माफिया के बॉस और एक मासूम सी लड़की की मोहब्ब की दास्तां
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मुम्बई के एक पब में जैन शराब के नशे ने धुत हो कर अपने सामने नाचती हुई लड़कियों को देख रहा था, तभी नैना उसके पास आ कर बोली। "हये ज़ैन।" ज़ैन जो ब्लैक पैंट और शर्ट और बिखरे हुए बालों और अपने हाथ मे कीमती घड़ी पहने लड़कियों को देखने में मगन था, एक दम से उसकी आँखों के गुस्सा भर गया। वोह गुस्से से बोला। "क्या हुआ है?" नैना उसके गुस्से को इग्नोर करते हुए बोली। "ऑफकोर्स ज़ैन जानी मैं तुमसे ही मिलने आए हु।" ज़ैन ने जो शराब का गिलास पकड़ा था अचानक से टेबल पर फेंक कर उठ कर वहां से जाने लगा। तभी नैना ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा। "कहा जा रही हो ज़ैनु जान।" ज़ैन अपनी लाल आंखों से उसे घूरते हुए बोला। "जहन्नुम में जा रहा हु, चलोगी।" नैना बेशर्मी से बोली, तुम्हारे साथ तो मैं कहि भी जाने को तैयार हूं। वोह अपनी लाल आंखों से उसे घूरते हुए अपना हाथ छुड़ा कर पब से बाहर निकल गया। नैना गुस्से से उसे जाते हुए देख रही थी। ..... ज़ैनब जो गहरी नींद में सो रही थी अचानक से फ़ोन की बेल बजने से उसकी नींद टूटी और उसने गुस्से फ़ोन की स्क्रीन पर देखा। स्क्रीन पर सानिया नाम फ़्लैश हो रहा था। ज़ैनब फ़ोन उठा कर गुस्से से बोली, क्या प्रॉब्लम है तुम मुझे सोने क्यों नही देती हो, तुम ज़रा मेरे हाथ लगो मैं तुम्हारा कीमा बना दूंगी। उसकी बात को काटते हुए सानिया बोली, मैम आज टेस्ट लेने वाली है तुम अभी तक सो रही हो, पांच मिनट में तुम मुझे कॉलेज के गेट के पास मिलो। इतना कह उसने फ़ोन कट करदी। ज़ैनब जैसे उसकी बात सुनकर होश में आ गयी, वोह जल्दी से अपने कपड़े ले कर वाशरूम में चली गयी। और इधर सानिया फ़ोन देख कर मुस्कुराने लगी। ज़ैनब ने तैयार हो कर एक आखरी नज़र खुद पर डाली,ब्लैक जीन्स और वाइट शर्ट और मेकअप के नाम पर सिर्फ लिप ग्लॉस लगा कर वहां खुद को शीशे में देखने लगी उसकी नीली आंखे हर किसी को अपनी तरफ अट्रैक्ट करने के लिए काफी थी, उसके एक हाथ मे खड़ी और दूसरे हाथ मे बिरिसलेट था। उसके बालोन की उसने पोनीटेल बनाई थी। उसने चेयर से अपनी जैकेट ली और रूम से बाहर निकल गयी। जैसे ही वोह बाहर आई उसकी भाभी जो सोफे पर बैठी थी, ज़ैनब को देख कर ताना मरते हुए बोली। "अब मेहरबानी करके नाश्ता मत मांगना।" वोह और भी बहोत कुछ कह रही थी। ज़ैनब बस अपना सिर नीचे झुकाये उनकी बातों को सुन रही थी, उसकी आँखों स आंसू निकलने को बेताब थे, वोह हमेशा की तरफ अपने आंसू पी कर घर से बाहर निकल गयी। ....... ज़ैन जब सो कर उठा तो उसने घड़ी पर नज़र डाली, घड़ी में सुबह के नौ बज रहे थे। पहले थोड़ी देर वोह अपना सिर थामे बेड पर बैठा रात के बारे सोचता रहा। फिर उठ कर अपने कपड़े ले कर वाशरूम में चला गया, जब वोह वाशरूम से बाहर आया तो उसका फ़ोन वाइब्रेट कर रहा था। स्क्रीन पर मेरी जान नाम फ़्लैश हो रहा था। यह देख कर ज़ैन के चेहरे पर खुद बखुद एक स्माइल आ गयी। उसके फ़ोन उठाते ही अहमद शुरू हो गया। "क्या प्रॉब्लम है, कब से तेरा फ़ोन ट्राय कर रहा हु, कहा मार गया था।" उसकी बात सुनकर ज़ैन हँसने लगा। अहमद को लगा वोह बस पागलों की तरह बोल रहा है। वोह गुस्से से बोला, अब बकवास भी करेगा। या तेरे मुंह पर टेप लगा हुआ है। ज़ैन मुस्कुराते हुए बोला। अहमद यार अब तू बोलने देगा तो में बोलूंगा ना, तू खुद ही बकवास किये जा रहा है। अहमद गुस्से से बोला, हाँ,,,हाँ अब तो तुझे मेरी बातें बकवास ही लगेंगी। खैर मैं ने तुझे यह बताने के लिए फ़ोन किया था कि में तुझसे नाराज़ हु। ज़ैन ज़ोर ज़ोर से हस्ते हुए बोला, अरे मेरी जान तूने यह बताने के लिए ओहोने किया था। तूने तो मेरा ऐसे ही टाइम वेस्ट कर दिया। ज़ैन की यह बात अहमद को और गुस्सा दिलाने के लिए काफी थी। तुझे यह बात छोटी लग रही कमीने इंसान। जा अब मैं तुझसे और नाराज़ हो गया अगर मनाना है तो अपनी पुरानी जगह आ जाना। इतना कह कर उसने गुस्से से फ़ोन कट कर दिया। इधर ज़ैन अभी भी जोर जोर से दस रहा था। ...…...... ज़ैनब कॉलेज पहोंची तो सानिया उसे बेंच पर बैठी नज़र आई। ज़ैनब जा कर उसकी बगल में बैठ गयी और बोली, "सॉरी।" सानिया जो उसे तंग करने के बारे में सोच ही रही थी ज़ैनब की रुआंसी आवाज़ सुनकर उसकी तरफ देखने लगी। ज़ैनब की लाल आंखे देख कर वोह परेशान होते हुए बोली, "क्या हुआ जैनी?" क्या भाभी ने आज फिर से कुछ कहा। उसके सवाल के जवाब में ज़ैनब ने सिर्फ हाँ में सिर हिला दिया। आह.....अच्छा छोड़ चल हम कैंटीन चलते है, मुझे बहोत भूख लगी है और मुझे पता है तुझे भी भूख लगी है। सानिया ने कहा। "नही मेरा मूड नही है।" ज़ैनब ने कहा। "चलो ना जान, मुझे बहोत ज़ोर से भूख लगी है और तुझे तो पता है की मैं अकेले नही खाती हूं।" सानिया ने मिन्नत करते हुए कहा। इस बार ज़ैनब उसका चेहरा देख कर उसे मना ना कर सकी। और उसके साथ चली गयी। ................... ज़ैन जब नीचे आया तो शाज़िया (ज़ैन की चाची) उसे देख कर मुस्कुरा कर बोली। "सलाम मेरे बच्चे।" ज़ैन ने सवाल का जवाब दिया और जाने लगा। शाज़िया ने कहा, रुक जाओ नाश्ता तो करते जाओ। नही, चाची जान दिल नही है आफिस में कुछ खा लूंगा। ज़ैन ने कहा। कुलसुम (ज़ैन की कजिन) ज़ैन के पास आ कर बोली: "भाई जान आप मुझे कॉलेज छोड़ देंगे, ड्राइवर अब्बू के साथ गया है।" ज़ैन कार की चाभी लेते हुए बोला: ठीक है मैं बाहर इंतेज़ार कर रहा हु। कुलसुम को कॉलेज छोड़ने के बाद वोह आफिस चला गया। ............ रोल नंबर 429 ज़ैनब हाथ उठा कर बोली, प्रेजेंट मिस। मैम: ज़ैनब तुम कल कॉलेज क्यों नही आई थी? मैम के इस तरह पूछने की वजह से ज़ैनब घबरा गई। ज़ैनब: वोह मैम मुझे........ तेज़ बुखार था। धीरे से सानिया ने कहा। ज़ैनब जल्दी से बोली: हाँ, मैम मुझे बुखार था। मैम ज़ैनब को ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोली, सीरियसली। ज़ैनब थोड़ा खांसते हुए मासूम सी शक्ल बना कर बोली, हाँ, मिस। मैम: ओके सिट डाउन। लेक्चर खत्म होने के बाद ज़ैनब सानिया से बोली: यार क्या कल सिर्फ मैं ने ही छुट्टी की थी? नही यार और भी लड़कियों ने की थी। सानिया ने कहा। तो मैम को सिर्फ मैं ही मिली थी। वोह दोनो बात करते करते कैंटीन में पहोंच गयी। .............. ज़ैन अपने आफिस में बैठे कुर्सी से सिर टिकाये सिगरेट पी रहा था। तभी उसका असिस्टेंट अंदर आया। सर आज आपकी मीटिंग है आप आलरेडी आधा घंटा लेट हो गए है। रफ़ीक़ सर आपका मीटिंग रूम में इंतेज़ार कर रहे है। "इस मीटिंग से किसको फायदा होगा?" ज़ैन ने अपनी आंखें खोल कर सेक्रेटरी की तरफ देख कर उससे पूछा। सेक्रेटरी ने जवाब दिया:सर, रफ़ीक़ सर को। ठीक है तो उन्हें आधा घंटा और इंतेज़ार कराओ, आधे घंटे बाद मैं खुद मीटिंग रूम में आ जाऊंगा। अब तुम यहाँ से जाओ। उसे भेज कर ज़ैन सिगरेट के बड़े बड़े लेने लगा। आधे घंटे बाद वोह मीटिंग र्रोम में गया। मीटिंग खत्म करने के बाद उसने अहमद को फ़ोन किया। अहमद जो अपने ऊपर परफ्यूम की बारिश कर रहा था अपना फ़ोन वाइब्रेट होता देख कर वोह टेबल के पास गया और स्क्रीन पर पर जिगर नाम देख कर उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गयी। उसने जल्दी से फ़ोन उठाया और बोला: हाँ मेरे जिगर के टुकड़े, बोल। मेरी जान आधे घण्टे में मुझे अपने फेवरेट होटल में मिल। यह कह कर ज़ैन ने फ़ोन कट कर दिया। अहमद जल्दी से तैयार हो कर गाड़ी की चाभी ले कर घर से निकल गया। ................. सानिया यार चल आइस क्रीम पलार चलते है मुझे इस क्रीम खाना है। ज़ैनब तो जैसे आइस क्रीम देख कर पागल ही हो गयी थी। नही जैनी तूने ठंड देखी है, मुझे आइस क्रीम नही खानी है। ऐसा करते है उसके पास जो होटल है वहा चल कर पिज़्ज़ा कहते है। सानिया ने कहा। नही सानी.......मुझे इस क्रीम ही खाना है। ज़ैनब ज़िद करते हुए बोली। नही जैनी। सानिया उसे समझते हुए बोली। हाँ, ठीक है तुझे तो मेरी कोई फिक्र ही नही है मेरा कुछ खाने के दिल ही और तू मना कर रही है। ज़ैनब ने उसे इमोशनल ब्लैक मेल करते हुए कहा। ......... अरे बेगैरत इंसान तेरा पेट फूल हो गया या नही या कुछ और आर्डर करूँ। ज़ैन ने अहमद से कहा। नही यार तुझे क्या मैं इतना पेटू दिखता हु, पूरा एक पिज़्ज़ा खाने के बाद भी मेरा पेट फुल नही होगा। अहमद ने बत्तीसी दिखाते हुए कहा। जब दोनों होटल से बाहर निकले तभी अहमद का फ़ोन बजने लगा। "तू कार के पास चल मैं आता हूं।" अहमद ने फ़ोन उठाते हुये ज़ैन से कहा। ज़ैनब जैसे ही आइस क्रीम ले कर पीछे मुड़ी वोह ज़ैन से टकरा गई और सारी आइस क्रीम ज़ैन के कपड़ो पर गिर गयी। ओह,,,,,,,,, सॉरी,,,सॉरी मैं ने जान बूझ कर नही की हु प्लीज मुझे माफ़ कर दीजिए। ज़ैनब ज़ैन से माफी मांगते हुए बोली। ज़ैनब शर्मिंदगी से बार बार माफी मांग रही थी। और ज़ैन की आंखे बस उसके चेहरे पर टिकी थी। उसका धयान तब टूट जब अहमद ने उसे आवाज़ दे कर कहा, चल यार चलते है। कहानी जारी है.................
जैसे ही अहमद की नज़र ज़ैन के कपड़ो पर पड़ी वोह हैरान हो कर बोला, "यह कैसे हुआ?" इससे पहले की ज़ैन कुछ जवाब देता, ज़ैनब बीच मे बोल पड़ी, "यह मुझ से गलती से होगया, आयी एम सॉरी।" "इट्स ओके।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा। अहमद समझ रहा था अब तो इस लड़की की खैर नही, अब इसे ज़ैन के गुस्से से कैसे बचाये, लेकिन ज़ैन के मुंह से "इट्स ओके" सुनकर वोह हैरान हो गया। ज़ैनब उसे थैंक्स बोल कर वहां से चली गयी, ज़ैन उसे तब तक देखता रहा जब तक वोह उसकी नज़रों से ओझल न हो गयी। उसके बाद उसने अहमद की तरफ देखा जो हैरानी से उसे घूर रहा था। "क्या हुआ?" उसे हैरान देख कर ज़ैन ने पूछा। "यार ज़ैनु यह तू ही है ना, तू कब से किसी को माफ करने लगा और इट्स ओके वर्ड तेरी डिक्शनरी में मेरे इलावा किसी को के लिए नही था। फिर यह क्या था मुझे लगा तू अब उस लड़की को छोड़ेगा नही।" अहमद नॉनस्टॉप बोले ही जा रहा था। "शट उप अहमद अब मैं इतना भी ज़ालिम नही हु। बेचारी मासूम लड़की से गलती हो गयी थी।" ज़ैन ने झुंझला कर कहा। "जहाँ तक मुझे पता है कोई कितना ही मासूम क्यों ना हो ज़ैन शाह उसे कभी नही बख्शता।" अहमद ने उसे जांचती नज़रों से देखते हुए कहा। "अच्छा मेरे बाप फिलहाल तू मुझे बख्श दे और चल यहां से।" ज़ैन उसे खींचता हुआ वहां से ले गया और अहमद अभी भी ज़ैन के इस रवैये से हैरान था। ........ "यार जैनी मेरी अप्पी की शादी है और तुझे ज़रूर आना है, अगर तुम नही आई ना तो मैं तुमको छोडूंगी नही।" सानिया ने कहा। ठीक है आ जाउंगी सानी लेकिन पहले भाई मुझे परमिशन देंगे तब।" ज़ैनब ने कहा। वो दोनों इस वक़्त बस स्टॉप पर खड़ी बस का इंतज़ार कर रही थी। "अच्छा मैं जा रही हु मेरी बस आ गयी है और हाँ अपने भाई से बात कर लेना।" बस में चढ़ते हुए सानिया ने कहा। "ठीक है।" ज़ैनब ने जवाब दिया। कुछ देर बाद ज़ैनब की भी बस आ गयी और वोह भी अपने घर चली गयी। ज़ैनब घर पहोंची तो फुरकान उसका भाई सामने ही बैठा था। वोह डरते हुये अपने भाई के पास जा कर बोली:"भाई मुझे आपसे कुछ बात करनी है?" "बोलो।" फुरकान ने गुस्से से कहा। "भाई सानिया की बहन की शादी है क्या मैं जा सकती हूं?" ज़ैनब ने डरते हुए कहा। "ठीक है चली जाना।" फुरकान ने बिना उसकी तरफ देखे अपने रूखे अंदाज़ में कहा। फुरकान के इतनी आसानी से मान जाने पर ज़ैनब को अपने कानों पर यकीन नही हो रहा था, वोह उसे थैंक्स बोल कर अपने कमरे में चली गयी। उसके जाने के बाद उसकी भाभी बोली:"आप ने उसे इजाज़त क्यों दी।" इसीलिए दी कि ताकि इस बला से कुछ दिन जान छूट जाए। फुरकान ने चिढ़ कर कहा। ज़ैनब ने इजाज़त मिलने की खुशखबरी सानिया को सुना दी और कपड़े ले कर वाशरूम में चली गयी। ................ ज़ैन अपने कमरे में बैठा ज़ैनब के बारे में सोच रहा था, की तभी कुलसुल ने उसके दरवाज़े पर नोक किया और बोली: ज़ैन भाई क्या मैं अंदर आ जाऊं। आ जाओ गुड़िया। ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा। कुलसुम: ज़ैन भाईनीचे अली भी और उनकी फैमिली आयी है। तुम चलो मैं आता हूं। ज़ैन ने कहा। ज़ैन ड्राइंग रूम में गया तो अली और उसकी फैमिली बैठी हुई थी, ज़ैन सबसे मिल कर अली के पास जाकर बैठ गया। ज़ैन यह कार्ड है मेरी भें की शादी है और तुम्हे ज़रूर आना है। अली ने उसे कार्ड देते हुए कहा। मैं देखूंगा। ज़ैन ने कहा। देखूंगा नही तुम्हे आना है। नही तो में तुम्हे उठाकर ले जाऊंगा। अली ने हस्ते हुए कहा। ठीक है मैं आ जाऊंगा। ज़ैन भी हल्का सा मुस्कुरा दिया। इतने में अहमद आया उसने सबको सलाम किया और अली के पास आ कर बैठ गया। अच्छा हुआ अहमद तू भी यही मिल गया, मेरी भें की शादी और तुझे आना है। अली ने उसे भी कार्ड देते हुए कहा। अहमद ज़ैन की तरफ देख कर बोला, तू जा रहा है? ज़ैन ने हाँ ने सिर हिलाया। ठीक है फिर तो मैं ज़रूर आऊंगा। अहमद ने अली से कहा। ठीक है अब हम लोग चलते है, हमे और भी जगह कार्ड देना है। अली ने कहा और उन दोनों से हाथ मिला कर वहां से चला गया। उनके जाने के बाद शाज़िया भी डिनर की तैयारी करने के लिए उठ गई। अब ड्राइंग रूम में अहमद और ज़ैन ही रह गए थे। ज़ैन सोफे पर सिर टिकाये आंख बंद किये हुए कुछ सोच रहा था। आखिरकार अहमद से रहा नही गया और वोह बोला: ओह बेगैरत इंसान किसकी यादों में हम है मैं तुझे दिखाई नही दे रहा हु। ज़ैन ने उसकी तरफ देखा लेकिन कुछ नही कहा। ज़ैनु तू ठीक तो है। अहमद ने पूछा। हाँ, ठीक हु यार। ज़ैन ने कहा। अच्छा एक बात बता। अहमद ने सीरियस हो कर कहा। हाँ बोल। ज़ैन ने भी सीरियस हो कर उसकी तरफ धयान दिया। तुम लोगों का डिनर कब होता है? अहमद ने पूछा। कुछ देर बाद। ज़ैन ने झुंझला का कहा। यार बहोत भूख लगी है आज डिनर यही कर लेता हूं। और मेहमान खाना खाये बिना चला जाये यह भी अच्छा नही होता है। वैसे भी डिनर तो होने ही वाला है ना तेरे घर। अहमद ने यह सब इतनी मासूमियत से कहा कि ज़ैन झुंझला कर बोला: ओह कमीने इंसान और तुझे क्यों लगता है कि में तुझे यहां डिनर करने दूंगा। और रही मेहमान की बात तो तू कहा कि मेहमान है। ज़ैन ने उसे घूर कर कहा और सोचा यह कभी सीरियस नही हो सकता है। "हये दोस्त दोस्त ना रहा।" अहमद दुहाइयाँ देने लगा की तभी ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा: "बकवास बंद कर अपनी।" "चाची,,,चाची जान!!!" अहमद ज़ोर ज़ोर से शाज़िया को आवाज़ देने लगा। "बोलो बेटा!" शाज़िया ने कहा। चाची जान क्या मैं यहां डिनर कर सकता हु? अहमद ने यह सब बहोत मासूमियत के साथ कहा। उसकी मासूमियत देख कर एक पल के लिए ज़ैन भी हैरान हो गया। "कमीने इंसान" वो मुंह ही मुंह मे बड़बड़ाया। "क्यों नही बेटा, मैं तो पहले ही तुम्हे कहा था डिनर हमारे साथ ही करना। तुम दोनों हाथ धूल कर आ जाओ मैं डिनर लगाती।" शाज़िया ने कहा और डिनर लगाने के लिए चली गयी। अहमद ने ज़ैन की तरफ देख के अपना कॉलर सीधा किया और ज़ैन उस पर लानत भेजता हुआ वह से उठ गया। ..... खाने के बाद ज़ैन अहमद से बोला:"चल यार अहमद हम क्लब चलते है।" "नही यार ज़ैनु मेरा दिल नही है।" अहमद ने उसे मना कर दिया। "हाँ खाना ठूस लिया न अब तेरा दिल कहा होगा।" ज़ैन ने नाराज़ होते हुए कहा। उसकी बात सुनकर अहमद ने बस उसे घूर कर देखा लेकिन कुछ कहा नही। "तू चलता है या मैं तुझे एक लगाऊं।" ज़ैन ने गुस्से से कहा। अहमद किसी लड़की की तरह ज़ैन के कंधे पे सिर रख कर बोला,"डार्लिंग अब तुम मुझे एक लगाओगे।" अहमद ने इतने ड्रामे के अंदाज़ में कहा कि ज़ैन का ठहाका पूरे घर मे गूंज गया। वोह पहेली बकर इतना खुल कर मुस्कुराया था। अहमद और शाज़िया ने उसकी खुशी की दुआएं दी। उसके बाद ज़ैन उसे खींच कर गाड़ी की तरफ ले गया एयर दोनो क्लब की तरफ चल पड़े। ......…........... "रूप के जलवों की हाये क्या बात है...... एक गुनाह करदो दो गुनाह की रात है।" वोह दोनो क्लब में बैठे थे और ज़ैन ने बहोत शराब पी ली थी। अहमद उसे और शराब पीने से मना कर रहा था, लेकिन ज़ैन बार बार यही कह रहा था अहमद इसे पीने से मुझे सुकून मिलता है। तू भी पी ना यार और अहमद उसे मना कर देता। अहमद को शराब पीना बिल्कुल भी पसंद नही था। वोह क्लब आता तो था लेकिन शराब नही पीता था। जब अहमद साथ होता था तब ज़ैन कुछ ज़्यादा ही शराब पी लेता था। क्योंकि उसे पता होता था कि अहमद उसे संभाल लेगा। यार......अह.....मद नैना कहा है, देख तुझे नज़र आ रही है!! उसने मुश्किल से कहा। शराब पीने की वजह से उसकी आंखें लाल हो गयी थी। मुझे नही पता वोह कहा है। याद जानता था वोह इस वक़्त नैना को क्यों ढूंढ रहा है। क्यों कि उसे अब लड़की की ज़रूरत थी। वोह लडकिया नाचते नाचते ज़ैन के पास आ गयी, वोह कभी ज़ैन की शर्ट खींचती तो कभी उसके गालों पर किस करती और ज़ैन को इन सबसे बहोत मज़ा आ रहा था। अहमद को बहोत गुस्सा आ रहा था जब यह सब उससे बर्दाश्त नही हुआ तो उसने उन लड़कियों को धक्का दिया और ज़ैन को खींचते हुए बोला: "चल अब हम यहां से चलते है।" "अरे बड्डी अभी तो मज़ा आना शुरू हुआ है और तू जाने को कह रहा है।" ज़ैन लड़खड़ाते हुए बोला। "मैं कह रहा हु ना चल वरना मुझसे बुरा कोई नही होगा।" अहमद ने गुस्से से कहा। "मैं नही जाऊंगा।" ज़ैन ने ज़िद्द करते हुए कहा। "मैं भी देखता हूं तू कैसे नही जाएगा, तेरे अच्छे भी जाएंगे।" अहमद ने कहा। तो ठीक है मेरे अच्छे को ले जा मैं तो नही जाने वाला। ज़ैन बेसुध हो कर सोफे पर बैठते हुए कहा। अहमद ने गहरी सांस ली और इसे अपने कंधे पर उठा कर गाड़ी में ला कर पटक दिया। ज़ैन फिर से उठने लगा कि तभी अहमद ने उसे दोबारा सीट पर बिठा दिया और गुस्से से बोला अगर तू यहां से हिला न तो एक लगा कर दूंगा। उसकी बात सुनकर ज़ैन मुस्कुराते हुए बोला: ओके बड्डी नही जाता,और किसी छोटे बच्चे की तरह मुंह पर उंगली रख कर सीट पर सीधा हो कर बैठ गया।
अगली सुबह जब ज़ैन ने आंख खोली तो देखा यह उसका कमरा नही था। उसने बाएँ तरफ देखा तो अहमद बैठा बैठा ही सो चुका था। वो उठ कर अहमद के पास गया और मुस्कुराते हुए अहमद के कंधे पर अपना सिर रख दिया क्योंकि वोह जनता था अहमद की नींद बहोत कच्ची है। और ऐसा ही हुआ जैसे ही अहमद को अपने कंधे पर कुछ अहसास हुआ उस ने अपनी नींद भारी आंखे खोली और मुस्कुराते हुए ज़ैन को देखा। ज़ैन ने भी बदले में स्माइल पास करदी। "उठ गया तू ज़ैनु।" अहमद ने अपनी आंखें मसलते हुए उससे पूछा। "हाँ उठ गया।" ज़ैन ने उसके कंधे से अपना सिर हटाते हुए कहा। अहमद उठ कर ठीक से बैठ गया। "हम यहां कैसे आये?" ज़ैन ने पूछा। "गाड़ी से।" अहमद ने लापरवाही से जवाब दिया। मेरा मतलब है मैं और तू......क्लब में थे। अहमद उसकी बात काटते हुये बोला, "मैं फ्रेश होने जा रहा हु।" "अच्छा तो फिर हम यहां कैसे आये।" ज़ैन भी उलझा हुआ था। "अच्छा तो जनाब को कुछ भी याद नही की रात को क्या हुआ था, ज़रा कम शराब पीनी थी ना।" अहमद ने ताना मारते हुए कहा। "सॉरी यार कुछ ज़्यादा ही पी ली थी।" ज़ैन कान पकड़ कर उससे माफी मांगते हुए कहा। "ज़्यादा नही बहोत ज़्यादा तभी तो जनाब को नैना याद आ रही थी।" अहमद उसे घूरते हुए बोला। क्या!!!!!!!!! अहमद की बात सुनकर ज़ैन ज़ोर से चीखा और अहमद ने अपने कानों पर हाथ रख लिए। "जी हाँ।" तो क्या..........ज़ैन ने बात अधूरी ही छोड़ दी। "नही ऐसा कुछ नही हुआ और मेरे होते हुए ऐसा हो भी नही सकता था। लेकिन तेरा पूरा प्लान था कुछ करने का।" अहमद बेड से उठ गया। ज़ैन बेड से उठने ही वाला था तभी उसकी कमर मद तेज़ दर्द हुआ। आह!!!!!!! "क्या हुआ ज़ैनु?" अहमद परेशान होकर बोला। "यार मेरी कमर में दर्द हो रहा है।" ज़ैन ने दर्द भरी आवाज़ में कहा। "हाहा....हाहा" ज़ैन की बात सुनकर अहमद ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा। "तुझे कुछ भी याद नही!" अहमद ने हस्ते हुए कहा। "नही यार जल्दी भोंक।" ज़ैन ने कमर पर हाथ रखते हुए कहा। "रात को जनाब का क्लब से आने का दिल नही था, इसीलिए मैं उठा कर तुझे कार में ला कर पटक दिया था इसीलिए तेरी कमर में दर्द हो रहा है।" अहमद ने उसे सारी बात बता दी। उसकी बात सुनकर ज़ैन तो पहले हैरान हुआ फिर मुस्कुराने लगा। "अच्छा ज़ैनु तो फ्रेश हो जा तब तक मैं तेरे लिए कुछ खाने के लिए ले कर आता हूं।" अहमद ने कहा। "ठीक है मेरी जान।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा। अहमद ने सोफे से कुशन उठा कर ज़ैन को मारा और रूम से बाहर चला गया। .............. ज़ैनब तैयार हो कर नीचे आयी तो सामने उसकी भाभी खड़ी थी। "कॉलेज बाद में जाना पहले घर की सफाई करलो, मेरी तबियत ठीक नही है।" भाभी ने ज़ैनब को आर्डर दिया। "लेकिन भाभी आज मेरा इम्पोर्टेन्ट लेक्चर है मैं आ कर कर दूंगी।" ज़ैनब ने कहा। "तो क्या तब तक घर गंदा ही रहेगा। एक काम क्या कह दो तुम्हारे बहाने तो खत्म ही नही होते।" भाभी गुस्से से बोली। नही भाभी ऐसी बात नही है आज मेरा फर्स्ट पीरियड है.......... ठाह........ वोह अभी इतना ही बोल पायी थी कि तभी फुरकान ने ज़ैनब के गाल पर एक थप्पड़ मारा वोह सीधा जा कर ज़मीन पर गिर गयी। "ज़बान लड़ाती हो अपनी भाभी से जाओ जा कर सफाई करो, नही जाना है आज तुम्हे कॉलेज।" फुरकान ने गुस्से से कहा। ज़ैनब ज़मीन से उठ कर रोती हुई सीधा अपने कमरे में चली गयी। ......... ज़ैन जैसे ही बाथरूम से निकला उसका फ़ोन वाइब्रेट होने लगा। उसने देखा तो कोई अननोन नंबर था वोह फ़ोन उठा कर बोला, "कौन???" "शाह कैसा है तू?" सामने से आवाज़ आयी। ज़ैन इस आवाज़ को लाखों में पहचान सकता था। "कमीने तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझे कॉल करने की।" ज़ैन गुस्से से आगबबूला हो कर बोला। "कूल डाउन शाह आखिर में तेरे बाप का दोस्त हु।" "बकवास बंद कर अपनी।" ज़ैन ने गुस्से से चिल्ला कर कहा। "हाहाहा,,शाह मुझे लगा था तो मुझसे बदला लेगा लेकिन तू तो कायरों की तरह छुप कर बैठ गया है।" वोह आदमी ठहाका लगा कर हस्ते हुए बोला। उसकी बात सुनकर ज़ैन ज़ोर ज़ोर से हस्ते हुए बोला:"तुझे क्या लगता है ज़ैन शाह डर गया। शेर अभी सोया नही है, बाकी सबके लिए शाह ने अपने अंदर का दरिंदा भले ही सुला दिया हो लेकिन तू शाह को अच्छे से जनता है मैं किसी को माफ नही करता। और तुझे तो मैं ज़िंदा ज़मीन में गडुंगा। तू भी बस मेरे हाथों से मारने का इंतज़ार कर, तेरा वक़्त भी जल्द आएगा।" ज़ैन की बात सुनकर उन आदमी का रंग बिल्कुल ही फीका पड़ गया । "तुम मुझे कभी नही ढूंढ सकते शाह।" वोह आदमी फिर से हस्ते हुए बोला। "किसे तस्सली दे रहे हो इमरान। यह बात तुम भी जानते हो कि शाह के लिए कुछ भी मुश्किल नही है। चल अब सुन वोह जो तेरी खुफिया डील थी ना जिसे तू साइन करने के बाद सबको बताने वाला था तेरी वोह डील किस ने कैंसिल करवाई थी।" यह कह कर ज़ैन ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा। उसकी बात सुनकर इमरान के अंदर जैसे आग ही लग गयी थी वोह कैसे शाह की दरिंदगी को भूल सकता था। "शाह क्या यह डील तुमने कैंसिल करवाई थी।" इमरान की बात सुनकर एक बार फिर से ज़ैन की हसी पूरे कमरे मे गूंज गयी। और फिर वोह गुस्से भारी आवाज़ में बोला: "तेरे तो मैं इतने टुकड़े करूँगा की तेरे घरवाले गिनते गिनते तक जाएंगे।" इतना कह कर उसने फ़ोन कट कर दिया। इमरान ने गुस्से से फ़ोन को ज़मीन पर फेंक कर तोड़ दिया। ज़ैन के भी गुस्से की कोई इंतेहा ना थी वोह गुस्से से हर चीज़ को तोड़ फोड़ रहा था। अब उसका गुस्सा सिर्फ एक ही इंसान शांत कर सकता था वो था अहमद। .............. ज़ैनब अपने कमरे में बैठी अपने माँ बाबा की तस्वीर को देख रही थी। माँ बाबा आप दोनों मुझे छोड़ कर क्यों चले गए। भाई भाभी बिकुल भी अच्छे नही है। ज़ैनब के पैरेंट की कार एक्सीडेंट में डेथ हो गयी थी, ज़ैनब के बाबा की पहेली बीवी से फुरकान था। उनकी पहली बीवी की डेथ के बाद उन्होंने ज़ैनब की माँ से शादी करली उस वक़्त फुरकान दो साल का था। ज़ैनब यह बात नही जानती थी की वोह फुरकान की सौतेली बहन है इसीलिए वोह उससे इतनी नफरत करता है। ज़ैनब की माँ उन दोनो से बहोत प्यार करती थी। लेकिन अपने बाबा के दूसरे शादी करने की वजह से फुरकान ज़ैनब और उसकी माँ से बहोत नफरत करता था। फुरकान के घर औलाद न होने का कुसूर भी वो ज़ैनब को हि समझता था। ज़ैनब रोते रोते ही सो गई। ............. ज़ैन शराब पी ही रहा था तभी किसी ने उसे ज़ोरदार थप्पड़ मारा वोह सीधा जा कर ज़मीन पर गिरा। उसने गुस्से से पीछे देखा तो अहमद उसे गुस्से से घूर रहा था। अहमद की जगह अगर किसी और ने ज़ैन को थप्पड़ मारा होता तो अब तो वोह उस एक थप्पड़ के बदले उसे सैकड़ो थप्पड़ लगा चुका होता। अहमद ने ज़ैन को कॉलर से पकड़ा और गुस्से से बोला: "यह क्या कर रहा है? और कमरे की क्या हालत करदी है? अपनी भी हालत देख तुझे क्या हुआ है ज़ैन!!!" अह.....मद उस कु...त्ते का फ़ो...न आ....या था, तू समझ रहा है ना मेरे दिल पर क्या गुज़र रही है। ज़ैन ने टूटे फूटे शब्दो मे कहा। तू क्या कह रहा किसका फ़ोन आया था!!!!!! अहमद उसकी बात को समझ नही पाया। इमरान का......। ज़ैन ने गुस्से से कहा। तो उस कुत्ते का फ़ोन था। उसकी तो.......... लेकिन तूने अपनी ये हालात क्यों बनाई है। अहमद को भी बहोत गुस्सा आ रहा था। अह......मद उस..के फ़ो...न कर..ने से सब मेरे दि...माग मे घूम रहा मेरी माँ की हालत और बाबा... ज़ैन ने शराब की बोटल तोड़ का एक टुकड़ा उठाया ही था कि अहमद कांच के टुकड़ा ले कर उसके मुंह पर एक और ज़ोरदार थप्पड़ मारा। कांच खींच की वजह से अहमद का हाथ कट गया था और उसे खून रसने लगा था। ज़ैन थप्पसड खाने के बाद दोबारा कांच उठा ही रह था कि अहमद ने उसकी कनपट्टी पर मार कर उसे बेहोश कर दिया। क्योंकि वोह जनता था अगर वोह ज़ैन को बेहोश न करता तो वोह गुस्से में खुद को ही नुकसान पहोंचा लेता। उसने ज़ैन को बेड पर बिठाया और पास की चेयर खींच कर उस पर बैठ कर सिगरेट पीने लगा। ........ सानिया ने ज़ैनब कितनी बार फ़ोन कर चुकी थी लेकिन उसने एक बार भी उसकी कॉल का जवाब नही दिया। एक घंटे बाद उस ने फिर से उसे कॉल की। जब उनका फ़ोन पांचवी बार फिर से बाज तब जा कर ज़ैनब ने फ़ोन उठाया। "क्या यार जैनी कब से फ़ोन कर रही हु।" जैनी................ज़ैनब कुछ बोल तो सही। "हाँ सुन रही हु।" रोने की वजह से ज़ैनब की आवाज़ भारी हो गयी थी। "यार जैनी तू रोई क्यों है और कॉलेज क्यों नही आई है?" सानिया ने परेशान होते हुए ज़ैनब से पूछा। "कुछ नही।" ज़ैनब ने कहा। "चल अब जल्दी बोल कोई बहाना नही,वरना मैं क्या करूँगी तू अच्छे से जानती है।" सानिया ने उसे धमकाते हुए कहा। अब ज़ैनब ने उसे सब कुछ बता दिया। सानिया उसे तस्सली देते हुए बोली:"छोड़ जैनी आज तू मेरे घर आने वाली है ना फिर तू कुछ दिन मेरे घर रहेगी तो रिलैक्स रहेगी। शादी में हम दोनों खूब एन्जॉय करेंगे। चल अब रोना नही मैं फ़ोन रखती हु। अल्लाह हाफिज, अपना ख्याल रखना।" "अल्लाह हाफिज" ज़ैनब ने कहा और फ़ोन रख दिया।
अहमद अभी भी चेयर पर बैठा सिगरेट पी रहा था। सिगरेट पीने की वजह से उसकी आंखें लाल हो गयी थी। अशिएल टरे भर चुका था। एक तो वो इस गम में पी रहा था कि इतने सालों की की हुई इसकी मेहनत पर पनी फिर चुका था। इतने सालों से उसने ज़ैन के अंदर के उस दरिंदे को कितनी मुश्किल से सुलाया था। जो अब फिर से जाग चुका था। और दूसरा वोह ज़ैन के ऊपर हाथ उठाने की वजह से पी रहा था। उसे बहोत दुख हो रहा था ज़ैन के ऊपर हाथ उठाने पर फिर उसने सोचा अगर वोह ऐसा न करता तो ज़ैन खुद को ज़रूर नुकसान पहोंचाता। ज़ैन को आंख खुलते ही उसने देखा कि अहमद कुर्सी पर बैठ कर सिगरेट पी रहा था। उसने अहमद को आवाज़ दी। "मेरी जान" ज़ैन की आवाज़ सुनकर उसने सिगरेट को अशिएल टरे में मसल दिया और उठ कर उसके पास जा कर बैठ गया। "अब तू ठीक है??" अहमद ने पूछा। "नही यार मेरे सिर में बहोत तेज़ दर्द हो रहा है।" ज़ैन ने अपना सिर अपने हाथों दे जकड़ते कहा। "अहमद मैं उस इंसान को ज़िंदा नही छोडूंगा जिसने मेरे माँ बाबा को मारा है। में उसे उससे भी दर्दनाक मौत दूंगा।" ज़ैन ने दर्द भरी आवाज़ में कहा। "हम ऐसा ही करेंगे, लेकिन तूझे अभी के लिए अपने गुस्से पर काबू पाना होगा। अपने गुस्से की वजह से कुछ गलत मत कर देना समझा, हम सबसे पहले उससे उसकी सबसे प्यारी चीज़ छीनेंगे। तू समझ गया ना।" अहमद उसे अच्छे से समझ रहा था क्यों उसे पता था अब ज़ैन को समझना बहोत मुश्किल है। "में समझ गया।" एक पल की खामोशी के बाद ज़ैन ने जवाब दिया। ज़ैन ने अचानक शीशे में अपने चेहरे को देखा उसके होंठो पर खून जमा था और वोह हल्का सूज भी गया था। एक पल की हैरानी के बाद वो मुस्कुराते हुए बोला, "यह तेरा कारनामा है न मेरी जान।" यह कह कर उसने अहमद को गले लगा लिया। "मुझे पता है तूने मेरा हैंडसम चेहरा क्यों खराब किया है।" ज़ैन मुस्कुराते हुए बोला। अहमद बत्तीसी दिखाते हुए बोला, "सॉरी यार।" अहमद ने मन ही मन सोच:"चलो अच्छा है इसका इस टॉपिक से धयान तो हटा।" अच्छा ज़ैनु तू रुक मैं खाना लाता हु। अहमद के जने के बाद ज़ैन खुद एक बार फिर शीशे में देखने लगा। थोड़ी देर बाद अहमद खाने की टरे लिये अंदर आया और ज़ैन से बोला:"यह ले ज़ैनु खाना खाले।" "नही यार मेरा मूड नही है।" ज़ैन ने उसे मन कर दिया। "देख यार ज़ैनु अब लड़कियों की तरफ नखरे मत दिख मैं ने खुद से वादा किया है में अपने हाथों दे खाना सिर्फ अपनी प्यारी बीवी को ही खिलाऊंगा। चल अब खाना खाले।" "नही यार मेरा दिल......." ज़ैन अभी इतना ही बोल पाया था कि तभी अहमद उसकी बात काटते हुए बोला:"चुप चाप खाना खाले नही तो तेरा थोपड़ा और बिगाड़ दूँगा।" उसकी धमकी सुनकर ज़ैन ने जल्दी से खाने की टरे को अपनी तरफ खींच कर खाना खाने लगा। ...... ज़ैनब को इजाज़त तो मिल ही गयी थी। वो जानती थी उसका भाई उसे रोकेगा नही। उसने अपनी पैकिंग की और नीचे आ कर फुरकान को सलाम करते हुए घर से निकल गयी। "शुक्र है कुछ दिन के लिए इस बला से जान छुटी।"ज़ैनब के जाने के बाद फुरकान ने गुस्से से अपनी बीवी से कहा। ....... ज़ैन के खाना खाने के बाद अहमद बर्तन हटा कर सोफे पर बैठ कर सीरियस होते हुए बोला: "शाह अब मुझे सब बता।" अहमद ज़ैन को शाह तभी बोलता था जब वोह बहोत सीरियस होता था। ज़ैन ने उसे सीरियस देख कर सारि बातें बता दी जो इमरान ने उसे फ़ोन पर कहि थी। ज़ैन की बात सुनने के बाद अहमद को बहोत गुस्सा आया। लेकिन वोह जनता था अगर उसने खुद को कंट्रोल नही किया तो ज़ैन को कोई भी संभाल नही सकता था। ज़ैन ने अपने एक आदमी को फ़ोन करके इमरान पर नज़र रखने के लिए कहा। देखते है कासिम क्या खबर देता है। अब अगला कदम अली की बहन की शादी के बाद उठाएंगे। "शाह तू ठंडा रहे नही तो इमरान की जगह मैं तेरा बुरा हाल कर दूंगा।" अहमद ने उसे गुस्से से कहा। उसकी बात सुनकर ज़ैन मुस्कुरा दिया। तभी उसे कुछ याद आया उसने वापस से कासिम को फ़ोन किया और उसे अहमद के घर आने के लिए कहा। क्योंकि अहमद घर मे अकेला रहता था उसके माँ बाप नही थे। .......... ज़ैनब जब सानिया के घर पहोंची तो सबने उसका अच्छे से वेलकम किया। सानिया की अम्मी ने उसे ढेरों दुआएँ दी। उसके बाद सानिया उसे अपने कमरे में ले गयी। "लो जैनी यह मेरा कमरा है तुम फ्रेश हो जाओ मैं खाना ले कर आती हु फिर दोनों साथ मे खाएंगे।" इतना कह कर सानिया वहां से चली गयी।और ज़ैनब भी फ्रेश होने चली गयी। ..…... ज़ैन के बुलाने पर कासिम आ गया था और अब वोह उसके पास खड़ा था। "और बताओ कासिम इमरान की कोई खबर है?" ज़ैन ने कासिम से पूछा। "जी बॉस इमरान लड़कियों की स्मगलिंग हैदराबाद कर रहा है। बस तारीख अभी नही पता वो भी जल्दी ही पता चल जाएगी।" कासिम ने ज़ैन को एक सांस में सारी बात बता दी। "कब पता करोगे जब वोह लड़कियों को हैदराबाद भेज देगा तब।" ज़ैन ने गरज कर कहा। उसकी आवाज़ सुनकर मानो कासिम के तो होश ही उड़ गए। "बॉस आप फिक्र न करे काम जल्दी ही पूरा हो जाएगा।" कासिम ने डरते डरते कहा। "वोह तो होना ही चाहिए अगर न हुआ तो................…" ज़ैन ने अपनी बात अदूरी ही छोड़ दी। कासिम ने मदद भारी नज़रों के साथ अहमद को देखा। तो अहमद अपनी हंसी कट्रोल करते हुए कासिम से बोला:" जाओ कासिम काम हो जाएगा तो बता देना।" कासिम सुकून की सांस लेता है वहा से चला गया। उसके जाने के बाद अहमद ज़ैन से बोला: "यार ज़ैनु कम से कम कासिम को तो बख्श दिया कर वोह तो हमारा वफादार आदमी है।" "इन्ही धमकियों की वजह से वफादार है, और मुझे तेरे इलावा किसी पर यकीन नही है, क्या पता यह भी एक गद्दार हो।" ज़ैन ने सिगरेट के कश भरते हुए अहमद से कहा। अहमद ने अफसोस से उसकी तरफ देखते हुए कहा: "क्या पता मैं भी गद्दार हो सकता हु।" उनकी बात सुनकर ज़ैन मुस्कुराया और फिर सीरियस हो कर बोला:"इम्पॉसिबल तू तो मेरी जान है, तु मुझे कभी धोखा नही दे सकता तुझ पर तो मैं अंख बंद करके भी भरोसा कर सकता हु।" उसकी बात सुनकर अहमद मुस्कुराते हुए बोला: "और अगर निकल गया तो।" तो.......ज़ैन कुछ सोचते हुए बोला:"तो मैं खुद की ही जान ले लूंगा।" उसकी बात सुनकर अहमद के तेवर बदल गए, उसने सोफे से कुशन लिया और ज़ैन को मारना शुरू कर दिया। "तेरी हिमत भी कैसे हुई ऐसा कहने की अगर दोबारा कभी ऐसा सोचा भी तो मैं भी अपनी जान ले लूंगा।" "यार अहमद तू भी कभी ऐसा मत सोचना मुझे खुद से ज़्यादा तुझ पर यकीन है।" ज़ैन ने उसका सिर सहलाते हुए कहा। "चल तू अब खड़ा हो जा।" अहमद ने कहा। उसकी बात को न समझ कर ज़ैन खड़ा हो गया। तो अहमद ने उसे ज़ोर से गले लगा कर बोला:"थैंक्स ज़ैनु इस यक़ीन के लिए, चल इसी बात पर पिज़्ज़ा खाते है।" "यह तेरा पेट कब फुल होगा!!" ज़ैन ने उसे धक्का देते हुए कहा। "मेरे मरने के बाद।" अहमद ने अपनी बत्तीसी दिखाते हुए कहा। "तुझे मरने का इतना ही शौक है तो यह नेक काम मैं अपने हाथों से ही ना कर दूँ।" ज़ैन ने उसे घूरते हुए कहा। "ज़ैनु जानी आपके हाथों से मारना भी हमें मंज़ूर है।" यह कह कर वोह बाहर की तरफ़ दौड़ने लगा। क्योंकि वोह जानता था की ज़ैन को इस लाइन से सख्त नाफात है। अक्सर नैना भी उसे यही कहती थी। "अहमद के बच्चे तू ज़रा मेरे हाथ तो लग।" ज़ैन उसके पीछे भागते हुए चिल्ला कर बोला। "सॉरी ज़ैनु मेरे बच्चे नही है।" अहमद ने हस्ते हुए कहा। जब दोनों भाग भाग कर थक गए तो खड़े हो कर ज़ोर ज़ोर हसने लगे। ज़ैन अहमद के कंधे पर हाथ रख कर बोला: "चल यार पिज़्ज़ा खाने चलते है।" उसके बाद दोनों गाड़ी में बैठ गए। अहमद ने अपना फ़ोन निकाला और किसी को कॉल किया। फ़ोन कनेक्ट होते ही अहमद ने कहा। "कमरे की हालत ठीक करदे और हाँ लिस्ट भेज रहा हु समान ला कर सेट कर देना।" इतना कह कर उसने फ़ोन कट कर दिया। ज़ैन ने उसकी तरफ न समझी से देखा। अहमद उसकी नज़रों का मतलब समझते हुए गुस्से से बोला: "अब ऐसे क्या देख रहा जैसे कुछ पता ही नही हो, तूने मेरे घर की जो हालात की है उसे ठीक करवाये बिना मैं कैसे रह सकता हु।" उसकी बात सुनकर ज़ैन मुस्कुराते हुए बोला: "चल इसी बहाने ही सही तेरी घर की सफाई भी हो जाएगी।" अहमद ने उसे घूर कर देखा और बोला: "कमीने इंसान एक तो मेरे प्यारे बैडरूम की तू ने इतनी खराब हालत करदी ऊपर से तू मुझे ही सुना रहा है।" ज़ैन अपनी भौंवे उचकाते हुए बोला: "मतलब तु मुझसे ज़्यादा प्यार अपने बैडरूम से है।" "और नही तो क्या, वोह कमरा मैं ने अपनी होने वाली बीवी के लिए अपने हाथों से सजाया था और तूने सब बर्बाद कर दिया।" अहमद ने शरारती अंदाज में कहा। "अगर तूने यह बात मुझे पहेली बताई होती........." ज़ैन की बात पूरी होने से पहले ही अहमद बोल पड़ा "तो तू उसकी यह हालत नही करता।" "नही।" उसकी बात पूरी होने से पहले ही अहमद फिर से बोला पड़ा:"मुझे पता था तू मेरे साथ कभी भी ऐसा नही करेगा।" "बल्कि मैं उससे भी बुरी हालत कर देता।" ज़ैन ने अपनी बात पूरी की और ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा। अहमद ने उसे घूर कर देखा लेकिन इस बार कुछ कहा नही। पिज़्ज़ा खाने के बाद ज़ैन ने अहमद को उसके घर पर छोड़ा और फिर अपने घर के लिए निकल गया।
"उफ्फ्फ यार जैनी तू अभी तक तैयार नही हुई।" सानिया ने हैरान हो कर ज़ैनब से कहा। "यह टोकरियां आउंटी को देदु फिर मैं तैयार हो जाउंगी।" ज़ैनब ने कहा और अगे बढने लगी। "तू यह मुझे दे मैं मां को देदूँगी, तू जा कर तैयार हो जा।" सैनिया ने टोकरियां उसके हाथ से ली और रूम से बाहर चली गयी। तो ज़ैनब भी ड्रेस उठा कर वाशरूम में चली गयी। सानिया और ज़ैनब का ड्रेस भी बिल्कुल एक जैसा था। थोड़ी देर बाद ज़ैनब आईने के सामने बैठी अपने बाल बना रही थी कि तभी सानिया उसके पास आ कर बोली:"जैनी मैं तैयार हो गयी हु तू तयार हो जा मैं अप्पी को देख कर आती हु।" "ओके" ज़ैनब ने कहा और खुद को आईने में देखने लगी। पीले रंग की कुर्ती और हरे रंग का लाहेंगा जिस पर गोल्डन कलर का काम किया हुआ था, पीले और हरे कलर का दुप्पटा जो सही से सेट किया हुआ था। उसने अपने बालों की चोटिया बना कर उसमें फूल लगाए थे। हाथो में गजरे कानो में झुमके उसकी नीली आंखों में हल्का सा काजल और पिंक कलर की लिपिस्टिक और गोल्डन कलर की हील्स में वोह बेहद खूबसूरत लग रही थी। वोह आईने में खुद देख कर खुद ही शर्मा गयी। चल यार जैनी च..........दरवाज़ा खोलते ही जैसे ही सानिया की नज़र ज़ैनब पर पड़ी उसके शब्द उसके गले मे ही अटक गये। "क्या हुआ सानी ओवर लग रहा है?" ज़ैनब ने खुद को आईने में देखते हुए सानिया से पूछा। सानिया अपने होश में वापस आते हुए बोली: "नही,,,नही यार यु लुक अव्सम।" "तुझे नज़र न लगे जानू" यह कहते हुए वोह ज़ैनब के गले लग गयी। "चल जानू चलते है।" ज़ैनब ने भी उसे उसी के अंदाज़ में जवाब दिया। और दोनों खिलखिलाते हुए बाहर चली गयी। ................ ज़ैन तैयार हो कर खुद पर परफ्यूम छिड़क ही रहा था कि तभी अहमद वाशरूम से बाहर निकला। दोनो जहाँ जाते थे एक साथ जाते थे और एक जैसी ही ड्रेस पहनते थे। "वाह ज़ैनु तू तो मुझसे ज़्यादा हैंडसम होता जा रहा है और गोरा भी, कौन सी क्रीम लगाता है।" अहमद तौलिये से अपने बालों को रगड़ते हुए नॉर्मल सी आग ज़ैन के अंदर लगा चुका था। "कमीने मैं पहले से ही हैंडसम था और तेरे सासुर ने जो क्रीम ला कर दी है ना वही लगाता हु।" ज़ैन ने अहमद को घूरते हुए कहा। ज़ैन की बात सुनकर अहमद हसने लगा। और ज़ैन उसे घूर कर खुदको आईने में देखने लगा। वाइट शर्ट ब्लैक पैंट और ब्लैक कोर्ट और एक हाथ मे कीमती घड़ी पहने हुए उसके बाल हमेशा की तरह बिखरे हुए थे। लेकिन फिर भी उसकी पर्सनालिटी से वोह किसी रियासत के बादशाह से कम नही लग रहा था। उसके मुक़ाबले अहमद की भी सेम ड्रेसिंग थी लेकिन उसके बाल अच्छे सेट थे और वोह भी बेहद हैंडसम लग रहा था। ............. "हाय.....आयेशा आपली कितनी प्यारी लग रही हो।" ज़ैनब ने खुल कर उसकी तारीफ की तो वोह शर्मा गयी। चलो लड़कियों जल्दी करो मेंहदी वाली अति ही होगी। सानिया की अम्मी ने दुल्हन के पास बैठी सभी लड़कियों से कहा। तो सब नीचे चली गयी। ........ ज़ैन और अहमद भी अब अली के घर पहोंच चुके थे, और अली के गले मिल रहे थे। "आ गए तुम दोनों।" अली ने गले मिलते हुए कहा। "नही अभी रास्ते में है।" अहमद चिढ कर बोला। उसकी बात सुनकर अली हँसने लगा और उन दोनों से बोला: "चलो अंदर चलते है।" जैसे ही वोह लोग अंदर आये ज़ैन की नज़र स्टेज ओर खड़ी ज़ैनब पर पड़ी और उसी पर ठहर गयी। ज़ैनब स्टेज पर खड़ी किसी बात पर हस रही थी। ज़ैन की नज़रे उस पर से हटने का नाम ही नही ले रही थी। "ओह ज़ैनु कहा खो गया चल चलते है।" अहमद ने उसका बाज़ू हिला कर कहा। "हाँ, चल चलते है।" ज़ैन ने हड़बड़ा कर कहा। अहमद अब उसे शक्की नज़रों से देखने लगा। "पता है आज मैं बहोत हैंडसम लग रहा हु तो क्या अब तू मुझे नज़र लगाएगा।" ज़ैन ने उसे घूरते हुए कहा। "ज़ैनब बेटा जाओ जा कर किचन से फोलों को टोकरियां ले कर आ जाओ मेहमान आते ही होंगे।" सानिया की मम्मी ने ज़ैनब से कहा। "जी आउंटी अभी लायी।" ज़ैनब ने जवाब दिया और किचन की तरफ चली गयी। तभी ज़ैन का फ़ोन बजने लगा। उसने देखा कि शाज़िया की कॉल है। यह देख कर उसने जल्दी से फ़ोन उठाया। हेलो...........हेलो। अहमद मैं फ़ोन सुनकर आया यहां आवाज़ नही आ रही है। ज़ैन फ़ोन पर बात करते करते किचन की तरफ चला गया। फ़ोन सुनने के बाद जैसे ही वोह मुड़ा सामने से अति हुई ज़ैनब से टकरा गया। ज़ैन ने उसे पकड़ लिया। लेकिन ज़ैनब के हाथों में जो फूलों की टोकरी थी वोह उन दोनों के ऊपर गिर गयी। ज़ैनब ने अपनी आंखें कस कर बन्द की और ज़ैन की शर्ट को ज़ोर से पकड़ लिया। ज़ैन ने कुछ पल उसके चेहरे को देखा फिर धीरे से उसके कान में बोला: "मिस आप गिरने से बच गयी है।" ज़ैनब ने अपनी आंखें खोली तो देखा कि वोह उसकी बाहों में थी। ज़ैन तो जैसे उसकी नीली आंखों में खो ही गया था और किसी चीज़ का होश ही नही था। उसकी नीली आंखे बहोत ही अट्रैक्टिव थी। ज़ैन तो मानो उस मे डूबता ही जा रहा था। "क्या कशिश है इन आँखों मे मत पूछ मुझ से मेरा दिल लड़ पड़ा है मुझे वोह शख्स चाहिए।" "छोड़ दे मुझे।" ज़ैनब ने कहा। "छोड़ दिया तो गिर जाओगी।" ज़ैन ने मदहोशी में कहा। नही मेरा मतलब............. जब ज़ैनब से कोई बात नही बनी तो उसने नज़रे झुका ली। ज़ैन ने मुस्कुराते हुए उसे खुद से दुर किया। "सॉरी" ज़ैनब ने शर्मिंदगी से कहा। "ज़ैनब टोकरियां ले कर आ जाओ मेंहदी आ गयी है।" "आ गयी आउंटी।" ज़ैनब ने कहा और किचन में जा कर दूसरी टोकरी लेकर बाहर चली गयी। उसके जाने के बाद ज़ैन ने अपने दिल पर हाथ रखते हुए बोला:"उफ्फ यह तेरी नीली आंखे।" और दोबारा नंबर डायल करने लगा। सानिया अपनी सेल्फियां ले ही रही थी कि पीछे खड़ा अहमद जो अपना फ़ोन यूज़ कर रहा था उस से टकरा गई। "ओह पागल लड़की अंधी हो क्या?" अहमद ने उसे घूरते हुए कहा। "हाँ अंधी हु, लेकिन तुम्हारे पास आंखे है तूम तो देख ही सकते थे ना।" सानिया भी उसे उसी के अंदाज़ में जवाब दिया। "बत्तमीज़" अहमद ने चिढ़ कर कहा। "हाँ में बत्तमीज़ ही सही तुम तो तमीज़दार हो ना।" सानिया उसे चिढ़ाते हुए कहा। उसके अंदाज़ को देखते हुए अहमद मुस्कुरा दिया। "चलो अब सॉरी बोलो।" सानिया ने उसे उंगली दिखाते हुए कहा। अहमद ने पहले उसकी उंगली को देखा फिर उसे देखा। "छोटी सी लड़की हो और तुम मुझसे सॉरी बुलवाओगी।" अहमद दो कदम आगे हो कर उसके करीब आ कर कहा तो सानिया सकपका को बोली:"अरे जाओ माफ किया, अली भाई के दोस्त हो इसीलिए छोड़ रही हु।" इतना कह कर वोह जल्दी से वहां से भाग गई। अहमद उसे सकपका कर भागते देख कर हँसने लगा। थोड़ी देर बाद ज़ैन उसके पास आया तो अहमद बोला: "किसका फ़ोन था?" "चाची जान का।" ज़ैन ने स्टेज पर देखते हुए कहा। ज़ैन की नज़र बार बार ज़ैनब की ही तरफ जा रही थी। जब ज़ैनब ने उसे देखा तो ज़ैन मुस्कुरा दिया और ज़ैनब ने शर्मिंदगी से अपना सिर झुका लिया। अहमद का भी कुछ यही हाल था। वोह जब भी सानिया को देखता तो वो उसको मुंह चिढ़ा देती और यह देख कर अहमद मुस्कुरा देता। पागल लड़की अहमद ने मन ही मन सोचा। अहमद की नज़र जब ज़ैनब पर पड़ी तो वोह ज़ैन को कहयोनिय मारते हुए बोला: "हे ज़ैनु वोह देख आइस क्रीम वाली लड़की।" "यार तूने अब देखा है मैं तो कबका देख चुका हूं।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा। "हाये दाल में कुछ काला नही बल्कि पूरी की पूरी दाल ही काली है। बड़ा मुस्कुराया जा रहा है।" अहमद ने उसे छेड़ते हुए कहा तो ज़ैन ने उसे घूर कर देखा तो वोह चुप हो गया। अब तक मेहंदी की रस्म भी पूरी हो चुकी थी। ..…....... आज बारात आने वाली थी हर तरफ हंगामा था। हर कोई अपने अपने काम मे बिजी था। ज़ैनब भी सानिया और अपनी चीज़े एक जगह रख रही थी। बारात शाम की थी इसीलिए सब इतमीनान से तैयार हो रहे थे। ज़ैनब और सानिया का ड्रेस आज भी सेम था। ज़ैनब तैयार थी उसने आज ब्लैक कलर का गाउन पहना था, बाल खुले छोड़ कर कर्ल किये हुए थी आंखों में हल्का सा काजल, होंठो पर पिंक कलर की लिपिस्टिक, हाथों में ब्लैक कलर की चूड़ी और ब्लैक कलर की हील पहने वो आसमान से उतरी कोई पारी लग रही थी। सानिया की भी सेम ड्रेसिंग थी वोह भी बहोत प्यारी लग रही थी। .......... ज़ैन और अहमद ने भी ब्लैक कलर का अरमानी सूट पहना था। वोह दोनो हद से ज़्यादा डैशिंग लग रहे थे। तैयार हो कर ज़ैन सोफे पर बैठा अपना फ़ोन उसे कर रहा था जबकि अहमद बेड पर बैठा उसे घूर रहा था। "ऐसे क्या देख रहा है मुझे नज़र लगानी है क्या!" ज़ैन ने उसे घूरते हुए देख कर रहा। अहमद हस कर बोला: "तुझ जैसे काले इंसान को किसकी नज़र लगेगी और मैं देख रहा था कि तू काले ड्रेस में काला कौवा लग रहा है।" इतना कह कर वोह वहां से भागने लगा। "अहमद के बच्चे तु मेरे हाथ लग मैं तेरा कीमा बना दूंगा।" ज़ैन ने गुस्से से कहा। "हाहाहा, सच हमेशा कड़वा ही लगता है।" अहमद ने हस्ते हुए कहा। ज़ैन ने कुशन उठा कर उसे मना शुरू किया फिर कांच कर ग्लास उठा कर उसकी तरफ फेंका, अहमद पीछे हट गया और ग्लास दीवार से लग कर ज़मीन में गिर कर टूट गया। अहमद ने पहले गिलास को देखा फिर ज़ैन को। "यार ज़ैनु तेरा सच मे मुझे मारने का इरादा था। यार खुदा के लिए बख्श दे, अगर तूने मुझे मार दिया तो तेरे होने वाले बच्चे चाचू किसे कहेंगे और मेरी तो अभी शादी भी नही हुई है तू भाभी किसे कहेगा। हाये मेरे अभी न होने वाले बच्चे।" अहमद रोने का नाटक करते हुए यह सारी बातें कह रहा था। उसकी बात सुनकर ज़ैन लोट पोट हो रहा था। "जा माफ किया" ज़ैन हँसने के दौरान बड़ी मुश्किल से बोला। ज़ैन इतना हस चुका था कि उसकी आँखों मे पानी आ गया था। अहमद खड़ा उसे हस्ते हुए देख रहा था। ज़ैन बेड से उठ कर अहमद के पास गया और उसे गले लगाते हुए बोला: "यार तू ही तो मेरे हँसने की वजह है अगर तू ना होता तो मैं कब का मर चुका होता।" उसकी बात सुनते ही अहमद ने उसे झटके से दूर किया और बोला: "मेरे जिगर के टुकड़े दोबारा कभी मरने की बात मत करना।" यह कह कर उसने फिर से अहमद को गले लगा लिया। "अच्छा बस कर मेरी जान तू तो मेरे साथ रोमैंस ही करना शुरू हो गया।" ज़ैन ने हंस कर कहा तो अहमद भी हँसने लगा। "चल यार नही तो अली का फ़ोन आ जायेगा।" अहमद ने उसे खींचते हुए कहा। "हाँ अब तो तुझे जल्दी होगी ही मेरे हैंडसम चेहरे को खराब जो कर दिया है।" ज़ैन थोड़ा नाराज़ होते हुए बोला। अहमद उसके चेहरे को पकड़ कर इधर उधर घूमाते हुए बोला: "यार तू तो कौवों का बादशाह लग रहा है।" इतना कह कर वोह ज़ोर ज़ोर से हस्ते हुए वहां से भाग गया। ज़ैन भी गुस्से से उसका पीछा करने लगा।
दोनो हॉल में पहोंचे तो अली ने उन्हें देखते हुए अपना हाथ हिलाया। यह देख कर अहमद हस्ते हुए ज़ैन से बोला:"यार ज़ैनु नैना भी तुझे देख कर ऐसे ही हाथ हिलाती थी ना।" ज़ैन ने घूर अहमद की तरफ देखा और फिर अली के गले लग गया। "और सुनाओ तुम लोग सही से तो पहोंचे हो ना?" अली ने कहा। "नही, पहले ट्रैफिक में फसे थे फिर पहोंचे है।" अहमद ने कहा। उसकी बात सुनकर दोनो हँसने लगे। "यार अहमद तू कभी सीधा जवाब नही दे सकता क्या?" अली ने हस्ते हुए कहा। उसकी बात सुनकर ज़ैन हस्ते हुए बोला: "उल्टा है तो उल्टा ही जवाब देगा ना।" "तू सही कह रहा है, मैं ने एक बार इसे उल्लुओं की तरह रात को पेड़ पर लटकते देखा था।" अली ने कहा और फिर दोनों हँसने लगे। अहमद उन दोनों से चिढ़ते हुए बोला: "जो खुद वही काम करते है वही आज दूसरों पर हस रहे है।" या अल्लाह मेरी ज़िंदगी मे एक गधा कम था जो आपने एक और भेज दिया। फिर अहमद उन दोनों को हस्ता हुआ छोड़ कर स्टेज की तरफ चला गया। ज़ैन भी उसके पीछे पीछे आ गया और अली मेहमानों का वेलकम करने के लिए गेट पर चला गया। अंदर पहूंचते ही ज़ैन की नज़रे ज़ैनब को जबकि अहमद की नज़रे सानिया को ढूंढ रही थी। अहमद हैरान हो कर खुद को कोसते हुए मन ही मन बोला: "मैं उस बत्तमीज़ को क्यों ढूंढ रहा हु।" तभी उन दोनों की नज़र दुल्हन के पास खड़ी ज़ैनब और सानिया पर पड़ी और उन दोनों की नज़रे वही ठहर गयी। अहमद ने खुद को कंट्रोल करते हुए अपनी मुश्किल से अपनी नज़रे हटाई लेकिन ज़ैन की नज़रे अब भी ज़ैनब पर टिकी थी। अहमद ने ज़ैन की नज़रों का पीछा किया और उसको केहनी मरते हुए बोला: "ओह आइस क्रीम वाली।" ज़ैनने मुश्किल से अपनी नज़रे ज़ैनब से हटाई और मुस्कुराते हुए अहमद से बोला: "कश्मीर जाएंगे और आइस क्रीम खाएंगे।" अहमद उसकी बातों का मतलब समझते हुए उसे अंख मारी तो ज़ैन ने उसकी कमर पर एक मुक्का मारा। तभी बारात के आने का शोर हुआ सब लडकिया बारात का वेलकम करने के लिए बाहर चली गयी। ......... निकाह हो गया था दूल्हे और दुल्हन को अब स्टेज पर साथ बिठा दिया गया था। सब लडकिया जूता चोराई की रस्म कर रही थी। दुल्हन की तरफ सानिया और ज़ैनब बैठी थी। सानिया दूल्हे से जूता चोराई के पैसे मांग रही थी जब कि ज़ैनब मुस्कुराते हुए उसे देख रही थी। ज़ैन सामने बैठ ज़ैनब की पिक निकाल रहा था यह देख कर अहमद बोला:"बस कर मेरे भाई फोन की मेमोरी फुल हो जाएगी।" उसकी बात सुनकर ज़ैन मुस्कुरा दिया। रस्म पूरी होने के बाद सब लडकिया दूल्हे से बात कर रही थी जबकि सानिया और ज़ैनब अपनी पिक निकाल रही थी। तभी सानिया की उसकी माँ के पुकारने की आवाज़ आयी। वोह स्टेज से उतर कर वहां से उनके पास चली गयी। उसके जाने के बाद ज़ैनब खुद की पिक निकालने लगी। तभी उसकी नज़र ज़ैन पर पड़ी जो उसे घूर रहा था। यह देख कर ज़ैनब ने शर्मिन्दगी से अपना सिर नीचे कर लिया। ज़ैन इसकी इस हरकत पर मुस्कुरा दिया। सानिया अपनी माँ की बात सुनकर ज़ैनब के पास जा ही रही थी कि तभी अहमद उसके पास आ कर बोला: "कैसी हो चुड़ैल?" सानिया उसके चुड़ैल कहने पर गुस्से से बोली: "खुद होंगे जिन, भूत और बंदर।" अहमद हस्ते हुए बोला:"नकल चोर सेम कलर क्यों पहनी हो।" "तौबा....... तौबा तुम होंगे नकल चोर।" वोह कानो पर हाथ रखते हुए बोली तो अहमद को फिर से हसी आ गयी। तभी ज़ैन ने अहमद को आवाज़ दी अहमद आगे बढ़ते हुए सानिया से बोला:"फिर मिलेंगे छिपकली।" और ज़ैन के पास चला गया। सानिया खूंखार नज़रों से उसे घूरती हुई ज़ैनब के पास आ गयी। "क्या हुआ सनी?" ज़ैनब ने उसका खराब मूड देख कर पूछा। सानिया ने उसे सारि स्टोरी बता दी। उसकी बात सुनने के बाद ज़ैनब ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी। "हस ले तू भी, बत्तमीज़ लडक़ी।" सानिया गुस्से से बोली। तो ज़ैनब आपनी हसी कंट्रोल करते हुए बोली:"सॉरी,सॉरी" देखते ही देखते बिदाई का वक़्त हो गया सब तरफ उदासी छा गयी। आयेशा की बिदाई के बाद ज़ैनब अपने घर आ गयी। अब उसे मेहनत करनी थी क्योंकि उसके पेपर्स स्टार्ट होने वाले थे। कुछ ही दिनों में वोह अपने रोज़ के रूटीन पर आ गयी थी। आज सानिया कॉलेज नही आई थी क्योंकि उसकी तबियत खराब थी, इसीलिए आज ज़ैनब को कॉलेज में बिल्कुल भी अच्छा नही लग रहा था।वोह कैंटीन में बैठी हुई थी कि तभी कुछ लड़के उसके पास आ कर खड़े हो गए। अचानक से ज़ैनब का धयान उन लड़कों की तरफ गया जो उसकी बगल में खड़े उसे घूर रहे थे। वोह हैरानी से उन्हें देखने लगी लेकिन कुछ कहा नही। उसकी क्लासेज खत्म हो गयी थी इसीलिए वोह कैंटीन से निकल कर घर जाने के लिये बसटोप पर चली गयी। वोह लड़के अब भी उसका पीछा कर रहे थे। उसके बस में चढ़ने के बाद उन्होंने किसी को फोन किया फ़ोन उठते ही वोह बोला:"वोह लड़की अपने घर के लिए निकल गयी है?" इतना कहते ही उसने फ़ोन रख दिया। ...... आज अहमद ज़ैन के घर आया था। जौसे ही उसने ज़ैन को यह खुशखबरी सुनाई की इमरान जिन लड़कियों की स्मगलिंग करने वाला था उनके आदमियो ने उन्हें बचा लिया है और उन लड़कियों को उनके घर भेज दिया है। ज़ैन यह सुनकर बहोत खुस हुआ वह खुद पर फखर करने लगा था क्योंकी उसका कभी ना हारने के गुरूर आज भी नही टूटा। "अहमद मेरी जाम आज मैं बहोत खुश हूं, आज फिर से हमारी जीत हुई है। इमरान आज तड़प रहा होगा, काश मैं उसे तड़पते हुए देख पाता।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा। "फिक्र ना कर ज़ैनु वोह और तड़पेगा क्योंकि जीत हमारी ही होगी।" अहमद ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा। "ज़ैन यार कुछ खिला दे।" अहमद ने पेट पर हाथ रख कर कहा तो ज़ैन ने नौकर से कह कर कुछ खाने के लिए मंगवाया। ......... सेठ जी आप पैसे निकालिये ज़ैनब आज रात के लिए आप की हो गयी। "ज़ैनब की भाभी ने टेबल पर रखे पैसे की गड्डियों को देखते हुए कहा। सेठ अपनी हवस भारी निगाहों से ज़ैनब की फ़ोटो को देखते हुए बोला:"आज नही कल मुझे यह लड़की चाहिए।" "ठीक है सेठ जी आप फिक्र मत करे।" फुरकान ने पैसे की गड्डियों को अपनी तरफ खींचते हुए कहा। "ठीक है मैं ने अपने आदमियो को उसके पीछे लगा दिया है तुम्हे अब उसकी फिक्र करने की ज़रूरत नही है।" सेठ ने उन्हें देखते हुए कहा। "ठीक है आज से वोह आपकी ही अमानत है आप जो चाहे उसके साथ कर सकते है।" फुरकान ने मुस्कुराते हुए कहा। सेठ मुस्कुराते हुए उठ कर खड़ा हो गया।"ठीक है अब मैं चलता हूं।" ........... खाने के बाद अहमद अपना फ़ोन यूज़ कर रहा था और ज़ैन अपने फ़ोन में ज़ैनब की फोटोज देख कर मुस्कुरा रहा था। अहमद ने जब उसे मुस्कुराते हुए देखा तो शरारती अंदाज़ में बोला:"क्या हुआ ज़ैनु तो इतना मुस्कुरा क्यों रहा है?" "अहमद मुझे यह चाहिए।" ज़ैन ने अपने फ़ोन में देखते हुए अहमद से कहा। "कौन चाहिए।" अहमद ना समझी से बोला और उठ कर उसके पास चला गया। "यह चाहिए।" ज़ैन अपना फ़ोन अहमद के आगे कर दिया। उसके फ़ोन में देखते हुए अहमद शोकड हो गया। "ज़ैन यह बहोत मासूम लड़की है तू इससे दूर रह समझा।" अहमद ने सीरियस हो कर कहा। "अहमद यह बहोत खूबसूरत है।" ज़ैन ने स्क्रीन पर अपनी उंगलियों को फेरते हुए कहा। "ज़ैन तुझे लड़की ही चाहिए ना रात गुज़र ने के लिए तो लडकिया तेरे लिए मर रही है तू उन में से किसी के साथ रात गुज़र ले। लेकिन तू इस लड़की से दूर रह।" अहमद ने अपने दिल पर पत्थर रख कर यह बात ज़ैन से कहि जबकि वोह हमेशा ज़ैन को इन सब चीज़ों से दूर रखने की पूरी कोशिश करता था। "नही, मुझे इसके साथ रात नही गुज़ारनी है बल्कि इससे शादी करनी है।" ज़ैन की बात सुनकर अहमद को झटका लगा। ज़ैन और शादी। वो तो बस यही सोचता था यह वक़्ती लगाओ है। लेकिन वोह नही जनता था कि ज़ैन इतना सीरियस है। "भाई तुझे पता भी है तू क्या कह रहा है। तू होश में तो है अगर नही है तो आ जा जानी।" अहमद में उसे समझाया। "नही मुझे यह चाहिए हर हाल में हर कीमत पर मुझे वोह चाहिए।" ज़ैन ज़िद करते हुए बोला। "यह कोई चीज़ नही जो तू ज़िद कर रहा है।" इस बार अहमद गुस्से से बोला। ज़ैन अहमद का हाथ पकड़ कर बोला:"अहमद मेरे भीई मेरा दिल इस के लिए तड़प रहा है। मुझे इससे मोहब्बत नही इश्क़ हो गया है।" इश्क़ नाम सुनकर ही अहमद सुन्न पड़ गया। ज़ैन इश्क़ भी कर सकता है जो सिर्फ लड़कियों के साथ वक़्त गुज़रता था। "ज़ैन मेरे भीई मेरी बात सुन यह स वक़्ती लगाओ है तू बस इसे अपने सिर पर सवार किये बैठा है।" अहमद ने उसे समझाने की कोशिश की। अहमद मुझे यह चाहिए इसके बगैर तेरा भाई मर जायेगा।" ज़ैन ने लाल आंखों से कहा। अहमद ज़ैन को इस तरह देख कर तड़प उठा। वोह तो ज़ैन के लिए अपनी जान भी दे सकता था फिर वोह तो एक लड़की ही मांग रहा था। लेकिन जैसी ही अहमद के दिमाग मे ज़ैनब की मासूम शक्ल दिखाई देती वोह बेबस हो जाता। अहमद ज़ैन को अच्छे से जनता था अगर उसने शादी का फैसला किया है तो ज़रूर उसके दिल मे कुछ था। "ठीक है।" हम उसके घर तेरा रिश्ता ले कर जाएंगे। उसकी बात सुनकर ज़ैन ने उसे गले लगा लिया।
ज़ैनब ग्रोउन्ट में बैठी किताब पढ़ रही थी जब कि सानिया बोर हो रही थी। "चल यार जैनी कैंटीन चलते है।" सानिया ने उठते हुए कहा। "नही यार एग्जाम स्टार्ट होने में दो महीने ही बचे है।" ज़ैनब ने सीरियस होकर कहा। "उफ्फ यार जैनी अभी दो महीने बाकी है अगर तू दो मिनट के लिए उठ जाएगी कुछ हो नही जाएगा।" आखिरकार ज़ैनब को उसकी ज़िद के आगे हार माननी ही पड़ी। वोह दोनो उठ कर कैंटीन चले गए। ........ दूसरी तरफ सेठ ने ज़ैन को फ़ोन किया। "हेलो" ज़ैन ने सीरियस आवाज़ में कहा। सेठ उसकी आवाज़ से डरते हुए बोला: "सर हमारी डील थी आज आप आये नही!" "तुमने मुझे अड्रेस नही भेजा तो मैं कहा तुम्हारे घर आता।" ज़ैन ने चिढ़ कर कहा। "ओह, सॉरी सर मैं अभी आपको होटल का नाम और रूम नम्बर भेजता हु।" सेठ ने अपने होंठों को काटते हुए कहा। उसकी बात का जवाब दिए बिना ज़ैन नफोने कट कर दिया और इमरान को कॉल किया। फोन उठाते ही इमरान गुस्से से बोला:"शाह कमीने मैं जानता हूं येह तेरा ही काम है मैं तुझे ज़िंदा नही छोडूंगा।" उसकी बात सुनकर ज़ैन मुस्कुराते हुए बोला:"क्या यार इमरान मैं ऐसा क्यों करूँगा आखिरकार तू मेरे पापा का दोस्त थे।" उसने दोस्त शब्द पर जोर देते हुए कहा। "में तुझे ज़िन्दा नहीँ छोडूंगा शाह।" इतना कह कर उसने ज़ोर से फ़ोन ज़मीन पर दे मारा। और इधर ज़ैन और अहमद ज़ोर ज़ोर से हस रहे थे। इमरान ने अपनी सेक्रेटरी से दूसरा फ़ोन लिया और किसी को कॉल किया। फ़ोन उठते ही वोह गुस्से से बोला:"शाह को जान से मार दो उसके लिए मैं तुम्हे पांच करोड़ दूंगा। काम होने के बाद मुझे फ़ोन करो।" और सामने वाले कि बात सुन बिना ही फोन काट दिया। .......... अहमद अपने फ़ोन में कुछ देर तक देखने के बाद मुस्कुराते हुए ज़ैन से कहा:"तेरी आइस क्रीम वाली का पता चल गया है।" "तो किसी मुहर्त का इंतज़ार कर रहा है जल्दी बोल।" ज़ैन ने सीरियस होकर कहा। उसका नाम ज़ैनब है। मेडिकल की स्टूडेंट है। उसके माँ बाप नही है भाई भाभी है। लेकिन उनका रवैया उसके साथ बिल्कुल भी ठीक नही है। उसकी एक ही बेस्ट फ्रेंड है सानिया अली की बहेन।अहमद ने एक सांस में ज़ैन को सारी बात बता दी। "अच्छा तू दो दिन में सिर्फ इतना ही पता कर पाया यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल था।" ज़ैन ने अपनी मुस्कुराहट छिपाते हुए अहमद से कहा। उसकी इतनी सी बात अहमद का पारा हाई करने के लिए काफी थी। "ज़ैन कमीने, कुत्ते, बत्तमीज़ इंसान, अहसान फरामोश कहि के।" अहमद ने गुस्से से कहा। ज़ैन मुस्कुराते हुए बोला:"सारी गालिया एक ही दिन दे देगा तो कल क्या कहेगा।" "जा मैं तुझसे नाराज़ हो गया।" अहमद ने मुंह फुला कर कहा। "अच्छा....अच्छा अब नाराज़ तो मत हो मेरी एक मीटिंग है उसके बाद हम पिज़्ज़ा खाने चलते है।" ज़ैन ने अहमद के सिरको सहलाते हुए कहा। पिज़्ज़ा का नाम सुनते ही अहमद की आंखे चमक उठी। "मेरी जान तुझे पता मुझे कैसे मनाना है।" "तू रेडी रहना मैं तुझे मीटिंग के बाद पिक कर लूँगा।" ................ ज़ैनब बस स्टॉप पर खड़ी बस का इंतज़ार कर रही थी।सानिया पहले ही अली के साथ चली गयी थी। सानिया ने ज़ैनब को भी अपने साथ चलने को कहा। लेकिन अपने भाई के ग़ुस्से कि वजह से ज़ैनब ने उसे मना कर दिया। वोह अभी बस का इंतेज़ार कर ही रही थी कि तभी किसी ने पीछे से उसके मुंह पर रुमाल रख दिया। वोह खुद को छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रही थी। लेकिन रुमाल पर लगे क्लोरोफार्म की वजह से वोह जल्दी बेहोश हो गयी। वोह लोग उसे उठा कर एक वैन में ले कर चले गए। ....... ज़ैन जब होटल के कमरे में पहोंचा तो वहां कोई नही था। वोह अपना फ़ोन निकाल कर सेठ को कॉल करने ही वाला था कि तभी उसकी नज़र बेड पर गयी जहाँ एक लड़की सो रही थी। वोह दरवाज़े के बाहर जा कर फिर से रूम नंबर चेक करने लगा। "में तो सही जगह आया हु फिर अंदर कोई क्यों नही है और ये लड़की.........."ज़ैन ने मन ही मन सोचा। फिर वोह रूम के अंदर गया उसने चारो ओर देखा लेकिन वहां कोई नही था। वोह सीधा बेड रूम में गया उस लड़की का चेहरा ब्लैंकेट से ढका हुआ था उसके बस बाल नज़र आ रहे थे। ज़ैन ने जैसे ही उस लड़की के ऊपर से ब्लैंकेट खींचा वो हैरान हो गया। ब्लू जीन्स, रीड कलर का टॉप और हल्के से मेकअप में ज़ैनब बेहद अट्रैक्टिव लग रही थी। वोह उसके पास गया और उसके गाल थपथपाते हुए उसे जगाने की कोशिश की लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे वोह बेहोश है। ज़ैन ने अपना फोन निकाला एयर सेठ को फ़ोन किया। फ़ोन उठते ही ज़ैन के बोलने स्व पहले सेठ बोल पड़ा। "मुझे पता था आपको यह लड़की बेहद पसंद आएगी। मेरे एक बन्दे ने मुझे बताया था आपको खूबसूरत लड़किया बहोत पसंद है इसीलिए मैं ने आपके लिए इस लड़की को दस लाख में एक रात के लिए खरीदा है।" सेठ अपनी ही बड़ाई कर रहा था जबकि ज़ैन का खून खौल रहा था। ज़ैन गुस्से से अपनी मुट्ठियां भींच कर खुद को शांत करते हुए बोला:"किस ने इस लड़की की कीमत लगाई थी, मुझे उससे मिलना ह।" सेठ हस्ते हुए बोला:"वोह बॉस उसके भाई ने!" ज़ैन ने उसकी बात सुनकर गुस्से से फोन बेडपर पटका और एक नज़र बेड पर लेटी ज़ैनब की तरफ देखा।वोह गहरी सांस ले कर खुद को शांत करते हुए बेड पर पड़ा फ़ोन उठा कर अली को कॉल किया। "हाँ ज़ैन" अली ने फ़ोन उठाते ही कहा। "सानिया कहा है?" ज़ैन ने पूछा। "घर पर ही है क्यों क्या हुआ?" अली ने परेशान होते हुए कहा। "अरे यार उसकी फ्रेंड ज़ैनब बसटोप पर बेहोश हो गयी थी मैं उसे हॉस्पिटल ले जा रहा हु तू भी सानिया को ले कर हॉस्पिटल आ जा।" ज़ैन ने अपने बालों को अपनी मुट्ठी में जकड़ते हुए अली से कहा। वोह इस वक़्त अपने गुस्से को कंट्रोल करने की पूरी कोशिश कर रहा था। "ठीक है, मैं सानिया को ले कर आता हूं। तो मुझे हॉस्पिटल का अड्रेस टेक्स्ट करदे।" अली ने परेशान हो कर कहा। ज़ैन ने फ़ोन कट कर दिया और ज़ैनब को अपनी बाहों में उठा कर होटल से बाहर आया। उसने पहले ही ड्राइवर को कॉल करके गाड़ी पार्किंग से निकालने को कह दिया था। उसे देखते ही उसके आदमियो ने उसके लिए दरवाज़ा खोला। उसने ज़ैनब को पीछे की सीट पर लेटाया और खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ कर कार ले कर निकल गया। .............. ज़ैनब की जब अंख खुली तो सानिया के इलावा कोई भी उसके पास नही था। उसे बस इतना ही याद था कि वोह बसटोप पर बस का वेट कर रही थी। उसके इलावा इसे कुछ भी याद नहीँ था। सानिया उसे होश में आता देख कर सुकून की सांस लेते हुए बोली:"शुक्र है तुम्हे होश आ गया मैं तो डर ही गयी थी।अब तुम कैसे फील कर रही हो।" "मैं ठीक हु तुम्हे फिक्र करने की ज़रूरत नही है।" ज़ैनब ने मुस्कुराते हुए कहा। ठीक है तुम रेस्ट करो ड्रिप खत्म होने के बाद हम घर चलते है। इतना कह कर सानिया बाहर जाने लगी। "रुको" पीछे से ज़ैनब ने उसे आवाज़ दी। "हु" सानिया वापस से उसके पास आ गयी। "मैं यहां कैसे आयी?" ज़ैनब ने परेशान होते हुए कहा। "तुम बसटोप पर बेहोश हो गयी थी अली भी के एक दोस्त ने तुम्हे पहचान लिया और यहां ले कर आये और उन्होंने अली भी को फ़ोन करके मुझे यहां आने के लिए कहा। अब तू ज़्यादा मत सोच और आराम कर।" सानिया उसके चेहरे को थपथपाते हुए बोली। "हु" ज़ैनब ने पलकें झपकाई और आंखे बंद करके कुछ सोचने लगी। ज़ैन डॉक्टर के केबिन में बैठा था। डॉक्टर: "देखिए उन्हें क्लोरोफार्म के साथ साथ हाई डोस ड्रग भी दी गया है जिसकी वजह कल क्या हुआ उन्हें कुछ भी याद नही है। लेकिन आपको उनका ख्याल रखना होगा। उन्हें अभी एक दिन के लिए वीकनेस फील होगी लेकिन परेशान होने की ज़रूरत नही ड्रग का असर कम होगया है खत्म होने के बाद वोह बिल्कुल ठीक हो जाएंगी। और एक ज़रूरी बात इनके खाने पीने का आपको ज़्यादा ध्यान रखना होगा। खाली पेट ड्रग दिए जाने की वजह से यह लंबे समय के लिए उनकॉन्सियस हो गयी थी। "ठीक है,थैंक्स डॉक्टर।" ज़ैन ने कहा और वापस ज़ैनब के वार्ड की तरफ आ गया। जैसे ही वोह वार्ड के बाहर पहोंचा उसे ज़ैनब के हँसने की आवाज़ आयी जो सानिया से बात कर रही थी। वोह वही से वापस बाहर की तरफ चला गया। कार चलाते हुए उसने अहमद को फोन किया। अहमद फ़ोन पर गेम खेल रहा था। स्क्रीन पर "मेरी जान" नाम फ़्लैश होता देख अहमद के चेहरे पर मुस्कान आ गयी। अहमद ने जल्दी से फ़ोन उठाया। "बोल मेरी जान।" "कहा है तू।" ज़ैन चिढ़ कर पूछा। "अरे बे सब्र आ रहा हु।" अहमद ने अपनी मुस्कुराहट दबाते हुए कहा। "चल तू घर पे रह मैं भी वही आ रहा हु।" ज़ैन ने इतना कह कर फ़ोन कट कर दिया और कासिम को कॉल करके अहमद के घर आने के लिए कहा। कासिम जब अहमद घर पहोंचा तो अहमद उसे देख कर हैरान होते हुए बोला:"तुम यहाँ!" कासिम अपना सिर झुकातेहुये बोला:"हाँ बॉस ने बुलाया है।"
कल हॉस्पिटल से आने के बाद से ही ज़ैनब अपने कमरे में ही थी। घड़ी में टाइम देखने के बाद वोह उठ कर वाशरूम में फ्रेश होने के लिए चली गयी। कासिम ने गाड़ी ज़ैनब के घर के सामने रोकी। अहमद और ज़ैन गाड़ी से उतर कर घर के अंदर गए। वोह दोनो सोफे पर बैठ गए और कासिम उनके पीछे खड़ा हो गया। फुरकान और उसकी बीवी उन दोनों के सामने ही बैठे थे। "आप लोग कौन है?" फुरकान ने उन तीनों को देखते हुए पूछा। "हम ज़ैनब का रिश्ता ले कर आये है।" अहमद ने सोफे पर पीठ टिकाते हुए कहा। हमें अभी उसकी शादी नही करनी है। आप लोग यहाँ से जा......... "पाँच करोड़।" फुरकान की बात पर ध्यान दिए बिना ज़ैन ने कहा। अहमद ने हैरानी से ज़ैन की तरफ देखा। जबकि पांच करोड़ का सुनकर फुरकान और उसकी बीवी एक दूसरे की तरफ देखा। उन्होंने इतने पैसे अपनी पूरी ज़िंदगी मे नही देखे थे। फुरकान की बीवी ने मुस्कुराते हुए जल्दी से कहा। "हमें मंज़ूर है।" उसकी बात सुनर कर ज़ैन के होंठो पर मुस्कुराहट आ गयी जबकि अहमद ने अफसोस के साथ अपना सिर हिलाया और उनकी तरफ देखते हुए कहा:"सब रिश्ते मैले हो गए।" उसकी बात सुनकर फुरकान और उसकी बीवी ने मुंह बनाया लेकिन कुछ कहा नही। बात फाइनल होने के बाद ज़ैनब की भाभी उसके रूम में आई और उसका हाथ पकड़ कर खींचते हुए बोली:"चलो" ज़ैनब हैरानी से उनकी तरफ देखते हुए बोली:"लेकिन कहा!!!" उसको हैरान देख कर उसकी भाभी ज़ोर से हस्ते हुए बोली:"आखिरकार तुमसे पीछा छूट ही गया, हमने तुम्हे बेच दिया है, अब तुम इस घर से अपनी मनहूस शक्ल ले कर निकल जाओ।" आ....आप.....झूठ बोल रही है ना। ज़ैनब ने लड़खड़ाती जुनाब में खुद को तस्सली देते हुए कहा। "नही...में सच कह रही हु।" वोह गुस्से से बोली और उसको खींचते हुए ड्राइंग रूम में ले कर आयी। ज़ैन को सोफे पर बैठे देख वोह एक पल के लिए ठिठक गयी, लेकिन वोह इस वक़्त उस पर धयान देने के होश में नही थी। वोह सीधा अपने भाई के पास जा कर उसके पैरों के पास बैठ कर बोली:"भाई भाभी झूठ कह रही है ना, आप मुझसे प्यार करते है ना।" "नही, तुम मेरी सौतेली बहेन हो मैं तुमने नफरत करता हु।" फुरकान ने गुस्से से कहा और उसे खुद से दूर किया। ज़ैनब तोरे हुए उससे मिन्नतें कर रही थी। अहमद को उसकी हालत देख कर बहोत दुख हो रहा था, जबकि ज़ैन को गुस्सा आ रहा था। "उसके पैरों में बैठ कर मिन्नतें क्यों कर रही हो चलो यहां से।" ज़ैन ने गुस्से से कहा। ज़ैनब ने ज़ैन की तरफ देखा और अपने भाई से कहा:"प्लीज भाई मैं मर जाउंगी।" "अपनी अमानत को ले जाये शाह साहब।" ज़ैनब की बात पर धयान दिए बिना ही फुरकान ने ज़ैन से कहा। ज़ैन ने ज़ैनब का बाज़ू पकड़ा और उसे खींचते हुए बाहर ले जाने लगा। बाहर जाते हुए उसने कासिम से उन्हें पैसे देने को कहा। जबकि ज़ैनब अपना बाज़ू छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रही थी। लेकिन ज़ैन की पकड़ इतनी मजबूत थी कि वोह खुद को छुड़ाने में नाकाम रही। ज़ैन ने उसे पीछे की सीट पर बिठाया और खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और अहमद भी फ्रंट सीट पर आ कर बैठ गया। ज़ैनब बार बार दरवाज़ा बजा रही थी और अहमद को उसकी हालत देख कर उस पर तरस आ रहा था। ज़ैन ने एक नज़र ज़ैनब पर डाली और गाड़ी को स्टार्ट करके सड़क पर दौड़ा दी। जब घर ज़ैनब की नज़रों से दूर हो गया तो वोह अपने हाथों से अपना मुंह छुपा कर रोने लगी। ज़ैन को उसके रोने की वजह से तकलीफ हो रही थी। "अब रोना बन्द करो।" ज़ैन ने गुस्से से कहा। उसकी आवाज़ इतनी तेज़ थी कि ज़ैनब सहम गयी। अहमद ने घूर कर ज़ैन कि तरफ देखा। उसे खुद को घूरते हुए देखा ज़ैन प्यार से ज़ैनब से बोला:"बटरफ्लाई रोना बन्द करो तुम्हारे रोने से मुझे तकलीफ हो रही है।" "प्लीज आप मुझे घर छोड़ दे वोह ज़रूर मुझसे किसी बात के लिए नाराज़ है मैं उन्हें मना लुंगी।" ज़ैनब ने रोते हुए कहा। "वोह तुमसे प्यार नही करते।" ज़ैन ने नरम लहजे में उससे कहा तो वोह घुटने में सिर छुपा कर रोने लगी। कुछ देर बाद ज़ैन ने गाड़ी रोकी और ज़ैनब को बाहर निकाला और घर मे ले जाने के बाद उसने ज़ैनब को एक कमरे में बंद कर दिया। ज़ैनब बार बार दरवजा खटखटा रही थी। जब किसी ने दरवाजा नही खोला तो वोह थक हार कर ज़मीन में बैठ कर रोने लगी। "अड्डे पर जाओ और अपने दो भरोसे मन्द आदमियो को यहां पहरेदारी के लिए लगा दो।" ज़ैन ने सिगरेट के कश भरते हुए कासिम से कहा। "अब क्या करना है?" अहमद ने ज़ैन से पूछा। "फिलहाल तो रात की फ्लाइट से मैं दो दिन के लिए दुबई जा रहा हु बाकी का आने के बाद देखता हूं तू घर पर चक्कर लगाते रहना।" ज़ैन ने ज़ैनब के कमरे की तरफ देखते हुए अहमद से कहा। "ओके।" अहमद ने सिर हिला कर कहा। ज़ैनब बैठी रो रही थी, वोह सोच भी नही सकती थी उसका भाई ऐसा भी कुछ कर सकता है। रोत रोते उसकी आंख कब लग गयी उसे पता ही ना चला। दो दिन बाद.......... ज़ैनब सोच रही थी दो दिन हो गए उसे यह आये हुए। एक औरत अति है और उसे खाना दे कर चली जाती है और वोह मिन्नते करती है कि खाना खाले नही तो शाह जी हमें छोड़ेंगे नही और ज़ैनब उनका खयाल करके खाना खा लेती थी। ज़ैनब यह सोच कर की इनका शाह जी मेरे साथ क्या करेगा कांप जाती है। यह सब सोचते हुए उसने आज कमरे के चारो ओर नज़र दौड़ाई उसे आज अहसास हुआ था कि उसका कमरा बहोत खूबसूरत है। हस चीज़े कायदे से रखी हुई थी। वहां एक शीशे के दरवाज़ा था जब ज़ैनब ने उसे खोल कर देखा तो वोह एक टैरिस थी। उसको बहोत खूबसूरती से सजाया गया था। चारों तरफ हरे भरे पेड़ थे वहां दो कुर्सियां और एक छोटा से टेबल रखा हुआ था। वहां एक सीढ़ी थी जो नीचे गार्डन की तरफ जाती थी। ज़ैनब ने इधर उधर देखा वहां कोई नही था। वोह धीरे से सीढ़ियों से नीचे आयी और मेन गेट की तरफ जाने लगी। उसने दरवाज़े से बाहर देखा तो वहां दो आदमी थे,एक कुर्सी पर बैठ कर सो रहा था जबकि दूसरा आदमी दूसरी तरफ मुंह करके मोबाइल में गेम खेल रहा था। ज़ैनब ने धीरे से दरवाज़ा खोला और वहां से बाहर निकल गयी। ज़ैन आज घर वापस आया वोह बहोत खुश था कि अब वोह ज़ैनब को देख पायेगा। लेकिन जैसी ही उसने रूम का दरवाजा खोला वहां कोई नही था उसने वाशरूम में देखा वहां भी कोई नही था। फिर उसने टैरिस की तरफ देखा जिसका दरवाज़ा खुला हुआ था, ज़ैन दौड़ते हुए वहां गया लेकिन वहां भी कोई नही था। वोह गुस्से से सीढिया उतरते हुए ज़ैनब की मासी को आवाज़ देने लगा। वोह जल्दी से किचन से भगति हुई उसके पास आ कर बोली:"क्या हुआ साहब?" "ज़ैनब कहा है?" उसने गुस्से से पूछा। "साहब वोह तो थोड़ी देर पहले अपने रूम में थी।" उन्होंने डरते हुए कहा। "लेकिन अब वोह वहां नही है।" ज़ैन का गुस्से से बुरा हाल हो रहा था। उसने अहमद को फ़ोन किया और उसे अपने घर आने के लिए कहा। ज़ैन बाहर खड़े पहरेदारो को गुस्से में देख रहा था। "बॉस हम बाहर से एक सेकंड के लिए भी हिले है बाहर कोई नही गया है।" एक पहरे दर डरते डरते बोला। "अगर वोह बाहर नही निकली तो आसमान उसे खा गया या ज़मीन उसे निगल गयी।" ज़ैन ने गुस्से से उसे देखते हुए कहा। तब तक अहमद भी रश ड्राइविंग करते वहां पहुंच चुका था। "बॉस हमें नही पता मैडम कहा गयी है हमारा यक़ीन करे।" वोह दोनो ज़ैन के कदमो में बैठ कर गिड़गिड़ा रहे थे। क्योंकि वोह दोनो जानते थे उनकी गलती की सज़ा शाह की अदालत में सिर्फ मौत है। कासिम जो ज़ैन के वापस आने पर उससे मिलने आया था उसे गुस्से में देख कर वो भी सहम गया। "बॉस" उसने डरते डरते ज़ैन को आवाज़ दी। "दिल तो कर रहा है तुम दोनों को शूट कर दूं, तुम दोनों के होते हुए वोह यहां से भागी कैसे।" ज़ैन ने गुस्से से चिल्ला कर कहा। "कासिम मुझे गन दो।" ज़ैन ने गुस्से से कासिम को देखते हुए कहा। नही बॉस हमें माफ करदें। उन दोनों ज़ैन से गिड़गिड़ा कर कहा। "तुम दोनों जाओ यहां से।" अहमद ने उन दोनों से कहा। उसकी बात सुनकर ज़ैन ने खूंखार नज़रो से अहमद की तरफ देखा। "ज़ैनु रिलैक्स यह वक़्त गुस्सा करने का नही है। हमें पहले भाभी को ढूंढना चाहिए।" अहमद ने उसके कंधे पर हाथ रख कर कहा। "कासिम अपने आदमियो को शहर में फैल जाने को कहो। हमे जल्द से जल्द उन्हें ढूंढना होगा।" अहमद ने कासिम को आर्डर दिया और कासिम अपना सिर हिलाते हुए फौरन वहां से चला गया। ज़ैनब भागते हुए कुछ लड़कों से टकरा गई। सॉरी कहते हुए जैसे वोह पीछे मुड़ी सामने खड़े शख्स को देख कर उसकी सांसे ही रुक गयी।
ज़ैन को अपनी तरफ गुस्से से बढ़ते देख वोह कांपने लगी। तभी अचानक से एक लड़के ने पीछे से ज़ैनब को आवाज़ दी। ज़ैनब ने पीछे मुड़ का देखा तो उसका सीनियर था। वो उसके पास आ कर बोला:"जैनी तुम कहा हो तुम्हे पता है ना समेसरर्स स्टार्ट हो रहे।" ज़ैनब ने पहले ज़ैन को देखा जो गुस्से से लाल आँखों से उसकी तरफ देख रहा था और फिर अपने सीनियर की तरफ देखा जो उन दोनों को हैरानी से देख रहा था। "ज़ैनब क्या हुआ तुम्हे कोई प्रॉब्लम है क्या?" उसने ज़ैनब के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा। यह देख कर ज़ैन जो अब तक अपना गुस्सा कंट्रोल करने की पूरी कोशिश कर रहा था अगले ही पल आगे बढ़ कर उसका हाथ पकड़ कर उसे मोड दिया। उस लड़के की दर्द से भरी चीखे सुनकर ज़ैनब ने जल्दी से ज़ैन को धक्का दिया और गुस्से से बोली:"आप समझते क्या है अपने आप आपको आप जो चाहे वोह कर सकते है। आप इंसान है या हैवान।" ज़ैन और अहमद तो एक पल के लिए हैरान ही हो गए थे। क्योंकि उन्होंने इतने दिनों में कभी ज़ैनब को गुस्से में नही देखा था। ज़ैन ने उसका बाज़ू पकड़ा और उसे खुद से करीब करते हुए बोला:"कहा जा रही हो बटरफ्लाई।" ज़ैनब को उसकी उंगलिया अपने बाज़ू में धंसती हुई महसूस हो रही थी। उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे। अहमद जल्दी से ज़ैनब के पास आया और ज़ैन के हाथों को झटक कर ज़ैनब को कार में बिठाया। घर पहोंच कर अहमद ने ज़ैनब को कमरे में जाने के लिए कहा। यहाँ नीचे ज़ैन हाल में चक्कर काट रहा था। उसने ज़ैन के रूम को देखा और उसकी तरफ बढ़ ही रहा था कि अहमद ने उसके हाथों को पकड़ कर उसे रोक लिया। ज़ैन ने न समझी से उसकी तरफ देखा। अहमद उसकी नज़रों का मतलब समझते हुए उससे बोला:"पहले अपना गुस्सा ठंडा करो।" "मैं कुछ नही करूँगा।" ज़ैन ने उसका हाथ हटाया और अंदर की तरफ चला गया। ज़ैनब कमरे में बैठी रो रही थी। दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनकर उसने दरवाज़े की तरफ देखा। वहां ज़ैन को खड़ा देख वोह डर कर खड़ी हो गयी। ज़ैन उसके पास गया और गुस्से से उसके बाज़ू को पकड़ कर उसे दीवार से लगा दिया। ज़ैनब को उसकी उंगलिया अपने बाज़ू में चुभती हुई महसूस हो रही थी। "यहां से क्यों भागी?" ज़ैन ने गुस्से से पूछा। वोह.....वोह मैं। ज़ैनब हकला रही थी। मुझे ल....गा मैं य..हां से..फ न..ही हु क्योंकि आ...प मुझे यहां खरीद कर लाये है। ज़ैनब ने हकला कर कहा। उसकी बात सुनकर ज़ैन को बहोत गुस्सा आया उसने टेबल पर पड़ा जग उठाया और उसे ज़मीन पर दे मारा। जग टूटने की वजह से शीशे के टुकड़े जगह जगह बिखर गए। ज़ैनब सहम कर रोने लगी। अहमद अंदर आया तो अंदर का मंजर देख कर उसका दिमाग हम गया। अहमद ने खुद को काबू करते हुए ज़ैन को ज़ैनब से दूर धक्का दिया। ज़ैन दोबारा ज़ैनब की तरफ बढ़ ही रहा था कि अहमद ने इस बार उसे ज़ोर से मुक्का मारा और वोह सीधा जा कर ज़मीन पर गई गया। ज़ैन ने वापस से उठ कर अहमद को धक्का दिया, अहमद लड़खड़ाते हुए काँच के टुकड़ों के पास जा कर गिर। कांच के कुछ टुकड़े उसके बाज़ू में चुभ गए थे और उससे खून निकलने लग गए थे। अहमद ने ज़ैन को देखा जिसका एक हाथ ज़ैनब के बालों में जकड़ा हुआ था जबकि उसके दुसरे हाथ से उसने ज़ैनब को मुंह दबोच कर बोला:"तुमने मुझे दरिंदा समझ लिया है। तो क्यों ना मैं तुम्हे बता दु दरिंदा होता कैसा है।" अहमद ने बेदर्दी से अपने हाथों से कांच के टुकड़ों को निकाला और ज़ैन को धक्का दे के उसे उंगली दिखाते हुए बोला:"अगर अब तू भाभी के पास भी आया तो मैं इन्हें इतनी दूजे भेज दूंगा की तू कभी भी उन तक पहोंच नही पायेगा और तू जनता है मैं ऐसा कर सकता हु।" उसकी बाद सुनकर कर ज़ैन पीछे हो कर अपना हाथ मसलते हुये गुस्से से लाल आंखों से ज़ैनब को देखा और फिर अहमद से बोला:"अहमद मौलवी को बुला मुझे आज और अभी इसी वक्त मुझे इससे निकाह करना है।" इतना कह कर वोह वहां से बाहर चला गया। अहमद ने बेबस नज़रो से ज़ैनब को देखा जिसका चेहरा आंसुओं से तर था। भाभी....... अहमद ने सिर्फ इतना ही कहा। "नही,भाई प्लीज मुझे उनसे शादी नही करनी है,वोह बहोत बुरे है मुझे मरेंगे।" ज़ैनब ने रोते हुए कहा। ज़ैनब की बात सुनकर अहमद को ऐसा लगा जैसे उसका सीना किसनी ने गोलियों से भून कर छन्नी कर दिया है। अहमद ने उसे बेड पर बिठाया और खुद उससे कुछ दूर खड़ा हो गया। "देखे भाभी वोह बहोत ही अच्छा इंसान है, आप से बहोत प्यार करता है लेकिन गुस्से का तेज है। उसे आपका यहां से भागना अच्छा नही लगा इसीलिए वोह गुस्सा में था। लेकिन आप फिक्र न करे मैं उसे समझा दूंगा वोह दोबारा ऐसा नही करेगा, मैं आपसे वादा करता हु। अब आप ने मुझे भाई कहा है तो एक बार अपने इस भाई पर यकीन भी कर लीजिए। आप परेशान मत हो मैं अभी आपकी दोस्त सानिया को ले कर आता हूं।" "वोह सच मे बुरे नही है।" ज़ैनब ने झिझकते हुए कहा। "नही, मेरी प्यारी बहेन।" अहमद ने उसके सिर पर चपत लगाते हुए कहा। उसकी बात सुनकर ज़ैनब मुस्कुरा दी। "भाभी आप हसती भी है मुझे लगा आपको सिर्फ रोना आता है।" अहमद ने हस कर कहा। उसकी बात सुनकर ज़ैनब ने मुंह बना लिया। "अच्छा......अच्छा सॉरी मेरी प्यारी बहेन। अब मैं चलता हूं उस नवाबज़ादे ने मौलवी को बुलाने का आर्डर दिया है।" अहमद दो कदम ही आगे बढ़ा था कि ज़ैनब ने उसे आवाज़ दी। उसने पीछे मुड़ कर देखा तो ज़ैनब ने कहा:"आप सच मे सानिया को ले कर आएंगे?" "हु।" अहमद ने मुस्कुरा कर कहा और बाहर चला गया। अहमद बाहर आया तो ज़ैन सिगरेट पी रहा था। वो ज़ैन को इग्नोर करते हुए कासिम को अपने साथ आने का कह कर बाहर चला गया। कासिम के साथ मौलवी को भेज कर उसने अली को कॉल करके सारी सिचुएशन बताई। "यार अहमद मैं तो शहर में नही हु तू सानिया कोले कर चला जा।" अली ने कहा। "ठीक है तू मुझे उसका नम्बर भेज दे।" अहमद ने कहा और फोन रख दिया। अहमद ने सानिया को फ़ोन किया, सानिया ने तीसरी बेल पर फ़ोन उठाया। "कौन?" "मैं अहमद हु।" "कौन अहमद?" सानिया में पूछा। "अली का दोस्त।" अहमद ने कहा। "कौनसा दोस्त उसके तो बहोत दोस्त है।" सानिया ने मुस्कुराते हुए कहा। "छिपकली मैं हु।" अहमद ने चिढ़ कर कहा। "ओह बंदर तो तुम हो, तुम्हे मेरा नंबर कहा से मिला?" सानिया ने पूछा। "तुम्हे लेने आ रहा हु रेडी रहना।" अहमद ने उसकी बात को इग्नोर करते हुए कहा और फ़ोन रख दिया। उसके घर के बाहर पहोंच कर अहमद ने उसे फिर से फ़ोन किया और उसे बाहर आने के लिए कहा। "क्या है?" सानिया ने घूर कर कहा। "चलो मेरे साथ।" अहमद ने उसे इग्नोर करते हुए कहा। "मैं क्यों चलूं तुम्हारे साथ कहि अगर तुमने मुझे अगवा कर लिया तो।" सानिया ने अपनी आंखें नाचते हुए कहा। "ओह बत्तमीज़ लड़की तुम्हारे भाई को पता है और उसी से मैं ने तुम्हारा नंबर लिया है।" अहमद ने चिढ़ कर कहा। क्या पता तुम झूठ बोल रहे तो........ "बस अब सुकून से आ कर गाड़ी में बैठ जाओ मुझे तुम्हारी आवाज़ सुनाई ना दे।" अहमद ने गुस्से में कहा तो सानिया आ कर गाड़ी में बैठ गयी। उसके बैठने के बाद अहमद ने गाड़ी सड़क पर दौड़ा दी। "सॉरी।" अहमद ने सानिया को देखते हुए कहा। "इट्स ओके।" सानिया ने दूसरी तरफ देखते हुए कहा। "यार मैं पहले से परेशान था और तुम्हारे सवाल खत्म ही नही हो रहे थे।" अहमद ने उसे एक्सप्लेन करते हुए कहा। "इट्स ओके, लेकिन तुम मुझे कहा लेजा रहे हो?" वोह दरअसल..............अहमद ने उसे सारी बात बता दी। "ज़ैनब के साथ इतना सब कीच हो गया और उसने मुझे बताई भी नही, वो ठीक तो है ना?" सानिया ने आंखों में आंसू लिए हुए कहा।
अहमद ज़ैनब के रूम में गया तो सानिया उसे समझा रही थी। "क्या पट्टिया पढ़ाई जा रही है मेरी भाभी प्लस बहेना को।" अहमद ने मुस्कुरा कर कहा। "कुछ पट्टिया वट्टीया नही पढ़ा रही हु और तुम्हारा टांग अड़ाना जरूरी है क्या।" सानिया ने चिढ़ कर कहा। "ओह मैडम मैं ने पट्टियों का नाम लिया है। वैसे यह वट्टीया क्या होती है?" अहमद ने ज़ैनब के पास बैठते हुए कहा। "तुम अपने काम से काम रखो।" सानिया ने झुंझला कर कहा। "तुम दोनों चुप करो क्यों पागलों की तरह लड़ रहे हो।" ज़ैनब ने तंग आ कर कहा। "तुम हमे कह रही हो जैनी!" सानिया ने हैरान हो कर कहा। "नही, तुम दोनों के यहां कोई और पागल है क्या।" ज़ैनब ने चिढ़ कर कहा। दोनो ने ज़ैनब की तरफ देखा और फिर एक दूसरे को हाईफाई दे कर हँसने लगे। ज़ैनब उन दोनों की इस हरकत पर मुंह बना कर बैठ गयी। सानिया अहमद को फ्रैंकली होते देख कर बोली:"अब ज़्यादा खुश फहमी में ना रहना बंदर।" यह कह कर वोह ज़ैनब को बाये बोल कर कमरे से भाग गई। "पागल लड़की।" अहमद ने मुस्कुरा कर कहा और फिर ज़ैनब से बोला:"भाभी मैं आपके लिए खाना ले कर आता हूं खाना खाने के बाद आप रेस्ट कर लेना।" यह कह कर वोह कमरे से बाहर निकल गया। अहमद बाहर आने के बाद मासी से ज़ैनब के कमरे में खाना पहुचाने कह रहा था ज़ैन वहां खड़ा था। अहमद उसे इग्नोर करके सानिया के पास चला गया। यह देख कर ज़ैन ने अपनी मुट्ठियां भींच ली। "चलो मैं छोड़ देता हूं, बहोत देर हो गयी।" अहमद ने सानिया से कहा। "कोई ज़रूरत नही मैं चली जाउंगी।" सानिया ने आगे बढ़ते हुए कहा। "कैसी जाओगी?" अहमद ने पूछा। "जैसे भी जाऊं तुम्हे इससे क्या?" सानिया ने अपनी हंसी दबाते हुए कहा। वोह आगे बढ़ी ही थी कि तभी अहमद ने उसका हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया। अहमद ने एक हाथ उसकी कमर में डाला और दूसरे हाथ से उसकी लटों को पीछे करते हुए बोला:"बोल रहा हु मैं छोड़ देता हूं तो ज़िद क्यों कर रही हो।" सानिया की तो सांसे ही अटक गयी थी। अहमद की गर्म सांसे सानिया को अपने चेहरे पे महसूस हो रही थी। अहमद थोड़ा झुकते हुए उसके कान के पास जा कर बोला:"वैसे तुम्हे देख कर दिल मे कुछ कुछ होता है।" अपनी बात पूरी करते ही अहमद झटके से उससे दूर हो गया और लंबे लंबे कदमो से चलता हुआ बाहर चला गया। अब क्या मैं तुम्हे गोद मे उठा कर कार में बिठाऊँ। सानिया का पूरा चेहरा लाल हो गया था वोह जल्दी से वहां से भागते हुए कार में आ कर बैठ गयी। उसकी शक्ल देख कर अहमद ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा। सानिया ने अहमद को घूर कर देखा तो अहमद अपनी हंसी दबाते हुए चुप चाप गाड़ी चलाने लगा। ........ अहमद जब वापस आया तो ज़ैन सिगरेट पी रहा था। वोह ज़ैन को इग्नोर करता हुआ सीधा सोफे पर जा कर बैठ गया और गेम खेलने लगा। अहमद.........मेरी जान.......अहमद यार........ ज़ैन अहमद को आवाज़ दे रहा था लेकिन वोह उसे इग्नोर कर रहा था। अहमद यार सुन तो सही...... ज़ैन उसे बुला ही रहा था कि अहमद ने ब्लूटूथ निकाला और अपने दोनों कान में लगा लिया। ज़ैन को उसकी इस हरकत पर बहोत गुस्सा आया। वोह गुस्से से उठा और उसके हाथ से फ़ोन छीन कर ज़मीन पर दे मारा। उसकी इस हरकत पर अहमद का दिमाग घूम गया।अहमद उसका कालर पकड़ कर गुस्से से बोला:"तू अपने आपको समझता क्या है, तुझे गुस्सा आएगा तो तू तोड़ फोड़ करेगा, अब अगर कुछ तोड़ा ना तो मैं तेरा मुंह फोड़ दूंगा।" अहमद की बात सुनकर ज़ैन ने उसे सोफेपर गिराया और खुद उसके ऊपरचढ़ कर बैठ गया। "मैं तो समझता था मैं तेरी जान हु और तू मुझसे ऐसे नाराज़ हो गया है कि मुझे माफ़ भी नही कर सकता।" ज़ैन बेचारगी से कहा। उसकी बात सुनकर अहमद ने अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया। "यार अहमद ऐसा मत कर तू जानता है ना तेरी नाराज़गी मुझसे बर्दाश्त नही होती।" ज़ैन ने कहा। "तो तू अपने काम ठीक से किया कर ना तो मैं नाराज़ भी नही होऊंगा।" अहमद ने बिना उसकी तरफ देखे ही कहा। ज़ैन की आंखों के आंसू सीधा अहमद के गालों पर गिरे। उसने तड़प कर ज़ैन को देखा। "यार ज़ैनु तो रो मत मैं अब तुझसे नाराज़ नही हु।" अहमद ने उसे गले लगाते हुए कहा। "अहमद दोबारा ऐसा मत करना तू जनता है तेरे इलावा मेरा कोई भी नही है।" ज़ैन ने उससे दूर होते हुए कहा। "यार मेरा दिल तो बहोत कर रहा था मैं निकाह के वक़्त तेरे पास रह तुझसे बाते करूँ लेकिन तुझे सज़ा देना भी ज़रूरी था।" अहमद ने अपने दांत दिखाते हुए कहा। "अच्छा एक मिनट तू यही बैठ।" ज़ैन ने उससे कहा ऐरगे बढ़ कर ड्रावर से फास्टेडकीट ले कर आया और उसकी हाथ की पट्टी करने लगा। "मुझे अब तू नया फ़ोन ला कर दे।" अहमद ने नूंह फुलाते हुए कहा। "ठीक है कल ला कर देदूँगा।" ज़ैन ने उसका सिर सहलाते हुए कहा। "नही मुझे अभी के अभी चाहिए मुझे गेम खेलना है।" अहमद छोटे बच्चो की तरफ ज़िद करते हुए बोला। ज़ैन अपनी पॉकेट से अपना फ़ोन निकाल कर उसको देते हुए बोला:"फिलहाल तो तू इसी से काम चला, नया फ़ोन तो तुझे कल से पहले नही मिलेगा।" "मैं शाह जी का फ़ोन कैसे यूज़ कर सकता हु, तौबा....तौबा।" अहमद अपने दोनों कानो को पकड़ता हुआ ड्रामाटिक्ल अंदाज़ में बोला। उसकी बात सुनकर ज़ैन हँसने लगा। "यार ज़ैनु एक बात बोलू।" अहमद ने सीरियस हो कर कहा। "औरतो का दिल कांच की तरह होता है एक बार टूट जाये तो दोबारा जोड़ना बहोत मिश्किल होता है। इसीलिए मेरी जान भाभी के सामने गुस्सा मत दिखाना बल्कि उन्हें यह अहसास दिलाने की कोशिश कर की तू उसने कितना प्यार करता है।" अहमद ने उसे समझाते हुए कहा। "ठीक है। वैसे अब वोह कैसी है?" ज़ैन ने पूछा। "वोह कौन?" अहमद अनजान बनता हुआ बोला। "तेरी भाभी" ज़ैन ने कहा। "मेरी तो एक बहेना है और मेरा कोई भाई भी नही है। तो फिलहाल कोई भाभी नही है।" अहमद उसे परेशान करते हुए बोला। "तुझसे तो पूछना ही बेकार है।" ज़ैन ने चिढ़ कर कहा। "जब पता है तो पूछता क्यों है।" अहमद ने हस्ते हुए कहा। ज़ैन ने सोफ़े पर पड़ा कुशन उठाया और उसे मरने लगा। "यार वैसे मेरी आधी ज़िन्दगी तो तुझे संभालते हुए ही गुज़र जाएगी।" अहमद ने कहा। "अब तेरी भाभी आ गयी है ना आधा तो वोह ही संभाल लेंगी।" ज़ैन ने हस्ते हुए कहा। "खाक संभालेंगी, तेरा नाम सुनते ही उनके होश उड़ जाते है। वोह तुझे संभालेंगी।" अहमद ने हंसते हुए कहा। "कोई नही उनका डर भी दूर कर देंगे।" ज़ैन आंख मरते हुए बोला और अपने कमरे की तरफ चला गया। उसके जाने के बाद अहमद हस्ते हुए अपने कमरे में चला गया। दरवाज़ा खुलने की आवाज़ पर ज़ैनब ने पीछे मुड़ कर देखा तो ज़ैन को अंदर आते देख वोह झट से खड़ी हो गयी। "क्या हुआ बटरफ्लाई उठ क्यों गयी।" ज़ैन ने बेड पर बैठते हुए पूछा। "वोह आप.........." ज़ैनब ने हकला कर कहा। "हूं, अच्छा अब तुम सो जाओ।" ज़ैन ने कहा। "नही।" ज़ैनब ने कहा। उसकी बात सुनकर ज़ैन सीरियस हो कर कहा:"बोला ना सो जाओ।" उसकी आवाज़ सुनकर ज़ैनब जल्दी से लेट गयी और कम्बल को उठा कर ऊपर तक तान लिया। ज़ैन भी मुस्कुराते हुए उसके पास जा कर लेट गया। ज़ैनब को जब उसकी मौजूदगी का अहसास हुआ तो वोह जल्दी से उठ कर बैठ गयी। "क्या हुआ बटरफ्लाई!" ज़ैन ने परेशान हो कर पूछा। "आप यहां क्यों सो रहे है!" ज़ैनब ने हैरानी के साथ पूछा। "क्योंकि येह मेरा रूम है।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा। "आप यहां नही सो सकते।" ज़ैनब ने हकला कर कहा। "क्यों और किसने कहा कि मैं यहां नही सो सकता।" ज़ैन ने अपनी इएब्रो उचकाते हुए पूछा। "मैं कह रही हु ना।" ज़ैनब ने चिढ़ कर कहा। "ओ अच्छा, वैसे मैं तुम्हारा हस्बैंड हु तो मैं यही सोऊँगा।" ज़ैन ने उसके चेहरे को देखते हुए कहा जो इस वक़्त गुस्से से लाल होने की वजह से और भी अट्रैक्टिव लग रहा था। ज़ैन ने अपनी नज़रे उसके चेहरे से हटाई और आंख बंद करके लेट गया। "फिर मैं यहां से जा रही हु।" ज़ैनब कह कर अभी खड़ी हुई ही थी कि ज़ैन ने उसके हाथों को पकड़ कर वापस बेड पर खींच लिया और अपनी बाहों में भरते हुए कहा:"चुप चाप सो जाओ वरना मेरे पास और भी तरीके है।" इतना कह कर ज़ैन ने उसके चेहरे पर किस किया। वुसकी इस हरकत से ज़ैनब सकपका गयी और चुप चाप लेट गयी। ... अगली सुबह जब ज़ैन की नींद खुली तो ज़ैनब को अपने बाहों में देख कर उसके चहरे पर एक मुस्कुराहट आ गयी। उसके उसके माथे पर किस किया और उठ कर फ्रेश होने के लिए वाशरूम में चला गया। तैयार हो कर वोह सीधा कमरे से बाहर चला गया। ज़ैन की जब आंख खुली तो खुद को बेड पर अकेला देख उसको रात की सारी बातें याद आ गयी और दो आंसू उसकी आँखों से टूट कर उसके ऑपेर गिर गए। फिर वोह उठ कर वाशरूम में चली गयी। नहा कर बाहर आने के बाद वोह अपने बाल सूखा ही रही थी कि तभी ज़ैन नाश्ते की टरे ले कर अंदर आया और ज़ैन को देखते ही उसकी धड़कने एक पल के लिए रुक ही गयी। फिर वोह अपने जज़्बात पर काबू करता हुआ ज़ैनब से बोला:"बटरफ्लाई आओ नाश्ता करलो।" "नही मुझे भूख नही है।" ज़ैनब ने बिना उसकी तरफ देखे जवाब दिया। ज़ैन उठा और उसकी तरफ बढ़ते हुए उसे कमर से खींच कर अपने करीब करते हुए बोला:"जानू खाना नही खाना है।" न..ही, मु...झे भू..ख न..ही है। ज़ैनब ने अटकते हुए कहा। ज़ैन ने उसकी गर्दन से बाल हटाये और अपने गर्म होंठ उसकी ठंडी गर्दन पर दिया। उसकी इस हरकत से ज़ैनब के होश ही उड़ गए। उसके चेहरे को देखते हुए ज़ैन अपनी हंसी कंट्रोल करते हुए बोला:"जानू अभी भी भूख नही लगी।" "हाँ लगी है, आप डोर हटेंगे तब ना खाऊँगी।" ज़ैनब ने अपने लाल पड़े चेहरे के साथ ज़ैन को दूर करने की कोशिश। "जब तुम्हे भूख नही लगेगी मुझे बता देना। मुझे तो हर वक़्त ही भूख लगी रहती है।" ज़ैन ने धीरे से उसके कान में कहा और उससे दूर हो गया। ज़ैनब का चेहरा उसकी बात सुनकर और लाल हो गया। वोह अपने हाथों से अपना चेहरा छुपाते हुए खुद को ठीक करने के बाद जा कर ज़ैन के साथ नाश्ता करने लगी।
अहमद आफिस मे बैठ लैपटॉप पर गेम खेल रहा था उसे अचानक सानिया की याद आने लगी। उसने आफिस फ़ोन उठाया और सानिया को फ़ोन किये। हेलो........सानिया की नींद से भरी आवाज़ उसके कानों में पड़ी। "कैसी हो सानिया मैडम?"अहमद ने हस्ते हुए पूछा। "कौन?" सानिया चिढ़ कर बोली। "अहमद" उसने अपना नाम बताया। "तुम बंदर हिम्मत कैसे हुए तुम्हारी मुझे फ़ोन करने की बंदर की शक्ल वाले इंसान, मेरी नींद खराब करदी बत्तमीज़ कहि के।" सानिया ने अपना सारा गुस्सा उस पर निकाल दिया। "ओह रुक जाओ यार तुम तो नॉन स्टॉप ही शुरू हो गई।" अहमद उसे शांत करने की कोशिश की। "मैं बिजी हु....बाये।" सानिया फ़ोन रख दिया। अहमद ने गुस्से से वापस फ़ोन टेबल पर रखा और अपना काम करने लगा। .............. ज़ैन अपना काम खत्म करने के बाद कमरे में आया तो ज़ैनब से बोला:"जानू तुम हस्ती या बोली नही हो क्या?" "नही" ज़ैनब ने एक वर्ड में जवाब दिया। "अच्छा तुम गूंगी हो।" ज़ैन अपनी हंसी छुपाते हुए बोला। "हाँ" ज़ैनब ने फिर एक वर्ड में जवाब दिया। "चलो फिर मैं तुम्हे प्यार की ज़ुबान समझा देता हूं।" ज़ैन ने मोहब्बत भरे लहजे में कहा और फिर ज़ैनब की तरफ बढ़ने लगा। "आप बहोत बुरे और बहोत बत्तमीज़ है।" ज़ैनब ने अपने कदम पीछे लेते हुए कहा। ज़ैन तब तक आगे बढ़ता रहा जब तक ज़ैनब दीवार जा कर न लग गयी। अब उन दोनों के बीच सिर एक इंच का फासला बचा था। ज़ैन ने अपना एक हाथ दीवार पर रखा और एक हाथ से ज़ैनब के गाल सहलाते हुए बोला:"जानू क्या कहा तुमने?" "कु...छ भी नही।" ज़ैनब ने घबरा कहा और अपनी आंखें बंद करली। ज़ैन को उस पर बहोत प्यार आ रहा था। "अब मेरी जान झूठ बोल ही दिया है तो उसकी सजा भी तुम्हे ही मिलेगी।" अपनी बात पूरी करते ही ज़ैन उसके होंठो पर किस करने लगा। ज़ैनब ने कस कर उसकी शर्ट को पकड़ लिया और अपनी आंखें और ज़ोर से बंद करली। ज़ैन ने जब उसका चेहरा ऊपर उठाया तो उसकी आंखों में आंसू थे और वोह लम्बी लम्बी सांसे ले रही थी। "यार ज़ैनब रो क्यों रही हो।" ज़ैन उसके आंसू साफ करते हुए बोला। ज़ैनब उसके सीने पर मुक्के मरते हुए बोली:"आप सच मे बहोत बुरे है।" ज़ैन मुस्कुरा कर कुछ कहने ही वाला था कि तभी उसका फ़ोन बजा। उसने स्क्रीन पर कासिम का नाम देखा तो ज़ैनब से दूर होते हुए बाहर चला गया। ज़ैनब का चेहरा शर्म की वजह से लाल हो गया था। ...... "हाँ बोलो कासिम।" ज़ैन ने फ़ोन उठा कर कहा। "वोह बॉस आपको एक खबर देनी है।" कासिम ने कहा। "बोलो" ज़ैन ने कहा। "इमरान के आदमी यहां आए थे और उन्होंने हम पर हमला कर दिया था।" कासिम की बात सुनकर ज़ैन के तेवर बदल गए उसके चेहरे पर पहले वाला प्यार कहि देखाई नही दे रहा था। "बॉस हम ने उन सबको मौत के घाट उतार दिया है।" कासिम की बात सुनते ही उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी। "अब ऐसा करो उन आदमियो की लाशों को इमरान को गिफ्ट करदो।" ज़ैन ने उससे कहा और फ़ोन रख कर वापस कमरे में आ गया। ज़ैनब सोफे पर बैठि बूक पढ़ रही थी। ज़ैन ने टेबल से अपनी घड़ी ली और ज़ैनब के पास गया और बोला:"मैं आफिस जा रहा हु खाना टाइम पर खा लेना और हाँ भागने की कोशिश भी मत करना।" उसकी बात सुनकर ज़ैनब ने हाँ में अपना सिर हिलाया। "अच्छा एक बात बताओ।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए पूछा। "हु" ज़ैनब ने कहा। "तुम मुझसे डरती क्यों हो?" ज़ैन ने पूछा। "जिन भूतों से सब डर लगता है।" ज़ैनब ने बे धड़क कहा और फिर अपनी कहि बातों के बारे सोच कर अपनी जुबान काट ली। "अच्छा जिन...भूत।" ज़ैन उसके करीब होते हुए अपनी एक आईब्रो उचकाते हुए कहा। ज़ैन को अपने पास आते देख ज़ैन उठ कर जल्दी से वशरूममे चली गयी। ज़ैन जोरजोर से हस्ते हुए बोला:"डरपोक कहि की, अच्छा मैं जा रहा हु।" इतना कह कर वोह वहा से चला गया। "वैसे तो इतना हैंडसम लेकिन हरकते जानवरो वाली है।" ज़ैनब मन ही मन बड़बड़ाई। ..... ज़ैन आफिस गया तो अहमद कोई फ़ाइल पढ रहा था। "अरे वाह आज कल तो कामचोर लोग भी मेहनत कर रहे है।" ज़ैन ने हैरान हो कर कहा। अहमद ने ज़ैन की तरफ देखा और बिना कुछ बोले वापस फ़ाइल पढ़ने लगा। "क्या हुआ मोटे।" ज़ैन उसके पास बैठते हुए बोला। "बस ज़ैन शाह बस मेरे मुंह मत लगना मैं बहोत बिजी हु। तू तो चाहता ही है कि मैं तरक्की ना करु।" अहमद ने एक्टिंग करते हुए कहा। "ओह नौटंकीबाज़ मैं तेरे मुंह नही लगना चाहता और कुछ तो शर्म कर अहमद मैं तेरे मुंह क्यों लगूंगा।" ज़ैन ने अपने कानों को पकड़ते हुए कहा। "ओ ज़ैन गंदे दिमाग वाले मेरी बातों से तुझे यही बात समझ आयी और अपनी वाहियात बात अपने पास रख यहां शरीफ लोग बैठे है" अहमद ने अपना कालर खड़ा करते हुए कहा। "कौन शरीफ!" अहमद ने हैरानी से इधर उधर देखा। "कमीने इंसान मैं।" अहमद ने अपनी तरफ इशारा किया। "तौबा तौबा तेरे गंदे दिमाग ने मुझ शरीफ को बिगाड़ दिया।" ज़ैन ने अपनी हंसी दबाते हुए कहा। "ओये ज़ैनु देख ली तेरी शराफत।" अहमद ने जल कर कहा। "क्या हुआ इतने गुस्से में क्यों है?" ज़ैन ने सीरियस हो कर पूछा। "शुक्र है तुझे मेरी याद तो आयी, मेरी जान अब तू शादी शुदा है और मैं अब अकेला रह गया हूं।" अहमद अपने नकली आंसू साफ करते हुए बोला। "हाहाहा नौंटकी फिक्र मत कर सानिया के लिए अली से बात करते है।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा। "ओये तुझे कैसे पता।" अहमद ने हैरान हो कर पूछा। "वैसे अहमद सर आपकी इंफॉर्मशन के लिए बता दु मैं अंधा नही हु।" ज़ैन ने उसकी तरफ देखते हुए कहा। "मुझे लगा तू प्यार में अंधा हो गया है।"अहमद ने हस्ते हुए कहा। "चल निकल यहां से भलाई का तो ज़माना ही नही रहा, अब मैं भी अली से बात नही करूँगा।" "अरे अरे मैं तो मज़ाक़ कर रहा था तो तो गुस्सा हो गया।" अहमद उसके कंधे पर हाथ रख कर मुस्कुराते हुए बोला। ज़ैन भी उसके कंधे पर हाथ रख कर मुस्कुराने लगा। ...... ज़ैन अब बहोत बिजी रहने लगा था, ज़ैनब की वजह से उसने कुछ दिनों से काम पर धयान नही दिया था। उसके बहोत से काम पेंडिंग थे। कुछ काम तो अहमद ने कर लिए थे। पर अभी भी ज़ैन का काम बाकी था। वो ज़ैनब के उठने से पहले घर से चला जाता और रात को उसके सोने के बाद ही घर आता। पिछले एक हफ्ते से ज़ैनब ने उसकी शक्ल ही नही देखी थी। वोह दिन अपने रूम बैठी किताबें पढ़ती और फिर बोर हो कर टैरिस पर घूमने चली जाती। आज संडे था और ज़ैन आज थोड़ी देर के लिए घर पर ही था और ज़ैनब की जान पर बानी थी। "हाँ ठीक है मैं तुझसे आफिस में मिलता हु।" ज़ैन ज़ैनब को देखते हुए अहमद से बात कर रहा था। ज़ैनब उसकी नज़रो की वजह से कंफ्यूज हो रही थी। "ओके बाये।" ज़ैन ने फ़ोन रखा और ज़ैनब को स्माइल पास की। ज़ैनब ने घबरा कर मुंह दूसरी तरफ फेर लिया। "बटरफ्लाई मैं काम से बाहर जा रहा हु। यार तुम कमरे से निकल कर ज़रा घर मे भी घूम लिया करो, मैं ने कमरे से बाहर निकलने पर पाबंदी तो नही लगाई है।" ज़ैन ने अपनी जगह से उठते हुए कहा। ज़ैन ने बस हाँ में अपनी गर्दन हिला दी। "वैसे कितने दिन होगये मैंने तुम्हें फुरसत से देखा नही है।" ज़ैन ने आँखों मे शरारत लिए हुए कहा। "आपको कहि जाना था ना।" ज़ैनब ने घबरा कर कहा। "चला जाऊंगा।" उसने ज़ैनब को कमर से पकड़ा और उसे अपने करीब खींचा। उसकी इस हरकत पर ज़ैनब ने अपनी नज़रे झुका ली। ज़ैन ने उसकी ठोड़ी को पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर किया और उसकी नीली आंखों में देखते हुए बोला:"जानू तुम्हारी इन नीली आंखों पर दिल हार गया हूं मैं। मुझ जैसे अच्छा भला बंदा तेरे इश्क़ में पागल हो गया है।" ज़ैन ने बारी बारिस उसकी दोनो आंखों पर किस किया। जैसे ही वोह उसके होंठो पर किस करने के लिए झुका ज़ैनब उसके होंठो पर अपना हाथ रख दिया। ज़ैन ने उसके हाथों को किस किया और मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर चला गया। उसके जाने के बाद ज़ैनब कमरे से निकल कर पूरे घर मे घूमने लगी। घर मे जगह जगह ज़ैन और अहमद की तस्वीरें थी। ज़ैनब कॉरिडोर में चलते हुए सब चीजो को देख रही थी। तभी वहां रखे टेबल से ज़ैनब टकरा गई गिरने से बचने के लिए ज़ैनब ने बुक शेल्फ को पकड़ा लिया और उस मे से एक बुक नीचे गिर गयी। ज़ैनब ने उसके बुक को उठाया और वापस शेल्फ में रख दिया और वहां रखी बुक्स देखने लगी। दो तीन बुक देखने के बाद जैसे ही ज़ैनब ने एक बुक को खींचा वोह बुक सेल्फ वहां से हट गया और उसके सामने एक दरवाज़ा आ गया।ज़ैनब ने इधर उधर देखा और यह देख कर की वहां कोई नही ज़ैनब ने दरवाज़ा खोला और अंदर चली गयी। लेकिन अंदर का नज़ारा देखते ही वोह हैरान हो गयी। उस कमरे में सिर्फ ज़ैनब की वही सब पिकचर की फ्रेम थी जो उस दिन ज़ैन ने निकाली थी। वहां बहोत सारे नकली रेड रोजेज से हार्ट शेप बना हुआ था और चारो तरफ ज़ैनब की फोटोज लगई हुई थी। कुछ देर उस कमरे में रहने के बाद ज़ैनब बाहर आ गयी। उसने वापस से उस बुक को प्रेस किया और सब कुछ पहले जैसा हो गया। वोह इन्ही सब चीज़ों के बारे सोचते हुए गार्डन एरिया में चली गयी। लेकिन गार्डन में खड़े दो आदमियो को अपनी तरफ आते देख ज़ैनब की सांसे अटक गई।
उन दोनों आदमियो ने ज़ैनब का हाथ पकड़ लिया। "छोड़ो मुझे।" ज़ैनब ने घबरा कर कहा। "अरे कैसे छोड़ दु अभी तो तुम हाथ लगी हो, अगर मुझे पता होता कि तुम इतनी खूबसूरत हो तो तुम्हे कब का चुरा चुका होता।" उन में से एक आदमी बोला। ........... "ज़ैन मुझे कॉन्ट्रैक्ट फ़ाइल दे।" अहमद ने एकफिले पढ़ते हुते ज़ैन से कहा। ज़ैन कुछ सोचते हुए बोला:"ओह शेट, वोह फ़ाइल तो मैं घर पर ही भूल गया।" "ओह कोई बात नही, चल घर से ले लेते।" अहमद ने कहा। दोनो जब घर पहोंचे तो व्हाकोइ गार्ड नही था। ज़ैन ने परेशान को अहमद की तरफ देखा और फिर ज़ैनब का खयाल आते ही दोनों अंदर की तरफ भागे। अंदर का नज़ारा देख कर दोनो का दिमाग ही घूम गया। एक आदमी ने ज़ैनब को पकड़ रखा था, जबकि दूसरा आदमी उसके चेहरे को अपनी उंगलियों से सहला रहा था। और ज़ैनब उस आदमी को खुद से दूर करने की कोशिश कर रही थी। "तुम लोगो की इतनी हिम्मत।" ज़ैन ने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा। आवाज़ सुनकर उन दोनों आदमियो ने पीछे मुड़ कर देखा और ज़ैन को देख कर डर से ज़ैनब को छोड़ कर दूर हट गए। ज़ैनब रोती हुई जल्दी से ज़ैन के पीछे चुप गयी और उसकी शर्ट को ज़ोर से अपनी मुट्ठियों में जकड़ लिया। "अहमद ज़ैनब को अंदर ले कर जा।"ज़ैन की नसें गुस्से से तन गयी थी और उसकी आंखे लाल हो गयी। अहमद ज़ैनब को लेकर कमरेकी तरफ चला गया। और ज़ैन ने उन दोनों को मारना शुरू कर दिया। "शाह छोड़ उन्हें।" अहमद ने उसे रोकते हुए कहा। "नही अहमद इनकी हिम्मत कैसे हुई शाह की मोहब्बत को छूने की।" ज़ैन गुस्से से उन्हें देखते हुए बोला। "शाह यह हमारा आदमी नही है, क्योंकि हमारे किसी आदमी में ऐसा करने की हिम्मत ही नही है।" अहमद उसे समझते हुए बोला। उसकी बात सुनकर ज़ैन पीछे हो गया और टेबल पर पड़ा वास उठा कर एक आदमी के सिर पर मारा, वोह आदमी वही बेहोश हो गया। जब कि दूसरा आदमी डर की वजह से पीछे हटने लगा। "अहमद कासिम को फ़ोन लगा।" ज़ैन गुस्से से इधर उधर चक्कर काटने लगा। अहमद ने कासिम को फोने किया और कासिम को घर आने के लिए कहा। ज़ैन सोफे पर बैठ कर सिगरेट के काश भर रहा था। कासिम अंदर आ कर ज़ैन के सामने सिर झुका कर बोला:"यस बॉस" ज़ैन ने अहमद को इशारा किया। इशारा पा कर अहमद ने उन दोनों को ज़ैन के कदमो में धकेल दिया। "यह कौन है?" ज़ैन ने आंखों में गुस्सा लिए हुए कहा। "मुझे नही पता बॉस में ने इसे नही भेजा है।मेरा यक़ीन करे।" कासिम ने डरते हुए कहा। ज़ैन ने उनमे से एक कॉलर पकडऔर गुस्से से बोला:"कौन हो तुम?" "हम इमरान के आदमी है, उसने हमे यहां भेजा थाऔर इस लड़की को लाने के लिए कहा था।" उस आदमी ने डरते हुए सारी बात बता दी। ज़ैन ने फलों की टोकरी से चाकू निकाला और उसके चेहरे पर सहलाते हुए बोला:"तूने इसी गंदी आंखों से मेरी मोहब्बत को देखा था ना।" ज़ैन ने इतना कहते ही चाकू उसकी आँखों मे घोप दिया। वोह आदमी चीख उठा और दर्द से चिल्लाने लगा। अब चाकू को ज़ैन ने उसके हाथों पर रखा और बोला:"इसी हाथो से उसे छुआ था ना।" ज़ैन ने कहते हुए उसके हाथ की नसों को काट दिया। उसके हाथों से खून ऐसे बह रहा था जैसे पानी बह रहा हो। वोह आदमी ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगा। आवाज़ें सुनकर ज़ैनब कमरे से बाहर आई तो सामने का मंजर देख कर उसकी चीख निकल गयी और ज़ैनब अपने मुंह पर हाथ रख कर रोने लगी। "भाभी" अहमद भागते हुए उसके पास आया और उसे कमरे में वापस लेगया। उसने ज़ैनब को बेड पर बिठाया और उसे एक ग्लास पानी दिया। "भाई वोह।" ज़ैनब बस इतना ही बोल पाई। "भाभी वोह लोग इसी काबिल थे आप फिक्र मत करे।" वोह लोग बात ही कर रहे थे कि तभी बाहर से तीन गोलियां चलतने की आवाज़ सुनकर ज़ैनब फिरसे रोने लगी। अहमद ने उसके कंधे को पकड़ कर उसे तसल्ली दी और बोला:"भाभी आप यही रुके मैं बाहर जा रहा हु, आप बाहर मत आना।"इतना कह कर वोह वहां से निकल कर ज़ैन के पास चला गया। "कासिम इन दोनों की लाशों को इमरान के पास पहोंचा दो, उसे भी पता चलना चाहिए शाह की मोहब्बत पर हाथ डालने का क्या अंजाम होता है।" ज़ैन ने उन दोनों की लाशों को देखते हुए कासिम से कहा। "ओके बॉस।" इतना कह लर कासिम ने अपने आदमियो को बुलाया और उन दोनों की लाशों को हटाने के लिए कहा। "ज़ैन भाभी बहोत दरी हुई है, तू उनके पास जा।" अहमद ने परेशान होते हुए ज़ैन से कहा। ज़ैन ने हाँ में सिर हिलाया और दूसरे कमरे में जा कर अपने खून से सने हाथो को धोया और अपने कपड़े चेंज करके ज़ैनब के कमरे में चला गया। ज़ैनब उसे देख कर डर से पीछे हटने लगी। "प्लीज मेरे पास मत आना।" ज़ैनब ने डरते हुए कहा। "बटरफ्लाई डरो नही मैं तुम्हे कुछ नही कहूंगा।" ज़ैन उसकी तरफ बढ़ते हुए बोला। "नही आप बहोत बुरे है।" ज़ैन पीछे होते हुए दीवार से जा लगी। ज़ैन उसके करीब आकर उसके आंसू साफ करते हुए बोला:"मेरी जान तुम डरो नही।" "आप ने उसे मार डाला।" ज़ैनब ने चिल्लाते हुए कहा। "हाँ,क्योंकि तुम सिर्फ ज़ैन शाह की हो, सिर्फ मैं ही तुम्हे देख सकता हु कोई और देखेगा तो मैं उसकी आंखें निकाल लूंगा। तुम्हे छूने का हक सिरफ ज़ैन शाह के पास है अगर किसी ने तुम्हे छूने की हिम्मत की तो मैं उसके टुकड़े टुकड़े करदूंगा।" ज़ैन ने उस3 खुद से करीब करते हुए चिल्ला कर कहा। ज़ैनब ने उसके कंधे पर सिर टिकाया और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी। ज़ैन ने उसे अपने सीने से लगाया और उसके बालों को सहलाने लगा। कुछ देर बाद जब वोह शांत हो गयी ज़ैन उसका ध्यान भटकाते हुए बोला:"उफ्फ, यार अपना यह वाटर टैंक बंद करो। मेरी प्यारी सी शर्ट का देखो तुमने क्या हाल कर दिया है।" ज़ैनब उसके सीने पर मुक्के मरते हुए बोली:"आप ना बहोत बुरे है।" "ओह्ह अच्छा, तभी कब से मुझे छोड़ का नाम नही ले रही हो।" ज़ैन शरारती अंदाज़ में बोला। "ओ हेलो, आप ने ही तो मुझे अपने पास खींचा था। मुझे कोई शौक ने आपके पास आने का।" ज़ैन उससे दूर होते हुए बोली। "अभी तक तो तुम मुझ से डर कर भाग रही थी और अब देखो कैसे शेरनी की तरह दहाड़ रही हो।" "मैं........मैं आपसे नही डरती हु।" ज़ैनब उससे दूर होते हुए बोली। "हूं, तो मुझसे दूर क्यों भागती हो?" ज़ैन उसे अपने करीब खींचते हुए बोला। "वोह मुझे आप से डर नही लगती बल्कि आप....आपकी गन से लगती है।" ज़ैनब डरते हुई उसकी बैक साइड पर राखी गन पर इशारा करते हुए बोली। ज़ैन ने मुस्कुराते हुए पीछे से अपनी गन निकाली और मुस्कुराते हुए बोला:"तुम्हे इससे डर लगता है?" "हाँ" गन देख कर तो मानो ज़ैनब की सांसे ही अटक गई थी। "आप इसे हटाये मुझे डर लग रहा ह!" "नही, अब तो मैं इसे बिल्कुल भी नही हटाऊंगा।" ज़ैनब ने मुस्कुराते हुए कहा और अगले ही पल उसे घुमा दिया। ज़ैनब की पीठ ज़ैन के सीने से जा लगी। ज़ैन ने उसका हाथ पकड़ा और गन को उसके हाथ में पकड़ाया। "यह....यह आप क्या कर रहे है।" ज़ैनब घबरा कर बोली। "में अपनी प्यारी बीवी को गन चलाने का तरीका सीखा रहा है, मैं चाहता हु मेरी बीवी बजदूर हो। जिसे अपनी हिफाज़त करने के लिए किसी भी आदमी का सहारा लेने के ज़रूरत ना पड़े।" ज़ैन ने वास पर निशाना लगते हुए कहा और अगले ही पल गोली चलने की आवाज़ आयी। ज़ैनब जिसने अपनी आंखें तेज़ी से बंद की थी गोली चलने की आवाज़ सुनकर झट से अपनी आंखें खोली और सामने का नज़ारा देख कर उसकी आंखें चमक उठी। वास के टुकड़े ज़मीन पर बिखरे हुए थे। "भाभी आ.........." अहमद जो गोली की आवाज़ सुनकर भागते हुए ऊपर आया था ज़ैनब के हाथों में गन देख कर उसके बाकी शब्द उसके मुंह मे ही रह गए। अहमद को देख कर ज़ैनब जल्दी से ज़ैन से दूर हुई। अहमद अभी भी उन दोनों को हैरानी से देख रहा था। "क्या हुआ अहमद सर आपने कभी गन की आवाज़ नही सुनी है क्या?" ज़ैन नौटंकी करते हुए बोला। "वोह क्या है ना मिस्टर ज़ैन शाह मैं गन की आवाज़ तो बचपन से सुनी है। मुझे तो बस अपनी एक लौती प्यारी बहेना की फिक्र हो रही थी।" अहमद ने भी उसी की टोन में उसे जवाब दिया। "जैसे तुम डरपोक हो वैसे तुम्हारी बहेन भी है। पता नही मुझ बेचारे का क्या होगा।" ज़ैन आज फूल नौटंकी के मूड में था। उसकी बात सुनकर ज़ैनब चिढ़ कर बोली:"अपने डरपोक किसे कहा?" "ऑफकोर्स तुम्हे ही, तुम दोनों के इलावा यही कोई और है क्या।" ज़ैन बेड पर बैठते हुए बोला। "चले हम डरपोक ही सही, लेकिन अपने कभी अयिनेमे अपनी शक्ल देखी भी है।" ज़ैनब गुस्से से बोली। "हाँ, देखी है ना बहोत हैंडसम हु इसीलिए तो दुनिया का फर्स्ट और लास्ट पीस हु। जिसकी किस्मत में तुम जैसी डरपोक लिखी थी।" ज़ैन ने उसके लाल चेहरे को देख कर अपनी हंसी दबाते हुए बोला। "किस गलतफहमी में जी रहे है आप, सादे हुए बैगन जैसी आपकी शक्ल है।" ज़ैनब आज अपनी सारी फर्स्टटेशन उस पर निकाल रही थी। अहमद अंदर खड़ा बस उन्हें टॉम एंड जेरी की तरफ लड़ते देख रहा था। वोह ज़ैनब के लिए खुश भी था। "ओह्ह टॉम एंड जेरी की तरफ लड़ना छोड़ो मुझे भूख लगी है।" उन दोनो की लड़ाई बढ़ते देख अहमद ने बीच मे बोलना ही ठीक समझा। "अहमद यार अपनी प्यारी बहेना को समझा दे आपमे हस्बैंड से ज़रा तमीज़ से पेश आया कर।" ज़ैन में अहमद की तरफ उंगली दिखाते हुए कहा। तू फिक्र मत कर यार मैं अभी समझा देता हूं। अहमद ज़ैनब के पास गया और कड़क आवाज़ में बोला:"देखो बहेना अगली बार जैसे ही तुम्हारा हस्बैंड कमरे में आये तुम एक गिलास में पानी ले कर उसके पास जाना और उसने चेहरे पर फेंक देना। ताकि इनका दिमाग ठिकाने पर रहे।" उसकी बात सुनकर ज़ैनब तो पहले खुश हुआ लेकिन जैसे ही उसने आगे की बात सुनी गुस्से अहमद की तरफ घूर कर देखा। अहमद एयर ज़ैनब दो हस रहे थे। ज़ैन ने पिलो उठाया और अहमद को मारने लगा। जबकि ज़ैनब उन दोनों की लड़ाई को देख कर बस हस रही थी। ज़ैनब को ज़ैन के घर आये बीस दिन हो चुके थे अब उसे भी ज़ैन की आदत होने लगी थी। अब वोह ज़ैन से बिल्कुल भी नही डरती थी, जिसकी वजह से ज़ैन भी उसे तंग करने का कोई भी मौका अपने हाथ से नही जाने देता था। ज़ैनब को अपने एग्जाम की फिक्र थी। उसे पता था ज़ैन उसकी फिक्र करता है लेकिन उसने अब भी ज़ैनब को घर से बाहर जाने की परमिशन नही दी थी। वोह आज यूनिवर्सिटी जाने के बारे में ज़ैन से बात करने के लिए सोच रही थी, लेकिन उसकी हिम्मत ही नही हो रही थी। वोह ज़ैन के गुस्से से अच्छी तरह वाकिफ थी।
ज़ैन इस वक़्त अपनी चाची के घर पर था उसने उन्हें सब को सच सच बता दिया था। "ज़ैन बस यह अहमियत रह गयी है हमारी तुम्हारी ज़िन्दगी में।" शाज़िया ने आंखों में आंसू लिए हुए कहा। "नही चाची जान ऐसी कोई बात नही है,वोह सब कुछ इतना अचानक हुआ था कि मुझे आपको बताने का मौका ही नही मिला।" ज़ैन ने उनका हाथ पर कर चूमते हुए कहा। फिर भी तुम हमें कॉल करके बता सकते थे। इस बार उसके चाचा जी बोले। "अच्छा अब नाराज़ तो मत हो।" ज़ैन ने मासूम से चेहरा बनाते हुए कहा। ज़ैन तुम हमारे प्यार का न जायज़ फायदा उठा रहे हो, तुम जानते हो हम तुमसे नाराज़ नही हो सकते। चाचा जी ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा। "अच्छा कब मिलवा रहे हो हमारी बहु से।" चाची मुस्कुरा कर बोली। "जब आप कहे।" ज़ैन ने उनकी गोद मे सिर रखते हुए कहा। "ठीक है रात को ले कर आना फिर मैं अपनी बहू को कहि भी जाने नही दूंगी।" चाची जी ने कहा। "ठीक है जो आपका हुमकुम।" ज़ैन ने सिर झुकाते हुए कहा। ......... ज़ैन जब घर आया तो ज़ैनब उसे बस बार बार देख रही थी। ज़ैन ने उसकी नज़र खुद पर जमी देख कर अपना सिर उठाया और उसे आंख मेरी। ज़ैनब उसकी इस हरकत पर सकपका गयी। ज़ैन मुस्कुरा कर शीशे में देखने लगा। "शाह, मुझे आप से बात करनी है।" ज़ैनब ने घबराते हुए कहा। ज़ैनब के मुंह से पहेली बार अपना नाम सुनकर ज़ैन मुड़ कर उसकी तरफ देखा। उसके चेहरे पर खुशी साफ नजर आ रही थी। "जी शाह की जान आप हुकुम करे।" ज़ैन उसके करीब आ कर उसके खुले हुए बालों से खेलते हुए बोला। "ऐसे कैसे बोलू।" ज़ैनब ने हिचकिचा कर कहा। "मुंह से और कैसे।" ज़ैन ने सीरियस हो कर कहा लेकिन उसकी आंखों में शरारत साफ नजर आ रही थी। "वोह मेरे एग्जाम कल से स्टार्ट हो रहे है।" ज़ैनब ने ज़ैन से नज़रें चुराते हुए कहा। उसकी बात सुनकर ज़ैन सीरियस हो गया और झटके से उससे दूर हो गया। "शाह प्लीज मेरा पूरा साल खराब हो जाएगा। मैं आपसे वादा करती मैं दोबारा नही भागूंगी।" ज़ैनब मिन्नते करते हुए बोली। ज़ैन दोबारा उसके करब हुआ और उसके चेहरे पर उंगली फेरते हुए बोला:"पक्का नही भागोगी।" हाँ,,हाँ,,,पक्का। ज़ैनब ने जोर से सिर हिलाते हुए कहा। ज़ैन कुछ सोचते हुए बोला: "ठीक है तुम एग्जाम दे सकती हो और अपनी पढ़ाई भी कंटीन्यू कर सकती हो।" "थैंक यू शाह।" ज़ैनब ने खुशी से उसे गले लगाते हुए कहा। ज़ैनब को जब अपनी हरकत का अहसास हुआ तो उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया। ज़ैनब ने पीछे हटते हुए कहा:"सॉरी" "अरे....अरे जानु तुम्हारा ही हु, तुम जो चाहो वोह कर सकती हूं।" ज़ैन ने उसे आँख मरते हुए कहा। उसकी बात सुनकर ज़ैनब का चेहरा लाल हो गया। ज़ैन ने उसके गालो को किस किया और उसकी थोड़ी को पकड़ कर ऊपर उठाया और उसके होंठो पर किस करने लगा। ज़ैनब ने भी अपनी आंखें बंद करली और उसके प्यार को महसूस करने लगी ही थी कि तभी किसी ने दरवाज़े पर नॉक किया। दरवाज़े पर नॉक की आवाज़ सुनकर ज़ैन ने उसे खुद से दूर किया और गुस्से से दरवाज़े की तरफ देखा। ज़ैनब ने भी खुद को ठीक किया। ज़ैन ने एक नज़र ज़ैनब को देखा और बोला:"आ जाओ।" "जी शाह जी आप ने कहा था कुछ देर बाद में आपके कमरे में आ जाऊं।" मासी ने ज़ैन के गुस्से से लाल चेहरे को देखते हुए कहा। "हम आज रात वापस घर जा रहे है आप ज़ैनब की पैककिंग कर देना अब आप जाए।" ज़ैन ने कहा और उसकी बात सुनकर मासी बाहर चली गयी। ज़ैनब ने न समझी से ज़ैन की तरफ देखा, उसकी नज़रो का मतलब समझते हुए ज़ैन ने कहा:"हम आज रात चाची के यहां जा रहे है अब से हम वही रहेंगे।" "पर क्यों मैं तो वहां किसी को भी नही जानती।" ज़ैनब ने परेशान होते हुए कहा। "मुझे तो जानती हो ना।" ज़ैन ने उसे अपनी तरफ खींचते हुये कहा। "अगर किसी ने कुछ पूछा तो क्या कहूंगी।" ज़ैनब उसकी शर्ट के बटन बन्द करते हुए बोली। "कह देना ज़ैन शाह की बीवी हु।" ज़ैन उसके चेहरे पर अपनी उंगलिया फेरते हुए बोला। "अच्छा!!!!!!!!!!" ज़ैनब ने अपनी कमर से उसके हाथ को हटाते हुए कहा। ........ सानिया बैठी ही थी कि कुछ सोच कर उसने अहमद को फ़ोन किया। अहमद ने स्क्रीन पर जब सानिया का नंबर फ़्लैश होता देखा तो उसे एक पल के लिए यक़ीन ही नही फिर उसने अपनी आंखें रगड़ी जैसे कि वोह यक़ीन करना चाह रहा हो लेकिन उसे यक़ीन नही आ रहा था और जब उसे यक़ीन होगया तो उसने सानिया का फोन उठाया। "कब से फ़ोन कर रही हु उठा क्यों नही रहे थे।"सानिया गुस्से से बोली। "वोह मैं सोच रहा था तुम्हारा ही फोन आ रहा है या मेरा कोई वाहेम है।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा। "अच्छा,,,अच्छा बस करो।" सानिया ने उसे रोकते हुए कहा। "अच्छा बताओ फ़ोन क्यों किया है।" अहमद सीरियस हो कर बोला। "तुमसे मिलना है इसीलिए।" सानिया ने कहा। "मैं सही सुन रहा हु या मेरे कान खराब हो गए है।" अहमद हैरान हो कर बोला। उसकी बात सुनकर सानिया मुस्कुराते हुए बोली:"जी आप ने बिल्कुल सही सुना है।" "अच्छा कहा मिलना है।" अहमद ने पूछा। सानिया ने उसे अड्रेस बताया और फ़ोन कट कर दिया। अहमद भी जल्दी अपनी जगह से उठ कर बाहर चला गया। ....... ज़ैन लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था और ज़ैनब अपने एग्जाम की तैयारी कर रही थी। वो बहोत देर से पढ़ रही थी इसीलिए अब उसे बोरियत महसूस होने लगी थी। उसने एक नज़र ज़ैन पर डाली जो दुनिया से बिल्कुल बेखबर अपने काम मे बिजी था। "उफ्फ अब मैं क्या करूँ।" ज़ैनब खुद से बोली उसकी आवाज़ धीरी ही थी लेकिन फिर भी ज़ैन ने सुन ली थी। "क्या हुआ जानू बोर हो रही हो!" ज़ैन ने लैपटॉप बन्द करते हुए कहा। "हाँ।" ज़ैनब खड़ी होते हुए बोली। "मेरी जान तो मैं यहां किस लिए हु।" अपनी बात खत्म करते ही उसने ज़ैनब की जैकेट पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और वोह सीधा ज़ैन के ऊपर जा गिरी। "छोड़े मुझे बाहर जाना है।" ज़ैनब खुद को छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली। "अरे यार यह क्या बात हुई, तुम मुझसे दूर क्यों भागती हो अब तो तुम सिर्फ मेरी ही हो।" ज़ैन ने उसके चेहरे लटों को पीछे करते हुए कहा। उसकी बात सुनकर ज़ैनब ने अपनी नज़रे झुका ली। ज़ैन ने उसके माथे पर किस किया और उससे दूर हो गया। ...... सानिया अपनी बताई हुई जगह पर पहोंची तो अहमद कार से टेक लगाए खड़ा था। "जी मैडम कैसे याद किया। नही रुको बैठ कर बात करते है।" अहमद चलते हुए बोला। "शुक्र है मुझे लगा तुम मुझे यहां खड़ा रखोगे।" सानिया उसके साथ रेस्टूरेंट में जाते हुए बोली। "हाँ अब बोले मैडम आपने हमें क्यों याद किया।" अहमद टेबल पर बैठते हुए बोला। "वोह मुझे एक काम था।" सानिया ने हिचकिचा कर कहा। "हुकुम करो बंदा हाज़िर है।" अहमद ने सिर झुकते हुए कहा। "क्या तुम जैनी से मेरी बात कर सकते हो?" सानिया ने टेबल पर झुकते हुए कहा। "हाये बात करना ज़रूरी है।" अहमद ने शरारती अंदाज़ में कहा। "प्लीज......प्लीज़......प्लीज। " सानिया ने ज़िद करते हुए कहा। "ठीक है रुको मैं कॉल करता हु।" अहमद ने सानिया को देख कर कहा और ज़ैन को कॉल की। ज़ैन जो अपने काम मे बिजी था अहमद की कॉल आते देख बिजी अंदाज़ में बोला:"हा बोल" "ज़ैनु भाभी को फ़ोन दे।" अहमद ने कहा। "सब ठीक तो है?" ज़ैन ने हैरान हो कर पूछा। "हाँ, तू फ़ोन भाभी को दे।" अहमद ने फिर अपनी बाद दोहराई। ज़ैन में चिढ़ कर बेड पर लेटी ज़ैनब की तरफ फ़ोन बढ़ाया। ज़ैन ने कन्फ्यूज्ड हो कर ज़ैन को देखा और फिर फ़ोन ले लिया। "हेलो" ज़ैनब ने कहा। "कैसी हो मेरी प्यारी बहेना।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा। "ठीक हु भाई, आप सुनाए।" ज़ैनब ने पूछा। "मैं भी ठीक हु यह लो अपनी दोस्त से बात करो।" अहमद ने ज़ैनब से कहा और फिर फ़ोन सानिया की तरफ बढ़ाया। सानिया ने फोन लिया और ज़ैनब से बोली:"हाये जैनी, कैसी है तू?" "मैं ठीक हु तू कैसी है?" ज़ैनब ने मुस्कुरा कर पूछा। फिर वही उन दोनों की कभी ना खत्म होने वाली बातें शुरू होगयी। ज़ैन की नज़र अब ज़ैनब पर टिकी थी जो हँस हँस सानिया से बात कर रही थी, कुछ देर बाद ज़ैनब ने फ़ोन रख दि और वापस ज़ैन की तरफ बढ़ा दिया। ज़ैन उसका हाथ पकड़ते हुए बोला:"दोस्तों से इतना हस कर बात करती हो बेगम और मेरे साथ हस कर बात करना तो दूर हस कर देखती भी नही हो।" ज़ैन ने मुंह बनाते हुए कहा। उसकी बात सुनकर ज़ैनब हँसने लगी। "यार मैं ने कोई जोके नही सुनाया है और मैं इतना भी बुरा नही हु।" ज़ैन ने अपनो दाढ़ी खुजाते हुए कहा। "आप बहोत बुरे है लेकिन आपकी दाढ़ी बहोत अच्छी है।" ज़ैनब ने उसके गाल खींचते हुए कहा। ज़ैन उसके होंठो पर किस करने के लिए झुका ही था कि तभी ज़ैन ने अपना मुंह दूसरी तरफ लिया और ज़ैन के होंठ उसकी गर्दन पर जा लगे। ज़ैन उसे धक्का देते हुए नेरचे उतर कर बोली:"आप मुझे इमरान हाशमी के भाई लगते है।" गुस्से से ज़ैन को देखते हुए ज़ैनब ने कहा और कमरे से बाहर चली गयी। पीछे से उसे ज़ैन की हँसने की आवाज़ सुनाई दे रही थी। ......... "शुक्र है तुम दोनों की बात तो खत्म हुई।" अहमद ठंडी सांस छोड़ते हुए बोला। "यु आर वेलकम।" सानिया ने मुस्कुराते हुए कहा। "ओके मैं चलती हु।" सानिया उठ कर जाने ही लगी थी कि अहमद ने उसका हाथ पकड़ कर कहा:"थोड़ी देर और रुक जाओ, कम से कम चाय तो पी लो।" सानिया ने एक नज़र अपने हाथ पर डाली और फिर अहमद को देखा। अहमद उसका हाथ छोड़ते हुए बोला:"सॉरी" सानिया फिर से मुड़ कर जाने लगी तो अहमद उसके सामने आ कर खड़ा हो गया और बोला:"प्लीज यार बस थोड़ी देर।" "सॉरी बट मुझे देर हो रही है।" सानिया ने घबरा कर कहा। "यार डर क्यों रही हो मैं ने सिर्फ चाय पीने के लिए कहा। मैं ऐसा वैसा कोई चीप टाइप का लड़का नही हु।" अहमद ने ताना मरते हुए कहा। उसकी बात सुनकर सानिया वापस आ कर कुर्सी पर बैठ गयी, अहमद भी उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया और चाय का आर्डर दिया। कुछ देर बाद वेटर उनका आर्डर दे कर चला गया। सानिया चुप चाप चाय पीने लगी। "एक बात पुछु।"अहमद ने हिचकिचा कर कहा। "हु" सानिया ने हाँ में अपनी गर्दन हिलाई। "सानिया तुम मुझे अच्छी लगने लगी हो, पता नही क्यों बस दिल तुम्हारी ख्वाहिश करने लग गया है। तुम्हारे इलावा मुझे कोई भी अच्छा नही लगता है।" अहमद ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा। सानिया ने अपना हाथ छुड़ाया और उठ गई, अहमद भी उसी वक़्त उसके सामने आ गया। अगर सानिया फौरन न रुकती तो अहमद से टकरा जाती। "यार पहले मेरी पूरी बात तो सुन लो।" अहमद ने इल्तेजा करते हुए कहा।
सानिया ने अपनी गर्दन नीची झुकाली और बोली: "मेरे सामने से हटो।" अहमद को उस पर गुस्सा आ गया। उसने सानिया को कमर से पकड़ा और अपने करीब खींचा लिया और अपनी पकड़ और मजबूत करली। "तुम्हे किसने हक़ दिया है मेरी फीलिंग की इंसल्ट करने का।" अहमद ने एक एक शब्द चबा कर कहा। उसकी तेज़ पकड़ की वजह से सानिया सहेम गयी और रोने लगी। उसके आंसू देख कर अहमद कुछ नरम पड़ गया और अपनी पकड़ ढीली करदी लेकिन उसे छोड़ा नही। "प्लीज छोड़े मुझे कोई देख लेगा।" सानिया इधर उधर देखते हुए बोली। "तुम फिक्र मत करो कोई नही देखा, तुम बताओ मुझे क्या तुम मुझसे शादी करोगी।" अहमद उसके बालो को कान के पीछे करते हुए बोला। उसकी बात सुनकर सानिया ने नज़रे झुका ली। अहमद ने उसका चेहरा ऊपर उठाया जो आँसुओं से तर हो चुका था। अहमद उसके आंसू साफ करते हुए बोला: "देखो यार जो हम लड़ते है हमारी लड़ाई को भूल कर एक बार मेरे बारे में सोचना मैं हैंडसम भी हु और तुमसे प्यार भी करता हु, अच्छे से सोच लो मेरा नंबर भी तुम्हारे पास है सोच कर बता देना।" अपनी बात कहने के बाद अहमद ने उसके गालो पर किस किया और उससे दूर हो गया। सानिया शर्म से लाल चेहरे के साथ वहां से भाग गई। अहमद उसे जाता हुआ देख वापस अपनी जगह आ कर बैठ गया और चाय पीने लगा जो अब ठंडी हो गयी थी। ......... ज़ैन ज़ैनब को ले कर अपनी चाची के घर आ गया था। "रहीम बाबा" ज़ैन ने अपने घर के पुराने नौकर को आवाज़ दी। "जी शाह जी।" रहीम बाबा भागते हुए उसके पास आ कर बोले। "यह समान किसी से कह कर मेरे कमरे में सेट करा दे।" ज़ैन ने कहा। उन्हों ने एक नज़र ज़ैनब पर डाली और फिर ज़ैन का ख्याल करके वहां से चले गए। "चाची जान चाचा जान कहा है आप दोनों।" ज़ैन ने हॉल में आते ही दोनों को आवाज़ दी। उसकी आवाज़ सुनकर वो दोनों अपने कमरे से बाहर आये। उन्होंने पहले ज़ैन को देखा फिर उसके पीछे खड़ी ज़ैनब को देख कर उसके पास चली गयी। शाज़िया ने ज़ैनब का माथा चूमा और ज़ैनब को खुश रहने की दुआ दी। चाचा जी ने भी उसे खूब दुआएँ दी। "अरे वाह आप तो बहोत खूबसूरत है।" कुलसुम ने मुस्कुराते हुए ज़ैनब से कहा। उसकी बात सुनकर ज़ैनब शर्मा गयी। ओके बच्चो जा कर फ्रेश हो जाओ फिर हम सब मिल कर साथ मे डिनर करेंगे। शाज़िया ने ज़ैनब को देखते हुए कहा। "क्या चाची जान बहु के मिलते ही मुझे भूल गयी।" ज़ैन ने झूठी नाराज़गी दिखाते हुए कहा। "खबरदार जो मेरी बहु के बारे में कुछ कहा तो मैं तुम्हे छोडूंगी नही।" शाज़िया ने उनके कान खींचते हुए कहा। "अच्छा,,,,,अच्छा,,,कुछ नही कहूंगा लेकिन पहले आप मेरे कान तो छोड़िए।" ज़ैन ने अपने कान छुड़ाते हुए कहा। उसकी बात सुनकर शाज़िया ने मुस्कुराते हुए उसके सिर पर चपत लागई और दोनों को ऊपर जा कर फ्रेश होने के लिए कहा। ज़ैन ज़ैनब को ले कर अपने कमरे में चला गया। "कैसे लगे मेरे चाचा चाची!" ज़ैन ने बेड पर लेटते हुए पूछा। "बहोत अच्छे।" ज़ैनब ने भी खुल कर उनकी तारीफ की। "और मैं कैसे लगा।" ज़ैन ने शरारत से पूछा। ज़ैनब अपने कपड़े ले कर खड़े होते हुए बोली:"बहोत ही बुरे।" "ज़्यादा तेज़ नही हो गयी हो।" ज़ैन उसकी तरफ आते हुए बोला। "हाँ आप की वजह से ही हुई हु।" कहते साथ ही ज़ैनब भाग कर वाशरूम में चली हई। ज़ैन हस्ते हुए बोला:"डरपोक लड़की।" "जी नही मैं डरपोक नही हु मैं इसीलिए वह से भागी क्योंकि अभी आपके अंदर का इमरान हाशमी जाग जाता।" ज़ैनब वाशरूम से चिल्ला कर बोली। उसकी बात सुनकर ज़ैन हस्ते हुए फ़ोन में अपने मेल्स चेक करने लगा। थोड़ी देर बाद ज़ैनब वाशरूम से बाहर निकली तो उसके बालो से पानी टपक रहा था। वोह आईने के सामने खड़ी अपने गीले बालों को सुखा रही और इस वक़्त बेहद अट्रैक्टिव लग रही थी। ज़ैन ने जब उसे देखा तो उसके होश ही उड़ गए, उसने बहोत सी खूबसूरत लड़कियाँ देखी थी लेकिन उसे ऐसा लगता था जैसे सारी खूबसूरत ज़ैनब पर ही आ कर खत्म हो जाती है। "जानू पास आने के लिए खुद ही मुझे उकसाती हो, मेरे सोये हुए जज़्बातों को जगाती हो, बेशर्म भी कहती हो और पास भी नही आने देती अगर इस तरह मेरे सामने आओगी तो बहेकूँगा ही ना। जितना तड़पना है तड़पा लो लेकिन जिस दिन खुद पर आ गया ना उस दिन तुम्हारी एक नही सुनुगा और अपने सारे हक़ वसूल कर लूंगा।" ज़ैन ने मीनिंगफुल अंदाज़ में कहा और वाशरूम में चला गया। उसकी बात सुनकर तो ज़ैनब की सांसे ही अटक गई। .......... सुबह सब नाश्ता कर ही रहे थे कि अहमद आ गया। उसने ज़ैन को इशारा करके बाहर आने के लिए कहा। "आओ बेटा नाश्ता करलो।" शाज़िया ने अहमद से कहा। "नही चाची भूख नही है और वैसे भी मैं घर से करके आया हु।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा। "वाह मम्मा अहमद भाई तो मुझे ठीक नही लग रहे है, नाश्ता भी नही कर रहे है और आज खामोश भी है। बात क्या है कहि गर्लफ्रैंड छोड़ कर तो नही चली गयी।" कुलसुम ने उसे छेड़ते हुए कहा। "चुड़ैल तुम चुप ही रहा करो।" अहमद ने चिढ़ कर कहा। उसकी बात सुनकर सब हँसने लगे और कुलसुम ने मुंह बना ली। "ओके मैं चलता हूं।" ज़ैन नाश्ते की टेबल से उठते हुए बोला। "आप मुझे यूनिवर्सिटी छोड़ दें।" ज़ैनब भी उठते हुए बोली। "ठीक है तुम तैयार हो कर आ जाओ मैं बाहर हु।" ज़ैन ने कहा और अहमद को ले कर बाहर निकल गया। "क्या हुआ सब ठीक तो है!" ज़ैन ने पूछा। "मुझे पता चला है इमरान ने तुझे मारने के लिए कुछ लोगों को हायर किया।" अहमद परेशान हो कर बोला। "तू फिक्र मत कर वह लोग मेरा कुछ भी नही बिगाड़ सकते है।" ज़ैन ने उसके कंधे पर हाथ रख कर उसे तसल्ली देते हुए कहा। "फिर भी एहतियात ज़रूरी है।" अहमद ने कहा। "चले।" ज़ैनब ने पीछे से उन्हें आवाज़ दी। "चलो मैडम बंदा आपकी खिदमत में हाज़िर है।" ज़ैन ने आने हाथ से कार की तरफ इशारा करके अपनी सिर झुकते हुए कहा। उसकी बात सुनकर ज़ैनब और अहमद दोनो हस दिए। "तुमने अपने हस्बैंड को अच्छे से कंट्रोल किया है।" अहमद कार में बैठते हुए बोला। "चुप करो भाई यह ना बस आपके सामने दिखावा कर रहे है।" ज़ैनब ने मुंह बनाते हुए कहा। अहमद ने घूर कर ज़ैन को देखा। ज़ैन कार स्टार्ट करते हुए बोला:"क्या यार तू ऐसे क्यों देख रहा है, मैं ने उसे कुछ भी नही कहा है।" "क्या!!!!!!" ज़ैनब हैरान हो कर बोली। "अब इतना बड़ा मुंह क्यों खोल रही हो मक्खी चली जाएगी।" ज़ैन शरारती अंदाज़ में बोला। "भाई देखो कितना झूठ बोलते है रात को ही मुझे डरपोक कहा है।" ज़ैनब मासूम सी शक्ल बना कर बोली। "बहेना यह तो खुद ही डरपोक है तुम इसकी बात को इग्नोर कर दिया करो।" अहमद ने मुस्कुराते हुए ज़ैनब से कहा। "बेटा तेरी ही वजह से यह मेरी एक बात भी नही सुनती है।" ज़ैन ने अहमद को घूरते हुए कहा। "तू जब मेरी बात सुनने लगे तब मैं अपनी बहेना को बोल दूंगा की ज़ैनब साहब की बात माना करो।" अहमद ने दांत दिखाते हुए कहा। ज़ैन ने कर रोकी और ज़ैनब उतर गई और अहमद की साइड आ कर बोली:"भाई अपना ख्याल रखना।" "ओके।" अहमद ने मुस्कुरा कर कहा। "मैं भी हु यार।" ज़ैन ने मुंह बनाते हुए कहा। "आप कौन है?"ज़ैनब ने अनजान बनते हुए कहा। इससे पहले की ज़ैन कुछ कहता एक लड़की भागते हुए ज़ैनब के पास आयी:"ज़ैनब इमरजेंसी केस है तुम्हें डॉक्टर को असिस्ट करना है।" "ओके बाये।" ज़ैनब ने परेशान होकर उन दोनों से कहा और भागते हुए अंदर चली गयी। उसके जाने के बाद वोह दोनो आफिस के लिए निकल गए। पार्किंग में पहोंच कर वोह दोनो कार से नीचे उतर गए। तभी ज़ैन का फ़ोन वाइब्रेट होने लगा। ज़ैन फ़ोन उठा कर बात करने लगा। तभी अहमद की नज़र उसके सीने पर आए रेड डॉट पर गयी। उसने जल्दी से उसे धक्का दिया और तभी दो गोली चलने की आवाज़ आयी। ज़ैन जब तक कुछ समझ पाता अहमद नीचे ज़मीन पर गिर गया था। ज़ैन ने सामने देखा जहाँ वोह आदमी फिर से गोली चलाने वाला था। ज़ैन ने अपनी गन निकली इससे पहले की वोह आदमी गोली चलाता ज़ैन ने उसे गोली मार दी। "अहमद......अहमद मेरी जान उठना।" अहमद खून से लेथ पथ हो गया था। ज़ैन ने उसे कार की बैक सीट पर लिटाया और तेज़ी से कार ले कर हॉस्पिटल की तरफ चल पड़ा। हॉस्पिटल पहोंच कर उसने डॉक्टर्स को आवाज़ दी। डॉक्टर अहमद को एमरजेंसी में ले गए। ज़ैन के पूरे कपड़े अहमद के खून से लाल हो गए थे। ज़ैन आज बेबस खड़ा था उसने अपने चाचा चाची को फ़ोन किया और हॉस्पिटल आने के लिए कहा। ज़ैनब डॉक्टर के साथ एमरजेंसी रूम में जा ही रही थी कि तभी उसकी नज़र ज़ैन पर पड़ी उसके कपड़े देख कर उसके हाथ पैर ठंडे हो गया। वोह डॉक्टर से एक्सक्यूज़ करते हुये भगति हुई ज़ैन के पास आयी। "आप को क्या हुआ?" ज़ैनब घबरा कर बोली। इससे पहले की ज़ैन कुछ जवाब दे पाता ज़ैन के चाचा चाची भागते हुए उसके पास आये। ज़ैन उनके गले लग कर रोने लगा। थोड़ी देर बाद वोह अपने आंसू साफ करते हुए बोला:"चाची जान प्लीज आप अहमद से कहिये न उठा जाए वोह जनता है ना मुझे उसकी खामोशी बर्दाश्त नही होती है।" ज़ैन बिल्कुल छोटे बच्चो की तरफ उनसे अपनी बात कह रहा था। "डॉक्टर ज़ैनब डॉक्टर आपको अंदर बुला रहे है।" ज़ैनब जो कब से बूत की तरह खड़ी ज़ैन को देख रही थी नर्स की आवाज़ पर फौरन इमरजेंसी रूम की तरफ भागी।
छह घंटे बाद ज़ैनब जब ऑपरेशन थेटर से बाहर आई तो ज़ैन वहां नही था। ज़ैनब भारी कदमो में चलते हुए जा कर बेंच पर बैठ गयी। थोड़ी देर बाद जब ज़ैन वापस आया तो उसका पूरा चेहरा लाल था। वोह चलते हुए ज़ैनब के पास गया और उसके कंधे पर सिर रख कर बैठ गया। "ज़ैनब" ज़ैन ने ज़ैनब को आवाज़ दी रोने की वजह से उसकी आवाज़ भारी हो गयी थी। "जी" ज़ैनब ने कहा। "अहमद से कहो ना उठ जाए, उसे भूख बहोत लगती है। उसे भूख लगी होगी। उसे कहो न उठा जाए मैं उसकी पसंद की हर चीज़ ला कर दूंगा। बस उससे कहा दो उठ जाए।" ज़ैन किसी छोटे बच्चे की तरह उससे सारी बातें कह रहा था। ज़ैनब उसकी बात सुनकर रो रही थी। ज़ैन उठो घर जाओ और कपड़े चेंग करलो। शाज़िया उसके पास आ कर बोली। "नही मैं अहमद को छोड़ कर कहि नही जाऊंगा, अगर वोह उठ गया और मैं यहां नही रहा तो वोह नाराज़ हो जाएगा।" ज़ैन ज़िद करते हुए बोला। "थोड़ी देर में तुम वापस आ जाना।" शाज़िया ने कहा। "नही अगर वोह लोग अहमद को ले कर चले गए तो मैं नही जाऊंगा।" ज़ैन ने कहा। "अरे वोह लोग अहमद को नही ले जा सकते कसीम के आदमी और तुम्हारे चाचा भी तो यहां है ना और ज़ैनब तुम भी साथ जो।" शाज़िया ने कहा और ज़बरदस्ती दोनो को घर भेज दिया। ज़ैन जैसे ही घर पहोंचा तभी उसका फ़ोन बजने लगा। ज़ैन ने बिना नंबर देखे ही फ़ोन उठाया। "कैसे हो शाह।" इमरान की आवाज़ सुनते ही ज़ैन का खून खौलने लगा। "मैं तुझे ज़िंदा नही छोडूंगा इमरान।" ज़ैन ने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा। "हाहाहा शाह पहले तू अपने उस अहमद को बचा ले मरवाना तो मैं तुझे चाहताथा लेकिन वोह बीच मे आ गया लेकिन अच्छा ही है अगर वोह मर गया तो तू तो जीते जी ही मर जायेगा।" इमरान ने हस्ते हुए कहा। ज़ैन ने गुस्से से फ़ोन ज़मीन पर फेंका और वापस बाहर जाने लगा। "आप कहा जा रहे है?" ज़ैनब ने कहा। "मैं उस इंसान को मारने जा रहा हु जिसने अहमद की यह हालत की है।" ज़ैन गुस्से से चिल्लाते हुए बोला। "आप कहि नही जाएंगे।" ज़ैनब उसे रोकते हुए बोली। "तुम क्या कहना चाह रही हो उसकी वजह से अहमद की यह हालत हुई आज तो मैं उसे ज़िंदा नही छोडूंगा।" ज़ैन गुस्से में कहता अपने कमरे में चला गया। उसके गुस्से को देख कर एक पल के लिए तो ज़ैनब भी कांप गयी फिर हिम्मत करके वोह भी कमरे में चली गयी। ज़ैन अपनी गन ले कर वापस मुड़ा तो सामने ज़ैनब खड़ी थी, ज़ैन उसे नज़र अंदाज़ करते हुए कमरे से जाने लगा की तभी ज़ैनब ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसको देखते हुए गुस्से से बोली:"आपको मेरी बात समझ क्यों नही आ रही है।" ज़ैन गुस्से से उसके बाज़ू को पकड़ते हुए बोला:"तुम क्या चाहती हो मैं उस आदमी को छोड़ दु जिसकी वजह से आज मेरा दोस्त ज़िन्दगी और मौत की जंग लग रहा है।" "मैं उसे छोड़ने के लिए नही कह रही मैं यह कह रही आपको अभी भाई के पास होना चाहिए। शाह जी उन्हें दो गोली लगी एक दिल के पास और दूसरी उनके बाज़ू में अगर अगले चौबीस घंटे तक उन्हें होश न आया तो....." ज़ैनब ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी और अब उसकी आँखों से आंसू बह रहा थे। ज़ैन ने अपनी गन खींच कर शीशे पर मेरी वोह शीशा चकना चूर हो गया और ज़ैन वाशरूम में चला गया। कुछ ही देर बाद वोह दोनो वापस हॉस्पिटल के लिए निकल गए। हॉस्पिटल पहोंच कर ज़ैन सीधा इमरजेंसी रूम में जाने लगा। "कहा जा रहे हो बेटा।" चाची जी ने पूछा। "अहमद से मिलने।" ज़ैन ने कहा और वापस जाने लगा। "नही शाह साहब अपनी परमिशन नही है आप उनसे नही मिल सकते है।" डॉक्टर उसके पास आ कर बोले "पूछा नही है और हाँ उससे मिलने के लिए मुझे किसी से परमिशन लेने की ज़रूरत नही है।" उसकी आवाज़ इतनी तेज थी कि अस पास के लोग उसे देखने लगे और डॉक्टर भी डर कर पीछे हो गया। भला कौन शाह और उसके गुस्से को नही जानता था। ज़ैन ने अपनी आंसू भारी आवाज़ से मशीनों में जकडे अहमद को देखा और भारी कदमो से चलते हुए उसके पास जा कर उसका हाथ पकड़ कर बैठ गया। "मेरी जान उठ जा ना तू मशीनों में जकड़ा बिल्कुल भी अच्छा नही लगता यार। देख अगर तूने मुझे और तंग किया तो मैं तेरा यह हैंडसम चेहरा बिगाड़ दूंगा।" ज़ैन की आंखों से आंसू गिर रहे थे। कौन कहता है मर्द को दर्द नही होता। क्यों उसके सीने में दिल नही होता उसके जज़्बात नही होते। जैन अपने आंसू साफ करता उसके माथे पर किस कर के कमरे से बाहर चला गया। ज़ैन बाहर आया और कसिम को ले कर वहां से चला गया। "अपने सारे आदमियो को काम पर लगा दो मुझे आज ही इमरान चाहिए।" ज़ैन आंखों में गुस्सा लिए हुए बोला। "जी बॉस।" कसिम कहता वहां से तेज़ी ने चला गया। ........ रात के करीब एक बजे ज़ैनब ने ज़ैन को बताया कि अहमद को होश आ गया। वोह भागते हुए अहमद के रूम के सामने जा कर रुक गया। "तूने मुझे बहोत तंग किया है अब तू देख में भी तुझसे जल्दी हक मिलूंगा।" ज़ैन मन ही मन सोच कर मुस्कुराने लगा और जा कर चेयर पर बैठ गया। हालांकि उसका दिल कर रहा था कि वोह कितनी जल्दी अहमद से जा कर मिल ले लेकिन वोह खुद को कंट्रोल करता हुआ वही पर बैठा रहा। सब अहमद से मिलने आये लेकिन अहमद को जिसकी तलाश थी वोह उसे नही दिखा। सबक जाने के बाद ज़ैनब अहमद के लिए सूप निकल ही रही थी कि तभी अहमद बोला:"भाभी ज़ैन कहा है।" "पता नही।" ज़ैनब ने कंधे उचका कर कहा। "चुड़ैल क्या उसे मुझसे नही मिलना है।" अहमद ने मुंह बना कर कहा। "भाई आप बहोत बत्तमीज़ है आपने मुझे चुड़ैल कहा अब तो मैं आपको बिल्कुल भी नही बताऊंगी।" ज़ैनब ने झूठा गुस्सा करते हुए कहा। "नही बहेना तुम्हे नही कहा में ज़ैन को चुड़ैल कहा।" जल्दी जल्दी बात बनाने के चक्कर मे अहमद क्या कह गया उसे तब अहसास हुआ जब ज़ैनब हँसने लगी। "अच्छा.......अच्छा अब बता दो ना।" अहमद मिन्नत करते हुए बोला। "वोह आपसे नाराज़ है, अच्छा खैर मैं उन्हें अंदर भेजती हु।" ज़ैनब कह कर उठ कर बाहर चली गयी। "शाह अहमद भाई आपसे मिलना चाहते है।" ज़ैनब ने मुस्कुराते हुए ज़ैन से कहा। ज़ैन उसे देख कर मुस्कुराया और अंदर चला गया। "भाभी वोह बंदर आया कि नही।" अहमद ने दरवाज़ा खुलने की आवाज़ पर आंखे बंद किये ही कहा लेकिन जब उसे कोई जवाब ना मिला तो उसने आंखे खोल कर सामने देखा तो ज़ैन सीने पर दोनों हाथों को बांधे उसे देख कर मुस्कुरा रहा था। "अच्छा अब घूरना बंद कर यार।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा। ज़ैन उसके पास आया और उसे ज़ोर से गले लगा लिया। "ओह तेरी ज़ैनु मेरे पेच अभी ढीले है और तूने तो सत्यनाश कर दिया।" अहमद ने गुस्सा करते हुए कहा। "ओह्ह सॉरी।" ज़ैन उससे दूर होते हुए बोला। "रहेन दे होन मरते दी ता।" अहमद की पंजाबी सुनकर ज़ैन हँसने लगा तो अहमद भी मुस्कुरा दिया। "यार अहमद मैं तुझसे नाराज़ हु तू ने ऐसा क्यों किया!" ज़ैन मुंह फुलाते हुए बोला। "मेरे होते हुए अगर तुझे कुछ हो जाता तो लानत है ऐसी दोस्ती पर मैं तुझ पर कैसे आंच आने दे सकता हु।" अहमद उसका गाल सहलाते हुए बोला। "अगर तुझे कुछ हो जाता तो।" ज़ैन उसका हाथ पकड़ कर बोला। "लेकिन कुछ हुआ तो नही ना।" अहमद ने उसे देखते हुए कहा। "मेरी जान तेरी ऐसी हालत करने वाला वोह कुत्ता इमरान है अब जब तक मैं तेरे जिस्म से बहने वाले खून का बदला नही लूंगा मैं शांति से नही बैठूंगा।" ज़ैन ने उसके सिर को सहलाते हुए कहा। अहमद कुछ कहने ही वाला था कि ज़ैनब और ज़ैन के चाचा चाची अंदर आ गए। 'यार चाचा जी मुझे घर जाना प्लीज मुझे इन मशीनों से आज़ाद कर दे।" अहमद ने बेचारगी से कहा। "बेटा अभी तुम ठीक नही हुए हो।" चाचा जी ने उसे समझते हुए कहा। "यार ज़ैनु तू तो समझ ना।" अहमद ने ज़ैन की तरफ देखते हुए कहा। ज़ैन ने उसकी बात करो अनसुनी करदी अहमद गुस्से से बोला:"अब मैं कुछ भोंक रहा हु।" "अच्छा तू था सॉरी यार मुझे लगा कुत्ता भोंक रहा है।" ज़ैन की बात सुनकर सब हँसने लगे जबकि अहमद ने उसे ऐसे घूरा जैसे उसे कच्चा की चबा जाएगा। "जाओ बच्चो तुम दोनों जा कर फ्रेश हो कर अहमद के कपड़े ले कर आ जाना।" शाज़िया ने कहा और वोह दोनो घर के लिए निकल गया।
घर पहुचने के बाद ज़ैन शावर लेने के वाशरूम में चला गया और तभी ज़ैन का फ़ोन बजने लगा। ज़ैन ने जा कर देखा तो सानिया का नंबर था उसने काल अटेंड की और सानिया को अहमद के बारे में सब कुछ बता दिया। ज़ैनब की बात सुनकर सानिया की आंखों में आंसू आ गए। उन दोनों ने थोड़ी देर बात की और फ़ोन रख दिया। ज़ैनब जैसे ही मोदी ज़ैन को शर्टलेस देख कर वापस मुड़ कर बोली:"ओह शाह आप ऐसे बाहर क्यों आये।" "क्या हुआ यार!" ज़ैन खुद को देखते हुए बोला। "आह पहले आप शर्ट पहने।" ज़ैनब छिड़ कर बोली। ज़ैन मुस्कुराते हुए उसको पीछे से गले लगाते हुए बोला:"तू इसमें क्या है तुम्हे ही देखने का हक़ है मैडम।" उसकी बात सुनकर ज़ैनब तो जैसे बुत ही बन गयी थी। ज़ैन ने उसके कंधे पर ठोड़ी टिकाई और कान में बोला:"जानू मुझसे क्या शर्माना।" और उसके कान की लौ पर किस किया। ज़ैनब की धड़कने तेज़ हो गयी थी उसे ऐसा लगा जैसे अभी उसका दिल बाहर निकल आएगा। शाह छो...ड़े मु..झे। ज़ैनब ने अटकते हुए कहा। "छोड़ने के लिए थोड़ी पकड़ा है।" ज़ैन उसकी गर्दन पर किस करते हुए बोला। ज़ैनब की पीठ ज़ैन के सीने से लग रही और और ठंडी बॉडी को महसूस करते हुए अपने आंखे ज़ोर से बंद करली। ज़ैन उसे अपनी तरफ घुमाया लेकिन फिर भी ज़ैनब ने अपनी नज़रे नही उठायी। एक तो उसके आंखों में अपने लिए मोहब्बत और दूसरा ज़ैन का शर्टलेस होना ज़ैन की हिम्मत ही नही हो रही थी कि वोह उससे नज़रे मिलती। "मेरी जान मैं तुमसे इतनी मोहब्बत करूँगा की तुम खुद कहोगी शाह में तेरे इश्क़ में पागल हो गयी हु।" ज़ैन ने उसके माथे को चूमते हुए कहा। आई लव यू, आई रियली लव यू स्वीटहार्ट........ ज़ैन मोहब्बत से चूर भरे लहजे में कहता उस झुका ही था कि तभी ज़ैनब ने दरवाज़े की तरफ देख कर कहा:"चाचा जी" ज़ैन जल्दी से उससे दूर हुआ और दरवाज़े की तरफ देखा लेकिन वहां कोई नही था। उसने वापस मुद कर देखा तो ज़ैनब वाशरूम में जा चुकी थी। "पूरे मूड का सत्यनाश कर दिया इस लड़की ने।" ज़ैन ने झुंझला कर कहा और अपने बालों में हाथ फेरते हुए उसकी चाल पर मुस्कुरा दिया। ............. ज़ैन हॉस्पिटल आयी तो उसकी सभी क्लासमेट वाइट कोट पहने सीनियर डॉक्टर के पास खड़ी थी जो उन्हें किसी केस के बारे में बता रहे थे। ज़ैनब अंगे देख कर ज़ैन का हाथ खींचते हुए दूसरी तरफ ले जाने लगी। "क्या हुआ?" ज़ैन ने हैरान हो कर पूछा। "कुछ भी तो नही।" ज़ैनब हड़बड़ा कर बोली। "तो फिर मुझे इधर क्यों ले कर आयी हो।" ज़ैन ने अपनी इएब्रो उचकाते हुए पूछा। "वोह सानिया आज अहमद से मिलने आने वाली है......." "जैनी तुम यहाँ क्या कर रही हो?" इससे पहले की ज़ैनब अपनी बात पूरी करती पीछे से किसी आदमी की आवाज़ आयी। ज़ैन ने मुड़ कर पीछे देखा तो वोह को चालीस साल का आदमी था। "एक्सक्यूज़ मि मुझे जैनी सिर्फ वही लोग कह सकते है जो मेरी लाइफ में इम्पोर्टेंस रखते है और आप मुझसे कुछ भी पूछने का हक़ खो चकें है तो प्लीज डाबड़ा यह दिखावा मत कीजियेगा।" ज़ैनब ने गुस्से से कहा और आगे जाने लगी। ज़ैनब अब वही खड़ा हैरानी से उसे जाते हुए देख रहा था। उसने पहेली बार ज़ैनब को इतने गुस्से में देखा था। "ज़ैनब मुझे माफ़ करदो।" वोह आदमी फिर बोला। ज़ैनब एक पल के लिए रुकी और वापस उस आदमी के पास आ कर बोली:"ठीक है आप मेरे पैरेंट्स को वापस ला दीजिये मैं भी आपको माफ कर दूंगी।" "ज़ैनब...." इस बार उस आदमी की आंखों में आंसू थे। "मैं ने बस एक छोड़ा से मज़ाक़ किया था।" "और आपके एक छोटे से मज़ाक़ की सज़ा मुझे मिली अगर आप उस दिन उनसे यह झूठ ना बोलते की मुझे चोट लग गयी है ना तो वोह वापस घर आने की जल्दी ना ही उनका एक्सीडेंट होता आपके एक झूठ ने मुझसे मेरी बचपन की सारी खुशियां छीन ली। प्लीज आप मेरे सामने से चले जाएं।" ज़ैनब ने अपने हाथ जोड़ते हुए कहा और उसकी आंखों से अब आंसू गिर रहे थे। वोह आदमी वहां से चला गया। ज़ैन ने जल्दी से ज़ैनब को गले लगा तो वोह और रोने लगी। ज़ैन उसके बालों को सहलाते हुए उसे शांत करने लगा। कुछ देर बाद ज़ैनब शांत हो गयी ज़ैन ने उसे चेयर पर बिठाया और कसीम से पानी की बोटल ले कर उसे पिलाने लगा। "मेरी जान क्या हुआ वोह आदमी कौन था?" ज़ैन उसका सिर अपने कंधे पर रख कर सहलाते हुए बोला। "वोह मेरे बड़े पापा था।" ज़ैन ने आराम से कहा। "क्या बात है अगर तुम चाहो तो मुझे बता सकती हो।" ज़ैन ने प्यार से उसके गालो को छूते हुए कहा। "जब मैं पांच साल की थी मेरे माँ डैड अपने एक दोस्त के घर डिनर के लिए गए थे। मैं उस वक़्त बड़े पापा के साथ थी। उस दिन अप्रेल फूल था तो बड़े पापा ने उनके साथ मजाक करने का सोचा। उन्होंने डैड को फ़ोन किया और कहा कि मैं सीढ़ियों से गिर गयी हु और मुझे चोट लगी। डैड परेशान हो कर अपने फ्रेंड के यहां से निकल गए और तेज़ी स्पीड में ड्राइव करते हुई अचानक उनकी कार एक ट्रक से टकरा कर खाई में गिर गयी और मेरे माँ डैड की डेथ हो गयी। अगर बड़े पापा उस दिन उन से झूठ नही बोलते तो आज मेरे माँ डैड ज़िंदा होते।" अपनी स्टोरी बताते हुए ज़ैनब की आंखों से आंसू गिर रहे थे। जबकि ज़ैन तो जैसे किसी और ही दुनिया मे खो गया था। "जैनी क्या हुआ तो रो क्यों रही!!" सानिया परेशान होते हुए ज़ैनब से बोली। जबकि सानिया की आवाज़ सुनकर जैसे ज़ैन अपने हवास में वापस आ गया। "ज़ैन भाई अपनेक्या किया है मेरी दोस्त के साथ।" सानिया ने शक भारी नज़रों से ज़ैन की तरफ देखते हुए कहा। "मैं ने इससे कहा कि अहमद के लिए कोई अच्छी सी लड़की ढूंढो ताकि मैं उसकी शादी कराके अपनी जान छुड़ाऊं।" ज़ैन ने आंखों में शरारत लिए हुए सानिया से कहा। ज़ैनब ने घूर कर ज़ैन को देखा। जबकि सानिया के मानो होश ही उड़ गए। "वैसे तुम यहाँ क्या कर रही हो?" ज़ैन ने सानिया से पूछा। "वोह अहमद को देखने के लिए आई है।" ज़ैनब ने ज़ैन को घूरते हुए कहा। "अच्छा तुम जा कर अहमद से मिल लो। ज़ैनब तुम नेरे साथ चलो वोह लेडी डॉक्टर से अहमद की दाइयों के बारे में कुछ बात करनी है।" ज़ैन ने कहते हुए ज़ैनब का हाथ पकड़ा और खींचते हुए गार्डन एरिया की तरफ चला गया। जबकि सानिया अपना सिर झटकते हुए अहमद के रूम में चली गयी। "क्या तुम हिक हो?" सानिया उसके पास बैठते हुए बोली। "हाँ।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा। सानिया की आंखों में आंसू थे जो अहमद से छुपे नही थे। "यह मेरे लिए रो रही हो या बस हमदर्दी है।" अहमद ने उसके चेहरे को छूते हुए कहा। उसकी बात सुन कर सानिया ने अपनी नज़रें उठायी और बिना कुछ कहे वापस झुकाली। "सानिया विल यु मैरी मि।" अहमद ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा। सानिया ने झट से अपनी नज़रे उठायी और मन ही मन सोचा:"ऐसी हालत में भी यह...." "मु..झे व...क़्त चा...हिए।" सानिया ने अटकते हुए कहा। "लेलो जितना वक़्त लेना है मैं सारी जिंदगी तुम्हारा इंतेज़ार करूँगा बस इनकार मत करना।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा। सानिया ने अब भी अपनी नज़रे एक ही जगह टिकाई थी। "सानिया" अहमद ने प्यार से उसे पुकारा। ज....जी। सानिया घबरा कर बोली। "आई लव यु।" अहमद ने उसके हाथों को चूमते हुए कहा। उसकी इस हरकत से सानिया का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। सानिया उठ का बाहर जाने ही वाली थी कि तभी ज़ैन और ज़ैनब अंदर आये। ज़ैन ने शरारती मुस्कुराहट के साथ अहमद को देखा तो अहमद उसे घूरने लगा। "मैं चलती हु जैनी।" सानिया ने ज़ैनब से कहा तो ज़ैनब भी उसके साथबाहर चली गयी।
अहमद को हॉस्पिटल में रहते हुए पांच दिन हो चुके थे। और उसने घर जाने के लिए शोर मचाया था। आखिरकार सब को उसकी ज़िद के आगे हार माननी पड़ी। पर ज़ैन भी उसको घर वापस लाने की एक शर्त रखी थी। और शर्त यह थी कि अहमद उसके घर पर रहेगा। जिसके लिए अहमद बिकुल भी तैयार नही था। आखिरकार ज़ैन की धमकियों के आगे उसे घुटने टेकने ही पड़े। इस वक़्त अहमद के रूम में अली और ज़ैन बैठे हुए थे। और अहमद को इस बात की बेचैनी हो रही थी कि सानिया उसके साथ आई है या नही। उसने ज़ैन को इशारा किया। ज़ैन अपनी हंसी दबाते हुए बोला:"यार अली अकेला आया है या आंटी भी आई है।" "नही यार सानिया साथ आई है उसे भाभी से मिलना था।" अली ने कहा। "अच्छा एक मिनट मैं अभी आया।" ज़ैन ने कहा और बाहर चला गया। ...... "यार जैनी तुझे कुछ बताना था।" सानिया अपना हाथ मसलते हुए बोली। "क्या बात है।" ज़ैनब ने उसका हाथ पकड़ कर पूछा। "दरअसल.........." उसने अहमद की कही गयी सारी बाते ज़ैनब को बता दी। "सच्ची सानी।" ज़ैनब को अभी भी यक़ीन नही आया था। सानिया ने हाँ में अपना सिर हिलाया। ज़ैनब ने खुशी से उसे लगाया। यार सानी अहमद भाई बहोत अच्छे ह तू उन्हें इनकार मत करना ज़ैनब अहमद के बारे में सानिया को बता रही थी और बाहर खड़ा ज़ैन उसकी बातों को सुनकर मुस्कुरा रहा था। "दूसरों को समझा रही और खुद........" ज़ैन ने खुद से कहा और दरवाज़ा नॉक करके अंदर चला गया। "ज़ैनब वो अहमद को कुछ पूछना है।" ज़ैन ने कहा। "सानिया तुम भी चलो।" ज़ैनब ने उठते हुए शरारत से सानिया से कहा। उसकी बात सुनकर सानिया हड़बड़ा कर बोली:"हाँ चलो।" सानिया जल्दी से बाहर चली गयी जब ज़ैनब मुस्कुराते हुए आगे बढ़ी ही थी कि ज़ैन ने उसका हाथ पकड़ कर खींच लिया और उसके कान में बोला:"मुझे भी अहमद और सानिया के बारे में पता है।" उसकी बात सुनकर ज़ैनब ने नज़र उठा कर ज़ैन को देखा। ज़ैन ने आंख मारी तो ज़ैनब ने नज़रे झुका ली। "वैसे दुसरो को सलाह देती हो कभी फुरसत में मेरे पास आ कर मुझ से भी कुछ सीख लेने।" उसने मीनिंगफुल नज़रों से ज़ैनब को देखा और उसके गाल पर किस कर के कमरे से चला गया। ज़ैनब ने खुद को कम्पोज़ किया और कमरे से निकल गयी। ..... सानिया जब कमरे में गयी तो अहमद ने उसे मुस्कुरा कर देखा जब सानिया ने घबरा कर अली की तरफ देखा। अली नज़रे दूरी तरफ देख उसने चैन की सास ली। "अली चाची जान बुला रही तू मेरे साथ चल।" ज़ैन ने अहमद को आंख मारते हुए अली से कहा। अली ज़ैन के साथ चला गया। "अहमद भाई वो मुझे शाह से कुछ काम है में थोड़ी देर में आती हु।" ज़ैनब ने मुस्कुराते हुए अहमद से कहा। ज़ैनब के जाने के बाद सानिया भी जाने लगी। "अरे यार तुम कहा जा रही हो, वोह जान बुझ कर हमें अकेले छोड़ गए है ताकि हम अकेले में बात कर सके।" अहमद ने उसे रोकते हुए कहा। सानिया भी धीरे धीरे चलते हुए उसकी पास रखी कुर्सी पर बैठ गयी। "तो क्या सोच है मेरे बारे में।" अहमद ने पूछा। "जैनी ने बताया तुम बहोत अच्छे इंसान हो लेकिन क्या सच मे तुम मुझे पसंद करते हो।" सानिया ने हिचकिचा कर पूछा। "नही में तुम्हे पसंद नही करता।" उसकी बात सुनकर सानिया ने अपनी नज़रे उठा कर उसे देखा। "अहमद आगे बोला बल्कि मैं तुम्हे मोहब्बत करता हु। पसन्द और मोहब्बत में फर्क होता है।" अहमद ने उसका हाथ पकड़ कर कहा। सानिया कुछ कहने की वाली थी कि तभी दरवाज़े पे नॉक की आवाज़ पर उस ने अहमद से अपना हाथ छुड़ाया और बाहर चली गयी। उसके जाने के बाद ज़ैन अंदर आया। "ओह बड़ी बातें हो रही थी।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए उसे छेड़ा। "लानती इंसान थोड़ी देर बाद नही आ सकता था अभी तो बात बानी थी और तू ने लड़की का बाप बन कर इंट्री मार दी।" अहमद ने उसे घूरते हुए कहा। उसकी बात सुनकर ज़ैन ज़ोर ज़ोर से हाने लगा। "अच्छा बस कर।" अहमद ने चिढ़ कर कहा। तभी उसे दरवाज़े से अति ज़ैनब दिखी और उसके दिमाग मे एक आईडिया आया। ""वैसे मेरी भाभी प्लस बहेना की सुना।" अहमद ने पूछा। ज़ैनब जो बोलने ही वाली थी उसकी बात सुनकर खामोश हो गयी। "उसका क्या सुनाऊ यार वो तो मुझ से दूर भागती है।" ज़ैन अहमद के पास लेटते हुए बोला। "कुछ नही हौसला रख समझ जाएगी।" अहमद अपनी हंसी कन्ट्रोल करते हुए बोला। "सब समझती है तेरी भाभी प्लस बहेना बस उसे मुझे तड़पाने में मज़ा आता है।" ज़ैन ने कहा। "तो तू ना तड़प।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा। "तू अपनी बकवास बन्द रख।" ज़ैन उसे घूरते हुए बोला। "भाभी बहोत अच्छी है यार।" अहमद मुस्कुराते हुए बोला। "अच्छी तो है पर चुड़ैल है वो भी खूबसूरत चुड़ैल।" ज़ैन ज़ैनब के बारे में सोचते हुए बोला। अहमद अपनी हंसी कंट्रोल कर रहा था और ज़ैनब के गुस्से से लाल होते चेहरे को देख रहा था ज़ैन कुछ बोलने वाला था कि तभी ज़ैनब बोली:"शाह चाचा जान आपको बुला रहे है।" उसकी आवाज़ सुनकर ज़ैन पीछे पलट तो ज़ैनब की आंखो में आंसू थे और वोह गुस्से से ज़ैन को देख रही थी। ज़ैनब ने जोर से दरवाज़ा बन्द किया और वहां से चली गयी। इधर दरवाज़ा धड़ाम से बंद हुआ उधर कमरे में अहमद की हंसी गूंजने लगी। ज़ैन ने उसे खा जाने वाली नज़रों से देखा और चिढ़ कर बोला:"लानती इंसान बता नही सकता था कि ज़ैनब पीछे खड़ी है।" "हाहाहा तेरे साथ बहोत अच्छा हुआ।" अहमद हँसते हुए बोला। हँसने की वजह से उसका मुंह दर्द करने लगा था। वोह अपने गालो को रगड़ते हुए बोला:"यार ज़ैनु मुझे तो तेरी हालात देख कर बड़ा मज़ा आ रहा है।" "अब तू देख मुझे कैसे मज़ा आता है मैं अभी अली को जा कर बताता हूं कि तू उसकी बहेना को अकेले में टच करता है।" ज़ैन ने उसे देख कर मुस्कुराते हुए कहा। उसकी बात सुनकर अहमद की हसी पर बरेक लग गया और वोह हैरान हो कर बोला:"अबे साले मैं ने ऐसा कब किया।" "मुझे पता है तूने ऐसा नही किया लेकिन अली को तो नही पता ना।" ज़ैन ने हस्ते हुए कहा। "ज़ैन अगर तू ने ऐसी कोई बकवास की तो मैं तेरा नक्शा बिगड़ दूंगा।" अहमद गुस्से से घूरते हैए ज़ैन से बोला। "नही अब तू हस ना मेरी जान को तूने नाराज़ कर दिया अब तू देख जो तेरे टाका फिट हुआ है ना मैं उसे कैसे कैंसिल करवाता हु।" ज़ैन ने आँखो में शरारत लिए हुए कहा। "मेरे जिगर के टुकड़े ऐसा कुछ मत करना तेनु रब दा वास्ता।" अहमद ने मासूम सी सूरत बनाते हुए कहा। "अच्छा ठीक है अब इमोशनल नही हो में कुछ भी नही कहूंगा।" ज़ैन नेउसकी मासूम सी शक्ल देख कर उसके गाल खींचते हुए कहा और वहां से चला गया। ज़ैन जब नीचे आया तो ज़ैनब सानिया आए बात कर रही थी। ज़ैन को देख कर वोह उठ कर वहां से चली गयी। ज़ैन ने अपनी मुट्ठी भींची और जा कर अपने चाचा से बात करने लगा। ........ ज़ैन जब रात को कमरे में आया तो ज़ैन ने उसे एक नज़र देखा और आंखे बंद करके बेड पर लेट गयी। ज़ैन उसके पास जा कर बैठ गया और उसके कान बोला:"जानू मुझ से नाराज़ हो।" उसकी बात सुनकर ज़ैनब ने अपनी आंखें खोली और उसे धक्का दे कर उठ कर बैठ गयी। ज़ैन ने उसे खींच कर अपने उपर गिर लिया और उसके बालों को कान के पीछे करते हुए बोला:"सॉरी" "नही मैं तो चुड़ैल हु ना।" ज़ैनब ने चुड़ैल पर ज़ोर दे कर कहा। "यार खूबसूरत चुड़ैल भी तो कहा था ना।" ज़ैन उसके गालों को खींचते हुए बोला। "छोड़े मुझे।" ज़ैनब खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वोह पकड़ ज़ैन शाह की थी। ज़ैन ने उसे नीचे किया और खुद उसके ऊपर आ गया और उसके हाथों को कस कर पकड़ लिया। "छोड़ें मुझे, मुझे आप से कोई बात नही करनी है।" ज़ैनब अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली। "सॉरी ना यार।" ज़ैन ने बेचारगी से कहा। "मैं ने कहा छोड़ें मुझे।" ज़ैनब ने गुस्से से कहा। ज़ैन ने उसके कोशिश को न काम करते हुए उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिये। थोड़ी देर बाद जब ज़ैन पीछे हटा तो ज़ैनब लंबी लंबी सांस ले रही थी। "सॉरी ना यह सब अहमद का किया धरा है।" ज़ैन ने उसकी आँखों को चूमते हुए कहा। "हाँ आप तो बच्चे थे न जो सब कहते चले गए। वैसे जो आपके दिल मे था वही बोले थे समझे।" ज़ैनब ने चिढ़ कर कहा। "दिल मे तो बहोत कुछ है कहो तो करके दिखा दु।" ज़ैन ने कहा और एक बार फिर उसके होंठो पर किस करने लगा। "छोड़े।" ज़ैनब उसे धक्का देते हुए बोली। "एक शर्त पर छोडूंगा।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा। "क्या है।" ज़ैनब ने कहा। "नाराज़ तो नही हो।" ज़ैन उसकी नाक को खींचते हुए बोला। "नही, अब छोड़ें मुझे।" ज़ैनब ने चिढ़ कर कहा। उसकी बात सुनकर ज़ैन ने मुस्कुराते हुए उसे छोड़ दिया और ज़ैनब ने ब्लैंकेट खींच कर ऊपर तक तान लिया।
"अहमद सर अब आपकी तबियत कैसी है?" कासिम ने मुस्कुराते हुए पूछा। "ठीक हु यार।" अहमद ने बालो में हाथ फेरते हुए कहा। तभी ज़ैन अंदर आया और अ कर कासिम के पास सोफे पर बैठ गया। कासिम फौरन उठ कर खड़ा हो गया। "अरे तुम खड़े क्यों हो गए बैठ जाओ।" ज़ैन ने उसे देखते हुए कहा। "पर बॉस......." कासिम हिचकिचा कर बोला। "बैठ जाओ मेरे साथ काटे लगे है क्या।" ज़ैन ने उसे घूरते हुए कहा। "नही मेरा मतलब......" कासिम की बात काटते हुए ज़ैन ने कहा:"तो बैठ जाओ।" कासिम भी चुप चाप बैठ गया। "इमरान का क्या करना है।" अहमद ने बात शुरू की। इससे पहले की ज़ैन को कहता तभी उसकी चाची के चिल्लाने की आवाज़ आयी। ज़ैन ने उन दोनों की तरफ देखा और भागते हुए नीचे गया। "क्या हुआ चाची........." उसकी बाकी की बात उसके गले मे अटक गई क्यों कि सामने का मंजर देख कर वोह अपनी हंसी ही नही रोक पाया। कुलसुम वाइट ड्रेस में किसी चुड़ैल के गेटउप में खड़ी थी और ज़ैनब हस्ते हुए उसे देख रही थी जब कि चाची का डर से बुरा हाल था। कुलसुम ने ज़ैन को देखा और मुस्कुराते हुए बोली:"ज़ैन भाई मुझे आज ही पता चला आपको चुड़ैल बहोत पसंद है।" उसकी बात सुनकर ज़ैन ने ज़ैनब को देखा और कुलसुम से बोला:"यह क्या हरकत है जाओ जा कर अपना हुलिया ठीक करो।" ज़ैन ने गुस्से से कहा और ऊपर जाने लगा। अभी वोह दो चार सीढ़ी ही चढ़ा था कि उसे चाची की आवाज़ आयी। "ज़ैनब तुम्हारे हाथ से खून निकल रहा है।" शाज़िया ने परेशान हो कर कहा। "कुछ नही चाची जान वो बस थोड़ा सा कट लग गया है।" ज़ैनब अपना हाथ वापस खींचते हुए बोली। तभी ज़ैन आ कर उसका हाथ खींचते हुए बोला:"यह छोटा सा कट लग रहा देख रही हो कितना खून निकल रहा है।" ज़ैनब ने गुस्से से अपना हाथ वापस खींचा और कमरे में चली गयी। ज़ैन भी उसके पीछे कमरे में आया तो देखा ज़ैनब फर्स्टएड किट ले कर बेड पर बैठ थी। ज़ैन उसके पास जा कर उसका हाथ पकड़ कर कॉटन से साफ करते हुए बोला:"मुझसे नाराज़ हो!" "मैं ने कुलसुम को वोह बात नही बताई थी मुझे नही पता उसे कैसे पता चला।" ज़ैनब ने अपनी गर्दन नीचे किये हुए जवाब दिया। "मैं तुमसे यह नही पूछा है।" ज़ैन ने उसका चेहरा ऊपर करते हुए कहा। "मैं आपसे कैसे नाराज़ हो सकती हूं आप तो मुझे खरीद कर लाये थे।" ज़ैनब ने आंखों में आंसू लिए हुए कहा। शी,,,,शी.........ज़ैन उसके होंठो पर उंगली रखते हुए बोला:"ऐसा दोबारा कभी मत सोचना। तुम मेरी जान हो ऐसा उल्टा सीधा सोचने से बेहतर है तुम मेरे बारे सोचो।" कहते साथ ही ज़ैन ने उसकी नाक को ज़ोर से दबाया। "हु, मैं आपके बारे में क्यों सोचूंगी।" ज़ैनब ने मुंह बना कर कहा। "ज़ालिम बीवी।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा। "और आप ज़ालिम हस्बैंड है।" ज़ैनब ने उसके बाल बिगाड़ कर कहा। "तुम्हे मैं अच्छा कब लगूंगा।" ज़ैन ने मुंह बना कर कहा। "कभी नही आप बहोत बुरे है मुझे बस आपकी दाढ़ी अच्छी लगती है।" ज़ैनब ने मुस्कुरा कर कहा। "तो छू लो।" ज़ैन अचानक से उसके करीब झुक गया। "न,,,नही।" ज़ैनब ने घबरा कर कहा। ज़ैन ने उसे अपने करीब खींचा और उसके होंठो पर किस करने लगा इस बार ज़ैनब ने भी उसका साथ दिया यह देख कर ज़ैन तो पहले हैरान हुआ फिर उसे पैशनेटली किस करने लगा। तभी अचानक दरवाज़ा खुला ज़ैनब ने जल्दी से ज़ैन को खुद से दूर किया। "ओह सॉरी.....सॉरी।" अहमद ने सीरियसली कहा। "कमीने अब मैं अकेला नही रहता हूं।" ज़ैन ने ज़ैनब के लाल चेहरे को देखते हुए कहा। "ज़ैन चल ज़रूरी बात करनी है।" अहमद ने उसकी बात को इग्नोर करते हुए कहा। ......... अहमद ड्राइविंग कर रहा था और ज़ैन बार बार उससे पूछ रहा था बात क्या है। लेकिन अहमद कुछ कहे बिना बस हस रहा था। थोड़ी देर बाद अहमद ने अपने घर के सामने गाड़ी रोक दी। दोनो अंदर गए जहां कासिम पहले से ही मौजूद था। अहमद ने कासिम से लैपटॉप लिया और एक वीडियो प्ले की। वीडियो देखते ही ज़ैन के चेहरे पर जीत की खुशी साफ नजर आ रही थी। ज़ैन की आंखों में आज अलग ही चमक थी। आज सब कुछ उसके पास था। "चलो अहमद उसे लाइव शो दिखाते है।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए अहमद से कहा। "नेकी और पूछ पूछ।" अहमद ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा। "कौन है खोलो मुझे।" एक आदमी ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रहा था उसका चेहरा नकाब से ढका हुआ था। ज़ैन हस्ते हुए अंदर आया। "यार इमरान इतना चिल्ला क्यों रहा है तेरा गला सूख जाएगा और देख यहां पानी भी नही है।" "शाह तू मैं तुझे ज़िंदा नही छोडूंगा।" इमरान गुस्से से चिल्लाया। "तू मुझे कैसे मरेगा, पहले तू सोच तू यहां से निकलेगा कैसे यह तो बहोत सीरियस प्रॉब्लम है।" ज़ैन ने गाल पर उंगली रख कर सोचने के अंदाज़ में कहा और फिर उसने अहमद को आवाज़ दी। अहमद अंदर आया और उसने ज़ैन को देख कर आंख मारी। "अहमद तू ने सुना इमरान की आखरी ख्वाहिश।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा। "हाहाहा सुनली मैं ने इसकी कभी न पूरी होने वाली ख्वाहिश।" अहमद ने जोर से हस्ते हुए कहा। "शाह मैं तुझे ज़िंदा नही छोडूंगा।" इमरान ने इतनी तेज़ चिल्ला कर कहा कि अहमद और ज़ैन दोनो ने अपने कान पर हाथ रख लिए। "क्या यार इमरान ज़रा धीरे चिल्ला मेरे कान खराब करने का इरादा है क्या।" अहमद ने कहा तो इमरान गुस्से से बोला:"काश उस दिन गोली तुझे दिल पर लगी होती और तू मर गया होता।" इमरान की कही गयी बात ज़ैन के गुस्से को हवा देने के लिए काफी थी। उसने इतनी जोर से इमरान को मुक्का मार की इमरान कुरसी समेत नीचे गिर गया। ज़ैन ने उसकी रस्सी खोली और उसका कॉलर पकड़ कर गुस्से से बोला:"हराम खोर तेरी हिम्मत भी कैसे हुई यह सब कहने की।" उसने इमरान को फिर से मारना शुरू किया और तब तक मेरा जब तक वो बेहोश नही हो गया। "कासिम" ज़ैन ने कासिम को आवाज़ दी। "जी बॉस।" कासिम भागता हुआ आया। "बर्फ का इंतज़ाम करो।" ज़ैन ने गुस्से से इमरान को देखते हुए कहा। "क्यों ज़ैनु बर्फ का क्या करना है!" अहमद ने हैरान हो कर ज़ैन से पूछा। "खा कर देखनी है कैसी होती है।" ज़ैन ने चिढ़ कर कहा। उसकी बात सुनकर अहमद ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा जब की ज़ैन अपना सिर हिलाते हुए बोला:"तेरा कुछ नही हो सकता।" "हाँ कासिम बर्फ का इंतज़ाम करवाओ और अगर इसे होश आ जाये तो मुझे बता देना।" कासिम ने अहमद की तरफ देखा जो मज़े से गेम खेलते हुए बाहर जा रहा था। उसने भी मन ही मन सोचा:"सच मे अहमद सर का कुछ भी नही जो सकता।" ज़ैन बाहर खड़ा सिगरेट पी रहा था जब कि अहमद उसके सामने मुंह लटकाए बैठा था। "क्या हुआ अहमद?" ज़ैन ने उसे देखते हुए पूछा। "मत पूछ ज़ैन शाह।" अहमद ने अफसोस के साथ सिर हिलाते हुए कहा। ज़ैन अपना पूरा नाम सुनकर हसी दबाते हुए बोला:"बोल तो सही।" "यार मैं गेम का पांचवां लेवल हार गया।" अहमद ने बहोत अफसोस के साथ कहा। "लानत हो तेरी बदसूरत शक्ल पर मैं भी सोचने लगे गया तुझे कौन सी टेंशन हो गयी।" ज़ैन ने चिढ़ कर कहा। "बस कर ज़ैन मेरे दुख में शामिल नही हो सकता तो मेरा दुख बढ़ा मत।" अहमद ने बेबस हो कर कहा। ज़ैन ने कुशुन उठा कर उसे मारा जो अहमद ने आसानी से खींच लिया। "ज़ैन कुछ खिला दे यार।" अहमद ने पेट पर हाथ रख कर कहा। "यार अहमद तू मुझे खिलाने को तो ऐसा बोल रहा है जैसे मैं ले कर बैठा हूँ।" ज़ैन ने उसे घूरते हुए कहा। उसकी बात सुनकर अहमद ने जहां गोली लगी थी वहां हाथ रख लिया। "क्या हुआ अहमद दर्द हो रहा है क्या?" ज़ैन ने परेशान हो कर कहा। "हाँ शायद भूख की वजह से मुझे यहां दर्द हो रहा है।" अहमद ने मासूम सी शक्ल बना कर कहा। ज़ैन अब उसका ड्रामा समझ चुका था उसने फ़ोन निकाल कर पिज़्ज़ा आर्डर कर दिया। .......... ज़ैब हाथ मे बुक ले कर ज़ैन के बारे में सोच रही थी। ज़ैनब बस उसके गुस्से से डरती थी वोह उसे अच्छा लगता था बल्कि ज़ैनब के अंदर यह कहने की हिम्मत नही थी। उसने अपना फोन उठाया और ज़ैन को फोन करने के बारे में सोचा। लेकिन उसके अंदर हिम्मत ही नही हो रही थी। ज़ैन ने उसे कल ही फ़ोन दिया था और अपना और अहमद का नंबर भी सेव कर दिया था। आखिर कर ज़ैनब ने धड़कते दिल के साथ ज़ैन को फ़ोन किया। ज़ैन जो गन में गोलियां डाल रहा था स्क्रीन पर ज़ैनब का नाम फ़्लैश होता देख उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी। "हेलो स्वीटहार्ट।" "हेलो आप कैसे है?" ज़ैनब ने पूछा। "ठीक हु।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा। "अच्छा।" "वैसे इस बुरे हसबैंड की याद कैसे आ गयी।" ज़ैन ने अपनी इएब्रो उचकाते हुए कहा। "वो दरअसल आप कब तक आएंगे!" ज़ैनब ने घबरा कर कहा। "मेरी जान जब तुम हुकुम करो, कहो तो अभी आ जाऊं।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा। "नही आप अपना काम करे मैं ने तो बस ऐसे ही पूछा है।" ज़ैनब ने जल्दी से कहा। "मेरी याद आ रही है।" ज़ैन ने प्यार भरे लहजे में पूछा। हाँ,,,,,नही......मेरा मतलब नही। ज़ैनब ने घबरा के कहा। "हाहाहा अच्छा जी।" ज़ैन ने हस्ते हुए कहा। उफ्फ जैनी तुम भी ना। ज़ैनब ने अपने माथे हाथ मार कर बड़बड़ाते हुए कहा। और ज़ैन उसकी बड़बड़ाहट सुनकर मुस्कुराने लगा। "तुम जान हो मेरी, ओके अपना ख्याल रखना बाये।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा। "रुको सुनो तो सही।" ज़ैनब ने जल्दी से कहा। "जी मेरी जान बोलो।" ज़ैन ने कहा। "वोह.... आप भी अपना ख्याल रखना।" ज़ैनब ने जल्दी से कहा।
बॉस वोह इमरान..........कासिम के बाकी के शब्द उसके मुंह मे ही रह गए जब उसकी नज़र ज़ैन पर पड़ी जो खूंखार नज़रो से उसे देख रहा था। ज़ैन ने दोबारा फ़ोन की तरफ देखा जो कट चुका था। ज़ैन गुस्से से चलते हुए कासिम के पास आया और उंगली उठा कर बोला:"ज़ैन हर किसी को मौका नही देता है सीधा ऊपर का टिकट काट देता है। तुम खुश नसीब हो जिसे यह मौका मिल रहा है। इस मौके को गवाना मत।" और वहां से चला गया। उसके जाने के बाद कासिम ने चैन की सांस ली तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा। कासिम ने डर कर पीछे देखा तो अहमद था। अहमद मुस्कुराते हुए बोला:"बेटा कासिम आज तो तू गया था।" इतनी ठंडी में भी उसके माथे पर पसीने की बूंदे थी कासिम अपने पसीने को साफ करते हुए बोला:"अहमद सर मुझे भी ऐसा ही लगा था।" "तो किस ने तुझे न को डिस्टर्ब करने के लिए कहा था, तू भी अपने काम सीधे करले।" अहमद ने उसकी कमर पर मुक्का मरते हुए कहा। "मैं ने क्या किया मुझे क्या पता था बॉस फ़ोन पर बात कर रहे होंगे।" कासिम ने अपनी कमर को सहलाते हुए कहा। "वैसे आज अगर तेरा काम तमाम हो जाता तो मुझे मुफ्त की बिरयानी खाने मिलती।" अहमद ने हस्ते हुए कहा। "क्या सर आपको सिर्फ खाने की ही पड़ी रहती है।" कासिम ने मुंह बना कर कहा। "जी बिल्कुल सही फरमाया अपने कासिम मिया।" अहमद ने हस्ते हुए कहा। "चलो अहमद सर नहो तो बॉस दोबारा मुझे मौका नही देंगे।" कासिम ने आगे बढ़ते हुए कहा। "हाँ चलो मुझे तो कुछ नही होगा लेकिन ज़ैन तेरा नमो निशान मिटा देगा।" अहमद ने उसके कंधे पर हाथ रख कर चलते हुए कहा। "अहमद सर ऐसा मत कहे बच्चा डर जाता है।" कासिम ने मुंह बनाते हुए कहा। दोनो बात करते करते रूम में आ गए। "यह ज़ैन बर्फ को ऐसे क्यों देख रहा है!" अहमद ने कासिम के कान में कहा। "अहमद सर मुझे क्या पता। आप बात नही करें अपने सही कहा था आप को कुछ नही होगा लेकिन मुझे बहोत कुछ हो जाएगा।" कासिम ने धीरे से कहा। "डरपोक।" अहमद ने हंस कर कहा। "कासिम इमरान को बर्फ पर लेटा कर बांध दो।" ज़ैन ने गुस्से से कहा। कासिम ने अपने आदमियो को इशारा किया और उसके आदमियो ने इमरान को बर्फ पर लेटा कर बांध दिया। ज़ैन ने चाकू निकाला और इमरान की तरफ बढ़ने लगा। "नही,,,,,, नही,,शाह मुझे माफ करदो।" इमरान ने डरते हुए कहा। ज़ैन ने उसकी बात को नज़र अंदाज़ करके चाकू से जगह जगह उसे कट लगाना शुरू किया। इमरान की चीखें पूरे कमरे में गूंज रही थी। लेकिन उसकी चीखे सुनकर भी ज़ैन को उस पर रहम नही आ रहा था। पूरी बर्फ खून से भर चुकी थी। "कासिम इसके ज़ख्मो पर नमक छिड़को और पूरी रात छिड़कते रहना लेकिन याद रहे यह मरना नही चाहिए। अगर यह मर गया तो तुम सब मे से कोई भी जिंदा नही बचेगा।" ज़ैन ने चाकू को साफ करते हुए कहा। "ओके बॉस।" कासिम ने सिर झुका कर कहा। ज़ैन ने एक नज़र निढाल पड़े इमरान पर डाली और वहां से बाहर निकल गया। अहमद भागते हुए उसके पास आया और बोला:"कहाँ जा रहा है?" "तेरी भाभी प्लस बहेना के पास।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा। "अबे साले अपनी हालत देखी है और फिर बोलेगा मेरी बहेना तुझसे दूर भागती है।" अहमद ने उसकी शर्ट की तरफ इशारा करते हुए कहा जो खून से लथ पथ थी। उसकी बात सुनकर ज़ैन रूम में गया और शावर ले कर कपड़े चेंज करके वापस आया। "चले।" ज़ैन बाहर आ कर बोला। "तू जा मैं बाद में आ जाऊंगा।" अहमद ने गेम खेलते हुए कहा। "क्यों तू कहा जा रहा है?" ज़ैन ने उसको घूरते हुए पूछा। "बेटा तेरी तो सेटिंग हो गयी है अब मेरी भी हो जाने दे।" अहमद ने चिढ़ कर कहा। उसके एक्सप्रेशन देख कर ज़ैन हस्ते हुए बोला:"ठीक है, मुझे पता है तेरी शक्ल बन्दर जैसी है तुझे बताने की ज़रूरत नही है।" अहमद ने कुशन उठा कर उसे खींच कर मारा लेकिन ज़ैन पहले ही वहां से हट चुका था वोह कुशन दीवार पर जा लगा। ज़ैन ने हस्ते हुए कहा:"दिल के अरमां आँसू में बह गए।" "ज़ैन तू जा रहा है कि मैं अपनी बहेना को फ़ोन करके कह दु की तू मुझे परेशान कर रहा हा है।" अहमद ने गुस्से से कहा। "तुझे लगता है मैं उससे डरता हूँ।" ज़ैन ने चिढ़ कर कहा। "हाहाहा।" अहमद के चेहरे पर एक शैतानी स्माइल थी। उसने अपना फ़ोन निकाला और ज़ैनब को फ़ोन किया और फ़ोन स्पेकर पर कर दिया। फ़ोन की बेल सुनकर ज़ैन भागते हुए उसके पास आया लेकिन ज़ैनब पहले ही फोन पिक कर चुकी थी। "हेलो बहेना।" "हेलो भाई, कैसे है आप/" ज़ैनब नर पूछा। ज़ैनब की आवाज़ सुनकर ज़ैन ने अहमद की तरफ देखा। उसके चेहरे पर एक शैतानी स्माइल थी। ज़ैन ने घूर कर अहमद को देखा। "हाँ मैं ठीक हु लेकिन............." उसकी बात पूरी होने से पहले ही ज़ैन उसके हाथ से फ़ोन ले कर फ़ोन कट कर दिया और अहमद को घूरते हुए बोला:"अगर तूने दोबारा ऐसी हरकत की तो मैं अली को तेरे और सानिया के बारे में बता दूंगा।" " तू ही तो मुझे परेशान कर रहा है।" अहमद ने मासूम सी शक्ल बना कर कहा। "मैं जा रहा हु।" ज़ैन ने उसे घूरते हुए कहा। "यार मेरा फ़ोन तो दे दे।" अहमद ने उसे पीछे से आवाज़ दी। ज़ैन पीछे मुड़ा उसके चेहरे पर स्माइल थी। अहमद उसकी शिमले का मतलब समझते हुए भाग कर उसके पास आया और उसके हाथ से अपना फ़ोन छीन लिया। "मुझे लगा था तो सानिया से डरता है जबकि तू तो अपना फ़ोन टूटने से डरता है।" ज़ैन ने हस्ते हुए कहा और बाहर निकल गया। ......... ज़ैन जब घर पहोंचा ज़ैन परेशान सी बुक ले कर बेड पर बैठी थी। "क्या हुआ जान?" ज़ैन ने प्यार से पूछा। "शाह जी आप आ गए।" ज़ैनब खुश हो कर बोली। "यस मेरी जान मैं आ गया अगर मुझे पता होता तुम मेरा इंतेज़ार कर रही हो तो मैं पहले ही आ जाता।" ज़ैन ने उसका हाथ चूम कर कहा तो ज़ैनब झेप गयी। ज़ैनब अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली:"ऐसा कुछ नही वो बस मुझे यह क्वेश्चन समझ नही आ रहा है।" ज़ैनब ने परेशान हो कर कहा। "अच्छा इधर लाओ।" ज़ैन ने उससे बुक लिया और उसे समझने लगा। ज़ैनब तो पहले हैरान हो गयी फिर उस क्वेश्चन पर धयान देने लगी। "थैंक यू शाह।" क्वेश्चन सॉल्व होने के वाद ज़ैनब खुश हो कर बोली। "ऐसे नही मेरी जान जैसे सारी लडकिया अपने हसबैंड को थैंक्स बोलती है वैसे बोलो।" ज़ैन बेड पर लेट गया और उसे अपने ऊपर खींच लिया। "कैस थैंक्स बोलू।" ज़ैनब ने न समझी से बोली। "किस मि बटरफ्लाई।" ज़ैन ने उसके बाल को पीछे करते हुए कहा। न,,,,नही। ज़ैनब घबरा कर बोली। "हाँ ना।" ज़ैन बच्चो की तरह मुंह बना कर बोला। "प्लीज़ नही ना।" ज़ैनब खुद को छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली। "प्लीज हाँ ना।" ज़ैन उसे अपने करीब खींचते हुए उसी के अंदाज़ में बोला। आखिरकार ज़ैनब को उसकी ज़िद के आगे झुकना ही पड़ा। "ठीक है अपनी आंखें बंद करे।" ज़ैनब ने चिढ़ कर कहा। "ज़रा प्यार से बोलो।" ज़ैन ने उसके गालो को छूते हुए कहा। "शाह जी प्लीज अपनी आंखे बंद करें।" ज़ैनब ने अपने दांत पीसते हुए कहा। ज़ैन ने हस्ते हुए अपनी आंखें बंद कर ली। ज़ैनब ने झुक कर उसके गालों पर किस किया। "यार यह बच्चो वाली किस है!" ज़ैन ने हैरान हो कर कहा। "मुझे यहां किस चाहिए।" ज़ैन ने अपने होंठो की तरफ इशारा करते हुए कहा। "शाह मुझे चाची जान बुला रही है।" ज़ैनब ने बहेना बनाते हुए कहा। "अच्छा मुझे तो कोई आवाज़ नही आई।" ज़ैन ने उसे घूरते हुए कहा। "प्लीस छोड़ें।" ज़ैनब परेशान होकर बोली। "पहले किस करो तभी छोडूंगा नही तो मुझे ऐसे सोने में कोई प्रॉब्लम नही है।" ज़ैन ने आंख मार कर कहा। "आंखे बंद करे।" ज़ैनब ने गुस्से से कहा। ज़ैन ने मुस्कुराते हुए अपनी आंखें बंद करली। ज़ैनब ने डरते हुए अपने कोमल होंठो को ज़ैन के होंठो पर रख दिये। ज़ैन का एक हाथ उसकी कमर पर था और दूसरा उसके चेहरे पर था जैसे ही उसकी पकड़ ढीली हुई ज़ैनब ने उसे धक्का दीया और बेड से उतर गयी। उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया था। ज़ैन अब भी अपनी नशीली आंखों से उसे देख रहा था। ......... अहमद ने गाड़ी सानिया के घर के पास रोक दी और उसे कॉल किया। सानिया जो मोबाइल में कुछ पड़ रही थी अहमद का नाम देख कर उसके चेहरे पर स्माइल आ गयी और उसकी दिल की धड़कने तेज़ हो गयी। "हेलो।" सानिया ने फ़ोन उठा कर कहा। "हेलो कैसी हो मिसेस अहमद?" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा। "आप ने किस लिए फ़ोन किया है।" सानिया अपनी घबराहट छुपा कर बोली। "तुम्हारे घर के बाहर खड़ा हूँ, बाहर आ जाओ।" अहमद ने उसकी खिड़की की तरफ देखते हुए कहा। उसकी बात सुनकर सानिया भागते हुए खिड़की के पास गई और खिड़की को खोल लर नीचे देखा तो अहमद नीचे ही खड़ा था। उसे देख कर अहमद ने स्माइल पास की। "आप यहां क्या कर रहे है?" सानिया घबरा कर बोली। "नीचे आओ मिलना है।" अहमद ने उसे देखते हुए कहा। "नही मैं नही आ रही हु तुम जाओ!" सानिया घबरा कर बोली। "ठीक है मत आओ मैं ही आ जाता हूं।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा। "ठीक है अगर तुम्हारे अंदर हिम्मत है तो आ जाओ।" सानिया ने कहा कर फ़ोन कट कर दिया और वापस जा कर बेड पर लेट गयी।
थोड़ी देर बाद... "स्वीटहार्ट मेरे नीचे बुलाने पर तुम क्यों नही आई। अहमद ने उसके कान में कहा। सानिया ने पीछे मुड़ कर देखा तो अहमद को देख कर उसकी चीख निकलने ही वाली थी कि अहमद ने उसका इरादा भांप कर उसके मुंह पर अपना हाथ रख दिया। "हाथ हटा रहा हु चिल्लाना मत।" अहमद ने धीरे से कहा। उसकी बात सुनकर सानिया ने हाँ में अपनी गर्दन हिलायी तो अहमद ने अपना हाथ हटा दिया। "तुम यहाँ कैसे आये?" सानिया परेशान हो कर बोली। "इस प्यारी सी खिड़की से।" अहमद ने खिड़की की तरफ इशारा करके कहा। "तुम क्यों अये।" सानिया ने चिढ़ कर कहा। "तुम आ जाती तो मैं नही आता।" अहमद ने उसके गाल खींचते हुए कहा। "कोई देख लेगा तुम जाओ यहां से।" सानिया परेशान हो कर बोली। "फिलहाल तो हम दोनों के इलावा यहां कोई नही है।" अहमद ने चारों तरफ देखते हुए कहा। "अच्छा सुनो एक बात बताओ मुझसे मोहब्बत करती हो।" अहमद उसके करीब होते हुये बोला। "अहमद तूम जाओ यहां से।" सानिया उसकी बात नज़रअंदाज़ करते हुए बोली। "नही पहले मेरे सवाल का जवाब दो।" अहमद उसके ऊपर झुकते हुए बोला। सानिया ने अपना हाथ उसके सीने पर रख कर उसे दूर करना चाहा लेकिन अहमद ने उसका हाथ पकड़ कर बेड के साथ लगा दिया। "अहमद प्लीज छोड़ो।" सानिया घबरा कर बोली। "छोड़ दूंगा पहले बताओ मुझसे मोहब्बत करती हो।" अहमद ने उसके बालों को पीछे करते हुए कहा। "हाँ मैं तुमसे मोहब्बत करती हूं।" सानिया ने गुस्से से चिल्ला कर कहा। उसकी बात सुनकर अहमद मुस्कुराते हुए बोला:"जानता था पर तुम्हारे मुंह से सुनना चाहता था।" "अच्छा छोड़ दो।" सानिया ने रुंधी हुई आवाज़ में कहा। "छोड़ने के लिए थोड़ी पकड़ा है।" अहमद उसकी तेज़ धड़कने सुनकर मुस्कुराते हुए बोला:"क्या खयाल है अभी उठा कर ले जाऊं।" "अहमद तुम बहोत बत्तमीज़ हो".........सानिया और भी बातें कर रही थी जबकि अहमद बस उसके हिलते हुए होंठो को देख रहा था। आखिकार बे बस हो कर अहमद ने उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिये जबकि सानिया की आंखे हैरत से फैल गयी। अहमद ने जब उसे छोड़ा तो सानिया ने पूरी ताकत के साथ उसे धक्का दिया और फिर उसे पिलो से मारने लगी। जबकि अहमद हस्ते हुए उसकी मार खा रहा था। अहमद ने तकिया खींच कर साइड में रखा और सानिया को कमर से पकड़ कर अपने करीब करते हुए बोला:"सॉरी यार।" "अहमद आपको शर्म नही आती।" सानिया ने गुस्से से कहा। "यार मैं बे बस हो गया था।" अहमद ने बेचारगी से कहा। "अच्छा जाए।" सानिया ने उसे धकेलते हुए कहा। "पहले बाताओ नाराज़ तो नही हो।" अहमद ने उसे फिर से अपने करीब करते हुए कहा। सानिया ने उसकी आँखों मे देखा जहाँ उसके लिए सिर्फ मोहब्बत और इज़्ज़त थी। सानिया अपनी नज़रे झुका ली और बोली:"नही मैं आप से नाराज़ नही हु।" "ठीक है फिर मैं ज़ैन और भाभी के साथ खुद आऊंगा तुम्हारा रिश्ता लेने क्यों कि मेरे पेरेंट्स तो है नही।" अहमद उससे दूर होते हुए बोला। सानिया बस उसे देख रही थी। अहमद खिड़की के पास पहोंचा तो सानिया बोली:"ध्यान से जाना।" "जो आपका हुक्म।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा। अहमद के जाने के बाद सानिया वापस बेड पर लेट कर खुद से बोली:"उफ्फ यार सांई यह बंदा तो तेरी जान लेलेगा।" और आने होंठों पर हाथ रख कर कुछ देर पहले अहमद की हरकत के बारे सोच कर मुस्कुराने लगी। ............ ज़ैन अपना काम कर रहा था ज़ैनब चाय ले कर उसको देते हुए बोली:"वैसे क्या मैं आप से कुछ पूछ सकती हूं?" ज़ैन लैपटॉप को साइड में रखते हुए बोला:"पूछो।" "आप के परेंट्स कहाँ है आपने मुझे मिलवाया नही है।" ज़ैनब हिचकिचा कर बोली। उसकी बात सुनकर ज़ैन के एक्सप्रेशन बदल गए वोह चाय का कप रखते हुए बोला:"रात बहोत हो गयी है जा कर सो जाओ।" "शाह वोह कहा है मुझे बातये ना।" ज़ैनब उसके पास बैठते हुए बोली। "कहा ना जा कर सो जाओ।" ज़ैन ने गुस्से से कहा। उसकी बात सुनकर ज़ैनब बेड पर जा कर लेट गयी। "आह" ज़ैन ने गहरी सांस ली और सोफे पर उठ कर ज़ैनब के पास बैठ कर बोला:"चलो बाहर चलते है।" "नही, मुझे नही जाना है।" ज़ैनब ने मुंह दूसरी तरफ करते हुए कहा। "चलो ना मेरी जान चलते है।" ज़ैन ने उसके चेहरे पर हाथ फेरते हुए कहा। "नही मुझे नीद आ रही है।" ज़ैनब उसका हाथ झटक कर बोली। "यार उठ भी जाओ।" ज़ैन उसके गालों पर किस करके बोला। ज़ैनब उसको धकेल कर गुस्से से उठ कर बैठ गयी और उसके सीने पर मुक्का मरना शुरू कर दिया। "क्या हर वक़्त सिर्फ आपकी ही मनमानी चलेगी कभी कहते हो लेट जाओ कभी कहते हो उठ जाओ, हर वक़्त बात आपको गुस्सा ही आता है। जाएं यहां से मुझे आपसे कोई बात नही करनी है।" "मेरी जान प्यार भी तो करता हु बस कभी कभी गुस्सा आ जाता है।" ज़ैन ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा। "कभी कभी आपको तो हर वक़्त गुस्सा आता है।" ज़ैनब अपना हाथ छुड़ा कर बोली। "अच्छा सॉरी ना चलो अब बाहर चलते है।" ज़ैन अपना कान पकड़ते हुए बोला। उसकी बात सुनकर ज़ैनब बेड से उतर कर अपनी कोट पहनने लगी ज़ैन ने भी अपनी कोट फेनी और दोनों बाहर निकल गए। दोनो इस वक़्त घर के करीब सड़क पर वाक कर रहे थे। "चलो ज़ैनब वहां बैठते है।" ज़ैन बेंच की तरफ इशारा करते हुए बोला। दोनो बेंच पर बैठे थे ठंडी हवा चल रही थी जिसकी वजह से ज़ैनब के बाल उड़ रहे थे। "मेरे मां पापा नही है।" ज़ैन के यूं अचानक कहने पर ज़ैनब ने हैरान होकर उसकी तरफ देखा और बोली:"मतलब।" "मतलब उनकी डेथ हो चुकी है।" ज़ैन ने आंखों में आंसू लिए हुए कहा। "कैसे हुई?" ज़ैनब उसके आंसू साफ करते हुए बोली। ज़ैन ने उसके हाथ को चूम कर अपने चेहरे को साफ करते हुए कहा।:"इमरान मेरे बाबा का दोस्त था। दोनो बिज़नेस पार्टनर थे। बाबा के पास इमरान से ज़्यादा पैसा था इसलिए वोह उनसे नफरत करता था। लेकिन मेरे बाबा इन सबके बारे में नही जानते थे वोह उस पर बहोत भरोसा करते थे। मेरे बाबा की लव मैरिज हुई थी शादी के दो साल बाद मैं पैदा हुआ था हर तरफ खुशी थी और इमरान नफरत की आग में जल रहा था। "मेरी मां बहोत खूबसूरत थी बिल्कुल तुम्हारे जैसी।" ज़ैन की आंखों से आंसू बह रहे थे। ज़ैनब की भी आंखे उसे देख कर नम हो गयी थी। इमरान ने जब मां को देखा तो जैसे पागल होगया। इमरान ने सोचा कि हर चीज़ बाबा के पास क्यों है इतनी दौलत एक बेटा और बेहद खूबसूरत बीवी। फिर एक दिन इमरान ने मां को अगवा कर लिया। मेरे बाबा बहोत परेशान थे उन्होंने इमरान से भी कहा कि वोह मां को ढूंढे जबकि उन्हें पता ही नही था उनकी नूर उस दरिंदे के पास है। उसने मेरी मां के साथ..............उसने बार बार मेरी मां को अपनी हवस का निशाना बनाया।एड़ी माँ रोती रही तड़पती रही लेकिन उस दरिंदे पर कोई असर ही नही हो रहा था। ज़ैन अब लगातार रो रहा था। फ़ी एक दिन बाबा इमरान के घर जा पहोंचे। पर सामने का मंजर दिल दहलाने वाला था। मां बेड पर बेजान पड़ी थी जबकि इमरान अपनी शर्ट के बटन बन्द कर रहा था। यह देख कर उन्हें हार्ट अटैक आ गया था। उनका दोस्त जिस पर वोह सबसे ज़्यादा भरोसा करते थे उस ने उनकी नूर के साथ वो सब किया जो उसे नही करना चाहिए था। उस दिन उनका भरोसा दिल सब कुछ टूट गया था। चाचा जान भी बाबा के साथ थे। इमरान उन लोगों को देख कर वहां से भाग गया था। जबकि चाचा जान मां और बाबा को लेकर हॉस्पिटल चले गए थे। मां की हार्ट बीट बहोत स्लो चल रही थी। दोनो की कंडीशन बहोत सीरियस थी, आखिरकार दोनो ने एक साथ हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया। मुझे इस ज़ालिम दुनिया मे वोह अकेला छोड़ गए। चाची जान ने मुझे पाल पोस कर बड़ा किया और मुझे इस दर्दनाक हक़ीक़त के बारे में बताया। ज़ैन का चेहरा आंसुओं से भीग चुका था। "ज़ैनब मैं जानता हूं मैं बहोत बुरा हु, मैं शराब पीता था मैं लड़कियों के साथ घूमता था।" ज़ैन उसका हाथ पकड़ कर घुटनो के बल बैठा हुआ था। उसकी बात सुनकर ज़ैनब को ऐसा लगा जैसे उसके दिल के टुकड़े टुकड़े हो गए हो। "शाह आप लड़कियों के साथ रात गुज़ारते थे!" ज़ैन ने हैरान हो कर पूछा। "नही ज़ैनब में बस लड़कियों के साथ शराब पीता था। लेकिन जब से तुम मेरी ज़िंदगी मे आयी हो मैं ने यह सब छोड़ दिया है। तुम्हे पाने के बाद मैं ने किसी चीज़ की ख्वाहिश नही की। मेरा यकीन करो।" ज़ैन ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा। उसकी बात सुनकर ज़ैनब अपना हाथ छुड़ा कर खड़ी हो गयी।