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"Love in the Shadows"

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Farheen Rajput

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मौत बस शुरुआत है... वो एक छोटे से बार का मालिक था जो दिखने में भला और प्यारा लगता था पर असल में बेरुखा और अलग-थलग था। उसमें जन्म से ही आत्माओं से बात करने का हुनर था, पर उसने इस राज़ को हमेशा छुपा के रखा था, क्योंकि वो इन सब चीज़ों और जादू-टोने में न...

Total Chapters (7)

Page 1 of 1

  • 1. "Love in the Shadows" - Chapter 1

    Words: 2720

    Estimated Reading Time: 17 min

    दो हाथ धीरे-धीरे आयरा शर्मा की गर्दन पर आ गए..... ये हाथ सूखे पेड़ की डालियों जैसे रूखे और फटे हुए थे, मगर साथ ही बहुत मज़बूत भी..... इनसे बहुत ज़्यादा ठंडक आ रही थी..... मानो जैसे यह ठंडक जहन्नुम से लाई गई हो..... ये भयानक हाथ सोफे पर सो रही आयरा को नीचे गिराने पर तुले हुए थे। आयरा लाख कोशिशें के बाद भी देख नहीं पा रही थी कि आखिर ये किसके हाथ थे, मगर उसे इतना ज़रूर महसूस हुआ कि ये हाथ भूरे रंग के थे..... और उन पर हल्के लाल निशान थे, जैसे खरोंच की तरह..... अचानक आयरा को महसूस हुआ कि खिड़की के बाहर से बहुत शोर आ रहा था। शायद किसी शादी की बारात वहां से गुज़र रही थी..... बाहर जितना शोर था..... आयरा के आस-पास इस वक्त उतना ही सन्नाटा था, इतना सन्नाटा कि उसे अपनी धड़कनें भी साफ सुनाई दे रही थीं। उसे इस लम्हा ऐसा लग रहा था जैसे पूरी दुनिया उसकी तकलीफ़ से अनजान है.....!! उसका ऑफिस की उन्नीसवीं मंज़िल पर था।..... इतनी ऊँचाई पर, हवा के अलावा और कुछ सुनाई देना मुश्किल भी था। साथ ही, इस वक्त जिस जगह वो थी उस से बाहर देखना भी मुमकिन नहीं था। भले ही वह बाहर से आने वाले इस शोर को साफ सुन सकती थी, मगर इतने भीड़-भाड़ वाली सड़कों पर ऐसा जुलूस निकलना मुमकिन नहीं था। इसलिए, इस बुरे सपने में फंसी होने के बावजूद भी उसने साफ़ महसूस किया था कि उसे एक बार फिर से स्लीप पैरालिसिस का अटैक हुआ था.....!!! उसे पता था कि जब तक वह उठकर बैठेगी नहीं..... तब तक वह ठीक भी नहीं होगी..... उसने हिलने डुलने की कोशिश की..... मगर हाथों ने उसे और कसकर पकड़ लिया..... और जैसे ही वह उठी, उसे वापस नीचे खींच लिया। उसे पता था कि इस वक्त सोफ़े पर लेटी वह एक बेजान सी गिरी हुई गुड़िया जैसी दिख रही होगी। उसकी इस अजीब हालत ने जैसे उसके कमज़ोर दिमाग में अचानक ही ज़िद का जज़्बा सा जगा दिया, और उसने अपनी पूरी ताकत से उन डरावने हाथों का विरोध करना शुरू कर दिया। उसने बहुत जद्दोजहद की मगर सब बेकार था.....वो सूखे डरावने हाथ उसकी गर्दन पर यूहीं चिपके रहे और तब तक उसकी गर्दन पर कसते गए, जब तक कि वह साँस लेने में मुश्किल महसूस नहीं करने लगी.... जैसे ही उसे अपनी सांसे घुटती महसूस हुई..... अचानक ही उसने बिना सोचे-समझे कुछ मंत्र सा बुदबुदाया.....!!! फ़ौरन ही वो दोनों हाथ एक झटके से पीछे हट गए..... मानों जैसे एक अनदेखी आग से वो हाथ। जल गए हों, और एक तेज़ डरावनी चीख सुनाई दी। आयरा को साँस लेने में अभी भी तकलीफ़ हो रही थी..... इससे पहले की वो गहरी –गहरी सांस लेकर खुद को सामान्य कर पाती.....उसके उठने से पहले ही, वो डरावने सूखे हाथ, जो अभी भी पूरी तरह से गायब नहीं हुए थे, फिर से उस पर हमला करने को तैयार हो गए। हालांकि इस बार वो डरावने सूखे हाथ आयरा पर हमला करने के लिए कुछ हिचकिचा रहे थे, मगर जैसे उन्हें ये करना ही था! थे। वो हाथ बहुत दर्द में थे, मगर ऐसा लग रहा था कि ये आयरा को अंधेरे में घसीटने पर तुले हुए थे। आयरा को बहुत डर लग रहा था..... उसने खुद को शांत करते हुए जल्दी-जल्दी कुछ और मंत्र पढ़े, और आखिरकार वो किसी तरह उन हाथों से आज़ाद हो गई। इस वक्त घड़ी में रात के डेढ़ बज रहे थे..... जब स्काई लॉ फ़र्म में काम करने वाली वकील आयरा शर्मा अपनी स्लीप पैरालिसिस की झपकी के बाद अचानक जाग उठी। उसने अपने हाथों और गर्दन को टटोला मगर हमेशा किसी भी तरह के ज़ोर-आज़माइश के कोई निशान उसके शरीर पर मौजूद नहीं थे। उसने महसूस किया कि वो अपने कैबिन की मेज़ पर लेटी हुई थी और उसका मुँह खुला हुआ था। जिसकी वजह से उसके मुंह से निकलती लार ने उसकी फाईलो को गीला कर दिया था..... उसने शर्मिंगी भरी नज़रों से उन फाइल्स को देखा..... कि तभी, दरवाज़े पर दस्तक हुई। "अंदर आ जाओ"..... आयरा ने खुद को सामान्य करते हुए..... बाहर खड़े शख़्स को अंदर आने की इजाज़त देते हुए कहा.....!!! कुछ ही पल में एक शख़्स अंदर दाखिल हुआ..... उस शख्स को देखकर आयरा ने एक राहत की सांस ली..... यह उसकी ही फ़र्म का एक जूनियर वकील वरुण था। वह आज अपने नए केस के आरोपी से मिलने जा रही थी। क्योंकि वह एक महिला वकील थी, इसलिए वह अकेले किसी आरोपी से नहीं मिल सकती थी। उसे किसी मेल वकील के साथ जाना था। इसलिए इसे वरुण के साथ भेजने का फरमान जारी किया गया..... डिटेंशन सेंटर यहां से बहुत दूर था इसीलिए उन्हें यहां से जल्दी निकलना पड़ा। "काश! कि वो बुरा डरावना सपना कल रात के अंधेरे साथ ही हमेशा के लिए दफ़न हो गया हो"....सूरज की रोशनी को देखते हुए आयरा मन ही मन बड़बड़ाई.....!!! लॉ स्कूल खत्म करने के बाद आयरा कुछ साल यूहीं इधर-उधर भटकती रही। उसने अपनी लॉ की एग्जाम्स तभी दी थी जब उसके पास कोई और चारा नहीं बचा था..... और आखिर में वो एग्जाम पास होने के बाद वो वकील बन गई। दूसरे लोग उसके अच्छे करियर से जलते थे, लेकिन असल में उन्हें पता नहीं था कि हकीकत क्या है। लेकिन आयरा ये बात खुद जानती और समझती थी कि यह काम उसके लिए बिल्कुल सही नहीं था। क्यों वह एक लापरवाह, हिचकिचाने वाली और इंप्लसिव शख्सियत रखने वाली लड़की थी..... आसन लफ्ज़ों में कहा जाए तो उसमें चालाकी, शातिर दिमाग से काम करने का तरीका बिल्कुल नहीं था। और उसकी यही कमियाँ उसके काम में साफ़ दिखाई भी देती थीं। जूनियर वकील के तौर पर काम करने के बावजूद, वह शहर की सबसे बड़ी लॉ फ़र्म में सबसे कम केस जीतने वाली वकील बन गई थी। अगर उसके कॉलेज के प्रोफ़ेसर फ़र्म के मेन वकील न होते, तो शायद उसे बहुत पहले ही यहां से निकाल दिया गया होता। हालांकि उसे अच्छे से पता भी था कि उसके साथी इस बात को लेकर..... उसकी पीठ पीछे बातें भी किया करते थे कि वह सिर्फ अपने रिश्तों का इस्तेमाल करके यहां टिकी हुई है..... वरना उसके बस की कोई काम नहीं था..... सब कुछ सुनकर और जानतेबूझते भी आयरा बस खामोश रहकर सब सहती आ रही थी.....!!! एक बड़ी लॉ फर्म, आम तौर पर इतने खौफनाक केस में, कभी भी किसी औरत वकील को नहीं भेजती, खासकर जब उसने पहले कभी क्राइम का केस जीता ही नहीं हो। ऊपर से, मुजरिम ने खुद किसी वकील को नहीं बुलाया था, और उसके क्राइम के लिए उसे मौत की सज़ा भी हो सकती थी। लेकिन, जस्टिस के नियमों को ध्यान में रखते हुए..... अदालत ने वेस्ट स्काई लॉ फर्म को ये काम दे दिया। साफतौर पर कहा जाए तो ये केस पैसे वाला नहीं था, इसलिए ये काम एक आम सी इस औरत वकील को दे दिया गया था। यूं तो केस बिल्कुल सीधा-सा था, सबूत भी एकदम पक्के थे। बस मसला मुजरिम के दिमाग की हालत पर था। लेकिन जो भी था मगर घटना बहुत ही डरावनी और खूंखार खूनी थी..... इतनी खूंखार की सुनकर वकील का भी दिल कांप गया था....!!! "तुमने केस रीड किया"???..... आयरा ने ड्राइव करते वरुण से सवाल किया.....! "हां..... मैनें पूरा केस रीड किया..... सच..... बहुत ही डरावना केस है..... सुनकर ही दिल घबरा गया".....वरुण ने जवाब दिया.....!!! "क्या उसकी पिछली ज़िंदगी के बारे में कुछ मालूम हुआ??"..... आयरा ने पूछा.....!! "हां..... मुजरिम है बयालीस साल का रुद्र वर्मा,जो मिडिल स्कूल में मैथ पढ़ाता था। वो अपनी बीवी, बेटे, तलाकशुदा बहन और ससुराल वालों के साथ ही रहता था..... वो सब ही टीचर थे, सिर्फ उसका पंद्रह साल का बेटा हाई स्कूल में पढ़ता था। जबकि वो और उसकी बीवी एक ही स्कूल में पढ़ाते थे। उसके दोस्त, साथी टीचर और पड़ोसी उसे शांत, मिलनसार और समझदार बता रहे थे"..... वरुण ने जवाब दिया.....!! "अगर इतना समझदार और शांत था..... तो इतना बड़ा गुनाह कैसे कर दिया"??..... आयरा ने केस के पन्ने पलटते हुए कहा.....!! "पता नहीं..... लेकिन सब लोगों के बीच वो एक अच्छा और समझदार इंसान माना जाता था..... लेकिन पूछताछ में पता चला..... कि घटना से एक महीना पहले, वो अचानक बदल सा गया था। वो अक्सर घरवालों से झगड़ता, और गुस्से में वायलेंट हरकतें करता। मानो जैसे उसके सर कोई बुरा साया आ गया हो"!..... वरुण ने आयरा को बताया.....!!! "स्ट्रेंज"..... आयरा ने हौले से बड़बड़ाया.....!!! "हां पता चला है..... कि घटना वाले दिन,पहले रुद्र ने अपनी बीवी से झगड़ा किया। फिर उसने अपने पास पहले से रखे एक चाकू से सो रही अपनी बीवी और ससुराल वालों को जान से मार डाला। जबकि उसके बेटे को छठी मंजिल से कूदकर अपनी जान बचानी पड़ी..... उसे बहुत चोटें आई..... और वो फिलहाल कोमा जैसी बेहोशी में बेहोश है..... और शायद वो जिंदगी भर अब ऐसा ही रहे"..... वरुण ने आयरा को तफसील से बताया.....!!! "पता नहीं कैसा आदमी है..... जो अपने ही परिवार को मार डाला..... शायद इसके पीछे कोई बड़ी वजह हो"??..... आयरा ने सोचते हुए अंदाज़ा लगाया.....!! "वजह का तो पता नहीं..... लेकिन सुना है घटनास्थल बहुत ही डरावना था..... जब पुलिस वहां पहुँची, तो उन्हें एक डरावनी सी हँसी सुनाई दी..... वहां ज़मीन पर चारों ओर खून फैला हुआ था, यहां तक की कमरे में चलने तक की जगह भी नहीं थी। चारों लाशें सोफ़े पर एक-दूसरे के पास पड़ी थीं। एक लाश की गोद में सिर था, ये साफ़ नहीं था कि वो उसका अपना सिर है या नहीं..... जबकि दूसरी लाश का सिर छाती से लगभग अलग हो चुका था..... और तीसरी लाश का सिर दरवाजे के पास गिरा हुआ था। "ओह माय गॉड..... वो इंसान है या हैवान"..... आयरा ने सदमे से कहा.....!!! "ज़ाहिर है इंसान तो नहीं है..... जब पुलिस पहुंची तो रूद्र राठौड़ लाशों से अलग दूसरे सोफ़े पर बैठा था और अपनी बीवी का सिर पकड़े हुए बार-बार बस एक ही बात बोल रहा था"..... वरुण ने आगे की बात बताते हुए कहा.....!!! "क्या बात"???..... आयरा ने कुछ उत्सुकता से पूछा.....!! "ये..... कि "क्या ये वही है? क्या ये वही है?".....ऐसा लग रहा था जैसे उस वक्त उसने पुलिस को देखा ही नहीं था..... और हैरानी की बात ये है..... कि पुलिस ने उसे बिना किसी मशक्कत के बेहद ही आसानी से पकड़ भी लिया था..... जिसके बाद फिर वो जोर-जोर से चिल्लाया..... कि "नहीं! नहीं! मैं नहीं था..... ये तोकोई भूत था! कोई भूत था!" उसकी यही चीखें पूरे मोहल्ले में गूंज रही थीं".....वरुण ने आयरा की बात का जवाब देते हुए उसे आगे का वाकया बताया.....!! "तो क्या उसने कोर्ट में भी यही भूत वाला बयान दिया??"..... आयरा ने आगे सवाल किया.....! "नहीं..... उस ने कोर्ट में सवालों के जवाब ही नहीं दिए और उसने आत्महत्या करने की भी कोशिश की। वो कुछ नहीं बोला..... एक लफ़्ज़ भी नहीं"..... वरुण ने जवाब में कहा.....!!! "क्या उसकी दिमागी हालत ठीक है??..... मतलब डॉक्टर्स का क्या कहना है उसे लेकर??"..... आयरा ने आगे तफ्तीश की.....!! "डॉक्टर्स के अकार्डिंग वो बिल्कुल ठीक है..... अब उसे बस सज़ा मिलनी है"..... वरुण ने आयरा को सारा माजरा समझाया.....!!! वरुण की बताई सारी बातें सच थी..... यहां तक कि घटनास्थल पर कुछ पुलिसवाले वो खौफनाक मंज़र देखकर बेहोश हो गए थे..... तो कुछ डर गए..... रुद्र के पड़ोसी अभी तक भी इतने डरे हुए थे कि वो रात में घर से बाहर ही नहीं निकलते। ये घटना सच में बहुत डरावनी थी। आयरा को भी ये सब कहीं ना कहीं पता था..... क्योंकि उसने घटनास्थल की तस्वीरें देखी थीं। असल में तो वो इस केस से दूर ही रहना चाहती थी..... लेकिन उसकी मजबूरी थी कि वो इसे टाल नहीं सकती थी.....!!! आखिर में वो लोग जेल पहुंचे..... आयरा घबराई हुई थी..... लेकिन उसने खुद को शांत दिखाने की पुरजोर कोशिश की..... आखिर में वो आरोपी से मिलने गई..... आज उसे वाकई समझ आया था..... कि लोग क्यों कहते हैं कि वकील शैतान से बात करते हैं। "मिस्टर वर्मा, मैं आयरा शर्मा, आपकी वकील हूँ।"..... आयरा ने कहा.....!!!, आयरा ने खुद को कॉन्फिडेंट दिखाने और अपनी घबराहट को छुपाने की पूरी कोशिश की..... लेकिन वो चाह कर भी उसकी आँखों में नहीं देख पा रही थी..... जबकि रुद्र उसकी बात सुनकर भी खामोश ही रहा.....!! "आपकी मदद करना मेरा काम है।".....आयरा ने आगे कहा। आयरा का। घबराता दिल सामने बैठे शख्स की गंभीर शख्सियत को देखकर और भी हौल रहा था..... वो तो शुक्र था कि एक पुलिसवाला उनके पास में ही खड़ा था..... जिससे उसे थोड़ी हिम्मत मिली। लेकिन घबरा तो वो अब भी रही थी। "ऐसे काम नहीं चलेगा..... तुम एक एक्सपीरियंस रखने वाली सीनियर वकील हो..... ऐसे किसी नौसिखिए की तरह नहीं दिखना तुम्हें..... ये पहली मुलाकात है,तुममें आरोपी से बात करनी है..... और तुम ऐसे डर रही हो..... नो..... हिम्मत करो..... आयरा यू कैन डू इट"..... यस यू कैन डू इट"..... आयरा ने जैसे खुद को ही मोटिवेट करते हुए मन में कहा। हालांकि ये पहली बार था जब आयरा ने आरोपी को करीब से देखा था। वह बेहद कमज़ोर था, जैसे बस खाल और हड्डी। उसकी स्किन असामान्य रूप से पीली थी, शायद बंद कमरे में रहने से ऐसे था..... या फिर वाकई उसका रंग ही ऐसा था। हल्के हरे रंग की नसें उसकी स्किन में उभरी हुई साफ़ दिखाई दे रही थीं। वह उस लकड़ी की कुर्सी पर सिकुड़ा हुआ बैठा था,..... बगल में दिखती उसकी परछाई भी सिकुड़ी हुई सी ही लग रही थी, जैसे मानों किसी का इंतज़ार कर रही हो..... अगर वो अकेला होता..... तो आयरा उसे ज़िंदा इंसान नहीं, बल्कि किसी हॉरर फिल्म का मोम का पुतला समझ लेती। "तो, उस दिन क्या हुआ था?" .....आयरा ने पानी का घूंट लिया और सीधे सवाल पूछकर अपनी बात शुरू की। वह जानती थी कि अगर उसने और देर की..... या वो और चुप रही.... तो उसका डर उस पर हावी हो जाएगा.... आयरा के सवाल पर पहली मर्तबा रुद्र की आँखें हिलीं। फिर, उसने अजीब तरह से अपनी गर्दन घुमा आयरा को देखा। उसके ऐसे रिएक्शन से अयाना के डर में साफतौर पर इज़ाफ़ा हुआ था..... उसने जिस तरह से अपनी गर्दन घुमाई थी..... उस का एंगल अजीब था, और उसकी आँखें साफ़ दिख रही थीं, लेकिन फिर भी उनमें कुछ तो अजीब था। "ये आदमी बिलकुल भी नॉर्मल नहीं है..... आखिर इसे सज़ा देने लायक कैसे योग्य मान लिया गया?"..... आयरा ने मन में बड़बड़ाया.....!!! "मैंने किसी को नहीं मारा,"..... रुद्र ने धीमी आवाज़ में कहा। रुद्र की आवाज़ सुनकर आयरा ने अपना ध्यान फ़ौरन ही उसकी ओर लगाया.....!!! "मैंने किसी को नहीं मारा।"..... रुद्र ने फिर दोहराया..... "एक भूत था। जिसने मुझे मजबूर किया। उसने मेरे परिवार को..... उन सबको मार डाला..... यही सच है..... मैंने किसी को नहीं मारा..... नहीं मारा मैंने किसी को!"..... यह कहते हुए, रुद्र अचानक खड़ा हुआ.....!! "मैंने किसी को नहीं मारा! यह वो था! वो दुष्ट आत्मा..... मेरी मदद करो..... प्लीज़ मेरी मदद करो".... रुद्र ने कहते हुए अचानक आयरा की कलाई पकड़ ली। अचानक हुए इस घटनाक्रम से सभी चौंक गए..... आयरा के तो डर से रोंगटे खड़े हो गए..... मौजूद पुलिसवाले और दूसरे लोग बेकाबू होते रुद्र को फ़ौरन ही रोकने के लिए दौड़े। मगर उनके रोके जाने से पहले, वो आयरा की तरफ़ देखकर बुरी तरह चिल्लाता रहा..... जो डर के मारे खुद में ही सिकुड़ गई थी.....!!! "वो कोई बुरी आत्मा है! मेरा यकीन करो, उसने उन्हें मार डाला! वो था! कोई बुरी आत्मा है!"..... रुद्र लगातार चिल्ला रहा था.....!!! उसकी चिल्लाहट थमने के बाद रुद्र अचानक पीला पड़ गया था.....!!! "हे भगवान, इस पर ज़रूर कोई भूत सवार है!"..... चाहे उस पर भूत सवार हो या न हो, चाहे उसके साथी उसका मज़ाक उड़ाएँ या न उड़ाएँ, और चाहे डायरेक्टर और सीनियर्स कुछ भी कहें..... मैं बस अब इस मामले से दूर रहना चाहती हूं"..... आयरा ने डर से बदहवास होते हुए मन में बुदबुदाया.....!!! आयरा बस अब जल्द से जल्द यहां से भागना चाहती थी..... आयरा ने अपना सिर झुकाया और अपनी कलाई देखी। उसे यकीन था कि वहाँ निशान होंगे..... जो की वाकई उसकी कलाई पर मौजूद भी थे..... उसे लग रहा था जैसे कि ये कोई भूतिया हाथों के निशान हैं। क्योंकि उसे वाकई रुद्र के शरीर से एक डरावनी और दबा देने वाली एनर्जी महसूस हुई थी। यह मामला शायद जितना लग रहा था उससे कहीं ज़्यादा पेचीदा था। यह सिर्फ़ डरावना ही नहीं था..... बल्कि सांसें थमा देने वाला मामला था.....!!! (पहली बार कुछ नया लिखनी की कोशिश की है..... आई होप आप लोगों को ये स्टोरी पसंद आएगी..... अपना प्यार और साथ बनाए रखियेगा..... रेटिंग और कॉमेंट्स देना हरगिज़ ना भूलें..... शुक्रिया.....!!!)

  • 2. "Love in the Shadows" - Chapter 2

    Words: 1017

    Estimated Reading Time: 7 min

    "ओह गॉड!..... कल ही मुझे ये मामला किसी और को सौंप देना चाहिए था, और अब डायरेक्टर सर काम से बाहर गए हैं, तो अब ना चाहते हुए भी मुझे ये काम खुद ही करना होगा!"..... आयरा ने खुद से ही बात करते हुए बड़बड़ाया.....! आयरा की उलझन सही थी..... क्योंकि यहाँ बिना डायरेक्टर की इजाज़त के कुछ भी नहीं होता था, और जब वो बाहर जाते थे..... तो कोई उन्हें डिस्टर्ब करने की हिमाकत कोई भी नहीं कर सकता था....!! "अब मैं क्या करूं??..... क्यों ना मैं ये नौकरी ही छोड़ दूं??..... आयरा ने खुद से ही सवाल किया.....!!! वो सही सोच रही थी..... फिलहाल इस केस से बचने के लिए..... उसके पास सिवाय नौकरी छोड़ने के अलावा..... कोई भी दूजा ऑप्शन नहीं था.....!! "नहीं..... नहीं..... ये फ़िज़ूल आइडिया है..... क्योंकि फिर मुझे नई नौकरी कहाँ से मिलेगी??..... और फिर मुझ पर डायरेक्टर सर की मेहरबानी का बदला भी मैं कैसे ही चुका पाऊंगी"..... आयरा ने खुद के सवाल का खुद ही जवाब भी दिया.....!!! आयरा अपनी उलझन में उलझी थी..... उसका दिल घबरा रहा था,और कल रात उसे फिर बुरे सपने आए थे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो क्या करे। पहले ऐसे हालात में वो अक्सर अपने साइकैट्रिस्ट के पास जाती थी। तो उसने लंच ब्रेक में सीधे वहीं जाने का फ़ैसला किया। "आई थिंक मेरी इस प्रॉबलम का सॉल्यूशन अभय के पास ही मिल सकता है"..... आयरा ने जैसे खुद को एक उम्मीद दिलाई.....!!! अभय चौहान, 31 साल का एक साइकैट्रिस्ट..... जिसका क्लिनिक इसी बिल्डिंग के 40वे फ्लोर पर था..... लंबा, स्मार्ट, और उसकी भोली-भाली आँखें हमेशा लोगों का भरोसा जीत लेती थीं। तलाक के केस में उसकी मदद करने की वजह से..... और एक ही बिल्डिंग में काम करने..... और वाइब्स मैच होने की वजह से..... वो दोनों अच्छे दोस्त बन गए थे। "फिर से स्लीप पैरालिसिस?"..... अभय ने उसकी परेशान सी शक्ल देखकर पूछा.....! "उफ्फ! ये साइकैट्रिस्ट कभी-कभी बहुत इरीटेट करते हैं..... क्या तुम शो ऑफ नहीं कर सकते कि जैसे तुम्हें कुछ नहीं पता?"..... आयरा ने कुछ चिढ़ कर कहा.....!!! "इट् मींस..... मैं बिल्कुल सही था..... अगेन स्लीप पैरालिसिस"..... अभय ने आयरा को मजीद छेड़ते हुए कहा.....!! "हम्ममम"..... आयरा ने हथियार डालते हुए कहा.....! "लेकिन मैं लंच ब्रेक पर हूँ,..... और जहां तक मुझे याद है मैं तुम्हारा साइकैट्रिस्ट भी नहीं हूँ।"..... अभय ने फिर उसे छेड़ा.....!! "हां..... लेकिन तुम्हारे चेहरे पर लिखा है..... कि तुम मेरे दोस्त हो..... साथ ही मेरे लिए फ्री साइकैट्रिस्ट भी।"..... आयरा ने शरारत से मुस्कुरा कर कहा.....!! "ओह?..... अच्छा..... और क्या लिखा है?"..... अभय ने दिखावटी संजीदगी से पूछा.....!! "और ये भी लिखा है कि मैं आयरा शर्मा हूं..... और मैं जो चाहूँ वो कर सकती हूँ।"..... आयरा ने मुस्कुराते हुए कुछ इतरा कर कहा.....!!! "अच्छा..... अगर वाकई ऐसा है..... तो इसी बात पर मैं तुम्हें लंच पर ले जाता हूँ..... नीचे एक अच्छी रेस्टोरेंट खुली है..... और बेस्ट थिंग ये है..... कि वहां सस्ता और अच्छा खाना मिलता है"!..... अभय ने सहजता से मुस्कुरा कर कहा.....!!! अभय दूसरों के थॉट्स समझने में माहिर तो था ही..... और आयरा के मामले में तो उसकी समझ दोस्ती और लगाव से जुड़ी थी। वो जानता था कि आयरा शोरगुल वाली जगहों पर ज़्यादा खुश और कंफर्टेबल रहती है..... और उसका खुशमिजाज बिहेवियर जल्दी ठीक हो जाएगा। "तो चलें??"..... अभय ने मुस्कुरा कर पूछा.....! "ज़रूर"..... आयरा ने टेबल से अपना बैग उठाते हुए मुस्कुरा कर जवाब दिया.....!!! इसी के साथ अभय उसे उस रेस्टोरें में ले गया..... वो जानता था कि इससे उसकी मेंटल हेल्थ सुधरेगी। वो जानता था कि आजकल वो बहुत डिप्रेस्ड थी..... खासकर उस केस के बाद..... जिसने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया था..... और वो इस मामले में सच में उसकी मदद भी करना चाहता था। "तुम्हें क्या लगता है..... मुझे क्या करना चाहिए?..... आजकल मेरी नींद बहुत कम हो गई है..... जिसकी वजह से मुझे डार्क सर्कल्स और रिंकल्स होने लगे हैं"!..... आयरा ने खाने के बीच अभय से कहा.....!!! "इसमें टेंशन करने की कोई ज़रूरत नहीं है..... डाटा के अकार्डिंग..... लगभग 40 परसेंटे लोगों को नींद न आने की प्रॉबलम है..... फॉर एग्जांपल..... जिसे स्लीप पैरालिसि..... या आसान लफ्ज़ों में भूतिया Persecution कहा जाता है"!..... अभय ने उसे सहज करने की कोशिश करते हुए कहा ....!!! अभय ने आयरा को दिलासा देने की कोशिश की..... लेकिन हकीकत में उसे ख़ुद उसकी हालत के बारे में कुछ डाउट थे..... और बिना किसी सबूत के वो उसे यूहीं बेवजह डराना नहीं चाहता था। "तो क्या मुझे अपने हार्ट का चेकअप करवाना चाहिए??"..... आयरा ने उस तीखे खाने को खाते हुए सवाल किया.....!!! "साइंस के अकॉर्डिंग..... स्लीप पैरालिसिस अक्सर खराब नींद के पोस्चर..... खराब blood circulation के कारण होता है..... लेकिन फिर भी तुम चाहो तो टेस्ट करवा सकती हो..... इसमें कोई हर्ज नहीं"..... अभय ने उसे समझाया.....!!! "हम्ममम..... देखती हूं"..... आयरा ने तीखे खाने से जलते मुंह से फूंक मारते हुए कहा.....!!! "पता नहीं तुम बिलीव करती हो या नहीं..... लेकिन मैंने पहले भी कहा है..... अपनी बर्थ डेट की वजह से डरपोक होने..... और अक्सर बदकिस्मती का सामना करने के बावजूद..... जब भी तुम किसी प्रॉबलम को फेस करती हो..... तो तुम में एक अलग सी पावर और कॉन्फिडेंट होता है"..... अभय ने पानी का घूंट लेते हुए कहा.....!!! "प्लीज़..... नॉट अगेन"..... आयरा ने बोरिंग से एक्सप्रेशन से कहा.....!! "व्हाट..... नॉट अगेन..... एम सीरियस ड्यूड..... सच में तुम्हारे उन खास मंत्र से अलग..... तुम्हारा भाग्य भी है..... और तुम हमेशा अपनी बदकिस्मती को खुशकिस्मती में बदल दोगी..... जस्ट मार्क माय वर्ड मिस शर्मा"..... अभय ने दिलकशी से मुस्कुरा कर कहा.....!!! अभय नहीं चाहता था..... कि उसकी दोस्त पर किसी भी तरह की नेगेटिविटी हावी हो..... दरअसल,वो उसे लेकर बहुत फिक्रमंद था..... क्योंकि जितना उसने नोटिस किया था..... उसके अकॉर्डिंग जब भी आयरा को बार-बार स्लीप पैरालिसिस और बुरे सपने आने लगते..... तो कुछ ही समय बाद खतरा आ जाता था.... हालाँकि वह खुद पूरी तरह से इस बात से अनजान थी,लेकिन हर बार कोई ना कोई ऐसी पावर थी..... जो उसके लिए आखिरकार सब कुछ चुटकियों में हल कर देता था। "क्या इस बार भी चीज़ें आसानी से हल हो जाएँगी?..... क्या इस सबका इस मामले से कोई लेना-देना है??..... अभय ने खुद से उलझते हुए सवाल किया.....!!!

  • 3. "Love in the Shadows" - Chapter 3

    Words: 2170

    Estimated Reading Time: 14 min

    "क्या इस बार भी चीज़ें आसानी से हल हो जाएँगी?..... क्या इस सबका इस मामले से कोई लेना-देना है??..... अभय ने खुद से उलझते हुए सवाल किया.....!!! "क्या हो गया है भई...... भूलो मत..... कि तुम एक साइकैट्रिस्ट हो..... ना कि कोई फ्यूचर बताने वाले ज्योतिषी..... इसीलिए इन फालतू बातों को छोड़कर..... अपने प्रोफेशन पर ध्यान दो मिस्टर"..... आयरा ने अभय को कुछ छेड़ते हुए मुस्कुरा कर कहा.....!!! "यू नो व्हाट..... वर्ल्ड के मोस्ट 100 फैमस साइंटिस्ट में से 80 ऊपरवाले के Existence पर यकीन करते हैं..... इसीलिए साइंस कभी भी स्प्रिचुअल बिलिफ में दखलअंदाज़ी नहीं करता..... ऑफकोर्स मैं लॉजिक वाली चीज़ों में बिलिफ रखता हूं..... लेकिन इसका मतलब ये हरगिज़ नहीं कि मैं सुपरनैचुरल चीज़ों को बेबुनियाद समझता हूं"..... अभय ने आयरा को समझाते हुए कहा.....!!! "ग्रेट स्पीच..... लेकिन क्या तुम सच में भूतों में विश्वास रखते हो"??..... आयरा ने कुछ जिज्ञासा से पूछा। आयरा ने इस शोरगुल भरी भीड़ में थोड़ी तेज़ आवाज़ में सवाल किया..... अपनी जिज्ञासा के चलते..... उसे अपनी बात लोगों से सुन लेने की चिंता भी नहीं थी। "भूत???..... क्या यह तुम्हारे इस नए केस से रिलेटेड है"??..... अभय ने अपनी भौंहें सिकोड़ीं..... "या तुम इसे लेकर सिर्फ फ़िज़ूल अनुमान लगा रही हो"?..... अभय ने आयरा से सवाल किया.....!!! अभय का सवाल सुनकर..... आयरा थोड़ा हिचकिचाई..... फिर अगले ही पल उसने अपनी चुप्पी तोड़ी.....!!! "वैसे तो मुझे इस मामले के बारे में अनजान लोगों को इन्फॉर्मेशन नहीं देनी चाहिए..... लेकिन क्योंकि तुम मेरे साइकैट्रिस्ट हो..... इसलिए मैं तुमसे सब शेयर कर सकती हूं"..... आयरा ने जैसे उसे समझाया था.....!!! इसके बाद उसने अभय को कल जो कुछ भी हुआ और जो उसने महसूस किया, वो सब बता दिया..... अभय ने गौर से उसकी बात सुनी..... फिर कुछ पल बाद उसने अपनी चुप्पी तोड़ी.....!! "जब तुम इस केस को संभालने के इतने खिलाफ़ हो..... तो खुद को मजबूर क्यों कर रही हो??..... तुम्हारा ऐसा करना..... तुम्हारे और तुम्हारे डिफेंडेट दोनों के लिए ही सही नहीं है..... तुम ये केस किसी और क्यों नहीं सौंप देती"??..... अभय ने उसे सजेशन दिया। उसे आयरा की बातों पर यकीन था,लेकिन वह यह भी जानता था कि वह बहुत सेंसिटिव है। इसलिए, सबसे अच्छा सॉल्यूशन ये था कि इस खूनी केस को संभालने के लिए किसी स्टेबल माइंड वाले शख़्स को ढूँढ़ा जाए। उसे यकीन था कि यह मुश्किल नहीं होगा। आखिरकार,यह केस बहुत ज़्यादा सनसनीखेज़ था। भले ही कोई लाभ न हो, फिर भी यह एक्सपोज़र के लिए अच्छा होगा। "सच कहूँ तो,मैनें अनजाने में वैस्ट स्काई लॉ फ़र्म के लोगों को इस केस पर बातें करते हुए सुन लिया था। उन लोगों को लगता है कि उनका इस केस को संभालना वाकई एक अच्छा मौका साबित होगा"..... आयरा ने अभय को बताया.....!!! "और वो कैसे??"..... अभय ने सवाल किया.....!!! "उन्हें लगता है कि केस का रिज़ल्ट चाहें जो भी हो..... हार या जीत..... कोई फर्क नहीं पड़ता..... बस उन्हें बहुत फेम मिलेगी..... और ये कि डायरेक्टर ने इस केस को मुझे सौंप कर..... वाकई मुझ जैसी बेकार इंसान को लेकर बायस्ड हुए हैं".... आयरा ने अभय को पूरी बात बताई.....!!! "तो तुमने ये सारा माजरा डायरेक्टर सर के सामने रखा"??..... अभय ने सवाल किया.....!!! "मैं आज सुबह डायरेक्टर सर के सामने ये बात रखना चाहती थी..... लेकिन ऐन मौके पर वो एक बिज़नेस ट्रिप पर चले गए..... मेरी किस्मत वाकई बहुत खराब है"!..... आयरा ने कुछ मायूसी से जवाब दिया.....!! "अब ऐसा भी कुछ नहीं है..... और तुम क्या ज़रा–ज़रा सी बात पर अपनी किस्मत को कोसने बैठ जाती हो"..... अभय ने उसे हल्की झिड़की देते हुए कहा.....!!! "नहीं,मुझे सच में लगता है..... कि मैं वाकई डायरेक्टर सर को मायूस कर रही हूं..... ये जानते बूझते भी कि वो मुझे प्रोग्रेस करते देखना चाहते हैं..... मैं फिर भी कुछ नहीं कर रही हूं"!.....आयरा ने कटोरे से अपना सूप लापरवाही से पीते हुए कहा.....!!! "डोंट वरी एवरीथिंग विल बी फाइन"..... अभय ने उसे कुछ सांत्वना देते हुए कहा.....! आयरा ने उसकी बात सुनकर..... बस हौले से अपना सर हिला दिया..... हालांकि उसके माथे पर पड़ी शिकंज इस बात की गवाही दे रही थी..... कि उसकी टेंशन अभी भी ज्यों की ही थी..... इसी के साथ उसने एक बार फिर अपनी चुप्पी तोड़ी.....!!! "मैं सिर्फ़ इसलिए तुमसे बात कर रही हूँ क्योंकि मैं उलझन में हूँ..... वरना भले ही मैं डायरेक्टर सर के सामने यह बात रख भी दूं... तब भी मुझे लगेगा कि मैं कुछ गलत ही कर रही हूं..... और मुझे पछतावा ही होगा"!....... आयरा ने उलझन भरे भाव से कहा.....!!! "लोगों का खुद पर डाउट होना जनरली बात है..... तुम्हें ख़ुद को लेट डाउन महसूस करने की ज़रूरत नहीं है"!.....अभय ने उसे समझाया.....!! "तो फिर मुझे क्या करना चाहिए???..... क्या मुझे वक्त रहते ही हार मान लेनी चाहिए"?..... आयरा ने अभय की ओर संजीदगी से देखकर सवाल किया.....!!! "देखो ये बात हार मानने या मुश्किलों से जूझने के बारे में हरगिज़ नहीं है..... यह इस बारे में है कि तुम इसे जारी रखना चाहती हो या नहीं?..... अगर तुम इसे लेकर खुद पर दबाव डालोगी..... तो रिज़ल्ट और भी खराब आयेगा..... और फिर ऐसा भी तो नहीं है ना कि तुम्हारे डायरेक्टर सर अब वापस ही नहीं आयेंगे"!..... अभय ने उसे एक दोस्त के नाते साफ लफ्ज़ों में समझाया.....!!! "लेकिन मुकदमा शुरू होने वाला है"??..... आयरा ने कहा......!! "तो??..... एम श्योर इतना तो तुम संभाल ही सकती हो"..... अभय ने हौले से मुस्कुरा कर कहा.....! "असल में, मुझे हार मानने की आदत है। मैं बहुत बेकार हूँ,.....है न?".... आयरा ने कुछ मायूसी से कहा.....! "नहीं..... बिल्कुल नहीं..... बस तुम कुछ ज़्यादा ही फ़िज़ूल सोचती हो"!.... अभय ने उसे समझाया.....!! अभय की बात सुनकर आयरा कुछ पलों तक शांत रही..... फिर उसने कुछ सोचते हुए एक बार फिर अपनी चुप्पी तोड़ी.....!!! "मैं अगली मीटिंग से वाकई डरती हूँ..... लेकिन ऐसा भी नहीं है कि मैं कुछ करना ही नहीं चाहती..... क्योंकि मेरा कुछ ना करना राठौड़ के प्रति गैरजिम्मेदाराना होगा..... और साथ ही डायरेक्टर सर के प्रति भी अनग्रेटफुल होगा"!..... आयरा ने कुछ गंभीरता से कहा.....!! अभय ने सांत्वना देते हुए उसका हाथ थपथपाया..... "वैसे तुम्हें एक और मीटिंग की क्या ज़रूरत है?"..... उसने सवाल किया.....!! "क्योंकि उस दिन उसने वाकई में कुछ नहीं कहा था..... मतलब बिना उसकी बात सुने..... मैं उसके मामले की पैरवी कैसे करूँ???..... मुझे घटना के बारे में उसका एक्सप्लेनेशन सुनना चाहिए..... साथ ही मुझे यह भी जानना चाहिए कि आखिर वह कानून से किस तरह के समझौते की उम्मीद कर रहा है"!..... आयरा ने उसे समझाया.....!!! "तुम्हें क्या लगता है???"..... अभय ने फिर सवाल किया.....!!! "दरअसल,मुझे लगता है कि एक बार लीगल प्रोसेस शुरू हो जाने के बाद..... उसकी दिमागी हालत का टेस्ट फिर से करने के लिए अपील की जानी चाहिए"!..... आयरा ने उसे अपनी बात समझाई.....!!! "वैसे मैंने न्यूज़ में देखा है कि उसके कुछ मैंटली अनस्टेबल होने का डाउट है..... लेकिन पागलपन की हद तक नहीं..... हो सकता है शायद कल ये सिर्फ़ उसका दिखावा था..... कि तुम उसकी मदद करो, ताकि वह अपनी सज़ा से बच सके??"..... अभय ने अनुमान लगाते हुए कहा.....!!! उसकी बात सुनकर..... आयरा ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपना सिर हिलाया..... कल राठौड़ और उसके रवैए ने उस पर बहुत गहरा इफेक्ट छोड़ा था..... जिसने इस डाउट को पूरी तरह खत्म कर दिया था..... कि वो सिर्फ एक नाटक था। उसने अपनी आस्तीन ऊपर खींची और अपनी गोरी कलाइयों पर उभरे साफ चोटों के निशानों को अभय को दिखाया। "देखो, कल महज़ उसकी पकड़ से मेरी कलाई पर ये निशान आए..... उसकी ताकत को देखते हुए..... अगर हम मान लें..... कि कुछ भी अजीब नहीं है..... तो महज़ उसके पकड़ने से मैं इतनी गंभीर रूप से कैसे घायल हो सकती हूँ???..... और सबसे बढ़कर..... अगर वह एक नॉर्मल इंसान है..... तो वह इतना क्रूल कैसे हो सकता है??..... खासकर अपने परिवार को लेकर"???..... आयरा ने बिना झिझके अपनी उलझन ज़ाहिर की.....!!! "दुनिया में मन को समझना सबसे मुश्किल काम है"....बीमार मन सबसे ज़्यादा परेशान करने वाली चीज़ है"!.... अभय ने आयरा की चोट को सहलाते हुए कहा.....!! "एज़ अ साइकैट्रिस्ट फिर तुम्हारी नॉलेज क्या कहती है??.....क्या ये मुमकिन है कि वह बस नाटक कर रहा है या फिर वो सचमुच पागल है"?..... आयरा ने सीधा सवाल किया.....!!! "मैं सिर्फ़ एक साइकैट्रिस्ट हूँ! मैं सिर्फ़ नॉर्मल दिमागी बीमारियों का ही इलाज कर सकता हूँ..... हालाँकि, एक डॉक्टर के नज़रिए से, दिमागी बीमारी पागलपन के समान नहीं है। आम तौर पर, जिन्हें लोग पागल कहते हैं..... असल में वो सीरियस दिमागी बीमारियों से घिरे होते हैं"!..... अभय ने उसे जवाब दिया.....!! "जैसे"??..... उसने फिर सवाल किया.....!!! "जैसे..... एग्जांपल के लिए, कई व्यक्तित्व वाले..... सिज़ोफ्रेनिया और कई गंभीर दिमागी बीमारियाँ..... पागलपन की कानूनी परिभाषा अलग –अलग है.... पागलपन का मतलब सिर्फ एक लिमिटेड वर्ड तक नहीं है..... असल में ये अपने आप में एक खास और अलग –अलग डेफिनेशन रखता है..... हालांकि हमें ऐसे लोगों से सहानुभूति रखते हुए..... उन्हें समझने की कोशिश करनी चाहिए..... मगर साथ ही इसे कोर्ट में मेडिकल लेंग्वेज में साबित करना भी मुश्किल है"..... अभय ने उसे तफसील से समझाया.....!! "वो सब तो ठीक है..... मैं बस यह जानना चाहती हूँ कि ये कैसे साबित किया जाए कि वह बीमार है या नहीं"???..... आयरा ने अपना सवाल रखा.....!! "यह एक बहुत ही उलझा और बहुत टफ केस है..... एग्जांपल के लिए..... इसका फैसला कई इंटरेक्शन के ज़रिए से किया जाएगा..... उसका कॉग्निटिव स्टेटस..... उसका इमोशनल स्टेट्स..... और यहां तक कि उसके बेसिक रवैए को भी नोटिस किया जाएगा..... साथ ही उसके परिवार की मेडिकल हिस्ट्री का टेस्ट किया जाएगा..... उसके लेखन और इस दौरान उसके बिहेवियर को फैसले में शामिल किया जाएगा..... तभी एक एक्यूरेट कनक्लूजन पर पहुंचा जा सकता है"!..... अभय ने उसे बहुत ही आसान लफ्ज़ों में मगर गहराई से समझाया.....!!! "ओह"..... आयरा ने उसकी बात को गौर से सुनते हुए कहा.....!!! "हां..... वैसे मेडिकल फील्ड में, एक और टाइप है जिसे वॉलंटरी कंट्रोल का नुकसान कहा जाता है..... इसका मतलब है कि उस इंसान के पास सही और गलत में डिफरेंस करने की कैपेबिलिटी तो है, लेकिन वह खुद को कंट्रोल करने में कैपेबल नहीं है। ये इंप्लसिव बिहेवियर सीरियस साइकोसिस या मल्टीपल पर्सनेलिटी डिसऑर्डर का रिज़ल्ट हैं..... ऐसी सिचुएशन में, और भी ज़्यादा केयरफुल रहना चाहिए..... साथ ही रिलेवेंट मेडिकल रूल्स का ध्यान रखना चाहिए"!..... अभय ने उसे बड़े ही आराम से सारी सूरत समझाई.....!!! "सचमुच?..... तो फिर मुझे इस बात पर ध्यान से सोचना चाहिए"..... आयरा ने गहराई से सोचते हुए कहा.....!!! "अरे, लेकिन तुम तो इस केस से पीछे हटने वाली थीं ना"??..... अभय ने जैसे उसके भुलक्कड़पन को याद करवाया था.....!!! "हां..... लेकिन फ़िलहाल मैं यहाँ बैठकर कुछ नहीं कर सकती जब तक कि डायरेक्टर सर वापस न आ जाए..... मुझे कम से कम उस इन्सान के लिए एक अच्छी नींव तो तैयार कर ही देनी चाहिए..... जो आगे चलकर इस केस को संभालेगा"..... आयरा ने अपनी बात रखी.....!!! "वाव!..... कितनी अच्छी हो ना तुम"..... अभय ने उसे तंज़ दिया.....!!! अभय की बात सुनकर आयरा ने एक पल के लिए उसे झूठी नाराज़गी से घूरा..... फिर उसने दुबारा अपनी बात जारी की.....!!! "पहली बार जेल जाने पर उसने जो किया, उसे छोड़कर, ऐसा लगता है कि उसने चुपचाप अपना अपराध मान लिया है। वह एक एजुकेटेड इंसान वहै, और ज़ाहिर तौर पर अपनी सज़ा के बारे में जानता है..... हालाँकि, हैरानी की बात ये है..... कि उसने कभी अपना बचाव करने की कोशिश ही नहीं की। लेकिन फिर कल वह इतना क्यों भड़क गया???..... उसने मेरी मदद करने के लिए मुझ पर चिल्लाया भी?..... यह कुछ अजीब है.... जब तक कि उसके साथ वाकई में कुछ गड़बड़ न हो,..... या जब तक कि वाकई में कोई भूत न हो"!..... आयरा ने कल के वाक्य को याद करते हुए कहा.....!!! हालांकि जब आयरा ने अपनी बात का आखिरी हिस्सा कहा, तो वह उसे याद करके खुद को कांपने से नहीं रोक पाई। अभय ने उसकी असहजता को देखा तो अपना हाथ बढ़ाकर उसके माथे पर थपकी दी..... जैसे मानों वो उसे फ्लैशबैक से वापस लाया हो!..... वह मेंटल इफैक्ट्स को लेकर बहुत सेंसिटिव थी..... कहा जा सकता है कि यह उसके दिमाग की सबसे बड़ी कमजोरी थी। "काम डाउन"..... अभय ने उसे सामान्य करने की कोशिश के साथ कहा.....!!! हालांकि अभय अभी भी कुछ ससपीशियस था लेकिन उसके पास ऐसे एक्सपीरियंस थे जो उसे दूसरों से अलग बनाते थे। वो जानता था कि इस दुनिया में कुछ भी इतना अजीब नहीं है, और ऐसी कई चीजें हैं जिन्हें समझाया नहीं जा सकता। इसलिए, उसकी सेफ़्टी के लिए, उसे एक सॉल्यूशन निकालना पड़ा। वह जानता था कि वह इस केस को सॉल्व करने में कैपेबल नहीं था, लेकिन वह ऐसा करने के लिए किसी को ढूंढ ज़रूर सकता था। थोड़ी देर तक हिचकिचाने के बाद, उसने आखिरकार अपना मन बना लिया था.....!! "अब सिर्फ वही इंसान मेरी दोस्त आयरा की मदद कर सकता है"!..... अभय ने मन में सोचते हुए खुद से ही कहा.....!!! हालाँकि उसे अपने पुराने दोस्त को धोखा देने के लिए थोड़ा बुरा लगा..... लेकिन वह आयरा को इस भंवर में और डूबने नहीं दे सकता था। उसने अपना सिर नीचे किया और एक कागज़ पर उस इंसान का नाम लिखा और फिर उसे आयरा को थमा दिया। "ये क्या है?..... अनांश राठौड़..... रेड वाइन बार का पता"???..... आयरा ने शक से अपना सिर उठा कर अभय की तरफ़ देखते हुए सवाल किया.....!!!

  • 4. "Love in the Shadows" - Chapter 4

    Words: 1370

    Estimated Reading Time: 9 min

    "ये क्या है?..... अनांश राठौड़..... रेड वाइन बार का पता"???..... आयरा ने शक से अपना सिर उठा कर अभय की तरफ़ देखते हुए सवाल किया.....!!! "लिखा तो है..... अनांश खुराना"..... अभय ने कुछ लापरवाही से कहा.....!!! "वो मैं भी देख रही हूं..... लेकिन इस सबका मतलब क्या है??..... देखो अभय ये वक्त मेरे लिए कोई बॉयफ्रेंड ढूँढ़ने का नहीं है..... ना ही मैं ऐसे किसी मज़ाक के मूड में हूं..... तो असल मुद्दे पर आओ..... कि तुम मुझे इससे क्यों मिलवाना चाहते हो??"!..... आयरा ने अपनी भौहें सिकोड़ते हुए कहा.....!!! "क्योंकि हम दोस्त हैं, तो मैं तुम्हें किसी ऐसे इंसान से क्यों ही मिलाऊँगा..... जिससे निपटना मुश्किल हो.... या जो तुम्हारे लिए सर दर्द बने..... तुम्हें बस अलर्ट रहना है कि बस तुम उसके झांसे में न आओ"!..... अभय ने बड़ी ही सहजता से उससे कहा.....!! "अगर ऐसा है..... तो फिर तुम उसे मुझसे मिलवा ही क्यों रहे हो??..... क्या ये किसी केस के सिलसिले में मदद के लिए किसी वकील की तलाश कर रहा है???..... वैसे। पहले ही मैं तुम्हें बता दूं..... कि अगर ऐसा है तो मैं उसकी सलाह देने में मदद ज़रूर कर सकती हूँ,.....लेकिन अगर वह केस फ़ाइल कर रहा है तो उसे फर्म से ही कॉन्टैक्ट करना चाहिए..... क्योंकि तुम जानते हो कि हम वकीलों को पर्सनली तौर पर केस लेने की इजाज़त नहीं है"..... आयरा ने दो टूक अंदाज़ में कहा.....!!! "क्या पहले तुम मुझे अपनी बात पूरी करने दोगी"??..... अभय ने झूठी नाराज़गी जताते हुए कहा.....!!! अभय आयरा की जल्दबाज़ी और अंदाज़ा लगाना कभी –कभी इरीटेट कर जाता था..... लेकिन साथ ही उसे ये भी उन बातों में से एक थी जो उसे उसके बारे में पसंद थी..... वो अपने सीनियर्स और कुलीग से काफ़ी अलग थी। उसमें इमोशंस और फीलिंग्स की गहरी झलक थी। "नहीं वो मुसीबत में नहीं है..... ना ही उसे किसी वकील की ज़रूरत है..... असल में वो इस बार का मालिक है। मैं तुम्हें ये सब इसीलिए बता रहा हूं ताकि तुम उसे ढूँढ सको"!..... अभय ने उसे समझाया.....!!! "क्या तुम ये कहना चाहते हो..... कि वो ज़रूरत से ज़्यादा खूबसूरत और हैंडसम है..... और मैं उसे अपने लिए ढूंढू""??..... आयरा ने एक बार फिर अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाए थे.....!!! "नहीं..... मैं ये सब तुम्हें इसीलिए बता रहा हूं क्योंकि अनांश खुराना आत्माओं के साथ बात कर सकता है"!..... अभय ने आयरा को घूरते हुए कहा.....!!! "आत्माओं से बात?..... आयरा ने कुछ हैरत से पूछा! "हां"..... अभय ने सीधा सा जवाब दिया.....!!! "क्या सच में?..... क्या मैंने कुछ ग़लत सुना? तुम मज़ाक तो नहीं कर रहे हो ना"?..... आयरा ने कुछ बेयकिनी से अपना सवाल दोहराया.....!!! "नहीं तुमने कुछ गलत नहीं सुना,.....और ना ही मैं मज़ाक कर रहा हूँ"!.... अभय ने उसे अपना माथा छूने से रोकते हुए लगभग घूर कर कहा..... "और मुझे बुखार भी नहीं है..... फिलहाल तुम्हारा नैपकिन तुम्हारे सूप के कटोरे में गिर गया है..... उधर ध्यान दो "!..... अभय ने उसे टोकते हुए कहा.....!!! "इसे छोड़ो..... तुम ये बताओ..... कि अचानक ऐसे लोगों में तुम कैसे दिलचस्पी लेने लगे??.... तुम्हें तो ऐसे लोगों से सबसे ज़्यादा चिढ़ होती थी ना?..... याद है ना जब हम पहले ऐसी फ़िल्में देखते थे, या जब तुम मंदिरों के बाहर ज्योतिषियों को देखते थे, तो तुम हमेशा उनका मज़ाक ही उड़ाते थे???..... तो फिर???..... आयरा ने उसे शक भरी निगाहों से देखते हुए पूछा.....!!! "हां मैं उन लोगों का मजाक उड़ाता हूं..... क्योंकि मैं जानता हूं कि वो पाखंडी है"..... अभय ने बिना किसी लाग –लपेट के जवाब दिया....!!! "सच में??"..... आयरा ने अभी भी कुछ शक जताया.....!!! "सच में..... यकीन नहीं आता तो मैं अपनी एक्स वाइफ की कसम खा कर यही बात कहता हूं"!..... अभय ने कुछ शोखी से कहा.....!!! अभय के मज़ाकिया अंदाज़ पर आयरा ने उसे घूरा..... तो उसने फौरन ही संजीदा होते हुए अपनी चुप्पी तोड़ी.....!!! "अच्छा बाबा..... मैं अपनी बिज़नेस..... अपनी रैपो की कसम खाकर कहता हूँ..... मैं बिल्कुल सच बोल रहा हूं"..... अभय ने उसे यकीन दिलाते हुए कहा.....!!! "तो फिर ये बात तुमने मुझे अब तक क्यों नहीं बताई थी"???..... आयरा ने फिर सवाल किया.....!!! "क्योंकि अनांश मुसीबतो से बेहद डरता है..... और मुझे डर था कि तुम उसे अपनी हथेली पढ़ने या अपना फ्यूचर बताने के लिए परेशान न करो"!..... अभय ने ईमानदारी से जवाब दिया.....!!! "तुम बहुत बुरे हो"..... आयरा ने झूठी नाराज़गी जताते हुए कहा.....!!! "एम सीरियस..... क्योंकि उसकी पावर..... उसकी कैपेबिलिटी एक राज़ हैं। अगर यह केस सच में इतना अजीब नहीं होता, और तुम मेरी दोस्त नहीं होती..... तो मैं उसके वजूद की सच्चाई को कभी ज़ाहिर नहीं करता"!..... अभय ने संजीदगी से कहा.....!!! "पर क्या वो मेरी मदद करेगा??"..... आयरा ने संदेह जताते हुए पूछा.....!!! "अगर वाकई में कोई भूत है, तो उससे उसकी मदद मांगो। हालाँकि, उसे मदद के लिए मनाना आसान नहीं है..... पर मुझे तुम पर यकीन है..... कि तुम इसमें कामयाब हो जाओगी"!..... अभय ने उसे कुछ मोटिवेट करने वाले अंदाज़ में कहा.....!!! "बिल्कुल..... मैं अपनी पूरी कोशिश करूंगी"!.....आयरा ने वादा किया।..... "मगर अनांश..... आत्माओं से बात करने वाला..... कुछ अजीब नहीं है"??..... आयरा ने अभय से कहा.....!! "वो अजीब नहीं..... बस अलग है..... जब मिलोगी तो खुद जान जाओगी!"..... अभय ने कॉल्ड ड्रिंक की सिप लेते हुए सहजता से कहा.....!!! ********************************************* अभय से मिलने के बाद आयरा उसी रात रेड वाइन बार के लिए निकल गई..... दरअसल, उसे अभय की बातों पर कुछ डाउट था। ऐसा हरगिज़ नहीं था कि वह ऐसी सुपर नेचुरल या भूत–प्रेत की बातों पर यकीन नहीं करती थी, लेकिन आत्माओं के साथ बात करने के बारे में बहुत कुछ सुनने के बावजूद भी, उसने आज इसे अपनी आँखों से कभी नहीं देखा था। रास्ते भर, वह अनांश के बारे में ही सोचती रही थी.....!!! "पता नहीं ये अनांश खुराना नाम का आदमी कैसा होगा??..... अभय ने भी तो उसके बारे में मुझे कुछ खास नहीं बताया..... मगर जितना उसने बताया..... उससे वो थोड़ा मिस्टीरियस ही लग रहा था।".... आयरा ने खुद से बड़बड़ाते हुए कहा.....!!! आयरा सोच रही थी कि अगर अभय ने जो कुछ भी उसे अनांश के बारे में बताया था..... अगर वह वाकई सच है..... तो वो शायद उसे उसके बुरे सपनों की दुनिया के भंवर से भी बाहर निकलने में उसकी मदद कर सके..... कुछ ही देर में आयरा बार पहुंच चुकी थी..... लेकिन अपनी पहचान छुपाने और अनांश की हकीकत जानने के लिए..... वो किसी चोर की तरह छुप कर उस जगह का मुआयना कर रही थी.....ये बार एक बड़ी बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर दो मंजिलों पर बना था। "ये बार इतना बड़ा तो नहीं है जितना मैंने सोचा था..... पर ये सिंपल होने के बावजूद काफी स्टाइलिश है!.....हालांकि इसकी डेकोरेशन और लेआउट ने इसे थोड़ा अजीब सा माहौल दिया हुआ है"।..... आयरा ने बार को देखते हुए उस पर अपनी राय बड़बड़ाई.....!!! पीक ऑवर्स के दौरान भी इस बार को लोगों से भरा हुआ नहीं कहा जा सकता था, लेकिन फिर भी वहाँ काफी भीड़ थी। इसके अलावा, यहां मौजूद ज़्यादातर कस्टमर में सभी एज की फीमेल्स थीं। बार में मौजूद सीटें लगभग पूरी तरह से भरी हुई थीं। एक पतला..... टॉल और स्ट्रांग आदमी काउंटर के पीछे अपनी पीठ दरवाजे की ओर करके..... अपने काम में बिज़ी था.....!!!! "ये है कौन??"..... आयरा ने उस आदमी के चेहरे को देखने की नाकाम कोशिश की.....!!! हालांकि इस वक्त आयरा उसका चेहरा नहीं देख सकती थी..... लेकिन फिर भी वह महसूस कर सकती थी कि वह यहाँ का सेंटर ऑफ अट्रैक्शन था। क्योंकि बार में मौजूद सभी फीमेल्स अपने बिना किसी मेल साथी के यहां मौजूद थी..... और ज्यादातर औरतें मक्खियों की तरह उसी आदमी के आस –पास ही मंडरा रही थीं...... इस आदमी के अलावा, वहाँ दो और यंग मेल सर्वर थे जो कस्टमर्स को इंटरटेन कर रहे थे। आयरा उन्हें साफतौर पर देख सकती थी। वे वाकई हैंडसम और खूबसूरत थे। "ये जगह इतनी अजीब सी क्यों लग रही है??..... कहीं ये कोई सीक्रेट फीमेल ब्रॉथेल तो नहीं"??..... आयरा ने फ़िज़ूल सा अंदाज़ा लगाते हुए अपनी झिझक में इज़ाफ़ा किया था कि वो अंदर जाए या नहीं। "तुम अंदर जा रही हो या नहीं"..... अचानक उसे अपने पीछे से एक आवाज़ सुनाई दी। आयरा पहले ही थोड़ा घबराई हुई थी..... उस पर अचानक आई इस आवाज़ ने उसे बुरी तरह चौंका दिया था..... जिसे सुनकर वो फौरन ही आवाज़ की दिशा में पीछे मुड़ गई थी.....!!! (स्टोरी पसंद आए तो रेटिंग और कॉमेंट ज़रूर दीजियेगा!!)

  • 5. "Love in the Shadows" - Chapter 5

    Words: 0

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  • 6. "Love in the Shadows" - Chapter 6

    Words: 0

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  • 7. "Love in the Shadows" - Chapter 7

    Words: 0

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