कार्तिक माही की अनोखी कहानी!
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"क्या हो रहा है बाहर,सुबह सुबह ये बुआ भी ना,सब से उलझे रहती है "माही ने बाहर से आ रहे शोर को सुनते अपने रूम से बाहर की ओर बढ़ते खुद से कहा! माही की बुआ जिनका नाम मेनका था -"तुम लोगों की न चलेगी हम भी यहां रहते है!" माही-"क्या हुआ बुआ,क्यों चिल्ला रही हो?" कार्तिक बोल पड़ा जोकि उनका पड़ोसी था-"पागल हो गई है तेरी बुआ,इलाज करवाओ?दिमाग खराब हो गया इनका!" माही कार्तिक की ओर घूरकर देखती है-"जहां पर तुम जैसे पागल रहते हो ना,दिमाग सही रह भी नहीं सकता सुबह हुई नहीं कि बाप बेटे आ जाते है बहस करने,वैसे आपकी हिटलर कहां है अभी तक सो रही है क्या?" (माही कार्तिक की मां को हिटलर कहकर बुलाती है!) कार्तिक माही की तरफ आते-"देख माही तुझे मैनैं हजार बार बोला है मेरी मां को हिटलर मत बोला कर और हां गलती तेरी बुआ की है मेरे पापा नहीं,मेरे पापा पर मत जाना पहले ही बोल रहा हूं!" बुआ हंस दी-"क्यों न जाएं तेरे बाप पर तुम दोनों का एक ही काम है भौंकते रहना!" कार्तिक के पापा जिनका नाम पंकज जी था-"हमें कोई शौंक नहीं है घटिया लोगों के मुंह लगने का,गलती खुद की चली हमें समझाने को,बतमीज,जैसी बुआ वैसी ही भतीजी!" कार्तिक-"सही कहा पापा ,गलती भी करते है और?"वो आगे बोलता माही को गुस्सा आ गया और वो चिल्ला दी -"चुप,गलती किसकी है ये बताने की जरुरत नहीं हैं,तुम भी दूध के धूले नहीं हो,जब देखो लड़ने को उतारू रहता है!" बहस का सिलसिला हमेशा के जैसे कार्तिक के पापा, मां और माही की बुआ से शुरू होता है और फिर खत्म होता है कार्तिक माही पर आकर ,खत्म क्या गाली देते देते,एक दूसरे को सुनाते हुए दोनों अपने अपने घर चले जाते है आज भी वही सब हुआ माही अपनी बुआ को लेकर अंदर आ गयी और कार्तिक भी अपने पापा के साथ अंदर चला आया! ______ 【कार्तिक का घर】 कार्तिक-"पता नही खुद को क्या समझती है बेवकूफ है एक नंबर की ये लड़की जिसे कोई मेनर नहीं है!" कार्तिक के पापा-" संस्कार ही ऐसे मिले है ,जब देखो लड़ती रहती है!" तभी किचन से कार्तिक की मां चली आई जिनका नाम रमा देवी था-"तुम दोनों से कुछ नहीं होने वाला वो छोरी सुनाकर चली जाती है और आप दोनों आ जाते है हमारे दुश्मनों से सुनकर,हमारा बस चले ना उस छोरी का और उस मेनका का गला दबा दे!" अपनी मां को गुस्सा देख कार्तिक का जबड़ा कस गया -"इंसल्ट करती है ना माही तू मेरी मेरी फैमिली की,अब छोड़ूंगा नहीं तुम्हें ,सबक सिखाकर रहूंगा,बस देख तू मैं क्या करता हूं!" _______ 【माही का घर】 माही -क्यों मुंह लगती हो इन दुश्मनों के बुआ ,कितनी बार बोला है,मत उलझा करो उनसे?" बुआ -"तो क्या सुनते रहे इनका ,खून खोलता है हमारा तो इन सबको देखते ही और तुम कहती हो चुप रहे!" माही -चुप रहने को किसने बोला हैं बुआ,हां दुश्मनों को जवाब देना चाहिए पर मेरा दिमाग खराब हो जाता है,ये लोग सुधरने वाले है नहीं जब देखो जीनाहराम करने पर तुले रहते है,एक तो सेम बिल्डिंग में रहना न चाहते हुए भी,लुधियाना से साले दूश्मन दुश्मनी निभाने पीछे पीछे ही आ गए दिल्ली और रहने को घर लिया वो भी सामने हमारे और रोज का फालतू ड्रामा इतना ही काफी नहीं इस कार्तिक ने जॉब के एप्लाई किया तो मेरे ऑफिस में ,उसे वही जगह मिली काम करने को पूरी दिल्ली में, और देखो तो इसे वहां नौकरी भी मिल गई ,हाथ धोकर पीछे पड़े है ये सब और गणपति बप्पा भी पता नहीं कब इनसे छुटकारा दिलवाएंगे,"बड़बड़ाते वो ऑफिस जाने के लिए रेडी होने को अपने कमरे में चली गयी! बुआ पीछे पीछे कमरे में चली आई-"जानबूझकर किया है उसने ,अब ये कार्तिक तुझे वहां भी परेशान करेगा?" "परेशान और मुझे वहां टिकने देंगे तब ना बुआ,दुश्मनी बहुत पुरानी है ,और बदला भी ,जान भी लेंगे ना तो पल पल तड़पाकर इन सब की बस तुम देखती जाओ,अभी तो यहां घर के सामने सहन करते है ऑफिस में भी कर लेंगे पर ज्यादा दिन नहीं!" थोड़ी देर बाद माही रेडी होकर अपने कमरे से बाहर आई तो बुआ उसे चाय देती है-"ले चाय पी!" "नहीं चाहिए ,सुबह सुबह जो होता है उसमें इस चाय से ज्यादा नशा है ,तुम पिओ हम चलते है और हाँ बुआ ये लडा़ई किया करो बेशक पर प्लीज हमारे ऑफिस जाने के बाद, सुबह सुबह नहीं ऑफिस जाकर काम करना होता है मुझे,सिर दुखने लग गया"कहकर माही घर से चली जाती है! उसे जाते देख बुआ परेशान हो जाती है-"इन दुश्मनों की वजह से आज फिर से मेरी बच्ची का सर दर्द होने लगा, मन तो करता है इन लोगों को हमेशा हमेशा के लिए हम खत्म ही कर दे,न रहेगी ये आफत न होगी फिर हमें कोई परेशानी!" _______ माही जैसे ही ऑफिस जाने के लिए घर से बाहर आई कार्तिक भी आ गया,दोनों की नजर एक दूजे पर पड़ी तो दोनों एक दूसरे को घूरने लगे- माही मन ही मन खुद से-"चल बेटा ऑफिस,आखिरी दिन होगा,तेरा पहला दिन!" कार्तिक मन ही मन खुद से-" एक ही ऑफिस,अब मैं बताऊंगा तुम्हें,अगर तुम्हें वहां से ना निकलवा दिया ना तो मेरा नाम भी कार्तिक नहीं!" ______ 【ऑफिस】 दोनों अपने- अपने कैबिन में बैठै होते है,और एक दूसरे के बारे में सोच रहे होते है,कि कैसे क्या करना है?तभी पिओन कार्तिक के कैबिन में आता है,दरवाजे पर खड़ा उसको आवाज देता है पर कोई जवाब न मिलता देख अंदर आकर वो कार्तिक के कंधे पर हाथ रखकर उसे हिलाता है -"सर,सर में आपको कब से आवाज दे रहा हूं,डोर नॉक कर रहा हूं,आप जो सुन ही नहीं रहे?" कार्तिक चेयर से उठा-"सो सॉरी वो........"आगे बोलता कुछ पिओन बोल पड़ा-"बाद में बता देना,अभी आपको बॉस बुला रहे है,तभी वहां माही आ जाती है-"ओह हो, लगता है कार्तिक जी यहां काम करने नहीं आराम करने आए है!" कार्तिक और पिओन दोनों दरवाजे पर खड़ी माही की ओर देखते है,वो अंदर चली आई और पिओन से बोली -"रमेश जी आपको एक बात बताऊं,कुछ लोगों की ना हकरतें ही ऐसी होती है,कभी सीरियश ही नहीं होते है लाईफ में,दिमाग तो ऑफिस के बाहर ही छोड़ आते है और यहां बैठकर बड़े बड़े ख्वाब देखने लग जाते है भूल जाते है ये घर नहीं ऑफिस है अब आप ही बताईऐ हमें जिनकी हरकतें ही ऐसी है कि ऑफिस से निकाला जाए वो यहां काम क्या खाक करेगें!" ये सुन कार्तिक हाथों की मुठ्ठियाँ बांध लेता है,पिओन दोनों की ओर देख रहा था,माही मुस्कुरा रही थी और कार्तिक उसे घूर रहा था,तभी कार्तिक कुछ कहने को हुआ पिओन माही से बोल पड़ा-"मैम आपको भी बॉस ने बुलाया है दस मिनट बाद!" माही-"ओके,हम चले जाएगें दस मिनट बाद!" पिओन कार्तिक से -"सर आप अभी जाईये,वेट कर रहे है बॉस आपका?" कार्तिक माही को घूरते वहां से चला जाता है उसके जाते ही पिओन माही से बोला-"जानती हो तुम इसे?पता नहीं कहाँ खोया था,मेरे इतना बुलाने पर भी नहीं बोला!" "छोड़िए ना भईया,बस यूंही चले आते है लोग जिनको करना धरना कुछ होता नहीं,चाहे टाईम वेस्ट कितना ही करवा लो"बोल मन ही मन खुद से-"जानती हूं,जानती हूं बस इतना,ये दुश्मन है मेरा और इसे बर्बाद करना है!" (क्रमशः)
कार्तिक बॉस के कैबिन में आता है-"मे आई कमिन सर!" "मिस्टर कार्तिक कम कम,कहाँ थे तुम?"बॉस ने पूछा, कार्तिक अंदर चला आया-"हेलो सर एंड एम सॉरी"वो कुछ आगे बोलता बॉस बोल पड़े-"डोंट से सॉरी,सिट!" "थैंक्स सर"कहते कार्तिक बॉस के सामने वाली चेयर पर बैठ गया, बॉस अपने आगे रखी फाईल की ओर इशारा करते हुए- "मैनैं अभी तुम्हारी फाइल देखी है गुड पर्फोर्मेंस कार्तिक, आई हॉप तुम इस कंपनी को भी अपना 100%;दोगे!" "आई डू माई बेस्ट सर, आपको कोई शिकायत नहीं होगी" "गुड,फिलहाल अभी तुम्हारा फस्ट डे है तो तुम्हें अच्छे से काम को समझना होगा?" तभी वहां माही आ जाती है-"मे आई सर!" बॉस ने हां कहा और माही अंदर चली आई,"कैसी हो माही?"बॉस माही की ओर मुस्कुराते देख बोले, माही एम फाईन कहती है और बॉस के "बैठो"कहने पर कार्तिक की बगल वाली चैयर पर बैठ जाती है,बॉस ने कार्तिक की ओर इशारा किया-ये मिस्टर कार्तिक है न्यू एम्पलॉय ऑफ आवर कंपनी!" माही एक नजर कार्तिक की ओर देखती है-"आई नो सर न्यू एम्प्लॉय मिस्टर कार्तिक...... इतना कह मन ही मन खुद से-" मेरा पुराना दुश्मन भी!" कार्तिक भी माही की ओर एक नजर देखता है और वो भी मन ही मन खुद से बोलता है-"इसका बस चले तो इस कंपनी से मुझे आज ही पुराना कर दे!" बॉस-"मिस्टर कार्तिक ये मिस माही है,बहुत अच्छा काम करती है काफी वक्त से इस कंपनी को अपना बेस्ट ही दे रही है तो न्यू प्रोजेक्ट मिंटिग को लेकर सब डिटेल एंड इन्फोर्मेशन सब आपको माही ही देगी,यहां के रूल एंड यहां काम कैसे करते है आपको सबकुछ माही बताएगी आईमीन आपकी हेल्प करेगी!" इतना सुनते ही दोनों एक साथ बोलते है-"क्या?"और एक दूसरे की ओर देखते है! बॉस-"क्या हुआ?" माही-"सर मैं क्यूं करूंगी आईमीन....."आगे बोलती वो कुछ बॉस बोल पड़े-"येस माही तुम ही करोगी,कार्तिक नया है और तुम पर मुझे पूरा विश्वास है अच्छे से हेल्प करोगी तुम और मिस्टर कार्तिक तुम्हें माही के अंडर ही काम करना होगा अभी ओके!" माही के होठों पर मुस्कुराहट आ गयी-"मेरे अंडर?" कार्तिक मन ही मन माही को कोसता है-"इसके अंडर काम करना होगा मुझे?काश इसकी जगह कोई और होता!" बॉस माही से-"हाँ तुम्हारे अंडर कोई प्रोब्लम है?" 【माही 】-नो सर मुस्कुराते हुए कार्तिक की। ओर देखते हुए मेरे अंडर काम करेगें ये ,आप ने बोला है सर सो ओके, 【कार्तिक】 -इसे क्या प्रोब्लम होगी खुद ही सबसे बड़ी प्रोब्लम है,माही को घूरते हुए बोला (सोचते हुए) 【बोस; 】 -ओके मिस्टर कार्तिक ,अच्छे से काम करना बेस्ट आफ लक,माही के अंडर सब परफेक्ट होगा, 【कार्तिक】 -ओके सर! सी यू !और माही कान्फ्रेंस रूम में अभी मिंटिग है ,रिलेटेड फाइल जल्द लेकर पहुंचों! 【माही 】-ओके सर एम कम! बोस के चले जाते ही माही ताली बजाते हुए(हँसते हुए),अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे!अब देखो कैसे बाय बाय करती हूं तुम्हारा!मेरे अंडर काम करना पड़ेगा,नचा कर ना रख दिया तो मेरा नाम माही नहीं कार्तिक से बोलकर माही भी चली जाती है! 【कार्तिक】 -खुद से (टेबल पर हाथ मारते हुए )सीट,खोदा पहाड़ निकली चुहिया ,इससे काम सीखना पड़ेगा ,एक मौका न छोड़ेगी ये बिल्ली नोचने को,अंडर काम वो भी इसके ,सर की चेहती लगती है तभी इसके अंडर मुझे किया है,बेटा संभल कर ये तुझे इस कंपनी से निकालने के लिए कुछ भी करेगी अब,खुद इसे बोस ने चांस दिया है,तुझे ही ध्यान रखना होगा! थोड़ी देर बाद कार्तिक माही के कैबिन में जाता है, 【माही 】-वट इज दिस ,ऐसे आते है गेट आऊट(दरअसल बिना प्रमिशन के कार्तिक अंदर आ जाता है,) 【कार्तिक 】-वापस जाने लगता है फिर से नोक करके आने के लिए , 【माही 】 -रूको,सोरी बोलना नहीं सीखा! कार्तिक को अब ये ना चाहकर भी करना पड़ेगा जो माही कहेगी,(दोनों इस बात को जानते थे कार्तिक पहले दिन बाहर नहीं होना चाहता और माही उससे वो सब करवाएगी मजा चखाने के लिए ) 【कार्तिक 】-सोरी, 【माही 】-गुड और हाँ अभी बिजी हूं बाद में आना! 【कार्तिक】 -माही तुम! माही मैम बोलो समझे ,मेरे अंडर काम करना है रिश्पेक्ट से! कार्तिक गुस्से से दरवाजा पटकते चला जाता है, 【माही 】-ऊपस...कैसे तिलमिला रहा है ना चाहकर भी उसे मानना पड़ेगा,पर मुझे नहीं सिखाना इसे कुछ भी ,शक्ल भी नहीं देखना चाहती इस इडियट् की ,क्या बप्पा बोस को मुझे ही चुनना था क्या इसे सिखाने के लिए,अब करना ,बताना तो पड़ेगा सब सर को बहुत ट्रस्ट है तुझ पर माही तेरे काम से खुश भी ,तेरी नौकरी का सवाल है और इज्ज्त की भी बात है,सो माही तुझे इसे मजा चखाना है और सर की नजर में अपनी रेपुटेशन भी बनाए रखनी है,! (हँसते हुए) कार्तिक माही के पास बार बार आता रहा ,थोड़ी सी इंफोर्मेशन देकर माही कभी अपने काम में लग जाती ,तो कभी एक ही फाइल कार्तिक से बार बार रीड करवाकर डाटा निकालने को कहती है,! 【कार्तिक 】 -कैसी लड़की है ,नचाकर रख दिया है कभी यहां कभी वहां, मन कर रहा है खून कर दूं इसका,अब ये मेहरा फाइल कहाँ है,(फाइल रूम में कार्तिक खुद से ही बड़बड़ाते हुए बोला) तभी वहां माही आती है और कहती है, '"क्या हो रहा है यहां खुद से बात कर रहे हो हम फाइल का वेट कर रहे है, 【कार्तिक】 -वो ढूंढ रहे है, 【माही】 -क्या,बातें करने पर नहीं काम पर ध्यान दो बोला था ना सेंकड लाइन लास्ट फाइव नंबर वो देखो,जाओ निकालो! 【कार्तिक】 -फाइल निकालकर माही के हाथ में रखते हुए कहता है ,कब बताया था सिर्फ इतना ही बोला मेहरा फाइल लाओ! अगर किसी की बात ध्यान से तुम्हें सुनने की आदत हो तब ना आधी बात सुनकर भागे आ गए तो ऐसा ही होगा! 【कार्तिक】 -(सोचते हुए )झुठी एक नंबर की! 【माही 】-सच झूठ सबको पता है ,काम पर ध्यान दो ,पकड़ो फाइल और जल्द मिस्टर प्रमोद सर को देकर आओ,और हाँ प्रमोद सर कैबिन नं आठ तुम्हारे कैबिन से तीन आगे वाला !और माही चली जाती है! 【कार्तिक 】 -झुठी को झूठी ही कहेंगें ना,खुद को तीस मार खां समझती है,प्रमोद सर कैबिन नं आठ! (खुद से कहा) 【कार्तिक का घर】 घर पहुंचते ही कार्तिक मां को आवाज देते हुए, मां कहाँ हो,पानी दो ठंडा!कार्तिक बोला, 【रमा देवी 】-लो बेटा ,क्या हुआ चेहरा उतरा हुआ क्यों है मेरे लाल का!! 【कार्तिक 】-मां कड़क सी चाय पिला दो सर फटा जा रहा है हमारा! 【पंकज (पापा)】- क्या हुआ बाहर से आते ही पूछा!कार्तिक को सर पकड़े हुए बैठा देखकर । 【कार्तिक 】 -एक ही तो सर दर्द है हमारा इस जिंदगी में और ऑफिस का पूरा हाल सुनाता है, इतना सुनते ही चाय वाला गिलास गुस्से से मेज पर रखते हुए बाहर की ओर रमा देवी बढ़ती है और चिल्लाती है , "ओ डायन क्यों मेरे बेटे के पीछे पड़ी हो,यहां दाल न गलती है तो दफ्तर में परेशान कर रही है मेरे बेटे को!" ये सुनकर आसपास वाले लोग और मेनका, माही भी बाहर आ जाते है, 【मेनका】 -ओ रमा क्यों भौंक रही है, 【माही 】-हिटलर सुबह नहीं आया ना ,बुआ इसलिए शाम को आया है,तमाशे बिना इन्हें चैन कहाँ, 【रमा देवी 】-मेरे बेटे के साथ तू जो कर रही है ना ,छोड़ेगे नहीं, सुधर जा छोरी अच्छा न होगा! 【माही 】 -ओह हो तो बेटे ने आते ही आग लगा दी,ओह कार्तिक बाहर आ खुद ऑफिस में कुछ न कर पाया तो यहां बड़ास निकाल रहा है, 【कार्तिक 】-अंदर से आते हुए, डरते नहीं है हम तुमसे समझी! 【माही 】-चुपचाप अपनी मां को ठंडा कर ,अंदर लेकर जा,नहीं तो कल तेरा डाटा निकल जाएगा! 【रमा देवी 】-धमकी दे रही है तू मेरे बेटे को, 【मेनका】 -(हँसते हुए) चेतावनी है ,जो तेरे बेटे से माफी मंगवा सकती है वो धकमी चेतावनी भी दे सकती है,(दरअसल माही भी सब बता चुकी होती है अपनी बुआ को) माही और मेनका दोनों मुस्कुराते है! 【माही 】 -तेरा बेटा समझ गया क्या है,जाओ अंदर ,और वहां खड़े लोगों से भी आप सब भी जाईए आज इतना ही तमाशा होगा! 【कार्तिक 】 -मां पापा अंदर जाओ, 【पकंज 】-पर कार्तिक!बेटा, अंदर जाओ आप दोनों कहते हुए कार्तिक माही की ओर गुस्से से घूरते हुए बोला! 【माही 】 -👎👎👎👎 और दोनों एक दूसरे को घूरते पीठ करते हुए अपने अपने घर चले जाते है!! क्रमशः-
(अगले दिन) "अच्छा बुआ चलते है,ऑफिस के लिए देर हो रही है?" माही ने अपना बैग उठाते हुए बोला, "रूक लाडो एक बार"मेनका(बुआ) जी ने आवाज देते हुए कहा, "माही -"क्या बुआ एक तो देर हो रही है ऊपर से आप कर क्या रही है,हो कहां आप?" तभी बुआ आ गयी -"यहां हूं"और माही के पास आकर उसे गौर से देखने लगी, माही-क्या हुआ,ऐसे क्यों देख रही हो,मेरे चेहरे पर कुछ लगा है क्या?" बुआ-"नहीं तो!" माही-"तो बोलो और ये हाथ में क्या है?" बुआ परेशानी भरे लहजे में-"नोटिस,वो दरअसल कल बताना भूल गए थे तुम्हें और कल तुम खुश भी थी न!" माही बुआ के हाथ से वो पेपर लेती है जो मेनका जी के हाथ में था-"तो क्या हुआ खुश थे,बताए बिना रह सकती हो क्या?मुझे नहीं तो किसको बताओगी और फिर माही उस नोटिस को पढ़ती है,जिसे पढ़कर माही भी परेशान हो जाती है! बुआ -"अब क्या करोगी बेटा?" माही-"ओह नो बुआ,अब एक जॉब इतने खर्चे ,समझ नहीं आ रहा है कैसे करेंगें ,इसी महीने हमें पैसे भरने होगें लास्ट वार्निंग है,नहीं तो हम यहां पर भी नहीं रह पाऐंगे बुआ! बुआ-" कुछ तो करना होगा बेटा,ये मुश्किल हल करनी पड़ेगी,नहीं तो माही हम जाऐगें कहाँ,सब कुछ सही था हमारी लाइफ में एक साल पहले हमारी जिंदगी ऐसी थी कि किसी बात की चिंता नहीं थी,ऐसा ग्रहण लगाया इन दुश्मनों ने कि सब बर्बाद करके रख दिया!" माही -"बुआ ये संभाल कर रखो,और चिंता मत करो मैं देख लूंगी,अभी(गले लगकर)मैं चलती हूं देरी हो रही है बाय बुआ!" माही चली गयी,उसे जाते देख बुआ खुद से बोलती है- "जब भी मैं उस दिन की बात करती हूं माही तुम ऐसे ही भाग जाती हो ,कब तक भागोगी बेटा ये तुफान तुम्हारी जिंदगी में और जो अंतर्मन में चल रहा है इससे चैन तुम्हें दुश्मनों का चैन छीनकर ही आएगा और हम जानते है तुम ऐसा ही करोगी,जल्द करोगी,हम तो कहते है जिन लोगों ने हमें परेशानियों में डाला है उनका तुम भी जीना हराम कर दो!" _______ "ऑटो ,ऑटो ,अरें आज ये ऑटो वाले रूक क्यों नहीं रहे है,ऑटो वाले भईया रोको"माही ऑफिस जाने के लिए ऑटो लेने की कोशिश कर रही थी पर आज उसे ऑटो मिल ही नहीं रहा था! "क्या है बप्पा, पहले ही देर हो गयी अब और देर हो रही है,भईया रोको न"माही सामने से निकल रही ऑटो को देख चिल्लाते हुऐ बोली पर वो ऑटो भी नहीं रूकी! ________ 【कार्तिक का घर】 कार्तिक -"मां मैं चलता हूं!" रमा जी -"ऐसे नहीं कहते बेटा ,आता हूं,बोला करो!" कार्तिक मुस्कुरा दिया-"ओके आता हूं!" "ये हुई न बात"कहते रमा जी प्यार से उसका माथा चूम लेती है-"आराम से जाना!" "हां मां,पापा गए क्या मां दुकान?"कार्तिक ने पूछा, रमा जी-"हाँ ग ए अभी गए है और हाँ बेटा कह कर गए है तुझे ,उस छोरी से डरने की जरूरत नही है कल जो उसने किया ना सूद समेत बदला लेना,ज्यादा पें पें करें तो एक लाफड़ जड़ देना बता रहे है हम बेटा तुझे जान बूझकर वो पंगे ले रही है!" कार्तिक मां का माथा चूमते-"आप परेशान मत होओ मां उसे मै हैंडल करना जानता हूं,ओके बाय!"कह कार्तिक घर से बाहर अपनी बाईक के पास आ गया,बाईक पर बैठ बाईक स्टार्ट करने लगा-"मां को तो कह दिया हैंडल कर लूंगा माही को पर वो तीखी मिर्ची पता नहीं आज क्या करेगी,कार्तिक बेटा उसका मकसद है तुझे कंपनी से बाहर निकलवाना पर दिल्ली की बेस्ट कंपनी से तुझे निकाल दिया तो बहुत बड़ी बेइज्जती हो जाएगी मेरी जो मै नहीं होने दूंगा,उस बेस्ट कंपनी में वो अपनी जगह बना सकती है तो तुझे भी वो नहीं रोक पाएगी वहां पर अपने पैर जमाने से!" बाइक स्टार्ट करके ऑफिस के लिए निकलता है तभी माही मोड़ पर अचानक ही उसकी बाइक के आगे आ जाती है और गिर पड़ती है, माही खुद को संभालते-"आंखे है या बटन दिखाई नहीं देता है क्या?" कार्तिक-"आंखे तो तुम्हारी भी है,दिखाई नहीं देता तुम्हें वो बात अलग है!" माही फट से नजरें उठाकर कार्तिक की ओर देखती है- "तुम?" कार्तिक -हाँ मैं ,और कोई दिख रहा है क्या यहाँ,और हाँ मेरे में ही इतनी हिम्मत है जोकि तुमसे टकरा सकता है, सिर्फ टकरा नहीं तुम्हें उड़ा भी सकता है.........बोल वो हंसने लगा,माही उसे घूरते हुए नीचे से उठ गयी-"इसके अलावा कुछ और आता भी है क्या तुम्हें,और हाँ अगर तुम्हें लगता है ना ऐसे करके कल जो किया तुम उसका बदला ले सकते हो मुझसे तो भूल जाओ ,ना तो तुझमें हिम्मत है ना तुम लायक हो,हिम्मत वाले सामने से वार करने वाले होते है पीठ पीछे वार करने वाले नहीं!" कार्तिक -"क्या बोला तुमनें?" "जो तुमने सुना"कह माही ने ओटो वाले को "रूकिए" कहा,इस बार एक ओटो रूक गयी,माही कार्तिक को घूरते ऑटो में जा बैठी-" चलिए भईया!" माही वहां से चली जाती है,"काम सारे गलत खुद करती है कहती दूसरों को है" कार्तिक भी फिर चला जाता है! _____ माही ऑटो में बैठी नोटिस के बारे में सोच परेशान हो रही थी-"बुआ को तो बोल दिया पर माही कैसे देखेगी तू,क्या कर रहे हो बप्पा मेरे साथ एक तो इस मनहूस के रोज दर्शन और ऊपर से इनकी ही दी मुसीबत में फंसा कर रखा है ,कैसे लोग है तेरी दुनिया में जिन्हें तुम कुछ कहते ही नहीं जिन्होंने मेरे बाबा और हमारे साथ.... 【एक साल पहले】 "ब्रृज क्या हुआ, रो क्यों रहा है?"मेनका जी ने पूछा, (ब्रृज चौधरी माही के पापा,जिनकी लुघियाना में अच्छी दुकानें अच्छा बिजनेस हुआ करता था,वो अपनी बहन और बेटी के साथ रहते थे, माही की मां का कुछ साल पहले देहांत हो गया था तो माही अपने बुआ पापा के साथ लुघियाना के बड़े से घर में खुशी खुशी रहती थी, पर मिस्टर पंकज उनके जो कि उनके बिजनेस पार्टनर ने उनसे धोखे से उनका सब कुछ छीन लिया,और फिर उनका सारा कारोबार डूब गया,सब खत्म हो गया!) ब्रृज जी- मै बर्बाद हो गया मेनका बर्बाद ,कुछ नहीं बचा, कुछ भी नहीं बचा हमारे पास,सब खत्म हो गया!" मेनका जी-"क्या बोल रहे हो?" ब्रृज जी-"उसने धोखा दिया,पंकज ने धोखे से हमारी सब दुकानें अपने नाम कर ली,कुछ भी नहीं छोड़ा मेरा सबकुछ छीन लिया!" तभी माही दौड़ी वहां आ गयी-",क्या हुआ पापा, क्या हुआ बुआ पापा रो क्यों रहे है?" मेनका जी आंसू भरी नजरों से माही की ओर देखती है -दुश्मन बन गए सब तुम्हारे पापा के सब छीन लिया, और जो उन्हें बृज जी ने बताया वो सब बताती है जिसे सुन माही अपने पापा की ओर देखती है,वो कुछ भी कहती उससे पहले बृजजी उठकर अपने कमरे में चले गये,माही अपनी बुआ की ओर देखती है! माही-"बुआ ऐसा क्यों किया उन्होनें......."मेनका जी कुछ कहती कि तभी गोली चलने की आवाज से घर गूंज उठा,दोनों भागी अंदर जाती है,अंदर जाकर देखा तो बृज जी जमीन पर पड़े थे! माही जोर से चिल्लाई-"पापा!" मेनका जी बृज जी के पास जा बैठी-"बृज ये क्या किया तुमनें,भईया ये क्या किया......."बोलते रो पड़ी,बृज जी ने खुद को गोली मार ली थी,माही"पापा पापा" बोलते उनके पास आती है पर वो उसी वक्त उनसे दूर जा चुके थे हमेशा हमेशा के लिए! उसके बाद,जो भी बचा था उनके पास यानि वो घर,वो भी बिक जाता है और फिर माही अपनी बुआ के साथ वो जगह छोड़ दिल्ली आ जाती है,उसके बाद पंकज जी भी अपना सबकुछ बेचकर अपने परिवार के साथ दिल्ली आ जाते है और खुद का बिजनेस करने लगते है दिल्ली में अपनी एक दुकान ले लेते है,इतना ही नहीं घर भी वहीं ले लेते है जहां माही ने रहने को घर लिया होता है,दोनों परिवारों के बीच दुश्मनी हो चुकी थी,ऐसी दुश्मनी की एक दूजे को वो लोग फूटी आंख न भाते थे, दिल्ली जैसे मंहगे शहर में रहने को मिली उस जगह को छोड़कर जाने को दोनों परिवार राजी नहीं थे पर हां एक दूजे को वहां से भगाने को उतारूं रहते,हम क्यों जाए? जिसे जाना है वो जाऐ,हम तो नहीं जाएगें"इस बात पर अड़े रहते,रोज की लड़ाई,झगड़ा,फालतू की बहस,बस यही होने लगा,पिताओं की दुश्मनी दोनों परिवारों मे आ गयी,परिवारों से बच्चों में यानि कार्तिक माही में,जो एक दूजे से नफरत करते थे ऐसी नफरत जिसमें दोनों एक- दूजे को मारने काटने को ही रहते! बीती बातों को याद करते माही की आखों में आंसू आ गये,पर वो उसी पल उन आंसूओ को पौंछ लेती है,इस वक्त उसका चेहरा गुस्से से लाल चुका था-" पापा उस दिन का वादा आज भी याद है मुझे ,आपकी मौत और आपके साथ हुए गलत का बदला मैं उनसें लेकर रहूंगी, आपसे और जिन्होंने हमसे आपको छीना है ना, उनसे मैं उनका सबकुछ छीन लूंगी ,वादा है आपकी बेटी का, जिसे हर हाल में निभाऐगी आपकी बेटी!" _______ ऑफिस आ गया,माही ऑटो वाले को पैसे देकर अंदर चली आई,अपने कैबिन की ओर बढ़ रही थी कि तभी कार्तिक सामने आ जाता है,माही उसको इग्नोर करके अपने कैबिन में चली आती है,पीछे पीछे कार्तिक भी चला आया और उसने डोर नॉक करते बोला-"मे आई कमिन म..मैडम!" माही कार्तिक की ओर देखती है और मन ही मन खुद से -"बर्बादी की शुरुआत तुम से होगी कार्तिक,अब रेडी हो जाओ बर्बाद होने के लिए!" कार्तिक फिर डोर नॉक नोक करता है और "आ जाऊं क्या?"माही से पूछता है......." (क्रमशः-)
कार्तिक को दरवाजे पर खड़ा देख माही हंस दी-"अगर कहे तुम्हें नहीं आना अंदर तो मिस्टर क्या कर लोगे कल बाइक ऊपर चढा़ओगे या हिटलर को लड़ने भेज दोगे?" कार्तिक माही की बातों से परेशान हो जाता है क्योकि वो उसे अंदर आने की परमिशन देने की जगह उसको सुना रही थी,कार्तिक आह भरते बाहर की ओर देखता है और दाई ओर मुड़ते जोर से बोलता है-"बॉस देखना माही मैम क्या कर रही है,सर कब से मैं नोक कर रहा हूं माही मैडम अंदर ही नहीं बुला रही मुझे...." इतना सुनते ही माही फट से चेयर से उठ जाती है और दरवाजे पर आकर बाहर की ओर देखती है,उसकी भोहें सिकुड़ जाती है,वो कार्तिक की ओर घूरकर देखती है-" कहाँ है सर?" कार्तिक ठहाका लगाते हँस पड़ा और हंसते हंसते वो माही के कैबिन में चला आया-"मैडम चेहरा तो देखो अपना,डर के मारे रंंग उड़ गया!" माही अंदर आती गुस्से से उसको" शटअप "बोलती है, कार्तिक उसकी ओर मुड़ा-"गुस्सा छोड़ो वैसे ये सच भी हो सकता है ,सर को मैं बता सकता हूं!" माही -"क्या बता सकते हो?" कार्तिक-"वही,जो तुम्हारी जगह है इस कंपनी में वो जो वहां से तुम्हें हिला सकता है आईथिंक, समझ आ गया होगा तुम्हें अबतक....." माही-"ओह शिकायत करोगे तुम मेरी जाओ करदो,आई डोंट केयर ,वैसे कहोगे क्या यही ना कि मैं इंफोर्मेशन न दे रही तुम्हें,फाइल स्डटी नहीं करवा रही हूँ राइट!" कार्तिक-"या राइट वैसे मेरे मन में डिटेल नहीं दे रही है मिस माही इतना था, थैंक्स फोर आइडिया थोड़ा बड़ा कहूंगा तो अच्छा लगेगा सर को,और अभी देखो अभी जाकर बोलता हूं"कहते हुए कार्तिक वहां से बाहर चला जाता है, माही खुद से-",ये सच म़ें तो नहीं जा रहा है,वैसे तो डर नहीं है इसके कहने से मानेगे थोड़ी पर फिर भी माही कह दिया तो सर क्या सोचेंगे तुम्हारे बारे में"सोचते वो भी बाहर चली आई, तभी बॉस आ जाते है कार्तिक उनके सामने होता है, कार्तिक -"हेलो सर!" "ओह, मिस्टर कार्तिक ,कैसे चल रहा है सब, माही के अंडर में बहुत कुछ सिखने को मिल रहा होगा ना"बॉस ने कार्तिक से पूछा,दोनों को साथ देख माही अपना सिर पकड़ लेती है-"ओह नो कहीं इसने कुछ बोल दिया तो गड़बड़ हो जाएगी!" तभी कार्तिक की नजर माही पर पड़ी,वो उसे देखते हुए बॉस से-"वो मुझे कहना था सर माही मैडम..." बॉस ने भी माही की ओर देखा-"मिस माही!" माही वहां चली आई-"हेलो सर!" बॉस -"हेलो,हाँ कार्तिक तुम कुछ कह रहे थे,बोलो?" "सर वो........कार्तिक बोलते हुए फिर माही की ओर देखता है और आंखो से इशारा करते हुए उसे बोलता है-"बता दूं?" माही हाथों को आपस में गूथने लगी और कार्तिक को मन मन गाली देने लगी तभी बॉस दोनों की ओर देखते बोल पड़े-"सब ठीक है न,कार्तिक माही...." कि माही मुस्कुराते बोल पड़ी-"या सर सब ठीक है एंड ऑल सेट ,मिस्टर कार्तिक अच्छा कर रहे है,जो जो भी समझाती हूं सब समझ जाते है,कोई प्रोब्लम नहीं राइट कार्तिक!" कार्तिक -"हाँ सर ,माही मैडम मुझपर पूरा ध्यान जो दे रही ह ,बस थोड़े टाइम बाद सब स्डटी हो जाएगा माही मैडम ने कहा मैं सब सीख जाऊंगा फिर माही मैडम के जैसे मैं भी कंपनी को अपना बेस्ट दूंगा!" बॉस खुश हो गये-"वाव दट्स गुड,माही पर मुझे ना पूरा ट्रस्ट था ये कुछ भी कर सकती है और करवा भी सकती है,वेलडन माही गुड जॉब कार्तिक" माही-"थैंक्यू सर एंड सर आप लंच टाइम बाद मिस्टर कार्तिक से डिस्कसन करके देख लेना,आपको पता चल जाएगा कार्तिक ने क्या सीखा है कितनी मेहनत की है!" ओके सी यू कार्तिक इन माई कैबिन,ऑफर लंच टाईम कहकर बॉस वहां से चले जाते है और दोनों एक दूसरे की ओर देखते है, कार्तिक-"सो माही मैडम अब क्या करोगी,फाइल स्डटी की इंफोर्मेशन पैंडिंग है कैसे करोगी इतने कम टाईम में मुझे रेडी,सर के सामने प्रस्तुत?" माही-"ओ हेल्लों अभी बहुत टाईम है,ऑफर लंच टाईम का बोला है सर को मैनैं अभी का नहीं सो अब चलो मेरे साथ....." कार्तिक "ओके "और मन ही मन खुद से खुश होते हुए- अब कमान मेरे हाथ में है"कहता है तभी एक लड़का उनके सामने आ जाता है- माही -"अरे अतुल हाय!" अतुल माही से हाथ मिलाता है-" हाय माही,कैसी हो?" माही-"मै ठीक हूं ,यार कहाँ हो दो दिन से दिखाई ही नहीं दिए?" अतुल-"कुछ काम से गया हुआ था कहीं,वैसे क्या चल रहा है और(कार्तिक की ओर देखते हुए)ये कौन है,नए क्लाइंट है क्या?" माही -"नो,एम्प्लॉय है न्यू!" अतुल-"ओह,मेरे जैसे....."कार्तिक ने अतुल की ओर हाथ बढ़ाया-"हेलों एम कार्तिक!" अतुल कार्तिक से हाथ मिला लेता है-हेलो,माही तुम्हारे अंडर रखा है क्या इसे बॉस ने ,फिर तो मिस्टर तुम यहां सेट क्योंकि माही के अंडर जो काम करता है वो बेस्ट ही करता है,जैसे मैं!" कार्तिक माही की ओर देखता है, माही कार्तिक से-"सुनो,मेरे कैबिन से ब्लू फाइल लेकर आओ,और हाँ टेबल के ऊपर ही रखी है,ओके!" कार्तिक जाकर फाइल ले आता है-"फाईल!" अतुल माही से-"और बताओ यार?" माही-"और तो कुछ नहीं यार ,बाद में मिलती हूं अभी अर्जेंट काम है बाय" अतुल -"ओके लंच टाइम विद कॉफी!" माही -"ओके डन!" और कार्तिक को अपने साथ लेकर माही वहां से चली जाती है! _______ कुछ घंटो बाद माही -"वैसे तो तुम दुश्मन हो मेरे पर सर के सामने सिर्फ एम्प्लॉय है हम सिर्फ,सर के सामने तो संभलकर रहना नहीं तो छोड़ेगे नहीं बता रहे है ,मिंटिग अच्छे से करना नहीं तो मैं तो कहीं नहीं जाऊंगी पर तुम्हारी छुट्टी,समझ रहे हो न?" कार्तिक-"विश्वास नहीं है क्या अतुल रह सकता है यहां तो मै भी रह सकता हूं उससे तो ज्यादा ही काबिल हूं और हाँ तुमने कोई अहसान नहीं किया है मुझ पर ये सब तो तुम्हें करना ही था,मुझे ट्रेन,इसमें मेरा नहीं तुम ने अपना फायदा देखा है,खुद का ही सोचा है,और ऐसा ही हुआ है,मतलबी जो ठहरी!" माही-"मकसद मेरा एक ही है जो जरूर पूरा होगा और हां मुझे मेरा काम करना था कर दिया,सच कहते है कुत्ते की दुम कहाँ सीधी होती है,तेरा तो खून ही ऐसा है,और हां एक बात और विश्वासघातियों पर माही कभी भरोसा नहीं करती है,जो कहे कुछ और करे कुछ और ही!" तभी कार्तिक माही का हाथ पकड़कर उसे अपनी ओर खींच लेता है और उसके हाथ को वो घुमाकर उसकी पीठ के लगा देता है-"सुन मेरी बात तू ये काम में अपनी दुश्मनी मत ला,तू ऐसा करती है तभी मै करता हूं ,दोनों को अलग रख समझी नहीं तो तेरे लिए भी अच्छा नहीं होगा माही और जो मुंह में आए बोलती रहती है न बंद कर........कि माही कार्तिक को पीछे की ओर धकेलते खुद को उससे छुड़ा लेती है-"काम के बीच मत ला तू जस्ट शटअप, दुश्मनी काम में ही पनपी थी और जब तक बदला न ले लेंगे ये तो ऐसे ही रहेगी,तुम गर इसे भूलोगे तो भी नहीं भूलने दूंगी,और क्या बोले तुम कुछ भी बोलती हूं मैं कुछ भी नहीं बोलती हूं मैं समझे कुछ भी नहीं बोलती हूं वहीं बोलती हूं जो सच और जिसे सुनने की न तुममें हिम्मत है न तेरे मां बाप में........वो उसे सुनाकर गुस्से में बड़बड़ाते वहां से चली जाती है- "बड़ा आया मुझे बोलने वाला!" __________ "अरें कहाँ रह गई थी यार कबसे कॉफी के लिए वेट कर रहा हूं"अतुल माही को आते देख बोला, माही अपने हाथ को सहलाते-"बस आ ही रही थी चलो चलते है कॉफी पीने!" ________ 【ऑफिस की कैंटीन】 अतुल -"मूड ऑफ लग रहा है तुम्हारा,क्या हुआ?" माही -"कुछ नहीं यार बस थकान सी हो रही है!" अतुल -"कॉफी पिओ थकान उतर जाएगी!" माही-"हम्म!" तभी वहां पर कार्तिक भी आ गया, अतुल कार्तिक को आवाज देता है-"कार्तिक यहां आ जाओ!" कार्तिक माही की ओर देखते वहां चला आया,चला क्या आया अतुल ने बुला लिया,माही घूरते हुए कार्तिक को देखती है! अतुल-"बैठो न,साथ साथ कॉफी पीते है!" कि माही बोल पड़ती है-"अतुल तुम इसके साथ कॉफी पीना चाहते हो?" अतुल -"वो मैं?" माही फिर बोल पड़ी-"इसके साथ पीनी है तो मुझे क्यों बुलाया?" अतुल दोनों की ओर देखता है! कार्तिक अतुल से-"आप दोनों पिजिए साथ में कॉफी, मुझे नहीं पीनी,और हां अतुल मैडम को कॉल्ड कॉफी पिलाओ सख्त जरूरत है......." बोल वो साईड वाले टेबल पर जाकर बैठ गया और अपने लिए चाय का आर्डर देकर अपने फोन में बीजी हो गया! अतुल-" माही क्या हुआ,कोई प्रोब्लम हुई है क्या,अभी थोड़ी देर पहले तुम दोनों साथ काम कर रहे और अभी ऐसे रियेक्ट कर रहे हो,जैसे दुश्मन ही बन बैठे हो एक दूजे के....ये सुन कार्तिक माही दोनों गुस्से से एक दूजे की ओर देखने लगे! 【बॉस का कैबिन】 लंच टाइम के बाद कार्तिक बॉस के सामने बैठा हुआ था माही को भी वहां बुला लिया जाता है,तीनों के बीच एक छोटी सी मीटिंग होती है,बॉस कार्तिक से जो भी पूछते है कार्तिक उनका जवाब देता रहा,कार्तिक के हर जवाब पर बॉस मुस्कुराते माही की ओर देखते,बदले में माही भी मुस्कुरा देती है- मीटिंग के बाद बॉस कार्तिक से-"वाव कार्तिक गुड वैल डन अच्छे से स्डटी की है तुमने,और हाँ माही तुम ने तो फिर कमाल कर दिया इस मुश्किल फाइल की स्टडी दो ही दिन में कार्तिक को अच्छे से करवा दी,सब अच्छे से समझा दिया,एम रियली प्राऊड बॉथ ऑफ यू गाईज!" दोनों एक साथ बॉस को"थैंक्स" बोलते है- बॉस खुश होते दोनों से-"तुम दोनों के लिए मेरे पास एक सरप्राइज है.....ये सुन दोनों हैरान हो गये,एक नजर एक दूजे की ओर देख बॉस की ओर देखते एक साथ बोले-" सरप्राइज....." (क्रमशः-)
बॉस "सरप्राइज "के नाम पर दोनों को हैरान होते देख हंस पड़े-"येस सरप्राइज!" माही-"कैसा सरप्राइज सर?" कार्तिक-"हाँ सर!" "माही वो हमारा विक्रम साइट नोएडा वाला प्रोजेक्ट जो था याद है ना तुम्हें,मैं चाहता हूं तुम दोनों साथ मिलकर अब उस पर काम करो,जिससे कंपनी को ही फायदा नहीं होगा ,माही तुम्हारा प्रमोशन और मिस्टर कार्तिक इस कंपनी में तुम्हारी जगह प्रमानेंट हो जाएगी और जल्द ही फिर तुम्हारा भी प्रमोशन हो जाएगा ,इससे हमारी कंपनी की मार्केटिंग बढ़ेगी,सो आप दोनों को इस प्रोजेक्ट को बहुत अच्छे से करना होगा?",,,बॉस दोनों से बोले, बॉस की बात सुनकर दोनों मुस्कुराने लगे,पर माही को कार्तिक के साथ काम नहीं करना था तो वो बॉस से कहने लगी-" सर ये वाला प्रोजेक्ट तो मैं और अतुल साथ में करने वाले थे ना,आपने ही बोला था...." ये सुन कार्तिक फट से माही की ओर देखता है,वो कुछ कहता कि बॉस बोल पड़े-"हाँ पर अब कार्तिक ही करेगा तुम्हारे साथ में वो प्रोजेक्ट क्योंकि अतुल अभी थोड़ा सा कच्चा है नेक्स्ट प्रोजेक्ट उसको देगें पर कार्तिक के पास कुछ अलग आइडिया है जो इस प्रोजेक्ट पर अच्छा वर्क करने में काम आएगें ,और कार्तिक अतुल से भी ज्यादा नोलेज रखता है मैनै कार्तिक डोक्युमेंट देख लिए है और अभी मिंटिग से भी साबित हो गया,आप दोनों ही कर सकते हो इस प्रोजेक्ट को जैसा मैं चाहता हूं वैसे!" माही -"पर सर!" "क्या हुआ माही कोई प्रोब्लम है अगर है तो बताओ, अगर तुम्हें प्रमोशन नहीं चाहिए तो बता दो,कार्तिक आपको भी कोई प्रोब्लम है क्या?आप दोनों साथ में प्रोजेक्ट नहीं कर सकते क्या?"बॉस दोनों से बोले कार्तिक मन ही मन "मुझे ये जॉब चाहिए " बोलता है और बॉस से"नो सर मुझे कोई प्रोब्लम नहीं है, मैं कर सकता ह़ूं माही मैम के साथ इस प्रोजेक्ट को!" बॉस-"माही तुम बोलो?" माही मन ही मन खुद से-"प्रमोशन जरूरी है" बोलती है और फिर साथ में प्रोजेक्ट करने के लिए हामी भर देती है-"ओके सर,हम करेगें नोएडा वाले प्रोजेक्ट पर साथ में वर्क,हमें भी कोई प्रोब्लम नहीं है!" बॉस-"गुड और हाँ याद रखना ये बहुत जरूरी है इस कंपनी के लिए, मुझे कोई शिकायत नहीं चाहिए,दो दिन बाद नोएडा विक्रम साइट पर मिंटिग है ,साथ मिलकर प्रेजेंटेशन बनाओ ओके,इट्स माई आर्डर ,मै चाहता हूं कंपनी के साथ आप दोनों की भी प्रोग्रेस हो,बिकोज यू ऑर डेसर्वे दिश,बेस्ट ऑफ लक!" "ओके सर "कह माही कार्तिक एक दूसरे की ओर देखते वहां से चले जाते है,सर ने आर्डर दिया है,कंपनी के लिए जरूरी भी है और हमारे लिए भी पर शर्त यही है साथ काम,अब करना तो पड़ेगा!" माही -"देखो कार्तिक?" कार्तिक- "सुनो माही?" दोनों एक साथ बोलते है, माही -"पहले मैं?" कार्तिक -"बोलो!" माही-"देखो कार्तिक तुम और मै दोनों जानते है हमें एक साथ काम नहीं करना है पर सर ने कहा तो करना पड़ेगा और हम हाँ कह चुके है!" कार्तिक-"हाँ माना हमारी दुश्मनी है ,हमें पंसद भी नहीं है एक साथ काम करना, कंपनी की बात अलग है पर इस एक प्रोजेक्ट के लिए हमें वो सब बीच में नहीं आने देना है क्योंकि मेरे अच्छे करियर के लिए यह प्रोजेक्ट बहुत जरूरी है और देखकर तुम्हें भी ऐसा लग रहा है कि ये तुम्हारे लिए भी बहुत जरुरी है!" माही -"हाँ मेरे लिए बहुत जरूरी है करियर ही नहीं,खैर छोड़ो पर सर ने जो कहा है,माना कि साथ काम करने को बोला है उसके आईडिया हमारे पास है, क्या करना है क्या नहीं पर हम अपना काम आधा आधा बांटकर करेंगे आधा तुम आधा मैं साथ नहीं, समझे!" कार्तिक -"पता है और वैसे भी साथ काम हमसे होगा भी नहीं इसलिए अपना अपना काम करेंगे और मिंटिग में प्रेजेंटेशन सिर्फ साथ देंगे!" माही डन कहकर अपने कैबिन में चली जाती है, कार्तिक-"चलो अच्छा है इसके लिए जरुरी है तो पक्का काम खराब नहीं करेगी,मैं भी फाइल देख लेता ह़ूं!" ______ 【माही का कैबिन】 अतुल माही के कैबिन में आता है-"माही मैं ये क्या सुन रहा हूं तुमने तो बोला था कि ये प्रोजेक्ट हम दोनों साथ करेंगे ,पर सर ने कार्तिक को तुम्हारे साथ प्रोजेक्ट क्यों दे दिया?" माही-"आई नो अतुल पर सर उसके काम से ज्यादा ही खुश है मैनै बोला था सर को पर वो चाहते है इस पर हम दोनों काम करें सॉरी अतुल ,नेक्स्ट चांस तुम्हें ही देगें सर ने कहा है!" अतुल-"ऐसे कैसे यार मै इतना अच्छे से काम कर रहा हूं और कब से और इस कार्तिक को आए दो दिन नहीं हुए और इसे प्रोजेक्ट मिल गया!" माही -"वो.....तभी कार्तिक वहां पर आ गया-"मे आई कमिन!" माही-"हाँ बोलो!" कार्तिक -"सिंगला'स की फाइल नहीं मिल रही है मुझे,वो साइट वाले प्रोजेक्ट के लिए स्टडी करनी है!" माही-"चलो देती हूं,मैं आती ह़ूं अतुल,और दोनों वहां से चले जाते है,उनके जाते ही अतुल ने टेबल पर जोर से हाथ दे मारा-"सीट,दो दिन हुए भी नहीं इस कार्तिक को आऐ और सर ने इसको प्रोजेक्ट दे दिया,माही का तो प्रमोशन समझ आता है पर साथ में इसका,नहीं कार्तिक मै ऐसा नहीं होने दूंगा तुम्हें मै मेरी जगह नहीं लेने दूंगा, मै भी देखूं कैसे करते हो ये प्रोजेक्ट!" _______ दोनों मिलकर अपना -अपना काम करते है ,एक दूसरे से आईडिया लेकर प्रेजेंटेशन बनाते है ,हाँ लड़ते भी है बुरा भला भी कहते है एक दूसरे को,पर काम पूरी लगन से करते है,दोनों की फैमिली को पता नहीं होता है इस बारे में नहीं तो अलग से सयापा तय था,ये बात भी वो दोनो़ भलि भांति जानते थे इसलिए ऑफिस की बात ऑफिस तक रखेगें दोनों के बीच ये बात भी तय हो चुकी थी! पंकज जी-"अरें बेटा आज इतनी जल्दी उठ गए क्या बात है ,घर के बाहर टहलते हुए पापा ने कार्तिक से पूछा जो अगड़ाई लेते अभी अभी बाहर आया था! पीछे पीछे रमा जी भी चली आई-"कल देर रात तक भी काम कर रहा था!" "हाँ मां आज बहुत जरूरी मिंटिग है बहुत काम करना था मैं देर रात तक वही कर रहा था,मैं नहाकर आता हूं, और हाँ म़ां अंदर टेबल पर मेरे काम के कागज रखे है, बहुत जरूरी पेपर है ,इधर उधर मत कर देना!" "मैं क्यों करोगी इधर उधर?"रमा जी बोली, कार्तिक हंस दिया-"झाड़ू ले रखा है आपने हाथ में,अभी आपका सफाई अभियान शुरू हो जाएगा,इसलिए कह रहा हूं सफाई करते करते वो मत उठाना,वही पड़े रहने देना,मैं खुद ही उठा लूंगा!" रमा जी-"ठीक है नहीं उठाऊंगी!" पकंज जी-"हां हां नहीं उठाएगी,बस जल्दी उठा लेना, वरना मेरे अखबार के जैसे कह़ां गायब हो जाएगें पता भी नहीं चलेगा!" रमा जी-"तो आप इधर उधर रखते ही क्यों है अपना अखबार,जब देखो बिखेर कर रख देते हो इधर उधर समेटने मुझे पड़ते है,जब तक आप ठीक से रखना न सीख लेते तबतक ऐसे ही गायब होगें!" कार्तिक-"हां पापा ऐसे ही गायब होगें,आज का पेपर कल की तारीक में ही पढ़ने को मिलेगा,इससे अच्छा सीख लो ढ़ंग से पेपर रखना वरना मां न्यूजपेपर गायब नहीं बंद करवा देगी!" रमा जी-"हां!" पकंज जी-"नहीं नहीं अब ध्यान रखूंगा!" कार्तिक-"फायदा इसी म़े्ं है,मैं आता हूं......"बोलकर वो वहां से चला जाता है,.....घर के बाहर सिढियो़ पर बैठी मेनका जी उनकी बात़े सुन लेती है,तभी माही बाहर आ जाती है-"बुआ हम अभी आते है,बप्पा के मंदिर जाकर आज बहुत इम्पोर्टेन्ट काम करना है मुझे,उसके लिए मैं जरा बप्पा से आशीर्वाद ले आऊं जो सब अच्छे से हो जाए,सब अच्छे से हो न गया बुआ तो समझ लेना कि हमारी लोटरी लग गयी!" __________ माही मंदिर चली आती है जो वहीं पास ही में था-"बप्पा आपने हमेशा मेरा साथ दिया है, आपके आशीर्वाद से सब सही हो जाता है हाँ कभी गड़बड़ कर देते हो ,मुझे मुश्किल में डाल देते हो पर निकाल भी लेते हो वहां से आप मुझे (मुस्कुराते हुए)जानते हो ना ये पेपर्स कितने जरूरी है,बहुत मेहनत की है हमनें बप्पा,उस कार्तिक का तो पता नहीं पर मेरे लिए बहुत बहुत जरुरी है ये? जैसा सोचा है बस वो करवा देना,जिंदगी हमारी पटरी पर सही से चल पड़ेगी(बप्पा के चरणों में बैग से एक फाइल निकालकर रखते हुए)आशीर्वाद दो बप्पा मुझे, मैं सफल हो जाऊं....."कहते वो हाथ जोड़ आखें मूंद बप्पा के समक्ष खड़ी प्रार्थना करने लगी! इसी बीच रमा जी भी अपने बेटे की सलामती के लिए तरक्की के मन्नत मांगने बप्पा से प्रार्थना करने वहां चली आई (उसी बिल्डिंग में तो था गणपति बप्पा का मंदिर) तो वो माही की बात सुन लेती है! , रमा देवी -"ओह तो ये छोरी सोचती है मेरे बेटे के लिए जरूरी नहीं उसका काम बस इसके लिए ही है जरूरी इसके काम,मेरे कार्तिक ने भी मेहनत की है,मेरे बेटे से आगे तो तुम्हें कभी न निकलने देगें हम,तुम उसके साथ बुरा करती हो न,तुम्हारे साथ अच्छा कैसे हो सकता है" मन ही मन बोलते माही के पीछे खड़ी रमा जी धीरे धीरे आगे आई,और माही के फाइल के पास दिया कर देती है जिसके चलते उसी पर वो फाईल उसमें माजूद पेपर आग पकड़ लेते है,कुछ जलने की स्मेल आते देख माही फट से अपनी आखें खोलती है,अपनी फाईल को जलते हुए देख वो घबरा जाती है-"ओह नो और आग बुझाने की कोशिश करती है,आग तो बुझ जाती है पर पेपर्स सारे खराब हो जाते है,ये देख माही अपना सिर पकड़ लेती है-"ये क्या हुआ?" कि पीछे खड़ी रमा जी हंसने लगीं,माही उनकी ओर देखती है तो वो जली फाईल की ओर इशारा करते हुए बोली-"जो दूसरों की खुशियों में आग लगाना चाहते हो न उनको खुशियां कभी नहीं मिलती है छोरी,हमारे बेटे से आगे निकलोगी अब निकलकर दिखाओ?" माही -"ये आपने किया?" रमा जी -"हाँ मैनैं किया!" माही-"क्यों किया आपने ऐसा? रमा जी-"मन किया कर दिया,बता के कर लेगी,हमें जो करना था कर दिया!" माही को गुस्सा आ गया,वो रमा जी को बाहों से पकड़ "क्या किया है आपने पता भी है?"चिल्लाती है तभी- (क्रमशः)
माही रमा जी पर चिल्लाती है कि तभी रमा जी भी उसे खुद से दूर धकलेते उस पर चिल्लाने लगी-"दूर रहे छोरी मुझसे,खबरदार जो मुझे छुआ भी तो,तेरे हाथ तोड़ कर रख दूंगी और हां मैनैं जो भी किया सही किया तू न इसी के लायक है .......ये सुन और रमा जी की हरकत और उन्हें हंसते देख माही अपना सिर पकड़ लेती है! _______ "चल मेनका ,आज गर्मी बहुत है, घर के बाहर पानी का छिड़काव करते है मुस्कुराते हुए बुआ खुद से बोली और बड़ी सी पाइप से घर के बाहर पानी छिड़कने लगी,पानी छिड़कते छिड़कते वो कार्तिक के घर की खिड़़की तक जा पहुंची,घर में नजर डाली तो खिड़की से थोड़ी दूरी पर ही टेबल पर कार्तिक के पेपर्स पड़े थे,उन्हें देख वो मंद मंद मुस्कुराती है और "जरूरी पेपर्स"बोलते उसी पल खिड़की से उन पेपर्स वाली फाईल पर पानी गिरा देती है!" पकंज जी की नजर उन पर पड़ी-"ये क्या कर रही हो , तुम!" मेनका जी अपने घर की तरफ होते-"दिख नहीं रहा है क्या,पानी का छिडकाव कर रहे है,और हां तेरे घर की तरफ खुद ही पानी का गया थोड़ा सा,हमें तो कोई शौंक नहीं तेरे घर के आगे पानी छिड़काव करने का,वैसे तुम लोगों का इस पानी से कुछ बुरा नहीं होने वाला,पानी ही है पट्रोल नहीं तो मत ही घूरों,कहीं ऐसा न हो यह घूरना मंहगा पड़ जाऐ!" पकंज जी-"क्या बिगाड़ लोगी तुम हमारा?" मेनका जी-"आखें नोंच लेगें,समझे!" ________ "चल कार्तिक जल्दी कर,जल्दी ऑफिस पहुंचना है,सब ले लिया तुमने़,अरें हाँ वो फाइल तो रह ही गयी,फाईल ले और निकल जल्दी घर से,नहीं तो वो माही लेट होने पर फिर लडे़गी तुझसे....."बोलते वो फाईल लेने टेबल के पास आया,फाईल उठाई और उसकी हालत देखी तो उसे गुस्सा आ गया-"ओह नो,इस पर पानी कैसे आया,मां पापा,मां ........कार्तिक चिल्लाते हुऐ बाहर आया! पंकजजी"क्या हुआ बेटा क्यों चिला रहे हो,मां तो मंदिर गई है!" "मैनै बोला था ,ना टेबल पर काम के पेपर्स रखे है,देखो सारे काम पर पानी फेर दिया!"कार्तिक फाईल की और इशारा कर परेशान होते पंकज जी से बोला और मन ही मन खुद से-"अब क्या करूं,वो माही सोचेगी मैनैं काम ही नहीं किया!" पंकज जी मेनका जी की ओर देखते है जो अभी भी घर के बाहर पानी छिड़क रही थी,वो समझ गये मेनका जी ने क्या किया है और कार्तिक से बोले-"बेटा ये पानी उस मेनका ने फेरा है, वो देखो बाहर पानी दे रही है उसके हाथ में पानी की पाईप भी है,अभी थोड़ी देर पहले वो यहां खिड़की के पास खड़ी थी!" कार्तिक गुस्से से मेनका जी के पास आता है-"ये आपने क्या किया और क्यों किया बोलिए?" मेनका जी-"ओ कार्तिक ,मैनै क्या किया है क्यों भौंक रहे हो मुझपर!" कार्तिक फिर फाईल की ओर इशारा करता है-"आपने मेरे सारे पेपर खराब कर दिए है देखो सब खराब हो गये है(पेपर्स दिखाते)पानी गिराकर मेरी पूरी मेहनत बिगाड़ दी आपने,जानती भी है आप कितने जरूरी थे पेपर्स!" पंकज जी उनकी ओर आते -"इसने जो भी किया है ना जानबूझकर किया है,पानी गिराया है,अपनी हरकतों से कहाँ बाज आएगी ये,काम बिगाड़ना तो पहला काम है इसका!" -"क्या क्या कुछ भी,हाँ वो बात अलग है कि पानी उस साइड चला गया था गलती से,वो पाईप संभालते वक्त, तुम्हारे घर की खिड़की के पास मैं क्यों ही जाऊंगी,मुझे थोड़ी पता था वहां पर इसके पेपर है,गलती से उन पर पानी चला गया,बाहर से दिखाई भी नहीं देता और हाँ अगर पता होता ना तो पूरा घर में पानी भर देती"मेनका जी ,कार्तिक के ऊपर पाईप करते बोली, कार्तिक चिल्लाते फट से अपने कदम पीछे ले लेता है- "बुआ...." मेनका जी-"आवाज नीचे......"तभी माही की आवाज आती है-"कार्तिक मेरी बुआ पर चिल्लाना बंद करों(उन के पास आकर गुस्से से)तुम्हें पता भी है तुम्हारी मां ने कितनी घटिया हरकत की है?" "घटिया हरकत तो तुम्हारी बुआ ने की है" कार्तिक ने भी बोला और दोनों गुस्से में बोलते है एक साथ,"पेपर खराब कर दिए",ये सुनते ही दोनों एक दूसरे की ओर देख एकसाथ फिर "क्या" बोले और अपनी मां ,अपनी बुआ की ओर देखा! माही -"तुम्हारी मां ने मेरी फाईल जला दी!" पंकज जी कार्तिक से फाईल लेकर-"इस मेनका ने पूरी फाईल पर पानी फेर दिया देखो?" माही उनके हाथ से फाईल लेकर देखती है-"ओह नो ,ये तो खराब हो गये,बुआ,बुआ आपने ये क्या किया,उधर कार्तिक की मां ने पेपर जला दिए इधर आपने खराब कर दिये!" कार्तिक-" क्या,जला दिए?" माही हाँ कहते पूरी बात बताती है,कार्तिक अपनी मां की ओर देखता है-"ये क्या किया मां ,बहुत जरूरी थे हम दोनों के लिऐ ये पेपर्स जो आप दोनों ने खराब कर दिये,हम दोनों की साथ मिंटिग थी ,साथ प्रोजेक्ट किया था हमनें और आधा आधा काम जो आपने बिगाड़ कर रख दिया!" माही -"हाँ बुआ मेरा प्रमोशन जुड़ा था और अभी की सब प्रोब्लम भी सोल्व हो जाती पर.....कहते हुए माही अपना सिर पकड़ लेती है कार्तिक माही दोनों एक दूजे की ओर देख एक साथ बोले-" अब?" कार्तिक -"फिर से पेपर तैयार करने होगें पर टाइम बहुत कम है हमें साइट के लिए भी निकलना है?" माही -" हम्म,पर हमें तैयार करने होगें जल्दी से पेपर्स, ऑफिस जाकर रेडी करते है,प्रेजेंटेशन न बनी तो सिर्फ बॉस ही गुस्सा नहीं होगें हमारा फ्यूचर भी खराब हो जाएगा,इनको छोड़ो आकर देखेगें,चलो जल्दी!" कार्तिक -"या चलो,ऑफिस पहुंचते है और प्रेजेंटेशन बनाते है और दोनों अपने अपने बैग लेने घर की ओर दौड़े! ________ माही ऑटो वाले को आवाज देती है -"ऑटो.....तभी कार्तिक अपनी कार लेकर आता है,और हार्न बजाता है- माही -"तुम चलो ,हम आते है ऑटो से?" कार्तिक -"ओ मैडम मुझे कोई शौंक नहीं है तुम्हें अपनी गाड़ी में ले जाने का ,जल्दी पहुंच कर काम करना है ,तो बैठो,ऑटो से लेट पहुंचोगी,और हमे देर हो जाएगी!" ये सुनकर माही कार में बैठ जाती है,मेनका जी और रमा जी दोनों एक दूसरे की ओर घूरते है और सोचती है"यह क्या किया अपने ही बच्चे को परेशानी में डाल दिया मैनें और दोनों को साथ में जाना पड़ रहा है ऑफिस...." कार्तिक -"तुम्हारी बुआ को ऐसा नहीं करना चाहिए था, कम से कम आधे पेपर तो बच जाते!" माही -"अच्छा जैसे तुम्हारी मां ने तो बहुत महान काम किया हो!" "घरवालों ने प्रोब्लम में डाल दिया है,पता नहीं कैसे होगा इतने कम टाइम में" कार्तिक बोला, माही -बहस कम ,काम ज्यादा करने से होगा सो बातें कम करो जल्दी चलाओ,कह मन ही मन खुद से-"काश बुआ को पहले बता देती तो बुआ कार्तिक के साथ ऐसा नहीं करती,पेपर्स पर पानी नहीं डालते,मेहनत बच जाती हमारी,आधी ही सही....."बोल कार्तिक से फिर बोली-" थोड़ा जल्दी चला लो?" कार्तिक -"उड़ाकर ले चलू कहो तो....."ये सुन माही कुछ नहीं बोलती है.....!! _______ दोनों एक साथ ऑफिस पहुंचते है ,अतुल दोनों को एक साथ देखकर जेलिस हो जाता है,"ओह बेटा अभी साथ प्रोजेक्ट ही नहीं साथ आने भी लगे हो....." दोनों जल्द से जल्द फिर से प्रजेंटेशन बनाते है,माही के किया कैबिन में थे दोनों,तभी कार्तिक कहता है-" माही हमें जल्द निकलना होगा बाकी काम तुम कार में कर लेना?" माही -"हाँ यही सही है,चलो....."और दोनों कैबिन से निकले तभी माही जोर से बोली-"ओह नो?" "क्या हुआ?"कार्तिक ने पूछा, "मेरा फोन रह गया मैं अभी लाती हूं" माही बोली, "रूको मै लेकर आता हूं"कह कार्तिक भागकर फोन ले आया,और दोनों फिर गाड़ी में बैठ साइट के लिए निकल जाते है,उनको जाते देख अतुल-"सॉरी माही मैं तुम्हारे साथ ऐसा नहीं करना चाहता था पर इस कार्तिक के साथ मुझे बदला लेना था इसलिए तुम्हें भी प्रोब्लम में डाल दिया है(मुस्कुराते)अब मैं भी देखता हूं कैसे तुम लोग टाईम पर साईट पर पहुंचते हो,प्रेजेंटेशन देते हो साथ में!" ________ कार्तिक ड्राईव कर रहा था,माही बगल वाली सीट पर लेपटॉप लिए बैठी थी,जो थोड़ा सा काम बचा था उसे पूरा करने में लगी हुई थी,कार्तिक उसकी ओर देखता है-"हो गया क्या?" "हां बस हो गया,डन"कहते माही लेपटॉप बंद कर देती है,कार्तिक "थैंक्स गॉड "कहता है ,,,तभी उनकी गाड़ी झटके खाती रूक जाती है,ये देख माही कार्तिक की ओर हैरानी से देखती है-"क्या हुआ गाड़ी क्यों रोकी है?" "रोकी नहीं खुद रूक गयी है,वेट मैं देखता हूं",,कह वो गाड़ी से बाहर निकल गाड़ी को चेक करता है,गाड़ी से धुआं निकल रहा था दरअसल अतुल गाड़ी का एक तार कट कर देता है जिससे गाड़ी में खराबी हो जाती है और वो बीच रास्ते बंद पड़ जाती है,अतुल की उस साजिश से कार्तिक ही नहीं माही भी अंजान थी! कार्तिक माही के पास आया-""गाड़ी खराब हो चुकी है, धुंआ निकल रहा है!" माही गाड़ी से बाहर निकली-"क्या खराब हो गयी ऐसे कैसे खराब हो गयी?" कार्तिक-"मुझे क्या पता?" माही -"कार तुम्हारी ही है तुम्हें नहीं तो क्या मुझे पता होग,गाड़ी लाने से पहले चेक करना चाहिऐ था न,ठीक है भी या नहीं?" कार्तिक-"ठीक थी!" माही-"ठीक थी तो खराब कैसे हो गयी,बंद कैसे पड़ गयी!" कार्तिक-"मुझे कैसे पता यार मैनैं थोड़ी की है खराब,न ही मैनैं जानबूझकर खुद बंद की है!" माही-"छोड़ो ,तुम्हारा साथ हो सब खराब ही होगा,अब क्या करे सोचो कोई यहाँ पर आता जाता भी नहीं दिख रहा है जो लिफ्ट ले ले किसी से......"कह माही ही नहीं कार्तिक भी इधर उधर देखने लगी! माही का कार्तिक पर गुस्सा आ रहा था और उसे गुस्सा करते देख कार्तिक उसे घूरे जा रहा था,क्योकि वो उसे ब्लेम कर रही थी जबकि कार्तिक की गलती भी नहीं थी,तभी माही को बॉस का फोन आता है,वो उनसे बात करती है- बॉस-"तुम दोनों कहां हो,मै कब से यहां वेट कर रहा हूं क्लाइंट भी आते ही होगें?" माही -"वो सर हम आ ही रहे थे बट हमारी गाड़ी खराब हो गयी है,यहां न ऑटोवाले है और न ही ऐसा कोई है जिससे लिफ्ट ले सके,क्या करे सर कुछ समझ ही नहीं आ रहा है!" बॉस-"क्या गाड़ी खराब हो गयी,टेंशन मत लो ड्राईवर के हाथ मैं अभी गाड़ी भिजवाता हूं,कहां पर हो तुम लोग जल्दी एडरेस बताओ मुझे?" माही मुस्कुरा उठी और कार्तिक से बोली-"कहां है हम, एडरेस बताओ?" कार्तिक-"एडरेस?" माही-"हां एडरेस, बोलो" कार्तिक उस जगह का एडरेस माही को बताता है और माही अपने बॉस को,"ओके अभी गाड़ी भेज रहा हूं तुम दोनों के लिए!" माही खुश होते-"थैंक्यू सर" बॉस-"प्रेजेंटेशन तो रेडी है न?" "येस सर सब रेडी है".......कह माही बॉस से बात कर कार्तिक की ओर देखती है जो उसे ही देख रहा था! कार्तिक -"क्या कहा सर ने?" माही -"गाड़ी भेज रहे है हमारे लिए!" ये सुन कार्तिक भी मुस्कुरा उठा -"थैंक्स गॉड,अब पहुंच जाएगें हम साईट पर,टाईम से और प्रजेंटेशन भी फिर से तैयार भी हो गई है,है ना!" माही कुछ न बोली,कार्तिक को घूरते हुए गाड़ी की दूजी साईड चली गयी,ये देख कार्तिक ना में सिर हिलाता है- "इस लड़की का कुछ नहीं हो सकता!" _______ कार्तिक इधर उधर देखते-"काफी टाइम हो गया कोई आया क्यों नहीं?ऐसे तो हम लेट हो जाएगें?" "हे बप्पा कहाँ फंसा दिया है वो भी किसके साथ प्लीज हेल्प हाथ जोड़ते हुए आसमान की ओर देख माही खुद से बोलती है, कार्तिक उसकी ओर देखता है-"क्या मांग रही हो?" माही -"कुछ ऐसा हो जाए कि तुम उस सामने वाली पहाडी़ से नीचे गिर जाओ?" कार्तिक हंस पड़ा-"ओह फिर तो दूर रहना पड़ेगा तुमसे क्या पता तुम ही धक्का दे दो मुझे?" माही-"चाहती तो ऐसा ही हूं!" कार्तिक -"मन तो मेरा भी कर रहा है तुम्हें और तुम्हारी बुआ को दोनों को इस पहाड़ी पर लाकर नीचे फेंक दे फिर सब प्रोब्लम सोल्व!" ये सुन माही को गुस्सा आ गया,वो "देखो"कहते उसकी ओर बढ़ने लगी तभी उसका पैर लचक जाता है गिरती वो उससे पहले कार्तिक उसका हाथ पकड़ लेता है और उसे अपनी तरफ खींच लेता है,माही कार्तिक के सीने से जा टकराई,दोनों इस वक्त बेहद करीब आ गये थे,दोनों एक दूजे आंखो में देखने लगे,,,,,तभी एक गाड़ी उनके पास आ रूकी,होर्न की आवाज सुन दोनों का ध्यान एक दूजे से हटा और माही कार्तिक से दूर हो गयी! कार्तिक अपने बालों में हाथ घुमाते-"पहले तो देखकर चलना सीख लो,मुझे बाद में दिखाना जो भी दिखाना हो ओके!" माही उसे घूरते-"हो गयी बकवास,चलो अब......"और दोनों गाड़ी में बैठ ड्राईवर के साथ वहां से निकल गये! ________ दोनों बहुत अच्छी प्रेजेंटेशन देते है,सब उनके काम से बहुत खुश होते है जैसा बॉस ने सोचा था वैसा हो जाता है कंपनी के साथ माही कार्तिक की भी प्रोग्रेस हो जाती है,दोनों बहुत बहुत खुश होते है दोनों की फैमिली भी पर कार्तिक की फैमिली से माही की और मेनका बुआ से कार्तिक की तरक्की सहन नहीं होती और उधर अतुल भी अपना सा मुंह लेकर रह जाता है,माही को ही नहीं कार्तिक को भी कंपनी में अच्छी पॉजिशन मिल जाती है,पर दोनों ही जानबूझकर एक दूसरे को अक्सर गलत साबित करने का प्लान बनाते रहते,कोशिश करते रहते बॉस के सामने वो एक दूजे को नीचा दिखाने के लिए करते कुछ और हो कुछ और ही जाता,बॉस इम्प्रेस हो जाते और दोनों को एक साथ फिर से काम दे देते और फिर उन्हें न चाहकर भी साथ काम करना पड़ता जोकि न उन्हें अच्छा लगता न ही घरवालों को पर ऑफिस के लिए दोनों को मजबूरी में साथ रहना पड़ता! "ऑफिस में तो कुछ भी नहीं कर पा रही हूं मैं,कैसे करूं कार्तिक तुम्हें बर्बाद,यहाँ से बाहर अब कुछ करना होगा और वो कैसे ये भी मुझे पता है,अब देखो कार्तिक क्या होता है तुम्हारे साथ......."माही के होठों पर अजीब सी मुस्कान ने आकर कब्जा जमा लिया जिसका मतलब कार्तिक की बर्बादी से था बर्बादी से- (क्रमशः)
【माही का घर】 बुआ जी-"हम ये क्या देख रहे है माही तुम आजकल ऑफिस में भी कार्तिक साथ बहुत काम करने लगी हो ,क्या भूल गई हो वो हमारे दुश्मन है,अपने पापा के साथ किए धोखे का बदला लेना है तुम्हें याद भी है या नहीं?" माही हंसने लगी, "अब हंसती ही रहेगी या कुछ बोलेगी भी,जो पूछ रही हूं उसका जवाब दो?"मेनका जी ने माही से कहा तो माही उनकी ओर देखती है-"बुआ ना तो भूले है कि वो दुश्मन है और ना ही,बदला लेना है उनसे इस बात से पीछे हटी हूं,उनका सब छीनना है,बस सामने वाले का अब भनक भी नहीं होगी हमारी चाल की(मुस्कुराते हुए)जो उनकी दुनिया बदल कर रख देगी!" बुआ जी-"ऐसा क्या करने वाली है तू?" "विजय मिले न साम से तो दाम काम आएगा जो दंड भी विफल हुआ वो भेद आजमाएगा पाप के विरुद्ध युद्ध का है मंत्र एक साम दाम दंड भेद मतलब बुआ बस अब किसी भी हद तक जाऊंगी मैं आप देखते जाओ,बुआ के गले में बाहें डालकर माही ने कहा, "फिर भी कुछ तो बता?",बुआ ने पूछा, माही-"आप ना जीत की तैयारी करो और सब मुझ पर छोड़ दो बुआ,अपनी माही पर भरोसा तो है ना!" बुआ जी-"खुद से ज्यादा,तू कुछ भी कर उन दुश्मनों का बस मैं बुरा चाहती हूं उनके किए की सजा दें हम उन्हें (सामने वाले घर की ओर देखते हुए)क्योकि उन्होनें जो किया है वो सजा के ही लायक है माफी के नहीं!" माही -"जैसा आप चाहती है वैसा ही होगा,अच्छा बुआ अच्छी सी चाय पिलाओ और साथ कुछ खाने को भी भूख लगी है!" "अभी लाई" कहकर बुआ किचन में चली जाती है, माही कार्तिक के बारें में सोचते-"कार्तिक बी रैडी!" _______ शाम को कार्तिक बिल्डिंग के बच्चों के साथ क्रिकेट खेल रहा होता है ,बॉल पकड़ो, बॉल पकड़ो कार्तिक ने कहा,तभी वहां माही आ जाती है ,और बॉल उठा लेती है और अपने हाथ में उछालते हुए कार्तिक की और देखती रहती है! "दीदी बॉल दो ना माही दी बॉल दो ना "बच्चे कहते है, पर माही कार्तिक की ओर देखते हुए बॉल उछालती रहती है,कार्तिक माही के पास आकर अपने हाथ को आगे करते हुए कहता है-"बॉल दो,बच्चे कब से बोल रहे है ,सुनाई नहीं दे रहा है क्या तुम्हें?" माही -"दे देंगे पर हमें भी खेलना है?" बच्चे-" क्या,पहले तो कभी नहीं खेली हो आप दीदी?" माही -"तो क्या हुआ,मौसम कितना अच्छा है देखो तो बन गया मूड बॉल चाहिए तो हम खेलेंगें,बोलो?" सब बच्चे कार्तिक की ओर देखते है-"भईया दीदी को भी खेला ले?" माही-"इससे क्या पूछ रहे हो,ये मना थोड़ी करेगा वो भी मुझे,राईट कार्तिक?" कार्तिक एक पल उसे घूरता है और फिर हां कह देता है -"ठीक है खेल लो,चलो?" माही कार्तिक से बेट लेकर उसकी ओर बॉल उछाल देती है-"बेटिंग हम करेंगे,बोलिंग करो तुम!" कार्तिक मन ही मन खुद से-" आई बड़ी क्रिकेट खेलने वाली पहली बॉल में ही आऊट करता हूं मैडम को?" कार्तिक बॉल जोर से फैंकने ही वाला होता है कि माही आंख मार देती है जिससे कार्तिक के हाथ से बोल छूट जाती है,मतलब सही बॉल माही कि ओर आती है और माही छक्का लगा देती है- माही- "छक्का!" बच्चे तालियां बजाते है! कार्तिक-"माही चिंटिग क्यों की तुमनें?" माही -"क्या चिटिंग की?" कार्तिक-"की तुमनें चिटिंग!' माही-" झूठ मत बोलो मैनैं कोई चिटिंग नहीं की,अगर चिटिंग की है मैनैं तो बताओ क्या किया मैनैं?" कार्तिक -"तुमनें...." बच्चे भी कार्तिक से पूछते है-"क्या किया माही दीदी ने कार्तिक भईया?" तभी जोर से बारिश आ जाती है और सब बच्चे वहां से भाग जाते है,कार्तिक भी जाने लगता है,माही बोल पड़ी -"अरे चिंटिग तो बताते जाओ?" कार्तिक मुड़कर माही की ओर देखता है,तभी माही फिर से आंख मार देती है,इसी बीच ही माही के कंधे से दुपट्टा सरककर गिर जाता है,कार्तिक माही की ओर बढ़ता है, पास आकर मुस्कुराते दुपट्टा उठाकर माही को ओढा़ते हुए कहता है-"आंचल को संभालकर रखो मैडम गंदा हो जाएगा,बारिश बहुत तेज है सो अंदर जाओ,छक्का ही लगाया है कोई प्लैन नहीं उड़ाया तुमनें",,,इतना कहकर कार्तिक दौड़ता अपने घर चला जाता है! माही-"छक्के ही लगेगें अब,हम्म(आसमां की ओर देख) बारिश सचमें बहुत तेज है....." _________ 【ऑफिस】 माही -"हाय अतुल,कैसे हो?" अतुल -"हाय मै ठीक हूं तुम बताओ?" माही-"मैं भी ठीक हूं!" अतुल-"आजकल टीम बदल ली माही तुमने?" माही-" ऐसा कुछ नहीं है अतुल ,वैसे मिंटिग की तैयारी हो गई क्या?" अतुल -"हाँ" माही- "चलो तो मिलते है,कॉन्फ्रेंस रूम में,और माही पिओन को कार्तिक के कैबिन में कॉफी लेकर जाते हुए देखती है और वहां से जाने लगती है कि अतुल बोल पड़ा-"माही सुनो,मुझे कुछ तुमसे कहना है?" माही -"बाद में अतुल,अभी मुझे कार्तिक से मिलना है" बोल माही वहां से चली जाती है, अतुल -"ये चल क्या रहा है कभी लड़ती है उस कार्तिक से और अब मिलना है,हो क्या रहा है मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा!" ________ कार्तिक कॉफी पी रहा होता है कि तभी माही कैबिन म़ें आती है,डोर नॉक करते-"मे आई कमिन!" कार्तिक दरवाजे की ओर देखते-तुम, माही हां कहते हुए अंदर जा गयी,कार्तिक उसे अपने कैबिन में देख हैरान हो गया क्योकि वो पहली बार खुद से उसके कैबिन में आई थी आज से पहले दरवाजे तक ही आती थी अंदर नहीं! कार्तिक -"यहाँ कैसे आना हुआ?क्यों आई हो?" माही मुस्कुराते हुए-"क्यों,नहीं आ सकते क्या (आंख मारते एकटक कार्तिक की ओर देखते) कोई प्रोब्लम है क्या,अगर है भी तो भी आई डोंट केयर!" कार्तिक मन ही मन-"इसे हुआ क्या है और वो कॉफी मग टेबल पर छोड़ चेयर से उठते माही से कहता है -"तुम ठीक हो?" माही -"हाँ मुझे क्या होगा,मैं ठीक ह़ूं!" कार्तिक धीरे से खुद से बड़बड़ाता है-"लग तो नहीं रही ठीक.....कि माही बोल पड़ी-"कुछ कहा?" कार्तिक-"नहीं" कहता है कि तभी माही उसकी कॉफी उठाकर पीने लगती है, कि कार्तिक उसे रोकते फट से बोला-"ये मेरी हैं! माही मग की ओर देखते-"नाम तो नहीं लिखा और हाँ दूसरी आर्डर कर लेना,ओके बाय मिंटिग में मिलते है!" इतना कह माही वहां से चली जाती है,कार्तिक हैरान होते-"ये क्या है ,इतना अजीब बिहेव क्यों कर रही है और मेरी कॉफी भी ले गयी.........उधर माही अपने कैबिन में आकर उस कॉफी को मंद मंद हंसते पानी के साथ बहा देती है! _________ कुछ देर बाद मिंटिंग में- बॉस-"माही ये फाइल आज ही तुम्हें मेहता क्लाइंट को पहुंचानी है,किसी को हाथ ले जाना ओके!" माही -"ओके सर(कार्तिक की ओर देख)मिस्टर कार्तिक जाएंगे मेरे साथ!" कार्तिक -"क्या मैं?" माही-"येस!" बॉस -"गुड दोनों साथ जाओगे तो मिस्टर मेहता के साथ प्रोजेक्ट रिलेटेड डिस्कसन भी हो जाएगा,मेरी गाड़ी से चले जाओ!" माही -"या सर,हम अभी निकल रहे है चले कार्तिक!" ________ कार्तिक ड्राईव कर रहा था माही बगल में बैठी बाहर की ओर देखते गुनगुना रही थी,कार्तिक उसको देखते हैरान हो रहा था-"ये चाहती क्या हैं,मुझे खुद से अपने साथ ले आई,अपनी मर्जी भी नहीं चलाई,और न ही आज एक बार भी भड़की मुझपर!" तभी माही उसकी ओर देखती है -"मिस्टर मेहता के साथ मिंटिग अच्छी रही ना!" कार्तिक -"हम्म.....वैसे तुम जो कुछ भी करने का सोच रही हो या दिमाग में चल रहा है तुम्हारे उससे कुछ नहीं होगा आईमीन कुछ नहीं बिगड़ेगा मेरा!" , माही -"ओ हेल्लो,हम कुछ नही सोच रहे है और तुम्हें साथ लाए है इसलिए ज्यादा भाव मत खाओ अतुल था नहीं ऑफिस में,मौसम खराब था,अकेले आते तो ऑटो में आ जाते बट सर का आर्डर था,साथ ले जाना किसी को,वैसे भी तुम खाली ही तो बैठै रहते हो इसलिए ले आए सिर्फ़ ड्राईवर बनाकर,सर की गाड़ी थी तो चलाने वाला भी चाहिए ना!" कार्तिक उसे घूरने लगा-"तुम्हारे नौकर नहीं है,जो ले आए कह रही हो!" माही-"तो बन जाओ ,सेलरी भी दे देंगे और दोनों लड़ने लगते है तभी माही जोर से बोली-"गाड़ी रोको?" कार्तिक -"क्या?" " रोको,मुझे तुम्हारे साथ जाने का कोई शौंक नहीं है अकेले भी कही भी आ जा सकते है हम समझे!" "तो जाओ ना....."कहते कार्तिक ने गाड़ी रोक दी माही बड़बड़ाते गाड़ी से उतर गयी-"पता नहीं खुद को क्या समझता है ,इडियट आता जाता कुछ है नहीं बस बहस करवालो मुझे मुंह ही नहीं लगना ऐसे घटिया लड़के के भाड़ में जाए!" कार्तिक गाड़ी लेकर आगे बढ़ गया,थोड़ी दूर जाकर वो गाड़ी रोकता है और माही के बारे में सोचता है-"ओह नो,ये माही भी ना,जाएगी कैसे घर यहां तो कोई ऑटो भी नहीं मिलेगा,ये लड़की अपनी हरकतों के चलते मुझे भी परेशान करती है खुद भी होती है परेशान, पता नहीं किसी मिट्टी की बनी है,गुस्सा तो नाक पर रहता है,बीच रास्ते छोड़कर चला गया तो बॉस से कह देगी और फिर सर गुस्सा करेगें,साथ लेकर जाना ही पड़ेगा"कहते वो वापस गाड़ी लेकर उस जगह आया जहां उसने माही को उतारा था,गाड़ी से वो न दिखी तो वो गाड़ी से उतर कर माही को इधर उधर देखता है,पर वो उसे वहां नजर नहीं आती-"ये कहाँ गई ,यहीं तो छोड़ा था,कहां गायब हो गयी.....बोलते वो माही को आवाज देता है पर ना उसे माही नजर आती है और ना ही उसके आवाज देने पर कोई रिस्पॉन्स......तभी बारिश आ जाती है जिसे देख वो अपना सिर पकड़ लेता है-"ओह नो अब बारिश भी आ गयी,कहां चली गयी ये लड़की?" ________ "वो देखो बारिश और बारिश में खूबसूरत लड़की"माही को अपनी ओर आते देखकर दो आदमी खुश होते एक दूजे से बोले,,,,माही उन्हें देख हैरान हो जाती है क्योंकि वो उसकी माही ओर आ रहे थे!" माही जहां थी वहीं रूक गयी-"यहाँ ना तो कोई ऑटो मिला और ना ही यहां कोई और दिखाई दे रहा है एक तो ये सुनसान ही जगह ऊपर ये लोग भी सही नही लग रहे है,अब क्या करेगी तू माही,तेरे पास ही आ रहे है?" खुद से कहते वो अपने कदम पीछे लेने लगी,वो इधर उधर देखते उन दोनों की ओर देखते है जो अजीब से मुस्कुराते उसकी तरफ ही चले आ रहे थे! तभी उनमें से एक आदमी बोला-"अरे स्वीटहार्ट कहाँ जहाँ रही हो?" माही दोनों को घूरते -"चले जाओ यहां से?" दूसरा आदमी हंस पड़ा-"चले जाएगें पर जान तुम्हें साथ लेकर जाएगें!" माही रूकते-"देखो बकवास बंद करो?" पहला आदमी-"लो प्यारी बातें इसे बकवास लग रही है,कहते माही को छूने लगा,माही पीछे हो गयी-"दूर रहो मुझसे,खबरदार जो पास भी आए तो मेरे,जाने दो मुझे" कहकर माही जाने लगती है तभी दूसरा आदमी माही का हाथ पकड़ लेता है! माही हाथ छुड़ाते-" छोड़ो मुझे!" पहला आदमी-"हाँ हाँ छोड़ देगें जहाँ तुम्हें जाना है वहीं छोड़ देगें पर जानेमन प्यार तो कर ले हम पहले तुमसे और वो दोनों हँसने लगे, माही को गुस्सा आ जाता है वो दोनों को धक्का देती है और वहां से भाग जाती है और वो दोनों आदमी माही के पीछे पीछे भागते है,एक जगह पर वो दोनों माही को घेर लेते है! माही घबराने लगी-"बप्पा कहाँँ फंसा दिया अब क्या करूं,कैसे बचूं इनसे!" दोनों आदमी हँसते हुए माही के करीब आने लगे,तभी माही की नजर वहीं पास में पड़े एक डंडे पर पड़ी,उसी पल वो एक आदमी को फिर धक्का देकर गिरा देती है और वो डंडा उठा लेती है-"पास मत आना ,मार डालेगें तुम दोनों को?" ये देख दोनों जोर से हँसने लगे,माही के पास आने लगे, माही को टच करते उससे पहले वो उन दोनों पर डंडा बरसाने लगी-"प्यारी बातें प्यार करोगे अभी बताते है प्यार लायक हो या मार के,शक्ल देखी है कूड़ा लगते हो........कि तभी? (क्रमशः-)
कार्तिक माही को ढूढ़ते ढूढ़ते जहां माही उन आदमियों को पीट रही होती है वहां चला आता है और सामने का नजारा देख अपना सिर पकड़ लेता है-"ये क्या हो रहा है यहां,ये माही इनको पीट क्यों रही है!" माही का डंडा ही नहीं,गुस्सा भी उन दोनों आदमियों पर पूरा और बराबर बरस रहा था- "खुद को क्या समझते हो,लड़की देखी नहीं जी ललचाना शुरू,अकेली लड़की देख तो तुम लोगों की हिम्मत और बढ़ जाती है जो मन में आया बक दिया,बकवास करनी शुरू कर देते हो,तुम जैसो की वजह से ही कोई लड़की अकेले कहीं जाने से घबराती है डरती है,शर्म आनी चाहिए तुम लोगों को,पर नहीं शर्म तुम्हें क्यों आएगी बेशर्मी का चौला जो पहने रहते हो,क्या कह रहे थे प्यार तो करले,आओ करवाते है तुमको प्यार,कैसा लग रहा है प्यार मजा तो आ रहा है ना......." तभी उनमें से एक आदमी माही के हाथ वाले डंडे को पकड़ लेता है,माही उससे डंडा छुड़वाने की कोशिश करती है-"छोड़ो इसे"..........इसी बीच दूसरा आदमी नीचे से उठ खड़ा हुआ और माही को पकड़ लिया-" ना तो डंडा छोड़ेगें,ना ही तुम्हें?" पहला आदमी भी नीचे से खड़ा हो गया,माही से डंडा छीनकर दूर फैंक दिया और दोनों हंसने लगे,बेशर्मी तो देखो इतना पीटने के बाद भी शर्म थोड़ी सी भी नहीं आ रही थी उन्हें,माही दोनों को घूरने लगी और खुद को भी उनसे छुड़ाने की कोशिश भी...." "छोड़ो हमें,ठीक नहीं कर रहे हो तुम लोग,छोड़ दो हमें, वरना हमसें पंगे लेना बहुत भारी पड़ेगा तुम्हें,छोड़ो...." माही बोल रही थी कि जिस आदमी ने माही को पकड़ रखा होता है वो उसे अपनी तरफ घुमाता है-"तेरी बड़ी जुबान चल रही है,हम लोगों को मारा तूने"....कहते वो माही पर हाथ उठाने लगता है कि कार्तिक उसका हाथ पकड़ लेता है और उसे माही से दूर धकेल जोर बोला- "क्या चल रहा है यहां?" माही कुछ बोलती दोनों आदमी हंसने लगे! पहला आदमी-"ओह हीरो आया है अपनी हिरोइन को बचाने!" दूसरा आदमी-"हां भाई हिरोइन को बचाने के लिए ही तो इस हीरों ने एंट्री मारी है!" माही दोनों को घूरते-"मुझे बचाने के लिए न किसी हीरों की जरूरत नहीं,मैं खुद ही काफी हूं समझे!" दोनों आदमी हंसते माही के पास आने लगे,कार्तिक एक नजर माही को देखता है और फिर उन दोनों को पीटने लगता है,माही को वो टच करते इससे पहले वो उन्हें माही से दूर ले जाता है,माही गहरी सांस भरती है और फिर डंडा उठा लाती है और दोनों साथ मिलकर उन दोनों आदमियों को खूब पीटते है,इतना की उन्हें दिन में तारे नजर आने लगे! तभी माही के हाथ का डंडा कार्तिक को लगने को हुआ उसने डंडा पकड़ लिया-"मुझे क्यों मार रही हो?" माही-"तुम्हें नहीं मैं वो......" कार्तिक-"क्या वो" इसी बीच वो दोनों आदमी वहां से भाग जाते है माही उनकी ओर देखती है! कार्तिक -" भाग गये!" माही उन्हें पीछे से आवाज -"भाग कहां रहे हो रूको न अभी बताते है तुम्हें....." कार्तिक-"अब नहीं रूकने वाले वो" माही"बतमीज"कहते डंडा फैंक देती है और कार्तिक की ओर देखती है जो उसे ही देख रहा था! कार्तिक-"वो तो चले गये अब हम भी चले?आ जाओ? "कह.... कार्तिक जहां पर गाड़ी होती है उस जगह की ओर जाने लगा,थोड़ा चला और पीछे मुड़कर देखा तो माही उसके पीछे उसके साथ में आने की जगह दूसरी ओर जा रही थी-"अरें ये लड़की भी न"कहते वो दौड़ा माही के पास आया और उसका रास्ता रोकते बोला-" ओह मैडम कहाँ जा रही हो,गाड़ी उस साइड है!" "मुझे तुम्हारे साथ नहीं जाना"कह माही वहां से जाने लगी कार्तिक ने उसका हाथ पकड़ लिया"-देखो माही ये सही नहीं है ,साथ आए है तो साथ ही जाना होगा समझी ,और रात होने को है ,बारिश भी तेज हो रही है,और अकेले जाना सेफ नहीं है ,अभी देखा ना क्या हुआ?" माही अभी जो हुआ उसके बारे में सोचती है और खुद पर नजर डाल कार्तिक की ओर देखती है,दोनों ही इस वक्त पूरे भीग चुके थे! "बार बार नहीं कहूंगा,मौसम खराब हो चुका है हमारे कपड़े भी इसलिए अपने दिमाग का सही से यूज करो अगर अभी भी तुम्हें मेरे साथ नहीं आना तो मत आओ मैं जा रहा हूं,तुम्हें जहाँ जाना है चली जाओ?",,,,इतना कह कार्तिक वहां से चला गया! माही उसे जाते देखते-"पता नहीं खुद को क्या समझता रहता है,नहीं जाऊंगी मैं इसके साथ"......बोलते आगे बढ़ गयी,चले जा रही थी कि उसे गाड़ी का होर्न सुनाई दिया, बगल में देखा तो कार्तिक गाड़ी ले आया था,वो उसे घूरती है तभी कार्तिक गाड़ी रोकते बोला-"आओ बैठो,मुझे ऐसे क्या देख रही हो मै सेफ हूं तुम्हारे लिए!" "तो?पता है कितने सेफ हो तुम मेरे लिए,मिस्टर दुश्मन जानकारी के लिए बता दूं,तुम्हारी वजह से ही हुआ था अभी जो हुआ था हमारे साथ,ना लड़ते ना हम कार से उतरते और हाँ आ रहे है हम गाड़ी में,वैसे भी सर की गाड़ी हम ही लाए थे हम क्यों ओटो में जाएं,बारिश में भीगे....बोलते माही गाड़ी में बैठ गयी और कार्तिक माही को साथ लेकर वहां से चल दिया! ______ माही को भीग जाने की वजह से ठंड लगने लगी तो वो गाड़ी से बाहर देखते अपने हाथों को आपस में मसल रही थी वहीं कार्तिक ड्राईव करते कभी उसे देखता तो कभी सामने! कार्तिक मन ही मन-"कैसे धो रही थी उनको,ओएमजी जैसे कपड़े हो,थोड़ा बचकर रहना होगा पता चले तुझे भी धो दे कार्तिक!" माही उसकी ओर देखते-"हाँ धो सकते है तुम्हें भी,ऐसे हमारी ओर देखना बंद करो!" कार्तिक मन ही मन-"इसे कैसे पता चला मैं क्या सोच रहा हूं" कह हंसते हुऐ माही से बोला-"वैसे मैं तुम्हें देख नहीं रहा था,मैं तो सोच रहा था तुमने मेरा गुस्सा कैसे उन बेचारों पर उतार दिया,चलो गुस्सा कुछ तो काम आया,बहुत मारा तुमनें उन्हें,हमेशा याद रखेगें वो मार तुम्हारी!" माही -"घटिया लोग मार ही डिजर्व करते है"कह मुंह से फूंकते हाथों को और जोर से मसलने लगी! ये देख"इसे तो ठंड लग रही है"खुद से कहते कार्तिक ने पीछे की सीट से अपना कोट उठाया और उसे माही की ओर बढ़ा दिया-,"ये पहन लो?" माही-"क्यूं?" कार्तिक-"तुम्हें ठंड लग रही है,भीग चुकी हो तुम, पहन लो,लो?" माही-"नहीं चाहिए,, भीगे तो तुम भी हो,खुद ही पहन लो,हम ठीक है!" कार्तिक-"ठीक है मत लो"बोल और वापस कोट को पीछे वाली सीट पर फेंक देता है,थोड़ी देर बाद माही खुद ही उस कोट को उठाकर पहन लेती है! कार्तिक मंद मंद मुस्कुराते-"सचमें बहुत अजीब लड़की है,पहले ही पहन लेती,पर नहीं पहली बार में मेरी बात ना मानने की मैडम ने कसम जो खा रखी है!" ______ माही का अपने चेहरे से बार बार गीले बालों को हटाना, ठंड के चलते हाथ मसलते हुए गाल पर रखना कार्तिक का ध्यान माही पर बार बार ला रहा होता है,वो चाहकर भी आज उससे अपनी नजरें नहीं हटा पा रहा था- "कौन कह दे ये अच्छी नहीं है ,कितनी मासूम लग रही है पर लड़ते वक्त .....कार्तिक हल्का सा मुस्कुराते हुए माही की ओर देखते हुए खुद से कहता है,तभी माही बोल पड़ी-"दुश्मन साहब प्लीज सामने देखकर गाड़ी चलाईए धरना एक्सीडेंट हो जाएगा,आपके साथ हम भी मारें जाएगें!" कार्तिक"सामने ही देख रहा हूं"माही से नजरें हटाते फट से बोला और फिर खुद से -"मैं क्या कर रहा था",,,तभी उनकी गाड़ी रूक गयी! (क्रमशः)
माही गाड़ी रूकते ही-"क्या हुआ?" कार्तिक-"मुझे चाय पीनी है वो देखो सामने टपरी वाला तुम्हें चाय पीनी हो तो तुम भी आ जाओ"कह कार्तिक गाड़ी से चला जाता है! "चाय,बहुत ठंड लग रही है गर्मा गर्म चाय पिऊंगी तो कुछ अच्छा लगेगा आईमीन ठंड कम लगेगी",,बोलते माही भी गाड़ी से उतर चाय वाले की ओर चली आई! कार्तिक-"भईया एक चाय!" "एक नहीं दो ,एक हमारी भी गर्म चाय भईया"माही ने कहा, चाय वाले ने दोनों को चाय दी,दोनों अपनी अपनी चाय पीने लगे,कि तभी माही की आंख में कुछ आ गिरा,वो "आह"कहते अपनी आंख को मसलने लगी! कार्तिक -"क्या हुआ?" "कुछ आंख में चला गया है" माही चाय का कप वहीं टपरी पर छोड़ अपनी आंख को मसलने लगी,कार्तिक अपना कप छोड़ माही के पास आया-"रूको,यूं आंख को मसलो मत,घाव हो जाएगा,मुझे दिखाओ?"कहते वो माही का सिर पकड़कर धीरे धीरे माही की आंख में फूंकते हुए हल्के हाथ से माही की आंख में गिरा फूस निकाल देता है,जोकि उसकी आंख में गिरा हुआ था! पर वो माही की आंखों में खो जाता है,पहली बार वो माही की आखें इतने करीब से देख रहा था,माही उसे अपनी ओर यूं देखता पाकर हंसने लगी जिससे माही पर से कार्तिक का ध्यान हट गया पर वो माही से दूर नहीं हुआ! माही उसे खुद से दूर करते-''एक ही था तिनका जोकि निकल गया!" कार्तिक अपने बालों में हाथ घुमाते-"हां निकल गया!" और वहां से उसी पल गाड़ी की ओर बढ़ गया,चाय भी पूरी नहीं पी-"इस माही से दूर रहना होगा,पता नहीं मुझे क्या हो रहा है,क्यों मैं उसकी ओर खींचा चला जा रहा हूं,दूरी बनाकर रख कार्तिक दूरी इसी में तेरी भलाई है!" माही उसे जाते देख मुस्कुराते अपनी चाय का कप उठा लेती है-"दूरी और मुझसे ये तो अब इम्पॉसिबल है!" ________ कार्तिक गाड़ी के पास जाकर खड़ा हो जाता है,माही की ओर पीठ करके,वहीं माही उसकी ओर ही देखते अपनी चाय खत्म करती है और चाय वाले भईया को चाय के पैसे देती है-"चाय के पैसे?" चाय वाला कार्तिक की ओर इशारा कर-"साहब के भी इसी में है?" "हां वो मेरे साथ ही है!" "पर मैडम उन्होनें तो चाय पी ही नहीं" "वो इतनी ही पीते है".....कार्तिक के चाय के आधे कप की ओर एक नजर देख माही गाड़ी की ओर बढ़ गयी पर गाड़ी से थोड़ी दूरी पर माही का पैर फिसल गया और वो गिर पड़ी! माही जोर से चिल्लाती है-"आह!" चाय वाला कार्तिक को आवाज देता है-"अरें.....साहब आपकी मैडम गिर गयी ,कार्तिक फट से पीछे देखता है माही को गिरा देख -"माही"कहते हुए दौड़ा उसके पास आता है -"क्या हुआ,गिर कैसे गयी तुम?" माही उसकी ओर देखती है-"मुझे न गिरने पड़ने का बहुत शौंक है.....आज का तो दिन ही खराब है,आह करते रोनी सी शक्ल बनाते अपना पैर पकड़ लेती है! कार्तिक उसे अपना हाथ देता है-"उठो तुम"माही उसके हाथ को झटका देती है और खुद उठने लगती है पर वो वापस गिर पड़ती है और उसकी आह निकल जाती है! कार्तिक फिर हाथ देता है-"जिद्द मत करो,हेल्प दे रहा ह़ूं ले लो,मदद लेने से छोटी नहीं हो जाओगी,उठो!" माही कार्तिक की ओर देख उसके हाथ की ओर देख हाथ को थाम लेती है पर फिरभी उससे न उठा जाता है,चोट ज्यादा आई थी पैर में,जिसका दर्द साफ दिख रहा था उसके चेहरे पर......रूकी बारिश फिर से शुरू हो गयी,कार्तिक"वेट"कहते माही को बाहों में उठाकर गाड़ी में लाकर बिठा देता है और खुद भी जल्दी से गाड़ी में आ बैठता है,बारिश बहुत तेज हो जाती है, इतनी तेज की बर्फ के गोले भी पड़ने लगे! ये देख कार्तिक माही दोनों एक दूजे की ओर देखते है और दोनों ही अपना सिर पकड़ लेते है- माही-"लो एक और मुसीबत!" कार्तिक-"ऐसे में यहां से जा भी नहीं सकते!" माही-"तो यहीं रहेगें क्या?" कार्तिक-"बारिश रूकने तक.....वैसे हम गाड़ी में है तुम टेशन मत लो बारिश रूकते ही कम होते होते ही यहां से निकल जाएगें हम,ऐसे में ड्राईव करना सेफ नहीं!" माही फिर कुछ नहीं बोली,दांतों को भींचते अपना पैर मसलने लगी दबाने लगी....." "ज्यादा दर्द है?" "कहां दर्द है,बिल्कुल दर्द नहीं है!" "कभी तो सही से जवाब दे दिया करो किसी बात का, चोट लगी है तो दर्द तो होगा न,पर नहीं तुम्हें तो उल्टा ही बोलना होता है!" "हां बोलना होता है,सही जवाब,सही हो भी रहा है क्या कुछ....सही जवाब चाहिए जब पता है चोट लगी है तो दर्द तो होगा ही न,सवाल क्यों कर रहे ज्यादा दर्द है?" "तुमसे तो कुछ कहना पूछना ही बेकार है!" "मैनैं कहा क्या कहो पूछो" और फिर दोनों एक दूजे को घूरते चुपचाप बैठ गये और बारिश रूकने,कम होने का इंतजार करने लगे,पर ऐसा नहीं हुआ......रात हो गयी,तेज बारिश होती रही और दोनों वहीं गाड़ी में बैठे बैठे सो गये! ________ अगली सुबह गाड़ी को कुछ लोगों ने घेर रखा था,कार्तिक माही दोनों गाड़ी में एक दूजे को पकड़े सोये हुऐ थे,लड़का लड़की साथ में और इतने करीब देखकर लोग बातें बनाने लगे, गलत नजर से कार्तिक माही को देखने लगे,तभी वहां एक पुलिस वाला आ गया और गाड़ी के पास लोगों की भीड़ देख जोर से बोला-"क्या हो रहा है यहां?" उन लोगों में से एक आदमी गाड़ी की ओर इशारा कर पुलिस वाले से बोला-"आप खुद ही देख लो साहिब!" पुलिस वाला गाड़ी में देखता है,कार्तिक माही को एक साथ देख उसकी भी भोहें ऊपर चढ़ गयी,वो गाड़ी की खिड़की खटखटाता है,खटखटाने की आवाज सुनते ही कार्तिक माही की आंख खुल जाती है,दोनों एक दूसरे को पास देखकर ,पुलिस वाले को और आसपास खड़े लोगों को देख हैरान होते है और गाड़ी से बाहर आते है, पुलिस वाला-"क्या कर थे तुम दोनों गाड़ी में?" कार्तिक-"वो सर कुछ नहीं ,मिंटिग के लिए आए थे और बारिश बहुत तेज हो गयी तो कार रोक ली यहां,पता ही नहीं चला यहीं आंख लग गयी!" माही- "हाँ सर!" पुलिस वाला कार्तिक से-"कैसी मिंटिग और ये साथ में वाईफ है तुम्हारी?" कार्तिक-"नहीं सर" माही-"वाईफ नहीं हूं मैं हम तो काम करते है साथ में!" ये सुन वहां खड़े लोग खुसरफुसर करनें लगे,कार्तिक माही दोनों एक दूसरे की ओर देखते है! पुलिस वाला हंस दिया-"ओह अब समझ आया कौन सी मिंटिग और क्या काम कर रहे थे,दोनों साथ में!" कार्तिक-"सर आप गलत समझ रहे है वैसा कुछ नहीं है!" पुलिस वाला-"वो तो दिख रहा है क्या कर रहे थे,कोट तेरा पहना है लड़की ने,एक साथ पास पास दोनों,तेरे ऊपर इसके बाल बिखरे थे,और तेरे भी बाल बिगड़े...." माही बोल पड़ी-"क्या बोल रहे है आप?" पुलिस वाला-"सच,सच बोल रहा हूं मैं और तुम दोनों बोल रहे हो वो झूठ,झूठ पकड़ा जाए तो बहाने सूझते है जो तुम भी इस वक्त बना रहे हो,बात कुछ और बता कुछ और रहे हो,बेवकूफ समझा है,चलो थाने? बीच रास्ते कुछ भी चालू कर देते हो!" ये सुन माही कार्तिक की ओर देखती है-"कार्तिक कुछ करो,ये हमें थाने ले जाएगें,हमनें कुछ किया ही नहीं तो थाने क्यूं जाएं!" कार्तिक-"सर आपको गलतफहमी हुई है,जैसा सोच रहे है आप वैसा नहीं है,हम जो बोल रहे है वही बात है,हम झूठ नहीं बोल रहे है,प्लीज सर यकीन किजिऐ!" पर पुलिसवाला उनकी एक नहीं सुनता है,माही रोने लग गयी,क्योकि बात उसके करेक्टर पर आ गयी,ये देख वहां खड़े लोग माही से कहने लगे-" मुंह काला करवाने से पहले सोचना चाहिऐ था अब क्यूं रो रही हो,लड़के के साथ अकेले रात बिताते शर्म नहीं आई जो थाने जाते शर्म आ रही है रोना आ रहा है!" कार्तिक सब पर चिल्ला दिया-"आप सब बकवास बंद करो ,कुछ भी बोले जा रहे हो,कार्तिक पुलिस वाले के आगे हाथ जोड़ते रिकवेस्ट करता है पर वो उसकी बात मानना तो दूर सुन भी नहीं रहे थे! माही खुद से-"ये क्या हो गया माही,ऐसा तो नहीं सोचा था तुमनें ,किस प्रोब्लम में फंस गई है,सोचा था कार्तिक को अपनी बातों में लाएगें और ये खुद अपने घरवालों से हमारे लिए लड़ेगा,अपना हक हम ले लेंगे,ये लोग तो कार्तिक के साथ तुम्हारा नाम जोड़ रहे है,रिश्ता बता रहे है,अजीब और गलत बातें कर रहे है!" कार्तिक-"सर सुन तो लिजिए?" माही -"कार्तिक कुछ करो,ये सही नहीं है!" कार्तिक माही की हालत देख पुलिस वाले से-"आप हमें नहीं ले जा सकते है ,सच जानना है आपको सच यह है कि हम प्यार करते है और हम अपना फैसला खुद ले सकते है,और जल्द शादी भी करने वाले है!" ये सुन माही समेत सब कार्तिक की ओर देखने लगे,वो फिर बोलता है-"हम बच्चे नहीं है,हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं ये आप लोगों को बताने की जरूरत नहीं है,वाईफ नहीं है ये मेरी पर होने वाली वाईफ है,हसबैंड हूं मैं इसका,होने वाला जो जल्द हो भी जाऊंगा,जल्द हम साथ रहने वाले है पूरी जिंदगी साथ बिताने वाले है फिर कहीं साथ आने जाने पर पांबदी कैसी,एक घर में रहेगें एक रूम में फिर हमारे एक गाड़ी में होने पर क्या प्रोब्लम है,खबरदार जो अब आप किसी ने मेरी होने वाली बीवी को कुछ भी बुरा कहा,हमें बदनाम किया, एडल्ट है हम पर हमनें कुछ गलत नहीं किया!" पुलिस वाला माही की ओर देखता है-"क्या ये लड़का सही बोल रहा है,तुम दोनों शादी करने वाले हो?दोनों ने कुछ गलत काम तो नहीं किया,शादी से पहले?" माही जो कार्तिक की ओर देख रही थी,कार्तिक माही के पास आया और उसका हाथ पकड़ते-"बता दो माही मैं सच कह रहा हूं वरना हमें ये खामख्वाह पकड़कर ले जाएगें थाने,कह दो हम शादी करने वाले है और हमनें कुछ गलत नहीं किया हम बस लोंग ड्राईव पर गये थे न कि हनीमून मनाने,बता दो हमारी शादी होने वाली है!" माही हां में सिर हिलाती है-"हां ....करने ....करने वाले है हम शादी!" कार्तिक-"सर मेरी बात पर न सही लड़की की बात पर तो यकीन करलो,देखिऐ इस लड़की को और मुझे भी हम आपको उस टाईप के लगते है क्या जो गलत काम करे!" पुलिस वाला दोनों की शक्ल देख ठंडा पड़ जाता है -" पहले क्यों नहीं बोला ये और रो क्यों रही थी!" कार्तिक माही के कंधे पर बाहें डालते-"सर डर गयी थी रोयेगी ही न,एक तो सबने आकर हमें घेर लिया ऊपर से थाने ले जा रहे आप,ये लोग कुछ भी बोले जा रहे थे आप जो सुन नहीं रहे थे,घबरा गयी तो रो पड़ी......बस फिर कार्तिक माही बड़ी मुश्किल से उस मसले से छूट कर वहां से निकल गये! _______ कार्तिक ने एक जगह गाड़ी रोकी और दोनों गाड़ी से बाहर निकल आए,माही कार्तिक से-"तुमने क्या किया पता भी है?" कार्तिक-"सॉरी यार कुछ ध्यान नहीं रहा तो बस बोल दिया वो सब?" माही कार्तिक के थप्पड़ लगा देती है-"बोल दिया,तुम्हें आसान लग रहा है ये और सही भी,बहुत बड़ी प्रोब्लम हो गई है वहां जानने वाले भी लोग थे जो ये बात फैला देंगे साथ दिखे,गलती से वो अलग बात और ये प्यार शादी ये सब हमारी कितनी ज्यादा बदनामी होगी मेरी कार्तिक,घरवालों को पता चला तो क्या होगा?एकबार सोच तो लेते?" कार्तिक भी परेशान हो उठा-"ये क्या कर दिया मैनैं,मैनैं अनजाने में वो कर दिया जो नहीं करना चाहिए था,मुझे सोचना चाहिए था,सही कह रही हो तुम,घरवालों तक बात पहुंची तो हंगामा हो जाएगा......" तभी कार्तिक का फोन बजता है पंकज जी की कॉल होती है,उनतक बात पहुंच चुकी थी,लड़की माही और साथ कार्तिक है ये वो जान जाते है,कार्तिक फोन की ओर देख माही की ओर देखता है-"पापा" माही अपना सिर पकड़ लेती है-"कार्तिक तुमने कहीं का नहीं छोड़ा घरवालों को वो सब तो समझा देते पर प्यार शादी उन तक बात पहुंच चुकी है हम बुआ को क्या कहेंगे,ऑफिस में पता चलेगा तो?" _________ बस यूहीं फिर चार-पांच दिन निकल जाते है कार्तिक को कुछ भी समझ नहीं आता है,मोहल्ले,ऑफिस,सब जगह दोनों की बातें होने लगी ,सबसे ज्यादा माही को सुनाया गया,बुरा भला कहा गया,उसके करेक्टर पर सवाल उठाये गये,लड़की जो ठहरी लड़के के मामले में लड़की को ही इन मामलों में जिम्मेदार बताया जो जाता है,घरवालों की दुश्मनी शादी वाली बात से और ज्यादा गहरी हो गयी,कि अपने बच्चों की बात समझने की जगह दूसरे़ के बच्चें को जिम्मेदार गलत बताने लगे! माही गुस्से में घर से बाहर आई-"जीना हराम हो गया, इस कार्तिक ने तो फंसाकर रख दिया,क्या करे कुछ समझ नहीं आ रहा"......कि तभी वो कार्तिक से जा भिड़ी.......वो गिरती उससे पहले कार्तिक उसे पकड़ लेता है-"ध्यान से अभी गिर जाती!" कार्तिक को देख माही का गुस्सा और बढ़ गया,वो उसे खुद से दूर धकेल देती है-"गिर जाती,बड़ी परवाह है ना तुम्हें मेरी,तो बताओ जिस कुएं में तुमनें मुझे गिराया है उससे कैसे निकले?" कार्तिक हैरान होते-"कुएं में" माही उसकी गर्दन की ओर हाथ ले जाने लगी कार्तिक ने हाथ पकड़ लिये,वो अपने हाथ झटके से छुड़ा लेती है और कार्तिक को कसूरवार बताती है,जो कार्तिक से बर्दाश्त नहीं हुआ क्योकि माही सबकुछ जानते हुऐ भी उसपर इल्जाम लगा रही थी जबकि उस वक्त कार्तिक ने जो किया जो कहा दोनों के बचाव के लिए किया था नहीं तो वो इस वक्त थाने में होते,पर कार्तिक के कहने समझाने पर भी माही नहीं समझी उसकी बात न सुनी तो वो उसका हाथ पकड़ उसी बिल्डिंग वालें मंदिर में उसे ले आता है और वहां से सिंदूर लेकर माही की मांग भर देता है! कार्तिक के इस कदम से माही के होश उड़ जाते है वो अपनी मांग में लगे सिंदूर के हाथ लगाकर सिंदूर को हैरानी से देखते कार्तिक की ओर देखती है,जो उसी को देख रहा था बिना किसी हाव भाव के- (क्रमशः)
कार्तिक की मांग भरने वाली हरकत पर माही उसपर बिगड़ जाती है,वो उसकी कॉलर पकड़ उस पर जोर से चिल्लाने लगी-"ये क्या किया तुमने?" कार्तिक उससे अपनी कॉलर छुड़ाते-"तो क्या करता सब तुम्हें ही सुनाए जा रहे है और तुम मुझे,माही ना तुम्हारी कोई गलती न मेरी......कि माही उसकी गाल पर एक जोरदार थप्पड़ लगा सकती-"शटअप कार्तिक शटअप,लोग क्या बोल रहे है,क्या सुना रहे है,क्या सोच रहे है इस चक्कर में तुम ऐसे कदम नहीं उठा सकते हो, जो मन में आया कर दिया,तब शादी का बोल दिया और अब मांग भर दी मेरी,कुछ करने से पहले सोच समझ तो लिया करो थोड़ा,तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हो मुझे बताए बिन,बिन पूछे मुझसे,बेवकूफ बेवकूफी पर बेवकूफी किए जा रहे हो,क्या लगता है तुम्हें ऐसे मांग भर देने से मेरी सब ठीक हो जाएगा......"इस पर कार्तिक कुछ कहता मेनका जी वहां आ गयी और वो भी कार्तिक के पास आकर उसे एक जोर दार थप्पड़ लगा देती है- कार्तिक दोनों की ओर देखता है,बुआ भतीजी दोनों उसे घूर रही थी! मेनका जी"-इतनी घटिया हरकत करने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई,हम जानते है माही इसने ये सब ना जानबूझकर किया है!" तभी वहां रमा जी पंकज भी आ गये,मेनका जी उनकी ओर देखते-"लो अब ये भी आ गए ,सोची समझी चाल है ना तुम सब की ,वैसे सच कहूं तो इस कारनामे में ये दोनों भी शामिल है खुद के बेटे की इज्जत का फालूदा ना निकले तो मेरी माही को फंसा लिया गलती कोई करे भुगते कोई और, मांग भर दी मेरी माही की,शर्म नहीं आई?" कार्तिक-"बुआ आप गलत समझ रही है कोई चाल नहीं, वो सब मैनैं माही......" "एक दम चुप ,जो तुमने किया है अभी उसे कोई नहीं मानता मांग भर देने से कुछ नहीं होता वैसे ही तुम्हारी वजह से माही को सुनना पड़ा न जाने लोग कैसी कैसी बातें कर रहे है पर इसका ये मतलब नहीं तुम जो भी चाहोगे वहीं होगा,चल माही इनसे जितना दूर रहोगी ठीक रहेगा कहते हुए बुआ माही का हाथ पकड़कर वहां से ले जाती है! कार्तिक माही को आवाज देता है-"माही सुनो.....कि रमा जी उसे थप्पड़ लगा देती है! कार्तिक-"मां ...." पंकज जी-"ये सब क्या है कार्तिक पगला गए हो कैसा अनर्थ कर रहे हो?" रमा जी-"ये सब उस छोरी की चाल है फंसाया है हमारे बेटे को छोड़ेगे नहीं उसे ,खुद को तो लाज शर्म है नहीं तुम्हें बदनाम कर रही है तुम्हें अपनी बातों में ले रही है तुमसे ये सब करवा रही है और तुम हो की किये जा रहे हो?" पंकज जी-"बहुत होशियार है वो लोग,अब देखना मांग भर दी इसने तो जरूर इस बात का फायदा उठाएगी वो बुआ भतीजी बता रहे है!" कार्तिक-"कैसी बात रहे है आप दोनों उसमें उसकी तो गलती नहीं है मैनैं ही अपना कोट दिया,मैनैं गाड़ी रोकी वहां,ध्यान रखना था पर मैं सो गया और बाद में झूठ भी मैनें ही बोला प्यार शादी वाला पुलिस वाले से माही ने कुछ नहीं कहा न कुछ किया!" "जानते है कुछ नहीं कहा होगा उसने सब तुमने कहा और ये भी सच है उसने ऐसे हालात बने जो तुम वैसा करो,छोरी बहुत चालाक है, उसका काम भी हो गया और नाम भी न आया रमा जी फिर कार्तिक से कहती है पर कार्तिक उनकी और बात नहीं सुनता वो वहां से उसीवक्त चला जाता है!" रमा जी परेशान सी पंकज जी की ओर देखती है-" ऐ जी अब क्या करेंगे इस पर तो माही ने जादू टोना कर दिया है कुछ सुन ही नहीं रहा है!" "हम पर तो नहीं किया है ना,जो वो चाहती है वैसा नहीं होने देगें....."पंकज जी बोले! _______ 【माही का घर】 मेनका जी-"ये सब उसने क्या कर दिया माही,कहा था ना उससे दूर रहो!" माही-"हमें थोड़ी पता था बुआ वो ऐसा कर देगा,मंदिर में ले जाकर मेरी मांग ही भर देगा,मै खुद हैरान हूं ऐसा कैसे कर सकता है ,मुझे तो लगा था लोग भूल जाएंगे, जो उसने कहा पर......कहते वो अपना सर पकड़कर सोफे पर बैठ जाती है! "क्या पर देख पर क्या किया उसने सब बातें बना रहे है पहले साथ दिखे फिर प्यार करते है और अब ये सब?" बुआ जी गुस्सा मे बोलती है और माही के पास आकर बैठ जाती है-"अब क्या करेगी तू कैसे मुंह बंद करेगी लोगों का?बात खत्म होने की जगह बढ़ रही है माही!" "ना लोगों की मुझे परवाह ना उन दुश्मनों की"कह वो अपने कमरें में चली जाती हैऔर थोड़ी देर बाद बाहर आती है,उसे देख बुआ हैरान हो जाती है और जोर से बोलती है-"ये क्या है?" माही कुछ नहीं बोली,बुआ पास आई और फिर पूछा- "मैं कुछ पूछ रही हूं माही ये बैग ये सब क्या है कहां जा रही हो तुम?" माही मुस्कुरा दी-"बुआ हम अपने ससुराल जा रहे है!" बुआ-"क्या,दिमाग तो सही है तेरा क्या बोल रही है?" ""जो बोल रही हूं,सच बोल रही हूं बुआ,हमारी शादी हुई है आज कार्तिक ने, हमारी मांग भरी है उसने तो अब हमें अपने घर तो जाना ही होगा न,जहां मेरा पति है मेरे सास ससुर है,मेरा ससुराल है....इतना सुनते ही बुआ माही के जोर से एक थप्पड़ लगा देती है! माही अपने गाल पर हाथ रखते उनकी ओर देखती है, बुआ माही को पकड़ते-" क्या बोल रही है ,होश है या नहीं और मांग भर देने से कोई शादी नहीं हो जाती है, उसने मांग भरी और तुम चली ससुराल बात तो ऐसे कर रही है जैसे वो अच्छा ससुराल है जहाँ स्वागत की तैयारियां हो चुकी है और इंतजार मैं बैठे है सब तेरे!" माही फिर मुस्कुरा दी-"अब बुआ ससुराल कैसा भी हो,स्वागत करने वाले इंतजार करने वाले न हो,चाहे फिर वो हमारे दुश्मन हो,माही तो अब जाएगी अपने ससुराल और उसका स्वागत भी होगा!" बुआ अपना सिर पकड़ लेती है-तू क्या कह रही है,मुझे कुछ समझ नही आ रहा है ,वो कार्तिक है हमारा दुश्मन दफ्तर में कुछ घंटे साथ काम अलग बात है और यूं घर जाना उसके साथ रहना, ये ठीक नहीं है क्या बेवकूफी कर रही है माही?" "नहीं बुआ बेवकूफी नहीं समझदारी से काम ले रही हूं, बप्पा का इशारा समझो ,मैनै ऐसा कुछ नहीं सोचा था पर हो गया ,अब देखो बुआ मै उस घर में जाऊंगी और सबकुछ छीन लूंगी उनसे जो हमारा है ,उन्हीं के साथ रहते हुए बुआ मौका मिला है उन्हें बर्बाद करने का, ये मौका तो मै हाथ से नहीं जाने दूंगी!" बुआ चौंक उठी"क्या?" माही-"मेरा वहाँ जाने का एक ही तो मकसद है हमारी दुकानों के पेपर अपने नाम करवाना,जो हमारा है,बाकी ये शादी कुछ मायने नहीं रखती है ना वो कार्तिक,मांग भरी है ना इसकी कीमत अब वो चुकाएगा बुआ, बस आप मेरा साथ दो बुआ ,आशीर्वाद दो आपकी माही अब सब ठीक कर देगी विश्वास रखो!" बुआ-"एक बार ओर सोच ले बेटा,ये सही है क्या ,वहां तीन तीन दुश्मन है जो जीना दुबर कर देगें तेरा,जो तूने सोचा है वो तो ठीक है पर!" माही-"पर वर कुछ नहीं बुआ,आप बस जाने दो यकीन रखो सब ठीक होगा!" बुआ उसका माथा चूमती है-"ठीक है तुमनें अगर सोच ही लिया है दुश्मनों के घर जाने का तो मैं अब क्या बोलूं बस अपना ख्याल रखना बेटा!" माही बुआ के गले लगती है-",दुश्मनों के बीच रहकर दुश्मनों को हराएगें बुआ,आप परेशान मत हो ,कोई परेशानी नहीं होगी आप साथ ही तो हो, मेरे "कहकर माही अपना बैग लेकर कार्तिक के घर चली आती है, और वहां आते ही दरवाजे पर खड़ी जोर से बोलती है-"अरे स्वागत नहीं करोगी क्या सासू मां देखो तो आपकी बहु रानी आई है!" "रमा देवी,कार्तिक, पंकज जी उसकी आवाज सुन वह़ां चले आऐ,माही उनकी ओर देखकर मुस्कुराती है! रमा जी-"मेरे घर क्या कर रही है छोरी तू?क्यूं आई है यहां?" "छोरी नहीं बहु कहिए और बहु यहाँ नहीं आएगी सासू मां तो कहां जाएगी ,ये घर अब मेरा भी तो है ना ,क्यों कार्तिक सही कहा ना!"कार्तिक की ओर देख माही भोहें उचकाते बोली, पंकज जी-"हमारी कोई बहु नहीं और तुम तो बिल्कुल भी नहीं, देखो कहा था ना आएगी जरूर वो भी अपने मतलब के लिए ,आ गई,स्वागत करे तुम्हारा यहां कोई स्वागत नहीं होगा समझी!" माही-"पहले अपने बेटे से तो पूछ लो मांग भरी है इसने मेरी,ये देखो इसके नाम का सिंदूर है,बोलो ना कार्तिक कुछ तो कहो, अब हम कहाँ जाएगें,ये सब आपके बेटे को पहले सोचना था,दुनिया की नजर में हम पति पत्नी बन चुके है,बुआ ने भी मुझे घर से निकाल दिया,अंदर आ जाए कार्तिक,तुम तो मुझे मना नहीं करोगे न साथ रखोगे न अपने,आ जाऊं घर में!" कार्तिक अपने मां पापा की ओर देखते हुए-" आ जाओ ये घर अब तुम्हारा भी है!" रमा जी-"कार्तिक ..." "मां क्यों शोर मचा रही हो,अब सच यही है,इसकी मांग भरी है मैनैं,माही यही रहेगी अब,इतना कहकर कार्तिक अपने रूम में चला जाता है! माही आगे बढ़कर पांव लागू सासू मां ससुर जी कहती है और मुस्कुराते हुए अंदर कार्तिक के पीछे पीछे चली जाती है,रमा जी पंकज जी दोनों गुस्सें का घूंट पीकर रह जातू है कार्तिक अपने रुम में इधर से उधर चल रहा होता है तभी माही को वो अपने रुम के दरवाजे पर देख वहीं रुक जाता है,और दोनों एक दूजे की ओर एकटक देखने लगे.....!! (क्रमशः-)
माही कार्तिक की ओर देखती कमरे में चली आई और अपना बैग एक साईड रख रूम को देखने लगी,तभी कार्तिक उसकी ओर आते बोला-"माही मुझे माफ कर दो,एम सॉरी!"
"अपनी माफी अपने पास रखो कार्तिक इसकी कोई जरूरत नही है,समझे......."कहते एक नजर माही ने कार्तिक की ओर देखा और फिर उसी पल वो बैड पर चढ़ चद्दर ओढ़कर सो गयी!
कार्तिक फिर कुछ नहीं बोला,वो माही की देखते बैड पर
दूसरी साईड आ बैठा कि तभी माही फट से बैड से उठ खड़ी हुई और कार्तिक को घूरकर देखने लगी!
ये देख कार्तिक हैरान हो गया-"क्या हुआ?"
माही-"तुम इस बैड पर नहीं सो सकते?"
कार्तिक-"सो कहां रहा हूं मैं तो बैठा हूं!"
माही-"बैठ भी नहीं सकते ,उठो यहां से!"
कार्तिक-"उठो क्यों उठूं,एक मिनट मैं इस बैड पर बैठ क्यों नहीं सकता,ये बैड मेरा है माही,मैं यहां बैठ भी सकता हूं और सो भी सकता हूं!"
माही-"था तुम्हारा अब मेरा है ये बैड,मैं सोऊंगी इस पर,
भूलो मत अब मैं यही रहने वाली हूं,सो इस बैड पर मैं सोऊंगी तुम नहीं और हां तुम्हारे साथ मैं ये बैड शेयर नहीं करूंगी,तुम जाओ कही और जाकर बैठो कही और ही जाकर सोओ,यहां नहीं जाओ!"
ये सुन कार्तिक हंस दिया-"वाह क्या बात है,मेरा घर मेरा रूम मेरा बैड और मैं ही कहीं और जाऊं,मैं नहीं जाऊंगा,
नहीं जाऊंगा!"
"जाना पड़ेगा,याद रखो शादी की है तुमने मुझसे ये देखो मांग भरी है तुमनें मेरी,देखो सिंदूर....." माही कार्तिक को अपनी मांग का सिंदूर दिखाते बोली,
कार्तिक सिंदूर की ओर देखते-"दिख रहा है,याद है मुझे
नहीं भूला मैं और मैं ये भी जानता हूं तुम भूलने भी नहीं दोगी!"
"हां नहीं भूलने देगें,ये घर ये रूम ये बैड अब मेरा भी है
समझे!"
"मैं तो समझ गया तुम भी समझ लो,शादी की है ना मैनैं तुमसे तो इस घर पर इस रूम पर इस बैड पर जितना हक मेरा है अब तुम्हारा भी है पर इसका ये मतलब नहीं है तुम्हें हक मिलेगा तो मैं अपना हक छोड़ूगा, इस बैड की आधी साईड तुम्हारी आधी मेरी है और यहां ऐसा ही रहेगा....."कहते कार्तिक बैड की एक साईड पैर पर पैर
चढाकर हाथों को मोड़कर सिर के नीचे लगाकर आखें मूंद कर लेट गया!
ये देख माही को कार्तिक पर गुस्सा आ गया,वो पिलो उठाकर उसपर दे मारती है-"बहुत खराब हो तुम!"
कार्तिक आखें खोल माही की ओर देखता है और जो पिलो माही ने उसपर फैंका था उसे वापस उसकी जगह
रखते हुए -"शादी के बाद चीजें शेयर होती है हसबैंड वाईफ में,यहां आने से पहले ये(माही की भोहें उचकाते)
भी सोच लेती!
माही फिर कुछ नहीं बोली,हाथ बांधकर खड़ी हो गयी!
कार्तिक फिर बोला-"बैड शेयर कर सकता हूं मैं तुम्हारे साथ,एक हिस्सा ले सकती हो तुम!"
"नहीं चाहिए,नहीं करेगें शेयर....."इतना कह वो वहां से जाने लगी,कार्तिक उठ बैठा-"क्या हुआ,कहां जा रही हो अपने घर जा रही हो क्या?"
माही रूम में मौजूद सोफे पर जा बैठी-"अपने घर चली जाऊं,ये ख्वाहिश तो तुम्हारी अब पूरी होने से रही!"
कार्तिक ने आह भर ली-"हम्म....खैर तुम सो जाओगी न सोफे पर,दिक्कत तो नहीं होगी न,अगर हो दिक्कत तो
सो जाना आकर एक साईड,मेरा बैड है बट फिर भी मैं पूरा बैड यूज नहीं करता!"
माही कुछ नहीं ,वो चुपचाप सोफे पर लेट गयी,कार्तिक कुछ देर उसे चुपचाप देखता रहा और फिर वो भी सो गया........एक तरफ कार्तिक बैड पर आराम से सो रहा था वहीं दूजी तरफ माही सोफे पर परेशान हो रही थी-"
क्या है ,इस पर तो नींद ही नहीं आ रही है खुद(कार्तिक की ओर देख)कितने अच्छे से सो रहा है और मेरी नींद हराम हो रखी है,सोचा था बैड पर नहीं यहां सोफे पर सो जाऊंगी पर सोया ही नहीं जा रहा है,सोया जाए भी तो कैसे जाए आदत ही तो नहीं है माही तुझे सौफे पर सोने की,पता नहीं क्या क्या सहना पड़ेगा अब बप्पा!"
_________
अगली सुबह
कार्तिक जैसे ही उठता है,देखता है माही उसकी बगल में सो रही थी और माही का हाथ उसके हाथ पर मौजूद था,
माही के चेहरे पर बाल बिखरे हुए थे.....उसे देख कार्तिक
मुस्कुरा उठा और वो अपने हाथ से आहिस्ता आहिस्ता माही के चेहरे से बाल हटाने लगा,माही का मासूम सा प्यारा सा चेहरा जो घने बालों के साये से बाहर हुआ तो
उसकी झलक पाते ही कार्तिक का दिल धड़क उठा और
माही के चेहरे पर मौजूद उसकी अंगुलियां कांप उठी!
इतना ही नहीं वो अंगुलिया माही के चेहरे को छू गयी,
जिससे वो चौंककर उठ बैठी,उठ क्या बैठी बैड से ही उतर गयी और कार्तिक को घूरते जोर से बोली-"क्या
कर रहे थे तुम!"
कार्तिक भी उठ बैठा-"कुछ नहीं कर रहा था वो तुम्हारा हाथ था जो मेरे हाथ पर उसे हटा रहा था!"
माही-"मेरा हाथ ....."
कार्तिक-"हां तुम्हारा हाथ जो तुम मेरे हाथ पर रखकर बड़े आराम से यहां सो रही थी,एक मिनट तुम बैड पर कब आई तुम तो सोफे पर सोई थी न,तुम तो मेरे साथ
बैड शेयर नहीं करने वाली थी फिर यहाँ कैसे आई?"
ये सुन माही कल रात के बारे में सोचने लगी-"
"ओ हो यहाँ तो सोया भी नहीं जा रहा है ,इधर उधर रुम में टहलते सोफे की ओर देखते माही खुद से ही बोलती है
और फिर धीरे धीरे वो बैड की तरफ चली आती है-"क्या करूं ये तो सो रहा है ,जहां सोया था वहीं सो रहा है एक बार भी हिला तक नहीं,इधर वाली साइड खाली भी है,
यहीं सो जाती हूं,इस कार्तिक की वजह से जीना तो मेरा हराम हो ही रखा है नींद तो हराम न करूं......"बोलते वो
बैड पर सो गयी!
माही रात को बैड पर सोने कैसे आई सोच रही थी कि
कार्तिक उसे जोर से आवाज देता है-"माही,कहां चली गयी आईमीन क्या सोच रही हो?"
माही इधर उधर देखते-"कुछ नहीं सोच रही!"
कार्तिक-"तो जो पूछ रहा हूं वो बताओ यहां बैड पर कैसे आई तुम?"
माही-"क्या कैसे,और मैं क्यों सोये सौफे पर सोऊं शादी की तुमनें मुझसे,तुम्हारी सारी चीज अब मेरी है ये बैड भी
समझे,और हाँ मुझसे ज्यादा सवाल जवाब करने की कोई जरूरत नही है,कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे
बोल माही कमरे से चली जाती है!
"ये लड़की भी न,आफत है आफत,कार्तिक कैसे तू इसे संभालेगा......"बोलते अपना सिर पकड़कर बैठ गया!
_______
रमा देवी-"छाती पर मूंग दलने के लिए ही आई है ये छोरी कार्तिक तुम्हें बोल रहे है इसे घर से निकाल दे अभी के अभी बाहर कर इस छोरी को हमारे घर से!"
"क्या सासू मां कल ही बहु आई आज निकालने की बात कर रही हो ये तो गलत है"माही कमरे से बाहर आते हुऐ बोली
पंकज जी-"गलत सही तो तुम हमें ना ही बताओ,अपना बैग उठाओ यहां से और जाओ अपने घर!"
माही-"ऐसा तो नहीं होगा ससुर जी,वैसे सासू मां(रमा जी की ओर मुस्कुराते देखते) हिटलर मां जी कुछ चाय वाय बनाई है या नहीं?नहीं बनाई है तो बनादो एक अच्छी सी चाय!"
रमा देवी-"जहर भी डाल दे उस चाय में,चाहिए चाय,नहीं
मिलेगी चाय,चाय छोड़ो पानी तक न देगें हम तुमको!"
"ठीक है ठीक है मत दो,न चाय चाहिए न पानी,खुश"
माही ने रमा जी से कहा और कार्तिक को आवाज दी-
"कार्तिक हम बाहर इंतजार कर रहे है तुम्हारा,जल्दी
आ जाओ,तुम आते हो तब तक बुआ से मिल आती हूं,
भूल मत जाना आज हम दोनों साथ ही ऑफिस जाएंगे मिठाई भी लेनी है पता है न,मुंह मीठा करवाएंगे सबका शादी हुई है हमारी मिठाई बांटना तो बनता है सही कहा सासू मां....."कह माही मुस्कुराते वहां से चली गयी!
उसकी बातें सुनकर रमा जी का खून खौल उठा वहीं कार्तिक रूम में अपना सिर पीट लेता है-"ये चुप क्यों नहीं रहती है,मां को जान बूझकर उकसाती है शांति
से रहने पता नहीं कब देगी,मुझे बात करनी होगी इस बारे में माही से वरना जान पर बन आएगी!"
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माही और कार्तिक के शादी की बात सबको पता चल जाती है ,ऑफिस पहुंचे तो उनके बॉस दोनों से बोले-"
ये क्या सुन रहा हूं मै तुम दोनों ने शादी कर ली,बताया भी नहीं और ना बुलाया शादी में?"
कार्तिक -"वो सर अचानक ही सब हुआ ,इसलिए नहीं बता पाए, है ना माही!"
माही -"हां!"
बॉस खुश होते-"चलो कोई बात नहीं,मैं बहुत खुश हूं
तुम दोनों की जोड़ी वैसे भी मुझे बहुत पंसद है साथ रहोगे सब हमेशा अच्छा होगा बेस्ट आफ लक हमेशा खुश रहो साथ रहो!"
इस बात पर दोनों मुस्कुरा देते है!
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देखते देखते कुछ दिन ऐसे ही निकल गये और माही ने कार्तिक के घर में रहते हुए सब पता लगा लिया, उनका काम और अपनी दुकानों के बारें में भी,पर कार्तिक माही को सच में प्यार करने लग गया,माही के साथ रहते रहते वो उसके साथ हमेशा रहने के सपने देखने लगा उसको चाहने लगा,पर माही की तरफ से ऐसा कुछ नही था वो ये भी जानता था पर कार्तिक जल्द से जल्द माही को अपने दिल की बात बताना चाहता था उसे लग रहा था
माही उसकी फिलिंग को जरूर समझेगी वो इतनी भी बुरी नहीं जितनी दिखाती है,अच्छी लड़की है और उसे
आजकल बहुत अच्छी लग रही थी माही!
कार्तिक जहां माही को दिल की बात बताने का सोच रहा होता है वहीं उसके पापा को इस बारे में पता चल जाता है,जो उन्हें बिल्कुल पंसद नहीं आता,उन्हें कार्तिक की परवाह होने लगती है क्योकि पकंज जी माही का सच
वो उनके घर में क्यों है भलिभांति जान चुके थे जान क्या चुके थे माही ने खुद उनसे अपनी जुबान से बोल दिया था कि वो वहां किस मकसद से आई है इतना ही नहीं
कार्तिक खुद सब कुछ मेरे नाम करेगा और आप कुछ नहीं कर पाएगें,"यह सब जानते हुऐ भी वो कार्तिक का माही की ओर बढ़ते झुकाव को रोक नहीं पा रहे थे,वो
न तो कार्तिक को समझा पा रहे थे और न माही को दूर
कर पा रहे थे उससे.....कार्तिक माही कैसे चाहने लगा था तो माही की चाहत कुछ और थी जिसके पूरी होने से
पहले तो वो कार्तिक को उसके घर को छोड़कर नहीं जाने वाली थी!
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आज बिल्डिंग में एक कम्पिटीशन हो रहा था वो भी डांस कम्पिटीशन जिसमें कार्तिक माही दोनों को ही एक-साथ भाग लेना होता है क्योंकि जिस बिल्डिंग में वो दोनों रहते है वहां सब जानते है कि दोनों डांस में बेस्ट है और अपनी बिल्डिंग को बेस्ट अवार्ड दिलवाने के लिए कार्तिक माही से रिकवेस्ट करते है साथ डांस करे वो इसलिए उनको मनाते है पर दोनों मना करते है ,माही का तो मन नहीं होता है और कार्तिक उसके मन के खिलाफ नही जाना चाहता था!
पर फिर भी सब हार नहीं मानते ,रिकवेस्ट से नही माने तो सब मिलकर दोनों को उकसाने लगे,लगता है दोनों एक दूसरे से डर गए है,साथ डांस कर ही नहीं सकते है,
और ना ही हिम्मत है जहां रहते है उनके लिए कुछ भी करने की,इनकी वजह से हार जाएगें हम,इनको तो बस
एक ही काम आता है लड़ना,लड़ाई करवा लो उसमें ये
जीत भी जाएगें डा़ंस वांस इनसे नहीं होना साथ में तो
बिल्कुल नहीं......"ये सब बातें कार्तिक माही दोनों को
एक साथ ले आई और दोनों डांस करने का मन बना
लेते है!
कार्तिक तो मन ही मन खुश होता है कि चलो माही मान तो गई और सोचता है अपने दिल की बात वो आज ही माही से कहकर रहेगा वहीं माही सोच रही होती है कि
वो कार्तिक से अच्छा परफॉर्म करेगी,क्योकि उसे लगता
है वो कार्तिक से अच्छा डा़ंस करना जानती है और वो
उसे भी ये दिखाना चाहती थी कि उसे उससे भी बेटर
डांस करना आता है क्योकि वो कार्तिक से मजाक-2
में आज कई बार सुन चुकी थी कि वो माही के साथ तो डांस नहीं करेगा जिसे डांस का डी भी नहीं आता,पर
माही उसकी इस बात को बहुत सीरियश ले चुकी थी!
"पता नहीं खुद को क्या समझता है आज बताएगें हम इसे....."कार्तिक के बारे में सोचते माही उसके साथ
डांस करने के लिए पंडाल की तरफ आ रही होती है कि तभी....
(क्रमशः)
माही पंडाल की तरफ आ रही होती है कि रमा जी माही को गिरा देती है जिस वजह से माही को पैर में मोच आ जाती है,ये देख रमा जी बहुत खुश होती है-"मेरे बेटे के साथ नाचेगी ,अब नाच कर दिखा काबिल ही नहीं रही चलने की!"
माही पैर पकड़े चिल्लाती है और मेनका जी को आवाज देती है-"आह.....बुआ....बुआ"
माही की आवाज सुन सब माही के पास चले आते है,
मेनका जी माही को चिल्लाते देख घबरा जाती है-"
माही....क्या हुआ बेटा!"
माही अपना पैर पकड़े-"आह....बुआ बहुत दर्द हो रहा है ,आह (बुआ का हाथ पकड़ते हुए)बहुत चोट आई है
बुआ मेरे पैर में मै गिर गयी बुआ....." कि तभी वहां कार्तिक भी आ गया और माही के पास आ बैठा और
परेशान होते बोला-"माही....क्या हुआ माही?"
रमा जी-"होना क्या था गिर गई,जानबूझकर गिरी है ये
छोरी बता रहे है हम आप सबको,बस बातें बड़ी करवालो इस छोरी से पहले ही हरा दिया इसने क्या डांस करेगी ये देखो पैर तुड़वा लिया,चलने की सुध नहीं लगाएगी ठुमके,विश्वास था ना इस पर देख लो धज्जियां उड़ा दी इसने आप सबके भरोसे की!"
माही जी हैरानी से रमा जी की ओर देखती है,वो कुछ कहती उससे पहले कार्तिक उसे बाहों में उठा लेता है
और रमा जी से-"मां चोट लगी है इसे,खुद को कोई
चोट नहीं लगाता है"कहकर माही को अपने कमरे में
ले आता है,मेनका जी डॉक्टर को बुलाती है क्योकि
माही दर्द से बहुत कहरा रही थी जो न उनसे देखा जा रहा था न कार्तिक से!
डॉक्टर के आते ही कार्तिक उन्हें माही के पास ले आया
-"डॉक्टर जल्दी कुछ किजिए बहुत पैन हो रहा है माही को......"डॉक्टर माही का चेकअप करते है आईमीन
पैर देखते है और उसके दर्द को देख उसे इंजेक्शन देते
है जिससे उसका दर्द कम हो जाता है!
मेनका जी डॉक्टर से-"डॉक्टर ज्यादा समस्या वाली बात तो नहीं है न?"
डॉक्टर-"नहीं नहीं,पर हां इन्हें बैड से हिलने भी मत देना
मेरा मतलब ये फिलहाल चले न बस आराम करे पैर में चोट आई है न रेस्ट की जरूरत है,आराम नहीं करेगी तो
दर्द होगा पैर पर दबाब न बने अभी इस बात का ख्याल रखना वरना अभी तो कोई प्रोब्लम नहीं पर हो सकती है!
कार्तिक "जी डॉक्टर"बोलता है और डॉक्टर के जाते ही माही को रेस्ट करने को कहता है!
माही अपने पैर की ओर देखते-"रेस्ट....नहीं मुझे डांस करना है?"
कार्तिक-"क्या डांस करना है, पागल हो गई हो ,हिलना भी मना है तुम्हें,डॉक्टर जो बोलकर गया है सुना नहीं क्या तुमने?"
"डॉक्टर का क्या है कुछ भी बोलते है,इंजेक्शन लगा दिया न पैन भी चला गया मैं ठीक हूं,और मुझे डांस करना है और हां तुम्हें मेरे साथ नहीं करना है डांस तो मत करो ढूंढ लो कोई और मै भी किसी ओर के साथ
कर लूंगी पर करूंगी जरूर डांस,इल्जाम लगा है ना कि जानबूझकर किया है मैनैं,हार ऐसे तो मंजूर नहीं चाहे पार्ट लेकर हार जाऊं"रमा जी ने जो कहा उस बारे में सोचते माही डांस करने की जिद्द पकड़ लेती है!
कार्तिक समझ जाता है माही मेरी ही मां की बात कर रही है जैसे ही माही उठकर चलने लगती है कार्तिक कहता है -"ठीक है कर लेना डांस पर अभी रेस्ट करों और सोचो कैसे डांस करना है इस हालत में...."माही को वापस बैड पर बिठाकर कार्तिक बाहर चला जाता है!
कुछ देर बाद दोनों स्टेज पर होते है दोनों के लिए तालियां बज रही होती है,दोनों साथ में डांस करते है पर माही को डांस वक्त तकलीफ हो रही होती है तो कार्तिक माही का हाथ पकड़कर उसे अपनी ओर खिंचते धीरे से कहता है -"मेरे पैरों पर चढ़ो?"
माही हैरान होते-"क्या?"
कार्तिक-"जो कह रहा हूं करो,देख क्या रही हो चढ़ो,पैर
पर दबाब कम पड़ेगा दर्द भी नहीं होगा....."माही फिर कार्तिक की बात मान लेती है और दोनों एक दूसरे को देखते हुए कपल डांस करते है ,फिर कार्तिक माही को बाहों में उठा लेता है-
तेरी मेरी मेरी तेरी
प्रेम कहानी है मुश्किल
दो लफ़्ज़ों में ये बयां न हो पाए
एक लड़का एक लड़की की
ये कहानी है नायी
दो लफ़्ज़ों में ये बयां न हो पाए
तेरी मेरी मेरी तेरी
प्रेम कहानी है मुश्किल
दो लफ़्ज़ों में ये बयां न हो पाए
एक दूजे से हुए जुदा
जब इक दूजे के लिए बने
तेरी मेरी मेरी तेरी
प्रेम कहानी है मुश्किल
दो लफ़्ज़ों में ये बयां न हो पाए.......
दोनों डांस कर रहे होते है पर मेनका बुआ और रमा जी एक दूसरे को गुस्से से घूरे ही जा रही थी....आखिरकार
कार्तिक माही दोनों की रोमांटिक धमाकेदार परफॉर्मेंस सबका दिल जीत लेती है और दोनों कम्पिटीशन जीत जाते हैं!
_________
कार्तिक अपने रूम में इधर से उधर टहल रहा था-"मैनैं
कितना सोचा था आज माही को अपने दिल की बात
बता दूंगा पर जो सोचा था वो हो ही नहीं पाया और जो
नहीं सोचा था वो हो गया,बुआ ले गये उसे यहां से,वो
यहां रह सकती थी,मैं भी रेस्ट ही करवाता उसे कौन
सा उसे लगड़ी ट़ागं खेलने को बोलता जो उसका पैर
ठीक होने की बजाये और तकलीफ़ बढ़ जाती पर नहीं
बुआ को तो मुझपर भरोसा ही नहीं है,जबकि पता है मुझे भी माही की उतनी ही परवाह है जितनी उन्हे है!"
"क्यूं करते हो इतनी परवाह"माही की आवाज आई,
कार्तिक ने फट से दरवाजे की ओर देखा,माही खड़ी
थी,धीरे धीरे चलती माही अंदर चली आई और फिर
पूछा कार्तिक से-"बोलो न क्यूं करते हो मेरी परवाह"
कार्तिक एकटक उसकी ओर देखते-"नहीं करनी चाहिए क्या?"
माही ने ना में सिर हिला दिया-"नहीं करनी चाहिए,कोई करे परवाह तो करो परवाह पर यहां तो ऐसा नहीं है मैं तो नहीं करती परवाह तुम्हारी!"
कार्तिक हंस दिया-"मैं तुम्हारा जैसा नहीं हूं ना,एक मिनट क्या कहा तुमने कोई करे परवाह तो करो,मैं
करता हूं न तुम्हारी तो तुम भी कर लिया करो!"
माही बैड की ओर बढ़ गयी-"न तो शौंक है मुझे और न ही इतना फालतू टाईम,मैं तो कहती हूं तुम भी मत किया करो मेरी परवाह,मैं खुद अपना ख्याल रख सकती हूं!"
"अच्छा"
"हां"
"खैर छोड़ो तुम यहां क्या कर रही हो मेरा मतलब बुआ तुम्हें घर लेकर गये थे तुम यहां,मन नहीं लगा क्या मेरे बिना तुम्हारा"
"कुछ भी,बात मन की होती तो यहां आने की जगह
मैं वहां रहना ही पंसद करती,समझे!"
"तो फिर"
माही बैड पर बैठ पैर ऊपर करते-"बुआ की वजह से
मैं वहां रहती तो बुआ परेशान होती,पिछले आधे घंटे से न खुद सो रही थी और न ही उनको देख मैं सो पा रही थी,पैर ठीक है फिर भी बार बार पूछे जा रही थी पैर ठीक है दर्द तो नहीं है...पैर में दर्द तो नहीं पर सिर दर्द
जरूर होने लग गया तो बोल आई बुआ को जा रही हूं मैं अपने ससुराल अपने पति के पास!"
कार्तिक उसकी ओर आते-"अच्छा रोका नहीं बुआ ने"
माही चद्दर ओढ़ते-"रोका न पर मैं नहीं रूकी वो पीछे आ रही थी कसम दे आई और खुद आ गयी"
"ओह"
"क्या हुआ अफसोस हो रहा है,तुमने तो सोचा होगा न
माही यहां नहीं है आराम से सकून से रहूंगा चली गयी
अपने घर,जानकारी के लिऐ बता दे जबतक हमें सकून नहीं मिलता है न जिंदगी में तुम्हें भी सकून की नींद तो दूर सांस भी नहीं लेने देगे"बोल माही चद्दर ओढ़कर सो गयी.....कार्तिक उसकी बात सुन मुस्कुरा उठा और उसे
देखते बैड की दूसरी साईड बैड पर आ लेटा-"तुम्हें यहां देख अफसोस नहीं खुशी हो रही है कितनी मैं बता भी
नहीं सकता,मैं तो चाहता भी नहीं तुम यहां से जाओ मैं तो चाहता हूं यही मेरे साथ रहो हमेशा और पता है अब तो तुम्हारी आदत हो चुकी है तुम पास होती हो तो मुझे सकून की नींद आती है सकून की सांस आती है" मन ही मन खुद से कहते कार्तिक आह भर लेता है-"पता नहीं वो दिन वो घड़ी कब आएगी जब तुम्हें मैं बता पाऊंगा "तुम ही सकून हो मेरा"
________
कुछ दिनों बाद
शाम का समय था पंकज जी घर के बाहर टहल रहे होते है कि टहलते टहलते गिर पड़े,तभी माही अपने घर से बाहर निकली,पंकज जी को गिरा देख भागी उनके पास
आई जो सीने पर हाथ रखे कांप रहे थे!
"क्या हुआ आपको ,क्या हुआ,और कार्तिक को आवाज लगाती है-"कार्तिक जल्दी बाहर आओ तुम्हारे पापा को
कुछ हो गया है कार्तिक"
माही की आवाज सुन कार्तिक भागा घर से बाहर आया
-"पापा....क्या हुआ पापा को?"
माही-"पता नहीं कार्तिक,बुआ के पास से आ रही थी मैं
देखा तुम्हारे पापा गिरे पड़े है पता नहीं क्या हुआ इन्हें?"
(क्रमशः)
कार्तिक परेशान होते अपने पापा को संभालता है,रमा जी मेनका जी भी वहां आ गयी,तभी पंकज जी बहोश हो गये, यह देख सब घबरा जाते है और उन्हें हॉस्पिटल लेकर जाते है पर हार्टअटैक की वजह से उनकी डेथ हो जाती है,जिसका सबको बहुत दुख होता है पर पंकज जी की डेथ का इल्जाम रमा जी माही पर लगा देती है!
कार्तिक के सीने से लगी रमा जी रोते हुऐ-"इसी ने मारा है उन्हें,इसी छोरी का किया धरा है कार्तिक जो तेरे पापा हमें छोड़कर चले गये......"बोलते वो फूट फूट कर रोने लगी....कार्तिक माही की ओर देखता है जो नम आखें लिये उसकी ओर देखते ना में सिर हिला रही थी मानो कह रही हो उसने कुछ नहीं किया पर कार्तिक कुछ भी रियेक्ट नहीं किया,अपनी मां बाहों में भरते वो आखें
मूंद लेता है,उसकी भी आखें छलक उठी!
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"कार्तिक हमनें कुछ नहीं किया हम बुआ के घर से आए थे चाहो तो सी टीवी में देख लो सच कह रहे है कार्तिक,
मैनैं कुछ नहीं किया तुम्हारे पापा के साथ"......माही ने
कार्तिक का हाथ पकड़ते कहा तो कार्तिक कुछ नहीं बोला वो अपना हाथ छुड़ाकर अपने घर चला गया,ये
देख माही अपना सिर पकड़ लेती है-"आज भी कुछ नहीं बोला,दो दिन हो गये न तो कुछ कह रहा है न ही सुन रहा है कार्तिक, क्या करूं बप्पा(ऊपर की ओर देखते)आप तो जानते है न मैनैं कुछ नहीं किया,मेरे कारण नहीं हुई है
कार्तिक के पापा की डेथ......"
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【माही का घर】
मेनका जी-"लो बुड्ढा अटैक से मरा और इल्जाम माही तुझ पर लगा दिया!"
माही-"एक अटैक से ही उनकी डेथ हो गयी पहले भी हुआ था क्या बुआ उनके साथ ऐसा?"
बुआ -"मुझे क्या पता और हमें क्या करना है पता करके
अब जैसी करनी वैसी तो भरनी पड़ेगी ना,तुम्हारे सर से पिता का साया छीना था ना,उनसे भी छिन गया अच्छा हुआ!"
"नहीं बुआ ऐसा नहीं कहते हमें पता है क्या होता है पापा का चले जाना हमने कभी नहीं चाहा ऐसा?"माही मेनका जी को टोकते बोली क्योकि उसको भी दुख हो रहा था कार्तिक के पापा की डेथ का!"
"ठीक है नहीं बोलती और तू ज्यादा उदास मत हो और ये छोड़ तू मुझे ये बता,उस पंकज के नाम था ना सबकुछ
अब क्या करेगी तू वो तो चला गया,अब कैसे मिलेगा वो
सब उनसे हमें जो हमारा है?"
"नहीं बुआ उनके नाम कुछ नहीं था कार्तिक के नाम है सबकुछ!"माही ने जैसे ही ये कहा मेनका जी खुशी से उछल पड़ी-"ये तो अच्छा है चलो सब कार्तिक के नाम है उस पंकज के नहीं,बुढा़ वैसे भी कोई काम का नहीं था उसके बारे में सोचना छोड़ो़ और कार्तिक से सबकुछ कैसे लेना है वो सोचो!"
"क्या बुआ तुम भी ना,हम सोच लेगें और ले भी लेगें पर
फिलहाल ऐसा नहीं कर सकते,पता है ना क्यूं कार्तिक
अभी इन हालातों से गुजर है उसमें उससे अपना काम
करवाना थोड़ा मुश्किल है सो थोड़ा रूकना पड़ेगा पर
हम कर लेगें चिंता मत करो,अच्छा बुआ हम आते है"
कह माही वहां से कार्तिक के घर - रूम में चली आई,
कार्तिक सोफे पर बैठा था....."कार्तिक"कहते माही
उसके सामने आ खड़ी हुई कि कार्तिक ने माही को हग कर लिया!
________
【ऑफिस】
माही अपने कैबिन में बैठी थी तभी वहां अतुल आ गया
-"माही अंदर आ जाऊं?"
माही ने उसकी ओर मुस्कुराते देखा-"आओ ना!"
"सब कुछ ठीक है ना माही?" अतुल ने अंदर आते ही पूछा,
"हाँ सब ठीक है,क्या हुआ तुम ऐसा क्यों पूछ रहे हो?माही ने अतुल से कहा,
अतुल चेयर पर बैठ गया-"वो मै तुम्हारी और कार्तिक की बात कर रहा ह़ूं कहने को तुम दोनों ने शादी कर ली काफी वक्त हो गया फिर भी देखकर लगता ही नहीं कि तुम दोनों साथ रहते हो,पहले जैसे ही लगे रहते हो,वो कार्तिक आता है तो भी तुम उसे इग्नोर कर देती हो वो तुम्हें बुलाता है तो तुम नहीं जाती हो उसके पास ,क्या बात है मै दोस्त हूं तुम्हारा मुझे तो बता ही सकती हो
तुम?"
माही ने आह भर ली"-मेरे और कार्तिक के बीच सच में कुछ नहीं है अतुल,शादी हुई है पर ऐसे ही ,बस मेरा कुछ लेना देना है उससे बस....तो बस उसके साथ रह रही हूं बेमन से!"
अतुल हैरान हो गया-" क्या है ऐसा जो तुम्हें ऐसा करना पड़ रहा है!"
"है कुछ इस बारे में फिर कभी बात करेगें,तुम यह सब छोड़ो,तुम तो मुझे ये बताओ तुम्हारा प्रोजेक्ट सही चल रहा है न..."माही अपने आगे रखी फाईल चेक करते बोली,
अतुल ने हां में सिर हिलाया-"हां सही चल रहा है"कि
माही फाईल लेकर चेयर से खड़ी हो गयी-"मैं अभी आती हूं"कहकर वो वहां से चली जाती है,उसके जाते ही अतुल हंस पड़ा-"ओह तो ये माजरा है,मुझे पता था कुछ तो गड़बड़ है,चलो यह तो पता चल गया माही कार्तिक को पंसद नहीं करती है और उनकी शादी भी यूंही है,अब न मुझे उस कार्तिक को माही से अलग करना है उनकी यूंही वाली शादी को खत्म,जो हर हाल में मैं करके रहूंगा......"
______
【फाइल रूम】
"अरे कार्तिक तुम यहां हो मै तुम्हें कब से ढूंढ रहा हूं......"अतुल फाईल्स वाले रूम में आते बोला
कार्तिक ने उसकी ओर देखा-"क्यों क्या हुआ कोई
काम था?"
"काम तो था वो भी बहुत जरूरी,तुम्हें पता है मुझे सच पता चल गया अतुल मंद मंद हंसते बोला,
"कैसा सच?" कार्तिक ने हैरानी से कहा,
"यहीं कि तुम्हारे और माही के बीच कुछ नहीं है तुमनें जबरदस्ती माही से शादी की है,ऐसी शादी ज़िसका कोई मतलब नहीं,न माही की मर्जी शामिल उसने ना खुशी,माही तो मुझसे प्यार करती थी मुझसे और तुम
हम दोनों के बीच में आ गए ,कहते अतुल ने गुस्से से
दांत भींचते कार्तिक की कॉलर पकड़ लिया-"क्यों आए तुम हम दोनों के बीच?"
कार्तिक हंस दिया-"मैं तुम दोनों के बीच आया कुछ भी और क्या बोला तुमने,माही,प्यार,वो भी तुमसें कभी भी नहीं,ऐसा हो ही नहीं सकता!"
अतुल मुस्कुरा दिया-"यही सच है और मै भी बहुत प्यार करता ह़ूं अपनी माही से बहुत प्यार, तुम दोनों की शादी का सच माही ने खुद मुझे बताया है वो तुझे कुछ नहीं मानती कुछ नहीं तो अच्छा होगा हम दोनों के बीच से खुद ही हट जाओ..."कार्तिक की कॉलर छोड़ अतुल कार्तिक को अंगुली दिखाते-"वरना अच्छा नहीं होगा,
समझे...."
कार्तिक अतुल के हाथ को अपने सामने से दूर झटका देता है -"हटो,अब तो वो मेरी वाइफ है और अब कोई हमारे बीच मे नहीं आ सकता है,तुम तो कभी भी नही,
और एक बात तुम भी जान लो अच्छे से समझ लो मैं भी प्यार करता हूं माही से इतना प्यार की तुम सोच भी नहीं सकते,तुम्हें क्या लगता है तुम कुछ भी बोलोगे मुझे आकर और मैं यकीन कर लूंगा,अभी अभी जो तुमने झूठ बोला है बोला है ना वो कही और जाकर बोलना,यहां दाल नहीं गलने वाली,तुम झूठ बोल रहे
हो तुमसे प्यार माही कभी कर ही नहीं सकती!"
"वो करती है मुझसे प्यार ये झूठ नहीं सच है"
"रहने दो उसकी पंसद इतनी बुरी भी नहीं हो सकती,"
"क्या बोला तुमने"
"वही जो तुमने सुना,ठीक से नहीं सुना तो फिर सुन लो माही अब मेरी है और मेरी रहेगी....."
कि इसी चलते दोनों आपस में भिड़ जाते है और एक दूसरे की कॉलर पकड़ दोनों एक दूसरे को गुस्से से घूरने लगते है तभी वहां माही आ जाती है और दोनों को ऐसे देख जोर से बोलती है-"क्या हो रहा है यहां"
दोनों माही की ओर देखते एक दूसरे को छोड़ देते है,वो
उनकी ओर हैरानी से देखते फिर पूछती है-"क्या कर रहे थे तुम दोनों यहां?"
"कुछ नहीं माही"अतुल माही से बोला और कार्तिक के कंधे पर हाथ रख मुस्कुराते धीरे से कार्तिक से-"चाहो तो माही से पूछ लो वो बता देगी तुम्हें,वो किसे पंसद
करती है किसे चाहती है तुम्हें या मुझे...."
कार्तिक उसे घूरते उसका हाथ अपने कंधे से झटका देता है और अतुल माही की ओर मुस्कुराते देख वहां
से चला जाता है,उसके जाते ही माही कार्तिक से-"
तुम दोनों लड़ रहे थे न?"
"हां लड़ रहे थे!"
"क्यूं?"
"तुम्हारे दोस्त का मन कर रहा था!"
"अतुल का मन कर रहा था या तुम्हारा!"
"जितना शरीफ तुम्हें वो लगता है न,है नही"
"तुमसे तो अच्छा ही है"
"रियली"
"या......एनीवेज....मुझे वो ब्लू फाइल दो"
"देता हूं"कह माही ने जो फाईल मांगी थी कार्तिक उसे वो फाईल निकालकर दे देता है....माही फाईल लेकर जाने लगी कार्तिक उसे रोकते बोला-"माही मुझे तुमसे बात करनी है!"
"अभी मेरे पास टाइम नहीं है"कह माही जाने लगी कार्तिक माही का हाथ पकड़ लेता है-"बस थोड़ी देर,
कुछ जरूरी बात करनी है!"
"कहा ना नहीं, और मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी है और भी बहुत जरुरी काम है मेरे पास"कहते हुए माही
कार्तिक से अपना हाथ झटकाकर छुड़ा लेती है,ये देख
कार्तिक को माही पर गुस्सा आ जाता है,वो उसे बाहों से पकड़ पास की दीवार के लगा देता है-" समझ नहीं आ रहा है क्या तुम्हें ,जब कह रहा हूं,मुझे बात करनी है तुमसे तो कर क्यूं नहीं रही हो?",
माही खुद को उससे छुड़ाने की कोशिश करती है-"
"छोड़ो मुझे,नहीं करनी है मुझे तुमसे कोई बात तुम्हें
समझ नहीं आ रहा?"
कार्तिक माही पर अपनी पकड़ कस लेता है-"हां नहीं आ रहा मुझे समझ,तुम सबसे बात कर सकती हो सब
के लिए वक्त है तुम्हारे पास मेरे लिए नहीं क्यों नहीं है थोड़ा सा भी वक्त,क्यों नहीं कर सकती तुम मुझसे बात
क्यूं नहीं दे सकती तुम मुझे अपना थोड़ा सा वक्त!"
"नहीं दे सकती,नहीं है मेरे पास तुम्हारे लिए वक्त और क्यों हो तुम्हारे लिए वक्त ,नहीं है एक मिनट भी नहीं है समझे और हां मुझसे दूर रहो,साथ रहना तुम्हारे, सिर्फ मजबूरी है हमारी,सिर्फ मजबूरी......"माही बोल रही थी कि कार्तिक ने उसको अपने करीब खींच लिया और वो जोर से चिल्लाते हुऐ बोला-"डैमिड नहीं रह सकता मैं तुमसे दूर........."
(क्रमशः)
कार्तिक की बात सुन माही उसे घूरते हुए बोली-"क्यों नहीं रह सकते हो,मै रहती हूं तुम भी रहो मुझसे दूर!"
कार्तिक ने माही का चेहरा हाथों में भर लिया-"मैं प्यार करता हूं तुमसे पागल बहुत प्यार करता ह़ूं,तुम्हारे बिना जीने का मैं सोच भी नहीं सकता हूं ,और मुझे पता है तुम्हें भी मुझसे प्यार है ,देखा है मैनै तुम्हारी आंखो में मेरी फिक्र मेरी चिंता सब......"वो बोल रहा था माही ने
उसे धक्का देते खुद से दूर कर दिया-"क्या प्यार वो भी तुमसे....कभी नहीं...."बोल उसने कार्तिक से नजरें फेर ली!
"तो चली क्यों नहीं जाती हो मेरी जिंदगी से कितनी बार कहा है मैनैं चली जाओ क्यों अपनी मांग में तुम सिंदूर लगाए बैठी हो मेरे नाम का....बताओ?""
माही कुछ नहीं बोलती है क्योंकि कार्तिक माही से साथ रहने की वजह पूछ रहा होता है पर माही उसे वो वजह बता नहीं सकती थी,वो माही का चेहरा अपनी तरफ घुमाता है-"अतुल को तुमने बताया है हमारे रिश्ते का सच और उसने जो बताया मुझे वो सच है,तुम शादी को नहीं मानती,मेरे साथ नहीं रहना चाहती,बेमन से रह रही हो,खुश नहीं हो मेरे साथ....अतुल को ये तुमने बताया,
बोलो माही जवाब दो?"
कि माही चिल्लाते हुए बोल पड़ी-"हाँ मैनै बताया और उसने तुमसे जो भी कहा सच है ,हाँ सच है,वो सारी बातें सच है जो जो अतुल ने तुमको बोली,अतुल ने कुछ गलत नहीं कहा,सच ही बताया है जो मैनैं खुद
उसको बताया मैनैं खुद....."
ये सुनते ही कार्तिक के कदम पीछे की ओर लड़खड़ा गये,फिर वो माही से कुछ नहीं बोला,उसी वक्त उसी
पल वो वहां से चला गया, उसको यूं जाते देख माही सोच में पड़ गयी-"अतुल ने इसे क्या बताया हैयही कि हम दोनों के बीच कुछ नही है पर ये बात तो ये खुद भी जानता है और ना ही कभी कुछ हो सकता है ये भी पता है इसे फिर ऐसे सवाल ऐसे रियेक्ट क्यों कर रहा
है ये कार्तिक.....?"
【माही का घर】
"लो बुआ ले आए मार्केट से सामान,जो जो मंगवाया था,सब्जी फ्रूट,चीनी पत्ती सब और हाँ बुआ एक काम करना कार्तिक के लिए भी आज आप खाना बना लेना वो उसकी मां पता नहीं पर कहीं गई है माही ने टेबल पर सामान रखते हुए कहा,
मेनका जी सोफे पर बैठी मुस्कुरा रही थी,माही ने उन
की ओर देखा और उनकी तरफ आते हैरानी से बोली
-"क्या बात है बुआ आज तो बड़ी खुश नजर आ रही होमुझे भी तो बताओ मैं भी खुश हो लूं....बोलते वो
उनके पास सोफे पर बैठ गयी,
मेनका जी उसकी ओर देखती है-"खुशी की तो बात है इसलिए खुश हो रही हूं माही,पता है आज हमारे रास्ते का सबसे बड़ा कांटा हट जाएगा?"
माही को कुछ समझ नहीं आया-"क्या मतलब बुआ?"
"अब हमारी दुकान हमारे नाम हो जाएगी,उस बुड्ढे ने कार्तिक के नाम किया था ना सब,सोचो जब कार्तिक की नहीं रहेगा तो वैसे ही सब तुम्हारे नाम हो जाएगा पत्नि जो हो दुनिया की नजर में उस कार्तिक की तुम,
और बेटा अब तुझे कुछ भी करने की जरूरत नही है उस कार्तिक का आज काम तमाम हो जाएगा"बोलते
मेनका जी हंसने लगी,
उनकी ये बातें सुन माही परेशान हो गयी-"क्या किया है बुआ आपने और कार्तिक कहाँ है?"
"जो करना था कर दिया मैनैं,कार्तिक अपने घर पर है और ले रहा होगा आखिरी सांसे,कहते हुए मेनका जी माही को बात बताती है कि उन्होनें कार्तिक की चाय में आज जहर मिला दिया था और वो चाय उन्होनें कार्तिक को पीने को दे दी, जिससे पीकर वो मर जाएगा और हमें जो चाहिए वो मिल जाएगा हम जीत जाएंगे!"
ये सुनते ही माही उनके पास से उठ खड़ी हुई-"ये क्या किया बुआ आपने जहर दे दिया कार्तिक को ...माही को कार्तिक का ख्याल आया और वो ओह नो कहते कार्तिक के घर जाने के लिए वहां से भागी!
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"कार्तिक कार्तिक .....,माही कार्तिक के लिए परेशान होती उसे आवाज देती है,पूरे घर में वो हर कमरे में भी जाकर कार्तिक को देखती है पर कार्तिक उसको कहीं नजर नहीं आता है,......कार्तिक है कहाँ ,कहाँ गया वो बप्पा उसने वो चाय तो नहीं पी होगी ना,पी ली तो नहीं नहीं खुद से कहते हुए माही टैरिस की ओर दौड़ती है,
वो जैसे ही छत पर पहुंचती है तो देखा कार्तिक जमीन पर गिरा पड़ा था!
"कार्तिक".....माही जोर से चिल्लाई और उसके पास चली आई-"कार्तिक... कार्तिक आखें खोलो कार्तिक,
कार्तिक......ये कुछ बोल क्यों नहीं रहा है कार्तिक?कि तभी माही का ध्यान कार्तिक के पास ही टूटे पड़े कप
के टुकड़ो पर जाता है!
माही घबरा उठी-"कार्तिक ने चाय पी ली,नहीं,कार्तिक कार्तिक,उठो कार्तिक,तुमनें चाय क्यों पी,कार्तिक आखें खोलो न....कार्तिक.......माही कभी उसका चेहरा हाथों
में भर उसे आखें खोलने को कहती है कभी गाल़ो को सहलाते,कभी उसका हाथ अपने हाथों में थाम उसको
हिलाती है पर कार्तिक न हिला और न ही कुछ रियेक्ट
किया....ये देख माही डर जाती है वो कार्तिक के सीने
पर पहले अपना हाथ रखती है और फिर उसके सीने पर अपना सिर....चेक करने के लिए कि उसकी सांसे चल रही है या नहीं......कार्तिक की सांसे चल रही थी
ये देख कार्तिक कहते वो ऊपर उठी,कुछ और कहती उसने देखा कार्तिक आखें खोल चुका था और उसको देखते मुस्कुरा रहा था!
ये देख माही के होठों पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गयी
वो नम आखें लिये कार्तिक की ओर देखते उसकी गाल
पर अपना हाथ रख फट से बोली-"तुम ठीक तो हो ना कार्तिक तुम ठीक हो?"
कार्तिक-"क्या हुआ तुम इतनी परेशान क्यों हो रही ह़ो और ये तुम्हारी आंंखो में आसूं क्यों है माही....."
ये सुन माही ने अपनी आखें पौंछ ली,कार्तिक की फिर देखा तो उसको मंद मंद हंसते देख वो हैरत में पड़ गयी
कुछ कहती उससे पहले ही कार्तिक नीचे से उठते बोल पड़ा-"इतनी हैरान क्यों हो रही हो,क्या सोच रही हो तुम यही न चाय पी मैनै फिर भी मुझे कुछ हुआ क्यों नहीं?
मैं ठीक कैसे हूं या फिर अफसोस हो रहा है मरा क्यों नहीं मैं बुआ ने तो जहर दिया था मुझे चाय में मिलाकर है न....."
माही नीचे से खड़ी होते-"कार्तिक".....कि तभी मेनका जी भी वहां आ जाती है और कार्तिक की ओर देखती है,कार्तिक उनकी ओर इशारा कर हंसते हुऐ माही की ओर देखता है-"लो बुआ जी भी आ गई, बुआ आपने प्लान तो अच्छा बनाया था चाय में जहर डालकर मुझे
वो चाय पिलाकर मारने का पर माही आप दोनों का ये प्लान फैल हो गया अफसोस.....चूचूचू....बुरा लग रहा
होगा न आप दोनों को आपका बनाया प्लान फ्लोप हो
गया,कोई फायदा न हुआ,मैं तो जिंदा हूं मारना चाहा था पर मरा नहीं वो इसलिए क्योकि मुझे आपके प्लान का पहले ही पता लग गया था......"
【कुछ टाइम पहले】
कार्तिक अपने घर के बाहर सिढियो़ पर बैठा था,तभी मेनका जी अपने घर से बाहर आई और कार्तिक की ओर आते बोली-""क्या हुआ कार्तिक ऐसे बाहर क्यों बैठै हो?"
कार्तिक कुछ नहीं बोला वो अपने हाथों से अपना सिर दबा रहा था,मेनका जी फिर बोलती है-"क्या हुआ सर दर्द हो रहा है तुम्हारा?"
कार्तिक सिर दबाते-"बहुत तेज!"
मेनका जी-"अच्छा"
कार्तिक-"हाँ एक कप चाय बना दो बुआ मेरे लिए,मां घर पर नहीं है?"
"ठीक है तुम जाओ अपने कमरे में,मैं लेकर लाती हूं
चाय तुम्हारे लिए"बोल मेनका जी वहां से चली गयी,
और कार्तिक भी वहां से उठकर अंदर चला आता है
कि तभी उसे ध्यान आया कि उसने बुआ को बताया
ही नहीं कैसी चाय पीता है तो वो उसीपल उन्हें बताने
को चल दिया-
"बुआ को तो बताया ही नहीं मै ज्यादा मीठी चाय नहीं पीता अभी बताकर आता हूं और कार्तिक माही के घर
चला आता है,जहां पर किचन में मेनका जी उसके लिए चाय बना रही थी-"कार्तिक आज तो हम तुम्हें ऐसी चाय पिलाएंगे कि तुमनें कभी वैसी चाय नहीं पी होगी,हमारे हाथ की पहली चाय और तुम्हारी जिंदगी की आखिरी चाय तुम्हारे लिए कहते-हँसते हुए वो कार्तिक की चाय में जहर की पुडिया मिला देती है-"माही जब सुनेगी मैनैं रास्ते के कांटे को हटा दिया जहर देकर तो बहुत खुश होगी!"
मेनका जी की ये बातें कार्तिक सुन भी लेता है और वो
उन्हें चाय में जहर मिलाते देख भी लेता है वो तब कुछ नहीं कहता.....वापस अपने घर अपने रूम में आकर बैठ जाता है,मेनका जी कार्तिक को चाय देने उसके घर आती है-"कार्तिक तुम्हारी चाय"
उनकी आवाज सुन कार्तिक खुद उनसे चाय लेने आ जाता है -"बुआ बन गयी चाय?"
"हां बना दी लो जल्दी पी लो"कहते वो कार्तिक को चाय का कप थमा देती है,
"मीठा सही डाला है ना बुआ?"कार्तिक ने पूछा,
"हाँ बिल्कुल सही माही ने बताया था तुम ज्यादा मीठी चाय नहीं पीते"मेनका जी ने मुस्कुराते हुए कहा,तो वो भी मुस्कुरा दिया-"अच्छा थैंक्स बुआ,वैसे माही कहाँ है?" कार्तिक ने माही के बारे में पूछा,
"वो मार्केट गई है थोड़ी देर में आ जाएगी,तुम चाय पी लो ठंडी हो जाएगी,गर्म गर्म पीओगे तो सिर दर्द चला जाएगा....पी लो"मेनका जी ने चाय के कप की इशारा किया,
"पीता हूं,मैं छत पर जाकर पीता ह़ूं चाय,मौसम अच्छा है ना,थैंक्यू बुआ आपने चाय बनाई मेरे लिए,एंड सॉरी मैनैं आपको परेशान किया,अब आप अपने काम कर
लो बुआ और हां मेरी च़िंता मत करना आपकी बनाई चाय से मेरा सिर दर्द एकदम ठीक हो जाएगा"बोलकर
कार्तिक टेरिस पर चला आया....हाथ में मौजूद चाय के कप की ओर देखा-"इस चाय में जहर,क्या माही ऐसा चाहती है...."
__________
कार्तिक उसे पता कैसे चला मेनका जी और माही दोनों को बता देता है,उसकी बात सुन दोनों एक दूजे की ओर देखती है,कार्तिक दोनों से-"मैनैं सोचा शायद दुश्मनी है इसलिए मुझे मारने का प्लान हो ,पर मुझे ये भी देखना था इस प्लान में माही शामिल है या नही जब मार्केट से तुम आई तो मैनै देखा तुम्हें कि तुम आ चुकी हो और फिर वो चाय मैनैं गमले में डाल दी,मुझे बस देखना था कि जब बुआ तुम्हें बताएगी कि चाय में मुझे बुआ ने जहर दे दिया तो तुम्हारा रियेक्शन कैसे होता है,जैसे
ही तुम मुझे पुकारते यहां दौड़ी आई तो मैनै लेटने का नाटक किया,इससे एक बात तो साबित हो गयी माही तुम मुझे मारना नहीं चाहती हो,तुम्हारे आंसूओ ने और इंमोशन्स ने बता दिया मुझे कि तुम नहीं चाहती मै मर जाऊं.....अरें आप दोनों चुप क्यों है बोलो कुछ?"
पर दोनों कुछ नहीं बोलती है,माही तो खुद से कह रही होती है -"अच्छा है इसने चाय नहीं पी,और मेनका जी उसकी साइड में खड़ी कार्तिक को घूर रही थी,,,तभी
कार्तिक"थैंक्स बुआ चाय बहुत अच्छी थी"कह वहां से चला गया!
मेनका जी-"पता नहीं इसे कैसे पता चल गया,बच गया बना बनाया प्लान फैल कर दिया इस कार्तिक ने!"
माही-"अच्छा हुआ ,बहुत अच्छा हुआ कि कार्तिक को पता चल गया था और उसने वो चाय नहीं पी,वो ठीक है और बुआ आपने ऐसा क्यों किया,जानती हो आपने कितनी बड़ी गलती कर दी,हमारा जो मकसद है वो पूरा नहीं होता अगर आज कार्तिक को कुछ हो जाता तो?"
मेनका जी-"ऐसे कैसे नहीं होता,पंकज के मरने के बाद सब कार्तिक के नाम है उसके बाद सब तुम्हारा!"
माही बुआ को कंधे से पकडते-"नहीं बुआ नहीं होता ,
कार्तिक के पापा ने सब अपने होने वाले पोते के नाम किया हुआ है,और कार्तिक के मरने के बाद सीधे किसी को नहीं मिलेगी,जब तक कार्तिक साइन करके नाम न करें दुकाने वो किसी के नाम नहीं हो सकती है,कार्तिक के साइन किए पहले उसे कुछ हुआ तो हमें हमारा हक नहीं मिलेगा बुआफिर जो उसकी मां चाहेगी ना वैसे ही होगा समझ रहे हो आप,रमा देवी कभी भी हमें हमारी दुकानें नहीं देगी!"
मेनका जी अपना सिर पकड़ लेती है-"ओह बुड्ढा जाते जाते ये सब भी कर गया,तो क्या अब कार्तिक के साथ तुझे रिश्ता बनाना पड़ेगा माही उसके साथ तुम.....कि माही बोल पड़ी-"कभी नहीं कैसी बातें कर रही हो आप
बुआ,बाकी खेल खेलना अलग बात है न,इसलिए ऐसा कुछ नहीं करेंगे हम,आपने देखा ना बुआ कार्तिक को एक गलतफहमी हो चुकी है कि हम उसको नहीं मार सकते बस यही गलतफहमी अब हमारे काम आएगी और कार्तिक(मुस्कुराते)खुद सब हमारे काम करेगा!"
मेनका-"तो वो सोच रहा है तुम उससे...."
"बस बुआ अभी तुम कुछ मत करना प्लीज हम संभाल लेंगे सब,बाद में जो तुम चाहो,ओके कहकर माही वहाँ से चली जाती है...."
【कार्तिक का कमरा】
कार्तिक वैसे तो गुस्से में होता है पर माही का उसके लिए परेशान होना,उसको कुछ हो न गया हो सोचकर घबराना....याद कर वो खुश भी हो रहा था-"फिक्र भी
है और प्यार भी,जान चुका हूं मै माही,बस अब दुश्मनी खत्म कर दूं हमारे बीच की,फिर तुम्हें सच भी बता दूंगा हमारी कोई गलती नहीं थी ,पापा ने क्यों किया वो सब और रही दुकानों की बात तो वो मुझे नहीं चाहिए मुझे सिर्फ माही चाहिए मेरी माही और पता है तुम्हें भी तो मुझसे प्यार है इसलिए तो तुम मेरे साथ हो,अभी तुम्हें यकीन नहीं पर जल्द तुम्हें यकीन हो जाएगा मेरे प्यार पर भी और खुद फिलिंग्स पर भी!"
(क्रमशः)
कार्तिक कार्तिक डॉक्टर प्लीज कार्तिक को कुछ नहीं होना चाहिए ,कार्तिक तुमने वो चाय क्यों पी जहर था उसमें.....माही अपने घर अपने रूम में बैड पर लेटी ये
सब बड़बड़ा रही थी वो नींद मे थी कि तभी वो कार्तिक
का नाम लेते चिल्ला उठी और उठ बैठी......पसीने से
तर बत्तर,घबराई डरी हुई.....वो इधर उधर देखती है तो
पता चलता है उसने सपना देखा है,वो गहरी सांस भरते खुद से-"ये सब क्या है इतना बुरा सपना वो भी कार्तिक का.......हम इतने परेशान क्यों हो रहे है क्या हो रहा है बप्पा नींद में भी कार्तिक.......और फिर पूरी रात माही की करवटें लेती गुजर रह जाती है,कार्तिक का ख्याल जाता ही नहीं वो न चाहकर भी उसके बारे में सोचते यह जाती है!
_________
"लो चाय "माही ने कार्तिक से कहा,
"इसमें जहर तो नहीं है?" कार्तिक ने पूछा,
ये सुन माही मुस्कुरा दी-"पीकर देख लो,वैसे तुम्हें पता तो है हम तुम्हें कभी जहर नहीं देंगें(कार्तिक की ओर
प्यार से और एकटक देखते हुऐ)हम तुम्हें कभी मारना
नहीं चाहेगें......"
"हाँ जानता हूं प्यार जो करती हो और वैसै भी तुम तो ताने देकर पल पल मारने वालों में से हो जहर कहाँ काम करेगा?"कार्तिक चाय का कप लेकर चाय का
घूंट भरते माही की ओर आंख मारते बोला,
"कुछ भी" माही ने मुस्कुराते शर्माते कहा और वहां से जाने लगी कार्तिक चाय का कप टेबल पर छोड़ माही का हाथ पकड़ उसे अपनी ओर खींच लेता है और उस की कमर पर हाथ रखते हुए प्यार से बोलता है-" इतने नखरे क्यों करती हो तुम?"
"ये क्या कर रहे हो तुम "माही उसकी ओर देखते बोली,
कार्तिक माही के चेहरे से बाल हटाने लगा-"पति हूं मैं तुम्हारा प्यार करता ह़ूं तुमसे तो कुछ भी कर सकता हूं,
कहते वो माही के करीब आने लगा ये देख माही मन ही मन खुद से-"ये तो पास आने की कोशिश कर रहा है!"
तभी माही उसे रोकती है,खुद से दूर करते कहती है-"
कार्तिक सुनों.....पर कार्तिक उसे बोलने नहीं देता है
-"तुम सुनों,मुझे तुम्हें कुछ बताना है पर माही वहां से "काम है "कहकर खुद को उससे छुड़ाकर वहां से भाग जाती है!
________
कार्तिक माही को अपना बनाने की पूरी कोशिश करता है पर माही उसकी नहीं सुनती है वो जब भी माही को कुछ बताना है कहता है माही बहाना बनाकर निकल जाती है,देखते देखते काफी दिन निकल जाते है पर ना तो माही कार्तिक की कोई बात सुनती है क्योंकि माही को कार्तिक का इरादा कुछ और ही लगता है और माही का इरादा सिर्फ अपनी दुकानें वापस लेना था तो वो कार्तिक को सिरियश नहीं लेती उसका पूरा ध्यान बस
अपने मकसद को पूरा करने पर होता है पर कार्तिक का प्यार माही को उसकी ओर खींचे जा रहा होता है जिसे वो नजरअंदाज करने में लगी रहती है!
"क्या बात है आज तो साड़ी में बहुत प्यारी लग रही हो माही कहते कार्तिक माही के गाल को चूमता है ,माही खुद को रोक नहीं पाती है और ना कुछ कह पाती है वो कार्तिक के गले लग जाती है,तभी उसे अपना मकसद याद आ जाता है और वो पीछे हट जाती है कार्तिक ने पूछा-"क्या हुआ?"
"वो मुझे काम है आती हूं तुम्हें तुम्हारी मां बुला रही है"
कहते वो दूसरे काम में लग जाती है,कार्तिक कुछ भी कहता रमा जी उसे आवाज दे देती है-"कार्तिक"
"हां मां"बोलते कार्तिक अपने कमरे से रमा जी के पास चला आया-"बुलाया मां"
रमा जी-"तू ये क्या कर रहा है जानता है उस छोरी के इरादे फिर भी?"
कार्तिक-"आपकी बहु है मां वो,तो आप भी अब मान लो माही को हमारे परिवार का हिस्सा और आपका बेटा प्यार करता है माही से और वो भी!"
रमा जी-"नहीं बेटा,तू समझ क्यों नहीं रहा है!"
कार्तिक-"मां मुझे सब पता है दुश्मनी है वो मै माही को बता दूंगा आज ,पापा ने कुछ गलत नहीं किया ,वो भी शादी को मानती है ,तभी तो साथ है मेरे है ना मैं आता हूं......"बोल कार्तिक घर से बाहर चला जाता है रमा जी आवाज देते रह जाती है-"कार्तिक सुन,ये तो मेरी सुन ही नहीं रहा है ,बेटा वो छोरी तुझको फंसा रही है कोई मायने नहीं रखता रिश्ता उसके लिए,तुम जिसे प्यार शादी समझ रहे हो वो बस नाटक है बुआ भतीजी का!"
_________
"ऐसे तो काम नहीं हो रहा है वो कार्तिक पास आ रहा है और तू क्या कर रही है माही,.....नहीं"माही कार्तिक के बारे में सोचते हुए अपने घर आती है उसे खोया सा देख मेनका जी उसके पास चली आई-"क्या हुआ माही कहाँ खोई है?"
"बुआ हमें आज ही कुछ करना होगा?"माही उनकी ओर देखते बोली,
मेनका जी-"क्या हुआ क्या करना होगा?"
"वो पेपर बनवाए थे मैनैं कहाँ है जिस पर कार्तिक के साइन चाहिए हमें वो लेकर आओ बुआ"माही मेनका जी से बोली तो वो अपने कमरे से एक फाईल ले आई
माही ने उनके हाथ से वो फाईल ली-"इन पर कार्तिक आज ही साइन करेगाबुआ चलो मेरे साथ और फिर चाहे वो कार्तिक जिए मरे मुझे कोई लेना देना नहीं!"
"वो तो मरेगा ही ये देख,मैनैं सोच रखा है पहले ही उस
के साथ क्या करना है.........."मेनका जी माही को गन दिखाते बोली,जिसे देखकर एक पल तो वो परेशान हो गयी पर दूजे ही पल अपने पापा को याद करते बोली
-"मुझे सिर्फ दुकानें चाहिए हमारी,पापा से किया वादा पूरा करना है बस मुझको बाकी आप जानों चलो बुआ
मेरे साथ....माही मेनका जी को साथ लेकर कहीं चली जाती है!"
कार्तिक अपने घर लौटता है और इधर उधर माही को देखता है पर वो नहीं दिखाई देती,दिखाई कैसे देती वो घर पर तो थी ही नहीं...."मां माही कहां है" कार्तिक ने रमा जी से पूछा,
रमा जी-"मुझे क्या पता, होगी यहीं कहीं!"
तभी कार्तिक का फोन रिंग किया,वो फोन चेक करता है.....मेनका जी उसको कॉल कर रही थी......वो बुआ
कहते कॉल पिक करता है-"हेल्लो बुआ"
कि फोन उठाते ही कार्तिक को मेनका जी की घबराई सी आवाज सुनाई देती है-"कार्तिक.... कार्तिक माही को बचा लो कार्तिक मेरी बच्ची को बचा लो!"
ये सुन कार्तिक हैरान ही नहीं परेशान भी हो जाता है-"माही .....क्या हुआ माही को,बुआ कहां है माही,
कहां हो आप बुआ....."
"वो वो मंदिर वाली पहाड़ी"मेनका जी ने इतना बोला कि फोन कट हो गया.....कार्तिक हेल्लो हेल्लो बुआ बुआ
करते रह जाता है.....मेनका जी को फोन करता है पर उनका फोन बंद आता है....उसे माही का ख्याल आता है वो घबरा जाता है और माही के बारे में सोचते जोर से
माही चिल्लाता है!
रमा जी परेशान हो गयी-"क्या हुआ कार्तिक"
"मां माही मेरी माही".....वो बिना कुछ और बोले रमा जी को बिना कुछ बताये ,माही का नाम लेते वहां से भागते हुऐ चला जाता है और जल्द से जल्द वो मंदिर वाली पहाड़ी पर पहुंचाता......माही का नाम लेते हुऐ
वो इधर उधर दौड़ते माही को ढूंढता है उसे पुकारता है,
कार्तिक की हालत देख साफ पता चल रहा था वो माही को लेकर कितना परेशान है,माही को देखने के लिए वो तड़प रहा था पर उसे माही वहां नजर नहीं आ रही थी माही छोड़ो कोई भी नहीं था वहां!"
कार्तिक डरा घबराया इधर उधर पागलों की तरफ दौड़ रहा था-"कहां हो माही.....माही"वो जोर जोर से माही का नाम लेकर चिल्लाने लगा कि तभी वहां मेनका जी आ गयी,कार्तिक उन्हें देखते ही भागा उनके पास चला आया....वो हांफ रहा था-"बुआ...बु...आ माही कहां है
कहां है माही.....वो कुछ बोलती कि माही की आवाज
आई-"यही हूं मैं कार्तिक देखो यहीं हूं!"
माही की आवाज सुन कार्तिक मुस्कुरा उठा,उसने फट से पीछे मुड़कर देखा,उसके ठीक सामने थोड़ी दूरी पर माही खड़ी थी बिल्कुल सही सलामत.........उसे ठीक देख कार्तिक की जान में जान आई,,,,,वो"माही"कहते
माही के पास आया और उसे अपने गले लगा लिया-"
तुम ठीक हो,बुआ का फोन आया माही मुझे,मै तो डर ही गया था.....वो बोल रहा था कि माही ने कार्तिक को पीछे की ओर धक्का देते खुद से दूर कर दिया,यह देख
कार्तिक हैरानी से भर गया....वो कुछ कहता मेनका जी हंस पड़ी-"बेवकूफ बनाया तुम्हें कार्तिक और तुम बन गये!"
कार्तिक उनकी ओर देख माही की ओर देखता है जो
मुस्कुरा रही थी,मेनका जी फिर से बोली-"हमनें झूठ बोलकर बुलाया तुम्हें यहां,पता था हमें माही का नाम सुनकर तुम दौड़े चले आओगे?"
माही-"और देखो आ गया और इस बात पर दोनों बुआ भतीजी हँसने लगी.....कार्तिक हैरानी से दोनों की ओर देखते-"झूठ बोला पर क्यों,बेवकूफ बनाया क्या मतलब
है बुआ आपकी इन बातों का....?"
"क्या मतलब ,ये मतलब बेमतलब की बातें छोड़ो तुम टाइम खराब मत करो वैसे भी टाइम बर्बाद कर लिया हमनें अब और नहीं चलो जल्दी से पेपर पर साइन करो माही फाईल और पैन कार्तिक के आगे करते हुए बोली,
कार्तिक माही से नजरें हटाकर फाईल की ओर देखता है आईमीन पेपर्स की ओर जिनपर माही साईन करने को कह रही थी उसे.........कि तभी बुआ कार्तिक के पास आकर उसपर गन तान लेती है-",हाँ कर दे साइन अब कोई और बहाना नहीं,बहुत हो चुका अब से सारे खेल बंद,मेरी माही तेरे साथ खेल खेलते थक चुकी है अब खेल वेल खत्म करो!"
माही कार्तिक के हाथ में फाईल खोलकर रख देती है-
सही कहा बुआ आपने अब मुझसे और तो नहीं खेला जाएगा बस कार्तिक खत्म करो,साईन करो इनपर फिर तुम अपने रास्ते हम अपने रास्ते.....हिसाब चुकता और
खेल खत्म!"'
कार्तिक-"कैसा खेल कौन सा खेल?"
फिर माही कार्तिक सब कहती है अब तक जो उसने किया था क्यूं किया क्या किया था क्या मकसद था कार्तिक के साथ वो क्यूं रह रही थी,नाटक था उसका वो सब झूठ था उसने अपनी दुकानें वापस लेने के लिए किया था.....जिसे सुन कार्तिक को धक्का सा लगता है उसे यकीन नहीं होता जो हुआ वो सब माही का प्लान था.....-"क्या सब खेल था वो भी इन दुकानों के लिए सब झूठ था माही,मुझे तो लगा था दुश्मनी के चलते तुम शुरू शुरू में हमें परेशान करने हमारे घर आई हो
पर बाद में मुझे लगा तुम अपने मन से मेरे साथ रह रही हो तुम भी चाहती हो सब ठीक हो,मैनैं तुम पर यकीन किया तुम्हारी हर बात सच मानी.......पर तुमनें धोखा दिया हमें,मेरे साथ नाटक किया,बुआ के साथ मिलकर तुमनें साजिश रची दुकानें वापस पाने के लिए तुमनें मेरे इमोशन मेरी फिलिंग के साथ भी खेला!"
माही हां में सिर हिलाती है-"हाँ सही समझे!"
"मतलब प्यार भी वो बाते....सब झूठ"कार्तिक अपना सिर पकड़ते बोला......."ये सुन माही कार्तिक की ओर देखते रह जाती है और मेनका जी बोलती है-"हाँ प्यार व्यार सब नाटक था और कुछ भी नहीं हो सकता तुम दोनों के बीच में!"
"हाँ ,सिर्फ दुश्मनी है हमारे बीच और वहीं रहेगी ताउम्र चलो पेपर साइन करो"कहते माही ने फाईल की ओर इशारा किया......कार्तिक फाईल की ओर देखते दोनों की ओर देखता है,कार्तिक को दोनों पर गुस्सा आ रहा था,बुआ गन ताने ताने-"कर जल्दी से साईन"बोलती है और मन ही मन खुद से-"साईन करदे फिर मैं तुम्हें भी मार दूंगी ........आज सारी मुसीबत जड़ ही खत्म कर दूंगी.....कि तभी कार्तिक फाईल पर साईन करने की एक्टिंग करते फाईल को साईड में फैंककर मेनका जी से गन छीन लेता है.......!"
(क्रमशः)
कार्तिक ने मेनका जी से गन छीन ली और उन्हें खुद से दूर धक्का दे दिया,वो जमीन पर जा गिरी,बुआ... माही चिल्लाती है और उनके पास जाने लगती है कि कार्तिक माही का हाथ पकड़ उसको घुमाते हुए उसकी कनपटी पर गन रख लेता है,ये देख मेनका जी जोर से चिल्लाई
-"माही........."और माही की भी चीख निकल गयी,वो खुद को कार्तिक से छुड़ाने की कोशिश करने लगी तो कार्तिक बोल पड़ा-"हिलना मत वरना अभी गोली चल जाएगी".....ये सुन माही ने हिलना ढुलना बंद कर दिया
मेनका जी नीचे से उठी,वो माही कहते उनके पास आने लगी कार्तिक उन्हें रोक देता हैं-"वहीं रूक जाईए वरना आपकी माही को इसी वक्त उड़ा दूंगा"
मेनका जी जोर से"नही"बोली और जहां थी वहीं पर ही रूक गयी, कार्तिक माही से-"इतना बड़ा धोखा माही वो भी मेरे साथ,जो दुश्मनी थी हमारे बीच मैनै सोचा था मै उस दुश्मनी को दूर कर दूंगा तुम्हें बताऊंगा मैं पूरा सच तुम जानोगी सच क्या है,पता है मैं कब से बताना चाह रहा हूं तुम्हें सच,पापा ने क्यों किया?वो सब बताने की मैनैं कोशिश भी बहुत बार की है पर पर तुमने सुना ही नहीं,एक मौका न दिया सच्चाई सामने लाने का,जब भी चाहा आज बता दूंगा तब तब माही तुम बहाने बनाकर निकल जाती,आप दोनों(बुआ की ओर देखते) सच में सच जानते भी हो क्या?"
मेनका जी-"हम सब जानते है!"
"हाँ धोखा देना तुम लोगों का काम है,अब क्यों मिर्ची लग रही है तुम्हें टिट फॉर टेट ही तो किया है हमनें?"
माही भी बोलती है,
-"धोखा हमनें नहीं तुम्हारे ताऊ ने दिया कहते कार्तिक सब बताने लगा-"माही तुम्हारे पापा और मेरे पापा साथ काम करते थे,तुम्हारे ताऊ जी के कहने पर तुम्हारे पापा ने मेरे पापा की सारी जमीन पर कर्ज दिलवाकर तुम्हारे ताऊ जी को दे दिया पर वो कर्जा चुकाया नहीं,हमारे पास वहीं सब था,चंद जमीन जो हमसें छिन गयी और
उसके चलते हम सड़क पर आ गए,जब तुम्हारे पापा से मेरे पापा ने कहा कि तुम्हारे ताऊ जी ने सही नहीं किया उन्हें कहो कर्ज चुकाए मदद करे हमारी पर तुम्हारे ताऊ के कहने पर तुम्हारे पापा पीछे हट गये,उन्होनें ना खुद
हेल्प की ना ही तुम्हारे ताऊ जी को बोला,मेरे पापा का साथ देने की जगह तुम्हारे पापा ने तुम्हारे ताऊ जी का साथ दिया,पार्टनर थे पहले तुम्हारे पापा और मेरे पापा बाद में सिर्फ चंद टुकड़ो पर जीने वाला बना दिया मेरे पापा को तुम्हारे पापा और ताऊ जी ने तो बस फिर मेरे पापा ने साइन करवा लिया दुकानों के पेपर पर और उन सबको बेच कर उनके नाम लिया ही कर्जा उतार पाए थे मेरे पापा और ये दुकाने जिन्हें तुम अपना मानती हो ये तुम्हारी नहीं है नहीं है तुम लोगो की मेरे पापा ने खुद बनाई थी लोन लेकर पर पापा को उस दिन के बाद तुम सब से नफरत हो गई हम सबको कितनी तकलीफ में रहना पड़ा तुम क्या जानों पांच साल कैसे गुजरे हमारे तुम लोग तो सोच भी नहीं सकते और जब तुम्हारे पापा ने खुद की जानले ली तो तुम्हारे ताऊ जी ने पापा पर इल्जाम लगा दिया और आप दोनों हमें दुश्मन मान बैठै
सब कुछ छिना है ना हम सब से वो तुम्हारे ताऊ जी ने और किसी ने नहीं,कसूरवार वो थे हम नहीं!"
ये सुन माही क्या मेनका जी भी हैरान हो गयी,माही ना में सिर हिलाने लगी-"नहीं,नहीं ऐसा नही हो सकता झूठ बोल रहे हो तुम!"
कार्तिक-"नहीं झूठ नहीं सच कह रहा हूं विश्वास नहीं होगा तुम्हें मुझपर पता है मुझे पर सच यही है चलो छोड़ो अब क्या फायदा तुम्हें तो सिर्फ दुकाने चाहिए
थी न और अब कोई खेल खेलने की जरूरत भी नहीं
है तुम्हें माही,पापा को डर था मुझे वो सब न सहना पड़े जो उन्होनें सहा तुम सब से दूर रखा हमें पर जब हम साथ आ गए तो पापा ने पेपर्स चेंज कर दिए ताकि तुम मुझसे कुछ छीन न लो धोखा न दे दो मुझे,मै तो सोचता था मुझे नहीं दोगी तुम कभी धोखा पर मुझे क्या पता था प्यार वो सब झूठ इन पेपर्स के लिए,दुकानों के लिए माही मेरे लिए दुकाने मायने नहीं रखती,मैनैं तुमसे प्यार किया है और आज मैनै ये दुकाने तुम्हारे नाम कर भी दी थी,आज तुम्हें बताने वाला था मैं यह भी,मेरा सब कुछ तुम्हारे नाम हो चुका है यही चाहिए था ना कहते हुए कार्तिक गन अपनी कनपटी पर रख लेता है -"तुमने प्यार ना सही पर मैनै किया है सच्चा प्यार तुमसे आई लव यू माही आई लव यू कहते कार्तिक गन चला देता है!
गोली चलने की आवाज सुन माही अपने कानों पर हाथ रख लेती है....कार्तिक को गोली लगने से खून माही की मांग में गिर जाता है और कार्तिक भी पीछे गिर जाता है
माही अपनी मांग पर लगा खून देखते हुए पीछे मुड़ती है,जमीन पर पड़े कार्तिक की ओर देखते हुए घबराई सी मेनका जी की ओर देखती है-"बुआ इसने अभी जो कहा,वो....बुआ इसने जो कहा वो सच है ,बुआ बोलो न?"
मेनका जी उसके पास आती है-" माही...इसने तो खुद को गोली मार ली,माही हमें तो पता ही नहीं था इसने जो कहा वो..........बुआ इतना ही कह पाई माही की आंखो में आसूं बहने लगते है-"बुआ ये क्या कर दिया
हमने और कार्तिक चिल्लाते हुए वो कार्तिक के पास बैठ जाती है-"कार्तिक कार्तिक बोलो कार्तिक सुन रहे हो ना कार्तिक एम सॉरी मुझे नहीं पता था,कार्तिक तुम्हें कुछ नहीं हो सकता समझे कुछ नहीं और सीने पर सर रख कर देखती है-"बुआ सांस चल रही है!",,,और फिर वो कार्तिक को जल्दी से हॉस्पिटल लेकर जाती है!
_________
कार्तिक की हालात बहुत क्रिटिकल हो जाती है उसको
ऑपरेशन थियेटर में ले जाया जाता है,रमा जी भी वहां आ जाती है और आते ही वो माही पर गुस्सा करते उसे थप्पड़ लगा देती है-"क्या कर दिया छोरी तूने, कहा था उसे तू अच्छी लड़की नही है धोखा दे रही है नाटक कर रही है पर उसने न मानी, तेरी वजह से मेरा बेटा जिंदगी और मौत के बीच जूंझ रहा है ,तू और तेरा बाप हमारी जिदंगी पर ग्रहण हो,पहले तेरे बाप ने कोई कसर नही छोड़ी जिंदगी बर्बाद करने में फिर तू आ गयी.....कहते
रमा जी रो पड़ी,माही उनके पास आने लगी-"म़ां......"
रमा जी उसके सामने हाथ कर देती है-"पास मत आना मेरे मनहूस कहीं की जा यहां से और हां दूर रहना मेरे बेटे से......वो माही पर चिल्लाते हुऐ माही को धक्का देकर वहां से निकाल देती है -"कैसी पत्नी है रे तू छी: करवाचौथ वाले दिन ही पति को मारने चली,आज के दिन पत्नी पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है पर
तूने तो जान ही लेनी चाही,क्या हालत कर दी तूने मेरे बेटे की चली जा यहां से चली जा.....निकल जा यहां से!"
माही नम आखें लिये मेनका जी की ओर देखती है -"बुआ.......कार्तिक!"
मेनका जी-"कुछ नहीं होगा उसे माही कुछ नहीं होगा कार्तिक को......और माही वहां से रोती हुई चली होती है,रमा जी रोते हुए वही बैठ जाती है,मेनका जी उनके पास आती है और कंधे पर हाथ रखते माफी मांगती है -"हमें माफ कर दो रमा....."
रमा जी मेनका जी का हाथ हटा देती है,मेनका जी फिर हाथ जोड़ लेती है-" सच में रमा हमें नहीं पता था बड़े
भईया का किया धरा था सब,हम तो आपको जिम्मेवार मान बैठे ,दुश्मन बना लिया जिनसे सिर्फ बदला लेना था हमें,सच तो आज कार्तिक ने बताया और फिर उसने खुद को ही गोली मार ली,गलती हुई है हमसे,माफ कर दो हमें,माफ करदो रमा,रमा जी रोये जा रही थी!
मेनका जी उनके पास बैठ गयी-"चिंता मत करो कुछ नहीं होगा कार्तिक को जिसने गलत नहीं किया उनके साथ बुरा थोड़ी होगा सजा तो हमें मिलनी चाहिए,हमें
न कि उसे.....बोलते वो भी रो पड़ी,रमा जी रोते - रोते उनके गले लग गयी....."
_________
【पहाडी़ वाला मंदिर】
माही मंदिर जाती है और दुर्गा मां की मुर्ति के सामने हाथ जोड़ खड़ी जाती है-"ये क्या हो गया दुर्गा मां हम
से प्लीज कार्तिक को बचा लो सब मेरे कारण हुआ है प्लीज उसे कुछ मत होने देना और फिर रोते रोते वही बैठ जाती है-"बचा लो बचा लो कार्तिक को मेरे कार्तिक को बचा लो प्यार करती हूं मैं उससे मुझे नहीं पता था पर मै बहुत प्यार करती हूं उससे बचा लो मेरे प्यार को बचा लो........बोलते वो दुर्गा मां के सामने अपना सिर झुका लेती है......."
(क्रमशः)
इधर माही मंदिर में कार्तिक के लिए प्रार्थना करते हुए
दुर्गा मां से अपनी गलती की माफी मांग रही थी उधर
हॉस्पिटल में कार्तिक का ऑपरेशन होता है जिसके उसकी हालत में कुछ सुधार आ जाता है,जान बच जाती है कार्तिक की,जान का जोखिम हट जाता है!
डॉक्टर ये खबर रमा जी और मेनका जी को आकर
देते है तो दोनों बहुत खुश होती है,गले लगती है और डॉक्टर को धन्यवाद कहती है और कार्तिक के बारें में पूछती है -"कैसा है ,अब कोई खतरा तो नहीं?"
डॉक्टर बताता है-"कोई खतरा नहीं है अच्छा हुआ जो उनकी पत्नी उन्हें टाइम पर ले आई हॉस्पिटल... थोड़ी देर बाद कार्तिक को होश आ जाता है बुआ और रमा जी कार्तिक से मिलती है,मेनका जी कार्तिक से माफी मांगती है,रमा जी भी उन्हें माफ कर चुकी होती है,ये जानकर कार्तिक भी उन्हें माफ कर देता है-"सब ठीक है,बुआ सब भूल जाओ"कहता है......मेनका जी उसे
अपने सीने से लगा लेती है!
कार्तिक की नजरें माही को ढूंढती है,वो उसे वहां नजर नहीं आती तो वो अपनी मां और बुआ से उसके बारे में पूछता है-"माही कहाँ है?"
रमा जी-"वो ही तुझे वक्त पर यहां लेकर आई थी बेटा,
मेनका ने बताया तुमने खुद को गोली मार ली थी,ऐसे नहीं करना चाहिए था कार्तिक तुझे!"
कार्तिक-"सॉरी मां....मुझे माही के बारें में बताईऐ न वो कहां है....आपने उसे कुछ कहा था क्या?"
ये सुन रमा जी मेनका जी एक दूसरे की ओर देखती है रमा जी कार्तिक को सब बता देती है उन्होनें क्या क्या बोला माही से..... और फिर मेनका जी कहती है-"उस
के बाद पता नहीं वो कहां चली गयी....आई भी नहीं वो
यहां?"
रमा जी-मैनैं उसे यहां से भगा दिया था"
मेनका जी-"बहुत परेशान हो रही थी वो तुम्हें लेकर खुद को जिम्मेवार भी मान रही थी पता नहीं कहाँ है अब?"
ये सुन कार्तिक परेशान हो जाता है उसे माही की फिक्र होने लगी.........वो माही के पास जाने के लिए बैड से
खड़ा होने लगा तो नर्स उसे रोकती है-"आपको आराम की जरुरत है अभी आप कहीं नहीं जा सकते...कहते मना करती है पर कार्तिक उसकी नहीं सुनता है!"
"मुझे पता है कहाँ है माही"बोलते वो हॉस्पिटल से चला जाता है........रमा जी मेनका जी भी उसके साथ चली
जाती है,तीनों को ही माही की चिंता होने लगी,कार्तिक जल्द से जल्द माही के पास जाना चाहता था और फिर
तीनों पहाड़ी वाले मंदिर चले आते है और माही को वहां
पर ढूंढते है.....पर वो उन्हें ना तो मिलती है और ना ही दिखाई देती है,तभी कार्तिक की नजर पंडित जी पड़ी वो भागा उनके पास आया और उन्हें माही के बारे में
बताते हुऐ उनके माही का पूछा!
रमा जी,मेनका जी भी वहां आ गयी!
कार्तिक की बात सुन पंडित जी सोचने लगे और फिर
कार्तिक से बोले जो बड़ी उम्मीद भरी नजरों से उनकी तरफ देख रहा था -"हाँ दोपहर से यहीं तो बैठी थी,रो रही थी वो लड़की,किसी के लिए प्रार्थना कर रही थी,
हाँ अपने पति के लिए,उसे मांग रही थी माता रानी से,
करवा चौथ की पूजा भी की उसने सब औरतों के साथ आज करवाचौथ है ना बेटा!"
तीनों एक दूसरे की ओर देखते है''यहां थी वो फिर कहां
गयी पता है आपको पंडित जी?"
रमा जी-"आपने उस छोरी को यहां से जाते देखा क्या
पंडित जी"
कार्तिक-"जल्दी बताईऐ पंडित जी,यहां से कहां गयी?"
"पता नहीं बेटा कहाँ गई थोड़ी देर तो पहले यहीं पर ही थी....."बोलते पंडित जी ने एक लड़के को आवाज दी-"
अरें छोटू सुन तो वो लाल साड़ी वाली बिटिया जो यहां बैठी थी थोड़ी देर पहले उसको देखा क्या,कहां गयी वो
तुझे पता है क्या?"
छोटू उनकी तरफ चला आया-"हां बाबा देखा ना अभी देखा वो पहाड़ी की ओर जा रही थी रोते हुऐ,बहुत रो रही थी वो दीदी मैनैं पूछा तो कुछ नहीं बोली!"
कार्तिक जोर से बोला-"पहाड़ी....."और वो पहाड़ी की ओर भागा....रमा जी मेनका जी भी पीछे पीछे भागी!
________
माही पहाड़ी की ओर जा रही थी,खराब हालत,रो रही
थी खुद से बड़बड़ा रही थी-" पता नहीं कार्तिक कैसा होगा,बुआ ने फोन भी नहीं किया मुझे,कुछ हो गया तो कार्तिक को,नहीं नहीं सब हमारी वजह से हुआ है अगर उसे कुछ हो गया तो हम जी कर क्या करेंगें उसके बिन हमारी वजह से उसकी जान चली गयी तो हम कैसे जी सकते है,हमें भी जीने का कोई हक नहीं है गलती नहीं पाप हुआ है हमसे कार्तिक की जान लेने का पाप,कभी
माफ नहीं कर सकते हम खुद को......कि तभी माही के
कदम रूक गये,तेज हवा के झोंके ने उसे आगे बढ़ने से रोक दिया.....दिल की धड़कने बढ़ गयी....."
"माही"........कार्तिक की आवाज आई,माही फट से
पीछे मुड़ी तो देखा कार्तिक खड़ा था,जो घबराया सा
उसकी ओर ही देख रहा था.....रमा जी मेनका जी भी
वहां आ गयी.....माही तीनों की ओर देख कार्तिक को
ऊपर से नीचे तक देखती है और हल्का सा मुस्कुराते
दौड़ी उसके पास चली आती है-"कार्तिक,कैसे हो तुम ठीक हो तुम....बोलते वो कार्तिक के सर पर हाथ रख
उसे छूती है.....कि कार्तिक की आह निकल जाती है!
"सॉरी सॉरी......बोलते वो अपने कान पकड़ लेती है-"
दर्द हो रहा होगा न,पर तुम ठीक तो हो न,बोलो ना?
वो बार बार कार्तिक से उसकी हालत का पूछ रही थी
उसके पास अपने हाथ लाती वापस खींच लेती उसको
दर्द होगा सोचकर......माही की आखों से आंसू बह रहे
थे कार्तिक उसे देखे जा रहा था........एक तरफ माही
तड़प रही थी जानने के लिए कि कार्तिक ठीक है?वही
कार्तिक को सकून मिल रहा था माही को देखकर वो सामने है वो ठीक है!
माही तीनों की ओर देखते चिल्ला दी-"कुछ तो बोलो"
कि कार्तिक माही का चेहरा हाथों में भर लेता है और उसके आंसू पौंछता है-"हाँ मै ठीक हूं,बिल्कुल ठीक!"
माही उसकी गाल पर हाथ रखती है-"सच कह रहे हो"
मेनका जी रमा जी एक साथ बोली-"हां सच"
माही मुस्कुरा उठी-"थैंक्यू बप्पा आपने कार्तिक को बचा लिया .....कार्तिक ठीक है थैंक्यू!"
कार्तिक -"बप्पा को थैंक्यू तो ठीक है पर तुम यहां पर क्या कर रही हो?कहां जा रही थी तुम?"
ये सुन माही इधर उधर देखने लगी...."बोलो" कार्तिक
ने उसका चेहरा अपने सामने किया,वो कुछ कहती वो खुद ही बोल पड़ा-"मुझे बचाकर फिर मारने जा रही थी
मुझे,तुम तो मेरी जान के पीछे हाथ धोकर पड़ गयी हो,
जीते हुऐ अच्छा नहीं लगता क्या मैं तुम्हें,मुझे मारकर
ही खुशी मिलेगी क्या तुम्हें......कि माही उसके मुंह पर
हाथ रख देती है-"नहीं,कभी नहीं ये क्या बोल रहे हो,
नहीं कार्तिक हमें तुम्हें मारकर खुशी नहीं मिलेगी सच कहें अगर आज तुम्हें कुछ हो जाता ना तो हम खुद को कभी माफ नहीं कर पाते और हम खुद भी मर जाते!"
कार्तिक माही के होठों पर अंगुली रख देता है-"हीश्श"
और उसी पल माही को अपने गले लगाकर उसे बाहों में भर लेता है......माही भी उसपर अपनी बाहें लपेट लेती है-"बहुत डर गयी थी कार्तिक मैं बहुत डर गयी थी तुम्हें कुछ हो जाता तो...."
कि रमा जी बोल पड़ी-"ऐसे कैसे कुछ हो जाता मेरे बेटे को ,पंडित जी ने बताया हमें उसकी पत्नी ने उसकी सलामती के लिए पूजा की ,मौत के मुंह से वापस ले आई छोरी तू मेरे बेटे को!"
मेनका जी-"और क्या..........सही किया माही तूने जो
तुमनें पूजा की कार्तिक के लिए और कार्तिक की जान
से खतरा टल गया,ये ठीक है वरना ये रमा हम दोनों को
इसीपहाडी से फैंक देती,जिंदा न छोड़ती!"
इस बात पर कार्तिक हंस पड़ा-"बात तो सही है बुआ
मौत के मुंह से मेरी माही मुझे वापस ले आई,शुक्र है हम सब बच गये.....(माही की ओर देख)है ना!"
माही-"पहुंचाया भी तो मैनैं ही था कार्तिक को मौत के मुंह में .......बोलते माही हाथ जोड़ लेती है-"कार्तिक
आंटी हमें माफ कर दो,हमसे और बुआ से गलती हो
गयी जो हमनें आपको गलत समझा,गलतफहमी ने इतना सब करवा दिया हमसें,जो ठीक नहीं था,बहुत
गलत किया हमनें आपके साथ,एम सॉरी कार्तिक!"
कार्तिक माही के हाथ पर हाथ रख ना में सिर हिलाता है और रमा जी बोलती है-"माफ तो कर दिया है छोरी
,मानते है गलती हुई है तुझसे पर मेरे बेटे की जान भी तो बचाई है ना तुमनें और ह़ां खबरदार जो मुझे आंटी बोला........हिटलर मां कहो वही जो पहले कहती थी समझी!"
इस बात पर सब हंस पड़े!
कार्तिक-"माही भूल जाओ जो हुआ और हमें भी माफ कर दो हमनें भी तो बहुत बुरा किया है(बुआ की ओर)
आपके साथ..........और फिर चारों एकसाथ गले लग जाते है!
और फिर कार्तिक माही का हाथ पकड़कर उसे मंदिर
में ले आता है और माही के साथ पूरी शादी करता है
आज माही सच में उसकी पत्नी बन जाती है और वो
माही का पति,दुर्गा मां को साक्षी मानकर दोनों हमेशा
साथ रहने और शादी निभाने का एक - दूजे से वादा करते है और फिर दोनों बुआ और मां का आशीर्वाद लेते है,वो खुद ही नहीं रमा जी - मेनका जी भी उनके
रिश्ते को आज स्वीकार लेती है.........सब बहुत खुश होते है कार्तिक माही तो सबसे ज्यादा!
________
【कार्तिक का घर】
माही आज दुल्हन की तरह सजी होती है,वो चांद को देखकर माही अपने चांद को देखती है यानि कार्तिक को.........और फिर सारा काम खत्म कर कार्तिक के पास कमरे में आती है जो उसका ही इंतजार कर रहा
होता है!
कार्तिक-"कहां थी तुम"
माही-"मां और बुआ को चाय देकर आई हूं"
कार्तिक-"अच्छा"
माही-"हां.....तुम्हारे हाथों में क्या है?"
"ये वो दुकानों के पेपर्स है"कहते कार्तिक माही की ओर
फाईल्स बढ़ाता है पर माही उसीपल फाईल्स से सारे के सारे पेपर्स निकालकर उन्हें फाड़ देती है-"नहीं चाहिए,
नहीं चाहिऐ मुझे ये पेपर्स नहीं चाहिए दुकानें कार्तिक,
नहीं चाहिऐ(गुस्से से उन पेपर्स के टुकड़े करते)इनकी वजह से ही तो वो सब हुआ था,तुम्हारी जान पर बन आई थी,सही कहते है कार्तिक हमें पूरा सच पता होना चाहिए वजह पता होनी चाहिए नहीं तो इस चक्र में सब बर्बाद होते देर नहीं लगती,दुश्मनी सब खराब कर देती है मुझे खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा है कार्तिक...."
कार्तिक माही को रोकता है उसे शांत करता है-"बस बस .....बस माही....शांत हो जाओ.....गुस्सा छोड़ो!"
माही बैड पर जाकर बैठ जाती है,कार्तिक पास में आ बैठा-"कुछ पूछूं?"
माही ने उसकी ओर देखा-"क्या?"
कार्तिक-"तुमनें मेरे लिए करवाचौथ की पूजा क्यों की?"
माही-"क्या क्यों की,पत्नी है फर्ज था हमारा,मांग भरी थी भूल गये,भले ही आज हमनें पूरी शादी की हो,पर जब हमें प्यार का अहसास हुआ,समझ आया तो उस
वक्त हमें जो सही लगा जो मन किया,अपने प्यार को बचाने के लिए हमसे जो हुआ हमने कर दिया......."
बोलते बोलते माही रूक गयी, कार्तिक उसकी ओर
हैरानी से देख रहा था,.........माही को पता चला वो क्या बोल गयी तो वो वहां से उठकर जाने लगी पर कार्तिक ने उसका हाथ पकड़ उसे रोक लिया और उसके सामने आ खड़ा हुआ-",क्या कहा तुमनें प्यार
का अहसास, इट्स मीन तुम्हें मुझसे प्यार ये कब हुआ?"
माही-"पता नहीं,पर हो गया था जिसका अहसास हमें नहीं था,ना ही पता चला,जब तुम दूर हुए तो पता चला बहुत प्यार करते है हम तुमसे,तुम्हारे बिना हम नहीं जी सकतेे,शायद ये सच था जिससे हम भाग रहे थे और बप्पा मुझे पास ला रहे थे तुम्हारे....हर बार!"
कार्तिक-"बप्पा पास आ रहे थे मतलब?"
"वो पति देव दुश्मनी के वावजूद भी हमें साथ ले आए बप्पा और प्यार करवा दिया एक दूजे से और आज तो वो दुश्मनी भी पूरी खत्म हो गयी,ये सब बप्पा ने ही तो
किया है.....समझे!"
कार्तिक मुस्कुरा दिया-"हां ये तो है बप्पा ने ही किया है सबकुछ........हमें साथ लाना हमें मिलाना,मुझे तुमसे
प्यार,तुम्हें मुझसे प्यार...बप्पा की वजह से मुझे मेरा प्यार मिल गया और सब सही हो गया मैं आज बहुत खुश हूं माही बहुत खुश हूं और एक वादा करते है हम आज एक दूजे से,कभी भी हम गलतफहमी को जगह नहीं देंगे अपनी जिंदगी में......"कहते कार्तिक ने माही
के सामने हाथ किया तो वो मुस्कुराते उसके हाथ पर
अपना हाथ रख देती है-"वादा.......और "आई लव यू बोलते वो कार्तिक की गाल चूम लेती है!"
कार्तिक की भोहें चढ़ गयी-"ये क्या था?"
"प्यार...."कहते माही कार्तिक की दूसरी गाल चूम मंद
मंद मुस्कुराते उसकी ओर आंख मारती है.......ये देख
कार्तिक अपने सीने पर हाथ रख लेता है- "हाय मेरी जान तुम्हारी इसी अदा ने तो मुझे मार डाला था,मुझे
दीवाना बना दिया था तुम्हारा....तुम्हारी साजिश में न
चाहकर भी फंस गया था मैं!"
माही हंस दी-"अच्छा"
कार्तिक ने माही को गोद में उठा लिया-"आई लव यू
आई लव यू टू".....माही का माथा चूम कार्तिक उसे
गोद में उठाए गोल गोल घूमने लगा,माही उसके गले
में अपनी बाहों को उलझा लेती है और फिर दोनों एक दूजे की ओर देखते......एक दूजे की करीब आते चले गये.....सारी दुरियां मिटती गयी,नफरत पिघलती गयी
दोनों एक होते गये,एक दूजे में समाते गये,दोनों के बीच की दुश्मनी प्यार में बदल गयी,दोनों एक दूजे के प्रति "प्यार की कसक" बन गये!!
(क्रमशः)
【अगली सुबह】
कार्तिक माही दोनों अपने बैड पर सो रहे होते है तभी माही अंगडाई लेते हुए बैड पर बैठने लगती है कि कार्तिक माही को अपनी ओर खींचकर अपने हाथ माही की पीठ पर कसते हुए उसे अपनी बाहों में भर लेता है!
माही- "क्या कर रहे हो कार्तिक!"
कार्तिक-"कुछ भी तो नहीं!"
माही-"छोड़ो?"
"कार्तिक-"अब तो तुम चाहों तब भी न छोडू उम्रभर, मेरी आखिरी सांस तक मैं तुम्हें नहीं छोड़ने वाला हूं!"
माही-"फिलहाल छोड़ने को कह रही हूं....कार्तिक सुबह हो गई है!"
कार्तिक ने अपनी आंखे बंद की होती है आंखे बंद किए -किए ही मुस्कुराते हुए कहता है-"कौन सी न्यू बात है सुबह तो रोज ही होती है!"
माही अपनी कोहनी कार्तिक के सीने पर टिकाते हुए-
"अच्छा ....सही कहा कुछ भी नया नहीं है रोज जैसे सुबह होती है हम उठते है रेडी होते है और अपने अपनें काम लग जाते है ,रोज जैसी ही ये सुबह है!चलो उठो हमें ऑफिस भी जाना है और हम लेट हो रहे है देखो सामने घड़ी(दीवार पर लगी घड़ी की ओर इशारा करते)
पहले ही लेट उठे है हम(खुद को छुड़ाने की कोशिश करते)छोड़ो!"
कार्तिक हंसते हुए अपनी आंखे खोलता है और माही का माथा चूमते हुए-"आज मुझे कोई घड़ी वड़ी नहीं देखनी है ,गुजर जाने दो वक्त को मुझे कोई जल्दी नहीं है?"
माही हैरानी से-"मतलब?"
कार्तिक-"तुम मतलब को छोड़ो ये बताओ क्या नया नहीं है आज....रोज जैसा आज क्या है बताओ?रोज तुम होती हो क्या मेरे साथ ऐसे मेरे बैड पर,आज हम हैंसबैंड- वाईफ है वो भी परमानेंट(मुस्कुराते हुए)पहले हुई है क्या हमारी ऐसे एक साथ रोमांटिक सुबह!"
ये सुनकर माही शर्माते हंसते हुए कहती है-"हां तो ये मैनैं थोड़ी तुमने ही कहा कि सुबह तो रोज होती है और हां सुबह तो हुई है पहले भी पर लड़ाई वाली!"
"हां रोज होती है सुबह पर आज खास सुबह है और अब रोज ऐसे ही खास सुबह होने वाली है ,सुबह क्या मेरी पूरी लाईफ खास होने वाली है क्योकि मेरा प्यार, मेरी वाईफ,मेरी माही अब रोज मेरे साथ होगी,है ना स्पेशल मोर्निंग... कार्तिक माही के सर से अपना सर लगाते हुए बोला!
"अच्छा जी,तो ये बात है" .....माही हंसते हुए कहती है!
कार्तिक माही की ओर देखते-"तुम्हारे लिए खास नहीं है क्या कुछ?"
माही अपना नीचे का होंठ दातों से दबाते हुए ना में सिर हिला देती है।
"क्या ?"हैरानी से कार्तिक बोला!
"हां तुम भी वहीं,मैं भी वहीं....और सुबह भी वहीं"माही इधर उधर देखते बोली!
तभी कार्तिक माही से अपने हाथ हटा लेता है-"जाओ तो करों अपना काम...जैसे रोज करती हो?"
माही कार्तिक के पास अपना चेहरा कर वापस कार्तिक के हाथ अपनी पीठ पर रखते हुए कहती है-"क्या हुआ पति देव...गुस्सा हो गए हो क्या?ऐसा मत करो जिससे मेरा हर पल खास है वो मुझसे नाराज हो आईडोंट लाईक....(मुस्कुराते)अब दुश्मन थोड़ी लवर है हम!"
ये सुनकर कार्तिक माही को अपनी बाहों में कसते हुए-
"अच्छा तो खास हूं ना मैं तो चलो कुछ खास करों फिर मेरे लिऐ?"
माही-" क्या?"
कार्तिक-"खास,,,,कुछ खास!"
तभी माही फट से ऊपर उठ जाती है-"हम कुछ नहीं करने वाले है,मैं हूं ना यही खास है तुम्हारे लिऐ,समझे बैड से नीचे उतरते माही बोली
"ओके"....कहकर कार्तिक फिर से चद्दर तान कर सो जाता है और माही हंसते हुऐ वहां से चली जाती है!
थोड़ी देर बाद बाथरूम से लाल सूट पहनें,गीले बालों को टॉवल से पौंछते हुए माही रूम में आती है और कार्तिक को अभी तक बैड पर लेटा देखकर उसके ऊपर की चद्दर खींचते हुए बोली-"ओह कुंभकर्ण,
अभी तक सो रहे हो हम नहाकर आ गए है उठो,हमें सचमुच लेट हो रहा है ऑफिस के लिऐ!"
कार्तिक करवट बदलते हुए-"मुझे नहीं जाना कहीं ,तुम जाओ...बाय!"
माही बैड की दूसरी ओर आती है और टॉवल चेयर पर फैंककर कार्तिक के पास बैड पर बैठते हुऐ-"देखो मैं अकेले कहीं नहीं जाऊंगी तुमने कहा था हम ऑफिस साथ ही जाऐगें!"
कार्तिक फिर करवट बदल लेता है-"आज मेरा मन नहीं है तो तुम्हें अकेले नहीं जाना तो कैंसल कर दो तुम भी जाना ओके!"
तभी माही ने कार्तिक को कंधे से पकड़कर उसे अपनी ओर घुमाया-"नोट ओके....देखो ये क्या बात हुई,अभी अभी मेरा प्रमोशन हुआ है और जल्द तुम्हारा भी होगा कार्तिक....हमें अपना बेस्ट देना है कोई रिस्क नहीं लेना है हमें और ना ही बॉस को शिकायत का मौका देना सो चुपचाप उठो?हम रेडी हो रहे है तुम भी जल्दी रेडी हो जाओ?कहकर माही आयने के सामने जाकर माथे पर छोटी बिंदी लगाती है ,मांग में सिंदूर लगाती है ,हाथों में थोड़ी थोड़ी चुड़िया पहनती है ,गले में मंगलसूत्र डालती है ....सब कुछ पहनकर माही बाल बनाने लगती है!
तभी आयने से माही ने देखा कि कार्तिक अपने सर के नीचे हाथ लगाऐ एकटक उसी की तरफ मुस्कुराते प्यार से देख रहा होता है,माही बाल बनाकर कंगी ड्रेंसिंग पर छोड़कर अपना ग्रीन दुपट्टा अपने कंधे पर डाल कार्तिक की ओर मुड़ते कहती है-"कार्तिक उठो ना प्लीज...देखो मैं फुल रेडी हूं और तुम हो कि यहां से हिल ही नहीं रहे हो? "
तभी कार्तिक अपने दोनों हाथ सर के नीचे देकर अपने पैर के ऊपर पैर रखते हुए बोला-"माही चौधरी ....नहीं नहीं माही चौधरी खुराना कार्तिक खुराना यहां से तभी हिलेगा जब उसकी वाईफ यानि कि तुम माही उसको स्पेशल फील करवाओगी आईमीन कुछ खास करोगी मेरे लिए!ऐसे क्या देख रही हो?माही को अपनी ओर घूरते देख कार्तिक बैड पर पलाथी लगाकर बैठते हुए कहता है!
माही "कुछ नहीं" कहती है बस कार्तिक को एकटक अपनी कमर पर दोनों हाथ टिकाए देखती रहती है।
कार्तिक-" ओह तो अपने हैंडसम पति को निहार रही हो ना तुम,निहारों निहारों ,मैं भी तो निहार रहा हूं तुम (माही की ओर आंख मारते)भी निहारों!"
ये सुनकर माही को हंसी आ जाती है और हंसते हुए कहती है-"तुम पागल लो कार्तिक!"
""ओनली फोर यू "कहते कार्तिक बैड से उतरा और माही के पास जाकर उसे घुमाते उस पर अपनी बाहें डालकर पीछे से गले लगा और माही के कंधे पर अपना चेहरा रखा और आयने से माही को देखते हुए बोला-"
अब कोई इस अदा को देखकर पागल नहीं होगा तो क्या होगा..ये रेड सूट,माही का दुपट्टा पकड़कर पल्लू सर पर रखते हुए -"ये प्यारा सा दुपट्टा,फिर माही की कलाई पकड़ उसे चूमते हुए-ये चुड़ियों वाले हाथ,मेरे नाम का सिंदूर,आंखो का काजल और माही के कानों में डाली बालियों को हाथ से छूते हुए-"ये सब चीजे साजिश कर रही है पूरा(माही के सिर से अपना सिर टकराते)पागल बनाने की!"
माही-"अच्छा जी तो मतलब ये सब न पहनूं तो तुम पागल होने से (आयने में कार्तिक को देख भोहें अपनी उचकाते)बच सकते हो!"
कार्तिक- "नहीं तो अब तो मैं पागल हो चुका हूं और तुम्हें सहन करना पड़ेगा और तुम तो ओलरेडी बहुत ब्यूटीफुल हो ये चीजें तो तुम पर और निखार ले आती है!"
तभी माही ने अपनी कोहनी कार्तिक के पेट पर दे मारी "माही......आह करते कार्तिक पीछे हो जाता है,माही आयने में देख अपना दुपट्टा सही करते कहती है-"अब अगर तारीफ हो गई वाईफ की तो मिस्टर जाओ काम पर लगो,वैसे तुम अब पागल नहीं हुए जब से पैदा हुऐ हो तब से ही पागल हो?"
"कमाल है यार, मैं यहां स्पेशल फील करवा रहा हूं तुम्हें तारीफ कर रहा ह़ूं तुम मार रही हो और भगा भी रही हो...हुऊं अनरोमांटिक वाईफ ,ये नहीं कि कुछ सीख लूं रोमांटिक हैंसबैंड से,...बस अपनी मनमानी करनी है जो कहो वो करना नहीं है,खास करने को कहा तो ये खास कर रही है-"मिस एटीड्यूड...जा रहा हूं खुश, रेडी होने जा रहा हूं, कहते कार्तिक ने अलमारी से अपना टॉवेल निकाला और माही की ओर घूरते बाथरूम की तरफ जाने लगा!
तभी माही कार्तिक का हाथ पकड़ लेती है और फिर मुस्कुराते कार्तिक की ओर मुड़ती है!
कार्तिक-" अब क्या है?"
माही-"कुछ भी तो नहीं"
कार्तिक-"तो हाथ क्यों पकड़ा है?"
माही- "लो छोड़ दिया"
कार्तिक-"छोड़ने के लिए ही पकड़ा था क्या?"
तभी माही फट से कार्तिक के गाल पर किस करती है और गुड मॉर्निंग माई रोमांटिक हैंसबैंड कह रूम से भागजाती है और बाहर से आवाज देते-"जल्दी बाहर आना एम वेटिंग!"
कार्तिक अपने गाल पर हाथ रखते हुए-"हाय,अपना टॉवल अपने गले में डालता है और फिर हंसता हुआ बाथरूम में चला गया!
______
आज तो मैं मेहमानों को इस नए कप सेट में ही चाय पिलाऊंगी,कार्तिक के पापा बड़े ही प्यार से लाए थे ये और है भी बड़ा प्यारा ये पूरा सेट कहते रमा जी अपने रूम से किचन की तरफ जा रही होती है कि तभी ये कार्तिक भी ना कहते माही अपने रूम की ओर देखते चली आ रही थी रमा जी से टकरा जाती है और उनके हाथ का सेट नीचे गिर जाता है!
माही नीचे गिरे कप सेट की ओर देखते रमा जी की ओर देखती है माही कुछ कहती तभी अपने माथे पर हाथ रखकर गुस्सें से चिल्लाते हुए रमा जी बोल पड़ी -"ये क्या किया छोरी ,मेरा नया कप सेट भी गिरा दिया
गिरा क्या तोड़ भी दिया!देखकर नहीं चल सकती क्या ,
भगवान ने आंखे दी है ना,देख कर नहीं चल सकती?"
(क्रमशः)
माही के टकराने से कप सेट के गिरते ही रमा जी माही को गुस्से में डांटने लगती है....,"एम सोरी,वो मैनैं देखा नहीं,जानबूझकर नहीं गिराया?माही नीचे गिरे टूटे कप को देखते हुए बोली!
"हां तो देखकर चलना चाहिए,आंखे है बटन तो नहीं
जो आगे जिंदा इंसान भी न दिखे ,बस टक्कर मार दो रमा जी गुस्से से फिर चिल्लाई!
तभी अपने गले में टॉवल डाले कार्तिक रूम से भागा आता है-"क्या हुआ मां!"
और इशारे से माही से भी पूछता है;"क्या हुआ?"
रमा जी जमीन की ओर इशारा करते-"खुद ही देख ले इस छोरी ने क्या किया है?"
माही-"सोरी पर सच्ची में मैनैं जानबूझकर नहीं गिराया मां....कार्तिक वो मैं मां से टकरा गई तो ये गिर गए!"
कार्तिक टूटे कप की ओर देखते-"आपका फेवरेट कप सेट....आईनो माही जानबूझकर नहीं किया तुमनें पर
ये मां का फेवरेट कपसेट है आईमीन था....पापा लेकर आए थे!"
रमा जी-"हां ...जो इस छोरी ने चूर- चूर कर दिए,इतना बड़ा नुकसान कर दिया,पता नहीं इसका ध्यान कहां रहता है,रमा जी का गुस्सा बढ़ते देख कार्तिक उन्हें शांत करने लगता है-"मां बस करो,मैं और ले आऊंगा ऐसा ही सेम टू सेम,और माही ने कहा ना जानबूझकर नहीं गिराया,आप यहां बैठो कहते कार्तिक उनको चेयर पर बिठाता है!
"क्या शांत हो जाऊं?पहले पूछ इससे ध्यान कहां था इसका जो पहाड़ जैसी सास भी नहीं दिखी,ऐसे ही करती रही ना तो मेरे घर की सारी चीजों के टुकड़े टुकड़े हो जाऐगें?रमा जी माही की घूरते कहती है!
तभी दरवाजे की ओर से आवाज आती है-"रमा क्यों सुबह सुबह घर सर पर उठा रखा है,ये चिल्लाने की आदत नहीं छूटेगी ना तेरी?"
माही ,रमा जी और कार्तिक तीनों दरवाजे की ओर देखते है तो वहां मेनका जी होती है!
माही- "बुआ..."
कार्तिक- "आओ ना बुआ?"
रमा जी-" चिल्लाऊं ना तो क्या करूं मेनका,तेरी इस भतीजी ने देख क्या किया है ,महंगा और मेरा सबसे प्यारा कप सेट तोड़ दिया,अब मैं गुस्सा कर रही हूं तो सब मुझे ही कह रहे है शांत हो जाओ क्यों चिल्ला रही हो...हुऊं!"
मेनका जी अंदर आते हुए-"पहले तो माफ करना अब संबंधी का घर है तो बिन बताएं आ गई,रमा तुम्हारा चिल्लाना सुना वो भी इतने जोर से त़ो सोचा पता नहीं क्या हो गया?आज तो हम भी नहीं है लड़ने वाले फिर क्यों शोर(थोड़ा हंसते हुए)अब पता चला मामला ये है पर रमा जी माही अब सिर्फ मेरी भतीजी नहीं आपकी बहू भी तो है,आपके कार्तिक की पत्नी है और सास बहू हो जहां वहां बर्तन तो खड़केगे भी और टूटेगें भी क्यों कार्तिक!"
कार्तिक माही और रमा जी दोनों की ओर देखते-"वो तो पता नहीं बुआ पर हां इनके बीच मेरी वाट लगने वाली है....सास बहू के बीच मैं तो पीस जाऊंगा!"
मेनका जी-" अब आफत ली है तो झेलो!"
तभी माही रमा जी के पैरों के पास अपने कान पकड़ते हुए बैठ जाती-"हम सास बहू के साथ हम मां बेटी भी तो है,बुआ मुझे फिर से मां मिली है इन्हें मुझे डांटने का ,मुझपर चिल्लाने का पूरा हक है और हां सच में मुझसे गलती हुई है एम सोरी मां,मैं देखकर चलती त़ो ये नहीं होता,आपका प्यारा सा कप सेट नहीं टूटता,
प्लीज म़ुझे माफ कर दिजिऐ मैनैं आपको हर्ट किया!"
कार्तिक-" हां मां गुस्सा थूक दो,माफ कर दो!"
रमा जी- "ओह तो तुम अब अपनी पत्नी की तरफदारी करोगे?"
कार्तिक- नहीं मां...मैं तो!'
तभी माही कार्तिक की ओर देखते-"तुम चुप रहो ना कार्तिक,मैं कर रही हूं ना मां से बात,तुम मेरे और मेरी मां के बीच मत बोलो,सोरी मां!"
ये सुनकर कार्तिक और मेनका जी दोनों एक दूसरे की ओर देखते है और मेनका जी अपने मुंह पर अंगुली रखते हुए कार्तिक से इशारे से कहती है-"हम चुप ही रहते है तो कार्तिक भी हां में सिर हिलाते फट से अपने म़ुंह पर अंगुली रख लेता है!
माही रमा जी के हाथ अपने हाथ में लेते हुए-"प्लीज मां चाहो तो थप्पड़ लगा लो ,पर मुझे माफ कर दो मैनैं सुबह सुबह आपका मूड ऑफ कर दिया,मुझे पता होता ना ये सेट पापा जी लाए थे और आपको इतना प्यारा है तो मैं कभी हाथ भी न लगाती इसे,अनजाने
में हो गई गलती आगे से नहीं होगी मां,मैं ध्यान रखूंगी
आपको हर्ट नहीं करूंगी मां"
ये सुनते ही रमा जी मेनका जी से कहती है-"ओह मेनका ये वही माही है क्या वहीं छोरी,देखो तो जरा,एक वो तीखी छुरी और एक ये मिठ्ठी छुरी,दोनों एक ही है या कोई जुड़वा (हंसते)बहने हैं?"
ये सुनकर सब हंस पड़ते है!
माही-"मैं वहीं हूं मां...एक ही कोई जुड़वा नहीं है मेरी
और पहले के लिऐ भी सॉरी,कितना बुरा भला कहा है आपको,गुस्से में और उस सब के चलते आप सबकी इंसल्ट भी की थी मैनैंं!"
रमा जी-" छोड़ ना क्यों पुरानी बातों पर बात करनी,
मिट्टी डालो उस पर ,अब सब ठीक है ,मैनैं कौन सी कसर छोड़ी थी नीचा दिखाने में खैर....और अब भी मैनैं माफ कर दिया तुझे तू भी कर दे ,गुस्सा ज्यादा
कर दिया....और हां मेनका ये वहीं माही है तब भी बड़ी प्यारी थी और आज भी बड़ी प्यारी है बस तब जान न पाई थी,अब त़ो बेटी है(माही की गाल पर हाथ रख) मेरी तो पता चल गया!"
मेनका जी-"हां वहीं है ये पर अब बहू भी तो है आपकी,
और सच में मेरी भतीजी बहुत प्यारी है जैसे कार्तिक
अच्छो के साथ अच्छे वरना चक दे (हंसकर)सबके फट्टे!"
रमा जी-"हां वो तो है हमारे मेनका दोनों बच्चें एक से बढ़कर एक....."
माही टूटे कपों की ओर देख-" सॉरी,बहुत बुरा लग रहा है!"
रमा जी-"ऐसे मत बोल, कोई बात नहीं आगे से ध्यान रखना,वरना एक लगाऊंगी देखकर न चली तो,तू खुद भी तो टूट सकती है!"
माही-"पक्का!"
तभी रमा जी माही का माथा प्यार से चूम लेती है,
कार्तिक- "मां अब आपको ये हिटलर नहीं कहेगी!"
माही रमा जी की ओर देखते-"हां तो अब क्यों कहे,मां है हमारी....अकेली सास होती तो कहते हिटलर सास!"
मेनका-"कम भी नहीं है हिटलर से माही,देखो तुम्हारी कलास लगा दी सुबह सुबह तुम्हारी सास ने!"
"हां तो ये सीधे साधे बच्चे जैसे सुनती रही न डांट,वरना पहले वाली छोरी क्या कहती-"हिटलर क्यों चिल्ला रही है .....रमा जी माही के गाल पर हल्का सा मारते हुए बोली,और सब ह़ंस पड़े,
कार्तिक बुआ को चेयर देता है-"बैठो ना बुआ "
मेनका जी-" पहले अपनी माही से मिल लूं....मायके से ससुराल आई हूं बेटी के!"
माही नीचे से उठी और बुआ कहते मेनका जी के गले लगती है,
"बड़ा प्यारा लग रहा है मेरा बच्चा"कहते बुआ ने अपनी आंख से काजल लेकर माही के कान के पीछे लगाया!
तभी रमा जी बोली-"नए जोड़े को बड़ो के मिलकर पांव छूने चाहिए!"
ये सुनते ही कार्तिक माही दोनों एक दूसरे की ओर देखते है और पलकें झपकाते रमा जी,मेनका जी दोनों के पांव छूकर दोनों के गले लगते है!
"दोनों सदा खुश रहो का आशीर्वाद देती है!"
मेनका जी रमा जी से-" वैसे अब ना रमा चिल्लाना कम कर दो,चिल्लाओ ना तो धीरे चिल्लाया करो वरना पहले लोग हमारी दुश्मनी के मजे लेते थे जब लड़ते थे अब सास बहू के मजे लगे,ऐसे घर सर पर उठाओगी तो?लोगों को सिर्फ मजा चाहिए,सब घर के बाहर आ गए देखने!"
रमा जी-"ना ना आगे से न होगा,बहुत तमाशे देख लिए और हमनें दिखा दिऐ दुनिया को,अब ना मजे लेने देगें,
अब दुश्मन थोड़ी है हम अब तो एक परिवार है,कभी कभी हो जाता है पर अब सब प्यार से रहेगें और हां अब अगर बर्तन भी खड़केगे या हम सास बहू बात भी करेगें तो लोगों को भनक भी न लगेगी ,क्यों माही!"
माही-" जी मां ,फिक्र मत करो बुआ अब हमारे घर की बात बाहर न जाएगी!"
मेनका जी-"ये तो अच्छी बात है ...फिर मुझे भी देखने नहीं आना पड़ेगा ,कि रमा शांत से अशांत क्यों है?"
रमा जी-"हां तो अब बेटी के ससुराल बिना बताए,बिन बुलाएं भी मत आना,क्या हुआ आमने सामने है तो?"
मेनका जी-" हां हां नहीं आऊंगी!"
रमा जी-" अरें मजाक कर रही हूं,मत भुलो बेटी का सिर्फ ससुराल नहीं ,अब तो हम सहेली है तो तुम गप्पें मारने तो आओगी ही ना और वो भी बिन बुलाऐ,मैं भी आ जाया करूंगी,रमा मेनका खूब बातें करेगें!"
मेनका जी -"हां इधर से तुम कभी आवाज देना,कभी उधर से मैं दूंगी,बेटा बेटी का ससुराल छोड़ो सहेलियों का घर भी तो है.....और दोनों हाथ मिलाते हुऐ हंसने
लगी....ये देख कार्तिक माही भी दोनों बहुत खुश होते
है और......"
(क्रमशः)
कार्तिक - माही दोनों रमा जी मेनका जी को साथ देख खुश ही नहीं होते दोनों उनकी बलाएं भी ले लेते है,तभी
रमा जी मेनका जी के हाथ पर हाथ रखते बोली- "तुम बैठो,मैं चाय लेकर आती हूं!"
कि माही ने उन्हें रोक दिया-"मां आप बैठिए मैं लाती हूं!"
"अरें,बनाई हुई है मैं ले आऊंगी,डालकर ही लानी है"
कहते चेयर से उठने लगी तो माही ने उन्हें वापस बिठा दिया-"हां तो डालकर ही लानी है कौन सा बनानी है,
आप बैठों......... मैं लाती हूं!"
रमा जी- "अरे...."
माही -"मैं ला रही हूं,बैठो आप बुआ के साथ!"
तभी कार्तिक और बुआ दोनों हंस पड़ते है रमा जी और माही दोनों हैरानी से उनकी ओर देखते है!
कार्तिक-"लो बुआ नया टॉपिक मिल गया इनको बहस करने का!"
मेनका-"अब रोज मिलेगा,तैयार रहो,रमा तुम डांटोगी तो सुन लेगी माही तुम्हारी पर काम के मामले में तो ना सुनेगी,जैसे अब नहीं सुन रही है इसलिए तुम यहां बैठो आराम से माही ले आएगी चाय!"
और सब इस बात पर हंस पड़े!
माही-"हां ,तो बहु के रहते सास काम क्यों करें!"
रमा जी-" बेटी...जो बहुत जिद्दी है,जाओ ले आओ चाय!"
"हम्म .....पहले ये उठा दे मां "माही ने टूटे हुए कप के टुकड़ो की ओर देखते कहा,और बैठकर माही ट्रे में एक एक करके सारे टुकड़े समेटने लगी तभी रमा जी और कार्तिक एक साथ बोल पड़े-"ध्यान से,ध्यान से माही!"
माही ने मुस्कुराते हुए दोनों की ओर देखते हां में सिर हिलाया,ये देख मेनका जी मंद मंद मुस्कुराते खुश होते मन ही मन रमा जी और कार्तिक की ओर देखते खुद
से कहती है-"ऐसी सास और ऐसा जीवनसाथी शायद मैं चिराग लेकर भी ढूंढती अपनी माही के लिऐ तब भी ना मिलते,बहुत किस्मत वाली है मेरी बच्ची तू,सच मेंं भगवान कुछ छीनता है तो बदले में बहुत अच्छा देता भी है सास के रूप में मां और पति के रूप में कार्तिक,
जितना शुक्रिया करूं कम ही है(हाथ जोड़ते) गणपति बप्पा आपका"
कार्तिक और रमा जी दोनों की नजरें अभी भी माही पर थी तभी मेनका जी उन्हें बोलती है-"अरें ध्यान से उठा रही है ,नहीं चुभेगें!!
""उठा लिए....हम चाय लाते है" कहकर माही वहां से किचन की तरफ चली जाती है!
रमा जी-"और बताओ मेनका!"
मेनका जी-"और तो कुछ नहीं,बस घर खाली खाली सा लगने लगा है,अब माही ज्यादा यहां कम वहां जो रहने वाली है....बाकि सब ठीक है!"
रमा जी-" अरें!ऐसा क्यों कह रही हो कोई रोक टोक नहीं माही पहले जैसे भी रह सकती है कभी यहां कभी वहां?"
कार्तिक-" हां बुआ...दोनों घर उसके है....और अब तो मैं भी रह सकता हूं जब चाहूं आपके साथ!"
मेनका जी ने हां में सिर हिलाया-"हां हां जब चाहो आ जाना,आप सब के लिऐ दिल और घर के दरवाजे अब हमेशा के लिए खुले है ,पर बेटी की जब शादी हो जाती है तो बेटियां मायके से ज्यादा ससुराल में अच्छी लगती है और मैं भी चाहती हूं माही अपना ससुराल संभाले,
अब ये घर ही उसका है.....हां वो घर भी माही का है और हमेशा रहेगा पर पास में हुआ तो क्या हुआ ,मुझ
से तो बस मिल ले बाकि अपने ससुराल में ही रहे तभी संभाल पाएगी सबकुछ वरना इधर उधर करेगी तो खुद ही परेशान होगी और हां रमा तुम भी तो जानती हो ना मायका मायका होता है और ससुराल ससुराल, और शादी के बाद बेटियों को भी मायका ज्यादा रास नहीं आता है!"
"हां वो तो मेनका......पर सच में मैं कभी माही को नहीं रोकूंगी,माही तुम्हारी पहले है और हमेशा पहले ही रहेगी,पाल पौस कर बड़ा किया तुमने,तो मुझे कोई हक नहीं बनता कि मैं उसे उसके पहले घर जाने से रोकूं!"
रमा जी बोली!"
कार्तिक बुआ के हाथ अपने हाथ में लेता है-"हां बुआ
मां ने सच कहा,और शादी के बाद लड़की का ससुराल उसका घर होता है तो लड़के का भी तो ससुराल उस
का घर बन जाता है तो फिक्र मत करों,आज तक सिर्फ माही आपकी थी अब हम भी आपके है,"
"हां ये तो है,सच में माही के सिवा कौन है मेरा,मेरी बच्ची मेरे कलेजे का टुकड़ा है,मैं तो उसे हमेशा खुश देखना चाहती हूं तो बस तभी कहा कि अपने घर में रस बस जाए और क्या चाहिए....मेनका जी बोली!
"तुम्हारे जैसा कोई नहीं मेनका,जो माही की परवरिश के लिऐ तुमने अपना घर भी नहीं बसाया....रमा जी बोलती है,
"सवाल ही पैदा नहीं होता,भाभी के जाने के बाद,तब माही छोटी ही थी,मां के प्यार की जरूरत थी उसे कैसे छोड़ कर चली जाती तो मैनैं साफ मना कर दिया और भईया के जाने के बाद तो मैनैं खुद से वादा किया था कि मैं माही मेरी जिम्मेदारी है हां वो बात अलग है माही ने ही मुझे संभाला है,बस अपनी जिम्मेदारी निभानी थी,
सबकुछ सिखाया और ये सीख गई और आज देखो तो मेरी बच्ची का घर भी बस गया,इतना अच्छा परिवार
मतलब सोचा था माही की शादी ऐसे घर में ऐसे लड़के से करूंगी जो उससे बहुत प्यार करें और देख़ो कार्तिक मिल गया,मैं तो ग़ंगा नहा ली, कार्तिक की ओर देखते मेनका जी मुस्कुराते बोली!
तभी कार्तिक कहता है-"माही बता रही थी कि आपके लिऐ लुधियाना में बहुत सारे रिश्ते भी आए पर आपने मना कर दिया,माही के लिऐ,अब तो माही की भी शादी हो गई,आपकी जिम्मेदारी ,वादा सब पूरा हो गया तो अब आप कहो तो आपके लिऐ भी लड़का ढूंढ दूं(बुआ की ओर भौहें उचकाते)कि बुआ ने कार्तिक की बाहं पर थप्पड़ मारा-"क्या बोल रहा है पागल है क्या?शादी की उम्र गई मेरी,मेरे लिए तू लड़का ....देख लो रमा कैसी बातें कर रहा है?"
रमा जी-"बेटी का घर बस गया अब तो बुआ को भी बसा लेना चाहिए....सही तो कह रहा है,और तुम्हारी उम्र भी क्या है ,तुम अभी बुढ़ी नहीं हुई हो बृज भाई
साहब से काफी साल छोटी हो और माही से यही सात आठ साल बड़ी हो ,तब तो माना मजबूरी थी ब्याह न करने की अब तो ऐसा कुछ ना है,माही के पापा मां के लिऐ तो तुम बड़ी बेटी जैसे रही हो,आज भी याद है कहा था उन्होंने,पर हालातों ने खैर अब भी घर बसा सकती हो?रिश्तों की कमी थोड़ी है!"
कार्तिक- "'सच्ची में बुआ....आप कितनी ब्युटीफुल हो,
माही की बुआ कम बहन ज्यादा लगती हो? माही न होती तो मैं आपसे से ही शादी कर लेता,बुआ आप हां तो करो मैं लड़को ही लाईन लगा दूंगा!"
मेनका जी दोनों की ओर घूरकर देखती है-"बस करो आप दोनों चुप रहो,कुछ करने की जरूरत नहीं है,ना मुझे शादी करनी है,कार्तिक त़ो कार्तिक रमा तुम भी,
माना कि आप मुझसे बड़ी हो पर इसको समझाने की बजाय मुझे कह रही हो?कल क्या कहा था दोस्ती में उम्र नहीं देखते,हम पहले जैसे ही तुम तुम कहें,नाम से बुलाए एक दूजे को,वरना मैं तो आप और रमा जी कहने वाली थी,माही से हूं सात आठ साल बड़ी पर आपसे बारह तेरह साल छोटी हूं ,मैनैं आपकी बात मानी ना,अब अगर आपने इस बारें में बात की ना,तो देख लेना ,मैं अभी चली जाऊंगी और दोस्त नहीं फिर संबधन ही रहना!"
"बुआ अभी तो आप पैंतीस की भी न हुई हो?"कार्तिक बोला!
"तू चुप नहींं होएगा ना,ठीक है मैं जा रही हूं....."कहते मेनका जी वहां से उठने लगी,रमा जी ने रोक लिया-
"बैठो क्यों बिगड़ रही हो?अरें,हम तो तुम्हारे भले की बात कर रहे थे,अच्छा ठीक है नहीं करनी शादी ठीक है,कार्तिक हम बात नहीं करेंगे इस बारें में,मेनका को अच्छा नहीं लगता तो और मैं नहीं चाहती हमारी दोस्ती खराब हो ,फिर दुश्मन बन जाए(हंसते)क्यों मेनका?"
"हां....और कार्तिक तुम खबरदार जो इस बारें में बात की ,मैं चाहे पैंतीस की हो जाऊं या साठ की नो शादी,
वरना तुम्हारे कान खींचकर एक लगाऊंगी मैं तेरी मां रोकेगी तो भी न रूकूंगी,पिटेगा मुझसे!"मेनका जी बोल रही थी कार्तिक उन्हें हग कर लेता है-"ठीक है बुआ,
कुछ नहीं कहता,खुश!"
"हां खुश"मेनका जी बोली और कार्तिक से अलग होते-"ये तोलिया क्यों डाल रखा है?"
कार्तिक-"नहाने जा रहा था बुआ,तभी शोर सुना तो आपके जैसे मैं भी भागा आ गया,अच्छा आप दोनों बात करों,मैं नहाकर आता हूं कहकर कार्तिक जाने ही लगा कि तभी कार्तिक को फर्श पर एक कप का टूटा टुकड़ा दिखा-"लो एक छूट गया ,चुभ जाता किसी क़ो?मैं डालकर आता हूं डस्टबिन में,कह कार्तिक किचन की तरफ चला जाता है!"
"पक्का मेनका शादी नहीं करनी या ना ही हां है"रमा जी बोली!
"मैं यहां से चली ही जाती हूं" मेनका जी जाने को खड़ी होने लगी रमा जी ने रोक लिया-"अरें मजाक कर रही हूं दोस्ती में इतना तो चलता है न".....और फिर दोनों इस बात हंस पड़ती है!
【किचन】
कार्तिक किचन में जाते ही-"ये क्या कर रही हो वहां से उठाकर लाई टुकड़े...यहां फिर से गिरा दिए क्या?"
माही टुकड़े उठाते-"हां फिर गिर गए...डस्टबिन खोल रही थी तो?"
कार्तिक अपने हाथ का टुकड़ा ट्रे में डालते -"एक छूट गया था!"
तभी माही डस्टबिन में टूटे टुकड़े डालकर नीचे से खड़े होते कार्तिक की ओर देखते कहती है-"चुभा त़ो नहीं!"
"नहीं तो?वैसे घूर क्यों रही हो?भूखी शेरनी के जैसे?"कार्तिक ने पूछा!
माही अपने हाथ में पकड़ी ट्रे थोड़े गुस्से से कार्तिक की बाहं पर मारती है-"ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है!
"आऊच(अपना हाथ मसलते)मेरी वजह से" हैरानी से कार्तिक बोला!
(क्रमशः-)