फासले की क्या बात करे ? प्यार तो कोई फासला थोड़ी देखती है! किसी से भी हो सकता हैं... ये कहानी है .. मार्गी की जो राजस्थान से पढ़ने के लिए दिल्ली आई है .. दूसरी ओर तरफ अरमान मेहरा जो इस कॉलेज का प्रोफेसर है! दोनो ही एक दूसरे के प्यार में आ जाते है! ल... फासले की क्या बात करे ? प्यार तो कोई फासला थोड़ी देखती है! किसी से भी हो सकता हैं... ये कहानी है .. मार्गी की जो राजस्थान से पढ़ने के लिए दिल्ली आई है .. दूसरी ओर तरफ अरमान मेहरा जो इस कॉलेज का प्रोफेसर है! दोनो ही एक दूसरे के प्यार में आ जाते है! लेकिन कैसे?? आखिर क्यों बदलने वाली हैं मार्गी की जिंदगी?? क्या मार्गी के दिल्ली आने पर मिलनेगे कई राज?? या फिर होगा अरमान के जीवन में अतीत से सामना .आगे क्या होगा?? ये जान न के लिए पढ़ते रहिए ओनली ऑन स्टोरी मेनिया पर
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जय द्वारकाधीश.. जय श्री कृष्ण... ॐ नम शिवाय.. श्री गणेशाय नम..
प्यार की कोई सीमा नहीं होती।
प्यार की कोई दिशा नहीं होती।
दिल की बातें दिल से कह दे।
उसकी कोई वजह नहीं होती।
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दिल्ली....
एक मशहूर फैशन डिजाइनर कॉलेज, जो दिल्ली में स्थित था, जिसमें दूर-दूर से छात्र पढ़ने आते थे क्योंकि इस कॉलेज का नाम पूरे भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया में भी प्रसिद्ध था। सभी लोग अपनी नई उड़ान भरने के लिए यहाँ आते थे।
एक लड़की ने कहा, "चलो चलो, मानसी, सर आ गए।"
मानसी ने कहा, "हाँ हाँ, चल जल्दी, हमें सर का लेक्चर मिस नहीं करना चाहिए।"
तभी वह सर अंदर आए और सभी लोगों ने उनका अभिवादन किया। अभिवादन करने के बाद, सभी लोग उनके बैठने का इशारा करने का इंतजार करने लगे। सर कुछ नहीं बोले। सभी छात्र एक-दूसरे के सामने देखने लगे। तभी सर ने उन्हें बैठने का इशारा किया। सभी छात्र बैठ गए। यह बैच प्रथम वर्ष का था। सर ने कहा, "गुड मॉर्निंग स्टूडेंट्स, मैं अरमान मेहरा, इस इंस्टीट्यूट का प्रोफेसर हूँ। मैं आपको फैशन डिजाइनिंग की स्पेशल क्लास और पर्सनालिटी डेवलपमेंट के बारे में भी सिखाऊँगा।"
उनकी बात सुनकर सभी छात्र जोर-जोर से तालियाँ बजाने लगे। अरमान ने सभी को शांत करते हुए कहा, "सभी लोग शांत हो जाएँ। अभी तो मैंने आप लोगों की क्लास भी शुरू नहीं की है। हमारा इंस्टीट्यूट एक कंपनी भी चलाता है, यानी कि हम कोर्स के खत्म हो जाने के बाद यहाँ इंटर्नशिप देते हैं और जो भी अच्छा परफॉर्मेंस करते हैं, उसे हम अपनी कंपनी में हमेशा के लिए ज्वाइन करा लेते हैं। बस आप लोगों को ज़्यादा मेहनत करनी होगी।"
इतना कहते ही वे वहाँ से बाहर चले गए। सभी लोग खड़े हो गए। अरमान अपना सूट ठीक करते हुए बाहर आया।
अरमान मेहरा बहुत ही नामचीन प्रोफेसर थे, जिन्होंने कम उम्र में ही कई सारी डिग्रियाँ हासिल की थीं। अरमान की उम्र छब्बीस वर्ष थी, वे देखने में बेहद हैंडसम थे। उनकी दाढ़ी बहुत ही अच्छी लग रही थी, जो उनकी पर्सनालिटी को बेहद ही डैशिंग लुक देती थी। सभी लोग अरमान के जाते ही एक-दूसरे के साथ बात करने लगे। एक लड़की ने कहा, "यार ये प्रोफेसर कितने हैंडसम हैं! मेरा तो पहले ही नज़र में दिल गया।"
उसकी बात सुनकर एक दूसरी लड़की ने कहा, "ओये, तू चुप कर! ये अरमान मेरे हैं, सिर्फ़ मेरे।"
एक लड़का खड़े होते हुए बोला, "तू कौन है?"
वह लड़की बोली, "मैं नैना... नैना गुप्ता।"
सभी लोग बोले, "कहीं वही नैना तो नहीं, जिसके पापा अरमान सर की कंपनी में काम करते हैं?"
नैना बड़े ही एटीट्यूड में बोली, "जी हाँ, मैं वही राजीव गुप्ता की बेटी हूँ और ये अरमान मेहरा भी मेरे हैं। तुम लोग अपने सपने देखना बंद करो।"
इतना कहते ही वह लड़की चुप हो गई और कुछ नहीं बोली।
दूसरी ओर-
अरमान के साथ उनका दोस्त रवि भी मौजूद था, जो अभी-अभी अपनी क्लासेस खत्म करने के बाद अपनी कंपनी में आकर अपनी केबिन में बैठ गया था। उसके दोस्त रवि ने कहा, "भाई, तू थकता नहीं है? जो तू स्टूडेंट्स को पढ़ाता है और बाद में कंपनी में काम भी करता है।"
उसकी बात सुनकर अरमान ने अपनी गहरी आवाज़ में कहा, "मुझे थकने का कोई अधिकार नहीं है। तुझे पता है ना, मुझे मेरी कंपनी को बहुत ऊँचाई पर ले जाना है।"
उसकी बात सुनकर रवि जोर-जोर से हँसने लगा और बोला, "तुम्हारी ऑफिस कौन सी पाताल में है?"
वह इतना हँस रहा था कि उसकी आँखों में से पानी आ गया। जब उसने अरमान के सामने देखा, तभी वह चुप हो गया क्योंकि अरमान उसे बेहद अजीब तरीके से देख रहा था। बाद में अरमान ने कहा, "हो गया तुम्हारा?"
उसकी बात सुनकर रवि वापस बोलते हुए कहा, "तू इतना शांत क्यों रहता है? बे गधे, मैं तुझे पिछले कई सालों से जानता हूँ, लेकिन तू पहले तो ऐसा नहीं था। आखिर तेरे साथ पिछले दो सालों में क्या हुआ है?"
"मैं तो कल ही वापस आया हूँ। नहीं, तूने मुझे पिछले दो सालों में याद किया और न ही कॉल किया। तू पहले तो मुझे कॉल कर-कर करता था। और अरमान?"
उसकी बात खत्म होती उससे पहले ही अरमान बोल पड़ा, "तू थोड़ी देर चुप रहेगा? या फिर यहाँ से बाहर जाना पसंद करेगा?"
उसकी बात सुनकर रवि आगे कुछ नहीं बोला और चुपचाप बैठ गया।
दूसरी ओर, राजस्थान में, मार्गी जो अपनी पढ़ाई के लिए दिल्ली आने के लिए रेलवे स्टेशन पर अपने माता-पिता के साथ आई हुई थी। उसकी माँ सुमन ने कहा, "मारी लड़की, तुझे मेरी याद आएगी या नहीं?"
उसके पिता देवेन्द्र सिंह ने कहा, "ये हमारी लाड़ो है। हमको नहीं भूल सकती। हमारी बेटी बहुत ही सुलझी हुई है।"
मार्गी ने कहा, "माँ-पापा, क्यों परेशान हैं? आखिर मैं एक-दो साल में वापस आ जाऊँगी। आपको पता है ना, मेरा सपना है कि मैं बहुत ही बड़ी फैशन डिजाइनर बनना चाहती हूँ।"
देवेन्द्र सिंह ने कहा, "बेटा, हमको मालूम है, ये आपका बहुत ही बड़ा सपना है। इसलिए तो हम मान गए हैं आपके लिए। आपको जाने के लिए हम खुद आ रहे हैं, दिल्ली तक।"
उनकी बात सुनकर मार्गी हैरान होते हुए बोली, "क्या सच में? पापा, आपको तो आज बेहद ज़रूरी मीटिंग थी ना? आपने तो मना किया था मुझे। आपको आज बहुत ही बड़ा ऑर्डर मिलने वाला था। पापा, आप मेरे वजह से परेशान मत होइए।"
देवेन्द्र सिंह ने कहा, "बेटा, वह सब हम जान-बूझकर कह रहे थे। हम आपको सरप्राइज़ देना चाहते थे।"
दरअसल, मार्गी के पिता की एक मिठाई की दुकान थी, जो पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध थी। मार्गी की मिठाइयाँ, जो प्योर दूध और मावा से बनाई जाती थीं। आज उन्हें बहुत ही बड़ा ऑर्डर मिलने वाला था, लेकिन उन्हें अपनी बेटी का रहने का इंतज़ाम देखना था। इस वजह से वे दिल्ली जाने के लिए राजी हो गए थे, लेकिन उन्होंने मार्गी को नहीं बताया था।
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उसके पिता उसकी माँ से बोले, "आप जाइए! मैंने रामू को कार लाने के लिए कह दिया है! वह आता ही होगा!"
मार्गी बोली, "वह देखिए! रामू काका आ गए हैं!"
मार्गी की बात सुनकर दोनों ही पीछे देखने लगे। तो सच में वहाँ से रामू काका आ रहे थे।
रामू काका के आने के बाद मार्गी और उसके पिता देवेन्द्र सिंह दोनों ही ट्रेन में बैठकर दिल्ली के लिए रवाना हो गए। मार्गी दरवाजे के पास आकर अपनी माँ को भी अलविदा कह गई और ध्यान रखने को कह गई।
दोनों बाप-बेटी दिल्ली के लिए रवाना हो गए। वे दोनों ट्रेन का बहुत आनंद ले रहे थे। उसके पिता उससे बोले, "तुम हमें भूल मत जाना!"
मार्गी उनकी बात सुनकर हँसते हुए उन्हें साइड हटाकर बोली, "पापा, आपको मैं कैसे भूल सकती हूँ! मैं थोड़े समय में ही आ जाऊँगी!"
दोनों बाप-बेटी बातचीत करते-करते सो गए।
दूसरे दिन सुबह 7 बजे, मार्गी और उसके पिता दिल्ली पहुँच गए। दिल्ली को देखकर उसके पिता बोले, "ये अभी तक वैसे के वैसे ही!"
मार्गी उनकी बात सुनकर बोली, "जी पापा, दिल्ली की बात ही कुछ अलग है! यहाँ मुझे मेरा सपना पूरा होते दिख रहा है! पापा, आप भगवान जी से कहना, हमारे सारे सपने जल्द से जल्द पूरे हो जाएँ!"
उनकी बात सुनकर मार्गी के पिता बोले, "बेटा, जल्दी होगा तुम्हारा सपना पूरा! तुम बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना!"
मार्गी हाँ कह गई। वे लोग टैक्सी पकड़कर कॉलेज की ओर आ गए। पहले दोनों ही कॉलेज में एंटर हुए। मार्गी इतना बड़ा कॉलेज देखकर अपनी आँखें बड़ी कर गई। वह कॉलेज बेहद ही बड़ा था और पुराने जमाने की तरह डिज़ाइन किया हुआ था।
उसके पिता बोले, "बेटा, कहीं हम गलत पते पर तो नहीं आ गए?"
मार्गी बोली, "नहीं पापा, हम सही पते पर हैं!"
उसके पिता बोले, "बेटा, ये तो पुराने जमाने के महल की तरह है! इतना बड़ा!"
मार्गी बोली, "जी पापा, आपने सही कहा!"
मार्गी के पिता उसका हाथ पकड़कर बोले, "बेटा, मैं तुम्हें खुलकर कहता हूँ, बेटा हम तुम्हारे दोस्त की तरह ही हैं! तुम्हें अगर कोई लड़का पसंद भी आ जाए, तो हमें पहले बताना! लेकिन किसी के हाथों इस्तेमाल मत होना! आपको मेरी बात समझ में आ गई होगी कि मैं क्या कहना चाहता हूँ!"
मार्गी उसके पिता को गले लग गई।
अभी तो कॉलेज शुरू हुई थी। सुबह के 10 बज गए थे। दो लेक्चर तो खत्म भी हो गए थे। मार्गी और उसके पिता एक प्यून को बुलाते हैं और कहते हैं, "ये Mr. राजवीर मेहरा का ऑफिस कहाँ पर है?"
उनकी बात सुनकर वह प्यून बोला, "सीधे जाइए, फिर लेफ्ट जाइए! वहाँ पर नेम प्लेट लिखी होगी।"
मार्गी और देवेन्द्र दोनों उसे धन्यवाद कहते हैं और सीधे निकल पड़ते हैं राजवीर मेहरा के ऑफिस की ओर।
राजवीर मेहरा कोई और नहीं, बल्कि अरमान के पिता हैं, जो इस कॉलेज में प्रिंसिपल हैं। उन्हें फैशन डिज़ाइनर में किंग कहा जाता था। इस वजह से उन्होंने यह कॉलेज खुलवाया था।
मार्गी और देवेन्द्र सिंह बोले, "May I come in, sir?"
राजवीर मेहरा बोले, "Yes, come in!"
उनकी बात सुनकर वे दोनों अंदर की ओर चले जाते हैं। अंदर जाने के बाद मार्गी देखती है कि राजवीर बहुत ही हैंडसम दिखते हैं। भले ही उनके बाल थोड़े सफ़ेद थे, लेकिन वे बहुत ही अच्छे दिखते हैं। उनकी मस्कुलर बॉडी है। ये सब देखकर मार्गी सिर्फ़ राजवीर मेहरा को ही देखे जा रही थी।
उसे यूँ राजवीर की ओर देखते हुए उसके पिता उसका हाथ नीचे मार देते हैं और अपनी आँखें बड़ी करते हुए इशारे में कहते हैं, "कुछ कहो तुम!"
उनका इशारा पाकर मार्गी समझ जाती है और कहती है, "सर, मैं मार्गी मारवाड़ी हूँ। ये मेरे पिता देवेन्द्र मारवाड़ी हैं।"
"मारवाड़ी" शब्द सुनकर वे कहते हैं, "क्या तुम मारवाड़ी हो?"
मार्गी खुश होकर कहती है, "जी हाँ सर, मैं मारवाड़ी हूँ!"
राजवीर उन दोनों को बैठने का इशारा कर देता है। वे दोनों सामने वाली चेयर पर बैठ जाते हैं।
राजवीर कहते हैं, "क्या करना चाहती हो?"
मार्गी कहती है, "मेरा सपना है, मैं एक दिन बहुत ही बड़ी फैशन डिज़ाइनर बनूँ और मैं पैसे तो कमाना चाहती हूँ, लेकिन उसके साथ मुझे अपना नाम कमाना है!"
राजवीर उसके जवाब से खुश था। वह मुस्कुराते हुए कहता है, "लेकिन तुम एक दिन लेट क्यों हो?"
मार्गी कहती है, "सर, दरअसल मुझे आज सवेरे ही पता चला कि मैं सिलेक्ट हो गई हूँ और मेरा मेरिट लिस्ट में नाम है!"
राजवीर उसे कुछ नहीं कहता और उसके पिता के साथ बात करने लगता है, "जी आप?"
मार्गी के पिता कहते हैं, "जी, मेरा नाम देवेन्द्र सिंह है। हम राजस्थान से आए हुए हैं और मेरी एक कंपनी है, मार्गी मिठाई सोप!"
इनकी बात सुनकर राजवीर कहते हैं, "कहीं वही तो मार्गी मिठाई सोप नहीं जहाँ से मेहरा खानदान को हर साल मिठाई आती है?"
मार्गी के पिता खुश होते हुए कहते हैं, "हाँ, वही मार्गी मिठाई! लेकिन आपको ये सब कैसे पता है?"
राजवीर उनकी बात सुनकर कहते हैं, "जी, मेरी सरनेम देखिए! राजवीर मेहरा! यानी कि हर साल आपकी मिठाई हमारे यहाँ ही आती है!"
"हम आपकी मिठाई के दीवाने हैं देवेन्द्र जी!"
"मेरी माँ तो आपकी ही मिठाई खाना पसंद करती हैं!" तो ये आपकी बेटी हैं। मार्गी के पिता हाँ कह देते हैं।
राजवीर कहते हैं, "आप फ़िक्र मत कीजिए, आपकी बेटी यहाँ पर सुरक्षित है! आपकी बेटी का सपना ज़रूर पूरा होगा!"
राजवीर का स्वभाव बहुत सरल है। वह सॉफ्ट हार्ट का है। उसने आज तक कभी भी कोई गलत काम किया ही नहीं है। वह अपने बेहद अपनेपन के स्वभाव से जाना जाता है। हर कोई राजवीर की तारीफ़ करता है।
राजवीर कहते हैं, "आज आप हमारे घर चलना! हमारी माँ आपको देखकर बहुत ही खुश हो जाएगी!"
मार्गी ये सब देखकर अपने पिता पर गर्व महसूस करती है, लेकिन तभी मार्गी के पिता उन्हें मना करते हुए कहते हैं, "नहीं, आज तो बेटी के कमरे का सारा इंतज़ाम करना बाकी है!……."
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राजवीर ने कहा, "आज आप हमारी माँ से मिलने ज़रूर आना!"
मार्गी के पिता ने उन्हें मनाते हुए कहा, "जी, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आपने हमें आमंत्रित किया! लेकिन हमें अभी मार्गी के रहने और खाने-पीने का इंतज़ाम करना बाकी है!"
उनकी बात सुनकर राजवीर ने कहा, "लेकिन बेटा, तुम होस्टल में ही रुक जाना! हमारी सर्वश्रेष्ठ होस्टल तुम्हारी अच्छे तरह से ख़्याल रखेगी!"
उनकी बात सुनकर मार्गी अपने पिता की ओर देखने लगी।
मार्गी के पिता ने कहा, "जी, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद! हमारी बेटी को कोई अच्छा होस्टल में कमरा दीजिएगा!"
राजवीर जी ने कहा, "आप फ़िक्र मत करिए, ये हमारी भी बेटी जैसी हैं! हमारी बेटी भी इस साल फ़र्स्ट ईयर में है! उसका नाम आरोही मेहरा है! तुम उसके साथ ही रहना, वह तुम्हें अपने से अलग नहीं होने देगी!"
उनके पिता हाथ जोड़ देते हैं। और कुछ ज़रूरी फ़ीस की बात और इधर-उधर की बातें करने के बाद दोनों ही बाप-बेटी बाहर आ जाते हैं।
उनके पिता ने कहा, "देख बेटा, यहाँ किसी से पंगा मत लेना! यह हमारा राजस्थान नहीं है! यह दिल्ली है! तो अपनी इज़्ज़त अपने हाथ में ही है!"
मार्गी हँसते हुए कहती है, "पापा, आप ऐसा क्यों कह रहे हो??? मैं तो किसी से पंगा नहीं लेती!"
मार्गी की बात सुनकर देवेंद्रसिंह हँसने लगते हैं और कहते हैं, "बेटा, हमें पता है! बारहवीं में क्या हुआ था! तुमने दो लड़कों को तो बुरी तरह से पीटा था!" इतना कहकर वे भी खुद हँसने लगते हैं।
उन्हें हँसते हुए देखकर मार्गी की आँखों में आँसू आ जाते हैं और वह कहती है, "पापा, हम पहली बार आपसे इतने दूर जा रहे हैं! क्या आपको मेरी याद आएगी???"
उनके पिता कहते हैं, "पागल हो गई हो?? हम भी पहली बार हमारी प्यारी बच्ची से दूर जा रहे हैं! हमें भी फ़िक्र है! लेकिन बेटियों को खुले आसमान में उड़ना चाहिए! और अकेले ही उड़ना चाहिए! तुम्हें भी अपने सपने पूरे करने के लिए खुले आसमान में उड़ना होगा! और अकेले ही यह सफ़र तय करना होगा! और मुझे मेरी बेटी पर नाज़ है!! और अभी से गर्व भी है कि मेरी बेटी यह कर ही लेगी!"
मार्गी उनकी बात सुनकर उनके गले लग जाती है। यह मोमेंट बहुत ही अच्छा होता है जब पिता अपनी बेटी के लिए कुछ भी करने के लिए रेडी हो! और उसे ज़्यादा अच्छा तब होता है जब उसके पिता खुद ही ज़िन्दगी के टीचर हों!
उनके पिता कहते हैं, "चल अब तेरा होस्टल का सामान हम ठीक से रख देते हैं!"
वे अपने होस्टल के कमरे में आ जाती हैं। लेकिन कमरे पर पहले से ही एक लड़की मौजूद थी!
वह लड़की अपनी सॉफ्ट आवाज़ में कहती है, "जी, क्या तुम नई आई हो???"
मार्गी हाँ कहती है और पूछती है, "क्या मैं अंदर आ सकती हूँ???"
वह लड़की हँसते हुए कहती है, "तुम मुझसे क्यों पूछ रही हो???? आ जाओ, अब से यह भी तुम्हारा कमरा है!"
मार्गी और उसके पिता दोनों ही अंदर आ जाते हैं। वे देखते हैं, पूरे कमरे को बहुत ही अच्छे तरीके से सजाया गया था! उसमें ज़्यादा पिंक रंग का इस्तेमाल किया गया था! दो बेड थे जिनमें पिंक कलर के चादर बिछाई गई थीं! वहाँ पर लगे पर्दे भी पिंक कलर के ही हैं! इससे पता चलता था कि उस लड़की को पिंक कलर कितना पसंद है!
मार्गी उसके सामने हैंडशेक करने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ा देती है और वह कहती है, "मेरा नाम मार्गी मारवाड़ी है! और ये मेरे पिता देवेंद्रसिंह मारवाड़ी!"
उसके पिता उसे हाथ जोड़कर नमन करते हैं और वह लड़की भी उन्हें नमन करती है और पैर छूती है!
उसका ऐसा करना देवेंद्रसिंह को बहुत ही अच्छा लगता है। वह लड़की से कहती हैं, "कितनी प्यारी बच्ची हो तुम! मुझे तुम जैसी बच्ची बहुत ही पसंद है!" मार्गी भी हँसने लगती है।
मार्गी कहती है, "अरे, तुमने तो अपना नाम बताया ही नहीं! तुम्हारा नाम क्या है???"
मार्गी की बात सुनकर वह लड़की कहती है, "जी, मेरा नाम आरोही मेहरा है!"
मार्गी यह सुनकर हैरान हो जाती है और कहती है, "वही आरोही ही ना!?? जो???"
आरोही उसकी बात को बीच में ही रोकते हुए कहती है, "हाँ, मैं वही आरोही हूँ! अरमान मेहरा की बहन और राजवीर मेहरा की बेटी!"
यह बात सुनकर मार्गी कहती है, "लेकिन तुम होस्टल में क्यों रहती हो???"
आरोही कहती है, "जी, मुझे ज़िन्दगी को बारीकी से जीना बहुत ही पसंद है! और मुझे अमीरों वाली ज़िन्दगी से अच्छा मिडिल क्लास वाली लाइफ़ पसंद है! क्योंकि उसमें शो ऑफ़ भी नहीं करना पड़ता!"
उनकी बात सुनकर मार्गी और उसके पिता दोनों ही खुश हो जाते हैं और कहते हैं, "सच में तुम्हारे विचार कितने अच्छे हैं! मुझे लगता है हमारी खूब जमने वाली है!"
मार्गी इतना कहकर आरोही को हग कर देती है।
मार्गी और आरोही का पहले दिन से ही बनने लगता है। उसके पिता वहाँ पर रखे सोफ़े पर बैठ जाते हैं।
और कहते हैं, "बेटा, तुम दोनों पढ़ाई में ध्यान देना! और आरोही बेटा, तुम मेरी मार्गी का ख़्याल रखना! क्योंकि हमारी मार्गी को बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है! 😂 और वह गुस्से में सामने वाले को पीट भी देती है!"
उनकी बात सुनकर आरोही का मुँह खुला का खुला रह जाता है और अपनी आँखें बड़ी करते हुए वह मार्गी को देखने लगती है!
मार्गी अपने पिता को गुस्से भरी नज़रों से कहती है, "पापा, आपने यह क्या किया! अब मेरी फ़्रेंड मुझसे अच्छी तरह से बात भी नहीं करेगी! क्या पापा, देखो वह कितनी घबरा गई है!"
आरोही कहती है, "नहीं-नहीं, मैं तुमसे घबराई हुई नहीं हूँ! मैं तुम्हें देखकर इसलिए शॉक हुई क्योंकि मुझे तुम्हारी जैसी ही दोस्त चाहिए थी! और आगे कहती है, इस कॉलेज लाइफ़ में इसे बनकर ही जिया जा सकता है, वरना कोई भाव भी नहीं देता!" इतना बोलकर वह उदास हो जाती है।
मार्गी को कुछ गड़बड़ लगती है, लेकिन वह अभी उसके पिता के सामने पूछना सही नहीं समझती! इस वजह से वह बात को बदलते हुए कहती है, "पापा, हम आकर यह सब ठीक रख देंगे! आपकी ट्रेन कितने बजे की है???"
उनकी बात सुनकर मार्गी के पिता कहते हैं, "बेटा, ट्रेन रात के 9:00 बजे की है!"
मार्गी अपनी हाथ में बंधी हुई घड़ी में देखते हुए कहती है, "पापा, 6 तो बज गए! वक्त का पता ही नहीं चला यहाँ पर!"
मार्गी के पिता हँसते हुए कहते हैं, "बेटा, यहाँ वक्त बहुत ही ⏩ फ़ास्ट चलता है! व्यस्त होने की वजह से!"
मार्गी कहती है, "चलो ना पापा, हम बाहर घूमकर आते हैं!" मार्गी आरोही को भी कहती है, "आरोही, क्यों ना तुम भी हमारे साथ बाहर चलो! मज़ा आएगा!"
उसकी बात सुनकर आरोही मना करते हुए कहती है, "नहीं मार्गी, मुझे अभी काम है! इसलिए आप लोग चले जाएँ!"
आरोही की बात सुनकर मार्गी कहती है, "पक्का???"
आरोही कहती है, "हाँ बाबा, पक्का! यहाँ एक रेस्टोरेंट बहुत ही अच्छा है! उसका लोकेशन भी अच्छा है! और खाना भी बहुत ही अच्छा मिलता है!"
मार्गी कहती है, "नाम क्या है???"
आरोही कहती है, "द ब्यूटी ऑफ़ फ़ूड!"
मार्गी कहती है, "ओहो, क्या बात है! नाम भी फैशनेबल है! अच्छा है! वह कहती है, पापा चलिए ना हम आज वहाँ पर ही जाएँगे!"
उसके पिता अपना सिर हाँ में हिला देते हैं और वे दोनों वहाँ से बाहर निकल पड़ते हैं।
दूसरी ओर:
अरमान रवि के साथ ही मौजूद था! वे दोनों रास्ते से जा ही रहे थे! वे दोनों बात करने में व्यस्त थे! हालाँकि अरमान के मुँह से सिर्फ़ हाँ और नहीं ही सुनाई दे रहा था! फिर भी रवि उसके साथ बात करने की कोशिश जारी रखते हुए कहता है, "अच्छा, यह बताओ, रूही और आरोही क्या कर रही हैं???"
उसकी बात सुनकर उसके चेहरे पर एक सुकून भरी स्माइल आ जाती है! वह कहता है, "सच में, जबसे रूही हमारी लाइफ़ में मिली है, तबसे मेरी लाइफ़ बदल गई है! पता नहीं उसका नाम आते ही मुझे एक सिकुड़न का अनुभव होता है!"
वह आगे कुछ और कह पाता, इससे पहले ही उसके फ़ोन पर रूही का कॉल आ जाता है! यह देखकर अरमान कहता है, "लो, अभी याद किया और आ ही गई!"
रवि हँसते हुए कहता है, "लगता है रूही दो सौ साल जिएगी!"
उसकी बात सुनकर अरमान सीरियस हो जाता है और कहता है, "काश तुम्हारी बात सच हो!"
रवि कहता है, "क्यों? तुम ऐसा क्यों कह रहे हो???"
अरमान कहता है, "यह सब मैं तुम्हें बाद में बताऊँगा! अभी रूही से बात करने दो!" वह कहता है, "हाय जानेमन!" वे दोनों बात करने में इतने व्यस्त हो जाते हैं! थोड़ी देर बाद वह कहता है, "हमें द ब्यूटी ऑफ़ फ़ूड में जाना होगा!"
रवि कहता है, "यह वही तो नहीं जो तुम्हारे कॉलेज के आसपास के एरिया में है???"
उसकी बात सुनकर अरमान हाँ में अपना सिर हिला देता है और कहता है, "हाँ, रूही वहाँ पर मेरा इंतज़ार कर रही है!"
रवि कहता है, "लेकिन अभी इस वक्त क्यों???"
रवि की बात सुनकर अरमान कहता है, "मुझे क्या पता! चलो चलते हैं!"
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अरमान और रवि द ब्यूटी ऑफ फूड रेस्टोरेंट में पहुँच गए। वे दोनों बाहर किसी का इंतज़ार कर रहे थे। तभी अरमान के फ़ोन पर रूही का कॉल आ गया। रूही का कॉल देखकर वह उससे बात करने लगा। उसे यूँ बात करते देख रवि ने कहा,
"ये अकेली ऐसी लड़की है जिसे अरमान इतने प्यार से बात करता है। वरना वह किसी से इतने प्यार से बात भी नहीं करता।"
अरमान ने कहा,
"ठीक है, मैं अभी आता हूँ।"
अरमान ने रवि से कहा,
"रवि, चलो, रूही हमारा इंतज़ार कर रही है।"
रवि भी रूही से मिलने के लिए बहुत ही बेताब था।
दूसरी ओर, मार्गी और उसके पापा ऑटो रिक्शा से बाहर आए और वे भी उस रेस्टोरेंट में चले गए। वे दोनों अंदर आए और देखा कि यह कितना बड़ा रेस्टोरेंट है! वे दोनों बहुत ही खुश हो गए। उसके लोकेशन में आजू-बाजू छोटी और थोड़ी बड़ी तितलियाँ मंडरा रही थीं। मार्गी को तितलियाँ बहुत पसंद हैं, इस वजह से वह बहुत ही खुश हो गई। उसे यूँ खुश होते हुए देख देवेन्द्र भी बहुत खुश हो गया।
वे दोनों एक टेबल पर जाकर बैठ गए। मार्गी ने कहा,
"पापा, आप ऑर्डर दीजिए। मैं वॉशरूम होकर आती हूँ।"
दूसरी ओर, अरमान और रवि दोनों ही अंदर आ चुके थे। सामने के टेबल से एक क्यूट सी आवाज़ आई,
"इतनी देर करता है कोई पापा???"
रवि उसे देखकर बहुत खुश हो गया। अरमान के आते ही नन्ही बच्ची, जो बहुत ही क्यूट थी, अपने नन्हे-मुन्ने हाथ अरमान के चेहरे पर फिराने लगी। अरमान ने कहा,
"मेरी प्यारी रूही, आज तुमको यहाँ आने की क्यों सूझी?"
रवि ने कहा,
"देखो, तुमसे मिलने कौन आया है! मैं रवि हूँ, तुम्हारा बड़ा सा दोस्त! और तुम मुझे चाचा भी कह सकती हो।"
रूही ने अपनी क्यूट सी आवाज़ में कहा,
"रवि चाचा!"
रवि उसके गले लग गया और उसके माथे पर किस कर दिया।
अरमान उसके पास आया और उसे अपनी गोद में बिठाकर कहा,
"बेटा, तुमने हमें क्यों बुलाया? और आप तो यहाँ खाने के लिए नहीं आई होंगी, फिर किस वजह से हमें यहाँ बुलाया?"
उसकी बात सुनकर नन्ही सी रूही ने कहा,
"पापा, आपको देखने के लिए मम्मी आ रही है।"
उसकी बात सुनकर अरमान हैरान होते हुए बोला,
"क्या??? कौन सी मम्मी बेटा???"
रूही ने अपनी क्यूट सी आवाज़ में कहा,
"दादाजी ने आपके लिए एक लड़की ढूँढी है! और पापा, वह लड़की बहुत ही सुंदर दिखती है।"
अरमान ने उसके चेहरे पर प्यार से हाथ फिरते हुए कहा,
"बेटा, मुझे लड़कियों में इंटरेस्ट नहीं है।"
उसकी बात सुनकर प्यारी सी रूही ने कहा,
"पापा, आप यह आंटी को जानते हैं! आप पहली बार नहीं मिल रहे पापा!"
उसकी बात सुनकर अरमान हैरान होते हुए बोला,
"यह क्या कह रही हो!?"
रूही ने कहा,
"पापा, प्लीज़ आप एक बार उसे मिल लीजिए!"
अरमान ने कहा,
"मुझे यह बताओ, वह आंटी कौन है जिसे मैं जानता हूँ???"
रूही ने कहा,
"उस आंटी का नाम है भूमि! भूमि आंटी पापा!"
अरमान ने कहा,
"क्या??? भूमि??? भूमि यहाँ आ रही है??? बेटा, तुम्हें पता भी है?? तुम क्या कर रही हो??? किसे मिलवा रही हो! बेटा, मेरा उनसे कोई वास्ता नहीं है!"
रूही ने कहा,
"पापा 🥺 आप ऐसा मत कहिए!"
रूही अपनी क्यूट सी आवाज़ में बोली,
"पापा, मुझे सुसु लगी है! मुझे जाना है! पापा, मुझे अब कंट्रोल नहीं होगा!"
उसकी बात सुनकर अरमान ने कहा,
"क्या, थोड़ी देर कंट्रोल कर लो ना!"
रूही ने कहा,
"पापा, अगर आपने मुझे वॉशरूम नहीं जाने दिया तो मैं यहीं पर सुसु कर दूँगी!"
उसकी बात सुनकर रवि ने अरमान से कहा,
"भाई, ले जाना इसे, वरना ये यहीं पर कर देगी!"
अरमान उसे लेकर वॉशरूम की ओर चला गया। रूही ने कहा,
"बस पापा, आप यहीं रहें। मैं बड़ी हो गई हूँ! मैं अकेले ही अंदर जा सकती हूँ!"
अरमान उसके जाने के बाद मन में कहा,
"वैसे भी मैं थोड़ी ना अंदर आता!"
रूही इतना कहकर अंदर चली गई। वह अंदर आई और अपनी पैंट की चैन खोलने लगी!! लेकिन उसकी पैंट की चैन खुल ही नहीं रही थी! वह सोचने लगी,
"अब मैं क्या करूँ 🤔🤔🤔"
तभी दिखी एक लड़की अपने हाथ धोने के लिए आई हुई थी। रूही ने अपनी प्यारी सी आवाज़ में कहा,
"दीदी, दीदी, क्या आप मेरे पैंट की चैन खोल देगी?"
वह लड़की ने कहा,
"हाँ, बेटा, क्यों नहीं! चलो, मैं तुम्हें उठा देती हूँ! बाद में खोल दूँगी!" उसने उसे उठाकर वॉशबेसिन के पास खड़ा कर दिया और उसके पैंट की चैन खोल दी। उसने कहा,
"दीदी, आप मुझे जल्दी से बाहर लेकर चलिए! मुझे बहुत जोर से आई हुई है!"
वह लड़की ने कहा,
"हाँ, हाँ, ठीक है! चलो!"
थोड़ी देर बाद वे दोनों अपने हाथ धोने के लिए आए। रूही ने कहा,
"हाय दीदी! मेरा नाम रूही है! रूही मेहरा!"
"और आपका?"
वह लड़की ने कहा,
"मेरा नाम मार्गी है! मार्गी मारवाड़ी!"
मार्गी उसे अपनी गोद में उठाकर बाहर ले गई। रूही ने देखा कि अरमान उसका बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था। रूही ने कहा,
"मार्गी दीदी, आप मुझे नीचे रख दीजिए, मैं अब अपने पापा के पास चली जाती हूँ!"
मार्गी ने कहा,
"लेकिन बेटा, आपके पापा कहाँ पर हैं?"
रूही ने कहा,
"वह खड़े तो हैं, सामने!"
मार्गी ने कहा,
"क्या, वह जिसने सूट पहना हुआ है, वही तो नहीं?"
रूही जोर से चिल्लाते हुए बोली,
"पापा.....पापा.....!"
अरमान ने उसके सामने देखा तो पता चला कि एक लड़की के हाथ में रूही पकड़ी हुई थी।
मार्गी जब अरमान को देखती है तो वह एक पल के लिए उसे ही देखे जा रही थी। वह उसकी आँखों में इसे देख रही थी कि वह कुछ पढ़ना चाहती हो।
अरमान अपने घुटनों पर बैठकर अपने हाथ को फैला देता है। मार्गी उसे नीचे रख देती है। रूही अपने थोड़े क़दम आगे बढ़ा देती है, लेकिन वह वापस मार्गी के पास आ जाती है और उसके गाल पर किस कर देती है और कहती है,
"थैंक यू सो मच दीदी!"
"दीदी, चलिए, मैं आपको मेरे पापा से मिलवाती हूँ।"
उसकी बात सुनकर मार्गी ने कहा,
"नहीं, बेटा, अभी नहीं!" लेकिन रूही अपनी क्यूट सी आवाज़ में रिक्वेस्ट करते हुए बोली,
"क्या आप मेरी बात नहीं मानोगी?"
(मार्गी उसके इमोशन में आ जाती है क्योंकि मार्गी को छोटे-छोटे बच्चे बहुत पसंद हैं, इस वजह से वह रूही की हर छोटी-मोटी बात मानने लगती है।)
रूही अपने नन्हे-नन्हे हाथों से उसके हाथ को पकड़ती है और उसको अरमान के पास ले आती है।
रूही ने कहा,
"पापा, देखिए! ये दीदी कितनी अच्छी हैं!"
अरमान अभी मोबाइल फ़ोन पर किसी से बात कर रहा था। वह कहता है,
"अच्छा, हाय! मैं अरमान!"
मार्गी ने कहा,
"जी, मेरा नाम मार्गी है!"
अरमान ने कहा,
"बेटा, चलो, दीदी को एक बार फिर से थैंक यू कह दो, चलो, हमें देर हो रही है!"
अरमान की बात सुनकर रूही अपनी प्यारी सी आवाज़ में कहती है,
"थैंक यू दीदी!" और वह उसके गाल पर वापस किस कर देती है।
यह सब वहाँ पर खड़ा अरमान देखता है और कहता है,
"ये तो इसे मिल रही है, जिसे कि उसका इस लड़की के साथ कोई नाता हो!"
अभी ये सब अरमान सोच ही रहा था कि तभी उसके कानों पर एक लड़की की आवाज़ आई और वह आवाज़ कहती है,
"अरमान, मेरे प्यारे अरमान, कैसे हो तुम?"
मार्गी भी उस आवाज़ की ओर देखती है और अरमान भी।
वे देखते हैं तो वहाँ पर एक लड़की खड़ी थी जिसने बेहद ही बोल्ड कपड़े पहने हुए थे। उस लड़की ने अपने पैरों पर बड़े-बड़े हील वाली सैंडल पहनी हुई थी।
उसे देखकर रूही ने कहा,
"मम्मी, आप आ गई?"
वह लड़की कोई और नहीं, बल्कि भूमि थी।
भूमि ने कहा,
"कैसी हो मेरी प्यारी बेटी रूही?"
उसकी बात सुनकर रूही ने कहा,
"मैं अच्छी हूँ मम्मा।"
मार्गी ने कहा,
"अच्छा, रूही बेटा, मैं चलती हूँ!"
मार्गी की बात सुनकर रूही ने कहा,
"ठीक है दीदी! हम जल्दी ही मिलेंगे!"
मार्गी अपने पापा के पास चली जाती है और वह जब अपने टेबल पर आती है तो देखती है कि उसके पापा ने काफ़ी ज़्यादा खाना ऑर्डर कर दिया था।
मार्गी ने कहा,
"पापा, ये क्या?? हम दोनों ये सब ख़त्म कर पाएँगे?"
मार्गी के पापा उसकी ओर देखते हैं और कहते हैं,
"तुम्हें इतनी देर क्यों लगी?"
मार्गी ने कहा,
"पापा, इसमें ये हुआ कि मुझे एक नन्ही परी मिल गई थी! उसके साथ कोई नहीं था! तो मैं फिर रुक गई!"
मार्गी के पापा उसे कहते हैं,
"ये तो तुमने बहुत ही अच्छा काम किया! लेकिन अब तुम खाना खाने के लिए बैठ जाओ, खाना ठंडा हो रहा है!"
मार्गी अपने दोनों हाथ रगड़ते हुए कहती है,
"मुझे इसकी खुशबू बहुत ही प्यारी लग रही है! लगता है खाना भी बहुत टेस्टी है।"
उसके पापा कहते हैं,
"पहले तुम खाना चखकर देखो तो सही!"
मार्गी कहती है,
"ठीक है पापा!" जैसे ही वह पहला निवाला अपने मुँह में रखती है तो वह अपने मुँह को गोल घुमाते हुए कहती है,
"ये तो कितना यम्मी और टेस्टी है!......"
दूसरी ओर, अरमान ने कहा,
"भूमि, तुम यहाँ क्यों आई हो?"
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अरमान भूमि को देखते हुए कहा, "तुम यहां क्यों आई हो?"
भूमि ने कहा, "मैं अपने आप यहां नहीं हूं! मुझे तुम्हारे पापा ने बुलाया था! इस वजह से मैं मिलने आई थी!"
वहां पर खड़ी नन्ही रूही ने कहा, "मम्मी तुम आ गई?"
उसकी बात सुनकर अरमान गुस्से से बोला, "रूही! तुम उसे मम्मी क्यों कह रही हो? ये तुम्हारी मम्मी नहीं है!"
रूही ने कहा, "लेकिन वह जल्दी से होंगी तो खरी! मेरी मम्मी!"
भूमि मन ही मन खुश हुई।
उसकी खुशी देखकर अरमान को और भी ज्यादा गुस्सा आ गया। वह बोला, "नहीं! रूही, मैंने एक बार कहा ना!"
रूही कुछ नहीं कह पाई। वह बस उदासी से अपने पापा की ओर देखती रही।
रूही ने कहा, "पापा मुझे भूख लगी है! क्या हम कुछ खा सकते हैं?"
अरमान ने हाँ में सिर हिला दिया और कहा, "चलो, बेटा!"
रूही ने भूमि की ओर अपने नन्हे हाथ बढ़ा दिए और भूमि ने इस मौके को हाथ से नहीं जाने दिया। वह भी रूही के साथ वहां से चली गई, अरमान के पीछे-पीछे।
वे लोग मार्गी के ठीक सामने वाले टेबल पर आकर बैठ गए। मार्गी अपने पापा के साथ खाना खाने में व्यस्त थी और आखिर उसके पापा ने उन दोनों के लिए बहुत सारा खाना मंगवाया था।
वे दोनों अपने खाने का आनंद ले रहे थे, तभी मार्गी की एक कोमल आवाज सुनाई दी, "दीदी आप यहां? अभी?"
मार्गी और उसके पापा दोनों ही उस आवाज की ओर देखने लगे। तब मार्गी ने कहा, "रूही! बच्ची तुम?"
रूही अपने टेबल से उतरकर अपने नन्हे पैरों से मार्गी की ओर बढ़ने लगी। अरमान एक पल के लिए हैरान हो गया क्योंकि रूही इतनी जल्दी किसी से घुल-मिल जाती, यह उस लड़की की आदत नहीं थी। आखिर वह हैरान होगा ही!
रूही भागते हुए मार्गी के पास आ गई और मार्गी ने उसे अपने हाथों में उठा लिया। उसके पापा उसकी ओर सवालिया निगाहों से देख रहे थे।
मार्गी अपने पापा की भावना समझ रही थी। उसने कहा, "पापा ये रूही है! रूही मेहरा! जो मुझे वॉशरूम में मिली थी!" रूही ने उसके हाथों को छूते हुए कहा, "दीदी आपके हाथ कितने मुलायम हैं!
भूमि आंटी की तरह नहीं हैं! आप तो पूरी की पूरी सॉफ्ट हैं!"
मार्गी उसकी बात सुनकर उसके गाल पर चुम्बन किया और हंसने लगी। उसके साथ आए उसके पापा भी हंसने लगे।
अरमान देखता रहा कि रूही मार्गी के पास से जाने का नाम ही नहीं लेती। भूमि भी यह देखकर एक पल के लिए हैरान हुई, लेकिन उसने खुद को सामान्य ही रखा।
थोड़ी देर बाद अरमान रूही को रवि के साथ घर भेज दिया।
अरमान का खाना हो गया था। वह बाहर आ गया। उसके पीछे-पीछे भूमि भी बाहर आ गई। भूमि उसे पुकारते हुए बोली, "अरमान..... अरमान.... मेरी बात तो सुनो!"
अरमान को काफी गुस्सा आ रहा था। वह भूमि का एक पल के लिए भी चेहरा नहीं देखना चाहता था और आज उसके पापा ने उसे उसके साथ खाना खाने भेज दिया था, वह भी रूही के हाथों। इस बात के लिए वह और भी गुस्से में आ गया था।
तभी उसे वापस भूमि की आवाज सुनाई दी। वह "अरमान..अरमान.." पुकारते हुए आ रही थी।
अरमान एक पल के लिए खड़ा हो गया और पीछे मुड़ते हुए बोला, "क्या है तुम्हें? मेरा पीछा क्यों नहीं छोड़ती?"
भूमि ने कहा, "सच में? तुम्हें मुझसे आजादी चाहिए? किसके लिए आजादी चाहिए? कोई और है तुम्हारी लाइफ में?"
उसकी बात सुनकर अरमान का गुस्सा और बढ़ गया। वह बोला, "अभी जो हाल है, वह तुमने खुद किया हुआ है! याद करो! किसने किसको छोड़ा था! वह तुम मुझे मत करो तो ही बेहतर है!"
भूमि गुस्से से बोली, "मैंने ऐसा भी कुछ नहीं किया तुम्हारे साथ! सिर्फ तुम्हें छोड़कर मैं एक रात के लिए दर्शन के पास गई थी! उसमें मैंने कौन सी गलत बात कर दी?"
उसकी बात सुनकर अरमान अपने गुस्से पर काबू पाने लगा और उसने उसे अपने हाथों से उसके कंधे पर दबाते हुए कहा, "क्या कहा? एक रात चली गई और तुम्हें ये बात नॉर्मल लगती है?
कैसी औरत हो? मैंने गलती कर दी थी! तुमसे मैंने पाँच साल तक बेशुमार प्यार किया था इसलिए!"
भूमि ने कहा, "मैंने भी तुमसे प्यार किया है!"
उसकी बात को बीच में ही रोकते हुए अरमान ने कहा, "तुम प्लीज कुछ भी मत बोलो! तुम्हारे मुंह से निकली हुई हर चीज़ मुझे गुस्सा दिलाती है!"
(अरमान को कुछ ज्यादा ही गुस्सा आ रहा था! और आए भी क्यों न! भूमि ने उसके साथ धोखा किया था!)
भूमि को उसने इतना जोर से पकड़ा हुआ था कि वह उसे छोड़ने के लिए भीख मांगने लगी थी।
थोड़ी देर बाद:
मार्गी भी उस रास्ते से ही निकलकर अपने पापा के पास जा रही थी। उसे कुछ चिल्लाने की आवाज आते हुए देख वह उस दिशा की ओर जाने लगी। वह जब वहां पर आई तो देखती है कि अरमान ने उसके साथ खड़ी लड़की को इतने जोर से पकड़ा हुआ था कि वह लड़की बहुत ही तेज़ रोने लगी थी!
यह सब देखकर मार्गी को बहुत ही तेज़ गुस्सा आ गया और वह उस लड़की के पास भागते हुए गई और उसने अरमान को पीछे से धक्का मार दिया, जिससे अरमान अपना संतुलन नहीं बना पाया और वह नीचे गिर गया।
मार्गी उसके पास आकर बोली, "तुम ठीक हो?" भूमि को यह सब ड्रामा कुछ ज्यादा ही पसंद था। इस वजह से वह अपनी भोली आवाज में बोली, "तुमने यह क्या किया?"
अरमान भी जब मार्गी को देखता है, वह गुस्से से भर जाता है और वह खड़े होते हुए कहता है, "तुमने मुझे धक्का क्यों मारा?"
मार्गी बोली, "तुमने इस बिचारी यानी कि रूही की माँ को इस तरह क्यों पकड़ा हुआ था? माना कि तुम बहुत ही अमीर आदमी हो, लेकिन औरतों की भी कोई इज़्ज़त है!"
अरमान गुस्से से तिलमिला गया था। वह बोला, "तुम्हें आखिर पता ही क्या है इसके बारे में? तुमने बेवजह ही कुछ ज्यादा ही अच्छा मन लिया है!" मार्गी बोली, "तुम कैसे आदमी हो? तुमको इससे माफ़ी मांगनी चाहिए, लेकिन तुम उल्टा इसे ही बोल रहे हो? आखिर तुम्हारे सीने में दिल है या नहीं?"
"पता नहीं रूही तुम्हारे साथ कैसे रहती होगी!"
रूही का नाम बीच में आते हुए देख अरमान भूमि का पूरा गुस्सा मार्गी पर उतार देता है और कहता है, "तुम्हें कुछ पता नहीं है तो फिर तुम हमारे बीच में मत आओ! तुम होती कौन हो? आखिर मैं भी एक औरत हूँ! तुम भी इस भूमि की तरह हर किसी को धोखा देती होगी!"
अरमान की बात सुनकर मार्गी सहम जाती है और वह कहती है, "तुम दोनों के बीच में तुम मेरे चरित्र पर क्यों आ गए?"
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अरमान ने कहा: यही तो बात है! खुद पर बात अति है! तो तुम्हें अच्छा नहीं लगता और जब मैं तुम्हारी बात करूँ तो फिर कुछ अलग ही!
अरमान की बात सुनकर मार्गी ने वहाँ पर अपने पैर पटक कर चली गई। वह बोलती हुई गई, "आदमी है तो क्या हुआ? कुछ भी कहे जाएगा! और कुछ भी सुना जाएगा!"
दूसरी ओर, अरमान ने एक गहरी साँस ली। उसने भूमि को आगे के रास्ते से हटाकर अपनी कार में जाकर बैठ गया। और वह वहाँ से कार चलाकर अपने घर के लिए निकल पड़ा।
वहाँ खड़ी भूमि यह देखकर मन ही मन बहुत खुश हो रही थी।
रात के ९ बजे:
मार्गी अपने पापा को छोड़ने के लिए रेलवे स्टेशन पर आई हुई थी। उसके पापा ने उसे गले लगा लिया और कहा, "बेटा, तुम अपनी करियर पर ध्यान रखना! और कोई भी प्रॉब्लम हो तो मुझे पहले बताना।"
मार्गी भावुक होते हुए बोली, "पापा, मैं आपको और मम्मी को बहुत मिस करूँगी!"
मार्गी के पापा ने कहा, "बस बेटा, आपको आगे भी बढ़ना है! अब आपको अकेले रहना सीखना पड़ेगा! आपको आगे बढ़ना है तो आपको हर चुनौती का सामना खुद ही करना पड़ेगा!"
मार्गी ने अपने पापा के पैर छुए और उनको बाय-बाय कह दिया।
मार्गी के पापा वहाँ से चले गए और ट्रेन में बैठ गए। जब तक ट्रेन वहाँ से आगे राजस्थान के रास्ते पर नहीं चलती, तब तक मार्गी उनके सामने खड़ी होकर बाय-बाय कहती रही।
मार्गी की आँखों में आँसू आ गए। और जब उसके पापा वहाँ से चले गए, तभी वह अपने होस्टल के लिए निकल पड़ी।
अभी रात के करीबन १० बजे थे।
वह अपने होस्टल आ गई। तभी आरोही ने कहा, "आ गई तुम?"
मार्गी खुश होते हुए बोली, "जी हाँ, मैं आ गई! ये लो, ये तुम्हारे लिए!"
आरोही ने कहा, "क्या है इसमें?"
मार्गी ने कहा, "देख लो तुम, तब तक मैं फ्रेश होकर आती हूँ!!"
आरोही ने वहीं पर पैकेट खोला। तब उसने देखा कि उसके अंदर गुलाब जामुन थे। आरोही यह देखकर बहुत खुश हो गई। आरोही की खुशी इतनी बढ़ गई कि वह अभी फ्रेश होकर आई मार्गी को देख लेती है।
मार्गी ने कहा, "क्या तुम्हें गुलाब जामुन इतने पसंद हैं?"
आरोही ने कहा, "हाँ मार्गी, मुझे बहुत पसंद हैं! इनफैक्ट मेरे भाई को भी बहुत पसंद हैं!"
उसकी बात सुनकर मार्गी ने कहा, "तुम्हारे बड़े भाई?"
आरोही ने कहा, "हाँ, मेरा बड़ा भाई अरमान मेहरा!"
मार्गी हैरान होते हुए बोली, "क्या? अरमान मेहरा?" (वह सोचने लगी, "कहीं यही तो अरमान नहीं, जो मुझे रूही के साथ मिला था? बाद में वह सोचने लगी, "नहीं-नहीं, अरमान नाम के कितने सारे लोग होते हैं! जरूरी तो नहीं अरमान मुझे मिला ही हो!")
मार्गी अपने विचार को शांत करने के लिए पूछती है, "क्या तुम्हारे भाई की शादी हो गई है?"
आरोही ने कहा, "नहीं-नहीं, मेरे भाई की अभी तक शादी नहीं हुई है!"
मार्गी रिलैक्स होते हुए बोली, "ठीक है! चल अब हम सो जाते हैं! वरना मैं तो नहीं उठ पाऊँगी सुबह-सुबह!" (वह इतना कहकर हँसने लगी और उसके साथ-साथ आरोही भी हँसने लगी।) आरोही हँसते हुए बोली, "हाँ, सही में? चल अब सोते हैं..."
मार्गी ने कहा, "क्या तुम्हें नहीं सोना? क्या तुम्हें नींद नहीं आती?"
आरोही ने उसकी बात सुनकर कहा, "नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है! लेकिन मुझे मेरी स्टडी कुछ ज्यादा ही पसंद है! इस वजह से मेरा पूरा ध्यान उस पर ही रहता है!"
मार्गी ने कहा, "अच्छा सुन! आज पता है एक आदमी अपनी वाइफ को बुरी तरह से बोल रहा था! बाद में मैंने उस खड़ूस आदमी को ऐसी लात मारी कि वह नीचे गिर गया!"
आरोही ने कहा, "क्या तू उन दोनों को जानती हो?"
मार्गी ने कहा, "नहीं, मैं उनको नहीं जानती!"
आरोही ने कहा, "पागल! तुम्हें बिना जान-पहचान किसी के मामले में नहीं बढ़ना चाहिए! अगर कुछ गड़बड़ हो गई तो फिर तेरा नाम आएगा! यह तुम्हारा राजस्थान नहीं है! मार्गी, यह दिल्ली है!"
मार्गी यह सुनकर बोली, "तो आखिर क्या हुआ? दिल्ली है तो...?"
आरोही ने कहा, "क्या तुम्हें नहीं पता? यह तुम्हारे लिए अंजान शहर है! तुमको अगर रास्ते में कुछ कर देते तो? मैं तुम्हें कैसे ढूँढती! आखिर हमको जाने हुए पाँच घंटे हुए हैं! समझ रही हो ना?"
मार्गी उसकी बात को अच्छे तरह से समझ पा रही थी। वह बोली, "हाँ, वैसे तो तुम्हारी बात सही है! ठीक है! मैं अब से यूँ किसी के मामले में नहीं आऊँगी!"
आरोही ने कहा, "ये हुई ना अच्छी बात!"
मार्गी ने कहा, "अच्छा, तुम पढ़ो! मैं अब सो जाती हूँ!"
आरोही ने उसे गुड नाईट कह दिया। मार्गी ने उसे फ्लाइंग किस दिया और गुड नाईट कह दिया।
दूसरे दिन:
मार्गी की जब आँख खुली, वह देखती है कि आरोही अभी तक सोई हुई है।
मार्गी उसे उठाना नहीं चाहती थी। उसे पता था कि आरोही ने देर रात तक पढ़ाई की हुई थी। इस वजह से वह उसे नहीं उठाती।
मार्गी अपने बेड से नीचे उतरकर आई। आरोही नीचे सोई हुई थी और मार्गी ऊपर सोई थी। उसके रूम में चार बेड थे।
वह रूम ट्विन्स के लिए था, मतलब कि एक रूम में सिर्फ दो ही लोग सो सकते थे।
मार्गी नीचे बेड से उतरकर कमरे की खिड़की खोल देती है। और उसके मुँह पर ठंडी-ठंडी हवाएँ टकरा रही थीं। वह गहरी साँस लेती है और क्यूट सी आवाज़ में कहती है,
"हवा की लहरें...
सूरज की किरणें...
दिल में जैसे अरमान ही हो...
दिल्ली में बसने के..."
"एक मिनट! सुबह-सुबह मैंने किसको याद कर लिया? और यह अरमान नाम मेरे सामने तो आना ही नहीं चाहिए। चलो जाने दो, हमें क्या? इतना कहकर वह आगे कहती है, "गुड मॉर्निंग दिल्ली!"
मार्गी फ्रेश होने के लिए वाशरूम में चली जाती है।
थोड़ी देर बाद वह वापस आती है तो कहती है, "ये क्या! आरोही अभी तक सोई हुई है! ९ बजे क्लास है और ८ तो यही बज गए हैं! कहीं देर न हो जाए..."
वह आरोही को जगाते हुए कहती है, "...आरोही...आरोही..."
आरोही उबासी लेते हुए कहती है, "क्या हुआ मार्गी? सोने दो ना, मुझे अभी बहुत अच्छा सपना आ रहा है!" आरोही की बात को सुनकर मार्गी कहती है, "तुम अपना सपना रात को देख लेना! लेकिन अभी तुम उठो! सुबह के ८ बज गए हैं! क्या तुम्हें कॉलेज नहीं जाना?"
मार्गी की बात सुनकर आरोही फट से उठ जाती है और वह फ्रेश हो जाती है। दोनों ही सहेलियाँ तैयार होने के बाद कॉलेज की ओर निकल पड़ती हैं।
कॉलेज ले जाने के लिए बस आती है। वह बस आज लेट थी। इस वजह से मार्गी और आरोही दोनों ही लेट हो गई थीं।
जब वह दोनों कॉलेज आती हैं, तब वह देखती हैं कि ९ बज गए थे और क्लास भी शुरू हो गया था। आरोही उसको कहती है, "चलो अब हम जल्दी से क्लास में बैठ जाते हैं! वरना सर हमें नहीं बैठने देंगे!"
मार्गी और आरोही दोनों ही क्लास रूम की ओर आगे बढ़ने लगती हैं। आरोही जैसे ही कदम रखती है, वहाँ पर मौजूद सर उसे डाँट देते हैं। और उसके पीछे ही मार्गी खड़ी हुई थी। मार्गी भी अंदर आती है। वह जब देखती है तो हैरान हो जाती है! उसके सामने कोई सर नहीं, बल्कि अरमान खड़ा हुआ था! अरमान भी मार्गी को देखकर हैरान हो जाता है!.........
To be continued 💫 🦋 💙
अरमान और मार्गी एक-दूसरे को पहचान लेते हैं, लेकिन क्लास के सामने कुछ नहीं कहते।
अरमान ने आरोही से कहा, "आरोही! कितने बजे?"
आरोही ने कहा, "नौ बजे।"
अरमान ने कहा, "तुम्हारी घड़ी बंद है? क्या? सेल लेकर दूँ?"
अरमान की बातें सुनकर मार्गी को गुस्सा आ गया। उसने कहा, "सर, आपकी हिम्मत कैसे हुई मेरी फ्रेंड को डाँटा? एक दिन लेट हो गए तो क्या हुआ?? आपको पता भी है हम कैसे लेट हुए?"
आरोही ने अरमान के साथ बात करते हुए, उसके कान में कहा, "तुम बंद करो। ये मेरे भाई हैं, इसलिए वह मुझे डाँट रहे हैं।"
मार्गी ने धीमी आवाज में कहा, "क्या? सच में? ये तुम्हारा वही बड़ा भाई है?"
आरोही ने सिर हिलाकर हाँ में जवाब दिया।
मार्गी और आरोही को एक-दूसरे से धीमी आवाज में बात करते देख, अरमान ने कहा, "ये क्या चल रहा है? आप दोनों मुझसे बात करो! और मिस...?" उसने मार्गी की ओर उंगली बढ़ाते हुए कहा।
मार्गी ने कहा, "सर, मेरा नाम मार्गी है। आप मुझे मार्गी कह सकते हो।"
अरमान ने कहा, "पता है।"
यह सुनकर आरोही मार्गी की ओर देखने लगी। क्लास में भी सभी स्टूडेंट एक-दूसरे की ओर देखकर बात करने लगे।
क्लास में शोर सुनकर, अरमान गुस्से से बोला, "Keep quite! Maintain your discipline!"
अरमान की बात सुनकर सभी स्टूडेंट शांत हो गए और अरमान की ओर देखने लगे।
अरमान ने कहा, "आप यहाँ नई-नई आई हो, मुझे पता है। आपका नाम मार्गी है, मार्गी मारवाड़ी।"
अपना नाम सुनकर मार्गी हैरान हुई। उसने कहा, "हाँ, ये तो प्रोफेसर लगते हैं! शायद इनको पता ही होगा मेरा नाम।"
अरमान ने कहा, "तुम दोनों बाहर खड़ी हो जाओ।"
मार्गी ने कहा, "लेकिन सर, हमारी बस आज लेट थी। इस वजह से हम लेट हुए हैं।"
अरमान ने कहा, "लेकिन मुझे कुछ नहीं सुनना! तुम दोनों बाहर पूरे एक घंटे के लिए खड़ी हो जाओ!"
आरोही मार्गी का हाथ पकड़कर बाहर ले गई और कहा, "ये क्या कर रही थी? तुम्हें पता है? भाई को अच्छा नहीं लगता जब कोई उनसे ऊँची आवाज़ में बात करे!"
मार्गी ने अपनी जीभ दांतों में दबाते हुए कहा, "पता है? आरोही? कल मैंने एक आदमी से बात की थी।"
आरोही ने कहा, "हाँ, पता है। लेकिन तुम उसकी बात यहाँ क्यों कर रही हो?"
मार्गी ने कहा, "वह आदमी कोई और नहीं, बल्कि अरमान सर ही थे!"
आरोही ने कहा, "क्या? तुमने भाई से पंगा ले लिया है?"
मार्गी ने कहा, "मुझे क्या पता था! वह इस कॉलेज के प्रोफेसर हैं। अगर पता होता तो मैं बात ही नहीं करती।"
आरोही ने कहा, "क्या यार! तुम्हें पता है? जिस-जिस लड़की और लड़के ने सर के खिलाफ आवाज उठाई है, वह एक या दो हफ़्ते में चले जाते हैं!"
यह सुनकर मार्गी हैरान हुई। उसने कहा, "क्या सच में? सर मुझे तो नहीं निकाल देंगे?"
आरोही ने कहा, "मैंने कहा था ना! तुम अब मुझे प्रॉमिस करो, तुम किसी से भी नहीं उलझोगी।"
मार्गी ने कहा, "ठीक है। मैं तुम्हारी बात मान लूँगी।"
ऐसे ही पूरा एक घंटा निकल गया।
अरमान जब अपनी क्लास पूरी करके बाहर निकला, तो उसने आरोही और मार्गी को आखिरी मौका देते हुए, गुस्से भरी आँखों से कहा, "आज लास्ट तुम दोनों को मैं छोड़ता हूँ, लेकिन कल भी ये जारी हुआ तो मैं तुम्हें दोनों को रिस्ट्रिक्ट करवा दूँगा।"
आरोही ने कहा, "सॉरी सर।"
लेकिन मार्गी के मुँह से एक "सॉरी" भी नहीं निकला।
अरमान को मन ही मन और भी गुस्सा आया। वह मार्गी की आँखों में देखने लगा। मार्गी अपनी आँखों में गुस्सा देखकर हैरान हो गई।
मार्गी ने मन ही मन कहा, "अब ये मुझे भी नहीं छोड़ेगा! ये मुझे रिस्ट्रिक्ट करेगा ही।"
मार्गी और आरोही बाहर खड़ी थीं। आरोही ने कहा, "चल, हम लोग कैंटीन में जाते हैं। मुझे भूख लगी है।"
मार्गी ने कहा, "अच्छा, ठीक है। चलो। वैसे भी हमने सुबह कुछ भी नहीं खाया था।"
मार्गी और आरोही दोनों कैंटीन की ओर चली गईं। दोनों ने वड़ा पाव और व्हाइट सॉस पास्ता ऑर्डर किया।
दोनों आराम से खाना खा रही थीं। दोनों फूडी थीं, इसलिए उन्हें खाना बहुत पसंद था।
जब दोनों आराम से खा रही थीं, पीछे से एक लड़की की धीमी आवाज उनके कानों में पड़ी, "तुम लोग यहाँ लेक्चर के टाइम पर बाहर क्यों बैठी हुई हो?"
दोनों पीछे मुड़ीं। मार्गी ने देखा कि कल जिस लड़की से अरमान झगड़ा कर रहा था और जिसे उसने बचाया था, वह लड़की उसके सामने खड़ी थी।
वह कोई और नहीं, बल्कि भूमि थी।
भूमि भी मार्गी को देखकर थोड़ी शर्माई, लेकिन उसने खुद को नॉर्मल कर लिया।
भूमि कुछ कहती, उससे पहले आरोही बोली, "अरे मैम! हम आज लेट हो गए थे, इस वजह से अरमान भाई ने... (आरोही खुद को टोकती है) मेरा मतलब है कि सर ने हमें बाहर निकाल दिया और अंदर आने से भी मना किया।"
भूमि हँसते हुए बोली, "अरे इसमें कोई बात नहीं है! अरमान ही ऐसा है, उसको मेरे अलावा अच्छे से कौन जानता है!"
आरोही ने कहा, "हाँ, भाभी!"
"भाभी" शब्द सुनकर मार्गी को कल की हरकत पर बहुत शर्मिंदगी हुई।
मार्गी आगे बढ़ते हुए बोली, "सॉरी मैम, मैंने कल जो आपके साथ किया, उसके लिए।"
आरोही ने सवालिया निगाहों से कहा, "क्या? मतलब?"
To be continued 💫 🦋 💙
मार्गी ने कहा, "दरअसल, यही थी जिसे बचाने के लिए मैंने अरमान सर से दुश्मनी मोल ले ली!"
आरोही ने अपने सिर पर हाथ रख दिया और चिंता भरी आवाज में कहा, "ये तूने क्या किया??? मार्गी, मैं इसलिए मानती हूँ कि हर चीज़ में आगे नहीं आना चाहिए!"
आरोही की बात सुनकर मार्गी शर्मिंदा हो गई और उसने माफी मांग ली।
मार्गी की बात सुनकर भूमि ने कहा, "कोई बात नहीं, तुम फ़िक्र मत करो। मैं तुम्हें इस कॉलेज से निकलने नहीं दूँगी! अरमान से मैं बात कर लूँगी!"
आरोही और मार्गी दोनों ही कुछ हद तक शांत और रिलैक्स हो गईं।
१० बजे:
जब अरमान अपनी क्लास लेकर बाहर निकला, तब उसने देखा कि आरोही और मार्गी दोनों ही मौजूद नहीं थीं।
अरमान ने एक लड़के को क्लास से बाहर बुलाया और कहा, "जब आरोही क्लास में आए तो कहना कि मुझे उससे काम है! और उसे बता देना कि अरमान सर उसे बुला रहे थे!"
वह वहाँ से इतना कहकर चला गया। जब वह वहाँ से चला गया, तब एक पिलर से मार्गी और आरोही दोनों चोरी-छुपे बाहर आईं और मार्गी ने कहा, "यार आरोही, तुमको मेरे वजह से दिक्कत पड़ेगी! I am really sorry दोस्त!"
आरोही ने कहा, "नहीं, ये कोई वजह नहीं है! मुझे मालूम है क्या वजह है भाई को मुझे अपने केबिन में बुलाने की!"
मार्गी ने कहा, "क्या???"
आरोही ने कहा, "मैं अभी तुम्हें कुछ नहीं बता सकती, लेकिन जब सही समय आएगा तब मैं तुम्हें खुद बता दूँगी!"
मार्गी ने उसकी बात सुनकर उसे "ok" और 👍 का इशारा कर दिया।
उसका इशारा पाकर आरोही ने उसे बाय कह दिया।
मार्गी ने उसे ज़्यादा कुछ नहीं पूछा और उसे भी बाय कह दिया। आरोही अरमान से मिलने के लिए चली गई।
मार्गी अंदर आई। मार्गी बेहद ही खूबसूरत लड़की थी। इस वजह से क्लास के सारे लड़के सहित सारी लड़कियाँ भी मार्गी को ही देख रहे थे।
मार्गी ने अपना परिचय देते हुए कहा, "Hi my new friends, मेरा नाम मार्गी है! मार्गी मारवाड़ी!"
उसकी बात सुनकर एक लड़के ने कहा, "अच्छा, मिस ब्यूटी, तुम्हारा नाम मार्गी है?? तो क्या मैं तुम्हें मिस ब्यूटी कह सकता हूँ???"
मार्गी हँसते हुए बोली, "जी हाँ, क्यों नहीं!" सभी लोग मार्गी को पसंद करने लगे थे, लेकिन वहाँ पर एक लड़की ऐसी थी जो मार्गी का घुलना-मिलना पसंद नहीं कर पा रही थी। वह लड़की कोई और नहीं, बल्कि नैना गुप्ता थी।
जी हाँ, नैना की आँखों में मार्गी के लिए जलन साफ़-साफ़ दिखाई देने लगी थी। उसकी बाजू में बैठी हुई लड़की, जो अब नैना की फ्रेंड बन चुकी थी, ने कहा, "तुम मार्गी पर ज़्यादा ध्यान मत दो! वह तो तुम्हारे सामने कुछ नहीं लगती है!" (नैना भी किसी से कम नहीं दिखाई देती थी! परन्तु हमेशा ही उसके मुँह पर बहुत सारा मेकअप लगा हुआ रहता था!)
उसकी फ्रेंड ने उसे और मस्का लगाते हुए कहा, "मैं सच में कह रही हूँ! नैना, तुम इस मार्गी के सामने बेहद ही खूबसूरत दिखती हो! उसकी तो औकात भी नहीं है तुम्हारे सामने खड़े होने की! तुम्हारे पापा अरमान सर की कंपनी में काम करते हैं, जहाँ पर काम करना हर किसी के बस की बात नहीं है!"
उसकी फ्रेंड नैना की बात सुनकर नैना अपने आप को सभी से ऊँचा मानने लगी। (वह कहते हैं ना! सब कुछ पलो पर गलतफैमली मत पालो) बस इसे ही नैना अपने आप में सर्वश्रेष्ठ है ऐसा मानने की गलतफैमली पाल लेती थी।
दूसरी ओर, अरमान के केबिन में:
अरमान: मैं कितनी बार कहूँ??? तुम घर पर वापस क्यों नहीं आती?
उसकी बात सुनकर आरोही ने भी अपनी आवाज को तेज करते हुए कहा, "लेकिन भाई, मैं नहीं आ सकती! आपको भी पता है!"
अरमान: लेकिन क्यों नहीं आ सकती????
आरोही (गुस्से भरी आवाज में): उन्होंने मुझसे सबके सामने थप्पड़ मारा था! भाई, क्या आपको ये सब नहीं दिखाई देता???
अरमान: लेकिन वह बिना वजह ऐसा नहीं कर सकती, तुम्हें भी पता है!
आरोही: भाई, बिना वजह नहीं कर सकती का मतलब क्या है??? क्या आपको ऐसा लगता है कि इन सब में मेरी कोई गलती है? बिना वजह मुझे किसी से मार खाना पसंद नहीं है, भाई!
आरोही बुरा मुँह बनाते हुए हँसते हुए बोली, "आखिर भाई, सौतेला ही होता है!"
उसकी बात सुनकर अरमान को काफी हद तक गुस्सा आ गया और उसने आरोही पर हाथ उठा दिया...
आरोही के गाल पर जोरदार थप्पड़ पड़ा। वह अरमान को घूरते हुए बोली, "इसलिए मैं उस घर में नहीं आती! पता नहीं उस औरत ने आपके ऊपर कौन-सा जादू किया है? लेकिन भाई, मैं इतनी अंधी नहीं हूँ! वह औरत सिर्फ़ और सिर्फ़ पापा के पैसे से प्यार करती है! और देखना, वह रूही को भी चोट पहुँचाने की कोशिश करेगी!"
अरमान ने उसके सामने हाथ आगे करके बंध होने का इशारा कर दिया। आरोही गुस्से में वहाँ से अपना पर्स लेकर चली गई।
आरोही को यूँ जाते देख अरमान की आँखों में भी नमी आ गई।
तभी वहाँ पर रवि एंटर हुआ। उसने कहा, "यार, ये क्या तुमने किया?? जो आरोही रोते हुए जा रही थी??" अरमान उसे कुछ नहीं कहा, बस कुर्सी पर आकर बैठ गया।
रवि: तुम्हें कुछ ऐसा नहीं करना चाहिए कि उसकी वजह से वह तुम पर भी कभी भरोसा न कर पाए!
अरमान (परेशान होते हुए): रवि, तुम्हें कुछ नहीं पता, इसलिए तुम ऐसा कह रहे हो!
रवि: हाँ, वो है... (वो हमदर्दी जताते हुए)
अरमान: मेरे पापा ने दूसरी शादी की है! पाँच साल पहले की बात है! आरोही को ऐसा लगता रहता है कि वह सिर्फ़ पापा के पैसे से ही प्यार करती है! एक दिन मिसेज़ सुजाता, यानी कि मेरी सौतेली माँ, जो पाँच साल पहले ही मेरे पापा के साथ शादी करके आई थी, तब से माँ ने मुझे, आरोही को प्यार किया है! आज तक उन्होंने मुझे कभी एहसास नहीं होने दिया कि वह सौतेली हैं! लेकिन पता नहीं पिछले दो महीनों में क्या हुआ है कि वह हमें छोड़कर होस्टल में रहने लगी है!
रवि: लेकिन कुछ तो ऐसा हुआ होगा जिससे वह अपना घर छोड़कर यहाँ रहने लगी है!
अरमान: एक दिन माँ और आरोही शॉपिंग पर गए थे! उस वक़्त कुछ ऐसा हुआ था जो हमें नहीं पता, लेकिन माँ ऐसा कह रही थी कि एक लड़के के साथ आरोही चेंजिंग रूम में गई थी!
रवि: क्या सच में???
अरमान: नहीं। आरोही कहती है उसने किसी लड़के को नहीं देखा और वह किसी लड़के को जानती ही नहीं! बल्कि वह ऐसा कह रही थी कि माँ एक लड़के के साथ चेंजिंग रूम में गई थी!
रवि: ये क्या चल रहा है??
अरमान: बहुत कुछ तो नहीं पता चल पा रहा कि क्या हो रहा है! अभी तक मुझे कोई सच्चाई नहीं पता चली क्योंकि जो दुकान में वे गए थे, उस दुकान में तो कोई कैमरा भी मौजूद नहीं था!
रवि: मुझे लगता है आरोही सच कह रही होगी! अगर सच में वह किसी लड़के को जानती होगी तो फिर वह यहाँ पर भी किसी को लाती, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है!
अरमान: हाँ भाई, तू सही कह रहा है! ऐसा हो सकता है!
रवि: अच्छा, चल मैं निकलता हूँ!
अरमान: क्या??? कहाँ पर जाना है???
रवि: पागल, तू भूल मत, मैं एक आर्किटेक्ट हूँ! मुझे एक साइट देखने के लिए जाना है!
अरमान: ठीक है, तू जा। कोई काम हो तो मुझे बताना!
रवि: हाँ, भाई!
शाम के ४ बज गए थे।
शाम के ४ बजे कॉलेज खत्म हो गया। आरोही और मार्गी दोनों ही बहुत ही खुश थीं, लेकिन कहीं न कहीं आरोही को अरमान का वह थप्पड़ याद आते ही वह थोड़ी उदास हो जाती है।
To be continued 💫 🦋 💙
शाम के 4 बजे
शाम के चार बजे कालेज खत्म हो गया! आरोही और मार्गी दोनों ही बहुत खुश थे! लेकिन कहीं न कहीं आरोही को अरमान का वह थप्पड़ याद आते ही वह थोड़ी उदास हो गई।
लेकिन वह यह बात मार्गी को नहीं बताना चाहती थी। इस वजह से उसने अपने इमोशन पर कंट्रोल कर लिया। मार्गी जब कॉलेज के गेट से बाहर निकली, तो उसने देखा कि सामने आइसक्रीम की एक छोटी सी शॉप थी।
उस शॉप में कई तरह की आइसक्रीम थीं। मार्गी और आरोही दोनों ही वहाँ पर चली गईं। दोनों ने चॉकलेट बार ऑर्डर किया।
वे दोनों अपनी आइसक्रीम बहुत ही आराम से खा रहे थे। तभी अरमान की कार वहाँ से निकली। अरमान की पूरी कार ब्लैक थी; उसके शीशे भी पूरी तरह ब्लैक थे। अरमान को साफ-साफ आरोही और मार्गी दिखाई दे रही थीं। अरमान मार्गी को देखकर अपना मुँह फेर लेता है और कहता है—
"नौटंकी करना कोई इस मार्गी के पास सीखे!"
शाम के 7 बजे थे।
अरमान अपने घर आ गया। रूही जल्दी से भागते हुए अपने पापा के गले लग गई। उसने देखा कि अरमान का चेहरा मुरझा हुआ था। रूही अपनी क्यूट भरी आवाज में कहती है—
"पापा, आपको क्या हुआ?"
वह अपने नन्हे-नन्हे हाथों को अरमान के गालों पर फिराने लगी।
अरमान मुस्कुराते हुए कहता है—
"नहीं मेरी नन्ही परी! कुछ नहीं हुआ, बस..."
रूही उसकी बात को बीच में काटते हुए कहती है—
"पापा, बुआ कब घर पर आ रही हैं???"
अरमान कहता है—
"माय क्यूट एंजेल, मुझे नहीं पता। क्या आप अपनी बुआ को वापस ला सकती हो???"
रूही उसकी बात सुनकर कहती है—
"हाँ हाँ! मैं झटपट बुआ को लेकर आऊँगी!"
अरमान उसके गाल पर हाथ फेर देता है।
तभी वहाँ पर सुजाता जी आ जाती हैं और कहती हैं—
"बेटा, मेरी वजह से आरोही घर छोड़कर चली गई!"
तभी अरमान कहता है—
"मॉम, उसमें आपकी कोई गलती नहीं है! यह आरोही है जो छोटी-छोटी बात को बड़ी बना देती है! आप आराम कीजिए, मैं रूही के साथ चलकर खाना खा लेता हूँ।"
रूही कहती है—
"पापा, मुझे मैगी नूडल्स खानी हैं!"
अरमान कहता है—
"नहीं बेटा, आपको नूडल्स नहीं खाने चाहिए! पेट में दर्द हो सकता है!"
रूही कहती है—
"लेकिन पापा, एक बार खाने में कुछ नहीं होता!"
अरमान उसे मना कर देता है।
रूही नाराज हो जाती है, लेकिन अरमान उसके लिए एक छोटी सी गुड़िया लेकर आया हुआ था। वह उस गुड़िया को देखकर बहुत खुश हो जाती है और अपने कमरे में चली जाती है।
दूसरे दिन सुबह
मार्गी और आरोही सुबह जल्दी ही उठ गए। मार्गी कहती है—
"चल आरोही, वरना आज भी तेरा भाई हमें बाहर खड़े कर देगा!"
मार्गी की बात सुनकर आरोही कहती है—
"हाँ चल, मुझे भी कुछ नहीं सुनना मेरे खिलाफ!"
आरोही और मार्गी दोनों ही आज टाइम पर कॉलेज आ गए थे।
वे दोनों 9 बजे से पहले ही क्लासरूम में लास्ट वाली बेंच पर बैठ गए।
सभी स्टूडेंट आ गए। जैसे ही 9 बजे, तभी अरमान क्लासरूम में एंटर हो जाता है। जैसे ही वह अंदर आता है, सभी लोग खड़े हो जाते हैं और गुड मॉर्निंग विश कर देते हैं। अरमान सभी की ओर नज़र डालता है, तब वह देखता है कि मार्गी और आरोही दोनों ही लास्ट बेंच पर बैठे हुए थे। अरमान सभी को बैठने का इशारा कर देता है।
वह अगली बेंच खाली पाकर आरोही और मार्गी को आवाज़ दे देता है और कहता है—
"मार्गी और आरोही, तुम वहाँ पर नहीं बैठ सकती!"
मार्गी और आरोही दोनों ही हैरान होते हुए एक-दूसरे के सामने देखने लगते हैं। मार्गी धीमी आवाज़ में कहती है—
"अबे अब क्या हुआ???"
आरोही कहती है—
"मुझे क्या पता! चल खड़ी हो, अब देखते हैं क्या हुआ है!"
"तुम दोनों वहाँ पर नहीं बैठ सकतीं!" मार्गी और आरोही दोनों ही हैरान हो जाते हैं।
अरमान अपनी बात को आगे जारी करते हुए कहता है—
"मेरा मतलब है! यह बेंच खाली है! तुम दोनों यहाँ आकर बैठ जाओ!"
मार्गी और आरोही दोनों ही गहरी साँस लेती हैं और धीमी आवाज़ में कहती हैं—
"ये बात थी! पता नहीं क्या-क्या समझ लिया था!"
मार्गी और आरोही दोनों ही वहाँ पर आकर बैठ जाती हैं, और अरमान अपनी स्टडी यानी कि लेक्चर लेना शुरू कर देता है। वह कहता है—
"फ़ैशन डिज़ाइनिंग में सबसे ज़्यादा इम्पॉर्टेंट टॉपिक होता है उसकी डिज़ाइन कैसे बनाई गई हो, बाद में उसका फ़ैब्रिक कैसे चुना गया हो। अक्सर ऐसा होता है कि फ़ैब्रिक में कुछ गड़बड़ होने की वजह से पीछे हम जो चैन रखते हैं, वह उसका भार सहन नहीं कर पाती और बाद में फ़ट जाती है। इसलिए पहले हमें यह ढूँढ़ना है कि कौन सा फ़ैब्रिक हमें यूज़ करना चाहिए। किसी को कोई आइडिया है??"
मार्गी, आरोही और नैना तीनों ने हाथ खड़े कर दिए। अरमान यह देखकर इम्प्रेस होता है। वह कहता है—
"अच्छा, तुम्हारा नाम क्या है???"
अरमान ने नैना की ओर इशारा किया हुआ था। नैना खड़ी होकर कहती है—
"मेरा नाम नैना गुप्ता है!"
अरमान कहता है—
"हाँ, तो मिस नैना, आप मुझे बताइए कौन सा फ़ैब्रिक अच्छा होता है?"
नैना कॉटन जवाब देती है। अरमान कहता है—
"आर यू श्योर???"
नैना हाँ में सिर हिला देती है!!
लेकिन अरमान उसे बैठने का इशारा कर देता है और आरोही से पूछता है—
"तुम्हारा क्या जवाब है???"
आरोही कहती है—
"मैं भी यही कहने वाली थी!"
अरमान कहता है—
"यह नहीं है! जवाब दूसरा है!"
मार्गी अपना हाथ उठाती है, लेकिन अरमान उस पर ध्यान नहीं देता। इस वजह से मार्गी को बहुत गुस्सा आता है और वह कहती है—
"सर, मैं भी हूँ! मुझे भी आता है इस सवाल का जवाब!"
अरमान उसे देखकर कहता है—
"अच्छा, मिस मार्गी, मैंने आपको देखा ही नहीं!!"
पीछे से नैना की हँसने की आवाज़ आती है, लेकिन अरमान उसे चुप करा देता है। मार्गी खड़े होते हुए कहती है—
"सिल्क! सिल्क का कपड़ा बेस्ट होता है! सिल्क भी अच्छा होता है। उसे हम बेस्ट गाउन बना सकते हैं और उसे हम एक हैवी डिज़ाइन भी कर सकते हैं, और सिल्क की साड़ी तो बहुत ही सुंदर लगती है!"
अरमान कहता है—
"यह भी आंसर सही है, और आरोही, नैना का आंसर भी सही था। सिल्क, कॉटन, वेलवेट, वूल, लेदर जैसे कई फ़ैब्रिक मैटेरियल हैं, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि हम यह फ़ैब्रिक को पहचानने में गलती कर बैठते हैं! हमें हमेशा फ़ैब्रिक के टच से पता चल जाना चाहिए कि कौन सा फ़ैब्रिक बहुत अच्छा है और कौन सा फ़ैब्रिक बकवास है। ठीक है!"
सभी लोग उसकी बात को सुनकर हाँ में सिर हिला देते हैं। तभी लेक्चर बदल जाता है और अरमान कहता है—
"मैं आप सभी को एक असाइनमेंट देता हूँ! आप सभी को मेरे ऑफिस में आकर सारे फ़ैब्रिक को अच्छे तरीके से चेक करना है और उसे क्यों इस्तेमाल करना चाहिए, यह मुझे कल बताना है! ठीक है! आप सभी लोग अभी मेरे ऑफिस में जा सकते हैं!"
अरमान के निकलने के बाद सभी गर्ल्स और बॉयज़ अरमान के ऑफिस के आगे आ जाते हैं। वह ऑफिस बहुत ही बड़ा था, इतना बड़ा कि सभी को यह फ़ाइव स्टार होटल से कम नहीं लग रहा था! सभी लोग वहाँ पर अपनी तस्वीर खिंचवाने के लिए लग जाते हैं। उन सभी को ऐसा करते हुए देख मार्गी कहती है—
"क्या हम अंदर चल सकते हैं???"
आरोही कहती है—
"हाँ हाँ, चल अंदर जाते हैं!"
मार्गी और आरोही दोनों ही साथ में अंदर चली जाती हैं। मार्गी अंदर जाते हुए कहती है—
"यार क्या! इन लोगों को जोकर बनने में मज़ा आता है???"
आरोही कहती है—
"क्या मतलब तुम्हारा???"
मार्गी कहती है—
"देखना यार, सभी लोग कैसे एक के बाद एक टूट पड़े!"
मार्गी की बात सुनकर आरोही उसे घूरते हुए कहती है—
"क्या तुम्हें तस्वीर लेने में कोई इंटरेस्ट नहीं है???"
उसकी बात सुनकर मार्गी झूठी हँसी हँसते हुए कहती है—
"मुझे तस्वीर लेना बहुत पसंद है!"
आरोही की बात सुनकर मार्गी अपना सिर नीचा कर देती है और अपनी भोली-भाली सकल बनाते हुए कहती है—
"अच्छा, सॉरी ना आरू!"
आरोही कहती है—
"क्या कहा मुझसे???"
To be continued 💫 🦋 💙
आरोही की बात सुनकर मार्गी ने कहा, "आरू! क्या तुम्हें यह नाम पसंद नहीं आया?" आरोही ने अपने खोए हुए आवाज़ में कहा, "यह नाम से हमेशा मुझे मेरी माँ बुलाया करती थी!" आरोही ने कहा, "तुम मुझे इस नाम से बुला सकती हो! आखिर तुम मेरी bestie हो! यार!" मार्गी ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "मैं समझ सकती हूँ! अच्छा, इतना इमोशनल मुझे नहीं होना चाहिए! चल, अब आगे बढ़ते हैं!"
आरोही ने कहा, "हाँ चल, मैं तुझे अरमान भाई का केबिन दिखाती हूँ!"
मार्गी ने कहा, "नहीं यार, रहने दो। सोए हुए शेर को नहीं जगाना चाहिए! उसे सोने दो यार, हम दूसरी ओर चलते हैं!"
उसकी बात सुनकर मार्गी ने कहा, "ठीक है! मेरे पापा के केबिन में!"
आरोही की बात सुनकर मार्गी उसके पापा के केबिन में गई। दोनों अंदर आ गई थीं। उसके पापा खुश होते हुए बोले, "कैसी हो मेरी बची?"
आरोही ने कहा, "मैं ठीक हूँ! और आप?"
राजवीर ने कहा, "बेटा, मैं तो ठीक हूँ!" उसने मार्गी पर नज़र डाली। मार्गी ने उसे नमस्ते किया और उसके पैर छुए। वह बोली, "आप कैसे हो? बहुत खमा सर!"
उसकी बात सुनकर राजवीर ने भी उसी अंदाज में उसे नमस्ते कहा।
राजवीर ने कहा, "क्या आप दोनों ठीक हैं? आज इधर का रास्ता कैसे?"
राजवीर की बात सुनकर आरोही ने कहा, "पापा, बहन ने फैब्रिक डिज़ाइन देखने के लिए कहा था!"
राजवीर ने कहा, "हाँ तो। ऊपर की मंज़िल में चली जाओ! उसमें काफी फैब्रिक है!"
मार्गी और आरोही ने राजवीर को धन्यवाद कहा और वहाँ से चली गईं। दोनों ही ऊपरी मंज़िल पर आ गईं। दोनों ही फैब्रिक को देखकर बड़े खुश हो गई थीं। फैब्रिक काफी महंगा लग रहा था। मार्गी ने कहा, "😲 Wow यार! सुपर वेलवेट है! और यह मरून कलर में तो काफी अच्छा लग रहा है!"
मार्गी और आरोही दोनों ही काफी हद तक खुश हो गईं। वे उनमें से फैब्रिक लेकर ऑफिस के बाहर चली गईं। नैना एक फैब्रिक, जो कॉटन का बना हुआ था, उसमें बहुत ही अच्छी डिज़ाइन लगी हुई थी, उसे लेकर वहाँ से चली गई।
दूसरी ओर, जब मार्गी और आरोही दोनों बाहर निकल गई थीं, तब मार्गी ने आरोही से कहा, "अच्छा, तूने वह ग्रीन वाला कॉटन का कपड़ा लिया था? वह मुझे देना!"
आरोही ने कहा, "वेट, अभी देती हूँ!" जब वह अपने पर्स में ढूँढती है, तो देखती है कि मार्गी का पर्स और वह फैब्रिक उसमें नहीं है।
आरोही ने मार्गी को बता दिया। इस वजह से मार्गी परेशान हो गई। मार्गी ने कहा, "एक काम कर, तू तीसरी मंज़िल पर जा, मैं जब चौथी मंज़िल पर जाती हूँ!" दोनों ही निकल पड़ी थीं।
अरमान फैब्रिक के लिए वहाँ पर आया हुआ था, और नैना अपने ही धुन में चली जा रही थी। उसने हाई हील्स पहनी हुई थीं। अरमान भी अपने फोन में व्यस्त था। वह उस फैब्रिक के रूम में एंटर होता है, और नैना उस रूम से बाहर निकल रही थी। नैना और अरमान दोनों ही टकरा जाते हैं। नैना गिरने वाली थी, इस वजह से अरमान ने उसे अपने हाथों से जकड़ लिया। तभी वहाँ पर मार्गी आ जाती है, जो कि अपना ग्रीन कॉटन का कपड़ा लेने के लिए आई हुई थी। वह जब अरमान और नैना को इस कदर देखती है, तो अपनी आँखें अपनी उंगली से बंद कर देती है और कुछ धीरे से बोलते हुए कहती है, "यह आदमी कैसा है! इसे शर्म नहीं आती? अपनी बीवी-बच्चे होने पर भी किसी और के साथ फ़्लर्ट कर रहा है! मैं भी कहाँ फँस गई!"
अरमान के सामने रखे आईने पर जैसे ही मार्गी को अपनी आँखें बंद करते हुए देखता है, तो अरमान नैना को गिरा देता है, जिस वजह से वहाँ पर ज़ोर की आवाज़ आती है। और अरमान मार्गी से कहता है, "तुम? यहाँ?"
अरमान के बाहों में नैना को देखकर मार्गी शॉक हो जाती है और वह अपने मन में कहती है, "कैसा आदमी है! हर औरत, हर लड़की के साथ फ़्लर्ट करते फिर रहा है!" अरमान जब अपने सामने रखे आईने में देखता है, तो उसे वहाँ पर मार्गी देख लेती है, और वह नैना को छोड़ देता है, जिस वजह से नैना नीचे गिर जाती है।
नैना "आउच" कहती है और आगे बोलती है, "सर, आपने मुझे क्यों गिराया?" तभी वहाँ पर मार्गी आ जाती है और वह कहती है, "आपको तो थोड़ी भी शर्म नहीं है! आप हर लड़की को चोट पहुँचाते हैं? क्या आपको मज़ा आता है? हर लड़की को गिराने में! हर लड़की को टॉर्चर करने में?" अरमान उसकी बात सुनकर थोड़ा सहम जाता है और वह अपनी कड़क और सॉफ्ट लहजे में कहता है, "देखो, तुम्हें कोई गलतफ़हमी हुई है!"
अरमान की बात सुनकर मार्गी कहती है, "हाँ हाँ! हर बार मुझे सिर्फ़ गलतफ़हमी ही होती है! अपनी आँखों से देखती हूँ, फिर भी आप उसे गलतफ़हमी कह देते हैं!"
नैना के सामने दिखते हुए मार्गी उसे कहती है, "तुम डरना मत! यह यह के सर हैं तो क्या हुआ? मैं तुम्हारे साथ हूँ! यह तुम्हें अकेले देखकर तुम्हें चोट पहुँचाने की कोशिश कर रहे थे, न? तुम मुझे कहो, मैं राजवीर सर को कहकर इनकी शिकायत करती हूँ!" लेकिन अरमान को तो इस बात से कुछ फर्क नहीं पड़ रहा था। वह कुछ कहता नहीं, सिर्फ़ मार्गी को ही घूरते जा रहा था।
मार्गी जब उसके सामने देखती है, तो कहती है, "मेरे सामने इसे मत देखो! मैं आपसे नहीं डरती! डरती होंगी पूरी दुनिया, लेकिन मैं एक इंडिपेंडेंट लड़की हूँ! मुझे आपसे डर नहीं लगता!" मार्गी नैना के पास जाती है और उसके कंधे पर हाथ फिरते हुए कहती है, "तुम मुझे कहो! डरो मत!" नैना उसकी बातों से अब परेशान हो गई थी। वह उसके हाथ को झटकते हुए कहती है, "बस करो तुम! 🖐️ कब से कुछ न कुछ बोले जा रही हो! सर को यूँ शांत देखकर ऐसा मत समझो कि तुम कुछ भी कहोगी और सर सिर्फ़ सुनते ही जाएँगे! यह देखो, मेरा पैर इस कपड़े के बीच में आ गया था, इस वजह से मैं गिरने वाली थी! वह तो भगवान की दया से सर उसी वक़्त आ गए और मैं बच गई! उन्होंने मुझे गिरते हुए बचा लिया!"
मार्गी उसकी बात से आँखें बड़ी करते हुए सिर्फ़ अरमान को ही देखे जा रही थी। अरमान के फेस पर कोई भाव नहीं थे। उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि मार्गी ने अभी-अभी उसके बारे में कुछ कहा ही न हो! मार्गी उसके सामने शर्मिंदा होते हुए कहती है, "सर, सॉरी! मुझे लगा था कि....."
To be continued 💫 🦋 💙
मार्गी उसकी बात से आँखें बड़ी करते हुए सिर्फ़ अरमान को देख रही थी! अरमान के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे! उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि मार्गी ने अभी-अभी उसके बारे में कुछ कहा ही नहीं हो! मार्गी उसके सामने शर्मिंदा होते हुए बोली: सर, सॉरी! मुझे लगा था कि…
की?? क्या? अरमान उसकी बात को बीच में ही काटकर बोला, क्या लगा था?? वैसे तुम्हारी कोई गलती नहीं, मार्गी! तुम तो इंडिपेंडेंट लड़की हो! तुम खुले आसमान में उड़ सकती हो! और कुछ भी बकवास कर सकती हो! तुम्हारा तो काम ही है! हर बार किसी के बीच में आ जाने का! होता कुछ और है! और समझती कुछ और हो! तुमने सही कहा था! तुम एक आज़ाद गर्ल हो! जो अपने विचार और सोच से दूसरों की पर्सनालिटी खुद ही जज कर लेती है! कोई बात नहीं, जब इंसान पागल होता है! तो यही करता है! मुझे लगता है! तुम्हें पहले अपना चेकअप कराना चाहिए! वहाँ पर खड़ी नैना इन दोनों की बहस सुनकर काफ़ी खुश हो रही थी! और होती क्यों न?? आखिर वह मार्गी से जलती तो थी!
मार्गी ने अरमान से एक बार फिर सॉरी कहा। आइंदा ऐसा नहीं होगा! वह कहकर कोने में रखा हरा कपड़ा और अपना बैग लेकर वहाँ से चली गई। वह इतनी तेज़ भाग रही थी! जैसे उसके पीछे कोई कुत्ता काटने के लिए दौड़ा हो! अरमान भी वहाँ से बाहर निकलने लगा। तभी नैना उसका रास्ता रोककर उसे थैंक यू कहा। लेकिन अरमान को उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ा; उसने उसे इग्नोर करते हुए अपने काम के लिए वहाँ से निकल पड़ा।
नैना काफ़ी खुश हो गई थी! अरमान और मार्गी के बीच अनबन देखकर वह बोली, अब देखना मार्गी! सभी लोग जो तुमसे बहुत प्यार करते हैं! सभी लोग तुम्हारे आगे-पीछे मँडरा रहे हैं! न मधुमक्खी की तरह देखना मैं! उस मधुमक्खी के छत्ते को कैसे पत्थर से तोड़ देती हूँ! बाद में वह हँसने लगी! 😃 😃 😃
दूसरी ओर:
जब मार्गी दौड़ते हुए आई और वह हाँफने लगी, उसे यूँ भागते आते हुए देखकर आरोही ने उसे कहा: क्या हुआ तुम्हें???? इतनी तेज़ क्यों दौड़ती आ रही हो????
मार्गी हाँफते हुए बोली: यार, वापस मुझसे एक गलती हो गई!
आरोही बोली: क्या हुआ अब???
मार्गी ने उसे सारी बात बता दी। आरोही ने अपने सिर पर हाथ मार दिया और बोली: तू हमेशा मेरे भाई से पंगा क्यों लेती रहती हो???
मार्गी बोली: लेकिन मुझे पहले नहीं पता था! कि वह तुम्हारा भाई और हमारे सर हैं!
आरोही बोली: और इस बार?????
मार्गी क्यूट सा और गिल्टी सा मुँह बनाते हुए बोली: पता नहीं लेकिन मुझे अरमान सर कुछ बिगड़े हुए लगते हैं! आरोही उसकी बात सुनकर हैरान हो गई!
और गुस्से में बोली: देख मार्गी! अब मैं और ज़्यादा कुछ सहन नहीं कर सकती! पिछली बार तुमसे गलती से हो गया था! लेकिन अब मेरे भाई के ख़िलाफ़ एक लफ़्ज़ भी नहीं सुन सकती!
मार्गी ने उसे मनाते हुए कहा: अब से मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगी! और अब से मैं कुछ नहीं बोलूँगी तेरे भाई यानी कि अरमान सर के ख़िलाफ़! ठीक है????
आरोही बोली: पिछली बार भी तूने यही कहा था! मैं कैसे यकीन करूँ???? मार्गी बोली: अच्छा ठीक है! उसने अपने गले पर चुटकी भरती हुई पिंकी प्रॉमिस की! आरोही उसकी हरकत देखकर हँसते हुए बोली: क्या तुम छोटी बच्ची हो????? मार्गी भी उसके सवाल से हँसने लगी!
शाम के ७:३० बजे!
आरोही और मार्गी दोनों ही आपस में कुछ बाँट रही थीं। तभी उनके कमरे का दरवाज़ा खटखटाया गया। आरोही और मार्गी दोनों ही एक साथ बोलीं: इस वक़्त यहाँ पर कौन आया होगा??? आरोही और मार्गी दोनों ही एक-दूसरे के सामने देखने लगीं। आरोही मार्गी से बोली: अच्छा, तू रुक, मैं देखती हूँ! मार्गी बोली: ठीक, देख लो! आरोही जैसे ही अपने कमरे का दरवाज़ा खोला, उसने देखा कि उसके सामने रूही खड़ी थी! रूही को सामने देखकर आरोही बहुत ही खुश हो गई! और रूही भी काफ़ी हद तक खुश हो गई थी! आरोही ने रूही को अपनी गोद में उठा लिया! और उसके गाल पर, माथे पर किस करने लगी! रूही की उम्र करीबन ७ साल की थी! रूही ने भी अपने नन्हे-नन्हे हाथों से आरोही के दोनों गाल खींचे और कहा: आई मिस यू बुआ!
आरोही को न आते देख मार्गी सोच में पड़ गई और वह भी वहाँ पर चली गई! और बोली: कौन आया है!?? आरोही? जैसे ही वह आरोही की गोद में रूही को देखती है! वह खुश होते हुए कहती है! रूही तुम??? रूही उसकी आवाज़ सुनकर सामने देखती है! तो वह खुश हो जाती है और कहती है! अरे मार्गी दीदी आप??? कैसी हो??? आरोही की गोद से निकलकर रूही तुरंत ही मार्गी के पास चली गई! और उसके गले लग गई!
आरोही हैरान होते हुए बोली: क्या आप दोनों एक-दूसरे को जानते हो???? उसका सवाल सुनते ही दोनों एक-दूसरे के सामने देखने लगीं! और मुस्कुराते हुए बोलीं! हाँ, हम जानते हैं! एक-दूसरे को! आरोही बोली: लेकिन कैसे??? तभी मार्गी उस दिन वाली सारी बात उसे बता देती है! मार्गी की बात सुनकर आरोही बोली: अच्छा, तो यह बात है! बाद में आरोही बोली: रूही बेटा, तुम यहाँ पर अकेली आई हो??? तभी उन तीनों के कानों में एक आवाज़ आती है! नहीं! …मैं रूही को यहाँ पर लेकर आई हूँ! जब वह तीनों दरवाज़े की ओर देखती हैं! तो वहाँ पर सुजाता जी खड़े हुए थे!……
To be continued 💫🦋💙
सुजाता जी ने कहा, "मैं ही रूही को लेकर यहाँ आई हूँ!"
सुजाता जी को देखकर आरोही को अच्छा नहीं लगा। उसने थोड़ी रूखी बात करते हुए कहा, "आप यहाँ क्यों आई हो?" सुजाता जी उसके पास जाती हुई बोलीं, "बेटा, तुम कब तक अपनी माँ से नाराज़ रहोगी?"
आरोही ने कहा, "देखिए, आप मेरी माँ नहीं हैं!"
आरोही की बात सुनकर मार्गी ने कहा, "आरोही, ऐसा नहीं कहते!" आरोही ने आँख दिखाते हुए कहा, "मैंने कितनी बार कहा है! किसी के मामले में अगर कुछ पता न हो, तो उसमें टाँग नहीं अड़ाना चाहिए!" मार्गी चुपचाप खड़ी रही। आरोही थोड़ी गुस्से में थी और कुछ भी सुनना नहीं चाहती थी।
रूही ने आरोही का हाथ खींचते हुए कहा, "बुआ बुआ, आप दादी से नाराज़ हैं, लेकिन मुझसे तो नाराज़ नहीं हैं, न?" आरोही ने कहा, "नहीं बेटा, मैं आपसे भला क्यों नाराज़ रहूँ?"
रूही ने कहा, "तो फिर आप वापस घर पर क्यों नहीं चली आती?" रूही की बात सुनकर आरोही ने सुजाता जी पर एक कड़वी नज़र डाली, लेकिन कुछ नहीं कहा। रूही की बात सुनकर आरोही की आँखों में नमी आ गई। वह घुटनों पर बैठते हुए बोली, "बेटा, देखो, मेरी स्टडी जब खत्म हो जाएगी, तब मैं पक्का अपने घर वापस आ जाऊँगी।" रूही ने कहा, "पक्का प्रॉमिस?" रूही ने अपनी गले की चुटकी लेते हुए कहा, "पिंकी प्रॉमिस?"
रूही को ऐसा करते देख आरोही मार्गी की ओर देखने लगी। मार्गी भी उसे ऐसा करते देख हैरान और खुश दोनों हो रही थी। आरोही का हाल भी कुछ ऐसा ही था। आरोही ने कहा, "पक्का पिंकी प्रॉमिस!"
वह खड़ी हुई और सुजाता जी के पास चली गई। उसने कहा, "जब तक आप उस घर में हैं, तब तक मैं पक्का नहीं आने वाली!" सुजाता जी ने उसे घूरते हुए कहा, "इसका मतलब तुम कभी भी अपने घर नहीं आओगी?" इतना बोलते ही वह फीकी सी मुस्कुराने लगी। उसे यूँ हँसते देख आरोही का जी घुलने लगा, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।
सुजाता जी ने रूही से कहा, "चलो बेटा रूही, अब घर जाने का समय हो गया।" रूही ने कहा, "ठीक है दादी!"
रूही जैसे ही जाने वाली थी, मार्गी ने उसे पुकारते हुए कहा, "रूही! रुको; ये लो ये तुम्हारे लिए!" मार्गी ने उसे एक बड़ी सी चॉकलेट दी। तभी सुजाता जी ने कहा, "हमारी रूही किसी का दिया हुआ नहीं लेती!" रूही ने कहा, "हाँ दीदी, मैं किसी का नहीं लेती! लेकिन आप थोड़ी ना मेरे लिए कोई हो? आप तो मेरी अपनी हो!" इतना कहकर रूही वह चॉकलेट ले ली।
सुजाता जी और रूही वहाँ से चली गईं। उनके जाने के बाद आरोही ने गहरी साँस ली और कहा, "हाँ, वह चली गई!"
मार्गी उसके सामने आकर बैठ गई और बोली, "क्या मैं कुछ पूछ सकती हूँ?" आरोही ने कहा, "देख मार्गी, अभी मैं तुझे कुछ नहीं बता सकती। अभी हम अच्छे तरह से एक-दूसरे को जानते भी नहीं हैं। जब मुझे ऐसा लगेगा कि मुझे ये बात तुमसे करनी चाहिए, मैं खुद आकर तुमसे ये बात कह दूँगी।" मार्गी ने हाँ कहा।
दूसरे दिन
वे दोनों सवेरे जल्दी तैयार होकर कॉलेज के लिए निकल पड़ीं। दोनों ही आज समय पर कॉलेज आ गई थीं और क्लास में जाकर बैठ गईं। दोनों ही आज वापस आखिरी बेंच पर बैठ गई थीं। जैसे ही 9:00 बजे, अरमान क्लास में एंटर हुआ। सभी लोग खड़े हो गए और उसे रिस्पेक्ट से गुड मॉर्निंग विश किया। अरमान ने भी उन्हें रिप्लाई दिया और बेंच की ओर इशारा किया। अरमान ने देखा कि आज फिर पहली बेंच खाली थी, तो उसने मार्गी और आरोही को खड़ा करके पहली बेंच पर बिठा दिया। उसने कहा, "अब से तुम लोग यहीं पर ही बैठोगी।"
मार्गी और आरोही दोनों एक-दूसरे के सामने देखने लगीं। पीछे बैठी नैना यह सुनकर जलने लगी। उसके साथ बैठी उसकी फ्रेंड सुनैना ने उसे ताना मारते हुए कहा, "इसकी हिम्मत तो देखो! मेरी फ्रेंड के आगे आकर बैठ जाए?" सुनैना ने कहा, "नैना, कल से तुम ही पहली बेंच पर बैठना!" नैना ने कहा, "तुम इसकी फिक्र मत करो! इसको तो मैं ही देख लूँगी! आज दोपहर को!" सुनैना ने कहा, "मतलब कैसे?" नैना ने कहा, "तुम देखती जाओ आगे आगे होता क्या है?" वह इतना कहकर एक शैतानी सी मुस्कराई।
अरमान ने कहा, "मैंने कल आपको कुछ काम दिया था। आप लोगों ने वह किया कि नहीं? सभी लोग मुझे बारी-बारी आकर ड्रेस का मैटेरियल दिखाते जाएँ! जिसकी चॉइस बेस्ट होगी, उसे मेरी तरफ से एक स्टार मिलेगा! दरअसल, आपको पूरे साल पाँच स्टार लेने होंगे! जिनके पाँच स्टार पहले होंगे, उनको मैं हमारी कंपनी में हमेशा की लिए मेंबर बना दूँगा!"
यह सुनते ही सभी लोग ताली बजाने लगे। सभी लोग काफी एक्साइटेड हो गए थे।
अरमान ने कहा, "चलो, सभी लोग मुझे अपना-अपना मैटेरियल दिखाने के लिए आएँ! पहले आखिरी बेंच से शुरू करते हैं!" सभी लोग अपना-अपना मैटेरियल बारी-बारी दिखाकर चले जा रहे थे। तभी आरोही भी अपना मैटेरियल दिखाकर चली आई। मार्गी खड़ी हुई और अपना मैटेरियल लेकर चली गई। जब अरमान ने उस मैटेरियल को खोला, तो उसके अंदर से मिट्टी निकली। उस मैटेरियल पर पूरी मिट्टी हो गई थी। अरमान ने कहा, "ये क्या है? मार्गी?"
मार्गी हैरान होते हुए बोली, "ये कैसे हुआ? सर, सच में मुझे नहीं पता! ये कैसे हुआ!" अरमान ने उसकी बात सुनकर कहा, "कहाँ से पता होगा! तुम दूसरों के मामले में टाँग अड़ाना बंद करोगी, तभी अपना देखोगी!"
मार्गी ने कहा, "सर, आप पुरानी बात यहाँ मत ही लाइए!"
अरमान ने कहा, "मैं क्या और क्यों तुमको कहने लगा? मुझे मरना है क्या!"
उसकी बातों में बहुत ताने थे। मार्गी ये बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी, लेकिन वह कुछ भी नहीं कर पा रही थी। वह वहीं पर खड़ी रही। तभी अरमान ने कहा, "किसी के पास अच्छा कपड़ा नहीं है!" तभी नैना ने कहा, "सर, मेरी बारी बाकी है अभी!"
नैना ने अरमान को अपना कपड़ा दिखा दिया। उसे देखकर अरमान ने कहा, "ये देखो! इसे कहते हैं अच्छे कपड़े की पहचान करने वाला! मिस नैना गुप्ता ने आज मेरे टास्क को अच्छे से किया है, इस वजह से मैं नैना को पहला स्टार दूँगा! सभी लोग इनको एप्रिसिएट कीजिए!"
सभी लोग उसकी बात सुनकर ताली बजाने लगे। अरमान ने नैना को पहला स्टार पहनाया।
अरमान ने एक नज़र मार्गी पर डाली। मार्गी सिर्फ अपने कपड़े को लगातार देख रही थी। उसे कुछ पता नहीं लग रहा था कि आखिर मिट्टी लगी तो लगी कैसे। आरोही ने उसे इशारे से अपने पास बुला लिया। आरोही ने कहा, "ये कैसे हुआ?" मार्गी ने कहा, "पता नहीं कैसे हुआ!" मार्गी काफी हद तक दुखी हो गई थी।
अरमान उन दोनों को देख रहा था। एक पल के लिए वह भी सोच में पड़ गया। आखिर मार्गी जैसी लड़की मुझे जगा सकती है, तो उसके कपड़े की हालात ऐसी हो! ये कुछ हजम नहीं हो रहा! लेकिन उसने उस बात पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया।
मार्गी ने आरोही से कहा, "मुझे लगता है ये किसी की चाल है!" आरोही ने कहा, "लेकिन किसने ये किया?" मार्गी ने कहा, "मुझे नहीं पता ये किसने किया! लेकिन किसी ने तो मुझे बदनाम करने के लिए ही करा है!"
आरोही ने कहा, "तो फिर हमको ये मालूम लगाना ही होगा; आखिर ये किसने किया है......"
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आरोही, मार्गी से कुछ सोचते हुए बोली, "अगर ये जानबूझकर किया गया है, तो हमें इसका पता लगाना ही चाहिए!"
मार्गी ने सहमति में सिर हिलाया।
दोपहर के 12:30 बज रहे थे।
तभी मार्गी के फ़ोन पर उसके पापा देवेंद्रसिंह का कॉल आया। अपने पापा का कॉल देखकर मार्गी बहुत खुश हुई और फ़ोन उठाते हुए बोली, "पापा, मैं आपको और मम्मी को बहुत मिस कर रही हूँ! आप मुझे मिस कर रहे हो?"
उसकी बात सुनकर मार्गी के पापा ने कहा, "बेटा, इसलिए तो कॉल किया है। मैंने आपको..."
मार्गी ने पूछा, "मम्मी क्या कर रही हैं?"
उसके पापा ने कहा, "क्या कर रही होंगी? तुम्हें पता तो है!"
मार्गी ने कहा, "हाँ, भगवान! यानी कि वह अचार बना रही है? पापा, आप उनको मना क्यों नहीं करते? पता है, वह तो पूरे दिन काम करती रहती हैं और हमें भी करवाती हैं!"
उसकी बात सुनकर देवेंद्रसिंह हँसने लगे और बोले, "ये बात सही कही तूने!"
थोड़ी देर इधर-उधर की बात करने के बाद मार्गी ने कॉल रख दिया। अपने पापा से बात करने के बाद वह अपनी सारी टेंशन भूल गई थी।
आरोही ने पूछा, "पापा का कॉल था?"
मार्गी ने जवाब दिया, "हाँ।" मार्गी को इतना खुश देखकर पल भर के लिए आरोही भी खुश हो गई थी।
आरोही ने पूछा, "अच्छा, तू मुझे ये बता, ये ड्रेस तूने आज सुबह कहाँ छोड़ी थी या रखी थी?"
आरोही की बात सुनकर मार्गी ने कहा, "लेकिन ये कपड़ा मैंने कहीं पर नहीं छोड़ा! सीधे हम रिक्शे से आ गए!"
तभी कुछ याद करते हुए मार्गी बोली, "आरोही, तुम्हें पता है? मैं भूल गई थी, रिक्शे में मेरा कपड़े का बैग! तभी उस ऑटो वाले ने ये कपड़ा सुनैना को दिया था और सुनैना ने ये बैग तुम्हें दिया था! कहीं सुनैना ने तो ये सब नहीं किया? अगर उसने किया है, तो आखिर मेरे साथ उसने क्यों किया? आरोही, मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा!"
आरोही भी अपना कन्फ्यूज्ड सा मुँह लेकर मार्गी के सामने ही बैठी रही।
दूसरे दिन, सुबह, सभी लोग अपने बेंच में आकर बैठ गए थे। आज मार्गी और आरोही थोड़ी लेट हो गई थीं। इस वजह से उनकी प्यारी लास्ट वाली बेंच फुल थी। वे दोनों जब एंटर हुईं, तो देखा कि आज क्लास पहले के मुकाबले कुछ ज्यादा ही भरी हुई थी। सिर्फ़ बीच वाली बेंच ही खाली थी। वे वहाँ जाकर बैठ गईं। 9:00 बज रहे थे और हर रोज़ की तरह अरमान क्लास में एंटर हुआ। सभी लोगों ने उसे विश किया। अरमान ने देखा कि मार्गी और आरोही दोनों ही बीच वाली बेंच पर बैठी हुई थीं। नैना आज लास्ट वाली बेंच पर बैठी हुई थी। वह सोच रही थी कि अरमान उसे देखेगा तो उसे पहली बेंच पर बैठा देगा, लेकिन उसके उल्टा हुआ। अरमान ने उसे कोई भाव नहीं दिया। अरमान को किसी से कोई फर्क नहीं पड़ता था।
अरमान पढ़ना शुरू कर दिया। नैना देख रही थी कि अरमान की नज़र हर वक़्त आरोही और मार्गी के बेंच पर ही होती है। आखिर अरमान के मन में क्या चल रहा है? वह ये सब सोच ही रही थी कि तभी लेक्चर खत्म हो गया। उसे घंटी सुनाई दी, जिससे वह अपनी सोच से बाहर आई।
इधर, जब अरमान अपनी क्लास से बाहर आया, उसके फ़ोन पर रूही का कॉल आया। रूही का कॉल देखकर उसने तुरंत फ़ोन उठा लिया। दूसरी ओर से रूही की आवाज़ आई, "पापा, पापा! मुझे कहीं घूमने जाना है!"
अरमान ने उसकी बात सुनकर कहा, "रूही, तुम्हें पता है, तुम्हारे पापा को कई काम होते हैं, इसलिए मैं तुम्हें लेकर नहीं जा सकता। तुम रवि चाचा को कह दो।"
वह कुछ नहीं बोली, सिर्फ़ उसकी बात को ध्यान से सुनी। और बाद में दोनों ने अपनी बातें करने के बाद कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया।
इस तरह दो महीने बीत गए। एक दिन सुबह मार्गी और आरोही दोनों ही कॉलेज जाने के लिए निकल पड़ीं। तभी दोनों के फ़ोन पर एक मैसेज आया।
वे दोनों जब अपने-अपने फ़ोन में आए हुए नोटिफिकेशन चेक करती हैं, तो उन्हें राजवीर मेहरा का मैसेज मिला, जो कॉलेज ग्रुप वाले चैट बॉक्स में आया था। उसमें लिखा था कि दो दिन बाद एक ब्यूटी कॉम्पिटिशन है, जिसमें हमारी कॉलेज को पार्टिसिपेट करना है। जिसमें पूरे इंडिया की जितनी भी फैशन डिज़ाइनर कॉलेज हैं, वे सब इसमें पार्टिसिपेट करने वाले हैं। हर साल की तरह यह अवार्ड भी हमें ही मिलना चाहिए, लेकिन इसमें सिर्फ़ फ़र्स्ट ईयर वाले ही पार्टिसिपेट करेंगे। हर साल हमें फ़र्स्ट ईयर वाले ही जिता देते हैं! राजवीर ने आगे लिखा था कि मुझे उम्मीद है इस साल की कॉम्पिटिशन में हम ही जीतेंगे।
वे दोनों यह मैसेज देखकर खुश हो गई थीं और साथ में वह दोनों अभी से तय कर रही थीं कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
वे दोनों बात करते-करते कॉलेज आ गईं। हर रोज़ की तरह 9:00 बजे अरमान क्लास में आया और राजवीर के मैसेज के बारे में कहने लगा। मार्गी और आरोही बीच वाली बेंच पर ही बैठी हुई थीं।
अरमान ने सभी से पूछा, "कौन-कौन पार्टिसिपेट करना चाहता है?" उनकी बात सुनकर पूरी क्लास जोश में आ गई और सभी स्टूडेंट कहने लगे, "हम, हम!"
उन सभी का उत्साह देखकर अरमान को जीतने की उम्मीद दिखाई देने लगी। वह बोला, "हमें अभी जोश से नहीं, होश से काम लेना है! आप सभी के दिमाग में कौन-कौन से और कई तरह के ड्रेस के डिज़ाइन आए तो मुझे बताना! हमें एक से बढ़कर एक डिज़ाइन चाहिए!" उनकी बात सुनकर सुनैना ने पूछा, "लेकिन सर, इस साल की मॉडल में किस-किस को रोल मिलेगा?"
अरमान ने कहा, "वैसे तो हमारी क्लास की सारी लड़कियाँ इसको पार्टिसिपेट कर सकती हैं, लेकिन हमें सिर्फ़ पाँच लड़की ही मॉडल के रूप में चाहिए। और हमारी थीम कैसी होगी? किसी ने इस बारे में सोचा है?" सभी लोग उनकी बात सुनकर एक-दूसरे के साथ बात करने लगे। तभी अरमान की कड़क आवाज़ सबको सुनाई दी, "शांत रहो तुम सभी लोग! आज दोपहर 1 बजे से लेकर अगले दो दिनों तक आप लोगों को इस कॉम्पिटिशन में पार्ट करने और तैयारी करने के लिए टाइम दिया जाता है! अगले दो दिन यानी कि 19/01/25 को ये मुकाबला है, तो आप सभी लोग तैयार हैं ना?"
उसकी बात सुनकर सभी लोग चिल्लाते हुए "यस सर, यस सर!" कहने लगे।
To be continued 💫🦋💙
दोपहर के १ बजे थे।
सभी स्टूडेंट अपने-अपने बेंच पर आकर बैठ गए थे। अरमान ठीक १ बजे क्लास में एंटर हुआ। लेकिन मार्गी और आरोही दोनों ही लेट हो गई थीं। उनको अपना लंच बहुत ही देर से मिलने की वजह से वे लोग समय पर नहीं आ पाई थीं।
अरमान एंटर हुआ। तो देखा, पीछे से दो लड़कियों की "मे आई कम इन सर?" की परमिशन लेते हुए आवाज़ आई। वह पीछे मुड़कर देखा। तो गेट पर मार्गी और आरोही थीं। अरमान को यह देखकर गुस्सा आ गया कि ये दोनों कभी समय पर क्यों नहीं आतीं? अरमान ने उन्हें अंदर आने का इशारा किया, लेकिन उन्हें बैठने के बजाय गेट के पास खड़े होने की सज़ा सुना दी।
वे दोनों बिचारी सी फेस लेकर चुपचाप खड़ी हो गईं। अरमान अपनी क्लास को जारी रखते हुए बोला, "क्या आपके पास कोई ऐसा थीम है, जिससे हम दूसरों का मुकाबला कर सकें?"
अरमान ने नैना को खड़ा करते हुए कहा, "नैना, तुम्हारे पास कोई आइडिया है?" तभी नैना, अपने आप को लकी गर्ल मानते हुए पूरे एटीट्यूड में बोली, "सर, क्यों ना हम सब लोग बॉलीवुड थीम पर पार्टिसिपेट करें?"
अरमान कुछ सोचते हुए बोला, "नहीं नैना, यह थीम लास्ट ईयर वाली बेंच ने कर दिया था। इस साल कुछ ऐसा करना होगा जिसकी किसी ने उम्मीद न की हो।"
सभी लोग कुछ सोच ही रहे थे, तभी अरमान के कानों पर मार्गी की सॉफ्ट आवाज़ सुनाई दी। मार्गी बोली, "क्यों ना हम अग्नि, पानी, हवा यानि वायु, धरती, और आकाश यानि गगन की थीम पर फैशन को प्रेजेंट करें? जिसमें एक लड़की अग्नि बनी हो, जिसकी ड्रेस पूरी तरह से आग के लपटों वाली हो। दूसरी लड़की पानी यानि जल वाली, जिसकी पूरी ड्रेस ट्रांसपेरेंट, मतलब पानी के बहाव की तरह तैयार किया गया हो। तीसरी मॉडल वायु यानि हवा, जिसकी पूरी ड्रेस हम कॉटन की बना देंगे। चौथी मॉडल को हम धरती यानि ग्रीन कलर की और थोड़ी ब्लू में मिलावटी वाली पूरी लॉन्ग ड्रेस तैयार करें। और आखिरी लास्ट वाली जिसमें आकाश है, यानि हम पूरी लाइट ब्लू में यह ड्रेस तैयार करेंगे। कैसा रहा मेरा आइडिया?"
सभी लोग अपना मुँह फाड़े हुए सिर्फ़ मार्गी को ही देख रहे थे। यह तक अरमान भी मार्गी को देख रहा था। जैसे ही मार्गी की बात ख़त्म हुई, वैसे ही सभी स्टूडेंट ने ताली बजाना शुरू कर दिया। सभी लोग मार्गी के आइडिया से काफ़ी खुश थे। लेकिन कोई दो थीं, जिन्हें यह बिलकुल भी पसंद नहीं आया। वह कोई और नहीं, बल्कि नैना थी और उसकी चापलूस दोस्त सुनैना थी।
अरमान भी काफ़ी इम्प्रेस हो गया था। उसकी बात सुनकर वह एक नज़र से लगातार मार्गी को ही देख रहा था। लेकिन मार्गी आरोही के साथ अपनी बातें कर रही थी। पता नहीं क्यों, लेकिन अरमान को मार्गी की यह बात सुनकर उसके चेहरे पर अपने आप ही एक प्यारी सी मुस्कान आ गई।
उसे यूँ मुस्कुराते हुए देख नैना के तन-बदन में आग लग गई थी। वह गुस्से में अपने मन में कहती है, "मार्गी, मैं तुझे नहीं छोड़ूंगी…"
अरमान मार्गी से बोला, "क्या बात है मार्गी, तुमने कमाल कर दिया! तुम्हारी यह थीम हमें जिता सकती है!" अरमान के मुँह से मार्गी की तारीफ़ होते हुए देखकर नैना के तन-बदन में आग लग गई थी। और वह गुस्से में अपने आप से मन में कहती है, "मार्गी, मैं तुम्हें नहीं छोड़ूंगी!"
मार्गी अरमान के मुँह से अपनी तारीफ़ सुनते हुए बोली, "थैंक यू सो मच सर!" अरमान बस उसे मुस्कुराते हुए ही देख रहा था। यह बात खुद मार्गी भी नोटिस कर लेती है। पता नहीं क्यों, लेकिन दो महीने में मार्गी की नज़र में अरमान की पहचान काफ़ी बदल सी गई थी। उसकी नज़र में अरमान एक बहुत ही अच्छा और भला आदमी है, और वह कठोर दिल का और मतलबी तो बिलकुल भी नहीं है। वह जान गई थी। (आखिर यह चमत्कार हुआ कैसे? आइए चलते हैं दो महीने पहले)
एक दिन सुबह जब मार्गी अपने कॉलेज के वाशरूम में थी, तभी उसने एक लड़की की आवाज़ सुनी जो अपनी फ्रेंड के साथ बात कर रही थी। एक लड़की कहती है, "वह तूने यह कपड़ा बदला कब?" उसकी बात सुनकर एक लड़की हँसते हुए कहती है, "क्या यार तुम्हें नहीं पता? जब वह अपना कपड़ा रिक्शे में ही भूल गई थी, तब वह रिक्शा वाला तुझे यह बैग पकड़ाकर चला गया था। मैंने यह कपड़ा बदला।"
मार्गी यह सुनकर काफ़ी हैरान हो जाती है। वह सोचती है, आखिर यह लड़की कौन है जिसने मेरे साथ पंगा लिया है और मुझे बदनाम करने की कोशिश की? मार्गी जब अपने वाशरूम का दरवाज़ा थोड़ा सा खोलकर देखती है, तो उसकी आँखें बड़ी-बड़ी हो जाती हैं और वह धीरे से कहती है, "नैना…"
वह जल्दी से अपने बैग से अपना फ़ोन निकाल लेती है और यह सारी बात रिकॉर्ड करने लगती है। जब वह देखती है, तो वहाँ से नैना और सुनैना वहाँ से जा चुकी थीं। मार्गी वाशरूम में से बाहर आती है और सीधे आरोही के पास चली जाती है। आरोही को वह सब कुछ बता देती है, जिसे सुनकर आरोही को बहुत ही ज़्यादा गुस्सा आने लगता है, जिस वजह से वह मार्गी को लेकर सीधे अरमान के पास चली जाती है। आरोही अरमान को सब कुछ बता देती है, जिसे अरमान पहले तो यकीन नहीं करता, लेकिन मार्गी उसे एक वीडियो दिखा देती है। अरमान अगले दिन क्लास में नैना को वह वीडियो दिखा देता है, जिसे देखकर नैना घबरा जाती है और जोर से चिल्लाते हुए कहती है, "मैंने नहीं किया यह वीडियो… यह वीडियो झूठी है… यह सब कुछ सच नहीं है।"
क्या अरमान नैना की बातों पर भरोसा करेगा? आगे क्या होगा? इन सारी बातों को जानने के लिए आप मेरे साथ बने रहिए और पढ़ते रहिए His forbidden treasure 🖤♥️🖤
To be continued…💫🦋💙
अरमान ने अगले दिन क्लास में नैना को एक वीडियो दिखाया। नैना घबरा गई और जोर से चिल्लाते हुए बोली, "मैंने नहीं किया ये वीडियो! ये वीडियो झूठा है! ये सब कुछ सच नहीं है!"
"विडियो झूठा है! ये मैंने तो नहीं कहा! ये लड़की बहुत ही चालक है! मुझे बदनाम करना चाहती है! सच में सर, आप मेरी बात पर विश्वास कीजिए!"
उसकी बात सुनकर मार्गी बोली, "नहीं सर, मैं सच कह रही हूँ! ये लड़की झूठी है! और इस वीडियो में ये साफ-साफ बोल रही है!" ये बात सुनकर सारे क्लास वाले एक-दूसरे के साथ बात करने लगे। सभी लोग ये जानना चाहते थे कि इसमें सच कौन कह रहा था।
अरमान गुस्से से बोला, "तुम झूठी हो, नैना! मार्गी ये झूठ नहीं बोल सकती! अगर वह सच में झूठी होती तो आज उसके चेहरे पर घबराहट होती, बल्कि ये तुम्हारे चेहरे पर दिखाई दे रहा है!" उसकी बात सुनकर नैना घबरा गई। अरमान ने गुस्से में कहा, "अगर तुमने ये किया है, तो सबको कह दो! हो सकता है मैं तुम्हें माफ़ कर दूँ! अगर मुझे ये लगा कि ये तुमने ही किया है, तो मैं बाद में तुम्हें यहाँ रहने के लायक नहीं छोड़ूँगा!"
नैना अरमान की बातों से घबरा गई और उसने सब कुछ सच-सच कह दिया। वह बहुत रो रही थी; उसके चेहरे पर पूरा काजल फैल गया था। लेकिन मार्गी के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कुराहट थी।
उसके बाद अरमान ने नैना को गहरी आवाज में डाँटते हुए कहा, "मुझे वह बेंच भी चाहिए जो मैंने तुम्हें दिया था! तुम इसके बिल्कुल भी लायक नहीं हो!" अरमान की बात सुनकर नैना रोते हुए मान गई, लेकिन अरमान अपनी गहरी आवाज में उसे वह बेंच ले गया। नैना को वह बेंच देना पड़ा।
लेक्चर खत्म हो जाने के बाद अरमान क्लास रूम से बाहर निकल गया। तभी मार्गी भी उसके पीछे-पीछे जाने लगी और बोली,
"अरमान सर… अरमान सर सुनिए!"
अरमान ने पलटकर कहा, "हाँ कहो मार्गी! क्या कहना चाहती हो?"
उसकी बात सुनकर मार्गी बोली, "थैंक यू सो मच सर, आपने मेरे लिए जो स्टैंड लिया उसके लिए!" उसकी बात सुनकर अरमान ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा, "मार्गी, तुम सही थी इसलिए ये मेरा फ़र्ज़ था, तुम्हें सही साबित करने के लिए!"
मार्गी उसकी बातों से खुश हो गई। अरमान भी उसे यूँ मुस्कुराते हुए देखकर मुस्कुराने लगा।
मार्गी और अरमान एक-दूसरे के सामने देख रहे थे। यह बात आरोही ने भी नोटिस कर ली। आरोही ने मार्गी को कोने में खींचते हुए कहा, "आई होप ये क्या चल रहा है? मैं देख रही हूँ! भाई आजकल तुम्हारे ऊपर कुछ ज़्यादा ही ध्यान दे रहे हैं! आखिर बात क्या है? कहीं तुम दोनों का...?"
वह इतना बोलते ही चुप हो गई और शरारत भरी नज़रों से मार्गी को देखने लगी। मार्गी ने उसे हँसते हुए और झूठ-मूठ का गुस्सा करते हुए कहा, "तुम कुछ भी सोच रही हो! कुछ भी आगे बोला तो मैं तुम्हें एक मुक्का मार दूँगी!" उसकी बात सुनकर आरोही बोली, "अच्छा बाबा, मैं तुमको नहीं तंग करूँगी!"
अरमान ने सभी को काम शुरू करने का इशारा कर दिया। सभी लोग अपने-अपने काम में लग गए और अपने-अपने नए डिज़ाइन बनाने में व्यस्त हो गए। तभी क्लास में भूमि आ गई। भूमि के आते ही सभी स्टूडेंट खड़े हो गए। तभी भूमि बोली, "मेरे प्यारे स्टूडेंट्स, मुझे आपको ये बताना है कि आप में से पाँच लड़कियों को मॉडल का रोल दिया जाएगा। तो कौन-कौन इसमें पार्टिसिपेट करना चाहेगा?" उसकी बात सुनकर अरमान तुरंत बोल पड़ा, "मार्गी…?"
ये बात सुनकर सारे लोग अरमान के सामने देखने लगे। यहाँ तक भूमि भी सवालिया नज़रों से उनको देखने लगी। तभी अरमान अपनी बात संभालते हुए बोला, "मेरा मतलब है कि मार्गी है, आरोही है, ब्यूटीफुल नैना और सुनैना भी हैं, मानसी है… सभी लोग हैं!"
मार्गी अपना नाम सुनकर बोली, "क्या? नहीं-नहीं, मुझे नहीं मॉडल बनना!" तभी भूमि बोली, "कम ऑन मार्गी, एक मॉडल बनने का चांस हर किसी को नहीं मिलता! तुम्हें मिला है, तो तुम इसका फ़ायदा उठाओ!" तभी आरोही बोली, "हाँ हाँ, मैं भी पार्टिसिपेट करने वाली हूँ! तुम ही करो!"
लेकिन मार्गी फिर भी मना कर देती है। वहाँ पर बैठा अरमान ये सब देख रहा था। वह कुछ सोचते हुए स्टूडेंट्स के बीच में बोला, "जिन-जिन लोगों को मॉडल बनना है, वे आज शाम को भूमि को डेमो दिखा दें, जिससे हमें बेस्ट मॉडल मिल सके!" अरमान बोला, "मुझे लगता है अब मुझे जाना चाहिए। कोई भी प्रॉब्लम हो तो आप भूमि मैम से पूछ सकती हो।" उनकी बात सुनकर सारे स्टूडेंट्स "येस सर" कह दिए।
मार्गी अभी भी क्लास के दरवाज़े के पास खड़ी थी। जिस वजह से अरमान जब निकल रहा था, तब रुककर उसके सामने देखता है और धीरे से कहता है, "अगर तुम पार्टिसिपेट करोगी तो मुझे लगता है कि हमें बेस्ट मॉडल मिल जाएगा!" इतना कहकर वह वहाँ से मुस्कुराते हुए चला जाता है। मार्गी भी उसकी बात सुनकर स्माइल कर देती है।
दूसरी ओर, जब आरोही और मार्गी दोनों ही अपने-अपने डिज़ाइन तैयार कर रही थीं, तभी आरोही अपने डिज़ाइन को देखते हुए बोली, "मार्गी, ये देखो! ये अग्नि में आग की लपटों को हम ऑरेंज और लाइट येलो कलर को मिक्स करके कपड़े की लहरें बना दूँगी! कैसा लगेगा?"
(आरोही की तैयार की गई ड्रेस)
मार्गी उसकी बात सुनकर बोली, "यार, तुमने तो बहुत ही अच्छी डिज़ाइन बनाई है!" आरोही ने उसे "थैंक यू" कहा। तभी आरोही मार्गी से बोली, "तुमने अपनी पानी वाली ड्रेस तैयार की?"
मार्गी ने क्यूट सा फ़ेस बनाते हुए कहा, "यार, मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा है, मैं क्या करूँ?" आरोही ये बात सुनकर हैरान होते हुए बोली, "यार, तुम ये कैसी बात कर रही हो? तुमसे ये नहीं होगा? ये नहीं बन सकता! तुम देखो, ट्राई करो कुछ!"
मार्गी अपना ड्रेस का डिज़ाइन लेकर बाहर की ओर चलने लगी। आरोही ने उसे रोकते हुए कहा, "तुम कहाँ जा रही हो?" मार्गी ने उसे कहा, "यार, मुझे यहाँ कुछ समझ नहीं आ रहा है, इसलिए मैं बाहर गार्डन में जाकर ट्राई करती हूँ।" आरोही ने उसे 👍 का इशारा कर दिया।
दूसरी ओर, अरमान अपने केबिन में बैठा हुआ था।
तभी अरमान के दरवाज़े पर किसी ने दस्तक दी। जब अरमान ने अपनी गर्दन ऊँची करके देखा, तो वहाँ पर भूमि खड़ी हुई थी। भूमि को देखकर अरमान कुछ खास और नहीं कहता, वह वापस अपने काम में लग जाता है। भूमि अंदर आते हुए बोली, "अरमान, मुझे तुमसे एक बात करनी है!" अरमान ने "हम्" कहा। उसकी बात आगे न बढ़ते हुए देखकर भूमि अरमान के करीब जाकर बोली, "मुझे तुमसे एक बात करनी है!" अरमान ने उसे घूरते हुए कहा, "तुम्हें जो बात करनी हो वो तुम कर सकती हो, लेकिन मुझसे दूर रही तुम!"
भूमि बोली, "मैं रुही की कस्टडी लेना चाहती हूँ!"
To be continued 💫🦋💙
भूमि ने कहा, "मैं रूही की कस्टडी लेना चाहती हूँ!"
उसकी बात सुनकर अरमान एक पल के लिए हैरान हो गया। अरमान ने कहा, "तुम उसकी कस्टडी नहीं ले सकती! अगर तुम यह करती हो, तो मैं तुम पर केस कर सकता हूँ!"
भूमि ने कहा, "भूलो मत, रूही पर जितना तुम्हारा हक है, उतना ही मेरा हक है!
तुम्हारे पिता ने तुम्हारे लिए मुझे चुना था, और रूही भी मेरी है! भूलो मत!" उसकी बात सुनकर अरमान को और तेज गुस्सा आने लगा। अरमान ने कहा, "रूही मेरी प्यारी भतीजी है! और मैं अपनी भतीजी के लिए कुछ भी कर सकता हूँ!"
भूमि ने कहा, "तुम भी मत भूलो, रूही मेरी बहन की बेटी है!" अरमान हँसते हुए बोला, "लेकिन रूही तो तुमसे अच्छी तरह से बात भी नहीं करती! फिर तुम कैसे उसे रख सकती हो?"
अरमान की बात सुनकर भूमि को अच्छा नहीं लगा, लेकिन भूमि अपने आप को कंट्रोल करते हुए बोली, "तुम यह मत भूलो, आखिरी बार रूही ने मेरे साथ अच्छी तरह से बात की थी!" उसकी बात सुनकर अरमान कुछ सोचने लगा। उसको यूँ सोचते हुए देखकर भूमि को ऐसा लगने लगा कि अरमान उसकी बातों में आ रहा है। लेकिन वह यह नहीं जानती थी कि अरमान मेहरा इतनी आसानी से किसी की बातों में नहीं आने वाला!
(दरअसल, रूही अरमान के बड़े भाई आरव की बेटी थी, और आरव की शादी भूमि की बहन युक्ति के साथ हुई थी। लेकिन एक एक्सीडेंट की वजह से उन दोनों की मृत्यु हो गई थी। रूही के माता-पिता की डेथ चार साल पहले ही हुई थी, जब रूही सिर्फ दो साल की थी। रूही जब से आई थी, तब से वह अरमान के पास ज्यादा ही रही थी। इस वजह से आज भी रूही को यही लगता था कि अरमान ही उसके पिता हैं। लेकिन जब अरमान को रूही पापा कहकर बुलाती थी, तो अरमान को भी बहुत ही अच्छा लगता था।)
तभी अचानक अरमान ने रूही को कॉल कर दिया, और उसने कॉल को स्पीकर में रख दिया। रूही ने अपने पापा का कॉल देखकर कॉल उठाते हुए कहा, "पापा, आखिर आज आपको मेरी याद आ ही गई!" अरमान ने रूही से कहा, "बेटा, मैं तुम्हें एक सवाल पूछूँगा, तुम उसका सही-सही जवाब देना!" रूही ने "हाँ" कहा। अरमान भूमि के सामने देखते हुए गहरी आवाज में रूही से पूछा, "रूही, क्या तुम्हें भूमि आंटी पसंद हैं?" उसकी बात सुनकर रूही थोड़ी देर के लिए शांत रही। बाद में उसने कहा, "हाँ, भूमि आंटी तो बहुत ही अच्छी हैं!" इतना बोलते ही भूमि खुश होते हुए अरमान के सामने देखने लगी।
तभी रूही आगे कुछ ऐसा बोली, जिससे भूमि के चेहरे पर आई खुशी एक पल में ही गायब हो गई। रूही ने कहा, "लेकिन पापा, मुझे वह बहुत ही अजीब लगती हैं! मतलब, हर वक्त वह आपके पास रहने के लिए आती रहती है, जो मुझे पसंद नहीं!" उसकी बात सुनकर अरमान भूमि के सामने एक शैतानी हँसी हँस दिया। तभी अचानक अरमान ने रूही से पूछा, "रूही, तो फिर तुम भूमि आंटी को क्यों लेकर आई थी उस दिन?" उसकी बात सुनकर रूही अपनी मीठी आवाज में बोली, "वह तो मुझे दादी जी ने कहा था कि मैं दादा जी का नाम लेकर आपको भूमि आंटी से मिलवाने लेकर आ जाऊँ!"
उसकी बात सुनकर भूमि का मुँह उतर गया। थोड़ी देर तक वहाँ पर सन्नाटा ही छाया हुआ था। अरमान खड़े होते हुए बोला, "मुझे और भी कुछ काम हैं। तुम मुझसे बाद में बात करना!" अरमान इतना कहकर बाहर चला गया। लेकिन भूमि भी कम नहीं थी। वह भी अरमान के पीछे-पीछे चली गई। अरमान उसकी यह हरकत देखकर बहुत ही परेशान हो गया, लेकिन वह कुछ नहीं कहा। वह अपनी कार में आने के लिए गार्डन के एरिया से ही जा रहा था।
तभी मार्गी के कानों पर भूमि की आवाज सुनाई दी, "अरमान... सुनो ना..." जब अरमान कार तक पहुँच गया, तभी भूमि हड़बड़ी में अपना कंट्रोल खो बैठी और वह गिरने लगी, लेकिन अरमान ने उसे बचा लिया। अरमान का एक हाथ उसकी कमर पर था। तभी मार्गी की नज़र अरमान पर गई। उसको यह देखकर कुछ अजीब सा लगा, लेकिन वह कर भी क्या सकती थी!
अरमान का एक हाथ भूमि की कमर पर था, जिसे देखकर कोई भी यह कह सकता था कि वह दोनों प्यार भरी बात कर रहे हैं। लेकिन यह सच नहीं था। दूसरी ओर, जब मार्गी यह देख लेती है, तो उसे अंदर से कुछ भी अच्छा नहीं लगता और वह अपने आप को ठीक करते हुए बोलती है, "ये तो होना ही नहीं था! आखिर अरमान सर और भूमि मैम दोनों हस्बैंड वाइफ जो हैं! मैं भी थोड़ी देर के लिए क्या-क्या सोचने लगी थी!"
हालाँकि मार्गी को सच पता ही नहीं था, इसलिए वह कुछ भी सोच रही थी अरमान और भूमि के रिश्ते को लेकर।
अरमान ने उसे ठीक से खड़े होने के लिए कहा, लेकिन भूमि को अरमान के साथ अच्छा लगने लगा, जिसकी वजह से वह सिर्फ अरमान की आँखों में खोई हुई थी।
अरमान भूमि को यूँ अपने तरफ देखते हुए देखकर उसे गुस्से की आवाज में बोला, "तुम खड़ी हो रही हो या फिर नहीं?"
उसकी आवाज से भूमि थोड़ी सहम गई और खड़ी हो गई। अरमान गुस्से में ही कार में बैठकर वहाँ से चला गया।
अगले दिन सुबह,
मार्गी और आरोही दोनों ही आज जल्दी कॉलेज में आ गए थे। जिस वजह से मार्गी आरोही से कहती है, "क्यों ना हम पीछे वाली बेंच पर जाकर बैठ जाएँ? मुझे डिजाइन भी रेडी करना है, और अभी मेरे सारे डिजाइन फाइनल करने भी बाकी हैं!" मार्गी की बात सुनकर आरोही ने कहा, "ठीक है, चलो बैठ जाते हैं!" बाद में आरोही ऊपर की ओर देखती है तो वहाँ पर पंखा नहीं था। इसलिए मार्गी उसकी फीलिंग को देखते हुए उसे कहती है, "मुझे पता है आज तुम्हें बहुत ही गर्मी लग रही है, क्योंकि तुम पीरियड में हो इसलिए। कोई बात नहीं, तुम एक काम करो, तुम पहली बेंच पर ही बैठ जाओ, मैं जाती हूँ!" आरोही ने कहा, "पक्का?"
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हाँ, पक्का। तू बैठ जा। इतना कहकर मार्गी लास्ट वाली बेंच पर चली गई। कंपटीशन होने की वजह से आज स्टूडेंट्स आए हुए थे।
जैसे ही ९:०० बजे, अरमान क्लास में एंटर हुआ और सभी विद्यार्थियों ने उसे विश किया। सभी लोग जब बैठ गए, तभी अरमान की नज़र किसी को ढूँढ रही थी। जब अरमान ने आरोही को देखा, लेकिन उसके बाजू में मार्गी को नहीं देखा, तो वह कुछ सोचने लगा। तभी उसी वक्त नैना क्लास में एंटर हुई। नैना आज लेट हो गई थी; इस वजह से वह क्लास में समय पर नहीं आ पाई थी।
लेकिन अरमान उसे अंदर नहीं आने देता। उसने अपनी कड़क आवाज में कहा, “तुम अंदर नहीं आ सकती! तुम आज लेट हो!”
नैना ने कहा, “लेकिन सर, आज मेरी कार में पंक्चर हो गया था! इस वजह से मुझे लेट हुआ।” लेकिन अरमान ने उसे अपनी गहरी आवाज में कहा, “ये रूल्स सभी के लिए बनाए गए हैं! तुम कोई VIP नहीं हो जिस वजह से तुम्हें मैं अंदर आने दूँ।”
दूसरी ओर, मार्गी अपने डिज़ाइन बनाने में व्यस्त थी। जब उसका डिज़ाइन कंप्लीट हुआ, तब उसने देखा कि अरमान नैना के साथ कुछ बहस कर रहा था। मार्गी अपने बाजू में बैठी खुशी से पूछी, “क्या हुआ खुशी? सर क्यों बहस कर रहे हैं?”
खुशी ने उसे बताया, “आज नैना क्लास में लेट हो गई, इस वजह से।” खुशी की बात सुनकर मार्गी को कुछ फर्क नहीं पड़ा; उसे तो नैना की मौजूदगी से ही कुछ फर्क नहीं पड़ता था। इस वजह से मार्गी अपने डिज़ाइन को एक बार फिर से देखने लगी।
तभी आखिर में, अरमान ने नैना को अंदर आने की अनुमति दे दी। जब नैना लास्ट सेकंड बेंच पर बैठी, तब अरमान की नज़र नैना के ठीक पीछे बैठी मार्गी पर पड़ी। वह एक पल के लिए खुश हो गया। मार्गी अपने डिज़ाइन में इतनी व्यस्त थी कि उसे यह भी नहीं पता चला कि अरमान लगातार एक मिनट से उसे ही देख रहा था।
नैना जब अपनी बुक निकालकर सामने की ओर देखी, तब उसे ऐसा लगा कि अरमान उसे ही देख रहा था। तभी अरमान ने अपनी गहरी आवाज में कहा, “सभी लोग यहाँ ध्यान दीजिए! जो हमने थीम सोची थी, किसी ने ड्रेस के डिज़ाइन तैयार कर दिए हैं? जिसने अपने-अपने हिसाब से डिज़ाइन तैयार किए हैं, वह यहाँ आकर मुझे डिज़ाइन समझा दे!”
मार्गी का ध्यान टूट गया जब अरमान ने अपनी बात जारी की। उसकी बात सुनकर मार्गी अपने डिज़ाइन को ठीक करने लगी। अरमान ये बातें सिर्फ़ मार्गी की ओर देखकर कह रहा था, लेकिन उसके आगे बैठी नैना को ऐसा लग रहा था कि अरमान ये सारी बातें उसे देखकर कह रहा है। इस वजह से वह कुछ ज़्यादा ही एक्साइटेड हो गई और वह उठते हुए बोली, “सर, मेरा डिज़ाइन रेडी है! पानी वाले ड्रेस के ऊपर!”
अरमान ने उसे आगे बुला लिया और कहा, “कहो, मुझे दिखा दो तुम्हारा डिज़ाइन।” नैना अपना डिज़ाइन दिखाते हुए बोली, “ये ट्रांसपेरेंट ड्रेस है जिसमें हम पॉलीथिन का यूज़ करते हुए एक शॉर्ट्स ड्रेस तैयार करेंगे और अंडर ब्रेस्ट के साइड और कुछ जगह व्हाइट कपड़ा अंडर अटैच कर देंगे जिससे ये ट्रांसपेरेंट लगे।” वैसे उसका आइडिया इतना भी अच्छा नहीं था; इस वजह से अरमान ने उसे कुछ नहीं कहा और अपने सीट पर जाने का इशारा कर दिया। जिसकी वजह से नैना को ऐसा लग रहा था कि अरमान को उसकी ड्रेस का डिज़ाइन अच्छा लगा, इसलिए वह भी वहाँ से चली गई।
तभी आरोही अपना डिज़ाइन दिखाने लगी, जिसे देखकर सभी लोग काफ़ी पसंद करने लगे और अरमान ने आरोही की ड्रेस फाइनल कर दी। इसे करते-करते अरमान ने पानी ड्रेस के कॉस्ट्यूम के अलावा सारी ड्रेस फाइनल कर दी, लेकिन उसे पानी वाली ड्रेस का अच्छा डिज़ाइन नहीं मिल रहा था। तभी अरमान अपनी बात पर ज़ोर देते हुए, मार्गी के सामने देखते हुए बोला, “अब किसी को दिखाना है? कोई बाकी है?” लेकिन मार्गी व्यस्त थी; इस वजह से उसे अरमान की बात सुनाई नहीं दे रही थी। तभी आरोही ने देखा कि मार्गी अभी भी अपने काम में लगी हुई है। वह अपनी जगह पर खड़ी होकर बोली, “सर, मार्गी के डिज़ाइन देखने बाकी हैं!” तभी मार्गी को ध्यान आया कि वह ड्रेस के डिज़ाइन दिखाने में अकेली बाकी थी।
तभी अरमान ने आरोही से कहा, “क्या उसे कुछ नहीं पता चलता? अपनी डिज़ाइन है; वह खुद खड़ी हो! नहीं, लेकिन वह तो अपने काम में व्यस्त है; इस वजह से तुम्हें ये बात कहनी पड़ रही है!”
अरमान का ताना सुनते ही मार्गी आगे चली गई और उसने अपने ड्रेस के डिज़ाइन को दिखाना शुरू किया। जिसमें उसने पहले अपने ड्रेस के पूरे गाउन को दिखाया जो लाइट ब्लू रंग का था और उसकी बाजू यानी कि स्लीव ट्रांसपेरेंट की हुई थी उसके आधे-आधे भागों में। मछलियाँ भी डिज़ाइन की गई थीं; उसकी अंडर स्टारफ़िश, स्नेल सब कुछ था और उसकी नेक के साइड एक पानी की लहरें उड़ रहे हों उस तरह से एक व्हाइट कलर के कपड़े को बनाया गया था। और मार्गी अपनी बात को आगे जारी करते हुए बोली, “जिसमें हम उसके बालों को खुला कर देंगे और उसके बालों में हम लाइट ब्लू पट्टी पहना देंगे जिसमें उसका लुक बहुत ही एलिगेंट आएगा।”
उसके डिज़ाइन को देखने के बाद सारे लोग तालियाँ बजाने लगे। सभी के साथ अरमान भी ताली बजा रहा था। जिसे देखकर मार्गी सभी लोगों को खुश होते हुए थैंक यू कह रही थी। आज आरोही भी बहुत खुश थी अपनी फ़्रेंड के ड्रेस के डिज़ाइन को देखकर।
लेकिन वहाँ पर कोई थी जिसका मुँह जलने की वजह से पूरा लाल हो गया था और वह बोली, “खुश हो लो जितना होना हो, उतना। आगे-आगे देखो मार्गी, तुम्हारे साथ क्या-क्या होता है!”…
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मार्गी की तारीफ सुनने के बाद नैना का पूरा चेहरा लाल हो गया। जलन से वह बोली, "तुम देखो मार्गी, तुम्हारे साथ मैं क्या-क्या करती हूँ अब!"
दूसरी ओर, जहाँ नैना जलन से गुस्से में थी, वहाँ मार्गी और उसके क्लासमेट और अरमान अपना-अपना काम करने में लग गए थे।
दोपहर के बारह बजते ही अरमान सभी से कहा, "बेस्ट ऑफ़ लक, माय स्टूडेंट्स! आप सभी को परफॉर्मेंस में अपना बेस्ट देना है! ठीक है?"
सभी स्टूडेंट्स ने "ठीक है" कहकर खड़े होकर उन्हें विश किया। सभी लोग आज बहुत खुश थे, और सबसे ज़्यादा आरोही और मार्गी।
आरोही ने मार्गी से कहा, "यार, तूने इतनी जल्दी इतना अच्छा डिज़ाइन कैसे सोच लिया?"
मार्गी ने कहा, "पता नहीं यार, लेकिन मुझे अचानक ही आइडिया आया और मैंने उसे ड्रा कर दिया।"
मार्गी की बात सुनकर आरोही ने उसे साइड हग करते हुए कहा, "मेरी फ्रेंड तो लाखों में एक है!"
मार्गी हँसते हुए बोली, "बस बस आरोही, इतना भी मत मुझे चने के पहाड़ चढ़ाओ कि मैं नीचे उतर ही न पाऊँ!"
ऐसे ही सभी तैयारी करते-करते दो दिन कैसे बीत गए, पता ही नहीं चला! सभी स्टूडेंट अपने काम में लग गए थे। सभी ने अपने-अपने डिज़ाइन के ड्रेस बनवा लिए थे। सभी लोग इस प्रतियोगिता के लिए काफी एक्साइटेड हो गए थे।
प्रतियोगिता का दिन:
सभी स्टूडेंट प्रतियोगिता स्थल पर आ गए। सभी के चेहरे पर एक अलग ही रौनक थी। सभी लोग काफी खुश भी दिख रहे थे। तभी अचानक वहाँ अरमान और राजवीर मेहरा आ गए। अरमान और राजवीर को देखकर सभी ने उन्हें अच्छे से विश किया।
राजवीर ने कहा, "लगता है सारी तैयारी हो गई है? मैं आपको एडवांस में ही बधाई देना चाहता हूँ कि आप सभी लोग जीत गए इसलिए!" यह बात सुनकर सभी स्टूडेंट्स चिल्लाने लगे, "वू हू! सभी लोगों को बधाई हू!"
तभी एक आवाज़ सभी के कानों में सुनाई दी, "हा हा! दे दो बधाई अपनी हार के लिए! सभी लोगों में मुबारक देना चाहता हूँ!"
सभी लोग उस दिशा में देखने लगे जहाँ से आवाज़ आ रही थी। स्टूडेंट्स कुछ समझ नहीं पा रहे थे, लेकिन राजवीर और अरमान दोनों अच्छे से समझ पा रहे थे। राजवीर उसके करीब जाते हुए बोला, "स्वार्थी तुम? वह आदमी अपनी गहरी आवाज़ में बोला, "शेट्टी रंजीत शेट्टी मेरा नाम है!"
तभी राजवीर ने कहा, "नहीं नहीं, वह दरअसल सभी लोग तुम्हें गलत नाम से पुकारते हैं! तुम्हारा असली नाम तो स्वार्थी ही है, जो जहाँ पर अपना फायदा देखता है, वहाँ पर कुत्ते की तरह चल जाता है!"
राजवीर की बात सुनकर सभी स्टूडेंट जोर-जोर से हँसने लगे। लेकिन यह बात रंजीत को कुछ खास हजम नहीं हुई। इसलिए वह राजवीर को उंगली दिखाते हुए बोला, "देख लेना मि. मेहरा! आज की कंपटीशन हम लोग, यानी कि शेट्टी फैशन क्लब ही जीतेगी!!" इतना कहकर वह वहाँ से चला गया।
सभी लोग आपस में बात करने में व्यस्त थे, लेकिन नैना के दिमाग में कुछ अलग ही खिचड़ी पक रही थी। अरमान सभी को सूचना देते हुए बोला, "देखिए, हमें चुनौती भी मिल गई है, और अब हमें इस प्रतियोगिता में अपना बेस्ट देना है! इसलिए आप सभी लोग तैयार होने के लिए चले जाइए!" सभी स्टूडेंट तैयार होने के लिए चले गए।
नैना आज मॉडल की प्रतियोगिता में भाग नहीं ले रही थी क्योंकि अगर वह भाग लेती तो उसे मार्गी का बनाया हुआ ड्रेस पहनना था। इसलिए वह सीधे एक आदमी से मिलने चली गई। वह आदमी उसे देखकर हैरान होते हुए बोला, "तुम तो राजवीर के कॉलेज से हो, ना?"
तभी नैना बोली, "जी हाँ, मैं उनके ही कॉलेज में से हूँ! लेकिन मैं आपकी मदद कर सकती हूँ।" वह आदमी बोला, "किस बात पर?" नैना बोली, "आपको इस प्रतियोगिता में जितवाने के लिए!" वह आदमी हैरान होते हुए बोला, "लेकिन तुम मेरी मदद क्यों करोगी?" वह आदमी कोई और नहीं, बल्कि रंजीत शेट्टी था।
नैना अपनी जलन में इतनी अंधी हो चुकी थी कि वह अपने कॉलेज से ही गद्दारी करने के लिए तैयार हो गई थी। तभी नैना रंजीत को जवाब देते हुए बोली, "देखिए, बात ये है कि मुझे भी इस प्रतियोगिता में भाग ले रही मार्गी से प्रॉब्लम है! उसने मेरे आइडिया को चुराया था और उसने सभी क्लासमेट को मेरे खिलाफ भड़काया है! मैं परेशान हो गई हूँ उससे, इसलिए मुझे उससे बदला लेना है! क्या हम साथ मिलकर काम नहीं कर सकते?"
मि. रंजीत शेट्टी बोला, "लेकिन मैं तुम पर भरोसा क्यों करूँ? अगर ये अरमान और राजवीर की कोई नई चाल होगी तो?" तभी नैना गुस्से में बोली, "अगर आपको मेरी हेल्प नहीं करनी तो कोई बात नहीं! बस आप देखते रहना अपनी कॉलेज को हारते हुए!"
रंजीत गुस्से में आकर एक जोर से थप्पड़ नैना को लगा दिया जिसकी वजह से नैना अपना बैलेंस खो बैठी और वह सीधे नीचे गिर गई। तभी रंजीत उसके पास जाते हुए बोला, "तुम्हारी इतनी हिम्मत मेरे सामने बोलने की! तू अपनी कॉलेज की लॉयल नहीं है तो क्या मेरी होगी? मुझे तुम पर भरोसा नहीं है, और अगर होता भी तो मैं तुमसे यह चीटिंग करके कभी नहीं जीतना चाहता!"
नैना उसे गुस्से से देख रही थी। वह बोली, "लेकिन तुम्हें जीतना है तो थोड़ी बहुत चीटिंग चलती है!" तभी रंजीत उसके पास जाकर परेशान लहजे में बोला, "देखो, मैं भले ही चुनौती देकर आया हूँ, लेकिन मेरा एक उसूल है! मैं कभी दूसरों को धोखा देकर अपना नाम नहीं बनाता! मैं ईमानदारी से ही काम करता हूँ, समझी तुम? अब अपना गन्दा सा मुँह लेकर पहली फुरसत में यहाँ से निकल जा और अपने कॉलेज के प्रति ईमानदार रहो!"
उसके इतना बोलते ही नैना वहाँ से चली गई।
उसके जाने के बाद रंजीत जोर-जोर से हँसने लगा और बोला, "पागल लड़की! मैं और कभी ईमानदार! मुझे तो एक मोहरा चाहिए था, एक नाम डालने का कि वह सब किसने किया है, और तुम वह मोहरा बन भी गई!" रंजीत हँसते हुए मन ही मन में बोला, "अब सब काम में करूँगा और फँसेगी तुम!" इतना कहकर उसने अपने फ़ोन पर रिकॉर्डिंग ऑफ कर दी।
क्रमशः…💫🦋💙
उसने वह रिकॉर्डिंग, नैना को आते देखकर, तभी ऑन कर दी थी। वह जानता था कि कोई गड़बड़ जरूर है; इसलिए रंजीत ने रिकॉर्डिंग शुरू कर दी थी। और वापस वह हँसने लगा।
दूसरी ओर, नैना अपने गाल पर पड़े थप्पड़ से बौखला गई थी। उसने अभी-अभी मार्गी को रास्ते से हटाकर उसकी ड्रेस पहनाई थी। वह कुछ सोचती है और हँसते हुए कहती है—
"अब देखती हूँ तुम कैसे इस प्रतियोगिता में भाग लेती हो!"
उसके चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ गई।
इधर, सारे स्टूडेंट अपने जी-जान लगाकर जीतने के लिए तैयारी में व्यस्त थे। सभी लोग आपस में काम ही कर रहे थे। तभी वहाँ पर एक लड़की आती है जो इस कॉलेज से नहीं थी, बल्कि वहाँ किसी भी कॉलेज से लग भी नहीं रही थी। वह सीधे मार्गी के पास जाती है और कहती है—
"आपसे मिलने के लिए नीचे कोई आया हुआ है।"
आरोही भी मार्गी के पास ही बैठी हुई थी। वह कहती है—
"मार्गी, तुमसे मिलने के लिए कौन आया है?"
मार्गी अपने कंधे उठाकर कहती है—
"मुझे नहीं पता! रुको, मैं देखकर आती हूँ!"
तभी आरोही उसे मनाते हुए कहती है—
"रुको तुम। अकेली मत जाओ, मैं भी तुम्हारे साथ आती हूँ!"
मार्गी उसको मनाते हुए कहती है—
"आरोही, तुम इतनी फ़िक्र मत करो! मैं समय से पहले आ जाऊँगी। तुम अपना काम करो, मुझे जाने दो! वरना अरमान सर को पता चला कि हम दोनों ही गायब हैं, तो गुस्सा करेंगे।"
आरोही उसकी बात समझ जाती है, लेकिन वह चिंता करते हुए कहती है—
"मार्गी, मुझे कुछ बेचैनी हो रही है। क्या तुम्हारा जाना ज़रूरी है?"
तभी मार्गी कहती है—
"बंद करो अपना यह ड्रामा और मैं अभी आती हूँ!"
मार्गी उस लड़की के साथ चली जाती है और उसे कहती है—
"मुझसे मिलने कौन आया होगा?"
वह मार्गी को एक बंद कमरे की ओर लेकर जा रही थी। मार्गी उसके पीछे चली जा रही थी। उसे कुछ गड़बड़ सा लगने लगता है, लेकिन वह कुछ नहीं कहती। जब वह उस लड़की के साथ एक कमरे में आ जाती है, तब मार्गी देखती है कि एक कोने में कोई बैठा हुआ है। वह सीधे उसके पास चली जाती है। तभी पीछे से दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ सुनाई देती है। वह देखती है तो वहाँ पर बहुत अंधेरा हो गया था और वह लड़की ने बाहर से दरवाज़ा बंद कर दिया था। वह घबराते हुए दरवाज़े के पास चली जाती है और जोर-जोर से नॉक करने लगती है। लेकिन वह देखती है कि बाहर से डीजे की आवाज़ सुनाई दे रही थी; जोर से म्यूज़िक बज रहा था। मार्गी को बेचैनी होने लगती है। वह उस कोने में बैठे हुए इंसान के पास जाती है और उसके कंधे पर हाथ रखकर कहती है—
"तुम कौन हो?"
तभी उसे कुछ सॉफ्ट-सॉफ्ट सा महसूस होता है और वह उसे हिलाने लगती है। जब वह नीचे गिर जाता है, तब मार्गी को पता चलता है कि यह तो एक टेडी बियर है। वह अपने माथे पर हाथ रख देती है और कहती है—
"मैं इतनी बेवकूफ़ कैसे बन गई! लेकिन मुझे इस बंद कमरे में किससे क्या मिलेगा?"
दूसरी ओर,
अरमान सभी के पास आता है और कहता है—
"अभी दस मिनट में सभी राउंड शुरू हो जाएँगे। हमारी बारी बीच में है। सभी लोग रेडी रहना!"
वह इतना कहकर जाने ही वाला था, तब उसकी नज़र आरोही पर जाती है। वह आरोही के पास आता है और कहता है—
"तुम इतनी परेशान क्यों देख रही हो?"
और वह इधर-उधर आँखें घुमाते हुए आरोही से कहता है—
"मार्गी कहाँ पर है? कहीं दिखाई नहीं दे रही।"
उसका सवाल सुनकर आरोही घबरा जाती है और अपनी अटकती आवाज़ में कहती है—
"मार्गी...मार्गी..."
अरमान चिढ़ते हुए कहता है—
"हाँ, मार्गी कहाँ पर है? मैं भी यही पूछ रहा हूँ!"
तभी आरोही डर के मारे अभी जो हुआ था, वह सब कुछ अरमान को बता देती है। उसे सुनकर अरमान कहता है—
"लेकिन बाहर तो मैंने किसी को नहीं देखा! तो फिर मार्गी से मिलने के लिए कौन आया है?"
तभी अरमान कुछ समझते हुए कहता है—
"कहीं यह किसी की चाल तो नहीं! हमें हराने की!"
इधर, मार्गी बहुत ही परेशान थी। वह कुछ भी समझ नहीं पा रही थी कि आगे वह क्या करे। उसके पास उसका फ़ोन भी नहीं था; इसलिए वह लाचार सी बन गई थी। वह खुद को कोसते हुए कहती है—
"क्या ज़रूरत थी! आरोही को अगर नहीं अच्छा लग रहा था, तो मुझे आना ही नहीं चाहिए था! पता नहीं उस लड़की की बातों में मुझे क्या दिखा कि मैं उसके साथ यहाँ आ गई!"
वह अपने माथे पर हाथ रखकर रोने लगती है। वैसे तो वह आसानी से हार मान लेने वाली लड़की तो नहीं है।
दस मिनट के बाद वहाँ पर होस्ट आ जाती है और कहती है—
"लेडीज़ एंड जेंटलमेन, हम यहाँ पर कंपटीशन के लिए इकट्ठे हुए हैं! आप सभी का यहाँ पर स्वागत है!"
तभी वहाँ पर तालियों की आवाज़ आने लगती है। वह होस्ट आगे बढ़ते हुए सभी पार्टिसिपेट कर रही कॉलेज के नाम लेने लगती है और कहती है—
"अगले पाँच मिनट में यह प्रतियोगिता शुरू हो जाएगी।"
इतना सुनकर अरमान और आरोही दोनों ही घबरा जाते हैं (और एक दूसरे के सामने देखने लगते हैं)। ऐसा लगता है कि वह दोनों आँखों ही आँखों में यह पूछ रहे थे—
"अब क्या करेंगे?"
दूसरी ओर, मार्गी यह अनाउंसमेंट सुन लेती है और कहती है—
"हमारे कॉलेज का दसवाँ नंबर है! और मुझे कुछ करना ही होगा! लेकिन मैं क्या कर सकती हूँ? मुझे तो यह भी नहीं पता मैं आज वक्त पर पहुँच भी पाऊँगी या नहीं?"
वह अपने माथे पर हाथ रखकर एक कोने में बैठ जाती है।
दूसरी ओर, नैना ऑडियंस में बैठी हुई थी। वह सोच रही थी—
"मैं कैसे मार्गी को रोकूँ इस कंपटीशन का पार्ट बनने से? मुझे कुछ तो करना ही होगा! लेकिन उस रंजीत शेट्टी ने भी मेरा साथ देने से मना कर दिया! पता नहीं अब क्या होगा! लेकिन मैं मार्गी को सभी के सामने जीतते हुए नहीं देख सकती! मुझे कुछ तो करना ही होगा!"
वह वहाँ से खड़ी होती है और ड्रेसिंग रूम में चली जाती है। वह जब वहाँ पर आती है, तो देखती है कि वहाँ पर सभी परेशानी से इधर-उधर चहल-पहल कर रहे थे। उन लोगों को देखकर नैना को कुछ समझ नहीं आता और वह अरमान के पास जाते हुए कहती है—
"क्या हुआ सर?"
तभी वहाँ पर सुनैना आती है और वह कहती है—
"मार्गी कहाँ पर चली गई है? वह नहीं मिल रही है!"
To be continued 💫🦋💙
नैना हैरान होकर बोली, "क्या???? मार्गी गायब है????”
आरोही उसके सामने घूरते हुए बोली, "तुम्हें कब से मार्गी की फिक्र होने लगी???"
नैना ने कहा, "मुझे अभी भी मार्गी से कुछ लेना-देना नहीं है! लेकिन इस कंपटीशन में उसका एक अहम भूमिका है! उसने ही हमें ये आइडिया दिया हुआ है! लेकिन मार्गी गई कहाँ सकती है???"
आरोही उसके सामने घूरते हुए बोली, "कहीं तुम्हें ही तो मार्गी को गायब नहीं किया???" उसकी बात सुनकर एक पल के लिए अरमान भी नैना के सामने देखने लगा। तभी नैना अपनी आवाज ऊँची करते हुए बोली, "मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ! समझी तुम!"
आरोही बोली, "मुझे पता है! तुम कैसी लड़की हो! इसलिए तुम्हें मुझे पता करने की ज़रूरत नहीं है! मुझे पता है तुम मार्गी से कुछ ज़्यादा ही जलती हो!"
नैना को और भी तेज गुस्सा आने लगा! और वह अपनी मुट्ठी बंद करते हुए बोली, "इनफ इज़ इनफ! मैं कुछ नहीं बोल रही इसका मतलब ये नहीं कि तुम कुछ भी कहो!"
उन दोनों के बीच बढ़ती बहस को देखकर अरमान गुस्से से बोला, "चुप रहो दोनों! यहाँ हमें मार्गी और इस प्रतियोगिता दोनों को ही जीतना है, मेरा मतलब है! मार्गी को ढूँढ़ना होगा।" तभी नैना बोली, "मैं ढूँढती हूँ!" आरोही ने उसे मनाते हुए कहा, "नहीं, तुम मार्गी को नहीं ढूँढोगी। पता चला तुम कभी जलन के वजह से मार्गी को लेकर ही नहीं आ पाई!"
अरमान ने कहा, "नैना, तुम ऑडियंस में जाकर बताओ कि किसी ने मार्गी को देखा है या नहीं!"
तभी नैना बोली, "ठीक है सर, मैं जाती हूँ और पता लगाती हूँ!"
नैना वहाँ से बाहर आ गई और अपने मन में सोचते हुए बोली, "ये काम किसने किया है? कौन है??? जो मेरी तरह मार्गी के पीछे है???? कहीं रंजीत शेट्टी तो नहीं???"
नैना बाहर आते हुए बोली, "कहीं ये सारे काम रंजीत शेट्टी ने तो नहीं किया???"
दूसरी ओर, मार्गी हैरान-परेशान हो गई थी! वह कुछ समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे और क्या न करे। उसे एक-दो कॉलेज के राउंड खत्म होने की आवाज सुनाई दी! और अब तीसरे की बारी थी! मार्गी अपने आप में ही बोली, "ये तीसरा भी अभी खत्म हो जाएँगे। मुझे कुछ करना होगा। हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठ सकती मैं!"
इधर, अरमान और आरोही दोनों ही परेशान थे। वे सोच रहे थे, "आखिर मार्गी कहाँ जा सकती है???" तभी अरमान आरोही से बोला, "तुम एक काम करो, सभी को रेडी रखो। मैं आता हूँ उसे ढूँढ़ कर!" इतना कहकर वह चला गया मार्गी को देखने के लिए!
वह चारों ओर से पुकारते हुए गया, "मार्गी.......मार्गी.......मार्गी...कहाँ हो तुम मार्गी.?..........मार्गी?........??" लेकिन उसे उसके सवाल का कोई जवाब न पाकर वह बोला, "ये लड़की कहाँ पर चली गई है??? मुझे तो कुछ पता नहीं चल रहा!"
दूसरी ओर, रंजीत शेट्टी अपने आप में ही खुश होते जा रहा था! और कह रहा था, "अब देखता हूँ! कैसे तुम लोग जीतते हो! तुम्हें भी तो पता चले कि किससे पंगा लेकर बैठे हो!......" रंजीत के चेहरे पर एक अलग ही आनंदमय भाव था! ऐसा लग रहा था कि जो वह करना चाहता था, वह उसे हो गया हो! तभी उसके कानों में एक आवाज सुनाई दी, "कहीं मार्गी को गायब आपने ही तो नहीं किया???"
यह सुनकर उसके चेहरे के भाव अचानक से बदल गए! और वह पीछे मुड़ता है! तो देखता है वहाँ पर नैना मौजूद थी! "नैना तुम???" इतना कहकर रंजीत शेट्टी अपना चेहरा आगे की ओर मोड़ देते हैं और कहते हैं, "तुम किसके बारे में बात कर रही हो???"
नैना हँसते हुए बोली, "क्या आपको मैं उल्लू दिख रही हूँ???? या फिर मेरे माथे पर उल्लू लिखा हुआ है????? मुझे पता है ये सिर्फ आपका ही किया हुआ है!" रंजीत हँसते हुए बोला, "तुम्हारे पास क्या सबूत है? ये सब मैंने किया है???" उसकी बात सुनकर नैना हँसते हुए बोली, "मुझे पता है! आपने ही ये किया हुआ है!"
तभी रंजीत उसे कहता है, "मुझे तुम्हारा नंबर दो!" नैना उसे सवालिया निगाहों से देखते हुए बोली, "लेकिन क्यों?? चाहिए आपको मेरा नंबर?"
रंजीत बोला, "तुम्हें ये नहीं जानना है कि ये सब किसने किया है!!!" नैना इतना सुनकर जल्दी से अपना नंबर रंजीत के फोन पर लिखकर कॉन्टैक्ट बना देती है! रंजीत एक शैतानी हँसी हँसते हुए कहता है, "मैंने तुम्हारे मोबाइल पर एक ऑडियो भेजा है! वह तुम देख लो! आह, मेरा मतलब है कि सुन लो!"
दूसरी ओर, छठा राउंड खत्म हो जाता है!
अरमान होस्ट के पास आते हुए कहता है, "क्या आप मेरी कॉलेज का राउंड लास्ट में रख सकते हैं???" होस्ट उससे पूछता है, "लेकिन क्यों???" तभी अरमान कहता है, "दरअसल बात ये है! कि मेरी एक स्टूडेंट जो इस प्रोग्राम में भाग लेने वाली थी, उसका कुछ पता नहीं लग पा रहा है! इसलिए!"
होस्ट उसे कहता है, "देखिए Mr. अरमान, आपको कौन नहीं जानता! आप फैशन वर्ल्ड में बहुत ही फेमस हैं! इसलिए मैं आपको एक मौका देता हूँ! अगर पार्टिसिपेट कर रही लड़की आपके राउंड से पहले आ जाती है! तो आपकी कॉलेज इस प्रतियोगिता में भाग ले सकती है! वरना मजबूरन मुझे आपकी कॉलेज को निकालना होगा..."
उसकी बात सुनकर अरमान कहता है, "नहीं, उसकी नौबत नहीं आएगी। वह लड़की हमारे राउंड से पहले आ जाएगी!"
होस्ट कहता है, "ठीक है! मैं आपकी कॉलेज का राउंड लास्ट में कर देता हूँ!"
होस्ट स्टेज पर आते हुए कहता है, "मुझे आप सभी को एक ज़रूरी अनाउंसमेंट करना है! Mr. अरमान की कॉलेज का राउंड लास्ट में तय किया गया है! इसलिए जो Mr. अरमान की कॉलेज के बाद वाली कॉलेज थी, वह पहले ही अपना प्रदर्शन दिखाएगी। ऐसा नक्की किया गया है! थैंक यू आप सभी को हमारा साथ देने के लिए!"
यह अनाउंसमेंट सुनने के बाद इधर अरमान की जान में जान आई, लेकिन उसके घरवाले इस अनाउंसमेंट से हैरान हो गए थे! तभी रिया, सुजाता, भूमि और राजवीर सभी ड्रेसिंग रूम में आ जाते हैं और कहते हैं, "अरमान बेटा! ये सब क्या हो रहा है??? और क्यों???"
तभी अरमान उन सभी लोगों को सब सच-सच बता देता है!
सभी लोग टेंशन में आ जाते हैं! तभी रिया कहती है, "मार्गी दीदी कहाँ चली गईं??? पापा..."
To be continued 💫 🦋 💙