कहते है प्यार कभी मरता नही मरते तो लोग है कुछ इसी तरह है हमारी ये कहानी जहा मर कर वापस आया है राहुल अपने प्यार को बचाने क्या वो हो पायेगा कामयाब या बन कर रह जायेगा मामूली सी आत्मा जानने के लिए पढ़ते रहे हमारी अधुरी कहानी।
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एक नवविवाहित जोड़ा, जिनकी कुछ घंटे पहले ही शादी हुई थी, अपने शादी के कपड़ों में बेहद प्यारे लग रहे थे। उन दोनों को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वे दोनों बस एक-दूसरे के लिए ही बने हों। उनकी गाड़ी भी पूरी तरह से सजी हुई थी। लड़की ने लड़के के कंधे पर अपना सिर रखा हुआ था, और दोनों ने एक-दूसरे का हाथ थाम रखा हुआ था। लड़की लड़के से बोली, "राहुल, तुम्हें पता है ना, मैंने इस दिन का कितने सालों से इंतज़ार किया है, और आज मेरा वो इंतज़ार ख़त्म हुआ… नहीं-नहीं, आज हमारा वो इंतज़ार ख़त्म हुआ, क्योंकि हम दोनों ने ही तो कितने सालों से इस पल का बेसब्री से इंतज़ार किया है। और आज के दिन हमारा वो सालों का इंतज़ार ख़त्म हुआ। अब हम दोनों ही शादी के अटूट बंधन में बंध चुके हैं।" लड़की की बात सुनकर राहुल बोला, "तुमने बिलकुल सही कहा, खुशी। आज हमारे सालों का इंतज़ार ख़त्म हुआ… वैसे हमारे घरवालों ने तो हमारी शादी बचपन में ही तय कर दी, पर उन्हें भी नहीं पता था कि हम बड़े होने के बाद इस रिश्ते को निभाएँगे भी या नहीं… हम दोनों बचपन से ही साथ रहे, साथ पढ़े और साथ में ही बड़े भी हुए हैं।" "और आज देखो, हमारा प्यार भी जीत गया… और हम शादी जैसे पवित्र बंधन में बंध गए। अब हम दोनों हमेशा ही एक साथ रहेंगे… और हम अब कभी अलग नहीं होंगे… ना ही कोई हमें अलग कर सकता है, क्योंकि हमारा प्यार इतना भी कमज़ोर नहीं कि कोई हमारे बीच आ सके या हमें दूर कर सके…" राहुल की बात सुनकर खुशी भी मुस्कुरा देती है। और उसे साइड हग करते हुए ही बोली, "तुम्हें पता है राहुल, मैंने ना हमारे लिए बहुत सारी प्लानिंग कर रखी है। मैंने सोच लिया है कि हम ना अपने हनीमून के लिए स्विट्ज़रलैंड या फिर पेरिस चलेंगे… उसके बाद घर लौटने पर मैं सुबह जल्दी उठकर तुम्हारे लिए नाश्ता बनाऊँगी, और तुम्हारा टिफ़िन बॉक्स तैयार करूँगी… फिर तुम ऑफ़िस जाओगे तो मैं दिन में तीन से चार बार कॉल करूँगी और शाम को तुम्हारे घर लौटने का इंतज़ार करूँगी।" "और फिर डिनर के बाद रात में मैं तुम्हें इतना… अपने दोनों हाथों को फैलाकर… नहीं, इतना सारा प्यार करूँगी… और फिर शादी के दो-तीन महीने बाद ही मैं तुम्हारी मॉम को दादी और तुम्हें डेडी बना दूँगी…" खुशी बस अपनी खुशी में ही सारी बातें बोल रही होती है, और राहुल बस उसे प्यार से निहार रहा होता है। जब खुशी को एहसास होता है कि वो कब से बस बोल ही रही है, तो वो शांत होकर राहुल को देखकर बोली, "मैं बहुत ज़्यादा बोलती हूँ ना, राहुल?" इस पर राहुल उसे प्यार से देखते हुए बोला, "नहीं, खुशी। मैं तो अपनी पूरी ज़िंदगी तुम्हें ऐसे ही बिना रुके सुन सकता हूँ।" राहुल की बात सुनकर खुशी राहुल के गले लग जाती है। वहीं उनकी गाड़ियों के पीछे ही उनके घरवालों की गाड़ियाँ भी चल रही होती हैं, जिसमें दोनों की ही फैमिली होती है, जो अपने बच्चों की शादी से काफ़ी ज़्यादा खुश होते हैं। सभी लोग खुश हो रहे होते हैं। ड्राइवर भी, जो उनका काफ़ी पुराना और वफ़ादार ड्राइवर होता है, जो इस वक़्त राहुल और खुशी की गाड़ी ड्राइव कर रहा होता है, वो भी इन दोनों को ऐसे खुश देखकर काफ़ी ज़्यादा खुश हो रहा होता है। ड्राइवर अपनी कार आराम से चला रहा होता है, मगर तभी वहाँ पर एक बहुत ही बड़ा कंटेनर अचानक से ही सामने आ जाता है और उनकी गाड़ी को टक्कर मार देता है। जिससे ड्राइवर खुद को संभाल नहीं पाता है, और टक्कर की वजह से उनकी गाड़ी 15 से 20 फ़ीट दूर जाकर गिर जाती है, और उनकी गाड़ी का क़िरा मच जाता है। मगर जब राहुल को जैसे ही टक्कर का एहसास होता है, वो खुशी को अपनी बाहों में कसकर ले लेता है, जिससे उसे ज़्यादा चोट ना लगे। मगर उसकी इस कोशिश का भी कोई फ़ायदा नहीं होता और उनकी गाड़ी जाकर पलट जाती है, और उसकी सारी खिड़कियाँ टूट जाती हैं। वहीं वो कंटेनर भी एक साइड जाकर लुढ़क जाता है। वहीं जब घर वाले, जिनकी कार उनसे काफ़ी ज़्यादा दूर थी, जब उनकी नज़र उनकी कार पर पड़ती है, तो उन लोगों की दर्द भरी चीख निकल जाती है, और सभी उनके तरफ़ दौड़कर जाने लगते हैं। वहीं ड्राइवर तो मर चुका था, वहीं राहुल और खुशी दोनों ही पूरी तरह ख़ून से नहा चुके थे। राहुल खुशी को देखते हुए बोला, "तुम ठीक तो हो ना, खुशी? तुम्हें कहीं कुछ लगा तो नहीं ना?" खुशी भी अपनी बंद होती आँखों से उसे देखकर बोली, "मैं ठीक हूँ, राहुल। पर अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मैं भी जी नहीं पाऊँगी।" इतना बोलकर वो बेहोश हो जाती है। वहीं अब राहुल को भी काफ़ी ज़्यादा चोट लगने के कारण उसकी भी आँखें बंद हो जाती हैं। वहीं अब खुशी और राहुल के घर वाले बड़ी ही मुश्किल से खुद को संभालकर उन दोनों को बाहर निकालते हैं और उन्हें दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल की तरफ़ लेकर निकल जाते हैं। वहीं उन दोनों की ही फैमिली का काफ़ी ज़्यादा बुरा हाल हो चुका था। दोनों की माँ का रो-रोकर बुरा हाल था, वहीं उनके पति खुद को संभालकर उन्हें भी संभाल रहे होते हैं, मगर कोई फ़ायदा नहीं। और वो शांत होंगी भी कैसे? उन्होंने अपनी आँखों के सामने अपने बच्चों को ऐसे ज़ख्मी देखा। आज ही उनकी शादी हुई और आज ही के दिन उनका इतना बड़ा हादसा हो गया…!!! वहीं अब तक वो सभी हॉस्पिटल पहुँच चुके थे, और उन दोनों को ऑपरेशन रूम में ले जाया गया था। और उस रूम की रेड लाइट ऑन हो चुकी थी। बाहर सभी लोग अपनी आँखों में आँसू लिए, परेशान नज़रों से बस उस रूम को ही देख रहे होते हैं। वहीं दूसरी तरफ, इसी हॉस्पिटल में एक और एक्सीडेंट का केस अभी-अभी आया होता है, जो दिल्ली शहर के सबसे अमीर परिवार का बेटा राहुल मित्तल होता है, जिसका अभी-अभी ही एक कार रेस के चक्कर में एक्सीडेंट हुआ होता है, और उसे भी इमरजेंसी वार्ड में शिफ़्ट कराया जाता है। और वहीं मित्तल परिवार के सारे गार्ड्स वहाँ पर तैनात होते हैं। उस फ़्लोर को पूरी तरह से खाली करा दिया गया था, क्योंकि बात मित्तल परिवार के एकलौते बेटे की थी। मगर वो लोग शेखावत और राजवंश फैमिली को वहाँ से नहीं भेज पाए थे, क्योंकि ये दोनों फैमिली भले ही दिल्ली की नहीं थीं, मगर दिल्ली में भी इनकी पहचान कोई मामूली नहीं थी। क्योंकि ये दोनों ही फैमिली एक रॉयल फैमिली थीं, जो किसी भी पहचान की मोहताज नहीं थीं। वहीं ऑपरेशन रूम में राहुल और खुशी दोनों का ही बेस्ट डॉक्टर इलाज कर रहे थे, मगर इन दोनों की हालत इतनी ख़राब थी कि इन्हें बचा पाना लगभग मुश्किल ही था। तभी राहुल के रूम का दरवाज़ा खुला और एक डॉक्टर उन सभी के पास आकर बोले, "आई एम सॉरी, पर हमने अपनी पूरी कोशिश कर ली, पर हम उन्हें बचा नहीं सकते। उनके पास बस कुछ मिनट ही हैं। तो आप लोग उनसे एक आख़िरी बार मिल लीजिए…" डॉक्टर की बात सुनकर वो सभी लोगों की आँखें आँसुओं से भर जाती हैं, और उन सबका बुरा हाल था। तभी वो सभी राहुल के रूम में जाते हैं, तो देखते हैं कि राहुल अपनी आख़िरी साँसें ले रहा होता है। राहुल अपनी मॉम, डैड और सभी को देखकर अपनी लड़खड़ाती हुई आवाज़ में बोला, "मु… मुझे पता है… मेरे पास ज़्यादा समय नहीं है… पर मुझे पता है कि खुशी को कुछ नहीं होगा… और वो एकदम ठीक रहेगी।" "आप सब मेरी एक लास्ट विश पूरी करना… मेरा ये दिल किसी ऐसे लड़के को डोनेट करना जो खुशी के काबिल हो… जो खुशी को मेरे ही तरह प्यार करे और उस लड़के से खुशी की शादी करवा देना… क्योंकि मेरा ये दिल खुशी के बगैर धड़क भी नहीं पाएगा…" "मु… मुझसे… ज़्यादा… कुछ… नहीं…" आप मेरी ये आख़िरी इच्छा पूरी करोगे?" राहुल के पापा उसके हाथ पर अपना हाथ रखकर बोले, "हाँ बेटा, हम ऐसा ज़रूर करेंगे।" इतना सुनते ही राहुल की साँसें थम सी जाती हैं। और उसकी साँसें थमती देख सभी की साँसें अटक जाती हैं, और सभी वहीं पर बैठकर रोने लगते हैं। और राहुल की माँ तो बेहोश ही हो जाती है। वहीं दूसरे वार्ड में डॉक्टर मिस्टर मित्तल के पास आकर बोले, "मिस्टर मित्तल, आपके बेटे की हालत काफ़ी ज़्यादा ख़राब हो गई है, और उनका काफ़ी बुरा एक्सीडेंट हुआ है, जिससे उनका हार्ट पूरी तरह से डैमेज हो गया है। हमें अर्जेंट ही उनके लिए हार्ट डोनर ढूँढ़ना होगा और उनका ऑपरेशन करना होगा, वर्ना हम इन्हें बचा नहीं पाएँगे।" वहीं डॉक्टर की बात सुनकर वो परेशान हो गए… और वो बोले, "इतने जल्दी हार्ट डोनर कहाँ मिलेगा… और उससे भी बड़ी बात, उसे मैच भी होना चाहिए।" मिस्टर मित्तल परेशान से रूम के बाहर आकर बैठ जाते हैं और बाजू के रूम में इतना सब सुनकर एक नर्स से पूछते हैं, तो नर्स उन्हें सब बता देती है। और इस उम्मीद में कि उनके बेटे की जान बच सकती है, वो डॉक्टर से बात करते हैं। तब उन्हें पता चलता है कि उनके बेटे का हार्ट उस लड़के से बिलकुल मैच करता है। ये सुनकर उनकी आँखों में चमक आ जाती है। वहीं खुशी के रूम का दरवाज़ा खुलता है, और एक नर्स राहुल के रूम में सबको जाकर बताती है कि खुशी कोमा में जा चुकी है। वहीं खुशी के कोमा की बात सुनकर तो उन्हें एक तसल्ली रहती है, मगर राहुल का सोचकर उन्हें फिर से दर्द होने लगता है। वहीं ऐसे समय में बात तो नहीं करना चाहिए था, पर फिर भी मिस्टर मित्तल अपने बेटे की जान बचाने के लिए मिस्टर शेखावत से बात करने आते हैं, और उन दोनों के बीच एक सौदा हो जाता है। वहीं अब खुशी और राहुल की मोहब्बत की कहानी अधूरी ही रह जाती है, और बैकग्राउंड में गाना बजने लगता है… "हमारी अधूरी कहानी… हमारी अधूरी कहानी…" यहाँ पर तो राहुल और खुशी की कहानी अधूरी रह गई, मगर क्या दूसरे राहुल के साथ खुशी की कहानी पूरी हो पाएगी? क्या वो दोनों कभी मिल पाएँगे या उनकी भी कहानी अधूरी ही रह जाएगी? जानने के लिए पढ़िए मेरी ये नई रचना, "हमारी अधूरी कहानी…"
2 साल बाद राजस्थान की राजावत हवेली के एक बड़े कमरे में एक लड़की बिस्तर पर बेजान लाश की तरह पड़ी होती है। कमरे में बहुत सारी बड़ी-बड़ी मशीनें हैं। तभी लड़की की उंगलियों में कुछ हरकत होती है। और उसे कुछ पुरानी धुंधली यादें दिखाई देने लगती हैं, जिन्हें याद करते ही उसके माथे पर ठंडे पसीने आने लगते हैं। उसके चेहरे पर बेहोशी की हालत में भी दर्द की लकीरें आ जाती हैं। इन धुंधली यादों को याद करते हुए लड़की जोर से चीखती है, "राहुल..." इतना बोलते ही वह लड़की झटके से उठकर बिस्तर पर बैठ जाती है और इधर-उधर देखने लगती है। उसकी आँखों से मोटे-मोटे आँसू बहने लगते हैं। वह बिस्तर से नीचे उतरने की कोशिश करती है और जैसे ही अपने पैर जमीन पर रखती है, वह लड़खड़ाकर गिर जाती है। नीचे के हॉल में सुबह का समय है। सारे लोग नाश्ते की मेज पर बैठकर नाश्ता करने वाले होते हैं। वहाँ लगभग छह से सात लोग बैठे हैं, मगर किसी के भी चेहरे पर कोई खुशी नहीं है, ना ही कोई भाव है। ऐसा लगता है जैसे वे सब ज़िंदा तो हैं, पर उनमें जीने की कोई उम्मीद नहीं है। तभी उनके कानों में जोर से चिल्लाने की आवाज़ आती है, जिसे सुनकर सारे लोग एकदम जम जाते हैं। और तभी सबके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। राधा जी कहती हैं, "लगता है खुशी को होश आ गया है, मेरी बेटी को होश आ गया है।" बोलते हुए वह अपनी जगह से उठने लगती हैं। उनकी बात सुनकर वहाँ बैठे सारे लोग उठ जाते हैं और ऊपर कमरे की तरफ़ देखते हुए कहते हैं, "हाँ, खुशी को होश आ गया है। हम सबको ऊपर चलना चाहिए।" इतना बोलकर वे सब सीढ़ियों से होते हुए खुशी के कमरे तक आ जाते हैं। जब वे सब कमरे में आते हैं, तो यह देखकर हैरान हो जाते हैं कि खुशी अपने बिस्तर से नीचे जमीन पर पड़ी है और उसकी आँखों में ढेर सारे आँसू हैं। इन्हें देख वे सब जल्दी से खुशी के पास आकर उसे उठाते हुए कहते हैं, "ये क्या कर रही हो खुशी बेटा? तुम्हें चोट आ सकती है।" पर खुशी उनकी बातों को अनसुना करते हुए कहती है, "रा...हुल... राहुल कहाँ है? मुझे उससे मिलना है, उसे मेरी ज़रूरत है। वह मुझे बुला रहा है, मुझे उसके पास ले चलो, मुझे राहुल के पास जाना है।" बोलते हुए वह ज़िद करने लगती है। और खुशी की बात सुनकर सबकी आँखें नम हो जाती हैं। किसी को भी अब समझ नहीं आता कि खुशी की बातों का क्या जवाब दें। तभी खुशी फिर से रोते हुए कहती है, "माँ, मुझे राहुल के पास जाना है। उसे कितनी चोट आई होगी, कितना बड़ा एक्सीडेंट हुआ था हमारा! उसे काफी ज़्यादा चोट लगी होगी। खून... हाँ, बहुत सारा खून बह गया होगा उसका। उसे काफी ज़्यादा चोट आई होगी। मुझे राहुल के पास जाना है। कहाँ है वह? मुझे उसके पास ले चलो, मुझे उसे देखना है। उसे मेरी ज़रूरत होगी। वह तो मेरे बिना अकेला पड़ गया होगा ना, उसे मेरी याद आ रही होगी।" बोलकर वह बाहर जाने की कोशिश करने लगती है। पर वह एक भी कदम आगे नहीं बढ़ पाती और लड़खड़ाने लगती है। उसे ऐसे देख निशा जी उसे संभाल लेती हैं और कहती हैं, "शांत हो जा खुशी बेटा, अभी तेरी तबीयत ठीक नहीं है। तुझे आराम करने की ज़रूरत है।" पर खुशी उनकी सारी बातों को अनसुना करते हुए कहती है, "नहीं, मुझे आराम नहीं करना, बहुत आराम कर लिया। मुझे राहुल के पास जाना है, मुझे मेरे राहुल के पास जाना है। मुझे उसके पास ले चलो माँ, मुझे राहुल को देखना है। वह ठीक तो होगा ना? उसे कहीं ज़्यादा चोट तो नहीं लगी ना? मुझे उससे मिलना है।" वह कहती है, "वह मेरा इंतज़ार कर रहा होगा और अगर मैं उसके पास नहीं गई तो वह मुझसे नाराज़ हो जाएगा। मुझे छोड़ो, मुझे जाने दो। वह हॉस्पिटल... हाँ, हॉस्पिटल में ही तो होगा। कितनी... कितनी सारी चोट आई थी उसे? कितना सारा खून बह रहा था उसका? मुझे उसके पास जाना होगा। उसे मेरी ज़रूरत होगी। वह इस समय काफी ज़्यादा दर्द में होगा।" बोलते हुए ही वह पागलों की तरह हरकत करने लगती है। और उसकी इस हरकत को देख सारे घर वाले परेशान हो जाते हैं और किसी को भी कुछ समझ ही नहीं आता कि क्या करें और क्या ना करें। और खुशी की ऐसी हालत भी किसी से देखी नहीं जा रही होती है। इसलिए निशा जी कहती हैं, "खुशी बेटा, ऐसे ज़िद मत कर। तू शांत हो जा, पहले हम तुझे सब बता देंगे।" बोलते हुए उनकी आँखें बहने लगती हैं। और वे रोते हुए ही कहती हैं, "शांत हो जा बेटा, इस समय तेरा ऐसे पैनिक होना ठीक नहीं है। वैसे भी तू एक लंबी नींद से जागी है। शांत हो जा ना।" निशा जी की बात सुन खुशी चिल्लाकर रोते हुए कहती है, "नहीं माँ, मैं शांत नहीं रह सकती। वहाँ पर मेरा राहुल ज़ख्मी होगा, उसका खून बह रहा था माँ, खून! और वह काफी ज़्यादा घायल हो गया था। अभी उसे मेरी ज़रूरत होगी। मुझे उसके पास जाना होगा, मुझे जाने दो माँ, मुझे राहुल के पास जाना है।" बोलते हुए ही वह पागलों की तरह खुद को राधा की पकड़ से छुड़ाने लगती है और बाहर की तरफ़ जाने लगती है। उसे ऐसे रोते और ज़िद करते देख राधा कहती है, "खुशी, क्यों ज़िद कर रही है बेटा? तू समझ क्यों नहीं रही? तेरा राहुल अब नहीं आने वाला है। वह बहुत दूर जा चुका है, इतना दूर जहाँ से वह अब कभी भी हमारे पास नहीं आ सकता है। ना ही हम अब कभी भी उसे देख सकते हैं। तू समझ क्यों नहीं रही बेटा?" बोलकर वह रोने लगती है। और उनकी बात सुनकर खुशी रोते हुए उन्हें देखकर कहती है, "कहाँ... कहाँ गया मेरा राहुल? वह तो हॉस्पिटल... हाँ, हॉस्पिटल में ही होगा। उसे चोट आई है, इसलिए आप सब ऐसा बोल रहे हैं। और मैं रोने लगूँगी उसे देखकर, इसलिए आप मुझे जाने नहीं दे रहे ना? पर मुझे उसे देखने जाना है। अगर आप सब मुझे जाने नहीं देंगे तो..." बोलते हुए वह वहाँ रखा एक चाकू उठा लेती है। इसे देख सारे लोग डर जाते हैं। तभी खुशी कहती है, "अगर आप सबने मुझे जाने नहीं दिया तो मैं अपनी नस काट लूँगी। मुझे जाने दो, मुझे राहुल के पास जाना है। उसे मेरी ज़रूरत होगी।" बोलकर वह एकदम पागल जैसा ही बर्ताव करने लगती है। और उसकी ऐसी हालत देख निशा जी से सहन नहीं होता, तो वह जोर से चिल्लाकर कहती है, "अब कभी नहीं आने वाला तेरा राहुल, वह मर गया है, समझी तू? तेरा राहुल मर गया है।" दूसरी तरफ, मित्तल एंटरटेनमेंट कंपनी: राहुल मित्तल इस समय अपने केबिन में बैठा आराम से काम कर रहा होता है। तभी उसके केबिन का दरवाज़ा खुलता है और बाहर से एक लड़की आती है, जिसने अपने चेहरे पर काफी सारा मेकअप लगा रखा है। साथ ही वह काफी ज़्यादा सेक्सी और रिवीलिंग सी ड्रेस पहन रखी है। और उस लड़की के चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान है। वह केबिन के अंदर आते ही कहती है, "राहुल बेबी, मैं आ गई...!" इतना बोलते हुए ही वह लड़की जाकर सीधे राहुल की गोद में बैठ जाती है। राहुल मित्तल भी उस लड़की को अपने पास देखकर काफी ज़्यादा खुश हो जाता है। और उसे अपनी बाहों में भर लेता है। ऐसा करते ही वह लड़की, जिसका नाम मोनिका है और जो राहुल मित्तल की गर्लफ्रेंड है, राहुल के चेहरे पर बड़े ही सेडक्टिव तरीके से अपनी एक उंगली फेरते हुए कहती है, "राहुल बेबी, क्या तुमने अपने घर में बात की हमारी शादी को लेकर?" राहुल, मोनिका के स्पर्श से बेहकते हुए कहता है, "तुम्हें तो पता ही है मोनिका, मेरे घर वाले मेरी शादी भले ही एक गरीब या अनाथ लड़की से करवा देंगे, मगर वे कभी भी किसी भी मॉडल या एक्ट्रेस से मेरी शादी नहीं करवाएँगे। और तुम्हें भी पता है कि मैं अपने माँ-बाप के ख़िलाफ़ नहीं जा सकता हूँ। मगर तुम फ़िक्र मत करो, मैं दादा जी को मना लूँगा।" इतना बोलकर राहुल मोनिका को देखने लगता है, जिसने अब तक उसके कोट की सारी बटन खोल चुकी थी। मोनिका बड़े ही सेडक्टिव अंदाज़ में कहती है, "राहुल बेबी, तुम्हें नहीं लगता हम दोनों एक लंबे ब्रेक के बाद मिले हैं? तो हमें कुछ मस्ती और काफी सारा प्यार करना चाहिए? तुम बताओ, हम यहीं पर प्यार करें? या फिर केबिन में बने रूम में चलें?" मोनिका की बात सुनकर राहुल उसे अपनी गोद में उठा लेता है और वे दोनों राहुल के ही केबिन में बने रूम में चले जाते हैं। वहाँ जाते ही दोनों बिस्तर पर चढ़ जाते हैं और बिस्तर पर चढ़ते ही दोनों अपने कपड़े निकालकर वहीं ज़मीन पर फेंक देते हैं और एक-दूसरे को बड़ी ही सिद्दत के साथ चूमने लगते हैं। और थोड़ी ही देर में मोनिका की सिसकियों की आवाज़ से वह रूम गूंज उठता है।
जैसे ही खुशी ने सुना कि राहुल मर गया है और उसे छोड़कर चला गया है, वह पागल सी हो गई। जमीन पर बैठकर रोते हुए बोली, "नहीं, नहीं, नहीं! ये सब झूठ है, ऐसा नहीं हो सकता। मेरा राहुल मुझे छोड़कर कहीं नहीं जा सकता। उसने मुझसे वादा किया था..." वह रोती रही, "वह मुझे कैसे छोड़ सकता है? ऐसा नहीं हो सकता, आप सब झूठ बोल रहे हैं।" राहुल की माँ ने उसे देखकर कहा, "हम झूठ नहीं बोल रहे हैं, बेटा। तुम्हारा राहुल तुम्हें दो साल पहले उसी दिन छोड़कर चला गया था, और तुम कोमा में चली गई थीं। आज दो साल बाद तुम्हें होश आया है।" राहुल की माँ की बात सुनकर खुशी ने खुद से कहा, "जा चुका है, दो साल पहले जा चुका है... राहुल मुझे छोड़कर चला गया है, और उसे गए हुए दो साल हो गए हैं... मुझे पता भी नहीं चला। वह तो वहाँ बिल्कुल अकेला होगा, मेरे बिना। उसे मेरी ज़रूरत होगी, वह मुझे याद करता होगा..." खुशी पागलों की तरह बर्ताव करने लगी। उसे ऐसा व्यवहार करते देख वहाँ मौजूद सभी लोगों को उसके लिए बहुत बुरा लग रहा था। खुशी ने खुद से कहा, "राहुल मेरे बिना अकेला होगा, उसे मेरी ज़रूरत होगी... वह तो कुछ खाता-पीता भी नहीं होगा मेरे बिना। और मैं... मैं क्या कर रही हूँ? मुझे भी उसके पास चले जाना चाहिए..." यह बोलते हुए ही खुशी ने जमीन पर पड़ा चाकू उठाया और अपने हाथों की नस काट ली । खुशी के नस काटने पर सभी लोगों की चीख निकल गई। वे एक साथ चिल्लाए, "खुशी!" खुशी ने अपनी आँखें बंद करते हुए कहा, "मैं आ रही हूँ, राहुल, तेरे पास आ रही हूँ।" इतना बोलकर उसने अपनी आँखें बंद कर लीं। सभी लोग जल्दी से उसके पास गए और उसे उठाने की कोशिश करते हुए बोले, "खुशी! खुशी, उठो, बेटा, ऐसा नहीं करते।" वहीं पर खड़ा खुशी का भाई, रोहित, जल्दी से फर्स्ट एड किट लेकर आया और उसके हाथों से बह रहे खून को पोछकर उस पर पट्टी बांध दी। उसने सबको देखकर कहा, "खुशी बेहोश हो चुकी है, और घबराने वाली बात नहीं है, ज़्यादा खून नहीं बहा है। हमें अभी इस समय खुशी को आराम करने देना चाहिए। " उसे राहुल की खबर सुनकर सदमा सा लग गया है।" रोहित की बात सुनकर सभी लोग उसे देखने लगे। राहुल की माँ बोली, "रोहित बेटा, खुशी ठीक तो है ना? उसे कुछ होगा तो नहीं ना? मैंने अपने राहुल को तो खो दिया है, पर मैं अब अपनी खुशी को नहीं खोना चाहती हूँ। अब मेरे पास खुशी के अलावा कोई दूसरी खुशी भी नहीं है।" राहुल की माँ की बात सुनकर रोहित बोला, "मासी, आप परेशान मत होइए। खुशी को कुछ नहीं होगा, वह ठीक हो जाएगी। खुशी दो सालों बाद कोमा से जागी है और उसे उठते ही सबसे पहले राहुल ही याद आया,,,,,,, । और आप दोनों ने उसे सारा सच अभी ही बता दिया जिससे उसे सदमा सा लग गया है। पर हमें जितना हो सके खुशी का ध्यान अच्छे से रखना होगा,,,,,,,,, " "वरना खुशी की जो हालत है उसे देखते हुए कुछ बोल नहीं सकते। ऐसी हालत में खुशी मेंटली भी बीमार हो सकती है।" वहीं रोहित की बात सुनकर सभी लोग परेशान हो गए और राहुल और खुशी दोनों की माँ रोने लगीं । रोहित उन सबको वहाँ से बाहर ले गया। वहीं दूसरी तरफ, राहुल की बात सुनकर मोनिका बोली, "राहुल बेबी, क्या तुम्हें पूरा यकीन है कि तुम्हारे डैड और दादा मान जाएँगे?" इस पर राहुल बोला, "हाँ, वे लोग मानेंगे भी कैसे नहीं? आखिर मैं उनका एक अकेला बेटा हूँ, मित्तल खानदान का एकलौता वारिस। उन्हें मेरी बात माननी ही होगी । " इस पर मोनिका ने अपने चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान लिए राहुल के सीने पर अपने हाथ की उंगलियाँ चलाते हुए कहा, "राहुल बेबी, मैं क्या बोल रही थी? जो अभी-अभी तुम्हारी इंटरटेनमेंट कंपनी में 'राँझणा' मूवी बन रही है, उसमें मेन लीड फीमेल का रोल मुझे चाहिए।" मोनिका की बात सुनकर राहुल बोला, "ओके, वह तुम्हें मिल जाएगा । " राहुल की बात सुनकर मोनिका ने उसके सीने पर अपना सिर रखकर कहा, "ओह राहुल बेबी, तुम कितने अच्छे हो ना!" बोलते हुए उसके चेहरे पर एक जहरीली मुस्कान आई, जिसे राहुल देख नहीं पाया । वहीं दूसरी तरफ, खुशी के कमरे से सभी लोग निकल गए और उसके कमरे में कोई भी नुकीला या ऐसी चीज़ें हटा दी गईं जिससे खुशी खुद को नुकसान ना पहुँचा सके। सभी लोग हॉल में आकर बैठ गए और खुशी के लिए परेशान होने लगे कि वे कैसे खुशी को समझाएँगे या उसे संभालेंगे। ऊपर कमरे में लगभग 20 मिनट बाद खुशी को होश आ गया ।" " उसे होश आते ही राहुल की खबर याद आ गई, जिसे याद कर उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। वह बोली, "झूठा है, तू और तेरा प्यार जो तू मुझे छोड़ गया... अरे जाना ही था तो मुझे भी अपने साथ ही ले जाता, यहाँ ऐसे मरने के लिए छोड़ तो नहीं जाता। पर तू मुझे छोड़कर गया, अपना वादा तोड़कर गया ।"" पर तेरी खुशी अपना वादा नहीं तोड़ेगी, ना ही तुझे छोड़ेगी। तेरी खुशी तेरे पास आ रही है ।" राहुल बोलते हुए वह बेड से उठ गई और खुद से ही बोली, "मुझे आप सब माफ़ कर देना माँ-पापा, पर जब आपका राहुल ही नहीं है तो यह खुशी ज़िंदा क्या करेगी?" इतना बोलते ही खुशी ने अपने कमरे की खिड़की खोली और उस पर खड़ी होकर कूद पड़ी। " क्या होगा अब कहानी मे आगे?? क्या खुशी अपनी जान ले लेंगी?? क्या यही है इनकी मोहब्बत का अंजाम?? क्या रह जायेगी इनकी कहानी हमेसा के लिए अधुरी जानने के लिए बने रहे मेरे साथ सिर्फ और सिर्फ स्टोरी मानिया मे,,,,, ! " " हैलो दोस्तो अगर आप सभी को मेरी लिखी कहानी अच्छी लगे तो प्लीज like कमेंट share करना मत भूलना। साथ ही कोई सजेशन हो तो जरूर बताना स्टोरी कैसी लग रही हैं अपनी राय भी जरूर लिख कर बताना थैंक यू दोस्तो
खुशी खुद से बोली, "मुझे माफ़ कर देना माँ-पापा। जानती हूँ, मेरे इस कदम से आप सबको बहुत तकलीफ़ होगी, पर मैं भी क्या करूँ? मेरे पास अब जीने के लिए कोई वजह नहीं बची है, ना ही मुझसे जीने की कोई खुशी है। जब मेरा राहुल ही नहीं रहा, वह आप सबको छोड़कर जा चुका है, तो मैं भी कैसे जी सकती हूँ?" बोलते हुए वह अपने बेड से नीचे उतरती है। उसके कदम थोड़े लड़खड़ा रहे होते हैं, और वह अपने कमरे की खिड़की के पास आकर उसे खोल देती है। नीचे झाँककर देखती है, तो उसे अपनी खिड़की के नीचे काफ़ी गहराई दिखती है, और अगर वह यहाँ से गिरती है, तो पक्का वह कुछ ही मिनट में अपना दम तोड़ देगी। वह अपनी आँखें बंद करती है और वह सारे पल याद करने लगती है, जो उसने और राहुल ने बचपन से साथ में बिताए थे। और उन सबको याद कर उसकी आँखों से झड़-झड़ आँसू बहने लगते हैं, और बैकग्राउंड में गाना बजने लगता है: पास आए दूरियाँ फिर भी कम ना हुईं, इक अधूरी सी हमारी कहानी हुई... आसमाँ को ज़मीं ये ज़रूरी नहीं, जा मिले, जा मिले इश्क़ सच्चा वही, जिसको मिलती नहीं मंज़िलें मंज़िलें। (खुशी के सामने राहुल के साथ बिताए, वह सारे पल आने लगते हैं, जिसे उसने अपने प्यार, अपने राहुल के साथ जिया था। वह सारे पल किसी फ़िल्म की तरह ही उसकी आँखों के सामने आने लगते हैं। और उन सभी पलों को याद कर रोते हुए भी उसके चेहरे पर एक प्यार भरी मुस्कान आ जाती है। और वह अपने आँसुओं को पोछकर पास रखी राहुल और उसकी फ़ोटो को उठाकर, उसमें राहुल के चेहरे पर हाथ फेरने लगती है, और रोते हुए भी अपने चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान लाकर बोली, "मैं तुझसे बहुत प्यार करती हूँ, राहुल, बहुत ज़्यादा! इतना कि तेरे बिना, तेरी खुशी के बिना ज़िंदगी किसी भी काम की नहीं है।" बोलते हुए वह उस फ़ोटो को अपने सीने से लगा लेती है। और बोली, "ये खुशी कल भी तेरी थी, आज भी तेरी है, और हमेशा ही तेरी रहेगी... मैं हर एक जन्म में तेरी ही रहूँगी।" बोलते हुए वह उस फ़ोटो को खुद से अलग कर, उसमें राहुल के फ़ेस पर किस करती है। और उसे जहाँ थी वहीं पर रख देती है, और खिड़की पर चढ़ जाती है, और बोली, "तेरी खुशी तेरे पास आ रही है, राहुल...") रंग था नूर था जब क़रीब तू था, इक जन्नत सा था ये जहाँ। वक़्त की रेत पे कुछ मेरे नाम सा लिख के छोड़ गया तू कहाँ। (और राहुल को याद कर, अपने चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान लिए वह खिड़की से कूद जाती है।) हमारी अधूरी कहानी... हमारी अधूरी कहानी... दूसरी तरफ़ मोनिका अपने कपड़े उठाकर पहन लेती है और अपना मेकअप ठीक करने के बाद राहुल को देखकर बोली, "अच्छा राहुल बेबी, अब मैं चलती हूँ। मेरा आज एक फ़ोटोशूट है।" इतना बोलकर वह राहुल के गालों पर किस करके वहाँ से निकल जाती है। उसके जाने के बाद राहुल भी अपने कपड़े पहनते हुए बोला, "मुझे डैड और दादू से बात करनी ही होगी... मोनिका और मेरी शादी के लिए।" इतना बोलकर वह भी अपने कपड़े पहनकर अपने कमरे में चला जाता है। वहीं मोनिका अब अपने चेहरे पर एक शैतानी सी मुस्कान लिए कॉरिडोर से जा रही होती है, तभी वह अपने सामने से आ रही एक लड़की से टकरा जाती है। और जैसे ही दोनों लड़कियों की टक्कर होती है, दोनों के ही चेहरों पर एक-दूसरे को देखकर नफ़रत वाले भाव आ जाते हैं, और दोनों ही एक-दूसरे को घूरकर देखने लगती हैं। तभी मोनिका हँसते हुए उस लड़की को देखकर बोली, "आशिका, क्या बात है? तुम मुझे यहीं पर मिल गई हो। तो चलो, मैं तुम्हें एक गुड न्यूज़ सुनाती हूँ..." मोनिका की बात सुनकर आशिका उसे देखकर बोली, "गुड न्यूज़? और वह भी तुम जैसी लड़की के मुँह से सुनने में अच्छा नहीं लगता है।" आशिका की बात सुनकर मोनिका हँसते हुए बोली, "पहले मेरी पूरी बात तो सुन लो..." "वो क्या है ना, जो नई मूवी मित्तल एंटरटेनमेंट के अंदर बन रही थी... क्या नाम है... हाँ, 'राँझना'... जिसके लिए तुमने इंटरव्यू दिया था... वह अब मुझे मिल गई है, और अब तुम नहीं, मैं उस मूवी की मेन फ़ीमेल लीड हूँ।" इतना बोलकर वह अपने चेहरे पर शैतानी मुस्कान लिए आशिका को देखने लगती है। वहीं आशिका उसे देखकर बोली, "तुम जैसी लड़की से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है? उस मूवी को मैंने अपनी काबिलियत से हासिल की थी... तुम्हारे तरह नहीं, कि बॉस का बिस्तर गरम करके..." इतना बोलकर वह उसे गुस्से से घूरकर देखने लगती है। तो मोनिका हँसते हुए बोली, "अब वह मैंने कैसे भी हासिल की हो... पर अब वह मूवी मेरी हुई... और तुम बस एक साइड रोल करने वाली एक्ट्रेस।" बोलते हुए वह हँसने लगती है और वहाँ से जाने लगती है। तो आशिका उसे देखकर बोली, "तुम सच में एक घटिया और गिरी हुई लड़की हो, जिसे बस खुद से मतलब है। और मुझे यह भी पता है कि तुम राहुल सर से कोई प्यार नहीं करती हो... पर पता नहीं राहुल सर तुमसे इतने इंटरेस्टेड क्यों हैं? समझ नहीं आता, जबकि तुम तो उनके पैरों की धूल के बराबर भी नहीं हो।" आशिका की बात सुनकर मोनिका उसे गुस्से में घूरकर देखकर बोली, "तुम्हें क्या लगता है? अगर तुम यह बात राहुल को बताओगी तो वह मान लेंगे? अरे, अगर उसके उसके डैड भी बोलेंगे ना कि वह मुझे छोड़ दे, तो वह मुझे छोड़ने वाला नहीं है, क्योंकि मोनिका का जादू ही कुछ ऐसा है, एक बार जिस पर चढ़ गया, फिर इतनी आसानी से उतरता नहीं है।" उसकी बात सुनकर आशिका बोली, "इतना भी मत उछलो कि तुम्हारे पैर जमीन पर ही ना टिकें। देखना, एक दिन ऐसा भी आएगा जब सर की ज़िंदगी में कोई अच्छी लड़की आ जाएगी... और सर भी उन्हें प्यार करेंगे।" आशिका की बात सुनकर मोनिका बोली, "वह दिन कभी भी नहीं आएगा..." इतना बोल वह अपनी हील की आवाज़ करते हुए वहाँ से निकल जाती है। उसे जाते हुए देखकर आशिका बोली, "एक दिन ऐसा ज़रूर आएगा मोनिका, जब तुम्हें तुम्हारी असली जगह कोई दिखाएगा। तुम यहाँ पर सर के नाम पर नई एक्ट्रेस और बाकियों के साथ बहुत ही बुरा बिहेव करती हो, पर इस दिन तुम खुद पर ही रोओगी, देख लेना।" इतना बोल वह भी वहाँ से निकल जाती है। वहीं जैसे ही खुशी अपनी आँखें बंद किए खिड़की से कूदने वाली होती है, उसे अपने पीछे से किसी की आवाज़ सुनाई देती है, और उसके कदम अपनी जगह ही जम जाते हैं। और वह अपनी आँखें खोलकर पीछे पलटकर देखती है, तो उसकी आँखें हैरानी से बड़ी-बड़ी हो जाती हैं, मगर वह हैरानी कुछ ही देर में खुशी में बदल जाती है, और खुशी की आँखों से आँसुओं का बहना तेज हो जाता है, और उसके मुँह से निकला, "रा...हुल..." और वह मिक्स्ड इमोशन के साथ बोली, "राहुल, तुम ज़िंदा हो..." वैसे, क्या लगता है? आप सभी को क्या सच में राहुल ज़िंदा हो सकता है? अपनी राय मुझे ज़रूर बताएँ।
जब खुशी ने अपनी आँखें बंद कीं और खिड़की से कूदने वाली थी, तभी उसे पीछे से किसी की आवाज सुनाई दी, और उसके कदम थम गए। उसने अपनी आँखें खोलीं और पीछे मुड़कर देखा, तो उसकी आँखें हैरानी से फटी की फटी रह गईं; पर यह हैरानी कुछ ही देर में खुशी में बदल गई, और खुशी के आँसुओं का बहाव तेज हो गया। उसके मुँह से निकला, "रा...हुल..." "तु जिंदा है! मुझे पता था...तु जिंदा है, तू मुझे छोड़कर कहीं नहीं जा सकता, मुझे पता था..." वह रोते हुए बोली। उसके सामने सच में उसका राहुल खड़ा था, सफेद शर्ट और पैंट पहने हुए। उसे देखकर राहुल बोला, "ये क्या कर रही है खुशी? नीचे आ जा, देखो, गिर जायेगी!" राहुल की बात सुनकर खुशी जल्दी से खिड़की से नीचे उतरी और दौड़कर राहुल के पास चली गई; मगर जैसे ही वह राहुल के गले लगने को हुई, उसका शरीर राहुल के आर-पार निकल गया। यह देखकर वह राहुल को हैरानी से अपनी आँखें बड़ी-बड़ी करके देखने लगी। खुशी की हैरानी को देखकर राहुल ने उसे देखते हुए कहा, "ऐसे क्या देख रही है खुशी?" राहुल की बात सुनकर खुशी अपने होश में आई। और राहुल की ओर इशारा करते हुए बोली, "ये...ये क्या था? राहुल, मैं तुझे गले क्यों नहीं लगा पाई? मैं तेरे शरीर से कैसे निकल गई? ये...ये...कै...से...हो...हो सकता है?" खुशी बहुत परेशान होकर बोल रही थी। राहुल ने उसे शांत होने का इशारा किया, और खुशी शांत हो गई और उसे ही देखने लगी। राहुल ने उसे इशारे से बिस्तर पर बैठने को कहा, और खुद भी उसके पास आकर बैठ गया। फिर उसने इशारे से पास के टेबल पर रखे पानी को पीने के लिए कहा। खुशी ने गिलास उठाकर एक ही घूंट में पानी पी लिया, और गिलास वापस टेबल पर रखते हुए बोली, "राहुल, तू जिंदा है? ना तुझे कुछ नहीं हुआ, ना ये सारे लोग मिलकर मुझसे झूठ बोल रहे हैं।" "ये लोग मेरे साथ ऐसा मज़ाक कैसे कर सकते हैं?" खुशी रोते हुए राहुल से बोली। राहुल ने उसे कहा, "शांत हो जा खुशी, और मेरी बात ध्यान से सुन। घरवाले जो कुछ भी बोल रहे हैं, वो सब सच है। खुशी, मैं मर चुका हूँ, मैं सच में इस दुनिया का हिस्सा नहीं रहा..." बोलते हुए उसकी आँखें भी थोड़ी नम हो गईं। राहुल की बात सुनकर खुशी रोते हुए बोली, "ये क्या बोल रहा है? तू मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकता है? तूने मुझसे वादा किया था कि तू कभी भी मुझे अकेला छोड़कर नहीं जायेगा...तू कभी भी मुझे छोड़कर नहीं जायेगा, मुझे खुद से दूर नहीं करेगा...तो क्या वो सब झूठ था? क्या तेरा प्यार भी झूठ था? जो तू अपने सारे वादे तोड़ गया... क्या वो सारे सपने झूठे थे, जो बचपन से तूने और मैंने साथ मिलकर देखे थे...?" खुशी रोते हुए बोलती है, तो राहुल भी उसे अपनी नम आँखों से देखते हुए बोला, "नहीं खुशी, ना हमारा प्यार झूठा था...ना हमारे सपने झूठे थे...कुछ भी झूठा नहीं था, सब कुछ सच था...पर शायद किस्मत में ही हमारा साथ नहीं लिखा था, जो हम दोनों को अलग होना पड़ा..." "मैंने तुझसे किए किसी भी वादे को नहीं तोड़ा, ना ही तुझे छोड़कर कहीं गया हूँ। देख, मरने के बाद भी मैं तेरे सामने हूँ। ना मैं इस दुनिया का हिस्सा हूँ, ना मैं उस दुनिया में जा पा रहा हूँ, तो तू ऐसा कैसे बोल सकती है? खुशी, देख, ना ये तेरे प्यार का ही तो असर है, जो मुझे मरने के बाद भी तुझसे दूर जाने की इजाजत नहीं दे रहा है।" इस पर खुशी बोली, "तो तू मुझे भी अपने साथ ले चल ना। इस दुनिया में तो हमारा मिलन ना हो सका...पर उस दुनिया में ही सही, पर वहाँ तो हमारा मिलन हो सकता है ना? और एक बार हमारा मिलन हो गया तो हम दोनों फिर कभी भी जुदा नहीं हो सकेंगे...तू मुझे भी अपने साथ ले चल।" खुशी की बात सुनकर राहुल उसे देखकर बोला, "ये कैसी बात कर रही है?" "तु खुशी, मेरे जाने से पहले ही सारा परिवार टूट चुका है, बिखर चुका है, और अगर तू भी चली जाएगी तो इस परिवार का क्या होगा? माँ-पापा का क्या होगा जिन्होंने अपना जवान बेटा खोया है? अगर तुझे भी कुछ हो गया तो वो सब भी जीते जी मर जाएँगे...तो तू उन सबके बारे में क्यों नहीं सोचती? तू अपने बारे में कैसे सोच सकती है? इस परिवार की जान तुझ पर बसती है।" "मेरी माँ मुझसे ज़्यादा तुझसे प्यार करती है, मेरे पिता तुझे एक बहू नहीं बेटी की तरह प्यार करते हैं, और तू अपनी माँ के बारे में सोच। इस घर की एक अकेली बेटी है, तू पहले ही मेरे ग़म से बाहर नहीं निकली है, और तुझे कुछ हो गया तो क्या होगा सबका? एक बार सोच तो सही।" इस पर खुशी रोते हुए बोली, "मैं ही क्यों सोचूँ सबके बारे में? जब तूने किसी के बारे में नहीं सोचा, तो मैं तेरे बारे में क्यों सोचूँ?" इस पर राहुल बोला, "मैंने किसी के बारे में नहीं सोचा है।" "तू ऐसा नहीं बोल सकती है खुशी, मुझसे ज़्यादा तुझ पर सबकी जान बसती है, इसलिए मैंने तुझे बचाया है खुशी, और तू ऐसा कैसे बोल सकती है?" इस पर खुशी रोते हुए बोली, "पर मैं तेरे बिना नहीं रह सकती राहुल, प्लीज मुझे भी अपने साथ ले चल ना।" इस पर राहुल बोला, "नहीं, ले जा सकता तुझे मैं अपने साथ खुशी। अगर मैं तुझे अपने साथ ले गया तो इस दिल का क्या होगा...? (वह अपने सीने की ओर इशारा करते हुए बोला) जो तेरे बिना रह नहीं पाएगा... मेरे उस बलिदान का क्या होगा जो मैंने तुझे बचाने के लिए दिया है।" "मत कर खुशी, तू ऐसा। मेरे इस दिल को तेरी ज़रूरत है, तेरे प्यार की ज़रूरत है, जो इस समय किसी और के ही सीने में धड़क रहा है।" राहुल की बात सुनकर खुशी हैरान होकर उसे देखने लगी, तो राहुल ने उसे देखकर कहा, "उस दिन साँसें छोड़ने से पहले मैंने सबसे ये वादा लिया था खुशी, कि मेरे मरने के बाद मेरा ये दिल किसी ऐसे इंसान को दे दिया जाए... जो तुझे बिल्कुल वैसा ही प्यार करे, जैसा मैं तुझे करता हूँ, वो तेरा बिल्कुल वैसा ही ख्याल रखे जैसा मैं तेरा रखा करता था...और मेरा ये दिल किसी और के सीने में धड़क रहा है।" "जिसे तेरी ज़रूरत है खुशी। तू अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ जा, तू उस इंसान से शादी कर ले जिसके सीने में मेरा दिल धड़क रहा है।" राहुल की बात सुनकर खुशी उसे गुस्से से देखते हुए बोली, "ये क्या बकवास कर रहा है? तू राहुल, तू अपनी खुशी को किसी और का होने के लिए कैसे बोल सकता है?" इस पर राहुल बोला, "मैं तुझे ऐसे रोते और तड़पते हुए नहीं देख सकता हूँ खुशी। मेरी बात मान ले, मेरी ये आखिरी इच्छा पूरी कर दे खुशी, ताकि तेरा घर बसते हुए देख सकूँ और फिर मैं भी उस दुनिया में जा सकूँ...मुझे भी तो मुक्ति चाहिए ना खुशी? आखिर पिछले दो सालों से मैं ऐसे ही भटक रहा हूँ, और अब तुझे एक बार अच्छे से उस इंसान के साथ सेटल होते देख लूँ, फिर मैं भी चैन से जा सकूँगा।" इस पर खुशी बोली, "जान मांग ले, खुशी से दे दूँगी, मगर ज़िंदगी भर का ग़म मत दे। चाहे तो तेरी यादों के सहारे पूरी ज़िंदगी गुजार सकती हूँ, पर किसी और की होकर नहीं।" इस पर राहुल बोला, "नहीं खुशी, तुझे मेरी ये आखिरी इच्छा पूरी करनी ही होगी, वरना मैं कभी भी चैन से मरने के बाद भी नहीं रह पाऊँगा..." बोलते हुए उसकी आँखें भी नम हो गईं। तो क्या लगता है? क्या होगा खुशी का फैसला? अपनी राय मुझे ज़रूर बताएँ!
राहुल की बात सुनकर खुशी बोली, "जान मांग ले, खुशी से दे दूँगी, मगर जिंदगी भर का गम मत दे। चाहे तो तेरी यादों के सहारे पूरी जिंदगी गुजार सकती हूँ, पर किसी और की होकर नहीं।" इस पर राहुल बोला, "नहीं खुशी, तुझे मेरी ये आखिरी इच्छा पूरी करनी ही होगी, वरना मैं कभी भी चैन से, मरने के बाद भी, नहीं रह पाऊँगा।" बोलते हुए उसकी आँखें भी नम हो जाती हैं। यह सुनकर खुशी की आँखों से आँसू बहने लगते हैं। और खुशी रोते हुए बोली, "तुम ऐसा कैसे बोल सकते हो? तुम अच्छे से जानते हो कि मैं तुम्हारे अलावा किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकती हूँ, पर फिर भी तुम ऐसा कैसे बोल सकते हो?" इस पर राहुल बोला, "और तू जानती है कि मैं तेरी आँखों में आँसू नहीं देख सकता हूँ, तो तू इन आँखों में इतने सारे आँसू कैसे आने दे सकती है?" इस पर खुशी बोली, "इन आँसुओं की वजह भी तो तुम ही हो, ना?" खुशी की बात पर राहुल बोला, "तुझे क्या लगता है? ये सब करके मुझे कोई खुशी मिलेगी? नहीं, मैं तो अपनी खुशी से बहुत दूर जा चुका हूँ। इतनी दूर कि मेरी खुशी मेरे सामने है, पर मैं उसे छू भी नहीं सकता, ना ही उसे एक बार गले लगा सकता हूँ। पर जिसके सीने में इस समय मेरा दिल धड़क रहा है, वो ये सब कर सकता है।" राहुल की बात सुनकर खुशी अपने आँसू पोछकर बोली, "ठीक है, अगर मैं तेरी बात मानकर उस इंसान से शादी भी कर लेती हूँ, मगर इस बात की क्या गारंटी है कि वो इंसान अच्छा ही हो? ऐसा भी तो हो सकता है ना कि वो बुरा लड़का हो, या ऐसा भी हो सकता है कि उसकी पहले से ही शादी हो गई हो या कोई गर्लफ्रेंड हो! और क्या भरोसा कि मुझसे शादी करने के बाद वो मुझे प्यार ही करे? ऐसा भी तो हो सकता है ना कि वो मुझे मारे-पीटे, मुझे धोखा दे, और उसके साथ मेरी जिंदगी खुशियों से नहीं, बल्कि गमों से भर जाए।" इस पर राहुल बोला, "नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं होगा। मेरा दिल, उस लड़के के सीने में है जो बस तेरे लिए धड़कता है, तेरे नाम से उसमें धड़कन है, तो वो तेरे साथ कुछ भी बुरा कैसे होने दे सकता है? और मेरी खुशी तो इतनी प्यारी और अच्छी है कि कोई भी बुरा से बुरा आदमी भी मेरी खुशी की अच्छाई के सामने झुक जाए।" राहुल की बात सुनकर खुशी उसे कुछ भी नहीं बोलती, वो बस अपनी नम आँखों से उसे देख रही होती है। तभी कमरे का दरवाज़ा खुलता है, और राहुल के माता-पिता और खुशी के माता-पिता दोनों ही उसके पास आते हैं, और खुशी की आँखों में आँसू देखकर उसके पास बैठ जाते हैं। तभी राहुल के पिता खुशी की आँखों से उसके आँसू पोछकर बोले, "जानता हूँ, बेटा कि जो कुछ भी हुआ, वो नहीं होना था, और जो हुआ वो बहुत बुरा हुआ है। राहुल तो चला गया, जिसके जाने का गम आज तक सबके दिलों में ताजा है, मगर तुम अगर तुम भी हमें छोड़कर चली गईं या तुम्हें कुछ हो गया तो मैं अपने बेटे को क्या जवाब दूँगा? मैं कभी भी खुद से नज़रें नहीं मिला पाऊँगा।" बोलते हुए उनकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं, और वो आगे बोले, "मैंने अपने बेटे को तो खो दिया है, बेटा, पर अब मुझसे मेरी बेटी को मत छीनो।" बोलते हुए उनके आँसू तेज हो जाते हैं। पिछले दो सालों से हम सब इसी डर में जी रहे थे कि जब तुम्हें होश आएगा और तुम अपने पति के बारे में पूछोगी, तो हम सब क्या जवाब देंगे? यही सब सोचकर हम सब हर दिन रोया करते थे, मगर जब आज तुम्हें होश आया और तुम्हारी इस हालत को सबने देखा तो सब टूट गए हैं, बेटा, सारे लोग टूट गए हैं। मत करो ऐसा। जानते हैं, तुमने अपने पति, अपने प्यार को खोया है, मगर हम सबने भी तो किसी को खोया है ना? तुम्हारा और हमारा दुःख अलग तो नहीं है ना? फ़र्क बस इतना है कि वो तुम्हारा प्यार, तुम्हारा पति था, और मेरा बेटा। पर अब जो जा चुका है, हम उसे वापस तो नहीं ला सकते, पर जो हमारे पास है, हम उसमें तो खुश रह सकते हैं ना? बोलते हुए वो अपने आँसू पोछ लेते हैं। तभी खुशी उनके गले लगकर रोते हुए बोली, "वो ऐसा कैसे कर सकता है? कैसे वो हम सबको ऐसे छोड़कर जा सकता है?" बोलते हुए वो रोने लगती हैं। और उसे ऐसे रोते हुए देखकर राहुल के पिता अपने आँसू पोछकर खुशी को शांत कराने लगते हैं। और उनके साइड में ही बैठे खुशी के पिता की भी आँखें नम होती हैं। और खुशी को अब थोड़ा सामान्य व्यवहार करते हुए देखकर दरवाज़े पर खड़े सारे लोग राहत की एक साँस लेते हैं। थोड़ी देर ऐसे ही खुशी को शांत कराकर वो दोनों वहाँ से निकल जाते हैं। उनके जाने के बाद खुशी पूरे कमरे में राहुल को देखती है, पर वो वहाँ पर दिखाई नहीं देता है। और जब राहुल खुशी को दिखाई नहीं देता, तो खुशी के चेहरे पर फिर से उदासी आ जाती है। वहीं राहुल के पिता नीचे आकर सबको देखकर बोले, "खुशी की जो हालत है, ऐसी हालत में उसे इस तरह अकेले छोड़ देना सही नहीं होगा। किसी ना किसी को उसके साथ होना चाहिए।" इस पर खुशी की माँ राधा बोली, "आप बिल्कुल सही बोल रहे हो भाई साहब। इस हालत में खुशी को अकेले छोड़ना ठीक नहीं होगा। और उससे भी बड़ी बात कि अगर खुशी फिर से पैनिक होने लगेगी, तो ऐसे में उसे संभाल पाना काफी मुश्किल हो जाएगा। और ऐसे में वो क्या कर ले, ये तो उसे भी नहीं पता।" तभी राहुल के पिता कुछ सोचकर खुशी के पिता राजीव को देखकर बोले, "राजीव, मैं सोच रहा था कि जब हमारी खुशी कोमा से बाहर आ गई है, तो राहुल के साथ किया गया वादा पूरा करने का समय आ गया है।" जैसे ही सारे लोग राहुल के पिता नमन शेखावत की बात सुनते हैं, सारे लोग हैरान हो जाते हैं। और राजीव जी उन्हें देखकर बोले, "ये क्या बोल रहे हो तुम नमन? तुम्हें पता भी है कि तुम क्या बोल रहे हो? अभी ही तो हमारी बेटी को होश आया है, अभी उसे होश आए ठीक से एक दिन भी नहीं हुआ और तुम उसे कहीं और भेजने की बात कर रहे हो!" तभी राहुल की माँ निशा शेखावत आगे आकर बोली, "ये क्या बोल रहे हो आप? हमने हमारे बेटे को तो खो दिया है, अब जो भी हमारे पास बचा है, वो बस हमारी खुशी ही है। वो मेरी बहू है, जिसे मैंने हमेशा से अपनी बेटी बनाकर पाला है, और आप अब उसे भी हम सब से दूर करने की बात कर रहे हो!" इस पर राधा राजावत भी आगे आकर बोली, "हाँ भाई साहब, आप ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं कि अब हम हमारी बेटी को कहीं जाने भी दे सकते हैं? और उसकी हालत तो आपने देखी ही है ना? वो तो ठीक से अपने होश में भी नहीं है, ऊपर से अभी उसकी हालत भी ठीक नहीं है, ऐसे में ऐसा कैसे सोच सकते हो आप?" इस पर नमन जी बोले, "जिस तरह आप सब खुशी से प्यार करते हो, वैसे ही वो मेरी भी बेटी है। और उसके हर एक दुःख का मुझे भी अंदाज़ा है, इसीलिए बोल रहा हूँ। अगर खुशी की शादी करा दी जाए तो उसके लिए माहौल भी चेंज हो जाएगा। और क्या पता हमारी बेटी पहले की ही तरह हँसना सीख जाए, वो बिल्कुल बेफ़िक्र हो जाए जैसी पहले थी।" इस पर खुशी का भाई रोहित बोला, "आप गलत हो अंकल। खुशी की खुशी अपने राहुल में है, किसी और में नहीं। और खुशी इसके लिए बिल्कुल भी नहीं मानेगी।" वो सभी मिलकर काफी देर तक बातें करते हैं, और फिर फ़ैसला करते हैं कि खुशी की शादी करा दी जाए, जिससे राहुल की अधूरी इच्छा भी पूरी हो जाए, और खुशी की ज़िंदगी में शायद इस शादी से खुशियाँ आ जाएँ और वो अपनी एक नई शुरुआत करे। यही सोचकर नमन जी मुंबई फ़ोन लगा देते हैं। मुंबई मित्तल विला, जो एक मॉडर्न टेक्नोलॉजी से बना एक आलीशान विला होता है, उसके अंदर संजय मित्तल और उनके बेटे साहिल मित्तल बैठकर कुछ बातें कर रहे होते हैं, तभी मिस्टर सीनियर मित्तल (यानी कि संजय मित्तल) का फ़ोन बजता है, और वो जैसे ही अपना फ़ोन उठाकर उसमें फ़्लैश हो रहे नंबर को देखते हैं, उनकी आँखें हैरानी से बड़ी-बड़ी हो जाती हैं।
जैसे ही मिस्टर संजय मित्तल अपने फोन मे फ्लेस हो रहे.. नाम को देखते है , उनकी आँखे हैरानी से बड़ी हो जाती हैं , और अपने पिता को ऐसे देख कर साहिल मित्तल बोले क्या हुआ डेड आप ऐसे हैरान क्यो हो किसका फोन है , इस पर संजय मित्तल बोले राजस्थान से फोन है , बेटा इस पर साहिल मित्तल भी थोड़े हैरान और परेशान दोनों हो जाते है। और बो बोले फोन उठा लीजिये डेड शायद बो उसी लिये फोन किये है , जो हम समझ रहे है , साहिल की बात सुनकर संजय मित्तल फोन उठा लेते है , और बोले हलो तो दूसरी तरफ से आवाज आयी.. हलो मिस्टर मित्तल मे राजस्थान से नमन शेखावत बोल रहा हूँ , इस पर मिस्टर सीनियर मित्तल बोले नमस्ते नमन बेटा कैसे हो... इस पर नमन जी बोले आप तो जानते ही हो हमारी हालत के बारे में फिर भी आप पूछ रहे हो.......!!! इस पर सीनियर मित्तल बोले माफ करना नमन बेटा हमे सब पता है , फिर भी मे तुमसे कैसी बात कर रहा हूँ , फिर बो लोग करीब पांच मिनट बात करते हैं , और उसके बाद कोल कट कर देते है , कोल कट होने के बाद सीनियर मित्तल अपने बेटे साहिल को देख कर बोले अब समय आ गया है , बेटा जो तुमने दो साल पहले बादा किया था... उसे पुरा करने का इस पर साहिल थोड़ा परेशान होते हुए बोले पर डेड आपको तो पता ही है। की राहुल उस लड़की के प्यार मे पागल है , और उसे सही गलत कुछ भी दिखाई नही देता है , पता नही उस लड़की ने ऐसा भी क्या जादू किया है। हमारे बेटे पर समझ नही आता है , बो उस लड़की के प्यार मे इतना पागल हो चुका है , की उसे उस लड़की का असली चेहरा तक दिखाई नही देता हैं , की बो उससे नही बल्कि उसके पैसा और पावर से प्यार करती हैं। यहाँ तक की उसे तो अपने से बड़े और छोटे किसी से भी बात करने का तरीका तक नही है , और बो गरीबो को तो जैसे रास्ते के कीड़े - मकोड़े समझती हैं , पर राहुल ये बात नही समझता है , की हमे हमारे घर के लिए एक बहु चाहिये... ना की कोई मोडल अपने बेटे की बात सुनकर सीनियर मित्तल बोले तुम बिल्कुल सही बोल रहे हो बेटा पर राहुल को उस लड़की से शादी करनी ही होगी....!!! हमने बचन दिया है , उसके पिता को और जब हम एक बार कोई भी बचन दे देते है , तो हम उसे किसी भी कीमत पर पुरा करते ही है। और बैसे भी आज जो ये जिंदगी राहुल जी रहा है , उसकी ये जिंदगी पर उस बच्ची का ही अधिकार है। अगर उस दिन सही समय पर उसे बो हार्ट नही मिला होता तो आज बो भी इस दुनिया मे नही होता चाहे जो भी हो जाये....!!! उस बच्ची का एहसान है , हम पर और हमारे इस परिवार पर जिसे हम कभी भी नही चुका सकते है। और राहुल को उस बच्ची से शादी तो करनी ही होगी... अभी उन्होंने इतना कहा ही था... की बहा पर यामिनी मित्तल (साहिल मित्तल की पत्नी) आते हुये बोली राहुल को तो आप मना लोगे पापा पर उस बच्ची का क्या - क्या बो इस शादी के लिए कभी भी मान पायेगी... मैने उस बच्ची के बारे में पता किया है। और जीतना भी पता किया है , उससे बस मुझे इतना ही पता चला है , की बो बच्ची काफी ज्यादा अच्छी है , बो अपने तन से जितनी ज्यादा सुंदर है , उससे कई ज्यादा उसका मन सुंदर है , और बुराई से तो उसका कोई रिश्ता तक नही है , उसने बचपन से लेकर बस एक ही लड़के से प्यार किया है , और जिससे उसकी शादी भी हुई थी। और किस्मत ने भी उसके साथ कितना बड़ा खेल खेला है मुझे नही लगता पापा की बो कभी भी इस शादी के लिए मानेगी और अगर मान भी गयी तो क्या हमारा राहुल उसके काबिल भी है , मे जानती हूँ , की मे उसकी माँ हूँ, पर एक सच ये भी है , की मेरा बेटा एक गलत लड़की के चक्कर मे फस गया है , और कही ऐसा ना हो की हमारे कारण उस बच्ची की जिंदगी ही खराब हो जाये... इस पर साहिल बोले यामिनी जब तुमने इतना सब पता कर ही लिया है , उसके बारे में तो एक बात ये भी है , उस बच्ची मे बो जहा भी जाती है , सबको अपना बना लेती हैं , फिर बो अच्छे हो या बुरे सारे लोग उसकी अच्छाई के सामने झुक ही जाते हैं , तो फिर हमारा राहुल तो अच्छा इंसान है ही बो तो बस एक गलत लड़की की संगत मे फस गया है। इस पर यामिनी बोली आप जैसा सोच रहे हो.. बेसा ही हो कही ऐसा ना हो की हमारे कारण उस बच्ची की जिंदगी खराब हो जाये.. पर आप सब राहुल को कैसे मनायेगे , इस पर सीनियर मित्तल कुछ बोलते हैं , जिसे सुनकर यामिनी बोली पर क्या ऐसा होगा.. इस पर साहिल बोले हाँ ऐसा जरूर होगा...!!! बही दूसरी तरफ अब सारे लोग बस यही सोच कर परेशान हो रहे होते है , की अब खुशी से कैसे बात की जाये उसे कैसे समझाया जाये.. की राहुल ने जाते समय क्या कहा था , सबसे और अपनी आखिरी इकछा मे क्या बोला था , मगर किसी की भी हिम्मत नही हो रही होती हैं , की कोई भी उससे कुछ भी बोल पाये.....!!! तभी खुशी नीचे आती हैं , और जब सबकी नजर खुशी पर जाती हैं , तो सारे लोग हैरान होकर बस खुशी को ही देख रहे होते है , और उसे बैसे देख कर सबकी आँखे नम हो जाती है। बैसे क्या लगता है, आप सबको क्या होगा कहानी मे आगे.... आप सब भी सोचो और मुझे भी बताओ.. और जाने से पेहले समीकझा देकर जरूर जाये....!!!
सारे लोग सोच मे डूबे होते है , की बो सब खुशी से कैसे बात करेगे... और उसे कैसे मनायेगे... की तभी सबकी नजर ऊपर से आ रही खुशी पर पड़ती है , जिसे देख कर सारे लोग हैरान हो जाते है। और उनकी आँखे खुशी को ऐसे देख कर नम हो जाती हैं। तभी खुशी की माँ उसे देख कर बोली खुशी बेटा ये सब क्या है , और तुमने अपना ये क्या हाल बना रखा है। बही अब राहुल की मोम निशा भी आगे आकर बोली खुशी बेटा ये क्या है , तुमने अपना ये केसा हाल बना रखा है , इस पर खुशी उनको देख कर बोली माँ अब से यही मेरी सच्चाई है , मैने इसे मान लिया है। और जब मैने अपने आप को समझा लिया है , तो फिर आप सब मुझे ऐसे देख कर हैरान क्यो हो रहे हो....!!! इस पर निशा अपनी आँखों में आँसू लिये बोली हम सब तुम्हे इस तरह नही देख सकते है , बेटा और तुम्हे इस तरह से रहने की कोई जरूरत नही है , तुम जैसे चाहो बैसे रह सकती हो... उनकी बात पर खुशी एक झूठी खुशी अपने चेहरे पर लाकर बोली आप सब मुझे सच्चाई बता कर उसे मान लेने के लिए भी बोलते हो....!!! और जब मैने उसे मान कर इसे ही अपनी किस्मत मान ली है , तो फिर आप सभी ऐसे बर्ताप क्यो कर रहे हो जैसे मैने कुछ गलत कर लिया है , इतना बोल कर बो बहा से जाने लगती हैं , तो निशा उसे रोक कर बोली कहा जा रही हो बेटा इस पर खुशी बोली अपने घर जा रही हूँ , माँ क्या आप नही चलोगी....!!! खुशी की बात सुनकर राधा उसके पास आकर बोली अपने घर और ये क्या है , बेटा ये भी तो तेरा ही घर है , ना इस पर खुशी बोली नही माँ ये मेरा घर था , अब मे बस यहाँ पर मेहमान हूँ , शादी के बाद तो लड़की मायके के लिए मेहमान ही हो जाती है , ना और उसका घर तो उसका ससुराल ही होता हैं , तो मे भी अपने घर जा रही हूँ , इतना बोल कर बो बहा से निकल जाती हैं। और उसके पीछे ही निशा और नमन भी निकल जाते हैं , बही उन सबके जाने के बाद राधा बही फर्स पर बैठ कर रोते हुए बोली ये क्या हो गया मेरी बच्ची के साथ जिसकी आँखों मे हमने आज तक आँसू भी नही आने दिये.. आज उसकी जिंदगी ने उसे उम्र भर का गम दे दिया है। जिसकी जिंदगी हमेसा रंगो से भरी रही हैं। आज बही उसकी जिंदगी बस बेरंग सी हो गयी है , बोलते हुए बो रोने लगती हैं , तो रोहित और राजीव उन्हें संभालने लगते हैं। बही खुशी रजावत हवेली से निकल कर उसके ठीक सामने ही बनी शेखावत हवेली मे चली जाती है। और बो जैसे ही बहा पर आती हैं , बहा पर काम कर रहे सारे मेहमान उसे देख कर हैरान हो जाते है , और हैरान हो भी क्यो ना जिस खुशी को उन सबने हमेसा रंगो से भरे कपड़ो मे देखा था। जिसके चेहरे पर हमेसा सबने खुशी और मस्ती देखी थी , आज बही खुशी एक दम शांत हो गयी थी... और उसके चेहरे की मुस्कान कही गायब सी हो गयी थी। और आज उसने खुद को बिल्कुल एक विधवा की तरह कर रखा था... शरीर पर सफेद कपड़े बाल खुले हुये..... और उपर से चेहरे पर किसी तरह का कोई श्रंगार नही है , बस कुछ है , तो बे तहासा दर्द और खाली पन जो उसकी आँखों मे साफ दिखाई दे रहा होता है। खुशी बहा से होते हुए सीधे राहुल के रूम मे चली जाती हैं, और उस रूम को बन्द कर उसे देखने लगती हैं , बो जहा भी अपने नजरे उठा कर देखती उसे हर जगह बस राहुल ही नजर आता हैं , जिसे देख कर उसकी आँखों से आसु झलक पड़ते है। और बो रोते हुए अपने रुँधे गले से बोली तूने मुझे ऐसे अकेले छोड़ कर बिल्कुल भी अच्छा नही किया राहुल तु चाहे जो बोल ले.. पर तेरी खुशी हमेसा तेरी ही रहेगी , बो किसी और की होने के बारे मे सोच भी नही सकती हैं , बोलते हुए बो कबड के पास जाती है। और उसमे से राहुल की एक वाईट कलर की शर्ट को निकाल कर उसे पेहन लेती हैं। और खुद को आईने मे देखने लगती हैं , तो उसे राहुल अपने पीछे खड़ा दिखाई देता है , जो अपना मुह बना कर खुशी को देख रहा होता हैं , और उसे देख कर बोला तुझे पता है , तू इस तरह सफेद कपड़ो मे बिल्कुल भी अच्छी नही लग रही है ... मेरी बात मान और जाकर कुछ और पेहन ले खुशी उसे देख कर बोली तुझे क्यो इतना फर्क पड़ रहा है। की मे किस रंग मे अच्छी लगूगी और किसमें नही बोलते हुए बो बेड पर जाकर बैठ जाती हैं। और बहा पर साइड टेबल मे रखी राहुल की फोटो को उठा कर अपने सीने से लगा लेती हैं , उसे ऐसे करते देख कर राहुल भी उसके पास ही आकर बैठते हुये बोला ये क्या कर रही हैं , जब मे खुद तेरे सामने हूँ , तो तु मेरी फोटो को अपने सीने से क्यो लगा रही है , इस पर खुशी उसे देख कर बोली अब मे तुझे तो अपने सीने से लगा नही सकती हूँ , तो तु क्या चाहता है। की अब मे तेरी फोटो को भी अपने से दूर कर दु बोलते हुए बो बेड पर लेट जाती है। और राहुल भी उसके साइड पर आकर लेटते हुये बोला कितना सोयेगी खुशी पिछले दो सालों से तो तु सो ही रही हैं , अब फिर से सो रही है। इस पर खुशी उसकी बातो को अनसुना कर उसके थोड़ा करीब जाकर लेट जाती हैं , और राहुल की फोटो को अपने सीने से लगा कर अपनी आँखे बन्द कर लेती हैं।