यह कहानी है रेहान और रूहानी की, जो एक अनोखी शर्त के दौरान मिले थे। रूहानी के आने से रेहान की जिंदगी में जैसे एक नया मोड़ आ गया था; उसे जीने की एक नई वजह मिल गई थी। लेकिन, कहते हैं ना, किस्मत के खेल निराले होते हैं! किस्मत को यह मंजूर नहीं था। इसी शर्... यह कहानी है रेहान और रूहानी की, जो एक अनोखी शर्त के दौरान मिले थे। रूहानी के आने से रेहान की जिंदगी में जैसे एक नया मोड़ आ गया था; उसे जीने की एक नई वजह मिल गई थी। लेकिन, कहते हैं ना, किस्मत के खेल निराले होते हैं! किस्मत को यह मंजूर नहीं था। इसी शर्त की वजह से दोनों को एक-दूसरे से जुदा होना पड़ा, और रूहानी रेहान की जिंदगी से हमेशा-हमेशा के लिए दूर हो गई। पर क्या रेहान इस सच्चाई को स्वीकार कर पाएगा? या फिर किस्मत की किताब में कुछ और ही लिखा है? क्या दोनों की तक़दीर फिर से उन्हें मिलाएगी? क्या रूहानी एक बार फिर रेहान के इश्क़ में दीवानी हो जाएगी? क्या रेहान अपने प्यार को फिर से पाने के लिए किसी भी हद तक जाएगा?
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"Mr. Stranger & Bacha" रेहान ओबेरॉय—एक प्लेबॉय, जिसे शादी और प्यार जैसी चीज़ों में कोई यकीन नहीं था। उसके लिए ये सब सिर्फ़ एक मज़ाक था। लेकिन फिर उसकी ज़िंदगी में आई रूहानी सक्सेना—एक मासूम लड़की, जिसके लिए प्यार ही सब कुछ था। रेहान ने एक शर्त के तहत उसे अपने करीब लाने की कोशिश की, लेकिन उसे पास लाते-लाते खुद ही उसके प्यार में गिरफ़्तार हो गया। और फिर, उसने जबरदस्ती रूहानी से शादी कर ली। शादी के बाद उनकी ज़िंदगी किसी खूबसूरत ख़्वाब की तरह चल रही थी। दोनों की दुनिया बस एक-दूसरे में सिमट गई थी। लेकिन फिर एक ग़लतफ़हमी ने सब कुछ तबाह कर दिया। रूहानी ने रेहान से दूर जाने का फैसला किया… हमेशा के लिए। और फिर, उसने अपनी जान दे दी। रेहान की दुनिया वही रुक गई। वो इंसान जो कभी किसी के लिए आंसू नहीं बहाता था, अब अपने इश्क़ को खोकर खुद भी टूट गया। लेकिन तीन महीने बाद, कहानी फिर एक नए मोड़ से शुरू होती है... क्या किस्मत ने उनके इश्क़ की तक़दीर में कुछ और लिखा है? Aur Main last wala chapter Dal de rahi hun Uske bad se FIR main first chapter dalna start karungi 🥰🥰 Taki aap Logon Ko story samajh mein Aane Lage!!! अन्य जब उसकी बात सुनता है तो गुस्से में कांपने लगता है और कांपते हुए बोला “ हां बहुत अच्छे से पता है उसे इंसान के बारे में अगर उसने हमारा प्लान फ्लॉप नहीं किया होता तो मैं यहां नहीं होता, खैर छोड़ो अब हमें अपने प्लान भी कामयाब करना है साथ ही साथ उसे रेहान ओबेरॉय को भी सबक सिखाना है, बहुत प्यार करता है ना लेकिन रूहानी से लेकिन अब रूहानी खुद उससे दूर चली जाएगी” यह बोलते हुए वह जोर-जोर से हंसने लगा साथ में मयंक भी हंस रहा था। दूसरी तरफ, रूहानी दादाजी के साथ बैठी हुई थी, और दोनों आपस में बातें कर रहे थे। तभी अन्य उसके पास आया और उसे देखते हुए बोला, "रूहानी, मुझे तुमसे बहुत ज़रूरी बात करनी है।" रूहानी उसकी तरफ देखकर बोली, "हाँ, भाई, बताइए, क्या बात है?" अन्य दादाजी की तरफ देखते हुए बोला, "मुझे तुमसे अकेले में बात करनी है। क्या तुम मेरे साथ चलोगी?" रूहानी उसकी बात सुनकर पहले तो कुछ असमंजस में पड़ी, लेकिन फिर न जाने क्या सोचकर हल्का सा मुस्कुराते हुए उसके साथ चली गई। अन्य उसे बगल वाले स्टडी रूम में ले गया, जहाँ पहले से मयंक मौजूद था। मयंक को देखकर रूहानी पहले तो कुछ समझ नहीं पाई और फिर उन दोनों की तरफ देखते हुए बोली, "क्या हुआ, आपने मुझे यहाँ क्यों बुलाया है?" अन्य टेबल पर रखी फाइल उठाते हुए रूहानी को दिखाता है। रूहानी फाइल देखकर चौंक जाती है, फिर सबको देखते हुए पूछती है, "इसमें क्या लिखा है?" अन्य ने फाइल बंद करते हुए कहा, "इसमें जो लिखा है, वो सब सही है।" रूहानी यह सुनकर बोली, "पर मुझे इन सब चीज़ों के बारे में कुछ नहीं पता। अचानक मुझे ये सब क्यों बताया जा रहा है?" अन्य बोला, "अचानक इसलिए, क्योंकि तुम्हारे पति, मिस्टर रेहान ओबेरॉय को यह सब पहले से ही पता था, और उन्होंने तुमसे शादी इसी वजह से की थी।" यह सुनते ही रूहानी एक कदम पीछे हट गई, उसे बिलकुल भी अंदाजा नहीं था कि रेहान को यह सब पहले से पता था और उन्होंने उसके लिए ऐसा किया। वह रोते हुए बोली, "नहीं, मैं नहीं मान सकती। वो मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते, वो मुझसे प्यार करते हैं। उन्होंने ये सब चीज़ें सिर्फ एक शर्त के लिए नहीं कीं।" मयंक उसे देखते हुए बोला, "वो तुमसे सिर्फ इसलिए शादी नहीं की, उन्होंने और भी कारणों से तुमसे शादी की। तुम्हें पता है कि उन्होंने अपने दोस्तों के बीच लगाई हुई शर्त जीतने के लिए ऐसा किया।" रूहानी, उसकी बात सुनकर, गुस्से और दुख से भर उठी। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे और वह रोते हुए बोली, "नहीं, मैं नहीं मान सकती। मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं?" अन्य बोला, "उन्होंने तुम्हारे साथ ऐसा किया है। उन्होंने यह सब इसलिए किया क्योंकि वो खुद से प्यार करते हैं।" रूहानी फाइल को पकड़कर जोर से रोने लगी। अचानक उसने अपने आँसू पोछते हुए कहा, "मुझे इन सब चीज़ों का जवाब चाहिए और मैं उनसे जवाब लेकर रहूंगी।" इतना कहकर वह फाइल लेकर वहां से चली गई। मयंक और अन्य ने एक-दूसरे को देखा और हाई-फाई किया। रूहानी बाहर जाते हुए सीधे रेहान के ऑफिस की तरफ बढ़ी। उसके दिल और दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था और वह अपने आप से जूझ रही थी। वह सोच रही थी कि जो भी उसने सुना, वो सब गलत है। उसके 'मिस्टर स्ट्रेंजर' ऐसा नहीं कर सकते। उसने मन ही मन कहा, "मुझे पता है, मेरे 'मिस्टर स्ट्रेंजर' ऐसा नहीं कर सकते।" करीब डेढ़ घंटे बाद, वह रेहान के ऑफिस पहुंची। रूहानी ऑटो से उतरकर सीधे रेहान के केबिन की तरफ बढ़ी, जहाँ इस वक्त रेहान अपने केबिन में बैठा था। उसके चेहरे के भाव बहुत सख्त थे, और कमरे में मनन भी उसके साथ था। रूहानी बिना दरवाजा खटखटाए अंदर चली गई। रूहानी को अंदर देखकर मनन उसे देखने लगा, वहीं रेहान का चेहरा अचानक बिल्कुल सामान्य हो गया। रूहानी अंदर जाकर रेहान के पास खड़ी हुई और उसे देखते हुए बोली, "मुझे आपसे बहुत ज़रूरी बात करनी है।" रेहान बिना उसकी तरफ देखे हुए बोला, "क्या बात करनी है, बच्चा? और ऐसी कौन सी बात है जिसके लिए तुम इतनी बेचैन होकर अपने भाइयों को छोड़कर यहां चली आई मुझसे बात करने?" रूहानी ने उसकी तरफ देखते हुए कहा, "जब आपको इतना सब कुछ पता है, तो यह भी पता होगा कि मैं क्या बात करना चाहती हूं। मुझे सिर्फ आपसे ही बात करनी है।" यह कहकर वह मनन की तरफ देखने लगी। मनन उसकी बात समझ गया और वहां से चला गया। उसके जाते ही रेहान ने उसकी ओर देखा। रूहानी ने रेहान की तरफ फाइल बढ़ाते हुए कहा, "क्या यह सच है? क्या आपने जानबूझकर यह सब किया? क्या आपको पहले से पता था?" रेहान उसकी बात सुनकर बिना फाइल की तरफ देखे, आराम से कुर्सी पर बैठ गया और बोला, "तुम्हें क्या लगता है? क्या तुम्हारे पास इतना पैसा है कि तुम मुझे मात दे सको और इस पैसे के लिए मैं तुमसे शादी करूंगा? यह सवाल पूछने से पहले एक बार सोच तो लिया होता, बच्चा।" रूहानी उसकी बात सुनकर अपनी आंखें बड़ी करते हुए बोली, "इसका मतलब आपको पता था कि सारी प्रॉपर्टी मेरे नाम पर है और मेरी शादी के बाद यह सारी प्रॉपर्टी मेरे पति को मिलेगी? यह तो मुझे भी नहीं पता था, फिर आपको कैसे पता चला, मिस्टर स्ट्रेंजर?" रेहान अपनी जगह से खड़ा होकर उसकी तरफ देखते हुए बोला, "तुमसे जुड़ी हर चीज़ मैं अच्छे से जानता हूं क्योंकि जब से तुम मेरे जीवन में आई हो, तब से तुम सिर्फ मेरी हो। और यह बात मुझे न पता हो, ऐसा कैसे हो सकता है, बच्चा? मुझे लगता है तुम्हें तुम्हारे सारे सवालों का जवाब मिल चुका है।" रूहानी उसकी बात सुनकर उसकी करीब आकर उसका हाथ पकड़ लेती है और अपने सर पर रखते हुए बोली, "नहीं, अभी नहीं मिला है। एक सवाल का जवाब अभी बाकी है। और इस सवाल का जवाब मुझे सच-सच सुनना है। कसम खाकर कहिए कि आपने मुझे अपना बनाने के लिए किसी से शर्त नहीं लगाई थी।" रेहान यह सुनते ही उसकी आंखें लाल हो गईं, उसकी मुठ्ठियाँ कस गईं, और वह अपने हाथों को हटाने लगा। लेकिन रूहानी ने उसके हाथों को कसकर पकड़े रखा और बोली, "एक बार मना कर दीजिए, बस। फिर मैं आपको छोड़ दूंगी और आगे कोई सवाल नहीं करूंगी।" रेहान उसकी बात सुनकर बोला, "बीती बातों को मत कुरेदो। कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन्हें कह दिया जाता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सच्चाई वही हो। कभी-कभी कुछ चीजें अनजाने में हो जाती हैं। पर मैं तुमसे..." रेहान ने इतना ही कहा था कि रूहानी ने उसकी हाथों को नीचे कर दिया और रोते हुए बोली, "बस, इसके आगे मुझे कुछ नहीं सुनना। मैं सब कुछ जान चुकी हूँ। अब मुझे कुछ नहीं सुनना है, मिस्टर स्ट्रेंजर। मैंने सोचा था आप मुझसे प्यार करते हैं, लेकिन नहीं, मैं इस लायक ही नहीं हूँ। तभी तो मेरे साथ ये सब हुआ। आज के बाद मैं आपसे नफरत करती हूँ, सिर्फ नफरत। और आप मेरे करीब आने की कोशिश भी मत कीजिएगा, वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।" रेहान यह सुनकर उसके बिल्कुल करीब आकर उसके बालों को अपनी मुट्ठी में कसते हुए बोला, "अभी यह शब्द कह दिए, तो कह दिए। दोबारा मत कहना। तुम्हें मुझसे कोई जुदा नहीं कर सकता। और तुम मानो चाहे ना मानो, तुम सिर्फ मेरी हो और हमेशा मेरी रहोगी। मैं तुम्हें कभी खुद से दूर नहीं जाने दूंगा।" रूहानी उसकी बात सुनकर अपने कदम पीछे लेने लगी और अपने आंसुओं को पोंछने लगी। दरवाजे के बिल्कुल करीब जाकर रेहान को देखते हुए बोली, "इस बार नहीं, मिस्टर स्ट्रेंजर। अगर इस बार आपने मुझे अपने करीब करने की जबरदस्ती कोई भी कोशिश की, तो मैं हमेशा के लिए आपसे इतनी दूर चली जाऊंगी कि आप सोच भी नहीं सकते। कभी आप मुझे हासिल भी नहीं कर पाएंगे।" यह कहकर उसने दरवाजा खोला और भागते हुए केबिन से बाहर और ऑफिस से भी बाहर निकल गई। वह रोते हुए पैदल जा रही थी, उसे होश नहीं था कि वह कहां जा रही है। बस उसके दिमाग में रेहान की एक ही बात गूंज रही थी कि रेहान ने उससे शर्त के चक्कर में शादी की थी। वह बदहवास सड़क पर चल रही थी, तभी एक कार उसके सामने आकर रुकी। रूहानी ने खुद को संभालते हुए कार की तरफ देखा, तो उसमें से अभय राणावत बाहर निकला। अभय, रूहानी को देखते हुए अपनी कार का दरवाजा खोलकर बाहर आया और बोला, "मिसिस ओबेरॉय, आप यहां क्या कर रही हैं? आप इस तरह से पैदल क्यों जा रही हैं? आइए, मैं आपको छोड़ देता हूँ।" रूहानी उसकी बात सुनकर मना कर देती है और आगे बढ़ने लगती है। तभी अभय उसे फिर से रोकते हुए बोला, "मिसिस ओबेरॉय, इस तरह आपका अकेले जाना मुझे अच्छा नहीं लग रहा है। प्लीज, आइए, मैं आपको छोड़ देता हूँ।" फिलहाल, रूहानी बहस नहीं करना चाहती थी, इसलिए वह उसकी कार में बैठ गई। कार में बैठकर वे दोनों चलने लगे। तभी अचानक रूहानी को लगा कि वे कहीं और जा रहे हैं। उसने अभय की तरफ देखते हुए कहा, "आप मुझे कहां लेकर जा रहे हैं? यह मेरे घर का रास्ता तो नहीं है।" अभय उसे एक पहाड़ी के पास ले गया और बोला, "एक्चुअली, बहुत दिनों से मेरा यहां आने का मन था। यहां का नजारा बहुत खूबसूरत है। आइए, मैं आपको दिखाता हूँ।" यह कहते हुए वह रूहानी को अपने साथ ले गया। पहाड़ी के नीचे से झरने बह रहे थे। अभय ने झरने की ओर इशारा करते हुए कहा, "देखिए, झरने कितने अच्छे और खूबसूरत लग रहे हैं।" लेकिन रूहानी का इस वक्त कुछ भी देखने का मन नहीं था। वह अभय की तरफ देखते हुए बोली, "आप मुझे घर छोड़ दीजिए, वरना मैं खुद चली जाऊंगी। इस वक्त मेरा कुछ भी देखने का मन नहीं है। मुझे घर जाना है।" अभय फिर से जिद करते हुए बोला, "बस एक बार देख तो लीजिए। इतना खूबसूरत नजारा है और आप देखना भी नहीं चाहतीं?" रूहानी बिना सोचे समझे, बिना मन से पहाड़ के पास जाकर नीचे खड़ी होकर बोली, "हाँ, देखने में बहुत अच्छा है।" इतना कहकर वह पीछे मुड़ी। तब तक अभय उसके बिल्कुल करीब आ गया था और अपने दोनों हाथों से उसे धक्का देने की कोशिश करने लगा। लेकिन रूहानी साइड हो गई और उसे देखते हुए बोली, "मिस्टर राणावत, आप क्या करने की कोशिश कर रहे हैं?" अभय उसे देखते हुए बोला, "जो तुम्हारे पति ने मेरी पत्नी के साथ किया था, वही मैं अब तुम्हारे साथ करूंगा। जान के बदले जान। मेरी पत्नी की जान के बदले रेहान ओबेरॉय की पत्नी, यानी तुम्हारी जान चाहिए।" यह सुनकर रूहानी अपनी जगह पर जम सी गई। वह चुपचाप उसकी तरफ देखते हुए, आंखों में आंसू लेकर ना में सिर हिलाने लगी। अभय उसे देखकर बोला, "क्या हुआ? सच जानकर अच्छा नहीं लग रहा? पर तुम्हारे पति ने यही किया था मेरी पत्नी के साथ।" रूहानी उसकी बात सुनकर बोली, "नहीं, मैं यह नहीं मान सकती। वो किसी की जान तो नहीं ले सकते, बिल्कुल नहीं।" अभय उसकी बात सुनकर बोला, "वो सब कुछ कर सकता है। वह जैसा घटिया इंसान है, सब कुछ कर सकता है। हालांकि तुम बहुत मासूम हो, लेकिन मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा। उसे भी तो पता चले कि जब किसी का प्यार उससे छीन लिया जाता है, तो क्या होता है। पहले उसने मेरी पत्नी के साथ रिश्ता बनाया और उसके बाद उसे जान से मार दिया।" अब तो रूहानी के पैरों तले जमीन खिसक गई थी। वह इतनी ज्यादा घबरा गई कि उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। अभय यह सब कहते हुए उसके बिल्कुल करीब आया, लेकिन तभी पीछे से आवाज आई, "मिस्टर अभय राणावत, सोचने भी मत! अगर तुमने मेरे बच्चा के साथ कुछ भी गलत करने की कोशिश की, तो मैं तुम्हारे इतने टुकड़े करूंगा कि पहचान में भी नहीं आओगे।" अभय यह सुनकर पीछे मुड़ता है और रेहान को देखते हुए हंसने लगा। --- हंसते हुए अभय ने कहा, "वो तो तुम आ गए, लेकिन तुमने बहुत देर कर दी। अब तुम्हारी प्यारी सी बच्चा और तुम्हारी बीवी को मैं ऐसी जगह पहुंचाने वाला हूँ, जहाँ से वो कभी वापस नहीं आएगी।" रेहान ने उन दोनों की ओर घूरते हुए कहा, "ऐसा करने की हिम्मत भी मत करना।" यह कहते हुए वह तेजी से अभय की ओर बढ़ा। तभी अभय ने रूहानी को धक्का दे दिया और वह पहाड़ी से नीचे गिरने लगी। रेहान ने यह देखा तो जोर से चिल्लाया, "बच्चा!" उसने अभय को पकड़ा और गुस्से में उस पर हमला कर दिया। "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे बच्चा के साथ ऐसा करने की? अब मैं तुम्हें जिंदा नहीं छोड़ूंगा।" यह कहते हुए उसने अभय के हाथ पकड़कर उसके सिर पर जोर से वार करना शुरू कर दिया। वह उसे मारते हुए पहाड़ी से नीचे धकेलने लगा। जब रेहान ने नीचे झाँककर देखा, तो रूहानी अब भी पहाड़ी की चट्टान पर लटकी हुई थी। यह देखकर उसकी आंखों में आंसू आ गए। वह जल्दी से रूहानी के पास झुकते हुए अपना हाथ बढ़ाकर बोला, "बच्चा, मेरा हाथ पकड़ लो। मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा। जल्दी करो, मेरा हाथ पकड़ लो।" रूहानी ने उसकी ओर देखा, आंखों में आंसू भरे हुए, और मुस्कुराते हुए बोली, "आज मैंने आप की वजह से कितनी मौतें देखी हैं, तो एक मौत और सही, मिस्टर स्ट्रेंजर।" इतना कहकर उसने अपना हाथ छोड़ दिया और सीधे पहाड़ी से नीचे गिर गई। रेहान वहीं जम गया और जोर से चिल्लाया, "बच्चा...!" **समाप्त**
एक कमरे में, एक आदमी बाथरूम से नहा कर बाहर निकलता है। उसकी भीगी हुई त्वचा पर पानी की बूंदें अभी भी चमक रही थीं। उसने कमर पर तौलिया लपेटा हुआ था। बाथरूम से बाहर आते ही वह सीधे क्लोजेट की तरफ बढ़ता है, स्काई ब्लू शर्ट और व्हाइट जींस निकालकर पहन लेता है। बाहर आकर, वह मिरर के सामने खड़ा होकर अपने बालों को सेट करने लगता है। तभी अचानक, उसे अपनी गर्दन पर किसी के उंगलियों का हल्का-सा स्पर्श महसूस होता है। वह एकदम चौकन्ना हो जाता है और मिरर में उस शख्स को देखने की कोशिश करता है। जैसे ही उसकी नज़र रूहानी की जगह किसी और पर पड़ती है, उसकी आंखें चौड़ी हो जाती हैं। यह प्रिया थी। रेहान का चेहरा गुस्से से तमतमा जाता है। वह रूहानी के प्यार में पागल था, उसकी दीवानगी इतनी थी कि रूहानी के सिवा कोई और उसे छू भी नहीं सकता था। उसके दिल में रूहानी के लिए बेशुमार प्यार था, और जैसे ही उसे एहसास होता है कि प्रिया ने उसे छूने की जुर्रत की है, उसका खून खौल उठता है। बिना वक्त गंवाए, वह पलटकर प्रिया के हाथों को कसकर पकड़ लेता है, और उन्हें पीछे की तरफ मोड़ते हुए उसकी कमर से सटा देता है, जिससे प्रिया दर्द से कराह उठती है। प्रिया सिसकते हुए कहती है, "रेहान, क्या कर रहे हो तुम? प्लीज छोड़ो, बहुत दर्द हो रहा है..." उसकी आँखों से आंसू झरने लगते हैं, लेकिन रेहान की आँखों में पागलपन और गुस्से की मिलावट थी। वह गहरी, सख्त आवाज़ में कहता है, "मेरे बच्चा के अलावा मुझे कोई और छूने की कोशिश भी नहीं कर सकता। तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी है, प्रिया। तुम्हें नहीं पता कि मैं रूहानी के प्यार में कितना बेकाबू हूँ। उसके सिवा कोई और मेरी ज़िंदगी में कदम भी नहीं रख सकता। अगर कोई मेरी चीज़ों को छूता है, तो उसका अंजाम क्या होता है, आज मैं तुम्हें दिखाऊंगा।" इतना कहते हुए, वह अचानक उसके हाथों को झटके से छोड़ता है और उसके बालों को जोर से पकड़ लेता है। प्रिया की आँखों में खौफ और बेबसी साफ झलक रही थी, जैसे वह समझ नहीं पा रही थी कि रेहान की आँखों में यह जुनून और वहशीपन क्यों उफान पर है। रूहानी के प्यार में उसका यह पागलपन किसी भी हद तक जा सकता था। --- कमरे में, जैसे ही रेहान प्रिया के बालों को पकड़कर जोर से पीछे की तरफ खींचता है, उसकी आवाज़ में पागलपन और गुस्से की झलक साफ सुनाई देती है, "आज के बाद अगर तुमने इस कमरे में आना तो दूर, मेरे आसपास भी आने की कोशिश की, तो अंजाम बुरा होगा।" इतना कहकर, वह उसके बालों को और कसकर खींचते हुए उसे बाहर की तरफ घसीटने लगता है। प्रिया अपने बाल छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रही थी, दर्द से उसकी आंखें भर आई थीं, लेकिन रेहान के चेहरे पर कोई नरमी नहीं थी। प्रिया तड़पते हुए कहती है, "तुम पागल हो चुके हो, रेहान! उस लड़की के प्यार में जो अब इस दुनिया में नहीं है। समझो, वह मर चुकी है! मुझे जाने दो!" पर रेहान पर कोई असर नहीं होता। वह उसे उसी तरह खींचते हुए सीढ़ियों से नीचे लाता है और हॉल के बीचों-बीच धक्का देता है। प्रिया जोर से ज़मीन पर गिरती है, दर्द से कराहती है। उसी वक्त उनकी मां, किरण जी, जो सोफे पर बैठी थीं, यह सब देखकर हक्का-बक्का रह जाती हैं। आंखें बड़ी हो जाती हैं और वह चिल्लाती हैं, "रेहान! ये क्या कर रहे हो तुम? तुम प्रिया के साथ ऐसी बदतमीजी कैसे कर सकते हो?" उन्होंने प्रिया को उठाने की कोशिश की, लेकिन रेहान ने फिर से उसके बालों को पकड़ लिया और गुस्से से बोला, "इस लड़की की हिम्मत कैसे हुई मुझे छूने की? क्या इसे पता नहीं कि मुझे छूने का हक सिर्फ और सिर्फ मेरी बच्चा को है!" किरण जी, प्रिया को छुड़ाते हुए, बोलीं, "छोड़ो उसे, रेहान! तुम पागल हो चुके हो। तुम्हें पता नहीं, वह मर चुकी है। अब वह कभी वापस नहीं आएगी, और तुम एक मरी हुई लड़की के लिए इस तरह पागलपन दिखा रहे हो!" रेहान उनकी बात सुनकर प्रिया को छोड़ देता है, और अपनी लाल आंखों से किरण जी की तरफ देखते हुए गरजता है, "नहीं! वह मरी नहीं है। अगर मैं जिंदा हूँ, मेरी सांसें चल रही हैं, तो वह भी जिंदा है। मैं जी रहा हूं, तो वह भी जी रही है। वह मर नहीं सकती, मैंने उसे मरने की इजाजत नहीं दी है!" किरण जी और प्रिया उसकी बातें सुनकर हैरान रह जाती हैं। किरण जी रेहान के दोनों गालों पर हाथ रखते हुए बोलीं, "तुम्हें समझ क्यों नहीं आता? वह मर चुकी है, तुम्हारे सामने उसने खाई में छलांग लगाई थी! और 3 महीने हो चुके हैं उसे मरे हुए " रेहान उनकी बात सुनकर अपनी लाल आंखों से देखते हुए सर्द आवाज में कहता है, "अपनी बकवास बंद कर दीजिए! मैं आपकी इज्जत करता हूँ, इसलिए चुप हूँ, लेकिन अगर आपने और कुछ कहा, तो मैं भूल जाऊंगा कि हमारे बीच कोई रिश्ता है। माना कि वह खाई से कूदी थी, पर वह मर नहीं सकती। वह मुझसे दूर है, पर इतनी दूर नहीं कि मेरी ना हो सके। और बहुत जल्द मैं उसे अपना बना लूंगा, बहुत जल्द मैं उसे ढूंढ लूंगा।" फिर, उसकी जलती हुई नज़रें प्रिया की तरफ मुड़ती हैं। वह उसके बालों को पकड़कर खींचते हुए बाहर की तरफ ले जाने लगता है। किरण जी बार-बार रोकने की कोशिश करती हैं, पर रेहान की आंखों में पागलपन था। वह प्रिया को घसीटते हुए बाहर पार्किंग एरिया में ले आता है और उसके बालों को कसकर पकड़कर जोर से धक्का देता है। प्रिया जमीन पर गिरती है, दर्द से कराहती है। रेहान उसके करीब आकर उसके गालों को अपने हाथ से पकड़कर दबाते हुए गुस्से से कहता है, "तुम्हें जिंदा इसलिए छोड़ रहा हूँ, और अभी कुछ नहीं कर रहा हूँ, क्योंकि तुम्हें इसकी सजा देने का हक सिर्फ और सिर्फ मेरी बच्चा को है। तुमने उसके हक पर अपना हक जमाने की कोशिश की है, इसकी सजा तो वो तुम्हें खुद देगी, और अच्छी तरह से देगी।" प्रिया की आंखों में खौफ और दर्द था, जबकि रेहान की आंखों में पागलपन और जुनून की आग जल रही थी। फर्स्ट चैप्टर आपको कैसा लगा जरूर बताइएगा लाइक कमेंट और रिव्यू देते रहेगा ताकि मैं इसके और भी चैप्टर दे पाऊं
रेहान उसके करीब आकर उसके गालों को अपने हाथ से पकड़कर दबाते हुए गुस्से से कहता है, "तुम्हें जिंदा इसलिए छोड़ रहा हूँ, और अभी कुछ नहीं कर रहा हूँ, क्योंकि तुम्हें इसकी सजा देने का हक सिर्फ और सिर्फ मेरी बच्चा को है। तुमने उसके हक पर अपना हक जमाने की कोशिश की है, इसकी सजा तो वो तुम्हें खुद देगी, और अच्छी तरह से देगी।" प्रिया की आंखों में खौफ और दर्द था, जबकि रेहान की आंखों में पागलपन और जुनून की आग जल रही थी। धूप बहुत तेज़ थी, और रेहान की आंखों में गुस्से का शोला जल रहा था। वो प्रिया के सामने खड़ा था, उसके चेहरे पर गुस्से का साफ़ निशान था। "तू अपने आपको समझती क्या है, प्रिया?" उसने दांत भींचते हुए कहा। प्रिया की आंखों में कोई डर नहीं था, बल्कि वहां कुछ और ही खिचड़ी पक रही थी। रेहान ने उसका हाथ कसकर पकड़ा और गुस्से में बोला, "तुझे लगता है कि तू मुझे समझा लेगी? तू सिर्फ अपने लिए रास्ता बना रही है, पर मैं तेरे सारे रास्ते बंद कर दूंगा।" इतना कहते हुए रेहान ने उसका हाथ झटक कर छोड़ा और अपनी गाड़ी में बैठकर वहां से रफ़्तार में निकल गया। प्रिया वहीं जमीन पर बैठी, उसे जाते हुए देखती रही। उसकी आंखों में एक गहरी सोच थी। रेहान के चले जाने के बाद, किरन आंटी धीरे-धीरे प्रिया के पास आईं और उसके कंधे पर हाथ रखकर बोलीं, "सॉरी बेटा, रेहान की तरफ से मैं तुमसे माफी मांगती हूं। मुझे सच में नहीं पता था कि वो इतना बदल जाएगा। पहले वो हमसे दूर रहकर भी हमारे पास रहता था, पर अब पास रहकर भी बहुत दूर हो गया है। कैसे समझाऊं इसे कि रुहानी को मरे हुए तीन महीने बीत चुके हैं। जब से वो गई है, ये और पत्थरदिल हो गया है। उसके जाने के बाद मैंने इसकी आंखों में सिर्फ एक खालीपन देखा है। मुझे लगा था तेरे आने से वो खालीपन भर जाएगा, लेकिन शायद मैं गलत थी। और मेरी वजह से तुम्हे भी न जाने क्या-क्या सहना पड़ा।" प्रिया ने किरन आंटी की बात सुनकर जमीन से उठते हुए कहा, "कोई बात नहीं, आंटी। आप अपने आप को बुरा मत कहिए। जो होना था, सो हो गया। शायद रेहान अब तक उस लड़की को भूल नहीं पाया है, उसकी मौत को स्वीकार नहीं कर पाया है, इसी वजह से उसने ऐसा किया। मुझे बुरा नहीं लगा।" फिर अपने मन में सोचते हुए बोली, "अगर आज वो लड़की जिंदा होती, तो मैं सच में उसे जान से मार देती। उसी लड़की की वजह से मेरा रेहान मुझसे दूर हुआ और उसी के कारण उसने मेरे साथ ये हरकत की। लेकिन रेहान, चाहे तुम कुछ भी कर लो, मैं तुम्हें अपना बना कर ही रहूंगी। अब तुम मेरी जिद्द बन चुके हो। इसके लिए चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े, मैं वो सब करूंगी। पहले वो रुहानी मेरी जिंदगी में एक कांटा थी, उसकी वजह से मैं तेरे करीब नहीं आ पाई। लेकिन उसके मरने के बाद भी उसने मुझे चैन से नहीं रहने दिया। लेकिन अब मैंने सोच लिया है, तुम सिर्फ मेरे हो और मेरे ही रहोगे।" दूसरी तरफ, रेहान अपनी गाड़ी तेज़ रफ्तार में चला रहा था और मन ही मन सोच रहा था, "सबको लगता है कि बच्चा, तूम मर चुकी हो , लेकिन मुझे पता है कि तूम अब भी जिंदा हो । क्योंकि मैं जिंदा हूं और मेरी धड़कन यही कहती है कि तुम जिंदा हो । बहुत जल्द, मैं तुम्हे ढूंढ लूंगा और फिर से तुम्हे अपना बनाऊंगा। तू सिर्फ रेहान ओबेरॉय की हो , बच्चा, सिर्फ उसी की। मेरी जिंदगी में आकर तूमने मुझे बदल दिया, और अब तूम इस तरह से नहीं जा सकती। बहुत जल्द हम फिर मिलेंगे, बहुत जल्द, बच्चा। बहुत जल्द तुम्हारा पता मैं लगा लूंगा।" ये सब सोचते हुए उसकी आंखों में पागलपन और चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी। रेहान के दिल में गुस्से और पागलपन का तूफान उमड़ रहा था। उसके लिए 'बच्चा' को पाना ही उसकी जिंदगी का मकसद था, चाहे इसके लिए उसे कितना भी अंधेरा क्यों न झेलना पड़े। वहीं, प्रिया अपनी चालाकी और अपनी जिद्द पर अड़ी हुई थी। वो जानती थी कि रेहान के दिल तक पहुंचने का रास्ता कितना मुश्किल है, लेकिन उसने ठान लिया था कि वो ये जंग जीतेगी। "रेहान, चाहे तुम जितनी कोशिश कर लो, मैं तुझे पाकर ही रहूंगी," उसने अपने मन में ठानते हुए कहा। दोनों तरफ से खेला जा रहा ये खेल एक पागलपन और जुनून की लड़ाई थी, जिसमें हार मानने का तो सवाल ही नहीं था। मनन और वरुण रेहान के ऑफिस में बैठे उसका वेट कर रहे थे। दोनों एक-दूसरे से बातें कर रहे थे, लेकिन उनके चेहरों पर टेंशन साफ दिख रही थी। वरुण ने एक लंबी सांस ली और मनन की तरफ देखते हुए कहा, “मनन, तीन महीने हो गए हैं यार, रूहानी का कुछ भी पता नहीं चला। वो खाई इतनी गहरी थी, और उस हादसे के बाद... मुझे नहीं लगता कोई भी वहां से जिंदा बच सकता है। पर रेहान है कि मानने को तैयार ही नहीं है। हमने कितनी जगह छान मारी, कितनी कोशिशें कीं, लेकिन कुछ भी हाथ नहीं लगा। अब उसे कैसे समझाएं कि रूहानी शायद कभी वापस न आए।” मनन ने उसकी बातें ध्यान से सुनीं और उसके कंधे पर हल्का सा हाथ रखते हुए कहा, "यार, वरुण, तू भी जानता है, ये प्यार भी बड़ी अजीब चीज़ होती है। एक बार अगर ये लग जाए, तो इंसान कितना भी खुद को संभालने की कोशिश करे, खुद को रोक नहीं पाता। ना ही अपने इमोशन्स बदल पाता है। वो इश्क़ की आग में जलता ही रहता है। रेहान का भी अभी वही हाल है। मुझे भी पता नहीं क्यों, लेकिन कहीं न कहीं उसके भरोसे में भी मुझे एक सच्चाई सी महसूस होती है। ऐसा लगता है कि रूहानी जरूर मिलेगी, क्योंकि अभी तक उसकी बॉडी भी तो नहीं मिली।” वरुण ने उसकी बात सुनकर कुछ देर सोचा, फिर हल्के से मुस्कुराते हुए बोला, “काश ऐसा ही हो, यार। अगर रूहानी का कोई सुराग मिल जाए तो रेहान को सुकून मिल जाए। मैंने उसे कभी किसी के लिए इतना पागल होते नहीं देखा, जितना रूहानी के लिए देखा है।” फिर मनन की तरफ देखते हुए थोड़ा शरारती अंदाज में बोला, “वैसे, तू प्यार और इश्क़ की बातें बड़ी समझदारी से कर रहा है। कहीं तुझे भी तो इश्क़ की हवा नहीं लग गई?” मनन ने वरुण की बात सुनकर हंस दिया। उसकी आंखों के सामने कृतिका का चेहरा आ गया। इन तीन महीनों में उनकी बॉन्डिंग काफी स्ट्रॉन्ग हो गई थी। उसकी स्माइल देखकर, वरुण कुछ और कहने ही वाला था कि तभी रेहान ऑफिस के अंदर आ गया। उसे देखते ही दोनों चुप हो गए और उसकी ओर देखने लगे। रेहान का चेहरा नॉर्मल था, लेकिन उसकी आंखों में एक अजीब सी बेचैनी थी। वह सीधे जाकर अपनी चेयर पर बैठ गया और वरुण से पूछा, “क्या हुआ? कुछ पता चला?” वरुण ने सिर झुकाते हुए धीरे से कहा, “नहीं यार, अभी तक कुछ भी नहीं मिला। हम ट्राई कर रहे हैं, पूरी कोशिश कर रहे हैं।” रेहान की आंखों में गुस्से और निराशा का मेल दिखा। वह कड़कते हुए बोला, “मुझे ये ट्राई-व्राई कुछ नहीं सुनना है, मुझे रिजल्ट चाहिए। और बहुत जल्दी चाहिए। अब और इंतजार नहीं होगा मुझसे।” वरुण उसकी बात सुनकर शांत स्वर में बोला, “हमारी पूरी टीम लगी हुई है, रेहान। थोड़ा और टाइम दे दो। जहां इतना टाइम गया, वहां थोड़ा और सही।” रेहान ने उसकी बात पर रिएक्ट नहीं किया। उसने अपनी आंखें बंद कीं, एक लंबी सांस ली, और हल्की सी मुस्कान के साथ बुदबुदाया, “जितना इंतजार करवाओगी, बच्चा, उतना ही शिद्दत से हिसाब होगा। हर एक चीज का हिसाब लूंगा—अपने इंतजार का, अपनी तड़प का। जब तुम मेरे करीब आओगी, तब समझाऊंगा कि प्यार में कितना दर्द होता है...” वो अपनी ही सोच में डूबा हुआ था कि तभी मनन ने टोका, “क्या कर रहा है रेहान? शिमला चलना है कि नहीं? वहां से बार-बार फोन आ रहे हैं। इस बार वो लोग तुझसे मिलना चाहते हैं।” रेहान ने उसकी बात सुनते ही सख्ती से कहा, “नहीं, मुझे कहीं नहीं जाना है। जब तक मेरी बच्चा नहीं मिलती, मैं शिमला नहीं जाऊंगा, कहीं नहीं जाऊंगा। और मैंने उन्हें पैसे भिजवा दिए हैं। मेरे जाने या ना जाने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए।” मनन उसकी बात सुनकर बोला, “हां, तुमने पैसे भिजवा दिए हैं और उन्हें मिल भी गए हैं। लेकिन वो तुम्हें पैसों के लिए नहीं बुला रहे हैं। वो चाहते हैं कि तू उनसे मिले, उनके एहसानों का शुक्रिया कहने का मौका दे। एक बार जाकर देख तो ले, क्या पता तुझे अच्छा लगे।” रेहान ने उसकी बात सुनकर ठंडी सांस ली और बोला, “तू जा, मनन। मैं नहीं जाऊंगा। और ये मेरा फाइनल डिसीजन है।”
रेहान ने उसकी बात सुनते ही सख्ती से कहा, “नहीं, मुझे कहीं नहीं जाना है। जब तक मेरी बच्चा नहीं मिलती, मैं शिमला नहीं जाऊंगा, कहीं नहीं जाऊंगा। और मैंने उन्हें पैसे भिजवा दिए हैं। मेरे जाने या ना जाने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए।” मनन उसकी बात सुनकर बोला, “हां, तुमने पैसे भिजवा दिए हैं और उन्हें मिल भी गए हैं। लेकिन वो तुम्हें पैसों के लिए नहीं बुला रहे हैं। वो चाहते हैं कि तू उनसे मिले, उनके एहसानों का शुक्रिया कहने का मौका दे। एक बार जाकर देख तो ले, क्या पता तुझे अच्छा लगे।” रेहान ने उसकी बात सुनकर ठंडी सांस ली और बोला, “तू जा, मनन। मैं नहीं जाऊंगा। और ये मेरा फाइनल डिसीजन है।” शिमला के एक अनाथ आश्रम के गार्डन एरिया में बच्चे इधर-उधर भाग रहे थे, हंस रहे थे, खेल में मगन थे। वहीं पर एक लड़की , अपनी आंखों पर पट्टी बांधे, बच्चों को पकड़ने की कोशिश कर रही थी। उसकी मुस्कान में चंचलता थी, एक खिलखिलाती खुशी। बच्चे भी हंसी में उसके साथ थे, कभी पास आते, कभी दूर भागते। तभी उसके कानों में एक आवाज पड़ी, "रुचि बेटा, बड़े साहब बुला रहे हैं।" रुचि, जो खेल में मस्त थी, एकदम रुक गई। उसने अपनी आंखों की पट्टी खोली, चेहरे पर थोड़ी सी नाराजगी लिए बच्चों की ओर देखा और बोली, "ये काका भी न, मुझे कभी ढंग से खेलने नहीं देते! तुम लोग खेलो, मैं थोड़ी देर में आती हूँ।" बच्चों के चेहरे पर उदासी की झलक आ गई और रुचि मुंह फुलाए अंदर की ओर चल पड़ी। रुचि एक छोटे से केबिन में पहुंची, जहां एक 50-55 साल का आदमी फाइलों में खोया हुआ था। वो बिना किसी औपचारिकता के सीधे टेबल पर हाथ रखते हुए बोली, "आपको मेरे गेम से क्या प्रॉब्लम है, काका? जब भी मैं खेलने जाती हूँ, तब आपको मुझे कोई न कोई काम दे देना होता है।" वह आदमी मुस्कुराते हुए उसकी बात सुनकर बोला, "काम तो मैंने बहुत पहले ही दे दिया था, बेटा। पर खेल के चक्कर में वो भी पूरा नहीं हुआ।" रुचि ने थोड़ी तुनक कर कहा, "अच्छा? अगर मैं बच्चों के साथ नहीं खेलूंगी, तो आप खेलेंगे? और कौन सा काम था वो, जो मैंने नहीं किया?" काका ने हंसते हुए कहा, "मैंने तुम्हें बताया था न कि हमारे आश्रम के स्पेशल गेस्ट आने वाले हैं, जिन्होंने इसे बनवाया और बच्चों का सारा खर्चा उठाते हैं। उनकी वेलकम की तैयारी करनी थी। तुमने किया वो?" रुचि ने अपनी माथे पर हाथ मारते हुए कहा, "ओह, सॉरी काका! वो तो मैं भूल ही गई। लेकिन टेंशन मत लो, वो गेस्ट तो कल आ रहे हैं न? आज मैं मार्केट से सारा सामान ले आऊंगी और खुद ही तैयारी कर दूंगी। वैसे आपने उनका नाम नहीं बताया... कौन हैं वो? इतने अच्छे इंसान हैं जो हमारे लिए इतना कुछ कर रहे हैं।" काका कुछ कहने को ही थे कि अचानक टेलीफोन की घंटी बज उठी। वो फोन उठाकर बात करने लगे। रुचि ने देखा कि काका किसी जरूरी कॉल पर बात कर रहे हैं, तो वह बिना कुछ बोले दरवाजे की ओर बढ़ गई। लेकिन निकलते वक्त उसने दरवाजे पर रुककर मुस्कुराते हुए कहा, "काका, मैं मार्केट जा रही हूँ, मुझे ढूंढना मत।" रुचि के चेहरे पर जो मासूमियत थी, वो उसकी चंचलता को बयां कर रही थी। लेकिन उसकी आंखों के पीछे एक गहरा दर्द भी छिपा था—कुछ अनकहा, कुछ अनसुना। ऐसा कुछ, जिसे वो अपने अंदर दबाए रखना चाहती थी, किसी से भी बताना नहीं चाहती थी। रूचि अनाथ आश्रम से बाहर निकली और जैसे ही बाहर आई, उसने ऑटो पकड़ने की कोशिश की, लेकिन कोई दिखाई नहीं दिया। उसने सोचा कि पहले निकलकर देखेगी, शायद आगे कुछ मिल जाए। वह धीरे-धीरे चल रही थी, जब अचानक एक कार तेजी से उसके पीछे आई। कार ने न तो स्पीड कम की और न ही हॉर्न बजाया। रुचि इन सब चीजों से बेखबर अपने ख्यालों में खोई हुई थी, तभी अचानक किसी ने उसका हाथ पकड़कर उसे खींच लिया। कार तेजी से आगे निकल गई। रुचि के दिल की धड़कन तेज हो गई। वह घबराकर उस व्यक्ति को गले लगा लिया, जिसने उसे बचाया था। वह व्यक्ति, जिसे उसने काका के रूप में पहचान लिया, ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, "कोई बात नहीं, रुचि बेटा, मैं हूँ ना तुम्हारे साथ।" रुचि ने उसकी बात सुनते ही आश्चर्य से कहा, "काका, आप यहाँ कैसे?" काका के चेहरे पर चिंता की लकीरें थीं। उन्होंने घबराते हुए जवाब दिया, "तुम पैसे लाना भूल गयी थी , तो तुम्हें देने आया हूँ। अगर मैं नहीं आता, तो आज न जाने क्या हो जाता।" रुचि घबराते हुए बोली, "काका, मुझे सच में पता नहीं चला कि पीछे कार थी और न ही उसका हॉर्न सुना।" काका ने समझाते हुए कहा, "जब हॉर्न बजता तब मैं सुनाई देता हूँ बेटा। जब मैंने देखा, कार तेजी से तुम्हारे पीछे आ रही थी, लेकिन उसने न तो हॉर्न बजाया और न ही स्पीड कम की।" रुचि काका की बात सुनकर चौंकी और आश्चर्य से पूछा, "क्या इसका मतलब है कि कोई जानबूझकर मुझे मारना चाहता था? मेरी क्या दुश्मनी हो सकती है? और मैं तो यहां किसी को जानती तक " इतना बोलकर वह चुप हो गई, काका ने उसे सांत्वना देते हुए कहा, "बेटा, अब इन बातों को छोड़ दो। इस समय और जगह पर इन बातों का कोई मतलब नहीं है। हमें यह भी नहीं पता कि वह इंसान कौन था। इसलिए फिलहाल तुम्हारा मेरे साथ चलना जरूरी है।" रुचि बिना किसी सवाल के काका के साथ आश्रम लौट गई, जबकि काका के चेहरे पर छुपी हुई चिंता और घबराहट साफ नजर आ रही थी। एक कमरे के भीतर, अंधेरे में एक आदमी गुस्से से भरा हुआ था। फोन पर वह गरजते हुए बोला, "तुम्हें एक छोटा सा काम दिया था, वो भी नहीं हुआ!" दूसरी तरफ, घबराया हुआ आदमी बेताब होकर जवाब देता है, "सर, आज वह काम हो चुका होता, लेकिन बीच में वह बुड्ढा आ गया। इसके कारण वह काम पूरा नहीं हो सका। वरना आज लड़की का काम तमाम हो चुका होता।" गुस्से में उबलते हुए वह आदमी दांत पीसते हुए बोला, "अगर वह बीच में आया था, तो उसे भी खत्म कर दो। लेकिन मुझे चाहिए उसकी लड़की की डेड बॉडी, और बहुत जल्द चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो तुम्हारी डेड बॉडी भी तुम्हें दिखाई देगी।" इतना कहकर उसने फोन काट दिया। उसके बाद, वह आदमी अपने मन में बड़बड़ाने लगा, "नहीं, नहीं, नहीं। ऐसा नहीं हो सकता। मैं इसे कभी भी नहीं होने दूंगा। उसे मारना ही होगा, और यह जरूर होगा।" उसकी आंखों में खून की तरह लाल रंग समा गया। वह शैतानों की तरह हंसते हुए अपने फोन में किसी की तस्वीर देखता है। वह बुदबुदाया, "बहुत जल्द उसे ऊपर भेज दूंगा। हर वह वादा पूरा करूंगा जो तुम्हारी मौत के बाद तुम्हारे साथ किया था।" उसकी आंखें जल रही थीं, गुस्से और नफरत की आग में। ( आखिर कौन है यह रूचि और क्यों इसे कोई मारना चाहता है, और क्या रेहान पहुंचेगा शिमला और क्या मिलेगी उसे रूहानी जाने के लिए पढ़ते रहिए इश्क पर जोर किसका सीजन ) Hi friends mujhe pata hai aap log thoda sa confuse ho Jaenge Lekin jaldi hi is confusion ko Dur karungi
उसके बाद, वह आदमी अपने मन में बड़बड़ाने लगा, "नहीं, नहीं, नहीं। ऐसा नहीं हो सकता। मैं इसे कभी भी नहीं होने दूंगा। उसे मारना ही होगा, और यह जरूर होगा।" उसकी आंखों में खून की तरह लाल रंग समा गया। वह शैतानों की तरह हंसते हुए अपने फोन में किसी की तस्वीर देखता है। वह बुदबुदाया, "बहुत जल्द उसे ऊपर भेज दूंगा। हर वह वादा पूरा करूंगा जो तुम्हारी मौत के बाद तुम्हारे साथ किया था।" उसकी आंखें जल रही थीं, गुस्से और नफरत की आग में। दूसरी तरफ, मयंक और अन्य ऑफिस में बैठे हुए थे और गंभीर चर्चा कर रहे थे। मयंक ने अन्य की तरफ देखते हुए कहा, "जिस दिन रूहानी की मौत हुई, उसी दिन कनिका भी गायब हो गई। तब से लेकर आज तक हम कनिका का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कुछ भी हाथ नहीं आया। मुझे पूरा यकीन है कि ये सब रेहान का ही काम है। उसके अलावा कोई और ऐसा कर ही नहीं सकता। लेकिन उसने उसे कहाँ छिपा रखा है, इसका कोई सबूत हमारे पास नहीं है। ऊपर से रूहानी के मरने की वजह से हमारा सारा प्लान भी चौपट हो गया।" अन्य उसकी बात सुनकर गुस्से में कांपते हुए बोला, "ये सब उस रेहान ओबरॉय की वजह से हुआ है! मुझे भी पूरा यकीन है कि कनिका के गायब होने के पीछे उसी का हाथ है। मन करता है उसे जान से मार दूँ, पर वो इतना चालाक है कि हर बार हमारे जाल से बच निकलता है। उसे हमारे हर प्लान के बारे में पता चल जाता है। और रूहानी... अगर वो मेरी नहीं होती, तो आज हम इस ऑफिस में हाथ पर हाथ धरे बैठे नहीं होते। हमने सोचा था कि रूहानी को दिन-रात ये सब बातें करके उसके दिल में रेहान के लिए नफरत पैदा कर देंगे और अपना काम निकाल लेंगे, पर उसके मरने से सब चौपट हो गया।" दोनों की आँखों में रेहान के लिए गुस्सा और नफरत साफ झलक रही थी। दूसरी तरफ, आकर्ष एक मॉल में शॉपिंग कर रहा था। तभी उसकी नजर एक नाइट ड्रेस पर पड़ी जो बहुत ही खूबसूरत थी। वो उसे देखता रहा और श्रेया के बारे में सोचने लगा। तभी पीछे से एक लड़की ने आकर उसे गले लगा लिया। आकर्ष एक पल के लिए बिल्कुल शांत हो गया, लेकिन जैसे ही उसे एहसास हुआ, वो पीछे मुड़कर देखता है तो सामने उसकी कॉलेज फ्रेंड रिया खड़ी थी। रिया को देखकर आकर्ष मुस्कुराया और बोला, "रिया! तुम यहाँ?" रिया मुस्कुराते हुए बोली, "क्यों? सिर्फ तुम ही शॉपिंग कर सकते हो यहाँ, मैं नहीं?" आकर्ष उसकी बात सुनकर अपनी एक आईब्रो ऊपर करते हुए बोला, "मैंने कब मना किया तुम्हें शॉपिंग करने से?" रिया हंसते हुए उसके कंधे पर थपकी देकर बोली, "अरे, मैं तो मजाक कर रही थी! डोंट बी सीरियस! वैसे, श्रेया के लिए शॉपिंग हो रही है?" रिया की बात सुनकर आकर्ष के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई। वह मुस्कुराते हुए बोला, "हाँ, उसके अलावा और किसके लिए शॉपिंग कर सकता हूँ?" रिया उसकी बात सुनकर मुस्कुराई और बोली, "सॉरी यार, उस दिन मेरी वजह से तुम दोनों के बीच गलतफहमी पैदा हो गई थी। आई एम रियली सॉरी। मुझे नहीं पता था कि तुम सच में उससे प्यार करने लगे हो। अब खुशी है कि तुम दोनों की शादी हो चुकी है।" यह सुनकर आकर्ष मुस्कुरा दिया और बोला, "कोई बात नहीं यार, जो होना था सो हो गया। अब श्रेया मेरी है, इसके अलावा मुझे कुछ नहीं चाहिए।" रिया उसकी बात सुनकर मुस्कुराई और बोली, "चल, अब छोड़ ये सब। मुझे भी शॉपिंग करनी है। और सुन, कुछ टाइम मिल जाए तो कॉल कर लेना, बातें करते हैं।" "जरूर, रिया," आकर्ष ने जवाब दिया। "अभी तो मुझे भी निकलना है। बाय!" इतना कहकर वह रिया को गले लगाकर वहाँ से चल दिया। लेकिन उसे यह नहीं पता था कि श्रेया दूर से ही इन दोनों को देख रही थी। हालांकि वो इतनी दूर थी कि उनकी बातें सुन नहीं पा रही थी। उसकी आँखों में गुस्सा और नफरत दिखाई दे रही थी। उसे जलन हो रही थी और गुस्सा आ रहा था। अपने आँसुओं को रोकने की कोशिश कर रही थी, लेकिन फिर भी उसकी आँखों से आँसू निकल ही आए। वो अपने आँसू पोंछते हुए खुद से बोली, "तुम कभी नहीं सुधर सकते ना, आकर्ष? पहले मुझसे प्यार का नाटक किया, फिर जबरदस्ती शादी, और अब किसी और लड़की के साथ इस तरह? आई हेट यू, आकर्ष! अब मुझे तुम्हारे साथ नहीं रहना है। चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े, अब मैं तुम्हारे साथ और नहीं रह सकती। मैं अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती।" वो भी वहाँ से चली जाती है। वहीं आकर्ष इन सब बातों से अनजान अपनी कार में बैठकर मुस्कुरा रहा था। उसके बगल में वही नाइट ड्रेस पड़ी थी, जो उसने मॉल में पसंद की थी। उसे उठाते हुए वो खुद से बोला, "बेबी, आज की रात बहुत खूबसूरत होने वाली है। आज तुम और मैं, और हमारे बीच कोई नहीं। क्या करूँ बेबी, जब भी तुम्हारे करीब आता हूँ ना, तो सब कुछ भूल जाता हूँ। मुझे पता है, तुम इस नाइट ड्रेस में बहुत हॉट लगने वाली हो। आज तुम फिर से डांटने वाली हो, चिल्लाने वाली हो, पर मैं नहीं सुनूंगा। आज तो हमारे बीच फिर से वो सब होगा... यू नो, वाइल्ड नाइट!” वहीं दूसरी तरफ शाम का वक़्त था, रुचि अनाथ आश्रम में बच्चों के साथ बैठी हुई थी, लेकिन उसके दिमाग में वही पुराने ख्याल बार-बार आ रहे थे। वो कोशिश तो बहुत कर रही थी उन ख्यालों से दूर होने की, पर शायद उसके मन को आज कोई चैन नहीं था। बाबा कब से उसे देख रहे थे। वो धीरे-धीरे उसके पास आए और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोले, “रुचि, गेस्ट कल आने वाले हैं, तो तुम तैयारी कल कर लेना। आज के लिए छोड़ दो। तुम घर जाकर थोड़ा आराम करो और जो बातें तुम्हारे मन में चल रही हैं, उन्हें जाने दो। वो सिर्फ एक हादसा था, कुछ और नहीं।” रुचि ने उनकी बात सुनी और हल्के से सिर हिला दिया, पर कुछ बोली नहीं। वो वहां से निकल गई और अपने अपार्टमेंट की तरफ बढ़ी। तीसरे फ्लोर पर उसका रूम था। रूम में जाकर वो सीधा अपने बेड पर लेट गई, लेकिन दिल में अभी भी वही बेचैनी थी। न जाने कौन सी फीलिंग्स उसे अंदर ही अंदर खा रही थीं। वो बार-बार करवट बदलती रही, जैसे कुछ खोज रही हो, खुद से भी कुछ छुपाने की कोशिश में। उसकी आंखों में कुछ तो था, जो वो किसी से भी नहीं, शायद खुद से भी नहीं कह पा रही थी। आज के इतना ही ❤️❤️लाइक कमैंट्स रिव्यो देते रहिये 🥰
रुचि ने उनकी बात सुनी और हल्के से सिर हिला दिया, पर कुछ बोली नहीं। वो वहां से निकल गई और अपने अपार्टमेंट की तरफ बढ़ी। तीसरे फ्लोर पर उसका रूम था। रूम में जाकर वो सीधा अपने बेड पर लेट गई, लेकिन दिल में अभी भी वही बेचैनी थी। न जाने कौन सी फीलिंग्स उसे अंदर ही अंदर खा रही थीं। वो बार-बार करवट बदलती रही, जैसे कुछ खोज रही हो, खुद से भी कुछ छुपाने की कोशिश में। उसकी आंखों में कुछ तो था, जो वो किसी से भी नहीं, शायद खुद से भी नहीं कह पा रही थी। आकर्ष रात के 9 बजे अपने कमरे में दाखिल हुआ। उसके हाथ में एक पॉलिथीन बैग था, जिसमें श्रेया के लिए कुछ था। कमरे में घुप अंधेरा था, बस एक हल्की सी डिम लाइट जल रही थी। श्रेया बिस्तर पर चुपचाप बैठी थी। आकर्ष ने कमरे में कदम रखा, माहौल में एक अजीब सी खामोशी थी। वह धीरे-धीरे उसके पास गया, उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला, "क्या हुआ? अंधेरे में क्यों बैठी हो? तबीयत ठीक नहीं है क्या?" श्रेया ने उसकी तरफ एक तीखी मुस्कान के साथ देखा, जैसे उसकी हर बात की गहराई समझ रही हो। "तुम चाहते हो कि तुमसे दूर हो जाऊं , है ना? अगर इतनी ही प्रॉब्लम है मुझसे, तो साफ-साफ कह दो। मैं खुद चली जाऊंगी," उसकी आवाज़ में गुस्सा और कड़वाहट साफ झलक रही थी। आकर्ष को उसकी बात चुभ गई। उसने कहा, "ये कैसी बातें कर रही हो? आज फिर लड़ाई का मूड है क्या? जब भी मैं तुम्हारे पास आना चाहता हूँ, तुम शुरू हो जाती हो। लेकिन आज मैं तुम्हारी मोन सुनने के लिए तैयार हूँ।" ये कहते हुए उसने उसके होंठों के पास जाने की कोशिश की। श्रेया ने उसे गुस्से में धक्का देते हुए खुद को दूर कर लिया। उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन गुस्से की आग भी। वह चिल्लाते हुए बोली, "क्या है आकर्ष ? हर बार अपनी मनमानी करोगे तुम? हमेशा तुम मेरे साथ जबरदस्ती करते हो अब और नहीं। अब बहुत हो गया। अब मैं तुम्हारा एक पल भी बर्दाश्त नहीं करूंगी। और हाँ, आज के बाद मेरे करीब आने की कोशिश भी मत करना।" आकर्ष उसकी बात सुनकर सन्न रह गया। उसके अंदर भी गुस्से की लपटें उठने लगीं। उसने तीखी आवाज़ में कहा, "ये क्या बकवास कर रही हो? कितनी बार समझाया है कि मुझसे इस तरह की बातें मत किया करो। मैं तुमसे प्यार करता हूँ, इसका मतलब ये नहीं कि तुम्हारी हर बात सहन करूँगा। पहले ये बताओ, हुआ क्या है?" श्रेया ने उसकी बात सुनकर गुस्से में उसका कॉलर पकड़ लिया। उसकी आवाज़ कांप रही थी, "प्यार? तुम और प्यार? तुम्हारे लिए मैं सिर्फ एक डिज़ायर थी, एक ख्वाहिश। बस, जो तुम अब तक पूरा कर रहे हो। और अगर तुम मेरे करीब आए ना तो मैं खुद को खत्म कर लूंगी" यह सुनते ही आकर्ष का गुस्सा हद पार कर गया। उसने श्रेया को दीवार से धक्का देकर सटा दिया और उसके बालों को कसकर पकड़ लिया। श्रेया की चीख निकल गई, उसकी आँखों से आँसू छलक पड़े। उसने दांत भींचते हुए कहा, "अगर सिर्फ डिज़ायर होती, तो तुम आज मेरी बीवी बनकर मेरे सामने नहीं खड़ी होती। कब का तुम्हें यूज़ करके छोड़ चुका होता।" श्रेया की आँखों में अब गुस्से के साथ-साथ दर्द भी था। वह चिल्लाते हुए बोली, "हाँ, तुमने मुझसे शादी की क्योंकि मैं तुम्हारी ज़िद थी, एक जीतने की चीज़। पर मैं अब तुम्हारे इन खेलों में नहीं फंसने वाली। मुझे तुम्हारे साथ नहीं रहना है। घुटन होती है तुम्हारे साथ। जब तुम मेरे पास आते हो, तो मेरा मन करता है कि खुद को खत्म कर लूं।" उसकी बातें सुनकर आकर्ष को जैसे सांप सूंघ गया। उसने गहरी साँस ली, फिर धीरे-धीरे बोला, " जो बच्चे तुम्हें खुद को खत्म करने की जरूरत नहीं है,ठीक है। तुम्हें मुझसे दूर जाना है? डिवोर्स चाहिए? मिलेगा। मैं तुमसे इतना दूर चला जाऊंगा कि चाहकर भी पास नहीं आ पाओगी। तुम्हें मेरा प्यार ड्रामा लगता है न? तो मैं तुम्हें इस ड्रामे से आज़ाद कर दूंगा।" यह कहते हुए उसने पास रखे फ्लावर पॉट को उठाया और जोर से फर्श पर पटक दिया। कांच के टुकड़े पूरे कमरे में बिखर गए, जैसे उनके रिश्ते के टुकड़े-टुकड़े हो गए हों। श्रेया डर के मारे अपने कानों पर हाथ रखकर घुटनों के बल बैठ गई। आकर्ष बिना एक पल रुके कमरे से बाहर चला गया। उसके जाते ही श्रेया घुटनों के बल फर्श पर गिरकर फूट-फूटकर रोने लगी। उसकी आवाज़ में दर्द की तीव्रता थी, "अगर प्यार होता, तो तुम मुझे रोकने की कोशिश करते, आकर्ष। पर तुमने नहीं रोका... तुमने नहीं रोका। मैं ही पागल थी जो दोबारा तुम्हारे प्यार में पड़ने लगी थी,मैं तुम्हारे लिए सरप्राइज प्लान करने माल चली थी। लेकिन अच्छा हुआ कि सरप्राइज प्लान करने से पहले ही तुम्हारी असलियत देख ली। कितनी आसानी से मान गए डिवोर्स के लिए। नहीं मानते भी कैसे? तुम्हें मुझसे पीछा जो छुड़ाना था।" वह जोर-जोर से रो रही थी। उसके आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उसकी सिसकियाँ कमरे की खामोशी को चीर रही थीं। "तुम्हारे लिए मैं सिर्फ एक बोझ थी, जिसे तुम छोड़ना चाहते थे। प्यार होता तो कभी मुझे जाने नहीं देते। पर तुमने एक बार भी नहीं रोका।" उसकी आवाज़ टूट रही थी, जैसे हर शब्द उसके दिल को और चीरता जा रहा था। उसकी साँसें तेज हो रही थीं, जैसे हर श्वास के साथ वह अपने अंदर के दर्द को बाहर निकालने की कोशिश कर रही हो। अगली सुबह, सुबह के 9:00 बजे थे और रेहान अपने ऑफिस के लिए निकल चुका था। जब से रूहानी उसकी ज़िंदगी से दूर हुई थी, तब से वह अपने कामों और रूहानी को खोजने में ही खोया रहता था। आज उसके साथ वरुण और मनन दोनों भी कार में थे। तभी मनन के फोन पर एक कॉल आई। मनन ने फोन की स्क्रीन पर फ्लैशलाइट नंबर को देखा और लंबी सांस लेते हुए बोला, "रेहान, क्या बोलूं मैं उनसे? बार-बार फोन आ रहा है।" रेहान ने उसकी तरफ देखे बिना जवाब दिया, "जो बोल रहे हैं, बोल दो। मुझे नहीं जाना है तो नहीं जाना है।" मनन ने ना मे सिर हिलाया और फोन रिसीव कर लिया। जैसे ही उसने फोन उठाया, दूसरी तरफ से किसी ने बड़ी रिक्वेस्ट की कि वे लोग आ जाएं। लेकिन मनन ने सीधे मना कर दिया। वहां से बार-बार रिक्वेस्ट की जा रही थी, लेकिन मनन ने अनिच्छा से उन्हें फिर से मना कर दिया। दूसरी तरफ से किसी ने कहा, "सर, प्लीज एक बार सर से बात करवा दीजिए, क्या पता हमसे बात करने के लिए आ जाएं। प्लीज, सर।" मनन ने फोन रेहान को नहीं दिया क्योंकि उसे पता था कि अगर रेहान फोन पर बात करेगा तो उसका दिमाग और गर्म हो जाएगा और शायद वह गुस्से में कुछ उल्टा-सीधा बोल दे। इसलिए उसने फोन नहीं दिया और कॉल काट दी। फिर लाचारी से रेहान की तरफ देखने लगा। वरुण ने उसे देखते हुए पूछा, "क्या हुआ, इतना उदास क्यों है?" मनन ने कहा, "मैं उदास नहीं हूं। बस मुझे थोड़ा सा बुरा लग रहा है। वे लोग इतनी बार कॉल कर रहे हैं इसे आने के लिए, पर मैंने इतनी सीधी मना कर दी। बेचारों ने बात करने के लिए भी कहा, पर मैंने फोन नहीं दिया क्योंकि मुझे पता था ये बात नहीं करेगा। कम से कम एक बार तो जाना ही चाहिए था।" वरुण ने रेहान की तरफ देखते हुए कहा, "अरे यार, एक बार चल जाते हैं ना, देख लेते हैं। वे लोग इतनी रिक्वेस्ट कर रहे हैं तो जाने में क्या हर्ज है? एक घंटे के लिए जाएंगे और तुरंत वापस आ जाएंगे। वैसे भी कौन सा ज्यादा दूर है, फ्लाइट से ही तो जाना है।" रेहान ने दोनों को घूरते हुए कहा, "अगर बकवास करनी है तो दूसरी कार से आ जाओ।" वरुण ने उसकी बात सुनकर उसे घूरते हुए कहा, "अकडू कहीं का! जब देखो तब अकड़ता ही रहता है। कम से कम एक बार फोन पर बात ही कर ले उन लोगों से। मुझे पता है तेरी प्रॉब्लम क्या है, पर तू ये भी तो सोच कि बार-बार उम्मीद से तुझे कॉल कर रहे हैं। फोन करके बस इतना ही बोल दे कि नहीं आ पाऊंगा, उन्हें लगेगा कि चलो, आए नहीं पर बात तो की।" रेहान उसकी बात सुनकर थोड़ी देर सोचता रहा। फिर उसने मनन के फोन से लैंडलाइन नंबर पर कॉल किया। रिंग जा रही थी, पर कोई फोन नहीं उठा रहा था। रेहान ने जब सोचा कि शायद कोई फोन नहीं उठाएगा, वह फोन डिस्कनेक्ट करने ही वाला था कि अचानक उसके कान में आवाज़ आई, "हेलो?" बस इतनी ही आवाज़ सुनते ही वह जम सा गया। उसके हाथ फोन पर और कस गए। दूसरी तरफ से कोई बार-बार "हेलो, हेलो" कह रहा था, पर जब उन्हें महसूस हुआ कि सामने से कोई नहीं बोल रहा है, तो फोन डिस्कनेक्ट हो गया। रेहान को यूं शांत देखकर मनन ने उसके कंधे पर हाथ रखकर हिलाते हुए पूछा, "क्या हुआ? तू इस तरह से शांत क्यों हो गया? किसी ने रिसीव नहीं किया क्या? रुको, मैं फिर से कॉल करता हूं।" लेकिन रेहान ने उसे रोकते हुए कहा, "इसकी जरूरत नहीं है। हम शिमला जा रहे हैं।" तो दोस्तों, आज के लिए इतना ही! मिलते हैं कल, तब तक लाइक, कमेंट, और रिव्यू देते रहें! 🥰
रेहान को यूं शांत देखकर मनन ने उसके कंधे पर हाथ रखकर हिलाते हुए पूछा, "क्या हुआ? तू इस तरह से शांत क्यों हो गया? किसी ने रिसीव नहीं किया क्या? रुको, मैं फिर से कॉल करता हूं।" लेकिन रेहान ने उसे रोकते हुए कहा, "इसकी जरूरत नहीं है। हम शिमला जा रहे हैं।" निकल गए, वरुण और मनन रेहान की बात सुनकर उसकी तरफ चुपचाप देखे जा रहे थे। वरुण ने हैरानी से उसकी आंखों में झांकते हुए कहा, "अभी तो तू साफ़ मना कर रहा था कि शिमला नहीं जाएगा, फिर अब अचानक से मान कैसे गया? ऐसा क्या हो गया जो तूने एकदम से हाँ कर दी?" रेहान ने वरुण की बात का जवाब देने के बजाए एक अजीब-सी मुस्कान के साथ कहा, "बस ऐसे ही सोचा कि शिमला की वादियों में घूमने का प्लान बना लिया जाए। सुना है, वहाँ की वादियाँ बड़ी खूबसूरत और रोमांटिक हैं।" रेहान की ये बात सुनकर वरुण के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गईं। वह थोड़ा परेशान होकर अपना सिर खुजलाने लगा। उसकी आंखों में उलझन साफ़ झलक रही थी। मनन, जो अब तक चुपचाप सब देख रहा था, उसकी तरफ गहरी नज़र से देखता रहा, जैसे उसकी बातों में छुपे इरादे को भांपने की कोशिश कर रहा हो। उसने धीरे से, एक संदेहभरी आवाज़ में कहा, “कहीं जो मैं सोच रहा हूँ, वही तो नहीं?” रेहान का चेहरा अब भी शांत था, उसकी आँखों में वही ठहराव और उसकी मुस्कान में वो हल्का सा रहस्य बना हुआ था। उसने कोई जवाब नहीं दिया, बस एक ठंडी-सी मुस्कान दी और चुपचाप बैठा रहा। इस खामोशी ने वरुण को और भी बेचैन कर दिया। वरुण झुंझलाते हुए बोला, "मैं हूं ही क्यों तुम दोनों के साथ, जब मुझे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा है और तुम दोनों को कुछ बताना भी नहीं है!" रेहान ने उसकी इस बात का भी कोई जवाब नहीं दिया। उसने ड्राइवर की ओर देखा और बिल्कुल सीधे लहज़े में कहा, "एयरपोर्ट चलो।" उसकी आवाज़ में कुछ ऐसा था जो मनन और वरुण को भी चुप कर गया। तीनों एयरपोर्ट के लिए निकल पड़े, लेकिन मनन और वरुण के मन में अब सवालों का तूफान मच गया था। वो समझ नहीं पा रहे थे कि रेहान के मन में आखिर चल क्या रहा है। उसकी शांत आँखें और चेहरे पर एक अजीब-सी मुस्कान मानो कुछ कह रही थी, पर क्या, ये कोई नहीं समझ पा रहा था। **दूसरी तरफ,** रुचि ने फोन नीचे रखकर उसे घूरते हुए गुस्से में बोला, "जब बात करनी ही नहीं थी तो फोन क्यों किया? कैसे-कैसे लोग होते हैं! फोन कर देंगे, पर बोलेंगे कुछ नहीं।" उसने गहरी सांस ली और अपने दिल पर हाथ रखते हुए खुद से बोली, "ये मेरे दिल की धड़कन इतनी तेज़ क्यों हो रही है? आखिर मुझे हो क्या रहा है? ये बेचैनी कैसी है?" रुचि के दिल की धड़कनें मानो उसकी बेचैनी का सबूत दे रही थीं। उसे खुद पर काबू करने में थोड़ी मुश्किल हो रही थी। उसने अपने सिर को हल्के से झटका, जैसे वो अपने मन में उमड़ते-घुमड़ते विचारों को झटकना चाहती हो, और बाहर की तरफ निकल गई। बाहर जाकर उसने देखा कि बाबा बहुत परेशान बैठे थे। वह तेज़ी से उनके पास गई और चिंता से बोली, "क्या हुआ बाबा? आप इतने परेशान क्यों हैं और इस तरह से उदास क्यों बैठे हैं?" बाबा ने उसकी ओर देखा, एक लंबी सांस भरी और थके हुए स्वर में बोले, "कुछ नहीं बेटा, सर से मिलने की उम्मीद थी, पर उन्होंने मना कर दिया। बहुत उम्मीद लगा रखी थी, काश एक बार उनसे मुलाकात हो जाती।" रुचि बाबा की बात सुनकर गुस्से में बोली, "किस बात का घमंड है उसे? इंसान को आश्रम बनाकर उसकी देखरेख कर रहे हैं, तो क्या इसी का घमंड है? माना कि वो पैसे देते हैं, पर इसका मतलब ये नहीं कि इतना एटीट्यूड दिखाएंगे। पैसे वाले लोग होते ही ऐसे हैं, बाबा। आप उनकी वजह से उदास मत होइए।" बाबा ने रुचि की बात सुनी, लेकिन उनकी आँखों में वही उदासी कायम रही। रुचि की आँखों में अपने बाबा के लिए चिंता साफ़ दिखाई दे रही थी, लेकिन उसके मन में भी एक अजीब-सी हलचल थी। उसने अपनी निगाहें दूर कहीं टिका दीं, जैसे उसका दिल किसी अनजानी अनहोनी का आभास कर रहा हो। शाम का समय था। सूरज ढल रहा था और आसमान हल्का सुनहरा हो चला था। रूचि बच्चों के साथ खेल के मैदान में थी। वो बच्चों के साथ खेल भी रही थी और साथ ही उन्हें पढ़ा भी रही थी, जैसे खेल-खेल में पढ़ाई का मजा। बच्चे भी बड़े खुश थे, उनकी आंखों में चमक और चेहरे पर मुस्कान थी। उन्हें भी रूचि का ये तरीका बहुत अच्छा लगता था। रोज की तरह, आज भी रूचि ने अपना ज्यादातर समय बच्चों के साथ ही बिताया। खेलते-खेलते ही वह उन्हें पढ़ा देती और साथ में मज़े भी करती। इस आश्रम में, बच्चों का साथ ही उसका सब कुछ था। खेल और पढ़ाई में समय कब निकल गया, पता ही नहीं चला। लेकिन थोड़ी देर बाद, रूचि ने महसूस किया कि वह थक गई है। उसने बच्चों को देखकर मुस्कुराते हुए कहा, "अरे बस-बस, अब मैं थक गई हूं! मैं थोड़ा पानी पीने जा रही हूं। तुम लोग खेलते रहो, मैं थोड़ी देर में वापस आती हूं।" इतना कहकर वह अंदर चली गई। रूचि के जाते ही बच्चे फिर से अपने खेल में मस्त हो गए। कुछ मिनट ही बीते होंगे कि अचानक से एक बड़ी और चमचमाती कार आश्रम के गेट पर आकर रुकती है। कार काफी लग्ज़री थी, बिल्कुल नई-नवेली और चमकदार। बच्चों ने जब वो कार देखी, तो उनकी आंखें बड़ी हो गईं और चेहरे पर हैरानी के साथ-साथ उत्सुकता भी साफ दिखने लगी। वो खुशी से चिल्लाते हुए उछल पड़े और भागकर कार के पास पहुंच गए। "Wow! कितनी बड़ी कार है ये! और कितनी सुंदर भी!" एक बच्चे ने उछलते हुए कहा। तभी कार के दरवाजे खुले और उसमें से कुछ लोग बाहर निकले। बच्चे एक पल के लिए थोड़ा पीछे हट गए, लेकिन फिर हिम्मत जुटाकर आगे बढ़े और उन लोगों के चारों तरफ घेरा बना लिया। उनकी आंखों में चमक और चेहरे पर एक मासूम सी खुशी थी। उनमें से एक बच्चे ने पूछा, "ये कार आपकी है? क्या आप हमें भी इसमें घुमाएंगे? वैसे आपकी कार बहुत सुंदर है।" उसी वक्त, अंदर से रूचि भी बाहर आ गई। बाहर आकर जब उसकी नजर उन लोगों और कार पर पड़ी, तो उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो गईं। मानो उसे अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था।
तभी कार के दरवाजे खुले और उसमें से कुछ लोग बाहर निकले। बच्चे एक पल के लिए थोड़ा पीछे हट गए, लेकिन फिर हिम्मत जुटाकर आगे बढ़े और उन लोगों के चारों तरफ घेरा बना लिया। उनकी आंखों में चमक और चेहरे पर एक मासूम सी खुशी थी। उनमें से एक बच्चे ने पूछा, "ये कार आपकी है? क्या आप हमें भी इसमें घुमाएंगे? वैसे आपकी कार बहुत सुंदर है।" वह अपनी आंखें बड़े करते हुए बोली “ कि बच्चे मैंने इसे बोला था कि तुम लोग उधर खेलो और यह लोग इधर क्या कर रहे हैं और यह गाड़ी किसकी है रुची को इस वक्त उन लोगों का फेस अच्छे से नहीं दिख रहा था बच्चे अच्छे से उनको घेर रखे थे जिस वजह से वह लोग नीचे झुक कर बच्चों की बात सुन रहे थे रुचि को उस वक्त ठीक से उन लोगों के चेहरे नहीं दिख रहे थे क्योंकि बच्चे उन्हें घेरकर खड़े थे। वो लोग बच्चों की बातें सुनने के लिए थोड़ा झुककर खड़े थे। रुचि ने कमर पर हाथ रखते हुए उन्हें देखा ही था कि तभी पीछे से बाबा आ गए। उन्होंने रुचि की चिंता भरी निगाहें देखकर पूछा, "क्या हुआ बेटा? ऐसे क्यों देख रही हो?" रुचि ने बाबा की ओर मुड़ते हुए कहा, "देखिए बाबा, ये बच्चे यहां किसके पास खड़े हैं, कुछ समझ में नहीं आ रहा। मैं इन्हें उधर खेलने छोड़कर आई थी। और ये गाड़ी किसकी है, पता नहीं। कोई अजनबी जान पड़ते हैं ये लोग।" बाबा ने हंसते हुए कहा, "अरे होगा कोई... शायद किसी को गोद लेने या मिलने आया होगा। चलो, चलते हैं और बच्चों को बोलते हैं कि पढ़ाई करो जाकर।" रुचि और बाबा धीरे-धीरे उस तरफ बढ़े जहां बच्चे अब भी उन अजनबियों के साथ बातें कर रहे थे। वो लोग अब भी झुककर बच्चों से बातें कर रहे थे। तभी रुचि ने थोड़ा करीब जाकर बच्चों को सख्ती से डांटा, "क्या है ये? तुम लोग ऐसे किसी अनजान की गाड़ी के पास क्यों खड़े हो? मैंने तुमसे कहा था कि वहां खेलो, तो बिना पूछे यहां क्यों आ गए? ये तो बिलकुल बेड मैनर्स हैं! चलो, जल्दी से यहां से हटो। पता नहीं ये लोग कौन हैं और कहां से आए हैं।" रुचि की इस फटकार के बाद उन लोगों में से एक आदमी सीधा खड़ा हुआ और उसने रुचि की ओर ध्यान से देखा। इस दौरान रुचि का सारा ध्यान बच्चों पर था, लेकिन जब उसकी नजर उन आदमियों पर पड़ी, तो वह ठिठक कर वहीं रुक गई। उसके चेहरे पर एक क्षण के लिए हैरानी सी छा गई, जैसे कोई अनजानी पहचान की अनुभूति हो। बाबा ने भी जैसे ही उन लोगों को देखा, उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई। लेकिन अचानक, उन आदमियों में से एक तेजी से आगे बढ़ा और रुचि के गालों को अपने हाथों में लेते हुए उसके माथे और गालों पर लगातार किस करने लगा। ऐसा लग रहा था जैसे वो उसे सालों की दूरी के बाद जी भर के प्यार कर रहा हो। बाबा और बच्चों की आंखें बड़ी-बड़ी होकर ये सब देख रही थीं। बच्चे अपनी हंसी रोकने के लिए मुंह पर हाथ रखे खड़े थे, और बाबा भी आशाचार्य से खड़े थे, जैसे समझने की कोशिश कर रहे हों कि ये सब क्या हो रहा है। रुचि ने खुद को संभालते हुए उस आदमी की ओर गुस्से से खुद से दूर धक्का दिया और देखा और कहा, "ये क्या बेहूदगी है? आप कौन हैं और आप ऐसा कैसे कर सकते हैं?" रुचि की बात सुनते ही रेहान के चेहरे का एक्सप्रेशन बदल गया, और उसका चेहरा सख्त हो गया। वहीं, मनन और वरुण एक-दूसरे की तरफ देखने लगे। मनन रुचि की तरफ देखते हुए बोला, "कैसे बात कर रही हो, रूहानी? तुम हमें नहीं पहचान रही हो?" रुचि उसकी बात सुनकर बोली, "कौन रूहानी? मैं किसी रूहानी को नहीं जानती और ना ही मैं कोई रूहानी हूं। और हां, इन्हें मुझसे दूर रखिए, वरना इस बार मैंने छोड़ दिया, अगली बार थप्पड़ ही खाएंगे।" उसकी बात सुनकर रेहान सख्त आवाज में बोला, "मुझे पता है बच्चा, तुम नाराज हो मुझसे। पर इसका मतलब ये नहीं कि तुम मेरी बच्चा नहीं हो। तुम रुचि नहीं हो, तुम रूहानी हो, और तुम चाह कर भी ये चीज मुझसे नहीं छुपा सकती। रेहान ओबेरॉय कोई भी गलती कर सकता है, पर अपने बच्चा को पहचानने में कभी नहीं।" रुचि उसकी बात सुनकर गुस्से में चिल्लाते हुए बोली, "एक बार नहीं, दस बार, हजार बार कहूंगी, मैं रूहानी नहीं, रुचि हूं! और मैं आप लोगों को नहीं जानती, ना ही जानने का कोई शौक है। चाहो तो इन बच्चों से पूछ सकते हो और यहां के लोगों से भी कि मैं कौन हूं।" रेहान उसकी बात सुनकर और गुस्से में आ गया और रुचि की कमर को कस कर पकड़ कर उसे अपने पास खींच लिया। ऐसा होते ही बाबा ने उसकी तरफ बढ़ने की कोशिश की, लेकिन रेहान ने गुस्से में उनकी तरफ देखकर आंखों से ही मना कर दिया। बाबा चुप खड़े हो गए। इस वक्त रेहान का चेहरा और आंखें काफी खतरनाक लग रही थीं, जिससे बाबा की भी हिम्मत नहीं हुई कि वो उसके करीब जाएं। रेहान रुचि के बिल्कुल करीब होते हुए बोला, "तुम्हारा नाम रुचि रहे या रूहानी, मुझे फर्क नहीं पड़ता। फर्क तो मुझे सिर्फ इस बात से पड़ता है कि तुम सिर्फ मेरी हो। रेहान ओबेरॉय की बच्चा। और इसे कोई झुठला नहीं सकता, कोई भी नहीं। तुम कौन हो, क्या हो, ये मुझे किसी और से जानने की जरूरत नहीं है। तुम सिर्फ मेरी हो, चाहे तुम लाख कोशिश कर लो, लाख झूठ बोल लो। लेकिन रहोगी तो सिर्फ मेरी। और इस बार मैं तुम्हें अपने आप से दूर कहीं नहीं जाने दूंगा।" रुचि उसकी बात सुनकर गुस्से में उसे धक्का देती है और बोली, "आपके कहने से ना मैं रूहानी बनूंगी, ना ही आपका बच्चा। और ना ही मैं आपकी जबरदस्ती बर्दाश्त करूंगी। तो बेहतर यही होगा कि आप मुझसे दूर रहें वरना मैं इतनी शरीफ नहीं हूं कि आपको छोड़ दूं।" रेहान उसकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए बोला, "चाहत भी कौन है बच्चा कि तुम मुझे छोड़ो। नहीं, मैं तुम्हें अब छोड़ने दूंगा।" रुचि गुस्से में पैर पटकते हुए अंदर चली गई। बाबा भी उसके पीछे चले गए। बच्चे बस खामोशी से उन दोनों को देख रहे थे, उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर हो क्या रहा है। रेहान रुचि को जाते हुए देख रहा था, तभी मनन और वरुण ने उसके कंधे पर हाथ रखा, जिससे वो उनकी तरफ देखने लगा। वरुण ने उसकी तरफ देखते हुए कहा, "अगर ये रूहानी है, तो तुझे पहचान क्यों नहीं रही है? कहीं गिरने की वजह से उसकी याददाश्त तो नहीं चली गई?" रेहान उसकी बात सुनकर बोला, "गिरने की वजह से उसकी याददाश्त जरूर जा सकती है, पर उसकी यादों से मैं दूर नहीं जा सकता। तो ना मैं उसे कभी भूलूंगा, ना उसे कभी भूलने दूंगा। और वो मुझे भूल जाए, ऐसा मैं होने नहीं दूंगा, और ना ही हो सकता है।" तभी मनन उसकी तरफ देखते हुए बोला, "देख यार, जो भी हो, मुझे तो समझ नहीं आ रहा है, लेकिन प्लीज इस बार सब कुछ प्यार से हैंडल करना। कुछ ऐसा मत करना कि जिससे उसके दिल में फिर से तुम्हारे लिए कोई गलतफहमी पैदा हो।” मनन की बात सुनकर रेहान ने लंबी सांस ली और बोला, "अब चाहे जितना मनाना पड़े, मैं अपने बच्चा को खोना नहीं चाहता और ना ही उसे खुद से दूर जाने दूंगा। चाहे उसकी बेरुखी हो या नफरत, सब बर्दाश्त कर लूंगा।” रेहान की बातें सुनकर वरुण और मनन के चेहरे पर मुस्कान आ गई और फिर तीनों अंदर चले गए। रूहानी अंदर बच्चे और बाबा के साथ बैठी हुई थी, और उसके चेहरे का रंग उड़ा हुआ था। उसने तीनों को आते देखा तो उसके चेहरे के एक्सप्रेशन फिर से चेंज हो गए। वो गुस्से में उन्हें घूरने लगी। रेहान उसे देखता रहा, और देखते ही देखते उसने रूहानी की तरफ आंख मार दी। रुचि के जबड़े कस गए और वो गुस्से में देखने लगी। बाबा इस वक्त कुछ कहना या करना नहीं चाहते थे, लेकिन चाहकर भी वह रेहान, वरुण और मनन के पास जाकर उनका वेलकम करते हैं। रेहान मुस्कुरा दिया। वही रुचि, बाबा को देखते हुए बोली, "बाबा, रात होने वाली है, मैं घर जा रही हूं।" बाबा उसकी बात समझ गए और उसे जाने के लिए कहते हैं। रेहान उसकी बात सुनकर उसके पास आया और उसके करीब आकर बोला, "कहो तो मैं छोड़ दूं घर तक। घर भी पहुंच जाओगी और मेरे साथ लॉन्ग ड्राइव का भी मज़ा ले लोगी। वैसे भी बारिश होने वाली है, तो बारिश में लॉन्ग ड्राइव का अपना ही एक रोमांटिक मज़ा होता है।" रुचि उसकी बात सुनकर गुस्से में बोली, "जी नहीं, और मेरा घर ज्यादा दूर नहीं है। मुझे आप जैसे लोगों के साथ घर जाने का कोई शौक नहीं है। और वैसे भी, अगर आपको लॉन्ग ड्राइव और रोमांटिक बातें करनी हैं, तो जाइए कहीं और। बहुत सारी लड़कियां होंगी आपकी लाइफ में।" रेहान उसकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए बोला, "अच्छा, इतना कॉन्फिडेंस से कैसे पता तुम्हें कि मेरी लाइफ में कैसी लड़कियां हैं या नहीं?" रुचि हकलाते हुए बोली, "वो...वो मैं इसलिए कह रही हूं क्योंकि आप पैसे वाले हो, हैंडसम भी हो, तो होंगी ही आपकी लाइफ में लड़कियां।" रेहान ने हंसते हुए कहा, "हैंडसम के साथ हॉट भी हूं।" रुचि की आंखों में गुस्सा भर गया और वो उसे घूरते हुए वहां से निकल गई। दोस्तों आज के लिए इतना ही मिलते हैं कल और देखते हैं कल क्या बवाल होने वाला है क्यों की रेहान ओबेरॉय वो भी बिना बवाल के रहे ऐसा हो सकता है, और ऊपर से बारिश🥰 और हां साथ में लाइक कमेंट रिव्यू भी दिया करो यार रिव्यू तो बढ़ ही नहीं रहे हैं और यह मेरा व्हाट्सएप चैनल लिंक है चाहे तो यहां पर फॉलो कर लो डेली अपडेट के लिए और रेहान रूहानी कुछ रोमांटिक पल भी देखे जा सकते हैं वहां पर वीडियो के जरिए https://whatsapp.com/channel/0029VaKy1MzEquiGFFC49k1Z
रेहान उसकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए बोला, "अच्छा, इतना कॉन्फिडेंस से कैसे पता तुम्हें कि मेरी लाइफ में लड़कियां हैं या नहीं?" रुचि हकलाते हुए बोली, "वो...वो मैं इसलिए कह रही हूं क्योंकि आप पैसे वाले हो, हैंडसम भी हो, तो होंगी ही आपकी लाइफ में लड़कियां।" रेहान ने हंसते हुए कहा, "हैंडसम के साथ हॉट भी हूं।" --- रुचि की आंखों में गुस्से की आग जल रही थी, और वह रेहान को घूरते हुए वहां से निकल गई। रेहान वहीं खड़ा होकर बस उसे जाते हुए देखता रह गया। रुचि बाहर जाकर जल्दी से एक ऑटो पकड़ी और अपने अपार्टमेंट की ओर निकल पड़ी। रेहान भी बिना समय गंवाए उसके पीछे जाने के लिए मुड़ा, तभी मनन और वरुण ने उसे रोकते हुए पूछा, "कहां जा रहा है, रेहान?" रेहान ने उनकी बात सुनकर आंखें रोल करते हुए कहा, "और कहां जाऊंगा, obviously अपने बच्चा के पास। उसे तो कुछ याद भी नहीं है तुम लोगों के बारे में। और मुझे समझ नहीं आ रहा कि वो रुहानी है या रुचि।" मनन उसकी बात पर थोड़ा शांत लहजे में बोलता है, "वो रुचि नहीं है, ये बात जान लो। वह अपना नाम चेंज कर सकती है, पर अपनी soul नहीं। उसकी धड़कनें, उसकी आंखें, उसकी हर एक चीज वही है जो मेरे बच्चा की है। और यह उसके कहने से नहीं बदलने वाला कि वह रुचि नहीं है।" इतना कहकर रेहान गुस्से में अपनी car में बैठता है और वहां से निकल जाता है। उसके जाने के बाद वरुण हंसते हुए मनन से कहता है, "यह बंदा कभी नहीं सुधरेगा! वैसे हमें ऐसे छोड़कर चला गया जैसे हमारी गर्लफ्रेंड्स यहां हैं और हम उनके साथ सोने वाले हैं!" फिर अचानक से वरुण मनन की ओर देखता है और मज़ाक में कहता है, "वैसे मैं तेरे साथ नहीं सोने वाला! मुझे बिल्कुल भी नहीं सोना तेरे साथ।" मनन उसकी बात सुनकर मुस्कुराता हुआ कहता है, "भाई, मैं भी कोई मरा नहीं जा रहा तेरे साथ सोने के लिए! वैसे भी तेरा क्या भरोसा, तू कुछ भी कर सकता है।" वरुण उसकी बात पर चिढ़ते हुए बोलता है, "Excuse me! मेरा सिस्टम हैंग नहीं हुआ है, और तू कितना गंदा है, उल्टा-सीधा सोचता है! अब तो मैं पक्का तेरे साथ नहीं सोऊंगा!" यह कहते हुए वह वहां से चला जाता है। — रूचि ऑटो में बैठी थी, लेकिन उसका mind कहीं और ही उलझा हुआ था। तभी अचानक से बारिश शुरू हो गई और बिजली की कड़क ने उसके thoughts को तोड़ दिया। उसने सामने देखा तो बारिश की बूंदें शीशे पर बेतहाशा गिर रही थीं। लेकिन वो अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी। पीछे से एक car तेज़ी से उसके ऑटो के करीब आ रही थी। जैसे ही वो और करीब आई, दूसरी car ने अचानक उसे overtake कर लिया और रूचि के ऑटो के करीब भी नहीं आने दिया। ये दूसरी car कोई और नहीं, रेहान चला रहा था। रेहान का expression अचानक बदल गया, जैसे वो कुछ alert महसूस कर रहा हो। उसने अपने पीछे की car को देखने की कोशिश की, लेकिन कुछ साफ दिखाई नहीं दे रहा था। उसने अपने मन में सोचा, "जो भी हो, तुम मरने के लिए तैयार रहो।" रूचि की नजर अचानक ऑटो के mirror पर पड़ी, और उसने देखा कि रेहान की car उसके पीछे है। ये देखते ही उसके चेहरे का color उड़ गया। मन में सोचते हुए बोली, "अब ये यहां क्यों आया है? What does he want from me?" लेकिन उसने खुद को संभालते हुए ऑटो को apartment के gate तक पहुँचाया। रेहान की car भी वहीं रुकी। और जो दूसरी car थी, वो कहां गायब हो गई, इसका किसी को पता नहीं चला। रूचि जल्दी-जल्दी parking से निकल कर apartment के अंदर चली गई। वहां gate पर एक watchman बैठा हुआ था। भीगते हुए वह watchman के पास जाकर बोली, "ये जो car आई है, उसमें से कोई भी आए, उसे अंदर मत आने देना।" इतना कहकर वह अंदर चली गई। रेहान अपनी car से उतरा और अंदर जाने की कोशिश करने लगा। तभी watchman ने उसे रोकते हुए कहा, "Sorry sir, हम आपको अंदर नहीं जाने दे सकते क्योंकि आप इस apartment के नहीं हैं और हमें special order मिला है कि आपको अंदर न आने दिया जाए।" रेहान पहले उसे घूरता है, फिर अचानक मुस्कुराने लगा और मन ही मन बोला, "ठीक है भाई, अगर special order है तो कुछ कर नहीं सकते। लेकिन देखता हूँ ये special order कब तक रहता है। तुम खुद आओगी मुझे लेने।" दूसरी तरफ, रूचि अपने floor पर पहुँचकर अपने room में चली गई। वह सीधा bathroom की तरफ बढ़ी और जल्दी से कपड़े change करके बाहर आई। पहले तो वह bed पर बैठी, लेकिन mind बेचैन था, इसलिए इधर-उधर टहलने लगी। अचानक से उसके mind में कुछ आया और वह window के पास जाकर पर्दा हल्का सा हटाकर बाहर देखने लगी। उसने देखा कि रेहान अपनी car के पास bonnet पर पैर रखकर खड़ा है, दोनों हाथ fold किए हुए, और सीधा उसके room की तरफ देख रहा है। जैसे ही उसने देखा कि रूचि उसे देख रही है, वह मुस्कुरा दिया। —-- वही रेहान उसको इस तरह से ले जाते हुए मुस्कुरा रहा था रूचि अपने room में बेड पर बैठी थी और अपने आपको calm करने की कोशिश कर रही थी। उसके दिल की धड़कनें जैसे बेकाबू हो रही थीं। उसने खुद को समझाने की कोशिश की, लेकिन मन में खलबली मची हुई थी। तभी अचानक से उसके कानों में एक तेज़ आवाज़ आई—रेहान की car से एक song लाउडस्पीकर पर बज रहा था: **स्पीकर से गाना बजता है:** *"ए मेरी हमराज़ मुझको थाम ले ज़िन्दगी से भाग कर आया हूँ..."* यह सुनते ही रूचि की आँखें बड़ी हो गईं। उसने खिड़की की तरफ देखा और मन में बोली, "ये इंसान सच में पागल है!" वह खिड़की के पास गई और पर्दा हल्का सा हटाकर देखा। रेहान बाहर खड़ा था, मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देख रहा था। उसकी कार का स्पीकर इतना loud था कि पूरे building में यह song गूंज रहा था। लेकिन रेहान को इस बात की कोई परवाह नहीं थी। बारिश की बूंदें लगातार गिर रही थीं, और रेहान ने गाने का volume और बढ़ा दिया। फिर गाने की अगली line गूंज उठी: **स्पीकर से गाना:** *"बारिश हो रही है, ये बारिश ना होती, तो भी ना आती..."* रूचि ने झट से पर्दा खींच लिया, उसके मन में एक झुंझलाहट थी। वह सोच रही थी, "इस पागल से कोई बात नहीं बन सकती।" लेकिन वह जा भी नहीं पा रही थी। वह फिर से खिड़की के पास गई, और देखा कि अब तक सारे floors के लोग balcony में आ गए थे। खासकर लड़कियां, जो रेहान को देख रही थीं, उसकी bold presence पर मुस्कुरा रही थीं। लेकिन रेहान की आंखें सिर्फ रूचि पर टिकी हुई थीं। **स्पीकर से गाना:** *"आखिर तुम्हे आना है.., ज़रा देर लगेगी, बारिश का बहाना है, ज़रा देर लगेगी..."* रेहान पूरी तरह से भीग चुका था। उसकी कपड़े उसके body से चिपक गए थे, और उसके six-pack abs साफ़ नज़र आ रहे थे। जब रेहान ने देखा कि रूचि उसकी तरफ देख रही है, उसने playful अंदाज में एक आंख मार दी। यह देखकर रूचि ने गुस्से में अपने दोनों जबड़े कस लिए। **स्पीकर से गाना:** *"तुम्हे अपना समझ कर कोई आवाज़ दे रहा है, तुमने मुझे अपना समझा ही कब, तुम तो मुझे दुश्मन समझते हो..."* रूचि का गुस्सा और भी बढ़ गया। उसने खिड़की का पर्दा जोर से खींचा। वह खुद को संभालने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसके चेहरे से साफ़ था कि वह irritated हो चुकी है। रेहान ने गाने का volume और बढ़ा दिया। उसकी नजरें बस रूचि पर टिकी थीं, और वह मुस्कुराता जा रहा था। **स्पीकर से गाना:** *"तुम होते जो दुश्मन, तो कोई बात ही क्या थी... अपनों को मनाना है, ज़रा देर लगेगी..."* रूचि की irritation अब गुस्से में बदल चुकी थी। उसने देखा कि building के सारे लोग अब उसकी तरफ ही देख रहे हैं। न जाने क्या सोचते हुए, वह गुस्से में अपने room से बाहर निकली, तेज़ी से नीचे आई और सीधे रेहान की तरफ बढ़ी। बारिश की बौछारें उसे भी पूरी तरह भिगो चुकी थीं। रेहान उसे आते देख कर और भी मुस्कुराने लगा। बिना एक पल की देरी के, रूचि ने उसका हाथ पकड़ा और उसे ज़ोर से खींचते हुए building के अंदर की तरफ ले गई। **स्पीकर से गाना:** *"ये बात नहीं वो कि, मैं आते ही सुना दूँ... सीने से, हाय, सीने से लगाना है ज़रा देर लगेगी... बारिश का बहाना है, ज़रा देर लगेगी... आखिर तुम्हें आना है... ज़रा देर लगेगी..."* भीगते हुए रेहान उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था, उसकी आंखों में एक शरारत भरी चमक थी। जैसे उसने सोच लिया हो कि, "आखिर तुम्हें आना तो है ही... चाहे ज़रा देर लगे!” रूचि की irritation अब गुस्से में बदल चुकी थी। उसने देखा कि building के सारे लोग अब उसकी तरफ ही देख रहे हैं। न जाने क्या सोचते हुए, वह गुस्से में अपने room से बाहर निकली, तेज़ी से नीचे आई और सीधे रेहान की तरफ बढ़ी। बारिश की बौछारें उसे भी पूरी तरह भिगो चुकी थीं। रेहान उसे अपनी तरफ आता देख और भी मुस्कुराने लगा। उसके चेहरे पर एक confident, playful सी मुस्कान थी, जैसे वो जानता हो कि रूचि क्या करने वाली है। जैसे ही रूचि उसके पास पहुंची, उसने बिना एक पल की देरी के, उसका हाथ पकड़ा और उसे ज़ोर से खींचते हुए building के अंदर की तरफ ले जाने लगी। रेहान मुस्कुराते हुए उसके साथ चलने लगा और हौले से बोला, **रेहान (शरारती अंदाज में):** "क्या बात है, Miss Ruchi! इतनी जल्दी मान गई? ये तो सोचा भी नहीं था। कहीं बारिश की ठंड में अकेले मन नहीं लग रहा था क्या?" रूचि ने उसकी तरफ एक तीखी नजर डाली, लेकिन कुछ नहीं कहा। उसकी पकड़ और मजबूत हो गई, जैसे वह उसे और कोई मौका नहीं देना चाहती हो। रेहान ने मुस्कुराते हुए कहा, **रेहान (हल्के से हंसते हुए):** "वैसे ये तो तय है कि जब तुम गुस्से में होती हो, तो और भी खूबसूरत लगती हो।" रूचि ने गुस्से से उसकी तरफ देखा और जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाते हुए उसे अंदर ले गई। रेहान उसकी इस हरकत से और भी मजे ले रहा था, उसके चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी, जैसे उसने सोच लिया हो कि, "इस खेल में जीत तो मेरी ही होगी।" जैसे ही वो अंदर पहुँचे, रेहान ने अपने शरारती लहजे में कहा, **रेहान (हंसते हुए):** "तुम जितना मुझसे दूर भागने की कोशिश करोगी, मैं उतना ही करीब आऊंगा। देखता हूँ, ये cat and mouse game कब तक चलता है!" रूचि ने उसकी तरफ एक और गुस्से भरी नज़र डाली और उसे इशारे से चुप रहने के लिए कहा, थोड़ा सा आज मेरी तारीफ भी कर देना😁 और हां रिव्यू भी देते रहो और कमेंट और लाइक भी😌
ह द% अब आगे जैसे ही वो अंदर पहुँचे, रेहान ने अपने शरारती लहजे में कहा, **रेहान (हंसते हुए):** "तुम जितना मुझसे दूर भागने की कोशिश करोगी, मैं उतना ही करीब आऊंगा। देखता हूँ, ये cat and mouse game कब तक चलता है!" रूचि ने उसकी तरफ एक और गुस्से भरी नज़र डाली और उसे इशारे से चुप रहने के लिए कहा, रुचि ने रेहान का हाथ कसकर पकड़ा और उसे लगभग घसीटते हुए अंदर ले आई। रेहान भी बिना कोई विरोध किए उसके पीछे-पीछे चल रहा था। हॉल में खड़े लोग उन्हें घूरने लगे थे, जैसे कोई तमाशा हो रहा हो। कुछ लड़कियों के चेहरे पर जलन और नाराजगी साफ दिख रही थी। रुचि ने रेहान को सीधे अपने कमरे में खींचा और दरवाजा बंद करते ही, तमतमाते चेहरे के साथ बोली, "What’s wrong with you? यह सब क्या दिखाना चाहते हो तुम? समझते क्या हो खुद को? मैंने एक बार कहा ना कि मैं रूहानी नहीं हूं, मैं रुचि हूं! फिर इस तरह से मेरे पीछे आने का मतलब क्या है तुम्हारा?" रेहान उसकी बात सुनकर थोड़ी देर शांत खड़ा रहा, फिर एक हल्की मुस्कान के साथ बोला, "मैं कब तुम्हारे पीछे आया, रुचि बच्चा?" उसकी इस बात पर रुचि का गुस्सा और बढ़ गया। उसकी आंखें गुस्से से लाल हो गईं और वह दांत भींचते हुए बोली, "तो फिर नीचे पार्किंग में खड़े होकर क्यों भीग रहे थे तुम? वो भी मेरे अपार्टमेंट के सामने? और वो गाना बजाने की क्या जरूरत थी?" रेहान ने कंधे उचका कर कहा, "अरे वो? यहां की हवा अच्छी लगी तो खड़ा हो गया। और बारिश में पुराने गाने सुनना मुझे अच्छा लगता है। तुमने सोचा मैं तुम्हारे पीछे आया हूं? वैसे तुम्हें ऐसा क्यों लगा?" रुचि को उसके इस attitude पर और भी गुस्सा आ गया। उसने ताने मारते हुए कहा, "बड़े innocent बनने की जरूरत नहीं है। मैं जानती हूं कि तुम यहां क्यों खड़े थे। लेकिन सुनो, मेरे घर के सामने इस तरह तमाशा करने की कोशिश भी मत करना। हमें ऐसे लोगों को entertain करने की आदत नहीं है। समझे?" रेहान उसकी बातों पर सिर्फ मुस्कुराता रहा, जैसे उसे रुचि के गुस्से से कोई फर्क नहीं पड़ता। उसने अपनी मासूमियत को बनाए रखते हुए कहा, "मैं कोई तमाशा नहीं कर रहा था, रुचि बच्चा। तुम बेवजह सोच रही हो।" रुचि का पारा सातवें आसमान पर पहुंच चुका था। उसने गुस्से से कहा, "देखो, मुझे बच्चा-वच्चा मत कहो। तुम जो कर रहे हो, वो पागलपन है। वह चुप था कुछ बोल नहीं रहा था,रेहान खिड़की के पास खड़ा था, बाहर बारिश अब लगभग रुक चुकी थी। उसकी नजरें बार-बार रूचि पर जा रही थीं, जो गुस्से में थी और उसकी ओर देखना तक पसंद नहीं कर रही थी। रेहान जानता था कि अगर बारिश रुक गई, तो शायद उ??%
मनन ने हंसते हुए जवाब दिया, "तेरे खर्राटों से ज्यादा disturbing कुछ नहीं हो सकता। लेकिन ठीक है, सोते हैं। और ध्यान रख, अगर तू रात को मुझसे बात करने लगा, तो मैं तुझे चुप कराने के लिए किसी भी उपाय को अपनाऊंगा!" वरुण नीचे फर्श पर सो जाता है वही मनन बेड सोता है, लेकिन कुछ देर यूं ही सोने के बाद अचानक वरुण को ठंड में लगने लगी और वह गया सीधे बेड पर जाकर सो गया। दूसरी तरफ, रेहान बाथरूम से कमरे मे आता है, लेकिन जैसे ही वह बाहर आता है, रूचि की एकदम चीख निकल जाती है। रेहान हैरानी से आंखें बड़ी करके उसकी तरफ देखता है। रूचि तुरंत अपनी आंखें बंद कर लेती है और कहती है, "ये क्या हरकत है? आप इस तरह बिना कपड़ों के मेरे सामने कैसे आ सकते हैं?" रेहान खुद को देखता है और हल्की मुस्कान के साथ जवाब देता है, "बिना कपड़ों के? कहाँ? Towel तो लपेट रखा है मैंने!" रेहान की बॉडी पर पानी की बूंदें अब भी टपक रही थीं, और उसने सिर्फ एक सफेद शॉर्ट टॉवल लपेट रखा था। रूचि, अपनी आंखें बंद किए हुए ही कहती है, "हाँ, लेकिन ऐसे भी आप मेरे सामने कैसे आ सकते हैं?" रेहान उसकी बात पर शरारती मुस्कान के साथ कहता है, "ओह, तो इसे भी निकाल दूं?" रूचि उसकी बात सुनते ही आंखें खोलती है और गुस्से से कहती है, "आप जैसा shameless इंसान मैंने आज तक नहीं देखा!" रेहान उसकी बात सुनकर और करीब आ जाता है, उसे दीवार से लगाकर उसके कानों के पास softly बोलता है, "मैं guarantee देता हूं कि दोबारा कभी तुम्हें देखने का मौका भी नहीं दूंगा।" रूचि उसकी बात सुनकर आंखें बंद कर लेती है। न जाने क्यों, उसकी दिल की धड़कनें जैसे ज़ोर-ज़ोर से शोर मचाने लगती हैं। वह खुद को काबू करने की कोशिश कर रही होती है, लेकिन रेहान उसकी हर हलचल को महसूस कर रहा था। रेहान उसकी घबराहट को देखकर हल्की मुस्कान के साथ उसके गर्दन के पास अपने होंठ रख देता है। उसकी इस हरकत से रूचि अपने कपड़ों को कसकर पकड़ लेती है। रेहान उसकी घबराई हुई हरकत देखकर मुस्कुराता है और वहां से थोड़ा पीछे हट जाता है, लेकिन रूचि अभी भी दीवार से सटी, आंखें बंद किए खड़ी रहती है। थोड़ी देर बाद, जब वह देखती है कि रेहान अब कोई हरकत नहीं कर रहा है, तो वह धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलती है और देखती है कि रेहान एक साइड लेट कर सोने की एक्टिंग कर रहा है। पहले तो वह उसे चुपचाप देखती रहती है, फिर चिढ़ते हुए उसके पास जाती है और कहती है, "आप यहां नहीं सो सकते! उठिए यहां से। आपने किससे पूछा था यहां सोने के लिए? This is my bed!" रेहान उसे देखकर अंगड़ाई लेते हुए मुस्कुराता है और कहता है, "अच्छा, ये तुम्हारा bed है? क्यों, दहेज में लेकर आई थी क्या?" रूचि उसका जवाब सुनकर गुस्से में उसके पास खड़ी रहती है, उसके पैरों को जोर से पटकने का मन करता है, लेकिन खुद को काबू में रखकर कहती है, "बस! और बकवास नहीं चाहिए मुझे आपकी।" रेहान अपनी मुस्कान को छिपाते हुए वहीं लेट जाता है, जैसे उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता हो। रूचि गुस्से में उसे घूरती हुई वहीं खड़ी रहती है, सोचती है कि आखिर इस इंसान का क्या करे। जैसे ही रुचि ने पूछा, "मैं कहां सोऊं?" रेहान ने उसकी तरफ देखा और बेड पर लेटे-लेटे अपने कंधे की तरफ इशारा करते हुए बोला, "यहां, मेरे पास।" रुचि उसकी इस बात पर नाराज़ होकर वहां से जाने के लिए कदम बढ़ाए ही थे कि रेहान ने अचानक उसका हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच लिया। इस खींचतान में रुचि का बैलेंस बिगड़ गया, और वह सीधे रेहान की बाहों में जा गिरी। उसकी धड़कनें इतनी तेज़ हो गईं कि रेहान को साफ़ सुनाई देने लगीं। रुचि ने खुद को संभालते हुए उठने की कोशिश की, लेकिन रेहान ने उसे और कसकर पकड़ लिया। उसकी आंखों में झांकते हुए रेहान ने धीमे से कहा, "बच्चा, ऐसे ही सो जाओ मेरे पास। वरना पता नहीं मैं क्या कर बैठूं।" उसकी आवाज़ में एक अजीब सी गहराई थी, एक ऐसा इशारा जो सीधे रुचि के दिल को छू रहा था। रुचि ने अपनी सांसें काबू में करते हुए खुद को शांत रखने की कोशिश की। उसने आंखें बंद कर लीं, जैसे कि वह उसकी बातों पर रिएक्ट नहीं की लेकिन रेहान उसकी बंद आंखों को देखकर हल्के से मुस्कुराया और उसके कान के पास जाकर फुसफुसाया, "डरने की जरूरत भी नहीं है, बच्चा। बस यूं ही पास रहो। वैसे भी, अगर तुम यूं ही हिलती-डुलती रही तो control करना मुश्किल हो जाएगा मेरे लिए। और अगर मैंने अपना control खो दिया, तो फिर हम दोनों के बीच क्या-क्या होगा, ये तो तुम भी जानती हो।" रुचि ने उसकी बातों पर कोई रिएक्ट नहीं किया और अपनी आंखें बंद रखीं, जैसे कि उसकी बातें सुनने के बाद भी अनजान बनी रहना चाहती हो। रेहान उसकी इस खामोशी पर मुस्कुराते हुए बोला, "तुम्हारी ये मासूमियत भी बड़ी प्यारी है, लेकिन मैं जानता हूं कि तुम सब समझती हो। तुम जानती हो कि मैं जो कहता हूं, वो करता हूं।" रुचि ने आंखें बंद किए हुए कोई रिएक्ट नहीं किया, लेकिन उसकी तेज़ होती सांसें उसके दिल की बेचैनी को बयां कर रही थीं। रेहान उसकी इस खामोशी पर फिर मुस्कुराया, "बहुत जल्द वो रात भी आएगी जब हम दोनों एक ही bed पर होंगे, लेकिन चुपचाप नहीं। पूरी रात एक-दूसरे में खोए रहेंगे, एक-दूसरे को जगाएंगे... पर सोने नहीं देंगे।" वह उसके चेहरे के करीब जाकर फिर से बोला, "तुम जितना भी अनजान बनने की कोशिश करो, बच्चा, लेकिन मैं जानता हूं कि तुम भी कहीं न कहीं ये सब चाहती हो। और तुम्हारे दिल में अभी भी मेरे लिए प्यार है, रुचि ने उसकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया। उसकी आंखें बंद थीं, और चेहरा बिल्कुल शांत जैसे वह पूरी तरह से सो चुकी हो । रेहान उसकी खामोशी को समझते हुए हल्के से उसके चेहरे को सहलाया और बुदबुदाया, "बस, ऐसे ही रहना मेरे पास... हमेशा।” सुबह के 5:00 बज रहे थे, और मनन और वरुण आराम से सो रहे थे। अचानक वरुण को महसूस हुआ कि कोई उसकी चेहरे पर उंगलियां फेर रहा था। उसकी नींद खुल गई और जैसे ही उसने आँखें खोलीं, सामने वाणी का चेहरा था। वह वाणी को देखकर हैरान रह गया और आँखें बड़ी करते हुए बोला, "बेबी, तुम यहां क्या कर रही हो?" वाणी मुस्कुराते हुए बोली, "क्या मतलब, मैं यहां क्या कर रही हूं? मेरा तुम्हारे बिना मन नहीं लग रहा था, तो आ गई। क्या मैं तुमसे मिलने भी नहीं आ सकती थी? पहले तुम मेरे आगे-पीछे घूमते थे, और अब जब मैंने हां बोल दिया, तब सब कुछ भूल गए? मैं तो याद भी नहीं तुम्हारी गर्लफ्रेंड हूं।" वरुण ने जल्दी से कहा, "अरे नहीं, ऐसी बात नहीं है। अचानक से प्लान बन गया।" फिर जैसे ही उसने सेंस में आते हुए पूछा, "तुम इस कमरे में क्या कर रही हो? वह भी इस बेड पर! भगवान, यहां पर मनन सोया है।" वाणी हंसते हुए बोली, "कहां सोए हैं, देख कर बताओ जरा।" वरुण ने दूसरी तरफ देखा और सच में मनन वहां पर नहीं था। उसने वाणी की ओर देखा और कहा, "वह यहीं पर था, कहां गया?" वाणी ने उसकी कॉलर पकड़कर अपनी तरफ खींचते हुए कहा, "वह अभी यहीं पर था, लेकिन मेरे आने के बाद चले गए। उन्हें कबाब में हड्डी नहीं बनना था, इसलिए चले गए।" इतना कहकर वाणी बड़ी अदा के साथ दूसरी तरफ लेट गई। वरुण ने जब सुना कि मनन वहां से चला गया, तो वह और ज्यादा खुश हो गया और वाणी के ऊपर झुक गया, किस करने के लिए। लेकिन तभी वाणी ने उसके होठों पर अपने हाथ रख दिया। वरुण उसकी इस हरकत पर हैरान होकर बोला, "पहले ब्रश करके आओ, फिर किस।" वाणी ने उसे देखकर कहा, "पहले ब्रश, वरुण।" वरुण ने उसकी बात सुनते हुए कहा, "नहीं, पहले किस, फिर ब्रश। हम अभी मिले हैं, और तुम ब्रश की बात कर रही हो?" वाणी ने भी अपनी आंखें बड़ी करते हुए कहा, "नहीं, पहले ब्रश।" दोनों किस और ब्रश पर अटके हुए थे। तभी वरुण ने वाणी के हाथ को पकड़ा और अपने होठों को उसके होठों के करीब ले जाने लगा। वाणी ने मना करते हुए कहा, "अरे, क्या कर रहे हो छोडो मुझे ।" लेकिन वरुण कहां रुकने वाला था। उसने वाणी के होठों के करीब जाकर किस करने ही वाला था कि अचानक उसकी चीख निकल गई। वह सीधे बेड के निचे गिर गया, कमर के नीचे पेट पर हाथ रखकर चिल्लाने लगा, "इतनी जोर से कौन मारता है? पागल हो गई हो क्या? कितना दर्द हो रहा है!" जब उसकी नजर बेड पर पड़ी, तो देखा कि वाणी की जगह मनन लेटा था, जो उसे घूर रहा था । वरुण ने गुस्से में बेड पर देखा और चिल्लाया, "अरे यार, ये क्या हो गया! मनन, तुम यहां कैसे?” आज के लिए इतना ही मिलते हैं कल और थैंक यू वानी और संजना आपके कमेंट ने मुझे अच्छा फील करवाया https://whatsapp.com/channel/0029VaKy1MzEquiGFFC49k1Z
लेकिन वरुण कहां रुकने वाला था। उसने वाणी के होठों के करीब जाकर किस करने ही वाला था कि अचानक उसकी चीख निकल गई। वह सीधे बेड के निचे गिर गया, कमर के नीचे पेट पर हाथ रखकर चिल्लाने लगा, "इतनी जोर से कौन मारता है? पागल हो गई हो क्या? कितना दर्द हो रहा है!" जब उसकी नजर बेड पर पड़ी, तो देखा कि वाणी की जगह मनन लेटा था, जो उसे घूर रहा था । वरुण ने गुस्से में बेड पर देखा और चिल्लाया, "अरे यार, ये क्या हो गया! मनन, तुम यहां कैसे?” मनन भड़कते हुए उठा, उसकी आँखों में गुस्सा साफ़ झलक रहा था। वो बोला, "कैसे का क्या मतलब? ये बता तू यहाँ कैसे और ये क्या करने की कोशिश कर रहा था मेरे साथ? मुझे नहीं पता था तू इतना घटिया हो सकता है। मुझे लगा कि तू मजाक कर रहा है पर... छी! अगर मैं तुझे मार नहीं देता तो पता नहीं तू क्या कर देता मेरे साथ! आज तो मेरी इज़्ज़त ही चली जाती!” वरुण अपनी चोट को सहलाते हुए कराहते हुए बोला, "अबे साले, मुझे क्या पता था तू यहां पड़ा होगा! और इतनी जोर से कौन मारता है? मेरी तो कमर तोड़ दी तूने! और मेरी इज्जत लूटने के लिए तेरे बुरे दिन नहीं आए हैं अभी!" मनन उसे घूरता हुआ बेड से उठा और वरुण के पास आकर बोला, "हां, दिख गया मुझे तेरी हरकतें! अब तो मेरे पास भी मत आना! मैं लोगों से क्या कहूंगा? मेरा दोस्त... गे है!" वरुण ये सुनते ही चौकन्ना हो गया। उसकी आंखें गुस्से में चमक उठीं, और वो जैसे-तैसे खड़ा होकर मनन की ओर बढ़ा। मनन उससे दूर हटते हुए बोला, "कमीने, अभी जो तू हरकत कर रहा था ना, उससे हर एंगल से तू गे ही दिख रहा था!" वरुण और करीब आकर, उंगली से इशारा करते हुए बोला, "कुत्ते, मैं कहाँ से गे लग रहा हूँ तुझे? दिमाग खराब है तेरा!" मनन और पीछे हटते हुए बोला, "तेरे दिमाग का इलाज होना चाहिए, वरुण। जो तू अभी कर रहा था, वो कोई सीधा लड़का नहीं करता!" इस पर दोनों की आँखें आपस में टकराईं, जैसे कोई जंग शुरू होने वाली है उसकी बात सुनकर वरुण को गुस्सा आ रहा था वह जूझला गया लेकिन उसकी आवाज़ में दर्द साफ़ झलक रहा था। उसने गुस्से से मनन की ओर देखते हुए कहा, "कैसे समझाऊं तुझे? मैं तेरे साथ वो नहीं करने जा रहा था, वो तो वाणी के लिए प्लान था। मुझे लगा वाणी वहां है, लेकिन तू निकल आया! अच्छा हुआ तूने मुझे मार दिया वरना मेरी इज़्जत लुट जाती। मैं अपनी मिस नकचढ़ी को क्या मुंह दिखाता? पर भाई, तूने इतनी जोर से मारा कि... अब तो ऐसा लग रहा है कि मेरे होने वाले बच्चे भी नहीं हो पाएंगे!" मनन, जो अभी तक थोड़ा गुस्से में था, वरुण की बात सुनकर थोड़ा रिलैक्स हुआ। उसने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, "साले अगर मैंने तुझे ना मारा होता तो पता नहीं क्या हो जाता। दो मिनट लेट हो जाता तो सबकुछ बर्बाद हो जाता!" वरुण ने फिर से दर्द भरी आवाज में कहा, "कमीने तो कहीं और मारता न! वहीं मारना जरूरी था क्या? अब तो मुझे लग रहा है कि मेरे बच्चे का भी होना मुश्किल है। हे भगवान, अब मैं अपनी वाणी को क्या जवाब दूंगा? इस इंसान की वजह से हमारे बच्चे नहीं हो पाएंगे, पता नहीं इस जालिम आदमी की वजह से और भी कुछ हो पाएगा कि नहीं" मनन ने चिढ़ते हुए कहा, "इतना भी जोर से नहीं मारा था यार, जो तू इतना बड़ा नाटक कर रहा है।" वरुण ने उसे घूरते हुए जवाब दिया, "अरे साले, नाटक नहीं कर रहा हूं। सच में बहुत दर्द हो रहा है! तेरी वजह से अब मैं अपनी वाणी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहा। और मेरे होने वाले बच्चे तुझे श्राप देंगे पाप देंगे,जोअब पता नहीं तेरी वजह से हो पाएंगे भी कि नहीं" वह आंखें बंद करके खुद को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था। उसके चेहरे से साफ़ पता चल रहा था कि दर्द बहुत तेज है। मनन को भी अब थोड़ा अफसोस होने लगा। वह वरुण के करीब आया और बोला, "कोई बात नहीं, चल, डॉक्टर के पास चलते हैं।" वरुण ने नाराज़गी से जवाब दिया, "तूने चलने लायक छोड़ा है क्या? यहां खड़ा नहीं हो पा रहा हूं, चलूंगा कैसे?" मनन ने वरुण के पेंट की तरफ देखते हुए कहा, "दिखा मुझे, एक बार चेक कर लूं।" वरुण ने झट से अपना हाथ पेट पर रखते हुए कहा, "पागल हो गया है क्या? ये सिर्फ मेरी वाणी के लिए है!" मनन ने उसे चिढ़ाते हुए कहा, "मुझे चाहिए भी नहीं, मेरे पास पहले से है! बस चेक कर रहा हूं कि ज्यादा चोट तो नहीं लगी है। दिखा एक बार!" इतना कहते हुए उसने हल्के से वरुण के पैंट के ऊपर हाथ रखा और उसके ऊपर से ही देखने लगा। तभी अचानक दोनों को दरवाजा खुलने की आवाज़ आई, और वे दोनों चौंक गए। अचानक दोनों की आँखें बड़ी हो गईं, क्योंकि सामने वाणी और कृतिका खड़ी थीं। दोनों अजीब एक्सप्रेशन के साथ देख रही थीं—वरुण खड़ा था और मनन घुटनों के बल बैठा हुआ था, उसके हाथ वरुण के पेट पर थे। जैसे ही मनन ने वाणी और कृतिका को देखा, वह झट से खड़ा हो गया और उनकी तरफ देखने लगा। दोनों ने एक साथ क्वेश्चन किया, "तुम दोनों यहां क्या कर रहे हो?" कृतिका तो कुछ बोल नहीं पा रही थी, पर वाणी तुरंत बोल पड़ी, "हम दोनों तुम दोनों को सरप्राइज देने आए थे, लेकिन हमें ही एक सरप्राइज मिल गया। पता नहीं था कि ऐसा सरप्राइज मिलेगा!" इतना बोलकर उसने कृतिका की तरफ देखा और कहा, "चल यार, यहाँ से चलते हैं। ऐसे इंसान मिले हमें, पहले से पता होता तो दूर रहते!" मनन ने वाणी को घूरते हुए कहा, "तुम ज्यादा सोचती हो। चुप रहो और जाओ।" फिर उसने कृतिका की तरफ देखा, जो चुपचाप वहां से निकल गई। वरुण ने वाणी की तरफ मुड़ते हुए कहा, "स्वीटहार्ट, ज्यादा सोच मत। ऐसा कुछ नहीं है। जो तुम सोच रही हो, वो है नहीं और जो है, वो तुम सोच नहीं पा रही हो। रुको, मैं तुम्हें समझाता हूँ।" वाणी को इतना गुस्सा आ रहा था कि उसने इधर-उधर देखा और बगल में रखा झाड़ू उठाया। झाड़ू को दोनों हाथों से पकड़ते हुए वह वरुण की ओर बढ़ी और बोली, "मैं तुम्हें बताती हूँ कि मैं क्या सोच रही थी और असल में क्या है!" इतना कहकर उसने झाड़ू से वरुण की ओर बढ़ते हुए उसे मारना शुरू कर दिया। वरुण को वाणी के गुस्से को देखकर भागते हुए कहा, "बेबी, मेरी बात सुनो। ये सब ऐसा नहीं है जैसा तुम सोच रही हो।" लेकिन वाणी की आंखों में गुस्सा था और वह समझने की कोशिश नहीं कर रही थी। वह झाड़ू से उसे मारते हुए कह रही थी, "तुमने मुझे धोखा दिया! तुमने बताया नहीं कि तुम ऐसे हो। वरना मैं कभी तुम्हारे प्रपोज को एक्सेप्ट नहीं करती। आज मुझे तुम्हारा असली चेहरा नजर आया!" वरुण कभी बेड के ऊपर तो कभी बेड से नीचे उतरते हुए बचने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वाणी ने उसे छोड़ा नहीं। वह लगातार उसे पीट रही थी। वरुण बार-बार अपना हाथ दिखाकर बचने की कोशिश कर रहा था और कह रहा था, "बेबी, मेरी बात सुनो।" वाणी ने उसके लिए कोई भी दया नहीं दिखाई और अपनी बात पर अड़ी रही। वह झाड़ू से लगातार उसकी पिटाई करती रही, आज के लिए इतना ही मिलते हैं कल लाइक कमेंट और रिव्यू जरूर देते रहिए ❤️ और हां कमेंट में बताइएगा,, और आप लोग कमेंट कीजिए आप लोग कमेंट क्यों नहीं करते हो
वरुण कभी बेड के ऊपर तो कभी बेड से नीचे उतरते हुए बचने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वाणी ने उसे छोड़ा नहीं। वह लगातार उसे पीट रही थी। वरुण बार-बार अपना हाथ दिखाकर बचने की कोशिश कर रहा था और कह रहा था, "बेबी, मेरी बात सुनो।" वाणी ने उसके लिए कोई भी दया नहीं दिखाई और अपनी बात पर अड़ी रही। वह झाड़ू से लगातार उसकी पिटाई करती रही, वरुण बार-बार उससे बचने की कोशिश कर रहा था और समझाने की कोशिश कर रहा था, पर वाणी उसे सुनने के मूड में बिलकुल नहीं थी। आखिरकार, वरुण बेड पर चढ़ गया ताकि खुद को थोड़ी सेफ्टी दे सके। लेकिन वाणी भी पीछे नहीं हटने वाली थी, वो फिर से बेड पर चढ़कर उसकी तरफ आई। वरुण ने एक झटके से पीछे हटते हुए उसे कमर से पकड़ लिया, ताकि उसे शांत कर सके। वाणी खुद को छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रही थी, पर वरुण उसे छोड़ने का कोई इरादा नहीं रखता था, क्योंकि उसे पता था कि अगर उसने वाणी को छोड़ दिया तो उसकी बहुत बुरी पिटाई होने वाली है। वाणी गुस्से में चिल्लाते हुए बोली, "छोड़ो मुझे! आज मैं तुम्हें बताती हूँ कि मुझे धोखा देने का अंजाम क्या होता है!" वरुण उसकी बात सुनकर थोड़ी घबराहट के साथ बोला, "नहीं बेबी, अगर मैंने तुम्हें छोड़ दिया, तो तुम मुझे मार-मार के हलवा बना दोगी।" वाणी गुस्से में और चिढ़ते हुए बोली, "हलवा नहीं, मैं तुम्हारी कीमा बनाऊंगी! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे धोखा देने की? अगर मुझे पता होता कि तुम ऐसे इंसान हो, तो मैं कभी तुम्हारा प्रपोज एक्सेप्ट ही नहीं करती! तुम्हारे चक्कर में मैंने अपने भाई को भी धोखा दिया, और तुमने मुझे धोखा दिया। मुझे पता होता कि तुम ऐसी छिछोरी हरकतें करते हो तो मैं कभी तुम्हें एक्सेप्ट नहीं करती।" वरुण ने वाणी की बात सुनते ही उसके हाथों से झाड़ू छीनने की कोशिश की। बड़ी मुश्किल से उसने झाड़ू छीनी और फेंक दी। इसके बाद वाणी ने फिर से हाथ-पैर मारने की कोशिश की, लेकिन वरुण ने उसे कस के पकड़ लिया और उसके दोनों हाथों को पीछे कर दिया। वाणी गुस्से में चिढ़ते हुए बोली, "तुम्हारी ये हरकतें बेकार हैं, मुझे छोड़ो!" वरुण ने पेट पर हाथ रखते हुए कहा, "बेबी, प्लीज! हाथ-पैर मत चलाना, वैसे भी मेरा बहुत बुरा हाल हो चुका है। अगर तुमने अब मारा, तो सच में बता रहा हूँ, जिंदगी भर पछताओगी।" वाणी कुछ समझ नहीं पाई और फिर गुस्से में बोली, "अब क्या पछताना रह गया है? मैंने सब कुछ देख लिया है, तुम्हारी हरकतें साफ दिख रही थीं।" वरुण उसकी तरफ मासूमियत से देखते हुए बोला, "बेबी, जो तुमने देखा, वो सही नहीं था। प्लीज़, एक बार मेरी बात सुन लो।" वाणी ने और गुस्से में आकर कहा, "मुझे कुछ भी नहीं सुनना है!" और वो बेड से नीचे उतरकर जाने लगी। तभी वरुण ने उसे खींच लिया, और दोनों का बैलेंस बिगड़ गया। दोनों धड़ाम से बेड पर गिर गए। वाणी वरुण के ऊपर थी, लेकिन वरुण ने तुरंत उसे पलटकर खुद ऊपर आ गया। वाणी खुद को छुड़ाते हुए बोली, "छोड़ो मुझे! मुझे जाने दो।" वरुण अपना सिर ना में हिलाते हुए बोला, "पहले मेरी बात सुन लो। फिर तुम्हें जहाँ जाना है, वहाँ चली जाना। बस एक बार मेरी बात सुन लो, बेबी, प्लीज़।" वाणी गुस्से में चिढ़ते हुए बोली, "क्या है? जल्दी बोलो, अब मुझे तुम्हारी एक भी बात नहीं सुननी है। बोलो और मैं यहाँ से जाऊं।" वरुण ने राहत की सांस लेते हुए कहा, "जो तुमने देखा, मैं मानता हूँ कि वो सही था। पर जो तुम सोच रही हो, वो गलत है।" वाणी गुस्से में तिरछी आँखों से घूरते हुए और दांत पीसते हुए बोली, "सही? गलत? अब ये क्या नया नाटक है?" "बेबी, जब तुम आई थी और मुझे और मनन को जो देखी थी, मैं मानता हूँ कि वो सही था। लेकिन तुमने उसका मतलब गलत निकाल लिया," वरुण ने समझाने की कोशिश की। वाणी ने उसकी बात सुनकर और चिढ़ते हुए कहा, "अब फिर से बहाने बना रहे हो? तुम्हारी बात सुनने का कोई मूड नहीं है मेरा!" वाणी ने फिर से उसे मारने की कोशिश की, पर वरुण ने उसे कस के पकड़ लिया और बोला, "पूरी बात सुन लो, उसके बाद जो मर्जी हो करो।" वाणी कुछ पल के लिए शांत हो गई और वरुण को घूरते हुए आँखें दिखाने लगी। वरुण ने उसकी तरफ देखते हुए कहा, "एक्चुअली बेबी, वो मैं गिर गया था और मुझे बहुत बुरी तरह से चोट आई थी। मनन देख रहा था कि मैं ठीक हूँ या नहीं। इसके अलावा हमारे बीच कुछ भी नहीं था। मैं उस टाइप का इंसान नहीं हूँ, यार।" वाणी ने उसकी बात सुनकर थोड़ा नरम होते हुए पूछा, "चोट लग गई थी? कहाँ?" वरुण ने नजरें नीची करते हुए और थोड़ा शर्माते हुए कहा, "जहाँ नहीं लगनी चाहिए थी, बेबी, वहीं लग गई।" वाणी पहले कुछ समझी नहीं, लेकिन जब उसे बात समझ आई, तो उसकी आँखें बड़ी हो गईं। "क्या? वहाँ कैसे लग गई?" उसने चौंकते हुए पूछा। वरुण बेचारा अब क्या बताता। उसने हँसते हुए दांत दिखाते हुए कहा, "देखो बेबी, हमें सिर्फ एक ही रूम मिला था और एक ही बेड। तो मैं बिल्कुल साइड में सोया था वह एक साथ एक बेड पर सोने में मुझे अनकंफरटेबल फील हो रहा था। नींद में गिर गया और बस चोट लग गई। फिर मनन देख रहा था कि मैं ठीक हूँ या नहीं। तब तक तुम दोनों आ गए और सब कुछ गलत समझ लिया।" वाणी ने फिर भी शंका भरे लहजे में पूछा, "तुम सच कह रहे हो ना?" वरुण ने मासूम सा चेहरा बनाते हुए कहा, "बेबी, हमारे होने वाले बच्चों की कसम!" फिर मन ही मन सोचते हुए बोला, "पता नहीं, बच्चे होंगे भी या नहीं। ऐसी हालत कर दी है कि मुझे तो उनके आने का भी कोई चांस नहीं लग रहा। और मनन के बच्चे को भी पड़नी चाहिए, तब मज़ा आएगा। कमीना साला, सब उसी की वजह से हुआ।" --- दूसरी तरफ, मनन तेजी से कृतिका के पीछे दौड़ा। कृतिका गार्डन एरिया की ओर जा रही थी, और उसके चेहरे पर गुस्सा और नाराज़गी साफ झलक रही थी। गार्डन में एक माली पेड़ों की कटिंग कर रहा था और साथ ही पानी डाल रहा था। मनन ने कृतिका को आवाज़ दी, "कृति, सुनो," लेकिन कृतिका ने उसे अनसुना कर दिया। वह तेजी से कृतिका के पास गया और उसके सामने खड़ा हो गया। कृतिका ने उसे देखा और गुस्से से बोली, "यह क्या कर रहे हो आप? हटिए मेरे रास्ते से।" मनन ने उसकी बात सुनी और गंभीरता से कहा, "पहले कृति, मेरी बात सुनो," और उसके पास बढ़ने लगा। कृतिका ने पीछे हटते हुए कहा, "देखिए, मेरे पास मत आइए। मैं पहले ही कह रही हूँ!" इतना कहकर उसने इधर-उधर देखा। फिर उसकी नज़र एक पेड़ की टहनी पर पड़ी, जिसे उसने उठा लिया और मनन को दिखाते हुए बोली, "देखिए, मैंने कहा ना, मेरे करीब मत आइए! मुझे आपकी कोई बात सुनाई नहीं दे रही।" मनन ने उसकी बात को अनसुना कर दिया और उसके करीब जाने लगा। तभी अचानक, कृतिका ने उसके पैर पर जोर से मार दिया। मनन को इतनी जोर से लगी कि वह उछल पड़ा और चिल्लाते हुए बोला, "पागल हो गई हो क्या, कृति?" कृतिका ने गुस्से से कहा, "अगर आप मेरे पास आए, तो मैं पक्का और मारूंगी। अभी एक ही लगी है, और लग जाएगी। मुझे आपकी कोई बात सुननी नहीं है। मुझे नहीं पता था कि अब ये सब देखने के बाद और भी कुछ सुना और देखा जाएगा।" मनन ने उसकी बात सुनकर गुस्से में अपनी आँखें चौड़ी कीं और कहा, "पहले तुम मेरी बात सुनो, फिर कुछ और बोलोगी।" इतना कहकर उसने फिर से कृतिका के पास जाने की कोशिश की। कृतिका ने उसे एक बार फिर मारा और कहा, "मैंने कहा है, मेरे करीब मत आना, तो फिर मत आना, नहीं तो और मारूंगी!" इस बार, डंडी उसके हाथ पर लगी थी। मनन ने जल्दी से अपना हाथ सहलाया क्योंकि उसे बहुत जोर से लगी थी। मनन को गुस्सा आ रहा था, लेकिन उसने महसूस किया कि कृतिका गुस्से में भी है और जो भी हो, वह उसे गलत समझ रही है। गुस्से में उसने कहा, "कृति, तुम मेरी बात सुनोगी या नहीं?" कृतिका ने तीखे लहजे में जवाब दिया, "नहीं, मिस्टर हॉट। मुझे आपकी कोई बात सुनाई नहीं दे रही है। आप जाइए, जो कर रहे थे वही कीजिए। मैं जा रही हूँ। मुझे खुद भी समझ में नहीं आ रहा कि मैं आपके पास सरप्राइज देने क्यों आई। शायद यही वजह थी कि आप मुझसे दूर रहते थे, और मुझे लगता था कि आप मेरी असलियत जानते हैं।" मनन ने उसकी बात सुनकर गुस्से में उसकी ओर बढ़ते हुए कहा, "तुम्हारी असलियत? और क्या?" कृतिका ने उसे डंडी दिखाते हुए कहा, लेकिन मनन ने उसे डंडी को झटका देकर पकड़ लिया और दूर फेंक दिया। फिर गुस्से में उसने कृतिका के बालों को पकड़ लिया और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिएऔर उसे गुस्से में किस करने लगा, अपना गुस्सा कृतिका के होठों पर उतर रहा था, उसे नहीं लगा था कि कृतिका उसे ऐसा कुछ कहेगी । वह सब माली भी देख रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है, और जब उसने मनन को कृतिका को किस करते देखा, तो वह सिर झुकाकर वहाँ से चला गया। मनन गुस्से में था, और कृतिका को लगातार किस कर रहा था। उसने उसके दोनों हाथों को एक हाथ से पकड़कर पीछे किया और दूसरे हाथ से उसके बालों को कसकर पकड़ा। मनन का गुस्सा कृतिका पर उतर रहा था। करीब पांच मिनट तक ऐसा ही चलता रहा। फिर उसने कृतिका को छोड़ा, पर उससे अलग नहीं हुआ। गुस्से में उसे देखते हुए बोला, "दोबारा ऐसी बात कही ना कृति, तो मैं तुम्हारी जान ले लूंगा। आई लव यू, इडियट! और तुम्हारे पास्ट से मुझे कभी फर्क नहीं पड़ा और ना कभी पड़ेगा। मैं तुमसे दूर इसलिए नहीं रहता था कि तुम्हारी असलियत जानता था, बल्कि इसलिए कि तुम ये ना सोचो कि मैं भी उन मर्दों जैसा हूँ।" कृतिका की आँखों में आँसू थे। उसने मासूमियत से मनन को देखा। मनन ने गुस्से में कहा, "और जो तुमने देखा, वह सही नहीं था। मैं गे नहीं हूँ, और दूसरी बात, उसे चोट लगी थी, इसलिए मैं देख रहा था, बस और कुछ नहीं। दोबारा ऐसी फालतू की बातें अपने दिमाग में मत लाना, नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।" कृतिका ने आँसुओं के साथ मासूम आवाज़ में कहा, "आपसे बुरा कोई हो भी नहीं सकता, मिस्टर हॉट। वैसे भी, कौन ऐसे प्रपोज करता है?" मनन के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई। उसने कहा, "तुम्हारा मिस्टर हॉट ऐसा ही है, और यह तुम्हें अच्छे से पता है।" कृतिका की मुस्कान के साथ, उसने उसे गले से लगा लिया। अभी के लिए इतना ही मिलते हैं बाद में सेकंड चैप्टर आ सकता है लेकिन लाइक कमेंट रिव्यू और व्यू पर डिपेंड है😁 और सेकंड चैप्टर में मिलेगा रेहान 🥰
कृतिका ने आँसुओं के साथ मासूम आवाज़ में कहा, "आपसे बुरा कोई हो भी नहीं सकता, मिस्टर हॉट। वैसे भी, कौन ऐसे प्रपोज करता है?" मनन के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई। उसने कहा, "तुम्हारा मिस्टर हॉट ऐसा ही है, और यह तुम्हें अच्छे से पता है।" कृतिका की मुस्कान के साथ, उसने उसे गले से लगा लिया। दूसरी तरफ, —--- सुबह के 8 बजे थे। Rehaan और Ruchi एक-दूसरे की बाहों में सुकून से सो रहे थे। Rehaan ने Ruchi को अपनी बाहों में कसकर पकड़ा हुआ था, जैसे उसे कभी जाने ही नहीं देना चाहता हो। Ruchi उसकी छाती से लगी हुई थी, उनकी सांसें एक साथ चल रही थीं, और कमरे में हल्की-हल्की धूप फैली थी। सब कुछ जैसे थम सा गया था, पर अचानक Ruchi नींद में बेचैन होने लगी। वो हल्के से करवट लेकर Rehaan से दूर होने की कोशिश करने लगी, मानो उसे छूना नहीं चाहती हो। Rehaan की नींद टूट गई। उसने आंखें खोलीं और देखा कि Ruchi, बच्चों की तरह खुद को उसकी पकड़ से छुड़ाने की कोशिश कर रही थी। उसे ये देखकर हल्की सी हंसी आई, लेकिन उसने मन में सोचा, *"अरे यार, ये लड़की तो नींद में भी मुझे दूर करने का बहाना ढूंढ लेती है।"* वो जानता था कि Ruchi गुस्से में हमेशा यही करती थी—वो उसे जानबूझकर अनजान बन जाती, जैसे वो कोई अजनबी हो। पर Rehaan को अच्छे से पता था कि ये सिर्फ उसका तरीका था गुस्सा जाहिर करने का। अंदर से वो उसे बहुत अच्छे से जानती थी और उससे दूर होने का नाटक सिर्फ उसे परेशान करने का तरीका था। Rehaan ने एक पल के लिए उसे ध्यान से देखा—उसके होंठ हल्के से खुले हुए थे, चेहरा मासूमियत से भरा हुआ। उसकी नजर Ruchi के होठों पर अटक गई। एक अजीब सी खिंचाव महसूस करते हुए, वो धीरे-धीरे उसके होठों की ओर बढ़ने लगा। उसकी सांसें भारी होने लगीं, और वो खुद को रोक नहीं पा रहा था। जैसे ही वो Ruchi के होठों के करीब पहुंचा, अचानक Ruchi की आंखें खुल गईं। उनकी नजरें मिलीं, और Ruchi का चेहरा तुरंत सख्त हो गया। Ruchi ने उसे घूरते हुए कहा, "Excuse me, ये आप क्या करने की कोशिश कर रहे थे?" Rehaan ने एक पल के लिए मुस्कुराते हुए शरारती अंदाज में कहा, "कुछ नहीं, बस... तुम्हें थोड़ा और करीब से देख रहा था।" Ruchi ने आंखें तरेरते हुए दूर हटने की कोशिश की, "पास से देखना था, तो पहले पूछ तो लेते!" Rehaan ने मुस्कुराते हुए कहा, "अरे, तुमने तो मुझे पहचाना ही नहीं। पूछता भी तो क्या फायदा?" Ruchi ने गुस्से से कहा, "पहचाना? I don’t even know you! कौन हैं आप?" Rehaan ने मन ही मन हंसी दबाई। वो जानता था कि ये सब सिर्फ नाटक है, और उसने Ruchi को चिढ़ाते हुए कहा, "अरे वाह! तो अब मैं अजनबी हो गया? It’s fine, वैसे भी मुझे मालूम है कि तुम मुझे अच्छे से जानती हो, बस मान नहीं रही हो।" Ruchi ने गुस्से में चेहरा घुमाते हुए कहा, "देखिए, ये सब flirt करना बंद करिए, मुझे इसमें कोई interest नहीं है!" Rehaan थोड़ा और करीब आकर फुसफुसाया, "Interest नहीं है? फिर मेरे इतने पास क्यों आई हो?" Ruchi की भौहें और चढ़ गईं। उसने उसे हल्के से धक्का देते हुए कहा, "मुझे किसी के पास नहीं आना था, especially आपके!" Rehaan ने उसकी आंखों में झांकते हुए मुस्कुराया, "Really? तुम्हारे दिल की बात तो कुछ और ही कह रही है।" Ruchi का गुस्सा और बढ़ने लगा, "आपको हर बात में मजाक सूझता है! I told you, I don't know you!" Rehaan ने धीरे से उसकी कलाई पकड़ी, उसे थोड़ा और करीब खींचते हुए कहा, "तुम मुझे जितना भी दूर करने की कोशिश कर लो, मुझे पता है तुम अंदर से मुझे उतना ही जानती हो... और चाहती भी हो।" Ruchi ने अपनी कलाई छुड़ाते हुए कहा, "आप बस मान ही नहीं सकते कि मैं रुचि हु ! ये आपकी over-confidence ना, एक दिन आपको बहुत भारी पड़ेगी!" Rehaan ने उसके चेहरे के करीब आकर हल्की मुस्कान के साथ कहा, "Over-confidence नहीं, बस तुम्हारी नज़रों में अपना प्यार देख सकता हूं। और चाहे तुम कितनी भी कोशिश कर लो, तुम्हारा गुस्सा मुझे और पास खींचता है।" Ruchi ने एक गहरी सांस लेते हुए उसे देखती है , पर ना जाने क्यों उसका दिल धक-धक कर रहा था, फिर वह रेहान को देखते हुए फिर से बोली । "आपका ये sweet talk मुझे impress नहीं करने वाला।" Rehaan ने शरारत से उसकी नाक को हल्के से छूते हुए कहा, "Impress करने की कोशिश नहीं कर रहा... बस तुम्हें याद दिला रहा हूं कि हम एक-दूसरे को बहुत अच्छे से जानते हैं। तुम्हारा ये दूर जाने का नाटक मुझे बेवकूफ नहीं बना सकता।" Ruchi ने एक पल के लिए उसकी बातों पर गौर किया, फिर उसे घूरते हुए बोला हुए कहा, "आपकी बातें... उफ्फ! कितने annoying हो आप!" Rehaan ने धीरे से उसकी कमर के चारों ओर अपनी बाहें डालते हुए कहा, "Annoying नहीं... बस तुम्हारा अपना।" Ruchi ने उसे एक पल के लिए घूरा, फिर धीरे से उसकी पकड़ को महसूस करते हुए बोली, "आप कभी नहीं सुधरने वाले।" Rehaan ने मुस्कुराते हुए कहा, "और तुम कभी मुझसे दूर नहीं जाने वाली।" रुचि ने गुस्से में झटके से खुद को छुड़ाते हुए कहा, “मुझे सावर लेना है, और आप की ये हरकतें मुझे गुस्सा दिला रही हैं।” रेहान ने उसकी बात सुनी और धीरे से करीब आते हुए बोला, “अरे सावर तो ले लो, लेकिन अगर गुस्से में ही जाना है, तो मैं साथ चलूं... शायद ठंडे पानी से हां सही पर मेरे साथ रहने पर गुस्सा भी ठंडा हो जाए।” रुचि उसकी बात सुनकर थोड़ा पीछे हटते हुए बोली, “जी नहीं, आपको तो अकेले ही सावर लेना चाहिए। मेरे साथ इन सब का कोई मतलब नहीं।” रेहान ने शरारत भरी नज़रों से उसकी ओर देखा और उसके कान के पास जाकर धीरे से फुसफुसाया, “तुम्हें पता है, तुम जितनी दूर भागती हो, मैं उतना ही करीब आना चाहता हूं। और वैसे भी... ‘तुम्हारे साथ नहाने का इरादा नहीं था, बस तुम्हारे करीब आने का बहाना ढूंढ रहा था।’” रुचि ने उसकी इस शरारती बात पर अपनी नज़रें नीचे कर लीं, उसका चेहरा हल्का सा गुलाबी हो गया। उसने खुद को छुड़ाया और बाथरूम की ओर भागते हुए कहा, “आपकी बातें तो सच में हद से बाहर हैं। और ये शरारतें छोड़ दीजिए।” रेहान पीछे से मुस्कराते हुए बोला, “शरारतें तो दिल से होती हैं, रुचि... और दिल तो तुम्हारे पास ही है।” रुचि ने बाथरूम का दरवाजा बंद किया और अपने दिल पर हाथ रखते हुए बुदबुदाई, “ये आदमी... क्या करूं इसका?” बाहर रेहान दरवाजे की ओर देखता रहा, उसकी आंखों में शरारत की एक अलग ही चमक थी। थोड़ी देर बाद, जब रुचि बाथरूम से बाहर निकली, तो सीधे क्लोज़ेट की तरफ बढ़ गई। रेहान भी उसके बाद बाथरूम में चला गया। कुछ देर बाद, रुचि व्हाइट सूट और रेड प्लाजो में तैयार होकर बाहर आई। मिरर के सामने खड़े होकर उसने हल्का सा मेकअप किया, लाइट पिंक लिपस्टिक लगाई, और बालों को खुला छोड़ दिया। तभी दरवाजे की घंटी बजी। रुचि ने दरवाजे की ओर देखा और सोचा, "इस वक्त कौन हो सकता है?" दरवाजा खोलने पर एक डिलीवरी बॉय खड़ा था, जिसके हाथ में पॉलीबैग था। उसने रुचि को बैग थमाते हुए कहा, "मैम, आपके कपड़े।" रुचि ने उसे सवालिया नज़रों से देखा और कहा, “मेरे कपड़े? मैंने तो कुछ मंगवाया ही नहीं।” तभी पीछे से रेहान की आवाज आई, “कपड़े तुम्हारे नहीं, मेरे हैं, बच्चा।” रुचि ने पलटकर देखा, रेहान सफेद टॉवल में खड़ा था, सिर से पानी की बूंदें गिर रही थीं। रुचि की निगाह रेहान पर टिक गई, रेहान रुचि की तरफ तिरछी नजर से देखा और हल्के से मुस्कुराते हुए बोला, “वैसे अगर तुम कहो तो... ये टॉवल भी मुझे सूट कर रहा है । क्या ख्याल है?” रुचि ने उसकी बाते सुनकर शर्मा गई और शरमाते हुए उसकी ओर देखा, उसे खुद पर शर्म आ रही थी क्यों रिहान को इस तरह से कैसे देख सकती है, उसकी नज़रें एक पल के लिए रुक गईं। रेहान ने उसकी ओर झुकते हुए धीरे से कहा, “तुम जितनी खूबसूरत हो, उतनी ही मासूम भी... वैसे तुम्हारे नज़रें भी कभी-कभी शरारतें करती हैं, ध्यान दिया है?” रुचि ने उसकी ओर देखते हुए हल्की आवाज में कहा, “आप तो बस... हद करते हैं।” रेहान ने उसके बालों की एक लट को छूते हुए कहा, “हद से गुजरने का इरादा नहीं, बस तुम्हें और करीब से देखने का शौक है।” रुचि उसकी बात सुनकर किचन की ओर बढ़ गई, नहीं रुचि को किचन की तरफ जाते हुए देखकर रेहान मुस्कुराते हुए अपने मन में बोला, वैसे भूख तो मुझे भी लगी है फ्राइड राइस हो जाए तो मजा आ जाए इतना बोल के उसके चेहरे पर डेविल स्माइल थी.. आज के लिए इतना ही मिलते हैं ab खाएंगे फ्राइड राइस😂 पता नहीं रुचि खिलाएगी तब ना 🥲 लाइक कमेंट रिव्यू देते रहिए❤️
रेहान ने उसके बालों की एक लट को छूते हुए कहा, “हद से गुजरने का इरादा नहीं, बस तुम्हें और करीब से देखने का शौक है।” रुचि उसकी बात सुनकर किचन की ओर बढ़ गई, नहीं रुचि को किचन की तरफ जाते हुए देखकर रेहान मुस्कुराते हुए अपने मन में बोला, वैसे भूख तो मुझे भी लगी है फ्राइड राइस हो जाए तो मजा आ जाए इतना बोल के उसके चेहरे पर डेविल स्माइल थी.. Ruchi किचन में जाकर नाश्ता बनाने लगती है और अपने मन में बोली, इस आदमी को जल्द से जल्द यहां से निकलना होगा सबसे पहलेनाश्ता बना कर देती हूं फिर बोलती हूं यहां से चले जाएं, वैसे भी मुझे कोई बहाना नहीं चाहिए कि ब्रेकफास्ट तो पूछ लिया होता इसलिए ब्रेकफास्ट बना रही हूं और कोई वजह नहीं है, तभी पीछे से रेहान की आवाज आती है रुचि के कानों में, वैसे यह आदत पुरानी है या अभी नई-नई बनी है खुद से बात करने की, उसकी बात सुनकर रुचि के हाथ अपने आप अपनी ही जगह पर रुक जाते हैं और वह पीछे मुड़कर देखते हुए बोली आपको मेरी हर बात जानी जरूरी क्यों रहती है, रेहान बिल्कुल उसके करीब आकर बोला, —-- Ruchi किचन में जाकर नाश्ता बनाने लगती है और अपने मन में बुदबुदाती है, "इस आदमी को जल्द से जल्द यहां से निकलना होगा। सबसे पहले नाश्ता बना कर देती हूं, फिर बोलती हूं यहां से चले जाएं। वैसे भी मुझे कोई बहाना नहीं चाहिए कि 'ब्रेकफास्ट तो पूछ लिया होता'। इसलिए ब्रेकफास्ट बना रही हूं, और कोई वजह नहीं है।" तभी पीछे से Rehaan की आवाज उसके कानों में गूंजती है, "वैसे ये आदत पुरानी है या अभी नई-नई सी बनी है, खुद से बात करने की?" Rehaan की आवाज सुनकर Ruchi के हाथ रुक जाते हैं, और वह थोड़ा हैरानी से पीछे मुड़कर देखती है। उसकी नज़रों में हल्का सा गुस्सा झलकता है। Ruchi, थोड़ा तंज भरे लहजे में: "आपको मेरी हर बात जानने की इतनी ज़रूरत क्यों रहती है?" Rehaan बिल्कुल उसके करीब आकर धीरे से मुस्कुराता है, और थोड़ा झुकते हुए कहता है, "क्योंकि तुम्हारी हर बात... मुझे दिलचस्प लगती है। और वैसे भी, तुम्हारे बिना बात किए दिन ही पूरा कहां होता है?" Ruchi उसकी बात से थोड़ी असहज महसूस करती है, लेकिन चेहरा सख्त रखती है। "आपको ज्यादा दिलचस्पी रखने की ज़रूरत नहीं है। आप ब्रेकफास्ट कर लीजिए और फिर यहां से जा सकते हैं।" Rehaan मुस्कुराते हुए धीरे से Ruchi के और करीब आता है, उसकी आंखों में देखते हुए एक गहरे और रहस्यमयी अंदाज में कहता है, "तुम जितनी कोशिश कर लो, मुझे यहां से जाने का मन नहीं है। और सच कहूं... तुम भी मुझे यहां से भेजना नहीं चाहती।" Ruchi की आंखें थोड़ी चौड़ी हो जाती हैं, लेकिन वो खुद को संभालते हुए कहती है, "आप खुद पर कुछ ज्यादा ही भरोसा कर रहे हैं।" Rehaan हल्के से हंसता है, उसकी आंखों में एक शरारत भरी चमक के साथ कहता है, "शायद। लेकिन कभी-कभी मेरा भरोसा सही भी तो हो सकता है, नहीं?” Rehaan हल्के से हंसता है, उसकी आंखों में वही शरारत भरी चमक के साथ कहता है, "शायद। लेकिन कभी-कभी मेरा भरोसा सही भी तो हो सकता है, नहीं?" Ruchi उसकी बात पर बिना कोई खास प्रतिक्रिया दिए कहती है, "जी नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। ये सब आपकी गलतफहमी है।" इतना कहने के बाद Ruchi ने वापस से नाश्ता बनाने में खुद को व्यस्त कर लिया। तभी Rehaan पीछे से हल्के से मुस्कुराते हुए बोला, "अगर मेरे लिए ब्रेकफास्ट बना रही हो, तो आई लव फ्राइड राइस।" Rehaan की ये बात सुनते ही Ruchi के चेहरे के हावभाव बदल गए। उसके हाथ वहीं रुक गए, और वह एक पल के लिए एकदम शांत हो गई, जैसे कुछ पुरानी यादें सामने आ गई हों। मगर उसने जल्दी से खुद को संभालते हुए जवाब दिया, "बट मुझे नहीं पसंद। और मेरा घर है, मेरे घर में जो मुझे पसंद होगा वही बनेगा। अगर आपको कुछ और खाना है, तो आप यहां से जा सकते हैं।" Rehaan उसकी तीखी बात सुनकर मुस्कुराते हुए जवाब देता है, "अरे... मेहमानों के साथ ऐसे कौन बात करता है? वैसे भी, सुना है कि मेहमान भगवान होते हैं।" Ruchi उसकी बात पर चिढ़ते हुए और तंज भरे लहजे में कहती है, "जबरदस्ती के मेहमान और जबरदस्ती के भगवान नहीं होते। जो बन रहे है, चुपचाप खाइए और मेरा पीछा छोड़कर यहां से जाइए।" Rehaan उसकी आंखों में देखते हुए रहस्यमयी अंदाज़ में एक कदम और करीब आता है, उसकी आवाज़ और भी गहरी हो जाती है, "तुम जितना कहती हो कि मैं चला जाऊं, उतना ही लगता है कि तुम चाहती हो मैं रुका रहूं। क्या पता, इस जबरदस्ती के मेहमान को जाने के बाद... तुम कुछ मिस ना करने लगो?" Ruchi ने उसकी आंखों में झांकते हुए खुद को थोड़ा पीछे किया, और गंभीर होकर बोली, "आप खुद को इतना खास मत समझिए। मैं कुछ मिस नहीं करने वाली।" Rehaan हल्की मुस्कान के साथ धीरे से कहता है, "खास तो नहीं... पर शायद कुछ ऐसा हूं,जो , तुम्हारे हर कदम के आसपास, जैसे तुम्हारी परछाई... कभी पूरी तरह जाने का नाम ही नहीं लेती।" Ruchi उसे घूरते हुए समझ नहीं पाती कि वो क्या इरादे रख रहा है, लेकिन Rehaan का ये मिस्टीरियस अंदाज़ उसे कहीं न कहीं बेचैन कर देता है। दूसरी तरफ, श्रेया किचन में काम कर रही थी, पर उसका मन वहां बिल्कुल नहीं लग रहा था। बार-बार उसका ध्यान आकर्ष की ओर खिंच रहा था। उसकी बातें, उसकी यादें, सबकुछ जैसे दिमाग में घूम रही थीं। श्रेया चाहकर भी उसे अपने ख्यालों से बाहर नहीं निकाल पा रही थी। हां, उसने खुद को समझाया था कि उसे आकर्ष से दूर जाना चाहिए, पर जब आकर्ष ने उसे डिवोर्स की बात कही थी, तो वह उसे सहन नहीं हो रहा था। उस एक बात ने उसे अंदर तक हिला दिया था। वह शांत दिखने की कोशिश कर रही थी, पर भीतर ही भीतर उसका दिल टूट रहा था। बार-बार वही बातें उसके मन में लौट-लौटकर आ रही थीं, जिन्हें वो सोचने से भी बचना चाहती थी। अचानक से हाल में आकर्ष की आवाज गूंजी, "श्रेया! बाहर आओ, तुम्हें कुछ दिखाना है।" आकर्ष की आवाज सुनते ही श्रेया का दिल धक-धक करने लगा। उसने एक गहरी सांस ली और अपने आप को संभालते हुए धीरे-धीरे किचन से बाहर आई। जैसे ही उसने हाल में कदम रखा, उसकी आंखें चौड़ी हो गईं। सामने आकर्ष मुस्कुरा रहा था, और उसके साथ थे उसके माता-पिता। श्रेया के कदम धीमे-धीमे उसकी ओर बढ़ रहे थे, उसकी निगाहें बस आकर्ष पर टिकी थीं। आकर्ष के चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी, और तभी उसने एक पेपर उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा, "ये लो, स्वीटहार्ट, हमारे डिवोर्स पेपर्स। और हां, मिलो मेरी फ्यूचर वाइफ अर्पिता से।" श्रेया के कानों में जैसे शब्द ठहर से गए। उसकी जगह पर वह जैसे जम सी गई थी। आकर्ष की बात सुनकर उसके माता-पिता के चेहरे के रंग उड़ गए। आकर्ष के पिता को तो जैसे गुस्से का दौरा पड़ गया। वह चीख पड़े, "ये क्या बकवास कर रहे हो, आकाश? क्या शादी-विवाह तुम्हारे लिए कोई खेल है? जब मन किया, किसी से शादी कर ली और जब मन किया, डिवोर्स की बात करने लगे? ये घर है, कोई तमाशा नहीं! यहां ये सब नहीं चलेगा। और तुम श्रेया को डिवोर्स देने की सोच भी कैसे सकते हो? अगर तुमने श्रेया को छोड़ा, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।" आकर्ष ने अपने पिता की बात पर एक ठंडी मुस्कान देते हुए कहा, "डैड, प्लीज। ये हमारा निजी मामला है। आपके बीच में न आने से बेहतर होगा। हम दोनों की जिंदगी है, और हम खुद तय करेंगे कि हमें क्या करना है।" श्रेया, जो अब तक शांत खड़ी थी, आकर्ष की यह बेशर्मी देखकर खुद को रोक नहीं पाई। उसकी आवाज में गुस्सा और दुख दोनों झलक रहे थे। उसने धीमे से पर मजबूती से कहा, "तुम्हारे लिए सबकुछ इतना आसान है न,आकर्ष ? एक साइन और सब खत्म? क्या कभी सोचा है, मैंने इस रिश्ते में क्या-क्या सहा है?" उसके अंदर छिपा गुस्सा और दर्द एक साथ बाहर फूट पड़ा। उसकी आवाज कांप रही थी, फिर भी वह मजबूती से बोली, "तुम्हारे लिए सब कुछ इतना आसान है न, आकर्ष? एक साइन और सब खत्म? क्या कभी सोचा है, मैंने इस रिश्ते में क्या-क्या सहा है?" आकर्ष ने ठंडी निगाहों से उसकी तरफ देखा और बड़ी ही बेरहमी से मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "इसीलिए तो, श्रेया, मैं तुम्हें डिवोर्स देकर इन सब चीजों से दूर कर रहा हूं। अब तुमसे कोई शिकायत नहीं होगी, कोई दर्द नहीं होगा।" यह कहते हुए उसने अर्पिता की कमर में अपना हाथ डाला और उसे करीब खींच लिया। अर्पिता उसके बगल में खड़ी होकर मुस्कुरा रही थी, जैसे यह सब कुछ उसके लिए सामान्य हो। श्रेया ने उस पल खुद को पूरी तरह बिखरता महसूस किया, लेकिन वह इस हालात से भाग नहीं सकती थी। उसकी आंखों में आंसू तैर रहे थे, पर उसने उन्हें बहने नहीं दिया। उसने एक गहरी सांस ली, अपने अंदर जमा हुए दर्द को समेटा, और धीरे-धीरे डिवोर्स पेपर्स पर साइन कर दिए। साइन करते वक्त उसका हाथ कांप रहा था, पर उसने खुद को मजबूत बनाए रखा। जब पेपर पर उसकी सिग्नेचर पूरी हुई, तो वह आखिरी बार आकर्ष की तरफ देखी। उसकी आंखों में दर्द, सवाल, और बेबसी थी, पर उसके होंठ एक शब्द भी नहीं बोले। आकर्ष ने पेपर्स उठाए और एक विजयी मुस्कान के साथ कहा, "देखा, मैंने कहा था न, ये सब तुम्हारे लिए आसान होगा। अब तुम भी आगे बढ़ सकती हो, जैसे मैं बढ़ रहा हूं।" श्रेया ने साइन कर दिए थे और जैसे ही उसने कागज आकर्ष की तरफ बढ़ाया, वह बिना कुछ कहे वहां से चल दी। लेकिन तभी आकर्ष की आवाज ने उसे रोक दिया। "सिर्फ तुम्हारे साइन करने से डिवोर्स नहीं होगा, स्वीटहार्ट," आकर्ष ने एक विजयी मुस्कान के साथ कहा, "डिवोर्स के लिए मुझे भी साइन करना होगा। और ये डिवोर्स तभी होगा जब मेरी शादी अर्पिता से होगी। एक रिश्ते में मैं बंधूंगा और दूसरे से तुम्हें आज़ाद करूंगा।" श्रेया ने गहरी सांस ली, उसकी मुट्ठियां कस गईं। उसकी आंखों में गुस्सा और बेबसी दोनों झलक रहे थे, लेकिन उसने खुद को काबू में रखा। तभी आकर्ष की मां ने गुस्से में कहा, "ये तुम सही नहीं कर रहे हो बेटा। मैं ऐसा कुछ नहीं करने दूंगी।" आकर्ष ने अपनी मां की तरफ एक ठंडी नज़र डालते हुए जवाब दिया, "मुझे नहीं पता कि मैं सही कर रहा हूं या गलत, पर मैंने किसी से कोई एडवाइस नहीं मांगी है, तो मुझे एडवाइस देने की ज़रूरत नहीं है। और हां, ये शादी एक हफ्ते के अंदर ही होगी, और इस शादी की सारी तैयारी श्रेया करेगी।" आकर्ष के शब्द सुनते ही श्रेया के चेहरे पर एक झटका सा लगा। जिन आंसुओं को वह बड़ी मुश्किल से रोक रही थी, वो आखिरकार उसकी आंखों से बहने लगे। लेकिन उसने तुरंत अपने आंसू पोंछे और खुद को मजबूत करते हुए बोली, "हां, मैं इस शादी की तैयारी ज़रूर करूंगी। अब मैं इस घर से तभी जाऊंगी, जब तुम्हारी शादी हो जाएगी।" इतना कहकर, श्रेया मुड़ी और सीधे सीढ़ियों की ओर बढ़ गई। हर कदम के साथ उसका दिल जैसे और भारी हो रहा था। उसने खुद को संभाले रखा, पर जैसे ही वह अपने कमरे में पहुंची, उसके अंदर की सारी भावनाएं बाहर आ गईं। वह सीधे अपने बेड पर गिर पड़ी और जोर-जोर से रोने लगी। उसकी आंखों से आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। कमरे की खामोशी में बस उसकी सिसकियां गूंज रही थीं। वह बार-बार खुद से यही सवाल पूछ रही थी, "मैंने क्या गलती की थी? क्यों मुझे इतनी बड़ी सजा मिल रही है?" हर बार जब वह इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करती, उसके आंसू और तेज़ हो जाते। थोड़ी देर बाद, श्रेया ने खुद को थोड़ा संभालने की कोशिश की। वह बेड से उठी और आइने के सामने जाकर खड़ी हो गई। उसकी आंखें लाल थीं और चेहरा थका हुआ, लेकिन उसने खुद से वादा किया कि वह टूटेगी नहीं। उसने धीरे से कहा, "मैं ये शादी की तैयारी करूंगी, लेकिन इसके बाद मैं तुम्हारी ज़िन्दगी से हमेशा के लिए चली जाऊंगी, आकर्ष। तुमने मुझे जितना दर्द दिया है, मैं उसे कभी नहीं भूलूंगी।" तभी दरवाजे पर हल्की दस्तक हुई। श्रेया ने जल्दी से अपने आंसू पोंछे और दरवाजा खोला। सामने आकर्ष की मां खड़ी थीं। उनकी आंखों में भी दर्द और चिंता साफ झलक रही थी। "श्रेया बेटा, ये सब गलत हो रहा है। मुझे माफ़ करना कि मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर पा रही हूं," उन्होंने दुखी स्वर में कहा। श्रेया ने एक कमजोर सी मुस्कान दी और बोली, "आपकी गलती नहीं है, आंटी। कुछ चीज़ें हमारे बस में नहीं होतीं। लेकिन अब मैं इस घर में सिर्फ एक काम पूरा करने के लिए हूं, और फिर मैं यहां से हमेशा के लिए चली जाऊंगी।" आकर्ष की मां ने उसकी पीठ पर हल्के से हाथ फेरा और कहा, "जो भी हो, तुम मेरी बेटी की तरह हो, और हमेशा रहोगी।" श्रेया ने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। बस अपने कमरे के दरवाजे को बंद कर दिया और एक बार फिर बेड पर गिर पड़ी। उसके अंदर तूफान चल रहा था, लेकिन बाहर से वह खुद को मजबूती से दिखाने की कोशिश कर रही थी। Aaj ke liye itna hi Milte Hain kal Kahani Ek Nai Mod Lekar a rahi hai, Shreya aur aakarsha ke liye Nahin Kisi Aur Ke Liye bhi kiski Jindagi Mein क्या-क्या Mod a raha hai jaane ke liye padhte rahiye Ishq abhi baki h
आकर्ष की मां ने उसकी पीठ पर हल्के से हाथ फेरा और कहा, "जो भी हो, तुम मेरी बेटी की तरह हो, और हमेशा रहोगी।" श्रेया ने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। बस अपने कमरे के दरवाजे को बंद कर दिया और एक बार फिर बेड पर गिर पड़ी। उसके अंदर तूफान चल रहा था, लेकिन बाहर से वह खुद को मजबूती से दिखाने की कोशिश कर रही थी। दूसरी तरफ, रुचि रेहान के साथ आश्रम निकल गई है वैसे वह मना कर रही थी पर रिहान मन नहीं रहा था और रुचि नहीं चाहती थी कि उसके अपार्टमेंट वाले कोई बातें बनाएं जिस वजह से वह उसके साथ चली गई। जैसे ही उनकी कार आश्रम के अंदर जाकर रुकी, रुचि और रेहान बाहर आए। बाहर निकलते ही सामने मनन, कृतिका, वाणी, और वरुण खड़े थे। कृतिका और वाणी ने जैसे ही रुचि को देखा, उनके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान आ गई। वो दोनों तुरंत आगे बढ़ीं और रुचि को गले लगाते हुए बोलीं, "रूहानी! तुम जिंदा हो! हम यकीन नहीं कर पा रहे कि तुम वापस आ गई हो! तुमने हमें कितना डरा दिया था!" रुचि थोड़ा पीछे हटते हुए, एक सख्त आवाज़ में बोली, "कौन हो तुम लोग? और यह बार-बार मुझे 'रूहानी' क्यों कह रहे हो? कितनी बार समझाऊं कि मैं रूहानी नहीं, रुचि हूं!" वो इतना बोलकर गुस्से में मुड़ी और तेजी से चलने लगी। रेहान बिना कुछ कहे, उसके पीछे-पीछे शांत भाव से चल पड़ा। उसने एक बार भी पलटकर किसी की ओर नहीं देखा। वाणी और कृतिका हैरानी से एक-दूसरे का चेहरा देखने लगीं। मनन और वरुण उनके पास खड़े थे, जो उनकी उलझन को देखकर थोड़ा असहज हो गए थे। वाणी ने वरुण की तरफ देखा और कहा, "मैं जानती हूं कि हमारी ज्यादा बातें नहीं हुई हैं, लेकिन एक-दो बार मिले तो हैं हम। और रूहानी हमें इस तरह कैसे भूल सकती है? ये कैसे हो सकता है? और ये क्या कह रही है कि वो 'रुचि' है? What’s going on?" वरुण ने गहरी सांस लेते हुए वाणी के कंधे पर हाथ रखा और शांत करने की कोशिश की। "वाणी, प्लीज़ शांत हो जाओ। मैं तुम्हें सब कुछ बताता हूं।" वाणी ने उसकी आंखों में देखा, थोड़ी डरी और उलझन में थी, लेकिन उसने अपनी भावनाओं को काबू में रखा। वरुण ने धीरे-धीरे पूरी कहानी बतानी शुरू की: "कुछ समय पहले रूहानी ने पहाड़ी से छलांग लगाई थी। उस हादसे के बाद से... न जाने क्यों, वो खुद को 'रुचि' कहने लगी है। वो हमें भी पहचानने से इनकार करती है।" वाणी के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं। उसने थोड़ी देर चुप रहकर सोचा, फिर बोली, "मुझे नहीं लगता कि यह सिर्फ नाम बदलने की बात है। उसके अंदर कुछ और ही चल रहा है। वो सिर्फ भूलने वाली नहीं लग रही, उसकी आंखों में एक अलग सी ठंडक है, जैसे उसने अपने पुराने जीवन को पूरी तरह से पीछे छोड़ दिया हो।" मनन, जो अब तक चुप था, गंभीर स्वर में बोला, "तुम सही कह सकती हो, वाणी। उस छलांग का असर गहरा था।" कृतिका, जो अब तक चुपचाप सुन रही थी, बोली, "तो अब क्या करना चाहिए? हमें क्या उसे अकेला छोड़ देना चाहिए, या उससे फिर से बात करनी चाहिए?" वरुण ने सिर हिलाते हुए कहा, "अभी हमें उसे थोड़ी स्पेस देनी चाहिए। अगर वो हमसे बात करना चाहती है, तो वो खुद ही करेगी। लेकिन हमें उसकी फीलिंग्स का रिस्पेक्ट करना होगा।" वाणी ने गहरी सांस ली, "ठीक है, लेकिन मैं उसे ऐसे नहीं छोड़ सकती। वो हमारी दोस्त थी, और मैं जानती हूं कि वो कहीं न कहीं वही रूहानी है, जिसे हम जानते थे। मैं उसे ऐसे नहीं देख सकती। हमें कुछ करना होगा।" मनन ने उसकी बात पर सहमति जताई, "Right. लेकिन हमें थोड़ा सब्र रखना होगा। जल्दी कुछ भी करना ठीक नहीं होगा।" सभी एक गहरे सन्नाटे में चले गए, हर कोई अपनी-अपनी उलझनों में खोया हुआ था। रूहानी, जो अब खुद को रुचि कह रही थी, उनके लिए अब एक पहेली बन चुकी थी। --- दूसरी तरफ श्रेया अपने कमरे में आराम से बैठी थी, जब अचानक दरवाज़े पर एक जोरदार धक्का लगा। दरवाज़ा खुला और अर्पिता, हाथ में अपना सामान पकड़े हुए, कमरे में दाखिल हो गई। अर्पिता का चेहरा आत्म-संतुष्टि और घमंड से भरा हुआ था। उसने सामान ज़मीन पर पटकते हुए, सोफे पर बहुत ही स्टाइल के साथ जाकर अपने पैर पैर पैर रखकर बैठकर उसको चिढ़ाते हुए कहा, "अरे, देखो-देखो, चारी श्रेया श्रेया! आकर्ष अब मेरा है और तुम बस एक पुरानी कहानी हो।" श्रेया ने बेपरवाह तरीके से सिर उठाया और उसकी बातों को नजरअंदाज करते हुए कहा, "तुम्हारी बातें मुझे फर्क नहीं पड़ता , अर्पिता। अगर तुम यही समझती हो, तुम्हारे बात तो और बकवास में मुझे इंटरेस्ट है तो बिल्कुल इंटरेस्ट नहीं है सो प्लीज अपना सामान उठाओ और निकल यहां से.। अर्पिता ने हंसते हुए कहा, "ओह, तुम कितनी बेवकूफ हो! आकर्ष अब मेरा होगा और तुम सिर्फ एक गुजरा हुआ कल, जोखी ना मेरे लिए मैटर करता है नहीं आकर्ष उसके लिए । हाउ सैड!कहां तुम यहां की रानी थी कहां नौकरानी की भी औकात नहीं तुम्हारी श्रेया ने उसकी बातों को शांत स्वर में जवाब दिया, "मुझे पता है कि तुम क्या सोच रही हो। डिवोर्स देना मेरा फैसला था, और मैं इसे पूरी तरह से निभाने के लिए तैयार हूं। लेकिन अभी मेरा डिवोर्स हुआ नहीं है, तो अपना सामान को और यहां से दफा हो। अर्पिता ने गुस्से में आकर एक तेज़ थप्पड़ मारने की कोशिश की, लेकिन श्रेया ने उसका हाथ मजबूती से पकड़ लिया और उसे झटके से मोड़ते हुए कहा, "तुम्हारी ये हरकतें अब मुझसे नहीं चलेंगी। अगर तुमने मुझसे इस तरह की बात की, तो मैं तुम्हें तुम्हारी औकात दिखाऊंगी।" श्रेया ने अर्पिता के बालों को मजबूती से पकड़ते हुए कहा, "तुम्हें अपनी जगह समझ में आनी चाहिए। यह कमरा मेरा है, और तुम्हारी इन हरकतों का यहाँ कोई जगह नहीं है।" अर्पिता ने चीखते हुए विरोध किया, "तुम्हें क्या लगता है, तुम मुझसे ऐसे बात कर सकती हो? मैं तुम्हें बर्दाश्त नहीं करूंगी!" श्रेया ने अर्पिता को कमरे से बाहर धकेलते हुए कहा, "तुम्हारी ये धमकियां और हरकतें अब यहीं खत्म होनी चाहिए। अगर तुमने मुझसे इस तरह की बात की, तो मैं तुम्हें और भी बुरी तरह दिखाऊंगी कि मेरी क्या कीमत है।" कमरे से बाहर निकालते हुए, श्रेया ने अर्पिता को धक्का देते हुए कहा, "तुम्हारी जैसी घटिया हरकतें मेरे रास्ते में नहीं आ सकतीं। और अगर तुमने मुझसे और बात की, तो तुम्हें और भी बुरा जवाब मिलेगा।" अर्पिता ने गुस्से में बौखलाते हुए खुद को संभालने की कोशिश की, लेकिन श्रेया ने उसे और भी जोर से धक्का देते हुए कहा, "तुम जितना चाहोगी उतना ही गिरोगी। अब और नहीं!" अर्पिता ने एक आखिरी बार गुस्से में भरपूर नज़र से श्रेया की ओर देखा और तेजी से बाहर निकल गई। दरवाज़ा बंद करते ही, श्रेया ने गहरी सांस ली और खुद से कहा, "अगर अर्पिता को लगता है कि वह मुझे नीचा दिखा सकती है, तो उसे यह समझना चाहिए कि मैं अपनी जगह पर डटी रहूंगी। उसकी हरकतें मेरे आत्मविश्वास को नहीं तोड़ सकतीं।" श्रेया ने अपने चेहरे पर स्माइल बनाए रखते हुए कहा, "मेरे लिए यह लड़ाई सिर्फ एक शुरुआत है। अर्पिता चाहे कितनी भी कोशिश कर ले, मुझे उसकी धमकियों से कोई फर्क नहीं पड़ता।" दूसरी,तरफ शाम का वक्त रुचि अनाथ आश्रम के हॉल में बच्चों के साथ बैठी थी। चारों तरफ शांति थी, पर उसके मन में एक अजीब सी बेचैनी थी, जैसे कोई उसे observe कर रहा हो। उधर, रेहान खिड़की के पास खड़ा था, उसकी नज़रें हर छोटी चीज़ पर थीं। तभी पंखे की आवाज़ अचानक तेज़ हो गई। *Something is wrong,* उसने सोचा, और उसकी नज़रें तुरंत पंखे पर चली गईं। अचानक, पंखे का एक ब्लेड टूटकर गिरने लगा। रेहान ने बिना वक्त गवाए दौड़कर रुचि को पीछे खींच लिया। दोनों ज़मीन पर गिरे, और पंखे का ब्लेड ज़मीन पर ज़ोर से गिरा। पूरा कमरा हिल गया, बच्चे चिल्लाने लगे। रुचि सदमे में थी, लेकिन रेहान चुपचाप खड़ा रहा। उसकी आँखों में एक ही सवाल था: *Who’s behind this?* रेहान ने कुछ नहीं कहा, बस अपने मन में ये ठान लिया कि अब वो रुचि के दुश्मनों को ढूंढेगा। *I’ll find them… and they’ll regret messing with her.* पंखे का ब्लेड गिरने की आवाज़ से पूरे आश्रम में हलचल मच गई। सब लोग दौड़ते हुए अंदर आए, बच्चों के रोने की आवाज़ से माहौल और tense हो गया था। वाणी और कृतिका ने तुरंत रुचि को संभाला और उसे बेंच पर बिठाया। रुचि के चेहरे पर डर साफ झलक रहा था, उसकी साँसें अब भी तेज़ थीं। वाणी ने रुचि को पानी दिया और softly कहा, "रुचि, सब ठीक है। तुम safe हो, बस थोड़ा आराम करो।" रुचि ने पानी के घूंट भरे और थोड़ी calm हुई, लेकिन अब भी shock में थी। वाणी और कृतिका ने माहौल को शांत करने की कोशिश की, बच्चों को सँभाला और स्टाफ से बात की। कुछ देर बाद, जब माहौल थोड़ा settle हुआ और लोग अपने-अपने कामों में लग गए, वाणी ने रुचि की ओर देखा। वह अब भी चुपचाप बैठी थी, खोई हुई सी। वाणी ने gently उसके कंधे पर हाथ रखा, "रुचि, तुम काफी स्ट्रेस में हो। थोड़ा बाहर चलें? तुम खुद को better महसूस करोगी।" रुचि ने हल्के से सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं वाणी, अभी बाहर जाने का मन नहीं है। अभी-अभी ये सब हुआ है।" वाणी ने समझाते हुए कहा, "I understand, लेकिन यहाँ बैठकर तुम और ज्यादा परेशान हो जाओगी। पास में एक पब है, वहाँ चलकर थोड़ी देर आराम कर सकते हैं।" कृतिका ने भी हामी भरी, "हाँ, रुचि। यहां बैठे रहने से सिर्फ negativity आएगी। थोड़ा बाहर चलो, तुम्हारा mind refresh हो जाएगा।" रुचि थोड़ी हिचकिचाते हुए बोली, "पब? अभी? मुझे नहीं लगता कि मैं जा पाऊँगी।" वाणी ने मुस्कुराते हुए कहा, "अरे, कोई बड़ी बात नहीं। हम बस थोड़ी देर के लिए जा रहे हैं। बस थोड़ा change मिलेगा। तुम अच्छा feel करोगी।" कृतिका ने भी हल्के से कहा, "तुम्हारे साथ हम दोनों हैं। बस थोड़ा सा time लो, वहाँ जाकर तुम्हें अच्छा लगेगा।" रुचि ने कुछ देर सोचा, फिर धीरे से कहा, "ठीक है, लेकिन ज़्यादा देर नहीं रुकेंगे। बस थोड़ी देर के लिए।" वाणी ने राहत की सांस लेते हुए कहा, "बिल्कुल, बस थोड़ा break, और फिर वापस आ जाएंगे।"
वाणी ने मुस्कुराते हुए कहा, "अरे, कोई बड़ी बात नहीं। हम बस थोड़ी देर के लिए जा रहे हैं। बस थोड़ा change मिलेगा। तुम अच्छा feel करोगी।" कृतिका ने भी हल्के से कहा, "तुम्हारे साथ हम दोनों हैं। बस थोड़ा सा time लो, वहाँ जाकर तुम्हें अच्छा लगेगा।" रुचि ने कुछ देर सोचा, फिर धीरे से कहा, "ठीक है, लेकिन ज़्यादा देर नहीं रुकेंगे। बस थोड़ी देर के लिए।" वाणी ने राहत की सांस लेते हुए कहा, "बिल्कुल, बस थोड़ा break, और फिर वापस आ जाएंगे।" **शाम के 7:30 बजे**, तीनों लड़कियां तैयार हो चुकी थीं। रुचि, कृतिका और वाणी, सभी में उत्साह था। “आज तो बवाल मचाने वाला है!” कृतिका ने कहा, उसकी आंखों में चमक थी। लेकिन रेहान, मनन और वरुण का नहीं आना थोड़ी मायूसी लाया था। “यार, वो क्यों नहीं आए?” रुचि ने थोड़ी चिंतित आवाज़ में पूछा। “अरे, उन्हें छोड़ो! हम खुद का मज़ा लेंगे,” वाणी ने हंसते हुए कहा। एक घंटे बाद, जब वे नाइट क्लब पहुंचीं, तो माहौल शानदार था। **रंग-बिरंगी लाइट्स और तेज़ म्यूजिक** चारों ओर जादू बिखेर रहे थे। कार से उतरते ही रुचि ने कहा, “क्या हमें यहां आना चाहिए था?” “क्यों नहीं! हम यहां हैं, बस एंजॉय करना है,” कृतिका ने उसे उत्साहित करने की कोशिश की। अंदर जाकर, क्लब की धूमधाम ने उन्हें चकित कर दिया। एक कोने में सोफे पर बैठ गईं। “तुम लोग बैठो, मैं ड्रिंक लाकर आती हूं,” वाणी ने कहा। “मैं ड्रिंक नहीं पीती,” रुचि ने थोड़ी झिझकते हुए कहा। “क्यों नहीं? ये तो सिर्फ़ मस्ती के लिए है! थोड़ी चुस्की तो ले लो,” वाणी ने मुस्कुराते हुए कहा। “ठीक है, लेकिन बस जूस ही लेना,” रुचि ने अंततः कहा। कृतिका ने चुटकी लेते हुए कहा, “और मुझे एक टॉनिक चाहिए!” वाणी ने उनकी बातों पर हंसते हुए कहा, “फिर मैं जल्दी लौटती हूं!” वाणी के जाते ही, कृतिका ने रुचि से कहा, “तू इतना क्यों सोचती है? हमें बस मज़े करना है। ज़िंदगी में कभी-कभी खुद को खोना भी ज़रूरी है।” “लेकिन अगर कोई देख ले तो?” रुचि ने थोड़ी चिंता जताई। “अरे, इससे क्या? हम इस पल को जी रहे हैं!” कृतिका ने जोर देते हुए कहा। कुछ ही देर में, वाणी वापस आई, उसके हाथ में ड्रिंक का गिलास था। “यह रहा हमारा पहला कदम!” उसने कहा, खुशी से। गिलास उठाते हुए, उन्होंने एक-दूसरे की तरफ देखा। “चलो, हम इस रात का जश्न मनाते हैं!” कृतिका ने कहा। जैसे ही उन्होंने चुस्की ली, नाइट क्लब का माहौल और भी खुशनुमा लगने लगा। रुचि ने महसूस किया कि धीरे-धीरे वह भी इस जादुई रात का हिस्सा बन रही थी। “आज तो कुछ खास होना चाहिए,” रुचि ने मुस्कुराते हुए कहा। “बिल्कुल! ये रात हमारी है,” कृतिका ने कहा। **डांस फ्लोर की कहानी** वाणी और कृतिका ने जब डांस फ्लोर की तरफ कदम बढ़ाए, तो रुचि ने उन्हें मना कर दिया। "तुम लोग जाओ, मैं थोड़ी देर में आती हूं," उसने कहा, हाथ में अपनी गिलास लिए हुए। वाणी ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, "अरे, रुचि! चलो न, मस्ती कर लेते हैं। ये मौका बार-बार नहीं आता!" "नहीं, मैं ठीक हूं। तुम लोग जाओ," रुचि ने फिर से मना किया। लेकिन वाणी ने हिम्मत नहीं हारी। उसने रुचि को खींचते हुए कहा, "चल, एक बार डांस कर लो! फिर आराम कर लेना।" रुचि ने थोड़ी हिचकिचाहट दिखाई, लेकिन फिर भी वाणी और कृतिका के साथ डांस फ्लोर पर गईं। डांस करते हुए, वाणी बार-बार रुचि को देखने लगी। कृतिका ने उसे चिढ़ाते हुए कहा, "तू बार-बार रुचि को क्यों देख रही है? क्या हुआ?" वाणी ने थोड़ा हड़बड़ाते हुए कहा, "नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। मैं बस यूं ही देख रही थी।" लेकिन उसकी आवाज में एक हलका सा असमंजस था। कुछ समय बाद, दोनों ने डांस में खोने की कोशिश की, लेकिन अचानक बार काउंटर पर हंगामा हो गया। कृतिका ने ध्यान से देखा और बोली, "क्या हो रहा है? इतने लोग क्यों इकट्ठा हुए हैं?" वाणी ने बेफिक्र होकर कहा, "होगा कुछ, छोड़ ना। पार्टी का मजा ले!" लेकिन तभी उनकी नजर रुचि पर गई, जो अब बार काउंटर पर खड़ी थी। "रुचि? वो तो यहां नहीं थी!" कृतिका ने चौंकते हुए कहा। वाणी ने कहा, "चल, चलते हैं!" और दोनों तेजी से बार काउंटर की ओर बढ़ीं। वहां रुचि ने वेटर से कहा, "मुझे मेरा जूस चाहिए!" उसकी आवाज लड़खड़ाई हुई थी। वेटर ने संयम से कहा, "माफ कीजिए, लेकिन आप पहले ही बहुत ड्रिंक कर चुकी हैं। आपको और नहीं मिल सकता।" रुचि ने गुस्से में ग्लास उठाकर पटक दिया। "ऐसे कैसे नहीं! मुझे चाहिए, और मैं देखती हूं कौन मुझे रोकता है!" कृतिका ने वाणी की ओर देखा और बोली, "इसमें ड्रिंक कब की? ये तो बहुत बढ़ गया!" वाणी ने थोड़ी झिझकते हुए कहा, "एक्चुअली, बात ये है कि जूस की जगह मैंने वाइन दी थी।" फिर उसने हल्का सा मुस्कुराते हुए कहा। कृतिका ने सिर पर हाथ रखते हुए कहा, "तू तो गजब कर रही है! अब ये सब संभालना होगा।" वाणी ने मजाक में कहा, "अरे, पार्टी में थोड़ा मजा तो बनता है! अगर उसे पता चल गया कि ये जूस नहीं है, तो वो हमें नहीं छोड़ेगी!" रुचि ने गुस्से में कहा, "मैं सिर्फ जूस मांग रही हूं! क्या ये इतना मुश्किल है?" अब वह सभी लोगों की नजरों में थी। कृतिका ने चुपचाप वाणी को देखा और कहा, "हम क्या करेंगे? वो बार-बार यही कहेगी!" वाणी ने मुस्कुराते हुए कहा, "चल, हम उसे थोड़ा डिस्ट्रैक्ट करते हैं।" तभी वेटर ने कहा, "अगर आप शांत नहीं होंगी, तो मुझे पुलिस बुलानी पड़ेगी!" रुचि ने कहा, "पुलिस? मुझे सिर्फ जूस चाहिए!" कृतिका ने फिर कहा, "रुचि, अब तो खुद को संभालो। सब तुम्हें देख रहे हैं!" वाणी और कृतिका ने एक-दूसरे को देखा। "ये तो बड़ा हंगामा बन गया," कृतिका ने कहा। फिर, वाणी ने कहा, "ठीक है, रुचि, अगर तुम अब चुप रहोगी, तो हम तुमसे बात करेंगे।" रुचि ने थोड़ी देर के लिए चुप होकर सोचा, लेकिन फिर भी उसकी आंखों में जिद थी। "जूस चाहिए, और बस!" तो उसे ड्रिंक कुछ और सोचकर दिया था, लेकिन यह तो बवाल कर रही है। अब क्या करूं?” कृतिका, जो रुचि के पास खड़ी थी, बोली, “मुझे नहीं पता, लेकिन कुछ करना पड़ेगा। ये लोग सुनने को तैयार नहीं हैं।” उसने रुचि का हाथ पकड़ने की कोशिश की, लेकिन रुचि ने अपना हाथ खींच लिया। “पहले ड्रिंक, फिर मेरे करीब आना। मुझे जूस चाहिए, बस चाहिए! मैं इनका सर फोड़ दूंगी!” बार काउंटर के ऊपर रुचि बैठी थी। उसने वेटर का कॉलर पकड़कर अपनी तरफ खींचते हुए कहा, "मुझे ड्रिंक दे रहे हो या नहीं?" वेटर ने अपने कॉलर को छुड़ाते हुए जवाब दिया, "जी नहीं, मैं इससे ज्यादा ड्रिंक नहीं दे सकता, वरना सर निकाल देंगे।" रुचि की आँखों में गुस्सा भर गया। उसने जोर से चिल्लाया, "बुलाओ अपने सर को! मैं उसे बताती हूं कि उसकी हिम्मत कैसे हुई मुझे जूस देने से मना करने के लिए। मुझे जूस चाहिए, तो चाहिए!" वाणी, जो पास में खड़ी थी, अपने नाखून दांतों में चबाते हुए बोली, "हे भगवान! मैंने तो ये ड्रिंक कुछ और सोचकर दिया था, लेकिन अब तो ये मामला बढ़ता जा रहा है। अब क्या करूँ?" कृतिका, जो थोड़ी दूर खड़ी थी, ने रुचि को देखा और बोली, "मुझे नहीं पता तुम क्या करने वाली हो, लेकिन कुछ करना पड़ेगा। ये लोग सुनने को भी तैयार नहीं हैं।" कृतिका ने रुचि का हाथ पकड़ने की कोशिश की, लेकिन रुचि ने अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा, "पहले ड्रिंक, फिर मेरे करीब आना। मुझे जूस चाहिए, तो चाहिए।" कृतिका ने उसकी जिद को देखकर बेचारी सी स्थिति में आ गई। तभी वाणी ने अपना फोन निकालकर वरुण को कॉल किया। उसने वरुण को सारी बातें बताई। वरुण ने फोन पर कहा, "तुम्हें बिना शादी के विधवा होने का शौक चढ़ा रहता है क्या? हमारी शादी नहीं हो रही, और तुम मुझे हमेशा परेशान क्यों करती हो? या तो तुम खुद मारोगी या किसी के हाथों मरवा लोगी।" वाणी को यह सुनकर गुस्सा आ गया। उसने कहा, "मुझे कुछ नहीं पता, तुम आओ जल्दी से और यह सब सही करो।" वरुण ने बेचारे की तरह कहा, "मैं यह सब नहीं कर सकता। मेरी मौत तो रेहान को पता चलने वाली है। वह मुझे जान से मार देगा।" इतना कहकर उसने फोन रख दिया। कृतिका ने कहा, "चलो, कुछ करना पड़ेगा। हम रुचि को शांत करने की कोशिश करेंगी।" वाणी ने सहमति जताते हुए कहा, "हाँ, हम उसे समझाएंगे कि ये सब ठीक नहीं है।" लेकिन रुचि, जो अपने गुस्से में थी, किसी की बात सुनने को तैयार नहीं थी। वह बार काउंटर पर बैठी रही और उसकी आँखों में आग जल रही थी। "कौन है जो मुझे रोक सकता है?" उसने चिल्लाते हुए कहा। "मुझे जूस चाहिए, और मैं इसे किसी भी कीमत पर हासिल करूँगी!"
( लाइक कमेंट और रिव्यू भी देखते रहो यारों 🥰🙃) कृतिका ने कहा, "चलो, कुछ करना पड़ेगा। हम रुचि को शांत करने की कोशिश करेंगी।" वाणी ने सहमति जताते हुए कहा, "हाँ, हम उसे समझाएंगे कि ये सब ठीक नहीं है।" लेकिन रुचि, जो अपने गुस्से में थी, किसी की बात सुनने को तैयार नहीं थी। वह बार काउंटर पर बैठी रही और उसकी आँखों में आग जल रही थी। "कौन है जो मुझे रोक सकता है?" उसने चिल्लाते हुए कहा। "मुझे जूस चाहिए, और मैं इसे किसी भी कीमत पर हासिल करूँगी!" " रुचि इस वक्त पूरे क्लब का सेंटर ऑफ अट्रैक्शन बन चुकी थी। सबकी नजरें उस पर थीं, और वो इतनी नशे में थी कि उसे खुद नहीं पता था वो क्या कर रही है। कृतिका और वाणी, जो उसकी सबसे करीबी दोस्त थीं, एक-दूसरे को देखकर हैरान और परेशान हो रहे थे क्योंकि अब रुचि को संभाल पाना उनके लिए नामुमकिन सा हो रहा था। कृतिका ने वाणी को घूरते हुए कहा, "तुमने क्या सोचकर उसे ड्रिंक दी थी? वो भी बिना उसे बताए? अगर उसे पता चल गया कि तुमने ये किया है, तो समझ लो, वो तुम्हें छोड़ेगी नहीं!" वाणी ने थोड़ी बेचारगी से मुस्कुराते हुए कहा, "मुझे लगा था कि थोड़ी सी नशे में होगी, तो शायद मान जाए कि ये रुचि नहीं, बल्कि रूहानी है। लेकिन अब तो सीन ही उल्टा हो गया है! अब मैं क्या करूं?" इस बीच, रुचि का हाल बेकाबू होता जा रहा था। वो अचानक बार काउंटर के अंदर चली गई और वहां से रेड वाइन की बोतल उठाई। दोनों सहेलियों की आँखें जैसे बड़ी हो गईं, जब उन्होंने उसे देखा। रुचि वाइन की बोतल लेकर वहां से भागी, और उसके पीछे-पीछे एक वेटर दौड़ा, लेकिन उसे पकड़ नहीं पाया। पूरा क्लब उसकी हरकतों को देख रहा था। लड़के और लड़कियाँ सब सन्न थे, कोई समझ नहीं पा रहा था कि ये हो क्या रहा है। रुचि एक कोने में जाकर खड़ी हुई, वाइन की बोतल का ढक्कन खोला, और उसे नीचे जमीन पर फेंक दिया। फिर बिना किसी हिचकिचाहट के, उसने बोतल अपने होंठों से लगाने की तैयारी की। लेकिन तभी, अचानक कोई उसके पास आया और उसकी वाइन की बोतल झपट ली। रुचि का चेहरा जैसे गुस्से से लाल हो गया, लेकिन फिर उसकी आंखें बड़ी हो गईं। सामने खड़ा कोई और नहीं, रेहान था। उसने बड़ी सहजता से वाइन की बोतल उठाई और अपने होंठों पर लगा ली। रुचि चौंक गई, और उसके चहरे पर हल्की-सी मुस्कान तैर गई। "कौन रोक सकता है तुम्हें, हाँ?" रेहान ने अपनी आँखों में वही पुरानी शरारत लिए कहा। "पर ये वाइन अब मेरी है।" रुचि ने अपनी आँखें तरेरते हुए कहा, "ये आपने क्या किया, mr स्ट्रेनजर ! वो मेरी थी!" "अब मेरी हो गई है," रेहान ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। "जैसे कुछ और भी..." रुचि ने गुस्से में पैर पटके और बोतल छीनने की कोशिश की, लेकिन रेहान ने उसे ऊपर उठा लिया, जैसे वो कोई खिलौना हो। "इतनी आसानी से नहीं छोड़ूँगा, मैडम।" "तुम...!" रुचि ने उसकी ओर घूरते हुए कहा, पर उसकी आँखों में एक अलग सी चमक थी। शायद वो जानती थी कि रेहान वही है जो उसे हमेशा संभाल लेगा, चाहे हालात कैसे भी हों। कृतिका और वाणी दूर से ये सारा तमाशा देख रही थीं। वाणी ने कृतिका की तरफ देखा और कहा, "मुझे तो लगता है, ये खेल अब और बड़ा होने वाला है।” कृतिका उसको घर कर देखते हुए बोली तुम कभी शांति हो सकती क्या पहले हरकत ऐसी करती हो उसके बाद बातें भी बड़ी-बड़ी कृतिका की बात सुनकर वाणी अपना कंधा कुछ खाते हुए बोली काम ऐसा करो कि चार लोग तारीफ करें और बोले वह क्या काम किया है देखो अब रेहान जिजु कैसे संभालते हैं इस लड़की को कृतिका उसकी बात सुनकर आंखें बड़ी कर कर बोली रेहान जीजू बनी हंसते हुए बोली हां जीजू नहीं तो और क्या उसकी बात सुनकर कृतिका को भी हंसी आ गई तभी मनन और वरुण दोनों वह लोग भी आ गए वही रुचि रेहान छुटने की कोशिश कर रही थी पर रेहान उसको छोड़ नहीं रहा था और साथ ही साथ दूसरे हाथ से वाइन का बोतल लेकर वाइन पूरा खत्म कर देता है। रुचि को उसकी हरकतों पर गुस्सा आ रही थी वह उसको भूल कर देखते हुए बोली मिस्टर स्ट्रेंजर आपकी आदत सच में बहुत बुरी है आपने मेरा पूरा जूस पी लिया आप बहुत बुरे हो रेहान रुचि की बात सुनकर बोला, क्योंकि इससे ज्यादा पीना तुम्हारे लिए सही नहीं था बच्चा और तुम्हें चढ़ भी गई है, रुचि उसकी बात सुनकर उसकी तरफ देखकर बोली नहीं मुझे और चाहिए मुझे वह जूस और पीना है, कृतिका और वाणी दूर से ये सारा तमाशा देख रही थीं। वाणी ने कृतिका की तरफ देखा और हंसते हुए कहा, "मुझे तो लगता है, ये खेल अब और बड़ा होने वाला है।” कृतिका ने उसको घूरते हुए जवाब दिया, "तुम कभी शांति से रह सकती हो? पहले हरकतें ऐसी करती हो और फिर बातें बड़ी-बड़ी।" वाणी ने अपना कंधा उचकाते हुए कहा, "काम ऐसा करो कि चार लोग तारीफ करें। देखना अब रेहान जीजू कैसे इस लड़की को संभालते हैं!" कृतिका उसकी बात सुनकर चौंकी, "रेहान जीजू?" और फिर हंसते हुए बोली, "जीजू नहीं तो और क्या?" दोनों हंस ही रही थीं कि तभी मनन और वरुण भी वहाँ आ गए। वहीं दूसरी तरफ, रुचि को रेहान से छूटने की कोशिश करते देख रहे थे, लेकिन रेहान उसे मज़े से पकड़े हुए था। उसने दूसरे हाथ में वाइन की बोतल थाम रखी थी, और वो बोतल पूरी खत्म कर चुका था। रुचि को उसकी इन हरकतों पर गुस्सा आ रहा था। रुचि ने उसे घूरते हुए कहा, "मिस्टर स्ट्रेंजर, आपकी आदतें सच में बहुत खराब हैं! आपने मेरा पूरा जूस पी लिया, आप बहुत बुरे हो!" रेहान उसकी मासूम नाराजगी पर हंसते हुए बोला, "क्योंकि इससे ज्यादा पीना तुम्हारे लिए सही नहीं है, बच्चा। और वैसे भी, तुम्हें तो पहले से ही चढ़ गई है।" रुचि उसकी बात सुनकर शरारती अंदाज़ में मुस्कुराई और बोली, "नहीं, मुझे और चाहिए। मुझे वो जूस और पीना है।" रेहान उसकी आंखों में झांकते हुए हल्की मुस्कान के साथ बोला, "तुम्हें क्या चाहिए और क्या नहीं, ये मैं बेहतर जानता हूँ।" रुचि ने उसकी तरफ कदम बढ़ाया, उसकी शर्ट को हल्के से खींचते हुए बोली, "अरे, आपको सब कुछ कैसे पता?" रेहान उसकी शरारत का जवाब देते हुए बोला, "क्योंकि मैं तुम्हें तुमसे भी ज्यादा समझता हूँ। और वैसे भी, तुम्हें रोकना भी तो मेरा ही काम है, है ना?" रुचि ने उसकी बात पर एक और नखरा किया, "तो फिर आप रोक के दिखाइए मिस्टर स्ट्रेनजर !" रेहान ने हंसते हुए रुचि की कमर को करीब खींचते हुए कहा, "मिस्टर स्ट्रेंजर? अगर ऐसा है, तो फिर तुम्हें हमेशा के लिए संभालने का हक भी तो मेरा ही है।" वो उसकी आँखों में झांकते हुए और करीब आया और धीरे से बोला, "बहुत दिनों बाद तुम्हारे होठों से ये नाम सुना है। बता नहीं सकता कि आज कितना सुकून मिला है मुझे…" रुहानी (रुचि) नशे में टेढ़ी नज़र से उसे देख रही थी, जबकि आसपास खड़े सभी के चेहरे पर हल्की मुस्कान के साथ हैरानी भी थी। खासकर वरुण और मनन के चेहरे पर। वरुण ने हैरानी से मनन की तरफ देखा और बोला, "मतलब... रुचि ही रूहानी है?" मनन मुस्कुराते हुए बोला, "अगर वो रूहानी नहीं होती, तो कभी रेहान यहां नहीं आता, और न ही उसके आगे-पीछे घूमता। क्योंकि एक रूहानी ही तो है, जो रेहान ओबेरॉय को अपने पीछे दौड़ा सकती है।" बनी पीछे से आकर बोली, "हां, लेकिन इसका सारा क्रेडिट मुझे जाना चाहिए। मैंने ही तो उसे जानबूझकर ड्रिंक पिलाई, नहीं तो ये सच्चाई कभी बाहर नहीं आती।" वानी की बात सुनकर मनन ने उसे घूरा और हंसते हुए कहा, "हां, हां... लेकिन रेहान तुम्हें छोड़ेगा नहीं! तुमने जो किया है ना, उसकी वजह से वो तुम्हें जरूर पीटेगा... सॉरी, तुम्हें नहीं... वो मुझे मारेगा!" वाणी, जो अपना फोन गोल-गोल घुमा रही थी, बोली, "ऐसा कुछ नहीं होने वाला।" उधर, रुहानी फिर से बार काउंटर की तरफ भागी और वाइन की बोतल पर नजरें गड़ाए देखने लगी। इससे पहले कि वो बोतल उठा पाती, रेहान ने उसे कंधे पर उठा लिया और बाहर की तरफ जाने लगा। रुहानी उसकी इस हरकत पर उसे पीटने लगी और जोर-जोर से चिल्लाई, "देखो गांव वालों! ये आदमी मुझे किडनैप कर रहा है! ये सच में बहुत बुरा इंसान है! ये मिस्टर स्ट्रेंजर हर वक्त मेरे साथ यही करता है!" फिर उसे पीटते हुए बोली, "आप मुझे नीचे उतारिए वरना मैं आपकी कंप्लेंट करूंगी! पुलिस बुलाऊंगी और वो आपको पकड़ के ले जाएगी!" रेहान उसकी नादान हरकतों पर मुस्कुराते हुए बोला, "अच्छा! क्या कहोगी पुलिस को?" रुहानी ने गुस्से में उसकी पीठ पर हल्का सा मुक्का मारा, "मैं कहूंगी कि एक बहुत बड़ा झूठा और धूर्त आदमी मुझे किडनैप कर रहा है। उसका नाम है मिस्टर स्ट्रेंजर, और वो मुझे पीने से भी रोक रहा है!" रेहान हंसते हुए बोला, "तो मतलब मैं झूठा और धूर्त हूँ, और तुम पूरी मासूम हो?" रुहानी ने उसकी बात पर अदा से कहा, "बिलकुल! और आपकी ये आदत बहुत बुरी है, आप हर बार मुझे तंग करते हो!" रेहान ने उसकी बात पर शरारती मुस्कान दी और बोला, "तुम्हें तंग करना तो मेरा हक है। और वैसे भी, तुम्हारे इतने पास होने पर कोई कैसे खुद को रोक सकता है?" रुहानी ने उसकी शर्ट को खींचते हुए कहा, "आपको तो... हद है! छोड़ो मुझे!" रेहान ने उसे और कसकर पकड़ा और बोला, "कभी नहीं। तुम्हारे बिना अब ये रात भी अधूरी है, मिस्टर स्ट्रेंजर का तो यही स्टाइल है।" रुहानी ने उसकी इस बात पर थोड़ा शर्माते हुए सिर झुका लिया, लेकिन उसकी मुस्कान छुपी नहीं रह सकी। रेहान ने रुहानी को और करीब खींचते हुए गहरी आवाज़ में कहा, "तुम्हें पता है, तुम्हारे बिना ये रात अधूरी नहीं, बल्कि मेरी ज़िंदगी भी अधूरी है।" रुहानी ने उसकी आँखों में देखते हुए हल्का सा मुस्कराया और बोली, "फिर भी आप मुझे छोड़ते क्यों नहीं?" रेहान ने उसकी नज़रों को और गहराई से थामते हुए फुसफुसाया, "कभी नहीं, क्योंकि तुम्हें छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता। तुम मेरा इश्क़ हो, और इश्क़ को इंसान कभी खोने नहीं देता।" वो धीरे से उसके गाल पर अपनी उंगलियां फेरते हुए बोला, "तुम्हारी हर बात, हर अदा, मुझे और दीवाना बना देती है।”
रुहानी ने उसकी आँखों में देखते हुए हल्का सा मुस्कराया और बोली, "फिर भी आप मुझे छोड़ते क्यों नहीं?" रेहान ने उसकी नज़रों को और गहराई से थामते हुए फुसफुसाया, "कभी नहीं, क्योंकि तुम्हें छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता। तुम मेरा इश्क़ हो, और इश्क़ को इंसान कभी खोने नहीं देता।" वो धीरे से उसके गाल पर अपनी उंगलियां फेरते हुए बोला, "तुम्हारी हर बात, हर अदा, मुझे और दीवाना बना देती है।” क्लब के बाहर रात की ठंडी हवा चल रही थी, लेकिन रूहानी को इसका कोई एहसास नहीं हो रहा था। रेहान ने उसे अपने कंधे पर उठाकर पहले ही बाहर ला दिया था। रूहानी, जो अब भी नशे में झूम रही थी, हल्का-हल्का विरोध कर रही थी, पर पूरी ताकत से नहीं। उसकी हरकतों में अब भी वही नशा और मासूमियत झलक रही थी। "आप... मुझे नीचे उतारिए!" रूहानी ने हल्की सी आवाज़ में कहा, उसकी आवाज़ में नशे का असर साफ महसूस हो रहा था। उसने रेहान के कंधे पर हल्के से थपकी दी, मानो उसे मनाने की कोशिश कर रही हो। रेहान मुस्कराते हुए बोला, "अब ‘आप’ बुला रही हो मुझे? और तुम क्या कर लोगी अगर मैं ना उतारूं?" रूहानी ने अपनी आंखें मिचमिचाते हुए कहा, "आप बहुत ज़्यादा ज़िद्दी हैं, समझे? और मैं... मैं कहीं नहीं जाने वाली आपके साथ! मुझे मेरा जूस पीना है!" रेहान ने उसकी नादान बातों पर हंसते हुए उसे धीरे-से अपनी बांहों में नीचे उतारा और उसकी तरफ ध्यान से देखा। उसकी नशे में लिपटी मासूम आंखें, लहराते बाल और होठों पर वो हल्की सी मुस्कान – इस पल में रूहानी और भी खूबसूरत लग रही थी। "तुम्हारा जूस बाद में पिलाऊंगा," रेहान ने उसके चेहरे पर प्यार से उंगलियां फिराते हुए कहा, "पहले मेरी बात सुनो।" रूहानी ने हल्की सी झुंझलाहट के साथ कहा, "आप फिर से ऑर्डर दे रहे हैं। मुझे आपकी कोई बात नहीं माननी है।" रेहान ने उसकी बातों को नजरअंदाज करते हुए उसकी आंखों में गहराई से देखा और शरारती अंदाज़ में बोला, "मैं तुम्हें ऑर्डर नहीं दे रहा, बस तुम्हारी देखभाल कर रहा हूँ। वैसे भी, अगर मैं तुम्हारा साथ छोड़ दूं, तो तुम्हें फिर से किसी और की गोद में उठा लिया जाएगा, और मैं वो बर्दाश्त नहीं कर सकता।" रूहानी ने उसकी बात पर चौंकते हुए अपनी आंखें बड़ी कर लीं, "आप... आप क्या बोल रहे हैं? कोई और मुझे क्यों उठाएगा?" रेहान ने हंसते हुए कहा, "क्योंकि तुम इतनी प्यारी हो कि तुम्हें कोई भी कंधे पर उठा सकता है।" रूहानी ने गुस्से में उसकी तरफ घूरते हुए कहा, "आप सच में बहुत बुरे हो। मुझे नीचे उतारने के बाद फिर से मजाक कर रहे हैं।" रेहान ने उसकी कलाई पकड़कर उसे अपनी ओर खींच लिया और कहा, "सिर्फ तुम्हारे साथ मजाक करना मुझे अच्छा लगता है। अब चुपचाप मेरी बात मानो और चलो। जूस भी मिलेगा, लेकिन मेरे साथ रहोगी तब।" रूहानी थोड़ी हिचकिचाते हुए उसके करीब आ गई और हल्की आवाज़ में बोली, "आप मुझे हमेशा परेशान करते हैं, लेकिन... मुझे अच्छा लगता है।" रेहान ने उसकी इस मासूमियत पर मुस्कराते हुए कहा, "अच्छा लगता है, तो फिर और भी परेशान करूंगा, समझी?” इतना बोलकर वह गाड़ी स्टार्ट करके चल दिया, दोनों जा रहे थे साथ में बारिश भी स्टार्ट हो गई, बारिश की ठंडी बूंदों ने सारा शहर भिगो दिया था, लेकिन रूहानी के दिल में एक अजीब सी warmth उठ रही थी। उसकी आंखों में एक मासूम चमक थी, जब उसने अचानक कहा, "mr स्ट्रेनजर , please... गाड़ी रोक दो। मुझे बारिश में भीगना है।" रेहान की नजरों में शरारत की एक हल्की झलक थी। उसकी आंखों ने रूहानी के इस मासूम रिकवेस्ट को पढ़ लिया था, लेकिन उसकी बाहरी आवाज़ में हल्का सा मज़ाक झलक रहा था, "बारिश का ये drama अभी नहीं, बच्चा ।" पर रूहानी उसकी बात सुने बिना ही गाड़ी ट्रेडिंग घुमा दिया जिस वजह से रेहान ने कर को झटका शुरू का और रूहानी बिना एक पल कब आए हुए ही कार का दरवाजा खोलकर बाहर भाग गई। बारिश में नाचते हुए वो ऐसे खिल उठी, जैसे ये droplets उसे एक नई जिंदगी दे रही हों। रेहान उसकी हरकतों को देखकर हंस पड़ा, पर उसकी आंखों में कुछ और भी था—एक possessive चाहत, जो उसे और करीब खींच रही थी। "बच्चा !" उसने गाड़ी से उतरते हुए आवाज़ दी, "तुम सच में पागल हो गई हो।" रूहानी ने हंसते हुए जवाब दिया, "Psycho तो आप हो, जो मुझे इस तरह भीगने से रोक रहे हो!" रेहान ने उसकी तरफ बढ़ते हुए कहा, "तुम्हें बारिश पसंद है, पर मुझे तुम्हारे इस अंदाज़ में और भी ज्यादा पसंद हो।" कुछ ही पलों में, वो उसके पास पहुंचा और उसकी भीगी हुई waist को अपनी हथेलियों में कसकर थाम लिया। रूहानी का शरीर बारिश से लिपटा हुआ था, और रेहान का दिल तेज़ी से धड़क रहा था। उसकी भीगी लटें उसके चेहरे से चिपकी हुई थीं, और उसकी आंखों में अब भी वो शरारत थी, जो रेहान को बेकाबू कर रही थी। "तुम हमेशा ऐसी ही रहोगी, न?" रेहान ने धीमी और attractive आवाज़ में कहा, "जिद्दी, और मेरे होश उड़ाने वाली।" उसने रूहानी की ओर झुकते हुए, उसके lips पर अपने होंठ रख दिए। वो kiss धीमी, लेकिन इतनी गहरी थी, जैसे बारिश की हर बूंद उनकी मोहब्बत को और गहरा बना रही हो। रूहानी ने उसकी शर्ट को कसकर पकड़ लिया, और उसकी सांसें अब तेज़ हो गई थीं। रेहान ने अपनी उंगलियां उसके भीगे बालों में फंसा लीं, और उसे और करीब खींच लिया। उसकी पकड़ इतनी possessive थी, जैसे वो उसे कभी खोने नहीं देना चाहता, और वह उसके होठों को लगातार किस कर रहा था सब कर रहा था वहीं रूहानी की पकड़ उसके shirt पर और बढ़ रही थी, और रिहान वक्त के साथ wildऔर पजेसिव हो रहा था 15 मिनट किस के बाद, रेहान ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "तुम सिर्फ मेरी हो, बच्चा । और मैं तुम्हें कभी भी किसी और के करीब नहीं जाने दूंगा।" रूहानी ने हल्की हंसी के साथ उसकी आंखों में देखा, "आप सच में बहुत ज़्यादा possessive हो।" "और तुम इसे पसंद भी करती हो," रेहान ने उसकी कमर को और कसते हुए कहा। "क्योंकि मैं जानता हूँ, तुम मेरी हो, और हमेशा मेरी रहोगी।" फिर उसने बिना कुछ कहे उसे अपनी बाहों में उठा लिया और गाड़ी की ओर बढ़ा। रूहानी अब भी हंस रही थी, लेकिन उसकी हंसी में एक सुकून और प्यार था। रेहान ने उसे गाड़ी में बिठाया, और उसके होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान के साथ कहा, "अब बहुत हुआ, घर चलो। और बारिश से भी ज्यादा hot कुछ हमारा इंतज़ार कर रहा है।" ( And please aap log like comment Karte rahiye Taki Mujhe likhane Mein Achcha Lage)
फिर उसने बिना कुछ कहे उसे अपनी बाहों में उठा लिया और गाड़ी की ओर बढ़ा। रूहानी अब भी हंस रही थी, लेकिन उसकी हंसी में एक सुकून और प्यार था। रेहान ने उसे गाड़ी में बिठाया, और उसके होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान के साथ कहा, "अब बहुत हुआ, घर चलो। और बारिश से भी ज्यादा hot कुछ हमारा इंतज़ार कर रहा है।" रेहान ने रूहानी को गोद में उठाया और एक हाथ से कार चला रहा था, जबकि दूसरा हाथ उसे गोद में संभाल रहा था। रूहानी भी बड़े प्यार से उसके गोद में थी। कुछ टाइम बाद, वो अपार्टमेंट पहुंचते हैं। बारिश अभी भी जोरों से हो रही थी। रेहान कार से उतरकर दूसरी साइड गया और रूहानी को अपने गोद में ले लिया। रूहानी भी बड़े प्यार से उसके गोद में आ गई, लेकिन तभी उसकी नजर अपार्टमेंट के बिल्डिंग में पड़ी, जहां कुछ लड़कियां उन्हें देख रही थीं। वो शायद बारिश का मजा ले रही थीं, लेकिन अब उनकी नजर रेहान और रूहानी पर थी। उनमें से एक लड़की ने उंगली उठाते हुए कहा, "तुम सब की हिम्मत कैसे हुई मेरे मिस्टर स्ट्रेंजर को देखने की? ये सिर्फ मेरे हैं! आंखें फोड़ दूंगी मैं तुम सब की!" रेहान लड़कियों पर ध्यान नहीं दे रहा था, लेकिन रूहानी की बात सुनकर उसकी मुस्कान और गहरी हो गई। रूहानी ने उसकी मुस्कान देख और ज्यादा चिढ़ते हुए कहा, "आप सच में बहुत बड़े वाले बेशर्म हैं! आपको उन लड़कियों को देखना इतना अच्छा लगता है? मेरा तो मन करता है खून करने का! देखो कैसे हंस रहे हैं!" रेहान उसको संभालते हुए ऊपर की तरफ बढ़ने लगा वही रूहानी गुस्से में उसको घूमते हुए बोली गौर से देखो इस आदमी को एक नंबर का ठरकी है उनकी इसी हरकत की वजह से मुझे इंटर गुस्सा आता है यह इंसान कभी नहीं सुधर सकते रेहान को रूहानी की इस बात पर गुस्सा आने लगा हालांकि वह जानता था कि रूहानी यह सब नशे की हालत में कह रही है लेकिन उसे यह भी पता था कि वह जो भी कह रही है अपने दिल की बात कर रही है, जल्दी हाथ चुप था कभी रूहानी फिर से बोली इस इंसान के प्यार में कभी मत पडना वरना पूरी लाइफ रोना ही पड़ेगा जैसे मैं रो रही हूं यह बोलते हुए उसका चेहरा बिल्कुल मायूस हो गया था यह चीज रहने अच्छे से नोटिस की अब तक रहे हां रुम के अंदर आ गया और उसे सोफे पर बिठा दिया और, उसको देखते हुए बोला तुम बहुत भीग चुकी हो मैं तुम्हारे लिए टावल लेकर आता हूं लेकिन तभी अचानक रूहानी ने उसके कॉलर को पकड़ कर अपनी तरफ खींचते हुए बोली आप सच में मुझसे प्यार नहीं करते ना आप जो बोलते हैं क्या वह सच में आप सच बोलते हैं या सिर्फ एक दिखावा है, रिहान उसकी बात सुनकर उसकी आंखों में देखते हुए बोलो तुम्हें क्या लगता है बच्चा रूहानी उसकी बात सुनकर उसकी आंखों में देखती रह गई, रेहान ने रूहानी की आंखों में देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हें पता है, बच्चा, मेरे लिए तुम सबसे खास हो।" रूहानी ने हलका सा मुस्कुराते हुए कहा, "और तुम, मिस्टर स्ट्रेंजर, हमेशा मुझसे दूर रहते हो।" रेहान ने उसकी बात पर हलका सा हंसते हुए कहा, "मैं दूर नहीं, बस तुम्हारे पास आने का सही समय ढूंढ रहा हूं।" रूहानी ने उसकी आंखों में झांकते हुए कहा, "क्या आप सच में यह सोचते हो, मिस्टर स्ट्रेंजर? या ये सब बस एक खेल है?" रेहान ने उसे और करीब खींचते हुए कहा, "यह खेल नहीं है, बच्चा । यह तो मेरा दिल है, जो तुम्हारे लिए धड़कता है।" इतना बोल कि वह बाथरूम की तरफ बढ़ गया, तभी अचानक रूहानी उसकी तरफ बड़ी और उसको पकड़ कर दीवार से सटा दी, रिहान को तो पहले कुछ समझ में नहीं आया वह अपनी सोच में गुम हो गया कि अचानक रूहानी को हुआ क्या? वह अभी अपनी सोच में गुम था तभी उसकी आंखें बड़ी हो गई, क्योंकि रूहानी ने उसके होठों पर होंठ रख दिए थे, रूहानी को इस वक्त कुछ भी पता नहीं था कि वह क्या कर रही है क्या नहीं वह तो बस अपने शरीर की बेचैनी मिटा रही थी, उसकी होठों पर अपने होंठ रख कर लगातार किस किया जा रही थी, —---- आओ ना मुझे छू लो, फिर दिल ये कहे सांसें बस बातें करें, लैब चुप रहे। आओ ना मुझे छू लो, फिर दिल ये कहे सांसें बस बातें करें, लैब चुप रहें। —-- रेहान ने रूहानी को वॉल के तरफ हल्का सा पुश किया, जिस वजह से रूहानी वॉल से चिपक गई, और अपने मदहोश आंखों से उसे रेहान की तरफ देखने लगी, रेहान रूहानी की तरफ मुस्कुराते हुए देखा है, अपने शर्ट को फाड़ के नीचे फेंक दिया, और रूहानी के होठों पर अपने होंठ रख देता है, और उसको किस करने लगता है दोनों एक दूसरे को किस कर रहे थे, जैसे दोनों ना जाने कितने वक्त से एक दूसरे को किस नहीं किया हो, —- कतरा कतरा तेरा मुझ में लिपटा रहे, मैं भी बिखरूं तेरी आहटों के तले। मुझसे तू जान-ए-मन इस तरह से मिले, जब ये ख़तम ना जहर ये जले। तुझे बाहों में भरकर आ, तेरी सांसें चुरा लूं मैं। क्या हद होती मोहब्बत की, जरा ये आजमा लूं मैं। —----== फिर रेहान का एक हाथ रूहानी के पीठ पर चल रहा था, और दूसरा हाथ उसके बालों में चल रहा था, रूहानी का कभी एक हाथ उसे रेहान के चेस्ट पर और दूसरा हाथ उसके बालों में घूम रहा था, बोलो ना जाने एक दूसरे को कब तक किस करते रहे जब तक दोनों का साथ फूलन ना लगा तब तक एक दूसरे को किस कर रहे थे, दूसरे से अलग हुए पर दूर नहीं हुए दोनों का सिर एक दूसरे से जुड़ा हुआ था, दोनों ही लंबी-लंबी सांस ले रहे थे, तभी अचानक से वह आदमी, रूहानी कि स्कर्ट को भी निकाल फेकता है, और फिर से उसके होठों पर टूट पड़ता है, रूहानी को उसका छूना बहुत ही अच्छा लग रहा था, रेहान रूहानी को पकड़ते हुए को किस करते हुए ऊपर की तरफ लिफ्ट किया और, उसके दोनों पैरों को अपने कमर के अगल-बगल कर लिया, इस बीच दोनों को कि ब्रेक नहीं हुआ था, एक दूसरे को किस कर रहे थे, रेहान बेड की तरफ जाकर रूहानी को, बेड पर पटक देता है, —-=== है तू आगोश में मेरे, खुद को कैसे संभालूं मैं। क्या हद होती मोहब्बत की, जरा ये आजमा लूं मैं। आजा बुझा दूं आग सीने में लगी, जो तुझको सीने से लगा के। जान-ए-जान, प्यासा खड़ा हूं तबसे, तेरे मैं किनारे, तू मेरे समंदर की तरह। —---- हालांकि वहां उसका गद्दा इतना मखमली होता है कि रूहानी को चोट नहीं लगती है, रूहानी फिर से उस रेहान को बेचैन हालत में देखने लगी, उसकी हालत देखकर रेहान मुस्कुराते हुए उसके बिल्कुल करीब जाकर उसके गर्दन पर झुक कर, उसको बाइट कर लेता है जिससे रूहानी की आह निकल जाती है, और उसके आंखों में आंसू भी आ जाते हैं क्योंकि उसे रेहान ने बहुत ही तेज से बाइट किया था, रूहानी अपने नम आंखों से देखते हुए बोली “प्लीज मुझे दर्द हो रहा है इतनी जोर से बाइट मत कीजिए “ रेहान उसकी बात सुनकर बोला आज तुम्हें यह दर्द बरदाश करना होगा क्योंकि अब मैं तुम्हारे इतने करीब आकर सॉफ्ट नहीं रह सकता,वह फिर से उसके सीने पर आया और फिर से वहां तक और बाइट दोनों कर रहा था, साथी दूसरे हाथ से वह दूसरे सीने को प्रेस भी कर रहा था, —--------- जरा जरा मेरा तुझ में डूबा रहे, मैं तेरी आग लूं, तू मुझे ओढ़ ले। दोनों के जिस्म की रूह ऐसे मिले, ना बचे दूरियां, ना रहे फासले। -_—---- फिर धीरे-धीरे उसके पेट के और नीचे चला जाता है, और अपनी हरकतें स्टार्ट कर देता है जिस वजह से, रूहानी पूरी बेचैन होती है उसकी, हाथों की मुठिया बेडशीट पर कश जाती हैं, और लंबी-लंबी आहे भर रही थी, उसकी बेचैनी उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था वह पूरी तरह से तड़प रही थी, एक तो उसके ऊपर वाइन का नशा ऊपर से, रेहान ने उसको तड़पाने का कोई भी कसर बाकी नहीं छोड़ा था, अब जब रेहान से भी रहा नहीं जाता अपने सारे कपड़े निकाल कर नीचे फर्ष पर फेंक देता है , और रूहानी के ऊपर जाकर उसके होठों पर होंठ रख देता है, फिर से उसे किस करने लगता है और उसके दोनों हाथों को, अपने दोनों हाथों में पकड़ कर उसकी तरफ देखते हुए अपने मन में बोला, अब तुम्हें अपना बनाने के लिए मुझे कुछ भी करना होगा मैं करूंगा, आप सिर्फ तुम मेरी हो सिर्फ रेहान ओबेरॉय की, इस बार तुम मुझसे दूर तो क्या मेरी परछाई से भी दूर नहीं जा पाओगी ये रेहान ओबेरॉय तुम्हें कहीं नहीं जाने देगा —---- तुझे बाहों में भरके आ, तेरी सांसें चुरा लूं मैं। क्या हद होती मोहब्बत की, जरा ये आजमा लूं मैं। — इतना बोलकर वह रूहानी के अंदर समा जाता है, जिस वजह से रूहानी को दर्द होता है, उसकी दर्द से आह्ह निकल रही गई पर उसकी आवाज उसके मुंह में ही गुट के रह गई, वो चाह कर भी नहीं बोल रही थी, क्योंकि रेहान उसके होठों पर अपने होंठ रखकर उसे लगातार किस किया जा रहा था जिस वजह से रूहानी की आवाज नहीं निकल पा रही थी, साथ ही साथ वह अपने कमर को मूव कर रहा था रूहानी की आंखों के कोने से आंसू निकल गए, और उस को किस करते हुए अपनी हरकतों को भी तेज कर रहा था, रूहानी से बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो उसने अपने हाथों को छुड़ाने की कोशिश की, रेहान ने उसके हाथों को छोड़ दिया, रूहानी के हाथ आजाद हुए, उसके हाथ रेहान के पीठ पर चलने लगे रेहान के भी हाथ, रूहानी के बल और पेट के ऊपर चलने लगे,, वह इसको किस करते हुए छोड़कर अब उसके कॉलर बोन पर आ चुका था, साथ ही साथ अपनी हरकतों को भी जारी रखा था रूहानी आहे बहुत तेज हो रही थी उसे कमरे में, रूहानी की आहे पूरे कमरे में गुज रही थी रूहानी लगातार आए भर रही थी और, रेहान उसके आहे सुनकर और ज्यादा एक्साइटेड हो रहा था, रेहान रेहान को परेशान करने का एक मौका भी नहीं छोड़ रहा था, उसे हर तरीके से परेशान कर रहा था, रूहानी को इस वक्त कुछ समझ नहीं आ रहा था उसे तो इन सब में, आराम मिल रहा था क्योंकि वाइन वाइन असर के चलते वह पूरी तरह से बेचैन होती थी और रेहान का जिस तरह से उसके साथ, रिलेशन बनाना रूहानी को राहत दे रहा था, उसे तो इस वक्त रेहान का साथ बहुत अच्छा लग रहा था, है तू आगोश में मेरे, खुद को कैसे संभालूं मैं। क्या हद होती मोहब्बत की, जरा ये आजमा लूं मैं। देखते हैं सुबह से दोनों के नींद खुलती है तो क्या रंग लाती है 🥰