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एक उदास परी 

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कहानी एक खूबसूरत परी की हैं जिसका नाम है तारा परी ,तारा परी को एक वरदान प्राप्त है की किसी भी पुरुष के साथ रात बिताने के बाद अगली सुबह वो फिर से एक कुंवारी लड़की बन जायगी बस उसका थी वरदान केसे एक श्राप मे बदल जाता है ,उसका जीवन एक भयानक राक्षस के कार...

Total Chapters (402)

Page 1 of 21

  • 1. एक उदास परी - Chapter 1

    Words: 2556

    Estimated Reading Time: 16 min

    परीलोक, आसमान में खूबसूरत बादलों के बीच स्थित था। वहाँ एक बेहद खूबसूरत परी, तारा परी, अपनी माँ से नाराज़ होकर कहीं चली गई थी। रानी माँ चिंतित हो गईं। उन्होंने चारों ओर तारा परी को ढूँढा, पर उसका कहीं पता नहीं चला।

    तब उन्होंने कुछ सहायकों को तारा परी को ढूँढने के लिए भेजा। सभी आदेश का पालन करते हुए तारा परी को ढूँढने लगे। काफी देर बाद, एक सहायक को परीलोक के बंद पड़े कक्ष का दरवाज़ा खुला हुआ दिखाई दिया। वह घबराकर रानी माँ के पास गया और तारा परी के उस कक्ष में होने का अंदेशा जाहिर किया।

    रानी माँ कुछ घबरा गईं, क्योंकि वह कक्ष हमेशा बंद रहता था, क्योंकि वहाँ कोई प्रकाश नहीं था। उस अंधेरे कमरे में तारा परी क्या कर रही होगी?

    यह सोचकर रानी माँ जल्दी से उठीं और तारा परी को लेने स्वयं गईं। उन्होंने सभी सहायकों को बाहर ही रुकने का आदेश दिया और खुद अंदर चली गईं।

    अंदर जाकर सबसे पहले रानी माँ ने एक चुटकी बजाई। चुटकी बजते ही पूरा कक्ष रोशनी से भर गया।

    उन्होंने देखा, तारा परी अपने घुटनों में सिर दिए बैठी थी। रानी माँ ने प्यार से उसके सिर पर हाथ रखा और धीरे से कहा,
    "क्या हुआ मेरी प्यारी परी को?"

    तारा परी ने अपना सिर ऊपर उठाया। रानी माँ ने देखा, तारा परी की आँखों में मोटे-मोटे मोती थे।

    "क्यों रो रही हो, बेटी? क्या बात है?" रानी माँ ने प्यार से पूछा।

    तब तारा परी ने गुस्से से रानी माँ का हाथ झटक दिया और चिल्लाकर बोली,
    "क्यों, रानी माँ? आपको नहीं पता हमें क्या हुआ है? वो राक्षस हर रात हमारे साथ क्या करता है, आपको नहीं पता? पूरे कक्ष में वो हमें निर्वस्त्र घुमाता है। हमारे शरीर के साथ-साथ हमारी आत्मा को भी तकलीफ़ पहुँचाता है। क्या आपको हमारा दर्द दिखाई नहीं देता? आप चली जाइए यहाँ से। हमें अकेले रहने दीजिए। हमें अभी किसी से कोई बात नहीं करनी है।"

    रानी माँ की आँखों में भी मोटे-मोटे मोती आ गए। रानी माँ को रोते देखकर तारा परी तड़प गई।
    "रानी माँ, कृपया करके आप मत रोइए। हम आपको रोते हुए नहीं देख सकते।"

    "नहीं, बेटा। हम अच्छे से जानते हैं तुम्हारी इस हालत के हम ही ज़िम्मेदार हैं। तुम हमें माफ़ कर दो। हमने उस राक्षस से कहा था कि वो परीलोक की किसी भी परी के साथ रात गुज़ार सकता है, लेकिन उसकी नज़र हमेशा से तुम पर ही थी। परीलोक को बचाने के लिए मेरी प्यारी बेटी ने अपनी कुर्बानी दी थी। हम यह अच्छे से जानते हैं।"

    रानी माँ सोचते हुए बीते दिनों को याद करने लगीं।
    "वो भी क्या दिन थे जब मेरी बेटी पूरे परीलोक में हँसते-खेलते घूमती थी। उसके चहकने से पूरा परीलोक झूम उठता था। कितनी हँसी-खुशी हम सब साथ रहते थे!"

    फिर वो मनहूस दिन आ गया, जिस दिन मेरी प्यारी परी अपनी सहेलियों के साथ फूलों के बगीचों में खेल रही थी, उसी दिन उस राक्षस की नज़र मेरी फूल सी परी पर पड़ी। और वो परीलोक में आ धमका। उसने परीलोक पर आक्रमण कर दिया और पूरे लोक को अपने कब्ज़े में कर लिया। हमारी असीमित शक्तियाँ भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाईं, क्योंकि उसके पास देवताओं के दिए हुए अनगिनत वरदान थे, जो उसने कड़ी तपस्या करके हासिल किए थे। उसे कोई पराजित नहीं कर सकता था। उसने कहा था, अगर उसकी बात नहीं मानी तो वो पूरे परीलोक को नष्ट कर देगा।

    जब हमने पूछा, "तुम्हें क्या चाहिए?" उसने कहा था, उसे केवल तारा परी चाहिए, हर रात के लिए। हमने उससे कहा था, वो तारा परी को छोड़कर किसी भी परी के साथ रात गुज़ार सकता है, लेकिन उसने साफ़ इंकार कर दिया। उसने कहा, उसे उसकी बेटी तारा परी के साथ ही हर रात बितानी है। हमारे पास उसकी बात मानने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। हम क्या करते अगर उसकी बात नहीं मानते? तो वो दुष्ट पूरे परीलोक को नष्ट कर देता और सबकी जान ले लेता।

    रानी माँ की बेबसी उनकी आवाज़ से साफ़ झलक रही थी। तारा परी सब याद करके तड़प उठी और रानी माँ के गले लग गई, और दोनों एक-दूसरे के गले लगकर बहुत देर तक रोती रहीं।

    तभी एक सेवक ने आकर कहा,
    "रानी माँ, वो राक्षस आ गया है और वो तारा परी को बुला रहा है।"

    यह सुनकर तारा परी तड़प गई और तेज़-तेज़ रोने लगी। फिर उसने रानी माँ से कहा,
    "मुझे जाना होगा, माँ। अगर देर हो गई तो वो सबको मार देगा।"

    ऐसा कहकर वो तैयार होने चली गई। उसे हर रात को दुल्हन की तरह सजाया जाता था। उसे दूध और गुलाब की पंखुड़ियों से स्नान कराकर बेहद खूबसूरत वस्त्र पहनाए जाते थे। उस राक्षस की शर्त के अनुसार, हर रात उसे सज-सँवर कर ही उसके सामने आना होगा।

    तारा परी तैयार हो गई थी। फिर वो धीरे-धीरे कदम बढ़ाती हुई राक्षस के कक्ष की ओर चल दी थी। उसकी आँखों से मोती निकलते जा रहे थे, पर वो जानती थी उसका रोना उस बेरहम जिन्न को नहीं पिघला सकता है। वो अंदर चली गई। उसे देखते ही वो राक्षस उसके करीब जा पहुँचा। सबसे पहले वो उसे बुरी तरह से सूँघने लगा और जोर-जोर से हँसने लगा।

    और फिर उसने एक-एक करके उसके वस्त्र खींचना शुरू कर दिया और उसे बिल्कुल निर्वस्त्र कर दिया, और ऊपर से लेकर नीचे तक उसे फिर से सूँघने लगा और उसे नृत्य करने को कहा।

    वो हर रात उसे निर्वस्त्र कर उससे नृत्य करवाता था। तारा परी नृत्य करती हुई इतना रोती थी कि पूरा कक्ष मोतियों से भर जाता था। तारा परी के पैरों से निकला हुआ खून भी खूबसूरत फूलों में बदल जाता था। यह सब देखकर उस राक्षस को बहुत ही मज़ा आता था। वो जोर-जोर से हँसता था। उसकी भयानक हँसी से पूरा परीलोक काँप उठता था।


    एक भयानक जिन्न तारा परी के पास आ पहुँचा था। उसने आते ही तारा परी को निर्वस्त्र करके नाचना शुरू करवा दिया था। उसके बाद उसने तारा परी को उठाकर कक्ष में बीचों-बीच पड़े बिस्तर पर लेटा दिया और पूरे सात घंटे तक तारा परी के खूबसूरत जिस्म से खिलवाड़ करने लगा। हमेशा की तरह, अपना कार्य समाप्त करने के कुछ समय पश्चात्, उस जिन्न ने एक भयंकर हँसी हँसी और वहाँ से चला गया था। तभी रानी माँ अंदर आईं और देखा कि तारा परी मूर्छित अवस्था में थी। तारा परी को देखकर वो बेहद दुखी हुईं। फिर प्रतिदिन की भाँति उन्होंने वैद्य को बुलाया। तारा परी को देखकर वैद्य जी की आँखों से भी मोती बहते हैं, और वो रानी माँ से कहते हैं,
    "रानी माँ, वो जिन्न कितनी बुरी दशा करता है तारा परी की! इनकी यह पीड़ा अब देखी नहीं जाती।"

    फिर थोड़ी देर के बाद तारा परी को होश आ गया। वो अपनी माँ के गले लगकर बहुत रोई। तारा परी रोते-रोते रानी माँ से कहती है,
    "माँ, मैं मर भी नहीं सकती हूँ... और ना ही मैं जी पा रही हूँ। मुझे यह वरदान अभिशाप लग रहा है। अब क्यों मिला मुझे यह वरदान?"

    तारा परी को एक वरदान प्राप्त था कि किसी के भी साथ एक रात बिताने के बाद तारा परी फिर से कुँवारी हो जाएगी। इसीलिए प्रतिदिन जिन्न द्वारा किए गए दुष्कर्म के बाद तारा परी फिर से कुँवारी हो जाती थी। इसीलिए राक्षस को तारा परी ही पसंद थी। कितने वर्षों से यही सब चल रहा था! तारा परी अब बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी।

    कुछ समय पश्चात्, रानी माँ परियों के देवता की प्रतिमा के पास गईं और वहाँ जाकर उन्होंने बिनती की और कहा,
    "आखिर कब तक मेरी बेटी यह सब बर्दाश्त करती रहेगी? कब बंद होगा यह सब? अब सुन लो आप! मैं अपनी बेटी को और पीड़ा में नहीं देख सकती।"

    ऐसा कहकर उन्होंने पास में रखी हुई तलवार से अपना सिर काट दिया और अपनी कटी हुई गर्दन को हाथ में पकड़कर अपने देवता की प्रतिमा का खून से अभिषेक करने लगीं। जिसके परिणामस्वरूप उनके देवता क्रोधित हो गए और उनके सामने प्रकट हुए और बोले,
    "रानी परी! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई हमारा खूनी अभिषेक करने की? तुम अच्छे से जानती हो हम घृणा करते हैं रक्त से, और तुम्हें यह भी पता है चाहे तुम अपने शरीर का एक-एक अंग काट दो, फिर भी तुम मर नहीं सकती। तुम अच्छे से जानती हो हम तुम्हें इसकी कड़ी सजा दे सकते हैं, और एक ही पल में तुम्हारा पूरा परीलोक बर्बाद कर सकते हैं।"

    रानी माँ क्रोधित होकर बोलीं,
    "हाँ, हमें पता है आप क्या कर सकते हैं, पर क्या आपको नहीं पता हमारी बेटी के साथ वो जिन्न कितना दुर्व्यवहार करता है? उसको कितनी पीड़ा देता है? उसके शरीर के साथ-साथ उसकी आत्मा को भी चोट पहुँचाता है।"

    रानी माँ ने कहा,
    "या तो आप हम सबको मार दीजिए या मेरी बेटी को उस राक्षस से बचा लीजिए। निर्णय आपको लेना है।"

    ऐसा कहकर रानी माँ वापस से अपनी गर्दन अपने धड़ से जोड़ लेती हैं।

    परियों के देवता रानी परी की बात अच्छे से समझ जाते हैं और कहते हैं,
    "रानी परी, मेरे पास उस जिन्न से लड़ने की शक्ति नहीं है। वो बेहद ताकतवर है। उसे शिव जी का वरदान भी प्राप्त है। उससे कोई नहीं जीत सकता... किन्तु हाँ, एक रास्ता है तारा परी को बचाने का। आपको कुछ समय के लिए तारा परी को परीलोक से दूर, धरती लोक भेजना होगा। वहाँ जाकर तारा परी को एक नेक दिल इंसान से विवाह करना होगा। और तारा परी और उस नेक दिल इंसान के मिलन से जो पहली संतान पैदा होगी, केवल वही संतान उस राक्षस का वध कर सकती है। जब तक तारा परी की संतान पैदा नहीं होती, तब तक धरती लोक पर उनको छुपकर रहना होगा। बोलो, क्या है तुम्हारी बेटी में इतनी हिम्मत? क्या वो यह सब कर सकती है? क्या वो साधारण जीवन जी सकती है एक इंसान की भाँति?"

    रानी माँ ने कहा,
    "पर तारा परी धरती लोक कैसे जाएगी? और वो जिन्न तारा परी को ना पाकर वो तो पूरा परीलोक नष्ट कर देगा।"

    रानी माँ की बात सुनकर परियों के देवता ने कहा,
    "तुम चिंता मत करो। वो सब हम संभाल लेंगे। बस तुम जाओ और जाकर तारा परी से पूछो क्या वो यह सब कर पाएगी? धरती लोक जाकर नेक दिल इंसान से विवाह कर संतान पैदा कर पाएगी?"

    तारा परी वहाँ आकर बोली,
    "हाँ, मैं सब कर सकती हूँ। उस जिन्न से पीछा छुड़ाने के लिए मुझे जो भी करना पड़ेगा, मैं करूँगी।"

    वो रानी माँ और परियों के देवता की सारी बातें ना जाने कब से खड़ी सुन रही थीं।

    तारा परी को ऐसे बोलता देख दोनों चौंक गए। रानी माँ बोलीं,
    "लेकिन तारा परी को परीलोक में ना पाकर वो राक्षस तो पूरा परीलोक नष्ट कर देगा।"

    परियों के देवता:
    "हमें कोई रास्ता बताइए। हम क्या करें? कैसे होगा यह सब? उस राक्षस को तो हर रात तारा परी चाहिए। रात होते ही वो आ जाता है और कभी ना भरने वाले घाव मेरी बेटी को देता है।"

    रानी माँ ने चिंतित स्वर में कहा।

    परियों के देवता:
    "हम सब जानते हैं, इसीलिए इसका निवारण भी हमने निकाल लिया है।"

    ऐसा कहकर वो कुछ देर तक कुछ मंत्रों का जाप करते हैं, और देखते ही देखते रंग-बिरंगी रोशनी चारों ओर फैल जाती है। और हूबहू तारा परी जैसी एक खूबसूरत परी वहाँ प्रकट हो जाती है। वो दोनों चौंक जाती हैं। तभी रानी माँ चिंतित होकर बोलीं,
    "यह सब क्या है? वो राक्षस तारा परी को कुछ ही क्षण में पहचान लेगा। आपको तो पता है हर परी के पास इतनी शक्ति होती है, वो किसी का भी रूप बदल सकती हैं। एक बार हमने किसी और परी को तारा परी का रूप धारण करके भेजा था, लेकिन केवल एक ही रात उस परी के साथ बिताने के बाद उसे पता चल गया था। तभी उसने उस परी के प्राण ले लिए थे, और हमें चेतावनी दी थी कि अगर आगे से हमने कुछ ऐसा किया तो वो क्षण भर में पूरा परीलोक नष्ट कर देगा। और आप एक बार फिर से वही सब करने जा रहे हैं।"

    तभी परियों के देवता बीच में रोकते हुए बोले,
    "रानी परी, हम सारी बातें जानते हैं। आप लोग धीरज रखिए। यह कोई आम परी नहीं है। यह एक मायावी परी है। जैसे ही मायावी परी उस राक्षस के साथ रात बिताएगी, तो वो राक्षस अगली सुबह पूरे तीन वर्ष के लिए सो जाएगा, लेकिन तारा परी को तब तक धरती लोक जाकर संतान पैदा करके लौटना होगा क्योंकि ठीक तीन वर्ष के पश्चात् उसे होश आ जाएगा और होश में आते ही वो पूरा परीलोक नष्ट कर देगा। उस समय हम भी कुछ नहीं कर पाएँगे। क्या आप दोनों तैयार हैं?"

    इतने में रानी माँ बीच में बोलती हैं,
    "लेकिन प्रभु, मेरी बेटी धरती लोक कैसे जाएगी? और वो कैसे उस नेक दिल इंसान को खोजेगी?"

    तभी परियों के देवता एक बार फिर मंत्र जाप करते हैं। इस बार उनके हाथ में एक लॉकेट था, जिसमें बीचों-बीच एक लाल पत्थर था, और साथ ही एक फल दिया और कहा,
    "तुम यह लॉकेट पहन लो, और याद रहे जब भी वो नेक दिल इंसान तुम्हारे सामने आएगा, यह लाल पत्थर जगमगाने लगेगा। और यह फल खाकर तुम सीधा धरती लोक पहुँच जाओगी। और ध्यान रहे पृथ्वी लोक पर तुम केवल दूसरों की भलाई के लिए ही अपनी शक्तियाँ प्रयोग कर सकती हो, और जीवन निर्वाह हेतु तुम्हारे समक्ष आने वाली कठिनाइयों के लिए तुम अपनी शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकती। और तुम्हें खुद मेहनत करके अपना पेट भरना होगा, स्वयं के लिए रहने का स्थान खोजना होगा। जो भी जीवन निर्वाह हेतु परेशानी आएगी उनका सामना अपनी शक्तियों के बिना एक सामान्य इंसान की भाँति ही करना होगा।"

    तारा परी क्रोधित स्वर में बोली,
    "उस दुष्ट राक्षस जिन्न का जीवन समाप्त करने के लिए मैं सब कार्य करूँगी। एक सामान्य इंसान की भाँति जीवन निर्वाह करूँगी।"

    जिन्न के आने का समय हो गया था। परियों के देवता सब कुछ तारा परी को समझाकर अंतर्ध्यान हो गए।

    मायावी परी तारा परी के रूप में जिन्न के पास गई। जिन्न उसे तारा परी की भाँति ही पीड़ा देता है और उसके साथ दुष्कर्म करता है, लेकिन दुष्कर्म करते समय उसे ज्ञात हो जाता है कि यह तारा परी नहीं है, कोई छलावा है, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। राक्षस का शरीर उस मायावी परी से मिल चुका था, और अब वो राक्षस बेहोश हो चुका था, और वो मायावी परी गायब हो चुकी थी क्योंकि उसको जिस काम के लिए बनाया गया था वो हो चुका था।

    तारा परी, राक्षस जिन्न बेहोश होने के पश्चात् रानी माँ से कहती है,
    "मुझे आप लोग आज्ञा दीजिए। मैं अब पृथ्वी लोक जाना चाहूँगी और अपना कार्य जल्द से जल्द समाप्त कर वापस लौट आऊँगी।"

    रानी माँ अपनी बेटी को विजय का आशीर्वाद देती हैं और इसी के साथ वो देवता के द्वारा दिया गया फल खा लेती है और सीधा पृथ्वी लोक जाती हैं।

    क्या होगा अब तारा परी का? क्या वो उस इंसान को खोज पाएगी? क्या धरती पर बिना शक्तियों का प्रयोग किए रह पाएगी?

    क्या होगा तारा परी का? क्या वो यह सब सहती रहेगी? क्या कोई उसे बचा पाएगा?

  • 2. एक उदास परी - Chapter 2

    Words: 901

    Estimated Reading Time: 6 min

    तारा परी को राक्षस जिन्न द्वारा दिया गया दर्द असहनीय हो गया था। अतः उसकी माँ ने अपनी बलि देकर कुल देवता को आवाहन किया। देवता ने तारा परी को राक्षस से बचने का उपाय बताया और एक फल दिया। फल खाने के बाद तारा परी सीधे पृथ्वी लोक चली गई। वह एक विशाल फूलों के बगीचे में पहुँची जहाँ रंग-बिरंगे, खूबसूरत फूल लगे हुए थे। तारा परी बेहोश थी। फूलों की खुशबू से उसे धीरे-धीरे होश आने लगा। तारा परी आश्चर्य से चारों ओर देखने लगी। सब कुछ बेहद खूबसूरत लग रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह कहाँ है। वह बगीचे के रंग-बिरंगे फूलों की खूबसूरती में खो सी गई थी। बगीचे में सभी फूलों के बीच एक बड़ा तालाब बना हुआ था जिसमें रंग-बिरंगी मछलियाँ तैर रही थीं। तारा परी रंग-बिरंगी मछलियों और फूलों पर बैठी रंग-बिरंगी तितलियों को देखकर खुशी से चिल्ला पड़ी। बगीचे का माली, एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति, उसे बगीचे में किसी के होने का एहसास हुआ। वह संगीतमय हँसी और क्रीड़ा का पीछा करते हुए वहाँ आ गया। वहाँ तितलियों और मछलियों से खेलती तारा परी को देखकर वह आश्चर्यचकित हो गया। तारा परी खेलने में इतनी व्यस्त थी कि उसे एहसास ही नहीं हुआ कि कोई उसे देख रहा है। काफी देर परी को देखने के बाद माली थोड़ी तेज आवाज़ में बोला, "हे लड़की, कौन हो तुम और अंदर कैसे आ गई? मैं तो कब से बाहर ही बैठा था, फिर तुम अंदर कैसे आई? और तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई अंदर आने की?" अचानक माली की आवाज़ सुनकर तारा परी डर गई और घबराकर माली की ओर देखने लगी। उसने अपने हाथों में पकड़ी हुई मछलियों को वापस तालाब में छोड़ दिया। वह माली को जल्दी से कोई जवाब नहीं दे पाई और एक बार फिर मुड़कर माली को देखने लगी। कुछ जवाब न पाकर माली ने फिर पूछा, "हे लड़की, क्या तुम्हें सुनाई नहीं दे रहा है? बताओ, कौन हो तुम?" ऐसा कहकर माली ने तारा परी को ऊपर से नीचे तक ध्यान से देखा। बेहद खूबसूरत कपड़ों में, हीरे-मोतियों के आभूषण पहने, इतनी खूबसूरत लड़की उसने कभी नहीं देखी थी। माली को एहसास हुआ कि शायद तेज चिल्लाने की वजह से यह लड़की डर गई है। उसने एक बार फिर पूछा, इस बार थोड़ा प्यार से, "बेटी, कौन हो तुम?" तारा परी ने कुछ बोलने के लिए अपना मुँह खोला और थोड़ा हिचकिचाकर बोली, "वो... मैं... वो..." पर ही अटक कर रह गई। तब माली बीच में ही बोला, "ओह, अच्छा! तो तुम कोई कलाकार हो। ज़रूर तुम किसी नाटक या पिक्चर में अभिनय कर रही हो।" माली ने अपना अनुमान लगाया। तारा परी ने भी हाँ में हाँ मिलाई। "अरे बेटी, तो तुम अपने अभिनय के कपड़े पहनकर यहाँ क्या कर रही हो?" माली ने फिर पूछा। तारा परी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहे। तभी तारा परी बोली, "नहीं, वो... मैं... मैं यहाँ से गुज़र रही थी और बगीचे का दरवाज़ा खुला था, तो मैं फूलों का बगीचा देखने अंदर आ गई।" "ओह, अच्छा!" माली ने समझते हुए सर हिलाया। तारा परी ने पूछा, "काका, आपसे एक बात पूछूँ, अगर आपको बुरा न लगे तो?" माली ने कहा, "हाँ हाँ, बेटी, बोलो।" "वो काका, ये कौन सी जगह है?" माली ने कहा, "बेटी, ये मुंबई शहर है। और कमाल है, तुम तो यहाँ अभिनय करती हो, तो तुम क्यों पूछ रही हो?" तारा परी बात पलटते हुए बोली, "अरे नहीं काका, वो मैं तो ये जाँच कर रही थी कि क्या इस उम्र में भी आपकी बुद्धि काम कर रही है या नहीं।" ऐसा कहकर तारा परी खिलखिलाकर हँस पड़ी। तभी माली ने अपने चारों ओर देखा तो पाया कि पूरे बगीचे का एक-एक फूल खिल उठा था। सब कुछ बेहद खूबसूरत हो गया था। माली ये सब देखकर बेहद अचरज में पड़ गया और कुछ सोचते हुए बोला, "बेटी, सच-सच बताओ, कौन हो तुम? तुम कोई साधारण लड़की नहीं लग रही हो मुझे।" तभी तारा परी को अपने ईश्वर का आभास हुआ। ईश्वर ने कहा, "तारा परी, यह एक नेकदिल बुज़ुर्ग है। तुम अपना सच इन्हें कह सकती हो। ये मरते-मर जाएँगे पर तुम्हारा सच कभी किसी से नहीं कहेंगे।" तारा परी को यह सुनकर काफी राहत हुई और माली के पूछने पर अपना सारा सच उसे बता दिया। उसने अपना पृथ्वी लोक पर आने का कारण भी सच-सच बता दिया और माली से वादा लिया कि वह कभी उसका सच किसी को नहीं बताएँगे। तभी तारा परी ने देखा कि माली की आँखों में आँसू थे। माली की आँखों से लगातार बहते आँसुओं को देखकर तारा परी ने आश्चर्य से पूछा, "क्या हुआ काका? आप क्यों रो रहे हैं?" "बेटी, मेरी आँखों में आँसू क्यों हैं, मैं यह तुम्हें समय आने पर बताऊँगा। अभी रात होने वाली है, तुम्हारा यहाँ ज़्यादा देर तक रहना सुरक्षित नहीं है। तुम मेरे साथ चलो, मेरे घर। और हाँ, उससे पहले अपने कपड़े-जेवर सब बदल लो और आओ मेरे साथ।" माली तारा परी को बगीचे में बने एक कमरे में ले गया। वहाँ एक महिला कर्मचारी के कुछ कपड़े उसने तारा परी को दिए। तारा परी ने वे कपड़े पहने और अपने सारे कपड़े-जेवर उतारकर माली काका के दिए हुए थैले में रख दिए और वह थैला माली काका को दे दिया। माली ने वह थैला वहीं बगीचे में एक बरगद के पेड़ के नीचे गहरा गड्ढा खोदकर गाड़ दिया और तारा परी को लेकर अपने घर की ओर चल दिया।

  • 3. एक उदास परी - Chapter 3

    Words: 1186

    Estimated Reading Time: 8 min

    तारा परी पृथ्वी लोक पहुँच चुकी थी और उसने अपने आपको फूलों के खूबसूरत बगीचे में पाया। यहाँ उसकी मुलाक़ात बगीचे के माली से हुई। तारा परी ने अपना सारा सच माली को बता दिया था। माली ने तारा परी की मदद करने का फ़ैसला किया और उसके कपड़े-गहने बदलवाकर उसी बगीचे के एक मज़बूत और बहुत बड़े बरगद के पेड़ के नीचे छिपा दिए। और सादे कपड़े पहनाकर उसे अपने साथ अपने घर की ओर चल पड़ा। रात के अंधेरे में माली तारा परी को अपने घर ले गया। जब वह घर पहुँचा, उसने देखा उसका सारा परिवार सो चुका था। माली ने तारा परी को अच्छे से समझा दिया था कि वह अब अपनी पहचान किसी को नहीं बताएगी। उसके बाद एक मामूली से कमरे में वह तारा परी को ले गया और बोला, "बेटी, तुम यहाँ रुको, मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने को लेकर आता हूँ।" ऐसा कहकर वह पास ही बने रसोई घर में गया और कुछ खाने के लिए खोजने लगा, लेकिन हर रोज़ की तरह उसकी बहू ने आज भी माली काका के लिए खाना नहीं बनाया था। वह निराश होकर तारा परी के पास गया और हाथ जोड़ते हुए बोला, "बेटी, मैं माफ़ी चाहता हूँ, खाने को कुछ भी नहीं है।" तारा परी ने माली काका के दोनों हाथों को थाम लिया और उनकी सारी दुःख-तकलीफ़ समझ गई। तारा परी किसी का भी हाथ पकड़कर उसका पूरा अतीत और उसके मन में क्या चल रहा है या क्या होने वाला है, सब देख सकती थी। यह अनोखी शक्ति तारा परी को वरदान स्वरूप एक देवता से मिली थी। उसके बाद तारा परी ने माली काका को बिठाया और कमरे का दरवाज़ा बंद किया। फिर कुछ पढ़कर फूँका तो देखते ही देखते ढेर सारा खाना आ गया, जो किसी राज-भोज से कम नहीं था! ढेरों फल, तरह-तरह की सब्ज़ी, पुड़ी, रायता, सलाद, मीठा... सब कुछ था! पर माली हैरान होकर सब देख रहा था। तभी तारा परी ने माली काका को अपने हाथों से खाना खिलाना शुरू कर दिया। माली की आँखों से खुशी के आँसू लगातार बह रहे थे, क्योंकि आज बरसों बाद उसने रात में खाना खाया था; वरना हर रोज उसे भूखा ही सोना पड़ता था। खाने के बाद माली कमरे के बाहर ही एक कपड़ा डालकर सो गया। सुबह जब उसका परिवार उठा, तो उसके बड़े बेटे ने अपने पिता को उठाया और बोला, "पिताजी, आप बाहर क्यों सो रहे थे? अपने कमरे में क्यों नहीं सोये?" तभी धीरे-धीरे सारा परिवार वहाँ जमा हो चुका था और सबकी आँखों में यही सवाल था। इससे पहले कि माली काका कुछ बोलते, कमरे का दरवाज़ा खुला और तारा परी बाहर आई। सबका ध्यान एक साथ तारा परी पर गया। और सभी इतनी खूबसूरत लड़की को देखकर अचरज में पड़ गए और एक-दूसरे का मुँह देखने लगे। माली काका की दोनों बहुओं को तारा परी की खूबसूरती देख जलन के मारे बुरा हाल था! तभी माली काका बोले, "ये मेरी बेटी है, आज से यही रहेगी। इसका नाम तारा है।" सभी यह सुनकर एक-दूसरे का मुँह देखने लगे। तभी एक बहू बोली, "वाह! देख लो, अपने पिता को! एक तो राह चलती जवान लड़की को घर ले आए और आराम से कह रहे हैं, 'ये यही रहेगी'!" तभी एक रोबदार आवाज़ में माली काका बोले, "खबरदार! किसी ने कुछ कहा तो! ये मेरा घर है! अगर किसी को मेरे फैसले से कोई ऐतराज़ है, वो जा सकता है!" अपने पिता का ऐसा रूप देखकर सभी हैरत में पड़ गए। बरसों बाद माली काका ने आवाज़ उठाई थी। वरना बेटे-बहू के सारे जुल्म, पत्नी के मरने के बाद से, वह बर्दाश्त करते आये थे। सभी चुप होकर एक-दूसरे को देखने लगे। तभी उनके पोते-पोतियाँ तारा परी के पास गए और कहने लगे, "आप यहीं रहेंगी? आप कौन हैं? आप बहुत सुन्दर हैं! आप कहाँ से आई हैं?" तारा परी मुस्कुराकर बच्चों से मिली और जल्दी ही बच्चों से उसकी दोस्ती हो गई। सब बच्चे तारा परी का साथ पाकर काफी खुश थे। वे जल्दी ही तारा परी से घुल-मिल गए थे। माली काका के बेटों को कोई ऐतराज़ नहीं था तारा परी के वहाँ रहने से, लेकिन उनकी दोनों पत्नियाँ तो जैसे जल-भुनकर राख हो गई थीं, पर कुछ कर नहीं पाई थीं। माली काका ने तारा परी को शहर की हर छोटी-बड़ी बात बताई और समझाई कि यह दुनिया कितनी मतलबी है; तुम्हें किसी पर भी विश्वास नहीं करना है। तारा परी ने कहा, "मैं आपकी हर बात समझ गई हूँ, पर काका, मुझे बाहर जाना होगा क्योंकि मुझे उस नेकदिल इंसान को ढूँढना है और जल्द से जल्द अपने लोक वापस जाना है।" माली काका ने हाँ में सर हिलाया और तारा परी को लेकर शहर दिखाने चल पड़े और सोचा शायद वह भला इंसान भी मिल जाए। माली काका ने रोज़ की तरह एक रिक्शा बुक किया और बोला कि वह पूरा शहर घुमाए। रिक्शा वाला हैरानी से सोच रहा था, "आज इस बूढ़े को क्या हो गया है? रोज़ तो केवल अपने गार्डन तक ही जाता था, आज पूरा शहर घूमने की बात कर रहा है!" "खैर, मुझे तो अपने पैसों से मतलब है," यह सोचकर वह चल पड़ा मुंबई की सड़कों पर। बड़ी-बड़ी बिल्डिंग, ढेर सारी गाड़ियाँ, खूबसूरत घर, गार्डन, दुकानें... ये सब वह ज़िन्दगी में पहली बार देख रही थी। वह तो जैसे खो सी गई थी इन सब में। तभी उसे उस भयानक राक्षस का ख्याल आता है तो मानो उसकी रूह काँप जाती है। तभी अचानक रिक्शा वाला अपना बैलेंस खो बैठता है और उसका रिक्शा लड़खड़ा जाता है और सामने खड़ी ब्लैक मर्सिडीज़ से टकरा जाता है। रिक्शा वाले की तो जैसे जान हलक में आ गई थी। वह डर के मारे काँपने लगा था। तारा परी को कुछ समझ नहीं आया कि क्या हुआ है। माली काका भी घबरा गए थे। तभी अचानक पास खड़े, ब्लैक सूट-बूट और बड़ी सी गन कैरी किए हुए दो गार्ड्स रिक्शा वाले के पास आये। उनमें से एक ने रिक्शा वाले का गिरेबान पकड़ लिया जिससे वह बेचारा काँपने लगा। माली काका भी काफी डर गए। गरीब रिक्शा वाला लगातार उनसे माफ़ी मांगता रहा, लेकिन उनमें से किसी ने भी उसकी एक भी बात नहीं सुनी। उनमें से एक ने आगे बढ़कर एक घूँसा बेचारे रिक्शा वाले के मुँह पर दे मारा। तुरंत ही वह ज़मीन पर गिर पड़ा और उसके मुँह से खून आने लगा। इस पर तारा परी को बेहद गुस्सा आया और जैसे ही दूसरा गार्ड रिक्शा वाले को मारने के लिए आगे बढ़ा, तभी अचानक तारा परी ने उसका हाथ पकड़ लिया और एक जोरदार चांटा उस गार्ड के ज़ोर से मारा। चांटे की आवाज़ इतनी ज़ोर से थी मानो आस-पास कहीं ब्लास्ट हो गया हो। और उस गार्ड के कानों से खून आना शुरू हो गया। तब तक वहाँ अच्छी खासी भीड़ जमा हो गई थी, और एक नाजुक सी लड़की का इतने हट्टे-कट्टे गार्ड्स को इस तरह मारना सभी के लिए चर्चा का विषय बन गया था। माली काका बेहद डर गए और जल्दी से तारा परी का हाथ पकड़कर उसे ले जाने लगे। तभी अचानक उस गार्ड के दूसरे साथी ने गन निकालकर तारा परी पर तान दी और अपने बॉस के पास चलने के लिए कहा।

  • 4. एक उदास परी - Chapter 4

    Words: 1127

    Estimated Reading Time: 7 min

    तारा परी और माली काका शहर घूमने निकले थे। उनका रिक्शा एक दुर्घटना में फंस गया और एक महँगी कार पर खरोंच लग गई। पास खड़े गार्डों ने रिक्शा चालक को थप्पड़ मारा। तारा परी को यह बहुत बुरा लगा। जैसे ही एक गार्ड ने दूसरा थप्पड़ मारने के लिए हाथ उठाया, तारा परी को गुस्सा आ गया और उसने उस गार्ड को खींचकर थप्पड़ मार दिया। उस थप्पड़ की गूंज दूर तक गई, मानो कहीं धमाका हुआ हो। उनमें से एक ने तारा परी पर बंदूक तान दी और अपने बॉस के पास चलने को कहा। माली काका बुरी तरह घबरा गए। एक तो जो लड़की उनके साथ थी, वह कोई आम इंसान नहीं थी, और ऊपर से वे केवल एक गरीब माली थे, जिनके पास केवल तीन सौ रुपये थे। माली काका को धीरे-धीरे पसीना आने लगा और वे वहीं बेहोश हो गए। तारा परी बेहद परेशान हो गई और मदद के लिए चिल्लाने लगी। तब उनमें से एक गार्ड ने कहा, "भाई, छोड़ दो इसे। इसको किसी और दिन देख लेंगे। लेकिन अगर ये बूढ़ा मर गया, तो लेने के देने पड़ जाएँगे।" "और तुम तो बॉस को जानते हो, वो हमारा क्या हाल करेंगे?" ऐसा कहकर वे गार्ड वहाँ से चले गए, बिना तारा परी से कुछ बोले। तारा परी चाहती तो अपनी शक्तियों का प्रयोग करके माली काका को उसी समय ठीक कर सकती थी, लेकिन आस-पास बहुत भीड़ थी, इसलिए वह ऐसा नहीं कर सकी। तभी भीड़ में से कुछ आदमी आए और माली काका को उठाने में तारा परी की मदद करने लगे। उन्होंने उन्हें उसी रिक्शे में बिठा दिया, क्योंकि अस्पताल वहाँ से कुछ ही दूरी पर था। रिक्शा वाला ऊपर वाले का शुक्र अदा करता हुआ जल्दी से अस्पताल की ओर रवाना हो गया। तारा परी माली काका को पकड़े बैठी रहीं, क्योंकि उन्हें अभी होश नहीं आया था। रिक्शा वाला जल्दी-जल्दी आगे बढ़ रहा था। तब तारा परी ने चारों ओर देखा। उसने पाया कि कोई उन्हें नहीं देख रहा था। तब सबकी नज़र बचाकर तारा परी ने अपनी शक्तियों का प्रयोग किया और माली काका के माथे और सीने को छुआ। और तारा परी के छूते ही कुछ ही देर में माली काका को होश आ गया और वे बिल्कुल ठीक हो गए। माली काका के अंदर एक अजीब सी स्फूर्ति आ गई थी। वे पहले से भी ज़्यादा अपने आप को ठीक महसूस कर रहे थे, क्योंकि उनके घुटनों में जो पिछले चार सालों से दर्द था, वह भी मानो गायब सा हो गया था। माली काका ने आश्चर्य से तारा परी की ओर देखा और सब समझकर मुस्कुरा दिए। तब माली काका ने देखा कि रिक्शा वाला तेज़ी से अस्पताल की ओर बढ़ रहा था। तब उन्होंने कहा, "अरे रिक्शा वाले भाई, कहाँ जा रहे हो इतनी तेज़ी से?" रिक्शा वाला माली काका की आवाज़ सुनकर चौंक गया और उसने एक किनारे अपना रिक्शा रोक लिया। "अरे आप कैसे बोल पा रहे हैं? आपकी तो तबीयत खराब थी, न?" माली काका को कुछ समझ नहीं आया कि वे रिक्शा वाले की बात का क्या जवाब दें। तब उन्होंने कहा, "अरे भाई, तुझे तो पता है, वो लोग मेरी बेटी को मारने वाले थे, इसलिए मैंने बीमारी का नाटक किया और देखा, सब ठीक हो गया।" यह कहकर माली काका एक फीकी सी हँसी हँसे। और माली काका की बात सुनकर वो रिक्शा वाला बोल उठा, "अरे वाह बाबूजी! आप तो बड़े चतुर निकले!" माली काका ने देखा कि तारा परी का चेहरा अचानक मुरझा गया। तब माली काका ने उस रिक्शा वाले से सामने दिखाई दे रहे पार्क में रिक्शा रोकने को कहा। माली काका तारा परी को लेकर पार्क में चले गए और एक बेंच पर बैठ गए। "क्या बात है बेटी? तुम्हारा चेहरा क्यों मुरझाया हुआ है?" तब तारा परी ने एक नज़र माली काका को देखा और बोली, "वो काका, आपने असत्य क्यों बोला कि आप मूर्छित होने का अभिनय कर रहे थे, जबकि हमने आपको ठीक किया था?" तब माली काका थोड़ा सोचने लगे और बोले, "बेटी, तो आप बताओ, मैं क्या बताता उस रिक्शा चालक को कि आपने मुझे ठीक किया है? और वो पूछता कैसे, तो क्या कहता? अपने जादू से? बेटा, ये दुनिया है, यहाँ हर तरह के इंसान रहते हैं। आपकी आत्मा एकदम पवित्र है और निश्चल है। आपने न तो कभी झूठ बोला है, न ही किसी को धोखा दिया है। आप तो एक फ़रिश्ता हैं। शहरी भाषा में बोलूँ तो आप एक एंजल हैं।" "लेकिन बेटा, ये इंसानों की दुनिया है, जहाँ झूठ है, फरेब है, धोखा है। इसलिए हम सब यहाँ इस दुनिया के हिसाब से ही चलते हैं। आपका सच उस रिक्शा वाले को पता न चले, इसीलिए मैंने झूठ बोला, बेटा।" तारा परी अच्छे से माली काका की बात समझ गई थी। तब वह बोली, "लेकिन काका, अगर मेरा मन ऐसा ही बना रहा, तो बहुत जल्द इस दुनिया के सामने मेरी हकीकत आ जाएगी और बिना मेरा काम पूरा हुए मुझे यहाँ से जाना होगा।" ऐसा कहकर तारा परी उदास हो गई। तब माली काका ने अपना हाथ उसके सर पर रखा और बोले, "बेटा जी, आप परेशान ना हों। याद है, आपने मुझे बताया था कि अगर आप किसी का भी हाथ पकड़ लें, तो उसके मन में क्या चल रहा है, आप सारी बात जान लेते हैं?" तारा परी ने हाँ में सर हिला दिया। तब माली काका बोले, "तो क्या बेटा, ऐसा हो सकता है कि आप किसी भी इंसान का अगर हाथ पकड़ें, तो उसका स्वभाव, उसका नेचर, सब कुछ अपने अंदर ट्रांसफ़र कर सकते हो?" माली काका की बात सुनकर तारा परी के चेहरे पर मुस्कराहट तैर गई और वह समझ गई कि माली काका क्या कहना चाह रहे थे। अगर तारा परी किसी इंसान की फीलिंग्स, इमोशन्स, किस सिचुएशन में वह किस तरह से रिएक्ट करेगा, वह सब अगर अपने अंदर ट्रांसफ़र करती है, तो इंसान की भावनाएँ समझना, अपने आप को किसी मुश्किल सिचुएशन से खुद को बचाने के लिए झूठ बोलना, उसे सब आ जाएगा। और वह आराम से इस दुनिया के लोगों में घुल-मिल जाएगी। "तब तारा परी बोली, "काका, हम किसका हाथ पकड़ेंगे? आखिर कौन होगा जिसकी आदतें, भावनाएँ सब हमारे अंदर आएंगी?" तब माली काका ने थोड़ा सोचा और कहा, "बेटा, मेरी नज़र में है एक लड़की, उसका नाम धरा राठौड़ है। वो लड़की सबसे कमाल की लड़की है। हमेशा सबकी सहायता करती है और किसी का भी हिम्मत के साथ सामना कर सकती है और सच कहने से कभी नहीं डरती।" "अगर तुम उसका हाथ पकड़कर उसकी सारी आदतें ले लो, तो इस शहर में तुम आसानी से रह पाओगी, वो भी उसी की तरह एकदम निडर होकर।" तारा परी: "ठीक है काका, तो हम चले उस लड़की के पास।" तब माली काका थोड़ा उदास हो गए। आखिर कौन है धरा? क्या धरा तारा परी की मदद करेगी?

  • 5. एक उदास परी - Chapter 5

    Words: 1341

    Estimated Reading Time: 9 min

    माली काका को झूठ बोलते देख तारा परी उदास हो गई। तब माली काका ने उसे समझाया कि इंसान को अपने आप को बचाने के लिए झूठ का सहारा लेना ही पड़ता है। क्योंकि अगर वह झूठ नहीं बोलते, तो पक्का सब तारा परी की सच्चाई जान जाते।

    तब माली काका ने तारा परी को किसी इंसान का स्वभाव अपनाने को कहा ताकि वह इंसानी दिमाग के साथ इस दुनिया में रहकर अपना मकसद पूरा कर पाए।

    और तारा परी किसका स्वभाव अपनाएगी? जैसे ही यह सवाल उनके मन में आया, तो एक ही नाम उनके दिमाग में आया—वह था धरा का नाम। धरा बहुत ही अच्छी और दूसरों की मदद करने वाली लड़की थी, लेकिन इस वक्त वह एक हॉस्पिटल में एडमिट थी। क्या हुआ था उसके साथ? इसका पता लगाने के लिए तारा परी माली काका के साथ हॉस्पिटल की ओर चल दी।

    धरा राठौड़ का नाम सुनते ही तारा परी चहक उठी। और जैसे ही उसने धरा के चरित्र के बारे में सुना, तो उसका मन धरा से मिलने के लिए व्याकुल हो उठा।

    तारा परी ने माली काका को धरा के पास चलने को कहा। लेकिन माली काका उदास हो गए और बोले, "बेटी, हम लोग धरा बेटी से मिलने तो जा सकते हैं, लेकिन पता नहीं हम मिल भी पाएँगे या नहीं।"

    "लेकिन क्यों काका? हम भला धरा से क्यों नहीं मिल सकते?" तारा परी ने कहा। "वो दरअसल धरा बेटी अस्पताल में है।"

    तारा परी माली काका की बात सुनकर चौंक गई और बोली, "लेकिन क्यों काका? क्या हुआ उनको?"

    "वो बेटा जी, जैसा कि मैंने आपको बताया, धरा एक साहसी लड़की है। दूसरों की सहायता करना और मजबूरों की मदद करना, कहीं कोई अन्याय हो रहा हो, उसके खिलाफ आवाज़ उठाना—इस बच्ची ने कभी पीछे नहीं हटी।"

    "और उसी का फल उसे मिला है कि आज वो एक हॉस्पिटल में भर्ती है और ज़िंदगी और मौत के बीच जूझ रही है।"

    तारा परी परेशान हो उठी और बोली, "माली काका, आप मुझे वहाँ लेकर चलिए। मैं खुद धरा से मिलना चाहती हूँ।"

    "और अब तो मैं उसी की तरह बनूँगी, उसका स्वभाव अपने अंदर लाऊँगी।"

    "ठीक है बेटा, चलो मेरी साथ। और खुद ही देख लो उस बच्ची की हालत।" माली काका ने कहा।

    तारा परी और माली काका हॉस्पिटल पहुँच चुके थे। माली काका ने वहाँ जाकर धरा के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि आज ही धरा को डिस्चार्ज कर दिया गया है।

    माली काका ने हॉस्पिटल से उसका एड्रेस लेकर तारा परी के साथ उसके घर की ओर चल दिए।

    और जल्दी ही वो लोग एक छोटे से घर के सामने खड़े थे। वहाँ पर काफी लोगों की भीड़ लगी हुई थी। जैसे-तैसे सबको हटाते हुए माली काका तारा परी को लेकर आगे बढ़ गए और उन्होंने देखा धरा बिल्कुल सामने पड़ी एक कुर्सी पर बैठी हुई थी। तारा परी ने जैसे ही धरा को देखा, उनकी चीख निकल गई।

    तारा परी की चीख बहुत भयानक थी। हर कोई उसकी आवाज़ सुनकर काँप उठा। जो लोग तारा परी के आस-पास थे, उनके कानों में भयानक दर्द होने लगा और लोगों में बातें शुरू हो गईं।

    तारा परी समझ चुकी थी कि उससे क्या हो गया है, सो वह जल्दी से हँसने लगी। तारा परी की हँसी जितने लोगों के कानों तक पहुँची, उन सबको दर्द से राहत मिल गई थी।

    लोगों को समझ ही नहीं आया था कि उनके साथ हुआ क्या है और वे लोग एक पल में ही सब भूल गए।

    तारा परी को हँसते देख धरा के पिताजी आग-बबूला हो उठे और बोले, "ए लड़की, कौन हो तुम? जो मेरे ही घर आकर मेरी बेटी पर हँस रही हो?" माली काका तो पहले से ही तारा परी के चीखने और हँसने से परेशान थे और अब धरा के पिता की बात सुनकर वे और सदमे में आ गए थे।

    तब माली काका ने अपने दोनों हाथ धरा के पिताजी के सामने जोड़ दिए और बोले, "मैं क्षमा चाहता हूँ साहब जी, मेरी बेटी की ओर से। वो साहब, मेरी बेटी दिमागी तौर पर बीमार है। मैं उसे यहाँ धरा बेटी से मिलवाने लाया था, लेकिन धरा बेटी का ऐसा भयावह रूप देखकर शायद यह डर गई और यही क्यों, हम लोग भी तो बच्ची का ऐसा रूप देखकर डर गए हैं।"

    माली काका की बात सुनकर धरा के पिता खुद को रोक नहीं पाए और वे सुबक-सुबक कर रो पड़े।

    तब माली काका और वहाँ खड़े लोग उन्हें सांत्वना देने लगे और धीरे-धीरे सब वहाँ से जाने लगे। और कुछ ही समय में वहाँ धरा और उसके पिताजी के अलावा तारा परी और माली काका थे।

    तब धरा के पिता बोले, "आप भी जा सकते हैं। यह दुख इतना बड़ा है, इसको तो हमें ही झेलना है।"

    तभी तारा परी धरा के पास गई और उसने उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया और उसके पिता की ओर देखती हुई बोली, "धरा की यह हालत कैसे हुई?"

    धरा के पिताजी ने बताना शुरू कर दिया और तब तक तारा परी ने अपना हाथ धरा के हाथ पर ही रखे रखा।

    धरा के पिता बोले, "रोज़ की तरह मेरी बेटी अनाथ आश्रम गई थी अनाथ बच्चों को पढ़ाने के लिए और तभी वहाँ उस एमएलए का बिगड़ा हुआ बेटा, सुधीर मिश्रा, आ पहुँचा। उसकी और उसके बाप की नज़र अनाथ आश्रम की ज़मीन पर थी, जिसके खिलाफ़ मेरी बेटी ने कोर्ट में मुकदमा दर्ज करा रखा था।"

    "वह एक हफ़्ता पहले मेरी बेटी को धमकी देने आया था केस वापस लेने की और जब मेरी बेटी ने मना कर दिया, तब उसने अपने एक आदमी से मेरी बेटी के ऊपर..." बात पूरी करने से पहले ही धरा के पिता रोने लगे। तब तारा परी ने बात पूरी की और बोली, "आपकी बेटी के ऊपर तेज़ाब फेंकवा दिया।"

    "जिससे उसकी गर्दन, चेहरा बुरी तरह से जल गए और इनका ख़ूबसूरत चेहरा बदसूरती में बदल गया।"

    तारा परी धरा का हाथ पकड़ कर सब कुछ जान चुकी थी और साथ ही साथ उसने धरा का स्वभाव भी अपना लिया था।

    तब तारा परी ने धरा से कहा, "क्या हुआ धरा? ऐसे क्यों बैठी हो? तुमने डरकर चुप रहना कब से सीख लिया? भूल गई अपना रूल? यह दुनिया के लोग तभी तक तुम्हें डराएँगे जब तक तुम डरोगी। इसलिए उठो और मुक़ाबला करो।"

    जैसे ही तारा परी ने यह बात बोली, धरा को लगा जैसे उसकी परछाई सामने खड़ी हो और उससे उसी की बात बोल रही हो।

    तब धरा तारा परी की बात सुनकर फूट-फूट कर रो पड़ी और बोली, "इस जले हुए चेहरे के साथ क्या मुक़ाबला करूँ मैं? जिस चेहरे को देखकर मुझे खुद घिन आ रही हो, इस चेहरे के साथ कौन सुनेगा मेरी बात?"

    तारा परी मुस्कुराई और उसने देखा उसके ठीक सामने गुलाब के फूलों का एक पौधा था जिस पर तीन गुलाब लगे थे। तारा परी ने उसमें से एक गुलाब तोड़ लिया और धरा के पिता से एक कटोरी माँगी।

    उन्होंने कहा, "हे लड़की, क्या कर रही हो तुम? हम वैसे ही बहुत परेशान हैं, तुम जाओ यहाँ से।"

    तारा परी ने कहा, "विश्वास रखिए पिताजी, सब ठीक हो जाएगा।"

    तारा परी ने धरा के पिता को 'पिता' कहा था। जैसे कि इंसानी भावनाएँ उसके अंदर आ गई थीं, तो वह बात संभालते हुए बोली, "धरा के पिताजी... सॉरी, अंकल। जल्दी-जल्दी में 'पिता' मुँह से निकल गया।"

    माली काका तारा परी की नॉर्मल भाषा सुनकर खुश हो गए और समझ गए कि ज़रूर तारा परी ने धरा बेटी की भावनाएँ, स्वभाव अपने अंदर ले ली थीं।

    तभी उस गुलाब के फूल से तारा परी ने एक पैक बना दिया और धरा के पूरे चेहरे, जहाँ-जहाँ जलने के निशान थे, हर जगह पर लगा दिया और बोली, "बस बीस मिनट तक आप इसे लगाए बैठी रहें।" धरा ने हाँ में सर हिला दिया, जबकि धरा के पिता भड़क उठे।

  • 6. एक उदास परी - Chapter 6

    Words: 2023

    Estimated Reading Time: 13 min

    तारा परी ने धरा का सब स्वभाव अपना लिया था, और अब उसे झूठ, सच, अच्छा, बुरा सबकी पहचान हो गई थी। वह पूरी तरह से इस दुनिया में जीने के लिए तैयार थी; पूरे तीन साल।

    धरा के लिए तारा परी ने गुलाब की पंखुड़ियों का एक पैक बनाया और जहाँ भी तेज़ाब के जले के निशान थे, उन पर लगा दिया। इसे देखकर धरा के पिता आग-बबूला हो उठे और बोले, "ये क्या मज़ाक लगा रखा है तुम लोगों ने? जिसका इलाज बड़े-बड़े डॉक्टर नहीं कर पाए, वो इस लड़की के बनाए हुए पैक से ठीक हो जाएगी? ये लड़की पक्का पागल है! इसे ले जाओ यहाँ से!"

    धरा के पिता माली काका पर चिल्ला पड़े थे।

    जिससे तारा परी को गुस्सा आ गया और वह बोली, "अंकल, आपको कोई हक़ नहीं है मेरे काका पर चिल्लाने का! मैंने कहा ना, थोड़ा इंतज़ार करिए! मैंने केवल बीस मिनट ही तो बोला है ये पैक चेहरे पर रखने के लिए।"

    अभी धरा के पिता कुछ और कहने वाले थे कि-

    तब धरा भी बीच में बोल पड़ी, "रहने दो ना, पापा! मुझे भी पता है कुछ नहीं होने वाला है। फिर भी इस लड़की का मन रखने के लिए मैंने ये पैक लगा लिया।"

    धरा की बात सुनकर तारा परी मुस्कुरा दी और पूरे बीस मिनट के बाद उसने धरा को अपना मुँह धोने के लिए कहा।

    धरा अपना मुँह धोने के लिए जैसे ही अंदर गई, धरा के पिता उठे और माली काका से बोले, "भाई साहब, बहुत ड्रामा हो गया आप दोनों बाप-बेटी का! मैं अपनी बेटी की वजह से बहुत देर से चुप बैठा था, लेकिन अब नहीं। कृपया करके आप दोनों जाओ यहाँ से।"

    धरा के पिता उन्हें धक्का देकर अपने घर से निकालने ही वाले थे कि तभी धरा की आवाज़ सुनाई दी, "पिताजी!"

    जैसे ही धरा के पिता ने पीछे मुड़कर अपनी बेटी को देखा, उनकी हैरत का ठिकाना न रहा। उनकी बेटी बिल्कुल ठीक हो गई थी; बल्कि पहले से भी ज़्यादा खूबसूरत हो गई थी। धरा के पिता एकटक अपनी बेटी को देखते रहे।

    तब तारा परी ने माली काका को वहाँ से चलने का इशारा किया और जब वो बाप-बेटी एक-दूसरे को देखकर रो रहे थे, तभी तारा परी और माली चुपके से वहाँ से निकल लिए।

    दोनों बाप-बेटी ने जब इधर-उधर उन्हें ढूँढ़ा, लेकिन वे कहीं नहीं मिले। और धरा के पिता को याद आ गया कि कैसे उन्होंने उन दोनों को धक्का मारकर निकालने की कोशिश की थी। यह सब याद करके वे फूट-फूट कर रो पड़े और पछताने लगे।

    तारा परी माली काका के साथ सीधे उनके घर पहुँची थी।

    अब माली काका को तारा परी की चिंता काफ़ी हद तक ख़त्म हो गई थी क्योंकि अब उसके अंदर इतनी शक्ति थी कि वह आम इंसान का मुक़ाबला अच्छे से कर सकती थी।

    तारा परी जैसे ही माली काका के घर गई, उनकी छोटी बहू ने काका को देखते ही ताना कसना शुरू कर दिया और अपनी बड़ी जेठानी से बोली, "देख लो दीदी, हमारे बूढ़े ससुर पर जवानी लौट आई है! एक जवान लड़की को पूरे शहर की सैर कराते फिर रहे हैं!"

    तारा परी ने उनकी बात सुन ली थी और वह उनके सामने जाकर खड़ी हो गई और बोली, "आप तो काका की छोटी बहू हैं ना?" छोटी बहू एकदम से तारा परी के सवाल पर सकपका गई और तुरंत बोली, "हाँ, हम हैं तो।"

    तारा परी ने तुरंत उसे टका-सा जवाब दिया और बोली, "तो क्या तुम्हारे घरवालों ने तुम्हें इतनी तमीज़ नहीं सिखाई कि बड़ों से कैसे बात करते हैं? और जहाँ तक मुझे पता है, आपके पिता तो एक रिक्शा चालक हैं ना? और दो वक़्त की रोटी कमाने के लिए वो कड़ी मेहनत करते थे। और माली काका के हाथ-पैर जोड़कर उन्होंने तुम्हारा रिश्ता उनके छोटे बेटे से पक्का कराया था।"

    अपनी पोल खुलती देख काका की छोटी बहू बोली, "बस! बस! बस! ज़्यादा मत बोलो! हमें अच्छे से पता है उस बूढ़े ने तुम्हें सब कुछ बता दिया होगा।" ऐसा कहती हुई वह किलकिलाकर अंदर चली गई। छोटी बहू की बेइज़्ज़ती होती देख बड़ी बहू बिना कुछ बोले चुपचाप अंदर खिसक गई।

    काका तारा परी को देखकर मुस्कुरा दिए और उसे अंदर ले गए।

    तारा परी ने कहा, "काका, मेरे जीवन के दो दिन चले गए हैं, लेकिन अभी तक मुझे उस इंसान के बारे में कुछ भी पता नहीं चला।" तारा परी को ऐसे उदास देखकर माली काका ने उसके सर पर हाथ रखा और बोले, "परेशान मत हो, बेटी! ऊपर वाले ने चाहा तो बहुत जल्द वो नेक दिल इंसान तुम्हारे सामने होगा। अभी तुम यहाँ आओ और बैठो।" माली काका ने तारा परी को एक जगह पर बिठा दिया और खुद एक बड़ा सा बाल्टी और टब ले आया।

    तारा परी ये सब देखकर चौंक गई और बोली, "ये सब क्या है, काका?" माली काका बोले, "कुछ नहीं है। आप बैठो।" ऐसा कहकर माली काका ने तारा परी की जूती उतारी तो उन्होंने देखा वहाँ बड़े-बड़े फोड़े और घाव पड़ चुके थे। वह परी तो लोक की आई हुई एक नाजुक सी परी थी, आज पहली बार पृथ्वी की ज़मीन पर चली थी, जिसके कारण तारा परी के पैरों में छाले पड़ चुके थे।

    जूतियाँ उतरते ही तारा परी दर्द के मारे कराह उठी और माली काका हल्के गर्म पानी से तारा परी के पैरों की सिकाई करने लगे। तारा परी चाहती तो एक झटके में अपने आप को ठीक कर सकती थी, लेकिन उसने वैसा नहीं किया क्योंकि वह इंसानी भावनाओं के साथ-साथ इंसानी दर्द, ज़ख़्म, सब चीजों का अनुभव करना चाहती थी।

    माली काका की सिकाई से उसे काफ़ी आराम मिला और वह एक गहरी नींद में सो गई। तारा परी को सुकून से सोता देख-

    माली काका भी बाहर जाकर कपड़ा ज़मीन पर बिछाकर सो गए।

    अगली सुबह जैसे ही तारा परी सोकर उठी तो उसने पाया एक बेहद खूबसूरत चिड़िया उसकी खिड़की पर बैठी हुई चीं-चीं कर रही थी।

    तारा परी उस चिड़िया की भाषा अच्छे से समझ पा रही थी। अपनी जुबान में वो चिड़िया तारा परी को उठने का बोल रही थी और कह रही थी कि आज तुम्हारी मुलाक़ात उससे होगी जिसके लिए तुम आई हो। ये सुनते ही तारा परी बहुत खुश हो गई थी।

    और उसे भी एहसास हो गया था कि आज ज़रूर उसे वो नेक दिल इंसान मिल जाएगा। तारा परी ने अपना लॉकेट पहना और एक दुपट्टे से छुपा लिया। तारा परी ने बिल्कुल धरा जैसे कपड़े पहने थे।

    बेहद साधारण सी वेशभूषा में वह बहुत खूबसूरत लग रही थी।

    माली काका तारा परी को देखने उनके कमरे में आए और उसे तैयार देखकर चौंक गए और बोले, "अरे बेटा जी! इतनी जल्दी क्यों उठ गईं आप? अभी और आराम कर लेतीं। अभी तो आपके छाले भी ठीक नहीं हुए होंगे।" लेकिन जैसे ही माली काका ने तारा परी के पैरों की तरफ देखा, वहाँ अब घाव का कोई नामो-निशान नहीं था।

    सब घाव गायब हो चुके थे क्योंकि अगर कोई परी अपने घाव ठीक न करे तो वे ऑटोमैटिक सात घंटों के अंदर-अंदर ठीक हो जाते थे।

    माली काका तारा परी को ठीक देखकर खुश हो गए और उसे बाहर नाश्ते के लिए ले जाने लगे क्योंकि सुबह का नाश्ता उनके बेटे, बहू, पोते, पोती सब साथ में करते थे। केवल माली काका को छोड़कर कोई उन्हें खाने-पीने को नहीं पूछता था; वे भूखे ही बगीचे की रखवाली करने को चले जाते थे।

    आज जब माली काका तारा परी को नाश्ते के लिए लेकर गए तो उनके बेटे-बहू उन्हें देखकर चौंक गए। जबकि उनके बेटे तारा परी को देखकर काफ़ी खुश थे क्योंकि इतनी खूबसूरत लड़की अपनी ज़िन्दगी में उन्होंने पहले कभी नहीं देखी थी।

    माली काका ने अपनी बड़ी बहू से कुछ खाना लगाने को कहा जिससे वह बिदक कर रह गई और बोली, "हम लोग बच्चों का खाना पकाएँ या आपके बेटों को बनाकर खिलाएँ? जो आपने एक और बोझ लाकर हमारे सीने पर छोड़ दिया है, मूँग दलने के लिए!"

    माली काका गुस्सा हो गए और तेज आवाज़ में बोले, "अपनी जुबान को लगाम दे, बड़ी बहू! ये मेहमान है हमारी! और एक बात कान खोलकर लो, ये यहीं रहेगी! और अगर तुम लोगों को इसका यहाँ रहना पसंद नहीं है तो तुम लोग जा सकते हो यहाँ से!"

    माली काका के ऐसे रिएक्शन की किसी को उम्मीद नहीं थी।

    उनके बहू-बेटे अच्छे से समझ चुके थे कि चिल्लाकर या माली काका की बात न मानकर वे खुद का ही नुकसान कर लेते हैं, इसलिए उन्होंने कभी न फेल होने वाला आइडिया अपनाया-

    वो था इमोशनल ब्लैकमेलिंग का। तब बड़ी बहू ने शुरुआत की, "बाबूजी, आप हमेशा हमें गलत क्यों समझते हैं? आपको तो पता है आज के ज़माने में दो रोटी कमाना कितना भारी है! और रही बात इस लड़की की, हम लोग जैसे-तैसे अपने बच्चों का पेट काटकर गुज़ारा कर रहे हैं, उस पर इस लड़की का बोझ कैसे उठा लें? आप ही बताएँ, मैं कुछ गलत कह रही हूँ तो?"

    "आप फ़्री में रहने के लिए एक लड़की को यहाँ ले आएं। अगर वो कमरा, जिसमें आपने इसे मुफ़्त में रखा है, उसे किसी को किराये पर दे देते तो कम से कम कुछ पैसे तो आते।"

    बड़ी बहू ने अपने मन की बात सबके सामने रख दी, जिसे सुनकर सबने हाँ में हाँ मिलाई। और तभी-

    माली काका कुछ कहने वाले थे कि तभी तारा परी ने रोक दिया और बोली, "काका, आप एक मिनट चुप रहिए। अगर आपको अपने कमरे का किराया ही चाहिए तो मैं देने के लिए तैयार हूँ, पर आप लोगों को मुझसे एक वादा करना होगा कि रोज-रोज मुझे लेकर इस घर में बवाल नहीं होगा और आप सब लोग सुख-शांति से एक हैप्पी फैमिली की तरह रहोगे।"

    जैसे ही तारा परी ने ये सब बोला, माली काका के परिवारवालों के चेहरे खिल उठे और सब एक साथ बोले, "हाँ जी! हाँ जी! हमें मंज़ूर है! बस आप हमें किराया देते जाइए, बदले में हम आपको खाना वगैरह सब सुविधा देंगे और घर में भी कोई झगड़ा नहीं होगा।"

    तारा परी मुस्कुरा दी और अपने कमरे में चली गई। माली काका तारा परी पर गुस्सा करते हुए बोले, "ये किया क्या, बेटा तुमने? क्यों उनको पैसे देने की हाँ कह दी? तुम्हें नहीं पता है वो कितने लालची लोग हैं!"

    तारा परी बोली, "रिलैक्स, काका! मैं अच्छे से उन लोगों की नियत समझ चुकी हूँ। पर अगर पैसे देने से वो लोग घर में सुख-शांति से रहेंगे तो उसमें हर्ज़ ही क्या है?"

    "काका, लेकिन बेटा, आप कहाँ से लाओगी पैसे उन्हें देने के लिए?" और तभी, "ओह तेरी! मैं तो भूल गया! आप तो कुछ भी करने की ज़रूरत ही नहीं है! आप चाहें तो काफ़ी पैसों का ढेर लगा सकती हैं पल भर में ही!"

    तब तारा परी मुस्कुराई और काका के पास जाकर बोली, "काका, इस पृथ्वी पर मुझे सब कुछ अपनी मेहनत से हासिल करना होगा। मैं अपनी ज़रूरतों के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकती हूँ। इसलिए मुझे काम करना होगा, कहीं जॉब करनी होगी।"

    जैसे ही माली काका ने ये सुना, वो हैरत में पड़ गए। "पर बेटा, आप कैसे इस दुनिया को फेस करोगी?"

    "काका, मैं सब कर लूँगी। आप परेशान मत होइए। आपको पता है, जब से मैंने धरा का स्वभाव, भावनाएँ अपने अंदर धारण की हैं, मुझे ऐसा लग रहा है मानो परियों की शक्ति के अलावा कोई और शक्ति भी मुझ में आ गई हो। सो आप बेफ़िक्र रहिए, मैं बिल्कुल तैयार हूँ इस दुनिया का मुक़ाबला करने के लिए। अब आप मुझे इज़ाजत दीजिये और हाँ, अब आपको भी मेरे साथ कहीं आने की ज़रूरत नहीं है। अब मैं सब संभाल लूँगी।"

    ऐसा कहकर तारा परी अकेले अपने नए सफ़र पर निकल चुकी थी।

  • 7. एक उदास परी - Chapter 7

    Words: 1854

    Estimated Reading Time: 12 min

    तारा परी अब बिल्कुल एक इंसानी जीवन जीने के लिए तैयार थी।

    आज तारा परी को किसी के भी साथ की ज़रूरत नहीं थी। केवल घर से निकलने से पहले तारा परी ने कुछ पैसे माली काका से उधार ले लिए और बोली, "काम करने के बाद जब मुझे सैलरी मिलेगी, मैं आपको लौटा दूँगी।" माली काका को जो बगीचे की रखवाली करके पैसे मिलते थे, उनमें से कुछ बचे हुए पैसे उन्होंने तारा परी को दे दिए।

    तारा परी ने माली काका के घर से निकलकर एक रिक्शा किया और साथ ही साथ एक न्यूज़ पेपर भी खरीदा, जिसमें तरह-तरह की नौकरी के इश्तहार थे। तारा परी ने उनमें से तीन जगह पर जाने का निर्णय लिया और उनमें से सबसे पहले वह एक कंपनी में गई।

    तारा परी ने जैसे ही कंपनी में कदम रखा, उन्हें ऐसा लगा मानो किसी स्वर्ग में आ गई हों। बेहद खूबसूरत बिल्डिंग थी जहाँ पर सब लोग एक जैसे कपड़े पहने हुए थे; शायद उस कंपनी का ड्रेस कोड था।

    तारा परी जैसे ही अंदर गईं, तो सब की नज़र तारा परी पर पड़ी। सब तारा परी को ऐसे देख रहे थे मानो कोई एलियन वहाँ आ गया हो। क्योंकि तारा परी एक बेहद साधारण सी वेशभूषा में थी, लेकिन साधारण कपड़ों में भी वह बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी।

    वह सबको इग्नोर करके सीधी रिसेप्शन पर गईं और वहाँ मौजूद एक लड़की से बोलीं, "पेपर में इश्तहार देखकर मैं इंटरव्यू के लिए आई हूँ।"

    उस लड़की ने तारा परी को ऐसे देखा मानो कोई सड़क से उठकर वहाँ आ गया हो। और बुरी तरह तारा परी को लताड़ते हुए बोली, "ये एक हाई क्लास कंपनी है और तुम ऐसे ही मुँह उठाकर यहाँ आ गईं!"

    "मुझे तुम्हारे इंटरव्यू लेने वाले से मिलना है। अगर उसकी सोच भी तुम्हारे जैसी है, तो आई प्रॉमिस, मैं खुद ऐसी कंपनी में काम नहीं करूँगी जहाँ लोगों को उनके कपड़ों से जज किया जाता हो।"

    तारा परी से टका-सा जवाब पाकर वह लड़की एकदम से चिढ़ गई और उसने तारा परी को सबक सिखाने के लिए अपनी कंपनी के बॉस, जो कि एक बेहद खड़ूस और अकड़ू आदमी था, उसके केबिन में भेज दिया। उसे पता था बॉस उसे देखते ही उस पर बरस पड़ेंगे और अपनी सिक्योरिटी से उसे धक्का देकर बाहर फेंक देंगे।

    तारा परी समझ चुकी थी कि ज़रूर यह लड़की कुछ गड़बड़ करने वाली है, क्योंकि तारा परी उस लड़की की आँखों में छल देख चुकी थीं। लेकिन वह देखना चाहती थी कि आखिर कौन है उस कंपनी का मालिक और यही देखने के लिए वह उस लड़की के द्वारा बताए गए केबिन की ओर चल दी।

    केबिन के बाहर एक बड़ा सा बोर्ड टंगा था जिस पर साफ़-साफ़ लिखा था: 'डोंट डिस्टर्ब मी।' तारा परी को कुछ समझ नहीं आया कि वह अंदर जाएँ या नहीं। तभी उसने दरवाज़े पर दस्तक दी, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिला।

    सो, कुछ देर वेट करके तारा परी सीधा दरवाज़ा खोलकर अंदर चली गईं और सामने का नज़ारा देखकर वह शॉक हो गईं। सामने एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति केवल अंडरवियर में खड़ा था और उसके ठीक सामने एक बेहद खूबसूरत जवान लड़की एक बड़ी सी टेबल पर लेटी थी, जिसके जिस्म पर केवल नाममात्र के ही कपड़े थे।

    तारा परी का यह सब देखकर आश्चर्य का ठिकाना ना रहा और वह एक नज़र उस आदमी को देखती, तो कभी उस लड़की को। सामने खड़े आदमी को समझ ही नहीं आया कि वह इस सिचुएशन में क्या करें। ऐसे किसी लड़की को आया देख वह सकपका गया और जल्दी से अपने कपड़े उठाने की ओर भागा।

    तारा परी उसी तरह वहाँ खड़ी रहीं। तब वह आदमी कपड़े पहनकर तारा परी के सामने आया और चिल्लाने लगा, "तुम क्या पागल हो गई हो? बाहर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था 'डोंट डिस्टर्ब मी', तो क्या तुम्हें दिखाई नहीं दिया जो मुँह उठाकर तुम इस केबिन में चली आईं?"

    टेबल पर लेटी लड़की भी तब तक उठकर कपड़े पहन चुकी थी और नज़र झुकाकर वहाँ खड़ी हो गई। तब तारा परी उस लड़की को देख आगे बढ़ी और उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया और उस लड़की के बारे में सब कुछ जान गई और यह भी जान गई कि इस आदमी ने इस लड़की को मजबूर करके अपने साथ सुलाया है।

    तारा परी का मन नफ़रत से भर गया और उसे परी लोक का वह राक्षस याद आ गया। और वह समझ गई कि यह एक इंसानी राक्षस है, जिससे वह और गुस्सा हो गई। तारा परी उस वक़्त बेहद गुस्से में थी, और उल्टा वह इंसान उसे खा जाने वाली नज़रों से देख रहा था।

    तारा परी ने बिना कुछ सोचे-समझे एक थप्पड़ उस अधेड़ आदमी के मुँह पर मार दिया, जिससे वह सहन नहीं कर सका और दूर जाकर गिर गया। एक चाँटा पड़ते ही वह एकदम खामोश हो गया और तारा परी को कुछ नहीं बोला, केवल एकटक देखता रहा।

    "अगर तुमने इस लड़की को फिर से मजबूर किया, तो अगली बार मैं तुम्हें थप्पड़ नहीं मारूँगी, सीधा जान ले लूँगी तुम्हारी।"

    तारा परी की धमकी सुनकर वह आदमी काँपकर रह गया, क्योंकि तारा परी का एक-एक शब्द काफ़ी गुस्से में बोला गया था, जिसका सीधा असर उस आदमी के दिल और कानों पर हो रहा था और उसके कानों से हल्का-हल्का खून भी आना शुरू हो गया था। अचानक वह भूल बैठा था कि वह इस कंपनी का बॉस है। अगर वह चाहे तो एक झटके से अपने आदमियों को बुलाकर तारा परी को अपनी कंपनी से बाहर फिंकवा सकता था, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाया। कुछ तो ऐसा था तारा परी की आवाज़ में जिसमे बेहद दर्द और गुस्सा था।

    उस आदमी ने जल्दी से तारा परी के पैर पकड़ लिए और माफ़ी माँगने लगा और साथ ही साथ उस लड़की से भी माफ़ी माँगने लगा, जिसे उसने मजबूर किया था। और अब वह पूरी तरह से बदल चुका था और बहुत रो रहा था। तब उस लड़की को उस पर तरस आ गया और उसने तारा परी से कहा, "इसे माफ़ कर दो।"

    "मैंने माफ़ कर दिया इसे।" ऐसा कहकर वह लड़की तारा परी का हाथ पकड़कर फूट-फूट कर रो पड़ी। तब तारा परी ने उसे सम्भाला और उस आदमी पर एक सरसरी सी नज़र डालकर बाहर निकल गई।

    बाहर रिसेप्शन पर खड़ी लड़की इंतज़ार ही कर रही थी कि कब वह लड़की बॉस द्वारा जलील होकर बाहर निकाली जाएंगी। लेकिन जैसे ही उसने अकेले तारा परी को आता देखा, वह सोच में पड़ गई और सोचने लगी कि यह लड़की तो अकेले आ रही है, इसे गार्ड ने धक्का देकर क्यों नहीं निकाला? और तभी उसने देखा उसका बॉस तारा परी के पीछे हाथ जोड़ता हुआ और माफ़ी माँगता हुआ आ रहा था, लेकिन तारा परी ने उसकी एक नहीं सुनी और वह जल्द से जल्द उस ऑफिस से बाहर निकल गई।

    और वह आदमी अपने घुटनों के बल बैठकर वहीं रोने लगा, बिना यह देखे कि उसका सारा स्टाफ उसे देख रहा था। सब हैरानी से एक-दूसरे का मुँह ताक रहे थे। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यहाँ आखिर हो क्या रहा था।

    तारा परी सड़क पर पैदल ही जा रही थी। उसका गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा था। वह इतने गुस्से में थी कि सामने से आती गाड़ी को भी वह नहीं देख पाई और वह उस गाड़ी से टकराकर बेहोश हो गई।

    वह गाड़ी किसी आम आदमी की नहीं थी। वह गाड़ी इस शहर के सबसे हैंडसम और डैशिंग बंदे, जो कि इस शहर के बहुत बड़े बिज़नेस टाइकून थे, जिनका नाम अमन राठौड़ था, उसकी गाड़ी थी, जो अपनी एक बहुत ज़रूरी मीटिंग के लिए होटल जा रहा था। उस वक़्त किसी का उसकी गाड़ी से टकराना उसे बेहद नागवार लगा था।

    उसने अपने गार्ड्स को बोला, "इस लड़की को लेकर हॉस्पिटल जाओ।" उसने बिना तारा परी को देखे ही बोला था। तब एक गार्ड ने तारा परी को उठाया और उसका चेहरा देखकर चौंक गया और दूसरे गार्ड्स से बोला, "अरे ये तो वही लड़की है!"

    उनकी यह आवाज़ उनके बॉस अमन राठौड़ के कानों में पड़ी। तब वह गाड़ी में बैठते-बैठते रुक गए और बोले, "क्या कहा तुमने?" तब एक गार्ड सर झुकाकर अमन के सामने खड़ा हो गया और बोला, "सर, ये वही लड़की है जिसने दो दिन पहले हमारे एक गार्ड को ज़ोरदार तमाचा मारा था, जिसे आप ढूँढ़ रहे थे।"

    "ओह!" अमन को याद आ गया जब उसने अपने बॉडीगार्ड के कान से खून निकलता देख पूछा था कि उसे क्या हुआ है, तब काफ़ी ज़ोर देने पर उसने बताया था कि एक लड़की ने उसे मारा है। तब से वह गुस्सा हो गया था कि किसी लड़की की इतनी हिम्मत! जो अमन राठौड़ के गार्ड को मारे! तब से उसने अपने कुछ लोगों को इस लड़की को ढूँढ़ने में लगा दिए थे। और आज किस्मत देखो, वह लड़की खुद सामने से चलकर आई और उसी की गाड़ी से टकराई थी।

    "इसको हॉस्पिटल लेकर जाओ और इसके ठीक होते ही इसे मेरे सामने लेकर आओ।"

    जल्दी से दो गार्ड तारा परी को हॉस्पिटल ले गए जहाँ उसका ट्रीटमेंट होने लगा और जल्दी ही उसे होश भी आ गया।

    तारा परी होश में आते ही बेड से उतर गई और उसे सब कुछ याद आ गया कि कैसे वह एक गाड़ी से टकरा गई थी। तारा परी को याद आया अभी तक उसे कहीं काम नहीं मिला था इसलिए उसने जो दूसरी कंपनी के इश्तहार को देखा था, उसमें जाने की सोची और हॉस्पिटल रूम से बाहर निकलने लगी। तभी दो गार्ड उसके सामने खड़े हो गए। तारा परी सवालिया नज़रों से उनकी ओर देखने लगी। तब वह गार्ड बोले, "तुम यहाँ से कहीं नहीं जा सकती हो।"

    "क्यों? मैं क्यों नहीं जा सकती?" तब एक गार्ड ने कहा, "शायद तुम्हें याद नहीं, दो दिन पहले तुमने हममें से ही एक गार्ड को चाँटा मारा था। तब से हमारे बॉस ने तुम्हें ढूँढ़ने का ऑर्डर दिया था और आज देखो तुम खुद ब खुद गाड़ी के सामने आ गई हो। हमारे बॉस तुमसे मिलना चाहते हैं इसलिए तुम्हें हमारे साथ चलना होगा।"

    "पर मुझे कहीं नहीं जाना है, क्योंकि मुझे इंटरव्यू देने जाना है एक कंपनी में, सो तुम लोग मुझे जाने दो।"

    वह गार्ड हँसने लगे और बोले, "तुम हमारे बॉस से मिले बिना कहीं नहीं जा सकती हो।" तारा परी ने जैसे ही यह सुना, उसका पारा हाई हो गया और वह समझ गई कि ये गार्ड उसे आसानी से जाने नहीं देंगे। इसलिए उसने उन गार्ड्स से कहा, "कहीं तुम्हारे बॉस वो तो नहीं जो तुम्हारे पीछे खड़े हैं?"

    जैसे ही दोनों गार्ड्स ने पीछे मुड़कर देखा, तारा परी गायब हो गई।

  • 8. एक उदास परी - Chapter 8

    Words: 1277

    Estimated Reading Time: 8 min

    तारा परी का एक गाड़ी से एक्सीडेंट हो गया था। और जिस गाड़ी से एक्सीडेंट हुआ था, वह अमन राठौड़ की गाड़ी थी। जिसके एक गार्ड को तारा परी ने तमाचा मारा था।

    जैसे ही अमन को यह पता चला कि यह वही लड़की है, उसने बिना तारा परी को देखे अपने गार्ड्स को ऑर्डर दे दिया था कि उस लड़की का इलाज कराकर उसे अमन राठौड़ के सामने ले आएँ।

    लेकिन तारा परी उन गार्ड्स को चकमा देकर वहाँ से निकल गई।

    और सीधा हॉस्पिटल के बाहर पहुँच गई और एक रिक्शा करके उस कंपनी की ओर चल दी जिसका दूसरा इश्तिहार उसने देखा था।

    दूसरी ओर, उन गार्ड्स ने तारा परी को पूरे हॉस्पिटल में छान मारा, लेकिन वह कहीं नहीं मिली।

    जिससे घबराकर उन्होंने जल्दी से अपने बॉस को पूरी बात बता दी।

    जिससे अमन राठौड़ बेहद गुस्सा हो गया था। क्योंकि उसने किसी औरत की एक उंगली भी अपने या अपने किसी आदमी के ऊपर बर्दाश्त नहीं की थी, लेकिन यहाँ तो इस लड़की ने उसके एक आदमी को चांटा मारा था, जो उसकी ईगो का मसला बन गया था।

    अमन बुरी तरह से अपने आदमियों पर चिल्ला पड़ा और बोला, "मुझे आज हर हाल में वो लड़की चाहिए! ढूँढकर लाओ उसे!" उसके गार्ड्स को पता था कि अगर वह लड़की उन्हें आज नहीं मिली तो पक्का उनके बॉस उनका बुरा हाल करेंगे।

    दूसरी ओर, तारा परी इस शहर की सबसे बड़ी कंपनी के सामने खड़ी थी, जो किसी और की नहीं, बल्कि अमन राठौड़ की ही कंपनी थी।

    तारा परी रिक्शा वाले को पैसे देने लगी, लेकिन उसे जल्दी एहसास हो गया कि उसके पास अब केवल वही पैसे थे जो उसने उस रिक्शा वाले को दे दिए थे।

    अब उसके पास वापस घर जाने के लिए पैसे नहीं बचे थे। खैर, वो रिक्शा वाले को निपटाकर जल्दी से ऊपर गई और हैरानी से चारों ओर देखने लगी। यह कंपनी तो पहले वाली कंपनी से भी ज़्यादा खूबसूरत थी। यहाँ काम करने वाले लोगों ने अलग-अलग तरह के रंग-बिरंगे कपड़े पहन रखे थे।

    तारा परी को यहाँ आकर काफी अच्छा लग रहा था। सब कुछ बेहद खूबसूरत था यहाँ पर। तभी तारा परी को अपने दिल की धड़कन जोर-जोर से सुनाई देने लगी, और उसने अपने गले में पहने लॉकेट पर हाथ रख दिया क्योंकि उसका रंग आज बदलने लगा था। तारा परी को एहसास हो गया था कि ज़रूर वो नेकदिल इंसान यही है। सो तारा परी मन में ढेरों उम्मीदें लिए, जल्दी-जल्दी आगे बढ़ने लगी।

    तारा परी इतनी जल्दी में थी कि उसने सामने आते हुए इंसान को नहीं देखा और उससे बुरी तरह से टकरा गई। और जब वह जमीन पर गिरने वाली थी, उस आदमी ने उसकी कमर पर हाथ रखा और उसे गिरने से बचा लिया।

    वह आदमी कोई और नहीं, बल्कि अमन राठौड़ था।

    तारा परी अमन को देख रही थी और अमन तारा परी को देख रहा था। तारा परी को एहसास हो गया था कि उसका लॉकेट रंग बदल चुका था। इसका मतलब साफ़ था, यही वो नेकदिल इंसान था जिसकी तलाश में तारा परी पृथ्वी पर आई थी। अमन ने तारा परी को खड़ा किया और उसे खा जाने वाली नज़रों से देखने लगा।

    वहीं अमन को देखकर तारा परी की आँखों में खुशी के आँसू आ गए थे। तारा परी ने अपने गालों पर लुढ़क आए आँसुओं को अपने हाथों से छुआ क्योंकि पहली बार उसकी आँखों में मोती की जगह आँसू आए थे। उसने कभी नहीं सोचा था कि उस नेकदिल इंसान से उसकी पहली मुलाक़ात इतनी हसीन होगी।

    अमन हैरानी से उसकी ओर देख रहा था, तभी उसका फ़ोन बज उठा। दूसरी ओर कॉल पर वही गार्ड्स थे जो हॉस्पिटल में तारा परी को ढूँढ रहे थे।

    वे कह रहे थे, "बॉस, हमने पूरा हॉस्पिटल छान मारा, लेकिन वो लड़की कहीं नहीं मिली।" अपने आदमियों की नाकामी पर अमन को बहुत गुस्सा आ रहा था और उन पर चिल्लाता हुआ अपने केबिन की ओर चल दिया। तारा परी अमन को जाता देख परेशान हो गई और उसके पीछे-पीछे जाने लगी। तभी उसके गार्ड ने रोक दिया और बोला, "तुम कहाँ जा रही हो?" तारा परी ने कहा, "वो...वो इंटरव्यू..." तब गार्ड्स समझ गया कि यह इंटरव्यू देने के लिए यहाँ आई है।

    तब वह गार्ड बोला, "तुम बॉस से ऐसे नहीं मिल सकती हो। उनकी ज़रूरी मीटिंग है। जाओ और अपनी बारी आने का इंतज़ार करो। इंटरव्यू देने वाले लोग उस ओर बैठे हैं।"


    तारा परी कुछ नहीं कर सकती थी। अगर उसे अमन से मिलना था तो उसे अपनी बारी आने का इंतज़ार करना ही पड़ता।

    सो वह भी बाकी लोगों के पास बैठकर अपनी बारी आने का इंतज़ार करने लगी।

    दूसरी ओर, अमन गुस्से से इधर-उधर टहल रहा था। उसे हर हाल में वो लड़की चाहिए थी। तभी अनायास ही उसका ध्यान उस टकराने वाली लड़की की ओर चला गया और सोचने लगा, "क्या हो गया था मुझे? क्यों बेवकूफ़ों की तरह उस लड़की को पकड़े खड़ा रहा था मैं? आखिर थी कौन वो?" उसने खुद से ही सवाल-जवाब करने शुरू कर दिए थे।

    वैसे अमन राठौड़ को समय बरबाद करना अच्छा नहीं लगता था, सो अपने गार्ड्स को अच्छे से लताड़कर वह इंटरव्यू रूम में चला गया। उसे आधे घंटे के अंदर-अंदर सबके इंटरव्यू लेकर खत्म करने थे।

    क्योंकि उसके बाद उसकी फ़ॉरेन क्लाइंट के साथ वीडियो मीटिंग थी।

    वैसे जल्दी-जल्दी कैंडिडेट आते गए और करीब पन्द्रह-बीस लोगों के बाद तारा परी का नंबर आया।

    तारा परी बेहद उत्साहित थी। इसका रीज़न और कोई नहीं, बल्कि अमन राठौड़ था जिसके लिए वह इस पृथ्वी पर आई थी।

    तारा परी जल्दी से इंटरव्यू रूम की तरफ़ जाने लगी, और अपने धड़कते दिल के साथ उसने अंदर कदम रखा।

    और जैसे ही वह अंदर गई,

    उसने देखा एक बड़ी सी टेबल के चारों ओर कुर्सियाँ बिछाए सात से आठ लोग बैठे थे और उन सब के बीचों-बीच और कोई नहीं, बल्कि अमन राठौड़ बैठे थे। तारा परी एकटक अमन को देखती रही, जिसे वहाँ सब लोगों ने नोटिस किया और कुछ तो अमन राठौड़ को देखकर मुस्कुराने लगे।

    अमन किसी फ़ाइल में डूबा हुआ था। उसने तारा परी को नहीं देखा था।

    सब की ख़ुसुर-पुसुर और हँसने की आवाज़ से उसका ध्यान अपने स्टाफ़ की ओर गया और उनकी नज़रों का पीछा करते हुए, सामने खड़ी लड़की यानी तारा परी पर गई और उसे अपनी ओर देखता देख वह सकपका गया।

    और अपने स्टाफ़ को घूरकर देखने लगा। अपने बॉस को गुस्से में देख सब ने हँसना बंद कर दिया और अपनी नज़रें झुका लीं।

    तब इंटरव्यू लेने वाले लोगों में से एक महिला ने तारा परी से बोलने लगी, "हैलो मिस, आइए और यहाँ बैठिए।"

    तारा परी ने अनसुना कर दिया और उसी तरह अमन को देखती रही।

    तब इस बार वह लेडी थोड़ा तेज़ आवाज़ में बोली, "हैलो मैडम, आइए और यहाँ बैठ जाइए।" तब तारा परी अपने ख़ूबसूरत ख़्वाब से बाहर आई और जल्दी से बोली, "ओह! आई एम सोरी मैडम, वो मैं कुछ सोच रही थी।" ऐसा कहती हुई

    वह बिल्कुल अमन राठौड़ के सामने वाली सीट पर बैठ गई।

    तब सबसे पहले उनमें से एक आदमी ने सवाल किया, "आप अपने बारे में कुछ बताइए और अपने रेज़्यूमे और डॉक्यूमेंट्स दिखाइए।"

    रेज़्यूमे और डॉक्यूमेंट्स का सुनकर तारा परी परेशान हो गई।

    उसने धरती की नॉलेज, एजुकेशन, स्वभाव तो सब कुछ ले लिया था, लेकिन डॉक्यूमेंट्स वह कहाँ से लाती? तो इस सवाल पर वह एकटक उस इंटरव्यूअर को देखने लगी।

  • 9. एक उदास परी - Chapter 9

    Words: 1790

    Estimated Reading Time: 11 min

    तारा परी अमन राठौड़ की कंपनी में इंटरव्यू देने गई। उसे यह नहीं पता था कि अमन राठौड़ उसे ढूँढ रहा था क्योंकि उसने उसके आदमियों पर हाथ उठाया था।

    लेकिन जैसे ही तारा परी अमन राठौड़ से मिली, वह अपनी सुध-बुध खो बैठी और लगातार उसे देखती रही।

    इंटरव्यू के वक्त, जब एक इंटरव्यूअर ने तारा परी से उसके दस्तावेज़ और रिज्यूम माँगे, तो वह परेशान हो गई।

    वह लगभग पाँच मिनट तक लगातार उस आदमी को देखती रही। सभी लोगों ने इसे अच्छे से देखा।

    अमन राठौड़ अपनी फ़ाइल में खोया हुआ था। उसने तारा परी को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया था।

    तारा परी से कोई जवाब न पाकर, सभी इंटरव्यू लेने वाले एक-दूसरे का मुँह देखने लगे।

    तब उनमें से एक महिला ने थोड़ी सख्त और तेज आवाज़ में कहा, "हेलो मिस, आप कुछ क्यों नहीं बोल रही हैं? आप इंटरव्यू देने ही आई हैं ना?"

    इस पर तारा परी हड़बड़ा गई और बोली, "जी जी मैडम, मैं यहाँ इंटरव्यू देने ही आई हूँ, लेकिन मेरे पास डॉक्यूमेंट्स नहीं हैं और न ही रिज्यूम है।"

    तारा परी की बात सुनते ही सब एक-दूसरे का मुँह देखने लगे। तभी अचानक अमन राठौड़ अपना गुस्सा बर्दाश्त न कर पाया और तेज आवाज़ में अपने एक आदमी से बोला, "तुम लोगों का दिमाग काम करता है या नहीं? जो किसी को भी इंटरव्यू के लिए बिना चेक किए अंदर भेज देते हो! अच्छे से चेक तक नहीं करते हो कि उनके पास डॉक्यूमेंट्स हैं या नहीं!"

    अमन राठौड़ की डाँट से वह आदमी सूखे पत्ते की तरह काँपने लगा।

    वह बोला, "सर, वो...वो...उससे कोई जवाब ही नहीं बन पा रहा था।" तब तारा परी बीच में बोल उठी। अमन का रूखा व्यवहार उसे बहुत बुरा लग रहा था। उसने अमन से कहा, "एक्सक्यूज मी सर, इसमें आपके स्टाफ़ की कोई गलती नहीं है। मेरे पास डॉक्यूमेंट नहीं हैं।"

    तारा परी की आवाज़ पर अमन ठीक उसके सामने आकर खड़ा हो गया और बोला, "हेलो मिस, आपने क्या समझ रखा है इस कंपनी को? जो आप बिना डॉक्यूमेंट्स के मुँह उठाकर नौकरी माँगने चली आई हैं?" अमन ने तारा परी को बहुत बुरी तरह से डाँटा था।

    जहाँ तारा परी अपने सपनों के राजकुमार को देखकर सपनों में खोकर आसमानों में उड़ने लगी थी, वहीं वह अब उसके ऐसे व्यवहार से एकदम से जमीन पर औंधे मुँह गिर गई थी। वह एकदम से हकीकत की दुनिया में लौट आई थी। अमन राठौड़ के ऐसे बर्ताव की उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी।

    अमन उसके बेहद करीब खड़ा था, जिसकी वजह से उसके लॉकेट में लगा लाल पत्थर लगातार जगमगा रहा था, जिसे तारा परी अच्छे से महसूस कर पा रही थी।

    अमन राठौड़ की बात सुनकर तारा परी को भी बहुत गुस्सा आया और वह भी अपनी आवाज़ थोड़ी तेज करते हुए बोली, "हेलो मिस्टर, अगर मेरे पास डॉक्यूमेंट नहीं हैं, तो इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि मैं अनपढ़ हूँ, गवार हूँ, समझे तुम?" तारा परी ने अपनी उंगली दिखाते हुए उसकी आँखों में आँखें डालकर अमन राठौड़ से बात की थी।

    इससे वह और चिढ़ गया था, क्योंकि आज तक अमन राठौड़ से ऊँची आवाज़ में बात करना तो दूर की बात, किसी ने आँखें उठाकर भी बात नहीं की थी।

    वह बेहद गुस्से से बोला, "How dare you? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई अमन राठौड़ से इस तरह बात करने की? मुझसे आज तक किसी ने इस तरह से बात नहीं की है!"

    तब तारा परी ने अमन राठौड़ को टोकते हुए कहा, "ओह, रियली? शायद इसीलिए आप इतने बदतमीज़ हैं, किसी ने आपको बात करने की तमीज़ नहीं सिखाई है।"

    अमन राठौड़ का गुस्सा अब सातवें आसमान पर पहुँच चुका था। इससे पहले कि वह कुछ और कहता, मामले की नजाकत को समझते हुए एक महिला इंटरव्यूअर बीच में बोल पड़ी, "हेलो मिस, यह क्या है? एक तो आपके पास कोई सर्टिफिकेट ही नहीं है, तो हम कैसे आपकी क्वालिफिकेशन चेक करेंगे? और किस बेसिस पर हम आपको जॉब देंगे?"

    तब तारा परी थोड़ा नरम पड़ते हुए बोली, "मैडम, आप लोग मुझे बोलने का मौका तो दीजिए। मैं आपको यही तो समझाना चाहती हूँ।"

    "मेरे डॉक्यूमेंट, फ़ाइल, रिज्यूम सब एक एक्सीडेंट में डिस्ट्रॉय हो गए थे, लेकिन वह एक्सीडेंट मेरी मेमोरी, मेरी नॉलेज डिस्ट्रॉय नहीं कर पाया। मुझमें कितनी क्वालिफिकेशन है, वह आप लोग खुद देख सकते हैं।"


    "मैं आप लोगों से बस इतना ही कहना चाहती हूँ कि लोग मेरा इंटरव्यू ले लें। अगर आप लोगों को लगे कि मैं इस जॉब के लिए काबिल हूँ, तो आप लोग मुझे जॉब दें, वरना मना कर दें, but atleast मुझे एक मौका तो दीजिए।"

    तारा परी ने एक टूक बात खत्म की थी।

    तारा परी की बात सुनकर सब एक-दूसरे का मुँह देखने लगे थे, क्योंकि बात तो तारा परी ने बिल्कुल ठीक कही थी। वहीं अमन अभी भी उसे खा जाने वाली नज़रों से देख रहा था।

    तब सब ने सलाह-मशवरा किया और एक आदमी अमन राठौड़ के पास गया और बोला, "सर, हमें लगता है कि हमें इन मैडम को एक मौका ज़रूर देना चाहिए। अगर हमने बिना इंटरव्यू लिए इन्हें ऐसे ही जाने दिया, तो ये बाहर जाकर अपना मुँह खोल सकती हैं, जिससे हमारी कंपनी की रेपुटेशन पर आँच आ सकती है।"

    अमन बिना कुछ बोले जाकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया और एक फ़ाइल में खो गया।

    सभी लोग समझ गए कि सर ने बिना कुछ बोले अपनी सहमति दे दी थी।

    सो उस महिला इंटरव्यूअर ने तारा परी को बैठने को कहा, और एक-एक करके उन सब ने तारा परी से सवाल पूछने शुरू कर दिए।

    सभी एक से बढ़कर एक, अलग-अलग, हार्ड से हार्ड सवाल कर रहे थे, लेकिन तारा परी ने सभी सवालों का जवाब काफ़ी आसानी से दे दिया था।

    जब भी तारा परी जवाब देती, वो सब एक-दूसरे का मुँह ताकने लगते।

    अब उन लोगों के पास कोई सवाल नहीं था। तारा परी सभी सवालों का सही जवाब देकर इस नौकरी की हकदार बन चुकी थी। यह नौकरी अमन राठौड़ की पर्सनल असिस्टेंट की थी।

    उसके बाद अमन के स्टाफ़ ने अमन से कहा, "सर, इस लड़की ने सभी सवालों का सही जवाब दिया है। अब क्या कहकर हम इसको निकालें? हमें तो कुछ समझ नहीं आ रहा है। इसको क्या कहकर निकालें?"

    अमन तारा परी को खा जाने वाली नज़रों से देख रहा था।

    तब अमन ने अपने एक आदमी से कहा, "मैं इस लड़की की शक्ल बर्दाश्त नहीं कर पा रहा हूँ।"

    "कुछ न कुछ करके रफ़ा-दफ़ा करो इसको यहाँ से।" अमन ने काफ़ी धीरे से कहा था, लेकिन तारा परी उसकी आवाज़ अच्छे से सुन सकती थी।

    तब तारा परी खुद को रोक नहीं पाई और तेज आवाज़ में बोल पड़ी, "हेलो सर, अब कौन सी प्लानिंग कर रहे हो मुझे जॉब से निकालने की?"

    "मेरे टैलेंट देखने के बाद भी अभी तक आप क्या सोच रहे हो कि मुझे जॉब देनी चाहिए या नहीं?"

    "मुझे पता है आप लोग मुझे जॉब नहीं दोगे क्योंकि आप लोगों की ईगो बीच में आ रही है।"

    "चलो अच्छी बात है, मैं बाहर जाकर लोगों से कम से कम यह तो कह पाऊँगी कि मैंने इस कंपनी को रिजेक्ट किया है, कंपनी ने मुझे नहीं।" ऐसा कहकर तारा परी मुस्कुरा दी।

    तारा परी की बात सुनकर अमन का गुस्सा और बढ़ चुका था। अब तारा परी को जॉब पर रखने के अलावा उनके पास और कोई रास्ता नहीं था, क्योंकि तारा परी ने यह जॉब अपनी नॉलेज के बेस पर हासिल की थी।

    तब अमन एक बार फिर तारा परी के सामने जाकर खड़ा हो गया और वह कुछ कहने ही वाला था, तभी...

    तब उन ही लोगों में एक जेंटलमैन बैठे हुए थे, जिनका नाम अमित मित्तल था।

    जो अमन राठौड़ के इकलौते दोस्त थे। वह तारा परी और अमन का आर्ग्यूमेंट काफ़ी देर से देख रहे थे और मन ही मन खुश हो रहे थे।

    और उस लड़की और अमन की मुँह-जोरी पर उन्हें काफ़ी मज़ा आ रहा था, क्योंकि जब से वह अमन राठौड़ से मिला था, आज तक किसी ने उससे इस तरह से बात नहीं की थी जैसे इस लड़की ने की थी।

    अमित अमन के कुछ भी बोलने से पहले बीच में बोल पड़े और तारा परी से कहने लगे, "हेलो मिस, आप प्लीज़ बाहर जाकर वेट करें। हम आपको आगे की डिटेल बाद में देंगे।"

    अमित की बात सुनकर तारा परी ने हाँ में सर हिला दिया और वेटिंग रूम में चली गई।

    तब अमन अमित को घूरकर देखने लगा। अमित समझ चुका था कि अमन गुस्से में है, इसलिए उसने आज के बाकी इंटरव्यू कैंसिल करने को कहा और अमन को लेकर उसके केबिन में आ गया।

    केबिन में आते ही अमन अमित पर फट पड़ा और बोला, "ये किया क्या तुमने? उस सरफिरी लड़की को टाइम दे दिया! उसे फ़ौरन चलता करो यहाँ से! मुझे वो लड़की बहुत ज़हर लग रही है! देखा नहीं तुमने उसे, वो कैसे पटर-पटर बोलती है!"

    अमन की बात सुनकर अमित अपनी हँसी नहीं रोक पाया और बेतहाशा हँसने लगा।

    लेकिन अमन को गुस्से में देख वह जल्दी शांत भी हो गया और बोला, "आखिर तुम्हें प्रॉब्लम क्या है उस लड़की से? कहीं ऐसा तो नहीं कि पहली बार अमन राठौड़ को एक लड़की मुँह-तोड़ जवाब दे रही है, इसलिए अमन राठौड़ यह बात बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है?"

    "शायद वो तुम्हें कुछ ज़्यादा ही अफ़ेक्ट कर रही है, इसलिए इतना सोच रहे हो उसके बारे में।" अमित ने जैसे अमन राठौड़ की दुखती रग पर हाथ रख दिया था।

    जिससे अमन और चिढ़ गया और बोला, "इस दुनिया में ऐसी कोई लड़की नहीं बनी है जो अमन राठौड़ को अफ़ेक्ट कर सके, समझे तुम?"

    तब अमित बोला, "अगर ऐसी बात है, तो साबित करो! रख लो उसको जॉब पर, फिर देखते हैं तुम्हें कितना फ़र्क पड़ता है, कितना नहीं।"

    अब बात अमन की ईगो पर आ गई थी और वह बोल पड़ा, "ठीक है, रख लो इस लड़की को जॉब पर। और हाँ, उससे कॉन्ट्रैक्ट साइन करवाना मत भूलना, जिसमें साफ़-साफ़ लिखा होगा कि इस लड़की की केवल तीन गलतियाँ माफ़ की जाएँगी। अगर उसने चौथी गलती की, तो उस दिन इस कंपनी में उसका आखिरी दिन होगा।"

    "जाओ, जाकर दे दो उसे अपॉइंटमेंट लेटर। और हाँ, याद रखना, उसके होने या ना होने से अमन राठौड़ को कोई फ़र्क नहीं पड़ता, समझे तुम?"

    अमित अपनी मुस्कुराहट छुपाते हुए हाँ में सर हिलाने लगा।

  • 10. एक उदास परी - Chapter 10

    Words: 1305

    Estimated Reading Time: 8 min

    तारा परी बेचैनी से वेटिंग रूम में अपनी जॉब कन्फर्म होने का इंतज़ार कर रही थी। बार-बार उसके मन में यही आ रहा था कि आखिर यह इंसान रहमदिल कैसे हो सकता है? यह तो कितना खड़ूस सा है! भला इसके पास एक नर्म दिल कैसे हो सकता है?

    और यह क्या मुझे उस राक्षस से बचाएगा? यह तो खुद एक इंसानी भेस में राक्षस है!

    अभी तारा परी अपनी सोचों में ही गुम थी कि तभी अमित उसके पास आया और बोला, "हैलो मिस, यह आपका अपॉइंटमेंट लेटर है। आप कल से अपनी जॉब ज्वाइन कर सकती हैं और हाँ, इसमें कुछ एडवांस सैलरी भी है आपकी। आपका काम और बाकी डिटेल आपको कल ही समझा दिया जाएगा। ओके?"

    तारा परी बहुत खुश हो गईं और उसने चहकते हुए अमित के हाथ से वह लेटर ले लिया।

    "और," बोली वह, "मैं जाने से पहले एक बार बॉस से मिलना चाहती हूँ।"

    अमित हैरानी से उसे देखने लगा और बोला, "क्या कहा आपने?"

    तब तारा परी ने एक बार फिर कहा, "मैं जाने से पहले अमन सिंह राठौड़ से मिलना चाहती हूँ।"

    "ओह!" अमित ने एक गहरी साँस ली और कहा, "सच में काफ़ी हिम्मत है आप में जो एक बार फिर शेर की गुफा में जाने की बात कर रही हो।" तारा परी कुछ समझी नहीं।

    अमित हँसते हुए बोला, "अरे, मेरा मतलब था, यूज़ुअली लोग डरते हैं अमन के सामने जाने से और तुम तो उससे मिलने की बात कर रही हो।" तारा परी हल्का सा मुस्कुराई और बोली, "अमित साहब, मुझे किसी से डर नहीं लगता। आप प्लीज़ बता दें उनका केबिन कहाँ है? मैं उनका शुक्रिया अदा करके अभी आती हूँ।"

    अमित मन ही मन सोच रहा था, "या तो यह लड़की कुछ ज़्यादा ही बहादुर है या कुछ ज़्यादा ही बेवकूफ़।"

    वह अमित ने उसे अमन राठौड़ के केबिन का रास्ता दिखा दिया और खुद उसके लिए मन ही मन दुआएँ करने लगा। तारा परी जल्दी से अमन के केबिन की ओर बढ़ने लगी।

    वहीं अमन अपने उन ही गार्ड्स से उस लड़की को ढूँढने की बात कर रहा था जो उन्हें अभी तक नहीं मिली थी। वह गुस्से से भरा बैठा था। एक तो वह लड़की नहीं मिल रही थी, दूसरा आज ऑफिस में किसी लड़की ने उससे इस तरह से बात की थी।

    तारा परी अमन राठौड़ के केबिन में बिना नॉक किए अंदर चली गईं। अमन की पीठ उस वक़्त उसकी तरफ़ थी और चेहरा दूसरी ओर था।

    इससे पहले कि तारा परी कुछ कहती, अमन बोल पड़ा, "अमित, अच्छा हुआ तुम आ गए। एक काम करो, मेरी आज की सारी अपॉइंटमेंट कैंसिल कर दो क्योंकि मैं आज इस सिचुएशन में नहीं हूँ कि और काम कर सकूँ।"

    तारा परी को समझ नहीं आया कि वह अमन की बातों का क्या रिप्लाई दे।

    अमन फिर बोला, "अरे, तुम कुछ बोल क्यों नहीं रही हो अभी तक? उस झल्ली सी लड़की को लेकर बैठे हो क्या? मैंने कहा ना, वह यहाँ रहे न रहे, मुझे फ़र्क नहीं पड़ता। तुम देखना, वह दो दिन नहीं टिक पाएगी यहाँ और उसे काम से इसी हफ़्ते में निकाल कर मैं तुझे साबित करूँगा कि मुझे उसके होने-न-होने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है, समझे तुम?"

    अमन एक साँस में लगातार बोले जा रहा था बिना रुके-मुड़े। लेकिन इतनी सारी बातों पर भी जब अमित का कोई जवाब नहीं आया तो वह यह कहते हुए पलटा, "अमित, तुझे हो क्या गया है? कुछ बोल क्यों नहीं?"

    वह केवल इतना ही बोल पाया था कि सामने तारा परी को खड़ा देख उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई और वह उसे देखकर चौंक गया।

    तारा परी आराम से हाथ बाँधे खड़ी थी और अमन की बातें सुन रही थी। जब अमन ने अमित की जगह तारा परी को पाया तो बेहद शॉक्ड हो गया और कुछ नहीं बोल पाया।

    तारा परी अमन को इस तरह से चुप देख धीरे-धीरे उसके करीब गई और बोली, "रिलैक्स मिस्टर राठौड़, रिलैक्स। मैं यहाँ सिर्फ़ आपका शुक्रिया अदा करने आई थी, आपको डराने नहीं। और हाँ, आपको मुझसे डरने की कोई ज़रूरत नहीं है।"

    "और हाँ, रही बात मुझे यहाँ से निकालने की, सो कोशिश करके देख लीजिएगा। मैं आपको कामयाब किसी भी कीमत पर नहीं होने दूँगी। ओके? और हाँ, मैं तो यहाँ सिर्फ़ आपका शुक्रिया अदा करने आई थी, सो आपका बहुत-बहुत शुक्रिया बॉस। कल मिलते हैं। अब मैं चलती हूँ।" तारा परी ने अपने मुँह पर आ रही बालों की लटों को नजाकत से पीछे करते हुए कहा।

    तारा परी ने अपनी बात खत्म की और फिर अमन को उसी तरह से शॉक्ड छोड़कर वहाँ से निकल गई। अमन उसे जवाब देने की केवल सोचता रह गया।


    तारा परी के उसके केबिन से बाहर जाने के बाद अमन को एहसास हुआ कि वह उसके सामने कुछ नहीं बोल पाया। उल्टा वह लड़की उसे सुनाकर चली गई। अमन का खून खोल उठा और उसने एक जोरदार मुक्का अपने सामने पड़ी काँच की टेबल पर मार डाला जिससे कुछ ही पलों में उस काँच की टेबल के सौ टुकड़े हो गए।

    और अमन का ढेर सारा खून वहाँ बहने लगा।

    और अमन कितनी देर तक अपने खून को बहता हुआ देखने लगा, लेकिन फिर भी उसका गुस्सा शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा था। किसी लड़की का उसके नज़दीक आकर उससे बदतमीज़ी और आँखों में आँखें डालकर बात करना उसे जरा भी रास नहीं आ रहा था। और अभी वह गुस्से से अपने कमरे को तहस-नहस करने की सोच ही रहा था

    कि तभी अचानक उसके केबिन के बाहर किसी के फ़ोन बजने की आवाज़ आई। वह कोई और नहीं बल्कि अमित था जो अमन के केबिन में ही आ रहा था, लेकिन एक ज़रूरी फ़ोन आने पर वह बाहर ही रुक गया। लेकिन उसकी आवाज़ अमन के कानों में बिलकुल साफ़-साफ़ सुनाई दे रही थी।

    और केवल चालीस से पचास सेकंड के अंदर अमित अमन के केबिन में घुस चुका था। उसने अंदर जाकर देखा अमन आराम से एक कुर्सी पर बैठा हुआ काँच की टेबल पर रखी फ़ाइल को पढ़ रहा था और उसके हाथ में एक पेन था जिससे वह फ़ाइल में कुछ करेक्शन कर रहा था। अमन का केबिन हमेशा की तरह एकदम साफ़-सुथरा था।

    तब अमित अमन के पास आया और उसे छेड़ने लगा, "तो लगता है हमारे राठौड़ साहब को धन्यवाद दिया जा चुका है और देखो हमारे मित्र कितने आराम से, सुकून से बैठकर अपना काम कर रहे हैं।"

    अमन पहले से ही चिढ़ा बैठा था, लेकिन अब अमित की बातें उसे और तपा गई थीं। सो वह अचानक उठा और उसने सामने खड़े अमित का गला एकदम से पकड़ लिया। उसकी आँखों में एक बार को खून उतर आया था।

    जिसे देखकर अमित भी एक बार को डर गया और गला दबे-दबे ही रुँधे स्वर में बोला, "अरे भई, क्या कर रहा है? जान लेगा क्या मेरी?"

    तब अमन को एहसास हो गया कि वह गुस्से में क्या करने जा रहा था और फिर वह बात संभालते हुए बोला, "अगर तूने उस लड़की का नाम लिया तो गला दबाकर जान ले लूँगा तुम्हारी।" ऐसा कहते हुए अमन ने अमित को छोड़ दिया।

    और अमन से गला छूटने के बाद वह एक बार फिर हँसने लगा और बोला, "अरे ब्रो, मैं तो मज़ाक कर रहा था। क्या तुझे नहीं जानता हूँ मैं? दुनिया अगर तुझे किसी से नफ़रत है तो वह है सिर्फ़ लड़कियों से। भगवान जाने होगा क्या तारा?" अमित अमन का मज़ाक उड़ाता हुआ उसके केबिन से बाहर चला गया। और अमन ने एक बार फिर जोरदार मुक्के से अपने केबिन का काँच का टेबल तोड़ दिया।

    और उसके हाथ से लगातार खून बहने लगा।

  • 11. एक उदास परी - Chapter 11

    Words: 1446

    Estimated Reading Time: 9 min

    तारा परी को अमन राठौड़ की कंपनी में नौकरी मिल गई थी।

    अमन तारा परी को एक मिनट के लिए भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था क्योंकि तारा परी अमन का पूरा सामना कर रही थी। आज तक किसी ने अमन के सामने आँख उठाकर भी बात नहीं की थी, लेकिन तारा परी ने अमन से बेधड़क बात की थी।

    अमन राठौड़ ने डिसाइड कर लिया था कि वह तारा परी को उसके ऑफिस में एक हफ़्ते से ज़्यादा टिकने नहीं देगा। इसलिए उसने तारा परी की तीन गलतियाँ माफ़ करने का एग्रीमेंट बना दिया था; कि वह तारा परी की केवल तीन गलतियाँ ही बर्दाश्त करेगा। अमित ने उसे बोला भी था, "कहीं तुम जानबूझकर तो उसकी गलतियाँ नहीं निकालोगे?"

    इसलिए अमन ने तारा परी की तीन गलतियाँ पकड़ने का मौका अमित को ही दे दिया था।

    वैल, तारा परी आज खुश थी। उसे जॉब के साथ-साथ वह नेकदिल इंसान भी मिल गया था जिसकी तलाश में वह यहाँ आई थी।

    लेकिन तारा परी ने अपने मन में जो छवि बनाई थी नेकदिल इंसान की, अमन तो उसका एकदम उलट था। वह उसकी सोच से काफ़ी परे था।

    तारा परी ने सोचा था वह नेकदिल इंसान बेहद साधारण सा आदमी होगा जो सब से प्यार-मुहब्बत से बात करता होगा।

    लेकिन यह नेकदिल इंसान तो किसी से प्यार-मुहब्बत से बात करना तो दूर की बात, यह तो बात करना ही पसंद नहीं करता है।

    तो फिर कैसे तारा परी उसके दिल में रहम और अपने लिए प्यार पैदा कर पाएगी?

    बस यही टेंशन अब तारा परी को खाए जा रही थी। वैल, अब तारा को जैसे ही उसकी सैलरी का कुछ अमाउंट मिल चुका था, परी माली काका के घर कुशल पहुँच चुकी थी।

    माली काका कब से उसकी राह तक रहे थे।

    तारा परी को सही-सलामत देखकर माली काका की सारी फ़िक्र-परेशानी अब ख़त्म हो चुकी थी। जैसा कि आज तारा परी को सैलरी मिली थी, तो तारा परी ने माली काका के लिए कुछ मिठाई और थोड़ा सा खाना पैक करा लिया था।

    तारा परी आज काफ़ी खुश थी क्योंकि जिसके लिए वह इस पृथ्वी पर आई थी, वह उसे मिल चुका था।

    लेकिन उसका व्यवहार उसे रह-रह कर परेशान कर रहा था। वैल, तारा परी ने अपनी सैलरी के कुछ पैसे माली काका की बड़ी बहू के हाथ में थमा दिए, जिससे उसकी बहू की खुशी का ठिकाना न रहा।

    और उसने तारा परी को अब अलग नज़र से देखना शुरू कर दिया था और साथ ही साथ माली काका के रहने के लिए भी एक अलग कमरा तैयार कर दिया।

    अब माली काका को खाना भी टाइम से मिलने लगा था।

    दूसरी ओर, अमन राठौड़ का गुस्सा शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा था। एक तो उसे वह लड़की नहीं मिल पाई थी जिसने उसके आदमी पर हाथ उठाया था।

    दूसरे, आज पहली बार उसने अपना मन मारकर किसी को काम पर रखा था।

    अमन अपने बड़े से आलीशान बंगले में टहलते हुए सोच रहा था, "जॉब तो तुमने हासिल कर ली है, लेकिन मेरा नाम भी अमन राठौड़ है। मैं भी देखता हूँ एक मामूली सी लड़की कब तक मेरे सामने टिकी रहती है।"

    वहीं तारा परी इसका उलट सोच रही थी कि उसके देव ने तो बताया था कि वह एक नेकदिल इंसान होगा, लेकिन यह तो ऐसे लगता है जंगल में से सीधा उठकर आ गया है। एकदम जंगली है, जंगली! वैल, अब जो भी है, अगर नेकदिल नहीं भी है तो मुझे उसे नेकदिल बनाना पड़ेगा।

    "क्योंकि बहुत उम्मीदों से मैं इस पृथ्वी पर आई हूँ और मैं कामयाब होकर ही जाऊँगी। उस राक्षस का अंत मैं कर कर ही रहूँगी। मैं अब किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करूँगी।"

    तारा परी ने मन ही मन सोचते हुए कहा और आराम करने लगी। वह सोच रही थी, "इंसानी सोच वाकई एक बेहतरीन तोहफ़ा है इंसानों के लिए। अच्छी-बुरी हर तरह की सोच सोचने की आजादी है इंसानों को।" और अब तो तारा परी के पास भी एक इंसानी सोच थी जिसे पाकर वह अपने आप को और भी ज़्यादा शक्तिशाली महसूस कर रही थी।

    अब अगली सुबह तारा परी की ज़िंदगी की एक नई शुरुआत थी। उसे जल्द से जल्द उस नेकदिल इंसान से शादी करनी थी क्योंकि तीन साल कब गुज़र जाएँगे पता ही नहीं चलेगा।

    वैल, अपनी इन्हीं उधेड़बुन में गुम तारा परी सो जाती है और अपनी आने वाली सुबह का इंतज़ार करती है।

    वहीं सबके सो जाने के बाद माली काका अचानक रात के तीन बजे उठे और अपने घर से सीधा निकलकर उसी बगीचे में चले गए जहाँ पहली बार उन्हें तारा परी मिली थी।

    लेकिन रात को इस समय आखिर वह जा कहा रहे थे और क्यों?

    माली काका बगीचे में जाकर उसी बड़े बरगद के पेड़ के नीचे बैठ गए और पूरे चालीस मिनट तक वहाँ बैठे रहे और न जाने क्या-क्या बोलते रहे।

    और ठीक चालीस मिनट बाद वह जैसे उस बगीचे में आए थे वैसे ही वापस अपने घर लौट आए।

    और आकर इस तरह से लेट गए कि मानो कुछ हुआ ही न हो।

    तारा परी एकदम गहरी नींद में सो रही थी।

    और सुबह हो चुकी थी। रोज़ की तरह वही खूबसूरत चिड़िया उसकी खिड़की पर आकर बैठ गई थी और तारा परी को उठाने लगी थी।

    तारा परी आज बेफ़िक्र होकर सो रही थी क्योंकि उसे वह नेकदिल इंसान मिल चुका था। अब केवल उसे उसके पास जाना था। लेकिन चिड़िया तो आज मानने को तैयार ही नहीं थी। उसने तो जैसे ठान लिया था तारा परी को उठाने का, लेकिन आज तारा परी उठ ही नहीं रही थी कि...

    तभी वह चिड़िया उड़कर छत पर गई और जितना हो सकता था उतना पानी उसने अपनी चोंच में भर लिया और जल्दी से तारा परी के कमरे में आकर उस पर उलट दिया।

    तारा परी झुंझलाकर उठ पड़ी और उस नन्ही सी चिड़िया पर भड़क उठी। "ये क्या है? सोने दो न हमें, कितनी सुकून की नींद आ रही थी!"

    तब वह चिड़िया अपनी आवाज़ में बोली, "टाइम देखो! टाइम! तुम्हारा नौकरी का पहला दिन है और आज आखिरी दिन भी हो सकता है। जल्दी करो!"

    तारा परी ने टाइम देखा कि वाकई उसे काफ़ी देर हो गई थी। अगर ऐसा रहा तो पक्का आज ही तीन गलतियों में से वह जंगली उसकी पहली गलती निकाल देगा।

    तारा परी जल्दी से तैयार होकर माली काका की दुआएँ लेती हुई ऑफ़िस की ओर निकल पड़ी।

    लेकिन जैसे ही वह रास्ते में गई, उसने देखा एक जगह दो गाड़ियों का एक्सीडेंट हो गया था और एक गाड़ी में एक छोटा सा बच्चा अंदर ही फँस गया था।

    तारा परी को उस बच्चे को देखकर दया आ गई। हालाँकि उसे देर हो रही थी, लेकिन वह उस बच्चे को भी उस हालत में छोड़कर नहीं जा सकती थी।

    लेकिन उसे एहसास नहीं था कि उस बच्चे को केवल वह ही नहीं देख रही थी, बल्कि दो आँखें और थीं जो उस वक़्त उस गाड़ी में फँसे बच्चे को देख रही थीं। उस बच्चे के माँ-बाप को शायद हॉस्पिटल ले जाया गया था क्योंकि वहाँ काफ़ी सारा ख़ून पड़ा हुआ था।

    तारा परी ने अपना रिक्शा साइड में रुकवाया और जल्दी से दौड़कर उस गाड़ी के पास जा पहुँची और उस बच्चे को निकालने की कोशिश करने लगी। वहाँ काफ़ी सारे लोग मौजूद थे, इसलिए तारा परी चाहकर भी अपनी जादुई शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकती थी।

    वह अभी यह सोचकर परेशान हो ही रही थी कि तभी उसकी मदद करने के लिए दो हाथ और आगे आ गए और वह इंसान और कोई नहीं बल्कि अमन राठौड़ था।

    तारा परी और अमन की हिम्मत देखकर भीड़ में से दो-चार लोग और सामने आ गए। गाड़ी में से काफ़ी पेट्रोल निकल चुका था जिसके कारण कभी भी एक भयानक आग लग सकती थी।

    लेकिन वह दोनों बिना किसी नुकसान की परवाह किए वह उस बच्चे को बचाने में जुटे रहे और जल्दी ही वह बच्चा उन लोगों ने सही-सलामत बाहर भी निकाल लिया।

    लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और उस गाड़ी में आग लग चुकी थी।

    तारा परी खुश हो रही थी कि अमन ने उस बच्चे को बचाने में उसकी मदद की। इससे यह तो साफ़ हो गया था कि वाकई अमन एक नेकदिल इंसान था।

    अभी तारा परी सोच ही रही थी कि तभी उसे अमन की आवाज़ सुनाई देने लगी, "आग! आग! आग!" और वह डर के मारे काँपने लगा। तारा परी उसे देखकर हैरान रह गई।

  • 12. एक उदास परी - Chapter 12

    Words: 1257

    Estimated Reading Time: 8 min

    ऑफिस जाते वक्त तारा परी को रास्ते में एक-दो गाड़ियों का बुरी तरह एक्सीडेंट हुआ दिखाई दिया। उनमें से एक गाड़ी में एक छोटा बच्चा फँसा हुआ था।

    इसलिए तारा परी, बिना सोचे-समझे, उस बच्चे को बचाने के लिए निकल पड़ी। कुछ लोग डर के मारे आगे नहीं बढ़ रहे थे, क्योंकि किसी भी वक्त उस गाड़ी में आग लग सकती थी। तभी तारा परी की मदद के लिए अमन राठौड़ आगे आए और वे दोनों मिलकर उस बच्चे को बचाने लगे। उनकी हिम्मत देखकर दो-तीन लोग और आ गए और जल्दी ही उन्होंने उस बच्चे को गाड़ी से निकाल लिया। लेकिन तभी उस गाड़ी में आग लग गई। आग देखते ही अमन राठौड़ बुरी तरह डर गए और "आग! आग! आग!" चिल्लाने लगे।

    तारा परी को अमन का व्यवहार अजीब लगा। नॉर्मल लोग आग को देखकर उसे बुझाने के रास्ते ढूँढते हैं, लेकिन अमन आग बुझाने में मदद करने के बजाय "आग! आग!" चिल्लाकर काँप रहा था।

    तारा परी ने अमन का एक हाथ पकड़ लिया और बोली,
    "सर, रिलेक्स। कुछ नहीं हुआ है। एक छोटी सी आग लगी है, जो अभी बुझ जाएगी। आग बुझाने की गाड़ियाँ आ गई हैं।"

    लेकिन अमन को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। उसे केवल आग दिखाई दे रही थी। तारा परी को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, इसलिए उसने अमन को एक साफ़, सुरक्षित जगह पर बैठाया और खुद अमन के लिए पानी लेने चली गई।

    कुछ ही मिनटों में वह वापस आ गई। वापस आकर उसने देखा कि वह जिस जगह पर अमन को बैठाकर गई थी, अमन वहाँ नहीं था। तारा परी ने चारों ओर देखा, लेकिन कहीं भी अमन दिखाई नहीं दिया।

    तारा परी सोच में पड़ गई कि आखिर अमन राठौड़ कहाँ चला गया।

    थक-हारकर तारा परी वापस अपने रिक्शे में बैठकर ऑफ़िस के लिए निकल गई। तारा परी आज अपने ऑफ़िस के पहले दिन बीस मिनट लेट थी। जैसे ही तारा परी ऑफ़िस के वर्किंग प्लेस पर गई, सब लोग उसे ऐसे देखने लगे, मानो कोई अजीब इंसान देख लिया हो।

    तारा परी अभी आगे बढ़ ही रही थी कि तभी अमित उसके पास आया और बोला,
    "गुड मॉर्निंग, beautiful girl!"

    अमित की बात सुनते ही तारा परी के मुँह पर मुस्कान तैर गई और उसने भी अमित को "वेरी गुड मॉर्निंग, सर" कहकर अभिवादन किया।

    तब अमित ने कहा,
    "मैडम, आज आप पहले दिन ही लेट हैं, जो कि आपके लिए ठीक नहीं है।"

    तब तारा परी ने तुरंत जवाब दिया,
    "सर, अगर मैं लेट हूँ, तो हमारे बॉस भी तो लेट होंगे, क्योंकि जहाँ मैं फँसी हुई थी, वहाँ पर हमारे बॉस, मिस्टर अमन राठौड़ भी थे।"

    तारा परी की बात सुनकर अमित हैरान हो गया और बोला,
    "क्या कह रही हो तुम? अमन राठौड़? वो भी तुम्हारे साथ? ऐसा हो ही नहीं सकता!"

    तारा परी ने कहा,
    "नहीं सर, मैं सच कह रही हूँ। मैंने वहाँ पर अमन सर को भी देखा था।"

    अमित ने कहा,
    "मुझे लगता है आज तुम सुबह-सुबह ही कुछ गलत खाकर आ गई हो। मैं फिर भी तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूँ, अमन राठौड़ समय का पूरा पाबंद है और वो आज तक उसने एक मिनट भी लेट नहीं किया है ऑफ़िस पहुँचने में।"

    तारा परी अमित की बात सुनकर हैरान हो गई। वह और कुछ कहने ही वाली थी कि तभी एक आदमी वहाँ आया और उसने तारा परी से कहा,
    "बॉस आप को बुला रहे हैं।"

    तारा परी ने हाँ में सर हिला दिया और अमित से कहने लगी,
    "सर, मैं अभी बॉस से पूछती हूँ और फिर आपको बताती हूँ।"

    अमित भी चौंककर रह गया और बोला,
    "लगता है यह लड़की सच में पागल है।"

    ऐसा कहकर वह अपने काम पर जुट गया और तारा परी अमन के केबिन के ठीक सामने पहुँच गई और नॉक करने लगी।

    अंदर से अमन की "यस, कम इन" की आवाज़ सुनाई दी, तो वह जल्दी से अंदर गई। उसने देखा अमन के कपड़े बदल चुके थे और वह आराम से बैठकर अपनी फ़ाइल का काम कर रहा था।

    तारा परी जाते ही बोलने लगी,
    "अरे सर, आप कहाँ गायब हो गए थे? मैंने आपको कितना ढूँढा, लेकिन आप मुझे कहीं नहीं मिले। और मैं आपके लिए पानी भी ले आई थी।"

    बदले में अमन कुछ नहीं बोला, केवल तारा परी को घूरने लगा।

    तब तारा परी फिर बोल पड़ी,
    "सर, आप आग से इतना क्यों डर रहे थे?"

    अचानक से तारा परी के सवाल से अमन का गुस्सा बढ़ गया, और वह बोला,
    "हेलो मिस! आपका दिमाग खराब हो गया है क्या? आपको ज़रूर कुछ गलतफ़हमी हुई होगी। आपने किसी और को देखा होगा। और मैंने यहाँ आपको यह बताने के लिए बुलाया है कि आप आज पहले दिन ही पूरे बीस मिनट लेट हैं। और आपको यह जानकर खुशी होगी कि आपकी यह गलती आपको जॉब से निकालने वाली गलतियों में शामिल नहीं की जाएगी, लेकिन आइन्दा ख्याल रहे, यह गलती फिर से नहीं होनी चाहिए।"

    अमन ने तारा परी को वार्निंग दी थी, लेकिन तारा परी की सुई अभी भी उसी बात पर अटकी हुई थी और वह अमन की सारी बातें अनसुनी करती हुई बोली,
    "लेकिन सर, आप आग से इतना क्यों डर रहे थे?"

    एक बार फिर इस सवाल पर अमन अपना गुस्सा कंट्रोल नहीं कर पाया और वह उठा और उसने तारा परी के दोनों हाथों को पकड़कर दीवार से लगा दिया और उसके चेहरे के बेहद करीब जाकर बोला,
    "तुम्हें क्या सुनाई नहीं देता है? मैंने बोला ना, मैं वहाँ नहीं था! तुम्हें गलतफ़हमी हुई है! उसके बाद भी तुम सुनने को तैयार नहीं हो!"

    तारा परी अमन के काफ़ी करीब थी, जिसकी वजह से उसके दिल के पास पड़ा लॉकेट जगमगाने लगा था और उसकी दिल की धड़कन तेज हो गई थी।

    तारा परी को अमन से बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा था। वह एक बार फिर बोली,
    "लेकिन सर, आप झूठ क्यों बोल रहे हैं? आपने उस बच्चे की जान बचाई है। यह तो अच्छा काम है, फिर उसे छुपाने की क्या ज़रूरत है?"

    अमन को यकीन हो चुका था कि यह लड़की उसकी एक भी नहीं सुनने वाली है। उसे लगा था वह इस लड़की को डरा-धमकाकर बातों को घुमा देगा, लेकिन तारा परी तो एक ही बात पकड़कर बैठी थी।

    अब अमन के पास तारा परी की उस पल की याददाश्त मिटाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था।

    इसलिए उसने मन ही मन कुछ पढ़ना शुरू किया। तभी हम देखते हैं कि पूरे ऑफ़िस में काम करने वाले सभी लोग जम गए थे। जो जिस हालत में था, वह वहीं जम सा गया था। किसी में कोई हरकत नहीं हो रही थी।

    तारा परी भी एकदम चुप हो गई थी। तब अमन ने तारा परी को कुर्सी पर बैठाया और बोलने लगा,
    "कब से बोल रहा हूँ, वो मैं नहीं था! कि और था! लेकिन तुम तो सुनने को ही तैयार ही नहीं हो! अब मुझे तुम्हारी याददाश्त ही मिटानी होगी। इसके अलावा मेरे पास और कोई रास्ता नहीं है।"

    तारा परी साँसें थामकर अमन की बातें सुन रही थी, क्योंकि वह केवल कुछ ही मिनटों के लिए ही स्थिर हुई थी। उसके बाद वह होश में आ गई थी, क्योंकि वह एक परी थी जिसके पास असीमित शक्तियाँ थीं। सो कोई भी जादू, कोई भी मंत्र उसे ज़्यादा देर तक बाँधकर नहीं रख सकता था।

  • 13. एक उदास परी - Chapter 13

    Words: 1659

    Estimated Reading Time: 10 min

    तारा परी की याददाश्त मिटाने के लिए अमन ने एक मंत्र का जाप शुरू कर दिया।

    और देखते ही देखते, पूरा आफिस जम गया। जो कोई जहाँ खड़ा था, जो कर रहा था, उसी हालत में जम गया था।

    कुछ पल के लिए तारा परी भी जम गई थी, लेकिन वह एक परी थी, जिसके पास असीमित शक्तियाँ थीं। इसलिए कोई भी जादू, कोई भी मंत्र उसे ज़्यादा देर तक नहीं बाँध सकता था।

    तारा परी को एकदम खामोश देखकर, अमन ने बोलना शुरू कर दिया। "कब से कह रहा हूँ, वह मैं नहीं था, लेकिन तुम मानने को तैयार ही नहीं हो रही हो। इसलिए मजबूरन अब मुझे तुम्हारी याददाश्त मिटानी होगी। वह पल खत्म करना होगा, जिस पल में उस बच्चे को बचाने के लिए मैं तुम्हारे साथ था।"

    तारा परी हैरानी से उसकी बातें सुन रही थी और अमन की बातों को अच्छे से सुन और देख रही थी। लेकिन उसने अमन को यह एहसास नहीं होने दिया कि वह जमी नहीं है, बल्कि वह अच्छे से अमन की सारी बातें सुन और समझ रही थी।

    देखते ही देखते, अमन ने एक बार फिर कुछ पढ़कर फूँकना शुरू कर दिया और तारा परी के करीब जाकर उसके माथे को छूने लगा और फिर कुछ पढ़ने लगा।

    तारा परी साँसें थाम कर सब कुछ देख रही थी कि तभी अमन ने पढ़ना बंद कर दिया और तारा परी के ठीक सामने बैठकर बोला, "अब बस कुछ पल में मैं तुम्हें ठीक करने वाला हूँ।"

    "उसके बाद एक बार फिर तुम्हारी कचर-कचर शुरू हो जाएगी, लेकिन तुम यह ज़रूर भूल जाओगी कि उस बच्चे को बचाने में मैं तुम्हारे साथ था।"

    "और हाँ, एक बात और, तुम्हारी आँखें बेहद खूबसूरत हैं।"

    ऐसा कहकर अमन ने एक बार फिर कोई मंत्र पढ़ना शुरू कर दिया और देखते ही देखते सब सामान्य हो गया। जैसे पहले सब काम कर रहे थे, उसी तरह सब फिर से अपना काम करने लगे।

    तारा परी समझ चुकी थी कि अमन ने अब सब सामान्य कर दिया है, सो वह उठ सकती है, बोल सकती है।

    तारा परी सामान्य तो हो गई थी, लेकिन वह अभी शॉक में थी। अमन कैसे सब कुछ रोक सकता था? किसी की याददाश्त मिटा सकता था? आखिर कैसे मामूली इंसान यह सब कर सकता था?

    तारा परी बड़ी हैरत में थी कि आखिर कैसे कोई इंसान वक्त को रोककर किसी की यादें मिटा सकता है।

    तारा परी समझ चुकी थी कि उसका यह नेकदिल इंसान, जो कि उसका बॉस है, वह कोई आम आदमी तो बिल्कुल नहीं था।

    उस वक्त तारा परी ने अपनी मन की बात जाहिर नहीं होने दी और ऐसे बिहेव करने लगी मानो वह भी जम गई थी और आज ऑफिस आते वक्त क्या-क्या हुआ, उसे कुछ भी याद नहीं था।

    अमन ने तारा परी से कहा, "जो भी काम आपको समझाया है, समझ आ गया आपको?" तारा परी बड़ी हैरत से उसे देखने लगी और सोचने लगी, "कुछ काम तो सर ने दिया ही नहीं, फिर क्यों कह रहे हैं जो काम दिया है उसे कर लेना।"

    तारा परी ने कहा, "सर, माफ़ करना, क्या आप एक बार और बता दोगे कि मुझे करना क्या है? क्योंकि मैं भूल गई हूँ।" अमन मन ही मन मुस्कुराने लगा क्योंकि वह झूठ बोलकर यहीं चेक कर रहा था कि कहीं इसे कुछ याद तो नहीं।

    तारा परी अपनी सोचों में गुम, यह सब सोचे जा रही थी कि तभी अमन उससे बोला, "मिस अमन राठौड़ को अपनी बात रिपीट करने की आदत नहीं है। तुम जाओ यहाँ से। अमित तुम्हें सारा काम समझाएँगे।"

    तारा परी ने हाँ में सर हिला दिया और जल्दी से अमन के केबिन से निकल गई।

    एक लड़की तारा परी को एक डेस्क पर ले गई और बोली, "अभी थोड़ी देर आप यहाँ वेट करें। अमित सर अभी आने वाले हैं। वो आपको सारा काम समझाएँगे।" तारा परी ने हाँ में सर हिला दिया और अमित का वेट करने लगी।

    तारा परी अपनी ही सोचों में गुम बैठी थी। उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। जिस नेकदिल इंसान के लिए वह इस पृथ्वी पर आई है, असल में तो वह इंसान ही नहीं है।

    भला कैसे कोई आम इंसान वक्त रोक सकता है या किसी की याददाश्त मिटा सकता है? आखिर कैसे?

    तभी अमित तारा परी के पास आ गया और उसे सोच में गुम देखकर बोला, "हेलो ब्यूटीफुल! अब आप एक काम करोगी।" तारा परी ने चौंकते हुए कहा, "क्या काम सर?"

    अमित: "अरे, सब से पहले तो तुम अपना नाम बताओ। आखिर कब तक हम लोग तुम्हें beautiful कहकर बुलाते रहेंगे? वैसे मुझे कहने में प्रॉब्लम नहीं है, लेकिन ज़्यादा बोलने से कहीं तुम्हें समस्या न हो जाएँ।"

    अमित ने हँसते हुए कहा। तारा परी भी एक फ़ीकी सी हँसी हँस दी और बोली, "अमित सर, मेरा नाम तारा है।"

    "तारा," अमित तारा का नाम रिपीट करते हुए बोला, "अरे वाह! तुम्हारा नाम भी तुम्हारी तरह ही खूबसूरत है।"

    अमित ने तारा परी पर कॉमेंट किया।

    तारा परी: "सो सर, बताइए मुझे क्या काम करना होगा?" तब अमित समझ गए कि तारा परी कोई और बात करने के मूड में नहीं है। अमित ने तो सोचा था थोड़ी देर इधर-उधर की बातें करूँगा और उसके बाद काम बता दूँगा।

    लेकिन वह भाँप चुका था और बोला, "हाँ, आप रुकिए। मैं आपको अभी सारा काम समझा देता हूँ।"

    अमित ने दो बड़ी सी फाइलें निकाली और बोला, "हर रोज़ आपको कंपनी के सिस्टम में से ईमेल निकालकर इन फाइलों से मैच करने हैं कि कितनी फाइलें या ईमेल आए हैं और उसके बाद ईमेल और फाइल मैच होते ही आपको उस फाइल की पूरी डिटेल अमन सर को दिखानी है और उनके सिग्नेचर लेने हैं।"

    "और हाँ, याद रहे, इतनी सी भी मिस्टेक करोड़ों का नुकसान कर सकती है, सो बहुत केयरफुली आपको यह काम करना होगा। और हाँ, एक और बात, कंपनी के सिस्टम पर हर रोज़ हज़ारों के करीब ईमेल आते हैं। आपको केवल वही ईमेल निकालने होंगे जिनकी फाइल आपकी डेस्क पर मौजूद होंगी और हैं। हर रोज़ कम से कम बीस ईमेल विद फाइल आपको ढूँढ़ने होंगे और अमन सर से सिग्नेचर लेने होंगे।"

    "और हाँ, शुरु-शुरु में थोड़ा हार्ड लगेगा यह काम आपको, लेकिन जब सब सीख जाओगी, तब कुछ ही घंटों में आप अपना काम खत्म कर लोगी।" अमित ने जल्दी से तारा परी को सारा काम समझाते हुए कहा।

    तारा परी ने हाँ में सर हिला दिया। अमित तारा परी से और ज़्यादा बातों की उम्मीद न करता हुआ, टीनक कर वहाँ से चला गया।

    अमित के जाने के बाद तारा परी निढाल सी कुर्सी पर बैठ गई और सोचने लगी कि आखिर क्या पहचान है अमन राठौड़ की? मुझे पता लगाना होगा और जल्द से जल्द अमन से शादी करनी होगी, तभी मेरी ज़िंदगी से वह राक्षस जाएगा।

    अभी तारा परी अमन के पास जाने का बहाना ढूँढ़ने लगी, क्योंकि अगर उसे अमन को जानना था, समझना था, तो उसे ज़्यादा से ज़्यादा अमन के पास ही रहना था।

    तारा परी ने सिस्टम को छुआ और जल्दी से उस सिस्टम की सारी नॉलेज, एक कंप्यूटर में, क्या-क्या फ़ंक्शन होते हैं, हार्डवेयर से लेकर सॉफ्टवेयर तक सब कुछ अपने अंदर ट्रांसफर कर लिया।

    और जल्दी से मैचिंग ईमेल और फाइल को मिलाने लगी और केवल तीन मिनट में उसे एक फाइल और ईमेल मिल गया। उसने जल्दी से उनके सीरियल नंबर मैच किए और जल्दी से फाइल समेटकर अमन के केबिन के बाहर पहुँच गई।

    जैसे ही वह अंदर जाने वाली थी कि तभी अमित उससे टकरा गया और तारा परी को देखकर चौंक गया और बोला, "अरे, आप यहाँ क्या कर रही हो?"

    तब तारा परी ने कहा, "वो...वो फाइल पर बॉस के सिग्नेचर कराने के लिए आई हूँ।"

    अमित यह बात सुनकर ही शॉक हो गया और बोला, "लेकिन अभी पाँच मिनट पहले मैं आपको काम समझाकर आ रहा हूँ और इतनी जल्दी आपने फाइल भी मैच कर ली?"

    बदले में तारा परी ने कोई जवाब नहीं दिया और बात पलटकर कहने लगी, "सर, मैं जल्दी से बॉस से सिग्नेचर करा लेती हूँ, कहीं देर हो जाए।"

    अमित ने सामने से हट गया और तारा परी अंदर चली गई।

    उसने आज मन ही मन में ठान लिया था कि वह किसी न किसी बहाने से अमन राठौड़ का हाथ पकड़ कर रहेगी और उसके मन में क्या है और क्या उसकी पहचान है, वह सब पता लगाकर रहेगी।

    तारा परी ने जैसे ही अंदर गई, उसने देखा अमन सामने बैठा हुआ एक फाइल में कुछ करेक्शन करने में बिजी था।

    तारा परी उसके सामने जाकर खड़ी हो गई और बोली, "एक्सक्यूज़ मी सर।" अमन ने कोई रिप्लाई नहीं दिया और तब तारा परी एक बार फिर ऊँची आवाज़ करती हुई बोली,

    "हेलो सर!" अमन ने इस बार सुन लिया और एक हलकी सी नज़र तारा परी पर डालकर फिर से अपनी फाइल में गुम हो गया।

    और फाइल को देखते हुए ही बोला, "बोलो, मेरे कान उधर ही हैं, मैं सुन रहा हूँ।"

    अमन की ऐसी लापरवाही देखकर तारा परी को काफ़ी गुस्सा आ रहा था।

    तारा परी अपने गुस्से पर काबू करते हुए बोली, "सर, यह यह फाइल, सीरियल नंबर और ईमेल से मैच हो गई है। आप एक बार चेक कर लें और इस पर सिग्नेचर कर दें।"

    अमन चौंक गया और बोला, "इतनी जल्दी कैसे? तुमने फाइल मैच भी कर ली? ग्रेट! रियली इम्प्रेसिव!" अमन तारा परी की तारीफ़ किए बिना नहीं रह पाया।

    तारा परी किसी न किसी बहाने से अमन का हाथ पकड़ना चाहती थी। इसलिए जैसे ही अमन ने तारा परी द्वारा लाई गई फाइल पर सिग्नेचर करके तारा परी को देने लगा,

    तारा परी ने फाइल लेने के बहाने से अमन का हाथ पकड़ लिया।।।।।।

  • 14. एक उदास परी - Chapter 14

    Words: 1524

    Estimated Reading Time: 10 min

    तारा परी अमन राठौड़ का वक्त रोकना बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। उसे यह तो समझ आ गया था कि अमन राठौड़ कोई आम इंसान नहीं था, क्योंकि कोई भी आम इंसान वक्त नहीं रोक सकता था।

    तारा परी एक फ़ाइल पर साइन कराने के बहाने से अमन के पास गई और फ़ाइल पर सिग्नेचर लेने के बाद, जैसे ही उसने अमन से फ़ाइल वापस ली, तारा परी ने जानबूझकर अमन के हाथ पर अपना हाथ रख दिया।

    और अमन के मन में क्या चल रहा है, उसके बारे में पता लगाने की कोशिश करने लगी।

    लेकिन जब कुछ देर तक तारा परी ने अमन का हाथ नहीं छोड़ा, तो वह बोल उठा, "क्या हुआ मिस? कोई प्रॉब्लम है क्या?"

    तारा परी एकदम से घबरा गई और बोली, "वो नहीं सर, कुछ नहीं। वो बस..." इतना कहती हुई तारा परी अमन के केबिन से बाहर निकल गई।

    और लगभग भागती हुई सी अपनी डेस्क तक पहुँची।

    और सोचने लगी, "ये क्या हुआ? मैंने अमन बॉस का हाथ पकड़ने के बाद भी उनके बारे में कुछ भी नहीं जान पाई। आखिर है कौन ये? क्यों पहली बार में किसी को नहीं पढ़ पाई? आखिर क्यों?"

    तारा परी के मन में ढेरों सवाल उभर आए थे कि आखिर है कौन ये अमन राठौड़? अब तारा परी ने अमन के बारे में पता लगाने का अपना इरादा और भी ज़्यादा मज़बूत कर लिया था।

    वहीं अमन तारा परी के बर्ताव के बारे में ही सोच रहा था कि आखिर यह लड़की इतनी अजीब सी क्यों है?

    वह अभी दोनों एक-दूसरे के बारे में ही सोच रहे थे कि तभी अमन के ऑफिस में कुछ हलचल सी सुनाई देने लगी।

    तारा परी चौंकते हुए बाहर निकली तो उसने देखा एक लड़की बेहोश पड़ी हुई थी और बाकी सब चारों ओर से उसे घेरकर खड़े थे।

    तारा परी जल्दी से आगे बढ़ी और उस लड़की के आस-पास की भीड़ को हटाते हुए बोली, "ये सब क्या है? आप लोगों को दिखाई नहीं दे रहा है क्या? ये लड़की बेहोश है और आप लोग इसकी मदद करने के बजाय इसे चारों ओर से घेरकर खड़े हो?"

    शोर-शराबा सुनकर अमन भी वहाँ आ गया था, लेकिन अपने ऑफिस में काम करने वाली लड़की को बेहोश देखकर अमन पर कोई फ़र्क ही नहीं पड़ा था। उल्टा उसने वहाँ आकर सबको डाँटना शुरू कर दिया।

    "ये क्या तमाशा लगा रखा है तुम लोगों ने यहाँ पर? जाओ जाकर काम करो अपना।"

    तभी अमित बीच में ही बोल पड़ा, "लेकिन अमन, वो लड़की को शायद हॉस्पिटल की ज़रूरत है।"

    तब अमन गुस्से से अमित की ओर बढ़ा और बोला, "तो इसमें मैं क्या करूँ अमित? तुम बताओ। मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है कि किसी औरत की वजह से मेरे ऑफिस का काम रुक गया हो।"

    तारा परी बड़ी हैरत से अमन की बातें सुन रही थी। वह अमन को करारा जवाब भी देना चाहती थी, लेकिन उस वक्त उस लड़की की जान बचाना ज़्यादा ज़रूरी था। सो उसने एक लड़के को अपनी मदद करने के लिए बुलाया और उस लड़की को हॉस्पिटल के लिए ले जाने लगी। लेकिन तभी अमन की आवाज़ वहाँ गूंजने लगी और वह तारा परी से तेज आवाज़ में बोल पड़ा, "हेलो मिस! तुम्हें क्या सुनाई नहीं देता है? मैंने कहा ना, कोई कहीं नहीं जाएगा। मेरे ऑफिस का काम नहीं रुकना चाहिए। अगर ये लड़की बीमार है तो एम्बुलेंस को फ़ोन करो, वो लेकर जाएगी इसको यहाँ से।"


    अब तारा परी का सब्र जवाब दे गया था। एकाएक वह उस लड़की के पास से उठी और सीधा अमन राठौड़ के सामने जाकर खड़ी हो गई और गुस्से से बोली, "आपके अंदर थोड़ी-बहुत इंसानियत नाम की कोई चीज़ है या नहीं है? आपके ऑफिस में काम करने वाली लड़की बीमार है, लेकिन आपको इससे कोई फ़र्क ही नहीं पड़ रहा है। आखिर आप इंसान ही हैं ना? जो आपके अंदर किसी के लिए भी इमोशन नहीं है?"

    तारा परी अमन पर लगभग दहाड़ते हुए बोली थी। अमन की कठोरता ने तारा परी को बहुत ठेस पहुँचाई थी।

    तारा परी की बात सुनकर अमन का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच चुका था और वह अभी कुछ और भी कहने वाला था कि तभी उस लड़की के माँ-बाप की आवाज़ सुनाई देने लगी और उसकी माँ रोती-पिटती दौड़ी चली आ रही थी और अपनी बेटी के पास बैठकर उसे उठाने की कोशिश करने लगी और बोलने लगी, "अरे मेरी बच्ची! क्या हुआ तुझे? किसने किया ये?" और अपने पति से कहती, "सुनिए जी, ये कुछ बोल क्यों नहीं रही है?" दोनों पति-पत्नी रोती हुई शक्ल लेकर अपनी बेटी को उठाने की कोशिश करने लगे थे।

    तारा परी अमन को उंगली दिखाती हुई उस लड़की के पास जा पहुँची और उसकी माँ को संभालने लगी थी।

    ऑफिस में से ही किसी ने उस लड़की के घर पर उनकी बेटी के बीमार होने की जानकारी दे दी थी, जिसे सुनकर उसके माँ-बाप दौड़े चले आए थे।

    इतने में ही एक डॉक्टर वहाँ आ गई थी। अमन ने गुस्से से अमित की ओर देखा और बोला, "मैंने कहा था ना इसे हॉस्पिटल लेकर जाओ। फिर ये डॉक्टर यहाँ क्या कर रही है? किसने बुलाया इसे?" तब अमित थोड़े हिचकिचाता हुआ बोला, "वो अमन भाई, वो डॉक्टर को मैंने फ़ोन किया था।"

    अमित की बात सुनकर अमन उसे खा जाने वाली नज़रों से देखने लगा।

    बहरहाल, सब एक जगह खड़े होकर डॉक्टर के द्वारा किया गया इलाज देख रहे थे।

    तारा परी उस लड़की के बिल्कुल पास ही खड़ी थी और बीच-बीच में वह कड़ी नज़रों से अमन की ओर देख रही थी। अमन भी लगातार उसे ही घूर रहा था।

    अभी कुछ ही देर हुई थी कि उस लड़की को एक इंजेक्शन के बाद होश आ गया और अपने माँ-बाप को सामने देखकर वह खुद को रोक नहीं पाई और उनके गले लगकर रोने लगी। तभी उस लड़की के पिता उस डॉक्टर के पास गए और उसका धन्यवाद देने लगे और पूछने लगे कि आखिर क्या हुआ था उनकी बेटी को।

    तब डॉक्टर थोड़ा हिचकिचाकर बोली, "वो सर..." डॉक्टर को 'मैं' करते देख अमन को और गुस्सा आ गया और वह तेज आवाज़ में बोल पड़ा, "हेलो डॉक्टर मैडम! ये क्या आपने 'मैं-मैं' लगा रखा है? साफ़-साफ़ बताइए हुआ क्या था इस लड़की को? आप जानती हैं पूरे पचास मिनट इनकी बेहोशी की वजह से काम रुक गया है ऑफिस का।"

    जैसे ही अमन ने यह बोला, तारा परी ने एक बार फिर घूरकर अमन को देखा।

    और अमन ने भी तारा परी को देखा। फिर बात बदलते हुए बोला, "मेरा मतलब था कि हुआ क्या था इस लड़की को?" इस बार अमन थोड़ा नरम होकर बोला।

    अमित अमन का बदलता बिहेवियर देख चुका था और मन ही मन तारा परी की हिम्मत की सराहना कर रहा था।

    तब वह डॉक्टर बोली, "वो एक्चुअली सर, ये लड़की माँ बनने वाली है।"

    क्या? जैसे ही यह बात वहाँ मौजूद लोगों को पता चली, उन सब में कानाफूसी शुरू हो गई।

    और उसकी माँ चिल्लाने लगी, "क्या बात कर रही है आप? ऐसा कैसे हो सकता है? मेरी बेटी पेट से कैसे हो सकती है? अभी तो उसकी शादी भी नहीं हुई है।"

    उस लड़की के पिता ने अपना सिर झुका लिया था और उसकी माँ ने रोना-पिटना शुरू कर दिया था और वह लड़की खामोशी से नज़रें झुकाए बैठी रही। तभी उसके पिता उस लड़की के पास आए और उन्होंने उस लड़की से कहा, "ये किया क्या तुमने? इस दुनिया में तुम्हारे अलावा हमारा कोई सहारा नहीं था। तुम्हें ऐसा क्यों लगा था कि हम तुम्हारी शादी नहीं कराएँगे, और तुम ज़िन्दगी भर हम लोगों को ही पालती रहोगी? शायद इसलिए तुमने इतना बड़ा कदम उठा लिया।"

    ये सुनकर वह लड़की तड़प उठी और अपने पिता का हाथ पकड़कर बोली, "नहीं पिता जी! ऐसा मत बोलिए। मेरी कोई गलती नहीं है। मैं तो ज़िन्दगी भर आप दोनों की सेवा करना चाहती थी, लेकिन मेरे साथ धोखा हुआ है पिता जी। मेरा यकीन कीजिए, मेरे साथ धोखा हुआ है।"

    अभी तारा परी कुछ कहना चाहती थी कि तभी अमन तेज आवाज़ में बोलने लगा, "लो अमित साहब! सुन लो इस लड़की के कारनामे! ये लड़की बिना शादी किए माँ बनने वाली है! मैं तुमसे कहता हूँ ना अमित, लड़की जात पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए। अब तुम देख लो इस लड़की को! इसने अपने माँ-बाप को तो धोखा दिया ही दिया, साथ ही साथ अपने पेट में पल रहे बच्चे का भी भविष्य खराब कर दिया। ये औरतें किसी की भी ज़िन्दगी बरबाद कर सकती हैं।"

    तारा परी अमन की यह बात बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और वह उस लड़की का सच जानने के लिए उसके पास गई और उसका हाथ थामकर बोली, "तुम फ़िक्र मत करो, सब ठीक हो जाएगा।" ऐसा कहकर वह उसका हाथ पकड़कर उसके बारे में जानने लगी।

    और उसके बारे में जानते-जानते तारा परी की आँखों से टप-टप आँसू बह निकले थे।

  • 15. एक उदास परी - Chapter 15

    Words: 1687

    Estimated Reading Time: 11 min

    तारा परी अमन का हाथ तो पकड़ चुकी थी लेकिन उसके बारे में कुछ भी नही जान पाई थी, जिस की वजह से वो उदास थी और समझ नही पा रही थी की आखिर अमन असल मे है  कोन क्यो वो अमन के बारे कुछ नही पढ़ पाई या पता लगा पाई बस यहीं बात उसे परेशान किए जा रही थी, और तभी उसके आफिस में काम करने वाली एक लड़की बेहोश हो जाती है , तारा परी उसे अस्पताल लेकर जाना चाहती है लेकिन अमन मना कर देता है न जाने क्यों वो गुस्सा हो जाता है जिस से तारा परी भड़क जाती है और उसे काफी खरी खोटी सुना देती है , डॉक्टर उस लड़की का चेक अप करते है और बता देते है की ये लड़की प्रेगनेंट है, जिसे सुन कर उस लड़की के मां बाप काफी ज्यादा परेशान और शर्मिंदा हो जाते है, क्योंकि उस लड़की की अभी तक शादी नही हुईं थी  सब लोग उसे उल्टा सीधा बोलना शुरू कर देते है लेकिन वो लड़की केवल इतना ही कहती है कि मेरी कोई गलती नही है, तब तारा परी उस लड़की का हाथ पकड़ती है और जेसे जैसे वो उस लड़की के बारे में जानने लगती है वैसे वैसे तारा परी की आंखो से  भी आंसू निकलना शुरु हो जाते है, तभी अमन राठौड़ एक बार और उस लड़की को ताना मारते है,और उस लड़की के पिता से कहते है देख लिया आप ने इसलिए कहते है जरूरत से ज्यादा किसी पर भी भरोसा नही करना चाहिए खास कर औरतो पर , अब उस लड़की के पिता और कटी छिली बाते बर्दाश्त नही कर पा रहे थे अचानक से वो उठे और उन्होंने खड़े होकर अपनी बेटी का गला दबाना शुरू कर दिया और उसे मारना शुरु कर दिया उसकी मां अपनी बेटी को बचाने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन उस वक्त उसके पिता ज्यादा गुस्से में थे उन्हे कुछ भी दिखाई नही दे रहा था, तारा परी अचानक हुए उस लड़की पर हमले से परेशान हो गई उसे समझ ही नही आया वो क्या करें उसने एक नज़र अमन की और देखा जो आराम से हाथ बांध कर खडा था और मुस्कुरा रहा था तारा परी का गुस्सा आसमान छू चुका था , उसने एक तेज आवाज़ से उस लड़की के पिता को रौका, और उन्हे उस लड़की से दूर धकेल दिया, और जो बाकी सब उस लड़ाई और उस लड़की के साथ हो रही मारपीट का मजा ले रहे थे तारा परी ने एक झटके से उन्हे चुप करा दिया और तेज आवाज़ मे उस लड़की के पिता से बोली, आप को क्या जरा सी भी अक्ल नही है एक आदमी ने आप को बहलाया फुसलाया और आप उसकी बातो मे आ गए  और अपनी बेटी को मारने पर उतारू हो गए, तारा परी ने अमन की और देखते हुए कहा, अमन गहरी गहरी नजरो से तारा परी को ही देख रहा था, तब उसके पिता फुट फुट कर रो दिये, तारा परी अमन के सामने जाकर खड़ी हो गईं, अमन साहब आप तो बॉस है न इस कम्पनी के तो फिर अपनी ही कम्पनी की एम्प्लॉय को लेकर आपकी सोच इतनी घटिया केसे हो सकती है , एक तो आप के आफिस की लड़की के साथ गलत हुआ है और आप उल्टा उसी को ब्लेम कर रहे है , आखिर थोड़ी बहुत इंसानियत है या नही आप के अंदर, अमन को भी गुस्सा आ गया था वो इस तरह से सब के सामने वो भी एक औरत के हाथो अपनी बेइज्जती बर्दाश्त नही कर पा रहा था, और वो एक झटके से बोला आखिर तुम कहना क्या चाहती हों, क्या मेने कहा था इस लडकी को प्रेगनेंट होने के लिए और ये मेरा आफिस है और यहां जो ये लोग काम करते है फ्री में नही करते अच्छी खासी मोटी रकम देता हूं ,और आफिस के बाहर ये लोग कहा जाते है क्या करते है किस के साथ सोते है इस से मुझे कोई लेना देना नहीं है समझी तुम, अमन ने जेसे अपना पल्ला झाड़ा था, अमन की बात सुन कर तारा परी और चिढ़ गई थी और तेज आवाज़ मे बोली मिस्टर अमन राठौड़ आप आपकी सोच इतनी घटिया होगी मेने कभी नही सोचा था, इस आफिस में काम करने वाले लोग जिम्मेदारी है आप की तो आप ऐसा बोल भी केसे सकते है, और इस लड़की के साथ आप के खुद के आफिस में ही गलत हुआ है, जेसे ही तारा परी ने ये कहा वहां मौजूद सब एक दुसरे का मुंह देखने लगे, और तब अमित आगे आया और बोला तारा जी क्या कहा आप ने इस आफिस में गलत हुआ है हम कुछ समझे नही, तब तारा परी उस लड़की के पास गई और उसका हाथ अपने हाथ में थाम कर बोली , तुम्हे डरने की कोई जरूरत नही है इसमें तुम्हारी कोई गलती नही है तुम बताओ इन सब को असल में हुआ क्या था, तारा परी ने उस लड़की को हिम्मत दी, लेकिन वो लड़की केवल रोती रहीं और कुछ बोल नहीं पाई, तब अमन एक बार फिर बोल पडा मेने कहा था ना तुम से इसी लड़की की गलती है मेरे आफिस मे ऐसा कुछ नहीं हुआ होगा, इसी ने जरूर बाहर किसी के साथ मुंह काला किया है , तारा परी अमन की बात सुन कर काफी सदमे में थी और सोच रही थी भला ये इनसान रहम दिल नेक दिल इंसान कैसे हो सकता था, जरूर उसका पत्थर गलत जगह चमका था, तब तारा परी ने खुद को संभाला और बोली मिस्टर अमन राठौड़ आप अपनी जुबां को लगाम दे मेने कहा ना इस लड़की की कोई गलती नही है सारी गलती आपके आफिस में काम करने वाले एक आदमी की है, तारा परी ने एक और इल्जाम लगाया था सब आफिस के लोग एक बार फिर एक दुसरे का मुंह देखने लगे थे, तब उन में से एक लड़का अमन से बोला सर ये कल की आई लड़की क्या बकवास किए जा रही है ये तो हम लोगो को ही इस केस में फंसा रही है , हम लोग इतने सालो से इस कम्पनी में काम कर रहे है कभी कुछ नही हुआ और आज इस लडकी का पहला ही दिन है और आज के ही दिन इसने इतना बड़ा बखेड़ा खड़ा कर दीया, अब तो अमन का सब्र भी जवाब दे चुका था और उसने कहा मिस तारा आप एक बात कान खोल कर सुन ले अगर आज आप ये साबित नही कर पाई की ये लड़की बे कसूर है और आप ने जो  मेरे आफिस के स्टाफ पर इल्जाम लगाया है कि इस लड़की की हालत का जिम्मेदार मेरे ही ऑफ़िस से कोई है और सारी गलती उसकी है इस लड़की की कोई गलती नहीं थी तो आप को साबित करना होगा , में आप को केबल एक घण्टे का टाईम दे रहा हु , अगर आप साबित नही कर पाई तो आज आप का ऑफ़िस का पहला दिन ही आखिरी दिन होगा , इसका मतलब साफ है अगर आप इस लड़की को बेगुनाह साबित नही कर पाई तो आप को इस जॉब से हाथ धोना पड़ेगा , ऐसा कह कर अमन अपने केबिन में चला गया और उसके पिछे पिछे अमित भी चला गया, और अमन से बोला ये सब क्या है ब्रो तुमने जान बूझकर तारा को ये चैलेंज दिया है ताकि तुम उसे जॉब से निकाल सको वैसे भी वो तो तुम्हे शुरु से ही पसंद नही थी, अमन जस्ट शट अप अमित जस्ट शट अप तुम्हे क्या दिखाई नही दिया उसने किस तरह से सब के सामने मेरी बेइज्जती की है, और तुम चाहते हो मे उसे यहां अपने ही ऑफ़िस में बरदाश्त करता रहूं, उसने सबके सामने इल्जाम लगाया है अब उसे साबित तो करना ही होगा ऐसा कह कर अमन ने अमित को अपने केबिन से जाने के लिए कह दिया, वही तारा उस लड़की को कन्वेंस करने की कोशिश कर रही थी कि वो  उसका नाम बता दे जिस ने उस के साथ गलत किया है ताकि उसे सजा मिल सके और वो लडकी बेगुनाह साबित हो सके, लेकिन तारा परी के हजार बार समझाने के बावजूद वो लडकी हिम्मत नही कर पाई बस रोती रहीं  तभी उस लड़की को किसी ने फोन किया और फोन सुन कर वो लड़की और ज्यादा घबरा गई उसकी घबराहट देख कर तारा परी समझ गई की जरुर ये कॉल उसके गुनहागार की थी, तारा परी ने उस लड़की का हाथ पकड़ कर तसल्ली दी और साथ साथ उसके मन की सारी बात सुन ली, और अब तारा परी समझ चुकी थी कि उसे क्या करना है, एक घंटा पूरा होने वाला था केवल बीस मिनट ही बचे थे टाईम पूरा होने के , सो तारा परी को जो करना था जल्द से जल्द करना था, तारा परी उस लड़की की मां को एक साइड में ले गई और पुरे दस मिनट तक उन्हे कुछ बताती और समझाती रही, तारा परी की बात सुन कर उस लड़की की मां अपनी बेटी के पास गई और उसे समझाने लगी कि वो उस आदमी का नाम बताए जिस ने ये सब उस के साथ किया है और वो किसी भी चीज के बारे में ज्यादा न सोचे उसकी मां है उसके साथ, वो लड़की अपनी मां के समझाने पर भी कुछ नही बोली केवल गरदन नीची किए रोती रहीं , अब एक घंटा पूरा हो चुका था एक बार फिर सारा स्टाफ वहां जमा था, तब अमन आया और सीधा तारा परी से बोला हां तो वकील मैडम आप के क्लाइंट ने कुछ बताया या नही, या हम लोग केस ख़त्म सोचे, अमन ने तारा परी के मजाक उड़ाने वाले अंदाज में कहा और अमन की बात सुन कर सब तेज तेज हंसने लगे, तभी तारा परी ने एक नज़र उस लड़की की और देखा लेकिन उस लड़की ने अपनी गरदन झुका लीं, अब तारा परी के पास कोई और रास्ता नही था  सो तब तारा परी उठीं और अमन राठौड़ के स्टाफ मे काम करने वाले अमन राठौड़ के एक बॉडी गार्ड (जिस पर तारा परी रिक्शा वाले को मारने के जुर्म में हाथ उठा चुकी थी,) उस गार्ड का हाथ पकड़ कर उसने सब के सामने  लाकर खडा कर दिया, और  तेज आवाज़ मे बोली मिस्टर अमन राठौड़  ये रहा मुजरिम।।।✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻🙏🙏🙏🙏🙏

  • 16. एक उदास परी - Chapter 16

    Words: 1635

    Estimated Reading Time: 10 min

    तारा परी को दिया गया टाईम खत्म हो चुका था, लेकिन वो लड़की अपना मूंह खोलने के लिए तैयार ही नही थी, जब एक घण्टे बाद अमन राठौड़ ने उस से मुलजिम के लिए पूछा तब तारा परी ने अमन के ही एक गार्ड का हाथ पकड़ कर सब के सामने खडा कर दिया, वो गार्ड कोई और नही बल्कि वही गार्ड था जिस पर तारा परी एक बार पहले भी हाथ उठा चुकी थी, जब उसने उस रिक्शा वाले को मारा था , अमन के गार्ड को देखते ही पुरे स्टाफ मे कानाफूसी शुरु हो गई, अमन  तारा परी पर झुंझला कर बोला ये सब क्या है मिस तारा आप को कोई और नही मिला था, जीतने के लिए आपने मेरे ही गार्ड का नाम ले लिया इस से पहले की तारा परी कुछ कहती वो वो गार्ड अमन की बात सुन चूका था उसने तो सोचा था अब वो पकड़ा जाएगा और उसे अपना गुनाह कुबूल करना पड़ेगा लेकिन अमन की बातो ने उसे शेर बना दिया था, और वो उल्टा तारा परी को बढ़ चढ़ कर बोलने लगा और उसने अमन से कहा बॉस ये लड़की पागल है  ये जरूर किसी न किसी बात का बदला ले रही है मूझ से, इसलिए ये मुझे फंसा रही है, अमन हैरान होते हुए क्या कहा तुम ने तुम से किस बात का बदला ले रही है ये लड़की , तब वो गार्ड बोला हां बॉस मे ठीक कह रहा हूं क्योंकि ये वही लड़की है जिस ने उस दिन मूझ पर हाथ उठाया था, उस गार्ड की बात सुनते ही अमन को सब याद आ गया की उस दिन उसके गार्ड के कान से ख़ून निकला था तब से अमन ने उस लड़की को ढूढने के लिए अपने आदमी लगा रखे थे, तब अमन तेज आवाज़ मे बोला देखा तुम ने अमित आज एक कहावत तो सच हो गईं बगल में छोरा और शहर भर में ढिंढोरा, ऐसा कहते ही अमन एक पल में तारा परी के सामने जाकर खड़ा हो गया और अपनी पॉकेट से गन निकाल कर उसके माथे पर लगा दी, जीतने भी लोग थे अमन के इस एक्शन से वो डर गए और आपस मे खुसर पुसूर करने लगें, तारा परी अपनी आंखें बड़ी बड़ी करके अमन को देख रही थी, तब अमन बोला ऐसे क्या देख रही हो, तुम्हे पता है जिस दिन से तुमने मेरे आदमी पर हाथ उठा या था उस दिन से मे तुम्हे पुरे शहर भर में ढूंढ रहा था आखिर तुम समझती क्या हो अपने आप को तुम्हारी हिम्मत भी केसे हुई थी अमन राठौड़ के आदमी पर हाथ उठाने की, और आज फिर तुम ने मेरे आदमी को अपने झूट का निशाना बना लिया, एक औरत होकर इतनी हिम्मत इतना घमंड तुम्हे अमन बड़ी बेशर्मी से बोल रहा था, अब तारा परी का सब्र भी जवाब दे चुका था और वो अमन से कुछ न बोल कर उस लड़की से बोली आखिर कब तक चुप रहोगी तुम देखा तुम ने इस दुनिया मे सारी गलती सिर्फ औरतों की होती है क्या अब भी तुम्हारा मन नही कर रहा है इस आदमी का मूंह तोड़ने का, अब वो लड़की भी जोश में आ चुकी थी और वो बोली आप ठीक कह रही है मे जितना चुप रहूंगी उतनी इस दलदल में धंसती चली जाऊंगी जब की मेरी कोई गलती भी नही है सारी गलती इस आदमी की है इसी आदमी ने बंदूक के जोर से मेरे साथ जबरदस्ती की थी और जब मैनें मना किया तो इसने मेरे मां बाप को मारने की धमकी दी और मेरा एक वीडियो भी बनाया और बोला जब जब इसका मन करेगा ये मुझे बुलाएगा  अगर मै नही गईं तो ये मेरी वीडियो रिकॉर्डिग सोशल मीडिया पर वायरल कर देगा, उस लड़की की बात सुन कर अमन ने अपनी गन अपने उस बॉडी गार्ड को पकड़ाई और दोनो हाथो से तालिया बजाने लगा, और बोला वाह क्या कहानी बनाई है तुम लोगो ने मिल कर, तारा परी हैरानी से उसे देखने लगीं  और बोली ये कहानी नही है मिस्टर अमन राठौड़ ये लडकी सच कह रही है और तुम्हारे इस आदमी ने इस लडकी की नग्न वीडियो अपने फोन मे सेव करके रखी है तारा परी ने चबा चबाकर कहा  अब अमन शांत नही रहने वाला था और उसने तेज आवाज़ मे बोलना शुरु कर दिया हे लड़की ये क्या लगा रखा है तुम ने कभी बे होश हो जाती हो कभी मां बनने वाली होती हो और अब जब तुम्हे बचने का कोई और रास्ता नही दिखाई दिया तो तुम इस लड़की से जा मिली और अब मेरे गार्ड पर झूठा इल्जाम लगा रही हो, वो मेरा आदमी है कभी कोई गलत काम नही कर सकता है समझी तुम दोनो अमन ने उन दोनो को वार्निंग देते हुए कहा अमित जो की काफी देर से चुप चाप खडा दोनो पक्षों की बाते सुन रहा था वो बीच मे आ खडा हुआ और बोला  अमन atleast miss तारा को उस लड़की की बे गुनहाई साबित तो करने दो उसे बोलने का मौका तो दो, अमन अमित पर बिगड़ता हुआ बोला ये क्या अमित अभी भी कुछ साबित करने को रह गया है ये वही लड़की है जिसने मेरे गार्ड पर हाथ उठाया था और अब जब ये इस लडकी का फरेब समझ चुकी है तो इसने इस लड़की को सिखा पढ़ा दिया कि वो अमन राठौड़ के किसी भी गार्ड का नाम ले दे  ताकि ये बच जाएं  अब तारा परी चुप नही रह सकती थी और वो अमन सिंह राठौड़ के ठीक सामने जाकर खड़ी हो गईं और बोली वाह मिस्टर राठौड वाह क्या बात है आप तो कितने समझदार निकले आदमियों पर आप को आंख बंद करके भरोसा है लैकिन अगर वही बात किसी औरत की आ जाए तो वो अगर सही भी है तो भी गलत है वाह क्या खुब दोगला पन है आप में, अमन तारा की बात से चिढ़ गया और बोला तुम हार चुकी हो तो बेकार की बाते न करो अपना समान लो और निकलो यहां से और हां इस लड़की को भी अपने साथ लेकर जाना, तारा परी ने कहा हां मै जाऊंगी यहां से और अभी चली जाऊंगी लेकिन सच साबित करने के बाद, अमन हैरानी से तारा परी का कॉन्फिडेंस देखने लगा, तारा परी सीधा उस गार्ड के पास गई और उससे उसका फोन मांगने लगी , उस गार्ड ने अपना फोन देने से पहले अमन की और देखा अमन ने हा मे सर हिला दिया तारा परी ने उस गार्ड का फोन कम्पनी मे लगी एक एल ई डी टीवी से कनेक्ट कर दिया ताकि सब लोग देख पाए की बो झूठ कह रही थी या सच तब तारा परी ने बारीकी से उसका फोन चेक करना शुरु कर दिया,। लेकिन उस फोन मे दूर दूर तक कोई भी फोटो या विडियो कुछ भी नही मिला, उस लड़की के माता पिता भी एक उम्मीद से तारा परी को देख रहे थे लेकिन फोन मे कुछ भी ना मिलने पर उनके चेहरे पर मायूसी फिर लौट आई थी, फोन मे कुछ न मिलता देख अमन एक बार फिर ताना कसने लगा और बोला अरे कुछ होगा तो मिलेगा ना, ये मिस तारा बेकार का टाइम वेस्ट कर रही है हमारा भी और अपना भी , तब तारा परी ने पिछे मुड़ कर आती आवाज़ो को सुना और एक हलकी सी स्माइल के साथ उस गार्ड के पास जाकर खड़ी हो गईं और बोली तुम्हे क्या लगा सब कुछ डिलीट कर दोगे तो तुम्हारे बारे में कोई कुछ नही जान पाएगा जस्ट वेट एंड वॉच ऐसा कह कर तारा परी अपने सिस्टम के सामने बैठ गईं और जल्दी जल्दी कुछ टाइपिंग करने लगीं और केवल दस मिनट के अंदर ही अंदर एक जीत से भरी मुस्कान लिए वो अमन की और देखने लगीं, उसकी आंखो की चमक देख कर अमन कुछ परेशान सा हो गया था शायद वो समझ चूका था की तारा परी अब जीतने वाली है, तारा परी ने जो भी डाटा रिस्टोर्ड किया था वो सब के सामने दिखा दिया उसमे साफ साफ वो गार्ड उस लड़की  का यूज करता हुआ साफ साफ देखा जा सकता था, और उसने जितनी भी धमकी भरी कॉल उसे की थी वो सब भी सब लोग साफ साफ सुन सकते थे, उस लड़की और उसके मां बाप की आंखो मे तारा परी के लिए सम्मान साफ साफ देखा जा सकता था , तभी उस लड़की के पिता आगे आएं और उस गार्ड को उन्होंने एक जोरदार मुक्का दे मारा, अमन कुछ नही बोल पा रहा था उसने जो उलटी सीधी बाते की थी वो बाते अब उल्टा उसके कानो मे तीर की तरह चुभ रही थीं, तभी वो गार्ड अमन के पैरो मे गिर पडा अमन का दिल तो उसे गोली मारने का कर रहा था लेकिन वो चुप रहा तभी तारा परी अमन सिंह राठौड़ के सामने जा खड़ी हुई और बोली देख लिया आप ने अपने भरोसेमंद गार्ड का कारनामा और हां उस दिन आप के इस गार्ड को मेने ही चांटा मारा था जानते हो क्यो क्योंकि आप के इस गार्ड ने एक गरीब मजदूर पर हाथ उठाया था,  अब बोलो अमन सिंह राठौड़ वेल अब तुम्हारे पास बोलने को रह ही क्या गया है इसलिए मे ही बोलती हूं, जैसा की आप सब को पता है आज मेरा इस ऑफ़िस में पहला और आखिरी दिन है तो जाने से पहले मे अमन सिंह राठौड़ जी को कुछ देना चाहतीं हूं वो भी आप सब के सामने सो प्लीज आप सब इस और देखें, सब के सब उस और देखने लगे और अमित भी हैरानी से तारा परी की और देखने लगा तब तारा परी ने कहा एक बात बोलूं मिस्टर अमन सिंह राठौड़ ये काम जो आप के इस गार्ड ने किया है न इसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ आप है इसलिए सजा भी आप को ही मिलनी चाहिए ऐसा कह कर तारा परी ने एक जोरदार तमाचा अमन सिंह राठौड़ के मूंह पर दे मारा।❤✍🏻

  • 17. एक उदास परी - Chapter 17

    Words: 1573

    Estimated Reading Time: 10 min

    तारा परी ने उस लड़की की बेगुनाही साबित कर दी, पर अमन राठौड़ को ही इसका गुनहगार मानते हुए, उसने सबके सामने जोरदार तमाचा उसके मुँह पर मारा।

    वहाँ मौजूद सभी लोगों ने अमन को चांटा पड़ते ही अपने मुँह पर हाथ रख लिया। अमित ने तो दो बार आँखें मसलीं, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि तारा अमन को इस तरह चांटा मार सकती है।

    तारा परी के चांटे से अमन की आँखों में खून उतर आया। उसका गुस्सा अब बर्दाश्त से बाहर हो चुका था। अमन जोर से, भयानक ढंग से चीख पड़ा। उसकी चीख इतनी भयानक थी कि टेबल पर रखी फाइलें, कुर्सियाँ, पंखे, यहाँ तक कि पूरे ऑफिस में भूकंप सा आ गया। तारा परी हैरानी से सब कुछ देख रही थी, और वहाँ मौजूद सभी लोग डर के मारे इधर-उधर भागने लगे।

    अमन देखते ही देखते एक भयानक रूप में बदल गया। उसे देखकर सभी लोग बुरी तरह डर गए और अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे, पर बाहर निकलने के सभी रास्ते ऑटोमैटिक बंद हो गए।

    तभी अमन ने तेज आवाज़ में तारा परी से कहा, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझ पर, अमन राठौड़ पर, हाथ उठाने की? आज तक कोई औरत मेरे सामने आने से कतराती थी, लेकिन तुम जब से आई हो, मेरे सारे नियम तोड़ रही हो।"

    अमन का भयानक रूप भयावह था। हर कोई डर के मारे भाग रहा था, पर तारा परी शांत थी। शायद वह पहले ही जानती थी कि अमन का असली रूप ऐसा होगा।

    तभी अमन को वह गार्ड दिखाई दिया जिसने उस लड़की के साथ गलत किया था। अमन ने उसे अपने पंजे से उठा लिया और बोला, "तेरी वजह से आज मैं भयानक जिन्न में बदलने पर मजबूर हूँ, सिर्फ़ और सिर्फ़ तेरी वजह से।"

    यह कहकर अमन ने अपना मुँह खोला और उस गार्ड को अपने मुँह में समा लिया। सब लोग चीखने-चिल्लाने लगे। अमन यहीं नहीं रुका, वह तारा परी के पास गया और अंदर के जिन्न ने तारा परी को अपने हाथ में जकड़ लिया।

    (((जैसे किंग कॉन्ग वाली मूवी में बंदर लड़की को अपने हाथ में बैठा लेता है, ठीक वैसे ही)))

    फिर उस जिन्न ने तारा परी को अपने मुँह के करीब ले जाकर कहा, "बड़ी हिम्मत है ना तुम में? अगर हिम्मत है तो अब सामना करो मेरा।"

    तारा परी ने अपने चेहरे पर कोई भाव नहीं लाया। उसके पास इतनी शक्ति थी कि वह आसानी से उस जिन्न का सामना कर सकती थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। वह जानती थी कि अगर उसका चमत्कारी पत्थर उस इंसान-रूपी जिन्न के करीब आने से जगमगाया था, तो उसमें कुछ न कुछ रहस्य ज़रूर था, वही रहस्य जिसके लिए तारा परी पृथ्वी पर आई थी।

    अमन, जो अब पूरी तरह से एक खूंखार जिन्न बन चुका था, ने तारा परी को अपने भयानक मुँह के आगे कर लिया और बोला, "तुझे पता है मैं तुझे जिंदा क्यों छोड़ रहा हूँ? वो इसलिए कि तू एक नेक इंसान है, दूसरों की मदद करती है, सबके काम आती है। और हाँ, मुझे अंदर से खुशी है कि तूने उस लड़की की मदद की, लेकिन तूने गलती कर दी। तुझे मुझ पर हाथ नहीं उठाना चाहिए था।"

    "शायद तुझे पता नहीं, मेरे अंदर का इंसान औरतों से नफरत करता है, और उसी नफ़रत के चलते मैं उस लड़की की चाहकर भी मदद नहीं कर पाया। लेकिन तूने उसकी मदद कर दी, बस तेरी वही मदद आज तेरे काम आ गई। केवल यही एक कारण है जो मैं तुझे जिंदा छोड़ रहा हूँ, वरना इस गार्ड की तरह मैं तुझे जिंदा चबा जाता।"

    अमन बने जिन्न ने तारा परी को धमकी दी और उसे वहीं खड़ा कर दिया। फिर उसने देखा कि उसका दोस्त अमन एक दीवार के पीछे छिपने की नाकाम कोशिश कर रहा था।

    जैसे ही अमन बने जिन्न उसके करीब गया, उसकी टांगें बुरी तरह काँपने लगीं और उसने डर के मारे अपनी पैंट में ही पेशाब कर दिया। 😁

    इसे देखकर अमन बने जिन्न भी मुस्कुराए बिना नहीं रह सके। फिर उसने चारों ओर देखा और उसे यकीन हो गया कि वहाँ कोई नहीं था जो उसका मुकाबला कर सके। सभी लोग सूखे पत्तों की तरह काँप रहे थे।

    पर वह जिन्न यह नहीं जानता था कि उससे भी ज़्यादा ताकतवर कोई और भी था जो न केवल उस जिन्न का मुकाबला कर सकता था, बल्कि सबको बचा भी सकता था।

    लेकिन तारा परी अभी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी, इसलिए वह चुपचाप देखती रही।

    अमन की चीख और उसका रूप बहुत भयानक था। कुछ लोग बेहोश हो गए थे। सारा ऑफिस का सामान—टेबल, कुर्सियाँ, कंप्यूटर, शीशे—सब टूटकर चकनाचूर हो गए थे।

    इतनी तबाही मचाने के बाद अमन राठौड़ का गुस्सा शांत होने लगा और वह कुछ ही देर में एक सामान्य इंसान में बदल गया।

    सामान्य होने के बाद अमन अपने आस-पास का नज़ारा देखने लगा। उसके सामान्य होने के बाद भी कोई उसके सामने नहीं आया।

    तभी अमन की नज़र डर के मारे काँप रहे अमित पर पड़ी। उसकी गीली पैंट देखकर अमन हँसे बिना नहीं रह पाया। अमित ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, बस सपाट चेहरे से अमन को देखता रहा।

    तब अमन तारा परी के पास गया और बोला, "अमन राठौड़ पर हाथ उठाने का अंजाम देख लिया ना तुमने? सो आगे कभी सोचना भी मत कि तुम अमन राठौड़ से मुकाबला कर सकती हो। अब मुझे, न चाहते हुए भी, एक बार फिर सब की यादें मिटानी होंगी।"

    तारा परी कुछ नहीं बोली, केवल खाली नज़रों से अमन को देखती रही।

    तभी अमन ने कुछ फूँकना शुरू कर दिया और देखते ही देखते सारा ऑफिस का सामान जुड़ने लगा और जहाँ रखा था वहाँ सेट होने लगा। सब कुछ एक झटके से रुक गया और सब लोग बर्फ की तरह जम गए।

    तारा परी भी वहीं खड़ी रही, पर वह जमी नहीं थी, केवल जमने का नाटक कर रही थी। वह देखना चाहती थी कि अमन राठौड़ अब क्या करने वाला है।

    अमन ने सबको जमाकर, टूटे हुए सामान को ठीक करना शुरू कर दिया और सब पर पानी फेंकना शुरू कर दिया। कुछ ही मिनटों में उसने सब कुछ ठीक कर दिया, तीन बार तालियाँ बजाईं, और देखते ही देखते सब सामान्य हो गया।

    अब सब लोग उसी जगह पर पहुँच चुके थे जहाँ तारा परी ने अमन पर हाथ उठाया था। तारा परी ने सब कुछ अपनी आँखों से देखा था, और अमन के सामान्य होने का नाटक भी अच्छे से देखा था।

    जैसे ही तारा परी ने अमन पर हाथ उठाया, अमित तारा परी के सामने आ खड़ा हुआ और चिल्लाने लगा, "हाउ डेयर यू? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई अमन पर हाथ उठाने की? अगर तुम्हें किसी को मारना है तो उस गार्ड को मारो!" अमित ने पीछे इशारा करते हुए कहा।

    सभी ने पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि वहाँ कोई गार्ड नहीं था। सबमें हलचल मच गई और सभी ने गार्ड को ढूँढ़ना शुरू कर दिया। गार्ड कहीं नहीं मिला, तो अमित ने कहा, "लगता है वह मौका मिलते ही भाग गया होगा।"

    अमित ने हलका सा अपने पेट पर हाथ रखा। तारा परी ने उसे देख लिया और मन ही मन बोली, "वो बेचारा कहाँ होगा? वो तो कब का किसी के पेट में चला गया है।"

    ऐसे तारा परी को देखकर अमन को थोड़ा अजीब लगा।

    तभी अमित फिर बोला, "मिस तारा, जो भी हो, आपको अमन सर पर हाथ नहीं उठाना चाहिए था।"

    तभी तारा परी ने कहा, "ये सर तुम्हारे होंगे, और वैसे भी मैं तो जा रही हूँ यहाँ से। मेरा पहला दिन ही आखिरी दिन आप लोग बना ही चुके हैं। और जाने से पहले इस लड़की को इंसाफ दिलाने की पूरी ज़िम्मेदारी मैं अमन साहब पर छोड़ती हूँ।"

    ऐसा कहकर तारा परी अमन के करीब गई और बोली, "मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि उस गार्ड को आपने खा लिया है?"

    तारा परी की यह बात सुनते ही अमन की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं, और वह अमन को उसी हालत में छोड़कर बाहर जाने लगी।।।

  • 18. एक उदास परी - Chapter 18

    Words: 1608

    Estimated Reading Time: 10 min

     तारा परी अमन पर हाथ उठा देती है जिससे गुस्सा होकर अमन अपने असली रूप मे आ जाता है और पूरा ऑफ़िस तहस नहस कर देता है, और साथ ही साथ उस गुनहागार को अपने मूंह मे उठा कर रख लेता है, जब अमन का गुस्सा शांत होता है तो वो सब कुछ पहले जैसा ठीक कर देता है और अपने जिन्न वाले अवतार में आकर उसने जो तबाही मचाई थी उसकी सारी यादें सब लोगो के दिमाग से मिटा देता है लेकिन तारा परी के यादें नही मिटती उसे पता होता है की उस गार्ड को अमन ने अपने पेट में समा लिया है, जैसे ही सब लोगो ने गार्ड को ढूंढना शुरु किया वो कही नही मिला था, तब अमित ने कहा लगता है  अपनी पोल खुलती देख वो मौका मिलते ही भाग गया होगा, तारा परी को पता था अमन उस पर हाथ उठाने के बाद उस ऑफ़िस में उसे काम नही करने देगा अगर ऐसा हुआ तो वो अपना मकसद केसे पूरा कर पाएगी, इसलिए तारा परी ने ऑफ़िस छोड़ ने से पहले अमन के पास जाकर धीमी आवाज़ मे कहा  कही ऐसा तो नहीं वो गार्ड आप के पेट में हो, जेसे ही तारा परी ने ये कहा अमन के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं, तारा परी अमन को शॉक्ड छोड़ कर चली गई थी, और अमन ये ही सोचता रह गया की वो गार्ड मेरे जिन्न रूपी पेट मे है ये बात इस लड़की को केसे पता चली जैसे ही तारा परी ऑफ़िस से बाहर  जाने वाली थी, तभी अमन तेज आवाज़ मे बोला रुको, अमित समेत जितने भी लोग थे सब अमन की और देखने लगे और बाहर जाती तारा परी के होंटों पर मुस्कुराहट तेर गई, तारा परी जानती थी अमन उसे जाने नही देगा अब वो ये पता लगाने की कोशिश करेगा की तारा परी को केसे पता चला की उस गार्ड  को अमन ने निगल लिया था, जबकि वो तो सबको यादें मिटा चुका था, अमित अमन के पास आया और बोला क्या हुआ अमन जाने दो उसे आखिर उसने तुम पर हाथ उठाया है भला अब वो यहां केसे काम कर सकती है, तारा परी वापस आकर अमन के सामने खड़ी हो गई थी, अमन ने कहा ये लड़की अभी यही काम करेगी शायद तुम भुल रहे हो अमित इसने कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है जिस में साफ साफ लिखा है कि इसकी तीन गलतियां होने के बाद अगर हम चाहें तो इसे निकाल सकते है लेकीन ये लड़की छह महीने तक खुद हमारा ऑफ़िस छोड़ कर नही जा सकतीं जब तक हम न चाहें , सो ये यही काम करेगी कही नही जायगी अमित को अमन की बातो से हैरानी हो रही थी क्योंकी वो तो खुद तारा को वहां नही रखना चाहता था फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि, वो उस पर हाथ उठाने के बावजूद यहां से जाने नही देना चाहता था, वैल ये अमन का डिसीजन था तो कोई उसके खिलाफ नही जा सकता था तारा परी ने कहा ठीक है अगर ऐसी बात है तो मे कही नही जा रहीं हूं लेकिन छह महीने के बाद मे एक पल इस ऑफ़िस में नही रुकूंगी तारा परी ने अमन पर एहसान सा जताते हुए कहा, जब की तारा परी खुद वहां से कही नही जाना चाहती थी क्योंकि उसे तो जल्द से जल्द अमन राठौड़ से शादी करनी थी और एक बच्चा पैदा करना था जो परी लोक के उस राक्षस का सामना कर सके, तारा परी को अमन से कोई मुहब्बत नही थी वो तो केवल उससे शादी करके बच्चा पैदा करना चाहतीं थी, तभी उस लड़की के पिता अपने दोनो हाथ जोड़ कर अमन के सामने आएं जिनकी लड़की के साथ गलत हुआ था और वो बोले साहब मेरी बेटी की बेगुनाही साबित हो चुकी है सारी गलती आप के गार्ड की थी अब आप इंसाफ करे , अमन सोच मे पड़ गया की अब वो क्या करें क्योंकि उस गार्ड को तो वो सजा दे चूका था तार परी गहरी नज़र से अमन की और देखने लगीं वो भी ये देखना चाहती थी की अमन केसे इंसाफ करेगा, अभी अमन कुछ कहने ही वाला था की अमन के ऑफ़िस मे काम करने वाला एक लड़का सामने आया और अमन के सामने जाकर बोला सर अगर आप बुरा न माने तो मे कुछ कहना चाहता हूं, अमन हां हां बोलो क्या बात है तब वो लड़का बोला साहब इस लड़की से मे पहले दिन से मुहब्बत करता हूं और इस से शादी करना चाहता हूं मे इसको इस बच्चे के समेत अपना ने के लिए तैयार हूं, सर आप तो जानते है मे एक अनाथ हू मेरा इस दुनिया मे कोई नही है अगर मै इस लड़की से शादी कर लेता हूं तो मुझे मेरे प्यार के साथ साथ मां बाप का प्यार भी मिल जाएगा और जैसा आप को ठीक लगे आप करे, उस लडके की बात सुन कर सब की परेशानी और चिंताएं खत्म हो चुकी थी उस लड़की और उसके मां बाप को कोई ऐतराज नहीं था अमन भी खुश हो गया और उसने आगे बढ कर उस लडके को गले लगा लिया, और बोला इन दोनो की शादी अमन सिंह राठौड़ कराएगा वो भी बड़ी ही धूम के साथ, आने वाले रविवार को इन दोनो की शादी होगी , ये बात सुनते ही पुरे ऑफ़िस मे एक खुशी की लहर सी दौड़ गई और सभी लोग खुशी से तालियां बजाने लगे, तब अमन ने कहा अब सब के सब अपना अपना काम करो पुरे तीन घंटे वैसे ही बरबाद हो चूके है जल्दी करो,  और अमन तारा परी को देखते हुए बोला मिस तारा आप फाइल लेकर मेरे केबिन मे आइए, जेसे ही अमन ने तारा परी से ये कहा अमित को बड़ी हैरानी हुई और वो सोचने लगा इस लड़की के अमन पर हाथ उठाने के बावजूद भला ये इतना शांत कैसे रह सकता था जब को अमित को अच्छे से याद था एक बार जब एक फॉर्नरे से मीटिंग के दौरान बातो ही बातो में बहस हो गई थी और वो अमन पर चिल्ला पडा था अमन बर्दाश्त नही कर पाया था, और उसने कांच का पूरा पानी से भरा जग उसके सर पर जोर से दे मारा था ,   कितने दिन तक वो विदेशी बेहोश रहा था, लेकिन आज तो एक लड़की ने हाथ उठाया था उस पर लेकिन वो इतना नॉर्मल बिहेव कर रहा था ये बात अमित को काफी अजीब लग रही थीं,  तारा परी अमन की बात सुन कर फाइल लेने के लिए अपनी डेस्क पर चली गई वही अमित अमन के पास जा पहुंचा और बोला ओह भाई तेरी तबीयत तो ठीक है ना, अमन हां मै ठीक हुं मुझे क्या हुआ है , अमित मिस तारा ने हाथ उठाया है तुझ पर तू ठीक कैसे हो सकता है , अमन मे ठीक हूं तुझे परेशान होने की कोई जरूरत नही है, अमित ऐसे केसे तू ठीक हो सकता है और तू इतना नॉर्मल बिहेव केसे कर सकता है अमित की हैरानी की कोई सीमा नही थी, तब अमन बोला बेटा अगर मेंने एबनॉर्मल बिहेव करना शुरु कर दिया न तो तू अपनी  पेंट गीली कर देगा गीली समझा सो मुझे मेरे हाल पर छोड़ दे, और रही बात उस लड़की की अभी छह महीने है मेरे पास उस से मेरा हिसाब किताब तो चलता रहेगा, अमन ने अमित को समझाते हुए कहा, अमन की बात सुन कर अमित चिढ़ कर बोला तू तो ऐसे बात कर रहा है जैसे तेरा गुस्सा मेने फेस न किया हों तब तो मेरी पेंट गीली नही हुई शायद तू भुल रहा है इस पूरी दुनिया मे मै तेरा इकलौता दोस्त हुं, जो तेरा गुस्सा नफ़रत सब बर्दाश्त करता हूं , अमित ने थोड़ा नाराज होते हुए कहा, उसे अमन की पेंट गीली होने वाली बात काफी बुरी लग गई थी, तब अमित के सवालों को खतम करने के लिए अमन ने कहा देख ब्रो मे तुझे केवल इतना कहना चाहता हूं उस लड़की को मेने ये ऑफ़िस छोड़ कर इसलिए नही जाने दिया क्योंकि मे उसे इतनी आसानी से नही जाने दे सकता था उसने अमन सिंह राठौड़ पर हाथ उठाया था सो बीना सजा भुगते भला वो कैसे यहां से जा सकतीं थी, अमन ने जैसे ही ये कहा अमित चहक उठा ओह तेरी ये तो मेरे दिमाग़ में ही नहीं आया ,  अरे वाह दोस्त क्या प्लेन बनाया है तूने मान गए तुझे, अमित ने अमन राठौड़ की तारीफ करते हुए कहा, अब तू देख केसे हम दोनो मिल कर उस मिस तारा को दिन में तारे दिखाते है अमित ने चहकते हुए कहा और अमन के केबिन से बाहर जाने लगा तभी तारा परी अमन के केबिन मे आ गई और अमित तारा परी के पिछे खडा होकर अमन की तरफ को उल्टे सीधे इशारे करता हुआ अमन के केबिन से बाहर चला गया, तारा परी ने अमन से कहा ये लीजिए सर आप की फाइल, अमन ने तारा परी के हाथ में से वो फाइल ले ली और एक दो पेज पलट कर उस फाइल को वो  गुस्से से जमीन पर फेंकते हुए बोला तुम्हारा दिमाग खराब हो गया मेने तुम से दुसरी फाइल मंगवाई थी ना की ये, तारा परी जल्दी से सॉरी सर आमने फाइल का नाम नही बताया था सो मे वही फाइल ले आई जिस पर आपने सिग्नेचर किए थे, तब अमन तो मिस तारा आप अपना ज्यादा दिमाग ना चला कर एक बार कन्फर्म भी तो कर सकती थीं, तारा सॉरी सर मे आगे से ध्यान रखूंगी, वैल मिस तारा एक बात बताइए आप ने ये क्यो बोला की वो गार्ड कही मेरे पेट में तो नही है, अमन की बात सुन कर तारा जोर जोर से हंसने लगीं और अमन को ऐसा लगा कि मानों उसके कानो में खुबसूरत झरने से बजने लगे हो।।।।।।।।।।

  • 19. एक उदास परी - Chapter 19

    Words: 1730

    Estimated Reading Time: 11 min

    अमन ने तारा परी को ऑफिस छोड़कर जाने से मना कर दिया और अमित से कहा, "उसने अमन सिंह राठौड़ पर हाथ उठाया है, तो फिर वह इतनी आसानी से कैसे जा सकती है? मुझ पर हाथ उठाने का अंजाम तो उसे भोगना ही होगा।"

    तारा परी अमन के द्वारा मंगवाई गई एक फाइल लेकर उसके केबिन में गई। लेकिन अमन ने वह फाइल गुस्से में फेंक दी, यह कहकर कि उसने यह फाइल नहीं, दूसरी फाइल मंगवाई थी।

    तारा परी ने क्षमा माँगते हुए दूसरी फाइल लेने के लिए चल पड़ी। तब अमन ने उसे रोककर पूछा, "तुमने ऐसा क्यों बोला था कि वह गार्ड मेरे पेट में है?" अमन की यह बात सुनकर तारा परी खिलखिला कर हँसने लगी। अमन को अपने कानों में घुँघरू बजते हुए महसूस हुए और वह तारा परी की हँसी में खो सा गया।

    अमन को खोया देखकर तारा परी समझ गई कि उसकी हँसी के कारण वह सुध-बुध खो बैठा है। वह जल्दी से हँसना बंद कर दी। अमन अपने खूबसूरत एहसास से बाहर आ गया और तारा परी को देखकर फिर से वही सवाल किया। तब तारा परी ने कहा, "सर, यह तो मैंने ऐसे ही बोल दिया था। अमित सर जब उस गार्ड को ढूँढ़ रहे थे, तब आप अपने पेट पर हाथ फेर रहे थे।"

    "तो मुझे लगा कहीं आपने तो उसे नहीं खा लिया। और मैंने आपको बोल दिया, 'आई एम सॉरी सर', मैं बस मजाक कर रही थी।"

    तारा परी ने जल्दी से अपना पक्ष स्पष्ट किया क्योंकि जब तक वह अमन से शादी नहीं कर लेती, तब तक वह अपना सच उसके सामने किसी भी कीमत पर नहीं आने दे सकती थी।

    तारा परी का जवाब सुनकर अमन अपने आप को काफी हल्का महसूस करने लगा। वरना वह डर गया था यह सोचकर कि कैसे किसी इंसान को पता चला कि वह गार्ड उसके पेट में है।

    अमन अब एकदम हल्का-फुल्का हो गया था और तारा परी से बोला, "यहाँ खड़ी-खड़ी मेरा मुँह क्या देख रही हो? जाओ जाकर अपना काम करो और आधे घंटे के अंदर-अंदर कम से कम तीन फाइल ईमेल मैच करके लाकर दो। जाओ जल्दी!"

    तारा परी उसकी बात समझ गई थी और यह भी समझ गई कि मेरे जिन्न साहब अब उसकी तरफ से बेफ़िक्र हो चुके थे।

    सो तारा परी हल्का सा मुस्कुराई और वहाँ से चली गई।

    तारा परी को मुस्कुराता देख अमन फिर से सोच में पड़ गया कि अभी तो मैंने इस लड़की को इतना डाँटा, फिर भी यह मुस्कुरा रही है, आखिर क्यों?

    तारा परी सीधा अपनी डेस्क पर गई और सोचने लगी, "अमन जब जिन्न रूप में था, तो औरतों से नफ़रत की बात कर रहा था। आखिर क्या कारण है कि हमारे जिन्न साहब नफ़रत करते हैं औरतों से? इस बात का पता तो लगाना पड़ेगा।"

    "इसका जवाब अगर कोई दे सकता है, तो वह है अमित सर, क्योंकि अमित हमेशा जिन्न साहब के साथ रहते हैं। कुछ न कुछ करके मुझे अमित सर से इस बारे में बात करनी होगी।" कुछ सोचकर तारा परी ने सीधा अमित सर के केबिन का दरवाज़ा खटखटाया और अंदर चली गई।

    तारा परी को देखकर अमित का मुँह बन गया क्योंकि जब से तारा परी ने अमन पर हाथ उठाया था, तब से वह उस पर काफी ज़्यादा गुस्सा था।

    तारा परी उसका मूड देखते ही समझ गई थी कि यह उससे नाराज़ है।

    तब तारा परी ने थोड़ी सी एक्टिंग करनी शुरू कर दी और अपनी आँखों में थोड़ा पानी लाकर बोली, "अमित सर, मैं यहाँ आपसे माफ़ी माँगने आई हूँ। प्लीज़ आप मुझे माफ़ कर दें।"

    अमित मुँह फुलाकर बोला, "मुझसे क्यों आई हो माफ़ी माँगने? जिस पर तुमने हाथ उठाया है, जाओ जाकर उससे माफ़ी माँगो।"

    तब तारा परी ने कहा, "मैं गई थी अमन सर के पास भी, लेकिन पता नहीं उन्हें लड़कियों से क्या प्रॉब्लम है, मुझे देखते ही भड़क उठे। मुझे बोलने का मौका भी नहीं दिया और ना ही मेरी बात सुनी और यह कहकर मुझे अपने केबिन से निकाल दिया कि 'जाओ जाकर अपना काम करो।'"

    तारा परी ने रोती सी सूरत बनाते हुए कहा। तारा परी की सूरत देखकर अमित का दिल पिघल गया और वैसे भी किसी भी खूबसूरत लड़की से वह ज़्यादा देर मुँह फुलाकर नहीं रह सकता था।

    वह बोला, "ओह हो! चलो छोड़ो, तुम परेशान मत हो। मैं बात करूँगा अमन से। उसे शुरू से ही कभी किसी लड़की से बात करना नहीं आता है। अगर आता, तो खुशी उसे कभी छोड़कर नहीं जाती।"

    तारा परी चौंकते हुए बोली, "खुशी? कौन खुशी अमित सर?"

    तब अमित मन ही मन बोला, "ओह! यह मैंने क्या कर दिया? खुशी का नाम क्यों ले दिया?"

    अमित को चुप देखकर तारा परी फिर बोली, "कौन खुशी सर?" अमित को कोई जवाब नहीं सूझा। वह कुछ हकलाकर बोला, "वो... my tongue was sleep..."

    तारा परी अच्छे से जानती थी कि अमित से कैसे बात निकलवानी है। वह आगे बढ़ी और उसने अपना हाथ अमित के हाथों पर रख दिया, जिससे अमित काफी ज़्यादा शर्मा गया और तारा परी को देखने लगा। तारा परी ने अपनी आँखें बंद करके अमित के ज़रिये उसका पूरा-पूरा पास्ट देख लिया था।

    और केवल कुछ ही देर में उसने अपना हाथ अमित के हाथों पर से हटा लिया और बिना कुछ बोले अपने डेस्क पर चली गई।

    शाम के सात बज रहे थे। ऑफिस बंद होने का समय हो गया था। तारा परी घर जाने के लिए अपना सामान समेट रही थी।

    और जल्दी ही अपना बैग तैयार करके वह बाहर रोड पर आ गई और किसी रिक्शे का इंतज़ार करने लगी। लेकिन काफी देर खड़े होने के बाद भी कोई रिक्शा वाला वहाँ नहीं आया था और वह चारों ओर देखती रही। देखते-ही-देखते रात के नौ बज चुके थे, लेकिन अभी तक कोई रिक्शा वाला नहीं आया था। तारा परी धीरे-धीरे कदम उठाती हुई रोड की ओर पैदल चल पड़ी, यह सोचकर कि कोई रिक्शा वाला आएगा तो वह उसी वक्त उसमें बैठकर चली जाएगी।

    डर तो उसे किसी बात का था ही नहीं, क्योंकि एक परी के अंदर इंसानी ज़ज़्बातात पूरी तरह से रम चुके थे।

    अभी तारा परी थोड़ी ही दूर गई थी कि अमन सिंह राठौड़ की गाड़ी उसके पास आकर रुकी।


    तारा परी ने हैरानी से देखा और अमन को देखकर वह चौंक गई। अमन ने कहा, "आओ, गाड़ी में बैठ जाओ। मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ।"

    तारा परी ने कहा, "नहीं सर, रहने दीजिए। आपको बेकार में परेशानी होगी। क्योंकि थोड़ी-बहुत देर में कोई न कोई रिक्शा वाला मुझे मिल ही जाएगा।"

    अमन ने कहा, "आज और अगले दो दिन तक तुम्हें कोई रिक्शा वाला नहीं मिलेगा, क्योंकि तीन दिनों के लिए रिक्शा वालों की स्ट्राइक है। समझी? तुम सोचो चुपचाप आओ और गाड़ी में बैठ जाओ।" तारा परी ने कहा, "नहीं सर, रहने दीजिए। मैं कुछ न कुछ करके मैनेज कर लूँगी। आपको खातिर में परेशानी होगी।"

    रिक्शा स्ट्राइक का सुनकर तारा परी परेशान हो गई थी।

    फिर थोड़ी हिम्मत करके वह और आगे बढ़ चली और सोचने लगी, "आखिर मुझे डर क्यों लग रहा है? मैं तो एक परी हूँ।"

    "कभी-कभी ना मैं यह भूल ही जाती हूँ कि मैं एक परी हूँ और इंसानों की तरह डरना शुरू कर देती हूँ।" यह सोचकर उसने हल्की सी अपने सर पर चपत लगा दी और मुस्कुराकर आगे बढ़ने लगी।

    अभी वह थोड़ी ही दूर गई थी कि तभी अमन ने ठीक उसके सामने गाड़ी रोक दी और तेज आवाज़ में बोला, "तुम्हें क्या सुनाई नहीं दे रहा है? मैंने कहा आकर गाड़ी में बैठो। यह एक सुनसान इलाका है। इतनी रात को तुम्हारा अकेले जाना ठीक नहीं है।" इस बार अमन की बातों में तारा परी के लिए फ़िक्र साफ़ देखी जा सकती थी।

    लेकिन तारा परी ने फिर से अमन को मना कर दिया, जिससे अमन को गुस्सा आ गया और वह गाड़ी से उतरा और उसने तारा परी को गोद में उठा लिया और सीधा गाड़ी का फ्रंट डोर खोलकर बैठा दिया और सीट बेल्ट भी साथ-साथ लगा दी।

    तारा परी विरोध करने के बारे में सोचती रही, लेकिन कुछ बोल नहीं पाई।


    और कुछ पल सोचकर अमन दूसरी साइड से गाड़ी में जा बैठा और उसने गाड़ी स्टार्ट करके रफ़्तार के साथ आगे बढ़ा दी।


    गाड़ी में बैठते ही तारा परी ने बोलना शुरू कर दिया, "अमन सर, आपने मुझे ज़बरदस्ती गाड़ी में क्यों बैठाया?


    जबकि मैंने तो आप पर आज ही हाथ उठाया था। कहीं आप मुझे किडनैप तो नहीं कर लोगे? कहीं सुनसान जगह देखकर मेरी इज़्ज़त पर तो हमला नहीं करोगे?


    देखो, अगर ऐसा कुछ आपके दिमाग में चल रहा है, तो उसे पूरी तरह से अपने दिमाग से निकाल दो, क्योंकि मैं कोई कमज़ोर सी लड़की नहीं हूँ। पूरे छह महीने जूडो-कराटे सीखे हैं मैंने।


    मैं आपका मार-मार कर बूरा हाल कर दूँगी।"


    तारा परी जो मुँह में आ रहा था, वह बोलती जा रही थीं। वहीं अमन पर उसकी बातों का कुछ खास असर नहीं हो रहा था।

    तारा परी उसे इस तरह से खामोश देखकर और परेशान हो गई और फिर बोली, "देखिए, अगर कुछ भी बात है, तो आप मुझे बोल सकते हैं।"

    "आपको क्या सुनाई नहीं दे रहा है? बहरे हो गए हैं क्या आप?" अब अमन का पारा हाई हो गया था और उसने गाड़ी एक साइड पर रोक ली और सीट पर बैठे-बैठे ही तारा परी पर झुक गया और उसके काफी करीब जाकर बोला, "Shhhhhhh!🤫"

    "तुम कितनी कचर-कचर करती हो! जब देखो तब बोलती रहती हो। तुम्हारा क्या मुँह नहीं दुखता? और रही बात तुम में इंटरेस्ट की और तुम्हारी इज़्ज़त पर हमला करने की, तो तुम खूबसूरत तो हो, लेकिन तुम्हारा यह हुस्न इतना भी ज़्यादा होश-रवा नहीं है कि मैं चलती गाड़ी में अपने होश खो बैठूँ।"

    अमन ने तारा परी को ऊपर से लेके नीचे तक देखते हुए कहा। अमन की बात सुनकर तारा परी झेंप गई और खिड़की की ओर मुँह देखने लगी और अमन वापस अपनी ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और गाड़ी स्टार्ट करने लगा।

  • 20. एक उदास परी - Chapter 20

    Words: 1468

    Estimated Reading Time: 9 min

    अमन ने तारा परी को अपनी गाड़ी में बिठा लिया, क्योंकि शहर में तीन दिनों के लिए रिक्शा-ऑटो की हड़ताल थी। तारा परी पहले तो मना कर दिया अमन की गाड़ी में बैठने से, पर अमन ने ज़बरदस्ती उसे अपनी गाड़ी में बिठा लिया।

    रास्ते में तारा परी अमन को उकसाने के लिए काफी उल्टा-सीधा बोलती रही, लेकिन अमन खामोश रहा और उसे भी चुप रहने को कहा।

    एक खामोशी के साथ अमन ने गाड़ी स्टार्ट कर दी और विरान सड़कों पर गाड़ी दौड़ने लगी।

    तारा परी गाड़ी की सीट से टेक लगाए, आँखें बंद करके बैठ गई और उसके दिमाग में अमन सिंह राठौड़ का अतीत घूमने लगा, जो तारा परी अमित के ज़रिए जान पाई थी। लेकिन तारा परी को इस बात का कोई अंदाज़ा नहीं था कि वह केवल आधा-अधूरा अतीत ही जान पाई थी।

    अमित को जितना पता था, उतना ही तारा परी जान पाई थी।

    अचानक तारा परी एकदम खामोश हो गई। अमन बार-बार आँखें बंद करके बैठी तारा परी को देख रहा था।

    उसने ही उसे चुप करके बैठने को कहा था, जो अब वह चुप करके बैठ गई थी। अमन उसकी कचर-कचर मिस करने लगा और उसे चोर नज़रों से देख रहा था, लेकिन वह उसे कुछ कह नहीं पाया।

    जब तारा परी काफी देर तक कुछ नहीं बोली, तब अमन ने उसे बुलाने के लिए बात करना शुरू की और बोला, "हेलो मिस, आपके घर का रास्ता किस ओर है? आप एक बार जागकर बताएँगी मुझे या नहीं?"

    तारा परी ने अमन की बात सुनी ही नहीं थी क्योंकि वह इस वक्त अमन सिंह राठौड़ के अतीत में खोई हुई थी। जब से उसने अमन का अतीत देखा था, तब से उसे अमन पर दया और गुस्सा दोनों आ रहे थे।

    अमन तारा परी के जवाब के इंतज़ार में था। जब काफी देर तक तारा परी ने कुछ जवाब नहीं दिया, तो इस बार अमन थोड़ी और तेज आवाज़ में बोला, "हेलो मिस, क्या आप बताएँगी कहाँ है आपका घर?" जैसे ही अमन तारा से एड्रेस पूछ रहा था, तभी अमन की गाड़ी में एक ब्लास्ट सा हुआ। तारा परी घबराकर अपनी आँखें खोल ली और अमन से बोली, "कैसी आवाज़ थी? क्या हुआ है?"

    "क्या हुआ है, ये तो गाड़ी में से उतरने पर ही पता चलेगा।" अमन और तारा परी दोनों गाड़ी से नीचे उतरे। उन्होंने देखा कि अमन की गाड़ी के आगे वाले दोनों टायर पंक्चर हो गए थे।

    अमन ने ध्यान से देखा तो पाया दो बड़ी-बड़ी कीलें उन टायरों में घुसी हुई थीं।

    अमन को यह देखकर कुछ संदेह हुआ क्योंकि यह एक सुनसान इलाका था और आए दिन इस इलाके से चोरी-चकारी की ख़बरें आती रहती थीं।

    वह दोनों इसी जगह फँसे थे जहाँ से उन्हें कोई मदद भी नहीं मिल सकती थी।

    तारा परी चाहती तो अपनी शक्तियों का उपयोग करके कुछ ही सेकंड में टायर ठीक कर सकती थी,

    लेकिन उसके देवता ने उसे इंसानी मुश्किलों में अपनी ताकत उपयोग करने से मना किया था। सो वह चाहकर भी ठीक नहीं कर सकती थी और वैसे भी एक जिन्न उसके साथ था, तो उसे परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं थी। लेकिन इंसानी स्वभाव के अनुसार उसे परेशान होने की एक्टिंग ज़रूर करनी थी।

    इसलिए वह अमन से बोली, "अब क्या होगा सर? यहाँ तो चारों ओर बहुत अंधेरा है और मुझे तो अंधेरे में बहुत डर लगता है।" ऐसा कहकर तारा परी ने अमन की बाज़ुओं को कसकर पकड़ लिया।

    और उसके बारे में और जानने के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल करने लगी।

    लेकिन पहली बार की तरह वह इस बार भी कुछ नहीं जान पाई थी। इसलिए उसने किलस कर अमन का हाथ और ज़ोर से दबा दिया, जिससे अमन को दर्द होने लगा, लेकिन वह कह नहीं पाया।

    वह एक आधा जिन्न और आधा इंसान था।

    और किसी जिन्न का दिल जब किसी लड़की पर आ जाए, तो वह उसके लिए मर मिट सकता है, लेकिन उसे किसी कीमत पर नहीं छोड़ सकता।

    अमन पहली बार जिस दिन तारा परी से टकराया था, उसी वक्त उसकी आँखें उसकी ख़ुशबू पर मर गई थीं, और हर पल उसकी यादों में रहने लगा था। यही वजह थी कि तारा परी के उस पर हाथ उठाने के बावजूद वह उसे खुद से दूर नहीं कर पाया था।

    जिस तरह से सारी इंसानी भावनाएँ अपने अंदर लेने के बाद तारा परी आधी इंसान और आधी परी बन चुकी थी, ठीक इसी प्रकार अमन भी आधा इंसान और आधा जिन्न था। अमन के अंदर जहाँ इंसानी फितरत थी - जलन, प्यार, मुहब्बत, गुस्सा, नफ़रत - वहीं जिन्न के अंदर बेशुमार शक्तियाँ भी थीं।

    तारा परी ने अमन से कहा, "सर, यहाँ तो आस-पास कोई दिखाई भी नहीं दे रहा है। अब हम क्या करेंगे? किससे मदद माँगेंगे?"

    "तुम फ़िक्र मत करो, मैं कुछ करता हूँ।"

    तारा परी मन ही मन सोच रही थी, "मुझे पता है आप तो ज़रूर कुछ न कुछ कर सकते हैं। अगर आप चाहें तो पूरी की पूरी गाड़ी अपने एक हाथ से भी उठा सकते हैं।"

    तारा परी मन ही मन सोच रही थी, तभी अमन ने कहा, "तुम एक काम करो, जाकर गाड़ी में बैठो। मैं गाड़ी का पंक्चर ठीक करने की कोशिश करता हूँ।"

    तारा परी समझ गई कि ज़रूर अमन जिन्न साहब अपनी शक्ति उपयोग करके टायर ठीक करेंगे। लेकिन तारा परी नहीं चाहती थी कि यह गाड़ी ठीक हो। वह ज़्यादा से ज़्यादा समय अमन के साथ बिताना चाहती थी।

    जहाँ अमन के मन में तारा परी के लिए जज़्बात जन्म ले चुके थे, वहीं तारा परी के दिल में ऐसी कोई बात नहीं थी। उसको तो बस इतना था कि अमन के साथ वह फिजिकल रिलेशन बना ले और एक बेटा पैदा कर ले जो उस परी लोक वाले राक्षस को मार डाले और तारा परी उस राक्षस को उसके किए गए जुल्मों की सज़ा दे।

    परी लोक में उस राक्षस ने हर रोज़ उसके जिस्म के साथ-साथ उसकी आत्मा पर भी गहरे निशान छोड़े थे, जिसकी वजह से मासूम सी परी, जो हर वक्त हँसती-खेलती-कूदती रहती थी, जो हर वक्त इसी कोशिश में लगी रहती थी कि उसके आस-पास की दुनिया में सब लोग ख़ुशी-ख़ुशी रहें, जो बिना स्वार्थ सबकी सेवा भावना में लीन रहती थी, अब वह बदल चुकी थी।

    उस राक्षस और उस राक्षस के लिए जन्मी नफ़रत ने उसे अब स्वार्थी बना दिया था। अब किसी को ख़ुशी मिले या न मिले, बस अब वह राक्षस ज़िंदा नहीं बचना चाहिए। उसे अब बस केवल हर हाल में उस राक्षस की दर्दनाक मौत चाहिए थी।

    तारा परी अमन के कहने पर उस वक्त तो गाड़ी में बैठ गई, लेकिन जब उसे लगने लगा कि अमन अपनी पावर उपयोग करने वाला है, तो वह तुरंत गाड़ी से बाहर निकल आई और अमन के सामने जाकर खड़ी हो गई।

    अमन जल्द से जल्द गाड़ी ठीक करके तारा परी को छोड़कर आना चाहता था क्योंकि आज अमावस्या की काली रात थी, जो जिन्नो के लिए काफी अपशकुन मानी जाती थी। इस रात में जिन्नो की शक्ति न के बराबर हो जाती थी और वह इतना कमज़ोर होता था कि कोई भी कभी उस पर हमला करके उसकी जान ले सकता था।

    अमन यह बात अच्छे से जानता था, इसलिए वह जल्द से जल्द गाड़ी ठीक करके वहाँ से निकल जाना चाहता था।

    अब अचानक तारा परी के सामने आ खड़े होने से वह चाहकर भी अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं कर पाया और तारा परी से बोला, "तुम गाड़ी से बाहर क्यों आ गई हो? जाओ जाकर गाड़ी में बैठो।"

    अमन की बात सुनकर तारा परी गाड़ी में बैठने की बजाय अमन के और करीब जाकर खड़ी हो गई और बोली, "नहीं सर, मैं गाड़ी में नहीं बैठूँगी। मुझे बहुत डर लग रहा है। प्लीज़ आप मेरे साथ रहिए ना, प्लीज़।"

    ऐसा कहकर तारा परी ने अचानक से अमन का हाथ पकड़ लिया।

    जब भी तारा परी अमन सिंह राठौड़ का हाथ पकड़ती थी, उसके शरीर में एक अजीब सा करंट दौड़ पड़ता था। अभी भी ऐसा ही हुआ, लेकिन वह उसका हाथ नहीं हटा पाया। वह दोनों एक-दूसरे की आँखों में ही देख रहे थे कि अचानक जोर से बिजली कड़कड़ाई और तारा परी डरकर सिमटकर अमन के सीने से जा लगी। और इतने करीब होकर तारा परी पीछे नहीं हटना चाहती थी। उसे तो बस जल्द से जल्द अपना मकसद पूरा करना था, सो उसने इस नाज़ुक लम्हे को अपना हथियार बनाया और उसने अपने होंठ अमन के होंठों पर रख दिए।।।।।।❤✍🏻