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Hidden Love

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Magical Girl

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क्या हो जो शेर सब का शिकार करता है उसे दिल्लगी हो जाए? ऐसी ही कहानी है उमर जहांगीर की, जो कर रहा है 18 साल से अपनी मोहब्बत का इंतजार, और जब उसे उसकी मोहब्बत मिल जाती है तो उसे छोड़ के जाना पड़ता है इस दुनिया को, पर कहते है ना जब मोहब्बत सच्ची हो तो व...

Total Chapters (3)

Page 1 of 1

  • 1. Hidden Love - Chapter 1

    Words: 2562

    Estimated Reading Time: 16 min

      "दिल्ली"    एक लड़की एक मिट्टी जैसी जगह पर बैठकर बेतहाशा रो रही थी। वो बस रोए जा रही थी। वहां पर आसपास बहुत सारी मिट्टी और घास ही घास पड़ी हुई थी।    उसके सामने एक कब्र बनी हुई थी, जिस पर लिखा हुआ था उमर जहांगीर और उसके नीचे यहान जहांगीर लिखा हुआ था। उसने अपने हाथों पर सफेद रंग के गुलाब पकड़े हुए थे।    वो उस कब्र पर अपना सिर टीकाकर बेतहाशा रो रही थी। वो रोते हुए बोलती है, “क्यों चले गए आप हमें छोड़कर? क्या हम इतने बुरे थे कि आप हमारे लिए वापस आ ना सके?  क्या हमारी मोहब्बत इतनी बुरी थी कि आप हमें छोड़ कर चले गए? क्यों आए फिर हमारी जिंदगी में, जब आपको हमें छोड़ कर ही जाना था?    हमने आपके लिए क्या कुछ नहीं किया, आप हमसे मिलने आते थे। हमने अपने घर वालों को भी नहीं बताया। मोहब्बत थी हमे आपसे, पर आप हमें छोड़ कर चले गए। वहां उस दिन निकाह वाले दिन हमने अपनी बहन के खो जाने पर भी उस पर इतना ज्यादा ध्यान न देकर आपसे निकाह किया।    हमने खुद आपसे बोला था निकाह करने के लिए क्योंकि हमें पता था हमारे भाई लोग हमारी बहन को ढूंढ लेंगे, लेकिन आप हमारे निकाह वाले दिन ही हमें छोड़कर चले गए। हमें लाल रंग से सुर्ख सफेद रंग पर लाकर खड़ा कर दिया।  क्यों क्यों किया आपने ऐसा, वो अपने अश्कों (आंसुओं) को pochte हुए बोलती है,   आपको ये सफेद रंग बहुत पसंद था ना! आप बोलते थे ना हम सफेद रंग पर बला की खूबसूरत लगते हैं। अब ये सफेद रंग हमारी किस्मत बन गया।    हमें और आप, दोनों को सफेद रंग पसंद था।  ये सफेद गुलाब ताजा हैं। वो उन्हें कब्र पर रखते हुए बोलती है , हम अपने बगीचे से तोड़ कर लाए हैं सिर्फ आपके लिए। आपको ये पसंद है ना? आप हमारे बालों पर भी इस सफेद गुलाब को लगाया करते थे।    आपने हमसे इतनी मोहब्बत क्यों की, कि हम आपको भूल भी नहीं पाए! हम चाहकर भी आपको भुला नहीं पा रहे हैं। आपसे मोहब्बत करने की हमें इतनी बड़ी सजा मिली, पर हमारा दिल कहता है कि आप जिंदा है। कहीं ना कहीं आप हैं जिंदा है।      अगर आप जिंदा है तो हमारे पास क्यों नहीं आते? क्यों हमें बेजार कर रहे हैं? क्यों आपकी मोहब्बत हमें इतना इंतजार करा रही हैं क्यों? आप क्यों कर रहे हैं ऐसा?” वो लड़की अभी भी लगातार रोए जा रही थी।      वो लड़की कोई और नहीं दुआ थी। दुआ खान जो 2 महीने पहले दुआ उमर जहांगीर बनी थी और साथ ही निकाह वाले दिन ही उसने अपने शौहर को खो दिया एक एक्सीडेंट में।    निकाह तो हुआ लेकिन रात में ही उसने अपने शौहर को एक्सीडेंट में खो दिया। उसने अपने सुनहरी आंखों वाले हैंडसम शहजादे को खो दिया।    उसकी जिंदगी एक पल में बदल गई। जिस इंसान से वो इतनी बेपनाह मोहब्बत करती थी। वो इंसान उसे उसके निकाह वाले दिन छोड़कर चला गया। दुआ अभी भी उस कब्र पर अपना सिर रखकर लेटी हुई थी।    वो अब कुछ नहीं बोल रही थी। वो बहुत शांति से उस कब्र को देख रही थी। जैसे उसे यहां शांति मिल रही हो। वहां पर सिर्फ और सिर्फ उमर जहांगीर की कब्र बनी हुई थी और आसपास सिर्फ घास ही घास थी।      दुआ बस एक टक उसकी कब्र पर लेटी हुई थी, तभी अचानक वहां पर बारिश होने लगती है, लेकिन दुआ को तो इसका होश ही नहीं था। उसका दिल रो रहा था। शायद ये बारिश उसके दिल का हाल बयां कर रही थी।      वो इन दो महीने में रोजाना यहां आया करती थी और रोजाना इसी वक्त बारिश होती थी। शायद ये बारिश भी उसका दर्द देखकर रोती थी और उसके दर्द को  बारिश की बूंद के जरिए। वो तसल्ली देती थी और उसके दिल का हाल भी बयां करती थी।      दुआ जो अभी भी उस कब्र पर लेटी हुई थी, पानी की बूंदे उस पर गिर रही थी। उसका वो वाइट कलर का फ्रॉक सूट पानी की वजह से गीला हो गया था और उसके जि स्म से चिपक गया था। उसके सूट पर मिट्टी भी लग गई थी जो बारिश की वजह से बह रही थी।      तभी उसे अचानक एहसास होता है कि उसके ऊपर पानी की बूंदे नहीं गिर रही है। वो अपना सिर उठाकर देखती है तो उसके ऊपर एक छाता था। वही उस छाते को पकड़े एक आदमी खड़ा हुआ था। उसने सफ़ेद रंग के कपड़े पहने हुए थे। उसकी आंखें सुनहरी थी।      दुआ एकदम से उठकर बैठ जाती है और उस आदमी को देखते हुए बोलती है, “हमें पता था आप जिंदा है! हम जानते थे आपको कुछ भी नहीं हुआ है! क्यों रहे आप हमसे इतना दूर, क्यों हमको छोड़ कर गए? आपको हमारी जरा से भी फिक्र नहीं थी?”      सुनहरी आंखों वाले हैंडसम शहजादे, क्या आपको अपनी नूरूल ऐन की जरा सी भी फिक्र नहीं थी? आपको अपने नूरूल ऐन पर जरा सा भी तरस नहीं आया? आप हमें कैसे छोड़ कर चले गए? जिन आंखों में आपको अश्कों का एक कतरा भी बर्दाश्त नहीं होता था इन दो महीना में इन आंखों से कितने अश्क बहे हैं आपको अंदाजा भी है?      आपको जरा सा भी तरस नहीं आया इन आंखों पर कि आपके जाने के बाद ये कितना रोयेंगी आपकी याद में लेकिन नहीं, आपको तो जाना था न!” वो शिकायतें कर रही थी और वही उमर उसकी सुनहरी आंखों वाला हैंडसम शहजादा आराम से मुस्कुराते हुए उसकी सारी बातें सुन रहा था।    दुआ आगे बढ़कर जैसे ही उसे गले लगाने को होती है कि वो परछाई कहीं गायब सी हो जाती है। ना ही वहां छाता था और न ही वो उमर की परछाई। जैसे वो कहीं गायब सी हो गई हो और वो उसे नींद से जगाने आई हो। अब बारिश भी बंद हो गई थी। पानी की सिर्फ हल्की हल्की बूंदे गिर रही थी।      दुआ दोबारा उस कब्र के पास बैठ जाती है और उन सफेद फूलों को उठाकर एक बार अपने लबों से लगा लेती है और दोबारा वही उसे कब्र पर रख देती है। वो मुस्कुराते हुए दर्द भरी आवाज में बोलती है, “हम कल फिर आएंगे आपसे मिलने सुनहरी आंखों वाले हैंडसम शहजादे और कल एक नया सफेद रंग  का सूट पहन कर आएंगे।      आपको हमारे ऊपर सफेद रंग पसंद है ना? अब हम रोजाना आपसे मिलने यही पहन कर आते हैं और कल भी यही सफेद रंग का नया सूट पहन के आएंगे आपके पसंद का।      जो आपने हमें लाकर दिया था। कल आपको पता है ना क्या है? ऑफ कोर्स आपको पता होगा। कल हमारी शादी के 2 महीने पूरे हो जाएंगे तो आपका वो नया सूट तो पहनना बनता है ना जो आपने मुझे प्यार से ला कर दिया था और हम पहन नहीं पाए।      पर हम कल जरूर पहनेंगे। आप देखिएगा और हमारी तारीफ भी करिएगा। बताइएगा हम आपके लाए उस सफेद सूट में कैसे लग रहे हैं, और आपको पता है आज क्या हुआ? वो दोबारा उस कब्र के बिल्कुल करीब बैठ जाती है और उसमें दोबारा से अपना सिर रख देती है और बोलती है, “आपको पता है आज फ़ुप्पो आए हैं घर पर।     वही हमारी इकलौती चुड़ैल फ़ुप्पो। जिनसे हमें कोई मतलब नहीं है। आपको पता है वो बोल रही थी कि हम दोबारा शादी कर लें, हम भला कैसे दोबारा शादी कर सकते हैं?    मोहब्बत तो एक बार होती है ना और वो तो हम कर चुके और निकाह भी हमारा एक बार ही होता है जो हमारा हो चुका है आपसे, और आप तो हर वक्त, हर पल हमारे साथ रहते हैं ना तो हम दूसरा निकाह क्यों करें जब आप हमारे साथ।      हमारी मोहब्बत हमारे साथ है तो हम क्यों निकाह करें? आप एक काम करना, आप ना रात में फ़ुप्पो के सपनों में जाकर उन्हें डराइएगा और बोलिएगा कि हमारी नूरूल ऐन से दूर रहे। उसे शादी के लिए परेशान ना करें, वरना भूतनी चुड़ैल बना देंगे।”    ये बोलते हुए वो दर्द में भी मुस्कुरा देती है और उस कब्र पर अपने लब रखकर चूमते हुए बोलती है,    “अब हम आपसे कल मिलने आते हैं सुनहरी आंखों वाले हैंडसम शहजादे!” इतना बोलकर वो वहां से जाने लगती है। उसकी आंखें नम थी। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे, लेकिन चेहरे पर दर्द भरी मुस्कराहट थी।      वही दूर गाड़ी के पास टेक लगाकर हाशिम खड़ा हुआ उसका इंतजार कर रहा था। वो अपनी बहन का इंतजार कर रहा था।    वो अपनी बहन को देख रहा था जिसकी आंखों में तो आंसू थे लेकिन चेहरे पर मुस्कुराहट थी, लेकिन दर्द भरी मुस्कराहट। इन दो महीना में सब कुछ बदल गया था। उसका शौहर उसकी मोहब्बत उससे छिन गई। वो टूट गई, बिखर गई उसकी ख्वाहिशें मर गई।    मरती भी क्यों ना उसकी ख्वाहिश, उसकी ख्वाहिश एक ही तो थी उसके सुनहरी आंखों वाले हैंडसम शहजादे से उसका निकाह।      निकाह तो हो गया लेकिन निकाह के बाद उसका शौहर मर गया। दुआ को ऐसे देखकर हाशिम को भी अपने दिल में दर्द हो रहा था।    दर्द क्यों ना होता उसकी जुड़वा बहन थी। दुआ के दर्द होने से उसके दर्द का पता चलेगा ना उसे भी, उसे भी तो हल्का दर्द महसूस होगा। ज्यादा ना सही पर हल्का तो महसूस होगा।      जुड़वा तो ऐसे ही होते हैं ना एक दूसरे के दर्द को महसूस कर लेते हैं। दुआ जाकर सीधे कार के अंदर बैठ जाती है। वो हाशिम से कुछ भी नहीं बोलती तो हाशिम भी उससे कुछ नहीं बोलता है।    दुआ अब चुप रहने लगी थी। वो किसी से कुछ भी नहीं बोलती थी सिर्फ वो अपने काम से मतलब रखती थी।    वो अपने रूम से भी बाहर नहीं निकलती थी। वो दिन भर अपने रूम में रहती थी और सिर्फ यहां आने के लिए, अपनी सुनहरी आंखों वाले हैंडसम शहजादे से मिलने के लिए अपनी कमरे से बाहर निकलती थी और गार्डन में जाकर उन सफेद गुलाबों को रोजाना तोड़ा करती थी।      सफेद गुलाब जो उसका सुनहरी आंखों वाला हैंडसम शहजादा रोजाना उसके लिए भेजा करता था। वो अब रोजाना उसके लिए लेकर जाती थी और वो उन गुलाबो पर पानी डालती थी। हाशिम आकर कार के अंदर बैठ जाता है और कार स्टार्ट कर देता है।      थोड़ी देर बाद उनकी कार खान मेंशन में आकर रूकती है। वो खान मेंशन में ही रहती थी। उसकी रुखसती नहीं हुई थी तो कैसे जहांगीर मेंशन जा सकती थी जब तक रुखसती नहीं होती वो जहांगीर मेंशन कैसे जाती? वो यही खान मेंशन में ही रहा करती थी।      वही खान मेंशन के किचन में राबेल और रमीजा रात के खाने की तैयारी कर रहे थे, तभी वहां पर रुकैया आकर राबेल को घूरते हुए बोलती हैं,    “ये सब इस लड़की की वजह से हो रहा है। ये लड़की जब से हमारे घर में आई तब से कुछ ना कुछ गलत करे ही जा रही है। पहले आई तो हमारे बेचारे आहिल का दिल तोड़ कर चली गई।      उसका मासूम सा दिल पत्थर बनाकर चली गई। पहले हमारे मासूम आहिल की खुशियां खा गई और इस बार आई तो हमारे दामाद को ही खा गई। पूरा का पूरा निगल गई।    उसकी जान चली गई सिर्फ और सिर्फ इस लड़की की वजह से। इसका पैर ही खराब है। ये लड़की इस घर में सिर्फ और सिर्फ गलत करने   आई है।”    rameeza बहुत देर से रुकैया की बातें सुन रही थी। वो चाकू से सब्जियां काट रही थी वो चाकू को तेज से चॉपिंग बोर्ड पर पटक कर धीमी मगर सर्द आवाज में बोलती है,    “सॉरी फ़ुप्पो माफ कीजिएगा! आप हमसे बड़ी है लेकिन आप भाभी को ऐसे नहीं बोल सकती हैं। इसमें उनकी तो कोई गलती नहीं थी ना?  अब उन्हें तो नहीं पता था कि उनके साथ जो कुछ भी हो रहा है इस घर वालों के साथ जो कुछ भी हुआ है उसमें उनके अब्बा का हाथ था। उन्हें ये बात तो नहीं पता थी ना!”      रुकैया रमीजा की बात को बीच में काटकर बोलती है, “पर जो भी अब हुआ है इस लड़की की वजह से ही हुआ है। जब से ये लड़की आई है हमारे घर की खुशियां ही खा गई है। यही लड़की तो आई थी ना हमारी प्रॉपर्टी छीनने!”      रमीजा उनकी बात को ही बीच में काटकर बोलती है, “सॉरी फ़ुप्पो पर भाभी तो उस वक्त छोटी थी ना जब दुआ पर हमला हुआ था, वो जब पैदा हुई थी तब भाभी को तो कुछ नहीं पता था। वो तो छोटी सी थी, मासूम थी। उन्हें तो इस बारे में कुछ नहीं पता था। उन्हें तो वही पता चला जो उनके अब्बा ने उन्हें बताया वो भी बड़े में।      तब तो भाभी छोटी थी, तब तो भाभी को कुछ भी नहीं पता था। खान खानदान पर इस पूरे खानदान पर हमला हुआ था, तब तो भाभी को कुछ नहीं पता था तो भाभी की गलती कहां से है इसमें? इसमें तो उनके अब्बा की गलती थी ना और बड़े होकर उनके अब्बा ने उनको यूज किया इसमें उनकी तो कोई गलती नहीं थी। उनको तो कुछ भी नहीं पता था ना, उनके अब्बा ने उनको झूठ बताया था।      लेकिन जब भाभी को पता चला तो उन्होंने अपने दिल पर पत्थर रखकर आहिल भाई की खुशियों के लिए, इस खानदान की खुशियों के लिए चली गई छोड़कर सब कुछ, ताकि इस खानदान को कुछ नहीं हो। आपको इनकी कुर्बानी नहीं दिख रही है?” धीरे-धीरे रमीजा की आवाज तेज होती जा रही थी।      राबेल उसका हाथ पकड़ कर उसे शांत रहने का इशारा करता है, लेकिन रमीजा शांत नहीं होती। वो अपनी गर्दन ना में हिला देती है। अब रुकैया रबेल को छोड़कर रमीजा पर आ जाती है और रमीजा को घूरते हुए बोलती है,      “तुम कौन होती हो हमसे मुंह चलाने वाली? तुम्हारा दूल्हा तो तुम्हें छोड़कर चला गया था ना तुम जैसी लड़की को छोड़कर, जरूर तुम्हारे अंदर ही कुछ खराबी होगी, तभी तो तुम्हारा होने वाला शौहर तुम्हें छोड़कर चला गया था।”     रमीजा के हाथों की मुठ्ठीयां कस जाती हैं। वो सबके लिए तो बोल लेती थी लेकिन खुद के लिए नहीं बोल पाती थी। वो कभी खुद के लिए स्टैंड नहीं ले पाती थी।    रमीजा सबके लिए स्टैंड लेती थी और अपने लिए वो  कमजोर पड़ जाती थी। तभी वहां पर शादी की तेज आवाज गूंज उठती है, “आप यहां पर मेहमान बनकर आए हैं तो मेहमान बनकर ही रहे! हमारे फैमिली मैटर्स में इंटरफेयर ना करें और आपकी हिम्मत कैसे हुई मेरी बीवी से ऐसी बात करने की?     वो आदमी बद किरदार था। अच्छा हुआ वक्त रहते पता चल गया वरना मैं खुद उसे उठाकर रमीजा की जिंदगी से बाहर फेंक देता। बीवी है वो मेरी और कोई मेरी बीवी के खिलाफ एक लफ्ज़ भी बोलेगा तो मैं बर्दाश्त नहीं करूंगा फ़ुप्पो।”       शादी जो किचन के गेट से टेक लगाकर अपने दोनों हाथ अपनी पॉकेट में डालकर एक पैर से दूसरे पैर क्रॉस करके आराम से रमीजा के दिए हुए जवाबों को मुस्कुराते हुए सुन रहा था, लेकिन जब रुकैया रमीजा के ऊपर आ जाती है तो उसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होता।      और वो उसको सीधे तीखा जवाब दे देता है। रुकैया अपना हाथ उठाकर तालियां बजाते हुए बोलती है, “वाह भाई वाह इस घर में किसी को जरा सा भी कुछ बोल दो तो दूसरे आ जाते हैं उनकी तरफदारी करने।”    “इसी को यूनिटी कहते हैं और इसी यूनिटी से ही घर बनता है।”  सादी एक बार फिर उसे तीखा जवाब दे देता है।    रुकैया के हाथों की मुट्ठियां कस जाती हैं और वो घूरकर सादी को देखने लगती है। वो कुछ बोल नहीं पाती बस सादी को देखती रहती है।

  • 2. Hidden Love - Chapter 2

    Words: 2553

    Estimated Reading Time: 16 min

    "दिल्ली"   "खान मेंशन"   रुकैया अभी भी लगातार सादी को घूरे ही जा रही थी। तभी उनके दिमाग को कुछ आता है और वह मिन्हा जी की तरफ घूम कर उनसे बोलती है,    " अम्मीअब दुआ तो अकेली हो गई है, उसका हमें दूसरा निकाह करवा देना चाहिए। ताकि वो अपनी जिंदगी में खुश रहे, देख रही है आप, वो कितनी मुरझा गई है। कितना दर्द में रहती है, हमें उसे ऐसे दर्द में नहीं देख सकते।"    मिन्हा जी तो कुछ बोल नहीं पाती। रमीजा जल्दी से बोलती है, "वो नहीं करेगी दूसरी शादी, और आप चिंता बिल्कुल भी मत करें।"    रुकैया तुरंत उसे देखते हुए बोलती है, "क्यों, क्यों नहीं करेगी वो दूसरी शादी, मैं उसके भले के लिए कह रही हूं। अब जिंदगी भर तो इस घर में बोझ बनकर नहीं बैठेगी ना।"    ये सुनकर शादी के हाथों की मुट्ठियां कस जाती हैं। वो गुस्से में कुछ बोलना चाहता था, पर रमीजा उसका हाथ पकड़ लेती है और उसे शांत रहने का इशारा करती है और रुकैया को देखते हुए बोलती है,    "सॉरी, फ़ुप्पो माफ करिएगा, पर जब शादी को प्रॉब्लम नहीं है, दुआ के भाइयों को प्रॉब्लम नहीं है, उनके घर वालों को, मामा को, दादी को, बाबा को, दादू को, किसी को भी प्रॉब्लम नहीं है।  यहां तक की उसकी भाभियों को भी प्रॉब्लम नहीं है, तो फिर आपको क्यों प्रॉब्लम हो रही है। हम उसे जिंदगी भर बैठा सकते हैं और वो खुश है हम लोगों के साथ।    हम उसे कहीं ओर नहीं भेजना चाहते, जब तक खुद वो नहीं बोलेगी कि उसे दूसरी शादी करनी है, हम उसकी शादी नहीं करवाएंगे। वो करना ही नहीं चाहती, वो उमर भाई से बहुत ज्यादा प्यार करती है, बेइंतहा मोहब्बत, उसकी मोहब्बत की कोई हद नहीं है।        उसकी मोहब्बत नहीं है, इश्क है और इश्क में तो सिर्फ और सिर्फ इंतजार होता है ना और वो उनका इंतजार कयामत तक कर सकती है। लेकिन मुझे नहीं लगता वह कभी शादी करेगी।"      दुआ, जो बाहर से सीधा अपने रूम की तरफ जा रही थी, उसे किचन से आई हुई सारी आवाज सुनाई दे रही थी। वो किचन के अंदर दाखिल होती है और रुकैया को देखते हुए गुस्से में बोलती है,      "हमने आपसे पहले भी बोला है और दोबारा बोल रहे हैं, हमारे मामले से दूर रहे, हमारे मामले में टांग मत अड़ाया करें।      आपको क्या प्रॉब्लम हो रही है, आपको ज्यादा जल्दी है हमारी शादी करवाने की, जब हमारे घर वालों को, हमारी भाभियों को प्रॉब्लम नहीं हो रही है, तो आपको क्यों प्रॉब्लम हो रही है। हम कोई भी शादी नहीं करेंगे, ना ही अपने घर वालों को छोड़कर जाएंगे।"      रुकैया उसके कंधे पर हाथ रखकर धीरे से बोलती है, "बेटा, हम तो आपका आपके भले के लिए कह रही है। अब आप सारी जिंदगी तो ऐसे ही नहीं रह सकती ना, अपने घर वालों के ऊपर बोझ बन के,      अब चाहे वो आपकी भाभी हो, वो अभी तो आपसे प्यार से बात कर रही हैं, लेकिन धीरे-धीरे वक्त बदलता है। कहीं ना कहीं तो खटपट होती है। अब चाहे आपकी भाभी आपकी बहन ही क्यों ना हो।"      "आप उसकी चिंता मत कीजिए और हमारी दूसरी शादी की चिंता मत कीजिए। हम नहीं करेंगे शादी, इश्क किया है हमने अपनी सुनहरी आंखों वाले हैंडसम शहजादे से और इश्क में सिर्फ और सिर्फ इंतजार होता है। कोई दूसरा नहीं आता इश्क के बीच।" दुआ नाम आंखों से बोलती है।       रुकैया उसको समझाते हुए बोलती है, "बेटा, हम आपको ऐसे दर्द में नहीं देख सकते, हमें आप ऐसे दर्द में नहीं देखी जाती है।"      वो अपनी लाल आंखों से उन्हें घूर कर देखते हुए बोलती है, "टूटे हैं हम, बिखरे नहीं है। जो चीज टूटती है, वो दोबारा जुड़ भी जाती है। बिखरे नहीं है हम, तो हमारे मामले से दूर रहे, वरना हम पहले वाली ही दुआ हैं उस थप्पड़ को अभी तक नहीं भूले है हम।"      इतना बोलकर वो वहां से जाने लगती है। रुकैया उसका हाथ पकड़ उसे रोक लेती है और फिर मिन्हा जी की तरफ देखते हुए बोलती है, "अम्मी, ये कैसी बात कर रही है आपकी पोती हमसे, बेटी हैं हमारी और इस तरीके से हमसे बात कर रही है। हम तो बस उसकी भलाई के लिए बोल रहे हैं ना कि वो शादी कर ले, सेटल हो जाए।"      दुआ को इस बार बहुत तेज गुस्सा आता है। वो वही रखी चाकू को उठाकर मुड़ जाती है और रुकैया की गर्दन पर उस चाकू को रखते हुए बोलती है, "एक बार बोला न आपको समझ में नहीं आता है। नहीं करनी हमें कोई शादी, नहीं होना हमें सेटल। हम जैसे हैं, वैसे ही ठीक है।      फिर उन्हें घूरते हुए बोलती है, अभी तो सिर्फ चाकू गर्दन तक आया है, अगली बार हमारे मामले पर अपनी ये टांगें अड़ाई आपने, तो ये चाकू अंदर भी डाल सकते हैं, समझी आप।      दुआ जहांगीर नाम है हमारा, अपने सुनहरे आंखों वाले हैंडसम शहजादे जैसा गुस्सा है हमारा और हमारा आपसे कोई भी ताल्लुक नहीं है, तो हमसे दूर रहे और एक आखरी बार बोल रहे हैं। टूटे हैं, बिखरे नहीं है, संभल जाएंगे।"      इतना बोलकर वो अपने कमरे की तरफ चली जाती है। रुकैया मिन्हा जी और अदिला जी की तरफ देखते हुए बोलती है, "अम्मी, भाभी, ये सब क्या है? आपकी बेटी हमसे इतनी बदतमीजी करके चली गई, यहां तक की हमारी गर्दन पर उसने चाकू भी रख दिया और आप में से किसी ने कुछ कहा नहीं।"      मिन्हा जी रूकैया को देखते हुए बोलती हैं, "तुम्हें ही तो बहुत शौक लग रहा था, उसकी शादी करवाने का, बोला है ना, वो शादी नहीं करेगी, मत पड़ो उसके पीछे, लेकिन नहीं तुम्हें तो पड़ना है। तुमसे हम भी बोलते हैं कि उसके मामलों से, उससे दूर ही रहो। वो जितनी शांत दिख रही है, उतनी ही खूंखार भी हो जाएगी।      घायल शेरनी है वो और घायल शेरनी को कभी छेड़ना नहीं चाहिए। घायल शेरनी जब अपने पर आती है ना तो पूरा दबोच लेती है।"    शादी रुकैया के पास आकर अपने हाथ पीछे कर बोलता हैं, "आप को लगता है कि वो आपकी बेज्जती करके गई, लेकिन दुआ तो आपसे इतना ही बोली कि आप उसके मामलात से दूर रहे। जितना हम आपकी इज्जत करते हैं, अगर हमारी बहन के मामले में टांग अड़ाई तो हम वो इज्जत भी भूल जाएंगे।"    इतना बोलकर शादी भी वहां से चला जाता है। रुकैया भी एक नजर सबको घूरती है और वहां से चली जाती है। रुकैया के वहां से जाने के बाद रमीजा मिन्हा जी और आदिल जी को देखते हुए बोलती है, "सॉरी मामा, दादी, पर हम क्या करते, हम न हीं भाभी के खिलाफ कुछ सुन सकते हैं और नहीं दुआ के खिलाफ।      हम जानते हैं, वो उमर भाई से बेइंतहा इश्क करती है और उसे हम इतनी अच्छी तरीके से जानते हैं कि वो दोबारा कभी शादी नहीं करेंगी।    शादी करना तो दूर की बात, उसके सामने इस बात का जिक्र भी होगा, तो वो बहुत ज्यादा गुस्सा करेगी। हम अच्छे से जानते हैं। हमें माफ कर दीजिए, हमने फ़ुप्पो से इस तरीके से बात की।    हमें नहीं करनी चाहिए थी, उनसे इस तरीके से बात, पर वो हमेशा आकर भाभी को कुछ ना कुछ बोलती है। हमसे बर्दाश्त नहीं हो पाटा, आप तो हमे पहले से जानती है ना, हम हर चीज बर्दाश्त कर लेते हैं। लेकिन कोई हमारे अपनों को कुछ बोलता हैं, तो हमसे बर्दाश्त नहीं होता है, सॉरी मामा, दादी।"    मिन्हा जी उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोलती है, "कोई बात नहीं बेटा, उसकी गलती है। वो हमेशा ऐसे ही करती है। उसे ऐसा नहीं बोलना चाहिए। हमें कोई प्रॉब्लम नहीं है और आपने बिल्कुल सही बोला उसे,      अब शायद वो कभी यहां पर ऐसा कुछ भी नहीं बोलेंगी। अच्छा, आप लोग जल्दी से खाने की तैयारी करिए, हम दुआ को देखकर आते हैं।"        रमीजा उन्हें रोकते हुए बोलती है, "दादी, आप थोड़ा से टाइम दे, आपको पता है ना वो नहीं बात करती किसी से, अपने कमरे से बाहर भी नहीं निकलती और अभी जो हुआ है, उसके बाद वो किसी से भी बात नहीं करेगी। थोड़ा उसको टाइम दे देना चाहिए।"    आदिला जी अपने सर पर हाथ रख कर बोलती हैं, "कुछ कीजिए, उन्हें ठीक कीजिए, हम नहीं देख पाएंगे अपनी बेटी को ऐसे, इस हाल में, पहले ही हमने 18 साल उन्हें खुद से दूर रखा। अब उनकी हालत हमसे बर्दाश्त नहीं होगी।      जीते जी मर गए, ऐसे लगता है हमें। उनकी हालत नहीं देखी जाती। ऐसा लगता है कि वो जिंदा लाश बनकर रह गई है। जिनके दिल में कोई भी फीलिंग नही है।"      राबेल और रमीजा अदीला जी को गले लगाते हुए बोलती हैं, "मामा सब ठीक हो जाएगा, ठीक हो जाएगी वो, बस आप थोड़ा हौसला रखें। आप ऐसे होश खो देंगे, तो फिर दुआ को कौन संभालेगा।"      फिर कुछ सोचते हुए बोलती है, मामा बाबा की दवाई का वक्त हो गया है, तो आप दवाई दे दीजिए हम दे देते, लेकिन आपको तो पता है ना, हमें पता नहीं है कि दवाइयां कहां रखी है। आप दे दीजिए उन्हें दवाई।"      आदिल जी अपना सर हां में हिला कर वहां से चली जाती हैं। तभी आहिल मिन्हा जी को आवाज लगाते हुए बुलाता है। मिन्हा जी आहिल की आवाज सुनकर बाहर चली जाती हैं। राबेल और रमीजा रात के खाने की तैयारी करने लगती हैं।    वही दुआ ने खुद को कमरे में बंद किया हुआ था। वो ना ही किसी से बात कर रही थी, ना ही किसी से कुछ बोलती थी। वो खुद को अपने कमरे में बंद करके रखती थी। लेकिन आज के बाद उसने खुद को अपने कमरे में, यहां तक की उसने खुद को वॉशरूम में तक बंद कर लिया था। वो किसी से नहीं मिलना चाहती थी, किसी से बात नहीं करना चाहती थी।      वो सिर्फ अपने अश्कों को बहाए जा रही थी। उसकी आंखों से लगातार अश्क बह रहे थे। वो अपनी आंखों में आए अश्कों को पोंछती है और फिर सीधा बालकनी की तरफ चली जाती है। आज पूरा चांद निकला हुआ था। दुआ अभी भी उस सफेद रंग के कपड़े पहने हुए थे।      दुआ उस पूरे चांद को देखते हुए बोलती हैं, "आप कहते थे ना, हमारा चेहरा इस चांद की तरह रोशन है। वो चांद तो आपसे दूर है, लेकिन आपका ये चांद आपके पास है। लेकिन अब हम क्या कहें, चांद तो आपके पास था, लेकिन चांद जिनके पास था, वो इंसान चांद से दूर हो गया।      आप क्यों चले गए हमें छोड़कर, काश! आप नहीं जाते, उस दिन हमने बोला था ना, हमें बेचैनी हो रही है, हमें घबराहट हो रही है। प्लीज, आप जल्दी से आ जाए, लेकिन ये नहीं बोला था कि आप इतनी तेज गाड़ी चलाए, आपने ध्यान क्यों नहीं दिया।      लेकिन हमारा दिल कहता है कि आप अभी भी जिंदा है, आपको कुछ भी नहीं हुआ है। अगर हमारे दिल की धड़कन चल रही है और आपका जिक्र करने पर हमारे दिल की धड़कन इतनी तेज हो जाती हैं, तो इसका मतलब आप है, आप जिंदा है।    फिर क्यों है आप हमसे इतना दूर, जल्दी से आ जाइए। प्लीज, हमारे पास वापस आ जाए।"     वो वही बालकनी में लगे झूले पर बैठे हुए, एक तक उस चांद को देखते हुए बोल रही थी। वो वैसे ही एक तक चांद को देखती रहती है। उसकी आंखों से अश्क भी सूख गए थे।      वो अपनी खाली आंखों से बस एक तक चांद को ही देख रही थी और पता नहीं वो उसे चांद को देखते-देखते कब नींद के आगोश में चली जाती है।      उसने खाना भी नहीं खाया था। रमीजा उसका रूम आकर देखती है जो लॉक्ड था। उसने गेट बजाने की जहमत नहीं की थी। वो सीधा गार्डन में आ जाती है और दुआ के रूम की तरफ देखती है, जहां से दुआ के रूम की बालकनी साफ नजर आ रही थी।    वो देखती है कि दुआ झूले में टेक लगाए सो रही थी। वो एक गहरी सांस लेती है और सीधा मेंशन के अंदर चली जाती है। वो वापिस दुआ के रूम के पास जाती है।      तभी राबेल भी वहां आ जाती है और डुप्लीकेट चाबी से गेट खोलने की कोशिश करने लगती है। गेट खुल जाता है।      गेट खुलते ही रमीजा और राबेल अंदर चली जाती हैं। उनकी नजर बालकनी में झूले पर सो रही दुआ पर पड़ती हैं। वो बेहद मासूम लग रही थी। वो धीरे से बोलती है, "या खुदा, दुआ कितनी मासूम है और आपने उसकी किस्मत में इतनी ज्यादा मुश्किल, इतना दर्द क्यों लिख दिया। उसकी जिंदगी में इतना गम क्यों दे दिया।      वो बचपन से हर एक गम सहती आ रही है। पहले बचपन में अपने मां-बाप से दूर होना, फिर उनका उमर से मोहब्बत होना और फिर अपने ही उससे उसका दूर हो जाना, या खुदा क्यों लिख दिए है आप उसकी किस्मत में इतने गम, किसी ऐसे को उसकी जिंदगी में ले आए, जो इनकी जिंदगी में दोबारा से रंग भर दे।"        अब तक शाजिम भी रूम में आ गया था। शाजिम सीधे बालकनी में जाता है और दुआ को अपनी गोद में उठाकर उसे अंदर उसके रूम में ले आता है। वो उसे बेड पर अच्छे से लेटा कर उसे ब्लैंकेट से कवर कर देता है।      राबेल और रमीजा एक नजर दुआ को देखते हैं और सीधा उस रूम से बाहर चले जाते हैं। शाजिम भी अब तक रूम से बाहर आ गया था और रूम का गेट अच्छे से लगा देता है। सब अपने-अपने रूम में चले जाते हैं।      राबेल अपने रूम में पहुंचती है, जहां आहिल बैठा हुआ था। उसकी तो कोई आवाज ही नहीं निकलती आहिल को देखकर । उसे आहिल के गुस्से से बहुत ज्यादा डर लग रहा था। वो अपने डर को काबू में करना चाहती थी। लेकिन वो अपने डर को काबू में नहीं कर पाती थी। वो चुपचाप आहिल के बगल से जाने लगती है।    लेकिन आहिल तुरंत उसके हाथ को पकड़ लेता है और सीधा उसे दीवार में सटा देता है। वो उसे उसकी आंखों को घूर रहा था वो उसकी आंखों में घूरते हुए बोलता है,      "सिर्फ तुम्हारी वजह से, आज हमारी बहन की ये हालत है। ना तुम हमारी जिंदगी में आई होती, ना हमारी बहन की हालात ऐसी होती, नहीं तुम्हारा वो दो कौड़ी का बाप हमारी जिंदगी में आया होता।       हमारी बहन की हालात ऐसे नहीं होती, उमर उसके साथ होता। वो दोनों एक अच्छी खासी जिंदगी जी रहे होते। लेकिन सिर्फ तुम लोगों की वजह से हमारी बहन की ये हालत है।      देख रही हो ना उसे, कितना गम है उसकी जिंदगी में, इतना रोती है वो, दिन रात रोती है और सिर्फ अपने सुनहरी आंखों वाले का इंतजार करती है, उमर का इंतजार करती है।    जबकि उसे पता है कि वो नहीं आने वाला। तब भी वो उसका इंतजार करती है। तुम लोगों की वजह से हमारी बहन की जिंदगी में इतने गम, तकलीफ आ गई है।"    आहिल उस पर दहाड़ते हुए बोलता हैं, "अपनी बहन के हर एक आंसुओं को बदला लूंगा मैं तुमसे, तुम्हारे उस बाप को तो जहन्नम नसीब फरमा दिया। लेकिन तुम्हारी जिंदगी में इसी दुनिया में जहन्नुम   ना दिखा दिया न, तो मेरा नाम भी है आहिल खान नहीं।  खुद को राबेल खान बोलती हो, ना अब आहिल खान का यह वादा है राबेल आहिल खान से की वो उसकी जिंदगी जीते जी जहन्नुम बना देगा।    तुम्हें जिंदगी में इतनी तकलीफ दूंगा कि खुद ही अपने मरने की भीख मांगोगी, लेकिन तुम्हें वो मौत भी नसीब नहीं होगी।" बोलकर उसे वैसे ही वहीं छोड़ देता और सीधा रुम से बाहर चला जाता है।

  • 3. Hidden Love - Chapter 3

    Words: 2122

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    "सुबह का वक्त"  "दिल्ली"    "खान मेंशन"   सब लोग डाइनिंग टेबल में बैठकर नाश्ता कर रहे थे, तभी उन सबके कानों में एक जोरदार आवाज पड़ती है, जिसे सुनकर सब लोग ऊपर की तरफ देखने लगते हैं, जहां से दुआ भागते हुए नीचे आ रही थी, वह चीख रही थी, वह जोर-जोर से बोल रही थी, रुक  जाइए, प्लीज मुझे छोड़ कर मत जाइएगा, मैं आ रही हूं।     प्लीज आप ऐसे नहीं जा सकते, आप इतने वक्त बाद मिले हैं, आप ऐसे नहीं जा सकते,मुझे छोड़  कर, मेरे लिए रुकिए, मैं आ रही हूं, इतना बोलकर वह नीचे की तरफ भाग रही थी,  उसका हुलिया बिगड़ा हुआ था,  उसके बाल इधर-उधर बिखरे हुए थे, उसका दुपट्टा उसके पास नहीं था,  उसकी आंखों में आंसू थे, जो अभी भी बह रहे थे, वहीं उसके होंठों पर एक दर्द भरी मुस्कान थी।    वही वह लगातार भाग रही थी, वह सीडीओ से उतर कर नीचे आ रही थी, अचानक ही  उसका पैर फिसलता हैं, लेकिन वह रेलिंग को पड़कर खुद को संभाल लेती है और जल्दी से भागते हुए दरवाजे की तरफ आ जाती है, वह मेन गेट की तरफ आ रही थी, तभी वह किसी से टकरा जाती हैं।      सामने कोई और नहीं हाशिम था, जो उसे देख रहा था, वह दुआ को देखते हुए उससे पूछता  है,, दुआ क्या हुआ है? इतनी जल्दी में कहां जा रही हो, बताओ तो, वह उसकी ऐसी हालत देखकर बहुत ज्यादा घबरा जाता है, वो हर बार उसकी हालत में घबरा जाया करता था, वो उसकी एक लौती बाहें थी, जो 18 साल की जुदाई के बाद उसे मिली थी, उसकी जुड़वा बहन, जिसे वो कभी तकलीफ में नहीं देख सकता था, उसका दर्द देख कर उसके दिल में भी दर्द उठता था।     दुआ हाशिम को देखते हुए बोलती है,, हाशिम तुम बाहर से आए हो ना, सुनहरी आंखों वाले हैंडसम शहजादे वहीं बाहर है ना, हमें पता है वह वही बाहर है, अभी हमने ऊपर बालकनी से देखा, वह बाहर खड़े थे और हमें हाथ हिलाकर इशारा करके अपने पास बुला रहे थे, हटो हमें बाहर जाना है,, वो हाशिम को हटाते हुए बोलती है।।     वो दो कदम ही आगे बढ़ती है, कोई उसका हाथ पकड़ लेता है,  वो अपना सर टेढ़ा करके पीछे देखती है, जहां हाशिम ने उसका हाथ पकड़ा हुआ था, वो उसे देखते हुए बोलती है,, हाशिम प्लीज हमारा हाथ छोड़ो , हमें जाना है, वह हमारा इंतजार कर रहे हैं,  हमारे सुनहरी आंखों वाले हैंडसम शहजादे हमारे इंतजार करें, प्लीज हाशिम हाथ छोड़ो हमारा।      हाशिम प्यार से दुआ के पास आकर बोलता है,, नहीं, नहीं है वहां बाहर कोई, हम खुद बाहर से आ रहे हैं, बाहर कोई भी नहीं है, तुम्हें शायद कोई वहम हुआ है।    दुआ हाशिम को देखते हुए बोलती है,, नहीं हाशिम हमें कोई भी वहम नहीं हुआ है, हमने सच में अभी-अभी अपनी इन  आंखों से देखा था, वह बाहर है, तुम यकीन क्यों नहीं कर रहे हो? हमने अपनी दो आंखों से देखा था ,वह बाहर रोड के उस साइड , खड़े हमारा इंतजार कर रहे थे, वह हमें बुला रहे थे, बोल रहे थे,, नूरूल ऐन जल्दी से आओ, हमें निकालना है, वह हमें आवाज लगा रहे थे, प्लीज हमारा हाथ छोड़ो, लेकिन हाशिम उसका हाथ नहीं छोड़ता।   दुआ एक पल रुककर हाशिम के चेहरे को देखते हुए हल्का सा हंस कर बोलती है,, तुम मजाक कर रहे हो ना, हमें पता है तुम मजाक कर रहे हो, लेकिन हाशिम हम अभी मजाक के मूड में नहीं है, छोड़ो हमारा हाथ, नहीं तो अब हम तुम्हारी भाई से पिटाई कर वाएंगे।   अब तक वहां पर सादी और बाकी घर वाले भी आ गए थे, दुआ सादी को देखते हुए बोलती है , भाई आप हाशिम से बोलिए ना, हमारा हाथ  छोड़ें, और हमसे मजाक भी न करे, बाहर हमारे सुनहरी आंखों वाले हैंडसम शहजादे हमारे इंतजार कर रहे हैं, और इसको मजाक की लगी है, वो हल्का हंस कर बोलती है।    फिर सादी को देखते हुए बोलती है,, भाई प्लीज हाशिम से कहिए ना हमारा हाथ छोड़ें , नहीं तो हमारे सुनहरी आंखों वाले हैंडसम शहजादे हमें, अपनी नूरूल ऐन को छोड़ कर चले जाएंगे, प्लीज भाई कहिए ना हाशिम से, वो अपने हाथों को हाशिम की गिरफ्त से छुड़ाते हुए बोलती है।   शादी हाशिम से आंखों ही आंखों में कुछ इशारा करता है, हाशिम दुआ का हाथ छोड़ देता है , दुआ खुश होकर बाहर की तरफ जाने लगती है, तभी शादी उसके हाथ को पकड़ कर अपनी तरफ घसीटता है, और उसे कसके अपने सीने से लगा लेता है।    दुआ शादी से खुद को छुड़ाते हुए बोलती है,, भाई आप क्या कर रहे है, प्लीज छोड़िए ना हमें, हमें जाने दीजिए, नहीं तो हमारे सुनहरी आंखों वाले हैंडसम शहजादे चले जाएंगे, उसकी आंखों से लगातार अश्कों का दरिया बह रहा था ।      हाशिम दुआ को देख रहा था, उसे उसकी ये हालत देखी नहीं जा रही थी, उसे बहुत ज्यादा बुरा लग रहा था, उसकी बहन की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी, वह रोजाना ऐसे ही करती थी ,सुबह के वक्त हमेशा ऐसी भागते हुए आती थी और उमर को पुकारती थी, लेकिन उमर तो बाहर होता ही नहीं था, वो सिर्फ उसका वहम  रहता था।     शादी उसके गालों को दोनों हाथों में थाम कर उसे समझाते हुए बोलता हैं,, बच्चा बाहर कोई भी नहीं है, नहीं है उमर बाहर।    वहीं दुआ की आंखों से अभी भी लगातार अश्क बह रहे थे, वह शादी के हाथों को अपने गालों से अलग कर के  बोलती है,, भाई आपने तो कहा था आप हमारे लिए उन्हें लेकर आएंगे, चाहे आप कहीं से भी उन्हें लेकर आए,  लेकिन आप हमारे लिए उन्हें लेकर आएंगे, आप हमारे सुनहरी आंखों वाले हैंडसम शहजादे को लेकर आएंगे , आपने बोला था, फिर आप क्यों नहीं लेकर आए? प्लीज उन्हें ले आइए भाई, प्लीज हमारे पास उन्हें ले आइए।   हम मर जाएंगे उनके बगैर, भाई प्लीज उन्हें ले आइए, वो रोते हुए वहीं नीचे फर्श पर बैठ जाती है।   रूकैया जी जो बहुत देर से ये सब देख रही थी, वो दुआ को देखते हुए बोलती है,, मर गया है वो, तुम्हारा शौहर, उमर जहांगीर, 2 महीने पहले मर गया, नहीं आएगा अब वो वापिस, पागल हो गई हो तुम जो वो बाहर खड़ा होगा, अब बंद करो अपना ये नाटक, बहुत हो गया।     दुआ जो बहुत देर से रूकैया की बातें सुन रही थी, वो एक दम से रुकैय के करीब आकर खड़ी हो जाति है, और उनकी आंखों देखते हुए बोलती है,, पागल होंगी आप, हम नहीं समझी, उसकी आंखें इस वक्त आग उगलने को तैयार थी, कोई उसके सुनहरी आंखों वाले हैंडसम शहजादे को मरा हुआ कैसे बोल सकता था, उसकी वो समुद्र से भी गहरी नीली आंखें आग उगल रही थी, उसकी आंखों से एक पल के लिए रुकैया भी डर गई थी, वो दो कदम पीछे हो जाती है ।     दुआ उनसे अलग होकर उन्हें घूरते हुए बोलती है,, जैसे जीने के लिए इंसान को सांसों की जरूरत होती है, वैसे ही हमें जीने के लिए हमारे सुनहरी आंखों वाले हैंडसम शहजादे की जरूरत है, अगर हमारी सांसें चल रही है तो, उनकी भी चल रही है, अगर किसी ने उन्हें कुछ बोला तो.....बोलते बोलते वो रुक जाती है, और घूर कर रुकैया को देखने लगती है।     फिर सादी को देखते हुए बोलती है,, हमें पता है भाई आप हमसे झूठ बोल रहे है, लेकिन अब हम आपके झूठ में नहीं आएंगे,  वह बाहर है, इतना बोलकर वह बाहर की तरफ फिर भागने लगती है,  तभी शादी उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ घसीटता है और उसके गालों में एक जोरदार थप्पड़ रसीद कर देता है, जिससे दुआ नीचे गिरते गिरते बचती है, रमीज़ा उसे जल्दी से आगे बढ़कर संभाल लेती है, और उसे अपने सीने से लगा लेती है।      शादी अपने हाथ को देख रहा था, जिससे उसने अपनी प्यारी बहन, जान से भी अजीज बाहें पर, आई पहली बार हाथ उठाया था, वो एक गहरी सांस लेकर दुआ के सर में हाथ फेरते हुए बोलता है,, बच्चा कोई नहीं है बाहर, बाहर कोई भी नहीं है।    दुआ अपने गाल में हाथ रख कर बस अपने अश्क बहाए जा रही थी,  वो रोते हुए सादी के हाथ को अलग कर के, हाशिम और शादी को देखते हुए बोलती है, आप लोग गंदे हैं , बहुत गंदे, आप लोग झूठे हैं, झूठ बोलते हैं आप लोग, आप लोगों ने कहा था, आप हमारे लिए हमारे सुनहरी आंखों वाले हैंडसम शहजादे को ढूंढ कर लायेंगे,  लेकिन आप लोग नहीं लाए, हम कह रहे हैं वह बाहर है ,तब भी आप लोगों को यकीन नहीं हो रहा, हुए  जाने नहीं दे रहे, आप लोग बोल रहे हैं कि वह बाहर नहीं है, फिर आप लोग क्यों नहीं ढूंढ के ला रहे।     वो फिर से सादी को देखकर उसका हाथ अपने हाथों में पकड़ कर बोलती है,, भाई आपने हमसे बोला था, आप ढूंढ कर उन्हें, फिर क्यों भाई, वो आगे बोल ही रही थी, उसकी नजर  आहिल पर पड़ती है, जो अभी बाहर से आ रहा था।      दुआ रमीजा और सादी से जल्दी से दूर होकर आहिल के पास भाग कर जाती है और आहिल को देखते हुए बोलती है,, भाई आप बाहर से आ रहे हैं ना, आपने बाहर हमारे सुनहरी आंखों वाले हैंडसम शहजादे को देखा होगा ना, वह रोड के उसे साइड खड़े, हमारे इंतजार कर रहे थे ,आपने देखा है ना भाई, बोलिए ना भाई,, वो आहिल को हिलाते हुए बोलती है।      आहिल दुआ के हाथों को पकड़ कर उसे समझाते हुए बोलता  है,, बच्चा बाहर कोई भी नहीं है।    दुआ आहिल का हाथ झटक देती है, जहां अहिल्या अभी थोड़ी देर पहले से समझने के लिए उसका हाथ पकड़ा था, वही दुआ ने उसके हाथ को झटक दिया था, वो गुस्से में रोते हुए बोलती है,, नहीं आप सब झूठ बोल रहे हैं, आप सब झूठे हैं ,कोई नहीं चाहता कि हम हमारे सुनहरी आंखों वाले हैंडसम शहजादे से मिले, इसीलिए तो आप लोग हमें उनसे मिलने नहीं दे रहे हैं, बोलते हुए वो वहीं बेहोश हो जाती है।     आहिल जल्दी से आगे बढ़कर उसे थाम लेता है, वह दुआ को अपनी बाहों में उठकर ऊपर की तरफ ले जाता है, वो ऊसे उसके रूम में ले जाकर अच्छे से लेटा देता है, वही शादी जो अब तक सब कुछ देख रहा था , उससे आप बर्दाश्त नहीं होता, वह खुद से ही अपने मन में बोलता है,, अब  बहुत हो गया, अब मुझे उससे बात करनी ही पड़ेगी, मैं अपनी बहन की मजीद हालत और ऐसे नहीं देख सकता, अब मुझे उससे बात करनी ही पड़ेगी ,इतना बोलकर वह सीधे दुआ के रूम से बाहर चला जाता है और स्टडी रूम में आकर स्टडी रूम का गेट अंदर से लॉक कर लेता है।     वह अपना फोन जल्दी से निकाल कर किसी को कॉल लगाता है , उसके कॉल लगाते ही  तुरंत  कॉल उठा लिया जाता है, जैसे दूसरी तरफ वाला शख्स उसके कॉल क हीं इंतजार कर रहा हो।   शादी उसके कॉल उठाते ही जल्दी से बोलता है,, मैं अब अपनी बहन की मजीद हालात ऐसे नहीं देख सकता, कुछ करो तुम, नहीं एक काम करो तुम कुछ नहीं करो, मैं अपनी बहन को वही भेजता हूं।    तभी दूसरी तरफ से कुछ बोला जाता है,, सादी उसकी बात सुनकर बोलता  है,, नहीं अब वह यहां नहीं रहेगी, उसको अपना माहौल चेंज करना होगा, यहां पर उसके लिए वही माहौल है, वह और परेशान होती रहेगी, मैं अपनी बहन की हालत और ज्यादा नहीं देख सकता, मैं उसे वहां भेज रहा हूं, यह बात अब क्लियर हो गई है।      तभी दूसरी तरफ वाला शख्स फिर कुछ बोलता है, जिसे सुनकर  शादी  गुस्से में बोलता है,, तुम्हें सिर्फ अपनी पड़ी है,   और जो मेरी बहन की यहां पर यह हालत हो रही है ,उसका क्या, उसकी हालत कितनी ज्यादा बिगड़ती जा रही है, दिन ब दिन,  वह उदास रहती है, उसकी आंखों में अश्क हमेशा आंखों के नीचे काले धब्बे,  तुमने नहीं देखा ना, तुम्हें कुछ भी नहीं पता , मैं अपनी बहन को देख रहा हूं, मुझे पता है।     ये  2 महीने कैसे मैने अपनी बहन की ऐसी  हालत देखकर गुजारे हैं, मैं ही बता सकता हूं, लेकिन तुम्हें कहां से पता होगा, मैने बोल दिया वो आज  शाम की फ्लाइट से  उसे वहां भेज रहा हूं,  तो यह फाइनल है, मैं भेज रहा हूं, समझ गए तुम।    तभी दूसरी तरफ से फिर कुछ कहा जाता है , जिसे सुनकर शादी बोलता है ,,मैं बाकी सारे इंतजाम कर लूंगा, उसे कुछ भी नहीं पता चलेगा, अब वह वहां आ रही है इतना बोलकर वह कॉल कट कर देता है।     आखिर सादी किस्से बात कर रहा था? किसे क्या पता नहीं चलेगा? वो दुआ को कहां  भेजने की बात कर रहा है? क्या उमर को देखना उसका वहेम था, या था वो हकीकत में?   Dear readers ye WhatsApp channel link hai, you can join my channel for novel update   https://whatsapp.com/channel/0029VaU5NydDZ4LWwF6b8O1p