प्रियल शर्मा, एक क्यूट और चुलबुली सी लड़की, जिसने टीवी में एक अमेरिकन एजेंट कैप्टन निक को देखा और उसके पीछे उसी की एजेंसी में पहुंच गई। निक जब भी प्रियल को देखता है, तो उसे एक कनेक्शन फील होता है, वही कुछ ऐसा ही हाल प्रियल का है। निक और प्रियल एक दूस... प्रियल शर्मा, एक क्यूट और चुलबुली सी लड़की, जिसने टीवी में एक अमेरिकन एजेंट कैप्टन निक को देखा और उसके पीछे उसी की एजेंसी में पहुंच गई। निक जब भी प्रियल को देखता है, तो उसे एक कनेक्शन फील होता है, वही कुछ ऐसा ही हाल प्रियल का है। निक और प्रियल एक दूसरे के करीब आ तो जाते है पर क्या होगा, जब प्रियल निक के सबसे बड़े दुश्मन की रिश्तेदार होती हैं। क्या निक का प्रियल के लिए कनेक्शन सिर्फ एक इत्तेफाक है या इसके पीछे है एक गहरी साजिश? ऐसा क्या है जो निक और प्रियल को एक दूसरे से जोड़ता है? प्रियल का सच जानने के बाद क्या निक उसे माफ कर पाएगा और सब कुछ भूल कर वह प्रियल के साथ एक नई शुरुआत करेगा? जानने के लिए पढ़िए "connected with hearts"
Captian nick
Spy
प्रियल शर्मा
Heroine
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यूएसए के एक किंडरगार्टन को सुरक्षा एजेंसियों ने चारों तरफ से घेर रखा था। मीडिया को वहाँ से हटाया जा रहा था। किंडरगार्टन को कुछ आतंकवादियों ने अपने कब्ज़े में ले लिया था, जिसमें पढ़ने वाले बच्चों सहित वहाँ का स्टाफ़ पिछले आठ घंटे से कैद था। वहाँ माहौल तनावपूर्ण था क्योंकि आतंकवादी कभी भी कोई गलत कदम उठा सकते थे। यूएसए जैसे देश में आतंकवादी इतनी देर तक सुरक्षा एजेंसियों से नहीं बच पाए थे, जहाँ पकड़े जाने पर वे अपने बचाव में एक स्कूल में आ गए और वहाँ बच्चों को बंदी बनाकर उसे अपने कब्ज़े में ले लिया। सुरक्षा एजेंसी की एजेंट एम्मा अपने साथी रॉन के साथ वायरलेस के ज़रिए अपनी टीम से संपर्क में थी। एम्मा और रॉन वहाँ की एक सीक्रेट एजेंसी 'एनए' के एजेंट थे, जिसे बच्चों के बचाव के लिए गवर्नमेंट के द्वारा ऑर्डर दिया गया था। एम्मा और रॉन के अलावा यहाँ और दो दर्जन के करीब एजेंट थे, जिन्होंने पूरी बिल्डिंग को घेर रखा था। “यार, यह हमारा कैप्टन अब तक क्यों नहीं आया? पूरी टीम आ चुकी है, मगर वो अभी भी लापता है। अगर यह बात ऑथोरिटी तक चली गई तो वो उसके साथ-साथ अपनी भी बड़ी बजा देंगे। उसके ऑर्डर के बिना टीम खुद से इनिशिएट कैसे कर सकती है?” एम्मा ने वायरलेस बंद किया और सड़क पर इधर-उधर देखते हुए कहा। “ज़रा सब्र कर, हमारे कैप्टन को हमेशा से ही लेट मगर हीरो वाली एंट्री मारने की आदत है। बस आता ही होगा।” रॉन अपना वायरलेस पहले ही बंद कर चुका था। उसने भी सड़क पर दाएँ-बाएँ देखा। “चल… अब जल्दी से आ भी जा भाई।” तभी दूर एक बाइक दिखी, जिस पर लगभग छब्बीस साल का एक लड़का काली जैकेट में उनकी ओर आ रहा था। उसे देखते ही रॉन ने कहा, “लो आ गया…” और अपने वेपन्स और यूनिफ़ॉर्म संभालने लगा। एम्मा भी खुद को जल्दी से मैनेज करने लगी। उसने कपड़े संभालते हुए कहा, “अपने कैप्टन को डिसीप्लेन बनाकर रखने की बहुत गंदी आदत है। खुद भले ही लेट आएँ, मगर हम थोड़े से भी इधर-उधर हुए तो डाँटने में देर नहीं लगाते।” दोनों अपने कपड़े संभालने के बाद सामने से आ रहे शख्स के आने का इंतज़ार करने लगे। वह लड़का जल्द ही वहाँ पहुँचा और बाइक रोककर नीचे उतरा। काले रंग के गॉगल्स के नीचे लड़के के बाल सलीके से सजे हुए थे। उसने काले रंग की जैकेट के नीचे जो शर्ट पहन रखी थी, वह उसके जिस्म से चिपकी हुई थी। वह अपने लुक में डैशिंग और स्मार्ट दिख रहा था। वह उन दोनों के पास पहुँचा। उसके पास पहुँचते ही दोनों ने उसे सैल्यूट किया। उसने अपने गॉगल्स उतारे और रॉन की तरफ देखते हुए कहा, "तुम दोनों की पोस्ट इतनी भी जूनियर नहीं कि कोई डिसीज़न ना ले पाओ! पिछले आठ घंटे से बच्चे अंदर फँसे हैं। एंड यू गाइज़ आर डिज़गस्टिंग…!" उसे गुस्से में देखकर रॉन ने कहा, “सॉरी सर।” लड़के ने बिल्डिंग की तरफ देखा और बिल्डिंग की तरफ देखते हुए पूछा, “क्या कंडीशन है?” “कैप्टन निक,” एम्मा बोली, “वहाँ कुल मिलाकर चार लोग हैं; दो सेकेंड फ्लोर पर, एक थर्ड फ्लोर पर और एक डाउन फ्लोर पर! बच्चे सेकेंड फ्लोर पर हैं। हथियार के तौर पर उनके पास चाकू और तेज धारदार वाले हथियार हैं। गन्स वगैरा हमें नहीं दिखीं।” एम्मा आगे बोली, “हम उन्हें डायरेक्ट पुश कर सकते हैं, मगर बच्चे हैं तो यह क्रिटिकल रहेगा।” “हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे।” निक ने कहा। इसके बाद वह आगे बढ़ा और अपनी टीम के बाकी मेंबर की ओर जाने लगा। एम्मा और रॉन उसके साथ-साथ उसके पीछे-पीछे चलने लगे। “हम एक बार के लिए उनके सामने सरेंडर होने का ऑफ़र रखेंगे, अगर वे मानते हैं तो ठीक है, वरना इसके बाद एक्शन एक्वायर्ड किया जाएगा।” वहाँ पहुँचकर उसने एक एजेंट के हाथ में मौजूद स्पीकर लिया और उसे सामने की तरफ कर अनाउंसमेंट करते हुए कहा, “तुम लोग चारों तरफ से घेरे जा चुके हो। तुम लोगों की भलाई इसी में है कि सरेंडर कर दो। वरना आगे जो भी होगा उसके जिम्मेदार तुम लोग खुद होगे।” इतना कहकर वह जवाब आने का इंतज़ार करने लगा। जब काफी देर तक जवाब नहीं आया तब निक ने दोबारा स्पीकर में कहा, “मैं एक बार फिर से कह रहा हूँ, सरेंडर करने में ही तुम लोगों की भलाई है, तुम लोगों के पास बचने का कोई रास्ता नहीं है।” वह दोबारा से जवाब का इंतज़ार करने लगा मगर फिर से कोई जवाब नहीं आया। निक ने स्पीकर फेंका और गुस्से में कहा, “इडियट, अक्ल नाम की चीज ही नहीं है इनमें।” इसके बाद वह एम्मा और रॉन से बोला, “हमारी टीम में टोटल छब्बीस मेंबर हैं, तुम दोनों को छोड़कर बाकी के मेंबरों के छह-छह के चार ग्रुप बनाओ, और उन्हें चार अलग-अलग डायरेक्शन में पोजीशन एक्वायर करने के लिए कहो। स्नाइपर को स्टैंडबाई मोड पर रखो। उन्हें इंस्ट्रक्शन्स दो। ऑर्डर मिलते ही जो भी निशाने पर आए उन्हें ले और बॉडी डैमेज के लिए शूट कर दो। हम लोग उन्हें पुश करेंगे, मगर डायरेक्ट नहीं, बिल्कुल इनडायरेक्ट वे में।” दोनों ने हामी भरी और टीम के बाकी मेंबरों को इसकी जानकारी देने के लिए चले गए। जल्द ही पूरी टीम एक्शन में आई और अलग-अलग जगह पर अपनी पोजीशन संभालने लगी। निक और उसके साथ की एक टीम सेफ्टी इक्विपमेंट से लैस, डेज़र्ट में बिल्डिंग के दाईं ओर खड़ी गाड़ियों के नीचे से होते हुए बिल्डिंग की ओर जाने लगी। एम्मा और रॉन भी उसके साथ थे। वे लोग बिल्डिंग की दीवार के पास पहुँचे और वहाँ पूरे तरीके से दीवार से चिपक कर खड़े हो गए। निक ने ठीक ऊपर मौजूद खिड़की में धीरे से झाँका। वहाँ उसे एक आतंकवादी दिखाई दिया जो सामने दरवाज़े से बाहर की ओर देख रहा था। निक ने अपनी पोजीशन संभाली और खिड़की को धीरे से धक्का मारकर नीचे हो गया। एक हल्की सी आवाज़ हुई और आतंकवादी का ध्यान खिड़की की तरफ चला गया। निक ने टीम मेंबरों को इशारा किया और उन्हें नीचे होने के लिए कहा। पूरी की पूरी टीम नीचे बैठ गई। आतंकवादी खिड़की के पास पहुँचा और झाँकने के लिए अपनी मुँडी बाहर की। मगर जैसे ही उसने अपनी मुँडी बाहर की, निक ने उसे झपटा और खींचकर बाहर गिरा दिया। उसके बाहर गिरते ही बाकी के टीम मेंबरों ने तेज़ी दिखाई और उसे अपने कब्ज़े में ले लिया। उसके पकड़े जाते ही निक ने बाकी की टीम को इंस्ट्रक्शन्स दिए और उन्हें तुरंत खिड़की से अंदर जाने के लिए कहा। निक, एम्मा और रॉन के अलावा चार एजेंट और थे जो नीचे के फ्लोर पर कब्ज़ा जमा चुके थे। निक ने दबे कदमों से सीढ़ियों का रुख किया और वहाँ छिपकर ऊपर का नज़ारा देखा। ऊपर उसे एक आतंकवादी दिखाई दिया, जो सीढ़ियों के ऊपर ही बैठा हुआ था और अपने हाथ में कुछ मसल रहा था। निक पीछे हुआ और कुछ सोचता हुआ बोला, “हम इस पर तुरंत एक्शन लेंगे। अगर इसे थोड़ा सा भी मौका मिला तो यह शोर करेगा, फिर इसके दूसरे साथी को पता चलेगा और वह बच्चों के लिए खतरा बन जाएगा। हम इस पर डायरेक्ट हमला करेंगे।” निक ने अपनी गन निकाल ली। “क्या कर रहा है निक…” अचानक एम्मा ने अपने टोन को बदलते हुए कहा, “पागल हो गया है क्या? तूने अगर शूट किया तो बच्चे डर जाएँगे।” निक उसकी तरफ तीखी नज़रों से देखने लगा। “तुम ऑन ड्यूटी हो। मैं यहाँ तुम्हारा बेस्ट फ़्रेंड नहीं हूँ, बल्कि बॉस हूँ।” “हाँ, कोई ना, यह फ़ॉर्मेलिटी किसी और दिन कर लूँगी, अभी तुम बॉस की बजाय फ़्रेंड ही बने रहो। मैं तुमको कह रही हूँ, तुम शूट नहीं करोगे।” “और अगर मैंने शूट नहीं किया, तो वो बच्चों को मार देंगे।” एम्मा ने टोन बदला तो रॉन ने भी टोन बदल लिया, “एम्मा, निक सही बोल रहा है। हम कब तक यहाँ छिपकर बैठे रहेंगे? हमें एक्शन लेना होगा।” एम्मा निक की तरफ़ हुई और बोली, “देख निक, तेरा प्लान बिलकुल भी अच्छा नहीं है।” “ठीक है तो मैं प्लान बी फॉलो करता हूँ।” इतना कहकर निक ने अपने दोनों रिवॉल्वर निकाले और उसे एम्मा को पकड़ा दिए। एम्मा को रिवॉल्वर पकड़ाने के बाद उसने ग्रेनेड पकड़ा और बिना सेफ्टी पिन खोले आतंकवादी के पीछे की ओर फेंक दिया। ग्रेनेड के फटते ही आतंकवादी का ध्यान उसकी ओर चला गया। आतंकवादी उसे देखने के लिए पलटा, तभी निक तुरंत सीढ़ियों पर चढ़ा और आतंकवादी के पास पहुँचकर उस पर झपट पड़ा। निक और एम्मा दोनों सरप्राइज़ रह गए क्योंकि निक ने यह अचानक से किया था। निक ने आतंकवादी के मुँह को अपने हाथ से दबा लिया और लातों में पकड़कर उसके हिलने-डुलने की गतिविधि को कम कर दिया। इतने में एम्मा और रॉन तथा बाकी के एजेंट वहाँ पहुँचे और उसे अच्छे से काबू कर लिया। उसके अच्छे से काबू हो जाने के बाद निक ने उसे छोड़ दिया। जबकि बाकी के मेंबरों में से दो लोग उसे अपने साथ नीचे फ्लोर पर ले गए। एम्मा बोली, “निक, तुम ना अकेले हीरो मत बना करो। तुम क्या करने वाले हो, हम भी इसका थोड़ा हिंट दिया करो।” “लगता है तुम लोगों को मेरी काबिलियत पर भरोसा नहीं। यह मत भूलो, मैं तुम सब लोगों का कैप्टन हूँ, और मैं कैप्टन एजेंसी में पैसे देकर नहीं बना।” निक ने गन वापस पकड़ी और ऊपर सेकेंड फ्लोर का रुख किया। वहाँ उसने आतंकवादी को बच्चों से थोड़ा दूर खड़ा देखा। जितने भी बच्चे थे, वे फ्लोर के बीच में थे। निक ने यह देखते ही ईयरपीस पर हाथ रखा और ऑर्डर देते हुए कहा, “थर्ड फ्लोर का आतंकवादी जिस भी स्नाइपर की रेंज में है उसे बोलो बॉडी डैमेज शूट कर दे।” सामने जिसने भी ऑर्डर सुने उसने “ओके सर” का जवाब दिया। जवाब मिलते ही निक आगे बढ़ा और रिवॉल्वर हवा में तानता हुआ बोला, “जहाँ हो वहीं रुक जाओ, वरना अंजाम महँगा होगा।” आतंकवादी ने निक की बात सुनी मगर उस पर गौर नहीं किया। उसने बच्चों की ओर दौड़ने की कोशिश की। मगर जैसे ही उसने कोशिश की, निक ने फायर किया और सीधे उसके कंधे पर गोली चलाई। गोली लगते ही आतंकवादी झटका खाते हुए जमीन पर जा गिरा। “गेट इट।” निक ने एम्मा और रॉन को कहा। दोनों तेज़ी से आगे बढ़े और उस आतंकवादी को पकड़ लिया। निक उसके पास पहुँचा और कहा, “हैलो मिस्टर इडियट! तुम्हें अच्छा-भला मौका दिया गया था, अगर उसे मान लेते तो गोली का यह दर्द ना सहना पड़ता। अब इसे भी सहो, और आगे जो अंजाम होगा उसके लिए भी तैयार रहो।” आतंकवादी उसे घूर कर देखने लगा जिस पर निक ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। एम्मा और रॉन आतंकवादी को पकड़कर वहाँ से ले गए। अब तक ऊपर वाले आतंकवादी को भी बॉडी डैमेज पड़ गया था, जिसकी वजह से वह घायल पड़ा था। टीम के कुछ मेंबर वहाँ पहुँचे और उसे भी अपनी गिरफ़्त में ले लिया। बच्चों का सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया। स्थिति थोड़ी हल्की हुई तो मीडिया टीम का भारी जमावड़ा वहाँ उमड़ गया। निक ने टैकल करते हुए उन्हें कहा, “जो भी हालात थे, वे क्रिटिकल जरूर थे, लेकिन हमने इसे कंट्रोल में कर लिया है। सारे आतंकवादी पकड़े जा चुके हैं और बच्चे सुरक्षित हैं। मेरी टीम ने इसके लिए काफी शानदार काम किया है। यूएसए की एक वेल-प्रेपर्ड एजेंसी के एजेंट होने के नाते आगे भी हम पीपल सेफ्टी के लिए अपना काम इसी तरीके से करते रहेंगे।” पूरी बात कहने के बाद उसने शेड्स लगाए और जाने के लिए आगे बढ़ा, जहाँ फोटोज़-कैमरा के ढेर सारे फ्लैश उसके चेहरे पर पड़ गए। ★★★ “यूएसए की एक वेल-प्रेपर्ड एजेंसी के एजेंट होने के नाते हम आगे भी पीपल सेफ्टी के लिए अपना काम इसी तरीके से करते रहेंगे।” इंडिया के मुंबई शहर के एक फ्लैट में लगे एलईडी स्क्रीन में अमेरिकी चैनल के ऊपर यह लाइन गूँजी। टीवी के ठीक सामने एक उन्नीस साल की करीब की लड़की बैठी थी। उसने डेनिम का क्रॉप टॉप और शॉर्ट्स पहन रखा था। उसके हाथ में पॉपकॉर्न का बाउल था, जहाँ कुछ पॉपकॉर्न उसके हाथ में थे और उसका हाथ उसके ठीक मुँह के पास रुका हुआ था। उसके रिएक्शन से साफ़ पता चल रहा था कि वह लड़के को देखते ही पूरी तरह से उसमें खो सी गई थी। उसके मुँह से उसी खोए हुए से अंदाज़ में निकला, “कितना सोना मुंडा है यार।”
इंपीरियल कॉलेज, मुंबई।
दोपहर के लगभग तीन बज रहे थे। कॉलेज की कक्षाएँ समाप्त हो चुकी थीं और अधिकांश छात्र घर लौट रहे थे। इन छात्रों के बीच वह लड़की भी दिखाई दी जिसने एलईडी स्क्रीन के सामने बैठकर निक को देखा था और उसे देखते ही उसका मुँह खुला का खुला रह गया था। उसने वाइट कलर की हुडी वाली ड्रेस पहन रखी थी, जो उसके साइज़ से दोगुनी बड़ी थी और खुली-खुली लग रही थी। मगर खुली होने के बावजूद ड्रेस उसे शानदार लुक दे रही थी। उसके बाल आधे जूड़े के रूप में बंधे हुए थे और आधे खुले थे। खुले बाल दोनों ओर बराबर थे। आँखों पर बड़ा वाइट कलर का चश्मा था, जो बस शूट देखने के लिए था। पीठ पर लेदर का बैग टँगा हुआ था जिसके पट्टों को सामने से दोनों हाथों से पकड़ रखा था। वह लड़कों की भीड़ से अलग हुई और कम्पाउंड की ओर चल दी। वहाँ जाकर वह एक बेंच पर बैठी और अपना लैपटॉप निकालकर उस पर कुछ सर्च करने लगी। उसने जो भी सर्च किया, वह उसे मिल गया। इसके बाद उसने अपने दोनों हाथ मोड़कर अपनी ठुड्डी उस पर टिका दी।
“क्या हुआ प्रियल दी? कहाँ खोई हुई है?” उसका ध्यान उसी उम्र की एक लड़की ने तोड़ा, जिसने शर्ट और जीन्स पहन रखी थी। वह भी दिखने में सुंदर थी, मगर उससे थोड़ी पतली थी।
“मैं बताता हूँ अपनी प्रियल कहाँ खोई हुई है।” तभी एक लड़का वहाँ आया, जिसकी उम्र लगभग इक्कीस साल थी। उसने डेनिम की जैकेट, ग्रीन टी-शर्ट, जीन्स की पैंट और लेदर के बूट पहन रखे थे। “यह एक ऐसी दुनिया में गोते खा रही है, जिसे कल्पना का एक कभी न खत्म होने वाला अत्यंत विशाल संसार कहा जाता है। यानी कि अपने ख्यालों में।”
प्रियल ने अपना लैपटॉप बंद किया और कुछ कहने के लिए अपना चेहरा ऊपर किया। तभी आई लड़की लड़के की तरफ देखते हुए बोली, “ओए अजुन, तू चौहान सर की क्लास लेकर आया है, जो इतनी जोर हिंदी बोल रहा है?” फिर उसने प्रियल की तरफ चेहरा किया और पूछा, “बताना दी, कहाँ खोई हुई है?”
“अरे प्रांजल, कहा ना मैं बताता हूँ,” अजुन बोला और कूदकर प्रियल के बगल में ही बैठ गया। वहाँ उसने उससे लैपटॉप छीन लिया। प्रियल ने उसे वापस लेने की कोशिश की, मगर अजुन ने उसे दूर कर लिया। “रुको ना प्रियल एक मिनट, मुझे बताने तो दो…” यह कहकर उसने लैपटॉप खोल दिया। लैपटॉप को खोलते ही सामने गूगल दिखा, जिसके ऊपर निक को सर्च किया गया था और उसे सर्च करने पर सिर्फ होटल “पाइन क्रीक” की तस्वीर आ रही थी। “लो भाई साहब, मेरा शक बिलकुल सही निकला! मैडम उसी भाई साहब के ख्यालों में खोई हुई है, जिसे इसने कल रात टीवी के अंदर देखा था।”
“क्या? कब?” प्रांजल अजुन की तरफ हुई और लैपटॉप में झाँका। “मैं उस वक़्त कहाँ थी? और इसने इसे कैसे टीवी में देखा?” उसने पूछा।
“तुम उस वक़्त तुम घोड़े से भी गंदे खराटे लेकर गहरी नींद में सो रही थी।” अजुन ने मजाकिया अंदाज में कहा। “और इसने इसे ऐसे टीवी में देखा…” अजुन ने इंटरनेट से उसी चैनल के कल रात के क्लिप लगा दिए। वहाँ निक का वहीँ डायलॉग दोबारा से आया।
“यूएसए की एक वेल-प्रेपेयर्ड एजेंसी के एजेंट होने के नाते हम आगे भी पीपल सेफ्टी के लिए अपना काम इसी तरीके से करते रहेंगे।”
“क्या बात है मिस प्रियल… लगता है इसने पहली ही नज़र में तुम्हारा दिल जीत लिया।” अजुन अलग ही अंदाज में रिएक्ट करते हुए बोला।
प्रियल ने नाक को उंगली से सिकोड़ा और कहा, “हाँ तो क्या, कोई गलत बात है क्या? देखो तो कितना सोना मुंडा है, मेरा दिल इसे देखते ही धड़कने लगा था। जब से इसे देखा है, बस इसी के बारे में सोच रही हूँ। पता नहीं क्यों, यह लग रहा है जैसे इसके और मेरे बीच में कोई गहरा रिश्ता है।”
अजुन हँसा और बोला, “साइंस इसे रिश्ता नहीं, बीमारी कहता है। साइंस के हिसाब से अगर हम किसी के बारे में बार-बार सोचें तो हमारा हार्मोन इम्बैलेंस होता है, समझी मैडम? यह हार्मोन प्रॉब्लम होती है ना कि कोई गहरा रिश्ता। अब आ गया ना समझ में यह रिश्ता क्या कहलाता है।”
प्रांजल अजुन के पास बैठी और कहा, “वो आपको जानता भी नहीं और आप हैं कि उसके चक्कर में। कोई इतना भी कैसे किसी के पीछे पागल हो सकता है कि पहली नज़र में ही सब कुछ भूल जाए।”
“नहीं नहीं, इतनी भी पागल नहीं हूँ मैं कि बस देखने भर से डब्बा गोल हो जाए।” प्रियल बोली। “इसके पीछे पागल होने का एक कारण यह भी है कि मुझे भी एक एजेंट बनना है।”
तभी प्रांजल बोली, “तो करूँ अपने डैड से बात, वो किसी एजेंसी के ऑथोरिटी मेंबर हैं।”
अजुन तुरंत प्रियल की टांग खींचता हुआ बोला, “हाँ मैडम, इंटेलिजेंस बहुत है ना, जो वहाँ जाकर ट्रेनिंग लेगी। इसे तो वो लोग दरवाज़े के सामने भी ना खड़े होने दें।”
“हाँ दी… वहाँ कैसे लेगी आप ट्रेनिंग? पता है ना वहाँ पर ट्रेनिंग लेने के लिए हर तरह से फिट होना पड़ता है… और स्ट्रांग भी।” प्रांजल ने कहा।
“पता नहीं, जब भी मैं टीवी में किसी सीक्रेट एजेंट को देखती हूँ, तो मेरा भी मन करता है कि मैं भी जाऊँ। कितने कूल होते हैं ये, इनका काम, इनका लुक, स्टाइल, एटीट्यूड सब।” प्रियल आधी बात लगभग ख्यालों में खोए हुए बोली।
“पर प्रियल दी, इन्हें पढ़ना भी बहुत पड़ता है। जिसमें आपका तो बिलकुल भी मन नहीं है। आप दोनों की मुलाक़ात कभी नहीं होने वाली।”
प्रियल ने अपने चेहरे पर नाखुशी सी दिखाई और लैपटॉप छीनकर उसे पकड़ लिया। लैपटॉप पकड़ते हुए उसने कहा, “पता नहीं कुछ ना कुछ हो जाएगा, अगर भगवान ने चाहा तो हम दोनों की मुलाक़ात ज़रूर होगी।”
★★★★
यूएसए
‘एनए’ एजेंसी, जो किसी इंस्टीट्यूट की तरह थी, का ऑफिस रूम।
निक लेदर की कुर्सी पर बैठकर एक मैगज़ीन पढ़ रहा था। उसका ऑफिस सलीके से सजा हुआ था। एसी की हल्की कूलिंग में उसका ध्यान पूरी तरह से मैगज़ीन में था। उसने मैगज़ीन पूरी पढ़ी, जिसके बाद उसके चेहरे पर गुस्सा आया और उसने मैगज़ीन अपने हाथ में मरोड़ते हुए दूर फेंक दी।
तभी एम्मा वहाँ आई, जिसने आते ही अपने सामने गिरी मैगज़ीन को देखा।
एम्मा ने मैगज़ीन उठाई और पूछा, “क्या हुआ? इतना गुस्सा किस बात पर किया जा रहा है निक?”
“तुम भी इतना ही गुस्सा करोगी,” निक बोला, “अगर यह न्यूज़ पढ़ोगी… नहीं… बकवास न्यूज़… अगर ये बकवास न्यूज़ पढ़ोगी तो। क्या कुछ भी लिखते रहते हैं ये न्यूज़ वाले। जबकि वो लोग कुछ जानते भी नहीं हैं। आई विल सू देम। मैं उन पर कानूनी कार्रवाई करूँगा।”
“कोई नहीं, यह सब तो चलता रहता है।” एम्मा ने मैगज़ीन उठाई और उसके कुछ शब्दों पर गौर किया। उसमें उन दोनों का इंटरव्यू था। इंटरव्यू के ऊपर एक तस्वीर लगी हुई थी जिसमें एम्मा और निक एक साथ थे और एम्मा के हाथ निक के नाम का टैटू बना हुआ था, जिसे गोल घेरे से हाईलाइट किया गया था। गोल घेरे के पास कैप्शन था, जिसके ऊपर लिखा गया था, “होटल पाइन क्रीक के मालिक का अफेयर अपनी जूनियर एम्मा के साथ!”
निक एम्मा की तरफ देख भड़कते हुए बोला, “यह सब तुम्हारे टैटू की वजह से हुआ है। क्या ज़रूरत थी टैटू बनवाने की? और अगर बनवाना ही था तो ऐसे सामने हाथ पर ही क्यों बनवाया?”
एम्मा आगे आई और मैगज़ीन टेबल पर रखते हुए बोली, “अब क्या लोगों के डर से मैं अपनी फीलिंग भी एक्सप्रेस ना करूँ? एंड फॉर योर काइंड इंफॉर्मेशन, ये टैटू तुम्हारे नाम का नहीं है, और ना ही तुम्हारे लिए बनवाया है। अब मेरे बॉयफ्रेंड का नाम भी निक है, तो मैं इसमें क्या करूँ?”
निक ने उसे तिरछी आँखों से देखा, “और यही बात तुम रिपोर्टर्स को नहीं बता सकती थी?”
“उन्होंने कौन सा मुझसे पूछा था, अगर पूछा होता तो बता देती।” एम्मा ने टेबल के सामने पड़ी चेयर पर बैठते हुए कहा। बैठने के बाद वह आगे बोली, “और तुम्हें लोगों के ओपिनियन का कब से फर्क पड़ने लगा? तुम तो लोगों के ओपिनियन को अहमियत ही नहीं देते थे?”
“मुझे अब भी कोई फर्क नहीं पड़ता,” निक बोला, “लेकिन इसका मतलब यह थोड़ी ना है कि कुछ भी बकवास लिख दो। दोस्त होने के साथ-साथ यह मेरी जूनियर भी है, यहाँ के लोग हमारे बारे में क्या सोचेंगे।” इतना कहकर वह अपनी जगह से खड़ा हुआ और मैगज़ीन उठाकर बोला, “मैं अभी जाकर इनके एडिटर से बात करता हूँ। अगर मैंने इनसे माफ़ी ना मंगवाई, तो मेरा नाम भी निक नहीं।”
एम्मा आगे कुछ कहती उससे पहले ही निक गुस्से में वहाँ से चला गया। एम्मा उसके जाने के बाद बोली, “यह बंदा कितनी किचकिच करने लगा है यार! पता नहीं ऐसे किचकिच में कौन इसके पीछे पागल होगी।”
★★★★
प्रियल बड़े ही ध्यान से निक की तस्वीर को देख रही थी। निक का जादू उस पर इस कदर सवार हो गया था कि वह उतरने का नाम ही नहीं ले रहा था। उसने अपने लैपटॉप को प्रिंटर से कनेक्ट किया और निक की तस्वीर के कई सारे प्रिंट निकाल लिए। इसके बाद एक प्रिंट को उठाया और उसे देखते हुए बेड के ऊपर लेट गई। अजुन और प्रांजल यह नज़ारा दरवाजे के पास से देख रहे थे।
प्रांजल ने अजुन की तरफ चेहरा घुमाया और कहा, "दी तो पूरी तरह पागल हो गई है। इतना पागलपन...! इसने तो फिल्मों की कहानियों को भी पीछे छोड़ दिया...!"
"ओ माई गॉड!" अजुन ने अपने चेहरे पर बेचारे वाले एक्सप्रेशन बनाए और नाटक करता हुआ बोला, "आज एक और लड़की 'आर नाम की बीमारी' का शिकार हो गई। इस लाइलाज बीमारी ने मेरी दोस्त को भी नहीं छोड़ा।"
प्रांजल ने अपनी कोहनी अजुन को मारी। "चुप रहो तुम, तुम्हारी ही सुध रही है।"
"हाँ तो क्या करूँ? बताओ तो, ऐसे करता हूँ मैं। चेतन भगत से बात करता हूँ। उसे इस लड़की के हाल बताता हूँ। वो पक्का इस पर कोई न कोई कहानी लिख देगा। जिस तरह से यह लड़की पागल है, यह कहानी तो बेस्ट से भी बेस्ट जाएगी।"
प्रांजल ने अजुन की बात को नज़रअंदाज़ किया और खुद से ही बोली, "मुझे लगता है मुझे ही कुछ करना होगा..." इसके बाद उसने नॉर्मल अंदाज में कहा, "मेरे पापा सुरक्षा एजेंसियों के अथॉरिटीज़ मेंबर हैं, उनकी जान-पहचान यहां कुछ काम आ सकती है, वेट ए मिनट.." उसने कहा और कमरे में चली गई। कमरे में उसने प्रियल का लैपटॉप उठाया और उसे उठाकर बाहर आ गई। प्रियल सो चुकी थी, तो उसे इस बारे में पता नहीं चला।
बाहर अजुन और प्रांजल दोनों सोफ़े पर बैठे और वहाँ प्रांजल लैपटॉप पर कुछ सर्च करने लगी।
"तुम अब क्या ढूँढ रही हो?" अजुन ने पूछा।
"इस बंदे की एजेंसी के बारे में पता कर रही हूँ। पापा जो काम करते हैं उसमें एजेंसियों के कुछ शेयर खरीदे जाते हैं, इन शेयरों को खरीदने के बाद इनके कुछ डिसीज़न लेने का हक़ शेयर करने वाले के पास भी आ जाते हैं, मुझे यह देखना है यह लड़का जिस एजेंसी में काम करता है, उसके शेयर का कुछ हिस्सा मेरे पापा के पास है या नहीं।"
"ओह..." अजुन भी प्रांजल के काम को देखने लगा।
प्रांजल काफी देर तक सर्च करने का काम करती रही। इसके बाद उसने कहा, "मिल गई थोड़ी बहुत डिटेल। यह एनए एजेंसी में काम करता है जो किसी इंस्टिट्यूट की तरह है, आजकल इस प्रकार की एजेंसियों का चलन चला है, इसमें स्टडी वगैरह का भी काम होता है और एजेंट खतरनाक मिशन और ट्रेनिंग वाला काम भी। हाँ, वो बात अलग है यहाँ पढ़ने वाले एजेंट ही होते हैं, या तो करंट या फिर आने वाले टाइम में।"
"और वह काम की चीज मिली जो हम चाहिये थी, तुम्हारे पापा का इसमें कनेक्शन?"
"वही ढूँढ रही हूँ।" प्रांजल आगे भी सर्च करने का काम करने लगी।
आगे उसने कुछ देर तक सर्च किया और फिर खुशी से उछल पड़ी। "यीइइइ! बन गई बात। एनए एजेंसी 10 एजेंसियों के एक ग्रुप में आती है, और मेरे पापा ने जो शेयर खरीदे हैं वो इसी ग्रुप के हैं, यानी वह इन 10 एजेंसियों में डिसीज़न लेने का हक़ रखते हैं, उफ्फ... दी... अब देखना मेरे गुणगान गाना नहीं छोड़ेगी। मैं प्रियल दी को निक से मिलाकर ही रहूंगी।" वह खुशी के मारे ही सोफ़े पर खड़ी हो गई थी। उसने लैपटॉप अजुन को पकड़ाया और तुरंत फ़ोन कॉल की ओर बढ़ी।
यूएसए के एक आलीशान घर में फ़ोन की घंटी बार-बार बज रही थी। घर की मालकिन, जिनका नाम प्रियंका दत्ता था, वह किचन में कोई जरूरी काम कर रही थी। उन्होंने जल्दी-जल्दी में काम निपटाया और फिर तुरंत अपने मोबाइल की तरफ़ दौड़ी। वहाँ पहुँचते ही उसने फ़ोन उठाया, जिसके दूसरी ओर प्रांजल की आवाज़ गूँजी।
"हेलो मम्मा!" प्रांजल ने फ़ोन उठते ही कहा, "आप ऐसे कौन से काम में बिजी थीं जो अपनी बेटी का फ़ोन नहीं उठा सकीं। मैं यहाँ इंडिया में आ गई हूँ तो लगता है आप मुझे भूल ही गईं। आपको याद ही नहीं आपकी कोई बेटी भी है।" प्रांजल ने जानबूझकर इमोशनल अटैक किया।
"अरे किचन का काम कर रही थी," प्रियंका दत्ता ने कहा, "इसलिए मुझे फ़ोन उठाने में देरी हो गई। और कोई माँ अपनी बेटी को नहीं भूल सकती, चाहे वह उसके पास रहे, चाहे उससे सात समुंदर दूर, समझी?"
"हाँ हाँ समझ गई, कैसी हैं आप, और डैड कैसे हैं?"
"मैं भी ठीक हूँ और तुम्हारे डैड भी ठीक हैं। तुम बताओ तुम कैसी हो?"
"मैं भी ठीक हूँ मम्मा।" दोनों ने कुछ हल्की-फुल्की बात की। इसके बाद प्रांजल अपने मेन मुद्दे पर आई और बोली, "अच्छा मम्मा मुझे आपसे कुछ कहना था, कहना था नहीं, बल्कि मुझे आपसे कुछ चाहिए था। आपकी छोटी बहन प्रियल, आई मीन हम सबकी जान प्रियल, उसे ज़िन्दगी में पहली बार कुछ चाहिए, और उसे जो भी चाहिए वह आप और पापा उसे आसानी से दे सकते हो।"
"और वो क्या है?"
"एक एजेंसी है, एनए, यह उन 10 एजेंसियों में आती है जिनके शेयर में पापा ने खरीदे हैं। प्रियल दी का ड्रीम है कि वह इस एजेंसी में जॉइनिंग ले। ड्रीम नहीं, बल्कि सबसे बड़ा ड्रीम कहिए, और चाहे कुछ भी हो जाए आपको और पापा को उसे इस एजेंसी में लगवाना है।"
"बस इतनी सी बात?" प्रियंका दत्ता ने सुना तो सामने से कहा, "हो जाएगा। मुझे उनके काम के बारे में ज्यादा तो नहीं पता, लेकिन मुझे इतना ज़रूर पता है कि अथॉरिटीज़ मेंबर होने के कारण वह हर साल दो या तीन लोगों को इन दस एजेंसियों में से किसी भी एजेंसी में भर्ती करवा सकते हैं। उनके रेफरल वाले कैंडिडेट को काफी स्ट्राँग बेनिफ़िट मिलता है। तुम्हारा काम हो जाएगा।"
"वाह सच मम्मा!!" प्रांजल ने खुशी दिखाई और दुबारा अपनी जगह पर जोर-जोर से उछलने लगी। उसने अपने फ़ोन को पकड़ा और उसे चूमने भी लगी। "लव यू मॉम, लव यू मॉम, लवववववववव यू..." उसने ढेर सारे बार प्यार की बौछार की और फिर फ़ोन काट दिया। फ़ोन काटने के बाद उसने अजुन की तरफ़ देखा और कहा, "अब प्रियल दी को निक का होने से कोई नहीं रोक सकता, कोई भी नहीं, मतलब कोई भी नहीं..."
अजुन और प्रांजल दोनों प्रियल के सामने खड़े थे। प्रियल उन दोनों के सामने बेड के ऊपर पलथी मारकर बैठी हुई थी। सभी एक-दूसरे के चेहरों को ताक रहे थे।
"अब तुम दोनों कुछ बोलोगे भी या ऐसे ही मुझे देखते रहोगे? मुझे देखने के लिए तुम दोनों ने मुझे नींद से जगाया था क्या?"
"नहीं।" अजुन फुसफुसाता हुआ बोला, "हमने तो तुम्हें इसलिए नींद से जगाया था कि कहीं तुम सपनों में ही निक से मिलने न पहुँच जाओ।"
प्रांजल और प्रियल दोनों ही अजुन को घूर-घूर कर देखने लगे। "वो दी..." प्रांजल बोली, "एक्चुअली... बात यह है... बात यह है कि..." प्रांजल ने सब कुछ प्रियल को बिना बताए किया था जिसकी वजह से वह बताते हुए हिचकिचा रही थी। "बात यह है कि हमने आपके निक से मिलने का इंतज़ाम कर दिया।"
"क्या!!" प्रियल शॉक्ड हुई और अपनी जगह से खड़ी हो गई। "कैसे?"
"वो, आपको पता है ना पापा एजेंसियों के एक अथॉरिटीज़ मेंबर हैं, उनके पास इनके कुछ शेयर हैं जो उन्हें डिसीज़न लेने का अधिकार देते हैं, निक जिस एजेंसी में काम करता है उनके शेयर भी पापा के पास हैं, वो यहाँ के भी डिसीज़न ले सकते हैं, हमने यहाँ आपकी जॉइनिंग की बात उस एजेंसी में कर दी जहाँ निक काम करता है।"
"ओह नहीं, मतलब तुमने मम्मा को इस बारे में बता दिया। वह मुझे पागल कहेंगी, बोलेंगी एक लड़के के लिए कोई..."
"दी, हमने उन्हें यह थोड़ी ना बताया है कि आप निक की वजह से वहाँ लगना चाहती हैं, हमने यह कहा है कि उस एजेंसी में लगना आपका ड्रीम है, सबसे बड़ा वाला ड्रीम।"
"पर फिर भी, किसी एजेंसी में जाकर एजेंट बनना छोटा-मोटा काम नहीं होता, काफी टफ प्रोसेस होता है, हैवी ट्रेनिंग होती है, इतना सब कुछ कैसे मैनेज करूँगी? तुम लोग मुझे मरवाओगे। कुछ भी करने से पहले एक बार मुझसे पूछ तो लेते?"
"लो कमाल है मैडम," अजुन बोला, "अब आप क्या चाहती हैं, कोई जादू की परी आए आपसे पूछे आपको क्या चाहिए आप बोले मुझे निक दे दो और वह निक देकर चली जाएगी, ऐसा थोड़ी ना होने वाला है, उसे पाने के लिए आपको कुछ कष्ट तो उठाने ही पड़ेंगे, ओह मेरी शुद्ध हिंदी फिर से वापस आ गई।"
"दी, अगर आपको सही नहीं लग रहा तो मैं उन्हें यह करने के लिए मना कर देती हूँ, अभी भी ज्यादा देर नहीं हुई, सॉरी।" प्रांजल इतना कहकर दरवाजे की ओर मुड़ गई और जाने लगी। उसके चेहरे पर सैडनेस थी।
"रुको एक मिनट।" तभी प्रियल ने उसे रोका, जिसके बाद प्रांजल रुक गई। थोड़ी देर के लिए सन्नाटा सा छा गया। इसके बाद प्रियल बोली, "अब कह दिया है तो देख लेंगे, कर लेंगे मैनेज।" यह बात उसने नॉर्मल एक्सप्रेशन में कही थी। इसके बाद वह उछली और अपने फुल एक्साइटमेंट में कहा, "ओह गॉड, तुम दोनों ग्रेट हो यार!!" और कूदकर प्रियल और अजुन के गले लग गई।
"प्रियंका जी, भले ही प्रियल आपकी छोटी बहन है, लेकिन मैंने प्रियल और प्रांजल में कभी भेदभाव नहीं किया। जब प्रियल पैदा हुई थी, तब आपकी मम्मी की डेथ हो गई थी और पापा जी तो प्रियल के जन्म के तीन महीने पहले ही... तब से मैंने प्रियल को अपनी बेटी की तरह ही पाला है। आज तक उसे किसी भी बात की कमी नहीं होने दी है। माना मैंने कुछ गलतियाँ की हैं... पर प्यार मैं भी करता हूँ। पर अब वह जो चाहती है वह नहीं हो सकता। यहाँ इंस्टिट्यूट में एडमिशन लेने में बहुत खतरा है। आप नहीं जानते एक एजेंट को किन-किन खतरों का सामना करना पड़ता है। और प्रियल, वो तो इसके एलिजिबल भी नहीं है। कोई उसे एक्सेप्ट भी नहीं करेगा एजेंसी में।" प्रभास दत्ता प्रियंका जी के ठीक सामने बैठे थे।
प्रियंका जी ने अभी-अभी प्रियल के एडमिशन की बात की थी जिसके बाद उसे यह जवाब सुनने को मिला था।
"योग्य नहीं है तो हो जाएगी ना।" प्रियंका जी ने कहा, "इनमें पहले ट्रेनिंग भी तो दी जाती है। जो भी कमी-कमी होगी वह वहाँ ठीक हो जाएगी। और रही बात खतरे की, तो वह तो हर जगह होता है।" उन्होंने सामान्य अंदाज में अपनी बात पूरी की। इसके बाद नाराज़ पत्नी वाला मुँह बनाया और बोली, "देखिए मैं कुछ नहीं जानती, मैंने मम्मी जी से प्रॉमिस किया था मैं कभी प्रियल को किसी चीज की कमी नहीं होने दूँगी।"
"मैं भी नहीं होने दूँगा, लेकिन अभी वह जो कह रही है यह पॉसिबल नहीं होगा।"
"मैं कुछ नहीं सुनने वाली, आपको मेरी बात माननी पड़ेगी।" प्रियंका जी पूरे नाराज़ होने वाले मूड में आ गईं।
मि. दत्ता जानते थे कि प्रियंका जी से बहस करने का कोई तुक नहीं है। उनके लिए प्रियल सब रिश्तों से बढ़कर है। प्रियल के मामले में वह किसी बात को भी नहीं मानती। इस बात को सोचते हुए उन्होंने कहा, "ठीक है... मैं देखता हूँ, मुझसे जो पॉसिबल होगा मैं वह करने की कोशिश करूँगा।" इसके बाद वह अपनी जगह से खड़े हुए और बाहर की ओर चल दिए। बाहर मेन डोर को क्रॉस करने के बाद वह रुके और बोले, "इन्हें क्या लगता है कि मैं प्रियल का एडमिशन यहाँ पर होने दूँगा? कभी नहीं। पता नहीं प्रियंका को नहीं समझती है एक बहन, बहन होती है। और अपने-अपने। एक बार प्रियल की ग्रेजुएशन कंप्लीट हो जाए, फिर एक अच्छा सा लड़का देखकर उसकी शादी करवा दूँगा। दूर रहेगी तो पीछा छूटेगा। वरना प्रियंका को समझाना तो नामुमकिन है। प्रियल की शादी के बाद प्रांजल को भी यहाँ बुला लूँगा।" फिर वह आगे बढ़े और अपनी गाड़ी की ओर चल दिए।
यूएसए,
होटल पाइन क।
रात के बारह बजे थे। होटल में हल्की-फुल्की चहल-पहल थी। एवा नाम की लड़की होटल के ऑफिस में बैठकर अपने काम को निपटाने की कोशिश कर रही थी। वह यहाँ काम नहीं करती थी; वह सिर्फ निक की दोस्त के तौर पर उसके काम में मदद करती थी। उसके बाल सामने से हल्के पिंक रंग के थे। तभी एक लड़का वहाँ आया, जिसका नाम अंकित था। उसने आते ही कहा,
"अभी तक नहीं हुआ तुम्हारा काम? मैं कब से वेट कर रहा हूँ यार, ऐसे ही तो तुम अगले जन्म में आओगी?"
"बस यार, होने वाला है।" एवा बोली, "ये निक भी ना... मैं खुद का बिज़नेस स्टार्ट करना चाहती हूँ, लेकिन उसके इस होटल मैनेजमेंट से फुर्सत मिले तो कुछ करूँ ना। ऊपर से मैं तो काम भी नहीं करती यहाँ।"
"हाँ, वह बिजी बंदा है, फुर्सत नाम का शब्द तो उसकी डिक्शनरी में भी नहीं है। कभी इंस्टिट्यूट में ट्रेनिंग, कभी मीटिंग में, यहाँ होटल में भले ही कम आए, मगर इसके भी काम रहते हैं। तुम अच्छे से जानती हो उसे।"
"हाँ, यही वजह है मैं उसे कुछ कहती नहीं हूँ।" एवा ने कहा, "वरना मेरे बस में होती तो मैं उसके काम को छोड़कर ऐसे भागती कि फिर ढूँढे भी ना मिलती।"
वह दोनों बात कर ही रहे थे कि तभी दो और लोग वहाँ आ गए—रॉन और एविलन। रॉन निक का कलीग था, जबकि एविलन उसकी क्लोज फ्रेंड, काफी ज़्यादा क्लोज फ्रेंड।
रॉन ने आते ही एवा पर टोंट मारते हुए कहा, "यह देखो हमारी लिटिल एवा, सबसे छोटी है मगर सबसे ज़्यादा काम करती है।"
"हाँ भाई, सब तुम्हारे दोस्त की मेहरबानी है।" एवा ने अपनी नज़र कंप्यूटर स्क्रीन में गड़ा रखी थी। उसने उसी तरफ़ ध्यान रखते हुए कहा।
"बड़ी वाली मेहरबानी कहो निक की, वह तुम्हें इसके लिए तनख़्वाह भी देता है या नहीं?" उसने मज़ाक वाले अंदाज़ में पूछा।
एवा ने उसकी तरफ़ देखा और बाल झटकाते हुए कहा, "इसकी तो कोई कमी नहीं रखी कभी, अपना कार्ड ही उसने मुझे दे रखा है, जब जितने चाहो उतने खर्च कर लो, घर भी मेरे हवाले है।"
जिनी बोली, "वैसे तुम्हारा काम है भी अच्छा, यह होटल तुम्हारे काम की वजह से काफी अच्छा चल रहा है। निक यहाँ कम आता-जाता है मगर इसके बावजूद इसका अच्छा नाम है।"
एवा ने एक हल्की सी मुस्कान दी। एविलन ने इसे एक्सेप्ट किया और पूछा, "वैसे वह है कहाँ? दिखाई नहीं दिया, मैसेज या कॉल का भी रिप्लाई नहीं किया। वह खुद कर ले, इसके बारे में तो सपने में भी नहीं सोच सकते, उसे इन सब की आदत नहीं है।"
"आ..." एवा याद करते हुए बोली, "मुझे इस बारे में कुछ पता नहीं है। आखिरी बात दोपहर को हुई थी। तब वह स्ट्रेस में लग रहा था। मैगज़ीन में उसके इंटरव्यू को गलत तरीके से दिखाया गया था जिसकी वजह से वह गुस्से में था। इसने उसकी कुछ पुरानी यादें भी ताज़ा कर दी होंगी, मुझे यही लग रहा है, जिसका असर उसे उसके स्ट्रेस फ़ॉर्म में देखकर मिल रहा है।"
"मुझे नहीं लगता ऐसा कुछ हुआ होगा।" एविलन ने कुर्सी संभाली और अपना फ़ोन उस पर रखते हुए कहा, "यह सात साल पहले की बात है। अब तक तो वह उसे भूल गया होगा।"
"अपना निक चीजों को इतनी आसानी से भूलता कहाँ है।" एवा ने सुस्ताए अंदाज़ में कहा, "अगर वह भूल चुका होता तो आज उसकी नई गर्लफ्रेंड होती। तुम भी उसकी बेस्ट से बेस्ट फ्रेंड ही बनी हो, गर्लफ्रेंड जैसी हो मगर गर्लफ्रेंड नहीं हो।"
एविलन के चेहरे पर सैडनेस सी आ गई। रॉन ने एविलन को सैड होते हुए देखा तो उसने माहौल को बदलने के लिए बोला, "तुम सब भी कहाँ पुरानी बात लेकर बैठ गए? जो चीज अब है ही नहीं, उसे क्यों याद करना और क्यों उसकी बात करना? अच्छा मैं कह रहा था, ट्रिप आने वाली है, कोई ट्रिप प्लान करो इस बार..."
ट्रिप की बात छिड़ते ही सब इस बारे में बात करने लगे। मगर जिनी का ध्यान इन सब में नहीं था। एवा ने जो भी बात कही थी, वह उसके दिमाग में घूम रही थी। उसने फ़ोन उठाया और निक को मैसेज किया, जिसमें पहले भी कई सारे मैसेज उसकी ओर से गए हुए थे, जिनका रिप्लाई नहीं आया था। "वेयर आर यू..." इस मैसेज के जाते ही सारे मैसेज सीन हुए और रिप्लाई आया, "एट माई होम, अभी घर लौटा हूँ।"
एविलन ने यह मैसेज पढ़ा और फिर फ़ोन ऑफ करके वहाँ से चली गई। बाकी सब अपनी बातों में व्यस्त थे, तो उनमें से किसी ने भी उसके जाने पर ध्यान नहीं दिया।
एविलन की गाड़ी तकरीबन एक घंटे बाद निक के घर के सामने जाकर रुकी। निक का घर आलीशान था। सामने पार्क बना हुआ था और फिर उसके बाद मेन घर आता था। पार्क में डेकोरेटेड फूल, झूला और एक स्विमिंग पूल बना हुआ था। एविलन घर के पास पहुँची और दरवाज़ा खोलकर अंदर चली गई। रात के लगभग एक बजे थे। निक सोफ़े पर बैठकर खाना खा रहा था।
"एविलन, तुम यहाँ? इतनी रात को!!" निक ने उसे देखते ही हैरान होते हुए कहा।
"क्यों, आ नहीं सकती क्या मैं?" एविलन गुस्से में बोली। उसने अपना बैग वहीं पटक दिया।
"आ सकती हो, तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड हो तो किसी तरह की रोक-टोक नहीं, मगर फिर भी इतनी रात को, इस वक़्त रात के एक बज रहे हैं, डू यू नो अबाउट इट?"
"मुझे तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी थी।" एविलन बोली और बिल्कुल उसके पास जाकर बैठ गई। "मुझे यह बात अभी करनी थी, इसलिए मैं खुद को रोक नहीं पाई।"
"तुम फ़ोन पर भी कर सकती थी, या मैसेज में टाइप कर देती।" निक खाना खाने लगा।
"मुझे फ़ेस टू फ़ेस ही करनी थी।" एविलन ने दोबारा गुस्से में कहा।
"हाँ, बोलो, सुन रहा हूँ।" निक ने खाते हुए जवाब दिया।
"क्या तुम अभी तक ऐली को नहीं भूले? पूरे सात साल हो गए हैं उस घटना को, क्या वह तुम्हें अभी भी याद है?"
"तुम ऐसा क्यों लगता है? मैं इन बीती घटनाओं को कब का भूल चुका हूँ। ऐली के बारे में मुझे अब यह भी याद नहीं कि वह थी कौन।"
"अगर ऐसा है तो तुमने मुझे एज़ ए गर्लफ्रेंड क्यों नहीं स्वीकार किया? क्यों तुमने मुझे अभी तक बस अपनी बेस्ट फ्रेंड बना रखा है?"
"बेस्ट फ्रेंड नहीं, बिलकुल बेस्ट से भी बेस्ट वाला फ्रेंड। और तुम गर्लफ्रेंड बनना ही क्यों है? क्या कमी है हमारे रिश्ते में? सारी फीलिंग तो सेम हैं। बस सेक्सुअल रिलेशन नहीं है हमारे बीच में, बाकी सब चीज तो गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड जैसी है। किस तक कर लेते हैं हम एक-दूसरे को।"
"हाँ, लेकिन इसका कोई स्टेटस नहीं बन रहा। जब तक हमारे रिश्ते को कोई नाम नहीं मिलेगा, तब तक हम कुछ भी कर लें, वह बेमतलब ही रहेगा।"
"बेमतलब के रिश्ते नाम के रिश्तों से ज़्यादा चलते हैं। अगर हमने इसे नाम दिया तो मुझे नहीं लगता हमारा रिश्ता एक दिन से भी ज़्यादा टिकेगा। गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड वाले रिश्तों में लड़ाई के अलावा और कुछ नहीं मिलता।"
"मुझे लड़ाई चलेगी, मगर मुझे हम दोनों के रिश्ते को एक नाम देना है। तुम मुझे एज़ ए गर्लफ्रेंड एक्सेप्ट करना होगा।" एविलन ने कहा और निक के और क्लोज हो गई। निक ने उसकी तरफ़ देखा तो वह उसे किस करने के लिए गई, मगर निक ने अपनी अंगुली उसके होंठों पर रख उसे रोक लिया।
"तुम ज़बरदस्ती कोई रिश्ता नहीं बना सकती। मैं तुम्हें अपनी ज़िन्दगी में सिर्फ़ और सिर्फ़ एज़ ए बेस्ट फ्रेंड रखना चाहता हूँ, बेस्ट से भी बेस्ट फ्रेंड। अगर तुमने इस रिश्ते को आगे बढ़ाने की कोशिश की तो मेरा ईगो और मेरा एटीट्यूड बीच में आ जाएगा, जो तुम्हारे लिए सही नहीं रहने वाला।"
"अगर तुम्हारा ईगो और एटीट्यूड बीच में आएगा तो मेरी भी ज़िद बीच में आएगी। मुझे अब अगर तुम्हारी लाइफ़ में रहना है तो एज़ ए गर्लफ्रेंड ही रहना है, वरना हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं रहेगा; दोस्ती वाला भी नहीं।"
"तुम यह गलत कर रही हो। किसी को भी ऐसे मज़बूर नहीं किया जा सकता।"
"मैं तुम्हें मज़बूर नहीं कर रही। जब भी कोई कहता है तुम उसकी बेस्ट से बेस्ट फ्रेंड तो हो, मगर कभी गर्लफ्रेंड नहीं बन पाई, तो मुझे लगता है तुम्हारे लिए मेरे कोई मायने नहीं। कॉल और मैसेज भी तो मैं खुद से करती हूँ। तुम्हारी ओर से मुझे फ्रंट रिस्पांस कभी नहीं मिला।"
"तुम जानती हो मुझे इसकी आदत नहीं।"
"आदत नहीं है, लेकिन कोई भी अपने बेस्ट से बेस्ट फ्रेंड को ऐसे इग्नोर नहीं कर सकता। यह करना भी यही दिखाता है कि तुम्हारे लिए मेरे कोई मायने नहीं हैं। तुम अपनी आदत मुझसे ज़्यादा पसंद करते हो।"
"तुम बेफ़िज़ूल की बात कर रही हो। तुम मेरे लिए कितने मायने रखती हो, कितने नहीं, यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती हो। लड़कियों के मामले में मैं सबसे ज़्यादा तुमसे ही कनेक्टेड हूँ। मेरी लाइफ़ की चाहे कोई भी बात हो ना हो, उसके बारे में सबसे पहले तुम ही पता चलता है। इसके बाद मुझे नहीं लगता मुझे यह प्रूफ़ करने की ज़रूरत है कि तुम मेरे लिए क्या मायने रखती हो।"
"मगर निक..." एविलन ने खुद में ही उलझते हुए कुछ कहने की कोशिश की, मगर निक ने उंगली को अबकी बार उसे चुप कराने के लिए उसके होंठों पर रख दी।
"ईव... अब आगे कुछ मत कहो।" निक बोला, "इस बार तुमने ये सब कह दिया, मगर आज के बाद कभी मत कहना। तुम मेरे लिए इम्पॉर्टेन्ट हो और हमेशा रहोगी, भले ही तुम इसे मानो या ना मानो।" इसके बाद उसने घड़ी की तरफ़ देखा और कहा, "रात बहुत हो गई है, तो तुम अब जानी चाहिए। बाकी की बात हम कल इंस्टिट्यूट में कर लेंगे।"
एविलन ने घुली-मिली सी मुस्कान दी, जिसमें संतुष्टि भी थी और नहीं भी थी, और फिर निक को हग किया। निक ने भी उसे हग किया, जिसके बाद वह वहाँ से चली गई। उसके जाने के बाद निक कुछ देर तक दरवाज़े की तरफ़ देखता रहा। इस दौरान उसके चेहरे पर नॉर्मल एक्सप्रेशन थे, इसके बाद उसने मुँह फेरा और उसके साथ ही उसके चेहरे के एक्सप्रेशन बदल गए। वह थोड़ा सैड हो गया था। उसने अपने इस एक्सप्रेशन में कहा, "मैं बस उसी का हूँ, इसके अलावा मैं और किसी का नहीं हो सकता। तुम्हारा भी नहीं... और किसी और का भी नहीं।"
सुबह हो चुकी थी। प्रियंका दत्ता अपने घर में किचन का काम कर रही थी। काफी सारा काम करने के बाद उन्होंने अपने हाथ साफ़ किए और डाइनिंग टेबल की तरफ़ बढ़ी। तभी घर का दरवाज़ा खुला और प्रभास दत्ता घर के अंदर आए। उन्होंने अपना कोट सोफ़े पर रखा और प्रियंका दत्ता की ओर चले। वहाँ उन्होंने उनसे कहा, "मैंने अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश की, मगर कुछ नहीं हो पाया। प्रियल के डॉक्यूमेंट्स पूरे नहीं हैं, जिसकी वजह से उसका एडमिशन रेफ़रल कैंडिडेट के तौर पर कभी नहीं हो सकता, जबकि इसके अलावा उसके एडमिशन के लिए मेरे पास और कोई रास्ता नहीं है। एम सॉरी फॉर दैट, मुझे माफ़ कर देना।" इतना कहने के बाद उन्होंने प्रियंका दत्ता के कंधे पर हाथ रख सांत्वना दी और वहाँ से चले गए। जबकि प्रियंका दत्ता के चेहरे पर निराशा के भाव छा गए थे।
अजुन, प्रियल और प्रांजल डिनर बना रहे थे। प्रांजल के फ़ोन पर प्रियंका जी का कॉल आया, तो वह बात करने के लिए दूसरे कमरे में चली गई।
अजुन प्रियल को परेशान करने के लिए उस पर पास पड़ी सब्जियां फेंक रहा था।
"अजुन..! क्या कर रहा है तू? पागल हो गया है क्या?" प्रियल ने इरिटेट होकर कहा।
"तू निक को पटाने USA जा रही है, तो क्या पता कल को दोनों गुपचुप शादी कर लो और मुझे ना बुलाओ। तो सोच रहा हूँ अभी से तुम पर फूल बरसा दूँ। अब घर पर कहाँ फूल मिलेंगे? तो फूल नहीं तो, ये फूलगोभी ही सही।" कहकर
अजुन ने पास पड़ी फूलगोभी को प्रियल के सिर पर जोर से मार दी।
"ओ हेलो? मैं वहाँ पढ़ने जा रही हूँ, निक को पटाने नहीं!"
"ये झूठ किसी और के लिए बचाकर रखना। हम तो अच्छे से जानते हैं ना कि तू उसी के लिए वहाँ जा रही है। अच्छा,
प्रियल..! अगर तुझसे निक ना पटा, तो तू डिस्अपॉइंट मत होना। हम कोई तेरे जैसा ही पागल लड़का देखकर तेरी उससे शादी करवा देंगे।"
अजुन की बात सुनकर प्रियल और गुस्से से भर गई। वह हाथ में बेलन लेकर उसे मारने के लिए दौड़ी।
"अरे कोई बचाओ! यह लड़की मुझे बेलन से मार रही है। खुलेआम एक अबला पुरुष पर घरेलू हिंसा की जा रही है।"
अजुन भागते हुए बोला।
"इस अबला पुरुष का आज मैं इस बेलन से तबला नहीं बजा दिया, तो मेरा नाम भी प्रियल नहीं।"
प्रियल हॉल में अजुन के पीछे भाग रही थी। जबकि प्रांजल प्रियंका जी से बात करके उदास हो गई थी। उनसे बात करके उसके चेहरे पर निराशा थी।
"अब मैं प्रियु दी को क्या जवाब दूँगी? मैंने उन्हें बोल दिया था कि अब उन्हें निक से मिलने से कोई नहीं रोक सकता, लेकिन अब जब उन्हें पता चलेगा कि उनका एडमिशन वहाँ नहीं हो सकता, तो उन्हें बहुत बुरा लगेगा। उन्होंने तो निक से
मिलने के लिए बहुत सपने बुन लिए थे।" प्रांजल बाहर जाने के बजाय वहीं पर बैठकर सोचने लगी कि वह प्रियल को इन सब के बारे में कैसे बताए।
"कब तक ऐसे ही बैठी रहूँगी? आज नहीं तो कल मुझे दी को इस बारे में बताना ही पड़ेगा।" कहकर प्रांजल बाहर हॉल में आई जहाँ प्रियल और अजुन टीवी देख रहे थे। प्रियल निक की एक झलक पाने के लिए पिछले दो दिनों से टीवी में US न्यूज़ सुन रही थी। उसने इंटरनेट पर उपलब्ध निक से जुड़े सारे वीडियो देख लिए थे। अजुन को मजबूरन उसके पास बैठा पड़ा था।
प्रांजल उन दोनों के पास आई और कहा, "एक बुरी खबर है, मुझे नहीं पता मैं यह कैसे कहूँ कैसे नहीं, हमारी किस्मत, लगता है यह कुछ ज़्यादा ही खराब है।"
अजुन और प्रियल दोनों उसकी तरफ पलटे। अजुन ने पूछा, "क्या, क्या हुआ?"
"मम्मा का फोन आया था, वो बोली प्रियल के डॉक्यूमेंट्स पूरे नहीं हैं, डॉक्यूमेंट्स पूरे होने वाली बात अच्छे से समझ नहीं आई, शायद उनके कहने का मतलब था, कि दी इनएलिजिबल है।"
"क्या..." अजुन हैरानी से बोला, "क्या, क्या खराबी है इसमें? चंगी-बली तो है हमारी प्रियल?"
"मैं नहीं जानती।" प्रांजल ने कहा और दुखी होकर वहीं सोफ़े पर बैठ गई। "मुझे लगा था सब हो जाएगा। मैं कितनी खुश थी। प्रियल निक से मिलने वाली थी मगर अब यह सब।"
प्रांजल और अजुन दोनों ही इस बात से खुश नहीं थे। प्रियल को तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था वह क्या कहे। वह भी धड़ाम से अपनी जगह पर बैठी और बोली, "छोड़ो ना, जो होना है वह तो होना ही है, शायद हमारी किस्मत में मिलना
लिखा ही नहीं, वो..." उसके शब्द अपनी जगह पर रुक गए। उसके चेहरे से लग रहा था जैसे वह किसी भी पल रो देगी। मगर उसने उसे कण्ट्रोल किया और बोली, "ये बस एक अट्रैक्शन था, जो अक्सर टीवी में किसी हीरो को भी देखकर हो
जाता है, इसका मतलब यह थोड़ी ना है कि वह हीरो हमारा हो जाएगा या हम उसके, ऐसा कभी पॉसिबल नहीं हो पाता।" इसके बाद वह अपनी जगह से खड़ी हुई और तेज़ी से कमरे की ओर चल दी। वहाँ जाते ही उसने दरवाज़ा बंद किया और
जिस रोने वाले एक्सप्रेशन को वह अपने कण्ट्रोल में कर रही थी वह उसके कण्ट्रोल से बाहर हो गया। वह वहाँ रो पड़ी।
प्रांजल ने अजुन से कहा, "मुझसे यह देखा नहीं जा रहा, पहले दी की एक्साइटमेंट नहीं बर्दाश्त हो रही थी और अब उनका यह दुःख, चाहे कुछ भी हो जाए, भले मुझे दूसरे तरीके से काम करना पड़े, मैं कुछ भी करके प्रियल को वहाँ भेजकर रहूंगी।"
"मगर अब तुम क्या करोगी, उनकी ओर से तो मना हो गया ना।"
"पता नहीं, लेकिन कोई न कोई दूसरा रास्ता ज़रूर मिल जाएगा।" प्रांजल ने कहा और फिर आँख बंद कर प्रार्थना करने वाले अंदाज़ में अपने दिल को टच किया।
कॉलेज की क्लास के बाद सभी बाहर आ गए। प्रियल का हमेशा से रूटीन था क्लास के बाद वह कम्पाउंड में आकर बैठती थी। मगर आज वह सीधे ही बाहर की ओर निकल गई। प्रांजल और अजुन दोनों ने उसे बाहर जाते हुए देख लिया था
जिसके बाद उन्होंने एक-दूसरे के चेहरे की तरफ़ देखकर उदासी दिखाई। इसके बाद वह दोनों ही कम्पाउंड की ओर बढ़े और वहाँ बने बेंच के ऊपर बैठ गए।
"यार अगर हम ऐसा करें कि इसका ध्यान निक से भटका दें तो कैसा रहेगा?" अजुन ने पूछा।
"इससे क्या होगा?" प्रांजल ने उसकी तरफ़ देखा।
"इससे वह नॉर्मल हो जाएगी। अक्सर ऐसे अट्रैक्शन चार-पाँच दिन तक ध्यान भटक जाए तो ख़त्म हो जाते हैं।"
"यह दी के नेचर में ही नहीं है, उनके साथ ऐसा कभी नहीं हुआ, उन्हें जो चीज पसंद आ जाती है वह बस आ जाती है।" "तो हम उसकी पसंद बदल देते हैं। उसे कोई और लड़का पसंद करवा देते हैं?"
"यह आइडिया भी काम नहीं करने वाला।"
"हाँ तो हम..." अजुन ने आगे बोलने की कोशिश की मगर प्रांजल उसे चुप करवाते हुए बोली, "तुम ना अपने आइडिया ना ही दो तो बेहतर रहेगा। मुझे ही कुछ करने दो।"
प्रांजल ने लैपटॉप निकाला और कुछ सर्च करने लगी। जब तक वह सर्च कर रही थी तब तक अजुन अपने बैग से रूबिक क्यूब निकालकर उसे सॉल्व करने लगा। प्रांजल काफी देर तक लगी रही इसके बाद भी उसने कुछ नहीं कहा। अजुन ने उससे पूछा, "अब तुम क्या कर रही हो?"
प्रांजल बोली, "कोई दूसरा रास्ता ढूँढ रही हूँ।" इसके बाद वह दोबारा सर्च पर लग गई। कुछ देर सर्च करने के बाद उसने कहा, "इंस्टिट्यूट में डायरेक्ट एडमिशन की भी प्रोसेस है। इसके लिए 25 कंट्री के कैंडिडेट अलाउ हैं, जिसमें इंडिया अलाउ है। अपने यहाँ की गवर्नमेंट का उनके यहाँ की गवर्नमेंट से कोई समझौता वगैरह हुआ था जिसके बाद यहाँ के कैंडिडेट को वहाँ की एजेंसियों में डायरेक्ट एडमिशन के लिए अलाउ कर दिया गया था। अमेरिका को जिन देशों से खतरा नहीं उन देशों के सभी कैंडिडेट इसी तरह से अलाउ हैं। मगर बात यह है डायरेक्ट एडमिशन का प्रोसेस बहुत टफ है। मगर बात यह है डायरेक्ट एडमिशन का प्रोसेस बहुत टफ है।"
"कितना टफ?" अजुन ने पूछा।
"प्री-ट्रेनिंग का पूरा तीन महीने का सेशन है, एक अलग जगह पर, जो भी इसमें पास होगा उसी का एडमिशन होगा, बाकियों को बाहर भेज दिया जाएगा।"
"ओह नहीं..."
"एक और प्रॉब्लम है, प्री-ट्रेनिंग के सेशन के लिए हमें उसकी सारी फीस एक साथ भरनी होगी, जो इंडियन रुपीस के
हिसाब से काफी ज़्यादा है।" "लगभग कितनी?"
"लगभग 4 लाख रुपये।" प्रांजल ने कहा और अपना लैपटॉप बंद कर दिया। "पापा वाले रास्ते के बाद यही एकमात्र ऐसा रास्ता है जिसके ज़रिए हम प्रियल को इंस्टिट्यूट भेज सकते हैं।"
"और इसके लिए हमारे सामने दो प्रॉब्लम हैं, पहली 4 लाख रुपये, दूसरी तीन महीने प्री-ट्रेनिंग..," अजुन ने कहा और अपने मुँह पर हाथ रखकर बैठ गया।
प्रांजल और अजुन दोनों को घर आए तकरीबन दो घंटे हो गए थे। हम दोनों परेशान थे और सोफ़े पर बैठकर समस्या कैसे हल की जाए इसके बारे में सोच रहे थे। तभी प्रांजल का फ़ोन दोबारा बजा। उसने फ़ोन उठाया तो उसमें मम्मा लिखा आ रहा था। उसने फ़ोन पिक किया और बात करने के लिए बाहर चली गई। उसके जाने के बाद अजुन अकेला ही समस्याओं को हल करने के बारे में सोचने लगा। थोड़ी देर बाद प्रांजल वापस आई तो फ़ोन अपने हाथ में घुमाते हुए बोली, "हमारे सामने दो नहीं बिल्कुल तीन समस्याएँ हैं, पापा, उन्होंने प्रियल का एडमिशन चंडीगढ़ की फैशन इंस्टिट्यूट में करवा
दिया है, यह कहकर कि यह कैरियर नहीं तो वह उसके लिए कोई और अच्छा कैरियर सिलेक्ट कर लेंगे, फ़ीस भी भर
दी गई है जो रिफंड नहीं हो सकती, प्रियल के पास इसे साइन करने के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं है..." "लो... बस अब इसी की कमी थी।" अजुन ने कहा और वहीं सोफ़े पर पीछे की ओर गिर गया।
प्रांजल ने प्रियल को पूरी बात बता दी। सुबह का समय था और सभी डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाना खा रहे थे।
प्रियल ने पूरी बात सुनी, तो वह उन दोनों का मुँह ताकने लगी।
"मुझे पता था ऐसा ही कुछ होना है, पापा। उनका बिहेवियर हमेशा से मेरे अगेंस्ट ही रहा है। हाँ, लगता नहीं, लेकिन वह ऐसा दिखा देते हैं।" प्रियल ने कहा।
"ऐसा कुछ नहीं है प्रियल," प्रांजल बोली, "जिस तरह से तुम अपने जीजा को अपना पापा समझती हो, उसी तरह से वे भी तुम्हें अपनी बेटी ही समझते हैं। एज सी में एडमिशन ना होने की वजह से वे टेंशन में आ गए होंगे, इसी वजह से बेस्ट करियर ऑप्शन के लिए उन्होंने तुम्हारा एडमिशन चंडीगढ़ इंस्टिट्यूट में करवाया।"
"लेकिन मुझे वहाँ नहीं जाना।"
"हाँ, तुम तो निक के पास जाना चाहती हो।" अजुन आराम से खाना खा रहा था। उसने खाते हुए ही अपनी बात कही।
"नहीं, बात वह नहीं," प्रियल ने अपना चेहरा उसकी ओर किया, "अगर मैं उसके पास नहीं जा पाती हूँ, तो मैं यहाँ तुम लोगों के पास रहना बेहतर समझती हूँ। एक ही वक्त पर दो-दो सदमे सहना मेरे बस की बात नहीं है।"
"और मुझे लगता है तुम्हारे पास इन दोनों ही सदमों को सहने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।" प्रांजल ने अपनी खाने की प्लेट संभाली। "निक के इंस्टिट्यूट के लिए प्री-ट्रेनिंग और तीन लाख रुपये फीस बड़ी मुसीबत है, जबकि चंडीगढ़ इंस्टिट्यूट में तुम्हारे पास ना जाने का कोई ऑप्शन नहीं है। वहाँ की फीस लगभग छह लाख रुपये है, जो पापा ने भर दी है, वह रिफंड भी नहीं हो सकती। पापा को तो कोई फिक्र नहीं होगी, लेकिन मम्मा को मैं इतने बड़े नुकसान की खबर नहीं सुना सकती।"
प्रियल मायूस हो गई। उसने आगे कुछ नहीं कहा जिसके बाद सब खाना खाने लगे। कुछ देर खाना खाने के बाद वह बोली, "प्री-ट्रेनिंग मेरे लिए कोई खास दिक्कत नहीं है, मगर बाकी की दोनों चीजों का सलूशन मेरे पास भी नहीं है।" इतना कहकर वह फिर से पहले जैसी हो गई। वहीँ अजुन और प्रांजल एक-दूसरे को देखने लगे। इसके बाद अजुन ने खाने की प्लेट की ओर देखा और आँखें बंद कर खुद में ही कुछ सोचने लगा।
निक अपने ऑफिस में कुछ जरूरी काम कर रहा था। तभी एविलिन वहाँ आई और उसका गाल चुम लिया। निक ने अपना चेहरा दाईं ओर किया और हल्के गुस्से में कहा, "तुम कितनी बार कहा है ऐसे काम मत किया करो, इंस्टिट्यूट में तो बिलकुल भी नहीं।"
"ओह, मुझे किस बात का डर? मैं तुम्हारी बेस्ट से भी ज़्यादा बेस्ट फ़्रेंड हूँ, मेरे लिए इतनी तो छूट होनी चाहिए।"
"नहीं, इंस्टिट्यूट में किसी के लिए भी किसी तरह की छूट नहीं है।"
"मेरे लिए भी नहीं?" एविलिन ने निराश चेहरे के साथ पूछा।
निक ने उसके निराश चेहरे को देखा और फिर अपना मुँह दूसरी तरफ कर कहा, "हाँ, तुम्हारे लिए भी नहीं है।"
"तो फिर मुझमें और बाकीयों में क्या फर्क रह गया?"
"तुम फर्क पैदा ही क्यों करना चाहती हो?" निक उसकी ओर हुआ और स्ट्रिक्ट अंदाज़ में पूछा। "क्या तुम यह चाहती हो मैं तुम्हें बाकीयों की तरह ट्रीट करूँ? मेरे लिए सब चीज इंस्टिट्यूट में फॉर्मल रहती है और मैं यह कब से करता आ रहा हूँ। मेरे खुद के दोस्त रूल तोड़ते हैं तो मैं उन्हें भी इसके लिए डाँटता हूँ, उन्हें सज़ा भी देता हूँ। अगर मुझे उन्हें उनके किसी काम की वजह से यहाँ से निकालना पड़े तो भी मैं पीछे नहीं हटूँगा। प्रोफेशनल लाइफ और पर्सनल लाइफ, हम कभी इन्हें कम्बाइन नहीं कर सकते।"
एविलिन निक को स्ट्रिक्टली देखकर बिलकुल चुप कर गई। वह कुछ नहीं बोली। वह कुछ नहीं बोली तो निक ने उससे पूछा, "बताओ तुम यहाँ किस काम से आई थी?"
एविलिन ने उतरे हुए चेहरे के साथ कहा, "मैं तुम्हें यह बताने आई थी, मॉम का कॉल आया था। उन्होंने कुछ दिनों के लिए मुझे अपने पास लंदन बुलाया है। शायद अब हम कुछ दिन तक ना मिल पाएँ।" निक के चिल्लाने पर वह थोड़ा उदास हो गई। "मैं तुम्हें बस यहाँ बाय बोलने आई थी, जो तुम्हें अच्छा नहीं लगा।"
निक अपनी जगह से खड़ा हुआ और उसके सामने जाकर उसके कंधे पर हाथ रखा। कंधे पर हाथ रख उसने कहा, "मैं जानता हूँ, मैं जो भी करता हूँ उसके बाद किसी चीज़ के लायक नहीं हूँ, मगर इसके बावजूद तुमने मेरे लिए कभी कोई कमी नहीं रखी। मैं बदलने की कोशिश कर रहा हूँ, लेकिन मेरे लिए यह इतना आसान नहीं है। तुम मुझे समझती हो, तुम्हें यह बात अच्छे से पता है मेरे लिए खुद को बदल पाना कितना मुश्किल है। मैं अपने रूल एंड रेगुलेशन आसानी से कभी नहीं बदल पाऊँगा, तो सॉरी फॉर इट।" फिर उसने एविलिन को गले लगाया और कहा, "मगर तुम यह भी जानती हो, तुम मेरे लिए कितनी इम्पॉर्टेन्ट हो। तुम जाने के बाद मैं तुम्हें मिस करूँगा।"
निक के गले लगने के कारण एविलिन सब भूल गई। उसने भी जवाब में निक को कसकर गले लगाया और कहा, "मैं भी तुम्हें मिस करूँगी।" दोनों थोड़ी देर और गले लगे, जिसके बाद एविलिन वहाँ से चली गई। उसके जाने के बाद निक वापस अपने काम में लग गया।
प्रियल और प्रांजल दोनों तकरीबन बारह बजे के करीब कॉलेज की क्लासेस लगा रहे थे। अजुन सुबह खाने के बाद से गायब था। वह कुछ खास बताकर नहीं गया था। प्रांजल ने इधर-उधर देखा और फिर प्रियल को देखते हुए बोली, "इस अजुन नाम के बन्दे को तो अब तक आ जाना चाहिए था, कहाँ चला गया आखिर यह? सुबह से इसका कोई नामोनिशान नहीं।"
"बंक मार लिया होगा आज उसने..." प्रियल ने अपना ध्यान सामने बोर्ड की तरफ रखा।
"तुम्हें पता है ना वह बंक मारने वाला बंदा नहीं है। मज़ाक-मस्ती खूब कर लेता है, लेकिन ऐसे काम कभी नहीं करता। हम भी छुट्टी कर लेते हैं, मगर इसकी छुट्टी आज तक नहीं हुई।"
"तो आज उसका मन कर गया होगा।" प्रियल नोट्स उतारने लगी।
"पता नहीं कहाँ गया है कहाँ नहीं, जब आएगा तभी पता चलेगा।" प्रांजल बोली और फिर वह भी पढ़ाई की ओर ध्यान देने लगी।
कॉलेज ख़त्म होने के बाद दोनों कम्पाउंड में जाकर अपने बेंच पर बैठ गए। वहाँ प्रियल लैपटॉप पर निक के कुछ पुराने इंटरव्यू देखने लगी, जबकि प्रांजल कॉलेज का ही थोड़ा बहुत काम करने लगी। इतने में अजुन पीछे से आया और आते ही बोला,
"एक गुड न्यूज़ है।"
"ओह, क्या? तुम माँ बनने वाले हो?" प्रियल उसका मज़ाक बनाते हुए बोली।
"नहीं, तू बाप बनने वाली है। लोगों को हमेशा गुड न्यूज़ का यही मतलब क्यों समझ में आता है? अच्छा सुन मेरी बात... तेरा यूएसए के इंस्टिट्यूट में एडमिशन हो गया है।"
यह सुनते ही दोनों अपना काम छोड़ उसकी तरफ देखने लगे। प्रांजल उसे देखते हुए बोली, "तुम पीकर आए हो क्या? क्या बकवास कर रहे हो? इसका एडमिशन कैसे हो सकता है? और फीस...? वह कैसे अरेंज हुई?"
"वह एक्चुअली..." अजुन इतना बोलकर चुप कर गया।
"क्या? आगे भी कुछ बोलो?" प्रियल ने कहा।
"तुम लोगों को पता है ना मेरे पास एक कार थी, मैंने उसे बेच दिया।"
"आर यू मैड?" प्रियल अपनी जगह से खड़ी हुई और एकदम से चिल्लाते हुए बोली, "तुमने ऐसा करने की सोची भी कैसे?"
"तुमने ऐसी स्टूपिड हरकत की!" प्रांजल भी अपनी जगह से खड़े होकर उसे चिल्लाते हुए बोली, "तुम्हारा सच में दिमाग घूम गया है।"
"दिमाग मेरा नहीं, तुम दोनों का घूमा है। मुझे अपनी कार वैसे भी कुछ ख़ास पसंद नहीं थी, फिर पेट्रोल भी तो कितना महँगा हो गया था। कार से ज़्यादा खर्चा तो पेट्रोल पर ही होता है..."
"तुम ना अब बात को घुमाओ मत।" प्रियल ने उसे बीच में टोकते हुए कहा। "चुपचाप कार जहाँ बेची है वहाँ जाओ और जाकर उसे वापस लेकर आओ। नहीं चाहिए मुझे वहाँ एडमिशन। मेरे दोस्तों को यह सब करना पड़े, इसके बारे में तो मैं सपने में भी ना सोचूँ। चलो, लेकर आओ कार।" प्रियल धमकी वाले अंदाज़ में आ गई।
अजुन ने अपनी पीठ पर टंगे बैग को सामने की तरफ किया और उसे खोलकर उसमें कुछ ढूँढने लगा। अगले ही पल उसने उसमें से कुछ प्रिंटेड कागज़ निकाले और प्रियल की तरफ बढ़ा दिए। "शायद तुम लोगों ने मेरी बात ध्यान से सुनी नहीं। मैंने कहा इसका एडमिशन हो गया है, मतलब फीस भरी जा चुकी है, रिफंड होने का कोई चांस नहीं। जब चंडीगढ़ इंस्टिट्यूट की फीस रिफंड नहीं हो सकती, वह तो फिर भी यूएसए का इंस्टिट्यूट है।"
प्रियल ने डॉक्यूमेंट्स पकड़े और उन्हें पढ़ा। उन्हें पढ़ने के बाद वह एकदम से बेंच पर बैठ गई। प्रांजल ने यह देखकर प्रियल से डॉक्यूमेंट्स लिए और उसने भी उन्हें पढ़ा। फिर वह भी खामोश होकर वहीँ बेंच पर बैठ गई। अजुन उन दोनों के सामने आया और बोला, "तुम लोग मेरी कार की फिक्र मत करो। जिस तरह से पिछली बार मैंने ईएमआई पर अपनी कार ली थी, उसी तरह इस बार भी मैं ईएमआई पर अपनी कार दोबारा ले लूँगा। हम तीनों एक-दूसरे के अच्छे दोस्त हैं, हमेशा से एक-दूसरे की मदद करते आए हैं, चाहे वह छोटी मदद हो या बड़ी। प्रियल का करियर, आई मीन जो भी है, मैं, मैं इसका दोस्त होने के नाते यह कभी नहीं चाहूँगा इसकी कोई इच्छा अधूरी रह जाए। हममें से कोई यह नहीं चाहेगा कि हममें से किसी की भी कोई इच्छा अधूरी रह जाए। हमारी दोस्ती... हमारी दोस्ती ऐसी ही है।" प्रियल यह सुनते ही अपनी जगह से खड़ी हुई और अजुन को गले से लगा लिया। वह रो पड़ी थीं। प्रांजल भी अपनी जगह से खड़ी हुई और वह भी दोनों के गले लग गई। कुछ देर गले लगने के बाद सभी एक-दूसरे से अलग हुए और प्रांजल ने कहा, "अब चंडीगढ़ इंस्टिट्यूट का क्या होगा? अगर मैंने पापा को कहा प्रियल वहाँ नहीं जा रही, तो उनका गुस्सा... उनका गुस्सा नहीं संभाला जाएगा। फिर प्रियल यूएस जा रही है, या उसका एडमिशन वहाँ हो गया है, इस खबर के बाद तो भूकंप ही आ जाएगा।"
"तुम्हें पता है मेरा दिमाग यूँ तो चलता नहीं, मगर जब चलता है तब खतरनाक ही चलता है। मैंने एक छोटा सा आईडिया लगाया है जिसके बाद चंडीगढ़ इंस्टिट्यूट वाली प्रॉब्लम भी दूर हो जाएगी।" उसने प्रांजल की तरफ देखा और कहा, "प्रांजल, तुम्हें पता है ना हमारी क्लास में प्रियल शर्मा नाम की ही एक और लड़की है। उसका फादर का नाम भी सेम है। क्लास में दोनों के सेम नाम और सेम फादर नेम की वजह से टीचर भी काफी कंफ्यूज़न में रहते हैं। जब तक वे दोनों की शक्ल ना देख लें, तब तक उनकी कंफ्यूज़न मुश्किल से ही दूर होती है। अगर हम अपनी प्रियल की बजाय उसे चंडीगढ़ इंस्टिट्यूट जाने के लिए मना लें, तो तुम्हारे पिता को कभी पता ही नहीं चलेगा प्रियल क्या कर रही है, या वह कहाँ है कहाँ नहीं।"
"मगर यह जाएगी तो यूएस ही ना, तो वहाँ पापा इसे देख लेंगे नहीं?" प्रांजल ने पूछा।
"तुम्हारे पापा अथॉरिटीज़ में बड़े हैं, इंस्टिट्यूट के हेड नहीं। उनका वहाँ ज़्यादा आना-जाना ही नहीं होगा। अथॉरिटीज़ में बड़े जितने भी डिसीज़न होते हैं, वह बाहर से ही होते हैं, या उनकी मीटिंग होती है वहीँ डिसीज़न लिए जाते हैं, एज सी का कोई लेना-देना नहीं होता है। उन्हें खुद पता नहीं चलेगा, और बताने वाले मामले में हम दोनों ही होंगे, जो उन्हें यह बात कभी नहीं बताने वाले।" अजुन ने प्रांजल को बताया।
प्रांजल सोच में पड़ गई, जबकि प्रियल को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था वह क्या कर रही है। उसने कहा, "मुझे यह सब ठीक नहीं लग..."
उसके यह बोलते ही अजुन ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा, "मेरा यकीन मानो, तुम्हें किसी भी तरह की प्रॉब्लम नहीं होगी। आगे चलकर मैं सब पहले जैसा कर दूँगा। मैंने जो भी सोचा है वह बिलकुल सही सोचा है।"
"पर..."
"पर-वर कुछ नहीं, तुम बस जाने की तैयारी करो।" अजुन ने कहा और अपने चेहरे पर मुस्कान दी। प्रियल कुछ देर तक तो फिर से खुद में ही सोचती रही, मगर इसके बाद वह अजुन के गले लग गई। "थैंक यू सो मच अजुन।" उसने अजुन को कहा। प्रांजल भी अजुन के पास आई और उसके गले लगते हुए कहा, "मेरी ओर से भी एक थैंक यू रख लो।"
"हाँ हाँ, क्यों नहीं? इतने सारे थैंक यू को मैं बैंक में रखकर काफी बड़ा लोन ले लूँगा, और फिर... फिर एक दिन अंबानी बन जाऊँगा।" उसने यह कहा तो सब हँसने लगे।
★★★
दो दिन बाद, इंस्टिट्यूट, यूएसए।
निक अपने ऑफिस में अपनी एक जूनियर जीनिया के साथ प्री ट्रेनिंग के लिए सिलेक्ट हुए स्टूडेंट्स की लिस्ट देख रहा था। जीनिया निक के जूनियर में ही आती थी, जबकि वह रॉन की गर्लफ्रेंड थी।
"निक, जल्दी करो। लिस्ट पूरी देखो और फिर फाइल पर सिग्नेचर करके इसे मुझे दे दो। इस बार प्री ट्रेनिंग के लिए जितने भी स्टूडेंट सिलेक्ट हुए हैं, उनकी ट्रेनिंग का काम मुझे ही संभालना है। अथॉरिटी ने मुझे ट्रेनिंग हेड का जिम्मा दे दिया है। पता नहीं अथॉरिटी क्या चाहती है जो यह प्री ट्रेनिंग के सेशन में मुझे घुसा दिया।"
"वो लोग तुम्हारे काम से खुश हैं।" निक ने पेन निकाला और फाइल पर सिग्नेचर करने लगा। "पिछली बार तुमने चार एजेंट को ट्रेनिंग देने का काम किया था, वो चारों प्रेसिडेंट सिलेक्शन के लिए भी सेलेक्ट हो गए। इस रिजल्ट के बाद वो तो तुम्हें यही चाहेंगे ना कि तुम ऐसे एजेंट और तैयार करो। इससे इंस्टिट्यूट का भी नाम बनेगा, और अथॉरिटी को भी कुछ बेनिफिट होंगे।"
"हाँ, भले ही बंदी की बड़ी बज जाए।" जीनिया ने फाइल ली और सिग्नेचर देखने के बाद उस पर लिखे नाम पढ़ने लगी। "इंटरेस्टिंग!" उसने फाइल देखते हुए कहा। "इस बार इंडिया से सात स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया है, मुझे यह देखकर खुशी हुई। भले ही हम इंडिया में नहीं रहते, मगर हमारे पेरेंट्स इंडियन ही हैं। एक यूएसए की एजेंसी में इंडियन्स की भागीदारी देखकर उस पर प्राउड हो रहा है।"
"हाँ, यह तो है, अपना इंडिया महान है।" निक भी तारीफ करता हुआ बोला।
"हाँ, 50 स्टूडेंट," वह आगे बोली, "टोटल 50 स्टूडेंट हैं और जहाँ ट्रेनिंग होनी है वहाँ सिर्फ 48 स्टूडेंट के रहने का अरेंजमेंट है। जाने दो, स्टूडेंट के अरेंजमेंट में दिक्कत होने वाली है।"
"मुझे तुम पर पूरा भरोसा है। तुम इसे कैसे न कैसे करके मैनेज कर लोगी।"
"हाँ, करना ही होगा। अब इसके अलावा और ऑप्शन भी तो नहीं है मेरे पास। मेरी जान को शांति आनी है और इस शांति को आने से कोई नहीं रोक सकता।" इसके बाद जीनिया अपनी जगह से खड़ी हुई और जाने की तैयारी करते हुए बोली, "चलो, मैं चलती हूँ, जल्द ही मिलते हैं।" इतना कहकर वह चली गई। उसके जाने के बाद निक अपना बाकी का काम करने लगा।
★★★
मुंबई एयरपोर्ट, अगले दिन।
मुंबई एयरपोर्ट पर प्रियल खुद को स्ट्रेसड महसूस कर रही थी। उसने यूएसए जाने का फैसला पक्का तो कर लिया था, मगर वह अभी भी खुद को सेटल नहीं कर पा रही थी। इसके लिए जो भी कुछ करना पड़ा, वह उसकी वजह से घबरा रही थी। उसने अजुन और प्रांजल दोनों को कहा, "प्लीज़ यार, यहां संभाल लेना। कुछ भी गड़बड़ हुई तो पता नहीं क्या होगा, पक्का हम तीनों की गंदी वाली बेज़ज़ती होगी। मम्मा को भी बोल दिया है कि मैं फैशन डिज़ाइनर का कोर्स करने जा रही हूँ। मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है, झूठ बोलने के बाद अंदर से अजीब फील हो रहा है।"
"यार, अब इसके बारे में ज्यादा सोचो मत। जो हो गया सो हो गया। फिर वो लाइन भी तो है, 'कर दिया तो डरना क्या', तुम भी उसे फॉलो करो।" अजुन हँसता हुआ बोला।
"हाँ दी, आप ज्यादा टेंशन ना लो, जो भी होगा हम उसे संभाल लेंगे।" इतना बोलकर वह प्रियल के गले लगी और बोली,
"मैं आपको मिस करूंगी।"
अजुन भी गले लग गया। "और मैं भी।" इसके बाद वह अलग हुआ और ड्रामा करने वाले अंदाज में बोला, "देख प्रियल, अगर वो निक ना माने तो मैं हूँ ना। सिंगल हूँ, कुंवारा भी, तुम मुझे प्रपोज कर देना, मैं कर लूँगा तुझसे शादी।"
प्रियल ने उसे घूरा और बोली, "अजुन, जाते-जाते मार खाने का इरादा है तेरा?"
"ना... ना... अब तुम अपनी मार अपने निक के लिए ही संभाल कर रखो।" अजुन ने कहा और फिर एक मुस्कुराहट दिखा दी। मगर अगले ही पल उसके चेहरे पर उदासी आई और वह फिर से प्रियल के गले लग गया। प्रांजल तो पहले से ही उसके गले लगी पड़ी थी। कोई रो तो नहीं रहा था, लेकिन चेहरों के अंदाज रोने वाले जरूर हो गए थे। प्रियल भारी गले में दोनों से बोली, "मैं तुम दोनों को याद करूंगी।"
तभी एयरपोर्ट पर प्लेन टेक ऑफ का अनाउंसमेंट हुआ। इसके बाद सभी एक-दूसरे से अलग हो गए। फिर सभी ने अपने हल्के आँसुओं को पोछा जो ना रोने के बावजूद उनके चेहरों से निकल आए थे। "चल दी, अब लेट हो रही हो। वरना प्लेन निकल जाएगा।"
"और तुम निक से मिलने का मौका खो दोगी।" अजुन ने प्रियल को कोहनी मारी। इसके बाद दोनों ने अपना सामान प्रियल को पकड़ा दिया। सब एक बार फिर से गले लगे और इसके बाद प्रियल प्लेन के लिए निकल गई। जाते वक्त एक बार के लिए उसने पीछे देखकर दोनों को बाय कहा।
★★★
ट्रेनिंग प्लेस, यूएसए।
प्रियल यूएसए पहुँच चुकी थी। वहाँ पहुँचने के बाद उसने अपना सामान लिया और डायरेक्ट ट्रेनिंग प्लेस के लिए टैक्सी पकड़ी। वहाँ पहुँचने में उसे एक घंटे का टाइम लगा। ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट किसी हॉस्टल की तरह था। तीन और कतार में कमरे बने थे जिनके ऊपर एक और मंजिल थी। बीच में बड़ा सा गार्डन था। सामने वाली कतार के पीछे एक और पार्क था जहाँ काफी सारे पेड़-पौधे थे। वहाँ ऐसे अरेंजमेंट भी थे जिनका इस्तेमाल आम तौर पर अपनी ट्रेनिंग के लिए करती है; कीचड़ वाले गड्ढे, काँटेदार तार, और भी बहुत कुछ। ट्रेनिंग प्लेस में ज्यादा चहल-पहल नहीं थी। प्रियल वहाँ पहुँचकर गार्डन में इधर-उधर देखने लगी। तभी उसे एक लड़की दिखी जो अपने कमरे से बाहर आई थी। वह इंडियन लग रही थी। प्रियल उसे देखते ही उसकी तरफ बढ़ी और पास जाकर उसे पूछा,
"हे, तुम भी इंडिया से हो?"
"हाँ, मैं चंडीगढ़ से हूँ।" लड़की ने उसकी तरफ ध्यान दिया और कहा।
"ओह वाव... मेरा होमटाउन चंडीगढ़ है। लेकिन मैं मुंबई में रहती हूँ और वहाँ पर स्टडी करती हूँ। मेरा नाम प्रियल है और तुम्हारा?"
"मेरा नाम आरोही है। मैं तो बहुत डर रही थी। पर थैंक गॉड कोई तो इंडियन यहाँ पर मिल गया। सुनने में आया है तुम्हारे और मेरे अलावा पाँच और इंडियन स्टूडेंट हैं, मगर वे अभी तक नहीं आए।" आरोही कर्ली बालों वाली लड़की थी। उसका रंग हल्का ब्राउन था, जबकि हेल्थ में वह ठीक-ठाक थी।
"सेम हेयर।" प्रियल ने कहा। "मुझे भी तुम्हें देखकर खुशी हुई। अब यहाँ मुझे पराया वाली फीलिंग भी नहीं आएगी।" इसके बाद वह बोली, "अच्छा, मैं यहाँ अभी-अभी आई हूँ, मुझे नहीं पता मेरा रूम कहाँ है और उसे कैसे ढूँढना है। क्या तुम इसमें हेल्प करोगी? अगर रूम मिल जाएगा तो मैं अपना सामान सेटल कर लूँगी।"
"हाँ, क्यों नहीं?" आरोही ने कहा। "चलो, चलकर तुम्हारा रूम ढूँढते हैं।" इसके बाद वह सामने के गलियारे में चलने लगी। प्रियल अपना काफी सारा सामान गेट के पास ही छोड़ चुकी थी। उसके पास सिर्फ अपना बैकपैक था।
आरोही बोली, "यहाँ एक लिस्ट लगी पड़ी है जिसमें रूम का अरेंजमेंट है। एक कमरे में दो लोग रहते हैं। मैंने यहाँ आने के बाद अपने रूममेट के नाम पर ध्यान नहीं दिया था। होप सो, हम दोनों पार्टनर निकलीं। अगर ऐसा हुआ तो हमारी काफी अच्छी बनेगी।"
"हाँ," प्रियल ने जवाब दिया। "वैसे भी अपनी हिंदी तो हिंदी ही है। इंग्लिश में पटर-पटर मुझसे नहीं करी जाती है। फीलिंग भी नहीं आती बात बताने की।"
आरोही यह सुनकर हँसने लगी। "तब तो हमारी थिंकिंग बहुत ज्यादा मैच होती है। खूब जमेगी हमारी।"
जल्द ही दोनों वहाँ पहुँच जाती हैं जहाँ लिस्ट लगी हुई थी। आरोही ने लिस्ट पढ़ी। उसने लिस्ट पढ़ी, मगर लिस्ट में प्रियल का नाम तो था, लेकिन उसके नाम के आगे कमरे का नंबर नहीं। यह देखकर आरोही ने कहा, "कमाल है, यहाँ तुम्हारा नाम तो है, मगर तुम्हारे कमरे का नंबर नहीं।"
"क्या!!" प्रियल हैरान हुई और खुद आकर लिस्ट को देखा। "मगर ऐसे कैसे हो सकता है?" उसे भी अपना कमरा नहीं मिला।
"यह तो ऑफिस में ही जाकर पता चलेगा।" आरोही ने कहा। इसके बाद उसने एक तरफ इशारा किया और कहा, "ऑफिस वहाँ है।"
प्रियल बोली, "ठीक है, तुम यहीं रुको, मैं जाकर आती हूँ।" इतना कहकर वह ऑफिस रूम की ओर चली गई।
ऑफिस में जीनिया अपना काम कर रही थी। तभी प्रियल वहाँ पहुँची और कमरे का दरवाज़ा खटखटाया। कमरे का दरवाज़ा खटखटाते ही जीनिया का ध्यान दरवाज़े की तरफ चला गया और वहाँ उसने प्रियल को देखा। प्रियल को देखते ही वह एक बार के लिए खो सी गई। इसके बाद वह अचानक होश में आई और कहा,
"ओह माय गॉड! तुम तो बहुत प्रीटी हो। नाम क्या है तुम्हारा?"
"हेलो, आई एम प्रियल। आप हिंदी समझते हो क्या?" प्रियल को एक फॉरेनर लड़की को हिंदी बोलते देख हैरानी हुई।
जीनिया अपनी फाइल जल्दी-जल्दी समेटते और उसकी तरफ देखते हुए बोली, "अरे, हिंदी ही तो बोल रही हूँ। और कौन सी लैंग्वेज है ये जो मैं बोल रही हूँ?"
"नहीं, मेरा वह मतलब नहीं था। आप इंडियन नहीं लगती, ना इसलिए हिंदी बोलते देख हैरानी हुई।"
"मेरे मॉम-डैड वो इंडियन ही हैं। इस वजह से मुझे हिंदी आती है।" जीनिया ने अपनी फाइल को समेटा और फिर उसके पास आ गई। "तुम यहाँ? तुम कुछ...?"
"वो, मुझे मेरा कमरा नहीं मिला। यहाँ बाकी सब के नाम के आगे कमरे के नंबर हैं, लेकिन मेरे नाम के आगे नहीं। एक और लड़की है, उसके नाम के आगे भी कमरे का नंबर नहीं है।"
"ओह, अम्मम्म, एक्चुअली इस बार दो स्टूडेंट एक्स्ट्रा हैं, तो कमरों की थोड़ी दिक्कत चल रही है। मगर तुम फिक्र मत करो। तुम्हारा एडजस्टमेंट मैं अपने कमरे में कर लूँगी। तुम मेरे साथ मेरे कमरे में रह सकती हो।"
प्रियल ने अपने चेहरे पर मासूमियत दिखाया और पूछा, "आप स्टूडेंट हो?"
"स्टूडेंट तो नहीं हूँ, पर मेरी यहाँ एक छोटी सी पोजीशन जरूर है। मैं तुम लोगों की ट्रेनिंग हेड हूँ।"
"ओह, आई एम सॉरी..." प्रियल यह सुनते ही घबरा गई। "वो मुझे माफ़ कर देना, सॉरी, सॉरी, मुझे... मुझे आपको मैम कहना चाहिए था।"
"ओह, बस-बस, ट्रेनिंग हेड हूँ, आंटी नहीं जो मैं-मैं कहोगी। और घबराओ मत, यहाँ सब फ्रेंडली रहते हैं, तो तुमने कोई क्राइम नहीं किया जो घबरा रही हो। फिर तुम तो रहना भी मेरे कमरे में है, हम दोनों तो फ्रेंड्स ही गिनी जाएँगी। आ, तुम मेरी फ्रेंड बनने में कोई प्रॉब्लम तो नहीं है।" जीनिया टेढ़ी नज़रों से प्रियल को देखने लगी।
"नो-नो... बिल्कुल भी नहीं।" प्रियल ने कहा और अपना हाथ आगे बढ़ा दिया। दोनों ने हाथ मिलाया और फिर जीनिया प्रियल को कमरा दिखाने के लिए ले गई।
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जिनी ने अपने कमरे में प्रियल की पूरी व्यवस्था कर दी। उसने उसके लिए एक बेड खाली कर दिया और अलमारी में उसके कपड़े रखने लायक जगह बना दी। यह सब करने के बाद उसने प्रियल से कहा, "प्रियल, सभी न्यू स्टूडेंट्स के लिए ऑडिटोरियम में मीटिंग है। अब से 15 मिनट में तुम वहाँ पर पहुँच जाना। कुछ इम्पॉर्टेन्ट अनाउन्समेंट होने वाली है, तो तुम्हारा उसे सुनना ज़रूरी है।"
प्रियल ने अचानक उसकी तरफ देखा और कहा, "कैप्टन निक भी होंगे वहाँ पर?" यह चीज अपने आप उसके मुँह से निकली थी।
जिनी उसे हैरानी से देखने लगी। "क्या? तुम उसे जानती हो?"
"नहीं वो, वो मैंने बस उनका इंटरव्यू देखा था।" प्रियल ने जैसे-तैसे कर अपनी बात कही।
"जो भी हो, मगर भूलकर भी यह बात उसे मत बता देना। उससे या किसी को भी मत बता देना। यह तुम्हारी फ़्रेंड की तुम्हारे लिए फ़र्स्ट एडवाइस है।" जिनी ने कहा और अलमारी बंद कर बाहर की ओर जाने लगी।
वह दरवाजे के पास रुकी तो प्रियल ने हल्के से अंदाज़ में पूछा, "अगर आप बुरा ना माने तो क्या मैं इसका रीज़न जान सकती हूँ?"
"हाँ...नहीं।" जिनी ने कंधे झटकते हुए कहा, "निक को यह सब नहीं पसंद, वह स्ट्रिक्ट डिसिप्लिन रखने वाला इंसान है। अपनी जॉब को बहुत सीरियसली लेता है, और मेन इम्पॉर्टेन्ट बात, वो लड़कियों से दूर ही रहता है।"
"लड़कियों से दूर...? " प्रियल ने उसी वक्त पूछ डाला।
जिनी ने अपनी आँखें बड़ी की और बोली, "ओ माय गॉड! तुम लड़की हो या क्या हो? इतने सारे क्वेश्चन आज ही कर लोगी? मुझे लगता था मैं ही ज़्यादा बात करती हूँ। मगर यहाँ तो मुझसे भी बड़े-बड़े लोग बैठे हैं।" इसके बाद उसने गहरी साँस ली और उसे बाहर छोड़ते हुए कहा, "चलो कोई तो मिला मेरे कॉम्पिटिशन में। हमारी अच्छी जमेगी।" फिर वह जाने के लिए दरवाजे की तरफ़ मुड़ी। "ओके बाय, मैं जा रही हूँ, तुम आ जाना।"
प्रियल ने उसके जाने के बाद अपना माथा पीटा और बेड पर बैठते हुए बोली, "क्या प्रियल तुम भी! आते ही कैप्टन निक कैप्टन निक करने लग गई। तुमसे सब्र नहीं होता क्या! पता नहीं अब यह मैडम भी मेरे बारे में क्या सोचेगी, और अगर यह निक को जानती हुई तो उसे तुम्हारे बारे में क्या कहेगी। पागल लड़की, थोड़ा सब्र करना सीखो।"
प्रियल बाहर आई तो कैंपस के बीचो-बीच सभी स्टूडेंट्स जमा थे। उनके ठीक सामने जिनी और एक और व्यक्ति था जो स्पीच टेबल के दूसरी ओर खड़े थे। उस व्यक्ति को साफ़ देखकर पता लग रहा था कि आज का जो भी प्रोग्राम होगा, उसमें सबसे इम्पॉर्टेन्ट स्पीच वही देगा। प्रियल वहाँ आकर खड़ी हो गई। वहाँ उसे आरोही दिखी जिसके देखते ही दोनों ने एक-दूसरे को स्माइल पास की।
जल्द ही दूसरे व्यक्ति ने माइक सम्भाला और सभी को संबोधित करते हुए कहा, "गुड मॉर्निंग ऑल स्टूडेंट्स," वह इतना कहकर रुका। उसने सभी स्टूडेंट्स के चेहरे को देखा और फिर दोबारा कहा, "अभी तक सभी स्टूडेंट्स नहीं आए हैं लेकिन एक या दो दिन में वे भी आ जाएँगे। इस बात का अफ़सोस रहेगा कि वे इस वेलकम स्पीच को मिस कर देंगे। मगर आप लोग, आप लोग खुशकिस्मत हो जो आपको यह वेलकम स्पीच सुनने को मिल रहा है। हमारे इंस्टिट्यूट ने या एजेंसी ने पिछले कई सालों से यूएसए की सेवा की है, जो हम आगे भी करते रहेंगे। जब हमारी इंस्टिट्यूट बनी थी तब हममें से किसी ने भी नहीं सोचा था एक दिन यह ऐसे मुक़ाम पर पहुँचेगी जहाँ इस एजेंसी के एजेंट प्रेसिडेंट सुरक्षा के लिए चुने जाएँगे। किसी एजेंट का प्रेसिडेंट सुरक्षा के लिए चुना जाना एजेंट का सबसे बड़ा मुक़ाम होता है। वहाँ उन्हीं एजेंट्स को रखा जाता है जो ऑलमोस्ट हर एक तरह की कंडीशन को निपटना जानते हैं। और आप लोगों को यह जानकर खुशी होगी, हमारी इस एजेंसी ने अब तक कुल 125 ऐसे एजेंट दिए हैं, जो प्रेसिडेंट की सुरक्षा के लिए या तो आज अपना काम कर रहे हैं या फिर वह कर चुके हैं। यह संख्या यूएसए की तमाम सुरक्षा एजेंसियों की तुलना में चौथे नंबर पर आती है। हम भरोसेमंद और बेहतर एजेंट की तलाश करते हैं इसीलिए हमारे इंस्टिट्यूट का प्रोसेस, आप इसे एडमिशन प्रोसेस कह सकते हैं, यह बाकी इंस्टिट्यूट की तुलना में काफी अलग है। हमारे यहाँ इंस्टिट्यूट जाने से पहले ही एक ट्रेनिंग होती है जिसे प्री-ट्रेनिंग का नाम दिया गया है, और जो इसमें सफल होता है, उसे ही वहाँ जाने का मौका मिलता है जबकि बाकियों का घर जाना पड़ता है। आप सब यहाँ इसी ट्रेनिंग के लिए हो। यहाँ आप लोग मेहनत करोगे तो आपमें से कुछ भाग्यशाली लोगों को आगे जाने का अवसर मिलेगा। एक सुनहरा अवसर जो आपके सुनहरे भविष्य के लिए होगा। मैं उम्मीद करूँगा आप सब यहाँ अपना 100% देंगे और पूरी मेहनत करके उन लोगों में आयेंगे जिन्हें हम खुद हमारे इंस्टिट्यूट में लेकर जाएँगे। बेस्ट ऑफ़ लक।" उन्होंने कहा और पीछे चले गए। उनके जाते ही जोरदार तालियाँ गूँजीं।
उनके स्पीच के बाद जिनी आगे आई और कहा, "तीन महीने की ट्रेनिंग टफ रहने वाली है, हमने इसके छह लेवल बनाए हैं जो धीरे-धीरे आप सबको बता दिए जाएँगे। अभी दो दिन का इंतज़ार किया जाएगा ताकि जो स्टूडेंट्स नहीं आए हैं वे भी आ जाएँ। दो दिन के बाद भी अगर उनमें से कोई रहता है तो उसके एंट्री कैंसल कर दी जाएगी। फिर हम सब दो दिन के बाद इस ट्रेनिंग को शुरू कर देंगे। तब तक आप लोग एक-दूसरे से मिल सकते हैं, जान-पहचान बना सकते हैं, इस पूरी जगह को घूम सकते हैं। हाँ, पीछे ट्रेनिंग एरिया है, वहाँ जाना अलाउ नहीं है तो इस बात का ध्यान रखना। बेस्ट ऑफ़ लक।" उसने भी अपनी बात खत्म की जिसके बाद फिर से तालियाँ बजीं मगर यह ज़्यादा नहीं थीं।
रात के तकरीबन 9:00 बज रहे थे। डिनर टाइम था जिसके लिए कैंपस में ही व्यवस्था की गई थी। प्रियल वहाँ खाना लेने पहुँची तो उसकी मुलाक़ात आरोही से हुई। आरोही उसके देखते ही बोली, "तुम्हारे रूम का अरेंजमेंट हो गया, सॉरी, वह मैं दिन में स्पीच के बाद तुमसे बात करने का टाइम नहीं निकाल सकी, मेरी रूममेट आ गई थी तो सारा दिन वही चला गया।"
"इट्स फ़ाइन, कोई बात नहीं। मेरा भी आज का दिन अरेंजमेंट में गया। कमरा मिल गया है और यह यहाँ के प्रिंसिपल, टीचर, पता नहीं हम उस मैडम को क्या कहेंगे, उनका ही है। उन्होंने रात अरेंजमेंट किए थे लेकिन इसके बाद ना तो वो उसे पसंद आए ना ही मुझे, फिर मैंने कहा मुझे मौका दीजिए मैं करती हूँ, तो उन्होंने कहा ठीक है कर दो और कहने के बाद यहाँ से चली गई, इसके बाद मैंने वह सारा काम निपटाया। अभी रात को आएँगे तो पूछ लूँगी कैसा है-कैसा नहीं, वरना फिर जैसे वो कहेंगी वैसे ही रहना हो जाएगा।"
"मतलब हम दोनों का दिन ही भाग-दौड़ी वाला था।" आरोही बोली और हँसने लगी। इसके बाद दोनों ने खाना लिया और अपने-अपने कमरों की ओर निकल गए।
रात के तकरीबन 11:00 प्रियल अजुन और प्रांजल से वीडियो कॉल पर बात कर रही थी। प्रांजल पिछले काफी समय से बात कर रही थी लेकिन अजुन अभी-अभी आया था। अजुन ने आते ही उसे देखा तो देखते ही पूछा, "ऐ मैडम, हो गई क्या तुम्हारी निक से मुलाक़ात?"
"अभी कहाँ और आगे के तीन महीनों तक होने के चांस भी नहीं हैं। यह कैंपस और इंस्टिट्यूट, इन दोनों का आपस में कोई लेना-देना ही नहीं है। यहाँ ट्रेनिंग में पास होंगे तब जाकर वहाँ इंस्टिट्यूट पहुँचेंगे, तब कोई मुलाक़ात का चांस बनेगा।"
"तब तो तुम्हें इसके लिए काफ़ी मेहनत करनी पड़ेगी।" फिर इसके बाद वह बोला, "पागल! यह सब चीजें हम पहले से ही पता हैं। मैंने मज़ाक में कहा था जो कभी तुम्हारे पल्ले नहीं पड़ता, पड़ेगा भी कैसे? अक़्ल होगी तो पड़ेगा ना।"
"बस करो भाई, मुझ में तुमसे ज़्यादा अक़्ल है।" अजुन प्रियल को चिढ़ाने लगा था तो उसने भी चिढ़ाते हुए कहा।
"हाँ हाँ, अभी तो कर लो बात, कितनी अक़्ल है कितनी नहीं यह तो तब पता चलेगा जब कैप्टन निक तुम्हारे सामने आएगा..." अजुन इतना कह रहा था तभी प्रियल के कमरे का दरवाज़ा खुला और जिनी अंदर आ गई। उसके अंदर आते ही अजुन आगे बोला, "देखना तुम्हारी कैप्टन निक के सामने बोलती ना बंद हो जाएगी।"
प्रियल ने जिनी को देखा और अजुन की यह बात सुनी तो पूरी तरह से हड़बड़ा गई। उसने तुरंत लैपटॉप बंद कर दिया और अपनी जगह से खड़ी हो गई। "आप...आप कब आईं?"
"बस अभी।" जिनी ने दरवाज़ा बंद किया और अंदर आ गई। उसके चेहरे के एक्सप्रेशन नॉर्मल नहीं थे जो प्रियल को परेशान कर रहे थे। "यह अभी क्या बात हो रही थी?" जिनी ने पूछा।
"क्या...? कुछ भी तो नहीं।" प्रियल जैसे-तैसे कर बोली।
"क्या कुछ भी नहीं? तुम भी जानती हो मैं किस बारे में बात कर रही हूँ। सुबह भी तुमने कैप्टन निक का नाम लिया था, और अब तुम्हारा दोस्त जो कह रहा था, वो सब, तुम उसे यहाँ इम्प्रेस-डिप्रैस करने के चक्कर में तो नहीं आई हो ना?"
"ऐसा कुछ नहीं मैम, आप गलत समझ रही हैं। वो इंस्टिट्यूट के कैप्टन हैं, कैप्टन जो कि बहुत बड़ा ओहदा होता है। मैं अपने यहाँ कभी भी अपने सीनियर्स के सामने ज़्यादा बोल नहीं पाई। मेरे दोस्त ने अभी जो बात कही वह इसी नज़रिए से कही थी कि कैप्टन निक के सामने जाओगी तो तुम्हारी बोलती बंद हो जाएगी, मतलब एक बड़े ओहदे वाले के सामने जाओगी तो तुम्हारी बोलती बंद हो जाएगी, जो कि होती ही है। वहीं सुबह के समय तो मैंने कहा यह था कि मैंने इंटरव्यू सुना था तो इसलिए पूछा।"
"देखो मैंने तुमसे सुबह भी कहा था और अब भी कह रही हूँ, उसे लड़कियाँ पसंद नहीं हैं।"
"तो क्या लड़के...?" अचानक प्रियल अपनी आँखें बड़ी करते हुए और अपने बाल सम्भालते हुए बोली।
"अरे पागल..." जिनी यह सुनकर सीरियस वाले टोन में भी खुद को हँसने से नहीं रोक सकी। "उसे लड़कियाँ पसंद हैं, मगर ऐसी लड़कियाँ बिलकुल भी नहीं जो उसे इम्प्रेस करना चाहती हैं, समझी? इस बात का ध्यान रखना।" जिनी ने कहा और बाथरूम में चली गई। वहीं प्रियल ने उसके जाते ही अपनी बात के लिए अपना माथा ठोका। "तुम भी ना प्रियल! तुम पागल हो।"
वहीं जिनी बाथरूम का दरवाज़ा बंद करते हुए बोली, "यह लड़की मुझे भी पसंद आ रही है। निक की लाइफ़ में प्यार वाला पोर्शन खाली है। काश यह उसे यहाँ इम्प्रेस करने के लिए ही आई हो। अगर ऐसा हुआ तो मैं खुद इसकी मदद कर दूँगी। निक को ऐसी लड़की की ज़रूरत है, यह उसके प्यार के काबिल है।"
ज़िनी बाथरूम से बाहर आई तो प्रियल अपने काम में लगी हुई थी। उसे देखकर ज़िनी निक और प्रियल को साथ में इमेजिन करने लगी।
प्रियल का ध्यान उसकी ओर गया तो वो उसे देखकर मुस्कुरा रही थी। उसने उसे हैरानी से पूछा,
"क्या हुआ ज़िनी मैम? आप मुझे देखकर स्माइल क्यों कर रही हो?"
"तुम निक को लाइक करती हो ना?" पता नहीं ज़िनी के मन में क्या आया पर उसने यह पूछ डाला।
ज़िनी के यूँ अचानक पूछने पर प्रियल हड़बड़ा गई। उसने उसे कोई जवाब नहीं दिया।
"तुम्हें पता है निक और मैं कलीग्स होने के अलावा फ्रेंड्स भी हैं। ऐसे में अगर तुम मुझे सब सच बताओगी तो तुम्हारा ही फायदा है। पता नहीं इन मुश्किलों में तुम्हारी कोई मदद कर सकूँ।" ज़िनी उसके पास आकर बैठ गई।
प्रियल सोचने लगी। उसे ज़िनी का बिहेवियर फ्रेंडली लगा। वह ना चाहते हुए भी खुद को उसे बताने से नहीं रोक सकी। वह बोली, "एक्चुअली मुझे नहीं पता यह सही है या नहीं, पर हाँ, मैं पसंद करती हूँ उन्हें।"
"ओह गॉड, मैंने तो नॉर्मल गेस किया था, यह तो बिल्कुल सच निकला, आह एम जी.." वह खड़ी हो गई और कमरे में घूमने लगी। इसके बाद उसने कहा, "अब तुम ऑकवर्ड मत होना, मैं सच में तुम्हारी मदद करूँगी।"
"हम्म..! लेकिन मैंने तो उन्हें एक बार भी सामने से नहीं देखा। बस इधर-उधर से वीडियोज़ देखकर ही उनका..."
"सोशल मीडिया पर भी कोई अकाउंट नहीं है," प्रियल ने नॉर्मल कहा।
"हाँ क्योंकि वो प्राइवेसी में बिलीव करता है, ना कि अपनी लाइफ सोशल करने में..! तुम उसे छोड़ो... और ये बताओ... तुम उसे किस हद तक चाहती हो।" ज़िनी अपनी तरफ से उसे परख रही थी। "और हाँ यह आप, आप कहना बंद करो। अब जब हम रूम में टुगेदर हैं, तो यूँ समझो कि हम फ्रेंड ही हैं।"
प्रियल ने हामी भरी और ज़िनी को शुरू से लेकर अंत तक सब बता दिया कि उसने निक को पहली बार कहाँ देखा था और पहली बार में देखकर ही कैसे उसके पीछे दीवानी हो गई थी।
उसकी बात सुनकर मन ही मन में ज़िनी ने उसकी हेल्प करने का फैसला लिया। उसे प्रियल की बातों में साफ़ी और चेहरे पर मासूमियत नज़र आ रही थी, जो कि निक के लिए एक अच्छी बात साबित हो सकती थी।
मुंबई..!
प्रियल को यूएस भेजने के बाद अजुन और प्रांजल के सामने अगली चुनौती यह थी कि वह प्रियल की क्लासमेट प्रियल शर्मा को चंडीगढ़ जाने के लिए कैसे राजी करें।
क्लास के बाद प्रियल शर्मा वहाँ से निकलकर कैफे के पोर्च की ओर जा रही थी। अजुन और प्रांजल उसे देखकर उसकी ओर दौड़े।
"क्या वागल पागल हो गए हो क्या, जो यहाँ पोर्च में दौड़ रहे हो? यह कोई स्कूल तो है नहीं, जो तुम दोनों को घर जाने की जल्दी लगी है।"
जहाँ प्रियल की शक्ल से लेकर बात मासूमियत से भरी थी, तो वहीं यह प्रियल शर्मा उससे बिल्कुल अलग थी। कैफे में सब अच्छे से जानते थे कि यह सब से काफी रूडली और बदतमीज़ी से बात करती थी। उसके बावजूद अजुन और प्रांजल के पास उसे मनाने के अलावा और कोई चारा नहीं था।
"प्रियल, तुमने आगे का क्या प्लान बनाया है? आई मीन ग्रेजुएशन के बाद कुछ तो करोगी ना?" अजुन ने बात को घुमाकर पूछा।
"क्या करूँगी? कुछ नहीं करूँगी। मेरे घर वालों को जानते नहीं तुम लोग। उनका मानना है कि लड़की की पढ़ाई पर पैसा खर्च करने से अच्छा है कि उतना ही पैसा उनकी शादी में लगाकर उन्हें अगले घर विदा करो। कम से कम सिर से कुछ तो जिम्मेदारी कम होगी। मैं तो सोच रही हूँ कि ग्रेजुएशन के लास्ट ईयर में जानबूझकर फेल हो जाती हूँ, ताकि कम से कम घर वाले शादी तो नहीं कराएँगे।"
प्रियल की बात सुनकर अजुन और प्रांजल को हँसी आने लगी, लेकिन प्रांजल ने अपनी हँसी दबाकर कहा, "अच्छा और अगर तुम्हें आगे फ्री में पढ़ने को मिले तो फिर?"
"हाँ, ये यूनिवर्सिटी वाले तो मेरे चाचा के बेटे लगते हैं, जो मुझे फ्री में पढ़ाएँगे। तुम्हारी बहन प्रियल और मेरा नाम ही सेम नहीं, बल्कि हमारे मार्क्स भी एक जैसे ही आते हैं। उसे स्कॉलरशिप मिले, तो मुझे मिलेगी।"
"देख तू हमारी प्रियल की बेइज़्ज़ती मत कर।" अजुन ने कहा, "हमारे पास एक प्लान है।"
"देखो मेरे पास तुम्हारी स्कीमों के लिए पैसे नहीं हैं। साइड हटो और घर जाने दो।" प्रियल वहाँ से जाने लगी तो अजुन फिर से दौड़कर उसके सामने आ गया।
"अरे पहले पूरी बात तो सुन लो। तुम्हें पैसे देने नहीं पड़ेंगे और तुम्हारी पूरी एजुकेशन भी फ्री में पूरी हो जाएगी।"
फ़्री एजुकेशन होने की बात सुनकर प्रियल उनकी बात सुनने के लिए तैयार हो गई। उन दोनों ने उसे सारी स्थिति समझाई, जिसे सुनकर उसने पहले तो साफ़ इनकार कर दिया, लेकिन अजुन ने उसे उसके मुश्किलों का हवाला दिया तो उसने हाँ कह दिया।
"देखो मैं हाँ तो कर रही हूँ। लेकिन मैं पहले ही बता रही हूँ कि बात मुझ तक कभी नहीं आनी चाहिए। और हाँ वहाँ जाते ही मैं अपने डॉर्म रूममेट्स से पहले अपडेट करवाऊँगी। पता नहीं वहाँ पर पढ़ाई में करूँ और डिग्री तुम्हारी बहन प्रियल को मिले।"
"हाँ, हाँ, वो नहीं। मैं तुम्हारे साथ चलूँगा और इसमें तुम्हारी पूरी मदद भी कर दूँगा। बस तुम जैसे-तैसे अपने घरवालों को मना लो।" अजुन ने उसे पूरी तरह आश्वस्त करके मना लिया।
प्रियल उन्हें हाँ बोलकर वहाँ से चली गई जबकि उसके हाँ कहने से अजुन और प्रांजल ने चैन की साँस ली।
"थैंक गॉड..! अब प्रियल दी वहाँ पर आराम से पढ़ाई कर पाएगी और किसी को पता भी नहीं चलेगा।" प्रांजल ने मुस्कुराकर कहा।
उसके बाद अजुन और प्रांजल भी अपने घर की तरफ़ चले गए।
निक अपने ऑफिस में बैठा था। तभी उसे एक ऑफिशियल मेल आया। उसने मेल पढ़ा, उसमें लिखा था, "उसे स्टूडेंट ट्रेनिंग के लिए एक लेक्चर अटेंड करना है।" यह पढ़ते ही उसे गुस्सा आ गया। वह गुस्से में खुद से बोला, "यहाँ आगे काम कम है क्या जो अब क्लास में भी मैं जाकर क्लास लगाऊँगा।"
इतने में एम्मा वहाँ आई। उसने निक को इस तरह से देखा तो पूछा, "क्या हुआ निक, सब सही तो है ना?" "नहीं, कुछ सही नहीं है। क्लास के लिए ऑफिशियल लेटर आया है।"
"हाँ तो क्या प्रॉब्लम है, लगा लो ना।"
"प्रॉब्लम कुछ भी नहीं है, पर मुझे एक्स्ट्रा काम बिल्कुल भी पसंद नहीं, ज़िनी ऑलरेडी काफी टैलेंटेड है, जब वह क्लास संभाल रही है तो मेरी क्लास लगाने की क्या ज़रूरत है।"
"निक, तुम इंस्टिट्यूट के कैप्टन हो, समझे कैप्टन, और एक कैप्टन से बढ़कर कोई नहीं होता, इसीलिए तुम्हारी क्लास का कहा गया होगा। डोंट वरी, तुम फ़िक्र मत करो, मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगी।"
निक ने यह सुना तो अनमने से ढंग से हाँ कर दी।
ज़िनी के पास भी निक के क्लास अटेंड करने की न्यूज़ पहुँच चुकी थी। उसके क्लास अटेंड करने से ज़्यादा वो इस बात को लेकर खुश थी कि इसी बहाने प्रियल निक को पास से देख पाएगी। प्रियल भी अपनी सारी क्लासेज़ ख़त्म करके शाम तक कमरे में लौट चुकी थी। ज़िनी उसे ये बात बताने के लिए अपने कमरे में आई।
उसने खुशी से प्रियल को गले लगा लिया।
"प्रियल.. मेरे पास तुम्हारे लिए ऐसी गुड न्यूज़ है जिसे सुनकर तुम यकीन नहीं होगा। जहाँ ट्रेनिंग के लिए आए स्टूडेंट्स को निक से मिलने के लिए महीनों लग जाते हैं, वहीं इस बार उनकी पहली क्लास निक ही अटेंड करेगा।"
ज़िनी की बात सुनकर प्रियल को यकीन नहीं हुआ।
"मुझे तो सच में यकीन नहीं हो रहा। क्या सच में ऐसा होने वाला है।"
"हाँ सच में। अब तो बस तुम अपने हीरो से मिलने की तैयारियाँ शुरू करो।"
"हाँ, देखना मैं सबसे बेस्ट लगने की कोशिश करूँगी और... और अपने तरफ़ से कोई कमी नहीं छोड़ूँगी। ज़िनी तुम मेरे साथ स्पा चलोगी? मैं ऐसा करती हूँ कि अपने बालों को स्ट्रेट करवा लेती हूँ। तुम बताओ क्लास कब है? मैं उससे पहले ही सारी तैयारियाँ कर लेती हूँ।"
उसकी बात सुनकर ज़िनी जोर-जोर से हँसने लगी।
"तुम तो ऐसे तैयार हो रही हो जैसे कि शादी करने जा रही हो। मैंने तुम्हें कहा था ना निक को वो लड़कियाँ बिल्कुल पसंद नहीं, जो उसे इम्प्रेस करने के लिए एक्स्ट्रा एफ़र्ट्स दिखाएँ। तुम्हें ज़्यादा कुछ नहीं करना, जैसी हो वैसे ही रहो। बस कोशिश करना कि अपने ड्रेसअप को हो सके उतना फॉर्मल रखना और और हो सके तो तुम खुद को किसी लड़के की तरह तैयार कर लेना। वहाँ एम्मा भी होगी, तो मुझे नहीं लगता कि किसी लड़की को सिखाने के लिए निक स्पेशली आगे बढ़ेगा। तुम अपने बालों को हेलमेट से कवर कर लेना और थोड़ी लूज़ टी-शर्ट पहन लेना, ताकि पता ना चले कि तुम लड़की हो। आगे मैं संभाल लूँगी।"
प्रियल को ज़िनी की बात सुनकर थोड़ा अजीब लगा, लेकिन ना चाहते हुए भी उसने उसे हाँ बोल दिया। क्योंकि उसे पता था कि ज़िनी उसे ज़्यादा अच्छे से जानती है और बहुत कम समय में ज़िनी उसके भी करीब हो गई थी।
अगली सुबह कैम्पस का ग्राउंड था। प्रियल को पूरी रात एक्साइटमेंट के मारे ठीक से नींद नहीं आई थी। अंजु और प्रांजल से भी उसने इस बारे में बात की, पर बात नहीं हो सकी थी। अगली सुबह वह जल्दी उठकर जिनी के बताए अनुसार तैयार हो गई थी। तैयार होने के बाद उसने खुद को कई बार आइने में देखा था। इसके बाद वह कैंपस के ग्राउंड में पहुँच गई थी। प्रियल ने नॉर्मल जींस और टी-शर्ट पहनी थी। उसने अपने बाल हेलमेट में कवर कर लिए थे। कैंपस में आरोही ने उसे देखा और वह उसे देखकर उसकी तरफ आई थी।
आरोही हैरान होते हुए बोली, "आर यू मैड प्रियल? ये क्या पहना है? पता भी नहीं चल रहा लड़का हो या लड़की। जबकि यहाँ की बाकी की लड़कियों को देखो, वो सब कितने अच्छे से रेडी होकर आई हैं। ऐसे लग रहा है यहाँ पर कोई रैंप वॉक होने वाला है। जबकि तुम्हारा, तुम्हारा बिल्कुल बेकार लग रहा है।"
प्रियल यह सुनकर मायूस हो गई थी। उसका कॉन्फिडेंस लेवल थोड़ा कम हो गया था। जल्द ही जिनी ग्राउंड में आई थी जिसके आते ही सब लाइन बनाकर खड़े हो गए थे। सब खुश दिखाई दे रहे थे मगर सिवाय प्रियल के। वह बाकीयों की तुलना में कम सुंदर दिख रही है वाली थिंकिंग का शिकार हो गई थी और लगातार वह फँसती जा रही थी।
जिनी ने सबको संबोधित करते हुए कहा, "सारे स्टूडेंट ट्रेनिंग फील्ड में जाएँगे और वहाँ वॉर्म अप करेंगे। हमारे कैप्टन आज एक दिन की ट्रेनिंग देने के लिए यहाँ आएंगे, लेकिन उन्हें आने में अभी वक्त लगेगा। जब आएंगे तब आप सब को इंफॉर्म कर दिया जाएगा।" इतना कहकर वह अपनी जगह से हट गई थी जिसके बाद सभी स्टूडेंट ट्रेनिंग फील्ड के लिए निकल गए थे। लेकिन प्रियल अपनी जगह से हिली भी नहीं थी। जिनी ने उसकी तरफ देखा तो वह उसकी हालत समझ गई थी। वह उसके पास आई और बोली, "तुम मुझ पर भरोसा रखो, जो भी होगा वह सही होगा। मैं निक को काफी अच्छे से जानती हूँ और मुझे पता है उसे क्या पसंद है क्या नहीं। मैंने तुमसे वादा किया है तो मैं अपने वादे को पूरी तरह से निभाकर रहूँगी, बस तुम अपना भरोसा मुझ पर से मत हटाना।" उसने प्रियल के कंधे पर हाथ फेरा था जिससे प्रियल को थोड़ा कॉन्फिडेंस मिला था।
प्रियल ने एक मुस्कान दी, "आप जो भी कर रही हैं मैं यह..."
"ओह शट अप, अब इसके आगे एक भी वर्ड मत बोलना, चलो जाओ और जाकर वॉर्म अप करो।"
प्रियल ने हाँ में सिर हिलाया और मुस्कुराते हुए वहाँ से चली गई थी।
प्रियल वॉर्म अप कर रही थी, मगर उसका ध्यान वॉर्म अप पर कम और दरवाजे पर ज्यादा था। वह ट्रेनिंग फील्ड में आने वाले दरवाजे के पास से ही कैंपस के दरवाजे को देख रही थी। तभी दरवाजे पर एक लंबी काले रंग की गाड़ी आकर रुकी थी और उसकी दिल की धड़कन धड़कने लगी थी। वह वॉर्म अप करते-करते रुक गई थी। गाड़ी का दरवाजा खुला और निक और एम्मा निकलकर बाहर आए थे। प्रियल निक को देखते ही उसे देखते ही रह गई थी। निक ने व्हाइट कलर की शर्ट और पैंट पहन रखी थी जिसमें शर्ट उसकी पूरी बॉडी से चिपकी हुई थी। निक ने हल्के से अपने बालों में हाथ फेरा और फिर गाड़ी से जैकेट निकालकर उसे पहना था। निक की इस अदा ने प्रियल की जान ही ले ली थी। निक जैकेट को पहनने के बाद अपनी बाजुएँ संभालता हुआ अंदर की ओर आने लगा था जहाँ प्रियल घबराकर अपनी जगह पर घूमकर दूसरी ओर देखने लगी थी। उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह निक की आँखों में आँखें मिला सके। निक उसके पास से गुजरा तो प्रियल उसके लगाए हुए परफ्यूम की खुशबू में खो गई थी। निक एम्मा के साथ हल्की-फुल्की बातों में व्यस्त था जिसकी वजह से उसका ध्यान प्रियल पर बिल्कुल भी नहीं गया था। निक वहाँ से निकल गया था जिसके बाद प्रियल ने मुड़कर उसे देखा था।
निक और एम्मा स्टूडेंट्स के पास पहुँचे थे। वहाँ निक ने अपना इंट्रोडक्शन देते हुए कहा, "हेलो बॉयज़ एंड गर्ल्स, आई एम कैप्टन निक, ट्रेनिंग के बाद आप सब मेरे अंडर ही काम करोगे।"
एम्मा ने इसके बाद अपना इंट्रोडक्शन दिया, "हेलो, आई एम एम्मा, मैं फील्ड कैप्टन हूँ।"
फिर निक बोला, "मुझे अभी दो घंटे बाद ऑथॉरिटी मीटिंग अटेंड करनी है, तो हम ज्यादा देर ना करते हुए ट्रेनिंग का प्रोग्राम अभी शुरू करते हैं।" यह कहकर उसने अपना सीना फूलाया और बिल्कुल सावधान होते हुए कैप्टन वाले अंदाज में कहा, "अटेंशन स्टूडेंट्स," इतने में प्रियल भी वहाँ आकर खड़ी हो गई थी। वह सबसे पीछे खड़ी हुई थी। "एक्शन के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है चौकन्ना रहना, कौन सा खतरा कहाँ से या कौन सी डायरेक्शन से आएगा यह हम कभी पहले से पता नहीं चलता, इसलिए हम हमेशा चौकन्ना रहना पड़ता है और हर तरफ से मानना पड़ता है यहाँ खतरा है। आज मैं आपको जो भी लेसन सिखाऊँगा वह चौकन्ना रहने का ही होगा। सब के सब आउटडोर फील्ड में जाएँ और वहाँ नकली तीरों के बीच अपनी पोजीशन संभाले। वहाँ आप पर चार अलग-अलग डायरेक्शन से बिना किसी सीक्वेंस के डुप्लीकेट तीर छोड़े जाएँगे और आपको उनसे बचना होगा।"
सभी स्टूडेंट्स ने यह सुना और आउटडोर फील्ड की ओर जाने लगे थे। कुल तीन ऐसे फील्ड थे जहाँ पर अलग-अलग समय में तीन स्टूडेंट एक साथ इस टेक्निक की प्रैक्टिस कर सकते थे। जिनी, एम्मा और निक बारी-बारी अलग-अलग स्टूडेंट्स को प्रैक्टिस करवाने लगे थे। प्रियल इस दौरान निक के पास आने की बजाय उससे बचने की कोशिश कर रही थी। वह कतार में सबसे पीछे खड़ी थी और खुद को पूरी तरह से छुपा रही थी। अपनी इस कोशिश में उसने इस बात पर भी ध्यान नहीं दिया था कि उसके आगे की लाइन ख़त्म हो रही है और वह थोड़ी देर बाद अपनी लाइन में इकलौती बची स्टूडेंट हो जाएगी। इतने में निक का ध्यान प्रियल और उसके आगे खड़े कुछ स्टूडेंट्स पर गया और वह उनकी ओर बढ़ा। सभी स्टूडेंट्स के हाथ में एक लकड़ी की ढाल थी जिसका इस्तेमाल तीरों से बचने के लिए किया जा रहा था। प्रियल के आगे के स्टूडेंट्स ने तो उसे ढंग से पकड़ रखा था मगर प्रियल ने नहीं।
निक प्रियल के पास पहुँचा और उसकी कलाई को पकड़कर ऊपर कर ढाल सही करता हुआ बोला, "हे, होल्ड लाइक दिस बॉय।" इतने में ही प्रियल की धड़कन फिर से बढ़ गई थी। निक ने आगे के स्टूडेंट्स की पीठ पर थपकी मारकर उन्हें आगे जाने का इशारा किया था जिसके बाद वह भी आगे चला गया था। वहीं प्रियल अपनी धड़कनों को संभालते हुए पीछे खड़ी रही थी। निक ने उसे बॉय कहा था क्योंकि अपने लुक की वजह से वह किसी लड़के की तरह ही दिख रही थी। निक आगे जाकर पीछे मुड़ा और प्रियल को देखता हुआ बोला, "तुम्हारे लिए कोई स्पेशल मूवमेंट निकालना पड़ेगा क्या, तुम भी आगे आओ।"
प्रियल फौरन आगे आ गई थी। निक ठीक उसके बगल में खड़ा था और वह बीच-बीच में तिरछी आँखों से उसकी ओर देख रही थी। निक के स्ट्रिक्ट डिसिप्लिन की वजह से उसे सावधान की पोजीशन में खड़ा रहना पड़ रहा था। दिल की धड़कन अभी भी उसके कंट्रोल में नहीं थी और वह पूरी तरह से घबराई हुई थी। आगे के दो स्टूडेंट्स की प्रैक्टिस पूरी हुई और निक ने प्रियल की पीठ पर हाथ रख उसे आगे जाने के लिए कहा था। निक ने जैसे ही प्रियल की पीठ पर हाथ रखा उसकी आँख बंद हो गई थी जिसके बाद वह आगे की ओर खिसक गई थी।
उसने खुद को संभाला और आउटडोर फील्ड में जाकर खड़ी हो गई थी। निक उसके सामने ही खड़ा था और उसे ही देख रहा था जिसकी वजह से वह घबराई हुई थी और उसका ध्यान तीरों पर नहीं था। ध्यान ना होने की वजह से अलग-अलग डायरेक्शन से तीर निकले और उससे टकराने लगे थे। तीर नकली थे लेकिन उनके टकराने की वजह से दर्द होता था।
प्रियल घबराहट के मारे किसी भी डायरेक्शन से आने वाले तीर को नहीं रोक पा रही थी जिसकी वजह से सभी तीर उससे टकराने लगे थे। इस वजह से वह मुश्किल में आ गई थी। निक ने यह देखा तो वह तुरंत मदद के लिए उसकी ओर बढ़ा था। निक पास पहुँचा और ढाल उसके हाथ से लेकर उसके फ्रंट में आ गया था जहाँ वह हर डायरेक्शन से आने वाले तीरों का सामना करने लगा था। वहीं प्रियल उसकी पीठ के पीछे हो गई थी जहाँ वह पूरी तरह से सेफ थी। तभी प्रियल का हेलमेट उसके सर से नीचे गिर गया था और उसके पूरे बाल बिखर गए थे। पहले वह लड़का लग रही थी लेकिन अब वह लड़की लगने लगी थी। एक भोली और मासूम सी लड़की। एम्मा और निक दोनों का ध्यान एक साथ इन दृश्यों पर गया था। उन्होंने यह दृश्य देखे तो वे देखते ही रह गए थे। ये अलग ही तरह के दृश्य थे जिसमें निक किसी हीरो की तरह तीरों का सामना करते हुए उस लड़की की जान बचा रहा था जो हीरोइन की तरह लग रही थी।
सभी तीर के खत्म होने के बाद निक ने ढाल फेंका और पीछे की तरफ पलटा था। इधर वह पीछे पलटा उधर प्रियल ने बाल संभालने के लिए अपने हाथ बालों में डाले थे। निक ने उसे देखा तो उसके दिल की धड़कन हल्की सी बढ़ गई थी। ऐसा उसके साथ आज से पहले पिछले कई सालों से कभी नहीं हुआ था। पिछले सात सालों से तो कभी नहीं। वह प्रियल के चेहरे को, उसके बाल सही करने के तरीके को, इन सबको देखकर किसी और को ही याद करने लगा था। वह जिसे उसने अपना सब कुछ माना था। एली... वह अपनी पुरानी यादों में चला गया था।
लगभग सात साल पहले।
हॉस्पिटल का एक रूम।
हॉस्पिटल में एली अपनी अंतिम साँसें ले रही थी, तो वहीं निक और एम्मा उसके पास खड़े होकर बुरी तरह रो रहे थे। डॉक्टर्स चाहकर भी एली को बचा नहीं पा रहे थे। निक ने बड़ी ही बेचैनी से एली का हाथ पकड़ रखा था और वह वहीं बुरी तरह रो रहा था।
निक ने रोते हुए कहा, "एली...... एली तुम मुझे छोड़कर नहीं जा सकती। मॉम भी मुझे छोड़कर चली गई... और अब तुम। तुमने मुझे प्रॉमिस किया था कि तुम हमेशा मेरा साथ निभाओगी। तो अब तुम जा रही हो। प्लीज डोंट गो। मैं मर जाऊँगा एली। मैं रह ही नहीं सकता तुम्हारे बिना... मैं सोच भी नहीं सकता तुम्हारे बिना रहने के बारे में। प्लीज कुछ तो दया करो मुझ पर। मुझे मत छोड़कर जाओ। मुझे भी नहीं जीना,,, मैं भी मर जाऊँगा तुम्हारे साथ..."
एली बहुत धीमे स्वर में बोली, "नो निक... मेरी बहनों की जिम्मेदारी है तुम पर। ज़ैन का भी तो सोचो।"
निक उसी वक्त बोला, "तो जिम्मेदारी उठाएँगे ना। हम मिलकर उठाएँगे। प्लीज... तुम हम सबके साथ रहो। आई प्रॉमिस मैं किसी से झगड़ा भी नहीं करूँगा। तुम जैसा कहोगी मैं वैसा ही करूँगा। कोई जिद भी नहीं करूँगा।"
एम्मा भी रो रही थी। वह रोते हुए बोली, "एली अगर तुम चली गई तो हम बिखर के रह जाएँगे। एक तुम ही थी, जो हम सब को संभालती थी। अब तुम भी चली जाओगी, तो फिर हमारा क्या काम है। प्लीज गॉड सेव हर, एली, मत जाओ।"
निक और एम्मा बुरी तरह रो रहे थे। निक एली को इस हालत में बिल्कुल नहीं देख सकता था। वह बुरी तरह टूट गया था। उसने अपनी सारी सुध-बुध खो दी थी। वह कुछ देर तक वहीं रोता रहा, इसके बाद वह खड़ा हुआ और दीवार के पास जाकर रोने लगा।
एली एम्मा से बोली, "एम्मा, तुम निक को जानती हो ना? वह खुद को नहीं संभाल पाएगा, उसकी मॉम के जाने के बाद मैंने उसे कैसे संभाला था, तुम अच्छे से जानती हो ना? अब मैं गई तो प्लीज तुम उसे संभाल लेना। हम लोगों का साथ तो यही तक था, मगर तुम आगे भी उसके साथ रहना है। तुम उसकी केयर करनी है।"
एम्मा हल्के गुस्से में बोली, "क्यों एली? क्यों गई तुम इस मिशन पर? जानती थी ना यह मिशन इतना खतरनाक है। पता था जान चली जाएगी फिर भी गई तुम।"
एली और भी ज्यादा धीमे स्वर में बोली, "होनी को कोई नहीं टाल सकता।"
इसके बाद उसकी साँस उखड़ने लगी। हार्ट बीट कम होने लगी जिससे मशीन में शोर होने लगा। निक उसकी तरफ मुड़ा और उसके पास पहुँचा। मगर जैसे ही वह उसके पास पहुँचा एली की धड़कनें हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो गई और वह वहीं उसके चेहरे को देखता रह गया।
उन दृश्यों के याद आते ही निक ने प्रियल को धक्का मारा और उसे दूर गिरा दिया था। उसे गिराने के बाद एक बार के लिए उसने प्रियल को गुस्से से देखा और फिर उसे वहीं छोड़ चला गया था। प्रियल यह देखकर पूरी तरह से हैरान हो गई थी। उसे गिरने की वजह से चोट भी लग गई थी मगर अभी उसका ध्यान सिर्फ निक पर था। वह निक को जाते हुए देख रही थी। निक उस ओर दूर गया तो उसकी आँखों से आँसू निकल आए थे। वह अपनी जगह से खड़ी हुई और तुरंत अपने रूम की ओर दौड़ी। वहाँ उसने दरवाजा बंद किया और दरवाजे के पास बैठकर ही रोने लगी थी।
तकरीबन दो घंटे बाद निक किसी कब्रिस्तान में था। वह अपनी मीटिंग में नहीं गया था और पिछले दस मिनट से एक कब्र के सामने बैठा था। कब्र के ऊपर एली वाटसन का नाम लिखा था। निक की आँखों में आँसू थे। उसने कब्र को देखते हुए कहा, "एली, आई मिस यू, मेरा यह दिल हमेशा सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए धड़कता था। पर जब से तुम गई हो इस दिल ने धड़कना छोड़ दिया था, आज यह हल्का सा धड़का तो मुझे तुम्हारी याद आ गई। तुम्हारे जाने के बाद मैं ज़िंदा लाश के अलावा और कुछ भी नहीं हूँ। ये साँसें भी चल रही हैं, तो बस अपनी कुछ जिम्मेदारियाँ निभाने के लिए। तुम्हारी बहनें... एम्मा, एवा, और मेरे भाई ज़ैन के लिए। आखिर क्यों तुम मुझे छोड़कर गई। एली, आई रियली रियली लव यू।" इतना कहने के बाद वह भी जमीन पर झुककर रोने लगा।
रात के लगभग दस बज रहे थे। जिनी प्रियल को लेकर इंस्टिट्यूट के हॉस्पिटल आई हुई थी। निक ने जब उसे धक्का मारा था, तब उसे चोट लग गई थी। सुबह ग्राउंड में लगी चोट को प्रियल ने नज़रअंदाज़ कर दिया था। लेकिन शाम होते-होते उसके हाथ का दर्द बढ़ गया था। प्रियल के हाथ की सूजन देखकर जिनी उसे इंस्टिट्यूट के हॉस्पिटल ले आई थी, उनके साथ आरोही भी आ गई थी। एम्मा भी उसी वक्त किसी काम से हॉस्पिटल में आई हुई थी। प्रियल को देखकर एम्मा को याद आया कि यह वही है जिसे निक ने धक्का मारा था। एम्मा उनके पास आई और पूछा,
"हे गॉड! आर यू फाइन?"
जिनी ने उसे देखा और जवाब दिया,
"अरे एम्मा! प्रियल बिल्कुल ठीक है। तुम बताओ, तुम हॉस्पिटल में क्या कर रही हो?"
एम्मा जिनी को हैरानी से देखने लगी। उसने हैरानी से देखते हुए पूछा,
"तुम इस लड़की को जानती हो?"
"हाँ, यह मेरी फ्रेंड और रूममेट दोनों है।" जिनी ने हाँ में सिर हिलाते हुए कहा।
एम्मा इस जवाब से और भी ज़्यादा हैरान हो गई।
"रूममेट? आर यू सीरियस? तुम्हें पता है ना तुम ट्रेनिंग हेड हो, तुम एक स्टूडेंट को अपने साथ नहीं रख सकती। इसके लिए तुमने परमिशन ली थी?"
"हाँ, मैंने खुद से परमिशन ले ली थी।" जिनी हँसते हुए बोली, "बाकी रॉन को मेरे डिसीजन से कोई फर्क नहीं पड़ता। और फिर वैसे भी इस बार दो स्टूडेंट ज़्यादा थे और कमरों की तंगी पड़ रही थी। तो कैसे न कैसे करके एडजस्ट करना ही था।"
"इन सब के बारे में तुम हमें अब बता रही हो? निक को पता चला, तो वह गुस्सा हो जाएगा। उसने इस चीज़ के लिए कभी कोई परमिशन नहीं दी।"
"तुम लोग इतने बिजी रहते हो कि मुझे तुम्हें बताने का मौका ही नहीं मिला। बाकी मुझे अपना काम करने के लिए तुम्हारी या निक की परमिशन लेने की कोई ज़रूरत नहीं। कैंपस पर पूरा कंट्रोल मेरा है। और निक, कमरों की तंगी वाली बात उसे भी पता थी।"
एम्मा ने जिनी की बात का कोई जवाब नहीं दिया, क्योंकि उसे जिनी का यह रवैया पसंद नहीं आया था। उसने चेहरे पर नाराज़गी सी दिखाई और फिर वहाँ से चली गई। प्रियल और आरोही दोनों ने एक-दूसरे के चेहरे की तरफ देखा और फिर प्रियल जिनी से बोली,
"आपको ऐसा नहीं लगा आपने मैम से थोड़ी ज़्यादा ही रूडली बात कर ली?"
"क्या सच में? मगर मैंने तो नॉर्मल अंदाज़ दिखाया था।" जिनी कंधे उचकाते हुए बोली।
"नहीं, यह थोड़ा अजीब था।" प्रियल ने कहा।
"तब तो मुझे उसे जाकर बात करनी होगी, मेरा ऐसा इंटेंशन बिल्कुल भी नहीं था।" जिनी ने कहा और जाने की तैयारी करने लगी। जाते-जाते वह बोली, "अच्छा तुम लोग डॉक्टर को दिखा देना। यहाँ तुम्हें इंडियन डॉक्टर भी मिल जाएँगे। यहाँ लगभग हर तरह के डॉक्टर हैं, तो तुम जैसा सही लगे वैसा कर लेना। आरोही, तुम हो ना इसके साथ?"
"हाँ मैम, आप फ़िक्र मत कीजिए। मैं हूँ प्रियल के साथ। इसे छोड़कर मैं भला कहाँ जाऊँगी। मुझे तो इससे इंस्टिट्यूट के बारे में भी ज़्यादा नहीं पता।"
"ओह, वेल, तब तो तुम इसका ध्यान रखना, जैसे ही इसका ट्रीटमेंट होता है हम कैंपस के लिए निकल जाएँगे।" जिनी ने कहा और फिर वहाँ से चली गई।
लगभग एक घंटा बीत चुका था। प्रियल और आरोही की डॉक्टर से बात हो गई थी और उनका इलाज भी हो गया था। इलाज के लिए उन दोनों को अलग जगह पर ले जाया गया था, जहाँ से वह दोनों वापस आ रही थीं। वे दोनों वापस आईं तो उन्हें एक लड़की मिली जिसने दोनों को देखते ही कहा,
"अरे तुम तो वही हो ना, जिसे सुबह चोट लगी थी? ठीक हो ना तुम?"
प्रियल ने उसे देखा पर पहचाना नहीं। उसने जवाब दिया,
"हाँ, थोड़ी मसल्स इंजर्ड हो गई है। क्रेप बैंडेज रखूँगी तो एक-दो दिन में ठीक हो जाएगा। आप हमारे कैंपस की तो नहीं लगती? तो हम कैसे...?"
आरोही ने भी उसे देखते हुए कहा,
"मैंने भी आपको पहले नहीं देखा, आप कौन हो?"
लड़की ने दोनों को जवाब दिया,
"मेरा नाम आयशा सिद्दीकी है और मैं फ़र्स्ट ईयर से हूँ। तुम दोनों की सीनियर, या यूँ कह लो होने वाली सीनियर। तुम लोग अभी प्री-ट्रेनिंग प्रोसेस में हो तो पता नहीं आओगे या नहीं। मैं तुम दोनों को इसलिए जानती हूँ क्योंकि सुबह मैं भी कैंपस आई थी, लेकिन मेरा काम स्टोरेज मैनेजमेंट का है तो मैं कैंपस में उसकी अरेंजमेंट देख रही थी।"
आरोही को उसकी ट्रेनिंग प्रोसेस वाली बात थोड़ी अजीब लगी। उसे उसकी यह बात पसंद नहीं आई थी। वह बोल पड़ी,
"तुम क्या यहाँ पर हमारी रैंकिंग करने आई हो? हम लगेंगे या नहीं यह भविष्य बताएगा, लेकिन इसे लेकर कुछ भी कहना बिल्कुल भी सही नहीं है।"
आयशा ने हँसते हुए कहा,
"बिल्कुल नहीं! अरे मैं भी आपकी तरह इंडियन ही हूँ, तो मैं क्यों तुम्हारी रैंकिंग करूँगी।"
प्रियल को भी उसकी बात का बुरा लगा था। वह उसके कहते ही बोल पड़ी,
"मतलब अगर हम इंडियन नहीं होते, तो तुम हमारी रैंकिंग करती?"
"नहीं! यहाँ रैंकिंग अलाउड नहीं है। वैसे यहाँ पर बहुत कम इंडियंस हैं और जो हैं वह बहुत बोरिंग टाइप के हैं। मुझे यहाँ पढ़ते हुए एक साल हो गया। लेकिन सच कहूँ तो इस एक साल में कोई भी ढंग का फ्रेंड नहीं मिला। मैं वैसे लखनऊ से हूँ। तुम दोनों अपने ग्रुप में मुझे भी ले लो ना? कम से कम कोई मेरे साथ बात करने वाला तो होगा, आई मीन इन फ़्यूचर।"
प्रियल ने इगो वाला चेहरा बनाया और कहा,
"नहीं मिस्स, मिस्स सीनियर। जब हम हमारे फ़्यूचर का अता-पता ही नहीं जानते, तो हम आपसे दोस्ती क्यों करें? एक बार हमारा फ़्यूचर डिसाइड हो जाए, उसके बाद हम खुद ही देख लेंगे हम आपसे दोस्ती करनी है या नहीं।" प्रियल ने आरोही का हाथ पकड़ा और उसे वहाँ से ले गई।
एम्मा जिनी से गुस्सा होकर रॉन के पास आई और उसकी कंप्लेंट करने का सोचा, मगर तभी जिनी वहाँ आ गई। इससे पहले एम्मा उसकी कंप्लेंट करती, जिनी बोली,
"हे, सॉरी एम्मा, मेरा इंटेंशन तुम्हें हर्ट करने का नहीं था। आज दिन भर जो भी हुआ उसकी वजह से मेरा मूड थोड़ा रूड सा हो गया था, वही चीज़ मेरे बिहेवियर में आ गई और मैंने तुम्हें पता नहीं कैसे यह कह दिया।"
एम्मा ने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया। जिनी यह देखकर उसके पास आई और उसे पीछे से हग कर लिया। हग करते हुए वह बोली,
"मेरी प्यारी सी दोस्त मुझसे नाराज़ नहीं हो सकती। ऐ, माफ़ कर दे ना, गलती हो गई छोटे से, आज के बाद ऐसा नहीं होगा। मेरी सूटो, मेरी प्यारो, मान जा ना मेरी जान।" एम्मा कुछ देर तक तो रूडनेस दिखाती रही, मगर जिनी के काफ़ी देर तक ऐसा करने के बाद वह इसे ज़्यादा देर तक नहीं रख सकी और मान गई। वह जिनी की ओर पलटी और कहा,
"आज ऐसा हो गया मगर आज के बाद ऐसा मत करना। तुम्हें पता है ना तुम्हारा रूड बिहेवियर काफ़ी बेकार होता है। अगर आगे ऐसा हुआ ना तो मैं तुम्हारा सर ही फोड़ूँगी, जहाँ तुम्हारा छोटा सा दिमाग है और उस छोटे से दिमाग का मूड बिगड़ता रहता है।"
इतने में निक वहाँ कमरे के बाहर से गुज़रा। वह बाहर से गुज़रा तो उसने एक नज़र रॉन के कमरे में देखा, जहाँ उसे जिनी और एम्मा दिखाई दीं। जिनी को देखते ही उसे प्रियल की याद आ गई और वह खुद को जिनी के पास जाने से नहीं रोक सका।
वह कमरे में गया और जिनी से पूछा,
"जिनी, वो लड़की कौन थी?"
जिनी एम्मा के गले लगी हुई थी। उसने निक की बात तो सुनी, मगर उसके मतलब को गहराई से नहीं समझा। वह गले से अलग हुई और बिना निक की तरफ देखे उससे पूछा,
"किसके बारे में बात कर रहा है? यहाँ तो बहुत सारी लड़कियाँ हैं।"
रॉन निक को बड़ी-बड़ी आँखों से देखने लगा, क्योंकि उसने निक के मुँह से पहली बार किसी लड़की की कोई बात सुनी थी। वरना वह कभी ऐवलिन की बात भी इंस्टिट्यूट में नहीं करता। रॉन ने पूछा,
"क्या हुआ निक? तुम किसके बारे में जानना चाहते हो? और क्यों? कुछ गड़बड़ है क्या?" वह इसे नेगेटिव एंगल में नहीं ले रहा था क्योंकि वह निक को जानता था। इसलिए उसने कुछ गलत होने के अटेंशन में इस बात को पकड़ा।
एम्मा समझ गई थी निक किस लड़की की बात कर रहा है। वह निक की तरफ देखते हुए बोली,
"निक, तुम जिस लड़की को ढूँढ रहे हो, वो हमारी प्यारी जिनी की न्यू फ्रेंड और रूममेट है।"
निक हैरान हुआ,
"व्हाट? रूममेट?" उसे उसकी उम्मीद नहीं थी।
"येस। हो नहीं सकती क्या?" जिनी बोली, "मुझे वह लड़की अच्छी लगी और उसे कैंपस में कोई रूम नहीं मिला, तो मैंने उसे अपने रूम में शिफ्ट कर लिया। अब तो हम दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती भी हो गई है।" जिनी ने सब बताया मगर प्रियल के उसे पसंद करने वाली बात छुपा ली।
निक को यह बात पसंद नहीं आई। वह टॉन्ट मारने वाले अंदाज़ में बोला,
"अभी रोड पर मुझे पाँच लोग मिले थे, वो रूम के लिए रूम ढूँढ रहे थे, लेकिन उन्हें नहीं मिल रहा। मैं उन्हें भी भेज दूँ तुम्हारे पास।"
"निक..." जिनी को रूड होने में ज़्यादा वक्त नहीं लगता था, इसलिए वह रूड होने वाले मूड में बोली, "तुम अच्छे से जानते हो इस बार कमरों की तंगी थी, इसलिए मुझे उसे अपने साथ एडजस्ट करना पड़ा।"
"हाँ, कमरों की तंगी थी, लेकिन कुछ स्टूडेंट्स के नहीं आने की वजह से उनका एडमिशन कैंसिल हो गया था। इसके बाद तुम उसका अरेंजमेंट कहीं और भी कर सकती थी।"
"कर सकती थी, लेकिन मेरा इस बात पर ध्यान नहीं गया। कैंपस में कई सारे काम होते हैं, हम अपना सारा टाइम स्टूडेंट्स के रूम अरेंजमेंट में तो नहीं लगा सकते ना।"
"अगर तुम ऐसा नहीं कर सकती तो यह जॉब छोड़ दो।" निक के चेहरे पर गुस्से की लकीरें आ गईं। "हमारे रूल में ही किसी स्टूडेंट को इंस्टिट्यूट के मेंबर के साथ रहने की इजाज़त नहीं है। वह कोई जासूस भी हो सकती है जिससे इंस्टिट्यूट पर कोई भी खतरा आ सकता है। इसी के चलते यह रूल बनाया गया। प्री-ट्रेनिंग भी इसलिए होती है ताकि इंस्टिट्यूट में भर्ती होने वाले मेंबर्स को अच्छी तरह से परखा जा सके। और तुम हो कि..."
निक आगे भी कुछ कहना चाहता था, मगर जिनी ने उसकी बात को काटा और काटते हुए बीच में कहा,
"हाँ, यह रूल है, मगर इसमें कहीं भी डिफाइन नहीं किया गया कि 'रहने वाला' वर्ड किस संदर्भ में यूज़ हुआ है, रिलेशनशिप के मामले में या फिर किसी और मामले में। और रही बात जॉब छोड़ने की, तो कैंपस पर पूरा कंट्रोल मेरा है। मेरे कंट्रोल के बाद सिर्फ़ अथॉरिटी ही उस पर कोई डिसीजन ले सकती है, इसके अलावा और किसी को भी उसके ऊपर डिसीजन लेने का अधिकार नहीं है, तुम्हारा भी नहीं। सो मुझे बाहर जॉब करनी चाहिए या नहीं, तुम मुझे इसके बारे में ना ही बताओ तो बेहतर।" दोनों एक-दूसरे के आमने-सामने आ खड़े हुए थे।
उन दोनों की बात बढ़ सकती थी, यह देखते हुए एम्मा आगे आई और बोली,
"तुम दोनों उस लड़की की वजह से आपस में लड़ना बंद करोगे। तुम दोनों एक-दूसरे के अच्छे दोस्त हो, तो उस तरह से क्यों नहीं एक-दूसरे को रिस्पांस देते? गुस्से को क्यों बीच में लेकर आ रहे हो?" यह कहकर वह सिर्फ़ निक की तरफ़ हुई और बोली, "और निक, तुम कब से यहाँ के स्टूडेंट्स में इंटरेस्ट लेने लगे?" इसके बाद अचानक उसके मुँह से इसी अंदाज़ में निकला,
"क्या वो लड़की तुम्हें पसंद आ गई?"
"होल्ड योर वर्ड्स..." यह सुनते ही निक का गुस्सा सातवें आसमान पर चला गया। "यह बात आज कह दी, मगर आज के बाद यह बात कभी अपने मुँह से मत निकालना। एली की जगह कोई नहीं ले सकता।" निक ने कहा और फिर इसी गुस्से में वहाँ से चला गया। उसके जाने के बाद सब वहाँ एक-दूसरे के चेहरे की तरफ़ देखने लगे।
एम्मा निक के रूम में पहुँची तो वह अपनी घूमने वाली कुर्सी पर बैठकर गोल-गोल घूम रहा था।
एम्मा बोली,
"आई एम सॉरी निक, मैं तुम्हें हर्ट नहीं करना चाहती थी। पता नहीं मेरे मुँह से कैसे यह बात निकल गई।"
"मैं जानता हूँ, इसलिए तुमसे गुस्सा नहीं हूँ।" निक ने कहा। उसके चेहरे से साफ़ पता चल रहा था वह किसी और ही बात के बारे में सोच रहा है। "तुम इस बात को छोड़ो, और मेरी इस बात पर ध्यान दो, मुझे वो लड़की सही नहीं लग रही, पता नहीं क्यों। जब से मैंने उसे पहली नज़र देखा है तब से अजीब फ़ील हो रहा है।"
"मैं समझी नहीं?"
"समझ जाओगी, लेकिन इसमें वक्त लगेगा। मैं चाहता हूँ तुम उस लड़की पर नज़र रखो। कोई ज़रूरी जानकारी मिले तो मुझे उसके बारे में बताओ।"
"आ... मैं ऐसा करना तो नहीं चाहती हूँ, मगर तुम ऐसा कह रहे हो तो ठीक है। मैं उस पर नज़र रखूँगी।" एम्मा ने कहा और इसके बाद चली गई। उसके जाने के बाद निक फिर से किसी बात में खो गया।
अगली सुबह प्रियल वॉशरूम से निकलकर बाहर आई थी, तभी उसके फ़ोन की कॉल की घंटी बजी जिस पर प्रांजल का कॉल आया था। प्रियल ने फ़ोन उठाया। उसके फ़ोन उठाते ही प्रांजल सामने से बोली,
"हैलो प्रियल दी... मम्मा कॉन्फ्रेंस कॉल पर हैं... बात करो जल्दी। मैं कॉल कनेक्ट कर रही हूँ।" इतना कहकर प्रांजल ने जल्दी-जल्दी फ़ोन कनेक्ट कर दिया।
प्रियल ने खुद को संभाला और फ़ोन के कनेक्ट होते ही बोली,
"हैलो मम्मा... कैसे हो आप?"
"मैं अच्छी हूँ बेटा, तुम कैसी हो?"
"मैं भी अच्छी हूँ मम्मा।" प्रियल की नज़र अपने हाथ पर गई और उसने अपनी चोट को देखा।
प्रियंका जी ने सामने से कहा,
"तुम्हें पता है मुझे आज तुम्हारे कॉलेज से फ़ोन आया था। आई एम प्राउड ऑन यू बेटा, वो तुम्हारी डिज़ाइनिंग स्किल से बहुत खुश हैं।"
प्रियल प्रियंका जी की बात सुनकर थोड़ी दुखी हो गई क्योंकि वह असली सच्चाई नहीं जानती थी। उसकी आँखों से आँसू भी आ गए जिसे उसने पोछा। वह बात कर पाने की हालत में नहीं थी तो उसने प्रियंका जी को कहा,
"मम्मा, मैं अभी बाहर हूँ, बाद में बात करती हूँ। लव यू।" और कहकर फ़ोन रख दिया।
प्रियल ने कॉल कट करने के बाद उसी वक्त प्रांजल को वीडियो कॉल किया। अजुन भी वही मौजूद था। प्रांजल प्रियल को देखते ही बोला,
"क्या हुआ दी? आपको ये चोट कैसे लगी?"
अजुन ने एक्टिंग वाले अंदाज़ में कहा,
"चोट तो दिल पर लगी है, हाय! आज तो हीरोइन अपने हीरो से मिली थी। तुमने सुना नहीं था कल, हीरो से मिलने की एक्साइटमेंट में इसने ठीक से बात भी ना की हमसे।"
प्रियल ने थोड़ा सा शर्माने वाला अंदाज़ दिखाया, मगर वह इस वक्त दुखी ज़्यादा थी तो शर्माने वाला अंदाज़ में ज़्यादा देर तक नहीं टिकी। वह जल्दी नॉर्मल हुई और कहा,
"आज मम्मा ने कॉलेज की बात की, मुझे उनसे झूठ बोलकर अच्छा नहीं लग रहा। हम उन्हें कितना बड़ा धोखा दे रहे हैं।"
अजुन कैमरे के आगे आया और बोला,
"पागल! अगर हम यह सब नहीं करते तो आज तुम यहाँ नहीं होती। हमने जो भी किया था वह सोच-समझकर किया था। यह जितनी भी चीज़ है, इनको तुम्हें कुछ टाइम के लिए एडजस्ट करना होगा। इसके बाद हम खुद सबको सच्चाई बता देंगे, या फिर कोई ऐसा रास्ता ढूँढ लेंगे जिससे सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा।"
"वह सब तो ठीक है, लेकिन मुझे बहुत अजीब लग रहा है।" प्रियल बच्चों की तरह रोने वाला मुँह बनाकर बोली।
"तो तुम इस बात पर ध्यान मत दो ना। अगर तुम इस बारे में ज़्यादा सोचोगी तो परेशान ही होओगी।" अजुन की बात के बाद प्रांजल ने भी प्रियल से कहा,
"हाँ दी, इस बारे में ज़्यादा मत सोचो।"
प्रियल को थोड़ा अच्छा महसूस हुआ। उसने दोनों के चेहरों की तरफ़ देखा और कहा,
"थैंक यू सो मच अजुन एंड परी, मैं तुम लोगों का..."
"आह आह बस यहीं रुक जाओ। फ़िल्मी डायलॉग मारने की कोई ज़रूरत नहीं है। और यह वाला डायलॉग तो मत ही मारा करो, हर जगह बस तुम यही कहती रहती हो।" अजुन ने उसे बीच में ही रोक दिया था। उसे रोकने के बाद वह बोला, "और सिर्फ़ थैंक यू से काम नहीं चलेगा। यह भी बताना पड़ेगा आज क्या हुआ? कैसे हुआ? कैसी रही पहली मुलाक़ात?"
प्रियल ने सुनते ही वह पूरी तरह से शर्मा गई। वह अपनी आँखों पर हाथ रखते हुए बोली,
"मैं तो उसकी नीली आँखों में बस खो सी गई थी।"
अजुन उसे अजीब सी आँखों से देखने लगा। उसने टेढ़ा मुँह करते हुए पूछा,
"क्या सच में उसकी आँख नीली है?"
प्रांजल अजुन की तरफ़ हुई और बोली,
"तू लड़का है या लड़की? क्या लड़कियों जैसी बात कर रहा है। ऐसी बात लड़कियाँ करती हैं।" फिर प्रांजल प्रियल की तरफ़ देखते हुए बोली,
"वाउ दी! क्या सच में उसकी आँख नीली है?"
प्रियल ने अपने हाथ अपने चेहरे से हटाए,
"हाँ यार, बहुत खूबसूरत आँखें हैं उसकी... और उसके डिम्पल्स... मैं तो मर ही जाऊँगी। पता नहीं उसे अचानक से क्या हुआ और वह वहाँ से गुस्से में चला गया। देखो उसकी वजह से मुझे चोट भी लग गई।" प्रियल ने अपनी चोट दिखाई।
"यह कैसे लगी?" अजुन चोट की तरफ़ देखने लगा। "क्या उसने तुम्हें मारा?"
"अरे पागल, नहीं! वो बस हल्का सा धक्का लग गया था। वो मुझे देखकर ऐसे चौंक गया था जैसे पता नहीं क्या देखा हो।"
"ओह, तब तो कोई बात नहीं।" प्रांजल बोली, "फिर तो यह तो पहली मुलाक़ात की निशानी है। संभालकर रखो अब इसे।" प्रांजल ने छेड़ने वाले अंदाज़ में कहा।
तभी उसके दरवाज़े पर एक लड़की आई और डिनर टाइम का बोली। प्रियल ने यह सुना और फिर दोनों को कहा,
"चलो अब मैं चलती हूँ, डिनर टाइम हो गया है। बाय, टेक केयर, एंड थैंक यू वंस अगेन।" इतना कहकर उसने कॉल काट दिया। कॉल काटने के बाद एक पल के लिए वह उन दृश्यों में खो गई जहाँ निक उसकी तरफ़ पलटा था। उसकी नीली आँखें, उसके हवा में उड़ते बाल, यह सब उसे अब अच्छे से याद आ रहे थे। तभी निक ने उसे धक्का मारा और वह नीचे गिर गई। यह याद आते ही वह चौंक उठी और दृश्यों से बाहर आ गई। वह खुद से ही बोली,
"पता नहीं, उसे ऐसा क्या हुआ था जो मुझे देखकर उसने ऐसा रिएक्ट किया।" प्रियल इसके बाद खड़ी हुई और डिनर के लिए चली गई।
निक अपने इंस्टिट्यूट में अपने ऑफ़िस के अंदर बैठा था। उसका हाथ अपने चेहरे पर था और वह अपने सामने मौजूद कंप्यूटर स्क्रीन को देख रहा था। कंप्यूटर स्क्रीन पर प्रियल की 360° व्यू वाली पिक थी जो किसी भी स्टूडेंट की प्रोफ़ाइल बनाते वक्त ली जाती थी। निक उसे घुमा-घुमा कर देख रहा था। उसने प्रियल की पीठ को फ़्रंट की तरफ़ किया तो उसे एली की याद फिर से आ गई। एक खूबसूरत पार्क में एली सामने की ओर दौड़ रही थी, अपनी मस्ती में, अपनी धुन में, उसकी पीठ वाला हिस्सा निक की ओर था जो उसके पीछे अपने दोनों हाथ पॉकेट में डाल धीरे-धीरे चल रहा था। एली की पीठ और प्रियल की पीठ दोनों एक जैसी थीं। निक जल्दी यादों से बाहर आया और प्रोफ़ाइल डिटेल पर गया। वहाँ लिखा था, "नेम- प्रियल शर्मा। एज- 19। फ़ादर नेम- निशांत शर्मा। मदर नेम- पूजा शर्मा।" फिर इसके बाद बेसिक डिटेल थी जिसमें लिखा था वो मुंबई में B.Com थर्ड ईयर की स्टूडेंट थी। सेशन बीच में छोड़कर यहाँ आई है क्योंकि उसे एक्ट्रेस बनने का बहुत शौक था। निक ने पूरे डेटा का प्रिंट निकाला और उसे अपने साथ ले गया।
लगभग दो घंटे बाद वह अपने कमरे में था। प्रियल का प्रिंट डेटा उसके बगल में था। वह सोने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी। उसने प्रियल की पिक उठाई और उसे देखने लगा। वह ना चाहते हुए भी प्रियल की तरफ़ एक अट्रैक्शन फ़ील कर रहा था। वह कुछ देर तक उसकी पिक को देखता रहा। इसके बाद उसे गुस्सा आया और उसने उसी पिक को अपने हाथ में मोड़कर दूर फेंक दिया। उसे दूर फेंकने के बाद उसने बेड का ड्रॉअर खोला और कई सारी नींद की गोलियाँ खा लीं। नींद की गोलियाँ खाने के बाद वह बेड पर लेटा और आँख बंद कर बोला,
"एली, मैं सच में तुम्हारी जगह किसी और को नहीं लेने दूँगा।"
अगले दिन निक सुबह जल्दी उठकर इंस्टिट्यूट के लिए निकल गया। वह आज भी परेशान था और कल रात वाली बात के बारे में सोच रहा था। आने से पहले उसने प्रियल की उस तस्वीर को भी देखा, जो उसने मोड़कर रख दी थी।
निक इंस्टिट्यूट के मेन गेट के पास पहुँचा तो वह जैन से टकरा गया। जैन उसका भाई था, जिसे उसने अडॉप्ट किया था। निक का ध्यान रात वाली बातों पर था, इसलिए उसने जैन की तरफ ध्यान नहीं दिया और उससे टकरा गया।
जैन ने उसी वक्त निक को संभालते हुए पूछा, "आर यू ऑल राइट सर? ध्यान कहाँ है आपका?" जैन जानता था निक के लिए रूल्स बहुत मायने रखते थे, इसलिए उसने उसे सर कहा।
निक ने खुद को संभाला और अपनी जैकेट संभालते हुए जैन से कहा, "इतना फॉर्मल होने की कोई ज़रूरत नहीं है जैन। यहाँ कोई क्लास नहीं लग रही, जो तुम मुझे सर बुला रहा है।"
"सॉरी भाई," जैन हल्के अंदाज़ में बोला, "इंस्टिट्यूट में सबको पता है कि हम दोनों भाई हैं। और आपने भी मुझे घर से लाकर यहाँ शिफ्ट कर दिया है।"
"घर पर रहकर फोकस नहीं किया जा सकता जैन। और मत भूलो, तुम्हारे लिए मैं भी इंस्टिट्यूट में सेटल हुआ हूँ। वरना मैं फील्ड पर रहकर आसानी से दूसरे काम कर सकता था।"
"ठीक है ठीक है भाई," जैन मुस्कुराया और कहा, "मैंने बस नॉर्मल ही अपनी बात कही थी।" इसके बाद वह बोला, "वैसे भाई आपका ध्यान कहाँ था, जो आप मुझसे टकरा गए? यह पहली बार हुआ है। आप एक एजेंट हो, तो हमेशा चौकन्ने रहते हो, मगर आज कैसे?"
निक खामोश सा हो गया। उसने चेहरे पर उदासी लाते हुए कहा, "कुछ नहीं। बस ऐसे ही कुछ पुरानी बात याद आ रही थी। वो यादें जिनमें मैं काफ़ी समय से भुला चुका हूँ।"
"मैं समझ गया भाई, मगर जो हो गया उसे याद करने का कोई फ़ायदा नहीं है। मैंने पहले भी कहा था और अब भी कह रहा हूँ, आपको नई शुरुआत करनी चाहिए। आपको एक नए रिश्ते के बारे में सोचना चाहिए।"
"जैन..." निक ने अपने चेहरे पर हल्का गुस्सा दिखाया, "तुम मेरे छोटे भाई हो, मैं नहीं। तो मुझे क्या करना है, क्या नहीं, मुझे मत बताओ। जाओ अपनी क्लास में जाओ और क्लास लगाओ।" निक ऑर्डर वाले अंदाज़ में बोला और फिर वहाँ से निकल गया। वहीं जैन उसे जाता हुआ देखता रहा और जब वह उसकी आँखों से ओझल हो गया, तब बोला, "भाई फिर से पहले जैसे हो रहे हैं। ऐसा रिएक्ट उन्होंने तब किया था जब एली इस दुनिया से..." "गॉड सब सही रखना।"
जैन खुद से बात कर रहा था, तभी आलिया वहाँ आई। आलिया ने जैन को खुद से बात करते हुए देखा तो हँसने लगी। जैन ने उसे हँसते हुए देखा तो उसके पास गया और कहा, "क्या? मैं क्या तुम्हें पागल नज़र आ रहा हूँ, जो तुम मुझ पर हँस रही हो?"
आलिया हँसते हुए ही बोली, "अब कोई अकेले खड़े होकर खुद से बात करेगा तो लोग उसे पागल ही समझेंगे ना।"
"अकेले बात करने के और भी कई सारे कारण होते हैं, हमेशा पागल लोग ही अकेले बात नहीं करते।" इसके बाद उसने आलिया के चेहरे को देखा और कुछ याद करते हुए बोला, "तुम फर्स्ट ईयर से हो ना? मैंने देखा है तुम्हें शायद?"
आलिया ने अपने चेहरे का अंदाज़ बदला और कुल मिलाकर मज़ेदार होती हुई बोली, "अच्छा तो आपने मुझे पहले भी देखा है? वाह! मुझे नहीं पता था मैं इतनी खूबसूरत हूँ जो लड़के मुझे ऐसे देखेंगे।"
"यह कुछ ज़्यादा ही नहीं हो गया?" जैन उसे तिरछी नज़रों से देखने लगा।
"मैं मज़ाक कर रही थी।" आलिया ने हँसकर कहा, "मुझे नहीं पता था आप मुझे जानते हैं। कैप्टन निक के काफ़ी ख़ास लगते हो आप?"
"हाँ, वो मेरा बड़ा भाई है।"
"ओह ग्रेट, मुझे इसके बारे में नहीं पता था।"
"इसके बारे में ज़्यादातर लोगों को नहीं पता, हमने यह बात काफ़ी कम लोगों को बताई है।"
"तब तो आपसे मिलकर खुशी हुई।" आलिया ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसे जैन से मिलाया। "कौन से ईयर में हो आप वैसे?"
"सेकंड।"
"वाह! सच में, आपके पास फर्स्ट ईयर के नोट्स पड़े हैं ना? मुझे एडवांस में पढ़ने की आदत है, मगर मैटेरियल नहीं मिल रहा है।"
"हाँ पड़े हैं।" जैन को समझ नहीं आ रहा था वह क्या बोले। आलिया काफ़ी ज़्यादा फ्रेंडली रिएक्ट कर रही थी।
"देन, क्या मुझे आपके नोट्स मिल सकते हैं?" आलिया ने पूछा।
जैन को थोड़ा अजीब लगा। मगर उसने नोट्स का जिक्र कर दिया था, तो वह इसके लिए मना भी नहीं कर सकता था। उसने कहा, "ठीक है, ले लेना। मुझे अपनी मेल आईडी दे दो। मैं सब आपको मेल कर दूँगा।"
आलिया ने अपनी मेल आईडी जैन को दे दी। जिसके बाद आलिया वहाँ से अपनी क्लास के लिए निकल गई, जबकि जैन पीछे से उसे जाते हुए देखता रहा। वह उसे कुछ सही सी नहीं लगी।
जिनी क्लास में स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग दे रही थी। कल वाली बात की वजह से वह गुस्से में थी। निक ने उससे गुस्से में बात की थी, जबकि उसने भी अपने अलग ही तेवर उसे दिखा दिए थे। ना तो उसे निक की कही गई बात पसंद आ रही थी, ना ही उसे अपनी कही गई बात सही लग रही थी। प्रियल भी ट्रेनिंग में थी, मगर चोट की वजह से वह ट्रेनिंग नहीं कर रही थी। वह दूर से ही सबको देख रही थी। सबको दूर से देखने के साथ-साथ वह इस बात के बारे में सोच रही थी कि निक ने उसे देखकर अलग से रिएक्ट क्यों किया।
तभी रॉन की बाइक क्लास के बाहर आकर रुकी और वह उतरकर अंदर आया। जिनी ने उसे देखा तो वह स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग करने का कहकर उसकी तरफ चली गई। वहाँ जाते ही उसने रॉन से पूछा, "तुम, तुम यहाँ क्यों आए हो?"
"कमाल है, मैं नहीं आ सकता क्या? यहाँ मेरी बंदी काम करती है, आई मीन वो इस पूरे क्लास की हेड है, तो मैं यहाँ क्यों ना आऊँ।"
"निक को पता चला तो वह तुम्हारी बड़ी बात बना देगा। यह भी हमारे रूल में नहीं आता। उसका बिहेवियर आजकल अजीब सा हो रखा है, तो उसे कुछ भी एक्सेप्ट किया जा सकता है।"
"वो आजकल थोड़ा परेशान रहने लगा है।" दोनों क्लास के बाहर आकर नॉर्मल वॉक करते हुए बात करने लगे। "उसका वैसा ही बिहेवियर देखने को मिल रहा है, जैसा हम सात साल पहले एली की मौत के बाद देखने को मिला था। वह रूड हो गया था। खुद में रहने लगा था। हर किसी से गुस्से में बात करता था। पहले यह कम होता था, मगर कल से और भी ज़्यादा होने लगा है।"
"शायद मैं जानती हूँ यह सब क्यों हो रहा है। कहीं ना कहीं इसकी वजह मैं ही हूँ। मैंने आखिर इसके बारे में क्यों नहीं सोचा?" "अब तुम उसके बदलते बिहेवियर में कहाँ बीच में आ गई?" रॉन उसकी तरफ देखने लगा।
"आ..." जिनी खुद में ही सोचने लगी। खुद में सोचते हुए उसने कहा, "दरअसल मुझे तुम्हें यह बात बहुत पहले बता देनी चाहिए थी। क्लास में वो लड़की जो मेरे साथ रह रही है, प्रियल, उसे देखकर कभी-कभी एली की याद आती है। और कहीं ना कहीं मुझे लग रहा है निक को भी उसकी याद आई होगी। इसी वजह से वह ऐसा हो गया है।"
"क्या कह रही हो तुम? और यह बात तुम मुझे अब बता रही हो। प्रियल को तो मैंने भी देखा था, मगर मुझे ऐसा फील नहीं आया।"
"तुमने उसे ज़्यादा क्लोज़ से नहीं देखा। दूर से फीलिंग नहीं आती, लेकिन क्लोज़ हो तो प्रॉपर वही वाली फीलिंग आती है।"
"अगर ऐसा है तो मेरा यकीन मानो, उसे निक से दूर ही रखो...वरना तुम उसे निक के करीब लाकर, उसे आग के हवाले करने वाला ही काम कर रही हो। ऐसी आग के हवाले, जो दूसरों को नहीं, बिल्कुल सिर्फ़ और सिर्फ़ खुद को जलाने का काम कर रही है।"
जिनी ने यह सुना तो वह पूरी तरह से खामोश हो गई। खामोश होने के बाद उसने कहा, "शायद मुझे भी अब यही लग रहा है।"
निक अपने ऑफिस में था, जहाँ उसने अब प्रियल की तस्वीर अपने डेस्कटॉप पर सामने ही निकाल रखी थी। वह उसे नज़रअंदाज़ करने की कोशिश कर रहा था, मगर चाहे हुए भी उसे नज़रअंदाज़ नहीं कर पा रहा था। तभी उसके फ़ोन की कॉल की घंटी बजी। उसने फ़ोन उठाया तो पता चला यह अथॉरिटीज़ की ओर से आया कॉल था। इसमें सामने से कहा गया, "यह इमरजेंसी कंडीशन के लिए किया गया कॉल है। एक पब्लिक बस में बम मिला है। लोकेशन एनए इंस्टिट्यूट से सिर्फ़ तीन किलोमीटर दूर है। बम स्क्वॉड भेज दिया गया है। ऑर्डर है इंस्टिट्यूट से एक टीम भेजी जाए और पब्लिक सेफ्टी के लिए पब्लिक को बस से दूर रखा जाए।"
निक ने फ़ोन काट दिया और तुरंत टेबल के पास मौजूद रेड बटन को दबा दिया। यह इमरजेंसी बटन था, जिसके बाद सारे एजेंट जाने के लिए तैयार हो जाते थे।
जल्द ही निक एम्मा के साथ अपनी गाड़ी की ओर जा रहा था। वह अपने ब्लैक आउटफिट में था। उसके पीछे एक दर्जन और एजेंट थे। निक ने एम्मा से पूछा, "रॉन कहाँ है?"
एम्मा जानती थी वो जिनी से मिलने गया है, लेकिन यह बात बताना उसके लिए खतरनाक हो सकती थी। इसलिए उसने बताया, "वो आज अपने किसी फ़्रेंड से मिलने गया है। मैंने उसे इंफॉर्मेशन दे दी है, तो जल्द ही लोकेशन पर आ जाएगा।"
"ग्रेट, तुम लोगों को जो सैलरी मिल रही है, तुम लोग उसका अच्छा-खासा फ़ायदा उठा रहे हो।" निक ने कहा और गाड़ी का दरवाज़ा खोलकर उसमें बैठ गया।
"अच्छा हुआ फ़्रेंड का नाम नहीं बताया, वरना यह मिलने वाली सैलरी आज से बंद हो जाती।" एम्मा खुद से बोली और दूसरी तरफ जाकर गाड़ी में बैठ गई।
जल्दी सब लोकेशन पर थे और वहाँ लोगों की भीड़ को बस से दूर रख रहे थे। निक बस से दूर खड़ा था और अपनी टीम को काम करते हुए देख रहा था। उसके दोनों हाथ अपनी कमर पर थे, जबकि आँखों पर चश्मा लगा हुआ था। तभी उसने देखा बस के अंदर किसी बच्चे के रोने की आवाज़ आ रही है। यह देखते ही उसने पहले अपने आस-पास देखा और फिर बस की ओर जाने लगा।
एम्मा ने उसकी तरफ ध्यान दिया तो उसे रोकते हुए बोली, "निक, यू कांट डू दिस, बस में बम है।"
"हाँ, मगर वहाँ कोई बच्चा भी है। अगर हमने उसकी हेल्प नहीं की तो कुछ भी हो सकता है।" "बम स्क्वॉड को आने दो।"
"वेट करना तो और भी खतरनाक हो सकता है।" निक ने कहा और फ़ौरन बस के पास पहुँचकर उसके अंदर चला गया। वह उसके अंदर पहुँचा तो उसने देखा आखिरी सीट पर नीचे एक औरत बच्चे के साथ डरी हुई पोज़िशन में थी। निक उनके पास गया और दोनों से बोला, "चिलो, बाहर चलो, यहाँ खतरा है।" "नो, आई कांट डू दिस, देयर इज़ ए बम," वह डरी हुई औरत बोली।
निक ने बच्चे को पकड़ा और ज़बरदस्ती उस औरत को खड़ा कर सामने की ओर कर दिया। इसके बाद उसने सख़्त आवाज़ में कहा, "जल्दी आगे चलो, तुम तो जाओगी, तुम्हारी वजह से इस बच्चे को और नुकसान पहुँचेगा।"
औरत थोड़ा आगे गई तो उसने बच्चे को भी उसे पकड़ा दिया। औरत बच्चे के साथ नीचे उतरी और फिर सामने की तरफ दौड़ पड़ी। उसे बाहर भेजने के बाद निक बस में और सीटों को भी देखने लगा। इस चक्कर में कि कहीं यहाँ भी कोई ना छुपा हो। सभी सीटों को देखने के बाद वह बाहर उतरने के लिए निकला तो उसे फिर से प्रियल याद आ गई। वो दृश्य उसे याद आ गए जिसमें वह प्रियल की ओर मुड़ा था और वह उसके ठीक सामने अपने बाल संभाल रही थी। वह बस से उतरा और सामने की ओर चलने लगा। मगर याद आ रहे दृश्यों की वजह से जो भी हो रहा था, वह धीमी गति से होता हुआ प्रतीत हो रहा था। तभी निक को प्रियल के बाद एली के दृश्य याद आए, जहाँ उसकी साँस उखड़ रही थी।
तभी उसे याद आने वाले दृश्यों में मशीन बंद हो गई, जबकि बाहर के दृश्यों में बस में बम धमाका हुआ और निक उछलता हुआ सामने गाड़ी से टकरा गया। याद आने वाले दृश्यों में मशीन के बंद होने के बाद टुं की आवाज़ गुँजी और हकीकत में बम धमाके के बाद कान में गुंजने वाली आवाज़ गुंजने लगी। दोनों आपस में मिली और इसी के साथ निक की आँखों के आगे अंधेरा छा गया।
प्रियल दोपहर के टाइम होने वाली ट्रेनिंग को देख रही थी। तभी उसके दिल की धड़कन हल्की सी बढ़ी और उसे ऐसा लगा जैसे कुछ गलत हुआ है। उसके दिल की धड़कन पहली बार अजीब तरीके से धड़की थी। मगर तब उनमें कभी कुछ गलत होने का अहसास नहीं था। जबकि आज ऐसा था।
निक को होश आया तो वह हॉस्पिटल के कमरे में था। उसके आस-पास काफी सारे लोग जमा थे जिनमें रॉन और एम्मा आगे खड़े थे। उसके होश में आते ही एम्मा आगे आई और बोली,
“कैसे हो तुम? ठीक तो हो ना? कुछ हुआ तो नहीं? और तुम्हारा ध्यान किधर था? मैंने तुम्हें आवाज़ भी लगाई थी मगर तुमने नहीं सुनी। ऐसे लग रहा था जैसे तुम किसी अलग ही दुनिया में थे।” एम्मा ने एक साथ कई सारे सवालों की बौछार कर दी थी।
निक ने खुद को सही किया और बेड पर ऊपर उठा। “मेरा ध्यान फ़ील्ड में ही था, बस अचानक चक्कर आने लगा था जिस वजह से ध्यान हट गया।”
“ओह… मुझे लग रहा है तुम्हें कुछ दिनों की छुट्टी लेनी चाहिए। मुझे तुम्हारे साथ कुछ भी सही नहीं लग रहा। थोड़ा आराम करोगे तो बेहतर फील करोगे। तुम कुछ दिनों के लिए कहीं घूमने भी जा सकते हो।”
“मैं ऐसा कुछ नहीं करने वाला। तुम जानते हो ना मेरा काम मेरे लिए सब कुछ है, मैं इसे छोड़कर कहीं नहीं जाने वाला।” रॉन आगे आया और बोला, “एम्मा की बात से मैं भी सहमत हूँ, तुम कुछ दिनों की छुट्टी ले लो।”
निक ने रॉन को मोटी नज़रों से देखा और फिर बेड पर और ऊपर होते हुए कहा, “तुम लोग मेरी छुट्टी का छोड़ो, यह बताओ मिशन का क्या अपडेट है?” वह अपनी तरफ से बात बदलने की कोशिश कर रहा था क्योंकि उसे छुट्टी नहीं करनी थी।
“आह…” एम्मा अपने हाथ में मौजूद टेबलेट को देखते हुए बोली, “अथॉरिटी की ओर से अभी इसके लिए कोई भी अपडेट नहीं मिला है। तुम्हारी चोट के बाद शायद वे थोड़ा टाइम लगाएँगे। बाकी कोई इंजरी नहीं हुआ। तुमने बस जाकर एक माँ और बच्चे की जान बचाई है। इस बात को हमने मिशन के अपडेट में जोड़ दिया है। यह अथॉरिटी के अपडेट में तुम्हारे काफी काम आएगी।”
“ऐसे बकवास काम करने की क्या ज़रूरत थी…” निक एम्मा को गुस्से से देखने लगा। “तुम जानती हो ना मुझे यह सब पसंद नहीं। अगर हम किसी की मदद करते हैं तो वह हमारा काम नहीं, बिल्कुल फ़र्ज़ होता है। इसे कभी भी मेरे काम में मत ऐड किया करो।”
“तुम तो कुछ भी पसंद नहीं करते। हम उसका क्या कर सकते हैं…” रॉन बोला, “सीधे तौर पर देखा जाए तो हम इस मिशन में अनसक्सेसफुल हुए हैं। अथॉरिटी की ओर से कोई टफ डिसीज़न ही लिया जाएगा। इंजर्ड तुम हुए हो तो यह तुम्हारे लिए ही होगा, ऐसे में यह चीज़ तुम्हारी काफी काम आएगी।”
“आई डोंट केयर अबाउट अथॉरिटीज़ और उसके डिसीज़न।” निक ने कहा और अपना मुँह फेर लिया।
एम्मा और रॉन ने एक-दूसरे की तरफ देखा। फिर एम्मा निक की तरफ हुई और कंधे पर हाथ रखते हुए उसे आराम करने को कहा, “ठीक है, तुम आराम करो, जो होगा देखा जाएगा।” इतना कहकर वह वहाँ से चली गई। उसके जाने के बाद निक ने अपना चेहरा सही किया और वापस पुराने दृश्य में खो गया। प्रियल एक बार फिर से उसकी आँखों के सामने आने लगी थी। उसके बाल सही करने वाले चेहरे को वह भूल नहीं पा रहा था। यह याद आया तो उसने गुस्से में अपना मुक्का जोर से बेड पर मारा जिससे उसे कंधे में दर्द होने लगा। उसने अपनी आँखें बंद की और दर्द को नज़रअंदाज करते हुए दोबारा अपना मुक्का बेड के ऊपर मारा। वह बोला, “यह लड़की मुझे क्यों याद आ रही है?” इसके बाद उसने फिर से मुक्का मारा, “मुझे यह लड़की याद नहीं आनी चाहिए।”
प्रियल पूरी रात ठीक से सो नहीं पाई थी। उसे नहीं पता था क्या हुआ या नहीं, पर उसका दिल पूरी रात घबरा रहा था। जिनी भी यहाँ नहीं थी जिससे वह कुछ पूछ सकती। सुबह होते ही वह उठी और जल्दी नहाकर ग्राउंड में आ गई। ग्राउंड में जिनी के अलावा कोई और सीनियर ट्रेनिंग अटेंड करवाने का काम कर रहा था। यह देखकर उसका मन और भी ज्यादा निराश हो गया। रात उसने खाना नहीं खाया था जबकि सुबह वह नाश्ते के लिए नहीं गई। कल दोपहर का खाना भी उसने मिस कर दिया था। उसने अर्जुन और प्रांजल से भी कोई बात नहीं की थी।
तक़रीबन 10:00 बजने को आ रहे थे। तभी जिनी की गाड़ी कैंपस के बाहर आकर रुकी। प्रियल गाड़ी को देखते ही उसकी तरफ़ दौड़ी। वह जिनी के पास पहुँची और उससे पूछा, “मुझे कल से अजीब सी घबराहट हो रही है। सब ठीक तो है ना? निक को कुछ हुआ तो नहीं?”
जिनी ने यह सुना तो उसने अपने चेहरे पर सरप्राइज़ मोशन बनाए। वह बोली, “मुझे इस बारे में कुछ पता नहीं। मेरी मम्मा की तबीयत ठीक नहीं थी तो कल से उनके पास ही थी। उन्हें लगातार उल्टियाँ और दस्त आ रहे थे जिसकी वजह से मैं फ़ोन भी नहीं देख पाई।”
“तो आप जल्दी पता कीजिए ना, मुझे कुछ भी ठीक नहीं लग रहा।” प्रियल का दिल और भारी हो गया था क्योंकि जिनी भी कुछ नहीं जानती थी।
जिनी ने अपना फ़ोन निकाला और रॉन को कॉल किया। रॉन से बात करते ही वह भी पूरी तरह से हैरान-परेशान और घबरा गई। उसने फ़ोन काटा और प्रियल को बताया, “निक कल हुए एक बम धमाके में इंजर्ड हो गया, वह हॉस्पिटल में है।”
प्रियल ने यह सुना तो वह चक्कर खाकर वहीं गिर गई।
निक हॉस्पिटल के अपने कमरे में था। ज़्यादातर स्टूडेंट्स अपनी क्लास लगा रहे थे जिसकी वजह से इंस्टिट्यूट खाली-खाली लग रहा था। ज़ैन और एवा को निक के घायल होने का पता चल चुका था जिसके बाद वे दोनों उसके पास आ गए थे। वे दोनों उसी के पास हॉस्पिटल में बैठे थे।
ज़ैन ने थोड़ा उदास होते हुए कहा, “भाई मैंने आपको कितनी बार कहा है कि आप मिशन पर मत जाया करो। अगर आपको कुछ हो गया तो फिर मेरा इस दुनिया में कोई नहीं रहेगा।”
एवा उसके बोलने के ठीक बाद बोली, “निक तुम अपने नहीं तो ज़ैन के बारे में तो सोचना चाहिए।” इसने सुना, तो यह सच में बहुत परेशान हो गया था।
निक दोनों से बोला, “मुझे कुछ नहीं होगा। तुम लोग ही मेरी जीने की वजह हो। जब तक ये साँसें चल रही हैं, यह समझ लो तुम लोगों के नाम की ही चल रही हैं।”
“आह… हम इतना भी नहीं चाहते,” ज़ैन थोड़ा ड्रामा सा करते हुए बोला, “इसमें से एक-दो परसेंट आप अपने लिए भी रख लो।”
इतने में एम्मा वहाँ आई जो टेबलेट पर कोई रिपोर्ट पढ़ रही थी। वह आते ही बोली, “अथॉरिटी की ओर से अपडेट आ गई है। उन्होंने कोई टफ डिसीज़न नहीं लिया है क्योंकि निक उनके सबसे बेस्ट एजेंट में से एक है, मगर वे कोई ढील भी नहीं बरत सकते थे। निक के घायल होने की खबर बाहर ना पहुँचे इसके लिए उन्होंने तुम्हें कैंपस में शिफ़्ट करवाने के ऑर्डर दिए हैं। तुम्हारा इलाज भी वहीं होगा। तुम्हारे इंजर्ड होने की खबर इंस्टिट्यूट के नाम को खराब कर सकती है, इसलिए उन्होंने यह डिसीज़न लिया है।”
“व्हाट द…” निक बोला, “एक तरफ़ वे कह रहे हैं मैं उनका बेस्ट एजेंट हूँ, और एक तरफ़ मेरे घायल होने की खबर भी उनके इंस्टिट्यूट का नाम खराब कर रही है। यह क्या मज़ाक है?”
“तुम जानते हो ना कॉम्पिटिशन काफी टफ हो गया है।” एम्मा बोली, “छह महीने बाद ही प्रेसिडेंट फ़ोर सोसाइटी के लिए चुने जाने वाले एजेंट का ट्रायल है। इस तरह की कोई भी खबर वहाँ इमेज खराब कर सकती है। दूसरी एजेंसी इसका फ़ायदा भी उठा सकती है, सौ तरह के पंगे हो सकते हैं जो हमें वहाँ अफ़ेक्ट करेंगे, इसलिए वे ऐसा कर रहे हैं।”
“मगर मुझे कैंपस में शिफ़्ट नहीं होना है।” निक ने कहा और हिलने-डुलने की कोशिश की मगर उसका पूरा शरीर दर्द कर रहा था तो वह वापस पहले की तरह हो गया।
“तुम्हारे पास इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है। कैंपस में भी तुम्हें बेस्ट रूम में सेटल किया जाएगा, जिनी के रूम में।”
निक ने एम्मा की तरफ़ देखा, “कोई और बुरी खबर है तो वह भी दे दो। जिनी से अभी हाल-फ़िलहाल में लड़ाई हुई है, तुम उसी के रूम में मुझे शिफ़्ट कर रही हो।”
“वह तुम्हारी दोस्त है। तुम्हारे इंजर्ड होने की खबर सुनने के बाद वह लड़ाई के बारे में भूल भी गई होगी।”
“इससे अच्छा मैं अपने सीक्रेट हाउस में शिफ़्ट हो जाता हूँ, वहाँ कोई किचकिच भी नहीं होगी।”
“वहाँ तुम तो शिफ़्ट हो जाओगे मगर तुम्हारे इलाज के लिए हम किसी डॉक्टर को नहीं भेज पाएँगे। डॉक्टर के आने-जाने से उसमें सीक्रेट जैसा कुछ भी नहीं रह जाएगा।”
निक खुद को पूरी तरह से फँसा हुआ महसूस कर रहा था। तभी एक लड़का वहाँ आया जिसका नाम अंकित था। वह अंदर आते हुए बोला, “चलो भाइयों अगर बात हो गई हो, तो इसे शिफ़्ट करने की तैयारियाँ शुरू करो। बाहर कोई नहीं है और यह हमारे लिए एक बेहतरीन मौका है। हम स्टूडेंट्स को भी इस बारे में पता नहीं लगने दे सकते।”
जल्द ही रॉन भी वहाँ आ गया जो डॉक्टर की पोशाक में था। उसे इन कपड़ों में देख सब उसकी तरफ़ देखने लगे। रॉन अपने कंधे उचकाते हुए बोला, “क्या!! हम एक सीक्रेट मिशन पर हैं, निक को ख़ुफ़िया तरीके से शिफ़्ट करने के मिशन पर।” फिर वह पीछे की तरफ़ हुआ और सब को कहा, “चलो अब हम थोड़ी सी जगह भी दे दो।” एम्मा ने भी इस काम में उनकी मदद की। जल्द ही निक को एक अलग स्ट्रेचर पर डालकर अच्छे से कवर कर बाहर ले जाया गया और वहाँ एम्बुलेंस में डाल दिया गया। एम्बुलेंस में डालने के बाद रॉन ने दरवाज़ा बंद किया और दरवाज़ा खटखटाकर उसे जाने का कह दिया। निक एम्बुलेंस में स्ट्रेचर पर लेटा हुआ था। तभी वह एकदम से खड़ा हुआ, मानो जैसे किसी बुरे सदमे से बाहर आया और बोला, “जिनी के कमरे में तो वो लड़की भी है, ओह नहीं…” और वापस स्ट्रेचर पर गिर गया।
जिनी अपने कमरे में थी। प्रियल उसके ठीक सामने लेटी हुई थी जिसका हेल्थ चेकअप एक सीनियर कर रही थी। वह नॉर्मल मेडिकल का काम जानती थी जिसके आधार पर उसका चेकअप हो रहा था। थोड़ी देर चेकअप करने के बाद उसने कहा, “यह वीकनेस की वजह से हुआ है, इसके खाने-पीने पर थोड़ा ध्यान देना होगा।”
“वीकनेस…” जिनी ने यह सुना तो वह उस बात को याद करने लगी जहाँ प्रियल ने कुछ अजीब सा फील होने की बात कही थी। उसे याद करने के बाद उसने कहा, “ठीक है मैं समझ गई, मुझे पता है ऐसा क्यों हुआ होगा।” इसके बाद उसने सीनियर को बाहर जाने के लिए कह दिया। सीनियर को बाहर जाने का कहने के बाद वह प्रियल के चेहरे की तरफ़ देखने लगी। उसने उसके चेहरे को देखते हुए कहा, “मैं सोच रही थी मैं अब तुम्हारी मदद ना करूँ, तुम्हारी मदद करना निक के लिए सही नहीं होगा, मगर आज… मैं अब क्या कहूँ इस बारे में? तुम्हें बिना पता चले उसके चोट लगने का पता चल गया, तुम्हारे इमोशन उससे जुड़ गए हैं, मैं…” उसने अपने हाथ से बालों में डाले और माथा पकड़ कर नीचे की ओर देखने लगी। “मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा, मुझे अब आगे क्या करना चाहिए, मुझे तुम्हारी मदद करनी चाहिए या नहीं,” तभी उसके फ़ोन पर एक मैसेज पॉपअप हुआ। उसने फ़ोन उठाया और मैसेज पढ़ा। मैसेज पढ़ते ही उसके मुँह से निकला, “ओह नहीं, अब यह क्या है?” मैसेज में लिखा था, “निक को सीक्रेट तरीके से तुम्हारे कमरे में शिफ़्ट किया जा रहा है। जब तक वह ठीक नहीं हो जाता तब तक वह यहीं रहेगा।”
शाम लगभग सात बजे निक की एम्बुलेंस कैंप के बाहर पहुँची। जिनि अपने कुछ स्टूडेंट्स के साथ दरवाज़े पर ही इंतज़ार कर रही थीं। एम्बुलेंस के आते ही जिनि ने स्टूडेंट्स को इशारा किया। स्टूडेंट्स एम्बुलेंस के पास पहुँचे और निक का स्ट्रेचर निकालकर उसे बाहर ले आए। स्ट्रेचर जिनि के पास पहुँचा तो निक ने जिनि की ओर देखा और जिनि ने निक की ओर देखा।
जिनि निक को देखते हुए बोलीं, "तुझे बहुत शौक है ना लड़ने का, अब देखो तुम्हारी यहाँ कितने अच्छे से ख़ातिरदारी होती है, और लड़ो मुझसे..." फिर उन्होंने मुक्का निक के कंधे पर मारा जहाँ हल्का प्लास्टर लगा हुआ था।
निक चिल्लाता हुआ बोला, "आ... ये मुझे कहाँ बेरहमों के पास भेज दिया... ये तो हालत का और कबाड़ा कर देंगे।"
जिनि ने यह सुनकर दोबारा उसके कंधे पर मुक्का मारा। निक हँसने लगा जिसके बाद जिनि ने स्टूडेंट्स को उसे अंदर ले जाने के लिए कह दिया।
निक जिनि के कमरे में पहुँचा तो उसने अपने स्ट्रेचर पर लेटे-लेटे प्रियल की ओर देखा। उसे देखते ही एक बार के लिए उसके चेहरे पर सन्नाटा सा छा गया, मगर वह मरीज़ों की तरह और बेहोशी की हालत में लेटी हुई थी तो इस सन्नाटे ने उसे अंदर से परेशान नहीं किया। उसे गुलकोज़ भी लग रहा था। जिनि वहाँ आईं तो निक ने पूछा, "इसे क्या हुआ है?"
जिनि ने असल बात ना बताते हुए कहा, "थोड़ी सी कमज़ोरी हो गई है, बस इसीलिए।"
निक ने प्रियल को टेढ़ी नज़रों से देखा और फिर जिनि की तरफ देखते हुए कहा, "ऐसे कमज़ोर लोगों को रखते ही क्यों हो, इन्हें देश की सेवा करनी है हम इनकी नहीं।"
जिनि ने पलटवार करते हुए कहा, "हाँ तो मैं यहाँ रह रहे सभी मरीज़ों को बाहर फिंकवा देती हूँ, शुरुआत तो तुमसे करती हूँ, क्योंकि सबसे ज़्यादा सेवा पानी की ज़रूरत तो तुम्हें ही है।" इसके बाद उन्होंने दोबारा मुक्का उसके कंधे पर मार दिया। फिर वे आगे गईं और स्टूडेंट्स की मदद से उसे बेड पर लेटा दिया।
रात लगभग दस बज रहे थे। जिनि निक को खाना खिला रही थीं। उन्होंने निक से पूछा, "यह सब हुआ कैसे? तुम तो हर चीज़ का ध्यान रखते हो।"
निक खाना खाता हुआ बोला, "मत ही पूछो, आजकल कुछ भी सही से नहीं हो रहा है, मेरा ध्यान मेरे काम पर नहीं लग रहा।"
"मैं समझ सकती हूँ।" जिनि ने कहा। इसके बाद वे बोलीं, "और मुझे कल के लिए माफ़ कर देना, मुझे तुम्हारे साथ ऐसा बिहेव नहीं करना चाहिए था।"
निक ने उनकी तरफ देखा और कहा, "गलती मेरी भी थी। हम दोनों एक-दूसरे को काफ़ी अच्छे से जानते हैं मगर इसके बावजूद मैंने तुम पर गुस्सा किया। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।"
"हाँ तो क्यों करते हो?"
"मुझे नहीं पता।" निक ने लाइन को लंबा खींचते हुए कहा। "तुम्हें पता है मेरे साथ जो भी होता है अपने आप होता है, मैं कुछ भी खुद से करने की कोशिश नहीं करता, मेरा मेरे किसी भी इमोशन पर कंट्रोल नहीं है, गुस्सा भी आता है तो एकदम से आता है, नाराज़ भी होता हूँ तो एकदम से होता हूँ, कई बार तो मेरे पास दोनों के लिए ही वजह नहीं होती पर मैं दोनों ही हो जाता हूँ।"
"मैं अब ही कहूँ, अगर मैं तुम्हें ना जानती होती तो पक्का तुम्हें पागल कहती।"
"हह..." निक ने नकली हँसी वाला ड्रामा किया। "अच्छा मज़ाक था।"
जिनि ने निक को खाना खिलाया और फिर अपनी जगह से खड़ी होती हुई बोलीं, "चलो, अब तुम रात भर यहाँ आराम करना। मैं चलती हूँ किसी और कमरे में सोने के लिए।"
उन्होंने यह कहा तो निक ने पहले उनकी तरफ देखा और फिर प्रियल की तरफ। इसके बाद उसने कहा, "क्या मतलब तुम चलती हो सोने के लिए, तुम यहाँ नहीं सोने वाली..."
"यहाँ बस दो ही बेड हैं, एक पर प्रियल है और एक पर तुम... मैं यहाँ कैसे सोऊँगी..."
"तो मैं कैसे..."
निक को जिनि ने ऐसा पहली बार करते हुए देखा था। वह एक तरह से शर्मा रहा था। अंदर से हिचक भी रहा था।
पिछले सात सालों के बाद ऐसा आज हुआ था। यह देखकर उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई। वे मुस्कुराईं और फिर सामान्य होते हुए बोलीं, "तो तुम क्यों फ़िक्र कर रहे हो, फ़िक्र तो इस लड़की को करनी चाहिए, लड़के कभी इस बात की फ़िक्र नहीं करते उसके पास कौन सो रहा है कौन नहीं, अब तुम चुपचाप लेटो और आराम करो।" उन्होंने निक को पीछे की ओर किया और उसे दूर से ही बेड पर लेटाकर बाहर की ओर चली गईं।
उनके जाने के बाद निक बोला, "अजीब मुसीबत है यार।"
अभी सिर्फ़ दस मिनट ही बीते थे और जिनि के कमरे में पूरी तरह से सन्नाटा छा हुआ था। निक की आँख खुली थी और वह अपने हाथ की उंगलियों को मरोड़ रहा था। उसकी आँख ऊपर छत की तरफ़ देख रही थी। थोड़ी देर तक छत की ओर देखने के बाद उसने अपना चेहरा टेढ़ा किया और प्रियल की तरफ़ देखा। प्रियल की तरफ़ देखते ही उसने अपना मुँह तेज़ी से घुमा लिया और वापस छत की तरफ़ देखने लगा। वह दुबारा काफ़ी देर तक छत की ओर देखता रहा। इसके बाद उसने फिर से अपना मुँह हल्का सा प्रियल की तरफ़ किया और उसे एक नज़र देखा। उसे देखने के बाद उसने फिर से अपना मुँह तेज़ी से घुमाया और छत की तरफ़ देखने लगा। उसने थोड़ी देर छत की तरफ़ देखा और फिर पूरा का पूरा घूमकर दूसरी तरफ़ ही पलट गया। दूसरी तरफ़ पलटने के बाद उसने अपनी आँख बंद कर ली और सो गया।
रात लगभग दो बज रहे थे। प्रियल की आँख सर के घूमने से खुली। उसकी गुलकोज़ वाली ड्रिप लगभग आठ बजे ही हटा दी गई थी पर सुई अभी भी लगी हुई थी। उसने पहले अपना सर संभाला और फिर अपनी हालत देखी। अपनी हालत देखने के बाद उसने एक छोटी सी अंगड़ाई ली और बेड पर उठकर बैठ गई। उठकर बैठने के बाद उसने अपने दाईं ओर देखा जहाँ निक पूरी तरह से कम्बल में कवर होकर सोया हुआ था। उसके कम्बल में सोने की वजह से यह भी पता नहीं चल रहा था कि वह निक है। प्रियल का सर अभी भी घूम रहा था और उसे भारी भूख लग रही थी। भूख इतनी ज़्यादा थी कि वह उसे बर्दाश्त भी नहीं कर पा रही थी। उसने लगभग पिछले तीस घंटों से कुछ भी नहीं खाया था।
फिर वह निक को लेकर भी सोच रही थी जिसके बाद भूख लगने के बावजूद उसका खाने का मन नहीं कर रहा था। वह खड़ी हुई और धीमे कदमों से दीवार का सहारा लेते हुए निक के बेड के पास पहुँची। वह उसे जिनि समझ रही थी।
"हे..." करीब पहुँचकर उसने कहा, "क्या तुम जाग रही हो, मुझे पता है मैं आपको परेशान कर रही हूँ लेकिन मुझे उसके बारे में जानना है।" उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया और निक को जिनि समझकर झकझोरते हुए पूछा, "वो ठीक तो है ना..." झकझोरने की वजह से निक की आँख खुली और उसने कम्बल हटाते हुए पलटकर पीछे की ओर देखा। प्रियल ने निक को देखा तो उसकी साँस हल्की आ गई।
निक ने थोड़े रूड और थोड़े एटीट्यूड वाले अंदाज़ में कहा, "तुझे इतनी रात को क्या चाहिए, नींद नहीं आ रही क्या तुझे?"
"वो..." प्रियल के गले से फटी हुई आवाज़ निकली। वह अंदर से इतना घबरा गई थी कि बोल भी नहीं पा रही थी। "अहह..." उसने गला साफ़ किया मगर हल्के से खांसकर, "वो... मैं सॉरी, मुझे लगा यहाँ जिनि हैं... मैं... मैं सॉरी..." वो इतना कहकर फ़ौरन तेज़ी से पीछे हटी और अपने बेड पर जाकर कम्बल लेकर लेट गई। उसने अपना मुँह भी दूसरी तरफ़ कर दिया था। इन सब से उसकी हालत ऐसी हो गई थी कि लेटने के बाद उसने अपनी आँख कसकर बंद कर ली थी।
निक कुछ देर तक उसकी तरफ़ देखता रहा इसके बाद वह भी पहले की तरह हुआ और सोने की कोशिश की। उसने थोड़ी देर कोशिश की मगर इसके बाद अपना कम्बल हटाया और बोला, "तुझे जिनि से क्या चाहिए था? इतनी रात को तुम उसे क्यों जगा रही थी?"
प्रियल का दिल जोर से धड़कने लगा। वह अब उसे कैसे बताएँ कि उसे जिनि से उसका ही हाल जानना था। वह धीरे से पलटी और निक की तरफ़ देखते हुए हल्की और मासूम सी आवाज़ में कहा, जहाँ उसने कम्बल गदन तक अपने सीने से लगा रखा था, "वो मुझे भूख लग रही थी, तो खाना खाना था।" इन हालातों में उसे खुद को जोरों से लगने वाली भूख को आगे करना बेहतर लगा।
"क्यों..." निक उसकी तरफ़ पलटा और लेटे-लेटे पूछा। निक प्रियल की तरफ़ आराम से देख रहा था मगर प्रियल ने अपनी नज़र उस पर से हटा ली थी। वह उसे देख पाने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी। "वो मैंने कल से कुछ खाया नहीं, इसीलिए..." प्रियल अपने मासूम वाले अंदाज़ में ही बोली।
"और खाया क्यों नहीं?" निक ने उससे पूछा।
प्रियल दोबारा से अलग मुसीबत में फँस गई। उसने सोचा और कहा, "एक्चुअली मेरा फास्ट था, इसीलिए,"
"तुम तुम्हारे फास्ट के चक्कर में हमारे इन्स्टिट्यूट की ऐसी की तैसी कर दोगी, पहली बात ऐसी हालत में तुम्हारा इन्स्टिट्यूट में आने का कोई चांस ही नहीं है, दूसरी बात अगर तुम वहाँ आ भी गई तो अपना यह फास्ट-वास्ट वाला चक्कर छोड़ देना, कहीं ऐसा ना हो तुम्हारी आगे कोई एनिमी खड़ा हो और तुम बेहोश होकर उसके सामने गिर जाओ।"
"हम्म..." प्रियल ने चुपचाप बिना कुछ कहे हम्म कह दिया।
निक ने सुना और दूसरी तरफ़ मुँह कर सोने की कोशिश की। प्रियल ने भी उसके मुँह दूसरी तरफ़ करने के बाद अपना मुँह दूसरी तरफ़ कर लिया था। निक थोड़ी ही देर बाद वापस घूमा, "सुनो..." वह बोला। प्रियल यह सुनते ही दूसरी तरफ़ घूम गई। "हाँ..." वह बोली।
"तुझे ज़्यादा भूख लगी है?" निक ने पूछा। "हाँ" प्रियल ने हाँ में सिर भी हिला दिया। "अभी खाना खाना है?"
"इतनी रात को..." प्रियल कमरे में इधर-उधर देखने लगी।
"हाँ इतनी रात को," निक बोला और अपनी जगह से खड़े होने की कोशिश की, "अब तुम क्या चाहती हो तुम्हारे खाने के लिए मैं इस रात को दिन में बदलूँ।" वह खड़ा हुआ तो उसे कंधे पर हल्का दर्द फील हुआ। "आह..." वह दर्द के कारण चिल्लाया।
प्रियल यह देखते ही अपने बेड पर खड़ी हो गई और फ़ौरन उसके पास पहुँची, "आप ठीक तो हैं ना...?" उसने उसके पास जाते हुए पूछा।
"हाँ हाँ मैं ठीक हूँ..." निक ने हाथ ऊपर कर उसे दूर ही रहने का इशारा किया, "मुझे सिर्फ़ कंधे पर चोट लगी है, एनेस्थीसिया की वजह से कमज़ोरी है, बाकी और कुछ नहीं हुआ।" फिर उसने खड़े होने की कोशिश की जहाँ एक बार के लिए वह लड़खड़ाया। प्रियल ने मदद करने की कोशिश की तो उसने दोबारा हाथ ऊपर कर उसे दूर रहने के लिए कह दिया।
निक हल्का लंगड़ाते हुए कैंप के ग्राउंड में चल रहा था। प्रियल उसके पीछे उससे दो फ़ीट की दूरी पर थी। उसने अपने हाथों को बाजू में ले रखा था और चेहरा बिलकुल नीचे कर रखा था। निक कैंप के किचन में गया और उसका दरवाज़ा खोला। दरवाज़ा खोलने के बाद उसने प्रियल को कहा, "तुम यहीं बैठो, मैं तुम्हारे खाने के लिए कुछ लाता हूँ।"
प्रियल ने चुपचाप हाँ में गर्दन हिलाई और बेंच पर जाकर बैठ गई। थोड़ी देर बाद निक उसके लिए चार आमलेट बनाकर लाया। उसने उसकी ओर लंगड़ाकर आते हुए पूछा, "तुम अंडे वगैरह खा लेती हो ना?"
प्रियल ने ना में सिर हिला दिया। निक वहीं रुक गया और उसकी तरफ़ मोटी-मोटी आँखों से देखने लगा। वह उसके टेबल के पास ही खड़ा था। उसने प्लेट टेबल पर रखी और उसे उसकी ओर खिसका दिया, "तुम आज यही खाओगी, अंडे ना सिर्फ़ तेज़ी से भूख मिटाते हैं, बल्कि ये हमें प्रोटीन भी देते हैं जिसकी ज़रूरत एक एथलीट होने के नाते हमें सबसे ज़्यादा होती है।"
प्रियल ने हाँ में सिर हिला दिया और प्लेट अपनी ओर कर उसे खाने लगी। वह उसे चुपचाप ऐसे खा रही थी जैसे निक उसे यहाँ खाना खिलाने के लिए नहीं बल्कि किडनैप करके लाया हो, जिसमें अगर उसने खाना नहीं खाया तो वह उसे जान से मार देगा। निक उसके ठीक सामने बैठ गया और उसे खाना खाते हुए देखने लगा। आमलेट ऐली की फ़ेवरेट डिश थी और उसने उसे भी वही बनाकर दिए थे, क्यों, इसकी वजह वो खुद भी नहीं जानता था।
अगले दिन प्रियल हल्की-फुल्की ट्रेनिंग का काम कर रही थी। थकावट की वजह से जीनू ने उसे भारी काम नहीं दिया था। वहीं निक एक तरफ बैठकर उसे देख रहा था। सुबह का नाश्ता भी उसने प्रियल के साथ किया था। जब उसने उसे पहली बार देखा था तब उसे सब काफी अजीब लग रहा था, लेकिन अब उसे ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था।
तकरीबन 10:00 बजे के करीब सभी ट्रेनिंग सेशन खत्म हो गए और सभी आराम करने लगे। प्रियल ट्रेनिंग फील्ड में पेड़ों के नीचे बने एक बेंच पर बैठ गई और अपना पसीना साफ करने लगी। तभी निक हल्का सा लंगड़ाता हुआ उसके पास आया।
जिसके आते ही प्रियल पसीना साफ करने की बजाय सीधे होकर बैठ गई।
निक उसके पास बैठा और उससे पूछा, "तुम कहाँ से हो?"
"वो..." प्रियल अभी भी ठीक से कम्फ़र्टेबल नहीं हुई थी। इसलिए उसे बात करने में प्रॉब्लम हो रही थी। "वैसे मैं चंडीगढ़ से हूँ, लेकिन मुंबई में रहती हूँ। आई मीन मेरा होमटाउन चंडीगढ़ में है जबकि स्टडी का काम मुंबई में हो रहा है।"
"स्टडी क्या करती हो?"
"नॉर्मल ग्रेजुएशन, मैं बीए थर्ड ईयर में हूँ।"
"तो फिर अपना ग्रेजुएशन छोड़कर यहाँ आने का क्या मन बना?"
"आ..." प्रियल खुद में कंफ्यूज हो गई क्योंकि वह इसकी वजह बताए उसे समझ में नहीं आ रहा था। वह निक को नहीं बता सकती थी कि वह उसकी वजह से यहाँ आई है। उसने कुछ सोचा और कहा, "मैं एक एक्ट्रेस बनना चाहती थी, उसी के चलते मैं यहाँ आई हूँ।"
"अगर तुम्हें एक्ट्रेस बनना था तो तुम बी.ए. करने से पहले यहाँ क्यों नहीं आई? थर्ड ईयर में तुम्हारे मन में ऐसा क्या आया जो तुम यहाँ आ गई?"
प्रियल खामोश हो गई। उसके पास इस सवाल का जवाब नहीं था। निक कुछ देर तक उसके खामोश चेहरे की तरफ देखता रहा, फिर बोला, "बताओ भी अब, क्या सोच रही हो?"
"मुझे...वो..." प्रियल हड़बड़ा गई थी। उसे कुछ भी कहने को नहीं मिल रहा था। "मुझे नहीं पता।" जब उसे कुछ नहीं मिला तो उसने कहा और खड़ी होकर वहाँ से चली गई। निक ने उसे जाते हुए देखा और अपने चेहरे पर हैरानी वाली लकीरें बनाईं।
दोपहर को प्रियल खाना खा रही थी। निक जीनू के साथ बैठा था, मगर उसकी नज़र प्रियल पर ही थी।
निक जीनू से बोला, "मैं सुबह इस लड़की से बात कर रहा था, मैंने इससे कुछ पूछा मगर यह उसका जवाब नहीं दे पाई, मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा।"
"व्हाट यू मीन? तुम्हें कुछ ठीक नहीं लग रहा?" जीनू ने पूछा।
"किसी के सवालों का जवाब ना देना उसे संदेह में डालता है, मुझे इस लड़की में कुछ गड़बड़ लग रही है।"
"ओह हेलो..." जीनू यह सुनते ही बोली, "चोट तुम्हारे कंधे पर लगी है दिमाग पर नहीं, कैसी बहकी-बहकी बात कर रहे हो? अच्छा, मुझे बताओ तुमने क्या पूछा था?"
"मैंने पूछा था यह कौन सी क्लास में स्टडी करती है, तो इसने कहा बी.ए. थर्ड ईयर में, फिर मैंने पूछा यहाँ आने की कैसे सोची, इसने कहा क्योंकि मुझे एक्ट्रेस बनना था, फिर मैंने पूछा कि यह फैसला तुमने बी.ए. करने से पहले क्यों नहीं लिया? बी.ए. के वक्त यह डिसीजन तुमने क्यों लिया?"
"हाँ, तो इसमें कौन सी गलत बात है? उसकी लाइफ उसका मज़ाक, होगा कोई कारण। तुम्हें क्या लग रहा है? इसने टीवी में तुम्हें देखा होगा और फिर यह एक्ट्रेस बनने के लिए यहाँ आई होगी।"
"क्या... कुछ भी..." निक ने ना-नुकुर नहीं की और चुपचाप खाना खाने लगा। वहीं जीनू का हंसने का मन कर रहा था, लेकिन वह उस पर कंट्रोल कर रही थी। उसने मन ही मन कहा, "चलो कम से कम यह प्रियल में इंटरेस्ट तो दिखा रहा है, शुरुआत अच्छी है, बाकी देखो आगे क्या होता है।" इतना कहकर वह भी खाना खाने लगी।
रात को 9:00 बजे प्रियल अकेले जीनू के रूम में थी। निक घूमने के लिए गया हुआ था। वह निक के साथ थोड़ा ही सही, लेकिन उसके साथ टाइम बिता रही थी तो उसे कुल मिलाकर अच्छा फील हो रहा था। उसने अंजू और प्रांजल को लैपटॉप पर वीडियो कॉल किया। प्रांजल सामने से वीडियो कॉल उठाते ही बोली,
"हे दी, कैसी हो आप? और आपकी चोट कैसी है?"
"अब थोड़ा बेहतर लग रहा है मुझे," प्रियल ने जवाब दिया। "थोड़ी कमजोरी है, लेकिन यह भी जल्दी ठीक हो जाएगी।"
"तब तो अच्छी बात है..." प्रांजल ने कहा और फिर पूछा, "और आप कल कौन सी दुनिया में खोई हुई थीं? कल आपकी ओर से कोई कॉल नहीं आया।"
प्रियल ने यह सुना तो मायूस से चेहरे के साथ कहा, "अब क्या बताऊँ, काफी लंबी बात है। कल मेरा मूड अपसेट था, वह भी इतना ज़्यादा कि कुछ करने का मन नहीं कर रहा था। मैंने तो खाना भी नहीं खाया।"
"और वो..." प्रांजल ने पूछा।
"वो अपना निक है ना..." प्रियल ने बताने के लिए मुँह खोला, लेकिन इतना कहते ही दरवाज़ा खुला और निक अंदर आ गया। कैमरा सामने ही था तो प्रांजल को भी निक कमरे में आता दिख दिया। यह देखते ही उसने कैमरे को क्लोज़ करके देखा और फिर अपने दोनों हाथ हैरानी से मुँह पर रख लिए। इसके बाद वह उछलने लगी और उछलते हुए कहा,
"इ...जिज्जू!"
तभी निक का ध्यान प्रियल और लैपटॉप पर चला गया। उसे प्रांजल सामने ही उछलती हुई दिखाई दे रही थी। "क्या हो रहा है ये..." वह करीब आया और पूछा। प्रियल निक के कमरे में आते ही पूरी तरह से घबरा गई थी, जबकि अब प्रांजल का रवैया देखकर उसकी घबराहट सातवें आसमान पर पहुँच गई थी। उसने तुरंत वीडियो कॉल कट किया और सामने की आवाज़ भी बंद कर दी और फिर निक से कहा, "वो मैं अपनी छोटी बहन से बात कर रही हूँ।"
"वह तो ठीक है, लेकिन यह इतना उछल क्यों रही है? तुमने उसे ऐसी क्या खबर दे दी?" निक जिस अंदाज़ से पूछ रहा था उससे ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी अपराधी से बात कर रहा है, वह भी ऐसे अपराधी से जिसकी हर हरकत संदेहास्पद लगे।
प्रियल अब इसका क्या जवाब दे यह उसके पल्ले नहीं पड़ रहा था। इतने में वीडियो कॉल में अंजू भी आ गया और वह दोनों निक को देखकर उसे देखने और हैरान होने वाला मुँह बनाने लगे। साथ में वह लोग एक-दूसरे से बात करके खुश भी हो रहे थे। "वो वो यह एग्ज़ाम में पास हो गई ना इसलिए खुश हो रही है।" यह कहते हुए उसने वीडियो कॉल कट कर दिया और लैपटॉप को समेटकर टिकिए के नीचे रख दिया। फिर जल्दी से खड़ी हुई और वाशरूम के लिए चली गई। वहीं निक ने उसके जाने के बाद पहले वाशरूम के दरवाज़े की तरफ़ देखा और फिर लैपटॉप की तरफ़। इसके बाद वह बोला, "जीनू कह रही थी मैं उल्टा सोच रहा हूँ, लेकिन इस लड़की की हरकत मुझे सीधी नहीं लग रही, बंदा अब उल्टा ना सोचे तो और क्या करे?"
अगले दिन संडे होने की वजह से प्रियल की कोई क्लास नहीं थी। वह वहीं पर चुपचाप बैठकर लैपटॉप में स्टडी कर रही थी, जबकि निक अपने बेड पर बैठकर बीच-बीच में उसकी ओर देख रहा था। वह कमरे में अपने लैपटॉप पर ही अपना काम कर रहा था।
निक उसकी तरफ़ टेढ़ी नज़रों से देखने के बाद खुद में सोचता हुआ बोला, "चलो इतना तो पता चला इसका यहाँ पर पढ़ने में ज़्यादा इंटरेस्ट है। मुझे ऐसे स्टूडेंट्स अच्छे लगते हैं जो इधर-उधर ध्यान ना रखकर स्टडी में ध्यान दें। इसकी जगह कोई और लड़की होती तो वह बात करने का एक भी मौका नहीं छोड़ती। इसने तो कल से कोई खास इंटरेस्ट नहीं दिखाया। जब से आया हूँ तब से ही नहीं दिखाया, यह काफी अच्छी बात है।"
वहीं प्रियल भी बीच-बीच में उसे देख रही थी, मगर ज़्यादा सफाई से। वह खुद में सोच रही थी, "मुझे कल से इससे बात करने का कोई बहाना नहीं मिला, बात करने की कोशिश करूँ भी तो इसे देखकर ही डर लगने लगता है। थोड़ी बहुत हिम्मत करती हूँ भी तो यह आकर सवाल-जवाब करने लगता है, वो भी ऐसे जैसे मैं कोई स्टूडेंट नहीं बल्कि क्रिमिनल हूँ।"
फिर उसने कहा, "अकड़ू कहीं का! इंटरव्यू में तो अच्छा-खासा था, मगर यहाँ तो इसकी अकड़ ही कम नहीं हो रही। इस अकड़ की वजह से मुझे पढ़ना और पढ़ा रहा है। पूरे कॉलेज में ना पढ़ी मैं, पर अब यहाँ ज़रूर दिमाग खराब करूँगी।"
"मुझे यह बेवकूफ लग रही है।" निक खुद में सोच रहा था। "मैंने इतनी बार इसे देख लिया, मगर इसने अपना मुँह तक नहीं उठाया। इसे यह भी पता नहीं चल रहा मैं इसे देख रहा हूँ। पता नहीं कैसे बनेगी यह एक्ट्रेस?"
"और इसने मुझे बेवकूफ समझ रखा है क्या?" प्रियल ने खुद में सोचा। "यह घूर-घूर कर मुझे ही क्यों देख रहा है? पक्का यह सोच रहा होगा मुझे कुछ पता नहीं चलता, मगर मुझे सब पता चल रहा है। एक्ट्रेस बनना है मुझे, इतनी तो अक्ल रखूँगी ही ना, कौन मुझे देख रहा है कौन नहीं। उफ़्फ़! एक तो मैं इसकी नीली आँखों में नहीं देख सकती। अकड़ू होने की वजह से मुझे इसकी खूबसूरत नीली आँखों से भी डर लगने लगा है।"
निक काफी देर तक शांत रहा। इसके बाद उसने पूछा, "जीनू कहाँ है?"
प्रियल ने याद करते हुए कहा, "पता नहीं, मुझे सुबह से दिखाई नहीं दी, यहाँ कमरे में भी नहीं आई।"
"तभी तो पूछ रहा हूँ।" निक ने कहा। फिर आगे बोला, "मुझे भूख लग रही है, वो यहाँ होती तो उससे खाना मँगवा लेता।"
प्रियल ने यह सुनते ही अपना काम बंद किया और बोली, "यह बात आप मुझे ही कह देते, खाना तो मैं ही ले आती हूँ।"
"नहीं, रहने दो, मैं खुद जाकर खा लेता हूँ।" निक ने कहा और अपना लैपटॉप बंद करने लगा। तभी प्रियल बोली, "अरे नहीं सर, आप बिल्कुल भी फ़ॉर्मल मत होइए। अकड़ू लगते हैं आप ऐसे। आप यहीं रुकें, मैं खाना लेकर आती हूँ। आगे भी आपको किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझे बेहिचक कह देना।" प्रियल इतना कहकर कमरे से निकल गई। जबकि निक उसके जाने के बाद हक्का-बक्का रह गया। वह बोला, "क्या कह गईं यह लड़की? अकड़ू, मैं इसे अकड़ू लगता हूँ। व्हाट द... अकड़ू... मैं अकड़ू?"
थोड़ी देर बाद प्रियल निखिल के लिए खाना लेकर आ गई। उसे नहीं पता था निखिल को क्या पसंद था, इसलिए वह अपनी पसंद का खाना ले आई थी। निखिल लैपटॉप पर अपना काम कर रहा था। प्रियल खाना लेकर आई और उसे बेड पर रख दिया। फिर वह भी अपने बेड पर गई और काम करने लगी। मगर उसने देखा निखिल ने उसके खाने की तरफ ध्यान ही नहीं दिया।
"सर, मैं खाना ले आई हूँ।" प्रियल बोली।
"मुझे दिखता है।" निखिल ने कहा, मगर बिना अपना चेहरा ऊपर उठाए।
"तो आप..." प्रियल बस इतना ही बोली।
"क्योंकि मुझे नहीं खाना।" निखिल ने कहा और लैपटॉप बंद कर अपनी जगह से उठने की तैयारी करने लगा।
प्रियल को नहीं समझ आ रहा था वह ऐसा क्यों कह रहा है, मगर निखिल के उसके द्वारा लाए गए खाना ना खाने की वजह से वह अंदर से थोड़ी निराश हो गई थी।
निखिल अपने बेड से खड़ा हुआ और फिर प्रियल की तरफ हल्की आँखों से देखते हुए कहा, "तुझे पता भी है तूने मुझे जाते वक्त क्या कहा था, अकडू, मैं तुझे अकडू लगता हूँ?" निखिल ने इतना कहा तो प्रियल समझ गई बात क्या है। वह उसके अकडू वाले शब्द पर नाराजगी दिखा रहा था।
प्रियल अपने बेड पर खड़ी हुई और तुरंत अपनी गलती मानते हुए बोली, "मेरा कहने का यह मतलब बिल्कुल नहीं था। वो मैंने जल्दी में कह दिया था। मेरा काम की तरफ ध्यान था और आप खाना नहीं मँगवा रहे थे, इसी चक्कर में सारा रायता फैल गया। सॉरी।" प्रियल ने मासूम से तरीके से सॉरी कहा।
"रायता!! तुम यह अजीब-अजीब से शब्द कहाँ से लेकर आ रही हो?" निखिल ने पूछा।
"सॉरी।" प्रियल ने दोबारा से सॉरी कह दिया जो उसके 'रायता' वाले शब्द के लिए था। प्रियल ने अपनी आँखें मुँद कर चेहरा हल्का सा नीचे कर लिया था। वह इस समय बहुत क्यूट लग रही थी।
निखिल को उसका यह चेहरा अच्छा लगा। एक पल के लिए वह उसमें खो सा रहा था, मगर अगले ही पल उसने खुद को झकझोरा और होश में आया। "ठीक है, आगे से मत करना ऐसा, अगर किया तो देख लेना।"
"हम्म।" प्रियल ने स्कूल के किसी अच्छे बच्चे की तरह सिर हिला दिया। निखिल बेड पर बैठा और खाना खाने लगा। वहीं प्रियल भी अपने बेड पर गई और काम करने लगी। काम करते वक्त उसके चेहरे पर किसी तरह का एक्सप्रेशन नहीं था, लेकिन अंदर ही अंदर उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। निखिल ने जो काम किया, जिसमें उसने अपनी नाराजगी दिखाई थी, उसने प्रियल का दिल मोह लिया था। वहीं निखिल भी अंदर से हल्का सा खुश था; उसे प्रियल का सॉरी वाला चेहरा अच्छा लगा था, मगर वह अपनी खुशी को पूरी तरह से दबाने की कोशिश कर रहा था; बाहर से भी और अंदर भी।
अगले दिन प्रियल उठी तो उसने देखा निखिल अपने बेड पर उसी पोजीशन में बैठा था जैसे कल रात को था। आखिर बार उसने उसे बैठे हुए देखा था।
"इन्होंने क्या पूरी रात काम किया था? एक बार सोने के बाद मेरी तो आँख नहीं खुली जो मैं इसे काम करते हुए देख सकती।" प्रियल खुद में सोचते हुए बोली। फिर उसने खुद से ही सवाल किया, "मैं इनसे पूछ लूँ यह सारी रात काम कर रहा था? नहीं, अगर मैंने पूछा और इसने सवालों की झड़ी लगा दी तो? क्या होगा? रहने ही दो।" प्रियल इतना कहकर खड़ी हो गई और फ्रेश होने के लिए वॉशरूम चली गई।
प्रियल के जाते ही निखिल ने वॉशरूम के बंद दरवाजे की तरफ देखा और सोचते हुए कहा, "कमाल है, यह लड़की है या कुछ और, ना गुड मॉर्निंग, ना हैव ए नाइस डे, बस सीधी खड़ी हुई और वॉशरूम में चली गई। कुछ तो रिस्पेक्ट करनी चाहिए थी इसे, एटलीस्ट मैं इसका सीनियर हूँ।" इसके बाद उसने अपना सर झटका और लैपटॉप की तरफ देखते हुए कहा, "जाने दो, मैं इसकी इतनी क्यों फिक्र कर रहा हूँ। निखिल, तुम अपना काम करो ना चुपचाप।"
प्रियल तकरीबन 30 मिनट बाद वॉशरूम से नहा-धोकर बाहर आई। वह पूरी तरह से तैयार होकर ही बाहर आई थी। उसने एक टी-शर्ट और जीन्स पहन रखी थी। बाल टॉवल में बंधे हुए थे। निखिल ने एक नज़रों से देखा और उसे देखता ही रह गया। मगर अगले ही पल वह तुरंत अपने काम में लग गया। उसे प्रियल को इस तरह से देखना अजीब लगा।
प्रियल ने चेहरे पर नॉर्मल एक्सप्रेशन दिए और हल्के कॉन्फिडेंस के साथ निखिल को कहा, "गुड मॉर्निंग सर।"
निखिल ने बिना उसकी तरफ देखे उसे जवाब दिया, "गुड मॉर्निंग।" वह ऐसे रिएक्ट कर रहा था जैसे अपने ही काम में पूरी तरह से डूबा हुआ है। इसलिए उसने बिना उसकी तरफ देखे जवाब दिया था। जबकि सच्चाई यह थी कि वह फिर से उसे देखना चाहता था।
प्रियल अलमारी की तरफ बढ़ी और वहाँ कुछ कपड़े सेट करने के बाद निखिल से पूछा, "आप सारी रात ऐसे ही काम कर रहे थे क्या?"
"हाँ।" निखिल ने जवाब दिया। "मुझ पर पूरे इंस्टिट्यूट की जिम्मेदारी है, इस जिम्मेदारी में कभी-कभी कितना काम करना पड़ता है मुझे भी इसका पता नहीं चलता, कई बार तो मैंने दो-दो रातों तक जागकर काम किया है।"
"ओह।" प्रियल ने हल्की हैरानी दिखाई। "यह तो सच में काफी मुश्किल काम है।" फिर इधर-उधर देखा और कहा, "अच्छा, मैं ट्रेनिंग के लिए चलती हूँ।" और कहकर बाल सही किए और बाहर चली गई। उसके जाने के बाद निखिल ने अपना चेहरा ऊपर किया और दरवाजे से ही उसे बाहर ग्राउंड में जाते हुए देखा। वहाँ वह आरोही से बात करने लगी थी।
निखिल दरवाजे से उसे तब तक देखता रहा जब तक वह दिखती रही। जब वह दिखना बंद हो गई तब उसने अपना ध्यान लैपटॉप की तरफ किया और काम करने लगा।
तकरीबन 10:00 बजे निखिल फ्रेश होकर अपने रूम से निकलकर बाहर आया। वह खुद को कल से बेहतर महसूस कर रहा था। उसका लंगड़ाना कम हो गया था। बाहर आने के बाद वह ट्रेनिंग ग्राउंड की ओर चला गया। वहाँ वह स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग करते हुए देखने लगा। सभी स्टूडेंट्स उसे गुड मॉर्निंग सर कह रहे थे और वह सिर हिलाकर उनका जवाब दे रहा था। उसने जीन्स की पैंट, टी-शर्ट और उसके ऊपर लेदर की जैकेट पहन रखी थी। दोनों हाथ पैंट की जेब में थे और वह चहलकदमी करता हुआ ट्रेनिंग ग्राउंड में फिर रहा था।
प्रियल एक बड़े से लकड़ी के डंडे को जमीन में गाड़ने में लगी हुई थी। आज की ट्रेनिंग में उसे यही करना था। ऐसे सौ लकड़ी के डंडे जमीन में गाड़ने थे। वह मिट्टी से पूरी तरह तर-बतर थी। डंडा गाड़ते-गाड़ते उसकी नजर निखिल पर पड़ी जो अपने कूल वे वाले अंदाज में उसी की ओर आ रहा था। उसे अपनी ओर आता देख उसने तुरंत उसे देखना छोड़ा और नीचे की तरफ चेहरा कर अपना काम करने लगी।
निखिल उसके पास आया और बोला, "तुझे नहीं लगता तुम्हारी ऐज के हिसाब से यह काम काफी टफ है? ऐजेंट बनने से पहले तुमने इसके खतरों और इसके लिए की जाने वाली मेहनत के बारे में रिसर्च तो की ही होगी? इतने खतरनाक और मुश्किल कामों को देखकर तुम्हारा ऐजेंट बनने का मन कैसे कर गया?"
"खतरे तो हर जगह होते हैं, अगर आप सेफ से सेफ काम भी करते हो तो वहाँ भी कोई ना कोई खतरा आ सकता है। फिर आपका ही तो कहना है, खतरे कभी पूछकर नहीं आते, और यह बात सिर्फ ऐजेंट के लिए नहीं बल्कि हर एक इंसान के लिए लागू होती है; हर एक इंसान के लिए उसकी ज़िंदगी में खतरे कभी उससे पूछकर नहीं आते।" प्रियल ने उसकी तरफ देखा और जवाब दिया। वह अब निखिल की तरफ देखने में किसी तरह की हिचक नहीं महसूस कर रही थी। यहाँ तक कि उसकी आँखों में भी देख लेती थी।
"इम्प्रेसिव।" निखिल ने कंधा उठाते हुए कहा। इसके बाद वह आगे बढ़ा और बड़े से खिले को संभालता हुआ बोला, "लो, मैं इसमें तुम्हारी थोड़ी मदद कर देता हूँ।"
"नहीं, आप रहने दीजिए।" प्रियल बोली। "आपको वैसे भी चोट लगी हुई है, चोट में इस तरह के काम करना ठीक नहीं रहता।"
"यह तुमसे किसने कह दिया, और कमजोर तो तुम भी हो ना, जब तुम कर सकती हो तो मैं क्यों नहीं?" निखिल बोला और खिले को पकड़ लिया।
प्रियल ने निखिल की तरफ देखा और अपने चेहरे पर मुस्कान दी। फिर मुस्कान देने के बाद उसने "थैंक्स।" कहा। इसके बाद दोनों मिलकर जमीन में खिले गाड़ने लगे।
दोपहर को तकरीबन 50 के करीब खिले गाड़ने के बाद वह लोग आकर लंच करने लगे। निखिल बेंच पर बैठ गया था जबकि प्रियल उसके लिए खाना लेकर आई थी। निखिल ने खाने की प्लेट की तरफ देखा तो उसे फिर से अपना पसंदीदा खाना मिला। उसने अपना पसंदीदा खाना देखकर प्रियल से पूछा, "तुझे मेरी पसंद या नापसंद के बारे में पता है क्या? तुम कल भी मेरे लिए मेरी पसंद का खाना लेकर आई थी, जबकि अब भी।"
"नहीं तो..." प्रियल ने जवाब दिया। "मैं तो जो भी खाना लेकर आई थी वो मैंने अपनी ही पसंद का सिलेक्ट किया था।"
"यू मीन तुझे भी यह खाना पसंद है।" निखिल ने पूछा।
"हाँ, क्यों, कोई गलत बात है क्या?" प्रियल अपनी जगह पर बैठ गई और खाना खाने लगी। उसे काफी ज्यादा भूख लगी हुई थी तो उसने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि निखिल और उसके खाने की पसंद एक जैसी है, जब कि निखिल ने देख लिया था।
"नहीं, कुछ नहीं हुआ, तुम खाना खाओ।" निखिल ने कहकर एक बार प्रियल को खाना खाते हुए देखा और फिर खुद भी खाना खाने लगा।
रात के लगभग 8:00 बजे निखिल एक हल्की वॉक कर अपने कमरे में आया। वह अपने कमरे में पहुँचा तो उसने देखा उसका बिस्तर पूरी तरह से साफ था। बिस्तर पर रखा उसका सामान टेबल पर सजाकर रखा पड़ा था। यह देखते ही वह आग बबूला हो गया। कोई उसकी चीज़ को हाथ लगाए यह उसे पसंद नहीं था। यहाँ तक कि अगर उसके सम्मान की हालत खराब हो रही हो तो भी वह उसे किसी और को हाथ लगाने नहीं देता था। प्रियल वॉशरूम में थी। वह दरवाज़ा खोलकर बाहर आई और अपने बिस्तर को सही करने लगी। अपने बिस्तर को सही करते हुए उसने पूछा, "सर, अगर आपको बुरा न लगे तो मैं आपसे एक सवाल पूछ सकती हूँ? मैंने आपके लैपटॉप पर एक लड़की की तस्वीर देखी थी, वो कौन है?" प्रियल ने अपने ध्यान में ही खोकर यह सवाल पूछा था। उसने इस बात पर ध्यान नहीं दिया था कि निखिल गुस्से में है। वो जो तस्वीर उसके लैपटॉप पर थी वो ऐली की थी। इस बात ने निखिल का गुस्सा और ज्यादा बढ़ा दिया।
"हाउ डेयर यू! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी चीज़ों को हाथ लगाने की? तुम आखिर समझती क्या हो अपने आपको?" निखिल पूरी तरह से उस पर भड़क गया। "मैंने सॉफ्ट नेचर में दो बातें कर ली, तुम खुद को इस लायक समझने लगी हो कि मेरी चीज़ों तक पहुँच गई। तुम जैसे लोग डिज़र्व ही नहीं करते मेरे सॉफ्ट नेचर को।"
"मगर..." प्रियल बोली।
"मुझे कुछ नहीं सुनना, निकलो इस कमरे से..." निखिल ने अपना हाथ कर उसे बाहर जाने के लिए कह दिया।
प्रियल ने यह सुना तो उसे धक्का सा लगा। उसकी आँखों से आँसू निकलने को हो गए जिन्हें वह जैसे-तैसे कर रोकने की कोशिश कर रही थी। निखिल का गुस्सा ज़ोरदार था, मगर उसने उसे बहुत सह लिया था, पर उसका कमरे से बाहर जाने के लिए कहना उसकी सहनशीलता से बाहर था। वह तुरंत बाहर की ओर मुड़ी और कमरे से बाहर चली गई। वहाँ वह जिन आँसुओं को रोकने की कोशिश कर रही थी वे उसकी आँखों से निकल पड़े और वह वहीं खड़ी होकर रोने लगी। वो रोते हुए वह बुदबुदाई, "मगर मैंने कुछ नहीं किया था, मैंने आपका सामान नहीं छेड़ा।"
अगले दिन सभी स्टूडेंट्स अपने ट्रेनिंग का काम कर रहे थे। प्रियल भी। पहले प्रियल का कोई ट्रेनिंग सेशन नहीं होता था तो वह अपने रूम में आ जाती थी। लेकिन आज फ्री होने के बावजूद वह एक बार भी अपने कमरे में नहीं गई। प्रियल कल रात से चुपचाप और गुमसुम सी थी। आरोही उसका यह बिहेवियर रात से ही देख रही थी। तकरीबन 10:00 बजे के करीब वह अपनी ट्रेनिंग निपटाकर प्रियल के पास आई और बेंच पर उसके साथ बैठी। बेंच पर बैठते हुए उसने पूछा, "क्या हुआ? सब ठीक तो है ना? तुम कल रात से परेशान लग रही हो। क्या तुम वीकनेस फील कर रही हो? उसकी वजह से तुम्हारा चेहरा उतरा-उतरा पड़ा है।"
"हाँ, वीकनेस तो लग रही है," प्रियल ने कहा, "मगर मेरे उतरे हुए चेहरे की वजह यह नहीं है। मैं किसी और ही बात को लेकर परेशान हूँ।"
"और वह क्या है?"
"तुम नहीं समझोगी," प्रियल ने कहा और बेंच से उठ खड़ी हुई। उठने के बाद वह वहाँ से चली गई। जबकि उसके जाने के बाद आरोही यही सोचती रही कि ऐसी क्या वजह थी जो उसे समझ नहीं आएगी।
निकल कल रात से ही अपने कमरे से बाहर नहीं निकला था। यहाँ तक कि सुबह का नाश्ता भी उसने अपने रूम में मँगवाया था। प्रियल की तरह वह भी अपने चेहरे से परेशान लग रहा था। मगर उसके परेशान होने की वजह कुछ और ही थी। वह प्रियल को लेकर ओवरथिंकिंग कर रहा था। उसने उसके साथ अच्छा किया या बुरा, इसके बारे में सोच रहा था।
निकल को गुस्सा आया और उसने अपने लैपटॉप बंद करते हुए कहा, "पता नहीं मैं उस लड़की को लेकर इतनी ओवरथिंकिंग क्यों कर रहा हूँ? मैंने उसे डाँट दिया तो डाँट दिया, इसमें परेशान होने वाली कौन सी बात है? अब से पहले भी तो मैंने कई सारी लड़कियों को डाँटा है, तब तो मुझे ऐसा कुछ भी फील नहीं हुआ, तो आज मेरा दिमाग क्यों खराब हो रहा है? क्यों मैं बार-बार उसी के बारे में सोचता जा रहा हूँ?" इतना कहकर उसने अपना मुक्का बेड पर मारा। "मुझे उसके बारे में नहीं सोचना है, मुझे अपने काम पर ध्यान देना है। आई डोंट केयर मैंने उसके साथ क्या किया, उसने मेरे सामान को छेड़कर गलती की थी, और मैंने उसके साथ जो भी किया वह इस गलती के बाद इसे डिजर्व करती थी, चल निकल, अब अपने काम पर ध्यान दे।" वह दोबारा काम पर लग गया।
दोपहर के लगभग 2:00 बजे के करीब सब लंच टाइम के लिए इकट्ठे हुए। आरोही और जीन भी एक साथ आ गए थे। प्रियल उनके साथ नहीं बैठी थी। वह उनसे दूर एक अलग ही कोने पर अपना खाना खा रही थी।
आरोही ने प्रियल की तरफ देखते हुए जीन से कहा, "पता नहीं इसे क्या हो गया है, यह कल रात से ही ऐसे मायूस और परेशान सी है। मैंने पूछा भी मगर इसने मुझे कुछ बताया नहीं।"
"क्या कहा...?" जीन को यह सुनकर हैरानी हुई। "मुझे इस बारे में तो नहीं पता था। ओह गॉड! मैं अपने काम में इतनी बिजी हो गई कि मैंने इस पर ध्यान ही नहीं दिया। उफ्फ! ज़रूर निकल ने कोई पंगा किया होगा।" "कैप्टन निकल!! उन्होंने क्या पंगा किया होगा?"
"वो लड़ाई-झगड़ा करने वाला है, पक्का इसे डाँट-वाँट दिया होगा। तुम यहीं रुको, मैं उसकी खबर लेकर आती हूँ।" जीन ने कहा और अपनी जगह से खड़ी होकर रूम की ओर चली गई।
वह रूम में पहुँची तो वहाँ निकल अपने काम में लगा हुआ था। उसने जाते ही कहा, "तुमने प्रियल को डाँटा? हाउ? तुम उसे कैसे डाँट सकते हो? वह कितनी मासूम सी है और तुम्हें ज़रा भी रहम नहीं आया।"
"व्हाट..." निकल को जीन की बात सुनते ही गुस्सा आ गया। "मैंने उसे उसकी गलती के लिए डाँटा, मुझे बिना वजह किसी को भी डाँटने का शौक नहीं।"
"गलती? कौन सी गलती? उसने आखिर क्या गलती की?"
"उसने बिना पूछे मेरा सामान छेड़ा। मुझे नहीं पसंद कोई मेरा सामान छेड़े, यहाँ तक कि उसने मेरे लैपटॉप की तरफ भी नज़र डाली, उसमें लगी एली की तस्वीर को देखा। मुझे ऐसे लोगों से नफ़रत है जो दूसरों की चीज़ों में टाका-झाँकी करते हैं।"
"ओह गॉड!" जीन ने अपने बालों में हाथ फेरा। "तब तो तुम्हें उससे माफ़ी माँगकर सॉरी कहना होगा, क्योंकि तुम्हारे, आई मीन मेरे इस कमरे की सफ़ाई मैंने करवाई थी, और जिसने सफ़ाई की थी उसी ने तुम्हारे सामान को छेड़ा था। मैंने उससे कहा था तुम्हारा सामान नहीं छेड़ना चाहिए था, पर तब तक काफ़ी देर हो गई थी, वह यहाँ की सफ़ाई कर चुका था, और जिस तस्वीर की तुम बात कर रहे हो, यह कल मेरे कमरे में आने के बाद की ही बात है। तब मैं आई थी तो तुम्हारा लैपटॉप खुला पड़ा था और टेबल के ऊपर था। प्रियल भी मेरे साथ थी और हम दोनों की नज़र एक साथ लैपटॉप और उसके वॉलपेपर पर पड़ गई थी। वहीं मेरे ही मुँह से निकला था, 'यह इसने इसकी तस्वीर को अब तक बदला नहीं, पता नहीं कब यह पुरानी चीज़ों को छोड़ना सीखेगा, जो चीज़ इसे तकलीफ़ देती है यह उसे भी नहीं छोड़ता,' और यहीं से उसके माइंड में लड़की के बारे में जानने का सवाल आया होगा। तुम उसके साथ फ़्रेंडली हो रहे हो या हो, तो वह ऐसी किसी भी चीज़ को लेकर तुमसे सवाल तो करेगी ही ना, और यह निजी ज़िंदगी में घुसना बिल्कुल केयर में आता है, समझे तुम।" जीन ने सब कुछ गुस्से में कहा था। इतना कहने के बाद उसने अपनी उंगली निकल की तरफ़ की और कहा, "और आइंदा से, आइंदा से किसी को कुछ कहना हो ना तो कहने से पहले एक-दो बार सोचना ज़रूर, सोचना तुम ऐसा करके सही कर भी रहे हो या नहीं। हर बार हमारी आदत ही सब कुछ नहीं होती, सामने वाले की सेल्फ़-रिस्पेक्ट और उसके इमोशन भी मायने रखते हैं।" जीन ने इतना कहा और अपने रूम से निकल गई। जबकि निकल वह इतना सब कुछ सुनकर पूरी तरह से खामोश हो गया। कुछ देर खामोश रहने के बाद उसने कहा, "ओह नहीं, यह मैंने क्या कर दिया।"
जीन की बात सुनने के बाद निकल का काम में मन नहीं लग रहा था। वह प्रियल को लेकर उसकी केयर करने लगा था। काफ़ी देर तक बैठे रहने के बाद थक-हारकर वह खड़ा हुआ और प्रियल को देखने के लिए ट्रेनिंग एरिया की तरफ़ गया। वहाँ उसने देखा लगभग सारे स्टूडेंट्स मौजूद थे, लेकिन प्रियल उसे कहीं दिखाई नहीं दी। निकल ने जीन की तरफ़ देखा तो वह स्टूडेंट्स को इंस्ट्रक्शन देती हुई दिखाई दी। निकल ने एक बार के लिए चेहरा दूसरी तरफ़ किया मगर फिर उसकी तरफ़ देखते हुए उसके पास पहुँचा। उसके पास पहुँचकर उसने उससे पूछा, "वह... वह लड़की कहाँ है?"
"कौन लड़की?" जीन ने रूड तरीके से जवाब दिया, वह भी उसकी तरफ़ बिना देखे।
निकल को गुस्सा आया, लेकिन अगले ही पल उसने गुस्सा छोड़ा और आराम से कहा, "जो मेरे साथ रूम में रहती है?"
"उसका एक नाम है," जीन ने अपना अंदाज़ नहीं बदला।
"प्रियल कहाँ है?" निकल ने खुद को नॉर्मल ही रखा।
"क्यों?" जीन उसकी तरफ़ पलटी। "क्या करना है अब उसका? क्या तुम फिर से उसे डाँटना है? एक बार डाँटकर तुम्हारा मन नहीं भरा? वह अब तुम्हारे रूम में भी नहीं आ रही तो तुम उसे किसी और के रूम में ढूँढकर डाँटना है?"
"देखो मैं ऐसा कुछ नहीं करने वाला।"
"तो तुम क्या करना है..."
"मुझे... मुझे..." निकल कहता-कहता रुक गया। "मुझे उससे सॉरी कहना है।" उसने जैसे-तैसे कर कहा।
"क्या...?" जीन की आँख बड़ी हो गई। "सॉरी? और वह भी तुम? तुम्हें पता है ना तुम्हारे मुँह से सॉरी कितनी मुश्किल से निकलता है।"
निकल ने हल्के गुस्से में कहा, "देखो तुम अब बात मत घुमाओ, मुझे बताओ वह कहाँ है?"
"मैं नहीं बता रही..." जीन ने भाव खाए। "पहले तुम थोड़ा तरीके से पूछो।"
"व्हाट तरीके... तरीके से तो पूछ रहा हूँ..."
"इस तरह से गुस्सा दिखाकर पूछना तरीके से पूछना नहीं होता।"
"तुम मेरा दिमाग़ खराब कर रही हो।"
"यह पहले से ही खराब है। इसे और क्या खराब करना?" जीन ने मुँह बनाया।
निकल ने अपनी आँख बंद की और गहरी साँस ली। वह अपने गुस्से को दबा रहा था जो उसके लिए काफ़ी मुश्किल काम था। "अच्छा..." उसने फिर से कहा, "देखो... सुनो, मुझे बता दो प्रियल कहाँ है?"
"नहीं, ऐसे भी नहीं चलेगा। वह प्यारी सी और मासूम सी लड़की है तो उसके नाम के आगे प्यारी सी और मासूम सी लगाओ।" जीन ने और ज़्यादा भाव खाए।
"रहने दो, मैं खुद ढूँढ लूँगा।" निकल बोला।
"हाँ तो ढूँढ लो।" जीन बोली और अपना काम करने लगी। निकल ने इधर-उधर देखा मगर उसे प्रियल नहीं दिखी। इधर-उधर देखने के बाद वह जीन की तरफ़ हुआ और बोला, "देखो बता भी दो ना, क्यों इतने भाव खा रही हो?"
"हाँ, बता दूँगी लेकिन पहले मैंने जैसे कहा है वैसे पूछो।"
"मतलब ऐसा कहे बिना तुम नहीं बताने वाली।"
"ऑफ़कोर्स, इसमें कोई शक है क्या?" जीन के तेवर चढ़े हुए थे।
निकल और ज़्यादा बहस नहीं कर सकता था। उसने अपने आस-पास देखा जहाँ सब उससे दूर-दूर थे और फिर जीन से कहा, "अच्छा बताओ, प्यारी सी मासूम सी प्रियल कहाँ है?"
"नहीं, मज़ा नहीं आया, एक बार और कहो।"
"व्हाट..." निकल चिढ़ गया। "यह क्या है..."
"मुझे नहीं पता क्या है क्या नहीं, लेकिन तुम्हें प्रियल के बारे में जानना है तो ढंग से ही कहना होगा।"
"मैंने ढंग से ही कहा है।"
"नहीं कहा, दोबारा कोशिश करो।"
"मैं नहीं करने वाला।"
"हाँ तो मत करो।" जीन बोली और जाने लगी। "अच्छा रुको..." निकल ने उसे पीछे से रोका। "कहता हूँ।" वह बोला।
"मुझे बताओ वह प्यारी सी मासूम सी लड़की कहाँ है।"
"एक बार और..."
"अब फिर से..."
"बस एक बार और कह दो... फिर नहीं कहने का कहूँगी।" जीन बच्चों की तरह रिएक्ट करते हुए बोली।
"मुझे बताओ वह प्यारी सी मासूम सी लड़की कहाँ है?"
"लड़की का नाम तो लिया ही नहीं?"
"मुझे बताओ प्यारी सी मासूम सी प्रियल कहाँ है?"
"वो आरोही के कमरे में है, जाओ और जाकर उसे मना लो, और खबरदार उससे ऊँची आवाज़ में बात की, या फिर उसे डाँटा, अगर ऐसा कुछ भी किया तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"
"एक बार कहकर पछता रहा हूँ, दोबारा कहकर मुझे तुम्हारे नखरे दोबारा नहीं सहने।" निकल ने टोंक सा मारा। जीन ने मुक्का उसके कंधे पर मारा, "तुम ना सुधर जाओ..." और फिर वो अपना काम करने के लिए चली गई। जबकि निकल आरोही के कमरे की ओर चल दिया।
निकल ने आरोही के कमरे का दरवाज़ा खोला तो उसे प्रियल सामने ही दिखाई दी। वह निकल को देखते ही चौंक गई और अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई। उसने उठते ही कहा, "सर, आप... आप यहाँ... क्या हुआ? कुछ चाहिए था क्या?"
"नहीं, वो मैं... वो..." निकल इधर-उधर देखने लगा। उसे जो कहना था वह उसके लिए कहना मुश्किल था।
"क्या...?" प्रियल बोली।
"वो..." निकल ने बोलने की कोशिश की। "मुझे कल रात तुम्हें डाँटना नहीं चाहिए था, चाहे कुछ भी क्यों ना हुआ हो, मुझे तुमसे वो सब नहीं कहना चाहिए था। अगर तुम मेरी किसी चीज़ को हाथ लगाती हो, या उसे छेड़ती हो, तो भी मुझे यह नहीं कहना चाहिए था।"
प्रियल ने यह सुना तो वह इसके जवाब में क्या कहे यह उसे समझ में नहीं आया। निकल की तरह उसने भी इधर-उधर देखा और बोलने के लिए शब्द ढूँढने लगी। कुछ देर इधर-उधर देखने के बाद उसने कहा, "सर, वो... वो मैंने कल आपका सामान नहीं छेड़ा था।"
"हाँ, मुझे पता चल गया, और यह मुझे आज ही पता चला। एक्चुअली, यह पता चलने के बाद मुझे समझ में ही नहीं आ रहा था मैं किस... किस..." निकल ने अपने बालों में हाथ फेरा। "मैं किस तरह से आकर तुमसे अपनी बात कहूँ? सच बात यह है कि मैं ज़्यादातर टाइम अकेला रहा हूँ, इसलिए मैं इसके पीछे नहीं जाना चाहता, मगर मैं अकेला ही रहा हूँ। इस वजह से मुझमें ऐसी आदत आ गई जिसमें किसी और का मेरी चीज़ों को छेड़ना या उसके साथ कुछ भी करना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं आता। यह एक गलत आदत है, मुझे लोगों ने बताया भी मगर इसका कभी एहसास नहीं हुआ। इसका एहसास मुझे आज हो रहा है। आज मुझे पता चल रहा है मेरी यह आदत बहुत गलत आदत है। आई..." निकल अपने शब्दों को अब आसानी से बाहर निकाल रहा था। उसके शब्दों में एक अलग ही भावना थी जो उसके दर्द को बयाँ कर रही थी। ऐसे दर्द को जो उसने अपने बीती ज़िंदगी में सहा था। "आई रियली सॉरी... और आई प्रॉमिस, आगे से यह कभी नहीं होगा, तुम्हारे साथ भी नहीं और किसी और के साथ भी नहीं। आ..." तभी उसने अपनी बात बदली। "किसी और का पता नहीं मगर तुम्हारे साथ कभी नहीं होगा।"
यह सब सुनकर प्रियल हल्की सी मुस्कुराई। उसका मन निकल को गले लगाने का कर रहा था। मगर वह अभी ज़्यादा क्लोज़ नहीं थी तो यह नहीं कर सकती थी। यह सब सुनकर उसे जो खुशी महसूस हो रही थी, जो सुकून मिल रहा था, वो इसे एक्सप्रेस तक नहीं कर सकती थी। उसने पूरी बात सुनी, बात के पीछे छुपी भावना को महसूस किया, हर एक शब्द को समझा और फिर कहा, "आप मेरे सीनियर हो, मैंने आपको माफ़ किया यह कहूँगी तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा, लेकिन हाँ, आई प्रॉमिस, मैं हमेशा ऐसे काम करने से बचूँगी जो आपको गुस्सा दिलाएँ, बिकॉज़... बिकॉज़ मुझे आपकी डाँट नहीं सुननी है।" प्रियल ने नॉर्मल वे में कहा था मगर निकल ने सुना तो वह हँस पड़ा। उसे यह चीज़ बहुत अच्छी लगी थी। उसने हँसते हुए कहा, "यू आर फैबुलस!" फिर अपना हाथ आगे बढ़ाया और कहा, "कैन वी बी फ़्रेंड्स?" प्रियल ने फ़ौरन अपने हाथ को आगे किया और मिला लिया। "यस श्योर, क्यों नहीं।"
प्रियल और निक दोनों की अगली सुबह की शुरुआत अच्छी हुई। दोनों सुबह जल्दी उठे और एक-दूसरे को गुड मॉर्निंग कहा। इसके बाद पहले प्रियल फ्रेश हुई और फिर निक। प्रियल फ्रेश होने के बाद अपनी ट्रेनिंग के लिए चली गई जबकि निक अपना काम करने लगा। प्रियल ट्रेनिंग में भी पूरे जोश-ख़रोश से काम कर रही थी। उसे नॉर्मल से ज़्यादा काम खोदने का साथ मिला था। बाकी स्टूडेंट्स से कंपेरिज़न में उसने यह टास्क लगभग 30 मिनट पहले ही कर दिया। टास्क करने के बाद वह आराम करने के लिए भी आ गई। वह आराम कर रही थी, तभी जीनियाँ उसके पास आई। वह हैरान-परेशान लग रही थी।
"यार आज तो बहुत बड़ी मुश्किल हो गई। हमारे फैकल्टी का जो ड्राइवर था उसकी गाड़ी कहीं और लग गई। नया ड्राइवर डिप्लॉय कर दिया गया है लेकिन उसे आने में कल तक का टाइम लगेगा। जबकि मुझे 2:00 बजे के करीब आर्चरी फील्ड का नया मटेरियल चाहिए था। वह बना पड़ा है, बस उसे लाने वाला कोई चाहिए।"
"इसके लिए क्या ज़रूरी है?" प्रियल ने अपना पसीना साफ़ करते हुए पूछा।
"कुछ खास नहीं, एक हेल्पर और सबसे इम्पोर्टेन्ट एक ड्राइवर जो वेन चला सके। हेल्पर के लिए मैं किसी भी स्टूडेंट को भेज सकती हूँ, मगर ड्राइवर के लिए मुझे कोई ऐसा चाहिए जिसके पास यहाँ का लाइसेंस हो। मेरे अलावा यहाँ किसी और के पास यह लाइसेंस नहीं है।"
"हमारे पास काफी स्टूडेंट्स हैं, इनमें 30-35 यहीं के हैं, इनमें से कोई ऐसा नहीं है जिसके पास लाइसेंस हो?"
"नहीं, सब अभी टीनएजर्स हैं तो किसी ने बनवाया नहीं।" जीनियाँ ने कहा।
"ओह, तब तो काफी मुश्किल वाली बात है।" प्रियल ने कहा और अफ़सोस जताया।
"शायद मैं इसमें तुम लोगों की कुछ मदद कर सकता हूँ।" तभी निक की आवाज़ आई। दोनों ने पलटकर पीछे देखा तो वह वहाँ खड़ा दिखाई दिया। निक उनके पास आया और बोला, "वेन मैं चला सकता हूँ, बाकी हेल्प के लिए तुम किसी स्टूडेंट को भेज देना।"
"निक, मगर तुम इंजर्ड हो।" जीनियाँ ने उसकी तरफ़ देखते हुए कहा।
"हाँ, लेकिन इतना भी नहीं कि मैं एक गाड़ी तक ना चला सकूँ। वैसे भी मैं लगभग ठीक हो चुका हूँ तो मुझे कोई खास दिक्क़त नहीं। एक कंधे की चोट बची है, यह अपने आप ठीक होती रहेगी।"
"मुझे यह सही नहीं लग रहा, मैं तुम्हें नहीं भेजने वाली।"
"तुम ज़्यादा मत सोचो, मुझे बताओ कहाँ जाना है और कौन से स्टूडेंट को साथ भेज रही हो।" निक ने कहा और इधर-उधर देख गाड़ियों को देखने लगा।
जीनियाँ कुछ कहने वाली थी, मगर तभी प्रियल ने कहा, "अगर आपको मना न हो तो मैं हेल्प के लिए साथ चल सकती हूँ।" उसने कहा तो जीनियाँ उसकी तरफ़ देखने लगी। वह निक को साफ़ मना करने वाली थी, मगर प्रियल के कहते ही उसका इरादा बदल गया।
"आच्छा ठीक है, अगर तुम दोनों जा रहे हो तो मुझे कोई दिक्क़त नहीं है, तुम दोनों जा सकते हो।"
निक ने इसके लिए मना नहीं किया, जबकि प्रियल ने तो खुद इसके लिए कहा था।
तक़रीबन 11:00 बजे के करीब निक और प्रियल एक वेन में थे और आर्चरी फील्ड का सामान लेने के लिए उस जगह जा रहे थे जिसका एड्रेस जीनियाँ ने दिया था। प्रियल काफी खुश और एक्साइटेड दिखाई दे रही थी। जब से वह यहाँ आई थी तब से उसे पहली बार बाहर निकलने और बाहर की चीजों को देखने का मौका मिला था। इससे पहले एयरपोर्ट से ट्रेनिंग लोकेशन की ओर जाते वक़्त ही उसे मौका मिला था, मगर तब अंधेरा होने की वजह से वह ज़्यादा कुछ खास देख नहीं पाई थी।
"यह सब कितना अच्छा है ना?" प्रियल ने कहा।
निक ने सुनकर अपने आसपास देखा। वह यह सब पिछले कई सालों से देखता रहा था तो उसे इसमें कुछ खास नहीं लगा, मगर प्रियल ने कहा तो उसे भी आसपास की चीजें अच्छी लगने लगीं।
1:00 बजे के करीब निक आर्चरी फील्ड के लिए जहाँ से सामान लेना था वहाँ पहुँचा। वहाँ उसने दुकानदार से बात की और इसके बाद निराश मुँह के साथ बाहर आया। बाहर आते हुए वह प्रियल से बोला, "गड़बड़ हो गई, इनका कहना है सामान अभी तैयार नहीं हुआ और दो-तीन घंटे का और टाइम लगेगा। हम इतनी मुश्किल से यहाँ आए और अब यह कुछ सुनने को मिला।"
"हम क्या कर सकते हैं, थोड़ा इंतज़ार कर लेते हैं, दो-तीन घंटे ही तो हैं, यूँ ही निकल जाएँगे।" प्रियल ने हल्की सोच-विचार के साथ कहा।
"दो-तीन घंटे यूँ ही निकल जाएँगे? तुम्हें पता भी है अगर कोई काम ना हो तो टाइम निकालना कितना मुश्किल होता है, ये यूँ ही नहीं निकलने वाले।"
"इतना भी मुश्किल नहीं होता टाइम निकालना।" प्रियल ने कहा और अपने आसपास देखने लगी। वह एक छोटी गली में थे जो ढेर सारी दुकानों और सामानों से भरी पड़ी थी।
"चलो जब तक हमारा काम नहीं हो जाता तब तक हम मार्केट में घूम-फिर लेते हैं।" इतना कहकर वह निकल गई।
निक उसे पीछे से बोला, "वेट ए मिनट, मुझे घूमना-फिरना पसंद नहीं है, मैं अपनी ज़िन्दगी में आज तक ऐसे नहीं घूमा…" मगर जब तक वह अपनी बात पूरी करता तब तक प्रियल बहुत दूर निकल गई थी। उसने अपना हाथ मारा और फिर खुद भी उसके पीछे-पीछे चला गया। उसके पास इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं था।
प्रियल निक के साथ पूरा बाजार घूमने लगी। वह अलग-अलग जगहों पर रुककर वहाँ की चीजों को देखने लगी। निक ने घूमने वाला काम कभी नहीं किया था, मगर आज उसे यह करके अच्छा लग रहा था। वह भी प्रियल का साथ देकर उसके द्वारा दिखाई जाने वाली चीजों में इंटरेस्ट ले रहा था। तकरीबन 2 घंटे घूमने के बाद जब प्रियल और निक वापस जाने के लिए मुड़े तो प्रियल को एक छोटा सा टेडी बेयर दिखा जो देखते ही उसे पसंद आ गया।
"वाह! कितना अच्छा टेडी बेयर है।" उसने उस तरफ़ देखते हुए कहा, "मेरा इसे लेने का मन कर रहा है, मगर मैं अपने साथ वॉलेट नहीं ले कर आई। अगर होता तो मैं ये ले लेती।"
"हाँ तो इसमें कौन सी बड़ी बात है, तुम ले लो, पेमेंट मैं कर देता हूँ।" निक ने कहते हुए अपना वॉलेट निकाल लिया।
"कैसी बात कर रहे हैं आप? मैं आपके पैसे नहीं खर्च करवा सकती।"
"ऐसी कोई बात नहीं है, यह इतना भी महँगा नहीं है कि मैं इस पर खर्च ना कर सकूँ।"
"वह तो ठीक है, लेकिन मुझे पैसे खर्च करवाना अच्छा नहीं लगता।"
"तुम ले लो, ज़्यादा सोचो मत।" निक ने कहा।
प्रियल ने उसकी बात नहीं सुनी और वहाँ से जाने लगी।
"नहीं, मुझे नहीं अच्छा लगता, मैंने कहा ना।" प्रियल ने जाते हुए कहा।
निक ने उसके जाने के बाद अपने पर्स से पैसे निकाले और वह टेडी बेयर खरीद लिया जो प्रियल को पसंद आया था। उसे खरीदने के बाद वह उसके पीछे-पीछे चला गया। उसके पास पहुँचते ही वह उल्टी चाल चलने लगा और थोड़ा आगे निकलकर टेडी बेयर प्रियल के सामने कर दिया।
"लो, चुपचाप इसे रख लो, समझ लो यह मेरी तरफ़ से तुम्हें गिफ़्ट है। आओ, सोचो, तो हम फ़्रेंड्स हैं, तो उस नाते।"
प्रियल ने यह सुना तो वह अपनी जगह पर खड़ी हो गई। निक ने उसे टेडी बेयर दिया और फिर उस दुकान की ओर निकल गया जहाँ से आर्चरी फील्ड का सामान लेना था। प्रियल उसके जाने के बाद उसके दिए हुए टेडी बेयर को देखने लगी। यह उसे पसंद था, मगर अब और भी ज़्यादा पसंद आने लगा था।
सामान लेने के बाद वह दोनों ही वापस आ रहे थे। निक क्या सोच रहा था, यह प्रियल को नहीं पता था, मगर जो वह सोच रही थी वह उसके हर एक एहसास को नज़दीक से महसूस कर रही थी। उसके हाथ में निक का ही दिया हुआ टेडी बेयर था जिसे वह बार-बार देख रही थी।
निक ने गाड़ी रोकी। गाड़ी के रुकते ही जीनियाँ और कुछ स्टूडेंट्स हेल्प के लिए वहाँ आ गए। जीनियाँ ने आते ही पूछा, "है? इतनी देर कैसे लग गई है?"
"तुम्हारा सामान तैयार नहीं था," निक ने जवाब दिया, "इसलिए हमें 2 घंटे का इंतज़ार करना पड़ा।"
"ओह, क्या सच में?" जीनियाँ को हैरानी हुई। "मगर तुम्हें तो इंतज़ार करने की आदत ही नहीं, तो तुमने इंतज़ार कैसे कर लिया…"
"मैं नहीं करना चाहता था, पर ये प्रियल…" उसने प्रियल की तरफ़ देखा, "इसकी वजह से 2 घंटे कैसे निकले मुझे भी पता नहीं चला। यह वहीं पास के एरिया में घूमने लगी थी, और मुझे घुमाने भी लगी थी।"
"क्या बात है प्रियल, तुम तो हमारे निक की आदत बदल रही हो।" यह कहकर उसने प्रियल के कंधे पर मुक्का मारा, मगर हल्के से। प्रियल यह सुनकर ब्लश करने लगी।
निक ने कहा, "ऐसा कुछ नहीं है, शायद हम ही छोटी-छोटी बातों को इन्जॉय करना भूल गए थे। अब से हम अपने रूटीन को थोड़ा सही करेंगे। प्रियल यह सिर्फ़ मेरी दोस्त नहीं रहेगी, बिलकुल यह हमारे पूरे ग्रुप की फ़्रेंड बनेगी। यह अब से हम सबकी दोस्त है।" निक ने कहा और फिर वहाँ से अपने कमरे के लिए निकल गया। जीनियाँ उसके जाते ही उछली और प्रियल को गले से लगा लिया।
"यार, तुम तो प्रमोशन मिल गया, वो भी तगड़ा वाला। पहले उसकी दोस्त, फिर हमारी दोस्त। तुम जिस स्पीड से चल रही हो, मुझे लगता है इसी महीने तुम्हारी शादी हो जाएगी।" प्रियल कुछ नहीं बोली। यह जो भी हो रहा था वह इन सब से खुश थी। निक और वो, उन दोनों के बीच एक रिश्ते की शुरुआत हो गई थी जो दोस्ती का था, एक बहुत अच्छी दोस्ती का।
निक अपने कमरे में पहुँचा और पहुँचकर अपना लैपटॉप खोला। लैपटॉप खोलते ही उसकी नज़र कुछ नए आए मेल पर पड़ी। उन्हें पढ़ते ही वह हल्के सदमे से भर गया। वह पीछे हटा और लैपटॉप से दूर हो गया। उसके मुँह से निकला, "एली…" इसके बाद उसका चेहरा गुस्से से भर गया और वह बोला, "प्रभास दत्ता, तुम बचोगे नहीं।"
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रात के लगभग दस बजे निक अपने सीक्रेट घर में था। निक का सीक्रेट घर उसके होटल रूम से कनेक्टेड था। कोई नहीं जानता था कि उसके होटल के एक हिस्से में निक का घर भी बना था। बस उसके कुछ दोस्त ही थे जिन्हें इसके बारे में पता था। उसके साथ रॉन, जीनी, एम्मा, एवा और अंकित भी थे। निक एक टेबल के पीछे बड़ी सी चेयर पर बैठा था और उसे दाएँ-बाएँ घुमा रहा था। उसके हाथ में एक गोल ग्लास था जिसे हाथों में घुमाता हुआ वह यह दिखा रहा था कि वह गहरी सोच में है।
एम्मा ने पूछा, "मिस्टर दत्ता के फैमिली फंक्शन का इनविटेशन कार्ड सबको मिला है? सच बताऊँ तो मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी। मुझे लगा हम किसी रसूखदार के लिए अकाउंट किया जाएगा, मगर वह एक इनवाइट के लिए आया कार्ड था।"
जीनी बोली, "हाँ, ऑफिशियल इनविटेशन मिला है। सबसे पहले निक ने चेक किया था। इसके बाद यह मेरे पास आया और मुझे इसके बारे में बताया। मुझे भी एक बार के लिए किसी रसूखदार के लिए आया मेल लगा था, बाद में पता चला यह असल में एक इनविटेशन कार्ड था।"
रॉन ने पूछा, "तो क्या सोचा है...चलोगे क्या? मेरा तो बिल्कुल भी जाने का मन नहीं, और न ही मैं जाने वाला।"
अंकित शांत था। वह यह सुनते ही बोला, "मुझे लगता भी नहीं हम वहाँ जाना चाहिए। वह अगर हमारे पैर भी धोकर पीता हो तब भी हम वहाँ नहीं जाना चाहिए। उन्होंने फॉर्मेलिटी के लिए सबको इनवाइट किया है।"
निक भी काफी देर तक शांत रहा और अपनी सोच में डूबा हुआ था। निक ने चुप्पी तोड़ी और सबको कहा, "मगर मैं कुछ और ही सोच रहा हूँ। मुझे लगता है हम अपनी सोच को बदलना चाहिए। हम उसकी फैमिली से कोई लेना-देना नहीं है। जो भी कुछ गलत किया था, वो उसने किया था। तो उसकी फैमिली को इन्वॉल्व करना...उन्हें इस मैटर से जितना दूर रखें, उतना ही अच्छा होगा। सो..."
एम्मा यह सुनते ही निक को तिरछी आँखों से देखने लगी। इससे पहले कि निक अपनी बात पूरी करता, वह बोली, "रियली निक...तुम ऐसा कह रहे हो...उसकी वजह से आज...तुम्हें पता भी है तुम क्या कह रहे हो।"
एवा ने बीच में कहा, "कम डाउन एम्मा। अपने गुस्से में पागल मत बनो। आज अगर ऐली होती, तो वो भी यही...मतलब मैं निक की बात से सहमत हूँ। फिर भले ही यह चीज तुम्हें या किसी और को बुरी लगे, मगर उसके जाने का जितना दुःख निक को हुआ है, वह हम नहीं झेल सकते।"
एम्मा ने उसकी बात काटते हुए कहा, "हाँ तो क्या करें हम..." फिर वह रोने लगी, "...ऐली तो नहीं है...और वो भी उस दत्ता की वजह से। अगर वो...वो...दत्ता ने...ऐली आज ज़िंदा होती..."
जीनी उसके साथ थी। वह एम्मा का साथ देते हुए बोली, "एवा ठीक बोल रही है एम्मा। दत्ता की वजह से जो भी हुआ है उसके लिए हम उसे कभी माफ़ नहीं कर सकते। सो, मैं फंक्शन में जाने के खिलाफ़ हूँ। एम्मा भी है। रॉन भी नहीं जाना चाहता, अंकित भी नहीं जाना चाहता। बाकी बचे तुम और निक, तो हम किसी से जबरदस्ती नहीं करने वाले। तुम लोग जो करना चाहो कर सकते हो।"
निक दोनों को सुन रहा था। उसने एक बार फिर से कहा, "मगर क्या फायदा दूसरों की फैमिली को बेवजह इन्वॉल्व करने का? हम बदला चाहते हैं, मगर इसमें फैमिली...हम किसी की भी फैमिली को कभी इन्वॉल्व नहीं करेंगे। हम भी देखो आज कितने दुखी हैं ऐली के जाने से। मैं मिला हूँ उसकी वाइफ से और वह सच में बहुत अच्छी है। मुझे लगता भी नहीं दत्ता अपने सब कारनामों के बारे में उसे बताता होगा।"
रॉन ने यह सुना तो वह बिना किसी नॉर्मल जवाब दिए हँसने लगा। उसने हँसते हुए कहा, "वाइफ से याद आया, वो बेटी लगती है उसकी।"
जीनी भी हँस पड़ी। "हाँ, वो उससे बहुत छोटी है। शायद दस साल...मैंने पढ़ा है उसके बारे में।"
अंकित भी माहौल को बदलते हुए बोला, "जीनी, तुमसे तो बस सब की इंफॉर्मेशन निकलवा लो। सबके बारे में, सब कुछ पढ़ रखा है तुमने। ऐसी कोई चीज भी है जो तुम्हें ना पता हो।"
निक ने दोबारा सबके ध्यान को अपनी ओर किया और थोड़े नॉर्मल वे में कहा, "वैसे एक चीज जान लो, मुझे रोहन की तरफ से भी इनविटेशन मिला है।"
सबका ध्यान अपनी-अपनी बातों से हट गया और सब निक की तरफ देखने लगे। एम्मा ने उसकी तरफ देखते हुए दोनों हाथ ऊपर कर कहा, "कौन रोहन?"
तभी रॉन को कुछ याद आया। उसने याद करते हुए कहा, "अरे यार, रोहन! वह अपनी क्लास का फुटबॉलर...जो निक और मेरा फ़्रेंड था। मैं ऐसे कैसे भूल गया!"
जीनी इस बारे में ज्यादा नहीं जानती थी, मगर उसे भी कुछ-कुछ याद आ रहा था। "पर, पर वो...वो इंडिया से था ना?"
निक ने उससे कहा, "एक्चुअली उसके मॉम-डैड की एक्सीडेंट में डेथ हो गई थी। उसके बाद से वह अपने अंकल-आंटी के साथ यहीं यूएसए में रह रहा है। उसने अपनी स्टडी भी यहाँ कंप्लीट की थी तो उसे यहीं रहना सही लगा।"
अंकित भी इस बारे में याद करने लगा। "रोहन! वो क्या...जो हमें इंडिया के टूर पर गए थे, तब मिले थे? उसने हमारी काफी मदद की थी।"
निक ने हामी भरी। "हाँ, वही। इंडिया जाने पर मुझे उसकी याद आई थी तो मैंने उसे मदद के लिए बुला लिया था। वह सॉफ्ट नेचर वाला है और काफी अच्छा बिहेवियर रखता है। मुझे उसी ने इनवाइट किया है, और आई डोंट नो? मैं उसे कैसे मना करूँ।"
रॉन एकदम से बोला, मगर एक अलग ही टॉपिक छेड़ते हुए, "अगर तुम लोगों का डिस्कशन हो गया हो, तो मैं भी एक सरप्राइज़ देना चाहता था। हाँ, तुम सब को गुस्सा आएगा क्योंकि मैं एकदम लीक से हटकर बात कर रहा हूँ, मगर मेरे से यह बात अब छुपाई नहीं जा रही है।"
एम्मा ने पूछा, "क्या सरप्राइज़? देखो कोई भी ऐसी-वैसी बात मत सुनाना। वैसे भी मूड ख़राब है, कहीं ऐसा न हो जितना भी गुस्सा है वह सब तुम पर न उतर जाए।"
रॉन ने कहा, "तुम सब को जानकर ख़ुशी ही होने वाली है। वो बात यह है कि...वो...वो मैं और जीनी शॉपिंग करने जा रहे हैं।"
सब उसकी तरफ घूर-घूर कर देखने लगे, वह भी खा जाने वाली नज़रों से। एम्मा ने उसे तिरछी नज़रों से देखा और पूछा, "इसमें ऐसी कौन सी बड़ी बात है जो तुमने पूरा टॉपिक बदलकर इस बात को छेड़ा? शॉपिंग पर जा रहे हो तो अच्छी बात है ना, चले जाओ, यहाँ बैठकर क्यों अपना टाइम वेस्ट कर रहे हो?"
"पूरी बात तो सुन लो..." रॉन बोला, "हम दोनों शॉपिंग पर जा रहे हैं, वह भी अपनी शादी की..."
सब एक साथ चौंक गए। एम्मा और एवा एक साथ बोली, "व्हाट? शादी? और तुम दोनों...? यह क्या रस्म हुई? कहीं हम लोग सपना तो नहीं देख रहे हैं।"
जीनी बताते हुए बोली, "आ...सॉरी, रॉन ने गलत जगह पर इस बात को छेड़ा, हम यह बात अभी नहीं करनी चाहिए थी। रही बात शादी की, तो हम लोगों ने सोचा शादी करनी ही है...तो क्यों ना अभी कर लें। यही राइट टाइम है। आख़िर हम दोनों को साथ में ही तो रहना है...बचपन से साथ है, तो आगे भी साथ ही रहेंगे ना।"
निक यह सुनकर अलग ही दुनिया में चला गया। वह अलग दुनिया में जाने के बाद थोड़ा उदास होते हुए बोला, "मैंने और ऐली ने भी हमेशा साथ रहने के सपने देखे थे। बट गॉड को कुछ और ही मंजूर था। उसने साथ छोड़ कुछ ऐसा कर दिया जहाँ हम...जहाँ मैं...भगवान को किसी को दूर करना है तो खुशी-खुशी करो, मगर इस तरीके से किसी को ना करो।"
रॉन उसके पास आया और उसके कंधे पर हाथ रखा, "मुझे नहीं पता था मेरी बात सुनकर तुम इस बारे में सोचोगे, मुझे इसके लिए माफ़ कर देना, बट आई वांट...मैं चाहता हूँ तुम अब आगे बढ़ना चाहिए...निक।"
निक ने उसके हाथ को कंधे से हटाया और खड़े होकर दूसरी तरफ जाते हुए बोला, "सोचना भी मत। मैं ऐली के अलावा किसी और के बारे में सोचना भी नहीं चाहता और मैं सोच भी नहीं सकता।"
एम्मा भी इस बात पर रिस्पांस देते हुए निक को बोली, "रॉन सही कह रहा है निक, तुम्हें भी लाइफ में आगे बढ़ना चाहिए। ऐली कभी नहीं चाहेगी तुम उसके लिए अपनी ज़िंदगी में आगे ही ना बढ़ो।"
निक मायूस हो गया था। उसने एम्मा की तरफ़ देखा और कहा, "एम्मा तुम भी ऐसे बात करोगी अब? तुमने हमेशा मेरा साथ दिया है, मगर तुम यहाँ मुझे वह करने के लिए कह रही हो जो मुझे नहीं करना चाहिए।"
एवा खड़ी हुई और फ़ौरन बोली, "सिर्फ़ एम्मा ही नहीं निक, हम सब हमेशा से यही चाहते हैं कि तुम भी अब सेटल हो जाओ। कब तक यूँ ही घुट-घुटकर मरते रहोगे।"
निक पलटा और हाथ फैलाते हुए दोनों को कहा, "आई एम नॉट रेडी फॉर दिस, मैं इसके लिए तैयार नहीं हूँ।"
इसके बाद वह वहाँ से चला गया। निक को दुखी देखकर उन सबका चेहरा उतर गया। सब उतरे हुए चेहरे के साथ अपनी-अपनी जगह पर वापस बैठ गए।
अंकित सबके बैठने के बाद निक की बात पर रिस्पांस देते हुए बोला, "और कभी रेडी होऊँगा भी नहीं या यूँ कहो कि रेडी होना ही नहीं चाहता है। इस लड़के का दिमाग कहाँ और किस तरफ़ चलता है कुछ समझ नहीं आता। सब मूव ऑन कर रहे हैं मगर इसे एक ही जगह पर चिपक कर रहना है।"
जीनी बोली, "शायद हमें उसे समझाना होगा। वो कब तक ऐसे ही ऐली की यादों के सहारे जीता रहेगा? आज सात साल हो गए उसे गए हुए, लेकिन निक अभी भी वही है। वह उसकी बात करता है, सडनली उसकी यादों में खो जाता है।" इसके बाद वह प्रियल के बारे में सोचने लगी और बोली, "शायद मैंने जो भी फैसला किया था वह पूरी तरह से सही है। अगर इससे कुछ अच्छा हुआ तो मुझे इसे लेकर कभी अफ़सोस नहीं होगा।" सब उसकी तरफ़ देखने लगे। सब उसकी तरफ़ देखने लगे तो जीनी बोली, "इसे छोड़ो, अब बताओ दत्ता के इनविटेशन कार्ड का क्या करोगे?" उसने यह कहा तो सबने अपना माथा पकड़ा और एक-एक कर उठकर वहाँ से जाने लगे। सब के जाने के बाद जीनी अकेली ही कमरे में रह गई। वह बोली, "हम सबका कुछ नहीं हो सकता। उफ़्फ़, दत्ता के फंक्शन में हममें से कोई नहीं जाने वाला।"
रात के लगभग एक बजे जीनी और प्रियल आपस में बातें कर रहे थे। जीनी ने उसे अपनी और रॉन की शादी के बारे में बता दिया था। आज निक यहाँ नहीं था तो वह उसके कमरे में आ गई थी। प्रियल ने निक के बारे में पूछा तो जीनी ने बताया कि वह अपने किसी जरूरी काम से बाहर गया है।
जीनी प्रियल से बात करते हुए बोली, "प्रियू, फ़ाइनली मैं और रॉन शादी कर रहे हैं। मैं बहुत खुश हूँ। मुझे पता था हम शादी करेंगे, मगर यह दिन भी कभी आएगा मैंने इसके बारे में सपने में भी नहीं सोचा था।" उसने प्रियल को प्रियू कहना शुरू कर दिया था।
प्रियल उसका जवाब देते हुए बोली, "और मैं आप दोनों के लिए बहुत खुश हूँ। मैं दुआ करूँगी आप लोग अपनी नई ज़िंदगी की शुरुआत शानदार तरीके से करो।"
जीनी यह कहने के बाद उस बारे में सोचने लगी जो आज निक के घर पर हुआ था। वह उस बारे में सोचते हुए मन ही मन बोली, "आज निक के घर पर जो भी हुआ, मैं उसके बारे में प्रियल को कभी नहीं बता सकती। ये निक के लिए कितना एफ़र्ट्स कर रही है। उसका तो दिल ही टूट जाएगा जब उसे पता चलेगा कि वह अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ना ही नहीं चाहता। ये तो ऐली के बारे में भी कुछ नहीं जानती। कभी इसे उसके बारे में पता चला तो इसके दिल पर क्या बीतेगी मैं इस बारे में भी नहीं जानती।" इतना सोचकर उसने कुछ नहीं कहा और सोने के लिए अपनी आँख बंद कर ली। वह सोने लगी तो प्रियल भी अपनी आँख बंद की और सो गई।
अगले दिन प्रियल अजुन और प्रांजल से बात कर रही थी, वहाँ उसे कुछ सुनने को मिला जिसके बाद वह पूरी तरह से शॉक्ड हो गई। उसने कहा, "हमारे घर में फंक्शन है और तुम मुझे अब बता रही हो? फंक्शन भी यहाँ यूएसए में है, तुम लोगों ने आख़िर मुझे बताया क्यों नहीं?"
"हम तो खुद को अब पता चला है। सुबह ही पापा का फ़ोन आया था। वह बोले टिकट-वितिकट सब कंफर्म कर दिया है। परसों तक यहाँ आ जाना।" प्रांजल सामने से बोली।
"मगर वह सब तो ठीक है, लेकिन हम यह सब मैनेज कैसे करेंगे?"
"तुम इस बारे में फ़िक्र मत करो..." अजुन ने कहा, "मैं हर चीज को जुगाड़ लगाकर सही कर देता हूँ तो इसे भी मैंने पूरी तरह से सही कर रखा है। आई मीन प्लैनिंग पूरी तरह से प्रॉपर बनी हुई है। हम कुछ नहीं करना, बस अपनी प्लैनिंग को फ़ॉलो करना है।"
"और वो प्लैनिंग क्या है?" प्रियल ने पूछा।
"कुछ खास नहीं," अजुन बोला, "हम दोनों यहाँ से निकलेंगे और तुम वहाँ से, आई मीन अपने ट्रेनिंग सेंटर से, हम तीनों ही एक साथ एयरपोर्ट पर मिलेंगे और वहाँ से प्रभास दत्ता के घर की ओर निकल जाएँगे। हम एक साथ जाएँगे तो उन्हें लगेगा हम इंडिया से ही आए हैं। फिर दो दिन तक फंक्शन अटेंड करेंगे, एक दिन एक्स्ट्रा रुकेंगे और वापसी की तैयारी करेंगे। फिर हम तीनों एक साथ एयरपोर्ट पर आएंगे, तुम वहाँ से ट्रेनिंग के लिए चली जाना और हम वापस इंडिया चले जाएँगे। सब कुछ अच्छे से निपट जाएगा। ना कोई गड़बड़ होगी ना कोई रायता फैलेगा।"
"तुम पूरा यकीन है ना?" प्रियल ने अपनी आँख बड़ी कर पूछा।
"११० परसेंट पूरा यकीन।" अजुन ने कहा।
"आप फ़िक्र मत करो दी।" प्रांजल बोली, "सब अच्छे से निपट जाएगा।" इसके बाद वो लोग आगे की बात करने लगे जिसमें इस फंक्शन के अलावा दूसरी बात थी।
दिन के तकरीबन दस बजे प्रियल जीनी के पास आई और बोली, "हे मैम, मुझे आपसे एक बात करनी थी।" "मैंने तुम्हें कितनी बार कहा है मुझे मैम मत कहा करो।" जीनी सबसे पहले यही बोली।
"ओह, ठीक है। एक्चुअली मुझे आपसे कुछ बात करनी थी।" प्रियल ने कहा, "मुझे एक फैमिली फंक्शन अटेंड करने के लिए दो दिन के लिए जाना पड़ेगा। आप मुझे कम से कम चार दिन की ऑफिशियल छुट्टी दे दें।"
"हो जाएगा।" जीनी ने कहा। फिर उसने पूछा, "बट तुमने तो अपने घरवालों को बताया नहीं था कि तुमने यहाँ पर एडमिशन लिया है। फिर तुम कैसे जाओगी? कैसे मैनेज करोगी यह सब?"
"मैं एयरपोर्ट पर अजुन और प्रांजल के पास चली जाऊँगी...और फिर हम सब लोग साथ में घर चले जाएँगे। तो सबको लगेगा हम साथ ही आए हैं। वापस आते वक़्त भी यही प्रोसेस होगा।"
"यह तो बहुत अच्छा है। हम लोग भी कल शादी की शॉपिंग करने जा रहे हैं। शायद वन वीक लग जाए आने में...तुम अपना पास यूज़ कर लेना। तुम्हें हमारे रूम में एंट्री मिल जाएगी। यहाँ सबको पता है कि तुम ऑथॉरिटी हॉस्टल में रह रही हो।" जीनी ने कहा और फिर ट्रेनिंग करवाने के लिए चली गई। प्रियल ने भी हामी भरी और उसके पीछे-पीछे अपनी ट्रेनिंग के लिए चली गई।
अगला दिन सबके लिए नॉर्मल बीता। निक ट्रेनिंग सेंटर नहीं आया जिसके लिए जीनी ने कह दिया उसे एक-दो दिन और लगेंगे। प्रियल को उसकी याद आई मगर अपने घर में फंक्शन होने की वजह से उसने इस बारे में ज्यादा नहीं सोचा।
जीनी अपनी शादी की शॉपिंग के लिए निकल गई जिसके जाने के बाद ट्रेनिंग सेंटर की कमांड नए सीनियर के पास आ गई। इस दिन के बीत जाने के बाद नेक्स्ट डे यानी कि अगले दिन प्रियल मिस्टर दत्ता के यहाँ जाने के लिए तैयार चुकी थी।
प्रियल ने सफ़ेद कलर का अनारकली सूट पहना था और उस पर उसके घुंघराले किए हुए बाल सबका ध्यान उसकी तरफ़ खींच रहे थे।
प्रियल इंस्टिट्यूट के गेट की तरफ़ बढ़ रही थी। निक ने उसे जाते देखा तो वह उससे बात करने उसके पीछे गया, लेकिन तब तक प्रियल वहाँ से जा चुकी थी।
निक को इस बारे में पता नहीं था कि प्रियल दो दिन के लिए बाहर जा रही थी। उसे लगा कि जब वह शाम को उससे जीनी के रूम में मिलेगा तो उसे बता देगा कि वह इस ड्रेस में कितनी खूबसूरत लग रही थी। प्रियल के जाने के बाद निक भी अपने काम में लग गया।
कुछ देर बाद यूएसए एयरपोर्ट पर प्रियल एयरपोर्ट के वेटिंग एरिया में प्रांजल और अजुन के आने का इंतज़ार कर रही थी। प्रांजल ने प्रियल को खड़े देखा तो वह दौड़कर उसके पास गई और प्रियल के गले लग गई। वह गले लगते हुए बोली, "प्रियू दी...कैसी है आप? आपको कई दिनों बाद दोबारा देखकर खुशी हुई। आपको नहीं पता मैंने आपको कितना मिस किया?"
प्रियल ने उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा, "मैंने भी तुम्हें बहुत मिस किया था। वीडियो कॉल में तुमसे बात करती थी, मगर वीडियो कॉल में बात करने का वह मज़ा कहाँ जो हकीक़त में बात करने पर है।" इसके बाद उसने पूछा, "तुम्हारे साथ फ्लाइट में और कौन-कौन आया है? आई मीन ताऊजी, ताईजी, बुआजी, चाचीजी तो साथ में आए हैं ना? या और कोई फैमिली मेंबर? तुम्हें पता है ना ये लोग मुझे बिल्कुल पसंद नहीं करते। अगर इन्होंने मुझे देखा तो सीधे गुस्सा होंगे और उसे भी सातवें आसमान पर ले जाएँगे।"
प्रांजल हटी और तुरंत बोली, "क्या बकवास बात कर रही है आप? हम दूसरों से कोई लेना-देना नहीं है। आप मेरी बड़ी बहन है और इस सच को कोई नहीं बदल सकता। बाकी दुनिया को जलना है...तो जले। वैसे भी ये सगाई शालू दी और रोहन जीजू की है और आपको पता है शालू दी आपसे बहुत प्यार करती है। और अगर आपने पूछा है तो आपको बता दूँ, फ़िलहाल हमारे परिवार से और कोई नहीं आया। बस मैं और अजुन आए हैं।"
प्रियल अचानक हैरान हुई और मुँह बड़ा करते हुए बोली, "ओह माय गॉड! प्रभास दत्ता के यहाँ फंक्शन है और अजुन आया है। याद है बचपन में अजुन ने गुस्से में आकर उन पर पत्थर फेंककर मारा था।"
तभी अजुन आया और बोला, "तो कौन सी जान ले ली थी उनकी...जो मुझ पर अटैक टू मर्डर केस करेंगे। वैसे भी यह बचपन की बात है, वो अब तक तो भूल ही गए होंगे। अगर नहीं भूले होंगे तो दोबारा से कुछ सर पर उठाकर मार दूँगा, इससे उनकी याददाश्त चली जाएगी और फिर उनको कुछ याद रहने का चांस ही नहीं।" वह पास आया और दोनों एक-दूसरे के गले मिले।
प्रांजल दोनों की तरफ़ हुई और बोली, "अगर आप दोनों की मारने-मारने की बात ख़त्म हो गई हो तो चलें? लेट हो रहे हैं। वैसे भी मम्मा के फ़िफ़्टी कॉल आ गए। कब आ रहे हो, कब आ रहे हो, यही पूछ रही है, जैसे हम लोग प्लेन से नहीं, बिल्कुल प्राइवेट गाड़ी से आ रहे हैं।"
"हाँ, चलो चलते हैं।" अजुन और प्रियल ने बारी-बारी कहा और सब एयरपोर्ट से बाहर की ओर निकल गए।
शाम का समय। जीनी के रूम में निक का किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था। वह दो दिन बाद आया था और उसे लगा था प्रियल के साथ वक़्त बिताकर उसे थोड़ा अच्छा लगेगा, मगर अब वह यहाँ नहीं थी। उसका ध्यान पूरी तरह से प्रियल में ही उलझा पड़ा था। काफी देर इंतज़ार करने के बाद भी जब प्रियल नहीं आई तब उसने फ़ोन निकाला और जीनी को कॉल किया। "हे जीनी!" जीनी के फ़ोन उठाते ही उसने कहा। फिर उसने पूछा, "तुम्हारी बेस्ट फ़्रेंड कहाँ है आज? सुबह के बाद से ही दिखाई नहीं दी। मैंने सुबह उसे एक बार के लिए जाते हुए देखा था, मगर इसके बाद वह वापस नहीं आई।"
जीनी ने यह सुनते ही फ़ोन पर कहा, "ओह, तो मेरी बेस्ट फ़्रेंड को याद किया जा रहा है। क्या बात है? मुझे नहीं पता था ऐसे भी दिन आएंगे?"
निक फ़ौरन अपनी बात को पलटता हुआ बोला, "अरे ऐसी कोई बात नहीं है। मुझे उससे कुछ पूछना था। नहीं बताना था...अरे सिलेबस के बारे में पूछ रही थी वो। वह...वह बताना था।"
जीनी हँसने लगी। थोड़ा सा हँसने के बाद उसने कहा, "अच्छा कुछ भी बताना था या कुछ भी पूछना था, वो तुम दो-तीन दिन बाद ही बताना और पूछना। वह अपने फैमिली फंक्शन को अटेंड करने के लिए बाहर गई है।" "ओह, अब मुझे इस बारे में कुछ पता भी नहीं।"
"तुम यहाँ होते तो पता होता ना! मेरा तुमसे कांटेक्ट नहीं हुआ तो मैंने उसे कह दिया था कि वह अपने काम में बिजी है तो कुछ दिनों में आ जाएगा। फिर उसके बाद हमारा जाना हो गया और कोई बात करने का मौका ही नहीं मिला।"
निक का यह सब सुनने के बाद आगे बात करने का मन नहीं कर रहा था। "चलो ठीक है, कोई बात नहीं। जब आ जाएगी तब बात कर लेंगे।" इतना कहकर उसने फ़ोन काट दिया। उसका मन अंदर से अशांत था, मगर वह फ़ोन काटने के बाद जबरदस्ती काम करने लगा ताकि उसका मन कहीं और लगे।
शाम के समय ही प्रभात दत्ता के घर लगभग सभी मेहमान आ चुके थे। शालू और रोहन भी वहाँ पहुँच चुके थे। उसकी एंगेजमेंट का ही फंक्शन था। सब आपस में इधर-उधर की बातें करने में लगे हुए थे, तभी प्रियल, अजुन, प्रांजल तीनों एक साथ फंक्शन में पहुँचे। प्रियंका जी ने उन्हें आते देखा तो वो भागकर प्रियल के पास गईं। प्रियल को एक अरसे बाद देखने के कारण उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था।
प्रियंका जी गले लगते हुए बोली, "तुम आ गई? मैंने तुम्हें बहुत मिस किया था।"
"हाँ दी, आ मम्मा..." प्रियल ने अपने माथे पर हाथ मारा, "...मैंने भी आपको बहुत मिस किया था। मेरा हमेशा से मन था मैं आपके पास आऊँ, लेकिन कभी कोई बहाना ही नहीं मिला। अच्छा हुआ अपने परिवार में कोई फंक्शन हो रहा है, जो सबको आपस में मिलने के लिए एक बहाना मिल गया।" प्रियल ने बाहर से यह बात कही, मगर अंदर से उसे इस बात का अफ़सोस था कि वह यहाँ यूएसए में रहने के बावजूद कभी उनसे मिलने नहीं आ सकी और न ही आगे भविष्य में आने वाली है।
प्रांजल ने हल्का सा मुँह फैलाया और दूसरी तरफ़ देखते हुए कहा, "शायद यहाँ कोई और भी है, मगर किसी को दिखे तो ना।" उसने नॉर्मल अंदाज़ में अपनी बात कही थी।
प्रियंका जी उसकी तरफ़ हुईं और बोली, "बस कर ड्रामाबाज़, तुम दोनों को बराबर की केयर और इज़्ज़त मिलती है तो फ़ालतू के ड्रामा मत करो।" यह कहकर वह उसके भी गले लग गई।
दोनों के गले लगने के बाद अजुन आगे आया और पैर छूते हुए बोला, "हेलो आंटी। कैसी हैं आप?" फिर उसने कहा, "मम्मा नहीं आ पाएँगी। बात हो गई होगी आपकी।"
प्रियंका जी ने अजुन का गाल खींचते हुए कहा, "हाँ, हो गई। बोली मैं नहीं आ रही, मगर अपने शरारती लड़के को भेज रही हूँ। उन्होंने मुझे स्पेशल वार्निंग के साथ कहा है कि मुझे तुम्हारी शरारतों पर अच्छी खासी पिटाई करनी और तुम्हें सुधारकर उनके पास भेजना है।" फिर वह सबको एक साथ बोलीं, "चलो अंदर आओ सारे।"
सब अंदर एक-दूसरे से मिले और एक-दूसरे का हालचाल पूछते हुए नॉर्मल मिलने-जुलने वाली फॉर्मेलिटी की। यह सब देर तक ऐसे ही चलता रहा जिसके बाद सब अगले दिन की तैयारी के साथ सोने के लिए चले गए। सगाई का फंक्शन अगले ही दिन था।
अगले दिन सगाई समारोह के लिए मिस्टर प्रभास दत्ता का घर बिल्कुल किसी महल की तरह सजा हुआ था। सगाई की तैयारियाँ काफी अच्छे से की गई थीं। रोहन के चाचा-चाची मिस्टर मोहित नंदा और मिसेज़ निंदनी नंदा भी पहुँच चुके थे।
मिस्टर नंदा इंडिया के जाने-माने बिज़नेस मैन थे। साथ में वो मिस्टर दत्ता के बिज़नेस पार्टनर भी थे। सबकी आपस में अच्छी बनती थी। प्रियल और प्रांजल शालू को सगाई के लिए तैयार कर रही थीं तो अजुन और प्रियंका उन्हें तंग कर रहे थे।
प्रियल शालू का मेकअप सही करते हुए बोली, "आव्व दीदू! बहुत सुंदर लग रहे हो आप। आपको देखकर जीजू को तो पागल ही हो जाना है।"
अजुन वहीं पास ही था। वह तुरंत टांग खींचता हुआ बोला, "हाँ, बेचारा इसे देखेगा तो डर के मारे पागला जाएगा। मेकअप की इतनी लेयर्स चढ़ा रखी है कि पाउडर बनाने वाली एक अच्छी-खासी कंपनी खुल जाए।"
शालू बोली, "चुप करो तुम, जब देखो मेरी टांग खींचने में लगे रहते हो। अब इतना भी मेकअप नहीं किया मैंने। इतना तो लड़कियाँ नॉर्मल बाहर घूमने जाएँ तो भी कर लेती हैं।"
अजुन ने फनी अंदाज़ में लड़कियों की तरह नक़ल करते हुए कहा, "शालू दी प्लीज़ हाँ...फ़ोर लेयर्स ही चढ़ाई है आपने अपने मुँह पर। और बोल रही है इतना भी मेकअप नहीं किया। अब क्या ओज़ोन परत तक पहुँचाने का इरादा है मेकअप को।"
शालू ने अजुन को थप्पड़ दिखाया, "तुम यहाँ से भाग रहे हो या फिर कान खींचकर भगाऊँ? प्रियल तू बताना, मैं अच्छी तो लग रही हूँ ना? इस लड़के पर तो मुझे बिल्कुल भी विश्वास नहीं है। इसका बस चले तो मुझे भूतनी बनाकर रोहन के सामने भेज दे।"
प्रियल लहँगा सही करते हुए बोली, "कम ऑन दी, इसकी तरफ़ ध्यान मत दो। आप बहुत अच्छे लग रहे हो। हाँ, मेकअप थोड़ा ज़्यादा हो गया, पर कभी-कभी तो चलता है ना।"
अजुन ने फिर से टांग खींचाई, "दी बेवकूफ़ बना रही है ये आपको। खुद तो कभी मेकअप करती नहीं और आपके इतना सारा लगा दिया। ऊपर से बोल भी रही है कभी-कभी तो इतना चलता है।"
प्रांजल ने अजुन को टेढ़ी नज़रों से घुरा और कहा, "तुम अब चुप कर रहे हो या नहीं?" अजुन ने यह सुनते ही उंगली अपने ऊपर की ओर चुपचाप खड़े होकर उन दोनों को काम करते हुए देखने लगा। तीनों अंदर अपने में लगे हुए थे तो वहीं बाहर रोहन किसी से फ़ोन पर बात कर रहा था। रोहन ने कॉल पर बात करते हुए कहा, "यार एक सिटी में होते हुए भी तुम लोग नहीं आ रहे। नॉट फेयर, दोस्ती का अच्छा फ़ैसला दे रहे हो तुम लोग। निक मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं थी।"
निक अपने कमरे में बैठकर रोहन से बात कर रहा था। "मैं जानता हूँ तुमने यह एक्सेप्ट नहीं किया था, मगर देखो मैंने तुमसे कभी कुछ नहीं छुपाया था। वह मिस्टर दत्ता...तुम जानते हो ना इनके बारे में सब। इसके बाद मेरे या हममें से किसी के भी फंक्शन में आने के चांस कैसे हो सकते हैं?"
रोहन हल्के निराश चेहरे के साथ बोला, "पसंद तो मुझे भी नहीं है। पर क्या करूँ? अंकल की वजह से...पूरा फंक्शन भी उन्होंने यहीं अटेंड किया है। बट आई वांट...आई वांट कि जिस तरह से मैं यहाँ हूँ उस तरह से तुम भी यहाँ आओ। वरना मेरे लिए इस फंक्शन के कोई मायने नहीं रह जाएँगे।"
निक कुछ सोचने लगा। कुछ सोचते हुए उसने कहा, "अच्छा एक काम करो, वीडियो कॉल मीटिंग करते हैं। एंगेजमेंट भी अटेंड हो जाएगी और वहाँ पर आना भी नहीं पड़ेगा। जीनी, रॉन, एम्मा, एवा और अंकित को भी कॉन्फ़्रेंस में ले लेता हूँ मैं। तुम हमारे लिए वीडियो कॉल पर एंगेजमेंट अटेंड करने का अरेंजमेंट करवा सकते हो ना?"
रोहन भी कुछ सोचने लगा। कुछ सोचने के बाद उसने कहा, "गुड आइडिया, मगर सेटअप...आह! मेरा कज़िन फंक्शन रिकॉर्ड करने का काम संभाल रहा है। चलो मैं कॉल करता हूँ और मेरे कज़िन के कैमरे के व्यू को मीटिंग से जोड़ता हूँ।"
निक ने ओके कहा और फ़ोन काट दिया। तकरीबन पन्द्रह मिनट बाद मीटिंग बन गई और शादी की लाइव फ़ोटोज़ निक और उसके बाकी के दोस्तों के पास पहुँचने लगी। लक्ष्य कैमरे की फ़ोटो दिखाने के दौरान कैमरे के आगे आया और निक को बोला, "कैप्टन निक...मैं आपका बहुत बड़ा फ़ैन हूँ। आपके काफी सारे इंटरव्यू भी मैगज़ीन में आए हैं, मैंने वो सभी पढ़ रखे
निक ने अपने कमरे में था और गुस्से से पूरी तरह तप रहा था। वह प्रियल को अपने दिल के एक कोने में जगह दे चुका था, जो भले ही अभी ज्यादा ना हो, लेकिन उसके लिए यह काफी था। प्रियल को लेकर ऐसा कुछ होगा, वह इसके बारे में सपने में भी नहीं सोच सकता था। अचानक उसकी सच्चाई सामने आने से उसने खुद को टूटते हुए महसूस किया। वह बेड से खड़ा हुआ और गुस्से में लैपटॉप उठाकर फेंक दिया। एम्मा और अंकित उसके दिल की हालत अच्छे से समझ रहे थे। मगर इससे पहले कि वह कुछ कह पाते, उनका कांटेक्ट टूट गया। निक ने गुस्से में लैपटॉप को फेंकने के बाद तुरंत बाहर का रास्ता पकड़ा और एक गाड़ी में जाकर बैठ गया। बैठने के बाद वह कुछ देर तक ऐसे ही बैठा रहा। इसके बाद उसने गाड़ी तेज रफ्तार से सड़क पर दौड़ा ली।
एम्मा बाकी लोगों के साथ अभी भी कांटेक्ट में थी।
"मुझे लगा ही था यह लड़की ठीक नहीं है। मेरा सिक्स सेंस मुझे चीख-चीख कर यह बात कह रहा था। तभी हम लोग कोई इंफॉर्मेशन कलेक्ट नहीं कर पाए। यह हमारी हर एक बात उस दत्ता तक पहुँचाती थी। दोनों ने होशियारी से काम किया। हाँ, इस दुनिया में किसी पर भी किसी तरह का यकीन नहीं किया जा सकता।"
अंकित को यह बात पसंद नहीं आई।
"बिना सोचे-समझे किसी को जज करना गलत है। हमें पता नहीं प्रियल के पीछे की सच्चाई क्या है।"
एम्मा ने उसकी बात सुनते ही तुरंत रस्पांस किया।
"ओह रियली... वह यहाँ जासूसी कर रही थी। अपने बाप को सब कुछ बता रही थी। फिर भी तुम उसकी साइड ले रहे हो। इससे ज्यादा प्रियल की सच्चाई तुम्हें और क्या देखनी है?"
एवा भी गुस्से में थी। अभी जो हालात बन रहे थे, उसे कैसे निपटा जाए, उसे भी इस बारे में कोई अंदाजा नहीं था। वहीं निक भी पता नहीं आगे क्या कर रहा होगा, इस बारे में वह नहीं जानती थी।
"अभी इन सब बातों का वक्त नहीं है। निक, हम उसके बारे में सोचना चाहिए। मुझे डर है कहीं वह प्रियल से बात करने के लिए निकल ना गया हो। अगर ऐसा हुआ तो निक को रोकना आसान नहीं रहने वाला। वह जिद्दी है और उसकी जिद का कोई तोड़ नहीं। मुझे लगता है कि हम जैन को कॉल करके सब बता देना चाहिए। एक वही है, जो निक को रोक सकता है। छोटा भाई होने के कारण निक उसकी हर एक बात मानता है।"
निक तेज रफ्तार से गाड़ी चला रहा था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था उसके साथ क्या हो रहा था। वो बस और बस गुस्से में गाड़ी चलाए जा रहा था। निक की आँखों से आँसू निकल आए थे, ये आँसू कैसे आए थे, यह बात भी उसके पल्ले नहीं पड़ रही थी। निक अपने आँसू साफ़ करते हुए दर्द भरी आवाज़ में बोला।
"कौन हो तुम? क्या किया यार? इतने सालों बाद कोई मुझे अपना लगा था और तुम अपने बाप के लिए हम सब को धोखा दे रही थी। तुम हमारी जासूसी कर रही थी। मैंने तुमसे तुम्हारे बारे में पूछा, मगर तुमने एक बार भी नहीं बताया तुम प्रभास दत्ता की बेटी हो। मैंने तुम्हें बस अभी समझना शुरू ही किया था… लेकिन तुम तो… तुम तो पहले से ही बहुत समझदार निकली प्रियल। वो तुम्हारी भोली जैसी हरकतें, वो मासूमियत… सब एक झूठ, एक दिखावा थी। तुमने एक अच्छे खासे इंसान को बेवकूफ बना दिया।"
निक को प्रियल के साथ बिताए हुए हर मोमेंट्स याद आने लगे। वह उसकी शक्ल को बार-बार अपनी आँखों के सामने देख रहा था। उसके कानों में प्रियल की आवाज़ गूंज रही थी। वह ना तो उसकी शक्ल देखना चाहता था, ना ही उसकी आवाज़ सुनना चाहता था, मगर सब जबरदस्ती हो रहा था।
निक को याद आया जब प्रियल को उसने पहली बार देखा था। जब प्रियल ने आर्चरी फील्ड का सामान लेट होने पर उसके साथ मार्केट घूमा था। वहाँ उसे टेडी बियर पसंद आया था और उसने वह टेडी बियर उसके लिए लिया था।
निक सिर्फ टेडी बियर वाले दृश्य को याद करते हुए कहा।
"प्रियल, मैंने अपनी जिंदगी में कभी किसी को तोहफा नहीं दिया। मगर तुम्हारी मासूमियत को देखकर मेरा… भले ही वह गिफ्ट तुमने पसंद किया था, मगर तुम्हारी मासूमियत को देखकर मेरा मन तुम्हें उसे देने के लिए किया था। क्या वो मासूमियत, तुम्हारा वो बचपना, वो सब झूठ था? क्यों प्रियल… क्यों तोड़ दिया तुमने मुझे… मेरे इमोशन… तुमने मेरी हर एक चीज को किनारे कर दिया।"
निक की आँखों से बेतहाशा आँसू आ रहे थे। वह उन्हें रोकने की कोशिश भी नहीं कर रहा था। तभी जैन बाइक पर उसकी कार का पीछा करते हुए दिखा। बाइक पर एक डिवाइस लगा हुआ था जो निक की लोकेशन उसे बता रहा था। निक की गाड़ी की लोकेशन देखकर ही वो उसके पीछे पहुँचा था। जैन ने दूर से चिल्लाते हुए निक को रोकने की कोशिश की, लेकिन निक उसकी आवाज को नहीं सुन पाया। निक ने जैन की आवाज़ नहीं सुनी तो वह अपनी बाइक उसकी कार के सामने ले गया। निक ने अचानक से जैन को देखा तो उसने ब्रेक लगा दिए।
ब्रेक लगाने के बाद निक गुस्से में बाहर निकल कर आया और जैन से बोला।
"आर यू मैड जैन? कुछ हो जाता तो तुम…? आगे ऐली की मौत का दुख कम है जो तुम खुद भी उसकी तरह मुझसे दूर होना चाहते हो।"
जैन बाइक से उतरा और उसके पास आया।
"भाई मेरी छोड़ो आपको क्या हुआ है? आप इतनी स्पीड से गाड़ी क्यों चला रहे थे?" फिर उसने निक के चेहरे की तरफ देखा जो गुस्से में लाल था। "गुस्से से आपका चेहरा भी लाल हो गया और आपकी आँख…" उसका ध्यान वहाँ पर गया जहाँ से पानी निकल रहा था। "आपकी आँखों में पानी…" वो निक के गले लग गया। "भाई आप ठीक तो हो ना?"
जैन के गले लगते ही निक रोने लगा। जैसे उसे रोने के लिए कोई सहारा ही चाहिए था।
"क्या किया उसने ये सब? मुझे वो अच्छी लगने लगी थी? भले ही मैं ऐली की जगह किसी को नहीं दे सकता… पर दोस्त तो थी ना वो मेरी… अपना समझा था मैंने उसे और वो… और वो… प्रियल… वह मिस्टर दत्ता की बड़ी बेटी है जो हमारे बीच रह रही है, ताकि हमारे बीच रहकर हमारी हर एक इंफॉर्मेशन दत्ता तक पहुँचा सके। तुम जानते हो ना, वो दत्ता कौन है? क्या किया उसने? प्रियल… उसने क्या किया सब मेरे साथ?"
जैन ने पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा।
"भाई आप संभाले खुद को। शायद कोई गलतफ़हमी हुई होगी, जो भी चीज है हम उसे आराम से सुलझा लेंगे, और बैठकर सुलझाएंगे।"
निक का रोना नहीं रुक रहा था।
"कोई गलतफ़हमी नहीं हुई। गलतफ़हमी ऐसे नहीं होती, कहीं भी कोई भी गलतफ़हमी ऐसी नहीं होती।"
दत्ता मेंशन में अभी भी इंगेजमेंट सेरेमनी में सभी फोटो सेशन करवा रहे थे। प्रियल और बाकी लोगों की फोटो कब की हो गई थी। अब दूसरे लोग अपना फोटोशूट करवा रहे थे। मिस्टर दत्ता की फैमिली में उनकी बहनें और छोटे भाई की पत्नी, कोई भी प्रियल को पसंद नहीं करता था। वह उसे देखकर गुस्से में जल रहे थे। तभी मिस्टर दत्ता की बहन सुमन और छोटे भाई की पत्नी मीता दोनों प्रियल के पास आए। सुमन प्रियल के पास आते हुए बोली।
"प्रियल," उसने ताने मारने वाला अंदाज अपनाया। "अब हम अपना रियल फैमिली फोटो सेशन करवा रहे हैं, तुम एक काम करो… जाकर खाना-वाना खा लो या इधर-उधर थोड़ा बहुत घूम लो। देखो कितनी कमज़ोर हो गई हो। लग रहा है मेरा भाई ध्यान नहीं रख रहा तुम्हारा… पता नहीं कहाँ क्या कमी रह गई। अब तुम यहाँ खाओ-पीओ और मोटी हो जाओ।"
मीता ने सुमन का साथ दिया और बात के मज़े लेते हुए कहा।
"जीजी बहाने क्यों बना रही हो आप, सीधे कहो ना तुम कौन सी अपनी है जो हमारे साथ फोटो सेशन में आओगी, यह तो अच्छा है भाई साहब ने इसे पाल लिया… वरना तो ये अनाथ ही…"
प्रियल को यह सब सुनकर दुख हुआ पर उसने खुद को संभाला और कोई जवाब नहीं दिया। बस वह उदास होकर वहाँ से चली गई। प्रियंका जी वहीं थीं। उसका ध्यान प्रियल पर पड़ा तो वह मीता और सुमन के पास आईं। उन्होंने मीता से पूछा।
"मीता, प्रियल को क्या हुआ? वह अचानक यहाँ से कैसी चली गई? चेहरा भी उदास लग रहा था।"
मीता जानती थी प्रियंका जी को प्रियल काफी प्यारी है। इसलिए वह बात बदलते हुए बोली।
"कुछ नहीं दीदी… उसकी ड्रेस पर जूस गिर गया था। शायद उसे ही साफ़ करने गई होगी। अच्छी ड्रेस थी तो इसलिए उसका चेहरा उदास हो गया होगा।"
प्रियंका जी ने उस तरफ़ देखना छोड़ा और कहा।
"तब कोई बात नहीं… चलो करके वापस आ जाएगी। चलो मैं फंक्शन की दूसरे अरेंजमेंट देख लूँ।" इतना कहकर वह वहाँ से चली गईं।
प्रियल वहाँ से ऊपर अपने रूम में गई। रूम में जाते ही वह अपने सामान को इधर-उधर करने लगी। उसने अपने सामान से अपने मम्मी-पापा की फोटो निकाली और वह उसे देखकर रो पड़ी। रोते-रोते वह बेड के ऊपर बैठ गई और फोटो को देखते हुए कहा।
"इससे तो अच्छा होता आप दोनों के साथ मैं भी इस दुनिया से चली जाती… आप तो चले गए लेकिन प्रियंका दीदी पर जिम्मेदारी का बोझ छोड़ गए… यह तो प्रियंका दीदी है वरना इन लोगों का बस चले तो मुझे मार ही डाले। इन लोगों की वजह से मुझे कभी-कभी फील होता है मैं अनाथ आश्रम में ही रह लेती। कम से कम इन लोगों के झूठे एहसान तले दबना तो नहीं पड़ता। मैंने आज तक इनसे एक पैसा नहीं लिया, फिर भी पता नहीं किस बात का एहसान जताते हैं ये लोग। मुझे तिल-तिल करके मारते हैं।" उसने फोटो को सीने से लगाया और रोते-रोते वहीं बेड पर दूसरी तरफ गिर गई।
एक सुनसान जगह पर निक और जैन गाड़ी में बैठे थे। निक रोए जा रहा था और जैन उसे संभालने की पूरी कोशिश कर रहा था। मगर निक इसके बावजूद शांत नहीं हो रहा था। जैन ने दोबारा से कोशिश की और कहा।
"भाई बंद करो ना रोना, धोखा उसने दिया है, रो आप रहे हो, उसके किए की सज़ा आप अपने आप को क्यों दे रहे हो?"
निक बिना उसकी तरफ देखे बोला।
"गलत इंसान पर भरोसा किया तो सज़ा तो मिलनी ही है ना जैन, और भरोसा मैंने किया था तो मुझे ही सज़ा भुगतनी है ना इसकी।"
"प्लीज़ भाई पैनिक मत हो। आपकी तबीयत ख़राब हो जाएगी, चलिए घर चलते हैं ना, एक बार के लिए सब बातों को भूल जाइए, थोड़ा सही हो जाइए फिर इसके बारे में सोच लेना।" निक अभी भी खुद को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था। वह गाड़ी में ही जैन की तरफ हुआ और उसके गले लगकर रो पड़ा। जैन ने उसे सहारा दिया और कुछ देर के बाद खुद ड्राइविंग सीट पर आ गया। निक बेसुध वाली हालत में पहुँच गया था। जैन ने गाड़ी चलाई और उसे निक के घर की ओर कर लिया। निक के घर पहुँचकर वह निक को उसके कमरे तक लेकर आया और बेड पर बिठाकर उसे खाने-पीने के लिए कुछ दिया। उसने खाना तो नहीं खाया मगर जूस का एक गिलास पी लिया। जूस का गिलास पीने के बाद जैन ने उसे नींद की गोलियाँ दे दी और फिर लेटा दिया। नींद की गोलियों की वजह से निक को जल्दी नींद आ गई। निक को सुलाने के बाद जैन बाहर झूले पर बैठा था, तभी एम्मा की गाड़ी घर के सामने रुकी। वह डॉक्टर दीक्षित के साथ यहाँ आई थी। जैन ने उसकी तरफ़ ध्यान दिया और फिर दोनों डॉक्टर दीक्षित के साथ निक के रूम में चले गए।
एम्मा ने निक की हालत देखी तो तुरंत डॉक्टर दीक्षित को कहा।
"देखें ना अंकल कैसी हालत हो गई है इसकी। इसे पैनिक अटैक आते हैं। आप जरा देखें, कहीं फिर से पैनिक अटैक ना आने लगे।"
डॉक्टर दीक्षित उसका चेकअप करने लगे। कुछ देर चेकअप करने के बाद उन्होंने कहा।
"अच्छा हुआ तुम लोगों ने इसे सुला दिया… थोड़ी देर आराम करेगा तो सब कुछ भूल जाएगा। माइंड पर इतना प्रेशर भी नहीं पड़ेगा। इसे पैनिक अटैक आने का डर कम है। सुबह तक सब नॉर्मल हो जाएगा तो मुझे नहीं लगता कंडीशन बिगड़ेगी।"
एम्मा के चेहरे पर अलग ही तरह का गुस्सा था। वह अपने इस गुस्से में बोली।
"ऐली तो चली गई पर निक अभी भी दर्द में है। पता नहीं क्यों निक इतने दर्द के साथ जी रहा है। और प्रियल मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद बिल्कुल नहीं थी। मेरा यकीन मानो, मैं तुम्हें पूरी तरह से तबाह कर दूँगी। हमारे साथ ऐसा करके तुमने बिल्कुल भी ठीक नहीं किया और इसकी सज़ा मैं तुम्हें अच्छे से दूँगी।"
जैन एम्मा को गुस्से में देखकर उसके पास आया और कहा।
"एम्मा मैम मैं यहाँ पर हूँ भाई के साथ। भाई ऐसी हालत में है, ऐसे में इंस्टिट्यूट की जिम्मेदारी आपको ही संभालनी है। प्लीज़ आप जाएँ और जाकर आराम करें। यहाँ की सब चीजों को मैं देख लूँगा।"
एम्मा ने एक बार निक की तरफ़ देखा और फिर कहा।
"ठीक है मैं चलती हूँ, लेकिन अगर किसी चीज की ज़रूरत हो तो मुझे बता देना।" इतना कहकर एम्मा डॉक्टर दीक्षित के साथ वहाँ से चली गई।
रात के लगभग 2:00 बजे निक की आँख खुली और वह उठ खड़ा हुआ। जैन उसके कमरे में ही सोफ़े पर सो रहा था। उसने नींद की गोली ली थी मगर इसके बावजूद उसकी नींद पहले खुल गई। यह सिर्फ और सिर्फ उस दुख की वजह से हुआ था जिसे वह अभी भी अपने सीने में संभाल रहा था। निक धीरे से उठा और बिना कोई आवाज़ किए अपने कमरे से बाहर आ गया। कमरे से बाहर आने के बाद वह दबे पाँव अपने घर में बनी लाइब्रेरी के अंदर गया। वहाँ उसने एक किताब को अंदर की ओर पुश किया जहाँ लाइब्रेरी में बने एक ख़ुफ़िया कमरे का दरवाज़ा खुल गया। यह रूम निक के लिए बहुत स्पेशल था। यहाँ पर निक और उसकी हर एक प्यारी याद सहेज कर रखी हुई थी। रूम के अंदर उसने अपनी माँ, पावर्ती और ऐली के साथ बिताए हर अच्छे मोमेंट्स की पिक्चर लगा रखी थी। कमरे में ही एक सेक्शन में कुछ कैसेट्स रखी थीं जिसमें उसके बिताए हुए लम्हों की कुछ विडियोज़ थीं। उसने वहाँ से एक कैसेट निकाली और वहीं पड़े लैपटॉप में लगाकर उसे देखने लगा। वह विडियो कुछ साल पहले की थी। निक, ऐली और एम्मा के साथ था। एवा इस विडियो को बना रही थी। वो लोग वॉलीबॉल खेल रहे थे। एम्मा बॉल को दूसरी तरफ़ फेंकते हुए ऐली को बोली।
"ऐली तेरा ये बॉयफ़्रेंड मुझे बिल्कुल भी नहीं पसंद है।" ऐली ने हल्के व्हाइट कलर की क्रॉप टॉप और खुला पजामा पहन रखा था। वो अपने बोलने, दिखने के तरीके, इन सब में बहुत ही मासूम और अट्रैक्टिव लग रही थी।
निक ने कूदकर बॉल को पकड़ा और कहा।
"ऐली तुम्हारी ये नकचढ़ी बहन बोल तो ऐसे रही है जैसे मैं इसके बिना रह ही नहीं सकता। जैसे यह मुझे बहुत पसंद है। इसको पता नहीं कितनी बदतमीज़ है ये। इतनी बदतमीज़ की इसे अपने होने वाले जीजू की भी रिस्पेक्ट नहीं।"
एम्मा निक के पास दौड़ी और बॉल को छीनकर दूसरी तरफ़ जाते हुए बोली।
"ऐली अगर तुमने इस बंदर से शादी की तो ना… तो देख लेना, मैं तुम दोनों को कमरे के अंदर बंद करके ताला नहीं बिल्कुल अलग-अलग बंद करके ताला लगाऊँगी।"
निक अपनी जगह पर खड़ा हुआ और हाथ कमर पर रखता हुआ बोला।
"ओए, बंदर किसे बोला? तू ना पिटेगी मेरे हाथों से।"
एम्मा ने उसकी तरफ़ बिना ध्यान दिए कहा।
"तुम्हें… और किसे? और कोई बंदर दिखाई दे रहा तुम्हें यहाँ पर? ऐली तुम कुछ बोलो ना इसे।" तभी एम्मा ने विडियो कैमरे की ओर देखा और अपने चेहरे पर हाथ रखते हुए कहा।
"प्लीज़ यार एवा स्टॉप शूटिंग… क्यों मेरी सड़ी हुई शक्ल को रिकॉर्ड कर रही हो।"
ऐली ने पहली बार कुछ कहा।
"मैं क्या बोलूँ, तुम दोनों मुझे कुछ बोलने दोगे तो मैं बोलूँगी ना। अब सुनो एम्मा, तुम मेरे प्रिंस को कुछ मत कहो। तुम्हारे लिए मैंने जो जूजू ढूँढा है वह इस दुनिया में तो क्या किसी और दुनिया में भी नहीं मिलने वाला। निक इज़ द बेस्ट लाइफ़ पार्टनर फॉर मी।"
एवा ने कैमरा रखा और दौड़कर ऐली के पास आई। ऐली ने उसे उठाया जहाँ एवा ने उसके गाल पर किस कर लिया।
निक भी उसके पास आया और उसे उठाते हुए उसके गाल पर किस किया। वह छोटी बच्ची थी। एवा के गाल पर किस करते हुए निक ने कहा।
"माय लिटिल डॉल… प्लीज़ तुम अपनी छोटी बहन से थोड़ा दूर ही रहा करो। वरना तुम्हारी भी नाक मोटी हो जाएगी। मोटी नाक वाली लड़की को तो कोई लड़का भी नहीं मिलेगा। हाँ अच्छा दोस्त ज़रूर मिल सकता जो थोड़ी बहुत केयर वेयर करेगा।"
एवा बच्चों वाली आवाज़ में मासूमियत से बोली।
"एम्मा की नोज मोटी है क्या? मैंने उसे कभी ध्यान से नहीं देखा।"
ऐली डाँटते हुए आई और कहा।
"निक, लगता है आज तुम सच में अपनी ज़िद तुड़वाना चाहते हो जो एम्मा की नाक पर कमेंट पास कर रहे हो।"
"बोलने दो इसे," एम्मा बोली। "शादी तो करने नहीं दूँगी इसे आपसे, बंदर कहीं का।"
इसी के साथ विडियो यहीं ख़त्म हो गई। उसे देखकर निक के आँसू बहने लगे। वह वहाँ मौजूद कुर्सी पर बैठा और खुद को संभालते हुए कहा।
"बस बहुत हो गया। बहुत धोखा खा लिया मैंने और बहुत धोखा दे दिया तुमने। इंस्टिट्यूट को तुम जैसे धोखेबाज की कोई ज़रूरत नहीं है। तुम्हारी वजह से मेरी फीलिंग में अ लिटिल बिट चेंज हुआ, जस्ट बिकॉज़ ऑफ़ यू फॉस्टर… नाउ वेट एंड सी… अब मैं क्या करता हूँ। तुमने निक को प्यार वाला बर्ताव करते हुए तो देख लिया, अब उसका गुस्सा भी देखो।"
सुबह होते ही निक जल्दी इंस्टिट्यूट के लिए निकल गया। ऑफ़िस में पहुँचा और वहाँ प्रियल के अगेंस्ट एक कंप्लीट लेटर फाइल कर दिया। उस कंप्लीट लेटर के साथ उसने उसके एप्लीकेशन फॉर्म को अटैच कर दिया ताकि उसकी एडमिशन रिक्वेस्ट कैंसिल हो सके और वह ट्रेनिंग सेंटर से ही बाहर निकाल दी जाए।
उस कंप्लेंट लेटर के अनुसार प्रियल ने फेक आइडेंटिटी के साथ इंस्टिट्यूट में एडमिशन के लिए अप्लाई किया था जो इंस्टिट्यूट के रूल्स के खिलाफ़ था। उसमें यह भी लिखा गया था कि इसके लिए उस पर जुर्माना लगाया जाए और उसे कड़ी सज़ा भी दी जाए। यह सब करने के बाद निक ने खुद से कहा।
"बस 10 दिन, इस कंप्लेंट को प्रोसेस होने में 3 दिन का टाइम लगेगा, जिसके बाद 7 दिन तुम्हें खुद को सही-गलत प्रूफ करने के लिए दिए जाएँगे, फिर तुम और तुम्हारे बाप को मैं बताऊँगा निक से पंगा लेने पर क्या होता है।" यह कहकर निक ने उसे फैक्स कर दिया और फिर अपने दूसरे कामों में लग गया। उसने यह जो भी किया था यह सिर्फ अपने तक रखा था और वह आगे भी इसे किसी को नहीं बताने वाला था।
★★★
प्रियंका जी के कहने पर प्रियल, प्रांजल और अजुन 2 दिन के लिए वहीं रुक गए थे। प्रियल वापस ट्रेनिंग सेंटर नहीं जा पाई थी। तो उस वजह से उसे किसी तरह का नोटिस नहीं मिला। उसके अगले 2 दिन जैसे-तैसे बीते। निक ट्रेनिंग सेंटर में अभी भी प्रियल के आने का इंतज़ार कर रहा था। वह उससे जानना चाहता था कि उसने उसके साथ ऐसा क्यों किया। 2 दिन हो चुके थे, लेकिन प्रियल अभी भी इंस्टिट्यूट वापस नहीं आई थी। वह बेचैन हो रहा था मगर वो खुद से भी कुछ नहीं कर सकता था। किसी तरह का कांटेक्ट नहीं, किसी तरह की दूसरी चीज नहीं। निक ट्रेनिंग सेंटर में एक बेंच पर बैठा था और दरवाज़े की तरफ़ देख रहा था। तभी उसे आरोही दिखाई दी। वह प्रियल से कांटेक्ट नहीं कर सकता था मगर उसकी सहेली तो कर सकती थी। यही सोचकर वह उसकी ओर गया। निक उसके पास जाते ही बोला।
"हे आरोही… कैसी हो तुम? तुम्हारी मिस शर्मा आ गई क्या?"
आरोही अपना काम कर रही थी। उसने अपना काम करना थोड़ा और कहा।
"नो सर।"
"ओह," निक बोला। "तो तुमने कोशिश नहीं की उससे बात करने की, उससे बात करने की और यह पूछने की कि वह कब तक आएगी?"
"फ़िलहाल तो नहीं। मगर आज शाम को या कल में वह आ जाएगी। उसने इतनी ही छुट्टियाँ ली थी।" इतना कहकर वह चली गई और अपने दूसरे काम करने लगी।
निक उसके जाने के बाद खुद में सोचते हुए बोला।
"अच्छा हुआ नहीं आई। वैसे आएगी भी किस मुँह से, अब यहाँ वापस ना आए तो ही अच्छा है। बाहर से ही इंडिया चली जाए। इतनी कम उम्र में जेल जाएगी तो वह भी अच्छा नहीं लगेगा, ना ही उसे, ना ही प्रभास दत्ता को।"
निक प्रियल से गुस्सा था और वह उसे अपने चेहरे पर भी दिखा रहा था मगर उसका दिल अभी भी उसकी एक झलक पाना चाहता था। वह अपने कमरे की ओर मुड़ा और कमरे में जाने लगा। तभी उसे रोहन का कॉल आया। उसने कॉल उठाया तो सामने से रोहन बोला।
"हे भाई क्या हाल है? सब खैरियत पानी तो है और शादी कैसी लगी?"
निक मुस्कुराया और मुस्कुराते हुए कहा।
"यकीनन काफी बेहतरीन लगी, अच्छा हुआ जो तुमने उसका लाइव किया, मैं इस शादी को कभी अपनी जिंदगी में नहीं भूल सकता।" फिर उसने कहा।
"रही बात हाल की तो मेरे हाल तो ठीक है पर किसी और के…" उसने इतना ही बोला कि उसकी आगे की लाइन रोहन ने पूरी कर दी। वह बोला।
"बिगड़ने वाले हैं… या ड्यूड, तुम बिगाड़ते रहो जिसके हाल बिगाड़ने हैं। अब मेरी बात सुनो। मैं और शालू कुछ दिन के लिए यहाँ रुक रहे हैं। इंगेजमेंट सेरेमनी तो तुम लोगों ने अटेंड की नहीं लेकिन एक आधे दिन लंच तो साथ में करोगे ना।"
निक ने जवाब दिया।
"हाँ क्यों नहीं, लेकिन तुम्हें 2 दिन का इंतज़ार करना पड़ेगा। कुछ मामले बिगड़े पड़े हैं, 2 दिन तक ठीक हो जाएँगे तो फ़ुर्सत से और मज़े से लंच करेंगे।"
रोहन ने ओके कहा और फिर फ़ोन काट दिया। उसके फ़ोन काटने के बाद निक फ़ोन को अपने हाथ में घुमाता हुआ अपने कमरे की ओर चला गया। कमरे की ओर जाते वक़्त वह फिर से बोला।
"पता नहीं कब आएगी… कब वापस आएगी मिस शर्मा।"
शाम के समय प्रभास दत्ता जी के घर पर प्रियंका जी प्रियल और अजुन को विदा कर रही थीं। प्रांजल शालू और रोहन के साथ वहीं रुक रही थी। बाकी के गेस्ट पहले ही जा चुके थे। प्रांजल को रुकवाने के लिए प्रियंका जी को काफी मेहनत करनी पड़ी थी। तब जाकर वह रुकने के लिए मानी थी वरना वह नहीं मान रही थी।
प्रियंका प्रियल को विदा करते हुए बोली।
"प्रियल अगर फंक्शन में किसी ने कुछ ऐसा-वैसा बोला है, तो उनकी तरफ़ से आई एम सॉरी। मुझे पता है हमारे रिश्तेदार तुम्हें पसंद नहीं करते मगर इस बात को लेकर कभी दुखी मत होना।"
प्रियल मुस्कुराई और बोली।
"अरे नहीं दीदी, ऐसा कुछ नहीं है। मेरे लिए जो भी हो वह आप हो, बाकी मुझे किसी से और कोई लेना-देना नहीं।"
प्रियंका ने आँखें टेढ़ी की और कहा।
"दीदी? तुम कितनी बार कहा है मम्मा बुलाया करो। और तुम ही ने मम्मा कहने की आदत डाली थी मैंने नहीं, प्रांजल से पहले तुमने ही मुझे मम्मा बुलाया था।"
प्रियल ने दोबारा मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ कहा।
"ओके मम्मा।"
"प्लीज़ प्रियल, शर्माना मत, किसी भी चीज की ज़रूरत हो तो बताना।" इसके बाद वह बोली।
"और हो सके तो अमृतसर हो आना। नानी की उम्र हो गई है और ऊपर से बीमार भी है। तो एक बार मिल लेना।"
प्रियल ने हामी भर दी।
"ओके मम्मा। मिल लूँगी।"
अजुन काफी देर से ऐसे ही बैग उठाकर खड़ा था। वह दोनों की बात खत्म होने और जाने का इंतज़ार कर रहा था। काफी देर तक बात सुनते रहने के बाद उसने कहा।
"आप दोनों माँ-बेटी की बातें खत्म हो गई हो, तो चलें? या अभी भी यहीं रुकने का इरादा है।"
प्रियंका जी बोलीं।
"वो तो कभी ख़त्म नहीं होने वाली… अपना ख्याल रखना प्रियल।" प्रियंका जी ने कहा और फिर गले से लगा लिया।
प्रियंका जी से विदा लेकर प्रियल और अजुन वहाँ से चले गए। अजुन ने वहाँ से एयरपोर्ट से इंडिया की फ्लाइट ली, तो वहीं प्रियल कैब लेकर वापस ट्रेनिंग सेंटर के लिए चली गई। प्रियल ने पिछले कई दिनों से निक नहीं देखा था। फंक्शन का काम ख़त्म हो गया तो वह वापस निक के बारे में सोचने लगी। उसका दिल निक को देखने के लिए तरस रहा था। मगर वो नहीं जानती थी अब हालात बदल चुके हैं।
★★★