ये कहानी है मेहर की। जो आती है लाहौर से लखनऊ अपनी लॉ की पढ़ाई पूरी करने। जिसका सपना है एक सफल वकील बनना। तो वहीं दूसरी और है लखनऊ का नवाब कहा जाने वाला रुद्र सिंह राठौड़। जाने अनजाने पड़ जाती है रुद्र सिंह राठौड़ की नजर मेहर पर। ओर वो बन जाता है दीवा... ये कहानी है मेहर की। जो आती है लाहौर से लखनऊ अपनी लॉ की पढ़ाई पूरी करने। जिसका सपना है एक सफल वकील बनना। तो वहीं दूसरी और है लखनऊ का नवाब कहा जाने वाला रुद्र सिंह राठौड़। जाने अनजाने पड़ जाती है रुद्र सिंह राठौड़ की नजर मेहर पर। ओर वो बन जाता है दीवार मेहर और उसके सपने के बीच। क्या होगा जब रुद्र की मोहब्बत का जुनून का सामना करेगी मेहर? क्या मोड़ लेगी उन दोनों की किस्मत? जानने के लिए पढ़ते रहिए "गुस्ताख़ मोहब्बत" ।
Page 1 of 1
लखनऊ ( सुबह का वक्त) लखनऊ , जिसको नवाबों का शहर कहा जाता है। वही उसकी एक जगह जानकीपुरम में आज नए मेहमानों की एंट्री होती है। एक 2 बीएचके घर में , सारा सामान यहां वहा बिखरा पड़ा हुआ था, मानो अभी अभी किसी ने ये समान ला कर यहां पटका हो। तभी अंदर से एक औरत की आवाज आती है," या अल्लाह, ये लड़की कहां रह गई । कितना सामान बिखरा पड़ा है और ये है कि इसका कोई अता पता ही नही। " बाहर से एक लड़की जो हाथो में एक तोते के पिंजरे को पकड़े हुए अंदर आ रही थी, वो अंदर आते ही बोली, " अम्मी , ये आपने ठीक नही किया। आपने हमारे मिट्ठू को बाहर धूप में क्यों छोड़ दिया?" जी हां ये थी हमारी प्यारी मेहर। 21 साल की मेहर जो अपनी लॉ की स्टडी के लिए यहां लखनऊ आई थी। देखने में मानो कोई अप्सरा, रंग ऐसा की हाथ लगाओ तो मैली हो जाए और बड़ी बड़ी आंखें झील सी नीली, घने काले कमर तक झूलते बाल और नेचर में एक दम मासूम किसी छोटे बच्चे जैसी। " अम्मी । आप सब लोग खाम खां जहमत उठा रहे है मेरे लिए। मैंने आप सबको बोला तो था, मैं अकेली खुद रहने का देख लेती। आपकी बेटी अब बड़ी हो चुकी है। " ये बोल कर उसने छोटा सा मुंह बना लिया। उसकी अम्मी, जो सामान अंदर रख रही थी बोली," मेरी बच्ची , हमको पता है तुम बड़ी हो गई हो, पर मेरा और तुम्हारे अब्बू का मन नहीं मानता। आज के वक्त में गैर जगह पर लड़की को अकेला छोड़ना मतलब अपने गर्दन को खुद दबाना। ओर माना हम लोग थोड़ा उम्र से हो चुके है। पर इतने बेवकूफ नहीं है। हम इतने ये कह कर वो हंसने लगी। धीरे धीरे शाम का वक्त हो चला था । मेहर के अब्बू जो जरूरत का सामान लेने बाहर गए हुए थे, वो भी आ चुके थे। मेहर, उसकी अम्मी उसके अब्बू और उसका 12 साल का छोटा भाई सभी एक साथ बैठ कर डिनर कर रहे थे। अहमद खान ( मेहर के अब्बू) ने मेहर की तरफ देखते हुए पूछा," तो मेरी लाड़ली का कॉलेज कब से शुरू हो रहा है? " मेहर ने जवाब देते हुए कहा," अब्बू , कल को ही जा कर एडमिशन करा देना है फिर बाकी करवाई पूरी होने पर अगले दिन से क्लास शुरू हो जायेगी।"उसकी बात पर उसके अब्बू ने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया और अपना खाना खाने लगे। अगले दिन सुबह मेहर सुबह जल्दी से तैयार होकर अपने कॉलेज के लिए निकल गई। सफेद चिकनकारी वाला सलवार सूट जिसपे रेड दुपट्टा बहुत ही खूबसूरत लग रहा था। वो घर से एक ऑटो पकड़ कर कॉलेज के लिए निकल पड़ी। वो बेहद एक्साइटेड थी पहली बार इतने बड़े ओर मशहूर कॉलेज में जाने के लिए। मेहर कॉलेज पहुंच कर ऑटो से उतरी। जैसे ही उसने बाहर खड़े होकर कॉलेज की तरफ देखा। उसकी आंखो में एक अलग ही चमक आ गई।आखिर आज उसका सपना जो पूरा होने जा रहा था। इस कॉलेज में बारे में उसने बहुत सुना था और उसका बहुत मन था इस कॉलेज में स्टडी करने का। फाइनली आज वो अपने उस सपने से कुछ कदमों की दूरी पर खड़ी थी। चेहरे पर स्माइल रखते हुए , अब वो जल्दी जल्दी अपने कदम आगे बढ़ाते हुए कॉलेज में इंटर हुई। उसने जल्दी से जा कर एडमिशन फॉर्म भर कर अपना एडमिशन करवाया और बाकी की सभी फॉर्मेलिटी पूरी करने लगी। वो आज बहुत खुश थी। कॉलेज के सब काम से फ्री होने के बाद वो कॉलेज से निकल कर बाहर ऑटो का वेट करने लगी। तभी वहा उस रोड से कुछ गाड़ियों का काफिला गुजरने लगा। मेहर हैरानी से उन सभी गाड़ियों को देखे जा रही थी। देखने में ऐसा लग रहा था मानो को कोई सेलिब्रिटी वहा से गुजरने वाला हो। बीच में एक मर्सिडीज में बैठा शख्स बाहर की तरफ देख रहा था । अचानक उसकी नज़र कॉलेज के सामने खड़ी मेहर पर पड़ी। सफेद सूट, रेड दुपट्टा खुले रेशमी बाल जो हवा के साथ हल्के हल्के से लहरा रहे थे। वो शख्स उसकी तरफ देखता ही रह गया। जैसे ही उसकी मर्सिडीज मेहर के सामने से गुजरी , उस शख्स ने साथ साथ ही अपनी नजरो को घुमाया और उसको जितना हो सके उतना देखता रहा। मानो वो इस नज़ारे को अपनी नजरों में कैद कर लेना चाहता हो। गाड़ी के थोड़ा आगे आने पर उसने तुरंत ड्राइवर को बोला," स्टॉप द कार" नाउ । ड्राइवर ने गाड़ी को साइड करते हुए ब्रेक लगा दी। कार के रुकते ही वो जल्दी से बाहर निकला। बाहर निकलते ही उसने उस जगह पर पलट कर देखा जहां अभी कुछ पल पहले मेहर खड़ी थी। वहां अब कोई भी नहीं था। वो शक्श अपनी नजरे इधर उधर दौड़ने लगा। पर उसको आस पास कोई नजर नहीं आया। उस शख्स ने अपनी आँखें बंद की ओर अपने मन मे ही मेहर की पहली झलक को याद करने लगा।तभी उसके पास इस आदमी आ कर खड़ा हुआ और बोला, " क्या हुआ सर ? " इस तरह गाड़ी क्यों रुकवाई ? समथिंग सीरियस? वो शख्स, जो और कोई नही लखनऊ का टॉप बिजनेस मैन और माफिया वर्ल्ड का किंग, रूद्र सिंह राठौड़ था। रुद्र अपनी आंखो पर शेड्स लगाते हुए बोला, " आज शाम तक उस लड़की की सारी डिटेल्स चाहिए मुझे" । गोट इट ? उस आदमी ने जो उसका पर्सनल असिस्टेंट था और माफिया वर्ल्ड में उसका राइट हैंड था, जवाब में अपना सिर हिला दिया। रुद्र इतना बोल कर अपनी गाड़ी में बैठा और वहा से निकल गया। वही दूसरी तरफ, मेहर जो की कॉलेज से एक ऑटो में बैठ कर अपने घर के लिए चल पड़ी थी। इस बात से बिल्कुल अनजान की ना चाहते हुए भी वो किसी की नजरों में पहली झलक से ही बस चुकी है। क्या होगा जब मेहर और रुद्र होगे आमने सामने ? क्या मोड लेगी इन दो अनजान लोगों की किस्मत ? जानने के लिए पढ़ते रहिए "गुस्ताख मोहब्बत" मिलते है नेक्स्ट चैप्टर में। बाई
राठौड़ मैंशन एक कमरे में बालकनी के पास खड़ा एक शख्स अपनी सिगरेट के लंबे लंबे कस लेते हुए धुएं को उपर छोड़ रहा था। जिस वजह से उसके चारो ओर धुएं का एक गुब्बार सा बन जाता है। वो शख्स और कोई नही रुद्र सिंह राठौड़ था। तभी उसका फोन रिंग होता है और वो फोन को अटेंड करते हुए उसे कान से लगाता है। दूसरी साइड से जो भी बात बोली जा रही थी वो उसको बड़े ध्यान से सुने जा रहा था। जब सामने वाला अपनी बात खत्म कर देता है तो वो सिर्फ हम्म् बोल कर कॉल डिस्कनेक्ट कर देता है। अपने कोल्ड एक्सप्रेसन के साथ वो फिर से सामने देखते हुए सिगरेट पीने लगा। अगले दिन ( जानकीपुरम) सुबह का वक्त मेहर अपने सुबह का काम निपटा कर नाश्ता कर के कॉलेज जाने के लिए रेडी हो रही थी। आज उसने पिंक कलर का सूट पहना हुआ था जिस में वो बा –खुदा बेहद खूबसूरत लग रही थी। रूम से निकल कर वो किचन की तरफ आई और उसकी अम्मी को पीछे से हग करते हुए बोली," अम्मी, आज हमारा कॉलेज का पहला दिन है। दुआ कीजिएगा की सब अच्छा हो।" उसकी अम्मी ने मुस्कुरा कर अपना सिर हिला दिया। इतना बोल कर वो फोन और पर्स लेकर अपने दुपट्टे को सिर पर रख कर जैसे ही गेट के पास पहुंची तभी उनकी डोर बेल बजी। अंदर से उसकी अम्मी की आवाज आई," मेहर , बेटा जरा देखना। कौन आया है?" "जी अम्मी"। इतना बोल कर मेहर ने गेट ओपन किया ।गेट खुलते ही उसके सामने एक 27–28 साल का शख्स सामने आया। सामने खड़े शख्स को देख कर कोई भी इतना तो समझ सकता था कि वो कोई छोटी शख्सियत नही है। रंग ,रूप, कद,काठी,और उसके लुक्स को देख कर कोई भी उसका कायल हो जाए। रुद्र सिंह राठौड़। जैसी शख्सियत वैसा नाम। वही मेहर उसको सवालिया नजरो से देखती हुई बोली, " जी कहिए, किस से मिलना है आपको ?" रुद्र जो अपने सामने खड़ी मेहर को इत्मीनान से देखे जा रहा था। वो उसकी उस सादगी और खूबसूरती में मानो कहीं और ही खो गया था। तभी अंदर से फातिमा जी ( मेहर की अम्मी) बाहर आते हुए बोली," बेटा कोन आया है, बताया नही ?" बोलते बोलते वो अचानक चुप हो गई। मेहर ने अपनी अम्मी की तरफ देखते हुए कहा," पता नही अम्मी। " रुद्र जो अपनी हो ख्याली दुनिया में खोया हुआ था वो अब उनकी आवाज सुन कर होश में आया। और मेहर को मोहब्बत भरी नज़रों से देखते हुए बोला," मेहमान है आपके। स्वागत नही करोगे हमारा ? " इतना कह कर वो अपने कदम अंदर की तरफ लाते हुए मेहर के बिल्कुल करीब खड़ा हो गया। रुद्र को उसके पास से आ रही खुशबू अपनी और अट्रैक्ट कर रही थी। उसने अपनी आंख बंद की ओर उसकी प्रेजेंस को फील करने लगा। मेहर उसकी बातों को सुन कर बोली," मेहमान ? पर हम तो आपको जानते भी नहीं है तो ऐसे कैसे आप ?? इतना कह कर वो चुप हो गई। "जान जाओगी । "लिटिल फेयरी " अभी तो पूरी जिंदगी पड़ी है जान पहचान के लिए।" रुद्र ने अपनी दबी हुई आवाज में बोला। जिसको पास खड़ी मेहर ने सुन लिया था। फातिमा जी आगे आई और बोली," देखिए , लगता है आपको कोई गलतफहमी हुई है। " हम लोग यहां नए आए है और यहां हमारी जान पहचान भी " आगे बोलती बोलती वो अचानक से चुप हो गई। जब उनकी नजर बाहर से आते हुए अहमद जी पर पड़ी। वो एक पैर से लगड़ाते हुए चल रहे थे और उनके सिर पर पट्टी बंधी हुई थी। एक आदमी उनको सहारा देते हुए अंदर की तरफ ला रहा था। फातिमा जी एक दम उनकी तरफ भागी और बोली," या अल्लाह , ये क्या हुआ आपको ? ये चोट कैसे लगी ?" उन्होंने अहमद जी को एक तरफ से सहारा दिया। और अंदर ला कर सोफे पर बैठा दिया। मेहर ने जब अपने अब्बू को इस हालत में देखा तो वो रोते हुए उनकी तरफ भागी और जा कर उनके पास बैठ गई। उसकी आंखो से आंसू गिरने लगे। वो अपने अब्बू के सिने से लगते हुए बोली ," अब्बू, ये आपको चोट कैसे लगी? आप तो सैर करने के लिए गए थे ना?"तो फिर ये सब कैसे हुआ ?" अहमद जी ने उसके सिर पर हाथ रखते हुए कहा," अरे मेरे बहादुर बेटे, ऐसे नही रोते। छोटी सी चोट लगी है बस। " वो तो शुक्रिया अदा करे इन बरखुद्दार का जो इन्होंने टाइम रहते पट्टी वगैरा करवा दी हमारी, और घर पर छोड़ने चले आए। वरना इस नए शहर में कोन किसकी मदद करता है।" इतना बोल कर वो रुद्र की तरफ देखने लगे। रुद्र हल्का सा मुस्कुराते हुए अपने मन में बोला ," वो कहते है ना कुछ अच्छा करने के लिए कुछ तो कांड करना पड़ेगा ना"। ये बोलते हुए उसके फेस की स्माइल गहरी हो गई। मानो उसने कोई जंग जीत ली हो। फातिमा जी रुद्र की तरफ देखते हुए बोली," बेटे, आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपने हम अनजान लोगों की मदद की"। अल्लाह आपको हर खुशी बख्से " ।आओ। बैठो, कुछ चाय नाश्ता लेगे? रुद्र ने मेहर की तरफ देखते हुए कहा," अनजान कहां? आप तो अपने ही हैं। और रही खुशी की बात तो , वो क्या बोलते है आपके यहां? दुआ पढ़ने पर ? तभी मेहर बोली," आमीन"। रुद्र ने उसको अपनी गहरी नजरो से देखा और मुस्कुराते हुए बोला," आमीन" । फातिमा जी अहमद का ध्यान रखने में बीजी थी। रुद्र अपनी पॉकेट में हाथ डाल कर कुछ कदम आगे आया ओर मेहर के पास आ कर बोला," अगर ख्वाहिश करने वाला इतना खूबसूरत हो तो हर दुआ कबूल होनी लाजमी है"। मेहर अपनी नजरे झुकाते हुए पीछे हो गई। और सिर पर दुपट्टा डालते हुए उसकी अम्मी से बोली," अम्मी , हमें लेट हो रहा है कॉलेज के लिए। आप अब्बू का ख्याल रखिएगा।" हो सका तो जल्दी ही आ जायेंगे"। इतना कह कर मेहर बाहर की तरफ जाने लगी। रुद्र जो अभी भी अपनी लिटिल फेयरी को देखने में खोया हुआ था। अहमद जी की तरफ मुड़ कर बोला," अगर आप बुरा ना माने तो मै उस रास्ते से ही जा रहा हूं। मैं आपकी बेटी को कॉलेज ड्रॉप कर दूंगा। नही तो ऑटो की वेट करते करते उनको बहुत लेट हो जायेगा। " अहमद और फातिमा जी ने रुद्र की बात सुन कर एक दूसरे की तरफ देखा । फिर अहमद जी ने मुस्कुरा कर रुद्र को सिर हिला कर इजाज़त दे दी। ओर मेहर को आवाज लगाते हुए बोला," मेहर, बेटा तुम इनके साथ चली जाओ। ये तुमको कॉलेज छोड़ देगे।" आज के लिए इतना ही मिलते है नेक्स्ट चैप्टर में।
मेहर का घर रुद्र ने अहमद जी से बड़ी ही चालाकी से मेहर को साथ ले जाने के लिए बोल दिया था। अहमद जी जिनकी अभी अभी रुद्र ने मदद की थी वो भी बिना किसी हिचकिचाहट के आराम से मान गए। उन्होंने बाहर जाती हुई मेहर को भी बोल दिया की वो रुद्र के साथ चली जाए। अब आगे जैसे ही मेहर ने अहमद जी की बात सुनी उसने एक नज़र पलट कर रुद्र की तरफ देखा । फिर उसने अपना सर झुकाते हुए ," जी अब्बू" कहा। और बाहर निकल गई। रुद्र जो मन ही मन मानो अपनी जीत के लिए खुशी मना रहा था । उसने अहमद और फातिमा जी की तरफ देखते हुए हाथ जोड़ते हुए उनको अलविदा बोला और बाहर चला आया। बाहर गेट के पास मेहर अपने सिर पर दुपटा लिए नजरे झुकाए चुप चाप खड़ी थी। उसके बालो की कुछ लटे उसके चेहरे पर लहरा रही थी। रुद्र उसके पास आया और उसको गौर से देखते हुए बोला ," कमबख्त क्या बनाया है ? लाजवाब है बिल्कुल ।" मेहर ने नजर उठा कर उसकी और देखा तो वो थोड़ा मुस्कुरा कर बोला," घर। ये आपका घर । लाजवाब है बिल्कुल।"उसकी बात पर मेहर ने अपनी नजरे फेर ली। "चलिए । आपको आपकी मंजिल तक ले चलते है। " रुद्र ने इतना कहते हुए अपना एक हाथ उसके आगे कर दिया । मेहर उसके हाथ को देखते हुए बोली," हम खुद से चल लेगे।" इतना बोल कर वो आगे बढ़ कर उसकी गाड़ी की तरफ आई ।ड्राइवर ने बैक सीट का डोर ओपन किया तो वो जल्दी से बैक सीट पर जा कर बैठ गई। उसकी इस हरकत पर रुद्र मन ही मन मुस्कुराते हुए बड़े ही स्टाइलिश तरीके से गाड़ी की दूसरी तरफ आ कर बैठ गया। ड्राइवर ने देरी न करते हुए गाड़ी स्टार्ट कर दी। रुद्र और मेहर दोनो बैक सीट पर बैठे थे। मेहर विंडो से बाहर देख रही थी तो रुद्र बिना पलकें झपकाए उसको ही देखे जा रहा था। गाड़ी में एक दम शांति थी जिस वजह से रुद्र की बढ़ती धड़कनों का शोर साफ सुनाई दे रहा था। अपनी बगल में इतनी खूबसूरत लड़की को देख कर मानो उसको और किसी चीज का होश ही नहीं रहा था। वही जब मेहर को अपने ऊपर किसी की नज़रों का एहसास हुआ तो उसने जरा सा तिरछी नज़रों से रुद्र की और देखा। दोनो की नजरे मिली ही थी की उसने अपना मुंह फेर लिया और फिर से बाहर देखने लगी।उसको बहुत नर्वस फील हो रहा था। एक अनजान शख्स और उपर से उसका यूं लगातार घूरे जाना , उसको बहुत अनकंफर्टेबल फील हो रहा था। रुद्र जो उसके चेहरे और हवा में झूलती बालों की लटो को गौर से देख रहा था। वो मेहर की बेचैनी को महसूस करते हुए बोला," रुद्र । रुद्र सिंह राठौड़ नाम है मेरा। ओर लखनऊ में ऐसा कोई नही जो इस नाम को ना जानता हो।" " और आपका नाम?" बोलते हुए रुद्र की नजर फिर से मेहर पर जा रुकी। मेहर ने झुकी नज़रों के साथ ही जवाब दिया," जी, हमारा नाम मेहर है। ओर हम यहां नए हैं तो हमें यहां कोई नही जानता ।" बोलते वक्त जैसे मेहर के होठ हिल रहे थे वैसे वैसे ही रुद्र के दिल की तार हिल रही थी। वो किसी सिरफिरे आशिक की तरह उसको बिना पलकें झपकाए देखे ही जा रहा था। उसने अपने सीने पर हाथ रखते हुए आंखें बंद की और अपने मन में कहा," मेहर । हाय ! बिना जानें ही ये दिल तुमको अपना मान बैठा है ।" इस नाचीज पर कब होगी तुम्हारी मेहर"। इतना कहते हुए उसने एक गहरी सांस ली और मेहर की तरफ देखते हुए हल्का सा मुस्कुरा दिया। " बड़ा ही खूबसूरत नाम है, बिल्कुल आप की तरह "। रुद्र ने अपनी हसरत भरी निगाहों से देखते हुए कहा। मेहर ने हल्का सा मुस्कुरा कर शुक्रिया बोला और फिर से बाहर देखने लगी। तभी रुद्र का फोन रिंग होने लगा। स्क्रीन पर फ्लैश होते हुए नाम को देख कर रुद्र ने फोन अटेंड किया। सामने से किसी औरत की आवाज आई और बोली," अरे वाह! आज सूरज कौन सी तरफ से निकला है जो तुमने अपनी मां का फोन एक बार में ही उठा लिया।" फोन पर बोलने वाली औरत रुद्र की मां देविका राठौड़ थी। रुद्र ने जवाब देते हुए कहा," मां, सूरज का तो पता नही पर चांद जरूर निकल आया है"। इतना बोलते हुए उसका ध्यान मेहर पर था। उसकी मां हंसते हुए बोली," तुम और तुम्हारी ये अफलातून बातें। "अच्छा ! ये बताओ कहां हो इस टाइम? घर पर पूजा रखी हुई है और तुम हो कि लापता हो । " "आप बस ये सोच लो फिलहाल मैं किसी जन्नत में हूं । डोंट वरी, आपको ज्यादा वेट नहीं करवाउगा। पहुंचता हूं।" रुद्र ने अपनी बात पूरी कर के कॉल कट कर दी। उस बीच मेहर का कॉलेज आ चुका था।गाड़ी के ब्रेक लगे और गाड़ी रुकते ही मेहर ने उतरने के लिए डोर ओपन किया। जैसे ही वो उतरने को हुई रुद्र ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसको दोबारा गाड़ी में खीच लिया। ये सब इतनी जल्दी हुआ कि मेहर को संभलने का मोका ही नही मिला और वो जा कर रुद्र के सीने पर गिरी। दोनो एक दूसरे के बिल्कुल करीब थे जिस से दोनो की गहरी गहरी सांसें दूर तक सुनाई दे रही थी। उसने हैरानी से रुद्र की और देखा। जो उसको ही देखे जा रहा था। उसने अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा," जनाब, ये क्या बदतमीजी है। छोड़ीए हमें" वो लगातार अपना हाथ खीचे जा रही थी। रुद्र ने बड़े प्यार से उसके गाल पर आए बालों को कान के पीछे किया और बड़े ही दिलकश अंदाज में बोला," अमानत है आप हमारी। ख्याल रखिएगा अपना। मेहर जी"। मिलते है जल्दी ही। अभी के लिए बाय।" इतना बोल कर उसने मेहर का हाथ आगे किया और बड़े प्यार से उसको चूम लिया। मेहर उसकी इस हरकत पर मानी बर्फ की तरह जम गई। उसकी धड़कनों ने रफ्तार पकड़ ली। उसे कुछ समझ ही नही आ रहा था। जल्दी से वो गाड़ी से निकली और भाग कर कॉलेज के अंदर चली गई। वही रुद्र उसको जाते हुए देख कर मुस्कुरा रहा था और फिर आंखें बंद कर के अपनी सीट पर सिर टिका कर बैठ गया। क्या मेहर समझ पाएगी रुद्र के इरादे? क्या मोड लेगी इन लोगो की किस्मत ? जानने के लिए पढ़ते रहिए " गुस्ताख मोहब्बत"। मिलते है नेक्स्ट चैप्टर में। बाय।
सुबह (राठौड़ मेंशन) रुद्र मेहर को कॉलेज ड्रॉप कर के सीधा अपने राठौड़ मेंशन की तरफ मुड़ गया।उसकी गाड़ी सीधा राठौड़ मेंशन के पार्किंग एरिया में आ कर रुकी। गाड़ी से निकल कर वो सीधा अंदर जाते हुए अपने शेड्स उतार कर आवाज लगाने लगा," नवाब घर आ चुके है। जिसको आरती उतारनी है उतार सकते है।" तभी देवकी जी सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए बोली," तो नवाब साहब को मिल गई फुरसत घर आने की। कहां थे सुबह से ? " "बताया तो था मां , जन्नत में था ।" वो देवकी जी के पैर छू कर सोफे पर आराम से बैठ गया। हाय! क्या बताऊं क्या सुकून था उस जन्नत में ?" रुद्र जो अब सोफे पर बैठा था उसने अपनी आंखे बंद कर ली। बंद आंखों से ही वो मेहर के साथ बिताए सुबह के पलों को याद कर रहा था जिस से उसके होठों पर मुस्कुराहट आ गई। उसकी मां उसको गौर से देखते हुए उसके पास आई ," और सिर पर हाथ रखते हुए बोली ," क्या बात है? आज कुछ अलग ही रौनक लग रही है मेरे नवाब के चेहरे पर। " रुद्र ने आंखें खोली और खोई हुई आवाज में बोला, " चांद को छू कर आ रहा हूं। तो चांदनी का कुछ असर तो दिखेगा ना।" देविका जी जो बड़े ध्यान से मुस्कुराते हुए उसे देख रही थी बोली ," आज तो मिजाज़ ही अलग है नवाब जी के। " जरा अपनी मां को भी बताओ , कौन चांद ? कौन सी जन्नत ? रुद्र अपनी मां की बात सुन कर होश में आया तो अपनी नजरे इधर उधर करते हुए बोला," पूजा के लिए बुलाया था आपने मुझे। अब और कितना टाईम लगेगा।" मुझे फ्रेश होना है, जब आपको जरूरत हो तो बुला लेना।"इतना कहते हुए रुद्र सीढियो की तरफ बढ़ गया। वहीं देविका जी के चेहरे पर स्माइल आ गई। अपने बेटे के बदले से तेवर देख कर उनको इतना तो समझ आ चुका था कि उनके नवाब के दिल में किसी ने दस्तक दी है। अब वो मुस्कुराते हुए मंदिर की तरफ चली गई। ओर पूजा की तयारी करने लगी। कॉलेज में। रुद्र ने अपने 2 आदमियों को मेहर के कॉलेज में भेज दिया था जो पूरा दिन उस पर नज़र रखने वाले थे। सुबह रुद्र के साथ हुई हरकत के बाद बड़ी मुस्किल से मेहर ने खुद को नॉर्मल किया और अपनी क्लासेज अटेंड की। उसकी एक रिद्धि नाम की क्लासमेट थी जो अब उसकी अच्छी फ्रेंड बन चुकी थी। सारे क्लासेज अटेंड करने के बाद वो दोनो कुछ टाईम कैंटीन की तरफ चल गए। कैंटीन में कुछ लड़के आती जाती लड़कियों पर कमेंट पास कर रहे थे और उनका मजाक बना रहे थे। जब उन लड़कों ने मेहर को देखा तो उनमें से एक बोला," भाई , क्या लड़की है ? एक दम रसमलाई।" सारे लड़के उस और ही देखने लगे। उन सब की नजर खुद पर पा कर मेहर ने रिद्धि का हाथ पकड़ लिया और वह से जल्दी से जाने लगी। तभी उनमें से एक लड़का उसके सामने आ कर खड़ा हो गया और बोला," अजी, आप कहां चली ? जरा जान पहचान तो के ले हम लोग। " इतना बोल कर वो लड़का जिसका नाम अमन था, मेहर को उपर से लेकर नीचे तक देखने लगा। वही रुद्र के आदमी ने उसको कॉल कर के सारी बात बताई और उसके जवाब का वेट करने लगा। रिद्धि हिम्मत कर के बोली," देखो, हमारा रास्ता छोड़ो । हमे देर हो रही है। हमारी क्लास है।" "ओ बहन जी , अगर तुमको जाना है तो तुम जाओ। पर ये न्यू आइटम यही रुकेगी। समझी।" इतना कह कर वो मेहर की तरफ बढ़ने लगा। मेहर उसकी बातों को सुन कर डर गई। और डर के मारे कांपने लगी। वो हमेशा से ही इन सब चीजों से दूर रहने वाली सीधी साधी सी लड़की थी। ओर अब अचानक इस नए शहर में आने पर उसको ऐसी चीजों का सामना करना पड़ रहा था। वो डरते हुए साइड से निकलने की कोशिश करने लगी। तभी अमन ने उसके दुपट्टे को अपने हाथ मे पकड़ कर खींच लिया। मेहर की आंखों से आंसू निकल आए। वो अपने आस पास देखने लगीं जहां सारे स्टूडेंट्स खड़े होकर उनका तमाशा देख रहे थे। रोते हुए उसने अपने सीने पर हाथ रख लिया। ओर अमन की तरफ लाचारी भरी नजरों से देखने लगे। अमन और उसके फ्रेंड्स ये सब देख कर हंसने लगे । ओर कुछ फोन निकाल कर वीडियो बनाने लगे। मेहर वहा से भागने लगी तभी अमन उसके सामने हाथ फैला कर खड़ा हो गया और बेशर्मो की तरह हंसने लगा। मेहर लगातार रोये जा रही थी। आंसू से लबालब भरी उसकी आंखे लाल हो चुकी थी।अमन ने अपना हाथ मेहर के चेहरे को तरफ बढ़ाया। जैसे ही उसका हाथ मेहर के गाल को छूता, पीछे से किसी ने उसे कलर से पकड़ा और खींच कर पलट लिया। तभी उसके मुंह पर एक जोरदार पंच लगा। मेहर जिसने डर के मारे अपनी आंखे बंद कर ली थी, उसने अमन की दर्द भरी आवाज सुन कर अपनी आंखे खोली। उसके सामने खड़ा शख्स गुस्से से कांप रहा था । उसकी एक एक नसे उभरी हुई थी। ओर वो गहरी गहरी सांस लेते हुए अभी भी अमन की तरफ देख रहा था। उसने झुक कर जमीन पर पड़े अमन को उठाया और उसको गर्दन से पकड़ कर पीछे ले जाने लगा। " साले, लगता है दुपट्टे कुछ ज्यादा ही पसंद है तुझे। अभी पहनाता हूं तुझे घाघरा चोली और करवाता हूं तुझ से मुजरा " ये बोलते हुए रुद्र उसको लगातार पांच मारे जा रहा था। वहा खड़े हर एक शख्स की मानो सांस ही रुक गई। हर कोई सामने रुद्र सिंह राठौड़ को देख कर एक दम शॉक था।तो वही मेहर के लिए मानो वो कोई फरिश्ता बन कर आया हो। वो आंखो में आंसू लिए उसकी तरफ देखती रही। "तेरी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी अमानत पर नजर डालने की उसको रुलाने की " लगता है जिंदगी प्यारी नही तुझे जो रुद्र सिंह राठौड़ की चीज पर आंख उठाने की गलती कर दी तूने" । रुद्र ने मार मार कर अमन की हालत बुरी कर दी । तो वही उसके साथ वाले लड़के वहा से चुप चाप निकल लिए। जब अमन बेहोश होकर नीचे गिर गया तो रुद्र ने उसको छोड़ कर अब मेहर की तरफ देखा। जो अपने सीने पर हाथ रखे खड़ी खड़ी रोए जा रही थी। उसकी आंखों में आंसू देख कर रुद्र को दिल में तकलीफ सी महसूस हुई। उसने जल्दी से जा कर नीचे पड़े दुपट्टे को उठाया और मेहर के सर पर डालते हुए उसको पूरा कवर कर दिया। देखते ही देखते मेहर की आंखें बंद हो गई और वो बेहोश हो कर नीचे जमीन पर गिरने ही वाली थी कि तभी रुद्र की मजबूत बांहों ने उसको थाम लिया। वो चांद सा खूबसूरत चेहरा उसकी बांहों में झूल रहा था। रुद्र की धड़कन मानो रुक ही गई। उसका दिमाग मानो सुन्न सा हो गया था। क्या मेहर समझ पाएगी रुद्र के जज़बातो को? आज के लिए इतना ही। मिलते है नेक्स्ट चैप्टर में।
रुद्र ने अमन की मार मार कर लगभग बेहोश कर दिया था। वो बेजान होकर नीचे ज़मीन पर जा गिरा। वही जब रुद्र ने मेहर को उसका दुपट्टा ओढ़ाया तो मेहर की आंखे भारी होने लगी ।वो बेहोश होकर नीचे गिरने ही वाली थी कि रुद्र ने जल्दी से उसे अपने बांहों में संभाल लिया। लगातार रोने से उसकी आंखे और नाक पुरी तरह लाल हो चुके थे। जिस से उसका खूबसूरत सा चेहरा और भी नूरानी लग रहा था। रुद्र जो एक तरफ उसके हसीन चेहरे को अपनी बाहों में पा कर सुकून महसूस कर रहा था । तो वही उसको मेहर के साथ हुई बदतमीजी के लिए गुस्सा भी आ रहा था। उसने अपने गुस्से को कंट्रोल करते हुए मेहर को बड़ी ही नाजुकता से अपनी गोद में उठाया और कॉलेज से बाहर की तरफ़ जाने लगा। वहा मौजूद भीड़ का हर एक शख्स चुप चाप उसको जाते हुए देख रहा था और भगवान का शुक्र माना रहा था। कॉलेज से बाहर आ कर रुद्र ने मेहर को अपनी गाड़ी की बैक सीट पर लेटाया। ओर खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ कर वहा से निकल गया। दूर खड़ी रिद्धि उसको चिंता भरी नजरो से देखे जा रही थी। कुछ मिनट में ही रुद्र की कार एक फार्म हाउस के बाहर आ कर रुकी। रुद्र ने कार से निकलते ही मेहर को दोबारा अपनी गोद में उठाया और अंदर ले गया। फार्म हाउस में सभी सर्वेंट्स रुद्र के साथ एक लड़की को देख कर शॉक में थे। रुद्र जल्दी से चलते हुए एक रूम में एंटर हुआ और उसने बड़े आराम से बेड पर मेहर को को लेटा दिया। अपनी पॉकेट से फोन निकाल कर उसने उनके पर्सनल डॉक्टर को बुलाया और साथ में स्पेशली एक नर्स को आने के लिए भी बोला। मेहर को अब तक होश नही आया था। रुद्र उसको इस हालत में देख कर बैचेन सा महसूस कर रहा । अपनी इस बेचैनी को दूर करने के लिए उसने पॉकेट से एक सिगरेट निकाली और सामने सोफे पर बैठ कर सिगरेट पीते हुए मेहर को निहारने लगा। प्यारा सा चेहरा, बंद पलकें, गुलाब की पंखुड़ी से होठ, चेहरे पर आए हुए उसके रेशमी बाल, नाजुक सा बदन मानो कोई कांच की गुड़िया हो। जो हाथ लगाने से टूट ही जाए। उस पर उसका यूं सादगी से रहना। रह रह कर रुद्र को अपनी धड़कने तेज होती हुई महसूस हो रही थी। ऐसा पहली बार था जब रुद्र किसी के लिए ऐसा महसूस कर रहा था । उसने अपनी आंखें बंद की ओर इन सब एहसासों को समझने को कोशिश करने लगा। तभी डोर नोक हुआ और एक मेड ने बताया कि डॉक्टर आ चुके है।रुद्र ने डॉक्टर को अंदर भेजने के लिए बोला । रूम में डॉक्टर और एक नर्स आए। रुद्र ने आगे आ कर मेहर की तरफ इशारा किया तो डॉक्टर बेड के पास जा कर उसको देखने लगे। "ये नर्स साहिबा को अपने साथ पिकनिक के लिए तो नही लेकर आए होगे डॉक्टर" रुद्र ने डॉक्टर को तरफ अपनी अपनी आईज ब्रो रेज करते हुए टौंट वे मे कहा। वही डॉक्टर उसकी बात सुन कर अपने माथे पर आए पसीने को साफ करते हुए पीछे हट गया। डॉक्टर के इशारा करने पर नर्स ने आगे बढ़ कर मेहर का चेक अप करना सुरु किया। रुद्र वहीं खड़ा बड़े गौर से सब देखे जा रहा था। सभी चेकअप हो जाने पर नर्स ने मेहर को एक इंजेक्शन लगाया। डॉक्टर ने रुद्र की तरफ देखते हुए कहा," मिस्टर राठौड़ , पेशेंट शायद स्ट्रेस और डर की वजह से बेहोश हो गया है। टेंशन की बात नही है। मैने इंजेक्शन लगा दिया है और कुछ मेडिशन दी है। थोड़ी देर में इनको होश आ जायेगा " डोंट वरी" । "होश आना भी चाहिए, इट अल्सो गुड फॉर यू" रुद्र ने अपनी एरोगेंट वाइस मे डॉक्टर की तरफ देखते हुए कहा। डॉक्टर ने अपने सूखे गले को तर करते हुए जल्दी से अपने कदम बाहर की तरफ बढ़ा दिए। रुद्र जा कर सोफे पर बैठ गया और मेहर के होश में आने का इंतजार करने लगा कुछ देर बाद , मेहर ने धीरे धीरे से अपनी आंखे खोली। जैसे ही उसकी नजर आस पास गई , अनजान जगह को देख कर वो एक पल के लिए सहम गई। तभी उसकी नजर सामने बैठे रुद्र पर गई। रुद्र ने जैसे ही मेहर को देखा तुरंत उठ कर उसके पास आया।पास आ कर उसने मेहर को देखते हुए पूछा ," हे लिटिल फेयरी ! कैसा लग रहा है अब? ठीक तो हो ना ?" मेहर को, जो कुछ भी कॉलेज में हुआ और रुद्र का उसको बचाना सब याद आने लगा। उसकी आंखो में नमी आ गई। मेहर ने अपनी कांपती हुई आवाज ने पूछा ," हम , हम कहां है इस वक्त ? कौन लाया हमे यहां ?" रुद्र ने बेड पर बैठते हुए कहा," रिलैक्स! पहले ये बताओ कैसा लग रहा है अब?" मेहर के चेहरे पर परेशानी साफ दिखाई दे रही थी । वो खुद में सिमटती हुई पीछे सरकने लगी। " देखिए पहले हमारी बात का जवाब दीजिए । हम कहां है ? ओर कौन लेकर आया हमें यहां पर ? " रुद्र ने एक गहरी सांस ली और बोला ," जहां भी हो बिल्कुल सेफ हो और मेरे साथ हो। अब डरने की जरूरत नहीं है ।" वो मेहर की आंखों में देखते हुए उसको पढ़ने की कोशिश कर रहा था। "आपके साथ ? या अल्लाह ! हमें यहां इस तरह नहीं होना चाहिए ।हमें यहां से जाना है " मेहर खुद से बड़बड़ाते हुए बेड से उठने लगी। जैसे ही उसने अपना एक कदम नीचे रखा, जल्दबाजी में वो लड़खड़ा कर गिरने ही वाली थी कि रुद्र ने उसको अपनी बांहों में संभाल लिया। रुद्र की इतनी करीबी से मेहर की तो मानो धड़कन ही रुक गई । उसका वो चौड़ा सीना, मजबूत बांहे, वो हसरत भरी निगाहें । ये सब देख कर एक पल के लिए मेहर सब कुछ भूल सा गई। रुद्र ने उसको संभालते हुए कहा," माना देखने में किसी परी जैसी ही हो , पर इस चीज को इतना भी सीरियसली नहीं लेना था की डायरेक्ट उड़ने की कोशिश करने लगो।" "आराम से मोहतरमा । कहीं तुमको संभालने के चक्कर में मुझे अपना बिजनेस छोड़ कर बॉडीगार्ड की ड्यूटी न करनी पड़ जाए।"रुद्र की आवाज सुन कर मेहर अपनी ख्याली दुनिया से बाहर आई। ओर उस से थोड़ा दूर खड़ी हो गई। रुद्र हल्का सा मुस्कुराया और उसके करीब आते हुए अपने हाथ उसकी और बढ़ाए। ये देख कर मेहर 2 कदम पीछे हो गई। और गहरी सांसे लेती हुई इधर उधर देखने लगी। रुद्र ने उसकी इस हरकत पर मुस्कुरा कर अपना सिर हिलाया और आगे बढ़ कर मेहर का दुपटा उसके सिर पर ओढ़ा दिया। " सादगी में लिपटी ये खूबसूरती और भी बा –कमाल लगती है मानों चांद बदलो से छुप कर देख रहा हो "। इतना बोल कर वो अब पीछे हो गया। वहीं मेहर उसकी बात पर उसको बिना कुछ कहे लगातार देखें ही जा रही थी। रुद्र की इस हरकत ने मेहर के दिल में उसकी एक अलग ही जगह बना ली थी। "अपना नंबर दो, मेरी एक से एक पिक्स भेजूंगा। फिर बड़े गौर से से देखना जूम कर कर के "। रुद्र ने आराम से सोफे पर बैठते हुए कहा।वो हल्का हल्का मुस्कुरा रहा था मानो उसने मेहर की नजरो की चोरी पकड़ ली थी। मेहर ने जैसे ही रुद्र की बात सुनी , हड़बड़ाहट में वो अपनी नजरे इधर उधर घूमने लगी। आगे बढ़ते हुए वो बोली ," हमें घर जाना है । प्लीज क्या आप " रुद्र ने कहा," जो हुकुम, लिटिल फेयरी।" इतना कह कर वो उठा और मेहर को हाथ के इशारे के साथ आगे चलने के लिए बोला। मेहर अपना सर झुका कर दुपट्टा ठीक करते हुए आगे बढ़ गई। आज के लिए इतना ही। मिलते है नेक्स्ट चैप्टर में। ❤️
रुद्र मेहर को लेकर अपने फार्म हाउस से बाहर निकला। मेहर अपनी झुकी नजरो से इधर उधर देखे जा रही थी। रुद्र ने कार का फ्रंट डोर ओपन किया और मेहर को बैठने का इशारा किया। मेहर ने हिचकिचाते हुए इधर उधर देखा। फिर उसने एक नज़र रुद्र की और देखा और जा कर कार में बैठ गई। रुद्र के लिए मानो आज का दिन बड़ा लकी था। जो मेहर उसके साथ दूसरी बार कार में बैठ रही थी। वो मन ही मन मुस्कुराते हुए ड्राइविंग सीट की तरफ आया और अंदर आ कर बैठ गया। उसने सीट बेल्ट लगाई और एक नज़र मेहर की तरफ देखा जो सीट पर एक कोने में अपना सिर झुकाए बैठी थी। रुद्र ने मेहर की तरफ थोड़ा सा झुका और उसके बिल्कुल करीब आ कर रुक गया, मेहर ने जैसे ही उसकी तरफ देखा , डर के वो थोड़ा पीछे हो गई। रुद्र की गर्म सांसे उसे अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी जिस से उसके रोंगटे खड़े हो रहे थे। उसकी गहरी गहरी चलती सांसों को रुद्र भी महसूस कर सकता था । उसने मेहर की आंखो मे देखते हुए अपना हाथ उसकी पीछे किया। और एक झटके में खींच कर सीट बेल्ट लगा दी । अब वो नॉर्मली वापिस अपनी सीट पर आ गया। मेहर को इस बात का अंदाजा ही नही था। अब उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया। रुद्र ने कार स्टार्ट की और देखते ही देखते उनकी गाड़ी सड़क पर दौड़ने लगी।इस बीच रुद्र का ध्यान सामने कम और मेहर की तरफ ज्यादा था। गाड़ी में फैली चुप्पी को तोड़ते हुए रुद्र बोला," वैसे हमारे यहां मदद करने वाले को थैंक्स बोला जाता है, पर लगता है आपके यहां ये रिवाज़ नहीं है। " मेहर जो कब से सिर झुकाए बैठी थी उसकी बात सुन कर धीमी आवाज में बोली," जी, शुक्रिया।" हमारी इतनी मदद करने के लिए।" रुद्र के चेहरे पर स्माइल आ गई। उसने सामने देखते हुए कहा, " कुछ लाइंस है ? सुनेगी ? " वैसे अगर ना भी बोलोगी तो भी सुनना तो पड़ेगा ही" मेहर अब रुद्र की तरफ देखते हुए बोली," जी, अगर कुछ सच में सुनाने को है तो कहिए ,।" रुद्र ने ब्रेक लगाए और गाड़ी एक साइड रोक दी। उस वक्त वो रोड मोस्टली खाली था। ढलती शाम और ठंडी ठंडी बहती हवा, मौसम को और भी खुशनुमा बना रही थी। रुद्र ने मेहर की आंखो में देखते हुए अपने सीने पर हाथ रखा और कहा, झुकी नज़र, बिखरी जुल्फें, जैसे एक हसीन शरारत हो। हुस्न का पहर हो, दिलों पर कहर हो, बा –खुदा कयामत हो। मेहर जो अभी नजरे झुकाए बैठी थी। रुद्र के अल्फाज मानो सीधा उसके जेहन में उतर रहे थी। धड़कनों का शोर दूर तक सुनाई दे रहा था। उसने एक नज़र रुद्र को देखा और बोली ," बहुत खूब। काफी खूबसूरत लफ्ज़ है।" रुद्र ने जवाब दिया," जिस के लिए बोले है वो तो उस से भी खूबसूरत है"। कुछ पल मेहर को देखते रहने के बाद उसने गहरी सांस ली और फिर से गाड़ी स्टार्ट करदी। दो दिन के अंदर ही रुद्र ने मेहर के दिल में अजीब से एहसास जगा दिए थे।वो अपनी अलग ही कश्मकश में थी। उसने अपना सिर झटकते हुए अपने मन में कहा ," नहीं, हमें गुमराह नही होना । हम यहां सिर्फ अपनी पढ़ाई के लिए आए है। और कुछ नहीं बस।" कुछ ही देर मे गाड़ी सीधा मेहर के घर के बाहर जा रुकी। ब्रेक लगने से मेहर अपने ख्यालों से बाहर आई । और जल्दी से डोर ओपन कर के जाने लगी। तभी रुद्र ने उसको आवाज लगाते हुए रोका और बोला ," मेहर , वो आज कॉलेज में जो भी हुआ, हो सके तो घर पर मत बताना" और हां मेरी अमानत का ख्याल रखना।" मेहर ने उसकी बात सुन कर आस पास देखा और घबराते हुए चुप चाप सर हिला दिया और अंदर जाने लगी। घर के बाहर सब लोगो के सामने वो किसी भी तरह का तमाशा नहीं चाहती थी। वो तेजी से अंदर जा रही थी कि अचानक वो रुकी और मुड़ कर जल्दी से वापिस आई। रुद्र जो अब तक गाड़ी में बैठा उसको ही देख रहा था , उसको यूं अपनी और आता देख कर हैरान हो गया। मेहर कार के पास थोड़ा झुक कर बोली," वो, शुक्रिया आपका । आपने किसी फरिश्ते की तरह हमारी हिफाज़त की । और अब हमको हमारे घर पर भी लेकर आए। फिर से शुक्रिया" उसके मुंह से शुक्रिया सुन कर रुद्र के फेस पर स्माइल आ गई। फिर उसने थोड़ा सा सोचते हुए बोला," शुक्रिया एक्सेप्ट हो जायेगा। बस एक बार मेरा नाम लेकर बोलो" शुक्रिया रुद्र।" रुद्र की बात सुन कर मेहर उसको अपनी आंखें छोटी कर के देखने लगी। और मन में बोली," या अल्लाह। लो मार ली खुद के पैर पर कुल्हाड़ी" फिर थोड़ा नर्वस होते हुए उसने कहा," जी , शुक्रिया रुद्र जी"।"इतना कह कर वो अंदर को तरफ भाग गई। मेहर के मुंह से अपना नाम सुन कर रुद्र ने अपनी आंखें बंद कर ली और सिर को सीट पर टिकाते हुए बोला," हाय ! सुकून"। रब खैर करे" तभी उसका फोन रिंग हुआ । जिस पर फ्लैश हो रहे नंबर को देख कर उसकी स्माइल गायब हो गई। उसने बिना फोन अटेंड किए जल्दी से गाड़ी स्टार्ट की और वहां से निकल पड़ा। रुद्र की गाड़ी सीधा राठौड़ मेंसन के पार्किंग एरिया में आ कर रुकी। वो जल्दी से तेज कदमों के साथ अंदर आया।तभी उसके कानो में आवाज आई," तो नवाब साहब को मिल गया टाईम, ऐसा भी कोनसा अर्जेंट काम आ गया था तुमको जो तुम पूजा के लिए भी नही रुके।" ये आवाज देवकी जी की थी। रुद्र अपने माथे पर उंगली फेरते हुए उनके पास आया और जैसे ही उनको मनाने के लिए हग करने लगा, देवकी जी पीछे हट गई और अपने हाथ दिखाते हुए बोली," नही , बिल्कुल भी नही।" हर बार ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी"। पहले मुझे वजह बताओ," ऐसा भी क्या जरूरी काम था तुमको, जो मेरे इतना बोलने के बाद भी तुम पर असर नहीं हुआ ।" रुद्र उसकी मां की बातें सुने जा रहा था, अब जा कर वो सोफे पर बैठ गया। उसने अपने पैर टेबल पर रखते हुए कहा," बहुत थक गया हूं मां, एक कप ब्लैक काफी का चाहिए।" देवकी जी ने उसके हाव भाव देख कर थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा," कहा गए थे साहब जी, जो ये इतना थक गए।" रुद्र अपनी मां की टौंट भरी बातें सुन कर हसने लगा और बोला," चांद तक गया था "। अगर ना जाता तो उसकी खूबसूरती को ग्रहण लग जाता"। हाय! कुछ तो कशिश है उसमे। यूं ही नहीं हम आवारा हुए देवकी जी उसके पास बैठती हुई उसके सिर पर हाथ लगा कर देखने लगी। रुद्र ने उनकी तरफ देखते हुए इशारा किया और पूछा," क्या हुआ ?" देवकी जी हैरानी से देखते हुए बोली," ये तो तुम मुझे बताओ," हुआ क्या है? ये शायरी का बुखार कब से हो गया तुम्हे ?" रुद्र अपनी मां की तरफ देखते हुए मुस्कुरा दिया। और उनकी गोद में सिर रख कर लेट गया। आज के लिए इतना ही। नेक्स्ट चैप्टर जल्दी पढ़ने के लिए plz लाइक और कॉमेंट्स जरूर करे। बाय
जानकीपुरम ( रात का वक्त ) मेहर ने अंदर जा कर अपना पर्स रखा। तभी सामने से उसकी अम्मी ने आते हुए कहा, " मेहर , मेरी बच्ची। तुम कब आई ? और कैसा रहा कॉलेज का शुरुआती दिन ?" मेहर ने फीका सा मुस्कुराते हुए कहा, " जी अम्मी, बस अभी आए हैं। और कॉलेज भी अच्छा था। " ये बोल कर वो सोफे पर बैठ गई। उसने फातिमा जी की तरफ देखते हुए कहा, " अम्मी ! अब्बू कहां हैं? और अब उनकी तबीयत कैसी हैं ? फातिमा जी बोली , " दवा ली है , तो फिलहाल आराम कर रहे हैं । और अब उनकी तबीयत पहले से बेहतर हैं। " तुम फिकर ना करो । " "कॉलेज से आई हो तो थक गई होगी मेरी बच्ची , चलो फ्रेश हो जाओ तब तक मैं कुछ खाने के लिए तैयार करती हूं" । फातिमा जी इतना बोल कर किचन की तरफ चल दी। वही मेहर ने मुस्कुरा कर अपना सिर हिलाया । वो उठ कर अपने रूम में गई और जा कर फ्रेश होने लगी। रात को डिनर टेबल पर सभी ने एक साथ खाना खाया । और सभी अपने अपने रूम में चले गए। मेहर अपने कमरे में बिस्तर पर बैठी थी। उसके दिमाग में अभी भी आज कॉलेज में बीती बाते घूम रही थी। उसको अब कॉलेज जाने से अंदर ही अंदर डर लग रहा था। जब उसको रुद्र का उसको बचाना , उसको अपनी अमानत बोलना और उसकी वो सारी बातें याद आई तो ना चाहते हुए भी उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल आ गई। इस अनजान जगह पर अनजान लोगो में उसे रुद्र से एक अपनेपन का एहसास सा होने लगा था। उसका वो मेहर को हसरत भरी नजरों से देखना , उसके दिल में भी एक तूफान सा उठा जाता था। फिर जब उसको अपने ख्यालों का एहसास हुआ तो वो एक दम से अपना चेहरा हिलाते हुए बोली , " या अल्लाह ! क्या बला हैं ये शख्स ? नहीं ,नहीं । हमेंअपनी पढ़ाई पर ध्यान देना है ना कि ऐसी उल जुलूल बातों पर "। इतना बोलते हुए वो बिस्तर पर लेटी और कुछ ही देर में उसकी आंख लग गई। दूसरी तरफ एक शख्स मेहर के घर के अंधेरे का फायदा उठाते हुए चुप चाप अंदर आया। और धीरे धीरे अपने दबे कदमों से आगे बढ़ने लगा। मेहर के कमरे का दरवाजा खुला और उस शख्स ने धीरे से अंदर जा कर दरवाजे को बंद कर दिया। वो शख्स और कोई नही, " रुद्र सिंह राठौड़ " था। उसने पलट कर मेहर की तरफ देखा । बिस्तर पर लेटी हुई मेहर, नाजुक सा बदन, एक तरफ बिखरे हुए बाल और बालकनी से आती हुई चांद की रोशनी में वो किसी अप्सरा जैसी लग रही थी।" रुद्र अपने कदमों को धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए उसके पास आया। चांद की आती हल्की सी रोशनी में उसको वो खूबसूरत सा चेहरा और भी नूरानी लग रहा था । उसको देखते हुए रुद्र मानो किसी और ही दुनिया में चला गया था। वो करीब 15 मिनट से उसको एक टक देखे जा रहा था। जब उसको अपनी हालत का एहसास हुआ, तो वो खुद पर ही हंसा और मेहर के बिलकुल करीब आ कर बैठ गया। उसको समझ नहीं आ रहा था कि वो उस से बात करे या उसको यूं ही देखता रहे । उसके चेहरे पर आए कुछ बालों को उंगली से दूर करते हुए रुद्र बड़ी ही दिलकश आवाज में बोला – " उसके चेहरे की चमक के सामने सादा लगा । आसमां में चांद पुरा था , मगर आधा लगा ।" उसकी नजरों में एक अलग ही चमक और चेहरे पर सुकून नजर आ रहा था। वहीं रुद्र की उंगलियों की छूवन से , मेहर ने जरा सी करवट ली।दूसरी साइड पलटते हुए उसने रुद्र का हाथ अपने चेहरे के नीचे दबा लिया । रुद्र की धड़कनों ने रफ्तार पकड़ ली। वो मेहर को जगा कर उसको डराना नही चाहता था। उसने धीरे धीरे अपने हाथ को खींचा ।जैसे ही मेहर को अपने चेहरे के पास हलचल महसूस हुई। उसने अपनी नींद भरी आंखों को हल्का सा खोल कर देखा। अपने पास किसी के हाथ को देख कर वो एक दम से चौंक कर उठी। अपने सामने बैठे रुद्र देखकर हैरानी से उसकी आंखे बड़ी हो गई। वो डर के मारे चिल्लाने ही वाली थी कि तभी रुद्र ने वक्त रहते उसके मुंह पर हाथ रख दिया। मेहर अपनी बड़ी बड़ी नीली झील सी आंखों से रुद्र को देखे जा रही थी। रुद्र ने धीमी आवाज में उसके पास आकर कहा, "अपनी इन झील सी आँखो को जरा काबू मे रखो लिटल फेयरी" ।अगर मैं बेकाबू हो गया तो मुझे ब्लेम मत करना।" मेहर ने रुद्र की बात सुन कर अपनी आंखों को कस कर बंद कर लिया। उसकी इस हरकत पर रुद्र के चेहरे पर स्माइल आ गई। उसके नाक से अपनी नाक को टच करते हुए रुद्र ने उसके कान में कहा ," हाथ हटा रहा हूं , शोर मत करना "। "ओके"। मेहर ने आंख बंद किए हुए ही अपना सिर हिलाया। रुद्र ने धीरे से उसके मुंह से हाथ हटाया। और थोड़ा पीछे होकर बैठ गया। मानो अब वो मेहर के एक्सप्रेशन देखना चाहता हो। जैसे ही हाथ हटा मेहर गहरी गहरी सांस लेते हुए रुद्र को देखने लगी। इस वक्त इतनी रात को अपने कमरे में रुद्र के इस तरह करीब होने से डर के मारे उसका गला सुख चुका था। अपने सूखे गले को तर करते हुए मेहर थोड़ा हिम्मत कर के बोली , " आप इस वक्त यहां हमारे कमरे में क्या कर रहे है ? देखिए , खुदा ना करेे किसी ने आपको यहां देख लिया तो कयामत हो जाएगी "। मेहर की बातों को गौर से सुनते हुए रुद्र ने अपना सिर हिलाया मानो उसको पता था कि मेहर ऐसा ही कुछ बोलेगी। उसने अपने दोनो हाथो को अपने सीने से बांधते हुए हल्की सी स्माइल दी और बोला, " मन किया तो बस देखने आ गया, वैसे भी सुबह कोई नाजुक सी कली बेहोश हो कर मेरी बांहों में झूल रही थी । " वहीं मेहर ने हैरान होते हुए कहा, " सिर्फ इस लिए आप आधी रात को यहां चले आए ? "। किसी ने बताया नही आपको अव्वल दर्जे के अहमक हो आप " ये बोलते हुए उसके चेहरे पर गुस्सा झलकने लगा। " क्या ? कोन सा नमक ? खैर जो भी हो अब आ गए हैं तो कुछ खातिरदारी नही करेगी हमारी ? " रुद्र ने शरारती लहजे में जवाब दिया और आराम से बिस्तर पर लेट गया। उसको अपने बिस्तर पर देख कर मेहर बोली ," इस वक्त क्या खातिरदारी करे आपकी ? रुद्र उसके करीब आया और बोला ," अगर बता दिया तो मुकर मत जाना "। उसको पास देख कर मेहर जल्दबाजी में वहा से उठने लगी। रुद्र ने अचानक उसका हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया। रुद्र के सीने पर मेहर के नाजुक से हाथ थे और दोनो के चेहरे बिलकुल आमने सामने । उसकी रेशमी जुल्फों ने एक तरफ से रुद्र के चेहरे को ढक लिया। उस से आती हुई खुशबू , रुद्र को और भी मदहोश कर रही थी। रुद्र का दिल मानो सीने से बाहर आने को था। उसकी बढ़ती हुई धड़कनों को मेहर के नाजुक से हाथ भी महसूस कर सकते थे। तो वहीं रुद्र की करीबी से और उसकी आंखो मे झांकने से मेहर के रोंगटे खड़े हो रहें थे। रुद्र की नजर अपने सामने ठहरे गुलाब की दो पंखुड़ियों जैसे होठों पर आ टिकी।उसने अपने हाथ को आगे बढ़ाया और अंगूठे से मेहर के होंठों को छूते हुए बोला – "अपने हसीन होंठों को जरा परदे में रखा करो , हम गुस्ताख लोग है, नज़रों से चूम लिया करते है।" रुद्र के हाथ को अपने चेहरे पर महसूस कर मेहर जल्दी से पीछे हटी और खुद को ठीक करते हुए एक तरफ जा कर खड़ी हो गई। रुद्र अपनी लिटल फेयरी को अभी भी किसी दीवाने सा देखे जा रहा था। आज के लिए इतना ही। मिलते है नेक्स्ट चैप्टर में। प्लीज लाइक और कमेंट करना ना भूले। मेरी दूसरी नोवेल " किताबी ईश्क" एक बार जरूर पढ़े। उम्मीद है आपको पसंद आएगी। बाय
मेहर अब रुद्र के पास से उठ कर बेड के एक तरफ खड़ी हो गई। वहीं रुद्र उसको देखते हुए हल्का हल्का सा मुस्कुरा रहा था। खूबसूरती के साथ साथ उसको मेहर की ये हया ये सादगी अपनी तरफ और भी अट्रैक्ट करती थी। उसकी तरफ मुड़ते हुए अपने एक हाथ पर सिर रखते हुए रुद्र बोला , " एक बात पूछूं ? अगर इजाज़त हो तो ? " मेहर ने उसकी तरफ नजर उठाई और बोली ," जी, जरा जल्दी बोलें जो भी बोलना हैं ।" रुद्र ने थोड़ा अपना गला साफ किया और बोला , " पिक ले सकता हूं एक ? वो क्या है ना अगर बिना बताए चोरी से पिक ली तो शायद , कोई बुरा ना मान जाए।" "इसलिए पूछ रहा हूं। मे आई ?" इतना बोल कर वो अब बिस्तर से उठ गया। मेहर उसकी बात सुन कर घबराते हुए बोली , "माफ कीजिएगा। पर नेक घरों की लड़कियां अपने शौहर के सिवा और किसी से, किसी भी तरह का कोई ताल्लुकात नहीं रखती। " ये बोलते हुए उसकी नजरे झुकी हुई थी। " तो इसका मतलब अब एक पिक के लिए शोहर बनना पड़ेगा मुझे,। वैसे डील कुछ ज्यादा महंगी नहीं लगती ।" रुद्र ने अपनी आई ब्रो रेस करते हुए कहा। " ये कैसी उल जुलूल बातें कर रहें हैं आप, देखिए अभी इस वक्त जाएं यहां से । खुदा कसम अगर किसी ने देख लिया तो आपका पता नहीं, पर हमारा जीना हराम हो जायेगा "। ये बोलते वक्त मेहर के चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी। वो कभी दरवाजे की तरफ देखती तो कभी खिड़की की तरफ । उसकी इस परेशानी को समझते हुए रुद्र उठ कर उसके पास आया और बोला, " रुद्र सिंह राठौड़ के होते हुए अगर ऐसा हो गया तो, मेरा होना किस काम का "। ये बोलते हुए उसके एक्सप्रेशन काफी किलर थे। " ठीक है, डरो मत । जा रहा हूं लिटिल फेयरी। वैसे भी अब तो मिलते रहेंगे। " "यकीन मानो, तलबगार हो चुके हैं इन आंखों के । अब दूर रहना मुश्किल हैं। " इतना बोल कर रुद्र ने मेहर की तरफ स्माइल की। और दरवाजे की तरफ बढ़ गया। मेहर जो अपनी जगह पर किसी मूर्ति की तरह जमी खड़ी थी, अचानक भाग कर उसने रुद्र की बाजू पकड़ ली। रुद्र ने पीछे मुड़ कर देखा तो मेहर ने हड़बड़ाते हुए बोला, " यहां से नहीं , खिड़की से ।" रुद्र ने उसकी और देखा और खिड़की की तरफ चला गया। उसने वहां से छलांग लगाई। मेहर उसको देखने के लिए खिड़की की तरफ आई तो उसको रुद्र सामने खड़ा हाथ हिलाता हुआ दिखाई दिया मानो उसको बाय बोल रहा हो। उसको वहां से जाते हुए देख कर मेहर ने चैन की सांस ली। अब वो आ कर अपने बिस्तर पर बैठी और बेचारगी से खुद से बोली , " या अल्लाह , ये क्या हो रहा है हमारे साथ ? "। अगर अम्मी या अब्बू किसी को इस बारे में पता चल गया तो , वो तो हमारा निकाह कर के अगले दिन ही रुखसत कर देगे हमें "। ये सब सोचते हुए वो कब सो गई उसको पता ही नही लगा। अगले दिन ( राठौड़ मैंशन ) सुबह के करीब 8 बजने वाले थे । रुद्र अपने बिस्तर पर उल्टा लेटा हुआ था। वो शर्टलेस था इसलिए उसकी पीठ साफ दिखाई दे रही थी। तभी उसके कानो में आवाज आई। " भाई । भाई आप और कितना सोने वाले हो। उठो ना । मां आपको कब से बुला रही है?" रुद्र ने पलट कर देखा तो उसके सामने एक 17 साल की प्यारी सी लड़की खड़ी थी। रुद्र ने अपने चेहरे पर तकिया रखते हुए कहा, " छोटी जा यहां से , सोने दे मुझे ।" उस लड़की ने अपना क्यूट सा फेस बनाते हुए कहा, " और बाहर जो मां क्रांति में आई हुई है उसका क्या करूं ?" आप रात को घर से गायब थे , मां को ये बात पता लग चुकी हैंं ।और अब उन्होंने मुझे भेजा है आपको उठाने के लिए। उठो ना प्लीज़ "। ये रुद्र की छोटी बहन आईना थी। घर में सब से छोटी और सब की लाडली। रुद्र की जान बस्ती थी उस में । रुद्र ने अपनी आंख खोली और उसको देख कर बोला ,"हम्म थोड़ी देर में फ्रेश होकर आता हूं , चल जा अब यहां से।" छोटी ओके बोल कर वहा से चली गई। रुद्र उठा और फ्रेश होकर करीब 15 मिनट बाद अपनी टी शर्ट और लोअर में नीचे आया। नीचे आते ही उसने सामने अपनी मां को बैठे देखा। जो किसी से फोन पर बात कर रही थी। रुद्र ने आते ही टेबल से एप्पल उठाया और उसको खाते हुए सोफे पर आ बैठा।थोड़ी देर बाद फोन कट करके देवकी जी ने रुद्र की तरफ देखा और उठ कर चुप चाप उसके सामने आ कर खड़ी हो गई। " ये रात को चौकीदारी का काम भी शुरू कर दिया क्या नवाब साहब ने ?" देवकी जी ने गुस्से में रुद्र को टौंट मारते हुए कहा। "अगर बिजनेस पर ध्यान नहीं दोगे तो सच में यही नौबत आने वाली है, दिन तो दिन अब रात को भी लापता रहने लगे। पूछ सकती हूं इतनी रात को कोनसा अर्जेंट काम था ? देवकी जी लगातार गुस्से से बोले जा रही थी। वहीं रुद्र आराम से एप्पल खाए जा रहा था मानो उसको सुनाई ही नही दे रहा हो। देवकी जी अपने गुस्से को कंट्रोल करते हुए बोली " लगता है तुम ऐसे नही मानोगे। ठीक है , अभी अभी मेरी मालती से बात हुई है। उन्होंने अपनी बेटी अवनी के लिए एक लायक लड़का ढूंढने की जिम्मेदारी मुझे सौंपी है। " "तो मैं सोच रही हूं, उनको कल ही बुला कर इस लायक लड़के से मिलवा देती हूं।" रुद्र उनकी बात सुन कर खाता खाता बीच में ही रुक गया और हैरानी से उनको देखने लगा। " मां , अगर आपने दोबारा उस पाउडर की दुकान को यहां बुलाया तो , अब जो थोड़ा बहुत घर मे मेरे चरण पड़ते है ना , वो भी बंद हो जायेगे। " रुद्र ने फ्रस्ट्रेट होते हुए कहा "। देवकी जी उसके पास आई और उसका कान पकड़ कर बोली , " अगर वो पाउडर की दुकान लगती है तो कोई आसमां से परी उतर कर आएगी तुम्हारे लिए।" रुद्र ने अपनी मां का हाथ पकड़ कर साईड किया और बोला , " मां परी ही तो आई है आसमां से, वो भी तुम्हारे इस नवाब के लिए "। देवकी जी हैरानी से उसकी तरफ देखा और बोली , " परी और तुम्हारे लिए ? " " हे भगवान ! कभी चांद, कभी जन्नत , कभी परी। मुझे तो ये लड़का ठीक नहीं लग रहा । " देवकी जी कीचन में जाते हुए बड़बड़ाते हुए जा रही थी । आज के लिए इतना ही। मिलते है नेक्स्ट चैप्टर में। बाय