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खूबसूरत दिल से

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mohit negi

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       एक बड़ी सी हवेली जिसके एक कमरे मे एक बच्चा गुमसुम सा बैठा हुआ था। उस बच्चे की उम्र लगभग सात आठ साल रही होगी। उसके हाथों में एक औरत की तस्वीर थी। जिसे वो अपलक देखे जा रहा था। तभी कमरे मे एक अधेड उम्र की औरत आती है। उस बच्चे को ऐंसे अकेले...

Total Chapters (19)

Page 1 of 1

  • 1. खूबसूरत दिल से - Chapter 1

    Words: 1886

    Estimated Reading Time: 12 min

           एक बड़ी सी हवेली जिसके एक कमरे मे एक बच्चा गुमसुम सा बैठा हुआ था। उस बच्चे की उम्र लगभग सात आठ साल रही होगी। उसके हाथों में एक औरत की तस्वीर थी। जिसे वो अपलक देखे जा रहा था। तभी कमरे मे एक अधेड उम्र की औरत आती है। उस बच्चे को ऐंसे अकेले गुमसुम बैठा देख वो उस बच्चे के सर पर अपना हाथ फेरते हुए कहती है "निशु बेटा ...... तुम यहाँ अकेले क्यों बैठे हो। जाओ थोड़ी देर बाहर बच्चों के साथ खेल लो।" लेकिन निशु  उस औरत की किसी भी बात का कोई जवाब नही देता। वो अभी भी अपने हाथों मे पकड़ी हुई तस्वीर को टक टकी लगाए देख रहा था। ये देख उस औरत की आँखें भी नम हो जाती है। और वो औरत आगे बिना कुछ कहे ही वहाँ से जाने लगती है। तभी एक 24, 25 साल की लड़की कमरे मे आते हुए कहती है-"काकी......." इतना कहते ही उस लड़की की नजर उस् औरत पर पड़ती है। उस औरत को रोते देख वो लड़की हैरानी से आगे कहती है-"काकी क्या हुआ आप रो क्यों रहे हो।" वो औरत सामने बैठे निशु की ओर इशारा करते हुए कहती है-"क्या बताऊँ मीना.....जब से मालिनी हम सबको छोड़कर गई है। तब से निशु ऐंसे ही मालिनी की फ़ोटो लेकर बैठा रहता है। ना तो वो बच्चों के साथ खेलता है। और ना ही किसी के साथ ठीक से बात करता है। ......... इसीलिए इसकी दादी ने कुछ दिनों के लिए इसे यहां गांव में हमारे पास भेज दिया। सोचा थोड़े दिन यहाँ रहेगा तो मालिनी की यादों को अपने दिमाग से हटा देगा। लेकिन यहां आकर भी ये मालिनी को नही भुला पा रहा है। समझ नही आ रहा क्या करूँ। ........ अब तो मुझे ये भी डर लग रहा है। कि कहीं इसे भी कुछ न हो जाये।" "काकी आप चिंता मत कीजिये। कल  मैं निशु को अपने साथ स्कूल लेकर जाउंगी। स्कूल मे बच्चों के साथ रहेगा तो ठीक हो जाएगा"-मीना निशु को देखकर बोली। अगले दिन निशु की नानी निशु को तैयार कर मीना के साथ स्कूल में भेज देती है। मीना एक स्कूल में बच्चों को पढाती थी। जहां आस पास के छ: सात गांव के बच्चे पढ़ने आते थे। मीना निशु के साथ क्लासरूम मे आती है। मीना को देखते ही सभी बच्चे खड़े होते हुए एक साथ बोले-"गुड मॉर्निंग मेम........" "गुड मॉर्निंग......... बैठो"-मीना मुस्करा कर बोली तो सभी बच्चे अपनी अपनी जगह पर बैठ जाते हैं। "ये है निशु...... तुम्हारा नया दोस्त"-मीेना निशु की ओर इशारा करते हुए बच्चों से बोली। फिर मीना सामने बैठी एक लड़की को अपने पास बुलाते हुए आगे बोली"आरवी...... इधर आओ। और निशु को अपने साथ बिठाओ।" आरवी निशु के पास आकर उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी बगल वाली सीट में बिठा देती है। कुछ ही देर मे बाद लंच टाइम हो जाता है सभी बच्चे अपना अपना लंच करके  बहर खेलने चले जाते हैं। लेकिन निशु अभी भी अपनी क्लासरूम् मे ही बैठा हुआ था। थोड़ी देर बाद आरवी क्लासरूम में आती है। "ये तो यहीं बैठा हुआ है। मीना मेम ने कहा था इसे भी अपने साथ खिलाना।"-आरवी निशु को क्लास मे बैठे देख खुद से ही बोली। फिर आरवी निशु के पास जाती है। तो देखती है कि निशु ने अपने हाथों में एक तस्वीर पकड़ी हुई है। जिसे वो एक टक देखे जा रहा है। ये देख आरवी बोली-" तुम यहाँ अकेले क्यों बैठे हो।.......और तुम स्कूल में ये फोटो लेकर क्यों आये " आरवी की बातें सुनकर निशु एक नजर आरवी को देखता है। और फिर वापस तस्वीर देखने लगता है। जब निशु कुछ नही बोला तो आरवी आगे बोली-" निशु...... मेम ने तुम्हारा नाम निशु ही बताया था ना।" इस बार भी निशु कुछ नही कहता। तो आरवी निशु का हाथ पकडकर उसे खींचते हुए बोली"चलो बाहर खेलते हैं।" जैंसे ही आरवी निशु का हाथ पकड़कर खींचती है। निशु को गुस्सा आ जाता है और वो ग़ुस्से में अपने हाथ को झटकते हुए आरवी से बोला"मुझे नही आना बाहर। "ये किस की फ़ोटो है"- आरवी ने निशु के बगल मे बैठकर उसके हाथ मे पकड़ी तस्वीर की ओर इशारा बोली पूछा । " ये मेरी मम्मी की फ़ोटो है"-निशु ने रुखा सा जवाब दिया।     "क्या......तो तुम अपनी मम्मी की फ़ोटो स्कूल में क्यों लाये। अगर तुम्हारी मम्मी को पता चल गया कि तुम उनकी फोटो स्कूल लेकर गए हो तो वो तुम्हे घर मे बहुत डांटेंगी समझे।"-आरवी हैरानी से बोली। "मेरी मम्मी मेरे पास नही हैं। वो भगवान जी के पास हैं। इसलिए वो मुझे नही डांट पाएंगी।"-इतना कहकर निशु वापस तस्वीर को देखने लगा। आरवी -"अच्छा तो तुम्हे अपनी मम्मी की याद आ रही है। इसलिए तुम उनकी फोटो देख रहे हो।............ तुम्हें पता है मेरी मम्मी भी भगवान जी के पास है।" ये सुन कर निशु झट से आरवी की ओर पलट कर बोला"क्या तुम्हारी मम्मी भी भगवान जी के पास है" आर्वि-"हां" "तो तुम्हे अपनी मम्मी की याद नही आती।"-निशु बोला। "आती तो है..... लेकिन जब मेरी मम्मी हॉस्पिटल में थी तब उन्होंने मुझे ये लॉकेट दिया था।" इतना कहकर आरवी अपनी ड्रेस के अंदर से एक लॉकेट निकालती है जो कि उसके गले मे पहना हुआ था। आरवी निशु को वो लॉकेट दिखाकर आगे बोली-"और उन्होंने कहा था कि जब तक ये लॉकेट मेरे पास रहेगा वो मेरे साथ ही रहेंगी। इसलिए कभी मुझे याद करके रोना मत। क्योंकि वो तो मेरे साथ ही हैं ना इस लॉकेट के मेरे पास रहने से। इसीलिए मैं इस लॉकेट को हमेशा अपने साथ रखती हूं।" "लेकिन  मेरी मम्मी ने तो  मुझे कुछ दिया ही नही। तुम्हारी मम्मी की तरह"-आरवी का लॉकेट देख निशु बुझे हुए मन से बोला। आरवी बोली -"है तो तुम्हारे पास ये तुम्हारी मम्मी की तस्वीर" "हां...... मम्मी की तो मेरे पास बहुत सारी तस्वीर हैं। लेकिन मुझे तुम्हारे जैंसा ही लॉकेट चाहिए जिसमे मैं तुम्हारे जैंसे ही अपनी मम्मी की छोटी सी फोटो लगाकर पहन सकूँ।"- निशु बिना किसी भाव के बोला। "मेरे पास घर मे ऐंसा ही एक दूसरा लॉकेट भी है। कल मैं वो तुम्हारे लिए ले आउंगी फिर तुम उसमे अपनी मम्मी की  एक छोटी सी फोटो लगाकर पहन सकते हो।"-आरवी की इस बात पर निशु के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है। " तुम कल मेरे लिए पक्का वो लॉकेट लाओगी ना।"-निशु बोला । "हां पक्का ले आउंगी प्रॉमिस"-आरवी बोली। "अब तो तुम मेरे साथ खेलने बाहर आओगे ना"-आरवी आगे बोली। "मैं तुम्हारे साथ तो खेल लुंगा पर मुझे ओर बच्चों के साथ नही खेलना"-निशु शांत भाव से बोला "ओके तो फिर हम अंदर ही खेल लेते हैं।"आरवी कहती है तो निशु स्माइल के साथ अपना सर हां में हिला देता है कुछ देर खेलने के बाद आरवी ने निशु से पुछा-"निशु तुम्हारा गांव कौन सा है।..... और तुम पहले कौन सी स्कूल में पढ़ते थे" "मैं तो पहले देहरादून में पढ़ता था। जब मेरी मम्मी भगवान जी के पास गई। उसके बाद मेरी दादी ने मुझे यहां मेरी नानी के गांव भेज दिया।...... मैं बस यहां कुछ ही दिन तक रहूंगा। उसके बाद मेरी दादी मुझे फिर से देहरादून ले जाएगी।"निशु कहता है। इस पर आरवी निशु से पूछती है-"अच्छा तो फिर तुम्हारी नानी का गांव कौन सा है।" उन दोनों की बातें क्लास रूम के दरवाजे पर खड़ी मीना सुन रही थी। दोनो की बातें सुनकर मीना के चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल आ जाती है। अगले दिन...... आरवी के स्कूल आते ही निशु आरवी से कहता है-"आरवी तुम मेरे लिए लॉकेट लाई हो" "हां लाई हूँ ना"-इतना कहकर आरवी अपने बैग से एक लॉकेट निकालती है। जो हार्ट के सेफ में था। निशु उस लॉकेट को पकड़कर  खुशी से आरवी को गले से लगा कर बोला-" आरवी तुम बहुत अच्छी हो। तुम आज से मेरी बेस्ट फ्रेंड हो" "अब इस लॉकेट मे अपनी मम्मी की तस्वीर लगा देना। इससे तुम्हारी मम्मी हमेशा तुम्हारे साथ ही रहेगी। और जब तुम्हे उनकी याद आएगी तो तुम लॉकेट खोलकर अपनी मम्मी की तस्वीर भी देख सकते हो। और हां कभी अपनी मम्मी को याद कर के रोना मत क्योंकी अगर तुम अपनी मम्मी को याद करके रोओगे तो ऊपर भगवान जी के पास तुम्हारी मम्मी को मालूम पड़ जाएगा की तुम रो रहे हो। तो वो भी दुखी हो जाएंगी। समझे "-आरवी निशु से बोली। तो निशु अपना सर हां मे हिला देता है। "अब तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड हो तो तुम्हे मैं बताना चाहता हूँ की मेरा नाम निशु नही है। निशु तो मुझे मेरी नानी बुलाती है। मेरा नाम तो निष्क........"-निशु ने इतना कहा ही था कि आरवी कहती है-"तुम्हारा नाम जो भी हो मैं तो अब तुम्हें निशु ही कहूंगी।....... एक दिन स्कूल में आरवी को निशु उदास लग रहा था। आरवी निशु को उदास देख बोली"निशु क्या हुआ तुम उदास क्यों हो" "मैं कल देहरादून वापस जा रहा हूँ। "निशु बुझे हुए मन से बोला। तो आरवी कहती है-" तो इसमें इतना उदास होने वाली क्या है। ........तुम्हारा वहाँ स्कूल है। घर है।" "लेकिन मुझे वहाँ तुम्हारी बहुत याद आएगी"-निशु आरवी को देखते हुए बोला। तभी आरवी की नजर सामने पड़ती है। जहाँ स्कूल के क्लास बारहवीं के  बच्चे फ़ोटो खिंचवा रहे थे। क्योंकि आज उनका फेयरवेल था। उन्हें देख आरवी निशु का हाथ पकड़ते हुए उसे फोटोग्राफर के पास ले जाकर बड़ी मासूमियत के साथ बोलि-"भैय्या एक फोटो मेरी और मेरे फ्रेंड की भी ले दो। वो क्या है ना ये मेरा बेस्ट फ्रेंड है और कल ये हमेशा के लिए यहाँ से जा रहा है। तो आप हम दोनो की एक एक फोटो ले दो। जो की हम एक दसूरे को दे देंगे। ताकि जब भी हमे एक दूसरे की याद आये तो हम एक दूसरे की फोटो देखकर एक दूसरे को याद कर सकें।" आरवी की मासूमियत देख कर फोटो ग्राफर उसे मना नही कर पाया और उसने दोनो की एक एक फोटो खींच दी। और फिर बोला ओर "ये फोटो तुम्हें कल मिलेंगी" अगले दिन स्कूल में आरवी और निशु दोनो दौड़कर फोटोग्राफर के पास जाते हैं। उन दोनो को देखते ही वो फोटोग्राफर मुस्कराते हुए उन्हें एक एक फोटो पकड़ाते हुए बोल-"ये रही तुम दोनो की फोटो।" फोटो लेकर निशु और आरवी दोनो अपनी क्लास रूम में आ जाते हैं। क्लास रूम में आकर आरवी निशु के हाथ से उसकी फोटो लेती है और उसके हाथ मे अपनी फोटो देते हुए कहती है-"तुम मेरी फ़ोटो के पीछे अपना नाम लिखो। और मैं तुम्हारी फ़ोटो के पीछे अपना नाम लिख देती हूं। इतना कहकर आरवी निशु की फ़ोटो के पीछे अपना नाम लिखने लगती है। लेकिन निशु अपने मन ही मन मे कहता है-"मेरा नाम तो निष्कर्ष है। लेकिन आरवी तो मुझे निशु कहती है। निशु लिखूं या निष्कर्ष.........ऐंसा करता हूँ कि निष्कर्ष ही लिख देता हूँ।" ये सोचकर निष्कर्ष फ़ोटो के पीछे अपना नाम लिखने लगता है। अभी उसने आधा ही नाम लिखा था। लंच टाइम ओवर होने की वजह से  क्लास में मेम आ जाती है। मेम के आते ही आरवी निष्कर्ष की फ़ोटो को उसे दे देती है। और उससे अपनी फ़ोटो लेते हुए कहती है"- मेम आ गई " आरवी ने तो अपना नाम लिख लिया था। लेकिन निष्कर्ष ने अपना पूरा नाम नही लिखा था। उसने सिर्फ एन आई एस ही लिखा था  की आरवी उससे अपनी फोटो ले लेती है। निष्कर्ष एक नजर मेम को देखते हुए आरवी से कहता है-"मैंने तुम्हारी फ़ोटो के पीछे अपना नाम पूरा नही लिखा था।" इस पर आरवी भी धीरे से कहती है-"कोई नही मुझे तुम्हारा नाम याद है"निशु"।                               क्रमशः        

  • 2. खूबसूरत दिल से - Chapter 2

    Words: 2986

    Estimated Reading Time: 18 min

     कुछ साल बाद ..... महादेव का एक छोटा सा मंदिर ........जहां महादेव की  मूर्ति के आगे एक औरत अपने दोनों हाथों को प्रणाम की मुद्रा में जोड़े व्हील चेयर पर बैठी थी। "हे भोलेनाथ........ मेरे परिवार पर अपनी कृपा हमेशा बनाये रखना"-वो औरत मन ही मन मे बोली। वहीं कुछ दूर मंदिर प्रांगण मे एक लड़का पिल्लर से सट कर खड़ा फोन देखने मे बिजी था। वो लड़का दिखने मे थोड़ा साँवला था। लेकिन फिर भी किसी मॉडल से कम नही लग रहा था। करीब 6 फिट लम्बाई, चेहरे पर हल्की सी दाढ़ी, फिट बॉडी , और बाल अच्छे से सेट किये हुए। "ये दादी भी ना कितनी देर लगा रही हैं पूजा करने में"-वो लड़का व्हील चेयर पर बैठी थी। औरत की ओर देखते हुए बोला। कुछ देर बाद वो लड़का अपना फोन अपनी पेंट की जेब मे डालकर मन्दिर के अंदर व्हील चेयर पर बैठी औरत के पास जाकर कहता है"दादी  हो गई आपकी पूजा" "हां .......हो गई"व्हील चेयर पर बैठी औरत ने जवाब दिया। इतने में पण्डित जी उस औरत और उस लड़के के पास आकर उन्हें प्रसाद देते हुए बोले- "लीजिये गायत्री जी प्रसाद लीजिये" ये सुन गायत्री अपने हाथ पण्डित जी की ओर कर देती है। पण्डित जी गायत्री के हाथ मे प्रसाद रखते हैं। और फिर थाल से दुबारा प्रसाद उठाकर गायत्री के पीछे खड़े लड़के की ओर अपना हाथ बढ़ाकर कहते हैं-"लो बेटा..... प्रसाद।" इस पर वो लड़का एक नजर पण्डित जी को देख कर गंभीर स्वर मे कहता है-"मुझे नही चाहिए।" "बेटा प्रसाद के लिए मना नही करते"-उस लड़के की बात सुन पंडित जी बोले। "जब में इन पर विश्वास ही नही करता तो फिर मैं इनका प्रसाद कैंसे ले सकता हूँ।"-वो लड़का सामने स्थित महादेव की मूर्ति की ओर इशारा करते हुए बोला। तो  पण्डित जी के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है।  "बेटा ......  ऐंसा जरूरी नही है कि जो भगवान पर विश्वास नही करता वो भगवान का प्रसाद भी नही ले सकता। "-पंडित जी ने कहा। ये सुनकर उस लड़के को गुस्सा आ जाता है। "पण्डित जी ...... मैंने कहा ना आपको की मुझे नही चाहिए प्रसाद। तो फिर आप क्यों"इससे पहले की वो लड़का अपनी बात पूरी करता पण्डित जी उस लड़के की बात काटते हुए बोले"बेटा मिठाई समझ कर ही ले लो।" पण्डित जी की बात पर वो लड़का कुछ कहता उससे पहले ही गायत्री बोल पड़ी- "निष्कर्ष बेटा....... जब पण्डित जी इतना कह रहे हैं तो ले लो ना प्रसाद" गायत्री की बात सुनकर वो लड़का एक नजर गायत्री  को देखता है और फिर पण्डित जी के आगे अपना हाथ कर देता है। पण्डित जी मुस्करा कर उसके हाथ मे प्रसाद रखते हैं और फिर अपने हाथ मे पकड़ी थाल गायत्री जी की ओर करते हुए कहते है-"लीजिये आपकी पूजा की थाली।" गायत्री पण्डित जी के हाथ पूजा की थाली पकड़ती है। इतने मे निष्कर्ष कहता है- "दादी अब चले" "चलो ......."-गायत्री जी कहती हैं तो निष्कर्ष गायत्री जी व्हील चेयर को पकड़कर मन्दिर के बाहर ले आता है। फिर निष्कर्ष गायत्री को गाड़ी में बिठाता है। और दोनो वहाँ से निकल जाते हैं। कुछ आगे चलने के बाद गायत्री निष्कर्ष से कहती है-"निष्कर्ष ..... जब पण्डित जी तुम्हे प्रसाद दे रहे थे। तो पकड़ लेते। पण्डित जी से इतना बहस करने की क्या जरूरत थी। पण्डित जी थोड़ी न जानते थे कि तुम भगवान पर विश्वास नही करते।" ये सुन निष्कर्ष गाडी चलाते हुए बोला "दादी........ मुझे पता है कि पण्डित जी को नही पता कि मुझे भगवान पर विश्वास नही है। पर जब मैंने उन्हें एक बार कह दिया था। कि मुझे  प्रसाद नही चाहिए। लेकिन फिर भी वो मान ही नही रहे थे। तो मुझे गुस्सा आ गया" कुछ देर रुककर निष्कर्ष आगे बोला-"और मुझे तो ये समझ नही आता कि आप क्यों उस पत्थर की मूरत पर इतना विश्वास करते हो। आपको याद नही एक साल पहले आपके जन्मदिन के दिन पर आपके साथ क्या हुआ था। उस दिन आपने अनाथ आश्रम में डोनेशन दिया। फिर गरीबों को खाना खिलाया और उन्हें बहुत सी चीजें दान भी दी। और वापस लौटते समय आपका एक्सीडेंट हो गया। फिर आपको इस व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा। आप ही सोचिए अगर आपका भगवान है तो वो ऐंसे इंसान के साथ ऐंसा क्यों करता जिसने हमेशा गरीबों की हेल्प की है। जिसने कभी भी ऐंसा कोई काम नही किया जिससे किसी को दुख पहुंचे। इसीलिए अब मेरा आपके इस सो कॉल्ड भगवान से भरोसा उठ गया है। ..... वैंसे तो मेरा भरोसा आपकी उस पत्थर की मूरत से उस दिन ही उठ गया था जिस दिन मेरी माँ मुझे छोड़कर इस दुनिया से चली गई थी। " निष्कर्ष की बातें सुनकर गायत्री अजीब सा मुँह बनाकर कहती है-"तुझसे तो कुछ कहना ही बेकार है। वैंसे भी तू करता तो अपने मन की है। तुझे समझाना तो ऐंसा है जैंसे अपने ही सर पर पत्थर मारना। काश तेरी जिंदगी मे कोई ऐंसी लड़की आये जो तुझे बदलने पर मजबूर कर दे।" ये सुनकर निष्कर्ष के चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है। कुछ देर बाद निष्कर्ष एक खूबसूरत से घर के बाहर अपनी गाड़ी रोकता है। जिसके मेन गेट पर लिखा हुआ था गायत्री निवास" वो घर एकांत में था। मतलब उस घर के आस पास  दो तीन ही घर थे। जो काफी दूरी पर थे। घर के  एक ओर बड़ा सा गार्डन था। पूरे गार्डन में दूब घास उगाई गई थी। और साथ ही पूरे गार्डन में एक कतार में बहुत से पेड़ लगे हुए थे। गार्डन के एक ओर रंग बिरंगे फूलों से भरे हुये गमले वो रखे हुए थे। अगले ही पल निष्कर्ष गायत्री की व्हील चेयर धकेलते हुए घर के अंदर ले आता है। घर अंदर से भी बहुत ही खूबसूरत था। सामने एक खुला ड्राइंग रूम था। ड्राइंग रूम के ठीक बगल में एक गैलरी थी। गैलरी से लगकर तीन कमरे एक कतार में थे। और ड्राइंग रूम के दूसरी तरफ कुछ दूरी पर डाइनिंग टेबल लगी हुई थी। डाइनिंग टेबल के कुछ दूरी पर ही एक बड़ा सा किचन था। और ड्राइंग रूम के एक किनारे से कुछ सीढ़ियां लगी थी। जो ऊपरी मंजिल तक जा रही थी। ऊपरी मंजिल पर भी तीन कमरे बने हुए थे। निष्कर्ष गायत्री की व्हील चेयर को पकड़कर गायत्री के रूम की ओर ले जाने ही वाला होता है कि घर की डोर बेल बजने लगती है। डोर बेल बजते ही निष्कर्ष दरवाजे की ओर चला जाता है। जैंसे ही निष्कर्ष दरवाजा खोलता है तो सामने तीस पैंतीस साल की औरत खड़ी थी। निष्कर्ष को देखते ही वो औरत कहती है-"नमस्ते ....भैय्या" निष्कर्ष आपना सर हां में हिला देता है और फिर वापस गायत्री के सामने आ जाता है। निष्कर्ष के पीछे पीछे वो औरत भी अंदर आ जाती है। गायत्री को देखते ही वो औरत मुस्कराते हुए कहती है-"नमस्ते ..... दादी।" "नमस्ते....... आ गई सपना तुम"-गायत्री  सपना की ओर देखते हुए बोली । सपना"जी दादी....." इतना कहकर सपना किचन की ओर जाने लगती है तो निष्कर्ष कहता है-"सपना ....... आज तुम पूरे दिन दादी के साथ ही रहोगी।" "क्यों भैय्या..... मिताली मैडम कहाँ हैं। ...... वो मुझे कहीं दिख भी नही रही हैं "सपना घर मे इधर उधर देखते हुए बोली। "नोकरी छोड़कर चली गई"-गायत्री बोली..... तो सपना अजीब सा मुँह बनाकर कहती है"क्यों......" इस पर गायत्री निष्कर्ष की ओर इशारा करते हुए कहती है"क्यों क्या...... इसकी वजह से गई।" "सपना..... कल तक दादी के लिए नई केयर टेकर आ जायेगी। तुम बस आज दादी का ध्यान रख लो। और दिन का खाना खिलाने के बाद दादी को खिला भी खिला देना। वैंसे मैं भी आज होटेल से जल्दी आ जाऊंगा।"-निष्कर्ष ने कहा। "जी भैय्या"-इतना कहकर सपना वहां से चली जाती है। सपना के जाते ही निष्कर्ष गायत्री से कहता है-"दादी अब मैं भी होटल के लिए निकलता हूँ। " निष्कर्ष घर से बाहर आ जाता है। और फिर अपनी बाइक स्टार्ट कर होटेल के लिए निकल जाता है। कुछ देर बाद उसकी बाइक एक बड़े से होटल के सामने रुकती है। होटल के बाहर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था"होटेल प्रिंस"। पार्किंग एरिया में अपनी बाइक पार्क करके निष्कर्ष सीधे होटल के अंदर चला जाता है। निष्कर्ष को देखते ही होटल के सारे इम्प्लॉय गुड मॉर्निंग विश करते हैं। लेकिन निष्कर्ष किसी को भी कोई जवाब नही देता और सीधे अपने केबिन में आ जाता है। कुछ देर बाद एक लड़का निष्कर्ष के केबिन का डोर नॉक करते हुए कहता है-"मे आई कम इन सर.....। "कम इन"-निष्कर्ष कहता है। तो वो लड़का केबिन में अंदर आ जाता है। केबिन में अंदर आते ही वो लड़का निष्कर्ष से कहता है-"सर..... रिसेप्शनिस्ट की पोस्ट के लिए आपने जिन कैंडिडेट को कॉल करके इंटरव्यू के लिये  आने को कहा था। वो सभी आ गए हैं।" "तो फिर उन्हें इंटरव्यू के लिए भेजो"-निष्कर्ष ने कहा। इस पर लड़का एक फ़ाइल खोलकर निष्कर्ष के सामने टेबल पर रखते हुए बोला-"सर ये सभी कंडिडेट्स के सी.वी हैं" इतना कहकर वो लड़का जैंसे ही वहां से जाने को मुड़ता है। तो निष्कर्ष उसे रोकते हुए कहता है-"अरमान......मेरे लिए लेकर भी भिजवा देना "जी सर"-अरमान मुड़कर निष्कर्ष से कहता है और वहां से चला जाता है। कुछ देर बाद अरमान बारी बारी से सारे कंडिडेट्स को निष्कर्ष के केबिन में इंटरव्यू के लिए भेजता है। लेकिन निष्कर्ष किसी को भी सेलेक्ट नही करता। अब सिर्फ एक ही लड़की थी। जिसका इंटरव्यू होना बाकी था। अरमान उस लड़की का नाम पुकारते हुए कहता है-"मिस पलक ....." अपना नाम सुनते ही वो लड़की अरमान के पास आकर कहती है-"जी सर" जैंसे ही अरमान की नजर उस लड़की पर पड़ती है। उसके चेहरे पर हैरानी के भाव आ जाते हैं। वो हड़बड़ाते हुए अपनी नजरें चुराकर पलक को इशारे से निष्कर्ष के केबिन में जाने को कहता है। केबिन मे आते  ही पलक की नजर जैंसे ही निष्कर्ष पर पड़ती है। तो उसके चेहरे के भी भाव बदल जाते हैं। और उसके मुँह से अनायास ही निकलता है-"निष्कर्ष......." निष्कर्ष को देखते ही पलक को अपने अतीत की कुछ कड़वी यादें याद आने लगती हैं। "पलक अपने हाथ मे एक गुलाब का फूल लिए आगे बढ़ रही थी। कुछ आगे चलने के बाद उसकी नजर कॉलेज के गेट के पास खड़े निष्कर्ष पर पड़ती है। निष्कर्ष को देखते ही पलक के चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल आ जाती है। और वो निष्कर्ष के पास जाकर अपने हाथ मे पकड़े गुलाब के फूल को निष्कर्ष की ओर बढ़ा कर कहती है-"निष्कर्ष आई लाइक यू" पलक की बात सुनकर निष्कर्ष एक नजर पलक को ऊपर से नीचे तक देखता है और फिर उसके हाथ से गुलाब का फूल पकड़ लेता है। जैंसे ही निष्कर्ष पलक के हाथ से गुलाब का फूल पकड़ता है। पलक के चेहरे की खुशी दोगुनी हो जाती है। लेकिन अगले ही पल उसके चेहरे की खुशी अचानक से गायब हो जाती है। क्योंकि निष्कर्ष ने उसके दिये हुए गुलाब के फूल को नीचे जमीन पर फेंक दिया था। निष्कर्ष गुलाब के फूल के ऊपर अपना पैर रखकर पलक के पास आकर बोला"तुम्हे लगता है कि मैं तुम जैसी लड़की को हां कहूंगा। चेहरा देखा है अपना तुमने कभी आईने में। जो मुझे प्रपोज करने चली आई।" निष्कर्ष की बातें सुनकर वहां खड़े सभी लड़के लड़कियां हंसने लगते हैं। पलक सभी को अपने ऊपर हंसता देख शर्मिंदगी के साथ नजरें नीचे झुका कर रोते हुए वहां से चली जाती है। ये सारी बातें याद करते हुए पलक की आँखें आज फिर से नम हो गई थी। निष्कर्ष को देखकर पलक को आज फिर वही बेइज्जती महसूस हो रही थी। इसलिए वो निष्कर्ष से बिना कुछ कहे वापस पलटती है। और तेज कदमो से चलते हुए केबिन से बाहर चली जाती है। केबिन से बाहर आते ही पलक एक नजर सामने खड़े अरमान को देखती है। और फिर लगभग दौड़ते हुए वहां से चली जाती है। पलक को ऐंसे रोते हुए जाते देख अरमान हैरान रह जाता है। वो पलक को रोकने के लिए उसके पीछे जाना चाहता था लेकिन फिर कुछ सोचते हुए रुक जाता है। कुछ देर बाद निष्कर्ष अपनी बाइक से घर जा रहा था। तभी उसकी नजर सामने एक फलों की दुकान पर पड़ती है। वो अपनी बाइक फलों की दुकान के पास लेकर जाता है। और कुछ फल खरीदने लगता है। फल खरीदने के बाद निष्कर्ष वापस बाइक मे बैठकर बाइक स्टार्ट कर ही रहा था कि तभी अचानक से उसके पीछे बाइक पर कोई बैठ जाता है। निष्कर्ष पीछे पलटकर देखता है। तो उसके पीछे एक लड़की बैठी हुई थी। उस लड़की ने ब्लैक जीन्स के ऊपर ब्लैक कलर की हुडी पहनी हुई थी। और हुडी की टोपी अपने सर पर रखी  थी। ............वो लड़की एक नजर पीछे पलटकर देखती है। और फिर निष्कर्ष की ओर मुड़कर् हड़बड़ी मे कहती है-"प्लीज् बाइक स्टार्ट कीजिये।" निष्कर्ष हैरानी से उस लड़की से पूछता है-"लेकिन ..." इससे पहले की निष्कर्ष अपनी बात पूरी करता वो लड़की निष्कर्ष की बात काटते हुए बोली " मैं अभी आपको कुछ नही बता सकती ।प्लीज् आप बाइक स्टार्ट कीजिये।" उस लड़की को देखकर निष्कर्ष समझ जाता है कि वो जरूर किसी प्रॉब्लम में है। इसलिए निष्कर्ष आगे उस लड़की से कोई सवाल नही करता और बाइक स्टार्ट कर वहां से निकल जाता है। कुछ दूर आने के बाद वो लड़की पीछे पलटकर देखती है। और फिर एक राहत की सांस लेते हुए निष्कर्ष से कहती है-" अब आप बाइक रोक दीजिये" निष्कर्ष बाइक रोक लेता है। बाइक रुकते ही वो लड़की जल्दी से बाइक से उतर जाती है। निष्कर्ष भी बाइक से उतर जाता है। बाइक से उतरते ही उस लड़की के सर पर रखी हुडी की टोपी नीचे गिर जाती है। और निष्कर्ष की नजर उस लड़की के चेहरे पर पड़ती है। वो लड़की बहुत ही खूबसूरत थी। तभी वो लड़की निष्कर्ष की ओर देखकर हल्का सा मुस्कराते हुए कहती है-"थैंक यू....... वो मेरे पीछे कुछ गुंडे पड़े थे। इसलिए मुझे आपके पीछे बाइक पर ऐंसे बैठना पड़ा।" "क्या ...... फिर तो तुम्हे पुलिस में पास जाना चाहिए। क्या पता वो गुंडे तुम्हे आगे भी परेशान  करें"-निष्कर्ष ने कहा। "हां....... उनकी रिपोर्ट में पुलिस स्टेशन में करवा दूंगी"- वो लड़की कुछ सोचते हुए बोली। कुछ देर रुककर निष्कर्ष उस लड़की से पूछता है-"वैंसे तुम्हारा नाम क्या है।" "आरवी....."-वो लड़की बोली। आरवी नाम सुनकर निष्कर्ष कुछ सोचते हुए धीरे से अपने मे ही कहता है-"आरवी........ ये नाम सुना हुआ सा लग रहा है।.....आरवी.........हां बचपन मे नानी के गांव की स्कूल मे  जो मेरी बेस्ट फ्रेंड थी उस  का नाम भी तो आरवी था। उसे मैं कैंसे भूल सकता हूँ।" इतने में आरवी का फोन बजता है। वो फोन की स्क्रीन पर देखती है तो नायरा का नाम सो हो रहा था। आरवी कॉल उठाते ही कहती है-"हां बोलो नायरा" "कहाँ है तू...... अब तक कमरे में क्यों नही आई। और मैं तुझे कब से कॉल कर रही हूं तू मेरा कॉल भी नही उठा रही।"-फोन पर दूसरी ओर से एक तीखी आवाज आई। नायरा की बातें सुनकर आरवी एक नजर अपने सामने खड़े निष्कर्ष की ओर देखती है और फिर कुछ दूर जाकर फोन पर नायरा से कहती है-"मार्किट में उसके आदमियों में मुझे देख लिया था। बड़ी मुश्किल से उनसे बचकर भागी हूँ। ............ लेकिन अब मैं बिल्कुल ठीक हूँ। और थोड़ी ही देर में कमरे में आ जाऊंगी।" निष्कर्ष अपनी बचपन की दोस्त आरवी के बारे मे ही सोचते हुए खुद मे ही कहता है-" पता नही अब उसे मैं याद होऊंगा भी कि नही।" तभी आरवी नायरा की कॉल कट करके निष्कर्ष के पास आती है। और कहती है-"आपका नाम तो मैं पूछना ही भूल गई....." निष्कर्ष हल्की सी स्माइल के साथ कहता है-"निष्कर्ष व्यास।" "आपका नाम काफी यूनीक है अप्क-" आरवी बोली और मुस्करा दी। "वैंसे आप यहीं देहरादून में ही रहते हो"-निष्कर्ष आरवी से पूछता है। तो आरवी कहती है-"जी......." इतने में आरवी की सामने से आते हुए एक ऑटो पर पड़ती है। ऑटो को देखते ही आरवी ऑटो को हाथ  देकर रोक लेती है। ऑटो रुकते ही आरवी निष्कर्ष की ओर देखकर कहती है-"अच्छा निष्कर्ष जी अब मैं चलती हूँ।...... मेरी हेल्प करने के लिए एक बार फिर से थैंक यू।" बदले मे निष्कर्ष फिर से हल्का सा मुस्करा जाता है। आरवी ऑटो में बैठ जाती है। ऑटो चलने लगता है। एक बार फिर आरवी ऑटो से बाहर झांकते हुए निष्कर्ष की ओर देखती है। और अपना हाथ उठाकर उसे बाय करती है। हाथ ऊपर उठाने की वजह से आरवी की हुडी का आस्तीन खिसकर ऊपर की ओर चला जाता है जिससे आरवी के हाथ मे पहना हुआ लॉकेट बाहर आ जाता है। आरवी के हाथ मे पहने लॉकेट को देखते ही निष्कर्ष की आँखें फैल जाती है। और वो जल्दी से अपनी शर्ट के अंदर हाथ डाल कर अपने गले मे पहने हुए वैंसे ही लॉकेट को बाहर निकालते हुए कहता है-" वो लॉकेट भी ऐंसा ही था। और ऐंसा ही दुसरा लॉकेट तो सिर्फ मेरी बचपन की दोस्त आरवी के पास था। मतलब कि ये वही आरवी है।" इतना कहते ही निष्कर्ष एक बार फिर सामने उस ऑटो की ओर देखता है जिस पर आरवी बैठी थी। मोड़ होने के कारण निष्कर्ष को वो ऑटो नही दिखता।  निष्कर्ष बिना समय गवाएँ जल्दी से अपनी बाइक स्टार्ट कर उस ऑटो को पकड़ने के लिए जाता है। लेकिन आगे मेन रोड पर बहुत से ऑटो थे। और अब उसे ये समझ नही आ रहा था कि आरवी कौन से वाले ऑटो मे थी। फिर भी वो कुछ ऑटो रोककर उनमे आरवी को ढूंढने की कोशिश करता है लेकिन उसे आरवी नही मिलती। वहीं कुछ देर बाद आरवी एक घर के ऊपरी मंजिल में बने कमरे का दरवाजा खटखटाती है। आरवी के दरवाजा खटखटाते ही उसी की उम्र की एक लड़की दरवाजा खोलती है। आरवी को देखते ही वो लड़की कहती है-"आरवी तू ठीक है ना।" इस पर आरवी कमरे के अंदर जाते हुए कहती है-"हां ठीक हूँ। "लेकिन उस उस के आदमियों ने तुझे कैंसे देखा"-वो लड़की दरवाजा बंद करके बोली। "पता नही......लेकिन टाइम रहते मैं उनसे बचकर वहाँ से भाग गई। और सुकर है उस लड़के का जिसने मुझे अपनी बाइक पर लिफ्ट दी। आज अगर वो न होता तो उसके आदमी मुझे पकड़ ही लेते।...... लेकिन अब उन्हें पता चल चुका है कि मैं यहीं देहरादून में हूँ"-आरवी परेशान सी बोली।                            ★★क्रमशः★★

  • 3. खूबसूरत दिल से - Chapter 3

    Words: 2191

    Estimated Reading Time: 14 min

    "लेकिन अब उन्हें पता चल चुका है कि मैं यहाँ देहरादून में हूँ। इसलिए उनका सबसे पहले शक तुम पर ही जायेगा। क्योंकि उन्हें पता है कि तुम भी यहीं देहरादून में ही रहती हो। और उन्हें लगेगा कि मैं यहां देहरादून में तुम्हारे साथ ही रह रही होंगी।"-आरवी परेशान सी अपने पास खड़ी नायरा से बोली। "हां और क्या पता अब तक गांव में उसके आदमियों ने मेरे मम्मी पापा से मेरा यहां का एड्रेस भी पता कर लिया हो-" इतना कहते ही नायरा किसी को कॉल करने लगती है। "नायरा किसे कॉल कर रही हो"- नायरा को कॉल करते देख आरवी बोली। नायरा -"अपने  पापा को" कॉल जाते ही फोन पर दूसरी ओर से आवाज आती है-"हेलो नायरा..... बेटा कैसी हो" "पापा मैं ठीक हूँ। आप कैंसे हो और मम्मी ठीक है"-नायरा फोन पर अपने पापा से बोली। "हम ठीक हैं"-नायरा के पापा ने कहा "पापा वो प्रीतमपुरा गांव के ठाकुर के आदमी तो नही आये थे घर मे"- नायरा आगे बोली। "नही बेटा पर तुम ऐंसा क्यों पूछ रही हो। क्या हुआ सब ठीक तो है"-नायरा के पापा चिंता भरे स्वर में कहते हैं। "पापा उस ठाकुर के आदमियों ने आरवी को यहां देहरादून में देख लिया है। इसलिए उनका सबसे पहले शक मेरे ऊपर ही जायेगा कि आरवी यहां देहरादून में मेरे ही साथ होगी। क्योंकि उन्हें पता है कि मैं और आरवी बहुत अच्छे दोस्त हैं। और इसीलिए वो आपसे  देहरादून में मैं जहां रह रही  हूँ वहाँ का एड्रेस पूछने जरूर आएंगे। और जब वो आयेंगे तो आप उन्हें मेरा एड्रेस बता देना। पर उसके तुरन्त बाद मुझे कॉल कर देना। ताकि मैं आरवी को कहीं ओर भेज दूँ। फिर जब वो यहां आएंगे और उन्हें यहां आरवी नही मिलेगी तो उनका शक मेरे पर से हट जाएगा"- नायरा अपने पापा से कहती है। नायरा के पापा फोन पर -" अच्छा ठीक है" फिर नायरा कॉल कट कर देती है। कॉल कट करते ही नायरा आरवी की ओर मुड़ती है तो हैरानी से उसकी आंखें फैलकर चौड़ी हो जाती हैं। आरवी शीशे के आगे अपने हाथ मे एक धारदार चाकू लेकर खड़ी है। और उसने वो चाकू ठीक अपने चेहरे के सामने किया हुआ था। जिसे देखकर नायरा समझ जाती है कि आरवी के दिमाग मे इस समय क्या चल रहा है। और वो उस चाकू से क्या करने वाली है। इससे पहले की आरवी उस चाकू से अपने चेहरे पर वार करती नायरा तेजी से आरवी के पास आकर उसके हाथ से चाकू छीन कर नीचे फेंक देती है। और फिर आरवी को डांटते हुए कहती है-" पागल हो गई हो तुम ये क्या कर रही हो। क्यों अपने इतने खूबसूरत चेहरे को बर्बाद करना चाहती हो।" नायरा की बातें सुनकर आरवी नम आंखों के साथ जोर से चिल्लाकर कहती है"खूबसूरत खूबसूरत खूबसूरत........ नफरत हो गई है मुझे इस शब्द से। .....नही चाहिए मुझे ये चेहरा जिसे सभी खूबसूरत कहते हैं। क्योंकी ये चेहरा मेरे लिए मेरी बद्किश्मती है।" "ये क्या कह रही हो तुम..... तुम्हे पता है लोग खूबसूरत चेहरा और शरीर पाने के लिए क्या कुछ नही करते। और तुम्हे तो भगवान  ने पहले से इतना खूबसूरत बनाया हुआ है। हर किसी को इतनी खूबसूरती नही मिलती। ये भगवान का वरदान है। और तुम इसे बर्बाद करना चाहती हो।"- नायरा आरवी को समझाते हुए बोली। " नही........ ये खूबसूरती मेरे लिए वरदान नही शाप है । मुझे तो ये समझ नही आता कि तुम्हे मेरा ये चेहरा कैंसे खूबसूरत लगता है। मुझे तो अपना चेहरा बिल्कुल भी खूबसूरत नही लगता। ...... अरे खूबसूरत चेहरा या शरीर  नही....... खूबसूरत दिल होता है। क्योंकि चेहरे और शरीर की खूबसूरती तो समय के साथ ढल जाती है। लेकिन दिल की खूबसूरती हमेशा रहती है। "कहते ही आरवी रोते हुए नीचे फर्श पर बैठ गई। "मुझे पता है कि खूबसूरत दिल से होना चाहिए। पर आज कल हर इंसान सिर्फ बाहरी खूबसूरती का ही तो कायल है। खूबसूरत चीज़ की ओर इंसान अपने आप खींचा चला जाता है। ........... जैंसे तुम्हारी खूबसूरती को देखकर वो ठाकुर का बेटा रणजीत ..... जो पहले से शादी शुदा है। और उसकी वजह से तू खुद को क्यों तकलीफ दे रही है"-नायरा आरवी को सहारा देते हुए बोली और उसके पास बैठ गई। तभी नायरा का फोन बजता है नायरा फोन की स्क्रीन में देखती और आरवी से कहती है-"रमेश अंकल का फोन है।" नायरा कॉल उठाते हुए कहती है-"हेलो अंकल ......" फोन पर दूसरी ओर से आवाज आती है-"हेलो नायरा...... तुमने  जॉब के लिए कहा था ना तो एक जगह एक जॉब है। अगर तुम चाहो तो कल आकर मुझ से मिल सकती हो।" "अंकल वो जॉब मैं अपने लिए नही अपनी दोस्त के लिए ढूंढ रही थी। इसलिए कल वो आपसे मिलने आ जायेगी। "नायरा ने शांत स्वर मे कहा। "हां..... ठीक है। उसे कह देना कि कल सुबह नौ बजे तक आ जाना। उसके बाद मैं तुम्हारी दोस्त को वहां का एड्रेस दे दूंगा जहां उसे घर जॉब करनी है। अगर सब सही रहा तो तुम्हारी दोस्त कल से काम शुरू कर सकती है।"-रमेश फोन पर नायरा से कहता है। "जी ठीक है अंकल"-इतना कहते ही नायरा कॉल कट कर देती है। और आरवी से कहती है-"आरवी तुम्हारे लिए एक  जॉब मिल गई" "सच मे...... थैंक यू नायरा। तुमने मेरी इतनी हेल्प की पहले मसूरी में स्कूल और होस्टल में मेरे छोटे भाई तनय का एडमिशन करवाया। मुझे अपने साथ भी रखा। और मेरे लिये जॉब भी ढूंढ ली। अगर तुम नही होती तो पता नही मेरा क्या होत-"आरवी नायरा को गले लगाकर रोते हुए बोली। आरवी को इतना सीरियस देख नायरा मजाकिया अंदाज में कहती है "ओ हेलो कहीं तुम्हे ऐंसा तो नही लग रहा ये सब मैंने फ्री में किया। ऐंसा बिल्कुल मत सोचना समझी। अब तुम्हारी जॉब लग गई है। तो मुझे मेरे पैसे वापस कर देना।" "अगर नही किये तो"-आरवी भी मजाकिया अंदाज में नायरा से दूर हटते हुए बोली। "अगर नही किये तो...... तो मैं तुम्हे श्राप दे दूंगी कि तुम्हारे सारे बाल छड़ जाएं और तुम टकली हो जाओ।"नायरा फिर से मजाक करते हुए बोली। नायरा की बात सुन आरवी हंसने लगती है। तो साथ मे नायरा भी हंसने लगती है। वहीं दूसरी ओर अपने रूम मे बैठा निष्कर्ष आरवी और अपनी बचपन की तस्वीर देख रहा था जो उन दोनो ने स्कूल मे खिचवाई थी। "मैने सोचा भी नही था कि आरवी मुझे ऐंसे मिलेगी। वो अभी भी उतनी ही खूबसूरत है जितनी बचपन मे थी।"-निष्कर्ष हल्की सी स्माइल के साथ बोला। " लेकिन उससे ठीक से बात भी नही हो पाई। काश मैं उस ऑटो वाले का ऑटो नंबर देख लेता तो मैं आसानी से आरवी के बारे मे पता लगा सकता था कि वो  देहरादून मे कहाँ रहती है"-निष्कर्ष मायूसी के साथ आगे बोला। "अब जब मुझे पता चल ही गया है कल आरवी देहरादून मे ही रहती है तो उसे ढूंढना मेरे लिए इतना मुश्किल भी नही है।" कहते ही निष्कर्ष किसी को कॉल करने लगता है। रिंग जाते ही फोन पर दूसरी ओर से आवाज आती है-"हेलो सर......" "अरमान कल ऑफिस मे किसी स्केच आर्टिस्ट को ले है। मुझे किसी का स्केच बनवाना है"-इतना कहकर निष्कर्ष ने कॉल कट कर दी। कॉल कट करने के बाद निष्कर्ष सोचते हुए अपने आप मे ही कहता है"मुझे ये तो नही पता कि आरवी कौन से गांव की थी। लेकिन वो प्रीतम पुरा के पास वाले स्कूल में पढ़ने आती थी। तो वो वहीं आस पास के किसी गाँव की मन रही होगी। अगर उसके घरवाले भी गांव में नही रहते होंगे तो गांव में कोई न कोई तो उसके बारे में जानता ही होगा कि वो यहां देहरादून में कहां रहती है।" अगली सुबह....... नायरा आराम से अपने बिस्तर पर  सोई हुई थी। उसके बराबर में ही आरवी भी लेटी थी जो अभी भी नींद में थी। नायरा आधी नींद में ही जमाई लेते हुए टाइम देखने के लिए अपना फोन उठाती है । जैंसे ही नायरा अपने फोन की स्क्रीन में देखती है। उसकी आंखें फैलकर चौड़ी हो जाती हैं। क्योंकि उसके फोन पर उसके पापा के नम्बर से बीस कॉल आई हुई थीं। "हे भगवान पापा की इतनी कॉल्स.... लेकिन मुझे फोन की बेल क्यों नही सुनाई दी" नायरा बडबडाते हुए झट से बिस्तर पर बैठ गई। तभी नायरा के फोन पर फिर से उसके पापा की कॉल आने लगती है। लेकिन फोन साइलेंट में होने में कारण बेल नही बज रही थी। ये देख नायरा अपने मे ही बोली" ओह शिट फोन तो साइलेंट में है बेल कैंसे सुनाई थीं।" नायरा जल्दी से अपने पापा का कॉल पिक करती है । कॉल उठाते ही फोन पर नायरा के पापा की आवाज आती है-"नायरा तुम मेरा फोन क्यों नही उठा रही पिछले आधे घण्टे से तुम्हे कॉल कर रहा हूँ। वो प्रीतमपुरा के ठाकुर के आदमी आये थे। और तुम्हारा पता पूछ रहे थे। तुम्हारे कहने से मैंने उन्हें तुम्हारा पता बता दिया। और उसके तुरन्त बाद तुम्हे कॉल किया लेकिन तुमने कॉल नही उठाया। अब तक तो उसके आदमी तुम्हारे पते पर पहुंचने ही वाले होंगे । तुम जल्दी से आरवी को कहीं ओर भेज दो।" इतना कहकर नायरा के पापा कॉल कट कर देते हैं। नायरा अभी सोच ही रही थी कि वो क्या करे तभी दरवाजे पर दस्तक होती है। जिसे सुन नायरा घबरा जाती है। और जल्दी से आरवी को जगाती है। और उसे अपने पापा की कॉल के बारे मे बताती है। इतने में बाहर से एक रोबदार आवाज आती है-" तुम दरवाजा खोल रही हो कि नही। वरना हम दरवाजा तोड़ देंगे।" ये आवाज सुनते ही आरवी और नायरा समझ जाते हैं कि बाहर ठाकुर रणजीत के ही आदमी हैं। नायरा घबराते हुए आरवी से बोलि-"तुम ऐंसा करो बाथरूम में चली जाओ। क्या पता वो बाथरूम में न देंखे। क्योंकि बाथरूम बाहर बालकनी की ओर है।" नायरा की बात सुनकर आरवी बाथरूम में चली जाती है जब नायरा जल्दी से बाथरूम के दरवाजे के सामने कपड़े सुखाने वाली रस्सी पर चादर डाल देती है। ताकि रणजीत के आदमियों को बाथरूम का दरवाजा न दिखे और वो समझे कि आरवी ने बाहर बालकनी की साइड चादर सुखाने रखी है। दूसरी ओर जब नायरा दरवाजा नही खोलती तो रणजीत के आदमी दरवाजे पे जोर जोर से धक्का देने लगते हैं। इतने में नायरा दरवाजा खोल देती है। नायरा के दरवाजा खोलते ही रणजीत के आदमी कमरे के अंदर आ जाते हैं। और कमरे में चारों ओर देखने लगते हैं जब उन्हें कमरे में नायरा के अलावा कोई और नही दिखता तो उनमे से एक आदमी नायरा से कहता है-"आरवी कहाँ है। हमे मालूम है कि वो यहां देहरादून में तुम्हारे साथ ही है।" "क्या..... आरवी देहरादून में है। मुझे तो इस बारे में कुछ भी नही पता । पूरा कमरा तो  तुम लोग देख चुके हो। अगर यहां होती तो तुम्हे दिख जाती ना।अब वो कोई चींटी के बराबर तो है नही की मैं उसे कहीं भी छुपा दूं। देख लो सब जगह। ......... और वैंसे भी आरवी को पता है कि अगर तुम लांगों को पता चलेगा कि वो यहां देहरादून में है तो तुम लांगों का सबसे पहले शक मुझ पर ही जायेगा  और शायद वो इसलिए मेरे पास नही आई।"-नायरा अनजान बनते हुए बोली। तभी रंजीत के एक आदमी की नजर बालकनी की ओर पड़ती है और वो उधर चला जाता है। बालकनी एक वापस आते समय उसका हाथ चादर से लग जाता है। जिस वजह से चादर नीचे गिर जाती है और उसे बाथरूम का दरवाजा दिख जाता है। वो बाथरूम का दरवाजा खोलना चाहता है लेकिन दरवाजा अंदर से बंद था "यहां एक कमरा है। जिसका दरवाजा अंदर से बंद है।"-वो आदमी चिल्लाकर बोला। उसकी आवाज सुनते ही नायरा डर जाती है। और दौड़कर बालकनी की ओर जाती है। उसके पीछे पीछे रणजीत के बाकी के आदमी भी बालकनी की ओर चले जाते हैं। दरवाजे के सामने पहले से खड़ा आदमी नायरा से कहता है"ये दरवाजा अंदर से बंद है इसका मतलब अंदर कोई है। ये बताओ अंदर कौन है।" "अरे ये तो बाथरूम है। और अंदर मेरी दोस्त है वो नहा रही है। वो आरवी नही है।"नायरा हड़बड़ाते हुए घबरा कर बोली। नायरा को समझ नही आ रहा था कि अब वो क्या करे। उसे खुद पर गुस्सा आ रहा था । अगर वो अपना फोन साइलेंट नही करती तो वो अपने पापा को कॉल उठा लेती और फिर टाइम रहते ही आरवी को वहाँ से कहीं ओर भेज देती। " अंदर जो भी है उसे बाहर आने को कहो"- रंजीत का एक आदमी नायरा को धमकाते हुए बोला। "देखो मैं तुम्हें पहले ही बता चुकी हूं कि वो आरवी नही है।  और वैंसे भी आरवी इतनी भी बेवकूफ नही है जो देहरादून आकर मेरे पास रहने को आये।"-नायरा भी बिना डरे गुस्से में लगभग चिल्लाते हुए बोली। नायरा की बातें सुनकर रंजीत का एक आदमी नायरा के थोड़ा पास आता है और कहता है-"अगर तुमने उस को बाहर नही बुलाया जो अंदर है तो हम ये दरवाजा तोड़ देंगे।" इतना कहकर वो आदमी अपने बाकी साथियों को दरवाजा तोड़ने का इशारा करता है। इससे पहले वो दरवाजे को तोड़ने के लिए दरवाजे पर धक्का लगाते दरवाजा खुल जाता है। और आरवी बाहर आ जाती है। आरवी को देखकर नायरा का मुंह खुला का खुला रह जाता है। वो बस हैरानी से अपनी आँखें बड़ी बड़ी करके आरवी को अपलक देखे जा रही थी।                          ★★क्रमशः★★ धन्यवाद.......।

  • 4. खूबसूरत दिल से - Chapter 4

    Words: 3514

    Estimated Reading Time: 22 min

    जैंसे ही आरवी बाथरूम से बाहर आती है। वहाँ खड़े सभी लोग उसे ही देखने लगते हैं। नायरा तो आँखें फाड़े आरवी को ऐंसे देख रही थी मानो उसने दुनिया का आठवां अजूबा देख लिया हो। रंजीत का एक आदमी आरवी को उपर से नीचे तक देखते हुए नायरा से बोला-"कौन है ये लड़की" लेकिन नायरा उस आदमी की बात का कोई जवाब नही देती क्योंकि उसकी नजरें तो अभी भी सामने खड़ी आरवी पर ही टिकी हुई थीं। क्योंकि ये आरवी रंग रूप मे उस आरवी से बिल्कुल अलग थी जो अभी थोड़ी देर पहले बाथरूम मे घुसी थी  जिस वजह से रणजीत के आदमी भी आरवी को नही पहचान पा रहे थे। आरवी ने अपने चेहरे, हाथ और पैरों पर काला रंग किया हुआ था। और अपनी भौंहे भी हल्की सी मोटी की हुई थीं। जिससे आरवी बिल्कुल भी पहचान में नही आ रही थी। वो बिल्कुल अलग लग रही थी। नायरा को चुप देखकर रणजीत का एक आदमी जोर से चिल्लाते हुए बोला-"मैंने पूछा कौन है ये लड़की......." उस आदमी की आवाज सुनकर नायरा को अचानक होश आता है और वो झट से आरवी के पास जाकर कहती है-"मैंने बताया तो था ये मेरी दोस्त है। इसका नाम मीरा है। देख लो इसको ये कहीं से तुम्हे आरवी लग रही है।...... मैंने तो तुमसे पहले ही कह दिया था कि आरवी यहां आई ही नही। भला वो इतनी बेवकूफ थोड़ी है जो यहां आती। तुमने फालतू में ही यहां आकर अपना टाइम बर्बाद कर दिया।" ये सुनकर रणजीत के आदमी एक नजर आरवी को फिर से उपर से नीचे तक देखते हैं। और फिर वहां से चले जाते हैं। उनके जाते ही नायरा आरवी से कहती है "वाह क्या आईडिया निकाला है तुमने उस रंजीत के आदमियों से बचने का। एक पल के लिए तो तुम्हे मैं ही नही पहचान पाई। मैंने सोचा अंदर तो आरवी गई थी लेकिन बाहर ये कौन अजीब सी दिखने वाली लड़की आई। ....... फिर वो रंजीत के आदमी तो तुम्हे क्या ही पहचान पाते। लेकिन तुम्हें ये आईडिया आया कहाँ से" "जब मैं बाथरूम में गई तो शीशे में मैंने अपना चेहरा देखा। अपने चेहरे को देखकर मैंने अपने आप से कहा कि काश मेरा ये चेहरा बदल जाये। तो सब ठीक हो जाएगा।...... ये कहते ही मेरे दिमाग मे अपने चेहरे को बदले का आईडिया है और फिर मैंने अपना चेहरा बदल दिया। फिर भी मुझे नही लगा था कि वो मुझे नही पहचान पाएंगे। "-आरवी ने कहा। "ये सब तो ठीक है। लेकिन अब जल्दी से जाओ और फिर से खूबसूरत वाली आरवी बनकर आओ। क्योंकि अब तुम्हे  रमेश अंकल से मिलने जाना है। जॉब के लिए"-नायरा सामने टँगी घड़ी की ओर देखते हुए बोली। "नही मैं अब जॉब के लिए ऐंसे ही जाऊंगी। क्योंकि क्या पता कब रंजीत के आदमी मुझे देख लें। उस गौरे चेहरे से तो मुझे यही साँवला रंग अच्छा लग रहा है। कम से कम इस रंग मे बिना डरे तो बाहर निकल सकती हूँ  "-आरवी शांत भाव से कहती है । नायरा -"ओके फिर तो तू जा। और मैं तुम्हे रमेश अंकल का नम्बर सेंड कर दूंगी। उनसे पूछ लेना कहाँ आना है। फिर मैं भी रेस्टोरेंट के लिए निकलती हूँ।" आरवी सामने टेबल से अपना बैग पकड़ती है और फिर अपने दूसरे हाथ मे पकड़े लॉकेट को देखते हुए कहती है-"मम्मी मुझे माफ़ करना आपने कहा था कि मैं ये लॉकेट हमेशा पहन कर रखूं । लेकिन अभी मुझे इसे निकालना पड़ रहा है। क्योंकि हो सकता है कि उस रंजीत के आदमियों ने ये लॉकेट पहले कभी मेरे पास देखा हो। इसलिए मैं ये लॉकेट नही पहन सकती लेकिन मैं इस लॉकेट को कभी भी अपने से अलग नही करूंगी। ये हमेशा मेरे साथ ही रहेगा।" आरवी वो लॉकेट अपने बैग के जेब मे डाल कर नायरा से कहती है-"नायरा अब मैं चलती हूँ।" कुछ देर बाद आरवी रमेश अंकल से मिलकर उस जगह् का एड्रेस ले लेती है जहाँ उसे जॉब के लिए जाना था। वहीं दूसरी ओर निष्कर्ष गायत्री के पास बैठते हुए कहता है-"दादी आज आपके लिए नई केयर टेकर आ जायेगी। आप चिंता मत कीजिये।" "लेकिन तुम्हारे ऐंसे बिहेव से वो भी यहां ज्यादा नही टिक पाएगी"-गायत्री मुँह बनाते हुए बोली। "दादी.... वो सभी आपकी देखभाल ठीक से नही करती थीं। मैं घर पर नही होता था तो वो आपको ना टाइम से खाना देती थीं। और ना ही दवाई। वो बस यहां फ्री में सैलरी लेना चाहती थी। उन्हें आपकी तकलीफ से कोई मतलब नही होता था। और आप भी मुझे उनके बारे में कभी कुछ नही बताते थे। दादी मैं आपके लिए एक ऐंसी केयर टेकर चाहता हूं। जो आपको अपना समझ कर दिल से आपकी देखभाल करे। आपको टाइम से खाना खिलाये दवाई दे।  आपका अच्छे से ध्यान रखें। क्योंकि आपके अलावा मेरा इस दुनिया मे कोई नही है"- निष्कर्ष गायत्री का हाथ पकड़ते हुए शांत स्वर मे बोला। गायत्री -" ऐंसी केयर टेकर तो तुम्हे मिलने से रही। जो मुझे अपना समझ कर दिल से मेरी देखभाल करे। और मेरा ध्यान रखे समझे।" तभी घर की बेल बजती है। जैंसे ही निष्कर्ष दरवाजा खोलता है तो सामने आरवी खड़ी थी। लेकिन निष्कर्ष भी आरवी के बदले हुए रंग रूप की वजह से उसे पहचान नही पाता। वहीं दूसरी ओर जब आरवी की नजरें निष्कर्ष पर पड़ती है। तो वो हैरान रह जाती है। और उसके चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ जाती है " अरे ये तो वही लड़का है। जिसने कल भी मेरी हेल्प की थी। मतलब मैं इसी के घर मे केयर टेकर की जॉब करूंगी। थैंक यू शिवजी कम से कम मेरी लाइफ में कुछ तो अच्छा हुआ। मुझे तो डर लग रहा था कि जहां मैं जॉब के लिए जा रही हूं। वो लोग पता नही कैंसे होंगे। पर ये लड़का तो बहुत अच्छा है।"-आरवी मुस्कराते हुए अपने मन मे सोचती है। आरवी को ऐंसे  मुस्कराता देख निष्कर्ष अजीब नजरों से आरवी को घूरने लगता है। "ये लड़की.... मुझे देख कर मुस्करा क्यों रही है।"-निष्कर्ष अपने मे ही बोला। "कौन हो तुम...... और यहाँ खड़ी खड़ी ऐंसे मुस्करा क्यों रही हो"-निष्कर्ष सख्त लहीज़े मे बोला। " मुझे आपके घर रमेश अंकल ने केयर टेकर की जॉब के लिए भेजा है"-निष्कर्ष की बात सुन आरवी हड़बड़ाहट मे बोली। "हां रमेश अंकल ने मुझे भी कॉल करके बता दिया था कि तुम आने वाली हो। वैंसे नाम क्या है तुम्हारा"-निष्कर्ष बोला। आरवी -"आरवी....." आरवी नाम सुनते ही निष्कर्ष हैरानी से आरवी का नाम दोहराते हुए बोला-"आरवी......" "जी आरवी"- इतना कहकर आरवी अपने मन मे सोचती है-" ये सोच रहा होगा की कल भी मुझे आरवी मिली और आज फिर से दूसरी आरवी मिल गई। लेकिन इसे क्या पता कि दोनो आरवी एक ही हैं। निष्कर्ष एक बार फिर आरवी को ऊपर से नीचे तक देखता है। और फिर धीरे से कहता है-" अंदर आओ" आरवी अंदर आते हुए पूरे घर पर अपनी नजरें दौड़ाते हुए बोली-"आपका घर बहुत ही खूबसूरत है" निष्कर्ष आरवी की इस बात का कोई जवाब नही देता। और गायत्री के पास आकर निष्कर्ष आरवी से कहता है-"ये हैं मेरी दादी...... आज से तुम इनकी ही केयर टेकर हो।" गायत्री को देखते ही आरवी मुस्कराते हुए अपने दोनो हाथ जोड़कर बोली"नमस्ते दादी....." आरवी के मुंह से गायत्री के लिए दादी सुनकर निष्कर्ष  चिढ़ते हुए कहता है-"वो मेरी दादी हैं। तुम्हारी नही............ तुम उन्हें मेम कहोगी।" निष्कर्ष का ऐंसा बिहेव देखकर आरवी थोड़ा हैरान रह जाती है। लेकिन फिर वो अपने मन मे सोचती है-"ये ठीक ही सब कह रहे हैं कि मुझे उनके लिए मेम कहना चाहिए। मैने आते ही सीधे दादी कह दिया" "बेटा तुम इसकी बात मत सुनो....... तुम मुझे दादी कह सकती हो। .... क्या नाम है बेटा तुम्हारा"-" गायत्री शांत लहीज़े मे बोली। "आरवी.....दा...... इतना कहकर आरवी एक नजर निष्कर्ष की ओर देखती है और फिर आगे कहती है-"...मेम" गायत्री -"अरे आरवी बेटा मैंने कहा ना तुमसे तुम मुझे दादी कह सकती हो।" ये सुन आरवी मुस्कराते हुए कहती है-"जी.... दादी।" "अब कुछ काम की बात करें।"-निष्कर्ष बिना किसी भाव के बोला। आरवी -"जी कहिए" "तुम्हारा पहला काम है दादी के लिए खाना बनाना और हां खाना ज्यादा मिर्च मसाला वाला नही होना चाहिए।  खाना नॉर्मल होना चाहिए। दूसरा दादी को टाइम से खाना खिला कर उन्हें टाइम से दवाई देनी है। तीसरा हर फ्राइडे को दादी को हॉस्पिटल ले जाना होता है। तो उसका ध्यान रखना। तुम्हे और दादी को हॉस्पिटल ड्राइवर ले जाएगा। हर दिन दादी को नहलाना होता है। और रोज सुबह शाम उन्हें बाहर गार्डन में घुमाना भी है। और ये तो तुम्हे रमेश ने बताया ही होगा कि तुम अब से यहीं रहोगी। क्योंकि दादी को तुम्हारी जरूरत कभी भी पड़ सकती है। रात को भी .....इसलिए तुम दादी के ठीक बगल वाले रूम मे रहोगी। ताकि अगर रात को दादी को तुम्हारी जरूरत पड़े तो तुम उनकी आवाज आसानी से सुन सको।" इतना कहकर निष्कर्ष सामने के बीच वाले कमरे की ओर इशारा करते हुए अपनी बात आगे कहता है-"वो दादी का रूम है। उसके ठीक राइट वाले रूम में तुम रहोगी। और दादी के रूम के ठीक लेफ्ट में मेरा रूम है। वहां गलती से भी मत जाना। ....... बाकी घर की साफ सफाई करने तो मेड आती है। ..... दादी को कौन सी दवाई कब देनी है कैंसे देनी है वो सब मैं तुम्हे बाद में बता दूंगा और सैलरी के बारे में तो तुम्हे रमेश ने बता ही दिया होगा।.....इसके अलावा तुम्हे कुछ पूछना है तो तुम पूछ सकती हो।" "वो आपने कहा कि मुझे खाना सिर्फ  दादी के लिए ही बनाना है। लेकिन आप भी तो हो। आपके लिए खाना नही बनाना"-आरवी शांत भाव से निष्कर्ष से पूछा। निष्कर्ष - "नही..... क्योंकि मुझे सिर्फ अपने होटेल के बेस्ट सेफ के हाथ का बना हुआ खाना ही पसन्द है। इसलिए मैं खाना होटेल में ही खाता हूं। तुम्हे सिर्फ अपने लिए और दादी के लिए ही खाना बनाना है।" "तो क्या फिर मैं आज से ही जॉब जॉइन कर सकती हूं।"-आरवी ने फिर सवाल किया। निष्कर्ष -" हां......" " मैं अभी थोड़ी देर में अपना सारा सामान लेकर वापस आती हूँ।"-आरवी मुस्कराते हुए बोली। गायत्री -"हां....आरवी बेटा.... जब तक तुम अपना सामान लेकर आती हो। तब तक मैं सपना से तुम्हारे रूम की सफाई भी करवा दूंगी।" इस पर आरवी मुस्कराते हुए गायत्री को देखती है और फिर बाहर आ जाती है। आरवी के जाते ही निष्कर्ष अपने मन ही मन बोला" ये लड़की मुझे कुछ ठीक नही लग रही।" कुछ देर बाद आरवी अपना सारा जरूरी सामान लेकर वापस गायत्री निवास मे आ जाती है। दूसरी ओर होटेल में निष्कर्ष अपने केबिन में बैठा अपने काम मे बिजी था। इतने में अरमान केबिन का डोर नॉक करते हुए कहता है-"मे आई कम इन सर। "यस कम इन"-निष्कर्ष बोला तो अरमान केबिन के अंदर आ जाता है। निष्कर्ष की नजरें अभी भी अपने हाथ मे पकड़ी फ़ाइल पर ही थीं। अरमान निष्कर्ष को देखते हुए धीरे से कहता है-" सर ..... कल के इंटरव्यू में आपने रिसेप्शनिस्ट की पोस्ट के लिए किसी भी कैंडिडेट को सलेक्ट नही किया। तो क्या जो बाकी के कैंडिडेट हैं। उन्हें कल इंटरव्यू के लिए बुला दें। "हां........ लेकिन इस बार सिर्फ उन्हें ही इंटरव्यू के लिए कॉल करना जिनके पास सिक्स मन्थस तक का एक्सपीरियंस हो। समझे"-निष्कर्ष ने कहा। अरमान -"जी आप" निष्कर्ष -"वो कल मैने तुम्हे कॉल पर एक स्केच आर्टिस्ट को लाने को कहा था। " अरमान"-सर वो बस आता ही होगा। उसने कहा था वो बारह बजे तक आ पायेगा।" निश्क्र्श-"ओके.... अब तुम जा सकते हो"। कुछ देर बाद स्केच आर्टिस्ट निष्कर्ष के केबिन मे आता है। निष्कर्ष उससे आरवी का एक स्केच बनवाकर स्केच की एक कॉपी अरमान को देते हुए कहता है-"इस लड़की का पता करवाओ। इस लड़की का नाम आरवी है। ये लड़की यहीं देहरादून मे है। मुझे जल्द से जल्द इस लड़की के बारे मे सारी जानकारी चाहिए और हां ये लड़की प्रीतमपुरा के आसपास के किसी गांव की है। एक बार प्रीतमपुरा के आस पास के सभी गांव मे भी इसके बारे मे पता करवाना" अरमान -" जी सर" रात के लगभग साढ़े सात बज चुके थे। आरवी गायत्री के साथ बातें करते हुए गायत्री के पैरों की मालिस भी कर रही थी। गायत्री को पहले ही दिन आरवी और उसका काम दोनो ही पसंद आ गये थे। कुछ देर बाद निष्कर्ष भी घर पहुंच जाता है। उसके पास घर की दूसरी चाभियाँ हमेशा रहती थीं। इसलिए वो सीधे घर के अंदर आ जाता है। घर के अंदर आते ही वो सीधे गायत्री के रूम की ओर जाता है। दरवाजे के पास पहुंचते ही वो देखता है कि गायत्री और आरवी आपस मे बातें कर रहे हैं। आरवी और गायत्री को बातें करते देख कोई ये नही कह सकता था कि ये दोनो एक दूसरे से अभी थोड़ी देर पहले ही मिले हों।  "ये लड़की दादी के साथ कुछ ज्यादा ही अच्छा बनने की कोशिश कर रही है। पहले ही दिन कौन इतना घुल मिल जाता है। "-निष्कर्ष दोनो को आपस मे इतने अच्छे से बातें करते देख खुद मे ही बोला। फिर निष्कर्ष कमरे के अंदर आकर रौबदार आवाज में  कहता है-" तुमने दादी के लिए खाना बना लिया।" निष्कर्ष की आवाज सुनते ही गायत्री और आरवी की नजरें निष्कर्ष की ओर मुड़ जाती हैं। आरवी निष्कर्ष के सवाल का जवाब देते हुए धीरे से कहती है-"नही......" "तो फिर कब बनाओगी। आठ बजने वाले हैं। और दादी रात का खाना हमेशा साढ़े आठ बजे करती है तुम्हे बताया तो था मैने"-निष्कर्ष गंभीर स्वर मे बोला। इतने में गायत्री कहती है"निष्कर्ष आरवी के लिए खाना बनाने के लिए मैंने ही मना किया क्योंकि अभी थोड़ी देर पहले ही आरवी ने मुझे सूप पीने को दिया था। इसलिए मुझे अभी भूख नही है।" "दादी आज खाने में आपके लिए क्या बनाऊं।"-आरवी ने गायत्री से पूछा। गायत्री -"बना लो बेटा जो तुम्हे ठीक लगे" आरवी सोचते हुए बोली - "दादी.... मूंग की दाल, दलिया और रोटी बना दूँ।" ये सुन गायत्री हल्की सी मुस्कराहट के साथ आरवी की बात पर  हामी भरती है। तो आरवी भी मुस्कराते हुए बाहर चली जाती है। कुछ देर बाद निष्कर्ष किचन में जाता है। "निष्कर्ष सर आप यहाँ आपको कुछ चाहिए था।"- निष्कर्ष को किचन मे देखते ही आरवी ने पूछा। "हां .... पानी"-निष्कर्ष आरवी को घूरते जवाब देता है।   ये सुन आरवी जल्दी से एक गिलास में पानी डालकर निष्कर्ष की ओर आने लगती है। तभी आरवी का पैर फर्श पर बिछे पायदान से उलझ जाता है जिस वजह से वो ठीक अपने सामने खड़े निष्कर्ष के ऊपर आ गिरती है। आरवी के अचानक निष्कर्ष के ऊपर गिरने के कारण निष्कर्ष को भी सम्भलने का मौका नही मिल पाता और सब भी आरवी के साथ ही नीचे फर्श पर जा गिरता है। जिस वजह से आरवी निष्कर्ष के ठीक ऊपर आ गिरती है। आरवी का चेहरा निष्कर्ष के चेहरे के ठीक सामने था। जिससे आरवी को एक पल के लिए लगता है कि कहीं निष्कर्ष उसे पहचान न ले।  लेकिन जैंसे ही निष्कर्ष की नजरें आरवी के चेहरे पर पड़ती हैं। वो आरवी को जोर से दूसरी ओर धकेल देता है। जिस कारण आरवी निष्कर्ष के ठीक बगल में जाकर गिर जाती है  और उसकी कोहनी फर्श से जा लगती है। " ये क्या करना चाहती थी तुम"-निष्कर्ष खड़े होते हुए गुस्से मे चिल्लाया। निष्कर्ष को गुस्से में देखकर आरवी डर जाती है। और वो भी खड़े होते हुए सकपका कर कहती है-"सॉरी सर..... वो मेरा पैर पायदान से उलझ गया था इस वजह से मैं आपके ऊपर गिर गई। प्लीज् मुझे माफ़ कर दीजिए।" "ये तुमने गलती से नही किया बल्कि जान बूझकर किया। तुम अपनी ये उल्टी सीधी हरकतें करके मेरे करीब आना चाहती हो ना। मुझे पता है। नोटिस किया था मैंने आज जब तुम सुबह घर पर आई थी। उस समय भी मुझे घूर घूर कर देख रही थी। और फिर मुस्करा भी रही थी। .....कहीं ऐंसा तो नही कि तुम्हे मै पहली ही नजर मे पसंद आ गया। इसलिए तुम मेरे करीब आना चाहती हो। मुझे अपने प्यार के जाल में फंसाना चाहती हो। "-निष्कर्ष गुस्से में बिना रुके आरवी को सुनाए जा रहा था। लेकिन दूसरी ओर आरवी निष्कर्ष के इस रूप को देखकर हैरान थी। क्योंकि अभी तक उसकी नजरों में निष्कर्ष एक अच्छा दिल का इंसान था। जिसने कल उसकी हेल्प की थी। और आज वो उसकी बात सुने बिना ही उसे इतना भला बुरा कह रहा था। निष्कर्ष आरवी को डांटते हुए आगे बोला-"बोलो अब चुप क्यों हो। ....... तुमने सोचा होगा कि ये सारे फिल्मी ड्रामे करके तुम मुझे अपने प्यार में फंसा दोगी। क्योंकी मुझ जैंसा रिच और गुड लुकिंग लड़का तुम्हे कहाँ मिलेगा। लेकिन मैं बेवकूफ नही हूँ। समझी। .......... आगे से मुझसे दूर रहना। जिस काम के लिए तुम यहाँ आई हो वो करो। आगे से कभी तुमने मेरे करीब आने की कोशिश की तो मैं तुम्हे जॉब से निकाल दूंगा। इसे मेरी फस्ट और लास्ट वार्निंग समझना। " "निष्कर्ष क्या हुआ क्यों डांट रहे हो आरवी को।"-निष्कर्ष की आवाज सुन गायत्री किचन मे आते ही बोली। गायत्री को किचन में देखकर निष्कर्ष आरवी को गुस्से में घूरते हुए गायत्री की ओर देखता है और कहता है-"दादी आपसे कितनी बार कहा है मैंने ....की बेड से व्हील चेयर पर अपने आप से मत बैठा कीजिये। कभी आप गिर गईं तो। आप चलिए मैं आपको बेड पर लिटा देता हूँ।" इतना कहकर निष्कर्ष गायत्री को लेकर वहां से चला जाता है। आरवी अभी भी अपनी जगह पर बुत की तरह खड़ी थी। उसके दिमाग मे अभी भी निष्कर्ष की कही हुई बातें ही चल रही थी। वो तो निष्कर्ष को अभी तक एक अच्छे दिल का इंसान समझ रही थी। लेकिन वो गलत थी। आरवी एक लंबी सांस लेकर अपने आप मे ही कहती है-"मुझे यकीन नही हो रहा कि ये इंसान वही है। जो  मुझे कल मिला था। अनजान होने के बाद भी जिसने मेरी हेल्प की थी। ..... वो तो मुझे एक अच्छे दिल का इंसान लग रहा था।...... लेकिन ये जो मैंने अभी देखा ये तो अपने इस शरीर और पैसों के घमंड में चूर है। जिसे दूसरों की फीलिंग्स की कोई कदर ही नही है।" वही दूसरी ओर निष्कर्ष गायत्री को उसके कमरे में ले जाकर बेड पर लिटा कर जैंसे ही कमरे से बाहर जाने को होता है। अचानक से गायत्री का फोन बजने लगता है। फोन बजते ही निष्कर्ष की नजर सामने टेबल पर रखे गायत्री के फोन की स्क्रीन पर पड़ती है। फोन की स्क्रीन पर देखते ही निष्कर्ष का गुस्सा सातवें आसमान में पहुंच जाता है। और वो गुस्से में गायत्री के फोन पर आ रही कॉल को पिक करके जोर से चिल्लाकर कहता है"कितनी बार कहा है आपको की दादी को कॉल मत किया कीजिये। फिर क्यों उन्हें कॉल करते हो आप। उनका ध्यान रखने के लिए मैं हूँ यहां पर समझे मिस्टर मल्होत्रा। आप बस अपना, अपनी बीबी का और अपने बच्चों का ध्यान रखिये। आगे से दादी को कॉल करने की जररूत नही है।" इतना कहकर निष्कर्ष कॉल कट करके फोन को सामने बेड पर पटक देता है। ये देख गायत्री कहती है-"निष्कर्ष क्यों इतनी नफरत है तेरे दिल में वीरेन के लिए। पिता है वो तेरा।" "पिता नही हैं वो मेरे..... मेरी माँ के खूनी हैं। मेरी माँ को मारा है उन्होंने। जिसके सामने मेरे दिल की ये नफरत कुछ भी नही है। अगर मेरा बस चलता तो मैं उन्हें मेरी माँ की मौत की ऐंसी सजा देता की उनकी रूह तक कांप जाती।"-निष्कर्ष गुस्से में बोला । उसकी आँखें इस समय गुस्से से लाल हो चुकी थी। "मैं तुमसे कहते कहते थक चुकी हूं कि वीरेन ने नही मारा तुम्हारी माँ को। बल्कि वो तो तुम्हारी माँ से बहुत प्यार करता था। "-गायत्री ने भी गुस्से में थोड़ा तेज आवाज में कहा। "प्यार.... करते थे वो मेरी माँ से तो मेरी माँ के रहते हुए उन्होंने उस औरत से दूसरी शादी क्यों कि।"-निष्कर्ष ने गायत्री की बात का जवाब देते हुए कहा। "ये मैं पहले भी तुम्हे बता चुकी हूं। कि वीरेन ने वैशाली से शादी क्यों कि। लेकिन तुम्हें वो सब झूठ लगता है तो अब मैं तुमसे क्या कहूँ"-गायत्री गुस्से में बोली "झूठ ही है वो ...... सिर्फ एक बहाना ताकि वो अपना गुनाह छुपा सके। लेकिन मैं इतना बेवकूफ नही हूँ जो उनकी झूठी बातों को सच मान लूं और आपकी तरह उन्हें माफ कर दूं। ........... नफरत है मुझे उनसे और उस औरत से भी। ........ उन दोनो से ही नही बल्कि उन सभी औरतो से भी नफरत है जो  किसी मर्द को  अपने प्यार के जाल में फांसती हैं। और उन सभी मर्दों से भी जो आसानी से ऐंसी औरतों के जाल में फंस जाते हैं। और अपना हंसता खेलता परिवार बर्बाद कर देते हैं। -"निष्कर्ष बिना रुके गुस्से में कहे जा रहा था। उसकी  आँखों में  दर्द के साथ नफरत और गुस्सा भी साफ दिख रहा था। इतना कहकर निष्कर्ष अपने रूम में चला जाता है। कुछ देर बाद आरवी गायत्री के लिए खाना लेकर आती है। लेकिन गायत्री निष्कर्ष की बातों से इतना दुखी हो गई थी कि वो खाना खाने से मना कर देती है। फिर भी आरवी गायत्री को फोर्स करके थोड़ा खाना खिलाकर दवाई दे देती है। और फिर अपने रूम में आ जाती है। निष्कर्ष की कड़वी बातें सुनने के बाद आरवी ने भी खाना नही खाया था। उसके दिमाग मे अभी भी निष्कर्ष की कही हुई बातें ही घूम रहीं थी।                        ★★क्रमशः★★ धन्यवाद......।

  • 5. खूबसूरत दिल से - Chapter 5

    Words: 3006

    Estimated Reading Time: 19 min

    आरवी अपने बिस्तर पर लेटी हुई सोने की कोशिश कर रही थी। लेकिन उसे नींद नही आ रही थी। क्योंकि उसके दिमाग मे तो अभी भी बस निष्कर्ष की कही हुई बातें ही घूम रही थीं। तभी अचानक से उसका फोन बजने लगता है। वो देखती है तो फोन पर नायरा का कॉल आ रहा था। आरवी बुझे हुई मन से नायरा का कॉल उठाकर कहती है-" हेलो।" दूसरी ओर से नायरा फोन पर कहती है-"सो गई थी क्या।" "अरे नही....... तुम बताओ तुमने डिनर कर लिया"-आरवी मायूसी से बोली आरवी की आवाज सुन नायरा समझा जाती है कि आरवी परेशान है। " तेरी आवाज सुनकर लग रहा है कि जैंसे तू उदास है। सुबह जब तूने कॉल किया था तो बड़ी खुश थी। अब क्या हो गया। कहीं जॉब के पहले ही दिन डांट वाँट तो नही पड़ गई "-नायरा ने कहा आरवी -"यार मैंने तुझे सुबह कॉल करके बताया था ना कि मेरी जॉब उसी लड़के के घर में लगी है जिसने कल मेरी हेल्प की थी" "हां बताया था। और तू इसीलिए तो खुश भी थी कि वो बहुत अच्छा लड़का है। और उस लड़के की दादी भी बहुत अच्छी है। -"नायरा ने आरवी की बात बीच मे काटते हुए कहा। तो आरवी झट से मुँह बनाकर कहती है-"वो अच्छा लड़का नही है। मैं उसे गलत समझ रही थी। बल्कि वो तो एक नम्बर का घमंडी, खड़ूस और बत्तमीज लड़का है।" "क्या किया उसने"- आरवी की बात सुन नायरा हैरानी भरे स्वर में कहती है। आरवी नायरा को निष्कर्ष की कही हुई सारी बातें बताकर    आगे कहती है-"यार जबकि मैं उसके ऊपर जान बूझकर नही गिरी थी। फिर भी उसने मुझे इतना सुना दिया।" आरवी की बातें सुनकर नायरा को भी निष्कर्ष पर गुस्सा आने लगा था। "तेरी बातें सुनकर तो लग रहा है कि सच मे ही वो लड़का एक नम्बर का घमण्डी और बत्तमीज है।  ......... मैं तो कहती हूँ। वहां जॉब छोड़ दे। उसकी जॉब उसे ही मुबारक। मैं रमेश अंकल से कहकर तेरी जॉब दूसरी जगह लगवा दूंगी।" आरवी -"नही यार..........मैं ये जॉब नही छोड़ सकती।" नायरा -" क्यों नही छोड़ सकती।" "देख यहां दिन और रात का काम है। क्योंकि दादी को मेरी जरूरत कभी भी पड़ सकती है। इसलिये मेरी सैलरी अठारह हज़ार है। जिसमे लगभग ग्यारह बारह हजार तो तनय की होस्टल का, उसकी स्कूल फीस और उसका जेब खर्च देना पड़ेगा। फिर छ: हज़ार बच जाते हैं। जिसमे थोड़ा बहुत मेरा खर्चा निकल जायेगा और कुछ पैसे बच भी जायेंगे और यहां  रहना और खाना भी  फ्री है। जरा सोचो अगर मैं कहीं दूसरी जगह जॉब करूंगी वो स्टार्टिंग में पन्द्रह हज़ार से ज्यादा सैलरी मुझे देंगे नही। उसके बाद बारह हजार तो तनय की फीस वगैरह की लगा लो। फिर मुझे रूम भी लेना होगा। खाना पीना अलग। तो कहां हो पायेगा। और वैंसे भी दादी थोड़ी ना उसकी जैसी हैं। वो तो बहुत अच्छी हैं।  " आरवी की बातें सुन नायरा कहती है-"हां ये बात भी है। लेकिन तू वहां रहेगी कैंसे उस राक्षस के साथ।" "अब से मैं उससे दूर ही रहूंगी। और वैंसे भी वो पूरे दिन अपने होटेल में रहेगा। सिर्फ शाम को ही आएगा।........... लेकिन मुझे एक बात समझ नही आ रही। कि कल मैं बिना पूछे उसकी बाइक पर बैठ गई फिर भी उसने मुझे कुछ नही कहा। और आज गलती से मैं उसके ऊपर क्या गिर गई कि उसने मुझे इतना कुछ सुना दिया। कि पूछो मत"आरवी ने कहा "इसमें समझने वाली क्या बात है। कल उसने देखा होगा कि मेरे पीछे बाइक पर सुंदर लड़की बैठी है इसलिए तुमसे अच्छे से बात की होगी। और आज जब उसने तुम्हारा ये सांवला रंग रूप देखा तो उसे तुम अच्छी नही लगी होगी। क्योंकि उसकी बातों से तो  लग ही रहा है कि उसके लिए बाहरी खूबसूरती ही सब कुछ है। इसलिए उसने तुम्हें अच्छे से सुना दिया होगा।" "हां मुझे भी यही लग रहा है। सच मे ऐंसे लांगों की कितनी घटिया सोच होती है। जबकि ये रंग रुप शक्ल सूरत ये तो भगवान की देन है। जो कि समय के साथ बदलते रहते हैं। और दुख तो इस बात का है कि आजकल के पढ़े लिखे लोगों की भी ऐंसी सोच है। .......... आज मुझे उन लांगों के लिए बुरा फील हो रहा है। जो सांवले रंग के होते हैं। या फिर दिखने में ज्यादा अच्छे नही होते। उन्हें ऐंसे लांगों के कितने ताने सुनने होते होंगे ना।"-आरवी शांत स्वर में कहती है। दूसरी ओर निष्कर्ष अपने रूम की खिड़की के सामने खड़ा था।  उसने हाथ मे वही आरवी का दिया हुआ लॉकेट पकड़ा हुआ था। जो खुला हुआ था और उसके अंदर उसकी मां की फ़ोटो लगी हुई थी। लेकिन उसकी नजरें उस लॉकेट पर नही थी। उसकी नजरें तो खिड़की से दिख रहे आसमान की ओर थीं। उसके चेहरे और आँखों को देखकर साफ मालूम हो रहा था कि वो अभी भी गुस्से में हैं। निष्कर्ष अपनी दोनो आँखें बंद करके अपने हाथ मे पकड़े लॉकेट को जोर से अपनी मुठ्ठी में भींच देता है। और गुस्से में कहता है-" दादी आपको मिस्टर मल्होत्रा  की झूठी बातों पर यकीन इसलिए हो गया। क्योंकि आपने वो नही सुना और देखा जो मैंने देखा और सुना। उनका असली चेहरा। वो ना तो मेरी मम्मी से प्यार करते थे। और ना ही प्यार करते हैं।" इतना कहते ही निष्कर्ष को अपनी अतीत की कुछ बातें याद करने लगता है जिसमे निष्कर्ष की उम्र आठ नो साल की रही होगी। वो एक बड़े से कमरे के दरवाजे पर खड़ा था। कमरे के अंदर निष्कर्ष की मां निष्कर्ष के पापा पर गुस्से में जोर से चिल्लाते हुए कह रही थी-" वीरेन तुम्हे क्या लगता है कि तुम मुझे ये कहानी सुनोगे तो मैं तुम्हे माफ कर दूंगी। अगर तुम इतने ही सच्चे थे तो तुमने मुझे उसी समय सब सच क्यों नही बताया। आज जब मुझे अपने आप से मालूम हुआ कि तुमने उस लड़की से शादी कर ली है तो तब जाकर तुम मुझे ये सारे बहाने सुना रहे हो।" "देखो मालिनी जो हुआ वो सिर्फ मेरी मजबूरी थी। मैं ये बात तुमसे कहते कहते थक चुका हूं। लेकिन तुम्हे मुझ पर यकीन ही नही है तो अब मैं क्या करूँ। मैं सच कह रहा हूँ। मैंने सिर्फ तुमसे ही प्यार किया है। और आगे भी बस तुम्ही से प्यार करता रहूंगा"-वीरेन मालिनी को समझाते हुए कहता है। " प्यार..... पता भी है तुम्हे प्यार क्या होता है। प्यार  भरोसे पर टिका हुआ होता है। लेकिन तुमने आज मेरा भरोसा तोड़ दिया है। तो फिर किस प्यार की बात कर रहे हो तुम । अगर मुझसे इतना ही प्यार करते थे तो फिर क्यों कि उस लड़की से शादी। यही प्यार है तुम्हारा मेरे लिए।"-मालिनी बोली। मालिनी की बातें सुनकर वीरेन मालिनी के पास आकर उसकी दोनो बाजुओं को पकड़कर उसे समझाते हुए कहता है-"प्लीज् मालिनी समझने की कोशिश करो। मैं सच कह रहा हूँ। वो शादी मुझे मजबूरी में करनी पड़ी। तुम समझ क्यों नही रही हो।" मालिनी वीरेन की बातों को अनसुना कर उसे एक जोर का धक्का देती है। जिससे वीरेन का पैर सामने रखी टेबल से जा लगता है। जिस वजह से वीरेन को भी गुस्सा आ जाता है। " इससे तो अच्छा होता कि मैं मर जाती। "-मालिनी चिल्लाते हुए बोली मालिनी की बातें सुनकर वीरेन भी गुस्से में जोर से चिल्लाते हुए कहता है-"....... तो फिर मर जाओ....... या फिर मैं ही मार देता हूँ तुम्हे और उसके बाद खुद भी मर जाऊंगा।" इतना कहकर वीरेन अपनी आँखें बंद करके अपने गुस्से पर काबू करते हुए शांत भाव से आगे कहता है"- तुम्हे मेरी बातों पर यकीन नही है तो उसके घर जाकर जाकर उसके घरवालों से पूछ लो कि हमारी शादी कैंसे हुई थी।" वीरेन अपनी बात पूरी करके कमरे से बाहर चला जाता है। वीरेन के जाते ही मालिनी नम आंखों से अपने मे ही कहती है-"समझ नही आ रहा मैं क्या करूँ। कितना खुश थे हम दोनों लेकिन उस लड़की के आने के बाद सब कुछ बदल गया। चाहे आपने ये शादी अपनी मर्जी से की या किसी मजबूरी में। फिर भी आपने मुझे धोखा तो दिया ही है। ये बात छुपा कर। लेकिन अगर आप सच कह रहे हैं तो मैं आपको माफ कर दूंगी। और अगर आप झूठ कह रहे हैं तो मैं आपको कभी माफ नही करूंगी। अब आप सच कह रहे हैं या झूठ इसका पता लगाने के लिए मुझे उस लड़की से और उसके घरवालों से मिलना ही पड़ेगा।" एक रोज निष्कर्ष स्कूल से घर आते ही सीधे अपनी मां के कमरे मे जाता है। वो आज बहुत खुश था। क्योंकि उसे आज उसकी क्लीन यूनिफॉर्म के कारण  प्राइज मिला था। "मम्मी.......मम्मी.......मम्मी  देखो आज मुझे प्राइज मिला।" लेकिन उसे उसकी मां घर पर कहीं नही दिखती। इतने में एक नोकर निष्कर्ष के पास आकर कहता है-"छोटे बाबा आप आ गए।" "हाँ ..... काका पर मम्मी कहाँ हैं। वो मुझे कहीं दिख नही रही हैं।"-निष्कर्ष उस नोकर से पूछता है तो वो नोकर कुछ रुककर कहता है-"बेटा वो छोटी मालकिन आज दोपहर में सीढ़ियों से गिर गईं। इसलिए उन्हें हॉस्पिटल ले गए हैं। लेकिन तुम चिंता मत करो वो बिल्कुल ठीक...............।" अभी उस नोकर ने इतना ही कहा था। कि घर के बाहर एक गाड़ी आकर रुकती है। गाड़ी को देखते ही निष्कर्ष के चेहरे पर स्माइल आ जाती है। वो बाहर की जब दौड़ते हुए  कहता  है-"मम्मी आ गई।" लेकिन जैंसे ही वो बाहर आता है। उसके सामने उसकी मम्मी नही उसकी मम्मी का पार्थिव शरीर था। जिसे कुछ आदमी उनके आंगन में रखकर वहां से चले जाते हैं। निष्कर्ष के पापा , उसके दादा और उसके दादी सब रो रहे थे। निष्कर्ष धीरे से अपनी मां के पार्थिव शरीर के पास जाता है और शरीर को हिलाते हुए कहता है-"मम्मी उठो..... ना देखो आज मुझे प्राइज मिला। " अपने अतीत को याद करके निष्कर्ष की आँखों मे आंसू आ जाते हैं। और वो खुद को संभालते हुए अपने आंसू पोंछता है। और फिर अपने हाथ मे पकड़े हुए लॉकेट को देखकर उसे अपनी अलमारी में रख देता है। और वाशरूम में चला जाता है। कुछ देर बाद निष्कर्ष वाशरूम से बाहर आता है। उसके दिमाग मे अभी भी गायत्री की कही हुई बातें चल रही थी। और साथ मे उसे अपनी कही हुई बातें भी याद आ रही थी। जो उसने गुस्से में गायत्री से कही थीं। अपनी कही हुई बातें याद करके निष्कर्ष परेशान सा अपने मे ही कहता है-"मुझे दादी से ऐंसे बात नही करनी चाहिए थी। जबकि मुझे पता है कि जब भी मैं दादी से ऐंसे बात करता हूँ वो हर्ट होती हैं। और फिर खाना और दवाई भी नही खाती। ......... एक बार दादी को देखकर आता हूँ। अगर उन्होंने खाना नही खाया होगा तो उन्हें मना कर खाना खिला दूंगा और फिर दवाई भी खिला दूंगा। " इतना कहकर निष्कर्ष गायत्री के रूम में आ जाता है। वो गायत्री को देखता है तो वो सो चुकी थीं। इसलिए वो कुछ नही कहता और चुपचाप  कमरे से बाहर आ जाता है। कमरे से बाहर आने के बाद निष्कर्ष अपने मे ही कहता है-" दादी आज बिना खाये ही सो गई। ........... एक बार इस लड़की से पूछता हूँ। कि दादी ने खाना खाया की नही। वैंसे तो जहां तक मुझे पता है दादी ने खाना नही खाया होगा। .......  और इस से ये भी कह दूंगा की अगर आगे से दादी खाना न खाए तो उन्हें जबरदस्ती खाना खिला दिया करना। " दूसरी ओर आरवी फोन पर नायरा से कहती है-"मुझे ना उस घमंडी राक्षस पर इतना गुस्सा आ रहा है। की अगर वो इस समय मेरे सामने होता तो मैं उसका कचूमर बना देती" नायरा "तो बना दे........"। "अच्छा...... अगर मैंने उसे कुछ भी कहा तो वो मुझे जॉब से निकाल देगा। कचूमर बनाने की बात तो बहुत दूर है। और तुझे पता है ना मुझे इस जॉब की बहुत जरूरत है।"- आरवी मायूस होकर बोली। "अरे सच वाला कचूमर थोड़ी ना....... वही वाला जब तुझे किसी पर बहुत गुस्सा आता है तो तू उस इंसान का कचूमर बनाती है। याद आया कुछ ....कैसा कचूमर बनाना है उसका।" नायरा की बात सुनकर आरवी के चेहरे पर भी स्माइल आ जाती है और वो कहती है-"हां....... ये तो मैं भूल ही गई थी। अब मैं उसका अच्छे से कचूमर बनाउंगी।" इतना कहकर नायरा कॉल कट कर देती है। कॉल कट होते ही आरवी सामने रखी तकिया उठाती है। और गुस्से में तकिया को घूरते हुए कहती है-" घमंडी राक्षस तुम्हे लगता है कि मैं तुम्हारे ऊपर जान बूझकर गिरी। तो सुनो मैं जान बूझकर बिल्कुल नही गिरी बल्कि गलती से गिरी। तुम्हे लगता है कि तुम बहुत हैंडसम हो। लेकिन मुझे तो तुम बिल्कुल भी हैंडसम नही लगे समझे। इतना कहकर आरवी अपने दूसरे हाथ से उस तकिया पर मारने लगती है। " आरवी तकिया को बिस्तर पर रख कर दोनो हाथों से तकिये को मारते हुए आगे कहती है-" तुम भले ही शक्ल सूरत से अच्छे होंगे लेकिन तुम दिल से बहुत बुरे हो। बहुत ही बुरे। समझे तुम....... तुम्हारी तो मैं इतना कहकर आरवी उस तकिया को नीचे फर्श पर गिरा देती है। और उसके ऊपर लातें भी मारने लगती हैं।" इतने में निष्कर्ष आरवी के कमरे के दरवाजे के पास आ जाता है। दरवाजा खुला होने के कारण वो हल्का सा अंदर झांक कर देखता है। जैंसे ही वो कमरे के अंदर आरवी को देखता है तो उसकी आँखें हैरानी से खुलकर बड़ी हो जाती है। आरवी अभी भी तकिया को अपने हाथ और पैरों से मारे जा रही थी। "ये लड़की ऐंसा क्यों कर रही है। कहीं ये मेरा गुस्सा तो नही निकाल रही इस तकिया पर ........ लग तो मुझे ऐंसा ही रहा है। इसे देख कर तो लग रहा है कि शायद ये मेरे ऊपर गलती से ही गिरी मै भी ना उस औरत की वजह से हर किसी पर शक करता रहता हूँ। "-निष्कर्ष अपने मे ही बोला। निष्कर्ष दरवाजे पर सट कर खड़ा हो जाता है और आरवी को अपलक देखने लगता है। वो आरवी की हर हरकत को नोटिस कर रहा था। जो कि उसे बहुत फनी लग रही थीं। दूसरी ओर आरवी अपने मे ही मस्त तकिया पर बुरी तरह से लात घूसे बरसा रही थी। इतने में आरवी तकिया को फर्श से उठाकर उस तकिया को बेड पर दूसरी तकिया के सहारे खड़ा करती है और खुद जुडो-कराटे वाला पोज बनाकर जोर से आवाज निकालते हुए तकिया पर मारती है-"या.................ढिशूम।" निष्कर्ष अभी भी आरवी को अजीब तरह से देख रहा था। जैंसे ही आरवी तकिया पर मारती है तकिया सीधे  दरवाजे के पास जाकर गिर जाती है। इसलिए आरवी  दरवाजे की ओर मुड़ती है तो दरवाजे पर खड़े निष्कर्ष को देख उसके  मुंह और आँखें खुले के खुले रह जाते हैं और उसके चेहरे पर डर और हैरानी के मिले जुले भाव आ जाते हैं। आरवी निष्कर्ष को देखते हुए धीरे से अपने मन ही मन मे कहती है-"अगर इस राक्षस ने मेरी सारी बातें सुन ली होंगी तो ये जॉब तो मेरे हाथ से गई। सच मे मैं भी किसी सुपर्णखा से कम नही हूँ। उसने अपने कर्मों से अपनी नाक कटवाई। और मैंने अपने कर्मों से अपनी जॉब गवाई। आरवी को अपने मे ही खोया देखकर निष्कर्ष कहता है-" ये क्या कर रही थी तुम तकिया के साथ।" ये सुनकर आरवी राहत की सांस लेते हुए मन ही मन मे कहती है-"मतलब इसने मेरी पूरी बात नही सुनी। "कुछ पूछ रहा हूँ मैं तुमसे "- निष्कर्ष थोड़ा तेज आवाज में बोला "वो..... वो मैं ....... तकिया में बहुत धूल थी तो मैं धूल साफ कर रही थी"-आरवी हकलाते हुए कहती है। निष्कर्ष एक नजर तकिया की ओर देखता है और फिर आरवी से कहता है-"लेकिन तुम्हे देखकर तो लग रहा था कि जैंसे तुम इस तकिया पर अपना गुस्सा निकाल रही हो।" "नही.........सर ऐंसा कुछ नही है। आप बताइए आप को कुछ काम था क्या"-आरवी नीचे फर्श से तकिया उठाकर बात बदलते हुए कहती है। निष्कर्ष "हां वो मुझे तुमसे पूछना था कि दादी ने खाना खाया की नही। " आरवी "हां...... लेकिन दादी ने सिर्फ दलिया ही दलिया खाया। उसके बाद मैंने उन्हें दवाई भी खिला दी थी" आरवी की बातें सुनकर निष्कर्ष अजीब सा मुँह बनाकर अपने मन मे सोचता है-"कमाल है इस लड़की ने दादी को खाना खिला दिया। वरना तो जब भी दादी की और मेरी मिस्टर मल्होत्रा की वजह से बहस होती हैं।  तो वो खाना नही खाती हैं। " इतने में आरवी  अपने हाथ मे पकड़ी तकिया को बेड पर रखने के लिए मुड़ती है। जैंसे ही आरवी मुड़ती है सामने खड़े निष्कर्ष की नजर आरवी के हाथ की कोहनी पर पड़ती है। जहां से चोट लगने की वजह से खून बह कर अब तक जम चुका था। ये देख निष्कर्ष आरवी से कहता है-"तुम्हारे हाथ की कोहनी पर चोट लगी है। दादी के रूम में फस्ट एड बॉक्स है। जाओ हाथ मे बैंडेज लगा दो।" आरवी झट से निष्कर्ष की ओर पलटती है। और  उसे अजीब तरह से देखने लगती है। अपनी बात कहकर निष्कर्ष वहाँ से जाने के लिए मुड़ा ही था  की अचानक से वो वापस आरवी की ओर पलटकर कहता है-" और हां इस कमरे मे या फिर घर मे तुम्हारे हाथ से कोई भी चीज़ टूटी या खराब हुई तो उसके पैसे तुम्हारी सैलरी से काटे जायेंगे। समझी...... इसलिए चीजों को जरा संभल कर यूज करना।" निष्कर्ष एक नजर बेड पर रखी तकिया को देखता है और फिर आरवी को .......और फिर वहां से चला जाता है। निष्कर्ष के जाते ही आरवी मुँह बनाकर निष्कर्ष की बात को दोहराते हुए कहती है-"चीजों को जरा सम्भल कर यूज करना। बड़ा आया......।" आरवी पीछे पलटकर उस तकिया को अपने दोनो हाथों में पकड़कर सामने टेबल पर रखते आगे  कहती है-"आज से तुम तकिया नही बल्कि मेरे लिए  वो घमंडी राक्षस हो। इसलिए मैं तुम्हें अपने बिस्तर में नही रखूंगी। आज से तुम इस टेबल पर रहोगे। और जब भी मुझे उस राक्षस पर गुस्सा आएगा तो मैं तुम्हे उसे समझ कर अच्छे से धोऊंगी।  क्योंकि मैं उसे कुछ कह नही सकती ना। इसलिए गुस्सा निकालने के लिए कोई तो होना चाहिये। " उस तकिए को टेबल पर रखकर आरवी अपने बेड पर लेट जाती है। और फिर अपने आप मे ही कहती है-"अब थोड़ा मन शांत हो गया। शायद अब नींद भी आ जाये।"                           ★★क्रमशः★★   धन्यवाद.........।

  • 6. खूबसूरत दिल से - Chapter 6

    Words: 2378

    Estimated Reading Time: 15 min

    एक बड़ा सा घर जो कि बाहर से बहुत ही खूबसूरत लग रहा था। जिसके मेन गेट पर एक नेम प्लेट लगी थी। और उस नेम प्लेट में लिखा हुआ था" मल्होत्रा मैंशन"। इसी घर के अंदर एक कमरे में मालिनी की एक बड़ी सी तस्वीर लगी हुई थी। तस्वीर में फूलों की माला लटक रही थी। तस्वीर के ठीक सामने वीरेन मल्होत्रा खड़ा था। जिसकी  आँखें हल्की सी नम थी। वीरेन मालिनी की तस्वीर को देखते हुए कहता है-"मुझे माफ़ कर देना मालिनी। मैं तुमसे किया हुआ वादा नही निभा पाया। मैं निष्कर्ष के लिए एक अच्छा पिता नही बन पाया। तुम्हें पता है वो मुझसे इतनी नफरत करता है कि उसे मेरी आवाज तक सुनना पसंद नही है। क्योंकि उसे लगता है कि मैंने तुम्हें मारा है। " इतने में वीरेन के ठीक बगल में एक औरत आकर खड़ी हो जाती है। वो औरत भी मालिनी की तस्वीर की ओर ही देख रही थी। "मालिनी दीदी ने आपको मुझे अपनाने के लिए इसलिए कहा था। ताकि उनके जाने के बाद भी निष्कर्ष को मां और पिता दोनो का प्यार मिल सके लेकिन ना मैं निष्कर्ष को मां का प्यार दे सकी और ना ही आप पिता का। "-वो औरत बोली। "ठीक कहा तुमने वैशाली....... समझ नही आता कि उसकी हमारे लिए ये नफरत कब खत्म होगी। या फिर कभी खत्म होगी भी की नही"-वीरेन उदास मन से कहता है। इतने में पीछे से एक आवाज आती है-"मम्मी पापा आप दोनों अपने आप क्यों दोषी मान रहे हो। आपने तो हर कोशिश की है एक अच्छे मां और पिता बनने की। लेकिन जब वो ही आपको अपने माँ और पिता नही मनाते तो फिर आप दोनों क्या कर सकते हो। " ये आवाज सुनते ही वैशाली और वीरेन एक साथ पीछे मुड़ते हैं। पीछे मुड़ते ही दोनों की नजर अपने ठीक सामने खड़े लड़के पर पड़ती है। जिसकी उम्र बीस साल के लगभग थी। चेहरे पर हल्की हल्की दाढ़ी , गोरा रंग, हल्की भूरी आंखें। लम्बाई यही कोई 5:11 के लगभग , बाल अच्छे से सेट किये हुए और फिट बॉडी। वो लड़का वीरेन और वैशाली के पास आते हुए अपनी बात आगे कहता है-" अरे मां और पिता मानना तो दूर वो तो आप दोनों की शक्ल तक नही देखना चाहते। और अब तो वो हमे दादी से भी बात नही करने देते। आप दोनों बेकार ही उस घमंडी इंसान की वजह से अपने आप को कोस रहे हो। जबकि......।" अभी उस लड़के ने इतना ही कहा था कि वैशाली गुस्से में चिल्लाते हुए कहती है"निष्चय ......... कितनी बार कहा है तुम्हे की वो बड़ा भाई है तुम्हारा इसलिए कुछ बोलने से पहले सोच लिया करो समझे। " "वो सोचते हैं हमारे लिए कुछ बोलने से पहले। कितनी बत्तमीजी से बात करते हैं वो । जो भी उनके मुँह में आता है वो हमारे लिए कह देते हैं। "-निष्चय भी गुस्से में जोर से चिल्लाकर बोला। वैशाली और वीरेन निष्चय को गुस्से में देखने लगते हैं। वैशाली और वीरेन को ऐंसे खुद को घूरता देख निष्चय शांत भाव से कहता है-"सॉरी...... पर ।" "पर वर कुछ नही । भले ही वो हमें अपना नही मानता लेकिन हम तो उसे अपना मानते हैं ना। "-वैशाली निष्चय की बात काटते हुए बोली तो निष्चय चुप हो जाता है। इतने में वीरेन कहता है-"काश वो भी हमे अपना मानता। तो सब एक साथ खुशी से रहते। " कहते ही वीरेन और वैशाली वहां से चले जाते हैं। वीरेन और वैशाली के जाते ही निष्चय मालिनी की तस्वीर की ओर देखते हुए अपने आप मे कहता है-"अब निष्कर्ष भैय्या का बहुत हो गया। अब चाहे कुछ भी जाये मैं उनके मन से पापा और मम्मी के लिए जो भी गलत फहमी है। वो दूर करके रहूंगा। और उन्हें इस घर मे लाकर रहूंगा। पता नही  ऐंसा क्या हुआ था बीस साल पहले जो उन्हें लगता है कि आपको पापा ने मारा था। ........ एक तो मम्मी पापा या दादी से इस बारे में कुछ भी पूछो तो वो बताते नही हैं। लेकिन अब पता करना ही होगा।" अगली सुबह.......। सुबह उठते ही आरवी सबसे पहले गायत्री के कमरे की ओर चली जाती है। गायत्री भी अब तक उठ गई थी। गायत्री को देखकर आरवी मुस्कराते हुए कहती है-"दादी आप उठ गए। " "हां...... बेटा" गायत्री भी मुस्कराकर बोली। आरवी गायत्री को बेड से व्हील चेयर पर बिठाती है। और व्हील चेयर को कमरे से बाहर लाते हुए कहती है-"चलो दादी ...... मैं आपको मॉर्निंग वॉक पर ले जाती हूँ।" कुछ देर बाद आरवी गायत्री को बाहर गार्डन में लेकर आ जाती है। और गायत्री को गार्डन में घुमाने लगती है। कुछ देर घुमाने के बाद आरवी गायत्री से कहती है-"दादी चलिए अब व्यायाम करते हैं। " "व्यायाम....... लेकिन बेटा मैं इस व्हील चेयर पर बैठकर  व्यायाम कैंसे कर पाउंगी।"-गायत्री बोली। "दादी आपके पैर काम नही कर रहे हैं लेकिन आपके हाथ तो काम कर रहे हैं ना। आप मुझे देखिये जैंसे मैं कर रही हूं आप भी वैंसे ही कीजिये। अगर आप चाहती हैं की आप ठीक हो जाएँ तो आपको व्यायाम भी करना होगा। क्योंकी सिर्फ दवाइयों से फर्क नही पड़ेगा " इतना कहकर आरवी व्यायाम करने लगती है। जिसे देख गायत्री भी व्हील चेयर पर बैठे बैठे ही व्यायाम करने लगती है। इधर निष्कर्ष उठकर किचन में आता है। और अपने लिये ग्रीन टी बनाने लगता है। तभी उसके कानों में आरवी की आवाज पड़ती है। जो कि बाहर गॉर्डन एरिया में गायत्री के साथ बातें कर रही थी। आरवी की बातें सुनकर निष्कर्ष अपनी ग्रीन टी पीते हुए मेन डोर के पास आकर गॉर्डन एरिया की ओर गायत्री और आरवी की ओर देखता है। गायत्री और आरवी अब योगा कर रहे थे। आरवी गायत्री के ठीक सामने गॉर्डन में उगी हुई दूब घास के ऊपर पालती मारकर बैठी हुई थी। उसने अपने हाथ के अंगूठे से अपनी एक ओर की नाक बंद की हुई थी। और साथ मे वो गायत्री से कह रही थी-"दादी अब नाक के दूसरी ओर से हम सांस अंदर लेंगें। और फिर हाथ की बड़ी उंगली से इस ओर के नाक को बन्द कर देंगे। और दूसरी ओर की नाक पर रखे अंगूठे को छोड़कर उस ओर से सांस बाहर छोड़ेंगे।" आरवी को देखकर गायत्री भी वैंसे ही करने लगती है। निष्कर्ष ग्रीन टी पीते हुए आरवी को देखकर अपने मे ही कहता है-"ये लड़की बाकी केयर टेकर से अलग तो है। इतना सुनाने के बाद भी दादी के साथ इसका बिहेव पहले के जैंसा ही है। बाकी की केयर टेकर तो अक्सर मेरा गुस्सा दादी पर ही निकालती थीं।" कुछ देर बाद आरवी गायत्री को उसकी ले आती है। "आरवी बेटा तुम्हारे साथ मॉर्निंग वॉक करके आज मुझे बहुत अच्छा लगा। वरना जो पहले  के केयर टेकर थे। वो तो अपने कानों में हैडफोन या फिर ब्लूटूथ लगाकर खुद गाने सुनते रहते थे। और मेरी व्हील चेयर को  पकड़कर आगे ले जाते रहते थे। कोई मुझसे बात ही नही करता था।  वो सिर्फ  काम के लिए ही मेरे साथ बात करते थे। "-गायत्री कहती है। अंदर आकर निष्कर्ष गायत्री से बात करने की कोशिश करता है लेकिन गायत्री निष्कर्ष से बात नही करती। जिससे निष्कर्ष समझ जाता है की गायत्री कल की बात को लेकर उससे अभी भी नाराज है। आरवी गायत्री को उसके कमरे में ले आती है। कमरे में आते ही गायत्री कहती है-"अब मैं नहा लेती हूँ।" गायत्री की बात सुनकर आरवी के चेहरे के भाव बदल जाते हैं। वो परेशान होकर अपने मन ही मन मे कहती है-"अगर मैं दादी को नहलाऊंगी तो  मेरे हाथों में लगा ये काला कलर तो निकल जायेगा। वैंसे तो ये वाटर प्रूफ कलर है लेकिन देर तक पानी मे रखने से और साबुन लगाने से तो निकल ही जायेगा। अब क्या करूँ। आरवी अभी ये सोच ही रही थी कि गायत्री कहती है-"आरवी बेटा बाथरूम में नहाने के लिए दूसरी चेयर है। उसे ले आओगी।" "जी दादी अभी लाती हूँ"-आरवी परेशान सी कहती है और बाथरूम में चली जाती है। कुछ देर बाद आरवी बाथरूम से दूसरी व्हील चेयर लाती है। और गायत्री को उसमे बिठाकर बाथरूम में ले जाती है। बाथरूम में आते ही गायत्री कहती है-"आरवी बेटा अब तुम जाओ। मैं अपने आप नहा लेती हूं।" आरवी" लेकिन आप" गायत्री -"अरे हां...... नहाती मैं आपने आप ही हूँ।" ये सुन कर आरवी के चेहरे पर स्माइल आ जाती है और वो कहती है-"अच्छा दादी....... तो मैं बाहर कमरे में ही हूँ। कुछ भी जरूरत पड़े तो आवाज दे देना।" इतने में निष्कर्ष गायत्री को आवाज देते हुए कमरे में आता है-"दादी दादी।" आरवी"दादी नहा रही हैं।" आरवी की बात सुनकर निष्कर्ष कमरे से बाहर आ जाता है। " अगर दादी के नहाने तक का वेट किया तो होटेल के लिए देरी हो जाएगी। अब शाम को होटेल से आने के बाद ही दादी से कल के लिए सॉरी कहूंगा।"-कहते ही निष्कर्ष होटेल के लिए निकल जाता है। होटेल में निष्कर्ष अपने केबिन में बैठा फाइल देख रहा था। इतने में अरमान निष्कर्ष के केबिन का डोर नॉक करते हुए कहता है-"मे आई कम इन सर।" निष्कर्ष "कम इन" अरमान केबिन के अंदर आ कर निष्कर्ष को एक फ़ाइल देते हुए कहता है-"सर इसमे उन कैंडिडेट के सी वी हैं। जिनके पास एक्सपीरियंस हैं। आप एक बार देख लीजिए। " निष्कर्ष फ़ाइल खोलकर देखने लगता है। सारे कैंडिडेट के सी वी देखने के बाद निष्कर्ष छ: सात कैंडिडेट के सी वी निकालकर अरमान को देते हुए कहता है-"सिर्फ इन्हीं कैंडिडेट को इंटरव्यू के लिए बुलाना।" अरमान निष्कर्ष के हाथ से सी वी पकड़ते हुए कहता है-"जी सर।" इतना कहकर अरमान जाने लगता है तो निष्कर्ष अरमान को रोकते हुए कहता है-"अरमान......। अरमान "जी सर" "मैंने तुम्हें जिस लड़की को ढूंढने को कहा था । उसके बारे में कुछ पता चला"-निष्कर्ष अरमान को देखते हुए बोला। अरमान-"सर आज मैंने अपने दो आदमियों को प्रीतमपुरा के आस पास के गांव में उस लड़की के बारे में पता करने के लिए भेजा है। जैंसे ही कुछ पता चलेगा मैं आपको बता दूंगा।" निष्कर्ष"ओके......." शाम के लगभग आठ बजे चुके थे। आरवी किचन में खाना बना रही थी और गायत्री ड्राइंग रूम में बैठी टी वी देख रही थी। इतने में निष्कर्ष घर आ जाता है। गायत्री को ड्राइंग रूम में बैठा देख निष्कर्ष गायत्री के पास जाता है। लेकिन गायत्री निष्कर्ष से नाराज थी इसलिए वो निष्कर्ष को अनदेखा कर देती है। ये देख निष्कर्ष गायत्री के पैरों के पास बैठकर कहता है-"दादी..... आई एम सॉरी। आगे से कभी आपके ऊपर नही चिल्लाऊंगा। " गायत्री निष्कर्ष की बात का कोई जवाब नही देती तो निष्कर्ष कहता है-"दादी प्लीज् ........मान जाइये ना" इस पर गायत्री कहती है-" तू हमेशा ऐंसे ही कहता है कि मैं आपके ऊपर नही चिल्लाऊंगा और फिर चिल्लाने लगता है।" "इस बार पक्का वाला प्रोमिश की आगे से आपके ऊपर नही चिल्लाऊंगा। और आप मिस्टर मल्होत्रा से भी बात कर सकती हैं। "-निष्कर्ष कहता है। निष्कर्ष की बात सुनकर गायत्री के चेहरे पर स्माइल आ जाती है। इतने में गायत्री की नजर सामने खड़ी आरवी पर पड़ती है। गायत्री के देखते ही आरवी कहती है-"दादी खाना बन गया है। चलिए खाना खा लीजिये। निष्कर्ष अपने कमरे में चला जाता है। और आरवी गायत्री को लेकर डाइनिंग टेबल पर आ जाती है। और गायत्री के लिए खाना परोसते हुए कहती है-"दादी ये मिस्टर  मल्होत्रा कौन हैं जिनकी बात सर कर रहे थे। " आरवी की बात सुनकर गायत्री आरवी की ओर देखती है तो आरवी झेंपते हुए कहती है-"सॉरी दादी वो अभी मैंने आपकी और सर की बातें सुन ली थीं।अगर आप नही बताना चाहती तो कोई बात नही।" गायत्री "बेटा मिस्टर मल्होत्रा निष्कर्ष के पिता हैं।" "क्या...... लेकिन सर का सर नेम तो व्यास है ना। फिर "आरवी इतना ही कहती है कि गायत्री आरवी की बात काटते हुए कहती है-"वो अपनी मां का सरनेम यूज़ करता है।"   इससे पहले आरवी गायत्री से कुछ ओर पूछती सामने से निष्कर्ष आ जाता है। निष्कर्ष को देखते ही आरवी चुप हो जाती है। और गायत्री के बगल में बैठकर खाना खाने लगती है। निष्कर्ष सीधे किचन में चला जाता है। और किचन से एक पानी की बोतल लेकर गायत्री को गुड नाईट बोलकर अपने कमरे में चला जाता है। निष्कर्ष अपने कमरे में बैठा लेपटॉप में कुछ काम कर रहा था कि तभी उसका फोन बजता है। वो फोन की स्क्रीन में देखता है तो अरमान का कॉल था। निष्कर्ष कॉल उठाते हुए कहता है-"हां बोलो।" "सर मैंने अपने जिन दो आदमियों को उस लड़की का पता करने को प्रीतमपुरा के आस पास के गांव में भेजा  था। उन्होंने  बताया कि प्रीतमपुरा के पास संथालगढ़ गांव में वो लड़की अपने पापा और छोटे भाई के साथ रहती थी। लेकिन कुछ महीने पहले उसके घर मे आग लग गई थी। जिसमे उसके पापा की जलकर मौत हो गई। और उसके कुछ दिन बाद वो लड़की अपने भाई को लेकर कहीं चली गई। गांव मे किसी को नही पता कि वो दोनो भाई बहन कहाँ गये ।-" अरमान फोन पर कहता है। निष्कर्ष "वो यहां देहरादून में है। इसलिए उसे यहां ढूंढो। मैने उसे यहाँ देखा है" अरमान "जी सर। इतना कहकर अरमान कॉल कट कर देता है। और निष्कर्ष फोन पर आरवी के बारे मे सोचते हुए अपने मे ही कहता है-"चाहे कुछ भी हो आरवी मैं तुम्हे ढूंढ कर ही रहूंगा।" दूसरी ओर आरवी नायरा से फोन पर बात कर रही थी। और उसे बता रही थी कि उसका आज का दिन कैसा था। इतने में नायरा आरवी से कहती है-"अरे आरवी मैं तो तुम्हे एक बात बताना ही भूल गई।" आरवी "क्या" नायरा कहती है-"वो थोड़ी देर पहले मम्मी की कॉल आई थी और वो बता रहीं थी कि आज गांव में दो आदमी आये थे जो गांव वालों से तुम्हारे बारे में पूछ रहे थे। की अब तुम कहाँ रहती हो। वगैरह- वगैरह उनके पास तुम्हारा स्केच भी था। लेकिन गांव में तो तुम्हारे बारे में किसी को कुछ पता नही है। तो कोई तुम्हारे बारे में उन्हें क्या बताता। " "जरूर वो रंजीत के ही आदमी रहे होंगे। उसी ने मेरे बारे में पता करने के लिए उन्हें गांव में भेजा होगा। उसे लगा होगा कि क्या पता गांव में किसी को मेरे बारे में पता होगा। "-आरवी ने चिढ़कर कहा। "हां मुझे भी यही लग रहा है मैंने तो अपने मम्मी पापा से कह दिया कि कभी गलती से भी किसी को तेरे बारे में कुछ न बताये।"-नायरा कहती है। फिर कुछ देर तक नायरा से बात करने के बाद आरवी कॉल कट करके सो जाती है।                        ★★क्रमश:★★ धन्यवाद.......।

  • 7. खूबसूरत दिल से - Chapter 7

    Words: 3013

    Estimated Reading Time: 19 min

    एक हफ्ते बाद.... आरवी गायत्री का बहुत अच्छे से ध्यान रखती थी। जिस वजह से गायत्री भी आरवी के साथ एक केयर टेकर की तरह नही बल्कि अपनी पोती की तरह ही व्यवहार करती थी। आरवी कभी अपनी बातों से तो कभी अपनी हरकतों से गायत्री को खुश रखने की पूरी कोशिश करती थी। वो गायत्री को कभी भी महसूस नही होने देती थी कि वो चल फिर नही सकती।   इस एक हफ्ते  में जहां गायत्री और आरवी एक दूसरे को बहुत अच्छे से जान चुकी थी। वहीं आरवी निष्कर्ष अभी भी बिल्कुल वैंसा ही था वो छोटी छोटी बातों में भी आरवी को डांट दिया करता था। इस लिए आरवी निष्कर्ष से दूर ही रहती थी। सुबह के लगभग आठ बजे रहे थे। आरवी किचन में नाश्ता बना रही थी। इतने में निष्कर्ष किचन में आता है उसके हाथ मे गायत्री की दवाई का बॉक्स था। निष्कर्ष के हाथ मे दवाइयों को बॉक्स देखकर आरवी परेशान से अपने में ही कहती है-" ओह शिट फिर से मैं दादी की दवाइयों का बॉक्स ड्राइंग रूम में भूल गई । अब ये फिर मुझे डाटेंगा। " " तुम्हे कितनी बार कहा है कि दादी की दवाईयों का बॉक्स दादी के रूम में ही रखा करो। तो फिर तुम हमेशा उसे बाहर ड्राइंग रूम में क्यों छोड़ देती हो। कभी कोई दवाई इधर उधर गिर गई तो।"- निष्कर्ष आरवी को डांटते हुए बोला। आरवी -"सर बॉक्स से कैंसे दवाई इधर उधर गिर सकती है। और दादी को खाना खिलाने के बाद मैं उन्हें दवाई यहीं पर  देती हूं। इसलिए मैं यहीं बॉक्स यहीं रख देती हूं।" इस पर निष्कर्ष आरवी को गुस्से से घूरने लगता है जिस वजह से आरवी थोड़ा सहम जाती है और झट से आगे कहती है-"सॉरी .... सॉरी सर....... आगे से मैं इस बात का ध्यान रखूंगी।" "ये ठीक है तुम्हारा पहले गलती करो। फिर सॉरी कह दो"-इतना आरवी निष्कर्ष वापस पलटकर वहां से जाने लगता है। निष्कर्ष के पलटते ही आरवी अपने दांत पीसकर  हाथ मे पकड़ी हुई करची को पीछे से निष्कर्ष की ओर उठाती है। इतने में निष्कर्ष आरवी की ओर पलटते हुए कहता है-"और आज......" ये कहते हुए निष्कर्ष जैंसे ही आरवी की ओर पलटता है तो आरवी को अपनी ओर ऐंसे करची किये हुए खड़ा देख चुप हो जाता है। और आरवी को घूरने लगता है। इधर निष्कर्ष के पलटने से आरवी भी हैरान हो जाती है। और झट से करची नीचे करके सब्जी की कढ़ाई में डाल कर सब्जी को घुमाने लगती है। वो तिरछी नजरों से निष्कर्ष की ओर भी देख रही थी।  निष्कर्ष आरवी के थोड़ा पास आकर कहता है-" ये क्या कर रही थी तुम......।" इस पर आरवी हकलाते हुए कहती है-"वो..... वो मेरा दुपट्टा नीचे आ गया था तो मैं उसे ऊपर कर रही थी।.... आप कुछ कह रहे थे।" "हां...... आज दादी को हॉस्पिटल लेकर जाना है। "-निष्कर्ष कहता है और वहां से चला जाता है । निष्कर्ष के जाते ही आरवी गुस्से में अपने सर में एक चपेट लगाते हुए कहती है-"पागल कहीं की।" कुछ देर बाद निष्कर्ष होटेल के लिए निकल जाता है और आरवी गायत्री को लेकर हॉस्पिटल चली जाती है। शाम के साढ़े सात बज रहे थे। निष्कर्ष अपनी बाइक से घर आ रहा था। तभी उसकी नजर सामने एक रेस्ट्रोरेंट पर पड़ती है। रेस्ट्रोरेंट के गेट पर वीरेन और वैशाली खड़े थे। वैशाली ने वीरेन के हाथ को कस कर पकड़ा हुआ था। दोनो साथ मे बहुत खुश लग रहे थे। वीरेन और वैशाली को देखकर निष्कर्ष  गुस्से मे अपनी बाइक रोक लेता है। तभी वीरेन और वैशाली के सामने एक गाड़ी आकर रुकती है। गाड़ी से एक आदमी निकलता है। वो रेस्ट्रोरेंट के स्टाफ का आदमी था। वो आदमी वीरेन को गाड़ी की चाभी देता है और वहां से चला जाता है। वीरेन और वैशाली उस गाड़ी में बैठकर वहां से निकल जाते हैं। रात के साढ़े नो बज चुके थे। आरवी ने गायत्री को खाना खिलाकर दवाइयां दे दी थी। दवाइयों की वजह से गायत्री को नींद आ गई थी। आरवी भी सोने के लिए अपने रूम में आ गई थी। वो आयने में अपना चेहरा देखते हुए अपने मे ही कहती है-" ऐंसा करती हूं। आज मुँह धो कर सो जाती हूँ। लेकिन अगर रात को दादी को मेरी जरूरत पड़ गई तो। .............. पिछले एक हफ्ते से तो दादी ने मुझे रात को कभी बुलाया नही। क्योंकि दवाइयों की वजह से दादी एक बार सो जाती हैं तो फिर सुबह ही उठती हैं। ऐंसा करती हूं। आज मुँह धोकर ही सो जाती हूँ।" आरवी वाशरूम में मुँह धोने चली जाती है। कुछ देर बाद जब आरवी वाशरूम से बाहर आती है और टॉवल से मुंह पोंछने लगती है। इतने में आरवी का फोन बजने लगता है। वो फोन की उठाकर देखती है तो नायरा का कॉल था। आरवी नायरा का कॉल उठाते हुए कहती है-"हेलो......कैसी वो" इस पर नायरा खुशी से चहकते हुए कहती है-" मस्त तू बता।" नायरा की आवाज सुनकर आरवी कहती है-"आज तू बड़ा खुश लग रही है। कोई बात है क्या।" "हां..... आज सच मे मैं बहुत खुश हूं। क्योंकि आज रेस्टोरेंट में सर मेरे काम से बहुत खुश थे। और मुझे अपने कलीग से ये भी पता चला है कि जो हमारे रेस्टोरेंट में कैशियर की पोस्ट खाली हुई उसके लिए सर ने मुझे ही सेलेक्ट किया है। अब मुझे वेट्रेस का काम नही करना पड़ेगा और सैलरी भी बढ़ जाएगी।-"नायरा खुशी से चहकते हुए बोली तो आरवी भी खुश होकर नायरा को बधाई देती है। नायरा -" थैंक यू...... वैंसे तू बता आज तो नही डांटा उस राक्षस ने तुझे" नायरा की बात पर आरवी निष्कर्ष पर गुस्सा होते हुए कहती है"आज तो उसने मुझे सुबह सुबह ही डांट दिया। मुझे तो लगता है कि वो मुझे जान बूझकर डाँटता है। मेरे हर काम को बहुत बारीकी से नोटिस करता है। ताकि कोई कमी मिल जाये और वो मुझे डाँट सके। अब तो मैंने भी सोच लिया है कि हर काम परफेक्ट तरीके से करूँगी। ताकि वो मेरे किये हुए काम मे कोई कमी ही न ढूंढ पाए। और फिर मुझे डाँट भी न पाए।" अभी आरवी और नायरा बातें ही कर रहे थे कि अचानक से डोर बेल बजती है। डोर बेल की आवाज सुनकर आरवी धीरे से अपने मे ही कहती है-" इस समय कौन आया होगा।" आरवी की बात फोन पर नायरा भी सुन लेती है। इसलिए वो आरवी की बात का जवाब देते हुए कहती है-" क्या पता वही राक्षस होगा।" "नही यार उसके पास घर की दूसरी चाभी होती हैं। ..... यार मुझे डर लग रहा है। घर मे सिर्फ मैं और दादी ही हैं। और इस राक्षस ने तो घर भी अकेले में बनवाया है। यहां तो आस पास कोई पड़ोसी भी नही है। -"आरवी डरते हुए कहती है। नायरा -"तू ऐंसा कर दरवाजा खोल कर एक बार देख ले। हो सकता है उसकी चाभी उसके होटेल में भी रह गई हो। इसलिए बेल बजा रहा हो। अगर देर करेगी तो फिर डांटना शुरू कर देगा।......... तू ऐंसा कर कॉल पर ही रह।" आरवी -"हां तू ठीक कह रही है। मैं देखकर आती हूँ।....... " इतना कहकर आरवी फोन लेकर मुख्य दरवाजे के पास आती है। जैंसे ही आरवी दरवाजे के पास आती है उसे अचानक से ध्यान आता है कि उसने अपना मुंह धो दिया है। और अगर बाहर सच मे निष्कर्ष हुआ तो फिर प्रॉब्लम हो जाएगी। ये सोचकर आरवी जल्दी से अपना दुपट्टा अपने मुंह पर ऐंसे लपेट देती है। जिससे उसकी सिर्फ आंखें ही आंखें दिख रही थी। अपने चेहरे पर अपना दुपट्टा लपेटते हुए आरवी चिढ़कर अपने मे ही कहती है"इतना मॉर्डन घर बना दिया लेकिन दरवाजे पर एक पीपहोल तक नही बनाया जिससे बाहर देखकर ये पता चल सके कि बाहर कौन आया है। पहले तो कैमरा ही लगा देता।" आरवी दरवाजा हल्का सा खोलकर बाहर देखती है तो बाहर निष्कर्ष और अरमान खड़े थे। अरमान ने निष्कर्ष को सहारा देकर पकड़ा हुआ था। क्योंकि निष्कर्ष नशे में था। वो इतना नशे में था कि उससे ठीक से खड़ा तक नही हुआ जा रहा था। "वही राक्षस है। मैं अभी फोन रखती हूं।"इतना कहकर आरवी कॉल कट कर देती है। तभी अरमान  आरवी को ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहता है-"आप सर की दादी की केयर टेकर हो। आरवी -"जी....." आरवी को देखकर अरमान अपने मन ही मन मे कहता है-"इस लड़की ने अपने चेहरे पर ये दुपट्टा क्यों लगाया हुआ है। वो भी इतनी रात में और घर के अंदर।" आरवी निष्कर्ष की ओर देखते हुए कहती है-" ये सर ......." "वो आज सर ने कुछ ज्यादा ही पी ली इसलिए वो नशे में हैं।"-अरमान आरवी की बात काटते हुए बोला। फिर अरमान निष्कर्ष को पकड़कर अंदर लाता है और सामने ड्राइंग रूम में सोफे पर लिटा देता है। " मुझे लेट हो रहा है। प्लीज् आप सर को उनके रूम में सुला दीजियेगा"-इतना कहकर अरमान जल्द बाज़ी में वहां से चला जाता है। आरवी दरवाजा बंद करके निष्कर्ष के पास आकर निष्कर्ष को गुस्से में घूरकर कहती है-" मैं नही सुला रही । रहने दो यहीं पर। वैंसे भी इन्होंने तो मुझे अपने पास आने से मना किया हुआ है। तो फिर मैं इन्हें कैंसे ले जाउंगी। " इतना कहकर  आरवी चिढ़ते हुए निष्कर्ष की ओर अपनी जीभ निकालकर अपने कमरे की ओर चली जाती है। अभी आरवी कुछ ही कदम चली थी को उसे अपने पीछे से किसी के गिरने की आवाज आती है। आवाज सुनते ही आरवी झट से पलटकर पीछे देखती है तो निष्कर्ष सोफे से नीचे गिर गया था। निष्कर्ष को फर्श पर गिरा हुआ देखकर आरवी निष्कर्ष के पास आकर कहती है-"ठीक हुआ तुम्हारे लिए। " फर्श ठंडा होने के कारण निष्कर्ष अपने हाथ और पैरों को मोड़कर समेट लेता है। ये देख आरवी अजीब सा मुँह बनाकर कहती है-" अगर ये पूरी रात यहीं पर रहेंगे तो ठंड से बीमार हो जाएंगे। ऐंसा करती हूं। सुला ही देती हूं इन्हें इनके रूम में । " आरवी निष्कर्ष का हाथ पकड़कर उसे फर्श से उठाने की कोशिश करती है। लेकिन वो निष्कर्ष को नही उठा पा रही थी। इसलिए वो निष्कर्ष का हाथ अपने कंधे पर रखकर और अपने एक हाथ से उसकी कमर पकड़कर उसे उठाने की कोशिश करती है। तभी निष्कर्ष हल्की सी आंखें खोलकर एक नजर आरवी की ओर देखता है और फिर लड़खड़ाती हुई आवाज मे कहता है-" तुम ...... तुम ने मुझे क्यों पकड़ा हुआ है।" निष्कर्ष की बात सुनकर आरवी को गुस्सा आ जाता है।लेकिन वो कुछ नही कहती और अपने शरीर की पूरी ताकत लगाकर निष्कर्ष को उठाने की कोशिश करती है। कुछ देर बाद निष्कर्ष उठ जाता है। निष्कर्ष फिर से आरवी की ओर देखते हुए नशे में कहता है-"मुझे.... पता है तुम भी मुझसे नफरत करती हो। मुझसे सब नफरत करते हैं। कोई भी मुझे पसंद नही करता। लेकिन मैं भी तुमसे नफरत करता हूँ। समझी......... मैं सिर्फ अपनी दादी, अरमान और सपना इन तीनो को ही पसंद करता हूँ। क्योंकि ये तीनों बहुत अच्छे हैं। ये  बिना किसी स्वार्थ के ही मेरी चिंता करते हैं।" "जब आप दूसरों के साथ बुरा बिहेव करोगे तो लोग आपसे नफरत करेंगे ही।" इतना कहकर आरवी निष्कर्ष को उसके कमरे की ओर ले जाने लगती है। निष्कर्ष अभी भी नशे में बड़बड़ा रहा था-"अरे हां मैं अपनी बचपन की दोस्त को तो भूल ही गया। वो भी बहुत अच्छी थी।" निष्कर्ष फिर से अपनी आँखें बंद कर लेता है। और आरवी मुश्किल से निष्कर्ष को पकड़ पकड़ कर उसके रूम की ओर ले जा रही थी। निष्कर्ष के कमरे के पास पहुंचकर आरवी अपने एक हाथ से दरवाजा खोलने लगती है। इतने में निष्कर्ष थोड़ा सा हिलता है। जिस वजह से उसके सर के एक ओर का हिस्सा सामने दीवार से टकरा जाता है। लेकिन नशे में होने के कारण उसे कुछ भी पता नही चलता। निष्कर्ष का सर दीवार से टकराते ही आरवी एक नजर निष्कर्ष की ओर देखती है। और फिर कुछ सोचते हुए उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ जाती है। वो फिर से निष्कर्ष को दीवार की ओर हल्का सा झुका देती है। जिस कारण निष्कर्ष के सर का दूसरी ओर का हिस्सा भी दीवार से टकरा जाता है। इस बार भी निष्कर्ष को कुछ भी महसूस नही होता।  लेकिन ये देखकर आरवी के चेहरे की मुस्कान ओर बढ़ जाती है। फिर आरवी निष्कर्ष को पकड़कर उसके कमरे मे ले आती है। और उसे बेड पर लिटाने लगती है। इतने मे  निष्कर्ष एक बार फिर अपनी पलके हल्की सी खोलते हुए धीरे से कहता है-"दादी.... दादी सो गई।" "जी"- आरवी निष्कर्ष को बेड पर लिटाते हुए कहती है। जैंसे ही आरवी निष्कर्ष को बेड पर लिटाने के लिए झुकती है उसके चेहरे से दुप्पटा नीचे गिर जाता है। और निष्कर्ष आरवी के चेहरे को अधखुली आँखों से देख लेता है। आरवी के चेहरे को देखते ही निष्कर्ष नशे में कहता है-"तुम......... तुम मेरे घर मे...... " निष्कर्ष अपने ऊपर झुकी हुई आरवी के चेहरे पर हाथ फेरते हुए आगे कहता है-" तुम बहुत अच्छी हो।"   तभी आरवी झट से अपना दुपट्टा उठाकर अपने चेहरे पर डाल देती है। और निष्कर्ष एक बार फिर अपनी आँखें  बंद कर लेता है।   आरवी निष्कर्ष के ऊपर से उठने लगती है। कि उसकी नजर निष्कर्ष के चेहरे पर पड़ती है। और एक पल के लिए उसकी नजरें निष्कर्ष के चेहरे पर टिक सी जाती हैं। और अनायास ही उसके मुँह से निकलता है-"सच मे हैंडसम तो बहुत है ये।" जैंसे ही आरवी ये कहती अचानक से उसे होश आता है और वो अपने सर पर चपेट लगाते हुए आगे कहती है-"ये क्या बोल रही हूं मैं।" इतना कहते ही आरवी के चेहरे के भाव बदल जाते हैं और वो निष्कर्ष को गुस्से में घूरते हुए फिर से कहती है-"ये हैंडसम नही राक्षस है राक्षस। हर समय बेवजह डांटता रहता है ना मुझे इसे तो मै अभी बताती हूँ" आरवी गुस्से से अपने दांत पीसकर अपने दोनों हाथों से निष्कर्ष के बाल पकड़ती है और उसका सर जोर जोर से हिलाने लगती है। निष्कर्ष इतने नशे में था कि उसे कुछ भी महसूस नही हो रहा था। कुछ देर तक आरवी लगातार निष्कर्ष के बाल पकड़कर उसके सर को गुस्से में हिलाती है और फिर वहां से चली जाती है। अपने कमरे में आने के बाद आरवी चैन की सांस लेते हुए अपने मे ही कहती है-"कब से मन ही मन मे उस राक्षस को सबक सिखाने का मन कर रहा था लेकिन अगर मैं उसे कुछ कहती या करती तो वो मुझे जॉन से निकाल देता। लेकिन नशे में होने के कारण उसे कुछ पता भी नही चला और मेरा गुस्सा भी निकल गया। " इतना कहकर आरवी मुस्कराते हुए आगे कहती है-"ये बात नायरा को बताती हूँ।" आरवी नायरा को कॉल करती है। लेकिन नायरा उसका कॉल नही उठाती। तो आरवी को लगता है कि शायद वो सो गई होगी। अगली सुबह........ आरवी गायत्री को मॉर्निंग वॉक कराने के बाद किचन में नाश्ता बना रही थी। इतने में निष्कर्ष उठकर किचन में आता है कल रात नशे में होने की वजह से उसकी आंखें देर में खुलती हैं। जैंसे ही आरवी की नजर निष्कर्ष पर पड़ती है उसे हंसी आ जाती है। और वो धीरे से अपने मे ही हंसते हुए कहती है-"अब लग रहा है ना ये सच का राक्षस।" आरवी बहुत धीरे से हंस रही थी लेकिन फिर भी आरवी की हंसी की आवाज निष्कर्ष के कानों में पड़ जाती है। और वो आरवी की ओर देखता है। निष्कर्ष के देखने से पहले ही आरवी अपनी हंसी रोककर खड़ी हो जाती है। निष्कर्ष एक नजर आरवी को घूरता है। और फिर अपने लिए ग्रीन टी बनाने लगता है। निष्कर्ष के दूसरी ओर मुड़ते ही आरवी फिर से हंसने लगती है। वो अपनी हंसी को रोकने की पूरी कोशिश करती है लेकिन फिर भी निष्कर्ष को देखकर उसे हंसी आ जाती है। इस बार भी निष्कर्ष आरवी की हंसी की आवाज सुन लेता है। और वो फिर से आरवी की ओर पलटता है। लेकिन इस बार आरवी हंसते हुए दूसरी ओर मुड़ जाती है। ये देख निष्कर्ष आरवी के कुछ पास जाकर कहता है-"तुम हंस क्यों रही हो।...... पागल हो गई हो क्या।" निष्कर्ष की बात सुनकर आरवी जैंसे तैसे अपनी हंसी पर कंट्रोल करती है।   इतने में गायत्री किचन में आती है। और जैंसे ही गायत्री की नजर निष्कर्ष पर पड़ती है। गायत्री हंसने लगती है। गायत्री के हंसते ही आरवी फिर से हंसने लगती है। ये देख निष्कर्ष आरवी को घूरता है और फिर गायत्री से कहता है-"दादी क्या हुआ आप हंस क्यों रही हो।" "तेरा चेहरा देखकर....... वैंसे तुझे ये चोट कैंसे लगी और वो भी इस तरीके से"-गायत्री कहती है। तो निष्कर्ष हैरानी से कहता है-"चोट......  मेरे चेहरे पर ।" गायत्री -"एक बार अपना चेहरा आयने में दिख कर आओ। सब पता चल जाएगा।" गायत्री की बात सुनकर निष्कर्ष जल्दी से कमरे में जाता है और आयने के सामने खड़ा हो जाता है। जैंसे ही निष्कर्ष नजर आयने पर पड़ती है। उसकी आँखें फैल जाती हैं। उसके सर पर एक दोनो आंखों के ऊपर चोट लगने की वजह से सूजन आ गया था। जो सर के दोनों ओर होने की वजह से सींग की तरह लग रहे थे। और उसके बाल भी अजीब से लग रहे थे जैंसे की किसी ने अच्छे से उसके बालों को खींचा हो। ये देख निष्कर्ष अपने सर पर हाथ लगाते हुए अपने मे ही कहता है-"ये .....ये चोट कब लगी। और मेरे बाल ये ऐंसे खड़े क्यों हो गए।" इतना कहकर निष्कर्ष अपने दिमाग मे जोर डालते हुए कल रात की बातें याद करने लगता है। अचानक से उसे याद आता है कि आरवी उसे नीचे फर्श से उठा रही थी। और वो उससे कहा रहा था। की तुम भी मुझसे नफरत करती हो। सब मुझसे नफरत करते हैं। ये याद आते ही निष्कर्ष गुस्से में अपने मे ही कहता है-" ये सब मुझे उस लड़की के सामने नही कहना चाहिए था। इतने में अचानक से निष्कर्ष को वो पल याद आता है। जब उसने अपने सामने अपनी फ्रेंड आरवी को देखा था। ये याद आते ही निष्कर्ष अपने दिमाग मे जोर डालते हुए कहता है-" आरवी को ढूंढने की वजह से अब मुझे वो सपने में भी दिखने लगी है। .......... लेकिन मुझे ये याद क्यों नही आ रहा कि मेरे सर पर ये चोट कैंसे लगी। वो भी इस तरह से। "                          ★★क्रमशः★★ धन्यवाद.......।

  • 8. खूबसूरत दिल से - Chapter 8

    Words: 2280

    Estimated Reading Time: 14 min

    कुछ देर बाद निष्कर्ष वापस किचन में आता है। निष्कर्ष के किचन में आते ही गायत्री कहती है-" देख लिया अपना चेहरा आयने में......... अब बताओगे की ये जो सर पर सींग आये हैं ये कैंसे आये हैं।" गायत्री की बात सुनकर आरवी की हंसी छूट जाती है। आरवी के हंसते ही निष्कर्ष घूर कर आरवी की ओर देखता है तो वो झेंप कर चुप हो जाती है। इतने में गायत्री निष्कर्ष को घूरते हुए कहती है-"उधर आरवी की ओर क्या देख रहा है।......... बता ये सर पर चोट कैंसे लगी।" "वो..... वो दादी ......"-निष्कर्ष थोड़ा हकलाकर बोला। "तू कल रात फिर से पी कर आया था ना"-गायत्री निष्कर्ष की बात बीच मे ही काटते हुए कहती है। गायत्री की बात सुनकर निष्कर्ष फिर से आरवी को घूरने लगता है। ये देख गायत्री कहती है-"उसे क्या घूर रहा है। उसने मुझे कुछ नही बताया। समझा।" इस पर निष्कर्ष झेंप जाता है और अपना सर नीचे झुका कर धीरे से कहता है-"सॉरी दादी......।" "इस बार मैं तुम्हे शराब पीने को मना नही करूँगी। क्योंकि मैं मना करूँगी भी तो तुम मेरी बात तो मानोगे नही। इसलिए जितनी पीनी है पी लो। लेकिन शराब पीने के बाद घर मत आया कर समझे। होटेल में ही रह लिया कर।" इतना कहकर गायत्री गुस्से में अपनी व्हील चेयर के पहिये घुमाते हुए वहां से चली जाती है। गायत्री के जाते ही निष्कर्ष एक नजर आरवी को देखता है और फिर अपनी ग्रीन टी लेकर गायत्री के पीछे पीछे चला जाता है। नाश्ता बनाने के बाद आरवी गायत्री को नाश्ता करने के लिए कहती है। लेकिन निष्कर्ष पर गुस्सा होने की वजह से गायत्री नाश्ता करने को मना कर देती है। आरवी के बहुत कहने पर भी जब गायत्री नही मानती तो आरवी निष्कर्ष के कमरे के बाहर जाकर रूम का दरवाजा खटखटाते हुए कहती है-"सर......" आरवी की आवाज सुनकर निष्कर्ष दरवाजे के पास आकर आरवी से कहता है-"क्या हुआ।" आरवी -"सर वो दादी नाश्ता करने को मना कर रही है। " ये सुनकर निष्कर्ष के चेहरे पर परेशानी के भाव आ जाते हैं। और उसे ये भी मालूम था कि गायत्री उसी की वजह से नाश्ता करने को मना कर रही है। तभी आरवी आगे कहती है-"वो आप पर नाराज है इसलिए नाश्ता करने को मना कर रही हैं। आप एक बार दादी से बात कर लीजिए। और उनसे माफी मांग कर उन्हें मना लीजिये।" निष्कर्ष -"सॉरी कह तो दिया है। लेकिन दादी मान ही नही रही हैं। गलती मेरी ही है। मुझे ड्रिंक नही करनी चाहिए थी। दादी के कहने पर मैंने शराब छोड़ने की बहुत कोशिश की लेकिन मैं छोड़ नही पाया। पता नही कभी कभी मुझे क्या हो जाता है। मैं खुद पर कंट्रोल ही नही कर पाता।" "अगर आप कहें तो मैं आपको बताऊं की दादी को कैंसे मनाना है।"- निष्कर्ष की बात सुन् आरवी धीरे से बोली। निष्कर्ष -"बोलो।" इस पर आरवी अपने हाथ से इशारा करते हुए निष्कर्ष से कहती है-"आपना कान इधर कीजिये।" "यहां हम दोनों के अलावा कोई नही है। इसलिए जरूरी नही है कि तुम कान पर ही कहो"- निष्कर्ष चिढ़ते हुए कहता है तो आरवी कहती है-"अरे हां...... यहां आपके और मेरे अलावा कोई भी नही है। इसलिए आपके कान में कहने की जरूरत नही है।" आरवी की बात सुनकर निष्कर्ष आरवी को घूरने लगता है। तो आरवी निष्कर्ष को गायत्री को मनाने का आईडिया बताती है। जैंसे ही आरवी की बात खत्म होती है निष्कर्ष कहता है-"अगर इस सबसे दादी नही मानी तो।" आरवी -"इतने दिनों मैं थोड़ा बहुत तो दादी को मैं भी जान चुकी हूँ। इसलिए मुझे लगता है कि दादी माँ जाएंगी" कुछ देर बाद निष्कर्ष गायत्री के कमरे के बाहर खड़ा था। और आरवी उसके पीछे से अपने हाथ मे झाडू लेकर आती है। आरवी के हाथ मे झाड़ू देखकर निष्कर्ष कहता है-" तुमने तो कहा था कि तुम डंडा लाओगी। लेकिन तुम तो झाड़ू ले आई।" "वो मुझे डंडा नही मिला ना इसलिए मैं झाड़ू ले आई। "-आरवी बोली और झाड़ू निष्कर्ष की ओर कर दिया। निष्कर्ष आरवी के हाथ से झाड़ू पकड़ कर गायत्री के रूम में चला जाता है। निष्कर्ष के जाते ही आरवी मुस्कराते हुए अपने मन मे सोचती है-" अपने आईडिया में झाड़ू तो मैंने जान बूझकर शामिल किया। वैंसे तो मैं आपको दादी से सारा सच बताकर माफी मांगने को सिम्पल तरीके से भी कह सकती थी। लेकिन आपको मार खाते देखने का मेरा बहुत मन था इसलिए मुझे ये सब भी करवाना पड़ा।"  कमरे में निष्कर्ष गायत्री के सामने जाकर झाड़ू को गायत्री की ओर करते हुए कहता है-"दादी...... ये लो झाड़ू। और मुझे जितना मारना है मार लीजिये। लेकिन प्लीज् मुझसे नाराज मत रहिये। और खाना खा लीजिये।" निष्कर्ष की बातें सुनकर गायत्री हैरान रह जाती है। उसे समझ नही आ रहा था कि निष्कर्ष ये क्या कह रहा है। क्योंकि निष्कर्ष ने इससे पहले कभी ऐंसी बात नही कही थी। तभी गायत्री की नजर दरवाजे के पास खड़ी आरवी पर पड़ती है। जो कि इशारा करके निष्कर्ष को अपनी बात आगे कहने को कह रही थी। जिससे गायत्री समझ जाती है कि ये सारी बातें निष्कर्ष की नही बल्कि आरवी की हैं। निष्कर्ष अपनी बात आगे कहता है-"लीजिये दादी इस झाड़ू से मुझे मारकर अपना सारा गुस्सा निकाल लीजिए। लेकिन प्लीज् खाना खा लीजिये। " निष्कर्ष की बात सुनकर एक पल के लिए गायत्री के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है। लेकिन अगले ही पल गायत्री फिर से गम्भीर हो जाती है। गायत्री निष्कर्ष को देखते हुए निष्कर्ष के हाथ से झाड़ू पकड लेती है। जैंसे ही गायत्री झाड़ू पकड़ती है। निष्कर्ष के चेहरे के भाव बदल जाते हैं और वो अपने मन ही मन मे कहता है-"कहीं दादी सच मे ही झाड़ू से मुझे मारने न लग जाये। मुझे इस लड़की की बात नही माननी चाहिए थी।" दूसरी ओर गायत्री के झाड़ू पकड़ते ही आरवी अपने मन ही मन मे कहती है-"दादी प्लीज् दो तीन लगा दो। प्लीज् दादी प्लीज्....... दो तीन नही तो एक तो लगा ही दो प्लीज् प्लीज् दादी।" इतने में गायत्री झाड़ू से एक निष्कर्ष के पैरों पर लगा देती है। जैसे ही गायत्री झाड़ू से निष्कर्ष के पैरों पर लगाती है। आरवी खुशी से उत्साहित होकर जोर से कहती है-"यस.........।" इस पर निष्कर्ष और गायत्री दोनो हैरानी से आरवी की ओर देखने लगते हैं। जैंसे ही गायत्री और निष्कर्ष आरवी की ओर देखते हैं। तो आरवी को भी ध्यान आता है कि उसे इतनी जोर से यस नही कहना चाहिए था। इसलिए वो झट से अपने बचाव में कहती है-"वो दादी ने झाड़ू पकड़ लिया तो मैने सोचा कि दादी मान गई। इसलिए मैंने यस कहा।" आरवी की बातें सुनकर निष्कर्ष के चेहरे के भाव बदल जाते हैं। उसे आरवी की बातों पर यकीन नही हो रहा था। इसलिए वो आरवी को अजीब तरह से देखने लगता है। ये देख आरवी फिर से निष्कर्ष को इशारा करके अपनी बात करता करने को कहती है। निष्कर्ष गायत्री से आगे कहता है-" दादी कल जब मैं होटेल से घर आ रहा था। तो मैंने रास्ते मे मिस्टर मल्होत्रा और उनकी वाइफ को देखा। उन्हें देखकर मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था। और इसी वजह से मैंने ड्रिंक भी की।  दादी आपके कहने पर मैंने शराब छोड़ने की बहुत कोशिश की। लेकिन पता नही कभी कभी मुझे क्या हो जाता है। मैं खुद पर कंट्रोल नही कर पाता। दादी मैं आपसे ये प्रोमिश तो नही कर सकता कि मैं आज से शराब छोड़ दूंगा। क्योंकि शराब की आदत को छोड़ना इतना आसान नही होता। फिर भी मैं आपसे प्रोमिश करता हूँ। कि मैं आज से शराब छोड़ने की पूरी कोशिश करूंगा। अब चाहे कुछ भी हो जाये। मैं खुद पर पूरा कंट्रोल करने की कोशिश करूंगा। प्लीज् दादी मुझे माफ़ कर दीजिए। और खाना खा लीजिये।" निष्कर्ष की बातें सुनकर गायत्री के चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ जाती है। और वो निष्कर्ष से कहती है-" अगर तुमने मुझसे प्रोमिश कर ही दिया है कि आगे से तुम शराब छोड़ने की पूरी कोशिश करोगे तो मैं तुम्हे माफ कर देती हूं। लेकिन आगे से ध्यान रखना। " "जी दादी....... और  आज मैं होटेल भी नही जा रहा। आज पूरा दिन मैं आपके साथ ही रहूंगा। "-निष्कर्ष ने कहा। तो गायत्री झट से मुँह बनाते हुए कहती है-"अच्छा...... ये क्यों नही कहता कि ये दो सींग लेकर तू होटेल कैंसे जा पायेगा।" गायत्री की बात पर आरवी की हंसते हुए झट से कहती है-"दादी ये बात तो आपने बिल्कुल सही.............इतना कहते ही आरवी की नजर निष्कर्ष पर पड़ती है। निष्कर्ष आरवी को गुस्से में घूरे जा रहा था। ये देख आरवी चुप हो जाती है।" इतने में निष्कर्ष का फोन बजने लगता है। निष्कर्ष अपने जेब से फोन निकालकर फोन की स्क्रीन में देखता है तो सपना का कॉल था। निष्कर्ष फोन उठाते हुए कहता है-"हेलो........ सपना।" फोन पर सपना की आवाज आती है"भैय्या आज मेरे बेटे की तबियत थोड़ी खराब हो गई है। इसलिए मैं आज काम पर नही आ पाउंगी।" "अच्छा ठीक है"-निष्कर्ष फोन पर सपना से कहता है और कॉल कट कर देता है। कॉल कट करते ही गायत्री कहती है-" क्या कह रही थी सपना। निष्कर्ष -"वो आज काम पर नही आ पाएगी। क्योंकि उसके बेटे की तबियत खराब है" आरवी -"दादी मैं आपके लिए नाश्ता लेकर आती हूँ।" इतना कहकर आरवी कमरे से बाहर चली जाती है। आरवी के जाते ही निष्कर्ष भी आरवी के पीछे पीछे बाहर आ जाता है। आरवी किचन में जाकर गायत्री के लिए खाना परोसने लगती है। तो निष्कर्ष भी किचन में आ जाता है। निष्कर्ष के किचन में आते ही आरवी अपने मन ही मन मे सोचती है-" शायद ये राक्षस मुझसे थैंक यू कहने आया होगा। वैंसे इसका थैंक यू कहना भी बनता है" निष्कर्ष किचन में आकर आरवी से कहता है-"ये.........।" इससे पहले की निष्कर्ष अपनी बात पूरी करता आरवी निष्कर्ष की बात बीच मे ही काटते हुए कहती है-"सर मैंने कहा था ना कि अगर आप दादी को सब  सच बता दोगे की कल आपने ड्रिंक क्यों कि और ड्रिंक करना छोड़ने को बात कहोगे तो वो आपको माफ कर देंगी.......... वैंसे आपको मुझे थैंक यू कहने की जरूरत नही है। मुझे भी दादी की फिक्र हो रही थी। इसलिए मैंने आपको ये आईडिया दिया।" "तो मैं तुम्हे थैंक यू कह भी नही रहा हूँ। मैं बस यहां तुम्हे ये झाड़ू देने आया हूँ"- निष्कर्ष अपने हाथ मे पकड़े झाड़ू को आरवी की ओर करते हुए कहता है। तो आरवी के चेहरे के भाव बदल जाते हैं और वो मुँह बनाते हुए निष्कर्ष के हाथ से झाड़ू पकड लेती है। आरवी का मुँह देखकर निष्कर्ष के चेहरे पर हल्की सी स्माइल आ जाती है। और वो मुस्कराते हुए बाहर चला जाता है। सुबह के लगभग 11 बज चुके थे। आज सपना छुट्टी पर थी इसलिए आरवी ही घर की सफाई करने लगती है। आरवी को सफाई करता देख गायत्री कहती है-"आरवी .....  तुम क्यों सफाई कर रही हो। आज रहने दो कल सपना आकर अपने आप कर लेगी। " "दादी ..... कोई नही....... एक दिन की ही तो बात है मैं कर लुंगी। वैंसे भी खाना बनाने की वजह से किचन बहुत गन्दा हो गया था। तो मैंने किचन की सफाई कर ली फिर मैंने सोचा आपके कमरे की और अपने कमरे की भी सफाई कर देती हूं। अब बचा बाहर ड्राइंग रूम तो वहां की भी कर लुंगी। बाकी ओर कमरों की सफाई कल सपना दी आकर खुद ही कर लेंगी।"- आरवी गायत्री के रूम के फर्श पर झाड़ू लगाते हुए बोली। कुछ देर बाद आरवी बाहर ड्राइंग रूम के फर्श पर पोछा लगा रही थी इतने में सामने से निष्कर्ष आता है। निष्कर्ष अपने फोन पर बिजी था इसलिए वो ध्यान नही देता की सामने आरवी पोछा लगा रही है। और आरवी का भी सारा ध्यान पोछा लगाने पर ही था। वो भी सामने से आ रहे निष्कर्ष को नही देखती। निष्कर्ष आरवी के पास आते ही आरवी से टकरा जाता है।   जिस वजह से आरवी का बैलेंस बिगड़ जाता है और वो नीचे गिरने लगती है। आरवी को गिरता देख निष्कर्ष आरवी को गिरने से बचाने के लिए उसका हाथ पकड़ लेता है। लेकिन इतने में आरवी का पैर फर्श पर लगे पोछे पर पड़ता है और वो फिसल कर नीचे गिर जाती है। और आरवी का हाथ पकड़े होने के कारण निष्कर्ष भी उसी के ऊपर जा गिरता है। नीचे गिरने की वजह से आरवी अपनी दोनों आंखें डर से बंद कर देती है। निष्कर्ष आरवी के ठीक ऊपर था और उसने अपने दोनों हाथ आरवी के दोनों ओर फर्श से टिकाये हुए थे। और उसकी नजरें आरवी के चेहरे पर थी। वो आरवी को अपलक देखे जा रहा था।   इतने में आरवी धीरे से अपनी आँखें खोलती है। और अपने ऊपर निष्कर्ष को गिरा हुआ देखकर फिर से अपनी आँखें बंद करके अपने मन ही मन मे कहती है-"अब ये राक्षस मुझे फिर से डांटेंगे।" आरवी फिर से अपनी आँखें खोलकर देखती है तो निष्कर्ष अभी भी उसके ऊपर ही था। ये देखकर आरवी धीरे से कहती है-"सर.........।" आरवी के मुंह से सर सुनकर निष्कर्ष अचानक से होश में आता है और हड़बड़ाते हुए झटके से खड़ा होते हुए कहता है-"ठीक से नही चल सकती क्या। इतने में आरवी भी खड़ी हो जाती है।और निष्कर्ष की बात सुनकर आरवी हैरानी से निष्कर्ष को देखते हुए शांत भाव से कहती है-"सर लेकिन चल तो आप रहे थे। मैं तो एक जगह में खड़ी होकर पोछा लगा रही थी। " " तो एक जगह में ठीक से खड़ी भी नही हो सकती क्या।"-इतना कहकर निष्कर्ष आरवी की कोई बात सुने ही  अपने कमरे की ओर चला जाता है। और आरवी वहां खड़ी हैरानी से निष्कर्ष को बस जाते देखती ही रह जाती है। जब निष्कर्ष अपने कमरे में चला जाता है तो आरवी गुस्से में अपने मे ही कहती है-" पता नही अपने आपको क्या समझता है। अपनी गलती में भी मुझे ही डांट रहा है।"                         ★★क्रमशः★★ धन्यवाद......।

  • 9. खूबसूरत दिल से - Chapter 9

    Words: 2514

    Estimated Reading Time: 16 min

    नायरा आज बहुत खुश थी। क्योंकी उसे लग रहा था की आज सर उसका प्रमोशन करने वाले हैं और अब वो इस रेस्टोरेंट के कैशियर की पोस्ट पर होगी। ये बात उसे उसके साथ काम करने वाली उसकी फ्रेंड निशा ने दी थी।  क्योंकि निशा ने सर को किसी से बात करते सुना था। जिसमें वो नायरा को कैशियर बनाने की बात कह रहे थे। दोपहर के 12 बजने वाले थे लेकिन अभी तक सर ने नायरा से इस बारे में कोई बात नही की थी इसलिए नायरा निशा के पास जाकर कहती है-"निशा तूने सही सुना था ना कि सर मुझे ही कैशियर बनाने की बात कर रहे थे। " निशा -"हां यार ......सर ने तेरा नाम ही कहा था"। "तो फिर सर ने मुझे अभी तक......."-नायरा ने इतना ही कहा था कि निशा बीच मे बोल पड़ती है-" विद्युत...... " निशा के मुंह से विद्युत  सुनकर नायरा निशा की ओर देखती है। निशा बिना पलक झपकाए अपने ठीक सामने देख रही थी। नायरा भी  निशा की नजरों का पीछा करते हुए सामने देखती है। तो उसे सामने मेन डोर से एक लड़का अंदर आते हुए दिखाई देता है। तभी निशा उझलते हुए कहती है-"ओह माई गॉड ये तो   विद्युत है।" "कौन विद्युत "-नायरा हैरानी से उस लड़के की ओर देखते हुए कहती है। निशा -"अरे ये इंस्टाग्राम में रील्स बनाता है। डांस के।....... मैंने इसे इंस्टा पर फॉलो किया हुआ है। मुझे इसका डांस बहुत ही अच्छा लगता है" नायरा -"अच्छा कितने फॉलोवर्स हैं इसके इंस्टाग्राम पर" "सोलह या सत्रह हज़ार तक हैं शायद"- निशा विद्युत की ओर देखते हुए कहती है। निशा की बात सुनकर नायरा की हंसी छूट जाती है। और वो कहती है-"सोलह या सत्रह हज़ार। और तुम इसकी फैन हो" ये सुन निशा चिढ़ते हुए कहती है-" वो बहुत अच्छा डांस करता है। समझी....... सोलह सत्रह हज़ार फॉलोवर्स उसके सिर्फ एक महीने में हुए।"   इतने में उस लड़के के पीछे से उसी की ऐज का दूसरा लड़का भी मेन डोर से अंदर आता है। और फिर दोनों सामने एक टेबल पर जा कर बैठ जाते हैं। उनके बैठते ही नायरा निशा से कहती है-"मैं उनके ऑर्डर लेकर आती हूँ।" "नही उनके ऑर्डर मैं लेकर आउंगी"-निशा नायरा का हाथ पकड़कर रोकते हुए कहती है। तभी अचानक निशा और नायरा के पास एक आदमी आकर कहता है-" वहां टेबल नम्बर 12 पर कस्टमर वेट कर रहे हैं और तुम दोनों यहां खड़े हो।" ......   इतना कहकर वो आदमी अपनी बात पूरी करते हुए आगे कहता है-" जाओ नायरा टेबल नम्बर 12 से ऑर्डर लेकर आओ।" नायरा -" जी सर।" इधर टेबल पर बैठते ही विद्युत अपने साथ के लड़के से कहता है-"अमन .....भाई बिल तू देगा ना। मैं तो तेरे ही भरोंसे आया हूँ यहाँ" "मैं....... मैं क्यों दूंगा। तूने कहा चल कुछ खाते हैं तो मुझे लगा कि मुझे भी तू हो खिला रहा है....... मैं नही दे रहा कोई बिल"- अमन विद्युत को घूरते हुए बोला।   विद्युत -" भाई इस बार तू दे देना अगली बार मैं दे दूंगा पक्का।" इससे पहले अमन कुछ कहता उसकी नजर सामने से उनकी ही ओर आ रही नायरा पर पड़ती है। और नायरा को देखते ही अमन कुछ सोचते हुए विद्युत से कहता है-"देख एक काम करते हैं। जो सामने से वो वेट्रेस आ रही है। तुझे उसका नम्बर लेना है। अगर तूने उससे उसका नम्बर ले लिया तो बिल मैं पे करूँगा। अगर नही ले पाया तो बिल तू पे करेगा।" इतना कहकर अमन अपने मन मे सोचता है-"ये सही आइडिया लगाया मैने मुझे पता है भला कोई लड़की क्यों किसी अनजान को अपना नंबर देगी अब तो बिल इसे ही पे करना पड़ेगा।" अमन की बात सुनकर विद्युत के चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल आ जाती है। और वो सामने से अपनी ओर आ रही नायरा की ओर देखता और फिर अमन से कहता है-"तो फिर तू बिल देने के लिए तैयार हो जा। तुझे पता है ना कि तेरा भाई लड़कियों के मामले में बड़ा वाला हरामी है। अब देख मैं इस लड़की से इसका नम्बर कैंसे लेता हूँ।" इतना कहकर विद्युत अपनी शर्ट के कॉलर ठीक करके अपने हाथ बालों पर फेरता है। इतने में नायरा विद्युत के टेबल के पास आकर मुस्कराते हुए कहती है" वेलकम सर....... क्या लेंगे पर आप" विद्युत -"वैंसे आपसे एक बात कहूँ।" नायरा -"जी कहिये सर" ये सुन विद्युत हल्का सा मुस्करा कर कहता है-" मैंने आज तक आपकी जैसी खूबसूरत लड़की नही देखी। आप सच मे बहुत खूबसूरत हो। आपको तो मॉडलिंग करनी चाहिए।" विद्युत की बात सुनकर नायरा अपने मन ही मन मे कहती है-" अगर मैं जॉब पर नही होती ना तो मैं तुझे दिखाती की मैं क्या क्या कर सकती हूं।" विद्युत अभी भी अपनी बात कह रहा था-"वैंसे क्या आप मुझे अपना नम्बर दे सकते हो। " "सॉरी सर मैं आपको अपना नम्बर नही दे सकती। और रही मेरी खूबसूरत होने की बात तो मैं भी अपना चेहरा देखती हूँ और मुझे भी पता है कि मैं कितनी खूबसूरत हूँ। प्लीज् आप अपना ऑर्डर दे दीजिए"-नायरा थोड़ा चिढ़कर बोली। आरवी की बात सुन अमन हंसने लगता है। और विद्युत झेंपते हुए अमन को घूरने लगता है। और फिर दोनों नायरा को खाने का ऑर्डर देते हैं। नायरा के जाते ही अमन हंसते हुए विद्युत से कहता है-"भाई क्या हुआ........ इस लड़की ने तो तेरी बोलती बंद कर दी। " इस पर विद्युत चिढ़कर कहता है-" ये सब तेरी वजह से ही हुआ। सच मे इस लड़की ने तो मेरी अच्छे से बेइज्जती कर दी।" इधर नायरा वापस जाते हुए अपने मे ही कहती है-"बड़ा आया फर्ल्ट करने वाला।" कुछ देर बाद नायरा विद्युत और अमन का ऑर्डर लेकर आती है। और दोनों को सर्व करके वहां से चली जाती है।खाना खाने के बाद विद्युत मेन्यू बुक के अंदर पैंसे रखता है। इतने में नायरा वहां आती है। और मेन्यू बुक उठाकर वहां से जाने लगती है। जैंसे ही नायरा कुछ कदम चलती है। मेन्यू बुक के अंदर रखे हुए कुछ पैसे नीचे फर्श पर गिर जाते हैं। जिन पर विद्युत के नजर पड़ जाती है। पैंसे देखकर विद्युत झट से चेयर से उठता है और फर्श पर गिरे हुए पैंसे उठाकर नायरा को पीछे से आवाज देते हुए कहता है-"एक्सक्यूजमी..........।" विद्युत की आवाज सुनकर नायरा पीछे विद्युत की ओर पलटने लगती है। और विद्युत नायरा की ओर बढ़ते हुए कहता है-"ये पैंसे........।" अभी विद्युत ने इतना ही कहा था कि उसका पैर सामने रखी चेयर से टकरा जाता है और वो मुँह के बल आगे को गिरने लगता है। इतने में नायरा भी उसकी ओर पलट जाती है। जैंसे ही नायरा विद्युत की ओर पलटती है। विद्युत नायरा के ऊपर आ गिरता है। लेकिन इससे पहले नायरा गिरती विद्युत नायरा के दोनो बाजू पकड़ लेता है। लेकिन बैलेंस बिगड़ने की वजह से विद्युत के होंठ नायरा के होंठों से टच हो जाते हैं। जैंसे ही दोनों के होंठ आपस मे टच होते हैं। दोनो की ही आँखें फैलकर बड़ी हो जाती हैं। और अगले ही पल विद्युत एक झटके के साथ नायरा से अलग हो जाता है। दूसरी ओर नायरा विद्युत को गुस्से में खा जाने वाली नजरों से घूर रही थी। क्योंकि उसे लग रहा था कि विद्युत ने उसे किस जान बूझकर किया। विद्युत अपनी सफाई में कुछ कहता नायरा सामने कस्टमर के टेबल ओर रखी कोल्ड कॉफी का कप उठाती है। और गुस्से में विद्युत की ओर कॉफी फेंकते हुए चिल्लाकर कहती है-"तुम्हारी हिम्मत कैंसे हुई मुझे किस करने की।" इससे पहले कॉफी विद्युत ओर गिरती अमन वहां आकर विद्युत का हाथ खींच लेता है। जिस वजह से कॉफी विद्युत पर न गिरकर विद्युत के ठीक पीछे बैठे एक कस्टमर के ऊपर गिर जाती है। जैंसे ही उस कस्टमर के ऊपर कॉफी गिरती है। वो  खड़े होकर नायरा पर गुस्से में चिल्लाते हुए कहता है-"ये क्या बत्तमीजी है। " इधर अमन विद्युत का हाथ पकड़कर उसे बाहर ले जाते हुए कहता है-"भाई चल यहां से......।" नायरा एक नजर विद्युत की ओर देखती है और फिर झेंपते हुए शांत भाव से कहती है-"सॉरी सर.......।" "सॉरी माई फुट.......... बड़ा नाम सुना था इस रेस्टोरेंट का। लेकिन मुझे पता नही था कि यहां कस्टमर के साथ ऐंसा बिहेव किया जाता है। .... जाओ अपने बॉस को बुला कर लाओ।-"वो कस्टमर गुस्से में फिर से चिल्लाते हुए कहता है। वहां बैठे सभी लोंगों की नजरें नायरा और उस कस्टमर पर ही थीं। इतने में निशा नायरा के पास आकर कहती है-"सर गलती से हो गया। प्लीज् माफ कर दीजिए।..... आपका जितना नुकसान हुआ है हम पे कर देंगे।" "पे कर दोगे...... पता भी है ये जो कपड़े मैंने पहने हुए हैं ये कितने महँगे हैं......."-वो कस्टमर कहता है। इतने में एक आदमी पीछे से आकर कहता है-"क्या चल रहा है यहां पर।" उस आदमी की आवाज सुनकर निशा और नायरा डर से सहम जाते हैं। और निशा शांत भाव से कहती है-"सर वो......।" अभी निशा ने इतना ही कहा था कि वो कस्टमर निशा की बात काटते हुए कहता है-" अच्छा तो आप हैं इनके बॉस........।" इतना कहकर वो कस्टमर अपनी शर्ट पर गिरी हुई कॉफी की ओर इशारा करते देख आगे कहता है-" ये देखिये इस लड़की ने मेरे ऊपर कॉफी डाल दी। वो भी बिना किसी वजह के...........।" उस कस्टमर की बात सुनकर  नायरा के बॉस नायरा को घूरते हुए कहते हैं-"नायरा तुमने सर पर कॉफी क्यों डाली" "सर वो मैं ......."-नायरा ने इतना ही कहा था कि नायरा के बॉस गुस्से में उसकी बात काटते हुए कहते हैं-"नायरा मुझे तुमसे ये उम्मीद नही थी। ........ तुम कस्टमर से ऐंसे बिहेव कैंसे कर सकती हो।........ यू आर फायर्ड।" इतना कहकर बॉस उस कस्टमर को अपने साथ ले जाते हुए कहते हैं-" सर प्लीज् आप ये वाश कर लीजिए।" नायरा बुत की तरह वहां बस खड़ी की खड़ी रह जाती है। निशा नायरा को सहारा देने उसके पास जा ही रही थी कि तभी सामने दूसरे टेबल से  कस्टमर निशा को आवाज देते हुए कहता है-" एक्सक्यूजमी...... ।" निशा न चाहते हुए भी उस कस्टमर के पास चली जाती है। और नायरा अपने कपड़े बदलने चेंजिंग रूम की ओर चली जाती है। " दूसरी ओर रेस्टोरेंट से बाहर आते ही विद्युत अमन के हाथ से अपना हाथ झटकते हुए कहता है-"ये क्या कर रहा है तू। कहाँ ले जा रहा है मुझे........ मुझे पहले उस लड़की से सॉरी कहना है। भले ही गलती से लेकिन मैंने उसे किस किया है। तो मुझे उसे सॉरी कहना चाहिये। मेरी वजह से उसने कस्टमर के ऊपर कॉफी भी डाल दी।" इतना कहकर विद्युत रेस्टोरेंट के अंदर आ जाता है। इतने में नायरा भी अपने कपड़े बदल कर और अपना बैग लेकर वापस आने लगती है।  तभी उसकी नजर सामने से आते हुए विद्युत पर पड़ती है। विद्युत को देखते ही नायरा की आँखें गुस्से से लाल हो जाती हैं।  और वो अपने दांत पीस कर जोर से चिल्लाते हुए विद्युत के पास जाती है और उसके बाल नोचते हुए उसे मारने लगती है। नायरा ये सब इतने तेजी से करती है कि ना तो विद्युत को सम्भलने का मौका मिलता है और ना ही बात करने का। वो बस नायरा की मार से बचने भी  कोशिश कर रहा था। तभी अमन भी वहां पर आ जाता है। विद्युत को मार खाता देख अमन विद्युत को बचाने के लिये जाता है लेकिन नायरा अमन को एक जोर का धक्का दे देती है जिस वजह से अमन नीचे गिर जाता है। विद्युत नायरा की मार से बचने की नाकाम कोशिश करते हुए कहता है-"प्लीज् मेरी बात सुन लो.......मैंने तुम्हें जान बूझकर किस नही किया। प्लीज्।" लेकिन नायरा विद्युत की कोई बात नही सुन रही थी। वो बस विद्युत को मारे जा रही थी। नायरा विद्युत को मारते हुए कहती है-" तुम्हारी हिम्मत कैंसे हुई मुझे किस करने की............. मैं तुम्हे छोडूंगी नही।  " अब तक रेस्टोरेंट में मौजूद सभी लोग उनके आस पास इकट्ठा हो चुके थे। इतने में निशा भी वहां पर आ जाती है। वो नायरा को पकड़ने की कोशिश करती है लेकिन नायरा निशा को भी अपने से दूर कर देती है। और फिर विद्युत को मारने लगती है।  अब विद्युत को भी गुस्सा आ जाता है। और वो झटके से नायरा के दोनों हाथ पकड़कर उसे सामने दीवार से सटा कर गुस्से में कहता है-" मैंने तुम्हें जान बूझकर किस नही किया। मेरा पैर चेयर से टकरा गया था इसलिए मैं तुम्हारे ऊपर गिर गया जिस वजह से किस हुई" "मैं बेवकूफ नही हूँ। समझे तुमने मुझे जान बूझकर किस किया। क्योंकि जब मैं तुम्हारा ऑर्डर लेने आई थी आप उस वक्त भी तुम मेरे साथ फ्लर्ट कर रहे थे। "-नायरा भी गुस्से में विद्युत की पकड़ से खुद को छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहती है। इससे पहले विद्युत कुछ कहता पीछे से नायरा के बॉस  की आवाज आती है। -"ये क्या हो रहा है यहां पर।" ये आवाज सुनते विद्युत का ध्यान नायरा के बॉस की ओर चला जाता है।और इसका फायदा उठाकर  नायरा विद्युत के दोनों पैरों के बीच अपने घुटने से मार देती है। जिस वजह से विद्युत दर्द से चीखते हुए नायरा के हाथ छोड़ देता है और अपने दोनों हाथ अपने पैरों के बीच रखकर हल्का सा झुक जाता है। उसकी आँखें दर्द से बंद हो जाती हैं। नायरा फिर झटके से विद्युत के पास जाकर उसके बाल नोच कर उसे मारने लगती है।   नायरा का बॉस फिर से गुस्से में चिल्लाते हुए कहता है-" अगर तुम दोनों ने ये सब बन्द नही किया तो मैं पुलिस बुला दूंगा।" ये सुनते ही नायरा रुक जाती है। और फिर एक नजर अपने बॉस की ओर रहा कर विद्युत की ओर देखती है। जो अभी भी अपने पैरों के बीच मे हाथ रखकर झुका हुआ था। और फिर वहां से चली जाती है। नायरा के जाते ही अमन विद्युत को सहारा देकर पकड़ता है। और उसे रेस्टोरेंट से बाहर ले आता है। बाहर आते ही अमन विद्युत की हालत देखकर हल्का सा हंसते हुए कहता है-"भाई लात ज्यादा जोर से तो नही लगी। वरना मैं तुझे डॉक्टर के पास ले जाता हूँ। " इस पर विद्युत अमन को घूरने लगता है तो अमन फिर से हंसते हुए कहता है-"सॉरी.... सॉरी...... पर जो भी हो इस लड़की ने तेरी सारी गलतफहमी दूर कर दी। तुझे लगता था ना कि तुझे कोई लड़की मना नही कर सकती। तो इस लड़की ने तो तेरा पोपट कर दिया। वैंसे तूने उस लड़की को किस जानबूझकर तो नही की ना।" विद्युत -"पागल है क्या मैं उस लड़की को किस जान बूझकर क्यों करूँगा। बस अब मैं यही चाहता हूं कि आज के बाद ये लड़की मुझे कभी न मिले। "  अमन -"और अगर मिल गई तो।" अमन की बात सुनकर विद्युत अमन को खा जाने वाली नजरों से घूरने लगता है। तो अमन कहता है-"मैं तो मजाक कर रहा हूँ।....कहाँ मिलेगी अब वो तुझे दुबारा" दूसरी ओर नायरा रोड के किनारे बने एक पानी के टैंक का नल खोले पानी से अपने मुँह को धोते हुए अपने मे ही बड़बड़ाये जा रही थी।"-बतमीज कहीं का........ भगवान करें वो लड़का अब मुझे कभी दुबारा न मिले। और अगर वो मुझे दुबारा मिल गया तो मैं उसकी वो हालत करूँगी की वो दुबारा किसी ओर को किस करने लायक नही रहेगा। ........ वैंसे मुझ से पिटकर हालत तो उसकी आज भी खराब हो गई "। इतना कहकर नायरा अपने होंठों पर पानी डालते हुए रगड़ने लगती है।                           ★★क्रमशः★★ धन्यवाद.........।

  • 10. खूबसूरत दिल से - Chapter 10

    Words: 2547

    Estimated Reading Time: 16 min

    शाम के लगभग छ: बज रहे थे। नायरा सीढ़ियों से होते हुए ऊपर छत पर अपने कमरे में जा ही रही थी। की तभी नायरा की मकान मालकिन आंटी उसे आवाज देते हुए कहती है-"नायरा............ आज तू काम पर से बड़ी जल्दी आ गई।" "जी आंटी जी।"-नायरा मायूसी से बोली।.... नायरा का उतरा हुआ चेहरा देख आंटी जी पूछती है"अरे क्या हुआ। तुम्हारा चेहरा उतरा हुआ क्यों है। और तुम परेशान भी लग रही हो।" नायरा -"वो आंटी जी मेरी जॉब चली गई" ये सुनकर आंटी को भी नायरा के लिए बुरा फील होता है। वो नायरा को दिलासा देते हुए कहती हैं" चिंता मत करो...... दूसरी जॉब मिल जाएगी।" तभी घर के अंदर से एक आदमी की आवाज आती है"-सुषमा चाय नही बनी क्या अब तक।" ये सुनते ही सुषमा अपनी आँखें बड़ी बड़ी करके अपने सर पर हाथ लगाते हुए कहती है-" अरे मैं तो भूल ही गई थी। मैंने तो गैस पर चाय चढ़ाई है।" कहते ही सुषमा घर के अंदर की ओर जाते हुए नायरा से कहती है-"नायरा तुम भी अंदर आ जाओ और चाय पीलो। " सुषमा के कहने पर नायरा भी अंदर आ जाती है। नायरा के अंदर आते ही सुषमा किचन से ही नायरा को आवाज देते हुए कहती है-"नायरा बैठो मैं बस चाय लेकर आती हूँ।" नायरा ड्राइंग रूम में रखे सोफे पर बैठ जाती है। थोड़ी देर में सुषमा एक ट्रे में तीन कप चाय लेकर किचन से बाहर आकर अपने पति राजीव को आवाज देते हुए कहती है-" ए जी......चाय बन गई है। " और फिर ट्रे को सामने टेबल पर रख कर एक कप चाय का नायरा को देते हुए कहती है-"लो नायरा चाय।" नायरा सुषमा के हाथ से चाय का कप पकड़ते हुए कहती है-"आंटी जी आज अंकल जी स्टोर पर नही गए।" "वो आज उनकी तबियत थोड़ा ठीक नही थी। तो आज घर पर ही रुक गए"-सुषमा ने चाय की एक घूंट पीते हुए कहा। इतने में सामने के एक कमरे से राजीव बाहर आता है। "नायरा बेटा कैसी हो।"-राजीव नायरा को देखते ही बोले। नायरा -"अंकल जी मैं ठीक हूँ आप बताइए आप कैंसे हो।" नायरा के उतरे हुए चेहरे को देखकर राजीवभांप जाता है कि नायरा कुछ परेशान है। राजीव सुषमा के बगल में बैठते हुए आगे कहता है-" लेकिन तुम्हे देखकर तो नही लग रहा कि तुम ठीक हो।" नायरा राजीव की बात का कोई जवाब देती उससे पहले ही सुषमा कहती है-"बेचारी की जॉब चली गई। इसलिए वो थोड़ा परेशान है।" " क्या जॉब चली गई....... लेकिन कैंसे।"- राजीव परेशान होते हुए हैरानी से बोला। इस पर नायरा राजीव और सुषमा से कहती है कि आज रेस्टोरेंट में एक लड़का उसके साथ बत्तमीजी कर रहा था। इसलिए उसने उस लड़के पर गुस्से मे कॉफी गिरानी चाही लेकिन वो कॉफी गलती से एक कस्टमर के ऊपर गिर गई। और फिर उसके बॉस ने उसे जॉब से निकाल दिया। नायरा की बात सुनकर राजीव गुस्से में कहता है-"पता नही जो लड़के ऐंसे  लड़कियों को छेड़ते हैं। उन्हें उनके घर वाले कैंसे संस्कार देते हैं।  मैं तो कहता हूं ऐंसे लड़को को बीच मार्किट में चप्पल और जूतों से मारना चाहिए।  " फिर कुछ रुककर राजीव आगे कहता है-" नायरा बेटा तू चिंता मत कर जब तक तुझे दूसरी जॉब नही मिल जाती  तू मेरे साथ स्टोर में आ जाना। क्योंकि अब मुझे भी एक हेल्पर की जरूरत है। अब अकेले स्टोर को चलाना मेरे बस की बात नही है।" राजीव की बात सुनकर नायरा एक नजर सुषमा की ओर देखती है तो सुषमा मुस्कराते हुए अपना सर हाँ में हिला देती है। राजीव अपनी बात पूरी करते हुए आगे कहता है-"नायरा बेटा....... मैं तुम्हे ज्यादा तो नही पर महीने के बारह हजार तक सैलरी दे दूंगा। और बाकी जब तक तुम्हे दूसरी जगह कोई अच्छी सी जॉब नही मिल जाती तब तक तुम कमरे का किराया भी मत देना।" राजीव की बात सुनकर नायरा के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ जाती है। और वो मुस्कराते हुए कहती है-"थैंक यू सो मच अंकल जी और आंटी जी। आपने तो मेरी प्रॉब्लम झट से शॉल्व कर दी" राजीव -" तो फिर कल तैयार रहना ।" कुछ देर बातें करने के बाद नायरा राजीव और सुषमा को बाय बोलकर अपने कमरे मे जाने लगती है। बाहर बहुत अंधेरा हो गया था। ये देख नायरा बोली -"बाहर कितना ज्यादा अंधेरा हो गया। अंकल जी और आंटी जी के साथ बैठकर टाइम का पता ही नही चला। " जैंसे ही नायरा घर के बाहर आती है। उसे मेन गेट पर कोई शख्स खड़ा दिखाई देता है। वो शख्स नायरा की ओर पीठ करके खड़ा था शायद वो मेन गेट को अंदर से बंद कर रहा था। नायरा उस साये को देखकर जल्दी से घर के दरवाजे के सामने ही बने बाहर की लाइट के स्विच को ऑन कर देती है। लाइट जलते ही आँगन मे रोशनी हो जाती है। इतने में वो साया भी नायरा की ओर मुड़ जाता है। उसे देखते ही नायरा का चेहरा गुस्से से लाल पीला हो जाता है  क्योंकि वो कोई और नही बल्कि विद्युत था। तभी विद्युत की नजर भी दरवाजे के पास खड़ी नायरा पर पड़ जाती है। नायरा को देखते ही विद्युत के मुँह से अपने आप ही निकल पड़ता है-" ये चुड़ैल यहां क्या कर रही है।" दूसरी ओर विद्युत को देखकर नायरा भी गुस्से में अपने मे ही बड़बड़ाती है-"ये घटिया लड़का मेरा पीछा करते हुए यहां तक पहुंच गया। कहीं ये सुबह के लिए मुझसे बदला लेने तो नही आया है। लेकिन सर भी हो अब इसे मुझसे कोई नही बचा सकता।" इतना कहकर नायरा विद्युत को मारने के लिए अपने आस पास कुछ सामान ढूंढने लगती है। तभी उसकी नजर सामने सीढ़ियों के नीचे रखे एक लकड़ी के रेक पर पड़ती है। जिसमे बहुत से जूते चप्पल रखे हुए थे। उस रेक को देखते ही नायरा बिना सोचे समझे रेक से एक एक चप्पल और जूते को निकालकर विद्युत पर बरसाने लगती है। वहीं दूसरी ओर विद्युत अपने ऊपर आ रहे  जूते चप्पलों  से बचने की पुरजोर कोशिश कर रहा था। लेकिन फिर भी कोई चप्पल उसके पैर पर तो कोई उसके बाजू पर लग ही जा रही थी। जब रेक में रखे सभी चप्पल खत्म हो जाते हैं तो नायरा रेक के पास ही पड़े झाड़ू को उठाकर विद्युत को गुस्से में घूरते हुए उस की ओर बढ़ जाती है। नायरा के हाथ मे झाड़ू देखकर विद्युत समझ गया था कि अब नायरा उसके साथ क्या करने वाली थी। इसलिए विद्युत नायरा से बचने के लिए आंगन में भागने लगता है। नायरा भी अपनी पूरी ताकत लगाकर झाड़ू हाथ मे लिए विद्युत के पीछे दौड़ रही थी। घर के बाहर शोर सुनकर राजीव और सुषमा घर के बाहर आते हैं। और बाहर का नजारा देखकर दोनो की आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती हैं। और दोनों के मुँह से एक साथ निकलता है-"विद्युत..............।" इससे पहले राजीव और सुषमा किसी से कुछ पूछते विद्युत  नायरा से बचते हुए सुषमा के पीछे जाकर छिप जाता है। और सुषमा के दोनों कन्धे पकड़ते हुए  झाड़ू पकड़े खड़ी नायरा को देखते हुए सुषमा से कहता है-"मम्मी प्लीज् मुझे इस लड़की से बचा लीजिये। " विद्युत के मुंह से सुषमा के लिए मम्मी सुनकर नायरा हैरानी से एक नजर विद्युत को देखकर फिर सुषमा की ओर देखते हुए हैरानी से अपने मे ही कहती है-"मम्मी " राजीव -" नायरा बेटा क्या हुआ......... तुम विद्युत के पीछे झाड़ू लेकर क्यों भाग रही हो।" ये सुन नायरा हिचकिचाते हुए सुषमा की ओर देखकर विद्युत की ओर इशारा करते हुए कहती है-"ये आपको मम्मी क्यों............." "नायरा बेटा ये हमारा बेटा है विद्युत........ "-सुषमा विद्युत की ओर इशारा करते हुए कहती है। और फिर विद्युत की ओर मुड़कर अपनी बात आगे कहती है-"और विद्युत तुम....... तुमने तो कहा था कि तुम कल आओगे" "वो मैं आपको और पापा को सरप्राइज देने के लिए आज ही आ गया"-विद्युत शांत भाव से एक नजर नायरा की ओर देखते हुए बोला। इतने में राजीव नायरा से कहता है-" लेकिन नायरा बेटा तुम विद्युत के पीछे झाड़ू लेकर क्यों भाग रही थी। और ये आंगन में चारों और जूते चप्पल किसने फैलाये हैं। " "अंकल जी ये सब मैंने किया"- नायरा झेंपते हुए कहती है। तो राजीव कहता है-"लेकिन क्यों........।" "जो लड़का रेस्टोरेंट में मुझे छेड़ रहा था और जिसकी वजह से मेरी जॉब गई। वो यही लड़का है"-नायरा शांत भाव से विद्युत की ओर इशारा करके बोली। नायरा की बात सुनते ही सुषमा और राजीव हैरानी से विद्युत की ओर देखने लगते हैं। तो विद्युत शर्मिंदगी से अपना सर नीचे झुका लेता है। सुषमा गुस्से में नायरा के हाथ से झाड़ू पकड़कर विद्युत को मारते हुए कहती है।" तुझे शर्म नही आई ये सब करते हुए। आज तक मुझे लगता था कि मेरा बेटा थोड़ा आवारा  है। उसे अपने भविष्य की चिंता नही है। लेकिन मुझे ये नही पता था कि तू ये सब भी करने लगा है। ये सब करके तूने मेरी परवरिश को गाली दी है। समझा तू" ये सब कहते हुये सुषमा की आँखें हल्की सी नम हो गई थीं। इतने में विद्युत शांत भाव से कहता है-"सॉरी मम्मी......... लेकिन जैसा आप समझ रहे हैं वैंसा कुछ भी नही है। इस लड़की को गलत फहमी हुई है।" "कैसी गलत फहमी"- राजीव ने विद्युत से पूछा। इस पर विद्युत राजीव और सुषमा को सारा सच बता देता है। विद्युत के मुंह से सारा सच सुनने के बाद  राजीव कहता है-" चलो हमने ये मान लिया कि तुमने नायरा को गलती से किस किया। लेकिन शर्त को जीतने के लिए तो तुम नायरा के साथ फ्लर्ट जान बूझकर ही कर रहे थे। और जब तू दिल्ली से सुबह ही आ गया था तो सीधे घर नही आ सकता था। अपने दोस्तों के साथ आवारागर्दी करने की क्या जरूरत थी। " राजीव की बात सुनकर विद्युत झेंप जाता है। इतने में सुषमा गुस्से में चिल्लाते हुए कहती है-"तुम्हारे इस घटिया सी शर्त की वजह से नायरा की जॉब चली गई समझे।" विद्युत -"लेकिन ये लड़की हमारे घर मे" सुषमा - "वो ऊपर छत वाले कमरे में किराए में रहती है।" सुषमा की बात सुनकर विद्युत नायरा के पास जाता है और झेंपते हुए शान्त भाव से कहता है-"सॉरी......... मैं रेस्टोरेंट में भी वापस तुमसे माफी मांगने ही आया था लेकिन तुमने मेरी बात नही सुनी। " विद्युत की बात सुनकर नायरा एक नजर विद्युत की ओर देखती है। विद्युत को देखकर साफ मालूम पड़ रहा था कि उसे अपनी गलती का बहुत पछतावा है। और वो शर्मिंदा भी है। ......... तभी नायरा की नजर विद्युत के होंठ के पास पड़ती है जहां से छोटी सी चोट की वजह से खून बह रहा था। विद्युत की ऐंसी हालत देखकर  नायरा को भी अपनी गलती महसूस हो रही थी कि उसे भी विद्युत की बात सुन लेनी चाहिए थी। ऐंसे मार पीट नही करनी चाहिए थी। तभी राजीव सुषमा पर चिल्लाते हुए कहते हैं"-मैंने तुमसे पहले ही कहा था कि इसे ज्यादा सर पर मत चढ़ाओ। लेकिन नही तुमने मेरी एक नही सुनी। ........ इसने कहा कि इसे बारहवीं के बाद आगे की पढ़ाई दिल्ली से करनी है तुमने उसमे भी इसका साथ दिया।  और क्या पढ़ाई की इसने दिल्ली जाकर । बड़ी मुश्किल से पास हुआ है पोस्ट ग्रेजुएशन में। उसके बाद इसने कहा कि इसे डांस सीखना है। उसमें भी तुमने इसकी मदद की। .......... और यही वजह है कि ये आज इतना बिगड़ गया है। इतना बड़ा हो गया है लेकिन इसे अपने कैरियर की कोई फिक्र नही है।" राजीव की बातें सुनकर विद्युत कहता है-"प्लीज् पापा मम्मी को मत डांटिये। " " अब तुम्हारा बहुत हो गया है। अगर अब तुम्हे इस घर मे रहना है तो जॉब करनी होगी। और जब तक जॉब नही मिलती तब तक तुम नायरा के साथ रोज स्टोर पर जाओगे। वरना इस घर मे रहने की कोई जरूरत नही है।" -राजीव लगभग विद्युत पर बरसते हुए बोले। तबियत खराब होने की वजह से और ज्यादा चिल्लाने की वजह से राजीव की सांस अटकने लगती है। जिस वजह से  राजीव को खाँसी आ जाती है। राजीव की हालत देख कर विद्युत झट से राजीव को पकड़ते हुए कहता है-"पापा प्लीज् अब शांत हो जाइए। आपकी तबियत खराब हो रही है।" नायरा -"मैं अंकल जी के लिए पानी लेकर आती हूँ। " कुछ देर में नायरा पानी लेकर वहां आती है। और राजीव को पानी पिलाने लगती है। पानी पीकर राजीव को थोड़ा अच्छा महसूस होता है। तभी विद्युत कहता है-" चलिए पापा अंदर चलते हैं।" "नही ........पहले तू ये बता की तू कल से नायरा के साथ स्टोर में जायेगा कि नही"-राजीव गम्भीर स्वर में कहता है तो विद्युत अपना सर हां में हिलाते हुये राजीव की बात पर सहमति जता कर कहता है-"जी पापा ....... मैं कल से स्टोर में जाऊंगा।....... अब आप अंदर चलिए प्लीज्।" विद्युत राजीव को घर के अंदर ले जाता है। और नायरा ऊपर अपने रूम में चली जाती है। निष्कर्ष आज घर पर था। और इसीलिए वो आज आरवी को जज कर रहा था कि आरवी गायत्री का ध्यान कैंसे रखती है। और आरवी को देखकर निष्कर्ष का मन सन्तुष्ट हो जाता है क्योंकि आरवी गायत्री का बहुत अच्छे से ध्यान रख रही थी।  गायत्री भी आरवी के साथ बहुत खुश लग रही थी। और वो गायत्री के लिए ऐंसी ही केयर टेकर चाहता था। जो गायत्री का अच्छे से ध्यान रखे। दूसरी ओर विद्युत अपने कमरे में बैठा परेशान सा अपने मे ही कहता है-"कहाँ मैंने सोचा था कि देहरादून जाकर पापा से कुछ पैंसे लेकर एक डांस एकेडमी खोलूंगा। लेकिन अब मुझे स्टोर में काम करना पड़ेगा। " अगले दिन...... सुबह के साढ़े सात बज रहे थे। निष्कर्ष उठकर अपने लिए ग्रीन टी बनाने किचन में जा ही रहा था कि उसे ड्राइंग रूम में गायत्री दिखती है। जो कि अच्छे से तैयार हुई थी। गायत्री को देखते ही निष्कर्ष हैरानी से कहता है-"दादी..... आज आप सुबह सुबह इतनी तैयार होकर कहाँ जा रही हो।" गायत्री -"अरे वो आज महाशिवरात्रि है ना। तो इसलिए आज मैं और आरवी सुबह सुबह मंदिर जा रहे हैं।" इससे पहले की निष्कर्ष कुछ कहता गायत्री निष्कर्ष के पीछे की ओर इशारा करते हुए आगे कहती है-" लो आरवी भी आ गई।" गायत्री की बात पर निष्कर्ष पीछे पलटकर आरवी को देखता है। आरवी को देखते ही निष्कर्ष की नजरें एक पल के लिए आरवी पर टिक सी जाती हैं। क्योंकि आरवी आज कुछ अलग लग रही थी। उसने हल्के मेंहदी कलर की फ्रॉक सूट पहनी हुई थी। और बाल खुले किये हुए थे। माथे पर छोटी सी बिंदी और दोनो हाथों में तीन तीन चूड़ियां डाली हुई थीं। आरवी के नजदीक आते ही निष्कर्ष खुद को सम्भालते हुए गम्भीर स्वर में आरवी से कहता है-" दादी का ध्यान रखना । आज के दिन मंदिर में बहुत भीड़ रहती है।" आरवी -"जी सर..... मैं दादी का ध्यान रखूंगी"  गायत्री -" आरवी बेटा आज तुम बहुत प्यारी लग रही हो।" गयत्री की बात सुनकर आरवी हल्का सा मुस्करा देती है। और फिर गायत्री के पास आकर कहती है-"दादी मैं पूजा की थाली लेकर आती हूँ।" कहते ही आरवी घर के बने मंदिर से पूजा की थाली उठाती है और गायत्री के पास आकर पूजा की थाली गायत्री की गोद मे रखकर खुद गायत्री की व्हील चेयर पकड़ लेती है।  और फिर व्हील चेयर को धकेलते हुए बाहर चली जाती है। आरवी और गायत्री के जाते ही निष्कर्ष अपने मे ही कहता है-"पता नही कभी कभी इस लड़की को देखकर मुझे  क्या हो जाता है। मुझे जितना हो सके इस लड़की से दूर ही रहना चाहिए।"                        ★★क्रमशः★★

  • 11. खूबसूरत दिल से - Chapter 11

    Words: 1426

    Estimated Reading Time: 9 min

    नायरा का भी आज महा शिवरात्रि का व्रत था। इसलिए वो  भी सुबह जल्दी से उठकर नहा धो कर मंदिर चली जाती है। मंदिर से आने के बाद वो जल्दी से तैयार होकर  नीचे आती है। और बाहर आंगन से राजीव को आवाज देते हुए कहती है-"अंकल जी.......।" नायरा की आवाज सुनते ही सुषमा दरवाजा खोलते हुए बोली"अरे नायरा बेटा तुम तैयार हो कर आ भी गई।" नायरा मुस्कराते हुए बोलि-"जी आंटी जी" "आओ अंदर आओ"-सुषमा ने कहा तो नायरा घर के अंदर आ गई। इतने में राजीव भी अपने कमरे से बाहर आ जाता है। "नायरा बेटा तुम आ गई"-राजीव नायरा को दखते ही कहता है। तो नायरा मुस्कराते हुए कहती है-"जी अंकल जी .......।" "तुम्हारा साहबजादा उठ गया कि अभी सोया हुआ ही है।"-राजीव घर के मंदिर की सफाई कर रही सुषमा से तेज आवाज में पूछता है। तो सुषमा  कहती है-"अभी थोड़ी देर पहले मैं उसे जगा कर आई थी। शायद अब नहा रहा होगा।" ये सुन राजीव अपने चश्मे आँखों पर लगाकर सामने टेबल से अखबार उठाते हुए नायरा से कहता हैं-" नायरा बेटा जरा उसके रूम में देखकर आना........ नहा ही रहा है कि कहीं दुबारा सो तो नही गया।" "जी अंकल जी "- नायरा विद्युत के रूम की ओर जाते हुए कहती है। और राजीव अखबार पढ़ते हुए सामने कुर्सी पर बैठ जाता है। विद्युत के कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था।कमरे के बाहर पहुंच कर नायरा कमरे का दरवाजा खटखटाती है। लेकिन अंदर से कोई प्रतिक्रिया नही आती। इसलिए नायरा दरवाजे को हल्का सा अंदर की ओर धकेलते हुए अपना सर अंदर करके एक नजर कमरे में देखती है। तो उसे विद्युत अपने बेड पर सोया हुआ दिखाई देता है। जिसे देखकर नायरा अपने मे ही कहती है-" ये तो सोया हुआ है।" विद्युत को सोया हुआ देखकर नायरा एक नजर पीछे राजीव की ओर देखती है। जो कि अभी भी अखबार पर अपनी नजरें गड़ाए हुए थे। नायरा फिर से विद्युत की ओर देखकर आगे कहती है-"अगर अंकल जी ने इसे सोया हुआ देख लिया। तो फिर से इसकी क्लास लगा देंगे। ऐंसा करती हूं। इसे जगा देती " नायरा विद्युत के रूम के अंदर चली जाती है। अंदर जाकर नायरा एक नजर विद्युत की ओर देखती है। जो कि बेड पर उल्टा सोया हुआ था। उसकी एक तकिया उसके पैरों की साइड थी। और दूसरी बेड के कोने पर। और ओढ़ने वाला कम्बल उसके नीचे था। उसका एक हाथ बेड से नीचे को लटक रहा था। और मुँह हल्का सा खुला हुआ था। विद्युत को ऐंसे सोया हुआ देखकर नायरा अपने मे ही कहती है-" ये कैंसे सोया हुआ है।" ........ फिर नायरा थोड़ा धीरे से विद्युत की ओर झुकते हुए आगे कहती है-"ओह...... हेलो..... उठो......... हेलो...... उठो....।" लेकिन विद्युत अभी भी सोया हुआ था। "उठो...... अगर अंकल जी ने तुम्हे ऐंसे सोते देख लिया तो फिर से तुम्हें डांटने लगेंगे।.......... उठो।"- नायरा विद्युत को हिलाकर कहती है इस बार भी विद्युत नही जागता। तो नायरा विद्युत के कान के पास जाकर तेज आवाज में कहती है-". उठो..... " तभी अचानक से विद्युत के चेहरे पर पानी आ गिरता है। चेहरे पर पानी गिरते ही विद्युत हड़बड़ाहट में झट से बिस्तर पर उठ कर बैठ जाता है। विद्युत के चेहरे पर पानी गिरने से नायरा भी हैरान रह जाती है। और वो झट से पीछे मुड़कर देखती है। तो उसके ठीक पीछे राजीव गुस्से में खड़ा था। और उसने हाथ मे खाली जग पकड़ा हुआ था। विद्युत एक नजर नायरा को देखता है। और फिर राजीव की ओर देखने लगता है। राजीव गुस्से में नायरा की ओर इशारा करते हुए कहता है-" नायरा स्टोर जाने के लिए तैयार होकर भी आ गई। और तुम अभी तक आराम से सो रहे हो। जबकि तुम्हारी माँ तुम्हे एक बार जगा कर भी चली गई थी। " विद्युत अभी भी बेड पर बैठा राजीव की डांट सुन रहा था। ये देख राजीव चिल्लाते हुए नायरा से आगे कहता है"- देख रही हो नायरा इसे कितना बेशर्म है। अभी भी बेड पर ही बैठा हुआ है। ऐंसा नही की उठकर नहाने चला जाऊं। मुझे पता है उसका स्टोर जाने का मन नही है। लेकिन अब कुछ भी हो जाये अब से स्टोर तू ही जायेगा। ये सुन विद्युत बेड से नीचे उतर कर खड़ा हो जाता है। विद्युत को वहां खड़ा देखकर राजीव फिर से विद्युत को डांटते हुए कहता है-" अब यहां खड़ा क्या है। जा बाथरूम में और जल्दी से नहा धो कर बाहर आ। मुझे 10 मिनट में तू बाहर चाहिए समझा। " इतना कहकर राजीव गुस्से में तमतमाते हुए बाहर चला जाता है। नायरा भी राजीव के पीछे पीछे बाहर जाने लगती है। लेकिन बाहर जाते जाते नायरा एक नजर विद्युत की ओर देखती है। जो कि उसे ही घूरे जा रहा था। नायरा के बाहर जाते ही विद्युत गुस्से में अपने दांत पीसते हुए कहता है-" सब इस लड़की की वजह से हो रहा है। चुड़ैल कहीं की।" इतना कहकर विद्युत अपने पैर पटकते हुए बाथरूम में घुस जाता है। कुछ देर बाद विद्युत तैयार होकर बाहर आता है। विद्युत के बाहर आते ही सुषमा कहती है-" विद्युत नाश्ता कर ले।" विद्युत -"नही मम्मी....... मैं वहीं कुछ खा लूंगा" राजीव विद्युत की ओर इशारा करते हुए नायरा से कहता है-" नायरा बेटा...... अगर ये तुम्हे परेशान करे या फिर स्टोर में किसी काम मे तुम्हारी हेल्प न करे तो तुम मुझे कॉल करके बता देना। " राजीव की बात पर नायरा हल्का सा अपना सर हिला देती है। राजीव फिर थोड़ा गम्भीर स्वर में विद्युत से कहता है-" और तुम जो काम नायरा तुम्हे करने को कहे चुप चाप कर देना समझे। " ये सुन विद्युत भी अपना सर हां में हिला देता है। फिर राजीव विद्युत की ओर स्कूटी की चाभी करते हुए कहते हैं"- ये लो मेरी स्कूटी ले जाओ।" विद्युत राजीव के हाथ से स्कूटी की चाभी पकड़ता है। और बाहर चला जाता है। उसके पीछे पीछे नायरा भी बाहर  आ जाती है। विद्युत स्कूटी स्टार्ट कर नायरा के सामने लाता है तो नायरा विद्युत के पीछे स्कूटी पर बैठ जाती है। विद्युत फुल स्पीड में स्कूटी चलाने लगता है। जिस वजह से नायरा को डर लगने लगता है। और इसीलिए नायरा चिल्लाते हुए कहती है-"रोको........।" विद्युत स्कूटी रोक लेता है। स्कूटी रुकते ही नायरा झट से स्कूटी से उतर कर थोड़ा राहत की सांस लेती है। और फिर विद्युत से कहती है-"तुम स्कूटी इतनी स्पीड में क्यों चला रहे हो।..... " "मैं तुम्हारा ड्राइवर नही हूँ जो तुम कहोगी वो करूँगा। मुझे स्कूटी बाइक तेज चलाना ही अच्छा लगता है। अगर तुम्हें कोई प्रॉब्लम है तो तुम पैदल आ सकती हो"- इतना कहकर विद्युत बिना नायरा की बात सुने स्कूटी स्टार्ट कर वहां से चला जाता है। लेकिन नायरा देखती है कि विद्युत अब स्कूटी ज्यादा तेज नही चला रहा है। इसलिए वो चिढ़ते हुए अपने मे ही कहती है-"सच मे एक नम्बर का हरामी है ये................ जब मैं इसके पीछे बैठी थी तो तब जान बूझकर स्कूटी तेज चला रहा था।" कुछ देर बाद नायरा स्टोर में पहुंचती है। स्टोर में पहुंचकर नायरा स्टोर खोलती है। क्योंकि स्टोर की चाभियाँ नायरा के ही पास थी। दूसरी ओर निष्कर्ष अपने ऑफिस में बैठा हुआ  अभी भी आरवी के ही बारे में सोच रहा था। जिस वजह से वो अपना ध्यान अपने काम पर नही लगा पा रहा था । और इसीलिए वो कुछ देर अपनी आँखें बंद कर आरवी के ख्याल को अपने दिमाग से निकालने की कोशिश करता है। इतने में अरमान केबिन का डोर नॉक करते हुए कहता है-" मे आई कम इन सर।" "कम इन"- निष्कर्ष थोड़ा सहज होते हुए कहता है तो अरमान अंदर आ जाता है। अंदर आकर अरमान निष्कर्ष के सामने एक फ़ाइल रखते हुए कहता है-"सर आपके साइन चाहिए थे।" निष्कर्ष सामने रखी फ़ाइल पर साइन कर देता है। निष्कर्ष के साइन करते ही अरमान वो फ़ाइल पकड़कर बाहर जाने को मुड़ता है कि तभी निष्कर्ष उसे रोकते हुए कहता है-"सुनो........।" "जी सर"- अरमान वापस निष्कर्ष की ओर पलटते हुए कहता है। "आगे से कभी मैं ड्रिंक करके तुम्हे काल करके मुझे पिक करने को बुलाऊँ तो मुझे घर मत ले जाना। यहां होटेल में ही ले आना"-निष्कर्ष कहता है। तो अरमान अपना सर हां में हिलाते हुए कहता है-"जी सर.............।" "और जिस लड़की के बारे में मैंने तुम्हें पता करने को कहा था। उसके बारे में कुछ पता चला"- निष्कर्ष अरमान से आगे कहता है। अरमान -"नही सर...... अभी कुछ पता नही चला" इस पर निष्कर्ष कहता है-" उस लड़की के बारे में जल्दी पता लगाओ की वो देहरादून में कहां रहती है।" निष्कर्ष की बात पर अरमान अपना सर हां में हिलाता है और फिर वहां से चला जाता है।                                  ★★क्रमशः★★

  • 12. खूबसूरत दिल से - Chapter 12

    Words: 3006

    Estimated Reading Time: 19 min

    स्टोर में सारा काम नायरा ही कर रही थी। विद्युत मजे से बैठा हुआ अपना फोन देख रहा था। स्टोर में डेली यूज़ का सारा सामान रखा हुआ था। और हर सामान अलग अलग रैक में रखा हुआ था। जहां से कस्टमर ट्रॉली में अपनी जरूरत का सामान अपने आप ले कर पेमेंट करने नायरा के पास आ रहे थे। जिस वजह से नायरा को एक सेकेंड की भी फुर्सत नही थी। क्योंकि एक के बाद एक कस्टमर पेमेंट करने आ रहे थे। स्टोर के एक कोने में दो तीन टेबल और कुछ कुर्सियां रखी हुई थीं। जो कि कस्टमर के लिए थीं। जैंसे कोई कस्टमर कोल्ड ड्रिंक या फिर बिस्किट वगेहर कुछ खाना चाहता हो तो वहीं बैठकर खा सकता था। और इस समय विद्युत भी वहीं बैठा हुआ अपने फोन में बिजी था। कुछ देर बाद विद्युत नायरा के पास आने लगता है तो नायरा को लगता है कि शायद वो उसकी हेल्प करने आया  है लेकिन विद्युत नायरा के पीछे एक रैक से चॉकलेट निकालकर खाते हुए वापस चला जाता है। थोड़ी देर में अमन स्टोर में आता है स्टोर में नायरा को देखकर अमन हैरान रह जाता है। इतने में विद्युत अमन के पास आकर कहता है- "ओये आ गया तू। लेकिन अमन विद्युत की बात का कोई जवाब नही देता और समाने काउंटर पर खड़ी नायरा की ओर इशारा करते हुए कहता है-"ये तो वही रेस्टोरेंट वाली लड़की है। ये तेरे स्टोर में............... ।" इससे पहले अमन अपनी बात पूरी करता विद्युत अमन को खींचते हुए ले जाने लगता है। अमन की पीठ पर एक बड़ा सा पिटठू बैग था। विद्युत अमन को खींचकर स्टोर के उसी कोने में लेकर जाता है जहां टेबल और कुर्सियां रखी हुई थीं। विद्युत  अमन को सामने चेयर पर बैठने को कहता है और खुद भी दूसरी चेयर पर बैठ जाता है। इतने में अमन झट से कहता है-"भाई ये लड़की ........ वही थी ना जो कल रेस्टोरेंट में थी।" "हां ये वही है"-विद्युत कहता है तो अमन उत्सुकता से कहता है-" मतलब ये लड़की यहां तेरे स्टोर में काम करती है। इस पर विद्युत अपना सर हां में हिला देता है। जिस पर अमन की हंसी झूट जाती है।  अमन को हंसता देख विद्युत चिढ़ते हुए कहता है-"ज्यादा दांत दिखाने की जरूरत नही है। और ला मेरा बैग दे। इस पर विद्युत चुप हो जाता है। और अपनी पीठ पर लगे हुए बैग को निकालकर सामने टेबल पर रख देता है और फिर चेयर पर बैठते हुए कहता है-" भाई तुझे यहां स्टोर में देखकर इस लड़की ने तेरे साथ कुछ तो नही किया ना। और तूने मुझे बैग देने के लिए यहां स्टोर में क्यों बुलाया। हम बाहर भी तो मिल सकते थे ना। अमन की बात सुनकर विद्युत अमन को वो सब कुछ बताता है जो उसके साथ कल घर पहुंचने के बाद हुआ। विद्युत की बात सुनकर अमन एक पल के लिए तो हैरान हो जाता है लेकिन अगले ही पल हंसते हुए कहता है-" मतलब तूने घर जाकर भी इस लड़की की मार खाई। वो भी जूते चप्पलों से और  तू इस लड़की से कभी दुबारा न मिलने की बात कह रहा था। लेकिन वो तो तेरी किरायेदार निकली। और अब तो तुझे हमेशा उसके साथ स्टोर पर भी काम करना होगा। अमन को ऐंसे खुद पर हंसता देख विद्युत चिढ़ते हुए कहता है-"हो गया तेरा.......। इस पर अमन अपनी हंसी को रोकने की नाकाम कोशिश करते हुए कहता है-"भाई........सॉरी लेकिन तेरी हालत देख कर मेरी हंसी नही रुक रही। क्योंकि तेरा स्टोर होने के बादजूद भी तुझे इस लड़की की गुलामी करनी होगी। दूसरी ओर नायरा के पास एक कस्टमर आकर कहती है-"मैडम रिफाइन्ड ऑयल नही है क्या। इस पर नायरा सामने रखे रैक की ओर अपने हाथ से इशारा करते हुए कहती है-"मेम रिफाइन्ड ऑयल वहां रखा होगा। "नही है...... मैंने वहां देख लिया"-वो कस्टमर कहती है। तो नायरा कहती है-" मेम शायद स्टोर में खत्म हो गया होगा। लेकिन गोडाउन में रखा हुआ है। मैं अभी थोड़ी देर में वहां से लाकर आपको दे दूंगी। "मैडम प्लीज् आप जल्दी ले आएंगी क्योंकि मुझे लेट हो रहा है।"- वो कस्टमर कहती है। तो नायरा विद्युत की ओर देखते हुए अपने मन ही मन मे ही कहती है-" अब मैं यहां बाकी कस्टमर का बिल बनाऊं या फिर गोडाउन से सामान ले कर आऊं।......... जब इसे कुछ काम ही नही करना था तो फिर ये  स्टोर में आया ही क्यों। इतने में विद्युत भी नायरा की ओर देखता है। तो नायरा झट से विद्युत को अपने हाथ से इशारा करते हुए अपने पास बुलाती है। जिसे देखकर अमन कहता है-"जा भाई तुझे तेरी बॉस बुला रही है। विद्युत न चाहते हुए भी नायरा के पास आ जाता है  नायरा विद्युत को गोडाउन से रिफाइन्ड ऑयल लाने को कहती है। तो विद्युत नायरा को घूरते हुए गोडाउन में चला जाता है। कुछ देर बाद विद्युत एक पैकेट रिफाइन्ड ऑयल के लेकर आ जाता है। जिसे देखकर नायरा कहती है-" जब यहां स्टोर में रिफाइन्ड ऑयल खत्म हो गया था तो ओर भी पैकेट लेकर आ जाते और यहां रैक में रख देते। इस पर विद्युत गुस्से में नायरा को घूरता है और बिना कुछ कहे अमन के पास चला जाता है। अमन के पास जाते ही विद्युत गुस्से में कहता है-" ये लड़की पता नही अपने आपको क्या समझ रही है। मुझे ऐंसे ऑर्डर दे रही है जैंसे की ये इस स्टोर की मालकिन होगी। "भाई तेरे पापा ने इसे स्टोर की मालकिन ही बना रखा है।"- अमन कहता है। तो विद्युत नायरा की ओर देखते हुए कहता है।-" बहुत शौक है ना इसे मुझे ऑर्डर देने का। इसे तो अब मैं बताऊंगा। अगर मैंने भी इसे स्टोर और मेरा घर दोनो छोड़कर जाने के लिए मजबूर नही किया ना तो मेरा नाम भी विद्युत जयसवाल नही। शाम के छः बज चुके थे। नायरा अपने काम मे बिजी थी। उसने आज पूरे दिन भर एक पल के लिए भी चैन को सांस नही ली थी। और आज उसका महा शिवरात्रि का व्रत भी था। जिस वजह से उसे अब बहुत कमजोरी महसूस हो रही थी। विद्युत अभी भी मजे से बैठा हुआ अपने फोन में गेम खेल रहा था। नायरा को विद्युत पर  गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन फिर भी वो विद्युत से कुछ नही कहती। क्योंकि उसे लग रहा था कि शायद विद्युत कल की वजह से उससे नाराज है। रात के 9 बजते ही नायरा स्टोर बन्द करने लगती है। तो विद्युत उससे पूछता है-"तुम इतनी जल्दी क्यों स्टोर बन्द कर रही हो। अभी तो सिर्फ 9 ही बज रहे हैं। "आज मेरा फास्ट है। और मैंने फोन पर  9 बजे स्टोर बन्द करने के लिए अंकल जी से परमिशन ले ली है। "- नायरा गम्भीर स्वर में कहती है। और स्टोर बन्द कर वहां से चली जाती है।  घर पहुंचकर सुषमा नायरा से अपने साथ ही खाने को कहती है। क्योंकि आज सुषमा और राजीव का भी महाशिवरात्रि का फ़ास्ट था। नायरा का भी अब खाना बनाने का मन नही था क्योंकि उसे आज बहुत थकान लग रही थी। इसलिए वो सुषमा को  खाना खाने के लिए हां कर देती है। और फिर अपने कमरे में जाकर पूजा कर वापस खाने के लिए नीचे आ जाती है। राजीव, सुषमा, नायरा और विद्युत सभी डाइनिंग टेबल पर बैठे खाना खा ही रहे थे कि राजीव विद्युत की ओर इशारा करते हुए नायरा से कहता है-"नायरा बेटा इसने तुम्हे परेशान तो नही किया। ....... और ये स्टोर में काम कर भी रहा था कि नही। राजीव की बात सुनकर विद्युत के चेहरे पर डर के भाव आ जाते हैं और वो अपने मन ही मन मे कहता है-" मैंने पापा के बारे में तो सोचा ही नही। की अगर इस लड़की ने पापा को बता दिया कि मैं स्टोर में बैठा हुआ था तो मेरी ही इस घर से निकलने की नोबत आ जायेगी। विद्युत नायरा के जवाब का वेट करते हुए नायरा को देखने लगता है। लेकिन नायरा बिना विद्युत की ओर देखे अपना खाना खाते हुए कहती है-"नही अंकल जी सब ठीक था। नायरा का जवाब सुनकर विद्युत एक बार फिर अपने मन ही मन मे कहता है-" ये लड़की झूठ क्यों कहा रही है। जबकि इसके पास तो अच्छा मौका था मेरी शिकायत करने का। खाना खाने के बाद नायरा अपने कमरे में आ जाती है। इटने में नायरा का फोन बजने लगता है। नायरा देखती है तो आरवी का कॉल था। नायरा कॉल पिक करते हुए कहती है-" हेलो...... आरवी कैसी हो। "मैं तो बिल्कुल ठीक हूँ। तुम बताओ तुम कैसी हो।"-आरवी फोन पर कहती है। "मैं भी ठीक ही हूँ"-नायरा बुझे हुए मन से कहती है तो आरवी झट से कहती है-"लेकिन तुम्हारी आवाज से तो नही लग रहा कि तुम ठीक हो। "अरे नही....... वो आज मैं बहुत थक गई ना इसलिए "-नायरा फोन पर कहती है। इस पर आरवी कहती है"- थक गई। क्यों आज ऐंसा भी क्या काम किया तुमने रेस्टोरेंट में जो थक गई। इतने में आरवी को नायरा की कही हुई बात याद आती है कि वो अब कैशियर बनने वाली है। इसलिए आरवी नायरा के कुछ बोलने से पहले ही अपनी बात आगे कहती है-" अरे मैं तो भूल ही गई ....... अब तो तुम कैशियर की पोस्ट पर हो ना। अब तो तुम आराम से एक जगह पर बैठी रहती होंगी। आरवी की बात सुनकर नायरा शांत भाव से कहती है-"नही यार...... कैशियर तो छोड़ो अब मैं उस रेस्टोरेंट में वेट्रेस भी नही हूँ। उन्होंने मुझे जॉब से निकल दिया है। नायरा की बात सुनकर आरवी हैरान होकर कहती है-"क्या.......... पर क्यों। इस पर नायरा आरवी को सब कुछ बताती है कल उसके साथ क्या क्या हुआ। नायरा की बात सुनकर आरवी कहती है-" क्या तेरे साथ कल इतना सब कुछ हो गया। और तूने मुझे बताया तक नही।...... और तुझे अंकल जी को बता देना चाहिए था कि उनका बेटा स्टोर में तेरे साथ कुछ भी काम नही करता। "नही यार..... पहले ही अंकल जी उसकी वजह से आंटी जी को डांट रहे थे। अगर मैंने उनसे उसकी शिकायत की तो वो कहीं उसे घर से ही न निकाल दे। खैर मुझे उसकी तो चिंता नही है लेकिन आंटी जी की चिंता है। अगर अंकल जी उसे घर से निकाल देंगे तो फिर आंटी जी परेशान हो जाएंगी"- नायरा कहती है। तो आरवी नायरा की बात पर सहमति जताते हुए कहती है-" हां ये भी है। लेकिन तू कब तक पूरे स्टोर का काम सम्भालती रहेगी । थोड़ा बहुत काम तो उसे भी करना चाहिए ना। " मुझे लग रहा वो ये सब जान बूझकर कर रहा है।...... मैं तो चाहती हूं कि मुझे जल्दी से दूसरी जगह जॉब मिल जाये। फिर खुद ही सम्भालेगा अपना स्टोर ....... ... तू बता तेरे उस राक्षस के  क्या हाल हैं"- नायरा ने कहा इस पर आरवी कहती है-"यार मत पूछ क्या हाल है। उसने भी मुझे परेशान करके रखा हुआ है। मेरे हर काम मे कोई न कोई कमी निकालकर डांटने लगता है। पता नही क्या मजा आता है उसे मुझे डांटने में। वो तो दादी अच्छी है और फिर वो पूरा दिन बाहर रहता है। तब जाकर मैं यहां टिकी हुई हूँ। वरना तो ऐंसे राक्षस के घर मे जॉब कौन कर सकता है। तभी आरवी को प्यास लगने लगती है । आरवी सामने टेबल से पानी को बोतल उठाती है लेकिन वो बोतल खाली रहती है इसलिए आरवी पानी लेने के लिए कमरे से बाहर आकर किचन की ओर चली जाती है। आरवी फोन पर अभी भी नायरा से बात कर रही थी। आरवी फोन पर नायरा से आगे कहती है-" सबसे बड़ी प्रॉब्लम तो ये है। कि उसकी बेवजह की डांट सुनने के बाद भी मैं उसे पलटकर जवाब नही दे सकती। क्योंकि अगर जवाब दूंगी तो वो मुझे जॉब से निकाल देगा। और तुझे पता है ना कि मुझे इस जॉब की कितनी जरूरत है। इटने में आरवी किचन में पहुंच जाती है और लाइट ऑन करके अपने हाथ मे पकड़ी बोतल में पानी भरने लगती है। पानी भरते हुए आरवी फोन पर नायरा से आगे कहती है-"लेकिन मैंने भी उससे अपनी हर इन्सल्ट का बदला ले लिया है। "क्या किया तूने उसके साथ"- नायरा फोन पर कहती है। तो आरवी मुस्कराते हुए कहती है-"उस रात जब मैं तुमसे बात कर रही थी। और उसी समय घर की डोर बेल बजी थी तो मैंने तुम्हें बताया था ना कि वो ही राक्षस आया है। तो उस दिन उसने बहुत ड्रिंक की हुई थी। जिस वजह से उसे उस दिन एक लड़का घर छोड़ने आया था। वो लड़का उसे बाहर सोफे पर सुला कर चला गया था। लेकिन वो सोफे से नीचे गिर गया तो मैंने सोचा कि मैं उसे उसके कमरे में ले जाती हूँ। लेकिन कमरे में ले जाते समय गलती से उसका सर दीवार पर लग गया। तो फिर मैंने एक ओर बार जान बूझकर  उसका सर दीवार से टकरा दिया। और फिर उसे बेड पर लिटा कर उसके बाल भी नोच दिए। तुझे पता जब वो सुबह उठा तो उसकी हालत देखने लायक थी। सर के दोनों ओर चोट लगने की वजह से सूजन आ गई थी। जो कि सींग की तरह लग रहे थे। और बाल भी बहुत ज्यादा अजीब लग रहे थे। उसे देखकर मुझे बहुत हंसी आ रही थी। आरवी ये सब कहते हुए अभी भी हंस रही थी। और उसकी बातें सुनकर फोन पर नायरा भी हंस रही थी। आरवी हंसते हुए आगे कहती है-" और दूसरे दिन मैंने उसे झाड़ू से भी मार खिलवाई दादी से। सच मे उसकी हालत देखकर मेरे मन को जो शान्ति मिली मैं तुम्हे बता नही सकती। इतना कहकर आरवी वापस पलटकर जाने लगती है। जैंसे ही आरवी पलटती है तो सामने निष्कर्ष को देखकर हैरान रह जाती है। निष्कर्ष उसे गुस्से में खा जाने वाली नजरों से घूर रहा था जिसे देखकर आरवी समझ जाती है कि निष्कर्ष ने उसकी बातें सुन ली हैं। और इसीलिए डर के मारे आरवी के हाथ पैर फूल जाते हैं और वो कांपने लगती है। जिस वजह से उसके एक हाथ मे पकड़ी पानी की बोतल और दूसरे हाथ मे पकड़ा हुआ फोन छूट कर नीचे गिर जाते हैं। निष्कर्ष को देखकर उसकी हालत इतनी खराब हो जाती है कि उसके मुंह से आवाज तक नही निकल पा रही थी। जब आरवी कुछ नही कहती तो नायरा फोन पर कहती है-" हेलो..... आरवी..... तू मेरी आवाज सुन रही है। हेलो आरवी। जब आरवी नायरा की बात का कोई जवाब नही देती तो नायरा कॉल कट करते हुए अपने मे ही कहती है-"शायद नेटवर्क प्रॉब्लम होंगी। इसीलिए आवाज नही आ रही थी उसकी। .......... अब बहुत रात हो गई है। इसलिए आरवी से अब कल बात कर लुंगी। वैंसे भी अब मुझे बहुत नींद आ रही है। नायरा अपना फोन बेड के सामने रखे टेबल पर रखती है और सो जाती है। इधर आरवी निष्कर्ष के सामने खड़ी कांप रही थी। उसके चेहरे पर डर के भाव आ गए थे। वो निष्कर्ष से नजरें तक नही मिला पा रही थी। निष्कर्ष ने ब्लू जीन्स के ऊपर एक ब्लेक कलर की बनियान पहनी हुई थी। इस वजह से भी आरवी निष्कर्ष से अपनी नजरें चुरा रही थी। निष्कर्ष कुछ देर तक गुस्से में आरवी को घूरता है और फिर आरवी की ओर बढ़ते हुए गम्भीर स्वर में कहता है-"अच्छा तो कल जो मेरे सर पर चोट लगी थी वो तुमने लगाई थी। और मेरे बाल भी तुमने ही खराब किये। और जान बूझकर दादी से मुझे झाड़ू से भी मार खिलवाई। ये सब कहते हुए निष्कर्ष आरवी की ओर  बढ़े जा रहा था। और आरवी डर के मारे अपने पैर पीछे की ओर बढ़ाये जा रही थी। निष्कर्ष आरवी की ओर बढ़ते हुए आगे कहता है-"बहुत हंसी आ रही थी ना तुम्हे मुझपर। आरवी अपने कदम पीछे करते हुए अपना सर नीचे कर देती है। इतने में पीछे दीवार होने की वजह से आरवी दीवार से जा लगती है। लेकिन निष्कर्ष अभी भी उसकी ओर बढ़े जा रहा था। ये देख आरवी बिना कुछ कहे निष्कर्ष के बगल से निकल कर वहां से जाने लगती है। अभी आरवी ने निष्कर्ष के बगल से गुजरते हुए एक दो कदम ही बढाये थे कि निष्कर्ष आरवी का हाथ पकड़ लेता है। निष्कर्ष आरवी का हाथ पकड़कर गुस्से में उसका हाथ खींचते हुए उसे जोर से दीवार पर सटा देता है। जिस वजह से आरवी की पीठ दीवार से टकरा जाती है। और उसे दर्द होने लगता है। निष्कर्ष ने अभी भी आरवी का हाथ पकड़ा हुआ था। निष्कर्ष आरवी के हाथ पर अपनी पकड़ कसते हुए गुस्से में कहता है-" अभी मेरी बात पूरी नही हुई है। तुम मेरी बात सुने बिना यहां से नही जा सकती। निष्कर्ष ने आरवी के हाथ पर अपनी पकड़ ओर भी कस ली थी। जिस वजह से आरवी के हाथ पर पहनी हुई चूड़ियां जो आरवी के हाथ के साथ निष्कर्ष ने पकड़ी हुई  थी। वो टूटने लगती हैं। चूड़ियों के टूटने से आरवी के हाथ पर दर्द होने लगता है। जिस कारण आरवी के आँखों मे नमी आ जाती है। चूड़ियों के टूटने से दर्द तो निष्कर्ष को भी हो रहा था लेकिन गुस्से की वजह से वो उस दर्द को महसूस नही कर पा रहा था। निष्कर्ष ने आरवी के जिस हाथ को पकड़ा हुआ था। निष्कर्ष उस हाथ को झटके के साथ पीछे ले जाकर आरवी की कमर से सटा देता है। जिस वजह से आरवी निष्कर्ष के करीब आ जाती है।  और उसका चेहरा निष्कर्ष के चेहरे के ठीक नीचे आ जाता है।निष्कर्ष आरवी की आंखों में देखते हुए कहता है-" तुम्हारी हिम्मत कैंसे हुई मेरे साथ ये सब करने की। समझती क्या हो तुम अपने आप को। निष्कर्ष की पकड़ से और चूड़ियों के टूटने से आरवी के हाथ पर अब ओर ज्यादा दर्द होने लगता है। शायद चूड़ियों के टूटने से उसके हाथ पर चोट लग गई थी। और निष्कर्ष के कसकर पकड़ने की वजह से उस चोट पर दर्द हो रहा था। दर्द ज्यादा होने की वजह से आरवी अपनी आँखें बंद कर लेती है। निष्कर्ष की नजरें अभी भी आरवी के चेहरे पर ही थीं। आरवी को दर्द से अपनी आँखें बंद करता देख निष्कर्ष भी एक पल ले लिए गुस्से में अपनी आँखें बंद करता है और फिर एक झटके के साथ आरवी के हाथ को छोड़ देता है।                           ★★क्रमशः★★ धन्यवाद........।

  • 13. खूबसूरत दिल से - Chapter 13

    Words: 2416

    Estimated Reading Time: 15 min

    निष्कर्ष के हाथ छोड़ते ही आरवी अपने हाथ की ओर देखती है। आरवी के हाथ पर चूड़ी टूटने की वजह से कुछ खरोंचें आ गई थीं। जिनसे हल्का हल्का खून भी आने लगा था। निष्कर्ष भी एक नजर आरवी के उस हाथ की ओर देखता है जिससे खून बह रहा था। और फिर गुस्से में अपनी आँखें दुबारा बन्द करते हुए कहता है-"तुम्हें वो सब नही करना चाहिए था। इतना कहकर निष्कर्ष वहां से चला जाता है। कुछ देर बाद आरवी नीचे फर्श पर पड़ा हुआ अपना फोन उठाती है। और फिर किचन से बाहर आ जाती है। आरवी के आँखों से अभी भी आंसू बह रहे थे। आरवी अपने कमरे में जा ही रही थी कि तभी उसकी नजर ड्राइंग रूम की दीवार पर लगी निष्कर्ष की एक तस्वीर पर पड़ती है। आरवी निष्कर्ष की तस्वीर को गुस्से में घूरते हुए कहती है-" तुम बहुत ही घटिया इंसान हो। तभी पीछे से निष्कर्ष की आवाज आती है-"जो कहना है मेरे मुँह के सामने कहो। ये मेरी फ़ोटो के सामने क्यों कह रही हो। ............. या फिर मेरे मुँह के सामने कहने की हिम्मत नही है।...... ये सुनकर आरवी जो कि पहले से ही गुस्से में थी। उसका गुस्सा सातवें आसमान में पहुंच जाता है। लेकिन वो अपने गुस्से पर कंट्रोल करने के लिए अपनी आँखें बंद कर अपने दोनों हाथों की मुठ्ठियाँ भींच देती है। आरवी के पीछे खड़ा निष्कर्ष अभी भी अपनी बातें जारी रखते हुए कहता है-" वैंसे हर इंसान में इतनी हिम्मत तो होनी ही चाहिए कि वो सामने वाले से उसकी आँखों मे आंखें डालकर बात करें। ....... ओह अब समझा शायद तुम्हे ये डर लग रहा है कि कहीं मैं तुम्हे जॉब से न निकाल दूं। इसीलिए तुम मेरे मुँह के आगे न कुछ बोलती हो और ना ही कुछ करती हो। ......... तुम्हे तो हर काम पीठ पीछे ही करने की आदत है। ताकि किसी को पता न चले कि तुम कितनी चालाक हो । निष्कर्ष की बातें सुनकर आरवी अपने गुस्से पर कंट्रोल नही कर पाती और अपनी आँखें खोलकर एक लंबी सांस लेते हुए निष्कर्ष की ओर मुड़ते हुए शांत भाव से कहती है-"आपके साथ वो सब करके पहले एक पल के लिये मुझे लगा था कि मुझे आपके साथ ऐंसा नही करना चाहिए था। लेकिन अब लगता है कि मैंने आपके साथ जो किया बिल्कुल ठीक किया। क्योंकि आप उसी के लायक हैं। और हां उस दिन किचन में जब मैं आपके ऊपर गिरी थी तो आपने कहा था ना कि मैं आपके करीब आना चाहती हूं। क्योंकि आप को लगरहा था कि आप बहुत हैंडसम और अमीर हैं। तो सुनिये मुझे आपके जैंसे बाहरी  खूबसूरती वाले लड़के बिल्कुल भी नही पसन्द। समझे आप । मुझे ऐंसे इंसान पसन्द हैं जो दिल से खूबसूरत होते हैं। और आप दिल से बिल्कुल भी खूबसूरत नही हो। आप एक बत्तमीज इंसान हो। जिसे बस दूसरों को तकलीफ देना आता है। कभी अपनी बातों से तो कभी अपनी हरकतों से। .......... आरवी धारा प्रवाह कहे जा रही थी और निष्कर्ष हैरानी से आरवी की की हर बात सुन रहा था। आरवी आगे कहती है-" और रही जॉब की बात तो मुझे भी ऐंसे इंसान के घर मे कोई जॉब नही करनी जिसे इंसानों  की कद्र नही है। इतना कहकर आरवी वहां से जाने लगती है। आरवी के वहां से जाते ही निष्कर्ष बनावटी हंसी के साथ हल्का सा हंसता है। और फिर अपने मे ही कहता है-"इस लड़की की इतनी हिम्मत की ये मुझे इतना सब कुछ सुना के चली गई। इतना कहकर निष्कर्ष अपने हाथ मे पकड़े फर्स्ट एड बॉक्स को सामने टेबल पर फेंकता है और आरवी के पीछे पीछे जाते हुए कहता है-" ऐ लड़की.... रुको....। लेकिन आरवी निष्कर्ष की बात को अनसुना कर सीधे अपने कमरे में चली जाती है। इतने में निष्कर्ष भी आरवी के कमरे तक पहुंच जाता है। लेकिन जैंसे ही वो अंदर जाने को होता है आरवी झटके के साथ निष्कर्ष के मुँह पर कमरे का दरवाजा बंद कर देती है। आरवी की इस हरकत पर निष्कर्ष गुस्से से लाल पीला हो जाता है और वो दरवाजे को जोर से खटखटाते हुए कहता है-"दरवाजा खोलो......मुझे तुमसे बात करनी है। लेकिन आरवी दरवाजा नही खोलती। ये देख निष्कर्ष फिर से दरवाजे को खटखटाते गुस्से में चिल्लाकर  कहता है-"तुमने सुना नही .... मैंने कहा दरवाजा खोलो। ........ मुझे पता है कल तुम मुझसे सॉरी कहने आओगी। लेकिन मैं तुम्हे माफ नही करूँगा समझी तुम इसलिए अभी दरवाजा खोलकर मुझसे माफी मांग लो। ये सुनकर आरवी भी गुस्से से दरवाजा खोल देती है। आरवी के दरवाजा खोलते ही निष्कर्ष हल्का सा मुस्कराते हुए कहता है-" अब जल्दी से मुझसे माफी............ लेकिन इससे पहले की निष्कर्ष अपनी बात पूरी करता आरवी कहती है-" ज्यादा मत चिल्लाईये। दादी उठ जायेंगी। इतना कहकर आरवी फिर से निष्कर्ष के मुँह पर दरवाजा बंद कर देती है। इस पर निष्कर्ष एक जोर का मुक्का दरवाजे पर मरता है और वहां से चला जाता है। अपने कमरे में आने के बाद निष्कर्ष गुस्से में जोर से अपने कमरे का दरवाजा बंद करते हुए अपने मे ही कहता है-" ये लड़की अपने आप को समझती क्या है। ये मुझसे ऐंसे कैंसे बात कर सकती है।........ अगर इसकी जगह कोई ओर होता तो मैं उसे कबका जॉब से और इस घर से निकाल देता। लेकिन इसके साथ मैं ऐंसा कुछ नही कर सकता। क्योंकि ये दादी का ख्याल बहुत अच्छे से रखती है। और आजतक मैं दादी के लिए ऐंसी ही केयर टेकर चाहता था। .......... लेकिन जो भी हो इसने मेरे साथ जो भी किया वो ठीक नही किया। और उसके लिए मैं इससे बदला लेकर रहूंगा। इतना कहकर निष्कर्ष बाथरूम में जाकर सावर लेने लगता है। इतने में उसकी नजर अपनी हथेली पर पड़ती है। जहां पर आरवी की चूड़ी टूटने की वजह से ख़रोंच आ गई थी। निष्कर्ष उस ख़रोंच को देखते हुए उस पल को याद करने लगता है जब उसने आरवी का हाथ पकड़कर उसे अपने पास खींचा था। वो पल याद करते हुए निष्कर्ष शांत भाव से अपने मे ही कहता है-"इस लड़की को करीब से देखने पर हमेशा मुझे ऐंसे क्यों लगता है कि जैंसे मैं इस लड़की से पहले भी मिल चुका हूं। क्यों मुझे ये लड़की जानी पहचानी लगती है। दूसरी ओर आरवी अपने कमरे में बैठी सामने टेबल पर रखी हुई तकिये को गुस्से में घूर रही थी। ये वही तकिया थी जिस पर वो निष्कर्ष का सारा गुस्सा निकालती थी। आरवी उस तकिये को गुस्से में घूरते हुए कहती है-" सच मे तुम बहुत ही घटिया हो। इतना कहकर आरवी उस तकिये को फर्श पर फेंक कर उसके ऊपर लातें मारने लगती है। नायरा को सोये हुए मुश्किल से अभी आधा घण्टा ही हुआ होगा कि अचानक से तेज म्यूजिक की आवाज से उसकी नींद टूट जाती है। और वो झुंझलाकर अध खुली आँखों से  अपने बिस्तर पर बैठते हुए कहती है-"ये इतनी रात को इतना लाउड म्यूजिक कौन बजा रहा है। इतना कहकर नायरा म्यूजिक की आवाज ध्यान से सुनती है तो उसे महसूस होता है कि म्यूजिक की आवाज तो बगल वाले कमरे से आ रही है। वो कुछ सोचते हुए अपने मे ही कहती है-" ये म्यूजिक की आवाज तो बगल वाले कमरे से ही आ रही है। कहीं अंकल जी और आंटी जी ने बगल वाला कमरा भी तो किसी को किराये पर नही दे दिया। इतना कहकर नायरा बिस्तर से उठती है और कमरे से बाहर आकर अपने बगल वाले कमरे की ओर देखती है। तो उसे कमरे में लाइट जली हुई दिखती है। बगल वाले कमरे में लाइट जली देख कर नायरा चिढ़ते हुए अपने मे ही कहती है-" लगता है सच मे ही अंकल जी और आंटी जी ने ये रूम किराये ओर दे दिया है। लेकिन जिसने भी ये रूम किराये पर लिया है उसे इतनी समझ नही  है कि आस पास भी लोग रहते हैं जो इस समय सोते हैं। नायरा रूम का गुस्से में बगल वाले कमरे के दरवाजे के पास जाकर दरवाजे को जोर जोर से पीटने लगती है। नायरा के दरवाजे पर जोर से पीटने की वजह से दरवाजा हल्का सा अंदर की ओर चला जाता है क्योंकि कमरे का दरवाजा अंदर से बंद नही था।  ये देख नायरा कहती है-" कमाल है दरवाजा भी बन्द नही किया हुआ है। नायरा दरवाजे को हल्का सा अंदर की ओर खोलते हुए झांक कर कमरे के अंदर देखती है। तो उसे कमरे में विद्युत दिखाई पड़ता है। जो कि म्यूजिक के साथ डांस कर रहा था। कमरे में विद्युत को देखते ही नायरा गुस्से से लाल पीली हो जाती है और वो झटके से दरवाजे को खोलकर अंदर आकर म्यूजिक सिस्टम को बंद कर देती है। म्यूजिक बन्द होते ही विद्युत गुस्से में नायरा के पास आकर कहता है-" तुम यहाँ क्यों आई। और तुमने म्यूजिक सिस्टम बन्द क्यों किया तुम्हे दिख नही रहा मैं अपनी डांस प्रैक्टिस कर रहा हूँ। "क्योंकि तुम्हारे इतने लाउड म्यूजिक से मेरी नींद टूट गई समझे। और ये कोई टाइम है इतना लाउड म्यूजिक बजाने का"- नायरा चिढ़ते हुए कहती है। नायरा की बात सुनकर विद्युत नायरा के थोड़ा ओर करीब जाकर कहता है-" ये मेरा घर है। और मैं अपने घर मे कभी भी कुछ भी कर सकता हूँ। समझी। ......और अब मेरे कमरे से बाहर जाओ मुझे डांस प्रेक्टिस करनी है। इतना कहकर विद्युत नायरा को जबरदस्ती धकेलते हुए रूम से बाहर निकाल देता है और फिर रूम का दरवाजा लॉक करके मुस्कराते हुए अपने मे ही कहता है-" मिस चुड़ैल ये तो अभी शुरुआत है । आगे आगे देखो होता है क्या। नायरा कमरे से बाहर आकर गुस्से में अपने दांत पीसते हुए अपने कमरे में आ जाती है। जैंसे ही वो अपने कमरे में आती है विद्युत म्यूजिक शुरू कर देता है। म्यूजिक सुनकर नायरा अपने बिस्तर पर लेट कर अपने मुँह को तकिए से ढक देती है ताकि उसे म्यूजिक की आवाज सुनाई न दे। और उसे नींद आ जाये। लेकिन म्यूजिक बहुत लाउड था। इसलिए म्यूजिक की आवाज उसके कानों में अभी भी पड़ रही थी। जिस कारण उसे नींद नही आ रही थी। कुछ देर तक बहुत कोशिश करने के बाद भी जब नायरा को नींद नही आती तो वो गुस्से में झुंझलाते हुए अपने बिस्तर पर बैठ जाती है। और अपनी आँखें बंद कर अपने दिमाग मे कुछ सोचने लगती है। कुछ देर बाद नायरा अचानक से बिस्तर से उठती है। और अपने बेड के नीचे एक दरी बिछाकर उस पर लेट जाती है। और अपने ऊपर एक कम्बल भी डाल देती है। वो ये सब इसलिए करती है की क्योंकि उसे लगता है कि शायद बेड के नीचे म्यूजिक की  आवाज कम सुनाई दे रही हो। जिससे उसे सोने में कोई प्रॉब्लम न हो। लेकिन म्यूजिक की आवाज इतनी तेज थी कि बेड के नीचे भी उसे आवाज सुनाई दे रही थी। कुछ देर तक कोशिश करने के बाद जब नायरा को बेड के नीचे भी नींद नही आती तो वो अपने बिस्तर पर बैठ कर गुस्से में अपने बाल पकड़कर खींचने लगती है। इटने में वो झटके के साथ अपने बिस्तर से खड़ी होते हुए कहती है-"अब मुझे यही करना होगा। इतना कहकर नायरा जल्दी से कम्बल और तकिया उठाती है। और बाहर बालकनी की साइड में बने वशरूम के अंदर चली जाती है। नायरा कम्बल को अपने ऊपर शॉल की तरह ओढ़ कर टॉयलेट सीट के ऊपर बैठ जाती है और तकिये को सर के पीछे रखकर सो जाती है। वशरूम में म्यूजिक की आवाज ना के बराबर आ रही थी। इसलिए नायरा को सोते ही नींद भी आ जाती है। अगले दिन..... सुबह के आठ बज रहे थे। निष्कर्ष अपने बिस्तर पर सोया हुआ था। तभी अचानक से उसके दरवाजे पर खटखटाने की आवाज आती है। दरवाजे पर खटखटाने की आवाज सुनकर निष्कर्ष की नींद टूट जाती है और वो जमाई लेते हुए अपने बिस्तर पर बैठकर अपने मे ही कहता है-"ये इतनी सुबह सुबह दरवाजा कौन खटखटा रहा है। इतना कहकर उसे आरवी की कही हुई कल की बातें याद आती है। आरवी की कहीं हुई बातें याद करते हुए निष्कर्ष हल्का सा मुस्कराते हुए आगे कहता है-"मैंने इस लड़की से कल रात को ही कह दिया था कि तुम कल सुबह मुझसे माफी मांगने आओगी। और देखो आ गई। ........ कल तो गुस्से में बहुत बड़ी बड़ी बातें कर रही थी।  ..... खैर छोड़ो मैं भी इतनी जल्दी दरवाजा खोलने वाला नही हूँ। इतने में निष्कर्ष को गायत्री की आवाज सुनाई देती है जो दरवाजा खटखटाते हुए कहा रही थी-"निष्कर्ष ..... उठो..... और जल्दी से बाहर आओ। गायत्री की आवाज सुनते ही निष्कर्ष झटके के साथ बिस्तर से उठते हुए कहता है-" ये तो दादी हैं। इतना कहकर निष्कर्ष जल्दी से कमरे का दरवाजा खोलता है तो उसे सामने गायत्री दिखती है। जो कि बहुत गुस्से में लग रही थीं। गायत्री को देखकर निष्कर्ष कहता है-" दादी क्या हुआ आप सुबह सुबह ऐंसे मेरे कमरे का दरवाजा क्यों खटखटा रही हैं। कुछ हुआ है क्या। निष्कर्ष की बात सुनकर गायत्री निष्कर्ष को घूरते हुए एक कागज का टुकड़ा उसकी ओर उझाल देती है। निष्कर्ष हैरानी से उस कागज के टुकड़े को पकड़ते हुए कहता है-" दादी क्या है ये। " पढ़ो इसे"- गायत्री गुस्से में गम्भीर स्वर से कहती है तो निष्कर्ष झट से कागज खोलता है। और कागज को पढ़ने लगता है। उस कागज में लिखा हुआ था-" दादी..... मुझे माफ़ कर दीजियेगा लेकिन अब मैं आपकी केयर टेकर की जॉब नही कर पाउंगी। प्लीज् आप अपना ध्यान रखना। ये पढ़ते ही निष्कर्ष समझ जाता है कि ये कागज आरवी ने लिखा है। इतने में गायत्री कहती है-" आरवी ये जॉब और घर छोड़ कर चली गई है। और मुझे पता है वो तुम्हारी वजह से ही गई है। अब तुम मुझे बताओ कि तुमने क्या किया उसके साथ जो वो जॉब छोड़कर चली गई। क्योंकि उसने मुझ से कुछ दिन पहले कहा था कि उसके लिए ये जॉब करना बहुत जरूरी है। लेकिन फिर भी वो ये जॉब छोड़कर चली गई। गायत्री की बात सुनकर निष्कर्ष गायत्री से बिना कुछ कहे आरवी के कमरे की ओर चला जाता है। जब वो कमरे के अंदर जाता है तो उसे कमरे में आरवी का सामान नही दिखता । ये देख वो अपने मे ही कहता है-"ये लड़की सच मे जॉब छोड़कर चली गई। ये लड़की ऐंसे कैंसे जॉब छोड़कर जा सकती है। जबकि कल तो मैने उसे ज्यादा डांटा भी नही। बल्कि उसी ने मुझे उल्टा सीधा कहा। और खुद ही जॉब छोड़कर भी चली गई।........ इतना कहकर निष्कर्ष अपने हाथ मे पकड़े कागज की ओर देखते हुए आगे कहता है-" और इस कागज पर ये नोट तो ऐंसे लिख कर छोड़ गई जैंसे इसे दादी की बहुत चिंता है। अगर इतनी ही चिंता होती तो जाती ही क्यों।                        ★★क्रमशः★★ धन्यवाद....।

  • 14. खूबसूरत दिल से - Chapter 14

    Words: 2472

    Estimated Reading Time: 15 min

    आरवी अपना बैग लिए नायरा के दरवाजे के बाहर खड़ी नायरा को कॉल कर रही थी। लेकिन जब नायरा उसकी कॉल पिक नही करती तो आरवी फोन को अपने कान से हटाते हुए अपने मे ही कहती है-" ये नायरा मेरा कॉल क्यों नही उठा रही। इतना कहकर आरवी नायरा के कमरे का दरवाजा खटखटाते हुए नायरा को आवाज देते हुए कहती है-"नायरा ...... नायरा। दरवाजा खटखटाने के बाद भी अंदर से नायरा का कोई जवाब नही आता तो आरवी परेशान सी कहती है-" ये नायरा इतनी गहरी नींद में सोई हुई है क्या जो इसे मेरी आवाज भी सुनाई नही दे रही। आरवी की आवाज सुनकर नायरा तो नही जागती लेकिन बगल के कमरे में सोया हुआ विद्युत जाग जाता है। वो झल्लाते हुए बिस्तर से उठकर कमरे का दरवाजा खोलते हुये खुद में ही बड़बड़ाता है-"ये सुबह सुबह कौन इतना शोर कर रहा है। इतना कहकर विद्युत जमाई लेते हुए दरवाजा खोलकर बाहर देखता है तो उसे नायरा के दरवाजे के बाहर आरवी खड़ी दिखाई पड़ती है।...... आरवी को देखकर विद्युत कहता है-"ये लड़की कौन है। ....... शायद इस चुड़ैल से मिलने आई होगी। विद्युत फिर से दरवाजा हल्का सा ढक कर नीचे फर्श पर लगे बिस्तर पर लेट जाता है। और आरवी नायरा के कमरे के दरवाजे पर ही बैठ जाती है। कुछ देर बाद नायरा अंगड़ाई लेकर अपनी आँखें खोलते हुए खुद में ही बड़बड़ाती है-"सोचा नही था कि बाथरूम में इतनी अच्छी नींद आएगी। फिर नायरा मुँह धोकर बाहर कमरे में आ जाती है। और अपना फोन उठाकर देखती है तो उसमें आरवी की बारह कॉल देखकर हैरान होते हुए कहती है-" ये आरवी इतनी सुबह सुबह मुझे कॉल क्यों कर रही थी। इतना कहकर नायरा आरवी को कॉल करती है। एक रिंग जाते ही आरवी कॉल उठाते ही कहती है-" कहाँ हो तुम..... मैं कब से तुम्हारे दरवाजे के बाहर खड़ी हूँ। "क्या दरवाजे के बाहर"-नायरा हैरान होते हुए आरवी की बात दोहराती है। तो आरवी कहती है-"हां..... अब जल्दी से दरवाजे खोलो। "अच्छा खोल रही हूं"- इतना कहकर नायरा जल्दी से दरवाजा खोलती है। दरवाजा खोलते ही आरवी चिढ़ते हुए अंदर आकर कहती है-"कहाँ थी तुम..... कब से दरवाजा खटखटा रही थी। ऐंसे भी क्या घोड़े बेच कर सो रही थी तुम। "तू वो सब छोड़....... तू मुझे ये बता तू बैग लेकर सुबह सुबह यहां........"- नायरा हैरानी से आरवी के बैग को देखते हुए आरवी से पूछती है। नायरा आरवी को देखकर इतनी हैरान थी कि वो बिना दरवाजा बंद किये ही आरवी के पीछे पीछे कमरे में आ जाती है। "मैंने वो जॉब छोड़ दी"-आरवी शांत भाव से कहती है। तो नायरा एक बार फिर हैरान होते हुए अपनी आँखें बड़ी बड़ी करके कहती है-"क्या..... लेकिन क्यों.....। इस पर आरवी नायरा को सब कुछ बताती है जो भी कल रात निष्कर्ष और आरवी के बीच हुआ। आरवी की बात सुनकर नायरा कहती है-"सच मे तूने कल उस राक्षस से इतना सबकुछ कह दिया। नायरा की बात पर आरवी अपना सर हां में हिला देती है। तो नायरा आगे कहती है-" लेकिन जब उसने तुझे जॉब से निकाला ही नही तो तूने जॉब क्यों छोड़ दी। "तुझे क्या लगता है कल इतना सुनाने के बाद वो मुझे जॉब पर रखता। वैंसे भी उसने मुझे आज जॉब से निकाल ही देना था। बेइज्जत करके निकलने से तो बेहतर है मैं सुबह उठते ही वहां से अपने आप चली आई। और फिर जब दादी को पता चलेगा कि मैंने उस राक्षस के साथ वो सब किया तो मैं दादी से नजरें कैंसे मिला पाउंगी। ...... मुझे बस दादी की चिंता है। "- आरवी ने कहा। इस पर नायरा कहती है-"वैंसे तूने ठीक ही किया।..........कब तक उस राक्षस की बेवजह डाँट सुनती रहती।.... चल मैं तेरे लिए चाय बना देती हूं। इतना कहकर नायरा सामने बने किचन की ओर चली जाती है। और आरवी बाथरूम में चली जाती है। दूसरी ओर निष्कर्ष अभी भी आरवी के कमरे में ही था। इतने में गायत्री वहां आती है और गम्भीर स्वर में कहती है-" क्यों गई आरवी ये जॉब छोड़कर........ क्या किया तुमने उसके साथ। मुझे पता है तुम्ही ने उसे कुछ कहा होगा या फिर उसे परेशान किया होगा। इसलिए वो ये जॉब छोड़कर चली गई। गायत्री की बातें सुनकर निष्कर्ष गायत्री से नजरें चुराते हुए कहता है-"दादी वो...। अभी निष्कर्ष ने इतना ही कहा था कि गायत्री कहती है-" तुम्हारे चेहरे के भाव देखकर साफ पता चल रहा है कि तुम ने उसके साथ कुछ किया है। ...... बताओ मुझे क्या किया तुमने उसके साथ। "दादी इस बार मैंने नही बल्कि उसने मेरे साथ किया"- निष्कर्ष ने शांत भाव से कहा। इस पर गायत्री कहती हैं-" क्या किया उसने तुम्हारे साथ। " दादी उस दिन मेरे सर पर चोट लगी थी वो उसी ने लगाई थी। और नशे में होने की वजह से उसने मेरे बाल भी नोचे थे"-निष्कर्ष ने कहा तो गायत्री हैरानी से कहती है-"क्या..... वो सब उसने किया लेकिन तुम्हे कैंसे पता। " वो कल अपनी फ्रेंड को फोन पर ये सब बता रही थी तो मैंने सुन लिया"- निष्कर्ष कहता है। "ये सब सुनने के बाद तो तुमने उसकी अच्छे से क्लास लगाई होगी। कहीं तुमने ही तो उसे जॉब छोड़कर जाने को तो नही कहा......."-गायत्री निष्कर्ष को घूरते हुए कहती है। "नही दादी कल तो मैंने उसे ज्यादा कुछ कहा भी नही। बल्कि कल तो उसी ने मुझे उल्टा सीधा कहा। और फिर खुद ही जॉब छोड़कर चली गई। ...... मुझे पता है दादी वो आपका ध्यान बहुत अच्छे से रखती थी। "-निष्कर्ष ने कहा। "भले कल तुमने उससे कुछ नही कहा लेकिन तुम जब से आई थी तब से उसे बेवजह डांटते थे। हर काम मे छोटी छोटी गलतियां निकालकर उसकी बेइज्जती करते थे। जबकि वो अपना हर काम अच्छे से और पूरे दिल से करती थी।....... वैंसे उसने जो भी तुम्हारे साथ किया बिल्कुल ठीक किया तुम उसी के लायक हो"-गायत्री फिर से गुस्से में कहती है। तो निष्कर्ष झेंप जाता है। इधर आरवी बाथरूम से बाहर आते ही नायरा से कहती है-" नायरा तुमने बाथरूम में तकिया क्यों रखी हुई है। "क्योंकि रात को मैं बाथरूम में सोई थी"- नायरा अपने दोनों हाथों में चाय के  कप पकड़े आरवी के पास आते हुए कहती है। नायरा की बात सुनकर आरवी हैरान होते हुए कहती है-"क्या..... तुम बाथरूम में सोई थी। लेकिन क्यों.............। इस पर नायरा आरवी को सब कुछ बता देती है जो भी कल विद्युत ने उसके साथ किया था। नायरा की बातें सुनकर आरवी हंसते हुए कहती है-" तुम बाथरूम में कैंसे सो सकती हो यार। तभी दरवाजे के पास खड़ा विद्युत कहता है-" वैंसे बाथरूम भी सोने के लिए अच्छी जगह है। होप तुम्हे रात को अच्छी नींद आई होगी। विद्युत की आवाज सुनते ही आरवी और नायरा की नजरें एक साथ दरवाजे पर खड़े विद्युत की ओर जाती है। विद्युत को देखते ही नायरा धीरे से कहती है-" दरवाजा खुला रह गया था क्या। इतने में विद्युत कमरे के अंदर आने लगता है। विद्युत को अंदर आते देख नायरा झटके के साथ उठती है और तेजी से विद्युत के सामने जाते हुए कहती है-" तुम्हे मैनर्स नही हैं क्या। तुम ऐंसे कैंसे मेरी बिना परमिशन के मेरे कमरे में आ सकते हो। .... "ओह...... सॉरी...... मुझे बिना तुम्हारी परमिशन के तुम्हारे कमरे में नही आना चाहिए था। वैंसे कल रात को जब तुम मेरे कमरे में आई थी। तब तुम्हे याद नही आया कि ऐंसे किसी के कमरे में बिना परमिशन के नही जाते।-"विद्युत नायरा से कहता है। तो नायरा विद्युत को घूरने लगती है। इतने में विद्युत की नजर आरवी पर पड़ती है। आरवी को देखते ही विद्युत आरवी को गौर से देखने लगता है। विद्युत को आरवी को ऐंसे गौर से देखते देख नायरा विद्युत को दरवाजे की ओर धकेलते हुए कहती है-" क्या देख रहे हो। चलो बाहर निकलो मेरे कमरे से। " अभी थोड़ी देर पहले तो ये लड़की साँवली थी ये तुम्हारे कमरे में आते ही गोरी कैंसे हो गई। "-विद्युत आरवी की ओर देखते हुए कहता है। तो नायरा और आरवी दोनो ही सकपका जाते हैं। तभी नायरा कुछ सोचते हुए हकलाकर कहती है-" वो... वो अलग थी ये अलग है समझे..... अब बाहर निकलो। इतना कहकर नायरा विद्युत को धकेलते हुए रूम के बाहर कर देती है और फिर झट से दरवाजा बंद कर एक राहत की सांस लेती है। नायरा के कमरे के बाहर खड़ा विद्युत कुछ सोचते हुए अपने मे ही कहता है-" लेकिन कपड़े तो यही पहने हुए थे उसने भी। ........ खैर जो भी हो मुझे क्या। नायरा दरवाजा बंद करके जैंसे ही आरवी के पास आती है आरवी कहती है-" यही है तेरी मकान मालकिन आंटी जी का बेटा। "हां यही है.............. वैंसे तू मुझे ये बता..... तूने उस राक्षस से आधे महीने की सैलरी ली कि नही।"- नायरा ने आरवी से पूछा। "नही ...... कैंसे लेती.... कल रात उसे सुनाने के बाद सुबह उसके सामने जाने की हिम्मत नही हुई मेरी। इसीलिए जब दादी और वो सोये हुए ही थे मैं वहां से आ गई"- आरवी ने  कहा। इस पर नायरा कहती है-" तो फिर तू इस महीने तनय की होस्टल फीस कैंसे देगी । "वही तो मेरी भी समझ नही आ रहा। "- आरवी ने परेशानी से भरे भाव से कहा। "तेरे पास रमेश अंकल का नम्बर है ना ....उन्हें कॉल करके बता देना की तूने उस राक्षस के घर की केयर टेकर की जॉब छोड़ दी अगर कहीं दूसरी जगह कोई काम हो तो बताना। .... मैंने अपने लिए भी जॉब ढूंढने के लिए कहा है उन अंकल जी को। और दो तीन जगह अपने सी वी भी दिए हैं बस कहीं अच्छी सी जॉब मिल जाये"- नायरा कहती है। "हां...... अभी करूँगी रमेश अंकल जी को कॉल...... तू बता तू स्टोर कब तक जाएगी"- आरवी ने नायरा से पूछा तो नायरा कहती है-" बस अब तैयार होकर निकल ही रही हूं। ....... "और नाश्ता"-आरवी कहती है। "तू अपने लिए बना ले। मैं स्टोर में ही कुछ खा लुंगी"-इतना कहकर नायरा बाथरूम में नहाने चली जाती है। दूसरी ओर गायत्री को परेशान देख निष्कर्ष गायत्री के पास जाकर कहता है-" दादी आप चिंता मत करो.... मैं आज ही कोई नई केयर टेकर .........। "मुझे कोई ओर नही बल्कि आरवी ही चाहिए समझे। क्योंकि वो मेरा ध्यान ऐंसे रखती थी जैंसे कोई अपना का ध्यान रखता है। मेरी हर छोटी छोटी बातों का ख्याल रहता है उसे। उसके लिए ये सिर्फ एक नोकरी नही थी। वो मेरी देखभाल दिल से करती थी। और वो ये भी चाहती थी कि मैं जल्दी से ठीक होकर अपने पैरों पर चलने लगूं। उसके अलावा पहले जितनी भी केयर टेकर आई उन्हें इससे कुछ मतलब नही रहता था कि मैं ठीक होऊं या नही। उन्हें सिर्फ अपनी जॉब से मतलब था। जिसकी उन्हें सैलरी मिलती थी। "-गायत्री निष्कर्ष को गुस्से में घूरते हुए कहती है। गायत्री की बातें सुनकर निष्कर्ष कहता है-" लेकिन दादी अब वो खुद जॉब छोड़कर चली गई तो इसमें मैं क्या कर सकता हूँ। "वो ये जॉब छोड़कर तुम्हारी वजह से गई है..... इसलिए तुम ही उसे वापस लाओगे। और अगर तुम उसे आज शाम तक नही लाये तो मैं तुम्हारे साथ नही रहूंगी। मैं वीरेन के साथ चली जाऊंगी।"-गायत्री कहती है तो निष्कर्ष के चेहरे के भाव बदल जाते हैं और वो थोड़ा परेशान सा कहता है-" लेकिन दादी.......। इससे पहले की निष्कर्ष अपनी बात पूरी करता गायत्री निष्कर्ष की बात काटते हुए कहती है-" अब मुझे कुछ नही सुनना। मुझे आज शाम तक आरवी चाहिए। आज तक मैंने तुम्हारी हर गलती को माफ किया है लेकिन अब नही। अब मैं तुम्हारी हर गलती सुधारने की कोशिश करूँगी। इतना कहकर गायत्री वहां से चली जाती है। गायत्री के जाते ही निष्कर्ष गुस्से में खुद में ही बड़बड़ाता है-"अब मैं उस लड़की को वापस कैंसे लाऊं। मेरे पास तो उसका फोन नम्बर भी नही है। एक लंबी सांस लेते हुए निष्कर्ष आगे कहता है-" लेकिन जो भी हो मुझे उसे वापस लाना ही होगा।.....क्योंकि दादी ठीक कह रही थीं। वो दादी की देखभाल बहुत अच्छे से और दिल से करती थी। कुछ देर बाद निष्कर्ष रमेश को कॉल करके कहता है-" हेलो.... रमेश वो लड़की जिसे तुम दादी की केयर टेकर की जॉब के लिए लाए थे। वो यहां से लड़की जॉब छोड़कर चली गई है। निष्कर्ष की बात सुनकर रमेश धीरे से अपने मे ही कहता है-"जाना तो था ही उसने.... वो तो कम से कम आधे महीने से ज्यादा  टिक ही गई। वरना आपके साथ तो कोई एक हफ्ते से ज्यादा नही टिक पाई। रमेश ने ये बात बहुत धीरे कहि थी इसलिए निष्कर्ष समझ नही पाता कि रमेश ने क्या कहा। लेकिन उसे फोन पर हल्की हल्की कुछ आवाजें सुनाई दे रही थी इसलिए वो फोन पर रमेश से कहता है-" कुछ कहा तुमने। "नही .... नही....... तो फिर अब नई केयर टेकर ढूंढनी है"- रमेश बात बदलते हुए कहता है। "नही...... उस लड़की को ही कॉल करके कहो कि वो यहां दुबारा जॉब करने के लिए आये। और उससे ये भी कहना कि उसकी सैलरी भी बढ़ा देंगे"- निष्कर्ष गम्भीर स्वर में कहता है। तो रमेश कहता है-" ओके सर। इतना कहकर रमेश कॉल कट करके आरवी को कॉल करता है। एक दो रिंग जाते ही आरवी कॉल उठाते हुए कहती है-" हेलो.....अंकल नमस्ते। "नमस्ते .... कैसी हो"- रमेश कहता है। इस पर आरवी कहती है-" मैं ठीक हूँ अंकल जी आप कैंसे हो। मैं भी ठीक हूँ....... मैंने सुना तुमने वो केयर टेकर की जॉब छोड़ दी"-रमेश ने आरवी से पूछा। ..... जी अंकल जी लेकिन आपको किसने बताया"- आरवी ने कहा। "वो मिस्टर निष्कर्ष ने ....... उन्होने तुम्हे दुबारा जॉब पर आने को कहा है। वो तुम्हारी सैलरी बढाने को भी तैयार हैं।"-रमेश कहता है। रमेश की बातें सुनकर आरवी हैरानी से कहती है-" क्या...... इतना कहकर आरवी अपने मन मे सोचती है-" ये राक्षस मुझे दुबारा जॉब पर क्यों बुला रहा है। जबकि कल तो मैंने इसे इतना उल्टा सीधा सुनाया था।..... कहीं ये कोई प्लेन  तो नही है मेरे खिलाफ...... क्या पता वो राक्षस मुझसे बदला लेने के लिए मुझे दुबारा जॉब पर बुला रहा हो। ....... आरवी अभी ये सब सोच ही रही थी कि फोन और रमेश कहता है-" हेलो..... तुम मुझे सुन पा रही हो। इस पर आरवी हकलाहट के साथ कहती है-"जी जी अंकल जी। " तो फिर क्या सोचा तुमने.....जा रही हो तुम दुबारा जॉब पर"- रमेश कहता है। रमेश की बात सुन आरवी अपने दिमाग मे कुछ सोचते हुए कहती है-"नही ..... अंकल जी मैं वहां दुबारा नही जा पाउंगी........ लेकिन कहीं दूसरी जगह अगर कुछ काम हो तो बताना। "अच्छा..... बता दूंगा"- इतना कहकर रमेश कॉल कट कर देता है। और फिर निष्कर्ष को कॉल लगाता है। एक रिंग जाते ही निष्कर्ष कॉल पिक करते ही कहता है-"किया तुमने उसे कॉल। "जी सर"-रमेश ने कहा तो निष्कर्ष झट से कहता है-" तो फिर क्या कहा उसने। "सर उसने मना कर दिया। "-रमेश कहता है। इस पर निष्कर्ष गुस्से में कॉल कट करके अपने में ही कहता है-" ये लड़की ऐंसे कैंसे मना कर सकती है। जबकि मैं इसकी सैलरी तक बढाने को तैयार हूं।                        ★★क्रमशः★★ धन्यवाद......।

  • 15. खूबसूरत दिल से - Chapter 15

    Words: 2246

    Estimated Reading Time: 14 min

    निष्कर्ष अपने फोन की स्क्रीन पर शो हो रहे आरवी के नम्बर को एक टक देखे जा रहा था। जो कि निष्कर्ष को रमेश ने भेजा था । कुछ देर बाद निष्कर्ष एक लंबी सांस लेकर छोड़ते हुए अपने मे ही कहता है-"मुझे ये करना ही होगा। मुझे दादी के लिए उस लड़की को कॉल करना ही होगा। इतना कहकर निष्कर्ष अपने अंगूठे से अपने फोन पर कॉल के आइकॉन को टच कर देता है। कॉल के आइकॉन को टच करते ही आरवी के नम्बर पर कॉल लग जाती है।  दो तीन रिंग जाते ही आरवी कॉल उठाकर कहती है-" हेलो..... कौन। आरवी की आवाज सुनते ही निष्कर्ष झट से कॉल कट कर देता है और अपने मे ही कहता है-" नही ..... नही..... ये मुझसे नही होगा। मैं इस लड़की को कॉल कैंसे कर सकता हूँ वो भी वापस जॉब पर आने के लिए। इतना कहकर निष्कर्ष परेशान होकर अपने कमरे के चक्कर लगाने लगता है। उसे समझ नही आ रहा था कि वो आरवी को कॉल करे या ना करे। तभी अचानक से उसे गायत्री की कही हुई बातें याद आती हैं। जब गायत्री ने कहा था कि अगर वो आज शाम तक आरवी को वापस नही लाया तो वो वीरेन के साथ चली जायेगी। गायत्री की कही बातें याद करते ही निष्कर्ष फिर से अपने फोन के स्क्रीन लॉक को खोलकर आरवी के नम्बर को देखते हुए कहता है-" मेरे पास उसे कॉल करने के अलावा कोई ओर रास्ता नही है। क्योंकि दादी को सिर्फ वही लड़की चाहिए। इतना कहकर निष्कर्ष एक बार फिर आरवी को कॉल करता है। दूसरी ओर जैंसे ही आरवी का फोन बजता है आरवी फोन के स्क्रीन पर शो हो रहे नम्बर को देखते हुए अपने मे ही कहती है-"इस नम्बर की कॉल तो अभी थोड़ी देर पहले भी आई थी। लेकिन मेरे हेलो बोलते ही कट हो गई। ये कहते हुए आरवी कॉल उठाकर कहती है-" हेलो.....। आरवी की आवाज सुन निष्कर्ष कहता है-" हेलो......। "जी कौन"-आरवी आगे कहती है। तो निष्कर्ष की हिम्मत नही हो पाती की वो आरवी को अपना नाम बता पाए। इसलिए वो कुछ नही कह पाता। इस पर आरवी फिर से कहती है-"कौन बोल रहा है। इस बार भी निष्कर्ष आरवी की बात का कोई जवाब नही देता। जब फोन पर दूसरी ओर से कोई जवाब नही आता तो आरवी कॉल कट करते हुए अपने मे ही बड़बड़ाती है-" जब बात ही नही करनी थी तो कॉल क्यों किया। पागल इंसान। "इस लड़की ने कॉल कट कर दिया"- आरवी के कॉल कट करते ही निष्कर्ष चिढ़ते हुए कहता है। कुछ देर रुक कर निष्कर्ष फिर से आरवी को कॉल करता है। इधर आरवी जब देखती है कि उसे फिर से उसी नम्बर से कॉल आ रहा है तो वो गुस्से में चिढ़ते हुए कहती है-" कौन है ये इंसान जो बार बार कॉल करके मुझे परेशान कर रहा है। इतना कहकर आरवी कॉल उठाते ही चिढ़ते हुए कहती है-"जब तुम्हे बात नही करनी तो मुझे बार बार कॉल क्यों कर रहे हो। देखो मैं पहले ही बहुत टेंशन में हूँ। इसलिए मुझे बार बार कॉल करके परेशान................। "मैं बोल रहा हूँ"- निष्कर्ष आरवी की बात काटते हुए फोन पर कहता है। तो आरवी कुछ देर रुक कहती है-" हां कौन। "मैं"- निष्कर्ष फिर से कहता है। निष्कर्ष को लग रहा था कि शायद आरवी उसकी आवाज से उसे पहचान जाए इसलिए वो उसे नाम नही बताता। लेकिन निष्कर्ष के मुँह से फिर मैं सुनकर आरवी का गुस्सा ओर बढ़ जाता है और वो लगभग चिल्लाते हुए कहती है-" अगर तुम मैं बोल रहे हो तो मैं भी म्याऊ म्याऊ बोल रही हूं। ...... पागल इंसान....... ये क्या बात हुई कि मैं बोल रहा हूँ। कोई नाम तो होगा तुम्हारा। या फिर नाम ही मैं है तुम्हारा। ..... अब मैं फोन रख रही हूं और हां अब दुबारा मुझे कॉल मत करना। इससे पहले की आरवी कॉल कट करती फोन पर दूसरी ओर से आवाज आती है"- मैं निष्कर्ष ......। ये सुनकर आरवी के हैरानी से फोन कि ओर देखते हुए कहती है-" क ....क्या क्या नाम बोला तुमने। "मैं निष्कर्ष बोल रहा हूँ।"-निष्कर्ष फिर से कहता है। इस पर आरवी सम्भलते हुए थोड़ा हकलाकर कहती है-" आ.....आ....आप। "हाँ मैं......... मैं चाहता हूं कि तुम दुबारा जॉब पर आ जाओ। "निष्कर्ष शांत भाव से कहता है तो आरवी कहती है-"सॉरी मैं नही आ पाउंगी। "मैं तुम्हारी सैलरी भी बढ़ा दूंगा"- निष्कर्ष कहता है। इस पर आरवी कहती है-"फिर भी मैं नही आ पाउंगी। "लेकिन दादी चाहती हैं कि तुम ही उनकी केयर टेकर बनो। तुम्हारे जाने के बाद उन्होंने कुछ भी नही खाया । वो तुम्हारे साथ बहुत कम्फ़र्टेबल महसूस करती हैं। इसलिए तुम वापस आ जाओ"- निष्कर्ष गम्भीर भाव से कहता है। निष्कर्ष की बात सुनकर आरवी निष्कर्ष को डांटते हुए कहती है-" क्या दादी ने सुबह से कुछ नही खाया। लेकिन आपको उन्हें कुछ खिलाना चाहिए था ना आपको पता नही है कि उन्हें दवाई भी खानी होती है। आरवी की डांट सुनकर निष्कर्ष को गुस्सा आ जाता है। और वो कॉल कट करते हुए अपने मे ही कहता है-" अब मुझे इस लड़की की डांट भी सुननी होगी क्या। दूसरी ओर कॉल कट होते ही आरवी कुछ सोचते हुए अपने मे ही कहती है-" मुझे दुबारा जाना चाहिए कि नही। अगर नही गई तो दादी खाना नही खाएंगी। और मुझे पता है कि दादी बहुत जिददी हैं दादी की जिद के आगे वो राक्षस भी कुछ नही कर पाता। और वैंसे मुझे भी जॉब की जरूरत तो है ही। अगर कहीं दूसरी जगह जॉब न मिली तो तनय की फीस देना भी मुश्किल हो जाएगा। इतना कहकर आरवी  अपनी आंखें बंद कर लेती है। कुछ देर बाद एक लंबी सांस लेते हुए आरवी अपनी आँखें खोलते हुए आगे कहती है-" मुझे वापस ये जॉब कर लेनी चाहिए। यही सही रहेगा। फिर आरवी जल्दी से मेक अप करके अपने आप को सांवला लुक दे देती है और अपना सामान लेकर नायरा के कमरे से बाहर आ जाती है। आरवी रोड के किनारे खड़ी ऑटो का वेट कर रही थी कि तभी उसे अचानक से ध्यान आता है कि उसे नायरा को कॉल करके बता देना चाहिए। ये सोचकर आरवी नायरा को कॉल करती है। इतने में एक ऑटो भी उसके सामने आकर रुक जाता है आरवी ऑटो में बैठ जाती है। दूसरी ओर नायरा ने भी आरवी की कॉल उठा ली थी। नायरा आरवी की कॉल उठाते ही कहती है-"हां बोल.......। "वो नायरा मुझे उस राक्षस ने वापस जॉब करने के लिए बुलाया है। इसलिए मैं जा रही हूं। मैंने तुम्हारे रूम की चाभी दरवाजे के बाहर साइड में रखे गमले के नीचे रखी है।"- आरवी कहती है। आरवी की बात सुनकर नायरा हैरानी से कहती है-" क्या उस राक्षस ने तुम्हे दुबारा जॉब पर क्यों बुलाया। कहीं कोई गड़बड़ तो नही है। "नही ...... वो कह रहा था कि मेरे जाने के बाद से दादी ने खाना नही खाया क्योंकि वो चाहती है कि मैं ही उनकी केयर टेकर बन कर रहूं। ........ इसलिए मुझे भी दुबारा जाना पड़ा। और जॉब की जरूरत तो मुझे भी है। -आरवी ने कहा। इस पर नायरा कहती है-" तुम्हे पता है ना कि वो तुम्हारे साथ कैसा रूढ़ बिहेव करता है। ये जानने के बाद भी क्या तुम वहां जाना चाहती हो। "तुम चिंता मत करो उसके लिए भी अब मेरे पास एक उपाय है अब आगे से वो मेरे साथ रूढ़ बिहेव नही कर सकता"-आरवी शातिर मुस्कान के साथ कहती है। "क्या उपाय है। "-नायरा हैरानी से पूछती है। इस पर आरवी कहती है-"मैं तुम्हे शाम को कॉल करके बताती हूँ अभी मेरे पास टाइम नही है। मैं उस राक्षस के घर पहुंचने ही वाली हूँ।........ अब मैं फोन रखती हूं बाय। इतना कहकर आरवी कॉल कट कर देती है। कुछ देर बाद आरवी निष्कर्ष के घर पहुंच जाती है। वो डोर बेल बजाती है तो निष्कर्ष दरवाजा खोलता है। आरवी को देखकर निष्कर्ष कहता है-" आ गई तुम। "हां आ गई। लेकिन मैं सिर्फ दादी के लिए आई हूं । "-आरवी निष्कर्ष को घूरकर कहती है। "आओ अंदर"- निष्कर्ष शांत भाव से कहता है। इस पर आरवी कहती है-"  मैं अब आपके यहाँ जॉब तभी करूँगी जब आप मेरी एक बात  मानोगे। आरवी की बात सुनकर निष्कर्ष हैरानी से आरवी को घूरते हुए कहता है-" क्या...... कौन सी बात। ये सुनकर आरवी हल्की सी स्माइल करते हुए कहती है-" क्यों न अंदर चल कर बात करें। इतना कहकर आरवी निष्कर्ष के बगल से होते हुए अंदर आ जाती है। ये देख निष्कर्ष अपने मन ही मन मे कहता है-"इस लड़की के दिमाग मे चल क्या रहा है । निष्कर्ष भी दरवाजा बंद करके आरवी के पीछे पीछे अंदर आ जाता है। निष्कर्ष आरवी के पास आकर आरवी को सामने सोफे पर बैठने का इशारा करता है और खुद भी सोफे पर बैठ जाता है। सोफे पर बैठते ही निष्कर्ष आरवी से कहता है-" बताओ कौन सी बात माननी पड़ेगी मुझे तुम्हारी। इस पर आरवी कुछ देर चुप रहकर कहती है-"आप मुझसे अच्छे से बात करोगे। मतलब मुझे बेवजह डाँटोगे नही। ये सुनकर निष्कर्ष जल्दी झट से कहता है-" लेकिन अगर तुमने कोई गलती की तो। "गलती की तो आप मुझे प्यार से समझा सकते हैं। "-आरवी निष्कर्ष की बात का जवाब देते हुए कहती है। इस पर निष्कर्ष आरवी को घूरते हुए कहता है-"ओके....... मैं तुम्हारी बात मानने को तैयार हूं। "अच्छा तो फिर ठीक है मैं अपना सामान अपने कमरे में रख कर आती हूँ"- इतना कहकर आरवी वहां से उठकर अपने कमरे में चली जाती है। दूसरी ओर स्टोर में आज भी नायरा ही सारा काम कर रही थी। विद्युत आराम से चेयर में बैठा सो रहा था। और उसने अपने दोनों पैर सामने टेबल पर रखे हुए थे। कुछ देर बाद जब स्टोर में एक भी कस्टमर नही रहता तो नायरा विद्युत के पास जाती है। विद्युत को आराम से सोया हुआ देखकर नायरा गुस्से में अपने मे ही कहती है-" कितना बत्तमीज है। कल रात मुझे सोने नही दिया इसके वजह से मैं बाथरूम में सोई थी। और अपने आप कितने आराम से सो रहा है।....... लेकिन मैं भी इसे इटने मजे से सोने नही दूंगी। इतना कहकर नायरा एक पल के लिए विद्युत को देखते हुए अपने दिमाग मे कुछ सोचने लगती है और फिर अगले ही पल नायरा के चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल आ जाती है। और वो जल्दी से अपने बैग से अपनी लिप स्टिक लेकर आती है और उसे विद्युत के होंठों पर लगाने लगती है। कुछ देर बाद वो लिप स्टिक से विद्युत के माथे पर एक गोल सा बड़ा टीका भी लगा देती है। और उसके दोनों गालों पर भी दो बड़े बड़े गोले बना देती है। ये सबकरके नायरा विद्युत को देखती है और हंसते हुए उसकी फोटो लेने लगती है। वो विद्युत के साथ इस हाल में एक दो सेल्फी भी ले लेती है। और फिर अपना फोन अपने जेब मे रखते हुए कहती है-" अब मैं बताउंगी तुम्हे की मैं क्या चीज़ हूँ। बहुत परेशान कर लिया तुमने मुझे। तभी स्टोर में एक कस्टमर आ जाता है। इसलिए नायरा जल्दी से काउंटर पर चली जाती है। इतने में विद्युत भी जाग जाता है। कुछ देर बाद विद्युत नोटिस करता है कि स्टोर में जितने भी कस्टमर आ रहे थे सब विद्युत को देखकर हंस रहे थे। ये देख विद्युत अपने मे ही कहता है-" ये सब लोग मुझे देखकर हंस क्यों रहे हैं। क्या मैं आज ज्यादा ही हैंडसम लग रहा हूँ। ये सोचकर विद्युत भी उन सभी लोग को स्माइल करने लगता है जो उसे देखकर हंस रहे थे। काउंटर पर खड़ी नायरा भी विद्युत की हरकतें देख कर अपने मे ही मुस्करा रही थी। तभी एक लड़की स्टोर में आती है। उसने स्कूल की ड्रेस पहनी हुई थी। विद्युत को देखते ही वो लड़की विद्युत के पास आकर मुस्कराते हुए कहती है-" आप बहुत फनी लग रहे हो। उस लड़की की बात सुनकर विद्युत अपने मन मे सोचता है-" फनी लग रहा हूँ। विद्युत को अपने मे ही खोया देख वो लड़की आगे कहती है-" मैं आपके साथ एक सेल्फी ले सकती हूं। इस पर विद्युत मुस्कराते हुए कहता है-" हां बिल्कुल। इतना कहकर विद्युत फिर से अपने मन ही मन मे सोचता है-"मुझे पता था एक दिन ऐंसा जरूर आएगा कि मेरे फैन मुझसे ऑटोग्राफ और सेल्फी लेने आयेंगे। इतने में वो लड़की विद्युत के पास आकर अपने फोन से सेल्फी लेने लगती है। लेकिन जैंसे ही विद्युत की नजर उस लड़की के फोन की स्क्रीन पर पड़ती है वो जोर से चिल्लाते हुए कहता है-" ये मेरे चेहरे को क्या  हो गया। मेरे चेहरे और ये सब किसने किया। इतना कहते ही उसकी नजर सामने काउंटर पर खड़ी नायरा की ओर चली जाती है। जो कि कस्टमर को बिल पे करते हुए अपने मे ही हंस रही थी। स्टोर में मौजूद सभी कस्टमर भी विद्युत को देखकर हंस रहे थे। विद्युत नायरा को गुस्से में घूरते हुए उस लड़की से कहता है-" ये मेरे चेहरे पर पता नही किस बेवकूफ ने ये सब लगा दिया। मैं अभी थोड़ी देर में मुँह धो कर आती हूँ तब तक तुम मेरा वेट करो फिर मैं तुम्हारे साथ सेल्फी लूंगा । ये सुनकर वो लड़की कहती है-" मुझे तो तुम्हारे इसी चेहरे के साथ सेल्फी लेनी थी क्योंकि तुम बहुत फनी लग रहे हो। इतना कहकर वो लड़की स्टोर से बाहर चली जाती है। और विद्युत नायरा को घूरते हुए अपना मुँह धोने वाशरूम में चला जाता है। वाशरूम में जाकर निष्कर्ष अपने चेहरे को आईने में देखकर गुस्से में चिल्लाते हुए कहता है-" आ..... आ......पागल लड़की, चुड़ैल कहीं की ये तुमने ठीक नही किया अब देखो मैं तुम्हारे साथ क्या करता हूँ।                          ★★क्रमशः★★ धन्यवाद.....।

  • 16. खूबसूरत दिल से - Chapter 16

    Words: 2303

    Estimated Reading Time: 14 min

    अपना सामान अपने कमरे में रखने के बाद आरवी गायत्री के कमरे में जाती है। गायत्री के कमरे में जाते ही आरवी खुशी से चहकते हुए गायत्री के पास जाकर कहती है-"दादी आपका प्लेन काम कर गया। जैंसे आपने कहा था वही हुआ। निष्कर्ष सर ने मुझे दुबारा जॉब पर भी आने को कहा और मेरी बात भी मान गए। कि अब वो कभी मुझे बेवजह नही डांटेंगे। इतना कहकर आरवी गायत्री के गले लगते हुए आगे कहती है-" दादी आप सच मे जीनियस हैं। आरवी की बातें सुनकर गायत्री मुस्कराते हुए उस पल को याद करने लगती है जब सुबह आरवी उसके पास आई थी। सुबह के छः बज रहे थे। आरवी गायत्री के कमरे का दरवाजा खोलकर अंदर आती है। और फिर गायत्री के पास जाकर धीरे से कहती है-" दादी.... दादी। आरवी की आवाज सुनते ही गायत्री की नींद टूट जाती है और वो इतनी सुबह सुबह अपने सामने आरवी को देखकर थोड़ा हैरान रह जाती है। क्योंकि आरवी के चेहरे को देखकर साफ पता चल रहा था कि आरवी परेशान है। गायत्री आरवी की ओर देखकर कहती है-" आरवी तुम ..... इतनी सुबह सुबह। क्या हुआ सब ठीक है ना। इस पर आरवी कहती है"-दादी वो .......निष्कर्ष सर को सब कुछ पता चल गया कि उस दिन नशे की हालत में मैंने ही जान बूझकर उनके सर पर चोट लगाई थी और उनके बाल भी नोचे थे। "क्या........ लेकिन कैंसे क्योंकि तुमने तो ये बात सिर्फ मुझे ही बताई थी और मैंने तो उसे बताई नही तो फिर उसे किसने बताया"- गायत्री ने हैरानी से कहा तो आरवी शान्त भाव से कहती है-" दादी वो कल रात को मैं अपनी फ्रेंड को फोन पर ये सारी बातें बता रही थी तो सर ने सुन ली। इस पर गायत्री कहती है-" क्या........ फिर तो उसने तुम्हे बहुत कुछ सुनाया होगा। कहीं उसने तुम्हे जॉब से तो नही निकाल दिया। "नही दादी उन्होंने तो कुछ नही कहा। लेकिन मैंने ही उन्हें बहुत कुछ बुरा भला सुना दिया। इसलिए वो मुझे आज जरूर जॉब से निकाल देंगे।   थोड़ी देर में सर मेरी इन्सल्ट कर मुझे यहां से जाने को कहें उससे अच्छा मैं अपने आप ही यहां से चली जाती हूँ। और इसीलिए मैं जाने से पहले आपसे मिलने आई हूँ। वैंसे तो मुझे पता है कि मेरे जाने के बाद सर आपके लिए दूसरी केयर टेकर रख लेंगे लेकिन फिर भी आप अपना ध्यान रखना और दवाई टाइम से खा लेना। "- आरवी गम्भीर स्वर में कहती है। आरवी की बातें सुनकर गायत्री कहती है-" नही तुम ऐंसे कैंसे जा सकती हो। जब कि निष्कर्ष ने तुम्हे जॉब से निकाला भी नही है। तुम चिंता मत करो मैं उसे समझाऊंगी की वो तुम्हे जॉब से न निकाले। " दादी कल मैंने उन्हें बहुत बुरा भला कहा है मुझे नही लगता कि वो आपकी कोई भी बात सुनेंगे। और वैंसे भी वो पहले से ही मुझे देखकर चिढ़ते हैं। बेवजह डांटते रहते हैं। इससे पहले की वो मुझे चार बातें सुना कर यहां से जाने को कहें मैं अपने आप ही यहां से चली जाती हूँ। "-आरवी बुझे हुए मन से कहती है। तो गायत्री कहती है-"हां कह तो तुम ठीक रही हो। अगर कल तुमने उसे बुरा भला नही कहा होता तो मैं उसे तुम्हे जॉब से न निकालने के लिए मना भी लेती लेकिन तुमने खुद ही गलती की ओर फिर खुद ही उसे सुना भी दिया। लेकिन तुम चिंता मत करो। मैं कुछ सोचती हूँ। इतना कहकर गायत्री आरवी को बचाने का उपाय सोचने लगती है। की वो आरवी को निष्कर्ष के गुस्से से कैंसे बचाये। कुछ देर तक सोचने के बाद गायत्री के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ जाती है। और वो मुस्कराते हुए आरवी से कहती है-" एक उपाय है। लेकिन तुम्हे वही करना होगा जो मैं कहूंगी। "क्या करना होगा दादी मुझे"- आरवी ने गायत्री से पूछा। इस पर गायत्री कहती है-"सबसे पहले तो तुम एक कागज पर एक नोट मेरे नाम से लिखो की तुम ये जॉब छोड़ रही हो। और फिर अपना सारा सामान लेकर यहां से चली जाओ उसके बाद मैं सब सम्भाल लुंगी। "दादी इस सबसे क्या होगा। और मुझे नही लगता कि निष्कर्ष सर आपकी कोई भी बात मानेंगे क्योंकि कल के बाद से तो वो मेरा चेहरा तक भी  नही देखना चाहेंगे। "-आरवी मासूम सा चेहरा बनाकर कहती है। इस पर गायत्री कहती है-"मुझे पर भरोसा रखो। मैं तुमसे वादा करती हूं कि वो तुम्हे वापस जॉब ओर आने के लिए खुद कॉल करेगा। जब तक वो तुम्हे खुद कॉल करके वापस जॉब पर आने को न कहे तब तक बिल्कुल नही मानना। और हां इस बात का ध्यान रखना की उसे लगे कि तुमने यहां आकर उस पर बहुत बड़ा अहसान किया है। उसे ऐंसा बिल्कुल न लगे कि तुम्हे भी इस जॉब की बहुत जरूरत है। और जब वो तुम्हे कॉल करके वापस आने को कहे तो तुम्हे उसके सामने ये शर्त रखनी होगी कि तुम जॉब पर तभी वापस आओगी जब वो तुम्हे आगे से कभी भी बेवजह डाँटेगा नही। .....समझ गई ना तुम गायत्री की बातें सुनकर आरवी अपना सर हां में हिला देती है और फिर वहां से चली जाती है। ये सब याद करते हुए गायत्री अपनी यादों से बाहर आकर अपने गले लगी आरवी से कहती है-" मैंने कहा था ना तुमसे की मुझ पर भरोसा रखो। लेकिन तुम्हें शायद मुझ पर भरोसा नही था। गायत्री की बात सुनकर आरवी गायत्री से दूर होते हुए कहती है-" हाँ दादी ....मुझे नही लगा था कि निष्कर्ष सर मुझे खुद कॉल करके वापस आने को कहेंगे। और इसीलिए मैं बहुत परेशान हो गई थी। आपको पता जब रमेश अंकल ने मुझे कॉल करके वापस आने को कहा तो मेरा मन हुआ कि हां कह दूं लेकिन आपने कहा था कि जब तक निष्कर्ष सर मुझे खुद से कॉल करके वापस आने को न कहें तब तक हां मत करना इसलिए मैंने उन्हें भी मना कर दिया। मैंने तो उन्हें यहां तक कह दिया था कि वो कहीं दूसरी जगह मेरे लिए जॉब ढूंढ दे। क्योंकि मुझे पूरा यकीन था कि निष्कर्ष सर तो मुझे खुद से कॉल करके वापस आने को कभी कहेंगे नही। "चलो ये सब बातें अब बाद में होती रहेंगी तुम पहले मेरे लिये खाना बना दो बहुत भूख लगी है। मैंने सुबह से कुछ नही खाया"- गायत्री ने मुस्कराते हुए कहा। तो आरवी भी मुस्कराते हुए कहती है-" जी ........ मैं अभी आपके लिए गरमा गरम खाना बना कर लाती हूँ। इतने में निष्कर्ष गायत्री के कमरे में आ जाता है। आरवी और गायत्री को मुस्कराते देख निष्कर्ष अपने मे ही बड़बड़ाता है-" सच मे इस लड़की ने कुछ तो जादू किया है दादी पर। निष्कर्ष को देखते ही आरवी कमरे से बाहर चली जाती है। आरवी के जाते ही निष्कर्ष गायत्री के पास आकर कहता है-" दादी अब तो खुश हैं ना आप। वो लड़की वापस जॉब पर आ गई है। "वो लड़की क्या आरवी नाम है उसका"-गायत्री हल्का सा मुस्कराकर कहती है। तो निष्कर्ष कहता है-" हां हां पता है उसका नाम........ अच्छा अब मैं होटेल जा रहा हूँ। इतना कहकर निष्कर्ष जैंसे ही बाहर जाने को मुड़ता है गायत्री पीछे से कहती है-"वैंसे आरवी के वापस आजाने से तू भी निश्चिंत हो गया है क्योंकि तुझे भी पता है कि आरवी मेरी देखभाल बहुत अच्छे से करती है। गायत्री की बात सुनकर निष्कर्ष बिना कुछ कहे वहां से चला जाता है। रात के लगभग 10 बज रहे थे। आरवी नायरा को फोन पर दादी के प्लेन के बारे में बता रही कि कैंसे दादी ने निष्कर्ष सर को इमोशनल ब्लैकमेल करके उसे वापस जॉब दिलवाई। आरवी की सारी बातें सुनने के बाद नायरा कहती है-" यार दादी तो सच मे जीनियस है। क्या दिमाग लगाया उन्होंने। ना ही तुम्हारी जॉब गई और अब आगे से ना ही वो राक्षस तुम्हें बेवजह डाँटेगा। कुछ देर बातें करने के बाद नायरा कॉल कट करके बिस्तर पर लेट जाती है। अभी नायरा को लेटे हुए मुश्किल से आधा घण्टा ही हुआ होगा कि फिर से विद्युत बगल वाले कमरे में तेज आवाज में गाने लगा देता है। गाने की आवाज सुनकर नायरा बिस्तर पर बैठते हुए गुस्से में अपने मे ही बड़बड़ाती है-" मुझे पता था ये लंगूर ऐंसा ही कुछ करेगा। इधर नायरा के बगल वाले रूम में तेज आवाज में गाना लगा कर विद्युत मुस्कराते हुए अपने मे ही कहता है-" बहुत शौक है ना चुड़ैल तुम्हे मेरा इतना हैंडसम चेहरा बिगाड़ने का। तो लो फिर भुगतो। कल तो तुम बाथरूम में सो गई थी। लेकिन आज मैं तुम्हे बाथरूम में भी चैन से नही सोने दूंगा। ....... मुझे पता है गाने की इतनी तेज आवाज सुनकर तुम कल की तरह मेरे कमरे में आओगी ओर मुझे ये गाना बन्द करने को कहोगी। लेकिन मैं ये गाना  बन्द तभी करूँगा जब तुम सुबह मेरा चेहरा बिगाड़ने के लिए मुझ से घुटनो पर बैठकर माफी मांगोगी। निष्कर्ष अभी ये सब अपने आप मे कह ही रहा था कि अचानक से उसके कमरे का दरवाजा खुलता है और नायरा कमरे के अंदर आकर निष्कर्ष से कहती है-" तुम पागल हो गए हो क्या आज फिर से तुमने इतना लाऊड म्यूजिक लगा दिया है वो भी इतनी रात को। कल तुम्हारी वजह से मैं बाथरूम में सोई थी। मुझे बहुत नींद आ रही है इसलिए ये म्यूजिक बन्द करो समझे। नायरा की बात सुनकर विद्युत शातिर मुस्कान लिये नायरा के चारों ओर घूमते हुए कहता है-" मैं ये म्यूजिक सिर्फ एक शर्त पर ही बन्द करूँगा। "कैसी शर्त"-नायरा चिढ़ते हुए कहती है। इस पर विद्युत कहता है-" तुमने आज स्टोर में मेरा चेहरा बिगाड़ा था ना उसके लिए तुम्हे मुझसे माफी मांगनी होगी। वो भी घुटनो के बल बैठकर और हां साथ में मेरी थोड़ी बहुत तारीफ भी करनी होगी जैंसे की मैं बहुत हैंडसम हूँ। मैं बहुत अच्छा डांस करता है वगेरह वगेरह......... और अपनी बुराई करनी होगी। जैंसे की तुम चुड़ैल हो  बेवकूफ हो पागल हो समझी........ अब जल्दी से जो जो मैंने कहा वो करो। विद्युत की बातें सुनकर नायरा लाचार सा चेहरा बनाकर विद्युत के आगे घुटनों के बल बैठ जाती है। नायरा को ऐंसे लाचार होकर अपने सामने घुटनो के बल बैठे देख विद्युत मुस्कराते हुए कहता है-" अब कहो जो तुम्हे कहना है। इस पर नायरा अपना सर नीचे करते हुए कहती है-" आज स्टोर में मैंने जो भी तुम्हारे साथ किया उसके लिए मैं तुमसे माफी..........। इतना कहते ही नायरा रुक जाती है नायरा के रुकते ही विद्युत झट से कहता है-"आगे बोलो माफी मांगती हूँ। अभी विद्युत ने इतना ही कहा था कि अचानक से उसके हाथ मे पकड़े उसके फोन पर व्हाट्सएप्प के मैसेज की रिंगटोन बजती है। और साथ मे उसका फोन वाईवरेट भी होता है। फोन की  रिंगटोन बजते ही विद्युत अपनी इमेजिनेशन से बाहर आकर पूरे कमरे में नजर दौड़ाता है और देखता है कि वहाँ नायरा नही है जिससे वो समझ जाता है कि अभी थोड़ी देर पहले उसने जो कुछ भी देखा वो सिर्फ उसकी इमेजिनेशन थी। वो सच नही था। ये देख विद्युत फिर से अपने मे ही बड़बड़ाता है-" कोई नही ये सच नही था लेकिन थोड़ी देर बाद सच होने वाला है। वैंसे ये ये व्हाट्सएप्प पर मैसेज किसने किया होगा। इतना कहकर विद्युत अपने हाथ मे पकड़े फोन को देखने लगता है। कि उसे व्हाट्सएप पर मैसेज किसने किया। जैंसे ही वो अपना व्हाट्सएप्प खोलता है तो उसे किसी नये नम्बर से कुछ फोटोज आईं थीं। जैंसे ही वो उन फोटोज को ओपन करता है उसकी आँखें फैलकर बड़ी हो जाती हैं। और उसका मुंह खुला का खुला रह जाता है। ये वही फोटोज थी जो स्टोर में नायरा ने विद्युत का चेहरा बिगाड़ने के बाद ली थी। और उन फोटोज के नीचे के मैसेज भी था"अगर मैंने तुम्हारी ये फोटो सोशल मीडिया पर डाल दी वो भी तुम्हारी आई डी के लिंक के साथ तो । वैंसे मैंने तुम्हारी इंस्टाग्राम आई डी चेक की थी तुम्हारे बीस हज़ार फॉलोवर्स हैं। मैं सोच रही हूं कि ये फोटोज सबसे पहले वहीं डालूं आखिर तुम्हारे फैनस का भी तो हक है ये फोटोज देखने का।........... वैंसे चिन्ता मत करो मैं अभी ये फोटोज कहीं नही डाल रही। पर डाल सकती हूं अगर तुमने मेरी बातें न मानी तो। बाकी तुम थोड़ा बहुत समझदार तो हो ही। अब चुपचाप से ये म्यूजिक बन्द करो और मुझे सोने दो और खुद भी सो जाओ। ये मेसेज पढते ही विद्युत गुस्से में म्यूजिक बन्द कर नायरा के रूम के बाहर जाकर दरवाजे को खटखटाते हुए कहता है-"ऐ लड़की दरवाजा खोलो। कुछ देर तक दरवाजा खटखटाने के बाद भी जब नायरा दरवाजा नही खोलती तो विद्युत गुस्से में दरवाजे को जोर जोर से पीटते हुए कहता है-" मुझे पता है तुम उठी हुई हो। अब जल्दी से दरवाजा खोलो। अभी विद्युत ने इतना कहा ही था कि उसके फोन पर फिर से एक मैसेज आता है वो फोन पर मैसेज पढ़ने लगता है। जिसमे लिखा था "मुझे बहुत नींद आ रही है इसलिए मेरे रूम का दरवाजा खटखटाना बन्द करो और मुझे सोने दो और खुद भी सो जाओ। वरना तुम्हे पता है ना मैं क्या कर सकती हूँ। ये मैसेज पढ़ने के बाद विद्युत गुस्से में अपने दांत पीसते हुए नायरा के दरवाजे पर एक मुक्का मारने ही वाला था कि वो रुक जाता है और फिर गुस्से में कहता है-" इस चुड़ैल की इतनी हिम्मत ये मुझे ब्लैकमेल कर रही है। इतना कहकर विद्युत गुस्से में अपने पैर पटकते हुए वहां से चला जाता है। जब कुछ देर तक नायरा को अपने कमरे के दरवाजे के बाहर कोई हलचल सुनाई नही देती तो वो समझ जाती है कि विद्युत वहां से चला गया है इस पर नायरा मुस्कराते हुए बड़बड़ाती है-"बड़ा आया था मुझे परेशान करने वाला। इसे पता नही है कि मैं क्या चीज़ हूँ। ........ वैंसे अब तो पता चल ही गया होगा बेचारे को की मैं क्या चीज़ हूँ।..... चलो अब सो जाती हूँ। बहुत नींद आ रही है। इतना कहकर नायरा जमाई लेते हुए अपने बिस्तर पर लेट जाती है।                         ★★क्रमशः★★ धन्यवाद.......।

  • 17. खूबसूरत दिल से - Chapter 17

    Words: 2555

    Estimated Reading Time: 16 min

    सुबह के सात बज चुके थे। नायरा नहा कर बाहर छत पर अपने धुले हुए कपड़े सुखाने के लिए फैला रही थी। इतने में विद्युत नायरा से बचते हुए दबे कदमों से नायरा के कमरे में घुस जाता है। कमरे में घुसते ही विद्युत नायरा के कमरे में उसका फोन ढूंढने लगता है। वो बेड पर तकिया के नीचे, टेबल पर हर जगह नायरा का फोन ढूंढ रहा था। लेकिन उसे नायरा का फोन कमरे में कहीं नही मिलता। तभी उसे  कमरे के बाहर नायरा के कदमो की आहट सुनाई पड़ती है। जिससे वो समझ जाता है कि नायरा कमरे के अंदर आने वाली है इसलिए वो झट से नायरा के बेड के नीचे छुप जाता है ताकि उसे नायरा न देख पाए। इतने में नायरा कमरे के अंदर आ जाती है। वो अपने हाथ मे पकड़ी हुई बाल्टी को बाथरूम में रखने जा ही रही थी कि तभी उसकी नजर अपने बेड पर पड़ती है। उसके बेड की बेडशीट खराब हुई थी। और तकिया भी टेडी रखी हुई थी। ये देख वो बेड की ओर देखते हुए अपने मन ही मन मे सोचती है-" अभी थोड़ी देर पहले तो मैंने अपना बिस्तर ठीक किया था फिर ये खराब कैंसे हो गया। कहीं मेरे कमरे में कोई आया तो नही था। ये सोचकर नायरा एक बार पूरे कमरे में अपनी नजरें दौड़ाती है तभी उसकी नजर बेड के नीचे एक कोने पर पड़ती हैं जहां विद्युत का पैर दिख रहा था। ये देख वो फिर से अपने मन ही मन मे कहती है-" ओह तो ये बात है इसे तो मैं अभी बताती हूँ। नायरा अपने हाथ मे पकड़ी बाल्टी नीचे रखते हुए अपने मे ही कहती है-" मेरे कमरे में आज कल बहुत सारे कॉकरोच हो गए हैं। समझ नही आ रहा मैं इनका क्या करूँ। इतना कहकर नायरा सामने अलमारी में रखे कॉकरोच मारने वाला स्प्रे उठाती है और अपने नाक बंद करके झुकते हुए बेड के नीचे स्प्रे करने लगती है। जैंसे ही नायरा बेड के नीचे कॉकरोच मारने वाला स्प्रे करती है। बेड के नीचे छुपे विद्युत को खांसी आ जाती है और वो जल्दी से बेड के नीचे से बाहर आते हुए कहता है-"पागल हो गई हो क्या। अगर इससे मैं मर गया तो। इस पर नायरा विद्युत को घूरते हुए कहती है-" तुम मेरे बेड के नीचे क्या कर रहे हो। और डरो मत इस स्प्रे से तुम जैंसे बत्तमीज और ढीट कॉकरोच नही मरते जो किसी के कमरे में ऐंसे ही बिना पूछे घुस जाते हैं। इससे बस छोटे छोटे कॉकरोच मरते हैं। "क्या कहा तुमने मुझे बत्तमीज ......... दूसरों को बोलने से पहले खुद को देख लेना चाहिए समझी खुद तो चालाकी से दूसरों के चेहरे को बिगाड़ कर उसकी फोटो लेकर उसे ब्लैकमेल करती हो। और मुझे बत्तमीज कह रही हो। "- विद्युत भी चिढ़ते हुए कहता है। विद्युत की बात सुनकर नायरा कहती है-" ओह तो तुम यहाँ मेरा फोन लेने आये थे। ताकि तुम अपनी फोटोज डिलीट कर सको। इतना कहकर नायरा अपने ट्राउजर के जेब से अपना फोन निकालकर विद्युत को दिखाते हुए आगे कहती है-" लेकिन मैं तो अपना फोन हमेशा अपने पास रखती हूं। नायरा के हाथ में फोन देखकर विद्युत झटके से नायरा के थोड़ा पास आकर उसके हाथ से फोन छीनने की कोशिश करता है लेकिन विद्युत के पास आते ही नायरा भी झट से अपने हाथ को पीछे कर देती है। विद्युत के नायरा के पास आने की वजह से विद्युत का चेहरा नायरा के चेहरे के ठीक सामने आ जाता है। क्योंकि विद्युत नायरा की ओर हल्का सा झुका हुआ था। दोनो के चेहरे एक दूसरे के इतने करीब थे कि दोनों को एक दूसरे की सांसें अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी। और एक पल के लिए दोनो एक दूसरे की आँखों में अपलक देखने लगते हैं। लेकिन फिर अलगे ही पल दोनो सम्भलते हुए एक दूसरे से दूर हट जाते हैं। कुछ देर तक दोनों एक दूसरे से कुछ नही कहते। लेकिन फिर विद्युत दोनो के बीच की चुप्पी तोड़ते हुए कहता है-" देखो मेरी वो फोटोज डिलीट कर दो। "नही करूँगी.."- विद्युत की बात खत्म होते ही नायरा झट से कहती है। तो विद्युत अपने दांत पीसकर नायरा को गुस्से में घूरते हुए कमरे से बाहर चला जाता है। विद्युत के जाते ही नायरा अजीब सा मुँह बनाकर अपने मे ही कहती है-" बड़ा आया.......। इधर आरवी किचन में नाश्ता बना रही थी। और गायत्री बाहर ड्राइंग रूम में बैठी थी। उसके बगल में ही निष्कर्ष बैठा था। जिसे देखकर गायत्री कहती है-" क्या हुआ निष्कर्ष आज तुम होटेल के लिए तैयार नही हो रहे। आठ बजने वाले हैं। "नही दादी आज मैं होटेल नही जा रहा। आज मैं घर पर ही रहूंगा। "- निष्कर्ष गायत्री की बात का जवाब देते हुए कहता है। तभी गायत्री नोटिस करती है कि निष्कर्ष की नजर बार बार मेन डोर की तरफ जा रही है जैंसे कि वो किसी के आने के वेट कर रहा हो। ये देख गायत्री निष्कर्ष से पूछती है-" क्या हुआ निष्कर्ष तुम बार बार दरवाजे की ओर क्यों देख रहे हो। कोई आने वाला है क्या। इस पर निष्कर्ष कहता है-" हां दादी...... मैंने होटेल से नाश्ता ऑर्डर किया था लेकिन अब तक आया नही। ओर दिन तो बीस मिनट में ही आ जाता है। मुझे बहुत तेज भूख लगी है। इससे पहले की गायत्री निष्कर्ष की बात का कोई जवाब देती आरवी वहां आते हुए कहती है-" दादी चलिए नाश्ता कर लीजिए। इतना कहकर आरवी गायत्री की व्हील चेयर डाइनिंग टेबल के पास लेकर चली जाती है। और गायत्री के लिए नाश्ता परोस देती है। नाश्ता देख गायत्री के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ जाती है क्योंकि आरवी ने आज आलू के भरे हुए परांठे बनाये हुए थे। गायत्री जल्दी से एक निवला तोड़कर खाती है गायत्री के खाते ही सामने खड़ी आरवी कहती है-" कैसा बना है दादी। "बहुत ही अच्छा बना है"- गायत्री खाते हुए कहती है। फिर आरवी किचन में चली जाती है। इतने में गायत्री को ध्यान आता है कि आलू के भरे परांठे तो निष्कर्ष को भी बहुत पसंद हैं। इसलिए वो निष्कर्ष को आवाज देते हुए कहती है-" निष्कर्ष.......। निष्कर्ष ड्राइंग रूम में ही बैठे गायत्री की आवाज सुनकर कहता है-"जी दादी......। "तुम्हे भूख लगी है ना तो आरवी ने आलू के भरे परांठे बनाये हैं। आज हमारे साथ ही खा लो"- गायत्री कहती है। गायत्री की बात सुनकर निष्कर्ष चिढ़ते हुए अपने मे ही कहता है-" ये लड़की दादी को आलू के भरे हुए परांठे कैंसे खिला सकती है। जबकि डॉक्टर ने कहा है कि दादी को ऐंसी चीजें ज्यादा नही खानी। इतना कहकर निष्कर्ष झटके से उठकर किचन में आ जाता है और आरवी को डांटते हुए कहता है-" तुम्हें पता है ना दादी को ये सब नही खाना चाहिए इससे उनकी तबियत बिगड़ सकती है। निष्कर्ष की बात सुनकर आरवी निष्कर्ष की ओर देखने लगती है। आरवी को ऐंसे खुद को देखते हुए निष्कर्ष को ओर गुस्सा आ जाता है और वो लगभग चिल्लाते हुए कहता है-"अब मुझे ऐंसे घूर क्या रही हो। ये सुनकर आरवी मासूम सा चेहरा बनाकर कहती है-" कल आपने मुझसे कहा था कि आप मुझे कभी डाँटोगे नही। आरवी की बात सुनकर निष्कर्ष अपने गुस्से पर कंट्रोल करते हुए शांत भाव से कहता है-" तो मैं तुम्हे डाँट कहना रहा हूँ। तुमसे पूछ रहा हूँ। कि तुमने दादी के लिये आलू के परांठे क्यों बनाये। तुम्हें पता है ना........ दादी के लिए ज्यादा ऑयली खाना ठीक नही है। "मुझे पता है। लेकिन दादी ने कहा कि उनका आलू के भरे परांठे खाने का मन है इसलिए मैंने उनके लिए बना दिये"-आरवी शांत भाव से कहती है। ये सुनकर निष्कर्ष को फिर से गुस्सा आ जाता है और वो आरवी पर चिल्लाते हुए कहता है-" तुम पागल हो दादी का मन था तो तुम बना दोगी क्या। निष्कर्ष की बात सुनकर आरवी फिर से निष्कर्ष को देखने लगती है। इस पर निष्कर्ष चिढ़ते हुए कहता है-"अब क्या हुआ। "वो आप फिर से मुझे डाँट रहे हो।-" आरवी फिर मासूम चेहरा बनाकर शांत भाव से कहती है तो निष्कर्ष अपने दोनों हाथों की मुठ्ठी बनाकर भींच देता है और अपने दांत पीसकर अपने गुस्से पे कंट्रोल कर शांत भाव से कहता है-" मैं तुम्हे डाँट नही रहा तुमसे कह रहा हूँ कि तुम्हे दादी के लिए आलू के भरे परांठे नही बनाने चाहिए थे। चाहे उनका मन ही क्यों न कर रहा हो । निष्कर्ष की बात सुनकर आरवी कहती है-" लेकिन मैंने डॉक्टर से पूछा था तो उन्होंने कहा कि जब उनका मन कर रह है तो उन्हें खिला दीजिए लेकिन ज्यादा नही। और डॉक्टर ने ऐंसा भी कहा कि उन्हें खाने की ज्यादा परहेज करने की जरूरत नही है। क्योंकि एक्सीडेंट की वजह से उनके पैर काम नही कर रहे हैं लेकिन बाकी बॉडी उनकी सही से काम कर रही है। जैंसे की उनका डाइजेशन सिस्टम । और ज्यादा ऑयली खाना उनके लिए उनकी उम्र की वजह से मना है क्योंकि इस उम्र में ज्यादा ऑयली खाना ठीक नही होता । आरवी की बात सुनकर निष्कर्ष बिना कुछ कहे ही गायत्री के सामने डाइंग टेबल पर आकर बैठ जाता है। गायत्री को खाना खाते देख निष्कर्ष को ओर भी तेज भूख लगने लगती है और वो अपने पेट पर हाथ रखकर अपने मे ही कहता है-" कब तक आएगा ये खाना लेकर। निष्कर्ष की बात सुनकर गायत्री कहती है-" तेज भूख लगी है तो ये आलू के भरे परांठे ही खा लो ना। "नही दादी मुझे नही खाने मुझे सिर्फ अपनी होटेल के बेस्ट सैफ के हाथों से बना खाना ही अच्छा लगता है। "-निष्कर्ष एक नजर किचन में खड़ी आरवी की ओर देखते हुए कहता है। जब कुछ देर तक डिलीवरी बॉय निष्कर्ष के लिए नाश्ता लेकर नही आता तो गायत्री फिर से कहती है-"निष्कर्ष एक परांठा खा लो। थोड़ा भूख शांत हो जाएगी। बाद में जब तुम्हारा खाना आ जाएगा तो वो खा लेना। गायत्री की बात सुनकर निष्कर्ष अपने दिमाग मे कुछ सोचते हुए कहता है-" अच्छा ठीक है। ये सुनकर गायत्री आरवी को आवाज देते हुए कहती है-"आरवी बेटा एक परांठा निष्कर्ष के लिए भी ला दो। गायत्री के इतना कहते ही निष्कर्ष जल्दी से कहता है-" मेरे लिये आधा ही परांठा लाना । कुछ देर बाद आरवी निष्कर्ष के लिए आधा परांठा लेकर आती है और उसे परोस कर वहां से चली जाती है। निष्कर्ष अपने सामने प्लेट पर रखे हुए परांठे को अजीब तरह से देखता है और फिर एक छोटा सा टुकड़ा तोड़ कर अजीब सा मुँह बनाकर उसे अपने मुँह के अंदर डाल देता है। जैंसे ही वो परांठे के टुकड़े को चभाता है उसकी आँखें फैल जाती है। और फिर  उसके बाद वो जल्दी जल्दी उस परांठे के पूरे टुकड़े को खत्म कर आरवी को आवाज देते हुए कहता है-" एक परांठा ओर लाना...... नही दो.......नही नही जितने बने हैं सारे ले आओ। निष्कर्ष की बात सुनकर आरवी हैरानी से अपने मे ही बड़बड़ाती है-" ये इन्सान अभी तो कह रहा था कि मुझे  सिर्फ आधा टुकड़ा ही दो। और अब जितने है सारे ले आओ। कहीं ये सारे परांठे फेंकने के लिए तो नही मंगवा रहा। आरवी अभी ये सब अपने मे कह ही रही थी कि निष्कर्ष फिर से आरवी को आवाज देते हुए कहता है-" जल्दी लाओ...... । इस आरवी जल्दी से जितने भी परांठे उसने बनाये थे उनको एक प्लेट में रखती है और बाहर आकर निष्कर्ष के सामने रख देती है। और वहां से किचन में चली जाती है। परांठे देखते ही निष्कर्ष पराठों पर टूट पड़ता है। निष्कर्ष को ऐंसे परांठे खाते देख गायत्री के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है। सारे परांठे खाने के बाद निष्कर्ष फिर से आरवी को आवाज देते हुए कहता है-" एक ओर परांठा लाना। इस पर आरवी निष्कर्ष को गुस्से में घूरते हुए उसके लिए एक ओर परांठा लेकर आती है और उसके सामने प्लेट पर रख कर वहां से चली जाती है। निष्कर्ष उस परांठे को भी खत्म कर फिर से आरवी को आवाज देते हुए कहता है-" एक ओर परांठा दे दो। ये सुनकर आरवी का गुस्सा सातवें आसमान में पहुंच जाता है और वो अपने मे ही बड़बड़ाती है। ये इंसान पागल तो नही हो गया। कितने परांठे खा रहा है। फिर आरवी एक ओर परांठा निष्कर्ष को देकर वापस किचन में आ जाती है। और परांठा बनाते हुए अपने मे ही कहती है-" अब तो ये राक्षस पांच परांठे खा गया है अब तो नही मांगेगा। वैंसे भी अब आलू का पेस्ट  खत्म हो गया है।  बस अब ये लास्ट के दो परांठे मेरे लिए हैं।  मेरा भी बहुत मन कर रहा था आलू के भरे परांठे खाने का। ये कहते हुए आरवी परांठा निकालकर एक प्लेट में तख देती है और दूसरा परांठा बनाने लगती है इतने में निष्कर्ष की फिर से आरवी को आवाज देते हुए कहता है-" एक ओर परांठा देना। ये सुनकर आरवी गुस्से में अपने दांत पीसते हुए कहती है-" ये इंसान कितना खा रहा है। क्या ये सच मे राक्षस बन गया है जो इटने परांठे खाये जा रहा है। इतने में निष्कर्ष फिर से आवाज देते हुए कहता है-" क्या कर रही हो.......जल्दी लाओ.....। ये सुनकर आरवी अपनी दोनों आँखें बंद कर अपने गुस्से को कंट्रोल कर प्लेट में रखे परांठे को रुहांसा सा मुँह बनाकर देखती है और फिर बाहर आकर निष्कर्ष के सामने रखकर चली जाती है। किचन में आकर आरवी जल्दी से लास्ट वाला परांठा बनाकर उसे एक प्लेट में रख कर उस प्लेट के ऊपर दूसरी प्लेट रख देती है। इतने में निष्कर्ष फिर आरवी को आवाज देते हुए कहता है-" एक ओर परांठा है क्या। ये सुनकर आरवी झट से कहती है-" नही ...... और अब आलू  का पेस्ट भी खत्म हो गया है। इतना कहकर आरवी अपने हाथ धोते हुए अपने मे ही बड़बड़ाती है-"एक ओर एक ओर करके छ: परांठे खा चुके हैं। शर्म भी नही आ रही ओर परांठे मांगने में हद है।  अब एक मेरे लिए है। इतने में निष्कर्ष किचन में आकर जिस प्लेट में परांठा रखा था उसके ऊपर रखी प्लेट को उठाते हुए कहता है-" ये क्या है। ये देख आरवी चिढ़ते हुए रुहांसा सा मुँह बनाकर अपनी आंखें बंद कर लेती है। निष्कर्ष परांठा उठाकर खाते हुए कहता है-" शर्म नही आती झूठ बोलने में । इतना कहकर निष्कर्ष बड़े चाव से उस परांठे को खाने लगता है जिसे आरवी रुहांसा मुँह बनाकर देखे जा रही थी। पूरा पराँठा खाने के बाद निष्कर्ष एक ड़कार लेते हुए कहता है-" ये आलू  के भरे हुए परांठे कैंसे बनाये थे तुमने  बिल्कुल भी अच्छे नही लगे मुझे। इतना कहकर निष्कर्ष वहां से जाने लगता है । लेकिन निष्कर्ष की इस बात पर आरवी गुस्से से हल्की सी बनावटी हंसी  हंसते हुए अपने मे ही कहती है-" सात परांठे खाने के बाद परांठे अच्छे नही लगे। मेरे हिस्से का पराँठा भी सफाचट कर गए । मन तो कर रहा है कि मार मार कर अभी सारे परांठे पेट से वापस निकाल दूं। राक्षस कहीं के। इतने में निष्कर्ष वापस किचन में आते हुए कहता है-" अभी थोड़ी देर में मेरा ऑर्डर किया हुआ खाना आ जायेगा तुम उसे खा लेना।..... और कल से मैं खाना घर पर ही खाऊंगा इसलिए कल से खाना मेरे लिए भी बनाना। इतना कहकर निष्कर्ष वहां से चला जाता है और आरवी निष्कर्ष को बस जाता हुआ देखती ही रह जाती है। दूसरी ओर निष्कर्ष अपने कमरे में जाते हुए अपने मे ही कहता है-" ये लड़की खाना कितना टेस्टी बनाती है। आज तो आलू के भरे परांठे खा कर मजा ही आ गया।                         ★★क्रमशः★★ धन्यवाद......।

  • 18. खूबसूरत दिल से - Chapter 18

    Words: 2555

    Estimated Reading Time: 16 min

    सुबह के सात बज चुके थे। नायरा नहा कर बाहर छत पर अपने धुले हुए कपड़े सुखाने के लिए फैला रही थी। इतने में विद्युत नायरा से बचते हुए दबे कदमों से नायरा के कमरे में घुस जाता है। कमरे में घुसते ही विद्युत नायरा के कमरे में उसका फोन ढूंढने लगता है। वो बेड पर तकिया के नीचे, टेबल पर हर जगह नायरा का फोन ढूंढ रहा था। लेकिन उसे नायरा का फोन कमरे में कहीं नही मिलता। तभी उसे  कमरे के बाहर नायरा के कदमो की आहट सुनाई पड़ती है। जिससे वो समझ जाता है कि नायरा कमरे के अंदर आने वाली है इसलिए वो झट से नायरा के बेड के नीचे छुप जाता है ताकि उसे नायरा न देख पाए। इतने में नायरा कमरे के अंदर आ जाती है। वो अपने हाथ मे पकड़ी हुई बाल्टी को बाथरूम में रखने जा ही रही थी कि तभी उसकी नजर अपने बेड पर पड़ती है। उसके बेड की बेडशीट खराब हुई थी। और तकिया भी टेडी रखी हुई थी। ये देख वो बेड की ओर देखते हुए अपने मन ही मन मे सोचती है-" अभी थोड़ी देर पहले तो मैंने अपना बिस्तर ठीक किया था फिर ये खराब कैंसे हो गया। कहीं मेरे कमरे में कोई आया तो नही था। ये सोचकर नायरा एक बार पूरे कमरे में अपनी नजरें दौड़ाती है तभी उसकी नजर बेड के नीचे एक कोने पर पड़ती हैं जहां विद्युत का पैर दिख रहा था। ये देख वो फिर से अपने मन ही मन मे कहती है-" ओह तो ये बात है इसे तो मैं अभी बताती हूँ। नायरा अपने हाथ मे पकड़ी बाल्टी नीचे रखते हुए अपने मे ही कहती है-" मेरे कमरे में आज कल बहुत सारे कॉकरोच हो गए हैं। समझ नही आ रहा मैं इनका क्या करूँ। इतना कहकर नायरा सामने अलमारी में रखे कॉकरोच मारने वाला स्प्रे उठाती है और अपने नाक बंद करके झुकते हुए बेड के नीचे स्प्रे करने लगती है। जैंसे ही नायरा बेड के नीचे कॉकरोच मारने वाला स्प्रे करती है। बेड के नीचे छुपे विद्युत को खांसी आ जाती है और वो जल्दी से बेड के नीचे से बाहर आते हुए कहता है-"पागल हो गई हो क्या। अगर इससे मैं मर गया तो। इस पर नायरा विद्युत को घूरते हुए कहती है-" तुम मेरे बेड के नीचे क्या कर रहे हो। और डरो मत इस स्प्रे से तुम जैंसे बत्तमीज और ढीट कॉकरोच नही मरते जो किसी के कमरे में ऐंसे ही बिना पूछे घुस जाते हैं। इससे बस छोटे छोटे कॉकरोच मरते हैं। "क्या कहा तुमने मुझे बत्तमीज ......... दूसरों को बोलने से पहले खुद को देख लेना चाहिए समझी खुद तो चालाकी से दूसरों के चेहरे को बिगाड़ कर उसकी फोटो लेकर उसे ब्लैकमेल करती हो। और मुझे बत्तमीज कह रही हो। "- विद्युत भी चिढ़ते हुए कहता है। विद्युत की बात सुनकर नायरा कहती है-" ओह तो तुम यहाँ मेरा फोन लेने आये थे। ताकि तुम अपनी फोटोज डिलीट कर सको। इतना कहकर नायरा अपने ट्राउजर के जेब से अपना फोन निकालकर विद्युत को दिखाते हुए आगे कहती है-" लेकिन मैं तो अपना फोन हमेशा अपने पास रखती हूं। नायरा के हाथ में फोन देखकर विद्युत झटके से नायरा के थोड़ा पास आकर उसके हाथ से फोन छीनने की कोशिश करता है लेकिन विद्युत के पास आते ही नायरा भी झट से अपने हाथ को पीछे कर देती है। विद्युत के नायरा के पास आने की वजह से विद्युत का चेहरा नायरा के चेहरे के ठीक सामने आ जाता है। क्योंकि विद्युत नायरा की ओर हल्का सा झुका हुआ था। दोनो के चेहरे एक दूसरे के इतने करीब थे कि दोनों को एक दूसरे की सांसें अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी। और एक पल के लिए दोनो एक दूसरे की आँखों में अपलक देखने लगते हैं। लेकिन फिर अलगे ही पल दोनो सम्भलते हुए एक दूसरे से दूर हट जाते हैं। कुछ देर तक दोनों एक दूसरे से कुछ नही कहते। लेकिन फिर विद्युत दोनो के बीच की चुप्पी तोड़ते हुए कहता है-" देखो मेरी वो फोटोज डिलीट कर दो। "नही करूँगी.."- विद्युत की बात खत्म होते ही नायरा झट से कहती है। तो विद्युत अपने दांत पीसकर नायरा को गुस्से में घूरते हुए कमरे से बाहर चला जाता है। विद्युत के जाते ही नायरा अजीब सा मुँह बनाकर अपने मे ही कहती है-" बड़ा आया.......। इधर आरवी किचन में नाश्ता बना रही थी। और गायत्री बाहर ड्राइंग रूम में बैठी थी। उसके बगल में ही निष्कर्ष बैठा था। जिसे देखकर गायत्री कहती है-" क्या हुआ निष्कर्ष आज तुम होटेल के लिए तैयार नही हो रहे। आठ बजने वाले हैं। "नही दादी आज मैं होटेल नही जा रहा। आज मैं घर पर ही रहूंगा। "- निष्कर्ष गायत्री की बात का जवाब देते हुए कहता है। तभी गायत्री नोटिस करती है कि निष्कर्ष की नजर बार बार मेन डोर की तरफ जा रही है जैंसे कि वो किसी के आने के वेट कर रहा हो। ये देख गायत्री निष्कर्ष से पूछती है-" क्या हुआ निष्कर्ष तुम बार बार दरवाजे की ओर क्यों देख रहे हो। कोई आने वाला है क्या। इस पर निष्कर्ष कहता है-" हां दादी...... मैंने होटेल से नाश्ता ऑर्डर किया था लेकिन अब तक आया नही। ओर दिन तो बीस मिनट में ही आ जाता है। मुझे बहुत तेज भूख लगी है। इससे पहले की गायत्री निष्कर्ष की बात का कोई जवाब देती आरवी वहां आते हुए कहती है-" दादी चलिए नाश्ता कर लीजिए। इतना कहकर आरवी गायत्री की व्हील चेयर डाइनिंग टेबल के पास लेकर चली जाती है। और गायत्री के लिए नाश्ता परोस देती है। नाश्ता देख गायत्री के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ जाती है क्योंकि आरवी ने आज आलू के भरे हुए परांठे बनाये हुए थे। गायत्री जल्दी से एक निवला तोड़कर खाती है गायत्री के खाते ही सामने खड़ी आरवी कहती है-" कैसा बना है दादी। "बहुत ही अच्छा बना है"- गायत्री खाते हुए कहती है। फिर आरवी किचन में चली जाती है। इतने में गायत्री को ध्यान आता है कि आलू के भरे परांठे तो निष्कर्ष को भी बहुत पसंद हैं। इसलिए वो निष्कर्ष को आवाज देते हुए कहती है-" निष्कर्ष.......। निष्कर्ष ड्राइंग रूम में ही बैठे गायत्री की आवाज सुनकर कहता है-"जी दादी......। "तुम्हे भूख लगी है ना तो आरवी ने आलू के भरे परांठे बनाये हैं। आज हमारे साथ ही खा लो"- गायत्री कहती है। गायत्री की बात सुनकर निष्कर्ष चिढ़ते हुए अपने मे ही कहता है-" ये लड़की दादी को आलू के भरे हुए परांठे कैंसे खिला सकती है। जबकि डॉक्टर ने कहा है कि दादी को ऐंसी चीजें ज्यादा नही खानी। इतना कहकर निष्कर्ष झटके से उठकर किचन में आ जाता है और आरवी को डांटते हुए कहता है-" तुम्हें पता है ना दादी को ये सब नही खाना चाहिए इससे उनकी तबियत बिगड़ सकती है। निष्कर्ष की बात सुनकर आरवी निष्कर्ष की ओर देखने लगती है। आरवी को ऐंसे खुद को देखते हुए निष्कर्ष को ओर गुस्सा आ जाता है और वो लगभग चिल्लाते हुए कहता है-"अब मुझे ऐंसे घूर क्या रही हो। ये सुनकर आरवी मासूम सा चेहरा बनाकर कहती है-" कल आपने मुझसे कहा था कि आप मुझे कभी डाँटोगे नही। आरवी की बात सुनकर निष्कर्ष अपने गुस्से पर कंट्रोल करते हुए शांत भाव से कहता है-" तो मैं तुम्हे डाँट कहना रहा हूँ। तुमसे पूछ रहा हूँ। कि तुमने दादी के लिये आलू के परांठे क्यों बनाये। तुम्हें पता है ना........ दादी के लिए ज्यादा ऑयली खाना ठीक नही है। "मुझे पता है। लेकिन दादी ने कहा कि उनका आलू के भरे परांठे खाने का मन है इसलिए मैंने उनके लिए बना दिये"-आरवी शांत भाव से कहती है। ये सुनकर निष्कर्ष को फिर से गुस्सा आ जाता है और वो आरवी पर चिल्लाते हुए कहता है-" तुम पागल हो दादी का मन था तो तुम बना दोगी क्या। निष्कर्ष की बात सुनकर आरवी फिर से निष्कर्ष को देखने लगती है। इस पर निष्कर्ष चिढ़ते हुए कहता है-"अब क्या हुआ। "वो आप फिर से मुझे डाँट रहे हो।-" आरवी फिर मासूम चेहरा बनाकर शांत भाव से कहती है तो निष्कर्ष अपने दोनों हाथों की मुठ्ठी बनाकर भींच देता है और अपने दांत पीसकर अपने गुस्से पे कंट्रोल कर शांत भाव से कहता है-" मैं तुम्हे डाँट नही रहा तुमसे कह रहा हूँ कि तुम्हे दादी के लिए आलू के भरे परांठे नही बनाने चाहिए थे। चाहे उनका मन ही क्यों न कर रहा हो । निष्कर्ष की बात सुनकर आरवी कहती है-" लेकिन मैंने डॉक्टर से पूछा था तो उन्होंने कहा कि जब उनका मन कर रह है तो उन्हें खिला दीजिए लेकिन ज्यादा नही। और डॉक्टर ने ऐंसा भी कहा कि उन्हें खाने की ज्यादा परहेज करने की जरूरत नही है। क्योंकि एक्सीडेंट की वजह से उनके पैर काम नही कर रहे हैं लेकिन बाकी बॉडी उनकी सही से काम कर रही है। जैंसे की उनका डाइजेशन सिस्टम । और ज्यादा ऑयली खाना उनके लिए उनकी उम्र की वजह से मना है क्योंकि इस उम्र में ज्यादा ऑयली खाना ठीक नही होता । आरवी की बात सुनकर निष्कर्ष बिना कुछ कहे ही गायत्री के सामने डाइंग टेबल पर आकर बैठ जाता है। गायत्री को खाना खाते देख निष्कर्ष को ओर भी तेज भूख लगने लगती है और वो अपने पेट पर हाथ रखकर अपने मे ही कहता है-" कब तक आएगा ये खाना लेकर। निष्कर्ष की बात सुनकर गायत्री कहती है-" तेज भूख लगी है तो ये आलू के भरे परांठे ही खा लो ना। "नही दादी मुझे नही खाने मुझे सिर्फ अपनी होटेल के बेस्ट सैफ के हाथों से बना खाना ही अच्छा लगता है। "-निष्कर्ष एक नजर किचन में खड़ी आरवी की ओर देखते हुए कहता है। जब कुछ देर तक डिलीवरी बॉय निष्कर्ष के लिए नाश्ता लेकर नही आता तो गायत्री फिर से कहती है-"निष्कर्ष एक परांठा खा लो। थोड़ा भूख शांत हो जाएगी। बाद में जब तुम्हारा खाना आ जाएगा तो वो खा लेना। गायत्री की बात सुनकर निष्कर्ष अपने दिमाग मे कुछ सोचते हुए कहता है-" अच्छा ठीक है। ये सुनकर गायत्री आरवी को आवाज देते हुए कहती है-"आरवी बेटा एक परांठा निष्कर्ष के लिए भी ला दो। गायत्री के इतना कहते ही निष्कर्ष जल्दी से कहता है-" मेरे लिये आधा ही परांठा लाना । कुछ देर बाद आरवी निष्कर्ष के लिए आधा परांठा लेकर आती है और उसे परोस कर वहां से चली जाती है। निष्कर्ष अपने सामने प्लेट पर रखे हुए परांठे को अजीब तरह से देखता है और फिर एक छोटा सा टुकड़ा तोड़ कर अजीब सा मुँह बनाकर उसे अपने मुँह के अंदर डाल देता है। जैंसे ही वो परांठे के टुकड़े को चभाता है उसकी आँखें फैल जाती है। और फिर  उसके बाद वो जल्दी जल्दी उस परांठे के पूरे टुकड़े को खत्म कर आरवी को आवाज देते हुए कहता है-" एक परांठा ओर लाना...... नही दो.......नही नही जितने बने हैं सारे ले आओ। निष्कर्ष की बात सुनकर आरवी हैरानी से अपने मे ही बड़बड़ाती है-" ये इन्सान अभी तो कह रहा था कि मुझे  सिर्फ आधा टुकड़ा ही दो। और अब जितने है सारे ले आओ। कहीं ये सारे परांठे फेंकने के लिए तो नही मंगवा रहा। आरवी अभी ये सब अपने मे कह ही रही थी कि निष्कर्ष फिर से आरवी को आवाज देते हुए कहता है-" जल्दी लाओ...... । इस आरवी जल्दी से जितने भी परांठे उसने बनाये थे उनको एक प्लेट में रखती है और बाहर आकर निष्कर्ष के सामने रख देती है। और वहां से किचन में चली जाती है। परांठे देखते ही निष्कर्ष पराठों पर टूट पड़ता है। निष्कर्ष को ऐंसे परांठे खाते देख गायत्री के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है। सारे परांठे खाने के बाद निष्कर्ष फिर से आरवी को आवाज देते हुए कहता है-" एक ओर परांठा लाना। इस पर आरवी निष्कर्ष को गुस्से में घूरते हुए उसके लिए एक ओर परांठा लेकर आती है और उसके सामने प्लेट पर रख कर वहां से चली जाती है। निष्कर्ष उस परांठे को भी खत्म कर फिर से आरवी को आवाज देते हुए कहता है-" एक ओर परांठा दे दो। ये सुनकर आरवी का गुस्सा सातवें आसमान में पहुंच जाता है और वो अपने मे ही बड़बड़ाती है। ये इंसान पागल तो नही हो गया। कितने परांठे खा रहा है। फिर आरवी एक ओर परांठा निष्कर्ष को देकर वापस किचन में आ जाती है। और परांठा बनाते हुए अपने मे ही कहती है-" अब तो ये राक्षस पांच परांठे खा गया है अब तो नही मांगेगा। वैंसे भी अब आलू का पेस्ट  खत्म हो गया है।  बस अब ये लास्ट के दो परांठे मेरे लिए हैं।  मेरा भी बहुत मन कर रहा था आलू के भरे परांठे खाने का। ये कहते हुए आरवी परांठा निकालकर एक प्लेट में तख देती है और दूसरा परांठा बनाने लगती है इतने में निष्कर्ष की फिर से आरवी को आवाज देते हुए कहता है-" एक ओर परांठा देना। ये सुनकर आरवी गुस्से में अपने दांत पीसते हुए कहती है-" ये इंसान कितना खा रहा है। क्या ये सच मे राक्षस बन गया है जो इटने परांठे खाये जा रहा है। इतने में निष्कर्ष फिर से आवाज देते हुए कहता है-" क्या कर रही हो.......जल्दी लाओ.....। ये सुनकर आरवी अपनी दोनों आँखें बंद कर अपने गुस्से को कंट्रोल कर प्लेट में रखे परांठे को रुहांसा सा मुँह बनाकर देखती है और फिर बाहर आकर निष्कर्ष के सामने रखकर चली जाती है। किचन में आकर आरवी जल्दी से लास्ट वाला परांठा बनाकर उसे एक प्लेट में रख कर उस प्लेट के ऊपर दूसरी प्लेट रख देती है। इतने में निष्कर्ष फिर आरवी को आवाज देते हुए कहता है-" एक ओर परांठा है क्या। ये सुनकर आरवी झट से कहती है-" नही ...... और अब आलू  का पेस्ट भी खत्म हो गया है। इतना कहकर आरवी अपने हाथ धोते हुए अपने मे ही बड़बड़ाती है-"एक ओर एक ओर करके छ: परांठे खा चुके हैं। शर्म भी नही आ रही ओर परांठे मांगने में हद है।  अब एक मेरे लिए है। इतने में निष्कर्ष किचन में आकर जिस प्लेट में परांठा रखा था उसके ऊपर रखी प्लेट को उठाते हुए कहता है-" ये क्या है। ये देख आरवी चिढ़ते हुए रुहांसा सा मुँह बनाकर अपनी आंखें बंद कर लेती है। निष्कर्ष परांठा उठाकर खाते हुए कहता है-" शर्म नही आती झूठ बोलने में । इतना कहकर निष्कर्ष बड़े चाव से उस परांठे को खाने लगता है जिसे आरवी रुहांसा मुँह बनाकर देखे जा रही थी। पूरा पराँठा खाने के बाद निष्कर्ष एक ड़कार लेते हुए कहता है-" ये आलू  के भरे हुए परांठे कैंसे बनाये थे तुमने  बिल्कुल भी अच्छे नही लगे मुझे। इतना कहकर निष्कर्ष वहां से जाने लगता है । लेकिन निष्कर्ष की इस बात पर आरवी गुस्से से हल्की सी बनावटी हंसी  हंसते हुए अपने मे ही कहती है-" सात परांठे खाने के बाद परांठे अच्छे नही लगे। मेरे हिस्से का पराँठा भी सफाचट कर गए । मन तो कर रहा है कि मार मार कर अभी सारे परांठे पेट से वापस निकाल दूं। राक्षस कहीं के। इतने में निष्कर्ष वापस किचन में आते हुए कहता है-" अभी थोड़ी देर में मेरा ऑर्डर किया हुआ खाना आ जायेगा तुम उसे खा लेना।..... और कल से मैं खाना घर पर ही खाऊंगा इसलिए कल से खाना मेरे लिए भी बनाना। इतना कहकर निष्कर्ष वहां से चला जाता है और आरवी निष्कर्ष को बस जाता हुआ देखती ही रह जाती है। दूसरी ओर निष्कर्ष अपने कमरे में जाते हुए अपने मे ही कहता है-" ये लड़की खाना कितना टेस्टी बनाती है। आज तो आलू के भरे परांठे खा कर मजा ही आ गया।                         ★★क्रमशः★★ धन्यवाद......।

  • 19. खूबसूरत दिल से - Chapter 19

    Words: 2911

    Estimated Reading Time: 18 min

    विद्युत नायरा के पास जाता है। नायरा अभी भी टेबल पर अपना सर रखये सो रही थी। उसके पास जाते ही जैंसे ही विद्युत की नजर आराम से सो रही नायरा पर पड़ती है। उसके चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ जाती है। क्योंकि सोये हुए में नायरा बहुत प्यारी और मासूम लग रही थी। विद्युत नायरा के चेहरे की ओर देखते हुए अपने आप मे ही कहता है-"कितनी क्यूट और मासूम लग रही है सोते हुए। इस समय देखकर तो लग ही नही रहा कि इस लड़की ने मेरे नाक में दम कर रखा है।........... चलो इसे सोने ही देता हूँ। इतना कहकर विद्युत वापस मुड़कर वहां से जाने लगता है। जैंसे ही विद्युत कुछ कदम चलता है वो अपने दिमाग मे कुछ सोचते हुए अचानक ठिठक कर रुक जाता है। और फिर अजीब सा चेहरा बनाकर अपने मे ही कहता है-"ये मुझे क्या हो गया है मैं इस चुड़ैल को क्यूट और मासूम कैंसे कह सकता हूँ। इतना कहकर विद्युत वापस नायरा के पास आता है और फिर नायरा को देखते हुए कहता है-" तुम क्यूट नही बल्कि चुड़ैल हो चुड़ैल समझी। ये कहकर जैंसे ही विद्युत वापस जाने के लिए मुड़ता है वो एक बार फिर से अचानक रुक जाता है। और  पलटकर नायरा के चेहरे को देखते हुए शातिर मुस्कान के साथ अपने मन ही मन मे कहता है-" इस लड़की ने सोये हुए मैं मेरे चेहरे को बिगाड़ दिया था और फिर मेरी फ़ोटो ले ली। क्यों न मैं भी इसके साथ यही करूँ और उसके बाद मैं इसे ब्लैकमेल करके अपनी फोटो इसके फोन से डिलीट करवा सकता हूँ। ये सोचकर विद्युत जल्दी से एक रेड पेन लाता है। और नायरा की ओर झुकते हुए अपने चेहरे पर जैंसे ही पेन चलाने वाला होता है। नायरा झटके से उसका हाथ पकड़ लेती है। लेकिन नायरा की आँखें अभी भी बन्द थी। नायरा की इस हरकत से विद्युत हैरान रह जाता है। क्योंकि उसे बिल्कुल भी अंदाजा नही था कि नायरा सोई हुई नही है। विद्युत नायरा की पकड़ से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करता है लेकिन छुड़वा नही पाता है। इतने में नायरा विद्युत के हाथ को झटके के साथ अपनी ओर खींचती है। जिस  वजह से विद्युत का चेहरा नायरा के चेहरे के ठीक सामने आ जाता है। विद्युत एक पल के लिए नायरा के चेहरे को अपलक देखने लगता है। नायरा की आँखें अभी भी बन्द थी। कुछ देर बाद जब नायरा अचानक से अपनी आंखें खोलती है । तो विद्युत झेंप जाता है और सकपकाते हुए अपनी नजरें नायरा के चेहरे से हटा देता है। नायरा विद्युत को घूरते हुए कहती है-"तुम्हारी हिम्मत कैंसे हुई मेरे साथ ये सब करने की। इस पर विद्युत हकलाते हुए कहता है-"वो..... वो इससे आगे विद्युत कुछ कहता नायरा चिल्लाते हुए कहती है-" शायद तुम भूल गए कि मैं तुम्हारे साथ क्या कर सकती हूं। इतना कहकर नायरा झटके से विद्युत का हाथ छोड़ती है और फिर अपनी जीन्स के जेब से अपना फोन निकालकर उसे ओपन करने लगती है। ये देख विद्युत समझ जाता है कि नायरा क्या करने वाली है इस लिए वो झट से कहता है-" सॉरी..... प्लीज् मुझे माफ़ कर दो। प्लीज् मेरी वो फोटोज इंस्टाग्राम में शेयर मत करना प्लीज्। विद्युत की बात सुनकर नायरा एक नजर विद्युत को घूर कर देखती है और फिर अपनी जगह से खड़े होकर विद्युत के चारों ओर घूमते हुए कहती है-" मैं तुम्हे एक शर्त पर माफ करूँगी।....... अगर तुम घुटनों के बल बैठकर मुझसे माफी मांगोगे तो । ये सुनकर विद्युत हैरानी से कहता है-"क्या...... मैं ऐंसा कुछ नही........। अभी विद्युत ने इतना ही कहा था कि नायरा उसके सामने अपने हाथ मे पकड़े फोन को ले आती है । नायरा के हाथ मे पकड़े फोन को देखकर विद्युत झट से अपनी बात बदलते हुए हल्की से फेक स्माइल के साथ आगे कहता है-"मैं ऐंसा कुछ क्यों नही करूँगा। मैं करूँगा। मैं तुमसे घुटनों के बल बैठकर माफी मागूँगा। इतना कहकर विद्युत झट से घुटनों के बल नीचे बैठ जाता है और नायरा से कहता है-" मुझे माफ़ कर दो। इस पर नायरा कहती है-" प्लीज् कौन कहेगा। "प्लीज् मुझे माफ़ कर दो"- विद्युत न चाहते हुए भी अपने दांत पीसते हुए कहता है। "जाओ माफ किया लेकिन आगे से ऐंसा कुछ किया ना तो मुझसे बुरा कोई नही होगा"-नायरा विद्युत को घूर कर कहती है। इतने में स्टोर का दरवाजा खुलता है और अमन अंदर आता है। अंदर आते ही अमन की नजर नायरा के सामने घुटनो के बल बैठे विद्युत पर पड़ती है। विद्युत को ऐंसे नायरा के सामने नीचे फर्श पर घुटनो के बल बैठा देखकर अमन विद्युत को अजीब तरह से घूरते हुए कहता है-" भाई तू ऐंसे फर्श पर घुटनो के बल क्यों बैठा हुआ है । वो भी इस लड़की के सामने। अमन की बात सुनकर विद्युत झट से खड़े होते हुए कहता है-"वो मेरे जेब से दस रुपये का सिक्का गिर गया था बस उसे ही ढूंढ रहा था। भला मैं इस लड़की के सामने घुटनो के बल क्यों बैठूंगा। इतना कहकर विद्युत एक नजर नायरा को देखता है। और उसे इशारों ही इशारों में अमन को कुछ न बताने को कहता है। जिस पर नायरा अजीब सा मुँह बनाकर उसे इशारों ही इशारों में काउंटर पर जाने को कहती है। फिर विद्युत अमन से कहता है-" अमन तू यहां बैठ मैं अभी बिजी हूँ वो क्या है ना कि काउंटर पर कस्टमर आ रहे हैं। इतना कहकर विद्युत काउंटर पर चला जाता है और अमन उसकी इस हरकत को देखकर हैरान रह जाता है। क्योंकि इससे पहले तो विद्युत कभी इस  काम को लेकर इतना सीरियस नही था की अपने दोस्त को छोड़कर चला जाये। फिर अमन एक नजर अपने सामने खड़ी नायरा को देखता है और फिर विद्युत के पीछे पीछे काउंटर पर चला जाता है। विद्युत के पास जाकर अमन कहता है-" भाई ये सब काम तू क्यों कर रहा है। और वो लड़की देख वहां आराम से बैठी हुई है। उससे करने को कह ना। "अरे तेरे आने से पहले वही कर रही थी। बेचारी बहुत थक गई है। इसलिए मुझे उस पर दया आ गई। तो मैंने सोचा थोड़ी देर मैं ही काउंटर सम्भाल लेता हूँ। वो तब तक आराम कर लेगी।"-विद्युत कहता है तो अमन विद्युत को शक की नजरों से देखते हुए कहता है-" बड़ी दया आ रही है तुझे उस पर। इस पर विद्युत बात बदलते हुए अमन से कहता है-" तू जा ना वहाँ चेयर पर बैठ जा। मैं थोड़ी देर में आता हूँ। विद्युत की बात सुनकर अमन कहता है-" जा रहा हूँ। इतना कहकर अमन सामने फ्रीज़ से एक कोल्ड्रिंक की बोटल निकालता है और कोल्ड्रिंक पीते पीते नायरा के पास आ जाता है। अमन कोल्ड्रिंक की शिप पीते हुए नायरा के सामने वाली चेयर पर बैठने ही वाला था कि नायरा कहती है-" ये कोल्ड्रिंक पच्चीस रुपये की है। नायरा की ये बात सुनकर अमन को अचानक से खांसी आ जाती है। और उसके मुंह से कोल्ड्रिंक बहार आते आते रह जाती है। फिर वो अपने मुंह के अंदर की कोल्ड्रिंक को जल्दी से अपने गले से नीचे उतारते हुए कहता है-" क्या। "ये कोल्ड्रिंक पच्चीस रुपये की है। वो क्या है ना कि स्टोर में रखा हुआ सामान अगर मैं या विद्युत भी खाते हैं तो उसका हिसाब भी हमे घर जाकर अंकल जी को बताना पड़ता है। इसलिए कह रही हूं। कि जाते समय पच्चीस रुपये दे देना कोल्ड्रिंक के। घर मे जाकर अंकल जी को भी तो बताना है । और वैंसे भी अंकल जी ने साफ साफ कहा है कि अगर विद्युत का कोई भी दोस्त स्टोर में आकर कुछ खाये या पिये तो उससे पैंसे जरूर लेना क्योंकि उसके दोस्त स्टोर में फ्री खाने के लिए ही आते हैं।-" नायरा बिना किसी भाव से कहती है। तो अमन कोल्ड्रिंक की बोटल को अजीब तरह से देखने लगता है। नायरा की बातें सुनने के बाद उसका उस कोल्ड्रिंक को पीने का बिल्कुल भी मन नही हो रहा था। अमन को ऐंसे कोल्ड्रिंक की बोटल को अजीब नजरों से देखते देख नायरा कहती है-" अब पी लो इसे तुमने झूठी कर दी है। दूसरी ओर आरवी किचन में खड़ी दुविधा में थी कि वो निष्चय के लिए कॉफी बनाये या ना बनाये। क्योंकि निष्कर्ष ने निष्चय के लिए कॉफी बनाने को मना कर दिया था। थोड़ी देर सोचने के बाद आरवी अपने मे ही कहती है-" यार ये राक्षस कितना बत्तमीज इंसान है। बेचारे निष्चय ने कॉफी बनाने को कहा लेकिन इस  राक्षस ने मुझे उसके लिए कॉफी बनाने को मना कर दिया। अब मैं क्या करूँ। ........ ऐंसा करती हूं बना देती हूं। कौन सा वो रोज रोज आता है। ........ लेकिन पहले मैं इस राक्षस को देखती हूँ कहीं वो बाहर ड्राइंग रूम में ही तो नही बैठा है। इतना कहकर आरवी जल्दी से बाहर आती है तो देखती है कि वहां सिर्फ दादी और निष्चय ही बैठे हुए हैं। ये देख आरवी कहती है-" ये राक्षस अभी यहां पर नही हैं। ऐंसा करती हूं जल्दी से कॉफी बना कर निष्चय को दे देती हूं। ये कहकर आरवी जल्दी से किचन में आती है और जल्दी से निष्चय के लिए कॉफी बना देती है। कॉफी बनाने के बाद आरवी बाहर आते हुए अपने मे ही कहती है-" अब बस निष्चय इस कॉफी को जल्दी से पी ले। इससे पहले की वो राक्षस देखे। कुछ देर बाद आरवी निष्चय के सामने आकर निष्चय को कॉफी देते हुए हुए हल्का सा मुस्करा कर कहती है-" लो आपकी कॉफी। बदले में निष्चय भी हल्का सा मुस्कराते हुए आरवी के हाथ से कॉफी का कप पकड़ते हुए कहता है-" थैंक यू। और फिर कॉफी के कप को सामने टेबल पर रख देता है। ये देख आरवी कहती है-" जल्दी पी लीजिये ना ये कॉफी वरना ठंडी हो जाएगी। "मैं कॉफी गर्म नही पी सकता। मुझे थोड़ा ठंडी कॉफी पीना ही पसन्द है"- निष्चय कहता है। तो आरवी के चेहरे पर परेशानी के भाव आ जाते हैं और वो निष्कर्ष के कमरे की ओर देखते हुए मन ही मन मे कहती है-" अब मैं क्या करूँ कहीं वो राक्षस न देख ले कि मैंने उसके मना करने के बाद भी निष्चय के लिए कॉफी बनाई है। तो फिर मेरी तो खैर नही।....... मुझे कुछ करना होगा। ये सोचते हुए अचानक से आरवी अपने हाथ से अपने चेहरे पर हवा करते हुए कहती है-" कितनी गर्मी है ना। मैं पंखा चला देती हूं। इतना कहकर आरवी जैंसे ही सामने पंखे के स्विच को ऑन करने वाली होती है निष्चय कहता है-" नही तो गर्मी कहाँ लग रही है। फिर निष्चय गायत्री की ओर देखते हुए कहता है-" दादी आपको लग रही है गर्मी। "नही......"-गायत्री निष्चय की बात का जवाब देते हुए कहती है तो आरवी निष्चय ओर गायत्री को देखकर हल्का सा जबरदस्ती का मुस्कराते हुए कहती है-" नही लग रही। तो फिर मैं पंखा रहने देती हूं। इतना कहकर आरवी परेशान सी निष्चय के बगल में आकर बैठ जाती है। इतने में उसकी नजर सामने न्यूज़ पेपर पर पड़ती है और वो न्यूज़ पेपर उठाकर खुद पर हवा करते हुए गायत्री और निष्चय से कहती है-"वो शायद में किचन में काम कर रही थी ना इसलिए मुझे गर्मी लग रही है। उसकी बातें सुनकर गायत्री और निष्चय मुस्करा जाते हैं। और फिर आपस मे बातें करने लगते हैं। जैंसे ही आरवी देखती है कि निष्चय और गायत्री आपस मे बातें करने लगे हैं आरवी झट से कॉफी के कप के ऊपर हवा करने लगती है। कुछ देर बाद जैंसे ही निष्चय आरवी की ओर देखता है तो फिर आरवी झट से न्यूज़ पेपर को अपने ओर कर देती है। और फिर जैंसे ही निष्चय वापस गायत्री को ओर मुड़ता है तो आरवी फिर से कॉफी के कप की ओर हवा करने लगती है। और बीच बीच मे उसकी आँखें निष्कर्ष के कमरे के दरवाजे की ओर भी देख रही थीं। निष्चय आरवी की ये हरकतें देख रहा था लेकिन वो आरवी को पता नही लगने दे रहा था । कि वो आरवी की ये हरकतें नोटिस कर रहा है। आरवी की ये बचकानी हरकतें देखकर निष्चय मन ही मन मुस्करा रहा था। कुछ देर बाद आरवी कहती है-" मुझे लगता है कि कॉफी अब ठंडी हो गई है इसलिए अब आपको ये कॉफी पी लेनी चाहिए। आरवी को बात सुनकर निष्चय हल्का सा मुस्कराते हुए कॉफी का कप पकड़कर एक शिप पीते हुए कहता है-" थैंक यू कॉफी ठंडी करने के लिए। ये सुनकर आरवी झेंप जाती है। और खड़े होते हुए कहती है-" मैं अभी आई। इतना कहकर आरवी वहां से चली जाती है। आरवी के जाते ही निष्चय गायत्री से कहता है-" दादी ये लड़की मुझे अलग ही लग रही है। क्योंकि निष्कर्ष भैय्या के मना करने के बाद भी इसने मेरे लिए कॉफी बना दी। बाकी की केयर टेकर तो निष्कर्ष भैय्या के कहने पर कॉफी तो दूर मुझे घर के अंदर भी नही घुसने देती थीं। इस पर गायत्री कहती है-" हाँ आरवी बाकी केयर टेकर से तो अलग है। और प्यारी भी।  तुझे नही पता उसने निष्कर्ष के साथ क्या क्या किया। "क्या किया"- निष्चय हैरानी से भरे भाव से पूछता है तो गायत्री उसे बताती है कि आरवी ने नशे की हालत में निष्कर्ष के सर पर चोट लगाई, फिर उसके बाल नोचे और जब ये सब निष्कर्ष को पता चला तो उल्टा उसे ही खरी खोटी सुना दी। ये सब सुनकर निष्चय हैरान रह जाता है। उसे तो यकीन नही हो रहा था कि कोई निष्कर्ष के साथ ये सब भी कर सकता था। लेकिन आरवी की बातें सुनकर अब उसे आरवी में इंटरेस्ट आने लगा था। कुछ देर में आरवी वापस आ जाती है। वो देखती है कि निष्चय ने कॉफी पी ली है ये देख वो झट से कॉफी का खाली कप उठाती है और उसे किचन में रख कर वापस आ जाती है। जिसे देख निष्चय फिर से मुस्करा जाता है। थोड़ी देर तक बातें करने के बाद निष्चय अपनी जगह से उठते हुए कहता है-" अच्छा दादी तो अब मैं चलता हूँ। इतने में निष्कर्ष भी वहां पर आ जाता है। तभी गायत्री कहती है-" अरे थोड़ी देर ओर बैठ जाओ। अब दिन का खाना खाने के बाद ही जाना। ये सुनकर निष्चय एक नजर निष्कर्ष के गुस्से से भरे हुए चेहरे को देखता है और फिर वापस अपनी जगह पर बैठते हुए कहता है-" हाँ आपने सही कहा। अब मैं खाना खा ही जाऊंगा। वैंसे भी मुझे बहुत तेज भूख लगी है। निष्चय की बात सुनकर आरवी झट से कहती है-" ओके तो फिर मैं जल्दी से खाना बनाने की तैयारी करती हूं। आरवी की बात सुनकर निष्कर्ष का गुस्सा सातवें आसमान में पहुंच जाता है और वो आरवी को गुस्से में घूरने लगता है। जिसे देख आरवी को भी ध्यान आता है कि उसे ये सब नही कहना चाहिए था। इतने में गायत्री आरवी से कहती है-"आरवी आज तुम निष्चय का मनपसन्द राजमा चांवल बना दो। निष्चय को राजमा चावल बहुत पसंद हैं। गायत्री की बात सुनकर आरवी निष्कर्ष को तिरझी नजरों से देखते हुए शांत भाव से कहती है-" जी दादी। और फिर निष्कर्ष की ओर मुड़ते हुए कहती है-" आपके लिए भी.....। निष्कर्ष गुस्से में आरवी की बात काटते  हुए कहता है-"मेरे लिए मत बनाना खाना। क्योंकि मुझे राजमा चांवल बिल्कुल नही पसन्द। इतना कहकर निष्कर्ष अपने कमरे में चला जाता है। कुछ देर बाद आरवी खाना बना देती है। खाना खाने के बाद निष्चय गायत्री और आरवी आपस मे बातें करने लगते हैं। जिन्हें कुछ दूर बैठा निष्कर्ष खा जाने वाली नजरों से घूर रहा था। लेकिन गायत्री के कारण वो कुछ कर नही पा रहा था। थोड़ी देर बाद निष्चय गायत्री से कहता है-" दादी अब मैं चलता हूँ। इस पर गायत्री कहती है-" अच्छा ठीक है। और आते रहना। गायत्री की बात सुनकर निष्चय मुस्करा कर गायत्री को गले से लगाते हुए कहता है-" जरूर दादी। गायत्री से गले मिलने के बाद निष्चय आरवी के पास आता है और अचानक से उसे भी गले लगा देता है। निष्चय की इस हरकत पर आरवी हैरान होकर बुत की तरह खड़ी की खड़ी रह जाती है। उसे समझ नही आ रहा था कि वो इस पर क्या रिएक्शन दे। उसे निष्चय से ऐंसी उम्मीद नही थी कि निष्चय ऐंसा कुछ कर सकता है। दूसरी ओर निष्चय का ऐंसे आरवी के गले लगने से निष्कर्ष गुस्से में झटके से अपनी जगह से खड़ा हो जाता है। और अपने दाँत पीसते हुए अपने हाथों की मुठ्ठियाँ बनाकर भींच देता है। निष्कर्ष निष्चय को गुस्से में घूरते हुए मन ही मन मे कहता है-" इसकी हिम्मत  कैंसे हुई इस लड़की को गले लगने की। ओर ये लड़की भी ऐंसे बुत की तरह खड़ी है। ऐंसा नही की एक जोर का धक्का देकर उसे अपने से दूर करूँ। कुछ देर बाद निष्चय आरवी से दूर हटते हुए मुस्कराकर कहता है-" तुम बहुत अच्छी हो। तुमसे मिलकर अच्छा लगा। और हाँ तुमने खाना बहुत अच्छा बनाया था। इतना कहकर निष्चय आरवी के कान के पास जाकर धीरे से कहता है-" और कॉफी भी। और फिर बाय बोलकर वहां से चला जाता है। आरवी अभी भी बुत की तरह अपनी जगह पर खड़ी थी। वो ये सोचकर हैरान थी कि कोई लड़का पहली मुलाकात में ही इतना फ्रेंक कैंसे हो सकता है की किसी लड़की को गले ही लगा दे। निष्चय की हरकत पर गायत्री भी थोड़ी हैरान थी। उसे भी नही लगा था कि निष्चय ऐंसा कुछ करेगा। आरवी को अपनी ही सोच में डूबा देख गायत्री कहती है-" आरवी निष्चय के अंदर थोड़ा बचपना है। माफ कर देना उसे। इस पर आरवी हल्का सा मुस्करा जाती है। और गायत्री वहां से चली जाती है। लेकिन निष्कर्ष अभी भी आरवी को गुस्से में एक टक देखे जा रहा था।                             ★★क्रमशः★★ धन्यवाद.........।