ये कहानी है शिवांगी और शिवम की। शिवम एक एरोगेंट बिजनेसमैन है और शिवांगी चुलबुली नटखट सी लड़की है। क्या होगा जब यह दोनों आपस में टकराएंगे? यह जानने के लिए इस कहानी को पढ़िए।
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खुराना मेन्शन।
खुराना परिवार एक बड़े से हॉल में मौजूद था और आने वाली पार्टी के बारे में बातें कर रहा था। हॉल में बड़ा सा सोफा, जो अमेरिका से मंगाया गया था, लगा हुआ था और बीच में एक बहुत ही खूबसूरत सा कीमती सेंटर टेबल लगा हुआ था। छत के बीच में एक बड़ा सा झूमर लटका हुआ था जो लंदन से मंगाया गया था। अधिकांश इंटीरियर विदेश की बड़ी-बड़ी कंपनियों से मंगाए गए थे।
पूरे दीवारों को महंगे पेंटिंग से सजाया गया था। सारे पेंटिंग के ऊपर एक छोटा सा दीवार लैंप जल रहा था, जिससे पेंटिंग और भी खूबसूरत लग रहे थे। और अलमारियों को महंगे शोपीस से सजाया गया था।
परिवार के मुखिया, महेंद्र खुराना की 50वीं शादी की सालगिरह आने वाली थी, इसलिए रॉयल पार्टी का इंतजाम किया जा रहा था और परिवार के सारे लोग बहुत खुश थे।
महेंद्र खुराना दिखने में बहुत ही रौबदार थे। उनको देखकर उनकी उम्र का पता नहीं चलता था। उनके बाल सफेद हो गए थे और चेहरे पर झुर्रियाँ भी आ गई थीं। वे अपनी पत्नी, कावेरी खुराना के साथ हॉल के सोफे पर बैठे हुए थे।
उनकी पत्नी, कावेरी बहुत ही सुंदर औरत थीं। वे सब के प्रति दयालु थीं और सबकी मदद करती थीं। घर में वही थीं जो महेंद्र खुराना को कंट्रोल कर सकती थीं; नहीं तो बाकी किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि उनके सामने खड़ा भी हो सके।
"पिताजी-माँ, हम सोच रहे हैं कि हम लोग आपकी 50वीं सालगिरह बहुत ही शानदार तरीके से मनाना चाहते हैं और फिर से आप दोनों की शादी करवाना चाहते हैं।"
महेंद्र खुराना के बड़े बेटे, मनीष खुराना ने कहा।
खुराना परिवार का बड़ा बेटा, मनीष खुराना काले रंग का सूट पहने सोफे की दाईं तरफ बैठा हुआ था। वह एक हँसमुख इंसान था। उसकी आँखें अपने पिता की आँखों से मिलती-जुलती थीं।
महेंद्र खुराना ने गुस्से में अपने बेटे, मनीष से कहा- "तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या? हमारी शादी बहुत साल पहले ही हो चुकी है, इसीलिए तुम इस दुनिया में आए हो।"
ऐसा खुराना परिवार के सभी लोग जानते थे कि महेंद्र खुराना गुस्से में जवाब जरूर देंगे। उनकी पत्नी, कावेरी शांत थीं क्योंकि वह अपने पति का स्वभाव बहुत अच्छे से जानती थीं।
महेंद्र खुराना अगर अच्छे मूड में होते तो सबको प्यार से अपनी बात समझाते। वहीँ, जब उनका मूड खराब होता तो वह दूसरे को अपने तरीके से भी समझाना जानते थे। उनका बड़ा बेटा, देश के पॉवरफुल लोगों में से एक था। जहाँ लोग उनके आगे-पीछे घूमते थे, वहीं दूसरी तरफ वह अपने पिता के सामने सर झुकाए रहते थे।
परिवार में हर कोई महेंद्र खुराना से आदर और प्यार करता था क्योंकि वह हमेशा अपने परिवार को प्राथमिकता देता था। उन्होंने अपने बच्चों को वह करने से कभी नहीं रोका जो वे करना चाहते थे और हमेशा उनका साथ भी दिया था। वह अपनी पत्नी, कावेरी से इतना प्यार करते थे कि इस उम्र में भी हर कोई उन दोनों के प्यार की मिसाल देता था।
खुराना परिवार के सब मर्द अपनी पत्नियों से बहुत प्यार करते थे, उनका सम्मान करते थे और उन्हें कभी धोखा नहीं देते थे। यह पीढ़ी से एक परंपरा की तरह था।
"अब हमारे लिए अपने परपोते को देखने का समय आ गया है।" महेंद्र खुराना ने कहा।
उनकी बातें सुनकर सब के चेहरे पर मुस्कान आ गई।
"आजकल के बच्चे अपने माता-पिता की नहीं सुनेंगे, इसलिए हम उन्हें मना नहीं सकते।" आलोक खुराना ने गुस्से में कहा। वह अपने बड़े भाई के सामने सोफे के बाईं ओर बैठा था।
आलोक खुराना एक लंबा और सुंदर आदमी था, जो उसके बड़े भाई, मनीष के समान था, लेकिन उम्र के कारण उसका पेट थोड़ा बाहर निकल रहा था।
"मूर्खों! आप अपने बच्चों को भी मना नहीं सकते। उन्हें शादी करने के लिए कौन कह रहा है? बच्चा पैदा करने के लिए शादी ज़रूरी नहीं है।"
फिर से, हर कोई उनकी बातें सुनकर अवाक था और महेंद्र खुराना ने अपनी बात को जारी रखा, "उन्हें बस एक औरत लानी है और- औच!"
इससे पहले कि वे आगे बोल पाते, उनकी पत्नी, कावेरी ने उनके बेशर्म शब्दों को रोकने के लिए उन्हें चुटकी काटी और कहा,
"अपनी बेशर्म वाली बातें बंद करो। आपको पोते-पोतियों का मुँह देखना है तो इसके लिए आपको बिना शादी करवाए ही देखना चाहते हो? सबको अपने जैसा समझ के रखा है क्या? दोबारा अगर ऐसी बात की तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"
महेंद्र खुराना कुछ नहीं बोल सके क्योंकि अपनी पत्नी के सामने उनकी भी नहीं चलती थी। इसके अलावा, उसने जो कहा वह समझ में आया क्योंकि महेंद्र खुराना ने अपनी पत्नी को शादी से पहले ही गर्भवती कर दिया था, और वह इस बात को लेकर उनसे बहुत दिन तक गुस्सा थी। फिर उनकी शादी हुई थी।
महेंद्र खुराना ने गुस्से में अपने दोनों बेटों की तरफ देखा। उनकी आँखें देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वह गुस्से में बोल रहे हों-
"तुम दुष्टों! तुम्हें धरती पर उतरने की इतनी जल्दी क्यों थी? तुम लोगों ने मेरी रोमांटिक लाइफ को बर्बाद कर दिया और मेरी पत्नी को ले गए।"
मनीष और आलोक ने भी इशारे-इशारे में अपने पिता से कहा,
"आपकी लाइफ तो इतनी रोमांटिक रही, इसीलिए तो हम इतना जल्दी धरती पर आ सके और आप हमें ही कोस रहे हैं।"
महेंद्र खुराना ने भी कहा, "तुम दोनों को इसका भुगतान तो भुगतना ही पड़ेगा।" और उनकी आँखों में और चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ गई।
महेंद्र की बातें सुनकर दोनों बेटे उन्हें देखने लगे।
मनीष- "पापा, मैंने इसके लिए एक टॉप मोस्ट इवेंट मैनेजमेंट कंपनी को हायर किया है। क्योंकि पार्टी में केवल 3 दिन बचे हैं, इसलिए सभी को इनविटेशन कार्ड पहले ही भेज दिए गए हैं। जैसा कि मैंने पहले ही बताया है, हमारा मैनेजर, नमन सब संभालेगा।"
महेंद्र खुराना- "तो तुमने पहले ही सब कुछ तय कर लिया था, फिर मेरी राय पूछने का क्या मतलब था? मेरा पूरा टाइम वेस्ट कर दिया, बेशर्म!!"
मनीष खुराना उनकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया और सर झुका लिया।
बात को बदलने के लिए कावेरी ने पूछा, "मेरा पोता शिवम कहाँ है और वह कब आ रहा है वापस?"
उनकी बातें सुनकर परिवार के सभी सदस्य शिवम के बारे में पूछने लगे।
मनीष खुराना- "माँ, वह अभी अमेरिका गया है किसी इम्पॉर्टेन्ट मीटिंग के लिए। वह कल शाम फ़्लाइट में बैठेगा और अगली सुबह यहाँ आ जाएगा।"
कावेरी खुराना- "ओह!! वो बच्चा, जब से उसने खुराना कॉरपोरेशन और इस परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली, उसने हमें कभी निराश नहीं किया और इतने सालों तक उसने बिज़नेस को एक कदम आगे बढ़ाने के लिए बिना आराम के कड़ी मेहनत की।"
शिवम खुराना मनीष खुराना का बेटा था। पाँच साल पहले जब मनीष का एक्सीडेंट हुआ था और उसकी हालत गंभीर थी, उस समय शिवम केवल 16 साल का था। उसने कंपनी और परिवार की सारी जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली और अधिक से अधिक सफलता की सीमाओं को पार करने के लिए कड़ी मेहनत की। इसके लिए उसने फ़ुटबॉल खिलाड़ी बनने के अपने सपने को भी कुर्बान कर दिया। वह जानता था कि उसके पिता ने इसके लिए कितनी मेहनत की है और उसने हमेशा सभी को आराम से और बिना किसी चिंता के जीवन बिताने के लिए प्रेरित किया।
"यही तो मुझे चिंता है।" महेंद्र खुराना ने मनीष की ओर देखा और कहा, "तुम अपने बेटे को एक बैल की तरह कैसे काम करा सकते हो!! मुझे डर है कि इससे उसके स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा। फिर मेरे परपोते देखने के सपने का क्या होगा?"
"पिताजी, मैं भी तो काम के साथ अपनी दूसरी जिम्मेदारी जानता हूँ और मैंने आपको दो पोते और एक पोती दिया।" यह बोलते समय उसके चेहरे पर शैतानी मुस्कान थी।
"पापा, मुझे भी शिवम की चिंता है। आपके तो दो और पोते हैं, वो भी तो आपको परपोता दे सकते हैं।" अलोक की पत्नी, करिश्मा ने कहा।
करिश्मा की बात सुनकर महेंद्र खुराना ने गुस्से में कहा- "क्या आप अपने दोनों बेटों की बात कर रही हैं? आपके पहले बेटे की शादी 5 साल पहले हुई थी लेकिन फिर भी वह बच्चा नहीं चाहता और दूसरा वह जो हमेशा अपनी दुनिया में व्यस्त रहता है, शराब पीता है और ड्रग्स लेता है, अपने बेकार दोस्तों के साथ घूम रहा है और इस परिवार की मेहनत की कमाई खर्च कर रहा है???"
महेंद्र का चेहरा गुस्से से लाल हो गया था और दिख रहा था कि वह करिश्मा के बेटों से कितना नाराज है।
यह सुनकर करिश्मा चुप हो गई और लिविंग रूम का माहौल शांत हो गया। किसी की हिम्मत नहीं हुई कि उनके मुँह से एक भी शब्द निकल सके।
मनीष और राधिका की शादी के बाद आलोक और करिश्मा की शादी हो गई थी, पर करिश्मा शादी के एक साल बाद ही एक बेटे, साकेत को जन्म दिया। साकेत परिवार में सबसे बड़ा बेटा था। करिश्मा हमेशा चाहती थी कि शिवम के बजाय साकेत परिवार और व्यवसाय की कमान संभाले, लेकिन यह संभव नहीं था। यहाँ तक कि उसका दूसरा बेटा, कौशल भी शिवम से कुछ महीने बड़ा था, लेकिन सब कुछ शिवम के हाथ में चला गया। यह सब करिश्मा को बुरा लगता था।
कुछ मिनटों की चुप्पी के बाद महेंद्र खुराना ने पूछा, "तुम्हारे सबसे अच्छे दोस्त, निर्मल और उसके परिवार के बारे में क्या? वे आ रहे हैं या नहीं?"
"आयेंगे वो।" आलोक ने कहा।
मनीष- "उनके बच्चे कैसे हैं? उन्हें देखे हुए 8 साल हो गए हैं। दोनों अब बड़े हो गए होंगे। दोनों बहुत प्यारे थे।"
आलोक- "हाँ, इस बार वो कुछ दिन यहाँ रुकने वाले हैं।"
जब महेंद्र प्रताप ने निर्मल के बच्चों के बारे में सुना तो वह उनकी बातों की तरफ़ ध्यान देकर सोचने लगे कि शिवांगी उनकी बेटी कितनी बड़ी हो गई होगी। वह भी बिल्कुल अपनी माँ की तरह ही एक अच्छी इंसान होगी और उन्हें यह भी याद आया कि कैसे सब बच्चे खुराना मेन्शन में खेला करते थे।
सब फिर थोड़ी देर और बातें किए और अपने-अपने काम पर चले गए।
दूसरी तरफ, अहुजा विला में, निर्मल अहुजा न्यूज़पेपर पढ़ रहा था और अपने दोनों कमरों को ठीक करने का ऑर्डर दे रहा था, जहाँ उनके दोनों बच्चे रहने वाले थे। निर्मल मुंबई में आकर शिफ्ट हो गए थे। तभी उनकी पत्नी उनके पास आकर बैठती हैं।
आशा अहुजा- "परसों बच्चे मुंबई वापस आने वाले हैं, मुझे उम्मीद है कि मैं उनके आने से पहले पूरा काम खत्म कर दूँगी ताकि वे इस घर में आराम से रह सकें।"
निर्मल आहूजा ने कहा, "तुम चिंता मत करो, उनके आने के पहले सब कुछ हो जाएगा।" वह फिर से न्यूज़पेपर पढ़ने लगे।
आशा ने पूछा, "आपने अबीर और शिवांगी को मुंबई आने के लिए इतना जोर क्यों दिया? क्या आप चाहते हैं कि वह दोनों मुंबई में ही आकर पढ़ाई करें?"
निर्मल ने न्यूज़पेपर साइड में रखते हुए कहा- "मैं चाहता था कि दोनों बच्चे अपने देश की संस्कृति को अच्छे से जान सकें। इसीलिए मैं उनको वापस बुलाना चाहता हूँ और वैसे भी अबीर की पढ़ाई भी पूरी हो चुकी है और मैं नहीं चाहता कि शिवांगी वहाँ अकेले रहे।"
आशा अहुजा मुस्कुराई। फिर थोड़ी देर बाद वह एक नौकर के साथ मंदिर के लिए निकल गई। वहाँ एक बहुत ही महान पंडित आए हुए थे जो सबकी कुंडली देख रहे थे। आशा ने भी अपनी बेटी शिवांगी का जन्म तिथि के बारे में उन्हें बताया।
उन्होंने जब अपने पंचांग में देखा तो उन्होंने आशा से कहा कि, "जब आपकी बेटी 20 साल की होगी तो उसके जीवन में बहुत बड़ा मोड़ आएगा और उसे दो शादियाँ भी करनी पड़ सकती हैं। अब यह फैसला उसके ऊपर होगा कि वह सुख चुनेगी या दुख।"
पंडित की बातें सुनकर आशा हैरान और परेशान हो गई।
अहुजा विला में
निर्मल अहुजा न्यूज़पेपर पढ़ रहे थे और अपने दोनों बच्चों के कमरे ठीक करने का आदेश दे रहे थे। जहाँ उनके दोनों बच्चे रहते थे।
निर्मल मुंबई आकर शिफ्ट हो गए थे। तभी उनकी पत्नी उनके पास आकर बैठ गईं।
"परसों बच्चे मुंबई वापस आने वाले हैं, मुझे उम्मीद है कि मैं उनके आने से पहले पूरा काम खत्म कर लूँगी ताकि वे इस घर में आराम से रह सकें।" आशा अहुजा ने कहा।
"तुम चिंता मत करो, उनके आने से पहले सब कुछ हो जाएगा।" निर्मल आहूजा ने कहा। वो फिर से न्यूज़पेपर पढ़ने लगे।
"आपने अबीर और शिवांगी को मुंबई आने के लिए इतना जोर क्यों दिया? क्या आप चाहते हैं कि वे दोनों मुंबई में ही आकर पढ़ाई करें?" आशा ने पूछा।
निर्मल ने न्यूज़पेपर साइड में रखते हुए कहा, "मैं चाहता था कि दोनों बच्चे अपने देश की संस्कृति को अच्छे से जान सकें।"
"इसीलिए मैं उनको वापस बुलाना चाहता हूँ और वैसे भी अबीर की पढ़ाई भी पूरी हो चुकी है और मैं नहीं चाहता कि शिवांगी वहाँ अकेले रहे।"
आशा अहुजा मुस्कुराईं। फिर थोड़ी देर बाद वे एक नौकर के साथ मंदिर के लिए निकल गईं। वहाँ एक बहुत ही महान पंडित आए हुए थे जो सबकी कुंडली देख रहे थे। आशा ने भी अपनी बेटी शिवांगी का जन्म तिथि उनके बारे में बताया।
उन्होंने जब अपने पंचांग में देखा तो उन्होंने आशा से कहा, "जब आपकी बेटी २० साल की होगी तो उसके जीवन में बहुत बड़ा मोड़ आएगा और उसे दो शादियाँ भी करनी पड़ सकती हैं।"
"अब यह फैसला उसके ऊपर होगा कि वह सुख चुनेगी या दुख।"
पंडित की बातें सुनकर आशा हैरान और परेशान हो गईं। पंडित की बातें सुनकर आशा थोड़ी चिंतित हो गई थीं। थोड़ी देर बाद वे घर आईं और अपने पति निर्मल जी को सारी बातें बताईं।
"हाहा !! ये अच्छा है फिर!! उसे दो लोगों का प्यार मिलेगा। आजकल तो सब अपना जीवन एक जीवनसाथी के साथ बिताते हैं। हमारी बेटी को दो-दो जीवनसाथी मिलेंगे।"
वैसे तो निर्मल जी भी आशा की बात सुनकर थोड़े चिंतित हो रहे थे, पर अपनी पत्नी को उसकी चिंता से निकालने के लिए उन्होंने एक छोटा सा मजाकिया माहौल बना दिया था। निर्मल ने आशा के हाथ पर हाथ रखते हुए बोला, "आप इतना चिंता मत कीजिए, भविष्य में जो भी होगा उसके बारे में अभी सोचने का कोई फायदा नहीं है। मैं चाहता हूँ मेरी बेटी शिवांगी मेरा बिज़नेस संभाले।"
"जी ठीक है। जैसा आपको ठीक लगे। क्या आपने खुराना की पार्टी में जाने की तैयारियाँ कर लीं?" आशा ने कहा।
"हाँ !! और गिफ्ट भी तैयार है।"
अगले दिन शाम को न्यूयॉर्क एयरपोर्ट.....
भीड़-भाड़ वाले हवाई अड्डे के अंदर एक लड़का और एक लड़की तेजी से अपने-अपने टर्मिनल की ओर चल रहे थे। उस लड़के ने कंधे पर बैग, एक हाथ में टैबलेट और दूसरे हाथ में हवाई जहाज का टिकट लिए हुए था। उसने ग्रे टी-शर्ट और ब्लैक जूते के साथ ब्लैक जींस पहनी हुई थी।
लड़की ने अपने कंधे पर एक बैग लटकाया हुआ था। उसके हाथ में कॉफी मग था। वह नीले कलर का टॉप और गुलाबी जींस में बहुत प्यारी लग रही थी।
"शिवांगी, जल्दी चलो।" एक लड़के ने शिवांगी को आवाज लगाते हुए कहा। लड़का नाराज़ दिख रहा था और काफी गुस्से में भी था।
"मैं तो जाना ही नहीं चाहती हूँ भाई। अगर पापा ने आने का आर्डर नहीं दिया होता तो, मैं तो यहाँ से कभी वापस ही नहीं जाती।" शिवांगी ने कॉफी पीते हुए कहा।
"शिवांगी!" अबीर ने शिवांगी का हाथ पकड़ा और भागते हुए बोला, "जल्दी चलो वरना हमारी फ़्लाइट छूट जाएगी।" और दोनों भीड़ वाले इलाकों में भागने लगे।
वहीं दूसरी तरफ एक लड़का भी टर्मिनल की तरफ भाग रहा था।
"बॉस, धीरे चलिए, हम टाइम से पहुँच जाएँगे।"
उस लड़के ने अपने मैनेजर को गुस्से में घूरकर देखा तो उसका मैनेजर चुप हो गया और वह भी उसके साथ भागने लगा।
उसने एक स्टाइलिश बिज़नेस सूट, एक काली पैंट और उसके अंदर सफ़ेद शर्ट के साथ काली जैकेट पहनी हुई थी। वह इतना हैंडसम लग रहा था कि हर कोई उसे नोटिस कर रहा था, भले ही वह भारी भीड़ में खड़ा हो। वह तेज़ी से चल रहा था, फिर भी एयरपोर्ट की औरतें और पुरुष उसे देख रहे थे। उसके एक हाथ में काले चमड़े का लैपटॉप बैग और दूसरे हाथ में फ़्लाइट का टिकट था।
भागते-भागते वह आदमी शिवांगी से टकरा गया और शिवांगी के हाथ में जो कॉफी मग था, वह सारा का सारा उसके सूट पर गिर गया। उसने गुस्से में घूरकर शिवांगी की तरफ देखा।
अचानक हुए टक्कर से शिवांगी भी सहम गई। उन दोनों की नज़रें एक-दूसरे से मिलीं। उस आदमी की लंबाई 6 फुट से अधिक थी और लड़की उससे बहुत छोटी थी। उसका सिर केवल उसकी ठुड्डी तक पहुँच रहा था।
उस आदमी ने जब शिवांगी की तरफ देखा तो उसका गुस्सा शांत हो गया। उसकी दो सुंदर आँखें, गुलाबी होंठ, बिखरे हुए बाल, उसे और भी आकर्षक और सुंदर लग रहे थे। उस आदमी ने जब उसे देखा तो बस खो सा गया।
शिवांगी ने अपने कॉफी मग की तरफ देखा जिसकी पूरी कॉफी गिर चुकी थी। उसने गुस्से में उस आदमी से कहा, "हेलो मिस्टर, तुम्हारी आँखें क्या तुम्हारे सर के पीछे लगी हुई हैं?" वह आदमी कुछ नहीं बोला, वह बस उसके चेहरे को ही देख रहा था। शिवांगी गुस्से में और भी अधिक क्यूट लग रही थी।
"मिस, यह अकेले मेरे बॉस की गलती नहीं थी और..." उसके पीछे वाले आदमी ने कहा। इससे पहले कि वह आगे कुछ कह पाता, उसके बॉस ने उसकी ओर देखा और कहा, "चलो चलते हैं। हमें देर हो रही है।" वह दोनों फिर तुरंत वहाँ से चले गए।
"खड़ूस कहीं का! बिना सॉरी बोले ही चला गया।" शिवांगी ने गुस्से में उस लड़के की तरफ देखा। फिर उसने उदास चेहरे के साथ अपने कॉफी मग की तरफ देखा और कहा, "My tasty coffee rest in peace!!"
अबीर शिवांगी के पास आया और उसके हाथ से खाली कॉफी मग लेकर उसे पास के कूड़ेदान में फेकते हुए बोला, "तुम्हारी आँखें भी तुम्हारे सर के पीछे लगी हुई हैं क्या? गलती तुम्हारी भी थी, अब चलो हमें भी देर हो रही है।"
वे दोनों फिर वहाँ से चलने लगे। जाते-जाते अबीर ने कहा, "मुझे ऐसा क्यों लगता है कि मैंने उस आदमी को पहले भी कहीं देखा है?"
शिवांगी और अबीर जब फ़्लाइट के अंदर गए तो, उन्होंने देखा कि वे आदमी अंदर बैठा है जिनसे वे पहले टकराए थे। शिवांगी ने उसे देखकर अपना चेहरा गुस्से में फेर लिया।
शिवांगी और अबीर ने फिर अपना सीट नंबर चेक किया। उनकी सीट उस आदमी के सामने वाली सीट पर थी। वे दोनों जाकर अपनी सीट पर बैठ गए।
फ़्लाइट फिर हवा में उड़ने लगी और उन्होंने राहत की साँस ली कि उन्होंने टाइम से अपना फ़्लाइट पकड़ लिया।
आखिरी समय में, ये चारों जिस फ़्लाइट में सवार होने वाले थे, वह कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण रद्द हो गई। इसलिए उन्हें अगली फ़्लाइट बुक करनी पड़ी, लेकिन बिज़नेस क्लास की सीटें उपलब्ध नहीं थीं, इसलिए उन्हें इकोनॉमी क्लास से यात्रा करनी पड़ी।
"शिवांगी, मुझे तो लगा था कि हमारी यह फ़्लाइट भी छूट जाएगी, पर हम टाइम से पहुँच गए।" अबीर ने यह बोलकर राहत की साँस ली।
"भाई, मैं तो आना ही नहीं चाहती थी। मैं तो चाहती थी ये फ़्लाइट छूट जाए। आई हेट यू भाई, मुझे आपके बोलने से आना पड़ा, वरना मैं तो कोई ना कोई बहाना करके वहाँ रुक जाती।" शिवांगी ने थोड़ा मुँह बनाकर बोला।
"शिवांगी, ऐसा नहीं है, हमें अपने मम्मी-पापा के फैसले के बारे में भी तो सोचना चाहिए?"
"मुझे तो लगता है, उन्होंने मेरे लिए कोई लड़का देखा है, तभी तो इतना जल्दी हमें बुला लिया।" शिवांगी ने थोड़ा चिढ़कर कहा।
"ऐसा कुछ नहीं है, तुम कुछ ज़्यादा ही सोच रही हो, मम्मी-पापा तुमसे पूछे बिना तुम्हारी शादी कभी नहीं करवाएँगे।" अबीर ने शिवांगी से कहा।
वे दोनों अपनी बातों में इतने खोए हुए थे कि उनका अंदाज़ा भी नहीं था कि उनके पीछे बैठा हुआ आदमी कब से उनकी बातें सुन रहा है।
"बॉस, आपने उन्हें कुछ क्यों नहीं कहा? यह हमारी गलती नहीं थी और वह आपसे इस तरह कैसे बात कर सकती है? आपको मुझे नहीं रोकना चाहिए था।" उस आदमी के असिस्टेंट गौरव ने उससे कहा।
"गौरव, बस करो, बात खत्म हो गया है।" यह बोलकर वह आदमी सीट के पीछे सर करके अपनी आँखें बंद कर दिया। पर उसका पूरा ध्यान शिवांगी और अबीर की बातों के ऊपर ही था।
"भाई, मुझे पूरा लगता है कि मेरे जाते ही ये लोग किसी के साथ तो मेरा रिश्ता पक्का कर ही देंगे।" शिवांगी ने कहा।
"अगर मम्मी-पापा तुम्हारी शादी करेंगे भी तो, किसी भी ऐसे-वैसे लड़के से नहीं करेंगे, देखना किसी बड़ी कंपनी के CEO से तुम्हारी शादी करवाएँगे।" अबीर ने शिवांगी की तरफ़ देखकर कहा।
"मुझे किसी अमीर खानदान के CEO से शादी नहीं करना।" शिवांगी अबीर की बातें सुनकर चिढ़ते हुए बोली।
"क्यों? क्या बुराई है?" अबीर ने कहा।
"मैंने सुना है ये अमीर लोग बहुत ही घमंडी, एटीट्यूड वाले, खड़ूस होते हैं। हमेशा अपने में ही रहते हैं, कभी किसी की इज़्ज़त नहीं करते। जब देखो गुस्से में ही रहते हैं। किसी भी लड़की की इज़्ज़त नहीं करते हैं, उनका इस्तेमाल करके उन्हें टिशू पेपर की तरह से फेक देते हैं।" शिवांगी ने कहा।
"तू तो पीड़ित महिलाओं की नेता है ना, तुझे तो सब कुछ पता है, क्यों?" अबीर ने कहा।
शिवांगी और अबीर जब फ्लाइट में गए, तो उन्होंने देखा कि वह आदमी अंदर बैठा है जिससे वे पहले टकराए थे। शिवांगी ने उसे देखकर अपना चेहरा गुस्से में फेर लिया।
शिवांगी और अबीर ने फिर अपना सीट नंबर चेक किया। उनकी सीट उस आदमी के सामने वाली सीट पर थी। वे दोनों जाकर अपनी सीट पर बैठ गए।
फ्लाइट हवा में उड़ने लगी और उन्होंने राहत की साँस ली कि उन्होंने समय पर अपना फ्लाइट पकड़ लिया था।
आखिरी समय में, जिस फ्लाइट में ये चारों सवार होने वाले थे, वह कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण रद्द हो गई थी। इसलिए उन्हें अगली फ्लाइट बुक करनी पड़ी, लेकिन बिज़नेस क्लास की सीटें उपलब्ध नहीं थीं, इसलिए उन्हें इकोनॉमी क्लास से यात्रा करनी पड़ी।
"शिवांगी, मुझे तो लगा था कि हमारी यह फ्लाइट भी छूट जाएगी, पर हम समय पर पहुँच गए।" अबीर ने यह बोलकर राहत की साँस ली।
"भाई, मैं तो आना ही नहीं चाहती थी। मैं तो चाहती थी यह फ्लाइट छूट जाए। आई हेट यू भाई, मुझे आपके बोलने से आना पड़ा, वरना मैं तो कोई न कोई बहाना करके वहाँ रुक जाती।" शिवांगी ने थोड़ा मुँह बनाकर कहा।
"शिवांगी, ऐसा नहीं है, हमें अपने मम्मी-पापा के फैसले के बारे में भी तो सोचना चाहिए?" अबीर ने कहा।
"मुझे तो लगता है, उन्होंने मेरे लिए कोई लड़का देखा है, तभी तो इतनी जल्दी हमें वहाँ बुला लिया।" शिवांगी ने थोड़ा चिढ़कर कहा।
"ऐसा कुछ नहीं है, तुम कुछ ज़्यादा ही सोच रही हो। मम्मी-पापा तुमसे पूछे बिना तुम्हारी शादी कभी नहीं करवाएँगे।" अबीर ने शिवांगी से कहा।
अबीर और शिवांगी अपनी बातों में इतने खोए हुए थे कि उन्हें अंदाज़ा भी नहीं था कि उनके पीछे बैठा हुआ आदमी कब से उनकी बातें सुन रहा है।
"बॉस, आपने उन्हें कुछ क्यों नहीं कहा? यह हमारी गलती नहीं थी और वह आपसे इस तरह कैसे बात कर सकती है? आपको मुझे नहीं रोकना चाहिए था।" उस आदमी के असिस्टेंट गौरव ने उससे कहा।
"गौरव, बस करो, बात खत्म हो गई है।" यह बोलकर वह आदमी सीट के पीछे सर करके अपनी आँखें बंद कर दिया। पर उसका पूरा ध्यान शिवांगी और अबीर की बातों पर ही था।
"भाई, मुझे पूरा लगता है कि मेरे जाते ही ये लोग किसी के साथ मेरा रिश्ता पक्का कर ही देंगे।" शिवांगी ने कहा।
"अगर मम्मी-पापा तुम्हारी शादी करेंगे भी, तो किसी भी ऐसे-वैसे लड़के से नहीं करेंगे। देखना, किसी बड़ी कंपनी के CEO से तुम्हारी शादी करवाएँगे।" अबीर ने शिवांगी की तरफ देखकर कहा।
"मुझे किसी अमीर खानदान के CEO से शादी नहीं करना।" शिवांगी अबीर की बातें सुनकर चिढ़ते हुए बोली।
"क्यों? क्या बुराई है?" अबीर ने पूछा।
"मैंने सुना है ये अमीर लोग बहुत ही घमंडी, एटीट्यूड वाले, खड़ूस होते हैं। हमेशा अपने में ही रहते हैं, कभी किसी की इज़्ज़त नहीं करते। जब देखो गुस्से में ही रहते हैं। किसी भी लड़की की इज़्ज़त नहीं करते, उनका इस्तेमाल करके उन्हें टीशू पेपर की तरह से फेंक देते हैं।" शिवांगी ने कहा।
"तू तो पीड़ित महिलाओं की नेता है ना, तुझे तो सब कुछ पता है, क्यों?" अबीर ने कहा।
वह आदमी पीछे बैठा उनकी बातें सुनकर मुस्कुरा रहा था।
"तो, तुमको कैसा लड़का चाहिए?" अबीर ने शिवांगी से पूछा।
"ऐसा लड़का जो मुझसे बहुत प्यार करे, मेरे लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाए, वह केवल मेरे बारे में सोचे और जब भी मैं दुखी हूँ तो मुझे हँसाए। उसके पास मेरे लिए हमेशा टाइम हो।" शिवांगी ने अपने होठों पर हल्की मुस्कान और आँखों में चमक के साथ कहा।
"बाकी चीज़ें ठीक हैं, पर हमेशा तुम्हारे लिए टाइम हो???? उम्म्म... उसके लिए तो केवल एक ही रास्ता है।" अबीर ने कहा।
"और वह क्या है भाई?" उसने अपने चेहरे पर थोड़ी उम्मीद के साथ पूछा।
"तुम एक भिखारी से शादी करना फिर।" अबीर ने उसे चिढ़ाते हुए कहा।
"ठीक है भाई, अगर वह मेरे बताए हुए शर्त जैसा हुआ तो, मैं तब भी शादी कर लूँगी। फिर चाहे वह गरीब ही क्यों न हो।" शिवांगी ने कहा।
"क्या सच में, शिवांगी?" अबीर ने उससे हैरानी से पूछा।
"एक भिखारी से शादी करने में क्या बुराई है भाई? उसके बदले मैं पैसे कमाऊँगी और उसे सिर्फ़ मुझसे प्यार करना है और हाँ, केवल मुझसे ही प्यार करना है। हम बहुत सारे बच्चे पैदा करेंगे, मैं काम करूँगी और वह उन्हें संभालेगा और....."
"बस बस। मुझे तो लगा था कि मेरी बातें सुनकर तुम नाराज़ हो जाओगी। पर मैं हार गया, तुम जीत गई।" अबीर ने उसे बीच में रोकते हुए कहा।
पीछे बैठा आदमी अभी भी इन भाई-बहनों की बातचीत आँखें बंद करके सुन रहा था और मुस्कुरा रहा था।
"भाई, मैं अभी केवल 18 साल की हूँ। अभी तो मैं अपनी लाइफ़ में बहुत आगे बढ़ना चाहती हूँ। अपने सपने पूरे करना चाहती हूँ।" शिवांगी ने कहा।
"शिवांगी, कोई भी तुम्हें रोक नहीं रहा। पापा बस चाहते हैं कि तुम भी बिज़नेस में उनका हाथ बटाओ।" अबीर ने कहा।
"भाई, मैं चाहती हूँ पहले मैं पढ़ाई पूरी करूँ और अपने सपने पूरे करूँ। अभी मुझे बिज़नेस नहीं सम्भालना। आप तो मुझे समझो भाई।" शिवांगी ने कहा।
"शिवांगी, कुछ दिनों के लिए अपने सपने को भूल जाओ और जो पापा चाहते हैं वह करो।" अबीर ने कहा।
वह पीछे बैठा आदमी शिवांगी के सपने के बारे में जानने के लिए उत्सुक था, लेकिन अबीर ने अचानक कहा, "अब अपनी आँखें बंद करो और थोड़ा आराम करो। यह हमारे लिए पहले से ही एक थकाऊ दिन था।" शिवांगी ने अपना सिर हिलाया, पीछे झुकी और आँखें बंद कर लीं। वह आदमी यह सुनकर काफ़ी निराश हो गया। खाना खाकर सब सो गए।
अगले दिन सुबह सभी लोग एयरपोर्ट से बाहर निकले और अपने-अपने रास्ते की ओर चल पड़े।
शिवांगी की नज़र उस आदमी पर पड़ी, लेकिन उसने उसे नज़रअंदाज़ कर दिया, जबकि अबीर ने उस आदमी को एक छोटी सी मुस्कान के साथ सिर हिलाकर देखा। बदले में वह आदमी भी मुस्कुराया और सिर हिलाया।
एयरपोर्ट के बाहर एक काला Mercedes कार खड़ा था। वह आदमी कार के पास पहुँचा। ड्राइवर ने झुककर कहा, "Good morning sir"। फिर उसने उसके लिए कार का दरवाजा खोला। वह पिछली सीट पर बैठ गया और उसका ड्राइवर कार की आगे की सीट पर बैठ गया।
"मैं किसी भी अमीर परिवार के CEO से शादी नहीं करना चाहती।" उसने थोड़ा गुस्से में कहा।
"Huuuu!!!!, क्या..... उसमें पसंद करने के लिए? हर एक लड़की अमीर लड़कों के सपने देखती है।" वह आदमी उसकी बातें सोचकर खुद में बड़बड़ा रहा था। उसने फिर कहा, "जल्द ही वापस मिलेंगे।"
वहीं दूसरी तरफ़, शिवांगी और अबीर जब एयरपोर्ट के बाहर आए तो निर्मल का ड्राइवर भी उन्हें लेने आया था। दोनों कार में बैठ गए और कार चल पड़ी।
कार में बैठने पर अबीर ने शिवांगी से पूछा, "अभी भी परेशान हो क्या?"
"नहीं भाई, मैं नहीं हूँ।" थोड़ी देर सोचने के बाद शिवांगी ने कहा, "भाई, मैंने इस बारे में कल पूरी रात सोचा। उन्होंने जो भी मेरे बारे में सोचा है, सही सोचा होगा। आपने ठीक कहा, मम्मी-पापा गलत नहीं हैं।"
अबीर ने शिवांगी की तरफ देखा और मुस्कुरा दिया।
खुराना मेंशन में...
काली कार गेट पर आई। गार्ड ने उनको प्रणाम किया और हवेली के अंदर का गेट खोला। कार फिर हवेली के पास आकर रुकी। जैसे ही वह आदमी और उसका असिस्टेंट कार के बाहर निकले, उन्होंने एक खुश और हर्षित आवाज़ सुनी।
"मेरे प्यारे पोते!!! आखिरकार तुम यहाँ आ ही गए!!" महेंद्र खुराना ने बाहर आते हुए कहा।
महेंद्र खुराना फिर उसे अंदर ले गए। अंदर कावेरी भी मुस्कुराकर उसे देख रही थी। उसने ब्लू कलर की साड़ी पहनी हुई थी, गले में सोने की चैन, कान में सोने के बुंदे और उंगलियों में शादी की अंगूठी थी। वह अपने पहनावे को हमेशा सरल रखना ही पसंद करती थी, पर वह जो भी पहनती थी, उसके ऊपर क्लासी लगता था।
उस आदमी ने उन्हें देखा और उनके पास आकर उन्हें गले लगाकर बोला, "दादी माँ, आप कैसी हो?"
"मैं ठीक हूँ शिवम बेटा। 1 हफ़्ते के बाद तुम्हें देख रही हूँ। तुम्हारे बिना तो एक मिनट भी मुझे अच्छा नहीं लगता।" कावेरी ने खुशी से शिवम को गले लगाते हुए कहा।
"मैंने भी आपको बहुत मिस किया दादी माँ।" शिवम ने खुशी के साथ कहा।
गौरव ने प्रणाम करते हुए कहा, "Good morning मैडम।"
"गुड मॉर्निंग, सर।" कावेरी ने कहा।
फिर शिवम ने उसकी तरफ देखा और कहा, "गौरव, तुम अपने घर वापस जा सकते हैं और आराम कर सकते हैं।" गौरव ने फिर उन दोनों को प्रणाम किया और चला गया।
कंपनी में बहुत से लोग ऐसे थे जिन्होंने उसका विरोध किया और उसके लिए समस्याएँ खड़ी कीं, लेकिन अपने पिता की तरह वह भी सारी मुश्किलों को पार करके खुराना इंडस्ट्री को अकेले सम्भाल लिया। हालाँकि वह सिर्फ़ 18 साल का था।
शिवम अपने काम को लेकर बहुत सीरियस रहता था और दूसरे को भी खुराना मेंशन के प्रति बुरी नज़र डालने नहीं देता था। इसलिए सब उसे बिज़नेस का शैतान कहते थे।
"दादी माँ, बाकी सब कहाँ हैं?" शिवम ने पूछा।
महेंद्र खुराना ने सबको आवाज़ दी।
घर में सभी ने उनकी तेज आवाज़ सुनी। वे अपने कमरे से बाहर आ गए क्योंकि नाश्ते का भी समय होने वाला था।
सभी अपने कमरे से नीचे आए। मनीष और राधिका ने शिवम को गले लगाया, फिर अलोक और करिश्मा ने भी उसे गले लगाया।
"बेटा, जाओ नहाकर रेडी होकर नीचे आ जाओ, फिर सब साथ में नाश्ता करेंगे।" राधिका ने शिवम से कहा।
शिवम जाने लगा तो, कावेरी ने रोककर पूछा, "बेटा, तुम्हारे शर्ट में यह निशान कैसा? कॉफ़ी गिर गई थी क्या?"
शिवम ने जब अपने शर्ट की तरफ़ देखा तो, शिवांगी को याद करके मुस्कुरा दिया।
"वह ठीक से कॉफ़ी भी नहीं पी सकता और आप उससे परपोते होने की उम्मीद कर रहे हैं।" मनीष महेंद्र के पास आकर बोले।
"कॉफ़ी पीना और बच्चा पैदा करना दोनों अलग-अलग चीज़ें हैं।" महेंद्र ने कहा।
तभी अलोक उन दोनों के पास आकर बोला, "मैं भाई की बातों को लेकर एग्री करता हूँ। मुझे डर है कहीं कॉफ़ी की तरह उसे सब कुछ फैलाने की आदत न पड़ जाए।"
शिवम उनकी बातें सुनकर बोला, "एक्सक्यूज मी, मैं यहीं खड़ा हूँ और मैं आप तीनों को बता दूँ कि मैंने जानबूझकर अपने कपड़ों पर कॉफी नहीं गिराई। एक जंगली बिल्ली ने मेरा रास्ता काटा था।"
वह ऊपर अपने कमरे में जाने के लिए मुड़ा, अचानक बीच में रुक गया, वापस मुड़ा और उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था।
"चिंता मत करो दादाजी। मैं आपको आपके सपने से निराश नहीं करूँगा।" फिर वह वापस मुड़ा और चला गया। उसकी बातें सुनकर सभी हैरान रह गए।
इस आखिरी शब्द को सुनने के बाद, हर कोई दंग रह गया और शिवम की पीठ को तब तक घूरते रहे जब तक वह उनकी आँखों से ओझल नहीं हो गया।
यह पहली बार था जब शिवम ने ऐसा कुछ कहा था। हर कोई जानता था कि उसने कभी किसी को डेट नहीं किया या किसी लड़की में दिलचस्पी नहीं दिखाई थी।
उसकी उम्र के सारे लड़के लड़कियों के साथ घूमते-फिरते थे, मौज-मस्ती करते थे, पर शिवम ने आज तक किसी लड़की में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। ऐसा पहली बार हुआ था जब उसने अपने दादाजी के सपने को सच करने की बात सबके सामने की थी। इसका मतलब यह हुआ कि ज़रूर वो किसी लड़की को पसंद करने लगा है। उसकी यह बात सुनकर सभी उत्सुक हो गए कि वो लड़की कौन है?
शिवम ने अपने कमरे में प्रवेश किया, अपनी जैकेट उतारी, उसे बिस्तर पर पटक दिया और बाथरूम में गया। जब वह बाथरूम में शीशे के सामने खड़ा था, तो उसने अपनी कमीज पर लगे दागों को छुआ। उसके चेहरे पर एक सुखद मुस्कान थी।
फ्रेश होने के बाद, शिवम नीचे की ओर चला गया। हर कोई नाश्ते की मेज पर उसका बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था, जो उसने थोड़ी देर पहले कहा था, उसका मतलब जानने के लिए।
एक लकड़ी की एक बड़ी डाइनिंग टेबल थी, जिसमें पूरे खुराना परिवार और कुछ और मेहमानों के लिए भी जगह हो सकती थी। महेंद्र खुराना मेज के एक छोर पर कुर्सी पर बैठे थे, जो परिवार के मुखिया के लिए होती थी। उनके दाहिनी ओर उनके दूसरे बेटे और उनकी पत्नी मनीष और राधिका बैठे थे। बाईं ओर अलोक और करिश्मा बैठे थे।
शिवम ने व्हाइट शर्ट और ब्लू पैंट पहनी हुई थी। हर कोई बिना पलक झपकाए उसे घूर रहा था, जैसे उसे पहले कभी नहीं देखा था, और उसकी थोड़ी देर पहले बोली बातों को याद कर रहा था। पर किसी की हिम्मत नहीं थी उससे कुछ पूछने की।
शिवम सबकी नज़रों को अनदेखा करके बैठा था। माहौल खामोश था क्योंकि हर कोई अपने-अपने अनुमान लगाने में लगा हुआ था। केवल नौकरों के अपना काम करने की आवाज़ आ रही थी।
नौकरों ने व्यंजन परोसे। फिर सब खाते समय भी शिवम को घूर रहे थे। शिवम खाते-खाते रुक गया और सबकी तरफ देखने लगा। सबने जब उसे देखा तो तुरंत इधर-उधर देखने लगे।
शिवम ने चम्मच टेबल पर रखा और बिना देखे कहा, "क्या आप सबको कुछ बोलना है?"
सबने एक साथ ना में सर हिलाया।
कावेरी ने बात बदलते हुए कहा, "शिवम बेटा, यू आर लुकिंग वेरी हैंडसम टुडे। इसलिए हम सब तुम्हारे लिए बहुत खुश हैं।"
राधिका- "हाँ !! हाँ !! दादी सही कह रही हैं, शिवम।" और वह अजीब तरह से मुस्कुराई।
"हैंडसम!!!," शिवम ने रुककर कहा, "हाँ !! वो तो मैं मेरे जन्म से हूँ।"
दादी ने एक नौकर को आवाज़ लगाई, "रघु..."
रघु अंदर से बाहर आया। दादी ने उससे कहा, "अब से तुम शिवम के लिए सभी पौष्टिक भोजन बनाओगे जिससे उसके स्वास्थ्य में सुधार होगा।"
रघु यह सुनकर काफी शर्मिंदा था। उसने शिवम पर एक नज़र डाली और कहा, "जी मेम।" रघु खुराना परिवार के लिए तब से काम कर रहा था जब वह बहुत छोटा था। वह उम्र में महेंद्र खुराना के समान दिखता था। उसने शिवम को अपनी आँखों के सामने बढ़ते हुए देखा, लेकिन फिर भी उसे शर्मिंदगी महसूस हुई।
"दादीमा, इसकी कोई ज़रूरत नहीं है। मेरा स्टैमिना बिल्कुल ठीक है।"
कावेरी उसकी बात सुनकर मुस्कुराकर बोली, "बेटा, मैं तो यह इसलिए बोल रही हूँ कि भविष्य में अगर कोई जंगली बिल्ली आपका रास्ता काटेगी, तो आप अपनी कॉफी बाहर नहीं बहाएँगे।"
"चिंता मत करो दादींमाँ, मुझे पता है कि एक जंगली बिल्ली को कैसे काबू में करना है और मैं अपनी कॉफी बर्बाद नहीं करूँगा।"
"जंगली बिल्ली! क्या वो दिखने में खूबसूरत है?" दादीमा ने चिढ़ाते हुए पूछा।
"खूबसूरत है। बस ज़रूरत है उन्हें ठीक से काबू में करने की और सभ्य बनाने की।" शिवम ने जवाब में कहा।
शिवम की बात सुनकर सब मुस्कुरा दिए। सब फिर खाना खाने लगे।
अचानक, उन्हें लिविंग रूम से उनके कदमों की आहट सुनाई दी। सभी ने उस ओर देखा। "भाई, तुम आ गए!" एक लड़का दौड़कर आया और शिवम को गले लगा लिया।
शिवम ने कार्तिक से पूछा, "भाई, आप सुबह से कहाँ थे?"
सभी जानते थे कि दोनों भाइयों में कितना प्यार है।
"वो मैं कौशल के साथ एक मीटिंग से बाहर गया था।" कार्तिक ने शिवम से कहा।
"ये अच्छा है, कार्तिक भाई मिल गए तो तुम मुझे भूल गए।" कौशल अंदर आते हुए बोला।
शिवम ने कौशल को देखा तो उसे भी गले से लगा लिया। कौशल अलोक और करिश्मा का बेटा था।
सब फिर ब्रेकफास्ट करते हैं, तभी अलोक को खांसी होने लगती है। करिश्मा अलोक की पीठ थपथपाती है और उसे पानी पिलाती है। सब खाना खाकर चले जाते हैं।
कार्तिक, जो पहले लंदन में पढ़ाई करता था, वहाँ उसे एक लड़की से प्यार हो गया था, पर उस लड़की ने उसे धोखा दे दिया। तब से वह बाहर जाना छोड़ दिया और वापस इंडिया आकर अपना होटल का बिज़नेस शुरू कर लिया। और जब मनीष जी बीमार हो गए, तो खुराना इंडस्ट्री संभालने की पूरी ज़िम्मेदारी शिवम के कंधे पर आ गई।
शिवम कार्तिक को फिर अपने रूम में ले जाता है और वह कौशल को भी बोलता है, "भाई तुम भी चलो," पर कौशल उन्हें मना कर देता है और कार की चाबी लेकर घर के बाहर चला जाता है।
कौशल के इस व्यवहार से हर कोई परिचित था। इसलिए किसी ने इस पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। अलोक को कौशल का ऐसा व्यवहार पसंद नहीं था।
कौशल, कार्तिक और शिवम का दूसरा चचेरा भाई था। कार्तिक और शिवम उससे नफ़रत नहीं करते थे, लेकिन कौशल की कुछ बुरी आदतों से परेशान थे। वह शराबी और ड्रग एडिक्ट था, वह काम करना पसंद नहीं करता था, वह दोस्तों की बुरी संगति में रहता था। शिवम ने उसे कंपनी में कुछ ज़िम्मेदारियाँ दीं जिससे उसका ध्यान इन चीज़ों से हट सके। कार्तिक ने भी बहुत कोशिश की उसे बदलने की, पर उन्हें हमेशा निराशा ही हाथ लगी। अंत में दोनों ने उसे उसके हाल पर छोड़ दिया।
कौशल अपने भाइयों से नफ़रत नहीं करता था। उसे बस अपनी ही दुनिया में रहना पसंद था। इससे उसे कभी फ़र्क नहीं पड़ता था कि दूसरे क्या कहते हैं या वे उसके बारे में क्या सोचते हैं। कौशल ने अकाउंट्स और फाइनेंस में मास्टर्स डिग्री की थी। वह एक होनहार छात्र था, लेकिन अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भी अपने करियर के लिए कुछ भी करने की कोशिश नहीं की, ना कभी फैमिली बिज़नेस में कोई रुचि दिखाई।
इन सभी बुराइयों के बावजूद भी वह हमेशा महिलाओं से दूरी बनाए रखता था। ऐसी बहुत सी महिलाएँ थीं, जिन्होंने अपनी खूबसूरती से उसे बहकाने की कोशिश की और खुराना परिवार में अपनी जगह बनाने की कोशिश की, पर कोई भी उसे फँसा नहीं पाई। वह अपने परिवार की महिलाओं को छोड़कर बाहर की दूसरी महिलाओं की संगति में रहना पसंद नहीं करता था।
निर्मल अहुजा के घर पर
अबीर और शिवांगी अपने घर पहुँच गए। यह मुंबई के कुछ महँगे इलाकों में से एक में शानदार अपार्टमेंट था। अपार्टमेंट बहुत बड़ा था। इसे कुछ साल पहले निर्मल अहुजा ने खरीदा था। वह अपने परिवार के लिए एक अच्छी जगह भी चाहते थे, अगर भविष्य में जब भी वे मुंबई में वापस आएंगे तो उन्हें एक अच्छी और सुरक्षित जगह मिल सके।
निर्मल और आशा खुशी से अबीर और शिवांगी के गले लगे।
अबीर सोफे पर बैठकर अपना पैर फैलाकर टेबल में रखते हुए बोला, "डैड, यह बहुत ही स्टाइलिश और शानदार जगह है रहने के लिए, मुझे यहाँ आकर बहुत अच्छा लग रहा है।"
निर्मल जी ने अपनी पत्नी आशा की तरफ़ देखकर कहा, "तुम्हारी माँ ने घर को सजाने में और स्टाइलिश बनाने में काफ़ी हेल्प की मेरी।" आशा मुस्कुराकर निर्मल जी की तरफ़ देखती है।
दोनों ने अपने माता-पिता की ओर देखा और फिर एक-दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिए। वे जानते थे कि उनके माता-पिता एक-दूसरे से कितना प्यार करते हैं।
अपार्टमेंट बहुत बड़ा और लग्ज़रीअस था। पाँच लग्ज़रीअस बेडरूम, एक बड़ा सा हॉल, डाइनिंग रूम, एक स्टडी रूम, बड़ा सा किचन, पूल रूम और नौकरों का आउट हाउस बाहर था।
बैठक रूम विशाल थी, जिसमें एक सुंदर काँच के केंद्र की मेज के साथ एक बड़ा सोफा था। उसके सामने एक बड़ी टीवी स्क्रीन थी जो होम थिएटर जैसा अहसास दे रही थी।
एक नौकर किचन से लिविंग रूम में आया और अबीर, शिवांगी को पानी देकर चला गया।
आशा- "हाउ वाज़ योर फ़्लाइट? मैंने सुना लास्ट टाइम में आपकी फ़्लाइट कैंसिल हो गई और आपको दूसरी फ़्लाइट से आना पड़ा।"
शिवांगी- "अच्छा था मॉम, सिवाय इसके कि एक पागल ने मेरी कॉफी गिरा दी और माफ़ी भी नहीं माँगी।" उसने उस घटना को याद करते हुए काफ़ी गुस्से में जवाब दिया और पानी का एक घूँट पिया। फिर उसने सोचा, 'लेकिन!! वह बहुत हैंडसम था.. हाँ..' और वह मुस्कुराई। 'नहीं... रुको!! क्या?? नो!! मैं उसके बारे में क्यों सोच रही हूँ??!!' उसने लगभग अपने मुँह में पानी थूक दिया। फिर उसने अपना सिर हिलाया और बोली, "मेरा दिमाग ख़राब हो गया है क्या?"
निर्मल जी ने शिवांगी की तरफ़ देखकर पूछा, "किसने मेरी प्रिंसेस को नाराज़ करने की हिम्मत की?"
"डैड, एक लड़के से ये टकरा गई थी और इसकी सारी कॉफ़ी गिर गई, पर ग़लती इसकी थी डैड। इस एंग्री बर्ड की।" अबीर ने शिवांगी को चिढ़ाते हुए बोला।
"नो डैड, मेरी कोई ग़लती नहीं थी, वो मुझसे टकराया।" शिवांगी ने गुस्से में कहा।
उनके माता-पिता उन दोनों के बीच झगड़े को अच्छे से जानते थे और यह भी कि ये दोनों एक-दूसरे की कितनी परवाह करते हैं।
"मुझे भूख लग रही है मॉम।" अबीर ने अपने पेट पर हाथ रखते हुए कहा।
"मॉम, मी टू।" शिवांगी ने भी कहा।
"ब्रेकफ़ास्ट रेडी है, उससे पहले दोनों जाओ फ़्रेश होकर आओ।"
अबीर, शिवांगी अपने-अपने रूम में चले जाते हैं। रूम बहुत बड़ा था, रूम के सामने बालकनी थी और उसके सामने खूबसूरत गार्डन था।
शिवांगी जब अपने रूम के अंदर गई तो उसने देखा उसका रूम दूसरी लड़कियों की तरह पिंक नहीं था। जैसा उसको पसंद है वैसा था, व्हाइट और कलरफुल।
उसे सब कुछ रंगीन और ताज़ा पसंद था। उनका मानना था कि जीवन उबाऊ नहीं, रंगीन होना चाहिए। पर्दे, चादरें और तकिए हल्के हरे रंग में थे जो इस सफ़ेद कमरे को एक नया रूप दे रहे थे। उसका कमरा सुंदर और रंगीन पेंटिंग की तरह लग रहा था।
रूम में गोल खूबसूरत सा बेड लगा था और एक साइड टेबल लगा था। रूम में दो बड़े-बड़े अलमारी थे। एक अलमारी जूतों से भरा हुआ था और दूसरा अलमारी कपड़ों से भरा हुआ था, जैसा शिवांगी को कपड़ा पहनना पसंद था, टी-शर्ट और जींस। लेकिन उसकी माँ को नहीं पसंद था।
"ये लोग मुझे खुश करने की बहुत कोशिश कर रहे हैं।" वह बुदबुदाई।
लेकिन वह यह नहीं जानती थी कि उसे जल्दी बहुत बड़ा झटका लगने वाला है।
शिवांगी अपना कमरा देख रही थी। तभी पीछे से निर्मल और आशा जी की आवाज आई।
"क्या हमारी princess को अपना कमरा पसंद आया?"
शिवांगी ने मुड़कर अपने माता-पिता की तरफ देखा और उन्हें गले लगाते हुए कहा, "थैंक्स मॉम डैड, मुझे यह बहुत पसंद आया।"
तभी अबीर भी शिवांगी के कमरे में आया और उसने भी निर्मल और आशा को गले लगाते हुए कहा, "मॉम डैड, मुझे भी मेरा कमरा बहुत पसंद आया।"
शिवांगी बहुत ही ब्रिलियंट स्टूडेंट थी। वह मेडिकल, इंजीनियरिंग या दूसरे क्षेत्र में अच्छा कर सकती थी, लेकिन उसने पेंटिंग चुना।
जब वह छोटी थी, तब उसने अपने माता-पिता के साथ विभिन्न देशों की यात्रा की थी; ग्रीस, फ्रांस, इटली और अन्य यूरोपीय देश, जो अपनी कला और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध थे।
उसने दुनिया भर में यात्रा करने और अपने चित्रों में सब कुछ चित्रित करने की योजना बनाई थी। अपने माता-पिता के साथ यात्रा की सभी जगहों में से, उसे ग्रीस बहुत पसंद आया था और उसने वहाँ बसने की योजना बनाई थी। जब वह न्यूयॉर्क में थी, तब वह अक्सर अलग-अलग कलाकारों की पेंटिंग प्रदर्शनियों में जाकर अपना समय बिताती थी। उनकी पसंदीदा जगह "द पेंटिंग सेंटर्स" थी, जो एक गैर-लाभकारी आर्ट गैलरी है जो उभरते, मध्य करियर और स्थापित कलाकारों के लिए अवसर प्रदान करती है।
निर्मल अहूजा और आशा अहूजा हमेशा से यह जानते थे कि शिवांगी मुंबई आकर खुश नहीं थी। वे चाहते थे कि वह पेंटिंग करती रहे, क्योंकि वह बचपन से ही यही करना चाहती थी; इसलिए उन्होंने उसके लिए यहाँ सब कुछ तैयार करवा दिया था।
थोड़ी देर बाद वे सभी नीचे नाश्ता करने आ गए।
निर्मल ने सबसे कहा, "मुझे आशा है कि आप दोनों को याद होगा कि कल महेंद्र खुराना जी की शादी की सालगिरह है और हम सभी को पार्टी में शामिल होना है।"
दोनों ने सिर हिलाया और कहा, "Yes डैड, हमें पता है।"
शिवांगी और अबीर महेंद्र और कावेरी जी को बचपन से जानते थे और इसलिए वे उन्हें दादा-दादी बोलते थे।
शिवांगी: "हम बहुत excited हैं महेंद्र दादा और कावेरी दादी से मिलने के लिए। बचपन में हमेशा हम हवेली जाते थे खेलने के लिए। कितने साल हो गए उन्हें और उनकी फैमिली को देखे हुए।" उसने अपनी आवाज में उत्साह के साथ कहा। अबीर ने भी हाँ में सिर हिलाया।
आशा: "मैंने आप दोनों के लिए सब कुछ तैयार कर लिया है, लेकिन अगर आपको कल की पार्टी के लिए और भी कुछ चाहिए, तो आप दोनों शॉपिंग के लिए जा सकते हैं, अगर आप दोनों थके हुए ना हों तो?"
अबीर: "मॉम!! इस शहर में 3 साल हो गए, सब कुछ चेंज हो गया होगा। मैं तो बाहर जाकर देखना चाहता हूँ। तो चलोगी शिवांगी?"
शिवांगी: "Yes bro, why not?"
निर्मल: "आप मेरी कार और ड्राइवर को अपने साथ ले जा सकते हैं। वह आपको उन सभी जगहों पर ले जाएगा जहाँ आप जाना चाहते हैं।"
खुराना mansion
कार्तिक और शिवम कमरे में बातें कर रहे थे। तभी एक नौकर आकर शिवम से बोला, "सर, आपको नीचे बुला रहे हैं।"
शिवम जब नीचे आया, तो गौरव के साथ सभी घरवाले गिफ्ट लेकर खड़े थे। शिवम ने सबको हैरानी से देखा।
कुछ दिन पहले शिवम का जन्मदिन था, पर उसे यह सब बचकाना लगता था। वह अपना जन्मदिन कभी भी नहीं मनाता था, पर घरवाले उसे गिफ्ट जरूर देते थे।
सबने जब शिवम को गिफ्ट दिया, तो शिवम ने गिफ्ट लेकर सबको थैंक यू बोला और एक नौकर से कहा, "सारे गिफ्ट मेरे रूम में रख दो, मैं ये सब बाद में देख लूँगा।"
नौकर सारे गिफ्ट ले गया। शिवम फिर गौरव के साथ जाने लगा। तभी पीछे से महेंद्र खुराना ने उसे आवाज लगाई और शिवम उनकी आवाज सुनकर रुक गया।
महेंद्र खुराना उसके पास आए और उन्होंने भी उसे गिफ्ट दिया।
शिवम ने उनसे भी गिफ्ट लिया और हंसकर "थैंक्स दादा जी" कहा।
शिवम वह गिफ्ट भी अपने नौकर को देने वाला था। तभी महेंद्र खुराना ने कहा, "यह गिफ्ट चुनने में मुझे बहुत टाइम लगा।"
शिवम यह सुनकर रुक गया और गिफ्ट की तरफ देखने लगा।
शिवम ने "Gift Wrapper paper" को गिफ्ट से हटाया। उसमें एक किताब थी। किताब का कवर पेज देखकर, शिवम ने उसे तुरंत Gift Wrapper paper से वापस ढक दिया।
शिवम ने फिर महेंद्र खुराना की तरफ देखा और थोड़ा गुस्से में कहा, "दादा जी..."
शिवम ने जब उस किताब का कवर पेज देखा, तो वह एक 'कामसूत्र' की किताब थी। यह देखते ही शिवम ने जल्दी से उस किताब को वापस ढक दिया था।
महेंद्र खुराना ने अपने चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान के साथ शिवम को देखते हुए कहा, "मुझे मालूम था, आपको ये जरूर पसंद आएगा।"
हर कोई जानना चाहता था कि आखिर महेंद्र खुराना ने शिवम को क्या गिफ्ट दिया है, पर किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी यह पूछने की।
आलोक: "शिवम, उसमें क्या है? हमें भी तो दिखाओ।"
मनीष ने अपनी घड़ी में टाइम देखते हुए कहा, "मैं जा रहा हूँ, मुझे कुछ काम है।" क्योंकि मनीष को यह अनुमान लग चुका था कि उस पैकेट में जरूर कुछ खतरनाक चीज है। इसलिए वह वहाँ से जाना चाहता था।
आलोक ने मनीष को रोकते हुए कहा, "आप ऐसे नहीं जा सकते भैया, आपको देखना चाहिए कि पापा ने अपने पोते को क्या गिफ्ट दिया है।" यह बोलते समय आलोक के चेहरे पर भी शैतानी मुस्कान थी।
शिवम ने महेंद्र खुराना की तरफ देखते हुए कहा, "मुझे इस गिफ्ट की जरूरत नहीं है।" और वह उस गिफ्ट को नौकर को देने ही वाला था। तभी महेंद्र खुराना ने तेज आवाज में कहा, "क्या कहा? तुम्हें गिफ्ट की जरूरत नहीं है? तुम्हें मालूम है मुझे कितना समय लगा इसे खोजने में?"
"मैं तुम्हें गिफ्ट दे रहा हूँ और बड़ों का गिफ्ट उनके आशीर्वाद की तरह होता है, तो तुम्हें यह लेना ही पड़ेगा।" महेंद्र खुराना ने शिवम को डांटते हुए कहा।
"पर आपके गिफ्ट देने का तरीका बहुत अलग है।" शिवम ने भी अपने दादाजी की आँखों में देखते हुए कहा।
राधिका: "शिवम, जल्दी से गिफ्ट लो और ऑफिस जाओ, अब तुम्हें देर नहीं हो रही क्या?"
आलोक: "लेकिन भाभी, मैं भी यह जानना चाहता हूँ कि आखिर उसमें पापा का क्या आशीर्वाद है?" आलोक ने फिर से शैतानी मुस्कान के साथ कहा।
महेंद्र खुराना ने मुस्कान के साथ कहा, "एक जंगली बिल्ली को खुश करने और मेरी इच्छा को जल्द पूरी करने के कई तरीके हैं, इस गिफ्ट में।"
यह सुनकर सभी को अंदाजा लग गया कि आखिर उस गिफ्ट में क्या है।
आलोक को छोड़कर सब कोई सोच रहा था कि कैसे वहाँ से निकले।
शिवम: "दादाजी, मुझे इसकी जरूरत नहीं है। मैं एक जंगली बिल्ली को अच्छी तरह से खुश करना जानता हूँ।"
"एक बिल्ली को खुश करने के लिए?? क्या हम सच में अपने घर में एक बिल्ली ला रहे हैं भाई??"
इस आवाज को सुनकर सभी पीछे की तरफ पलट गए।
कार्तिक अपने हाथ में गिफ्ट बॉक्स लिए खड़ा था, सबको देखकर मुस्कुरा रहा था।
कार्तिक ने शिवम से कहा, "घर में कोई पालतू जानवर रखने का सोच रहे हो क्या?.....अगर पालतू जानवर पालना ही है तो हमें कुत्ता पाल सकते हैं, क्योंकि मुझे बिल्लियाँ नहीं पसंद।"
कार्तिक की बात सुनकर सब जोर-जोर से हँसने लगे और शिवम भी मुस्कुरा दिया। कार्तिक सबको हैरानी से देखने लगा।
महेंद्र खुराना बोले, "अगर जंगली बिल्ली की जगह कुत्ता आ गया, तो मेरे परपोते के सपने का क्या होगा?"
कार्तिक उनसे पूछा, "मतलब?"
महेंद्र खुराना बोले, "कुछ नहीं, कुछ नहीं। वैसे तुम्हारे हाथ में क्या है?"
कार्तिक अपने हाथ की तरफ देखा और बोला, "यह शिवम के लिए गिफ्ट है।" और अपना गिफ्ट शिवम के आगे बढ़ाया।
शिवम कार्तिक का गिफ्ट लेकर बोला, "थैंक यू सो मच।"
कार्तिक उससे बोला, "क्या तुम इसे नहीं खोलोगे?"
शिवम बोला, "ऑफ़ कोर्स, मैं खोलूँगा इसे।"
शिवम जैसे ही गिफ्ट खोलने जा रहा था, वैसे ही कार्तिक उसे रोकते हुए बोला, "तुम्हारे दूसरे हाथ में क्या है?"
शिवम अपने दूसरे हाथ के गिफ्ट को देखकर बोला, "ये...वो हमारे परिवार को आगे कैसे बढ़ाएँ, उसी का सामान है।"
कार्तिक ने हैरानी से पूछा, "मतलब?"
शिवम ने कहा, "कुछ नहीं, मैं आपका गिफ्ट खोलकर देखता हूँ।" और वो कार्तिक का दिया हुआ गिफ्ट खोला।
उसमें एक लैपटॉप था, जिसे कार्तिक ने बनाया था।
शिवम बोला, उसे गले लगकर, "बहुत अच्छा लगा मुझे।"
राधिका बोली, "इसे कार्तिक ने रातों में जागकर बहुत कड़ी मेहनत से अपने हाथों से बनाया है।"
शिवम जब यह सुनता है, तो वापस कार्तिक को गले लगा लेता है और थैंक्यू बोलता है।
महेंद्र खुराना बोले, "मेरे गिफ्ट का क्या? मेरे गिफ्ट तुम्हें पसंद आया या नहीं? तुमने तो उसे खोला भी नहीं।"
कार्तिक उनकी तरफ देखकर बोला, "आपने क्या गिफ्ट दिया शिवम को?"
महेंद्र खुराना बोले, "यही कि फैमिली को आगे कैसे बढ़ाया जाए। वह इस किताब में लिखा हुआ है।"
कार्तिक बोला, "तब तो मैं भी जानना चाहूँगा कि आखिर क्या लिखा है इसमें?"
शिवम कार्तिक को बोला, "नहीं, यह मेरा गिफ्ट है, तो इसमें जो है, वह मैं ही यूज़ करूँगा।"
तभी कार्तिक का मोबाइल बजता है और वह ऊपर अपने कमरे में चला जाता है, क्योंकि उसका मोबाइल उसके कमरे में था।
महेंद्र खुराना शिवम से पूछते हैं, "तो तुमने क्या सोचा?"
शिवम उनको देखकर बोला, "क्या आप थोड़ा और इंतजार नहीं कर सकते?"
महेंद्र खुराना थोड़ा गुस्से में बोले, "आपको मेरी उम्र नहीं दिख रही है क्या? मैं रोज बूढ़ा होता जा रहा हूँ। जब मर जाऊँगा तब परपोता दोगे क्या?"
उनकी यह बात सुनकर सबकी आँखें भर जाती हैं, क्योंकि सब घर में उनसे बहुत ज़्यादा प्यार करते थे।
शिवम ने उनसे कहा, "बस दादा जी, अपना ओवरएक्टिंग बंद कीजिए।" यह सुनकर महेंद्र खुराना धीरे से हँस देते हैं।
उन्होंने फिर से शिवम की ओर देखकर पूछा, "तो बताओ तुम मेरी बात मानोगे या नहीं?"
शिवम उनको बोला, "ठीक है दादा जी, मैंने आपकी बात मान ली।"
महेंद्र खुराना अपने चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान के साथ बोले, "तो इस पैकेट को अपने साथ ले जाओ, यह तुम्हारी बहुत मदद करेगा।"
शिवम उनकी तरफ देखकर फिर से नाराज़गी के साथ बोला, "मैंने कहा ना, मुझे इसकी ज़रूरत नहीं है।"
महेंद्र खुराना बोले, "अरे बेटा, तुमको इसमें तुम्हें बहुत सारा आइडिया मिलेगा।"
शिवम उनकी तरफ देखकर बोला, "मैंने कहा ना मुझे इसकी जरूरत नहीं है और वैसे भी यह बहुत पुरानी किताब है। मेरे पास इससे भी अच्छी-अच्छी और यूनिक आईडिया है।"
यह सुनकर महेंद्र खुराना बोले, "क्या सच में?"
तभी कावेरी बोली, "शिवम, अपने दादा जी जैसा मत बनो।"
शिवम कावेरी की तरफ देखकर बोला, "सॉरी दादी।"
उस समय रघु किचन से बाहर आ रहा था, पर जब उसने शिवम और महेंद्र खुराना की बातें सुनी, तो वह वापस पीछे मुड़ गया और कहा, "मैं तो अपने किचन में ही ठीक था।" और वह तुरंत किचन में चला गया।
कावेरी: "आखिरकार हमारे परिवार में कोई है जो आपकी बेशर्मी में आपसे आगे निकल सकता है।" उसने अपने पति की ओर देखते हुए कहा।
महेंद्र खुराना ने कहा, "आखिर पोता किसका है? मेरा, तो मेरे जैसा ही होगा ना।"
मनीष बोला, "हाँ पापा, ये आपके जैसे ही है, एक अच्छा बेटा और एक अच्छा पोता।" यह सुनकर महेंद्र खुराना के चेहरे पर भी मुस्कान आ जाती है।
शिवम फिर अपने ऑफिस चला जाता है।
बाकी सब भी अपने-अपने कमरे में चले जाते हैं। थोड़ी देर बाद मनीष महेंद्र खुराना के कमरे में जाता है, तो देखता है कावेरी जी कुर्सी पर बैठी हुई हैं और महेंद्र खुराना खिड़की पर एक हाथ अपनी पेंट की जेब में डाले बाहर की ओर देख रहे हैं।
मनीष कावेरी के बगल में दूसरी कुर्सी पर बैठते हुए बोला, "माँ, क्या सोच रही हो? चिंता की कोई बात नहीं है।"
कावेरी मनीष की तरफ देखकर बोली, "कुछ नहीं।"
दूसरी तरफ
अबीर टीवी देख रहा था और शिवांगी लैपटॉप पर कुछ काम कर रही थी। निर्मल और आशा भी अपने-अपने काम में बिजी थे।
अबीर शिवांगी को बोला, "देखो टीवी पर राशिफल दिखा रहा है, क्या तुम्हें जानना है, तुम्हारा राशिफल?"
शिवांगी उसकी तरफ बिना देखे बोली, "I am not interested भाई।"
अबीर उसको बोला, "फिर भी मैं तुम्हें बताऊँगा कि आज तुम्हारे जीवन में कुछ होने वाला है।"
शिवांगी उसे बोली, "बकवास, ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है।"
अबीर उसे छेड़ते हुए बोला, "पर तुम्हारे होरोस्कोप में लिखा है, कि आज कुछ ना कुछ तो तुम्हारे साथ होगा।"
शिवांगी भी उसे बोली, "ठीक है, देख लेंगे।"
अबीर एक हार्ट सर्जन था।
शिवांगी उसे बोली, "भाई, आपका हो गया तो, मैं अपना काम कर लूँ?"
निर्मल और आशा हॉल में आते हुए बोले, "अरे तुम लोग अभी तक बाहर घूमने गए नहीं?"
शिवांगी अपने मॉम डैड को बोली, "भाई की बातें खत्म होंगी तब तो हम जाएँगे।"
आशा ने कहा, "तुम दोनों रेडी हो जाओ, कार बाहर खड़ी है।"
शिवांगी और अबीर फिर रेडी होकर शॉपिंग करने के लिए चले जाते हैं।
शिवम का ऑफिस
शिवम की कार ऑफिस के बाहर आई। ड्राइवर जल्दी कार से निकलकर दरवाजा खोला। शिवम कार से उतरकर अंदर गया।
रिसेप्शनिस्ट और दूसरे स्टाफ ने उसे झुककर 'गुड मॉर्निंग' बोला। शिवम ने उनकी बातों का ध्यान नहीं दिया और लिफ्ट से ऊपर अपने फ्लोर की तरफ चला गया।
ऊपर के फ्लोर में केवल वीआईपी की ही एंट्री थी। बाकी स्टाफ के लिए दूसरा लिफ्ट और सीढ़ी का इंतजाम किया गया था।
शिवम का केबिन 20वें फ्लोर पर था। शिवम अपने केबिन में गया। तभी गौरव झुककर बोला, "गुड मॉर्निंग सर।"
शिवम ने उसकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया और अपने केबिन में चला गया। उसके केबिन में पेपर का ढेर पड़ा हुआ था क्योंकि वह एक हफ्ता बाहर था, इसलिए बहुत सारा काम पेंडिंग था। शिवम चेयर में बैठकर उन पेपर्स को देखने लगा।
शिवम फिर उन पेपरों को पढ़ने लगा। तभी गौरव ने उसे बोला, "सर आपकी 11:30 बजे मीटिंग है। फिर 1:30 बजे दूसरी मीटिंग है। फिर 3:00 बजे आपको लंच करना है, उसके बाद 5:00 बजे आपकी एक और मीटिंग है।"
शिवम ने उसे कोई जवाब नहीं दिया क्योंकि वह उसकी बातें सुन रहा था। तभी किसी ने दरवाजा नॉक किया। "मैं आ सकती हूँ सर?"
"यस कम इन," शिवम ने कहा।
एक खूबसूरत लड़की कमरे के अंदर एक फाइल लेकर आई। शिवम उसकी तरफ देखा, फिर वापस अपनी फाइल में देखने लगा।
वह अपने चेहरे पर स्माइल के साथ बोली, "गुड मॉर्निंग सर।" फिर गौरव की तरफ देखकर बोली, "गुड मॉर्निंग गौरव जी।" शिवम ने उसे बस 'हम्म!!' कहा। पर गौरव स्माइल करके बोला, "गुड मॉर्निंग रिया जी।"
वह फिर शिवम की तरफ फाइल देते हुए बोली, "सर इसमें न्यू diamond ज्वेलरी के डिजाइन हैं, जो हमें इस महीने लॉन्च करना है। आप एक बार इसे देख लीजिए।"
खुराना एंपायर डायमंड्स का बिजनेस करते थे।
रिया और गौरव शिवम के भरोसेमंद आदमी थे। क्योंकि जब मनीष बीमार था और शिवम ने नया ऑफिस ज्वाइन किया था, तब रिया और गौरव ने ही उसका साथ दिया था। वे दोनों कई सालों से खुराना एंपायर में काम करते आ रहे थे, इसलिए शिवम उन पर आँख बंद करके विश्वास करता था।
रिया बहुत ही ज्यादा खूबसूरत थी और वह किसी को भी एक मिनट में अपने तरफ आकर्षित कर सकती थी। उसने ऑफिस वाली फॉर्मल ड्रेस पहनी हुई थी। उसके भूरे बाल, नीली आँखें, गुलाबी होंठ किसी को भी अपना दीवाना बनाने के लिए काफी थे।
रिया फिर फाइल देकर चली गई। उसके बाद शिवम ने एक मीटिंग अटेंड की। वह मीटिंग खत्म करने के बाद दूसरे मीटिंग के लिए चला गया।
जब 3:00 बजे हुए तो शिवम मीटिंग बीच में ही रोककर सबको लंच के लिए ऑफर किया क्योंकि वह अपना हर काम समय पर करना पसंद करता था। लंच का टाइम लंच, डिनर के टाइम डिनर और काम के टाइम काम। वह फिर वहाँ के फेमस रेस्टोरेंट में लंच करने के लिए गया।
वहीं दूसरी तरफ, एक मॉल में अबीर एक महँगा सूट पहनते हुए बोला, "तो शिवांगी, देखो मैं कैसा लग रहा हूँ? मेरे ऊपर ये सूट जच रहा है ना?"
शिवांगी एक चेयर पर बैठी हुई थी और अपने भाई की तरफ देखकर बोली, "भाई जो लेना है जल्दी लो। आप 1 घंटे से सारी ड्रेस ट्राई करके मुझसे पूछ चुके हो। अब मैं बोर हो रही हूँ।"
"ओके सॉरी सॉरी," अबीर बोला। उसने अपने लिए वह सूट पैक करवाया। वे दोनों फिर लहँगा लेने के लिए एक शॉप पर गए। शिवांगी ने अपने लिए 10 मिनट में लहँगा पसंद कर लिया। अबीर ये देखकर हैरानी से शिवांगी को बोला, "वाह! तुमने इतनी जल्दी पसंद कर लिया।"
शिवांगी ने उसे देखकर बोला, "भाई मुझे टाइम वेस्ट करना पसंद नहीं है।" क्योंकि शिवांगी को शॉपिंग पर समय बर्बाद करना पसंद नहीं था।
अबीर उसे देखकर हँसते हुए बोला, "मुझे तो लगा था कि बहुत ज्यादा टाइम लग जाएगा, लेकिन यह तो बहुत जल्दी खत्म हो गया।"
शिवांगी ने उसे बोला, "यह और भी जल्दी खत्म हो जाता अगर आप 1 घंटे से अपना ड्रेस ट्राई करके मुझे नहीं दिखाते तो।"
अबीर यह सुनकर हँसने लगा।
शिवांगी ने उसे बोला, "अब चलो, मुझे बहुत भूख लगी है। आपका ड्रेस देख-देख कर तो मेरी सारी एनर्जी खत्म हो गई।"
अबीर हँसते हुए बोला, "ठीक है, ठीक है! बिल पे करके चलते हैं। यहीं पास में फेमस रेस्टोरेंट है, वहाँ चलते हैं।"
दोनों फिर बिल पे करके रेस्टोरेंट की तरफ चल दिए।
शिवम अपने क्लाइंट के साथ एक चेयर पर जाकर बैठा। वह टेबल पहले से ही उसके लिए बुक कर दिया गया था।
गौरव ने शिवम को बोला, "सर ऑर्डर आने में 15 मिनट लग जाएँगे।" शिवम अपने मोबाइल में देखते हुए बस 'हम्म' बोला। थोड़ी देर बाद वह वॉशरूम में चला गया।
उसी समय उसी रेस्टोरेंट में अबीर और शिवांगी भी आए। वे दोनों शिवम के दूसरे तरफ वाले टेबल पर जाकर बैठे। तभी एक वेटर मेन्यू कार्ड लेकर आया और उन्हें देकर चला गया।
अबीर कार्ड की तरफ देखकर शिवांगी से पूछा, "तुम क्या खाना चाहती हो?"
शिवांगी ने उसे बोला, "भाई कुछ भी ऑर्डर कर दो, वैसे भी मुझे बहुत भूख लगी है।"
"ओके," अबीर बोला।
शिवांगी अबीर से बोली, "भाई मुझे वॉशरूम जाना है।"
अबीर मेन्यू कार्ड की तरफ देखकर धीरे से स्माइल करते हुए बोला, "तो जाओ। अब तुम कोई छोटी बच्ची नहीं हो कि मैं तुम्हारा हाथ पकड़कर तुम्हें वॉशरूम के बाहर तक छोड़कर आऊँ।"
शिवांगी उससे चिढ़ते हुए बोली, "क्या भाई! आप कभी सीरियस नहीं हो सकते?"
अबीर मेन्यू कार्ड बंद करते हुए बोला, "ठीक है, उठो चलो मैं तुम्हें वॉशरूम के बाहर तक छोड़कर आता हूँ। लो हो गया, मैं सीरियस।"
शिवांगी गुस्से में बोली, "भाई!! You are impossible!"
अबीर हँसते हुए बोला, "हाँ मुझे पता है।"
शिवांगी फिर गुस्से में उठी और पैर पटकते हुए वहाँ से चली गई।
अबीर यह देखकर हल्का सा मुस्कुराया।
शिवांगी ने एक वेटर को रोककर उसे वॉशरूम का रास्ता पूछा। वह वेटर अपनी उंगली से इशारा करके उसे रास्ता दिखा दिया।
वॉशरूम के बाहर कुछ वेटर सफाई कर रहे थे। शिवांगी गुस्से में अपने भाई को कोसते हुए जा रही थी। वॉशरूम के बाहर पानी गिरा हुआ था, जिस पर शिवांगी का ध्यान नहीं गया और वह पैर फिसलकर गिरने ही वाली थी, तभी किसी ने उसे थाम लिया।
शिवांगी डर से अपनी आँखें बंद किए हुए थी और शिवम, जिसने उसे थामा था, वह उसे एकटक निहारने लगा। उसने अपना हाथ बढ़ाकर धीरे से शिवांगी के बालों पर फेरा।
शिवांगी ने आँखें खोलकर शिवम को देखा और उसे इतना करीब देखकर धक्का दिया।
शिवम थोड़ा पीछे हुआ। शिवांगी जैसे ही खड़ी हुई, उसका वापस से पैर फिसला और वह इस बार शिवम के ऊपर गिर गई और गिरने से शिवांगी के होंठों ने शिवम के होंठों को छू लिया।
शिवांगी को जब एहसास हुआ, तो वह तुरंत शिवम के ऊपर से उठने लगी।
शिवांगी फिर शिवम से बोली, "मैं सॉरी, मैंने जानबूझकर नहीं किया। क्या आप ठीक हैं?"
शिवम शिवांगी की तरफ देखकर बोला, "हाँ मैं ठीक हूँ।"
शिवांगी ने उसे बोला, "पर मुझे लग रहा है कि आपको डॉक्टर की ज़रूरत है। मेरा भाई डॉक्टर है, वह यहीं से, इसी रेस्टोरेंट में है। आप बोलो तो हम उसके पास चल सकते हैं। लेकिन वो हार्ट सर्जन है।"
शिवम ने उसे पकड़कर दीवार में सटाकर बोला, "मैंने कहा ना मैं ठीक हूँ और अगर तुम्हें फिर भी लगता है कि मुझे दर्द हो रहा है, तो तुम चाहो तो तुम चेक कर सकती हो।"
शिवम की बातें सुनकर शिवांगी बड़ी-बड़ी आँखों से उसे देखने लगी।
शिवांगी ने उसे बोला, "मतलब?"
शिवम ने उसे कुछ नहीं बोला और वापस अपने होंठों से उसके होंठों को छूकर वहाँ से चला गया।
शिवांगी बस उसे जाते हुए देखने लगी।
थोड़ी देर बाद शिवांगी फिर वॉशरूम में चली गई और शिवम आकर अपने क्लाइंट के साथ बैठ गया। उसका खाना भी आ चुका था।
दूसरी तरफ, अबीर कब से शिवांगी के आने का इंतज़ार कर रहा था। उसने अपनी घड़ी की तरफ देखा और धीरे से बोला, "इसे इतना टाइम क्यों लग गया वॉशरूम से आने में?"
तभी उसकी नज़र शिवांगी पर पड़ी जो गुस्से में उसकी तरफ आ रही थी।
अबीर ने उसे बोला, "क्या हुआ? तुम इतने गुस्से में क्यों हो?" शिवांगी ने उसे कुछ नहीं बोला और अपना खाना खाने लगी।
अबीर उसे छेड़ने के लिए बोला, "तुम कितना खाना खाती हो फिर भी मोटी नहीं होती, मुझे आज तक समझ में नहीं आया कि वह सारा खाना आखिर जाता कहाँ है?"
शिवांगी ने उसे कुछ नहीं बोला। दोनों फिर खाना खाकर बाहर आए।
दोनों बाहर आकर अपनी गाड़ी का इंतज़ार करने लगे।
तभी एक कार शिवांगी के पास आकर रुकी, जिसमें शिवम स्माइल करते हुए उसे ही देख रहा था।
शिवांगी ने उसे गुस्से भरी नज़रों से देखा और अपनी नज़रें फेर लीं।
शिवम फिर वहाँ से चला गया। तभी अबीर ने शिवांगी से कहा, "अरे यह तो वही है ना, एयरपोर्ट वाला?" शिवांगी ने उसे 'हाँ' बोला।
अबीर बोला, "देखो कितनी महँगी कार है इसकी।"
शिवांगी बोली, "तो मैं क्या करूँ?"
तभी ड्राइवर कार लाया। दोनों आकर कार में बैठे। वहीं दूसरी तरफ शिवम अपनी कार में बैठे, कांच के बाहर वह किसको याद करके मुस्कुरा रहा था और गौरव हैरानी भरी नज़रों से शिवम को देख रहा था।
गौरव ने हिम्मत जुटाकर पूछा, "सर, क्या हुआ? आप मुस्कुरा रहे हैं।"
शिवम अपनी सोच से बाहर आया और बोला, "नहीं, कुछ नहीं। मैं बस ऐसे ही कुछ सोच रहा था।" इतना बोलकर शिवम अपने फ़ाइल में देखने लगा।
थोड़ी देर बाद, अबीर और शिवांगी अपने घर पहुँचे। दोनों फिर अपने कमरों में चले गए और शिवांगी अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर लेटकर सो गई क्योंकि वह आज बहुत थक गई थी।
शिवम रात को 10:00 बजे काम खत्म करके अपने घर आया। वह जैसे ही हॉल में आया, किसी ने उसे कहा, "भाई, हम आ गए हैं।"
शिवम ने उनकी तरफ देखा और मुस्कुराकर कहा, "आपकी journey कैसी रही?"
वह शिवम की दो बहनें थीं। उनके मामा की बेटी मानसी और दूसरी शिवम और कार्तिक की बहन मधु थी।
मधु ने मुस्कुराते हुए कहा, "बहुत बढ़िया था भाई।"
मानसी ने शिवम से कहा, "भाई, हमारी छुट्टी बहुत अच्छी थी। क्या आपको हमारी याद आई?"
शिवम ने हँसते हुए बोला, "हाँ, मुझे तुम लोगों की बहुत याद आई।"
"अरे, उसे साँस तो लेने दो, अभी-अभी ऑफ़िस से आया है।" यह आवाज़ सुनकर शिवम पीछे की तरफ देखा। साकेत अपनी पत्नी आरोही के साथ था।
साकेत आलोक और करिश्मा का बड़ा बेटा था। वह शिवम का बड़ा भाई था। उसने अमेरिका में अपना बिज़नेस स्टार्ट किया था और वह वहीं अपनी पत्नी के साथ रहता था।
शिवम साकेत को देखता है और भागता हुआ उसके पास आकर उसके गले लग जाता है। साकेत भी खुशी से उसे अपने गले लगा लेता है।
शिवम फिर आरोही की तरफ देखकर बोलता है, "भाभी, आप कैसी हो?"
आरोही मुस्कुराकर उसके गाल में हाथ फेरकर बोलती है, "मैं बिल्कुल ठीक हूँ देवर जी।"
कार्तिक सीढ़ियों से उतरकर नीचे आया और बोला, "शिवम, तुम आ गए। जाओ जल्दी से फ़्रेश हो जाओ, फिर दादा जी ने सबको बाहर गार्डन में बुलाया है।"
शिवम बोला, "ठीक है भाई, मैं अभी फ़्रेश होकर आता हूँ।" और वह अपने कमरे में चला गया और बाकी सब बाहर गार्डन में चले गए।
वहीं दूसरी तरफ, शिवांगी बिस्तर पर लेटे-लेटे आज जो रेस्टोरेंट में हुआ था, उसे वह सब याद आ रहा था।
वह उठकर बिस्तर से नीचे उतरकर आईने के सामने आकर खड़ी हो गई और अपने होंठों की तरफ देखने लगी। उसने अपने होंठों पर हाथ फेरकर बोला, "यह था मेरा पहला किस।"
शिवांगी फिर अपने कमरे का बिस्तर और चादर फेंकते हुए बोली, "तो यह था मेरे आज के राशिफल में, कि आज मेरे साथ कुछ होने वाला है। यह मेरा पहला किस, वह भी उस अजनबी के साथ। जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है।"
खुराना मैन्शन में, पूरा परिवार बाहर गार्डन में बैठा हुआ था। गार्डन बहुत ही खूबसूरत और अलग-अलग फूलों से सजाया हुआ था। गार्डन के बीच में एक फाउंटेन था और एक सुंदर सा फिश पॉन्ड था। जिसमें अलग-अलग मछलियाँ तैर रही थीं और उस पॉन्ड के ऊपर लकड़ी का एक छोटा सा पुल बना हुआ था।
पूरा खुराना परिवार चेयर में बैठे हुए बातें कर रहे थे।
आलोक ने साकेत से पूछा, "तो कैसा चल रहा है तुम्हारा काम?"
साकेत ने मुस्कुराकर कहा, "बिल्कुल ठीक चल रहा है पापा।"
महेंद्र खुराना ने कहा, "तो तुम क्यों आए? अपना काम छोड़कर वहीं रहते।"
साकेत ने अपने दादाजी की तरफ देखकर कहा, "आपकी और दादी मां की एनिवर्सरी है, हमें तो आना ही था।"
महेंद्र खुराना ने उसकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया और मानसी और मधु से पूछा, "तुम दोनों की जर्नी कैसी रही?"
वे दोनों ने हँसकर कहा, "बहुत अच्छी थी दादा जी।"
मानसी और मधु ने शिवम को आते हुए देखा।
मधु ने मानसी से कहा, "तुम्हें नहीं लगता हमारा भाई कितना हैंडसम है? कितनी लड़कियाँ इसके पीछे दीवानी होंगी, पर यह है कि आज तक कोई भी गर्लफ्रेंड नहीं बनाया।"
मानसी ने मधु की तरफ देखते हुए कहा, "उसके सामने गर्लफ्रेंड वाली बात मत कर देना, क्योंकि उसे नहीं पसंद है।"
मधु ने कहा, "वह हमारा भाई है, हम कुछ भी बोल सकते हैं।"
मानसी ने कार्तिक की तरफ देखकर कहा, "वह देखो, वह भी कितना हैंडसम है और शिवम से बड़ा भी है, पर उसने भी आज तक शादी नहीं की।"
राधिका, जो दोनों के बगल में बैठी हुई थी और उनकी बातें सुन रही थी, उसने दोनों को आँखें दिखाईं और दोनों चुप होकर शांति से बैठ गईं।
शिवम आकर कार्तिक के बगल में बैठ गया और सब पार्टी के बारे में बातें करने लगे।
तभी महेंद्र खुराना ने बात को बीच में काटते हुए शिवम की तरफ देखकर कहा, "एनिवर्सरी की पार्टी के बाद मैं चाहता हूँ घर में एक और बड़ी पार्टी हो।"
आलोक मनीष के कान में धीरे से बोला, "भाई, पापा फिर से शिवम के परपोते की बात करने वाले हैं।"
महेंद्र खुराना शिवम की तरफ देखकर बोले, "मैं चाहता हूँ अब तुम शादी कर लो।"
शिवम उनकी बात सुनकर चौंक गया और बोला, "क्या? शादी?"
शिवम और कार्तिक को छोड़कर परिवार के सभी सदस्य इस बात से बहुत खुश थे।
महेंद्र खुराना ने कहा, "मेरी एनिवर्सरी पार्टी में बड़े-बड़े बिज़नेसमैन और उनकी खूबसूरत बेटियाँ भी आने वाली हैं, तो देखते हैं आपको कौन पसंद आती है?"
साकेत ने शिवम की तरफ देखकर कहा, "हाँ, मुझे भी लगता है शिवम, तुम्हें अब शादी कर लेनी चाहिए।" उसकी बात सुनकर सब शिवम पर शादी करने का प्रेशर डालने लगे।
शिवम ने थोड़ा नाराज़ होकर महेंद्र खुराना से कहा, "दादा जी, कल तक तो आप मेरे परपोते के पीछे पड़े हुए थे और आज अचानक से शादी की बात कहाँ से लेकर आ गए?"
महेंद्र खुराना ने शैतानी मुस्कान के साथ शिवम की तरफ देखकर कहा, "अच्छा, तो तुम मुझे परपोता देने के लिए तैयार हो, लेकिन शादी नहीं करना चाहते। मतलब, बिना शादी के मुझे परपोता देना चाहते हो?"
आलोक ने मनीष के कान में धीरे से कहा, "लो, फँसा आपका बेटा अपनी ही बातों में।"
शिवम ने थोड़े गुस्से में कहा, "दादा जी, मेरा बोलने का वह मतलब नहीं था।"
महेंद्र खुराना ने उससे कहा, "अब जब तुम परपोते के लिए मान गए हो, तो मैंने सोचा तुमसे शादी की बात भी कर लूँ।"
कार्तिक ने शिवम से कहा, "शादी मतलब, अब तुम्हारी पत्नी आएगी तो तुम अपने भाई को भूल जाओगे, क्यों?"
शिवम ने कार्तिक की तरफ देखकर कहा, "ऐसा कभी नहीं हो सकता भाई, आप भी मेरी पत्नी का अच्छे से ध्यान रखना।"
कार्तिक उसकी बात सुनकर मुस्कुरा देता है क्योंकि सब जानते थे कि दोनों भाइयों में कितना प्यार था और कार्तिक की अनुमति के बिना शिवम शादी नहीं करने वाला था।
दूसरी तरफ, शिवांगी अपने कमरे से बाहर आई और नीचे हॉल में आकर न्यूज़पेपर उठाया। वह आज का राशिफल देखने के लिए पन्ने पलट रही थी। तभी उसे पीछे से आवाज़ आई, "क्या देख रही हो शिवांगी, आज का राशिफल?"
शिवांगी ने अपना सिर नहीं घुमाया। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और धीरे से बुदबुदाया, "यह भाई को भी अभी आना था।" उसके बाद उसने अपने चेहरे पर मुस्कान रखते हुए उसकी तरफ देखा और बोली, "ये आप क्या बोल रहे हो भाई?"
अबीर सोफे पर बैठते हुए बोला, "तुम अपने कमरे से आई और न्यूज़पेपर उठाकर पन्ने पलटने लगीं। ऐसे तो तुम न्यूज़पेपर देखती नहीं हो कभी, पर आज तो मुझे लगा शायद तुम अपना राशिफल जानना चाह रही होगी।"
"मैं तो यह देख रही थी कि आखिर हमारे देश में चल क्या रहा है?" शिवांगी ने कहा।
"अच्छी बात है देखो, क्योंकि अगर तुम आज का राशिफल देखने का सोच रही हो, तो वह तुम्हें आज के पेपर में नहीं मिलेगा।" अबीर ने कहा।
"तो फिर कहाँ मिलेगा?" शिवांगी ने उत्सुकता के साथ पूछा।
"वह यहाँ है।" अबीर ने उसे अपनी तरफ उंगली दिखाते हुए कहा।
"मतलब कि आपने जो आज राशिफल बताया था, वह झूठ था! आपको तो मैं छोडूंगी नहीं।" शिवांगी ने उसे तकिए से मारते हुए कहा।
"मतलब तुम सच में अपना राशिफल देख रही थीं? अरे मैं तो झूठ बोल रहा था क्योंकि हम इतने दिनों के बाद बाहर घूमने जा रहे थे। तो मैंने बस एक कहानी बनाई थी, और तुम उस बात को सच मान लीं और तुम सच में अपना राशिफल खोजने यहाँ आ गईं।" इतना बोलकर वह जोर से पेट पकड़कर हँसने लगा।
शिवांगी उसे गुस्से में घूर कर देखती रही और सोफे पर बैठ गई।
"ऐसा क्यों लग रहा है कि मेरी बात सच हो गई और तुम्हारे जीवन में और कुछ तो हुआ है? क्योंकि जिस तरह से तुम रिएक्ट कर रही हो, तुम्हें देखकर तो ऐसा ही लग रहा है।" अबीर ने कहा।
"भाई आप चुप रहो, मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी है।" शिवांगी ने गुस्से में कहा।
"पर मुझे करनी है।" अबीर ने कहा।
शिवांगी ने फिर एक तकिया उसकी तरफ फेंका और अबीर ने उसे पकड़ लिया।
तभी आशा जी कमरे से बाहर आईं और बोलीं, "यह क्या हो रहा है? क्या कर रहे हो तुम दोनों?"
"Mom, भाई मुझे परेशान कर रहे हैं।" शिवांगी ने कहा।
"No mom, मैंने कुछ नहीं किया।" अबीर ने कहा।
"बस चुप रहो दोनों और खाना खाने आ जाओ।" आशा ने दोनों से कहा। दोनों फिर डायनिंग एरिया में चले गए।
खुराना मेंशन में, सभी कोई एनिवर्सरी पार्टी की चर्चा में लगे हुए थे। तभी सभी ने एक स्पोर्ट्स कार की आवाज़ सुनी जो पूरी रफ़्तार से आई और पार्किंग में खड़ी हो गई। यह कौशल था।
"यह बेवकूफ़ आज जल्दी वापस आ गया। क्या आज सुबह सूरज पश्चिम से निकला था?" महेंद्र खुराना ने कहा क्योंकि कौशल रात को २ या ४ बजे के पहले नहीं आता था।
"मैंने इसे चेक नहीं किया पापा।" आलोक ने अपने बेटे के जल्दी आने पर हैरानी से देखते हुए कहा।
कौशल को देखकर सभी हैरान थे। तभी शिवम ने कौशल को आवाज़ लगाई, "कौशल इधर आओ।" कौशल ने शिवम की तरफ़ देखा। उसका आने का मन नहीं था क्योंकि उसने बहुत ज़्यादा ड्रिंक किया हुआ था और उस समय घर के सभी सदस्य गार्डन में मौजूद थे, पर वह शिवम की बात भी टाल नहीं सकता था।
कौशल आकर सबके पास बैठ गया और आसमान की तरफ़ देखने लगा क्योंकि वह नहीं चाहता था कि कोई उसकी आँखें देखकर यह समझ जाए कि वह नशे में है।
मधू और मानसी उसके पास आने लगीं, उसके गले लगने के लिए। पर कौशल ने उन्हें बीच में रोक दिया क्योंकि वह नहीं चाहता था कि उन्हें शराब की महक आए।
उन दोनों को थोड़ा बुरा तो लगा, पर उन्होंने उससे कुछ नहीं कहा।
"भाई आपको पता है शिवम भाई की शादी की बात हो रही है, मुझे लगता है आपको भी शादी कर लेनी चाहिए।" मानसी ने कौशल से कहा।
कौशल अभी भी आसमान की तरफ़ देख रहा था। वो बोला, "मुझे शादी नहीं करनी है।"
"पर क्यों?" मानसी ने पूछा।
"क्योंकि मुझे लड़कियों को देखकर गुस्सा आता है, मुझे लड़कियाँ नहीं पसंद हैं, जो बार-बार मुझे मेरे पैसों के लिए फँसाने का ट्राई करती रहती हैं।" कौशल ने कहा।
"पर शिवम भाई की जिससे शादी होगी, वह लड़की बहुत ही अच्छी होगी।" मानसी ने कहा।
कौशल ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया।
"जब नई भाभी आएंगी तो हम सब उनका ख्याल रखेंगे। उन्हें कभी भी सैड नहीं होने देंगे, क्यूँ भाई?" मानसी ने फिर से कहा।
उसकी बात सुनकर कौशल और कार्तिक ने भी साथ में कहा, "हम भी रखेंगे उसका ख्याल।" इतना बोलकर दोनों एक-दूसरे की तरफ़ देखने लगे।
वह दोनों यह नहीं जानते थे कि उनकी यह बात भविष्य में सच साबित होगी।
सुबह का समय था।
शिवांगी और अबीर लिविंग रूम में बैठकर अक्षय कुमार की एक्शन मूवी देख रहे थे और उसका आनंद ले रहे थे। शिवांगी ने अबीर से कहा, "भाई, यह कितना अच्छा फाइट करता है ना!"
अबीर ने शिवांगी को छेड़ते हुए कहा, "हाँ, मुझे भी बहुत पसंद है। यही अक्षय कुमार की फिल्म है, जो तू मेरे साथ बैठकर देखती है। वरना, जब देखो तू मेरे साथ झगड़ा करती है।"
शिवांगी ने अबीर की तरफ एक कुशन फेंकते हुए कहा, "भाई, मुझे परेशान मत करो। यह फिल्म का आखिरी, लास्ट सीन चल रहा है, बहुत ही एक्शन और सस्पेंस से भरा है। इसलिए मुझे अच्छे से देखने दो।"
फिल्म खत्म होने पर, दोनों भाई-बहन टेबल में अपना पैर फैलाकर सोफे पर लेट गए।
अबीर ने शिवांगी की तरफ देखकर कहा, "तुझे याद है बचपन में कैसे अक्षय कुमार की फिल्म देखकर हम इतना खो जाते थे कि पापा से जीद किया था कि हमें कराटे स्कूल में डाल दें?"
शिवांगी मुस्कुराकर अबीर की तरफ देखते हुए बोली, "भाई, तब हम पागल थे।"
अबीर ने शिवांगी से कहा, "तुम्हें याद है वह लड़ाई कैसे करते थे?"
शिवांगी ने अबीर से कहा, "मुझे वह कराटे का एक-एक मूव याद है।"
अबीर ने शिवांगी की तरफ देखकर हैरानी से पूछा, "फिर तुमने कभी ट्राई क्यों नहीं किया?"
शिवांगी ने अबीर से कहा, "क्योंकि मैं बिना वजह किसी के साथ झगड़ा नहीं करती।"
अबीर उसकी बातें सुनकर मुस्कुरा दिया।
शिवांगी ने उससे पूछा, "आप अपना हॉस्पिटल कब से जॉइन करने वाले हैं?"
अबीर ने शिवांगी से कहा, "वैसे तारीख तो सोमवार को है, पर मैं सोच रहा हूँ एक हफ्ता और तारीख बढ़ा दूँ। और तुम कॉलेज कब जॉइन कर रही हो?"
शिवांगी ने अबीर से कहा, "भाई, मुझे नहीं पता। पापा ने मेरा किस कॉलेज में एडमिशन करवाया है?"
तभी निर्मल अहूजा हॉल में आकर शिवांगी को एक लिफाफा पकड़ाते हुए बोले, "यह लो, तुम्हारा एडमिशन यहाँ के सबसे मशहूर एक्सेल कॉलेज में हो गया है।"
यह सुनकर अबीर ने शिवांगी की तरफ देखकर कहा, "वाह! एक्सेल कॉलेज, यहाँ का नंबर वन कॉलेज है। यू आर लकी गर्ल।"
निर्मल अहूजा ने शिवांगी के कंधे पर हाथ रखकर कहा, "लक्की तो वो कॉलेज है, जहाँ मेरी बेटी जा रही है। और शिवांगी, अगले महीने से कॉलेज स्टार्ट होने वाला है।"
शिवांगी ने अपने पापा की तरफ देखकर कहा, "ओके, डैड।"
अबीर ने अपने पापा की तरफ देखकर कहा, "पर डैड, कॉलेज तो यहाँ से 2 घंटे की दूरी पर रहेगा। रोज आते-जाते शिवांगी बहुत ज्यादा थक जाएगी।"
निर्मल ने अबीर से कहा, "हाँ, मुझे पता है। इसलिए मैं सोच रहा हूँ कि शिवांगी का एडमिशन वहाँ के गर्ल्स हॉस्टल में करवा दूँ।"
अबीर ने अपने पापा को देखकर मुँह बनाते हुए कहा, "नो, डैड! मतलब फिर से मैं शाम को अकेला रहूँगा। आप और मॉम तो ऑफिस चले जाएँगे और मुझे दिन भर बोर लगेगा।"
शिवांगी मुस्कुराकर बोली, "चलो अच्छा है, मुझे अब आपसे छुटकारा मिलेगा।"
निर्मल ने उन दोनों से कहा, "आज शाम को पार्टी है। 6:00 बजे रेडी रहना।" यह बोलकर वे वहाँ से चले गए। शिवांगी भी वह लिफाफा उठाकर अपने कमरे में चली गई।
शिवांगी अपने कमरे में आकर उस लिफाफे को अपनी अलमारी में रखकर बेड में लेट गई। तभी अबीर कमरे के अंदर आया; उसके हाथ में एक शॉपिंग बैग था।
शिवांगी जल्दी से बेड पर बैठकर पूछी, "इसमें क्या है?"
अबीर ने उसकी तरफ बॉक्स बढ़ाते हुए कहा, "यह गिफ्ट तुम्हारे लिए।"
शिवांगी ने उस बॉक्स को जल्दी से खोला; उसमें एक बहुत सुंदर सा ड्रेस था।
अबीर ने शिवांगी से कहा, "पता है तुम्हारे लिए ड्रेस लेने के लिए मुझे इतना टाइम लगा।"
शिवांगी ने उसके गले लगकर कहा, "थैंक्स, भाई।"
दूसरी तरफ, खुराना परिवार में,
मधु ने मानसी को अपनी नई ड्रेस दिखाते हुए पूछा, "यह देखो, यह ड्रेस कैसा है?"
मानसी ने बेड पर लेटे-लेटे उसे जवाब दिया, "बहुत ही खूबसूरत लगोगी तुम इसमें।"
मधु ने फिर मानसी से पूछा, "तो तुमने अपने लिए कौन सी ड्रेस पसंद किया है?"
मानसी ने मधु से कहा, "मैंने अभी ड्रेस पसंद नहीं किया है। मुझे अभी अपने लिए ड्रेस सेलेक्ट करना है। एक काम करो, तुम मेरे रूम में चलो, फिर हम दोनों मिलकर मेरे लिए ड्रेस सेलेक्ट करते हैं।"
मधु बोली, "ओके, ठीक है।" उसने अपनी ड्रेस को अलमारी में रखकर मानसी के साथ उसके कमरे की तरफ चल पड़ी।
वह दोनों जब मानसी के कमरे में पहुँची, तो मानसी के बेड पर दो ड्रेस रखे हुए थे। वह दोनों भी कन्फ्यूज हो गईं। अब क्या करें? क्योंकि दोनों ड्रेस ही खूबसूरत थे।
मानसी ने मधु से कहा, "हम एक काम करते हैं, अपने भाइयों से ही पूछ लेते हैं। क्योंकि लड़कों को ज्यादा पता होता है कि लड़कियों पर कौन सा ड्रेस ज्यादा अच्छा लगेगा।"
मधु बोली, "ठीक है, पर किस भाई से पूछें?"
मानसी बोली, "साकेत भाई से पूछें?"
मधु बोली, "नहीं, वह खुद अपनी पत्नी का ड्रेस सेलेक्ट करने में बिजी होगा।" यह सुनकर मधु हँस दी।
मानसी बोली, "एक काम करते हैं, शिवम भाई के पास चलते हैं।"
मधु बोली, "नहीं, आज संडे है और शिवम भाई संडे के दिन कार्तिक भाई के साथ गेम खेलने में बिजी रहते हैं। वह हमारी मदद नहीं करने वाले।"
मानसी ने मधु से कहा, "हाँ, तो अब क्या करें?"
तभी मधु ने उसे उंगली दिखाते हुए कहा, "वह देखो, कौशल भाई के कमरे से रोशनी आ रही है। मतलब कि वह आज अपने रूम में हैं। वह तो हमेशा ब्रेकफास्ट करने के बाद बाहर चले जाते हैं और सीधा आधी रात को ही घर आते हैं। चलो उनके रूम में चलते हैं।"
कौशल अपने कमरे के बाहर किसी से फोन में बात कर रहा था। तभी मानसी और मधु ने उसे पीछे से आवाज लगाई।
कौशल पलटकर उनकी तरफ देखा। मधु ने कौशल से कहा, "भाई, हमें आपकी हेल्प चाहिए।"
कौशल ने मधु की तरफ देखकर कहा, "बोलो, क्या हुआ?"
मानसी बोली, "भाई, आपको मेरे साथ मेरे कमरे में चलना होगा।"
कौशल बोला, "मैं अभी बिजी हूँ। जो बोलना है, यहीं बोलो।"
मधु और मानसी मुँह बनाकर उससे रिक्वेस्ट करने लगीं, "भाई, प्लीज, प्लीज, प्लीज।"
कौशल उनकी तरफ देखकर बोला, "चलो।"
मानसी स्माइल करके उसे अपने रूम में ले आई।
मधु ने कौशल से कहा, "भाई, सोफे में बैठ जाओ।" पर कौशल कोई जवाब नहीं दिया और वह वैसे ही खड़ा रहा।
मानसी ने फिर बेड पर से दो ड्रेस उठाकर उसे दिखाए।
कौशल ने थोड़े गुस्से में पूछा, "ये तुम मुझे ड्रेस क्यों दिखा रही हो?"
मधु ने कौशल से कहा, "भाई, ध्यान से देखो और बताओ, यह दोनों ड्रेस में से सबसे अच्छा ड्रेस कौन सा है?"
कौशल ने गुस्से में कहा, "तुम दोनों ने मुझे इसलिए यहाँ बुलाया है? मेरा पूरा टाइम खराब कर दिया।"
तभी पीछे से साकेत की हँसने वाली आवाज आई, "अरे बहनों, तुम दोनों ने भी किसे अपनी ड्रेस सेलेक्ट करने के लिए बुला लिया?" वे तीनों पलटकर दरवाजे की तरफ देखते हैं। साकेत दरवाजे के पास खड़ा हँस रहा था।
मधु और मानसी जल्दी से साकेत का हाथ पकड़कर उसे अंदर लाते हुए बोलीं, "भाई, आप ही बता दो, इन दोनों में से कौन सा ड्रेस सबसे अच्छा है?"
साकेत बेड पर पसरते हुए बोला, "मुझसे मत पूछो। अभी मैं तुम्हारी भाभी का ड्रेस सेलेक्ट करके अपना दिमाग खराब कर चुका हूँ।"
कौशल बोला, "मैं जा रहा हूँ।" और जैसे ही वह दरवाजे की तरफ पलटा, उसे दरवाजे के पास कोई खड़ा दिखा और वह वहीं रुक गया।
कौशल दरवाज़े की ओर पलटा तो देखा, वहाँ कार्तिक खड़ा मुस्कुरा रहा था।
कौशल कार्तिक के पास आकर प्यार से बोला, "भाई आप।"
कार्तिक मुस्कुराकर कौशल की ओर देखा। यह देखकर मानसी और मधु को बहुत जलन हुई। कुछ देर पहले कौशल उनसे गुस्से में बात कर रहा था और कार्तिक को देखते ही उसका गुस्सा पल भर में कैसे गायब हो गया था।
मानसी धीरे से मधु से बोली, "देखो अभी हम पर कितना बिगड़ रहा था और कार्तिक के आते ही कैसे इसका गुस्सा गायब हो गया। शिवम और कौशल भाई दोनों ही कार्तिक भाई से बहुत ज़्यादा प्यार करते हैं। हम क्या, उनकी बहनें नहीं हैं?"
मधु धीमी आवाज़ में मानसी को चुप कराते हुए बोली, "ssssshhhh वर्ना वो सुन लेगा।"
कार्तिक फिर पीछे पलटकर बाहर की ओर देखते हुए बोला, "शिवम वहाँ क्या कर रहे हो? इधर आओ।" शिवम कार्तिक की ओर देखा और वह भी कमरे के अंदर आया।
मानसी ने शिवम की ओर देखा और कहा, "शिवम भाई आप हमारी मदद करेंगे क्या?"
उसकी बात सुनकर कौशल ने लंबी साँस ली और कहा, "चलो मैं तो बच गया।"
मधु ने शिवम को दोनों ड्रेस दिखाते हुए कहा, "भाई देखकर बताओ, यह दोनों में से सबसे सुंदर कौन सा है?"
शिवम ने दोनों ड्रेस की ओर ध्यान से देखा और कहा, "दोनों तो same ही लग रहा है मुझे।"
मानसी बोली, "ठीक से देखो।"
शिवम ने वापस ड्रेस की ओर ध्यान से देखा और कहा, "दोनों का कलर तो सेम ही है, मुझे तो कोई डिफरेंस नहीं लग रहा दोनों में।"
यह सुनकर मानसी चिढ़ते हुए बोली, "आप और कौशल भाई दोनों एक जैसे हो। आप दोनों से पूछना ही बेकार है।" वो फिर कार्तिक के पास आकर बोली, "कार्तिक भाई आप ही बताओ, क्या आपको इन दोनों ड्रेस में कुछ अलग दिख रहा है?"
कार्तिक भी ड्रेस को देखकर बोला, "मुझे भी सेम ही कलर दिख रहा है दोनों का।"
मधु मानसी से गुस्से में बोली, "ये सारे भाई एक जैसे हैं, इनसे तो पूछना ही बेकार है।"
मानसी मधु की ओर देखती है, फिर गुस्से में अपने तीनों भाइयों की ओर देखकर बोली, "ओके फाइन, कलर नहीं पूछ रही हूँ, बस इतना बता दो लेफ्ट वाला या राइट वाला।"
कौशल और शिवम अभी भी कन्फ्यूज़न में थे और दोनों ड्रेस की ओर देख रहे थे।
मानसी गुस्से में बोली, "आप दोनों मुझे बता रहे हो या नहीं? या तो मैं आज शाम को पार्टी में ही नहीं आऊँगी।"
यह सुनकर शिवम और कौशल जल्दी से एक साथ बोले, "राइट वाला।"
मानसी फिर अपने हाथ राइट हैंड की ड्रेस की ओर देखकर कन्फ्यूज़न से पूछती है, "पक्का मैं यही पहनूँ?"
शिवम और कौशल फिर से एक साथ हाँ बोले।
कार्तिक भी मानसी से बोला, "जब शिवम और कौशल ने इस ड्रेस के लिए हाँ बोल दिया है तो, मैं भी बोलता हूँ कि तुम आज पार्टी में यही ड्रेस पहनो।"
इतना बोलकर चारों भाई जल्दी से कमरे से बाहर निकल गए। उन्हें अपनी बहनों का मेलोड्रामा और नहीं देखना था।
साकेत हँसकर शिवम और कौशल की ओर देखकर पूछता है, "तुम दोनों ने एक ही ड्रेस कैसे चुन लिया?"
शिवम हँसकर बोला, "हमें पहले से पता था कि हमारी बहनों को लेफ्ट साइड वाला ड्रेस पसंद है, पर वह जानबूझकर हमसे पूछ रही थीं। इसलिए हमने भी उन्हें कन्फ्यूज़न में डाल दिया और जानबूझकर राइट साइड वाला ड्रेस कहा। पर वो तो पहनेंगी अपनी ही पसंद का।" यह सुनकर साकेत और कार्तिक दोनों हँसने लगे। चारों फिर लिविंग रूम में आकर बैठ गए।
दूसरी ओर, मानसी मधु से बोली, "देखा तुमने? दोनों भाइयों ने राइट साइड वाली ड्रेस चुना, पर मुझे तो लेफ्ट वाली ड्रेस पसंद है।"
इस पर मधु मानसी से बोली, "हाँ मुझे भी यह लेफ्ट साइड वाली ही पसंद है। इन आदमियों को थोड़ी पता है कि औरतों पर क्या अच्छा लगता है और क्या नहीं।"
मानसी खुश होकर बोली, "तो फिर ठीक है हम अपनी पसंद का ड्रेस पहनेंगे।" यह बोलकर मानसी ड्रेस को अलमारी के अंदर रख दिया।
मानसी फिर मधु से बोली, "तुमने देखा उन दोनों भाइयों ने एक जैसे ही जवाब दिया।"
मधु हँसते हुए बोली, "मुझे तो लगता है, कहीं शिवम और कौशल भाई को एक ही लड़की न पसंद आ जाए?"
इस पर मानसी भी उसका साथ देते हुए बोली, "हाँ और देखना उस लड़की को कार्तिक भाई उनके सामने से उड़ाकर ले जाएगा।" यह बोलकर दोनों बहनें जोर-जोर से हँसने लगीं।
मधु हँसते हुए बोली, "कार्तिक भाई को वही पसंद आता है जो शिवम और कौशल को पसंद आता है। जैसे अभी थोड़ी देर पहले शिवम और कौशल ने जो ड्रेस पसंद किया था कार्तिक ने भी उन दोनों का साथ देते हुए यही कहा कि उसे भी वो ड्रेस पसंद है और लास्ट में भी यही होगा। उन दोनों को जो लड़की पसंद आएगी, कार्तिक को भी वही लड़की पसंद आएगी और ये दोनों भाई कार्तिक को उस लड़की को दे देंगे। देखना यही होगा।"
दूसरी ओर, शिवांगी अबीर के सर का एक बाल तोड़ा।
अबीर अपने बालों को सहलाकर बोला, "यह तुम क्या कर रही हो?"
शिवांगी अबीर की ओर देखकर बोली, "मैं इस बाल को डीएनए टेस्ट के लिए भेजना चाहती हूँ। मैं देखना चाहती हूँ कि आप सच में मेरे भाई हो या नहीं।"
अबीर उसे हैरानी से देखकर पूछा, "यह क्या बकवास कर रही हो? तुम्हें नहीं पता हमारे माता-पिता एक-दूसरे से कितना प्यार करते हैं।"
शिवांगी उसे चिढ़ाते हुए बोली, "हाँ पर हो सकता है उन्होंने आपको गोद लिया हो।"
अबीर उसे गुस्से में देखता है और बोला, "रुक जा, तुझे मैं अभी बताता हूँ।" यह सुनकर शिवांगी अपने कमरे की ओर हँसते हुए भाग गई।
शाम का समय था।
सभी महेंद्र खुराना और कावेरी खुराना का हॉल में इंतजार कर रहे थे। जैसे ही महेंद्र खुराना और कावेरी खुराना सीढ़ियों से नीचे उतरे, सभी परिवार के सदस्य मुस्कुराकर उनका स्वागत करने लगे। वे दोनों बहुत ही खूबसूरत जोड़े लग रहे थे। दोनों अपना हाथ थामे, बड़े ही शान से सबके पास आ रहे थे। कावेरी जी ने साड़ी पहनी हुई थी और महेंद्र खुराना ने कोर्ट शर्ट और पैंट पहना हुआ था।
मनीष, राधिका, करिश्मा और आलोक सब मुस्कुरा कर उनके पैर छूते हैं और बड़े ही सम्मान के साथ बोले, "आप दोनों बहुत ही प्यारे लग रहे हैं।"
कावेरी जी मुस्कुरा कर अपने बच्चों का आशीर्वाद देती हुई बोलीं, "धन्यवाद।"
कौशल सीढ़ियों से नीचे आने लगा। तभी सबकी नज़र कौशल पर गई और सब देखकर हैरान रह गए। उसने थ्री पीस सूट पहना हुआ था, जिसमें वह बहुत ही ज़्यादा हैंडसम लग रहा था।
करिश्मा ने उसकी बड़ाई करते हुए कहा, "मेरा बच्चा कितना प्यारा लग रहा है।"
कौशल नीचे अपने दादा-दादी के पास आया और उनके पैर छुए। जैसा कि उसने पहली बार किया था, इसलिए यह देखकर सभी हैरान थे।
बाकी सब उसे देखकर सोच रहे थे कि कहीं यह बीमार तो नहीं है।
मानसी ने अपने भाई की तरफ देखकर धीरे से कहा, "वाह! मेरा हैंडसम और सेक्सी भाई। पार्टी में तो सभी लड़कियां उस पर मर ही मिटेंगी।" तभी मानसी के कंधे पर किसी का हाथ आया और मानसी घबराकर पीछे देखी तो करिश्मा गुस्से में मानसी को घूर रही थी।
करिश्मा ने उसकी बात सुन ली थी। करिश्मा ने मानसी को देखते हुए कहा, "मुझे लगता है मानसी, तुम्हें अनुशासन सीखाने की ज़रूरत है।"
मधु मानसी की मजबूरी पर बस हँस ही सकती थी। उसकी हिम्मत नहीं थी कि वह करिश्मा को कुछ बोल सके। तभी कौशल गिफ्ट बॉक्स आगे करते हुए बोला, "हैप्पी मैरिज एनिवर्सरी दादा और दादी जी।"
कावेरी जी प्यार से मुस्कुरा कर कौशल के सर पर हाथ फेरते हुए बोलीं, "थैंक यू बेटा, थैंक यू सो मच।" वह फिर अपने पति महेंद्र खुराना की तरफ देखती हैं। उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। वो कौशल के हाथ से गिफ्ट लेते हैं और साइड सोफे पर रखकर कौशल को जाकर गले लगा लेते हैं। यह देखकर कौशल भी मुस्कुरा देता है।
यह देखकर घर के सभी परिवार के सदस्य हैरान भी थे और खुश भी थे क्योंकि 1 साल बाद महेंद्र खुराना ने कौशल को गले लगाया था। वह कौशल की बुरी आदतों से परेशान थे, इसलिए उन्होंने कौशल से बात करना छोड़ दिया था और कभी कौशल ने भी अपने दादा जी से बात करने की कोशिश नहीं की थी। आज 1 साल बाद उन दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया था।
दूसरी तरफ,
अबीर शिवांगी के कमरे में आया और उसके हाथ में दो टाई थीं। उसने शिवांगी को दिखाते हुए पूछा, "बताओ, लेफ्ट वाली या राइट वाली?"
शिवांगी ने दोनों टाई की तरफ देखा और बोली, "लेफ्ट वाली।"
अबीर ने लेफ्ट टाई की तरफ देखा और अपने गले में राइट टाई बाँधने लगा।
शिवांगी ने यह देखा तो उससे चिढ़ते हुए बोली, "मुझे मालूम था, मैं जो पसंद करूँगी, आप वह पहनेंगे ही नहीं। तो हर बार मुझसे पूछने के लिए क्यों आते हैं?"
इस पर अबीर अपने चेहरे पर शैतानी मुस्कान लिए बोला, "हाँ, क्योंकि मैं जानता हूँ, तुम्हारी चॉइस हमेशा से बुरी होती है।"
शिवांगी ने गुस्से में अपने बेड का तकिया उठाकर उसकी तरफ फेंका और दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। अबीर मुस्कुराता हुआ वहाँ से चला गया।
थोड़ी देर बाद, अबीर और उसके माता-पिता हॉल में शिवांगी का इंतजार कर रहे थे।
आशा जी ने अबीर से पूछा, "कुछ देर पहले तुम दोनों की आवाज़ें आ रही थीं, क्या हो रहा था?"
अबीर मुस्कुराते हुए बोला, "मॉम, कुछ नहीं, वही हम दोनों की प्यार वाली फ़ाइट।"
तभी शिवांगी सीढ़ियों से नीचे उतरती है। सबकी नज़र उस पर जम सी जाती है। शिवांगी ने बहुत ही सुंदर गाउन ड्रेस पहना हुआ था, जिसमें वह बहुत ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी।
निर्मल जी शिवांगी के पास आकर उसे प्यार से बोले, "वाह! हमारी प्रिंसेस तो आज सच में प्रिंसेस लग रही है।"
अबीर भी मुस्कुराकर शिवांगी के पास आकर बोला, "तुम आज बहुत ज़्यादा खूबसूरत लग रही हो।"
इस पर शिवांगी भी मुस्कुरा कर अपने भाई के गले लगकर बोली, "भाई, आप भी बहुत ज़्यादा हैंडसम लग रहे हो। आप वर्ल्ड के बेस्ट ब्रदर हो।"
अबीर मुस्कुराकर बोला, "और तुम वर्ल्ड की बेस्ट सिस्टर।"
निर्मल और आशा जी दोनों को मुस्कुराकर देखते हैं और बोलते हैं, "अच्छा, अब चलें, लेट हो रहा है।"
वे सब फिर पार्टी के लिए निकल पड़ते हैं।
दूसरी तरफ, खुराना मेंशन में,
कौशल एक कॉल का बहाना करके बाहर आ गया और गार्डन में बने एक बेंच पर जाकर बैठ गया। वह आकाश की तरफ देखकर सोचने लगा। उसके चेहरे पर दुख के भाव साफ़-साफ़ नज़र आ रहे थे। वह आकाश की तरफ देखकर बोला, "मुझे माफ़ कर दीजिए दादा जी, मैं आपकी सोच का उल्टा निकला। आपने मुझसे क्या-क्या उम्मीदें की थीं और मैंने आपकी सारी उम्मीदें तोड़ दीं। पर मैं कोशिश करूँगा कि आपको अब कभी भी शिकायत का मौका ना दूँ। मुझे खुशी है कि आपको मेरा गिफ्ट पसंद आया। मैंने हमेशा आपको दुखी किया है, इसके लिए प्लीज़ मुझे माफ़ कर दीजिए दादा जी।" यह बोलकर वह आसमान में भरे तारों को देख रहा था और उसकी आँखें नम थीं।
खुराना परिवार के लिविंग रूम में कार्तिक नीचे आया। उसने प्रिंस कोर्ट और कुर्ता पजामा पहना हुआ था, जिसमें वह बहुत ही ज्यादा हैंडसम लग रहा था।
वह अपना गिफ्ट आगे करके अपने दादा-दादी के गले लगते हुए बोला, "हैप्पी एनिवर्सरी दादा और दादी जी! ये मेरा गिफ्ट आप लोगों के लिए।"
वह दोनों कार्तिक के गले लगकर उसे धन्यवाद बोले।
कावेरी कार्तिक के गाल में प्यार से हाथ फेर कर पूछी, "क्या मैं तुम्हारा गिफ्ट खोलकर देखूँ?"
कार्तिक बोला, "हाँ दादी माँ, आप खोलो।"
कावेरी फिर कार्तिक का गिफ्ट खोला। उसमें बहुत ही खूबसूरत सा डिजाइनर साड़ी और साथ में डायमंड का, साड़ी से मैचिंग ज्वेलरी भी था।
कावेरी कार्तिक के गले लगकर बोली, "थैंक यू सो मच बेटा, बहुत ही खूबसूरत गिफ्ट है।"
महेंद्र खुराना फिर अपना गिफ्ट खोला। उसमें एक घड़ी थी जिसमें बहुत सारे बटन बने हुए थे।
महेंद्र खुराना फिर कार्तिक की तरफ देखकर पूछे, "ये क्या है?"
कार्तिक मुस्कुरा कर बोला, "दादा जी, इस घड़ी में ट्रैकर फीचर है, जिससे आप कभी भी दादी जी जहाँ भी हों, आप पता लगा सकते हैं। दादी जी जब आपकी नज़रों से दूर हो जाती हैं तो आप घबरा जाते हैं ना, इसलिए मैंने यह डिवाइस खास आपके लिए बनाया है।"
फिर कार्तिक मजाकिया अंदाज़ में सबकी तरफ देखकर बोला, "अब दादाजी हमें परेशान नहीं करेंगे दादी जी के न मिलने से। अब वो दादी जी को खुद ही इस डिवाइस से खोज लेंगे।"
यह सुनकर महेंद्र खुराना हँसते हुए कार्तिक को अपने गले लगाकर बोले, "यह मेरे लिए आज तक का सबसे अच्छा गिफ्ट है। तुमने मेरी सारी प्रॉब्लम दूर कर दी।"
कार्तिक अपने दादाजी की तरफ देखकर बोला, "दादा जी, आपको यह हर समय पहनना होगा।"
महेंद्र खुराना मुस्कुरा कर बोले, "अरे हाँ, क्यों नहीं? आखिर मेरे प्यारे पोते ने मुझे इतना अच्छा गिफ्ट दिया है।" और यह बोलकर वे अपनी पत्नी कावेरी की तरफ देखते हैं।
कावेरी महेंद्र खुराना की तरफ अजीब नज़रों से देखती है और मन में सोचती है, "ये कार्तिक ने क्या फँसा दिया! अब तो इनकी नज़र हर वक़्त मुझ पर ही रहेगी। अब तो इनसे बचने का कोई रास्ता नहीं छोड़ा कार्तिक ने।"
मनीष खुश होकर कार्तिक के कंधे पर हाथ रखकर बोला, "ये तुमने बहुत ही अच्छा गिफ्ट दिया कार्तिक। अब माँ नहीं मिलेगी तो पापा हमें परेशान नहीं करेंगे। अब ये खुद ही माँ को खोज लिया करेंगे।"
यह सुनकर सब हँस दिए। फिर सब कार से पार्टी वाली जगह के लिए निकल पड़े।
दूसरी तरफ, शिवांगी की कार रेड सिग्नल पर आकर रुकी। वह कार के बाहर देखती है तो उसके बगल वाली कार में उसे शिवम दिखता है, जो किसी से बात कर रहा था।
शिवांगी यह देखकर जल्दी से अपने होठों पर हाथ रखकर धीरे से बड़बड़ाती हुई बोली, "अरे ये तो वही है।"
अबीर शिवांगी की तरफ देखकर बोला, "क्या हुआ? खुद से क्या बातें कर रही है?" तभी सिग्नल ग्रीन हो जाता है और कार चल पड़ती है।
शिवांगी फिर खुद में सोचते हुए धीरे से बोली, "पर वो किस औरत से बात कर रहा था? वो तो उससे उम्र में बहुत ज़्यादा लग रही थी।"
अबीर फिर शिवांगी की तरफ देखकर बोला, "फिर से तू खुद में बातें करने लगी।"
शिवांगी अबीर से पूछती है, "एक बात बताओ भाई, क्या आप खुद से ज़्यादा उम्र की औरत के साथ डेट पर जाना पसंद करेंगे?"
अबीर मुस्कुरा कर बोला, "हाँ, उम्र से क्या फ़र्क पड़ता है? बस प्यार सच्चा होना चाहिए।"
अबीर फिर शिवांगी से पूछता है, "क्यों तुम अपने से बड़े आदमी के साथ डेट पर नहीं जाना चाहोगी?"
शिवांगी अबीर की तरफ देखकर बोली, "जी नहीं, मैं उसके साथ डेट पर जाऊँगी, जिससे मैं प्यार करूँगी।"
अबीर शिवांगी की तरफ देखकर बोला, "तुम बहुत ही बोरिंग हो। मैं तो अपने से 10 साल की बड़ी उम्र की लड़की के साथ डेट पर जाना पसंद करूँगा।"
शिवांगी अबीर की तरफ गुस्से में घूरकर देखते हुए बोली, "भाई, आपकी चॉइस कितनी बेकार है!"
अबीर शिवांगी की तरफ देखकर बोला, "जी नहीं, मेरी चॉइस बेकार नहीं है, बल्कि तुम्हारा दिमाग ही बेकार हो गया है।"
आशा दोनों को डाँटते हुए बोली, "चुप करिए आप दोनों! अब यहाँ कार में झगड़ा स्टार्ट मत कर दीजिए।" आशा की आवाज़ सुनकर दोनों चुप हो जाते हैं।
खुराना परिवार की शादी की सालगिरह एक बहुत ही बड़े होटल में रखी गई थी। बहुत सारे बड़े-बड़े बिज़नेसमैन, मीडिया, सुपरस्टार सबको बुलाया गया था। मीडिया वाले रोड के तरफ़ खड़े थे और धीरे-धीरे कारें आकर होटल के बाहर रुकने लगीं। सारे मीडिया वाले सबकी तस्वीरें लेने लगे।
थोड़ी देर बाद खुराना परिवार की गाड़ियाँ भी आकर रुकीं।
महेंद्र खुराना और उनकी पत्नी कावेरी खुराना के साथ उनके परिवार वाले कार से उतरे। सारे मीडिया वाले उनकी तस्वीरें लेने लगे और बॉडीगार्ड्स मीडिया वालों को वहाँ से हटा रहे थे। वह सब फिर अंदर चले गए। अंदर बड़े-बड़े झूमर लगे हुए थे, चारों तरफ़ लग्ज़रीअस सामान और बहुत सारी चीज़ें थीं। बहुत सारे VIP गेस्ट से हॉल भरा हुआ था। सारे मीडिया वालों को बस शिवम के आने का इंतज़ार था, वही एक था जो अभी तक नहीं आया था।
थोड़ी देर बाद शिवांगी की कार भी आकर रुकी। वे सब भी उतरकर हॉल के अंदर गए। मनीष और आलोक ने निर्मल अहूजा को गले लगाकर कहा, "आपका वेलकम है! हमें बहुत खुशी हुई कि आप लोग यहाँ आए।"
निर्मल आहूजा मुस्कुराकर बोले, "हमें तो आना ही था ना, हम भी इन्हें अपने माता-पिता जैसा ही समझते हैं।"
मनीष जी मुस्कुराकर बोले, "आइए मां-पापा से मिल लीजिए।"
महेंद्र और कावेरी खुराना उस समय मेहमानों से घिरे हुए थे। मनीष, निर्मल आहूजा को उनके परिवार के साथ लेकर उनके पास आते हुए बोले, "मां-पापा, देखें कौन आया है?"
महेंद्र खुराना उनकी तरफ देखकर मुस्कुराए और उनके गले लगते हुए बोले, "अरे निर्मल, तुम आ गए।"
निर्मल आहूजा भी मुस्कुराकर महेंद्र खुराना के गले लगकर बोले, "कैसे हो आप बाबूजी?"
महेंद्र खुराना मुस्कुराकर बोले, "मैं बिल्कुल ठीक हूँ।" फिर वो आशा की तरफ देखकर बोले, "आशा बेटा, तुम कैसी हो?"
वह मुस्कुराकर उनका पैर छूकर बोली, "मैं भी ठीक हूँ बाबूजी।"
आशा फिर शिवांगी की तरफ इशारा करके बोली, "ये मेरी बेटी शिवांगी और यह मेरा बेटा अबीर।"
महेंद्र खुराना दोनों की तरफ देखकर मुस्कुरा दिए। वो शिवांगी को देखकर बोले, "ये कितनी बड़ी हो गई है! 8 साल के बाद इसे देख रहा हूँ।" और अबीर के सर पर हाथ रखकर बोले, "और ये है जूनियर आहूजा! बिल्कुल अपने पापा की तरह दिखता है।" यह सुनकर अबीर मुस्कुरा दिया। अबीर और शिवांगी फिर कावेरी खुराना के भी पैर छूकर गले लगे।
वो सब आपस में बातें कर रहे थे। तभी एक हैंडसम सा आदमी हॉल में प्रवेश किया। उसने ब्लैक कलर का सूट पहना हुआ था। उसे देखकर मीडिया वाले उसकी तरफ दौड़ पड़े और हॉल के दूसरे मेहमान भी खामोश होकर उसकी तरफ देखने लगे।
अबीर और शिवांगी भी आपस में बात कर रहे थे। जब उन्होंने सारे मेहमानों की तरफ देखा, तो वे भी बाहर दरवाजे की तरफ देखने लगे। तभी शिवांगी ने धीरे से कहा, "Oh no, ये यहां क्या कर रहा है?"
इस पर अबीर मुस्कुराते हुए बोला, "मैंने तुमसे कहा था ना कि ये बहुत बहुत अमीर दिखता है। ज़रूर इसका खुराना परिवार से कोई संबंध होगा, इसलिए ये यहां आया है।"
हॉल में प्रवेश करते ही सारे मेहमान शिवम से मिलने लगे। शिवम भी मुस्कुराकर सबसे मिला। उसने अपने charming look के कारण सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया था, और खासकर हॉल में मौजूद जितनी भी लड़कियाँ थीं, सबकी नज़र शिवम पर ही टिकी हुई थी।
शिवम ने अपने दादाजी के बगल में खड़ी शिवांगी की तरफ देखा और मुस्कुरा दिया। फिर वह अपने दादाजी की तरफ आने लगा।
तभी अबीर ने धीरे से शिवांगी से कहा, "मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि वो तुम्हें देख रहा है?"
शिवांगी अबीर की तरफ देखकर बोली, "ऐसा कुछ नहीं है भाई, आपको कुछ ज़्यादा ही लगता है।"
वह फिर शिवम की तरफ देखती है, जो अपने दादाजी की तरफ आ रहा था, पर उसका पूरा ध्यान शिवांगी की ही तरफ था। यह देखकर शिवांगी अपनी नज़रें फेर लेती है।
अबीर फिर से मुस्कुराकर बोला, "पर देखो शिवांगी, वो कब से तुम्हें ही घूर रहा है।"
शिवांगी फिर से शिवम की तरफ देखती है। अबीर फिर धीरे से शिवांगी के कान में बोला, "देखो-देखो, अच्छे से देखो। मुझे ऐसा लगता है, मुझे बहुत ही जल्द एक जीजा मिलने वाला है।"
शिवांगी ने अपने भाई की बातों को पूरी तरह से अनसुना कर दिया।
वहीं दूसरी तरफ मधु और मानसी भी आपस में बातें कर रही थीं। मधु मानसी से बोली, "देखो, भाई के आते ही सारी लड़कियों की नज़र हमारे हैंडसम भाई पर ही टिक गई है।"
मधु की बात सुनकर मानसी अपने चारों तरफ देखकर बोली, "थैंक गॉड, यहां हमारे अलावा कोई नहीं है, वरना मुझे फिर से डांट पड़ता।"
मधु मानसी की बात सुनकर मुस्कुराकर बोली, "यहां अगर कौशल भाई आते, तो लड़कियां तो पागल ही हो जातीं हमारे दो हैंडसम भाइयों को देखकर।"
तभी मानसी अपने चारों तरफ देखकर बोली, "पर कौशल भाई कहाँ है? आए तो साथ में थे।"
इस पर मधु बोली, "अरे, उन्हें ऐसी पार्टी वाली, भीड़-भाड़ वाली जगह नहीं पसंद है। होंगे कहीं अकेले अपनी एक पैकेट सिगरेट की बलि दे दी होगी अब तक।"
तभी शिवम अपने दादा-दादी के पास आकर उनका पैर छूते हुए बोला, "हैप्पी एनिवर्सरी दादा और दादी जी।"
उसके मुँह से 'दादा-दादी' सुनकर अबीर और शिवांगी हैरानी से शिवम की तरफ देखने लगे।
अबीर मुस्कुराकर शिवांगी के कान में बोला, "मैंने कहा था ना, इसका संबंध ज़रूर खुराना परिवार से होगा। लो, ये तो खुराना परिवार का पोता निकला।"
इस पर शिवांगी उसे कुछ नहीं बोली। उसका ध्यान अभी भी शिवम के ऊपर था।
कावेरी शिवम के पास आकर उसका कान खींचकर बोली, "तू कहाँ था इतनी देर से?"
शिवम मुस्कुराकर बोला, "दादी मां, मैं काम में बिजी था।"
इस पर महेंद्र खुराना उसे देखकर बोले, "कहीं तुम मेरा गिफ्ट रेडी करने में बिजी तो नहीं थे ना? तुम्हें मालूम है ना मुझे क्या चाहिए?"
शिवम मुस्कुराकर उनकी तरफ देखकर बोला, "दादा जी, मैंने कहा ना आपको आपका गिफ्ट देर-सवेर मिल ही जाएगा।"
शिवांगी शिवम की तरफ देखकर धीरे से बोली, "झूठा कहीं का! अभी थोड़ी देर पहले उस कार में किसी लड़की के साथ था और यहां बोल रहा है कि मैं काम में बिजी था।"
महेंद्र खुराना मुस्कुराकर बोले, "इनसे मिलो, ये हैं मेरे दोस्त निर्मल, ये उनकी पत्नी आशा, ये उनका बेटा अबीर और उनकी बेटी शिवांगी।"
शिवम मुस्कुराकर निर्मल और आशा के पैर छुए, अबीर को गले लगाया और शिवांगी को मुस्कुराकर 'हेलो' बोलकर उसकी आँखों में देखा।
महेंद्र खुराना ने मुस्कुराकर शिवम से पूछा, "तुम्हें ये दोनों याद हैं? ये बचपन में हमारे मेंशन में आते थे।" शिवम जिसकी नज़र अभी भी शिवांगी पर ही टिकी हुई थी, वह बस एकटक उसे ही निहार रहा था और शिवांगी उससे बार-बार अपनी नज़रें चुरा रही थी क्योंकि वह जब भी शिवम की आँखों में देखती थी, तो उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगता था।
महेंद्र खुराना ने जब शिवम को अबीर और शिवांगी से मिलवाया, तो शिवम ने यह बात ज़ाहिर नहीं की कि वह इनसे पहले मिल चुका है, और न ही शिवांगी या अबीर ने ऐसा किया। वे तीनों ऐसे मिले जैसे एक-दूसरे को पहली बार देख रहे हों।
होटल के मैनेजर ने माइक लेकर महेंद्र खुराना और कावेरी खुराना की एनिवर्सरी के अवसर पर एक मज़ेदार भाषण दिया, जिसे सुनकर सभी मुस्कुरा दिए। थोड़ी देर बाद, होटल के स्टाफ ने बड़ी सी केक लाकर टेबल पर रख दिया।
महेंद्र और कावेरी खुराना ने केक काटा और सबने उन्हें विश किया। थोड़ी देर बाद, मैनेजर ने अनाउंसमेंट किया कि कपल के लिए डांस फ़्लोर खुल चुका है। जो भी इच्छुक है, वह स्टेज पर आकर डांस कर सकता है। यह सुनकर महेंद्र और कावेरी डांस फ़्लोर पर गए और बहुत ही खूबसूरत डांस करने लगे। उन्हें देखकर खुराना परिवार के दूसरे जोड़े भी अपनी-अपनी पत्नियों को लेकर स्टेज पर आकर डांस करने लगे।
पार्टी में मौजूद दूसरी लड़कियों की नज़र शिवम पर ही थी कि वह किस लड़की के साथ डांस करेगा। आमतौर पर शिवम किसी भी लड़की के साथ डांस नहीं करता था। डांस के समय वह या तो अपने परिवार के साथ रहता था, या अकेला चेयर पर बैठा रहता था, या कमरे में चला जाता था। तभी एक खूबसूरत सी लड़की शिवम के पास आकर अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए प्यार से पूछती है,
"मिस्टर शिवम खुराना, क्या आप मेरे साथ डांस करना चाहेंगे?"
आवाज़ सुनकर भी शिवम उस लड़की की तरफ़ देखता है। वह लड़की बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत थी कि कोई भी लड़का उसे देखे तो उसके प्यार में पड़ सकता था।
शिवम ग्लास का ड्रिंक पीते हुए बोला,
"नहीं।"
इतना बोलकर वह शिवांगी की तरफ़ देखने लगता है। शिवांगी उस समय डांस फ़्लोर के पास अपने भाई के साथ खड़ी थी और सभी जोड़ों को डांस करते हुए देखकर मुस्कुरा रही थी। मुस्कुराते समय उसके चेहरे पर डिंपल पड़ रहे थे, जिसे शिवम बड़े ही ध्यान से देख रहा था।
वह लड़की गुस्से में शिवम की तरफ़ देखती है और वहाँ से चली जाती है। तभी अबीर शिवांगी की तरफ़ अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए पूछता है,
"तो बहन, डांस करोगी मेरे साथ?"
शिवांगी हँसकर हाँ में सिर हिलाती है और अबीर के साथ डांस फ़्लोर पर चली जाती है। शिवांगी और अबीर के माता-पिता भी डांस फ़्लोर पर आते हैं और डांस करने लगते हैं। शिवम ड्रिंक पीते समय शिवांगी को ही देख रहा था, तभी उसे कुछ अजीब दिखा। वह अपना ग्लास टेबल पर रखकर शिवांगी की तरफ़ चला जाता है।
डांस करते समय अबीर का फ़ोन अचानक बजता है। वह शिवांगी को देखकर बोलता है,
"Important कॉल है।"
इतना बोलकर वह वहाँ से चला जाता है।
शिवांगी डांस फ़्लोर से बाहर आने वाली होती है कि शिवम अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए उसकी तरफ़ देखकर पूछता है,
"क्या तुम मेरे साथ डांस करोगी?"
शिवांगी हैरानी से शिवम की तरफ़ देखने लगती है। वह उसकी बात मानकर हाँ बोलती है और अपना हाथ उसके हाथ पर रख देती है। शिवम मुस्कुराकर उसके साथ डांस करने लगता है। यह देखकर वहाँ मौजूद सारी लड़कियाँ हैरानी से शिवांगी की तरफ़ देखने लगती हैं, और वह लड़की भी, जिसने थोड़ी देर पहले शिवम से डांस के लिए पूछा था पर उसने मना कर दिया था। शिवांगी को देखकर उसके चेहरे पर गुस्सा साफ़-साफ़ नज़र आने लगता है।
शिवम शिवांगी की कमर पर अपना एक हाथ रखता है, जिससे शिवांगी के शरीर में झनझनाहट सी दौड़ पड़ती है। उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह शिवम की तरफ़ नज़र उठाकर देखे। उसे बहुत शर्म भी आ रहा था। शिवम भी अच्छी तरह से शिवांगी की झिझक को समझ रहा था। वह शिवांगी की कमर पकड़कर उसे अपने करीब खींच लेता है, जिससे शिवांगी का सिर उसके सीने से टकराता है। शिवांगी को शिवम के दिल की धड़कन साफ़-साफ़ सुनाई देने लगती है। उसी समय लाइट बहुत स्लो हो जाता है और बहुत ही ज़्यादा रोमांटिक म्यूज़िक बजने लगता है।
जैसे ही शिवम ने शिवांगी को अपने इतने करीब खींचा, तो शिवांगी पूरा अंदर तक कांप गई। वह शिवम के कपड़ों से परफ़्यूम की खुशबू साफ़-साफ़ महसूस कर पा रही थी। उसे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है उसके साथ। वह बस उसके एहसास में खो रही थी।
डांस करते-करते शिवम शिवांगी को डांस फ़्लोर के दूसरी तरफ़ ले जाता है जहाँ बहुत ही स्लो लाइट था, वहाँ ज़्यादा भीड़ नहीं थी और लोगों का ध्यान भी उनकी तरफ़ से अब हट चुका था।
शिवम अपना हाथ शिवांगी की पीठ की तरफ़ करने लगता है। शिवांगी यह देखकर चौंक जाती है और उससे दूर हटने की कोशिश करती है।
यह देखकर शिवम उसके कान में आकर धीरे से बोलता है,
"जैसे खड़ी हो, वैसे ही खड़ी रहो।"
शिवांगी शिवम की गर्म साँस अपने कान में महसूस करने लगती है, जिससे उसकी भी दिल की धड़कन और तेज हो जाती है। वह अब एक जगह बिना कुछ बोले चुपचाप खड़ी हो गई और शिवम की तरफ़ देखने लगती है। शिवम फिर अपना हाथ उसके पीठ की तरफ़ ऊपर की ओर ले जाने लगता है।
शिवांगी बस शिवम की आँखों में देख रही थी और शिवम भी शिवांगी की आँखों में देख रहा था। शिवांगी के दोनों हाथ शिवम के सीने पर थे। शिवम उसकी आँखों में देखते हुए उसके ड्रेस का चैन, जो पीछे से खुला हुआ था, उसे ऊपर की तरफ़ कर देता है। यह एहसास होते ही शिवांगी अपनी आँखें बंद कर लेती है। उसने अपने पीठ पर शिवम की उंगलियों का स्पर्श महसूस कर लिया था।
थोड़ी देर बाद शिवांगी अपनी आँखें खोलकर शिवम की तरफ़ देखकर बोलती है,
"जब हम बच्चे थे, तब मैंने तुम्हें आखिरी बार देखा था, और अब हम..."
वह इतना ही बोली थी कि शिवम उसके कान के पास आकर धीरे से बोलता है,
"अब हम बड़े हो गए हैं, यही बोलना है ना?"
शिवांगी क्या बोल रही थी, उसे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था। वह अपनी नज़रें दूसरी तरफ़ कर लेती है। शिवम की साँसें उसके दिल की धड़कनों को बढ़ा रही थीं।
शिवम मुस्कुराकर उसकी तरफ़ देखकर बोलता है,
"तुम पहले से बहुत ज़्यादा खूबसूरत हो गई हो।"
शिवांगी शिवम की तरफ़ देखकर धीरे से बोलती है,
"वो... मैंने ध्यान नहीं दिया था कि मेरे ड्रेस का चैन पीछे से खुला हुआ है।"
शिवम शिवांगी की तरफ़ देखकर बोलता है,
"क्या तुम घबराई हुई हो?"
शिवांगी उसे ना में जवाब देती है।
शिवम मुस्कुराकर बोलता है,
"तो मुझे तुम्हारे दिल की धड़कन यहाँ तक कैसे सुनाई दे रही है?"
उसकी बात सुनकर शिवांगी उसके सीने से अपना हाथ हटा लेती है और अपने दोनों हाथों को पीछे करके रगड़ने लगती है कि उसे यह बात कैसे पता चली?
शिवांगी फिर शिवम की तरफ़ देखकर पूछती है,
"क्या तुम भी घबराए हुए हो?"
शिवम उसकी बात सुनकर हैरानी से उसकी तरफ़ देखने लगता है।
शिवांगी मुस्कुराकर बोलती है,
"मैंने जब अपना हाथ तुम्हारे सीने पर रखा था, तो तुम्हारे दिल की धड़कन बुलेट ट्रेन से भी तेज दौड़ रही थी।"
शिवम मुस्कुराकर अपने होंठों को उसके कान के पास लाकर धीरे से बोलता है,
"ऐसा इसलिए है क्योंकि...?"
शिवांगी उसके आगे बोलने का इंतज़ार करने लगती है।
शिवम उसके कान पर किस करके प्यार से बोलता है,
"क्योंकि मैं जब भी तुम्हें देखता हूँ, तो मेरे दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं।"
उसके किस करते ही शिवांगी तो जैसे साँस लेना ही भूल जाती है। वह सब कुछ भूलकर बस एकटक उसे ही देखने लगती है।
शिवम फिर उसकी तरफ़ देखता है और उसके माथे पर किस करके बोलता है,
"साँस तो ले लो।"
उसकी बात सुनकर शिवांगी होश में आती है। उसी समय म्यूज़िक ऑफ़ होता है और शिवांगी गहरी साँस लेती है। शिवम उसका हाथ पकड़कर डांस फ़्लोर के बाहर लाता है।
कार्तिक शिवम की तरफ़ आता है और शिवांगी को देखने लगता है।
शिवम मुस्कुराकर बोलता है,
"यह शिवांगी है, मेरी बचपन की दोस्त।"
कार्तिक ने कोई जवाब नहीं दिया। तभी अबीर, मानसी और मधु भी वहाँ आ गए।
अबीर ने शिवम की तरफ़ देखकर कहा,
"थैंक यू मेरी बहन के साथ डांस करने के लिए। एक Important कॉल आ गया था, इसलिए मुझे जाना पड़ा।"
मधु शिवम और शिवांगी की तरफ़ देखकर बोलती है,
"आप दोनों ने बहुत ही अच्छा डांस किया।"
मानसी मुस्कुराकर शिवांगी की तरफ़ देखकर बोलती है,
"यह पहली बार था जब भाई किसी को डांस फ़्लोर पर ले गए थे।"
मानसी की बात सुनकर शिवांगी हैरानी से शिवम की ओर देखी। शिवम उसकी ओर देखकर सिर हिलाया और बोला, "हाँ, ये सच है। मैंने पहली बार किसी लड़की के साथ डांस किया है।"
कार्तिक गुस्से में शिवांगी की ओर देख रहा था। उसका पहले दिल टूट चुका था, इसलिए वह नहीं चाहता था कि कोई लड़की उसके भाई का भी दिल तोड़े।
शिवांगी ने भी कार्तिक की ओर एक नज़र देखी, जो उसे गुस्से से देख रहा था। शिवांगी ने अपनी नज़रें फेर लीं और अपने भाई अबीर का हाथ पकड़कर उसे वहाँ से ले गई। वे दोनों एक टेबल के पास बैठ गए।
शिवांगी ने गुस्से में अबीर से कहा, "देखा भाई, वो कितना अजीब आदमी है! मुझे कैसे गुस्से में घूर रहा था।"
"कौन? कार्तिक?" अबीर ने उसकी बात सुनकर पूछा।
शिवांगी ने उसे देखते हुए कहा, "हाँ, ऐसे घूर कर देख रहा था जैसे मैंने कोई गलती कर दी हो, उसके भाई के साथ डांस करके।"
अबीर मुस्कुराकर बोला, "ये बातें छोड़ो। ये बताओ क्या तुम्हें डांस करके मज़ा आया? तुमने उसके साथ डांस किया जिसके साथ हर लड़की डांस करने को तरसती है।"
शिवांगी उस समय बहुत गुस्से में थी। उसे भी समझ में नहीं आ रहा था कि क्यों उसे इतना गुस्सा आ रहा है।
अबीर उसके चेहरे की ओर देखकर बोला, "शांत हो जाओ मेरी प्यारी बहन, वर्ना तुम्हारा गुस्सा देखकर दुबारा कोई भी तुम्हें डांस के लिए नहीं पूछेगा।"
"मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता," शिवांगी ने उसकी ओर देखते हुए गुस्से में कहा।
अबीर मुस्कुराते हुए बोला, "पर मुझे पड़ता है। मुझे लगता है तुम्हें एक बॉयफ्रेंड बना लेना चाहिए, और यहाँ शिवम से अच्छा तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड हो ही नहीं सकता।" शिवांगी ने उसकी बात सुनकर शिवम की ओर देखा, जो अपनी बहनों और भाई से बात कर रहा था, पर उसकी नज़र अभी भी शिवांगी पर ही टिकी हुई थी। शिवांगी उसकी नज़रों को देखकर बहुत असहज महसूस कर रही थी।
शिवांगी अपनी जगह से उठकर बाहर गार्डन की ओर जाने लगी। वह बस थोड़ी सी ताज़ी हवा खाना चाहती थी। जब वह गार्डन में आई, तो देखा कि एक पेड़ के नीचे एक आदमी खड़ा सिगरेट पी रहा था। वह उस आदमी का चेहरा नहीं देख पा रही थी क्योंकि वह उससे थोड़ी दूरी पर था। शिवांगी ने थोड़ी देर रुककर उसे वापस देखने की कोशिश की। उस आदमी ने फिर दूसरी सिगरेट निकालकर लाइटर से जलाकर पीनी शुरू कर दी। शिवांगी ने यह देखकर अपनी नज़रें फेर लीं और दूसरी ओर देखने लगी।
शिवांगी फिर एक बेंच पर बैठकर शिवम के बारे में सोचने लगी। थोड़ी देर सोचने के बाद उसने फिर से उसी पेड़ के पास अपनी नज़र घुमाई। तो देखा, वह आदमी जो कुछ देर पहले पेड़ के नीचे खड़ा था, अब वहाँ नहीं था। शिवांगी ने फिर अपने चारों तरफ देखा तो वह आदमी कुछ बेंचों से दूर बैठा सिगरेट पी रहा था।
शिवांगी ने उसकी ओर अजीब नज़रों से देखकर कहा, "कितना अजीब आदमी है! कब से सिगरेट पी रहा है।" यह बोलकर उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और ठंडी हवा को अपने शरीर में महसूस करने लगी। तभी उसे किसी की आहट सुनाई दी और उसने आँखें खोलकर नज़र उठाई तो उसके पीछे शिवम खड़ा था।
शिवांगी ने हैरानी से शिवम की ओर देखा, जो उसके पीछे ही खड़ा था। शिवांगी उसकी ओर देखकर बोली, "तुम यहाँ क्या कर रहे हो?"
शिवम उसके पास बैठकर बोला, "वो ज़रूरी नहीं है। पहले ये बताओ क्या तुम देख सकती हो मेरे पीछे आती हुई लड़की को?"
शिवांगी पीछे की ओर देखी। यह वही लड़की थी जिसने कुछ देर पहले शिवम को डांस के लिए पूछा था, पर शिवम ने उसे मना कर दिया था। वह अपने हाथ में दो कॉकटेल के गिलास लेकर शिवम की ओर ही आ रही थी।
शिवांगी ने उस लड़की की ओर देखते हुए शिवम से कहा, "हाँ, नीली ड्रेस में एक लड़की है, जो हमारी तरफ ही आ रही है।"
शिवम शिवांगी की ओर देखकर बोला, "वो कितने पास आ चुकी है? मतलब क्या वो हमें देख सकती है?"
शिवांगी अभी भी उस लड़की की ही ओर देख रही थी। उसने उसे देखते हुए ही जवाब दिया, "हाँ, वो करीब आ चुकी है।"
शिवम शिवांगी के कान में बोला, "अब हिलना मत।"
"मतलब?" शिवांगी ने उसकी ओर देखते हुए पूछा।
इससे पहले कि शिवांगी कुछ समझ पाती, शिवम ने अपना एक हाथ उसके सर के पीछे रख दिया और दूसरा हाथ उसकी कमर पर रखकर उसे अपने करीब खींच लिया। फिर उसने उसके होठों पर अपने होठ रखकर किस करना शुरू कर दिया। उसके अचानक किस करने से शिवांगी की आँखें बड़ी हो गईं। वह उसे खुद से दूर करने की कोशिश करने लगी, पर शिवम की पकड़ बहुत मज़बूत थी।
शिवम शिवांगी के बेहद करीब था। वह उसके होठों से अलग होकर बोला, "मैंने तुमसे कहा था ना कि हिलना मत।" शिवांगी ने उसे कोई जवाब नहीं दिया। शिवम उसकी गर्म साँसों को महसूस करने लगा और वापस से उसे चूमने लगा। पर इस बार शिवांगी ने उसे नहीं रोका। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और शिवम के जैकेट को अपने हाथों से पकड़ लिया क्योंकि अब वह भी समझ चुकी थी कि वह भी शिवम को पसंद करने लगी है।
शिवम ने जब यह देखा कि शिवांगी अब उसे नहीं रोक रही है, तो उसने शिवांगी के चेहरे को चूमना शुरू कर दिया। वह लड़की, जो शिवम के लिए कॉकटेल लेकर आ रही थी, उसने जब शिवम को शिवांगी को चूमते हुए देखा तो उसके हाथ से कॉकटेल का गिलास छूटकर जमीन में गिर गया। इसकी आवाज़ शिवम और शिवांगी के कानों पर भी पड़ी, पर शिवम अभी भी उस लड़की को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करके शिवांगी को चूम रहा था। यह देखकर वह लड़की तुरंत गार्डन के बाहर चली गई।
शिवम ने जब उस लड़की को जाते हुए देखा तो उसने शिवांगी को छोड़ दिया। शिवांगी, जिसकी आँखें बंद थीं, उसने अपनी आँखें खोलीं और शिवम को अपनी नम आँखों से देखा।
शिवम के चेहरे पर शैतानी मुस्कान थी। उसने शिवांगी के होठों पर अपना हाथ फेरते हुए पूछा, "क्या हुआ? ऐसे क्या देख रही हो? तुम्हें और चाहिए क्या?"
शिवांगी गुस्से में शिवम की ओर देखी और खड़ी होकर उसे घूरने लगी।
शिवम मुस्कुराकर, पूरे अंदाज़ से बोला, "देखो, मुझे दोबारा किस करने में कोई प्रॉब्लम नहीं है, पर मुझे डर है कहीं तुम्हारे होठों से खून ना निकलने लगे।" शिवांगी की साँसें फूली हुई थीं और उसके होंठ सूज चुके थे।
शिवांगी ने उसे देखकर गुस्से में पूछा, "तुमने मुझे जबरदस्ती किस क्यों किया?"
शिवम मुस्कुराकर शिवांगी को जवाब दिया, "इसके दो कारण हैं। पहला, ये कि मैं उस लड़की से पीछा छुड़ाना चाहता था जो कब से मेरे पीछे पड़ी हुई थी। और दूसरा, ये कि तुम्हें देखकर मेरे दिल की धड़कन तेज हो जाती है, और मैंने जब तुम्हें पहली बार एयरपोर्ट पर देखा था, तब से तुम्हें किस करना चाहता था।" उसने बेझिझक शिवांगी की ओर देखकर कहा।
शिवांगी शिवम की बात सुनकर उसे गुस्से में घूरने लगी।
शिवांगी फिर पीछे की तरफ पलट गई। शिवम मुस्कुरा कर शिवांगी को पीछे से अपनी बाहों में भर लिया और उसे कंधे पर अपना सर रख दिया। यह अहसास होते ही शिवांगी भी धीरे से मुस्कुरा कर अपनी आँखें बंद कर लीं।
शिवम अपना होंठ शिवांगी के कान के पास लाकर उसके कानों को चूमकर धीरे से पूछा, "तो बताओ तुम्हें मेरा किस करना कैसा लगा?"
शिवांगी उसकी आवाज सुनकर अपनी आँखें खोल लीं और बोली, "मुझे ये बिल्कुल भी पसंद नहीं आया।" पर वह जानती थी कि उसे यह कितना अच्छा लगा था।
शिवम उसकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए उसके गालों पर किस करके बोला, "पर मुझे तो लगता है कि तुम्हें ये अच्छा लगा।"
शिवांगी उससे पूछी, "अच्छा और तुम्हें ऐसा क्यों लगता है?"
शिवम मुस्कुरा कर उसे जवाब दिया, "क्योंकि किस करते समय जब तुमने मेरे कपड़े को पकड़ा था, तभी मैं समझ गया था कि तुम्हें भी मेरे किस में मजा आ रहा है।"
उसकी यह बात सुनकर शिवांगी के पास अब कोई जवाब नहीं रहा। शिवांगी चुप हो गई।
शिवम मुस्कुरा कर उसे अपनी तरफ किया। शिवांगी अपनी नज़रें झुका लीं। शिवम उसके माथे पर किस करके बोला, "एक और बात बताऊँ?"
शिवांगी अपना सर हाँ में हिलाई।
शिवम अपने चेहरे पर वही शैतानी मुस्कान लिए बोला, "तुम्हारा लिपस्टिक टेस्टी था, पर तुमसे ज़्यादा नहीं। जाकर अपना लिपस्टिक ठीक कर लो क्योंकि तुम्हारा लिपस्टिक मैंने किस करके पूरा ख़त्म कर दिया है।" उसकी बेशर्मी वाली बात सुनकर शिवांगी गुस्से में उसे घूर कर देखने लगी।
शिवांगी के ऐसे देखने से शिवम जोर-जोर से हँसने लगा। शिवांगी उसके सीने पर हाथ मार कर बोली, "बहुत बेशर्म हो तुम, एक बार भी बोलने से पहले सोचते नहीं हो ना।"
शिवम हँसते हुए उसे अपने करीब खींचकर बोला, "अगर सोचता ही रहूँगा तो करूँगा कब?" यह बोलकर वह वापस अपना होंठ उसके होंठों के पास लाने लगा, पर शिवांगी उसे धक्का देकर जाने लगी।
शिवम उसके पीछे आते हुए उसे आवाज़ लगाकर बोला, "अरे कहाँ जा रही हो?"
शिवांगी उसकी तरफ देखती है और अपने कदम पीछे करते हुए बोली, "अपना लिपस्टिक ठीक करने।"
शिवम मुस्कुरा कर अपने कदम उसकी तरफ बढ़ाते हुए बोला, "तो एक किस करके चली जाना।"
शिवांगी मुस्कुरा कर बोली, "अच्छा, किस चाहिए तुम्हें?"
शिवम भी मुस्कुरा कर बोला, "हाँ।"
शिवांगी भागते हुए बोली, "तो पहले मुझे पकड़ कर दिखाओ।"
शिवम हँसकर बोला, "रुको, मैं तुम्हें पकड़ लूँगा।"
शिवांगी यह सुनकर अंदर की तरफ भाग गई। शिवम भी उसके पीछे गया। शिवांगी एक पिलर के पीछे छुप गई और छिपकर शिवम को देखती रही।
शिवम उसे यहाँ-वहाँ खोजते हुए आवाज़ लगाता रहा, "शिवांगी कहाँ हो तुम? तुम मुझसे छुप नहीं सकती।"
शिवांगी अपना मुँह पर हाथ रखकर हँसने लगी। शिवम उसे खोजते हुए दूसरी तरफ चला गया। शिवांगी फिर पिलर के पीछे से निकल कर उसकी तरफ़ देखती है और जैसे ही वह पलटती है, किसी से टकरा जाती है और किसी के मज़बूत हाथ उसे अपनी बाहों में भर लेते हैं। शिवांगी डर से अपनी आँखें बंद कर लेती है।
थोड़ी देर बाद वह अपनी आँखें खोलती है तो उसके सामने कौशल खड़ा था, जो उसे एकटक निहार रहा था।
शिवांगी को उसके मुँह से सिगरेट की बहुत ही बुरी smell आ रही थी।
शिवांगी उसे गुस्से में बोली, "कौन हो तुम? छोड़ो मुझे।"
उसके गुस्से भरी आवाज़ सुनकर कौशल उसे छोड़ देता है। शिवांगी उससे दूर हट जाती है और उसे एक नज़र गुस्से में देखकर वॉशरूम के अंदर चली जाती है।
ऐसी तो बहुत सारी लड़कियाँ थीं जो जानबूझकर कौशल से टकराने का बहाना बनाती थीं, पर शिवांगी पहली लड़की थी जिसने ना उसे थैंक्स बोला, ना सॉरी बोला और ना ही उसे एक नज़र पलट कर देखा।
कौशल शिवांगी की तरफ़ देखकर हैरानी से कुछ सोचता हुआ बाहर जाकर गार्डन में फिर से बेंच पर बैठकर सिगरेट निकाल कर पीने लगा। पीते समय भी वह कुछ सोच रहा था, तभी उसके दिमाग में ख्याल आता है और उसके मुँह से अचानक से ही निकलता है, "अरे ये तो शिवांगी थी, अबीर की बहन।"
वहीं दूसरी तरफ शिवम शिवांगी को खोजते हुए वापस हॉल के अंदर आता है, तभी मधु और मानसी उसे रोक लेती हैं और खाने के लिए बोलती हैं। शिवम फिर हॉल में चारों तरफ शिवांगी को खोजने लगता है और उनके साथ जाकर बैठ जाता है। वहाँ अबीर पहले से ही मौजूद था।
कार्तिक जब बाहर आता है तो कौशल को अकेले बेंच पर बैठा देखकर उसके बगल में बैठकर बोलता है, "बस कर भाई, और कितना पिएगा? चल अंदर खाना खाने।"
कौशल कार्तिक की तरफ़ देखता है, फिर उसके साथ अंदर हॉल में सबके पास आ जाता है। उसे देखकर अबीर गले लगाते हुए बोलता है, "अरे कौशल, कैसा है तू? कितने सालों के बाद तुझे देख रहा हूँ।"
कौशल और अबीर बचपन के दोस्त हैं, इसलिए कौशल शिवांगी को भी बचपन में देखा था और उसे जानता भी था।
कौशल मुस्कुरा कर अबीर के गले लगकर बोलता है, "मैं बिल्कुल ठीक हूँ।"
शिवांगी भी थोड़ी देर बाद हॉल में अपने भाई के पास आती है और वहाँ सबको देखती है।
अबीर शिवांगी को कौशल से मिलवाते हुए बोलता है, "इसे पहचानो, ये कौशल है। बचपन में देखा होगा तूने इसे, याद आया?"
शिवांगी कौशल की तरफ़ देखती है और फिर उसे वॉशरूम के बाहर वाली घटना याद आती है, पर वह उसे ज़ाहिर नहीं होने देती। वह मुस्कुराकर कौशल को हेलो बोलती है। कौशल भी उसे हेलो बोलता है।
शिवांगी फिर शिवम की तरफ़ देखती है। वह आँखों से इशारा करके अपने पास बैठने के लिए बोलता है। शिवांगी फिर उसके बगल में बैठ जाती है।
शिवम उसके कान के पास आकर धीरे से पूछता है, "कहाँ थी तुम? तुम्हें पता है मैंने तुम्हें कहाँ-कहाँ नहीं ढूँढा।"
शिवांगी मुस्कुराकर शिवम की तरफ़ देखकर धीरे से बोलती है, "वॉशरूम गई थी अपना लिपस्टिक ठीक करने।" यह सुनकर शिवम भी मुस्कुरा देता है और उसके होंठों की तरफ़ देखता है।
शिवम फिर उसके कानों के पास आकर बोलता है, "लिपस्टिक देखकर फिर से मन कर रहा है कि पूरा किस करके ख़त्म कर दूँ।"
शिवांगी उसे आँखें दिखाती है और धीरे से पिंच करती है। शिवम उसे गुस्से में घूरकर देखता है। शिवांगी हँसकर अपना खाना खाने लगती है और शिवम भी।
कार्तिक, जो कब से उन दोनों को देख रहा था, उसे शिवांगी को देखकर बहुत ज़्यादा गुस्सा आ रहा था और कौशल भी खाना खाते-खाते बीच-बीच में एक नज़र शिवांगी को देख लेता था।
खाना खाने के बाद सारे मेहमान धीरे-धीरे करके जाने लगते हैं और आहूजा परिवार भी फिर सबसे विदा लेकर अपने घर की तरफ़ चल देते हैं।
पार्टी के बाद खुराना परिवार मेंशन में वापस आया। शिवम अपने कमरे में जाकर कपड़े खोले और नहाने चला गया। थोड़ी देर बाद वह टॉवल लपेटकर बाहर आया, फिर टॉवल निकालकर बेड पर फेंक दिया और अलमारी खोलकर अपने कपड़े पहनने के लिए नाइट शूट निकालने लगा। तभी उसकी नज़र एक पुराने लकड़ी के बॉक्स पर पड़ी। उसने बॉक्स उठाया और बेड पर बैठ गया।
उसने बॉक्स खोला। उसमें पुराने फ़ोटो और कुछ खिलौने थे। यह देखकर शिवम के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गई।
तभी उसकी नज़र एक फ़ोटो पर पड़ी जिसमें एक छोटा लड़का और एक छोटी सी लड़की एक बेंच पर बैठे थे। शिवम सारी चीज़ें वापस बॉक्स में रख देता है और उस फ़ोटो को लेकर तकिए से अपना सर टिकाकर बैठ गया। ध्यान से देखते हुए उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और कुछ सोचने लगा।
एक छोटी लड़की, नीले रंग की फ़्रॉक में, खुराना मेंशन के गार्डन में बैठी हुई थी। तभी एक लड़का, नीले रंग की टीशर्ट और जींस पहनकर, उसके पास आया और पूछा,
"शिवांगी, क्या हुआ? तुम कल से ऐसे ही उदास हो।"
शिवांगी ने लड़के की तरफ़ देखकर कहा,
"भाई, स्कूल में सब कोई मुझसे नफ़रत करते हैं, कोई भी मुझसे प्यार नहीं करता।"
यह बोलकर वह अपना सर झुका लेती है और फिर से उदास हो जाती है।
अबीर ने शिवांगी के मायूस चेहरे को देखकर कहा,
"क्या? वो सब पागल होंगे, जो तुमसे नफ़रत करते होंगे। मेरी बहन तो कितनी प्यारी है।"
शिवांगी अबीर की तरफ़ देखकर बोली,
"हाँ, पर वो लोग बोलते हैं कि मैं बहुत बुरी हूँ। मुझे बहुत जल्दी गुस्सा आता है, इसलिए वो लोग मुझसे दूर रहते हैं और मुझसे नफ़रत करते हैं।"
अबीर शिवांगी के कंधे पर हाथ रखकर बोला,
"हाँ, ये तेरे में कमी तो है कि तू बहुत ही जल्दी गुस्सा करने लगती है।"
शिवांगी रोते हुए बोली,
"मेरे क्लास के लड़के बोलते हैं कि मैं बहुत गुस्सा करती हूँ, इसीलिए कोई भी मुझे अपनी गर्लफ्रेंड नहीं बनाएगा और ना मुझसे शादी करेगा।"
यह सुनकर अबीर को हँसी आने वाली थी। इतनी छोटी उम्र में उसे अपनी शादी की फ़िक्र! पर उसने अपनी हँसी रोककर बोला,
"देखो बहन, ऐसा कुछ नहीं है। जब तुम बड़ी हो जाओगी ना, तो तुम्हारा बॉयफ्रेंड भी होगा और तुम्हारी शादी भी होगी।"
शिवांगी रोते हुए बोली,
"नहीं भाई, मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं बनेगा, ना ही मुझसे कोई शादी करेगा।"
यह बोलकर वह और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी। तभी उन्हें एक आवाज़ आई,
"किस बेवकूफ़ ने ऐसा कहा है?"
दोनों भाई-बहन आवाज़ की तरफ़ देखते हैं। शिवम और उसके साथ कौशल शिवांगी और अबीर के पास आते हैं।
अबीर शिवम से बोला,
"अच्छा हुआ शिवम, तुम आ गए। अब तुम ही इसे समझाओ।"
शिवम शिवांगी के पास बैठकर अपनी जेब से रुमाल निकालकर उसके आँसू पोछते हुए बोला,
"मैं तुमसे शादी करूँगा। जब हम बड़े हो जाएँगे तो देखना, मैं तुमसे शादी करूँगा शिवांगी।"
शिवांगी उसकी तरफ़ देखकर सिसकते हुए बोली,
"क्या सच में शिवम? तुम सच बोल रहे हो ना?"
शिवम मुस्कुराकर बोला,
"हाँ, मैं तुमसे शादी करूँगा।"
शिवांगी अपनी छोटी उंगली आगे करके बोली,
"प्रॉमिस।"
शिवम भी मुस्कुराकर अपनी छोटी उंगली से उसकी उंगली पकड़कर बोला,
"पिंकी प्रॉमिस, मैं बड़ा होकर तुमसे ही शादी करूँगा।"
अबीर उन दोनों की फ़ोटो खींचकर बोला,
"और ये इस बात का सबूत रहेगा कि शिवम अपना वादा कभी नहीं तोड़ेगा।"
शिवम मुस्कुराकर अपनी आँखें खोलकर उस फ़ोटो की तरफ़ देखकर बोला,
"अब वक़्त आ गया है शिवांगी, अपने उस वादे को पूरा करने का।"
यह बोलकर शिवम सो गया।
दूसरी तरफ़, कौशल अपने कमरे में आया और अपनी अलमारी खोलकर वह भी एक पुराना लकड़ी का बॉक्स निकालकर उसे खोला। उसने एक फ़ोटो निकालकर देखने लगा। उसे भी उस दिन की सारी बात याद आ गई जब शिवांगी रो रही थी और शिवम ने यह कहा था कि वह बड़ा होकर उससे शादी करेगा। तभी कौशल शिवांगी के पास गया था और बोला था कि अगर शिवम तुम्हारे आसपास नहीं होगा तो मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा। यह बात सुनकर शिवांगी बहुत ही ज़्यादा खुश हो गई थी।
अहूजा परिवार में, शिवांगी हॉल के सोफ़े पर बैठी आज हुए किस को याद कर रही थी। उसे नींद बिल्कुल भी नहीं आ रही थी।
तभी अबीर शिवांगी के बगल में बैठकर पूछा,
"क्या हो गया? क्या सोच रही हो?"
शिवांगी उसकी तरफ़ देखकर बोली,
"नहीं, मैं कहाँ कुछ सोच रही हूँ।"
अबीर शिवांगी की तरफ़ देखकर बोला,
"देखो, मैं तुम्हारा भाई हूँ, इसलिए मुझसे कुछ भी छुपाने की ज़रूरत नहीं है। जो मन में है, बता दो।"
शिवांगी अबीर की तरफ़ देखकर बोली,
"अरे, कुछ है ही नहीं, तो क्या बताऊँ।"
अबीर उससे बोला,
"तो इतनी रात हो गई और तुम सो नहीं रही हो? यहाँ चुपचाप बैठी हुई हो और कुछ सोचकर मुस्कुरा रही हो।"
शिवांगी अपनी मुस्कान को छुपाते हुए बोली,
"मैं कहाँ मुस्कुरा रही हूँ? मुझे बस नींद नहीं आ रही है, इसलिए मैं यहाँ आई हूँ।"
अबीर मुस्कुराकर शिवांगी से बोला,
"अच्छा, तुमसे एक बात पूछूँ, सच-सच बताओगी?"
शिवांगी उसकी तरफ़ देखकर बोली,
"पूछिए, जो पूछना है।"
अबीर अपने चेहरे पर शैतानी मुस्कान लिए उसे बोला,
"किस कैसा था?"
अबीर ने शिवांगी से पूछा, "किस कैसा था?"
शिवांगी उसकी बात सुनकर चौंक गई और सोफे से खड़ी हो गई।
उसे देखकर अबीर हँसते हुए बोला, "अरे तुम खड़ी क्यों हो गई, बैठो। मुझे तुमसे इस बारे में बात करनी है।" इतना बोलकर अबीर ने उसका हाथ पकड़कर उसे वापस सोफे पर बिठा दिया।
शिवांगी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह अपने भाई से आँखें मिला पाए, इसलिए वह नज़रें चुरा रही थी।
अबीर मुस्कुराकर शिवांगी का हाथ पकड़कर बोला, "तुम्हें मुझसे नज़रें चुराने की ज़रूरत नहीं है। जब तुम बहुत देर तक अंदर नहीं आई, तो मुझे तुम्हारी चिंता हो रही थी। और जब मैं बाहर आया, तो एक लड़की को रोते हुए बाहर की तरफ जाते हुए देखा। मैं इससे पहले उस लड़की से कुछ पूछ पाता, मेरी नज़र तुम्हारे और शिवम पर पड़ी।"
"तो फिर आप मेरे पास क्यों नहीं आए?" शिवांगी ने धीरे से पूछा।
अबीर ने कहा, "क्योंकि तुम्हें देखकर भी ऐसा लग रहा था कि तुम भी चाहती थीं कि वो तुम्हें किस करे, इसीलिए मैं बीच में उसे रोकने नहीं आया।"
शिवांगी ने उसकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया, बस मुस्कुरा दी।
अबीर ने उसकी मुस्कान देखकर फिर से पूछा, "तो बताओ, कैसा था तुम्हारा किस?"
शिवांगी ने उसे आँखें दिखाकर कहा, "भाई, आप इस दुनिया के पहले भाई होंगे जो अपनी बहन से उसके किस के बारे में पूछ रहे हैं।" फिर शर्माकर धीरे से बोली, "अच्छा था।"
"बस अच्छा था?" अबीर ने फिर पूछा।
शिवांगी ने उसकी तरफ बिना देखे, झिझकते हुए कहा, "बहुत अच्छा था भाई।" उसे बहुत ही ज्यादा शर्म आ रही थी; शर्म से उसका चेहरा लाल हो रहा था। अबीर उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा दिया।
शिवांगी ने अबीर की तरफ देखकर कहा, "भाई, आपका पहला किस कैसा था?"
अबीर ने शिवांगी की तरफ देखकर हँसते हुए कहा, "पहला किस तो नॉर्मल था, पर उसके बाद दूसरा, तीसरा, चौथा, पाँचवाँ... वो सब किस तो लॉन्ग और पैशनेट किस थे।" यह सुनकर शिवांगी भी हँसने लगी।
थोड़ी देर बाद शिवांगी ने उससे पूछा, "आपका पहला किस क्रिस्टल के साथ था ना?"
अबीर मुस्कुराकर हाँ बोला।
"क्या आप अब भी उसे याद करते हैं?" शिवांगी ने पूछा।
अबीर ने कोई जवाब नहीं दिया। शिवांगी ने उसकी तरफ देखकर उसका हाथ पकड़कर कहा, "आई एम सॉरी भाई, आपको मेरे कारण उससे अपना रिश्ता तोड़ना पड़ा।"
अबीर ने लंबी साँस लेकर कहा, "खुद को दोष मत दो शिवांगी। जो लोग एक-दूसरे से प्यार करते हैं, वो किसी न किसी बहाने से एक-दूसरे से अलग होने के बाद भी वापस मिल ही जाते हैं।"
"तो क्या आप उसके पास वापस जाएँगे?" शिवांगी ने फिर पूछा।
अबीर ने शिवांगी की तरफ देखकर कहा, "नहीं, उसकी लाइफ में अब कोई और आ गया है।"
यह सुनकर शिवांगी थोड़ी उदास हो गई। अबीर ने शिवांगी की तरफ देखकर कहा, "देखो, मेरे लिए तुम्हें उदास होने की ज़रूरत नहीं है। इस दुनिया में बहुत सारी ऐसी लड़कियाँ हैं जो मेरे लिए पागल हैं। और मेरी प्यारी बहन, यह जीवन बहुत ही छोटा है, इसीलिए इसे खुलकर जियो। अगर यह समय बीत गया, तो इस समय को याद करके तुम्हें ही पछतावा होगा। ज़रूरी नहीं कि तुम हर समय दूसरों के बारे में ही सोचो, अपने बारे में भी सोचो, अपने दिल के बारे में सोचो, दिल जो बोले वो करो।"
शिवांगी ने थोड़ा डरते हुए अबीर की तरफ देखकर कहा, "और अगर मैं शादी से पहले प्यार कर लूँ, तो भी आपको कोई प्रॉब्लम नहीं होगा?"
अबीर ने शिवांगी से कहा, "इसमें क्या प्रॉब्लम है? मैं एक डॉक्टर हूँ और मुझे पता है हमारे शरीर को किस-किस चीज़ की ज़रूरत पड़ती है। जैसे ऑक्सीजन, खाना, पानी हमारे शरीर के लिए ज़रूरी हैं, वैसे ही प्यार भी ज़रूरी है।" यह बात अबीर ने बहुत ही आराम से कही थी।
शिवांगी उसकी तरफ हैरानी से देखने लगी। अबीर मुस्कुराकर शिवांगी से बोला, "पर मेरी बात याद रखना, यह तभी करना जब तुम्हें इस बात का पछतावा न हो कि तुम कुछ गलत नहीं कर रही हो। अपने दिल की सुनना, तुम्हारा दिल गवाही दे कि तुम सही कर रही हो, तभी करना, वरना मत करना।"
शिवांगी ने उसकी बात सुनकर मुस्कुराकर अपना सिर हाँ में हिलाया।
अबीर ने उससे पूछा, "क्या तुम्हें वो बचपन की बात याद है, जब हम लोग खुराना मेंशन में गए थे और तुम रो रही थीं कि तुमसे कोई शादी नहीं करेगा? तब शिवम ने तुमको प्रॉमिस किया था कि वो तुमसे शादी करेगा। हो सकता है वो अपना प्रॉमिस बाद में पूरा करे।"
शिवांगी ने उसकी तरफ देखकर कहा, "मुझे नहीं लगता कि उसे यह बात अभी तक याद होगी।"
"और अगर उसे याद हुआ तो?" अबीर ने कहा।
शिवांगी ने उसकी बात सुनकर मुस्कुराकर आँखें बंद कर लीं। तभी उसे भी उस दिन वाली सारी घटना याद आ गई। वह आँखें खोलकर अबीर की तरफ देखकर बोली, "उस दिन कौशल और शिवम ने मुझसे कुछ न कुछ वादा किया था, पर आपने मुझसे आज तक कोई वादा नहीं किया है।"
अबीर मुस्कुराकर बोला, "मैं तो तब से तुमसे प्रॉमिस कर रहा हूँ, जब से तुम्हारा जन्म हुआ है। मैं तब से ही अपने आप से यह प्रॉमिस किया हूँ कि तुम्हारी ज़िंदगी भर रक्षा करूँगा, तुम्हारी आँखों में आँसू आने नहीं दूँगा।"
उसकी बात सुनकर शिवांगी मुस्कुराकर उसके गले लग गई।
अबीर मुस्कुराकर शिवांगी से बोला, "तुम्हारा पहला किस तुम्हें मुबारक हो।"
शिवांगी उसके गले लगे हुए ही बोली, "यह मेरा पहला किस नहीं था।"
अबीर ने उसकी आँखों में देखकर हैरानी से पूछा, "तो तुम्हारा पहला किस कब था और मुझे इस बारे में क्यों नहीं मालूम है?"
शिवांगी ने उसे रेस्टोरेंट वाली सारी बात बता दी।
उसकी बात सुनकर अबीर मुस्कुराकर बोला, "Good Night, जाओ सो जाओ अब।"
शिवांगी भी मुस्कुराकर Good Night बोलकर सोने चली गई।
सुबह का समय था, खुराना मेंशन में। शिवम की नींद खुली तो उसने अपने बगल में शिवांगी की बचपन की तस्वीर देखी। उसने उसे हाथों से छुआ, उस पर किस किया और मुस्कुराते हुए कहा, "शिवांगी।" फिर उसने तस्वीर को अलमारी में रखकर बालकनी में आकर खड़ा हो गया। सुबह की ठंडी, ताज़ी हवा उसके शरीर को छूकर गुज़र रही थी, जिससे उसे बहुत सुकून मिल रहा था।
थोड़ी देर बाद, शिवम तैयार होकर नीचे नाश्ता करने आया। तभी मनीष ने उसे आवाज़ लगाई। वह हॉल में मनीष के पास जाकर सोफे पर बैठ गया। मनीष टीवी ऑन करके कल की पार्टी की खबर देख रहा था। शिवम भी न्यूज़ देखने लगा। तभी उसकी नज़र शिवांगी पर पड़ी, जब वे दोनों साथ में नाच रहे थे। यह देखकर वह मुस्कुरा दिया।
मनीष ने उसकी तरफ देखकर कहा, "मैंने अहुजा फैमिली को आज शाम डिनर के लिए इनवाइट किया है। मैं चाहता हूँ कि तुम भी अपना सारा काम खत्म करके शाम को जल्दी घर आ जाओ।"
यह सुनकर शिवम की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह मन ही मन सोचने लगा कि वह आज कोई न कोई बहाना करके ऑफिस नहीं जाएगा और शिवांगी का इंतज़ार करेगा।
तभी राधिका बाहर आकर मनीष और शिवम को आवाज़ लगाते हुए बोली, "आ जाइए आप दोनों, ब्रेकफास्ट रेडी है।" शिवम और मनीष उसकी आवाज़ सुनकर डाइनिंग रूम की ओर चल पड़े।
अहुजा परिवार में, अबीर सुबह तैयार होकर नीचे हॉल में आया। उसने देखा कि उसके पापा न्यूज़पेपर पढ़ रहे थे और उसकी माँ फोन पर किसी से बात कर रही थी। उसने इधर-उधर देखा और अपने पापा के पास जाकर उनके बगल में बैठते हुए पूछा, "डैड, शिवांगी कहाँ है?"
निर्मल ने उसकी तरफ देखकर कहा, "वह सो रही है। कल पार्टी में बहुत थक गई थी। इसलिए उसे थोड़ा और देर सोने दो।"
अबीर कुछ नहीं बोला और टीवी ऑन कर दिया। तभी निर्मल ने उसे कहा, "अच्छा सुनो, शाम को हम सबको डिनर करने खुराना मेंशन जाना है।"
यह सुनकर अबीर की आँखें चमक उठीं। उसने तुरंत टीवी ऑफ करके अपने पापा की तरफ देखकर कहा, "डैड, मैं नहीं चाहता कि शिवांगी गरम-गरम ब्रेकफास्ट मिस करे। उसे ठंडा खाना पसंद नहीं है ना, इसलिए मैं उसे उठाकर लाता हूँ।" इतना बोलकर वह तुरंत शिवांगी के कमरे की तरफ चला गया।
अबीर ने उसके कमरे के बाहर से दरवाज़ा खटखटाया, पर अंदर से कोई जवाब नहीं आया। अबीर ने दरवाज़ा खोलकर अंदर चला गया और देखा कि शिवांगी आराम से पूरे बिस्तर पर पैर फैलाए सो रही थी। अबीर मुस्कुराकर फिर आवाज़ लगाई, "शिवांगी, उठो, सुबह हो गई है।" शिवांगी ने अपने चेहरे को तकिए से ढँक लिया और कोई जवाब नहीं दिया।
अबीर ने उसके चेहरे से तकिया हटाकर उसके कान के पास आकर धीरे से कहा, "शिवांगी, उठो, शिवम तुम्हारे कमरे में ही आ रहा है।"
यह सुनकर शिवांगी तुरंत बिस्तर से नीचे गिर गई। फिर वह खड़ी होकर अबीर से पूछी, "क्या? कहाँ पर?"
अबीर उसकी तरफ देखकर जोर-जोर से हँसने लगा। शिवांगी के बाल बिखरे हुए थे और वह अपनी आँखें रगड़ रही थी।
शिवांगी ने उसे ऐसे हँसते हुए देखा तो गुस्से में घूरते हुए पूछा, "मतलब आप... आपने झूठ बोला मुझसे?"
अबीर हँसकर बोला, "हाँ, मेरी पागल बहन, अब जल्दी से रेडी होकर नीचे ब्रेकफास्ट करने आ जाओ।"
शिवांगी ने एक कुशन उठाकर उसकी तरफ फेंका, पर अबीर उससे बचते हुए कमरे के बाहर भाग गया। वह फिर नीचे हॉल में आया। तभी आशा ने उसे देखकर पूछा, "अब तुमने क्या किया?"
अबीर हँसकर अपनी माँ के बगल में बैठते हुए बोला, "कुछ नहीं मॉम, उससे बस कुछ ऐसा कहा, जो उसके नींद उड़ाने के काम आ गया।"
उसकी बात सुनकर आशा जी मुस्कुराकर किचन में चली गईं। थोड़ी देर बाद शिवांगी भी तैयार होकर नीचे आई और अपने भाई को खा जाने वाली नज़रों से देखकर अपने पापा के बगल में बैठ गई।
अबीर ने अपने चेहरे पर शैतानी मुस्कान लिए शिवांगी की तरफ देखकर कहा, "हम सब आज शाम को खुराना मेंशन में डिनर के लिए जा रहे हैं।"
यह सुनकर शिवांगी सोफे से खड़ी हो गई और चौंककर बोली, "क्या? सच में हम जा रहे हैं?"
उसे ऐसे देखकर निर्मल हैरानी से उसे देखने लगे।
यह देखकर अबीर मुँह दबाकर हँसने लगा। शिवांगी भी झेंप गई और अपने भावों को कंट्रोल करके वापस सोफे पर बैठकर अपने पापा की तरफ देखकर बोली, "क्या मेरा जाना ज़रूरी है? मैं घर पर आराम नहीं कर सकती?"
आशा किचन से बाहर आते हुए बोलीं, "नहीं, तुम घर पर नहीं रहोगी। तुम भी हमारे साथ चलोगी। मैं चाहती हूँ कि तुम और अबीर अच्छे से उनके परिवार को जानो-पहचानो, जैसे बचपन में हमेशा आते-जाते थे।"
अबीर मुस्कुराकर शिवांगी की तरफ देखकर बोला, "हाँ माँ, मैं भी यही चाहता हूँ कि जैसे शिवम और शिवांगी बचपन में दोस्त थे, वैसे ही हमेशा दोस्त बनकर रहें और शिवांगी उनके घर पर हमेशा जाती रहे।"
शिवांगी ने उसकी तरफ गुस्से भरी नज़रों से देखकर नज़रें फेर लीं। यह देखकर अबीर मुस्कुरा दिया। उसे बहुत मज़ा आ रहा था उसे परेशान करने में।
शिवांगी फिर अपनी माँ की तरफ देखकर बोली, "ओके मॉम, मैं जाऊँगी।"
शाम का समय था, खुराना मेंशन में। अहुजा परिवार की कार शाम को खुराना परिवार के दरवाज़े पर आकर रुकी। जैसे ही निर्मल अहुजा कार से बाहर निकले, मनीष मुस्कुराकर उनके गले मिले और उनका स्वागत किया।
मनीष निर्मल और उनके परिवार को घर के अंदर लिविंग रूम में ले गए। पूरा खुराना परिवार मुस्कुराकर उनसे बातें कर ही रहा था कि तभी एक काली मर्सिडीज आकर घर के बाहर रुकी। उसमें से शिवम उतरा, जिसने काला सूट पहना हुआ था। वह अपना एक हाथ अपनी पैंट की जेब में रखे हुए और दूसरे हाथ से अपने मोबाइल की ओर देखते हुए घर के अंदर आ रहा था। सबकी नज़र उस पर पड़ी।
शिवम ने सबकी ओर देखा, फिर मुस्कुराकर सबके पास आया। उसकी नज़र जब शिवांगी पर पड़ी तो शिवांगी उसकी नज़रें चुरा रही थी। शिवम फिर आकर आबिर के गले लगा और शिवांगी को "हेलो" बोला। शिवांगी भी मुस्कुराकर उसे "हेलो" बोली।
शिवम फिर राधिका से बोला,
"माँ, मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ फ्रेश होने।"
इतना बोलकर वह चला गया।
आबिर धीरे से शिवांगी की ओर देखकर बोला,
"मुझे तो लगा था कि तुम उसे देखकर भागकर जाकर उसके गले लग जाओगी, पर तुमने तो ऐसा कुछ नहीं किया।"
शिवांगी आबिर की तरफ़ देखकर बोली,
"बकवास! मैं क्यों उसके गले लगूँगी? और ये सारे बिज़नेसमैन ब्लैक कोट और सफ़ेद शर्ट ही क्यों पहनते हैं? क्या इनके पास कोई और रंग नहीं होता पहनने के लिए? I am damn sure ये शिवम की अलमारी भी ब्लैक सूट और सफ़ेद शर्ट से भरी होगी। ये बोर नहीं हो जाता क्या ऐसा पहन-पहन कर?"
आबिर मुस्कुराकर शिवांगी से बोला,
"तो तुम एक काम क्यों नहीं कर देती, तुम उसके जीवन में अपना प्यार का रंग भर दो।"
वह दोनों भाई-बहन बातें कर ही रहे थे कि तभी शिवम नीचे आया और मनीष के बगल में आकर बैठ गया। उसने सफ़ेद रंग का शर्ट और नीचे पैंट पहना हुआ था, जिसमें वह बहुत ही ज़्यादा attractive लग रहा था।
शिवांगी की नज़र बीच-बीच में शिवम पर ही जा रही थी और शिवम अपने चेहरे पर वही शैतानी मुस्कान लिए उसे देख रहा था, जिसे देखकर शिवांगी बार-बार अपनी नज़रें चुरा रही थी।
थोड़ी देर बाद शिवम पानी पीने के लिए उठा और पानी का गिलास लेकर शिवांगी के बगल में आकर बैठ गया। उसे अपने बगल में देखकर शिवांगी चौंक ही गई।
शिवम के कपड़ों से आती हुई परफ्यूम की खुशबू शिवांगी को बेचैन कर रही थी। वह उसकी दिल की धड़कन बढ़ा रही थी। वह शिवम की तरफ़ बिना देखे अपने बगल में देखती है जहाँ उसका भाई उसे देखकर मुस्कुरा रहा था। शिवांगी मन ही मन सोचती है,
"ये मैं इन दोनों के बीच कहाँ से फँस गई।"
मनीष शिवम की ओर देखकर बोले,
"शिवम, तुम्हें पता है शिवांगी ने उसी कॉलेज में एडमिशन लिया है जहाँ से तुमने बिज़नेस मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी की थी।"
निर्मल शिवम की ओर देखकर बोले,
"ये तो बहुत अच्छी बात है। तब तो पढ़ाई में जिस भी चीज़ की हेल्प चाहिए होगी तो शिवम, तुम शिवांगी की हेल्प कर देना।"
शिवम उनकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए शिवांगी की ओर देखकर बोला,
"हाँ, मैं इसकी हेल्प बहुत अच्छी तरह से करूँगा, अंकल।"
शिवांगी उसकी ओर एक नज़र देखती है, फिर अपने भाई की ओर बेबस भरी नज़रों से देखकर धीरे से बोली,
"ये हेल्प कम और मेरा काम ज़्यादा बढ़ा देगा।"
आबिर हँसते हुए बोला,
"ऑल द बेस्ट।"
उसे बहुत मज़ा आ रहा था ये सब देखकर।
शिवांगी अपने पापा की ओर देखकर बोली,
"डैड, उसकी ज़रूरत नहीं है। मैं अकेली सब मैनेज कर लूँगी। और वैसे भी शिवम को अपने ऑफ़िस का भी तो बहुत सारा काम देखना होगा, फिर वह कहाँ मेरे पढ़ाई में ध्यान देगा?"
आबिर मुस्कुराकर शिवांगी की ओर देखकर बोला,
"अरे कैसी बात कर रही हो तुम बहन? देखो शिवम हमारा बचपन का दोस्त है और वह तुम्हारी मदद ज़रूर करेगा। क्यों शिवम?"
शिवांगी घूरकर आबिर की ओर देखती है। शिवम मुस्कुराकर बोला,
"हाँ, मैं हूँ ना।"
वह शिवांगी की ओर देखता है, तभी आशा जी बोलीं,
"शिवांगी तो हॉस्टल में रहने वाली है क्योंकि घर से कॉलेज बहुत दूर है। आते-जाते बहुत टाइम लग जाएगा, इसलिए हमने इसके रहने की व्यवस्था हॉस्टल में करवा दी है।"
यह सुनकर शिवांगी धीरे से बड़बड़ाती है,
"माँ, आपको यह बताने की क्या ज़रूरत थी?"
महेंद्र खुराना आशा की ओर देखकर बोले,
"क्या? हॉस्टल में बिल्कुल नहीं! जब खुराना मेंशन इतना बड़ा है, तो मेरी बेटी हॉस्टल में क्यों रहेगी? और वैसे भी यहाँ से कॉलेज नज़दीक है, तो यह यहाँ खुराना मेंशन में आकर रहेगी।"
निर्मल महेंद्र खुराना से बोले,
"बाबूजी, मैंने हॉस्टल को बहुत अच्छे से चेक किया है। वह बहुत ही अच्छी जगह है। शिवांगी वहाँ आराम से रहेगी।"
महेंद्र खुराना उनकी बात बीच में काटते हुए और उन्हें डाँटते हुए बोले,
"तो क्या वह जगह खुराना मेंशन से भी अच्छी है? जवाब दो।"
निर्मल अपना सर झुकाकर बोले,
"नहीं बाबूजी, मेरे बोलने का वह मतलब नहीं था।"
निर्मल महेंद्र खुराना की बहुत ज़्यादा इज़्ज़त करते थे।
तभी कावेरी बोली,
"शिवांगी यहाँ रहेगी खुराना मेंशन में। हम सब इसका ध्यान रखेंगे। और अगर यह हॉस्टल में अकेली रहेगी, तो तुम्हें भी इसकी चिंता होती रहेगी।"
महेंद्र खुराना बोले,
"तो यह फ़ाइनल रहा। शिवांगी, आप खुराना मेंशन में ही रहेंगी। और अगर किसी को प्रॉब्लम है, तो वह सामने दीवार है, जाकर उसमें अपना सर फोड़ सकता है। मैं अपना फ़ैसला नहीं बदलने वाला। सुना सबने?"
आबिर धीरे से हँसते हुए बोला,
"शिवांगी, जाओ तुम दीवार में जाकर अपना सर फोड़ सकती हो।"
शिवांगी जो इस समय यह सब सुनकर सदमे में थी, वह यही सोच रही थी कि,
"यह सब क्या से क्या हो गया? अभी कुछ देर पहले वह शिवम की हेल्प लेने से मना कर रही थी और अब उसे उसके साथ एक ही छत के नीचे रहना पड़ेगा।"
वह चाहती थी कि दादा जी को मना कर दे, पर उसके मुँह से अब शब्द ही नहीं निकल रहे थे।
वह बस अपने आप से बड़बड़ाती है,
"मैं बर्बाद हो गई।"
जिस पर उसके भाई ने जवाब दिया,
"मुझे भी ऐसा ही लगता है!"
और मुस्कुरा दिया।
निर्मल और आशा शिवांगी की ओर देखकर पूछते हैं,
"बेटा, तुम क्या चाहती हो?"
शिवांगी ने उनकी ओर देखकर कहा,
"मॉम, डैड, वो मैं..."
उससे पहले वह आगे मना कर पाती कि आबिर ने बीच में फिर बोला,
"मॉम, डैड, शिवांगी भी यही रहना चाहती है। उसने मुझसे अभी यही कहा।"
शिवांगी घूरकर अपने भाई की ओर देखती है। आबिर मन ही मन मुस्कुरा देता है। वह यह चाहता था कि शिवांगी शिवम के साथ रहे और उसके साथ समय बिताए और उसे अच्छी तरह से जाने।
यह सुनकर तो शिवम का मन कर रहा था कि वह भागकर जाए और अपने दादाजी को गले से लगा ले, पर उसने अपने इमोशन्स को कंट्रोल करना ही ठीक समझा।
शिवांगी खड़ी होकर बोली,
"मॉम, मैं वॉशरूम से आती हूँ।"
इतना बोलकर वह वॉशरूम की तरफ़ चली जाती है और मिरर के सामने खड़ी होकर अपने भाई को खूब गालियाँ देने लगती है।
शिवांगी पानी के छींटे अपने चेहरे पर मारते हुए बोली,
"यह सब मेरे साथ ही क्यों रहा है? मुझे उसके साथ नहीं रहना है, पर जब वह मेरे करीब आता है, तो मेरे दिल की धड़कनें बढ़ा देता है। मैं उसे मना भी नहीं कर सकती। मैं जब यहाँ रहूँगी तो हम दोनों के बीच एक रेखा खींचकर रहूँगी ताकि वह उस रेखा को पार ना कर सके, पर वह भी तो जिद्दी है। वह मेरी बात नहीं मानेगा। मैं कहाँ फँस गई? अब मैं क्या करूँ?"
इतना बोलकर वह बार-बार पानी के छींटे अपने चेहरे पर मार रही थी।