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Marriage tied by fate

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शादी एक ऐसा शब्द जो किसी के लिए खुशी तो किसी के लिए चिंता का विषय । लेकिन क्या हो जब आपको पता चले आपकी शादी जिससे होने वाली थी उससे ना होकर उसके छोटे भाई से हो गयी और वो इस शादी को ना माने । तो वहीं दूसरी तरफ आपकी शादी एक ऐसे इंसान से कर दी जाये जिसक...

Total Chapters (5)

Page 1 of 1

  • 1. Destined to Marry You - Chapter 1

    Words: 2223

    Estimated Reading Time: 14 min

    राजस्थान हर क्षेत्र में आगे रहने वाले इस प्रदेश में कई प्रेम और साहसी कहानियों ने जन्म लिया है जो इतिहास के पन्नो पर अमर हो चुकी है । लेकिन आज हम यहाँ से एक काल्पनिक कहानी रचने जा रहे है । इसलिए सब इसे एक काल्पनिक कहानी की तरह ही ले, इसका किसी वास्तविक जगह, घटना या नाम से कोई सम्बन्ध नहीं है । सो यहाँ सिर्फ नाम होगा वो रियल में जैसा है वैसा नहीं होगा । उदयपुर के कुछ मिनटों की दूरी पर आरोग्य नगरी ( काल्पनिक नाम और जगह , रियल में शायद ऐसा कुछ नहीं है ) आरोग्य नगरी जो इस आधुनिकता में भी अपनी प्राचीन विरासत को बनाए हुए है । खास कर के ये आयुर्वेद के लिए प्रसिद्द है । त्रिवेदी परिवार जो बरसो से आयुर्वेद के ज्ञान को संजोये हुए है , कई पीढ़ियों से चली आ रही अपनी इस परंपरा को इन लोगो ने न केवल अपने जीवन व्यापन का साधन माना बल्कि आज इनके अंडर आयुर्वेदिक प्रशिक्षण केन्द्र , आयुर्वेदिक क्लिनिक , हर्बल उत्पाद , आयुर्वेदिक दवाएं आदि का उत्पादन और संचालन किया जाता है । धन वैभव में भी ये परिवार काफि सम्पन्न है । Starting the story त्रिवेदी सदन एक बड़ा दो मंजिला घर जो दिखने में किसी प्राचीन हवेली की तरह दिख रहा है लेकिन अंदर से एकदम नया लेकिन वस्तुए अभी भी प्राचीन समय की है जो शायद आज के समय में काफि महंगी है । हॉल के बीचों बीच में एक 68- 70 साल के आस पास की औरत बैठी है उनका पहनावा बेहद सरल है लेकिन चहरे पर नूर इतना की अभी भी 60 की लगती है । -” हमें स्वयं विशवास ना हो रहा उन्हे अपना वादा याद होगा जो आपके पिताजी से राजा साहब ने किया था, उन्होंने अपने बड़े पोते अखंड का रिश्ता हमारी नूर के लिए भेजा है “ बूढ़ी औरत यानि की दादी अनिता जी ने कहा अपने सामने बैठे अपने बेटे यानि अशोक त्रिवेदी से कहा । -” विशवास तो हमें भी नहीं हो रहा की वो लोग इतने बड़े और ताकतवर होने के बावज़ूद भी हम जेसे सरल लोगो से रिश्ता जोड़ने को कहेंगे “ अशोक जी ने कहा । -” अब उन्होंने अपना वादा निभाया है तो हम भी पिछे ना हटेंगे हम आज ही खबर कर देंगे की तैयार है हम हमारी नूर को उन्हे देने के लिए “ दादी ने कहा और चाय पीने लगी । वहीं रसोईघर में उनकी बाते सुन रही लड़की ने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया जिससे उसके बालों ने उसके चहरे को ढक लिया लेकिन जेसे ही उस लड़की ने अपने चहरे से बाल हटाये उसका बेदाग खूबसूरत चेहरा सामने आया । गहरी भूरि आँखे, लम्बी घनी पलकें, आँखों में काजल मानो किसी हिरनी की आँखे हो जो बेहद आकर्षक थी । काले घने सिल्की बाल जो कमर से निचे थे, छोटा माथा, छोटी नाक, हल्के गहरे गुलाबी रस से भरे होठ, थोड़े बेहद कोमल गाल उस लड़की का थोड़ा गोल चेहरा देख किसी के लिए भी उस पर से नज़रे हटाना बेहद मुस्किल हो जाये । ये है नूर त्रिवेदी जो अभी सिर्फ 21 है । लेकिन अपनी शादी की बात सुन उसे हैरानी नहीं बल्कि एक अजीब सी बैचेनी हुई जो उसके चेहरें पर साफ देखी जा सकती थी । तभी वहाँ साड़ी पहने औरत आई -” लाडो बन गया के खाना “ आते ही उसने पूछा । -” हाँ माँ बस रोटी बनाना रहा है “ नूर ने जल्दी से खुद को नॉर्मल कर कहा तो औरत यानि वेदिका जी ने मिट्टी के बर्तन में सब्जी निकाली और बाहर ले आई । नूर की आवाज़ में एक अलग ही मिठास और ठहराव था जो सुनने वाले को शान्ति का अनुभव करवाती है । दूसरी तरफ उदयपुर में एक बड़ा सा रेस ट्रैक जिसमें एक घोड़ा बेहद तेज़ी से भाग रहा है वह हवा से बाते कर रहा दूर से देखने पर किसी को ये मंजर डरा भी सकता है लेकिन घोड़े पर बैठे इंसान को देख कर नहीं लग रहा कि उसे जरा भी डर है । वह आराम से घोड़े पर बैठा राइड या कहे रेस एन्जॉय कर रहा था । तभी घोड़ा रुका और उस पर बैठा इंसान निचे उतरा । हेलमेट उतारने पर उस इंसान का हैंडसम चेहरा, गोरा रंग, बेहद हल्के गुलाबी होठ, भूरि आँखे, गहरे भूरे बाल जो स्टाइल से सेट थे, राइडिंग पैंट , राइडिंग बूट्स, राइडिंग जैकेट, राइडिंग ग्लव्स, आदि पहने वह लड़का किसी शाही राजकुमार की तरह दिख रहा था । तभी एक आदमी वहाँ भागते हुए आया तो लड़के ने अपने हाथ में पकड़ी घोड़े की लगाम छोङ दी , उस आदमी ने वह पकड़ी और वहाँ से जाने को हुआ की तभी उस लड़के की गहरी और सख्त आवाज़ वहाँ गूंजी -” You are fired” वह आदमी ये सुनकर स्तब्ध रह गया वह अपने पक्ष में कुछ बोल पाता तब तक वह लड़का वहाँ से जा चुका था तभी उस आदमी की नज़र निचे गयी जहाँ पर एक खाली पैकेट पड़ा था । ये देख उस आदमी ने अपने सर पर हाथ रख लिया । -” मुझसे इतनी बड़ी गलती कैसे हो गयी, जब मुझे पता है कि छोटे बाबा को जरा सी भी गंदगी नहीं पसंद अब तो कोई भी मेरी नोकरी वापस नहीं ला सकता “ कहते हुए आदमी के चहरे पर अफ़सोस था । ये थे राजपूत परिवार के सबसे छोटे बेटे सृजित राजपूत जो 24 साल के है । Height - 6f , ओरा देख कोई भी बता सकता है कि ये किसी राज परिवार से सम्बन्ध रखते है । इन्हे अभी भी राजा की तरह रहना ही पसंद है , मॉडर्न है लेकिन दुसरो के लिए सोच अभी भी वही पुरानी है । गंदगी से सख्त नफरत और किसी के छुने से बेहद चिढ़ है । वहीं आरोग्य नगरी के दूसरी तरफ जहाँ का माहोल किसी बड़े शहर की तरह ही था और ये उदयपुर के सबसे नजदीक पड़ता है । जोशी स्वीट्स नाम की काफि बड़ी और आधुनिक मिठाई की दुकान, यहाँ पर ग्राहक चाहे तो दुकान में बैठ आराम से मिठाई खा भी सकते है । मिठाई बनाने के लिए पिछे ही एक बड़ा सा हॉल बना हुआ है , इसमे शादी और पार्टिस के लिए ऑर्डर भी लिए जाते है जहाँ जरूरत पड़ने पर काम करने वालो की संख्या बढ़ा दी जाती है वरना दुकान पर बस 3-4 ही लोग और दुकान के मालिक खुद विवेक जोशी जी होते है । आज भी दुकान रोज की तरह खुली है । -” आरु बेटा तुम निकालो लेट हो जाएगा तुम्हें, हाँ चाबी वहीं पर रख देना “ विवेक जोशी अपनी बेटी से फोन पर बात करते हुए कहते है जिसके कॉलेज जाने का टाइम हो रखा है । शाम के समय स्कूटी जो अपनी सामान्य गति से चल रही है उस पर अभी दो लड़कियां बैठी है । -” यार तूने बिचारे सौरभ के साथ गलत किया , ऐसा नहीं करना चाहिए था, वैसे तो बड़े सपने देखती रहती है लेकिन आज तक तूने किसी लड़के से ढंग से बात भी नहीं की “ पिछे बैठी लड़की ने आगे बैठी लड़की से कहा । -” क्योंकि रियल लाइफ में ऐसा कुछ नहीं होता , और मुझे अपने गोल पर फोकस करना है “ आगे बैठी लड़की ने जवाब दिया । -” अच्छा तो तूने कल का एपिसोड देखा था, यार मैंने मिस कर दिया “ पिछे बैठी लड़की जिसका नाम नुपुर था बोली । -” मुझे अपनी तरह मत समझ अपने प्रिंस चार्मिंग के लिए मैं बिल्कुल लॉयल हु “ आगे बैठी लड़की ने स्कूटी को मोडते हुए कहा । -” उह्ह प्रिंस charming, रियल में तो आज तक तूने किसी लड़के से सीधे मुंह बात तक नहीं की और जिससे तू मिल भी नहीं सकती उसके लिए ऐसे पागल है “ नुपुर ने मुंह बनाते हुए कहा । -” क्योंकि रियल लाइफ में ऐसा कोई मिला नहीं जो मुझे किसी प्रिंसेस की तरह ट्रीट करे, जो मेरी बॉडी से नहीं मेरी हरकतों से प्यार करे, जो मेरे बोलने से पहले ही मेरी बात समझ ले, जो मेरे अलावा किसी को ना देखे और........ -” बस बस तू और तेरे सस्ते नशे मुझे नहीं जानने जैसा तू ढूंढ रही है ना बहन ऐसा तो इस दुनिया में मुझे नहीं लगता कोई बना है “ नुपुर ने अपना सर ना में हिलाते हुए कहा । -” पता है लेकिन लड़का नहीं तो क्या , पापा तो ऐसे है ना, इसलिए मुझे चाहिए भी नहीं कोई और मेरे लिए मेरे पापा काफि है “ आगे बैठी लड़की ने कहा । उसने हेलमेट लगाया हुआ था जिससे उसकी सिर्फ आँखे दिख रही थी जो बड़ी बड़ी काली और घनी और लम्बी पलकें किसी तितली के पंखों जैसी लग रही थी । कुछ देर में लड़की ने नुपुर को उसके घर ड्रॉप किया और फिर अपने घर के रस्ते चल पड़ी जो बस कुछ 5-4 मिनटों का ही था । वह अपने घर पहुंची तो देखा उसके पापा पहले से ही घर पर है । वह खुश होते हुए अंदर आई तो देखा उसके पापा किचन में शाम की चाय बना रहे है । वह जाके उन्हे पिछे से हग कर लेती है । -” आरु आ गयी बेटा, आज दोस्तों के साथ नहीं गयी “ उसके पापा ने पूछा । -” रोज रोज क्यों जाऊ पापा कल तो नुपुर जबरदस्ती ले गयी वरना मैं नहीं जाती यू नॉ मुझे पसंद नहीं जो लोग वहाँ थे “ लड़की ने सेब उठा खाते हुए कहा । -” हाँ जानता हु, तुझे कोई पसंद नहीं आता सिवाय तेरे उस हीरो के” विवेक जी ने हँसते हुए कहा । इस पर वह लड़की कुछ जवाब देती उससे पहले ही किसी औरत की आवाज़ आई जिसे सुन लड़की का मुंह बन गया । उसके बने हुए मुंह को देख विवेक जी ने हंस कर कहा -” मैं देखता हु “ कहते हुए वे बाहर चले गए तो लड़की ने चाय देखने लगी । कुछ देर में जब चाय बनी तो वह लड़की चाय को लेकर बाहर आई तो देखा एक औरत उसके पापा के साथ बैठी है , उसके पापा बिना इंटरेस्ट के उसकी बात सुन रहे थे लेकिन उस औरत की बात जेसे ही उस लड़की के कानो में पड़ी उसके फेस् पर गुस्सा साफ नज़र आने लगा । उसने बिना किसी परवाह के कहा -” आंटी आप फिर आ गयी “ वहीं वह औरत जो विवेक जी को समझा रही थी की जवान बेटी को अब इतनी छुट नहीं देनी चाहिए, अच्छा सा लड़का देख उसकी शादी कर देनी चाहिए , लेकिन असलियत में तो उसे अपनी बहन के बेटे की शादी विवेक जी की बेटी से करानी थी । वहीं अपनी बेटी को वहाँ देख विवेक जी ने अफ़सोस से अपना सर हिला दिया शायद उन्हे पता था अब क्या होने वाला है । वहीं वह औरत अपने फेस् पर झूठी स्माइल ले आई और बोली -” बेटा हम बड़े बात कर रहे है तुम जरा अंदर जाओ अभी छोटी हो तुम “ । -” आप जिसे छोटी कह रही है उसी की शादी की बात आप मेरे पीठ पिछे मेरे ही पापा से कर रही हैं वो भी अपने बिगड़े हुए उस भांजे से, भूल जाइये और आज के बाद अगर ऐसी बकवास करनी हो तो यहाँ आने की कोई जरूरत नहीं “ लड़की ने सीधे सीधे कहा उसे इन लोगो और इनकी बातों से बहुत प्रॉब्लम है । उसने कितनी बार इन लोगों को टोक दिया लेकिन ऐसे ढिठ लोग मानते ही नहीं । पता नहीं क्यों ये लोग उन दोनों को चैन से जीने नहीं देते । -”भाई साहब संभाल लीजिए अभी भी वक्त है वरना हाथ से निकलने में टाइम नहीं लगेगा “ कहते हुए वह औरत गुस्से से उस लड़की को देख खड़ी हो वहाँ से निकल गयी । विवेक जी को भी इन सब की आदत थी लड़की यानी की आरु ने उन्हे चाय दी और अपने रूम में फ्रेश होने चली गयी । कुछ देर में वह फ्रेश हो खुद को मिरर में देखती है , बेहद सुंदर आँखे, छोटी तीखी नाक चबी cheeks, गोरा रंग, भूरे कमर तक लम्बे बाल किसी प्रिंसेस की तरह निचे की तरफ से घूँघराले, आरोही जोशी उम्र अभी अभी 20 की हुई है बहुत से लोग उसकी खूबसूरती से attracted थे , जहाँ कई लड़के उसे प्रोपोज़ कर चुके थे वहीं आस पास के अंकल आंटी उसके पापा से उसका हाथ अपने रिस्तेदारों के बच्चों के लिए मांगते रहते है । लेकिन उसके पापा सिर्फ उनका लिहाज कर चुप चाप उनकी बात सुनते है लेकिन दुसरो के कहने से अपनी बेटी की लाइफ को बर्बाद नहीं कर सकते । उनकी बेटी का सपना है डॉक्टर बनना तो उनका सपना है उसे डॉक्टर बनते हुए देखना बाकी अपनी बेटी पर उन्हे पूरा यकीन है । कुछ दिन बाद आज त्रिवेदी सदन को बहुत ही सुंदर सजाया गया था , सजाया भी क्यों नहीं जाता उनकी इकलोती बेटी का रिश्ता इतने बड़े परिवार में हुआ है जो शहर के सबसे पहले गिने जाने वाला और शक्तिशाली परिवार है । राजपूत फैमिली जो अभी भी अपने रॉयल रुतबे को बरकरार रखे हुए है । कोई भी बड़े काम में उनके परिवार को जरूर बुलाया जाता है । So guys वैसे तो आज सीधे मुझे शादी के एपिसोड से स्टार्ट करना था लेकिन ये सब भी जरूरी था वरना स्टोरी समझने में थोड़ी प्रॉब्लम होती । तो नेक्स्ट एपिसोड में शादी और उसके बाद सब बदलने वाला है । Hope you like this story please support me.

  • 2. Destined to Marry You - Chapter 2

    Words: 1824

    Estimated Reading Time: 11 min

    कुछ दिन बाद आज त्रिवेदी सदन को बहुत ही सुंदर सजाया गया था , सजाया भी क्यों नहीं जाता उनकी इकलोती बेटी का रिश्ता इतने बड़े परिवार में हुआ है जो शहर के सबसे पहले गिने जाने वाला और शक्तिशाली परिवार है । राजपूत फैमिली जो अभी भी अपने रॉयल रुतबे को बरकरार रखे हुए है । कोई भी बड़े काम में उनके परिवार को जरूर बुलाया जाता है । त्रिवेदी सदन को भले ही बहुत अच्छे से सजाया गया हो लेकिन इसमे भी एक सादगी थी जो हर कोई नहीं देख सकता था । लेकिन शादी यहाँ नहीं बल्कि उदयपुर के बड़े और फेमस मैरिज हॉल में होने वाली थी । जहाँ बड़े बड़े लोग शिरकत करने वाले थे । मैरिज हॉल की सजावट और उसकी चमक देख किसी की भी आँखे चोंधिया सकती थी लेकिन यहाँ आये सभी लोग काफि अमीर और रईस थे । इस वक्त सभी लोग अपने अपने रूम्स में रेडी हो रहे थे । -” कितनी सुंदर दिख रही है हमारी बिटिया किसी की नज़र ना लगे बस “ वेदिका जी यानि नूर की माँ ने अपनी बेटी नूर को शादी के जोड़े में देख कहा । नूर बस अपनी गर्दन झुकाए बैठी थी आखिर वह कहती भी क्या उसे बहुत ज्यादा घबराहट हो रही थी , ऊपर से पिछले कुछ दिनों से उसके घर वालों ने नूर के होने वाले ससुराल वालों की इतनी ज्यादा तारिफ कर दी थी कि नूर को अब एक अजीब सा ही डर लगने लगा । वह तो बस एक साधारण परिवार में पली बढी है, और इतने बड़े घर जा रही है कहीं उससे कोई गलती हो गयी तो वह क्या करेगी । उसके घरवाले तो उसे बात बात पर याद दिलाते है कि वहाँ जाकर ये मत करना वो मत करना , ऐसा करना वैसा करना । बिचारी आखिर थी तो बस 21 की ही ना ऊपर से उसने तो कभी घर से बाहर जाकर दुनिया के रंग भी ना देखे थे तो कैसे मेंटली खुद को स्ट्रांग कर सकती थी । लेकिन अपनी तरफ से वह पूरी कोशिश कर रही थी कि वह स्ट्रांग बनी रहे । आखिर सवाल उसके परिवार का है । -” आप नज़र की चिंता छोडे और इन्हे अपना घर संभालने की शिक्षा दे ताकि इनका वैवाहिका जीवन सुखद हो “ वेदिका जी की बात पर नूर की दादी अनिता जी ने रूम में आते हुए कहा । उन्हे वहाँ देख वेदिका जी अपने सर पर पल्लू ले अच्छे से खड़ी हो गयी तो वहीं नूर जो ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी थी वह भी उनके आते ही खड़ी हो गयी । -” आप जा रही है नूर अपने घर तो उदास होने की जरूरत नहीं है, वहाँ जाते ही अपनी जिम्मेदारियों को अच्छे से समझ निभाना और हमारी पर्वरिश पर कोई सवाल ना उठने देना “दादी ने आते ही कहा ऐसे ही वो नूर को समझाने लगी तो नूर चुप चाप किसी अच्छे बच्चे की तरह उनकी बाते सुन रही थी । कुछ देर बाद बाहर गार्डन में दो मंडप बेहद ही सुंदर सजे हुए थे जिनमे अभी सिर्फ पंडित जी बैठे थे । जो शायद सामग्रि देख रहे थे । -” आप एक बार उन्हें फोन लगाइये हम बात करेंगे उनसे , अपने दोनों भाई की शादी में वो नहीं आ रहे है ये भी कोई बात हुई भला आप एक बा...... “ -” बस कीजिए ज्योति जी आप जानती है ना उनकी बिना अपनी मर्ज़ी के उनसे कोई भी काम करवाना असंभव है तो फिर आप बार बार ज़िद क्यों कर रही है “ अपनी पत्नी ज्योति जी को बोलते देख अभय जी ने लाचारी से कहा क्योंकि वो जिसे बुलाने का बोल रही थी वो किसी की बात नहीं मानता इसलिए ज्योति जी को दुखी होते हुए नहीं देख सकते थे । -” आप ये सब छोङ अपने दो बेटों की शादी पर ध्यान दीजिए उन्हे जब आना होगा वो आ जाएंगे “ अभय जी ने कहा और आगे बढ़ गए । ज्योति जी वहाँ से जाती उससे पहले ही वहाँ पर एक औरत आई जो दिखने में रईस थी उसने काफि महंगी साड़ी पहनी हुई थी और डाईमंड का नेकलेस जो काफि महंगा लग रहा था । -” मुझे तो लगा आपके दोनों बेटों के साथ आप विखंड बेटे की भी शादी करेंगी “ औरत ने आते ही ज्योति जी से कहा । -” अरे सूलोचना जी आप “ उस औरत को देख ज्योति जी ने स्माइल के साथ कहा । -” क्या ज्योति जी हम आपसे रिश्तेदारी करने की सोच रहे हर और आप है कि हमें अपने बेटों की शादी में देख कर ही चौक रही है “ सूलोचना ने कहा । -” ऐसी बात नहीं है, आप तो जानती है विखंड को वे अभी शादी....... -” हाँ जानती हु मैं लेकिन मुझे डर है कहीं मेरी बेटी इनतजार करती रह जाये और आप अपने बेटे के लिए कोई और दुल्हन ले आये “ सूलोचना ने ज्योति जी की बात को बीच में काट कर कहा । -” नहीं ऐसी कोई बात नहीं है अगर पिताजी ने कहा है तो आपकी बेटी ही हमारे विखंड की दुल्हन बनेगी “ ज्योति जी ने उन्हे आसवासन देते हुए कहा । -” क्या पता जेसे आपने अपने छोटे बेटे की ऐसे अचानक शादी फिक्स कर दी है तो कहीं....... “ -” जी नहीं आप चिंता मत कीजिए , और अभी तो विखंड शादी के लिए तैयार नहीं है “ ज्योति जी ने कहा इससे पहले उनके बीच और बात होती ज्योति जी को किसी ने आवाज़ लगा दी जिससे वो वहाँ से निकल गयी । वहीं दूसरी तरफ रूम में -” पिताजी ये आप क्या कह रहे है आप अभी भी शादी की सोच रहे है, और वहाँ हमारा अखंड....... -” भूलिए मत अभय की किस कुल में जन्म लिया है आपने एक राजपूत अपनी गर्दन कटवा सकता है लेकिन अपनी जुबान से निकला वचन अपनी आखिरी साँस तक निभाता है “ विक्रमादित्य जी यानि की अभय के पिता जी ने बेहद सख्त और भारी आवाज़ में कहा जिससे अभय जी जो बैचेन हो रहे थे वो शांत हो गए । -” अखंड हमारा भी पोता है उन्हे कुछ नहीं होगा, और जिन्होंने ये किया है उन्हे उनके किये की सजा भी मिलेगी लेकिन अभी जो जरूरी है वो हमारा किसी को दिया हुआ वादा, किसी के घर की बेटी की इज्जत “ अब विक्रमादित्य यानि की दादा जी ने थोड़ी नरमी से कहा । -” लेकिन पिताजी क्या विखंड....... -” उन्हे कैसे मनाना है ये हम पर है आप खुद को मजबूत कीजिए और शादी की तैयारियां देखिए हम त्रिवेदी परिवार को बता दे एक बार “ अपने पिता जी की बात सुन अभय जी बेमन से वहाँ से निकल गए क्योंकि उन्होंने आज तक उनकी बात नहीं टाली थी तो अब कैसे टाल सकते थे । कुछ देर बाद सभी मेहमान आ चुके थे और अपनी अपनी जगह बैठे हुए थे क्योंकि शादी का मुहूर्त हो चुका था । पंडित जी ने दूल्हों को बुलाया तो दो दूल्हे जिन्होंने सफेद शेरवानी पहनी थी वो और केसरिया पगड़ी, उन दोनों का ही चेहरा नहीं दिख रहा था क्योंकि दोनों ने ही सेहरा पहन रखा था । दोनों आकर वहाँ पर बैठे कुछ मंत्र पढ़ने के बाद पंडित जी ने दुल्हनों को बुलाया तो वेदिका जी और साथ में एक लड़की अपने साथ दुल्हन को लेकर आई और उसे लेफ्ट साइड बैठे दूल्हे के पास बैठा दिया । वहीं दूसरी दुल्हन को अपने साथ एक आदमी लेकर आ रहे थे । पास से देखने पर पता लगा वो विवेक जोशी थे जिनकी आँखे लाल और नम थी , उनका चेहरा बिल्कुल उतरा हुआ था । वहीं उन्होंने अपने साथ चल रही दुल्हन को देखा जिसने उनका हाथ एकदम कस कर पकड़े हुए था जेसे अगर छोङ दिया तो वो गुम हो जाएगी या उनसे हमेशा हमेशा के लिए बिछड़ जाएगी । वह बिल्कुल धीमे कदमो से चल रही थी जैसे वो ये शादी मजबूरी में कर रही है । उसके कंधे हल्के हल्के हिल रहे थे । विवेक जी ने दुल्हन को दूल्हे के बगल में बैठाना चाहा तो वह पिछे हो गयी । -” बैठ जाओ आरोही प्लीज बेटा “ विवेक जी ने कहा । तो वह बैठ गयी । कुछ देर में पंडित जी ने मंत्र पढ़े और कुछ देर बाद पंडित जी ने कन्या के माता पिता को बुलाया तो लेफ्ट साइड में अशोक जी और वेदिका जी आकर बैठे वहीं विवेक जी ने विक्रमादित्य जी यानि की दादा जी को देखा तो उन्होंने अपनी पलके हाँ में हिला दी तब वो भी राइट साइड आकर बैठ गए । पंडित जी ने दूल्हे दुल्हन को अपना हाथ आगे करने को कहा जेसे ही लेफ्ट साइड यानि की नूर का हाथ दूल्हे के हाथ में गया तो उसे कुछ अजीब सा लगा वह चिहुक उठी लेकिन अपना हाथ पिछे खिंचने की हिम्मत उसमे नहीं थी । लेकिन दूल्हे को अपने सख्त हाथ पर नर्म से हाथ का एहसास हुआ तो उसके दूसरे हाथ की मुठी कस गयी । वहीं विवेक जी ने जेसे ही दुल्हन का हाथ दूल्हे के हाथ में रखा तो दुल्हन ने झट से अपना हाथ वापस से खिंचना चाहा लेकिन तब तक दूल्हे ने उसका हाथ पकड़ लिया जिससे वो ऐसा नहीं कर पाई । कन्यादान के बाद बारी थी फेरों की और फेरे होने के बाद सिंदूर दान और मंगलसूत्र की बारी आई सब होने के बाद पंडित जी ने कुछ पल और मंत्र पढ़े और उसके बाद बोले -” शादी सम्पन्न हुई आज से आप पति पत्नी हुए अब आप अपने बड़ो का आशीर्वाद ले सकते है “ । -” पापा मैं कहीं नहीं जाऊंगी और आपने सिर्फ शादी करने को कहा था आपकी बात मान कर मैंने बिना उस इंसान को देखे शादी कर ली लेकिन अब मैं आपसे दूर नहीं जाऊंगी, नहीं जाऊंगी “ आरोही जिसकी हालत रो रो कर काफि बुरी हो चुकी थी उसने एक पल अपना रोना रोक कहा । -” प्लीज बेटा समझने की कोशिश करो, माफ कर दो अपने इस बदकिस्मत बाप को, प्लीज बेटा जाओ और अपने पति के साथ खुश रहो मुझे यकीन है तुम वहाँ खुश रहोगी तुम्हे किसी चीज की जरूरत नहीं पड़ेगी बस अपने बाप को भूल मत जाना “ विवेक जी ने भी रोते हुए आरोही को गले लगा कर कहा । अब आरोही तेज़ तेज़ रोने लगी वह अपने पापा से बिल्कुल भी दूर नहीं जाना चाहती थी कोई और होता तो वह जाती भी नहीं लेकिन उसके पापा खुद उसे खुद से दूर कर रहे है । अगर उन्होंने उसे अपनी कसम और मरने की धमकी ना दी होती तो वह कभी उनकी बात नहीं मानती । ना चाहते हुए भी आरोही को अपने पापा से दूर होना पड़ा वो भी उन्हे छोङ किसी ऐसे परिवार में जा रही है जिसे वह जानती तक नहीं । आखिर क्या मजबूरी थी विवेक जी की जो आरोही की ऐसे अचानक शादी करवानी पड़ी वो भी उसकी मर्ज़ी के बिना ??? क्या हुआ अखंड को और कौन है वह बेटा जो शादी में नहीं आया जानने के लिए पढ़ते रहिये ।

  • 3. Destined to Marry You - Chapter 3

    Words: 2204

    Estimated Reading Time: 14 min

    पिछले कुछ दिनों में जब त्रिवेदी परिवार को पता चला की नूर के लिए राजपूत परिवार से उनके बड़े बेटे का रिश्ता आया है तो सब बहुत खुश थे । हालांकि उनके सामने त्रिवेदी परिवार बहुत सामान्य था और वे इससे बहुत बड़े और अपने बराबरी वाले परिवार के साथ रिश्ता जोड़ सकते थे लेकिन विक्रमादित्य द्वारा दिये गए एक वादे के चलते वो अपने बड़े पोते की शादी नूर से ही करवा रहे है और इसी बात को लेकर त्रिवेदी परिवार बहुत प्रभावित हुआ था क्योंकि इतने पुराने वादे को याद रखना ही बहुत बड़ी बात होती है और विक्रमादित्य जी तो इतने बड़े आदमी है लेकिन फिर भी जगदीश जी त्रिवेदी ( नूर के दादा ) के ना होने पर भी उन्होंने खुद चलकर पहल की ऐसे इंसान और परिवार में कौन अपनी बेटी देने को मना करेगा । दो दिन बाद ही विक्रमादित्य जी, अभय जी, उपासना जी ( बुआ ) और अमायरा ( बुआ की बेटी ) त्रिवेदी सदन आये । वैसे तो विक्रमादित्य जी ने कह दिया था कि घर की बहु नूर ही बनेगी लेकिन फिर भी सब नूर को एक बार देखना चाहते थे तो उन्होंने भी मना नहीं किया । जब सबने नूर को देखा तो वह एक ही पल में सबको पसंद आ गयी वह सुंदर तो बहुत थी लेकिन उसका व्यवहार, धीमी मीठी मधुर सी आवाज़, बड़ो की इज्जत करना और उसका बनाया हुआ खाना सभी ने नूर को ग्रीन सिग्नल दे दिया था । रिश्ता पक्का होने के बाद दोनों परिवारों की सहमती से पंडित जी से शादी का मुहूर्त निकलवाया । वैसे तो दोनों परिवार में से किसी को कोई जल्दी नहीं थी लेकिन पंडित जी ने जब शादी का मुहूर्त डेढ़ साल बाद बताया तो सब हैरान रह गए । आखिर उन्हे भी नूर जल्दी घर चाहिए थी । इसलिए सभी के कहने पर विक्रमादित्य जी ने पंडित जी को कोई पास का मुहूर्त निकालने को कहा । जिसके बाद लगभग 15-20 दिनों के बाद का मुहूर्त था । ये सभी को काफि जल्दी लगा था इसलिए उनसे एक दो महीने बाद का मुहूर्त निकालने को कहा जो नहीं था इसलिए सोच विचार करने के बाद सभी पंडित जी के निकाले गए मुहूर्त पर ही शादी कराने का फेसला लिया गया । शादी फिक्स होने के दो दिन बाद -” लेकिन पिताजी हमें तो अब उनके बारे में कुछ पता नहीं और इतने सालों बाद अगर पता लगाना भी चाहे तो कैसे....... “ -” आप को क्या लगा क्या हम उन्हे ऐसे जाने देंगे, उनके जाने के बाद ही हमने उनका पता लगवा लिया था, और तब से उन पर हमारी नज़र है और अब वक्त आ गया है, उन्हे उनकी सही जगह पर लाने का वो छोटी कुँवर रानी सा है यहाँ की “ विक्रमादित्य जी यानि की दादा जी ने अपने बेटे अभय जी की बात को बीच में काट कर कहा । वहीं अपने पिता जी की बात सुन कर अभय जी हैरान हो गए आखिर वो अपने पिता जी को कम कैसे समझ सकते है , जबकि वो अपने जुबान के कितने पक्के है ये उन्होंने अपने पूरे जीवन में बार बार सिद्ध किया है । जोशी sweets, -” विवेक हम आपकी भावना को समझ सकते है, लेकिन आप को ये करना होगा आप भी जानते है ये उनकी सही जगह नहीं है उन्हे उनकी सही जगह ले जाने ही आये है हम आप बस उन्हे तैयार कीजिए, याद रखियेगा हमें एक बात दोबारा कहने की आदत नहीं है ये आप भी जानते है “ विक्रमादित्य जी ने विवेक जी से कहा और सख्त नज़रो से उनकी शॉप को देख वहाँ से निकल गए । उनके जाने के बाद विवेक जी जो अब तक किसी पुतले की तरह खड़े थे अचानक से बैठ गए । उनकी आँखों से झर झर आंसू बहने लगे । -” बहुत, बहुत कोशिश की तुम्हें इन सब से बचाने की लेकिन नहीं कर सका, नहीं बचा सका मेरे बच्चे तुम्हे जानता हु बुरे नहीं है ये लोग लेकिन इनके दुश्मन और इनकी ताकत तुम्हारे लिए नहीं है बेटा बहुत मुस्किल से उस खतरे से बचाया था लेकिन आज इतनी कोशिशों के बाद भी, तुम्हें खुद से दूर करना पड़ रहा है “ विवेक जी बैठे हुए काफि देर तक रोते रहे और फिर खुद को संभाल घर के लिए निकल गए । उन्होंने दो दिन तक तो आरोही से बात भी नहीं की थी लेकिन जब शादी का दिन एकदम से पास आ गया तो उन्हे बताना ही पड़ा । काफि देर तक तो आरोही को विशवास ही नहीं हुआ उसे लगा उसके पापा मज़ाक कर रहे है लेकिन जब विवेक जी ने काफि सीरियस होकर कहा तो आरोही ना चाहते हुए भी रो पड़ी । कुछ देर तक रोने के बाद भी विवेक जी ने आरोही को चुप नहीं करवाया आरोही को तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि ये उसके वही पापा है जो उसकी हल्की सी चीख पर भी घर को सर पर उठा देते थे आज उसके इतना रोने पर भीे इन्हे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है । अब आरोही को गुस्सा आने लगा उससे बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने शादी के लिए साफ मना कर दिया । लेकिन फिर विवेक जी ने उसे अपनी कसम और मर जाने की धमकी दी जिसके बाद आरोही को मजबूर होकर मानना ही पड़ा । लेकिन उस दिन के बाद आरोही ने ढंग से विवेक जी से ना बात की ना कॉलेज गयी और ना ही खाना खाया । थक हार कर विवेक जी ने उसकी बेस्ट फ्रेन्ड नुपूर और उसकी मोम को बुलाया और उन्हे अपनी तरफ से कुछ बताया की इतने बड़े घर का रिश्ता आया तो वे मना नहीं कर सकते । हालांकि नुपूर को तो ये गलत लग रहा था अपनी दोस्त को वह ऐसे नहीं देख सकती थी लेकिन नुपूर के मम्मी पापा को विवेक जी की बात अच्छे से समझ आ रही थी । वर्तमान समय आरोही विवेक जी को हग किये रो रही थी तभी नुपूर अंदर आई । अपनी फ्रेन्ड को ऐसे देख उसे बहुत बुरा लग रहा था लेकिन फिर खुद को संभाल उसने कहा -” अंकल वो बाहर सब वेट कर रहे है विदाई का टाइम हो गया है “ उसकी आवाज़ सुन विवेक जी आरोही से थोड़े दूर हुए तो आरोही का रोना और भी बढ़ गया वह उन्हे छोङ ही नहीं रही थी । -” आरु चल अभी देख इतनी रोएगी तो तबियत खराब हो जाएगी हाँ, और एक बार अंकल पर भरोसा कर के देख क्या उन्होंने आज तक गलत किया है जो आज करेंगे तेरे साथ “ नुपूर ने जल्दी से आगे आ आरोही को हग करते हुए कहा । विवेक जी ने उन्हे देखा और आँखों में आई नमी को छुपाते हुए वहाँ से निकल गए । -” देख ढंग से चुनरी भी संभाल नहीं सकती थोड़ा पकड़ कर रख क्या मेरी सब कुछ कर सकने वाली दोस्त इतना भी नहीं कर सकती “ कहते हुए नुपूर आरोही से थोड़ी दूर हुई और उसके अस्त व्यस्त कपडे़ सही करने लगी । आरोही ने तो आज से पहले कभी फेस्टिवल पर भी भारी कपडे नहीं पहने थे , फिर इतना ज्यादा बड़ा और भारी लहंगा कैसे सम्भालती बिचारी । और वैसे भी उसकी खुद की हालत अभी खराब थी तो वो ये सब नहीं सोच रही थी । वहीं विवेक जी जब बाहर आये तो देखा विक्रमादित्य जी खड़े है उन्हे देख विवेक जी ने अपनी नज़रे नीची कर ली । और कार की तरफ देखा जिसके अंदर आरोही का दुल्हा बैठा था वो उससे बात कर उसे आरोही का ध्यान रखने का बोलना चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं कर पाए । क्योंकि राजपूत परिवार के बेटे बहुत अलग किस्म के थे उनसे कोई भी ऐसे बात नहीं कर सकता था क्योंकि किसी को भी ये पसंद नहीं था । वहीं उनसे थोड़ी दूर -” बेटा ध्यान रखना आज से आप पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी होने जा रही है आप ध्यान रखना और अपने पूरे मन से अपना हर धर्म निभाना “ दादी ने नूर के सर पर हाथ फिरा कर कहा । नूर जिसकी आँखे आंसूओं से डबडबाई हुई थी अपनी गर्दन हाँ में हिला देती है । कुछ देर बाद सभी कार एक एक कर वहाँ से निकल चुकी थी । जहाँ नूर अपना सर झुकाए रोए जा रही थी लेकिन वह इस बात का पुरा ध्यान रख रही थी कि अपने पास बैठे पति को उसकी वजह से कोई परेशानी ना हो । वहीं उसके बगल में बैठे सख्स ने इस वक्त सेहरा उतार दिया था जिससे उसके फेस् के स्पेशल फिचर अच्छे से शो हो रहे थे । हल्के ब्राउन लिप्स, तीखी नाक, परफेक्ट ज्वा लाइन, माथे पर बिखरे बाल लेकिन उसकी आँखे इस वक्त बंद थी लेकिन फिर भी वह इस वक्त बिल्कुल कामदेव लग रहा था जो किसी भी लड़की को अपने लुक से एक सेकंड से कम वक्त में घायल कर दे । लेकिन इस वक्त उसका फेस् बिल्कुल एक्सप्रेशन लेस था । वहीं दूसरी तरफ कार में आरोही को विवेक जी और नुपूर ने कार में बैठा तो दिया था लेकिन वो अभी भी बार बार पिछे मुड़ कर देख रही थी । जिससे उसके पास बैठे इंसान को चिढ़ हो रही थी । लेकिन वह जैसे तैसे खुद को शांत कर बैठा था । कुछ एक घंटे के बाद वे सभी राजपूत हवेली पहुंचे वैसे तो पुरानी हवेली पिछे की तरफ थी जिसे छोङ अब सब नयी हवेली में रहते है जो आधुनिकता को ध्यान में रख कर बनाई गयी थी । ये कई एकड तक फैली जगह में बनी हुई थी जिसमे एक बड़े परिवार के रहने की हर सुख सुविधा मौजुद थी । सफेद संगमरमर से बनी ये हवेली किसी स्वर्ग से कम नहीं थी । यहाँ पर काम करने वाले लोग भी अपना जीवन धन्य मानते है क्योंकि यहाँ पर कदम रखना भी बहुत बड़ा सौभाग्य था । ( यहाँ राजपूत परिवार रहता है जिनमे दादा - विक्रम राजपूत दादी - चंदा - डेड Dad - अभय राजपूत Mom - ज्योति उपासना राजपूत - बुआ अमायरा - 20 ( बुआ की बेटी ) तनय - 22 ( बुआ का बेटा ) और राजपूत खानदान के दो बेटे तीसरे के बारे में थोड़ा आगे जानेंगे । अब तक दो कार जिनमे दुल्हा दुल्हन थे को छोङ कर सब उतर चुके थे, गृह प्रवेश की तैयारी करने के लिए । थोड़ी देर में गृह प्रवेश हुआ तो दादा जी ने दोनों दुल्हनों को आराम करने के लिए कमरे में जाने को कहा उसके बाद राजपूत परिवार को इकट्ठा कर बेहद गंभीर आवाज़ में बोले । -” हम जानते है हम जो बताने जा रहे है वो सुनकर आप सब शायद बर्दाश्त न कर पाये लेकिन हम ये भी जानते है राजपूत परिवार इतना भी कमजोर नहीं , नूर जिन्हें हमने हमारे खानदान की बड़ी बहु के रूप में चुना था वो संभव ना हो सका “ विक्रमादित्य जी ने सबको देख कहा । -” पिता जी ये आप क्या कह रहे है उनकी शादी तो अखंड से...... -” नहीं उनकी शादी अखंड से नहीं हुई “ उपासना जी ( बुआ ) कुछ बोलती उससे पहले ही विक्रमादित्य जी ने कहा । उनकी बात सुन अभय जी के अलावा सब हैरान थे क्योंकि उनमें से किसी को कुछ नहीं पता था । -” क्या लेकिन अगर उनकी शादी अखंड से नहीं हुई तो किससे हुई, और अखंड वो कहाँ है , और पूरी बात क्या है...... -” पूरी बात ये है कि अखंड इस शादी में नहीं आये उनको किसी बड़ी बिजनेस डील के लिए यहाँ से युरोप के लिए निकलना पड़ा और आप सब जानते है वो काम को लेकर कितने पागल है कहा कि शादी बाद में करेंगे “ दादा जी ने कहा तो अभय जी ने हैरानगी से उन्हे देखा क्योंकि ऐसा बिल्कुल नहीं था । अखंड इस वक्त हॉस्पिटल में है । -” क्या और आपने उन्हे जाने दिया पिता जी , और अगर नूर की शादी अखंड से नहीं तो फिर....... -” विखंड से हुई है उनकी शादी “ ज्योति जी कुछ बोलती कुछ बोलती उससे पहले ही दादा जी ने कहा तो सब के मुंह हैरानी से खुले रह गए । क्योंकि जो बात दादा जी ने कही है उस पर यकीन करना नामुमकिन था । विखंड जो कभी घर भी नहीं आता उसने दादा जी की बात मान उसने किसी लड़की से शादी कर ली । -” हम जानते है आप सब क्या सोच रहे है लेकिन अभी इस बारे में कोई बात नहीं होगी आप सब अपना अपना काम करिये किसी को कुछ भी कहने की जरूरत नहीं “ दादा जी ने कहा और आगे बढ़ गए उनके पिछे अभय जी भी चले गए । वहीं वहाँ बचे हुए सब हैरान थे उन्हे तो यकीन ही नहीं हो रहा था । -” भाभी सा हमें पिता जी के कहे अनुसार करना चाहिए अगर हमने कुछ कहा या किया तो कही विखंड नाराज ना हो जाये “ बुआ जी ने ज्योति जी से कहा । -” लेकिन माँ भाई सा से शादी हुई है इसका मतलब, नूर भाभी सा को भाई सा के कमरे में....... अमायरा ने कहा तो सबके चहरे पर एक नई ही परेशान झलक आई । अब क्या होगा सूलोचना की बेटी का जिसे बनना था विखंड की दुल्हन ??? और विखंड कैसे मान गया दादा जी की बात ??? 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  • 4. Destined to Marry You - Chapter 4

    Words: 2182

    Estimated Reading Time: 14 min

    City Hospital -” जी सर , उन्हें सर पर गहरी चोट आई है , जिससे वो कोमा में गए है अभी कुछ कह नहीं सकते लेकिन एक बात मैं आपको बताना चाहूंगा कि इस कंडिशन में किसी का बचना इम्पोसीबल था लेकिन ये....... -” वो हमारा पोता है डॉक्टर उसके अंदर राजपूतों का खून है जिसने कभी हारना नहीं सिखा “ डॉक्टर की बात पूरी होने से पहले ही विक्रमादित्य जी ने कहा । -” लेकिन अब वो कब तक ठीक होगा “ उनकी बात पूरी होने के बाद अभय जी ने डॉक्टर से पूछा । -” जी हम कुछ कह नहीं सकते, इस कंडिशन में पैसेँट को आज कल में भी और सालों भी लग सकते है लेकिन जिस हिसाब से इनकी कंडिशन है हमें डर है कि कहीं इनकी मेमोरी में कोई..... -” आप बस अपनी तरफ से पूरी कोशिश कीजिए बाकी हमें अपने खून पर पुरा भरोसा “ एक बार फिर विक्रमादित्य जी बोले । डॉक्टर से बात होने के बाद दोनों उस वार्ड की तरफ गए जहाँ इस वक्त कोई नहीं था शायद ये पुरा एरिया इन्होंने सबके लिए बेन किया हुआ था । दोनों ने दरवाजे पर लगे सीसे से अंदर देखा जहाँ पर एक इंसान मशीनों से पूरी तरह घिरा हुआ था । ये देख दोनों बाप बेटे के चहरे के भावों में कुछ पल तो बदलाव हुआ लेकिन दोनों ने वापस से उन्हे नॉर्मल किया वो वहाँ से जाने लगे की इतने में नेवी ब्लू कलर की यूनिफॉर्म जिस पर उड़ते हुए बाज का लोगों बना था आकर उस पूरे एरिया को घेर लेते है । उन्हे देख अभय जी विक्रमादित्य जी को देखते है । -” कोई फायदा नहीं वो अब हमारी कोई बात नहीं मानने वाले “ अभय जी जो उन लोगो को देख विक्रमादित्य जी से उन्हे हटाने का बोलने ही वाले थे कि इतने में विक्रमादित्य जी ने खुद ही कह दिया । -” बात नहीं मानने वाले मतलब...... -” हाँ हमनें उनसे उनका दिया हुआ वचन मांग लिया “ अभय जी कुछ बोलते उससे पहले ही विक्रमादित्य जी बोले । वहीं उनकी बात सुन अभय जी हैरान रह गए । -” ये आपने क्या किया पिताजी आप जानते थे ना एक यही वादा था जिससे वो हम से जुड़े हुए थे और आपने...... -” जानते है हम, लेकिन हमारे पास कोई और रास्ता नहीं था अगर हम ये नहीं करते तो आज एक राजपूत द्वारा दिया गया वादा ही नहीं टूटता बल्कि हमारे राजपूत होने का घमंड भी टूट जाता और ये हम हमारे जीते जी कभी नहीं होने दे सकते “ एक बार फिर से अभय जी की बात को बीच में काट कर विक्रमादित्य जी ने कहा और आगे बढ़ गए । -” ये आपने क्या किया पिताजी वो सिर्फ एक वादे के कारण हमसे बंधे हुए थे “ अभय जी ने खुद से कहा और उनके पिछे चल दिये । -” ये यहाँ क्या कर रहे है क्या आज इनकी सुहागरात नहीं है “ एक लड़के ने कहा जिसकी उम्र यही कोई 26- 27 के आस पास लग रही थी । -” तुम्हे ये क्यों जानना है “ दूसरे लड़के ने पूछा जो उसी की उम्र का लग रहा था । -” वो हमारे बोस है और आज उनकी शादी हुई है उनके बारे में जानना....... लेकिन कहते कहते वह चुप हो गया क्योंकि वे लोग अभी गार्डन में बैठे थे और जेसे ही उस लड़के की नज़रे अपने सामने आते हुए लड़के पर पड़ी वह चुप हो गया लेकिन वह लड़का सीधे अंदर की तरफ चला गया । वह लड़का दिखने में 24-25 का लग रहा था साथ में काफि हैंडसम भी लेकिन उसका फेस् अभी काफि सीरियस था । -” क्या चीज है बे ये, इसे देख कभी कभी मुझे ऐसी फीलिंग आती है जेसे हमारा बोस यही है “ उस लड़के के जाने के बाद वहाँ बेठे दोनों लड़को में से किसी एक ने कहा । -” हाँ लगता तो मुझे भी यही है वैसे भी बोस की ही कॉपी है, बस बोस कुछ बोलते नहीं और ये भी अकडु बनने के चक्कर में हमसे भी नहीं बोलता बिल्कुल रोबोट है “ दूसरे लड़के ने कहा । और फिर दोनों अपनी अपनी बाते करने लगे जो पहले कर रहे थे । वहीं वह लड़का जो आया था वह सीधा अंदर आया और सेकंड फ्लोर पर आकर स्टडी रूम में आ गया । -” बोस हमारे गार्ड हॉस्पिटल में पहुँच गए है , सब हमारे कंट्रोल में है “ लड़के ने आकर सीधे सामने देखते हुए कहा जहाँ चेयर पर एक इंसान बैठा था लेकिन उसने चेयर को दूसरी तरफ घुमा रखा था जिससे उसके सिर्फ ऊपर का सर और शाइनिंग बाल दिख रहे थे । लड़के की बात पर उसने कुछ जवाब नहीं दिया । जिसे देख लड़के ने एक पल को इधर उधर देखा और फिर कहा -” बोस वो.. ग्रैंड बोस ने आपको हवेली बुलाया है , वो आपकी वाइफ....... लेकिन इससे पहले की वो अपनी बात पूरी कर पाता उससे पहले ही -” Time for meeting, let's go “ चेयर पर बैठा इंसान खड़ा हुआ और रूम से बाहर निकल गया । उसे जाते देख लड़का भी बिना किसी रिएक्शन के उसके पिछे चल दिया । वहीं दूसरी तरफ राजपूत हवेली में जहाँ सारा परिवार अभी हैरान परेशान था क्योंकि उन्हे आज कई झटके लग चुके थे इसलिए दोनों दुल्हनों को रूम में आराम के लिए भेज दिया गया था और सर्वेंट को उनकी जरूरत का ध्यान रखने का बोला गया था । नूर जो खुद परेशान और नर्वस थी लेकिन इस वक्त वह अपनी सारी चिंता भूल सामने हैरानगी भरी नज़रों से आरोही को देख रही थी । जो अपना फोन देखते हुए रोए जा रही थी वह ऐसे रो रही थी मानो किसी छोटी बच्ची को फर्स्ट डे ऑफ स्कूल में उसके पेरेंट्स अकेला छोङ गए है और वो उन्हे और अपने घर को मिस कर रही है । आरोही को ऐसे लगातार रोते देख नूर का मन उसे चुप करवाने का हो रहा था लेकिन उसे डर भी लग रहा था कि कहीं आरोही को उसकी बात अच्छी ना लगी तो । लेकिन जब कुछ देर बाद भी वह चुप नहीं हुई तो नूर से रहा नहीं गया । एक तो वह इतनी नर्म दिल की थी ऊपर से किसी को अपने सामने ऐसे दुखी देख उससे बर्दाश्त नहीं होता इसलिए वह सोफे से खड़ी हुई और बेड पर बैठी आरोही के पास आई तो उसने देखा आरोही फोन में एक आदमी की फोटो देख रही थी नूर को समझ आ गया था कि ये शायद उसके पापा है । -” आप प्लीज चुप हो जाइये अगर ऐसे रोएँगी तो आपकी तबियत खराब हो जाएगी “ आरोही जो रो रही थी नूर की मीठी सी आवाज़ सुन अपना रोना रोक उसे अपनी बड़ी बड़ी आँखों से देखने लगती है । -” क्या आपको भी आपके डेड ने शादी के लिए फोर्स किया “ आरोही ने नूर को देख मासुमियत से पूछा । वह अभी भी खुद को रोने से रोक रही थी । -” नहीं, हमें किसी ने मजबूर नहीं किया और शादी तो सबकी होती है, तो इसमे रोना क्या “ नूर ने कहा । -” नहीं मुझे नहीं करनी थी शादी, और अब भी मैं नहीं मानती इस शादी को “ आरोही ने दुखी होते हुए कहा । -” ऐसा मत कहिये शादी तो पवित्र होती है ऐसे बोलने से भगवान बुरा मान सकते है “ नूर ने कहा तो आरोही उसे हैरान होकर देखने लगी । -” आप किस जमाने में जी रही है, शादी से बढ़कर मेरे लिए मेरा सपना है और उसे मैं किसी भी हालत में नहीं छोड़ने वाली “ आरोही ने अब थोड़ी सख्ती से कहा । नूर एकदम चुप हो गयी उसके पास आरोही की बात का कोई जवाब नहीं था, क्योंकि उसका तो कोई सपना ही नहीं था आखिर वह आरोही को क्या कहती कि उसे अपने सपने को छोङ शादी को निभाए । -” उह्ह क्या हुआ आपके पास जवाब नहीं है ना इसका, लेकिन मेरे पास है और वो ये कि मैं अपने सपने को नहीं छोङने वाली “ आरोही ने नूर को चुप देख कहा । इस बार भी नूर ने कुछ नहीं कहा । उसे इस तरह चुप देख आरोही भी चुप हो गयी तभी वहाँ एक मेड आई जिसके हाथ में खाने की प्लेट थी । -” मैम बड़ी मैम ने कहा है कि आप कुछ खा लीजिए अभी डिनर में टाइम है “ कहते हुए उसने प्लेट टैबल पर रखी और वहाँ से चली गयी । वहीं उसके जाने के बाद नूर एक बार फिर से अपनी जगह बैठ गयी उसका मन नहीं था खाने का और आरोही वो तो खाने को ही गुस्से से देख रही थी । उसकी एक बड़ी कमजोरी थी कि उसे गुस्सा जल्दी और बहुत आता है और गुस्से में वह खुद को भी चोट पहुंचा देती है । वह खाने से अपनी नज़रे हटा देती है और बेड पर लेट गयी आज के इस झंझट की वजह से उसका सर दर्द करने लगा था । वह अपना सर पकड़ कर लेटी थी उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे उसे अपनी पुरानी लाइफ में वापस जाना था । -” आपने हमें बताया क्यों नहीं इस बारे में “ विक्रमादित्य जी के सामने सृजित ने अपने सख्त एक्सप्रेशन के साथ पूछा । -” और आपको क्या लगता है ये जानने के बाद आप कुछ कर पाते” विक्रमादित्य जी ने सृजित से कहा । -” बात को घुमाईये मत दादा सा , हम भाई है उनके और आपने हमसे ये सच छुपा कर गलती की है “ सृजित ने सख्ती से कहा । विक्रमादित्य जी को कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि उनके तीनों पोतों में से एक ही है जो उनसे ऐसे बात करते है बाकी अखंड उनकी बात को नहीं टालता, और रही बात विखंड की तो वो तो किसी से बात ही नहीं करता । वैसे तो सृजित भी अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकने को तैयार रहता है लेकिन जब उसे लगता है कि ये गलत है तो है , और सृजित की नज़रों में गलत सहन करना गलत करने से भी ज्यादा गलत है । इसलिए वह खुद हर काम अपनी मर्यादा में रहकर करता है बचपन से उसका स्वभाव एक राजकुमार वाला रहा है । उसके अनुसार हर किसी को अपने कर्त्तव्य का पालन करना चाहिए । और आज उसके दादा जी ने उससे उसके भाई के बारे में ना बताकर गलत किया है । -” तो क्या करते आपको सच बताकर ये शादी रुकवा देते “ दादा जी ने कहा । -” हमें फर्क नहीं पड़ता, शादी बाद में भी हो सकती थी लेकिन आपने तो भाई की होने वाली पत्नी को किसी और की पत्नी बना कर छोङ दिया है इससे ज्यादा गलत कुछ हो सकता है “ सृजित ने वैसे ही सख्ती से कहा । -” किसी और से नहीं भाई है वो आपके और हमने उन्हे वचन दिया था और आप भी जानते है एक राजपूत अपना वचन कभी नहीं तोड़ता “ दादा जी ने भी इस बार सख्ती से कहा । -” भाई मत कहिये उन्हे हमारा आज तक उन्होंने भाई होने का कोई कर्त्तव्य नहीं निभाया, और रही बात वादे की तो वो भाई के ठीक होने के बाद भी पुरा किया जा सकता था वो होने वाली पत्नी थी उनकी वेट कर लेती उनके ठीक होने का , लेकिन आपको तो अपने पोते की शादी करनी थी “ सृजित ने गुस्से से कहा । -” सृजित आप भूल रहे है की आपके सामने कौन खड़ा है, हम बड़े है तो हमारे फेसले पर सवाल उठाने का हक़ नहीं है आपको, आप बस याद रखे की शादी हो चुकी है आपकी इसलिए एक पति की तरह अपना धर्म निभाये बाकी चिंता आप मत करो “ दादा जी ने भी कड़क आवाज़ में कहा । -” हमने तो आपकी बात मान बिना देखे ही शादी के लिए हाँ कर दिया अब देखना ये है कि आपकी पसंद कैसे अपना पत्नी धर्म और राजपूत खानदान की बहु होने फ़र्ज़ निभाती है “ कहते हुए सृजित गुस्से से बाहर चला गया । उसके जाने के बाद दादा जी ने अपनी गर्दन ना में हिला दी । -” आपकी पत्नी आपकी उम्मीदों के विपरीत है सृजित , वो नई सोच की लड़की है और आप अपने उसूलों को मानने वाले “ दादा जी ने खुद से कहा । सृजित गुस्से से सेकंड फ्लोर के दूसरी तरफ आया जहाँ उसका एरिया था ये फ्लोर काफि बड़ा था जहाँ एक तरफ अखंड तो दूसरी तरफ सृजित का एरिया था । वह जेसे ही अपने कमरे के बाहर आया तो दरवाजे के बिल्कुल पास दो तीन बैग्स रखे थे जो शायद आरोही का सामान था । सामान को अपने रूम के सामने देख सृजित के फेस् एक्सप्रेशन कुछ अजीब हुए वह ध्यान से दरवाजा खोलता है और ये ध्यान रखते हुए की गलती से भी कोई सामान उसे टच ना करे रूम में आ गया । उसे ऐसे किसी की भी या दूसरी चीज़े छूने में एक घिन्न सी महसूस होती है । क्या होगा जब सृजित और आरोही को पता चलेगा एक दूसरे की सोच के बारे में ??? क्या होगा अगर अखंड होश में आये और उसे सच पता चले ???

  • 5. Destined to Marry You - Chapter 5

    Words: 1923

    Estimated Reading Time: 12 min

    -” जो भी रस्म है आपकी वो करें और नूर बहु को अभी इसके बारे में बताने की जरूरत नहीं है “ विक्रमादित्य जी घर आये, उन्होंने सबको अभी भी हॉल में बैठे देखा तो कहा । -” लेकिन पिताजी विखं..... -” उनकी चिंता आप मत कीजिए, आप बस बाकी के काम पूरे करिये “ बुआ जी की बात पर दादा जी ने कहा और आगे निकल गए । -” पता नहीं क्या हो रहा है जीजी हमें तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा “ ज्योति जी ने दुखी स्वर में कहा । उनको दुखी देख कर बुआ जी उनके पास आई और बोली -” भाभी सा आप इतना परेशान मत होये , अगर पिताजी ने कहा है तो कुछ सोच समझ कर ही कहा होगा अभी हमें अपनी नयी बहुओ से मिलना चाहिए, और उनका भी तो पहला दिन है कहीं उन्हे ऐसा ना लगे कि हम सब के लिए वे दोनों मायने नहीं रखती “ बुआ जी की बात सुनकर ज्योति जी को भी एहसास हुआ कि वे सब अपनी टेंशन में ये भूल ही गए कि घर में दो नयी सदस्य आ चुकी है और उनका पहला ही दिन अच्छा नहीं गया तो क्या सोचेंगी वो दोनों । वहीं कमरे में आरोही जो बेड पर लेटी थी वो सो चुकी थी वहीं नूर उसे देखते हुए अपने घर को याद कर रही थी । उसे बहुत ज्यादा अजीब लग रहा था । तभी डोर नॉक हुआ , नूर झट से खड़ी हुई उसे समझ नहीं आया कि आरोही को उठाए या ऐसे ही डोर खोल दे । लेकिन तभी उसे कुछ देर पहले आरोही का रुड तरीके से बात करना याद आ गया जिससे उसे लगा अगर उसने उसे जगाया तो कहीं आरोही बुरा ना मान जाये इसलिए उसने दरवाजा खोल दिया । -” भाभी वो... अरे छोटी भाभी तो सो गयी “ अमायरा जो दरवाजे पर थी नूर को बोलने से पहले ही उसकी नज़र सोती हुई आरोही पर पड़ी । नूर उसे देख दरवाजे से साइड हट गयी, वैसे भी उसे उसके घरवालो ने कम बोलने को कहा था । -” शायद थक गयी होंगी इसलिए सो गयी आप एक काम करिये अभी मेड कुछ कपड़े लेकर आ रही है तो आप उन्हे पहन लीजिए हालांकि वो भी भारी ही है लेकिन बाथ लेकर चेन्ज कर लेंगी तो कुछ relax फील होगा “ अमायरा ने कहा और फिर बाहर चली गयी । कुछ देर बाद आरोही भी उठ कर रेडी हो चुकी थी , इस वक्त दोनों ने ही भारी भरकम राजस्थानी पोशाक पहन रखी थी और राजस्थानी गहने जो सर से लेकर पाँव तक थे । दोनों ने सिर्फ पोशाक पहनी थी बाकी उन्हे रेडी करने के लिए दो औरते आई थी । अब दोनों को निचे ले आया गया था जहाँ सिर्फ घर और दो तीन बुजुर्ग औरते थी । नूर जहाँ नर्वस थी वहीं आरोही दुखी और साथ में बहुत गुस्से में थी । उसे इतने भारी कपडे़ कभी पसंद नहीं थे , अगर उसके पापा ने उससे सही रहने को ना कहा होता तो ये सब इन सबके ही मुंह पर मारती । वह एक मेडिकल स्टूडेंट है ना कि कोई गुड़िया जिसे ये सब पहना दिया गया है । वहीं दूसरी तरफ ONYX ENTERPRISES बड़े बड़े शब्दों में लिखी एक चमचमाती बिल्डिंग जो लगभग 28-30 माले की होगी । -” हमारी तीनों नयी मील कल ही स्टार्ट हो गयी और आज उसकी रिपोर्ट्स भी आ चुकी है बोस “ उसी लड़के ने कहा जो पहले आया था ने फाईल को टेबल पर रख अपने हाथ पिछे बांध कर कहा । कुछ देर बाद हेड चेयर पर बेठे इंसान ने फाईल पढ़ने , वह दिखने में बहुत हैंडसम था , ब्राउन क्रिस्टल तीखी आँखे, पतले ब्राउन लिप्स , तीखी नाक, attractive ज्वा लाइन के साथ लम्बी गर्दन और उसमे उभरता एडम्स एप्पल जो किसी भी लड़की को अपना दीवाना बना दे । उसके हाथो पर उभरती नशे साथ में लम्बी उंगलियाँ । -” निखिल को रायपुर भेज कर पता लगाओ वहाँ की ब्रांच में बजेट इतना हाई क्यों जा रहा है “ इंसान ने कहा । -” जी बोस “ लड़के ने कहा और उसे देखने लगा । -” What else “??? लड़के को ऐसे देख सामने बेठे इंसान ने कहा । -” बोस ग्रैंड बोस ने आपको हवेली बुलाया तो मुझे क्या जवाब देना चाहिए “ लड़के ने कहा । -” Nothing, now go “ इंसान ने बिना भाव के कहा और वापस से अपनी नज़रे लैपटॉप पर गड़ा दी । लड़का उसके कहने पर बाहर चला गया । इंसान जो अभी बिना किसी भाव के अपना काम कर रहा है ये है राजपूत खानदान का दूसरा बेटा विखंड राजपूत जिसने अपने दम पर ONYX ENTERPRISES जैसी बड़ी और सक्सेस फुल कम्पनी को खड़ा किया है । अपनी 26 साल की उम्र में विखंड ने बिजनेस में बहुत सी उपलब्धियां हासिल की है जिसे बिजनेस की दुनिया में VR के नाम से जाना जाता है । वहीं वह लड़का जो 23-24 साल का था वह है दक्ष गुप्ता जो VR का असिस्टेंट होने के साथ उसके पर्सनल से रिलेटेड काम भी करता है । दक्ष के बाहर जाते ही विखंड काम करते हुए शांत दिख रहा था लेकिन उसने एक बार अपनी तिरछी नजरो से फोन को देखा जो वाइब्रेंट होकर बंद हो चुका था । वहीं दूसरी तरफ -” आरोही बेटा हम जानते है आप अपने पिताजी को मिस कर रही है लेकिन आज से ये भी आपका घर है तो आराम से रहे आपका मन ना लगे तो, अपनी नटखट ननंद से बात कर सकती है क्योंकि ये आपकी ही उम्र की है और नूर बेटा आप भी ये सोच कर उदास मत होना की अपना घर छोङ कर आई है, बल्कि आपको आज से इसी घर को अपना मान इसमे खुशी से रहना है, सही मायने में आज आप दोनों को अपना खुद का घर मिला है तो यही सोच आप दोनों नयी शुरुआत कीजिए “ बुआ जी ने दोनों के सर पर हाथ फिरा कर कहा । -” ये लो बेटा डिनर कर लो आप दोनों “ ज्योति जी ने दोनों के आगे खाना रखते हुए कहा । लेकिन नूर और आरोही दोनों ही खड़ी थी इसलिए ज्योति जी ने उन दोनों को बैठा दिया । सबके कहने पर नूर ने और कोई तमाशा ना बने इसलिए आरोही ने थोड़ा बहुत डिनर कर लिया । कुछ देर बाद अमायरा आरोही को लेकर सेकंड फ्लोर पर आई और उसे सृजित के रूम के बाहर आकर कहा -” भाभी अब आप अंदर जाइये वैसे तो भाई सा है लेकिन फिर भी अगर किसी चीज की जरूरत हो तो लैंप के पास बटन है आप उसे प्रेस कर देना कोई न कोई आ जाएगा “ अमायरा ने कहा और वहाँ से जल्दी में निकल गयी । आरोही ने उसे तब तक देखा जब तक वह गायब नहीं हो गयी । -” बहुत अजीब लोग है यहाँ पता नहीं कब तक झेलना पड़ेगा इन्हे” आरोही ने कहा और एक लम्बी साँस छोङते हुए खुद से कहा -” फ़िलहाल तो अपने सो कॉल्ड जबरदस्ती बने हसबैंड को देखना पड़ेगा “ कहते हुए आरोही ने डोर ओपन किया और अंदर आ गयी । वह धीरे धीरे अंदर की तरफ बढ़ रही थी जैसे देख रही हो कोई रूम में है या नहीं लेकिन अभी पुरा रूम खाली था । किसी को ना देख उसने राहत की साँस ली और फिर अपने सर पर चुनरी को हटा दिया क्योंकि उसे इन भारी कपड़ो में suffocation फील हो रहा था । तभी उसकी नज़र कोने में पड़े अपने बैग्स पर गयी उसके दिमाग में तुरंत कपड़े बदलने का ख्याल आया लेकिन उसे इस वक्त इतनी थकान हो रही थी कि उसकी हिम्मत नहीं हुई इसलिए वह बेड पर वापस से लेट गयी । अब तक काफि रात हो चुकी थी आरोही जो सिर्फ ऐसे ही लेटी थी गहरी निंद में जा चुकी थी । तभी रूम का डोर ओपन हुआ और सृजित अंदर आया लेकिन सामने का नजारा देख उसके एक्सप्रेशन लेस फेस् पर अजीब से भाव आ गए थे । क्योंकि रूम की लाइट ऑन थी ऊपर से आरोही पुरे बेड पर फसर कर सो रही थी । ऊपर से उसके कपड़े वो तो बेड से भी निचे जा रहे थे । सृजित ने ये देख अपनी मुठी कसी एक तो उसे ये बिल्कुल भी पसंद नहीं था कि कोई उसकी चीजों को छूए भी लेकिन आरोही तो सिर्फ छु ही नहीं रही बल्कि उसके बेड पर बेहद अजीब ढंग से सो भी रही है । वह आरोही के पास आ उसे देखने लगा लेकिन आशवि का फेस् उसके बालों से कवर था जिससे सृजित को उसका फेस् नहीं दिख रहा था । उसने आरोही को उठाने के लिए अपना हाथ बढ़ा दिया लेकिन उससे कुछ इंच की दूरी पर रोक लिया । आरोही को छूने का सोच कर ही उसे अजीब लग रहा था वह गुस्से से बालकनी में आ गया । -” क्या मुसीबत है, दादा सा ने पता नहीं किस को हमारे गले बाँध दिया जिसे ये तक मैंनर नहीं है की किसी के रूम में किस तरह रहना चाहिए , हमें तो ये किसी भी तरह से हमारी पत्नी बनने के लायक नहीं लग रही “ सृजित ने खुद से कहा और बालकनी में रखे बड़े से सोफे पर लेट गया । लेकिन काफि टाइम तक भी उसे निंद नहीं आई, ये नहीं था कि उसे बालकनी में निंद नहीं आ रही हो, उसकी निंद उड़ने का कारण ये था कि उसके दिमाग में बार बार यही बात आ रही थी कि उसके बेड पर आरोही फिसर कर सो रही है । सृजित को बचपन से अपनी चीजों को किसी का छूना बिल्कुल पसंद नहीं था और आज आरोही उसके रूम में उसके बेड पर लेटी है । वह खड़ा हुआ और वापस से रूम में आ आरोही के पास आया । लेकिन तभी उसकी नज़रे जो कुछ देर पहले गुस्से से जल रही थी एकदम से शांत होने लगी । उसने कस कर अपनी मुठी कस ली लेकिन गुस्से से नहीं उसकी बॉडी में हो रहे बदलावों को रोकने के लिए । सृजित की नज़र अब आरोही की पतली और गोरी सी कमर पर थी जो लाइट में और भी ज्यादा चमक रही थी क्योंकि वह अन बन तरीके से सोइ हुई थी जिससे उसकी पहनी हुई कुर्ती ढीली होने की वजह से ऊपर हो चुकी थी और चुनरी तो उसने पहले ही साइड कर दी थी । सृजित जिसने आज तक कभी किसी लड़की को आँख उठाकर भी नहीं देखा था आज वह चाह कर भी आरोही के पेट से अपनी नज़रे नहीं हटा पा रहा था । उसकी धड़कने सामान्य से तेज़ चल रही थी और साँसे गहरी । पता नहीं क्यों लेकिन उसका मन बुरी तरह से आरोही की कमर को छूने का कर रहा था । उसने खुद को डांट लगाई लेकिन उसका मन जो अभी आरोही को छूने का कर रहा था वह उसे बार बार यही एहसास करवा रहा था कि आरोही उसकी पत्नी है उसे छूने का कानूनी और धार्मिक दोनों रूपों में हक़ है उसका । तभी आरोही के चहरे पर आये बाल हटे और सृजित की नज़रे अपने आप उसके फेस् पर चली गयी लेकिन अब ऐसा लग रहा था जेसे उसकी नज़रे उसके फेस् पर ही लॉक हो गयी । आरोही का सुंदर और क्यूट सा फेस् कुछ देर तक देखने के बाद सृजित के फेस् पर अपने आप ही एक स्माइल आ गयी । -” Beautiful “ कहते हुए वह आरोही के चहरे पर झुक गया अभी वह उसके फेस् को करीब से देख ही रहा था कि आरोही ने अपनी आँखे खोल ली । क्या होगा आगे ???