की ख़ुशी मे पार्टी हो रही है और जब वो आई तो कुछ नही हुआ। अनीता जी कहती है -अरे जीजी ऐसा कुछ नहीं है। आपको पता है ना उसे तैयार होने मे कितना टाइम लगता है इसलिए बस तैयार ही हक रही होंगी और आप पार्टी इंजॉय कीजिये ना। तभी एक और औरत कहती है -,, वैसे अनीता जी एक बात बताइये आपकी बेटी के सर से प्यार का भूत उतरा या नहीं या वो अभी भी प्यार मे पड़ी सरफिरी ही है,, कहते हुए हसने लगती है। मीनाक्षी जी उस औरत को जवाब देते हुए कहती है -,, तुम पागल हो क्या मिष्टी बचपने मे प्यार व्यार करने लगी थी उसे जब समझ नहीं थी पर अब तो मिष्टी बड़ी हो चुकी है और उसमे समझ भी बहुत आ चुकी है।,, वो औरत मीनाक्षी जी से कुछ कहती की तभी बाहर एक साथ बहुत सारी कार्स रुकने की आवाज़ आती है। जिसे सुन कर सब लोग एंट्रेंस की और देखने लगते है। वही ऊपर के फ्लोर पर एक रूम के अंदर,, एक लड़की बेड के सहारे टेक लगा कर बैठी हुई उसने एक सिंपल प्लेन फूल स्लीवस अनारकली सूट पहन रखा था। उसके चेहरे पर कोई मेकउप नहीं था पर फिर भी वो हद से ज्यादा सुंदर दिख रही थी होंठ नेचुरली रेड थे और चेहरा एक दम खूबसूरत सा था वो दिखने मे बहुत नाजुक सी थी। गोरा रंग ब्राउन आँखे। हाईट 5'3। फिगर ऐसा की बड़ी बड़ी मॉडल्स को फेल कर दे। उम्र 23 साल के आस पास थी। उस लड़की के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। पर उसकी आँखों मे बहुत दर्द था। उसका दुपट्टा बेड पर था। वो लड़की ख़डी होती है और शीशे के पास जाती है खुद के अक्स को शीशे मे देख कर उसे घिन आ रही थी। उसने अपने कोमल हाथो को अपने चेहरे पर फेरा और एकदम से हटा लिया और कस के आँखे बंद कर ली इसी के साथ उसकी आँखों से आँशु एक धार की तरह निकलने लगे। उसका दिल कर रहा था की वो अपने चेहरे को जला ले या नाखुनो से खरोच ले। उसे अपने इसलिए चेहरे के साथ घुटन हो रही थी। कभी एक वक्त था जब वो शीशे के सामने अपने इस चेहरे को ही निहारने मे घंटो बिता देती थी और ये एक आज का समय है जब वो 1 मिनट भी अपने चेहरे को शीशे मे देख नहीं पाती है। उसे उस कमरे मे घुटन हो रही थी इसलिए वो अपने रूम की बालकनी मे जाने लगती है। पर बालकनी मे जाने से पहले वो सर पर दुपट्टा लेती है। अब बस उसका चाँद सा चेहरा ही दिख रहा था। वो बालकनी मे जाकर ख़डी हो जाती है और खुली हवा मे सांस लेने लगती है। चाँद की रौशनी मे उसका चेहरा चमक रहा था। जो उसे और हसीन बना रहा था। वो उस चाँद को देखते हुए दर्द भरी मुस्कान के साथ कहती है -,, हम दोनों कितने खूबसूरत है ना पर हम दोनों मे एक ही कमी है और वो है दाग,, कहते हुए उसकी आँखों के सामने एक सीन घूमने लगता है। ----- केसा लगा ये पहला चैप्टर।
वो लड़की बालकनी मे खडे हो कर अपनी आँखे बंद कर लेती है। वही एंट्रेंस पर,, काफ़ी सारी कार्स रूकती है जिसमे से बॉडीगार्ड उतरते है। और हाथो मे गन्स लिए लाइन वाइज खडे हो हो जाते है बटलर फ़ौरन कार का डोर बड़े अदब से ओपन करता है। उसमे से 3 लोग उतरते है 2 लड़के और एक लड़की उतरते है। वो दोनों लड़के दिखने मे हैंडसम थे। और वो लड़की भी बहुत सुंदर थी उस लड़की ने एक ब्लैक कलर का ऑफ़ शोल्डर गाउन पहन रखा था जो लॉन्ग था और बॉडीकॉन भी उस ड्रेस मे वो बहुत हॉट एंड सेक्सी लग रही थी। वो तीनो अंदर की और चले जाते है जहाँ पार्टी हो रही थी। तभी बटलर एक सबसे कीमती और लक्ज़री कार का गेट ओपन करता है। उसमे से एक बेहद हैंडसम आदमी निकलता है। वो दिखने मे ग्रीक गोड से कम नहीं लग रहा था। हल्का सावला रंग गहरी ग्रे आइस मुस्कुलर बॉडी उसपर थ्री पीस ब्लैक सूट। उम्र यही कोई 28 या 29 साल की। हाईट 6 फीट। वो आदमी बड़े रोब से उतरता है उसे उतरते देख कर सारे बॉडीगार्ड सर झुका लेते है। वो भी अंदर जाने लगता है तभी उसके फ़ोन पर एक इम्पोर्टेन्ट कॉल आती है। वो कॉल इम्पोर्टेन्ट थी इसलिए वो कॉल अटेंड करने लगता है अंदर से शोर आ रहा था इसलिए वो बात करते हुए साइड आ गया था। चाँद की रौशनी मे वो शख्स और भी हैंडसम लग रहा था। कॉल कट कर वो जैसे ही जाने के लिए मुड़ता है तभी उसकी नज़र उधर ही एक बालकनी पर पढ़ती है जहाँ एक लड़की की पीठ उसकी और थी और उसके सर पर ब्लैक दुप्पटा था इवन उसके कपडे भी ब्लैक थे पीछे से वो लड़की बाह्यत सुंदर लग रही थी। वो आदमी उस लड़की की तरफ एक कशिश सी महसूस कर रहा था। उसका मन एक बार उस लड़की का चेहरा देखने का कर रहा था। वो लड़की पलटने ही वाली थी की तभी उस आदमी के फ़ोन पर उसके दोस्त की कॉल आ गई। उनसे दोबारा बालकनी की और देखा था वहा कोई नहीं था। वो आदमी भी फिर ज्यादा ध्यान ना देकर अंदर चला जाता है। वही वो लड़की जो बालकनी मे ख़डी थी किसी के फ़ोन की आवाज़ सुन कर डर से अंदर चली गई थी उस आदमी के जाने के बाद उसने बालकनी के डोर से उधर देखा जहाँ वो आदमी था वहा कोई नहीं था। ये देख कर वो लड़की खुद से कहती है -,,, पता नहीं क्यों मुझे लगा वो आप थे। पार्टी हॉल के अंदर,,,, जब वो तीनो अंदर जाते है तो इतनी बड़ी पार्टी देख कर हैरान रह जाते है। वही इतने सालो बाद अनीता जी अपनी छोटी बेटी को देख कर इमोशनल हो जाती है। वो लड़की अनीता जी के पास जा कर उनके गले लग जाती है। अनीता जी भी उसे कस कर गले लगा लेती है और उसके सर को प्यार से चूम लेती है महेश जी भी उन माँ बेटी को ज्वाइन कर लेते है इस टाइम वो तीनो ही परफेक्ट फेमिली लग रहे थे। महेश जी उस लड़की से अलग हो कर बड़े प्यार से कहते है -,, आने मे कोई दिक्क़त तो नहीं हुई आरोही बेटा,, जिसपर वो लड़की जिसका नाम आरोही था वह मुस्कुराते हुए कहती है -,, जी नहीं डेड और आपको तो पता है बडी के रहते मुझे कोई दिक्क़त हो सकती है क्या। जिसपर महेश जी एंट्रेंस की और देखते हुए कहते है -,, वैसे आपके बडी है कहा,,, ये सुन कर वो दोनों लड़के भी इधर उधर देखने लगते है। तभी अविनाश जी की नज़र एंट्रेंस पर जाती है और उनकी आँखे ख़ुशी से भर जाती है। मीनाक्षी जी भी अपने बेटे को इतने सालो बाद अपनी आँखों के सामने देख रोने लग जाती है। वही मीनाक्षी जी को रोते देख कर वो आदमी जो एंट्रेंस से अंदर आ रहा था वो मीनाक्षी जी के पास पहुंच कर उनको अपने गले से लगा लेता है। और उनकी आँखों से आंसू पोंछने लगता है और अपनी भारी आवाज़ मे उन्हें चुप कराते हुए कहता है -,, श, श मे आ गया माँ अब तो रोना बंद करदो। वही अविनाश जी कहते है -,,, अरे तुम इसे छोड़ो बेटा तेरी माँ का तो फेवरेट काम ही रोना है,, ये सुन कर सब हसने लगते है। अविनाश जी अपनी बाहे फैलाते हुए कहते है -,,, अपने बाप के गले नहीं लगेगा मेरे शेर।,, वो आदमी अपनी माँ से दूर हो कर अविनाश जी के कस के गले लग जाता है और कहता है -,, आप तो जान हो डेड। वही वो दोनों लाडमी जो उस लड़की के साथ आये थे वो एक साथ कहते है -,, ये तो गलत बात है हम दोनों भी यहां है कोई हमें भी देख लो। जिसपर अनीता जी अपनी बाहे फैला कर कहती है -,, अरे मेरे बच्चों मे हु ना आओ मेरे पास,, वो दोनों लड़के अनीता जी के गले लग जाते है। पहला लड़का कहता -,, मेने आपको बहुत मिस किया बड़ी माँ,, दूसरा लड़का उसके सर पर टपली मार कर कहता है -,, अबे सिर्फ तूने अकेले ही मिस नहीं किया मेने भी बड़ी माँ को बहुत मिस किया है। फिर वो दोनों लडके अविनाश जी के गले लग जाते है आइये अब थोड़ा इनके बारे मे जान लेते है वो लड़की जो उन दो लड़को के साथ आई है वो है आरोही हमारी हीरोइन की सगी बहन। ये दिखने मे बहुत खूबसूरत है पर हमारी हीरोइन के सामने ये कुछ नहीं है। उम्र 21 साल अभी अभी पेरिस से अपना ग्रेजुएशन कम्पलीट करके आई है। और वो दोनों लड़को हमारे हीरो के चाचा के सगे बेटे है ये दोनों ही ट्विन्स है। एक का नाम है राहुल दूसरे का नाम है आरव ये दोनों दिखने मे एक दूसरे से अलग दिखते है। ( अरे भई हर बार ज़रूरी थोड़ी है ट्विन्स बिल्कुल सेम दिखे ) दोनों ही दिखने मे हैंडसम है। उम्र 23 या 24 के आसपास। अब आते है हमारे हीरो पर हमारे हीरो काफ़ी सालो बाद इंग्लैंड से इंडिया आये है। हमारे हैर्क दिखने मे बहुत हैंडसम है हल्का सावला रंग ग्रे आइस 8एब्स मसकुलर बॉडी हाईट 6 फुट। उम्र 28 साल इन्होंने अभी हाल ही मे एशिया का नम्बर 1 बिज़नेसमेन का ख़िताब अपने नाम किया है। बहुत काम उम्र मे इन्होंने कामयाबी की सीढ़ी हासिल की है जो ऐसे ही नहीं मिली दिन रात एक कर के इन्होंने ये पोजीशन हासिल की है। हमारे हीरो का नाम भी कुछ देर मे पता चल जायेगा। हमारी स्टोरी की हीरोइन मिशिका है जिसे सब शॉर्ट मे मिष्टी कहते है। दिखने मे किसी स्वर्ग से आई अप्सरा को भी फेल करने की खूबसूरती रखती है। गोरा रंग नेचुरली इनके होंठ रेड ही रहते है और फिगर की बात करें तो माशाअल्लाह एकदम सांचे से ढला शरीर है। वो कहावत है ना भगवान ने बड़ी फुरसत से बनाया है वो कहावत इनके लिए use करना बिल्कुल सही होगा ये इतनी खूबसूरत है जिसका कोई जवाब नहीं हद से ज्यादा पर कहते है ना कोई चीज हद से ज्यादा हो जाये तो हमेशा नुकसान ही देती है। और इनकी ये हद से ज्यादा खूबसूरती ही इनकी बर्बादी का कारण बन गई। कैसे ये आप आगे जानेंगे। ---- केसा लगा आज का चेप्टर कमेंट कर ज़रूर बताये और फॉलो भी कर ले मुझे 🙏🙏
सब लोग पार्टी एन्जॉय कर रहे थे वही उस पार्टी की सारी लड़किया हमारे हीरो को अपनी हवस भरी नज़रो से देख रही थी या ये कहना सही होगा सरे आम ताड़ रही थी। पर हमारे हीरो को तो फर्क ही नहीं पड़ रहा था वो तो अपने बिज़नेस की बाते कर रहा था और लोगो से पर उसकी नज़रे इधर उधर थी जैसे किसी को तलाश रहा हो। तभी अविनाश जी स्टेज की तरफ जाते है उनके हाथ मे ड्रिंक का ग्लास था वो उस ग्लास को चम्मच से बजा कर माइक हाथ मे लेते है और कहते है -,, अटेंशन एवरीवन जैसा की आपसब को पता है ये पार्टी 2 खास वजह से रखी गई है पहली वज़ह ये है की मेरे जिगरी यार की सबसे लाड़ली बेटी अपनी ग्रेजुएशन कम्प्लीट कर के पेरिस से इंडिया आई है और दूसरी यह की आज से मेरा एकलौता वारिस मेरा बेटा माहेश्वरी कारपोरेशन का लीगली ceo की पोजीशन संभालेगा। (हमारे हीरो की और इशारा कर के ) मिलिए इनसे माहेश्वरी कारपोरेशन के लीगली ceo मिस्टर रुद्रांश माहेश्वरी से,,, कहते हुए अपना हाथ आगे करते है और हमारे हीरो यानि रुद्रांश को स्टेज की और आने का इशारा करते है। रुद्रांश भी बड़े रोबदार तरीके से चलता हुआ स्टेज पर जाता है और अपने डेड का हाथ पकड़ लेता है। और अपनी गहरी आवाज़ मे हलकी से स्माइल करते हुए कहता है -,, थैंक यू डेड और मे हमारी कंपनी को और आगे लेकर जाऊंगा आपको कभी अपने फैसले पर रिग्रेट नहीं होगा। सबलोग ताली बजाने लगते है। वही एक लड़की जिसने काफ़ी मॉर्डन कपडे पहन रखे थे ब्लू कलर का one-piece or ful मेकअप मे वो बहुत सुंदर लग रही थी। वो वाइन के ग्लास को पकड़ कर घमंड से कहती है -,, फ़ाइनली आखिर अब तुम आ ही गए बहुत इंतज़ार किया है तुम्हारा अब तुम्हे ऐसे ही नहीं जाने दूंगी। बस कुछ दिन और फिर सिर्फ तुम मेरे होंगे सिर्फ तान्या बजाज के। तुम पर तुम्हारे शरीर पर तुम्हारे पैसे पर तुम्हारे नाम पर सिर्फ मेरा हक़ होगा और किसी का नहीं।,, [ये है तान्या बजाज महेश जी की बहन की औलाद जो कभी भी मुँह उठा कर बेनर्जी हॉउस मे आ जाएगी इनकी इमेज एक भोली भली शरीफ लड़की की है जिसे दुनियादारी के बारे मे कुछ नहीं पता।] अविनाश जी और रुद्रांश स्टेज से निचे आते है। तभी रुद्रांश के पास दो लड़के आके use जोर से गले लग जाते है जो रुद्रांश की ही उम्र के थे। रुद्रांश भी उन दोनों कक कस कर हग कर लेता है।दोनों ही बड़े हैंडसम थे। पहला था समीर रावत दूसरा था रूहान माहेश्वरी अब आप सोचेंगे रूहान का सरनेम माहेश्वरी क्यों है तो उसका रीज़न ये है की रूहान को रुद्रांश के पेरेंट्स ने अडॉप्ट किया है। क्यों ये आगे की स्टोरी मे जानेंगे। समीर रुद्रांश से दूर हो कर उसके गले मे हाथ डाल कर कहता है -,, आह तुझे मे बता नहीं सकता मेरे भई मेने तुझे कितना याद किया। पता है तुझे याद करने के चककर मे मेरे कितने सारे ब्रेक उप हो चुके है। रूहान रुद्रांश से दूर हो कर अपनी आँखे छोटी कर के कहता है -,, अबे साले तेरे ब्रेक उप मे रुद्रांश कहा से आ गया और जहाँ तक मुझे पता है तेरे ब्रेकअप तक इसलिए होते है क्यूंकि तू तारीफ से ज्यादा तो अपनी गर्लफ्रेंड की बेइज्जती कर देता है और ऐसे मे कौन लड़की अपनज इंसल्ट सुन कर तेरी बंदी रहना पसंद करेंगी। समीर रुद्रांश कक देखता है जो उसे ही देख रहा था ये देख कर समीर बिचारा सा मुँह बना कर कहता है -,, यार गलती मेरी नहीं होती जब वो काम ही बेइज्जती करने वाला करती है तो तारीफ कैसे करदु और तुझे तो पता ही भी मे राजा हरीशचंद की औलाद हु। जो हमेशा सच बोलता है। जिसपर अविनाश की कहते है -,,, अच्छा फिर मे अभी तेरे बाप को फ़ोन कर के कहता हु जिसे तू अपनी औलाद समझ रहा था वो तेरी नहीं हरीशचंद की औलाद है,, कहते हुए फ़ोन मिलाने की एक्टिंग करने लगते है। ये देख कर समीर मिम्याते हुए अविनाश जी से कहता है -,,, अरे अंकल आप तो सीरियस हो गए मे तो मज़ाक कर रहा था। प्लीज आप मेरे उस जल्लाद बाप सॉरी मेरे पापा को फ़ोन मत कीजिए।,,, कहते हुए अविनाश जी को आँखे टिमटीमाते हुए देखने लगता है। उसकी शक्ल ऐसी थी की मानो अभी रो देगा। ये देख कर मीनाक्षी जी हस्ते हुए समीर का सर सेहला कर कहती है -,, अरे मेरा बेटा तू परेशान मत हो ये तेरे अंकल बस तुझे डरा रहे है वो भाईसाहब को कोई कॉल नहीं कर रहे। उधर सारे लोग खडे थे फेमिली वाले अविनाश जी मीनाक्षी जी महेश जी, अनीता जी,आरोही, आरव, राहुल ये सब खडे थे। और बाकि किसी की हिम्मत नहीं थी उनके फेमिली मोमेंट मे इंटरफेयर करने की। वो सब एक बड़ी सी राउंड टेबल पर बैठ जाते है। तभी वहा तान्या आती है। और रुद्रांश के गले लग कर बड़ी मासूमियत से कहती है -,, हेलो रुद्रांस आखिर तुम आ ही गए (फिर रुद्रांश के बराबर खाली चेयर पर बैठते हुए ) पता है हमने तुम्हे बहुत मिस किया। वही उसे देख कर राहुल आरव के कान मे कहता है -,,, आ गई एक और चिपकू गम मुझे लगा नहीं था ये अब भी भई के पीछे पढ़ी है,, आरव भी उसी तरह उसके कान मे कहता है -,, भाई सारी दुनिया बदल सकती है पर ये मेकअप से पुती हुई छिपकली नहीं देख ज़रा कैसे चिपक रही है भाई से। राहुल कहता है -,, मेरा तो सारा मूड खराब हो गया इसकी शक्ल देख कर,, आरव केहता है -,, सेम ब्रो,, अनीता जी तान्या को देख कर प्यार से कहती है -,,, तान्या बेटा तुम कब आई और हमें बताया क्यों नहीं। तान्या मासूमियत और प्यार से कहती है -,, मामी जी मे बस थोड़ी देर पहले ही आई थी और मेने आपको इसलिए नहीं बताया क्यूंकि मे आपको परेशान नहीं करना चाहती थी नहीं तो आप मेरे घर ही ड्राइवर अंकल को भेज देती और ड्राइवर अंकल परेशान होते और आपको तो पता ही है मुझे किसी को परेशान करना अच्छा नहीं लगता। अनीता जी कहती है -,, बेटा इसमें परेशान होने वाली कोनसी बात है तुम हमारे ही घर की सदस्य हो और अपने ही किसी फेमिली मेंबर से कोई परेशान होता है क्या? अगली बार जब आओ तो बता देना तान्या सर हिला कर कहती है -,, जी मामी (फिर अपने मन मे कहती है ) अबे चल अब तू मुझे बताएगी मुझे बता कर आना चाहिय या नहीं और मेरी मर्ज़ी कैसे भी आउ तुझे क्यों इतनी चुल मच रही है। आई बड़ी मुझे समझाने वाली। हुन,, तान्या रुद्रांश से बात करने की कोशिश कर रही थी पर रुद्रांश सिर्फ हा या ना मे ही जवाब दे रहा था। ये देख कर उसका खून खोल रहा था वो अपने मन मे कहती है -,, बस एक बार मेरी तुमसे शादी हो जाये उसके बाद तुम्हारी ये अकड़ तोडूंगी सबसे पहले और फिर तुम्हारा परिवार।,,, आरोही बैठी हुई बोर हो रही थी। इसलिए वो समीर के कान मे कुछ कहती है जिसे सुन कर समीर उसे ताली दे देता है। और वो दोनों उठ के स्टेज की तरफ चले जाते है। रुद्रांस बस शांति से बैठा अपनी ड्रिंक इंजॉय कर रहा था वो तान्या की बकर बकर को इग्नोर करने के लिए उधर ही बने बार मे बैठ जाता है। घर के सारे यंग एक टेबल पर थे और जो मिडिल ऐज के थे वक़्त एक टेबल पर बैठे थे उन्ही के साथ उनके कुछ रिलेटिवस भी बैठे उनसे बात कर रहे थे। तभी लाइट्स ऑफ होती है और……… कंटिन्यू........... ________ केसा लगा आज का चेप्टर...। मुझे फॉलो करना ना भूले गाइस ❤️🥳
तभी लाइट्स ऑफ़ होती है और स्टेज पर एक स्पोर्ट लाइट पढ़ती है जहाँ आरोही और समीर, आरव, राहुल, खडे थे। आरोही हाथो मे माइक लेकर कहती है -,, लेडीज़ एंड जेंटल मेन क्यों ना हम इसलिए बोरिंग पार्टी को इंटरेस्टिंग बनाये। इसके लिए मे और मेरे फ्रेंड्स एक धांसू और सॉलिड डांस परफॉर्म करने वाले है। प्लीज क्लेपिंग।,,, सारे लोग ताली बजाने लगते है। और सारी लाइट चालू होती है और एक मेन लाइट स्टेज पर थी। जो स्टेज को और जगमगा रही थी। वो चारो डांस की पोजीशन लेते है। तभी म्यूजिक स्टार्ट होता है। और चारो डान्स करने लगते है रूहान का मन नहीं था डांस करने का इसलिए वो भी रुद्रांश के साथ उस मिनी बार मे बैठा उनका डांस इंजॉय कर रहा था। You know, she like the drama, yeah, she's a sexy mama And when she dance everybody goes whoo, whoo You know, she like the drama, yeah, she's a sexy mama And when she dance everybody goes whoo, whoo हाँ, देखो तो भोली कितनी उतनी पर टेढ़ी चीज़ है बातें करे हैं कड़वी-कड़वी फिर भी लज़ीज़ है इत्तर गुलाबों वाली, बोतल शराबों वाली Total तबाही वाला scene है अदाएँ बड़ी funky, करे है नौटंकी ये छोरी बड़ी drama queen है बड़ी-बड़ी आँखें हैं आँसुओं की टंकी ये छोरी बड़ी drama queen है अदाएँ बड़ी funky, करे है नौटंकी ये छोरी बड़ी drama queen है बड़ी-बड़ी आँखें हैं आँसुओं की टंकी ये छोरी बड़ी drama queen है हो, table बजा के गाऊँ, चढ़ जाऊँ कुर्सी पे पूरी करूँ मैं मनमानियाँ चाहे समझ लो, नशे का ये नतीजा है या पागलपन की निशानियाँ इत्तर गुलाबों वाली, बोतल शराबों वाली Total तबाही वाला scene है अदाएँ बड़ी funky, करे है नौटंकी ये छोरी बड़ी drama queen है बड़ी-बड़ी आँखें हैं आँसुओं की टंकी ये छोरी बड़ी drama queen है अदाएँ बड़ी funky, करे है नौटंकी ये छोरी बड़ी drama queen है बड़ी-बड़ी आँखें हैं आँसुओं की टंकी ये छोरी बड़ी drama queen है You know, she like the drama, yeah, she's a sexy mama And when she dance everybody goes whoo, whoo You know, she like the drama, yeah, she's a sexy mama And when she dance everybody goes whoo, whoo नैना दो-नाली से क्यूँ गोली मारे किश्तों में? काहे ना झटके से जान ले? मोती की माला लेके "गोरी-गोरी" जपते हैं तू भी हमारा कभी नाम ले लाखों-करोड़ों वाला तन तेरा सोने जैसा मन से छोकरिया तू mean है अदाएँ बड़ी funky, करे है नौटंकी ये छोरी बड़ी drama queen है बड़ी-बड़ी आँखें हैं आँसुओं की टंकी ये छोरी बड़ी drama queen है अदाएँ बड़ी funky, करे है नौटंकी ये छोरी बड़ी drama queen है बड़ी-बड़ी आँखें हैं आँसुओं की टंकी ये छोरी बड़ी drama queen है। वो चारो बहुत बेहतरीन डांस कर रहे थे इसी के साथ सांग बंद होता है। और वो चारो बड़े अदब से सर झुका कर खडे होते है। सभी लोग ज़ोरदार क्लेपिंग करने लगते है। वही इनके डांस को देख कर तान्या रुद्रांश को देखती है जो उनके ही डांस को देख रहा था ये देख कर उसकी आँखों मे एक चमक आ जाती है और वो आरोहि के पास जाती है और उसके कान मे कुछ कहती है जो सुन कर आरोही हा मे सर हिला कर ओके बोलती है। ये सुन कर तान्या ऊपर चली जाती है। और आरोही स्टेज पर जाकर दोबारा माइक हाथ मे लेकर कहती है -,, so लेडीज़ एंड जेंटल मेन इस बार हमारे सामने परफॉर्म करेंगी मेरी फेवरेट कजिन सिस्टर।,, कहते हुए वो लाइट वाले को इशारा करती है जिसे समझ कर वो सारी लाइट ऑफ़ कर देता है। जिससे पुरे पार्टी हॉल मे अंधेरा हो जाता है। तभी एक सीढ़ियों पर पायल की आवाज़ आती है। वही पायल की आवाज़ सुनकर रुद्रांश के दिल की धड़कने बढ़ जाती है वो अपने दिल की धड़कनो पर हाथ रख कर खुद से कहता भी -,, ये मेरा दिल इतनी तेज़ी से क्यों धड़क रहा है ऐसा मेरे साथ पहली बार हो रहा है। वो सामने देखने लगता है जहाँ अंधेरा था तभी एक स्पोर्ट लाइट सीढ़ियों पर पढ़ती है। जब रुद्रांश सामने देखता है तो उसकी आँखे वही ठहर जाती है और उसी की नहीं बाकि सब भी उधर ही देख रहे थे असमंजस मे। वही सीढ़ियों पर और कोई नहीं मिष्टी थी जो पानी पीने आई थी क्यूंकि उसके रूम मे पानी के जग मे पानी नहीं था। और उसका गला सूख रहा था। पर जब वो निचे आती है तो उसे हर जगह अंधेरा दीखता है। मिष्टी ने अपने चेहरे को दुपट्टे से कवर किया हुआ था। उसकी बस ब्राउन आइस ही दिख रही थी। जो उसने एकदम से लाइट पढ़ने पर कस कर मीच रखी थी।… वही आरोही तान्या को ना देख कर पुरे हॉल की लाइट वापस चालू करवाती है। सब लोग मिष्टी की ही देख रहे थे। क्यूंकि एक तो उसने अपना चेहरा छुपाना रखा था और दूसरा ये की वो चेहरा छुपाना कर भी बला की खूबसूरत लग रही थी। वही मिष्टी अपनी आँखे खोलती है तो उसकी आँखे डर से बड़ी हो जाती है अपने सामने इतने सारे लोगो को देख कर तभी उसकी नज़र एक गहरी ग्रे आइस से टकराती है जो और किसी की नहीं रुद्रांश की थी। वही रुद्रांश मिष्टी की आँखों मे खो जाता है। उसे मिष्टी की आँखों मे डर, घबराहट, खौफ नज़र आ रहा था। वही मिष्टी अपने सामने रुद्रांश को देख कर चौक जाती है पर फिर कुछ याद करके अपनी नज़रे हटा लेती है। रुद्रांस को वो लड़की कुछ जानी पहचानी लग रही थी पर उसे याद नहीं आ रहा था वो उससे कब मिला था और कहा देखा था। मिष्टी इससे पहले की ऊपर जाती तभी एक ज़ोर का हवा का झोका आता है और जो दुपट्टा उसके चेहरे को कवर कर रहा था वो एक झटके से उसके चेहरे से निचे गिर जाता है जिससे उसका चेहरा साफ साफ दिखने लगता है वही मिष्टी के चेहरे कक देख कर रुद्रांश को एक झटका सा लगता है। वही रुद्रांश से ज्यादा शोक तो आरोही, समीर, रूहान, आरव, राहुल थे क्यूंकि उन्हें यकीन नहीं हो रहा था ये वही मिष्टी है जिसने बचपन मे भी कभी ट्रेडिशनल ड्रेस नहीं पहनी आज वो इतने सलकनपुर बाद उनकी आँखों के सामने है वो भी ट्रेडिशनल ड्रेस मे और जिस कलर से मिष्टी को नफरत थी उसी कलर को उसने पहना हुआ था। पर जो भी कहो मिष्टी इस ड्रेस मे बला की खूबसूरत लग रही थी। वही समीर जो मिष्टी को देखने मे खोया था वो रूहान से केहता है -,, भाई मुझे चिकोटी काटियो मुझे यकीन नहीं हो रहा ये मिष्टी है। रूहान भी मिष्टी को देखते हुए कहता है -,, यकीन तो मुझे भी नहीं हो रहा। वही वहा खडे गेस्ट की आँखों मे सवाल थे की ये कौन है। वही अनीता जी मिष्टी को देखते ही इमोशनल हो जाती है क्यूंकि मिष्टी को बेनर्जी हॉउस आये हुए लगभग 3-4 महीने हो चुके थे मगर जब से वो यहां आई थी वो एक भी बार अपने रूम से बाहर नहीं आई थी। उनकी आँखे मिष्टी को देखने के लिए तरस गई थी पर मिष्टी कभी भी अपने रूम से बाहर नहीं आती थी और ना ही किसी के बुलाने से बाहर आती थी। फिर बाद मे उन्होंनो भी मिष्टी को बुलाना छोड़ दिया। एक तरह से देख जाये तो उन्होंने भी मिष्टी को कब देखा था। दूसरी और मिष्टी जब सब लोगो को अपने आप को घूरता हुआ पाती है तो एकदम से कांप जाती है और जल्दी से मुड़ के भगवान कर अपने रूम मे चली जाती है। उसे इतने सारे लोगो को देख कर बहुत डर लग रहा था। मिष्टी का पूरा चेहरा डर से भरा हुआ था उसका पूरा चेहरा पसीने से तरबतर था। वही उसके ऐसे भाग कर जाने से सब लोग हैरान थे। उनमे से एक आदमी बोलता है -,, ये कौन थी मिस्टर बेनर्जी? महेश जी बात सँभालते हुए कहते है -,,, ये मेरी बेटी है जिसपर वो आदमी कहता है -,, पर आपकी तो सिर्फ एक ही बेटी है तो ये कौन है? दरअसल बात ये थी की किसी को नहीं पता था मिष्टी कौन है क्यूंकि मिस्टर बेनर्जी ने किसी को भी मिष्टी के बारे मे नहीं बताया था। (क्यों ये बाद मे जानेगे ) महेश जी -,, ये मेरी बेटी मतलब मेरी बेटी जैसी है ये मेरी दूर की रिश्तेदार की बेटी है। वही रुद्रांश को एक अजीब सी बैचेनी हो रही थी। जो उसे आजतक कभी नहीं हुई थी। वो मन मे कहता है -,,, ये मुझे हो क्या रहा है? वही आरोही मिष्टी को देख कर शोक रह गई थी उसकी आँखों मे अजीब से भाव आ जाते है जो समझ से परेशान थे। ____________ केसा लगा आज का पार्ट और कहो तो नेक्स्ट पार्ट मे फेमिली इंट्रो करवा दू? और गाइस फॉलो भी कर लो। और बाकि की बाते नेक्स्ट पार्ट मे 🥰🥰
कहानी मे आगे बढ़ने से पहले हम थोड़ा किरदारों से भी परिचय कर लेते है आगे काम आएगा….... महेश बेनर्जी… मिष्टी और आरोही के फादर इनका एक बिज़नेस है जो इन्होंने इंडिया मे बहुत फेलाया है। इंडिया मे इनका बहुत नाम और रुतबा है। ये एक बेस्ट बिज़नेस मेन जे साथ साथ एक बेस्ट हस्बैंड भी है और एक बेस्ट फादर भी सिर्फ आरोही के लिए। कहने को तो मिष्टी इनकी सगी औलाद है पर इन्हे मिष्टी पर कभी प्यार नहीं आता क्यूंकि जब मिष्टी इनकी वाइफ अनीता जी के पेट मे थी तभी डॉक्टर ने उन्दोनो को बताया था की उनको ट्विन्स होंगे जिससे महेश जी और अनीता जी बहुत खुश थे धीरे धीरे समय बिता और जब डिलेवरी की डेट आई तो अनीता जी को हॉस्पिटल ले जाया गया। उनकी हालत बहुत क्रिटिकल थी उन्होंने कहा था वो किसी एक बेबी को बचा सकते है। और जब बाद मे ऑपरेशन कर के अनीता जी दो बच्चों को जन्म दिया जिसमे से एक लड़का था तो दूसरी लड़की। पर लड़के की डेथ हो चुकी थी। वही महेश जी को शुरू से ही पहली औलाद लड़का चाहिए थी पर जब उन्होंने ये खबर सुनी तो उनको बहुत दुख हुआ और वो अपने बेटे की मौत का ज़िम्मेदार नन्नी से मिष्टी को मानने लगे। उनका मानना था की अगर मिष्टी ना होती तो आज उनका बेटा ज़िंदा होता। वो जब जब छोटी सी मिष्टी को देखते उन्हें गुस्सा आ जाता। उन्होंने कभी मिष्टी को गोद मे नहीं लिया था। वही अनीता जी पहले तो मिष्टी का बहुत ध्यान रखती थी फिर जब ससुराल वालों के ताने सुनती की कोख मे ही बेटे को खा गई तो उन्हें भी ऐसा लगने लगा उनके बेटे की मौत की ज़िम्मेदार मिष्टी ही है फिर उन्होंने भी धीरे धीरे मिष्टी को बचपन मे ही खुद से अलग कर लिया। उनका ये रुखा व्यवहार देख कर छोटी सी मिष्टी के दिमाग मे गलत असर पढ़ने लगा। कहते है छोटे बच्चे को प्यार और केयर की बहुत ज़रूरत होती है नहीं तो वो चिड़चिड़ा बन जाता है ऐसा ही मिष्टी के साथ हुआ वो दिल की बहुत अच्छी थी पर फेमिली का प्यार ना मिल पाने के कारण वो बहुत rude हो गई। फिर कुछ एक कुछ सालो बाद जब अनीता जी दोबारा प्रेग्नेंट हुई तो सब बहुत खुश थे। छति सी मिष्टी भी बहुत खुश थी की उसका भी कोई भाई या बहन उसके साथ खेलने आ रहा है। इसी के साथ अनीता जी मिष्टी से और दूर होती चली गई उनका जो थोड़ा सा प्यार और अटेंशन मिष्टी के लिए बचा था वो भी खत्म हो गया। धीरे धीरे उनकी डिलीवरी का टाइम आया तभी अचनाक अनीता जी सीढ़ियों से गिर गई और उधर मिष्टी ही ख़डी थी तो सबको लगा ये मिष्टी ने किया है जिसके कारण उसे बहुत मारा था। और ये किसी और ने नहीं मिष्टी की बुआ ने ही उसको मारा था जब तक वो बेहोश ना हो गई.। उसके बाद अनीता जी ने आरोही को जन्म दिया जिससे सब बहुत खुश थे। पर डॉक्टर ने बताया की अब वो कभी माँ नहीं बन सकती और सब को ये जान कर बड़ा झटका लगा और सब इस चीज का ज़िम्मेदार छोटी सी मिष्टी को ही मानते थे इस इंसिडेंट के बाद उस घर मे रहने वाले किसी भी मेंबर ने मिष्टी से बात करने की कोशिश नहीं की और ना ही कभी उसका हालचाल पूछा। धीरे धीरे समय बीतने लगा और मिष्टी जैसे जैसे बड़ी होती गई वो और चिड़चिड़ी हो गई किसी की नहीं सुनती सिर्फ अपनी सुनती। और घर के सब लोग उसके ऐसे करने से हमेशा उससे कूड़े ही रहने लगे। मिष्टी आरोही से बहुत प्यार करती थी पर अगर कुछ भी आरोही के साथ होता था तो उसका सारा इलज़ाम भी मिष्टी और आता था की मिष्टी ने ही अपनी जलन मे अपनी बहन के साथ ऐसा किया है। धीरे धीरे टाइम बिता और मिष्टी की मुलाक़ात हुई रुद्रांश से जिसे कांग्रेस पहली ही नज़र मे अपना दिल दे बैठी थी। और कहते है ना प्यार की कोई उम्र नहीं होती। और मिष्टी को भी कच्ची उम्र मे रुद्रांश से सच्चा प्यार हो गया था। और जब उसने रुद्रांश को बताया की वो उसे प्यार करती है तो रुद्रांश ने ये कह कर मना कर दिया की वो उसका बचपना है। पर मिष्टी ने उसकी एक नहीं सुनी और डेली किसी ना किसी तरह से उसे प्रोपोज़ करती और अगर किसी भी लड़की को रुद्रांश के करीब देखती तो उस लड़की को बहुत पिटती उसका पागलपन छोड़ी सी ऐज मे रुद्रांश के लिए बढ़ता ही जा रहा था ये देख कर रुद्रांश ने तय कर लिया था की वो मिष्टी के फादर से इसलिए बारे मे बात करेगा और उसने कर भी ली उसके बाद महेश जी ने उसे 16 साल की ऐज मे हॉस्टल मे डलवा दिया कारण था उसका रुद्रांश के लिए छोटी सी उम्र मे पागलपन जब से उसने रुद्रांस को देखा था तभी से वो उसके पीछे पड़ गई और इनसब से छुटकारा पाने के लिए महेश जी ने उसे 16की ऐज मे हॉस्टल भिजवा दिया जो उनकी ज़िन्दगी का सबसे गलत फैसला था। उनके इसलिए फैसले से ना सिर्फ मिष्टी की ज़िन्दगी बदली बल्कि इसी के साथ वो भी पूरी बदल गई। हमेशा बिंदास रहने वाली लड़की एक डरपोक लड़की बन गई। ( ये पास्ट दिखने मे जितना सीधा लग था है उतना है नहीं ) अनीता जी… मिष्टी की माँ नैना जी.… मिष्टी की बुआ और महेश जी की बहन तान्या की माँ ये भी तान्या की ही तरह है। महेश जी और अनीता जी को मिष्टी के खिलाफ भड़काने मे इनका सबसे बड़ा हाथ है। विकास जी… नैना जी के पति तान्या के फादर ये एक सभ्य आदमी है इनका अपना एक छोटा सा कारोबार है। नैना जी और तान्या ज्यादातर बेनर्जी हॉउस मे ही रहते है क्यूंकि विकास जी का घर बेनर्जी हॉउस के मुकाबले कुछ भी नहीं है और दोनों माँ बेटी को एसो आराम चाहिए। बाकि आप लोग मिष्टी, तान्या, आरोही, रुद्रांस, आरव, राहुल, समीर, रूहान से तो मिल ही चुके हो। ______________ केसा लगा आज का पार्ट
अब आगे.... रुद्रांश अब भी सीढ़ियों को ही देख रहा था जहाँ से मिष्टी गई थी उसका चेहरा एक्सप्रेशन लेस ही था जिसकी वजह से वो क्या सोच रहा है ये पता लगा पाना मुश्किल था। तभी उसे अपने पीछे से दो लड़को के बात करने की आवाज़ आती है जिनमे से एक लड़का मिष्टी को देख कर आहे भरते हुए अपने दोस्त से कहता है -,, आह यार क्या माल थी बिना मेकअप के भी एकदम हूर की परी लग रही थी। उसका दोस्त भी उसकी हा मे हा मिला कर कहता है -,,, हा यार कसम से क्या फिगर था काश एक बार ये मुझे मिल जाये। वही उनकी बात रुद्रांश के कानो मे भी जा रही थी और उनकी बाते सुन कर रुद्रांश का हाथ उसके वाइन के ग्लास पर कस चूका था उसका ओरा बहुत डरावना हो चूका था। वो उन लड़को को कुछ कहता की तभी तान्या की आवाज़ आती है। तान्या सीढ़ियों से उतर कर आरोही के पास आती है और उसे घूरते हुए कहती है -,, आरु मेने तुझसे कहा था ना मे डांस करुँगी तू सारी लाइट ऑफ़ कर दियो और एक मैं स्पोर्ट लाइट सीढ़ियों पर पड़नी थी। पर तूने ऐसा कुछ नहीं किया मेरे सारे डांस की बेंड बजा दी।,,,, कहते हुए जानबूझ कर मुँह बिचका देती है जिससे वो और मासूम लगे। वही उसके मुँह बिचकाने को देख कर समीर धीरे से रूहान के कान मे कहता है -,, ये चुड़ैल मुँह तो ऐसे बना रही है जैसे कोई छोटी बच्ची हो पर इसे ये नहीं पता ये ऐसे करने से डायन से कम नहीं लग रही।,,, रूहान भी धीरे से उसके कान मे कहता है -,, अबे चुप कर साले किसी ने सुन लिया तो खमाखा बखेड़ा खड़ा हो जायेगा। समीर कहता है -,, अरे यार कोई सुन ना ले इसलिए तो कान मे कह रहा हु। रूहान कुछ नहीं कहता। आरोही जो पहले मिष्टी को यहां देख हैरान थी वो तान्या की बात सुन कर होश मे आती है और कहती है -,, दी जैसा आपने कहा था मेने बिलकुल वही करा था बस फर्क ये था की आपकी जगह कोई और आ गया था। तान्या कन्फ्यूज़न मे कहती है -,, कौन??? आरोही अपनी आँखों मे अजीब से भाव ला कर कहती है -,, मिशिका,,, मिशिका सुन कर तान्या के भाव एकदम बदल जाते है वो अपनी कन्फ्यूज़न दूर करते हुए -,,, दोबारा कहना मेने ढंग से सुना नहीं,,, आरोही इसबार कुछ ना कह कर बस अपना सर हा मे हिला देती है ये देख कर तान्या की मुठी कस जाती है और वो कस कर अपनी आँखे एक पल को बंद करती है फिर खोलती है। और कुछ गहरी सांस लेती है उसकी आँखों मे कुछ गहरे राज दफन थे। जो वो किसी को भी पढ़ने नहीं दे सकती थी।। पार्टी मे आये हुए सभी लोग अपनी पार्टी इंजॉय कर रहे थे क्यूंकि मिष्टी के जाने के बाद सब नॉर्मल हो गया था म्यूजिक फिर से बजने लगा था इसलिए किसी का भी ध्यान किसी पर नहीं था सब अपने मे ही मग्न थे और वैसे भी आज के टाइम मे किसी को किसी से फर्क नहीं पढ़ता सब बस अपना देखते है। रुद्रांश सब लोगो से दूर था। उसका अकेले मे शांति मिलती थी। आज उसे मिष्टी को देख कर अजीब सी बेचैनी हो रही थी जिसकी वजह से वो अपनी शर्ट के ऊपर के कुछ बटन्स ओपन कर लेता भी जिससे उसका मर्दाना चौड़ा सीना विजिबल हो रहा था जिससे वो कतई ज़हर लग रहा था। वही ऊपर मिष्टी के रूम मे,, मिष्टी जो अपने रूम के गेट से अपनी पीठ सटाए हुए बैठी थी उसका पूरा चेहरा आंसुओ से भरा हुआ था। वो अपने नीस पर अपना सर रखे बैठी हुई थी। उसकी आँखों मे एक पुरानी याद चल रही थी। कुछ सालो पुराना फलेशबेक,, 16 साल की लड़की जो और कोई नहीं मिष्टी ही थी उसने एक ग्रीन कलर की स्कूल ड्रेस पहनी थी और दो खजुरी चोटी बना रखी थी। वो बहुत क्यूट लग रही थी कोई भी उसे देखता तो एक पल मे उसे अपना दिल दे बैठता।मिष्टी एक पार्क की बेंच पर बैठी हुई थी उसके हाथ मे एक गुलाब का फूल था। वो उस फूल को सूंघते हुए कहती है -,,, आह रुद्रांश कब आएंगे आप और क्यों बार बार आप मेरे प्यार को रिजेक्ट कर देते है। आप क्यों नहीं समझते मे पागल हु आपके लिए जबसे आपको देखा है। तबसे कही और नज़रे गई ही नहीं। मे आपको बता नहीं सकती हमें आपसे कितना प्यार है।,,,, तभी उसे जूतों की आवाज़ आती है और वो सामने देखती है तो वाइट t-shirt विथ ब्लैक जीन्स और वाइट शूज़ मे 21 साल का रुद्रांश खड़ा था जिसका चेहरा एक्सप्रेशनलेस था। वो बहुत हैंडसम लग रहा था। उसका हल्का सावला रंग उसके कपड़ो से मिल कर उसे और हैंडसम बना रहा था। वो मिष्टी के पास आता है और अपने हाथ मे बंधी वाच मे टाइम देखते हुए अपनी सर्द आवाज़ मे कहता है -,,, बोलो क्या कहना है तुम्हे और क्यों मेरा टाइम वेस्ट करने के लिए इधर बुलाया है।? मिष्टी ख़डी होती है और अपने एक घुटने को मोड़ कर निचे बैठ कर प्रोपोज़ करने के स्टाइल मे वो गुलाब का फूल रुद्रांश को देते हुए प्यार से कहती है -,,,अंश i love you so much बहुत प्यार करती हु आपसे प्लीज मेरा प्रपोज़ल असेप्ट कर लीजिये प्लीज,,, कहते हुए उसकी आँखे हल्की से नम हो जाती है। वही मिष्टी की बात सुन कर रुद्रांश की आँखे और सख्त हो जाती है वो उस गुलाब को फेंक कर उसे खड़ा करता है और अपनी गहरी मगर सख्त आवाज़ मे कहता है -,,, मेने तुमसे कितनी बार कहा है ये प्यार व्यार कुछ नहीं होता और अभी तुम जिस उम्र मे हो उसमे अट्रैक्शन बहुत जल्दी होता है जिसे तुम्हारी उम्र की लड़किया प्यार समझ लेती है। और तुम भी इसलिए अट्रैक्शन को प्यार समझ बैठी हो होश मे आओ मे तुमसे प्यार नहीं करता और ये तुम्हारा प्यार नहीं अट्रैक्शन है।,,,कहते हुए रुद्रांश मिष्टी के गुलाब को अपने पैरो से रोंदने लगता है। वही मिष्टी को रुद्रांश का ये कहना की वो उसका प्यार नहीं अट्रैक्शन है ये अपने प्यार को गली देने जैसा लग रहा था उसे ये सुनकर बहुत बुरा लगता है और रुद्रांश की बात सुनकर उसके दिल मे एक टीस सी उठती है। उसे सबसे ज्यादा दुख तब हुआ जब उसने देखा की कैसे रुद्रांश उसके लाये हुए गुलाब को बड़ी बेदर्दी के साथ अपने पैरो से रोंद रहा है। वो रुद्रांश से नम आँखों से कहती है -,,, मेरा प्यार कोई अट्रैक्शन नहीं है आपके लिए और जहाँ तक मुझे पता है अट्रैक्शन बस कुछ महीनों या ज्यादा से ज्यादा 1 साल तक का होता है मेरा प्यार आपके लिए पीछे 10 सालो से है। मे सिर्फ 6 साल की थी जब मेने आपको देखा था उस टाइम मुझे नहीं पता था ये क्या है पर जभी से मे आपकी और खींचती हुई चली गई और अब थोड़े बड़े होने पर मुझे समझ आ रहा है की ये सिर्फ प्यार है मेरा और आप क्यों मुझे बार बार रिजेक्ट कर रहे है। मे कोनसा अभी शादी करने के लिए कह रही हु। हम कुछ सालो बाद शादी करेंगे जब आप और मे एक कामयाब इंसान बन जायेगे।,,,, रुद्रांश का गुस्सा आउट ऑफ़ कण्ट्रोल हो जाता है वो गुस्से से मिष्टी की दोनों बाहो को पकड़ कर कहता है -,,, तुम्हे कितनी बार कहना पड़ेगा मे तुम्हे पसंद नहीं करता नफरत है मुझे तुमसे क्यों बार बार मेरे करीब आती हो। क्यों बार बार इज़हार करके अपनी इंसल्ट करवाती हो। मिष्टी को अपनी बाहो मे बहुत दर्द हो रहा था क्यूंकि रुद्रांश ने उसकी बाहो को कस कर पढ़कर हुआ था वो अपने दर्द कक इग्नोर करके मुस्कुराते हुए कहती है -,,, कोई बात नहीं अभी आओ मुझे पसंद नहीं जरते बाद मे करने लगेंगे और मे बार बार अपनी मोहब्बत का इज़हार इसलिए करती हु क्यूंकि मुझे उम्मीद है की आप भी मुझसे मोहब्बत करने लगेंगे और जहाँ प्यार होता है ना वहा इंसल्ट नहीं होती।,,, रुद्रांश उसकी बाहो को छोड़ देता है और तंज भरी मुस्कुराहट मे कहता है -,,, तुम जैसी लड़की किसी से मोहब्बत नहीं कर सकती जो अपनी ही बहन को हर बार निचा दिखाने के लिए उसकी इंसल्ट करती है और चोट पहुँचाती है वो क्या ही किसी से मोहब्बत करेंगी।,,, मिष्टी को रुद्रांश की बाते तीर की तरह अपने दिल मे लग रही थी। वो कहती है -,, अंश जो आप देखते है वो सच नहीं होता और मे किसी को भी कुछ भी एक्सप्लेन नहीं करने वाली और मुझे उनसब से कोई मतलब नहीं है मुझे मतलब है तो सिर्फ आपसे और देखना एक दिन आप भी मुझसे प्यार ज़रूर करेंगे और मे भी उस दिन का इंतजार करुँगी। और ऐसा मत समझना आप के बार बार ना करने से मे आप को छोड़ दूंगी बिल्कुल नहीं। रुद्रांश मिष्टी को खुद से दूर धक्का देते हुए कहता है -,, ऐसा कभी नहीं होगा मे तुमसे प्यार कभी नहीं कर सकता। फ्लेशबैक एन्ड मिष्टी ख़डी हो बालकनी के दरवाज़े पर ख़डी हो कर उसमे खुद का अक्स देखते हुए खुद से ही कहती है -,,, अब अगर आपको मुझसे मोहब्बत ना ही हो तो अच्छा है। क्यूंकि अब मे किसी की मोहब्बत के काबिल नहीं और आज आप को इतने सालो बाद देख कर पता नहीं क्यों कुछ महसूस ही नहीं हुआ उल्टा डर और लग रहा है आपसे नहीं खुद से की कही आपको देख कर मेरा ये बंद पड़ा दिल धड़कने ना लगे। तभी वो दरवाज़े से ही चाँद को देख कर रुद्रांश को याद कर कहती है -,, अपना प्यार उसे दिखाना चाहती थी, उसकी हसीं पर मुस्कुराना चाहती थी, क्यों दुआ करू की वो मेरा हो जाये मे उसे दुआओं से नहीं, अपनी मोहब्बत से पाना चाहती थी। (From गूगल ) कहते हुए उसकी आँखों के कोर से एक बूँद पानी निकल गया। कंटिन्यू.............. केसा लगा आज का पार्ट????
धीरे धीरे करके पार्टी अपने अंत पर पहुंच गई और पार्टी मे आये हुए मेहमान भी अपने अपने घर जाने लगे। बस अब माहेश्वरी फेमिली ही बची थी। और वैसे भी उन्हें अपने घर जाने मे ज्यादा टाइम नहीं लगने वाला था क्यूंकि उनका घर भी बेनर्जी हॉउस के बगल मे ही था। एक्चुअली Mr.माहेश्वरी एंड Mr.बेनर्जी दोनों दोस्त तो थे ही पर साथ मे एक दूसरे के पडोसी भी थे। दोनों फेमेली कभी भी एक दूसरे के घर आ जा सकती थी। सब लोगे के जाने के बाद अविनाश जी महेश जी से कहते है -,,,, तूने पहले बताया क्यों नहीं मिष्टी बेटा भी यहां आ चुकी है,, महेश जी कहते है -,,, अरे छोड़ ना यार उसका आना ना आना एक बराबर है,,,, ये कहते हुए वो उबासी ले रहे थे जैसे उन्हें मिष्टी से कोई फर्क ही नहीं पड़ता। वही उनकी बात सुन कर रुद्रांश आरव राहुल रूहान अनीता जी अविनाश जी और मीनाक्षी जी को अच्छा नहीं लगता। पर वो भी जानते थे महेश जी के ऐसे कहने की क्या वजह है। वो सब हॉल के सोफे पर बैठे थे। अविनाश जी महेश जी को समझाते हुए कहते है -,,, देख महेश मे तुझे समझा समझा कर थक गया की तेरे बेटे की मौत की ज़िम्मेदार मिष्टी नहीं है अरे वो तो खुद नन्ही सी बच्ची थी और तेरा बेटा शुरुआत से ही कमज़ोर था इसलिए उसकी… (रुक कर आगे कहते है ) यार देख उसके साथ ऐसा व्यवहार मत कर भूल मत वो तेरा ही अपना खून है। और तुझे भी पता है इसमें मिष्टी का कोई दोष नहीं है देख भाई अभी भी टाइम है सुधार ले अपने रिश्ते अपनी बेटी के साथ क्यूंकि वक्त का कोई पता नहीं कब बदल जाये क्या पता रखा टाइम ऐसा भी आये जब वो तेरी शक्ल देखना भी पसंद ना करें।,,,,,,,कहते हुए वो महेश जी के कंधे पर हाथ रखते है। उनकी बात सुन कर महेश जी के दिल मे एक टीस सी उठती है पर फिर वो अपने आप को सख्त कर के कहते है -,,, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता वो मुझे देखना पसंद करें या नहीं क्यूंकि वो मेरी कुछ नहीं लगती मेरी सिर्फ एक ही औलाद है और वो है मेरी बेटी आरोही बाकि मुझे किसी से मतलब नहीं है। (और वहा से उठते हुए आगे कहते है ) रात बहुत हो चुकी है मुझे लगता है अब हमें सो जाना चाहिए गुडनाईट,, कहते हुए बिना किसी का जवाब सुने अपने कमरे मे चले जाते है। उनके जाते ही अनीता जी की आँखों से आँशु बहने लगते है मीनाक्षी जी अनीता जी को अपने गले से लगा लेती है अनीता जी रोते हुए कहती -,,, देखा भाईसाहब ये हमेशा ऐसा ही करते है आज इन्ही की वजह से मे अपनी बच्ची से मिल नहीं पा रही इन्ही की वजह से उसे हॉस्टल जाना पढ़ा था ये अपने बेटे के ग़म मे इतने डूब चुके है की इन्हे ये भी दिखाई नहीं दे रहा जिसके साथ ये बचपन से ही भेद भाव करते हुए आ रहे है वो इनकी सगी खुद की औलाद है। पर नहीं इन्हे तो सिर्फ अपनी नफ़रत दिखती है ये अपनी नफ़रत की आग मे बहुत आगे निकल चुके है।,,,, कहते हुए अपनी आँखों से आँशु पोंछने लगती है।,, अनीता जी की बाते सुन कर रुद्रांश को अपने दिल मे एक टीस सी उठती है। तान्या जो कबसे उनसब की बकवास सुन रही थी उसे बड़ा गुस्सा आता है ज़ब अनीता जी मिष्टी की साइड लेती है। पर वो अपने आओ को शांत रखे हुए थी। तान्या झूठी फ़िक्र दिखा कर कहती है -,,, मामी जी आप ऐसे ना रोओ नहीं तो आपकी तबियत खराब हो जाएगी और रही मिष्टी को लेकर बात तो आप फ़िक्र मत कीजिए मे मामा जी से बात करुँगी देखना उसके बाद वो भी मिष्टी से प्यार करने लगेंगे,,,, वो ये सब बहुत मासूमियत से कह रही थी जो की सिर्फ दिखावा था। ये बात सिर्फ आरोही जानती थी। उसके बाद वो लोग बाते करने लगते है। रुद्रांश तो पहले ही उधर से चला गया था उसके पीछे पीछे ही आरव राहुल समीर, रूहान भी चले गए थे। थोड़ी देर बात करने के बाद मीनाक्षी और अविनाश जी भी चले जाते है। तान्या अभी यही रुकने वाली थी इसलिए अनीता जी ने उसका रूम तैयार करवा दिया था और वो भी अपने रूम मे चली जाती है। _____ माहेश्वरी निवास,, ये एक आलिशान खूबसूरत महल था। रंग सफ़ेद और क्रीमी था। इसलिए घर की हर चीज करोडो मे थी। रुद्रांश का रूम सबसे टॉप पर था। रुद्रांश का रूम,, वाइट एंड ग्रे रंग से सजा हुआ था। वो रूम बहुत बड़ा था (आप लोग खुद इमेजिन कर लो एक हीरो का रूम जैसा होना चाहिए वैसा ही है हर चीज अवेलेबल ☺️) रुद्रांश अपने रूम की बालकनी मे खड़ा था उसकी बालकनी से अटैच एक और बालकनी थी जो इत्तेफ़ाक़ कह सकते है की वो बालकनी मिष्टी की ही थी। रुद्रांश ने अपने कपडे चेंज कर लिए उसने एक ब्लैक केफरी के साथ ब्लैक स्लीवलेस टीशर्ट पहन रखी थी जिससे उसके हाथ की स्ट्रांग मसल्स साफ साफ नज़र आ रही थी। वो सिगरेट के कस ले रहा था उसने अपनी पीठ बालकनी की रेलिंग से टिका रखी थी। वो अपने मुँह से धुआँ छोड़ कर अपनी गहरी आवाज़ मे कहता है -,,, I never thought you would change so much that you wouldn't even look at me.,,कहते हुए मिष्टी की बालकनी को देखता है जो बंद थी। और उसपर परदे लटक रहे थे जिससे अंदर का कुछ नहीं दिख रहा था फिर वो अंदर आता है बेड पर लेट जाता है क्यूंकि कल से उसे माहेश्वरी कारपोरेशन भी ज्वाइन करना था ऑफिशली। ------- वही मिष्टी के रूम मे रुद्रांश के जाने के बाद मिष्टी अपनी बालकनी मे आती है। और बदलो के पीछे छुपे चाँद को देखने लगती है उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे।
नेक्स्ट डे,, सुबह के पांच बजे,,, माहेश्वरी निवास,, रुद्रांश की नींद उसके अलार्म की आवाज़ की वजह से खुलती है। वो बेड से उठता है और बाथरूम चला जाता है फ्रेश होने. बाथरूम से बाहर आकर वो एक ब्लैक लोअर पहनता है। वो शर्टलेस था उसकी मस्कूलर उप्पर बॉडी बहुत हॉट एंड सेक्सी लग रही थी। वो अपने रूम की बालकनी मे जाता है। अभी हल्का हल्का अंधेरा था क्यूंकि सूरज निकलना बस स्टार्ट ही हुआ था। रुद्रांश की नज़र ना चाहते हुए भी अपने आप मिष्टी की बालकनी मे चली जाती है। पर वहा कोई नहीं होता ये देख कर पता नहीं क्यों रुद्रांश को अच्छा नहीं लगता। फिर रुद्रांश एक मेट बिछा कर उसपर खड़ा होता है और योगा करने लगता है वो ट्री पोज़ योगा कर रहा था जिसमे उसका एक पैर दूसरे पैर पर मोड़ कर रखा था और उसके दोनों हाथ ऊपर की और जुड़े हुए थे। उसकी इस पोजीसन से उसके हाथो की नसे दिख रही थी जो उसे बहुत हॉट बना रही थी। मिष्टी के रूम मे,, मिष्टी की आँख बिना अलार्म के ही 5 बजे खुल जाती थी या यु कहे उसे ज्यादा नींद ही नहीं आती थी। वो बेड पर बैठे बैठे ही रात को अपनी डायरी लिखते लिखते ही सो चुकी थी। मिष्टी अपनी डायरी ड्रॉ के अंदर रखती है और उसपर कुछ समान रख देती है जिससे उसकी डायरी छूप जाती है। उसके बाद वो ख़डी होती है और अलमीरा से अपने लिए ब्लैक कलर के बिलकुल सिम्पल और प्लेन सलवार और सूट निकालती है।जो फुल बाजु का था। उसकी पूरी अलमारी मे सिर्फ अनारकली सूट और सलवार सूट ही थे। और वो सब काले ही रंग के थे। उसके बाद वो वाशरूम जाती है और फ्रेस होने के बाद वो नहाने जाती है। वो नहाने के लिए अपने कपडे उतारने लगती है। पहले दुप्पटा फिर जैसे ही बैक से अपने अनारकली सूट की जीप ओपन करने लगती है वैसे वैसे उसकी गोरी पीठ पर निशान दिखने लगते है जो उसके गोरे रंग पर बहुत गंदे लग रहे थे। उसके बाद वो जैसे ही अपने सारे कपडे उतारती है आईने मे खुद को देख कर कस कर अपनी आँखे बंद कर लेती है। और अपने हाथो की मुठी इतनी कस कर बंद करती है की उसके नाखून उसके हाथ मे ही धसने लगते है और उनमे से खून निकलने लगता है। क्यूंकि मिष्टी की पूरी बॉडी पर बहुत भयानक निशान थे जैसे बेल्ट मारने के सिगरेट से जलाने के और पीठ पर प्रेस से जलाने के निशान भी थे और ये सारे निशान बिल्कुल काले पड़ चुके थे। और मिष्टी की पूरी बॉडी पर टेटू मशीन से किसी शख्स का नाम लिखा हुआ था जो उसके सीने पीठ पैर कॉलरबोन हर जगह था। ये कहना सही होगा की मिष्टी के चेहरे को छोड़ कर उसका पूरा जिस्म बहुत गन्दा लग रहा था। अगर कोई और मिष्टी को ऐसे देख लेता तो उसकी रूह कांप जाती और रोंगटे खडे हो जाते। उसके बाद मिष्टी शावर लेती है। और अपने कपडे पहनती है। उसके बाल गीले थे जिसकी वजह से वो बालकनी मे चली जाती है। उसके फेस पर कोई इमोशन नहीं थे। उसके गोरे रंग पर ब्लैक सूट सलवार जच रहे थे उसका गोरा चेहरा नहाने की वजह से गुलाबी हो गया था और उसके होंठ नेचुरली रेड रहते थे। वो बहुत खूबसूरत लग रही थी उसका दुप्पटा उसके कंधे पर था। मिष्टी बालकनी मे जाती है और उगते हुए सूरज को देखने लगती है। सूरज की कुछ किरणे उसके चेहरे पर आ रही थी जिसकी वजह से उसका पूरा चेहरा जगमगा रहा था। वही जब रुद्रांश अपनी आँखे खोलता है तो उसके सामने मिष्टी का खूबसूरत सा चेहरा आ जाता है। जिसे देख कर वो अपनी पलके तक झपकाना भूल जाता है क्यूंकि मिष्टी लग ही इतनी सुंदर रही थी की वो क्या कोई भी उसपर से अपनी नज़रे नहीं हटा पाता। रुद्रांश रेलिंग से टेक लगाए हुए मिष्टी को देखने लगता है। जक अपनी आँखे बंद करें हुए हाथ बांध कर ख़डी थी। तभी मिष्टी को अपने ऊपर किसी की नज़रे महसूस होती है ये देख कर वो अपनी आँखे खोलती है और अपने बगल मे देखती है तो उसकी ब्रॉउन आइस रुद्रांश की ग्रे आइस से टकरा जाती है और दोनों बस एक दूसरे की आँखों मे देखने लगते है। मिष्टी के उसे देखते ही रुद्रांश के दिल की धड़कने शोर करने लगती है। और रुद्रांश मिष्टी की आँखों मे खो सा जाता है जहाँ उसे मासूमियत, दर्द, और खालीपन नज़र आ रहा था। वही मिष्टी का ध्यान रुद्रांश के फ़ोन की आवाज़ से टूटता है और उसकी नज़रे रुद्रांश की बॉडी पर चली जाती है जिसे देख कर वो अपनी नज़रे फेरते हुए फ़ौरन अपने रूम मे चली जाती है। वही मिष्टी के अचानक चले जाने से रुद्रांश हैरान सा रह जाता है क्यूंकि उसे लगा था जैसे मिष्टी पहले उसे देखते हुए उसके पास दौड़ कर आ जाती थी। अब भी ऐसे ही आ जाएगी पर इसलिए बार उसकी सोच गलत साबित हो गई। वो अपने बालो मे हाथ फेर कर कहता है -,,, आह ये हो क्या रहा है। क्यों मुझे वो अच्छी लग रही है..कहते हुए फ़ोन लेता है और बात करने लगता है। ये कॉल समीर की थी। फिर कुछ बाते करने के बाद वो एक नज़र मिष्टी की बालकनी पर मारता है। और फिर पुश अप्स मरने लगता है। रुद्रांस का अपना जिम भी था पर पता नहीं क्यों उसका मन बालकनी मे एक्सरसाइज करने का कर रहा था।वैसे मे बता दू रुद्रांश योगा को लेकर बहुत ऑब्जस्ड है। मिष्टी के रूम मे,,, मिष्टी बालकनी के शीशे से रुद्रांश को एक नज़र देख कर खुद से कहती है -,,, आप आज भी नहीं बदले पहले भी इतनी जल्दी उठते थे और आज भी। और आप पहले से और ज्यादा हैंडसम हो गए हो।,,,,, कुछ घंटो बाद माहेश्वरी कारपोरेशन,, ये एक बहुत बड़ी ऑफिस बिल्डिंग है। जिसमे काम करने का बहुत लोगो का सपना है। ऑफिस के बाहर ऑफिस के सारे इम्पोलोई खडे थे नये ceo को विश करने के लिए कई सारी कार्स माहेश्वरी कारपोरेशन के आगे आ कर रूकती है। उन कार्स का कलर ब्लैक था। तभी एक गार्ड बिच वाली कार का गेट ओपन करता है। जिसमे से रुद्रांश बड़े रौबदार तरीके और ऐटिटूड से बाहर निकलता है। उसे देख कर सारी लड़किया पागल सी हो जाती है रुद्रांश के चार्म और पर्सनालिटी को देख कर क्यूंकि रुद्रांश ने एक वाइट शर्ट के साथ वाइन कलर का ब्लेज़र डाल रखा था और पैरो मे लेदर के जूते। एक हाथ मे करोडो की वाच दूसरे मे फ़ोन। रुद्रांश रोब से चलते हुए एंट्रेंस पर आता है। उसके आते ही अविनाश जी जो कंपनी के मैनेजर के साथ खडे थे वो मैनेजर कोई और नहीं बल्कि समीर था उसके हाथ मे एक बुके थे जो वो रुद्रांश को देता है जिसे रुद्रांश अपने गार्ड को लेने का इशारा करता है उसके बाद अविनाश जी कहते है -,,, तुम्हारा हमारे ऑफिस मे स्वागत है बेटा,, रुद्रांश कहता है -,, थैंक you डैड,,,,, उसके बाद वो तीनो बाते करते हुए अंदर जाने लगते है। ऑफिस की ही एक लड़की दूसरी लड़की से कहती है -,, यार सर कितने हॉट एंड हैंडसम है मेरा तो दिल कर रहा है अभी जाऊ और सर को किस कर लू अरे इनके लिए तो मे इनकी मिस्ट्रेस बनने को बहुत तैयार हु,, दूसरी लड़की कहती है -,, बेटा तुम नई हो ना इसलिए तुम्हे पता नहीं है ऐसी लड़कियो से बोस हमेशा दूर रहते है। और बोस अपने काम को लेकर बहुत डेडिकेटेड है क्यूंकि वो काफ़ी सालो से ये बिज़नेस संभाल रहे है. पहली लड़की जिसका नाम शेफाली था वो कन्फूजन मे कहती है -,,, पर सर का तो ये पहला दिन है,, दूसरी लड़की जिसका नाम राधिका था वो कहती है -,,, हा ये सर का पहला दिन है as a ceo बाकि वो पहले से ही ये बिज़नेस संभाल रहे है विदेश से कंपनी के सारे फैसले रुद्रांश सर ही लेते है छोटे से बड़े। और वक़्त जो फैसला लेते है वही कंपनी के लिए फायदेमंद होता है। शेफाली कहती है -अच्छा कंटिन्यू…………...... ___________ केसा लगा आज का एपिसोड और कल होंगी किसी शख्स की एंटी क्या लगता है कौन होगा विलेन या कुछ और बताओ बताओ??????
रुद्रांश के केबिन मे,,, रुद्रांश सीरियस हो कर ऑफिस की कोई फ़ाइल रीड कर रहा था। तभी उसकी आँखों के सामने सुबह वाला सीन चलने लगा उसका मिष्टी को देखना उसकी मिष्टी से नज़रे मिलना। ये सब याद कर के वो पेन को अपना मुँह मे लेकर स्माइल करने लगता है स्माइल करते हुए उसके दोनों गालो पर डिंपल पड़ रहे थे जो उसे और हैंडसम बना रहे थे। तभी रुद्रांश अपने रिफ्लेक्शन को अपनी टेबल पर देख कर हैरान होते हुए खुद से कहता है -,, ओह गॉड ये क्या है मे,,में स्माइल कर रहा हु वो भी उसे याद करके स्ट्रेज पर जो भी कहो फीलिंग बहुत अच्छी आ रही है। और उसका वो मासूम सा चेहरा।,,, (फिर सीरियस होते हुए ) अरे ये में क्या सोच रहा हु फोकस रुद्रांश फोकस काम पर ध्यान दे।,,,,,… कहते हुए फिर से अपनी फ़ाइल पढ़ने लगता है। तभी उसके केबिन का डोर नॉक होता है जिसे सुन कर रुद्रांश अपनी गहरी आवाज़ में come in बोलता है। उसके बोलते ही केबिन के अंदर समीर और रूहान आते है उन्होंने फॉर्मल ड्रेस पहनी थी। समीर ने ग्रीन शर्ट विथ ब्लैक जीन्स। रूहान ने ब्लू शर्ट विथ ब्लैक पेंट। वो दोनों भी हैंडसम लग रहे थे।। समीर एंड रूहान टेबल के सामने लगी दो चेयर पर बैठ जाते है वही रुद्रांश अपने पैर के ऊपर ऊपर रखे शान से फ़ाइल रीड कर रहा था उसे देख कर एकदम माफिया वाली फीलिंग्स आ रही थी। समीर रूहान को एक नज़र देख कर अपना गला खराशते हुए रुद्रांश से कहता है -,, रूद्र क्यों ना हम सब कही घूमने चले. रुद्रांश अपनी फ़ाइल का पेज पलटते हुए -,, और क्या में इस ख़ुशी की वजह जान सकता है। समीर कहता ब -,,,, अरे भाई देख तू इतने सालो बाद इंडिया आया है और हम भी तेरे फॉरन कंट्री जाने के बाद कही घूमने नहीं गए। बात इसीलिए सोचा एक फ्रेंड्स गेट टुगेदर कर लेते है। रुद्रांश कहता है -,, मेरे पास इन फालतू कामो के लिए टाइम नहीं है। समीर रुद्रांश की बात सुन रूहान को कोहनी मारते हुए धीरे से उसे कहता है -,,, साले कमीने तू क्या सिर्फ मेरा और रुद्रांश का मुँह देखने आया है तू भी तो कुछ बोल,, रूहान कहता है -,, में क्या बोलू, समीर -,,,, क्यों तेरे पास ज़िबान नहीं है। रूहान -,, है क्यों,, समीर -,,,अरे मेरे बाप कुछ भी बोल पर उसे मना ले देखियो मेरा कितना मन है सबके साथ घूमने का 🥹🥹 रूहान कहता है -,, हट नौटंकी. फिर रूहान नार्मल वॉइस में रुद्रांश से कहता है -रूद्र चल ना यार मज़ा आएगा और तू ही बता हम लास्ट बार कब गए थे एक साथ घूमने। रुद्रांश फ़ाइल बंद करके -,,, कहा जाना है समीर मन में रुद्रांश को कहता है -,, दोगला साला मेने कहा तो मुझे मना कर दिया और इसके (रूहान ) कहने पर एक बार में ही मान गया हुन कोई बात नहीं अपना टाइम आएगा,, रूहान समीर को देख कर कहता है -,, अबे ओ कहा खो गया बता कहा चलना है। समीर कहता है -,,, उम्म्म शिमला चले बर्फ़ीबारी में। या आगरा चले ताजमहल या कोई भी जगह रुद्रांश लैपटॉप चलाते हुए -,,, कब चलना है कहा चलना है फाइनल कर लो और रात तक बता देना। (फिर समीर की तरफ देख कर ) और मिस्टर मैनेजर ज़रा ऑफिस के काम पर भी ध्यान दीजिये। और ये आरव और राहुल कहा है?? आज तो उनका ऑफिस का दिन है। रूहान रुद्रांश की बात सुनकर कहता है - उनका कहना है वो कुछ दिनों बाद ऑफिस ज्वाइन करेंगे अभी उनके मौज मस्ती के दिन है ऐसा मेरा नहीं उनका कहना है इसलिए वो अपने दोस्तों के साथ घूम रहे है। ये सुन कर रुद्रांश अपनी सख्त आवाज़ में कहता है -,, उन दोनों के सारे कार्ड्स ब्लॉक करदो और कहो खुद जब पैसे कामाएंगे तब जितना मर्ज़ी खर्च करें।,, रुद्रांश की बात सुन रूहान ओके कहता है और किसी को कॉल कर के आर्डर देता है। ___________ आरोही के रूम में,,, तान्या अपने पैर निचे लटका कर बैठी थी और आरोही अपने रूम में इधर से उधर टेंशन से चककर काट रही थी। आरोही बड़बड़ाते हुए कहती है -,,, दी मुझे लगता है अब हमारे आराम के दिन गए। क्यूंकि अब वो मिशिका घरवालों को हमारा सालो पुराना राज़ जो बता देगी में क्या करू।,, कहते हुए बहुत घबराने लगती है उसके चेहरे पर डर टेंशन और घबराहट एक साथ दिख रही थी। तान्या आरोही को इंतजार हाइपर होते देख कर उसको कंधे से पकड़ कर अपने पास बिठाती है और उसकी आँखों में देख कर बहुत मिस्टीरियस वे में कहती है -,,, तुम टेंशन मत लो कभी हमारा इतने सालो पुराना राज़ किसी को नहीं बता पायेगी और वैसे भी कौन उसकी बात पर यकीन करेगा। आज की दुनिया सबूत मांगती है और उसे देख कर तुम्हे लगता है वी हमारे खिलाफ सबूत इकट्ठा कर पायेगा हान??? आरोही तान्या की बात सुन कर थोड़ी शांत होती है फिर कहती है -,,, पर अगर उन्होंने किसी को बता दिया तो? उसकी बात सुन कर तान्या कुछ सोचते हुए कहती है -,, इस चीज की टेंशन तुम मत लो वो में देख लुंगी। तुम बस मुझे और रुद्रांश को एक करने के बारे में सोचो मिशिका से में निपट लुंगी। आरोही कहती है -,, ठीक है दी,,(फिर वो कुछ सोचते हुए कहती है ) पर दी मुझे आज तक ये बात समझ नहीं आई उस दिन आपने वो सब किया कैसे था। उसकी बात सुनकर तान्या खिड़की के पास जाती है और बड़े रहस्यमई तरीके से कहती है -,, कुछ बातो का ना जानना ही बेहतर रहता है dear ( फिर बात बदलते हुए ) और बताओ पेरिस में क्या क्या मस्ती की you know ना में क्या कह रही हु,,, कहते हुए शरारती ढंग में मुस्कुरा रही थी। ये देख कर आरोही कहती है,, क्या दी आप भी.. कंटिन्यू……… ____________ गाइस बहुत लोगो का सवाल है मेने मिष्टी को इतना कमज़ोर क्यों दिखाया है क्या वो ज़िन्दगी भर ऐसे ही बेबस लाचार रहेगी तो इसका आंसर नॉवेल के अंदर है और में बस इतना ही कहना चाहूंगी आप सब ऐसे ही एक या दो पार्ट पड़ कर स्टोरी को जज ना करें। मेने बहुत कुछ सोच रखा है इसलिए स्टोरी के लिए।
अब आगे…… मिष्टी के रूम में,, मिष्टी सुबह नाश्ता करने के बाद बालकनी में बैठी थी वहा उसके लिए एक झूला लगा हुआ था। उलवो उसी में बैठी थी। और खाली आँखों से लगातार गार्डन को ही देख रही थी क्यूंकि उसका रूम गार्डन साइड की तरफ। वो अपने घुटने मोड़ कर बैठी हुई थी। उसके ज़ेहन में उसके पिछले सालो की तस्वीरें घूम रही थी। उसकी फेमिली का उसके प्रति बेहेवियर और रुद्रांश से प्यार फिर उसका हॉस्टल जाना और उसके बाद वो कड़वी यादें और वहा से इधर बच कर आना तब कुछ उसके दिमाग में घूम रहा था। और ये सब याद करके उसकी आँखों से सिर्फ अश्कों की धारा ही बेह रही थी बाकि उसके मुँह से एक शब्द नहीं निकल रहा था। (मिष्टी के साथ क्या हुआ था ये भी जानेगे पर बाद में ) -----. धीरे धीरे कर के शाम होने लगी और सब अपने ऑफिस से घर आ गए। रुद्रांश ऑफिस से आकर अपने रूम में फ्रेश हो जाता है और एक मेहरून टीशर्ट और ब्लैक लोअर पहन लेता है। उसकी स्ट्रांग कॉफी पहले ही मीनाक्षी जी देकर चली गई थी। वो वाशरूम से बाहर आता है और अपनी कॉफी लेकर बालकनी में चला जाता है। अबतक सूरज डूब चूका था और चाँद भी निकलना स्टार्ट हो चूका था। रुद्रांश जैसे ही बालकनी में आता है उसकी नज़र मिष्टी के ऊपर चली जाती है जो अपने हैंगिंग झूले पर सोइ हुई थी उसका चेहरा उसके दुपट्टे से छुपा हुआ था। जो शायद हवा चलने की वजह से आ गया होगा और बाकि का दुपट्टा ज़मीन की धुल साफ कर रहा था। रुद्रांश अपनी कॉफी का मग लिए मिष्टी की बालकनी और अपनी बालकनी के जॉइंट पर जाता है। और कॉफी पीते हुए मिष्टी को देखने लगता है। उसका जी चाह रहा था वो उसकी बालकनी में जाये और उसका दुप्पटा उसके चेहरे से हटा दे उसका मन मिष्टी का चेहरा देखने के लिए तड़प रहा था। शायद उसकी ये तड़प भगवान से भी देखि नहीं गई इसलिए एक तेज़ का हवा का झोंका आया जिसकी वजह से मिष्टी का दुप्पटा उड़ कर रुद्रांश के सर पर आ गया और इसी के साथ रुद्रांश की आँखे कुछ पल को सुकून से बंद हो गई। वही उसी हवा के कारण मिष्टी की भी आँख खुल गई और जब उसने अपना दुप्पटा रुद्रांश के पास देखा तो एक पल को डर गई। जो उसके चेहरे पर साफ साफ दिख रहा था। वो अपनी मासूम सी आँखों से रुद्रांश को देखने लगी। रुद्रांश अपने कॉफी के मग को साइड में रख देता है और वो दुप्पटा अपने चेहरे से हटा कर हाथ में लें लेता है। और अपनी ग्रे आँखों से मिष्टी को देखने लगता है उसके चेहरे पर कोई इमोशन नज़र नहीं आ रहे थे। रुद्रांश अपने आँखों और हाथ के इशारे से दुप्पटा चाहिए पूछता है। ये देख कर मिष्टी हा में सर हिला देती है। जिससे वो बहुत क्यूट और खूबसूरत लग रही थी सोने के बाद उसके चेहरे पर एक अलग सा ग्लो नज़र आ रहा था। जो use और खूबसूरत बना रहा था। मिष्टी धीरे धीरे चल कर रुद्रांश के पास आ रही थी। और अब वो दोनों एक दूसरे के सामने खडे थे अब बस उनके बीच एक छोटी सी दिवार थी। मिष्टी हल्का आवाज़ में अपनी नज़रे झुका कर घबराते हुए कहती है -"मेरा दुप्पटा " कहते हुए दुप्पटे को एक नज़र देखती है। पता नहीं क्यों रुद्रांश का मन उसे परेशान करने का था इसलिए वो उसे परेशान करने के लिए कहता है -" और अगर में ये ना दू तो " मिष्टी की आँखों में आंसू आ जाते है जिसे वो अपनी पलकों में ही छुपा लेटी है वो पलके झुकाये कहती है -"प्लीज मेरा दुप्पटा मुझे दे दीजिये " रुद्रांश दुप्पटे को अपने पीछे छुपा कर कहता है -"अगर में ये तुम्हे देता हु तो इसके बदले मुझे क्या मिलेगा " मिष्टी ये सुन कर अब रोने लगती है और रोते हुए कहती है -"मेरे पास कुछ नहीं है प्लीज मेरा दुप्पटा मुझे दे दीजिये " कहते और रोने लगती। क्यूंकि उसे डर लग रहा था। इतने सालो बाद किसी आदमी से बात करके। रुद्रांश जिसका मैन मोटिव सिर्फ मिष्टी के साथ कुछ पल बिताना था वो उसे ऐसे रोता देख घबरा जाता है और उसके आंसू पोंछने ही वाला था की मिष्टी भाग कर अपने रूम में चली जाती है और रुद्रांश का हाथ जो उसने उसके आंसू पोंछने के लिए उठाया था वो हवा में ही ठहर जाता है। उसका इरादा मिष्टी को रुलाने का बिल्कुल नहीं था। रुद्रांश अपने उस हाथ की मुठी बना लेता है और कस कर उसे दिवार पर मारता है। और एक नज़र मिष्टी के रूम को देख कर उसका दुप्पटा अपने हाथ में लेकर अपने रूम में आ जाता है। उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था मिष्टी का यूँ चले जाना। वही मिष्टी रोते हुए अपने कमरे में आती है और दिवार से टेक लगा कर बैठ जाती है और रोने लगती है। क्यूंकि उसकी आँखों के सामने एक पुराना सीन आ जाता है। फ्लेशबैक एक आदमी एक बंगले के हॉल के सोफे पर राजा की तरह फेल कर बैठा था। उसका एक हाथ सोफे पर थे तो दूसरे से सिगरेट के कस लें रहा था। वो आदमी हैंडसम भी बहुत था। उसने काले रंग के कपडे पहले थे ब्लैक शर्ट ब्लैक पेंट। उस हॉल में पूरा अंधेरा था। बस सोफे के पास ही थोड़ी बहुत रौशनी आ रही थी जिससे उस शख्स के गर्दन से लेकर पैर हर चीज दिख रही थी। बस उसका चेहरा छुपाना हुआ था सोफे के निचे एक लड़की जो करीब 19 -20 के आस पास थी वो बहुत खूबसूरत थी उसने उस आदमी की ब्लैक टीशर्ट पहन रखी थी जो उसके घुटने तक आ रही थी जिससे उसके सुंदर गोरे गोरे पैर दिख रहे थे।वो उसके पैरो में अपना सर रख कर रोते हुए कहती है " प्लीज उन्हें छोड़ दीजिये उन्होंने कुछ नहीं किया " उसकी बात सुन वो आदमी शैतानो की तरह हसने लगता है। जिसे देख कर वो लड़की डर से कापने लगती है। क्यूंकि वल आदमी तभी ऐसे हस्ता था ज़ब उसे हद से ज्यादा गुस्सा आता था। फिर वो हस कर एकदम शांत हो जाता है और गुस्से से उस लड़की के पीछे से बाल पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर करटा है और गुस्से से कहता है -"मेरे मना करने के बाद भी तूने वो काम किया तो उसकी सज़ा तो मिलेगी मा मेरी हुस्नपरी। " उस आदमी के ऐसे बाल पकड़ने से उस लड़की को बहुत दर्द होता है और उसकी आँखों से आंसू निकलने लगते है पर फिर भी वो एक आह्ह तक नहीं करती। वो वैसे ही दर्द सहते हुए गिड़गिड़ा कर कहती है -" प्लीज उन्हें छोड़ दीजिये। " ये सुन कर वो शख्स उसके बालो को छोड़ देता है और अपने सिगरेट को उसके कंधे से अपनी टीशर्ट साइड करते हुए उसका कन्धा डेमेज करते हुए अपनी क्रिपी वौइस् में कहता है -"और इसके मुझे क्या मिलेगा " कहते हुए उसके पुरे कंधे पर अपनी जलती हुई सिगरेट की छाप छोड़ने लगता है। फ्लेशबैक एन्ड मिष्टी को रुद्रांश के शब्द सुन कर " इसके बदले मुझे क्या मिलेगा "अपने ये अतीत याद आ गया था जिसे वो याद भी नहीं करना चाहती थी पर रुद्रांश की बातो से उसने ना सिर्फ उस याद को याद किया बल्कि महसूस भी कर लिया था इनसब को याद करके मिष्टी का पूरा शरीर कापने लगा था। कंटिन्यू....... केसा लगा आज का चेप्टर कमैंट्स कर ज़रूर बताये ताकि में मोटिवेट हो सकूँ जल्दी चैप्टर देने के लिए 🙏🙏☺️
अब आगे…… ऐसे ही धीरे धीरे करके दिन बीतने लगे अब तो रुद्रांश का रोज़ का हो गया था मिष्टी को सुबह सोने के बाद देखना और रात को सोने से पहले देखना। उसमे काफ़ी बदलाव आ रहे थे जो वो पहले तो नहीं पर अब महसूस और नोटिस करने लगा था। जैसे अब वो ऑफिस जाने से पहले ज़्यादा टाइम अपने रूम की बालकनी मे बिताता था और ऑफिस से आने के बाद फ्रेस हो कर सोने तक बालकनी मे ही बैठा रहता था। मिष्टी की एक झलक देखने के लिए। पर कुछ दिनों से उसे मिष्टी की एक झलक भी नसीब ना हुई थी और मिष्टी को इतने दिनों से ना देख रुद्रांश अब हमेशा चिड़ा चिड़ा सा रहने लगा था और वो पूरी कोशिश करता था मिष्टी की एक झलक उसे दिख जाये। उसे बहुत बैचेनी होती थी।। उसका ये बदला व्यवहार कोई नोटिस करें या ना करें पर उसका ये बिहेवियर उसके दोस्त और भाई ज़रूर नोटिस कर रहे थे।। पर इनसब मे मिष्टी के बिहेवियर मे कोई बदलाव नहीं आया था। वो जैसी पहले थी वैसी ही अब थी। पर उसने भी रुद्रांश का ये बदला बिहेवियर नोटिस किया था बहुत बार और उसे जिस चीज का डर था वही हो रहा था। मिष्टी को रुद्रांश का अपनी तरफ अट्रैक्ट होता देख कर उसने अपनी बालकनी मे जाना ही छोड़ दिया था। अब उसकी ज़िन्दगी बस उसके रूम की चार दिवारी के अंदर ही रह गई थी। वही तान्या कुछ ना कुछ ऐसा ज़रूर करती थी की रुद्रांश के करीब जा सके पर हर बार वो अपनी कोशिश मे फ़ैल हो जाती थी। आरोही और तान्या 2 महीने बाद…… आज संडे था इसलिए ऑफिस की छुट्टी थी। इस वजह से आज सब घर पर ही थे। सब लोग बेनर्जी हॉउस मे बैठे थे। सुबह 8 बजे के आस पास सब लोग अपना नाश्ता करके हॉल मे बैठे थे। रुद्रांश, रूहान, समीर,आरव, राहुल, आध्या, तान्या ये सब भी उधर ही बैठे थे। हॉल बहुत बड़ा था और उस पुरे हॉल मे बहुत सारे सोफे थे सिंगल सोफा भी 4 - 5 थे। और वो सब बहुत बड़े बड़े थे। महेश जी और अनीता जी एक साथ बैठे थे। अविनाश जी और मीनाक्षी जी एक पर। समीर,आरव, राहुल ये तीनो फेल कर अकेले एक सोफे पर आड़े तिरछे हो कर पड़े हुए थे। रुद्रांश एक सिंगल सोफे पर बैठा था। वही रूहान आध्या तान्या एक सोफे पर बैठे थे। सब लोगो ने घर के कपडे पहन रखे जैसे टीशर्ट और लोअर। और वो सब आपस मे बाते कर रहे थे शिवाय रुद्रांश के क्यूंकि वो पुरे बेनर्जी हॉउस को ऑब्जर्व कर रहा था। की इन्होंने एक बार भी मिष्टी को नहीं बुलाया इवन उसे तो लग भी नहीं रहा था बेनर्जी हॉउस मे मिष्टी भी रहती है। क्यूंकि उसके बारे मे कोई बात ही नहीं होती थी। और ना उसने कभी उसे ऐसे सब लोगो के बिच देखा था। समीर जो सोफे पर आधा लेता हुआ था वो दूसरे सोफे पर फ़ोन चला रहे रूहान और आरव, राहुल को कोहनी मार कर रुद्रांश की तरफ देखना का इशारा करता है जिसे समझ कर वो लोग उसे देखते है। वो लोग देखते है की रुद्रांश पुरे घर मे अपनी नज़रे दौड़ा रहा था। जैसे किसी को खोज रहा हो। पर उसके ना मिलने पर उसके चेहरे पर इर्रिटेशन के भाव ज़रूर दिख रहे थे। वही तान्या भी बस रुद्रांश को ही देख रही थी। वही बेनर्जी हॉउस के बाहर…… एक ऑटो आ कर रुखता है उसमे से एक 23 साल की लड़की बाहर निकलती है जिसने एक वाइट टीशर्ट और ब्लू जींस पहनी थी। उसके हाथ पे एक एड्रेस पर्ची और एक सूटकेस था। वो लड़की दिखने मे काफ़ी सुंदर थी। गोरा रंग कथई आँखे हाईट मिष्टी के आस पास ही थी। वो बाहर निकल कर पहले थे बेनर्जी हॉउस कक एक नज़र देखती है फिर पर्ची मे लिखें एड्रेस को। एड्रेस मैच होने पर वो उस ऑटो वाले को पैसे देती है। और गहरी सांस लेकर अंदर जाने लगती है। जैसे ही वो अंदर जाने लगती है बाहर खड़ा गार्ड्स उसे रोकते हुए अपनी कड़क आवाज़ मे कहता है -"ए लड़की कौन है तू और ऐसे कैसे बिना पूछे अंदर जा रही है।" उस गार्ड की बात सुन कर वो लड़की कहती है -" मेरा नाम अदिति है और मुझे मिशिका से मिलना है " वो गार्ड उसे घूरते हुए कहता है -"और तू मिशिका मेंबर की लगती क्या है " अदिति कहती है -"मे मिशिका की फ्रेंड हु " गार्ड कहता है -"जा जा तेरे जैसे बहुत देखे है जो मुँह उठा कर आ जाते है अमीर लोगो से मिलने " अदिति की आँखों मे आँशु आ जाते है अपने लिए ऐसे शब्द सुन कर वो उन्हें बाहर आने से रोक लेटी है और उस गार्ड से रिक्वेस्ट करते हुए कहती है -"प्लीज मुझे मिशिका के पास जाने दो अगर आपको मेरी बातो पर यकीन नहीं है तो आप खुद जाकर उससे पूछ लो " गार्ड को उसकी बातो मे सच्चाई नज़र आ रही थी। इसलिए वो कुछ सोचते हुए कहता है -अच्छा तू रुक मे पूछता हु। " इतना कह कर वो एक कॉल मिलाता है। और बात करने लगते है। फिर कुछ देर बात करने के बाद वो कहता है -" जाओ बड़ी मेम ने तुम्हे अंदर बुलाया है " अदिति ये सुन कर खुश हो जाती है और उनका शुक्रिया अदा करते हुए कहती है -"थैंक यू अंकल सो मच " वो गार्ड अपना सर हिला देता है। अदिति भी अपना सूटकेस संभाल कर लें जाते हुए उस एंट्रेंस गाते से होते हुए उस बड़े से घर मे जाने लगती है जिसका रास्ता एक बड़े से फाउंटेन से होकर गुज़रता है। वो अंदर जाने लगती है। हॉल मे,, तान्या अनीता जी से कहती है -"मामी जी किसकी कॉल थी। अनीता जी लैंडलाइन फ़ोन रखते हुए कहती है -" वो गार्ड की थी कह रहा था की कोई अदिति नाम की लड़की मिशिका की दोस्त है उसे उससे मिलना है तो उसे अंदर भेजनें की परमिशन मांग रहा था "। उनकी बात सुनकर अब सबलोग मैन get की तरफ देखने लगते है। वही जब समीर, आरव और राहुल सुनते है की कोई लड़की आने वाली है यहां तो एकदम डिसेंट से हो कर बैठ जाते है। और अपने बाल सवारने लगते है। ( ये तो ऐसे रियेक्ट कर रहे है जैसे अदिति इनसे मिलने आ रही है अपना रिश्ता लेकर 😂😂😂)
अब आगे…… सब लोग दिलचस्पी से सामने देखने लगते है। तभी हान को एक कॉल आती है और वो उसे पिक करके बात करने थोड़ा साइड मे चला जाता है। वही अदिति अपने सूटकेस संभाले अंदर आ रही थी। वो जैसे ही मैन get से अंदर आती है उसे हॉल मे बैठे बहुत लोग दिखते है। जिन्हे देख वो समझ जाती है हो ना हो ये मिष्टी के ही फेमली मेंबर है वो उनके पास जाती है। तभी कॉल करते हुए रूहान जिसका ध्यान फ़ोन मे था वो अदिति से टकरा जाता है। जिससे अदिति संभल नहीं पाती और पीछे की और गिरने ही लगती है। की रूहान उसे सँभालने के लिए अपने हाथ से उसकी कमर पकड़ता है और दूसरे हाथ से अदिति का हाथ। वही अदिति कस कर रूहान की टीशर्ट को पकड़ लेटी है और अपनी आँखे कस कर भींच लेटी है। गिरने के डर से। वही रूहान एकटक अपने बाहो मे झूलती हुई लड़की को देख रहा था। तभी अदिति अपनी दोनों आँखे खोलती है। उसके आँखे खोलते ही रूहान और अदिति की आँखे मिल जाती है दोनों बस एक दूसरे को ही देख रहे रहे। वही दूसरी तरह जब ये सीन समीर, आरव और राहुल देखते है। तो बैठे बैठे ही सिटी बजाने लगते है और समीर oo करता है। उनके शोर से अदिति और रूहान का ध्यान भंग होता है। और दोनों एक दूसरे से अलग होते है। उसके बाद रूहान अदिति को एक नज़र देख कर सोफे पर बैठ जाता है। वही अनीता जी अदिति के पास आती है। और उसका हाथ पकड़ कर सबके बीच लाती है। अदिति सबको नमस्ते करती ब हाथ जोड़ कर। ये देख कर तान्या मन मे अदिति की खिल्ली उड़ाती हुई कहती है -"हुन गवार इस ज़माने मे भी हाथ जोड़ रही है बेवकूफ " अनीता जी उसे खड़ा देख कर प्यार से कहती है -"बेटा तुम ख़डी क्यों हो बैठो ना "कहते हुए अदिति को बैठने के लिए कहती है। अदिति भी उनकी बात मानकर एक खाली सोफे पर बैठ जाती है। उसके बाद अनीता जी कहती है -"बेटा तुम कौन हो??" अनीता जी की बात सुनकर सब लोग बस अदिति को ही देख रहे थे ये जानने के लिए की वो कौन है?? अदिति अनीता जी को देख कर कहती है -"जी आंटी मेरा नाम अदिति है मे मिष्टी की फ्रेंड हु। " क्या आप उसे बुला सकती है मुझे उससे बहुत इम्पोर्टेन्ट बात करनी है " रूहान अदिति का नाम सुन कर अपने मन मे कहता है -"अदिति नाइस नेम बिल्कुल इसकी तरह " ये सब को अदिति को देख कर कह रहा था मन मे। वही जब रुद्रांश ये सुनता है की "मिष्टी यहां आने वाली है "वो बेसब्री से उसके निचे आने का वेट कर रहा था उसकी आँखों मे मिष्टी को देखने की डिजायर्स साफ साफ दिख रही थी। अनीता जी कहती है -"हा हा क्यों नहीं बिल्कुल " फिर अपने मन मे कहती है -"इसी बहाने मे भी अपनी बच्ची को एक नज़र जी भर कर देख लुंगी " वो एक नौकर को बोलती है मिष्टी को बुलाने के लिए ये वही मेड थी जो मिष्टी को खाना देती थी। वो अनीता जी का ऑर्डर पूरा करते हुए मिष्टी को बुलाने चली जाती है। अदिति इतने सारे लोगो के बीच uncomfortable हो रही थी जो उसके फेस और एक्शन से साफ साफ जाहिर हो रहा था। वो कभी अपने हाथो को एक दूसरे मे उलझाती तो कभी सबको देखती। ये देख कर की अदिति uncomfortable हो रही है मीनाक्षी जी उसके पास जाती है और उसके पास बैठ कर उससे पूछती है -"बेटा तुम मिष्टी को कब से जानती हो?? " अदिति थोड़ा हिचकिचाते हुए -"जी आंटी मे उसे कॉलेज टाइम से जानती हु " उसकी बात सुन कर मीनाक्षी जी कहती है -"अच्छा वैसे तुम्हारे घर मे कौन कौन है और तुम कहा से आई हो मतलब कहा रहती हो "??? उनकी बात सुन कर अदिति की आँखे नम हो जाती है। ये देख कर अनीता जी भी उनके पास आते हुए अदिति के दूसरी साइड बैठते हुए कहता है -'"क्या हुआ बेटा ये तुम्हारी आँखों मे आँशु क्यों है " अदिति होंठ भींच कर अपना सर ना मे हिलाती है। जैसे कह रही हो कुछ नहीं। तभी अदिति की नज़र सामने जाती है। सीढ़ियों पर उसे देख कर अदिति की आँखों मे आंसू कब उसके गाल पर आ गए उसे पता ही नहीं चला अदिति ख़डी हो जाती है। वही सब लोग अदिति की नज़रो को फ़ॉलो करते है तो उन्हें सामने मिष्टी दिखती है। मिष्टी सीढ़ियों से उतर कर आती है उसने एक फुल बाजु का लॉन्ग ब्लैक सूट पहना था और निचे प्लाज़ो उसके सर पर एक दुप्पटा था। जो उसके बालो को छुपाने का काम कर रहा था। मिष्टी बिना किसी मेकअप के भी बहुत खूबसूरत लग रही थी। वो इतनी खूबसूरत लग रही थी की रुद्रांश की नज़रे उससे हट नहीं रही थी। वही समीर, आरव, राहुल भी आँखे फाड़े मिष्टी को ही देख रहे थे। उन्हें लग रहा था जैसे मिष्टी कोई स्वर्ग से उत्तरी अप्सरा हो। अदिति भाग कर मिष्टी के पास जाने लगती है वही मिष्टी अपनी नज़रे उठा कर अपनी और आ रही अदिति को देखती है और खुद भी उसके पास जाने लगती है। अदिति मिष्टी के गले लग जाती है। और रोने लगती है उसके रोने की आवाज़े पुरे हॉल मे गूँज रही थी वही मिष्टी की आँखों से भी आंसू निकल रहे थे। वो अदिति की पीठ सहलाते हुए अपने रुंधे गले से कहती है -"श श अब नहीं रोना अगर तुम और रोइ तो मे भी रोने लगूंगी प्लीज मत रोओ ना अदिति प्लीज " पर अदिति उसकी कोई बात नहीं सुनती बस अदिति और मिष्टी को ही पता था वो क्यों रो रही है। बाकि सबको तो लग़ रहा था इतने दिनों बाद मिलने पर रो रही है फ्रेंड्स है इसलिए पर वजह कुछ और ही थी। कुछ देर बाद,, अदिति का रोना बंद हो चूका था पर वो अब भी मिष्टी के गले लगे सुबक रही थी। मिष्टी उसे खुद से दूर कर उसका चेहरा अपने हाथो मे भर कर अपनी आँखों मे आँसू लिए ना मे सर हिला रही थी। ये मोममेंट देखने मे बहुत प्यारा और इमोशनल लग रहा था। कंटिन्यू……… केसा लगा आज का पार्ट और यार एक एक कमेंट भी कर दिया करो आपसब🙏🙏🙏
थोड़ी देर बाद…… मिष्टी और अदिति मिष्टी के रूम मे थे।। मिष्टी सोफे पर बैठी थी और अदिति मिष्टी की गोद मे अपना सर रखे लेती हुई थी। और मिष्टी उसका सर सेहला रही थी। दोनों के चेहरे पर ही कोई भाव नहीं थे। अदिति मिष्टी के हाथ को लेते लेते ही कस कर पकड़ कर कहती है -"मिष्टी व. वो " अदिति को यूँ हकलाते हुए देख कर मिष्टी उसे बैठा करती है अब अदिति और मिष्टी का चेहरा एक दूसरे के सामने था जहाँ अदिति के चेहरे पर घबराहट दिखाई दे रही थी वही मिष्टी के चेहरे पर कन्फूज़न भरे भाव थे। मिष्टी अदिति को देख कर उसका हाथ पकड़ कहती है -"क्या बात है अदिति तू इनता घबरा क्यों रही है " मिष्टी की बात सुन कर अदिति उसके खूबसूरत चेहरे को देख कर मन मे कहती है -" मिष्टी मे तुझे कैसे बताऊ जिस हैवान की कैद से बचकर तू निकली है वो तुझे पागल कुत्ते की तरह तलाश रहा है। और जिस दिन तू उसकी नज़रो के सामने आ गई वो तुझे ज़िंदा नहीं छोड़ेगा। और ये बात तुझे बता कर मे परेशान नहीं करना चाहती क्यूंकि मेने देखा है तुझे उसका ज़िक्र होते ही तेरे चेहरे पर खौफ उसका डर कितनी मुश्किल से तू उस ट्रॉमा से निकली है मे उसका जिक्र करके दोबारा तुझे उस ट्रोमा मे नहीं जाने दूंगी चाहे कुछ भी हो जाये। "।…… वही मिष्टी अदिति के बोलने का इंतज़ार कर रही थी। पर जब काफ़ी देर से अदिति कुछ नहीं कहती तो मिष्टी उसे हिलाते हुए कहती है -"क्या हुआ क्या सोच रही है " अदिति अपने ख्यालों से बाहर आ कर मिष्टी को एक झूठी स्माइल करते हुए कहती है -"कुछ नहीं " मिष्टी कहती है -"फिर क्या कह रही थी तू?? " अदिति मिष्टी को झूठ बोलते हुए कहती है -"अरे बस मे ये कह रही थी तुझे अजीब नहु लगा मेरा यूँ आना " ये सुन कर मिष्टी कहती है -"अजीब तो बहुत लगा और मे अभी यही पूछने वाली थी। क्या हुआ वहा सब ठीक तो है ना (उसके कंधे पर हाथ रख कर ) तू समझ रही है ना मे क्या पूछ रही हु " अदिति अपना सर सोफे से टिका कर खाली आँखों से सीलिंग को देखते हुए कहती है -"कुछ होता तभी तो सब ठीक होता " अदिति की बातो को गहराई से समझते हुए मिष्टी की आँखे नम हो जाती है और वो अदिति का हाथ पकड़ अपने माथे से लगा कर रोते हुए कहती है -" यार सच मे मुझे नहीं पता था की मेरी मदद करने की क़ीमत वो सब होंगी ट्रस्ट मी अदिति अगर मुझे पता होता ना तो मे मर जाती पर कभी तेरी मदद नहीं लेती। अदिति मिष्टी को रोते देख कर उसे हग करते हुए नम आँखों से उसे डाटते हुए कहती है -"चुप कर पागल इसमें तेरी कोई गलती नहीं है ये तो किस्मत थी। हमारी और जो किस्मत मे होता है हमें वही मिलता है " मिष्टी अदिति को कस कर पकड़ते हुए उसके सीने पर अपना सर रख लेती है और खोये हुए अंदाज़ मे कहती है -" मेरी किस्मत भी कितनी अजीब है ना जिसे कभी बेइंतहा चाहा उसने ऐसा ठुकराया की किसी से दिल लगाने की हिम्मत ही नहीं हुई उसके बाद और इस चीज से निकली ही थी की (आँखों मे खौफ भरते हुए ) उस शख्स से मुलाक़ात हुई जिसने मेरी पूरी ज़िन्दगी ही ज़हन्नुम बना दी मुझे इस मुकाम पर ला कर छोड़ दिया जहाँ से मे ना किसी से मोहब्बत कर सकती हु ना उसे करने दे सकती हु।" अदिति मिष्टी की बाते सुन उसका सर सहलाते हुए कहती है -" सब ठीक हो जायेगा एक दिन देखना " मिष्टी फीकी से मुस्कुराहट के साथ कहती है -"कुछ ठीक नहीं होगा मेरी ज़िन्दगी तो अब अँधेरे मे खो चुकी है। और अब इसी अँधेरे से मुझे सुकून मिलता है" अदिति उसकी बात का जवाब नहीं देती और उसे देखते हुए दृढ़ निश्चय से अपने मन मे कहती है -"बस बहुत हो चूका अब तेरा अँधेरे और घुट घुट कर जीना मे अब अपनी जी जान से कोशिश करुँगी तुझे इसलिए अँधेरे से बाहर निकालने मे। और भगवान भी इतने कठोर इतने बेदर्द नहीं हो सकते जो तुझे इतना दर्द दे। देखना एक दिन तुझे वो शख्स ज़रूर मिलेगा जो तुझे इस अंधेरे से बाहर निकालेगा ( अदिति उसके काले लिबास को देखकर आगे कहती है ) और तेरी ज़िन्दगी मे फिर से कलर भरेगा। जो तुझसे इतना प्यार करेगा की तुझे उसके प्यार के आगे अपनी उस पुरानी ज़िन्दगी को भूलना पड़ जायेगा। जो तेरी खोई हुई मासूमियत को फिर से बाहर लाएगा और जिसने तेरी मासूमियत का फायदा उठाना चाहेगा वो उसे ज़िंदा गाड़ देगा।वो तुझे इतना मज़बूत बनाएगा की सामने वाला तुझसे पंगे लेने मे भी सो बार सोचेगा। देखना वो शख्स तेरी लाइफ मे ज़रूर आएगा। मे हमेशा तेरे साथ हु चाहे उसके लिए मुझे अपनी जान ही क्यों ना देंनी पड़े। " अपने मन मे कहते हुए अदिति जब मिष्टी को देखती है तो उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल आ जाती है। क्यूंकि मिष्टी सो चुकी थी। उसके चेहरे पर सोते हुए अलग ही मासूमियत छाई हुई थी। जो उसे क्यूट और सुन्दर बना रही थी। अदिति मिष्टी को सोये हुए देख कर कहती है -"ये तो सो गई। इसे छोड़ कर जाऊ या नहीं। चलो सोने देती हु। अभी मेरा जाना ज़रूरी है आज शाम या कल दोबारा आ जाउंगी " उसके बाद अदिति मिष्टी का सर अपनी गोद से उठा कर उसके सर के निचे तकिया लगा देती है उसके तकिया लगाते ही मिष्टी करवट बदल लेती है और अपने दोनों हाथ सर के निचे लगा लेती है। अदिति बेड से ब्लेंकेट उठा कर मिष्टी को उड़ा देती है और मिष्टी के माथे पर किस करती है उसके बाद इधर उधर कुछ खोजने लगती है। जो उसे मिल जाता है। फिर वो पेपर पर कुछ लिखने लगती है और लिखने के बाद उस पेपर को सोफा टेबल पर रख देती है और उस कागज़ के ऊपर पानी का ग्लास रख देती है ताकि वो कागज़ उठे ना हवा से। फिर वो मिष्टी के रूम ने निकल कर निचे चली जाती है हॉल मे जहाँ उसका सूटकेस रखा था। अब तक दोपहर हो चुकी थी। और लंच का टाइम हो गया था। अनीता जी और मीनाक्षी जी ने मिलकर लंच बनाया था। सब लोग बेनर्जी हॉउस मे ही थे। अविनाश जी और महेश जी दोनों स्टडी रूम मे थे। बिज़नेस से रिलेटेड कुछ बाते कर रहे थे। वही अनीता जी और मीनाक्षी जी किचन मे थे। और हमारे सारे youngsters हॉल मे बैठे थे जहाँ रुद्रांश लैपटॉप पर ऑफिस का काम कर रहा था वही तान्या हाथो मे नाइलपेंट लगाते हुए रुद्रांश को ताड़ रही थी। आरोही, समीर, आरव, राहुल ये चारो आपस मे बाते कर रहे थे। वही रूहान की नज़रे बड़ी बेचैन थी मानो किसी को खोज रहा हो। तभी उसकी आँखों को सुकून मिलता है क्यूंकि सामने से अदिति आ रही थी। जैसे ही अदिति हॉल मे आई…… कंटिन्यू……… ____ केसा लगा आज का चैप्टर और अगर चैप्टर बड़ा चाहिए तो जल्दी से कमेंट करिये। यार ये मिष्टी की लाइफ कितनी बोरिंग है मे भी पक गई मिष्टी की बोरिंग लाइफ लिखते लिखते।
अदिति जैसे ही हॉल मे आई उसी समय उसकी आँख रूहान की आँख से टकरा गई। कुछ पल को तो दोनों अपनी सुध बुध खोये एक दूसरे को देख रहे थे। तभी अदिति कुछ याद आते ही रूहान से अपनी नज़रे हटा लेती है। और अपना सूटकेस जो रूहान के सोफे के बराबर था उसे लेकर जाने वाली थी पर कुछ सोच कर रूहान के बराबर ही ख़डी हो जाती। वही अदिति को अपने पास खडे हुआ पा कर रूहान का दिल ख़ुशी से नाचने का कर रहा था। समीर अदिति को खडे देख कर कहता है -"सुनिए " अदिति अपनी तरफ इशारा कर के कहती है मे? जिसपर समीर मज़ाकिया अंदाज़ मे कहता है -"अरे मोहतरमा आपको ही कह रहा हु " अदिति थोड़ी uncomfortable हो जाती है। वो थोड़ा असहज होते हुए कहती है -"जी कहिये " समीर अदिति को इतना uncomfortable होते हुए देख कर कहता है -"अरे आप इतनी uncomfortable क्यों हो रही है हम क्या आपको खा जायेगे जो आप इतना डर रही है? " अदिति अपने आप को कण्ट्रोल कर कहती है "नहीं ऐसी बात नहीं है वो मे आप सब को जानती नहीं ना इसलिए बस "कह कर शांत हो जाती है। समीर आराम से कहता है -"तो जान लीजिए इसमें कोनसी बड़ी बात है आइये मे आपका सबसे परिचय करवाता हु " कहते हुए खड़ा होता है और बड़ी नज़ाकत से अदिति का हाथ पकड़ अपने बराबर मे बिठाता है और पहले रुद्रांश की तरफ इशारा कर के कहता है -"ये है मेरा जिगरी दोस्त रुद्रांश अदिति जो समीर के हाथ पकड़ने से असहज थी। वो रुद्रांश को हेलो बोलती है रुद्रांश भी उसे हेलो बोलता है। उससे पहले की समीर किसी और का इंट्रोडक्शन करवाता रूहान अपनी तीखी नज़र समीर के हाथ पर डालते हुए जिससे उसने अभी भी अदिति का हाथ पकड़ा हुआ था। कहता है -"भाई इंट्रोडक्शन बिना हाथ पकडे भी हो सकता है और वैसे भी हमारे इतने बुरे दिन भी नहीं आये की अब हमारा परिचय कराने के लिए हमें तेरी ज़रूरत पड़े हम लोग खुद परिचय कर लेंगे। " और फिर मन मे कहता है -"और फिर अब तो आना जाना लगा ही रहेगा " रूहान की बात सुनकर समीर का मुँह बन जाता है और वो रूहानी का हाथ छोड़ देता है। जिससे रूहानी राहत की सांस लेती है। तान्या अपने रूम मे थी। वही आरव और राहुल रूहान की बात सुनकर समीर पर मुँह दबा कर हसने लगते है। ये देख कर समीर चिढ़ते हुए एक पिल्लो से उन्हें मारते हुए कहता है -"तुम दोनों को बड़ी हसीं आ रही है " वही समीर के ऐसे करने से आरव और राहुल अब खुल कर हसने लगते है। और यइनसब से अदिति जल अबतक uncomfortable फील कर रही थी वो भी निचे मुँह कर के हसने लगती है। कुछ पल बाद सब शांत होते है रुद्रांश के डराने से। उसके बाद समीर अदिति से हाथ मिला कर कहता है -"हेलो my name is समीर रावत एंड you मिस ब्यूटीफुल??? " अदिति भी स्माइल करते हुए कहती है -"मेरा नाम अदिति बजाज है " समीर अदिति के सॉफ्ट हाथो को चूमते हुए कहता है -"nice name बिल्कुल आपकी तरह " अदिति जल्दी से अपना हाथ समीर के हाथ से खींचती है इसके बाद आरोहि, राहुल, आरव से हाथ मिलती है सब अपना अपना परिचय देते है। उसके बाद अदिति जैसे ही रूहान से हाथ मिलाती है दोनों को ही एक झटका सा लगता है और दोनों फिर एक दूसरे को देखने लगते है उसके बाद रूहान कहता है -"हेलो I'm ruhan माहेश्वरी " अदिति भी मुस्कुरा कर हेलो बोलती है। रुद्रांश और रूहान को छोड़ कर सब अदिति से बाते करने लगते है। आरोही भी अदिति से बाते कर रही थी क्यूंकि उसे अदिति का नेचर पसंद आ गया था। अदिति भी समीर, आरव, राहुल और आरोही के साथ comfortable हो जाती है। वही रूहान बस अदिति को ही देख रहा था और ये चीज समीर ने नोटिस करली थी। इसलिए वो जानबूझ कर अदिति के क्लोज होने की कोशिश कर रहा था जो देख कर रूहान को गुस्सा आ रहा था और वही रूहान को गुस्से मे देख कर समीर को बड़ा मज़ा आ रहा था क्यूंकि शायद वो समझ गया था रूहान के क्या इंटेंशन है अदिति को लेकर। थोड़ी देर बाद,, अनीता जी जैसे ही किचन से हॉल मे आती है अदिति ख़डी हो कर उनके पास जाती है और कहती है -"आंटी अब काफ़ी देर हो चुकी है मुझे लगता है अब मुझे जाना चाहिए। " वही अदिति के जाने की बात सुनकर पता नहीं क्यों रूहान को अच्छा नहीं लगता। अनीता जी कहती है -"पर बेटा अभी तो तुम आई हो " अदिति थोड़ी परेशानी से कहती है -"आंटी मेरा जाना ज़रूरी है क्यूंकि अगर मे बाद मे जाउंगी तो फिर जिस pg मे मेने रुकने का इंतज़ाम किया है उसकी ओनर मुझे आने नहीं देंगी। " अनीता जी किसी भी हाल मे अदिति को यहां से जाने नहीं देना चाहती थी क्यूंकि अदिति की वजह से ही आज मिष्टी पहली बार खुद से बाहर आई थी अपने रूम से निकल कर और शायद अदिति ही एक वो जरिया थी जो मिष्टी को उसके रूम से बाहर निकाल सबके साथ बिठा सकती थी। वो किसी भी क़ीमत पर अदिति को यहां से जाने नहीं देंगी ये सोच कर। वो प्यार से अदिति का हाथ पकड़ कहती है -"बेटा जैसे मिष्टी मेरी बेटी है वैसे ही तुम भी हो क्यूंकि तुम उसकी दोस्त हो और इसलिए आज से तुम किसी pg मे नहीं रहोगी बल्कि इस घर मे रहोगी अब से ये घर तुम्हारा भी है " वही अदिति उनकी बात सुनकर परेशान हो जाती और कहती है -"पर आंटी मे कैसे…? अनीता जी बहुत प्यार से कहती है -"प्लीज बेटा रुक जाओ ना यही और वैसे भी यहां तो तुम्हारी दोस्तों भी है प्लीज " अदिति जो ना करना चाह रही थी पर अनीता जी के इतना कहने पर बेनर्जी हॉउस मे रुकने के लिए मान जाती है। ये सुनकर अनीता जी बड़ी ख़ुश होती है। पर अदिति कहती है -"आंटी जी मेने आपकी बात मानी अब आपको मेरी बात माननी पड़ेगी " अनीता जी कहती है -"कोनसी बात " अदिति कहती है -"मे यहां रहूंगी पर यहां रहने का रेंट पे करूंगी अगर आपको मंज़ूर है तो कहिये नहीं तो फिर मे जा रही हु " अदिति बहुत खुद्दार लड़की थी इसलिए वो नहीं चाहती की ऐसे ही वो इस घर मे रहे इसलिए उसने रेंट की बात करि थी। अनीता जी कहती है -"थीम है बेटा पर ध्यान रखना बस तुम रेंट ही पे करोगी बाकि खाना पीना रहना तुम हमारे साथ करोगी " अदिति भी हा करती है उसके बाद वो एक नौकर को बुलाती है और अदिति को उसका रूम दिखाने के लिए कहती है। वही ये सुनकर की अदिति अब से यही रहेगी पता नहीं क्यों रूहान को एक अजीब सी ख़ुशी महसूस होती है। अनीता जी ने अदिति से रेंट की बात सुनकर बहस इसलिए नहीं की क्यूंकि उन्हें बस अदिति को इधर रोकना था। अगर वो कुछ कहती तो क्या पता अदिति का मूड बदल जाये और वो यहां से चली जाये और ये रिस्क वो नहीं लें सकती थी। उनके अंदर धीरे धीरे करके मिष्टी के लिए प्यार बढ़ता जा रहा था। जो वो किसी को दिखा भी नहीं सकती थी। दूसरी तरफ अदिति अपने रूम मे आकर सोचने लगती है क्या वो यहां रह कर सही कर रही है। वैसे तक अदिति का यहां रुकने का कोई इरादा नहीं था पर जब उसने मिष्टी को देखा तो वो समझ गई थी मिष्टी अभी भी उनसब चीज़ो से बाहर नहीं निकली है। उसे उनसब चीज़ो से बाहर निकालने के लिए अदिति का यहां रहना बहुत ज़रूरी था। बस यही सोच कर उसने यहां रुकने का फैसला किया था। दूसरी और सारे यंगस्टर ये प्लेन बनाते है की शाम को कही घूमने चलते है और इनसब मे वो अदिति और मिष्टी को भी लेजाने का फैसला करते है। रुद्रांश पहले तो मना करने वाला था पर जब वो ये सुनता है की उनके साथ वो मिष्टी को भी लेजाने वाले है तक वो भी चलने को हां कर देता है। कंटिन्यू…… ___________ केसा लगा आज का पार्ट?
धीरे धीरे करके शाम होती है। समीर ने बडो को बता दिया था की वो सब आज रात को डिनर करके आएंगे और शायद आते आते रात हो जाये इसलिए वो टेंशन ना लें। वैसे तो अदिति का अभी कही जाने का मन नहीं था किसी कारण पर उसने मिष्टी के लिए हां बोल दिया था क्यूंकि अब उसका एक ही मोटिव था मिष्टी को उस ट्रोमा से बाहर लाना शारीरिक रूम से तो वो उस ट्रोमा से बाहर आ गई पर मानसिक रूप से अभी भी वो उसी ट्रोमा मे थी। मिष्टी के रूम मे… अदिति ने मिष्टी को बता दिया था की अब से वो यहां ही रहेगी ये जानकर इतने महीनों बाद मिष्टी सुकून से मुस्कुराई थी। अदिति ने अभी तक मिष्टी को बाहर जाने वाली बात नहीं बताई थी। क्यूंकि अगर अदिति एकदम से ये बात मिष्टी को बताती तो हो सकता था मिष्टी मना कर दे वो उसे प्यार से और आराम से बताना चाहती थी। वही सब लोग अपने अपने रूम मे तैयार हो रहे थे। अदिति मिष्टी के रूम मे इधर से उधर घूम रही थी और सोच रही थी की वो कैसे मिष्टी को मनाये। वही मिष्टी जो कबसे सोफे पर बैठी हुई अदिति को चककर लगाते हुए देख रही थी वो कहती है -"क्या हुआ है तुझे जो तू ऐसे बेताल की तरह इधर से उधर चककर लगा रही है आखिर बात क्या है " अदिति पहले घड़ी मे टाइम देखती है तो उसे पता चलता है उनके पास सिर्फ आधा घंटा है। ये देख कर अदिति खुद से कहती है -"ऐसे तो सारा टाइम यही ही निकल जायेगा इससे अच्छा इससे बात करके इसे मना ही लू "इतने खुद से कह वो मिष्टी के पास बैठ जाती है। और उसका हाथ पकड़ कर उसके हाथ मे पहनी हुई चूड़ी से खेलते हुए कहती है -"वैसे मिष्टी तुझे नहीं लगता हमें कही घूमने चलना चाहिए " मिष्टी का चेहरा अदिति की बात सुनकर सख्त हो जाता है और उसकी आँखों मे एक घबराहट सी उतर जाती है। वो कहती है -"साफ साफ बोल " अदिति भी बिना बात को घुमाये उसे कहती है -" देख मिष्टी बहुत हो गया तेरा इसे गुमनाम रहना यार उस बात को बहुत टाइम हो चूका है वो तेरा पास्ट है तू उसे भूलने की कोशिश तो कर। तेरे पास्ट ना भूलने की वजह से तू अपना प्रेजेंट एंड फ्यूचर दोनों बर्बाद कर रही है। और मे तुझे ऐसा नहीं करने दूंगी। आज सारे घर के सारे यंगस्टर ने प्लेन बनाया है की हम सब आज बाहर जा रहे है। तो उन्होंने मुझसे पूछा मेने हा कर दिया और कहा की तू भी हमारे साथ चलेगी। " अदिति ने सारी बात बिना रुके एक बार मे ही कह दी थी। मिष्टी ख़डी हो कर घबराते हुए कहती है -"नहीं नहीं मे कही नहीं जाउंगी अगर तुझे बाहर जाना है तो तू जा। और तू जिस प्रेजेंट एंड फ्यूचर की बात कर रही है ना वो पास्ट मे ही बर्बाद हो चूका है मुझे जैसी मे हु मुझे मेरे हाल पर छोड़ दे। अदिति भी ख़डी हो कर उसके कंधो को पकड़ते हुए अपनी तरफ टर्न करके उसे कहती है -" मिष्टी तू समझती क्यों नहीं है यार देख… मिष्टी अदिति की बात काट कर कहती है -"मुझे कुछ नहीं समझना मे ऐसे ही ठीक हु कहते हुए अदिति को इग्नोर करके बाथरूम जाने लगती है। अदिति गहरी सांस लेकर एक लास्ट कोशिश करते हुए कहती है -"मिष्टी तुझे मेरी कसम तुझे हमसब के साथ चलना ही होगा " वही मिष्टी जो वाशरूम जा रही थी अदिति की बात सुनकर उसके कदम रुक जाते है और उसके हाथ की मुट्ठीया कस जाती है। अदिति भी उसे देख कर समझ गई की अब मामला सेट है। इसलिए वो कहती है-"आधा घंटा है हमारे पास तू जल्दी से तैयार हो जा मे भी जा रही हु होने रूम मे तैयार होने " इतना कह वो बिना मिष्टी की बात सुने रूम से निकल गई नहीं तो क्या पता मिष्टी उसकी कसम ना माने। आधे घंटे बाद… समीर, रूहान, आरव, आरोही, राहुल ये चारो हॉल मे खडे हो कर मिष्टी और अदिति का वेट कर रहे थे। रुद्रांश बाहर कार के पास खड़ा हो कर सबका वेट कर रहा था। और तान्या भी रूद्र के पास ख़डी थी। समीर ने वाइट टीशर्ट के साथ ब्लैक कार्गो जींस पहनी थी और आँखों मे गॉगल्स वो बहुत हैंडसम लग रहा था। रूहान ने एक ऑलिव ग्रीन शर्ट एंड वाइट कार्गो पेंट पहनी थी और उसने भी आँखों पर गॉगल्स लगाए थे वो भी बहुत डैशिंग लग रहा था। आरव और राहुल ने ब्लैक टीशर्ट पहनाईट थी। पर आरव ने निचे वाइट जीन्स पहनी थी तो राहुल ब्लैक जीन्स। वो दोनों भी स्मार्ट लग रहे थे। और उन्दोनो ने भी अपनी आँखों पर गॉगल्स लगाए हुए थे। आरोही ने तुर्कीस कलर का एक बहुत प्यारा एंड एक्सपेंसिव फ्रॉक पहना था जिसमे वो एक गुड़िया लग रही थी। और बाकि फुल मेकअप। जो उसकी खूबसूरती मे चार चाँद लगा रहा था। राहुल अपनी घड़ी मे टाइम देखते हुए कहता है -"अरे यार कब आएगी ये दोनों " समीर उसके सर और हल्की सी चपट लगाते हुए कहता है -"अबे साले तो तुझे क्या कही की फ्लाइट पकड़नी है आती होंगी सब्र रख " तभी अदिति और मिष्टी दोनों एक साथ निचे आते है मिष्टी ने कस कर अदिति का हाथ पकड़ा हुआ था। मानो अगर उसने ये हाथ छोड़ा तो कोई उसे लें जायेगा। उसे डर भी बहुत लग रहा था। अदिति ने ऑलिव ग्रीन कलर का एक क्रॉप टॉप पहना था और निचे ऑलिव ग्रीन कलर की लॉन्ग स्कर्ट। बाल खुले थे और लाइट मेकअप मिष्टी ने एक लॉन्ग ब्लैक कलर का अनारकली पहना था जिसपर सफ़ेद रंग से भी कारीगरी की गई थी। हाथो मे सिल्वर कलर की मेटल की चूड़ियाँ। आँखों मे काजल और माथे पर एक छोटी सी बिंदी। होंठ नेचुरली मिष्टी के पिंक थे। बस इन दो चीज़ो मे ही मिष्टी गज़ब की खूबसूरत लग रही थी। मिष्टी से किसी की नज़रे हट ही नहीं रही थी आखिर वो लग ही इतनी खूबसूरत रही थी। सर पर रखा दुप्पटा उसकी खूबसूरती मे और चार चाँद लगा रहा था।  कंटिन्यू…… _____ केसा लगा आज का पार्ट?? रूद्र का क्या रिएक्शन होगा मिष्टी को देख?? और तान्या आगे क्या करेंगी??? और आरोही जो अभी थोड़ा अच्छी बन रही है क्या ये इसकी चाल है या ये ऐसी ही थी???
अब आगे…… उसके बाद सब लोग बाहर आते है। मिष्टी अदिति का हाथ पकडे हुए आ रही थी। उसकी नज़र सिर्फ ज़मीन पर थी। रुद्रांश जो सिगरेट के कस लें रहा था कार से टिक कर। मगर तान्या कार के अंदर बैठी थी और फोन पर किसी से बात कर रही थी। रुद्रांश की नज़र जैसे ही मिष्टी पर पड़ी वो अपनी नज़रे उसपर से हटाना ही भूल गया। उसका दिल मिष्टी को देख कर बेहद ज़ोरो से धड़क रहा था। मानो अभी बाहर निकल जायेगा। रुद्रांश सिगरेट को फेक कर अपने दिल वाली जगह पर हाथ रख लेता है। रुद्रांश खुद से कहता है -"शांत मेरे दिल शांत इतना मत शोर मचा की ये शोर उसके कानो के साथ दुसरो के कानो मे भी चला जाये। "कहते हुए बस मिष्टी को ही देखे जा रहा था। उसकी नज़रो की तपिश इतनी थी की ये तपिश मिष्टी को भी फील हो रही थी। मिष्टी धीरे से अपनी नज़रो को ऊपर उठाती है। उसकी ब्रॉउन आइस रुद्रांश की ग्रे आइस से जा मिलती है। उसी प्लीज दोनों का एक छोटा सा आई कांटेक्ट होता है। जहाँ मिष्टी को रुद्रांश की गहरी आँखों मे बहुत कुछ नज़र आ रहा था जिसे वो मानना या यकीन ही नहीं करना चाह रही थी। वही रुद्रांश को मिष्टी की आँखों मे सिर्फ खालीपन, दर्द, तङप, दुख के अलावा और कुछ नज़र नहीं आ रहा था। ये सब किसी ने नोटिस किया हो या ना किया हो मगर समीर आमद रूहान ने सब नोटिस किया था इवन सिर्फ वही थे जिन्होंने जब से रुद्रांश यहां आया है सब नोटिस किया था। चाहे वो रुद्रांश का ज्यादातर समय बालकनी मे बिताना हो या मिष्टी को ताड़ना हो ऑफिस से जल्दी घर आना हो या ज्यादातर एक्सरसाइज अपनी बालकनी मे करना उन दोनों से कुछ नहीं छुपा था। बस वो ये वेट कर रहे थे की कब रुद्रांश खुद उन्हें बताय इस बारे मे। इत्तेफ़ाक़ की बात ये थी की रुद्रांश ने भी इस टाइम ब्लैक थ्री पीस सूट ही पहना था। हाथ मे करोडो की घड़ी पैरो मे चमचमाते काले जूते। ब्लैक सिल्क बाल जो सेट थे। सच मे रुद्रांश किसी ग्रीक गॉड से कम नहीं लग रहा था वो बेहद हैंडसम लग रहा था। ऊपर से उसकी मसकुलर बॉडी जो उसके थ्री पीस सूट मे साफ साफ दिख रही थी। रुद्रांश जितना हैंडसम था। उतना ही दिमाग से तेज़ भी था उसे ऐसे ही नंबर one बिज़नेस मेन का ख़िताब अपने नाम नहीं किया था। उसपर लाखो लड़कियां मरती थी। जिन्हे रुद्रांश डायरेक्ट मरने के लिए ही कह देता था।। मिष्टी अपनी नज़रे रुद्रांश से हटा कर फिर से निची कर लेती है। वही रुद्रांश भी उसे एक नज़र देख कर अपनी नज़रे हटा लेता है। एक पल को तो रुद्रांश मिष्टी को देखता ही रह गया था उस ड्रेस मे सच मे मिष्टी बेहद खूबसूरत लग रही थी। उसका दिल नहीं कर रहा था मिष्टी से अपनी नज़रे हटाने मगर यहां सब लोग थे इसलिए ना चाहते हुए भी उसने अपनी नज़रे फेर ली थी। उसके बाद वो सब कार के पास आते है। समीर रूहान की कोहनी मार कर कुछ इशारा करता है जिसे समझ कर रूहान हा मे सर हिला देता है। उसके बाद आरव, राहुल आरोही एंड तान्या एक कार मे जाते है। रुद्रांश को अपने साथ ना जाता देख कर तान्या का मुँह बन चूका था। उसने काफ़ी बार कहा की पहले वो सब बैठ जाय फिर वो बैठेगी मगर समीर ने उसे ये कह कर चुप करवा दिया की रेस्टोरेंट ही तो जाना है किसी भी बार मे बैठ कर जाओ क्या फर्क है। रूहान, अदिति, समीर मिष्टी एक कार मे जाने वाले थे। रुद्रांश दूसरी कार से जाने वाला था। मिष्टी के साथ ना जा पाने के कारण रुद्रांश अंदर से चिड़ा हुआ था। उसे बेहद गुस्सा आ रहा था। पहले अदिति बैठती है। जैसे ही मिष्टी बैठने वाली थी समीर कहता है -"मिशिका यार बुरा मत मानना पर प्लीज क्या तुम रुद्रांश के साथ आ सकती हो उसकी कार मे क्यूंकि मुझे ना कार की सीट पर फेल के बैठने की आदत है जिसकी वजह से मे हमेशा अकेला ही पीछे बैठता हु। आगे अदिति बैठ जाएगी और रूहान तो ड्राइविंग कर ही रहा है प्लीज ना मत करना "कहते हुए वो एकदम पप्पी जैसा फेस बना लेता है जिसे देख कर मिष्टी को हसीं भी आती है. मगर उसे अकेले रुद्रांश के साथ जाने का सुनकर थोड़ा डर सा लगता है। वो ना करना चाहती थी पर समीर के पप्पी जैसे फेस को देख कर ना नहीं कर पाई। बस उसने हा मे सर हिला दिया। मिष्टी की हा सुनकर समीर और रूहान एक दूसरे को देख कर आँख मार देते है। वही समीर की बात सुनकर जहाँ रुद्रांश का चेहरा भावहीन था मगर उसके दिल मे गिटार बज रहे थे। और मिष्टी की हां सुनकर उसे ऐसा लगा मानो वो ख़ुशी से हवा मे उड़ रहा हो उसे जितनी ख़ुशी अब महसूस हो रही थी उतनी ख़ुशी तो उसने तब भी महसूस नही की थी जब उसे बड़ी बड़ी डीलें मिलती थी। तान्या आरोही वगैरह ये सब पहले ही निकल चुके थे। उसके बाद अब अदिति समीर और रूहान भी निकल चुके थे। मिष्टी और रुद्रांश अब भी खडे थे। मिष्टी बहुत नर्वस हो रही थी रुद्रांश के सामने। वो अपने दोनों हाथो को एक दूसरे मसल रही थी। उसकी ये नर्वसनेस रुद्रांश से भी नहीं छिपी थी। रुद्रांश खुद से बातो की पहल करते हुए कहता है -"चले हमें डिनर आज ही करना है " मिष्टी अपनी नज़रे नीची किये हुए ही कहती है -"जी " उसके बाद रुद्रांश फ्रंट सीट का गेट ओपन करता है। और मिष्टी को बैठने के लिए कहता है। रुद्रांश इस वक्त किसी जेंटलमैन की तरह बिहेव कर रहा था। मिष्टी भी रुद्रांश की बात मान कर बैठ जाती है। हालांकि उसे हैरानी तो बहुत हुई थी की जो बंदा खुद के लिए भी गेट नहीं खोलता आज उसके लिए उसने खुद अपने हाथो से कार का गेट खोला। मिष्टी के बैठने के बाद रुद्रांश मिष्टी का दुप्पटा जो कार से बाहर भी लटक रहा था उसे उठा कर मिष्टी की गोद मे रखता है। और मिष्टी को दोबारा से ताड़ कर गेट बंद कर देता है। इस समय रुद्रांश के चेहरे पर एक बेहद दिलकश मुस्कान थी। उसके बाद वो भी ड्राइविंग सीट पर आकर बैठता है इसी के साथ अब उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। रुद्रांश कार स्टार्ट करता है। और इसी के साथ कार सड़क पर धुल उड़ाती हुई चल रही थी। मिष्टी जो पहले तो ख़ुश नहीं थी । मगर विंडो से बाहर देखते समय उसके चेहरे पर बहुत प्यारी सी मुस्कान थी। मिष्टी सड़को को ऐसे देख रही थी मानो बहुत अरसो अरसो बाद वो ऐसे सड़क देख रही हो और ये सच भी था। मिष्टी बहुत सालो बाद सड़क को देख रही थी। मिष्टी बच्चों की तरह हर एक चीज ऑब्जर्व कर रही थी। वही रुद्रांश ड्राइविंग करते हुए बार बार मिष्टी को देख रहा था। मिष्टी के कुछ बाल दुप्पटा होने के बावजूद भी उसके चेहरे और बालो की कुछ लथे आ रही थी जो मिष्टी को और सुंदर बना रही थी। मिष्टी जो बाहर का व्यू देख रही थी अचानक रुद्रांश की बात सुनकर उसकी और देखने लगती है क्यूंकि उसे उम्मीद नहीं थी रुद्रांश ये कहेगा। कंटिन्यू………… _____________ केसा लगा आज का पार्ट और ऐसा क्या कहा रुद्रांश ने 😱🤭🤭
अब आगे…… मिष्टी जो बाहर का व्यू देख रही थी अचानक रुद्रांश की बात सुनकर उसकी और देखने लगती है क्यूंकि उसे उम्मीद नहीं थी रुद्रांश ये कहेगा। रुद्रांश ड्राइव करते हुए ही मिष्टी को एक नज़र देख कर कहता है -"तुम बेहद सुंदर लग रही हो मिश्री "कहते हुए रुद्रांश मिष्टी को देखता है। जो हैरानी से उसकी और ही देख रही थी। मिष्टी जो रुद्रांश के अचानक खुद की तारीफ करने से हैरान रह गई थी। मगर उसके मुँह से खुदके लिए मिश्री सुनकर मिष्टी के चेहरे पर एक फीकी सी स्माइल आ जाती है। उसे अब भी याद है की कैसे बचपन मे रुद्रांश उसे मिश्री कह कर ही बुलाता था। मगर जबसे उसे रुद्रांश से प्यार हुआ था और उसने रुद्रांश से अपने प्यार का इज़हार किया था रुद्रांश तो जैसे उसे इस नाम से बुलाना ही बुलाना ही भूल गया था। उसे आज इतने सालो बाद इसी नाम से बुलाते देख मिष्टी को बेहद हैरानी होती है। जो उसके चेहरे पर दिख भी रही थी। मिष्टी फीकी स्माइल के साथ कहती है -"thank you" रुद्रांश मिष्टी का इतना फीका रिएक्शन देख थोड़ा सा हैरान था। क्यूंकि उसने उम्मीद नहीं की थी मिष्टी उसके तारीफ करने से बस एक स्माइल और thank you कहेगी। उसने तो सोचा था जैसे पहले की तरह जब वो कभी मिष्टी की तारीफ करता था मिष्टी ख़ुशी से सारे दिन इसी बात पर चहकती रहती थी और बार बार रुद्रांश से तारीफ सुनने के लिए पूछती थी मे केसी लग रही हु। मगर अब इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ उल्टा मिष्टी का इतना फीका सा रिएक्शन देख रुद्रांश को अच्छा नहीं लगा। अब रुद्रांश को भी मिष्टी के ऐसे बिहेवियर से गुस्सा आ रहा था। क्यूंकि रुद्रांश को इतना इग्नोर किसी ने नहीं किया था जितना मिष्टी कर रही है। यही बात बार बार रुद्रांश के एगो को लग रही थी। अब रुद्रांस अपने मन मे कहता है -"इतना भी ऐटिटूड क्या दिखाना मे ही पागल हो रहा हु इसके पीछे ये तो अब भी वैसी ही है जैसी पहले थी। वही घमंड वही ऐटिटूड। मुझे लगा था ये बदल गई है इसी वजह से पता नहीं कब धीरे धीरे अच्छी लगने लगी मगर इसमें तो वक्त के साथ और घमंड आ गया पता नहीं किस बात का ना किसी से बात करती है ना अपनी फेमिली वालो के साथ डिनर ना उनसे बात अरे इतना घमंड भी किस बात का जो अपनी फेमिली वालो से भी बात ना करने दे। ठीक है रहे ये अपने घमंड मे अब मे भी इससे दूर ही रहूँगा बहुत हो गया पता नहीं क्या सोच के मुझे से घमंडी लड़की अच्छी लगने लगी थी। मगर कोई बात नहीं देर आये दुरुस्त आय। इसे जो करना है करें रहे अपने इस दो कोड़ी के घमंड मे। वैसे भी रुद्रांश माहेश्वरी के पास इतना फालतू टाइम नहीं है जो वो किसी फालतू इंसान पर खर्च करे "कहते हुए अपने मन मे रुद्रांश अब बस ड्राइविंग पर फोकस कर रहा था। वही मिष्टी ने अब दोबारा अपना चेहरा रुद्रांश की तरफ से मोड़ कर खिड़की की तरफ कर लिया था उसके सर पर रखा दुप्पटा उसके गाल को भी ढक रहा था जिसकी वजह से रुद्रांश को मिष्टी के हाफ चेहरा भी नहीं दिख रहा था। मिष्टी की आँखों से कुछ पानी की बुँदे निकल गई। मिष्टी बाहर जगमगाते रोड़ को देखते हुए अपने मन मे कहती है -" अंश मे तुम्हे बता नहीं सकती तुम्हारे मुँह से खुदके लिए मिश्री सुनने के लिए पहले कान तरस गए थे तुम्हे याद है। जबसे तुमने मुझे मिश्री बोलना छोड़ा था मे कैसे तुम्हारे पीछे पड़ जाती थी की मुझे मिश्री बोलो मे तुम्हारी मिश्री हु पर तुम हमेशा मुझे ये कह कर चले जाते थे की मिश्री नाम मुझपर अच्छा नहीं लगता। मगर मे जानती थी की मेरे प्रोपोज़ करने के बाद से ही तुमने मिश्री बोलना छोड़ दिया था। अगर तुम पहले मुझे इस नाम से बुलाते तो मे तुम्हे बता नहीं सकती थी की मे कितनी ख़ुश होती शायद अबतक ख़ुशी के मारे मेने नाचना शुरू कर दिया होता। मगर अब वक्त और हालत दोनों बदल चुके है। अब ना तो मे पहले वाली मिष्टी हु ना मिश्री अब तो मे बस किसी की ह.. "कहते हुए मिष्टी शांत हो जाती ह मगर उसकी आँखों मे आई नमी बढ़ती ही जा रही थी। उसके बाद मिष्टी बस बाहर के नज़ारे देख रही थी। वही रुद्रांश उसने तो एकबार भी मिष्टी की तरफ देखा भी नहीं था। वो बस बिना किसी भाव के ड्राइविंग कर रहा था। थोड़ी ही देर मे सब एक अच्छे से 5 स्टार रेस्टोरेंट मे जाकर डिनर करते है। जहाँ आज पहली बार रुद्रांश तान्या से हस्ते हुए बात कर रहा था या यूँ कहे ऐसा करने का दिखावा कर रहा था। उसे लग रहा था की अगर वो तान्या के साथ ऐसे बात करेगा तक ज़रूर मिष्टी पहले की तरह चीड़ जाएगी या गुस्सा करेंगी मगर उसकी सोच से उलट मिष्टी की नज़रे सिर्फ खाने पर थी या नीची ही थी। पर रुद्रांश एंड तान्या के ऐसे हस्ते हुए बात करने से उसके चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल थी। अगर ये वही पुरानी वाली मिष्टी होती तो अबतक तान्या का मुँह नोच चुकी होती और पुरे रेस्टोरेंट मे चिल्ला चिल्ला हल्ला मचा देती। वही तान्या आज बेहद ख़ुश थी क्यूंकि आज उससे बात करने की पहल रुद्रांश ने की थी और यही से उसके दिल मे रुद्रांश को पाने की चाह और बढ़ गई थी। रुद्रांश जो पता नहीं क्या सोच कर तान्या से बात कर रहा था मगर उसकी तिरछी नज़र मिष्टी पर ही थी वो देखना चाह रहा था की उसके ऐसे तान्या से बात करने पर मिष्टी का क्या रिएक्शन होता है। मगर उसे मिष्टी सिर्फ निचे मुँह करके स्माइल करती हुई ही नज़र आ रही थी। ये देख कर पता नहीं क्यों रुद्रांश को अच्छा नहीं लगा। वही रूहान सिर्फ अदिति को देख रहा था जो मिष्टी के लिए खाना सर्व कर रही थी। अदिति और रूहान की नज़रे काफ़ी बार एक दूसरे से टकराई थी। जिसमे रूहान बड़ी कशिश के साथ उसे देख रहा था। कंटिन्यू......………… ______________ केसा लगा आज का पार्ट?????? आगे क्या होगा? क्या रुद्रांश की नाराज़गी बढ़ती चली जाएगी??? क्या वो कभी जान पायेगा मिष्टी का अतीत??? जानने के लिए बने रहिये.................
अब आगे......... डिनर करने के बाद सब घर आ जाते है इस बार रुद्रांश अकेले ही आ रहा था। और मिष्टी अदिति के साथ वही तान्या तो आज हवा मे उड़ रही थी। की रुद्रांश ने आज खुद उससे बात करने की पहल की है। उसके दिलो दिमाग़ मे अब सिर्फ रुद्रांश ही चल रहा था। मिष्टी का रूम..... मिष्टी इस वक्त अपने रूम मे बेड पर लेती हुई थी उसने अपने कपड़े चेंज कर लिए थे ब्लैक कुर्ता सेट जो ढीला ढाला सा था। पूरी आस्तीन का। मिष्टी की आँखों के सामने बार बार यही सीन आ रहा था जब रुद्रांश एंड तान्या एक दूसरे से बात कर रहे थे। मिष्टी की आँखों मे नमी ज़रूर थी थी मगर उसके होठों पर एक प्यारी सी मुस्कान भी खिली हुई थी जिसमे बहुत सारे इमोशन थे दर्द, प्यार, डर सब इमोशन मिक्स थे। ऐसे ही मिष्टी को नींद आ जाती है और वो सो जाती है। तान्या का रूम......... तान्या अपने रूम मे बेड पर पेट के बल लेती हुई फोन पर बात कर रही थी। तान्या फोन पर,,,, तान्या ख़ुशी से कहती है -"मोम आपको पता है आज रुद्रांश ने मुझसे खुद बात की लगता है मोम वो भी मेरी तरफ अट्रैक्ट हो रहा है " नैना जी (तान्या की माँ ) कुटिल मुस्कान के साथ कहती है -"शाबास बेटा बस अब तुझे धीरे धीरे उस के दिल मे अपने लिए जगह बनानी है। " तान्या के कहती है -"मोम वो सब तो ठीक है मगर ये बताइये आप कब यहां आ रही है मेरे और रुद्रांश के रिश्ते की बात करने मामा जी से " नैना जी बुरा सा मुँह बनाते हुए कहती है -"बेटा मेरा भी बहुत मन है उधर आने का मगर क्या करू तेरे इस फटीचर बाप की एक ज़रूरी डील थी जिसके लिए मुझे अपने साथ लेकर बेंगलोर आये हुए है पर अब वो डील उन्हें मिल चुकी है और हम भी इस होटल से चैक out करने ही वाले है। कल सुबह तक हम मुंबई आ जायेगे तेरा बाप अपने उस छोटे से घर मे चला जायेगा और मे बेनर्जी भवन आ जाउंगी। " नैना की बात सुनकर तान्या कहती है -"ग्रेट मोम इसका मतलब आप कल यहां आ रही हो परफेक्ट "कहते हुए तान्या की आँखों मे एक चमक थी।" नैना जी कहती है -"हाँ मेरा बच्चा कल मे उधर ही आ रही हु और उसके बाद होगा असली खेल शुरू "कहते हुए नैना जी की आँखों मे सिर्फ नफ़रत थी। उसके बाद वो दोनों और बाते करने लगते है. नेक्स्ट डे…… माहेश्वरी हॉउस.........… सुबह के 5 बजे........... जिम एरिया…… रुद्रांश इस समय शर्टलेस एक ब्लैक ट्रॉउसर मे 100किलो वाला डंबल उठा रहा था। वही समीर एंड रूहान दोनों अलग अलग ट्रेमीनल पर दौड़ ते हुए रुद्रांश को अपनी अजीब नज़रो से देख रहे थे। रुद्रांश का चेहरा बिना किसी भाव का था मगर फ़िर भी उसके अंदर से बेहद डरावनी आभा निकल रही थी जिसे महसूस करके आरव, एंड राहुल तो बाहर ही चले गए थे मॉर्निंग वॉक के नामपर। रुद्रांश वैसे तो हमेशा ही गुस्से मे रहता था मगर जब से वो इंग्लैंड से यहां आया है उसका गुस्सा कम हो गया था जो सिर्फ ऑफिस के एम्प्लोयी पर ही निकलता था। और घर आते आते उसका गुस्सा कम हो जाता था। रुद्रांश उस 100 किलो के डंबल को लेकर ऊपर निचे कर रहा था। जिससे उसकी दमदार सख्त बॉडी उभार कर दिख रही थी जिसे अगर इस वक्त कोई लड़की देखती तो पक्का रुद्रांश की इतनी दमदार बॉडी को देख कर उसको पाने के लिए तड़प चुकी होती। बेशक रुद्रांश का रंग हल्का सा सावला रहा मगर उसकी इतनी मसकुलर बॉडी पर वो रंग बेहद सूट कर रहा था। उसबर से उसके 8 abs जिकी अभी नसे उभर कर दिख रही थी। माथे पर बाल चिपके हुए थे पसीने से जो उसे और दिलक्स लुक दे रहे थे। मगर उसके अंदर से जो आभा निकल रही थी वो उसे किसी हैंडसम मॉन्स्टर का रूम दे रही थी। समीर ट्रेडमिल पर दौड़ते हुए समीर से फुसफुसाते हुए कहता है -"भाई आज इसे क्या हुआ जो ये इतने महीने बाद जिम मे आया है और आया तो आया मगर इसके अंदर से इतनी डरावनी वाइब क्यों आ रही है "कहते हुए अपनी भौहे ऊपर उठा कर रूहान से पूछता है? रूहान भी ट्रेडमिल पर दौड़ते हुए कहता है -"भाई मुझे क्या पता जा जाकर पूछ कर आ " समीर कहता है -"मुझे मरने का शौक नहीं है अभी तो मेरी शादी भी नहीं हुई तू पूछ लें भाई इसे क्या हुआ है? "" रूहान कहता है -"ठीक है रुक ( रुद्रांश की तरफ देखते हुए अपना थूक सटक कर ) रुद्रांश (रुद्रांश अब रूहान को अपनी सुर्ख हो चुकी आँखों से घूरने लगता है जिससे रूहान भी डर जाता है मगर अपने डर को काबू करते हुए आगे कहता है ) वो मे कह रहा था की समीर को तुझसे कुछ बात करनी है " कहते हुए रूहान से अब समीर के ऊपर बम फोड़ दिया था। समीर जो मन ही मन रूहान को रुद्रांश से बात करते देख खुश हो रहा था मगर अब रूहान के एकदम से पलट जाने से वो भी हैरान रह जाता है समीर मन मे रूहान को गाली देते हुए कहता है -"साला कमीना इसे मे कितना अच्छा समझ रहा था सोचा था आज इसके बदले काम भी ऑफिस मे मे कर दूंगा और इसकी भी अदिति जी के साथ सेटिंग करवा दूंगा मगर ये इस काबिल नहीं है अब मे भी देखता हु बेटा तू कैसे अदिति जी के आस पास मंडराता है तूने अच्छा नहीं करा "मन मे कहते हुए समीर को अपने ऊपर रुद्रांश की जलती हुई निघाए महसूस होती है। समीर जबरदस्ती की एक बड़ी सी स्माइल अपने फेस पर चिपकाते हुए रुद्रांश को देखते हुए उससे कहता है -"अरे भाई मे तो बस ये पूछ रहा था की तू ब्रेकफास्ट मे क्या खायेगा?" समीर की सेंसलेस बात सुन कर रुद्रांस अपनी सख्त आवाज़ मे कहता है -"क्यों मेरा ब्रेकफास्ट क्या तू बनाएगा हाँ? "कहते हुए अपना डंबल उसकी जगह और रखता है और खुद पानी की बोतल लेकर use अपने बालो मे डालने लगता है जिससे वो कतई ज़हर लग रहा था। एक पल को तो रुद्रांश की इतनी हॉटनेस को देख कर समीर एंड रूहान का ईमान भी डोल गया था आखिर रुद्रांश था ही इतना हैंडसम एंड हॉट की उसको देख कर लड़किया क्या लड़के भी गे बनने को रेडी थे। कंटिन्यू................ ___________ केसा लगा आज का एपिसोड अब कुछ ही एपिसोड के बाद होगा एक बड़ा सा धमाका
अब आगे................. बेनर्जी भवन.... सुबह 8 बजे..... सब लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे थे आरोही, तान्या, महेश जी, अनीता जी और सर्वेट्स उन्हें नाश्ता सर्व कर रहे थे। अदिति अभी आई नहीं थी रूम से बाहर और मिष्टी वो तो कभी निकलती नहीं थी रूम से। मगर आज बार बार अनीता जी ऊपर सीढ़ियों की तरफ देख रही थी इस आस मे की शायद की आज मिष्टी उन लोगो के साथ नाश्ता करेंगी. अनीता जी ने अदिति कल रात जब वो डिनर से आई थी तब अपने रूम मे बुला कर उससे पूछा भी था की मिष्टी क्यू कभी अपने रूम से बाहर नहीं निकलती। क्यू कभी वो अब वेस्टर्न ड्रेसेस नहीं पहनती क्यू वो अपने बदन पर काले कलर के ज़िबास पहनती है जबकि सबको अच्छे से पता था मिष्टी को काले रंग से कितनी नफ़रत थी बचपन से। अदिति के पास उनके सवालों का जवाब नहीं था और वो बार बार उनके सवालों को टाल रही थी ये देख कर फ़िर अनीता जी ने भी अदिति से कोई सवाल नहीं किया मगर उन्होंने अदिति से ये प्रॉमिस लिया था की वो मिष्टी को उन लोगो के साथ रखने की कोशिश करेगी। वो ये सब सोच हीं रही थी की उनके चेहरे पर एक ख़ुशी नज़र आने लगती है क्यूंकि मिष्टी और अदिति दोनों एक साथ निचे आ रही थी। मिष्टी ने अपनी आदतानुसार एक ब्लैक सूट सलवार पहन रखा था जिसकी आस्तीन फुल थी. गले मे ब्लैक चुन्नी। बालो का जुड़ा। ब्रॉउन आइस बडी बडी गहरी पलकें। नेचुरली रेड होंठ। होंठो के जस्ट निचे एक ब्लैक तिल। एक दम परफेक्ट फिगर। सच मे मिष्टी बहुत सुंदर थी। वो इतनी सुन्दर थी की उसे सुंदर दिखने के लिए मेकअप की ज़रूरत हीं नहीं पड़ती थी। वो इतनी सुंदर थी की बड़े बड़े सेलिब्रिटीस के फिगर और उनकी सुंदरता को टककर दे सकती थी। अदिति ने ब्लू शॉर्ट टीशर्ट और लूज़ जीन्स पहनी थी और हल्का सा मेकउप कर रखा था वो बहुत प्यारी लग रही थी। मिष्टी ने अपनी पलकें झुका रखी थी क्यूंकि उसमे हिम्मत हीं नहीं थी की वो अपना सर उठा कर सबसे उनकी आँखों मे आँखे डाल कर बात कर सके। पर अगर वो पहले वाली मिष्टी होती तो आज बात कुछ अलग हीं होती। मिष्टी के आदिती का हाथ कस कर पकड़े हुए आ रही थी। वो आना नहीं चाहती थी मगर अदिति के सामने उसकी एक नहीं चली। और शायद अब वो भी खुद घुटन भरी ज़िन्दगी नहीं जीना चाहती थी। कल जब उसने बाहर की दुनिया देखी तो उसका भी मन इस दुनिया मे फ़िर से जीने का कर रहा था। उसके मन मे भी दोबारा से जीने की नई तरंगे भर रही थी। मगर अभी बिचारी को ये नहीं पता था की आने वाले जीवन मे उसे कितनी कठिनाई मिलने वाली थी। मिष्टी अदिति के साथ डाइनिंग टेबल पर आती है। मिष्टी को डाइनिंग टेबल पर देख कर तान्या की आँखे सुकुड़ जाती है। महेश जी मिष्टी को एक नज़र देखते है मगर कुछ कहते नहीं है और अपना नाश्ता करने लगते है। आरोही भी मिष्टी को देख कर कुछ रियेक्ट नहीं करती मगर मिष्टी तान्या की आँखों मे काँटों की तरह चुभ रही थी। अनीता जी मिष्टी और अदिति को खड़ा देख कर प्यार से कहती है -"अरे बेटा तुम दोनों ख़डी क्यू हो बैठो ना " उनकी बात सुनकर अदिति कहती है -"जी आंटी " इतना कह अदिति बैठ जाती है और मिष्टी को भी बैठने का इशारा करती है। मिष्टी भी टेबल पर बैठ जाती है। तान्या अपना ब्रेड टोस्ट खाते हुए मिष्टी को टोंट मारते हुए कहती है -"ओह्ह thank god मिष्टी तुम अपना ऐटिटूड और ईगो छोड़ कर आज हमारे साथ ब्रेकफास्ट करने आ हीं गई नहीं तो हमें लगा था। तुम्हारी नज़रो मे हमारी कोई औकात हीं नहीं है जो तुम हमारे साथ ब्रेकफास्ट या डिनर कर सको पर चलो देर से हीं सही तुम आ तो गई यही हमारे लिए बहुत बडी बात है क्यू मामी जी सही कहा ना मेने "कहते हुए तान्या बडी मासूम लग रही थी। और वो ऐसे कह रही थी जैसे मानो उसे बड़ा दुख था की क्यू मिष्टी उन लोगो के साथ नहीं खाती पीती। तान्या की कड़वी बातो को सुनकर किसी को अच्छा नहीं लगता आरोही को भी तान्या की बाते अच्छी नहीं लगती। मिष्टी तान्या को जवाब तो देना चाहती थी मगर वो क्या जवाब देती की वो क्यू नहीं आती। क्या वजह थी जो उसे अब किसी से भी घुलने मिलने नहीं दे रही थी केसा दर्द था जो उसकी आँखों मे छुपा था जो वो अपनी नज़रे झुका कर उस दर्द को छुपाय रखती थी। अनीता जी को भी तान्या की बाते बहुत बुरी लगी थी। वो कहती है -"तान्या बेटा खाना खाते हुए ज्यादा नहीं बोला करते नहीं तो गलें मे फ़स जाता है।" उनकी बातो मे एक अलग सी नराज़गी नज़र आ रही थी। अब आखिर ऐसी कोनसी सी माँ थी जो अपने बच्चे की बुराई या इंसल्ट सुनकर खुश होती। अनीता जी की बातो मे नाराज़गी भाप कर तान्या तुरंत उन्हें समझाने की कोशिश करते हुए कहती है -"मामी जी मेरा वो मतलब नहीं था प्लीज आप सब गलत ना समझे मे तो बस इतना कह रही..... " तान्या की बात अधूरी हीं रह गई थी जब घर के डोर बेल की आवाज़ बार बार बजने लगी। जिसे सुनकर महेश जी नौकर से कहते है -"गिरीश जाकर डोर ओपन करो और देखो कौन है " गिरीश -"जी मालिक " इतना कह वो नौकर मैन डोर ओपन करता है उसके डोर खोलते हीं एक मॉडर्न साड़ी पहने मिडिल ऐज की महिला गिरीश को धक्का मार कर गुस्से से कहती है -"तुम दो कोड़ी के नौकर कितना टाइम लगता है गेट ओपन करने मे पता नहीं है क्या की कबसे तुम्हारी मालकिन डोर बेल बजाय जा रही है हान? लगता है उम्र के साथ तुम्हारे कान और हाथ दोनों कमज़ोर पड़ गए है इसलिए अब से घर मे बैठो और आराम करो कोई ज़रूरत नहीं है अब से इस घर मे काम पर आने की अब हटो और दफा हो जाओ "कहते हुए अपना ट्रॉली बेग संभाले वो अपनी सेंडल से गिरीश के पैरो को कुचल देती है। "आह्ह "कहते हुए गिरीश जी जो सालो से इस बेनर्जी भवन मे काम कर रहे थे उनकी आँखों मे आँसू आ जाते है उस औरत की बात सुनकर गिरीश अपने हक़ मे कुछ बोलता की अब तक उस औरत की इतनी तेज़ चिल्लाहट को सुनकर डाइनिंग टेबल पर बैठे सब लोग लिविंग हॉल मे आ जाते है. अनीता जी गिरीश की चुप रहने का इशारा करती है और इशारे से कहती है वो जाये यहां से वो सब संभाल लेंगी उन्हें काम छोड़ने की ज़रूरत नहीं है। गिरीश हाथ जोड़ते हुए सर्वेट कवार्टर मे चले जाते है। तान्या उस औरत को देख कर उनके गले लगते हुए ख़ुशी से कहती है -"मोम वाओ आखिर आप आ हीं गई मेने आपको बहुत miss किया i love you मोम " वो औरत कोई और नहीं तान्या की माँ और महेश जी की बहन नैना जी थी। नैना जी तान्या को गले लगे हुए हीं कहती है -"मोम मिस you too बेटा एंड also love you "कहते हुए बड़े प्यार से तान्या के बालो को चूमती है. दोनों माँ बेटी जैसी भी हो मगर प्यार बहुत है दोनों मे अनीता जी कहती है -"आइये दीदी और आपने हमें बताया क्यू नहीं की आज आप आने वाली है और भाई साहब नहीं आये आपके साथ "कहते हुए एक नौकर को नैना जी का बेग उनके रूम मे रखने के लिए केहती है। नैना जी अपनी बेटी से अलग हो कर कहती है -"अरे भाभी वो आपके भाई साहब बहुत बिजी रहते है उनके पास इतना टाइम नहीं रहता की वो मेरे मायके वाले से मिल लें आप तो जानती है खैर छोड़िये चलिए अंदर चलते है " नैना जी ने अब तक मिष्टी और अदिति को नोटिस हीं नहीं करा था। लिविंग हॉल मे.. सोफे पर बैठते हुए नैना जी महेश जी से शिकायत करते हुए कहती है -"भैया अब तो आप भी मुझे कॉल नहीं करते। सही केहते है लोग शादी के बाद सब बदल जाते है। " महेश जी बड़े प्यार से कहते है -"ऐसी कोई बात नहीं है नैना वो मे बस बिज़नेस को लेकर अभी बहुत बिजी चल रहा हु जिसकी वजह से मुझे खुद के लिए भी टाइम नहीं मिल पाता " नैना जी कहती है -"अरे कोई बात नहीं भैया मे तो बस मज़ाक कर रही थी और अगर आप इतने हीं बिजी रहते है तो हमारी तान्या किस काम आएगी आप उसे अपने साथ ऑफिस लें जाया करो और बिज़नेस के बारे मे हर चीज बारीकी से सिखाया करो आखिर कार बाद मे उसे हीं तो ये हमारा बिज़नेस संभालना है "कहते हुए उनकी आँखों मे लालच साफ नज़र आ रहा था। वही नैना जी की बातो को सुनकर महेश जी अपनी कॉफी पीते हुए कहते है -"नैना तान्या already मेरी कंपनी मे as अ इंटर्न वर्क कर रही है और टेंशन मत लो उसे मे बिज़नेस की हर बारीकी सिखा रहा हु " नैना जी की बातो का मतलब कोई अच्छे से समझे या ना समझे मगर मिष्टी अच्छे से समझ रही थी आखिर वो समझती भी कैसे ना आखिर वो उनकी रग रग से वाकिफ थी। आखिर कार वो बचपन से नैना जी के साथ रही है ज्यादा तर जिसमे नैना जी उसके मन मे दुसरो के खिलाफ सिर्फ ज़हर हीं भरा था। और मिष्टी भी इतनी मासूम थी की नैना जी की हर बात को सच मानती थी। दरअसल बात ये थी की नैना जी ज्यादातर अपने मायके मे हीं रहती थी। मिष्टी को कोई पंसद हीं नहीं करता था जिसकी वजह से मिष्टी बचपन मे हीं चिड़चिड़ी हो गई और सबसे कटी कटी रहने लगी जिस बात का फायदा नैना जी ने बहुत उठाया उन्होंने मिष्टी से हर वो काम कराया जिसकी वजह से वो अपने पेरेंट्स की नज़रो मे गिर जाय और ऐसा हुआ भी। मिष्टी के मन मे रुद्रांश के लिए फीलिंग भरने वाली भी नैना जी हीं थी। जैसे जैसे टाइम बिता मिष्टी मे समझ आने लगी की उसके लिए क्या सही है और क्या गलत तब तक बहुत देर हो चुकी थी उसे हॉस्टल मे डलवा दिया गया था ज़बरदस्ती। और इनसब मे मिष्टी को एक बात पता लग गई थी. नैना जी के मन मे पूरी बेनर्जी प्रॉपर्टी हतियाने का लालच भरा हुआ है। मगर अब इन सब बातो का अब क्या हीं फायदा। मिष्टी ने अपनी मासूमियत और बचपना तो पहले हीं खो दी थी बाकि जो कसर थी वो हॉस्टल लाइफ शुरू होने के बाद पूरी हो गई थी। मिष्टी की भी इसमें गलती थी वो ये की उसने बचपन से लेकर शायद आज तक अपने लिए कभी स्टैंड हीं नहीं लिया था। वो तो बचपन से हीं एक मासूम सी गुड़िया थी जिसे जो कहा जाता एक बार मे कर देती। जिसका खामियाजा उसे अपना सब कुछ लुटा कर मिला। भगवान भी आपका साथ तब देता है जब आप खुद का साथ देते हो। मगर जब आप खुद के हीं साथ नहीं हो ती भगवान भी क्या करे। इसलिए पहले अपने लिए स्टैंड लेना सीखो। जब तक आप खुद से प्यार नहीं करोगे तब तक आप ये उम्मीद भी मत रखिये की कोई आपसे प्यार करेगा। दूसरी तरफ....... ऑफिस मे....... आज रुद्रांश टाइम से पहले हीं ऑफिस आ गया था। कल रात की वजह से रुद्रांश का मूड बहुत खराब था। जिसका गुस्सा वो अपने ऑफिस के एम्प्लोयीस पर निकाल रहा था। और बहुत सारे वर्कर्स को तो उसने जॉब से भी निकाल दिया था। मीटिंग रूम मे...... इस वक्त मीटिंग रूम का टेम्परेचर बहुत हाई था जबकि ac लो था मगर फ़िर भी सब को पसीना आ रहा था ये सोचकर की शायद अलग नम्बर उसका है। उस रूम मे ऑफिस के सारे एम्प्लोयी और अलग अलग डिपार्टमेंट के HR बैठे हुए थे। रूहान, समीर, आरव, राहुल के भी माथे से पसीना निकल रहा था क्यूंकि उनकी भी क्लास लग रही थी। रुद्रांश अपनी किंग साइज चेयर पर एक राजा की तरह बड़े रौब से बैठा था। उसके चेहरे पर किसी भी प्रकार के कोई एक्सप्रेशन नहीं थे. मगर फ़िर भी उसका चेहरा बड़ा डरावना लग रहा था.वो एक फ़ाइल रीड कर रहा था। वही बाकी सारे एम्प्लोयी एक दूसरे को डर से देख रहे थे। उन्हें अपने सर पर मौत की तलवार लटकटती हुई नज़र आ रही थी। रुद्रांश से as उसुअल ब्लैक थ्री पीस सूट पहना था और लेदर के चमचमाते जूते। एक हाथ मे दुनिया की सबसे महंगी घड़ी। गोरा रंग ग्रे आँखे। ट्रीम की हुई बियर्ड रुद्रांश किसी ग्रीक god से कम नहीं लग रहा था। मगर इस टाइम वो एक हैंडसम डेविल बनकर बैठा हुआ था। रुद्रांश ने वो फ़ाइल पढ़ी और उसे फाइनेंसियल डिपार्टमेंट के डायरेक्टर के मुँह पर मारते हुए गुस्से से कहता है -"मिस्टर रहेजा इतनी गड़बड़ी तो चोर भी नहीं करता जितनी आपने करी है आपको क्या लगा इधर का हिसाब उधर लगा कर आप बच जाओगे। कल से आपको ऑफिस आने की ज़रूरत नहीं अपना इस्तीफा लेकर जाना " मिस्टर रहेजा हाथ जोड़ते हुए कहते है -"सर, सर प्लीज मुझे माफ कर दीजिए मे अगली बार ऐसा कुछ नहीं करूंगा प्लीज सर मे अपने बीवी बच्चों को लेकर कहा जाऊंगा।अगर आपने मुझे अपनी कंपनी से निकाल दिया तो मे कहा जाऊंगा क्यूंकि फ़िर कोई कंपनी मुझे काम नहीं देगी ये जानकर की माहेश्वरी कारपोरेशन के ceo ने मुझे निकाल दिया और कोई भी कंपनी मुझे जॉब देकर आपसे दुश्मनी नहीं लेना चाहेगी प्लीज सर इस बार माफ कर दीजिए "कहते हुए वो बहुत गिरगिड़ा रहे थे। उन की बात सुनकर सबको बड़ा बुरा लग रहा था उनके लिए मगर कोई भी रुद्रांश के सामने कुछ नहीं बोल सकता था। रुद्रांश जो अब दूसरी फ़ाइल रीड कर रहा था। उसका चेहरा बिल्कुल सर्द था। वो एक बटन प्रेस करता है जिसके तुरंत बाद हीं दो बॉडीगार्ड अपना हाथ बंधे अंदर आते है और रुद्रांश को विश करते है। रुद्रांश अपनी कोल्ड आवाज़ मे बिना फ़ाइल से नज़रे हटाय कहता है -"इन्हे ऑफिस के बाहर का रास्ता दिखाइए " रुद्रांश की बात सुनकर मिस्टर रहेजा बहुत गिड़गिराते है मगर रुद्रांश ठहरा हार्टलेस पर्सन उसे कहा किसी की माफ़ी और गिड़गिराहट नज़र आती है वो तो भगवान का शुक्र था की उन्होंने बस प्रॉफिट और लॉस मे घोटाला किया था अगर वो रुद्रांश के ऑफिस की इनफार्मेशन किसी और देते तो अबतक रुद्रांश उनके सर मे छे की छे गोलिया उतार चूका होता। वो गार्ड मिस्टर रहेजा को वहा से लें जाते है। ऐसे हीं करके वो मीटिंग लगातर 2घंटे तक चलती है। जिसमे रुद्रांश सबकी बेंड बजा कर रखा देता है वो चाहे उसके बेस्ट फ्रेंड हो या भाई रुद्रांस बिज़नेस को लेकर कभी रिश्तेदारी नहीं देखता। या ऑफिस मे समीर, रूहान, आरव, राहुल को कोई अलग ट्रीटमेंट नहीं देता। रुद्रांश के लिए जब वो ऑफिस मे होता है तो सब एक बराबर होते है। जब मीटिंग ओवर हो जाती है तो रुद्रांश बिना किसी को देखे अपनी रौबदार शख्सियत के साथ वहा से निकल जाता है। वो बहुत हैंडसम लग रहा था मगर अभी ऑफिस के अंदर काम करने वाले लोगो के लिए वो किसी डेविल से कम नहीं था और रियल मे भी रुद्रांश कोई महान इंसान नहीं था। रुद्रांश के बहुत से ऐसे राज़ थे।जिनके बारे मे कोई नहीं जानता था। जिस दिन दुनिया ने रुद्रांश के राज़ जान लिए वो रुद्रांश का नाम लेने मे भी थरथराएगी। रुद्रांश के जाते हीं सारे एम्प्लोयी चाहे वो किसी भी पोस्ट पर हो वो सब अब जल्दी जल्दी सांस लेने लगते है। वो ऐसे सास लें रहे थे जैसे मानो जब तक रुद्रांश था उन्होंने होनी सास रोक रखी हो। समीर टेबल पर अपना सर रखते हुए गहरी सास लेकर कहता है -"यार आज इसे हुआ क्या है सुबह से हीं इसका मूड खराब है तुझे पता है क्या रूहान " रूहान समीर को घूरते हुए कहता है -"हा मुझे सब पता है जैसे मे हीं चौबीसो घंटे इसके आगे पीछे घूमता हु (फ़िर थोड़ा खीझते हुए ) अबे मुझे क्या पता और वैसे भी इसका मूड तो हमेशा हीं खराब रहता है चल अब जल्दी से हम सब अपने केबिन निकलते है नहीं तो वो डेविल हमें कच्चा चबा जायेगा अगर उसने हमें बाते करते हुए देख लिया तो " आरव कहता है -"भाई पर सच मे आज भाई का मूड बाहुत खराब है समीर भाई आप जाकर भाई से पूछो ना उन्हें आखिर हुआ क्या है जो वो इतना गुस्से मे डेविल बने हुए घूम रहे है " आरव की बात सुनकर समीर झूठी हसीं हस्ते हुए आरव से कहता है -"देखो देखो इसे कितनी जल्दी है मुझे मरवाने की (फ़िर दाँत पीसते हुए आगे कहता है ) अबे साले तू छोटा है तू जा ना तू पूछ मुझे क्यू डेविल की गुफा मे मरवाने भेज रहा है क्या हो अगर मे उससे पूछने गया और उसने सीधा मेरे भेजे मे अपनी नई गन की सारी गोली उतार दी तो मे क्या करूंगा अभी तो मेरी शादी भी नहीं हु......... उसकी बात को काटते हुए राहुल कहता है -"हा भाई पता है अभी तो आपकी शादी भी नहीं हुई आपने तो अभी सुहागरात भी नहीं मनाई और आपके अभी बच्चे भी नहीं हुए आप इतनी जल्दी नहीं मरना चाहते यही ना बस "कहते हुए राहुल समीर का मज़ाक़ उडाता है। रूहान, आरव, राहुल हसने लगते है। अपने ऊपर सबको हस्ते देख कर समीर इधर उधर कुछ देखते हुए कहता है -"अरे कोई मेरा जूता दो आज ये दोगला लड़का नहीं बचेगा कभी तो मेरे साथ दूसरे का मज़ाक़ बनाएगा और आज तू मेरा मज़ाक़ बना रहा है कोई ना बेटे सबका वक्त आता है अब तू कभी आना मेरे पास अपनी गर्लफ्रेंड के नखरे लेकर फ़िर बताता हु तुझे तो "कहते हुए समीर राहुल को खा जाने वाली नज़रो से देखने लगता है। थोड़ी देर ऐसे हीं बात करने के बाद वो डिसाइड करते है की रुद्रांश से बात करने समीर और रूहान जाएंगे क्यूंकि वो आरव और राहुल से बड़े है। कंटिन्यू.............. ________ केसा लगा आज का पार्ट?? क्या होगा आगे? ऐसा भी क्या हुआ था मिष्टी के साथ जो वो इतनी डरी डरी रहती है?? क्या कभी रुद्रांश jaan पायेगा मिष्टी का सच??? जानने के लिए जुड़े रहिये मेरे यानि आपकी आलसी लेखिका के साथ, और फॉलो करना तो बिल्कुल ना भूले ☺️❤️