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Reborn to marry my devil husband

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Ishqi

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श्रीजा, जो गुंजल परिवार की छोटी बेटी थी। बड़ी बहन होने के बावजूद उसकी शादी पहले की जा रही थी, वो भी किसी ऐसे-वैसे घर में नहीं बल्कि अग्निरासा खानदान में! अग्निरासा खानदान के बड़े बेटे त्रिजाल अग्निरासा से! त्रिजाल के नाम में जैसे शिव का वास था, उसका...

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त्रिजाल अग्निराशा

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श्रीजा गुंजल

Heroine

Total Chapters (83)

Page 1 of 5

  • 1. Reborn to marry my devil husband - Chapter 1

    Words: 1120

    Estimated Reading Time: 7 min

    "क...क...कौन हो तुम लोग? मुझे यहां क्यों ले आए हो?" एक लड़की शादी के लाल जोड़े में थी। वह बेहद खूबसूरत लग रही थी। उसने भारी गहने पहने थे, लेकिन उसका छोटा सा चेहरा इस वक्त आँसुओं से भीगा हुआ था। बाल थोड़े अस्त-व्यस्त हो गए थे। वह डरते हुए पीछे हट रही थी! उसके सामने इस वक्त काले कपड़ों में चार से पाँच लोग खड़े थे! जिनके हाथों में खंजर थे। यह देख श्रीजा का डर से गला सूखता जा रहा था। उसने अपने डर को छिपाते हुए कहा, "कहीं तुम सब दक्ष, माया और बाकी तो नहीं हो? देखो, अगर मज़ाक कर रहे हो तो रुक जाओ। मुझे सच में बहुत डर लग रहा है।" अक्सर श्रीजा के दोस्त उसके साथ कोई न कोई प्रैंक करते रहते थे, इसलिए श्रीजा को लगा शायद ये भी उसके दोस्त हों! लेकिन आज ऐसा बिल्कुल नहीं था! वो काले कपड़े पहने आदमी श्रीजा की तरफ बढ़ते जा रहे थे और श्रीजा पीछे हटती जा रही थी। श्रीजा अचानक दीवार से टकरा गई और भारी लहंगे की वजह से खुद को संभाल नहीं पाई और नीचे गिर गई। लेकिन उन लोगों में से किसी ने अब तक एक शब्द भी नहीं कहा था। श्रीजा का अब डर से रोना छूट चुका था। वह गिड़गिड़ाते हुए बोली, "प्लीज, तुम जो कोई भी हो, मुझे छोड़ दो। आज...आज मेरी शादी है!" इतना सोचते ही उसे त्रिजाल की याद आई और एक बार फिर उसकी आँखों में डर दिखने लगा क्योंकि उसे त्रिजाल से भी काफी डर लगता था! अब तक वह उससे सिर्फ तीन बार मिली थी, और इन तीन मुलाकातों में त्रिजाल ने उसे शादी तोड़ने के लिए बहुत डराया-धमकाया था। लेकिन श्रीजा को अपनी फैमिली की इज़्ज़त बहुत प्यारी थी! गुंजल परिवार भी काफी जाना-माना परिवार है जिसमें यह रिवाज है कि अगर एक बार सगाई हो जाए तो वह टूटती नहीं और शादी हो जाए तो तलाक नहीं होता। श्रीजा ख्यालों में गुम थी कि अचानक उसे अपनी गर्दन पर खंजर महसूस हुआ। उसने आँखें बड़ी करके उस आदमी को देखा, लेकिन मास्क की वजह से सिर्फ उस आदमी की आँखें दिख रही थीं। और अगले ही पल उस अंधेरे कमरे में श्रीजा की चीख गूंज उठी और थोड़ी देर बाद सब शांत हो गया। वहीं दूसरी तरफ, एक आलीशान घर, जिस पर "अग्निरासा कुंज" लिखा था, लाइटिंग से जगमगा रहा था। घर तीन फ्लोर का था, बीचों-बीच बहुत बड़ा हॉल जिसमें फिलहाल चहल-पहल मची हुई थी। आज अग्निरासा खानदान के बड़े बेटे त्रिजाल अग्निरासा की शादी होने जा रही थी, और वह भी गुंजल परिवार की छोटी बेटी श्रीजा गुंजल से! त्रिजाल के नाम में जैसे रुद्र बसे हैं, वैसे ही उसके नेचर में भी शिव वास करते हैं। यह एक खानदानी परिवार है जो आज भी धर्म, नक्षत्र, गोत्र, कुंडली सब मिलाकर शादी करते हैं। इसीलिए आज इनके खानदानी पंडित के कहे अनुसार गुंजल परिवार की छोटी बेटी से त्रिजाल की शादी होने जा रही थी। होने को गुंजल परिवार में श्रीजा की बड़ी बहन धरा गुंजल भी है, लेकिन पंडित ने कहा कि बच्चों की कुंडलियाँ नहीं मिल रही हैं। त्रिजाल की कुंडली में दोष है जिसका निवारण सिर्फ श्रीजा ही ठीक कर सकती है। पंडित ने बताया, यह जोड़ी खुद शिव ने बनाई है, कोई चाहकर भी इन्हें अलग नहीं कर सकता! शादी की सारी तैयारियाँ हो चुकी थीं। "धनुष जी, हमें अब बारात लेकर चलना चाहिए। काफी समय हो गया है और अब लगभग सारी तैयारियाँ हो चुकी हैं। बस त्रिजाल को बुलवा लेते हैं।" (ये हैं माहेश्वरी अग्निरासा, त्रिजाल की माँ। इनकी उम्र लगभग 48 साल है। इन्होंने इस वक्त खानदानी ज्वैलरी पहनी हुई थी, बनारसी लाल साड़ी जिसमें वो इस महल जैसे घर में रहने वाली रानी लग रही थीं।) (धनुष अग्निरासा, त्रिजाल के पिता हैं। ये 'द रॉयल वन' अग्निरासा कंपनी के चेयरमैन हैं। इनकी उम्र लगभग 52 साल है। दाढ़ी हल्की सफ़ेद हो चुकी है, मूँछों में हमेशा ताव रहता है, हाथों में रॉयल वॉच और गले में सोने की चैन! कुल मिलाकर राजा-महाराजाओं वाले शौक हैं इनके।) "अरे बेटा, अभी जाओ त्रिजाल को बुलाकर लाओ। बारात का समय होने वाला है।" ये माहेश्वरी जी ने अपने छोटे बेटे अभिमन्यु से कहा था। (अभिमन्यु अग्निरासा, उम्र 26 साल, गोरा रंग, काली आँखें, 5.8 इंच हाइट, ब्राउन शाइनी हेयर, मस्कुलर, सिक्स पैक ऐब्स वाली बॉडी! जहाँ जाए बस लड़कियों की आँखों का तारा बन जाता है। सबसे कातिलाना हैं उसके चेहरे पर पड़ते डिम्पल और उसकी बॉक्सी स्माइल।) अभि गर्दन हां में हिलाते हुए कहता है, "हाँ माँ, अभी बुलाकर लाता हूँ।" इतना बोलकर अभी लगभग भागते हुए सीढ़ियों से त्रिजाल के रूम में जाता है और बोलता है, "भाई, आप रेडी हो? सब नीचे आपका वेट कर रहे हैं।" अभी ने जैसे ही कहा, पूरे रूम में एक गहरी आवाज़ सुनाई दी, "उन्हें बोलो, बस आ रहा हूँ..." इतना बोलकर त्रिजाल ने घूमकर अभी को देखा। (त्रिजाल अग्निरासा, उम्र 28 साल, शार्प जॉलाइन, काले सिल्की बाल जिनसे जेल से सेट किया गया था, 6 फ़ुट हाइट, गोरा रंग, भूरी तीखी आँखें, और हल्की बियर्ड, मस्कुलर एट पैक ऐब्स वाली बॉडी जो जिम में खूब पसीना बहाकर बनाई गई थी! चेहरे पर एक अलग तेज़ झलक रहा था।) उसकी आवाज़ सुनते ही अभी ने हाँ में सर हिलाया और तुरंत ही रूम से बाहर चला गया। त्रिजाल ने खुद को मिरर में देखते हुए अपनी एक्सपेंसिव वॉच पहनी। आज त्रिजाल ने महरून शेरवानी पहनी थी जो उसे एक रॉयल इंडियन लुक दे रही थी और उसके गोरे रंग पर बेहद जच रही थी! त्रिजाल ने खुद को एक बार और मिरर में देखा और तेज कदमों से रूम से बाहर आ गया। वहीं दूसरे रूम से एक लगभग 19 साल की लड़की निकली जिसने इस वक्त ब्राउन कलर का फुल फ्लेयर्ड गाउन पहना था। बालों की खूबसूरत चोटी बनाई थी जो उसके एक कंधे पर थी, कुछ लटें उसके चेहरे पर थीं। उसके चेहरे पर अलग खुशी झलक रही थी। (ये हैं अग्निरासा खानदान की इकलौती लाड़ो, गौरी अग्निरासा! नेचर से बहुत चुलबुली हैं और खूबसूरती की जितनी तारीफ़ करे उतनी कम... गोल-गोल काली आँखें, लम्बे काले बाल, छोटी सी नाक और होंठों के ऊपर एक छोटा सा तिल जो उसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा रहा था।) अग्निरासा परिवार के सभी लोग पाँच ब्लैक मर्सडीज़ में बैठकर गुंजल विला के लिए निकल गए। और उनके पीछे कुछ बॉडीगार्ड और कुछ सेवक जिनके साथ सगुण था! सड़क पर इतनी गाड़ियों की बारात देखकर सब बस तारीफ़ पर तारीफ़ किए जा रहे थे। अगर किसी की बारात जाए तो बिलकुल ऐसे! क्या होगा जब अग्निरासा परिवार को पता चलेगा श्रीजा की मौत के बारे में? क्या बीतेगा गुंजल परिवार पर जब उन्हें पता चलेगा उनकी छोटी बेटी अब इस दुनिया में नहीं रही? आखिर किसने मारा है श्रीजा को? जानने के लिए पढ़ते रहिए।

  • 2. Reborn to marry my devil husband - Chapter 2

    Words: 1377

    Estimated Reading Time: 9 min

    सुजाता ने अपनी पत्नी से कहा, "सुजाता बारात दरवाजे पर है, और तुम बोल रही हो श्रीजा नहीं मिल रही।" उनके चेहरे पर टेंशन साफ़ दिखाई दे रही थी।

    एंट्रेंस पर धरा और श्रेया (श्रीजा की छोटी बहन) उनके स्वागत के लिए खड़ी थीं। उन्होंने रिबन कटवाया और त्रिजाल को अंदर आने दिया। त्रिजाल, अभिमन्यु, माहेश्वरी जी, गौरी और धनुष जी सब एक-एक कर गुंजल विला में एंटर करते हैं। सुजाता जी और श्रीधर जी मान-सम्मान के साथ उन्हें बैठने के लिए बोलते हैं।

    श्रेया और धरा फिर से श्रीजा को ढूँढ़ने लग जाती हैं। मौलिक (श्रीजा का बड़ा भाई जो धरा से छोटा है) पहले से ही श्रीजा को ढूँढ़ने में लगा था। तभी हॉल में सबको श्रेया के चीखने की आवाज़ सुनाई देती है। सब भाग कर उसके पास जाते हैं।

    श्रीजा के इतने टुकड़े किये गए थे कि उसकी लाश देखकर उन सब की रूह काँप उठी थी। लेकिन त्रिजाल उसे बिना किसी इमोशन के देख रहा था। गुंजल परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। शादी कैंसिल हो चुकी थी, इसलिए अग्निरासा खानदान की बारात वापस जाने लगती है, लेकिन उनके दिल में भी बस श्रीजा की मौत बस चुकी थी।


    श्रीजा घबराकर अपनी आँखें खोलती है। उसकी पूरी बॉडी पसीने से लथपथ थी। वह इस वक़्त मिरर के सामने चेयर पर बैठी थी। वह खुद को मिरर में देखती है; इस वक़्त वह शादी करने के लिए बिल्कुल रेडी थी। वह जल्दी-जल्दी खुद को हाथ लगाकर चेक करती है, कहीं खंजर तो नहीं लगा उसे, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं था। श्रीजा की हेज़ल पर्पल आँखों में डर साफ़ दिखाई दे रहा था; उसके माथे पर बार-बार पसीना आ रहा था।

    की तभी रूम में श्रेया आती है।
    "दी, बारात आने वाली है। आपको पता है मैंने जीजू से रिबन कटवाने के लिए 50 हज़ार माँगने की सोची है, और उन पैसों से मैं और धरा दी तो शॉपिंग पर जाएँगे।"

    श्रेया बहुत खुश थी। उसके चेहरे से स्माइल जाने का नाम नहीं ले रही थी। वहीं श्रीजा इस वक़्त सदमे में थी। उसे समझ नहीं आ रहा था उसके साथ क्या हो रहा था। क्या उसने इतना भयानक सपना देखा था? पर ये कैसे पॉसिबल है? श्रीजा सोच ही रही थी कि उसे उसकी बुआ जी का कॉल आता है, तो श्रीजा चौंक जाती है क्योंकि बुआ जी के फ़ोन आने के बाद उन्होंने उसे बैकयार्ड में आने को कहा था जहाँ वो काले कपड़े वाले आदमी उसका इंतज़ार कर रहे थे।

    उसने काँपते हाथों से फ़ोन पिक अप किया, तो सामने से बुआ जी की आवाज़ आई।
    "बेटा, बैकयार्ड में आना, कोई काम है, बहुत ज़रूरी!"

    ये सुनकर श्रीजा अंदर तक हिल चुकी थी क्योंकि थोड़ी देर पहले बिल्कुल वैसा ही हुआ था उसके साथ! उसने डरते हुए कहा,
    "जी, बुआ जी।"

    लेकिन अब उसकी हिम्मत नहीं थी बाहर जाने की। वह कुछ देर ऐसे ही बैठी रहती है। की एक बार फिर से फ़ोन रिंग हुआ। श्रीजा ने पूरी हिम्मत जुटाकर फ़ोन पिक अप किया। तो फिर से बुआ जी की आवाज़ आई।
    "बेटा, तुम आ रही हो क्या!"

    तो श्रीजा ने कहा,
    "न...न...नहीं बुआ जी, एक्चुअली लहंगे में कोई डिफ़ॉल्ट है, उसे सही करना है और अब बारात भी बस पहुँचने वाली है, हम बाद में बात करेंगे!"

    श्रीजा ने एक साँस में सब बोला और बुआ जी की आवाज़ सुने बिना कॉल कट कर दिया। श्रीजा के फ़ोन रखते ही उसकी बुआ जी कृपा ने किसी को कॉल किया।
    "वो नहीं आ रही है!"

    इतना बोलकर कृपा ने फ़ोन कट किया और बैकयार्ड से अंदर की तरफ़ आ गई। थोड़ी देर बाद पूरे गाजे-बाजे के साथ अग्निरासा परिवार बाहर बारात लेकर खड़ा था। श्रीजा का भाई मौलिक त्रिजाल को घोड़ी पर से उतरने में मदद करता है। अब रिबन कट करने की रस्म होनी थी। श्रेया और धरा हाथों में फ़ूलों की थाल लिए खड़ी थीं। त्रिजाल चौखट पर आकर खड़ा हो गया। उसकी आँखें इस वक़्त भी सख्त थीं।

    श्रेया ने चहकते हुए कहा,
    "जीजू, इन दोनों थालों में से एक में कैंची है। अगर आपने सही थाली चुन ली तो नेग आप जो देंगे वो हमें लेना पड़ेगा और अगर आपने गलत थाली चुन ली तो हम जो माँगें वो आपको देना होगा।"

    ये सुनकर त्रिजाल ने कुछ रिएक्ट नहीं किया, वहीं अभि ने इरिटेटिंग आवाज़ में कहा,
    "यार ये सब करना है क्या? हमें जल्दी से होने वाली भाभी से मिलना है!"

    तो श्रेया ने आँखें छोटी करते हुए कहा,
    "हाँ, ये सब होगा!"

    त्रिजाल ने अपना एक हाथ बढ़ाया और धरा की थाल में कैंची ढूँढ़ने लगा। और जैसा कि उसे उम्मीद थी, कैंची उसी की थाल में थी, जिस पर श्रेया का मुँह बन गया और बाकी सब श्रेया की हालत पर मुँह दबाकर हँसने लगे। लेकिन जल्दी ही सबकी हँसी ग़ायब हो गई क्योंकि त्रिजाल ने कहा,
    "क्या माँगना है आप दोनों को?"

    और बस इतना सुनना था, श्रेया ने तपाक से बोला,
    "बस 50 हज़ार।"

    त्रिजाल ने पीछे इशारा किया और त्रिजाल का PA (अनिरुद्ध सिवाग) चेक बुक लेकर आ गया। त्रिजाल ने उस पर कुछ लिखा और उसे श्रेया की थाल में रख दिया। श्रेया ने जब चेक को देखा तो उसकी आँखें बड़ी हो गईं और चेहरे पर बड़ी वाली स्माइल आ गई क्योंकि चेक पूरे एक करोड़ का था।

    धीरे-धीरे स्वागत की सारी रस्म हुई और बारात को अंदर बिठाया गया, उन्हें खाना खिलाया गया। और फिर बारी आई फेरों की। जब से बारात आई थी, तब से श्रीजा की धड़कनें फ़ुल स्पीड से दौड़ रही थीं। सब कुछ आउट ऑफ़ कंट्रोल हो गया था। उसे ना ये समझ आ रहा था आखिर कौन उसकी जान लेना चाहता है और कौन उससे इस हद तक नफ़रत करता है। उसने तो आज तक गलत इरादे से किसी को नुकसान नहीं पहुँचाया। ऊपर से आज उसकी शादी भी ऐसे इंसान से हो रही थी जिससे वह बेहद डरती थी, जो उससे उम्र में 10 साल बड़ा था।

    धरा श्रीजा के रूम में आती है और प्यार से उसके सर पर हाथ रखकर बोलती है,
    "प्रिंसेस, बाहर तुम्हारा वेट हो रहा है। चलो अब अपना चेहरा थोड़ा ठीक करो, जिस पर 12 बज चुके हैं।"

    इतना बोलकर धरा श्रीजा का थोड़ा टच अप करती है और उसे उसके चेहरे को दोनों हाथों में थामकर बोलती है, "बहुत प्यारी लग रही हो प्रिंसेस!"

    श्रीजा ने बेचैनी से कहा,
    "दी, मुझे बहुत डर लग रहा है। आपने सुना है ना त्रिजाल अग्निरासा के बारे में? कितने खतरनाक हैं वो, बिल्कुल राक्षस की तरह।"

    धरा ने हँसते हुए कहा,
    "पागल लोगों का तो काम है अफ़वाह उड़ाना। वो वैसे नहीं हैं जैसे तुम समझती हो! थोड़े सख्त मिजाज के हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि तुम उन्हें राक्षस कहो!"

    इतना बोलकर धरा अपनी आँख से काजल निकालकर श्रीजा के कान के पीछे लगाती है, फिर प्यार से उसके फोरहेड पर किस करती है। थोड़ी देर बाद श्रीजा ने हल्का घूँघट निकाल लिया था, जिससे सिर्फ़ उसके गुलाबी हार्ट शेप होंठ दिख रहे थे। एक तरफ़ से श्रेया और एक तरफ़ से धरा उसके साथ सीढ़ियों से होते हुए उसे नीचे मंडप में ला रही थीं, वहीं सब दिल थामे बस एकटक उन्हें निहारे जा रहे थे। क्योंकि वो तीनों ही किसी महल की राजकुमारी लग रही थीं और सबसे प्यारी श्रीजा लग रही थीं।

    मंडप में आने के बाद श्रीजा के हाथों में पसीना आने लगा था। उसे त्रिजाल के पास बैठने तक से डर लग रहा था। पंडित अपने मंत्र शुरू करता है और देखते ही देखते वो दोनों शादी के बंधन में बंध जाते हैं। अब जाकर श्रीजा की साँस में साँस आई थी, वरना पंडित जी बार-बार उसका छोटा सा हाथ त्रिजाल के बड़े से हाथ में रख रहे थे, जिसके साथ ही उसकी हार्ट बीट स्किप हो रही थी। शादी होने के बाद वो दोनों सब बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं। कुछ ही देर में श्रीधर जी और सुजाता जी रोते हुए अपनी जान से प्यारी गुड़िया को त्रिजाल के साथ विदा कर देते हैं।

  • 3. Reborn to marry my devil husband - Chapter 3

    Words: 1105

    Estimated Reading Time: 7 min

    थोड़ी देर बाद, अग्निरासा कुंज के सामने चार-पाँच मर्सडीज आकर रुकीं। उनमें से एक-एक कर सभी परिवार के सदस्य उतरने लगे।

    माहेश्वरी जी के कहने पर, कुछ सेविकाओं ने पहले ही श्रीजा और त्रिजाल का गृहप्रवेश कराने के लिए सारे इंतज़ाम कर लिए थे।

    त्रिजाल और श्रीजा भी कार से उतरकर बाहर आए और दरवाज़े पर आकर खड़े हो गए।

    माहेश्वरी जी ने दोनों की आरती उतारी और फिर श्रीजा से बाकी रस्में करवाईं।

    थोड़ी देर बाद, माहेश्वरी जी ने गौरी को देखकर कहा,
    "बेटा, जाओ अपनी भाभी को उनके कमरे में छोड़ आओ!"

    गौरी मुसकुराते हुए श्रीजा को त्रिजाल के कमरे में ले जाने लगी।

    त्रिजाल भी अपने दोस्तों से मुक्त होकर अपने कमरे की ओर बढ़ा ही था कि माहेश्वरी जी ने उसे रोकते हुए कहा,
    "बेटा, हमें तुमसे कुछ बात करनी है!"

    त्रिजाल ने सिर हिलाया और दोनों माहेश्वरी जी के कमरे की ओर बढ़ गए।

    कमरे में जाकर, माहेश्वरी जी ने त्रिजाल से कहा,
    "बेटा, वो अभि सिर्फ़ अट्ठारह साल की है। बिल्कुल छोटे बच्चों की तरह उसका ख्याल रखने की ज़रूरत है, जिसकी उम्मीद मैं तुमसे बिल्कुल नहीं कर रही हूँ। लेकिन तुम उससे थोड़ा नरमी से पेश आओगे!"

    त्रिजाल ने कहा,
    "ये बात मैंने आपसे शादी से पहले कितनी बार कही थी कि वो अभी बच्ची है! लेकिन तब तो आप सब ने अनसुना कर दिया और अब आप मुझसे उम्मीद कर रही हैं कि मैं उसे समझूँ!"

    तो माहेश्वरी जी ने तेज आवाज़ में कहा,
    "त्रिजाल, मैं समझा नहीं रही हूँ अब तुम्हें, बल्कि तुम्हें ये करना ही होगा। ये अपनी माँ का आदेश मान सकते हो तुम!"
    "अब जाओ, आराम करो!"

    त्रिजाल पैर पटकते हुए उनके कमरे से बाहर आ गया और अपने कमरे में चला गया।

    वह कमरे में गया तो उसकी आँखें छोटी हो गईं। उसने देखा श्रीजा ने जो घूँघट फेरों के समय निकाला था, अभी भी उतना ही लंबा घूँघट निकाला हुआ था और वहाँ रखी बुकशेल्फ़ की पुस्तक संग्रह देख रही थी।

    "ये क्या कर रही हो तुम!"

    त्रिजाल की तेज आवाज़ सुनकर श्रीजा के हाथ से पुस्तक नीचे गिर गई और उसने चौंकते हुए पलटकर देखा।

    "मैं... मैं वो..."

    "हाँ, तुम वो?"

    त्रिजाल ने आँखें छोटी करके कहा।

    श्रीजा अपने हाथों को आपस में उलझाए इधर-उधर देख रही थी।

    त्रिजाल ने कहा,
    "घूँघट निकालकर कौन किताब पढ़ने लगी? तुम ये हटाकर भी देख सकती थीं।"

    तो श्रीजा ने सकपकाते हुए कहा,
    "वो... ये... ये शादी की रस्म होती है...!" "कि इस दुल्हन का घूँघट खुद दूल्हा ही उठा सकता है... इसलिए मैं घूँघट में ही..."

    त्रिजाल ने एक हाथ से अपना माथा रगड़ते हुए कहा,
    "ये रस्म... वो रस्म! पता नहीं कितनी रस्म?"

    इतना बोलकर त्रिजाल श्रीजा की ओर बढ़ गया जिससे उसकी हृदय गति इतनी तेज हो गई मानो अभी उसका दिल सीने से बाहर आ जाएगा।

    त्रिजाल ने उसके पास जाकर उसका घूँघट उठाया।

    श्रीजा ने बड़ी-सी नथ पहनी थी जिसने उसके लगभग आधे गाल और होंठ को ढँक रखा था। उसकी पलकें झुकी हुई थीं और माथे पर बड़ा सा माँग टीका, जिसने आधा माथा ढँक रखा था। उसके गुलाबी होंठ चिंता के कारण काँप रहे थे।

    त्रिजाल ने कुछ देर उसके मासूम चेहरे को देखा और फिर हाथ बढ़ाकर उसके नाक से नथ निकाल दी और कहा,
    "जितना संभाला जाए उतना ही पहनना चाहिए। चेहरे से बड़ा तो गहना पहन रखा है!"

    ये सुनकर श्रीजा ने पलकें उठाकर भ्रम में त्रिजाल को देखा। त्रिजाल ने उसकी बैंगनी आँखों में कुछ देर देखा तो श्रीजा ने फिर से अपनी पलकें झुका लीं।

    त्रिजाल ने गहरी साँस छोड़कर कहा,
    "अब जाओ बाथरूम में फ़्रेश हो जाओ। ये लहंगा और ज्वैलरी कितनी भारी लग रही है! क्या ज़रूरत है इतना भारी पहनने की!"

    श्रीजा लगभग भागते हुए बाथरूम में घुस गई।

    ये देखकर त्रिजाल की आँखें छोटी हो गईं।

    श्रीजा लगभग आधे घंटे से बाथरूम में थी। त्रिजाल ने बाहर से आवाज़ देकर कहा,
    "क्या बाथरूम में बसना है? मुझे भी फ़्रेश होना है। यहाँ अलग से बाथरूम नहीं है!"

    त्रिजाल श्रीजा से चिढ़ चुका था।

    श्रीजा ने दरवाज़ा खोला और बिल्ली जैसी आँखों को और ज़्यादा बड़ा करते हुए कहा,
    "वो मैंने आपका बाथरोब पहन लिया है। तो क्या आप थोड़ी देर अपनी आँखें बंद करेंगे? मैं बाहर आकर जल्दी से कपड़े पहन लूँगी। ज़्यादा टाइम नहीं लगाऊँगी, पक्का!"

    ये सुनकर त्रिजाल ने दरवाज़े की ओर कदम बढ़ाते हुए कहा,
    "Just 10 मिनट!!!"

    इतना बोलकर वह कमरे से निकल गया तो वहीं श्रीजा ने चैन की साँस ली और जल्दी से बाहर आ गई। उसने वॉर्डरोब खोला तो उसमें उसकी ज़रूरत का सारा सामान मौजूद था।

    श्रीजा ने एक पिंक कलर का लहंगा-चुनरी निकाला और उसे जल्दी से पहन लिया। फिर एक तरफ़ कमर में दुपट्टा टिका और गीले बालों में बीच की माँग निकालकर सिंदूर लगा लिया और कमरे के दरवाज़े की ओर बढ़ गई।

    उसने दरवाज़ा खोला तो उसे त्रिजाल कहीं नहीं दिखा। अब तक बहुत रात हो चुकी थी, इसलिए सब घर वाले सो चुके थे।

    श्रीजा धीमे कदमों से कमरे से बाहर निकली तो उसकी पायल शोर करने लगी। श्रीजा ने झुककर जल्दी से अपनी पायल निकाली और अपने हाथों में ले ली, फिर त्रिजाल को ढूँढ़ने लगी।

    चलते-चलते वह एक कमरे के पास पहुँची जहाँ से त्रिजाल की हलकी आवाज़ आ रही थी। श्रीजा ने आगे बढ़कर देखा तो त्रिजाल की पीठ उसे दिखाई दी। उसके सामने एक लड़की खड़ी थी, जिसने एक सलवार सूट पहना था और वह बहुत खूबसूरत भी लग रही थी।

    श्रीजा ने थोड़ा गौर से उस लड़की को देखा। उसकी आँखों में पानी था। उसने त्रिजाल की बाहों को पकड़ते हुए कहा,
    "तुमने तो कहा था तुम ये शादी नहीं होने दोगे। अब मेरा क्या होगा? तुम्हारी कुंडली में दोष है, इसमें हमारे प्यार का तो कोई कसूर नहीं है ना! और तुमने खुशी-खुशी दूसरी लड़की से शादी कर ली!" इतना बोल वो लड़की त्रिजाल के गले लगकर रोने लगी। त्रिजाल के दोनों हाथ उसकी पैंट की जेब में थे।

    उसने शांत आवाज़ में कहा,
    "मैं अपनी फैमिली के ख़िलाफ़ नहीं जा सकता, काम्या। तुम्हें समझना होगा।"

    दरवाज़े पर खड़ी श्रीजा का हाथ अपने मुँह पर था और वह दौड़कर वहाँ से अपने कमरे में आ गई और बिस्तर पर बैठते हुए फूट-फूट कर रोने लगी। उसे नहीं पता था शादी की पहली रात को ही उसे इतना बड़ा धोखा मिलेगा!

  • 4. Reborn to marry my devil husband - Chapter 4

    Words: 1057

    Estimated Reading Time: 7 min

    थोड़ी देर बाद त्रिजाल अपने कमरे में वापस आया। उसने इधर-उधर देखा और श्रीजा को ढूँढ़ने लगा, परन्तु वह कमरे में नहीं दिखी। तभी उसे पायल की आवाज़ सुनाई दी।

    त्रिजाल ने उस आवाज़ का पीछा किया। उसे झूले से लटकता हुआ श्रीजा का हाथ दिखाई दिया, जिसमें उसने पायल पकड़ रखी थीं। त्रिजाल आगे बढ़ा तो श्रीजा पूरी तरह से दिखाई देने लगी। वह झूले पर बैठे-बैठे सो गई थी। त्रिजाल ने मन ही मन कहा,

    "अब पायल हाथ में कौन रखता है? ये पैरों में पहनने के लिए होती हैं। पता नहीं ये लड़की अब क्या-क्या और अजीबोगरीब चीज़ें दिखाएगी।"

    ऐसा कहते हुए त्रिजाल को थोड़ी देर पहले की घटना याद आ रही थी, जब श्रीजा घूँघट डालकर किताब हाथ में लिए खड़ी थी। त्रिजाल के चेहरे पर अनजाने में ही एक मुस्कान आ गई।

    त्रिजाल श्रीजा के पास जाकर उसके हाथों से पायल ले लिया और झूले के पास नीचे बैठते हुए उसके पैरों को अपने हाथ में पकड़ा। श्रीजा का पैर इतना छोटा था कि वह त्रिजाल के हाथ में ही समा गया था। त्रिजाल ने यह देखकर सिर हिलाया और एक पायल लेकर उसके पैर में पहना दी। वह पायल उसके गोरे, मखमली पैरों पर बेहद खूबसूरत लग रही थी। त्रिजाल ने दूसरे पैर में भी पायल पहनाई और फिर श्रीजा को गोद में उठा लिया।

    त्रिजाल को यह देखकर हैरानी हुई कि श्रीजा का वज़न कुछ ज़्यादा ही कम था। वह बिलकुल फोम की गुड़िया लग रही थी। त्रिजाल के हट्टे-कट्टे शरीर के सामने वह उसके हाथों में छोटी सी गुड़िया लग रही थी। त्रिजाल ने उसे बिस्तर पर सुलाया तो उसकी नज़र श्रीजा के चेहरे पर गई, जिस पर उदासी छाया हुआ था। आँसुओं के निशान उसके गालों पर छपे हुए थे।

    त्रिजाल ने आँखें छोटी करते हुए कहा,

    "ये रोई भी थी।"

    फिर खुद ही अपने सवाल का जवाब देते हुए कहा,

    "शायद घरवालों की याद आ रही होगी...है भी तो बच्ची जैसी!!"

    त्रिजाल ने उसे बिस्तर पर सुलाकर खुद फ्रेश होने चला गया। थोड़ी देर बाद त्रिजाल काले पैंट और सफ़ेद टी-शर्ट पहनकर बाथरूम से बाहर आया। उसके चेहरे पर गर्म पानी से नहाने से एक अलग ही चमक थी। हल्का लाल चेहरा बहुत आकर्षक लग रहा था!

    त्रिजाल ने तौलिया बाजू में रखते हुए एक बार खुद को आईने में देखा और फिर लाइट ऑफ करते हुए श्रीजा के बगल में लेट गया। लेकिन उसे अकेला सोने की आदत थी, इसलिए उसे श्रीजा की मौजूदगी थोड़ी खल रही थी।

    त्रिजाल ने करवट लेते हुए श्रीजा की तरफ़ अपना मुँह किया। खिड़की से आती चाँद की मंद रोशनी में श्रीजा का हल्का-हल्का चेहरा दिखाई दे रहा था। श्रीजा ने भी कसमसाते हुए करवट ली और उसका चेहरा त्रिजाल के सामने आ गया। तभी नींद में श्रीजा बड़बड़ाने लगी,

    "न...नहीं...क...कौन हो तुम सब...नहीं...प्लीज़...नहीं!!!!!"

    बोलते हुए वह चिल्लाकर बिस्तर पर बैठ गई। वहीं त्रिजाल भी थोड़ा घबराते हुए बोला,

    "Are you okay!"

    इतना बोलकर वह भी बिस्तर पर बैठते हुए श्रीजा की पीठ सहलाने लगा। फिर बाजू में रखे जग से एक गिलास पानी भरकर श्रीजा की तरफ़ बढ़ा दिया। श्रीजा ने एक साँस में सारा पानी पी गया।

    "उसे वह भयानक मंज़र सपने में दिखाई दे रहा था, जिसमें काले कपड़े पहने आदमी उस पर खंजर से वार कर रहे थे!"

    श्रीजा के पूरे चेहरे पर डर के मारे पसीना आ गया था। उसने जब त्रिजाल को अपने करीब पाया तो झट से उसके गले लग गई और सिसकते हुए बोली,

    "मुझे बचा लीजिए प्लीज़...वो आदमी...वो...वो मुझे मारना चाहते हैं प्लीज़!!!"

    त्रिजाल ने उसकी पीठ सहलाते हुए कहा,

    "मैं हूँ ना यहाँ। कोई नहीं मारेगा तुम्हें।"

    इतना बोलते हुए त्रिजाल ने लाइट ऑन कर दी और श्रीजा के चेहरे को देखा जो रोने की वजह से पूरी तरह से लाल हो चुका था। त्रिजाल ने उसके छोटे से चेहरे को अपने हाथों में भरते हुए कहा,

    "देखो हमारे अलावा यहाँ कोई नहीं है बच्चा! एक बार आँखें खोलकर देखो मेरी तरफ़!"

    श्रीजा ने सिर हिलाते हुए फिर से त्रिजाल को गले लगा लिया। त्रिजाल को श्रीजा की हार्ट बीट साफ़-साफ़ सुनाई दे रही थी, जिससे अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि वह किस हद तक डरी हुई है। त्रिजाल ने फिर से उसे शांत करने की कोशिश करते हुए कहा,

    "बस एक बार आँखें खोलो...I promise तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगा मैं!"

    यह सुनकर श्रीजा ने धीरे से अपनी बैंगनी आँखें खोली और त्रिजाल की आँखों में देखने लगी। त्रिजाल ने कहा,

    "कौन मारना चाहता है तुम्हें...?"

    यह सुनकर श्रीजा लगभग होश में आते हुए बोली,

    "वो...वो...कोई नहीं...बुरा सपना था।"

    श्रीजा ने जब देखा कि उसने त्रिजाल को कैसे पकड़ रखा है तो वह थोड़ा अटपटा महसूस करने लगी और उससे अलग होते हुए बोली,

    "I...I am...am sorry...वो पता नहीं कैसे मैं ये..."

    त्रिजाल ने श्रीजा को कंधे से पकड़ते हुए कहा,

    "It's all right...अब सो जाओ!!!"

    यह सुनकर श्रीजा ने देखा कि वह बिस्तर पर थी, वह भी त्रिजाल के साथ। वह तो बालकनी में सोई थी। त्रिजाल ने जब उसे कन्फ़्यूज़ देखा तो कहा,

    "बाहर ठंड हो जाती है इस वक़्त, इसलिए मैं तुम्हें अंदर ले आया। अब तुम आराम से सो जाओ।"

    श्रीजा ने सिर हिलाया और दूसरी तरफ़ चेहरा करके लेट गई। वहीं त्रिजाल के मन में अब बस श्रीजा का वह डरना चल रहा था। वह एकटक श्रीजा की पीठ देख रहा था और खुद से सवाल कर रहा था,

    "क्या कुछ हुआ है इसके पास्ट में!..."

    दोनों ही अलग-अलग उलझन में थे। श्रीजा को बहुत अजीब फीलिंग आ रही थी त्रिजाल को गले लगाने के बाद। वहीं त्रिजाल भी अभी तक श्रीजा के कोमल स्पर्श को अपने शरीर पर महसूस कर रहा था। पता नहीं किस पहर दोनों की आँखें लग गईं।

    अगली सुबह...

    त्रिजाल की आँखें किसी के चिल्लाने से खुलीं। आखिर कौन चिल्ला रहा है? क्या त्रिजाल कभी पता लगा पाएगा श्रीजा का पास्ट? क्या काम्या और त्रिजाल का प्यार श्रीजा के लिए बन जाएगा श्राप? जानने के लिए पढ़ते रहिए "REBORN TO LOVE MY DEVIL HUSBAND"

  • 5. Reborn to marry my devil husband - Chapter 5

    Words: 1215

    Estimated Reading Time: 8 min

    अगली सुबह,

    त्रिजाल किसी के चिल्लाने की आवाज़ से चौंक कर उठा। वह जल्दी से उठते हुए इधर-उधर देखते हुए बोला,
    "क्या हुआ?"

    तभी उसकी नज़र श्रीजा पर पड़ी जो बेड के नीचे गिरी हुई थी और बिल्ली जैसी आँखों से अब डरते हुए त्रिजाल को देख रही थी।

    त्रिजाल ने दाँत पीसते हुए कहा,
    "What is this!!!"

    तो श्रीजा ने कहा,
    "It's morning... I... i mean good morning।"

    त्रिजाल ने चिढ़ते हुए कहा,
    "क्या ऐसी होती है good morning!! Idiot!"

    इतना बोलकर त्रिजाल बेड से उठकर वाशरूम की तरफ़ बढ़ गया और श्रीजा भी उसे कोसते हुए खड़ी हो गई।

    "पागल इंसान! इतना भी नहीं पता कि कोई गिरता है तो उसे उठाना चाहिए, हेल्प करनी चाहिए, पर नहीं... What is this?" श्रीजा ने मुँह बिगाड़ते हुए त्रिजाल की नकल की, जिसमें वह बहुत फनी लग रही थी।

    त्रिजाल बाथरूम से निकलकर आया तो उसे श्रीजा पूरे कमरे में कहीं नहीं दिखी।

    वहीं गौरी का कमरा-

    गौरी सो रही थी कि अचानक उसके दरवाज़े पर दस्तक हुई। गौरी उठकर दरवाज़ा खोली तो सामने श्रीजा खड़ी थी, हाथों में कपड़े लिए।

    गौरी ने कन्फ़्यूज़ होते हुए कहा,
    "भाभी, आप यहाँ इस वक़्त? वो भी कपड़ों के साथ?"

    श्रीजा ने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा,
    "Good morning... वो, मुझे नहाना है और मुझे साड़ी पहननी नहीं आती, तो क्या आप मेरी हेल्प करेंगी?"

    गौरी ने दरवाज़े से हटकर कहा,
    "हाँ, आइए आप अंदर।"

    श्रीजा जल्दी से अंदर आ गई और गौर से गौरी के कमरे को देखती है। लाइट स्काई ब्लू कलर थीम का यह कमरा बेहद खूबसूरत था और एक comfy look भी दे रहा था। बेड पर बड़ा सा टेडी रखा था जो वह भी स्काई ब्लू कलर का था।

    गौरी ने एक तरफ़ इशारा करते हुए कहा,
    "बाथरूम उस तरफ़ है, भाभी!"

    श्रीजा ने मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिलाया और बाथरूम की तरफ़ चली गई।

    उसके जाते ही गौरी बेड पर गिरते हुए बोली,
    "हाय... बेचारी मेरी नींद!"

    थोड़ी ही देर में श्रीजा नहाकर पिस्ता ग्रीन कलर का स्लीवलेस ब्लाउज़ और पेटीकोट पहनकर बाहर आई। उसने देखा गौरी औंधे मुँह बेड पर लेटी है तो उसने उसे जगाते हुए कहा,
    "गौरी दी, आप मेरी साड़ी पहनने में हेल्प करो ना।"

    गौरी ने कसमसाते हुए आँखें खोली, फिर श्रीजा के चेहरे को देखते हुए कहा,
    "भाभी, अगर आप ऐसे ही अपने पतिदेव को जगा रही होतीं ना, तो फ़िल्मी रोमांटिक सीन क्रिएट होता। Just imagine you and bro... Wow!!!"

    यह सुनकर श्रीजा ने कन्फ़्यूज़ होते हुए कहा,
    "पर उन्हें साड़ी पहनानी थोड़ी ही आती होगी!"

    गौरी झट से उठकर बेड पर बैठ गई और श्रीजा को अपने पास बैठाते हुए बोली,
    "ओह मेरी भोली-भाली भाभी... आजकल इंटरनेट का ज़माना है। अगर भाई को नहीं भी पहनानी आती तो भी वो आपको साड़ी ज़रूर पहना देते!"

    यह सुनकर श्रीजा खुद को इमेजिन करने लगी कि त्रिजाल उसे साड़ी पहना रहा है और यह सोचते हुए उसके मुँह पर पाउट बन गया और गौरी के चेहरे पर मुस्कान आ गई। उसने श्रीजा के गाल खींचते हुए कहा,
    "You are so much cute... भाभी!"

    गौरी के गाल खींचने से श्रीजा होश में आते हुए बोली,
    "लेट हो रहा है, प्लीज़ पहना दीजिए ना!"

    यह सुनकर गौरी ने मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिलाया और श्रीजा को साड़ी पहनाने लगी।

    वहीं दूसरी तरफ़-

    त्रिजाल ने तीन पीस डार्क ब्राउन कलर का क्लासी बिज़नेस सूट पहना था और जेल से अपने बाल सेट कर रहा था, तभी उसके कमरे के दरवाज़े पर दस्तक हुई। त्रिजाल ने आगे बढ़कर दरवाज़ा खोला तो सामने माधेश्वरी जी खड़ी थीं। उन्होंने अंदर झाँकते हुए कहा,
    "श्रीजा कहाँ है?"

    यह सुनकर त्रिजाल ने अपने मन में कहा,
    "क्या यह लड़की नीचे नहीं गई तो फिर?"

    माधेश्वरी जी ने फिर से कहा,
    "बेटा, श्रीजा कहाँ है? आज उसकी मुँह-दिखाई की रस्म होगी!"

    त्रिजाल ने कहा,
    "वो कमरे में नहीं है।"

    माधेश्वरी जी ने चौंकते हुए कहा,
    "कमरे में नहीं है? इसका क्या मतलब? इतनी सुबह कहाँ गई होगी वो!"

    माधेश्वरी जी के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ़ दिख रही थीं। तभी उन्हें पायल की छन-छन सुनाई दी। यह और कोई नहीं, श्रीजा थी जो अपनी साड़ी को आगे से पकड़े लगभग भागते हुए गौरी के कमरे से अपने कमरे में आ रही थी। त्रिजाल और माधेश्वरी जी का पूरा ध्यान उस पर था। श्रीजा जब कमरे के सामने पहुँची तो उसने माधेश्वरी जी और त्रिजाल को ऐसे घूरते पाया तो थोड़ी नर्वस हो गई और एक जगह खड़ी होकर इधर-उधर नज़रें फेरने लगी। त्रिजाल उसके गुलाबी चेहरे को देख रहा था जो शर्म की वजह से कुछ ज़्यादा ही गुलाबी और क्यूट हो गया था।

    माधेश्वरी जी ने मुस्कुराकर कहा,
    "Good morning, बेटा!"

    "गु... गुड... मो... मॉर्निंग... मॉम!"

    माधेश्वरी जी ने कन्फ़्यूज़ होते हुए सवाल किया,
    "बेटा, तुम सुबह-सुबह कहाँ से आ रही हो?"

    श्रीजा ने काँपते होठों से जवाब दिया,
    "...वो... वो मैं... गौरी दी के कमरे में गई थी।।।"

    "नहाने के लिए!"

    यह सुनकर माधेश्वरी जी की आँखें छोटी हो गईं। उन्हें लगा शायद त्रिजाल ने श्रीजा को यह करने के लिए कहा हो। वहीं त्रिजाल भी शॉक हो चुका था श्रीजा का जवाब सुनकर, कि तभी पीछे से गौरी आते हुए बोली,

    "मॉम, भाभी को साड़ी पहननी नहीं आती इसलिए वो मेरे कमरे में गई थी।"

    यह सुनकर माधेश्वरी जी के चेहरे पर मुस्कान आ गई। उन्होंने श्रीजा के सर पर हाथ फेरकर कहा,
    "बेटा, अब रेडी हो जाओ, आज तुम्हारी मुँह-दिखाई की रस्म होगी!"

    श्रीजा ने भी अच्छे बच्चों की तरह हाँ में गर्दन हिला दी। माधेश्वरी जी और गौरी वहाँ से मुस्कुराते हुए चली गईं। वहीं त्रिजाल गुस्से से श्रीजा को घूर रहा था।

    उनके जाने के बाद त्रिजाल ने श्रीजा की कलाई पकड़ी और खींचते हुए कमरे के अंदर ले आया और फिर दरवाज़ा बन्द करते हुए श्रीजा की पीठ दरवाज़े से लगा दी जिससे श्रीजा की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं। उसके बालों से अभी भी पानी की बूँदें गिर रही थीं, जिसके कुछ छींटे त्रिजाल के चेहरे पर भी गिर चुके थे। त्रिजाल श्रीजा के चेहरे पर झुकते हुए बोला,
    "तुम्हें साड़ी नहीं पहननी आती तो क्या पहनना ज़रूरी है? और तुम इतना वेट नहीं कर सकती थी कि पहले मैं नहा लूँ, फिर तुम नहा लो?"

    श्रीजा ने खुद को छुड़वाने की कोशिश करते हुए कहा,
    "छोड़िए मुझे, मेरे हाथ में दर्द हो रहा है..."

    यह सुनकर त्रिजाल की पकड़ उसके हाथ पर और ज़्यादा कस गई, लेकिन श्रीजा से आती महकती खुशबू उसे अनकम्फ़र्टेबल फील करवा रही थी इसलिए वह उससे थोड़ा दूर हुआ। श्रीजा ने हाथ छुड़वाने के लिए अपना एक पैर आगे बढ़ाया और त्रिजाल ने अपना एक पैर पीछे लिया। इसी कशमकश में श्रीजा का पैर साड़ी में उलझा और वह त्रिजाल के साथ फ़र्श पर जा गिरी और इसी चक्कर में दोनों के होंठ आपस में टकरा गए।

    क्या होगा इस किस का अंजाम? कैसी होगी श्रीजा की मुँह-दिखाई की रस्म? जानने के लिए पढ़ते रहिए।

  • 6. Reborn to marry my devil husband - Chapter 6

    Words: 1131

    Estimated Reading Time: 7 min

    श्रीजा की बड़ी-बड़ी आँखें और भी बड़ी और एकदम गोल हो गईं। वहीं त्रिजाल की आँखें धीरे-धीरे बंद हो गईं। यह देखकर श्रीजा ने जल्दी से उठने की कोशिश की, किन्तु इसी कोशिश में वह वापस गिर गई जिससे उसका सिर सीधा त्रिजाल के चट्टान जैसे सीने से जा टकराया।

    त्रिजाल ने उसे संभालते हुए कहा,
    "Just stop it.. I'll do!!"

    इतना बोलकर त्रिजाल श्रीजा को संभालते हुए खड़ा हो गया। दोनों के लिए परिस्थिति बहुत ज़्यादा शर्मनाक हो गई थी, इसलिए त्रिजाल ने आराम से कहा,
    "तुम रेडी हो जाओ।"

    इतना बोलकर वह तुरंत कमरे से निकल गया। वहीं श्रीजा भी चैन की साँस लेते हुए आईने के सामने आकर खड़ी हो गई। उसकी नज़र अपने होठों पर गई। शायद श्रीजा को अपने ही पति से चुम्बन करने में ज़्यादा बुरा महसूस नहीं होता, लेकिन जब से उसने काम्या की बातें सुनी थीं, उसे बहुत बुरा लग रहा था। उसने आहिस्ता से एक बार अपने होठों को छुआ और फिर अपना सिर झटककर तैयार होने लगी।

    उसने बालों को पहले सॉफ्ट कर्ल करके खुला छोड़ा और फिर हल्का मेकअप किया। न्यूड रेड लिपस्टिक, और हल्का सा ब्लश, आँखों में काजल लगाया और माथे पर एक छोटी सी बिंदी! श्रीजा बहुत ज़्यादा प्यारी लग रही थी। उसका मासूम चेहरा मेकअप में भी अपनी मासूमियत का जादू बिखेर रहा था।

    फिर वह जाने के लिए बिलकुल तैयार थी, तभी गौरी अंदर आई। वह भी नहाकर तैयार हो चुकी थी। उसने स्काई ब्लू रंग का अनारकली पहना था जो बेहद खूबसूरत लग रहा था। गौरी के हाथ में एक ज्वैलरी बॉक्स था।

    गौरी ने प्यार से श्रीजा को फिर से कुर्सी पर आईने के सामने बिठाते हुए कहा,
    "ये मॉम ने दिया है आपके लिए। आपकी इजाज़त हो तो पहना दूँ।"

    श्रीजा ने कहा,
    "हाँ, पहना दीजिए। एंड थैंक यू। आपने सारी बहुत अच्छी पहनाई है। मैं गिर गई, फिर भी एक भी प्लेट नहीं खुली।"

    यह सुनकर गौरी ने कन्फ्यूज होते हुए कहा,
    "कहाँ गिर गई आप?"

    तो श्रीजा ने कहा,
    "आपके भाई के सीने पर।"

    गौरी ने आँखें फाड़कर मुँह खोलकर कहा,
    "What... मतलब एक सीन तो क्रिएट हो गया जो मैं सुबह करना चाहती थी।"

    यह सुनकर जैसे श्रीजा को होश आया हो, उसने अभी-अभी गौरी को किस बारे में बता दिया! और उसके चेहरे पर अचानक ही लाली छा गई। तो गौरी ने उसके गाल पकड़कर खींचते हुए कहा,
    "ओह माय स्वीट लिटिल भाभी! आप ब्लश करते हुए बहुत ज़्यादा क्यूट लग रहे हो। कहीं मेरी ही नज़र न लग जाए।" इतना बोलते हुए गौरी ने अपनी आँख के किनारे से थोड़ा सा काजल निकाला और फिर श्रीजा के कान के पीछे लगा दिया।

    गौरी ने बॉक्स में से एक नेकलेस निकाला जिसकी डिज़ाइन बेहद खूबसूरत, सिम्पल और एलिगेंट थी जो उसे रॉयल लुक दे रही थी, और वह नेकलेस श्रीजा के गले में पहनाने के बाद ऐसा लग रहा था जैसे श्रीजा के लिए ही बना हो। गौरी ने नेकलेस के साथ के बड़े-बड़े झुमके श्रीजा को पहनाए और बोली,
    "अब बिल्कुल तैयार है नई-नवेली दुल्हन।"

    गौरी और श्रीजा एक साथ हॉल में पहुँचीं। श्रीजा ने घूँघट निकाल रखा था। हॉल में पहले से बहुत अच्छी सजावट की गई थी। एक तरफ़ कुछ औरतें बैठी थीं जिनकी ड्रेसिंग से ही लग रहा था बहुत अमीर घराने की औरतें हैं। हल्का बॉलीवुड म्यूज़िक बज रहा था जो माहौल को खुशनुमा बना रहा था। त्रिजाल अब तक ब्रेक करके अपने ऑफ़िस के लिए निकल चुका था।

    गौरी ने एक तरफ़ लगे खूबसूरत सोफ़े पर श्रीजा को बैठाया और फिर उसकी पिक्स क्लिक करने लगी। तभी अभिमन्यु श्रीजा के पास बैठते हुए बोला,
    "भाभी, प्लीज़ अपने इस देवर को अपना चेहरा दिखा दीजिए, वरना ये औरतें पता नहीं क्या-क्या तिकड़म करने के बाद आपका चेहरा देखेंगी, फिर नाच-गाना इस चक्कर में मैं तो देख ही नहीं पाऊँगा आपको।"

    गौरी ने उसे डाँटकर कहा,
    "अभि भाई, प्लीज़ उन्हें तंग मत कीजिए। त्रिजाल भाई कम हैं क्या ये काम करने के लिए जो आप भी शुरू हो गए।"

    यह सुनकर अभि ने कहा,
    "लेकिन मैं तो बस चेहरा देखने की बात कर रहा था। सगाई के टाइम यहाँ मौजूद नहीं था इसलिए नहीं देख पाया इन्हें।"

    गौरी ने कहा,
    "तो थोड़ा सब्र रखिए... वरना मॉम आपको अच्छे से चेहरा दिखाएँगी। इधर ही देख रही हैं।"

    यह सुनकर श्रीजा को हँसी आ गई और अभि का मुँह बन गया। थोड़ी ही देर में मुँह दिखाई की रस्म शुरू हुई। जो भी औरत श्रीजा का मुँह देख रही थी, उसकी खूबसूरती की तारीफ़ किए बिना नहीं रह पा रही थी, जिसका घमंड माधेश्वरी जी के चेहरे पर साफ़-साफ़ झलक रहा था। आखिर उनकी बहू है ही इतनी प्यारी! श्रीजा की तारीफ़ सुन अभि का एक्साइटमेंट भी बढ़ रहा था। आखिर वह घड़ी आ ही गई जब अभि का नंबर आया। अभि ने श्रीजा का चेहरा देखकर कहा,

    "ओह माय गॉड! ऐसी परी भी इस धरती पर ही रहती है? मुझे तो आज तक नहीं मिली। आखिर कहाँ छुपी थी आप अब तक... और आपकी उम्र?"

    तो गौरी ने धीरे से कहा,
    "Eighteen!!"

    अभि ने कहा,
    "What!!"

    तो गौरी ने बस हाँ में सर हिला दिया। सब पार्टी करने में मशगूल हो गए। तभी श्रीजा को अपने चेहरे पर तेज जलन का एहसास हुआ। उसका चेहरा पूरा लाल हो चुका था और वह दर्द से छटपटाने लगी थी। उसने इशारे से गौरी को अपने पास बुलाया। गौरी ने उसका चेहरा देखा तो उसकी आँखें डर से फैल गईं क्योंकि इस वक़्त श्रीजा के चेहरे पर लाल धब्बे बन गए थे। चेहरा इतना लाल जैसे बस अभी खून टपकने लगेगा।

    गौरी जल्दी से श्रीजा को अपने साथ उसके कमरे में लेकर गई और उसका चेहरा ठंडे पानी से धुलवाया। उसके बाद उसने उसे बिस्तर पर बैठा दिया। श्रीजा ने रोते हुए कहा,
    "बहुत जलन हो रही है। प्लीज़ दीदी, कुछ कीजिए।"

    गौरी ने जल्दी से डॉक्टर को कॉल किया, फिर श्रीजा के पास बैठकर उसके आँसू पोछे और उसे चुप करवाते हुए बोली,
    "बस थोड़ी देर और सहन कर लीजिए, बस डॉक्टर आ रहे हैं।"

    यह सुनकर श्रीजा ने हाँ में सर हिलाया और अपने आँसू रोकने की कोशिश करने लगी। गौरी ने उठते हुए श्रीजा का मेकअप का सामान चेक किया, जिसे देखकर उसकी आँखें फैल गईं क्योंकि उन प्रोडक्ट्स की डेट एक्सपायर हो चुकी थीं और उनकी कुछ की स्मेल बहुत अलग थी, जैसे वह मेकअप के नहीं, बल्कि किसी और ही चीज़ के लोशन और क्रीम हों? आखिर किसने की है मेकअप प्रोडक्ट्स के साथ छेड़खानी? क्या श्रीजा की एलर्जी ठीक हो पाएगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए।

  • 7. Reborn to marry my devil husband - Chapter 7

    Words: 1087

    Estimated Reading Time: 7 min

    थोड़ी देर बाद,

    "इन्हें मैंने एंटीडोट दे दिया है, एलर्जी का। जल्द ही इनके चेहरे के रैशेज़ ठीक हो जाएँगे।"

    "ये कुछ एविल की गोलियाँ हैं, इन्हें दे देना।"

    एक सत्ताईस-अट्ठाईस साल की आसपास की डॉक्टर, श्रीजा, सुनैना के पास बैठी थी और यह सब वह गौरी से बोल रही थी।

    गौरी ने हाँ में सिर हिलाकर कहा।

    "थैंक यू सो मच सुनैना दी! मैं तो डर ही गई थी, कहीं भाभी को कुछ हो ना जाए।"

    तो सुनैना ने मुस्कराते हुए कहा,

    "कुछ नहीं होगा तुम्हारी प्यारी सी भाभी को।"

    यह सुनकर गौरी के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

    बाहर हॉल में, महेश्वरी जी ने जब श्रीजा और गौरी को हॉल में नहीं देखा, तो उन्हें ढूँढ़ते हुए कमरे तक आ गईं।

    उन्होंने जब सुनैना को कमरे में देखा, तो कहा,

    "अरे बेटा सुनैना! आज कैसे रास्ता भटक गई तुम? वरना तो बुलाने पर भी नहीं आती!"

    सुनैना ने खड़े होकर महेश्वरी जी के पैर छुए और कहा,

    "आंटी, आप को तो पता है, मेडिकल के प्रोफ़ेशन में छुट्टी नहीं होती कभी। इसलिए मैं नहीं आ पाती। कहीं ना कहीं से इमरजेंसी आ ही जाती है! आज भी इसीलिए आई हूँ!"

    यह सुनकर महेश्वरी जी ने आँखें छोटी करके कहा,

    "आज क्या इमरजेंसी है?"

    तो सुनैना ने बेड पर सर झुकाए बैठी श्रीजा की तरफ इशारा किया।

    यह देखकर महेश्वरी जी आगे बढ़ीं और श्रीजा का चेहरा अपने हाथों में भरकर ऊपर किया।

    जैसे ही उनकी नज़र श्रीजा के चेहरे पर गई, उन्होंने आँखें बड़ी करते हुए कहा,

    "ये सब कैसे हुआ बेटा?"

    यह सुनकर श्रीजा की आँखों में फिर से पानी आ गया।

    वह महेश्वरी जी की कमर से लिपटकर रोते हुए बोली,

    "पता नहीं मॉम, कैसे हो गया। अब बहुत जलन हो रही है!"

    श्रीजा की बच्चों जैसी आवाज़ में दर्द साफ़ झलक रहा था। जिसे सुनकर महेश्वरी जी का दिल पिघल गया। उन्होंने उसके बाल सहलाते हुए कहा,

    "शान्त हो जाओ बेटा। सुनैना ने तुम्हें दवाई दी है ना? अभी ठीक हो जाएगा सब। रोना बंद करो।"

    यह सुनकर श्रीजा ने धीरे से कहा,

    "हम्म।"

    सुनैना ने कहा,

    "अब मैं चलती हूँ आंटी जी।"

    महेश्वरी जी ने कहा,

    "हाँ बेटा, ध्यान से जाना।"

    सुनैना एक मुस्कान के साथ वहाँ से चली गई।

    उसके जाने के बाद, महेश्वरी जी ने खुद से लिपटी श्रीजा को एक नज़र देखा, फिर उसके बाल सहलाते हुए बोलीं,

    "बेटा, अब तुम रोना बंद करो और थोड़ा खाना खाकर मेडिसिन ले लो। गौरी बेटा, जाओ यही ले आओ तुम दोनों का ब्रेकफ़ास्ट!"

    गौरी ने "हाँ मॉम," बोलकर वहाँ से चली गई। और श्रीजा भी सिसकते हुए महेश्वरी जी से अलग हुई।

    महेश्वरी जी ने प्यार से उसके फोरहेड पर किस किया और उसे रेस्ट करने को बोलकर वहाँ से चली गईं।

    सुनैना जब अपने क्लीनिक पहुँची, तो उसने देखा अनिरुद्ध (त्रिजाल का पीए) पहले से उसका इंतज़ार कर रहा था। यह देखकर सुनैना ने कहा,

    "अब क्या ऑर्डर लाए हो अपने सर का!"

    उस सर को तो कभी याद आती नहीं अपनी इस दोस्त की! उससे अच्छे तो उसकी फैमिली वाले हैं, कम से कम मैं उन्हें याद तो हूँ!

    अनिरुद्ध ने कहा,

    "सर को आज शाम मीटिंग करनी है तुमसे।"

    सुनैना ने कहा,

    "किस चीज़ के लिए?"

    तो अनिरुद्ध ने कहा,

    "ये मुझे नहीं पता। तुम उनसे बात कर लेना।"

    "टाइम भी वो अपने हिसाब से बता देंगे तुम्हें।"

    यह सुनकर सुनैना ने कहा,

    "हाँ हाँ! बस वो ऑर्डर देगा और मुझे फ़ॉलो करना है। ये नहीं कभी फ़्रेंड होने के नाते इनवाइट कर लूँ! घनचक्कर कहीं का! पाँच साल! पूरे पाँच साल मेरे साथ कॉलेज की पढ़ाई की है उसने! और उसे देखकर! उसका बिहेवियर देखकर लगता है! हम कभी मिले ही नहीं! अब तो जनाब ने शादी भी कर ली! उसमें भी बुलाना ज़रूरी नहीं समझा!"

    अनिरुद्ध सुनैना की बातों से इरिटेट होते हुए कहा,

    "तुम्हें जो पूछना है, जो शिकायत करनी है, सर से करना!"

    "मैं चलता हूँ! बाय!"

    यह कह अनिरुद्ध वहाँ से चला गया।

    सुनैना ने सोचा, "क्या उस घनचक्कर को पता नहीं है उसकी वाइफ़ को उसकी ज़रूरत है?"

    इतना सोचते हुए वह त्रिजाल का नंबर डायल करती है। दो रिंग के बाद त्रिजाल कॉल उठाता है।

    तो सुनैना ने कहा,

    "धन्यवाद महाशय, जो आपने मेरा कॉल उठाने का कष्ट किया!"

    यह सुनकर त्रिजाल ने अपनी आँखें बंद कीं और अपनी दो उंगलियों से अपने फोरहेड को रगड़ते हुए कोल्ड टोन में कहा,

    "कुछ इम्पॉर्टेंट है तो बोलो! वरना मेरे पास और भी बहुत काम है!"

    सुनैना ने मुँह बिगाड़ते हुए कहा,

    "हाँ हाँ, पता है!!! फिर थोड़ा सीरियस होते हुए बोली,"तुमने शादी कर ली? अब काम्या का क्या होगा?"

    "उसे छोड़ो, उससे भी इम्पॉर्टेंट, तुम्हारी वाइफ़ को तुम्हारी ज़रूरत है!"

    यह सुन त्रिजाल भी चौंकते हुए कहा,

    "व्हाट? तुम घर गई थी? और मेरी वाइफ़ को मेरी क्या ज़रूरत है?"

    यह सुनकर सुनैना ने गहरी साँस छोड़कर कहा,

    "उसे फ़ेस पर एलर्जी हुई है! उसके मेकअप प्रोडक्ट्स में ऐसे इंग्रीडिएंट्स थे जिनका ट्रीटमेंट भी आसानी से नहीं होता। आई मीन, टाइम के साथ ही उसका असर कम होगा, एकदम से ठीक नहीं हो सकता! और उसके तो पूरे चेहरे पर रैशेज़ हो चुके हैं। आई थिंक उसे तुम्हारी ज़रूरत है क्योंकि वह बहुत ज़्यादा रो रही थी और उसकी उम्र भी शायद कम ही है! एंड दर्द सहने की आदत नहीं है, शायद इसीलिए बच्चों की तरह रो रही थी!"

    यह सुनकर त्रिजाल को रात का इंसिडेंट याद आता है (कैसे श्रीजा बच्चों की तरह उसके सीने से लिपटकर रो रही थी) और वह सुनैना को बिना कुछ बोले कॉल काट देता है।

    और ऑफ़िस से निकलकर बाहर जाता है जहाँ बाकी वर्कर्स अपने काम में मशगूल थे।

    त्रिजाल ने अनिरुद्ध को मैसेज किया,

    "टुडेज़ मीटिंग्स आर पोस्टपोंड!"

    और वहाँ से निकलकर बाहर खड़ी ब्लैक मर्सिडीज़ में बैठ जाता है और एक जोरदार स्पीड के साथ कार को चलाने लगता है।

    वहीं अग्निरसा पैलेस में...

    गौरी ने जैसे-तैसे श्रीजा को खाना खिलाकर सुला दिया था। लेकिन श्रीजा की नींद में भी सिसकियाँ बंधी हुई थीं। उसकी छोटी सी नाक रोने की वजह से बेहद लाल हो गई थी।

    त्रिजाल की कार जोरदार ब्रेक के साथ अग्निरासा कुंज के सामने आकर रुकती है।

  • 8. Reborn to marry my devil husband - Chapter 8

    Words: 1017

    Estimated Reading Time: 7 min

    त्रिजाल घर में प्रवेश करता है और बिना किसी पर ध्यान दिए, तेज कदमों से अपने कमरे की ओर बढ़ गया। महेश्वरी जी उसे देखकर बोलीं,

    "बेटा, तुम इतनी जल्दी आ गए!"

    पर उनकी बात अधूरी ही रह गई क्योंकि त्रिजाल, कुछ सुने-बताए बिना, सीढ़ियों से अपने कमरे तक पहुँच चुका था। त्रिजाल ने एक गहरी साँस लेकर दरवाज़ा खोला। और उसकी नज़र सीधे बिस्तर पर करवट लेकर सोई श्रीजा पर पड़ी।

    त्रिजाल धीरे-धीरे उसके पास पहुँचा। उसे श्रीजा की सिसकियाँ सुनाई दीं। त्रिजाल बिस्तर पर उसके सिरहाने बैठ गया और हल्के-हल्के उसके बाल सहलाने लगा। अनजाने में श्रीजा ने करवट ली और उसका एक हाथ त्रिजाल की कमर पर आ गया। त्रिजाल बिस्तर से टेक लगाकर बैठा था। उसने गौर से श्रीजा के चेहरे को देखा जो एकदम लाल हो चुका था।

    त्रिजाल को उस इंसान पर बहुत गुस्सा आ रहा था जिसने यह गिरी हुई हरकत की थी। फ़िलहाल उसे ऐसा कोई व्यक्ति याद नहीं आ रहा था जो ऐसी हरकत कर सके। उसने अपना सिर हिलाया और आगे बढ़कर श्रीजा के माथे को चूमा।

    त्रिजाल ने सुनैना को फ़ोन किया। सुनैना ने फ़ोन उठाते ही कहा,

    "पहुँच गए घर?"

    त्रिजाल ने बस "हम्म" कहकर जवाब दिया और फिर एक गहरी साँस छोड़कर कहा,

    "तुम ऑइंटमेंट देकर गई थीं या नहीं?"

    सुनैना ने कहा,

    "हाँ, देकर गई थी। साथ में टैबलेट भी।"

    त्रिजाल ने फिर "हम्म" कहा और कॉल काट दी। फिर धीरे से श्रीजा का हाथ अपनी कमर से हटाया और ऑइंटमेंट ढूँढ़ने लगा। जल्द ही उसे ऑइंटमेंट मिल गई।

    वहीं श्रीजा भी किसी की आहट पाकर आँखें खोल लेती है। उसकी नज़र जैसे ही त्रिजाल पर पड़ी, उसकी आँखें बड़ी हो गईं। वह हकलाते हुए बोली,

    "आप... आप इतनी जल्दी आ गए?"

    त्रिजाल ने आँखें छोटी करके कहा,

    "क्यों? मुझे यहाँ देखकर खुशी नहीं हुई तुम्हें?"

    श्रीजा ने सकपकाते हुए सिर हिलाकर कहा,

    "मेरा वो मतलब नहीं था!"

    त्रिजाल: "तो क्या मतलब था तुम्हारा? हाँ! और तुम्हारा ध्यान कहाँ था? तुम्हें प्रोडक्ट को इस्तेमाल करने से पहले उसकी एक्सपायरी डेट देखनी चाहिए थी ना!"

    यह सुनकर जैसे श्रीजा को अपना दर्द याद आया हो और अचानक ही उसकी आँखों में पानी के मोती चमकने लगे। त्रिजाल उसके पास आया तो श्रीजा के आँसू उसके गालों पर आ चुके थे। त्रिजाल अपनी उंगलियों से श्रीजा के आँसू पोंछकर बोला,

    "रोना बंद करो। अभी ठीक हो जाएगा यह!"

    यह सुनकर श्रीजा और ज़ोर से रोते हुए बोली,

    "जो भी आता है बस यही बोलता है, 'यह ठीक हो जाएगा, दर्द नहीं होगा!' लेकिन यह दर्द कम ही नहीं हो रहा है। आपको क्या पता? बहुत जलन हो रही है चेहरे पर! और आप तब भी मुझ पर गुस्सा निकाल रहे हैं। आप गंदे इंसान हैं! हाँ, मेरे पति बहुत गंदे इंसान हैं!" इतना बोलते हुए उसने अपने हाथ के पिछले हिस्से से अपने आँसुओं को पोंछने लगा और साथ ही अपनी बहती नाक को भी संभाला।

    त्रिजाल एकटक उसकी मासूमियत भरी शिकायत सुन रहा था। श्रीजा उभरकर अपने आँसू साफ़ कर लेती है।

    त्रिजाल: "हो गया अब तुम्हारा? दवाई लगा दूँ अब मैं?"

    श्रीजा कन्फ़्यूज़ होते हुए त्रिजाल को देखती है। त्रिजाल वहाँ से उठकर पहले एक गीला तौलिया लेकर आता है और श्रीजा का चेहरा साफ़ करता है जिससे श्रीजा कराह उठती है।

    श्रीजा: "आह! दर्द हो रहा है।"

    त्रिजाल: "बस बच्चा, अभी ठीक हो जाएगा!"

    फिर त्रिजाल श्रीजा के चेहरे पर, गालों पर अच्छे से ऑइंटमेंट लगाता है जिससे श्रीजा को पहले जलन होती है जिससे उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं। त्रिजाल बिस्तर पर बैठे हुए ही उसे अपने सीने से लगा लेता है। थोड़ी देर में ही श्रीजा की जलन कम हो जाती है और वह त्रिजाल से दूर होकर बोलती है,

    "Thank you"

    त्रिजाल उससे कुछ नहीं कहता। तभी उसके फ़ोन पर एक मैसेज आता है जिसे देखकर त्रिजाल की आँखों में गुस्सा उभर आता है और वह कमरे से निकलकर बालकनी की ओर आ जाता है और श्रीजा कन्फ़्यूज़न में बस उसे देखती रह जाती है।

    वहीं दूसरी ओर, गौरी ब्रेकफ़ास्ट के बाद मार्केट गई थी। वह एक मॉल में थी कि तभी अचानक कोई उसके मुँह पर हाथ रखकर उसे अपनी ओर खींच लेता है जिससे गौरी चौंक जाती है।

    आखिर किसका मैसेज आया है त्रिजाल के पास?

    त्रिजाल फ़ोन पर कुछ देर किसी से बात करता है और फिर कमरे में वापस आता है तो देखता है श्रीजा बहुत सुकून से सो रही थी। उसे देखकर त्रिजाल अपने मन में बोलता है,

    "यह सब कुछ बहुत गलत हो गया है बच्चा! तुम मुझ जैसे जानवर को कभी नहीं झेल पाओगी! और बाकी सब मेरी दुश्मनी तुमसे निकालेंगे!"

    इतना सोचकर त्रिजाल आँखें बंद करके एक बार गहरी साँस लेता है, फिर श्रीजा को अच्छे से कम्बल ओढ़ाकर वहाँ से चला जाता है। त्रिजाल घर से निकलकर अपने एक फार्महाउस पर पहुँचता है जो एक जंगली इलाके में था। त्रिजाल स्टाइल से कार से उतरता है और एक अहंकारी अंदाज़ के साथ फार्महाउस की बाउंड्री में प्रवेश करता है। उसके प्रवेश करते ही आस-पास खड़े बॉडीगार्ड उसे झुककर अभिवादन करते हैं और त्रिजाल लम्बे कदम भरते हुए वहाँ से अंदर चला जाता है। वह अंदर बने एक कॉटेज में पहुँचता है जहाँ त्रिजाल का सबसे भरोसेमंद आदमी, सोम, खड़ा था। वह त्रिजाल को देखकर पहले झुककर अभिवादन करता है, फिर जमीन पर गिरी एक लड़की की ओर इशारा करके बोलता है,

    "सर, यह है वह मेड जो आज सुबह आपके कमरे में गई थी!"

    यह सुनकर त्रिजाल गुस्से से लाल आँखों से उसे घूरता है, फिर दाँत पीसते हुए बोलता है,

    "कौन है जिसने गौरी के साथ छेड़खानी की है?"

    जानने के लिए निपटते रहिए।

  • 9. Reborn to marry my devil husband - Chapter 9

    Words: 1516

    Estimated Reading Time: 10 min

    तुम्हारी इतनी हिम्मत! तुम त्रिजाल अग्निरासा की पत्नी को चोट पहुँचा सको! तुम्हारे दिमाग में इतना गन्दा ख्याल आया भी कैसे? यह सुनकर वह मेड डर से काँपते हुए बोली,

    "साहब, मुझे माफ़ कर दीजिये! मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई! मेरा यकीन कीजिये, मैं जानबूझकर मैडम को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहती थी! मैं बहुत ज़्यादा मजबूर थी।"

    त्रिजाल गुस्से में उसकी ओर कदम बढ़ाया तो सोम बीच में आते हुए बोला,

    "सर, इसकी बेटी का किडनैप किया था किसी ने, इसीलिए इसने इतनी बड़ी गलती कर दी।"

    त्रिजाल एक नज़र उस मेड को देखकर बोला,

    "इसकी यह हालत तुमने की है?"

    यह त्रिजाल ने इसलिए कहा क्योंकि उस लड़की का पूरा शरीर ज़ख़्मों से भरा था, जैसे किसी ने उसे बुरी तरह मारा हो। उसके शरीर पर बने बेल्ट की छाप भी साफ़-साफ़ नज़र आ रही थी।

    त्रिजाल बोला, "अक्सर गुस्से में बेकाबू हो जाता हूँ। पहली बार तुमने किसी पर इतनी बेरहमी दिखाई है। I am impressed!"

    फिर कुछ सोचकर बोला, "वैसे इसके लिए यह सज़ा भी कम ही है।" ऐसा बोलते वक़्त त्रिजाल की आँखों के सामने श्रीजा का रोता हुआ लाल चेहरा आ रहा था, दर्द से बिलखती हुई जब वह उससे शिकायत कर रही थी।

    फिर सोम को देखकर बोला, "तुम्हें पूरा यकीन है इसकी बेटी है? और वह किडनैप भी हुई थी?"

    यह सुनकर सोम बोला,

    "जी सर, पूरा भरोसा है! इसने जानबूझकर कुछ नहीं किया।"

    त्रिजाल ने आँखें छोटी करते हुए कहा,

    "इतना विश्वास, फिर भी ऐसी सज़ा?"

    यह सुनकर सोम अपना सिर झुका लिया।

    त्रिजाल बोला, "इसकी बेटी को किसने किडनैप किया? कुछ पता चला?"

    सोम: "No sir।"

    इस बार सोम की आवाज़ में दर्द झलक रहा था।

    वहीं ज़मीन पर पड़ी उस लड़की ने हिम्मत करके उठते हुए कहा,

    "साहब, मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूँ। आप चाहे तो मेरी जान भी ले लीजियेगा, लेकिन मेरी बच्ची को ढूँढ दीजिये।"

    सोम कसकर अपनी आँखें मींच लेता है। उसकी आँखें बेहद लाल हो चुकी थीं।

    त्रिजाल पूछता है,

    "तुम जानते हो इसे और इसकी बेटी को?"

    तो सोम ने गर्दन हिलाकर कहा,

    "जी सर!"

    त्रिजाल: "कैसे?"

    सोम: "वो मेरी पाँच साल की बेटी है सर, और यह मेरी पत्नी है! रानी।"

    यह सुनकर त्रिजाल एक नज़र उस लड़की को देखता है जो सोम को नफ़रत से घूर रही थी।

    उसने त्रिजाल से कहा,

    "यह कुछ नहीं करेगा। मेरी बेटी को ढूँढने के लिए आप हमारी मदद कीजिये!"

    त्रिजाल अब गुस्से भरी नज़रों से सोम को घूर रहा था जो एकटक फ़्लोर को घूर रहा था।

    फिर त्रिजाल किसी को मैसेज करता है। पाँच मिनट के बाद ही दो लड़कियाँ आती हैं और रानी को अपने साथ ले जाती हैं।

    उनके जाने के बाद त्रिजाल सोम का कॉलर पकड़ते हुए कहता है,

    "जब तुझे पता था वह यह सब तेरी ही बच्ची को बचाने के लिए कर रही है, तो क्यों किया ऐसा उसके साथ?"

    सोम ने डरते हुए कहा,

    "स...स...सर, उसकी एक गलती की वजह से मैंने जो सालों से आपका भरोसा जीता है, वह चकनाचूर हो गया। जब मेरी ही पत्नी आपकी दुश्मन बन बैठेगी और आपकी पत्नी को नुकसान पहुँचाएगी, तो मेरा क्या फ़ायदा आपके साथ रहने का?"

    "आपने मुझ पर अहसान किया है सर, जिसकी कीमत मुझे पूरी ज़िन्दगी चुकानी है!"

    यह बात सोम त्रिजाल की आँखों में आँखें डालकर बोलता है।

    जिसे सुनकर त्रिजाल भी कुछ देर सोम को ऐसे ही घूरकर देखता है, फिर गहरी साँस छोड़कर बोलता है,

    "जैसी तेरी मर्ज़ी, तू कर! लेकिन वह लड़की पत्नी है तेरी, अपना सब कुछ छोड़कर तेरे पास आई है, और तू उसकी यह हालत करेगा? मैंने सोचा नहीं था मेरा दोस्त कभी ऐसा होगा!"

    सोम ने फीकी मुस्कान लिए कहा,

    "अब सफ़ाई का पाठ भी तो किससे पढ़ रहा हूँ! कुछ देर पहले तक जब नहीं पता था वह मेरी पत्नी है, उसकी जान लेने पर तुले थे, और अब अचानक हमदर्दी!"

    त्रिजाल ने गुस्से में कहा,

    "तू भी जानता है त्रिजाल अग्निरासा बुरे के साथ हैवान है, लेकिन कभी किसी बेगुनाह को सज़ा दूँ, यह मेरे उसूलों में नहीं!"

    इतना बोलकर त्रिजाल झटके से सोम की कॉलर छोड़ देता है।

    सोम लड़खड़ाते हुए दो कदम पीछे हट जाता है।

    त्रिजाल गुस्से में वहाँ से निकलकर वापस कार में बैठ जाता है और अपनी आँखें बंद करके सीट पर पीछे सर टिकाकर बैठ जाता है।

    त्रिजाल की आँखों के सामने कुछ धुंधले चित्र आ जाते हैं।

    सोम और त्रिजाल कॉलेज के किसी क्लासरूम में व्हाइट कोट पहने बैठे थे, साथ में सुनैना और एक लड़की और थी।

    सोम आज कुछ ज़्यादा ही परेशान लग रहा था, जिसे देखकर सुनैना उसके कंधे पर हाथ मारकर बोली,

    "आज तो निया ने भी नहीं छेड़ा तुझे!"

    सोम: "मैं मज़ाक के मूड में नहीं हूँ सुनैना!"

    त्रिजाल: "क्यों? क्या हुआ?"

    सोम: "कुछ नहीं!"

    त्रिजाल: "फिर क्यों तेरे चेहरे पर बारह बज रहे हैं?"

    सुनैना: "अरे अब बता भी दे। नयी-नवेली दुल्हन की तरह ज़्यादा भाव मत खा। चल अब बता!"

    सोम: "मैंने कहा ना, कुछ नहीं हुआ!"

    त्रिजाल: "और मैंने भी कहा ना, बता क्या हुआ?"

    सोम अपना सर सुनैना के कंधे पर रखते हुए बोला,

    "घर पर मेरी ज़रूरत है! मेरी बहन को किडनी ट्रांसप्लांट की ज़रूरत है। अब मैं कितने भी उधार ले लूँ, उसके ऑपरेशन के जितने पैसे नहीं कमा पाऊँगा! ऊपर से मेडिकल कॉलेज का खर्चा भी तो हैंडल करना है!"

    "मैं कॉलेज छोड़ रहा हूँ!"

    सुनैना: "कैसी बातें कर रहा है? अभी तो बस इंटर्नशिप बची है, उसके बाद तेरे नाम के आगे डॉक्टर लग जायेगा! और तुझे सर्जन बनना था। इतनी जल्दी तू कैसे कॉलेज छोड़ सकता है?"

    सोम: "मेरे पास और कोई चारा नहीं है।"

    त्रिजाल ने गुस्से में कहा,

    "क्यों? हम मर गए हैं क्या?"

    सोम ने कहा,

    "मैं अहसानों तले दबना नहीं चाहता। इससे पहले भी तूने मेरी बहुत हेल्प की है, अब..."

    त्रिजाल: "Just set up."

    तभी त्रिजाल का फ़ोन रिंग होता है।

    त्रिजाल फ़ोन उठाता है तो सामने से उसके पापा की आवाज़ आती है।

    धनुष जी गुस्से में कहते हैं,

    "मैंने कितनी बार कहा है त्रिजाल, अपने साथ बॉडीगार्ड रखा कर!"

    त्रिजाल ने इरिटेट होकर कहा,

    "डैड, क्या कॉलेज में बॉडीगार्ड लेकर घूमूँ अब मैं?"

    धनुष जी ने कहा,

    "Of course...! "

    त्रिजाल ने गुस्से में कॉल काट दी।

    उसने पीछे मुड़कर देखा तो उसे सोम खड़ा मिला।

    त्रिजाल: "सोम, I am sorry। मैंने तेरी बातें सुन लीं, वह भी बिना तेरी परमिशन के। तू मेरा सच्चा दोस्त है, तो एक बात मानेगा मेरी।"

    त्रिजाल ने कहा,

    "लड़कियों की तरह एक्टिंग करना बंद कर और सीधा-सीधा बोल क्या चाहिए।"

    सोम: "मुझे अपना बॉडीगार्ड बना ले, प्लीज़!"

    त्रिजाल अपने अतीत में इतना खो गया था कि वह लगभग एक घंटा कार में ऐसे ही बैठा रहा।

    सोम भी उसे गेट से खड़े होकर देख रहा था।

    त्रिजाल ने उस पर एक नज़र डाली और अपनी कार लेकर वहाँ से चला गया।

    वहीं दूसरी तरफ़,

    गौरी जब उस आदमी का चेहरा देखती है तो गुस्से से उसके हाथ काटकर बोलती है,

    "ज़िंदा नहीं रहना आपको जो गौरी अग्निरासा को छेड़ रहे हैं!"

    यह सुनकर सामने वाला शख़्स गौरी के करीब आते हुए बोला,

    "मैं तो छेड़ूँगा। यह सब तो मुझसे प्यार करने से पहले सोचना चाहिए था ना, जानेमन।"

    गौरी चिढ़ते हुए बोली,

    "बस ऐसी बातें कर लो आपसे! आपको मेरे घर, मेरे रिश्ते की बात करने भी आना है।"

    यह सुनकर उस शख़्स ने गौरी को पीछे से बाहों में भरते हुए कहा,

    "अभी इतनी जल्दी क्या है? अभी तुम्हारे एक भैया की शादी नहीं हुई है, उसके बाद तुम्हारा नंबर आने वाला है।"

    गौरी ने कहा,

    "पर आप आयेंगे ना हमारे रिश्ते की बात करने।"

    उस शख़्स ने गौरी की गर्दन हल्के से चूमते हुए कहा,

    "इस बात में कभी कोई शक मत करना, जानेमन!"

    गौरी के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है।

    और कुछ देर बाद गौरी घर वापस आ जाती है।

    एक बड़ी सी बिल्डिंग के एक ऑफ़िस में एक लड़का जोर-जोर से हँसते हुए कहता है,

    "त्रिजाल अग्निरासा! अब तुम्हारी दुखती रग मेरे कब्ज़े में है, वह मेरे इशारों पर चलती है! अब तुम अगर मुझसे जीत भी गए तो अपनी प्यारी बहन को खो दोगे।"

    "चू चू चू चू! बहुत बुरे फँसे तुम!!!!"

    इतना बोलने के साथ ही एक बार फिर उसकी शैतानी हँसी पूरी ऑफ़िस में फैल जाती है।

    यह वही शख़्स था जो मॉल में गौरी के साथ था। भूरे बाल, अच्छी खासी कद-काठी, गोरा रंग और नीली आँखें! दिखने में एक परफेक्ट माचो मैन लग रहा था यह शख़्स।

    आख़िर कैसे बचाएगा त्रिजाल गौरी को अपने दुश्मन से?

    क्या कारण है सोम और त्रिजाल की दोस्ती में दरार आने का?

    जानने के लिए पढ़ते रहिये।

  • 10. Reborn to marry my devil husband - Chapter 10

    Words: 1469

    Estimated Reading Time: 9 min

    श्रीजा सोकर उठी तो उसने खुद को कमरे में अकेला पाया।

    "श्रीजा.. ये पति देव कहाँ चले गए?" उसने सोचा।

    फिर उसने अपना सिर झटककर फ्रेश होना शुरू किया।

    थोड़ी देर बाद गौरी कमरे में आई और बोली,
    "लिटिल भाभी, कहाँ हो आप?"

    श्रीजा बालकनी से अंदर आते हुए बोली,
    "जी, बोलिए दीदी, कोई काम था?"

    गौरी श्रीजा के चेहरे को देखकर बोली,
    "अरे वाह भाभी! आपका चेहरा तो एकदम ठीक हो गया। चलिए नीचे चलते हैं। मैं मॉल गई थी आज! आपके लिए कुछ लेकर आई हूँ!"

    श्रीजा यह सुनकर खुश हो गई कि गौरी उसके लिए कुछ लेकर आई है।

    दोनों हॉल में गईं जहाँ गौरी के लाए सामान को देखकर लगा,
    "पूरा मॉल ही उठा लाई है!" श्रीजा ने आँखें बड़ी करते हुए कहा।

    "दीदी, आप इतना कुछ कैसे ले आईं?"

    गौरी ने खुश होते हुए कहा,
    "हाँ भाभी, मैं जब शॉपिंग करती हूँ तो सबके लिए ही शॉपिंग करती हूँ!"

    यह सुनकर श्रीजा के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई। गौरी एक-एक कर उसे सारी ज्वैलरी, लहंगे, सब दिखाने लगी।

    उसी समय गुंजल विला में... श्रीधर (श्रीजा के पिता), सुजाता (श्रीजा की माता), धरा (श्रीजा की बड़ी बहन), मौलिक (श्रीजा का बड़ा भाई) और श्रेया (श्रीजा की छोटी बहन) हॉल में बैठे थे। उनके सामने एक उम्रदराज दंपति बैठा था।

    श्रीधर ने डरते हुए कहा,
    "माँ, हम बस आपको बताने ही वाले थे! लेकिन जब भैया को कॉल किया तो उन्होंने कहा कि इन दिनों आप कुछ ज़्यादा ही बिजी हैं, हम आपको खुद से कॉल ना करें!"

    यह सुनकर रोहिणी जी (श्रीजा की दादी) ने कहा,
    "श्रीधर, तुमने छोटी बेटी की शादी कर दी, यह बिना सोचे कि अब धरा से शादी कौन करेगा? सबको लगेगा बड़ी बेटी में कोई कमी है इसलिए पहले छोटी बेटी की शादी हो गई! शादी की उम्र धरा की थी, ना कि श्रीजा की!"

    श्रीधर ने कहा,
    "लेकिन पंडित जी ने कहा कि धरा की कुंडली त्रिजाल की कुंडली से मेल नहीं खाती!"

    "अग्निरासा खानदान के बारे में तो आप लोग जानते ही हैं। पूरे शहर में किसी की हिम्मत नहीं है उनके खिलाफ जाने की! इसलिए बस..."

    श्रीधर की बात पर अधिराज जी (श्रीजा के दादा जी) ने कहा,
    "हाँ, हम जानते हैं उन्हें! उन्होंने हमारी मदद की थी एक बार जब बिजनेस एकदम लॉस में चला गया था!"

    "खैर, अब होनी को कोई नहीं टाल सकता!"

    तभी धरा, जो कब से चुपचाप सब कुछ सुन रही थी, बोली,
    "मम्मी-पापा, अब मैं चलती हूँ। मेरे ऑफिस का टाइम हो गया है।"

    श्रीधर ने सिर हिलाया और धरा अपना बैग लेकर ऑफिस की तरफ चली गई।

    कुछ देर बाद धरा सिंघानिया कॉरपोरेशन के बाहर खड़ी थी। यह कंपनी राज सिंघानिया की थी। राज सिंघानिया (उम्र 28 साल, गोरा रंग, काले मैसी बाल और चार्मिंग फेस)।

    धरा ने एक गहरी साँस छोड़कर ऑफिस में कदम रखा क्योंकि उसे पता था कि आज उसे कई लोगों के ताने सुनने को मिलेंगे।

    और हुआ भी कुछ ऐसा ही। उसके ऑफिस में एंटर होते ही वहाँ काम कर रहे क्लर्क आपस में कुसुर-फुसुर करने लगे।

    लेकिन अगले ही पल ऑफिस में शांति छा गई क्योंकि ऑफिस के सीईओ राज सिंघानिया मेन गेट से अंदर आ रहे थे।

    इस अजीब सी शांति को देखकर धरा ने भी पीछे मुड़कर देखा तो बस राज के चार्मिंग फेस को देखती रह गई।

    तभी राज के पीछे से एक 4-5 साल का बच्चा भागते हुए आया। राज आगे-आगे चल रहा था और वह छोटा सा बच्चा उसके पीछे-पीछे।

    राज ने जब देखा कि कोई रास्ते में ही खड़ा है तो उसने धरा को देखते हुए कहा,
    "कोई काम नहीं है तुम्हारे पास?"

    धरा कोई जवाब देती, उससे पहले ही राज ने कहा,
    "अगर नहीं है तो इसे (उस बच्चे की तरफ इशारा करते हुए) एक घंटे के लिए संभाल लो! मेरी एक जरूरी मीटिंग है!"

    इतना बोलकर राज वहाँ से चला गया। धरा बस उसे देखती रह गई।

    उसने अपने मन में कहा,
    "यहाँ मैं क्लर्क की जॉब करती हूँ, ना कि केयरटेकर की! अजीब इंसान है। कोई जवाब सुने बिना ही बस ऑर्डर देकर चले गए!"

    फिर धरा ने मुड़कर उस बच्चे को देखा जो बिल्कुल राज की तरह एटीट्यूड में दोनों हाथ जेब में दिए खड़ा था।

    धरा ने आगे बढ़कर अपना बैग अपनी डेस्क पर रखा और उस बच्चे के पास जाकर बोली,
    "नाम क्या है तुम्हारा?"

    उस बच्चे ने भी फुल एटीट्यूड से कहा,
    "जीवांश सिंघानिया।"

    धरा ने एक गहरी साँस लेकर कहा,
    "तुम कौन से रूम में रुकते हो जब यहाँ आते हो?"

    यह सुनकर जीवांश ने धरा को घूरते हुए कहा,
    "मुझे वहीं जाना है जहाँ डैड हैं!"

    धरा ने खुद से कहा,
    "बड़ा बदतमीज़ बच्चा है! मैं प्यार से बात कर रही हूँ और यह है कि रोब झाड़ रहा है। खैर, अब बॉस ने ऑर्डर दिया है तो इसे झेलना ही पड़ेगा।"

    "मिस, कहाँ खो गई आप?"

    धरा जीवांश की आवाज से अपने ख्यालों की दुनिया से बाहर आई। फिर जीवांश को देखकर कहा,
    "ठीक है, तुम्हारे डैड के पास ही चलते हैं, उनसे पूछ लेंगे।"

    धरा ने जीवांश का हाथ पकड़ना चाहा, मगर वह तो धरा को इग्नोर कर आगे बढ़ गया। धरा बस उसे देखती रह गई। फिर उसने गहरी साँस छोड़कर जीवांश के पीछे-पीछे अपने कदम बढ़ा दिए।

    दोनों कुछ ही देर में राज के केबिन के बाहर थे। जीवांश ने केबिन नॉक किया तो अंदर से राज की आवाज आई,
    "कम इन।"

    जीवांश ने दरवाज़ा खोला और उसके अंदर आते ही राज ने कहा,
    "मैंने तुमसे मना किया था यहाँ आने के लिए।"

    यह सुनकर जीवांश ने भोली सकल बनाकर कहा,
    "यह तो आप इनसे पूछो ना, यह लेकर आई है यहाँ मुझे।" जीवांश ने धरा की तरफ इशारा किया।

    वहीं धरा तो मानो जम गई थी अपनी जगह, जीवांश की बात सुनकर। आखिर क्या था यह?

    धरा ने अपनी सफाई में कुछ कहना चाहा, लेकिन राज ने अपना हाथ दिखाकर उसे रोकते हुए कहा,
    "आई नो... तुम क्या कहना चाहती हो... वेल, बाप हूँ मैं इसका, बहुत अच्छे से जानता हूँ इसे।" राज ने जीवांश को घूरा।

    और जीवांश और राज की आँखों ही आँखों में जंग चल रही थी।

    धरा ने कहा,
    "तो क्या सर, अब मैं जा सकती हूँ?"

    "नहीं..." जीवांश ने तपाक से कहा तो धरा ने उसे कन्फ्यूज होकर देखा, साथ में राज ने भी।

    जीवांश ने कहा,
    "आज मुझे इन आंटी के साथ लंच करना है!"

    यह सुनकर राज ने धरा को देखकर कहा,
    "इस कॉरिडोर में आगे लेफ्ट साइड थर्ड रूम है, वहाँ ले जाओ इसे।"

    धरा ने सिर हिलाया और जीवांश को लेकर चली गई।

    उनके जाने के बाद राज ने आँखें बंद कर किसी को याद करते हुए खुद से कहा,
    "आखिर कहाँ हो तुम! तुम्हारे बेटे को तुम्हारी ज़रूरत है! मैं थक चुका हूँ तुम्हें ढूँढ़-ढूँढ़ कर!"

    अग्निरासा कुंज में... श्रीजा गौरी के लाए सामान को देखकर बेहद खुश थी। वह मिरर में एक दुपट्टा अपने गले पर लगाकर देख रही थी कि तभी उसे लगा कि बालकनी में कोई है।

    उसने पीछे मुड़कर देखा तो उसका कलेजा मानो उसके मुँह को आ गया हो! क्योंकि उसे एक आदमी दिख रहा था जिसने वैसे कपड़े पहने थे जैसे उस रात उसे मारने वालों ने पहने थे।

    श्रीजा अपनी जगह से पीछे हटते हुए बोली,
    "क...कौन...हो तुम?"

    लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। श्रीजा की धड़कनें बेतहाशा शोर कर रही थीं। उसे साँस तक नहीं आ रही थी। उसे अपने सामने अपनी मौत दिख रही थी।

    तभी वह पीछे हटते-हटते एक वास से टकरा गई। श्रीजा ने आँख देखा ना ताव, जल्दी से वह वास उठाकर उस आदमी की तरफ फेंक दिया जो सीधा उसके सर पर जाकर लगा।

    श्रीजा दरवाज़ा खोलकर वहाँ से भाग निकली, लेकिन उसे डर लग रहा था कि वह आदमी उसे ज़रूर पकड़ लेगा। इसलिए वह घर के पिछले दरवाज़े से बाहर निकल गई। उसे नहीं पता था कि वह बिना मंज़िल के कहाँ भागी जा रही थी। उसके पैरों में खून तक रिसने लगा था, लेकिन वह बिना साँस लिए बस भागी जा रही थी। वह भागते-भागते एक सड़क किनारे बेहोश हो गई...

    कौन है जो श्रीजा से इस कदर नफ़रत करता है? क्या त्रिजाल श्रीजा को ढूँढ़ पाएगा? जानने के लिए पढ़ते रहिए...

  • 11. Reborn to marry my devil husband - Chapter 11

    Words: 1410

    Estimated Reading Time: 9 min

    भागते-भागते श्रीजा पूरी तरह थक चुकी थी। उसकी साँसें फूल गई थीं और पसीने से लथपथ शरीर उसके कपड़ों से चिपक गया था। उसके पैर आगे बढ़ने को तैयार नहीं थे, लेकिन फिर भी श्रीजा पूरी हिम्मत जुटाकर भाग रही थी। तभी वह लड़खड़ा गई। "आह्ह्हह!!!" श्रीजा के मुंह से एक तेज आवाज निकली और वह सड़क के किनारे गिर पड़ी। अगले ही पल वह बेहोश हो गई।


    दोपहर का समय था। सिंघानिया कॉर्पोरेशन में धरा जीवांश से थक चुकी थी, लेकिन साथ ही साथ जीवांश से एक अलग तरह का लगाव भी महसूस कर रही थी। जीवांश का बचपना और उसकी समझदारी देखकर धरा के चेहरे से मुस्कान जाने का नाम नहीं ले रही थी। उसे पता ही नहीं चला कि कब सुबह दोपहर हुई और दोपहर शाम हो गई। वहीं, जीवांश को भी राज ने कभी इस तरह पैंपर नहीं किया था, इसलिए उसे धरा का साथ बहुत अच्छा लग रहा था।


    शाम करीब छह बजे त्रिजाल ऑफिस में कुछ काम कर रहा था, तभी उसका फ़ोन बजा। त्रिजाल ने कॉलर आईडी देखी; गौरी का फ़ोन था। त्रिजाल ने कॉल उठाकर कान से लगाया। सामने से गौरी की घबराई हुई आवाज आई।

    "भाई, आप प्लीज इसी वक्त घर आ जाइए! भाभी पता नहीं कहाँ चली गई हैं! हमने हर जगह ढूँढ लिया, उन्हें वो मिल ही नहीं रही हैं।" इतना बोलते-बोलते गौरी का गला रुंध गया था।

    त्रिजाल ने उसे शांत करते हुए कहा,

    "गौरी, बेटा चुप हो जाओ। डोंट पैनिक। मैं बस अभी आ रहा हूँ।"

    "अभी कहाँ हैं?"

    गौरी ने रोते हुए ही कहा,

    "अभि भाई भी भाभी को ढूँढने घर से बाहर जा चुके हैं। पापा ने भी अपने लोगों को भेज दिया है, लेकिन अभी तक किसी को कुछ पता नहीं चला।"

    यह सुनकर त्रिजाल ने कहा,

    "डोंट वरी। मॉम को संभाल लेना। मैं बस पहुँच रहा हूँ।" इतना बोलकर त्रिजाल ने कॉल काट दिया।


    चलते-चलते त्रिजाल कार तक पहुँच चुका था। उसने खुद से कहा,

    "कहाँ हो तुम बच्चा?"

    फिर त्रिजाल ने फुल स्पीड से अपनी कार दौड़ाई और साथ ही सोम को कॉल किया। सोम अपनी पत्नी के बिस्तर के पास बैठा उसका सर सहला रहा था। फ़ोन की रिंग से वह चिहुँक उठा। त्रिजाल का नाम देखते ही उसने तुरंत फ़ोन उठाते हुए कहा,

    "येस सर।"

    त्रिजाल ने कहा,

    "घर के बाहर की CCTV फ़ुटेज भेजो मुझे अभी-अभी।"

    सोम ने "येस सर" बोला और कॉल काट दिया। कुछ ही मिनटों में त्रिजाल के पास वीडियो आ चुकी थी। श्रीजा डरते हुए आगे भाग रही थी, लेकिन सबसे हैरानी की बात थी उसके पीछे कोई नहीं था। वह अकेली ही पता नहीं किससे डरकर भाग रही थी।


    त्रिजाल घर पहुँच चुका था, लेकिन उसने घर जाने की बजाय उस सड़क पर अपनी कार दौड़ा दी, जिस तरफ़ श्रीजा गई थी। त्रिजाल अपनी पैनी नज़रें सड़क पर गड़ाए तेज़ी से कार चला रहा था, लेकिन उसे श्रीजा कहीं नहीं दिख रही थी।


    दूसरी तरफ़, श्रीजा को धीरे-धीरे होश आने लगा। जब उसे पूरी तरह से होश आया, तो उसने उठने की कोशिश की और उसके शरीर में एक तेज दर्द की लहर दौड़ गई।

    "आह!!!" श्रीजा ने कराह भरी और फिर से हिम्मत जुटाकर बैठने की कोशिश की। लेकिन जब वह पूरी तरह से बैठी, तो सामने का नज़ारा देखकर डर से उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं। उसके सामने इस वक्त एक जीप खड़ी थी, जिसमें कुछ लड़के सवार थे। कोई बोनट पर बैठा था, तो कोई उससे टेक लगाकर खड़ा था। करीब छह से सात लड़के उस जीप के इर्द-गिर्द खड़े थे। उनके हाथों में बियर की बोतलें थीं और वे अपनी गंदी नज़रों से एकटक श्रीजा को देख रहे थे।


    जब उन्होंने देखा कि श्रीजा होश में आ गई, तो उनमें से एक ने कहा,

    "चलो, इंतज़ार भी ख़त्म हुआ। हमारी स्लीपिंग ब्यूटी आखिरकार उठ ही गई!"

    "और उसके बीस्ट भी रेडी हैं!"

    "चलो, चलो बीस्ट को किस करो ताकि वो राजकुमार बन जाए!"

    यह बोलकर वह लड़का जोर-जोर से हँसने लगा और उसके साथ बाकी लड़के भी। वहीं श्रीजा उनकी सनकी बातें सुनकर डर से बुरी तरह काँप रही थी। उसने देखा कि वह इस वक्त जमीन पर गिरी हुई है।


    उसने जल्दी-जल्दी पीछे खिसकते हुए कहा,

    "तुम... तुम लोग कौन हो? मैं... मैं यहाँ कैसे आई...?"

    वह लड़का जो बोनट पर बैठा था, वह कूदकर नीचे आया और अपनी बियर बोतल दूसरे के हाथ में देते हुए श्रीजा के करीब बढ़ने लगा।

    "मैं बताता हूँ तुम्हें, तुम यहाँ कैसे आई, हम कौन हैं और सबसे ज़रूरी, हम क्या करने वाले हैं..."

    इतना बोलकर वह लड़का तिरछी मुस्कान लिए श्रीजा पर झुकने लगा। उनके होठों के बीच कुछ इंच का ही फ़ासला था कि एक मर्सडीज जोरदार ब्रेक की आवाज़ के साथ उस जीप में आकर टकराई और गुस्से से धधकता हुआ त्रिजाल उसके अंदर से निकला। निकलते ही उसने अपनी पैंट में घुसी गन को निकाला और उसे लोड करते हुए तेज़ी से उस लड़के की तरफ़ बढ़ गया, जो श्रीजा पर झुका हुआ था। अगले ही पल त्रिजाल ने उसकी कॉलर पकड़ते हुए उसे श्रीजा के ऊपर से अलग किया और गन उसके मुँह में घुसाते हुए बोला,

    "तेरी इतनी हिम्मत? तू त्रिजाल अग्निरासा की बीवी को छुएगा!!!"


    वहीं, त्रिजाल का नाम जानकर वहाँ एक दहशत भरा माहौल बन चुका था। बाकी लड़के एक-एक करके जीप में बैठने लगे और उस लड़के को वहीं छोड़कर भाग निकले। त्रिजाल ने सर घुमाकर चील की नज़रों से उस जीप को देखा, फिर हल्के से मुस्कुरा दिया। लेकिन अगले ही पल उसने उस लड़के की तरफ़ रुख किया, जिसकी डर के मारे पैंट तक गीली हो चुकी थी। वही ऐसा ही हाल श्रीजा का था। वह त्रिजाल के इस रूप से बहुत डर गई थी। और तभी वहाँ धड़-धड़-धड़... बंदूक की गोली की आवाज़ गूँजी और इसके अगले ही पल श्रीजा बेहोश हो चुकी थी।


    त्रिजाल ने हाफ़ते हुए उस लड़के को छोड़ा, जिसका सर गोली लगने से लगभग फट चुका था। त्रिजाल के पूरे चेहरे पर खून के छींटे लगे थे। त्रिजाल आगे बढ़कर श्रीजा को आहिस्ता से अपनी गोद में उठा लिया और हल्के से उसके माथे को बड़ी शिद्दत से अपने होठों से छू लिया। अगले ही पल तेज़ी से अपनी कार की तरफ़ बढ़ गया। उसने श्रीजा को ड्राइवर सीट के बगल में बैठाया और सीट बेल्ट पहनाकर सीट को एडजस्ट कर दिया। फिर कार से एक पानी की बोतल निकाली और अपने खून से रंगे चेहरे को धोने लगा।


    कुछ देर बाद त्रिजाल की कार सुनसान सड़क पर दौड़ रही थी। त्रिजाल ने महेश्वरी जी को कॉल करके बता दिया कि श्रीजा मिल चुकी है, वह कुछ ही देर में घर पहुँच जाएँगे। त्रिजाल के दिमाग में अभी भी श्रीजा का डरता हुआ चेहरा बसा था, जिससे उसकी आँखें अंगारों की तरह दहक रही थीं। त्रिजाल ने सोम को कॉल किया और कहा,

    "मैं एक जीप का नंबर बता रहा हूँ। आज इसमें जितने भी लड़के थे, सब के सब मुझे कॉटेज में चाहिए और सुबह तक उनकी अच्छे से ख़ातिरदारी होनी चाहिए!"

    सोम ने "येस सर" बोलकर कॉल काट दिया। कुछ पलों बाद त्रिजाल की गाड़ी अग्निरासा कुंज के लिए जाकर रुकी। त्रिजाल ने श्रीजा को बिल्कुल किसी काँच की गुड़िया की तरह उठाया और उसे लेकर अंदर की तरफ़ बढ़ गया। उसके अंदर आते ही हॉल में हैरान-परेशान बैठे सब लोगों ने अपनी जगह से उठकर कुछ पूछना चाहा, लेकिन त्रिजाल ने उनके सवाल शुरू होने से पहले ही कहा,

    "मैं कल एक्सप्लेन करूँगा! फ़िलहाल ऊपर डिनर भेज देना! उसे कुछ नहीं हुआ है! बस बेहोश है।"

    सब ने अपने सवाल अपने दिल में ही दफ़न कर लिए और गौरी की आँखों में आँसू आ गए, जो खुशी के थे—श्रीजा के सलामत होने की खुशी के।


    वहीं, एक महल जैसे घर में एक लड़की बुरी तरह चिल्ला-चिल्लाकर सारे सामान को तहस-नहस करने में लगी थी। यह और कोई नहीं, बल्कि काम्या थी। उसने जब सारा सामान तोड़ दिया, तो पागलों की तरह हाँफते हुए बोली,

    "अब तुम खुद उसे धक्के मारकर अपनी ज़िन्दगी से बाहर निकालोगे त्रिजाल! मुझे हम दोनों के बीच किसी का भी होना ग़वार नहीं है, बिल्कुल भी नहीं!"

    इतना बोलकर वह पागलों की तरह हँसने लगी।

    आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए।

  • 12. Reborn to marry my devil husband - Chapter 12

    Words: 1305

    Estimated Reading Time: 8 min

    त्रिजाल ने किसी मोम की गुड़िया की तरह आहिस्ता से श्रीजा को बेड पर सुलाया और फिर खुद अपना जैकेट निकाल कर सोफे पर फेंक दिया। वह वाशरूम की तरफ बढ़ गया।

    त्रिजाल शॉवर के नीचे अपने जिस्म पर ठंडे पानी को महसूस कर रहा था, लेकिन यह ठंडा पानी भी उसके दिल में जल रहे ज्वालामुखी को शांत नहीं कर पा रहा था। उसने अपने बालों में हाथ फेरा और एक गहरी साँस लेकर शॉवर बंद कर दिया। उसने वेस्ट पर एक तौलिया लपेटा और बाहर आ गया।

    बाहर आते ही एक बार फिर उसकी नज़र श्रीजा के मासूम चेहरे पर गई। त्रिजाल ने अलमारी से काले पैंट और सफ़ेद वी-नेक टी-शर्ट पहनकर बाहर आया।

    तभी कमरे का दरवाज़ा खटखटाया। त्रिजाल आगे बढ़कर दरवाज़ा खोला तो एक नौकरानी और उसके साथ गौरी खड़ी थीं।

    गौरी कमरे में झाँकते हुए श्रीजा को देखने की कोशिश कर रही थी। त्रिजाल दरवाज़े से हट गया और नौकरानी ने खाना अंदर लाकर टेबल पर रख दिया। गौरी अंदर आकर अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से श्रीजा को देख रही थी।

    फिर उसने सहमी सी नज़रों से त्रिजाल को देखा। उसे डर था कहीं त्रिजाल उसे फटकार न लगा दे। लेकिन त्रिजाल ने उसे कुछ नहीं कहा। गौरी को तसल्ली हुई कि श्रीजा बिल्कुल सही-सलामत है। लेकिन श्रीजा के पैरों की चोट की वजह से उसके चेहरे पर नींद में भी उदासी छा गई थी।

    थोड़ी देर बाद गौरी और नौकरानी कमरे से चली गईं। त्रिजाल ने फर्स्ट-एड बॉक्स लिया और श्रीजा के पैरों के पास बैठकर उसके पैरों पर ऑइंटमेंट लगाने लगा। त्रिजाल की बड़ी सी हथेली के सामने श्रीजा का पैर बेहद छोटा नज़र आ रहा था।

    थोड़ी देर में श्रीजा ने दर्द के मारे अपने पैरों को हिलाया और फिर अचानक चीख कर बैठ गई। वह हाँफते हुए खुद की साँसों को काबू करने की कोशिश कर रही थी कि उसकी नज़र अपने पैरों के पास बैठे त्रिजाल पर गई।

    "ये...ये आप क्या कर रहे हैं? आप मेरे पैरों को मत छुओ।" श्रीजा ने बेहद डरते हुए कहा।

    त्रिजाल ने गुस्से से कहा,
    "और भला वो क्यों?"

    "उम्म...मम्मी कहती हैं...मुझे पाप लगेगा!"

    श्रीजा का टूटा-फूटा जवाब सुनकर त्रिजाल की भौंहें तन गईं। लेकिन उसने श्रीजा से आगे कुछ न पूछना ही बेहतर समझा। वह वहाँ से उठकर वाशबेसिन में हाथ धोकर वापस कमरे में आया और टेबल के सामने लगे सोफे पर बैठते हुए बोला,
    "चलो डिनर कर लो अब।"

    श्रीजा को भी भूख तो बहुत लगी थी, लेकिन उसके ज़हन से त्रिजाल का वह बेरहम रूप निकल नहीं रहा था। अब उसे त्रिजाल के पास बैठने भर के ख्याल से डर लग रहा था।

    तभी त्रिजाल ने गुस्से में कहा,
    "तुम्हारे कान खराब हैं जो एक बार की बात दिमाग में नहीं जाती!"

    त्रिजाल की दबंग टोन सुनते ही श्रीजा के शरीर में कंपन दौड़ गई और वह बेड से उठकर सोफे पर जाने लगी। तभी उसके मुँह से कराह निकल गई।

    त्रिजाल फुर्ती से सोफे से उठा और श्रीजा को अपनी बाहों में उठा लिया और सोफे पर बैठ गया। उसने अपनी गोद में श्रीजा को संभाला और कोल्ड ड्रिंक से भरे डिनर प्लेट की तरफ इशारा किया।

    श्रीजा ने काँपते हाथों से एक बाइट उठाया। वह खुद खाना चाहती थी, पर न जाने क्यों उसका हाथ त्रिजाल के मुँह की तरफ चला गया। त्रिजाल एकटक उस बाइट को देख रहा था। फिर आगे चेहरा बढ़ाकर उसने वह बाइट खा लिया।

    श्रीजा ने अगला बाइट खुद खाया और इसी तरह उन दोनों ने कुछ ही देर में डिनर खत्म कर लिया।

    श्रीजा ने धीरे से कहा,
    "अ...अब छोड़ दीजिए मुझे।"

    यह सुनकर त्रिजाल को ध्यान आया कि अब तक उसने कितनी कसकर श्रीजा को पकड़े रखा है। वहीं त्रिजाल की गोद में बैठे होने के कारण श्रीजा को बहुत असहज महसूस हो रहा था।

    त्रिजाल ने एक नज़र उसके लाल पड़ चुके चेहरे को देखा और अचानक ही उसकी नज़र उसके दिल के आकार के होंठों पर चली गई। और उसे अपना पहला किस याद आने लगा। और अगले ही पल वह उसके होठों की तरफ झुकने लगा।

    श्रीजा ने उसे इतना करीब देखा तो उसकी धड़कन बुलेट ट्रेन से भी तेज रफ्तार से धड़कने लगी। उसने पूरी हिम्मत जुटाकर अपने दोनों छोटे-छोटे हाथों को त्रिजाल के सीने पर रखते हुए पीछे धकेलते हुए कहा,
    "ब...बहुत रात हो गई है...मु...मुझे नींद आ रही है...प्लीज।"

    वहीं त्रिजाल उसकी वह मीठी सी आवाज सुन जैसे होश में आया हो और अगले ही पल उसने श्रीजा को बेड पर सुलाया और खुद कमरे से बाहर चला गया। श्रीजा बस उसे जाते देखती रह गई।

    त्रिजाल अपने स्टडी रूम में गया और वहीं कुर्सी पर धड़ाम से बैठकर खुद से बोला,
    "How can i lose my control.... How!????"

    इतना बोल त्रिजाल ने एक लात सामने रखी काँच की मेज पर मारी और अगले ही पल मेज टूटकर चकनाचूर हो चुकी थी।

    "ये नहीं होना चाहिए!"

    ये बोलकर त्रिजाल आसमान की तरफ देखते हुए लंबी-लंबी साँसें ले रहा था, तभी उसका फ़ोन बजने लगा। त्रिजाल खुद को शांत करते हुए कॉल रिसीव की तो सामने से किसी लड़की के रोने की आवाज आई।

    "I want to meet you honey"

    यह काम्या थी जो रोते हुए त्रिजाल से मिलने की गुहार लगा रही थी। त्रिजाल ने लंबी साँसें छोड़कर कहा,
    "हम्म...आ जाओ।"

    इतना बोल त्रिजाल ने कॉल काट दिया।

    आधे घंटे बाद...

    काम्या और त्रिजाल एक कमरे में थे जहाँ वे शादी की रात भी मिले थे। यह कमरा त्रिजाल के कमरे से थोड़ा ही दूर था। काम्या त्रिजाल के गले लगते हुए बोली,
    "I miss you so much! तुम कैसे मुझे इतनी जल्दी भूल सकते हो!"

    त्रिजाल ने कुछ नहीं कहा, बस आँखें बंद किए काम्या की बातें सुन रहा था।

    काम्या ने उसके सीने से सिर ऊपर करके उसकी आँखों में देखते हुए कहा,
    "क्या हुआ? कुछ परेशान लग रहे हो!"

    त्रिजाल ने अपनी बंद आँखें खोली और काम्या को खुद से अलग करते हुए कहा,
    "It's personal"

    काम्या ने रोते हुए कहा,
    "अब हमारे बीच भी सब पर्सनल होगा?"

    त्रिजाल ने गुस्से से कहा,
    "मेरी शादी हो चुकी है काम्या!"

    काम्या ने थोड़ी तेज आवाज में कहा,
    "लेकिन मैं नहीं मानती इस शादी को। और वो लड़की...उस लड़की को तो तुम अच्छे से जानते तक नहीं हो। मैंने सुना उसके बारे में, वो घर से भाग गई थी आज... क्या उसे कोई मानसिक समस्या है?"

    काम्या का इतना कहना भर था कि त्रिजाल ने उसकी गर्दन पकड़ उसे दीवार से सटाकर जोर से दबाते हुए कहा,
    "वो कोई लड़की नहीं है...she is श्रीजा त्रिजाल अग्निहोत्री। समझी...!"

    त्रिजाल की चीख सुन काम्या का खून तक सूख गया था। वहीं त्रिजाल की पकड़ उसके गले पर बेहद मजबूत थी जिससे उसे साँस नहीं ले पा रही थी। उसकी आँखें बाहर आने को हो गई थीं। उसे लगा वो बस मरने वाली है कि अचानक झटके से त्रिजाल ने उसका गला छोड़ दिया।

    वह जोर-जोर से खांसते हुए वहीं फर्श पर गिर गई। त्रिजाल अब भी गुस्से में काँप रहा था। पर कहीं न कहीं उसके ज़हन में यह सवाल कौंध गया...

    "क्या उसे कोई मानसिक समस्या है?"

    त्रिजाल ने देखा था श्रीजा को घबराते हुए... और वह आज भी बस घबराते हुए भागी जा रही थी, न कोई उसके आगे था न पीछे... न कमरे में ऐसा कुछ था जिसे देखकर लगे कि श्रीजा को किसी ने परेशान किया हो या किसी चीज़ से वह डरी हो।

    क्या काम्या अपने प्लान में कामयाब हो जाएगी? क्या त्रिजाल समझ पाएगा श्रीजा का दर्द?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए...

  • 13. Reborn to marry my devil husband - Chapter 13

    Words: 1359

    Estimated Reading Time: 9 min

    काम्या लड़खड़ाकर फर्श पर खड़ी हुई और धीरे-धीरे त्रिजाल की ओर बढ़ी। त्रिजाल काम्या के हाथ को अपने कंधे पर महसूस कर अपनी सोच से बाहर आया। फिर बिना पीछे मुड़े, ठंडे स्वर में बोला,

    "आइंदा मेरी बीवी के बारे में कुछ भी कहने से पहले अंजाम सोच लेना। हमारे बीच जो कुछ था, सिर्फ़ तब तक था जब तक वो मेरी लाइफ़ में नहीं थी। त्रिजाल अग्निरासा ने किसी को धोखा देना नहीं सीखा!"

    इतना कहकर त्रिजाल बिना काम्या को देखे कमरे से निकल गया। काम्या वहीं जड़ सी पिसती रह गई।

    त्रिजाल कमरे में आया तो देखा श्रीजा अब सुकून से सो रही थी। चारों तरफ़ शांति थी। रात काफी ढल चुकी थी, इसलिए पूरे अग्निरासा कुंज में शांति पसरी हुई थी।

    तभी सीढ़ियों से टक-टक की आवाज़ आई। यह आवाज़ किसी के जूतों की थी। और कोई नहीं, बल्कि त्रिजाल, अपना ब्लैक कोट पहने, घर से बाहर जा रहा था।

    कुछ देर बाद त्रिजाल एक सड़क किनारे पहुँचा, जिसकी लोकेशन उसके फ़ोन में थी। त्रिजाल ने कुछ पल इधर-उधर निगाहें दौड़ाईं तो उसे एक छोटी सी बच्ची की सिसकियाँ सुनाई दीं।

    त्रिजाल ने अपने कदम उस ओर बढ़ा दिए। वह छोटी सी बच्ची बहुत डरी हुई थी, इतनी कि वह खुद को पूरी तरह किसी कछुए की तरह सिकोड़कर अपने घुटनों के बीच छिपाए हुए थी। उसका चेहरा घुटनों के बीच कहीं गुम सा था।

    त्रिजाल उसके एकदम पास पहुँचकर घुटनों के बल बैठ गया और बोला,

    "बेटा! इधर देखो!"

    यह सुनकर वह बच्ची रोते हुए जोर-जोर से ना में सिर हिलाने लगी। त्रिजाल धीरे से उसकी बाजू पकड़ते हुए बोला,

    "बेटा, सोम ने भेजा है। मुझे एक बार देखो मेरी तरफ़।"

    अपने पापा का नाम सुनकर वह बच्ची जल्दी से ऊपर देखती है। त्रिजाल मुस्कुराते हुए बोला,

    "पापा और मम्मा के पास जाना है ना तुम्हें?"

    तो वह बच्ची जल्दी-जल्दी हाँ में सिर हिलाती है। यह देखकर त्रिजाल आगे बढ़कर उसके गालों पर लगे आँसू पोछता है और उसे गोद में उठाकर कार में बैठाता है। वह बच्ची अब भी डरी हुई थी, लेकिन कहीं न कहीं त्रिजाल के कोमल व्यवहार से उसे थोड़ा सुकून मिल रहा था।

    त्रिजाल अपनी पैनी नज़रों से एक बार पूरे इलाके को देखता है, लेकिन उसे कोई नहीं दिख रहा था। त्रिजाल ड्राइविंग सीट पर बैठकर कार स्टार्ट करता है। फिर उस बच्ची की ओर देखकर बोलता है,

    "क्या नाम है बेटा तुम्हारा?"

    लेकिन वह बच्ची बस सिसक रही थी। उसने त्रिजाल के सवाल का कोई जवाब नहीं दिया। त्रिजाल ने भी उसे ज़्यादा परेशान किए बिना आगे कुछ नहीं पूछा।

    कुछ देर बाद त्रिजाल की कार सोम के घर के बाहर जाकर रुकी। त्रिजाल कार से उतरकर एक बार फिर उस बच्ची को अपनी गोद में उठा लिया और घर की ओर बढ़ गया। वहीं अपने घर को अपने सामने देखकर उस बच्ची की आँखों में अलग ही खुशी और चमक दिखाई देने लगी, जिससे त्रिजाल के चेहरे पर भी थोड़ा सुकून आ गया। त्रिजाल ने दरवाज़ा खटखटाया। कुछ देर बाद अंदर से रानी की आवाज़ आई,

    "कौन है बाहर?"

    तो त्रिजाल ने कहा,

    "सोम कहाँ है?"

    त्रिजाल की आवाज़ सुनकर रानी ने दरवाज़ा खोलते हुए कहा,

    "वो सो रहे हैं।"

    इतना बोलने के बाद उसकी नज़र जैसे ही त्रिजाल की गोद में बच्ची पर पड़ी, उसकी आँखों में आँसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। रानी आगे बढ़ते हुए उस बच्ची को अपनी गोद में ले लिया और उसके पूरे चेहरे को चूमते हुए रोने लगी।

    त्रिजाल ने हिचकिचाते हुए पूछा,

    "सोम घर पर ही है ना?"

    तो रानी ने हाँ में सिर हिलाया और उस बच्ची से रोते हुए बोली,

    "कहाँ चली गई थी तुम? तुम्हें पता है मम्मा ने कितना मिस किया परी को?"

    यह सुनकर परी की आँखों में भी आँसू आ गए और उसने रानी को कसकर गले लगा लिया। रानी दरवाज़े से हटकर हॉल में आ चुकी थी और उसके पीछे-पीछे त्रिजाल भी। सोम भी आवाज़ें सुनकर जाग गया था। उसने जब हॉल में त्रिजाल को देखा तो थोड़ा कन्फ़्यूज़ होते हुए बोला,

    "सर, आप इस वक्त? कोई काम था?"

    फिर सोम की नज़र रानी पर पड़ती है और फिर परी पर। अचानक ही उसकी आँखें भी नम हो जाती हैं। परी रानी की गोद से छूटकर भागते हुए सोम के पास आती है। सोम भी घुटनों के बल आते हुए परी को कसकर गले लगा लेता है।

    त्रिजाल ने कहा,

    "मुझे अनजान नंबर से लोकेशन मिली थी। अगर परी को कुछ पता हो तो पूछकर बताना। अभी ये डरी हुई है।"

    इतना बोलकर त्रिजाल जाने को हुआ तो सोम ने दर्द भरी आवाज़ में कहा,

    "परी बोल नहीं सकती, ना ही उसे अब तक अच्छे से लिखना आता है। मुझे माफ़ कर दीजिएगा सर, पर परी के ज़रिए आप अपने दुश्मन का कोई क्लू नहीं ढूँढ सकते। पर मैं पूरी कोशिश करूँगा, जल्द ही आपका गुनेहगार आपके कदमों में होगा।"

    यह सुनकर अचानक ही त्रिजाल के सीने में अजीब सा दर्द उठा। उसने मुड़कर परी के मासूम चेहरे को देखा और अगले ही पल बिना कुछ कहे चला गया।

    अब रात के करीब दो बज चुके थे। त्रिजाल बेहद थक चुका था आज जो-जो हुआ उससे। त्रिजाल कमरे में गया तो देखा श्रीजा बेड पर बैठी है। यह देख त्रिजाल कन्फ़्यूज़ होते हुए उसके पास जाकर बोला,

    "इतनी रात को ऐसे क्यों बैठी हो?"

    उसने झुककर श्रीजा का चेहरा देखा। जैसे देखकर ही लग रहा था वो बहुत रोई है। त्रिजाल ने बेचैन होते हुए पूछा,

    "क्या हुआ तुम्हें? तुम रोई क्यों हो?"

    इतना बोलते-बोलते त्रिजाल श्रीजा के बगल में बैठ गया। श्रीजा ने मुँह फुलाए हुए कहा,

    "आप कहाँ चले गए थे मुझे छोड़कर?"

    श्रीजा इतना ही बोल पाई थी अपने भर्राए गले से। उसकी ऐसी आवाज़ सुनकर अंदाज़ा लगाया जा सकता था वो कितनी रोई थी। त्रिजाल ने उसे सीने से लगाते हुए उसकी पीठ सहलाते हुए कहा,

    "मैं कहीं नहीं गया था तुम्हें छोड़कर। बस एक ज़रूरी काम था। तुम इतना क्यों पैनिक कर रही हो? कोई आया था क्या यहाँ?"

    यह सुनकर श्रीजा की आँखों के सामने उस आदमी का काले कपड़े से ढका चेहरा घूम गया और उसने त्रिजाल की शर्ट और ज़्यादा कसकर पकड़ते हुए कहा,

    "अभी कोई नहीं आया, पर...?"

    त्रिजाल: "पर क्या?"

    यह सुन श्रीजा त्रिजाल से अलग होते हुए बोली,

    "पर शाम को कोई आया था जब... जब आप घर पर नहीं थे। वो... वो मुझे मारना चाहता था। मैं उसी से बचकर भागकर आई थी। मैंने उसे... हाँ, मैंने उसे उस... वास से मारा।"

    इतना बोलकर जैसे ही श्रीजा ने उस वास को देखा, वो हैरान रह गई। वो वास अपनी जगह पर बिल्कुल ठीक तरीके से रखा था, जैसे किसी ने उसे छुआ तक ना हो।

    श्रीजा की नज़रों में घबराहट महसूस कर त्रिजाल ने उसे देखते हुए कहा,

    "लेकिन वो वास वहीं रखा है। शायद तुमने कोई बुरा सपना देखा था, बच्चा!"

    त्रिजाल ने उसे चिंता करते हुए कहा, लेकिन अगले ही पल,

    श्रीजा चीखते हुए बोली,

    "नहीं... कोई सपना नहीं था। वो हकीकत थी। वो इंसान दो बार मुझे मारने की कोशिश कर चुका है। एक बार कोशिश में कामयाब हो गया, पर... पर इस बार नहीं होगा... नहीं, बिल्कुल नहीं होगा।"

    ये बोलते वक्त श्रीजा बेहद डरी हुई थी। त्रिजाल ने फिर से उसे सीने से लगा लिया और उसके बालों पर हाथ फेरकर बोला,

    "ओके फाइन। मैं ढूँढ लूँगा उसे जो तुम्हें परेशान कर रहा है। अभी तुम रोना बंद करो और सो जाओ। बहुत रात हो गई है।"

    श्रीजा सुबकती हुई हाँ में सिर हिलाती है और त्रिजाल उसके पास लेटकर उसका सिर अपने सीने पर रखकर आँखें बंद कर लेता है।

  • 14. Reborn to marry my devil husband - Chapter 14

    Words: 1487

    Estimated Reading Time: 9 min

    अग्निरासा कुंज

    अगले दिन प्रातःकाल त्रिजाल जिम रूम से अपने कमरे में आ रहा था कि उसे रास्ते में धनुष जी मिले।

    "गुड मॉर्निंग त्रिजाल.. आज बोर्ड्स और डायरेक्टर की मीटिंग है। मुझे आशा है तुम समय पर आ जाओगे। तवीश फिर से चेयरमैन की कुर्सी के लिए अपील कर चुका है! 9 बजे मीटिंग शुरू होगी। बाकी सारी जानकारी मैंने अनिरूद्ध को दे दी है।"

    त्रिजाल ने सिर हिलाते हुए कहा,
    "ओके डैड!!"

    त्रिजाल का कमरा

    आज श्रीजा के चेहरे पर थोड़ी सी चमक थी। उसे पग फेरों की रस्म के लिए गुंजल विला जाना था और मौलिक उसे लेने आने वाला था! त्रिजाल कमरे में आकर एक नज़र उसे देखता है, फिर बाथरूम में फ़्रेश होने चला जाता है। श्रीजा भी तिरछी नज़रों से त्रिजाल को देख रही थी। असल में, उसमें हिम्मत नहीं थी त्रिजाल से नज़रें मिलाने की। उसे याद है रात में कैसे वह उससे शिकायतें कर रही थी।

    त्रिजाल जब तैयार होकर बाहर आता है तो देखता है कि सब लोग बैठकर नाश्ता कर रहे थे। श्रीजा उन्हें सर्व कर रही थी।

    धनुष जी ने कहा,
    "बेटा, हमारे यहाँ बहू और बेटियाँ दोनों समान होती हैं। आप भी बैठिए हमारे साथ।"

    यह सुनकर श्रीजा घबराहट के साथ सीढ़ियों से आते त्रिजाल को देखती है, जिसकी आँखों में कोई भाव नहीं थे।

    गौरी ने भी कहा,
    "हाँ, भाभी बैठिए ना।"

    त्रिजाल टेबल के पास आकर अपनी कुर्सी पर बैठ जाता है तो अभि बोलता है,
    "भाभी जान, अब तो भाई भी आ गए, अब तो बैठ जाइए।"

    त्रिजाल गुस्से भरी नज़रों से अभि को घूरता है, लेकिन कुछ कहता नहीं है। श्रीजा भी सहमति से त्रिजाल के बगल में बैठ जाती है।

    थोड़ी देर बाद सब नाश्ता कर चुके थे। गुंजल विला में श्रीजा के साथ अभि जाने वाला था, जिससे वह बहुत खुश था। उसे श्रीजा के साथ समय बिताने को मिलेगा।

    मौलिक घर के मुख्य द्वार से प्रवेश करता है तो श्रीजा भागते हुए उसके गले लग जाती है। उसकी आँखें हल्की नम हो जाती हैं। मौलिक प्यार से श्रीजा के बालों में हाथ फेरता है। वहीं, त्रिजाल को श्रीजा का किसी और से गले लगना अच्छा नहीं लग रहा था, लेकिन वह उसका भाई था, इसलिए वह कुछ कह भी नहीं सकता था।

    मौलिक ने सबको नमस्ते कहा। गौरी ने एक नौकर से कहकर मौलिक के लिए कॉफ़ी मँगवाई। मौलिक तिरछी नज़रों से गौरी को देख रहा था, जो गौरी बखूबी महसूस कर पा रही थी। उसने मौलिक को एक गुस्से वाला लुक दिया तो मौलिक की कॉफ़ी ही गले में अटक गई। अभि ने मौलिक की पीठ रगड़ते हुए कहा,
    "आराम से मौलिक जी, आराम से।"

    अभि ने नोटिस कर लिया था गौरी और मौलिक की आँखों ही आँखों वाली जंग को, जिससे वह मौलिक को छेड़ रहा था। मौलिक ने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए एक-एक नज़र सब को देखा। तब तक श्रीजा भी मौलिक के लिए पानी का गिलास ले आई थी।

    कुछ देर बाद मौलिक, श्रीजा और अभि गुंजल विला के लिए निकल जाते हैं। त्रिजाल और धनुष जी भी ऑफिस चले जाते हैं। महेश्वरी जी एक NGO चलाती थीं, तो वे वहाँ चली गईं। और गौरी भी किसी को कॉल करके बोलती है,
    "मैं एड्रेस भेज रही हूँ, वहाँ मिलना मुझे!"

    बेस्ट टेस्ट कैफ़े (काल्पनिक)

    कैफ़े में गौरी और उसके साथ एक लड़का एक प्राइवेट एरिया में बैठे थे, जो अक्सर इस कैफ़े में आने वाले वीआईपी लोग इस्तेमाल करते हैं। गौरी के चेहरे पर उस शख्स से मिलने की एक अलग खुशी झलक रही थी। वह शख्स भी उसका हाथ पकड़े उसकी आँखों में देखते हुए मुस्कुरा रहा था।

    गौरी ने कहा,
    "तुम्हें पता है साहिल, मेरी भाभी ना बहुत स्वीट हैं! मुझे भाई की शादी को लेकर एक ही डर था, पता नहीं भाभी कैसी होंगी। अक्सर ननद-भाभी के बीच कोई अच्छा कनेक्शन नहीं बन पाता है, बट मेरी भाभी बहुत मासूम है। बस उनकी उम्र भाई से थोड़ी कम है। मैं उन्हें बिल्कुल छोटी बहन की तरह ट्रीट करती हूँ!"

    यह सुन उस शख्स ने, जिसका नाम साहिल देशमुख था, मुस्कुराते हुए कहा,
    "This is good for you। अब तुम्हें घर पर अकेलापन महसूस नहीं होगा। जब कोई नहीं होगा घर पर, तब भी तुम अपनी भाभी से बात कर पाओगी।"

    यह सुन गौरी उत्साहित होते हुए बोली,
    "और मैंने मम्मी-पापा की बातें सुनी थीं, वो भाभी का एडमिशन भी मेरी कॉलेज में ही करवाएँगे। मैं बहुत खुश हूँ साहिल।"

    यह सुन साहिल के चेहरे पर अलग चमक आ चुकी थी। अगर वो गौरी की कॉलेज में पढ़ेगी, मतलब साहिल उसे देख पाएगा। उसकी नीली आँखों की चमक देख लग रहा था उसके दिमाग में कुछ तो घटिया खिचड़ी पक रही थी, जिसका अंजाम बेशक अच्छा नहीं होने वाला था!

    थोड़ी देर बाद साहिल गौरी के चेहरे की तरफ़ किस करने के लिए झुकता है, लेकिन हिचकिचाहट के साथ गौरी बोलती है,
    "साहिल.. आई थिंक.. आई थिंक ये सही समय नहीं है।"

    साहिल ने रोने वाला फ़ैसला बनाकर कहा,
    "जस्ट वन्स…!"

    पर गौरी ने कहा,
    "आई डोंट नो साहिल, व्हाट इज़ द रीज़न, बट आई डोंट फ़ील कम्फ़र्टेबल.. सो प्लीज़.. आई होप यू अंडरस्टैंड!"

    साहिल ने भी जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा,
    "मैं इंतज़ार करूँगा।"

    थोड़ी देर बाद गौरी कैफ़े से निकलकर घर आ चुकी थी। साहिल वहीं बैठा-बैठा आगे की योजना बना रहा था। कैसे भी करके उसकी बहू को अपने कब्ज़े में करना होगा। उसके बाद तो दो-दो कमज़ोरियाँ, वो भी त्रिजाल अग्निरासा की! वाह! यू आर द ग्रेट साहिल देशमुख!

    इतना बोल साहिल हँसने लगता है!

    पग फेरों की रस्म के लिए श्रीजा जैसे ही घर पहुँचती है, सबसे पहले धरा के गले लग जाती है और फिर श्रेया के। श्रीजा को बच्चों की तरह रोता देख उन सास-ससुर की आँखों में भी नमी आ जाती है। अधिराज जी और रोहिणी जी को देखकर श्रीजा का चेहरा खिल उठता है। श्रीजा की अपनी मम्मी-पापा से ज़्यादा अपनी दादी-दादा से बनती थी, जिसकी वजह उसे खुद भी नहीं पता थी।

    रोहिणी जी ने श्रीजा को गले लगाते हुए कहा,
    "कैसी है मेरी लाडो? तेरी सास भी तेरी माँ की तरह ज़्यादा डाँट तो नहीं लगाती तुझे?"

    यह सुन श्रीजा ने कहा,
    "मैं अच्छी हूँ दादी माँ.. और मेरी सास.. वो बहुत अच्छी है। मुझे बहुत अच्छी तरह रखती हैं!"

    फिर अधिराज जी के गले लगते हुए बोली,
    "आई मिस यू दादू।"

    अधिराज जी ने प्यार से श्रीजा के सर पर हाथ फेरकर कहा,
    "कितनी बड़ी हो गई है हमारी नन्ही सी परी।" "की अब वो इस घर से विदा भी हो गई।"

    अभि बहुत खुश था श्रीजा को खुश देखकर। वरना कल के हादसे के बाद उसके मन में एक ही डर था, श्रीजा ना जाने कैसा बर्ताव करेगी। अब खुश भी रहेगी या नहीं।

    शाम को

    अभि और श्रीजा गुंजल विला से वापस आ रहे थे।

    मौलिक ने कहा,
    "भाभी, आज आपने कुछ नोटिस किया?"

    तो श्रीजा कन्फ्यूज़ होते हुए बोली,
    "क्या? मैंने तो ऐसा कुछ नहीं देखा?"

    अभि ने शरारत भरी मुस्कान के साथ कहा,
    "आपके भाई गौरी को किस नज़र से देख रहे थे। मुझे लगता है उन्हें मेरा जीजा बनने में दिलचस्पी है!"

    यह सुन श्रीजा ने आँखें बड़ी करते हुए कहा,
    "ये.. ये क्या बोल रहे हैं आप?"

    अभि ने मुस्कुराते हुए कहा,
    "जो आपने सुना, बस वही। आप बहुत भोली-भाली हो और मुझे जानती नहीं हो। अभिमन्यु अग्निरासा का सिक्स्थ सेंस कभी गलत नहीं हो सकता।"

    श्रीजा ने कुछ सोचते हुए कहा,
    "ऐसा क्या? पर हमें क्या करना चाहिए?"

    अभि ने हँसते हुए कहा,
    "कुपिड भी बन सकते हैं और उनके मज़े भी ले सकते हैं।"

    इतना बोल अभि हँसने लगा और उसे देख श्रीजा के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई।

    वहीं दूसरी तरफ़ मीटिंग ख़त्म होने के बाद त्रिजाल कुछ काम कर रहा था कि अचानक उसके केबिन में काम्या आती है। त्रिजाल कन्फ्यूज़ होकर काम्या को देखता है।

    काम्या कहती है,
    "एक्चुअली, डैड जब यहाँ मीटिंग के लिए आ रहे थे, तब मैं भी आ गई तुमसे मिलने।"

    त्रिजाल ने बस हाँ में गर्दन हिला दी। कुछ देर में एक लड़का उन दोनों के लिए कोल्ड ड्रिंक लेकर आया।

    काम्या ने मुस्कुराते हुए कहा,
    "थक गए हो ना तुम? चलो कुछ ठंडा पी लो, बेहतर फ़ील करोगे।"

    त्रिजाल भी आज की मीटिंग के बाद थोड़ा परेशान था। उसने ड्रिंक ली और एक साँस में पी गया। वहीँ यह देख काम्या के चेहरे पर जहरीली मुस्कान तैर गई।

    "अब देखना त्रिजाल, तुम खुद मुझे अपने करीब बुलाओगे। और.. और तुम्हारी सो कॉल्ड बीवी... बस देखती रह जाएगी।"

    इतना बोल काम्या हँसने लगी...

    आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए...

  • 15. Reborn to marry my devil husband - Chapter 15

    Words: 1821

    Estimated Reading Time: 11 min

    त्रिजाल ने ड्रिंक करने के बाद फिर से अपना ध्यान लैपटॉप पर लगा दिया। वह पूरी एकाग्रता के साथ काम कर रहा था और काम्या को पूरी तरह अनदेखा कर रहा था।

    लेकिन कुछ ही देर में उसकी आँखों में नशा सा छा गया। उसने अपनी बंद होती आँखों को जबरदस्ती खोलते हुए काम्या को देखा। काम्या ने चिंता करते हुए कहा,
    "आरे यू ओके त्रिजाल?"

    त्रिजाल ने कहा,
    "ए.. एसी का टेंपरेचर बढ़ाओ!"

    काम्या ने एसी का टेंपरेचर बढ़ाकर मुस्कराते हुए अपने मन में कहा,
    "एसी की ठंड तुम्हें इस बॉडी हीट से नहीं बचा सकती त्रिजाल!"

    त्रिजाल ने लैपटॉप बंद किया और अपनी शर्ट के ऊपर के तीन बटन खोलकर लंबी-लंबी साँसें लेते हुए अपने बालों में हाथ फेरने लगा।

    काम्या ने कहा,
    "यहाँ सोफे पर बैठ जाओ। त्रिजाल, मैं ठंडा पानी लाती हूँ तुम्हारे लिए।" इतना बोल काम्या साइड में रखे जग से पानी का गिलास निकालती है।

    त्रिजाल का दिमाग जैसे सुन पड़ चुका था। उसने जल्दी से अपनी जेब से फ़ोन निकालकर अनिरुद्ध को कॉल किया। एक रिंग में ही अनिरुद्ध ने कॉल पिक करके कहा,
    "येस सर, इज़ एवरीथिंग ऑलराइट!"

    त्रिजाल ने भारी आवाज़ में कहा,
    "व्हेयर आर यू!"

    त्रिजाल की ऐसी भारी आवाज़ सुन अनिरुद्ध ने जल्दी से घबराते हुए कहा,
    "आई एम जस्ट कमिंग सर।" इतना बोल अनिरुद्ध ने कॉल काट दिया।

    अगले ही पल त्रिजाल ने फ़ोन जेब में रखा और दोनों हाथों से अपना सिर पकड़कर वहीं चेयर पर बैठ गया। काम्या उसके पास आकर उसके हाथ में पानी का गिलास थमाते हुए उसके कंधे पर हाथ रखकर बोली,
    "तुम ठीक हो ना त्रिजाल? आई थिंक तुम्हें रेस्ट करनी चाहिए। चलो, मैं तुम्हें घर छोड़ देती हूँ।"

    काम्या धीरे-धीरे अपना हाथ शर्ट से झाँकती त्रिजाल की मस्कुलर चेस्ट पर फेरने लगी, जिससे त्रिजाल को राहत मिल रही थी। वह आँखें बंद किए बस गहरी साँस ले रहा था। उसने काम्या की बातों का कोई जवाब नहीं दिया।

    काम्या उसके चेहरे की तरफ़ झुकती है। लेकिन तभी अनिरुद्ध बिना खटखटाए जल्दी से केबिन में एंटर होता है।

    "सर!" फिर काम्या की तरफ़ देखकर, "क्या हुआ है इन्हें? क्या किया है तुमने इनके साथ?"

    काम्या बोली,
    "मैंने... आर यू लॉस्ट योर माइंड? मैं क्या ही करूँगी इसके साथ!"

    अनिरुद्ध ने काम्या को अनदेखा करते हुए त्रिजाल के सामने जाकर कहा,
    "चलिए सर, हम हॉस्पिटल चलते हैं!"

    इतना बोल उसने त्रिजाल को अपने कंधों से पकड़कर संभालते हुए खड़ा किया और केबिन से बाहर ले जाने लगा। त्रिजाल रास्ते में ही अपनी शर्ट निकालने की कोशिश कर रहा था। यह देख अनिरुद्ध की आँखें बड़ी हो गईं। उसने मन में सोचा,

    "अब क्या होगा? लगता है सर को ड्रग्स दिए हैं। आज तो तविश अग्निरासा भी यहीं है! कहीं इनकी इस हालत का फ़ायदा उठाकर वो कुछ कर ना दें! अब क्या करूँ?"

    अनिरुद्ध ने जल्दी से त्रिजाल को बैक सीट पर बैठाया। वह जैसे ही कार स्टार्ट करने वाला था, काम्या भागते हुए उसके पास आकर बोली,
    "मुझे भी ले चलो! शायद मैं किसी काम आ जाऊँ?"

    अनिरुद्ध ने गुस्से से काम्या को घूरते हुए कहा,
    "नो थैंक्स, गेट लॉस्ट फ्रॉम हियर। तुम्हें उनकी फ़िक्र करने की कोई ज़रूरत नहीं है जब तक मैं यहाँ हूँ!"

    अनिरुद्ध ने हॉस्पिटल ना जाकर त्रिजाल के प्राइवेट फ़ार्महाउस की तरफ़ गाड़ी घुमाई और सुनैना को कॉल किया। दो रिंग के बाद सुनैना ने फ़ोन पिक करके कहा,
    "अब डिनर के टाइम भी चैन नहीं है क्या तुम्हें और तुम्हारे सर को!"

    अनिरुद्ध ने गहरी साँस लेकर खुद के गुस्से को कंट्रोल करते हुए कहा,
    "इट्स एमरजेंसी सुनैना, फ़ार्म हाउस पर आ जाओ जितना जल्दी हो सके। सर की तबियत ठीक नहीं है।"

    सुनैना ने हड़बड़ाहट में "ओके" कहा और कॉल काट दिया। अनिरुद्ध की गाड़ी एक बड़े से फ़ार्महाउस के आगे जाकर रुकी जो शहर के आउटसाइड एरिया में था। उसके पास एक झील थी जो बेहद खूबसूरत थी और उस झील पर एक लकड़ी का पुल। अंदर का नज़ारा उससे भी ज़्यादा खूबसूरत था।

    अनिरुद्ध ने त्रिजाल को गाड़ी से सहारा देते हुए उतारा। त्रिजाल ने चिड़चिड़े स्वर में कहा,
    "व्हाट द हेल इज़ गोइंग ऑन!! आई वांट... आई वांट... समथिंग... कोल्ड...!"

    अनिरुद्ध ने जैसे-तैसे त्रिजाल को रूम में ले जाकर बेड पर बैठाया। लेकिन त्रिजाल अगले ही पल वहाँ से उठकर अपनी आँखें बड़ी करते हुए खोलने की कोशिश करते हुए बोला,
    "कहाँ हैं हम?"

    अनिरुद्ध ने कहा,
    "फ़ार्महाउस पर सर!"

    त्रिजाल ने अनिरुद्ध को एक नज़र देखकर कहा,
    "गेट आउट फ्रॉम हियर।"

    अनिरुद्ध अपने डर को छिपाते हुए जल्दी से वहाँ से भागते हुए निकल गया और कॉरिडोर में खड़े होकर सुनैना का इंतज़ार करने लगा। त्रिजाल ने खुद की शर्ट निकाली और उसे बेरहमी से सोफे पर फेंकते हुए बाथरूम की तरफ़ बढ़ गया।

    त्रिजाल दीवार से अपने दोनों हाथ लगाए शावर के नीचे खड़ा था। शावर का ठंडा पानी उसकी एट-पैक एब्स से होते हुए उसकी पूरी बॉडी को भीगो रहा था। उसकी पीठ पर एक टाइगर बना था जिसे देखकर लग रहा था वो टाइगर असली हो और दहाड़ रहा हो। त्रिजाल की आँखें इस वक्त बंद थीं, होंठ हल्के से खुले थे, चेहरा एकदम लाल हो चुका था, लालिमा उसकी बॉडी पर भी दिख रही थी।

    अनिरुद्ध कॉरिडोर में चक्कर लगा रहा था, तभी भागते हुए सुनैना आई। उसने अनिरुद्ध को देखकर कहा,
    "तुम भी चलो मेरे साथ अंदर।"

    अनिरुद्ध ने हाँ में सिर हिलाया और दोनों डरते हुए त्रिजाल के रूम में एंटर हो गए। बाथरूम से पानी की आवाज़ सुनकर उन्हें समझ आ गया त्रिजाल बाथरूम में है। कुछ ही देर में त्रिजाल अपनी आकर्षक छाती पर तौलिया लपेटकर बाहर आया। उसके बालों से अब भी पानी टपक रहा था और उसकी आँखें नशीली थीं।

    सुनैना ने कहा,
    "यहाँ बैठो, मैं चेक-अप कर देती हूँ।"

    त्रिजाल के कदम अब भी लड़खड़ा रहे थे, लेकिन उसने खुद को मज़बूत दिखाते हुए बेड की तरफ़ अपना रुख किया और लड़खड़ाकर बेड पर बैठ गया। सुनैना ने काँपते हाथों से उसका एग्ज़ामिन करना शुरू किया। उसने त्रिजाल को एंटीडोट का इंजेक्शन लगाया और अनिरुद्ध की तरफ़ इशारा करते हुए बाहर आ गई, और अनिरुद्ध उसके पीछे-पीछे।

    अनिरुद्ध: "क्या अब वो ठीक हो जाएँगे?"

    सुनैना: "ठीक तो हो जाएगा। बट ही इज़ इन पेन। तुम्हें इसकी वाइफ को बुलाना चाहिए यहाँ।"

    अनिरुद्ध ने कुछ कहने के लिए अपना मुँह खोला, उससे पहले रूम से तोड़-फोड़ की आवाज़ आने लगी।

    अनिरुद्ध ने डरते हुए कहा,
    "वो इन्हें संभाल पाएँगी?"

    सुनैना: "तो क्या तू संभालेगा? इसकी बीवी है वो, वही संभालेगी ना! इससे शादी भी तो की है! तू कॉल करके बुला उसे यहाँ!"

    "मैं चलती हूँ, किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो तो कॉल करना!"

    अनिरुद्ध ने हाँ में सिर हिलाते हुए किसी को कॉल किया। तो सामने से गौरी की आवाज़ आई,
    "हाँ अनिरुद्ध भाई, बोलिए..."

    अनिरुद्ध ने कहा,
    "मैडम से बात करवा सकती हो क्या?"

    गौरी ने कन्फ़्यूज़ होते हुए कहा,
    "कौन मैडम?"

    तब अनिरुद्ध ने कहा,
    "श्रीजा मैडम!"

    गौरी: "ओह, अच्छा भाभी से! तो ऐसा बोलिए ना। मैं अभी करवाती हूँ।"

    गौरी ने श्रीजा के रूम में जाकर कहा,
    "भाभी, आपके लिए फ़ोन है।"

    श्रीजा ने कन्फ़्यूज़न के साथ फ़ोन अपने कान पर लगा लिया। अनिरुद्ध ने किसी रोबोट की तरह एक साँस में बोलना शुरू किया,
    "मैडम, सर ने आपको अर्जेंटली बुलाया है। उन्हें आपकी ज़रूरत है। अगर आप फ़्री हैं तो क्या आप यहाँ आ सकती हैं?"

    श्रीजा ने कहा,
    "पर मैं किसके साथ आऊँगी?"

    श्रीजा की आवाज़ बच्चों जैसी थी जिसे सुन अनिरुद्ध के कान खड़े हो गए। "क्या मैडम ही बोल रही हैं?" उसने अपने मन में कहा। और फिर श्रीजा की बात का जवाब देते हुए कहा,
    "बाहर ड्राइवर खड़ा है, आपको वो छोड़ देगा।"

    श्रीजा ने "ओके" बोलकर फ़ोन गौरी को दे दिया।

    गौरी: "सब ठीक है ना भाभी?"

    श्रीजा: "हाँ, उन्होंने बुलाया है।"

    गौरी: "उन्होंने? किसने?"

    श्रीजा: "त्रि... त्रिजाल जी ने।"

    गौरी ने अपनी हँसी कंट्रोल करते हुए कहा,
    "ओहू... सीक्रेट प्लानिंग लगती है भाई की! या हनीमून मना रहे हो आप दोनों?"

    श्रीजा ने आँखें बड़ी करते हुए कहा,
    "आपको शर्म नहीं आती? आप कैसी बातें कर रही हैं?"

    गौरी: "भाभी, अगर मैं भी आपसे ऐसी बातें ना करूँ तो कौन करेगा? आखिर आपकी प्यारी सी इकलौती ननद जो हूँ मैं।"

    ये सुनकर श्रीजा का चेहरा शर्म से लाल हो गया।

    श्रीजा: "अब मैं जाती हूँ। आप मॉम को बता देना, उन्हें चिंता होगी। रात को जा रही हूँ इसलिए!"

    गौरी: "डोंट वरी, यहाँ मैं सब संभाल लूँगी। आप बस मेरे भाई को संभाल लीजिएगा।"

    श्रीजा मुस्कुराती हुई वहाँ से गौरी को बाय बोलकर निकल गई। बाहर एक ड्राइवर ने रेस्पेक्टफुली श्रीजा को ग्रीट करते हुए कार का बैक डोर ओपन किया। श्रीजा कार में बैठ चुकी थी, लेकिन उसका दिल उसके सीने में ऐसे कूद रहा था जैसे अभी उछलकर बाहर आ पड़ेगा। उसकी हथेली से पसीने छूट रहे थे। हाथ-पांव त्रिजाल के पास जाने के नाम से ठंडे पड़ चुके थे। उसके दिमाग से कल रात वाला सीन निकला नहीं था अभी तक। त्रिजाल ने कितनी बेरहमी से उस आदमी के सर को गोलियों से भूना था...

    श्रीजा ने अपने मन में कहा,
    "हे शिव, बचा लेना अपनी इस झल्ली सी भक्त को। उनके रौद्र रूप से मुझे बहुत डर लगता है... बस कोई अनहोनी ना हुई हो!"

    वहीं त्रिजाल ने पूरे कमरे का नक्शा बदल डाला था। सब तहस-नहस हो चुका था। मिरर, सोफे, टेबल, पेंटिंग... सब के सब टूटकर आस-पास बिखरे पड़े थे। उस रूम में पैर रखने तक की जगह नहीं बची थी। उसकी बालकनी बहुत बड़ी थी। अब त्रिजाल बालकनी में खड़ा था। उसके हाथ इस वक्त रेलिंग पर कसे हुए थे। बाहर ठंडी तूफानी हवाएँ चल रही थीं, जिनमें त्रिजाल सुकून ढूँढने की कोशिश कर रहा था। अब तो हल्की-हल्की बारिश की बूँदें भी गिरने लगी थीं।

    श्रीजा भी कार की विंडो से उन बारिश की बूँदों को देख रही थी। उसने अपनी साड़ी का पल्लू कसकर जकड़ रखा था, लेकिन उसकी नर्वसनेस बिल्कुल कम नहीं हो रही थी। रह-रह कर उसे गौरी की कही बातें भी तंग कर रही थीं, जिनके ख्याल भर से उसकी बॉडी शिवर कर रही थी।

    आखिर क्या होगा आज श्रीजा और त्रिजाल का मिलन? क्या रंग लाएगी ये तूफानी रात त्रिजाल और श्रीजा की ज़िंदगी में? जानने के लिए पढ़ते रहिए "रिबॉर्न टू लव माय डेविल हसबैंड"।

  • 16. Reborn to marry my devil husband - Chapter 16

    Words: 1031

    Estimated Reading Time: 7 min

    त्रिजाल उस वक्त बड़ी सी बालकनी में खड़ा था। उसने रेलिंग को कसकर पकड़ रखा था। उसने सिर्फ़ एक तौलिया अपने वेस्ट पर लपेटा हुआ था। बारिश की बूँदें उसे भीगो चुकी थीं। बाहर की ठंडी हवाओं में भी उसे सुकून नहीं मिल रहा था। वहीं अनिरुद्ध बहुत परेशान सा हॉल में बैठा था। वह बस श्रीजा के आने का इंतज़ार कर रहा था। उसे त्रिजाल की चिंता थी और डर भी लग रहा था।

    लगभग बीस मिनट बाद श्रीजा फार्म हाउस पहुँची। कार से उतरते वक़्त उसके पैर काँप रहे थे। उसने अपनी साड़ी को मुट्ठी में जकड़ा और हिम्मत करके कार से उतरी। वहीं कार की आवाज़ सुनकर अनिरुद्ध जल्दी से बाहर आया। उसने सामने श्रीजा को देखा। मानो उसकी आँखों को यकीन नहीं हो रहा हो, यह त्रिजाल की पत्नी है!

    अनिरुद्ध ने हैरान चेहरे के साथ कहा,
    "आप श्रीजा मैडम हैं?"

    तो श्रीजा ने अपने हाथों की उंगलियों को आपस में उलझाते हुए कहा,
    "हाँ। क्या आपने ही फ़ोन पर बात की थी? कहाँ है वो?"

    यह सुनकर अनिरुद्ध को डर लगने लगा। श्रीजा के लिए... कहीं उसने बहुत बड़ी गलती तो नहीं कर दी, श्रीजा को यहाँ बुलाकर! फिर उसने गहरी साँस लेकर कहा,
    "अह... मैडम, असल में... सर के किसी प्रतिद्वंद्वी ने उन्हें ड्रग्स दे दिए हैं।"

    यह सुनकर श्रीजा की गोल आँखें और बड़ी हो गईं, मानो उसे अनिरुद्ध की बातों पर जरा भी यकीन न हो।

    अनिरुद्ध ने कहा,
    "सर अंदर कमरे में हैं। उन्हें इंजेक्शन दे दिया गया है, लेकिन उनकी हालत बहुत ख़राब है। मुझे माफ़ करना अगर आपको परेशानी हुई हो तो..."

    श्रीजा को अब त्रिजाल की चिंता होने लगी थी। उसे त्रिजाल का अपना ख्याल रखना याद आ रहा था। अगर अब उसकी बारी है तो वह पीछे कैसे हट सकती है? यही सोचकर श्रीजा ने कहा,
    "वह कहाँ है? मुझे उनके पास जाना है।"

    अनिरुद्ध ने सिर हिलाया और आगे बढ़ गया। श्रीजा भी अपनी बढ़ती धड़कन को काबू करते हुए उसके पीछे-पीछे चल दी।

    वहीं त्रिजाल बारिश में भीग रहा था। उसका चेहरा ऐसा हो गया था जैसे कोई ज्वाला जल रही हो! उसने मुड़ते हुए दीवार पर मुक्के मारना शुरू कर दिया। उसके मुँह से बुरी तरह चिल्लाने की आवाज़ें आ रही थीं। उन आवाज़ों को सुनकर श्रीजा के कदम मानो दरवाज़े पर जम गए।

    अनिरुद्ध दरवाज़े से थोड़ा दूर खड़े होकर बोला,
    "मैं बस यहीं तक आपके साथ जा सकता हूँ। आगे आपको ही संभालना है उन्हें! कमरे में फ़ोन बूथ है, आपको कोई ज़रूरत हो तो मुझे कॉल करिएगा।"

    इतना बोलकर अनिरुद्ध वहाँ से चला गया। श्रीजा आँखें फाड़े कमरे को देख रही थी। एक भी चीज़ सही-सलामत नहीं बची थी। श्रीजा ने धीरे-धीरे खुद को संभालते हुए आगे कदम बढ़ा दिए। उसने उन आवाज़ों का पीछा किया तो उसे बालकनी में त्रिजाल की धुंधली छवि नज़र आई।

    श्रीजा डरते हुए बालकनी में पहुँची। बारिश की बौछार सीधे उसके ऊपर गिरने लगी जिससे कुछ ही पल में उसकी सिल्क साड़ी उसके बदन से एकदम चिपक गई। त्रिजाल अब भी आँखें बंद किए दीवार पर मुक्के मार रहा था कि अचानक उसके हाथ पर उसे किसी का ठंडा और मुलायम स्पर्श महसूस हुआ। त्रिजाल ने झट से आँखें खोलकर देखा। सामने श्रीजा को देखकर उसकी नशीली आँखों में और भी नशा छा गया! उसने अपने जख़्मी हाथों से श्रीजा के गाल को छुआ। उसकी कोमल त्वचा को महसूस करते हुए त्रिजाल ने लड़खड़ाती जुबान में पूछा,
    "यहाँ... कौन ले आया तुम्हें? हम्म?"

    श्रीजा ने हकलाते हुए कहा,
    "...वो... वो... एक ड्राइवर भैया..."

    त्रिजाल ने आगे कहा,
    "और तुम आ भी गईं।"

    श्रीजा ने उलझन में त्रिजाल को देखा जो धीरे-धीरे उस पर झुकता जा रहा था। श्रीजा दीवार से बिल्कुल चिपक चुकी थी, लेकिन त्रिजाल अब भी उसके करीब बढ़ता जा रहा था। त्रिजाल ने श्रीजा की गर्दन पर अपने गरम होंठों को टिकाते हुए कहा,
    "तुम्हें... तुम्हें मना कर देना चाहिए था! यहाँ नहीं आना चाहिए था... इट्स... इट्स नॉट गुड फॉर यू!"

    त्रिजाल की गरम साँसें अपनी गर्दन पर महसूस कर श्रीजा की पूरी बॉडी बुरी तरह काँप रही थी। उसकी गर्दन के रोएँ तक खड़े हो गए थे। उसने हकलाती जुबान में कहा,
    "आप... आपको अच्छा न... न... नहीं लगा... मुझे यहाँ देखकर..."

    त्रिजाल ने अपना एक हाथ श्रीजा की साड़ी से झाँकती कमर पर रखकर उसके कान के पास जाकर कहा,
    "मुझे... कैसा लगा... यह कुछ पलों में तुम्हें पता चल जाएगा। जस्ट वन क्वेश्चन!"
    "आर यू श्योर... फॉर दिस..."

    श्रीजा ने अपनी मुट्ठी बांधते हुए कहा,
    "फॉर... फॉर व्हाट...?"

    त्रिजाल ने दोनों हाथों से उसकी कमर थामकर उसकी आँखों में मदहोशी से देखते हुए कहा,
    "रेडी फॉर... बिकमिंग माइन... टोटली..."

    श्रीजा ने अपनी पलकें झुकाते हुए कहा,
    "मैं तैयार हूँ, लेकिन मुझे लगता है आप किसी और को चाहते हैं।"

    श्रीजा को नहीं पता था उसने फुर्ती में क्या बोल दिया था। त्रिजाल की आँखें जो नशे में गुलाबी थीं, अब गुस्से में लाल होती जा रही थीं। उसने श्रीजा की कमर पर पकड़ कसते हुए कहा,
    "समवन एल्स?"

    श्रीजा ने नज़रें फेरते हुए ही कहा,
    "आपका प्यार... काम्या! यही नाम लिया था आपने उसका।"

    त्रिजाल ने एक हाथ से श्रीजा के बालों में पकड़ बनाते हुए दाँत पीसते हुए कहा,
    "डिड यू नो... व्हाट आर यू सेइंग स्वीटहार्ट!"

    श्रीजा की आँखें जब त्रिजाल के गुस्से भरे चेहरे पर पड़ीं... त्रिजाल पर इंजेक्शन का असर शायद कुछ-कुछ हो रहा था, जिससे वह श्रीजा की कही बातों को समझ रहा था। अगर श्रीजा की जगह कोई और होती तो अपनी इच्छाओं पर भी नियंत्रण कर सकता था, लेकिन श्रीजा की उपस्थिति में तो त्रिजाल बिना किसी नशे के भी अपना नियंत्रण खो देता था। तो आज तो नशा ही छाया हुआ था...

    श्रीजा ने त्रिजाल को गुस्से में देखकर भरे गले से कहा,
    "मैंने अपनी आँखों से देखा है। मैं किसी और के कहे पर विश्वास नहीं करती!"

    इस रोमांस का सिलसिला जारी है... अगले भाग में...
    पुनर्जन्म मेरे शैतान पति से प्रेम करने के लिए...

  • 17. Reborn to marry my devil husband - Chapter 17

    Words: 1234

    Estimated Reading Time: 8 min

    श्रीजा की बात सुनकर त्रिजाल के जबड़े गुस्से से कस गए। उसकी नज़रें ठंड से कांपते श्रीजा के मुलायम होठों पर ठहर गईं।

    श्रीजा ने फिर से कुछ बोलना चाहा, पर उससे पहले ही त्रिजाल किसी भूखे भेड़िये की तरह उसके नर्म होठों पर टूट पड़ा।

    वह उसके होठों को अपने मुँह में भर रहा था, कभी चूस रहा था तो कभी बेसब्री में काट रहा था।

    कुछ ही देर में त्रिजाल के मुँह में खून का स्वाद आने लगा और ना चाहते हुए भी उसे श्रीजा के होठों को छोड़ना पड़ा। त्रिजाल गहरी साँस उसके मुँह पर छोड़ते हुए बोला,
    "बीवी.. तुम्हारा छोटा सा दिमाग और छोटा सा मुँह कुछ ज़्यादा ही चलने लगा है!"
    "मैंने वार्न किया था ना तुम्हें शादी से पहले..! चांस दिया था तुम्हें! तुम चाहती तो इस रिश्ते से पीछे हट सकती थी!"

    श्रीजा के होठ कांप रहे थे। वह कहना बहुत कुछ चाहती थी त्रिजाल से, पर उसकी जुबान त्रिजाल की करीबी से मानो जम गई हो। वह ठंड से कांप रही थी। त्रिजाल ने जब देखा कि श्रीजा उसके सवाल का जवाब नहीं दे रही है, उसने श्रीजा की कमर पिंच करते हुए कहा,
    "अब बोलती क्यों बंद हो गई तुम्हारी?"

    श्रीजा ने कांपते होठों से कहा,
    "वो.. वो.. ठंड लग रही है.."

    त्रिजाल ने झटके से श्रीजा को अपनी गोद में उठा लिया। जिससे एक पल के लिए श्रीजा चीख उठी और खुद को गिरने से बचाने के लिए अपने दोनों हाथ त्रिजाल के गले में बाँध दिए। त्रिजाल कमरे में आया। कमरे में सब तहस-नहस था। त्रिजाल बेड के पास आते हुए श्रीजा को बेड पर लेटा देता है। जिससे श्रीजा की धड़कनें बेतहाशा शोर करने लगीं। त्रिजाल हाथ आगे बढ़ाकर कमरे में नाइट मोड ऑन कर देता है। जिससे लाइट डिम हो जाती है और एक अजीब सी शांति पसर जाती है जिसमें सिर्फ़ उनकी गहरी साँसें और धड़कनों की आवाज़ किसी सुर की तरह बज रही थी।

    श्रीजा अपने आप में सिमटती हुई बेड के कोने की तरफ़ जा रही थी। जिसे देखकर त्रिजाल ने उसका छोटा सा पैर अपने हाथों में भर लिया। श्रीजा खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, जिससे उसकी पायल शोर कर रही थी। लेकिन त्रिजाल की पकड़ इतनी नाज़ुक नहीं थी जो आसानी से छूट जाए। श्रीजा जो बारिश के पानी से भीगी थी, अब डर के मारे पसीने से भीग चुकी थी। त्रिजाल उसके ऊपर झुकता हुआ उसके करीब आता है तो उसे श्रीजा की गर्दन पर पसीने की बुँदें चमकती हुई दिखती हैं। त्रिजाल की नज़रें बेशर्मी का पर्दा गिराते हुए उसके क्लीवेज पर जा अटकती हैं।

    श्रीजा ने कसकर अपनी आँखें बंद करके कहा,
    "आप.. आप.. प.. पछताएँगे ये सब करके.. क्योंकि मैं आपका प्यार नहीं हूँ..! आप ये गलत कर रहे हैं, अपने साथ भी, मेरे साथ भी और अपने प्यार के साथ भी..!"

    श्रीजा बोल ही रही थी कि त्रिजाल ने उसके होठों पर अपनी उंगली रखते हुए कहा,
    "Shhhh गलती इतनी खूबसूरत हो तो मुझे इसे करने में कोई दिक्कत नहीं है।"

    त्रिजाल की गहरी आवाज़ सुन श्रीजा अपनी जगह जम गई थी। उसकी साँसें फूलने लगीं जब त्रिजाल का हाथ उसके पल्लू को उसके सीने से अलग कर रहा था। श्रीजा मन ही मन शिव को याद करते हुए कांप रही थी। उसके होठ कांप रहे थे, मुट्ठी बिस्तर की चादर को कसी हुई थी। और उसकी ये मासूम हरकतें त्रिजाल को उत्तेजित कर रही थीं। त्रिजाल ने पल्लू हटाने के बाद साड़ी के पल्लू हटाए और एक ही पल में श्रीजा की साड़ी उसके बदन से दूर गिर गई थी। त्रिजाल ने अपना चेहरा श्रीजा के गीले बालों में छिपाते हुए उसकी बालों की खुशबू सूँघने लगा। श्रीजा उससे दूर जाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन त्रिजाल ने उसकी कमर को थामते हुए उसे खुद के नीचे दबोच लिया था। श्रीजा उसकी नशीली आँखों में देख भी नहीं पा रही थी। त्रिजाल ने अपना तौलिया निकालकर बेड के नीचे गिरा दिया जिससे श्रीजा ने अपना चेहरा फेर लिया। तभी बालकनी से ठंडी हवा का झोंका श्रीजा के बदन को छूकर गया और श्रीजा ने झट से त्रिजाल को गले लगा लिया। त्रिजाल श्रीजा के इस हरकत के लिए तैयार नहीं था। उसका बैलेंस बिगड़ा और वह पूरी तरह श्रीजा के ऊपर समा गया। श्रीजा को अपनी बॉडी पर जब त्रिजाल की बॉडी का एहसास हुआ, पूरे शरीर में करंट दौड़ गया। और शर्म के मारे अपने होठ काटने लगी। त्रिजाल ने उसके गुलाबी होठों को देखकर एक बार अपनी जीभ अपने होठों पर घुमाई और अगले ही पल उसके लबों पर अपना कब्ज़ा बना लिया।

    कुछ देर बाद श्रीजा के बचे-कुचे लिबास भी तितर-बितर हुए बेड के इर्द-गिर्द पड़े थे और उसकी घुट्टी-घुट्टी आवाज़ें आ रही थीं। वह पता नहीं क्या बोलने की कोशिश कर रही थी जो त्रिजाल को परेशान कर रही थी। त्रिजाल ने जैसे ही श्रीजा को छोड़ा, मानो वह साँस लेना भूल चुकी थी। त्रिजाल ने पलटते हुए उसे खुद के ऊपर किया और पीठ रगड़ते हुए बोला,
    "Take a long deep breathe बच्चा!!"

    त्रिजाल की आवाज़ सुन श्रीजा ने एक लंबी साँस ली, तब जाकर उसकी जान में जान आई। और अगले ही पल वह फिर से त्रिजाल के चौड़े शरीर के नीचे बिल्ली के बच्चे की तरह दब चुकी थी। त्रिजाल अब उसके पूरे चेहरे को शिद्दत से चूम रहा था और कुछ ही पलों में श्रीजा का छोटा सा चेहरा बुरी तरह लाल हो चुका था। त्रिजाल ने एक बार प्यार से उसके फोरहेड पर किस किया और आगे बढ़कर एक बार उसके होठों को छू लिया। श्रीजा त्रिजाल के हर स्पर्श से सिहरते हुए मचल रही थी। त्रिजाल को उसे छेड़ने में भी आनंद आ रहा था। त्रिजाल ने उसके सीने पर बने तिल को अपने होठों से छू लिया और श्रीजा ने झट से अपना हाथ अपने सीने पर रख लिया। त्रिजाल ने उसके दोनों हाथों को बेड के अगेंस्ट प्रेस करते हुए अपने होठों को उसकी गर्दन पर टिका दिया।

    "त्रि.. त्रिजाल.. आप..!!!"

    त्रिजाल ने उसके पेट को होठों से छूते हुए कहा,
    "My name is sounding good... By your Little mouth..!"
    "Just keep doing this..!"

    श्रीजा की बोलती अब बंद हो चुकी थी।
    "नहीं प्लीज़.." उसने आखिरी कोशिश करते हुए कहा। लेकिन त्रिजाल आज उसकी सारी कोशिशों पर पानी फेर रहा था।

    कुछ देर बाद श्रीजा की चीख उस कमरे में भयानक चीख गूँजी। त्रिजाल ने श्रीजा के होठों पर अपने होठ टिकाते हुए कहा,
    "Don't panic... Sweetheart..!"

    श्रीजा फफक कर रोते हुए बोली,
    "Aaah.!! It's.. it's really hurting.."

    त्रिजाल ने उसके गालों पर आए आँसुओं को अपने होठों से सहलाते हुए कहा,
    "Calm down.. I'll be gentle बच्चा।"

    श्रीजा ने एक लंबी साँस भरी और अपनी झिलमिलाती आँखों से एक बार त्रिजाल की आँखों में देखा जो बेहद तड़प के साथ उसे देख रहा था, मानो आगे बढ़ने की परमिशन माँग रहा हो। श्रीजा ने शर्म से अपनी पलकें झुका लीं।

    अगली सुबह..

    त्रिजाल की आँखें चेहरे पर धूप गिरने की वजह से खुलीं। उसने जैसे ही अपने पास देखा, उसकी आँखें डर से फैल गईं। आखिर क्या रिएक्शन होगा श्रीजा का? क्या होगा जब त्रिजाल को पता चलेगा काम्या की बेहूदा हरकत का? आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए "REBORN TO LOVE MY DEVIL HUSBAND"

  • 18. Reborn to marry my devil husband - Chapter 18

    Words: 1385

    Estimated Reading Time: 9 min

    सुबह हुई। त्रिजाल की आँखें चेहरे पर पड़ती धूप से खुलीं। त्रिजाल आँखें मसलते हुए अपने आस-पास देखने लगा। श्रीजा की हालत देखकर त्रिजाल की आँखें डर से फैल गईं। हालाँकि एक कम्बल की वजह से श्रीजा का शरीर पूरी तरह दिखाई नहीं दे रहा था, लेकिन जहाँ कम्बल नहीं था, वहाँ उसका शरीर लाल हो गया था, मानो वहाँ से खून टपकने वाला हो।

    श्रीजा के कुछ बाल तकिये पर बिखरे थे, और कुछ उसके चेहरे पर। त्रिजाल ने अपनी उंगलियों से श्रीजा के बालों को पीछे किया और उसका चेहरा देखने लगा। सूजे हुए होंठ बिल्कुल चेरी की तरह लग रहे थे। आँखों के किनारे आँसुओं के निशान सूख चुके थे। बड़ी-बड़ी पलकों ने उसकी बैंगनी आँखों को ढँक रखा था।

    त्रिजाल ने अपनी उंगलियों को काटने के निशान की ओर बढ़ाया तो उसकी उंगलियाँ कंपन करने लगीं। जैसे ही उसने एक निशान को छुआ, श्रीजा के चेहरे पर दर्द की लकीरें उभर आईं। उसने मुँह बिचकाकर त्रिजाल का हाथ अलग कर दिया, उसके माथे पर बल पड़ने लगे। पर थके होने की वजह से वह फिर सो गई।

    त्रिजाल ने एक झटके से कम्बल उसके ऊपर से हटाया तो उसका कलेजा फटने को तैयार हो गया। बेडशीट पर खून ही खून लगा था, जो शायद चीख-चीख कर बता रहा था कि श्रीजा बहुत पीड़ित हुई थी और उसका पहला आघात बहुत दर्दनाक था। त्रिजाल आगे बढ़कर आहिस्ता से फिर से उसके एक ज़ख्म को छुआ, जो शायद कुछ ज़्यादा ही गहरा था।

    श्रीजा ने आँखें खोलते हुए कहा,
    "आह!!"
    लेकिन उसकी नज़रें त्रिजाल की नज़रों से मिलीं तो उसकी बोली बंद हो गई। और जब उसने अपनी हालत देखी तो शर्म से सिकुड़कर बोली,
    "आप... क्यों बे-शर्मों की तरह देख रहे हैं मुझे?"

    त्रिजाल जैसे ही श्रीजा की ओर बढ़ने लगा, वह डर के मारे पीछे हट गई। एक बार फिर उसकी आँखें भर आईं। त्रिजाल ने मुट्ठी कस कर बन्द की। उसे श्रीजा का डरना सहन नहीं हो रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे उसके सीने में एक साथ हज़ारों सुइयाँ चुभ रही हों। लेकिन उसने अपने इमोशन्स को किनारे करते हुए एक नज़र श्रीजा पर डाली और अगले ही पल उसे अपनी गोद में उठा लिया।

    श्रीजा ने चिहुँकते हुए उसके गले में बाँह डाल ली। उसे बहुत शर्म आ रही थी। उसके गाल और कान जल रहे थे। कुछ तो अजीब अहसास था, जो पहली बार हो रहा था।

    त्रिजाल उसे बाथरूम में ले गया और बाथटब में बैठाकर तापमान सेट किया। जिससे श्रीजा को उस गर्म पानी से थोड़ी राहत मिली। लेकिन अगले ही पल उसकी जान हलक में आ गई जब उसे अपनी बॉडी पर त्रिजाल के सख्त हाथ महसूस हुए। वहीँ त्रिजाल को जैसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। उसकी आँखें ज़रूर लाल थीं, लेकिन क्यों, यह तो भगवान ही जाने, उसे किस पर गुस्सा आ रहा था।

    वहीं श्रीजा ने जब त्रिजाल के ऐसे भाव देखे तो खुद को रोक नहीं पाई और लगभग भर आए गले से बोली,
    "आपको... आपको गुस्सा आ रहा है। मैंने तो पहले ही बोला था... आप पछताएँगे... और... और आपका प्यार..."

    त्रिजाल ने गुस्से से श्रीजा का मुँह अपने हाथ से पकड़ते हुए कहा,
    "शश! तुम्हें जब बोलने को कहूँ, तभी बोला करो।"
    "Just shut off your little mouth."
    "मुझे पता है मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं। तुम्हारी सलाह की ज़रूरत नहीं है।"

    श्रीजा को नहीं पता था उसने त्रिजाल की कौन सी दुखती रग पर हाथ रखा है। वह पछता रहा था, लेकिन श्रीजा और उसके साथ बने इस खूबसूरत रिश्ते से नहीं, बल्कि अपने दिए ज़ख्मों की वजह से।

    वहीं बाहर अनिरुद्ध घबराया हुआ था। उसने रात जो किया, उसकी सज़ा उसे ज़रूर मिलेगी। बस यही सोच-सोचकर खुद को तैयार कर रहा था। नींद सुनैना को भी नहीं आई थी। वहीं अग्निरासा कुंज में सब खुश थे। त्रिजाल शायद अपने स्पेशल मोमेंट क्रिएट कर रहा था। आखिरकार उसने इस रिश्ते को मौका दे ही दिया था।

    त्रिजाल ने श्रीजा को अच्छे से साफ़ करने के बाद खुद को साफ़ किया और फिर एक सफ़ेद तौलिये में श्रीजा को गोद में उठा लिया। श्रीजा ने छोटा सा मुँह बनाते हुए कहा,
    "मैं बच्ची नहीं हूँ जो आप मुझे गोद में उठाकर घूम रहे हैं।"

    त्रिजाल ने एक नज़र श्रीजा को देखा और उसे सोफ़े पर बिठा दिया। श्रीजा असहज होते हुए बोली,
    "ये... ये आप क्या कर रहे हैं? मुझे कपड़े पहनने हैं।"

    श्रीजा कुछ बोल पाती, उससे पहले त्रिजाल मलहम लेकर आ चुका था। उसने तौलिया हटाने के लिए हाथ बढ़ाया तो श्रीजा ने कुछ ना बोलते हुए बस बड़ी सी ना में अपना सिर बार-बार हिलाया। पर त्रिजाल को उसकी ना से कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला था। उसने कहा,
    "I see every corner... what are you hiding...?"

    बस इतना सुनना था और श्रीजा वह शर्म का गड्ढा ढूँढ़ रही थी जिससे वह खुद को त्रिजाल की नज़रों से बचा पाए। त्रिजाल ने उसकी पीठ पर मलहम लगाया और फिर आगे। त्रिजाल के हाथ अपने सीने पर महसूस कर श्रीजा का दिल जोरों से धड़क रहा था। हालाँकि त्रिजाल का भी हाल कुछ ठीक नहीं था, लेकिन उसे अपने इमोशन्स बहुत अच्छे से हैंडल करने आते थे।

    श्रीजा ने पूरे समय अपनी आँखें कस कर बंद कर रखी थीं। उसकी हथेलियों से पसीना छूट रहा था। त्रिजाल जैसे ही उठने को हुआ, श्रीजा ने उसका हाथ पकड़ कर उसे वापस अपने पास बिठा लिया। अपना तौलिया पहनते हुए उसने त्रिजाल के हाथों से मलहम ले ली और उसके सीने पर बने अपने नाखूनों के निशान पर लगाने लगी। उसकी मासूम आँखों में दर्द साफ़-साफ़ दिखाई दे रहा था, जैसे ये निशान त्रिजाल के नहीं, बल्कि उसके शरीर पर हों।

    उसने हल्के से त्रिजाल की छाती पर बने एक विंग टैटू को छुआ और उसके मुँह से कराह निकल गई, जैसे ये अभी बनाया गया हो। त्रिजाल एकटक उसके चेहरे को देख रहा था।

    "बनाने वाले ने सारी रंगत, सारी मासूमियत एक ही शख्स में डाल दी! पछताया तो बहुत होगा इसे बनाने वाला भी! क्योंकि इसे बनाने के बाद उसे किसी और के लिए इसे भेजना पड़ा!"

    त्रिजाल उसके चेहरे की बनावट बारीकी से देख रहा था, जिसे मैजिकल रेसों कहते हैं, शायद ऐसी शख्सियत को देखकर ही नाप लिया गया होगा उसका।

    श्रीजा ने मलहम लगाते हुए भरे गले से कहा,
    "आई एम... आई एम सॉरी... मेरी वजह से आपको दर्द हो रहा है... पर शिव की कसम खाकर कह रही हूँ मैंने जानबूझकर नहीं किया।" (उसने अपने गले को अपने हाथों से छूते हुए कसम खाई)

    और इतना बोलने के साथ ही उसके आँसू उसके गालों पर आ चुके थे।

    त्रिजाल ने उसके आँसू अपने एक हाथ से पोछे और कहा,
    "तुम में इतनी हिम्मत भी नहीं है कि तुम किसी को जानबूझकर नुकसान पहुँचा सको! तुम खुद भी कहती कि ये तुमने जानबूझकर किया, तब भी मैं तुम्हारा यकीन नहीं करता!"

    श्रीजा ने कन्फ्यूज होते हुए त्रिजाल को देखा, फिर अटकते हुए कहा,
    "अ...अह... हो गया!"

    त्रिजाल उठा और अलमारी में जाकर सफ़ेद शर्ट और काली पैंट पहनकर आया। श्रीजा ने उसे देखकर मन में कहा,
    "क्या सच में ये अब मेरे हैं और वो काम्या?"

    त्रिजाल ने जब देखा श्रीजा उसे ही देख रही है, उसने कहा,
    "मुझे बाद में ताड़ लेना, पहले कपड़े पहन लो।"

    ये सुनकर श्रीजा होश में आते हुए खुद को देखती है और शर्मिंदा होते हुए वहाँ से खड़ी हो जाती है, लेकिन अगले ही पल बोलती है,
    "पर मैं पहनूँ क्या?"

    त्रिजाल ने कहा,
    "अब उस अलमारी में जो कुछ भी तुम्हें अपने लायक लगे, पहन लो।"

    श्रीजा मुँह बिगाड़ते हुए अलमारी की ओर बढ़ गई। उसके जाते ही त्रिजाल, जो शांत था, उसकी आँखें अंगारे बरसाने लगी थीं। उसने अनिरुद्ध को कॉल करके कहा,
    "काम्या को कॉटेज में लेकर आओ और सारी अपडेट्स मुझे भेज देना।"

    अनिरुद्ध ने डरते हुए कहा,
    "य...येस सर... काम हो जाएगा!"

    क्या करेगा त्रिजाल काम्या के साथ? जानने के लिए पढ़ते रहिए।

  • 19. Reborn to marry my devil husband - Chapter 19

    Words: 1832

    Estimated Reading Time: 11 min

    थोड़ी देर बाद, श्रीजा त्रिजाल की ओवरसाइज़ ब्लैक हुडी पहनकर बाहर आई। उसके सिल्की बाल खुले थे और वह नज़रें इधर-उधर फेरती हुई चारों तरफ़ देख रही थी। त्रिजाल कमरे में नहीं था, इसलिए वह कमरे से बाहर निकल गई। कल रात की जल्दबाजी में उसने फार्म हाउस को अच्छे से नहीं देखा था। वह फार्म हाउस कुछ ज़्यादा ही लग्ज़रियस लग रहा था।

    हॉल के बीचों-बीच बड़ी सी कांच की टेबल पर एक झूमर लगा था; नीट एंड क्लीन लुक! लेक से आती पानी की आवाज़ और चिड़ियों की चहचहाहट माहौल को खुशनुमा और ताज़गी भरा बना रही थी। श्रीजा की नज़र ओपन किचन की तरफ़ गई जहाँ त्रिजाल किसी मास्टर शेफ़ की तरह खाना बना रहा था! वह बहुत सीरियस होकर काम कर रहा था जिससे उसका लुक बेहद हैंडसम लग रहा था। और श्रीजा की नज़रें बेशर्मी से उसे ताड़ रही थीं!

    की अचानक ही त्रिजाल की कड़क आवाज़ उसके कानों में पड़ी।

    "लगता है आज तुम मेरा पूरा स्कैन करके रहोगी… वेल! आई एम योर हसबैंड, यू कैन सी मी लाइक दिस… बट…"

    फिर एक गहरी साँस छोड़कर श्रीजा की तरफ़ अपनी पैनी निगाहें करते हुए आगे कहा,

    "लेकिन तुम्हारी ये नज़रें मुझे बेकाबू कर रही हैं, जरा संभलकर! वैसे तुम पर मेरी हुडी कुछ ज़्यादा ही जच रही है, लुकिंग लाइक अ क्यूट डॉल।"

    यह सुनकर श्रीजा के गाल लाल हो गए! त्रिजाल ने फिर से अपना पूरा फ़ोकस खाने पर लगा दिया था।

    श्रीजा बाहर लेक के ब्रिज पर गई तो वहाँ का फ़्रेश एन्वायरमेंट देखकर उसके चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ गई। अब वह अपने बॉडी पेन को भी भूल चुकी थी!

    कुछ देर बाद, त्रिजाल हाथों में खाने की ट्रे लेकर बाहर आया और लेक साइड बने एक डाइनिंग एरिया में खाना लगा दिया। श्रीजा आँखें बंद करके ठंडी हवा को अपने चेहरे पर महसूस कर रही थी!

    की तभी उसे किसी ने पीछे से अपनी बाहों में भर लिया। श्रीजा को पता था कि यहाँ त्रिजाल के अलावा उसे कोई छू भी नहीं सकता, तो उसने बिना डरे बस अपनी आँखें खोल लीं। त्रिजाल ने उसके ईयरलॉब पर अपने होंठ रखते हुए कहा,

    "चलो खाना खा लो। उसके बाद यहीं रहना है तुम्हें, पूरे दिन तो तुम रह सकती हो! घर जाना चाहती हो तो घर चली जाना।"

    श्रीजा सिहरते हुए त्रिजाल से दूर होने की कोशिश करने लगी। अगले ही पल त्रिजाल खुद उससे दूर हो गया।

    वहीं दूसरी तरफ़, सोम इस वक़्त परी का हाथ थामे खड़ा था और दूसरी तरफ़ से रानी। दोनों की आँखों में एक-दूसरे के लिए गुस्सा साफ़-साफ़ नज़र आ रहा था।

    रानी ने कहा,

    "मैंने कहा, छोड़िए मेरी बेटी का हाथ!"

    सोम ने भी उसी गुस्से से कहा,

    "ये मेरी भी बेटी है, तुम इसे इस तरह से मुझसे दूर नहीं कर सकती!"

    रानी व्यंग से मुस्कुराते हुए बोली,

    "इसे खुद से दूर आप पहले ही कर चुके हैं! अब आप अपने मालिक से वफ़ादारी निभाइए, हमें हमारे हाल पर छोड़ दीजिए!"

    यह सुनकर सोम की पकड़ परी के हाथ पर और ज़्यादा कस गई! परी ने डरते हुए कहा,

    "पापा!! हाथ में दर्द हो रहा है!!"

    यह सुनकर सोम ने अपनी आँखों की नमी खुद में रोकते हुए परी के मासूम चेहरे को देखा!

    रानी ने कहा,

    "जिस दिन आपका काम खत्म हो जाए और आपको अपने परिवार का ख्याल आए… आ जाइएगा अपनी बेटी से मिलने! फ़िलहाल के लिए हमें हमारे हाल पर छोड़ दीजिए। मैं नहीं चाहती आपके बुरे काम की वजह से आपके दुश्मन मेरी बच्ची से दुश्मनी निकाले!"

    इतना बोलने के साथ रानी ने जबरदस्ती सोम का हाथ छुड़ाया और परी को लेकर आगे बढ़ गई। और सोम बस वहीं ठगा सा खड़ा रह गया। उसके हाथ से सब फिसलता जा रहा था।

    की उसकी अंतरात्मा ने उससे कहा,

    "तू बिक चुका है सोम ठाकुर! अपने ही दोस्त के हाथों अपनों की ही जान के लिए।"

    सोम के चेहरे पर अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनकर एक कड़वाहट भरी मुस्कान तैर गई।

    श्रीजा और त्रिजाल ने ब्रेकफ़ास्ट कर लिया था और त्रिजाल भी फार्म हाउस से निकल चुका था। अब श्रीजा वहाँ अकेली रह गई थी। उन पंछियों को देखकर उसे अलग सुकून मिल रहा था। उसके दिल में त्रिजाल के लिए जो जज़्बात थे, अब वे इश्क़ की तरफ़ रुख़ कर रहे थे! जिसका अंजाम उसे खुद भी नहीं पता था!

    वहीं धरा अब तक जीवांश की फ़ेवरेट बडी बन चुकी थी… जो राज के लिए बहुत सुकून की बात थी! वहीं धरा के लिए बेहद बुरी! धरा एक कार की बैक सीट पर बैठी थी और उसके बगल में जीवांश! जीवांश ने धरा को टेंशन में देखकर कहा,

    "क्या हुआ है आपको? आपको खुश होना चाहिए! आज आप पहली बार सिंघानिया पैलेस जा रही हैं! मैं आपको पूरा घर का टूर करवाऊँगा! मेरे घर में दादा-दादी, चाचा-चाची, बुआ और ताई… बहुत सारे लोग हैं!"

    धरा ने मन ही मन कहा,

    "इसी बात का तो डर है! तुम्हारे घर में सब लोग हैं, मुझे अपनी इमेज किसी नैनी की जैसी नहीं बनानी!"

    फिर जीवांश को एक नज़र देखकर मन ही मन फिर से बोली,

    "पता नहीं इस लिटिल टाइगर के पास कौन-सा जादू है जो मुझसे सब करवा लेता है!"

    कुछ ही देर बाद कार सिंघानिया पैलेस के सामने जाकर रुकती है। धरा अपने धड़कते दिल को काबू करते हुए कार से उतरती है और जीवांश का हाथ पकड़कर आगे की ओर बढ़ जाती है!

    वो जैसे ही दरवाज़े पर पहुँचती है, एक लड़की भागते हुए आती है और उसके पीछे छुपते हुए बोलती है,

    "बचाओ मुझे… उस भेड़िये से!"

    यह सुनकर जीवांश को हँसी आ रही थी, वहीं धरा थोड़ा डर और कन्फ़्यूज़न लिए सामने देखती है तो इस बार गुस्से का गुबार लिए एक लड़का आता है। और उस लड़की को धरा के पीछे छुपते देख बोलता है,

    "ए, बाहर निकल! आज तो तेरे चुड़ैल जैसे बाल सारे नोच लूँगा! तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरा लैपटॉप छेड़ने की!"

    जीवांश ने कहा,

    "चाचू!! क्या आपको बुआ से बदला लेना है? मैं आपकी हेल्प करूँगा।"

    तो इस लड़के ने कहा,

    "वो कैसे छोटे?"

    जीवांश ने कहा,

    "बुआ की अलमारी में ना उनकी फ़ेवरेट डायरी रखी है जिसे वो मुझे छूने नहीं देती!!"

    जीवांश की बात अधूरी रह गई। उससे पहले ही वो लड़की बोली,

    "तुम दोनों जाहिलों को तो ज़िंदा नहीं छोड़ूँगी!"

    वो भागते हुए सीढ़ियों की तरफ़ चली गई। धरा बस बुत बनी सब कुछ देख रही थी। तो उस लड़के ने कहा,

    "वैसे ये कौन है छोटे?"

    तो जीवांश ने बड़ी सी मुस्कान लिए कहा,

    "वो ऑफ़िस वाली हर्ष चाचू।"

    यह सुनकर हर्ष के चेहरे पर बड़ी वाली स्माइल आ गई। उसने अंदर किसी को आवाज़ देते हुए कहा,

    "अरे पैलेस में रहने वाले जीवित प्राणियों! देखो कौन आया है! वो ऑफ़िस वाली!"

    इतना सुनना भर था कि… एक लंबी-चौड़ी लाइन बन चुकी थी उस घर के सदस्यों की! जिससे धरा की आँखें मानो फटकर बाहर ही आ जाएँगी!

    वहीं दूसरी तरफ़, कॉटेज में, काम्या इस वक़्त अनिरुद्ध पर चिल्ला रही थी।

    "हाउ डेयर यू टू टच मी!!"

    "पीए हो ना त्रिजाल के, तो अपनी औक़ात में रहो!"

    की तभी त्रिजाल की आवाज़ वहाँ गूँज उठी,

    "जो खुद औक़ात में नहीं रहती, वो अब औक़ात का पाठ पढ़ाएगी!"

    यह सुनकर मानो काम्या का ख़ून सूख गया। उसे इतना डर लग रहा था जिसकी कोई हद नहीं…

    तभी त्रिजाल के पीछे से एक और आवाज़ आई,

    "भाई, आई थिंक शी इज़ अ मेंटल।"

    त्रिजाल कन्फ़्यूज़ होकर पीछे देखा तो उसका भाई कबीर अग्निरासा खड़ा था। उसके चेहरे पर शरारती स्माइल थी। दिखने में बॉलिवुड हीरो लग रहा था: ब्लैक टी-शर्ट, ऊपर ब्लैक लेदर जैकेट, ब्लू जीन्स, ब्लैक शूज़; एकदम डैशिंग पर्सनैलिटी! यह त्रिजाल की बुआ जी का लड़का है। बुआ जी और फूफा जी की एक एक्सीडेंट में डेथ हो गई थी जब कबीर करीब 7 या 8 साल का था। तब से कबीर अग्निरासा कुंज में ही रहता था। लेकिन कुछ दिनों पहले उसे अपनी प्रॉपर्टी के किसी काम की वजह से लंदन जाना पड़ा था।

    त्रिजाल ने कन्फ़्यूज़ होते हुए कहा,

    "तू लंदन से कब वापस आया…"

    तो कबीर ने बालों में हाथ फेरकर कहा,

    "बस अभी-अभी! और आते ही मुझे इतनी सारी न्यूज़ मिली, कुछ गुड तो कुछ बैड! मुझसे सब्र ना हुआ और ये सीआईडी ऑफ़िसर आ गया पूछताछ करने!"

    यह सुनकर अनिरुद्ध ने बड़-बड़ाकर कहा,

    "तू जिस दिन सीआईडी में भर्ती हुआ… गुनाह करने वाले पार्टी मनाएँगे… कामचोर कहीं का!"

    कबीर ने मुस्कुराकर कहा,

    "हायये! मेरी कल्लो कर ली मेरी बुराई!"

    अनिरुद्ध ने बस उसे आँखें दिखाईं। त्रिजाल ने एक बार फिर काम्या की तरफ़ रुख़ किया तो कबीर ने कहा,

    "भाई, मुझे लगता है इसकी जवानी आग-बिजली से बुझ जाएगी।"

    आपका क्या ख़्याल है?

    यह सुनकर त्रिजाल के चेहरे पर डेविल स्माइल आ गई।

    "आज तक तेरी कोई ख़्वाहिश अधूरी रही है कबीर!"

    कबीर ने बड़ी सी मुस्कराहट के साथ ना में गर्दन हिलाई और अनिरुद्ध को एक शरारती मुस्कान पास कर दी। दोनों ने काम्या के ऊपर एक वायर लपेटा और स्विच के पास जाकर खड़े हो गए।

    काम्या ने चिल्लाते हुए कहा,

    "तुम ये बिल्कुल ठीक नहीं कर रहे त्रिजाल… मैं तुमसे प्यार करती हूँ और तुम…"

    उसने इतना ही कहा था कि स्विच ऑन हो चुका था और वो इलेक्ट्रिक शॉक के कारण वाइब्रेट कर रही थी। उसके मुँह से अजीब सी आवाज़ निकल रही थी। कबीर ने स्विच ऑफ़ किया और एक नज़र काम्या को देखा तो उसकी हँसी छूट गई। काम्या के सर के बाल एकदम सीधे एंटीना की तरह खड़े हो गए थे।

    कबीर ने हँसते हुए कहा,

    "वाह! ये हेयर स्टाइल तो ट्रेंडिंग कई होगी! अगर तुम्हारा ये लुक वायरल हुआ तो…"

    काम्या के मुँह से धुआँ निकल रहा था कि एक बार फिर इलेक्ट्रिक शॉक लगना शुरू हुआ और यह सिलसिला जारी रहा… कबीर और अनिरुद्ध का हँस-हँसकर बुरा हाल था। कबीर ने काम्या के पास जाकर कहा,

    "तो बताइए देवी जी, आपको आज क्या सीख मिली?"

    काम्या ने किसी रोबोट की तरह कहा,

    "कर बुरा तो हो बुरा!"

    यह सुनकर फिर से अनिरुद्ध और कबीर खिल-खिलाकर हँसने लगे! काम्या का चेहरा बिल्कुल काला पड़ चुका था। कान और मुँह से धुआँ निकल रहा था और उसके बालों का तो क्या ही कहना, हनी सिंह की कटिंग भी फ़ैल थी उसके आगे।

  • 20. Reborn to marry my devil husband - Chapter 20

    Words: 1815

    Estimated Reading Time: 11 min

    काम्या की हालत खस्ता हो चुकी थी। त्रिजाल ने भयानक मुस्कराहट के साथ कहा, "बाकी का डोज़ कल के लिए छोड़ दो, अभी किसी और से भी निपटना है।"

    इतना बोलकर त्रिजाल वहाँ से निकलकर दूसरी ओर बने कॉटेज में आया। और उसके पीछे-पीछे कबीर और अनिरुद्ध!

    त्रिजाल के सामने पाँच लड़के घुटनों के बल बैठे थे, जिनके मुँह पर टेप लगी थी, हाथ-पैर बंधे थे। त्रिजाल की आँखों में दहकती ज्वाला को देखकर कबीर ने धीरे से अनिरुद्ध के कान में कहा,

    "अब इन लोगों ने कौन-सी दुखती रग छुई है भाई की?"

    अनिरुद्ध ने कहा,

    "भाभी के साथ छेड़खानी की थी!"

    यह सुनकर कन्फ़्यूज़ दिख रहे कबीर के चेहरे पर भी गुस्सा छा गया।

    "इन्हें तो मैं..."

    अनिरुद्ध ने कबीर को पीछे से पकड़ते हुए कहा,

    "शांत, मेरे छोटे बॉम्ब। सर का शिकार हैं वो, तुम बाद में अपना हाथ साफ़ कर लेना।"

    त्रिजाल ने अपने जूते से एक लड़के का सिर ऊपर करते हुए कहा,

    "क्या हुआ? एक ही रात में जवानी का जोश उतर गया तुम सब का?"

    उन सब की हालत बेहद खस्ता थी। त्रिजाल ने अनिरुद्ध की ओर देखकर कहा,

    "गुड जॉब। दिस मंथ योर सैलरी इज़ डबल!"

    यह सुनकर अनिरुद्ध के चेहरे पर भी एक जहरीली मुस्कराहट आ गई।

    कबीर ने मुँह बनाते हुए अनिरुद्ध को देखा। अनिरुद्ध ने कहा,

    "मेरी तारीफ़ हज़म नहीं हुई ना तुमसे?"

    जल कुकड़े! त्रिजाल ने अपने हाथ में पकड़ी बंदूक को लोड किया और एक-एक के सिर पर गोली मार दी। जिससे वहाँ का शांत माहौल भंग होकर डरावनी वाइब्स देने लगा।

    एक पल के लिए तो अनिरुद्ध और कबीर भी डर के मारे पसीने से भीग गए। वहीं त्रिजाल के चेहरे पर अब एक संतुष्टि वाली मुस्कान थी। और श्रीजा का चेहरा उसकी आँखों के सामने घूमने लगा था।

    की तभी अनिरुद्ध ने कहा,

    "सर, आपको सुनैना के साथ मीटिंग करनी थी। इन दिनों में ये सब हो गया तो आपने पोस्टपोंड कर दी। अब क्या...?"

    त्रिजाल: "हम्म... कल मॉर्निंग में। आज मुझे घर पर कुछ काम है।"

    कबीर ने शरारती लहजे में कहा,

    "ओहो... आजकल किसी को घर पर भी काम रहने लगा है, जिसका महीना-महीना घर से बाहर निकल जाता था। सही कहा है किसी महापुरुष ने, शादी के बाद अच्छे-अच्छे बदल जाते हैं।"

    अनिरुद्ध ने कहा,

    "और वो महापुरुष खुद कुंवारा है अभी।"

    त्रिजाल ने वहाँ से निकलते हुए कहा,

    "तुम कहो तो तुम्हारी भी शादी करवा दूँ!"

    कबीर ने सकपका कर कहा,

    "न... नहीं, मेरा वो मतलब नहीं था।"

    अनिरुद्ध ने उसके गले में बाहें डालते हुए कहा,

    "मुझे सब पता है तुम्हारा क्या मतलब था और क्या नहीं।"

    कबीर ने उसका हाथ हटाते हुए कहा,

    "हट्ट!"

    त्रिजाल और कबीर अग्निरासा कुंज पहुँचे। कबीर जब हॉल में बैठी श्रीजा को देखता है तो अपनी आँखें मलते हुए कहता है,

    "ये फेयरी टेल की फेयरी इस शैतान के घर में क्या कर रही है? इज़ शी रियल? कैन आई टच हर?"

    तभी त्रिजाल ने उसके पीछे से घर में एंटर करते हुए कहा,

    "नो, यू कैन्ट। शी इज़ माइन!"

    यह सुनकर कबीर लगभग होश में आया और अपने फिल्मी अंदाज़ में वापस आते हुए घर में एंटर करता है।

    "बचना ऐ हसीनो, लो मैं आ गया!"

    कबीर की आवाज़ सुनकर हॉल में बैठे सब लोग कबीर को देखते हैं। कबीर आगे आकर महेश्वरी जी के पैर छूता है तो वे उसके कान को मरोड़ते हुए बोलती हैं,

    "बदमाश! मैं तुझे हसीना नज़र आ रही हूँ?"

    कबीर ने कहा, "आह!! आप तो मेरी जाने-बाहर हो! बहुत दर्द हो रहा है कान में, छोड़िए प्लीज़ मॉम!!"

    महेश्वरी जी हँसते हुए उसका कान छोड़ देती हैं। श्रीजा अब भी कन्फ़्यूज़ होकर कबीर को देख रही थी।

    गौरी ने कहा,

    "भाभी, ये कबीर भाई है। एक नंबर का ड्रामेबाज़। वो क्या है ना, इसे हम ड्रामा कंपनी से उठाकर लाए थे।"

    कबीर ने आँखें छोटी करते हुए कहा,

    "यू!! भाभी, इसे तो मॉम नाली के पास से उठाकर लाई थी, तभी तो इतनी बदबू आती है इससे। ये सूअर है, सूअर!"

    गौरी कबीर पर भड़कते हुए बोली,

    "मैं इस नटखट को ज़िंदा नहीं छोड़ूंगी, चाहे उसके बाद जेल ही क्यों ना जाना पड़े।" इतना बोलकर गौरी कबीर के पीछे-पीछे दौड़ने लगती है और श्रीजा खिल-खिलाकर हँसने लगती है।

    त्रिजाल की नज़र श्रीजा के हँसते चेहरे पर पड़ती है। वह हँसते हुए बहुत प्यारी लग रही थी। उसकी पर्पल आँखें हँसते समय छोटी-छोटी हो गई थीं।

    वहीं दूसरी ओर, धरा डरते हुए उस घर की चौखट पर खड़ी थी। उसके सामने एक बुज़ुर्ग महिला, एक बुज़ुर्ग आदमी, एक हैंडसम लड़का, एक खूबसूरत लड़की और एक मेड खड़ी थी।

    जीवांश ने सबको इंट्रोड्यूस करवाते हुए कहा,

    "ये है मेरी दादी माँ, सावित्री सिंघानिया। ये है मेरे दादू, अमर सिंघानिया। ये है चाचू, हर्ष सिंघानिया। ये है बुआ, चांदनी सिंघानिया। ये है ताई, सुजाता सोलंकी। कैसी लगी आपको मेरी फैमिली, बडी?"

    यह सुनकर धरा ने घबराते हुए कहा,

    "ब... बहुत अच्छी है।"

    सावित्री जी ने कहा,

    "बेटा, तुम्हारा नाम क्या है?"

    "धरा गुंजल।"

    यह सुनकर सावित्री जी ने मुस्कुराकर कहा,

    "बेहद प्यारा नाम है, बिल्कुल तुम्हारी तरह। अंदर आओ बेटा।"

    "हट जाइए रास्ते से, बूढ़े पतिदेव।"

    यह सुनकर अमर जी ने कहा,

    "और तुम तो जैसे अभी १८ की हुई हो।"

    यह सुनकर सावित्री जी ने एटीट्यूड से कहा,

    "बिल्कुल, मुझे देखकर यही लगता है।"

    यह सुनकर हर्ष ने कहा,

    "येस दादी। आपको पता नहीं इस बूढ़े में क्या इंटरेस्ट आया। आप मेरा वेट नहीं कर सकती थीं।" यह सुनकर सावित्री जी ने अफ़सोस जताते हुए कहा,

    "माई बैड लक, हैंडसम हंक।"

    धरा कन्फ़्यूज़ होकर सबको देख रही थी कि चांदनी ने उसका हाथ पकड़कर उसे घर के अंदर ले आई। यह घर नाम से ही नहीं, बल्कि लुक से भी पैलेस ही लग रहा था।

    धरा को सोफ़े पर बिठाकर अब सब उसके चारों ओर बैठे थे। धरा हाथों को आपस में उलझाए, नर्वसनेस के साथ एकटक फ्लोर को घूर रही थी।

    हर्ष ने कहा,

    "लगता है आपको हमारे घर का फ्लोर कुछ ज़्यादा ही पसंद आ गया है!" यह सुन धरा ने आँखें बड़ी करते हुए हर्ष को देखा।

    अमर जी ने कहा,

    "वैसे बेटा, क्या तुम्हारा कोई बॉयफ़्रेंड है?"

    यह सुनकर सावित्री जी ने कहा,

    "अपनी उम्र का लिहाज़ करिए, ये भी कोई बात हुई!"

    अमर जी ने कहा,

    "ज़्यादा दिमाग मत चलाइए, श्रीमति जी। मैंने उसे बेटा कहकर पूछा है।"

    यह सुन धरा को हँसी आ रही थी, लेकिन उसने अपनी हँसी कंट्रोल कर ली। तब तक जीवांश सुजाता जी के साथ आया और धरा को देखकर बोला,

    "कॉफ़ी पी लो, बडी। आज आपका इंटरव्यू होने वाला है।"

    वहीं अग्निरासा कुंज में सबने लंच किया। त्रिजाल ने श्रीजा को देखकर कहा,

    "मुझे तुमसे ज़रूरी बात करनी है, रूम में चलो।"

    यह सुनकर श्रीजा की आँखें बड़ी हो जाती हैं और वह शर्म से अपना सिर झुका लेती है। वहीं त्रिजाल अब वहाँ एक पल भी न रुकते हुए अपने रूम की ओर बढ़ जाता है।

    गौरी श्रीजा के कंधे पर कंधा मारते हुए बोलती है,

    "जाइए भाभी, भाई को कुछ ज़रूरी काम है।"

    यह सुनकर महेश्वरी जी भी मुँह दबाकर अपनी हँसी कंट्रोल करने लगती हैं और श्रीजा त्रिजाल को हज़ार गालियाँ निकालते हुए सोफ़े से खड़ी हो जाती है और रूम की ओर बढ़ जाती है।

    "बेशर्म इंसान! इनमें तो कोई शर्म-लिहाज़ है नहीं! साथ-साथ सबके सामने मुझे भी बेशर्म बनने पर मजबूर कर रहे हैं!! अरे, कोई इशारा ही कर देते, इससे अच्छा तो कोई काम है। अब पता नहीं सब मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे।"

    श्रीजा बड़बड़ाते हुए रूम के सामने पहुँच गई थी कि अचानक त्रिजाल ने उसका हाथ पकड़कर अंदर की तरफ़ खींचा और उसे वॉल से लगाते हुए उसकी आँखों में देखकर बोला,

    "कितनी गालियाँ दी हैं मुझे?"

    श्रीजा ने लंबी साँस लेते हुए कहा,

    "मैं कितना डर गई! ऐसा भला कोई करता है!"

    त्रिजाल ने उस पर झुकते हुए कहा,

    "करता है! त्रिजाल! तुम्हारा पति!"

    श्रीजा ने कहा,

    "आ... आपको कभी कोई काम था मुझसे?"

    यह सुनकर त्रिजाल ने कहा,

    "हम्म, ये काम तो है। मुझे तुम्हारा एडमिशन करवाना है कॉलेज में। इसलिए कुछ डॉक्यूमेंट्स चाहिए! तुम्हारे स्कूलिंग के।"

    यह सुनकर श्रीजा ने चौंकते हुए कहा,

    "क्या!!!!!!!!"

    श्रीजा का ऐसा रिएक्शन देखकर त्रिजाल ने थोड़ा कन्फ़्यूज़ होकर कहा,

    "व्हाट!!!"

    श्रीजा ने बच्चों जैसा मुँह बनाकर कहा,

    "क्या आपसे मेरी खुशी बर्दाश्त नहीं होती!"

    त्रिजाल ने गहरी साँस छोड़कर कहा,

    "मुझे नहीं लगता मैंने ऐसा कुछ कहा या किया हो!"

    श्रीजा: "अरे, सरेआम झूठ बोल रहे हैं! पढ़ाई से बड़ा दुख और क्या हो सकता है! 🥺"

    यह सुनकर त्रिजाल ने गुस्से से कहा,

    "ये क्या बोल रही हो तुम? पढ़ना नहीं चाहती तुम!"

    श्रीजा ने कहा,

    "हाँ, बिल्कुल भी नहीं!"

    त्रिजाल ने श्रीजा के कंधे कसकर पकड़ते हुए कहा,

    "तुम्हारा एडमिशन ज़रूर होगा! वो भी जल्द से जल्द! तुम्हें पढ़ना होगा! ताकि तुम खुद के पैरों पर खड़ी हो सको! किसी काबिल बन सको।"

    श्रीजा ने उसकी पकड़ से छूटने की कोशिश करते हुए कहा,

    "अब भी मैं अपने ही पैरों पर खड़ी हूँ, आपके पैर आपके पास ही हैं! और रही बात काबिल बनने की, आप जानते नहीं हो श्रीजा गुंजल को वो किस चीज़ के काबिल है। अब छोड़िए मुझे! हाथों में दर्द हो रहा है।"

    त्रिजाल ने दाँत पीसते हुए कहा,

    "जस्ट सेट अप। मैं भी देखता हूँ तुम कॉलेज कैसे नहीं जाती हो।"

    श्रीजा ने भी कहा,

    "हाँ-हाँ, अपनी इन शैतान जैसी आँखों से देखिएगा!"

    "तुमने मुझे शैतान कहा... यूयूयू!!"

    श्रीजा ने झटपटाकर कहा,

    "शैतान, शैतान, शैतान... शे..."

    "उम्..."

    उसके आगे के शब्द उसके गले में अटक चुके थे, क्योंकि उसके होंठ त्रिजाल के कब्ज़े में थे। श्रीजा ने कसमसाते हुए खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन त्रिजाल उस पर गुस्सा निकाल रहा था कि तभी कबीर रूम के अंदर आया... और सामने देखकर अपनी पलकें झपकना भूल गया।

    "भ... भाई!"

    उसके मुँह से टूटे-फूटे शब्द निकले। वहीं श्रीजा ने आँखें बड़ी करके कबीर को तिरछी निगाहों से देखा। दोनों के दोनों भाई, एक आँखें फाड़े देख रहा था और दूसरे को उसके वहाँ होने से रत्ती भर भी फ़र्क नहीं पड़ रहा था।

    आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए। "रिबॉर्न टू लव माय डेविल हसबैंड।"