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यकीन का सफर

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Description

--- रीवा एक तेज दिमाग और आत्मविश्वास से भरी हुई लड़की है, जो अपनी धुन की पक्की है और रिश्तों पर हद से ज़्यादा यक़ीन करती है। उसकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी उसकी बहन रजनी का बेटा जयदीप है, जिसे रजनी अपनी मौत से पहले रीवा को सौंप देती है। जयद...

Total Chapters (18)

Page 1 of 1

  • 1. यकीन का सफर - Chapter 1

    Words: 702

    Estimated Reading Time: 5 min

    ---

    🌑 एपिसोड 1: जो रह गया अधूरा

    (“कुछ ज़िम्मेदारियाँ विरासत में नहीं, दिल में उतरती हैं।”)


    --

    उदयपुर की घाटी में उस शाम सूरज जल्दी ढल गया था।
    चिता जल रही थी, हवा ठहर गई थी, और राठौर परिवार की सबसे बड़ी बेटी — रजनी — हमेशा के लिए खामोश हो गई थी।

    रीवा अपने कांपते हाथों से रजनी की चिता के पास बैठी थी।
    चुप, सुन्न, थमी हुई।
    पास में बैठा था एक पांच साल का बच्चा — जयदीप।
    रजनी का बेटा। अब... अनाथ।

    लोग धीरे-धीरे विदा ले रहे थे।
    भीड़ में एक चेहरा बिल्कुल अलग था — लंबा, गहरा, ठंडा और भीतर से टूटा हुआ — रवि राज चौधरी।

    रवि कोई आँसू नहीं बहा रहा था।
    उसके होंठ सिले हुए थे।
    मगर आँखों में — बहुत कुछ था जिसे वो कभी ज़ुबान पर नहीं लाता।

    क्योंकि रजनी उसकी भाभी नहीं, उसकी दोस्त थी। और जयदीप — उसका बेटा नहीं, उसका आखिरी बचा रिश्ता था उसके दिवंगत बड़े भाई से।


    ---

    🌒 सीन 2: फ्लैशबैक – वो हादसा जिसने सब बदल दिया

    एक पुरानी याद:
    रवि के बड़े भाई विक्रम चौधरी का एक्सीडेंट।
    गाड़ी के परखच्चे उड़ गए थे।
    रजनी उस वक्त प्रेग्नेंट थी।
    विक्रम की मौत के बाद, रजनी टूट चुकी थी — मगर रवि ने वादा किया था कि “मैं विक्रम की हर ज़िम्मेदारी पूरी करूँगा।”

    रवि ने शादी नहीं की,
    मगर जय के पैदा होने के बाद वो अक्सर अस्पताल जाता था।
    रजनी से कभी ज़्यादा बात नहीं की,
    मगर बच्चा उसकी आँखों की परछाई बन चुका था।


    ---

    रीवा अपने कमरे में बैठी थी, हाथ में रजनी की आखिरी चिट्ठी।

    > “रीवा... अगर मुझे कुछ हो जाए, तो जय को तू ही अपना लेना। रवि पर भरोसा है, मगर वो बंधाव को शब्दों में नहीं बाँधता। तू उसे माँ जैसा प्यार दे सकेगी।”



    रीवा फटी-फटी आँखों से चिट्ठी पढ़ रही थी।
    उसके अंदर कुछ बदल रहा था —
    एक बहन की मौत ने उसे माँ बना दिया था।


    ---

    दूसरे दिन रवि आया — जय से मिलने।
    घर में अजीब सन्नाटा था।

    “मैं जय को ले जाऊँगा। उसे मेरे साथ रहना चाहिए।” रवि ने सीधे कहा।

    रीवा खड़ी हो गई, कठोर आवाज़ में बोली:
    “उसका बाप आपका भाई था, आप नहीं। और माँ... मैं हूँ अब।”

    रवि की आँखें पल भर को जमीं पर गईं।
    वो जानता था कि रीवा सच्ची थी — मगर उसे जय से अलग नहीं किया जा सकता।

    “मैं उसके लिए सब कुछ कर सकता हूँ।”

    “तो पहले रिश्तों को समझिए, रवि राज चौधरी,” रीवा बोली,
    “आपसे जय को डर लगता है। वो मुस्कुराना भूल चुका है। आप ज़िम्मेदारी से ज्यादा साया बन चुके हैं — भारी, अंधेरा और खामोश।”

    रवि के होठ हिले... मगर शब्द नहीं निकले।


    रात के दो बजे।
    जय को तेज़ बुखार हो गया।

    रीवा ने पूरी रात गोद में लेकर पंखा झलते बिताई।
    उसके माथे पर पानी की पट्टियाँ रखी।
    बार-बार फुसफुसाई, “दीदी देखो... ये ठीक हो जाएगा... मैं इसका ख्याल रखूँगी।”

    अचानक दरवाज़ा खुला।
    रवि आ गया।

    उसने एक बार भी रीवा को नहीं देखा — सीधा जय के पास गया।
    माथा छुआ — जल रहा था।

    उसकी आँखें भर आईं, लेकिन आँसू नहीं गिरे।
    बिना कुछ कहे उसने डॉक्टर को कॉल किया।

    रीवा कुछ नहीं बोली, मगर उसकी आँखों ने कह दिया —
    “मैं इसे अकेला नहीं देखूँगी, रवि। चाहे आपको मुझसे कितनी भी नफ़रत हो।”


    --

    दो दिन बाद।
    रीवा को एक नोटिस मिला।

    “रवि राज चौधरी ने जयदीप की कस्टडी के लिए लीगल दावा किया है।”

    रीवा फटी आँखों से कागज़ को देखती रही।

    “रवि... आप ये करेंगे?”
    उसने कॉल लगाया —
    “आपको क्या लगता है, कागज़ के टुकड़ों से रिश्ते तोड़े जा सकते हैं? आप अपने भाई के बेटे को कोर्ट से जीतना चाहते हैं?”

    रवि की आवाज़ शांत थी:
    “मैं रिश्ते तोड़ना नहीं चाहता, रीवा।
    बस उन्हें अपने तरीके से निभाना चाहता हूँ...”


    ---



    रात।
    रवि बालकनी में बैठा है — हाथ में विक्रम की पुरानी तस्वीर।

    “भैया... मैं कोशिश कर रहा हूँ।
    मुझे बच्चे को तुझसे जोड़कर रखना है...
    लेकिन मैं शायद तरीका खो बैठा हूँ।”

    वहीं रीवा अपने बिस्तर पर बैठी —
    जय को सीने से लगाए — कह रही थी:
    “मैं दीदी से वादा नहीं तोड़ सकती।
    मैं तुझे किसी से भी लड़कर बचाऊँगी... रवि से भी।”


    --

  • 2. यकीन का सफर - Chapter 2

    Words: 1011

    Estimated Reading Time: 7 min

    एक लड़की किचन में खाना बना रही है ।वह लड़की खाना बनाते हुए बहुत खुश है । उसने जींस और टी-शर्ट पहनी हुई है। आज तो मैंने पूरा खाना दीदी की पसंद का बनाया है। आप आ जाओ हमारे साथ ।हम साथ में खाना खाएं ।वह खाना बनाते हुए अपने आप से कह रही है। उस लड़की का रंग ज्यादा गोरा नहीं है। मगर सांवली सी इस लड़की की आंखें बोलती हैं। बेहद खूबसूरत आंखें हैं  इसकी। सांवला रंग, बड़ी बड़ी काली आंखें, तीखे नैन-नक्श , हल्के घुंघराले लंबे बाल और उसकी नाक तीखी नाक में छोटा सा नोज पिन पहना हुआ है जो बहुत जंचता है उसके चेहरे पर। वो  तेज दिमाग की आत्मविश्वास से भरी हुई,अपनी धुन की पक्की है। उसे रिश्तो पर हद से ज्यादा यकीन है और वह बहुत आसानी से लोगों पर विश्वास कर लेती है ।वह हर किसी की हेल्प करना पसंद करती  । मगर थोड़ी सी जिद्दी भी है।जो मन में ठान लेती है वो करके रहती है। खाना बनाना उसका पैशन।वह एक शेफ के रूप में काम करना चाहती है। जानवरों ,पशु पक्षियों और फूल पौधों से इसे बहुत प्यार है। स्ट्रीट डॉग को खाना खिलाना मुझे इसका रोज का काम है। इसके पास कई बिल्लियां दूध पीने के लिए आती है। रीवा की आदत है हर किसी को मेरी जान बोलना । इस वजह से कई बार वह ऑकवर्ड वाली स्थिति में भी आ जाती है। फिर वो चाहे बिल्लियां हो, डॉग हो जां फूल पत्ते हो😁 चाहे उसके आसपास रहने वाले लोग।वो हर किसी को मेरी जान कह कर बुलाती है ।जिस वजह से वह अपने कॉलेज में मुसीबत में भी आ चुकी है। क्योंकि जब किसी को जान बोलती है तो लड़के इस बात को दिल पर ले लेते थे ।वो सोचते थे कि वह उसे पसंद करती है। मगर उसकी लाइफ में कोई नहीं है। वैसे तो इसकी जिंदगी में इसके पापा ही सब कुछ है। इसके पापा की छोटी बहन ललिता  इसे बहुत चाहती है ।इसकी मां की मौत के बाद इसकी बुआ ने ही इसकी देखभाल की है ।इसकी बुआ ललिता और उनका बेटा आनंद वह दोनों इसके पापा के बाद इसकी जिंदगी में एक अहम जगह रखते हैं ।इसका एक दोस्त है अक्षय जिसका रैसटोरैंट है। इस प्यारी लड़की को जिंदगी में मिलेगा एक cruel hartered.जो गुस्से और जिद से भरा हुआ होगा। क्या वो उस की जान बन सकेगा। वह खाना बनाने के बाद टेबल पर लगा रहे हैं तभी उसके पापा बाहर से आते हैं। रावी  बेटा खाना बन गया क्या ।वो पूछते हैं। मैं आप ही का इंतजार कर रही थी। वह उनके लिए प्लेट लगाने लगती है। वह खाना खाते हुए मुस्कुराने लगते हैं। बिल्कुल तुम्हारी मां की याद आ जाती है । तुम्हारे हाथ का खाना खाकर। उन्होंने रवि से कहा। मैंने मां की ही रेसिपी के हिसाब से खाना बनाया है आज। रावी खुश होकर बताती है। पता है मुझे ।मेरी बेटी के जैसा टेस्टी खाना इस पूरे शहर में कोई नहीं बनाता। रावी के पापा कहते हैं ।वैसे एक काम अच्छा किया बेटा तुमने। अकक्ष  के रेस्टोरेंट के लिए खाना बनाकर उसकी हेल्प की । अभी उसका रेस्टोरेंट नया है। इतना टेस्टी खाना उसके रेस्टोरेंट में मिलेगा तो उसका रेस्टोरेंट भी चलने लगेगा । उन्होंने कहा खाना खाते हुए कहा। उनका ध्यान साइड पर रखी हुई प्लेट की तरफ जाता है ।उनका मुस्कुराता हुआ चेहरा उदास हो जाता है । मैंने तुम्हें मना किया है ना। कोई जरूरत नहीं उसकी प्लेट लगाने की। क्यों करती हो तुम ऐसा। क्यों मेरा दिल दुखाती हो तुम ।उसके पापा ने खाना छोड़ दिया। उनके चेहरे पर गुस्सा था 6 साल हो चुके हैं पापा उस बात को ।अब तो गुस्सा छोड़ दो ।रावी ने उदास होते हुए कहा । मैंने उसे मना किया था। उसने मेरी बात नहीं मानी । कर ली उसने उस गुंडे रतन चौधरी से शादी।उसके लिए वो  जरूरी हो गया था। हम उसके लिए कुछ नहीं थे।वो बहुत गुस्से में थे। मैं भी गुस्सा थी पापा उस पर । मैंने भी दी से बात नहीं की। फिर मगर आप ही तो कहते हैं जिंदगी बहुत छोटी है।अब गुस्सा खत्म किया जाए। हमें उसे  अब उससे मिलना चाहिए । रावी ने कहा। नहीं बिल्कुल भी नहीं। उसने अपनी मर्जी की है। यह उसका फैसला था ।उसे उस गुंडे को छोड़ना था । मगर उसने हम दोनों को  छोड़ दिया। उसने उसका चुनाव किया। ठीक है पापा आपको दी पर गुस्सा है। आपको उसकी याद नहीं आती पापा। देखो  मैं रजनी के लिए सिर्फ दुआ कर सकता हूं ।मैं उसे कभी माफ नहीं कर सकता। जयदीप गुप्ता ने को अपनी बड़ी बेटी रजनी पर बहुत गुस्सा था ।जिसने उसकी मर्जी के खिलाफ रतन चौधरी से शादी की थी ।वह एक बड़ा बिजनेसमैन था कोई शक नहीं था। मगर उनके खानदान की गिनती गुंडो में भी की जाती थी। चौधरी भाइयों के नाम से दुनिया डरती थी। उन लोगों के लिए किसी को मारना कोई बड़ी बात नहीं थी। वहीं जयदीप गुप्ता एक सीधा-साधा मिडिल क्लास आदमी था जो कि नौकरी करता था। जिसके लिए उसकी दोनों बेटियां हैं उसकी दुनिया थी। मगर आपका नवासा । आपका मन नहीं करता उससे मिलने को। पता है मुझे आप दीदी पर बहुत गुस्सा है । पर आप उसे कितना चाहते हैं मैं यह भी जानती हूं । अब तो वह भी पांच साल का हो गया होगा ।पता है आपको उसका नाम दी ने आपके नाम पर रखा है। जयदीप जयदीप नाम है उसका। जयदीप गुप्ता एक सिंपल से असूलों वाले मिडिल क्लास आदमी है। उनकी पत्नी की बहुत साल पहले मौत हो चुकी है। उनकी दो बेटियां हैं जिन्हें उन्होंने  बड़े लाड प्यार से पाला है। उनकी बड़ी बेटी रजनी गुप्ता ने उनकी मर्जी के खिलाफ चौधरी खानदान के दूसरे बेटे रतन चौधरी से शादी की।  उसकी शादी के बाद वह लोगों से कभी नहीं मिले। घर छोड़ने के बाद रजनी कभी उनके घर वापस नहीं आई। उनकी दूसरी बेटी रावी जो उनके पास है ।वह अपनी बहन से मिलना चाहती है ।मगर वो अपने पापा के खिलाफ नहीं जाना चाहती । उम्मीद करती हूं मेरी यह नई स्टोरी आपको पसंद आएगी।

  • 3. यकीन का सफर - Chapter 3

    Words: 1006

    Estimated Reading Time: 7 min

    एक छोटा बच्चा वह भागते हुए गिर जाता है । उसके घुटने पर चोट लगती है ।वह  रोने लगता है ।तभी एक हैंडसम नौजवान उसके पास आता है । शाबाश मेरे शेर खड़े हो जाओ ।ऐसी छोटी तकलीफों से कोई फर्क नहीं  पड़ना चाहिए तुम्हें । तुम मेरे भतीजे हो। वो उस बच्चे का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा करता है । मेरी बात ध्यान से सुनो ।वो नौजवान ने उस बच्चे से कहा । अगर जिंदगी में तुम्हें अपने पैरों पर खड़ा होना है तो कुछ असूल बनाने होंगे जिंदगी जीने के लिए। मजबूत बनना है तुम्हें। अरे हम तार एस इन सब चीजों से दूर रहना ह जरूरत पड़ने पर अपने दुश्मन के ऊपर टूट पड़ना है। चाहे  तुम्हारे सामने मौत ही क्यों ना खड़ी हो ।अगर तुम घबरा गए तो तुम्हारा दुश्मन जीत जाएगा । नहीं तुम जीतोगे ।मौत को उसकी आंखों में देखो।  तो वह तुमसे डर कर साइड से निकल जाएगी। गिर जाने पर कभी रोते नहीं याद रखो। रोने वालों पर कोई रहम नहीं खाता ।समझ गए तुम । जिंदगी का सबसे बड़ा असूल याद रखो ।जिंदगी में कभी किसी पर भरोसा नहीं करना । खास तौर पर औरत पर तो बिल्कुल भी नहीं करना। औरत नागिन से भी खतरनाक होती है। वह अपने बच्चों को भी ज़हर से मार देती है। वह बच्चा उसकी बातें सुनकर कहता है । ठीक है चाचु।उस बच्चे ने कहा। तो यह लो बैंडेज और खुद अपने घुटने पर लगाओ। इसमें रोने की कोई बात नहीं है । वह बच्चा बैंडेज पकड़ता है और खुद ही अपने घुटने पर लगाता है। वह नौजवान जाते हुए अपने आप को कह रहा है । कभी किसी को अपने जख्म दिखने नहीं चाहिए। दुनिया उन जख्मों का मरहम नहीं लगाती उनका मजा लेती है। राजन चौधरी,रतन चौधरी और रवीराज चौधरी तीन भाई हैं।सभ से बड़ा राजन चौधरी जो दिमाग से बच्चों जैसा है।वो कभी बाहर नहीं जाता। हमेशा घर में ही रहता है। उसकी शादी शालिनी नामी औरत से हुई है जो कि एक बहुत चालाक औरत है। उसके बहुत से राज है जिनके बारे में किसी को नहीं पता। वो इस चौधरी मेंशन पर राज करना चाहती है।वो सबके सामने बहुत अच्छी बनती है। रतन चौधरी  जिसने रावी की बड़ी बहन रजनी से लव मैरिज की थी ।उसकी मौत हो चुकी है। उसकी वाइफ  रजनी अक्सर बीमार रहती है ।मालूम नहीं उसे क्या प्रॉब्लम है मगर वह अक्सर सोती रहती है। उसे अपने बेटे की भी होश नहीं रहती ।वह अपनी शादी के बाद कभी अपनी फैमिली से नहीं मिली। उसका एक बेटा है। रविराज चौधरी जो कहने में तो इन दोनों से छोटा है ।मगर पूरा बिजनेस वही देखता है ।आज जिस मुकाम पर चौधरी ग्रुप का बिजनेस है उसके पीछे यही एक आदमी है । वह दिखने में चाहे बहुत हैंडसम है असल में वह बहुत ही क्रुएल आदमी है ।तरस नाम का शब्द तो उसकी जिंदगी में है ही नहीं। ना तो वह मरने से डरता है और ना ही किसी को मारने से।  अगर किसी को मारना हो तो उसके लिए बाएं हाथ का खेल है। 6 फीट हाइट, गोरा रंग बड़ी-बड़ी भूरी आंखें ,चेहरे पर दाढ़ी उसके चेहरे को देखकर उसके अंदर का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता ।उसके दिल में क्या है कोई नहीं जानता। वो किसी से अपनी बात शेयर नहीं करता ।बहुत कम लोग हैं जो उसके बारे में जानते हैं और जिन पर वह यकीन करता है। उसे जिंदगी में किसी पर यकीन नहीं है। वो औरतों से तो नफरत करता है। उसे अपने भाइयों से बेहद प्यार है ।उसके भाइयों में उसकी जान बसती है ।उसका बड़ा भाई राजन जो दिमागी तौर से एक बच्चा है। वह उसे बहुत चाहता है और उसके लिए कुछ भी कर सकता है। मगर सबसे प्यारा अगर इसे कोई है तो वह है रतन का बेटा जयदीप । वह कहता है कि मेरे भाई ने मरने से पहले जयदीप को मुझे सौंपा था। वह मेरे भाई की अमानत है इसीलिए वो दुनिया में सबसे ज्यादा किसी को चाहता है तो वह जयदीप है। उसके लिए वह कुछ भी कर सकता है। रवि राज की लाइफ में गिनती के लोग हैं जिसे वह अपनी बात शेयर करता है और उनसे सलाह लेता है। सबसे पहले है जगदीश शर्मा जिस का संबंध  अंडरवर्ल्ड था ।मगर अब वो सब काम छोड़ चुका है।उसने रवीराज चौधरी की बहुत हेल्प की थी। उसकी रवि राज से सलाह भी लेता है और उसकी बात भी मानता है । जगदीश शर्मा को काम करने की कोई जरूरत नहीं है फिर भी वह एक छोटी सी चाय की स्टाल चलाता है ।जहां पर अक्सर रविराज उसके पास आता है। उसके बाद आता है रवि राज का असिस्टेंट इकबाल राना जो लगभग उसी की उम्र का है। वो उसका का दाया हाथ है। वह उस पर पूरा यकीन करता है । इकबाल  बिजनेस से लेकर उसका हर मैटर वही हैंडल करता है। इकबाल राणा एक बहुत ही इंटेलिजेंट और वफादार आदमी है जो रवि राज के लिए जान दे भी सकता है और जान ले भी सकता है। तीसरे नंबर पर आता है डीसुजा जो के चौधरी मेंशन में ही काम करता है। पूरे चौधरी मेंशन की जिम्मेदारी उस पर है। वह 50 साल के लगभग आदमी है ।उसकी कभी रवि राज ने बहुत हेल्प की थी। वह रवि राज की बहुत इज्जत करता हैं और जरूरत पड़ने पर उसे सलाह भी देता है । रवि राज भी उस से अपनी बात शेयर करता है। ऐसा आदमी जो जो औरतों से नफरत करता है किसी पर यकीन नहीं करता। क्योंकि उसकी मां ने किसी और के लिए उसके पिता और इन तीनों भाइयों को छोड़ दिया था। जब वह बहुत छोटे थे। तो वह अपनी मां की नफरत हर औरत में देखता है । ऐसे cruel hearted को हमारी प्यारी सी रीवा से प्यार होगा? आखिर दोनों एक दूसरे से टकराने वाले हैं ।अगर रवि राज जिद्दी है तो रीवा भी जिद्दी । दोनों की जान तो एक ही इंसान में बसती है वह है जयदीप चौधरी। बहुत जल्दी दोनों मिलने वाले हैं जय के लिए एक दूसरे से।

  • 4. यकीन का सफर - Chapter 4

    Words: 1006

    Estimated Reading Time: 7 min

    जय बेटा एक चम्मच तो खा लो ।एक औरत एक बच्चे को खाना खिलाने की कोशिश कर रही है। वह बच्चा जयदीप चौधरी जो के 5 साल का है। उसकी  नैनी उसे खाना खिलाने कोशिश कर रही है। वो खाना नहीं खा रहा । तो उसकी नैनी कहती है । बेटा खा लो वरना तुम्हारे अंकल मुझे डांटेंगे। मगर वह अपनी मॉम के हाथ से खाना चाहता है। आंटी मुझे मॉम के खाना है । बेटा वो सो रही है । नैनी कहती है । मैं देख कर आता हूं ।जय ने कहा। तभी एक औरत वहां में आती है । मैडम जय बाबा खाना नहीं खा रहा है। नैनी की बात पर वो अजीब सा चेहरा बनाती हैं ।मगर वह जल्दी ही संभल  जाती है । जब इसे  भुख होगी तो खा लेगा। फिर वह अचानक बड़े प्यार से बोलती हुई जय को कहती है । क्यों जय डार्लिंग  तुम खा लोगे। नैनी  वहां से चली जाती है। शालिनी भी वहां से उसे छोड़ कर वहां से चली जाती है ।अब वहां डाइनिंग टेबल पर जय अकेला बैठा है ।वह अपने खाने की प्लेट उठाता है और  जिस कमरे में उसकी मां बिस्तर पर लेटी हुई थी। वहां चला जाता है। उसकी मॉम सो रही थी । वह वहां साइड और खाने की प्लेट रखता है। माम माम ।वो अपनी मॉम से कहता है। वह आंखें तो खोलती हैं मगर उस से उठा नहीं जाता । उसे बहुत  नींद आ रही है। जब उस से उठा नहीं जाता ।वो  वह वापस लेट जाती है और वापस सोने लगती है। यह देखकर जय बहुत उदास होता है। जय अपनी मां के साथ लेट जाता है। मां तुम हमेशा सोती क्यों रहती हो । उठाती क्यों नहीं ।मुझे आपके हाथ से खाना खाना है। आपके साथ खेलना है। वह अपनी मां के साथ  लेटा हुआ है। उसकी आंखों में पानी है ।उसे समझ नहीं आ रहा है कि उसकी मां बिस्तर से उठाती क्यों ।नहीं थोड़ी देर वह उसके साथ ऐसे ही लेटा रहता है।वो वहां से उठ जाता है। अपनी प्लेट उठाकर अपने कमरे में चला जाता है। तेजस खन्ना अपने ऑफिस में बैठा हुआ इकबाल राणा से बात कर रहा है। सर हमें  टेंडर मिल गया है । थोड़ा मुश्किल तो जरूर हुआ था मगर फिर भी सब ठीक है । और जो हमारा सामान बाहर से आने वाला था उसका क्या हुआ ।रवि ने पूछा। तभी तेजस के फोन पर फोन की बैल बजती है । वह फोन उठा कर देखता है ।ऊपर शालिनी  का नाम फ्लैश हो रहा था । भाभी अगर कुछ जरूरी है तो बताओ । वो फोन पर कहता है। आगे से शालिनी कुछ कहती है तो उसके जवाब में तेजस कहता है । कैसा एक्सीडेंट। ठीक है मैं पहुंच रहा हूं। एक अपने कमरे की खिड़की के पास बैठी हुई बाहर की तरफ देख रही है। तभी उसके फोन पर एक कॉल आती है। वह किसी अननोन नंबर नंबर से फोन था। वह फोन उठाती है ।सामने से कोई पूछता है तो वह उसके जवाब में कहती है। मैं बहन हूं उनकी। क्या कह रहे हैं आप । कौन सा हॉस्पिटल है ।घबराई हुई रीवा ने पूछा। दीदी मैं आ रही हूं। रवि  जल्दी से सिटी हॉस्पिटल पहुंचता है। वह अपनी गाड़ी रोकता है। पीछे रीवा की टैक्सी आकर रूकती है । तेजस खन्ना सीधे  डॉक्टर की केबिन में जाता है ।वहां पर शालिनी और राजन बैठे हुए थे। राजन भाग कर रीवा के गले लग जाता है । बहुत बुरी हालत है उसकी ,मुझे देखा नहीं जाता ।वो हो रहा है। भाई आप हौसला रखो मैं आ गया हूं ना। ठीक कर दूंगा ।वह अपने भाई को समझ कर बैठा देता है। क्या हुआ भाभी। वह शालिनी से पूछता है । वो स्टार्स से नीचे गिर गई। तुम्हें तो उसकी हालत  पता ही है।   तब वहां नहीं थी मुझे सुनीता ने बताया। मैं जल्दी से उसे जहां अस्पताल ले आई ।मुझे बहुत डर लग रहा है ।शालिनी कहती है । जय कहां था उस वक्त । उसने तो अपनी मां को इस हालत में नहीं देखा। तेजस को जय की फिक्र होने लगी । नहीं उसे नहीं पता अभी तक। शालिनी ने बताया। रीवा भागती हुई हॉस्पिटल की रिसेप्शन पर आती है । जहां पर कोई रजनी खन्ना नाम की पेशेंट आई है क्या। 1 मिनट मैडम मैं देख कर बताती हूं ।रिसेप्शनिस्ट अपना रजिस्टर चेक करती है। रजनी खन्ना है कि इस नाम की पेटेंट  है।   क्या हुआ उसे । उनका ऑपरेशन होने वाला है ।ऊपर है। रीवा भागती हुई ऊपर जहां पर रजनी होती है वहां जाती है। वो टाप फ्लोर पर पहुंचती है ।जहां पर रजनी लेटी होती है ।उसकी हालत बहुत सीरियस थी । दीदी उठो मैं आई हूं ।रीवा रोती हुई कहती है । उसकी आवाज से रजनी आंखें खोलती है । मुझे तुमसे कुछ कहना है। रजनी बहुत मुश्किल से बोल रही है । उससे बोला भी नहीं जा रहा। दीदी हम बात नहीं करेंगे। पहले आप ठीक हो जाओ । नहीं रजनी मेरे पास टाइम नहीं है । मेरा बेटा जयदेव उसे  मैं तुम्हें सौंप रही हूं । उसे कभी अकेला मत छोड़ना। मेंशन में तो उसे कभी अकेला नहीं छोड़ना। मैं अपनी अमानत  तुम्हें सौंप रही हूं। फिर रजनी अपनी गले में पड़ी हुई चैन हर हाथ लगाती है। इसे निकालो । रीवा अपनी बहन के गले में से वह लॉकेट वाली चैन निकालती है। इसे तुम अपने पास रखो। रजनी को ऑपरेशन के लिए ले जाया जाता है। रीवा वही रजनी के कमरे में बैठ जाती है। वह उस चेन में पड़े लॉकेट को देखती हैं ।उसे खोल कर देखती है तो उसमें जय की तस्वीर थी ।जय को उस तस्वीर में रीवा पहली बार देखती है। वो लॉकेट को चूम लेती है। डॉक्टर  खन्ना फैमिली  के पास  केबिन में आता है । हम उन्हें बचा नहीं सके । उधर रीवा को भी ऊपर कमरे में खबर मिलती है कि उसकी बहन इस दुनिया से जा चुकी है। प्लीज मेरी स्टोरी पर कमेंट करें साथ में रेटिंग भी दे ।आपको मेरी स्टोरी कैसी लग रही है कमेंट में बताएं।

  • 5. यकीन का सफर - Chapter 5

    Words: 1071

    Estimated Reading Time: 7 min

    रजनी का सस्कार होता है। मगर रवि  शमशान घाट नहीं आता ।उसे शमशान घाट जाना बिल्कुल भी पसंद नहीं। सिर्फ दिखावे के लिए तो वह कभी कोई काम नहीं करता।संस्कार पर बाकी चौधरी फैमिली वहीं पर है । रीवा अपने पापा,बुआ,बुआ के बेटे आनंद और दोस्त अक्षय के साथ वहां पर आती है। रीवा और उसके पापा बहुत ज्यादा दुखी है।शालिनी उन दोनों को सहारा देती है।   जो दुख की घड़ी में रवि राज चौधरी से मिलना चाहते थे ।वह वही उसे घर पर ही मिलने आते हैं ।रवि का पूरा ध्यान जय  पर है ।जय को अभी तक नहीं पता था कि क्या हुआ। मुझे जय की फिक्र लगी है । इस छोटे से बच्चे की। इकबाल ने कहा । क्यों रवि ने उसकी तरफ देखते हुए पूछा। पहले इसके पिता चले गए। अब इसकी मॉम नहीं रही । इस बच्चे के लिए इतनी छोटी उम्र में  बहुत मुश्किल है । उसकी बात पर रवि उसकी तरफ देखा है। जय अकेला नहीं है दुनिया में जिसने अपनी मां खोई है दुनिया में ऐसे बहुत से बच्चे हैं जो बिना मां के ही पल जाते हैं फिर इसके पास मैं हूं यह मेरे मेरे भाई की अमानत है जय को मेरे भाई ने मरने से पहले  मुझे सौंपा था।  इसके लिए मैं ही इसका बाप हूं और मैं ही इसकी मां हूं ।अनाथ नहीं है मेरा जय। रवि राज ने इकबाल  से कहा। रीवा की हालत बहुत बुरी होती है। शालिनी रीवा और उसके पापा को सहारा देती है। वो रीवा से कहती है कि चाहे वह उन लोगों से पहले कभी नहीं मिली। मगर वह समझती है कि उसने अपनी बड़ी बहन को खोया है। पहली ही नजर में शालिनी  रीवा को अच्छी लगती है। रवि को अपने बड़े भाई राजन की भी फिक्र होती है ।रवि उसे ढूंढता हुआ फर्स्ट फ्लोर की  टेरिस पर आता है।वहां कमरों के आगे बहुत बड़ी टेरेस है।जहां पर बहुत सारे प्लांट लगे हुए थे ।असल में यह सारे प्लांट राजन चौधरी के लगाए हुए थे। उसका दिमाग बिल्कुल बच्चों जैसा था और उसे उसे प्लांट से बेहद प्यार था। जब भी वह दुखी उदास होता है इन प्लांट्स के पास आकर बैठ जाता और  गमले में नए-नए प्लांट्स लगाता है। रवि उसे ढूंढता हुआ वही टैरिस पर आता है। राजन एक टक प्लांट्स को देख रहा था ।रवि उसके पास आकर बैठ जाता है। भाई आप ठीक तो है ना ।वो बहुत प्यार से कहता है। देखो वह भी चली गई। हम सबको छोड़कर । प्लांट्स भी उसे याद कर रहे हैं। वह रोने लगता है । भैया फिक्र मत करो मैं हूं ना आपके पास ।वो  उसे दिलासा देने की कोशिश करता है। जय और राजन यह दोनों ही ऐसे इंसान थे जो रवि राज को बेहद अजीज थे। रवि राजन का हाथ पकड़ता है और कहता है। भाई आप मेरी तरफ देखो। राजन सिर्फ उन्हीं लोगों का हाथ पकड़ता है जिन पर वो यकीन करता है और जिनके साथ वो कंफर्टेबल होता है। रीवा के पापा जयदीप गुप्ता को इस बात का पछतावा है कि उन्होंने अपनी बेटी से सारे रिश्ते तोड़ लिए थे। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था ।आज वह अपनी बेटी से मिले भी तो उसके सस्कार पर। उसके लिए यह सहना बहुत मुश्किल हो रहा था। रीवा की बुआ ललिता उन्हें समझाने की कोशिश कर रही थी ।मगर इस बात का उनके दिल पर गहरा असर पड़ा था। जब उसके पापा का रोना बंद ही नहीं कर रहे थे तो रेवा  अपनी बहन का दिया हुआ लॉकेट खोलती हैं। आप रो क्यों रहे हैं पापा यह देखो रजनी दीदी हमारे साथ है ।वो जय की तस्वीर दिखाती है।  उसे देखकर वो खुश हो जाते हैं । मेरी बेटी की अमानत है यह बच्चा। सही बात है पापा ।मेरी बहन की निशानी है और हम इसे अपने पास रखेंगे । क्या चौधरी खानदान हमें जय को देगा ।उसके पापा कहते हुए सोचने लगते हैं। चाहे जो हो जाए ।अब जय को  तो मैं लाकर ही रहूंगी । वह मेरी बहन की निशानी है और हमारे ही पास रहेगा ।रीवा ने कहा। मेरी बहन की आखिरी इच्छा है कि वह मेरे पास हो। जय अपने बिस्तर पर बैठा हुआ कागज से कश्ती बना रहा है ।रवि उसके पास आता है । मेरा बेटा क्या कर रहा है। देखो चाचू मैंने किश्ती बनाई है ।मैं जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तो मैं बहुत बड़ी किश्ती बनाऊंगा ।फिर मैं अपनी अपनी मॉम को लेकर आऊंगा उसमें । रवि उसे कागज की किश्ती को हाथ में पकड़ता है । जैसा हम सोचते हैं जिंदगी में हमेशा बैसा नहीं होता।  वह उसकी  किश्ती को हाथ की मुट्ठी में बंद कर लेता है ।जिससे वह कागज की कश्ती टूट जाती है । जिंदगी में हमेशा हमें हर बात के लिए तैयार रहना चाहिए। जिंदगी में कभी भी कुछ भी हो सकता है। रवि चाहता है कि जय सॉन्ग बने। यह क्या किया चाचू आपने । यह मेरी किश्ती तोड़ दी। उसकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। चाचू ने तुम्हें क्या सिखाया था। जिंदगी में रोना नहीं है। कुछ भी हो जाए। क्या कहा था मैंने । असल में वो जया को बहुत स्ट्रांग बनाना चाहता है ।वह चाहता है की जय भी उसके जैसे स्ट्रांग बन और जिंदगी में आने वाली तकलीफों का उस पर कोई असर ना पड़े । उसे भावनात्मक लोग बहुत कमजोर लगते हैं और उसे नफरत है इस किस्म के लोगों से। वो जय का चेहरा पकड़कर  कहता है । जिंदगी में जो हो जाए। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं। चाचू मेरे साथ मॉम भी मेरे साथ है । और आप भी मेरे साथ हैं। रीवा चौधरी मेंशन के गेट पर पहुंचती है ।मगर उसे अंदर जाने की परमिशन नहीं मिलती। देखिए मुझे जयदीप से मिलना है । प्लीज आप मिलवा दीजिए । नहीं रवि सर का हुक्म है । कोई भी उनसे नहीं मिल सकता ।वो उसे वही रोक लेते हैं । तभी एक गाड़ी गेट से बाहर निकलती है। शालिनी रीवा को देखकर गाड़ी रोक लेती है। शालिनी और रीवा शमशान घाट में मिल चुके है। क्या हुआ ।शालिनी गाड़ी का शीशा नीचे करते हुए रीवा से कहती है। मैं जयदीप की मौसी हूं ।मुझे उससे मिलना है । तो प्रॉब्लम क्या है। मुझे अंदर नहीं जाने दे रहे। शालिनी वहां पर जो गार्ड थे उन्हें बुलाती है और उन्हें रीवा को अंदर जाने  के लिए कहती है। शालिनी को कोई काम था। वह चली जाती है और रीवा मेंशन के अंदर जयदीप से मिलने जाती है।

  • 6. यकीन का सफर - Chapter 6

    Words: 1012

    Estimated Reading Time: 7 min

    मेंशन में जब पता चलता है कि रीवा को शालिनी मैडम ने भेजा है तो उसे कोई उसे रोकता नहीं ।सब जान जाते हैं कि वह जय की मौसी है । रीवा जय से मिलकर बहुत खुश होती है। रीवा जय से पहली बार मिल रही है ।जब रीवा जय को बताती है कि मैं तुम्हारी मौसी हूं मेरी जान।मेरा नाम रीवा है तो जय  के फेस पर स्माइल आ जाती है। मॉम आपको बहुत याद करती है । हमेशा आपकी बातें करती है ।थोड़े ही टाइम में जय और रीवा की अच्छी बॉन्डिंग हो जाती है । मैं तुम्हें लेने आई हूं ।रीवा जय से कहती है। मेंशन में काम करने वाले सभी को लगता है कि जब इसे शालिनी मैडम ने भेजा है तो रवि राज रवि चौधरी को भी पता ही होगा ।कोई भी उसे नहीं रोकता ।वह उसे अपने साथ घर ले जाती है। देखो मेरी जान हम घर पहुंच गए । जय को रीवा का साथ अच्छा लग रहा था। उसकी मॉम को छोड़कर शायद ही कोई होगा जिसने उसे पर ऐसे प्यार जिताया होगा । पता है मेरी जान यह तुम्हारा भी घर है । मैं और तुम्हारी मॉम और तुम्हारे नानू के साथ यहीं रहते थे । सचमुच ।जय खुश हो जाता है । रीवा जय के साथ बहुत खेलती है। उसकी पसंद का खाना बनाती है ।वह उसके साथ बहुत इंजॉय करता है । पता है मौसी आप में से मेरी मॉम जैसी खुशबू आती है ।जय  उसके  साथ खेलता हुआ कहता है। रीवा उसे गले से लगा लेती है । मैं तुम्हारी मॉम ही तो हूं । कहते हुए उसकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। सचमुच वह एक छोटा बच्चा था जिसे मां की जरूरत थी । जय रवि की जान था। मगर रवि उसे पर प्यार जताने की जगह उसे स्ट्रांग बन रहा था ।रवि समझता है कि प्यार की जरूरत इंसान को कमजोर बनाती है । उधर रवि जब शाम को घर आता है ।वो जय की नैनी को हाल में देखता है । तुम जहां पर। जय  इतनी जल्दी सो गया क्या । नहीं वह घर पर नहीं है ।नैनी को उसके ऐसे सवाल पूछने से डर लगा । शालिनी भाभी उसे अपने साथ बाहर ले गई । उन्होंने मुझसे पूछा भी नहीं ।रवि को थोड़ा सा गुस्सा आया था । क्योंकि जय के मामले में वह किसी पर भरोसा नहीं करता था ।फिर वह चाहे शालिनी हो, चाहे कोई और अगर जय को बाहर ले जाना होता तो हमेशा वह अपने साथ ही लेकर जाता था । नहीं वह शालिनी मैडम के साथ नहीं गया। उसकी मौसी आई थी । उसके साथ चला गया।उस ने कहा । यह क्या कह रही हो तुम ।रवि की आंखों में एक ही पल में खून उतर आया था । उन्हें शालिनी मैडम ने अंदर भेजा था। मुझे हमें लगा आपकी इजाजत होगी । वहां हाल में खड़े हुए सभी नौकर डर से कांपने लगे थे ।क्योंकि रवि को इतने गुस्से में बहुत दिनों के बाद देखा था। लग रहा था वह उन सभी को अभी मार डालेगा । सभी रवि का गुस्सा जानते थे। तभी शालिनी घर के अंदर आती है ।रवि को ऐसे गुस्से में देखकर शालिनी ने उससे डरते-डरते पूछा । क्या बात है रवि ।क्या हुआ । कुछ हो गया क्या । आपने कैसे इजाजत दी जय को उसकी मौसी को ले जाने के लिए। मैंने कहां इजाजत दी ।मैंने तो सिर्फ मिलने के लिए कहा था । उसका एड्रेस बताओ कहां है । उसका एड्रेस तो मुझे मालूम नहीं ।अब रवि का और भी ज्यादा गुस्सा आ गया था । इसके बाद आगे से अगर मुझे पता चला । आपने जय के मामले में कोई इंटरफ्रेंस किया है । मुझसे बुरा कोई नहीं होगा ।वो गुस्से में वहां से चला जाता है । उसकी स्टडी में उसका राइट हैंड इकबाल और वहां पर एक आदमी और है।   जल्दी से जल्दी उसका एड्रेस ट्रैक करो। थोड़ी ही देर में इकबाल उसे बताता है कि  एड्रेस मिल गया है। जय जो अब तक सो चुका है ।रीवा और उसके पापा दोनों बातें कर रहे हैं। क्या चौधरी खानदान के लोग इसे जहां रहने देंगे । जयदीप गुप्ता ने कहा। बिल्कुल क्यों नहीं रहने देंगे पापा।  हमारा खून का रिश्ता है । जितना उनका हक है इस पर ।हमारा भी उतना ही हक है । मैं किसी भी हाल में इसे वहां नहीं छोडूंगी । मरने से पहले मेरी बहन ने कहा है इसे कभी अकेला नहीं छोड़ना । वैसे भी यह बहुत छोटा है ।इसे मेरी जरूरत है । मैं बाजार जा रहा हूं ।उसके पापा ने कहा । इस वक्त।  रीवा ने पूछा। अब मैं कुछ खाने पीने का सामान लेकर आता हूं । बच्चों को बहुत सा सामान जो पसंद होता है ।मैं वह लेकर आता हूं ।उसके पापा बहुत खुश थे उसके आने से। उसके पापा उन दोनों को घर छोड़कर बाजार चले जाते हैं । रीवा बहुत खुश थी ।वह किचन में  रात का डिनर बना रही थी ।साथ में वो जय के बारे में सोच रही थी। बिल्कुल मेरे जैसा है ।उसे काम करते हुए भी जय पर बहुत प्यार आ रहा था ।वह अपनी बहन को याद करने लगती है। दीदी आपने कहा था ।जय आपकी अमानत मेरे पास रहे । मैं उसे ले आई। अब मैं  अपने पास रखूंगी । तभी बाहर जोर से आवाज आती है ।वह भाग कर बाहर आती है तो उनके घर का दरवाजा तोड़ते हुए कई आदमी अंदर आ गए थे। रवि राज चौधरी घर के अंदर आता है। वह जला देने वाली नजरों से रीवा को देख रहा है ।ऐसे लग रहा था अभी के अभी वो रीवा को मार देगा । वो रीवा की तरफ बढ़ने लगा।रीवा भी एकदम उसे देखकर डर गई थी ।वह पीछे हटते हुए दीवार के साथ लग गई। वह सहम गई थी । तभी रवि ने लिविंग रूम में इधर-उधर देखा ।जय सोफे पर सो रहा था ।वो जय के पास गया और सोते हुए जय को उठा लिया। प्लीज मेरी सीरीज पर कमेंट करें साथ में रेटिंग भी दे आपको मेरी सीरीज कैसी लग रही है कमेंट में बताएं।

  • 7. यकीन का सफर - Chapter 7

    Words: 1046

    Estimated Reading Time: 7 min

    रीवा की तरफ बढ़ने लगा।रीवा भी एकदम उसे देखकर डर गई थी ।वह पीछे हटते हुए दीवार के साथ लग गई। वह सहम गई थी । तभी रवि ने लिविंग रूम में इधर-उधर देखा ।जय सोफे पर सो रहा था ।वो जय के पास गया और सोते हुए जय को उठा लिया। वो सोते हुए जय को उठाकर बाहर की तरफ जाता है।   यह क्या कर रहे हो रहते हो ।रीवा उसके पीछे भागती है । छोड़ दो मेरे भांजे को ।रीवा कहती हुई गाड़ी के पास आती है। रवि आंखों से सिक्योरिटी को इशारा करता है ।वो लोग रीवा को पड़कर गाड़ी से दूर कर देते हैं ।रवि उसे लेकर चला जाता है । जब रीवा के पापा घर आते हैं और उन्हें पूरी बात पता चलती है ।उन्हें सुनकर बहुत दुख होता है। वो सभ झेल नहीं पाते ।उन्हें अटैक आ जाता है। रीवा जल्दी से अपने दोस्त अक्षय को फोन करती है ।वह उसकी हेल्प से उन्हें अस्पताल ले जाती है। जहां पर डॉक्टर बताते हैं कि उनकी हालत काफी सीरियस है । जयदीप गुप्ता को अटैक दूसरी बार आया था । डॉक्टर रीवा से कहते हैं कि मैंने आपको पहले ही कह दिया था । पहले अटैक के बाद क्या अगर दूसरी बार अटैक आता है ।उनका बचना मुश्किल है । आपको हर तरह के हालात के लिए तैयार रहना होगा। रवि जय को लेकर घर पहुंचता है ।जब वो जय को   बिस्तर पर लेटाता  है तो जय की आंख खुल जाती है ।वह अपने चाचू को वहां पर देखता है। चाचू। हां बेटा क्या हुआ। मेरी मौसी मुझे मेरी मॉम जैसी लगती है। वह मुझे बहुत प्यार करती है। मुझे बहुत अच्छा लगा आज उनके पास ।उसकी बात से रवि को गुस्सा आता है ।उसे रीवा पर गुस्सा आ रहा है। एक ही दिन में उसने जय को  अपना बना लिया। ठीक है बेटा । रवि जय से तो कुछ नहीं कहता ।मगर वह गुस्से से हाल में आता है । घर के सभी नौकरों ,सिक्योरिटी गार्ड ,घर में काम करने वाले हर आदमी औरत को उसने हाल में बुलाया हुआ है ।वह उन पर बहुत गुस्सा है । घर में इतने लोगों की फौजी इकट्ठा कर रखी है मैंने। किस बात के पैसे देता हूं मैं तुम लोगों को। एक लड़की आती है और जय को किडनैप करके ले जाती है। तुम सबको पता भी नहीं चलता वो  शालिनी की तरफ कभी वह बहुत गुस्से से देख रहा था क्योंकि उस लड़की को घर में आने की इजाज़त  उसने ही दी थी। सबसे पहले वह नैनी को काम से निकलता है क्योंकि  सबसे बड़ी गलती नैनी की ही थी। वह सभी से कहता है । याद रहे मेरी इजाजत के बिना जय बहार गार्डन में भी नहीं जाएगा । जय के लिए कोई फैसला नहीं करेगा । भाभी आप भी। उसने शालिनी से कहा। मैं आपकी बहुत इज्जत करता हूं मगर जय से दूर रहे । मुझे जय के मामले में कोई लापरवाही पसंद नहीं । आपसे यह फिर ना कहना पड़े ।वह कहता हुआ वहां से चला जाता है। शालिनी चुपचाप खड़ी वहां पर सुन रही है। उसे रवि पर गुस्सा तो आता है पर वह कुछ कर नहीं सकती। डॉक्टर  जवाब दे चुके हैं। जयदीप गुप्ता की हालत बिगड़नी शुरू हो चुकी है । रीवा के पास उसका दो दोस्त अक्षय है। वह उसे सहारा दे रहा है। रीवा ऐसे कैसे चलेगा । संभालो अपने आप को। तुम थक चुकी हो।   घर चली जाओ। मैं हूं उनके पास रात को जहां पर। मगर रीवा वहां घर जाने से इनकार कर देती है। रीवा अपने पापा को देखकर परेशान हो रही है। वह चाह कर भी अपने पापा के लिए कुछ नहीं कर सकती । पापा आप ठीक हो जाओ। जय को तो मैं ले आऊंगी। किसी भी हाल में मैं जय को उन लोगों के पास नहीं छोड़ने वाली ।वह अपने आप से कह रही थी। उसे लगता है कि अगर वह जय को ले आएगी तो शायद उसके पापा भी ठीक हो जाए। वह अगली सुबह  चौधरी मेंशन जाने का फैसला करती है ।जब वह चौधरी मेंशन पहुंचती है तो गार्ड उसे अंदर नहीं जाने देते ।मेंशन के आगे जो लोन था ।वहां पर एक साइड पर चेयर्स लगी हुई थी ।रवि इकबाल के साथ वहां बैठा हुआ कोई बिजनेस की डील की बात कर रहा था ।तभी उसे बाहर शोर सुनाई देता है । वह टर्न करके देखता है तो सामने गेट पर सिंपल से प्रिंटेड कुर्ते और जींस में रीवा अंदर आने की जिद कर रही थी ।रवि उसे कार्ड को हाथ से इशारा कर देता है तो वह रीवा को अंदर आने  देता है। रीवा  रवि के पास आती है। प्लीज देखिए अगर जय आपका भतीजा है तो वह मेरा भी भांजा है। मेरा भी उस पर उतना ही हक है। कल आप उसे जबरदस्ती ले गए। मैं रोक नहीं सकी। मुझ में इतनी ताकत भी नहीं है कि मैं आपको रोक सकूं । इसका मतलब यह नहीं कि  जय का और  मेरा रिश्ता नहीं है । मैं जय को जहां नहीं छोडूंगी । मेरी बहन ने मुझे कहा था उसे कभी अकेला मत छोड़ना । अगर अगर आप उसके चाचा है तो मैं भी मौसी हूं उसकी। रवि बहुत ही कोल्ड इंप्रेशन के साथ उसे देख रहा था ।उसने एक बार भी उसकी किसी बात का जवाब नहीं दिया। आपको समझना चाहिए मुझे भी जय  बहुत प्यारा है। रवि उसकी तरफ ध्यान छोड़कर वहां टेबल पर पड़ा हुआ अपना लैपटॉप उठाता है और उस पर काम करने लगता है। इकबाल वहां बैठा उन दोनों को देख रहा था । आप जवाब क्यों नहीं दे रहे। बोलिए कुछ ।आपको थोड़ा तो एहसास होगा इस बात का कि मेरा भी रिश्ता है। जैसे मगर रवि उस पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा था। वह  लैपटॉप पर अपना ही काम कर रहा था। जब रवि उसकी किसी बात पर रिस्पांस नहीं करता। वो उसके  हाथ से लैपटॉप छीन लेती है। जय मेरी मेरी बहन की अमानत है। याद रखो आज नहीं तो कल मैं उसे ले जाऊंगी। वह बहुत गुस्से के साथ कहती है। उसके इस हरकत पर रवि गुस्से में चेयर से खड़ा हो जाता है ।उसके हाथ से अपना लैपटॉप छीन लेता है। सुनो लड़की ! क्या लगता है तुम्हें इतना आसान है । अगर मैं चाहूं तो तुम्हें अभी गायब करवा सकता हूं।

  • 8. यकीन का सफर - Chapter 8

    Words: 1011

    Estimated Reading Time: 7 min

    उसकी इस हरकत पर रवि गुस्से में चेयर से खड़ा हो जाता है ।उसके हाथ से अपना लैपटॉप छीन लेता है। सुनो लड़की ! क्या लगता है तुम्हें इतना आसान है । अगर मैं चाहूं तो तुम्हें अभी गायब करवा सकता हूं। तुम्हारा नामो-निशान भी नहीं मिलेगा । पता भी नहीं चलेगा कि तुम कहां गई । समझो यह जिंदगी मैंने तुम्हें भीख में दी है। जय की वजह से। नहीं तो लड़की तुम्हारे टुकड़े-टुकड़े करके मैं कुत्तों को डाल देता। इतना कहकर वो वहां से चला जाता है । रीवा की आंखों में आंसू आ जाते हैं। ऐसे बिहेवियर के बारे में तो उसने सोचा भी नहीं था ।तभी दो गार्ड आते हैं उसे पड़कर वहां से बाहर निकाल देते हैं। अगली सुबह  खाने की प्लेट लेकर अपनी मॉम को ढूंढता हुआ जय कमरे में आता है। उसे अभी तक यह नहीं पता था कि उसकी मॉम इस दुनिया में नहीं है। जब वह कमरे में आता है तो अपनी मॉम को ना देख कर वहां एक कॉर्नर में  बैठ जाता है। तभी कमरे में शालिनी आती है उसके साथ घर की मेड सविता भी उसके साथ है । सुनो सविता इस पूरे कमरे की सफाई करवा दो जहां का सारा सामान  चकवा दो। शालिनी कहती है।   अगर मैंने सामान चकवा दिया तो  जय क्या कहेगा। वह हमेशा इस कमरे में अपनी मॉम को ढूंढने आता है। वह समझता है कि उसकी मॉम हॉस्पिटल में है । कोई बात नहीं मैं बात कर लूंगी उससे। तुम इस कमरे की सफाई करवा दो । अब मेहमानों के लिए भी एक कमरा चाहिए। ठीक है। कहती हुई सविता वहां से चली जाती है ।शालिनी रजनी की एक फोटो जो  ड्रेसिंग टेबल पर पड़ी थी ।उसे देखकर मुस्कुराती है और  जानबूझकर उस तस्वीर को नीचे गिरा कर वहां कमरे से चली जाती है। उन लोगों में जो भी बातें होती हैं वह जय सुन लेता है जय को जब अपनी मॉम के बारे में पता लग जाता है तो वह बहुत रोता है ।रवि इस बात को लेकर शालिनी और सविता पर बहुत गुस्सा हो रहा है । भाभी मैंने आपसे कहा था । मैं खुद बात करूंगा जय से। उसकी मॉम के बारे में उसे क्यों बताउ। सर हमने उसे नहीं बताया। सही कह रही है सविता । हमें पता ही नहीं था वह उस कमरे में है।   रवि गुस्से में वहां खड़ा उन दोनों से कह रहा था। वह सचमुच बहुत परेशान था क्योंकि उसके लिए जय को रोते देखना सबसे ज्यादा मुश्किल काम था ।उसकी जान बसती थी जय में। उधर जय के रोने से राजन भी बहुत परेशान है। वह भी दिमागी तौर पर थोड़ा अजीब कर रहा है । देखो ना रवि वह रोना बंद ही नहीं कर रहा है । मैंने उसे इतना चुप होने को कहा ।राजन भी रोते हुए रवि से कहता है । भाई आप संभालो ।मैं हूं ना मैं जय को ठीक कर दुंगा । मैं उसे को चुप कर दूंगा ।वह बड़े प्यार से राजन को वहां सोफे पर बिठा देता है । भाभी आप भाई को देखो। मैं जय को देखता हूं ।वह शालिनी से कहता हुआ ऊपर जयके कमरे की तरफ चला जाता। है रीवा जय को पाना चाहती है ।इसलिए वह वकील से मिलने जाती है ।क्योंकि उसे लगता है की जय को पाने का सिर्फ एक ही तरीका है। वह है कोर्ट के जरिए उसकी कस्टडी लें । क्या कह रही हैं आप । यह ना मुमकिन है। पूरे केस की डिटेल्स देखने के बाद वकील उस से कहता है । इसमें नामुमकिन क्या है । मेरी बहन इस दुनिया में नहीं है और मेरे जीजा भी इस दुनिया से जा चुके हैं तो मुझे उनके बच्चे की कस्टडी मिल सकती है । बात यह नहीं है। रवि राज चौधरी वह इतना ताकतवर आदमी है उसके आगे  आपका कुछ नहीं हो सकता। वह आपको रातों-रात गायब करवा देगा और साथ में मुझे भी। आप तो ऐसे बात कर रहे हैं जैसे वह कोई माफिया हो। रीवा ने कहा। मगर वह माफिया से कम भी नहीं है। वकील के ऐसा कहने पर रीवा अपना सिर पकड़ कर वहां बैठ जाती है । वह बहुत खतरनाक आदमी है मैडम। किसी को मारना उसके लिए खेल है। उससे दूर रहो। वकीलों उसे बोर्न करता है क्योंकि एक अकेली लड़की का रवि राज चौधरी से लड़ना नामुमकिन था। रवि जय के पास पहुंचता है । चलो बेटा खाना खा लो। तुमने खाना नहीं खाया। मगर जय दूसरी तरफ चेहरा कर लेता है। उसकी आंखों में आंसू है । सविता जो कि उसके लिए खाना लेकर आई थी । उसने कहा सर हम डॉक्टर को  बुला लो।   सविता इस घर की कुक का काम करती है। पूरे घर की जिम्मेदारी डिसूजा के बाद उस पर है ।वह बहुत ही अच्छी और नेक दिल औरत है।रवि भी उसकी काफी इज्जत करता है वह जय को दिल से प्यार करती है । सविता और रवि दोनों जय को खाना खिलाने की कोशिश करते हैं ।जैसे ही जय खाने की एक बाइट लेता है उसे उल्टी आ जाती है। यह देखकर रवि घबरा जाता है। जगदीप गुप्ता की हालत और क्रिटिकल हो गई है ।उसकी बहन ललिता उसका पता लेने आता है । रीवा अपनी बुआ के गले लाकर बहुत रोती है । वो बताती है कि कैसे  रवि जय को छीन कर ले गया। वह अपनी पापा और जय को लेकर बहुत परेशान है। बेटा हम लोग कोर्ट जाएंगे। हमें जय मिल जाएगा । कोई फायदा नहीं हुआ। मैंने कितने वकीलों से बात की है । कोई के मेरा कैसे लेने को तैयार नहीं। सब डरते हैं।  जैसे वह कोई जानवर है जो सभी को मार डालेगा। मुझे समझ नहीं आ रहा मैं जय को कैसे लेकर आऊं । मगर मैं छोडूंगी नहीं। जय मेरी बहन की आखिरी निशानी है । मेरी बहन की अमानत है। चाहे वह मुझे मार डाले । मगर जय को तो मुझे हर हाल में लेकर आना है ।वह अपने आंसू साफ करते हुए अपनी बुआ से कहती है। प्लीज मेरी सीरीज पर कमेंट करें साथ में रेटिंग भी दे आपको मेरी सीरीज कैसी लग रही है कमेंट में बताएं।

  • 9. यकीन का सफर - Chapter 9

    Words: 1007

    Estimated Reading Time: 7 min

    रवि जय को अपनी गोद में उठाता है और  उसे चेयर पर बैठते हुए कहता है। जय तुम एक मर्द हो और मर्द दुख का उसका सामना करते हैं । तुम्हें डरना नहीं है। किसी से भी नहीं और ना ही किसी पर भरोसा करना है । तुम्हें जिंदगी में अपने  असूलों को साथ लेकर चलना है और तुम्हें अभी से इन्हीं पर अमल करना है। जय चुपचाप अपने चाचू की तरफ देख रहा है। मैंने क्या कहा बेटा समझ रहे हो ना । हां चाचू मर्द को रोना नहीं चाहिए । मर्द को डरना भी नहीं चाहिए और किसी पर भरोसा भी नहीं करना है ।वह बड़ी मासूमियत से अपने चाचा की कहानी हुई बातें दुरहाता है। मगर बातों को दूरहाने  से क्या होने वाला था ।वह एक छोटा बच्चा था। जिसे इस टाइम प्यार की और अपनेपन की बहुत ज्यादा जरूरत थी। उसे मां चाहिए थी। यह सब कहते हुए जय जोर जोर से रोने लगा ।तभी सविता वहां आती है। उसे छोटे बच्चों की तकलीफ समझ में आती है। सर मैं देखती हूं इसे । वो  उसे चुप कराने की कोशिश करती है और साथ में खाना खिलाने की। क्योंकि जय ने नहीं कल से खाना नहीं खाया था। मगर जब भी वो  एक चम्मच खाना उसे खिलाती है ।वह रोते हुए सारा खाना निकाल देता है ।परेशानी की हालत में रवि कमरे से बाहर अपनी स्टडी में जाता है। तभी वहां पर उसके पास इक़बाल आता है। उसने रीवा की खबर निकालने की कोशिश की थी। जो उसे खबर मिली थी वह रवि को देना चाहता था। मुझे आपको बताना था। इकबाल ने कहा। क्यों क्या हुआ । रवि ने कहा। मैं जय की मौसी के बारे में पता लगाने की कोशिश की है। जय की मौसी इसकी कस्टडी के लिए वकीलों से मिल रही है ।वो हर मुमकिन कोशिश कर रही है। क्या इतना आसान है जय को  लेकर जाना । क्या मैं जयपुर ऐसे ही दे दूंगा।उस ने कोल्ड इंप्रेशन के साथ देखते हुए रवि से कहा। फिर वह कुछ सोचने लगा था। वो ड्रा से अपना पिस्टल निकालता है और जाकर गाड़ी में बैठ जाता है। इकबाल  उसके साथ आना चाहता है।वो इकबाल को वहीं रुकने का इशारा करते हुए अकेला ही गाड़ी लेकर चला जाता है। वह सोचता हूं आ जा रहा था। वह काफी गुस्से में वहां से जा रहा है। वह उसे अस्पताल पहुंचता है जहां पर रीवा के पापा एडमिट थे। उस के दिमाग में क्या था कोई नहीं जानता था। रवि हॉस्पिटल की के आगे गाड़ी खड़ी करते हुए अस्पताल के अंदर जाता है। उसे वहां अस्पताल की बिल्डिंग की सीढ़ियां उतरती हुई रीवा उसे मिल जाती है। वह उसकी  बाजू पकड़ता है और उसे खींचकर गाड़ी तक ले आता है । वह काफी हैरान होती है। क्या कर रहे हो ।छोड़ो मुझे। क्या कर रहे हो । पागल तो नहीं हो गएहो।वह अपने आप को  उस से छुड़वाने की कोशिश कर रही है ।उसकी इस हरकत से रीवा को डर लगा था। वो उसे गाड़ी में बिठाकर गाड़ी लॉक कर देता है। वह हेल्प के लिए पुकारती है। मगर उस टाइम वहां कोई नहीं था। रीवा बार-बार रवि को गाड़ी रोकने को कह रही है। मगर वो बहुत तेज स्पीड से गाड़ी चला रहा था । मुझे बताओ तो सही मुझे कहां लेकर जा रहे हो। तुम  मुझे मारने के लिए ले जा रहे हो। पता चला है मुझे तुम्हारे बारे में । लोगों को मारना तुम्हारे लिए कोई बड़ी बात नहीं है ।वह बोलते जा रही थी । पता है मुझे तुम एक माफिया हो। मगर रवि बिना उसकी तरफ देखे गाड़ी चला रहा था ।रीवा ने अपने बालों को एक रुमाल से बांधा हुआ था । अपने आप को छुड़ाने के चक्कर में उसके बालों पर वंधा रूमाल ढीला हो चुका था।  वो गाड़ी का दरवाजा खोलने की कोशिश करती है ।उसका चेहरा गाड़ी के दरवाजे की तरफ था। रस्ते पर स्पीड ब्रेकर आता है। तेज़ स्पीड में चलती हुई  गाडी उछलती है। उसका  चेहरा दरवाजे की तरफ था।वो एकदम से पीछे की तरफ  उछलती है । रीवा के वालों ने रवि के पूरे चेहरे को ढक लिया । अगले ही पल उसके चेहरे से हट जाते हैं। मगर उसे एक अजीब सी मदहोशी ❤️ महसूस होती है । एक पल के लिए ब्लैंक हो जाता है ।जैसे किसी खुशबू ने उसे चारों तरफ से घेर लिया था ।अगले ही पल वो संभल जाता है। रीवा का रुमाल वहीं गिर जाता है। शालिनी चौधरी प्लान बना रही है। उसकी नजर चौधरी खानदान की पूरी दौलत पर है ।वह अपनी  छोटी बहन को फोन लगा। उसकी छोटी बहन जो  विदेश में पढ़ती है। शीना अब वापस आ जाओ। तुम्हारे एग्जाम भी हो चुके है ।अब चौधरी मेंशन में आने का सही टाइम है। वह अपनी प्लान पर काम कर रही थी। क्या करूंगी मैं जहां आकर। आपको रवि के बारे में अच्छे से पता है। वह तो मुझे नजर उठा कर भी नहीं देखता । मुझे क्या वह किसी को भी नजर उठा कर नहीं देखता है। जैसा मैं कहती हूं तुम वैसा करो। जय  की मां मर चुकी है। जय रवि की जान है। जय के जरिए तुम्हें रवि के दिल तक  पहुंचना है ।शालिनी उसे समझा रही है। ठीक है दीदी मैं आ रही हूं । शीना ने कहा। तुम्हें पता है शीना मैं  मां नहीं बन सकी। मगर रजनी मेरे बाद में आई और उसने इस खानदान को एक बेटा दिया। उस की दो टके की जाएगी औकात नहीं थी । जय के जरिए तुम रवि के दिल में उतरोगी और मेरी देवरानी बनोगी! देख लेना हम दोनों बहने इस चौधरी मेंशन पर राज करेंगे। ठीक है दीदी फिकर मत करो ।आ रही हूं मैं बहुत जल्दी। तभी रवि  चौधरी मेंशन में इंटर होता है।शालिनी ऊपर अपने रूम की  बालकनी में खड़ी उसे हैरानी से देख रही है। वो रीवा की बाजू पकड़ते हुए जय के रूम में ले आता है। प्लीज मेरी सीरीज पर कमेंट करें साथ में रेटिंग भी दे आपको मेरी सीरीज कैसी लग रही है कमेंट में बताएं मुझे फॉलो करना और रिव्यू देना याद रखें।

  • 10. यकीन का सफर - Chapter 10

    Words: 1039

    Estimated Reading Time: 7 min

    तभी रवि  चौधरी मेंशन में इंटर होता है।शालिनी ऊपर अपने रूम की  बालकनी में खड़ी उसे हैरानी से देख रही है। वो रीवा की बाजू पकड़ते हुए जय के रूम में ले आता है। बहुत दावा करती हो जय के साथ अपने प्यार का । इसे चुप कराओ और खाना खिलो। समझी तुम । जय अपनी मौसी को देखकर भाग कर उसके गले लग जाता है। वह भी उसे अपनी बाहों में लेकर गले से लगा लेती है। पता है मौसी मॉम हम मुझे छोड़ कर चली गई । वह हमेशा हमेशा के लिए चली गई ।वो बहुत जोर जोर से रो रहा है। रीवा उसे गले से लगाए हुए उसकी पीठ थपथपा रही है ।वह उसके गले लगे रोता रहता है । जय ने अपनी दोनों बाहें रीवा के गले में डाल डाली हुई है और वो  प्यार से उसके गले लगा हुआ है ।रवि उन दोनों को देख रहा है। फिर रवि कमरे से बाहर आकर उसे  गले लगाता है। सविता जल्दी से जय के लिए खाना लेकर आओ। सविता  उस के लिए खाना लेकर आ जाती है। सुनो लड़की  जय को खाना खिलाओ और सारा खाना फिनिश हो जाना चाहिए । ठंडी आंखों के साथ  रीवा को देखते हुए कहता है। रीवा भी उसकी तरफ देखती है । बेवकूफ इंसान तुम्हें पता होना चाहिए । जय को खान की नहीं प्यार की जरूरत है। तो ठीक है पहले प्यार करो। फिर खाना खिलाओ । वो वहां से बाहर जा रहा है। रीवा उसकी तरफ गुस्से से देख रही है। जय  वापस उसके गले लाकर रोने लग जाता है। मुझे मॉम ने ही तो भेजा है तुम्हारे पास । तुम परेशान क्यों हो और तुम्हें पता है तुम्हारी माम  एक तारा बन गई है । वह ऊपर से तुम्हें रोज देखती है । सचमुच मौसी ।जय ने कहा। और नहीं तो क्या । उन्होंने मुझे बताया कि मैं जय को देखने रोज आती हूं । जब जय खेलता है, जय खाना खाता है ,जब जय खुश होता है । तो मैं उसे हमेशा देखती हूं । ऐसी बात है मौसी । बिल्कुल ऐसी ही तो बात है। वो उसके गाल को चूमते हुए कहती है रीवा चाहे जय को समझ रही है पर उसकी आंखों से आंसू आ रहे हैं ।वह भी जय के साथ-साथ रो रही है। कमरे का दरवाजा जो थोड़ा सा खुला था।रवि  वहां से उन्हें  देख रहा था। रवि जय के कमरे के बाहर लिविंग रूम में इधर-उधर घूम रहा था। तभी शालिनी स्टेयर से ऊपर आती है। उसे रवि का ऐसे रीवा को लेकर आना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता। मैं यह सब किसी को भी बर्बाद नहीं करने दूंगी। उसके दिमाग में अलग ही प्लान चल रहा था। मगर दिखाती वह ऐसे है जैसे वह बहुत अच्छी है। वह ऊपर रवि के पास आकर कहती है। यह बहुत अच्छा किया तुमने रवि । अच्छी लड़की है रीवा ।उसकी मौसी है वह उसे बहुत प्यार करती है । मगर ऐसा भी हो सकता है कि उसे अपनी मां ज्यादा याद आ जाए । जब वो अपनी मौसी के गले लगेगा तो अपनी मां को याद करेगा । हो सकता है ऐसा ना भी हो। बस मुझे लगा मैंने कह दिया। रवि जो चुपचाप उसकी बातें सुन रहा था। वह  कमरे में जाता है । वह देखता है कि खाने की प्लेट जिसमें से खाना जय खा चुका है वहां टेबल पर पड़ी हुई है। ठीक है मौसी जैसा आपने कहा मैं हमेशा खाना खाऊंगा । बिल्कुल वरना तुम्हारी मॉम उदास हो जाएगी । ठीक है तुम्हें बहुत खुश रहना है । बिल्कुल मैं अपनी मॉम के लिए हमेशा खुश रहूंगा ।   पता है मुझे  वह मुझे देखने आती है। मैं उन्हें नहीं देख सकता तो क्या हुआ वह तो मुझे देख सकती है ना । रवि उन दोनों के पास जाता है। वो रीवा और जय को देख रहा था । तभी जय कहता है। मौसी आप मेरे पास रहोगे ना।। प्रॉमिस करो मासी । बिल्कुल मेरी जान मैं आपकी अपनी जान को नहीं छोड़ने वाली नहीं । मैं तुम्हें छोड़कर जा ही नहीं सकती । मैं तुम्हें साथ लेकर जाऊंगी। रीवा की ऐसी बात सुनकर रवि गुस्से में आ जाता है। तभी रवि सविता को बुलाता है । सविता जय को उसके रूम में लेकर जाओ । जय सविता की उंगली पड़कर जाने लगता है । फिर वह कहता है । मौसी आप भी चलो मेरे रूम में। फिर वह रवि की तरफ देखा है। चाचू मौसी को भी मेरे साथ आने दो। जय वहीं रुका हुआ रवि के जवाब का इंतजार कर रहा है । देखो जय  तुम आंटी के साथ रूम में जाओ । मैं आती हूं ना । रीवा ने जय से कहा। मैं तुम्हारे चाचू से बात करके आता हूं ना प्रॉमिस है बेटा ।जय चला जाता है। बच्चे ने खाना खा लिया है । रीवा ने रवि से कहा। अब तुम जहां से जा सकती हो। रवि ने उसकी तरफ देखते हुए कहा। मैं कभी भी जय को नहीं छोड़ सकती । उसे मेरी जरूरत है उसे मेरे साथ जाने दो। क्या कहा तुमने। रवि ने उसे बेहद कोल्ड इंप्रेशन के साथ देखा।   आज के बाद आज के बाद तुम जहां कभी नहीं आओगी । तुम चौधरी मेंशन से 10 किलोमीटर दूर रहोगी । मैं उसकी मौसी हूं ।कितनी जरूरत है उसे मेरी। मैं उस लेकर जा रही हूं ।कहते हुए वो जय के कमरे की तरफ जाने लगती है । रवि वहां से सिक्योरिटी को इशारा करता है ।दो गार्डन रीवा को पड़कर मेंशन से निकाल देते हैं । मैं हर हाल में जय को ले जाऊंगी । वो घर से बाहर खड़ी हुई कह रही है। तभी उसके फोन पर अक्षय का फोन आता है। उसे पता चलता है कि उसके पापा की डेथ हो गई है ।वह भागते हुए अस्पताल जाती है। शालिनी  अपनी बहन को फोन करती है। शीना जल्दी पहुंचो तुम जहां पर । दीदी मैं आ रही हूं ना । आप ऐसे क्यों मेरे पीछे पड़ी है। याद रखो मुझे रजनी की बहन से डर लग रहा है। आपको लगता है कि रवि उससे शादी कर लेगा। वह हंस्ती है। पता नहीं क्यों मुझे रवि और उस लड़की को साथ देखकर डर लगता है। प्लीज जल्दी आ जाओ तुम कहीं ऐसा ना हो कि वो घर की मालकिन बन जाए।

  • 11. यकीन का सफर - Chapter 11

    Words: 1092

    Estimated Reading Time: 7 min

    रीवा के पापा की मौत हो चुकी है ।वह बहुत उदास है ।ऐसे टाइम में उसकी बुआ ललिता और अक्षय उसे बहुत सहारा देते हैं।वो  बहुत हार्ड टाइम से गुजर रही है ।पहले उसकी बहन चली गई।और अब उसके पापा नहीं रहे । चौधरी  मेंशन जय के लिए नई बेबी सिटर आ चुकी है ।रवि चाहता है कि किसी भी तरह से जय खुश रहने लगे। मगर जय बहुत उदास है। वह बार-बार पूछता है कि  उसकी मौसी फिर क्यों नहीं आई। वह अपनी मौसी को बहुत याद करता है ।वह अच्छे से खाता भी नहीं  और ना ही अच्छे से सोता है ।रवि की परेशानी जय को लेकर कम नहीं हो रही। शालिनी को अपनी बहन का इंतजार है। मगर वो आने में टाइम लगा रही है। शालिनी को अपनी बहन पर बहुत गुस्सा आ रहा है।वह चाहती है कि जय को अगर इस हाल में उसकी बहन शीना संभालेगी तो  वह रवि के नजदीक हो सकती है ।वह किसी भी हाल में रवि के साथ शीना की शादी करवाना चाहती हैं। मगर शायद जिंदगी को कुछ और ही मंजूर था। किस्मत तो रीवा को रवि से मिलाने वाली थी । अपने पापा की मौत के बाद रीवा घर खाली करने का फैसला करती है ।वह किराए का घर छोड़ देती है। वह सोचती है कि अब वह अपने गांव वापस चली जाएगी क्योंकि वहां पर उनका पुराना घर है और वह वही रहेगी ।जाने से पहले वह अपनी बुआ से मिलने जाती है ।वह अपनी बुआ से मिलकर अपने गांव जाने के बारे में बताती है और साथ ही वह उन्हें पैसे देती है कि वह अक्षय को यह पैसे वापस करदे।  अक्षय ने उसके पापा का हॉस्पिटल का बिल दिया था। मगर उसकी बुआ उसे जाने से रोक रही है। वह चाहती है कि रीवा उसके साथ वहीं पर रहे ।मगर वह मना कर देती है।  जाने से पहले रीवा जिसके जो भी पैसे देने थे वह सब का हिसाब करके सबके दिल चुका देती है। वह नहीं चाहती कि उसके जाने के बाद उसके पापा को कोई भी भला बुरा कहे। अब रीवा के पास कुछ भी नहीं बचा था जो भी उसके पास रकम थी उसने सभी के बिल चुका दिए थे। उसके पापा पर अभी भी कर्जा रहता था। जिसे चुकाने का उसने वादा कर लिया था। गांव जाने से पहले उसका एक प्लान और भी था कि वह जाती हुई जय को अपने साथ लेकर जाएगी। इसीलिए वह जय को लेने मेंशन जाती है।जब वो मेंशन के दरवाजे पर पहुंचती है उसे गार्ड अंदर नहीं जाने देते ।शालिनी की नजर उस पर जाती है ।वह किसी बहाने से मेंशन से बाहर आती है। रवि तुम्हें कितनी बार कह चुका है। तुम जय  से नहीं मिल सकती ।समझती क्यों नहीं। प्लीज शालिनी जी प्लीज आप मेरी हेल्प कर दीजिए। मैं आपकी छोटी बहन जैसी हुं । आसपास देखते हुए शालिनी उसे जानबूझकर बता देती है। देखो आज दोपहर की जय की अस्पताल की अपॉइंटमेंट है । वो तैयार हो रहा है। प्लीज अभी तुम उससे नहीं मिल सकती । जय को हॉस्पिटल जाना है । यह इनफॉरमेशन शालिनी जानबूझकर रीवा को देती है ताकि रीवा हॉस्पिटल पहुंच जाए। आज शालिनी जय को हॉस्पिटल दिखाने के लिए लेकर जाने वाली है। रीवा अपने मन में हॉस्पिटल जाने का फैसला करती है जब रीवा वहां से चली जाती है तो शालिनी अजीब तरीके से मुस्कुराती है। फिर टाइम देखकर थोड़ी देर बाद शाली रवि को फोन करती है। रवि मैं जय के साथ हॉस्पिटल नहीं जा सकी। क्यों क्या हुआ । रवि ने पूछा। मैंने कहा था आज उसे डॉक्टर के पास लेकर जाने के लिए आपको । तुम्हारा भाई राजन किसी ने उसके प्लांट्स का गमला तोड़ दिया । वह बहुत हाइपर हो गया ।उसे संभालने के लिए मुझे रूकना पड़ा। मुझे लगता है अगर मैं नहीं जा सकी तो तुम्हें जाना चाहिए। नैनी गार्ड के साथ उसे लेकर गई है । ठीक है मैं मीटिंग के बाद  चला जाऊंगा । रवि ने कहा। नहीं नहीं उसकी मौसी आई थी जहां पर ।तभी जय  अस्पताल के लिए घर से निकल रहा था। वह टैक्सी लेकर उनके पीछे चली गई। पता नहीं क्यों मुझे बहुत घबराहट हो रही है। ठीक है मैं जाता हूं। उसे फोन करने के बाद शालिनी के चेहरे पर शातिर मुस्कान आ जाती है। देखना आज के बाद रवि रीवा का जिंदगी में कभी चेहरा नहीं देखेगा और रीवा हमारी लाइफ से हमेशा के लिए चली जाएगी। शालिनी को डर लगता है कि अगर रीवा जय के आसपास रही तो कहीं वो रवि 💕के दिल में न उतर जाए। रीवा  हॉस्पिटल पहुंचती है। जय को चेकअप के लिए  एक रूम में ले जाया जाता है। वह देखती है कि नैनी वहां पर अकेली है । रीवा वहां जाकर जय को अपनी गोद में उठा लेती है। यह आप क्या कर रही हैं । रीवा उसकी  एक नहीं सुनती ।उसे कमरे में लॉक करते हुए जल्दी से वहां से भागने लगती है। नैनी जल्दी से रवि को फोन  करती है कि वो जय को ले गई ।मगर रवि तो पहले ही अस्पताल पहुंच चुका था ।वह अस्पताल के आगे गाड़ी खड़ी करके जैसे ही बाहर निकलता है ।उसकी निगाह हॉस्पिटल से बाहर निकलती हुई रीवा और जय पर पड़ती है। तब तक गार्ड भी वहां पहुंच जाते हैं ।रवि रीवा की बाजू पकड़ता है और उसकी गोद से जय को ले लेता है । रीवा समझ जाती है कि वह पकड़ी गई । क्या लगता है तुम्हें तुम इतनी आसानी से जय को ले जाओगी। चाचू हम लोग तो ट्रेन से जाएंगे । जय खुश हो कर रवि को बताता है। मौसी ने मुझे बताया। मैं कभी ट्रेन पर नहीं गया । इसलिए हम ट्रेन से जा रहे हैं और मौसी ने मुझे बताया कि  हम लोग वहां पर कई दिन रहेंगे। आप भी हमारे साथ चलो। कोई बात नहीं बेटा । चले जाना ।रवि उससे कहता है । रवि गुस्से में रीवा को देख रहा था। मगर वो  जय के सामने कुछ नहीं कहता।वो जय को लेकर गाड़ी में बैठ जाता है। इकबाल जो उसके साथ था ।वो उसे उसे इशारा करता है।  रवि जय को लेकर चला जाता है ।तभी वहां पर जो गार्ड थे वो रीवा को पड़कर गाड़ी में बिठा लेते हैं और साथ ही जो रीवा के पास उसका सूटकेस होता है। उसे भी गाड़ी में रख लेते हैं।इकबाल भी उसी गाड़ी में था ।रीवा को बहुत डर लग रहा था क्योंकि गार्ड से के पास गन थी और उसने इकबाल और रवि को इशारा करते हुए भी देखा था। उसे लग रहा था कि यह उसका आखिरी टाइम है।

  • 12. यकीन का सफर - Chapter 12

    Words: 1077

    Estimated Reading Time: 7 min

    रवि गुस्से में रीवा को देख रहा था। मगर वो  जय के सामने कुछ नहीं कहता।वो जय को लेकर गाड़ी में बैठ जाता है। इकबाल जो उसके साथ था ।वो उसे उसे इशारा करता है।  रवि जय को लेकर चला जाता है ।तभी वहां पर जो गार्ड थे वो रीवा को पड़कर गाड़ी में बिठा लेते हैं और साथ ही जो रीवा के पास उसका सूटकेस होता है। उसे भी गाड़ी में रख लेते हैं।इकबाल भी उसी गाड़ी में था ।रीवा को बहुत डर लग रहा था क्योंकि गार्ड से के पास गन थी और उसने इकबाल और रवि को इशारा करते हुए भी देखा था। उसे लग रहा था कि यह उसका आखिरी टाइम है। रवि जय को लेकर घर पहुंचता है ।घर में कहता है कि अब जय मेंशन से  बाहर नहीं जाएगा । अगर जरूरत होगी तो डॉक्टर यहीं आएगा उसके पास । हां मुझे भी अभी पता चला। शालिनी कहती है । इसकी मौसी ने इसे किडनैप करने की कोशिश की। नहीं बिल्कुल भी नहीं । जय ने कहा। अच्छा आप तो बहुत खुश हैं । आपको अच्छा लगा हॉस्पिटल जाना । बिल्कुल वहां पर मौसी आई थी ।हम लोग ट्रेन से जाने वाले थे । शालिनी अनजान बनते हुए रवि की तरफ देखती है । रवि नैनी को इशारा करता है। नैनी  जय को वहां से ले जाती है। क्या हुआ रवि बताओ । मुझे घबराहट हो रही है । भाभी वह लड़की वहां पर आई थी ।जय को ले जाने के लिए पूरे पूरे सामान के साथ थी । वह इसे लेकर अस्पताल से निकल रही थी वह तो मैं वक्त पर पहुंच गया । रवि ने बताया। इसीलिए मुझे घबराहट हो रही थी। मुझे जय की बहुत फिक्र है । अगर वह जय को ले जाती तो मैं अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाती । मैं तो राजन की वजह से नहीं जा पाई। नहीं भाभी आपकी इसमें कोई गलती नहीं है । अब मैंने मेंशन की सिक्योरिटी बढ़ा दी है । वो लड़की  कहां है ।शालिनी चालाकी से पूछती है। जहां उसे होना चाहिए। कहता हुआ रवि घर के अंदर चला जाता है। इकबाल और उसके आदमी रीवा को एक सुनसान जगह पर ले जाते हैं। उस जगह को देखकर रीवा को बहुत घबराहट होती है । उसे  बहुत डर लग रहा था। इकबाल एक पत्थर उठाता है और उसे खाई में फेंक देता है । जानती हो ।अगर मैं तुम्हें तुम्हारे समान के साथ इस खाई में फेंक दूं । किसी को तुम्हारी खोज खबर भी नहीं लगेगी। किसी को पता नहीं चलेगा कि एक लड़की कहां गई और अब तो वैसे भी  तुम्हारे पीछे तुम्हें ढूंढने वाला कोई नहीं रहा । सही कहा ना मैंने। वो बहुत डरावने तरीके से उसे कहता है । रीवा घबराई हुई कभी खाई की तरफ देखती है तो कभी इकबाल की तरफ । मैंने ऐसा क्या किया ।मैं तो सिर्फ अपने बहन की निशानी को लेकर जा रही थी इकबाल गार्ड को कहता है। इसे उठाकर जहां से नीचे फेंक दो । गार्ड आते हैं । उसे दो आदमी पकड़ कर खाई में लटका देते हैं । रीवा वहां पर  खाई में लटक रही थी। वह अपनी आंखें बंद कर लेती है।  उसे लगा था कि यह लोग उसे खाई में यही गिरा देंगे।   इकबाल के इशारे से गार्ड  वापस उसे जमीन पर पटक कर देते हैं। रीवा वहां जमीन पर गिरी हुई है। जानती हो तुम यह सिर्फ एक तुम्हारे लिए वार्निंग है। रवि ने तो कहा है तुम्हें मार कर फेंकने के लिए।   पर मुझे लगता है कि तुम जहां से अब चली जाओगी । रवि से मैं कह दूंगा मैंने तुम्हें खाई में फेंक दिया । अगर रवि को पता चला कि तुम जिंदा हो तो वह तुम्हें नहीं छोड़ेगा।   तुम और अपना सामान उठाओ और चुपचाप जहां से चली जाओ । इकबाल और उसके आदमी गाड़ियों में बैठकर वहां से चले जाते हैं ।वहां सुनसान इलाके में डरावनी सी जगह पर रीवा अकेली बैठी हुई है। उसकी आंखों में आंसू थी। अक्षय रीवा को फोन लगा रहा था। मगर  रीवा का फोन स्विच ऑफ आ रहा था ।वह परेशान बहुत परेशान हो जाता है। असल में अक्षय मन ही मन रीवा को पसंद करता है और बहुत से शादी करना चाहता है। मगर कभी भी  रीवा से यह बात कहने की हिम्मत नहीं हुई ।जब उसके पापा भी बीमार थे तब अक्षय ने अस्पताल में रीवा की बात हेल्प की थी और मौत के बाद भी सब सारे इंतजाम उसी ने किए थे। वो  रीवा का पता करने के लिए उसकी बुआ ललिता के पास आता है। आंटी रीवा कहां है। उसका फोन बंद आ रहा है । बेटा वह अपने गांव गई है। शायद ट्रेन में होगी । उसका फोन स्विच ऑफ हो गया होगा । जय को अपनी मौसी का इंतजार है ।वह बहुत उदास बैठा हुआ है। राजन ,सविता घर के सभी नौकर उसके आसपास घूम रहे हैं । चलो हम सब खेलते हैं। सभी उसके रूम में थे। हां हां खेलो ना हमारे साथ ।राजन उससे कहता है । पता है मुझे मौसी ने कहा था कि मैं आऊंगी। मगर वह नहीं आई। मुझे लगता है वह मुझसे नाराज हो गई । जैसे मॉम चली गई लगता है ।वह भी मेरे पास से चली गई है । चलो हम केक बनाएं तुम्हारी पसंद का। सविता जय का हाथ पड़कर उसे अपने साथ किचन में ले जाती है ।वह उसे काउंटर पर बिठाती है। तो मेरी हेल्प करोगे केक बनाने में । सविता उसका दिल बहलाने की कोशिश कर रही है। अरे रवि अपनी स्टडी में बैठा हुआ अपनी गन साफ कर रहा है। तभी इकबाल उसके पास पहुंचता है । वह दोनों बिजनेस की बात कर रहे हैं। कोई उनका सामान बाहर से आने वाला था। वह आ चुका था।काम करते अचानक से रवि पूछता है। वो लड़की अब तो नहीं आएगी ना । नहीं अब भूल जाओ उस लड़की को । इतना डराया है कि फिर नहीं दिखने वाले। वो कभी नहीं दिखेगी ।इकबाल कहता है। तभी रवि का ध्यान अपने लैपटॉप पर जाता है ।जिस पर उनके गेट की  सीसीटीवी कैमरे की फुटेज चल रही थी।  वहां पर गेट पर उसे रीवा दिखती है। वो दरवाजा खोलना खोलकर अंदर आना चाहती है। मगर गार्ड उसे रोक रहे हैं। यह क्या है। रवि बेहद कोल्ड इंप्रेशन से इकबाल को लैपटॉप दिखाता है ।इकबाल खुद भी हैरान होता है । क्योंकि जिस तरीके से इकबाल ने उसे डराया था। उसे बिल्कुल भी ऐसा नहीं लगा था कि वह वापस आएगी। श्री

  • 13. यकीन का सफर - Chapter 13

    Words: 1077

    Estimated Reading Time: 7 min

    रवि गुस्से में रीवा को देख रहा था। मगर वो  जय के सामने कुछ नहीं कहता।वो जय को लेकर गाड़ी में बैठ जाता है। इकबाल जो उसके साथ था ।वो उसे उसे इशारा करता है।  रवि जय को लेकर चला जाता है ।तभी वहां पर जो गार्ड थे वो रीवा को पड़कर गाड़ी में बिठा लेते हैं और साथ ही जो रीवा के पास उसका सूटकेस होता है। उसे भी गाड़ी में रख लेते हैं।इकबाल भी उसी गाड़ी में था ।रीवा को बहुत डर लग रहा था क्योंकि गार्ड से के पास गन थी और उसने इकबाल और रवि को इशारा करते हुए भी देखा था। उसे लग रहा था कि यह उसका आखिरी टाइम है। रवि जय को लेकर घर पहुंचता है ।घर में कहता है कि अब जय मेंशन से  बाहर नहीं जाएगा । अगर जरूरत होगी तो डॉक्टर यहीं आएगा उसके पास । हां मुझे भी अभी पता चला। शालिनी कहती है । इसकी मौसी ने इसे किडनैप करने की कोशिश की। नहीं बिल्कुल भी नहीं । जय ने कहा। अच्छा आप तो बहुत खुश हैं । आपको अच्छा लगा हॉस्पिटल जाना । बिल्कुल वहां पर मौसी आई थी ।हम लोग ट्रेन से जाने वाले थे । शालिनी अनजान बनते हुए रवि की तरफ देखती है । रवि नैनी को इशारा करता है। नैनी  जय को वहां से ले जाती है। क्या हुआ रवि बताओ । मुझे घबराहट हो रही है । भाभी वह लड़की वहां पर आई थी ।जय को ले जाने के लिए पूरे पूरे सामान के साथ थी । वह इसे लेकर अस्पताल से निकल रही थी वह तो मैं वक्त पर पहुंच गया । रवि ने बताया। इसीलिए मुझे घबराहट हो रही थी। मुझे जय की बहुत फिक्र है । अगर वह जय को ले जाती तो मैं अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाती । मैं तो राजन की वजह से नहीं जा पाई। नहीं भाभी आपकी इसमें कोई गलती नहीं है । अब मैंने मेंशन की सिक्योरिटी बढ़ा दी है । वो लड़की  कहां है ।शालिनी चालाकी से पूछती है। जहां उसे होना चाहिए। कहता हुआ रवि घर के अंदर चला जाता है। इकबाल और उसके आदमी रीवा को एक सुनसान जगह पर ले जाते हैं। उस जगह को देखकर रीवा को बहुत घबराहट होती है । उसे  बहुत डर लग रहा था। इकबाल एक पत्थर उठाता है और उसे खाई में फेंक देता है । जानती हो ।अगर मैं तुम्हें तुम्हारे समान के साथ इस खाई में फेंक दूं । किसी को तुम्हारी खोज खबर भी नहीं लगेगी। किसी को पता नहीं चलेगा कि एक लड़की कहां गई और अब तो वैसे भी  तुम्हारे पीछे तुम्हें ढूंढने वाला कोई नहीं रहा । सही कहा ना मैंने। वो बहुत डरावने तरीके से उसे कहता है । रीवा घबराई हुई कभी खाई की तरफ देखती है तो कभी इकबाल की तरफ । मैंने ऐसा क्या किया ।मैं तो सिर्फ अपने बहन की निशानी को लेकर जा रही थी इकबाल गार्ड को कहता है। इसे उठाकर जहां से नीचे फेंक दो । गार्ड आते हैं । उसे दो आदमी पकड़ कर खाई में लटका देते हैं । रीवा वहां पर  खाई में लटक रही थी। वह अपनी आंखें बंद कर लेती है।  उसे लगा था कि यह लोग उसे खाई में यही गिरा देंगे।   इकबाल के इशारे से गार्ड  वापस उसे जमीन पर पटक कर देते हैं। रीवा वहां जमीन पर गिरी हुई है। जानती हो तुम यह सिर्फ एक तुम्हारे लिए वार्निंग है। रवि ने तो कहा है तुम्हें मार कर फेंकने के लिए।   पर मुझे लगता है कि तुम जहां से अब चली जाओगी । रवि से मैं कह दूंगा मैंने तुम्हें खाई में फेंक दिया । अगर रवि को पता चला कि तुम जिंदा हो तो वह तुम्हें नहीं छोड़ेगा।   तुम और अपना सामान उठाओ और चुपचाप जहां से चली जाओ । इकबाल और उसके आदमी गाड़ियों में बैठकर वहां से चले जाते हैं ।वहां सुनसान इलाके में डरावनी सी जगह पर रीवा अकेली बैठी हुई है। उसकी आंखों में आंसू थी। अक्षय रीवा को फोन लगा रहा था। मगर  रीवा का फोन स्विच ऑफ आ रहा था ।वह परेशान बहुत परेशान हो जाता है। असल में अक्षय मन ही मन रीवा को पसंद करता है और बहुत से शादी करना चाहता है। मगर कभी भी  रीवा से यह बात कहने की हिम्मत नहीं हुई ।जब उसके पापा भी बीमार थे तब अक्षय ने अस्पताल में रीवा की बात हेल्प की थी और मौत के बाद भी सब सारे इंतजाम उसी ने किए थे। वो  रीवा का पता करने के लिए उसकी बुआ ललिता के पास आता है। आंटी रीवा कहां है। उसका फोन बंद आ रहा है । बेटा वह अपने गांव गई है। शायद ट्रेन में होगी । उसका फोन स्विच ऑफ हो गया होगा । जय को अपनी मौसी का इंतजार है ।वह बहुत उदास बैठा हुआ है। राजन ,सविता घर के सभी नौकर उसके आसपास घूम रहे हैं । चलो हम सब खेलते हैं। सभी उसके रूम में थे। हां हां खेलो ना हमारे साथ ।राजन उससे कहता है । पता है मुझे मौसी ने कहा था कि मैं आऊंगी। मगर वह नहीं आई। मुझे लगता है वह मुझसे नाराज हो गई । जैसे मॉम चली गई लगता है ।वह भी मेरे पास से चली गई है । चलो हम केक बनाएं तुम्हारी पसंद का। सविता जय का हाथ पड़कर उसे अपने साथ किचन में ले जाती है ।वह उसे काउंटर पर बिठाती है। तो मेरी हेल्प करोगे केक बनाने में । सविता उसका दिल बहलाने की कोशिश कर रही है। अरे रवि अपनी स्टडी में बैठा हुआ अपनी गन साफ कर रहा है। तभी इकबाल उसके पास पहुंचता है । वह दोनों बिजनेस की बात कर रहे हैं। कोई उनका सामान बाहर से आने वाला था। वह आ चुका था।काम करते अचानक से रवि पूछता है। वो लड़की अब तो नहीं आएगी ना । नहीं अब भूल जाओ उस लड़की को । इतना डराया है कि फिर नहीं दिखने वाले। वो कभी नहीं दिखेगी ।इकबाल कहता है। तभी रवि का ध्यान अपने लैपटॉप पर जाता है ।जिस पर उनके गेट की  सीसीटीवी कैमरे की फुटेज चल रही थी।  वहां पर गेट पर उसे रीवा दिखती है। वो दरवाजा खोलना खोलकर अंदर आना चाहती है। मगर गार्ड उसे रोक रहे हैं। यह क्या है। रवि बेहद कोल्ड इंप्रेशन से इकबाल को लैपटॉप दिखाता है ।इकबाल खुद भी हैरान होता है । क्योंकि जिस तरीके से इकबाल ने उसे डराया था। उसे बिल्कुल भी ऐसा नहीं लगा था कि वह वापस आएगी। श्री

  • 14. यकीन का सफर - Chapter 14

    Words: 1029

    Estimated Reading Time: 7 min

    जय  किचन में डाइनिंग टेबल पर अपने अंकल राजन और नैनी के साथ बैठा हुआ है। सविता ने उसके लिए केक बनाया है।  वो उसे खिलाने की कोशिश कर रही है। नैनी भी उसकी मिन्नत कर रही है कि वो केक खा ले ।मगर जय उदास है ।वह बार-बार पूछ रहा है ।उसकी मौसी ने प्रॉमिस किया था आने को । वह आई क्यों नहीं। तभी घर की एक और मेड सुनीता किचन के अंदर इंटर करते हुए कहती है। जय की मौसी गेट पर खड़ी है । उसे पता नहीं था कि जय किचन में है। क्या कहा दीदी आपने मेरी मौसी आई है । जय कहता है । नहीं नहीं बेटा वह तो कोई और है। सुनीता को ऐसे ही लगा कि  बाहर  तुम्हारी मौसी आई है । सविता ने बात संभालने की कोशिश की। बिल्कुल तुम्हारी मौसी नहीं है। सुनीता भी अपनी कही हुई बात पर परेशान हो जाती है ।उसे पता नहीं था की जय इस टाइम के सब किचन में है। तभी शालिनी जो किचन के अंदर ही आ रही थी ।उसे भी सुनीता की बात सुनाई दी। कौन आया है। उसने कहा। मेरी मौसी आई है। जय भागते हुए उनके पास जाता है । नहीं बेटा मैं बाहर लॉन से तो आ रही हूं । वहां पर तुम्हारी मौसी नहीं है ।सुनीता को तो ऐसे ही लगा । वैसे भी शाम होने शुरू हो गई है। तो बाहर हल्की-हल्की सर्दी भी है ।नैनी जय को लेकर उसके कमरे में ले जाती है। सुनीता शालिनी से माफी मांगती है। मैडम मुझे पता नहीं था । जय जहां पर है । कोई बात नहीं ।शालिनी ने कहा। मगर क्या सचमुच उसकी मौसी आई है। बिल्कुल मैं खुद देखा है। वो गेट पर खड़ी है और उसके पास सामान भी है। अपने साथ सूटकेस और बैग लेकर आई है। मुझे नहीं लगता कि वह वापस जाने के लिए आई है । इकबाल रवि से कहता है । मैं देखता हूं जाकर । नहीं।तुम जाओ मैं देख लूंगा।  रवि इकबाल से कहता है। इकबाल अपनी गाड़ी से मेंशन से बाहर जा है ।वो रीवा के पास अपनी गाड़ी रोकता है। रवि सर नहीं चाहते कि तुम जहां पर रुको । अगर जान प्यारी है तो जहां से चली जाओ । पर मैं मरने के लिए तैयार हूं। मगर मैं जय को नहीं छोडूंगी । मेरा वैसे भी उसके सिवा है कौन । मैंने अपनी बहन से वादा किया था । मैं वह वादा नहीं तोडूंगी। चाहे मर क्यों ना जाऊं । उसे आदमी को भी पता चल जाएगा कि मैं जय को नहीं छोड़ने वाली  नहीं। इकबाल उस लड़की की जिद को हैरानी से देख रहा था। वह वहां से चला जाता है । रात हो चुकी है। पूरे मेंशन में रात को सोने की तैयारी है ।रवि सोने से पहले जय के कमरे में उसे देखने आता है ।जय आंखें बंद किया प्रार्थना कर रहा है । हे भगवान मेरी मौसी को जल्दी से जल्दी भेज दो । वह काम खत्म करके जल्दी से मेरे पास आ जाए। जब वह आ जाएगी तो मैं खाना भी खाऊंगा और किसी को तंग भी नहीं करूंगा । उसे ऐसे प्रार्थना करते देख रवि सोचने लगता है । रीवा भी  गेट की दीवार के साथ लगी हुई बैठी हुई थी । वह भूखी प्यासी वहीं बैठी थी। इसी आस पर कि शायद कोई उसे जय से  मिलने दे । उसे वहां बैठे हुए डर भी लगा। वह आसपास देखती है ।मगर फिर वह अपने आप से कहती है । इन लोगों से डरता कौन आएगा उनके गेट पर। यह सोचकर वह बेफिक्र हो जाती है ।  वह दीवार से लगी हुई सो जाती है। तभी उसे लगा किसी ने उसे बुलाया। रीवा रीवा मेरी बहन । वह आंखें खोलती है। उसके सामने उसकी बहन रजनी खड़ी थी । देखो मेरे बेटे को छोड़कर तुम कहीं मत जाना। तुम उसे कभी अकेला मत छोड़ना। इतना कहकर वो गायब हो जाती है । रीवा के फोन पर  ललिता का फोन आता है । बेटा तुम्हारा फोन पहले स्विच ऑफ था । तुम ठीक-ठाक पहुंच गई हो ना। हां बुआ मैं ठीक-ठाक हूं । तुम्हारी आवाज ऐसी क्यों लग रही है । मैं थकी  हुई हूं ।मैं आपसे बाद में बात करूंगी । मुझे पहुंचे थोड़ा टाइम हुआ है ।रीवा उनका फोन काट देती है। रीवा को जानने वाले सभी यही समझते थे कि वह अपने गांव वापस चली गई है शालिनी उसे अपने कमरे का पर्दा उठा कर गेट की तरफ देखती है। क्योंकि जो में गेट का डिजाइन था।  गेट के आर पार दिखता था। वो वहां दीवार से लगी हुई बैठी हुई है। शालिनी को उससे बहुत डर लगता है। उसे लगता है जैसे वह इस सारे चौधरी खानदान पर कब्जा कर लेगी। रवि रात को सो रहा है उसे सपना आता है कि उसे कमरे में बंद करके रीवा जय को ले गई है ।वो सोते हुए जोर-जोर से जय को पुकार रहा है। जय मुझे छोड़कर मत जाओ । तुम्हें मेरे पास रहना है ।मगर वो उसकी की आवाज नहीं सुनता ।वह अपनी मौसी के साथ गेट से बाहर जा रहा है ।जय को पुकारता हुआ रवि उठ जाता है । रवि वहां से उठकर अपने स्टडी रूम में आता है । रवि का बेडरूम और उसका स्टडी रूम दोनों साथ थे ।स्टडी का एक दरवाजा बाहर  की तरफ था और एक रवि के कमरे में  खुलता था। रवि वहां से अपनी स्टडी में जाता है तो उसका लैपटॉप अभी भी वहां पर ऑन पड़ा था ।वह देखता है बाहर बारिश हो रही है वह लड़की दीवार से लगी हुई खुद को बारिश से बचने की कोशिश कर रही है ।वह उसे देखा हुआ वही चेयर पर बैठ जाता है । कितनी जिद्दी है तू ।वो अपने आप से कहता है ।वो ध्यान से उसे लड़की की तरफ देखता है ।जो उसकी घर की दीवार से लगी बैठी थी। उसने ब्लू कलर की जींस के साथ कुर्ता पहना हुआ था ।पैरों में उसके स्पोर्ट्स शूज और बालों की पीछे चोटी बनाई हुई थी । नवंबर  का महीना खत्म होने वाला था और दिन को तो खास ठंड नहीं थी। मगर रात को  सर्दी हो जाती थी। तुम्हारा कोई हल तो करना पड़ेगा।वो अपने आप से कहता है।

  • 15. यकीन का सफर - Chapter 15

    Words: 1054

    Estimated Reading Time: 7 min

    कितनी जिद्दी है तू ।वो अपने आप से कहता है ।वो ध्यान से उसे लड़की की तरफ देखता है ।जो उसकी घर की दीवार से लगी बैठी थी। उसने ब्लू कलर की जींस के साथ कुर्ता पहना हुआ था ।पैरों में उसके स्पोर्ट्स शूज और बालों की पीछे चोटी बनाई हुई थी । नवंबर  का महीना खत्म होने वाला था और दिन को तो खास ठंड नहीं थी। मगर रात को  सर्दी हो जाती थी। तुम्हारा कोई हल तो करना पड़ेगा।वो अपने आप से कहता है। रीवा की बुआ ललिता का बेटा आनंद सुबह अपनी ड्यूटी से घर आता है। वह पुलिस में है तो उसकी रात की ड्यूटी थी।वो  देखता है कि उसकी मॉम बहुत उदास बैठी है । क्या हुआ मॉम तुम इतनी उदास क्यों हो। मेरी रीवा से बात हुई थी। ललिता ने कहा। वह ठीक तो है ना। हां बेटा मगर आवाज से बहुत उदास लग रही थी । बिल्कुल उदास तो होगी मां ।उसकी बहन चली गई। उसके पापा चले गए। वैसे अगर आप जब कहोगे हम उसे गांव जाकर मिला आएंगे । मुझे भी मेरी बहन की याद आ रही है। स ठीक है बेटा हम चलेंगे । सुबह-सुबह शालिनी गेट के पास पहुंचती है ।उसे देखकर रीवा गेट के पास पहुंचती है। प्लीज शालिनी जी आप मेरी हेल्प करें । मैं तुम्हारी कोई हेल्प नहीं कर सकती और अगर तुम जहां पडी रहोगी तो रवि को और गुस्सा आएगा। प्लीज चली जाओ तुम जहां से । पहले मैं अपनी बहन से नहीं मिल सकी इतने साल । अब जय को नहीं छोडूंगी। देखा जाएगा जो होगा । देखो प्लीज रीवा समझो मेरी बात को । जाओ तुम जहां से ।मैं तुम्हें डराना नहीं चाहती । मगर रवि तुम्हें जिंदा नहीं छोड़ेगा । तुम जानती नहीं हो। उसे मेरे पापा चले गए ।मेरी बहन चली गई । जीना किसके लिए है !अब तो मैं मरने को भी तैयार हूं ।वह वापस जाकर दीवार के साथ लाकर बैठ जाती है । रवि अपनी बालकनी से खड़ा हुआ उसे देख रहा है ।शालिनी रवि के पास जाती है। बहुत जिद्दी लड़की है। बहुत तंग किया है उसने । वो चाहती है कि कैसे भी रवि उसे जहां से भगा दे । तभी वहां पर इकबाल आता है। मैंने पता करवाया है इसके बारे में । बहुत बुरे हालात हैं  इसके। अपने बाप की मौत के बाद किराया देने के भी पैसे नहीं है इसके पास। इसका फादर बहुत सारे करती कर्ज छोड़ कर  गया है इसके ऊपर। रवि उसकी बात सुन रहा था ।तभी शालिनी बोलती है। अब समझ में आया बिल्कुल खाली हाथ है । जाने की कोई जगह ही नहीं है। तभी वो जहां पर है । रवि इकबाल से कहता है । बुलाओ उसे । रीवा के पास अक्षय का फोन आता है । यह तुमने क्या किया । मुझे आंटी ने बताया कि तुम गांव चली गई हो । तुम जाते हुए मुझसे मिलकर भी नहीं गई । यह तुमने ठीक नहीं किया और वह पैसे वह किस लिए दिए तुमने । मैं वह पैसे नहीं लेने वाला । तुम्हारे पापा मेरे भी कुछ लगते थे । नहीं नहीं अक्षय हर चीज़ अपनी जगह मगर मैं अपने पापा का कोई कर्ज नहीं रखना चाहती । अगर  तुमने वह पैसे वापस  आंटी को वापस किए। तो मैं कभी जिंदगी में तुमसे बात नहीं करूंगी । रीवा देखती है के रवि और इकबाल दोनों गेट की तरफ आ रहे हैं।   मुझे काम है मैं फिर फोन करती हूं तुम्हें। वह अक्षय का फोन काट देती है । गार्ड गेट खोलते हैं। रवि रेवा को हाथ से इशारा करता है अंदर आने के लिए ।वो  अंदर आती है ।रवि के घर के सारे नौकर भी देख रहे हैंकि वह लड़की अंदर आ रही है। सभी को उस से हमदर्दी है कि वह रात से बारिश में ऐसे ही बाहर बैठी हुई थी। रवि अपने जैकेट से एक पैकेट निकालता है और रीवा को  तरफ करता है। यह पकड़ो ।तुम्हारे जहां से दफा होने की कीमत । रीवा वो पैसे नहीं पकड़ती ।वह उसकी तरफ देख रही है । कोई बात नहीं और मिल जाएंगे । इसे पकड़ो और जहां से हमेशा के लिए चली जाओ । रीवा को गुस्सा आता है और वो रवि को थप्पड़ मार देती है। घर के सभी नौकर ,सिक्योरिटी गार्ड और शालिनी हैरानी से रीवा को देख रहे हैं। क्योंकि उसने रवि को थप्पड़ मारा था।  सब सोचते हैं कि रीवा अब जिंदा नहीं बचेगी। वो  उसे ऐसे गायब कर देगा। जैसे इस दुनिया में थी ही नहीं। रवि गुस्से में  वहां से चला जाता है। इकबाल सिक्योरिटी गार्ड कोई इशारा करता है ।दो आदमी रेवा को पकड़ते हैं और  उसे गाड़ी में डालने लगते हैं। इकबाल गाड़ी लेकर वहां से जाने लगता है। अब वह सचमुच उसे इस खाई में फेंकने वाले थे । वो खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही है। वैसे वह मान चुकी है कि  वह सचमुच उसे मार देंगे । रवि गुस्से में अपनी स्टडी में आता है ।थोड़ी देर सोचने के बाद वो इकबाल को फोन लगाता है। उस लड़की को लेकर वापस आओ । किचन में काम करती हुई सविता और सुनीता दोनों रीवा की ही बात कर रहे हैं ।उन्हें बहुत डर लग रहा है। सुनीता सविता से पूछती है। आंटी अब उसे मार देंगे क्या । तभी शालिनी वहां पर आती है । उसके बारे में बात करने की कोई जरूरत नहीं है।वो गुस्से में कहती हैं। फिर सविता शालिनी से कहती है। रवि सर की चाय का टाइम हो गया। अभी चाय लेकर मत जाओ ।वह बहुत गुस्से में है । कोई उसके पास जाने को तैयार नहीं है और शालिनी खुद भी नहीं। गॉड्स रीवा को लेकर एक रूम में बंद कर देते हैं ।वह इलेक्ट्रिसिटी रूम है। पूरे घर की लाइटिंग ,जनरेटर इस रूम में था । वहां पर रवि आता है ।वो अपने आदमियों को  को जाने का इशारा करता है । मैंने तुम्हें जाने के लिए कहा था। पैसे भी दिए मगर लगता है तुम्हें मरना ज्यादा पसंद है । रवि गुस्से में था। अब जो करना है कर लो। चाहे मुझे मार दो मगर मैं जय को नहीं छोड़ने वाली ।वो दीवार के साथ लग कर बैठ गई थी। प्लीज मेरी सीरीज पर कमेंट करें साथ में रेटिंग भी दे आपको मेरी सीरीज कैसी लग रही है कमेंट में बताएं मुझे फॉलो करना और रिव्यू देना याद रखें।

  • 16. यकीन का सफर - Chapter 16

    Words: 1052

    Estimated Reading Time: 7 min

    गॉड्स रीवा को लेकर एक रूम में बंद कर देते हैं ।वह इलेक्ट्रिसिटी रूम है। पूरे घर की लाइटिंग ,जनरेटर इस रूम में था । वहां पर रवि आता है ।वो अपने आदमियों को  को जाने का इशारा करता है । मैंने तुम्हें जाने के लिए कहा था। पैसे भी दिए मगर लगता है तुम्हें मरना ज्यादा पसंद है । रवि गुस्से में था। अब जो करना है कर लो। चाहे मुझे मार दो मगर मैं जय को नहीं छोड़ने वाली ।वो दीवार के साथ लग कर बैठ गई थी। तभी एक  गार्ड वहां पर एक डॉग लेकर आता हैं। रवि उसे डॉग का डॉग के सिर पर हाथ फेरता है । जानती हो अगर मैंने इसे खोल दिया ।तो तुम्हारे साथ क्या होगा। मैं तुम्हें सोचने का टाइम दे रहा हूं। रीवा  चुपचाप उसे देख रही है। रवि डॉग को पकड़ कर बाहर ले जाता है। और  दरवाजा  बंद कर देता है। रवि सचमुच चाहता था। डॉग के सामने रीवा के टुकड़े टुकड़े करके डाल दे ।मगर पता नहीं क्यों वो वापस आ गया।   रवि को पूरा यकीन था कि लड़की जरूर टूट जाएगी। रवि को ऑफिस जाना था। वह ऑफिस चला जाता है। जाने से पहले वो गार्ड  से कहता है कि उसे बिल्कुल भी खोलना नहीं है । ना ही उसे कुछ खाने पीने को देना है। उधर नैनी जय को खाना खिलाने की कोशिश कर रही है। मगर वह खाना नहीं खाना चाहता। खाना खाने से बचने के लिए वो अपने कमरे से बाहर आ जाता है । वो हाल में जाकर छुप जाता है। शालिनी उसे देखती है । क्या हुआ। शालिनी ने पूछा। वो मुझे जबरदस्ती खाना खिला रही है। मुझे नहीं खाना। उसी से मैं छुप रहा हूं । मैं तुम्हें छुपने की जगह बताती हूं । शालिनी इधर-उधर देखती है। वहां कोई नहीं था । बाहर ट्रक खड़ा है उसमें छुप जाओ । नैनी आंटी को पता नहीं चलेगा। वह ट्रक  खाने पीने का सामान लेकर आया था। जय  उसमें चढ़ जाता है ।ट्रक के ड्राइवर को पता नहीं चलता और वह ट्रक को बंद कर देता है और वहां से चला जाता है। नैनी पूरे घर में जय को ढूंढ रही है । मगर उसे जय नहीं मिलता। वो शालिनी के पास आती है। मैडम जय कहीं नहीं है।वो घबराई हुई कहती हैं। ऐसे कैसे । तुम तो थी उसके साथ कमरे में । मैं उसे खाना खिला रही थी। मगर वह कमरे से बाहर आ गया। इतने में मेरा फोन आ गया और मैं फोन पर बात करने लगी । वह पता नहीं कहां चला गया। घर की सिक्योरिटी और घर के सारे लोग जय को ढूंढ रहे हैं। मगर जय नहीं मिल रहा। शालिनी रवि को फोन लगाती है ।रवि भागा हुआ आता है। कहां गया जय तुम सब लोग घर पर थे । सबसे ज्यादा उसे  जय पर गुस्सा था । याद रखना अगर जय नहीं मिला तो मैं तुम्हारे टुकड़े कर दूंगा। सच कहती हूं सर । मैंने कुछ नहीं किया । नैनी डरते हुए कहती है। वह लड़की कहां है ।रवि  जिस कमरे में उसे बंद किया था वहां जाता है ।जब वह दरवाजा खोलता है । रीवा विवाह दीवार से लगी हुई सो रही थी। कहां है जय।वो उसे गुस्से से कहता है । क्या हुआ जय को । मैं तो कमरे में  बंद हूं। मैं जय को कैसे गायब कर सकती हूं। तभी एक सिक्योरिटी गार्ड आकर बताता है। सीसीटीवी की फुटेज में छोटे साहब ट्रक में बैठ रहे हैं । इतने छोटे बच्चे का आपको ख्याल रखना चाहिए था । रीवा उस पर गुस्सा हो रही है । हमें इस ट्रक के पीछे जाना चाहिए । रवि जल्दी से गाड़ी स्टार्ट करता है। रीवा भाग कर  गाड़ी खोलकर उसके साथ बैठ जाती है। रवि उसे खा जाने वाली नजरों से देखता है। यह तुम क्या कर रही हो । यह बहस करने का टाइम नहीं था और जय की जिंदगी का मसला था। इसलिए वह कुछ नहीं कहता। रवि  ट्रक ड्राइवर को फोन करने की कोशिश करता है ।मगर ट्रक ड्राइवर का नंबर आफ था। आपको कंपनी फोन करके उस ट्रक  की लोकेशन पूछनी चाहिए । रीवा ने कहा। रवि इकबाल को फोन करता है। जल्दी से मुझे पता करके बताओ उस ट्रक ड्राइवर की को कहां-कहां  सामान डिलीवर्ड करना था। उसके बारे में पता करके बताओ । रवि फोन को गाड़ी में स्टैंड पर लगाकर खुद गाड़ी ड्राइव कर रहा है। इकबाल उसे ट्रक की लोकेशन भेजता है। गाड़ी चलाते हुए रवि उसे चेक करने की कोशिश करता है तो रावी उसका फोन पकड़ लेती है । आगे जाकर राइटर लेना है हमें। रीवा ने फोन की तरफ देखते हुए कहा। रवी ने कभी किसी को इतनी इजाजत नहीं दी थी कि  कोई उसकी किसी भी चीज को टच कर सके। रीवा के ऐसे फोन उठाने पर रवि को गुस्सा तो बहुत आया ।मगर वह हालात ऐसे थे वह चुप रह गया। ट्रक शहर के बाहर तक चला जाता है। वह दोनों उसके पीछे जा रहे हैं । वो रहा  ट्रक। रीवा कहती है । क्योंकि उनके पास ट्रक का नंबर था ।तो उस नंबर से रेवा को उस ट्रक की पहचान आ जाती है है। रवि तेज  गाड़ी चला कर उस ट्रक के आगे गाड़ी लगा देता है ।ट्रक ड्राइवर ट्रक रोकता है । रवि  ट्रक का दरवाजा खोलकर उसका गला पकड़ कर नीचे उतार लेता है। यह मारपीट बाद में करना ।पहले ट्रक खोलो। रीवा  गुस्से से बोलती है। ट्रक ड्राइवर को ट्रक खोलना है।  वहां समान के बीच जय बोहोश पड़ा हुआ है। अंदर से ट्रक का टेंपरेचर बहुत कम था। क्योंकि उस में फल और सब्जियां  स्टोर थी। इस लिए ट्रक का टमरेंचर माइनस में था। रवि  जय को उठा लेता है । जल्दी करो इसे मेरी  गोद में डाल दो। हम इसे हॉस्पिटल लेकर चलते हैं। रवि बहुत तेज गाड़ी चला रहा है । रवि गाड़ी का हीटर चला देता है।रीवा जय को अपने आप आपसे चिपकाए हुए बैठी है ।जब थोड़ी देर उसकी टेंपरेचर उसकी बॉडी का टेंपरेचर सेट होता है। उसे  होश आ जाता है। वो अपनी  आंखें खोलता है । वो अपनी मौसी की गोद में है। मौसी आप आ गए । मुझे पता था आप आ जाएंगे ।वह उसके सीने से लग जाता है । मेरी  जान मैं तुम्हारे पास हुं। कुछ नहीं होगा तुम्हें ।वो रीवा की  गोद में उसके साथ चिपका हुआ था।

  • 17. यकीन का सफर - Chapter 17

    Words: 1097

    Estimated Reading Time: 7 min

    जल्दी करो इसे मेरी  गोद में डाल दो। हम इसे हॉस्पिटल लेकर चलते हैं। रवि बहुत तेज गाड़ी चला रहा है । रवि गाड़ी का हीटर चला देता है।रीवा जय को अपने आप आपसे चिपकाए हुए बैठी है ।जब थोड़ी देर उसकी टेंपरेचर उसकी बॉडी का टेंपरेचर सेट होता है। उसे  होश आ जाता है। वो अपनी  आंखें खोलता है । वो अपनी मौसी की गोद में है। मौसी आप आ गए । मुझे पता था आप आ जाएंगे ।वह उसके सीने से लग जाता है । मेरी  जान मैं तुम्हारे पास हुं। कुछ नहीं होगा तुम्हें ।वो रीवा की  गोद में उसके साथ चिपका हुआ था। रवि गाड़ी चलाता हुआ उन दोनों को देख रहा था।  जय कितने चैन से उसकी गोद में सो रहा था और उसने भी कैसे उसे बाहों में लिया हुआ था। वो उसे बिल्कुल सीने से लगाए हुए थी।वो उन दोनों का शांत चेहरा देख रहा था ।जैसे वह कोई फैसला कर रहा हो । जय को होश आ गया था ।इस लिए होसपिटल की जगह  उसे लेकर मेंशन पहुंचता है ।डॉक्टर भी वही उनके पहुंचने से पहले ही वहां पहुंच गया था ।जब रीवा उसे लेकर गाड़ी से उतरती है तो उसे देखकर शालिनी का मूड खराब हो जाता है।   इन दोनों से मेरा कभी पीछा नहीं छूटेगा। वह अपने आप से कहते हुए बाहर लॉन में आती है ।   इसे मुझे दो रवि जय को रीवा से पकड़ लेता है। वो जय को लेकर अंदर जाने लगता है । रीवा उसके पीछे जाती है।  रवि रुक कर  उसे खा जाने वाली नजरों से देखता है। सुनिए ।रीवा ने कहा । अगर आप आज की रात मुझे इसके पास रुकने देंगे तो मैं सुबह चली जाऊंगी। प्लीज। रीवा कहती है। रवि उसकी बात नहीं सुनता ।वो जय हो लेकर उसके कमरे में चला जाता है।वो जय को  बैड पर लेटाते  हुए कुछ सोच रहा है।रीवा लोन में चेयर पर बैठी हुई है ।शाम हो चुकी थी । तुम गई नहीं अभी तक। रवि ने कहा। मैं नहीं जाऊंगी। तो दोबारा तुम्हें उस कमरे में बंद कर देता हूं । आपकी मर्जी है। रीवा सिर झुकाए बैठी है। देखो मैं तुम्हें कहता हूं। तुम चली जाओ जहां से। मैं तुम्हें वापस कमरे में बंद करना नहीं चाहता। रवि वापस अंदर जाने लगता है। मगर वह फिर वापस आ जाता है । ठीक है आज की रात तुम जहां रुक जाओ। मगर सुबह हमेशा के लिए जहां से दफा हो जाओगी । वो रीवा  को कमरे में ले जाता है। यहां जय लेटा हुआ था और उसकी नैनी उसके पास बैठी थी । सो गया क्या ।रीवा ने पूछा । डॉक्टर ने इसे दवाई दी थी ।अभी डॉक्टर आया था।   दवाई की वजह से सो गया। नैनी ने कहा। रीवा उसको हाथ लगती है । इसे तो बहुत तेज बुखार है ।रवि जो रीवा को छोड़कर कमरे से बाहर जा रहा था। रीवा उसे बुलाती है। सुनिए । क्या हुआ। इसे बुखार है । मगर डॉक्टर ने तो अभी दवाई दी थी । इस ने नहीं खाई । नैनी सिर झुकाए कहती है । आप डॉक्टर को द्वारा बुलाओ । रीवा ने कहा। डॉक्टर द्वारा आता है । अच्छा किया आपने बुला लिया। इसकी हालत और खराब हो रही है ।डॉक्टर उसे ड्रीप लगाता है ।क्योंकि जय बेहोश हो गया था। डॉक्टर कहता है कि सर्दी में रहने की वजह से इसकी हाल तो बिगड़ गई है । रीवा पूरी रात बैठकर उसकी तीमारदारी करती है ।रात को  रवि भी जय को कई बार  देखने आता है।  जय का कमरा रवि के कमरे के सामने ही था ।वो देखता है कि नैनी पुरी रात सो रही थी। मगर रीवा एक मिनट के लिए भी नहीं सोई थी। अगली सुबह हो चुकी थी। शालिनी अपनी बहन शीना के लिए कमरा तैयार करवा रही है ।उसने शीना के लिए रजनी का कमरा जो खाली था । उसी में अपनी बहन के रहने का प्रबंध कर रही है ।असल में इसमें भी उसका एक प्लान था ।वह कमरा रवि के कमरे के बिल्कुल साथ था ।।जय का कमरा रवि के कमरे के सामने था और जिस कमरे में शालिनी शीना  के रहने का इंतजाम कर रही है। वह कैमरा रवि के कमरे में के साथ है । वह चाहती है कि उसकी बहन जितना हो सके रवि के नजदीक रहे और ज्यादा से ज्यादा रवि को नजर आए । वह कैसे भी करके रवि और शीना की शादी करवाना चाहती है ।वह चाहती है कि रवि से शादी करके उसकी बहन इस पूरे अंपायर की मालकिन बने ।इसी के लिए उसने अपनी बहन को जहां पर बुलाया है।वो अपनी स्टडी के विदेश में थी।अब उसकी स्टडी कंप्लीट हो चुकी है। सुबह तक जय की कंडीशन काफी ठीक थी। मगर  दवाई के असर से वो अभी भी सो रहा है।तभी शालिनी रीवा के पास आती है । मुझे लगता है अब तुम्हें चले जाना चाहिए। इससे पहले के रवि उठे। तुमने रात उसे यही प्रॉमिस किया था कि तुम सुबह चली जाओगी । ठीक है मैं चली जाती हूं। जय खुश रहे, सेहतमंद रहे । मेरे लिए इतना काफी है। आपको फोन किया करुंगी । प्लीज इसके बारे में मुझे खबर देते रहिए । रवि भी रात को  सोया ही कहां था और सुबह भी जल्दी उठ गया था। वो सुबह-सुबह ही जय को देखने आया था। उसे देखकर रीवा को डर लगता है । मैं जा रही हूं ।बस निकल ही रही हूं । रवि को देखकर रीवा ने कहा । भाभी कमरा तैयार करवा  दो।रवि कहता है । अच्छा तो पता चल गया तुम्हें । शीन आ रही है।वो खुश हो कर कहती है। मैंने पूरी तैयारी करवा दी है। नहीं मैं शीना की बात नहीं कर रहा । जय की मौसी की बात कर रहा हूं । ये यहीं रहेगी ।जय के पास । अब से मैं जय की  जिम्मेवारी इसकी मौसी को देता हूं। तभी  सुनीता जो  कमरे के पास से गुजर रही थी। उसे बुलाता है। सुनीता । जी सर। जय के साथ वाला कैमरा तैयार करो। वह बिल्कुल तैयार है । शीना मैडम आ रही है । नहीं। उस कमरे में जय की मौसी रहेगी । जय की मौसी का सामान बाहर के कमरे में पड़ा है ।उसे कमरे में पहुंचा दो। मगर रवि शीना ।शालिनी कहने लगी। और भी तो कमरे हैं जहां पर शीना को और कमरा दे दो। वह कहते हुए वहां से चला जाता है। शालिनी को गुस्सा तो बहुत आता है। मगर वह बहुत चालाक औरत है । कोई बात नहीं। और भी बहुत कमरे हैं। वो किसी  और कमरे रह लेगी । सही बात है जय के पास उसकी मौसी का होना जरूरी है।

  • 18. यकीन का सफर - Chapter 18

    Words: 1018

    Estimated Reading Time: 7 min

    मगर रवि शीना ।शालिनी कहने लगी। और भी तो कमरे हैं जहां पर शीना को और कमरा दे दो। वह कहते हुए वहां से चला जाता है। शालिनी को गुस्सा तो बहुत आता है। मगर वह बहुत चालाक औरत है । कोई बात नहीं। और भी बहुत कमरे हैं। वो किसी  और कमरे रह लेगी । सही बात है जय के पास उसकी मौसी का होना जरूरी है। रवि की बातें सुनकर वो बहुत हैरान  थी ।क्योंकि ऐसा तो उसने तो उम्मीद ही खत्म कर दी थी। उसने सोचना भी छोड़ दिया था वो जय के पास कभी रह सकेगी। तुम ऐसे क्यों खड़ी हुई हो ।तुम्हें उस कमरे में नहीं रहना क्या। कहीं तुम्हें  जहां मैंने बंद किया था वही तो नहीं रहना। रवि उससे कहता है। मैं आपकी एहसानमंद हुं। कभी आपका एहसान नहीं भूलूंगी। मेरा एहसानमंद की जरूरत नहीं । मैंने यह सिर्फ जय  के लिए किया है । मेरी बात गौर से सुनो लड़की । तुम बच्चे की नैनी नहीं मौसी हो । अगर नैनी उसे एक बार अटेंड करती थी तो तुम्हें कई बार अटेंड करना होगा। उसे हर वक्त अपनी नजर में रखोगी उसकी सेहत और  हर चीज की जिम्मेवार तुम होगी। अगर तुम उसकी अच्छे से देखभाल करोगी तो ठीक है ।वरना जहां से जब चाहे जा सकती हो। वह उसे धमकाता हुआ कहने लगा। शालिनी जो वही रुकी रवि की बातें सुन रही थी। उसके दिमाग में कई प्लान आ रहे थे। भाभी आप जाए।जय  अब इस लड़की की जिम्मेवारी है। बिल्कुल सही फैसला किया रवि तुमने । वह मीठी बनती हुई कहती है । फिर मैं हूं ।तुम  बिल्कुल मत करो । जय तो खुश हो जाएगा जब उसकी मौसी उसके पास होगी। रवि वहां से चला जाता है। शालिनी अभी भी वही है। उसके दिल में तूफान उठ रहा है। उसने जो कमरा उसने  अपनी बहन के लिए तैयार किया था। अब उसमें रीवा रहेगी।  उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। असल में वह कमरा रवि के कमरे के साथ तो था ही और साथ में उसकी पोजीशन ऐसी थी अगर कमरे  का दरवाजा थोड़ा सा भी खुला होगा तो रवि जब भी अपने कमरे से बाहर निकलेगा । उसे   कमरे के  अंदर का नजारा नजर आएगा। वह चाहती थी कि उसकी बहन शीना रवि की नजरों के सामने रहे। मगर उसका तो सारा प्लान ही उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा था। चौधरी मेंशन बहुत बड़ा था ।जिसकी ग्राउंड फ्लोर पर नीचे चार बैडरूम बने हुए थे ।एक बहुत बड़ा ड्राइंग रूम और एक बहुत बड़ा हाल था। हाल  दो हिस्सों में बंटा हुआ था।  एक हिस्सा मेंशन में अंदर इंटर करते ही था । जहां पर बैठने का इंतजाम था। आधे हाल में  से सीढ़ियां ऊपर जाती थी और आधा स्टेयर के आगे था। यह हिस्सा किचन के पास था। जहां पर  खाने के लिए डाइनिंग टेबल लगा और साथ ही सोफे लगे हुए थे। यह हिस्सा ज्यादातर परिवार बैठने के लिए इस्तेमाल करता था। बहुत बड़ी किचन थी मेंशन की। वहां पर भी एक छोटा डाइनिंग टेबल लगा हुआ था। उस किचन का एक दरवाजा बाहर लॉन की तरफ भी खुलता था। स्टेयर से ऊपर जाते ही एक बैठने की जगह बनी थी। जहां पर सोफे लगे हुए थे।  दाएं तरफ पहले स्टडी थी। जिस में रवि का ऑफिस था। वह अपना ज्यादा वक्त उसी ऑफिस में ही गुजरता था और उसके साथ रवि का कमरा था। जिसका एक दरवाजा बाहर की तरफ  कॉरिडोर में खुलता था। अंदर से दुसरा एक स्टडी में ।स्टडी और उसका रूम अटैच थे। रवि ज्यादातर अपनी स्टडी का ही दरवाजा इस्तेमाल करता था। किसी को भी इजाजत नहीं थी रवि के कमरे में जाने की । घर में का काम करने वाला  डीसुजा ही उसका सारा काम देखता था ।उसके कमरे की सफाई करनी, उसके कपड़े निकालने,जो भी काम था डीसुजा को छोड़कर किसी को भी इजाजत नहीं थी उसके कमरे में जाने की ।सभी उस से डरते थे ।कोई जाता भी नहीं था उसके कमरे में ।रवि के कमरे के बिल्कुल सामने जय का कमरा था।  इन दोनों कमरों के बीच में जो कमरा बना था ।जो इस मेंशन का सबसे खूबसूरत और हवादार कमरा था ।वह कमरा जब तक रजनी ज़िंदा थी, उसका था। अब वह कमरा रवि ने रीवा को दे दिया था। स्टेयर की दुसरी तरफ शालिनी और राजन का कमरा था । शालिनी और राजन के कमरे के सामने एक दरवाजा था जो टेरिस पर निकलता था। और शालिनी के कमरे के दूसरी तरफ भी जो गैसट रूम था वही शीना को दिया गया था । अभी और रीवा के कमरे की जो बालकनी थी वह भी एक साथ थी।  रीवा के कमरे का कर्टन साइड पर हो तो रवि के कमरे की बालकनी से पूरे कमरा  अंदर का नजर आता था । चलो ठीक है रीवा । अच्छा हुआ तुम जहां हो मैं खुश हूं तुम्हारे लिए। शालिनी  कहती हुई वहां से चली जाती है । रीवा सोए हुए जय के सिर को चूमती है। मैं तो चाहती थी हम दोनों मेरे घर में रहते । मगर कोई बात नहीं मुझे तुम्हारे साथ रहने को मिल रहा है। तो मैं जहां पर भी रह लूंगी। शालिनी जाकर हाल में बैठ जाती है। तभी  हॉल का दरवाजा खुलता है । एक बहुत स्मार्ट और खूबसूरत लड़की अंदर आती है। लंबी, छरहरी काया, हल्के ब्राऊन कलर के बाल जो सलीके से सेट किए हुए थे। व्हाइट कलर की नी लेंथ ड्रेस उसे मार्डन और एलिगेंट दिखा रही थी। शालिनी भाग कर उसके गले लग जाती है। अच्छा हुआ तुम सुबह सुबह ही आ गई। लगता है तुम थक गई हो। शालिनी कहती है। मुझे थकी हुई तो आप लग रही हैं । शीना ने शालिनी को कहा। रीवा को जो कमरा बताया जाता है ।वो वहीं आती है। उसका सूटकेस पहले ही वहां पर पड़ा है। उसने अपनी तरफ देखा ।उसकी हालत बहुत खराब थी उसकी जींस जिस पर मिट्टी लगी हुई थी। उसका प्रिंटर कुर्ता बिल्कुल गंदा हो चुका था। वो दो दिन से उन्हें कपड़ों में थी। उसने आईने में अपने आप को देखा । उसके बाल ऐसे हो रहे थे।  वह सूटकेस खोलती है ।उसमें से एक सूट निकलती है पहनने के लिए।