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Love After Death

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Princess Aastha

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कहते है हद से ज्यादा खूबसूरती भी श्राप बन जाती है। ऐसा ही हुआ पीहू के साथ,उसके चाचा चाची ने उसे एक अमीर इंसान को बेच दिया और जिसे बेचा वो था अनिकेत ठाकुर, उसे सिर्फ पीहू की खूबसूरती से प्यार था। वो पीहू को पाने के लिए सारी हदे पार कर देता है, इतना की...

Total Chapters (27)

Page 1 of 2

  • 1. Love After Death - Chapter 1

    Words: 1454

    Estimated Reading Time: 9 min

    रात के 2:00 बजे सुनसान रास्ते में एक लड़की भागे जा रही थी, उसे सुनसान रास्ते का भी कोई डर नहीं था, उसकी आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे,ज्यादा रोने के कारण उसकी आंखे सुज चुकी थी, उसके चाचा चाची ने उसे बेच दिया था। तभी एक बहुत महंगी ब्लैक कार उसके पास आकर रूकती है और कोई उसे कार के अंदर खिच लेता है। 1 घन्टे बाद वो लड़की चेयर पर जंजीरों से बंधी हुई थी और लगातार रोए जा रही थी,उसके सामने एक आदमी खड़ा था, जिसने सूट पहना हुआ था, उसकी आंखें बेहद डरावनी लग रही थी,वो गुस्से ने उस लड़की को घूर कर देख रहा था,वो उसके पास आकर उसका बाल पकड़कर गुस्से में चिल्लाकर बोलता है. . . . . . . ." पीहू तेरी हिम्मत कैसे हुई अनिकेत ठाकुर के चंगुल से भागने की?" पीहू रोते हुए उससे रिक्वेस्ट करके बोलती हो. . . . . . . .मिस्टर ठाकुर मुझे छोड़ दीजिए, मेरी क्या गलती है, प्लीज मुझे जाने दीजिए, मुझे यहां नहीं रहना।" अनिकेत हंसते हुए बोलता है. . . . . . . .तेरी गलती ये है कि तु बेहद खूबसूरत है और मुझे तेरी किसी खूबसूरती से प्यार हो गया है, जब मैंने तुझे पहली बार पार्टी में देखा था,तभी मेरा दिल आ गया था तेरी खूबसूरती पर और अनिकेत ठाकुर को जो चीज एक बार पसंद आ जाती है, उसे वो हासिल करके रहता है।" इतना बोल कर अनिकेत  उसके हाथ पैर खोल देता है, पीहू जल्दी से खड़ी होती है। अनिकेत मुस्कुरा कर अपने कदम उसकी तरफ बढ़ाने लगता है, पीहू उसके बढ़ते हुए कदमों को देखकर डर से अपने कदम पीछे लेने लगती है। अनिकेत अपने चेहरे पर शैतानी मुस्कान लिए बोलता है. . . . . . . . मुझसे दूर क्यों भाग रही हो जान, तुम मुझसे नहीं बच सकती।" और वो अपना शर्ट का बटन खोलने लगता है। पीहू उसके इरादे अच्छे से समझ चुकी थी,वो दरवाजे की तरफ भागती है पर अनिकेत पीछे से उसका कमर पकड़ कर उसे अपने करीब खींच लेता है,वो उसे अपनी तरफ पलटता है और जोर से उसके गाल में एक थप्पड़ मारता है, उसका थप्पड़ इतना जोर का था कि पीहू सीधा जमीन में जाकर गिरती है, उसके गालों पर अनिकेत के थप्पड़ के निशान छप चुके थे,वो अपना गाल पकड़ कर जोर-जोर से रोने लगती है, अनिकेत उसके बाल पकड़कर उठाता है और जोर से बेड में धक्का दे देता है। पीहू बैड मे पीछे की तरफ जाने लगती है,अनिकेत उसका दोनों पैर पकड़ कर जोर से दबा देता है, जिससे पीहू की चींख निकल पड़ती है,अनिकेत उसके ऊपर आकर अपनी सारी कसर उस पर उतारने लगता है, थोड़ी ही देर में उस कमरे में पीहू की दर्दनाक आवाज गूंजने लगती है। सुबह का समय सुबह पीहू की नींद खुलती है,वो अपने कपड़े पहन कर बाहर गार्डन में चली जाती है, वहां गार्डन बहुत ही खूबसूरत था जिसमें रंग बिरंगे फूल खिले हुए थे, पीहू को फूलों से बहुत प्यार था,वो मुस्कुरा कर उन फूलों की तरफ देखने लगती है और रात की बात कुछ पल के लिए ही सही भूल जाती है तभी उसकी नजर एक खूबसूरत से गुलाब के ऊपर पढ़ती है, वो उस गुलाब फूल को अपने हाथों में लेकर सूंघने लगती है, उसकी महक बहुत ही प्यारी थी। वो अभी उस गुलाब को सूंघ ही रही थी तभी पीछे से अनिकेत उसका हाथ पकड़कर उसे खींचते हुए बंगले के अंदर ले जाता है और जोर से सोफे में धक्का देता है,पीहू सीधा सोफे पर जाकर गिरती है,अनिकेत उसके बगल में बैठ कर उसके हाथ से वो गुलाब फूल ले लेता है और गुस्से में अपने दांत पीसकर बोलता है. . . . . . . ."तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझसे बिना पूछे बाहर जाने की और बहुत प्यार आ रहा है इस फूल पर, चल खा इसे अभी।" पीहू उसकी ये बात सुनकर हैरानी से उसकी तरफ देखने लगती है। अनिकेत जबरदस्ती उसे वो फूल खिलाता है,पीहू बहुत रो रही थी पर उसे उसके रोने उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। धीरे-धीरे एक महीना बीत जाता है,अनिकेत का जब मन होता उसके शरीर के साथ अपनी हवस मिटाता था। अनिकेत के बड़े से बंगले में एक भी नौकर नहीं थे,पीहू सारा काम अकेले ही किया करती थी, अनिकेत जब भी बाहर जाता,तो बाहर से ताला लॉक करके जाता था। 1 दिन अनिकेत उसके पास आकर बोलता है. . . . . . . ."शाम को रेडी रहना, बाहर घूमने जा रहे हैं हिल स्टेशन देखने।" पीहू उसे कोई जवाब नहीं देती, अनिकेत जबरदस्ती उसके होठों पर किस करके बाहर से दरवाजा लॉक करके ऑफिस चला जाता है। शाम का समय पीहू ने पीली कलर की साड़ी पहनी हुई थी,अनिकेत जब ऑफिस से घर आता है और उसकी नजर जब उस पर पड़ती है, तो वो अपने होश खो देता है। वो उसके पास आकर कान में बोलता है. . . . . . . ."बहुत खूबसूरत लग रही हो,आज रात में तुम्हें सोने नहीं दूंगा,आज तुम्हारी इस खूबसूरती के मजे में पूरी रात लूंगा।" इतना बोलकर वो उसके कान में बाइट कर देता है, जिससे पीहू की चींख फिर से निकल पड़ती है। अनिकेत मुस्कुराने लगता है, थोड़ी देर में वो दोनों हिल स्टेशन के लिए निकल पड़ते हैं, वो जगह थोड़ी ऊंचाई पर थी दोनों वहां पहुंचते हैं, शाम का समय था इसलिए वहां ज्यादा लोगों की भीड़ भी नहीं थी,उस पहाड़ी के दूसरी तरफ बहुत ही गहरी खाई थी, पीहू उस नजारे को ध्यान से देख रही थी और उस खाई को भी, उसका एक बार तो मन किया कि वो खाई में कूदकर अपनी जान दे दे पर फिर वो अपने कदम रोक लेती है।  अनिकेत उसके पीछे आकर गुस्से में बोलता है. . . . . . . ."क्या देख रही है?" उसकी आवाज सुनकर पीहू तुरंत पलट कर उसकी तरफ देखती है, अनिकेत मुस्कुरा कर बोलता है. . . . . . . ."दूसरे लड़को को देख रही है, मुझसे तेरा मन नहीं भरता क्या बोल।" उसकी ये बात सुनकर पीहू भी गुस्सा हो जाती है,वो उसे गुस्से में जवाब देते हुये बोलती है. . . . . . . ."तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है,मैं ऐसा कुछ नहीं कर रही हूं, मैं तो इन खूबसूरत वादियों को देख रही थी।" अनिकेत उसकी बात सुनकर जोर जोर से हंसने लगता है,वो हंसते हुए बोलता है, अच्छा,, वादिया देख रही थी, बताता हूं तुझे, रुक।" इतना बोल कर वो उसे वही पर मारने लगता है। पीहू उसे रोकते हुए बोलती है. . . . . . . ."बस अनिकेत बहुत हुआ, मैं तंग आ गई हूं तुम्हारी रोज-रोज के टॉर्चर से।" अनिकेत उसका गाल पकड़कर दांत पीसते हुये बोलता है. . . . . . . ." तुझे ये सब जिंदगी भर झेलना पड़ेगा।" उसकी ये बात सुनकर पीहू उसे जोर से धक्का देती है, जिससे उसका पैर फिसलता है और वो पहाड़ी से खाइ की तरफ गिरने लगता है। ये देखकर पीहू भागते हुए उसके पास आती है, अनिकेत एक पेड़ की पतली लता पकड़ कर लटका हुआ था। वो उसे बोलता है. . . . . . . ."जल्दी जा और किसी को बुला कर ला हेल्प के लिए।" पीहू जल्दी से अपना सर हा मे हिलाती है और जैसे ही जाने को मुड़ती है तभी अनिकेत फिर बोलता है. . . . . . . ."एक बार मुझे यहां से निकल जाने दे, उसके बाद देख तेरे हाथ पैर ना तोड़ दिया, तो मेरा नाम अनिकेत ठाकुर नहीं, तुझे चलने लायक नहीं छोडूंगा।" उसकी ये बात सुनकर पीहू अपने कदम वही रोक लेती है और गुस्से में उसकी तरफ देखने लगती है। अनिकेत फिर चिल्लाकर बोलता है. . . . . . . ."खड़ी क्या हो गई,जा और किसी को बुला कर ला।" पीहू उसे गुस्से में जवाब देती है. . . . . . . ."नहीं मैं चाहती हूं तू मरे, ताकि मैं आजाद हूं पाऊं, मैं किसी को बुलाने नहीं जाऊंगी और तेरी मौत भी अपनी आंखों से होते हुए देखूंगी।" अनिकेत उसकी बात सुनकर उपर आने की कोशिश करने लगता है पर वो जितना कोशिश कर रहा था,उसकी पकड़ उतनी ही छूट रही थी। अनिकेत उससे बोलता है. . . . . . . ." अभी तो मैं यहां से जा रहा हूं पर मेरी आत्मा बदला लेगी तुझसे ,आज तो तू मुझसे बच गई पर मेरी आत्मा से कैसे बचेगी क्योंकि जहां मैं जा रहा हूं वहां कोई बंधन और कोई मौत नहीं होगा।" इतना बोल कर अनिकेत अपना हाथ छोड़ देता है। पीहू उसे खाई में गिरते हुए देखने लगती है और वो जोर-जोर से हंसते हुए बोलती है. . . . . . . ."मैं आजाद हो गई, मैं आजाद हो गई।" 🙏 हर हर महादेव 🙏 मेरी ये कहानी का पहला भाग आप सबको कैसा लगा,प्लीज कमेंट करके बताईयेगा।

  • 2. Love After Death - Chapter 2

    Words: 1022

    Estimated Reading Time: 7 min

    1 साल बाद पीहू ने उस शहर को हमेशा के लिए छोड़ दिया था और वो इंदौर जाकर शिफ्ट हो गई थी,वहां उसे एक अच्छी जॉब भी मिल गई थी,वो अपनी लाइफ में अब बहुत खुश थी, वहीं ऑफिस में उसके दोस्त भी बन गए थे, उसकी बेस्ट फ्रेंड रिया और पीहू दोनों साथ में ही रहती थी। पीहू और रिया दोनों का ऑफिस एक ही था, दोनों ऑफिस में बैठकर अपना काम कर रही थी तभी मैनेजर पीहू के पास आकर बोलता है. . . . . . . ."आपको आज ओवरटाइम करना पड़ेगा, बॉस ने कहा है।" पीहू मैनेजर को बोलती है. . . . . . . ."जी ठीक है।" मैनजर फिर वहां पर चला जाता है,रिया गुस्से में बोलती है. . . . . . . ." साला ये हमारा बॉस, इसे बस काम से मतलब है, बस काम पूरा होना चाहिए, भले ही लोग काम कर कर के मर जाए,इससे उसको कोई फर्क नहीं पड़ता।" पीहू मुस्कुरा कर बोलती है. . . . . . . ."बस कर, जब देखो तू हमारे बॉस को गाली देती रहती है।" रिया फिर कुछ नहीं बोलती,शाम को छुट्टी होने के बाद सब ऑफिस से चले गए थे,बस पीहू ही थी,जो ऑफिस में ओवरटाइम कर रही थी। वो अपने लैपटॉप में कुछ काम कर रही थी तभी बाहर तेज आंधी चलने लगती है। पीहू खिड़की की तरफ देख कर बोलती है. . . . . . . ."इतना खराब मौसम अचानक से कैसे हो गया, अभी तक तो सब ठीक था।" वो फिर खड़ी होकर खिड़की के पास जाती है तभी दूर पेड़ पर उसे दो आंखें चमकती हुई दिखाई देती है, उन आंखों को देखकर भी वो डर से अंदर तक कांप जाती है, वो दो आंखे लगातार पीहू को घूर रही थी। पीहू जल्दी से खिड़की बंद कर देती है और आंख बंद करके भगवान का नाम लेने लगती है तभी एक टेबल पर बंद लैपटॉप अपने आप चलने लगता है। वो लैपटॉप की आवाज जब उसके कान पर पड़ती है, तो वी उस टेबल के पास जाकर देखती है, जिसमें अनिकेत और पीहू की वही वीडियो चल रही थी, जब आखिरी बार अनिकेत खाई मे गिरने से पहले उससे बोल रहा था- "अभी तो मैं यहां से जा रहा हूं पर मेरी आत्मा बदला लेगी तुझसे ,आज तो तू मुझसे बच गई पर मेरी आत्मा से कैसे बचेगी क्योंकि जहां मैं जा रहा हूं वहां कोई बंधन और कोई मौत नहीं होगा।" पीहू ये सुनकर वो लैपटॉप जल्दी से बंद करने की कोशिश करने लगती है पर वो लैपटॉप बंद नहीं हो रहा था तभी ऑफिस की सारी लाइट अचानक से चली जाती है और वहां चारों तरफ अंधेरा छा जाता है, पीहू ये देखकर और भी ज्यादा डर जाती है,वो तुरंत अपने टेबल के पास जाती है और अपना मोबाइल जैसे ही ऑन करती है तभी उसे अपने सामने अनिकेत खड़ा दिखता है। अनिकेत को अपने सामने देखकर पीहू की डर से चीख निकल पड़ती है और उसके हाथ से मोबाइल छूट कर जमीन में गिरकर ऑफ हो जाता है। तभी पूरे ऑफिस में हंसने की आवाज आने लगती है,वो आवाज अनिकेत की थी,वो हंसते हुए जोर से बोलता है . . . . . . . ."मैंने कहा था ना कि मैं आऊंगा, लो आ गया मैं वापस।" पीहू अपने दोनों कानों को अपने हाथ से ढक कर ऑफिस के बाहर लिफ्ट की तरफ भागती है। पीहू जल्दी से लिफ्ट का बटन ऑन करती है और दरवाजा खुल जाता है,वो लिफ्ट के अंदर जाकर दरवाजा बंद करने के लिए बटन दबाती है और लिफ्ट नीचे की तरफ चलने लगती है, पीहू बहुत ज्यादा डरी हुई थी तभी उसे ऐसा लगता है जैसे उसके गाल में कुछ गिर रहा है, वो डरते हुए अपना हाथ अपने गाल में रखती है और तुरंत अपने हाथ की तरफ देखती है,उसके हाथ में खून लगा हुआ था,ये देखकर वो तुरंत ऊपर की तरफ देखती है, ऊपर अनिकेत उल्टा लटका हुआ उसे घूर रहा था। पीहू ये देखकर वही लिफ्ट में बेहोश हो जाती है। सुबह का समय पीहू कि सुबह नींद खुलती है,तो वो खुद को अपने घर में अपने कमरे में पाती है, पीहू को रात वाली सारी घटना याद आती है,वो तुरंत चौक कर बेड में बैठ जाती है तभी रिया उसके पास आकर उसे पानी का गिलास पकड़ाते हुये बोलती है. . . . . . . ."पीहू क्या हुआ इतनी डरी हुयी क्यू है और तू कल लिफ्ट मे बेहोश कैसे हो गई थी, तुझे पता है आज सुबह जब ऑफिस जाने के लिए लिफ्ट का दरवाजा खोला गया,तो सबने देखा कि तू उसमें बेहोश पड़ी है।" पीहू रोते हुए रिया के गले लग कर बोलती है . . . . . . . ."रिया वो वापस आ गया है,अनिकेत वापस आ गया है।" पीहू रिया को अनिकेत के बारे में सब बता चुकी थी इसलिए उसे अनिकेत के बारे में सब पता था। रिया उसे समझाते हुए बोलती है. . . . . . . ."देख तू अभी डरी हुई है इसीलिए ऐसी बातें कर रही हो, थोड़ी देर आराम कर तुझे अच्छा लगेगा, ज्यादा मत सोच इस बारे में ठीक है, मैं तेरे लिए चाय लेकर आती हूं।" इतना बोल कर वो कमरे के बाहर चली जाती है। पीहू उठ कर कमरे की खिड़की खोलती है तभी उसके खिड़की के अंदर एक चिड़िया उड़ती हुई कमरे मे आ जाती है। पीहू उस चिड़िया की तरफ देखने लगती है,वो चिड़िया पीहू के सर के ऊपर चक्कर लगा रही थी,वो दिखने में बेहद खूबसूरत लग रही थी,पीहू फिर उसे पकड़ने की कोशिश करती है तभी वी चिड़िया उसके हाथ में अपने चोंच से वार  करती है,जिससे पीहू के हाथ से खून निकलने लगता है, पीहू ये देख कर फिर से उस चिड़िया की तरफ देखती है,वो चिड़िया तुरंत एक मकड़ी का रूप ले लेती है,ये देखकर पीहू बुरी तरह डर जाती है और तुरंत कमरे के बाहर भागने लगती है पर कोई पीछे से उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने करीब खींच लेता है, अचानक खींचने से पीहू उससे टकरा जाती है और अपनी नजर उठा कर देखती है, तो सामने अनिकेत खड़ा था और मुस्कुरा कर उसे देख रहा था। 🙏 हर हर महादेव 🙏

  • 3. Love After Death - Chapter 3

    Words: 1058

    Estimated Reading Time: 7 min

    पीहू उस चिड़िया की तरफ देखती है,वो चिड़िया तुरंत एक मकड़ी का रूप ले लेती है,ये देखकर पीहू बुरी तरह डर जाती है और तुरंत कमरे के बाहर भागने लगती है पर कोई पीछे से उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने करीब खींच लेता है, अचानक खींचने से पीहू उससे टकरा जाती है और अपनी नजर उठा कर देखती है, तो सामने अनिकेत खड़ा था और मुस्कुरा कर उसे देख रहा था। पीहू उसे अपने सामने देखकर जोर से चींखती है. . . . . . . ."आआआआ।" उसकी आवाज सुनकर रिया भागते हुये कमरे में आती है, पीहू अपनी आंखें बंद करके जोर से चीख रही थी। रिया जल्दी से उसके कंधे पर हाथ रख कर पूछती है . . . . . . . ."पीहू क्या हुआ, तू इतना चींख क्यों रही है, बता मुझे क्या हुआ?" पीहू रिया की आवाज सुनकर अपनी आंखें खोलती है और रोते हुए उसके गले लग कर बोलती है. . . . . . . ."रिया अनिकेत वो आ चुका, वो अभी यही खड़ा था।" रिया कमरे में चारों तरफ देखती है पर कोई नहीं था। वो पीहू को समझाते हुए बोलती है. . . . . . . ."कहां है कोई, कोई तो नहीं है।" पीहू भी फिर चारों तरफ देखती है पर कोई नहीं था। रिया फिर पीहू को बोलती है. . . . . . . ."देख नही सोने से भी ऐसा होता है,एक काम कर तू आराम कर, मैं ऑफिस जा रही हूं, जल्दी आने की कोशिश करुंगी।" पीहू रिया  बोलती है. . . . . . . ."नहीं मैं भी चलूंगा ऑफिस, मैं यहां अकेले नहीं रहूंगी।" रिया उसे समझाते हुए बोलती है. . . . . . . ."नहीं पीहू,तूने रात भर ओवर टाइम किया है ना,तुझे आराम की जरूरत है, तो आराम कर।" पीहू रिया से बोलती है. . . . . . . ."नहीं मुझे जाना है,मै यहा अकेली नही रहूंगी।" रिया फिर थक कर उसे भी अपने साथ ऑफ़िस ले जाती है। दोनो ऑफ़िस मे काम कर रही थी,अभी 1 घन्टा ही हुआ था,रिया पीहू की तरफ देखती है,वो नींद के कारन उबासी ले रही थी। रिया पीहू के पास आकर उसके कंधे पर हाथ रख कर बोलती है. . . . . . . ."पीहू मैंने कहा था ना तुझसे,तू घर पर आराम कर पर तू मेरी सुने तब तो, देख तुझे नींद आ रही है ना,जा जाके अपना फेस वॉश कर ले, तुझे अच्छा लगेगा। पीहू मुस्कुरा कर अपना सर हां मे हिलाती है और वॉशरूम मे चली जाती है। वो वॉश बेसिन के आगे खड़े होकर नल ऑन करके अपने चेहरे पर पानी के छींटे मारने लगती है,उसे थोड़ा अच्छा फील होता है। वो फिर नल बंद करके जैसे ही जाने को पलटती है तभी नल अपने आप चालू हो जाता है,वो फिर से पलट कर नल की तरफ देखती है और उसे वापस बंद करती है। वो वापस नल बंद करके फिर से पलटती है तभी उसे आवाज आता है, जैसे कोई उसका नाम पुकार रहा हो. . . . . . . ."पीहू।" आवाज सुनकर वो जल्दी से पलट कर सामने लगे शीशे की तरफ देखती है,शीशे मे उसे अपनी ही छाया नजर आती है, वो ध्यान से अपनी छाया को देखने लगती है तभी उसकी छाया उसे देखकर जोर- जोर से हंसने लगती है,पीहू जब ये देखती है, तो डर से उसकी चींख निकल पड़ती है. . . . . . . ."आआआ।" वो तुरंत दरवाजे की तरफ भागती है तभी उसकी नजर दरवाजे के पास खड़े एक इंसान पर पड़ती है,जो दूसरी तरफ पीठ करके खड़ा था। पीहू डरते हुए अपने कदम उसकी तरफ बढ़ाते हुए बोलती है. . . . . . . ."क.,,,क.,,,  कौन हो तुम?" पर आवाज सुनकर भी वो पीहू की तरफ नहीं पलटता,पीहू उसके थोड़ा करीब आकर अपना हाथ धीरे से उसके कंधे पर जैसे ही रखने की होती है, उसका हाथ उस इंसान के शरीर के आर पार चला जाता है।" ये देखकर पीहू के रोंगटे खड़े हो जाते हैं,वो इंसान धीरे से उसकी  तरफ पलटता है,वो कोई और नहीं अनिकेत की आत्मा थी, जो दिखने में बहुत ही भयानक लग रहा था, उसकी आँख पूरी काली थी और चेहरे से खून टपक रहा था, पीहू जब ये देखती है, तो वहीं बेहोश हो जाती है। 1 घंटे बाद पीहू को 1 घंटे बाद होश आता है,वो  खुद को अपने कमरे में पाती है, उसके बगल में रिया और ऑफिस के कुछ स्टाफ भी खड़े थे। पीहू ये देखकर तुरंत बैठ जाती है और अपनी चारों तरफ देखने लगती है, रिया उसके कंधे पर हाथ रखकर बोलती है. . . . . . . ." क्या हुआ तुझे, तू बेहोश कैसे हो गई थी,जब तू काफी देर तक बाहर नहीं आई, तो मैं तुझे चेक करने वॉशरूम के अंदर गयी और मैंने देखा कि तू वहां जमीन में बेहोश पड़ी है,हम सब मिलकर तुझे घर ले आए।" पीहू रिया  की बात सुनकर उसके गले लग कर फिर से फूट-फूट कर रोने लगती है, रिया ऑफिस के स्टाफ से बोलती है. . . . . . . ."थैंक्स आप लोगों ने हमारी मदद की, अभी आप लोग जायिए, वो सब वहां से चले जाते है।" रिया फिर उससे पूछती है. . . . . . . ."बताओ मुझे क्या हुआ था?" पीहू रोते हुए उससे बोलती है . . . . . . . ."वो अनिकेत वो फिर से आया था,वो उसे सारी बात बता देती है।" रिया उसे कहती है. . . . . . . ." अच्छा ठीक है, तू ज्यादा मत सोच,मैं तेरे लिए पानी लेकर आती हू।" इतना बोलकर वो कमरे के बाहर चली जाती है,पीहू अपना सर पकड़ कर अपनी आंखें बंद करके बैठी थी। थोड़ी देर रिया पानी का ग्लास उसके आगे बढ़ाती है,पीहू बिना उसकी तरह देखें उसके हाथ से गिलास लेकर पानी पी लेती है, रिया फिर वहां से चली जाती है,करीब 2 मिनट के बाद रिया फिर वापस आती है और पानी का गिलास उसकी तरफ बढ़ाती है। इस बार पीहू रिया की तरफ देख कर बोलती है . . . . . . . ."रिया मैंने पानी पी लिया है।" रिया उससे हैरानी से बोलती है. . . . . . . ."मैं तो अभी लेकर आ रही हूं,तो तुने कब पी लिया?" रिया की ये बात सुनकर कि वो इससे पहले आई ही नहीं थी, पीहू डर से उसकी तरफ देखने लगती है। 🙏 हर हर महादेव 🙏

  • 4. Love After Death - Chapter 4

    Words: 1285

    Estimated Reading Time: 8 min

    रिया की ये बात सुनकर कि वो इससे पहले आई ही नहीं थी, पीहू डर से उसकी तरफ देखने लगती है। पीहू उससे घबराते हुए बोलती है . . . . . ."देख मजाक मत कर रिया, इसके पहले तू आई थी और मैंने खुद तेरे हाथ से पानी का गिलास लिया था।" रिया हंसते हुए बोलती है . . . . . ."हो सकता है अनिकेत तुझे पानी पिला गया हो।" पर उसे क्या पता था कि उसका ये मजाक सच था, इससे पहले अनिकेत ही आया था और पीहू ने बिना देखे उसके हाथ से पानी का गिलास लिया था। पीहू गुस्से मे रिया को बोलती है. . . . . ."अपनी बकवास बंद कर, हर समय मजाक अच्छा नहीं लगता है, तुझे क्या लगता है मैं अनिकेत को लेकर तुझसे जो भी बातें करती हूं सब मजाक में बोलती हूं, मुझे अनिकेत दिखा भी है और उसकी आवाज भी सुनाई पढ़ती है, अभी भी ऐसा लग रहा है जैसे उसकी नजरें मेरे ऊपर ही है,वो हर समय मुझे देखता है, मैं उसकी नजरों को खुद पर फील कर सकती हूं।" इतना बोल कर वो अपने कमरे के चारों तरफ देखती है पर कमरे में कोई नहीं था। वही कोने में एक छोटी सी मक्खी कबसे पीहू और रिया की बातें सुन कर मुस्कुरा रही थी। शाम का समय रिया पीहू के कमरे में ही बेड पर बैठकर लैपटॉप में कुछ काम कर रही थी और पीहू बगल में सोई हुई थी,पीहू को डर ना लगे इस्लिये पूरा दिन रिया उसके साथ उसके कमरे में ही थी। वो थोड़ी देर बाद पीहू की तरफ देखती है ,जो गहरी नींद मे सो रही थी,उसका ईच्छा नहीं हुआ उसे जगाने का,वो किचन में चाय बनाने चली जाती है तभी वो देखती है कि चीनी खत्म हो गया है। वो फिर से कमरे में आकर पीहू को देखती है,उसका एक बार तो मन किया कि वो उसे जगा दे पर फिर वो सोचती है कि पास में ही तो दुकान है,जल्दी जाकर जल्दी ले आऊंगी, जब तक इसे सोने देती हूं, वैसे भी कल रात से ये सोयी नहीं है, ये सोचकर वो पास वाले शॉप पर चीनी लाने चली जाती है। अभी उसके गए 2 मिनट हुआ था कि पीहू का बैड जोर-जोर से हिलने लगता है, पीहू अचानक से उठ कर बैठ जाती है,पूरे कमरे में अंधेरा छाया हुआ था और कमरे की खिड़कियां जोर-जोर से खुल बंद हो रही थी, बाहर बहुत तेज तूफान आया हुआ था, भयानक आवाज भी बाहर से आ रही थी। पीहू जल्दी से रिया को आवाज लगाती है. . . . . ."रिया रिया कहां है तू ,लाइट चली गई है क्या?" पर उसे कोई जवाब नहीं आता। पीहू जल्दी से खड़ी होती है और जैसे ही बाहर जाने को अपने कदम बढ़ाती है,बैड के नीचे से कोई उसका पैर पकड़ लेता है,ये एहसास होते ही उसकी डर से चीख निकल पड़ती है. . . . . ."आआआ।" वो अपना पैर छुड़ाने का कोशिश करती है पर अपना पैर छुड़ा नहीं पाती, पूरे कमरे में फिर से भयानक हंसी की आवाज गूंजने लगती है, डर से पीहू फिर से रिया का नाम चिल्लाती है. . . . . ."रिया,,रिया कहां है तू?" वो अभी इतना ही बोली थी कि कोई उसे उठाकर बैड पर  पटक देता है और उसके ऊपर जानवरों की तरह टूट पड़ता है,वो जबरदस्ती उसके होंठ और चेहरे को चूम रहा था। पीहू अपनी पूरी कोशिश करती है उसे अपने ऊपर से हटाने की पर उसकी सारी कोशिश नाकाम हो रही थी,वो जो कोई भी था उसके शरीर को बुरी तरह नोच रहा था। वो उसका कपड़ा साइड हाथ से फाड़ देता है, पीहू अपनी पूरी ताकत लगाकर उसे अपने ऊपर से धक्का देती है और कमरे के बाहर रिया को आवाज लगाते हुए भागती है। "रिया,,रिया कहां है तू,, बचा मुझे रिया।" बाहर घर का दरवाजा खुला हुआ था। पीहू तुरंत घर के बाहर रोड पर भागने लगती है, रिया उस समय चीनी लेकर आ रही थी उसकी नजर भी भागती हुई पीहू पर पड़ती है। वो उसे आवाज लगाकर रोकती है. . . . . ."पीहू इतनी रात को कहां जा रही है, इतनी खराब मौसम में, रुक जा।" पर पीहू को जैसे कोई आवाज सुना ही नहीं दे रही थी,वो बस  सड़क पर भागे जा रही थी, उसके कानों में सिर्फ एक ही आवाज गूंज रही थी और वो थी अनिकेत की। पीहू रोड में भागे जा रही थी,बहुत तेज आंधी सड़कों पर चलने लगी थी, बहुत खराब मौसम था इसलिए रोड पर इक्के-दुक्के ही लोग नजर आ रहे थे और वो भी अपने घर तक जल्द से जल्द पहुंचने की कोशिश में लगे हुए थे। अनिकेत की आवाज पूरे माहौल को डरावना बना रही थी, वो हंसते हुए बोलता है . . . . . ."तुम मुझसे नहीं बच सकती, मेरी नजर हमेशा तुम्हारे ऊपर है।" उसकी आवाज सुनकर पीहू अपने दोनों कानों का अपने हाथ से ढक कर और तेज दौड़ने लगती है। वो अभी थोड़ी ही दूर गई होगी कि एक लड़के से टकरा जाती है,वो पलट कर उस लड़के की तरफ देखती है, उस लड़के के साथ उसके तीन दोस्त और थे और वो चारों हवस भरी नजरों से पीहू को देख रहे थे। उनमें से एक लड़का बोलता है. . . . . ."मैडम इतनी रात को कहां भागे जा रही है आप?" पीहू डरते हुए उससे बोलती है. . . . . ."प्लीज मेरी मदद करिए,वो मेरे पीछे पड़ा हुआ है।" उसकी बात सुनकर तीनों पीछे की तरफ पलट कर देखते हैं पर उन्हे कोई नहीं दिखता। उनमे से दूसरा लड़का बोलता है. . . . . ."कौन पीछे पड़ा  हुआ है, हमें तो कोई नहीं दिख रहा है।" पीहू रोते हुये बोलती है. . . . . ."हर किसी को नहीं दिखता वो।" तभी तीसरा लड़का उससे पूछता है. . . . . ."क्यों कोई भूत है क्या, जो हर किसी को नहीं दिखता।" पीहू उसकी बात सुनकर अपना सर हां मे हिला देती है। वो चारों पीहू की तरफ देख कर जोर जोर से हंसने लगते हैं, पीहू गुस्से में बोलती है . . . . . ."ये कोई हंसने की बात नहीं है,मैं सच बोल रही हूं,वो एक आत्मा है जो मेरे पीछे पड़ी हुई है।" तभी एक लड़का बोलता है. . . . . ."चलिए कोई बात नहीं मैडम, जो भी है वो, अब आपको डरने की जरूरत नहीं है, आइए कार में बैठीये, हम आपको ऐसी जगह ले जाएंगे जहां आपको बिल्कुल भी डर नहीं लगेगा।" डर से पीहू की सोचने समझने की शक्ति खो गई थी, उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। वो उस लड़के की तरफ देख कर बोलती है. . . . . ."क्या आप सच बोल रहे हैं?" दूसरा लड़का मुस्कुरा कर बोलता है. . . . . ."हां मैडम आइए कार में बैठीये।" वो उनके साथ जाने लगती है तभी अनिकेत पीछे से उसका हाथ पकड़ लेता है,उसके हाथ पकड़ते ही पीहू रुक जाती है। वो चारों उसकी तरफ देखते हैं और पूछते हैं. . . . . ."क्या हुआ,आप रूक क्यों गयी?" पीहू गुस्से में बोलती है. . . . . ."छोड़ो मेरा हाथ।" अनिकेत उसे आवाज लगाकर बोलता है. . . . . ."मत जाओ उनके साथ, उनका इरादा सही नहीं है,तुम नहीं जानती,वो अभी क्या सोच रहे हैं,वो तुम्हारे साथ बुरा करने का सोच रहे है।" पीहू को उसकी आवाज सुनाई दे रही थी पर उन लड़कों को सुनाई नहीं दे रही थी। वो गुस्से में बोलती है. . . . . ."सब तुम्हारी तरह नहीं होते।" वो फिर अपना हाथ उससे झटककर उनके साथ कार में बैठ जाती है,वो सब उसे वहां से ले जाते हैं। अनिकेत की आंखें लाल हो चुकी थी और वो गुस्से में उस जाती हुई कार को देख रहा था। 🙏 हर हर महादेव 🙏

  • 5. Love After Death - Chapter 5

    Words: 1012

    Estimated Reading Time: 7 min

    पीहू उन लड़कों के साथ उनकी कार में बैठ कर चली जाती है,अभी आधा घंटा ही हुआ था कि उनकी कार सुनसान रास्ते पर जाकर रूक जाती है। पीहू कार को रूकते हुए देखती है,तो उनसे पूछती है. . . . . . ."क्या हुआ कार अचानक से रुक क्यों गई?" उनमें से एक लड़का जो ड्राइविंग सीट पर बैठा हुआ था,वो हंसते हुए बोलता है. . . . . . ."मैडम हम अपना काम यहीं पर करेंगे, उसके बाद आपको यही छोड़कर चले जाएंगे,अब काम करने के लिए कार तो रोकना पड़ेगा ना।" पीहू को उनकी कोई भी बात समझ नहीं आ रही थी,वो उनसे हैरानी से पूछती है. . . . . . ."काम,कैसा काम?" उसका ये सवाल सुनकर चारों लड़के जोर-जोर से हंसने लगते हैं, पीहू उन चारों को ही देख रही थी, उनमें से दो लड़के जो पीछे पीहू के साथ बैठे हुए थे,वो किसी जानवर की तरह उस पर टूट पड़ते हैं। पीहू जोर से चिल्लाते हुए बोलती है . . . . . . ."ये क्या कर रहे हैं आप लोग, छोड़ीये मुझे।" उनमें से दो लड़के जो आगे बैठे हुए थे, एक लड़का पीछे पीहू के पास आ जाता है,पीहू उनसे छुटने की नाकाम कोशिश कर रही थी पर वो लोग उसे छोड़ नहीं रहे थे। तभी जो लड़का ड्राइविंग सीट पर बैठा था, अचानक से वो गुस्से में बोलता है. . . . . . ."छोड़ो उसे।" तीनों लड़के जो पीछे पीहू के पास थे,वो तीनों उसकी तरफ पलट कर देखते हैं और पीहू भी उसे देखती है। वो लड़का सामने की तरफ घूरे जा रहा था और उसकी आवाज बदली हुई लग रही थी। तभी पीछे वाला एक लड़का बोलता है. . . . . . ."अरे roy तुझे क्या हुआ अचानक से, आजा तू भी चारों मिलकर मजे लेंगे इस हसीना के।" Roy फिर से गुस्से में बोलता है. . . . . . ."मैंने कहा छोड़ो उसे, नहीं तो सजा के लिए तैयार रहना तुम सब।" तभी दूसरा लड़का गुस्से में बोलता है. . . . . . ."क्यों तू अकेले मजे लेना चाहता है क्या इसके, देख ऐसा सोचना भी मत।" Roy कार से उतर कर उनकी तरफ घूर कर देखने लगता है, उसकी आंखें लाल हो चुकी थी और चेहरा भी पूरा सफेद पड़ चुका था,वो दिखने में बेहद डरावना लग रहा था,पीहू तो उसे देखते ही समझ गई थी कि उसके शरीर में अनिकेत की आत्मा जा चुकी है। Roy  कार का पीछे वाला गेट खोलकर पीहू को बोलता है. . . . . . ." यहां आओ मेरे पास पीहू।" पीहू जल्दी से उसके पास किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह सर झुका कर चली जाती है पर अंदर ही अंदर उसे बहुत ज्यादा डर लग रहा था। Roy पीहू को अपने पीछे करके उन तीनों लड़कों की तरफ घूर कर देखते हुए बोलता है. . . . . . ."लास्ट मौका दे रहा हूं चले जाओ यहां से,नहीं तो उसके बाद तुम लोग सोच भी नहीं सकते कि मैं तुम तीनों का क्या हाल करूंगा।" वो तीनों भी कार के बाहर निकलते हैं तभी दूसरा लड़का गुस्से में बोलता है . . . . . . ."Roy लड़की को हमें दे अभी।" Roy पीहू की तरफ पलटता है,वो उसकी डरावनी आंखें देख कर अंदर तक कांप जाती है, वो उसकी आंखों में देख कर धीरे से बोलता है. . . . . . ."सो जाओ।" उसका इतना ही बोला था कि पीहू उसकी बाहों में आंखें बंद करके गहरी नींद में चली जाती है। Roy उसको गोद में उठाकर कार के पीछे लेटा देता है फिर उन तीनों लड़कों की तरफ गुस्से में घूर कर देखने लगता है, उनमें से एक लड़का जैसे ही कार का दरवाजा खोलने के लिए अपना हाथ बढ़ाता है,Roy उसका हाथ पकड़कर एक झटके में उसके शरीर से अलग कर देता है। वो लड़का दर्द में तड़प तड़प कर वही मर जाता है, बाकी के दो लड़के ये देखकर अंदर ही अंदर कांप जाते हैं। दोनो Roy  की तरफ देखते हुए बोलते हैं. . . . . . ."भाई तुझे अचानक से क्या हो गया, तू ऐसे कैसे बन गया, तू तो ऐसा नहीं था?" Roy जोर से हंसते हुए बोलता है. . . . . . ."मैं roy  नहीं अनिकेत हूं, उसकी हंसी इतनी डरावनी थी कि पूरा माहौल को डरावना बना रही थी। वो दोनों लड़के तुरंत वहां से भागने लगते हैं। Roy एक ही छलांग में एक लड़के के सामने आकर खड़ा हो जाता है,वो लड़का फिर दूसरी तरफ पलटकर भागने लगता है,Roy अपना हाथ कई गुना आगे बढ़ाकर पीछे से ही उसका गर्दन पकड़ कर उसके धड़ से अलग कर देता है। जो आखरी लड़का बचा हुआ था,वो अपनी सास रोककर एक खंडहर के अंदर जाकर छिप जाता है तभी उसे फिर से हंसने की आवाज सुनाई देने लगती है,उस लड़के के पूरे शरीर से पसीना निकल रहा था,वो डर से अपनी आंखें बंद कर लेता है। थोड़ी देर बाद हंसी की आवाज बंद हो जाती है,वो फिर अपनी आंखें खोलता है और जैसे ही पीछे की तरफ पलटता है, दीवार से दो हाथ निकालकर उसे दीवार के अंदर खींच लेते हैं और वो भी वही मर जाता है। अब बारी Roy की थी,Roy सड़कों पर पागलों की तरह भाग रहा था,भागते-भागते वो सामने से आती हुई ट्रक से टकरा जाता है और वो भी वही मर जाता है,उसके मरते ही अनिकेत की आत्मा भी उसके शरीर से बाहर निकल जाती है। वो घूरकर Roy की तरफ देखता है फिर पलक झपकते ही वो कार के पास आ जाता है। वो फिर पीछे वाली सीट की तरफ देखता है,जहां पीहू अभी भी गहरी नींद में सो रही थी। अनिकेत कार का पिछला दरवाजा खोलकर पीहू को अपनी गोद में उठाकर उसके चेहरे को निहारते हुए बोलता है. . . . . . ."तुम सिर्फ मेरी हो और हमेशा मेरी ही रहोगी।" इतना बोल कर वो एक लड़के का रूप ले लेता है और फिर से पीहू को पिछली सीट पर लेटा कर कार को उसके घर की तरफ मोड़ देता है। आपको मेरी ये स्टोरी कैसी लग रही है, प्लीज कमेंट करके बताइए। 🙏 हर हर महादेव 🙏

  • 6. Love After Death - Chapter 6

    Words: 1105

    Estimated Reading Time: 7 min

    रिया हॉल मे टेंशन से इधर-उधर घूम रही थी, वो कबसे बाहर के खराब मौसम को ही देख रही थी, मौसम खराब होने के कारण उसका फोन भी नहीं लग पा रहा था। वो सोफे पर बैठ कर अपना सर पकड़ कर रोते हुए बोलती है. . . . ."काश मैने पीहू को उठा दिया होता, उसे भी अपने साथ ले जाती, तो ऐसा नहीं हो पाता, पता नहीं कहां होगी वो, किस हाल में होगी, कहां खोजू मैं उसे, इतनी रात को बाहर भी नहीं जा सकती, भगवान प्लीज पिहू को कुछ ना हो, प्लीज उसे सही सलामत घर वापस भेज दीजिए।" वो इतना ही बोली थी कि एक कार घर के पास आकर रूकती है,रिया जल्दी से दरवाजा खोलकर बाहर की तरफ देखती है, एक लड़का जो दिखने में बेहद handsome था, वो पीहू को गोद में लिए घर के अंदर लाता है, पीहू उसकी बाहों में गहरी नींद में सो रही थी। रिया पीहू को देखकर घबराते हुये बोलती है. . . . ."ये तुम्हे कहां मिली, कैसी है ये और तुम कौन हो?" वो लड़का रिया को बिना कोई जवाब दिए पीहू को सीधा उसके कमरे के अंदर ले जाता है। रिया ये देखकर हैरानी से बोलती है . . . . ."इसे पीहू का कमरा कैसे पता चला, इसे तो मैने पहली बार इधर देखा है फिर ये सीधा पीहू के कमरे में कैसे चला गया?" रिया भी उसके पीछे पीछे पीहू के कमरे में जाती है,वो लड़का पीहू को बेड में लेटा कर उसे चादर ओढ़ाकर रिया की तरफ पलट कर देख कर देखता है, रिया भी ध्यान से उसे देख रही थी। वो रिया से बोलता है. . . . ."मेरा नाम आरव है, ये अचानक से मेरे गाड़ी के सामने आकर बेहोश हो गई थी,मैं इसे यहां ले आया।" रिया उससे हैरानी से बोलती है . . . . ."वो तो ठीक है पर तुम्हें यहा का ऐड्रेस कैसे पता चला,ये तो बेहोश हो गई थी ना फिर एड्रेस किसने बताया?" आरव रिया से गुस्से मे बोलता है. . . . ."अपनी जुबान बंद करो, मुझे ज्यादा सवाल करने वाले लोग नहीं पसंद है,ध्यान रखना पीहू का।" रिया ये सुनकर फिर से हैरान हो जाती है कि इसे पीहू का नाम कैसे पता चला। वो फिर से एक नजर पीहू की तरफ देखता है और बाहर जाने लगता है, रिया उसे पीछे से जाते हुए देख रही थी तभी उसकी नजर उसके पैरों पर पड़ती है और ये देखते ही रिया डर से अंदर तक कांप जाती है क्योंकि उसके पैर हवा में थे। आरव बाहर दरवाजे के पास रूककर फिर पलट कर रिया की तरफ देखता है, रिया के मुंह से तो अब आवाज निकल ही नहीं रही थी,वो चुपचाप उसे देख रही थी,आरव अपने चेहरे पर हल्का मुस्कान लाता है और उसके सामने ही गायब हो जाता है,रिया ये देखते ही जमीन में बेहोश होकर गिर जाती है। सुबह का समय सुबह पीहू की नींद खुलती है,वो खुद मे बहुत ही फ्रेश महसूस कर रही थी,वो बेड पर बैठ कर फिर कमरे में इधर उधर देखते हुए रिया को आवाज लगाती है. . . . ."रिया,,रिया,,कहां है तू?" पर उसे रिया कि कोई आवाज नहीं आती,वो फिर कमरे के बाहर जाती है तभी उसकी नजर हॉल में बेहोश पड़ी रिया के ऊपर जाती है। पीहू रिया को बेहोश देखकर बहुत ज्यादा घबरा जाती है,वो उसके पास आकर उसका गाल थपथपाते हुए बोलती है. . . . ."रिया क्या तुझे, आंखे खोल रिया।" पर रिया आंख नहीं खोल रही थी,पिहु ये देखकर जल्दी से किचन में भाग कर जाती है और एक गिलास में पानी लेकर रिया के पास आकर उसके पास बैठ जाती है और उसके चेहरे पर पानी के छींटे मारने लगती है। थोड़ी देर में रिया को होश आ जाता है, पीहू उसे पानी पिलाते हुये बोलती है. . . . ."क्या हुआ तुझे,तू बेहोश कैसे हो गई?" रिया उसकी बात सुनकर जल्दी से चारों तरफ देखते हुए बोलती है . . . . ."पीहू तू ठीक बोल रही थी, तुझे पता है कल मैंने क्या देखा और वो रात वाली बात पीहू को बता देती है।" पीहू रिया से कहती है . . . . ."देखा मैं तुझसे कहती थी ना कि अनिकेत वापस आ गया है पर तूने कभी मेरी बात का यकीन नहीं किया।" रिया अपने दोनों कान पकड़ कर उससे कहती है. . . . ."आई एम सॉरी,प्लीज मुझे माफ कर दे,कल रात मैंने उसे खुद अपनी आंखों से देखा था, देख मेरे रोंगटे अभी तक खड़े हैं।" इतना बोल कर वो अपना हाथ उसको दिखाती है। पीहू भी रिया को रात वाली सारी बात बता देती है। रिया ये सुनकर उससे हैरानी से बोलती है. . . . ."क्या,,, मतलब अनिकेत ने तुझे बचाया?" पीहू उसे जवाब देते हुए बोलती है . . . . ."वो तो मैं नहीं जानती पर उसने मुझसे कहा सो जाओ और मैं सो गई, उसके बाद मुझे कुछ भी याद नहीं।" रिया उसके कंधे पर हाथ रखकर बोलती है. . . . ."जल्दी से पैकिंग कर,अब हम यहां नहीं रहेंगे।" पीहू उससे हैरानी से पूछती है. . . . ."क्या,, यहा नहीं रहेंगे तो हम कहां जा रहे हैं?" रिया उसे जवाब देते हुए बोलती है. . . . ."मथुरा मेरे घर,वहा आनिकेत तो क्या कोई भी आत्मा नहीं आ सकती, मेरे बाबूजी और चाचा जी दोनों बहुत बड़े पुजारी है, तू वहां बिल्कुल सुरक्षित रहेगी,तू बिल्कुल भी चिंता मत कर और जल्दी से पैकिंग कर, हम अभी थोड़ी देर में निकलेंगे।" दूसरी दुनिया मे, एक जगह वहा चारो तरफ अंधेरा छाया हुआ था, वहां अनिकेत की ही तरह बहुत सारे आत्माएं थी और सामने उन सब का राजा डेविल बैठा हुआ था। अनिकेत उसके सामने जाकर खड़ा हो जाता है,डेविल उसे देख कर मुस्कुराते हुए बोलता है. . . . ."अनिकेत आओ आओ, तुम्हें मैंने यहां इसलिए बुलाया है क्योंकि अभी अभी उजालो की दुनिया से परी का संदेश आया था, कुछ आत्माओं को फिर से इंसान बनने का मौका मिल रहा है, जिसमें तुम्हारा नाम भी शामिल है।" अनिकेत उस डेविल को थोड़ा गुस्से में बोलता है. . . . ."मुझे नहीं बनना है इंसान, अगर मैं इंसान बन गया तो मेरे पास अभी जो ताकत है,वो सारी चली जाएगी,इंसान बनने के बाद मैं एक बंधन में बंध जाऊंगा, वही जीवन और मृत्यु का चक्र, मुझे ये सब फिर से दोबारा नहीं करना है, मैं अभी बहुत खुश हूं, बहुत शक्तिशाली हूं,कहीं भी आ जा सकता हूं, मुझे कोई मामूली इंसान नहीं बनना है।" तो आपको क्या लगता है दोस्तों क्या अनिकेत फिर से इंसान बनने के लिए मानेगा, क्या पीहू अनिकेत से बच पाएगी, ये सब जानने के लिए पढ़ते रहिए इस कहानी को। 🙏 हर हर महादेव 🙏

  • 7. Love After Death - Chapter 7

    Words: 1008

    Estimated Reading Time: 7 min

    अनिकेत उस डेविल को बोलता है. . . . ."मुझे नहीं बनना है इंसान, अगर मैं इंसान बन गया तो मेरे पास अभी जो ताकत है,वो सारी चली जाएगी,इंसान बनने के बाद मैं एक बंधन में बंध जाऊंगा, वही जीवन और मृत्यु का चक्र, मुझे ये सब फिर से दोबारा नहीं करना है, मैं अभी बहुत खुश हूं, बहुत शक्तिशाली हूं,कहीं भी आ जा सकता हूं, मुझे कोई मामूली इंसान नहीं बनना है।" वो डेविल हंसते हुए अनिकेत से बोलता है . . . . . ."कमाल है, दूसरी आत्मा तो चाहती है कि वो फिर से इंसान बन जाए और तुम ऐसा नहीं चाहते पर मैं पूछ सकता हूं कि तुम ऐसा क्यों नहीं चाहते?" अनिकेत उसकी आंखों में देखते हुए बोलता है. . . . . ."क्योंकि इंसान बनने के बाद मेरी सारी शक्तियां खत्म हो जाएगी,अभी मैं बहुत शक्तिशाली हूं और मुझे एक लड़की से प्यार है।" उसकी बात सुनकर डेविल और बाकी की आत्माएं भी जोर जोर से हंसने लगते हैं। डेविल मुस्कुराते हुए बोलता है. . . . . ."कौन लड़की, वही जिसके कारण तुम्हारी जान गई थी, उसने तुम्हें बचाने की भी कोशिश नहीं की और तुम बोलते हो कि तुम उससे प्यार करते हो कमाल है।" अनिकेत डेविल से बोलता है. . . . . ."उसका बदला मैं उससे ले लूंगा,अब मुझे जाने दो यहां से।" डेविल अपनी आंखें बंद करता है थोड़ी देर बाद वो अपनी आंखें खोल कर बोलता है. . . . . ."जाओ मैंने कहा रोका है तुम्हें पर अब मुझे नहीं लगता कि तुम अब उस लड़की के करीब भी जा पाओगे क्योंकि वो लड़की ऐसी जगह चली गई है, जहां तुम्हारा जाना बहुत ही मुश्किल है।" अनिकेत डेविल की बात सुनकर हैरान होकर उससे पूछता है. . . . . ." कहां गई है वो?" डेविल उसे कोई जवाब नहीं देता और अपना एक उंगली उठाता है, सामने हवा में एक दृश्य नजर आने लगता है, जिसमें पीहू एक कमरे में बैठी हुई थी और उसके साथ रिया भी थी तभी एक बूढ़ा आदमी उन दोनों के पास आकर उन्हें माला पहनाते हुए बोलता है. . . . . ."तुम दोनों इस माला को एक पल के लिए भी अपने गले से मत उतारना, जब तक ये माला तुम दोनों के गले में रहेगी, कोई भी बाहरी शक्ति तुम दोनों को छू भी नहीं पाएगी।" अनिकेत डेविल और दूसरी आत्माएं ये सब देख रही थी। डेविल फिर से अपनी उंगली हवा में उठाता है और वो दृश्य गायब हो जाता है। डेविल अनिकेत की तरफ देख कर बोलता है. . . . . ."देखा और ये कोई मामूली माला नहीं है, बहुत ही पवित्र माला है, तुम तो क्या मैं भी अब उस लड़की के छू नहीं सकता।" अनिकेत डेविल से बोलता है . . . . . ."वो जो भी हो, मुझे कोई भी माला नहीं रोक सकती, देखना मैं ऐसा कुछ करूंगा जिससे पीहू अपने गले से वो माला निकालने के लिए मजबूर हो जाएगी।" डेविल मुस्कुरा कर उससे बोलता है. . . . . ."अगर ऐसा हुआ, तो मैं तुम्हें इस दुनिया का सबसे शक्तिशाली शैतान बना दूंगा, जाओ और सबको बता दो कि हम शैतानों की ताकत बहुत ज्यादा है, कोई भी हमें रोक नहीं सकता।" अनिकेत मुस्कुरा कर उसके सामने अपना सर झुकाता है और वहां से गायब हो जाता है, डेविल ये देखकर जोर-जोर से हंसने लगता है। अनिकेत थोड़ी देर बाद रिया के घर के सामने आकर खड़ा हो जाता है,वो फिर ध्यान से उस घर को देखने लगता है, उस घर के चारों तरफ गोल रेखा खींचा हुआ था। अनिकेत उस रेखा को नजरअंदाज करके जैसे ही घर के अंदर घुसने के लिए अपने कदम बढ़ाता है, उसे बहुत जोरदार झटका लगता है,जिससे वो कई फीट पीछे जाकर गिरता है। अनिकेत तुरंत एक झटके में खड़ा हो जाता है और उस रेखा को फिर से देखने लगता है, उसे बहुत गुस्सा आ रहा था,वो फिर से एक बार कोशिश करता है उस रेखा को पार करने की पर फिर से उसे झटका लगता है और वो पीछे जाकर गिरता है तभी उसे हंसने की आवाज सुनाई देती है। अनिकेत गुस्से में खड़ा होकर सामने की तरफ देखता है, उस घर के पास एक बूढ़ा आदमी खड़ा था और वो मुस्कुराते हुए बोलता है. . . . . ."मैं तो तुम्हें देख नहीं सकता पर महसूस जरूर कर सकता हूं, तुम चाह कर भी इस रेखा को पार नहीं कर पाओगे,इसे मैंने अभिमंत्रित करके खींचा है, तुम तो क्या बड़ी से बड़ी शक्तियां भी इस रेखा को पार नहीं कर सकती, लौट जाओ यहां से।" अनिकेत गुस्से में गरजते हुए बोलता है. . . . . ."तू मुझे रोकेगा रोक, मैं भी देखता हूं तू मुझे कब तक रोक पाता है।" वो बूढ़ा आदमी कोई और नहीं रिया के पिता देवदास त्रिपाठी थे और वो वहां के बहुत बड़े पुजारी भी थे। अनिकेत एक कौवे का रूप ले लेता है और घर के सामने एक पेड़ पर जाकर बैठ जाता है तभी देवदास को भी वो कौवा दिखता है, जिसकी आंखें लाल थी और वो उन्हे घूर रहा था। देवदास ये देखकर जोर से हसते हुये बोलते हैं . . . . . ."ओ तूने कौवे का रूप ले लिया, चलो अच्छा है, वहीं से ही बैठ कर देख, क्योंकि तू और कुछ कर भी तो नहीं सकता है।" वही अंधेर लोक में डेविल भी ये सब दृश्य देखकर मुस्कुरा रहा था। एक चुड़ैल डेविल के पास आकर बोलती है. . . . . ."अब ये अनिकेत क्या करेगा, मुझे नहीं लगता कि ये उस घर में जाकर उस इंसानी लड़की से मिल भी पाएगा।" डेविल मुस्कुराकर उस चुड़ैल की तरफ देख कर बोलता है. . . . . ."ये कुछ भी कर सकता है, इसे कभी कम मत समझना और जहां तक मैं इसे जान पाया हूं,ये उस लड़की से जरूर मिल पाएगा।" आपको क्या लगता है दोस्तों क्या अनिकेत पीहू के गले से वो माला निकलवाने में कामयाब हो पाएगा, क्या वो पीहू से मिल पाएगा, क्या डेविल उसे शक्तिशाली बना देगा?"ये सब जानने के लिए पढ़ते रहिए इस कहानी को। 🙏 हर हर महादेव 🙏

  • 8. Love After Death - Chapter 8

    Words: 1072

    Estimated Reading Time: 7 min

    अनिकेत कौवे के रूप में पेड़ पर बैठा हुआ था तभी रिया का मोबाइल बजता है,रिया मोबाइल में किसी से बात करती है फिर वो पीहू से बोलती है ठीक हूं- "मैं थोड़ी देर में आती हूं।" पीहू मुस्कुराकर हां मे जवाब देती है, रिया तुरंत भागते हुए अपनी छत पर चली जाती है। रिया के छत के बाजू वाले छत में एक हैंडसम लड़का खड़ा था। रिया उसको देख कर मुस्कुरा देती है, उन दोनों की छत के बीच ज्यादा गैप नहीं था,वो लड़का अपने छत से कूदकर रिया के छत में आ जाता है, रिया तुरंत उसके गले लग जाती है, वो भी उसे अपनी बाहों में कसकर भर लेता है। रिया मुस्कुरा कर उसकी आंखों में देख कर बोलती है. . . . . ."रेहान तुम कब आए?" रेहान  उसके बालों को उसके कान के पीछे करके बोलता है. . . . . ."बस 2 दिन पहले आया था, मैं तो तुम्हें कॉल करने वाला था फिर आज सुबह-सुबह मेरी नजर तुम पर पड़ी और मैंने तुम्हें छत पर बुला लिया,वैसे तुम कब आयी?" रिया उसे मुस्कुरा कर जवाब देती है. . . . . ." बस आज सुबह ही आयी।" रेहान उसका हाथ पकड़ कर बोलता है. . . . . ."तो आज शाम को डिनर पर चले?" रिया ये सुनकर उसे जवाब देते हुये बोलती है. . . . . ."नहीं नहीं, नहीं,,, बाबूजी ने मना किया है घर के बाहर जाने के लिए।" रेहान सवालिया नजरों से उसे देख कर पूछता है. . . . . ."पर ऐसा क्यों, पहले तुम जब भी आती थी तो हम तो हमेशा घूमने जाते थे और मैं पूरे 2 साल के बाद अमेरिका से वापस लौटा हूं, मैं तुम्हें आज शाम को एक गुड न्यूज़ भी देने वाला हूं, प्लीज चलो ना डिनर पर।" रिया उसे समझाते हुए बोलती है. . . . . ."प्लीज रेहान मेरी बातों को समझो, मैं नहीं जा सकती।" रेहान उसका हाथ छोड़कर गुस्से में बोलता है. . . . . ."मत जाओ, पता चल गया कि तुम मुझसे कितना प्यार करती हो, मैं तुम्हें फोर्स नहीं करूंगा, जो मर्जी वो करो, जा रहा हूं मैं।" इतना बोल कर रेहान जाने लगता है, रिया पीछे से उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए बोलती है. . . . . ."तुम तो नाराज हो गये, आई एम सॉरी, अच्छा ठीक है मैं चलूंगी डिनर पर।" रेहान मुस्कुरा कर उसे देखते हुए बोलता है. . . . . ."मुझे मालूम था,,मेरा ये रूठने वाले ट्रिक हमेशा काम करता है।" रिया ये सुनकर गुस्से मे उसके सीने पर मारने लगती है। रेहान फिर से हंस कर उसे अपनी बाहों में भर कर बोलता है. . . . . ." ठीक है शाम को मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा।" रिया मुस्कराकर चली जाती है। रेहान भी अपने छत पर आता है तभी वो कौवा उसके सर के ऊपर मंडराने लगता है,रेहान उसकी तरफ देखता है,वो कौवा जोर जोर से हंस रहा था, रेहान भी ये देखकर थोड़ा घबरा जाता है और तुरंत नीचे भाग जाता है। अनिकेत अपना रूप लेकर हंसते हुए बोलता है. . . . . ."रिया अब तुम करोगी मेरी मदद, तुम अब पीहू के गले से वो माला उतरवाओगी।" यहा रेहान अपने कमरे में आकर पानी पीते हुए बोलता है. . . . . ."कितना आजीब कौवा था, ऐसा लग रहा था जैसे वो हंस रहा था।" शाम का समय रिया अपने मां से जिद कर रही थी कि वो उसे बाहर जाने दे पर उसकी मां बार-बार उसे रोक रही थी। रिया जिद करती हुये बोलती है . . . . . ." प्लीज मैं एक घंटे में आ जाऊंगी,ऐसा भी क्या है और मैंने ये माला पहन कर रखा है ना फिर आप मुझे क्यों नहीं जाने दे रही हैं,मैं जाऊंगी बस।" रिया की मां निर्मला देवी गुस्से में बोलती है. . . . . ."मैंने कहा ना तू कहीं नहीं जाएगी, तेरे बाबूजी ने मना किया है तेरा और पीहू का घर से बाहर निकलना, तुम दोनों कितनी बड़ी मुसीबत से बच कर आई हो, भूल गई क्या।" रिया गुस्से में बोलती है. . . . . ."मां मुझे सब याद है पर बाबूजी ने कहा ना जब तक हमारे गले में ये माला रहेगा,वो आत्मा हमारा कुछ नहीं कर सकती, तो अगर मैं ये माला उतारुंगी ही नहीं, तो वो कैसे मेरा कुछ बिगाड़ पाएगी और मैं सेफ रहूंगी।" निर्मला देवी गुस्से में बोलती है. . . . . ."मैंने एक बार बोल दिया ना तू नहीं जाएगी, तो नहीं जाएगी।" रिया गुस्से मे अपने कमरे में चली जाती है,पीहू जो कमरे में बैठी हुई थी, उसे आवाज साफ साफ सुनाई दे रही थी। वो रिया से बोलती है. . . . . ."जब आंटी जी मना कर रही है, तो मत जा ना, क्या जरूरत है जाने का।" रिया पीहू को गुस्से में बोलती है. . . . . ."तू नहीं जानती वो रेहान 2 साल के बाद अमेरिका से आया है,हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और अगर मैं नहीं गई ना तो वो मुझसे बहुत नाराज हो जाएगा, उसे बहुत जल्दी गुस्सा आता है और अगर वो मुझसे एक बार नाराज हो गया ना, तो उसे मनाना बहुत मुश्किल होगा और 1 घंटे की ही तो बात है,मैं जाकर आ जाऊंगी।" पीहू उदास होकर बोलती है. . . . . ."सॉरी रिया ये सब मेरे कारण हो रहा है, मेरे कारण तू भी मुसीबत में फंस गई,आई एम सॉरी।" रिया उसके पास बैठकर गुस्से में बोलती है. . . . . ."पागल है क्या, तू मेरी बेस्ट फ्रेंड है और देख सॉरी मत बोल, तेरे कारण कुछ नहीं हो रहा है, बस ये सोच कि इस कमरे से मैं जाऊं कैसे?" पीहू उसे कोई जवाब नहीं देती,रिया की नजर फिर सामने बालकनी पर जाती है और वो हंसते हुए बोलती है. . . . . ."मिल गया आइडिया मै इस बालकनी से जाऊंगी, बस 1 घंटे तक तू यहां सब संभाल लेना।" पीहू उसे फिर समझाते हुये बोलती है. . . . . ."मुझे ये ठीक नहीं लग रहा है, मत जाना तू,रेहान को यहीं बुला ले।" रिया उससे नाराजगी के साथ बोलती है. . . . . ."देख कुछ नहीं होगा, तू ज्यादा टेंशन मत ले,मैं तो अब यहीं से जाऊंगी।" इतना बोल कर वो कपड़े चेंज करके बालकनी से चली जाती है। अनिकेत अब क्या करने वाला है, क्या वो पीहू के गले से वो माला निकलवाने में कामयाब हो पाएगा,ये सब जानने के लिए पढ़ते रहिए इस कहानी को। 🙏हर हर महादेव🙏

  • 9. Love After Death - Chapter 9

    Words: 1150

    Estimated Reading Time: 7 min

    रिया बालकनी से निकल कर सीधा रोड पर आ जाती है, जहां रेहान उसक वेट कर रहा था,रिया मुस्कुराकर कार में बैठ जाती है,रेहान उसके होठों पर किस करता है और वो दोनों वहां से होटल चले जाते हैं। थोड़ी देर बाद रेहान कार को होटल के सामने रोकता है और वो उसका हाथ पकड़ता है, दोनों होटल के अंदर आते हैं। रेहान एक टेबल के पास आकर चेयर पीछे खींचता है,रिया मुस्कुराकर उसे थैंक यू बोलती है और चेयर पर बैठ जाती है, रेहान भी उसके साइड वाले चेयर पर बैठ जाता है। रिया उससे पूछती है. . . . . ." अब बताओ क्या सरप्राइस है?" रेहान मुस्कुरा कर बोलता है. . . . . ." इतनी भी क्या जल्दी है जान, बताऊंगा ना अभी तो आए हैं।" इतना बोल कर वो वेटर को बुलाता है और दोनों का ऑर्डर देता है। रिया उससे फिर बोलती है. . . . . ."रेहान मुझे एक घंटे में जाना है, प्लीज बताओ ना क्या बात है, तुम्हें मालूम है मैं यहां कैसे आई, मुझे मां आने नहीं दे रही थी, मैं छूप कर आई हूं।" रेहान ये सुनकर हंसते हुए बोलता है. . . . . ."आखिर ऐसा भी क्या हो गया जो तुम्हें छुपकर आना पड़ा?" रिया उससे कुछ नहीं बोलती,वही दूर टेबल पर कोई बैठा हुआ था,जिसकी नजर रेहान और रिया के ऊपर ही थी तभी वेटर उनका ओर्डर लेकर आता है, वो आदमी अपनी उंगली उठाता है और रेहान के कपड़ों पर पूरा का पूरा खाना गिर जाता है। रेहान गुस्से में वेटर से बोलता है. . . . . ." ये क्या किया तुने,मेरा पूरा कपड़ा खराब कर दिया।" वेटर अपना सर झुका कर बोलता है. . . . . ." माफ कर दीजिए सर, पता नहीं क्या हो गया मैं तो आराम से ही ला रहा था,संभाल कर ला रहा था फिर ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरा पैर पकड़ कर खींच लिया हो।" रेहान गुस्से मे उससे बोलता है. . . . . ." कौन है जो तेरा पैर पकड़कर खींचेगा?" रिया रेहान को समझाते हुये बोलती है. . . . . ." रेहान गुस्सा मत करो,एक काम करो तुम वॉशरूम में जाकर साफ कर लो।" रेहान फिर वहां से चला जाता है। रेहान वॉशरूम के अंदर आता है और अपने कपड़ों को साफ करने लगता है तभी उसे सामने लगी मिरर से आवाज आती है. . . . . ."रेहान।" आवाज सुनकर रेहान मिरर की तरफ देखता है और चौक जाता है, मिरर के अंदर रिया उसे देख कर मुस्कुरा रही थी। रेहान ये देखकर डर से पीछे हट जाता है तभी रिया मिरर के अंदर से बाहर निकलती है और अपना हाथ बढ़ा कर बोलती है. . . . . ."रेहान तुम तो मुझसे प्यार करते हो ना, तो मुझे देखकर डर क्यों रहे हो, अपना हाथ दो मुझे।" रेहान का डर से पसीना निकल रहा था,वो उसकी हाथ की तरफ देखता है, रिया फिर गुस्से में बोलती है. . . . . ." रेहान मेरा हाथ पकड़ो।" रेहान डरते हुए उसका हाथ पकड़ता है और वो जैसे ही उसका हाथ पकड़ता है, रिया अनिकेत मे बदल जाती है और उसकी आत्मा रेहान के जिस्म के अंदर घुस जाती है,रेहान का आंख लाल हो जाता है और उसके चेहरे पर शैतानी मुस्कान आ जाती है। रेहान फिर बाहर आकर रिया के पास बैठता है,रिया उसका हाथ पकड़ने हीं वाली होती है तभी रेहान अपना हाथ पीछे हटा लेता है। रिया ये देखकर उससे पूछती है. . . . . ." क्या हुआ रेहान, इतना टाइम लग गया, सब ठीक है ना।" रेहान गुस्से में बोलता है . . . . . ."ये तुमने गले में क्या पहना है, उतारो इसे अभी।" रिया उसकी तरफ देख कर बोलती है. . . . . ."नहीं रेहान मैं इसे नहीं उतार सकती, बाबूजी ने इसे उतारने से मना किया है।" रेहान ये सुनकर अपने हाथ की मुट्ठी कसकर बोलता है. . . . . ." अगर नहीं उतार सकती,तो आज के बाद से मेरा तुमसे कोई रिश्ता नहीं है, मैं तुमसे सारे रिश्ते तोड़ दूंगा ।" रिया ये सुनकर चौकते हुये बोलती है . . . . . ."ये तुम क्या बोल रहे हो?" रेहान मुस्कुरा कर बोलता है . . . . . ."ये देेेेेखो,मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूं।" वो जेब से एक डायमंड नेकलेस निकालकर बोलता है. . . . . ."मैं चाहता हूं, तुम इसे पहनो इसके अलावा तुम अपने गले में कुछ मत पहनो और तुम्हें मालूम है मैंने तुम्हें यहां क्यों बुलाया क्योंकी मैं कल तुम्हारे घर वालों से हमारी शादी की बात करने आने वाला हूं।" रिया ये सुनकर मुस्कुराते हुए बोलती है. . . . . ."तुम सच बोल रहे हो रेहान?" रेहान अपना सर हा मे हिला कर बोलता है. . . . . ." हां सच बोल रहा हूं पर पहले अपने गले से ये माला निकालो तभी तो मैं तुम्हें ये नेकलेस पहना पाऊंगा।" रिया रेहान को बोलती है. . . . . ." रेहान इस माला के ऊपर ही नेकलेस पहना दो ना।" रेहान ये सुनकर गुस्से में खड़ा हो जाता है और रिया से बोलता है. . . . . ." ठीक है तुम करो अपनी जिद,अब मै कोई शादी की बात तुम्हारे घर करने नहीं आऊंगा,अब तुम देखना तुम्हारे सामने मैं किसी और से शादी करूंगा और तुम रोते रहना।" इतना बोल कर वो वहां से जाने लगता है तभी रिया उसे आवाज लगाकर रोकते हुये बोलती है. . . . . ." नहीं रेहान रुक जाओ, ऐसा मत बोलो मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं।" ये सुनकर रेहान की आंखें फिर से लाल हो जाती है और उसके चेहरे पर शैतानी मुस्कान आ जाती है,वो रिया की तरफ पलट कर आता है और चेयर पर बैठ जाता है। रिया वो माला तुरंत अपने गले से निकाल कर बोलती है. . . . . ." लो मैंने माला निकाल दिया, अब तुम मुझे नेकलेस पहना सकते हो।" रेहान मुस्कुरा कर उसके पास आता है और उसके पीछे खड़े होकर उसके बालों को एक तरफ से आगे करता है फिर उसके गले में नेकलेस पहना कर झुक कर उसके कान में बोलता है. . . . . ." रिया तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी ये माला निकालकर।" रिया जब उसकी बदली हुयी आवाज सुनती है, तो तुरंत डर कर पीछे की तरफ पलट कर देखती है, पीछे रेहान के जिस्म में उसे अनिकेत का चेहरा दिखता है,उसे देखकर वो बुरी तरह कांप जाती है। रिया तुरंत अपना हाथ माला लेने के लिए बढ़ाती है पर अनिकेत अपनी उंगली उठा कर रिया को हवा में ही उड़ा देता है, आसपास के लोग भी ये नजारा देखकर डर गए थे और वहां भगदड़ मच जाता है ,अनिकेत फिर रेहान के जिस्म से निकलकर रिया के जिस्म के अंदर घुस जाता है,रेहान वही बेहोश हो जाता है। रिया की आंखें लाल हो जाती है और वो मुस्कुरा कर बोलती है. . . . . ." अब तुम्हें मुझसे कौन बचाएगा पीहू?" 🙏हर हर महादेव🙏

  • 10. Love After Death - Chapter 10

    Words: 1049

    Estimated Reading Time: 7 min

    रात का समय रात का 11:00 बज रहा था पर अभी तक रिया घर नहीं लौटी थी। रिया की मां बहुत रो रही थी,पीहू उन्हें संभालने की पूरी कोशिश कर रही थी,वो गुस्से में पीहू को बोलती है. . . . . . ." जब रिया घर से बाहर गई, तो तूने उसी समय हमें क्यों नहीं बताया,ये सब तेरे कारण हुआ है।" रिया के बाबूजी देवदास अपनी पत्नी निर्मला को समझाते हुए बोलते हैं. . . . . . ." बस भी कीजिए अब कितना सुनाएंगी आप उसे, गलती रिया की भी थी आपके मना करने के बाद भी वो बाहर गई।" पीहू रोते हुए बोलती है. . . . . . ." सॉरी अंकल आंटी मुझे उसी समय बता देना चाहिए था,आई एम सॉरी प्लीज मुझे माफ कर दीजिए।" देवदास जी पीहू के कंधे पर हाथ रखकर बोलते हैं. . . . . . ." नहीं बेटा कोई बात नहीं, मैं जा रहा हूं उसे खोजने।" देवदास जी जैसे ही घर के बाहर कदम रखते हैं, सामने रिया खड़ी थी, उसकी आंखें लाल थी,बाल खुला हुआ था और बाहर बहुत तेज हवा भी चल रहा था,वो बहुत ज्यादा डरावनी लग रही थी। देवदास जी जब रिया को देखते हैं, तो उनकी नजर उसके गले पर पड़ती है, उसके गले में वो माला नहीं था, देवदास जी ये देखकर अपना सर पकड़ लेते है। रिया अपने चेहरे पर शैतानी मुस्कान लाए बोलती है. . . . . . ." क्या हुआ बुड्ढे, देख तेरी बेटी अब मेरे कब्जे में है, मैं उसके शरीर के साथ जो मर्जी वो कर सकता हूं,बोल पीहू को बाहर आए।" निर्मला और पीहू भी दरवाजे तक आती है और सामने रिया को देखती है, जो घर के बाहर रेखा के दूसरी तरफ खड़ी थी। रिया मुस्कुराकर पीहू की तरफ देखते हुए बोलती है. . . . . . ." आ गई पीहू, चल अपने गले से वो माला निकाल और चुपचाप से मेरे पास आ जा।" निर्मला देवदास से पूछती है. . . . . . ." ये हमारी बेटी को क्या हो गया?" देवदास जी उनकी तरफ देख कर बोलते हैं. . . . . . ." अनिकेत की आत्मा उसके शरीर में चली गई है।" ये सुनकर पीहू और निर्मला बहुत घबरा जाती है। रिया जोर जोर से हंसने लगती है, उसकी हंसी इतनी भयानक और डरावनी थी कि आसपास मोहल्ले के लोग भी अपने अपने घरों के बाहर निकल कर देखने लगते हैं,वो सब भी जब रिया को देखते हैं, तो उसे देखकर अंदर तक कांप जाते हैं और तुरंत अपने घर के अंदर जाकर अपनी खिड़की और दरवाजे बंद कर लेते हैं। रिया ये देख कर फिर से जोर-जोर से हंसने लगती है।  निर्मला देवदास से बोलती है. . . . . . ." जी कुछ कीजिए ना आप खड़े खड़े देख क्या रहे हैं?" देवदास तुरंत घर के अंदर जाते हैं और गंगाजल लेकर आते हैं। रिया हंसकर उनकी तरफ ही देख रही थी। वो पवित्र गंगाजल जैसे ही उसके ऊपर डालते हैं, रिया गुस्से में अपने लाल आँखो से उन्हें घूरने लगती है।  रिया गुस्से में बोलती है. . . . . . ."फेक इसे अभी।" पर देवदास जी फिर भी उसके ऊपर वो गंगाजल डाल रहे थे जिससे रिया का शरीर बुरी तरह जल रहा था। रिया अपने दोनों हाथ उठाती है और बहुत सारे पत्थर देवदास जी की तरफ आने लगते हैं, देवदास जी ये देखकर अंदर की तरफ भागते हैं,पीहू और निर्मला भी जल्दी से घर के अंदर जाकर दरवाजा बंद करती है,इसी भागम भाग में वो पवित्र गंगाजल उनके हाथ से छूट कर वहीं गिर जाता है। रिया ये देख कर फिर से जोर जोर से हंसने लगती है, थोड़ी देर बाद पीहू, निर्मला और देवदास जी दरवाजा खोलकर बाहर की तरफ देखते हैं। रिया हंसकर अपने कदम पीछे लेते हुए एक पेड़ पर उल्टे पांव चढ़ने लगती है।  ये नजारा दिखने में बेहद डरावना था। निर्मला भी ये देखकर वहीं बेहोश हो जाती है। पीहू रिया को बोलती है. . . . . . ."रुक जाओ अनिकेत, मैं आ रही हू तुम्हारे पास पर तुम रिया को छोड़ दोगे।" रिया मुस्कुरा कर बोलती है. . . . . . ."हां जान तुम पहले यहां तो आओ और वो माला निकाल कर आना।" देवदास जी पीहू को समझाते हुए बोलते हैं. . . . . . ."नहीं बेटा तुम ऐसा कुछ नहीं करोगी।" पीहू नम आंखों से उनकी तरफ देख कर बोलती है. . . . . . ."बस अंकल बहुत हुआ, मैं अपने कारण अब किसी को प्रॉब्लम में नहीं देख सकती।" इतना बोल कर वो माला निकालकर देवदास जी के हाथ में पकड़ा देती है। देवदास जी फिर से उसे रोकने की कोशिश करते हैं पर पीहू उनकी बात नहीं मानती और उस रेखा को पार करके घर के बाहर चली जाती है। ये देख कर रिया फिर से जोर-जोर से हंसने लगती है और एक ही छलांग में उड़कर पीहू के सामने आकर खड़ी हो जाती है। पीहू गुस्से में उससे बोलती है. . . . . . ."अब रिया को छोड़ दो, मैं आ गई हूं तुम्हारे पास।" अनिकेत ये सुनकर रिया के शरीर से निकल जाता है और रिया वही जमीन में बेहोश होकर गिर पड़ती है। पीहू रिया का गाल थपथपाती है पर रिया नहीं उठती। अनिकेत ये देखकर पीहू का हाथ पकड़ कर बोलता है. . . . . . ."बहुत हुआ चलो अब मेरे साथ।" पीहू बस उसे देख रही थी बाकी किसी को भी अनिकेत की आत्मा नहीं दिखती थी बस पीहू को ही दिखती थी, अनिकेत उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने साथ ले जाने ही वाला होता है,तभी कोई अनिकेत के हाथ पर अपना हाथ रख कर उसका हाथ रोक देता है। अनिकेत अपना हाथ पकड़ने वाले की तरफ देखता है और हैरान हो जाता है,वो कोई और नहीं वही चार लड़को की आत्मा थी जिसे अनिकेत ने मारा था। Roy हंसकर अनिकेत से बोलता है. . . . . . ."क्या हुआ अनिकेत,उस समय तो तूने हम चारों को मार दिया था और इसे बचा लिया था, अब तू इसे हमसे कैसे बचाएगा?" वही अंधेर लोक में बैठा डेविल ये सब देखकर जोर जोर से हंस रहा था। अब क्या करेगा अनिकेत,उन चारों लड़कों की आत्मा से क्या वो पीहू को फिर से बचा पाएगा? ये सब जानने के लिए पढ़ते रहिए इस कहानी को। 🙏हर हर महादेव🙏

  • 11. Love After Death - Chapter 11

    Words: 1021

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब तक आपने पढ़ा था कि अनिकेत पीहू का हाथ पकड़ कर बोलता है. . . . . . ."बहुत हुआ चलो अब मेरे साथ।" पीहू बस उसे देख रही थी बाकी किसी को भी अनिकेत की आत्मा नहीं दिखती थी बस पीहू को ही दिखती थी, अनिकेत उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने साथ ले जाने ही वाला होता है,तभी कोई अनिकेत के हाथ पर अपना हाथ रख कर उसका हाथ रोक देता है। अनिकेत अपना हाथ पकड़ने वाले की तरफ देखता है और हैरान हो जाता है,वो कोई और नहीं वही चार लड़को की आत्मा थी जिसे अनिकेत ने मारा था। Roy हंसकर अनिकेत से बोलता है. . . . . . ."क्या हुआ अनिकेत,उस समय तो तूने हम चारों को मार दिया था और इसे बचा लिया था, अब तू इसे हमसे कैसे बचाएगा?" वही अंधेर लोक में बैठा डेविल ये सब देखकर जोर जोर से हंस रहा था। अब आगे- Roy हंसकर अनिकेत से बोलता है. . . . . . ."क्या हुआ अनिकेत,उस समय तो तूने हम चारों को मार दिया था और इसे बचा लिया था, अब तू इसे हमसे कैसे बचाएगा?" अनिकेत roy की बात सुनकर गुस्से में उसकी तरफ देखता है। पीहू को अनिकेत के अलावा और कोई भी दिखाई तो नहीं दे रहा था पर उन सबकी आवाजें सुनाई जरूर दे रही थी। अनिकेत पीहू को बोलता है. . . . . . ."अंदर जाओ और वो माला पहन लेना।" पीहू अनिकेत को बोलती है. . . . . . ."पर रिया,,, वो तो बेहोश है।" अनिकेत रिया के सर पर अपना हाथ फेरता है और वो अपनी आंखें खोल लेती है। पीहू रिया का हाथ पकड़ कर उसे तुरंत घर के अंदर ले जाती है,देवदास जी भी घर का दरवाजा जल्दी से बंद कर देते हैं। बाहर बहुत तेज हवाये चल रही थी और बहुत भयानक आवाजें भी आ रही थी तभी अनिकेत की चीखने की आवाज पीहू के कानो पर पड़ती है,पीहू अपना कान अपने हाथों से ढक लेती है। Roy और वो तीनो आत्माए एक साथ अनिकेत की तरफ बढ़ने लगते है, अनिकेत अपने दोनों हाथ हवा में उठाता है जिससे वो चारों को जोरदार धक्का लगता है और चारों पीछे जाकर गिरते हैं। ROY फिर अनिकेत की नजरों के सामने से गायब हो जाता है, अनिकेत उन तीनों को मार रहा था,Roy पीछे से आकर अनिकेत का गला जोर से पकड़ लेता है और उसे हवा में उठाकर दूर फेकता है,जिससे अनिकेत दूर जाकर गिरता है। Roy और उसके तीनों दोस्त अनिकेत को देखकर जोर-जोर से हंसने लगते हैं, अनिकेत अपनी जगह से खड़े होता है, उसकी आंखें लाल हो चुकी थी और वो अब बेहद डरावना लग रहा था। अनिकेत उन चारों की तरफ आता है,वो चारों भी अनिकेत की तरफ आने लगते हैं, अनिकेत अपनी आंखें बंद करता है थोड़ी देर के बाद जब वो अपनी आंखें खोलता है,तो वो एक से ज्यादा था। Roy और उसके दोस्त अपने चारों तरफ देखने लगते हैं, उनके चारों तरफ बहुत सारी अनिकेत की आत्माएं खड़ी थी पर वो था सिर्फ एक, बाकी उन सबके नजरों का छलावा था। वो चारो ये देखकर गुस्से मे अपने हाथ उठाते है और अपनी पूरी ताकत से उस पर वार करते हैं जिससे अनिकेत पलक झपकते ही जमीन के अंदर दफन हो जाता हैं। थोड़ी देर मे वहां चारों तरफ सन्नाटा छा जाता है। रिया पीहू से बोलती है. . . . . . ."क्या सब खत्म हो गया, उन चारो ने अनिकेत को मार दिया क्या?" रिया की बात सुनकर पीहू जल्दी से दरवाजा खोलकर बाहर की तरफ देखती है और बाहर का नजारा देखकर वो कांप पर जाती है,वो चारों आत्माएं अनिकेत पर भारी पड़ रही थी और किसी भी पल उसे हमेशा हमेशा के लिए खत्म करने वाली थी। पीहू ये देखकर तुरंत घर के अंदर आती है और देवदास जी से बोलती है. . . . . . ."क्या थोड़ा और गंगाजल बचा है?" देवदास जी ये सुनकर हैरानी से बोलते हैं. . . . . . ."पर क्यों तुम्हें चाहिए?" पीहू देवदास जी से बोलती है. . . . . . ."मैं अपनी पुरानी गलती सुधारना चाहती हूं अंकल, प्लीज मुझे दे दीजिए।" देवदास जी उसकी बात सुनकर तुरंत और गंगाजल लेकर आते हैं और उसे दे देते हैं, पीहू जल्दी से गंगाजल को लेकर अनिकेत के पास चली जाती है, अनिकेत जमीन पर पड़ा हुआ था और वो चारों उस पर हावी हो रहे थे। पीहू को ये देखकर बहुत ज्यादा डर लग रहा था,वो अपने दूसरे हाथ से अपना माला कसकर थाम लेती है और उन चारों पर गंगाजल डालने लगती है,जिससे उन चारों की भयानक चीखें गूंजने लगती है, उनकी चींखे सुनकर ऐसा लग रहा था जैसे वो सिर्फ चार नहीं 4 से ज्यादा हो। Roy गुस्से में अपना हाथ पीहू की तरफ बढ़ाने लगता है पर पीहू के गले में वो माला थी,जिससे वो उसे छू भी नहीं पाता। पीहू गुस्से में बोलती है. . . . . . ."छोड़ो उसे,चले जाओ यहा से वर्ना अंजाम बुरा होगा।" वो चारों आत्माएं अब अनिकेत से दूर हटने लगी थी क्योंकि पीहू अनिकेत के सामने उसकी ढाल बनकर खड़ी थी और उन चारों को रोकने की पूरी कोशिश कर रही थी, अनिकेत भी हैरानी से पीहू को ही देख रहा था। कुछ ही पलो मे वो चारों पलक झपकते ही गायब हो जाते है अनिकेत पीहू से बोलता है. . . . . . ."क्यों किया तुमने ऐसा, तुम चाहती तो मुझे खत्म होने दे सकती थी।" पीहू उसकी तरफ देखते हुए बोलती है. . . . . . ."मैंने जो  गलती पहले की थी,अब वो गलती मैं दोबारा दोहराना नहीं चाहती हूं अनिकेत,जब तुम इंसान थे तो मैं चाहती तो तुम्हें बचा सकती थी पर मैंने तुम्हें मरने दिया, इस बात की गिल्ट मुझे हमेशा रहेगी पर अब आज फिर मैं वैसा ही तुम्हारे साथ नहीं करना चाहती थी, इसलिए मैंने तुम्हें बचाया।" अनिकेत पीहू की बात सुनता है, तो उसकी आंखें नम हो जाती है। वो पीहू से बोलता है. . . . . . ."मैंने तुम्हें आजाद किया, अब मैं कभी भी तुम्हें परेशान करने नहीं आऊंगा, जाओ खुश रहो।" इतना बोल कर अनिकेत की आत्मा वहां से गायब हो जाती है।

  • 12. Love After Death - Chapter 12

    Words: 1217

    Estimated Reading Time: 8 min

    1 साल बाद रिया की सगाई रेहान से हो गई थी और पीहू को भी दूसरा जॉब मिल गया था, 1 साल बीत चुका था पर पीहू कि जिंदगी में अनिकेत कभी वापस नहीं आया था, उसे कभी-कभी अनिकेत की याद आती तो थी पर वो उसे भूल कर आगे बढ़ चुकी थी। रात का समय पीहू बेडरूम में पैकिंग कर रही थी तभी रिया उसके पास आती है और मुस्कुराते हुए बोलती है. . . . . . ."हो गया पैकिंग?" पीहू मुस्कुरा कर बोलती है. . . . . . ."हां कल सुबह ही निकलना है,साथ में दिपक और समीरा भी जा रहे है।" पीहू के नये ऑफिस में नए दोस्त बन चुके थे और वो सब ऑफिस के काम से ही जमीन देखने के लिए जा रहे थे। रिया मुस्कुरा कर बोलती है. . . . . . ."ठीक है तू वहां पहुंच कर कॉल करना और वैसे भी मैं तो तेरी जानकारी समीरा से लेती रहूंगी।" पीहू हंसकर उसके गले लग कर बोलती है . . . . . . ."रिया तू कब तक मेरी चिंता करती रहेगी, अब अनिकेत जा चुका है और मुझे अब उसका डर नहीं है,मैं उसे भूल कर अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने की पूरी कोशिश कर रही हूं, तू मेरी इतनी फिक्र मत किया कर।" रिया मुस्कुरा कर बोलती है. . . . . . ."मैं क्यों नहीं करूं तेरी फिकर, तू सिर्फ मेरी बेस्ट फ्रेंड नहीं मेरी बहन भी है। पीहू उसे कोई जवाब नहीं देती और उसके गले लग जाती है। सुबह का समय सुबह पीहू तैयार होकर कमरे से बाहर आती है,वो देवदास जी और निर्मला जी के पैर छूती है, दोनों उसे आशीर्वाद देते हैं। देवदास जी मुस्कुराकर उसके सर पर अपना हाथ रख कर बोलते हैं. . . . . . ."ध्यान रखना बेटा और पहुंचते ही कॉल करना।" पीहू मुस्कुराकर अपना सर हां में हिला देती है तभी उसके दोस्त समीरा और दीपक अंदर आते हैं। रिया मुस्कुरा कर उन दोनों से मिलती है, दीपक की नजर पीहू के ऊपर ही थी। रिया उसके कान में धीरे से बोलती है. . . . . . ."इस ट्रिप का फायदा उठाना और उसे अपने दिल की बात बोल देना।" दीपक शर्मा कर रिया की तरफ देख कर बोलता है. . . . . . ."क्या करूं यार जब भी वो मेरे सामने आती है,तो मेरे मुंह से आवाज ही नहीं निकलती है,उसे कुछ बोल ही नहीं पाता हूं लेकिन ये 2 दिन की ट्रिप है और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उससे अपने दिल की बात बोल दू।" रिया ये सुनकर बोलती है. . . . . . ."पागल ऐसे ही घबराता रहेगा, तो देखना उसे कोई और अपनी बना कर ले जाएगा।" ये सुनकर दीपक थोड़ा गुस्से में बोलता है. . . . . . ."चुप कर रिया,पीहू सिर्फ मेरी है और मैं उससे अपने दिल की बात बोल कर ही रहूंगा, देखना वहां से आने के बाद हम दोनों भी सगाई कर लेंगे।" रिया ये सुन कर मुस्कुरा देती है। थोड़ी देर बाद वो सब घर से बाहर आते हैं,दीपक कार चला रहा था और पीहू पीछे बैठे लैपटॉप मे कुछ काम कर रही थी। समीरा दीपक के बगल में बैठी हुई थी, दीपक बार-बार फ्रंट मिरर से पीहू को ही देख रहा था। समीरा धीरे से उसके कान में बोलती है. . . . . . ."उसे बाद में देख लेना; पहले रास्ते पर ध्यान दें वरना एक्सीडेंट हो जाएगा।" दीपक धीरे से मुस्कुरा कर बोलता है. . . . . . ."सॉरी यार पर क्या करूं, जब भी मेरे सामने आती है तो मेरी नजर ही नहीं हट पाती है उस पर से।" समीरा ये सुन कर मुस्कुरा देती है और धीरे से बोलती है. . . . . . ."एक बार गांव पहुंच जाये, जमीन देख ले उसके बाद तू उससे अपने दिल की बात बोल देना।" दीपक ये सुन कर मुस्कुरा देता है तभी पीहू दीपक से बोलती है. . . . . . ."दीपक कब तक पहुंचेंगे हम?" दीपक उसकी आवाज सुनकर हड़बड़ा जाता है और हकलाते हुये बोलता है . . . . . . ."वो,,वो,, 4-5 घंटे लग जाएंगे।" पीहू मुस्कुरा कर बोलती है. . . . . . ."ठीक है और फिर वो लैपटॉप में काम करने लगती है।" 4 घंटे बाद वो तीनों गांव पहुंचते हैं और कार से उतरकर गांव को देखने लगते हैं,वो गांव बहुत ही छोटा था। दीपक चारों तरफ देखकर बोलता है. . . . . . ."हमारे बॉस को क्या सूझी, जो यहां मॉल बनाने का सोच रहे हैं,ये गांव के लोग मॉल जाएंगे क्या,इन्हे थोड़ी पता है मॉल के बारे में।" समीरा हंसते हुए बोलती है. . . . . . ."और क्या कर सकते हैं बॉस का आर्डर है तो जमीन तो देखना ही पड़ेगा ना,वैसे जमीन तो बहुत बड़ी है और अच्छी भी है।" पीहू भी चारों तरफ जमीन और गांव को देख कर बोलती है. . . . . . ." हां जमीन बड़ी है अच्छी है पर यहां मॉल की जगह कुछ और भी बन सकता है,जैसे बच्चों के लिए स्कूल या हॉस्पिटल जो इन गांव के लोगों की जरूरत है, यहा मॉल बनाना मुझे सही नहीं लग रहा है।" दीपक पीहू से बोलता है. . . . . . ."हां पर हम कर भी क्या सकते हैं,जो हमारे बॉस का आर्डर है वो तो मानना पड़ेगा ना, चलो यहां के लोगों से बात करते हैं, उनको हमारे बारे में बताते हैं।" समीरा और पीहू उसके साथ गांव के लोगों से मिलने चले जाते हैं पर वो लोगे ये देख कर हैरान हो जाते हैं कि गांव में आधे से ज्यादा घर खाली थे तभी उन्हें एक आदमी दिखता है। पीहू उनसे पूछती है. . . . . . ."सुनिये।" वो आदमी उसकी तरफ आकर बोलता है. . . . . . ."आप लोगों कौन है और यहां क्या कर रहे हैं?" दीपक उस आदमी को बोलता है. . . . . . ."जी हम शहर से आए हैं और हम लोग आपके गांव की तरक्की के लिए मॉल बनवाने का सोच रहे हैं।" वो आदमी ये सुनकर घबराते हुये बोलता है. . . . . . ."यहां कुछ भी बनाने का मत सोचो,ये गांव श्रापित है, यहां राजा का राज चलता है और वो कोई ऐसा वैसा राजा नहीं है, शैतानी राजा है जो लोगों को मार कर उसका खून पीता है, दूर रहो इस गांव से, आधे लोग तो इस गांव को छोड़ कर चले गए हैं, आज मैं भी अपने परिवार के साथ जा रहा हूं, तुम लोग भी जल्द से जल्द यहां से चले जाओ।" इतना बोल कर वो आदमी वहां से चला जाता है। पीहू,समीरा जब ये बात सुनती है,तो चौक जाती है। दीपक उन दोनों को देखकर हंसते हुए बोलता है. . . . . . ."क्या तुम दोनों भी डर रही हो, अरे ये गांव वालों का आदत है अंधविश्वास में जीते हैं, ऐसा थोड़ी होता है कि कोई किसी का खून पीये, ये सब तो किताबों की बातें हैं, चलो हम एक काम करते हैं, हम इस गांव के राजा से ही मिलकर आते हैं।" समीरा दीपक से बोलती है. . . . . . ."नहीं मुझे नहीं जाना।" दीपक हंसते हुए बोलता है. . . . . . ."डरपोक कहीं की, चल अब किसी से पूछते हैं कि ये राजा कहां रहता है।" इतना बोल कर वो वहां से चला जाता है।

  • 13. Love After Death - Chapter 13

    Words: 1120

    Estimated Reading Time: 7 min

    दीपक समीरा और पीहू को बोलता है. . . . . ."चल राजा से मिलकर आते हैं, किसी से पूछते हैं ये राजा कहां रहता है।" तभी उसे एक औरत दिखाई देती है,दीपक उसे आवाज लगाते हुए अपने पास बुलाता है,उस औरत ने साड़ी पहनी हुई थी और सर पर बड़ा सा घुंघट किया हुआ था,दीपक उसे नमस्ते बोलता है। वो औरत उससे बोलती है. . . . . ." बोलो क्या काम है?" दीपक मुस्कुरा कर बोलता है. . . . . ." जी आप मुझे बता सकती है,ये राजा कहां रहता है?" वो औरत उसकी बात सुनकर डरते हुए बोलती है . . . . . ."ए छोरे,तुझे तेरी जान प्यारी नहीं है क्या जो राजा का पता पूछ रहा है, मरने का इरादा है क्या, जिंदगी से प्यार नहीं है तुझे।" दीपक मुस्कुरा कर बोलता है. . . . . ." आप बस पता बताओ, पैसा चाहिए तो मैं पैसे देने के लिए तैयार हूं और हम ये सब अंधविश्वास नहीं मानते।" वो औरत गुस्से में बोलती है. . . . . ." मुझे पैसे का लालच मत देना, पता चाहिए ना, वो देख वो पहाड़ी दिख रहा है उस पहाड़ी के पीछे ही उस शैतान राजा का किला है, जा और जाकर मर।" इतना बोल कर वो औरत वहां से चली जाती है। समीरा दीपक को समझाते हुए बोलती है. . . . . ." दीपक रहने दो ना,क्या जरूरत है जब सब बोल रहे हैं,तो हो सकता है सबकी बात सच हो, हमें नहीं जाना चाहिए, इतना रिस्क उठाने का क्या फायदा है।" दीपक समीरा को डांटते हुए बोलता है. . . . . ."तू तो हमेशा डरपोक की डरपोक ही रहेगी, पीहू चलो हम चलते हैं।" वो और पीहू जाने लगते हैं, समीरा उन्हें आवाज लगाते हुए बोलती है. . . . . ." अरे मेरे लिए तो रुको, मैं भी आ रही हूं।" थोड़ी ही देर के बाद वो तीनों किले के गेट के बाहर खड़े थे, वो किला दिखने में डरावना और बहुत पुराना लग रहा था, समीरा को तो डर से पसीना निकलने लगा था, दीपक अपना हाथ उस गेट को खोलने के लिए बढ़ाता है पर गेट अपने आप खुल जाता है,ये देखकर समीरा की चीख निकल पड़ती है। दीपक हसते हुये बोलता है. . . . . ." इसमें इतना डरने की क्या बात है,हो जाता है कभी-कभी, हवा से खुल गया होगा, अब चलो अंदर।" इतना बोल कर तीनो अंदर जाते हैं,अंदर बहुत बड़े बड़े बगीचे थे और चारों तरफ बड़ी-बड़ी घास उगी हुई थी,सामने बहुत ही पुराना किला था। पीहू उसके किले को ध्यान से देख रही थी,दीपक पीहू से बोलता है. . . . . ."बहुत ही पुराना किला लगता है,अब किले के अंदर चले।" पीहू अपना सर हां में हिलाती है और वो किले का दरवाजा खटखटाने के लिए हाथ बढ़ाती है पर वो दरवाजा भी अपने आप खुल जाता है, पीहू ये देखकर अपने हाथ पीछे कर लेती है तभी एक लड़की बाहर निकल कर आती है,वो दिखने में बेहद खूबसूरत थी, कोई भी उसे देखे तो बस देखता ही रह जाए,उसने शॉर्ट ड्रेस पहना हुआ था, उसके बाल खुले थे। दीपक धीरे से समीरा के कान में बोलता है . . . . . ."ये देखो इस लड़की ने दरवाजा खोला और देखो कितनी ब्यूटीफुल है दिखने में, मुझे नहीं पता था कि ये भूत दिखने में इतनी खूबसूरत होते हैं।" समीरा ये सुनकर गुस्से में उसे मारते हुए बोलती है. . . . . ." चुप कर,एक तो डर से मेरा हालत वैसे ही खराब है और तू मुझे और मत डरा।" वो लड़की उन तीनों की तरफ देख कर बोलती है. . . . . ." जी कहिए, आप लोग कौन हैं?" दीपक मुस्कुरा कर बोलता है. . . . . ." जी हम शहर से आये हैं और हम राजा जी से मिलना चाहते हैं।" वो लड़की मुस्कुरा कर बोलती है. . . . . ." आइए, अंदर आइए।" दीपक, समीरा और पीहू उसके पीछे किले के अंदर चले जाते हैं, किला जो बाहर से दिखने में डरावना और पुराना लग रहा था, अंदर से बहुत ही खूबसूरत और आलीशान था। अंदर बहुत सारी पेंटिंग भी बनी हुई थी, पीहू उन पेंटिंग्स की तरफ देखती है तभी उसकी नजर एक पेंटिंग पर जाकर रुक जाती है, उसमें एक आदमी था, जिसने शाही कपड़े पहने हुए थे और दिखने में बहुत ज्यादा हैंडसम था। पीहू उस पेंटिंग तरफ देखते हुए उस लड़की से बोलती है. . . . . ."क्या यही है राजा साहब?" तभी पीछे से आवाज आती है. . . . . ." जी हां हम ही है राजा।" उसकी आवाज सुनकर सब पलटकर पीछे की तरफ देखते हैं, एक आदमी खड़ा था,जिसकी उम्र लगभग 25 साल लग रही थी दिखने में बहुत ज्यादा हैंडसम था और उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कुराहट थी। वो मुस्कुरा कर बोलता है. . . . . ." मेरा नाम है राजा नरेंद्र प्रताप सिंह और ये है मेरी बहन निशा।" दीपक मुस्कुरा कर बोलता है. . . . . ." हेलो राजा साहब,हम यहां आपसे मिलने आए है, हम इस गांव में मॉल बनवाने का सोच रहे हैं पर गांव वालों ने हमसे कहा कि,,," तभी नरेंद्र उसकी बात बीच में काट कर बोलता है. . . . . ." क्या कहा,, कि मैं लोगों का खून पीता हूं,, उन्हें मार देता हूं,, यही कहा होगा ना?" समीरा धीरे से बोलती है. . . . . ."जी हां यही कहा था।" नरेंद्र हंसते हुए बोलता है . . . . . ."ये सारे गांव वाले जलते हैं हमसे, मेरी जमीन हड़पना चाहते थे पर जब हड़प नहीं पाए, तो मेरे बारे में ऐसी झूठी अफवाहें फैलाने लगे, चलो मुझे इससे कोई मतलब नहीं है, आप लोगों को यहां मॉल बनवाना है बनवाईए, जो बनवाना है बनवा लिजिये, हमें बहुत खुशी होगी फिर वो पीहू की तरफ देखता है और कुछ सोचने लगता है।" वो फिर निशा को अपने पास बुलाता है, निशा मुस्कुराकर उसके पास बैठते हुए बोलती है. . . . . ." क्या हुआ भाई?" नरेंद्र उसे बोलता है. . . . . ." मुझे ऐसा क्यों लगता है कि मैंने इस लड़की को पहले भी कहीं देखा है?" निशा पीहू की तरफ देखकर धीरे से बोलती है. . . . . ." भाई आप भूल गए ये पीहू है,वो अनिकेत याद है आपको जिसमें पूरे अंधेर लोक ने हंगामा मचा कर रखा था इसी लड़की के कारण, दूसरी आत्माओं को मार रहा था,ये लड़की उसकी ही गर्लफ्रेंड है।" नरेंद्र जब निशा की ये बात मानता है, तो पीहू की तरफ शैतानी मुस्कान लिए देखने लगता है, उसकी आंखें अब लाल हो चुकी थी और नुकीले दांत भी बाहर निकल आए थे। आखिर कौन है ये राजा,ये अब क्या करेगा पीहू के साथ, क्या अनिकेत पीहू को बचाने आएगा?"

  • 14. Love After Death - Chapter 14

    Words: 1004

    Estimated Reading Time: 7 min

    निशा की बात सुनकर नरेंद्र की आंख लाल हो जाती है और उसके नुकीले दांत भी बाहर निकल आते हैं,वो अपने चेहरे पर शैतानी मुस्कान लिए पीहू की तरफ ही देख रहा था। तभी समीरा नरेंद्र को आवाज लगाते हुए बोलती है. . . . . ."राजा जी अब हमें चलना चाहिए।" उसकी आवाज सुनकर नरेंद्र खुद को नार्मल कर लेता है। पीहू भी नरेंद्र को बोलती है. . . . . ."जी अब हम चलते हैं।" नरेंद्र मुस्कुरा कर बोलता है. . . . . ."पर आप लोग जाएंगे कैसे, बाहर तो मौसम बहुत खराब है।" दीपक ये सुनकर खिड़की से बाहर देखता है पर मौसम बिल्कुल साफ था,वो नरेंद्र की तरफ देख कर बोलता है. . . . . ." मौसम तो बिल्कुल ठीक है राजा जी।" नरेंद्र उसकी बात सुनकर फिर से खिड़की के बाहर देखता है और अपने लाल आँखो से आसमान की तरफ देखता है, अचानक बादल काले पड़ने लगते हैं और तेज हवाएं चलने लगती है, मौसम अब खराब हो चुका था, अचानक खराब हुये मौसम को देखकर दीपक, पीहू और समीरा भी चौक जाते हैं और वो तीनों नरेंद्र की तरफ देखते हैं, नरेंद्र ये देख कर जोर-जोर से हंसने लगता है, उसका चेहरा अब पूरी तरह से बदल चुका था, उसके दांत बाहर निकल आए थे और वो भी दिखने में बहुत भयानक लग रहा था। नरेंद्र का भयानक रूप देखकर पीहू, समीरा और दीपक डर से अंदर तक कांप जाते हैं,वो तीनों दरवाजे की तरफ भागते हैं पर दरवाजा अपने आप बंद हो जाता है और दरवाजे के सामने निशा आकर खड़ी हो जाती है, उसका चेहरा भी अब बदलने लगता है,उसकी भी आंखें लाल हो जाती है और दांत बाहर निकल आते हैं,वो भी दिखने में बहुत डरावनी लग रही थी। दीपक पीहू और समीरा का हाथ पकड़ कर ऊपर की तरफ भागता है,वो तीनों एक कमरे में जाते हैं और कमरे का दरवाजा बंद करके अंदर छुप जाते है। समिरा रोते हुए बोलती है. . . . . ."मैंने पहले ही कहा था यहा नहीं आते हैं पर तुम लोगों ने मेरी बात नहीं सुनी,अब हम तीनों मर जाएंगे।" पीहू उसे समझाते हुये बोलती है. . . . . ."कुछ नहीं होगा समीरा, रोना बंद करो पर अंदर ही अंदर उसे भी बहुत डर लग रहा था। नरेंद्र दरवाजे के पास खड़े होकर बोलता है. . . . . ."तुम तीनों मुझसे बच नहीं सकते, मैं dracula king हू, तुम तीनों के खून का गंध मै कही भी सूंघ सकता हूं,तुम लोग इस किले मे जहां भी छुप जाओ पर मुझसे बच नहीं पाओगे।" समीरा ये सुनकर फिर से रोने लगती, नरेंद्र अपना हाथ दरवाजे पर रखता है और दरवाजा अपने आप खुल जाता है, दीपक,पीहू और समीरा को दरवाजा खुलने की आवाज आती है,तीनों बेड के नीचे अपनी सांस रोक कर छुपे हुए थे, उन्हें नरेंद्र का पैर दिखता है, जो आधा हवा में उड़ रहा था, ये देखकर तो समिरा कि चींख ही निकलने वाली थी पर दीपक उसके मुंह पर अपना हाथ रख कर उसका मुंह बंद कर देता है। नरेंद्र कमरे में इधर-उधर देखते हुए बोलता है. . . . . ."मैं जानता हूं कि तुम तीनो इसी कमरे में हो, पीहू अगर तुम चाहती है कि मैं तुम्हारे दोस्तों को जाने दू, तो चुपचाप से मेरे पास आ जाओ, मैं वादा करता हूं मैं तुम्हारे दोस्तों की जान बख्श दूंगा।" पीहू उसकी बात सुनकर तुरंत बेड से बाहर निकल कर आ जाती है, नरेंद्र उसे मुस्कुरा कर देखने लगता है,उसके बगल में निशा भी खड़ी थी। पीहू नरेंद्र से बोलती है. . . . . ."तुम सच बोल रहे हो ना, अगर मैं तुम्हारे पास आ जाऊं, तो तुम मेरे दोस्तों को जाने दोगे ना?" नरेंद्र अपना हाथ बढ़ा कर बोलता है. . . . . ."सच बोल रहा हूं,ये ड्रैकुला किंग का वादा है।" पीहू उसकी बात सुनकर अपने कदम उसकी तरफ धीरे-धीरे बढ़ाने लगती है तभी दीपक और समीरा भी बेड के नीचे से बाहर आते हैं। दीपक पीहू का हाथ पकड़कर बोलता है. . . . . ."नही पीहू मैं तुम्हें उसके पास जाना नहीं दूंगा क्योंकि मैं तुमसे प्यार करता हूं।" पीहू ये सुनकर हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए बोलती है. . . . . ." क्या प्यार करते हो?" दीपक उससे बोलता है. . . . . ."हां मैं तुमसे प्यार करता हूं, ये बात मै तुम्हे बहुत पहले ही बोल देना चाहता था पर बोल नहीं पाया।" फिर वो नरेंद्र की तरफ देख कर बोलता है. . . . . ."इन दोनों को जाने दो,तुम्हें अगर खून चाहिए तो मेरा खून पी लो, मुझे मार डालो पर प्लीज पीहू और समीरा को यहां से जाने दो।" नरेंद्र ये सुनकर जोर-जोर से हंसते हुए बोलता है. . . . . ."क्या बात है पीहू, मैं भी देखना चाहता हूं कि तुम्हारे पीछे सब इतना पागल क्यू है, इंसान तो छोड़ो आत्मा  भी तुमसे प्यार करने लगी है, यहां ये दीपक और वहां अंधेर लोक मे वो अनिकेत, जिसने तुम्हारे प्यार के लिए दूसरी आत्माओ से दुश्मनी मोल ले ली।" 1 साल के बाद अनिकेत का नाम सुनकर पीहू भी हैरान हो जाती है। नरेंद्र दीपक से बोलता है . . . . . ."छोड़ उसका हाथ और भाग जाओ तुम दोनो यहा से, नहीं तो बाद में, मैं तुम दोनों को मार डालूंगा।" पीहू दीपक और समीरा को समझाते हुए बोलती है. . . . . ."जाओ तुम दोनों, तुम दोनों को मेरी कसम, अभी जाओ।" वो दोनों रोते हुए वहां से चले जाते हैं,पीहू भी उन दोनों को नम आंखों से देखने लगती है। नरेंद्र पीहू को बोलता है. . . . . ."यहां आओ।" पीहू उसके पास अपने धीमे कदमों से चली जाती है, नरेंद्र उसके चेहरे पर अपने नाखून भरी उंगलियां घुमाते हुए बोलता है. . . . . ."अब मैं तुम्हें अपनी बनाउंगा ताकि मैं सबसे शक्तिशाली बन सकू?" इतना बोल कर वो जोर जोर से हंसने लगता है। क्या करेगा ड्रैकुला किंग अब पीहू के साथ, पीहू क्या उसके कैद से कभी निकल पाएगी?" ये सब जानने के लिए पढ़ते रहिए इस कहानी को। 🙏हर हर महादेव🙏

  • 15. Love After Death - Chapter 15

    Words: 1039

    Estimated Reading Time: 7 min

    नरेंद्र पीहू के चेहरे पर अपने नाखून भरी उंगलियां घुमाते हुए बोलता है. . . . . ."अब मैं तुम्हें अपनी बनाउंगा और सबसे शक्तिशाली बन जाऊंगा।" पीहू उसकी बात खामोशी से सुन रही थी, नरेंद्र उसकी आंखों में देखता है, पीहू भी उसकी आंखों में एक टक देखे जा रही थी और वो उसके वश में थी। नरेंद्र मुस्कुरा कर बोलता है. . . . . ."अब जाइए होने वाली रानी जी,तैयार हो जाइए आज रात हमारी शादी होगी।" पीहू उसे कोई जवाब नहीं देती और कमरे के बाहर चली जाती है। वहीं दूसरी तरफ दीपक और समीरा किले के बाहर बस भागे जा रहे थे, दोनों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ा हुआ था, दोनों भागते भागते गांव पहुंचकर वहीं जमीन में लेट कर जोर-जोर से सांसे लेने लगते हैं,गांव के कुछ लोग जब उनकी ये हालत देखते हैं, तो भाग कर उनके पास आते हैं। एक आदमी उनसे पूछता है. . . . . ."क्या हो गया तुम दोनों को, विश्वास नहीं होता तुम दोनों राजा के किले से जिंदा वापस लौट आए पर तुम लोगों के साथ एक लड़की और थी ना,वो कहां है?" समीरा उनकी बात सुनकर जोर जोर से रोने लगती है,वो रोते हुए बोलती है. . . . . ."आप लोगों ने ठीक बोला था,वो कोई ऐसा वैसा नहीं राजा नहीं है,वो ड्रैकुला किंग है,उसने हमारी दोस्त को कैद में कर लिया है और हमें बचाने के लिए हमारी दोस्त ने उसके कैद में रहना मंजूर कर लिया है।" गांव वाले ये सब सुनकर हैरान हो जाते हैं, दीपक उनसे पूछता है. . . . . ."क्या कोई तरीका नहीं है उस ड्रैकुला को रोकने का?" तभी दूसरा आदमी उससे बोलता है. . . . . ."नहीं भाई कोई तरीका नहीं है, अगर तरीका पता होता, तो हम उसे नहीं रोक लेते क्या, हम क्यों अपना ये गांव छोड़कर जाते,यहां हमने जन्म लिया, बढ़े हुए और उसके डर से हम सब ये गांव छोड़कर जा रहे हैं, अब तो भगवान ही बचाए तुम्हारी दोस्त को, कोई तरीका नहीं है उसे रोकने का।" दीपक और समीरा ये सुनकर बहुत ज्यादा उदास हो जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ निशा नरेंद्र से पूछती है. . . . . ."भाई ये क्या है,शादी करना और उसे अपनी बनाना, उसे मार नहीं सकते क्या, मुझे उसकी खून का प्यास है।" नरेंद्र उसे गुस्से में बोलता है. . . . . ."बिल्कुल नहीं, सोचना भी मत,वो कोई ऐसी वैसी लड़की नहीं है,उस लड़की की आत्मा बहुत पवित्र है अगर मैंने उसे अपनी बना लिया, तो मैं इस दुनिया का सबसे शक्तिशाली शैतान बन जाऊंगा, मेरा मुकाबला कोई भी नहीं कर पाएगा और उस अंधेर लोक में बैठा डेविल भी नहीं इसीलिए मैं उसे अपनी बनाना चाहता हूं पर वो तभी मुमकिन हो पाएगा, जब मैं उससे शादी कर लूंगा, एक बार उसे अपनी बना लूं, उसके बाद हम दोनों मिलकर उसका खून पियेंगे।" निशा ये सुनकर जोर-जोर से हंसने लगती है। दूसरी तरफ अंधेर लोक में बैठा डेविल ये सब दृश्य देख रहा था,वो मुस्कुराते हुए बोलता है. . . . . ."क्या बात है ड्रैकुला किंग, तुम्हें किंग मैंने बनाया, मैंने तुम्हें ताकत दी और तुम मुझसे ज्यादा ताकतवर बनने का सोच रहे हो, अब वक्त आ गया है तुम्हें खत्म करने का।" इतना बोल कर वो जोर से आवाज लगाता है. . . . . ."अनिकेत।" अनिकेत पलक झपकते ही उस डेविल के सामने आकर खड़ा हो जाता है। वो डेविल मुस्कुराकर अनिकेत की तरफ देखता है,अनिकेत उससे बोलता है. . . . . ."क्यों बुलाया है तुमने मुझे?" डेविल उसकी बात सुनकर हंसते हुए बोलता है. . . . . ."मैंने सुना है कि तुम दूसरा जन्म लेने का सोच रहे हो।" अनिकेत उसे कोई जवाब नहीं देता, डेविल फिर उससे बोलता है. . . . . ."क्या करोगे दूसरा जन्म लेकर, तुमने ही पहले कहा था ना कि तुम्हें मामूली इंसानों वाला जीवन नहीं चाहिए, अभी तुम्हारे पास अशीम शक्तियां है,तुम उसे क्यों खोना चाहते हो?" अनिकेत गुस्से में बोलता है. . . . . ."तो क्या करूं, भटकता रहूं।" डबल ये सुनकर उससे बोलता है. . . . . ."तुम्हारी पीहू मुसीबत में है।" अनिकेत पीहू का नाम 1 साल के बाद सुनकर हैरान हो जाता है,वो उसे बोलता है. . . . . ."कहां है वो, क्या हुआ उसे?" डेविल उसे वो सारे दृश्य दिखाता है,अनिकेत ये देखकर गुस्से में अपने हाथ की मुट्ठी कसते हुए बोलता है . . . . . ."ये लड़की हर वक्त मुसीबत में फंसती है।" डेविल ये सुनकर हंसते हुए बोलता है. . . . . ."जाओ उसे बचाओ, तुम ही उसे बचा सकते हो पर याद रखना, तुम उस ड्रैकुला किंग को नहीं मार पाओगे,उसे बस पीहू ही मार सकती है।" अनिकेत उससे पूछता है. . . . . ."पर कैसे?" डेविल उसे कुछ बताता है, अनिकेत पलक झपकते ही वहां से गायब होकर उस किले के सामने आकर खड़ा हो जाता है। उसके आने की आहट निशा और नरेंद्र को मिल गई थी, दोनों दरवाजे की तरफ देखते हैं,दरवाजा अपने आप खुल जाता है और अनिकेत किले के अंदर आता है, नरेंद्र गुस्से में अपने ड्रैकुला वाले रुप में आ जाता है। नरेंद्र के साथ पीहू बैठी हुई थी,जो एक टक सामने की तरफ देख रही थी, उसने दुल्हन का जोड़ा पहना हुआ था और वो पूरी तरह से नरेंद्र के वश में थी, सामने मंडप बना हुआ था। निशा अनिकेत को रोकने उसके पास आती है पर अनिकेत अपना हाथ हवा में उठा कर उसे दूर धक्का देता है। नरेंद्र गुस्से में बोलता है. . . . . ."अनिकेत चला जा यहां से, मेरी दुश्मनी तुझसे नहीं है, मुझे बस ये पीहू चाहिए।" अनिकेत ये सुनकर गुस्से में उसे बोलता है. . . . . ."पीहू सिर्फ मेरी है और उस पर सिर्फ मेरा हक है अगर तू मरना नहीं चाहता, तो उसे अभी छोड़।" नरेंद्र ये सुनकर जोर-जोर से हसते हुए बोलता है. . . . . ."तु मुझे नहीं मार सकता, हम दोनों एक ही है ये मत भूलना।" अनिकेत उसकी बात सुन कर मुस्कुरा देता है,वो फिर पीहू की तरफ देख कर बोलता है. . . . . ."पीहू होश में आओ, देखो मैं यहां खड़ा हूं,पीहू होश में आओ।" कैसे मरेगा ड्रैकुला किंग, पीहू उसे कैसे मारेगी?" ये सब जानने के लिए पढ़ते रहिए इस कहानी को। 🙏हर हर महादेव🙏

  • 16. Love After Death - Chapter 16

    Words: 1099

    Estimated Reading Time: 7 min

    अनिकेत पीहू से बोलता है. . . . . ."पीहू होश में आओ, देखो मैं यहां खड़ा हूं,पीहू होश में आओ।" पीहू को तो जैसे उसकी बात सुनाई नहीं दे रही थी,वो बस जलते हुए हवन कुंड की तरफ देखे जा रही थी। नरेंद्र हंसकर बोलता है . . . . . ."ये नहीं देखेगी तेरी तरफ,ये मेरे वश में है, मैं जैसा बोलूंगा ये वैसा ही करेगी।" अनिकेत नरेंद्र की तरफ गुस्से में देखता है और फिर से पीहू से बोलता है. . . . . ."पीहू मेरी बात सुनो, देखो मेरी तरफ।" पीहू नजर उठाकर अनिकेत की तरफ देखती है, अनिकेत उससे बोलता है. . . . . ."हवन कुंड की लकड़ी उठाओ और इस नरेंद्र को जला दो,तुम ही इसे जला सकती हो क्योंकि इसे ये श्राप मिला है कि जिस लड़की से ये शादी करने की कोशिश करेगा, वही लड़की इसे जला सकती है, तुम ही इसे नष्ट कर सकती हो, उठाओ हवन कुंड की लकड़ी और जला दो इसे।" नरेंद्र अनिकेत की तरफ जोर-जोर से देख कर हंस रहा था। वो उससे बोलता है. . . . . ."कुछ नहीं करेगी ये, ये मेरे वश में है।" अनिकेत बस एकटक पीहू को घूर रहा था,वो उसकी आंखों में ही देख रहा था ताकि उसे नरेंद्र के वश से बाहर निकाल सके,पीहू एक बार अपनी पलके झपकाती है फिर हवन कुंड की लकड़ी उठाकर नरेंद्र की तरफ फेंक देती है, नरेंद्र बुरी तरह जलने लगता है,ये देख कर निशा भी नरेंद्र के पास आती है और उसे छूते ही वो भी जलकर खत्म हो जाती है। उन दोनों के खत्म होते ही पीहू पूरी तरह से अपने होश में आ जाती है,वो अनिकेत की तरफ देखती है,अनिकेत भी वही उसे एक टक देखे जा रहा था, पीहू धीमी कदमों के साथ अनिकेत के पास आती है, उसकी आंखें नम थी,वो अपना हाथ बढ़ाकर अनिकेत के चेहरे को छूने जाती है पर उसका हाथ अनिकेत के आर-पार निकल जाता है,ये देखकर पीहू हैरान हो जाती है और अपने हाथ की तरफ देखने लगती है। वो फिर अपना दोनों हाथ बढ़ाकर उसके चेहरे को छूने जाती है पर वो उसे छू नहीं पाती,ये देखकर वो जोर-जोर से रोने लगती है। अनिकेत उससे पूछता है. . . . . ."क्या हुआ रो क्यों रही हो, तुम्हें मुझे छूना है क्या?" पीहू रोते हुए अनिकेत से बोलती है. . . . . ."1 साल बीत गया तुम्हें देखें पर सच कहूं मैं तुम्हें भूल नहीं पाई, पता नहीं क्यों पर हमेशा तुम्हारी याद आती थी अनिकेत, मैं तुम्हें छूना चाहती हूं, तुम्हें गले लगाना चाहती हूं, आई लव यू अनिकेत, आई लव यू सो मच।" अनिकेत उसकी बात सुन कर मुस्कुरा देता है,वो मुस्कुराते हुए बोलता है. . . . . ."प्यार करती हो तुम मुझसे, जब मैं इंसान था तो तुम्हें मुझसे प्यार नहीं हुआ, अब जब मैं एक आत्मा बन गया हूं, तो तुम्हें मुझसे प्यार हो गया है।" पीहू रोते हुए बोलती है. . . . . ."हा अब मैं तुमसे सच में प्यार करने लगी हू अनिकेत, प्लीज मैं तुम्हें गले लगाना चाहती हूं।" अनिकेत उससे कहता है. . . . . ."सोच लो पीहू अगर एक बार तुम मेरे करीब आ गई, तो दोबारा मैं किसी को भी तुम्हारे करीब आने नहीं दूंगा और ना तुम्हें किसी के करीब जाने दूंगा, तुम पर सिर्फ मेरा ही हक होगा।" पीहू रोते हुए बोलती है. . . . . ."ठीक है।" अनिकेत अपनी आंखें बंद करता है और अपने दोनों हाथ ऊपर उठाता है,एक प्रकाश उसके ऊपर पड़ता है,वो फिर अपनी आंखें खोल कर पीहू की तरफ देखता है और अपनी बाहें फैला देता है,पीहू ये देख कर मुस्कुरा देती है और उसकी बाहों से लग जाती है, अनिकेत भी कसकर उसे अपनी बाहों में भर लेता है। पीहू अपना सर उठाकर उसके चेहरे की तरफ देख कर बोलती है. . . . . ."आई लव यू अनिकेत, आई लव यू सो मच।" अनिकेत मुस्कुरा कर उसके आंसू अपने हाथों से पोछता है और उसके माथे पर किस करके बोलता है. . . . . ."आई लव यू टू।" पीहू उसकी बात सुन कर मुस्कुरा देती है, अनिकेत उससे बोलता है. . . . . ."चलो अब चलते हैं यहां से,अब ये गांव हमेशा हमेशा के लिए इस ड्रैकुला से आजाद हुआ।" पीहू मुस्कुरा कर अपना सर हां मे हिला देती है,अनिकेत उसे लेकर तुरंत पलक झपकते ही गांव में आ जाता है। गांव के लोग पीहू को देख कर हैरान हो जाते हैं, एक औरत पीहू के पास आकर उस से पूछती है. . . . . ."आप जिंदा वापस कैसे आ गई?" पीहू मुस्कुरा कर उससे बोलती है. . . . . ."अब आप लोगों को किसी से भी डरने की जरूरत नहीं है,खतरा टल चुका है, वो शैतान हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो चुका है, अब आप लोग खुशी से इस गांव में रह सकते हैं,अब किसी को भी अपना घर छोड़कर जाना नहीं पड़ेगा।" पीहू की ये बात सुनकर सारे गांव वालों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है, एक बूढ़ा आदमी हाथ जोड़कर पीहू से बोलता है. . . . . ."आप हमारे गांव के लिए देवी बन कर आयी है, बहुत-बहुत धन्यवाद आपका।" पीहू मुस्कुरा कर बोलती है. . . . . ."ऐसा मत कीजिए,मैंने कुछ नहीं किया,वो तो,,," वो अभी इतना ही बोली थी तभी अनिकेत जो उसके बगल में खड़ा था,वो उससे बोलता है. . . . . ."मेरे बारे में किसी को भी कुछ मत बताना।" गांव वाले तो अनिकेत को देख नहीं पा रहे थे इसीलिए उसकी बात पीहू के अलावा किसी को भी सुनाई नहीं दे रही थी। पीहू उसकी बात सुनकर खामोश हो जाती है,एक आदमी पीहू से बोलता है. . . . . ."हम आपके जाने का इंतजाम करवा देते हैं, आपके दोस्त तो बहुत पहले ही जा चुके हैं।" पीहू मुस्कुरा कर बोलती है. . . . . ."उसकी जरूरत नहीं है, मैं चली जाऊंगी।" फिर वो एक नजर अनिकेत की तरफ देखती है और वहां से जाने लगती है। वो दोनों गांव की सीमा के बाहर निकलते हैं, अनिकेत पीहू का हाथ पकड़कर बोलता है. . . . . ."चलो मैं तुम्हें पलक झपकते ही तुम्हारे घर पहुंचा देता हूं।" तभी एक आवाज आती है. . . . . ." तुम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हो ना पर आने वाला समय तुम दोनों के लिए कठिन होने वाला है,वो तुम दोनों का प्यार अलग करने की पूरी कोशिश करेगा।" पीहू अनिकेत की आवाज सुनकर उस दिशा की तरफ देखते हैं, एक तांत्रिक पेड़ के नीचे बैठा हुआ था, उसकी बड़ी-बड़ी दाढ़ी थी,उसने आंखों में काजल लगाया हुआ था और वो भी अनिकेत को भी देख पा रहा था।

  • 17. Love After Death - Chapter 17

    Words: 1079

    Estimated Reading Time: 7 min

    वो एक नजर अनिकेत की तरफ देखती है और वहां से जाने लगती है। वो दोनों गांव की सीमा के बाहर निकलते हैं, अनिकेत पीहू का हाथ पकड़कर बोलता है. . . . . ."चलो मैं तुम्हें पलक झपकते ही तुम्हारे घर पहुंचा देता हूं।" तभी एक आवाज आती है. . . . . ." तुम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हो ना पर आने वाला समय तुम दोनों के लिए कठिन होने वाला है,वो तुम दोनों का प्यार अलग करने की पूरी कोशिश करेगा।" पीहू अनिकेत की आवाज सुनकर उस दिशा की तरफ देखते हैं, एक तांत्रिक पेड़ के नीचे बैठा हुआ था, उसकी बड़ी-बड़ी दाढ़ी थी,उसने आंखों में काजल लगाया हुआ था और वो भी अनिकेत को भी देख पा रहा था। एक तांत्रिक पीहू और अनिकेत की तरफ देखकर उनसे बोलता है. . . . ."तुम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हो ना पर कोई है जो तुम दोनों को अलग करने की पूरी कोशिश करेगा, उसके इस कोशिश में इस लड़की की जान भी जा सकती है।" तंत्रिक की बात सुनकर अनिकेत उस तांत्रिक से बोलता है. . . . ." क्या तुम सच में मुझे देख सकते हो?" वो तांत्रिक अनिकेत की बात सुनकर जोर-जोर से हंसने लगता है, वो हंसते हुए बोलता है. . . . ."यही तो मेरा काम है, मैंने बहुत सिद्धि हासिल की है, मैं आत्माओं को देख सकता हूं और उनसे बातें कर सकता हूं।" अनिकेत उससे पूछता है. . . . ."तो ये बताओ कौन है वो, जो हम दोनों को अलग करने की कोशिश करेगा, कोई शैतान है या दूसरी शक्ति?" तांत्रिक मुस्कुराते हुए अनिकेत को जवाब देते हुए बोलता है. . . . ." ना तो कोई शैतान और ना ही कोई दूसरी शक्ति,वो एक इंसान है।" अनिकेत ये सुनकर जोर-जोर से हंसते हुए पीहू से बोलता है. . . . ." सुन रही हो तुम इसकी बातें, इंसान मामूली इंसान मुझे रोकने की कोशिश करेगा, हम भी पागल है जो रूक कर इस तांत्रिक की बातें सुनने लगे थे,चलो चलते है।" वो तांत्रिक उससे बोलता है. . . . ." जाओ मत मानो मेरी बात जब वो तुम्हें इससे अलग कर देगा, तब तुम्हें मेरी बात याद आएगी।" अनिकेत गुस्से में तांत्रिक से बोलता है. . . . ."कोई भी पीहू को मुझसे अलग नहीं कर सकता और मामूली इंसान तो कभी नहीं।"फिर वो पीहू का हाथ पकड़कर उसे पलक झपकते ही वहां से ले जाता है। दोनों रिया के घर के पास खड़े थे, पीहू अनिकेत की तरफ देख कर उससे बोलती है. . . . ."अनिकेत तुम अंदर नहीं आ सकते,यहां रेखा अभी तक खींची हुई है।" अनिकेत फिर से उस रेखा की तरफ देखने लगता है,पीहू जल्दी से उस रेखा को मिटा देती है,वो फिर उससे बोलती है. . . . ." अब तुम आ सकते हो।"ये देखकर अनिकेत मुस्कुरा देता हैं।. . . . . पीहू फिर उसके साथ रिया के घर के अंदर जाती है,अंदर का माहौल दुख से भरा हुआ था,रिया रो रही थी उसके बगल में समीरा और दीपक भी बैठे हुए थे, उनकी आंखों में भी आंसू थे,रिया के माता-पिता भी रो रहे थे।" पीहू उन सबके पास आकर उनसे पूछती है. . . . ."क्या हुआ आप सब रो क्यों रहे हैं?". . . . . अनिकेत पीहू के साथ खड़ा था,वो भी उन सबको देख रहा था पर उनमें से कोई भी अनिकेत को देख नहीं सकता था। रिया पीहू को देखती है और उसे अपने गले से लगा कर उससे बोलती है . . . . ."पीहू तू ठीक है ना,दीपक और समीरा ने हमें उस गांव के बारे में बताया और उस राजा के बारे में भी, हमें तो लगा था कि हमने तुझे हमेशा हमेशा के लिए खो दिया पर तू सही सलामत कैसे आ गयी?". . . . . पीहू मुस्कुरा कर रिया से बोलती है. . . . ."अब वो राजा मर हया है और वो गांव भी उस राजा से मुक्त हो गया है।"वो उसे सारी बात बताती है पर अनिकेत की बात उसे नहीं बताती।. . . . . समीरा ये सुनकर हैरानी से उससे पूछती है. . . . ."क्या तुमने राजा को जलाकर मार दिया,वो तो कितना शक्तिशाली था, ड्रैकुला किंग्स था, तुमने उसे जला दिया, वाह पीहू हमें नहीं मालूम था कि तुम इतनी साहसी हो।". . . . . पीहू मुस्कुरा कर समीरा से बोलती है. . . . ."जब कोई अपना साथ हो, तो साहस आ ही जाता है।"फिर वो अनिकेत की तरफ देखती है, अनिकेत भी उसे देख कर मुस्कुरा रहा था।. . . . . दीपक पीहू के पास आकर उसे कसकर अपनी बाहों में भर लेता है,उसके ऐसे अचानक गले लगाने से पीहू भी हैरान हो जाती है, अनिकेत भी ये देखकर गुस्से में अपने हाथ की मुट्ठी कस लेता है,वो अपना हाथ उठाता है जिससे दीपक दूर जाकर सोफे से टकराकर गिर जाता है। दीपक को देखकर सब उसकी तरफ दौड़ पड़ते हैं,देवदास जी दीपक को उठाकर सोफे पर बैठाते हैं। रिया उससे पूछती है. . . . ."क्या हुआ दीपक, तुम अचानक से गिर कैसे गये,वो भी इतनी दूर आकर?". . . . . दीपक रिया को जवाब देते हुए बोलता है. . . . ."मुझे नहीं पता मैं कैसे गिरा, ऐसा लगा जैसे किसी ने मुझे धक्का दिया हो।". . . . . पीहू अनिकेत की तरफ गुस्से में देखने लगती है, अनिकेत वहां से गायब हो जाता है, पीहू तुरंत अपने कमरे में चली जाती है, अनिकेत उसके बिस्तर के पास खड़ा था। पीहू उसके पास आकर गुस्से में बोलती है . . . . ."ये तुमने क्या किया, मैं नहीं चाहती कि यहां किसी को भी पता चले तुम्हारे बारे में,तुम जानते हो ना अंकल को, उनको पता चला तो वो तुम्हें मुझसे दूर कर देंगे।". . . . . अनिकेत गुस्से में उसे बोलता है. . . . ."कोई भी अब तुम्हें मुझसे दूर नहीं कर सकता और दूसरी बात मैं तुम्हारे करीब किसी भी लड़के को देखना बर्दाश्त नहीं करूंगा इसलिए अपने करीब किसी भी लड़के को आने मत देना वरना उसका बुरा हाल होगा।". . . . . पीहू आनिकेत को समझाते हुए बोलती है. . . . ."अनिकेत प्लीज ऐसा कुछ मत करना जिससे दूसरों को शक हो, मैं नहीं चाहती कि कोई भी तुम्हारे बारे में जाने, मैं तुमसे रिक्वेस्ट करती हूं।". . . . . तभी दीपक पीछे से पीहू को आवाज लगाते हुए बोलता है. . . . ." पीहू किससे बात कर रही हो?"दीपक की आवाज सुनकर पीहू घबरा जाती है।. . . . .

  • 18. Love After Death - Chapter 18

    Words: 1003

    Estimated Reading Time: 7 min

    दीपक कमरे के अंदर आकर अपने चारों तरफ देखने लगता है पर पीहू के अलावा उसे कोई नहीं दिखता,पीहू दीपक को ही देख रही थी, उसे अंदर ही अंदर बहुत घबराहट महसूस हो रही थी। दीपक पीहू की तरफ देख कर उससे पूछता है. . . . ."पीहू किससे बातें कर रही थी तुम?" पीहू थोड़ा हकलाते हुए बोलती है. . . . ."वो,, मैं,,वो,,वो किसी से भी नहीं, मैं किससे बातें करूंगी।" दीपक उससे बोलता है. . . . ."पर जब मैं तुम्हारे कमरे की तरफ आ रहा था, तो मुझे ऐसा सुनाई दिया जैसे तुम किसी से बातें कर रही हो, किसी से रिक्वेस्ट कर रही हो कि वो गुस्सा ना करें वरना उसकी असलियत सामने आ जाएगी, किसे बोल रही थी, बताओ ना मुझे।" पीहू मुस्कुरा कर बोलती है. . . . ."मैं किससे बोलूंगी, मैं सच में किसी से बातें नहीं कर रही थी।" तभी समीरा और रिया भी पीहू के कमरे में आती है, समीरा दीपक से बोलती है. . . . ."तू पीहू को बाय करने आया था ना और यही रुक गया,अब चल चलते हैं,कल से यही पर है यार, तुझे पता है मम्मी का 20 बार कॉल आ चुका है कि मैं घर कब आऊंगी, अब अगर मैं घर नहीं गई ना, तो मुझे बहुत डांट पड़ेगी।" दीपक पीहू से बोलता है. . . . ."पीहू कल मेरा जन्मदिन है, तुम और रिया जरूर आना, रिया तुम अपने रेहान को भी लेकर आ सकती हो।" रिया मुस्कुरा कर बोलती है. . . . ."रेहान तो वापस अमेरिका चला गया,अब वो 1 साल के बाद ही आएगा, मैं पीहू के साथ आ जाऊंगी।" दीपक मुस्कुरा कर बोलता है. . . . ."ठीक है फिर वो पीहू की तरफ देख कर उससे बोलता है. . . . ."मुझे तुम्हारा इंतजार रहेगा।" पीहू उसे कोई जवाब नहीं देती, दीपक और समीरा वहां से चले जाते हैं। रिया पीहू से बोलती है. . . . ."चल अब तू नहा ले फिर मैं तेरे लिए खाना लेकर आती हूं,उसके बाद तू थोड़ा आराम कर लेना, देख कितनी थक गई है।" पीहू रिया से बोलती है. . . . ."ठीक है।" रिया फिर वहां से चली जाती है,पीहू जाकर कमरे का दरवाजा बंद कर देती है और अनिकेत की तरफ देख कर बोलती है. . . . ."तुम यही रहना, मैं नहाने जा रही हूं।" अनिकेत मुस्कुरा कर बोलता है. . . . ."हां ठीक है जाओ तुम।" पीहू फिर नहाने चली जाती है। पीहू बाथरूम में जाकर शॉवर ऑन करके शॉवर के नीचे खड़ी हो जाती है,वो अपनी आंखें बंद कर लेती है,शॉवर का पानी पीहू को भिगो रहा था, पानी में भीगने से उसका जिस्म हीरे की तरह चमक रहा था,वो किसी खूबसूरत जलपरी की तरह लग रही थी। तभी शॉवर अचानक से बंद हो जाता है, पीहू शॉवर की तरफ देखती है और वो फिर से शॉवर ऑन करके नहाने लगती है पर फिर से शॉवर बंद हो जाता है। पीहू ये  देखकर अपने चारों तरफ देखने लगती है और जल्दी से अपना हाथ टॉवल की तरफ बढ़ाती है पर टॉवल हवा में उड़ कर दूर जाकर गिरता है। वो गुस्से में बोलती है. . . . ."अनिकेत ये क्या हरकत है, मैंने तुमसे कहा था क्या यहा आने के लिए और तुम मेरी इजाजत के बिना यहां कैसे आ सकते हो, कहां हो तुम?" वो फिर से अपने चारों तरफ देखने लगती है पर अनिकेत उसे कहीं नहीं दिखता।. . . . . तभी शॉवर अपने आप ऑन हो जाता है और अनिकेत उसके सामने आकर खड़ा हो जाता है,पीहू ने कुछ नहीं पहना हुआ था, उसे बहुत शर्म आ रही थी। वो अनिकेत से धीरे से बोलती है. . . . ."अनिकेत क्यों आए हो तुम अंदर?" अनिकेत उसके भीगे कमर पर अपना हाथ रख कर उसे अपने करीब खींच लेता है और उसके सर से अपना सर लगाकर उससे बोलता है. . . . ."क्योंकि तुम सिर्फ मेरी हो, तुम पर सिर्फ मेरा हक है, तुम्हें ऐसे सिर्फ मै हीं देख सकता हूं, सॉरी मैं खुद को रोक नहीं पाया और यहां आ गया।". . . . . शॉवर का पानी अब उन दोनों को भिगोने लगता है,दोनो एक दूसरे के एहसास में मदहोश हो रहे थे,अनिकेत अपने होंठ उसके होंठों पर रख कर उसे किस करने लगता है,पीहू भी अपनी आंखें बंद कर लेती है और अनिकेत के कंधे को कसकर अपने हाथों से पकड़ लेती है, अनिकेत उसे जोर जोर से किस करने लगता है,पीहू भी उसका पूरा साथ दे रही थी, 5 मिनट के बाद पीहू की सांसे फूलने लगती है,अनिकेत को जब ये एहसास होता है,तो वो उसे एक झटके से खुद से अलग कर देता है, पीहू जोर-जोर से सांस लेने लगती है, अनिकेत उसे एकटक देख रहा था, पीहू भी अपनी सांसो को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी,वो सांस लेते हुए अनिकेत की तरफ देख कर मुस्कुरा देती है। अनिकेत भी मुस्कुरा कर उससे पूछता है. . . . ."तुम ठीक हो?" पीहू अपना सर हां में हिला देती है।. . . . . अनिकेत अपना हाथ आगे करता है और टॉवल उड़ कर उसके हाथ में आ जाता है, अनिकेत टॉवल पकड़कर उसके शरीर को पोछने लगता है फिर वो पीहू को कमरे के अंदर लेकर आता है और अलमारी से उसका एक ड्रेस निकालता है। पीहू अपना हाथ बढ़ा कर उससे बोलती है . . . . ."दो मैं ये खुद पहन लूंगी।". . . . . अनिकेत मुस्कुरा कर बोलता है. . . . ."नहीं तुम्हे ये ड्रेस मैं पहनाऊंगा।" फिर वो उसके ड्रेस की तरफ देखता है और उसका ड्रेस अपने आप उसके शरीर में जाने लगता है। पिहू ये सब हैरानी से देख रही थी, अनिकेत मुस्कुरा कर उससे बोलता है. . . . ."ऐसे मत देखो, मेरे पास बहुत शक्तियाँ है, मैं कुछ भी कर सकता हू।". . . . . पिहू उसकी बात सुन कर मुस्कुरा देती है। आज का पार्ट कैसा लगा कमेंट करके बताये और ज्यादा से ज्यादा रेटिंग,और सपोर्ट किजीये, thank you,so much,bye 🙋‍♀️ अपना खयाल रखना आप सब और मेरी कहानियाँ पढ़ते रहना। 🙏हर हर महादेव🙏

  • 19. Love After Death - Chapter 19

    Words: 1156

    Estimated Reading Time: 7 min

    पीहू बाथरूम में जाकर शॉवर ऑन करके शॉवर के नीचे खड़ी हो जाती है,वो अपनी आंखें बंद कर लेती है,शॉवर का पानी पीहू को भिगो रहा था, पानी में भीगने से उसका जिस्म हीरे की तरह चमक रहा था,वो किसी खूबसूरत जलपरी की तरह लग रही थी। तभी शॉवर अचानक से बंद हो जाता है, पीहू शॉवर की तरफ देखती है और वो फिर से शॉवर ऑन करके नहाने लगती है पर फिर से शॉवर बंद हो जाता है। पीहू ये  देखकर अपने चारों तरफ देखने लगती है और जल्दी से अपना हाथ टॉवल की तरफ बढ़ाती है पर टॉवल हवा में उड़ कर दूर जाकर गिरता है। वो गुस्से में बोलती है. . . . ."अनिकेत ये क्या हरकत है, मैंने तुमसे कहा था क्या यहा आने के लिए और तुम मेरी इजाजत के बिना यहां कैसे आ सकते हो, कहां हो तुम?" वो फिर से अपने चारों तरफ देखने लगती है पर अनिकेत उसे कहीं नहीं दिखता।. . . . . तभी शॉवर अपने आप ऑन हो जाता है और अनिकेत उसके सामने आकर खड़ा हो जाता है,पीहू ने कुछ नहीं पहना हुआ था, उसे बहुत शर्म आ रही थी। वो अनिकेत से धीरे से बोलती है. . . . ."अनिकेत क्यों आए हो तुम अंदर?" अनिकेत उसके भीगे कमर पर अपना हाथ रख कर उसे अपने करीब खींच लेता है और उसके सर से अपना सर लगाकर उससे बोलता है. . . . ."क्योंकि तुम सिर्फ मेरी हो, तुम पर सिर्फ मेरा हक है, तुम्हें ऐसे सिर्फ मै हीं देख सकता हूं, सॉरी मैं खुद को रोक नहीं पाया और यहां आ गया।". . . . . शॉवर का पानी अब उन दोनों को भिगोने लगता है,दोनो एक दूसरे के एहसास में मदहोश हो रहे थे,अनिकेत अपने होंठ उसके होंठों पर रख कर उसे किस करने लगता है,पीहू भी अपनी आंखें बंद कर लेती है और अनिकेत के कंधे को कसकर अपने हाथों से पकड़ लेती है, अनिकेत उसे जोर जोर से किस करने लगता है,पीहू भी उसका पूरा साथ दे रही थी, 5 मिनट के बाद पीहू की सांसे फूलने लगती है,अनिकेत को जब ये एहसास होता है,तो वो उसे एक झटके से खुद से अलग कर देता है, पीहू जोर-जोर से सांस लेने लगती है, अनिकेत उसे एकटक देख रहा था, पीहू भी अपनी सांसो को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी,वो सांस लेते हुए अनिकेत की तरफ देख कर मुस्कुरा देती है। अनिकेत भी मुस्कुरा कर उससे पूछता है. . . . ."तुम ठीक हो?" पीहू अपना सर हां में हिला देती है।. . . . . अनिकेत अपना हाथ आगे करता है और टॉवल उड़ कर उसके हाथ में आ जाता है, अनिकेत टॉवल पकड़कर उसके शरीर को पोछने लगता है फिर वो पीहू को कमरे के अंदर लेकर आता है और अलमारी से उसका एक ड्रेस निकालता है। पीहू अपना हाथ बढ़ा कर उससे बोलती है . . . . ."दो मैं ये खुद पहन लूंगी।". . . . . अनिकेत मुस्कुरा कर बोलता है. . . . ."नहीं तुम्हे ये ड्रेस मैं पहनाऊंगा।" फिर वो उसके ड्रेस की तरफ देखता है और उसका ड्रेस अपने आप उसके शरीर में जाने लगता है। पिहू ये सब हैरानी से देख रही थी, अनिकेत मुस्कुरा कर उससे बोलता है. . . . ."ऐसे मत देखो, मेरे पास बहुत शक्तियाँ है, मैं कुछ भी कर सकता हू।". . . . . पिहू उसकी बात सुन कर मुस्कुरा देती है। अनिकेत मुस्कुरा कर बोलता है. . . . ."नहीं तुम्हे ये ड्रेस मैं पहनाऊंगा।" फिर वो उसके ड्रेस की तरफ देखता है और उसका ड्रेस अपने आप उसके शरीर में जाने लगता है। पिहू ये सब हैरानी से देख रही थी, अनिकेत मुस्कुरा कर उससे बोलता है. . . . ."ऐसे मत देखो, मेरे पास बहुत शक्तियाँ है, मैं कुछ भी कर सकता हू।". . . . . पिहू उसकी बात सुन कर मुस्कुरा देती है। रिया खाने की प्लेट लाकर पीहू के कमरे का दरवाजा खटखटाती है, पीहू अनिकेत की तरफ देखती है और खड़ी होकर जैसे ही दरवाजा खोलने के लिए अपने कदम बढ़ाती है। अनिकेत अपना हाथ दरवाजे की तरफ करता है और दरवाजा अपने आप खुल जाता है। रिया कमरे के अंदर आती है। वो दरवाजे और पीहू की तरफ देखकर बोलती है. . . . ."तू दरवाजे से इतनी दूर है तो दरवाजा कैसे खुला?" पीहू घूरकर अनिकेत की तरफ देखने लगती है। अनिकेत वहां से गायब होकर उसके पीछे आकर खड़ा हो जाता है और पीछे से उसे अपनी बाहों में भर लेता है जिससे पीहू अचानक से चौक जाती है। रिया उसके पास आकर बोलती है. . . . ."क्या हुआ चुप क्यों है।" पीहू अनिकेत से धीरे से बोलती है. . . . ."छोड़ो मुझे।" अनिकेत मुस्कुरा कर उसके गर्दन पर किस करके बोलता है. . . . ." नहीं वैसे भी रिया मुझे देख नही सकती,तो ये मौका तुम्हे परेशान करने का कैसे जाने दू, क्युकी तुम सिर्फ मेरी हो।" रिया पीहू से बोलती है. . . . ."मै तुझसे कुछ बोल रही हू, ध्यान कहा है तेरा?" पीहू रिया से बोलती है. . . . ."मुझे बहुत भूख लगी है।" वो ये बात थोड़ा जोर से बोली थी। अनिकेत ये सुनकर उसे छोड़ देता है और साइड हट जाता है। पीहू खाने की प्लेट लेकर रिया से बोलती है. . . . ."तू कुछ ज्यादा ही सवाल कर रही है, अब मुझे खाना खाने दे।" इतना बोल कर वो बेड पर बैठ कर खाना खाने लगती है। रिया उससे पूछती है. . . . ."एक बात बता, तूने बाहर कहा था कि कोई अपना था तेरे साथ, जिस कारण तू उस ड्रैकुला से बच पाई थी, मैं पूछ सकती हूं वो अपना कौन था?" रिया पीहू से बोलती है. . . . ."तू कितने सवाल करेगी मुझसे प्लीज अब मुझे खाने दे,मैं इस बारे में बात नहीं करना चाहती।" रिया पीहू को बोलती है. . . . ."चल ठीक है तू खाना खा कर आराम करना।" इतना बोल कर वो कमरे के बाहर चली जाती है तभी कमरे का दरवाजा फिर से अपने आप बंद हो जाता है। रिया पलट कर पीछे की तरफ देखती है फिर अपना सर झटक कर वहां से चली जाती है। दूसरा दिन रिया और पीहू दीपक के घर जाने के लिये तैयार हो रही थी। पीहू ने पीले रंग का सलवार सूट पहना था जिसमे वो बहुत प्यारी लग रही थी। अनिकेत की नजर उसके ऊपर ही थी। पीहू एक नजर अनिकेत की तरफ देखती है। अनिकेत उससे आंखों से इशारा करता है और वहां से गायब हो जाता है।" पीहू रिया से बोलती है. . . . ."तू 1 मिनट रुक मैं आती हूं।" वो फिर अपने कमरे में चली जाती है, अनिकेत उसके कमरे के अंदर था। पीहू उसके पास जाकर उससे बोलती है. . . . ."क्या हुआ?" अनिकेत अपना हाथ दरवाजे की तरफ करता है और दरवाजा बंद हो जाता है। वो फिर पीहू की तरफ देखता है और उसे अपनी बाहों में भर लेता है। पीहू भी मुस्कुरा देती है।

  • 20. Love After Death - Chapter 20

    Words: 1076

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    पीहू और रिया रेडी होकर दीपक के घर के लिए निकल जाते हैं थोड़ी देर के बाद दोनों दीपक के घर पहुंचते हैं और अंदर जाते हैं, दीपक का घर बहुत ही खूबसूरती से सजा हुआ था, पीहू मुस्कुरा कर अपने चारों तरफ देख रही थी,रिया भी चारों तरफ देखते हुए बोलती है. . . . . ."दीपक ने कितना अच्छा अपना घर सजाया है ना।" पीहू मुस्कुराकर हा मे अपना सिर हिला देती है। तभी दीपक दोनों के पीछे आकर बोलता है. . . . . ."हेलो गर्ल्स।" उसकी अचानक से आवाज सुनकर रिया की चीख निकल पड़ती है . . . . ."आआआ।" दीपक ये देख कर जोर जोर से हंसने लगता है, रिया उसे आंखें दिखा कर मारते हुए बोलती है . . . . ."तुम कितने बुरे हो, तुमने मुझे डरा दिया।" दीपक हंसते हुए बोलता है . . . . ."मुझे थोड़ी पता था कि तुम डर जाओगी, कितनी बड़ी डरपोक हो तुम, फट्टू कहीं की।" ये सुनकर रिया उसे फिर से मारते हुए बोलती है . . . . ."ऐसे अचानक से पीछे से आकर बोलोगे तो कोई भी डर जाएगा।" दीपक पीहू की तरफ देखकर बोलता है . . . . ."पीहू को देखो ये तो नहीं डरी।" पीहू कबसे उन दोनों की बातें सुन कर मुस्कुरा रही थी। रिया पीहू की तरफ देखकर दीपक से बोलती है . . . . ."ये जबसे वो गांव से आई है ना, तब से डरना ही छोड़ दी है हमेशा मुस्कुराती रहती है।" दीपक पीहू की तरफ देखता है, पीहू अभी भी मुस्कुरा रही थी। दीपक मुस्कुराते हुए बोलता है . . . . ."मैं चाहता हूं पीहू के चेहरे पर ये मुस्कान हमेशा बनी रहे।" तभी समीरा अंदर आते हुए बोलती है . . . . ."wow  दीपक तुमने कितना अच्छा घर सजाया है।" दीपक मुस्कुरा कर बोलता है . . . . ."लेट आयी है तू।" समीरा अपने दोनों कान पकड़ कर बोलती है . . . . ."सॉरी यार पर मेरे बिना केक तो नहीं काटा ना।" दीपक हंसते हुए बोलता है . . . . ."नहीं।" धीरे-धीरे उनके ऑफिस से और भी लोग आने लगते हैं। थोड़ी देर बाद एक टेबल पर बड़ा सा केक रखा हुआ था, उसमे कैंडलस जल रहा था। समीरा मुस्कुराकर दीपक से बोलती है . . . . ."चल अब जल्दी से केक काट।"   दीपक पीहू की तरफ देखता है,पीहू भी उसे इशारे में केक काटने के लिए बोलती है, दीपक फिर कैंडल बुझाता है और केक काटता है, सभी उसे बर्थडे विश करते हैं। दीपक केक का पिस काटकर पीहू के सामने कर देता है। पीहू उससे बोलती है . . . . ."तुम मुझे पहले क्यों खिला रहे हो, समीर और रिया को खिलाओ।" दीपक उससे बोलता है . . . . ."नहीं पहले मैं तुम्हें खिलाना चाहता हूं प्लीज मना मत करना, खा लो आज मेरा बर्थडे है, आज तुम मुझे मना नहीं कर सकती।" पीहू अनिकेत की तरफ देखती है,वो वहीं खड़ा था और कबसे ये सब देख रहा था, उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे,दिपक पीहू को वो केक खिलाता है फिर समीरा और रिया को भी खिलाता है। थोड़ी देर के बाद पार्टी स्टार्ट होता है। दीपक पीहू का हाथ पकड़कर उससे बोलता है . . . . ."चलो डांस करते हैं।" पीहू उसे मना करते हुये बोलती है . . . . ."नहीं दीपक मुझे डांस नहीं करना है।" पर दीपक उससे जिद्द करने लगता है और जबरदस्ती उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने करीब खींचकर उसके साथ डांस करने लगता है,पीहू खुद को उससे छुड़ाने की कोशिश कर रही थी पर दीपक उसे नहीं छोड़ रहा था। पीहू गुस्से में उसे धक्का देकर बोलती है . . . . ."ये क्या है मैंने कहा ना मुझे तुम्हारे साथ डांस नहीं करना है, तो तुम्हें मेरी बात समझ में नहीं आ रही है।" उसकी आवाज सुनकर सब उसकी तरफ देखने लगते हैं। दिपक उसका हाथ पकड़कर बोलता है . . . . ."पीहू मेरी बात सुनो ध्यान से,मै तुमसे प्यार करता हूँ,I Love You . . . . ." पीहू ये सुनकर उससे अपना हाथ छुड़ाकर बोलती है . . . . ."पर मैं तुमसे प्यार नहीं करती,छोड़ो मेरा हाथ।" दिपक फिर उसका हाथ पकड़कर अपनी पकड़ उसके हाथ मे और कसते हुये बोलता है . . . . ." नहीं जब तक तुम मेरे प्यार को एक्सेप्ट नहीं करती, मैं तुम्हारा हाथ नहीं छोड़ने वाला।" रिया दीपक के पास आकर उससे बोलती है . . . . ."दीपक उसने बोल दिया ना कि वो तुमसे प्यार नहीं करती, तो तुम क्यों जिद कर रहे हो, छोड़ो उसका हाथ।" पीहू भी उससे अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोलती है . . . . ."छोड़ो मेरा हाथ,मैं तुमसे प्यार नहीं करती हूं,छोड़ो मेरा हाथ,मुझे दर्द हो रहा है।" दीपक गुससे मे रिया से बोलता है . . . . ."तुम चुप रहो, मैं तुमसे बात नहीं कर रहा हूं फिर वो पीहू की तरफ देख कर उससे बोलता है . . . . ."और तुम बिना हां किए यहां से नहीं जा सकती।" समीरा भी ये देखकर गुस्से में दीपक से बोलती है . . . . ."दीपक तुम ऐसे जबरदस्ती उससे हां नहीं बुलवा सकते।" दीपक गुस्से में समीरा से बोलता है . . . . ."तू अपनी बकवास बंद कर।" रिया और समीरा दीपक का हाथ पीहू का हाथ से छुड़ाने की कोशिश करने लगती है, पीहू भी पूरी कोशिश कर रही थी अपना हाथ छुड़ाने की।  दीपक गुस्से में रिया और समीरा को धक्का देता है जिससे दोनों पीछे जाकर गिरती है। दीपक गुस्से में उन दोनों को उंगली दिखा कर बोलता है . . . . ."दूर रहो तुम दोनों मुझसे, मेरे और पीहू के बीच में किसी को भी आने नहीं दूंगा।" वो अभी इतना ही बोला था तभी उसके गालों पर किसी का जोरदार थप्पड़ पड़ता है,दीपक हैरानी अपने चारों तरफ देखने लगता है,वो जोर से बोलता है . . . . ."कौन है यहां पर?" वो इतना ही बोला था तभी वो हवा में उड़ने लगता है और पीछे की तरफ जाकर गिरता है, उसकी पकड़ पीहू के हाथ पर ढीली पड़ जाती है, जिससे पीहू का हाथ छूट जाता है, पीहू अनिकेत की तरफ देखने लगती है, जो बहुत ज्यादा गुस्से में था, उसका गुस्सा देखकर पीहू भी बुरी तरह डर जाती है। अब अनिकेत क्या करेगा दीपक के साथ, क्या अनिकेत की सच्चाई जो पीहू सबसे छुपाना चाहती थी वो सबके सामने आ जाएगी?" ये सब जानने के लिए पढ़ते रहिए इस कहानी को।