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war of love

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Dilan H

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आदि आधर्व का जूनून जो वक़्त के साथ बनी उसकी मोहब्बत। आधर्व जो हार्टलेस इंसान था लोग उसे पत्थर दिल इंसान समझते थे वाही आदि जो थी मासूम 18 साल की खूबसूरत लड़की। अपनी किस्मत से भागते हुए वो फस जाती है आधर्व के जाल में जिसके बाद कब आदि उसका जूनून से मोहब्ब...

Characters

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आदि (heroine)

Heroine

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आधर्व (hero. )

Warrior

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कियारा (second lead)

Warrior

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विराज सिंह राठौड़। (second hero. )

Healer

Total Chapters (88)

Page 1 of 5

  • 1. war of love - Chapter 1

    Words: 1569

    Estimated Reading Time: 10 min

    चलिए शुरु करते है

    आगे।

    city हॉस्पिटल:-

    पुरी राठौड़ फॅमिली इस समय हॉस्पिटल के VIP एरिया मे एक साथ मौजूद थी। सभी के चेहरे का रंग हुआ था और सभी की आँखे आंसुओ से भरी हुई थी।

    और सबसे ज्यादा कियारा की हालत खराब थी बहुत मुश्किल से रिया और अग्नि ने उसे सम्भल रखा था। वाही साधना जी और दादी जी का भी यही हाल था।

    वाही मोक्ष श्लोक जी के साथ एक कोने मे खड़े थे उन दोनो के चेहरे पर कोई इमोशन नहीं था।

    विराज जिसकी गोद मे उसका बेबी जो सुकून से उसके सीने से लग सो रहा था। विराज् आधर्व के पास खड़ा उसे देख रहा था पर वो कुछ कह नहीं रहा था। वाही आधर्व की नज़र अपने सामने बड़े से दरवाजे से ऊपर जल रही रेड लाइट पर टिकी हुई थी।

    तकरीबन एक घंटे से भी ज्यादा हो चुका था आधर्व को वहा खड़े उसने एक बार भी अपनी पलके नहीं झपकाई थी। उसकी आँखे हलकी लाल और आँखों मे नमी थी। जो आधर्व सिंह राठौड़ जो हमेशा अपनी सख्त पसीनेलिटी के लिए जाना जाता है। वो आज टूटा हुआ नज़र आ रहा था उसके चेहरे पर आज इमोशन थे। उसके चेहरे पर दर्द था जो विराज अच्छे से देख पा रहा था।

    विराज अपना हाथ आगे बढ़ा आधर्व के कंधे पर हाथ रखता है। आधर्व कोई रियेक्ट नहीं करता।

    " आधर्व!" विराज आधर्व का नाम लेता है।

    आधर्व अब अपनी नज़रे रेड लाइट से हटा उसकी तरफ देखता है।

    " ठीक हो जायेगी वो।" विराज आँखों से आधर्व को तसल्ली देते हुए उससे कहता है।

    आधर्व विराज को बिना किसी भाव के खामोशी से देखता है और कोई जवाब नहीं देता। विराज को उसकी आँखों को पड़ सकता था उसे आज उसकी आँखों मे तकलीफ नज़र आ रही थी जो उसे आज तक कभी नहीं थी। इस तरह आधर्व उस समय भी नहीं टूटा था जब आदि गायब हो गई थी। पर आज आधर्व की आँखों में उसे खोने का डर नज़र आ रहा था।

    विराज जो हमेशा आधर्व का साया बन कर रहा। वो आधर्व को इस तरह नहीं दे सकता था। वो आगे कुछ कहता है उससे पहले वहा जोर दार थप्पड़ की आवाज़ गुंज उठती है।

    उस थप्पड़ की आवाज़ उस पूरे एरिया मे गुंज उठती है। वाही दादी सा साधना जी और संध्या जी समेट रिया अग्नि सभी अपने मुँह पर हाथ रख लेते है।

    "भाई!" मोक्ष आगे बढ़ते हुए कहता है।

    वाही विराज जो अब तक बिल्कुल शांत था। उसकी आँखे गुस्से मे लाल हो जाती है वो अपने सामने खड़ी कियारा को गुस्से मे देखने लगता है।

    वाही कियारा जिसके चेहरे पर बैठासा गुस्सा दर्द था। उसने अपनी पुरी जान लगा कर आधर्व को थप्पड़ मारा था। पर आधर्व अभी भी वैसा ही खड़ा था उसके चेहरे पर ना गुस्सा आया था और ना ही कोई एक्सप्रेसशन।

    कियारा आधर्व का कलर पकड़ते हुए गुस्से में कहती है। " मिल गई खुशी तुम्हे यही चाहते थे ना इसलिय उसे इस हद तक तोड़ा था तुमने? अब खुश हो ना और खुश हो जाओ मर रही है वो। जाओ जाकर जश्न मनाओ यहाँ पर हमारे साथ मिल कर शोक क्यू मना रहे हो। तुम्हे तो खुशियाँ मनानी चाहिए है यही तो चाहते थे ना तुम की वो मर जाय।"

    " कियारा!"

    कियारा गुस्से मे आधर्व के कलर को पकड़ बोल ही रही थी उसकी बात काटते हुए विराज तेज आवाज़ में कहता हैं।

    विराज की आवाज़ सबका ध्यान अपनी तरफ करती है। कियारा विराज को आँखों मे आंसु लेकर देखती है।

    " बहुत बकवास कर चुकी हो तुम। हाथ कैसे उठा रही हो तुम इसपर हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी।"

    " जैसे इसकी हुई मेरी बहन को रुलाने की। उसे तोड़ने की वो भी इस हद तक की आज मौत और ज़िंदगी के बिच खड़ी है जहा से कोई नहीं जानता मेरी बहन को ज़िंदगी अपनायेगी भी या नहीं।" विराज की बात खत्म होते ही कियारा उसे उसकी के लहज़े मे जवाब देती है।

    और फिर आधर्व का कलर जोड़ विराज की तरफ पलट उसे गुस्से में देखते हुए कहती है।

    " और क्या कहा तुमने बकवास कर रही हूँ। याद रखना विराज सिंह राठौड़ मेरे लिए मेरी बहन सबसे ऊपर आती है अगर उसे कुछ हुआ ना तो तुम को भी जीने नहीं दूंगी चैन से। और ये जो शादी तुम मुझसे कर के सोच रहे हो की तुम मुझे कंट्रोल कर सकोगे तो कान खोल कर सुन लो ये शादी मैने मजबूरी और अपने बेबी के लिए की थी। तो तुम मुझे में हद मत दिखाओ।" कियारा गुस्से मे विराज से बोले जा रही थी और साथ ही साथ उसकी आँखों से आँसू भी बह रहे थे। वो पुरी तरह पागल हो गई थी उसे खुद नहीं पता था वो क्या कर रही है क्या हो रहा है। अचानक ही सब कुछ इतनी जल्दी इनकी ज़िंदगी मे बदला समझ ही नहीं आया।

    कल तक सभी आदि की तलाश मे थे। और उम्मीद लगा कर बैठे थे की आदि जल्द घर आ जायेगी वो उन्हे मिल जायेगी। पर कोई नहीं जानता था आदि को कभी वो लोग दोबारा एक बार फिर हॉस्पिटल मे देखेंगे।

    "कियारा!"

    धारा जो अभी अभी वहा आती है कियारा को इस तरह से देख वो जल्दी से कियारा के पास आती है। और उसी के पीछे श्रांश और श्रेया भी पहुंचते है।

    " सम्भल खुद को तु इतनी वीक कब से हो गई।" धारा कियारा के हाथ को थाम दूसरा हाथ उसके गाल पर रख कहती है।

    कियारा अब खुद को रोक नहीं पाती और वो धारा के गले लग फुट फुट कर रोने लगती है।

    " क्यू ऐसा होता है उसकी क्या गलती है। हर बार क्यू हर कोई उसे हर्ट करता वो तो मासूम है। उसने कभी बुरा नहीं किया। मेरा समझ आता मेरे साथ जो कुछ हुआ और हो रहा है ये सब मेरी माँ के कर्मो का फल जो मुझे भोगना है पर उसकी क्या गलती है।" कियारा धारा के गले लगे हुए रोये जा रही थी।

    वाही सभी कियारा को देख परेशान हो चुके थे। विराज जिसके चेहरे पर कुछ देर पहले गुस्सा था वो भी शांत हो जाता है। वाही आधर्व जिसे अपने ऊपर किसी की ऊँची आवाज़ तक पसंद नहीं थी। वो आज खामोश खड़ा था जैसे वो कोई पत्थर का इंसान हो।

    धारा कियारा के लिए परेशान होते हुए उसकी पीठ को रफ करते हुए कहती है।

    "शशशशश चुप एक दम चुप कुछ कुछ नहीं होगा आदि की और तु अपना हाल ये कर लेगी तो आदि को हम सब क्या जवाब देंगे। उसके पीछे मे हमने उसकी दिदु को रुला दिया।" धारा पुरी कोशिश कर रही थी कियारा को शांत करने की।

    वाही श्रेया जाकर रिया और अग्नि के पास जाकर खड़ी होती है। और रिया के कंधे पर हाथ रख उसे दिलासा देती है।

    कियारा रोते हुए धारा से दूर होती है। और सबकाते हुए कहती है। " तुम अपने भाई को बोलो वो चला जाय यहाँ से। मुझे इसकी शक्ल भी नहीं देखनी इसकी वजह से आज आदि वहा है तुम्हे पता है उसे मरने से बहुत डर लगता था वो हमेशा मुझसे यही बोलती थी। दिदु अगर आपकी mumma ने मुझे मार दिया तो मै नहीं मरना चाहती। मुझे आपके साथ रहना। लेकिन आज तुम्हारे भाई की वजह से उसने जहर पी लिया। जो लड़की जीना चाहती थी आज वो मरना चाह रही है। कभी सोचा है उसने कितना बरदस्त किया होगा तब जाकर उसने ये कदम उठाया।" कियारा की बातो मे आधाइव के लिए नाराज़गी साफ झलक रही थी।

    वाही जब आधर्व कियारा के मुँह से ये सुनता ही की आदि की मरने से डर लगता था। और वो हमेशा डरती थी वो जीना चाहती थी। ये सब सुन जैसे आधर्व को अपने दिल में कुछ टूटता सा महसूस होता है। उसके हाथों की मुट्ठियाँ गुस्से मे कश जाती है। अब उसका दिल खुद की जान ले लेने का कर रहा था उसने सच मे आदि के मासूम से दिल को बहुत बेरहमी से तोड़ा था। वो क्या कुछ नहीं चाहती थी आधर्व से पर उसने उसे कुछ भी नहीं दिया। सिवाय मौत के। आज आधर्व सिंह राठौड़ जो दुनियाँ के सामने कभी नहीं हारा आज वो खुद को हारा हुआ महसूस कर रहा था।

    ऐसा ही कुछ हाल सभी घर वालो का था। सभी अपने मुँह पर हाथ रख रो रहे थे। वाही आधर्व से अब बरदस्त नहीं होता वो गुस्से में वहा से निकल जाता है। सभी की नज़र जाते हुए आधर्व पर पड़ती है।

    विराज आधर्व को गुस्से में जाता हुआ देखता है।

    "बेबी को मुझे दो।" धारा अपना हाथ आगे बढ़ा विराज से कहती है।

    जो जानती थी इस समय आधर्व भी काफी टूट चुका है। इस समय जो आश्रव था उसके सामने वो उसका भाई कभी था ही नहीं। आज उसने पहली बार अपने भाई की आँखों मे आंसु और चेहरे पर दर्द देखा था। इस समय उसे किसी की ज़रूरत थी और विराज से बेहतर उसे कोई नहीं सम्भल सकता था।

    विराज बिना कुछ बोले बेबी को धारा को देता है। और मोक्ष। को देखते हुए कहता है।

    " ध्यान रखो सबका। और कुछ भी हो कॉल करना।"

    मोक्ष उसकी बात पर हाँ मे सर हिलता है। विराज अब वहा से चुप चाप निकल जाता है।

    । । । । । । । । । । । । । । । । । । । । । । । । । । । । । । ।

    Novel ko aap log samay laga kar padhe aur rating ke saath saath comments extra bhi de...

  • 2. war of love - Chapter 2

    Words: 1819

    Estimated Reading Time: 11 min

    chapter:- 2 महफ़िल की शान।

    आगे।

    आधर्व आकर अपनी कार मे बैठता है और बिना एक पल रुके कार स्टार्ट कर वहा से स्पीड मे निकल जाता है।

    "आधर्व!"

    पीछे से जब तक विराज वहा आता है तब तक आधर्व वहा से जा चुका होता है।

    वो एक बार आधर्व की कार देखता है फिर जल्दी से अपनी कार मे बैठ आधर्व के कार का पीछा करने लगता है।

    वाही आधर्व की आँखों मे गुस्सा चेहरा पसीने से भिनगा हुआ। वो बस अपनी कार की स्पीड जितनी तेज हो सकती थी करता है।

    उसकी आँखों के सामने कुछ घण्टे पहले का मंज़र घूमने लगता है। जब वो विराज मोक्ष और श्लोक जी रूप बदल कर आदि को बचाने गये थे।

    फ़्लास बैक:-

    आधर्व विराज मोक्ष और श्लोक जी रामशा बाई के कोठे के अंदर जाते है। अंदर पहुंचते ही रमशा बाई की नज़र जैसे ही उन लोगो पर पड़ती है। वो जल्दी से उन लोगो के पास आती है।

    " आइये आइये नवाब साहब आपके बारे में मेरे आदमी ने बताया था। हम सब आपका बेसब्री से इंतेज़ार कर रहे थे। आज की रौनक आप लोगो के नाम ही है।" रमशा बाई बड़े ही बनावती तरीके से उन से कहती है।

    उनका लेहजा उनके लिए नॉर्मल था। वो लोग अपने ग्रहक से इसी तरह बात किया करते थे।

    आधर्व जिसे पहचानना मुश्किल था वो श्लोक जी की तरफ देखता है उसकी बात समझ श्लोक जी हाँ में सर हिलाते है और आगे कर रमशा बाई से कहते है।

    " हमारे बड़े शेख को इंतेज़ार करना पसंद नहीं है। हमने आपके बारे में बहुत सुना था इसलिय हम सब यहा आये है।" श्लोक जी जो उन तीनो के अस्सिटेंट बने थे वो अपना किरदार बखूबी निभाते हुए कहते है।

    उनकी बात सुन रमशा बाई इठलाते हुए मुँह मे पान चबाते हुए कहती है।

    " अरे साहब हमें पता है अमीर लोगो के पास ज्यादा समय नहीं होता है। इसलिय हम आपसे ज्यादा इंतेज़ार नहीं करायेगे और देखियेगा यहाँ से आप लोग भी खुश होकर जाइये। आज हमारी महफ़िल मे नाया कोहिनूर आया है।"

    उसकी बाते सुन आधर्व का गुस्सा बढ़ता जा रहा था वो अपने हाथों की मुट्ठी बांधे खड़ा अपने गुस्से को कंट्रोल कर रहा था। उसे कही ना कही अंदाजा था वो जिस कोहिनूर की बात कर रही है वो आदि ही होगी।

    विराज और मोक्ष आधर्व के गुस्से को अच्छे भाप सकते थे। उन्हे आधर्व को देख कर यही डर लग रहा था कही वो अपने गुस्से से बाहर ना जाय और उन लोगो का प्लेन खराब ना हो जाय।

    "बिंदु जा जाकर रूपा को बोल नाय मेहमान आये है। उस लड़की को लेकर आये और याद रखना कोई ड्रामा ना करे।" रमशा बाई चिल्लाते हुए किसी से कहती है।

    फिर उन चारो की तरफ मुस्कुराते हुए कहती है। " आप लोग ऐसे क्या देख रहे। आप लोगो को तो पता है हमारा काम यहाँ कोई भी पहली बार आता है नखरे करता है। पर आप फ़िक्र मत करो उसको हम लोगो ने अच्छे से समझा दिया वो निराश नहीं करेगी आप लोगो।"

    "आइये ना आप लोग अंदर चल कर बैठिये।" फिर उन चारो को अंदर चलने का केजती है। वो लोग भी चुप चाप अंदर चले जाते है।

    कुछ देर बाद आधर्व विराज और मोक्ष काफी सीरियस होकर अपने आस पास देख रहे थे। जहाँ घुनरुओ की आवाज़ गुंज रही थी। वहा लड़कियों की हँसने की रोने की हर तरह की आवाज़ गुंज रही थी।

    वाही रूपा वहा आती है आज रूपा भी बहुत ही ज्यादा हैवी मेकअप के साथ तियार हुई थी। वाही उसके बगल मे आदि थी जिसे रूपा ने काफी जोर से पकड़ा हुआ था और आदि जिसका जि_स्म बखूबी नज़र आ रहा था लेकिन सिवाय उसके चेहरे के क्युकी अभी उसके चेहरे पर घूंघट था।

    "लो आ गई आज की शान।" रमशा बाई रूपा के साथ खड़ी आदि की तरफ इशारा करते हुए कहती है।

    उसकी बात सुन आधर्व विराज मोक्ष और श्लोक जी सब की नज़र उस तरफ जाती है। आदि को देखते ही आधर्व के हाथों की मुट्ठी कश जाती है आदि का चेहरा बेसक से ना दिख रहा हो पर आधर्व उसे पहचान सकता था। की घूंघट मे जो लड़की है वो उसकी लिटिल बर्ड है।

    आधर्व से अब बरदस्त नहीं होता वो अपनी बीवी को इस तरह नहीं देख सकता था। उसने कभी आदि को इस रूप मे इमेजिन ही नहीं कोया था जिस रूप मे वो अभी थी।

    आधर्व क्या किसी भी शख्स के लीय अपनी मोहब्बत को बाज़ारो मे बिकता हुआ देख नहीं सकता था। और ना ही किसी की बुरी नज़रे वो अपने प्यार पर बरदस्त कर सकता था।

    आधर्व उठने को होता है इतने मे विराज उसके मुट्ठी भरे हाथ पर अपने हाथ रखता है। आधर्व गुस्से में विराज की तरफ देखता है।

    " दिमाग से काम लो अभी नहीं।" विराज उसे धीरे से कहता है।

    "बकवास बंद करो। वो वहा किस हाल मे देख रहे हो तुम और तुम्हे लगता है मै यहाँ पर और कुछ होने का इंतेज़ार करूँगा? " आधर्व अपने गुस्से को दबाते हुए दाँत पिसते विराज से कहता है।

    वाही मोक्ष और श्लोक उन दोनो की बाते सुन रहे थे। इस समय श्लोक जी के पास शब्द नहीं थे वो चाहते थे आधर्व को रोकना पर आदि को देख वो चाह्ह कर भी उसे नहीं रोक नहीं सकते थे।

    " अरे अरे आप कहा जा रहे है शेख साहब अभी तो आपने हमारा नाया कोहिनूर देखा ही नहीं।" रमशा बाई आधर्व को उठता देख कहती है।

    आधर्व काफी गुस्से मे रमशा बाई की तरफ देखता है पर तब तक रमशा बाई रूपा की तरफ देखने लगती है।

    " ए रूपा तु उसे लेकर वहा क्यू खड़ी है इधर और इसके चाँद से मुखरे का दीदार तो करवा नाये मालिकों को।"

    उसकी बात सुन रूपा मिस्किराते हुए हाँ मे सर हिलाती है और उसे लेकर आगे आती है।

    आदि से चला नहीं जा रहा था घूंघट के निचे आदि का चेहरा पुरी तरह पिला पड़ चुका था उसकी आँखों मे आँसू था। वो आज खुद को पुरी तरह बर्बाद करने वाली थी और चाह कर भी नहीं रोक सकती थी।

    रूपा बीचो बिच लाकर आदि को खड़ी करती है आदि के कदम लड़खड़ा जाते है। रूपा उसके चेहरे से घूंघट निकाल दूर फेंक्ति है उसके साथ ही आदि का चेहरा सबके सामने था। आदि के चेहरे पर इतना ज्यादा मेकअप लगा हुआ था की किसी का भी उसे पहचान पाना बड़ा मुश्किल था। उसकी मासूम सी खूबसूरती को आर्टिफिसियल मेकअप से ढक दिया गया था। आदि कोई रियेक्ट नहीं करती उसकी आँखों से आँसू बैठासा गिर रहे थे वो इस समय किसी बेजान गुड़ियाँ की तरह अपनी नज़रे झुकाय खड़ी थी।

    आधर्व का गुस्सा अब बैठासा बड़ चुका था। उसके आंसु उसका दर्द आधर्व के आँखों के सामने था जिसे देख उसका दिल तड़प उठा था। पूरे पांच दिन बाद उसने आदि को देखा था पर कभी नहीं सोचा था उसे इस हाल मे देखेगा।

    वाही कोई कुछ कहता अचानक आदि की पलके भरी होने लगती है और उसके कदम लड़खड़ा जाते हैं। रूपा जल्दी से उसे गिरने से बचाती है। आधर्व भी अब तक अपनी जगह से उठ चुका था।

    "ए लड़की सीधी खड़ी नहीं हो सकती? कितना समझाया तुझे पर तेरे तो समझ ही नहीं आता। सीधी खड़ी रह।" रूपा आदि से कहती है। आदि उसकी तरफ देख देखती है और एक दर्द भरी मुस्कुराहट मुस्कुराती है। जिसे देख रूपा की आँखे छोटी हो जाती है।

    और फिर सीधा करती है पर आदि जिसकी पुरी बॉडी ढीली हो गई थी वो बिना सहारे के खड़ी भी नहीं रह सकती थी और रूपा इस चीज़ को महसूस कर पा रही थी।

    "अम्मा इसे लगता है कुछ हो गया है।" रूपा रामशा बाई को देखते हुए तेज आवाज़ मे कहती है।

    आदि को कुछ हो गया ये सुन आधर्व बिना किसी चीज़ की परवाह किये आदि के पास अपने कदम बढ़ता है। वाही रमशा बाई भी जल्दी से वहा अति है।

    " ये क्या बकवास कर रही है।" रमशा बाई झुजलाते हुए कहती है।

    फिर आदि के जबड़े को पकड़ गुस्से में कहती है। " ए लड़की सच बता क्या किया है तूने कहा था ना तुझे कोई ड्रामा नहीं करना।"

    आदि उसकी बात पर रोते हुए मुस्कुराती है। " मै_मैने भी कहा था ना म_मै ई_इस बार नहीं भागूंगी ले_लेकिन अपने साथ और कुछ गलत भ_भी नहीं होने दूंगी।" आदि की आवाज़ साफ साफ नहीं निकल पा रही थी उसकी आवाज़ मे तकलीफ थी वाही आधर्व जल्दी से आदि के पास आता है।

    "little bird. " आधर्व रूपा को दूर धक्का दे आदि को अपनी बाहो मे समेटता है।

    आदि जिसके आँखों के आँखे अंधेरा छाने लगा था। वो बड़ी मुश्किल से अपनी नज़रे उठा आधर्व की तरफ देखती है उसे उसका चेहरा साफ नज़र तो नहीं आ रहा था। पर उसका टच उसे जान पहचाना लगा था।

    "little bird open your eyes क्या हुआ तुम्हे?" आधर्व जिसकी आवाज़ मे आदि को लेकर घबराहट थी वो उसके गालो को थपथाप्ते हुए कहता है।

    आदि जिसकी पलके भारी होकर बंद हो गई थी वो आखिरी शब्द दर्द भरी मुस्कुराजत के साथ कहती है।

    " अब आ_आप आज़ाद हो।" इसी के साथ आदि के मुँह से भर कर फेन निकता है और वो पुरी तरह से आधर्व के बाहो मे झूल जाती है।

    आदि को देख आधर्व या विराज मोक्ष और श्लोक को देख एक पल नहीं लगता ये समझने मे की आदि ने पॉयशन लिया है। पर सवाल ये था उसके पास ये आया कहा से पर अभी इन सब चीज़ो का समय नही था।

    "little बर्ड!" आधर्व तेज आवाज़ मे आदि के बेजान पिले चेहरे को देखते हुए कहता है।

    "आधर्व इसे जल्दी लेकर चलो हमारे पास समय नहीं है।" विराज जल्दी से आधर्व के पास आते हुए कहता है।

    "हाँ भाई आप आदि को लेकर जाओ यहा मै और चाचू सम्भल लेंगे।" मोक्ष विराज की बात खत्म होते ही कहता है।

    वाही आधर्व जिसे इस समय अपनी little bird की फ़िक्र थी वो जल्दी से उसे अपनी बहो मे उठा वहा से निकल जाता है।

    वाही रमशा रूपा और बाकी सारी मौजूद लड़कियाँ हैरान खड़ी हुई समझने की कोशिश कर रही थी की हुआ क्या आभी।

    फलास बैक एन्ड:-

    आधर्व उन चीज़ो को सोचते हुय उसके कार की स्पीड काफी तेज हो चुकी थी इतनी तेज थी की अब ब्रेक फेल होने का भी खतरा था। वाही विराज पुरी कोशिश कर रहा था उसकी कार के बराबर आने का पर आधर्व की स्पीड काफी तेज हुई जा रही ठु।

    उसका पुरा चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था हाथ पेरो की नशे तन कर उभरने लगी थी। पसीने से उसके पूरे कपड़े को भींगा दिया था।

    इस समय आधर्व और विराज की कार हाई वे पर आ चुकी थी। और दोनो की कार की स्पीड ही इतनी जतदा थी की ऐसा लग रहा था दोनो रेस कर रहे हो।

    " आधर्व रुक जा जानता हूँ तुझे गुस्सा आ रहा है पर रुक जा।" विराज अपनी कार की स्पीड बढ़ाते हुए खुद से ही पररशान होते हुए कहता है।

  • 3. war of love - Chapter 3

    Words: 3414

    Estimated Reading Time: 21 min

    आगे।

    ऑपरेशन थ्रेटर के अंदर आदि बेजान सी हालत में बेड पर पड़ी हुई थी। उसका चेहरा पुरी तरह मुरझा सा गया था और पुरी बॉडी नीली और हलकी पीली हो गई थी। और वो वेंटीलेटर के साथ बेजान सी पड़ी हुई थी।

    वाही अंदर डॉक्टर्स की टीम आदि के बॉडी से जहर का असर कम करने की कोशिश कर रहे थे और वो जहर उसकी बॉडी मे और ना फेले पुरी कोशिश कर रही थी।

    पर आदि की बॉडी जो प्रॉपर तरीके से नॉर्मल नहीं हुई थी उसमे जहर तेजी से फेल रहा था। आदि की साँसे बिल्कुल रुक चुकी थी। पल्स भी तेजी से निचे गिर रहा था।

    डॉक्टर सब परेशान हो चुके थे पर आदि की बॉडी रियेक्ट करने का नाम ही नहीं ले रही थी। जैसे आदि चाहती ही ना हो वापस इस दुनियाँ मे आना उसकी बॉडी बिल्कुल ही रेस्पॉन्स नहीं कर रही बल्कि और भी उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी।

    "डॉक्टर अब क्या करे? पांच घंटे से ऊपर हो चुके मुझे नहीं लगता हम इसे बचा पाएंगे?" एक डॉक्टर अपने सामने खड़ी डॉक्टर से धीमी आवाज़ में कहतु है।

    "ये आप कैसी बाते कर रही है डॉक्टर नेंसी हम डॉक्टर्स है हमारा काम है लोगो की ज़िंदगी उन्हे वापस लौटना ना की हार मानना।" डॉक्टर नेंसी की बात सुन उसके सामने डॉक्टर जो आदि के हाथ की पल्स चेक कर रही थी वो नाराज़गी के साथ कहती है।

    " sorry डॉक्टर अनिता पर आप खुद ही देखिये ना इनकी बॉडी बिल्कुल रेस्पॉन्स नहीं कर रही ये तो छोड़िये ऐसा लग रहा है ये खुद ही जीना नहीं चाहती थी तभी तो ये सर्वाइब ही नहीं कर रही।" डॉक्टर नैंसी धीमी आवाज़ में कहती है।

    "जो भी हो हमे हार नहीं मननी है। हमसे जो हो पायेगा हमें वो करना होगा। वरना आपको पता है बाहर जो फॅमिली है वो कौन है दो मिनट नहीं लगेगा उन्हे हमें हमारा करियर और इस हॉस्पिटल को बर्बाद करने में।" डॉक्टर अनिता नैंसी से कहती है।

    डॉक्टर नैंसी अब कुछ नहीं कहती और वो भी अपनी कोशिशो मे लग जाती है।

    वाही दूसरी तरफ:-

    "पागल हो गया आधर्व तु क्या कर रहा है होश मे आ।"

    विराज आधर्व से गुस्से में कहता है।

    वाही आधर्व इस समय हाई वाय के बीचो बिच खड़ा था और विराज उसके सामने वाही थोड़ी दूर पर आधर्व की कार जो आधी हाई वाय से निचे समुंतर मे लटकी हुई थी और आधी सड़क पर।

    " क्या हो गया है तुझे? अब किस चीज़ का गम मना रहा है। समझाया था ना तुझे ऐसा कुछ मत करना जिसके लिए तुझे बाद मे गिल्ट हो। जब उसको तकलीफ देते समय तुज्जे एहसास नहीं हुआ अब उसे तकलीफ मे देखर क्या हुआ। उसके साथ जो कुछ भी हुआ बताना चाहती थी ना तुझे सुना तूने उसे नहीं ना? तो अब उसका चीज़ का सामनना भी तुझे ही करना होगा। ऐसे मुह छिपा कर भागने से कुछ नहीं होगा समझा।" विराज आधर्व को तेज तंज कश्ते हुए कह रहा था।

    वाही आधर्व अपने गुस्से अपने इमोशन सब कुछ दबाय अपने हाथों की मुट्ठी कशे बड़ी बेरहमी से विराज को अपनी जलती निगाहो से देख रहा था। पर विराज पर इस चीज़ का कोई असर नहीं पड़ता।

    " मुझे देखने से कुछ नहीं होगा। गलती तुम्हारी है तुम्हे एक्सेप्ट करनी होगी हर गलत और सही फैसले मे तुम्हारे साथ था पर यहाँ तुम गलत हो। और उसका नतीजा ये है की आज तु यहाँ और वो वहा अपनी आखिरी साँसे ले रही है। अब जो तूने किया है उसकी माफ़ी तुझे मिलेगी या नाहक वो आदि ही डिसाइड करेगी।" विराज अपना लेहजा धीमा करते हुए कहता है।

    आधर्व अब भी खामोश उसे देखता है फिर अपना चेहरा फेर अपने जॉब मे दोनो हाथों को डाल तन कर खड़ा हो दूर कही आसमान को देखने लगता है।

    विराज अपनी एक इएबरों रेज करता है फिर सामने आधर्व की कार की हालत देखता है फिर आधर्व को।

    " अब चलो यहाँ से अभी तुम्हे यहाँ नहीं वहा होना चाहिए। अगर आदि ठीक हो जाती है तो वाही अब इस चीज़ का फैसला करेगी।" विराज एक गहरी साँस लेकर धीमी आवाज़ में कहता है।

    इस बार आधर्व उसकी तरफ पलटता है और अपने दाँत पिसते हुए गुस्से को दबाते हुए कहता है।

    "उसे ठीक होना होगा किसी भी हाल में उसकी सारी सज़ा मंजूर है पर अगर वो चाहेगी मुझे छोड़ कर जाने की तो मै उसे किसी भी हाल मे खुद से दूर नहीं जाने दूँगा जबदस्ती या मर्ज़ी रहना उसे मेरे साथ ही पड़ेगा। चाहे नफरत के साथ या मोहब्बत के साथ। अगर वो मुझसे दूर जाने के बारे में सोची भी तो उसे मेरे उस रूप का भी सामना करना पड़ेगा जिसे उसने देखा नहीं है।" आधर्व की आवाज़ मे एक सनक एक धमकी साफ झलक रही थी। उसकी आँखों का गुस्सा और तड़प उसके जज्बात अच्छे से बाया कर रहे थे।

    विराज ना गवारी से सर हिलाता है और आधर्व से कहता है। " अब भी तुझे अपनी ही जिद्द पुरी करनी है?"

    विराज बड़े ही ध्यान से आधर्व के फेस को देखते हुए कहता है। आधर्व की गहरी आँखे विराज को घूरती है।

    विराज अपनी आँखे बंद कर गहरी साँस लेता है और फिर कहता है।

    "खैर मुझे लगता है अब हमे यहा से चलना चाहिए।" इतना बोल विराज अपने कदम अपनी कार के तड़फ बढ़ा देता है। और जाकर ड्राइविंग सीट पर जाकर बैठ जाता है और आधर्व का इंतेज़ार करने लगता है।

    आधारब एक नज़र विराज को घूरता है फिर अपनी आँखे बंद कर कुछ पल खामोशी से खड़े रह। उसके बाद एक तेज आवाज़ के साथ अपना हाथ वाही सड़क के हेड पर मार चीखता है। विराज बस खामोशी से उसे कार ने अंदर से देखने लगता है। ये विराज के बस से भी दूर था।

    कुछ घंटो ऐसे ही बीत चुके थे सुबह होने लगी थी सूरज की किरणों ने अपना बसेरा असमान मे जमा लिया था। वाही हॉस्पिटल मे एक भी ऐसा शख्स नहीं था जिसकी आँखों मे नींद हो सभी की आँखे नम और सुजी हुई थी।

    हर बितते समय के साथ सबकी बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी। किसी को कुछ नहीं पता था अंदर क्या हो रहा है क्या नहीं क्युकी OT का गेट एक बार भी नहीं खुला था और ना ही वहा से एक भी डॉक्टर बाहर आकर कोई खबर बताई थी।

    जिस वजह से आधर्व काफी गुस्से में भी आ चुका था। उसने कई बार अंदर जाने की जिद्द ही नहीं बल्कि डोर को भी तोड़ने की कोशिश की थी। पर मोक्ष श्लोक और विराज ने उसे संभाल लिया था।

    आधर्व से बिल्कुल सब्र नहीं हो रहा था ये जानने मे की अंदर का माहौल कैसा है आदि कैसी है। वो किस तकलीफ मे है ये सब सोच उसका सब्र जवाब दे रहा था।

    कुछ घंटे बाद OT ( ऑपरेशन थ्रेटर) की लाइट ऑफ होती है जिसे देख सभी की साँसे अटक सी जाती है सभी की नज़रे अब उस डोर के खुलने का इंतेज़ार करने लगती है।

    डोर खुलता है और डॉक्टर अनिता बाहर आती है और उनके पीछे डॉक्टर नैसी भी भी।

    डॉक्टर्स को बाहर आते ही देख कियारा जो धारा के साथ बैठी थी वो जल्दी से उनके पास आती है।

    " डॉक्टर आदि कैसी है वो ठीक है ना? मै उसे देख सकती हूँ? वो ठीक तो है ना?" कियारा बिना रुके एक सांस मे अपनी बेचैनी भारी आवाज़ मे डॉक्टर्स से पूछती है।

    डॉक्टर कियारा का चेहरा देखने लगती है। वाही आधर्व जिसकी नज़र अभी मे OT के डोर पर ही थी जैसे उसकी नज़रे आदि को देखना चाहती हो तभी उसे चैन आय। उसे डॉक्टर के यहाँ होने ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।

    " क्या हुआ डॉक्टर अनिता आदि ठीक है ना? कोई प्रॉब्लम है क्या?" कियारा के पीछे खड़ी धारा अपनी नॉर्मल धीमी आवाज़ में पूछती है।

    धारा एक डॉक्टर थी और वो डॉक्टर अनिता और नैंसी को अच्छे से जानती थी और वो दोनो भी उसे जानते थे।

    डॉक्टर अनिता धारा की बात खत्म होने के बाद अपनी नज़रे हर सदस्यो को देखती है जो अपने अंदर कई सवाल लेकर खड़े थे।

    डॉक्टर एक गहरी साँस लेती है और प्रोफेनल टोन मे कहना शुरु करती है।

    " देखिये हमने उनकी बॉडी से तो जहर निकाल दिया है पर उनकी बॉडी कोई रियेक्ट नहीं कर है और ना कोई रेस्पॉन्स दे रही है। हमें लगता है बॉडी काफी हद तक वीक होने की वजह से जहर का असर काफी ज्यादा हुआ है उनपर।"

    डॉक्टर अनिता की बात सभी खामोशी से सुन रहे है उनकी हर एक बात पर सबका दिल बैठा जा रहा था। वाही आधर्व के हाथों की मुट्ठियाँ अभी भी कशी थी पर उसने एक बार भी डॉक्टर की तरफ नहीं देखा था।

    वाही विराज जिसका ध्यान आधर्व के साथ साथ डॉक्टर पर भी था।

    "हमने जहर निकाल दिया है पर अभी मै कुछ नहीं कह सकती। उनकी साँसे काफी धीमी चल रही है और पल्स भी अल्लमोस्ट गिरते जा रहे है। अभी हम उन्हे VIP बोर्ड मे सिफ्ट कर रहे है वहा हमारे कुछ डॉक्टर्स उन्हे टाइम टू टाइम चैक करते रहेंगे। छ:घंटे के अंदर अगर उन्हे होश नहीं आया और कंडीशन ऐसी ही रही तो फिर हमारे बस मे कुछ नहीं होगा।" डॉक्टर अनिता की बात खत्म होते ही नैंसी अपनी धीमी आवाज़ में कहती है।

    उसे कहते हुए थोड़ा डर भी लग रहा था। क्युकी आधर्व की ना सही पर विराज और मोक्ष की नज़रे वो अच्छे से भाप सकती थी।

    नैंसी की बात सुन कियारा समेट सभी को एक झटका लगता है। क्या अभी उन्हे और तड़पना होना आदि के लिए? क्या अभी भी आदि को अपनी ज़िंदगी के लिए स्ट्रूगल करना पड़ेगा? सभी के दिल और दिमाग मे एक ही बाते गुंज रही थी।

    वाही आधर्व जो कब से खामोश था वो अब बिना एक पल गवाय सीधा OT के अंदर घुस जाता है।

    "आधर्व!"

    "मिस्टर राठौड़ प्लीज स्टॉप!"

    आधर्व को जाता देख विराज और डॉक्टर अनिता बोलती है। और तुरंत ही आधर्व के पीछे चली जाती है। वाही उनके पीछे सभी घर वाले भी अंदर चले जाते है।

    धारा भी जैसे ही जाने वाले होती है इतने मे श्रांश पीछे से उसकी कमर मे हाथ डाल उसके पेट को कश कर पकड़ लेता है।

    धारा को उसकी बात पर बहुत ज्यादा गुस्सा आता है। वो उसे घूरती या कुछ कहती उससे पहले श्रांश जिसका फेस हमेशा की तरह नॉर्मल था। वो ठंडी आवाज़ में कहता है।

    "डोंट मूव वाइफी!"

    धारा अपना चेहरा घुमा कर श्रांश को देखती है। " पागल हो गुए हो छोड़ो मुझे।"

    " चुप चाप एक जगह बैठो ज्यादा ड्रामा करने की ज़रूरत नहीं वरना अभी घर लेकर चला जाऊंगा। रात से देख रहा हूँ तुम्हे अपना ध्यान रखना नहीं है। कहा था ना मैने पहले तुम खुद पर ध्यान दोगी।" श्रांश काफी सख्त लहज़े मे धारा से कहता है। उसकी आवाज़ मे बिल्कुल भी सॉफ्टनेस् नहीं थी।

    और श्रांश के ऐसे बिहेवियर से धारा चिड़ी हुई आवाज़ में कहती है। " यहा का माहौल देखा है तुमने। तुम्हे क्या लगता है तुम्हारी तरह मै सेल्फिश हूँ जो सिर्फ अपने बारे मे सोचु। अब हटो देखो आधर्व अंदर गया पता नहीं जाकर क्या तमाशा करेगा।"

    इतना कह वो श्रांश को देखते हुए उसका हाथ अपने पेट से हटाने लगती है।

    "okay fine लगता है तुम्हे मेरी बात कम समझ आती है। कोई बात नहीं अब तुम यहाँ नहीं रहोगी।" इतना बोल श्रांश धारा को छोड़ता है।

    वाही धारा उसके छुटते ही थोड़े गुस्से मे उसकी तरफ पलटती है। पर पलटते ही उसके चेहरे पर गुस्सा डर मे बदल जाता है।

    श्रांश जो उसके सामने काफी सीरियस और डार्क एक्सप्रेसशन के साथ खड़ा था जिसे देख कर कोई भी कह सकता था वो इस समय कोई मज़ाक़ के मूड में नहीं था और ना ही उसकी बाते मज़ाक थी।

    और कही ना कही ये धारा भी जानती थी। श्रांश का उसके प्रति रवाया चेंज हुआ था पर अभी भी वो वाही वाला श्रांश था जो अपने सख्त मिजाज के लिए जाना जाता है।

    और जब से उसे सच पता चला था और धारा की प्रेग्नेसी के बाद से श्रांश कुछ ज्यादा ही possive हो चुका था धारा के लिए। वो बिल्कुल भी नहीं चाहता और ना उसे पसंद था किसी की भी वजह से उसे तकलीफ हो। शायद इसी के जरिये उसने जो किया उसका साथ उसका दर्द कम कर सके।

    पर अब उसे कौन बताय धारा कब का उस चीज़ को भूल चुकी और ना ही वो अब उससे नफरत करती है। बस थोड़ा सा उसकी हरकत धारा को गुस्सा दिला देती थी। जैसे अभी की गई हरकत धारा जाना चाहती थी पर श्रांश ने उसे धमकी देकर रोक दिया था।

    धारा श्रांश को यु खुद को गुस्से मे देखता देख वो बड़ी मुश्किल से अपना गले का स्लाईवा गटकती और हिम्मत कर कहती है।

    " सच में तुम्हे अपने अलावा किसी की नहीं पड़ी।" ये बात धारा काफी चिढ़ी हुई आवाज़ में कहती है। और अपने पेर पटकते हुए जाकर वाही लगे चेयर पर बैठ जाती है।

    और चिड़ी हुई नज़रो से श्रांश को देखती है जो उसकी बचकांड हरकतों को नोटिस कर रहा था।

    "पता नहीं क्या समझता है खुद जब देखो आँखे दिखा कर अपनी बात मनवा लेता है।" धारा चिड़ी हुई आवाज़ मे बुडबूदाने लगती है।

    पर श्रांश जिसके कान काफी तेज थे वो उसकी बुदबुदहत को अच्छे से सुन सकता था।

    " मै आ रहा हूँ अगर यहाँ से हिली तो टाँगे तोड़ दूंगा।" इतना बोल श्रांश भी OT के अंदर चला जाता है।

    उसे अंदर जाता देख अब धारा को मुँह बन जाता है। " हूउउ पता नहीं क्या समझता है खुद को? खुद अंदर चला गया और मुझे यहाँ बैठा गया।"

    वाही अंदर आधर्व सीधा आदि के पास आता है जहाँ आदि स्ट्रेचर पर लेती हुई थी। उसके चेहरे पर ऑक्सज़न मास्क लगा हुआ था जो आदि की बची हुई साँसों का सहारा था।

    उसका चेहरा पुरी तरह से पिला पड़ कर सफ़ेद हो चुका था जैसे उसके बॉडी मे खून का एक कतरा ना हो। उसकी बॉडी पहले और भी ज्यादा कमज़ोर दिखने लगी थी। जिसे देख आधर्व की आँखे गुस्से मे लाल हो गई थी। और वाही सभी घर वाले आदि को इस तरह देख उनकी आँखों से आंसू निकलने लगते है। वो सब आये तो थे आधर्व को रोकने पर उन सब के कदम अपनी अपनी जगह जम चुके थे।

    "मिस्टर राठौड़ प्लीज आप बाहर चलिए हम इन्हे बोर्ड मे सिफ्ट करवा देते है उसके बाद आप लोग एक एक कर के इनसे मिल लीजिये। ये ऑपरेशन थ्रेटर है यहाँ ऐसे आप नहीं आ सकते।" डॉक्टर अनिता आधर्व के पास आकर काफी आराम और धीमी आवाज़ में कहती है।

    इसकी बात पर आधर्व उसे काफी गुस्से मे घूरता है। " Who are you going to stop me from meeting my little bird. "

    उसकी बात सुन डॉक्टर अनिता सहम जाती है वो सर झुका कर धीमी आवाज़ मे कहती है।

    "i am sorry sir पर प्लीज आप बाहर चलिए। ये हॉस्पिटल के रुल के खिलाफ है।"

    "i don't care क्या तुम्हारे हॉस्पिटल का रुल है और क्या उसके खिलाफ है। पर अगर तुमने मुझे मेरी लिटिल बर्ड से मिलने से रोका तो तुम इस हॉस्पिटल के लिए रुल बन रह जाओगी। understand. " आधर्व काफी रुडली और तेज आवाज़ में कहता है जिसे सुन डॉक्टर अनिता पुरी तरह डर जाती है।

    और अपना सर झुका लेती है। अब उसमे हिम्मता ही नहीं थी की वो आधर्व से कुछ कह सके।

    "now gate out. " आधर्व सभी को देखते हुए कहता है।

    "बंद करो अपना तमाशा देख नहीं रहे हो आदि की हालत कम से कम यहाँ तो उसे सुकून दे दो। तुम्हारी वजह से वो पहले ही टूट चुकी है अब क्या जब तक वो अपनी साँसे नहीं रोक लेगी उसका पीछा नहीं छोड़ोगे?"

    वाही खड़ी कियारा जो कब से खामोश थी। वो आगे आकर आधर्व के बिहेवियर को देख उसपर चिल्लाने लगती है।

    आधर्व जो कब से अपने गुस्से को दबाय बैठा था वो कियारा को देखता है और अपने दाँत पिसते हुए काफी तेज आवाज़ मे चिल्लाता है।

    " i said gate out. "

    आधर्व की आवाज़ से वो पुरा OT रूम गुंज उठता है। और आधे से ज्यादा लोगो के तो डर से पसीने छूट जाते है।

    वाही रिया की गोद मे बेबी जो सो रहा था उसकी आवाज़ सुन डर कर उठ जाता है और वो अपना गला फाड़ कर रोने लगता है।

    "आआअह्ह्ह ममम्ह्ह हआआ।"

    बेबी को रोता देख सबका ध्यान रिया और बेबी पर जाता है। रिया भी सभी को खुद को देखता देख अपना गला तर करने लगती है। क्युकी उसे पता था वो बेबी को लेकर अंदर आ गई थी जिस वजह से सब उसे गुर रहे थे।

    "म_मा_मै बाहर जाती हूँ।" इतना बोल रिया नो दो गायरह हो जाती है।

    वाही सभी घर वाले भी धीरे धीरे के गायब हो जाते है। क्युकी उन्हे पता था आधर्व अब गुस्से मे आ चुका है और उनमे से अभी कोई भी ऐसा कुछ नहीं चाहता था जो आधर्व गुस्से मे कर जाय।

    अब उस समय वहा विराज मोक्ष कियारा और आधर्व ही मौजूद रहते है। कियारा जो आधर्व के चिल्लाने पर डर गई थी पर वो अपने चेहरे पर डर को नहीं आने देती और अपनी आँखों मे आधर्व के लिए गुस्सा लिए उसे देखने लगती है।

    आधर्व कियारा से अपनी नज़रे हटा विराज को देखता है। " अगर चाहते हो तुम्हारी बीवी जिंदा रहे तो अभी इसे लेकर जाओ।" ये बात आधर्व काफी रुडली तरीके से कहता है उसकी बातो से कही से नहीं लग रहा था वो मज़ाक़ कर रहा हो।

    विराज समझ चुका था अब उसकी ना समझ बीवी उसके गुस्से वाले भाई को गुस्सा दिला कर खुद की मौत को इनविट कर रही है।

    वो कियारा के पास जाता है और जैसे ही कियारा को टच करने वाला होता है इतने मे कियारा आधर्व को देखते हुए ही विराज को हाथ दिखा कर कहती है। जिसका साफ मतलब था वो विराज को रोक रही थी।

    " अगर तुम्हारी वजह से उसकी कंडीशन और बिगड़ी तो छोडूंगी नहीं तुम्हे मै।" कियारा आधर्व से कहती है और विराज मोक्ष की तरफ देख कहती है।

    " शर्म तो दोनो मे से किसी को भी नहीं आती होगी। इतना सब होने के बाद भी तुम लोग इसका साथ दे रहे हो।" कियारा मोक्ष और विराज से कहती है। और गुस्से मे वहा से निकल जाती है।

    विराज जो कियारा को पहली बार इतने गुस्से और इतना ज्यादा गुस्से में देख रहा था। इन्फेक्ट सभी घर वालो ने पहली बार कियारा का ये रूप देखा था। विराज तो कियारा को देख हैरान था उसे यकीन ही नहीं हो रहा था ये उसकी ही बीवी है जो हमेशा अकेली चुप चाप सबकी बाते सुन लेती थी।

    रागिनी के इतना उल्टा बोलने के बाद भी उसने सब कुछ सुन लिया था। स्टार्टिंग मे विराज ने उसे कितना कुछ कहा सुनाया तब भी कियारा ने अपने मुँह से एक शब्द नहीं कहा था बस खामोशी से सब कुछ सबकी बाते ताने सुनती आई थी।

    पर आज आदि को इस तरह देख और कियारा का आपा खोया देख सबको इतना तो समझ आ गया था कियारा अपने ऊपर सब कुछ बरदस्त कर सकती है पर आदि के लिए वो कभी चुप नहीं रहेगी।

    " भाई आपको नहीं लगता आपकी बीवी कुछ ज्यादा बोलने लगी है।" मोक्ष जिसे कियारा की बाते बिल्कुल आची नहीं लगी थी वो विराज से टोंट मारते हुए कहता है।

    विराज आँखे छोटी कर मोक्ष को देखता है। " पहले बोलती ही कब थी जो मुझे लगेगा इसका दिमाग तो घर जाकर मै सीधा करूंगा।" इतना बोल विराज भी बाहर निकल जाता है।

    वाही मोक्ष एक नज़र आधर्व को देखता है जो अब सब कुछ भूल कर आदि को देख रहा था।

    "भाई मैने उस प्रोफेसर के बारे मे पता नहीं लग रहा है। इन्फेक्ट उनकी आइडेंटिटी भी नकली थी। और जिस तरह का चेहरा रिया ने बताया वो इंसान तो आज से दो साल पहले मर चुका है। जिससे साफ पता चलता है या तो मरा हुआ इंसान जिंदा हुआ है वर्णा उसके चेहरे का उस इंसान ने अपनी सच्चाई छुपाने के लिए इस्तेमाल किया है।" मोक्ष आधर्व से बिना रुके सारी बाते बोल देता है।

    आधर्व आदि को देखते हुए ही ऑर्डर टोन मे कहता है।

    " मरा हो या जिंदा i don't care मुझे बस वो इंसान अपनी आँखों के सामने चाहिए किसी भी हाल मे। फिर चाहे वो धरती के निचे ही क्यू ना छुपा हो।"

    'जी भाई।" इतना बोल मोक्ष भी वहा से चला जाता है। उसके जाने के बाद आधर्व आदि के छोटे से हाथ जो अब काफी कमजोर हो चुके थे उसे अपने हाथों में थाम उसे चूमता है।

    "i miss you बच्चा।"

  • 4. war of love - Chapter 4

    Words: 2338

    Estimated Reading Time: 15 min

    आगे।

    आदि को VIP बोर्ड मे शिफ्ट कर दिया गया था। वो अभी भी चारो तरफ से मशीनो मे घिरी हुई थी। उसकी कंडीशन मे बिल्कुल भी सुधार नहीं आया था।

    जिससे घर वालो के साथ साथ डॉक्टर्स भी डरे हुए थे। घर वालो को डर था आदि को खोने का और डॉक्टर्स को डर था अगर वो आदि को नहीं बचा पाए तो आधर्व उन सबका क्या हाल करेगा वो लोग सपने मे भी नहीं सोच सकते थे।

    आदि बेड पर बेहोश पड़ी हुई थी। उसे होश तो दूर उसकी बॉडी ने बिल्कुल भी रिएक्ट नहीं क्या था या यु कहे इस समय आदि जिंदा लाश से ज्यादा कुछ नहीं लग रही थी।

    वाही उस बोर्ड में इस समय एक नर्स ही मौजूद थी जो आदि की हेल्थ देख रही थी। बाकी दादी साधना जी की तबियत खराब होने लगी थी जिस वजह से संध्या जी को उनके साथ भेज दिया गया।

    वाही धरा जो प्रेग्नेंट थी जिसका फ़ीफ़थ मंथ खत्म होने वाला था उसकी हेल्थ के लिए इतना समय तक हॉस्पिटल मे रहना और स्ट्रेस लेना ठीक नहीं था जिस वजह से श्रांश ने उसे इतनी सारी धमकी और रुड बिहेव किया की आखिर कार धारा को हार मान कर उसके साथ जाना पड़ा।

    पर कियारा अभी भी हॉस्पिटल में मौजूद थी। उसी के साथ साथ अग्नि रिया और श्रेया भी क्युकी बेबी वाही तीनो सम्भल रहे थे।

    मोक्ष श्लोक और शिव यहा मौजूद नही थे सिवाय विराज के। और आधर्व कॉलिडर मे कॉल पर किसी से बात कर रहा था।

    कियारा जिसने कल से कुछ भी नहीं खाया और पिया था उसने अपनी हालत किसी पागल की तरह कर ली थी। उसकी आँखों से आंसु एक बार भी नहीं रुका था।

    वाही विराज जो काफी समय से एक कोने मे खड़ा कियारा को नोटिस कर रहा था जो चुप चाप चेयर पर बैठी हुई थी उसकी आँखों से आंसु रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।

    वाही अग्नि और श्रेया बेबी को एक साइड लेकर उसे खिला i mean चुप करवा रहे थे। बेबी जब से उठा था रोया जा रहा था और सबने चुप करवाने की हर मुमकिन कोशिश कर ली थी पर बेबी चुप ही नहीं हि रहा था।

    शायद उसे अपनी मम्मा की गोद मे आना था पर कियारा जिसे इस समय कोई होश था ना उसे इस समय बेबी दिखाई दे रहा था और ना ही सुनाई। जिस बात से बिराज काफी चिड़ा हुआ भी था।

    "शशश बेबी चुप क्या हुआ क्यू रो रहे हो चुप हो जाओ लिटिल rat. " अग्नि बेबी को अपनी गोद मे लेकर इधर से उधर करते हुए उसे चुप करवा रही थी।

    वाही रिया जो कियारा के पास बैठी उसे समझा रही थी। विराज से अब बरदस्त नहीं होता और वो अग्नि की तरफ बढ़ उसकी गोद से बेबी को ले लेता है अग्नि चुप चाप बेबी को दे देती है।

    उसके बाद वो गुस्से और लम्बे कदमो से कियारा की तरफ बढ़ता है और झटके मे उसको कलाई को पकड़ता है कियारा होश मे आती या उसे कुछ समझ आता उससे पहले विराज उसे अपने साथ खींचते हुए ले जा रहा था।

    "अह्ह्ह its hurting क्या कर रहे हो छोड़ो।"

    विराज की पकड़ कियारा पर काफी तेज थी उसे अपने हाथ मे दर्द महसूस होता है और वो उससे अपने हाथ को छुड़वाते हुए कहती है। पर विराज की पकड़ उसपर काफी तेज थी जिससे छुट पाना इतना आसान नहीं था।

    वाही बेबी जो विराज की गोद मे आते ही चुप हो गया था और अपने छोटे छोटे हाथ उसकी गर्दन के इर्द गिर्द लपेट उसके सीने पर अपना छोटा सा चुब्बी फेस रख रोने जैसा मुँह बना लेता है। और टुकुर टुकुर अपनी मम्मा को देखने लगता है।

    "ahhh छोड़ो विराज क्या कर रहे हो।" कियारा को अपनी कलाई मे तेज दर्द होता है।

    पर विराज उसकी बातो का कोई जवाब नहीं देता और उसे खींचते हुए एक प्रिवेट कमरे में लेकर आता है और सीधा उसे खींच कर वाही कमरे मे लगे सोफे पर गिरता है। जिससे कियारा सीधा सोफे पर मुँह के बल गिरती है।

    कियारा को अब विराज की इस हरकत पर गुस्सा आ जाता है और सीधी होकर बैठते ही विराज से बोलती है।

    "पागल हो गये तुम क्या हरकत अह्ह्ह्ह।" कियारा अपनी बात पुरी करती उससे पहले विराज कियारा की तरफ झुक उसके जबड़े को कश लेता है।

    " अपना मुँह बंद रखो बहुत हुआ तुम्हारा अब अगर अपने मुँह से शब्द निकाला या कोई भी फालतु ड्रामा किया तो असली पागलपन दिखाने मे देर नहीं लगेगी।"

    विराज अपने गुस्से को दबाते हुए अपने दाँत पिस बड़ी बेरहमी के साथ कियारा से कहता है। उसकी आवाज़ मे गुस्सा साफ झलक रहा था। विराज पुरी तरह फ्रास्टेड हो चुका था कियारा की हरकतो से उसे किसी के इतने नखरे देखने और उठाने की आदत नहीं थी। वो आधर्व नहीं था जो अपने प्यार को रोता देख उसे जाकर कंधा दे या आंसु पोछे। विराज को इन सब से काफी चिढ़ होती थी।

    कियारा जिसे अपने जबड़े मे दर्द होने लगा था और ऊपर से विराज जिसने आज उससे पहली बार इस तरह से बात की थी जिससे कियारा अंदर तक सहम जाती है।

    कियारा की आँखों मे अब दर्द के आंसु आ जाते है और उसे विराज से डर लगने लगता है। वाही विराज की आँखे गुस्से मे लाल हो चुकी थी उसका सब्र जवाब दे चुका था एक हफ्ते होने वाले थे कियारा को इस तरह हरकत करते हुए। और ऊपर से ना कुछ खाती थिआ और ना उसका अपने बेबी पर ध्यान था जिससे और ज्यादा अर्रिट हो चुका था विराज।

    "म_मुझे मुझे दर्द हो रहा है।" कियारा अपनी पलके झुका धीमी आवाज़ में कहती है।

    कियारा की धीमी आवाज़ विराज के कानो मे जाती है। तब जाकर विराज अपनी आँखे बंद कर अपना गुस्सा कंट्रोल कर कियारा के जबड़े को छोड़ता है।

    वाही बेबी जो विराज की गोद मे था वो अब उससे लिपट कर पुरी तरह सो चुका था।

    विराज कियारा को छोड़ता है छोड़ते ही कियारा अपने जबड़े को सेहलाने लगती है विराज की पकड़ इतनी तेज थी की कियारा के जबड़े और गालो के आस पास विराज की उंगलियों के निशान छप कर लाल हो चुके थे।

    विराज अपने गुस्से को कंट्रोल करने के लिए एक गहरी साँस लेता है और फिर कियारा को देखता है जो गुस्से मे विराज को देख रही थी पर उसे कुछ बोल नहीं रही थी।

    विराज आगे बढ़ता है और बेबी को कियारा की गोद मे देता है इतने में डोर नॉक होता है। विराज अपनी कड़क आवाज़ मे ही अंदर आने का ऑर्डर देता है।

    विराज जैसे ही अंदर आने का ऑर्डर देता है। वैसे ही एक लड़की अपने हाथों मे खाने का ट्रे लेकर अंदर आती है। और चुप चाप आकर सोफे टेबल पर उस ट्रे को रख दो कदम पीछे हो सर झुका कर धीमी आवाज़ में कहती है।

    "सर मैम आपको और कुछ चाहिए?"

    "gate out. " विराज उस लड़की के जवाब में सर्द आवाज़ में कहता है जिसे सुन कियारा विराज को घूरती है जाहिर सी बात है उसे पसंद नहीं आया था विराज का रुड बिहेव उस लड़की के साथ।

    और कैसे आ सकता था उसे पता था कोई जब इस तरह से बात करता है तो कितना बुरा लगता है आखिर कियारा ने कितने महीने वेटर का काम किया था। और ना जाने कितने लोगो ने उससे बत्तमीज़ी से बात की थी।

    वाही वो लड़की विराज की बात सुनते ही चुप चाप सर झुका वहा से चली जाती है।

    " पांच मिनट के अंदर इसे फिनिश करो।" विराज कियारा को देखते हुए नॉर्मल पर थोड़ी तेज आवाज़ में कहता है।

    " तुम पागल हो गये हो इतना खाना मै पांच मिनट मे कैसे खाउंगू और कीसने कहा तुम्हे खाना मंगवाने के लिए।" कियारा विराज की बातो का चिढ़ी हुई आवाज़ मे जवाब देती है।

    " मै तुमसे कुछ पूछा? चुप चाप ये खाना फिनिश करो वैसे भी कल से कुछ नहीं खाया है।" विराज कहता है।

    कियारा उससे अपना मुँह फेरते हुए कहती है। "तुम्हे मेरी फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं है।"

    "मुझे अपने बेटे की फ़िक्र है। तुम्हारी वजह से वो भूखा है पता है उसे तुम्हारे ब्रे_स्ट फीडिंग की ज़रूरत होती है। और मै बिल्कुल बरदस्र नहीं करूंगा तुम्हारे पागलपन के चक्कर में बेबी suffer करे।" विराज कियारा की बात खत्म होते ही अपनी सर्द आवाज़ में बोल पड़ता है।

    वाही कियारा जिसका चेहरा गुस्से से भरा हुआ था अब उस चेहरे पर उदासी सी आ जाती है और उसकी आँखों मे एक बार फिर नमी आ जाती है विराज की बात सुन कर जाहिर था कियारा को विराज की बात बिल्कुल अच्छी नहीं लगी।

    झूटी ही सही पर कियारा को ये उम्मीद थी शायद विराज को उसकी फ़िक्र है। पर विराज का ये कहना उसे बेबी की फ़िक्र है उसकी नहीं जिसे सुन कियारा के दिल मे ना जाने क्यू तकलीफ होती है।

    ऐसा नहीं था कियारा इससे अनजान थी और वो ऐसा कुछ चाहहती भी नहीं थी विराज से पर फिर भी उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा विराज का ये कहना।

    कियारा विराज से अपनी नज़रे हटा अपनी गोद मे सुकून से सोये बेबी पर जाती है। जिसका चेहरा रोने की वजह से रेड हो गया था। कियारा को एहसास होने लगता है की वो कितनी बड़ी पागल है वो इतना ज्यादा दर्द मे डूब गई थी की उसने अपने बेबी पर ही ध्यान नहीं दिया। ऐसा कैसे कर सकती थी वो अब कियारा को खुद पर भी गुस्सा आने लगता है।

    वो बेबी के चेहरे को छूती है और प्यार से उसके गालो को चूम लेती है। उसके बाद वो अपने आँसू साफ करते हुए खाने की तरफ अपना हाथ बढ़ा खाने लगती है क्युकी उसे पता था बेबी जब तक उसकी फीडिंग नहीं करता था तब तक उसका पेट किसी भी चीज़ को खाने से नहीं भरता था। और कियारा की भी अब अपने सीने मे हलका हलका दर्द होने लगता है। ये बेबी के होने के बाद कियारा के साथ प्रॉब्लम थी कियारा अगर ज्यादादर तक बेबी को फीड नहीं करवाती थी तो उसके brest मे पेन होने लगता था।

    इसलिय अब कियारा चुप चाप अपना खाना खाने लगती है। वाही विराज अपने जैब ने अपने दोनो हाथ डाल खड़ा कियारा को देख रहा था। जिसकी नाक रोने से चेरी जैसे लाल हो चुकी थी। और वो सुबकाते हुए अपना खाना खा रही थी जिसमे वो काफी क्यूट लग रही थी उसे।

    " जानता हूँ बुरा लगा तुम्हे। पर तुम्हे शान्ति से खाना खिलाने का यही रास्ता था।" विराज कियारा को देखते हुए मन में कहता है।

    वाही कियारा ज्यादा तो नहीं बस थोड़ा बहुत खाती है। उससे खाया भी नहीं जा रहा था। वो टेबल से पानी का गिलास उठा पीती है।

    इतने मे उसकी नज़र विराज पर पड़ती है। जो उसे ही देख रहा था विराजा कुछ कहता उससे पहले कियारा मुँह फुलाते हुए धीमी आवाज़ में कहती है।

    "मेरा पेट भर गया इतना ही खा सकती हूँ मै।"

    विराज नॉर्मल एक्सप्रेसशन के साथ उसे देखते हुए एक गहरी साँस लेता और अपने दोनो हाथ अपने सीने पर बाँध खड़ा हो जाता है।

    कियारा विराज के जाने का वेट कर रही थी पर उसे खड़ा देख अब उसे विराज का सर फोड़ने का दिल कर रहा था पर वो कर भी क्या सकती थी।

    मजबूरन को एक नज़र बेबी को देखती है फिर विराज को उसके बाद वो सोफे पर ही थोड़ी सी घूम कर बैठ जाती है। और अपने बेबी के चेहरे को ऊपर अपना पल्लू डालती है जिससे विराज कुछ भी ना देख सके।

    पर विराज को अपनी बेवक़ूफ़ बीवी पर हंसी आ रही थी पर वो खुद को कंट्रोल कर के खड़ा था। क्युकी कियारा ने इस समय हलकी क्रीम कलर की पतली सी सड़ी पहनी हुई थी जिससे आर पार साफ देखा जा सकता था।

    कियारा इन सब अनजान अपना अपने बालाउज को हलका सा ऊपर कर अपना सॉफ्टनेस बेबी के मुँह के पास ले जाती है। वाही बेबी नींद मे ही महसूस करते ही जल्दी से अपना मुँह खोल शक करने लगता है।

    "उम्म्म गगगग आआआ।" बेबी आवाज़ करते हुए अपनी भूख मिटा रहा था। वाही कियारा जो लम्बे समत से उसे फीड नहीं करवाई थी और अभी बेबी इतनी जोर से उसे बाईट करते हुए पी रहा था। जिससे कियारा को पैन हो रहा था और वो उसे बरदस्त करने के लिए अपनी आँखे बंद कर लेती है।

    कियारा के लिए ये नहीं बात नहीं थी बेबी का हमेशा का यही था और कियारा की आदत भी हो चुकी थी पर दर्द तो दर्द होता है।

    कियारा ने अपनी आँखे बंद कर ली थी वाही विराज कियारा को जब दर्द मे देखता है तो अब अपना ऐटिटूड छोड़ कियारा के पास बगल मे आकर बैठता है और अपने अपनी बाहो मे समेट लेता है। कियारा जिसे पेन हो रहा था वो कुछ नहीं कहती वो विराज के सीने से अपनी आँखे बंद किये लगी रहती है।

    वाही दूसरी तरफ नर्स आदि की पल्स चेक कर ही रही थी। अचानक आदि की बॉडी मे मूवमेंट होता है और वो अचानक ही लम्बी लम्बी साँसे लेते हुए उसकी बॉडी अकड़ने लगती है। जिसे देख नर्स घबरा जाती है और वो मशीन को देखती है जिसमे आदि की हार्ट बीट तेजी से ऊपर निचे हो रही थी। और उसकी पल्स गिरती जा रही थी।

    "o my god इन्हे क्या हो रहा है? अभी तक तो सब ठीक था अचानक क्या हो गया। डॉक्टर को बुलाना पड़ेगा।"

    नर्स आदि को देख घबरा चुकी थी और वो जल्दी से वहा से बाहर जाने लगती है।

    जैसे ही वो डोर तक पहुँचती है डोर खुलता है नर्स के कदम रुक जाते है और सामने देखती है जहा आधर्व खड़ा था। नर्स को यु घबराया देख आधर्व की बोहे चढ़ जाती है।

    "क्या हुआ?" आधर्व रुड होते हुए पूछता है।

    "व_वो वो आपकी वाइफ!" नर्स अपनी बात पुरी करती आधर्व के चेहरे के फीचर्स चेंज होते है और वो तुरंत ही आदि की तरफ देखता है जहा आदि की साँसे उसका साथ छोड़ रही थी और बेहोशी मे ही तड़प रही थी।

    "little bird. " आधर्व जल्दी से आदि की तरफ बढ़ता है। वाही नर्स भी बाहर की तरफ चली जाती है।

  • 5. war of love - Chapter 5

    Words: 1808

    Estimated Reading Time: 11 min

    आगे।

    डॉक्टर अनिता के साथ दो लेडी सीनियर डॉक्टर आदि को चेक कर रही थी। आदि जिसकी साँसे उखड़ने लगी थी वाही आधर्व जो बाहर खड़ा बेताबी से खड़ा था।

    वैसे वो आदि को यु छोड़ कर आना नहीं चाहता था पर डॉक्टर्स ने उसे जबदस्ती बाहर भेजा ये कह कर की अगर वो अंदर रहेंगे तो वो लोग अपना काम सही से नहीं कर पाएंगे।

    वाही आदि की बिगड़ी हुई हालत की खबर सुन साधना जी दादी जी अलोक जी दादा जी और भी सभी लोग वहा आ चुके थे।

    "पता नहीं किसकी नज़र लग गई हमारे घर को। कल तक सब कुछ अच्छा था पता नहीं क्या हो गया हमारी बच्ची के साथ।" दादी जी रोते हुए कहती है।

    जब से उन्हे पता चला था आदि की बिगड़ी हालत के बारे मे तब से ही सभी बहुत ज्यादा दुखी हो गये थे। और कियारा जिसकी हालत भी बिगड़ गई थी और वो दूसरे बोर्ड मे बेहोश थी। आदि की खबर सुन अचानक ही कियारा को तेज झटका लगता है और अपना होश सम्भल नहीं पाती। साधना जी और श्रेया कियारा के पास थे और बाकी सब यहा मौजूद थे।

    "माँ चुप हो जाइये हमारी आदि बिल्कुल ठीक हो जायेगी। मुझे पुरा यकीन है वो हमसे नाराज़ हो सकती है पर इतना भी नहीं की वो हमें छोड़ कर जायेगी।" संध्या जी दादी जी को संभालते हुए कहती है।

    दादी जी जिनकी आँखों मे नमी थी वो संध्या जी की तरफ देखती है और नम आँखों के साथ कहती है।

    "वो हम सब से नाराज़ है। तभी तो आज वो यहाँ है वो हमें अपना नहीं समझती थी तभी तो सब कुछ अकेले ही सब बरदस्त किया और सब कुछ छोड़ कर घर से चली गई।"

    "पर गलत भी क्या किया नानी उसने?" कब से खामोश बैठी धारा दादी जी की बातो पर रूखी आवाज़ में कहती है।

    उसकी बात सुन सभी की नज़र धारा पर जाती है यहा तक की विराज और मोक्ष भी पलट कर धारा को देखने लगते है सिवाय आधर्व के क्युकी उसकी नज़र सिर्फ आदि के कमरे की तरफ थी। वो सुन सकता था आदि की उखड़ती साँसों को जो उसे अंदर ही अंदर खत्म कर रही थी।

    "दी ये आप क्या बोल रही हो?" अग्नि धारा की बात पर धीमी आवाज़ में उससे कहती है।

    धारा अग्नि को देखती है फिर विराज और मोक्ष के बगल मे खड़े आधर्व को जो पीठ दिखाय खड़ा था।

    "सही तो बोल रही हूँ क्या गलत किया उसने। हाँ नहीं मानती वो हमें अपना और क्यू माने? आप लोगो ने उसे कभी अपने होने का एहसास दिलाया कभी क्या उसे इतनी हिम्मता दी की वो आकर आप लोगो से अपने दिल की बात कह सके?" धारा की आवाज़ मे एक रुखा पन सा था पर उसकी आवाज़ नॉर्मल ही थी।

    फिर आधर्व की पीठ देखते हुए हलका सा मुस्कुराती है जैसे उसका मज़ाक उड़ा रही हो।

    "जिसे वो अपना समझती थी उसने ही उसका साथ नहीं दिया जब उसे सबसे ज्यादा ज़रूरत थी। कभी किसी ने सोचा वो लड़की जो कुछ महीनों तक सब चीज़ो से अनजान थी ना समझ थी अचानक कुछ महीनों मे ही उसके अंदर इतना बदलव कैसे आया कैसे वो बच्ची अपने दर्द को खुद के अंदर समेटना शुरु कर दी। किस तरह उसने खुद को अकेला महसूस किया होगा।"

    और फिर आधर्व की तरफ अपने हाथों से इशारा करते हुए कहती है। " और पता है ये सब का जिम्मेदार ये है। जब इसमे हिम्मत ही नहीं थी तो फिर उसने आदि से रिश्ता जोड़ा? उसे ऐसी उम्मीद ही क्यू दी जिससे उसे ही बदल दिया। जब वो कहना चाहती थी तो क्यू नहीं सुना उसकी तब तो उसे अकेला छोड़ दिया इसने और अब खुद को यु देव दास दिख कर क्या साबित करना चाहता है बहुत फ़िक्र है उसे इसकी या यु कहे इसे आदत हो चुकी है सबकी ज़िंदगी को खिलौना बनने की..."

    " क्या बकवास कर रही हो। पता है क्या बोल रही हो?" मोक्ष धारा की बात को सुन अपने दाँत पिसते हुये कहता है।

    ये पहली बार होगा जब धारा ने अपने भाई के खिलाफ कुछ कहा होगा। वरना सभी घर वाले अच्छे से जानते थे धारा कभी अपने भाइयो के खिलाफ ना कुछ बोलती थी और ना सुनती थी पर अभी उसकी बाते सुन सभी के चेहरे पर हैरानी बिखरी हुई थी।

    "क्यू क्या हुआ तुम्हे क्यू बुरा लग रहा है? तुम्हारी बात तो नहीं की ना मैने वकील क्यू बन रहे हो?" धारा मोक्ष के ही लहज़े मे उसे जवाब देती है।

    और फिर एक नज़र सभी को देखती है जो उसे ही देख रहे थे। इस समय धारा ने तो श्रांश को पुरी तरह इग्नोर कर जे रखा था। उसे इस समय आधर्व पर बेहद गुस्सा आया हुआ था। वो कब से इस चीज़ को दबाई बैठी हुई थी पर आदि की हालत मे सुधार ना देख ऊपर से कियारा की भी बिगड़ी हालत देख अब उससे बरदस्त नहीं होता है।

    धारा सभी को एक नज़र देखती है और कहती है। " गलती आप सब की है आप लोगो ने क्यू नहीं रोका था इसे जब ये उससे शादी कर रहा था। पता है ना कैसा है ये फिर ये कौन होता है उसकी लाइफ को अपनी मुट्ठी मे लेने वाला?"

    धारा के इस सवाल पर अब विराज बोल पड़ता है जो कब से आधर्व को देख रहा था। " ये आदि और आधर्व की बात है तुम बिच मे मत आओ। चुप चाप बैठो वरना निकलो अभी अपने पति के साथ यहाँ से बकवास सुनने नहीं बैठे है हम यहा।"

    विराज की ये बात सुनते ही श्रांश तीखी नज़रो से उसे घूरता है पर वक़्त की नजाकत समझ खामोश रहता है वैसे वो खामोश रहने वालो मे से नहीं था पर जानता था अभी उसकी बीवी बोम बनी हुई है और गलती से उस पर फट गई तो फिर उसे ही उसके मूड स्विंग्स सम्भलने पड़ेगे।

    धारा अभी आँखे सिकुड़ती और विराज को देखते हुए जहती है। "बस तुम्हारी ही कमी थी। मुझे पता है तुम दोनो इसकी गलती होने पर भी इसी का साथ दोगे पर उसका क्या जो अंदर अपने अंदर कितना दर्द लिए अपनी साँसे गिन रही है उसके बारे मे तुम दोनो मे से कोई सोच रहा है। और सोचोगे क्यू आखिर तीनो एक जैसे ही तो है। एक ने कियारा की ज़िंदगी बर्बाद की एक ने आदि की और एक ना जाने किसकी करेगा?" धारा ने ये ताना मोक्ष को भी मारा था। जिससे मोक्ष की आँखों मे गुस्सा आ जाता है और उसके हाथों की मुट्ठियाँ कश जाती है। पर वो कुछ नहीं कहता और वैसे भी वो कम ही बोला करता था।

    "और वैसे भी क्या गलत कह दिया मैने? रिश्ते तो इसके बोझ थे ना तो जब ये बोझ उठा ही नहीं सकता था उसे अपने कंधे पर ज़िम्मेदारी लेनी ही नहीं चाहिए थी।" धारा चिड़ी हुई आवाज़ के साथ साथ थोड़े गुस्से मे भी कहती है।

    "और याद रखना अगर उसे कुछ हुआ ना तो उसके जिम्मेदार सिर्फ आधर्व ही होगा।" इतना बोल धारा वहा से मुँह फेर कर कियारा की बोर्ड की तरफ बढ़ जाती है।

    वाही अग्नि एक नज़र मोक्ष को देखती है जो अपने हाथों की मुट्ठी बांधे धारा को जाता हुआ देख रहा था वो उसकी आँखों मे गुस्सा देख सकती थी। अब उसे वहा पर घबराहट सी महसूस होती है जिसके बाद वो बेबी को लेकर जल्दी से धारा के पीछे निकल जाती है।

    कुछ देर बाद आदि के बोर्ड का डोर खुलता है और डॉक्टर अनिता बाहर आती है और उसी के साथ दो सीनियर डॉक्टरस भी जो सीधा वहा से निकल जाती है।

    पर डॉक्टर अनिता वाही खड़ी रहती है आधर्व अब जाकर अपनी नज़रे कमरे से हटा अनिता को देखता है आज पहली बार उसकी आँखों मे एक अजीब सी घबराहट डर था और चेहरे पर एक गिल्ट।

    " everything is fine doctor? " विराज डॉक्टर से पूछता है।

    डॉक्टर एक नज़र सभी की तरफ देखती है जो उसे उम्मीद भरी नज़रो से देख रहे थे उसके बाद विराज मोक्ष और फिर आधर्व को जो उसके बोलने का इंतेज़ार रहा था।

    डॉक्टर अनिता अपना मास्क उतारती है। और एक गहरी साँस लेकर धीमी और प्रोफेनल के साथ कहती है।

    "i am sorry. "

    डॉक्टर अनिता के मुँह से ये शब्द सुनते ही सबका दिल बैठ जाता है दादी जी के कदम तो लड़खड़ा जाते है और वो वाही चेयर पर बैठ जाती है। संध्या जी उसे सम्भलती है। वाही रिया और शिव दोनो एक दूसरे को देखने लगते है।

    "क्य_क्या मतलब है आपका?" अलोक जी जिन्होंने कल से कुछ नहीं कहा था वो अपनी बेचैनी छुपाते हुए डॉक्टर अनिता से कहते है।

    डॉक्टर अनिता उनकी तरफ देखती है फिर आधर्व की आँखों की तपिस महसूस कर अपना सर झुका धीमी आवाज़ मे कहती है।

    "i am sorry हमने बहुत कोशिश की पर ऐसा लगा जैसे वो खुद ही अपनी साँसे नहीं बचाना चाहती थी। हम उन्हे नहीं बचा पाय she is no more. "

    ये शब्द सुनते ही उस हॉस्पिटल मे दादी जी संध्या जी और रिया की रोने की आवाज़ गुंज उठती है। जिस चीज़ का उन्हे डर था वाही हो गया उनके सामने सब कुछ खत्म हो गया और वो लोग कुछ नहीं कर पाय।

    " shut your mout हिम्मत कैसे हुई मेरी little bird के बारे मे ऐसा बोलने की? जानती हो वो कौन है बीवी है वो मेरी और मेरी बीवी हारना नहीं जानती।" आधर्व अपनी जलती लाल आँखों से डॉक्टर अनिता को दाँत पिसते हुए गुस्से में कहता है।

    " मै समझ सकती हूँ आप एक्सेप्ट नहीं कर पा रहे पर सच यही है मिस्टर राठौड़ आपकी वाइफ ज़िंदगी से हार मान ली। हम चाह कर भी इसमे अब और कुछ नहीं कर सकते।" डॉक्टर अनिता सर झुकाय धीमी आवाज़ में कहती है।

    "तुम्हे समझ नहीं आ रहा क्या बोल रही हि तुम उसकी साँसे मुझसे जुड़ी है अगर मै सांस ले रहा हूँ तो इसका साफ मतलब है उसे कुछ नहीं हुआ।" आधर्व इस समय किसी पागल की तरह बाते कर रहा था आज उसकी आवाज़ मे कोई रोब कोई डर नहीं था आज उसकी आवाज़ नॉर्मल लोगी की तरह थी। जो किसी अपने की हालत से बैचैन हो जाते है।

    " आप लोग पेपर वर्क कम्प्लीट कर दीजिये उसके बाद डेथ बॉडी आप लोग ले जा सकते है।"

    " shut up shut up अब अगर एक बार और तुमने अपनी इस जुबान ने लिटिल बर्ड के बारे मे बकवास की तो जुबान खींच लूंगा तुम्हारी। कहा ना मैने वो बिल्कुल थी है उसे कुछ नहीं हो सकता वो मुझसे नाराज़ रहना चाहती है रहे। पर मैने उसे खुद से दूर जाने की परमिशशन कभी नहीं दी है।" आधर्व डॉक्टर अनिता चीख पड़ता है उसकी चीख इतनी ऊँची थी वहा मौजूद जितने भी लोग थे एक पल के लिए सभी सहम चुके थे।

    आधर्व गुस्से मे डॉक्टर अनिता को देखता है फिर उसे गुस्से मे धक्का देते हुए सीधा बर्ड के अंदर चल जाता है।

    " आधर्व!"

  • 6. war of love - Chapter 6

    Words: 2068

    Estimated Reading Time: 13 min

    आगे।

    "आधर्व open the door. " विराज आदि के बोर्ड के डोर पर हाथ मारते हुए कहता है क्युकी आधर्व ने अंदर जाते ही उस डोर को लॉक कर दिया था।

    " मिस्टर राठौड़ डोर खोलिये आप ऐसे रुल को नहीं तोड़ सकते आप बॉडी के पास अभी नहीं जा सकते।" डॉक्टर अनिता भी विराज के पीछे कहती है।

    पर अचानक ही उसे अपने ऊपर किसी की सख्त निगाहेँ महसूस होती है। वो अपना गला गिला करते हुए हलकी सी नज़र उठा कर विराज को देखती है जो काफी गुस्से से उसे घूर रहा था। सिर्फ विराज ही नहीं मोक्ष का भी यही रिएक्शन था।

    " आखिरी बार वर्न कर रहा हूँ बहन वो मेरी अगर उसे बॉडी बोला ना तो अपनी जुबान खु्द काट लेना वरना मैने कुछ किया तो पास्ताना पड़ेगा।" विराज डॉक्टर अनिता को काफी गिस्से मे वर्न करते हुए कहता है उसकी आवाज़ इतनी ज्यादा सख्त थी की अनिता को अपना शरीर टूटता सा महसूस हो रहा था।

    वाही सभी घर वाले भी पीछे ही खड़े थे दादी जी संध्या जी और रिया की आँखों से तो आँसू रुक ही नहीं रहे थे। वाही धारा अग्नि कियारा श्रेया और साधना जी को इस बारे मे पता नहीं था क्युकी वो सभी यहा मौजूद नहीं थी और ना ही किसी को इस बारे मे मालूम था।

    विराज डोर के छोटे से ग्लास सर्कल के जरिये अंदर देख रहा था। जहा आधर्व के कदम आदि की तरफ बढ़ रहे थे विराज बहुत कोशिश कर रहा था डोर खुलवाने की पर आधर्व खोलने को तैयार नहीं था।

    वाही दूसरी तरफ कियारा के बोर्ड में कियारा को अब जाकर होश आया था पर उसकी बॉडी मे वीकनेस थी जो इसके चेहरे से जाहिर हो रही थी।

    "भाभी ये आप क्या कर रही है प्लीज मत उठिये।" अग्नि कियारा से कहती है जो होश आते ही आदि के पास जाने की जिद्द करने लगी और जबदस्ती बेड से उठने लगती है।

    " मुझे आदि के पास जाना है।" कियारा रूखे और धीमी आवाज़ में बेड से उतरने की कोशिश करते हुए कहती है। पर अचानक उसके मुँह से अह्ह्ह की आवाज़ निकल जाती है।

    "आराम से पागल हो गई तु मना किया ना मत उठ स्ट्रिप लगी हुई है।" धारा जल्दी से कियारा के स्ट्रिप लगे हुए हाथ को थामते हुए कहती है।

    " कियारा बच्चे आदि ठीक है पहले आप ठीक हो जाओ फिर हम चलेगे उससे मिलने।" वाही मौजूद साधना जी कियारा के गाल पर हाथ रख प्यार से कहती है।

    कियारा नम आँखों से उनकी तरफ देखती है वो अपने आँसू नहीं रोक पाती और रुआसी आवाज़ में पूछती है। "वो ठीक तो होगी ना? मुझे बहुत घबराहट हो रही है। वो बहुत छोटी है अगर उसे कुछ हो गया तो मै पापा को क्या कहूँगी मै उनकी बेटी का ध्यान नहीं रख पाई?" कहते हुए कियारा बैठासा रो पड़ी।

    कियारा को रोता देख सभी की आँखों मे नमी आ गई साधना जी कियारा को अपने सीने से लगा उसके बालो को सेहलाते हुए कहती है।

    " कुछ नहीं होगा आदि हम सब है ना। बहुत स्ट्रांग है मेरी बेटी उसको कुछ भी नहीं होगा।" साधना जी कियारा का दिलासा देते हुए कहती है।

    " हाँ कियारा दी आप रो मत आदि ठीक हो जायेगी।" श्रेया अपनी धीमी आवाज़ में कियारा से कहती है।

    कियारा बस साधना जी के सीने से लगे रोती रहती है।

    "अच्छा अब बस चुप हो जा और आराम से लेट मै आती हूँ आदि को देख कर फिर तुझे भी ले चलूंगी।" धारा कियारा को बेड पर रेस्ट करने का बोल वहा से जाने लगती है।

    इतने मे डोर खुलता है और एक नर्स अंदर आती है। धारा हलका सा मुस्कुरा उसके बगल से निकल जाती है।

    वाही नर्स अंदर आती है और कियारा का BP और टेम्प्रेचर चेक करने लगती है।

    वाही साधना जी कुछ सोच उस नर्स से कहती है।

    "सिस्टर VIP बोर्ड मे मेरी बहु है आदि। उनकी कंडीशन कैसी है उसे होश कब तक आएगा।"

    साधना जी की बात सुनते ही उस नर्स के हाथ रुक जाते है और वो साधना जी को हैरानी भरी नज़रो से देखने लगती है। वाही नर्स को चुप देख कियारा अग्नि और श्रेया भी उसे देखने लगते है।

    " क्या हुआ सिस्टर? आदि को होश आया?" अग्नि नर्ष की खामोशी को देख पूछती है।

    नर्स अग्नि और कियारा को देखती है और धीमी आवाज़ में कहती है। "आप लोगो को नहीं पता चला?" नर्स थोड़े हैरानी से सवाल करती है।

    कियारा तुरंत ही पूछ पड़ती है। "क्या नहीं पता? कोई बात है क्या?" कियारा अपनी बेचैनी भरी आवाज़ मे कहती है।

    नर्स हाँ मे सर हिलाती है और कहती है। " उनकी कंडीशन काफी ज्यादा खराब हो गई थी और अब वो नहीं रही। उनकी डेथ हो गई।"

    नर्स का ये कहना ही था सभी को एक झटका सा लगा अग्नि अपने मुँह पर हाथ रख दो कदम पीछे हो जाती है। श्रेया उसे संभालती है।

    "य_ये ये आप क्या बोल रही है। होश मे तो है बहन है वो मेरी वो अपनी दिदु को छोड़ कर कही नहीं जा सकती।" कियारा थोड़े गुस्से मे उस नर्स पर बरस पड़ती है। साधना जी को तो जैसे होश ही नहीं रहता।

    "देखिये हम समझ सकते है आप सब पर क्या बीत रही है पर यही सच है। वो अब नहीं रही आपको एक्सेप्ट करना होगा।" नर्स काफी calmly वॉइस में कहती है।

    " क्या एक्सेप्ट करना होगा। आप को पता भी है क्या बोल रही है आप। वो इंसान है खिलौना नहीं सब के सब क्यू मज़ाक़ बना रहे है उसकी ज़िंदगी का। उसे कुछ नहीं हुआ है।" कियारा बेड से उठते हुए कहती है उसकी आँखों से आंसु निकल रहे थे। उसका दिल बैचैन हो चुका था पर वो मानने को तैयार नहीं था।

    कियारा को इस तरह उठता देख नर्स जल्दी से कियारा को पकड़ते हुए कहती है। "ये आप क्या कर रही है प्लीज बैठी रहिये आपको हर्ट होगा।"

    कियारा उसका हाथ झटक अपने हाथों से स्ट्रिप निकालते हुए चिड़ी हुई आवाज़ में कहती है।

    "मुझे नहीं रहना यहा मुझे अपनी आदि के पास जाना तुम सब बुरे हो। कोई नहीं चाहता वो ठीक हो सब उसे तकलीफ देने पर लगे हो। मै नहीं रहने ढूंगी अपनी बहन को यहाँ।" कियारा जैसे पागल ही हो चुकी थी।

    वो कहते हुए अपनी जगह से उठती है और लड़खड़ाते हुए बोर्ड से बाहर निकल जाती है। वाही अग्नि श्रेया और साधना जी जो अपना होश गवा बैठे थे उन तीनो का ध्यान टूटता है और वो सब भी कमरे से बाहर निकल जाते है।

    " सुनाई नहीं दिया little bird मै तुमसे क्या कह रहा हूँ?" आधर्व अपने सामने बेजान सी आदि को देखते हुए कहता है।

    आदि जो बेड पर अपनी आँखे बंद कर लेटी हुई थी। आदि का चेहरा जो पुरी तरह से मुरझा सा गया था पर उसके चेहरे की खूबसूरती अभी भी कायम थी। उसकी बड़ी बड़ी पलके जो इस समय बंद थी। उसके गुलाबी चेरी जैसे होंठ जो सुख चुके थे खूबसूअरत चेहरा जो बेजान सा हो चुका था।

    इस समय आदि को देख कर कोई नहीं कह सकता की आदि की साँसे नहीं है। बल्कि उसे देख कर ऐसा लग रहा था जैसे वो सुकून से सो रही है।

    और शायद सच भी यही था। जिसे ज़िंदगी भर सुकून की तलाश रही जो जिसकी ज़िंदगी हमेशा तकलीफो से भरी रही उसके लिए तो उसकी मौत ही उसका सुकून होगी।

    " सुना नहीं तुमने बहुत हुआ तुम्हारा चलो उठो बहुत परेशान कर चुकी हो मुझे अब फटाफट उठो घर चलो।" आधर्व आदि को देख टूट चुका था पर वो सच को अक्कपेट करना ही नहीं चाहता था। वो आदि पर ऑर्डर देते हुए कहता है।

    पर अफ़सोस इस बार आदि उसके ऑर्डर को सुन ही नहीं सकती।

    फिर आधर्व अपना हाथ आगे बढ़ा एक हाथ से उसके छोटे से नाजुक से हाथों को हाथ मे लेता है और दूसरे हाथ से उसके छोटे से चेहरे गाल पर रख बेहद धीमी नर्म आवाज़ में कहता है।

    " i am sorry बच्चा गलती हो गई मुझसे। मै जानता हूँ तुम नाराज़ हो मुझसे पर इस तरह मत करो उठ जाओ तुम्हे जी सज़ा देनी है दे देना पर मुझे छोड़ कर मत जाओ। you are my everything little बर्ड." कहते हुए आधर्व की आवाज़ लड़खड़ा सी जाती है उसकी आँखों मे आँसू जाते है।

    जी हाँ आँसू ज़िंदगी मे पहली बार शायद आज आधर्व सिंह राठौड़ की आँखों मे आंसु आये थे। वो आज रो रहा था उसका दिल उसके साथ रो रहा था। उसने जो किया वो कभी नहीं जानता था उसकी गलत फैल्मी की उसे इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। वो कभी आदि को अपने सामने इस तरह नहीं देख सकता था।

    आधर्व आदि के चेहरे को देखते हुए झुक कर उसके माथे पर अपने होंठ रख चूमता है और उससे दूर होकर उसके बालो को सेहलाते हुए कहता है।

    "नहीं रह पाऊंगा कभी तुम्हारे बिना। और ये बात मैने इन कुछ दिनों मे अच्छे से जान ली है। तुम मेरा सब कुछ हो बेबी सब कुछ तुम मेरी। नहीं चाहता था कभी किसी को अपनी कमज़ोरी बनाना पर तुम मेरी कमज़ोरी हो। हाँ हो गया था मै पागल पर तुम तो जानती हो ना मै कितना बड़ा stup it कितना गुस्सा करता हूँ। फिर भी इतना ज्यादा नाराज़ हो गई मुझसे?" आज आधर्व आज आदि से वो सब कह रहा था जो शायद वो कभी सपने में भी नहीं कह सकता था।

    आज उसकी आवाज़ मे दर्द तड़प अकेलापन सब था। उसकी आँखों से बेहता आंसु जो उसके गालो पर रुका हुआ था उसकी तकलीफ बाया कर रहे थे की उसे आज कितनी ज्यादा तकलीफ हो रही है आदि को यहाँ देख कर।

    और उसकी बाते अगर कोई सुन ले तो यकीन ही ना कर पाय ये वाही आधर्व सिंह राठौड़ है एक पथर दिल इंसान जो रिश्तो से नफरत करता था जिसके अंदर किसी के लिए कोई जज्बात ही नहीं थे। वो आज एक लड़की के लिए रो रहा था उससे आज अपना एगो अपना ऐटिटूड सब कुछ साइड रख उसे अपने पास वापस आने के लिए मना रहा था।

    पर क्या फयदा था इस चीज़ का क्युकी जिसे वो ये सब बता रहा था वो तो ना उसकी बाते सुन सकती थी और बोल सकती थी बस महसूस कर सकती थी।

    कितनी अजीब बात है ना ज़िंदगी भर आदि को सबने तकलीफ और दर्द के सिवा कुछ नहीं दिया। आधर्व भी उसकी ज़िंदगी में एक सूरज की रौशनी की तरह आया जिसने उसे पहले सुकून तो दिया पर बाद मे उसे ही जला दिया।

    जिस चीज़ जिस प्यार जिस एहसास के लिए वो तड़पती रही तरसती रही। वो सब आज उस मिल रहा था आज आधर्व के साथ साथ सभी घर वाले को आदि की अहमियत का पता चल रहा था। पर अफ़सोस आदि जो ज़िंदगी भर इन सब एहसास के लिए तड़पती रही और आज उसे ये सब मिला तब जब वो अपनी साँसे छोड़ चुकी थी। इस दुनिया और यहाँ के लोगो से अपना मुँह मोड़ चुकी थी।

    " माफ़ कर दो। मै तुम्हे ऐसे नहीं देख सकता मै आधर्व सिंह राठौड़ जो कभी किसी के आगे नहीं झुका पर तुम्हारे आगे झुक रहा है little bird. बहुत प्यार करता हूँ मै तुमसे नहीं करना चाहता था पर पता नहीं कब हो गया। और मै अब तुम्हे खुद से दूर जाने की परमिशशन नहीं दे सकता सुना तुमने इसलिय चुप चाप से उठो और मुझ पर गुस्सा करो नाराज़ हो जो करना है करो पर यु खामोश मत रहो।" आधर्व की आवाज़ धीमी होती जा रही थी और आवाज़ मे दर्द बढ़ता जा रहा था।

    पर आदि जो बस युही बेजान सी खामोश हो चुकी थी।

    " little bird सुना नहीं तुमने क्या कहा मैने i love you नहीं रह सकता तुम्हारे बिना। तुम्हे मेरे पास ही रहना होगा हर हाल मे समझी तुम।"

    आदि को चुप देख इस बार आधर्व अपनी सर्द और तेज आवाज़ में उससे कहता है। और कुछ पल आदि को देखने के बाद आदि के ऊपर झुक उसके सुर्ख नर्म होंटो पर अपने सख्त ठंडे होंठ रख अपनी आँखे बंद कर उसके होंठो को चूमने लगता है।

    वाही बाहर खड़े विराज और सभी घर वाले वो नज़ारा बखूबी देख पा रहे थे। हाँ वो लोग उसकी बाते नहीं सुन पा रहे थे पर उसका दर्द उसकी तकलीफ सभी को दिखाई दे रही थी। क्युकी जिस तरह आधर्व बिहेव कर रहा था वो उनका आधर्व था ही नहीं जिसे सारी दुनियाँ जानती थी। ये कोई और था ये आधर्व सिंह राठौड़ नहीं आधर्व था आदि का आधर्व।

  • 7. war of love - Chapter 7

    Words: 2440

    Estimated Reading Time: 15 min

    आगे।

    " छोड़ो मुझे ये डोर क्यू बंद है मुझे आदि के पास जाना है। छोड़ो ना मुझे जाने दो मेरी बहन अकेली है उसे दर्द हो रहा होगा। मै रहूंगी उसके पास तो जल्दी ठीक हो जायेगी।"

    कियारा बैतसा रोते हुए कहे जा रही थी वाही विराज ने उसे पीछे से कश के पकड़ रखा था क्युकी वो जब से आई थी तब से डोर पर हाथ मार रही थी खोलने के लिए। जिस वजह से उसका हाथ भी जख्मी हो चुका था।

    वाही मौजूद सभी घर वाले जो पहले ही आदि की खबर से टूट चुके थे अब कियारा की ऐसी हालत उसको इस तरह बिखरता देख सभी की आँखों मे आंसु थे और सभी मुँह पर हाथ रख रो रहे थे।

    उनसे कियारा की हालत नहीं देखी जा रही थी। कियारा इस समय बिल्कुल बिखर सी गई थी वो किसी के काबू मे नहीं आ रही थी। वो लगातार विराज से खुद को छुड़वाने के लिए चीख चिल्ला रही थी पर विराज ने अपनी पकड़ हलकी भी ढीली नहीं की थी।

    इस समय वो VIP बोर्ड मे सिर्फ राठौड़ फॅमिली ही मौजूद थी। और इस समय वहा कियारा की ही दर्द भरी रोने की आवाज़ गुंज रही थी जो अंदर तक सबको डरा रही थी।

    " कियारा खुद को सम्भल तबियत खराब हो जायेगी। और आदि का सोच उसे कैसा लग रहा हो तुझे इस तरह देख कर।"

    धारा जिसे कियारा की तबियत की फ़िक्र होने लगी थी। क्युकी कियारा जिस तरह से रो रही थी अब सबको उसकी फ़िक्र होने लगी थी। आदि को तो सब खो चुके थे पर कियारा को तकलीफ मे देखने की किसी मे हिम्मत नहीं थी।

    " नहीं मुझे मेरी आदि के पास जाना मुझे जाने दो। वो बिल्कुल ठीक है देखना मुझे देखेगी ना तो बिल्कुल ठीक हो जायेगी।" कियारा रोते हुए धारा को देखते हुए कहती है।

    वो लगातार विराज से छूटने की कोशिश कर रही थी। पर विराज जिसे अब उसकी फ़िक्र होने लगी थी कियारा allraedy अभी बेहोश होकर उठी थी। और कल से वो कंटिन्यू रो ही जा रही थी। जिससे अब विराज को कियारा की फ़िक्र होने लगी थी कही वो अपनी तबियत खराब ना कर दे।

    "excause me. "

    एक धीमी आवाज़ सभी के कानो मे जाती है। और सभी थोड़ी दूरी पर खड़ी एक नर्स को देखते है। जो उनकी तरफ ही आ रही थी।

    " वो डॉक्टर अनिता कह रही थी आप लोगो मे से कोई चल कर पेपर वर्क कर दीजिये। ताकि बॉडी आप ले जा सके यहाँ से। और आप लोग प्लीज डोर खुलवा दीजिये हमें बॉडी को बाहर निकलना है।" वो नर्स धीमी आवाज़ में कहती है।

    " okay चलो।" मोक्ष उस नर्स को कहता है और वहा से जाने लगता है इतने मे कियारा जो जल्दी से पुरी कोशिश कर विराज से छुट कर मोक्ष का हाथ पकड़ लेती है।

    "नहीं नहीं तुम कही नहीं जाओगे। आप लोग क्या कर रहे हो ये नर्स कुछ भी बोल रही है ये मेरी आदि को बॉडी कैसे कह सकती है। आप लोग इसे मना करो।" कियारा मोक्ष के बाजू को कश कर पकड़ रखी थी जैसे अगर इसने छोड़ तो वो चला जायेगा।

    वाही मोक्ष चाहता तो एक झटके से कियारा से अपना बाजु छुड़वा सकता था पर वो कियारा की हालत देख चुप रहता है और दूसरा वो विराज को देखने लगता है।

    वाही विराज जिसे कियारा का खुद से दूर जाना और मोक्ष को पकड़ना बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। हलाकि उसे पता था कियारा को खुद पता नहीं है वो क्या कर रही है पर फिर भी उसे पसंद नहीं आता है।

    वाही कियारा जिसे अब उस नर्स को देख गुस्सा बढ़ता जा रहा था और उसने एक मिनट के अंदर उस नर्स को बहुत सारी बाते सुना दी थी।

    " पागल हो गई हो छोड़ो मोक्ष दिमाग सही है तुम्हारा। जाने दो हमें आदि को घर लेकर जाना है।" विराज कियारा से मोक्ष को छुड़वाते हुए कहता है।

    कियारा विराज की बाते सुनती है और गोर करती है। और रोते हुए ही विराज की तरफ अपना चेहरा हलका सा घुमा कर देखती है क्युकी कियारा की पीठ इस समय विराज के सीने से चिपकी हुई थी।

    "घर!"

    " हाँ हम आदि को घर लेकर चलते है। ये लोग बुरे है देखो कैसी कैसी बाते कर रहे है उसे बॉडी बोल रहे है बताओ क्या हमारी आदि बॉडी है। आदि तो सो रही है ना वो जब उठेगी तो मै बताउंगी उसने हम सब को कितना परेशान किया। पर अभी हम उसे अपने साथ लेकर चलते है घर ये नर्स बुरी है और डॉक्टर भी हम अच्छे डॉक्टर को दिखाएंगे उसे।"

    कियारा बिल्कुल किसी पागल की तरह बाते कर रही थी। उसने विराज की बातो का मतलब भी अलग निकाल लिया था। उसका दिल आदि को खोने के लिए तैयार ही नहीं था। वो बस किसी पागल की तरह रोते हुए विराज से कह रही थी।

    वाही विराज जिसने आज तक ऐसी sitution हैंडल नहीं की थी और उसे नहीं पता था वो अभी कैसे रियेक्ट करे। पर कियारा को इस तरह देख उसके लिए उसकी फ़िक्र बढ़ती जा रही थी।

    "तुम यहाँ क्या कर रहे हो? अब जाओ जल्दी जाओ हम आदि को घर लेकर जायेगे।" कियारा मोक्ष को अभी तक खड़ा देख उसे डांटते हुई आवाज़ में कहती है।

    मोक्ष की आँखे छोटी वो जाती है वो विराज को देखता है विराज उसे आँखों से इशारा करता है और वो चुप चाप वहा से चला जाता है।

    मोक्ष के जाने के बाद कियारा विराज को उम्मीद भरी नज़रो से देखते हुए कहती है। "तुम आदि को सच में घर लेकर चलोगे ना?"

    "हाँ कियारा हम आदि को घर लेकर चलेंगे तु शांत हो जा वरना तबियत खराब हो जायेगी ना।"

    कियारा की बातो का विराज कोई जवाब देता उससे पहले धारा उसके पास आती और प्यार से उसे समझती है। विराज धारा की तरफ देखता है तो धारा उसे आँखों से चुप रहने का इशारा करती है।

    वाही सभी घर वाले भी इस बारे में कुछ नहीं कहते क्युकी उन्हे पता है इस समय कियारा अपना मानसिक संतुलन खो बैठी है अगर उन्होंने उसकी गलत फिल्मी दूर करने की सोची या ये बताया की वो आदि को नहीं उसकी बॉडी को ले जाने वाले है तो कही कुछ गड़बड़ ना हो जाय।

    कियारा की आँखों मे नमी और चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है। वो धारा को देखते हुए हलका सा सर घुमा कर विराज को देखती है।

    विराज उसे देख कहता है। " हम्म हम लेकर चलेंगे आदि को घर तुम परेशान होना बंद करो।" विराज चाह कर भी कियारा से कुछ नहीं कह सकता था।

    " कियारा भाभी आप चलो चल कर थोड़ा आराम कर लो हम सब यही है आदि के पास बेबी भी उठ गया होगा।" अग्नि कियारा के पास आकर उससे कहती है।

    कियारा अग्नि को देखती है फिर उससे अपना हाथ छुड़वाते हुए पलट कर विराज के सीने से चिपक कर उसके कलर को अपने दोनो हाथ से भींच कर ना मे सर हिलाते हुए कहती है।

    "ना_नहीं मै कही नहीं जाउंगी। मै आदि के साथ घर जाउंगी।" कियारा इस तरह बिहेव कर रही थी जैसे वो कोई पागल हो या अग्नि कोई अनजान जो उसे जबदस्ती ले जाने आई हो।

    अग्नि समेट सभी की आँखों मे आंसु थे सबका दिल यही सोच सोच कर फटा जा रहा था पता नहीं आदि के जाने के बाद कियारा को कैसे संभालेंगे सब कही कियारा को कुछ हो ना जाय।

    अग्नि कियारा को देखती है फिर विराज को विराज अपनी पलके छपकाता है अग्नि चुप चाप पीछे हो जाती है।

    उसके बाद विराज कियारा से कुछ कहता उससे पहले उसे अपने सीने पर कियारा की भारी साँसे महसूस होती है। वो जब कियारा को हलका सा दूर करता है तो देखता है कियारा ढीली पड़ चुकी है जिसका साफ मतलब था वो उसकी बहो मे ही रोते हुए बेहोश हो गई।

    " ये लड़की सच मे मरना चाहती है मेरे हाथ से।" विराज कियारा को देख दाँत पिसते हुए खुद मे बुदबुदाता है।

    और फिर उसे अपनी गोद में वाही बने एक और कमरे ले जाकर उसे लेटाता है। और बाहर आता है।

    वाही आदि के बोर्ड मे करीब आधा घंटा होने वाला था पर आधर्व के होंठ आदि के होंठो से जुड़े हुए थे आधर्व पुरी तरह आदि पर झुका हुआ था। आज पहली बार था जब आधर्व इतनी सिद्द्त के साथ आदि को महसूस कर रहा था।

    वरना आज तक आधर्व ने आदि के साथ कभी कोई बत्तमीज़ी और ना ही कोई लिमिट क्रॉस की थी। हाँ बस एक बार दोनो की किस हुई थी और वो भी कुछ ही मिंटो के लिए।

    पर यहाँ ये एहसास अलग था यहाँ आदि को खो देने का डर आधर्व के अंदर घर कर चुका था उसकी बेचैनी जो चाह कर भी बाया नहीं कर सकता था। वो सब आदि के होंठो पर उतार रहा था। आधर्व काफी सॉफ्टली उसके नाजुक नर्म होंठो को चूम रहा था जैसे आदि कोई मोम की गुड़ियों हो।

    आधर्व की आँखे बंद थी पर उसकी आँखों से आँसू कतरा कतरा कर के निकल रहे थे जैसे आदि की मौत ने उसे तोड़ दिया हो। उसका एक हाथ आदि के बालो को कंटिन्यू सेहला रहा था जैसे आदि सो रही हो।

    अब उसका लेफ्ट हैंड आदि के दाहिनी हाथों की तरफ बढ़ने लगते है वो उसे वैसे ही चूमते हुए उसका हाथ अपने हाथों मे लेकर उठता है। सच मे आदि के हाथ ढीले किसी नाजुक कपड़े की तरह हो चुके थे।

    आधर्व आदि के हाथों को उठा उसका हाथ अपने बाय साइड सीने पर ले आता है और वहा अपने दिल के पास उसके हाथ को रख देता है।

    और आदि के होंठो को चूमना बंद कर हलका सा उसके होंठो से दूर हो अपनी आँखे खोलता है जो आंसुओ से भींग कर लाल हो गई थी पलके गीली हो चुकी थी। उसके होंठ अभी भी आदि के होंठो को छु रहे थे।

    आधर्व आदि के बालो को सेहलाते हुए अपना दूसरा हाथ आदि के हाथों को पकड़े हुए दिल पर रखे हुए कहता है।

    " माफ़ कर दो little bird i need you baby मुझे छोड़ कर मत जाओ तुम्हारी नाराज़गी मंजूर है पर दूरियां नहीं।" आधर्व की आवाज़ काफी धीमी थी और उस आवाज़ मे एक लड़खड़त सी थी।

    "ऐसे जिद्द मत करो तुम्हारी हर जिद्द पुरी की है मैने बस एक गलती हो गई मुझसे उसकी इतनी बड़ी सज़ा मत दो। देखो मेरी धड़कन को जो तुम्हारे बिना धड़क नहीं पा रहा।" आधर्व आदि के हाथों को अपने दिल के पास करते हुए अपनी गर्म सांसे उसके होंठो पर छोड़ते हुए कहता है।

    सच मे आधर्व के दिल मे एक अजीब सी बेचैनी अजीब सा दर्द हो रहा था जिसे वो बाया नहीं कर पा रहा था उसे ऐसा लग रहा था जैसे आदि के साथ साथ उसकी साँसे भी उससे बगावत कर रही है। जो कभी नहीं टूटा था वो आज टूट रहा था।

    सही कहते है लोग मोहब्बत आग की तरह होती है अगर ज्यादा पास जाओगे तो तुम्हे उसमे जलना ही पड़ेगा। और जल कर निखर गये तो सोना बन जाओगे और ना जल पाय तो खाली हाथ रह जाओगे।

    ऐसा ही थी इन दोनो की मोहब्बत।

    " क्या तुम्हे महसूस नहीं हो रही मेरी दिल के धड़कन?" आधर्व की आवाज़ मे इस समय दर्द के साथ साथ एक कशिश भी थी।

    आधर्व अब बिल्कुल खामोश हो जाता है और आदि की बंद पलकों को देखने लगता है और अनजाने मे उसकी आँखों से आंसु की एक बूँद आदि की पलकों पर जा गिरती है।

    इसी के साथ अचानक ही आदि की पलके हलकी ही हिलती है और अचानक ही वो अपना मुँह खोल गहरी साँस लेती है।

    "हांन्हा! "

    ये आवाज़ जैसे ही आधर्व के कानो मे जाती है वो अपनी नज़रे उठा कर आदि को देखता है। जिसकी आँखे खोली हुई थी और वो अपनी आँखे बड़ी कर लम्बी लम्बी साँसे ले रही थी उसके हाथ पेरो की मूवमेंट हो रही थी।

    "little bird. " आधर्व आदि को देख जल्दी से उसके गाल पर हाथ रख अजीब से जज्बात के साथ कहता है।

    वाही आदि जो सिलिंग को देखते हुए बस साँसे भरी जा रही थी जैसे वो अपनी साँसों को रोकना चाहा रही हो जाने से। पर उसकी साँसे इस तरह ऊपर निचे होने लगी जैसे वो कभी भी जा या आ सकती थी।

    आधर्व आदि को इस तरह देख जल्दी से अपने आंसु साफ कर उसके बालो को सहलाते हुए कहता है।

    " calm down बच्चा take a breath में अभी डॉक्टर को बुला कर लाता हूँ।" इतना बोल जैसे ही आधर्व वहा से जाने को होता है।

    इतने में उस बोर्ड का डोर एक झटके से टूटता है आधर्व सामने देखता है तो विराज खड़ा था और उसके पीछे डॉक्टर अनिता और दो नर्से खड़ी थी।

    " यहाँ तमाशा करने के लिए नहीं बुलाया है जाओ जाकर देखो उसे।" विराज डॉक्टर अनिता से सर्द आवाज़ में कहता है।

    उसके कहते ही वो जल्दी से आदि के पास जाती है और उसे चेक करने लगती है। वाही आधर्व जो विराज को कुछ सोचते हुए देख रहा था और विराज की आँखे पढ़ने की कोशिश कर रहा था।

    विराज को अपने सामने डॉक्टर के साथ देख उसके दिमाग में इस समय एक ही बात चल रही थी। विराज को कैसे पता चला आदि के होश आने का? और वो सही मोके पर डॉक्टर को लेकर पहुचा पर अभी इस चीज़ो का समय नहीं था इसलिय आधर्व कुछ नहीं कहता है।

    "आदि!"

    "आदि!"

    विराज के पीछे पीछे सभी घर वाले अंदर आते है। और सभी की नज़र आदि पर पड़ती है जिसकी चलती साँसे देख सभी घर वाले की साँसों मे सांस आती है। सभी अपने दिलो को थामे खड़े आदि को बेचैनी भरी नज़रो से देखने लगते है।

    धारा आदि को देख जल्दी से जल्दी से उसके पास जाती है वाही आधर्व जिसने अभी तक आदि का हाथ थमा हुआ था वो आदि को देख रहा था।

    धारा डॉक्टर अनिता के साथ मिलकर आदि को चेक करने लगती है। धारा आदि के हाथों की पल्स को चेक करते हुए मशीन पर चल रही लाइनों को देखती है फिर डॉक्टर अनिता को दोनो ही इशारो इशारो मे कुछ कहते है।

    कुछ देर ऐसे ही बीतने के बाद डॉक्टर अनिता एक इंजेक्शन आदि के हाथों पर लगाती है जिसे लगते ही आदि वापस से शांत हो जाती है। और ढीली पड़ जाती है।

    "little bird. " आदि की वापस से बंद पलके देख आधर्व बेचैनी से उसका नाम लेता है।

    "क्या हुआ bird को क्या किया तुमने हिम्मता कैसे हुई तुम्हारी।" आधर्व गुस्से मे डॉक्टर अनिता के ऊपर बरस पड़ता है।

    आधर्व का गुस्सा इस समय काफी खराब था जिसे सुन डॉक्टर अनिता सहम जाती है और वो कुछ कह पाती उससे पहले धारा कहती है।

    " मै बताती हूँ।"

  • 8. war of love - Chapter 8

    Words: 1781

    Estimated Reading Time: 11 min

    आगे।
    सभी बोर्ड के बाहर खड़े थे। आधर्व अपने दोनो हाथ अपने सीने पर बंधे अपनी सर्द आँखों से डॉक्टर अनिता और धारा को देख रहा था और उनके बोलने का वेट कर रहा था।

    डॉक्टर अनिता जो कल से ही आधर्व तो कभी विराज तो कभो राठौड़ फॅमिली से डरी हुई थी। उसके साथ ज़िंदगी मे पहली बार ऐसा कैश आया था जिसे उसे पेसेंट की चिंता कम और अपनी ज्यादा होने लगी थी। कल से हॉस्पिटल का माहौल इतना ज्यादा गर्म और खतरनाक था की अच्छे अच्छे डॉक्टर की हालत खराब हो जाय।

    डॉक्टर अनिता जो डरी हुई थी वो धारा को एक नज़र देखती है धारा उसे तसल्ली देते हुए कहती है।

    " आपको जो बोलना है डॉक्टर अनिता आप बोल सकती है। आप एक डॉक्टर है और आपका काम डरना नहीं है सो प्लीज जो भी आप खुल कर बताइये आदि के बारे में।"

    धारा एक काफी अच्छी डॉक्टर थी और उसे डॉक्टर अनिता ही नहीं बल्कि वो पुरा हॉस्पिटल उसकी बहुत इज्जत जरता था। धारा सीटूशन को काफी अच्छे से हैंडल करना जानती थी। और उसका calm बिहेवियर लोगो के प्रति उसे एक अच्छे डॉक्टर मे शामिल करता था।

    धारा की बात सुन उसे थोड़ी हिम्मता मिलती है और वो हाँ मे सर हिलाती है। फिर आधर्व की तरफ देखती है जो उसे देख रहा था।

    " she is fine हमे नहीं पता ये कैसे हुआ और कैसे पॉसिबल हो सकता है किसी की साँसे जाने के बाद वापस आना its मिरिकल। किसी की साँसे जाकर वापस आना जैसे जीने की उम्मीद जागने जैसे होता है।" डॉक्टर अनिता एक सांस मे अपनी बात कहती है।

    " घुमा कर बताने की जगह सिर्फ हमें इतना जानना है आदि ठीक है या नहीं? अगर नहीं है तो आखिरी बार अपने भगवान को याद कर लेना।" विराज अपनी सख्त आवाज़ मे डॉक्टर अनिता को धमकी देता है।

    जिसे सुन एक बार फिर डॉक्टर अनिता डर जाती है।

    "विराज! behave your self डॉक्टर है वो भगवान नहीं। और ना ही तुम्हारी कोई गुलाम शांति से बाते सुन नहीं सकते तो जाओ कम से कम अपनी बीवी का ध्यान रखो जाकर।" धारा विराज की बातो से चिढ़ कर कहती है।

    विराज उसकी बातो पर बहुत बुरी तरीके से उसे घूरता है। " मुझे मेरी ज़िम्मेदारी का ताना मारने की जगह अपने पति को कुछ सिखाओ फिर मुझे बोलना।" विराज उसी की टोन मे उससे कहता है।

    "what you mean ये टोंट तुम किसे मार रहे हो? और रही सिखाने की तो तुमसे बेहतर अपनी वाइफी का ध्यान रखता हूँ तुम्हारी तरह तो बिल्कुल नहीं हु जिसे दो सालो से पता ही नहीं था अपने बच्चे और बीवी का।" विराज की बाते सुनते ही वाही खड़ा श्रांश विराज को ताना मरता है और जब विराज उसकी तरफ देखता है तो वैसे मुस्कुराता है जैसे वो उसका मज़ाक बना रहा हो। जिसे देख विराज अपने दाँत पिसते हुए मुट्ठी बंद कर लेता है।

    वाही मौजूद सभी घर वाले स्पेसली साधना जी संध्या जी रिया अग्नि और श्रेया उनका का तो दिल चाह रहा था वो जाकर अपना सर किसी दीवार पर दे मारे। मतलब इस sitution में भी इन्हे अपनी लड़की और ताना मरना ज़रूरी लग रहा है? like seriously?

    "shut up just shut up. "

    उन सबकी बातो से अर्रिट होकर आधर्व अपनी तेज आवाज़ मे चिल्लाता है जिसे सुन सभी खामोश होकर आधर्व को देखते है जिसका चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था।

    " मेरी little bird ठीक है या नहीं?"

    फिर आधर्व सभी को इग्नोर कर अनिता से सख्त आवाज़ में कहता है। अनिता डरते हुए जल्दी से हाँ मे सर हिला देतो है।

    "व_वो ठीक है पर प्रॉपर नहीं। उनकी साँसे चलने लगी है पर उनकी कंडीशन अभी भी काफी ज्यादा क्रिटिकल है। उनकी बॉडी जहर की वजह से काफी ज्यादा वीक हो गई है। हमें नहीं पता होश आने के बाद उनकी बॉडी मे कितनी मूवमेंट होगी और कितनी नहीं। पर आप लोगो को उनका ज्यादा से ज्यादा ध्यान रखना होगा और हेल्थी चीज़े ही खिलानी होगी।"

    " और हाँ उनकी बॉडी में शायद कुछ टाइम तक जहर का असर रहेगा क्युकी वो जहर पुरी बॉडी मे फेल चुका था। जिस वजह से हम मेडिसिन देंगे और वोमिटिंग के थ्रू उनकी बॉडी से धीरे धीरे बचा हुआ जहर निकलेगा। बाकी कुछ देर मे उन्हे होश आ जाएगा आप लोग मिल सकते है उनसे।"

    डॉक्टर अनिता हिम्मत कर फटाफत जितना बोल सकती थी एक सांस मे हिम्मत कर बोलती है। उसके बाद आधर्व बिना कुछ बोले सीधा आदि के बोर्ड के अंदर चला जाता है। विराज श्रांश को घूरते हुए कियारा के बोर्ड की तरफ बढ़ जाता है।

    वाही सभी घर वाले जब ये सुनते है आदि ठीक है उन सब के चेहरे पर एक मुस्कुरात आ जाती है और दिल मे सुकून। कल से वो लोग जिस मुसीबत जिस परीक्षा से गुज़रे थे। उनके लिए ये उम्मीद रौशनी बन कर आई थी।

    वाही रिया अग्नि और श्रेया तीनो एक दूसरे का हाथ जोरो से पकड़ एक दूसरे को देख मुस्कुरा देते है।

    "मै भगवान जी का धन्यवाद करके आती हूँ। उन्होंने हमारी सुन ली और हमारी बच्ची मौत को हरा कर वापस आ गई।" साधना जी अपने आँसू पोछते हुए मुस्किराहट के साथ कहती है।

    "हम भी चलते है।" संध्या जी साधना जी से कहती है और फिर दादी जी साधना जी और संध्या जी तीनो वहा से चली जाती है।

    कुछ देर बाद:-
    "मा_मैने मैने कुछ नहीं किया। मु_मुझ_मुझसे बा_बहुत बड़ी गलती हो गई मुझे माफ़ कर दीजिये।"

    एक लड़की जिसकी पुरी बॉडी खून से लतपत हो रखी थी और उसके दोनो हाथों से बैठासा खून बह रहा था वो फर्श पर पड़ी तड़पते हुए अपने सामने खड़े आधर्व और विराज को देखते हुए कहती है।

    "क्या कहा तुमने? माफ़ कर दु तुम्हे तुमसे गलती नहीं गुन्हा हुआ है और गुन्हा की सज़ा होती है माफ़ी नहीं।" आधर्व उस लड़की के हाथ पर अपने पेरो से लगड़ते हुए अपने दाँत पिसते हुए कहता है।

    "अह्ह्ह्हह!" वो लड़की दर्द से चीख पड़ती है।

    "मु_मुझसे गलती हो गई मै_मै लालच में आ गई थी।" वो लड़की तड़पते हुए दर्द भरी आवाज़ में कहती है।

    " कुछ पैसो के लिए तुम्हे पता है तुमने क्या किया? आज तुम्हारी लालच की वजह से मेरी little bird मुझसे दूर हो जाती है। हिम्मत भी कैसे हुई उसे छूने की उसे तकलीफ देने की अनह्ह्ह?" आधर्व उसके हाथों को मसलते हुए कहता है।

    "बताओ किसके कहने पर तुमने उसे वो इंजेक्शन दिया थम कौन है वो?" आधर्व चीखते हुए कहता है।

    उसकी आवाज़ से वो पुरा कॉटेज हिल जता है और वो लड़की जो एक नर्स थी उसका तो मानो पुरा बदन ही अकड़ जाता है।

    "मु_मुझे नहीं पता अह्ह्ह मै सच बोल रही हूँ। और मुझ_मुझे उस इंजेक्शन के बारे मे नहीं पता था अह्ह्ह मुझे बस एक कॉल आया था और उसने मेरे बैंक मे बहुत सरे पैसे ट्रांसफर कर दिया था और अह्ह्ह मुझे कहा की उनका आदमी मुझे एक इंजेक्शन देकर जायेगा और मुझे वो इंजेक्शन उन्हे लगाना है। अहह बाकी मुझे नहीं पता कुछ भी।" वो नर्स अपने दूसरे हाथ से अपने हाथों को उससे बचाने की कोशिश कर रही थी।

    आधर्व जिसका गुस्सा ऊपर जा चुका था वो अपनी गण तान उस नर्स के ऊपर गोली चला देता है। वो नर्स एक जोर दार चीख के साथ खामोश हो जाती है।

    " मेरी little bird के साथ बुरा करने वालो का अंजाम यही होता है। और तुमने तो उसे मारने की कोशिश की।" आधर्व उस नर्स को देखते कहता है।

    "इसकी बॉडी जंगल के जानवारो को खिला देना।" आधर्व अपने गार्ड्स को ऑर्डर देता है और फिर सीधा उस कॉटज से बाहर निकल जाता है।

    विराज उस नर्स की बॉडी को देखने के बाद वो भी वहा से चला जाता है।

    आधर्व सीधा आकर कार मे बैठता है और विराज ड्राइविंग सीट पर।

    "तुम्हे कैसे पता चला little bird के बारे मे।" आधर्व विराज से सवाल करता है।

    विराज बिना कोई बात छुपाय एक गहरी साँस लेता है और आधर्व की तरफ देख कहता है।

    " जब मै जूनियर को देखने गया था तब। कोरिडोर मे मैने इसकी बाते सुनी ये किसी से बात कर रही थी और कह रही थी की इसने आदि को वो वाला इंजेक्शन लगा दिया है जिससे आदि की साँसे बिल्कुल रुक जाएगी पर वो मारेगी नहीं क्युकी उसका असर उसपर धीरे धीरे होगा पर साँसे और धड़कने बिल्कुल रुक जायेगी जैसे आदि को सबको लगे वो मर चुकी है। और हुआ भी वैसा ही था।"

    विराज जो भी बाते सुनी थी और उसे पता थी सब वो आधर्व को बता देता हैं आधर्व को उसकी बाते सुन हद से ज्यादा गुस्सा आता है।

    आज अगर विराज ने उसकी बाते नहीं सुनी होती या आधर्व आदि के पास ना होता तो सच मे आज आदि उन लोगो से दूर जा चुकी थी।

    उन्हे तो कभी पता ही नहीं चलता ये किसी की चाल थी। जिसने आदि को ऐसा इंजेक्शन लगवा दिया जिससे आदि की धड़कन और साँसे रुक जाय और सब उसे मरा हुआ सोच कर जिंदा ही जला दे। वो तो शुक्र था विराज को जिसे एंड मोके पर पता चल गया और वो डॉक्टर को साथ ले आया। वरना आज कुछ भी हो सकता था।

    " इसलिय तुम डॉक्टर ले आये क्युकी तुम्हे पता चल गया था की little bird जिंदा है।" आधर्व विराज से कहता है विराज हाँ मे सर हिला देता है।

    आधर्व कुछ पल खामोश रहता है और कुछ सोच कहता है।

    " और मेरे लोंग kiss की वजह से उनकी बॉडी मे गर्मी गई जिस वजह से उसकी बॉडी की ब्लॉक ब्लड पतली हो गई और उसकी धड़कनो मे हलचल पैदा हो गई।"

    "हम्म्म क्युकी उस इंजेक्शन की वजह से आदि के कुछ ब्लड पुरी तरह से जम गये जिस वजह से उसके हार्ट को सिंग्नल नहीं मिल पा रहा था। पर जैसे ही तुम उसके करीब हुए उसकी बॉडी को गर्मी मिली।" विराज उसकी बात पर कहता है।

    मै आप सबको क्लियर कर दु। आदि की कंडीशन खराब हुई थी पर वो मारी नहीं थी। उसकी साँसे रुकी थी वो उस इंजेक्शन का असर था। वो एक ऐसा इंजेक्शन था जो काफो हार्ड होता है और वो किसी वीक बॉडी के अंदर जाता है जैसे आदि के बॉडी मे allredy जहर था जिस वजह से उसकी बॉडी मे वो इंजेक्शन का असर काफी जल्दी हुआ और उसकी बॉडी के कुछ ब्लड सेलक्योरेश्चन रुक गये जो हमारे हार्ट और माइंड से कनेक्टेड होते है जो हमारी बॉडी को सिंग्नल देते है।

    "जिसने भी ये किया है मुझे जल्द से जल्द वो अपने सामने चाहिए बहुत हो चुका ये चूहें बिल्ली का खेल।" आधर्व विराज को देखते हुए दाँत पिस कहता है।

    विराज उसे हाँ मे सर हिला कार स्टार्ट कर देता है और कुछ ही पल मे वो कार सड़क पर रेस लगाने लगती है।

  • 9. war of love - Chapter 9

    Words: 2635

    Estimated Reading Time: 16 min

    आगे।

    " देखो अभी मै नहीं आ सकती बात को समझो अभी फॅमिली मे बहुत प्रॉब्लम है। आदि की तबियत खराब है सभी फॅमिली हॉस्पिटल में है।"

    अग्नि कॉलिडोर से होते हुए आगे बढ़ रही थी उसने कानो पर अपना फोन लगा रखा था और फोन पर किसी से बात करते हुए आगे बढ़ रही थी।

    "हाँ मै भूली नहीं हूँ मैने तुमसे वादा किया है ना तो मै निभाउंगी। पर प्लीज तुम कुछ दिन रुक जाओ और अपना ध्यान रखो। टाइम मिलते ही मै तुमसे मिलने आती हूँ।" अग्नि जिसके चेहरे पर थोड़ी परेशानी वाले भाव थे आँखे रोने की वजह से सुजे हुए बाल भी भिखरे हुए थे। वो बात करते हुए आगे बढ़ रही थी।

    "आऊंच मै गिर गई।" अग्नि अचानक किसी से टकरा जाती है और सीधा फर्श पर मुँह के बल गिर जाती है। उसका फोन भी उसके हाथ से छुट उसके बगल मे गिर जाता है।

    अग्नि के एक हाथ को कोहनी मे चोट लग जाती है और वो अपने हाथों को सेहलाने लगती है।

    "Ahhh आंधे हो देख क_कर कर. . ."

    जैसे ही अग्नि अपना चेहरा ऊपर उठती है सामने खड़े शख्स को देखते ही वो कहते हुए रुक जाती है।

    अब उसको समझ नहीं आता क्या करे वो इधर उधर अपनी नज़रे कर अपना फोन उठाती है और जल्दी से अपनी जगह पर खड़ी होती है।

    "i am sorry मै_मैने देखा नहीं।"

    " last बार वर्न कर रहा हूँ दूरी बना कर रहा करो समझी आगे से मुझसे टकराई तो sorry बोलने का भी मौका नहीं मिलेगा।" मोक्ष दाँत पिसते हुए अग्नि को घूरते हुए कहता है।

    अग्नि हलकी सी सहम जाती है। "मैने जान बुझ नही टकराई।"

    " ये एक्सक्यूज घर वालो को देना। वो आएंगे तुम्हारी बातो मे तुम जैसी लड़कियों को अच्छे से जानता हूँ मै।" मोक्ष काफी सर्द और रुड टोंन में उससे कहता है। और बिना उसकी बात सुने वहा से चला जाता है।

    उसके जाने के बाद अग्नि अपनी नज़रे उठा मोक्ष को जाते हुए देखती है उसकी आँखों में आँसू थे। दर्द की वजह से नहीं मोक्ष की बातो की वजह से।

    " तुम हमेशा मुझे गलत समझते हो।" अग्नि मन में कहती है और अपनी आँखे बंद कर लेती है। आँखे बंद करते ही उसकी आँखों मे ठहरा आंसू उसके गालो पर आ गिरता है।

    वो आँखे खोल अपने आँसू साफ करती है फिर फोन को देखती है जिसपे फोन कॉल अभी भी ऑन था। वो जल्दी से फोन कान मे पास लगाती है।

    "हेल्लो!" अग्नि धीमी आवाज़ में कहती है।

    उस तरफ से कुछ कहा जाता है जिसे सुन वो हलका सा दर्द भरी मुस्कुराहट मुस्कुराहती है और कहती है।

    "हम्म्म ये मोक्ष ही था।"

    कहकर कुछ पल की खामोशी के बाद अग्नि वापस बोलती है। "अच्छा तुम ध्यान रखो अपना मै आउंगी तुमसे मिलने।" इतना बोल वो फोन कट करती है और अपने आंसु साफ करते हुए वहा से चली जाती है।

    दूसरी तरफ आदि बेहोश बेड पर थी। आधर्व उसके पास ही चेयर पर बैठा उसकी उंगलियों के साथ खेल रहा था। उसकी नज़र एक पल के लिए भी आदि से नहीं हटी थी।

    "आज तो जान ही निकाल दी थी तुमने।" आधर्व आदि के बालो को उसके चेहरे से हटाते हुए कहता है।

    और फिर झुक कर आदि के माथे पर अपने होंठ रख उसे लाइट kiss कर उसके माथे और बालो को सेहलाते हुए कहता है।

    "मै अभी आता हूँ।" इतना बोल वो वाही बने बालकनी मे चल जाता है और अपने पॉकेट से एक सिगरेट निकाल अपनी आँखे बंद कर उसके कश लेने लगता है।

    "आदि!" कियारा झटके से अपने बेड पर उठ कर बैठती है।

    उसके चेहरे पर बेचैनी और घबराहट के मारे चेहरे पर पसीना था। उसकी साँसे तेज चल रही थी।

    " you are okay? "

    विराज जो वाही सोफे पर बैठ अपना काम कर रहा था। कियारा को होश मे आता देख उसके पास सामने आकर खड़ा होता है।

    कियारा जो बेचैनी से खुद को और कमरे को देख रही थी वो विराज की आवाज़ सुन अपना सर उठा उसे देखती है।

    "आ_आदि!"

    " ठीक है वो।" विराज कियारा के कहते ही कहता है।

    "मुझे उससे मीलना है।" कियारा रूखे पन के साथ कहती है। और फिर बेड से उठने लगती है।

    " अभी नहीं अभी आराम करो बाद मे मिलना।" विराज कियारा का हाथ पकड़ उसे रोकते हुए कहता है और उसे वापस बेड पर बैठता है।

    कियारा विराज की बात पर उसका हाथ झटकते हुए कहती है। "छोड़ो मुझे। मुझे आदि के पास जाना है बस मुझे पता है क्या हुआ उसके साथ तुम लोग सब मुझसे झूठ बोल रहे हो। मुझे बस उसके पास जाना है।" कियारा खुद को संभालते हुए खड़ी होतो है।

    और अचानक उसका सर घूम जाता है जिसके करण जल्दी से वो वापस बेड पर बैठ अपने सर पर हाथ रख लेती है। विराज कियारा को लड़खड़ाता देख जल्दी से उसे पकड़ता है।

    "क्या बचपना लगा रखा है। लिसेन बहुत हो गया तुम्हारा अब ये जिद्द पन मेरे सामने मत दिखाया करो। और रही आदि की बात जब एक बार कह दिया वो ठीक है तो तुम्हे भरोसा क्यू नहीं हो रहा? " विराज कियारा पर गुस्सा करते हुए धीरे धीरे अपनी वॉइस लो कर देता है।

    कियारा जिसे काफी वीकनेस फील हो रहा था वो अपना सर उठा विराज को देखते हुए अपनी बहुत ही धीमी आवाज़ में कहती है।

    " क्युकी मै ना तुमपे भरोसा करती थी और ना कभी करुगी। और रही आदि के मामले में तो मै तुम तीनो भाइयो मे से किसी पर नहीं करती।" कहते हुए कियारा की आँखों और बातो में विराज के लिए गुस्सा साफ झलक रहा था।

    " तुम और तुम्हारे भाई की वजह से आज मैने अपनी बहन खो दी। वो नहीं जाना चाहती थी उसे मरने से डर लगता था पर तुम लोगो की वजह से वो मर गई।" कहते हुए कियारा सुबकाते हुए रो पड़ती है। उसका दिल फटने को बाहर आ जाता है।

    कियारा इस चीज़ से अनजान की आदि अब ठीक है और वो वापस आ चुकी है। कियारा खुद को रोने से रोक नहीं पा रही थी। हाँ कुछ देर के लिए उसने अपना आपा खो दिया था पर होश आते ही वो सब कुछ उसकी आँखों के सामने आने लगा। जिसे याद कर उसका दिल टूट रहा था।

    कियारा को रोता देख विराज आगे बढ़ कर उसे अपने सीने से लगा लेता है। वैसे विराज खड़ा था और कियारा बेड पर बैठी थी जिस वजह से कियारा का सर विराज के पेट से चिपका हुआ था। और उसके बालो मे उसकी उंगलिया फसी हुई थी।

    कियारा जो टूट चुकी थी वो विराज को कमर से पकड़ बिलक कर रो पड़ती है।

    "सब कुछ मेरी गलती है मैने उसका ख्याल नहीं रखा। उसे जब ज़रूरत थी तब मै उसके पास नहीं थी। मै कैसे सेल्फिश हो गई खुद की problems मे इतनी उलझ गई की उसके बारे मे सोचा ही नहीं।" कियारा की आवाज़ मे एक दर्द और गिल्ट था। जो आदि की हालत का जिम्मेदार खुद ठहरा रही थी।

    कियारा की बात सुन विराज के हाथ उसके बालो मे रुक जाते है और वो अपना सर झुका कियारा को देखते हुए अपनी आँखे छोटी करते हुए मन में कहता है। क्या है ये लड़की? इतना सब कुछ होने के बाद भी उसने सबसे पहले आदि को ही रखा था। और वो खुद को सेल्फिश कह रही थी। इसे क्या खुद का कोई ख्याल नहीं है?

    वैसे ये सारी चीज़े विराज के माइंड मे आना इम्पॉसिबल था पर कियारा को रोता देखा और उसकी बातो का पता नहीं उसकापर क्या असर हुआ और उसका दिल दिमाग पर हावी हो गया।

    " भाभ. . ."

    अग्नि डोर खोल अंदर आती है और कहते हुए वाही रुक जाती है। और विराज कियारा को देखने लगती है। वाही विराज अग्नि को देखता है फिर उसकी गोद मे अपने बेबी को जो शान्ति से उसके गले मे दोनो हाथ लपेटा टुकुर टुकुर दीवारों को देख रहा था। उसके फेस से ही लग रहा था की वो अभी सोकर उठा है।

    "sorry वो बेबी उठ गया था। इसलिय मा_मै यहाँ ले आई।" अग्नि अपनी नज़रे झुका कर धीमी आवाज़ में कहती है।

    इतने में उसके कानो मे कियारा के सुबकाने की आवाज़ जाती है जिसे सुन अग्नि के चेहरे पर हैरानी और आँखे बड़ी हो जाती है।

    " भाभी!" कियारा की फ़िक्र करते हुए अग्नि जल्दी से उसकी पास जाती है।

    फिर विराज को देख जल्दी से पूछती है। " भाई क्या हुआ इन्हे ये रो क्यू रही है?"

    विराज एक गहरी साँस लेता है और फिर अग्नि की गोद से अपना बेबी लेते हुए कहता है।

    " तुम खुद ही पूछ लो और बता भी देना इसे हम इससे झूठ बोल रहे है या नहीं। दिमाग खराब कर के रखा हुआ कल सेम" विराज फर्स्टेड होकर कियारा को देखते हुए कहता है बोर्ड से बाहर चला जाता है।

    अग्नि हैरानी से जाते हुए विराज को देखती है फिर कियारा को।

    आदि की उंगलियों मे हलचल होती है उसकी पलके हलकी सी फड़फड़ाती है। होंठ कांपते हुए हलके से अलग होते है।

    " आदि!"

    वाही आदि के पास मौजूद धारा जल्दी से अपनी जगह से खड़ी हो जाती है आदि को होश आता देख धारा के चेहरे पर स्माइल आ जाती है।

    "माँ!"

    "मामी!"

    "नानी!"

    "जल्दी आइये आदि को होश आ गया।" धारा खुशी से सभी को आवाज़ लगाते हुए कहती है।

    उसकी आवाज़ जैसे ही बाहर बैठे सभी लोगो के कानो मे जाती है। सभी के चेहरे पर खुशी से चमक आ जाती है और सभी सीधा बोर्ड के अंदर आते है।

    "AAAHHhh. " आदि जिसकी पलके बंद थी वो आँखे बंद किये ही दर्द से करहती है।

    " आदि बच्चा क्या हुआ आप ठीक है ना?" साधना जी जल्दी से आदि के पास आकर उसके सर को सहलाते हुए हाथों को थाम लेती है।

    वाही आदि जिसे होश तो आ गया था पर उसे अपने बॉडी मे हद से ज्यादा दर्द हो रहा था जैसे उसकी पुरी बॉडी की हड्डियाँ टूट चुकी हो। जिस करण उससे अपनी आँखे तक नहीं खोली जा रही थी।

    "आदि!"

    डोर खुलता है और कियारा जल्दी से भागते हुए आदि के पास आती है।

    और आदि के पूरे शरीर को हाथों को पागलो की तरह इधर उधर छूते हुए बेचैनी से कहती है।

    "आदि तु ठीक है ना? तुझे पता है कितना डरा दिया था तूने।" कियारा आदि के हाथों को चूमते हुए रोते हुए कहती है।

    आदि जिसमे बिल्कुल हिम्मत नही थी वो बड़ी मुश्किल से अपनी आँखे खोलती है उसकी पुरी पलके और आँखे आंसुओ से भींगी हुई थी।

    वो अपनी आंसु सुनी आँखों से हलका सा कियारा की तरफ देखती है।

    "दी_दिदु?" आदि की आवाज़ मे दर्द था और उसकी आवाज़ बहुत ही धीमी थी।

    "हाँ हाँ मेरा बेबी दिदु यही है।" कियारा रोते हुए आदि के बालो को सेहलाते हुए कहती है।

    वाही खड़े सभी लोग आदि को होश मे आया हुआ देख बहुत ही ज्यादा खुश थे। और ऊपर से दोनो का बहनो का प्यार देख उन्हे आज इतना तो पता चल ही गया था दोनो एक दूसरे के बिना अधूरे ही है।

    "तु ठीक है ना कही दर्द तो नहीं हो रहा था?" कियारा प्यार से आदि के हाथों को थाम पूछती है।

    वाही आदि जिसकी आँखों मे आँसू रुक ही नहीं रहे थे उसके दिमाग मे वो सारी बाते घूमने लगी थी पर वो किसी से कुछ नहीं कहती है। और ऊपर से उसका शरीर जैसे अकड़ गया हो।

    "ब_बहु_बहुत द_दर्द कर र_रहा है।" आदि रोते हुए हकलाते हुए बिल्कुल धीमी आवाज़ में कहती है।

    " आदि सब ठीक हो जायेगा। अभी डॉक्टर आएगी सब ठीक हो जाएगा तुम मत रो।" धारा आदि को रोता देख उसके बालो सेहलाते हुए कहती है।

    आदि कुछ नहीं कहती है इतने में एक बार फिर बोर्ड का डोर खुलता है। सभी की नज़र आदि समेट डोर की तरफ जाती है।

    जहा से विराज आधर्व और मोक्ष अंदर आते है। आदि को होश मे आया देख आधर्व के बैचैन दिल को अब जाकर कही सुकून आता है।

    वाही आदि की नज़र जैसे ही आधर्व पर जाती है। उसे आधर्व का पिछले तीन महीनों से बदला हुआ रूप याद आने लगता है। आधर्व ने कैसे उसे अकेला छोड़ दिया था जिसके बाद आदि के साथ कॉलेज मे वो सब हुआ और फिर आधर्व का हमेशा ऊपर गुस्सा करना और फिर उसे डाइवोर्स देना। और फिर उसका किडनेप और उसका जहर पीना सब कुछ।

    वो सब चीज़े आदि के आँखों के सामने रील की तरह चलने लगती है। जिसके साथ साथ आदि को अपने अंदर सब कुछ टूटता सा महसूस हो रहा था। आदि की आँखों मे उस समय दर्द के सिवा कोई जज्बात नहीं थे जो आधर्व को भी देख सकता था।

    आदि की पकड़ कियारा के हाथों पर कस जाती है। और आधर्व से अपनी नज़रे फेर दूसरी तरफ कर आँखे बंद कर लेती है आँखे बंद करते ही आंसु का एक कतरा उसके आँखों के कोने से निकल उसके कानो तक बहने लगता है।

    वाही आधर्व जिसने अब तक कदम बढ़ाया ही था आदि का मुँह फेरते देख उसके कदम वाही रुक जाते है। और हाथों की मुट्ठियाँ कश जाती है जाहिर सी बात थी आधर्व को ये बिल्कुल अच्छा नहीं लगा था।

    वाही सभी घर वालो ने भी आदि का ये चीज़ नोटिस किया था। पर कोई कुछ नहीं कहता है सभी अच्छे से महसूस कर सकते थे जो आदि पर बीती है उसके बाद आदि क्या किसी के लिए भी सब कुछ भूल पाना मुश्किल नहीं होगा।

    कुछ देर बाद आदि अपनी आँखे बंद कर लेती हुई थी। उसका एक हाथ ने अभी भी कियारा के हाथों को कश के पकड़ा हुआ था।

    सभी घर वाले खामोश एक जगह चुप चाप खड़े डॉक्टर को देख रहे थे। वो आदि का चेकउप कर रही थी। कुछ देर बाद डॉक्टर आदि से काफी पोलाइट होकर पूछती है।

    " आदि अभी आपको कैसा फील हो रहा है?" डॉक्टर अनिता आदि से पूछती है।

    आदि अपनी आँखे हलकी सी खोलती है और बहुत ही धीमी आवाज़ में कहती है।

    "बहुत दर्द हो रहा है। स_सर भी द_दर्द दे रहा है।"

    आदि को यु रोता और दर्द मे देख आधर्व को तकलीफ होती है। उसे अब खुद पर हद से ज्यादा गुस्सा आ रहा था। वो जानता था ये सब कुछ उसी की वजह से हुआ था। आदि को आज पहली बार वो इस तरह देख रहा था। जो उसके लिए भी किसी तकलीफ से कम नहीं था।

    आधर्व से अब बरदस्त नहीं होता तो वो आगे बढ़ता है। इतने मे धारा उसका हाथ पकड़ लेती है।

    "नहीं अभी नहीं। देखो उसकी हालत तुम्हे देख कर वो और ज्यादा हर्ट होगी।"

    धारा की बात पर वो उसे घूरता है। और उससे अपना हाथ छुड़वा दाँत पिस धीमी आवाज़ में कहता है।

    " मुझे मत बताओ।" इतना बोल वो आदि के पास पहुँचता है।

    और धारा से आदि का हाथ छुड़वा खुद आदि के पास उसके हाथों को थाम उसे प्यार से चूमते हुए कहता है।

    " ज्यादा दर्द हो रहा है?"

    आधर्व की आवाज़ सुन आदि सहम उठती है। उसका गला सूखने लगता है उसके हाथ जो आधर्व ने थमा था वो अब कांपने लगते है। पर इसके बावजूद भी आदि एक बार भी आधर्व की तरफ नहीं देखती है। और दूसरी तरफ किये हुए ही अपनी आँखे बंद कर लेती है।

    "मु_मुझे मुझे सोना है।" आदि बहुत ही धीमी आवाज़ मे नाराज़गी के साथ कहती है।

    उसके बाद डॉक्टर अनिता नर्स को कुछ इशारा करती है उसके बाद नर्स एक इंजेक्शन लाकर अनिता को देती है। डॉक्टर अनिता एक नज़र आदि को देखती है जिसने अपनी आँखे बंद कर रखी थी। वो उसे डिस्टिर्ब किये बिना उसके हाथों मे एक इंजेक्शन लगा देती है। क्युकी उन्हे पता था अगर आदि इंजेक्शन देखेगी तो डर जाएगी।

    "अह्ह्ह!" आदि हलकी सी सिसक उठती है।

    उसके चेहरे पर दर्द की लकीरे आ जाती है पर वो अब अपनी पलके चाह कर भी नहीं खोल पाती क्युकी अब उसकी पलके धीरे धीरे भारी होने लगी थी।

  • 10. war of love - Chapter 10

    Words: 2408

    Estimated Reading Time: 15 min

    आगे।

    " आपके कहने पर हम उन्हे डिस्चार्ज कर रहे है। वरना मै आपको यही सक्सेस करूंगी की उन्हे कुछ दिन तो हॉस्पिटल में और रुकना चाहिए। उनकी कंडीशन बिल्कुल भी ठीक नहीं हुई है ना उन्होंने रिकवर करना शुरु किया है।"

    डॉक्टर अनिता अपने सामने बैठते आधर्व से काफी धीमी और पोलाइटली आवाज़ में कहती है। हाँ उन्हे डर लग रहा था पर वो एक डॉक्टर थी और अपने फ़र्ज़ से पीछे भी तो नहीं हट सकती थी।

    वाही आधर्व बड़े ही रोबादार अंदाज़ है पेर पर पर चढ़ा ऐटिटूड मे बैठा सिगरेट को अपने हाथ मे घुमाते हुए डॉक्टर की बाते सुन रहा था।

    " तो तुम कहना चाहती हो मेरी little bird सारी ज़िंदगी तुम्हारे इस सड़े हुए हॉस्पिटल में रहे?" आधर्व का बोलने का अंदाज़ थोड़ा रुड था।

    आधर्व की बात से डॉक्टर अनिता थोड़ी घबरा जाती है पर हिम्मत कर अपना गला तर करते हुए धीमी आवाज़ में कहती है।

    "आ_आप गलत समझ रहे है। मै बस उनके लिए कैंसर्न दिखा रही हूँ।"

    "उसकी कोई ज़रूरत नहीं है उसके लिए मै काफी हूँ। इसलिय तुम्हारा जो काम है वो करो allready तुम लोगो के कहने पर मेरी बीवी दो दिन से यहाँ है अब और नहीं।" डॉक्टर अनिता की बात काट आधर्व थोड़े ऊँची और कड़क आवाज़ में कहता है।

    डॉक्टर अनिता अब खामोश हो जाती है क्युकी उन्हे पता था अपने सामने बैठे इंसान से कुछ भी कहना बेकार था। और वैसे भी पिछले दो दिनों से आदि की कंडीशन को ध्यान मे रखते हुए वो चुप था। पर अब उसे अपनी little bird और दिन हॉस्पिटल मे बरदस्त नहीं हो रही थी।

    जी हाँ आदि को हॉस्पिटल मे रहे दो दिन बीत चुके थे और इस बिच आदि की कंडीशन मे बिल्कुल भी सुधार नहीं आया था। उसकी बॉडी काफी पेन होता था जो मेडिसिन के जरिये कम होता था पिछले दो दिनों मे सिर्फ आदि सोई ही रही थी उसकी हिम्मत ही नहीं होती थी आँखे खोलने की।

    वाही सभी घर वाले घर जा चुके थे। धारा भी प्रेग्नेंट थी जिस वजह से श्रांश उसे लेकर कोई लापरवाही नहीं करता था। और दादी जी की हेल्थ भी हॉस्पियल मे रहने की वजह से उनकी भी तबियत ठीक नहीं थी तो साधना जी और बाकी घर वाले घर चले गये थे।

    वाही कियारा जो कल तक आदि के साथ ही थी पर विराज जो पहले ही उसकी हरकतों से चिड़ा हुआ था वो उसे जबदस्ती घर लेकर जा चुका था।

    इस समय हॉस्पिटल मे आधर्व और अग्नि ही मौजूद थे। आदि जो पिछले दो दिनों से एक बार भी आधर्व की तरफ नहीं देखी थी और ना ही बात की थी। ऊपर से उसे देख उसकी आँखों मे आंसु निकलने लगते है और वो थोड़ी घबरा जाती है जिसे ध्यान में रखते हुए अग्नि ने फैसला किया था वो आदि के पास रुकेगी।

    आधर्व डॉक्टर को देखता है फिर अपनी जगह से खड़ा हो अपनी सिगरेट की लास्ट कश लेकर उसे वाही डस्टबिन मे फेंक देता है। डॉक्टर उसकी हरकतो को चुप चाप बरदस्त कर रही थी।

    " याद है ना little bird घर जा रही है पर उसकी ट्रीटमेंट में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। जो भी ज़रूरत है जितने भी बेस्ट डॉक्टर है सब मुझे मेरे हेल में चाहिय अगर तुम लोगो की लापरवाही की वजह से उसे हलकी सी भी तकलीफ हुई तो अपनी आखिरी सांसे गिन लेना।"

    इतना बोल आधर्व सीधा केबिन से बाहर निकल जाता है। उसके जाने के बाद डॉक्टर चैन की गहरी साँस लेती है।

    "हद है यार क्या इंसान है। इसे अपनी बीवी ठीक भी चाहिए और हॉस्पिटल मे भी नहीं रहने दे रहा? इतनी फ़िक्र है तो हॉस्पिटल मे रहने दे अपनी बीवी को पर नहीं। जैसे हम तो उनकी बीवी को काट खायेंगे। पता नही बेचारी वो बच्ची इस इंसान को कैसे बरदस्त करती होगी। उसकी बात सुनता भी होगा या बस अपनी मर्ज़ी ही चलता है?"

    आधर्व के जाने के बाद डॉक्टर अनिता खुद से बड़बड़ाने लगती है। उसकी बातो से पता चल रहा था वो कितना ज्यादा चिढ़ी हुई थी उससे। और होती भी क्यू ना उसने ये दो दिन उससे कितना डर कर बिताए है और इतनी धमकियाँ सुन चुकी है की अब तो उसे लगने लगा है। सुसाइड is best option आधर्व से बचने का।

    "खैर मुझे क्या शुक्र है इनकी धमकियों से तो पीछा छूटेगा।" डॉक्टर अनिता अपनी जगज से उठ अपने डॉक्टर कोर्ट को पहनती है। और केबिन से बाहर निकल जाती है।

    आदि के बोर्ड मे कुछ देर पहले बॉडी पेन की वजह से उसे मेडिसिन दी गई थी जिस वजह से वो गहरी नींद में सो रही थी। वाही अग्नि उसके पास बैठी कही और ही ख्यालो मे खोई हुई थी।

    उसकी आँखों में नमी थी और होंठो पर दर्द भरी मुस्कान वो बाहर बालकनी की तरफ आसमान मे देख रही थी।

    " आपने मेरे साथ अच्छा नहीं किया भगवान जी। आपको मुझसे उसी इंसान से प्यार करवाना था जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं करता जो सिंग लगाकर बस मुझे घूरता ही रहता है। और मेरी किस्मत तो देखो इतने सालो से मे US में थी आज तक एक बंदे पर प्यार नहीं आया। और इंडिया आते ही प्यार हुआ तो मोक्ष सिंह राठौड़ से like सेरियसली?"

    अग्नि मन में आसमान को देखते हुए शिकायत कर रही थी और मन ही मन मोक्ष को कोष भी रही थी।

    " कभी कभी मुझे समझ ही नहीं आता मुझे हो क्या गया है? मै कब से टिपिकल इंडियन गर्ल बन गई जो प्यार मे पागल हो जाती है। आज तक सिर्फ सुना था अब ये चीज़े तो मेरे साथ होनी शुरु हो गई।" अग्नि को अपनी किस्मत के बारे में सोच खुद पर ही हंसी आ रही थी।

    उसने कभी नहीं सोचा था उसे कभी प्यार भी हो सकता है। प्यार! ये वाही शब्द है जिसपर अग्नि कभी भरोसा नहीं करती थी। बल्कि जब प्यार करने वालो को देखती थी तो उसे यही लगता था। की ये लोग फिज़ूल चीज़ो मे अपना समय बर्बाद करते है। प्यार व्यार सिर्फ नाम के होते है। पर जब से उसे मोक्ष से प्यार हुआ तब उसे पता चला लोग सच मे प्यार के लिए जीना भी सिख जाते है और मरना भी।

    और आदि को देख कर तो उसका विश्वास पक्का हो चुका था इस दुनियाँ मे प्यार सबसे खतरनाक चीज़ होती है जिसकी आदत लग जाए तो इंसान खुद का भी नहीं रहता।

    अग्नि को अब मोक्ष का बिहेवियर अपने प्रती याद आने लगता है। इतने महीनों से उसका रवैया अपने प्रति उससे हमेशा hate करना और उलट उसे ही सुनना और फिर दिया के लिए उसका तड़पना ये सब याद आते ही अग्नि को अपने दिल मे टिस सी उठती है।

    उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था मोक्ष उससे इस तरह बर्ताव करता था जैसे सब कुछ उसकी वजह से हुआ हो। और अग्नि को हमेशा यही लगता था शायद उसकी वजह से प्रिया की सच्चाई सामने वरना मोक्ष तो उसे अपनी दिया समझ कर अपनी ज़िंदगी खुशी से जी रहा था।

    अग्नि अपने ख्यालो को झटकती है फिर अपने गालो पर आये आंसू को साफ कर धीरे से खुद से कहती है।

    " इस जन्म मै आपसे कुछ नहीं कह रही पर अगले सारे जन्म में आपको मोक्ष को मेरी किस्मत में ही लिखना होगा। क्युकी इस जन्म में तो मैने समझ लिया मोक्ष मुझसे कभी प्यार नहीं कर सकता। वो सिर्फ दिया का है वो उसी का रहेगा। और आपको तो पता है ना मुझे वैसे भी कवाब मे हड्डी बनना पसंद नहीं।" अग्नि उदास मन से कहती है और लास्ट लाइन कहते हुए वो थोड़ी सी खुद को नॉर्मल करते हुए कहती है। जैसे उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता हो।

    और फिर आदि की तरफ देखती है तो उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है और वो उसका हाथ पकड़ कहती है।

    " और तुम भी जल्दी से ठीक हो जाओ। घर में खुशियाँ आने वाली है और तुम्हारे बिना सबकी खुशी अधूरी है।"

    फिर कुछ सोच उसके चेहरे से स्माइल गायब हो जाती है और वो खुद से सवाल करती है।

    "क्या मै ठीक कर रही हूँ ना? ये सही है मै और मोक्ष को यु तकलीफ में नहीं देख सकती। वो चाहे ऊपर से कितना ही रुड क्यू ना हो पर मुझे पता है वो आज भी दिया को याद करता है।" कहते हुए एक बार फिर उसकी आँखों मे नमी आ जाती है।

    इतने ने उस बोर्ड का डोर खुलता है अग्नि जल्दी से अपने आँसू साफ करते हुए अपनी जगह से उठती है। क्युकी उसे पता था अभी कौन हो सकता है।

    अग्नि डोर की तरफ देखती है जहाँ से आधर्व अंदर आता है। उसकी नज़र आदि पर ही थी।

    " क्या इसे ले जाना सही होगा? इसकी हेल्थ अभी भी अच्छी नहीं हुई है। थोड़ी देर पहले फिर से इसे दर्द हो रह था।" अग्नि कुछ सोच हिम्मत कर धीमी आवाज़ में आधर्व से कहती है।

    आधर्व थोड़े रुड एक्सप्रेसशन के साथ अग्नि को देखता है जैसे उसे उसकी बात बिल्कुल अच्छी नहीं लगी हो।

    " कॉलेज है ना तुम्हारा आज?"

    आधर्व के पूछने पर अग्नि जल्दी से हाँ में सर हिलाती है।

    "तो तुम्हे नहीं लगता अभी तुम्हे घर पर होना चाहिए। नाकी यहाँ मुझे क्या सही और गलत बताने के लिए?" अधर्व की आवाज़ काफी ठंडी थी।

    जिसे सुन अग्नि बेचारी का तो मुँह ही बन जात है। उसके दिमाग मे यही चलने लगता है सारे भाई एक से बढ़ कर एक है। और रुड प्ररसनेलिटी मे तो सबने PHD कर रखी है। हद है मतलब सीधा मुँह बोलने में इनकी जुबान घिस जायेगी?

    "sorry भाई।" अग्नि के पास ये बोलने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। वो सर झुका कर कहती है।

    "मा_मै जा रही हूँ प_पर आदि?"

    "उसकी फ़िक्र तुम मत करो जाओ यहाँ से।" आधर्व के इतने रुड आवाज़ के बाद अग्नि दो चार पांच हो जाती है।

    ब्लैक हेल:-

    कियारा बेड पर बेखर होकर सोई हुई थी। उसके चेहरा उतरा हुआ मुरझा चुका था। इन कुछ दिनों मे उसने अपनी हालत हद से ज्यादा बुरी कर ली थी। और ढित भी इतनी की किसी को सुनने को तैयार नहीं।

    वाही उससे बिल्कुल चिपक कर उसका बेबी सोया हुआ था। एक हाथ उसका कियारा की गर्दन पर था तो दुसरे से उसने उसके सड़ी के पल्लू को पकड़ रखा था।

    विराज मिरर के सामने खड़ा अपनी ताई की नोट बांधते हुए कियारा को देख रहा था। जो सब कुछ भूल कर सोई हुई थी उसकी आँखों के निचे डार्क सर्कल आ चुके थे पर उसे उसकी कोई फ़िक्र नहीं थी।

    विराज कियारा को देखते हुये बहुत गहरी सोच मे घूम था जैसे उसके दिमाग में बहुत कुछ चल रहा हो। वो अपनी नोट बाँध ही रहा था अचानक उसके कानो मे एक आवाज़ जाती है जिसे सुनते ही वो होश में आता है। और पलट कर बेड के पास देखता है जहाँ इसका बेबी सो कर उठने लगा था।

    वो अपने दोनो छोटे हाथों से अपनी आँखे मलते हुए मिम्मिया रहा था।

    "मम्म_हहह_आआम्म्म!" धीरे धीरे उसकी आवाज़ तेज होने लगी थी।

    विराज जल्दी से बेड के पास जाता है और बेबी को अपनी गोद में उठाता है। बेबी जिसने अभी अपनी आँखे अच्छव से खोली भी नहीं थी विराज के उठाने पर वो अपनी आँखे खोल अपने सामने विराज का चेहरा देखता है जो इमोशन लेस होकर उसे देख रहा था।

    "डा_डड_डहाआअ!"

    बेबी के चेहरे पर स्माइल आ जाती है और वो अपने घरगोश जैसो स्माइल के साथ विराज को देखते हुए टूटी फुटी आवाज़ में उसका नाम लेता है।

    विराज कोई रेस्पॉन्स नहीं देता वो उसे अपनी आँखे छोटी कर देखता है। वाही अपने dad को खुद को इग्नोर करता देख बेबी का मुँह बन जाता है। और वो अब अपनी नज़रे झुका हलका सा मोड़ बेड के पास सोई कियारा को देखता है।

    "मममम_आआ_हहह!" कहते हुए अचानक बेबी कियारा के ऊपर झापट्टा मारता है।

    पर बेबी गिरता उससे पहले विराज उसे अच्छे से होल्ड करता है और बेबी को घूरते हुए धमकी भरे लहज़े में कहता है।

    " दिखाई नहीं दे रहा तुम्हे सो रही है ना वो? एक मिनट भी मेरी बीवी के बिना तुमसे रहा नहीं जाता है। बड़े हो चुके हो तुम तो थोड़ा दूर ही रहा करो इससे जब देखो चिपकते रहते हो।" विराज को पता नहीं क्या हो गया था उसे खुद ही नहीं पता वो क्या बोल रहा है। बस उसके मुँह में जो आ रहा था बोल रहा था। बिना सोचे समझे की जिससे वो बोल रहा है वो उसका ही बेटा है और वो किस तरह की बाते कर रहा रहा था वो भी अपने बेबी से।

    वाही बेबी जिसका रोने जैसा मुँह बन गया था वो विराज की बात सुन टुकीर टुकुर अपने बाप को देखने लगता है। जैसे सो गालियाँ दे रहा हो उसे। की कौन बाप सुबह सुबह अपने एक साल के बच्चे के साथ इस तरह का बिहेव करता है। और वो कैसे बोल सकता है की वो अपनी मम्मा से दूर रहे? क्या उसके बाप ने सुबह सुबह चढ़ा रखी है जो बहकी बहकी बाते कर रहा है?

    बेबी अपने छोटे से दिमाग में अपने बाप के लिए ना जाने कितना कुछ सोचने लगता है।

    "और एक ये लड़की पता नहीं क्या चीज़ है दिमाग खराब कर के रखा हुआ है मेरा कल तक सब कुछ सर पर उठा रखा था और अभी ऐसे सो रही है जैसे दुनियाँ जहाँ की चीज़े बैच कर सुकून से सो रही हो। अब तो मुझे टेंशन हो रही है इसने मेरे बच्चे को अकेले कैसे जन्म दे दिया?" विराज कियारा की तरफ देख चिढ़ते हुए खुद मे बुडबूदा रहा था।

    पता नहीं उसे क्या हो गया था जब से उसने कियारा को बिखरा हुआ देखा था तब से उसका दिमाग घूम चुका था उसे कियारा पर बेहद गुस्सा भी आता था पर चाह कर भी नहीं कर पाता था। वाही फर्स्टेशन उसका कल से कही ना कही निकल रहा था।

    बेबी तो बस एक तक विराज को देख रहा था। अब उसके चेहरे पर मिले जुले भाव आ गये थे।

    विराज चिढ़ते हुए कियारा से नज़रे हटा कर बेबी को देखता है। " और तुम परेशान करना बंद करो इसे और चलो मेरे साथ।" इतना बोल विराज बेबी को अपने साथ ले कर कमरे से बाहर निकल जाता है।

    वाही बेबी जिसे तो पता ही नहीं था चल रहा था। वो बेचारा छोटा सा समझने की कोशिश कर रहा था आखिर उसके बाप को सुबह सुबह हो क्या गया है। जो बस बरसा ही जा रहा है। अब बेबी ज्यादा अपने दिमाग पर जोर ना डालकर विराज के सीने पर आपना सर रख चुप चाप इधर उधर देखने लगता है।

  • 11. war of love - Chapter 11

    Words: 2082

    Estimated Reading Time: 13 min

    आगे।

    आधर्व कार की बैक सीट पर बैठा हुआ था और उसकी गोद आदि जो बेखबर सोई हुई थी या यु कहे मेडिसिन की वजह से उसे कोई खबर ही नहीं थी। और ना ही उसे पता था उसे डिस्चार्ज मिल गया है।

    आधर्व ने अपनी सीट को पीछे की तरफ थोड़ा झुका कर लेक्स बना दिया था जिससे आदि को उसकी बाहो मे प्रोबलम ना हो और वो कम्फर्टेबल रहे।

    आधर्व की नज़र एक पल भी आदि से नहीं हटी थी। वो आदि के बेजान पिले और सफ़ेद पड़ चुके चेहरे को देख रहा था। जिसपर मासूमियत अभी भी साफ झलक रही थी।

    आदि अभी भी हॉस्पिटल गाउन में ही थी। उसके हाथों पर ड्रिप लगी हुई थी क्युकी घर जाकर उसने निड लगेगी।

    उसके बिखरे लम्बे बाल आधी सीट पर बिखरे हुए थे और कुछ तो उसके चेहरे पर भी।

    "i am sorry my little baby अब कभी तुम्हे हर्ट नहीं करूँगा बस तुम जल्दी से ठीक हो जाओ। पता है ना मुझे चुप बिल्कुल अच्छी नहीं लगती तुम।" आधर्व आदि के बेजान से छोटे से चेहरे पर अपने हाथ फेरते हुए कहता है।

    " i know बहुत बुरा हूँ ना मै but trust me मै कभी तुम्हारे साथ ऐसा नहीं करना चाहता था। पता नहीं कैसे सब हो गया और कैसे मैने अनजाने में तुम्हे हर्ट कर दिया।" आधर्व कहते हुए अपनी उँगलियों से आदि की नाजुक कोमल पलकों के साथ खेलने लगता है।

    आदि को छूना उसे सुकून दे रहा था यही एहसास इसी टच के लिए तो वो एक हफ्ते तक तड़पा था। ये लड़की जो उसकी बाहो मे है उसे देखने के लिए उसे ढूंढ़ने के लिए क्या क्या नहीं किया आधर्व ने ऐसा कोई शहर ऐसा कोई देश नहीं छोड़ा था जहाँ से उसने आदि के बारे में ना पता लगवाया हो।

    "अह्ह्ह्ह!"

    आदि नींद में ही अपनी धीमी आवाज़ दर्द भरी आवाज़ निकालती है। आधर्व थोड़ा घबरा जाता है।

    जी हाँ आधर्व घबरा जाता है i know थोड़ा शॉकिंग है पर यही सच है आदि की तकलीफ से उसे अब फर्क पड़ रहा था।

    आधर्व बेचैनी के साथ आदि के चेहरे को देखता है जिसके चेहरे पर दर्द उमड़ गया था। और वो इस समय नींद में ही दर्द मे थी।

    आधर्व समझ गया था उसे फिर से बॉडी मे दर्द होना शुरु हो गया था। और दो दिन से यही तो हो रहा था जब जब वो मेडिसिन खाती थी दर्द मे आराम मिलता था जैसे ही उसका असर कम होता था फिर से उसे दर्द होने लगता था।

    और अभी भी शायद यही हो रहा है। आदि को दर्द में देख उसे डॉक्टर की कही हुई बात याद आती है।

    " उन्हे देख कर लगता है उनके साथ पहले भी हादसे हो चुके है। और उनकी बॉडी जो पहले ही काफी उनक्टिव थी जिसके करण जो उनके साथ हुआ उनका poision पीना जिससे उनकी बॉडी काफी ज्यादा वीक पड़ गई है। जिद तरह वो वीक है वो तो कोई मैजिक ही जिस करण उनकी जान बच पाई है। बरना उनकी बॉडी में इतनी क्षमता ही नहीं की वो किसी भी तरह के पॉयशन को हैंडल कर सके। isley be care full उनकी बॉडी को रिकवर होने मे समय लगेगा।" डॉक्टर अनिता एक साँस मे आधर्व से सारी बाते कह देती है।

    आधर्व डॉक्टर अनिता की बात याद वापस आदि को देखता है जिसकी पलके बंद थी और आँखों के कोनो से आंसु निकलने लगे। चेहरे पर दर्द की लकीरे बन रही थी जिससे पता चल रहा था आदि धीरे धीरे नींद से बाहर आ रही है।

    आधर्व आदि को अपनी बाहो मे भरता है और उसकी पीठ और बॉडी को हलके हाथों से रफ करने लगता है।

    "बस बस हो गया अभी ठीक हो जायेगा। मै हूँ ना अपने बच्चे के पास बस शांत हो जाओ।" आधर्व हलके हाथों से उसकी बॉडी को रफ कर आदि को किसी नाजुक गुड़िया की तरह अपने सीने से लगा काफी प्यार भरी आवाज़ ने आदि से कह रहा था।

    आदि जिसे शायद अच्छा लग रहा था या दर्द मे आराम मिल रहा था वो अब शांत हो जाती है और आधर्व के सीने से सिमट कर उसके सीने मे अपना चेहरा पुरी तरह घुसा लेती है।

    आधर्व आदि को चुप देख हलका सा झुक कर आदि को देखता है जिसका आधा ही चेहरा उसे नज़र आ रहा था क्युकी आधा चेहरा वो आधर्व के सीने से छुपा रखी थी।

    आधर्व आदि के बालो में हाथ फेरते हुए कहता है। " कोई भी तकलीफ अब तुम्हारे ऊपर नहीं आने दूँगा। i promise बस एक बार मुझे माफ़ कर दो।" और फिर झुक कर उसके बालो को चूम लेता है।

    "शिव आपकी बात हुई आधर्व से? कब आ रहा है वो आदि की तबियत कैसी है अब?" साधना जी जो किचन से अभी अभी आई थी हॉल मे सोफे पर बैठे शिव को देख वो पूछती है।

    "हाँ बेटा पूछिए ना उनसे कब आ रहे हो वो हमारी बच्ची को घर लेकर।" दादी जी वो वाही एक कोने मे बैठी रुद्राक्ष की माला गिन रही थी। वो शिव से पूछती है।

    जब से सबको पता चला था आज आदि घर आ रही है तब से सभी के चेहरे पर रौनक देखने लायक थी। साधना जी तो सुबह से किचन में घुसी हुई थी और आदि की पसंद की सारी चीज़े बना रही थी। जो इस घर मे आने के बाद आदि को पसंद आई थी। क्युकी पहले तो वो आधे से ज्यादा खाने के बारे मे ना जानती थी और ना कभी उसे उसने test किया था।

    और वाही संध्या जी तो बस सुबह से गूगल पर यही सर्च किये जा रही थी उसे कौन कौन से जूस देने है। और रिया तो आज कॉलेज ही नहीं गई। सभी आज बहुत खुश थे और आदि को कोई तकलीफ ना हो इस सब की सबने पहले ही तैयारी कर ली थी।

    "ओहो दादी और mom chill करो अग्नि से बात हुई थी मेरी भाई बस आते ही होंगे।" शिव दादी और साधना जी की बातो का जवाब देता है।

    "और अग्नि?" रिया उसके बगल मे आते हुय बैठती है।

    "वो शायद कॉलेज चली गई उसका आज कोई टेस्ट था शायद?" शिव सोचते हुए रिया से कहता है।

    "टेस्ट?" रिया खुद मे बुडबूदाती है। उसके चेहरे पर थोड़ी हैरानी भरे भाव थे।

    " अग्नि ने झूठ क्यू बोला? हमारा तो आज कोई टेस्ट नहीं है?" रिया मन में सोचते हुए खुद से कहती है। अब उसे अग्नि की फ़िक्र होने लगती है।

    " रिया जाओ जाकर धारा को लेकर आओ नास्ता नहीं किया उसने अब तक।" साधना जी रिया से कहती है।

    धारा श्रांश और श्रेया हेल में ही रह रहे थे। क्युकी सभी चाहते थे जब तक धारा की डिलीवरी नहीं हो जाती तब तक वो उन लोगो के साथ रहे जिससे उसका वो सभी मिल कर पुरा ध्यान रख सके। हमेशा की तरह श्रांश बिल्कुल भी तैयार नहीं था रहने के लिए पर घर वालो की बातो और धारा की जिद्द के आगे उसने बहस ना कर के रुकना ही बेहतर समझा।

    और वो भी अच्छे से जानता था। अकेले वो धारा का अच्छे से ख्याल नहीं रख पायेगा और धारा की प्रेग्ननेसी में तो पहले से ही कम्प्रिकेशन थे। और श्रेया इतनी समझदार तो थी नहीं की वो खुद का और धारा ध्यान रख पाय।

    "क्या यार mom मै नहीं जा रही श्रांश जीजू भी होंगे मुझे उनसे डर लगता है जब देखो घूरते रहते है।" रिया मुँह फुलाते हुए कहती है। और साधना जी की बात को पुरी तरह इग्नोर कर बैठी रहती है।

    " रिया ऐसे नहीं कहते।" साधना जी रिया की बात पर टोकती है।

    "रिया सही तो बोल रही है भाभी आप उसको क्यू डांट रही है। देखा है कभी उसका ऐटिटूड अकड़ तो ऐसे दिखाता है जैसे कुछ किया ही ना उसने। पता नहीं मेरी बेटी कैसे रहती होगी उस इंसान के साथ उससे भी सीधा मुँह बात करता होगा या अभी भी इसे टचर ही करता होगा।" संध्या जी जिनका गुस्सा श्रांश के लिए कभी कम नहीं हुआ था।

    और होता भी क्यू ना जब एक माँ को पता चले उसकी बेटी उसकी वजह से घर छोड़ कर गई सबके दिलो मे अपने लिए नफरत भर कर गई थी। और इतने महीनों तक उस इंसान से हर मुमकिन कोशिश की धारा को तोड़ने की उसे टचर किया रुलाया। ये सब जाने के बाद एक माँ कैसे माफ़ कर सकती थी उसे। वो जब जब श्रांश को देखती थी उन्हे बहुत गुस्सा आता था पर धारा की वजह से वो हमेशा चुप हो जाती थी।

    पहले का तो नहीं पता पर अब जब वो धारा को देखती है जो श्रांश के साथ खुश रहती है हाँ वो अलग बात है श्रांश हमेशा रुड रहता है पर उसके सामने हमेशा धारा मुस्कुराती रहती है। और उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था जब घर का कोई श्रांश को कुछ कहता था।

    वो सबसे यही कहती थी जो हुआ उसे बदल नहीं सकते। जो कुछ हुआ गलत फैल्मी की वजह से हुआ और श्रांश ही उसकी किस्मत है और उसने उसे अपना लिया है। तो वो लोग भी सब भूल जाय अगर ऐसे ही सब चीज़ो को याद रखेंगे तो सिर्फ तकलीफ ही होंगी।

    " संध्या तुम फिर शुरु हो गई ना? आज खुशी का दिन है और तुम पुरानी बाते लेकर बैठ गई हो।" दादी जी थोड़ी नाराज़गी दिखाते हुए कहती है।

    संध्या जी का मुँह बन जाता है पर वो कुछ कहती नहीं। क्युकी वो भी नहीं चाहती थी आज किसी भी करण से आज का दिन खराब हो।

    " तुम गई नहीं अभी? चलो उठो जाओ बुला कर लाओ।" साधना जी रिया को अभी तक बैठा देख सख्त पहज़े मे कहती है।

    रिया का पुरी तरह मुँह बन जाता है। "mom! "

    " क्या mom जाओ।" साधना जी ट्रिक्ट टोन में कहती है। रिया अब चुप हो जाती है उसका तो मुँह ही फूल चुका था।

    "लो आ गई mom to be. " शिव लिफ्ट एरिया की तरफ से आती हुई धारा को देखते हुए कहता है।

    सभी नज़र उस तरफ जाती है जहाँ से धारा श्रेया के साथ आ रही थी। और वो दोनो शायद कुछ बाते कर रहे थे। श्रांश उनके साथ नहीं था।

    "अब आ रही हो तुम? टाइम देखा है नास्ता इतना लेट करोगी तो कैसे चलेगा?" संध्या जी धारा के आते ही उसपर बरस पड़ती हैं।

    "उफ्फ्फ हो माँ अभी नो ही बजे है। वो भी सुबह के ना की रात के।" धारा सम्भलते हुए सोफे पर आकर बैठती है।

    और इधर उधर देखते हुए पूछती है। " आदि नहीं आई क्या?"

    " नहीं अभी रास्ते में है आदि ही होंगी।" रिया कहती है।

    "लो आ गये।"

    इतने मे सभी नज़र मैन डोर पर जाती है। जहाँ से आधर्व आदि को अपनी गोद मे समेटे अंदर आ रहा था। आदि अभी भी सोई हुई थी आधर्व ने काफी कन्फर्टेबली उसे गोद मे उठा रखा था। जिससे उसकी बॉडी पेन ना करे। वो अभी अंदर आता उससे पहले साधना जी वहा पहुंच आधर्व को रोकती है।

    साधना जी के रोकने पर आधर्व की आँखे छोटी हो जाती है और वो कुछ कहता उससे पहले साधना जी आधर्व को देखते हुय धीमी आवाज़ में कहती है।

    " आदि हॉस्पिटल से घर आई आरती उतरने दीजिये।"

    "what nonsense इस के लिए आप मेरा समय बर्बाद कर रही है?" आधर्व काफी रुडली साधना जी से कहता है।

    "आधर्व ये क्या तरीका है बात करने का? और क्या गलत कह रही है। आप इन सब चीज़ो मे ना मानते हो। पर हम तो मानते है ना इतने मुश्किलों के बाद आदि घर वापस आ रही है और आप क्या चाहते है अब उनकी आरती भी ना उतारे।" दादी जी थोड़े गुस्से के साथ आधर्व से कहती है।

    "साधना बहु आप उतारे आरती।"

    आधर्व अब अपना गुस्सा कंट्रोल कर चुप चाप खड़ा रहता है। साधना जी जल्दी से मैड से थाल लेकर दोनो की आरती उतारने लगती है। आधर्व अपनी आँखे बंद अपने जबड़े को कशे हुए गुस्सा कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था।

    वाही साधना जी की आँखों में नमी थी वो एक नज़र आधर्व को देखती है फिर आदि को।

    " दोनो को हमेशा खुश रखना भगवान मेरे आधर्व की ज़िंदगी मे आदि उसके लिए जीने की उम्मीद बन कर आई है।" साधना जी नम आँखों के साथ मुस्कुराते हुए मन में कहती है।

    फिर आरती उतार सामने से हट जाती है आधर्व रुड एक्सप्रेसशन के साथ साधना जी को देखता है फिर आदि को लेकर अंदर बढ़ जाता है। और सभी को इग्नोर कर सीढ़ियों की तरफ बढ़ जाता है।

    "रुको! आदि को तुम नहीं ले जा सकते।"

    इस आवाज़ को सुन आधर्व के कदम रुक जाते है।

  • 12. war of love - Chapter 12

    Words: 2713

    Estimated Reading Time: 17 min

    आगे।

    "रुको! आदि तुम्हारे साथ नहीं जायेगी!"

    ये आवाज़ सभी के कानो मे जाती है आधर्व के कदम वाही रुक जाते है। आधर्व बिना किसी एक्सप्रेसशन पलटता है और सामने देखता है जहाँ कियारा खड़ी थी। कियारा का हुलिया अभी भी थोड़ा बिखरा हुआ सा था। चेहरा सफ़ेद और आँखों के निचे थोड़े काले सर्कल जिसे देख कर लग सकता है की कियारा बीमार है।

    हलके गीले हलके सूखे बाल जिसका कियारा ने ढीली चोटी बना रखी थी। क्रीम कलर की सड़ी मे काफी सुंदर लग रही थी। इतना सब होने के बाद भी उसकी खूबसूरती में कोई फर्क नहीं आया था।

    आवाज़ सुन कर ही उसे पता था ये आवाज़ कियारा की है तभी तो उसने अपने कदम रोक लिए थे। उसे पता था अभी कियारा का ड्रामा करना बाकी है।

    "और कुछ कहना है तो कह दो। फिर मुझे अपनी little bird को कमरे मे भी लेकर जाना है।" आधर्व काफी ठंडे पन के साथ कियारा से कहता है।

    उसकी बात पर कियारा का गुस्सा बढ़ जाता है। वो अपनी आँखे छोटी कर आधर्व को घूरने लगती है।

    "क्या हो रहा है यहाँ? "

    विराज बेबी को गोद के लेकर मोक्ष के साथ अंदर आता है। जो काफी समय से गार्डन में बैठ कुछ बाते कर रहे थे।

    कियारा विराज को पुरी तरह इग्नोर कर आधर्व से कहती है।

    " आदि तुम्हारे कमरे में नहीं जायेगी। वो मेरे साथ रहेगी।" कियारा रूखे पन और नाराज़गी के साथ कहती है।

    आधर्व की एक इएबरों उठ जाती है।

    "what! दिमाग खराब हो गया है तुम्हारा?"

    कियारा की बात पर विराज पीछे से चिढ़ते हुए कहता है। विराज को तो ये बात हजम नहीं होती की उसकी बीवी पागल है अगर वो अपनी बहन को अपने कमरे मे रखेगी तो वो कहा जायेगा? चाहे कितनी भी दूरियां दोनो के दरमियाँ क्यू ना हो पर privcy नाम की भी कोई चीज़ होती है की नहीं। यही सब सोच विराज को कियारा पर थोड़ा गुस्सा भी आता है।

    "बाकई में दिमाग खराब हो गया तुम्हारी बीवी का। I think it is in dire need of treatment." आधर्व कियारा को ताने मरने के अंदाज़ ने कहता है।

    जिसे सुन कियारा का गुस्सा और बढ़ जाता और वो चिढ़ते हुए आधर्व की तरफ कदम बढ़ा आदि के मासूम चेहरे को देखती है फिर आधर्व से कहती है।

    " आदि कही नहीं जायेगी वो मेरे साथ रहेगी। जिसको प्रॉब्लम है तो मै दूसरे कमरे में शिफ्ट होने के लिए तैयार हूँ पर अब मै आदि को अकेला नहीं छोडूंगी।" कहते हुए लास्ट लाइन मे कियारा हलका सा अपणु गर्दन घुमा विराज को एक नज़र देखते हुए कहती है।

    जाहिर सी बात थी लास्ट वाली लाइन उसने विराज के लिए ही कही थी क्युकी उसे ही प्रॉब्लम थी। आदि के कमरे में रहने से।

    " तुम होती कौन हो पति पत्नी के बिच मे आने वाली?" आधर्व अपने गुस्से को दबाते हुए अपने दाँत पिसते हुए काफी सर्द आवाज़ में कहता है।

    वो अर्रित हो चुका था उसे इस समत सिर्फ आदि की फ़िक्र थी। और जो कुछ भी हुआ उसके बाद आधर्व उसे खुद से एक पल भी दूर करने वाला नहीं था और कियारा की बाते उसे गुस्सा दिलाने का काम कर रही थी।

    "पति?" कियारा के कहते हुए हलका सा हंस पड़ती है।

    फिर वापस अपने चेहरे पर गुस्सा लाते हुए कहती है। " शायद तुम भूल रहे डाइवोर्स देना था तुम्हे उसे? और जहाँ तक हम सब जानते है आदि डाइवोर्स पेपर पर साइन कर के गई थी। उसने तो अपनी तरफ से तुमसे सारे रिश्ते तोड़ कर गई थी फिर कौन सी पत्नी और कौन आ पति?" कियारा के हर एक शब्द मे नाराज़गी गुस्सा सब साफ दिख रहा था।

    और आधर्व जिसे डाइवोर्स शब्द कही ना कही तकलीफ दे रहा था। उसे वो पल याद आने लगता है जब उसे सच का पता चला था। जिसके बाद आदि उसे डाइवोर्स देकर जा चुकी थी। सच मे वो पल आदि और आधर्व दोनो के लिए तकलीफ भरा था। आदि तो चली गई थी पर आधर्व को एक गिल्ट मे छोड़ कर।

    " तुम्हे लगता है कोई कागज मुझे और इसे अलग कर सकता है?" आधर्व एक नज़र आदि की तरफ देख कियारा से कहता है।

    कियारा कहा कम थी वो भी उसे उसी तरह तुरंत जवाब देती है। " पर कागज से पहले ही तुमने उसे खुद से दूर कर दिया था। और आदि को अकेला करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी तुमने। तभी तो इतने सारे लोगो के बिच भी वो अकेली हो गई थी। और ये हुआ किसकी वजह से था तुम्हारी वजह से। i am right mister aadharv singh rathod."

    "wrong! " आधर्व अपनी कोल्ड वॉइस मे कियारा की बातो को झुटलाता है।

    "जब पुरी बात और सच ना पता हो तो मुँह बंद ही रखना चाहिए।" आधर्व अपने एक एक शब्द को काफी गुस्से मे कियारा से कहता है। जिससे एक पल के लिए कियारा डर जाती है पर वो अपने चेहरे पर जाहिर नहीं होने देती।

    और फिर आधर्व विराज की और देख सख्त लहज़े में कहता है।

    " वहा खड़े रहने से अच्छा है अपनी बीवी को सम्भालो कुछ ज्यादा ही जुबान लम्बी हो चुकी है।"

    विराज को आधर्व और कियारा दोनो पर गुस्सा आ रहा था। आधर्व पर इसलिय क्युकी उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था आधर्व जिस तरह से कियारा से बात कर रहा था। और कियारा पर इसलिय क्युकी वो बार बार अपनी बातो से आधर्व को गुस्सा दिला रही थी।

    " सच में जुबान ज्यादा लम्बी हो गई। इसे तो मै बताता हूँ तुम चलो बस कमरे में।" विराज कियारा को तीखी नज़रो से देखते हुए मन में कहता है।

    कियारा आधर्व की बात पर चिड़ जाती है और कुछ कहती उससे पहले सभी के कानो मे मीठी और धीमी आवाज़ जाती है।

    "अह्ह्ह दर्द हो रहा है!"

    ये आवाज़ किसी और की नहीं आदि की थी। जो नींद में ही दर्द भरी आवाज़ में कहती है। उसकी आवाज़ सुन सभी बेचैनी के साथ आदि को देखने लगते है जिसके चेहरे पर एक बार फिर दर्द की लकीर थी।

    शायद काफी देर से आधर्व की गोद मे रहने की वजह से उसकी बॉडी मे दर्द होने लगा था। जिसका एहसास आधर्व को था क्युकी उसकी पकड़ कितनी ही हलकी क्यू ना हो पर आभी आदि के लिए वो पकड़ भी दर्द भरी ही थी।

    "आदि!" कियारा बेचैनी से अपना हाथ आगे बढाती है।

    आधर्व दो कदम पीछे लेता है। जिसे कियारा नम आँखों से देखती है।

    "don't all ready तमाशा कर चुकी हो। अभी नहीं।" आधर्व रुडली होकर कियारा से कहता है।

    और फिर बिना किसी की तरफ देखे और कहे आदि को लेकर सीढ़ियों से ऊपर की तरफ बढ़ जाता है।

    " सुना नहीं तुमने आदि तुम्हारे साथ नहीं जायेगी।" आधर्व को जाता देख कियारा चिल्लाते हुय उससे कहती है।

    और उसके पीछे जाने को होती है इतने मे धारा उसके पास आकर उसका हाथ पकड़ लेती है।

    कियारा ना समझी से उसे देखती है तो धारा काफी calmly कियारा से कहती है।

    "अभी नहीं! i know मुझे पता है तु बहुत ज्यादा गुस्से में है। पर आदि की कंडीशन देख अभी उसकी तबियत ठीक नहीं है और अगर तु हमेशा आधर्व से लड़ती रहेगी और आदि होश मे आकर ये सब देखेगी तो उसे अच्छा लगेगा क्या? वो क्या सोचेगी उसकी दिदु उसके चक्कर में लड़ रही है?"

    धारा काफी आराम और प्यार से कियारा को समझती है। कियारा आँखों मे नमी लिए धारा की बाते खामोशी से सुन रही थी। पर कुछ नहीं कहती है।

    वाही साधना जी दादी जी उनकी आँखों में भी नमी आ गई थी। उनसे कियारा की हालत देखी नहीं जा रही थी उन्हे पता था कियारा वो कियारा है ही नहीं जिसे वो सब जानते थे। ये कियारा कोई और है जो काफी ज्यादा अकेली और स्ट्रेस में हो गई है।

    और ये हाल किसी के साथ भी हो जाता है जब वो अपनी सबसे करीबी रिश्ते को यु मौत के मुँह मे देख कोई भी अपना कंट्रोल खो दे फिर भी ये तो कियारा है। जिसकी ज़िंदगी भी कम मुश्किलों से भरी नहीं थी।

    कियारा धारा को देख रही होती है। धारा आँखों से उसे शांत होने का इशारा करती है। कियारा अपने आँसू पोछ वहा से बिना कुछ बोले वहा से निकल जाती है।

    "माँ! " साधना जी कियारा को जाता हुआ देख दादी जी से कहती है।

    "हम्म्म!" दादी ने रूखे पन के साथ हम्म कहा।

    साधना जी दादी जी को देखते हुए धीमी आवाज़ में कहती है।

    "आप जैसा बोलती है की कियारा मे आपको अवनी दी की परछाई नज़र आती है। क्या सच में अवनी दी भी ऐसी ही थी।"

    साधना जी की इस बात पर दादी जी उसे सांवलिया नज़रो से देखती है। इतने महीनों बाद आखिर साधना जी का ये पूछने का क्या मतलब था।

    दादी जी की नज़र खुद पर पाकर साधना जी हलका सा दर्द भरी मुस्कुराहट के साथ कहती है।

    "मुझे पता है आप यही सोच रही है की मै उनकी बहन होकर आपसे उनके बारे में क्यू पूछ रही हूँ। मैने कभी इस बारे मे जिक्र नहीं किया। पर सच कहु शुरु से मुझे अवनी दी के बारे मे हमेशा से जानना चाहती थी।"

    फिर अपनी आँखों मे नमी लेकर कहती है। " मै अपनी नफरत मे इतनी अंधी हो गई थी की कभी अवनी दी के साथ समय ही नहीं बीता पाई हमेशा उनसे नफरत करती रही उनकी खूबसूरती से जलती रही। हमेशा मुझे यही लगता था वो अपने भोले पन का नाटक कर के सभी को अपनी तरफ कर लेती है। कभी मैने उन्हे बहन नहीं माना यहाँ तक की मैने आधर्व और विराज से भी हमेशा नफर. . ." कहते हुए उनकी आवाज़ लड़खड़ा जाती है उनकी आँखों मे आये आंसु उनके गालो पर आ गिरते है।

    कहते हुए उन्हे वो पल याद आ जाता हैं। जब वो शादी कर के आई थी। तब उनके दिल में अपनी ही बहन के लिए बेहद नफरत थी और वो हमेशा से उसकी जगह लेना चाहती थी। जिस वजह से उन्होंने अलोक जी को अपनी जाल मे फसाया और अवनी जी के होते हुए भी उन्होंने इनके साथ शारीरिक संबध बनाय। और ये रिश्ता अवनी जी मरने से कुछ साल पहले ही टूटा था।

    जब अलोक जी को अपनी गलती का एहसास होता है और साधना जी की सच्चाई पता चलती है। की वो कोई अलोक जी से प्यार नहीं करती थी। वो सिर्फ अवनी जी का घर तोड़ना चाहती थी। जिसके चलते उन्होंने मोक्ष शिव और रिया को जन्म दिया। ताकि आगे चलकर वो अपनी जगह उस घर मे पक्की कर ले। ऐसा नहीं था घर में किसी को पता नहीं था उनके आफैयार के बारे बल्कि सब जानते थे इस बारे पर सब हमेशा चुप रहे।

    और अवनी जी ने खुद ही अलोक जी से दूरियां बना ली। और एक ही घर मे रह कर वो अलोक जी और वो एक दूसरे के लिए अजनबी बन कर रहने लगे। अवनी जी चाहती तो कब का ये घर छोड़ सकती थी पर वो आधर्व और विराज के साथ कोई ना इन्साफी नहीं करना चाहती थी। जिस करण दादी और दादी की कहने पर आधर्व और विराज के लिए इस घर मे रहने के लिए तैयार हो गई। वाही साधना जी जो हमेशा से उनकी जगह लेना चाहती थी। वो अवनी जी के मरने के बाद उन्हे वो मौका मिल गया था।

    और जब वो इस घर मे आई तब उन्होंने शुरु मे बहुत तमाशे किये सबसे नफरत की। यहाँ तक की आधर्व और विराज जो अपनी माँ की जगह किसी को नहीं दे सकते थे। इसके बावजूद उन्होंने साधना जी को अपनी मासी के तोर पर अपने पापा की सेकंड वाइफ मानने के लिए तैयार हो गये थे।

    पर तब साधना जी के अंदर इतनी नफरत थी की उन्होंने आधर्व और विराज को कभी नहीं अपनाया ऊपर से उन्होंने हमेशा आधर्व और विराज के खिलाफ साज़िशे की उन्हे हमेशा घर वालो की नज़रो मे गिराने की कोशिश करती रही। घर वालो का तो पता नहीं पर आधर्व और विराज के दिल मे साधना जी और अलोक जी के लिए बेइतिहा नफरत भर गई। उन्हे यही लगने लगा उनकी माँ की मौत के जिम्मेदार साधना जी और अलोक जी ही कही ना कही है।

    उनकी नाराज़गी दादा जी से भी बढ़ती चाली गई। उन्हे हमेशा उनसे शिकायत रही। की अवनी जी के साथ इतना सब होने के बाद भी किसी ने कोई आवाज़ क्यू नहीं उठाई क्यू उनके लिए कोई खड़ा नहीं हुआ।

    हाँ वो अलग बात थी के आधर्व और विराज ने मोक्ष शिव और रिया को दिल से अपनाया था। उन्हे पता था जैसे उनकी कोई गलती नहीं थी वैसे ही इन तीनो की भी कोई गलती नहीं है। वाही मोक्ष जिसने अपनी माँ को उसके भाइयो के खिलाफ इतना कुछ करते देखा जिसके बाद उसे भी अपनी माँ से नफरत हो गई। और इसने अपने भाइयो को चुना।

    साधना जी ये सब याद कर उनका दिल तकलीफो से भर उठा उन्हे पता था उन्होंने जो किया था उसकी माफ़ी उन्हे कभी नहीं मिलेगी। उन्होंने एक हँसता खेलता परिवार तोड़ने की कोशिश की थी। जिसका अनजान यही हुआ की ये घर अलग अलग हिस्सों मे बट गया।

    साधना जी को पास्तावे में देख दादी जी साधना जी के कंधे पर हाथ रखती है। साधना जी आंसु भी आँखों से उन्हे देखती है। दादी जी हाथ आगे बढ़ा उनके आंसु साफ करते हुए कहती है।

    "हम गलत नहीं कहते हैं। कियारा अवनी की ही परछाई है। बल्कि कभी कभी लगता है हमारे सामने कियारा नहीं अवनी है। वो भी इन्ही की तरह अपने सारे दुखो को एक साइड रख दूसरे के दुखो पर रो पड़ती थी। हमेशा चुप और कम बोलती थी पर जब भी घर पर या किसी अपने पर कोई भी मुसीबत आती थी वो हमेशा ढाल बन कर खड़ी हो जाती थी। और जबसे हमने कियारा को पहली बार देखा था तब से हमें उनपे अवनी की परछाई नज़र आने लगी।"

    कहते हुए दादी जी के चेहरे पर एक हलकी सी स्माइल आ जाती हैं क्युकी उनकी आँखों के सामने अवनी का इस घर मे बिताया हर एक पल रिल्स की तरह चलने लगता है। उनका हंसना मुस्कुराना दर्द रोना और अपने बच्चों के साथ बच्चा बन जाना। जिन्हे याद कर दादी जी की आँखे हलकी नम भी हो जाती है।

    साधना जी दादी जी को emtional होता देख उनके हाथ को पकड़ हलकी स्माइल के साथ कहती है।

    " मैने जो किया है आधर्व और विराज के साथ शायद ही कभी वो मुझे माफ़ करेगे। पर आपको पता है आधर्व की ज़िंदगी मे आदि और विराज की ज़िंदगी मे कियारा के आने से मैं बहुत खुश हूँ। मेरे दोनो बच्चे बहुत बदल गये है आधर्व जिसे लोगो की परवाह नहीं होती थी हमेशा रिश्तो से नफरत करने वाला आज आदि के लिए पुरी तरह बदल गया। वाही हमारा विराज जिसके बारे मे कितनी खबरें आती रहती थी उसे play boy भी कहा जाता था। पर कियारा के आने से वो भी कितना बदल गया। और खुशी इस बात की है विराज को ऐसी लड़की मिली जो बिल्कुल अवनी दी की परछाई है।"

    साधना जी के चेहरे पर मुस्कुराहट थी। वाही दादी जी भी उनकी बात पर मुस्किरा रही थी। वो हाँ में सर हिला कर कहती है।

    "हम्म्म हमारे दोनो बिगड़े नवाब को यही दोनो बहने ही सीधा कर सकती है।" दादी जी की इस बात पर दोनो खिल खिला कर हंस पड़ती है।

    उनकी हंसी इतनी तेज थी की वहा मौजूद सभी लोग रिया शिव श्रेया धारा और संध्या जी उन दोनो की तरफ ना समझी से देखने लगते है।

    साधना जी और दादी जी सभी को अपनी तरफ देखता देख जल्दी से नॉर्मल होकर खड़ी हो जाती है।

    वाही साधना जी नॉर्मल होकर किचन की तरफ बढ़ते हुए कहती है।

    "जल्दी आकर सभी ब्रेकफास्ट करो।" इतना बोल साधना जी किचन मे चली जाती है।

    सभी को भूख लगी थी जिस करण सभी चुप चाप जाकर ब्रेकफास्ट टेबल की और बढ़ जाते है।

    वाही दादी जी किचन की तरफ देखते हुए मन में कहती है।

    "हम जानते है आपने जो किया उसके लिए आप काफी जायदा शर्मिंदा है। और आपकी आँखों ने वो पास्तवा दिखता है। तभी तो आपने इस घर को दिल से अपनाया और अपनी गलती की सज़ा भी पाई और आज तक आधर्व और विराज और यहा तक की मोक्ष की नफरत झेल रही है।"

    इतना कह दादी जी अपनी आँखों की नमी को साफ करती है और ब्रेकफास्ट टेबल की ओर बढ़ जाती है।

  • 13. war of love - Chapter 13

    Words: 2143

    Estimated Reading Time: 13 min

    आगे।

    शाम हो चुकी थी। सभी घर वाले इस समय आदि और आधर्व के कमरे में मौजूद थे। सिवाय श्लोक अलोक और दादा जी के क्युकी ये तीनो घर पर ही नहीं थे।

    विराज और मोक्ष स्टडी रूम में थे। इस समय सिर्फ आधर्व अपने रूम में सभी के साथ मौजूद था।

    आदि नींद से जाग चुकी थी और वो चुप चाप लेती सिलिंग को देख रही थी। और एक डॉक्टर जो डॉक्टर अनिता की भेजी हुई थी वो उसका चेकअप कर रही थी।

    सभी खामोशी से एक जगह डॉक्टर का चेक करने का इंतेज़ार कर रही थी। आधर्व जो बिल्कुल आदि के पास ही खड़ा था आदि ने एक बार भी उसकी तरफ नहीं देखा था। जो आधर्व को तकलीफ और गुस्सा दिला रहा था। उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था की आदि उसे ऐसे इग्नोर कर रही है।

    कुछ देर बाद डॉक्टर आदि को चेक करती है फिर आदि से काफी नर्म और पोलाइटली वाय मे पूछती है।

    "how are you feelings? आपको कही कुछ प्रॉब्लम तो नहीं हो रही?"

    डॉक्टर के पूछे जाने पर आदि धीरे से अपनी नज़रे उस डॉक्टर पर करती है और कुछ पल खामोशी से देखने के बाद बहुत ही धीमी आवाज़ में कहती है।

    "ब_बो_बॉडी पे_पेन . . ." आदि अपनी लड़खड़ती आवाज़ में इतना ही बोल पाती है। उसकी आवाज़ मे हलका दर्द भी था उसे अपना मुँह खोलने मे भी काफी तकलीफ हो रही थी।

    "ज्यादा हो रहा है?" डॉक्टर आदि की बात पर पूछती है।

    आदि ना में सर हिलाते हुए कहती है। " नहीं थोड़ा थोड़ा हो रहा है।" आदि वापस अपनी धीमी आवाज़ में कहती है।

    "ओके आप रेस्ट करो और मेडिसिन टाइम पर लो ठीक हो जायेगा।" डॉक्टर हलकी स्माइल के साथ प्यार से आदि से कहती है।

    आदि मुरझाय चेहरे के साथ बस हाँ मे सर हिला देती है। उसके बाद डॉक्टर सभी घर वालो की तरफ देखती है और बिना बोले कमरे से बाहर निकल जाती है।

    कुछ मिनट बाद सभी घर वाले निचे हॉल मे मौजूद होते है यहाँ तक की आधर्व भी। इस समय आदि अकेले कमरे में थी।

    "क्या हुआ डॉक्टर आप बाहर क्यू आ गई?" कियारा डॉक्टर से पूछती है।

    डॉक्टर बिना वक़्त बर्बाद किये गहरी सांस लेकर बोलना शुरु करती है।

    " देखिये आप सब को पहले भी पता है उनकी कंडशन के बारे मे उनकी बॉडी इतनी ज्यादा वीक हो चुकी है की वो किसी भी चीज़ को झेलने लायक नहीं बची। और रही सुधार की बात तो उनकी बॉडी मे बिल्कुल कोई भी सुधार नहीं आ रहा। उन्हे देख कर लग रहा है जैसे वो ठीक ही नहीं होना चाहती या फिर उन्होंने किसी चीज़ को या बातो को काफी ज्यादा दिल पर ले लिया है। और जब तक उनके दिमाग से वो चीज़ नहीं निकल जाती या वो उस बारे मे सोचना बंद नहीं कर देती तब तक उनकी कंडीशन प्रॉपर तरीके से ठीक नहीं होगी।"

    डॉक्टर सारी चीज़े क्लियर कर रही थी। वाही आधर्व जो डॉक्टर की बात को सुनते हुए गहरी सोच मे गुम था। उसका दिमाग तो अभी यहा था ही नहीं वो किसी ख्यालो मे ही खोया हुआ था।

    कुछ पल की खामोशी के बाद डॉक्टर आगे कहती है। " ब्लड प्रेसर भी लो है काफी उनका इसलिय प्लीज पेसेंट का इस कंडीशन मे इतना ज्यादा स्ट्रेस लेना हानिकारक हो सकरा है। और सबसे बेस्ट रहेगा आप लोग उन्हे बिल्कुल अकेला मत छोड़े और उनसे बाते करते रहे उनका माइंड डायवर्ट करते रहे। उन्हे यकीन दिलाय की आप लोग उनके साथ है। वो आप सब से बाते शेयर कर सकती है।" डॉक्टर सभी को देखते हुए धीमी आवाज़ में सबसे कहती है।

    कोई कुछ नहीं कहता सभी ऐसे ही अभी भी खामोश रहते है वाही आधर्व डॉक्टर की बात खत्म होते ही सीधा वहा से सीढ़ियों की तरफ बढ़ जाता है।

    "thank you doctor अब आप जा सकती है अगर कोई प्रोबलम होती है तो हम आपको इन्फॉर करते है।" धारा डॉक्टर से कहती है। उसकी बात सुन डॉक्टर हाँ मे सर हिला वहा से चली जाती है।

    वाही कमरे में आदि बेड पर लेटी पूरे कमरे को देख रही थी। उस कमरे को देख कर आदि को काफी तकलीफ हो रही थी। उसके आँखों के सामने आदि के वो तीन महीने किसी दर्दनाक रिल्स की तरह गुज़रने लगते है। जो उसने अकेले तकलीफ मे गुज़ारे थे।

    आधर्व के कमरे को देख देख कर बार बार उसे वो सब याद आ रहा था जो उसके साथ हुआ। हाँ ये वाही कमरा था जहा आदि ने खुद को अकेला कर लिया था। जहाँ वो छुप छुप कर रोती थी रात रात भर जाग कर आधर्व के आने का इंतेज़ार करती थी सिर्फ इस उम्मीद से की शायद आज आधर्व आएगा। आज वो उससे बात करेगा उसे प्यार से पेश आएगा। वो भी अपने दिल की बात बतायेगी।

    उसे भरोसा था आधर्व उसका साथ ज़रूर देगा। वो उसकी तकलीफ को दूर कर उसके साथ खड़ा रहेगा इतने माहिनो मे आधर्व के साथ रह कर आदि को कुछ हुआ हो ना हुआ हो पर उसे आधर्व पर पुरा यकीन हो चुका था। की उससे सबसे ज्यादा प्यार करता है और वो उससे गुस्सा हो सकता है पर नाराज़ नहीं और ना ही उससे इस तरह मुँह फेर सकता है।

    पर उसका भ्र्म आधर्व ने बहुत जल्दी ही तोड़ दिया था। जब उसे उसकी ज़रूरत थी तब आधर्व ने उसको सहार देने के वजय बेसहारा कर दिया था। हाथ थामने के वजय उसका हाथ ही छोड़ दिया था।

    ये कमरा अब आदि को सुकून नहीं तकलीफ दे रहा था वो इस कमरे मे घुटन महसूस कर रही थी। वो जाना चाहती थी यहाँ से पर उसकी बॉडी मे इतनी ताकत नहीं थी की वो उठ भी सके। और ना इतनी हिम्मत की कुछ बोल सके।

    आदि की आँखों के कोने से आँसू उसके कानो से होकर पिल्लो को गिला कर रहे थे। आदि अभी अपने तकलीफ भरे पलो को याद कर ही रही थी की अचानक रूम का डोर खुलता है। आदि समझ जाती है इस समय आधर्व के सिवा और कोई नहीं हो सकता।

    डोर खुलने की आवाज़ सुन आदि अपनी आँखे बंद कर लेती है। और आदि का अंदाजा सही होता है आधार डोर ओपन कर अंदर आता है।

    और सबसे पहले उसकी नज़र आदि पर ही जाती है। पहले तो उसे लगता है आदि वापस सो गई और वो अपने कदम उसकी तरफ बढ़ाने लगता है पर जैसे जैसे वो आगे बढ़ता है उसकी नज़र आदि के चेहरे पर जाती है। जिसकी नाक और लाल हो गई थी उसके बाद उसकी गीली पलकों और पिल्लो पर जहाँ आदि के आंसुओ के निशान थे।

    जिसे देख उसे पल नहीं लगता है ये समझने में की आदि अभी रो रही थी। और वो सो नहीं रही उसने अपनी आँखे बंद कर ली।

    बस यही चीज़ आधर्व के दिल मे एक बार फिर दर्द पैदा कर देती है। आदि का उसे ना देखना उसे अच्छा नहीं लग रहा था। उसे तकलीफ हो रही थी की जो आदि हमेशा उसे देखने के लिए बेसब्र रहती थी आज वो उसको देखना ही नहीं चाहती।

    शयाद यही उसकी सज़ा थी। जो तकलीफ उसने आदि को दी थी उसे नज़रअंदाज़ कर के अब आदि भी उससे उसी तरह मुँह फेर लेना चाहती थी।

    आधर्व खामोशी से आदि के पास आता है। और उसके पास बैठ आदि के नाजुक छोटे से हाथों को अपनी हाथों में लेकर उसके हाथों पर अपने होंठ रख चूमता है।

    "little bird! "

    आधर्व की आवाज़ में काफी नर्मी और कशिश थी।

    आधर्व की आवाज़ आदि के कानो मे जाती है उसका दिल फटने को आ जाता है। ना जाने कितने महीनों बाद आदि ने ये शब्द आधर्व के मुँह से अपने लिए सुने थे। वो तो तरस ही गई थी आधर्व के मुँह से ये नाम सुनने के लिए।

    पर किस्मत का खेल देखो आदि ने कभी नहीं सोचा था उसकी किस्मत कभी उसे इस मोड़ पर भी लाएगी। ना चाहते हुए भी अपना नाम सुन आदि की बंद आँखों से ही आंसु का कतरा बाहर बहने लगता हउ और तकिये को गिला करने लगता है। पर आदि अपनी आँखे नहीं खोलती है।

    आधर्व आदि के हाथों को प्यार से सेहला रहा था उसकी नज़र आदि की आँखों पर टिकी थी वो जब आदि की आँखों से आंसुओ को बेहता देखता है तो उसका दिल तड़प उठता है।

    वो अपने हाथ आगे बढ़ा आदि के आंसुओ को पोछते हुए कहता है।

    " इतना नाराज़ हो की अब मुझे देखोगी भी नहीं? look at me बच्चा i am here. " आधर्व काफी बेचैनी के साथ कहता है।

    आदि आधर्व के हाथ अपने चेहरे पर महसूस कर उसका दिल जोरो से धड़क उठता है। इसके वबजूद आदि अपनी आँखे नहीं खोलती।

    " मु_मुझे सोना है।" आदि अपनी बंद पलकों के साथ ही अपनी धीमी आवाज़ में कहती है। पर उसकी आवाज़ ने नाराज़गी थी जो सिर्फ आधर्व के लिए थी।

    आदि को यु रुखा पन आधर्व को जहाँ तकलीफ दे रहा था वाही गुस्सा भी दिला रहा था। वो बरदस्त नहीं कर पा रहा था आदि की ये नाराज़गी वो चाहता था आदि अपना गुस्सा उतारे उससे लड़े उसे बाते सुनाय पर उससे बात करे। पर इधर आदि ने तो खामोशी ही चुन ली थी।

    आधर्व कुछ मिनट आदि को यु ही खामोश देखता है। फिर अपना हाथ आदि के छोटे से गाल पर रख और दूसरे हाथ से उसके हाथों को थामते हुए कहता है।

    "ओके सो जाना पर पहले डिनर कर लो फिर मेडिसीन भी खानी है।" आधर्व बहुत ही प्यार के साथ आदि से कहता है।

    "मुुझे ना_नहीं खाना है।" आदि एक बार फिर अपनी नाराज़गी जाहिर करते हुए रूखे पन के साथ कहती है।

    "ऐसे कैसे नहीं खाना है हाँ? "

    डोर की तरफ से दोनो के कानो में ये आवाज़ जाती हैं। आधर्व पलट कर डोर की तरफ देखता है इसी के साथ आदि भी अपनी पलके खोल सामने डोर के पास देखती है।

    जहाँ कियारा और रिया दोनो अपने हाथों मे खाने की प्लेट लेकर प्यारी सी मुस्कुराहट के साथ खड़ी थी।

    "ऐसे कैसे नहीं खाना है। खाना तो पड़ेगा मैने इतनी मेहनत कर के बनाया है।" कियारा अपने कदम आदि की तरफ बढ़ाते हुए स्माइल के साथ कहती है।

    " और मैने भी हेल्प की है।" पीछे से रिया जल्दी से उनके पास आकर क्रेडिट लेते हुए कहती है।

    "हाँ भाई करछी चलाने को हेल्प ही कहते है।" पीछे एक और आवाज़ जाती है।

    उस आवाज़ को सुन कियारा रिया और आदि डोर के पास देखते है जहाँ से अग्नि अपने हाथों मे खाने की प्लेट लेकर उनके पास आ रही थी।

    " तु चुप। तुझे बड़ा पता है मैने हेल्प की है या नहीं?" रिया उसकी बात चिढ़ते हुए कहती है।

    " मुझे तेरा पता है इसलिय बोल रही हूँ मुझे पता है तुम कितना अच्छा खाना बनती हो।" अग्नि रिया को टोंट मारते हुए अंदाज़ में कहती है।

    और फिर कियारा की तरफ देखते हुए कहती है। "कियारा भाभी आप ही बताओ सच सच क्या इसने आपकी हेल्प की है?"

    कियारा जिसके चेहरे पर ना जाने कितने दिनों के बाद स्माइल आई थी। वो रिया और अग्नि को एक दूसरे से लड़ता देख उन्हे रोकते हुए कहती है।

    "अच्छा बस बस क्या लड़ कर ही अपना पेट भरना है?" कियारा दोनो को शांत करवाते हुए कहती है।

    फिर आदि की तरफ प्यार से मुस्कुराहट के साथ देखते हुए कहती है।

    "और तुम चलो उठो और जल्दी से ये ओट्स खा कर बताओ पहली बार मैने बनाय है।" कियारा आदि से कहती है।

    " आज तो मै भी आदि के साथ ही डिनर करूंगी।" अग्नि जल्दी से दूसरे साइड से आदि के पास बेड पर आते हुए कहती है।

    " और मै भी।" रिया कहा पीछे रहने वाली थी वो भी बेड पर उछल पड़ती है।

    वाही आधर्व जो चुप चाप बैठा तीनो की हरकतो को देख रहा था। अग्नि और रिया को अपने बेड पर बैठा देख वो अपनी तीखी सर्द नज़रो से उन दोनो को देखता है फिर बेड शीट को जिसे दोनो ने बिगाड़ दी थी।

    आधर्व को खुद को देखता है रिया और अग्नि घबरा जाती है और डर से अपना गला साफ करने लगती है।

    वो कुछ कहती उससे पहले कियारा काफी रूखे पन के साथ आधर्व से कहती है।

    "क्या तुम कुछ देर के लिए हमें अकेला छोड़ सकते हो? हम सुकून से डिनर करना चाहते है।" कियारा की आवाज़ में आधर्व के लिए बेहद गुस्सा था और नाराज़गी थी।

    आधर्व कियारा के इस टोन पर उसे देखता है उसे कियारा पर गुस्सा तो बहुत आता है पर फिर वो आदि को एक नज़र देखता है जो थोड़ी सहमी हुई नज़रो से कियारा को देख रही थी। शायद वो कियारा के लिए डरी हुई थी कही आधर्व गुस्से मे उसे कुछ ना कह दे।

    आदि को देख आधर्व गहरी साँस लेता है और हाँ मे सर हिला बिना किसी से कुछ बोले कमरे से बाहर निकल जाता है।

    कुछ देर बाद धारा के कमरे में:-

    " मुझे डाइवोर्स चाहिए। मुझे अब नहीं रहना तुम्हारे साथ।"

  • 14. war of love - Chapter 14

    Words: 2297

    Estimated Reading Time: 14 min

    आगे।

    "मुझे डाइवोर्स चाहिए। मुझे नहीं रहना अब तुम्हारे साथ।"

    ये धारा के शब्द थे जो आँखों में नमी लिए अपने सामने खड़े श्रांश से बोलती है।

    श्रांश जब धारा के मुँह से डाइवोर्स शब्द सुनता है उसके हाथों की मुट्ठियाँ गुस्से से बंद हो जाती है उसके गले और हाथों की नशे तन जाती है।

    "क्या कहा तुमने?" श्रांश गुस्से मे धारा को घूरते हुए शब्दों को चाबाते हुए कहता है।

    एक पल के लिए उसके आवाज़ से धारा सहम जाती है पर इस समय वो काफी गुस्से में थी जो उसके चेहरे पर साफ देखा जा सकता था।

    "यही की मुझे डाइवोर्स चाहिए अभी के अभी। मुझे नहीं पता बस मुझे अब नहीं रहना।" कहते हुए धारा का गला भर आया था उसके आँखों के आंसु इसके गालो पर गिरने लगे थे।

    श्रांश जिसे धारा की बाते सुन हद से ज्यादा गुस्सा आ रहा था। वो अपने दांतो को पिसते हुए अपनी खतरनाक नज़रो से उसे देख रहा था।

    वो जानता था धारा के mood swings हद से ज्यादा बढ़ चुके थे। पर ये पहली बार था जब धारा ने डाइवोर्स की बात की थी। और धारा जिस तरीके से कह रही थी उसे देख कर लग नहीं रहा था वो उसके मूड स्विंग्स थे।

    "दिमाग खराब हो गया क्या तुम्हारा?" श्रांश दाँत पिसते हुए धारा से कहता है।

    और फिर चिढ़ते हुए कहता है। " पागल लड़की आते ही सर पर चढ़ गई।"

    श्रांश कहता है और फीर धारा के बगल से वाशरूम की तरफ बढ़ने लगता है।

    वो वाशरूम तक पहुँचता है धारा की बात से उसके कदम रुक जाते है।

    " किसके साथ पुरा दिन बिता कर आ रहे हो?"

    धारा के शब्द सुन श्रांश के चेहरे के एक्सप्रेसशन चेंज होते है उसके कदम रुकते है और वो पलट कर धारा को देखता है जो रोते हुए उसकी तरफ देख रही थी।

    " कहना क्या चाह रही हो साफ साफ कहो?" श्रांश ठंडी आवाज़ के साथ उससे पूछता है।

    "वो लड़की कौन है जिसके साथ तुम. . ." धारा अपने शब्द अधूरे छोड़ रोने लगती है।

    शरणश के चेहरे के एक्सप्रेसशन बुरी तरह बिगड़ते है चेहरे पर गुस्सा और चिड़ साफ थी।

    श्रांश धारा की तरफ कदम बढ़ाते हुए कहता है। " कौन लड़की किसकी बात कर रही हो? होश मे भी हो?"

    "हाँ मै होश में हूँ और तुम ना झूठ मत बोलो मै सब जानती हूँ। तुम्हे क्या लगा तुम मुझसे सब छुपा लोगे और मुझे पता नहीं चलेगा?" धारा भी गुस्से मे श्रांश की तरफ अपने कदम बढ़ाते हुए कहती है और बिल्कुल शरणश के सामने खड़ी हो उसकी आँखों मे आँखे डाल कर उसे देखने लगती है।

    " कोई फयदा नहीं है तुम्हारा झूठ बोलने का मै जानती हूँ तुम्हारा अफेयर चल रहा है बाहर।" कहते हुए धारा सबकाते हुए रोने लगती है।

    फिर अपने आँसू पोछते हुए आगे कहती है। " मुझे तुम पर कभी भरोसा ही नहीं करना चाहिए था। मै ही पागल थी जो तुमसे प्यार करने लगी। और तुमने मेरे साथ इतना बुरा किया मुझे हमेशा दर्द हमेशा मुझे बेड पर बेरहमी से टचर किया उसके बाद भी मैने तुम्हे माफ़ कर दिया। मुझे लगा तुम बदल जाओगे जब हमारा बेबी इस दुनियाँ में आएगा तो हम दोनो मिल कर उसे पालेंगे। मैने तो सोच लिया था बेबी होने के बाद भी मै तुम्हे डाइवोर्स नहीं दूंगी। हम साथ रहेंगे happy family की तरह।"

    धारा रोते हुए जो उसके दिल मे था सब बोले जा रही थी। उसे पता ही नहीं था वो श्रांश के सामने वो सारी बाते बोल रही जो आज तक उसने उससे छुपा कर रखी। और गुस्से में ही सही उसने आज ये एक्सेप्ट कर लिया की वो श्रांश से प्यार करने लगी है।

    श्रांश जो कुछ समय पहले धारा की बातो से गुस्से मे तमतमाया हुआ था। धारा की अनेक्सपेक्टेड बाते सून कुछ पल के लिए तो फ्रिज हो गया था। क्या उसने सही सुना था धारा उससे प्यार करती है? और वो उसे कभी छोड़ने वाली ही नहीं थी? इतने महीनों से श्रांश अपने किये पर गिल्ट में था उसके लिए धारा ने उसे कब का माफ़ कर दिया था? उसे श्रांश से अटचमेंट नहीं प्यार था? और भी कई सवाल एक साथ श्रांश के जेहन मे घूमने लगे।

    उसके चेहरे पर जो कुछ देर पहले गुस्सा था वो बिल्कुल खत्म हो जाता है और वो बस अपनी खामोश नज़रो से धारा को देखने लगता है।

    वाही धारा जिसका रोना बढ़ता ही जा रहा था। वो रोते हुए कहती है।

    "पर नहीं तुम कभी नहीं बदल सकते। मुझे लगा आज नहीं तो कल तुम भी मुझसे प्यार करने लगोगे मै तुम्हारी आँखों मे अपने लिए प्यार ढूंढ़ने लगी थी। पर तुमने बता दिया तुम्हे मै बिल्कुल पसंद नहीं। पहले तुमने मुझसे बदला लेने के लिए शादी की और मुझे टचर किया और अब तुम सिर्फ अपने बच्चे के लिए मुझे झेल रहे हो। अब मै तुम्हारे किसी काम की नहीं रही ना अब मै तुम्हे सेटिस्फाइड नहीं कर सकती ना और ऊपर से मै मोटी भी हो गई हूँ। इसलिय तुम अपनी lust बाहर जा. . ."

    "उउउउ उम्मम्मम आआआ!"

    धारा के शब्द कहते हुए अचानक रुक जाते है और उसकी घुटी घुटी आवाज़ निकलने लगती है। वाही श्रंश जिसने धारा का मुँह बंद करने के लिए उसके होंठो को अपने होंठो से कैद कर लिया था।

    बड़े ही सॉफ्टली होकर उसके होंठो को चूमने लगता है। पर धारा जिसका गुस्सा अभी सर पर चढ़ा हुआ था वो अपने दोनो हाथ श्रंश के सीने पर उसे खुद से दूर करने लगती है। पर श्रांश जो हिला पाना उसके बस की बात नहीं थी।

    धारा को यु मेहनत करता देख श्रांश के चेहरे पर तिरछी स्माइल आ जाती है वो अपना हाथ आगे बढ़ा धारा की कमर को पकड़ अपने करीब करता है। और दूसरे हाथ धारा के पीछे गर्दन को उसके बाल समेट पकड़ धीरे धीरे वाइल्ड kiss करने लगता है।

    "उउउउ उम्म्म्म आऊम्म!" धारा उसके सीने पर हाथ रख बस बेकार की मेहनत किये जा रही थी।

    पर श्रांश की kiss धीरे धीरे फ्रेच किस मे बदल जाती है और वो अब अपनी आँखे बंद कर धारा के होंठो के रस को महसूस कर पीने लगता हैं वाही थोड़ी चिड़ के साथ धारा श्रांश के हैंडसम फेस को देख रही थी। और धीरे धीरे वो श्रांश के चेहरे मे खोती चली जाती है।

    शायद ये पहली बार था जब वो श्रांश को इतने करीब से देख रही थी वो भी श्रांश की बंद पलकों के साथ। वरना श्रांश हमेशा से उसके साथ ऐसा रहा था उसने उसे हमेशा दर्द ही दिया था।

    श्रांश जो धारा को kiss तो किया था चुप करवाने के लिए पर अब वो खुद अपना काबू खोता जा रहा था। उसके होंठ अब किसी कीमत पर धारा के होंटो को छोड़ने को तैयार नहीं थे। ना जाने इस एहसास के लिए धारा की करीबी को महसूस करने के लिए उसका दिल कब से तड़प रहा था।

    पर उसने धारा के साथ इतना गलत कर दिया था जिसके बाद वो नहीं चाहता था वो उसके साथ कोई भी जबदस्ती करे। पर आज धारा के मुँह से love confession सुन और ये सुन की वो उसके साथ ही रहना चाहती है। ये सुन मानो श्रांश के बैचैन दिल को सुकून मिला था।

    आधर्व के कमरा:-

    आदि बेड पर सो रही थी। कियारा रिया और अग्नि के साथ थोड़ा बहुत खाना खाने के बाद कियारा ने उसे मेडिसिन दिया।

    आदि की मेडिसिन काफी हाई डोज वाली थी जिस वजह से उसे खाते ही आदि को नींद आ जाती है जिससे उसकी बॉडी रिलैक्स हो जाती है। और वो आराम से बेड पर सो रही थी।

    वाही आधर्व जो बालकनी मे इतनी ठंड मे शर्टलेस होकर खड़ा सिगरेट के कश ले रहा था। आधारब ने इस समय निचे सिर्फ पेंट पहनी हुई थी और ऊपर वो पुरा शर्टलेस खड़ा था।

    बालकनी पुरी तरह ढूँए मे डूबी हुई थी। कुछ तो ठंड की वजह से और कुछ सिगरेट के स्मोग की वजह से। बालकनी मे इधर उधर काफी सारे सिगरेट के खाली पैकेट इधर उधर पड़े हुए थे। जिससे साफ पता चल रहा था आधर्व काफी समय से सिगरेट पी रहा है।

    आधर्व लास्ट कश सिगरेट की लेता है और उसे वाही बालकनी मे फेंक अपनी आँखे बंद कर एक गहरी साँस लेता है। आधर्व की हरकतों से लग रहा था उसका दिल बैचैन है काफी। जिस वजह से वो अपनी बेचैनी दुर करने के लिए सिगरेट पी रहा था।

    सिगरेट फेंकने के बाद आधर्व बालकनी से होते हुए अपने कमरे में आता है। उसकी नज़र बेड पर सोई आदि पर जाती है जो गहरी नींद में सो रही थी। आधर्व एक गहरी साँस लेता है और अपने कदम बेड की तरफ बढ़ा देता है।

    और आदि के करीब होकर एक साइड फेस कर के आदि को देखने लगता है जो करवट बदल कर किसी छोटे बच्चे की तरह सोई हुई थी। जिसे देख आधर्व के चेहरे पर हलकी सी स्माइल आ जाती है। आदि कितना ही बदल गई पर उसके सोने की आदत अभी भी वैसे ही थी।

    आधर्व अपना हाथ आगे बढ़ा आदि के चेहरे पर आये बालो को प्यार से हटाने लगता है और बारी बारी कर कभी उसकी घणी पलकों को देखता है तो कभी उसकी छोटी नाक जो ठंड की वजह से लाल हो गई थी। फिर उसके चब्बी फेस और उसपर उसके पाउट बने हुए गुलाब की पंखुरी की तरह नाजुक होंठ।

    सच में सोती हुई मे आदि बिल्कुल कयामत लगती थी और ऊपर से उसका मासूमियत से भरा चेहरा जान ही ले लेती थी। वैसे आधर्व भी किसी से कम नहीं था या ये कह सकते ये दोनो एक दूसरे को चर्म मे फुल टक्कर देते थे।

    आधर्व आदि को निहारने मे बिजी ही था इतने में उसके कानो मे धीमी सहमी हुई सी आवाज़ आती है।

    " न_नहीं नहीं प्लीज मुझ_मुझे छोड़ दो स_सर मै_मैने कु_कुछ नहीं किया। मु_मुझे मत छुओ मु_मुझे अच्छ_अच्छा नहीं लगता।" आदि नींद में ही बड़बड़ा रही थी।

    उसकी बातो से लग रहा था आदि सपने में अपने साथ हुए हादसे को याद कर रही थी। याद करते हुए आदि की आँखों से आंसु भी निकल रहे थे।

    हलाकि की वो नींद में थी पर उसका दर्द उसकी तकलीफ सब उसके चेहरे पर जाहिर हो रही थी।

    आधर्व आदि को यी डरा हुआ और बड़बड़ाता हुआ देखा आदि के और करीब होता है और उसके कोमल से गालो पर अपने हाथ रख काफी धीमी आवाज़ में कहता है।

    "little bird! what happend? "

    वाही आदि जिसे उसके सपने ही डरा रहे थे वो नींद में ही सुबक कर रोने लगती है।

    " मै कभी आपको माफ़ नहीं करूंगी। आ_आपने मुझ_मुझे अकेला कर दिया। मेर_मेरी बात भी ना_नहीं सुनी मा_मैने कुछ नहीं किया। स_सब उन्होंने किया।" आदि सुबकते हुए नींद में ही बुडबूदा रही थी।

    आधर्व जो आदि की बाते गोर से सुन रहा था। उसे पता था आदि आधर्व के मारे में बोल रही है। की वो उसे माफ़ नहीं करेगी उसने उसकी कोई बात नहीं सुनी।

    जिसे सुन आधर्व को अपने अंदर दिल मे दर्द महसूस हो रहा था। जो आधर्व किसी के आगे नहीं टूटता था वो अपनी little bird की हालत देख नहीं पा रहा था। आदि की यु नींद में भी बैचैन देख उसे एहसास हो रहा था। उसने क्या कर दिया उसके साथ वो जानता था। आदि उससे कितना अटैच हो चुकी है वो उसे अपना सब कुछ मानती है उसके बावजूद भी आधर्व ने उसे तब अकेला छोड़ दीया जब उसे उसकी ज़रूरत थी।

    "को_कोई मुझसे प्य_प्यार नहीं करता। की_किसी को मै पास_पसंद नहीं। सब मुझ_मुझसे नफरत करते। आ_आप भी कर_करते आ_आप मुझ_मुझसे परे_परेशान हो गये ना ता_तभी आप मुझे तलाक दे_देना चाहते है। मुझे तलाक मत द_दो ना मुझ_मुझे आपके साथ रहना है। मे_मेरा कोई अपना नहीं है मा_मै कहा जाउंगी सब मुझ_मुझे मारते है।" आदि नींद में रोने लगती है उसकी आँखों से अब आंसु उसके चेहरे को भींगा रहा था। उसकी आवाज़ में तकलीफ थी।

    जो शायद नींद मे आधर्व से दूर जाने के डर से तड़प रही थी। आधर्व को महसूस होता है क्या बीती होगी आदि पर जब उसने डाइवोर्स की बात सुनी होगी। उसने किस हद तक टूटी होगी तब जाकर उसने साइन किया होगा। ये सब सोच आधर्व को तकलीफ हो रही थी और खुद पर गुस्सा भी आ रहा था।

    "मुझ_मुझे तलाक मा_मत दो। मे_मै कभी परेशान ना_नहीं करूंगी। का_कभी जिद्द नहीं करूंगी। मुझस_मुझसे कोई प्यार नहीं करता आ_आप भी मु_मुझे अकेला कर दोगे तो मा_मै क्या करूंगी? मुझे तलाक मत दो।" आदि को बार बार नींद मे रोता देख आधारब जल्दी से आदि को अपनी बाहो की गिरफ्त मे लेता है।

    " नहीं मेरा बच्चा मै कही जाने नहीं दूंगा। मै हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा। कभी तुम्हे छोडूंगा। मुझे माफ़ कर दो बेबी अनजाने मे बहुत हर्ट कर दिया।" आधर्व आदि को अपने सीने से लगा उसकी पीठ को रफ करते हुए उसके बालो को चूमते हुए कहता है।

    आदि आधर्व को स्पर्श पाकर उसके सीने मे खरगोश के बच्चे की तरह छुपने लगती है और अपना एक हाथ आधर्व की कमर मे लपेट लेती है। वैसे आदि के हाथ काफी छोटे थे जो आधर्व के कमर पर आधे ही जा पाते थे।

    वो उससे चिपक कर नींद में ही बोलती है। " मा_मै कभ_कभी परेशान नहीं करूंगी। मुझ_मुझे तलाक नहीं दोगे ना?" आदि आधर्व से चिपकते हुए नींद मे कहती है।

    आधर्व आदि के बालो को सेहलाते हुए उस पर kiss करता है और कमर से पकड़ किसी छोटे बच्चे की तरह cuddle कर कहता है।

    " नहीं दूँगा कभी नहीं दूँगा तुम चाहोगी तब भी नहीं। बस तुम जल्दी से ठीक हो जाओ।" आधर्व कहता है और कुछ पल खामोश रहने के बाद आदि का चेहरा अपने सीने से निकाल देखता है तो आदि सो चुकी थी।

    एक बार फिर उसके चेहरे पर सुकून था। जिसे देख आधर्व गहरी साँस लेता है और आदि के गालो को प्यार से चूमते हुए कहता हैं।

    " मेरा little bird baccha. "

  • 15. war of love - Chapter 15

    Words: 2213

    Estimated Reading Time: 14 min

    आगे।

    "अह्ह्ह्ह!"

    धारा की आहे कमरे में गुंज रही थी। वाही श्रांश बेड पर धारा के ऊपर शर्टलेस होकर उसकी नेक को चूम और बाईट कर रहा था जिससे धारा की सिसकियाँ निकल रही थी।

    श्रांश अपना पुरा काबू खो चुका था। उसके हाथ धारा के पेट से होते हुए ऊपर की तरफ बढ़ रहे थे। धारा अपनी आँखे बंद कर गहरी गहरी सांसे भर रही थी। धारा की सड़ी और श्रांश की शर्ट all ready बेड से निचे फर्श पर बिखरे पड़े थे। इस समय धारा पेटीकोट और बलाउज श्रांश के निचे अपनी आँखे बंद कर आहे भर रही थी।

    ये करीबी धारा से बिल्कुल बरदस्त नहीं हो रही थी। उसकी बॉडी मे एक सिहरण सी दौड़ रही थी। उसकी बॉडी मे अजीब सी हलचल सी मच रही थी जो उसे आज तक महसूस नहीं हुई।

    और होती भी कैसे आज पहली बार था जब श्रांश धारा के करीब बिना की नफरत बिना किसी गुस्से के आया था। वरना पहले तो वो सिर्फ धारा को तकलीफ देने के लिए ही उसके करीब आता था।

    ये एहसास दोनो के लिए नाया था। आज श्रांश धारा को सिद्द्त के साथ चूम और महसूस कर रहा था। धारा के हाथ भी श्रांश की पीठ और बालो मे चल रहे थे।

    श्रांश धारा के गर्दन बैठासा चूम रहा था और साथ ही साथ बाईट भी कर रहा था। जिससे धारा को दर्द होता है और उसके बाद अपनी बाईट की हुई जगह पर लिक भी कर रहा था जो धारा को तड़पने पर मजबूर कर रहा था।

    श्रांश के एक हाथ बलाउज के ऊपर से ही धारा के चे_स्ट को सेहला उसे महसूस करने की कोशिश कर रहे थे। पर कपड़े की वजह से श्रांश के हाथ उसे महसूस नहीं कर पा रहे थे। जिससे चिढ़ श्रांश एक झटके से उसके बलाउज को फाड़ उससे अलग कर देता है।

    जिससे धारा एक पर के लिए सहम जाती है और झटके से अपनी आँखे खोलती है। और कुछ कहती उससे पहले श्रांश उसके नैक से अपना चेहरा निकाल् बिना पल गवाय उसके होंटो को अपने होंठो के गिरफ्त में ले लेता है।

    और दूसरे हाथ से धारा के चे_स्ट को रफ कर सेहलाने लगता है। जिससे एक बार फिर धारा मदहोश हो उठती है।

    "उम्म्म्म अअअअअ!" धारा अपनी घुटी हुई आवाज़ में सिसक उठती है।

    धारा के लिए ये सब बिल्कुल अलग था बिल्कुल सॉफ्ट था। और ऊपर से प्रेग्नेंट होने की वजह से श्रांश के इस तरह करीब और उसके टच से धारा पिघलने लगी थी। जिस वजह से वो श्रांश को रोकने की बिल्कुल कोशिश नहीं कर रही थी। इस बिच दोनो ये भूल चुके थे की धारा प्रेग्नेंट है।

    धारा अपनी आँखे बंद कर गहरी गहरी साँसे ले रही थी जिससे उसका सीने बहुत ही तेजी के साथ ऊपर निचे हो रहा था। उसके पेट की साँसे भी तेजी से ऊपर निचे हो रही थी और ये सब चीज़े श्रांश को अपने खुले सीने पर महसूस हो रहा था।

    कुछ देर धारा को kiss करने के बाद जब उसे महसूस होता है धारा को साँस लेने में प्रोबलम हो रही है तो वो एक समूँच के साथ धारा के होंठो को छोड़ता है।

    और अपना चेहरा उठा धारा के चेहरे को देखता है जो अपनी आँखे बंद कर लम्बी लम्बी साँसे ले रही थी। उसका चेहरा शर्म से लाल हो चुका था होंठ जो सुख थे और सुखते हुए ना श्रांश ने आज उसके होंठो का सारा रस जो पी लिया था।

    श्रांश की भी साँसे गहरी ही चल रही थी आखिर कितने महीनों बाद वो इस तरह धारा के करीब आया हुआ था। और इतने सिद्दत के साथ उसके शरीर के हर हिस्से को एक्सप्लोर कर रहा था।

    श्रांश कुछ पल धारा को देखता है फिर झुक कर उसके उभरे हुए भाग पर अपने होंठ रखता है।

    "शशशिईहह!" उसके होंठ रखते ही धारा सिसकती है। उसके पेर बेड शीट पर लगड़ा जाते है।

    श्रांश के होंठ अब धारा के उभरे हुए हिस्से को kiss और बाईट करता है और धीरे धीरे अपने होंठ धारा के पेट पर लाकर वहा अपने निशान छोड़ते हुए उसके नाभि पर अपने होंठ रखा लिक करने लगता है।

    बस उसके होंठ धारा के नाभि भर लगने भर की देर थी की अब धारा मदहोश हो जाती है। क्युकी धारा के लिए उसका सबसे सेंसेटिव हिस्सा वाही था जिससे वो विचलित हो सकती थी और ये बात श्रांश को अच्छे से पता था।

    "अह्ह्ह्ह श्रां_ श्रांश उम्मम्हह!" धारा अपनी मोंन भरी आवाज़ में श्रांश का नाम लेती है और उसके कंधे पर होने नाखुन चुभोने लगती है।

    अब धारा से बिल्कुल बरदस्त नहीं हो रहा था उसकी बॉडी अब पसीने में भींगने लगी थी। रूम में AC होने के बाद भी और ठंड का मौसम होने के बावजूद भी धारा की हालत बिगड़ चुकी थी। श्रांश के हाथ अब तक धारा के पेटी कोट को खोल कब स उससे अलग कर चुके थे जिससे धारा को बिल्कुल भी इस बात का एहसास नहीं था।

    श्रांश के हाथ उसकी थाई को सेहलाते हुए ऊपर की तरफ बढ़ते है। धारा की साँसे अटक जाती है वो अपनी साँसे रोके ही कहती है।

    "उम्म्म अह्ह्ह मु_मुझसे बरदस्त ना_नहीं हो रहा। मुझ_मुझव बेचैनी अह्ह्ह उम्म्म हो रही है।" धारा की आवाज़ उस समय काफी एट्रैक्टिव और मोंन भरी थी। जिससे सुन श्रांश अपना काबू खो रहा था। वो धारा के नाभि के इर्द गिर्द अपने होंटो को घुमाते हुए टेड़ी स्माइल करता है।

    वाही धारा श्रांश के कंधे को जोर से पकड़े अपनी आँखे बंद कर गहरी गहरी साँसे ले रही थी उसका पुरा शरीर पसीने से नाहा चुका था। पर श्रांश वो नहीं कर रहा था जिसके लिए उसका शरीर तड़प रहा था। और श्रांश और ज्यादा उसकी बॉडी को गर्म और तड़पा रहा था।

    दो घंटे ऐसे ही अपने होंठो से धारा के शरीर के हर हिस्से को छूने के और बाईट करने के बाद श्रांश अब अपना चेहरा ऊपर कर धारा के चेहरे को देखता है जो अपनी आँखे बंद कर तड़प रही थी। उसका चेहरे पर आये पसीने इस बात के गवाह थी की आज श्रांश ने उसकी बॉडी मे कितनी ज्यादा हलचल पैदा कर दी।

    प्रेग्नेंट होने के करण धारा की बॉडी मे डिजायर्स जल्दी जाग गये थे। जिसे वो काबू नहीं कर पा रही थी।

    श्रांश धारा को देखता है। और टेड़ी स्माइल के साथ झुक कर धारा के माथे पर अपने होंठ रख उसके माथे को चूम लेता है।

    इसी के साथ धारा अपनी आँखे खोल अपनी मदहोश नज़रो से श्रांश के चेहरे को देखती है जो उसे चिड़ाने वाली स्माइल के साथ उसके चेहरे पर चिपक चुके बालो को हटाने हुए कहता है।

    " इसके बाद मुझे तुम्हे बताने की ज़रूरत नहीं है मुझे तुम्हारे अलावा किसी मे इंटरस्ट नहीं है।"

    उसकी बात पर धारा जिसकी आँखों मे अभी भी तड़प थी वो तुरंत ही हफ्ते हुए कहती है।

    " तो तु_तुम रुक क्यू गये?"

    धारा की बात सुन श्रांश के चेहरे की मुस्कुराहट और बढ़ जाती है और वो उसके ऊपर से हट उसके बगल मे लेटता है।

    और उसके करीब होकर उसे अपनी बाहो मे भरता हुआ उसकी गर्दन मे अपने हाथों को चलाते हुए कहता है।

    " मुझे पता है वाइफी तुम तड़प रही हो पर ये तुम्हारी सज़ा है। ताकि तुम्हारे अंदर जो शक कर कीड़ा है वो बाहर आ जाय। तुम्हे खुद ही शांत होना होगा वाइफी क्युकी पता है ना अगर मैने तुम्हे शांत करवाया तो हमारे बेबी को हर्ट होगा। और मै बिल्कुल नहीं चाहता।" बोलते हुए वो धारा के करीब होते हुए अपना चेहरा धारा के गर्दन में छुपा अपनी गर्म साँसे छोड़ते कह रहा था। उसका एक हाथ धारा के बेबी बम्ब को चारो तरफ से सेहला रहा था।

    धारा अब खामोश हो जाती है पर उसकी साँसे और उसके अंदर बेचैनी अभी भी बड़ी हुई थी। पर श्रांस की बातो से अब वो होश मे आई थी की वो प्रेग्नेंट है वरना वो तो भूल ही चुकी थी। जिस वजह से अब वो थोड़ी चिढ भी चुकी थी श्रांश से की उसने जान बुझ कर उसे इतना उकसाया।

    धारा उसके सीने पर मुक्के से मारते हुए कहती है। "बहुत बुरे हो तुम। सही कहती हूँ जानवर ही हो तुमने जान बुझ कर किया ना ये?" धारा श्रांश से बहुत ही क्यूट अंदाज़ में शिकायत करते हुए कहती है।

    श्रांश अब धारा को अपने सीने मे छुपा उसकी पीठ को अपने हलके हाथों से सेहलाते हुए। i mean अपना नाम उसकी पीठ पर लिखते हुए कहता है।

    " सही कहा i am very bad person और ये तुम्हारी सज़ा का डेमो था वाइफी बाकी की सज़ा बेबी आने के बाद मिलेगी।"

    श्रांश की बाते सुन धारा अब कुछ नहीं कहती या यु कहे धारा श्रांश के फॉरप्ले की वजह से पुरी तरह थक गई थी। और अब उसे कमज़ोरी सी महसूस हो रही थी।

    कुछ पल दोनो युही खामोश एक दूसरे की बाहो में लेते हैं। धारा अपनी आँखे बंद करे शरणश के सीने से अपना चेहरा छुपा रखी थी। श्रांश की आँखे अभी भी खुली हुई थी और उसके हाथ धारा के पीठ पर अभी भी चल रहे थे। धारा कु खामोश से श्रांश को लगा वो अब सो गई है।

    पर वो गलत था धारा को नींद आ रही थी और वो थक भी गई थी। पर उसके दिमाग मे जो चीज़ चल रही थी जिस वजह से वो सो नहीं पा रही थी।

    इसलिय वो ज्यादा और इंतेज़ार ना करते हुए अपनी धीमी आवाज़ में कहती है।

    "वो लड़की कौन थी? जिसका कॉल सुबह आया था देखो झूठ मत बोलना मैने सुना था वो कोई लड़की थी और उससे बात करने के बाद तुम चले गये थे। क्या सच में वो तुम्हारी गर्ल फ्रंड है?" कहते हुए धारा के चेहरे पर उदासी आने लगती है। उसे यही सोच कर तकलीफ हो रही थी अगर ऐसा है तो क्या सच मे श्रांश एक टाइम पर उसे छोड़ देगा।

    धारा की बाते सुन श्रांश अपना चेहरा हलका सा झुका धारा को देखता है। जिसके चेहरे पर उदासी थी और आँखों मे आँसू आ चुके थे।

    "अभी जो हुआ भूल चुकी हो क्या वाइफी जो वापस से शक का कीड़ा अपने बेकार के दिमाग मे ला रही हो?"

    श्रांश की बात पर धारा हलका सा अपना चेहरा उठा श्रांश को देखती है। उसकी आँखों मे अभी भी आंसु थे।

    श्रांश अपने हाथ उसके चेहरे पर रख अंगूटे से उसके आँसू साफ करते हुए कहता है।

    " मेरी लाइफ में पहली और आखिरी लड़की तुम ही हो जो मेरे इतने करीब हो सकती हो। और तुम्हारे लाइफ में भी पहला और आखिरी शख्स में ही होना चाहिए। अगर मेरे अलावा तुमने किसी और के करीब गई तो जानती हो ना जान लेने मे समय नहीं लगाऊंगा?" श्रांश की बातो मे प्यार के साथ साथ धमकी था। उसको बातो मे धारा के लिए साफ साफ वॉर्निग थी।

    जिसे सुन धारा के अंदर एक डर आ जाता है और वो थोड़ा डर जाती है और जल्दी से अपनी नज़रे झुका वापस श्रांश से लिपत जाती है जैसे वो कह रही हो की वो समझ गई है उसके कहने का मतलब और वो ऐसा कुछ नहीं करेगी।

    कुछ पल फिर से खामोश रहने के बाद एक बार फिर धारा डरते हुए अपना मुँह खोलती है। " प_पर व_वो लड़की?"

    " क्लाइंट थी जो फॉरेंस से डील करने आई थी। पर मुझे उसके साथ कोई डील नहीं करनी थी इसलिय वो बार बार कॉल कर रही थी। इसलिय मै उसका दिमाग ठिकाने लगाने गया था।" श्रांश जिसे पता था उसकी बीवी को जब तक वो बता नहीं देगा तब तक वो सोने वाली नहीं है और उसके दिमाग में वो बाते घर करे इससे बेहतर उसने गहरी साँस के साथ उसे बता देता है।

    " मिल गया जवाब। तो अब अपने इस दिमाग को रेस्ट दो और सो जाओ। वरना मैने जो अभी थोड़ी देर पहले किया और मै पुरी रात कर सकता और i swear जिसके बाद तुम्हारा हाल इससे भी पुरा हो जायेगा।" श्रांश धारा के बालो को चूम लेता है और लास्ट वाली लाइन जान बुझ कर कहता है जिससे धारा अब शांत होकर चुप चाप सो जाय।

    श्रांश की बाते सुन धारा को अभी कुछ देर पहले जो हुआ वो याद आता है जिसे याद कर वो सिहर जाती है। उसे याद आता है कुछ ही घंटो में शरणश बिना intim@t हुए ही उसकी हालत कितनी बुरी कर चुका था।

    और अब उसमे बिल्कुल हिम्मत नहीं थी बहुत मुश्किल के बाद तो अब जाकर वो थोड़ी नॉर्मल हुई थी। और वो दोबारा खुद को थकाना नहीं चाहती थी जिसके बाद धारा बिना कुछ बोले श्रांश के सीने मे खुद को छुपा अपनी आँखे बंद कर लेती है।

    आज पहली बार था जब श्रांश उसे इतने प्यार से होनी बाही मे समेटा हुआ था। धारा के चेहरे पर भी सुकून भरी स्माइल थी वो खुश थी क्युकी पहले कभी इस तरीजे से श्रांश ने उससे प्यार नहीं जताया था और ना ही इसके सवाल पूछने पर जवाब दिया था। पहले तो सिर्फ वो जब भी उसके करीब आया था तो सिर्फ उसे हर्ट करने। और इसके बाद इतने महीनों तक वो धारा से दूरी ही बना कर रहता था ये सोच कर की धारा को हर्ट ना कर दे।

    पर आज दोनो के बिच इतने महीनों से बनी दीवार आज टूट चुकी थी। और आज दोनो ही अपने अंदर एक सुकून महसूस कर रहे थे। और कुछ ही देर बाद दोनो ही गहरी नींद में सो जाते है।

  • 16. war of love - Chapter 16

    Words: 2138

    Estimated Reading Time: 13 min

    आगे।

    अगली सुबह:-

    सुबह हो चुकी थी सभी अपने अपने टाइमिंग के हिसाब से अपने अपने काम पर लग गये थे। रिया और अग्नि भी कॉलेज के लिए जा चुकी थी। साधना जी संध्या हमेशा की तरह किचन के काम समेट रही थी दादी जी मंदिर मे पूजा कर रही थी।

    विराज मोक्ष और श्रांश ऑफिस जा चुके थे। पर आधर्व आदि को इस हाल मे छोड़ कर कही नहीं जाता है इसलिय आज की सारी डील विराज और मोक्ष को ही संभालनी थी। आधर्व इस समय रूम में सोफे पर बैठा अपने लैप पर लैपटॉप रख कर mails भेज रहा था।

    उसकी नज़र बार बार बेड पर सोई आदि पर भी थी। जो अभी गहरी नींद मे सो रही थी वीकनेस और मेडिसिन की वजह से उसे हद से ज्यादा नींद आती थी। और आधर्व भी कुछ नहीं कहता था क्युकी आदि के रिकवर होने के लिए उसकी नींद प्रॉपर होनी ज़रूरी थी।

    आधर्व अपने काम के बिच बिच मे बार बार आदि को भी देख रहा था। जो कभी सुकून से सो रही थी तो कभी उसके चेहरे पर बेचैनी आ रही थी। तो कभी उसके हाथ और पेर की मूवमेंट हो रही थी। जिसे देख आधर्व को समझ आ जाता है आदि ज़रूर फिर से कोई सपना देख रही है।

    " कही फिर से तो सपने से डर नहीं रही?"

    आधर्व अब गहरी साँस लेता है और अपना लैपटॉप साइड रख अपनी जगज से खड़ा हो आदि की तरफ बढ़ता है। और आदि के पास बेड पर आकर एक साइड बैठ आदि के माथे से बालो को सेहलाने लगता है।

    "शशशशश रिलैक्स मै हूँ यही।" आधर्व calm और धीमी आवाज़ मे आदि से कहता है। पर आदि जो नींद में थी वो उसकी बाते सुन तो नहीं सकती थी।

    पर महसूस कर सकती थी। जिससे आधर्व का सपर्श पाने के बाद आदि के चेहरे पर एक बार फिर सुकून आ जाता है। आधर्व कुछ देर वाही उसके पास बैठा रहता है। अचानक उसकी नज़र आदि की गर्दन की तरफ जाती है।

    "ये क्या है?"

    आदि अभी भी हॉस्पिटल गाउन में ही थी। और वो गाउन आदि के लिए काफी ढीला था जिस वजह से उसकी नाजुक अट्रैक्टिव गर्दन बखूबी नज़र आ रही थी।

    आदि के गर्दन पर नज़र जाते ही आधर्व के चेहरे के भाव चेंज होते उसकी आँखे सर्द हो जाती है। वो अपना हाथ आगे बढ़ा आदि की गर्दन से उस गाउन को उसके कंधे से सरकता है जिसके बाद आधर्व की आँखे खून की तरह लाल हो जाती है। उसका चेहरा बिल्कुल पत्थर की तरह सख्त हो जाता है।

    जिससे ये पता लगाना मुश्किल बिल्कुल भी नहीं था की आधर्व कितना ज्यादा गुस्से में है। उसकी नज़र आदि के गर्दन पर गहरे लाल और नीले निशान पर पड़ती है। आधर्व जो काफी अच्छे से जानता था ये निशान किसी चामुक के है और उससे आदि को हीट किया गया है। इतने दिनों से आधर्व ने आदि की बॉडी पर इतना ध्यान नहीं दिया था पर आज उसकी गर्दन दिखने की वजह से आधर्व की नज़र उस पर जाती है।

    "ये निशान? उन सब की हिम्मत कैसे हुई मेरी बीवी को इस तरह दर्द देने की?" आधर्व काफी गुस्से मे दाँत चबाते हुए कहता है।

    "छोडूंगा नहीं किसी को नहीं। सज़ा तो मिलेगी। और इससे भी बुरी मिलेगी।"

    ये जानने के बाद अब आधर्व के गुस्से की कोई सीमा नहीं थी। पर वो खुद को कंट्रोल करता है और अब अपने हाथ बढ़ा धीरे धीरे करके आदि के शरीर से कपड़े को अलग कर देता है।

    आदि अब बिल्कुल ने_क्ड थी उसके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था। आदि जो बेखबर थी और आधर्व जिसकी नज़र इस समय आदि के शरीर के हर हिस्से पर थी जहाँ जहाँ आदि के शरीर पर जख्मो के निशान थे कही जलने के तो कही मारने के और सारे के सारे निशान लाल और गहरे नीले पढ़ चुके थे। जो इस बात की गवाही चीख चीख कर दे रहे थे की आदि को किस तरह टचर किया गया होगा।

    उसके जख्म देख अब आधर्व को समझ आ रहा था की क्यू आदि ने अपनी जान लेनी चाही। जिस ज़िंदगी को वो जीना चाहती थी उसे क्यू छोड़ने पर मजबूर हुई।

    जिसकी वजह आज आधर्व की आँखों के सामने था जिसे देख आधर्व के अंदर बेचैनी और घबराहट सी होने लगी थी। उसे ये सब देखने की आदत थी पर आदि को इस तरह देख आधर्व को तकलीफ हो रही थी वो आदि के जख्मो को देख कर ही अंदाजा लगा सकता था आदि को कितनी तकलीफ हुई होगी। कितना दर्द हुआ होगा।

    आदि को देखते हुए आधर्व कुछ महीनों पहले की यादो मे मे खो जाता है।

    " little bird कहा ना निचे आओ लग जायेगी।" आधर्व आदि से कहता है।

    वाही आदि जो इस समय आधर्व के स्टडी रूम मे मौजूद थी वो एक ऊँचे से स्टूल पर चढ़ सबसे ऊपर वाली बुक सेल्व्स में से कुछ ढूंढ रही थी। आदि की हाईट काफी छोटी थी जिस वजह से उस ऊँचे टेबल के होने के बाद भी वो उसे नहीं पा पा रही थी।

    "क्या तुम्हे सुनाई नहीं देता मैने क्या कहा? उतरो निचे लग जायेगी ना।" आधर्व आदि की हरकतो पर थोड़ा गुस्सा करते हुए कहता है।

    पर आदि उसकी एक नहीं सुनती और अपने पेर ऊँचे करते हुए उसे और पाने की कोशिश करते हुए कहती है।

    "नहीं good devil मै नहीं उतुरूंगी ये सब आपकी वजह से हुआ हैं। आपने मेरा फोन क्यू ऊपर रख दिया मै इसे लेकर ही निचे आउंगी।" आदि बड़े ही मासूमियत के साथ आधर्व की तरफ हलकी सी नज़र निचे कर उसे देखते हुए कहती है।

    फिर वापस अपना फोकस अपने फेंके गये फोन पर करती है। आधर्व आदि की बात सुन कहता है।

    " अपनी हाईट देखो पहले तुम चाह कर भी वहा से अपना फोन वापस नहीं ले सकती। और आकर के भी ली तो मैने उसे इतनी जोर से फेंका है उसकी हालत रही नहीं होगी चलाने लायक।"

    आदि अब अपना पप्पी फेस बना कर अपनी प्यारी आँखों से मासूमियत के साथ आधर्व की तरफ पलटती है और कहती है।

    "आपने ऐसा क्यू किया आपको मेरे फोन से क्या दुश्मनी है। आपने मेरा फोन फेंक दिया आप बहुत बुरे हो।"

    आधर्व आदि की मासूमियत से की गई शिकायतो को सुनता है। और फिर नॉर्मल वॉइस मे कहता है।

    " तुम्हे अच्छे से पता है मैने ऐसा क्यू किया। इसलिय चुप चाप जाकर स्टडी पर फोक्स करो एक्साम आने वाले है ना तुम्हारे? तुम्हे स्टडी करनी चाहिए पर तुम फोन पर क्या उलटी सीधी रिल्स देखती रहती हो। इसलिय मैने तुम्हे फोन दिया था की तुम अपनी पढ़ाई छोड़ अपना समय वहा बर्बाद करो?" आधर्व थोड़ा सख्त होते हुए आदि से कहता है।

    अब आधर्व की डांट खाने के बाद आदि का मुँह लटक जाता है और वो मायुशी के साथ धीमी आवाज़ में कहती है।

    " मै पढ़ाई करने के बाद फोन चलाती हूँ। आप मुझपे इलज़ाम लगा रहे हो।"

    "अच्छा तो बताने का कष्ट करेगी आप की कब आप पढ़ाई करती है जरा मै भी जानू।"

    आधर्व की बात सुन आदि जल्दी से बोलती है।

    " अरे आप भूल क्यू जाते हो good devil आप ही तो मुझे पढ़ाते हो। देखा नहीं है आपने मै कितनी इमामदारी से आपके साथ पढ़ाई करती हूँ।"

    " बस आप ही है जो हमेशा मुझे डांटते रहते हो। अगर आओ ऐसा ही करोगे ना तो देखना एक दिन आपसे सच मे नाराज़ हो गई ना तब देखना रोते फिरोगे।" आदि बड़े ही क्यूट अंदाज़ में कहती है।

    आधर्व की बोहे सिकुड़ जाती है और वो अपने नॉर्मल वॉइस में कहता है।

    " सिर्फ मेरे पढ़ाय गये तीन घंटो से हो जायेगा। अपने से भी कभी पढ़ लिया करो। और क्या कहा तुमने धमकी दे रही हो मुझे? डर निकल गया है मेरा जो मेरे सामने इतनी जुबान चलाती हो?" आधर्व संजीदगी के साथ आदि कहता है।

    आदि आधर्व की बातो से उसके रवाइये को भाप सकती थी उसे पता था अगर वो ज्यादा बहस करेगी तो आधर्व गुस्सा करेगा उसपर यही सोच आदि चुप हो जाती है।

    "sorry अब मै पढूंगी आप गुस्सा मत हो। मुझे फोन भी नहीं चाहिए। आप रख लो मेरा फोन पर आप ऐसे गुस्से वाली शक्ल मत बनाओ मुझे डर लगता है।" आदि स्टूल पर अपने पेर लटका कर आधर्व के सामने बैठ आधर्व गले मे अपना चेहरा छुपा कर धीमी आवाज़ में कहती है।

    वाही आधर्व आदि के इस हरकत पर हलका सा मुस्कुरा देता है। उसकी little bird को पता था उसका डेविल कैसे मानता है वो अच्छे से जानती थी आधर्व के गुस्से को शांत करना। ऐसी नादान और क्यूट हकरतो पर ही तो आधर्व मारता था।

    आदि कुछ देर आधर्व से चिपकने के बाद उससे अलग होती है और आधर्व को देखती है जो अभी भी आदि को दिखाने के लिए गुस्से वाला चेहरा बना रखा था। उसे देख आदि मायूस हो जाती है और कुछ कहती उससे पहले आधर्व उससे दूर हो अपने स्टडी टेबल की तरफ बढ़ जाता है।

    "बाते बनाने से अच्छा है जाकर स्टडी करो।"

    "अह्ह्ह डेविल!"

    आधर्व अपनी बात पुरी करता है इतने में उसके कानो मे आदि की दर्द भरी आवाज़ जाती है। जिसे सुन आधर्व जहा था वाही रुक कर जल्दी से पलटता है तो देखता है आदि निचे अपने पेरो को पकड़े हुए चिल्ला रही थी।

    शायद आदि स्टूल से उतरते समय गिर गई थी। आधर्व आदि को देखता है और जल्दी से आदि के पास आकर बैठते हुए कहता है।

    "little bird क्या हुआ बेबी ज्यादा लग गई?"

    "अह्ह्ह बहुत दुख रहा है। सब आपकी वजह से हुआ है आप ही मुझे स्टूल पर अकेला छोड़ कर चले गये तभी मै गिर गई। जाओ मुझे आपसे बात नहीं करनी अह्ह्ह मेरा पेर।" आदि अपने पेरो को पकड़ दर्द में आधर्व से शिकायत करते हुए कहती है।

    आधर्व जिसे आदत हो चुकी थी आदि से लड़ने की वो गहरी साँस लेता है। और बिना कुछ बोले आदि को अपनी गोद में ले लेता है।

    "Ahhh क्या कर रहे हो आप छोड़ो आपकी वजह से मुझे लगी। कितना दर्द कर रहा है।"

    आधर्व आदि को घूरते हुए कहता है। " shut up मना किया था ना मैने मत चढ़ो लग जायेगी पर तुम्हे मेरी बात सुनाई नहीं देती। ऊपर से तुम मुझे ब्लेम कर रही हो little लगता है दिमाग घुटनो मे चला गया है तुम्हारा।"

    आधर्व जो घुमा फिरा कर आदि को टोंट मार रहा था और सीधे लफ्ज़ो मे उसे बेवक़ूफ़ लड़की बोल रहा था जिसे सुन आदि की आँखे छोटी हो जाती है और वो chubby face के साथ आधर्व को देखते हुए कहती है।

    " आप सच मे डेविल हो एक तो मुझे लग गई और आप मुझे ही डांट रहे हो। आपको तो मुझे प्यार से बात करनी चाहिए पर नहीं आपको कहा आता है ये सब।" आदि आधर्व से कहती है।

    आधर्व आदि को कमरे की तरफ ले जाते हुए अपनी गोद मे आदि को देखते हुए कहता है।

    "तुम्हे इतनी ज्यादा लगी नहीं है। जितना तुम छोटी बच्ची की तरह रो रही हो। चुप रहो आरम करोगी ठीक हो जाएगा। और प्यार करने वाली हरकत करो तो प्यार से बात भी कर लूंगा।" आधर्व आदि की नोज को पिच करते हुए कहता है।।

    आदि अपनी नाक बड़े ही क्यूट छोटे बच्चो की तरह सिकुड़ा लेती है। जिसे देख आधर्व इस बार आदि के सामने ही मुस्कुरा देता है। आदि जिसे अब नींद आने लगी थी वो आधर्व के सीने मे अपना चेहरा छपा सो जाती है।

    इसी के साथ आधर्व अपने ख्यालो से बाहर आता है। और आदि के जख्मो को देखते हुय सोचने लगता है।

    ये उसकी वाही little bird है जो छोटी छोटी बात पर उससे लड़ती थी। और हलकी सी चोट लगने पर शिकायते करने लगती थी। और आज अपने शरीर पर इतनी चोट खाने के बाद भी उसकी little bird एक दम खामोश हो गई एक बार भी उससे ना दर्द की शिकयत की और ना उससे लड़ी।

    बस यही चीज़ आधर्व को खल रही थी। उसे तकलीफ हो रही थी क्यू आदि ने एक बार भी उससे अपने जख्मों की सिखायत उससे नहीं की। एक बार भी उससे ये नहीं कहा उसे दर्द हो रहा है उसे बहुत सारी चोट लगी है जो सिर्फ उसकी वजह से हुआ। उसके दूर जाने से आदि एक बार फिर चोट खाई थी। इस बार वो जख्मी हो चुकी थी।

    और आधर्व को अब डॉक्टिर्ष पर भी गुस्सा आ रहा था। उसे इस बात का गुस्सा था डॉक्टर ने इतनी बड़ी बात उसे क्यू नहीं बताई अगर वो आदि को नहीं देखता तो उसे पता ही नहीं चलता जितना वो सोच रहा है उससे कई ज्यादा दर्द में है वो।

    आधर्व गुस्से मे अपना फोन निकालता है और किसी को कॉल कर के कहता है।

    "सारे डॉक्टर्स की डिग्री छीन कर उन्हे हॉस्पिटल से निकालो अभी के अभी और make sure की आगे उन्हे कही काम ना मिले।" आधर्व काफी गुस्से में कहता है।

    और अपना फोन कट कर आदि को देखता है।

  • 17. war of love - Chapter 17

    Words: 2278

    Estimated Reading Time: 14 min

    आगे।

    "बेबी नो बहुत हुआ आपका बदमाशी करोगे तो मम्मा बात नहीं करेगी चाहते हो ऐसा?"

    कियारा अपने सामने बेड पर अपना chubby face के साथ बैठा हुआ था। वाही उसके सामने कियारा जो गीले बालो में थी थोड़े स्ट्रिक्ट होते बेबी से कहती है।

    अब बेबी का मुँह बन जाता है और कुछ सेकंड कियारा को देखने के बाद बड़े ही मासूमियत के साथ ना मे गर्दन हिला देता है।

    "good तो अभी आप ऐसे ही बैठे रहो हिलना नहीं जब तक मै बाल नही समेट लेती अगर आप बेड से हिले तब देखना।" बेबी की ना सुन कियारा एक बार फिर उसे थोड़े सख्ती से मना करते हुए कहती है।

    आज सुबह से ही बेबी ने कियारा को परेशान कर के रख दिया था। वो जब भी बेबी को बेड पर बैठा कर कही जा रही थी तब तब बेबी उसके जाते ही बेड से उतरने की कोशिश के चक्कर के कई बार गिरते गिरते बचा है क्युकी सही मोके पर हर बार कियारा आ गई थी।

    कियारा को यु डांटता देख अब बेबी उदास हो गया था। पर वो अब अपनी मम्मा को और तंग नहीं कर सकता था इसलिय कियारा की बात पर किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह हाँ मे सर हिला देता है।

    कियारा कुछ नहीं कहती और उसे बेड के सेंटर पर बैठा अपने गले में पहना पेंडेंड निकाल बेबी को खेलने के लिए दे देती है। जैसा की हमेशा से बेबी को कियारा के उस पेंडेंड से बड़ा लगाव था और उसे उसी के साथ खेलना अच्छा लगता था। कियारा के देने पर बेबी जल्दी से ले लेता है और उससे खेलने लगता है। कियारा अपने बाल सम्भलते हुए मिरर की तरफ बढ़ जाती है।

    आधर्व का कमरा:-

    आदि अभी भी बेड पर सोई हुई थी और इस समय उसने आधर्व की ग्रे कलर की शर्ट पहनी थी। जो आधर्व ने उसे पहनाई थी आधर्व और आदि की बॉडी मे काफी फर्क था जिस वजह से वो शर्ट आदि को काफी ढीली और बड़ी आ रही थी जिसमे वो छोटी सी बच्ची लग रही थी।

    आधर्व अभी रूम में नहीं था वो आदि के जख्मो पर मरहम लगा और उसे अपनी हलकी सी शर्ट पहना वहा से जा चुका था। आदि काफी गहरे नींद मे थी जिससे उसे कुछ भी होश नहीं था और ना ही उसे कुछ पता चला था।

    "मामी आदि कहा है? अभी तक उठी नहीं क्या?" धारा ब्रेफास्ट टेबल पर ब्रेकफास्ट करते हुए साधना जी से पूछती है।

    साधना जी जो वाही धारा के पास बैठी थी क्युकी धारा बिल्कुल भी ढंग से खाना नहीं खाती थी और डॉक्टर से धारा को अपनी हेल्थ कर ख्याल रखने को कहा था जिस वजह से साधना जी रोज अपने सामने उसे ब्रेकफस्ट करवाती थी।

    " पता नहीं बेटा शायद सो रही होगी। और मै कमरे मे जा नहीं सकती पता है आज आधर्व घर पर ही अगर मै गई तो आधर्व बहुत ज्यादा गुस्सा करेगा।" साधना जी के चेहरे पर कहते हुए मायूसी आ गई थी।

    धारा साधना जी के चेहरे को देखने लगती है वो अच्छे से जानती थी आखिर उसने बचपन से देखा था आधर्व और विराज का बिहेवियर साधना जी से किस तरह का था।

    "पर भाई तो अभी कुछ देर पहले बाहर गये है।" वहा शिव आते हुए कहता है।

    साधना जी को थोड़ी हैरानी होती है। "बाहर गये है? पर सुबह तो घर पर थे?" साधना जी शिव को देखते हुए कहती है क्युकी वो सुबह से किचन के कामो मे लगी थी और उन्होंने आधर्व को जाता हुआ नहीं देखा था।

    " ये सब मुझे नहीं पता बस मैने बालकनी से भाई की कार को हेल से बाहर जाते हुए देखा था।" शिव ब्रेकफास्ट टेबल पर रखे बास्केट से एप्पल उठाते हुए कहता है।

    "कियारा!"

    अचानक साधना जी की तरफ हॉल की तरफ आ रही कियारा पर जाती है। कियारा जिसने बेबी पिंक कलर की लोंग अनारकली पहनी हुई थी। बाल हमेशा की तरह गूठी हुई चोटी और चेहरे पर कोई भी मेकअप नहीं सिवाय लिपबलम के। कियारा के कपड़े जो दूर से दिखने पर वाइट लग रहा था पर था वो बेबी पिंक कलर का।

    कियारा बेबी को अपनी गोद मे सोल से अच्छे से कवर कर आ ही रही थी साधना जी की आवाज़ सुन वो वाही रुक जाती है।

    धारा भी अपना ब्रेकफास्ट छोड़ फेस घुमा कर धारा की तरफ देखती है।

    "जी!" कियारा साधना जी की बातो का जवाब देती है और उन सब की तरफ आती है और कुछ दूरी पर आकर रुक जाती है।

    " आपने बेबी को इतना कवर क्यू किया है? आप कही जा रही है?" साधना भी कियारा से पूछती है।

    कियारा बिना कोई बहना बनाय बिना कोई झूठ बोले नॉर्मल और धीमी आवाज़ में कहती है।

    "हम्म्म मै जॉब पर जा रही हूँ।"

    "जॉब?" साधना जी धारा दोनो के एक्सप्रेसशन काफी मिलते जुलते थे या यु कहे दोनो को हैरानी हुई धारा की बाते सुन।

    "हाँ बहुत दिन से मैने लीव ले रखी थी। इतना सब हुआ इतने दिनों मे की जॉब पर जाने का मौका ही नहीं मिला। अब सब ठीक हो गया है मैने सोचा आज से ही चली जाऊ।" कियारा धीमी आवाज़ मे बिना कोई झूठ बोले बोल देती है।

    कियारा के चेहरे पर हमेशा की तरह कोई इमोशन नहीं थे। उसकी आँखों मे हमेशा की तरह उदासी और अकेलापन था।

    " अब तुम ये मत कहना की तुम उसी रेस्टोरेंट मे जॉब पर जा रही हो?" धारा कियारा से पूछती है।

    कियारा धारा को देखते हुए कहती है। " और कहा जाउंगी मेरे पास सिर्फ करने के लिए वाही जॉब है।"

    "पर बेटा आपको जॉब क्यू करना है। क्या आपको किसी चीज़ की कमी है तो हमें बताइये? वरना हम विराज से बात करेंगे वो आपको पैसे दे देंगे। " साधना जी जोब की बात सुन कियारा के लिए थोड़ी परेशान होते हुए कहती है।

    कियारा साधना जी को देखती है उनके चेहरे पर अपने लिए फ़िक्र देख कर वो कहती है।

    "आप परेशान क्यू हो रही है। ऐसा कुछ नहीं। आप सब जानते है ये शादी मेरे लिए सिर्फ समझौता है ये सब मैने जबदस्ती और अपने बच्चे के लिए किया है। all ready आप लोगो के बहुत एहसान है मेरे ऊपर जब में बेसहारा थी तब आप सब ने मुझे सहारा दिया और उसके लिए मै दिल से आप सब को शुक्र गुज़ार हूँ। पर मै नहीं चाहती मै आप लोगो को कोई बोझ बनु मै अपने और बेबी के लिए जोब करना चाहती हूँ। मैने बेबी के लिए ही जॉब करना शुरु किया था ताकि मे इसका अच्छा फ्यूचर बना सकू। इसके लीय मुझे आगे जॉब तो करना है ना।"

    कियारा की बाते शिव धारा और साधना जी चुप चाप सुन रहे थे। धारा कियारा को अच्छे से जानती थी इसलिय वो उसकी बातो को समझ रही थी। वो जानती थी कियारा एक गुदगर्ज़ लड़की है वो किसी पर बोझ बनना या किसी का भी एहसान लेना पसंद नहीं था। और जब से वो माँ बनी थी तब से उसने सब कुछ अकेले सम्भला था खुद को भी और होने बेबी को भी।

    इसलिय धारा चाह कर भी कुछ नहीं कहती क्युकी पता था वो कितना भी बोल ले कियारा इस घर से किसी का एक पैसा नहीं लेगी।

    पर साधना जी जिन्हे कियारा का यु उन सब को पराया कहना तकलीफ दे रहा था। उन्हे अच्छा नहीं लगता की कियारा आज तक उन सब को अपना नहीं मान पाई है।

    पर वो कियारा को जानती नहीं है जिसने अपनी ज़िंदगी मे इतने धोखे खाय की एक स्ट्रांग इंडिपेंडेंट लड़की से एक बेबस माँ बन कर रह गई। जो पुरी दुनियाँ देखना चाहती थी उसकी ज़िंदगी बस अपने बच्चे मे ही सिमट कर रह गई। अब जो भी था उसके लिए उसका बच्चा ही सब कुछ था।

    "आप ऐसा क्यू बोल रही है। आप ऐसा बोल कर हमें पराया कर रही है। क्या हम लोगो से कोई गलती हुई हउ या किसी ने कुछ कहा अगर ऐसा कुछ है तो मै आपसे माफी मांगती हूँ।" साधना जी की आँखों मे नमी थी।

    जिसे देख कियारा को अच्छा नहीं लगता की जाने अनजाने मे उसने साधना जी को हर्ट कर दिया।

    "नहीं ये आप क्या बोल रही है ऐसा कुछ नहीं आप लोग बहुत अच्छे है। मेरा कहने का बिल्कुल वो मतलब नहीं था आप गलत समझ रही है। मै बस ये कहना चाहती हूँ की मै अपने बेबी और आदि के लिए जो कुछ कर सकती हूँ करूंगी। मै किसी पर डिपेंड नहीं होना चाहती जो कुछ भी करना चाहती हूँ खुद से करना चाहती हूँ।" कियारा साधना जी से कहती है।

    "तो भाभी आप किसी कंपनी में भी तो जॉब कर सकती है ना? आप इस तरह रेस्टुरेंट में वो भी जूनियर के साथ कैसे अर्जेस्ट करेगी?" शिव जो कब से खामोश था वो एप्पल का बाईट लेते हुए कहता है।

    कियारा शिव की बात का सर झुका कर कहती है। मैने ग्रुएशन कम्पलीट नहीं किया है मेरी स्टडी अधूरी ही छुट गई। और ना ही मेरे पास किसी चीज़ की डिग्री है। मैने ट्री किया था पर कई कम्पनी ने मुझे रिजेक्ट कर दिया था। इसलिय मै मजबूरी मे रेस्टुरेंट मे काम करती हूँ।" कहते हुए कियारा का गला भर आया था और उसकी आँखे हलकी नम भी हो गई थी।

    उसे अपना बिता हुआ समय याद आने लगता है। जब वो ज़िंदगी को खुल कर जीती थी। स्टडी करती और अपने सपने पुरा करना चाहती थी। पर नील के दिये धोखे के बाद कियारा कभी वापस उठ ही नहीं पाई और ना फिर कभी अपने सपने की तरफ मुड़ कर देखा। कियारा को जब पता चला वो प्रेग्नेंट है उसकी स्टडी छुट गई उसके बाद उसे कभी मौका ही नहीं मिला अपनी स्टडी पुरा करने का।

    कियारा की आँखों में नमी सभी अच्छे से देख सकते थे। वहा कोई नहीं जानता था अच्छे से कियारा के अतीत के बारे मे और ना कियारा कभी उन पलो को याद करना चाहती थी। पर धारा जो कियारा के हर अतित से बाक़िफ़ थी। वो समझ गई थी कियारा को अपनी पुरानी बाते याद आने लगी है।

    इसलिय वो माहौल को थोड़ा ठंडा करने के लिए बोलती है।

    " अच्छा ठीक है बाबा जाओ पर जल्दी आना। और शिव जा तु कियारा को छोड़ आ।"

    शिव उसकी बात पर हाँ में सर हिलता है और उठने लगता है इतने में कियारा उसे रोकते हुए कहती है।

    "नहीं तुम बैठो इसकी कोई ज़रूरत नहीं है मै चाली जाउंगी। आप लोग ब्रेकफास्ट कीजिये।"

    "अच्छा कम से कम बेबी को हमें देकर चली जाओ वहा तुम कैसे संभालोगी?" साधना जी कियारा के आगे हार मान जाती है और कहती है।

    कियारा हलकी स्माइल के साथ कहती है। " नहीं मुझे आदत है बेबी के साथ काम करने की। आप लोग बेकार मे परेशान हो जायेगे।"

    कियारा कहती है उसकी बात पर कोई कुछ नहीं कहता अब कियारा हलकी सी स्माइल करती है और वहा से चली जाती है। सभी जाती हुई कियारा को देखते है सबके दिमाग मे बहुत कुछ चलने लगता है।

    साधना जी बेबसी से धारा की तरफ देखती है तो धारा आँखों से उन्हे सब कुछ ठीक है इशारा करती है।

    कुछ देर सब खामोश रहते है धारा अपना ब्रेकफास्ट करने लगती है वाही साधना जी वाही बैठ जाती है शिव फोन यूज करने लगता है।

    "भाभी!"

    पीछे से श्रेया स्माइल के साथ धारा के पास आती है और पीछे से उसे हग कर लेती है।

    धारा के चेहरे पर स्माइल आ जाती है। "उठ गई तुम?"

    "हाँ और जा भी रही हूँ।" श्रेया धारा के आगे आते हुए कहती है।

    "कहा?" धारा का हाथ खाते हुए रुक जाता है।

    "उफ्फ्फ हो भूल गई ना आप आज मुझे न्यू एड्मिशन के लिए जाना है।" सगरेया मुस्कुराते हुए कहती है।

    धारा अपने दाँत दिखाते हुए मुस्कुराती है और दोनो कान पकड़ कर कहती है। "sorry सच में मै भूल गई थी।"

    और फिर शिव की तरफ देखते हुए कहती है। "शिव श्रेया का एड्मिशन के लिए जाना है तुम चले जाओ ना इसके साथ कुछ हेल्प हो जायेगी।"

    श्रेया की आँखे थोड़ी हैरानी से बड़ी होती है उसकी नज़र शिव के चेहरे पर जाती है जिसके हाथ खाते हुए रुक गये थे और दूसरे हाथ की पकड़ उसके फोन पर कश गई थी।

    जिसे देख श्रेया शिव के गुस्से को भाप लेती है और जैसे ही कुछ कहती है।

    उससे पहले शिव अपनी रुड और ठंडी आवाज़ में कहता है।

    "मेरे पास all ready बहुत काम है आप किसी और को बोल दो। और वैसे भी आपनी sister in law कोई नई नहीं है शहर मे और ना ही इसके लिए कॉलेज नाया है और ना ही वहा के लोग। मै यहाँ किसी का नौकर नहीं हूँ।" शिव काफी रुड तरीके से बोल रहा था। जिसकी नाराज़गी और गुस्सा श्रेया अच्छे से भाप सकती है।

    शिव अपनी जगह से उठता है और एक नज़र श्रेया को गुस्से में देखता है और वहा से चला जाता है।

    "शिव क्या बत्तमीज़ी कर के जा रहे हो?" साधना जी शिव के बिहेवियर पर गुस्सा होते हुए कहती है।

    "आंटी रहने दीजिये। मै चली जाउंगी वो सही बोल रहा है मै उस कॉलेज को जानती हूँ और यहा के रास्ते भी मेरे लिए अनजान नहीं है।" श्रेया अपने मायूस चेहरे के साथ साधना जी को रोकती है।

    कुछ समय पहले श्रेया के चेहरे पर मुस्कान थी और वो उदास हो चुकी थी। उसे शिव की बाते उसका टोन बिल्कुल अच्छा नही लगा जिस वजह उसकी आँखों मे नमी भी आ गई थी।

    पर धारा या साधना जी उस नामी को देखते उससे पहले जल्दी से श्रेया अपने आँखों की नमी छुपाते हुए फेक स्माइल करती है।

    "अच्छा भाभी आंटी में चलती हूँ शाम को मिलती हू।" इतना बोल श्रेया वहा से चली जाती है।

    "पता नहीं क्या हो गया इस घर के बच्चो को?" साधना जी नगवारी से सर हिलाती है।

  • 18. war of love - Chapter 18

    Words: 1800

    Estimated Reading Time: 11 min

    आगे।

    शाम हो चुकी थी। आदि की तबियत सुबह से अभी बेहतर थी। जिस वजह से साधना जी आदि को निचे ले आई थी फ्रेश हवा लेने के लिए।

    इस समय साधना जी संध्या जी दादी जी और धारा आदि के साथ गार्डन में बैठे थे। और सभी बाते कर रहे थे।

    संध्या जी आदि को फ्रूट काट कर खिला रही थी। और साधना जी धारा और दादी जी को।

    आदि का बिल्कुल कुछ खाने का मन नहीं था दोपहर में भी उसने अच्छे से खाना नहीं खाया था और अभी भी फ्रूट नहीं खाने मांग रही थी। वो तो संध्या जी जिनसे घर के बच्चे थोड़ा बहुत डरते है जिस वजह से आदि उनसे ज्यादा जिद्द नहीं करती है और चुप चाप खाने लगती है।

    " मामी मामा और नानू कब आएंगे?" धारा खाते हुए पूछती है।

    साधना जी फ्रूट को कट करते हुए कहती है। "पता नहीं शायद ज्यादा काम है और समय लग सकता है।"

    धारा अब कुछ नही कहती इतने में उसकी नज़र मैन डोर की तरफ जाती है जहाँ से श्रांश की कार अंदर आती है। और उसमे श्रांश बाहर निकलता है।

    "श्रांश! इस समय?" धारा हैरानी के साथ धीमी आवाज़ में श्रांश को देखते हुए खुद से सवाल करती है।

    और बैठे हुए ही श्रांश को देखने लगती है जो काफी ज्यादा डिस्टर्ब और गुस्से में लग रहा था और वो कार से सीधा निकल कर हेल के अंदर जा चुका था।

    धारा तब तक श्रांश को देखती रहती है जब तक वो उसकी आँखों से ओछल नहीं हो जाता है। उसके गायब होते ही धारा जल्दी से अपनी जगह से उठती है।

    "मै आती हूँ।" इतना बोल धारा बिना किसी की बात सुने वहा से उठ कर हेल की तरफ बढ़ जाती है।

    "इन्हे क्या हुआ?" साधना जी धारा को अचानक जाता हुआ देख कहती है।

    इतने मे संध्या जी आदि को खिलाते हुए कहती है। "होगा क्या देख नहीं रही है उसकी कार आ चुकी है। और पता नहीं मेरी बेटी पर ऐसा क्या जादू कर दिया है उस लड़के ने उस इतना सब होने के बाद भी वो इसके साथ ही रहना चाहती है। मेरी तो सुनती ही नहीं वरना कब का अपनी बेटी की ज़िंदगी से इस इंसान को बाहर कर देती।" संध्या जी की बातो मे नाराज़गी थी।

    "क्या दीदी आप भी पुरानी बातो को कब तक दिल से लगा कर बैठेगी। हमें तो खुश होना चाहिए अब श्रांश बदल गये है और हमारी बच्ची खुश है उसके साथ और क्या चाहिए हमें। देखा नहीं है श्रांश के साथ जब भी रहती है कितना खुश रहती है। जो हो गया उसे हम बदल नहीं सकते पर जो आने वाला है उसे बेहतर बनने की कोशिश तो कर सकते है।" साधना जी संध्या जी को समझाते हुए कहती है।

    उनका इशारा थोड़ा आदि की तरफ भी था वो एक नज़र आदि की तरफ देखती है जो तब से एक शब्द भी नहीं कही थी वो खामोशी से चुप चाप बैठी आसमान में हलकी सूरज की लाल और संतरी रौशनी को देख रही थी। शाम का आखिरी पहर था जिस वाजा से सूरज आसमान से गायब हो गया था बस अभी हलकी हलकी उसकी रौशनी थी।

    वाही दूसरी तरफ कियारा रेस्टुरेंट के टेबल साफ कर रही थी और जो लोग अभी खाकर गये थे उनके टेबल को साफ कर रही थी।

    कियारा बार बार वॉल पर लगी खड़ी को देख रही थी। शाम के 7 बजने वाले थे। कियारा इतने दिनों बाद आज काम पर आई थी जिस वजह से मैनेजर ने कियारा को काफी ज्यादा काम दे दिया था। जिस वजह से कियारा सुबह से एक सेकंड के लिए भी अच्छे से साँस नहीं ली थी। यहाँ तक की कियारा ने लंच भी नहीं किया था।

    ऊपर से आदि की टेंशन मे कियारा की तबियत भी खराब रहने लगी थी उसे भी ज्यादा वीकनेस हो गया था। जिस वजह से आज वो बहुत ज्यादा थक गई थी।

    कियारा जल्दी जल्दी अपना काम करती है। और फिर बेबी को अपनी गोद में उठा मैनेजर के कैबिन में चली जाती है।

    कियारा नॉक करती है तो मैनेज़र अंदर बुलाता है। कियारा चुप चाप जाकर obedient की तरह खड़ी होती है।

    " आप यहाँ क्या कर रही है? अभी आपको कस्टमर को सम्भलना चाहिए।"

    "सर मेरी ड्यूटी खत्म हो चुकी है। और मैने अपना सारा काम कर दिया है और रात भी होने वाली है तो क्या मै अब घर जा सकती हूँ।" कियारा धीमी आवाज़ मे मेनज़र से कहती है।

    मैनेज़र जिसकी नज़र कियारा पर ही टिकी हुई थी वो उसे अपनी आँखों से स्कैन कर रहा था।

    कियारा की बात पर वो बड़े ही ऐटिटूड तरीके से बैठता है और कियारा से कहता है।

    "एक तो आपने इस पूरे मंथ गैप किया आपने रिक्वेस्ट की इसलिय मैने आपको वापस काम पर रख लिया। पर मुझे नहीं लगता आपको जॉब की ज़रूरत है।"

    "नही सर ऐसा नहीं है। मै बस इसलिय बोल रही थी क्युकी मे ड्यूटी इतनी टाइम की होती है। और मैने अपना काम कर दिया है।" कियारा मैनेज़र की बात खत्म होते ही तुरंत कहती है।

    "तो क्या आपने एहसान किया है? और ये रेस्टुरेंट गयराह बजे बंद होता है। और आपकी तरह सभी टाइम से पहले घर चले जायेगे तो ये रेस्टुरेंट कौन संभालेगा। आपके काम के पैसे मिलते तो अगर आप ओवरटाइम कर देगी तो कोई नुक्सान नहीं होगा। हाँ भरपाई ज़रूर हो जायेगी इतने दिनों के गैप की। इसके बावजूद अगर आप जाना चाहती है तो कल से आने की कोई ज़रूरत नहीं है।" मैनेज़र का बिहेवियर थोड़ा रुड था कियारा के लिए। उसने कियारा को सीधे सीधे मना तो नहीं किया था पर उसकी बातो मे साफ इंकार था की वो कियारा के घर जाने के खिलाफ है।

    मैनेज़र की लास्ट लाइन सुन कियारा घबरा जाती है ये सोच कर की अगर सच मे उसे जॉब से निकाल दिया तो और इतने बड़े शहर मे दोबारा जॉब मिलना बहुत मुश्किल था।

    जिसे सोच कियारा तुरंत बोलती है। " नहीं सर आप प्लीज ऐसा मत करना। मै ओवर टाइम करने के लिए तैयार हूँ don't worry मे रेस्टुरेंट टाइम पर ही जाउंगी।"

    "good and go जाकर कस्टमर को संभालो।" कियारा की बात सुन मेनज़र टेड़ी स्माइल करता है और रुड टोन में कहता है।

    कियारा अब चुप चाप बाहर निकल जाती है। और बेबी को देखती है जो अपने समय पर सो चुका था। कियारा अब बेबी को देख सोचने लगती है की उसे कहा रखे फिर उसकी नज़र साइड मे लगे एक छोटे से बेंच पर जाती है जहाँ हमेशा खाली रहता था। कियारा वाहा जाकर बेबी को अच्छे से वहा पर लेटाती है खुद के ऊपर लिपटी शॉल से बेबी को अच्छे से कवर करती जिससे उसे ठंड ना लगे।

    और बेबी को देखने लगती है सोते हुए सच मे उसका बेबी बड़ा ही क्यूट लगता था। जिसे देख उसके चेहरे पर स्माइल आ जाती है ऐसा लगता है अपने बेबी के चेहरे पर सुकून देख कियारा अपनी सारी थकान भूल चुकी थी।

    वो झुक कर बेबी के गालो को चूमती है। " बस थोड़ी देर मम्मा अपना काम कर ले फिर घर चलेंगे। कल से मम्मा आपके लिए ब्लेंकेट लेकर आयेगी आज अर्जेस्ट कर लो शॉल मे।" कियारा बेबी से तो इस तरह बात कर रही थी जैसे वो उसकी सारी बाते सुन रहा हो।

    और ऐसा था भी बेबी अभी छोटा था पर बाते उसे सबकी समझ आती थी। और कियारा के तो इमोशन भी वो समझता था। मात्र एक साल की उम्र मे वो बाकी बेबी से अलग बिहेव करता था। और कियारा को तो बिल्कुल उदास नहीं देख सकता था।

    ब्लैक हेल:-

    विराज और आधर्व की कार सीधा विला के बाहर रूकती है। विराज आज आधर्व से साथ उसकी कार में ही आया था क्युकी कुछ इम्पोर्टंट डिस्कशन था इसलिय।

    वाही अंदर हॉल मे आदि इस समय अकेले सोफे पर बैठी हुई थी। साधना जी और संध्या जी किचन मे थे दादी जी अपने कमरे मे। और रिया अग्नि अभी तक आई नहीं थी।

    आदि जिससे अब बैठा नहीं जा रहा था शाम से वो बैठी हुई थी पहले गार्डन में और अब अंदर ऊपर से उसकी बॉडी मे एनर्जी ही नहीं थी की वो उठ कर अपने कमरे में जा सके।

    जिस करण है अब उसके पास वहा लेटने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं था। आदि वाही सोफे पर लेट जाती है। और जैसे ही अपनी आँखे बंद करती है उसे अपने ऊपर किसी की ठंडी नज़रे महसूस होती है।

    जिसे महसूस करते ही आदि जल्दी से आगे खोलती और अपने सामने देखती है एक पल के लिए वो बुरी तरह घबरा जाती है। क्युकी आधर्व बिल्कुल उसके करीब होकर सामने खड़ा और अचानक आँखे खोलने से उसके चेहरे पर घबराजत घर कर जाती है।

    " यहा क्यू सो रही हो? और मना किया था ना रूम से बाहर निकलने के लिए समझ नहीं आती मेरी बात या अपनी जिद्द पुरी करनी है।" आधर्व को आदि पर बेहद गुस्सा आ रहा था।

    वो जानता था आदि की कंडीशन उसके बावजूद आदि को यु तकलीफ में देख उसे गुस्सा आ जाता है। ऊपर से उसका मूड पहले ही खराब था जो अब आदि पर निकल रहा था।

    उसकी इतनी ठंडी और गुस्से वाली आवाज़ सुन आदि डर जाती है। उसके मुँह से एक आवाज़ नहीं निकलती और अपनी पलकें लेटे हुए ही झुका लेती है।

    आदि को फिर से खामोश होता देख आधर्व अपनी हाथों की मुट्ठी कश लेता है।

    " अब कुछ ज्यादा हो रहा है little bird तुम्हारा समझ नहीं आता मै क्या सवाल करता हूँ तुम्हे जो तुम्हे इतनी तकलीफ होती है जवाब देने में? " आधर्व अपने दाँत पिसते हुए एक एक शब्द को चबाते हुए कहता है।

    आदि जो पहले से आधर्व से डरती थी वो तो आधर्व के पेपरिंग की वजह से आदि उससे डरना कम कर चुकी थी। पर जो कुछ भी उसके साथ इन तीन महीनों में हुआ उसके बाद आदि फिर से वाही पहले वाली आदि बन चुकी थी। जिसे सबसे डर लगता था हमेशा चुप रहती थी। किसी से बाते नहीं करती और ना ही जिद्द।

    आधर्व को गुस्सा करता देख आदि की आँखों मे नमी आने लगती है उसे डर लग रहा था आधर्व से वो अब बिना कुछ बोले वहा से उठने की कोशिश करती है।

    आधर्व जिसका गुस्सा आदि के बिहेवर से बढ़ रहा था उसकी हरकत देख आधर्व गहरी साँस लेता है और झुक कर आदि को अपनी गोद मे दुल्हन की तरह उठाता है। आदि उसके उठाने से पहले डर जाती है फिर कश्माशाने लगती है।

    जिसे देख आधर्व सीढ़ियों की तरफ बढ़ते हुये कहता है। " घबरदार वो हिली तो वरना सीढ़ियों से ही निचे फेंक दूँगा बार बार नहीं कहूंगा अपनी stup it हरकतें करना बंद करो।" आधर्व की आवाज़ मे आदि धमकी साफ साफ महसूस कर सकती थी।

    जिसे सुन आदि अब हिलना बंद कर देती है और खामोशी से अब अपना चेहरा आधारग के सीने पर रख खामोश हो जाती है।

  • 19. आंसु/ punishment. - Chapter 19

    Words: 2296

    Estimated Reading Time: 14 min

    आगे।

    आधर्व आदि को लेकर रूम में आता है और उसे बेड पर आराम से बेड से टेक लगा कर बैठाता है। आदि इस बिच कुछ भी नहीं बोली थी। वो बस चुप चाप वाही कर रही थी जो आधर्व करवा रहा था।

    आधर्व आदि को बैठाता है और अपना ब्रेज़र जो उसने हाथ मे पकड़ रखा था वाही साइड पर बेड के एक कोने में रखता है। उसकी नज़र एक पल के लिए भी आदि से हटी नहीं थी।

    और आदि जो ना आधर्व से बात कर रही थी और ना उसकी तरफ देख रही थी। आदि अपनी नज़रे निचे कर खामोश बैठी हुई थी।

    आधर्व बेड पर आदि के सामने बैठता है। और आदि के छोटे छोटे हाथों को अपने दोनो हाथों मे थाम उसे बड़े ही प्यार से सेहलाते हुए चूमता है।

    फिर दूसरे हाथ से आदि के गाल को छूते हुए कहता है। " तुम मेरी बात क्यू नहीं सुनती हो। हर बार मुझे गुस्सा क्यू दिलाती हूँ मेरे बार बार मना करने के बाद भी तुम निचे किस की परमिशन से गई?" आधर्व के शब्द थोड़े ठंडे थे। जाहिर सी बात है उसे आदि पर गुस्सा आ रहा था पर वो उसपर करना नहीं चाहता था।

    आदि अपनी नज़रे अभी भी निचे रखती है और आधर्व की बातो का कोई जवाब नहीं देती। हाँ उसे डर था आधर्व के गुस्से का पर फिर भी वो आदि कुछ नहीं कहती।

    आदि को कुछ ना कहता देख आधर्व अपनी आँखे बंद कर गहरी साँस लेता है और कुछ पल आँखे बंद करने के बाद खोल आदि को देखता है।

    फिर आदि के कपड़ो को जो अभी भी आधर्व की पहनाई हुई शर्ट में थी। आधर्व झुक आदि की तरफ बढ़ उसके माथे को चूमते हुए उससे दूर होता है।

    "शवर लिया आज?" आधर्व अपने आप को बहुत ही कंटोल कर calm वॉइस में कहता है।

    आदि खामोशी से ना मे सर हिला देती है। क्युकी उसे अच्छे से पता था वो अगर ऐसे ही आधर्व की बातो को इग्नोर करती रही तो कब उसका गुस्सा उस पर टूट पड़ेगा कोई पता नहीं।

    आदि की ना देख आधर्व अपनी जगह से खड़ा होता है। और बिना कुछ बोले चेहरे पर बिना किसी एक्सप्रेसशन के झुक कर आदि को अपनी बाहो मे उठता है।

    आदि एक पल को डर जाती है और ना समझी से अपना चहेरा उठा आधर्व को देखने लगती है।

    आधर्व अपने कदम वाशरूम की तरफ बढ़ाते हुए कहता है। " शवर लोगी तो दिमाग ठंडा रहेगा तुम्हारा आज कल कुछ ज्यादा ही गर्म रहने लगा। ऐसा ना हो छोटा सा दिमाग वो भी जल जाए।" आधर्व साफ साफ लफ्ज़ो मे आदि को ताने मार रहा था।

    जिसे सुन आदि का मुँह बन जाता है। आधर्व उसे पहले की तरह उसके दिमाग का मज़ाक बना रहा था जिसे सुन आदि को गुस्सा तो बहुत आता है पर कुछ सोच वो कहते हुए रुक जाती है और अपने chubby face के साथ आँखे छोटी कर बड़े ही क्यूट अंदाज़ में वो आधर्व को देखती है।

    जैसे वो अपना गुस्सा जाहिर कर रही हो। पर वो नहीं जानती थी वो गुस्से में भी बहुत ही ज्यादा क्यूट लग रही थी। आधर्व अपनी नज़रे नीची कर आदि को देखता है जिसे देख उसके चेहरे पर हलकी सी स्माइल आ जाती है।

    जिसके साथ ही वो वाशरूम के पास पहुंचते ही आदि के होंठो पर लाइट kiss करता है।

    "my little bird. "

    "यार रिया तेरा अगर हो गया हो तो जल्दी आ मै रिदांश के ऑफिस के बाहर ही हूँ। अगर तेरा नहीं आने का मन है तो बता दे मै चली जाती हूँ। वैसे ही काफी लेट हो गया है।" अग्नि जो RR industry के बाहर खड़ी रिया का वेट कर रही थी।

    वाही रिया जो इस समय रिदांश के केबिन में थी। मतलब रिदांश की गोद मे बैठी हुई थी। वाही रिदांश जो अपनी चेयर पर बैठा एक हाथ से अपने लैपटॉप को चला रहा था। और दूसरे हाथ उसके रिया के टॉप के अंदर उसके पेट से लेकर उसके उभरे हुए हिस्से तक को महसूस कर रहे थे।

    और उसके होंठ रिया के खुले कंधे से लेकर उसके इयरबोन तक चल रहे थे। जिससे रिया की साँसे काफी तेजी से बढ़ रही थी वो अपनी साँसों को बड़ी मुश्किल से कंट्रोल कर के बैठी हुई थी ताकि कॉल के उस तरफ उसकी आवाज़ ना जाय।

    "म_मै मै आ रही हूँ ब_बस दो मिनट।" रिया अपनी साँसों को सम्भलते हुए कहती है।

    "ओके जल्दी आ।" अग्नि इतना बोल फोन कट कर देती है।

    "अह्ह्ह!" फोन कट होते ही रिया की सिसकी भरी अह्ह्ह निकल जाती है।

    क्युकी रिदांश ने उसके कंधे पर बाईट कर लिया था जिससे रिया को दर्द महसूस होता है।

    "प्लीज उम्म्म जाने दीजिये। कब से आप मुझे परेशान कर रहे है।" रिया अपने आप को रिदांश से आज़ाद होने की कोशिश करते हुए कहती है।

    पर रिदांश जो पिछले दो घंटे से रिया को युही अपनी गोद मे बैठाया उसे परेशान कर रहा था। और रिया चाह कर भी आज़ाद नहीं हो पा रही थी।

    "this is punishment sweetness." रिदांश मदहोशी भरी आवाज़ में कहता है।

    और एक बार फिर रिया के कंधे पर अपने दाँत गढ़ा देता है इसके साथ साथ चल रहे रिया के टॉप के अंदर उसके हाथ उसके उभरे हुए हिस्से को मसल देता है।

    जिससे रिया को काफी दर्द होता है और उसकी आँखों से अब आंसु निकलने लगता है। ये पहली बार नहीं था ये हमेशा रिदांश उसे हर्ट करता था। और इस दो घंटे में भी उसने ना जाने कितनी बार अलग अलग तरीके से रिया को हर्ट कर उसे रुलाया था।

    "Ahhhh उम्म्म!" रिया अपनी आवाज़ की दबाने के लिए अपने होंठ मिंच लेती है।

    "आ_आप क्यू कर रहे है ऐसा मा_मैने क्या किया है अब?" रिया सुबकते हुए रिदांश से कहती है।

    रिदांश अपने बाईट किये हुई जगह पर लिक करता है और इसी के साथ उस जगह को चूमने के बाद एक झटके मे रिया को घुमा कर वापस अपनी लैप पर बैठता है। अब रिया का फेस रिदांश के सामने था।

    वाही रिया जिसकी आँखों में आँसू से थे वो नाराज़गी के साथ रिदांश को देख रही थी। रिदांश रिया के चेहरे को देखते हुए मिस्टिरियस स्माइल करता है। और अपने हाथ से उसकी कमर को दबा खुद से बिल्कुल चिपका लेता है। इस समय रिया के दोनो पेर रिदांश के लैप के अलग बगल थे। जिससे रिया लाफी उन्कम्फर्टेबल फील कर रही थी।

    " तुम मुझसे पूछ रही हो की तुमने क्या किया है? कितनी बार कहा है मेरी बात काटने की हिम्मत मत किया करो। पर तुम्हे तो आदत हो गई है कोई बात नहीं ये last वर्निंग थी इसके बाद अगर तुमने मुझे गुस्सा दिलाने की कोशिश की तो पता है ना कितना और हर्ट कर सकता हूँ?" रिदांश की आवाज़ काफी कठोर और रुड थी।

    रिया अपनी नम आँखों से सुबकते हुए हाँ में सर हिलाती है। रिदांश रिया की हाँ पर उसके बालो को उसके कंधे से पीछे करते हुए कहता है।

    "good girl. उम्मीद है दोबारा गलती नहीं करोगी और जब भी मै बुलाऊंगा बिना कोई बहना किये आओगी।" रिदांश कहते हुए अब अपना चेहरा रिया के बालो में छुपा लेता है। और इसी के साथ साथ अपने होंट भी चलाने लगता है।

    उसके दूसरे हाथ टॉप के ऊपर से ही रिया के उभरे हुए को प्रेस कर रहे थे।

    जिससे रिया को दर्द हो रहा था और वो अपनी आँखे बंद कर सिसकने लगती है।

    "सससस उम्म अह्ह्ह मु_मुझे जाना अहह मम्मा है।" रिया अपनी आँखे बंद किये दर्द भरी आवाज़ में कहती है।

    रिदांश अपना चेहरा उसके बालो से बाहर निकाल रिया का दर्द भरा चेहरा देखता है। और थोड़े गुस्से के साथ उसके जबड़े को पकड़ दाँत पिसते हुए कहता है।

    "जब गलती करती हो तब एहसास नहीं होता तुम्हे की मै क्या क्या कर सकता हूँ?" रिदांश की पकड़ उसके जबड़े पर कश जाती है।

    रिया की आँखे आंसुओ से भर गई थी वो अपनी आँखे खोल रिदांश को देखती है।

    " नहीं वो बाहर मु_मुझे घर जाना है अ_अब से ग_गलती नही होगी।" रिया कम्पते होंठो के साथ कहती है।

    "होनी भी नहीं चाहिए। अब चुप चाप बिना आवाज़ किये और हिले बैठी रहो जब तक मै नहीं परमिशशन देता तब तक तुम नहीं जा सकती अंडरस्टैंड?" रिदांश लास्ट वर्ड थोड़े तेज आवाज़ में कहता है।

    जिससे रिया थोड़ा सहम जाती है। और जल्दी से हाँ में सर हिलाती है।

    रिदांश रिया के जबड़े को छोड़ता है। और बिना एक पल गवाय रिया के कंपते होंठो पर अपने सख्त होंठ रख प्रेसर के साथ रिया को kiss करने लगता है और साथ ही साथ रिया की कमर को खुद से चिपकाते हुए मसलने लगता है।

    कुछ देर बाद आधर्व आदि को पिंक कलर के बाथरॉब पहना कर कमरे मे वापस आता है। आदि जिसके बालो गीले और उसकी स्किन शवर लेने की वजह से काफी ग्लो कर रही थी। वाही आधर्व की कमर पर इस समय एक वाइट टॉवल लपेटी हुई थी। उसकी अपर बॉडी पुरी ने क्ड थी। उसके बालो का पानी उसके eight packs पर गिर और ज्यादा अत्रैक्टिव बना रहे थे।

    आधर्व आदि को लेकर बेड पर आता है और उसे वाही बैठा ड्रेसिंग टेबल के पास जाकर वहा से हेयर डॉयर लाकर आदि के बालो को सुखाने लगता है। ठंड का मौसम था जिस वजह से आदि का ज्यादा देर तक गीले बालो मे रहना ठीक नहीं था।

    आधर्व बड़े ही प्यार और खुशी से आदि की केयर कर रहा था। जब से आदि वापस आई थी तब से वो आदि के साथ बिल्कुल इस तरह बिहेव करता था जैसे आदि कोई पाँच साल का छोटा बच्चा। हाँ कभी कभी उसे आदि की हरकतों पर गुस्सा आता था और वो करता भी था पर उसके बाद वो आदि का किसी छोटे बच्चे की तरह ख्याल भी रखता था।

    वाही आदि हमेशा की तरह खामोश बैठी हुई थी। वो ना ही आधर्व से कुछ बोलती थी और ना किसी भी बात पर लड़ती थी। जैसे अब आदि को फर्क ही नहीं पड़ता हो आधर्व की केयर से। वो बस चुप चाप किसी रोबोट की तरह हो गई थी जिसे जितना बोला जाता था और कहा जाता था बस उतना ही बोलती और करती थी।

    और यही चीज़ आधर्व को तकलीफ देती थी। एक हफ्ता होने को था पर आदि आधर्व के सामने बिल्लुल ऐसे रियेक्ट करती थी जैसे वो आधर्व को जानती ही ना हो। और आधर्व ने इन दिनों मे हर मुमकिन कोशिश कर ली थी आदि से बात करने की।

    आधर्व आदि के बाल को सुखाने के बाद आदि के बालो को कॉम कर उसके बालो पर kiss करता है।

    "कैसा फील कर रहा है अब मेरा बच्चा?" आधर्व बहुत ही प्यार से आदि से पूछता है पर आदि अभी भी कुछ नहीं कहती।

    आधर्व आदि को कुछ ना कहता देख एक बार फिर खुद को कंट्रोल करता है और आदि के बाथ रोब का नोट खोलते हुए कहता है।

    " हेल्थ खराब होने का बहुत गलत फयदा उठा रही हो बेबी तुम।" आधर्व काफी ठंडे पन के साथ आदि से कहता है। और आदि के बाथरूब को उसके बॉडी से अलग कर देता है। अब आदि आधर्व के सामने पुरी नेक्ड बैठी थी।

    पर आदि के चेहरे पर बिल्कुल भी कोई शर्म नहीं थी। और ये आज की बात नहीं है आदि कभी भी आधर्व के सामने बिना कपड़ो के कभी नहीं शर्माती थी। उसे आधरव को देख कर कभी शर्म ही नहीं आती थी उसका दिल में हमेशा ये सुकून रहता था की वो आधर्व के सामने बिल्कुल safe है। और आदि को आज तक जितना safe फील कही नहीं हुआ उसे आधर्व के पास रहने पर होता था।

    और यही वजह थी के वो कभी भी आधर्व के सामने इस तरह होने के बाद भी नहीं शर्माती थी। और ये बात आधर्व अच्छे से जानता था तभी तो वो बिना किसी झिझक के आदि के कपड़ो को बदलता था इसे शवर दिलवाता था। हाँ वो अलग बात है आदि के दूध की तरह खूबसूरत बॉडी को देख उसके अंदर ना जाने कितने सारे जज्बात उमड़ जाते थे। वो अपनी फीलिंग बड़ी मुश्किल से कंट्रोल करता था क्युकी उसे पता था आदि अभी उससे बहुत छोटी और वो उसे तब तक हर्ट नहीं कर सकता था जब तक आदि आधर्व को झेलने के काबिल ना हो जाय।

    आधर्व साइड टेबल से बॉडी लोशन उठता है और आदि की पूरे बॉडी पर अप्लाई करने लगता है। आदि की बॉडी पर अच्छे से लोशन लगाने के बाद आदि से दूर होता है।

    "अभी आया हिलना मत।" एक बार फिर आधर्व आदि के माथे को प्यार से चूमता है और क्लॉथरूम की तरफ बढ़ जाता है और कुछ ही कुछ सेकंड बाद आधर्व ब्लैक कलर की लोअर पहने बाहर आता है।

    और आदि के पास आकर अपने हाथ मे पकड़ी ब्लैक शर्ट को आदि को उसे पहना देता है। उसके बाद आदि को अच्छे से बेड पर लेटा ब्लेंकेत से कवर कर झुक कर उसके बालो को सेहलाते हुए कहता है।

    " आराम करो मै डिनर लेकर आता हूँ।" आधर्व कहते हुए हलकी सी स्माइल करता है।

    आदि जो अपनी प्यारी मासूम आँखों से आधर्व को देख रही थी वो अपनी धीमी मीठी आवाज़ में कहती है।

    "आप क्यू रहे है ये सब?"

    आधर्व आदि की बात पर मुस्कुराते हुए कहता है। "मै नहीं करूंगा तो कौन करेगा? भूल गई you are my little girl मेरा छोटा बच्चा हो तुम।" कहकर वो आदि के होंठो पर हलकी सी सॉफ्ट kiss करता है।

    और उसे आराम कर कहने के बाद कमरे से बाहर निकल जाता है। उसके जाने के बाद आदि डोर की तरफ देखती है।

    "आप चाहे कुछ भी कर ले मै आपको कभी माफ़ नहीं करूंगी। आपने मुझे बहुत रुलाया है।" कहते हुए आदि का गला भारी हो जाता है और उसकी आँखों से आंसु अपने आप बहने लगता है और वो युही सिलिंग को देखते हुए आँखे बंद कर लेती हैं

  • 20. जबरदस्ती। - Chapter 20

    Words: 1332

    Estimated Reading Time: 8 min

    आगे।

    रात काफी हो चुकी थी कियारा अभी तक घर नहीं आई थी। जिस करण सभी घर वाले परेशान से थे।

    वाही कियारा रेस्टुरेंट मे इस समय में अकेली अब ताक सारे वर्कर जा चुके थे और पुरा रेस्टुरेंट खाली हो गया था। कियारा लास्ट टेबल साफ ही कर रही थी अचानक उसे अपने पीछे किसी की काली परछाई महसूस होती है जिसे महसूस कर कियारा घबरा जाती है और जल्दी से पीछे पलटती है।

    "आ_आप?"

    "सर आप यहाँ क्या कर रहे है?" कियारा पीछे पलट कर देखती है तो उसके सामने बिल्कुल कुछ ही दूरी पर उसका मैनेजर खड़ा होता है।

    उसकी नज़रे कियारा को ऊपर से निचे तक अजीब तरह से देख रही थी जिसे देख कियारा को काफी अजीब लगता है। वो बहुत ज्यादा उन्कम्फर्टेबल हो जाती है।

    "सर आप अभी तक गये नहीं?" कियारा अपने कदम पीछे की तरह लेने लगती है उसे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था।

    वो अपने कदम पीछे लेती है पर अफ़सोस पीछे टेबल होने की वजह से वो पीछे नहीं हो पा रही थी।

    वाही वो मैनेजर अपने चेहरे पर घिन भरी मुस्कुरहट लिए कियारा की ओर बढ़ने लगता है।

    "य_ये आप क्या कर रहे है? पास क्यू आ रहे है?" कियारा हिचकते हुए कहती है।

    मैनेजर अपने कदम आगे बढ़ाते हुए कहता है। "क्यू तुम्हे अच्छा नहीं लग रहा मेरा पास आना?"

    "क्या मतलब है आपका? और कैसी बाते कर रहे है आप?" कियारा मैनेजर की बात पर तुरंत ही थोड़ी ऊँची आवाज़ में बोल पड़ती है।

    "प्लीज सर दूर रहिये। मेरा काम हो गया है अब मुझे जाना चाहिए।" कियारा इतना बोल साइड से निकल जाने लगती है।

    वो अभी निकलती ही है इतने मे मैनेजर कियारा की कलाई पकड़ता है। इतने में कियारा तुरंत पलट एक जोर दार थप्पड़ मैनेजर के गाल पर दे मारती है।

    " हिम्मत कैसे हुई मुझे छूने की?" कियारा गुस्से के साथ आँख दिखाते हुए ऊँची आवाज़ में कहती है।

    वाही मैनेजर जिसका फेस एक तरफ थप्पड़ खाने से झुक गया था उसकी आँखे गुस्से से लाल हो गई थी। और वो अपना चेहरा ऊपर उठा बिना एक पल कियारा के चेहरे पर भी थप्पड़ मार देता है।

    "अह्ह्ह!" जिसके साथ ही कियारा सम्भल नहीं पाती फर्श पर मुँह के बल गिर जाती है उसी के साथ उसकी आँखों मे दर्द से आँसू आ जाते है।

    सच में वो थप्पड़ कियारा को काफी जोर से लगा था जिस वजह से उसके उंगलियों के निशान कियारा के गालो पर छप गये थे।

    "बहुत गर्मी है तेरे अंदर हाँ? हिम्मत कैसे हुई मुझपर हाथ उठाने की?" मैनेजर अपने घुटनो के बल बैठ पीछे से कियारा के बालो को कश के पकड़ते हुय कहता है।

    "aaa hhhh. "

    " अपनी औकात भूल गई है क्या तु भूल मत तु यहाँ पर एक मामूली सी सर्वेंट है। तुझे तो शुक्र मानना चाहिए की मैने तुझे चुना अपनी प्यास बुझाने के लिए और तु है की नखरे दिखा रही है।"

    "अह्ह्ह ये क्या बोल रहे हो छोड़ो मुझे वरना अच्छा नहीं होगा।" कियारा जिसे अपने सर मे काफी दर्द हो रहा था वो अपनी आँखे मिंचे हुए कहती है।

    वाही वो मैनेजर कियारा के बालो से पकड़ उसे खींचते हुए खड़ा करता है। और दूसरे हाथ से उसके जबड़े को पकड़ कहता है।

    "ऐसा भी क्या कह दिया मैने जो तुझे इतनी हैरानी हुई हा? अच्छे से जानता हूँ तुझ जैसी लड़कियों जो पैसो के लिए किसी का भी बिस्तर गर्म कर सकती है। चल बोल कितने पैसे चाहिए तुझे कसम से तु मुझे खुश कर दे आज रात और मै तुझे पैसो से खुश कर दूँगा।" उसकी पकड़ कियारा के जबड़े और बालो पर कशे जा रही थी।

    वाही कियारा जिसे इतनी तकलीफ अपने चेहरे और सर मे नहीं हो रही थी जितनी तकलीफ उसे मैनेजर के शब्दों से हो रही थी। उसे अब समझ आने लगता क्यू मैनेजर ने उसे जल्दी जाने नहीं दिया। क्यू सबके जाने के बाद भी उससे इतनी रात तक काम करवा रहा था। क्युकी वो कियारा के अकेले होने का फयदा उठाना चाहता था।

    "प्लीज मु_मुझे छोड़ दीजिये। मै ऐसी लड़की नहीं हूँ आ_आप गलत समझ रहे है।" कियारा अपने बालो को छुड़वाने की कोशिश करते हुए कहती है।

    मैनेजर कियारा के और करीब होते हुए कियारा के सुर्ख होंठो को देखते हुए कहता है।

    " तुझे बताने की ज़रूरत नहीं है तु कैसी है या नहीं है। मै अच्छे से जानता हूँ तु कैसी है। इतनी सती सावित्री होती ना तो आज तेरे पास एक बच्चा नहीं होता। और मैने जहाँ तक सुना है तुझे पता नहीं है इस बच्चे का बाप कौन है? कितने लोगो के साथ सो चुकी है तु जिससे तुझे यही नहीं पता तेरे बच्चे का बाप कौन है? और तेरी अभी शादी हुई है ना क्यू वो तुझे खुश नहीं रखता जो तु यहाँ इतने सारे मर्दो के बिच काम करने आ गई।" उसकी आवाज़ में एक हवस भरी हुई थी। उसकी नज़रे जो कियारा को ऊपर से निचे तक किसी प्यासे की तरह देख रही थी।

    कियारा जिसने हमेशा लोगो के मुँह से अपने लिए ऐसे ही काई घटियां शब्द सुने थे जो उसके दिल को झलनी करने के लिए काफी होते थे। एक बार फिर अपने लिए कियारा ये सब सुन जैसे उसका दर्द ताजा हो चुका था।

    क्या गलती थी उसकी जो कुछ भी उसके साथ हुआ वो सब साज़िश थी। जिसके बाद कियारा की ज़िंदगी मे उथल पुथल मच गई। जिससे वो प्यार करती थी उसने उसे शादी वाले दिन धोखा दे दिया। जिसके साथ अपनी ज़िंदगी का सफर सोचा था उसने ही उसके खिलाफ इतना सब कुछ किया। उसके बाद उसका प्रेग्नेंट होना और खुद को अपने बच्चे को अकेले सम्भना। और पता नहीं क्या क्या सहा था उसने।

    कियारा जो कुछ देर के लिए फ्रीज़ हो चुकी थी उसके आँखों के सामने एक बार फिर उसका अतीत आ गया था। उसके आँखों से आंसु पानी की तरह बह रहे थे।

    वाही वो मैनेजर अपने निचले होंठो को अपने दांतो से दबाता है और मौका देखते ही कियारा के जबड़े से अपना हाथ हाथ अपना हाथ कियारा के कंधे पर बढ़ाने लगता है।

    वो अपने हाथ कियारा के कंधे पर बढ़ाता है और उसके कंधे से उसके कपड़े को अलग करता उससे पहले कियारा होश मे आती है। और जल्दी से अपने दोनो हाथ उसके सीने पर खुद से दूर करती है।

    "चररररररर!"

    की आवाज़ सुन कियारा तुरंत ही खुद को अपने हाथों से अपने कंधे को ढकती है।

    कियारा जब मैनेजर को धक्का देती है तब मैनेजर के हाथ कियारा के कपड़े को पकड़ चुके थे जिस वजह से कियारा का एक साइड के बाजु से लेकर कंधे तक का हिस्सा उससे अलग हो जाता है।

    कियारा खुद को देखती है फिर उस मैनेजर को जो अजीब सी मुस्कुराहट लिए कियारा को देख मुस्कुरा रहा था और उसके हाथ मे कियारा के कपड़े का टुकड़ा था।

    और वो उसे अपनी आँखे बंद कर अजीब तरह से सुघने लगता है। कियारा उसकी इस तरह से पुरी तरह घिन चुकी थी। उसे अब खुद से भी घिन आ रही थी वो जल्दी से अपने दुप्पटे से खुद को कवर करती है।

    और मौका देखते ही वहा से अपने बेबी की तरफ कदम बढाती है।

    "कहा जायेगी बच कर आज तो तेरी गर्मी खत्म कर के रहूंगा।" इतना बोल वो सैतानी हँसी हँसने लगता है जिससे वो पुरा रेस्टुरेंट मे उसकी आवाज़ गुंजने लगती है।

    वो आवाज़ कियारा के कानो तक भी जाती है जिससे कियारा का दिल बैठा जा रहा था। पर वो अपने कदम नहीं रोकती है वो अपने मन में यही प्रेय करतव हुए अपने बेबी की तरफ बढ़ रही थी। की उसके साथ आज कुछ गलत ना हो वरना वो बरदस्त नहीं कर पाएगी। वो लोगो का सामना नहीं कर पाएगी।

    कियारा जल्दी से अपने बेबी के पास पहुँचती है और उसे लेकर जल्दी से मैन डोर की तरफ भागती है। कियारा ने अभी हिम्मत नहीं हारी थी।

    वो आगे बढ़ती है इतने मे उसके कदम रुक जाते है। क्युकी उसके सामने मैनेजर सैतानी स्माइल के साथ उसका रास्ता रोके खड़ा था।

    "पा_पास मत आना दे_देखो पास मत आना!"