इंट्रो......💙
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इंट्रो......! मौसम हल्का सा तब्दील हुआ बारिश ने फ़िर ज़ोर पकड़ा था। आसमान पर काले बादल छाए थे। रोड पर दौड़ती वो ब्लैक स्पोर्ट कार आसानी से पहचानी जा सकती थी। ये स्पीड और ट्रेफ़िक सिग्नल तोड़ते हुए इस स्पीड को बनाए रखने का हुनर सिर्फ़ और सिर्फ़ "क़िरअत असमारा" के पास ही था। हेड कांस्टेबल से ले कर "एस• पी•" और "एस• एस• पी•" तक को उसने अपने पीछे कुत्ते की तरह भगाया था। और बावजूद सारी पॉवर्स के कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता था। ऊंची से ऊंची पोस्ट पर बैठे इंसान के भी उसने अपने नीचे क़दमों पर सिर रखवाए थे। वो बिन बाप की बिगड़ी नवाबज़ादी थी। जिसकी न कोई हद थीं। जिसमें उसे रखा जा सके। न लगाम जो खींची जा सके.....वो बेहद थी। बेहद अल्हड़, बेहद आज़ाद, बेहद मुख्लिश, बेहद स्मार्ट , बेहद मुहब्बत करने वाली, बेहद बदतमीज़, बेहद बदलीहाज़ और बेहद मारपीट करने वाली एक सादा सी लड़की होने के साथ ही मोस्ट फेमस गेमिंग कंपनी "के•ए•जी•" की सी•ई•ओ•..... "क़िरअत असमारा"। °°°°°°°°°°°°° यार तुम्हें मसला क्या है तुम ख़ुद इंटरव्यू क्यूं नहीं करते। वो बस खीझ ही गया था। पिछले पंद्रह सालों से दोनों दोस्त होने के साथ ही साथ बिज़नस पार्टनर्स भी थे। लेकिन इस शख़्स के साथ रहते - रहते उसका सब्र अक्सर जवाब देने लगता था। "हारिस मिर्ज़ा" सुनाई दे रही है तुम्हें मेरी बात.......उसने सारे लफ़्ज़ चबा कर कहते हुए ख़ुद के यूं नज़रअंदाज़ होने पर उसे घूर कर देखा था। जो लैपटॉप पर मुसलसल उंगलियां चलाता शायद उसकी बात सुन भी नहीं रहा था। ब्लैक बिज़नेस कोट सूट में वो 6'1 इंच का पच्चीस साला लड़का बिला शुबहा "हारिस मिर्ज़ा" था। शम्स मिर्ज़ा का इकलौता बेटा होने के साथ साथ वो स्पोर्ट्स चैंपियन भी था। साफ़ रंगत शम्स मिर्ज़ा से तो कतई मेल नहीं खाती थी। जिम में बनाई गई बॉडी और चेहरे पर हर शह से नज़र आती लातअल्लुकी उसकी ख़ास चीज़ों में से थीं। स्टाईल से कट हुए बाल जिन्हें कॉम्ब करने के बजाय वो हाथ से ही सेट करना पसंद करता था। लेफ़्ट हैंड में बंधी सिल्वर वॉच वक़्त के हिसाब से कम उसके हिसाब से ज़्यादा चलती थी। उसकी धड़कनें उसकी सांसें उसके क़दम यहां तक उसका ब्लड प्रेशर तक हर एक घंटे के बाद रिमाइंड कराती रहती थी। पैरों में पहने गए ब्लैक फॉर्मल शूज़ चलने पर कुछ ख़ास धमक पैदा करते थे। और सबसे ख़ास इन सब में था उसका मिजाज़.... सारी मासूमियत और शराफ़त उस पर ही आ कर ख़त्म थी। मज़ाल जो कभी लड़कियों से बात करना दूर किसी की तरफ़ ग़लती से नज़र भी उठा देता। ख़ुद से मतलब रखना और ख़ुद में महदूद रहना उसकी आदतों में शुमार था। यहां तक कि अपने दोस्तों से भी कम ही घुलता मिलता था। सारे रिश्तों में एक दायरे बना रखे थे। और लड़कियों से तो जैसे ख़ास क़िस्म की एलर्जी थी। अभी भी इसी बात पर बहस चल रही थी। रिसेप्शनिस्ट के लिए इंटरव्यूज़ होने थे। और वो आज फ़िर समआन को आगे भेजने पर तुला हुआ था। कभी कभी दोस्त और बिज़नेस पार्टनर से ज़्यादा उसके पी ए की फीलिंग आने लगती थी। उसकी बातों को कोई खातिर में ही नहीं लाता था। खड़ूस कहीं का.... आख़िर में समआन ने चिढ़ कर कहा था। और वो बस आहिस्ता से मुस्कुरा दिया था। हारिस मिर्ज़ा की मख़्सूस पुरकशिश मुस्कुराहट। उसके जाते ही उसने लैपटॉप शटडाउन किया और चेयर से उठ खड़ा हुआ था। घनी बियर्ड के बीच मुस्कुराते से होंठों की हल्की सी मुस्कुराहट अभी भी देखी जा सकती है। धीरे क़दमों से वो रूम के अंदर बने रूम की तरफ़ बढ़ रहा था। जब दरवाज़ा एक बार फ़िर खुला.....! बॉस..... समआन सर ने आपको इत्तिला देने के लिए कहा है। सामने खड़ी मैरी इतना बोलते बोलते ख़ुद ही ख़ामोश हो गई थी। नज़र सामने खड़े लंबे चौड़े पुरकशिश वजूद से ही उलझ कर रह गई थी। आधी बातें ज़हन से कब गायब हुईं तब तक अंदाज़ा नहीं हो सका जब तक उसकी कुछ सख़्त सी आवाज़ कमरे में नहीं गूंजी थी। मिस मैरी बताने की ज़हमत करेंगी आपके समआन सर ने क्या इत्तिला दी है। वो रुख़ फ़ेरता हुआ बोला था। ये लड़कियों की अजीब सी वाहियात नज़रें अपने वजूद पर तो कतई बर्दाश्त नहीं होती थीं। जी.....जी बॉस उन्होंने....... हां उन्होंने कहा मीटिंग रूम में कोई ""क़िरअत असमारा"" नामी जानी मानी हस्ती आपके इंतेज़ार में है। वो गड़बड़ाते हुए जल्दी में बोल कर दरवाज़े से ही पलट गई थी। अब ये कौन बला है। समआन को कह रखा है मुझे नहीं मिलना होता किसी से लेकिन.......वो झल्लाते हुए बोला और फ़िर इस बात को साफ़ तौर पर नज़रअंदाज़ करता अंदर बने कमरे की जानिब बढ़ गया। नहीं जाएगा तो समआन को मज़बूरी में देखना ही पड़ेगा। अच्छे से जानता था। इसलिए अंदर जाते ही सीक्रेट रूम में पड़े उस बड़े से बेड पर बेफ़िक्री से लेट गया था। काम के बीच आराम करने की आदत नहीं थी। लेकिन आज तबीयत कुछ बोझिल सी मालूम हो रही थी। सिर और आँखें ही नहीं सारा जिस्म दुःख रहा था। °°°°°°°°°°° मैम.....मैम... लिसन..... मैम प्लीज़ रुक जाइए मैरी हाई हील्स के बावजूद दौड़ते हुए उसके पीछे भागी थी। जब कि आधे घंटे के इंतेज़ार के बाद उसके क़दम तेज़ी से उस ऑफिस की तरफ़ बढ़ रहे थे। जहां गेट के बाहर बड़ा बड़ा ""हारिस मिर्ज़ा"" लिखा हुआ था। उसने दरवाज़े के सामने जा कर क़दम रोकने के बजाय पैर मार कर दरवाज़ा खोला था। और मैरी पहले उसे अंदर जाते हुए और फ़िर उस नाज़ुक से कांच के दरवाज़े को सदमे से देखती रह गई थी। जिसमें हारिस को मिट्टी का एक कतरा नहीं बर्दाश्त था। और ये लड़की पूरे जूते का निशान बना कर...... हारिस को तो अपने आसपास लड़की भी कतई बर्दाश्त नहीं थी। यहां तक उसकी अस्सिटेंट भी उस रिबन की लिमिट को पार नहीं करती थी। और आज ये बेपरवाह सी लड़की इतने धड़ल्ले से अंदर घुसी थी। जाने तूफ़ान की आमदगी का इशारा था या सुनामी की या शायद आज की ये मुलाक़ात तूफ़ान और सुनामी के मिल जाने का इशारा था। °°°°°°°°°° Unique writer ✍🏻