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REBIRTH OF LOVE AND WAR

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jiyaa

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प्यार मिलता है सबको किसी को देर से किसी को इंतजार में कहते हैं मोहब्बत मर कर भी नहीं मरती रूह में गुल के भी नही मारता और ऐसा ही है और ये कहानी है कुछ ऐसी है ऐसी ही मिलती है चलिए मिलते है इन से मिलते हैं नील और शिवानी से

Total Chapters (7)

Page 1 of 1

  • 1. REBIRTH OF LOVE AND WAR - Chapter 1

    Words: 1760

    Estimated Reading Time: 11 min

    मुझे यकीन नहीं हो रहा ई कैंट बिलीव की पापा मान गए , हाथों में हाथ डाले वो बेहद चहकते हुए अपने साथ चल रहे लड़के से बोली जो उसकी बातें सुन बस हल्का सा मुस्कुरा दिया। कुछ देर में वो दोनो एक भीड़ वाले एरिया में खड़े हुए थे उस एरिया को देख साफ अंदाजा लगाया जा सकता था कि वो इस शहर का सबसे बड़ा पॉश एरिया है जिसमें बड़ी बड़ी ऊंची ऊंची इमारतें हैं उनकीहोडिंग बोर्ड्स पर हर फेमस ब्रांड वहां के नाम बड़े ख़ूबसूरती से लिखे गए थे खाने से लेकर कपड़े , जूते, सब के शॉप थे आस पास भीड़ लगी हुए थी पूरा मार्केट चकाचक भरा हुआ था पैर रखने की जगह तक नहीं थी । वेट !! वेट !! रुको ! वो लड़की अचानक से रुक गई उस लड़की के इस तरह रुक जाने से उस लड़के ने उस लड़की की नजरों का पीछा किया उसका मुंह एकदम से बन गया । देखो मैं नहीं जाने वाला "" उस लड़के ने उसके चेहरे पर आ रहे भाव को पढ़ते हुए ही समझ लिया । प्लीज़ ! "" उसने प्यारा सा पाउट बनाते हुए कहा। और हर बार की तरह वो अपने सामने प्यारी सी इस लड़की की ये मासूम सी हरकत देख वो हार चुका था हल्की सी मुस्कान में वो बोला "" अब जहां तुम कहोगी वहां चलूंगा "" लड़की की आंखे खुशी से खिल उठी वो नील का हाथ पकड़ते हुए उसे अंदर ले गई। कुछ घंटों बाद नील और वो लड़की एक घर के सामने खड़े हुए थे घर इतना बड़ा और इतना सुंदर था कि जो भी देखता वो देखता रह जाता लड़के के चेहरे पर भी घबराहट साफ़ नजर आ रही थी उसने अपने साथ खड़ी लड़की की ओर देखा उससे इस तरह देख लड़की ने अपना हाथ उसके हाथ में फंसाया और प्यार से बोली "" सब अच्छा होगा मुझे तुम पर पूरा भरोसा है "" उस के चहरे पर मुस्कान आ गई "" तुम साथ हो तो मैं कुछ भी जीत सकता हूं "" उस की बात सुन वो लड़की भी मुस्कुरा उठी दोनो अंदर की ओर बढ़ गए। जैसे जैसे वो दोनों आगे बढ़ रहे थे उनके चहरे पर मुस्कान साफ़ थी उन दोनों ने एक दूसरे को देखा लड़का उसे देख रहा था कि तभी लड़की की आंखे बड़ी हो गई उसने अपने हाथ पर देखा तो उसके हाथ की हथेली खून से सन चुकी थी.. उसने उस लड़के की ओर देखा उसकी शर्ट पूरी खून से सन गई थी .. लड़के ने लड़की की ओर देखा अगले ही पल वो ज़मीन पर जा गिरा । नील !!!!! वो बुरी तरह से चीख पड़ी । गोल चेहरा सुनहरे लंबे घने बाल उसकी कमर तक लहरा रहे थे सुर्ख लाल होठ गहरी काली आंखे एक लड़की घबराई हुए सी अपने बेड पर बैठी हुई लंबी लंबी सांसे ले रही थीं चेहरे पर पसीने की बूंदी उतर आई थी । शिवानी ये लो पानी "" एक ओर आवाज़ आई , शिवानी जो बेड पर बैठी हुए लड़की का नाम था उसने सामने देखा तो उसकी दोस्त मिष्ठी सामने थी शिवानी ने पानी पिया मिष्ठी उसके पास ही बेड पर बैठ गई पानी पीने के बाद शिवानी से गिलास लेकर उसने वही बेड के पास बने लैंप स्टूल के पास रखा और बोली "" तुम ठीक हो अब ? " शिवानी ने हा में सिर हिलाया, "" आज फिर से शिवानी तुमको कब तक ये सपने आएंगे शिवानी ? और कौन है ये नील जिसे तुम हर बार अपने सपने में देखती हो ? "" मिष्ठी ने उससे सवाल किया । नहीं पता मिष्ठी मैं खुद नहीं जानती ये सपने मुझे क्यों आते हैं इनके साथ बचपन से मुझे आते हैं ये "" शिवानी ने कहा। ये तो मुझे भी पता है यार लेकिन ये नील कौन है जो तेरे सपने में आता है? बिचारे को इतना याद करती है कि उसे न जाने कितनी बार हिचकी आती होगी "" मिष्ठी ने उसे छेड़ते हुए कहा। शिवानी ने उसे घूरते हुए देखा "" अच्छा तेरा फिर से शुरू हो गया अब क्या करूं आता है तो "" हा!! हा!! वैसे एक बात पूछे "" मिष्ठी किचन में चाय चढ़ाते हुए बोली । हम्ममम "" अपने बेड से उठ चुकी शिवानी ने कहा। अगर तेरा ये सपने वाला नील तेरे सामने आ गया तो ? क्या करेगी तू सोचा है तूने ? मिष्ठी की बात सुन शिवानी एक पल के लिए रुक गई .. उसके दिल की धड़कने बढ़ गई शिवानी को खोया हुआ देख मिष्ठी ने उसके कंधे पर हाथ रखा "" खो गई अपने सपनों के नील में "" कुछ भी मत बोल "" शिवानी ने मुंह बनाया "" अगर ये मेरे सामने आ गया न तो उससे पूछूंगी की क्यों मेरी नींद खराब करता है उसका बहुत बुरा हाल करुंगी "" शिवानी ने कहा। ओह "" पर उसके लिए तुम्हारे नील को आना पड़ेगा न तुम्हारे सामने "" मिष्ठी ने कहा। की तभी मिष्ठी का फोन बज उठा वो फोन पर बात करने चली गई हालांकि शिवानी वही बैठी हुई मिष्ठी की बातों में उलझ कर रह गई "" आखिर तुम कौन हो? कौन हो नील ? "" अपने आप से कहती हुए वो सामने देखने लगी । शिवानी वर्मा बीस साल की एक मामूली लड़की जो अपने लिए जॉब ढूंढ रही है और न जाने अब तक कितने इंटरव्यू दे चुकी है पर कही तो उसे शिवरिश की वजह से जॉब नहीं मिलती तो कहीं उसके सच कहना लोगों को पसंद नही आता शिवानी के मां बाप बचपन में ही गुज़र चुके हैं वो अनाथालय में रही मिष्ठी ही उसकी इकलौती फैमिली है हालांकि मिष्ठी के मामा है जो उसे बिल्कुल अपनी बेटी की तरह मानते हैं उनके रहने का इंतजाम दिल्ली में मिष्ठी के मामा ने ही की है हालांकि मिष्ठी जो रेडियो जॉकी में काम करती हैं उसने कई बार शिवानी से कहा कि वो यहां जॉब करने के लिए पर शिवानी को इन सब में कोई शौक़ नहीं था शिवानी इन सब में खोई हुए थी कि तभी उसका ध्यान घड़ी पर गया जो आठ बजा रही थीं "" ओह शीट "" शिवानी ने कहा और सीधे बाथरूम जा घुसी मिष्ठी बोलती रह गई । ....... एक बड़ी सी इमारत जो पूरी शीशे से बनी हुए थी एक काली रंग की गाड़ी ठीक उसके सामने आकर रुकी उस गाड़ी को देखते ही वही दरवाजे के पास बैठा एक शक्श जो वहां का वॉचमेन था उसके चेहरे पर पसीना उतर आया वो तेज़ी से अपने कदमों को बढ़ाते हुए आगे भागा गाड़ी का आगे का दरवाज़ा खुला और उन में दो हत्थे काठे आदमी काले रंग का सूट पहने तेजी से बाहर निकले उन में से एक पीछे वाले दरवाज़े की ओर भागा उसने गाड़ी का दरवाज़ा खोला और दूसरी ओर हो गया अभी दो पल ही हुए होगे कि एक शख़्स बाहर निकला शार्प चेहरा काले बाल जो सेट किए हुए थे आंखों पर चश्मा उसे जो देखे तो देखता रह जाए आस पास की लड़कियों ने जब उसे देखा तो बस एक नजर देखती रह गई इन सब से अंजान वो आगे बढ़ गया वॉचमेन ने उसे गुड मॉर्निंग किया जिस पर उसने अपना सिर हिलाया और अन्दर चला गया। जैसे ही कदमों की आहट हुए बाकी सब भी अपनी अपनी जगह बैठ कर काम करने लगे वो आया तो सबने उसे विश किया वो अपनी केबिन की ओर बढ़ गया "" यार ही इज़ डम हॉट "" एक लड़की उसे देखते हुए बोली उस लड़की की बात सुन उसके साथ खड़ी लड़की कुछ कह पाती कि केबिन में जा रहे उसके कदम जा रुके ये देख वहां खड़े लोगों की सांसे भी थम चुकी थी उसने अपनी नजरें उनकी ओर की तो सब डर के मारे अपना अपना काम करने लगें वो लड़की अभी भी उसे देख रही थी कि वो उसकी ओर बढ़ा अपनी ओर आता देख वो लड़की भी चौंक गई , वो शक्श उसके पास जा खड़ा हुआ क्या हुआ सर? "" उस लड़की ने पूछा । उस शख्स बिल्कुल चुप सा उसे देखने लगा उसने अपना चश्मा उतरा और बोला "" ई आम हॉट राइट ?"" शख्स की बात सुन वो लड़की हैरान रह गई "" सर वो ..वो "" हड़बड़ाते हुए उस लड़की ने कहा बोलो हूं क्या हॉट मैं? "" उसने एक बार फिर पूछा । लड़की धीरे से बोली "" हा "" और शर्मा गई । वो शख्स बिल्कुल उसके पास आ गया ये देख बाकी सब हिल गए की वो उस लड़की से बोला "" तुम्हे शायद गर्मी लगने लगी है इसलिए तुम्हारे लिए आज एक बहुत खास जगह चुनी है मैंने "" क्या मतलब ?"" नासमझी से उसे देखते हुए वो लड़की ने कहा कि उसकी ओर देखते ही उसकी पूरी बॉडी में कंपकंपी छूट गई वो शक्श अपनी जलती आंखों से उसे देख रहा था "" आज से तुम नीचे कोल्ड एरिया में काम करोगी तुम्हे आराम मिलेगा "" ये सुनते ही लड़की हैरानी से उसे देखने लगी "" सर ई आम सॉरी सर "" उसने कहा कि उसने चश्मा अपनी आंखों पर चढ़ाया और बोला "" दो महीने की सैलरी हॉफ "" सब बस हैरानी से उसे देखने लगे लड़की को तो अब खुद पर गुस्सा आने लगा था कि उसने ऐसा क्यों कहा अब उसने चुप रहना ही सही समझा वर्ना शायद इस बार वो जॉब भी खो चुकी होती वो लड़का तेजी से अपने केबिन में चला गया। "" वो लड़की रोने लगी की उसकी दोस्त ने उस केबिन की ओर देखते हुए कहा "" शांत हो जाओ नेहा तुम बच गई आगे से ऐसा सवाल नहीं करना नील खन्ना है वो क्या कर सकता है वो तुम्हे अंदाजा नहीं है "" अपनी दोस्त की बात उस लड़की की आंखे बड़ी हो गई । नील खन्ना छब्बीस साल का हैंडसम हंक मोस्ट इलेजिबल लड़का जिसका नाम दुनिया भर में मशहूर है इतनी कम उम्र में इतना बड़ा नाम और शौहरत हासिल की अपने दम पर खड़ी करी अपनी कंपनी जिसका पूरी दुनिया में नाम है और टॉप फाइव में आती है द खन्ना इंटरप्राइजेज जितना बड़ा नाम उतना ही सबके लिए छुपा हुआ पूरी दुनिया खन्ना इंटरप्राइजेज का नाम तो बख़ूबी जानती है पर असली में नील खन्ना कौन हैं कोई नहीं जानता था यहां तक कि उसकी कंपनी में भी किसी को भी उसके बारे में कुछ भी रिवील करना मंजूर नहीं था एक बार किसी ने नील के बारे में मीडिया में बताना चाह था जिसकी वजह से उसे अपनी जॉब को खोना पड़ गया था। अपने केबिन में बैठा वो अपना काम कर रहा था "" सर!! रौनक जी आपसे बात करना चाहते है "" उसकी बात सुन नील की आंखे बदल गई।

  • 2. REBIRTH OF LOVE AND WAR - Chapter 2

    Words: 1110

    Estimated Reading Time: 7 min

    ऋषभ ने जैसे ही रौनक का फोन है ये कहा वैसे ही नील की आंखे बदल गई , पर अगले ही पल उसने अपना सिर हिलाया ये समझते ही ऋषभ ने फोन नील की डेस्क पर स्पीकर पर रख दिया और खुद थोड़ा पीछे जाके खड़ा हो गया। ये क्या हो रहा खन्ना साहब? आपने ऑर्डर लेने से मना कर दिया "" रौनक ने शिकायत भरे अंदाज में कहा। जी आप अच्छे से जानते हैं मैंने ऐसा क्यों किया है तो आप अपना और मेरा वक्त बर्बाद कर रहे "" उसने साफ़ शब्दों में कह दिया । खन्ना साहब!! ये सही नहीं कर रहे आप! आप अच्छे से जानते हैं इस डील पर मेरी कंपनी को कितना बड़ा नुकसान हो सकता है और उसके बाद भी आपने बिना किसी वजह के अचानक से ये डील कैंसिल कर दी इसका हर्ज़ाना आपको चुकाना ही पड़ेगा खन्ना इंटरप्राइजेज का नाम ख़राब हो जाएगा "" ऋषभ हैरानी से कभी फोन को देखता तो कभी शांत बैठे नील को रौनक ने जो कुछ भी कहा था उसके बाद नील का शांत होना साफ बता रहा था कि ये तूफान के आने से पहले की शांति है । मैं अपने ऑफिस से किसी को भेज रहा हूं आपके ऑफिस जो अमाउंट आपको देना है वो आपको दे दिया जाएगा बाकी के ऑर्डर्स भी मैं तभी डिस्कस कर लूंगा" नील ने कहा। रौनक को लगा कि नील सही कह रहा है उसने फोन रख दिया, ऋषभ जो वही खड़ा हुआ था नील ने अपनी टेबल के पास बना ड्रॉ खोला और एक लिफ़ाफ़ा उसे देते हुए कहा "" ये रौनक के ऑफिस में उसे देखकर आओ "" सर!! आप सच में उन्हें पैसे वापिस "" ऋषभ इतना ही कह पाया था कि उसे अब अपनी ज्यादा बोलने की आदत पर गुस्सा आने लगा था क्योंकि नील उसे अपनी घूरती हुए आंखों से देख रहा था ऋषभ ने जल्दी से वो लिफ़ाफ़ा लिया और बोला "" मैं जाता हूं सर "" और तेज़ी से निकल गया। नील ने अपना ध्यान झटका और वापस काम में लग गया । .... दुपहर हो चली थी शिवानी का इंटरव्यू आज भी नहीं हो पाया जिससे उदास हो वो वही पास बने राधा कृष्णा के मंदिर में बैठ गई , इतनी बार उसने इंटरव्यू दिए थे पर कभी सिफारिश की वजह से पीछे कर दिया जाता तो कभी कुछ इन सब में उलझी उसने अपनी आंखे बंद कर ली कुछ ही वक्त हुआ था कि तभी उसे अपने सिर पर किसी का स्पर्श महसूस हुआ शिवानी ने आंखे खुल ऊपर की ओर देखा तो सामने पुजारी जी खड़े हुए थे, शिवानी जब भी परेशान या उदास होती तो यही आ जाया करती थी जिससे पुजारी जी उसे अच्छे से जानते थे। उदास मत हो बेटा सब सही होगा "" पुजारी जी ये कहते हुए वही उसके पास बैठ गए। कब सही होगा बाबा ? कब ? मिष्ठी पर कब तक बोझ बनेंगे कब तक ? आखिर क्या हम इतने बुरे हैं कि कुछ अच्छा नहीं हो रहा "" शिवानी की आंखे नम हो गई। ऐसा नहीं कहते बेटा वो सब देख रहा ये अपने भक्तों की परीक्षा लेता है पर उस पर खड़े होने की उस पर चलने की हिम्मत भी वही देता है और एक न एक दिन तुम्हारी भी परीक्षाओं का अंत होगा उस कृष्ण मुरारी ने देखना तुम्हारी जिंदगी में भी कोई ऐसा ज़रूर बनाया होगा जो तुम्हे सिर्फ और सिर्फ खुशियां देगा "" पुजारी जी की बाते सुन शिवानी को एक एकएक सुबह सपने में आई वो धुंधली परछाई याद उतर आई "" वो खोई हुए थी कि तभी पुजारी जी को किसी ने आवाज़ देखकर अंदर बुलाया पुजारी जी ने एक बार फिर उसके सिर हाथ फेरा और अंदर चले गए शिवानी ने भगवान को देखा और अपनी आंखे बंद कर ली की तभी उसके कानों में एक आवाज़ पड़ी उसने आंखे खोली तो थोड़ी ही दूरी पर एक लड़की अपने पापा से शायद फोन पर बात कर रही थी "" नो पापा मैं ये नहीं करना चाहती आप जानते हो मुझे ये इंटरव्यू नहीं देना "" उसने गुस्से में फोन काट दिया शायद उसके पापा से वो बेहद गुस्सा थी शिवानी कुछ देर तक देखती रही फिर उसके पास आकर बोली "" excuse me "" जी ? "" उस लड़की ने सवालिया नजरों से शिवानी की ओर देखते हुए जवाब दिया। ई आम सॉरी!! मुझे आपके पर्सनल लाइफ में बोलना तो नहीं चाहिए पर अभी अभी आप जो अपने पापा से बात कर रहे थे वो मैंने सुनी अगर आपको एतराज न हो तो आप मुझे बता सकती हैं शायद मैं कुछ कर पाओ "" वो लड़की उदास सी हो चली "" आज मेरा एक इंटरव्यू है पर मुझे वो नहीं देना मुझे किसी कंपनी में काम नहीं करना बल्कि मुझे अभी फैशन डिज़ाइन करना है पर मेरे पापा इसे नहीं समझेंगे "" क्यों नही समझेंगे आप एक बार बात करिए उन्हें प्यार से मनाए मां बाप कभी अपने बच्चों का गलत नहीं होने है आप एक बार उन से बात तो करिए एक बार कहना की आप फैशन डिज़ाइन करना चाहती हैं एक मौका चाहती हैं और अगर आप नहीं कर पाई तो जो वो काहिएंगे आप करेंगी "" शिवानी ने कहा। वो लड़की कुछ देर तक सोचती रही फिर शिवानी की ओर देखा और गले आ लगी "" थैंक्यू!! आपकी बाते सुन मुझे अब लग रहा है मैं पापा को मना लूंगी "" शिवानी हल्का सा मुस्कुरा दी "" वैसे आप क्या करते हो ? "" उस लड़की ने पूछा कुछ नही बस एक जॉब की तलाश में हूं "" शिवानी ने कहा । तो आप मेरे जगह क्यों नहीं जाती ?"" उस लड़की ने जैसे ही कहा शिवानी हैरानी से उसे देखने लगी। उस लड़की ने अपनी फाइल उठाई उन में से अपने पेपर्स निकालकर शिवानी के हाथ में पकड़ी फाइल से पेपर्स लगा दिए , और उन्हें वापिस करते हुए बोली "" ये लो और जाओ आप आपको इसकी जरूरत है "" नहीं मैं ये कैसे ले सकती हूं ये तुम्हारी है "" शिवानी ने कहा। मेरी होती अगर मुझे ये करनी होती जब मुझे ये करना ही नहीं तो मेरी कैसे हुए ? और वैसे भी क्या पता भगवान ने ये आपके लिए ही लिखी हो ? "" उस लड़की ने कहा तो शिवानी एक पल सोच में पड़ गई उस लड़की ने फाइल शिवानी को दी और वहां से जाते हुए बोली "" अब जाओ आप आज इंटरव्यू है ऑल द बेस्ट ! मैं आपको मिलूंगी दुबारा यही फिर से "" अरे रुको "" शिवानी कह पाती पर तब तक वो लड़की जा चुकी थी, वो बस देखती रह गई कि उसकी नजर उस फाइल पर पड़ी उसने एक नजर भगवान पर डाली और वहां से निकल गई ।

  • 3. REBIRTH OF LOVE AND WAR - Chapter 3

    Words: 2328

    Estimated Reading Time: 14 min

    ऋषभ रौनक जी के ऑफिस मे था रौनक की कुछ ज़रूरी मीटिंग निकल आई थी जिस वजह से ऋषभ को वहां रुकना पड़ गया था, मीटिंग खत्म करते ही रौनक जी और ऋषभ केबिन में मौजूद थे । सर ये आपको देने के लिए कहा था नील सर ने "" उनकी ओर लिफ़ाफ़ा बढ़ाते हुए ऋषभ ने कहा। पर इसमें क्या है? रौनक ने पूछा । ये तो मुझे नहीं पता उन्होंने मुझे कहा कि ये आपको खुद में अपने हाथों से दु इसलिए ही यहां रुका हुआ था आप इसे देख लेना अब मैं चलता हूं "" ऋषभ ने कहा और वहां से निकल गया । रौनक लिफ़ाफ़ा को देख रहे थे "" ऐसा भी क्या है इमसें? "" उसने वो लिफ़ाफ़ा खोला और निकाला तो उसमें एक पेनड्राइव थी पेनड्राइव को देख रौनक समझ नहीं पाए क्या है वो इधर उधर पलटते हुए उसे देखते हुए मन ही मन बोले "" एक पेनड्राइव के लिए खन्ना इंटरप्राइजेज से कोई इंतजार करेगा ? क्यों आखिर ऐसा क्या हो सकता है "" उन्होंने वो पेनड्राइव अपने लैपटॉप में लगाई और देखने लगे जैसे जैसे वो देख रहे थे उनके चेहरे पर घबराहट साफ़ नजर आ रही थी उनकी आंखे हैरानी से फैल गई, पसीने की बूंदे चेहरे पर उतर आई.. उन से बोला तक नहीं जा रहा था कि तभी दरवाजा खुला और रौनक का सेक्रेटरी ने दरवाज़ा खोला और अन्दर आया "" सर "" की रौनक पर नज़र पड़ते ही वो भी चौक गया । क्या हुआ सर आप ठीक तो है? सर आपकी तबीयत "" वो उनके पास आते हुए बोला कि रौनक जी ने झट से अपना लैपटॉप बंद किया और जोर से बोले "" तुम जाओ "" रुमाल से अपना पसीना साफ़ करते हुए वो बोले । पर सर "" उसने इतना ही कहा था कि रौनक जी चीख पड़े "" सुनिए नहीं दिया गेट लॉस्ट "" उन्हें इस तरह चीख वो हैरान रह गया वो चला गया रौनक जी खुद को शांत करते हुए एक बार फिर लैपटॉप की ओर देखने लगे। ...... शिवानी बड़ी सी बिल्डिंग के सामने खड़ी हुए थी एक गहरी सांस ले उसने उसे देखा और धीरे धीरे अपने कदम अंदर की ओर बढ़ा दिए , उसका दिल तेजी से धड़क रहा था, वही अपने केबिन में काम कर रहा नील एकदम से बेचैन हो उठा , उसका दिल तेजी से धड़क रहा था "" ये क्या हो रहा है मुझे? "" खुद से बात करते हुए वो शांत सा होने लगा था सब अपना अपना काम कर रहे थे नील उठा और केबिन का दरवाज़ा खुल गया दरवाज़ा खुलते ही सब अलर्ट हो गए नील बाहर निकला "" सर कुछ चाहिए ऋषभ सर ने मुझे कहा था कि आपको कुछ चाहिए हो तो मुझे कहे "" एक लड़के ने वहां आते हुए कहा। नहीं आप सब अपना काम करे "" उसने कहा । सब वापिस अपने काम में लग गए, नील सीधे बाहर की ओर बढ़ गया । शिवानी ने जाकर रिसेप्शन पर पूछा तो उसने थर्ड फ्लोर बताया उन्हें थैंक्यू बोल वो थर्ड फ्लोर की ओर बढ़ गया वहां पहुंची तो बहुत से लोग बैठे हुए थे शिवानी उन लोगों को देख नर्वस हो गई उसे पहले ही जॉब नहीं मिली थी और अब इतने लोगों को देख उसका बचा हुआ कांफिडेंस खत्म सा होने लगा। इतने लोग ? मैं सलेक्ट हो पाऊंगी ? और अगर उन्होंने मुझे झूठा समझ निकाल दिया तो? वो खुद से मन ही मन बोली । नहीं !! मैं ये नहीं कर सकती ये जॉब मेरी नहीं है ये उस लड़की की है वो नहीं देना चाहती पर फिर भी कैसे ले सकती हूं ये झूठ है मुझे जॉब की जरूरत है पर ऐसे किसी की नहीं लुंगी "" खुद से कहते हुए वो वापस जाने के लिए निकल पड़ी , शिवानी नीचे आई तो उसे प्यास लगी थी उसने सब ओर देखा पर उसे पानी कही नहीं दिख रहा था जिससे वो और झींक गई थी इतनी गर्मी में एक तो वो आई थी जॉब उसे मिली नहीं थी और अब पानी भी नहीं था जिससे वो बड़बड़ाते हुए कैंटीन की ओर बढ़ गई थी "" इतना बड़ा ऑफिस है पर एक पानी नहीं है हद होती है "" ये बोलते हुए उसे सामने एक टेबल पर पानी का भरा गिलास दिखा उसे देखते ही मानो शिवानी को सब मिल गया हो वो तेजी से उसकी ओर भागी और पानी का गिलास उठा लिया "" थैंक्यू भगवान जी वर्ना आज मैं यहीं मर जाती "" उसने कहा और पानी पीने लगी उसे अब राहत मिली थी उसने पानी का गिलास वहीं रखा की तभी एक लड़का उसे घूरते हुए देखने लगा शिवानी ने उसे खुद को घूरते हुए देखा तो एक पल को उसे देखती रही ""ये क्या किया तुमने ?"" उसने उसी तरह से कहा। उसकी आवाज़ सुन बाकी सब भी वहां आ गए शिवानी ने कहा "" क्या किया मैंने ?"" तुमने पानी पिया "" वो लड़का घूरते हुए बोला । तो अब क्या इस पर टैक्स लोगे ? पानी पिया है कोई चोरी तो नहीं की है "" शिवानी ने कहा। शिवानी को इस तरह बात करता देख बाकी सब की आंखे बड़ी हो गई "" ये लड़की पागल हो गई है क्या ?खुदको शेर के मुंह में हाथ डाल रही है "" तुम्हे पता है कितनी दूर से आई हूं और इतना बड़ा ऑफिस है पर उस में एक पानी की मशीन नहीं हो सकती तुम्हारा बॉस भी लगता है प्यासा ही घूमता है क्या पता नहीं कैसा इंसान है और अब तुम पानी पीने पर घूर रहे हो , तुम्हे पता नहीं क्या पानी पिलाना तो पुण्य का काम होता है पर तुम और तुम्हारे बॉस तो मुझे एक जैसे ही लगते हैं ""शिवानी बड़बड़ाते हुए बोले जा रही थी कि तभी ऋषभ वहां आया और बोला "" मम ये आप क्या बोल रही हैं "" अब तुम मुझे क्यों रोक रहे हो ? हालत देखो अपनी तुम तो ऐसे डर रहे हो जैसे ये बॉस हो तुम्हरे "" शिवानी ने कहा। ऋषभ ने लाचार नजरों से उसकी ओर देखा, तो वो नासमझी से उसे देखने लगी फिर नील की ओर इशारा करते हुए बोले "" क्या क्या ये बॉस "" उसकी आवाज़ लड़खड़ा गई, ऋषभ ने हा में सिर हिलाया शिवानी की आंखे फैल गई, नील आंखे सिकुड़ते हुए शिवानी की ओर देख रहा था जिससे शिवानी डर के मारे पीछे हो गई नील आगे बढ़ा और शिवानी के बिल्कुल पास जा खड़ा हुआ आप क्या कह रही थी मिस "" उसने उसी तरह से कहा। कुछ !! कुछ !! नहीं सर.. वो मुझे प्यास लगी थी तो ज्यादा बोल गई पर मेरी भी क्या गलती सर, पानी ढूंढते ढूंढते थक गई थी आपका गिलास दिखा तो बिना सोचे पानी पी गई .. ई आम सॉरी.. मैं इसे धोकर आपको देती हूं न "" शिवानी ने ये कहते हुए गिलास लिया ही था कि वो पलट गया उस में जो पानी था वो सीधे नील के कपड़ों पर जा गिरा । बाकी सारे एम्पलाइज ने कस कर अपनी आंखे बंद कर ली, शिवानी हैरानी से नील को देख रही थी जो उसे घूर रहा था , "" ई आम सॉरी.."" शिवानी ने कहा कि नील जोर से बोला "" ऋषभ इन मम को लेकर मेरे केबिन में आओ "" जी सर "" ऋषभ ने कहा नील ने शिवानी को घूरा और चला गया, उसके जाते ही ऋषभ ने कहा "" ये क्या किया तुमने ? "" मैंने जानबूझकर नहीं किया गलती से हुआ और मुझे थोड़ी पता था वो बॉस होगे "" शिवानी ने कहा। अब पता नहीं सर क्या करेंगे चलो अब वरना तुम्हारी तो लगी नहीं है लेकिन मेरी तो लगी लगाई जॉब चली जाएगी "" ऋषभ ने कहा और आगे बढ़ गया शिवानी मन ही मन हाथ जोड़ते हुए "" कृष्ण मुरारी संभाल लेना "" वो तेजी से ऋषभ के साथ नील के केबिन की ओर बढ़ गई। शिवानी और ऋषभ नील के केबिन में खड़े हुए थे नील वहां नहीं था , कि तभी दरवाज़ा खुला और नील इंटर हुआ शिवानी ने उसकी ओर देखा तो वो कपड़े बदल चुका था नील ने ऋषभ से कहा "" तुम जाकर अपना काम करो आज इंटरव्यू है उन्हें देखो "" ऋषभ ने उसे देखा नील ने जैसे ही उसकी ओर देखा ऋषभ ने तेजी से हा में सिर हिलाया और केबिन से बाहर निकल गया अब बस शिवानी और नील ही वहां थे शिवानी मन ही मन घबरा रही थी उसने कुछ कहना चाह पर उसकी जुबान से आवाज़ ही नहीं निकल रही थी बहुत हिम्मत कर उसने कहा सर!! ई आम सॉरी सर मैंने जानकर कुछ नहीं किया था मुझे नहीं पता था बस प्यास लगी थी और न ही मैंने जानकर आपकी ड्रेस पर पानी गिराया था सॉरी सर ई आम सॉरी आप मुझे बता दो मैं आपकी ड्रेस का पेमेंट दे दूंगी "" शिवानी ने घबराते हुए कहा। उसने अपनी एक आंख उठाई और बेहद आराम से बोला "" दो लाख "" शिवानी चौक गई "" क्या ? "" उसने कहा। दो लाख का सूट है वो करो पे अभी तुमने ही तो कहा "" नील ने अपनी बात पूरी की । दो लाख "" शिवानी ने तो कभी सपने में भी नहीं देखे थे उसे समझ नहीं आ रहा था वो क्या करे कुछ देर तक केबिन में शांति बनी रही नील ने ऊपर नज़रे करके देखा तो चौंक गया, शिवानी की आंखे आंसुओं से भरी हुए थी उसे इस तरह देख नील को अजीब सी बेचैनी महसूस हुए उसने अपनी नजरे नीचे की ओर धीरे से कहा "" बैठो "" शिवानी अभी भी खड़ी हुए थी कि वो थोड़ा तेज बोला "" ई सेड सीट "" शिवानी चुप सी बैठ गई, नील ने उसकी ओर पानी का गिलास बढ़ाया तो वो झिझक गई "" पी लो यूं आर ट्रस्टी "" उसने बेहद आराम से कहा। नो ई आम फाइन "" शिवानी ने कहा कि नील ने जैसे ही उसे देखा उसने झट से पानी का गिलास उठा लिया और पीने लगी नील चुप रहा शिवानी ने गिलास वही रखा "" थैंक्यू "" तुम यहां इंटरव्यू के लिए आई हो ? "" नील ने पूछा । हा, पर मैं ये जॉब नहीं कर सकती "" शिवानी थोड़ा उदास सी बोली नील उसकी बात सुन थोड़ा हैरान हो गया शिवानी पहली लड़की थी जो यहां जॉब न करने की बात कर रही थी "" क्यों नहीं कर सकती? करना नहीं चाहती जॉब यहां? "" नहीं ऐसी बात नहीं, पर किसी ओर के बदले में कैसे ये ले सकती हूं मैं यहां आ तो गई थी पर मुझे सही नहीं लगा और इसी वजह से वापिस लौट रही थी कि प्यास लगी और ये सब हो गया "" शिवानी ने अपनी बात कही । कहना क्या चाहती हो साफ़ साफ कहो "" नील ने कहा। शिवानी ने उसे देखा और जो कुछ भी हुआ वो सब उसे बता दिया नील उसे शांति से सुन रहा था कि उसने अपने डेस्क के पास रखी बेल बजाई उसके बजते ही दरवाज़ा खुला और ऋषभ अंदर आया "" यस सर "" एक लेटर रेडी करवाओ "" नील ने कहा। किस के नाम पर सर और क्या लिखना है?"" ऋषभ ने पूछा ज्वाइनिंग लेटर है और नेम.."" तुम्हरा नाम क्या है?"" नील ने शिवानी की ओर देखते हुए कहा शिवानी ने सुना तो चौंक गई "" आप मुझे जॉब दे रहे हैं? "" नील ने उसे पूरी तरह से इग्नोर किया तो वही ऋषभ भी किसी हैरानी से उसे देख रहा था कि शिवानी ने कहा "" नहीं मुझे ये जॉब मंजूर नहीं, मुझे मेरी काबीलियत पर जॉब चाहिए अहसान पर नहीं आपका बहुत शुक्रिया जो अपने सोचा पर इतना काफ़ी है "" वो उठी और बाहर जाने के लिए बढ़ी की नील की आवाज ने उसे रोक दिया "" मैं कोई काम बिना प्रॉफिट के लिए नहीं करता हूं और रही बात काबिलियत की तो तुमने मुझे सच सच सब बताया चाहती तो झूठ कहके ले सकती थी जॉब पर तुमने ऐसा नहीं किया तो ऐसा एम्पलाई मेरे कंपनी में होगा तो मुझे फायदा ही होगा सो डेट्स क्लियर "" नील की बात सुन शिवानी उसे देखने लगी उसे भी जॉब की जरूरत थी कुछ देर सोचने के बाद शिवानी वापिस आई और बोली "" मेरा क्या काम होगा ?"" मेरी सेक्रेट्री होगी तुम "" ये सुनते ही वहां खड़े ऋषभ की आंखे बड़ी हो गई, शिवानी भी उसे देखने लगी नील ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा "" ऑफिस टाइमिंग नो से शाम पांच बजे तक तुम को यहां रहना है एंड यू विल फॉलो माई ऑर्डर आप सोच सकती हैं सैलरी 50,000"" नील ने कहा। शिवानी ने सुना तो उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ वो वही खड़ी रही कि नील ने कहा "" जल्दी बताए "" शिवानी होश में लौटी उसने हा में सिर हिलाया तो नील ने ऋषभ को देखा जो बस हैरानी से उसे देख रहा था उसने तेज आवाज में कहा "" गेट बैक टू वर्क इन से नाम पूछो और ज्वाइनिंग लेटर दे दो " यस सर"" ऋषभ ने कहा और शिवानी की ओर देखते हुए कहा"" आइए "" शिवानी ने हा में सिर हिलाया और बाहर जाने लगी फिर रुकी और बोली "" सर थैक्यू मैं आपको कोई शिकायत का मौका नहीं दूंगी माइसेल्फ शिवानी "" शिवानी सुन एक पल को नील के हाथ रुक गए उसने उसे देखा तो शिवानी ने अपना हाथ उसकी ओर बढ़ा दिया ऋषभ ने देखा तो मन ही मन बोला ""ये क्या कर रही है?"" नील ने उसे घूरा तो शिवानी ने तुरंत अपना हाथ हटाने लगी की तभी टेबल पर रखा गिलास से उसका हाथ लगा जिसे पानी मेज़ पर जा गिरा , ऋषभ ने अपना हाथ सिर पर मार लिया नील ने उसे घुरा की बेचारगी से शिवानी ने उसे देखा और बोली "" ई आम सॉरी सर.. मैं वो "" उसने कहा और तेज़ी से केबिन से भाग गई.."" अब तुम क्या खड़े रहोगे ? "" नील ने कहा। मैं क्लीन करवाता हूं सर "" ऋषभ ने कहा और बाहर निकल गया नील ने फैले पानी को देखा और बड़बड़ाया "" पागल है बिल्कुल"" !

  • 4. REBIRTH OF LOVE AND WAR - Chapter 4

    Words: 1538

    Estimated Reading Time: 10 min

    केबिन का दरवाज़ा खुलते ही सबका ध्यान उस हो चला "" आज पता नहीं क्या हाल किया होगा सर? "" एक लड़की बोली । मुझे तो तरस आ रहा उस पर उसका तो दिन ही खराब है भगवान भी उसे नहीं बचा सकते "" दूसरी लड़की ने कहा। अभी वो लोग आपस में बात ही कर रहे थे कि ऋषभ बाहर निकला सब उसे ही देख रहे थे उसके साथ ही थोड़ी देर में शिवानी निकली शिवानी को देख सब चौक गए .. "" मेरे साथ आइए "" ऋषभ ने कहा तो उसने हा में सिर हिलाया और साथ चल दी ऋषभ ने बाकी सब को देखा और बोला "" आप सब अपना काम करे , और रूबी तुम एक ज्वाइनिंग लेटर तैयार करो , मिस शिवानी वर्मा के नाम से "" जी सर "" रूबी ने कहा और काम में लग गई, "" आप यहीं बैठ जाएये शिवानी थोड़ी देर में आपको लेटर मिल जाएगा, कल से आप ज्वाइन कर सकती है "" शिवानी ने हा में सिर हिलाया ऋषभ जाने लगा की तभी शिवानी उसे आवाज़ देते हुए बोली "" ऋषभ सर "" जी "" मुड़ते हुए उसने कहा। ई आम सॉरी! मेरी वजह से आप परेशान हो गए पर सच में मैंने जानकर कुछ नहीं किया "" अपना सिर झुकाते हुए धीरे से शिवानी ने कहा। अरे ! ऐसा कुछ नहीं, कोई बात नहीं और वैसे सच बताऊं मुझे तो आपके लिए डर लग रहा था सर कहीं आप पर गुस्सा न उतार दे पर उन्होंने तो बहुत आराम से बात की एक पल को तो मुझे लगा ही नहीं कि ये हमारे नील सर है "" ऋषभ ने कहा। शिवानी हैरानी से उसे देखने लगी ऋषभ जो बोल रहा था उसने शिवानी को इस तरह देख वो बोला " क्या हुआ शिवानी आप इस तरह से क्यों चौक गई "" आपने क्या नाम लिया ? ऋषभ सर.. क्या नाम "" वो कुछ हैरान सी बोली। ओह !! वो हमारे सर का नाम है, नील खन्ना! ये उनकी ही तो कंपनी है जिन से आप अभी अभी मिलकर आई हैं "" शिवानी खोई हुए सी थी कि तभी ऋषभ का फ़ोन बज उठा "" आप को अभी लेटर मिल जाएगा "" ये कहते हुए ऋषभ चला गया, शिवानी ने नील के कैबिन की ओर देखा "" नील "" वो धीरे से बोल उठी। कैबिन अपना काम कर रहा नील के हाथ अचानक से रुक गए उसका दिल तेजी से धड़क उठा उसने इधर उधर देखा "" ऐसा क्यों लगा कि किसी ने मुझे पुकारा "" कैबिन अपना काम कर रहा नील के हाथ अचानक से रुक गए उसका दिल तेजी से धड़क उठा उसने इधर उधर देखा "" ऐसा क्यों लगा कि किसी ने मुझे पुकारा "" वो सोच ही रहा था कि उसका फोन बज उठा फोन पर आ रहे नंबर को देखते ही उसके चहरे के एक्स्प्रेशन बदल उठे , आंखे सिकुड़ गई फोन पर बज रही घंटी थोड़ी देर में बंद हो चली अभी कुछ पल ही गुजरे थे कि एक बार फिर उसके फोन की घंटी बज उठी , लेकिन अब उसका सब्र ज़वाब दे गया उसने फोन उठाया और "अगर मैं नहीं उठा रहा हूँ, तो इसका मतलब साफ है कि मुझे आपसे बिल्कुल बात नहीं करनी है," अगर अब मुझे दुबारा फोन करने की कोशिश भी तो अच्छा नहीं होगा "" ये कहते हुए उसने फोन ज़ोर से जमीन पर दे मारा। नील की चिल्लाने की आवाज सुन ऑफिस में काम कर रहे अन्य लोगों का ध्यान उस ओर हो चला शिविका भी उसके केबिन की ओर देखने लगी "" इन्हें क्या हुआ ? "" वो धीरे से बोली । केबिन का दरवाज़ा खुला उसके खुलते ही सब सकपका गए "" ऋषभ "" नील जोर से चीखा , ऋषभ तेजी से उसके सामने आया "" जी सर "" मेरी जितनी भी आज की मीटिंग्स है कैंसिल कर दो "" नील ने कहा। पर सर... आज तो मिश्रा जी के साथ हमारी बहुत खास मीटिंग है "" ऋषभ ने धीरे से अपनी बात कही । तुम्हे एक बार में बात समझ नहीं आती मैंने क्या कहा? "" नील ने अपनी आंखे घुमाते हुए उससे कहा। जी सर समझ गया "" ऋषभ ने कहा , नील तेज़ी से आगे बढ़ा ही था कि उसके कदम रुक गए सामने कोई और नहीं बल्कि शिवानी खड़ी हुए थी। हटो सामने से "" उसने कहा। पर वो अभी भी वहीं खड़ी हुए थी ये देख नील अपना गुस्सा दबाते हुए बोला "" मैंने कहा सामने से हटो "" नहीं हटाऊंगी "" शिवानी ने कहा जिसे सुन बाकी सब हैरान से उसे देखने लगे ये लड़की का दिमाग खराब हो गया है क्या ? खुद को मुसीबत में डालने का शौक है क्या इसे ?"" एक लड़की धीरे से फुसफुसाते हुए अपने साथ खड़ी लड़की से बोली । नील की आंखे सिकुड़ गई ऋषभ भागते हुए शिवानी के पास आया और बोला शिवानी हट जाओ सामने से सर बहुत गुस्से में उन्हें जाने दो "" उसने रिक्वेस्ट करते हुए कहा। नहीं हटूंगी ऋषभ सर फिर अगर सर कितने भी गुस्से में क्यों न हो "" शिवानी ने कहा। तुम मुझे रोकेगी ? नील ने कहा। बिल्कुल जो गलत करेगा उसे रुकूंगी में फिर वो आप ही क्यों न हो सर "" शिवानी ने उसकी आंखो में आंखे डालते हुए कहा। नील का गुस्सा अब बढ़ चुका था वो बिल्कुल उसके करीब आ गया उसकी आंखे कोल्ड हो चुकी थी वो बोला "" गलत ? तो मिस शिवानी आप मुझे बताएंगी की में कैसे गलत हूं? "" आपने अभी अभी अंदर मेरे से कहा था सर की आपको अपनी कम्पनी के लिए एक ऐसा एम्पलाई चाहिए जो उसके लिए कुछ भी कर सके , उसे कभी कोई नुकसान न हो इस बात का ध्यान रखे और अगर आपकी कंपनी को किसी भी तरह का कोई भी नुकसान कोई पहुंचता है तो उसे बक्शा नहीं जाता "" शिवानी ने कहा। किसने किया नुकसान ? "" नील ने एक भौह उठाते हुए कहा। शिवानी ने एक गहरी सांस ली और बोली "" आपने "" शिवानी की बात सुन सबकी आंखे बड़ी हो गई.. एक नई लड़की नील खन्ना से कह रही थी उसकी गलती है ? "" क्या बकवास है "" नील गुस्से में बोला । अभी अभी ऋषभ सर ने आपसे कहा कि आज आपकी एक इम्पोर्टेंट मीटिंग है और आप बिना उसकी परवाह बस अपने गुस्से में ये छोड़कर जा रहे हैं जिस वजह से कंपनी को लॉस होगा और उसकी वजह आप होगे "" शिवानी ने साफ साफ कहा । और तुम कौन होती हो मुझे ये कहने वाली ? भूलो मत कि ये कंपनी मेरी है इस का फायदा नुकसान मुझे अच्छे से पता होगा "" नील ने कहा। बिल्कुल सर आपको पता है ये आपकी कंपनी है और रही बात मेरे क्या होने की तो आपने ही मुझे कुछ देर पहले जॉब दी है और इस हिसाब से कम्पनी में कोई भी लॉस न हो मैं बस उसका ध्यान रख रही हूं, और अगर फिर भी आपको लगता है कि मैंने कुछ गलत किया है तो "" शिवानी चुप हो गई। नील उसे देख रहा था शिवानी साइड हटी और बोली "" आप जा सकते हैं "" उसने बेहद आराम से कहा। नील उसे देखता रहा.. और आगे बढ़ गया "वो कुछ कदम ही आगे बढ़ा था तभी उसके कदम रुक गए "" ऋषभ "" जी ..जी .. सर "" अपने चहरे पर आए पसीने को साफ करते हुए वो बोला मिस मिश्रा से कहो हम पंद्रह मिनट में मून स्टार होटल में मिलेगे "" नील कहा । शिवानी उसे देखने लगी.. ऋषभ और बाकी सब हैरान थे , नील खन्ना अपना फैसला बदले ये हो ही नहीं सकता और आज उसने ऐसा किया था ऋषभ जो उसे हैरानी से देख रहा था नील ने घूरते हुए कहा "" मेरे मुंह पर फोन नंबर लिखा है क्या ? "" सॉरी ..सॉरी सर "" ऋषभ ने कहा और फोन करने चला गया। शिवानी भी जाने लगी की नील ने उसे रोकते हुए कहा "" मिस शिवानी आप कहा जा रही हैं? "" जी ? "" शिवानी ने नासमझी से उसकी ओर देखते हुए कहा। अभी अभी अपने मुझे इतनी बड़ी गलती करने से रोका है मेरी कंपनी को नुकसान से रुका है तो इस बात का इनाम तो मिलना चाहिए न "" नील हल्की सी मुस्कान देते हुए बोला। नहीं नहीं सर इसकी कोई जरूरत नही ये मेरा फर्ज था "" शिवानी ने कहा। ऐसे कैसे नहीं मिस शिवानी आपको इनाम तो मिलेगा और आपका इनाम ये होगा कि... "" नील रुका और उसके पास आकर उसकी आंखो में आंखे डालते हुए बोला "" मिस मिश्रा के साथ आज जो हमारी मीटिंग होगी वो आप लीड करेंगी "" क्या ??? "" शिवानी अपनी बड़ी बड़ी आंखों से हैरानी से उसे देखने लगी वही नील ने आगे कहा "" और ये मेरे ऑर्डर है बाहर मैं आपका इंतजार कर रहा हूं और अगर आप नहीं आई तो याद रखियेगा नील खन्ना सज़ा भी देना जानता है"ये कहते हुए नील बाहर चला गया शिवानी को तो समझ ही नहीं आया कि अभी क्या हुआ है.. "" ऋषभ ने जब शिवानी को इस तरह देखा तो बोला "" शिवानी चलो अब "" और आगे बढ़ गया। शिवानी को एक बार फिर ऋषभ की आवाज आई जिसे सुन वो होश में लौटी और बाहर की ओर भागी ।

  • 5. REBIRTH OF LOVE AND WAR - Chapter 5

    Words: 1246

    Estimated Reading Time: 8 min

    ऋषभ नील और शिवानी तीनों एक आलीशान बेहद खूबसूरत इमारत के सामने खड़े हुए थे शिवानी ने तो बस उसे देखे जा रही थी इतनी बड़ी जगह वो पहली ही बार आई थी "" चलो "" नील ये कहते हुए आगे बढ़ गया उसके साथ ऋषभ अंदर चल दिया , शिवानी भी उन दोनों के पीछे पीछे चल पड़ी । जितना सुंदर मून स्टार होटल बाहर से सुंदर था उससे कई ज्यादा सुंदर वो अंदर से था यहां शहर के बड़े और रहीस लोग आते हैं, बड़ी से बड़ी मीटिंग गेस्ट विदेश के सेलिब्रिटीज सबका आना जाना और इस शहर में लोगों का पसंदीदा होटल में से एक है शिवानी की नजरें तो होटल पर ही थी "" सर कॉन्फ्रेंस हाल में चलिए "" ऋषभ ने कहा नील आगे बढ़ गया शिवानी भी साथ चल रही थी वैसे वैसे उसे बड़ा अजीब सा लगने लगा था क्योंकि होटल में आने जाने वाले लोगों की नजरे जो उस पर थी .. शिवानी को शर्म आने लगी थी इतने बड़े होटल में वो बिल्कुल नॉर्मल कपड़ों में थी और यहां तो सब इतने अच्छे लग रहे थे तीनों लिफ्ट की ओर बढ़ गए कॉन्फ्रेंस हाल थर्ड फ्लोर पर था लिफ्ट खुली नील और शिवानी अंदर आ गए ऋषभ अंदर जाता की तभी उसका फ़ोन बज उठा "" सर मां का है क्या मैं ले सकता हूं? "" ठीक है पर जल्दी आना "" नील ने कहा। जी सर थैंक्यू " ऋषभ ने कहा। नील ने लिफ्ट का बटन दबा दिया लिफ्ट में सिर्फ और सिर्फ शिवानी और नील ही मौजूद थे .. लिफ्ट उपर की ओर बढ़ गई .. लिफ्ट में बिल्कुल खामोशी बनी हुई थी नील अपना फोन देख रहा था कि तभी उसकी नजर शिवानी के हाथ पर पड़ी जिससे वो अपने कुर्ते के एक छोर को कस के पकड़े हुए थी .. उसने कुछ नहीं कहा और एक बार फिर अपना ध्यान फोन में लगा लिया कि तभी अचानक से लिफ्ट रुक गई ऐसे अचानक होने से शिवानी एकदम से बोली "" ये क्या हो गया ? ये लिफ्ट रुक क्यों गई ? "" ये कहते हुए शिवानी आगे बढ़ी और लिफ्ट को पीटने लगी "" खोलो !! खोलो "" वो बार बार जोर से लिफ्ट का दरवाज़ा पीटे जा रही थीं उसने कई सारे बटन भी दबा दिए ..नील जो बहुत देर से उसे इस तरह देख रहा था उसने उसका हाथ पकड़ अपनी ओर खींचते हुए कहा "" तुम्हारे इस तरह करने से लिफ्ट खुल नहीं जाएगी "" शिवानी जो उसके इस तरह खींचे जाने से उसके बेहद करीब आ गई थी नील की नजर जैसे ही उसके चहरे पर गई वो एकदम से चुप हो गया शिवानी के चेहरा घबराहट में पीला पड़ चुका था वो पसीने में भीगी हुई थी "" शिवानी "" उसने बहुत धीरे से कहा। मुझे बंद जगह घुटन होती है, डर लगता है "" उसने बेहद मुश्किल से नील से कहा "" आप प्लीज़ खुलवाए न मुझे डर लग रहा है" उसकी बात सुन नील ने एक पल को उसे देखता रहा उसने अगले ही पल आगे बढ़ शिवानी को गले लगा लिया और धीरे धीरे उसके बाल सहलाते हुए बोला "" रिलेक्स बिल्कुल रिलेक्स हो जाओ देखो मैं हूं न यहां तुम्हे कुछ नहीं होगा .. बस लंबी लंबी सांसे लो .. टेक आ दीप ब्रेथ "" नील के इस तरह करने से शिवानी धीरे धीरे सांस लेने लगी.. कुछ देर बाद नील ने उसे खुद से अलग किया दोनों एक दूसरे को देखने लगे कि तभी लिफ्ट कब खुल गई उन्हें पता ही नहीं चला बाहर खड़ा ऋषभ जो उन दिनों का ही इंतजार कर रहा था नील को इस तरह से देख उसकी आंखे फटी की फटी रह गई नील खन्ना के करीब कोई लड़की खड़ी हुए थी और वो उसका हाथ थामे हुए था ..बाकी उन दोनों को देख वहां हैरान थे कि ऋषभ बोला "" सर "" उसके इतना कहते ही दोनों होश में लौटे शिवानी एक झटके में उससे अलग हो गई । नील बाहर निकला और ऋषभ से गुस्से में बोला "" आज के आज अगर ये लिफ्ट सही नहीं हुए न तो होटल के मैनेजर का रिजाइन लेटर कल मुझे मेरी टेबल पर चाहिए "" और आगे बढ़ गया। शिवानी भी चुपचाप से बाहर निकल गई.. ऋषभ को तो समझ ही नहीं आया अभी अभी हुआ क्या था वो तो अभी भी शॉक में था कि नील को आगे बढ़ते देख वो भी तेजी से उसके पीछे भागा कॉन्फ्रेंस हॉल में अभी तक कोई नहीं आया था ऋषभ ने उन्हें बताया कि मिस्टर मिश्रा बस आने ही वाले उसकी बात सुन नील एक चेयर पर बैठ गया और शिवानी को एक फाइल बढ़ाते हुए बोला "" मिस शिवानी .. जब तक मिस्टर मिश्रा आते हैं आप ये फाइल को पढ़ लिजिए आपको आज जिस चीज की प्रेजेंटेश देनी है ये उसी की फाइल है "" शिवानी अभी भी लिफ्ट में हुए हादसे को लेकर डरी हुई थी उसे इस तरह देख नील ने ऋषभ से कहा "" ऋषभ पानी "" ऋषभ उठा और उसने पानी की बोतल नील की ओर बढ़ाई की नील उसे रोकते हुए बोला "" मुझे नहीं मिस शिवानी को दो "" उसकी बात सुन शिवानी उसे देखने लगी ऋषभ ने उसे पानी दिया तो उसने लिया और पीने लगी थोड़ी देर बाद उसने पानी की बोतल वापिस रखी और ऋषभ को थैंक्यू बोला । इट्स ओके "" ऋषभ ने प्यार से कहा तो शिवानी भी हल्का सा मुस्करा दी , की नील बोला "" मिस शिवानी आपके पास कुछ ही वक्त है पढ़ लीजिए आज की मेरी ये डील आपके हाथ में अगर मुझे नुकसान हुआ तो आपको भुगतना होगा "" शिवानी ने उसे देखा और जल्दी से फाइल पढ़ने लगी "" अब इतनी जल्दी कैसे करुंगी मुझे तो कुछ आता भी नहीं है ये कहा फंस गई तू शिवानी "" मन में बड़बड़ाते हुए वो बोली शिवानी फोकस किया और पढ़ना शुरू कर दिया उसका पूरा ध्यान सिर्फ और सिर्फ फाइल्स में था नील ने एक नजर उसे देखा वो इस वक्त पूरी तरह अपने काम में डूबी हुई थी उसके गाल पर आ रही लट उसे और क्यूट बना रही थी नील की नजरे भी जैसे उस पर जम चुकी थी कि उसने अपना ध्यान झटका और खुद से बोला "" मैं इसे इस तरह क्यों देख रहा हूं? "" वो उलझा हुआ सा था कि तभी दरवाजा खुला और एक पचपन से साठ साल के शक्श सूट पहने हुए बिल्कुल रौबदार लग रहे थे वो अंदर आए "" मिस्टर खन्ना !! इंतजार करवाने के लिए माफ़ी चाहता हूं "" मिस्टर मिश्रा गर्मजोशी से हाथ मिलाते हुए बोले । ईट्स ओके मिस्टर मिश्रा आइए हैव आ सीट "" उसने बैठने का इशारा किया मिस्टर मिश्रा बैठ गए शिवानी ने उन्हें देखा तो उसे देखते हुए वो बोले "" मिस्टर खन्ना ये कौन है? ये मेरी सेक्रेट्री है बहुत टैलेंटेड है एंड आज की प्रेजेंटेशन भी ये देने वाली हैं इन्हें कंपनी का बहुत ध्यान रहता है ये नुकसान नहीं होने देती फिर वो कोई भी क्यों न हो है न मिस शिवानी ? नील ने एक मुस्कान देते हुए कहा। शिवानी समझ रही थी नील उसकी टांग खींच रहा है "" एक तो इनकी ही हेल्प की और मुझे चिढ़ा रहे हैं? इन्हें क्या लगता है ये प्रेजेंटेशन मैं नहीं दे सकती ? अब तो ये मैं करके रहूंगी "" शिवानी ने हल्की सी मुस्कान देते हुए कहा "" बिल्कुल सर "" वही नील भी उसे देखकर मुस्कुराते हुए मन ही मन बोला "" देखते हैं मिस शिवानी आप क्या करती है ""

  • 6. REBIRTH OF LOVE AND WAR - Chapter 6

    Words: 1907

    Estimated Reading Time: 12 min

    थोड़ी ही देर में बाकी सारे लोग भी आ गए उनके आते ही नील ने मिस्टर मिश्रा की ओर देखते हुए कहा " आइए मिस्टर मिश्रा मीटिंग शुरू करते हैं" जी ज़रूर " मिस्टर मिश्रा ने नील की बात का उत्तर देते हुए हामी भरी शिवानी सभी के बीच में सबसे आगे आकर खड़ी हो गई कमरे की लाइट्स डिम कर दी गई .. हे कृष्णा बस आज मेरे साथ बने रहना " शिवानी ने मन ही मन उनसे प्रार्थना करते हुए कहा और एक गहरी सांस लेते हुए उसने अपनी प्रेजेंटेशन शुरू कर दी । जैसे जैसे वो सबको प्रेजेंटेशन देती जा रही थी वैसे वैसे नील की हैरानी भी बढ़ती जा रही थी शिवानी जिसने कुछ ही मिनटों में इस डील को पढ़ा था वो अब इतनी अच्छी तरह से प्रेजेंटेशन दे रही थी फुल ऑफ कॉन्फिडेंट नज़र आ रही थीं उसे देख कोई भी नहीं कह सकता था कि ये वहीं लड़की है जो कुछ देर पहले डरी हुई सहमी हुई सी थी थैंक्यू " शिवानी ने जैसे ही कहा वहां बैठे सभी लोग उसे ही देख रहे थे शिवानी सबको अपनी ओर देखते हुए थोड़ी घबरा गई उसने नील की ओर देखा वो कुछ कहती की तालियों की आवाज़ कॉन्फ्रेंस हॉल में गूंज उठी अमेजिंग... वाहाअअअाअ ब्रिलियंट, मिस्टर खन्ना क्या बात है आपने बिल्कुल सही कहा था शी इज़ वैरी टैलेंटेड गर्ल " (शिवानी की ओर देखते हुए)  " एंड तुम क्या नाम हैं तुम्हरा? सर शिवानी.. " शिवानी ने कहा। शिवानी बहुत अच्छा तुम्हरे सर ने बिल्कुल सही कहा है तुम्हरे बारे में तुम बहुत ब्रिलियंट हो ऐसे ही काम करती रहो " मिस्टर मिश्रा ने उसकी तारीफ़ करते हुए कहा। थैंक्यू !! थैंक्यू सर" शिवानी ने खुशी ज़ाहिर करते हुए कहा। मिस्टर खन्ना डील तो हो चुकी हैं बाकी आप एक बार डील के पेपर्स अच्छे से पढ़ लीजिएगा आगे जो फॉर्मेलिट्स है वो आपके ऑफिस में पेपर्स भेज देंगे " मिस्टर मिश्रा ने कहा। जी बिल्कुल " नील ने हाथ मिलाते हुए कहा । ऋषभ " नील ने कहा जिसे समझते ही ऋषभ ने हा में सिर हिलाया और मिस्टर मिश्रा से बोला " आइए सर" मिस्टर मिश्रा और बाकी सब बाहर निकल गए , ऋषभ उन लोगों को छोड़ने गया हुआ था अब हॉल में सिर्फ शिवानी और नील ही रह गए  थे शिवानी  एक लंबी सांस लेते हुए पास पड़ी चेयर पर पसर गई .. आज का दिन सच में उसके लिए काफ़ी हार्ड था .. की तभी वो उसके पास आया " अब चले या यहीं रहना है" शिवानी ने उसे देखा.. वो बोलती की वो आगे बढ़ गया । कितना अकडू है ये इंसान अभी तो इतना सुना रहा था तुम्हे भुगतान करना पड़ेगा ये वो और अब जब अच्छा काम किया तो एक बार तो बोल तो देता की अच्छा किया है पर नहीं बॉस जो ठहरे ये कैसे बोल सकते हैं दुष्ट कही का " मुंह बनाते बिगाड़ते हुए वो बोल रही थी कि तभी उसकी नज़र गेट पर खड़े नील पर पड़ी जो उसे घूर रहा था नील को इस तरह देखते ही शिवानी जबरदस्ती मुस्कुराते हुए बोली " आती हूं.. आती हूं न " और तेज़ी से बाहर निकल गई वो उसे जाते हुए देखता रहा फिर सिर झटके उसके पीछे चल पड़ा। शिवानी तू हर बार क्यों गड़बड़ कर देती है कुछ भी बोल देती है अगर सर ने सुन लिया होगा तो ? पर वो जिस तरह से घूर रहे थे सुन ही लिया होगा अब क्या होगा अगर उन्होंने मुझे जॉब से बाहर निकाल दिया तो ? ओह माय गॉड.. क्या क्या करूं? सर से सॉरी बोल देती हूं " खुद से डिसाइड और बात करते हुए वो आगे बढ़ ही रही थी कि तभी वो पीछे पलटी वो कुछ समझ पाती की पीछे आ रहे नील से जा टकराई वो गिरती की नील ने उसका हाथ पकड़ा और अपनी ओर खींच लिया...एक पल में वो उसके करीब थी .. ध्यान से शिवानी " इस आवाज़ के साथ  एक धुंधली सी परछाई सी शिवानी की आंखों के सामने से उतर आई जिसमें एक लड़की को लड़का पकड़ा हुआ .. इसी तरह से .. " ध्यान कहा है तुम्हरा ? अभी लग जाती तो ? " उस लड़के की परछाई उस लड़की को डाट रही थी। मिस शिवानी " नील की आवाज़ से उसका ध्यान टूटा उसने देखा तो बोला" आप सही से नहीं चल सकती क्या जब देखो गिरती पड़ती रहती है " नील ने कहा कि शिवानी ने गुस्से में उसे घूरते हुए देखते हुए कहा" तो आपको किसने कहा है मेरे पीछे ही चलना है इतनी जगह है आप कहीं भी चल सकते हैं " व्हाट? वो चौंक गया, शिवानी उससे अलग हो गई, चलिए अब " उसने कहा और आगे बढ़ी की वो उसे रोकते हुए बोला " रुकिए " शिवानी ने उसे देखा तो वो बोला " जब यहां आए हैं तो अब कुछ खाकर जाऊंगा " यहां मेरे पेट में चूहे कूद रहे हैं और इन्हें भूख लग रही है " वो एक बार फिर मन ही मन बोली अकेले नहीं कर रहा हूं पता है तुम भी भूखी हो चलो अब " नील ने जैसे ही कहा शिवानी चौक गई नील आगे बढ़ गया.. शिवानी भी उसके साथ चल रही थी दोनो रेस्टोरेंट आ गए नील और शिवानी आपने सामने बैठे हुए थे एक तो शिवानी को सब देख रहे थे जिससे उसे अजीब सा लग रहा था नील उसकी ये चीज समझ चुका था वो बोला " जितनी कॉन्फिडेंट अभी थी वैसी ही अच्छी लगती हो " क्या ? शिवानी ने उसे देखा तो वो बोला " लोग तुम्हे देखकर क्या सोच रहे हैं उससे बेहतर हैं तुम खुद को लेकर क्या सोचती हो ये समझो उन्हें जैसे तुम्हे मानना है मानने दो लोगों से न तुम्हे फर्क पड़ता है न पड़ना चाहिए" उसने अपनी बात बहुत आराम से कह दी । शिवानी हल्की सी मुस्कुरा दी और बोली " थैंक्यू सर" नील ने कोई जवाब नहीं दिया उसने खाना ऑर्डर किया शिवानी को भी भूख लग रही थी खाने को देख वो बस टूट पड़ना चाहती थी पर खुद को रोक लिया लिया उसे न खाते हुए देख नील बोला " क्या हुआ अब ? " वो मैं नहीं खा सकती ये खाना " शिवानी ने कहा तो नील उसे देखने लगा। व्हाट योर प्रॉब्लम मिस शिवानी ? खाने से आपको क्या दिक्कत है? मार नहीं दूंगा आपको या कहीं ऐसा तो नहीं आपको मेरे साथ लंच करने में प्रॉब्लम है? "" नील ने अपनी आंखे सिकोड़ते हुए कहा। ऐसी बात नहीं है सर.. पर ये जगह ये खाना बहुत महंगा है और मेरी जैसी एक मिडल क्लास की लड़की के लिए ऐसी जगहों पर आना किसी सपने से कम नहीं होता और फिर मेरे पास इतने पैसे नहीं है जो मैं यहां खा सकूं आप मेरे बॉस है पर आप मेरा पेमेंट करे ये मुझे बर्दाश्त नहीं होगा इसलिए मैंने खाने के लिए माना कर दिया "" उसने बेहद आराम से अपनी बात कही । एक पल को वो उसे देखता रहा फिर बोला "" मिस शिवानी आप यहां आराम से खाना खा सकती हैं और उसके लिए न आपको न मुझे किसी को पेमेंट करने की कोई जरूरत नहीं.. "" नील की बात सुन वो हैरानी से उसे देखने लगी आऐसे देखने की कोई जरूरत नहीं है, यहां मीटिंग थी तो लंच पहले से तय था और फिर भी अगर आपको दिक्कत है तो आपकी सैलरी से मुझे इस का पेमेंट कर देना अब खा ले ? "" नील ने कहा। शिवानी कुछ बोलती की तभी उसके पेट में से आवाज़ आई जिसे सुन शिवानी झेप उठी "" लंच करो "" उसने कहा और अपना खाने लगा शिवानी भी चुपचाप खाने लगी ...नील ने एक नजर देखा और अपना खाने लगा । लंच करने के बाद तीनों निकल गए .."" ऋषभ मिस शिवानी को पहले घर छोड़ दो फिर गाड़ी ऑफिस के लिए ले लेना "" ओके सर "" ऋषभ ने कहा। नहीं अभी ऑफिस है तो मैं ऑफिस ही चलती हूं "" शिवानी ने कहा। आप घर जाइए वैसे भी आपकी जॉइनिंग कल की है तो आप कल से आइए ""नील ने कहा। शिवानी ने आगे ज्यादा कहना सही नहीं लगा ऋषभ ने उससे एड्रेस पूछा उसने बता दिया कुछ देर में ऋषभ ने गाड़ी रोकी शिवानी गाड़ी से उतरी और बोली "" थैंक्यू ऋषभ सर ""थैंक्यू सर "" ऋषभ हल्का सा मुस्कुरा दिया नील ने शिवानी की ओर देखते हुए कहा "" कल टाइम पर लेट मुझे पसंद नहीं है "" जी सर "" शिवानी ने कहा। चलो ऋषभ "" नील ने कहा तो ऋषभ ने गाड़ी आगे बढ़ा दी , "" खड़ूस "" एक बार तारीफ़ भी नहीं कर सकता था "" वो बड़बड़ाते हुए बोलते हुए अंदर की ओर बढ़ गई । शिवानी कमरे पर आई मिष्टी अभी तक नहीं आई थी शिवानी ने अपना बैग वही सोफे पर रखा और बैठ गई .. वो सच में आज काफ़ी थक चुकी थी वो वही सोफे पर पसर चुकी थीं कुछ ही देर में थके होने की वजह से उसकी नींद लग चुकी थी। ऋषभ को ऑफिस जाने को बोल नील गाड़ी लेके निकल चुका था इस वक्त उसके मन में क्या चल रहा था ये कोई नहीं जान सकता था थोड़ी देर में उसने गाड़ी रोक दी , उसने अपना सिर पीछे सीट से लगा लिया और आंखे बंद कर वो किसी गहरी सोच में डूब गया। एक साल पहले। एक छोटी सी झोपड़ी जिस में सिर्फ एक खटिया पड़ी हुए थी.. मौसम बहुत ज्यादा खराब था मानो ऐसा लग रहा था कि तूफान आने ही वाला हो वही झोपड़ी के अंदर एक वृद्ध बैठे हुए थे उनके हाथ में कुछ जड़ी बूटियां थी जिन्हें वो उस खटिया पर लेटे घायल शक्श के घावों पर लगा रहे थे... कुछ देर बाद उन्होंने अपने हाथ साफ किए और पलटकर जाने लगे कि वो शक्श जो बेहोश था वो बड़बड़ाने लगा था उसे इस तरह से देख उस वृद्ध के चहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई। रिद्धि "" वो लड़का अपने बेहोशी के हालत में बडबडा रहा था। वो वृद्ध शक्श उसकी ओर बढ़े और सिर पर हाथ फेरते हुए बोले "" तू जिसे भी याद कर रहा है उससे तू फिर मिलेगा ..शांत हो जा "" वो उसके सिर पर हाथ फेरते जा रहे थे थोड़ी ही देर में उस घायल शक्श की बड़बड़ाहट बंद हो चुकी थी। उस वृद्ध ने अपना हाथ हटाया और बाहर की ओर निकल गए .. की तभी उनके साथ ही रहने वाला एक लड़का बोला "" गुरु जी " आज इस लड़के ने पहली बार कुछ बोला है क्या आप उसे जानते है? "" वो वृद्ध हल्का सा मुस्कुराते हुए सामने घने बादलों की तरफ देखते हुए बोले "" बहुत बड़ा तूफान आने वाला है ऐसा तूफान जो सब तबाह कर देगा .. एक ऐसा तूफान जिसमें इसके साथ गलत किए हर शक्श को तबाह कर देगा ... सब बदल देगा "" उससे कहते हुए वो वृद्ध चुप हो चले वही झोपडी के पास वो लड़का बेहद मुश्किल से खड़ा हुआ उन्हें देख रहा था। वर्तमान नील ने झट से अपनी आंखे खोल ली उसने आस पास देखा तो गाड़ियों का शोर था "" आखिर कौन है ये लोग और वो लड़का ? वो लड़का मुझे जाने पहचान क्यों लगता है ऐसा क्यों लगता है वो मैं हूं? "" वो परेशान सा बोला रिद्धि "" नील ने ये नाम लिया वैसे ही उसका दिल तेजी से धड़क उठा , वही कोई और भी था जो एकदम से बोल उठा "" नील "" और झट से उसकी आंखे खुल गई।

  • 7. REBIRTH OF LOVE AND WAR - Chapter 7

    Words: 1

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    घबराई हुई सी वो इधर उधर देखे जा रही थी उसका चेहरा पूरा पसीने से थर हो चुका था उसने इधर उधर देखा तो कोई नहीं था वो अपने ही हॉल में थी अभी कुछ ही पल बीते थे कि दरवाज़े खुलने की आवाज़ आई जिसे सुन शिवानी ने उस ओर देखा तो मिष्ठी थी । दअरसल मिष्ठी और शिवानी दोनो ही एक एक चाबी अपने पास ही रखती है ताकि जो भी पहले आए उसे किसी बात की परेशानी न हो .. शिवानी को घर पर देख मिष्ठी बोली "" तू आ गई ? शिवानी ने कुछ नहीं कहा, मिष्ठी ने दरवाज़ा बंद किया और अपना बैग मेज़ पर रखा और किचन से पानी लेते हुए बोली "" तू उदास मत हो मिल जाएगी शिवानी जॉब ऐसी क्यों परेशान हो रही है "" पर शिवानी की कानों में कहा उसकी बाते जा रही थीं उसे इस तरह खोया हुआ देख मिष्ठी ने जैसे ही उसके कांधे पर हाथ रखा वो होश में आते ही उसकी ओर देखने लगी "" क्या हुआ? तू कहा खोई हुए है? कब से आवाज़ दे रही हूं तुझे ? मिष्ठी की बात सुन शिवानी ने कहा "" कुछ नहीं तू कब आई ? "" कुछ देर पहले ही ध्यान कहा है तेरा शिवानी ? जॉब नहीं मिली तो कोई बात नहीं "" मिष्ठी ने कहा। मैं मिष्ठी को अपने सपने के बारे में नहीं बता सकती वो ऑलरेडी मेरी वजह से इतनी परेशान रहती है ये सब के बारे में पता चला तो और टेस्टेड हो जाएगी "" अपने आप से बात करते हुए वो बोली । तू फिर खो गई शिवानी "" मिष्ठी ने उसे आवाज़ देते हुए कहा। अरे कुछ नहीं हुआ यार बस वो बस थक गई थी तो घर आकर सीधे सो गई .. तेरे आने की आहट से आंख खुली तो बस "" शिवानी ने कहा। यार एक जॉब न मिलने की वजह से तू इतना स्ट्रेस लगी तो तेरी तबियत खराब हो जाएगी .. मिल जाएगी जॉब शिवानी और "" मिष्ठी ने कहा कि उसकी बात बीच काटते हुए शिवानी ने कहा "" जॉब मिल गई मुझे मिष्ठी "" वही तो कह रही हूं मिल जाएगी"" की तभी उसका ध्यान शिवानी की ओर गया वो हैरानी से उसे देखने.."" क्या कहा तूने ? तुझे जॉब मिल गई "" शिवानी ने हा में सिर हिलाया कि मिष्ठी ने उसे गले लगा लिया और खुशी से बोली "" तुझे जॉब मिल गई शिवानी और तू मुझे ये बात इतना रुखा सुखा बता रही है