#मेरे लवर की शादी मोक्ष ने सीने को आहिस्ता से सहलाया-"यार चुभा"ये सुन काश्वी ने उसी पल उससे अपनी नजरों को हटा लिया,मोक्ष उसके पास चला आया और उसके चेहरे को अपने सामनें किया,दोनों की नजरें फिर आपस में उलझ सी गयी,मोक्ष की आखों में जहां एक अनकहा सा अह... #मेरे लवर की शादी मोक्ष ने सीने को आहिस्ता से सहलाया-"यार चुभा"ये सुन काश्वी ने उसी पल उससे अपनी नजरों को हटा लिया,मोक्ष उसके पास चला आया और उसके चेहरे को अपने सामनें किया,दोनों की नजरें फिर आपस में उलझ सी गयी,मोक्ष की आखों में जहां एक अनकहा सा अहसास नजर आ रहा था वहीं काश्वी की आखों में हैरानी के भाव तैर रहे थे शायद उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था वो समझने की कोशिश कर रही थी कि मोक्ष उससे पूछ बैठा-"तुम्हें भी चुभा?" कि काश्वी उसे खुद से फिर दूर धकेल देती है-" मोक्ष त्रिपाठी बंद करो ये डॉयलॉगबाजी!"
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इंदौर.....!! मिसिज विशाखा श्रीवास्तव हाथ म़ें चाय का कप लेकर किचन से बाहर निकली और चाय का कप डाइनिंग टेबल पर रखकर,बाई तरफ देखते बोली -"देख मैनैं चाय बना भी दी,लाकर टेबल पर रख भी दी,जल्दी आजा फिर ना कहना चाय ठंडी हो गयी मां,मै फिर से नहीं बनाकर दूंगी चाय,कितना टाइम लगेगा तुम्हारी पूजा पूरी होने में?" तभी पीछे से आकर एक लड़का उन्हें हग कर लेता है-"गुड मॉर्निंग मां!" विशाखा जी मुस्कुरा दी-"गुड मॉर्निंग बेटा!" तभी उस लड़के ने डाईनिग टेबल से चेयर को निकाला और उस पर विशाखा जी को बैठाकर खुद पास वाली चेयर निकाल उस पर बैठ गया और टेबल पर रखी चाय के कप की ओर इशारा कर हंसते हुऐ बोला-"इस चाय में अगर मक्खी भी आ गिरी ना तब भी वो उस मक्खी को बाहर फैंककर ये चाय पी लेगी मां पर अपनी पूजा पूरी होने से पहले नहीं आएगी!" ये सुन विशाखा जी अंकुर को घूरते उसकी बाहं पर एक चपत लगा लेती है-"क्या बोले जा रहा है तू अंकुर !" अंकुर अपनी टाई सही करते-"और क्या बोलूं मां,आपको पता तो है उसकी पूजा कितनी लंबी चलती है फिर भी आप रोज सुबह- सुबह यूंही परेशान होती है,उसको आवाज पर आवाज देते रहते हो जबकि वो आपको जवाब ही नहीं देती है!" विशाखा जी उसी पल अपना माथा पीट लेती है और बाई तरफ के कमरे की ओर देखते बोलती है-"पता नहीं ये कैसी लड़की है,जवानी में कौन इतनी पूजा पाठ करता है,पूजा पाठ करने की तो उम्र हमारी है पर हमें चाय बनाओ मां बोल खुद हाथ में धूप बती लेकर दीनानाथ जी से बतियाने में लगी रहती है!" "तो इसमें बुराई क्या है विशाखा,पूजा पाठ ही तो कर रही है हमारी बेटी कोई गुनाह थोड़ी कर रही है?"एक तीसरी आवाज वहां गूंजी,दोनों मां - बेटे ने फट से सामने दरवाजे की ओर देखा तो पुलिस की वर्दी पहने एक शख्स खड़ा था जिसके चेहरे पर बड़ा ही तेज और होठों पर प्यारी सी मुस्कान थी उनको देख अंकुर फट से चेयर से उठ गया- "गुड मार्निंग पापा!" उन्होनें सिर हिलाया,विशाखा जी उनकी तरफ देखते अंकुर से बोली-"लो अंकुर गुनाहगारों को पकड़ने वाले अपनी रात की ड्यूटी कर,अब बेटी के पक्ष में ड्यूटी करने आ पहुंचे,आईए विरेन्द्र जी आपका ही इंतजार था पर आपकी थानेदारी यहां नहीं चलेगी, कोई जरूरत नहीं है अपनी बेटी की तरफदारी करने की,हम बहुत अच्छे से जानते है वो क्या है और हम क्या है,मां हूं मैं उसकी,आप भुलिऐ मत!" ये सुन विरेन्द्र जी हंस पड़े,पास के टेबल ड्रोर पर अपनी कैप उतारकर रखी उन्होने और ड्रोर खोल उसमें अपनी गन रखते बोले-"हम कुछ नहीं भूले सब जानते है आप मां है,मैं पापा हूं,ये(अंकुर की ओर इशारा कर)बरखुर्दार बड़े भाई,और मैं कहां (डाईनिंग टेबल के पास आकर चेयर पर बैठते) थानेदारी चलाता हूं घर में,मेरी थानेदारी तो सिर्फ बाहर ही चलती है,घर में तो मुझसे भी बड़ी एक थानेदारणी है,उनके आगे मैं कुछ भी बोलूं,मरना थोड़ी है!" ये सुन विशाखा जी की भोहें चढ़ गयी वहीं अंकुर मंद मंद हंसने लगा,विशाखा जी ने उसे घूरा-"हंस लिये हो तो बैठ जाओ,नाश्ता लेकर आती हूं इन्हें तो(विरेन्द्र जी की ओर देखते)सिर्फ बातें आती है जैसे पापा वैसी बेटी,हो सके तो बुला लो अपनी लाडली को,चाय पर आई मलाई को देखकर मुंह बनाएगी फिर".....बोल विशाखा जी वहां से उठ किचन में चली गयी! "ये विशाखा भी ना!"विरेन्द्र जी किचन की ओर देखते कहा और फिर अंकुर से बोले-"मेरा न्यूज पेपर!" "जी पापा!"कह अंकुर सोफे पर रखा न्यूजपेपर लेकर आया और विरेन्द्र जी को पकड़ा,खुद भी चेयर पर बैठ गया....तभी विशाखा जी दोनों का नाश्ता ले आई,नाश्ता टेबल पर रख,विरेन्द्र जी के हाथ से न्यूजपेपर लेकर साइड में रखते हुए बोली -"इंस्पेक्टर साहब पहले खाना फिर पढ़ना!" विरेन्द्र जी मुस्कुराते -"ओके माय लॉर्ड!" विशाखा जी उनको नाश्ता देकर अंकुर को सर्व करती है और फिर अपनी बेटी को आवाज देती है-"अब तो आ जाओ देवी जी,या चाय के साथ नाश्ता भी ठंडा करके मानोगी,हद है इस लड़की की ,सुबह सुबह पूरी भक्ततन बन जाती है बाद में ऐसी हरकतें की दीनानाथ जी भी सोच में पड़ जाएं कि क्या यह वहीं लड़की है जो सुबह मेरी भक्ति कर रही थी और अब फुल ऑन मस्ती कर रही है!" विरेन्द्र जी हंसते हुए-"कमाल है विशाखा,अपने बच्चों को सभी पूजा - पाठ में लगाना चाहते है और एक आप है जो अपनी बेटी को पूजा पाठ छोड़कर आने को बोल रही है!" विशाखा जी आकर उनकी पास वाली चेयर पर बैठ गयी-"आप भी जानते है उसका पूजा पाठ कैसा होता है और जो पूजा पाठ मैं उसको करने को बोलूं,उसका क्या?की है आजतक उसनें,मैनें उसे सोमवार का व्रत करने को बोला तो कहती है जैसे पार्वती मां ने तपस्या की शिवजी के लिऐ वैसे ही कोई मेरे लिऐ कर लेगा,जिसके भाग्य में माते हम लिखे होगें खुद मिल जाएगें,शिवजी की साइड रहूंगी मैं तो जिसे हम चाहिए वो खुद ही मेहनत करें,एक वर तक नहीं मांगती ये लड़की अपने लिऐ पता नहीं घंटो मंदिर में करती क्या है?" ये सुन विरेन्द्र जी और अंकुर दोनों हंस पड़े तभी विशाखा जी को अपनी तरफ घूरता देख दोनों ने अपनी हंसी रोक ली और अंकुर बोला-"उसकी लंबी पूजा में आपको नहीं पता मां क्या होता है, वो दीनानाथ जी को पटाती है कि काश आज वो जिसकी भी शादी करवाएं वो कोई,उसको चाहने वाला न निकले,वरना बेचारी मेरी बहन को फिर से अपने किसी लवर की शादी करवानी पड़ेगी, वो भी किसी और कन्या से,यहीं तो होता रहता है ना हमारी वेडिंग प्लानर के साथ,भावनाएं समझो मां उसकी,क्या बीतती होगी उसके दिल पर जब उसका लवर उसके सामने किसी और का दुल्हा बनकर खड़ा होता है,तो आप उसको आराम से करने दिजिऐ पूजा - पाठ उसका और रही बात इस चाय की तो आप परेशान मत होईए,मैं पी लेता हूं! इतना बोल अंकुर चाय का कप उठाने लगा कि दो पतले से,प्यारे से,गोरे से हाथों ने आकर फट से वो चाय का कप टेबल से उठा लिया-"सोचना भी मत काश्वी जिस चीज को चाहे उस पर नजर डालने की,चाय इश्क है हमारा भईया,किसी और को अपनी चाय पीना तो दूर,छूने भी नहीं दूंगी" कहते काश्वी ने चाय का घूंट भरा और आखें बंद कर मुस्कुराते बोली-"आहा!" तीनों ने काश्वी की ओर देखा! (25 की उम्र की एक प्यारी सी चंचल सी कन्या, लंबा कद,सुडौल शरीर गौरा रंग,सुंदर सा चेहरा, काले घने बाल,एक हाथ में मौली वाला धागा व दूजे हाथ में स्मार्ट वॉच,ब्लेक जीन्स,व्हाईट टॉप, अंदाज,आभा ऐसी की देखने वाला बस देखता रह जाए,नाम काश्वी श्रीवास्तव और पेशा वेडिंग प्लानर!) काश्वी फिर चाय का घूंट भरती है-" मां आपके हाथ की चाय ठंडी हो चाहे गर्म स्वाद कम नहीं होता ,मन तो करता है आपके हाथों को ही चूम लूं!" "सही कहा बेटा विशाखा के हाथ के पराठे और चाय दोनों लाजवाब होते है,सच में मन तो करता है हमारा भी,बनाने वाले के हाथ ही चूम ले,प्यार से जो बनाती है स्वाद तो होगा ना!"....विरेंद्र जी पराठा खाते मंद मंद मुस्कुराते हुए बोले! ये सुन विशाखा जी शर्मा गयी,काश्वी ने फट से अपनी आखें खोली और जोर से बोली-"पापा?" अंकुर-"लो पूजा पाठ करने और चाय की चुस्की लेने के बाद पापा दिखे है इसको!" काश्वी ने चाय का कप टेबल पर छोड़ा,विरेन्द्र जी के पीछे जाकर उनको हग करते बोली-"पापा तो सबसे पहले दिखते है भाई,पापा नहीं तो कुछ भी नहीं,गुड मॉर्निंग पापा!" विरेन्द्र जी काश्वी की गाल थपतपाते-"वेरी गुड मॉर्निंग मेरे बच्चा,हेव ए नाईस डे,वैसे पूजा पाठ हो गयी या पैंडिंग है!" काश्वी मुस्कुराते हुए-"हो गया पापा हो गया,एंड यू नो देट आपकी बेटी कोई काम कभी पैंडिंग नहीं छोड़ती फिर चाहे जो हो जाए,माते गर्म हो या(फिर से चाय का कप उठाकर चाय पीते)मेरी चाय ठंडी!" तभी विशाखा जी बोली-"अच्छा, तो हम कुछ नहीं ,पापा ही सब कुछ है क्या!" काश्वी उनकी ओर देख-"गलत नहीं जाईऐ आप विशाखा जी मैनैं कहा पापा नहीं.....तो कुछ भी नहीं,अब देखिऐ पापा है तो आप है,अरें पापा ने आपको पंसद किया ,यहीं तो आपको इस घर में लाए आपसू शादी करके,आपसे प्यार किया और फिर हम आपके लाल और लाली आएं, सोचिए बताईऐ पापा ना होते तो ये सब होता क्या?" ये सुन विशाखा जी ने अपना माथा पीट लिया-" कोई कह सकता है ये लड़की पूजा पाठ करके आई है,पूजा करके लोग शुद्ध बातें करते है और ये अशुद्ध ,बेमतलब,पता नहीं क्या क्या बोलती रहती है!" ये सुन काश्वी ने झट से कप की पूरी चाय गटकी और फट से अपना सिर पकड़ लिया-"ओह बेटे की,क्या अशुद्ध बोला मैनैं,सच तो बोला मैनैं,अब पापा आपको पंसद नहीं करते,आपसे शादी नहीं करते और...........काश्वी आगे बोलती कि तभी विशाखा जी ने हाथ जोड़ दिऐ-"बस कर मेरी मां थोड़ी शर्म करलो,मान लिया मैनैं सबकुछ तुम्हारे पापा की वजह से है ये घर ,ये परिवार,हम सब, हमनें तो कुछ नहीं किया इनसे शादी न की होती तो भी तुझ जैसी सिरफिरी पैदा हो जाती(काश्वी के सिर पर मारते हुए)और खुद ही इतनी बड़ी हो जाती!" काश्वी खुश होते -"रियली,तब मैं आसमां से खुद (सोचने की एक्टिंग करते)प्रकट होती या पापा अगर मां नहीं होती तो आपकी जरूर कोई दूसरी गर्लफ्रैंड होती ना ,या हमारी कोई और मां होती पर पापा तो यही होते और हम भी पैदा होते इस सच को कोई नहीं बदल सकता है!" विशाखा जी ना में सिर हिलाते हुऐ-"देखो इस लड़की को,पापा,मां,भाई सब बैठे है यहां फिर भी कैसी बातें किए जा रही है और आप(विरेंद्र जी से)हंस क्या रहे है,मैं ना मिली होती,आपको तो कोई ना मिलती,बता तो अपनी लाडली को जो हर वक्त अपने पापा के गुणगान गाती रहती है!" ये सुन काश्वी फट से विरेन्द्र जी के पास वाली चेयर पर आ बैठी-"सच में पापा इनके अलावा आपको हमारे लिऐ कोई मम्मी न मिली,कोई भी नही?" अंकुर-"ओये पागल तेरे धरती पर आने के बाद मम्मी थोड़ी लाए पापा,क्या बोल रही है!" काश्वी "हीशशश"कहते-"आप अभी मुंह के टेप लगाओ भाई और आप बोलो पापा!" विशाखा जी-"हां बेटा टेप लगा लो ,इसका टेप रिकार्डर न रूकने वाला!" तभी विरेन्द्र जी ना में सिर हिलाते बोले-"नहीं मिली,अब ना कोई पंसद आया ना किसी से प्यार हुआ,सच में ये ना मिलती(मुस्कुराते कंधे उचकाते हुऐ) तो कोई भी ना मिलती!" काश्वी-"चलो माना मम्मी नहीं मिली कोई हमारे लिए इनके अलावा,पर कोई गर्लफ्रैंड तो होगी ही ना आपकी,इस बीवी से पहले,कोई क्रश,कोई तो जिससे आपने जवानी के दिनों में थोड़ी ही सही पर,प्यार महोब्बत की बात की हो,और.....काश्वी आगे कुछ बोल पाती,विशाखा जी चेयर से उठी और उसकी तरफ आकर उसके कान खींचते हुए बोली-"चुप होने का क्या लोगी पहले ये बताओ तुम?" काश्वी अपना कान छुड़ाने की कोशिश करते-" भूख लगी है कुछ यमी सा खाने को दे दो,यू नो चटपटी बातों से पेट न भरता मां,चटपटा खाना भी जरूरी है!" विशाखा जी काश्वी का कान छोड़ते-"बिल्कुल शर्म नहीं है ना,मंदिर में घंटे भर खड़ी रहती है कम से कम पूजा पाठ का दस मिनट तो असर रहने दिया करो,शर्म करलो बेटा थोड़ी?" तभी काश्वी ने अपने दोनों हाथ अपने चेहरे पर रखे -"लो करली शर्म थोड़ी सी ,हैप्पी और हां मैं कोई पूजा पाठ नहीं करती हूं सुबह सुबह ,वो तो दीनानाथ जी के साथ एक इम्पोर्टेन्ट मिंटिग होती है मेरी,जो कि करनी बहुत बहुत जरूरी होती है वरना आपक़ो भी पता है काश्वी श्रीवास्तव धर्म से ज्यादा कर्म में बलीव में करती है!! (कमशः)
काश्वी की बात सुन विशाखा जी ने उसके कंधे पर जोर से हाथ दे मारा वो थोड़ा आगे की तरफ झटकी और मुंह बनाते बोली-"मार क्यों रहे हो मां?" "शाबाशी वाले काम किए है तुमने जो मैं तुमको मारने की जगह शाबाशी दूं,नौटंकीबाज"विशाखा जी ने कहा तो काश्वी ने मुंह बनाते विरेन्द्र जी की ओर देखा-"देखिए ना आपकी मिसिज आपकी बच्ची पर कैसे अत्याचार कर रही है ,आप कुछ नहीं बोलेगें पिता श्री माते को,कहां गया आपका कानून मुझे इंसाफ दिलाईए!" ये सुन अंकुर मंद मंद हंस पड़ा और विशाखा जी ने फिर अपना माथा पीट लिया तभी विरेन्द्र जी आवाज में भारीपन लाकर बोल पड़े-"खबरदार विशाखा,जो मेरी प्यारी सी बच्ची को डांटा,कुछ भी कहा तो? मुझसे बुरा कोई नहीं होगा,कानून इसकी बड़ी से बड़ी कड़ी से कड़ी कड़ी सजा दे सकता है आपको ,ये बात याद रखिऐगा!" ये सुनते ही काश्वी ने विशाखा जी की ओर देखते बतीसी दिखाई और विरेन्द्र जी के गले लग गयी -"मेरे तो आप ही सबकुछ है पापा,बाकि सब तो मोह माया है ,समझता ही नहीं कोई हमको ,लव यू पापा!" विरेन्द्र जी उसका चेहरा हाथों में भर माथा चूमते है-"लव यू टू मेरा बच्चा!" ये देख विशाखा जी बोली-" आप पापा बेटी से उलझना और जीतना हमारे बस की बात नहीं और आप दोनों से बुरा कोई नहीं,कोई भी नहीं!" "ये क्या बोल रही हो विशाखा हम तो भले मानुष है,हमसें अच्छा भी कोई न होगा,क्यों काश्वी बेटा "विरेन्द्र जी ने हंसते कहा तो काश्वी उनसे "येस पापा"कहते हाईफाई करती है और विशाखा जी की ओर मुड़ बोलती है-"वैसे हमसें उलझती क्यों है आप माते श्री,खैर छोड़िऐ हमसें कोई ना जीत पाया आजतक(फिर से विरेन्द्र जी को हग करते) राइट पापा!" "येस माई डॉल!"विरेन्द्र जी ने काश्वी की गाल को प्यार से थपथपाया तभी विशाखा जी काश्वी को पराठा रोल करके देती है-"ले खा और भूख मिटा और हम जीते भी कैसे हमें बातें जो नहीं आती आप दोनों जितनी,अब मुंह बंद रख और खा अपना आलू का पराठा!" "आलू का पराठा,वाव लव यू सो मच मां" कह काश्वी विशाखा जी से लिपट गयी,...तभी अंकुर बोला-"तुम कितनी बड़ी दल बदलू हो ना,पापा तेरी साइड ले तो तुम उनकी साइड ,और मां तेरे पंसद का कुछ करें तो उनकी साइड वाह काश्वी श्रीवास्तव आपका तो कहना ही क्या?" काश्वी पराठा खाते खाते अंकुर की ओर आई और उसकी पास वाली चेयर पर बैठ अंकुर के कंधे पर कोहनी टिका बोली-"वो बात यूं है बड़के भईया इसे दल बदलू नहीं कहते जहां जहां काश्वी श्रीवास्तव का कोई अपना खड़ा हो ना वहीं पर अपुन जाकर खड़ा हो जाता है ,चाहे फिर पापा हो,मां,हो या फिर आप,,बाकि तो मजाक मस्ती चलती रहती है सो डोंट बी सीरीयस,मैं पापा की लाडली हूं,मां की चहेती हूं,हां वो बात अलग है इनका प्यार फटकार में नजर आता है,और आप की भी जान है आपकी ये बहना,सो लव यू सो मच गाईज,आप सब मेरी लाइफ लाईन,पाइप लाईन,हैडलाइन सब हो!" ये सुन सब ह़ंस पड़े ,अंकुर ने काश्वी को"पागल" कहते उसके सिर पर चपत लगाई -"वैसे तुझे ये किसने कहा तू मेरी जान है,जान नहीं तुम जानी दुश्मन हो, मेरी समझी!" "अब जान बोलो या जानी दुश्मन ,खानी तो मैनैं आपकी जान ही है और आप ये हक मुझसे नहीं छीन सकते,समझे!"काश्वी इतारते हुऐ बोली "सच कहा मां आपने बहुत नौंटकीबाज है ये,इसे ना वेडिंग प्लानर नहीं मुंबई जाकर हीरोइन बनना चाहिए था!"अंकुर हंसते हुऐ बोला, विशाखा जी चेयर पर बैठते-"फिल्मों में तो दूर कोई टीवी सिरियल में भी नहीं लेता इसको,यह ओवर एक्टिंग की दुकान है ,मुंबई वाले वापस इंदौर फैंक जाते इसको!" काश्वी मुस्कुराते हुए-"इतना कॉन्फिडेंस तो किसी मां को अपने बेटा बेटी पर ना होगा जितना मेरी मां को अपनी सपुत्री पर है,थैक्यूं मां!" अंकुर-"पागल तेरी तारीफ नहीं मां तेरी इंसल्ट कर रहे है और तू थैक्यूं भी बोल रही है!" काश्वी विशाखा जी की ओर देखते-"हां तो मेरी इंसल्ट करने का हक मेरी मां को है वरना काश्वी श्रीवास्तव की इंसल्ट तो क्या,कोई अंगुली भी मेरी ओर नहीं कर सकता है पूरे इंदौर में!" "हां भई करें भी कैसे पापा हडियां तोड़ने में जो माहिर और बेटी मुंह तोड़ने में?"विशाखा जी ने पापा बेटी दोनों की ओर देखते बोला तो अंकुर भी बोल पड़ा-"और मां दिल तोड़ने में भी,काश्वी श्रीवास्तव मुंह ही नहीं दिल भी बहुत तोड़ती है!" ये सुन सब हंस पड़े! "काश मेरी बेटी दिल तोड़ने की जगह दिल को किसी के साथ जोड़ती तो कितना अच्छा होता ना!"विशाखा जी हथेली अपनी गाल से टिकाते बोली, "क्यों किसी का बुरा सोच रही हो मां!"काश्वी ने पराठा खाते खाते कहा, "बुरा नहीं तेरा अच्छा सोचती हूं पर तू सोचने दे, कुछ करने दे तब ना,पता नहीं कबतक अपने इस दिल पर ताले लगाकर रखोगी तुम,जब भी कोई लड़का आता है तुम चाबी नहीं हो कहकर भगा देती हो उसे,आखिर ऐसा कबतक चलेगा काश्वी, महीने में पंद्रह बीस शादी करवाती हो तुम वो भी दूसरों की और खुद की शादी का ख्याल भी नहीं है तुमको?"...विशाखा जी ने थोड़ा परेशान होते सबकी ओर देखते अपनी बात कही तो माहौल में शांति पसर गयी!! "मां आईथिंक हमारी काश्वी को रिकॉर्ड तोड़ना है सब लड़को के दिल तोड़ने का,सब को "ना" बोलने का,देख बहन तू इस मामले में सबसे ऊपर है और हमेशा ऊपर ही रहेगी,रिकोर्ड बना लिया है तुमने कब का,पूरा इंदौर जानता है अब तो कि काश्वी श्रीवास्तव किसी से भी दिल जोड़ती नहीं बल्कि मुंह पर सीधा मना करके दिल तोड़ती है, अब तो बस कर?"अंकुर ने भी कहा, "पता नहीं, ऐसा करके इस लड़की को क्या ही मिलता है क्यों करती है ऐसा?कोई कितना ही समझा लो ,ना समझती है ना कोई बात मानती है बस अपनी चलानी है ?"विशाखा जी फिर काश्वी को सुनाते बोली तो काश्वी ने उम्मीद भरी नजर से विरेन्द्र जी की ओर देखा और मन ही मन खुद से कहा-"पिताश्री रक्षा किजिए ,वरना माता श्री और भ्राता श्री आपकी पुत्री का इसी वक्त काम तमाम कर देगें!" तभी विरेन्द्र जी ने विशाखा जी के कंधे पर हाथ रखा -"विशाखा क्यों परेशान होती हो बेवजह, कुछ नहीं मिलता है काश्वी को ऐसा करके,जब शादी करनी होगी इसको बता देगी ना अभी नहीं करनी इसे तो जबर्दस्ती तो नहीं कर सकते है ना, समझो बात को जिस दिन हमारी बेटी तैयार हो गयी इस सब के लिऐ खुद बता देगी हमकों,अभी उम्र ही क्या कौन सी बुढी हो रही है काश्वी जो तुमको आज ही इसके हाथ पीले करने है और जिन लड़को को मना करती है अच्छे नहीं होगें इसके लिऐ,नहीं पंसद आते होगें काश्वी को तभी मना करती है,अच्छा बुरा समझती है हमारी बेटी, जरूरी तो नहीं कोई रिश्ता आया हो ,मां चाहती है शादी करलो तो करलो,किसी लड़के ने प्रपोज किया है भाई(अंकुर की ओर देख)चाहता है अब किसी लड़के को "ना" नहीं बोले मेरी बहन तो उसका प्रपोजल एक्सेट कर लें!" "नहीं(काश्वी की ओर देख)इसके भी तो सपने है इसकी भी मर्जी है,जबतक हमारी काश्वी खुद न चाहेगी तब तक ऐसा कुछ नहीं होगा? कुछ भी नहीं,काश्वी अपनी लाइफ का ये फैसला खुद ही लेगी और हम ये हक इसे कब का दे चुके है,तो इस बारें में कोई काश्वी से कुछ ना कहे तो बेहतर है फालतू की जिद्द करना ही क्यों,इस बारें में अब और कोई बात नहीं होगी,"....बोल विरेन्द्र जी ने अपनी बात खत्म की! जिसे सुन काश्वी हल्का सा मुस्कुरा देती है ,अंकुर ने अपनी नजरें झुका ली,विशाखा जी विरेन्द्र जी की ओर एकटक देखने लगी जो अपना खाना - खाने में व्यस्त हो गये थे! काश्वी ने सबकी ओर नजर दौड़ाई-"ओ बेटे की,इस शादी वाले मामले ने तो गड़बड़ ही करदी सुबह सुबह सबके मूड का कबाड़ा कर दिया,क्या करू़ं,कुछ बोलूं के चुप रहूं,पर श्रीवास्तव परिवार में ये खामोशी भी तो अच्छी नहीं लगती,कुछ तो करना पड़ेगा पर क्या?" सबको खामोश देख काश्वी को फिर से खुराफात सूजी ,उसने अंकुर के कोहनी मारी तो अंकुर ने भोहें उचकाते इशारे से पूछा-"क्या है?"तो काश्वी विरेन्द्र जी -विशाखा जी की ओर इशारा करती है तो अंकुर ना में सिर हिलाते "वो कुछ नहीं करने वाला"मन ही मन बोलते अपना पला झाड़ लेता है ये देख काश्वी ने उसे घूरा और खुद मासूमियत से बोली-"माते देखो ना आपकी बच्ची की अभी उम्र ही क्या है ,ग्रेजुएशन पास कर अपना अभी अभी काम स्टार्ट किया है,करवा देना शादी,इतनी भी क्या जल्दी है और मैं कौन सा बुढी हो रही हूं देखिऐ एक बाल भी सफेद नहीं आया है अभी तक,,,देखो ना भाई, है क्या सफेद बाल मेरे सिर पर!"कहते काश्वी ने अपना सिर अंकुर के सामने किया तो अंकुर ने बाल देख फट से बोल दिया-" नहीं है एक भी नहीं है!" "देखा मां एक भी बाल सफेद नहीं है आप क्यों मेरा बाल विवाह करना चाहते हो,अभी ना मुझमें समझदारी है और ना मैनैं दुनियादारी को सीखा है जो लड़की गैंस पर रखी चाय भी नहीं संभाल सकत, वो अपनी शादीशुदा जिंदगी,घर परिवार ,बच्चे ,कैसे संभालेगी,सोचो जरा क्या होगा इस नन्ही सी जान का,जिसने अभी तक ना ठीक से चलना सीखा है और ना ही जिंदगी जीना ,अभी अभी तो सफर शुरू किया है मैनैं आप क्यों बीच में शादी नाम का पत्थर अड़ा रहे हो,मत करो मां ऐसा,काश्वी श्रीवास्तव शादी नाम की जिम्मेदारी कैसे उठाएगी,रहम करो मां,बोझ ना डालो अपनी पुत्री पर माते,वरना दब जाएगी आपकी फूल सी बेटी शादीशुदा जीवन चलाने के काबिल नहीं हूं मैं अभी,मत बांधो मुझे उस बंधन में जहां आप की की ये चिड़िया चिड़चिड़ी हो जाएगी!" ये सुन अंकुर को हंसी आ गयी और विरेन्द्र जी भी मुस्कुरा दिये पर विशाखा जी का ध्यान आते ही दोनों ने खुद पर कंट्रोल कर लिया! तभी विशाखा जी अपने माथे पर हथेली मारते बोली-"लो पिता कम थे अब सपुत्री जी भी मुझे सिखाने चली,जैसे मुझे तो कुछ पता ही नहीं तो बेटा जी शादी के लिऐ तैयार करना पड़ता है खुद को,सीखना पड़ता है सबकुछ चाहे वो फिर चाय बनाना हो या शादीशुदा जीवन की बागडोर को संभालना हो,हम भी कोई मां के पेट से सीखकर नहीं आए थे जब जिम्मेदारियां सिर पर आती है ना तो उठा भी ली जाती है और सबकुछ संभाल के निभा भी ली जाती है,पर तुमको कुछ सीखना ही नहीं ,बाद में मां बाद में और बाद कभी आता ही नहीं तुम्हारा?" "और क्या कहा बाल विवाह उम्र देख अपनी दूध पीती बच्ची तो हो नहीं,वैसे तो बड़ी ही समझदार बनती हो,दुनियाभर की खबर रखती हो,बस एक शादी के मामले में ही खबर नहीं और समझ नहीं वाह बेटा बनलो सयानी पर मैं भी मां हूं तुम्हारी समझी,मुझे बेवकूफ बनाना छोड़ ही दो,और क्या बोला सफेद बाल तो पिछले संडे को जब बालों में तेल लगवा रही थी तब निकाला था मैनै सफेद बाल,हो चली बुढी ,अब जब दांत गिर जाए छड़ी लेकर चलने लगो तब रचा लेना ब्याह ठीक है!" ये सुन काश्वी अपना सिर खुजाते बोली-"ऐसे ना बोलो माते,बुढापे में कौन शादी करता है सफेद बाल,दांत गिरे ,लड़खड़ाती चाल फेरे भी ठीक से ना लिऐ जाएगें,वरमाला ढालते वक्त सांस ही चढ़ गयी तो ना बाबा ना अपन इतना लेट नहीं करेगें और वो सफेद बाल गलती से चला आया उम्र से कोई लेना देना नहीं,वो चिक्की है ना मां, पड़ोस वाले अंकल की पोती,उसके तो अभी भी सफेद बाल आए पड़े है बहुत सारे उम्र भी दस साल है माते,वो कमजोरी की वजह से आ जाते है सो डोंट कॉल मी बुढ़ी,एम ब्यूटी क्वीन,अभी तो मेरी मां भी जवान है तो कैसे बुढी हुई राइट पापा!" विरेन्द्र जी कुछ बोलते विशाखा जी बोल पड़ी-" राईट पापा तो उसके पापा जी आप ही बताईऐ आपको क्या लगता है काश्वी की शादी के पीछे हाथ धोकर पड़ी हूं मैं ,आपको क्या लगता है मैं जबरदस्ती इसकी शादी करवा दूंगी,इसे बोलूंगी चल बैठ मंडप में और शादी कर,,,,जी नहीं और म़ुझे भी पता है हमनें लड़का ढूंढने,लड़का पंसद करने,उससे शादी करने,इस मामले में अपनी बेटी को अपनी मर्जी से फैसला लेने का हक दे रखा है और ये मर्जी की मालकिन जिसका पूरा - पूरा फायदा उठा रही है! "हक इसका ही है जो होगा इसकी मर्जी का ही होगा पर लड़का देखेगी,पंसद करेगी तभी शादी होगी ना इसकी,पर ये तो करने से रही,मैं लड़को का जिक्र करती हूं उनको भी हां ना करते टाल देती है आपकी ये लाडली,खुद से तो कुछ करने से रही इसलिए मुझे ये काम करना पड़ता है कहीं मैं जो रिश्ता लेकर आऊं वो इसे पंसद आ जाए, और हां चाहे आप बोले या आपकी ये लाडली ,मैं तो अपना काम करूंगी ,मैं भी मां हूं और मेरा भी हक बनता है मेरी बेटी पर तो जिसे जो करना है करलो,जिसे रोकना है रोक लो मैं तो नहीं रूकने वाली!" "और हां अच्छा लड़का ढूंढने में,पंसद करने में, रिश्ता पक्का करने में वक्त लगता है ,ये नहीं कि लड़का मिला और शादी,सिर्फ लड़का ढूंढने को कहती हूं तुमको ना कि आज ही शादी करो,और तुम आज लड़का पंसद कर लो तो शादी साल दो साल बाद भी कर सकती ह़ो पर काश्वी शुरूआत तो करनी ही नहीं तुम्हें,चीजों को करने और होने में वक्त लगता है जितना जल्दी समझ लो आप सब अच्छा है और सही वक्त पर सब हो जाए तो और भी अच्छा है"इतना कह विशाखा जी वहां से उठकर किचन में चली गयी! काश्वी और विरेन्द्र जी ने अपना सिर पकड़ लिया और अंकुर दोनों के चेहरे बारी - बारी से ताकने लगा,काश्वी लटकाऐ चेहरे के साथ-"सच में पूछ रही हूं पापा आपसे, इनके अलावा कोई भी नहीं मिला आपको!" विरेन्द्र जी ना में सिर हिलाते-"नहीं मिला!" अंकुर पराठे का टुकड़ा काश्वी के मुंह मे देते हुए- "मां जितना अच्छा कोई हो ही नहीं सकता,ना पापा के लिऐ और ना हमारे लिऐ!" ये सुन काश्वी मुस्कुरा दी और विरेन्द्र जी ने जल्दी नाश्ता करने को कहा!! ________ थोड़ी देर बाद- काश्वी विशाखा जी को आवाज देते-"मां,मां मेरी स्कूटी की चाबी देखी क्या?" विशाखा जी कमरे से निकलकर हॉल में आती है -"यहीं तो रखी थी?" काश्वी सोफे से पिलो उठाकर इधर उधर फैंकते -"यहां तो नहीं है!" "क्या कर रही है चाबी ढूंढ रही हो तो वो ढूंढो ना मेरा काम क्यों बढ़ा रही हो,अभी तो सही किए थे मैनैं ,और तुम फैंक रही हो?"काश्वी को पीछे कर विशाखा जी पिलो ठीक करते बोली! "मां ये बाद में कर लेना ,मेरी स्कूटी की चाबी?मुझे लेट हो रहा है,पता नहीं कहां है मिल जाओ मेरी स्कूटी की चाबी कहां हो?"...काश्वी जोर से बोली! "एक बात बता तेरी चाबी बोलती है क्या,जो ऐसे चिल्लाने से फट से तेरे सामने आकर बोलेगी ,मैं यहां हूं,हम्म?"विशाखा जी ने काश्वी के सिर पर चपत लगाई पर वो मुस्कुराते उनके कंधे पर बाहें डालकर बोली-"अगर ऐसा होता तो मां कितना अच्छा होता ना,हम अपनी चीजों को आवाज देते और वो फट से सामने प्रकट हो जाती,वाव जस्ट इमेजन(सोचते)लाइफ कितनी वंडरफुल होती ना मां!" "हो गया तेरा ,बाहर आजा काल्पनिक दुनिया से ऐसा कुछ नहीं होने वाला,अगर हो गया ना तो सबका बेड़ा गर्क हो जाएगा,खासकर तुम जैसे निठल्लों का,जो अपनी चीजें जहां चाहे फैंक देते है संभालकर तो रखनी नहीं होती है,आलस बढ़ जाता तुम्हारा कुछ ढूंढना नहीं पड़ता तो फालतू का सोचना बंद कऱो और चाबी ढूंढ़ो अपनी,और आगे से संभाल कर रखनी है ये याद रखो,आती हूं मैं,तुम भाई बहन का टिफिन लेकर?"....इतना बोल विशाखा जी किचन में चली गयी! "ये माते श्री भी नाजब देखो भाषण,ज्ञान,लेक्चर, सलाह देते रहते है,ना मांगो तब भी,मां को तो ना एडवाइजर ब्यूरो खुलवा देना चाहिए,जिसमें ज्ञान और एजवाईज दे,कलास दे कुशल,सफल जीवन को लेकर,एडवाइजर विशाखा श्रीवास्तव,वाव सो कूल खैर काश्वी अभी ये छोड़ मां का एडवाइजर ब्यूरो खोलने के सपने के चक्कर में कहीं तेरा ही मैरिज ब्यूरो बंद ना हो जाएगा,तू पहले ही लेट है, चाबी तो ढूंढ कर दी नहीं मां ने?कहां गयी स्कूटी की चाबी काश्वी ने अपना सिर खुजाते इधर उधर नजर दौड़ाई!! तभी पीछे से आवाज आई-"ये रही चाबी!" (क्रमशः)
काश्वी ने मुस्कुराते पीछे मुड़ देखा तो अपने हाथ में स्कूटी की चाबी लिए विरेन्द्र जी खड़े थे-"यह रही चाबी ,ड्रोर में रखी हुई थी!" काश्वी उनकी ओर बढ़ते-"आप ना हो ना पापा तो मेरे जीवन की नईया पार हो ही नहीं सकती है,हां वो कल मैनैं ही आकर रखी थी ये सोच की आसानी से सुबह मिल जाएगी पर मैं भूल गयी!" "मेरी बेटी इतनी भुलक्कड़ कबसे हो गयी?" "आईथिंक जबसे मैनैं बादाम खाने बंद कर दिये है पापा!" "ओह तो बादाम खत्म हो गये क्या,,,मैं आज ही लेकर आता हूं बादाम,मेरी बेटी चीजें रखकर भूल जाए ऐसा तो नहीं होना चाहिऐ!" "ये तो सच कहा आपने कि खुद ही चीजें रखकर भूल जाएं ऐसा नहीं होना चाहिऐ ,पर जब ध्यान सौ चीजों में अटका हो बंदा कुछ न कुछ भूल ही जाता है पापा फिर चाहे कितने ही बादाम खा लो यादाश्त कमजोर पड़ ही जाती है!"काश्वी ने जैसे ही ये कहा विरेंद्र जी परेशान हो गये-"सब ठीक है ना बेटा कोई टेंशन की बात तो नहीं है ना!" "अरें नहीं पापा सब ठीक है वो बस काम है ना थोड़ा ज्यादा ,शादी के सीजन चल रहे है कितना सारा काम होता है,काम के साथ- साथ लेट भी तो हो रही हुई ना,तो बस उसी चक्कर में और चीजें भी ध्यान से निकल जाती है बट थैक्यूं पापा आपने मुझे और लेट होने से बचा लिया" कहते काश्वी ने विरेन्द्र जी के हाथ से स्कूटी की चाबी ली और"लव यूं पापा"कहते उनके सीने से लग गयी! "लव यू टू बेटा,ऐसे ही खुश रहा करो,सब काम हो जाने है,डोंट वेरी ज्यादा स्ट्रेस लेने की कोई जरूरत नहीं है ओके!" काश्वी उनके चेहरे की ओर देखकर "येस पापा" बोलती है,तो विरेन्द्र जी भी"माय गुड गर्ल"कहते काश्वी का माथा चूम लेते है! काश्वी उनसे दूर होते-"पापा मैं नया कांट्रेक्ट लेने जा रही हूं शादी का आज,आईहोप सब अच्छे से हो जाए!" "सब बहुत अच्छा होगा,मुझे मेरी बच्ची पर पूरा भरोसा है जो कि अपने सारे काम बहुत अच्छे से करना जानती है,,बेस्ट ऑफ लक!" कह विरेन्द्र जी ने काश्वी के गाल पर प्यार से हाथ रखा तो वो उनका हाथ चूम हम्म कहते अपना सिर हिला देती है,तभी उसे लेट होने का ख्याल आया,उसने जल्दी से टेबल से अपना हैंडबैग उठाकर गले में डाला और "बाय पापा सी यू सून" बोलते घर से बाहर भाग गयी!! "आराम से जाना "कहते विरेन्द्र जी ने काश्वी को आवाज दी, तभी विशाखा जी किचन से उसका टिफिन लेकर आ गयी-"लो काश्वी टिफिन?" विरेन्द्र जी उनकी ओर आते-"वो तो चली गयी!" विशाखा जी दरवाजे की ओर देखते-"क्या चली गयी मैनैं बोला था मैं टिफिन लाती हूं,हमेशा ऐसा करती है,,टिफिन लिऐ बिना चली जाती है, क्यों इस लड़की के सिर पर हमेशा जल्दी मची रहती है!" तभी वहां अंकुर आ गया-"मां मेरा लंच बॉक्स?" "ये ले" कहते विशाखा जी ने अंकुर को उसका टिफिन पकड़ाया तो अंकुर उनकी हाथ की ओर देख बोला-"फिर नहीं लेकर गयी अपना टिफिन, चलो कोई बात नहीं वो भूखी वैसे भी नहीं रहती है !" विशाखा जी हाथ में पकड़े डिब्बे की ओर देखते- "खाऐगी तो बाहर का ही ना!" "तो उसको कौन सा मेरी तरह बाहर का खाना पंसद नहीं है आप फिक्र मत किजिऐ और हां मैं चलता हूं बाय मां "कहते अंकुर विशाखा जी के गले लगा! "बाय बेटा ,,,,ध्यान से जाना"विशाखा जी अंकुर की गाल छूते बोली ,तो उसने हां में सिर हिलाया और विरेन्द्र जी की ओर देखा-"बाय पापा!" "जवाब में विरेन्द्र जी ने हां में सिर हिला दिया और अंकुर उसी वक्त वहां से चला गया,,उसके जाते ही विशाखा जी बोली-"कभी तो अच्छे से बाय कह दिया करो इसको?" "तो मैनैं कौन सा डांटा या गलत कुछ कहा उसे विशाखा,अब कोई खुद ही पास आने से कतराए तो मैं क्या कर सकता हूं,एनीवे मुझको एक कप चाय मिलेगी,बहुत मन हो रहा है मेरा चाय पीने का,पिलाओगी अपने हाथ की अच्छी सी चाय, या बेटी टिफिन लेकर नहीं गयी इस चक्र में मुझे चाय के लिए तड़पना पड़ेगा?"विरेन्द्र जी मंद मंद मुस्कुराते इधर उधर देखते बोले! "आप भी ना,मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगी,आपको बिल्कुल भी चाय के लिए तड़पना नहीं पड़ेगा, वैसे कमाल है ना बेटी का चाय पिए बिना नाश्ता गले से नहीं उतरता और बेटी के पापा का चाय के बिना नाश्ता पचता नहीं,हम्म!"विशाखा जी ने सवाल किया तो विरेन्द्र जी ने कंधे उचका दिये-" "अब ऐसा है तो है,आदतन है विशाखा,आपके भी और आपकी हाथ की चाय के भी!" ये सुन विशाखा जी ह़ंस दी और "अभी लाते है चाय "कह वहां से चली गयी,तभी विरेन्द्र जी का ध्यान हॉल में लगी अंकुर की फोटो पर चला गया जिसको देख उनके चेहरे पर परेशानी की लकीरें उभर आई-"ऐसा लगता है अब तो जैसे मेरा बेटा दिन बे दिन मुझसे दूर होता जा रहा है,......तभी उनका ध्यान उसी दीवार पर लगी काश्वी की भी फोटो पर चला गया वो उसकी तरफ आए और उस पर हाथ फैर मुस्कुराते हुए बोले-"जब तक मेरा ये बच्चा है ना कभी किसी रिश्तों में दूरियां आ ही नहीं सकती है!" _________ काश्वी ने अपनी स्कूटी एक घर के बाहर रोकी,वो फट से हेलमेट उतार स्कूटी से उतरी और तेजी से उस घर की तरफ बढ़ी-"कितनी भी बार कहलो कि जब मैं लेने आऊं तो मुझे घर के बाहर रेडी मिला करो पर नहीं इनके कान पर तो जूं रेंगनी ही नहीं,रोज समझाना पड़ता है मैं तो लेट होती ही हूं ये लड़का भी लेट लतीप का अवार्ड अपने नाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाला,कहते दरवाजे पर पहुंच काश्वी ने अपने दोनों हाथों से दरवाजे को अंदर की तरफ जोर से पुश किया! पुश के साथ ही काश्वी घर के अंदर की तरफ जा गिरी,पर नीचे गिरती उससे पहले उसने दरवाजे को पकड़ लिया और संभलते हुऐ बोली-"हद है दरवाजा अंदर से खुला है और बंद कर रखा है, या तो पूरा ही बंद रखे या पूरा खुला,इसका यह लोचा तो कभी समझ ही नहीं आता है मुझे ही आदत लगानी पड़ेगी धीरे से खोलने की वरना काश्वी बेटा तेरी हडियां तो टूटेगी,फिर दूसरों को शादी के बंधन में बांध जन्मों जन्मों तक उनको जोड़ने का काम छोड़ अपनी टूटी हडियां जोड़ने के काम में लग जाना"....बड़बड़ाते काश्वी ने घर अंदर कदम रखा तो उसकी आखें फटी की फटी रह गयी उसने चारों और नजर दौड़ाई-"ओ बेटे की ,घर है या कूड़ेदान!" सब तरफ सामान बिखरा पड़ा था डाइनिंग टेबल पर कपड़े तो सोफे पर प्लेट,कप गिलास,बुकस कुर्सी पर तो जूते टेबल पर,न्यूटपेपर फर्श पर ही बिखरे पड़े थे,बोटल कहीं उसका ढक्कन कहीं, कोई भी चीज अपनी जगह पर नहीं थी,सबकुछ अस्त व्यस्त,जिसे देखकर काश्वी ने अपना सिर पकड़ लिया-"मुझे तो देखकर ही मिचमिची मच रही है ये यहां रहता कैसे है?" तभी पास के कमरे से काश्वी की ही एज का एक लड़का बाहर निकला यानि कि 26-27 उम्र,लंबा कद,गौरा रंग,भूरी सी आखें,माथे पर बिखरे बाल, हैंडसम लुक,यानि की हर तरह से अच्छा खासा लड़का,जिसने ब्लू जीन्स पहनी थी और गले में व्हाइट टॉवल डाल रखा था जिससे अपने गीले बालों को पौंछ रहा था,वो काश्वी की आवाज सुन वो हॉल में आते बोला-"जिसे देख तुमको होती है मिचमिची वहां पर अपुन बड़े शौंक से रहता है मैडम!" काश्वी उसकी ओर मुड़ते-"तुमने ये क्या हालत कर रखी है घर की,सबकुछ अस्त व्यस्त ,इतना कबाड़ा तो गुस्सें में मैं भी अपने रूम का नहीं करती जितना तुमनें पूरे घर का यूहीं कर रखा हैं, हालत देख घर की ,घर कम कुड़ेदान ज्यादा लग (गंदा सा मुंह बनाते)रहा है!" वो लड़का इधर उधर नजर दौड़ाते हुए-"इतना भी कुड़ेदान नहीं लग रहा है,और मेरा घर मुझे ही रहना है मुझे तो कोई शिकायत भी नहीं,जो चीजे चाहिऐ सब सामने है(हंसते )जब मर्जी चाहो तब उठा लो !" "अच्छा और सफाई कौन करेगा,छी कितना गंदा लग रहा है देख जरा,और रही बात सामने की तो सामने रख ना,जैसे बर्तन डाईनिंग टेबल पर,और ये कपड़े अलमारी में,पर नहीं तुझको तो इधर से उधर करके रखना होता है सब,कोई तेरे इस घर को घर नहीं कह सकता और इस कबाड़खाने में ठहरना तो दूर दो पल की सांस भी कोई नहीं ले सकता है!"काश्वी गर्दन झटकाते बोली, वो लड़का काश्वी के पास आकर-"तू ठहरने का मन तो बना,ये अचूक वर्मा ,मेरे जिस घर को तू कबाड़ाखाना बोल रही है उसे स्वर्ग से सुंदर घर ना बना दे तो कहना!" ये सुन काश्वी मुस्कुराते हुए इधर उधर देखती है "जहां सब कुछ अस्त व्यस्त है वहां पर तू स्वर्ग बनाएगा!" तभी अचूक ने काश्वी ने कमर में बाहं फंसाई और उसको अपने करीब खींच उसकी तरफ एकटक देखते बोला-"तू हां तो कह काश्वी ,मेरा घर और मेरी लाइफ जो तेरे बिना अस्त व्यस्त है ,देखना सब संवर जाएगा!" काश्वी उसकी तरफ देख उसके बालों में हाथ फैरते-"अच्छा और मां को पता चला तब पता है क्या होगा?" अचूक काश्वी को अपने और करीब करते-"क्या होगा?" काश्वी मुस्कुराते-"अचूक वर्मा अस्त हो जाएगा यानि डूब जाएगा और साथ में मुझे ले डूबेगा!" "हां तो मैं तुझमें डूबने को तैयार हूं ,और तुमको क्या हर्ज है डूब जाना मुझमें और रही बात आंटी की तो वो तो पहले ही रेडी है हाथों में थाली लिए अपने दामाद की आरती उतारने के लिऐ,तू कहे तो उनकी ये ख्वाहिश आज ही पूरी कर दूं ,खुद ही जाकर बता देता हूं मैं पर पहले तुम तो राजी हो जाओ?"....अचूक ने काश्वी के माथे पर आए बालों को प्यार से संवारते- कान के पीछे करते कहा!! अचूक की बात सुन काश्वी उसके गले में बाहें उलझा लेती है और आखों में आखें डाल प्यार भरे लहजे में बोलती है-"मैं तो कबसे राजी हूं, पर तुम्हें मेरी हां सुने तब ना"हम तो कबसे लिए बैठे है आपके लिए आखों में प्यार,बात तो तब बने जानेमन जब आप करो हमें स्वीकार!" (क्रमशः)
काश्वी के मुंह से प्यार भरे लफ्ज सुन अचूक के होश उड़ गये,होश इस कद्र उड़े कि उसका सिर चकरा गया,खुद तो गिरा काश्वी को भी ले गिरा, फर्श पर दोनों धड़ाम से जा गिरे,अचूक जी नीचे काश्वी जी उसके ऊपर,काश्वी ने थोड़ा ऊपर उठ अचूक के चेहरे की ओर देखा और उसे गालियां निकालते सुनाते लगी-"इडियट,तेरी प्रोब्लम क्या है,पागल इंसान खुद के साथ-साथ मेरी हड्डियों का भी कचूमर बनाकर छोड़ेगा क्या,बेअक्ल हो तुम जो कभी नहीं सुधर सकते,हमेशा वही करते हो जो नहीं करना होता!" काश्वी से गालियां सुनकर भी अचूक मुस्कुरा रहा था,काश्वी उसे घूरती है,काश्वी कुछ बोलने को हुई की अचूक बोल पड़ा-"क्या यार आज गले लगाने का दिन है, तुम हो कि मुझे गालियां दे रही हो?" काश्वी का घूरना जारी था-"काम तो तेरे गालियां खाने वाले है और बात करता है गले लगने की!" "अब जो है सो है आज तुमने मेरा दिल खुश कर दिया,मजाक में ही सही इजहार तो कर ही दिया काश्वी श्रीवास्तव ने,कहां ऐसा शुभ - काम सबके हिस्से आता है,चलो इसी बात पर हम गले मिलते है,मुझे गले लगाओ?"कहते अचूक अपनी बाहों को काश्वी के इर्दगिर्द लपेटने के लिए उसके पास हाथों को लाने लगा कि काश्वी उसके हाथों को खुद से दूर झटक उससे ऊपर से उठकर खड़ी हो गयी-"गले और तुझे लगाऊं,नो!" अचूक मुंह बना लेता है-"गलत बात है ये,पहले तो अरमानों को आग लगाती है फिर खुद ही उन पर पानी फेर देती है!" काश्वी कमर से हाथ टिकाते-"तुझे सही ट्रेक पर लाने के लिए मुझे ये सब करना पड़ता है,तुमको तुम्हारी ही भाषा समझ आती है,अगर ही पटरी पर जो चले जाते हो,चलो उठो नीचे से,फालतू बातें बंद करो,नहीं तो मैं तुम्हें भी आग लगा दूंगी फिर सब जल जाएगें तुम और तुम्हारे अरमान!" अचूक रोनी सी शक्ल बनाते हुए-"सबकुछ राख बनाने पर क्यों तुली रहती हो!" काश्वी हाथ का मुक्का बनाते-"बताऊं तुम्हें?" अचूक ना में मुड़ी हिलाते-"नहीं नहीं,अच्छा चल हाथ दे,उठने में मदद तो कर....."कहते अचूक ने अपना हाथ काश्वी की ओर बढ़ाया कि वो उसका हाथ साईड में झटका,हाथ बांध खड़ी हो गयी-" खुद से उठो,आत्मनिर्भर बनो!" ये सुन अचूक ने एक पल काश्वी को घूरा,फिर वो खुद ही नीचे से उठ गया-"बहुत खराब हो तुम!" काश्वी मुस्कुरा दी-"थैक्यू!" अचूक बतीसी दिखाते-"वेलकम,वैसे हाथ दे देती तो क्या हो जाता!" काश्वी उसके कंधो पर हाथ रख-"मैं नहीं चाहती तुम्हें किसी भी तरह की गलतफहमी हो,मैं हाथ देती तो तुम्हें लगता मैनैं तुम्हारा हाथ थाम लिया! अचूक हंस दिया-"मैडम उसको गलतफहमी नहीं खुशफहमी बोलते है,किसी दिन तुमको भी होगी, जब हम साथ होगें!" "तुम और मैं साथ हो? ये इस जन्म तो क्या हमें मिलने वाले किसी भी जन्म में पॉसीबल नहीं,तेरे इस घर की छत के नीचे तू और मैं,कभी नहीं!" इतना कह काश्वी ने अचूक को खुद से दूर धकेल दिया, वो सीधा पीछे पड़ी कुर्सी पर जा गिरा!! काश्वी अपने हाथ में बंधी वॉच को घुमाते हुऐ-" फालतू के ख्याली पुलाव पकाना बंद कर दे,तुम्हें इससे कुछ हासिल नहीं होने वाला,समझा!" ये सुन अचूक मुस्कुराया और हाथों से टॉवल को पकड़ कुर्सी से खड़ा होते बोला-"कह तो सही है यार,पुलाव तो क्या हमारी तो खिचड़ी भी नहीं बन सकती,सही बोला तू और मैं और एक साथ ये दिन कभी नहीं आने वाला,वरना हमारी अस्त व्यस्त जिंदगी ,व्यस्त की जगह अस्त हो जाएगी और हम दोनों का बेड़ा गर्क,मजाक कर रहा था (हंसते हुऐ)मैं!" काश्वी हंसते हुए-"अरें वाह तू तो समझदार भी है!" "हां पर तेरे जितना पागल और मनमर्जियां नहीं हूं यारा,और सच कहूं तो मुझे ना हर वक्त अपनी मर्जी चलाने वाली लड़की चाहिए भी नहीं,सुना है शादी के बाद बेचारे पति की बिल्कुल नहीं चलती पत्नी का ही बोलबाला होता है,तुझ जैसी बीवी ना बाबा ना,कभी नहीं,पता चले अभी तो मेरा घर कबाड़ाखाना है जहां चैन से रह तो रहा हूं,फिर नर्क बन जाए!" "अच्छा!" "और क्या स्वर्ग से सुंदर मेरा आशियाना का मेरा ख्वाब ख्वाब बनकर रह जाएं,और तुझे सारी उम्र झेलू इतनी मेरा ना तो औकात है,और ना ही वो हिम्मत वाला हुं मैं जो पूरी जिंदगी तेरे ही साथ गुजार सके,पता चले मेरी और बैंड बज जाएं,मैं मजाक मस्ती कर सकता हूं तुम्हारे साथ,अपनी लाईफ तुम्हारे हवाले नहीं कर सकता!" "ओह रियली!" "येस अभी तो चाय खुद के लिऐ भी नहीं बनाता घर पर फिर तेरे लिऐ चाय बनाओ बर्तन धोओ, अभी जो मैं अपने सारे कपड़े एक साथ वीकएंड में धुलवाता हूं तू आ गयी तो तेरे भी कपड़े धोने, उनको प्रेस करना,ना जी ना तोबा तोबा,खुशहाल चल रही जिंदगी में काश्वी नाम का तुफान हमको तो नहीं चाहिए"बोलते अचूक ने अपने हाथ खड़े कर दिये!! काश्वी उसकी बातें सुन रही थी जैसे अचूक चुप हुआ तो वो मुस्कुराते बोली-"हो गया तेरा!" अचूक ने मुंडी हिलाई कि टेबल पर पड़ा उसका जूता काश्वी ने उठाया और अचूक के ही मुंह पर दे मारा-"ना तो तू लायक है और ना ही तेरा यह घर द्वार,जिसको ये काश्वी श्रीवास्तव मिल जाएं समझा!" अचूक जमीन पर पड़े जूते की ओर देख-"समझ गया पर मार क्यों रही है,इतनी प्यारी मेरी शक्ल, तेरे लिऐ ना सही पर किसी और के लायक रहने दे,खराब कर देगी तो कोई देखेगी भी नहीं मुझ नाचीज को,अच्छा चल काश्वी नहीं तो कोई और बावरी ढूंढ दे इस बावरे(मासूमियत से)के लिऐ? मेरी सेंटिग करवादे ,मेरी शादी करवा दे,मेरा घर बसा दे!" काश्वी उसकी गाल पर हाथ रखते-"शादी करनी है "तो अचूक ने बच्चो की तरह मुंह बना"हम्म" कह दिया तभी काश्वी ने उसकी ठोगी को दूजे हाथ से पकड़ा-"लड़की चाहिऐ?" अचूक ने फिर "हम्म"कहा और मुस्कुराते बोला- "प्यारी सी ,अच्छी सी,भोली सी!" तभी काश्वी ने अपना पैर जोर से अचूक के पैर पर दे मारा -"नहीं मिलेगी?"अचूक आह करते पैर अपना ऊपर उठाता है-"फिर मारा अब क्या टांग भी तोड़ेगी,क्यों मेरे बॉडी पार्ट के पीछे पड़ी है,सलामत रहने दे!" काश्वी उसे पीठ से कमरे की तरफ धकलेते-"तेरी बकवास हो गयी हो, तो जाकर जल्दी तैयार हो जा ,गधाकुमार हमेशा लेट करवाता है हजार बार बोलती हूं जल्दी रेडी मिला कर पर नहीं ,ऊपर से बेतुकी तेरी बातें और लेट करवा देती है,इतनी देर तो दुल्हा भी नहीं लेता है तैयार होने में जितना तू नोर्मली रेडी होने में टाइम लेता है,कमबख्त एक तो पहले ही लेट है तुम और करवा दो,तू ना मेरे काम के बीच राहू केतू है,अभी अगर नहीं गया ना रेडी होने तो सोच लेना ऐसा शनि चढेगा तुम (चिल्लाते हुऐ)पर कि पूरा इंदौर देखेगा,फिर तुम तो बेटा गये!" अचूक थूक निगलते हुए पीछे कदम लेने लगा-" शांत मेरी मां शांत,ऐसा कुछ ना करना,मैं होता हूं ना रेडी अभी जाकर होता हूं,हम टाइम से पंह़ुच जाएगे़ मैम डोंट वेरी और रही बात दुल्हें की तो तुम मुझे मौका तो दो दुल्हा बनने का ,दुल्हन तो ढूंढो मेरे लिऐ,(मुस्कुराते + इतराते)सबसे फास्ट रेडी होने वाला दुल्हा अचूक वर्मा ही होगा!" ये सुन काश्वी ने जमीन पर पड़ी बोतल उठाई और उसे अचूक पर दे मारी-"वो दिन अभी ना आने वाला है समझा,तो तुम काम पर ध्यान दो बकवास पर नहीं!" अचूक सिरियस होते-"इसका मतलब तू मेरी शादी नहीं करवाएगी?" काश्वी हाथ बांधते हुए-"नो चांस!" "बट व्हाई" "अभी तेरी उम्र नहीं है शादी की!" "अब नहीं तो क्या बुढापे में उम्र होगी शादी की , करवा दे यार मेरा लगन किसी के साथ!" "बोला ना नहीं,जब तक तू अपनी लाइफ में सेट और सेक्सेस नहीं हो जाता ,तब तक तो बिल्कुल नह़ी,तेरी तमन्ना पूरी करने के चक्कर म़े किसी लड़की की जिंदगी बर्बाद नहीं कर सकती मैं,तेरा जैसा गधा कुमार अभी किसी के लायक नहीं!" "ये सब बहाने है तेरे काश्वी,तू सेट तो कर मुझे किसी के साथ सक्सेस भी हो जाऊंगा,सुना नहीं क्या हर कामयाब शख्स की कामयाबी के पीछे एक औरत का हाथ होता है!" "सुना है और सुनकर कानों से बाहर भी निकाल दिया मैनैं और तू आलस की दुकान,शादी के बाद और निठल्ला हो जाएगा,फिर वो औरत जो तू चाहता है अपनी लाइफ में वो तुझे कामयाब नहीं अपनी ही जिंदगी से बाहर कर देगी!" "क्या बोल रही है शादी के बाद बिगड़े लड़के भी सुधर जाते है और यार मैं तो कितना शरीफ हूं , भोली सी सूरत प्यारी सी मेरी सीरत,थोड़ा सा तो रहम कर!" "अभी के अभी अगर नहीं गया ना तो तेरी सूरत और सीरत का वो हाल कंरू़गी मैं कि तेरी सारी शराफत के परखच्चे उड़ जाएगें,चल निकल यहां से!" "जब देखो उबाले मारती है तुम्हें दिल की बात़ें भी बकवास लगती है एक तो दोस्त ऊपर से मेरी बॉस,हाय मेरी किस्मत,ना खुद पटती है ना पटाने देती है,ना ही खुद पटाकर देती है,हुऊं......कहते अचूक ने गर्दन झटकाई तो काश्वी अपने कमर से हाथ टिकाते बोली-"मैं पटाने नहीं देती,नहीं दूंगी पटाने.....पटाकर दूं तुझे कभी नहीं,खुद पटाएगा लड़की तू,कोई लड़की देखती भी है तेरी तरफ , बड़ा आया पटाने वाला!" अचूक काश्वी को घूरते हुए-"जब एक डायन का साया मेरे साथ रहता है तो कोई मासूम सी कली मेरे पास फड़के भी कैसे,मैं हाथ मिलाने के लिए हाथ बढ़ाऊं तो,हाथ पर मार कहती हो राम राम करो,कभी दीदी बना देती हो लड़कियों को मेरी, तो कभी मुझको उनको भाई,कभी काम देकर भगा देती हो तो कभी बीच में टपक कर काम खराब कर देती हो,किसी लड़की से बात करना तो दूर तुम मुझे लड़कियों को नजर भर के देखने तक भी नहीं देती हो खडूस कहीं की!" ये सुन काश्वी क़ो हंसी आ गयी और वो अपने कान पकड़ते बोली-"सॉरी यार काम के टाइम नो टाइमपास,और वो तेरे टाइप की नहीं होती,पर हां पक्का जो भी मुझे तेरे लायक मिली तो मैं सेटिंग क्या डेंटिंग प्लान भी करके दूंगी बीच में भी नहीं आऊंगी ओके!" "रहने दे झूठे ना तो दिलासे दे और ना ही रेत के महल खड़े कर,जो पल भर में ढह जाए,शर्म कर ले हंस रही है ,ख्वाब ऐसे दिखा रही है जिसका हकीकत से भी वास्ता नहीं,तू ये सब करें अपने हाथों सवाल ही पैदा नहीं होता,आई बड़ी डेट प्लान कर दूंगी!" "हां तो सवाल पैदा नहीं होता तो अब जा वरना बवाल जरूर पैदा हो जाएगा,मैं वहीं करती हूं जो सही होता है और तेरा सही मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता,और जो तेरी चोईस होती है उसमें बनने के कम बिगड़ने के ज्यादा च़ांस ही होते है और फिर तेरे ब्रेकअप के बाद का तेरा रोना मुझ से नहीं सुना जाना,अभी झेलना कितना मुश्किल है एनीवे पांच मिनट हरी अप"काश्वी ने वॉच में टाइम देख अचूक के सामने अपना हाथ किया! "ओके एम गो,मैं यू गया और यूं आया,वैसे खुशी खुशी झेल या खुदखुशी करके झेल,,,झेलना तो तुझे ही है मुझे?"अचूक कदम पीछे लेते बोला! काश्वी मुस्कुराते हुए रूम की ओर हाथ करते-" (कलाई घुमाते)जाएगा के लेकर आएगा?" "जा रहा हूं बैठ मैं आया?" "यहां तो बिल्कुल नहीं मैं बाहर वेट कर रही हूं कम फॉस्ट ....बोल काश्वी ने घर की तरफ नजर डाली और गंदा सा मुंह बनाकर ना में सिर हिला बाहर चली गयी,,,,ये देख अचूक मुस्कुराया और "पागल" कहते रूम में भागकर चला गया!! काश्वी स्कूटी पर बैठी अचूक का वेट कर रही थी तभी अचूक रेडी होकर आ गया,ब्लू जीन्स,ब्लू टी शर्ट ,ऊपर व्हाइट जैकेट,आखों पर स्टाईलिश सा स्पेशल चश्मा,,व्टाइट जूते,,हाथ में ब्राडेंड वॉच" अचूक बाहर आते ही बोला-"चल काश्वी!" काश्वी ने अचूक पर नजर डाली और उसे देखते सीटी बजाकर बोली-"क्या बात है हीरों आज तो गजब ढाह रहे हो(आंख मारते)बड़े हैंडसम लग रहे हो अचूक वर्मा!" अचूक अपनी जैकट हाथों से पकड़ते हुए-"मुझे इस हैंडसम लुक में देख धड़कने ऊपर नीचे हुई की नहीं तेरी(भोहें उचकाते)बस ये बता!" (क्रमशः)
जैसे ही काश्वी से अचूक ने धड़कनों के ऊपर नीचे होने की बात कही तो पहले तो काश्वी हंस पड़ी और फिर हंसी रोक बोली-"बिल्कुल भी नहीं ,मेरी धड़कने सही और सीधे चल रही है नो ऊपर नीचे,अपने जैसे मुझे डफर समझा है क्या जो किसी को भी देख धड़कने डोल उठे ,अपुन की जिंदगी में ये दिन आज तक नहीं आया,तुझे देखकर मुझे सिर्फ हंसी आती है,इसके अलावा और कुछ नहीं होता,,,जोकर!" ये सुन अचूक का चेहरा उतर गया ,वो इधर उधर देख बोला-"अगर बेईज्जती कर मन भर गया हो तेरा तो अब चले,अब लेट नहीं हो रहा है तुझे!" "हां हां चलते है .....कह काश्वी ने हेलमेट लगाया स्कूटी पर बैठ,स्कूटी स्टार्ट कर बैठकर अचूक को पीछे बैठने का इशारा किया ,अचूक लटका चेहरा लेकर पीछे बैठ गया और दोनों वहां से चले गये! रास्ते में काश्वी अचूक को खामोश देख कहती है -"क्या हुआ जुबां पर ताले कैसे लग गये,,,,कुछ बोल नहीं रहा है!" अचूक नाराजगी जताते-"हां लग गये ताले,जुंबा और दिल दोनों पर,वो भी तेरी बदौलत वैसे तुझे बिल्कुल शर्म नहीं आती है जब देखो मेरी इंसल्ट करती रहती है!" "अच्छा बेटा गुस्सा तो एक बात सुन लो जिस रिश्ते में हम बंधे है ना वहां इज्जत नाम के शब्द की एंट्री कैसी और रही बात शर्म की तो जिसका दोस्त बेशर्म हो वहां शर्म भी मुझे कहती है काश्वी बहन इसके सामने बाहर आऊं या रहने दूं ,तो मैं कह देती रहने दे जरूरत नहीं है!"काश्वी हंसकर बोली "हां हां हंसले ,कम से कम हंसकर तेरा खून तो बढ़ेगा एक दो ग्राम ,मेरा खून जलाने में तो तूने कोई कसर छोड़नी नहीं है!" "ओये अगर सड़े हुए बैंगन जैसे मुंह बनाया ना तो अभी के अभी ऐसा फेसियल करूंगी मैं तेरे थोबड़े का कि खुद को पहचान भी नहीं पाएगा ,सो मूड ठीक कर अपना फटाफट वरना इसका इफेक्ट मेरे काम पर पड़ेगा जो कि बिल्कुल नहीं होना चाहिए,मन खराब से काम खराब होता है पता है ना?" अचूक बड़बड़ाते हुए-"पहले खुद मूड खराब करती है फिर सुधार ले का ऑर्डर देती है,दोस्त आ गयी और बॉस भी वरना इसकी तो मैं एक ना सुनूं,जब देखो काम की पड़ी रहती है काश किसी को तो मेरी पड़ी होती!" काश्वी मुस्कुराते हुए-"कितनी बार बोला है मन ही मन बोला कर,तेरा बड़बड़ाना भी मुझे सुनाई पड़ता है!" अचूक हंसते हुऐ-"ह़ां तेरे कानों का एंटीना का नेटवर्क बड़ा संट्रोग जो है मैं मन में बोलूं तो भी सुन जाए,,,,जुबान चलाना बंद कर और स्कूटी चला चुपचाप ,मेरा दिमाग मत खा!" "है भी क्या दिमाग तेरे पास और मैं नॉनवेज नहीं खाती समझा,,,,और रही बात जुबान की तो वो मेरी ब्रेकफ्री है सो सॉरी डूड,और स्कूटी चला रही हूं हेलीकाप्टर नही है जो उड़ा लूं,अच्छा ये छोड़ पहले ये तो बता हम तेरे लिऐ लड़की देखने जा रहे है क्या?" "ऐसी किस्मत कहां और तेरे रहते तो मेरे दर पर आई लड़की भाग जाए यार,पास खड़ी लड़की न दिखे मुझे ,दूरबीन लेकर आऊं इतने में तू उसको भगा दे,कहां मैं लड़की देखने जाऊंगा,पता नहीं तेरे दीनानाथ जी ने यह दिन मेरे भाग्य में लिखा भी है या नहीं ,ऊपर से तुझ जैसी से पाला पड़ गया,ना इधर का रहा ना उधर का?"अचूक आह भरते बोला! "अच्छा मेरा पाला पड़ गया तुझसे मतलब तेरा जीवन सुधर गया,और दीनानाथ जी सिर्फ मेरे है क्या तेरे नहीं जो जब देखो उनसे शिकायत करते रहते हो, मुझे कोसते रहते हो....हम्म!"स्कूटी के मिर्रर से अचूक की ओर देखते काश्वी बोली! "जैसी जीवन की गाड़ी चल रही है और चलाने वाले कौन तेरे दीनानाथ जी,उनके हाथ में है ना अपनी जीवन की डोर ,हम तो कठपुतली है सब करने वाले वो,तो कठपुतली का जोड़ीदार भी तो देना चाहिऐ ना उनको,जो कुछ मजा आए लाईफ में,अकेले लाईफ कितनी नीरस उबाऊ लगती है (मुंह बनाते)कुछ मजा तो होना चाहिए के नहीं?पर यहां तो सजा लगती है जिंदगी,सो मेरी आज कल तेरे दीनानाथ जी से कट्टी है जब कुछ अच्छा होगा कुछ इंटरेस्टिंग लाइफ में तब बट्टी करूंगा, तब तक वो तेरे नॉट मेरे और अब त़ो मुझे लगता है दीनानाथ जी और दीनानाथ जी की यह भक्त काश्वी श्रीवास्तव के हाथों चढ़ा मेरा जीवन ,मेरा तो भला होने (कंधे उचकाते)से रहा!" "वाह क्या बात है तेरी अचूक वर्मा ,मन का न हो तो कट्टी हो जाओ,सब होते भी तुझक़ो रोना है , इतना तो कोई बच्चा एक खिलौना पाने के लिऐ चाहत नहीं रखता होगा जितनी तू एक लड़की की तमन्ना रखता है पर ये भी याद रख कुछ भी पाने के लिए बेटा कुछ खोना पड़ता है,मेहनत तो करो फिर जो चाहोगे वो खुद चलकर तुम्हारे पास आएगा तुझे ना तो कभी भीख मांगने की जरूरत पड़ेगी किसी से और ना ही किसी के पीछे भागने की जरूरत पड़ेगी,कर्म करो बच्चा कर्म,फल तुमें जरूर मिलेगा,आज नहीं तो कल(मुस्कुराते हुऐ) पक्का,दीनानाथ जी के घर देर है अंधेर नहीं!" काश्वी की ये बाद सुनते ही अचूक ने फट से हाथ जोड़ दिऐ-"यहां मेरी जिंदगी अंधेर हुई पड़ी है, यार मुझे रोशनी चाहिए पर ना तुम समझोगी ना वो तुम्हारे दीनानाथ जी,बस ज्ञान दे लो,कर्म करो कर्म कांड तू कुछ करने देती है,मुझे अपने काम के अलावा कहीं भटकने भी ना दे,भटकूंगा नहीं तो तलाश कैसे पूरी होगी मेरी? बता जरा,एक तो उनकी लाखों हजारों दिवानी थी और एक तेरे भी कम दीवाने नहीं है,बात मेरी करो ,दोनों इस अबले लड़के का दर्द नहीं समझते है,किसी को तरस नहीं आता मुझपर!!" "तरस नहीं बेटा तुझ पर हंसी आती है मुझे,इतना ड्रामा तो मां के डेली सोप में नहीं होता जितना तू करता है!"काश्वी हंसते हुऐ बोली! "हां तो मैं ड्रामा ही करता हूं ,मेरी जिंदगी और मैं जॉक ही तो है तो तू ना फुल हंस ,बस तुझम़े एक तेरा हंसना ही तो अच्छा है,हंसते हुऐ तुम कितनी प्यारी लगती है तुझे भी नहीं पता होगा और तेरे लिऐ त़ो मैं हूं ही जोकर तो खूब हंस मुझ पर और मेरी कहानी पर!"......अचूक झूठमूठ की बतीसी दिखाते बोला! तभी काश्वी फट से बोली-"अच्छा एक बात बोलूं सच सच!" अचूक इधर उधर देखते-"कब से बोल ही रही है और तू सच ही बोलती है ,एक और बोल दे!" काश्वी मुस्कुराते हुए-"आज तू बहुत हैंडसम लग रहा है बहुत ही ज्यादा!" ये सुनते ही अचूक का चेहरा खिल सा गया वो काश्वी के कंधो पर हाथ रख अपना चेहरा उसके कंधे पर टिकाते बोला-"सच!" "मुच सच में इस लुक में जबरदस्त लग रहा है, इतना हैंडसम लग रहा है, पूछ ही मत,मत रेडी हुआ कर इतन, किसी चुड़ेल की नजर लग गयी तो या कोई भूतनी चिपक गयी तो?" अचूक काश्वी पर बाहें कस मुस्कुराते हुऐ-"हाय तभी तो करता हूं ,अब तुझ पर तो असर होता नहीं मेरे हैंडसम लुक का ना तुझ पर ट्राई करने का फायदा,सोचता हूं कहीं और ट्राई कर लूं क्या पता किसी कन्या की नजर मुझ पर ठहर जाए तो हमरी भी नईया पार हो जाए!" तभी काश्वी ने अचूक के पेट में कोहनी दे मारी- "सुबह है रात नहीं तो फालतू के ख्वाब देखना बंदकर और कितनी बार बोला है तुझे इतना बन ठन कर चलने की कोई जरूरत नही है,हम शादी का कांट्रेक्ट लेने जा रहे है .....तेरी शादी फिक्स करने नहीं,समझा!" "क्या पता एक पंथ दो काज हो जाए यार,दूसरों की शादी करवाते-2 अपनी शादी भी फिक्स हो जाऐ,तो अचूक वर्मा पहले से रेडी रहता है सोच कर देख ,लड़के वाले लड़की वाली हर तरफ से कितनी लड़कियां होती है किसी को मैं भाह गया तो,अब अच्छा दिखूंगा तभी तो बात बनेगी ना!" "रहने दे तेरी बात ऐसे नहीं बनने वाली है और खबरदार जो काम के अलावा कहीं और तुमने मुंह मारा तो,कमबख्त ऐसे रेडी होकर आया जैसे शादी का कंट्रेक्ट लेने को नहीं,अपनी गर्लफ्रैंड के साथ डेट पर जा रहा हो?"......काश्वी अचूक पर बिगड़ते हुऐ बोला! ये सुन अचूक मंद मंद हंसने लगा और काश्वी के कंधे पर फिर चेहरा टिकाते बोला-"हाय तेरी ये दोस्ती वाली महोब्बत मेरी जान,कितना बिगड़ती है तू मुझ पर जब मैं किसी लड़की का जिक्र भी करूं तो ,कोई इतना पॉजिसिव कैसे हो सकता है उफ़,दोस्ती में इतनी जलन अच्छी नहीं होती माय डिअर बेस्टी और ये तो गलत बात है ,मीठी बात करते करते कड़वी बोलने लग जाना और ना खुद घर बसाएगें तेरे संग ना किसी और को आने देगें तेरे संग,(भोहें उचकाते)भला ये क्या बात हुई!" काश्वी मुस्कुराते हुऐ-"जिंदगी से लगता है तेरा मन भर गया ,बता दे ऐसा है तो पहले यहीं काम कर लेते है!" ये सुन अचूक काश्वी से दूर हो गया और घड़ी में देखते बोला-"जल्दी कर यार टाइम हो गया,हम टाइम पर नहीं पहु़ंचे तो कांट्रेक्ट हमारे हाथ से चला जाऐगा!" "वो तो नहीं जाएगा,बस पहुंचने वाले है वैसे एक बात बताऊं ,जहां हम जा रहे है ना वहां लड़की की शादी है और उस लड़की की ना काफी सारी बहने है!" अचूक फिर आगे मुंह लाते-"सच!" "हां सच,वो मैनैं उसके फोटोज देखे थे उसकी सिस्टर्स के साथ,,,,तो मैं सोच रही थी....... "क्या सोच रही थी?" "यही कि तेरी जिंदगी में कुछ बहनें और एड कर दूं?"ये कह काश्वी मंद मंद हंसने लगी तो अचूक उसे घूरते पीछे हो गया"मैनैं ना तेरा मुंह तोड़ देना है!" ये सुन काश्वी खिलखिलाकर हंसदी ,उसे हंसता देख अचूक भी हंस पड़ा और फिर काश्वी ने फट से एक बड़े से घर के सामने ब्रेक लगाए-"लो आ गयी मंजिल!" अचूक स्कूटी से उतरते हुऐ-"दिए हुए टाइम से पांच मिनट पहले!"और दोनों मुस्कुराते हुऐ घर के अंदर की तरफ बढ़ गये!! _________ थोड़ी देर बाद...... दोनों लटके चेहरे लिऐ उस बड़े घर से बाहर आए और गंदा सा मुंह बनाते दोनों ने एकदूजे की ओर देखा,काश्वी जाकर स्कूटी से सटकर खड़ी हो गई तभी अचूक घर की तरफ देखते कमर से हाथ टिकाते बोला-"ओये मिस इंदौरी इस शादी का कांट्रेक्ट लेगी क्या?" (क्रमशः)
जैसे ही अचूक ने काश्वी से पूछा इस शादी का कांट्रेक्ट लेगी क्या तो पहले तो काश्वी आह भर लेती है और फिर उस घर की तरफ देखते कंधे उचकाते बोली-"लेना ही पड़ेगा!" अचूक फट से उसके पास चला आया-"क्या? तेरा दिमाग खराब है , देखा ना अंदर वो अंकल उनकी डिमांड ,उनका बात करने का तरीका, कैसे अजीबोगरीब इंसान है यार वो, तुम इनका काम करोगी?मुझे ये आदमी बिल्कुल पंसद नहीं आया काश्वी,जिसको हमसें काम करवाना है वो हमसे अच्छे से बात तक नहीं कर सकता है और इनके साथ रहकर शादी का सब अरेंजमेंट करना अभी देखा ना मिंटिग में कैसे किचकिच कर रहे थे,देखना पेमेंट देने के मामले में भी क्या करेगा ये बंदा?" "मैं तो बोलता हूं रहने देते है यार काम ले लेगा हमसें और हमें हमारा मेहनताना पाने के लिए भी इसके आगे गिड़गिड़ाना पड़ेगा,कसम से पक्का काम में टोका टाकी और पेमेंट देते वक्त ना नुकुर करेगा,हम अपना नुकसान नहीं कर सकते,पैसों के साथ हमारा मूड का भी देखना है हमको,पांच मिनट में इस इंसान ने जो ऑफ कर दिया उसके साथ पांच दिन रहना,नो वे,सुन रही है ना तू मेरी बात,समझ रही है ना काश्वी, शादियों का सीजन चल रहा है हम दूसरा कांट्रेक्ट ले लेगें,यहां काम किया तो सब कबाड़ा हो जाएगा,नहीं झेल सकेगें यार,बोल ना काश्वी!" तभी काश्वी उस पर चिल्लाई-"तू चुप करे तब तो बोलूंगी ना,पहले तेरे इस टेप रिकोर्ड में चल रहे प्रवचन क़ो बंद कर,तभी मुझे बोलने का मौका मिलेगा,कब से बोले जा रहा है,,,,माना क्लाईट अच्छा नहीं है और काम में अच्छा क्लाईट भी मेटर करता है काम करने में मजा आता है काम अच्छे की जगह बहुत अच्छा होता है,सुनी मैनैं तेरी बात और समझी भी,अब तू मेरी सुन जरूरी तो नहीं सब हमें अच्छे ही मिले लोग जिनके साथ ,जिनके लिऐ हमें काम करना हो,इन अंकल का बिहेव देखकर हम ना बोल दे,दूसरा कांट्रेक्ट लेने चले जाए ,पर क्या होगा जब हमें आगे चलकर अच्छे ,शांत स्वभाव वाले ही न मिले ,इनका भी बाप मिल गया तो तब वहां से भी भागेगें क्या? "क्लाईट अच्छे हो या बुरे,कैसे भी हो हमें हमारे काम से मतलब है हम अपना बेस्ट ही देगें जैसे करते आए है वैसे करेगें,इस शादी का काम हम अपने हाथ में ले रहे है ,ये अपना काम कर लेगें हम अपना,टोका टाकी में अच्छे आइडिया दिया तो मान लेगें इनकी वरना अपनी मर्जी का करेगे, आज तक कोई कमी नहीं छोड़ी हमनें ना किसी को हमारे काम से शिकायत रही है,एट द एंड क्या पता ये अंकल भी हमसें इम्प्रेस हो जाए,सौ बात की एक बात अचूक हम लोगों का बिहेवियर देख अपने प्रति हम ना तो अपने काम को छोड़ सकते है ना कदम पीछे ले सकते है!" "हम वेडिंग प्लानर,वैडिंग प्लान करने का काम है हमारा,जो हर हाल में हमें करना है फिर चाहे जैसे भी करना पड़े और पेमेंट की टेंशन मत ले तू जानता है ना इस मिस इंदौरी को जिसे अपना पैसा निकालना आता है कभी प्यार से तो कभी ललकार से,मूड हम अपना संभाल लेगें और इन पैसें देने वालों को भी,यार तुझे तो पता है ना मेरी डिक्शनरी में कितने सारे तरीके है,अपना पूरा-2 पैसा अपनी मुठ्ठी में करने के,तो चिल कर,सब अच्छा होगा!!" ये सुन अचूक मुस्कुराया और काश्वी का चेहरा अपने हाथों में भरते बोला-"यार तू चीज क्या है, जानता हूं सब हैंडल कर लेगी तू,और मैं ये भी जानता हूं जब ऐसे लोग पले पड़ते है हमारे तो सबसे ज्यादा तुम परेशान होती हो अभी नोटिस किया मैनैं जब वो अंकल अपना ज्ञान दे रहे ऐसा करना ऐसा मत करना ये होना चाहिए,ये ना हुआ तो,तुम्हारी शक्ल अलसाई भिंडी जैसी हो गयी थी और मूड सड़े हुऐ बैंगन जैसा,पर तू खुद पर कंट्रोल कर लेती है गजब,हां वहीं जहां पे जरूरी होता है वरना कहां किसी की दो पांच सुने उल्टा दस सुना देती है तू,तेरे सब्र की दात देनी पड़ेगी, तू खींच लाई मुझे बाहर वरना मैं तो उस अंकल के मुंह पर ही इस कांट्रेक्ट को लेकर ना बोलने वाला था कह देता जाओ करवाओ अपनी बेटी की शादी के अरेंजमेंट किसी और से ,हम नहीं करने वाले!" काश्वी अचूक के हाथ अपने गाल से हटाते हुए-" तेरा मुंह नहीं तोड़ देती मैं,अपनी थाली में रखा लड्डू हम ही खाऐगें दूसरों को नहीं खाने देगें,यहां वैंडिंग प्लानर की कमी नहीं है हम नहीं तो इनको कोई और मिल जाता वो भी तो झेलता ही ना तो हम भी एडजस्ट कर लेगें,बस हम अपने मुंह का निवाला कहीं ओर नहीं जाने देगें ,देख यार सीधी सी बात,चाहे कुछ भी हो अपने पेट पर हम लात नहीं मारेगें समझा!" अचूक काश्वी को सोल्यूट करते-"येस बॉस!" काश्वी मुस्कुराते हुए-"क्या समझा ये भी बता दे?" अचूक सोचने की एक्टिंग करते हुए-"यही कि अचूक बेटा,जब तू काश्वी श्रीवास्तव को झेल सकता है ,ये तेरे सिर पर हमेशा तलवार लिऐ खड़ी रहती है तो वो अंकल तो इसके आगे कुछ भी नहीं ,झेल लेगें उनको भी थोड़ा ,कर्म करेगें अपना फल भी खा लेगें,मिठास के साथ जिंदगी में थोड़ी कड़वाहट भी जरूरी है(हंसते हुऐ)वरना डायबिटीज हो जाएगी! ये सुनते ही काश्वी ने अचूक के पेट में मुक्का दे मारा-"तू नहीं सुधरेगा?" तभी अचूक ने काश्वी को अपने करीब खींचा-" बिगड़ने का मौसम है जान,सुधार की बात ना करो?" काश्वी घूरते हुए-"पिटना है?" अचूक ना में सिर हिलाते-"नहीं गले लगना है, इजाजत है!" "हम्म है ओनली वन टाइम" काश्वी बोली और दोनों ने हंसते हुए हग किया,तभी काश्वी अचूक से अलग होकर अपने बैग से पेपर निकालती है और अचूक के हाथ में थमाते -"टीम को बता दो और फिर लग जाओ काम पर!" अचूक"येस बॉस" कहते सब हो जाएगा मैडम बोला और दोनों फिर वहां से निकल गये!! ___________ एक घंटे बाद काश्वी - अचूक दोनों दो मंजिला व्हाईट बिल्डिंग के सामने खड़े थे,बिल्डिंग के फ्रंट पर मिस इंदौरी टॉप वैडिंग प्लानर ऑफ इंदौर डार्क ब्लेक अक्षरों में स्टाईलिश अट्रैक्टिव तरह से लिखा हुआ था,वो उनका वेडिंग प्लानर ऑफिस था जहां पर काश्वी श्रीवास्तव अचूक वर्मा और अपनी टीम के साथ काम करती थी,काम?शादियों के कॉन्ट्रैक्ट लेना, अपनी टीम के साथ डिसकस करना,उनको सब समझाना,कौन क्या काम करेगा,कैसे करेगा,सब कुछ प्लान-फाईनल करके शादी के कॉन्ट्रैक्ट पर काम शुरू कर देना! काश्वी बिल्डिंग की ओर इशारा कर अचूक को चलने को कहती है-"चलो?" "तुम चलो मैं कुछ खाने पीने का लेकर आता हूं, सुबह से कुछ भी नहीं खाया,पेट में चूहे भगदड़ मचाए हुऐ है!"बोल अचूक दूसरी साईड की ओर बने रेस्टोरेंट्स की तरफ भागते चला गया,काश्वी उसे जाते देख हंस दी-"भुख्खड़ पहले पेट पूजा करेगा फिर काम पर लगेगा,वैसे सही भी है सुबह से बेचारे ने कुछ नहीं खाया है,तुमने तो फिर भी पराठे ठूसे हुए है,काश्वी तुम इतनी बुरी बॉस भी नहीं,जो अपने साथ काम करने वालों को भूखा मारों और इस अचूक वर्मा को तो भूखा मार ही नहीं सकती,इसको खाना नही मिला तो तुझको खा जाएगा,ये ऐसा प्राणी है!" _______ काश्वी रात के आठ बजे घर पर पहुंची,जाते ही अपना बैग सोफे पर फैंका और सोफे पर पसर गयी,तभी विशाखा जी की नजर उस पर पड़ी- "आ गयी?" काश्वी उनकी ओर देखते-"नहीं मां अभी रास्ते में हूं थोड़ी देर में आ जाऊंगी!" ये सुन विशाखा जी हंस दी,वो पानी का गिलास लाकर काश्वी को देती है -"तुम भी ना,लो पानी पिओ,लगता है काफी थक चुकी हो?" काश्वी गिलास पकड़ते सोफे पर बैठी और पानी पीकर गिलास टेबल पर रखते -"लगता है क्या मां ,मैं सच में बहुत थक गयी आज!" विशाखा जी चेहरा हाथ में भर माथा चूमते हुए -"हम्म ,आज इतना काम किया क्या जो इतना थका लिया कि आवाज भी धीमी पड़ गयी मेरी बच्ची की,अच्छा नया कांट्रेक्ट लेने गयी थी शादी का ,मिल गया?" काश्वी विशाखा जी का हाथ पकड़ उनको पास बिठाकर उनके कंधे पर सिर टिकाते हुए-"ऐसा हो सकता है क्या मां मैं कांट्रेक्ट लेने जाऊं या ना मिले,आपकी ये बेटी मिस इंदौरी नाम से फेमस है इंदौर में,बेस्ट वेडिंग प्लानर में आती हूं,सब मुझसे ही काम करवाना चाहते है,मेरे काम की तारीफें इंदौर से भी बाहर होती है ,तो कांट्रेक्ट देने वाले ना कहे हमें ये तो आज तक काश्वी श्रीवास्तव की हिस्ट्री में हुआ नहीं ,हां ये जरूर है मुझे करना है या नहीं,सो कांट्रेक्ट हो गया है और काम भी उस पर शुरू हो गया!! "अच्छा,,,,वैसे खुद की तारीफ कुछ ज्यादा नहीं हो गयी बेटा जी?"विशाखा जी मुस्कुराते बोली!! "बिल्कुल भी नहीं ,तारीफ नहीं सच बोला है मां और रही बात तारीफ की तो इसके लिऐ मैं दूसरो पर भी निर्भर नहीं रहती है वो जब करें तब करें मैं भी खुद की कर लेती हूं,खुद की तारीफ करना गलत थोड़ी है,खुद से प्यार करो ,खुद की तारीफ करो,दूसरो पर मोहताज रहना वो भी इस मामले में जरूरी तो नहीं,वैसे आपको यकीन नहीं क्या?मैनैं अभी जो चंद वाक्य कहे अपनी तारीफ में वो झूठ लगते है क्या?"काश्वी ने विशाखा जी से सवाल किया, विशाखा जी ना में सिर हिलाते-"नही तो....झूठ क्यों लगेगें,मुझे तो यकीन है सबसे ज्यादा ,मेरी बेटी एक ही काम तो पूरी लगन से और बहुत ही अच्छे से करती है ,बाकि कामों में भले ही कच्ची हो ,हाथ न डाले,पर शादी ब्याह करवाने के काम में हाथ लगाए तो काबिलेतारीफ ही होता है और इस मिस इंदौरी कि इस मामले में कोई होड़ नहीं (हल्की सी चपत लगाते)कर सकता है!" "ये सही है बेईज्जत-तारीफ दोनों ही कर डाली, शाबासी और थप्पड़ दोनों गाल पर लगा दिये,वैसे आप कितना भी मुझे लफ्जों के जाल में फंसाने की कोशिश कर लो मां मैं ना लपेटे में आने वाली,मैं अपना वेंडिंग प्लानर का काम संभाल सकती हूं,घर रसोई यह सब मेरे बस की बात नहीं है तो बात घुमाकर भी करने का कोई फायदा नहीं?"हंसते काश्वी वापस सोफे पर पसर गयी!! ये सुन विशाखा जी ने पिलो उठाया और काश्वी पर दे मारा-"मैनैं ऐसा कुछ सोचकर नहीं कहा है समझी,तारीफ कर शाबाशी ही दी है ,ना थप्पड़ लगाया ना कोई ताना मारा,अब तुझे ये लगते है मैं क्या करूं और अगर मेरी बातों से तुझे लगता है मेरा इशारा कहीं और था कि मेरी बेटी इसके अलावा और काम भी सीख ले तो गलत क्या है बता जरा?" काश्वी पिलो सीने से लगाते हुए-"सही गलत नहीं पता पर फिलहाल जरूरी नहीं है ,माना आप मेरी मां हो पर इस मामले में मैं आपकी मां हूं आपके मन की बात समझ जाती हूं और हां अब मैं आप को कोई डिटेल नहीं देने वाली जानती हूं आपके मन का आप पूछोगी कौन है ये ,किसकी शादी है लड़के की लड़की की तो इस बारें में बाद में बात पहले आप मेरी मन की बात पढो,दिल ए तमन्ना पूरी करो माते एक (मुस्कुराते हुऐ)कप चाय बना दो?" विशाखा जी वहां से उठकर जाते हुऐ-" जो पानी छोड़ा है गिलास में,पी ले कोई चाय नहीं है,खाना बनाने जा रही हूं,अब खाना ही मिलेगा,रात को नो चाय!! काश्वी आवाज देते -"प्लीज मां एक कप चाय दे दो ना,,,,खाने में तो टाइम है प्लीज?" "बिल्कुल भी नहीं?"विशाखा जी किचन में चली गयी,,काश्वी मुंह बनाते हुए-""चाय ही मांगी एक कप,कौन सा चायमहल मांग लिया,ये मां भी ना , चाय पीने का मन है पर देगें नहीं!" तभी अंकुर आ गया ,अपना बैग टेबल पर रखा और काश्वी की ओर देखते बोला-"क्या हुआ तुझे ऐसे चेहरा लटका क्यों रखा है?" काश्वी आंखे मूंदते हुए-"कुछ नहीं?" अंकुर पास आकर बैठते-"बोल ना बहन,क्या हुआ तुझे पता है ना मैं तुझे परेशान नहीं देख सकता हूं?" काश्वी आखें खोलते हुए-"वाक्य गलत है भ्राता श्री ,आप कहिए मैं तुमको परेशान किऐ बिना नहीं रह सकता हूं ,बता दूं मैं ऑलरेडी परेशान हूं!" ये सुन अंकुर मंद मंद हंसा और फिर बोला-"मेरी क्या मजाल जो मैं तुझे परेशान करूं,वैसे परेशान क्यों है तू ऑल वेल?" "काहे का वेल ,थक कर चूर हुई पड़ी हूं ,पर ये माते श्री एक कप चाय मांगी थी वो भी देने से मना कर दिया,चाय के लिऐ ना,सोचो इससे बड़ी परेशानी और क्या होगी मेरी लाईफ में?"काश्वी ने मासूमियत से रसोई की तरफ इशारा करते हुए कहा! "ओह तो मसला ये है पर बहन तुझे तो पता है ना मां के रूल ,रात को नो चाय नो कॉफी ,और डीनर के टाइम तो बिल्कुल नहीं?" "इतने रूल तो कानून में नहीं होगें जितने कानून के रखवाले की धर्मपत्नी ने बनाकर रखे है ,चाय भाई चाय इस पर भी कोई रूल लागू हो सकता है क्या,चाय इश्क है हमारा यू नो देट एंड सी,सी भाई सी,तड़वाया जा रहा हमको,,,,मेरे और मेरे सांवले इश्क के बीच दूरी लाकर रख दी माते ने" काश्वी पिलो से मुंह ढकते बोली! ये सुन कर अंकुर चाहकर भी अपनी हंसी नहीं रोक पाया,एक त़ो काश्वी की तड़प चाय के लिऐ जानता था उसे कितनी पंसद है चाय ,ऊपर से न मिलने पर उसकी ये नौंटकी भरी बातें,अंकुर को हंसते देख काश्वी ने उसे घूरा और पिलो मुंह पर दे मारा-"शर्म नहीं आती आपको यूं मजाक बना कर दांत फाड़ रहे है!" अंकुर हंसते हंसते-"शर्म तो बिल्कुल नहीं आती, पर हां तरस जरूर आता है मुझे तुझपर,चाय की दीवानी ,जिसे चाय तक नहीं आती बनानी! ये सुन काश्वी ताली बजाते हुए-"वाह क्या बात है,कहां से आया है ये शायरी का हुनुर आपके पास ,(बतीसी दिखाते)आपके चरण कहां है?" अंकुर अपने पैरों की ओर इशारा करते-"ये रहे छुने का मन है?" "नहीं आपकी बकवास सुनकर तोड़ने का ?" काश्वी गुस्से से बोली, "बकवास नहीं सच कहा,सीख लो ना बहन चाय बनाना,जो ऐसे तड़पना तो ना पड़े ,ऐसे मिन्नतें तो ना करनी पड़े (हंसते)एक कप चाय!" "बड़ी हंसी आ रही है ना आपको,,,,रूको कहते काश्वी उठ बैठी और पिलो उठा अंकुर को पीटने लगी ,अंकुर भी कहां पीछे रहने वाला था उसने भी पिलो उठा लिया और दोनों भाई बहन में फिर पिलो फाइट शुरू हो गयी,कभी दोनों एक दूजे के बाल खींचते तो कभी खुद से दूर धकलेते,और इसी फाइट के बीच पिलोज के परखच्चे उड़ने लगे पर उन दोनों को होश कहां था,वो तो अपनी लड़ाई में फुल मग्न थे उनका शोर-शराबा सुनकर विशाखा जी किचन से बाहर निकली तो उनकी आखें फटी की फटी रह गयी! वो अपना सिर पकड़े चिल्लाई-"हे दीनानाथ जी, ये सब क्या है ,क्यों लड़ रहे हो दोनों?" विशाखा जी का चिल्राना सुनकर काश्वी अंकुर दोनों ने फट से उनकी ओर देखा ,दोनों ने एक- दूसरे के साथ खुद का कबाड़ा भी कर लिया था , बिखरे बाल,वहां का माहौल,,,,,बातें करते करते गजब की लड़ाई हो गयी दोनों भाई बहन के बीच और तो और दोनों ने एक दूजे के बाल अभी भी अपनी मुठ्ठी में पकड़े हुऐ थे!!" (क्रमशः)
जैसे ही दोनों ने विशाखा जी को सामने पाया दोनों ने फट से एक दूजे के बाल छोड़ मुस्कुराते फट से सोफे से खड़े हुऐ और अपने बाल और कपड़े भी झट से सही कर लेते है और सोफे को भी ठीक कर देते है पिलो सब अपनी जगह लग चुके थे !! उनको ये सब करते देखकर विशाखा जी उनको घूरते हुए बोली-"सुधरोगे नहीं ना तुम दोनों कभी, और जब तुम्हारे पापा घर नहीं होते है तभी तुम दोनों को ये हरकत क्यों सूझती है!" ये सुन दोनों ने अपनी नजरें झुका ली,,,,विशाखा जी दोनों को फिर डपटते बोली-"आने दो उनको फिर वहीं बताएगें तुम दोनों को,मेरी तो सुननी नहीं,बस चूहे बिल्ली जैसे लड़कर मेरा काम बढ़ा देते हो,आज वही आकर तुम दोनों को ठीक करेगें!" ये सुन कर अंकुर काश्वी ने फट से एक दूजे को देखा और "नहीं "एक साथ बोलते विशाखा जी की तरफ बढ़े पर विशाखा जी ने अपना हाथ आगे कर दिया,ये देख दोनों के कदम जहां से वहीं थम गये! अंकुर ना में सिर हिलाते-"मां प्लीज पापा को नहीं?" काश्वी सिर खुजाते-"हां मां सब ठीक है देखो ना कोई काम नहीं बढ़ा है!" "अपना हुलिया देखो तुम और उम्र ,बच्चे नहीं रहे हो अब ,शादी की उम्र हो चली है फिर भी लड़ पड़ते हो,क्या जरूरत है ये सब करने की ?" विशाखा जी ने चिल्लाते हुऐ कहा, तो दोनों बहन भाई खुद से बड़बड़ाते बोले-" जरूरत नहीं मां आदत से मजबूर है!" तभी विशाखा जी फिर बोल पड़ी-"आज तुम्हारे पापा ही फैसला करेगें तभी तुम दोनों की अक्ल ठिकाने आएगी!" ये सुन फिर दोनों की आखें फैल गयी और दोनों ने खुद को बचाने की कोशिश की ,अंकुर फट से बोला-"वो मां?" काश्वी भी मासूमियत से-"हां मां वो?" तभी विशाखा जी ने फिर हाथ आगे कर दिया- "बिल्कुल चुप,और अब अपने बचाव में एक भी शब्द कहने की या दूजे पर इल्जाम डालने की कोशिश तो करना ही मत,क्योकि मैं कुछ नहीं सुनने वाली,अच्छे से जानती हूं यहां कौन कितने पानी में है,ताली एक हाथ से नहीं बजती बेटा जानते हो ना और अभी अभी जो किया है उस की सजा पाने को तैयार हो जाए,दोष दोनों का है तो बराबर प्रसाद मिलेगा,आने दो घर उनको फिर सब ठीक करेगें,ना काम करना ना करने देना है" कह विशाखा जी बड़बड़ाते हुऐ फिर किचन में चली गयी!! उनकी सुन दोनों के चेहरे लटक गये,दोनों ने अब कहते एक दूजे की ओर देखा और मुंह से फूंकते हुए किचन की ओर! काश्वी होठ निकालते-"मां ने तो सुना ही नहीं भाई!" "हां यार ऊपर से पापा के नाम की धमकी दे डाली!"अंकुर ने भी मुंह बनाया, तभी दोनों ने फिर एक दूजे की ओर देखा और हाईफाई करते जोर से हंस पड़े,अंकुर ने काश्वी को धीरे हंसने के लिऐ इशारा किया तो काश्वी दबी हंसी हंसने लगी तभी अंकुर काश्वी के चेहरे की ओर देखते बोला-"क्या लगता है हम सुधरेगें कभी?" "सवाल ही पैदा नहीं होता और ना ही पापा की अदालत में हमारा फैसला हो सकता है,काश्वी बोली और इस बात पर दोनों ने फिर हाईफाई किया!! "पर भाई मां तो हमसें नाराज हो गयी और गुस्सा भी ?" "डोंट वेरी थोड़ी देर में सब फुर्र हो जाएगा,मां अपना फेवरेट काम कर रहे है खाना बनाना,फिर उनको भी याद नहीं रहना कि उनको पापा से हमारी शिकायत करनी है !"अंकुर मुस्कुराते हुए बोला, "भाई ये नहीं, मां का इतना भी फायदा उठाना अच्छी बात नहीं है,हमें सुधर जाना चाहिए?" काश्वी ने गंभीर होते ये बात कही तो पहले तो अंकुर उसे एकटक देखने लगा और फिर हंस पड़ा-"इतना सड़ा हुआ मजाक करने की कोई जरूरत नहीं है!" काश्वी ने अंकुर के पेट में मुक्का दे मारा-"बतीसी दिखाना बंद करो वरना फिर बवाल हो जाना है और इस बार पक्का हम (हंसते)सलाकों के पीछे होगें!" "हम्म चल मैं जाता हूं ,हमें अपने बचाव के लिऐ थोड़ी दूरी बना लेनी चाहिए,एक साथ रहे ना तो फिर लड़ पड़ेगे और इस बार मां - पापा के आने का वेट नहीं करेगें सीधा दरोगा जी को फोन ही जाऐगा और हमारी शामत आ जाएगी!" "हां भागो कहते काश्वी ने अंकुर को उसके कमरे की तरफ धकेल दिया,"अरें बैग तो लेने दे"कहते अंकुर ने अपना बैग उठाया और अपने कमरें में चला गया,काश्वी भी फिर वापस सोफे पर पसर गयी!! ______ अपने रूम की खिड़की पर हाथ बांधे हुए खड़ी काश्वी आसमां में बादलों संग लुकाछिपी खेल रहे चांद को निहार रही थी,तभी अंकुर वहां पर चला आया और अपने हाथ में पकड़े दो मग में से एक उसकी ओर बढ़ाते बोला-"ले चाय पी?" काश्वी मग पकड़ चाय की ओर हैरानी से देखते -"चाय वो भी रात को,ये कहां से आई?" अंकुर चाय का घूंट भरते-"क्या कहां से आई , मैनैं खुद बनाई है अपने हाथों से?" "आपने खुद बनाई है ?"काश्वी तपाक से बोली, "बात तो ऐसे कह रही है जैसे पहली बार बनाई है ,बना लेता हूं मैं चाय समझी?" "पता है पर आज आपने मां का रूल कैसे तोड़ा, पता है ना आपको रात को चाय - कॉफी पीना मना है हमारे निवास में?" "तो रात में भी पहले बना चुका हूं मैं चाय कभी अपने लिऐ कभी तेरे लिऐ,हां ज्यादा तेरे लिऐ,वो मां ने पीने को दूध दिया था तो मैनैं कहा मैं काम कर रहा हूं रख दो पी लूंगा,पर पीने लगा तो याद आया मेरी बहन चाय के लिऐ तड़प रही है आज क्यों न उसकी तड़प मिटा दूं तो बस मां सो चुके है पापा घर पर नहीं ,गया रसोई में और उस दूध से बना लाया चाय!"अंकुर ने काश्वी की ओर देखते बोला, काश्वी मुस्कुराते हुऐ-"क्या बात है बहन के लिए इतना प्यार,कि अपना दूध भी कर दिया आपने कुर्बान!" "चाय पिओ"अंकुर ने मग की ओर इशारा किया, काश्वी अंकुर के पास होते-"मां को पता चल गया तो?" "फिक्र मत कर सारे सबूत मिटाकर आया हूं!" "और दूध का पूछा तब कि दूध पिया?" "हां तो कह दूंगा पी लिया!" "हाआ झूठ बोलेगें?" "नहीं बस छुपाऊंगा,तेरे लिऐ इतना तो मैं कर ही सकता हूं वैसे वो दूध इस चाय में भी है सो हम पी रहे है ना!" "हम्म वैसे मुझे नहीं पता था मेरे प्यारे भईया मेरे लिऐ कोई भी रिस्स ले सकते है,काबिले तारीफ अंकुर श्रीवास्तव,वेलडन!",,काश्वी ने अंकुर का कंधा थपथपाते कहा, "कितना बोलती है तू ,अब चाय पी ना" "पीती हूं कहते काश्वी ने घूंट भरा ,अंकुर उसकी तरफ ही देख रहा था-"कैसी लगी?" "हम्म मां जैसी तो नहीं बट अच्छी है,लव यू भाई इस स्पेशल चाय के लिऐ!".....काश्वी ने मग को ऊपर से चूमते हुए कहा! "हां हां पता है ये तेरा लव यू शव यू ,तब ही होता है जब तेरे पंसद का काम होता है वरना तू कहां मुझे अच्छे लफ्ज बोले!"अंकुर अपनी चाय पीते बोला! काश्वी कंधे उचकाते हुए-"आपसे बेहतर मुझे कोई नहीं जानता भाई!" और दोनों भाई चाय पीते बिल्कुल खामोश हुए आसमां में बादलों से खेल रहे चांद को वहीं खड़े निहारने लगे,जैसे अंकुर की चाय खत्म हुई उसने खिड़की पर मग को रखा और काश्वी की तरफ देखते बोला-"सब ठीक है ना किशू!" काश्वी बिना अंकुर की ओर देखे-"हां भाई सब ठीक है आप बताओ?" "मेरा भी सब ठीक है!" "अच्छा और आपकी उस तीखी मिर्ची का क्या हाल है?"काश्वी ने अंकुर की तरफ देख भोहें उचकाई, "कमोन यार जरूरी है क्या जब हम बात करें तो उसका जिक्र छेड़ना!"अंकुर ने मुंह बनाते कहा, "जरूरी तो नहीं अब जिक्र कर ही लिया है तो बता भी दो,क्या हाल है मैडम के ,कहते है जब तक लोग जिंदा है हालचाल पूछते रहना चाहिए, चले जाने के बाद तो गलती से भी उनका जुंबा पर नाम नहीं आता,खैर अब बता भी दिजिऐ!" "तुम नहीं सुधरोगी ना,जिस बात के लिऐ टोको वहीं करनी होती है और बताओ क्या करोगी तुम निहारिका के बारें में जानकर?" काश्वी की चाय खत्म हो चुकी थी उसने मग को खिड़की पर रखा और हाथ बांधते बोली-"उसका घर से ना सही पर ऑफिस से तो वास्ता है ही ना और स्पेशली मेरे भाई से ,सो हक बनता है मेरा थोड़ा सा कि मैं भी थोड़ी खबर रखूं!" अंकुर ने आह भरी और आसमां की तरफ देखते बोला-"ठीक है वो, किशू वास्ता रखने से होता है (थोड़ा सा उदास होते),मुझसे,,,,मेरे ऑफिस से निहारिका का वास्ता है पर ताजुब होता है मुझे देखकर कि मेरे घर का उससे कोई वास्ता नहीं!" ये सुन काश्वी थोड़ा परेशान हो गयी वो अंकुर की तरफ भाई कहते अपना हाथ बढ़ाने लगी कि रात बहुत हो गयी है सो जा कहते अंकुर ने दोनों मग उठाए और वहां से चला गया!! काश्वी को गुस्सा आ गया ,उसने अपना हाथ जोर से खिड़की के दरवाजे पर दे मारा- "आह(हाथ झटकते हुऐ),,खुद का दर्द सहा जा सकता है पर अपनों की एक ऊफ भी बर्दाश्त न होती है,चोट बाहरी हो तो फिर भी जबर्दस्ती मरहम लगा कर घाव भरा जा सकता है आराम भी पहुंचाया जा सकता है पर अंदरूनी चोट को ना सहलाया जा सकता है और ना ही अंदर मन पर हुए जख्मों को ठीक किया जा सकता है,जिक्र करने से वो घाव फिर हरे हो जाते है,काश उनके लिऐ भी कोई ऐसी दवा होती कि फट से उसका इलाज हो जाता,पर सिच्युएशन इतना बेबस कर जाती है कि चाहकर भी हम कुछ नहीं कर सकते है!" "कोशिश भी करना चाहो तो संभलने की जगह बात बिगड़ जाती है,ये रिश्तों का झोल ऐसा क्यों होता है दीनानाथ जी ,कहते है रिश्ते मजबूत हो तो कुछ नहीं बिगड़ सकता पर फिर रिश्त़ो की डोर कच्ची क्यों होती है कि थोड़े से तुफान से डगमगा जाएं,,,प्यार परवाह भरोसा सब होता है रिश्तों में फिर खामोशी का आवरण क्यों ओढ लेते है लोग ,क्यों डरते है कुछ कहा तो सब ढह जाऐगा ,बर्बाद हो जाऐगा,सच में ये रिश्ते वगरेहा ना कभी.श समझ ही नहीं आते है मुझे और जैसे देखती हूं अपनी आखों के सामने कभी आने भी नहीं काश्वी तुझे!" "एक तरफ पापा एक तरफ भाई बीच में डायन सॉरी वो निहारिका,आईनों वो गलत नहीं है यहां कोई गलत नहीं है पर बात तो तब बने ना जब पापा भाई को और भाई पापा को समझे,ऐसे तो दूरियां और इनके अंदर का दर्द दिन बे दिन बढ़ जाऐगा,कुछ तो करना होगा हमें दीनानाथ जी, अच्छा लगेगा क्या आपको जब आपकी काश्वी और काश्वी के ये परिवार वाले ऐसे रहेगें,नहीं ना तो रास्ता दिखाओ,जो इन उलझे रिश्तों की गुत्थी सुलझाएं!"काश्वी खुद से ही बोलते बैड पर चली आई,तभी उसका फोन बजा तो उसने फोन को उठाया-"अब किसको इतनी रात में चैन नहीं!" फोन की सक्रीन पर देखा तो अचूक महाशय का नाम दिखाई दे रहा था ,ये देख काश्वी ने छत की ओर देखा-"वाह दीनानाथ जी आपकी लीला भी गजब है,मैनैं आपसे अभी कुछ मुसीबतों को कम करने का हल मांगा था और मुसीबत डालो झोली में ये नहीं ब़ोला था,आप बहरे हो गये हो क्या या मेरे मजे लेने के मूड में हो!" इतना बोल काश्वी बैड पर लेटी और फोन कान से चिपकाते बोली-"हां बोल?" "क्या कर रही है मेरी जानू!" "क्या चाहता है अभी आकर मैं तुझे चप्पल से मारूं!" "नहीं तो बिल्कुल भी नहीं!" "तो क्यों फोन किया?" "यार नींद नहीं आ रही है काश्वी ?" "तो मेरी क्यों नींद छीनने चला आया,तुझे नींद नहीं आ रही तो मैं क्या करूं?" "ऐसा मत बोल मासूम दिल टूट जाता है यार!" "अच्छा तो क्या करूं लोरी सुनाऊं या नींद वाली गोलियां पहुंचाऊं,,,,चुपचाप सो जा और मुझे भी सोने दे!"काश्वी रूम की लाइट बंद करते बोली! "सोया ही तो नहीं जा रहा है तभी तो तुझे कॉल किया,अब या तो सोल्यूशन बता दे या मेरे साथ बात कर ,जो मैं बात करते करते बोर हो जाऊं और नींद आ जाऐ!" "तू और बोर,उल्टा मुझे बोर कर देगा,सोजा ना यार ,देख कितनी रात हो गयी है और बात वो तो दिनभर करता है ना,थकता नहीं क्या कितनी तो बातें करता है रात को तो बख्स थे इस अबला लड़की को!" "ओह अबला नारी,ज्यादा मत बन वरना फोन से घुसकर अभी एक तमाचा दूंगा,और तू भूल मत बॉस भी नहीं है अब तू मेरी ,रात है तो दोस्त की तरह रह ,और हां मुझे नहीं पता मुझे बात करनी है मतलब करनी है,अब कुछ भी कर पर सोना नहीं है तुझे अभी!" "अच्छा बेटा ज्यादा मैं नहीं तू बन रहा है आया बड़ा सोना नहीं है क्यो मानूं मैं तेरी बात?" "क्यों नहीं मानेगी?माननी पड़ेगी ,अब इसमें तेरी ही गलती है अगर तू मेरी सेंटिग होने दे तो इस वक्त में अपनी जीएफ से कॉलिंग चेटिंग करता तू सोती मौज से,,,,पर ऐसा कुछ नहीं है अब तो तू ही एडजस्ट कर मेरे साथ!" ये सुन काश्वी बैड पर उठ बैठी-"तेरी तो,,,,रूक अभी आकर बताते है तुझे!" "सच में आ रही है क्या?" "हां तुझे सुलाने वो भी हमेशा हमेशा के लिऐ?" इतना कह काश्वी लाइट ओन कर बैड से उठी कि तभी फोन कट गया! (क्रमशः)
फोन कट देख काश्वी मुस्कुराई और वापस लाइट ऑफ कर बैड पर आ लेटी,अचूक को"सो जाओ गुड नाईट"का मैसेज सेंड किया तभी अचूक का हाथों हाथ रिप्लाई आ गया-"अब हुई ना मेरी गुड नाईट,अब तो सुबह ही जाग आएगी,गुड नाईट मेरी जान लव यू!" अचूक का मैसेज देखकर काश्वी ने अपना फोन साइड में फैंका और मुंह ढककर सो गयी,उधर अचूक अपने फोन की ओर देखते-"अब सोजा बेटा ये लड़की तेरे लव यू का विद टू लगाकर तो कहने वाली है नहीं",,बोल फोन साइड में फैंका और पिलो में मुंह छुपाते सो गया!! __________ अगली सुबह, विरेन्द्र जी - अंकुर दोनों डाईनिंग टेबल पर बैठे थे ,विशाखा जी दोनों को नाश्ता दे रही होती है और साथ साथ काश्वी के कमरें की तरफ बार बार देखे जा रही थी,उनको ऐसा करते देखकर अंकुर बोला-"मां जैसे ही उसकी पूजा खत्म हो जाएगी वो आ जाएगी,आपके ऐसे बार-2आवाज देने,उधर देखने से जल्दी तो आने वाली है नहीं!" विशाखा जी-"हां बेटा कह तो सही रहे हो करेगी तो अपनी मर्जी का,कौन सा मेरे चाहने थे चली आएगी पर वो भी आदत से मजबूर और मैं भी!" तभी विरेन्द्र जी बोले-"तो आदत बदल लिजिऐ ना,बदलना गलत भी नहीं होता है!" "अच्छा जी तो ये ज्ञान आप अपनी पुत्री को क्यों नहीं देते?"विशाखा जी बोली,,,ये सुन विरेन्द्र जी चुप हो गये,उनको चुप देख अंकुर को हंसी आने लगी पर वो विरेंद्र जी को अपनी ओर देखते देख हंसी रोक नाश्ता करने लगा!! "क्या हुआ चुप क्यों हो गये,जवाब नह़ीं दिया आपने और आपकी सारी एडवाइज मेरे लिऐ होती है क्या आपकी लाडली के लिए ही नहीं?" विशाखा जी ने विरेंद्र जी से सवाल किया, विरेन्द्र जी मुस्कुराते-"कैसी बातें कर रही हो तुम विशाखा,मैं ना ज्ञान दे रहा ना एडवाइज दे रहा हूं खैर छोड़ो बैठो और नाश्ता करो हमारे साथ!" विशाखा जी चेयर पर बैठ गयी और विरेन्द्र जी को घूरते-"मुझे सब पता है आप क्या देते हो क्या नहीं,सब समझ आता है!" "अपनी मां को अचार दो,बहुत पंसद है इनको?" विरेन्द्र जी ने टेबल पर रखे अंकुर के आगे अचार के डिब्बे की तरफ इशारा कर बात बदलते कहा, "जी"कहते "लो मां अचार"बोलते हुऐ अंकुर ने आचार वाला डिब्बा विशाखा जी के आगे रख दिया तभी काश्वी चली आई और आकर विरेन्द्र जी की पास वाली चेयर पर बैठते बोली;"हाय गाईज,मेरे बिना ही ब्रेकफास्ट,थोड़ा तो वेट किया करो?" "प्रधानमंत्री तो हो नहीं जो रोज नाश्ते पर आप का इंतजार किया जाए?"विशाखा जी काश्वी को ताना देते बोली पर काश्वी तो काश्वी थी बात को मजाक में टालते हंसकर बोल पड़ी-"मां अगर मैं प्रधानमंत्री होती या बन जाऊं तो इंतजार करोगे मेरा!" विशाखा जी हंस दी-"गुण है प्रधानमंत्री वाले तेरे में,घर संभालने की बात करों तो नहीं मां हमसे नहीं जिम्मेदारी ली जाती,हमसे नही हो पाएगा और बात करती है प्रधानमंत्री बन जाऊं,कंधो पर देश की जिम्मेदारी उठा सकती हो?" ये सुन काश्वी अपना सिर खुजाते बड़बड़ाते बोली -"इसे कहते है कुल्हाड़ी पैर पर मारना नहीं पैर पर कुल्हाड़ी मारना जानबूझकर, मां को हर बात शादी से क्यों जोड़नी होती है पापा,,काश्वी धीरे से विरेन्द्र जी की तरफ होते बोली तो उन्होनें मुंह पर अंगुली रख चुप रहने का इशारा किया, काश्वी सीधे होकर बैठ गयी और टेबल पर कोहनी टिका कर गाल से हाथ टिकाते-"कोई हमें भी नाश्ता दे दो!" विशाखा जी ने नाश्ता प्लेट में रखा और विरेन्द्र जी के आगे रख दी,विरेन्द्र जी ने मुस्कुराते हुए काश्वी को नाश्ता पास किया-"खाओ!" "थैक्यूं बोलते काश्वी ने खाने की प्लेट की ओर देखा-"पोहे!" "आज यहीं मिलेगें,विशाखा जी बोली तो ओके बोलते काश्वी खाने लगी,तभी विशाखा जी अंकुर से कहती है-"सुनो ,तेरे कमरें में रात दूध देकर आई थी वो गिलास कहां है लाने गयी तब दिखा ही नहीं वहां?" ये सुनते ही काश्वी अंकुर ने फट से एक दूजे की ओर देखा और अंकुर मुस्कुराते बोला-"वो मां मिलता कैसे आपके उठाने से पहले ही मैनैं उठा लिया था ,वो रात को दूध पीकर पानी लेने आया किचन में तो गिलास भी उठा लाया और धोकर रख दिया था!" "अच्छा ठीक है!"विशाखा जी अंकुर की गाल छूते बोली! "शुक्र है भाई आपने गिलास धोकर रख दिया था किचन में अगर तोड़ वोड़ देते तो अभी जो हाथ प्यार से गाल पर रखा हुआ है मां ने ,स्पीडप में आकर लगता!" "ये काम तुम्हारे है इसके नहीं ,तोड़ फोड़ तुमको आती है अंकुर को नहीं,याद भी है कभी गिलास धोना तो दूर उठाकर रसोई में भी रखा हो,सीख ले अपने भाई से ही कुछ!" "मैं किसी की देखा देखी नहीं करती मां और आपके लाडेसर बेटे के जैसे काम तो बिल्कुल नहीं,एम यूनीक और मेरे काम भी यूनीक होते है राईट पापा?"काश्वी ने भोहें उचकाते विरेन्द्र जी से पूछा तो उन्होने हां में सिर हिला दिया!! ये सुन विशाखा जी और अंकुर ने एक दूसरे की ओर देख काश्वी की ओर देखने लगे,दोनों को अपनी तरफ देखता पाकर वो जल्दी जल्दी पोहे खाने लगी-"जल्दी कर काश्वी ,पहले ही बहुत लेट हो चुकी है,जल्दी निकलना है ,अचूक को भी उसके घर से लेना है,आज कितना सारा काम है, स्पीड बढ़ा अपनी,वरना सारा दिन निकल जाना है और काम धरा का धरा रह जाना है!" "उसे बोलते और जल्दी खाते देखकर तीनों की आखें फेल गयी"आराम से खाओ बेटा?"विरेन्द्र जी उसके कंधे पर हाथ रखते बोले! "माना कि तू हमेशा जल्दवाजी में रहती है पर खाना तो धीरे से खा ,तेरे गले में फंस जाएगा?" विशाखा जी भी बोल पड़ी! "हां बहन और दिन अभी निकला है छिपा नहीं, खाते वक्त थोड़ा स्लो रख बाद में स्पीड बढ़ा लेना "अंकुर भी समझाते हुए ब़ोला, "ना आराम ,ना धीरे,,,मां पापा,और अभी स्लो से किया भाई तो सब स्लो रह जाना है ,और जानते हो ना आप सब में शादी ब्याह का काम करती हूं जिसमें सारे काम मुहूर्त पर हि होते है,दुल्हन की हल्दी है आज और अभी सारे अरेंजमेंट बाकि है, मुहूर्त निकल गया तो कान्ट्रेक्ट भी मेरे हाथ से निकल जाएगा ,जल्दी निकलूंगी तभी तो एड्रेस पर पहुंचूगी ना,,,,आज बिल्कुल फुर्सत नहीं कि कोई भी काम फुर्सत से किया जाए,,,सो सॉरी आपको भी और अन्न देवता को भी!"काश्वी खाते खाते बोली!! ये सुनकर तीनों ने अपना माथा पीट लिया,तभी अंकुर बोला-"क्यों भागती है इतना और क्या ही जरूरत है तुझे ये काम करने की,छोड़ क्यों नहीं देती है!" ये सुन काश्वी के हाथ खाते खाते बीच में ही रूक गये,उसने चम्मच प्लेट में रखते अंकुर को देखा, विरेन्द्र जी- विशाखा भी अंकुर की तरफ देखने लगे! "ये क्या बोल रहे है आप भाई?"काश्वी हैरानी से बोली, "मैं सही तो बोल रहा हूं,क्या मिल रहा है तुझे ये काम करके,जब से तू वेंडिंग प्लानर बनी है यूंही भाग दौड़ किए जा रही है दो सालों से देख रहा हूं मैं तुझे,क्या जरूरत है इतना परेशान होने की , छोड़ दे टेंशन फ्री रहें और काम भी ऐसा कर ना जिसमें तुझे यूं भागना न पड़े जब देखो सर पर पैर रखे रहती हो,कितनी बार बोला है मैनैं तुम्हें ऑफिस जोईन कर लो,अब ऐसे क्या देख रही है घर पर बैठने को नहीं बोल रहा हूं!" "भाई यह मेरा सपना है मैं कोई टाइमपास नहीं कर रही हूं ,और भागना किसे नहीं पड़ता,टेंशन कौन नहीं लेता है,परेशान कौन नहीं होता है आप ही बताओ जरा,आप, पापा,और मां भी तो होते है ना परेशान,भागदौड़ तो आपके काम में भी है ना माना थोड़ी ज्यादा होगी मेरी , पर मनपसंद काम है ये मेरा जिसे करके मुझे खुशी मिलती है ,जो काम मैं करना ही नहीं चाहती मन ही नहीं मेरा आपके ऑफिस में आने का तो कैसे आ जाऊं,मुझे वेंडिंग प्लानर ही बनना था भाई और मैं वहीं बनी हूं एंड एम हैप्पी!" "सपना या शौंक काश्वी,वेडिंग प्लानर बनने का तुमनें पहले तो कभी नहीं सोचा था,2साल पहले कभी तेरे मुंह से मैंनैं या किसी ने भी ये नाम नहीं सुना था,सुनते भी कैसे बचपन से तुम्हें और पापा को किसी और ही सपने के साथ देखा था हमनें,पापा तुझे आईपीएस बनाना चाहते थे और तू भी बचपन से कहते आई थी कि तुमको पापा जैसा बनना है लेडी इंस्पेक्टर,,है ना फिर कैसे तुमने अचानक रास्ता बदल लिया ,और तेरे अचानक बने शौंक की वजह से"मुझे वैंडिंग प्लानर बनना है "फिर रोका भी नहीं गया तुझे(विरेन्द्र जी की ओर देखते)वो सपना तो सपना ही रह गया तेरे शौंक के चलते!" "पर अब शौंक पूरा हो गया तो थोड़ा सिरियश होकर सोच लो,अचानक जगे वो सिर्फ शौंक होते है सपने नहीं,अच्छा ही रहेगा तेरे लिऐ फिक्सड जॉब करोगी तो ,शादियां रोज नहीं होती है बहन और सिर्फ तुझको ही कांट्रेक्ट दे सब ये भी तो जरूरी नहीं,तुझे भी पता है ना कई बार तेरे हाथ आकर भी कांट्रेक्ट चला जाता है फिर परेशान होती है,तेरे भले के लिऐ बोल रहा हूं समझ मेरी बात को?"उम्मीद भरी नजर काश्वी की ओर देखते अंकुर बोला, अभी तक काश्वी अंकुर की बात होठं भींचते सुन रही थी पर जैसे ही वो अपनी बात कहकर चुप हुआ टेबल पर हाथ मारते वो चेयर से उठ गयी और अपना एक हाथ माथे पर रख अंकुर की तरफ देख बोली-"सिरियशली भाई ,आपको मेरा काम सिर्फ शौंक लगता है ,शौंक नहीं मेरा ,मेरा ड्रीम ,मेरी जरूरत ,मेरा सब कुछ है और आप इसे कैसे छोड़ने को बोल सकते है,मुझको नहीं करनी कोई जॉब कितनी बार आपसे कह चुकी हूं मैं,वेंडिंग प्लानर बनना मेरा डिसिजन था और मुझे नहीं लगता है मैंने कुछ गलत किया है!" "माना कि मिस इंदौरी को सब शादी के कांट्रेक्ट नहीं देते पर आप भी जानते है भाई कोई ना दे मुझे ऐसा भी कुछ नहीं है,मेरा काम भी लोगों को बहुत पंसद है ,मेरा ये काम मेरी पहचान है इस काम से मेरा नाम है,हां बचपन से मैं कुछ और ही बोलती आई थी मैं बंदूक चलाऊंगी हवाईजहाज भी उड़ाऊंगी मैं,बचपन खत्म मेरी वो बातें खत्म दट्स इट और हां मैनैं यह सपना अचानक देखा और चाहा इसे पूरा करना और अब मुझे इसी के साथ रहना है ,मैं वेंडिंग प्लानर ही रहना चाहती हूं और कुछ चाहो और ना मिले तो परेशान कौन नहीं होता ,आप भी होते हो जब आपकी कोई डील नहीं होती है ,हां शादियां रोज नहीं होती सीजन के अकोर्डिग होती है ,अब ये तो है नहीं लोग शादी करना छोड़ देगें!" "ये तो हमेशा ही चलता रहना है सबकी मनपसंद चीज है सिवाये मुझे छोड़कर और हां मेरे पास तो एंडवास में बुकिंग रहती है तो बताईऐ कहां गलत है मेरा काम , कहां नुकसान है, थोड़ा ऊपर नीचे भागदौड़ सब काम में चलती रहती है भाई चाहे आपका हो या मेरा,पर मुझे समझ नहीं आता है जब मुझे आपके काम से दिक्कत नहीं तो आपको क्यों है,पापा ने समझा मुझे जो मैनैं चाहा वो करने दिया ना कि अपने मन का कुछ मुझ पर थोपा फिर आप क्यों नह़ी समझते मुझे,क्यों आप अपनी मर्जी मुझपर थौपना चाहते है!"....काश्वी अंकुर पर चिल्ला दी, ये सुन अंकुर भी चिल्लाते हुए उठ गया- "मुझे दिक्कत नहीं है ना ही अपनी मर्जी थौप रहा हूं तुझ पर ,और मैं कब नहीं समझता तुझे ,अपनी जिद्द में तुम नहीं समझती हो ,मैं बस समझा रहा हूं तुझे, बहन है तू मेरी परवाह है मुझे तेरी !" काश्वी हंस दी-"वाह,परवाह ऐसी परवाह अपने पास रखिए जहां मेरी मेहनत मेरा काम,टाइमपास और सिर्फ शौंक लगे आपको,मैं भी आपके जैसे अपने काम में 100% ही देती हूं भाई,एक बात बताईऐ अगर मैं आपको बोलूं आपका काम छोड़ने का,कैसा लगेगा, छोड़ दोगे आप?" "क्यों छोड़ूगा,मेरा काम मेरी जगह पर फिक्स है और हमेशा चलता है सीजन वाईज नहीं चलता,और तेरी तरह,हर बार,,,जगह जगह,,, दिन रात भागना भी नहीं पड़ता मुझे,कई रात़े तेरी तो घर से बाहर ही बीतती है और यहां तेरी फिक्र में मां की नींद उड़ जाती है,मैं ऑफिस में बैठा आराम से काम करता हूं और तुझे आराम कहां है बता जरा,और यहां बात फायदे नुकसान की नहीं है काश्वी परेशानी की,और तुझे जरूरत क्या है यार इतना परेशान होने की,मेरे ऑफिस में नहीं आना तुझे मत आ,पापा ने तेरे लिऐ एक सपना देखा तो वो पूरा कर लो ,वो बन जा उसमें भी अभी टाइम है एटलिस्ट अच्छी पोस्ट पर तो होओगी,और वो तेरे इस वेडिंग प्लानर के काम से तो अच्छा है तुम तो वो भी कर सकती हो तुझसे सबको वैसे भी बहुत उम्मीदें है!" "मैं अच्छी पोस्ट पर ही हूं भाई ,और मैं कोई छोटी बच्ची नहीं हूं जो रात भर बाहर रहना मेरा सेफ नहीं है ,मुझे अपना ख्याल रखना आता है और मां वो तो मुझे एक छींक भी आ जाए तो चिंता में पड़ जाती है,रही बात पापा वाले काम की वो आसान है क्या उसम़े भी तो नाईट ड्यूटी होती है उसमें भी खतरा होता है वो भी आसान नहीं,पर ये पापा है ना मैं बहन तो आप मुझे जो चाहे बोल सकते हो और कह सकते हो इसमें टीम होगी तेरी सेफ्टी का ध्यान रखेगी,तू नाईट नहीं दिन में कर लेना ड्यूटी,है ना यहीं बोलकर आप अपनी सेम बात मेरे आगे रखेगें!" "पर भाई मेरे पास भी अपनी टीम है जिसमें हम सब एक दूजे का ख्याल रखते है आपको इतनी टेंशन लेने की जरूरत नहीं है और हां इतना ही आपको पापा के ड्रीम की चिंता है तो आप बन जाते आप क्यों बिजनेस मैन बने आप भी तो बन सकते थे ना पुलिस ऑफिसर, पर पापा ने आपके सपनों को सम़झा ,मेरे सपनों को समझा,अपना सपना हम दोनों पर कभी थोपा नहीं भाई,हमेशा अपने मन का करने दिया हम दोनों को, हमारा साथ दिया खुशी खुशी पापा ने,फिर आप मुझे क्यों कह रहे है पापा का ड्रीम पूरा करूं आप ही कर देते ना!" अंकुर विरेन्द्र जी की ओर देखते-"कर देता अगर जैसी उम्मीद तुझसे लगाई गयी,मुझसे भी लगाई होती,मुझे तो कभी पता ही नहीं था,पापा अपने बच्चों को अपनी वाली सर्विस में डालना चाहते है ,इन्होनें मुझे नहीं तुझे आईपीएस बनाना चाहा,बचपन में मेरे लिऐ विडियो गेम ,कार,लेपटॉप ये सब आया तो तेरे लिऐ गन,पुलिस वाली वर्दी,पुलिस वाला डंडा,और तेरे साथ गेम भी खेले तो चोर पुलिस वाले,वरना पापा के पास कहां टाइम था मेरे लिऐ,क्रिकेट खेलो बोलता तो कल,पापा विडियो गेम खेले तब भी इनके पास दो मिनट न थी,सबकुछ तेरे लिए ही था काश्वी इनका प्यार,इनके सपने,इनका वक्त सबकुछ तेरे लिऐ,बता मेरे लिऐ क्या था,जब इन्होनें मुझे से चाहा ही नहीं कुछ तो कैसे कर देता(टेबल पर जोर से हाथ मारते) डेमिड!" विशाखा जी फट से उठी और अंकुर के कंधे पर हाथ रखते हुए-"अंकुर बेटा....!" तभी विरेन्द्र जी खड़े हो गये और चिल्लाते हुए बोले-"बस!" (क्रमशः)
विरेन्द्र जी ने बस कहा अंकुर उनकी तरफ देखते-"हां मैं ही बस करूंगा पापा आपका बस मुझ पर ही तो चलता है!" ये सुन विरेन्द्र जी अंकुर को घूरते जोर से बोले-"अंकुर, तभी पापा कहते काश्वी ने विरेन्द्र जी की बाहं पकड़ ली जिससे वो चुप हो गये पर अंकुर गुस्से से कुर्सी को धक्का मारकर अपने कमरे की तरफ चला गया-"पता नहीं सबने खुद को समझ क्या रखा है बस सुनने और सुनाने को एक अंकुर ही तो रहा है!" विशाखा जी माथे पर हथेली रखते उसे आवाज देती है-"अंकुर बेटा,,,,,ये लड़का भी ना पता नहीं कभी कभी इसे क्या हो जाता है!" "इसका दिमाग खराब हो जाता है ,अच्छे खासे माहौल को बिगाड़ना कैसे है वो अंकुर महाशय को बखुबी आता है ,विरेन्द्र जी अंकुर पर गुस्सा कर रहे थे कि काश्वी उनको शांत करते बोली-"प्लीज पापा अभी कुछ मत कहिए,वरना राई का पहाड़ बनते देर न लगेगी, प्लीज शांत हो जाईऐ,अभी कुछ भी कहना सही नहीं होगा,मां पापा का ध्यान रखना ,मुझे लेट हो रहा है कहते काश्वी टेबल की ओर आकर अपना बैग उठाती है और बड़बड़ाते घर से बाहर निकल जाती है-"अच्छा खासा सबकुछ सही चलता है,न जाने क्यों बैठे बिठाए लंका लग जाती है,सुबह सुबह सारे मूड का कबाड़ा हो गया!" तभी अंकुर भी बैग लिऐ कमरे से बाहर निकल आया,वो एक पल वहां रूककर विरेन्द्र जी और विशाखा जी की ओर देखता है और "चलता हूं मां"कहते वो भी घर से निकल जाता है! विशाख जी विरेन्द्र जी के पास आई-"बच्चा है जी,आप तो बड़े और समझदार है ना!" "वो भी अब बच्चा नहीं है,उसकी बातें और उसकी हरकतें कहां से तुमको बच्चों वाली दिख रही है,जो वो करता है उनको अब उसकी नादनियां समझना छोड़ दो विशाखा,जानबूझकर और अनजाने में हुई भूल में फर्क होता है!"इतना कह विरेन्द्र जी उसी वक्त अपने कमरे में चले गये!! विशाखा जी आह भरती अपना सिर पकड़ चेयर पर बैठ गयी-"हे दीनानाथ जी ये क्या हो रहा है, यहां सब अपनी जगह सही है ,किसी की कोई गलती नहीं,फिर क्यों ये मनमुटाव,अपनों में ये दूरी क्यों भगवान,सब ठीक करदो भगवान!" _________ काश्वी अपना बैग स्कूटी पर रख हेलमेट पहनने के लिए उसे उठाती है कि तभी घर से बाहर आते अंकुर पर उसकी नजर पड़ी,उसने फट से अपनी नजरें दूसरी तरफ घुमा ली,ये देख अंकुर हल्का सा मुस्कुराया और अपना बैग अपनी गाड़ी के बोनट पर रख काश्वी के सामने हाथ बांध गाड़ी से सटकर खड़ा हो गया! काश्वी उसको यूं सामने खड़ा देख घूरती है और जल्दी से अपना हेलमेट पहनने लगी कि हेलमेट छूट कर नीचे गिर गया,वो उसे उठाने को हुई कि अंकुर ने हेलमेट उठा लिया.....,काश्वी ने उससे हेलमेट लेना चाहा तो अंकुर ने उसे अपने पीछे कर लिया,ये देख काश्वी दूसरी तरफ देख अपना हाथ अंकुर के सामने कर देती है ,अंकुर काश्वी के हाथ की ओर देखते-"क्या?" काश्वी बिना उसकी तरफ देखे-"मेरा हेलमेट!" तभी अंकुर ने अपने कोट से कुछ निकाला और काश्वी की हथेली पर रख दिया,,,अपने हाथ में कुछ महसूस होने पर काश्वी ने फट से हाथ को देखा उसके हाथ में चार पांच टॉफियां रखी हुई थी,काश्वी टॉफियों की ओर देखते अंकुर की ओर देखती है तो वो मुस्कुराते बोला- "तुझे पंसद है ना ये खट्टी मीठी टॉफियाँ!" काश्वी टॉफियों की ओर देखते-"आपको बड़ी खबर है मेरी पंसद ना पंसद की!" ये सुन अंकुर ने हेलमेट गाड़ी के बोनट पर रखा और फट से अपने कान पकड़कर मासूमियत से बोला-"सॉरी किश्शु ,तू तो जानती है ना मुझे,मेरा तुझे हर्ट करने का कोई इरादा नहीं था,तेरी फिक्र थी तो और फिर गुस्से में गड़बड़ हो गयी,पर तुझे तो पता है ना बच्चा तेरा भाई दिल का बुरा नहीं है माफ कर दे ,सो सॉरी!" ये देख काश्वी अपनी स्कूटी पर बैठ गयी और एक टॉफी खोल उसे मुंह में रखते बोली-"ओह तो आपको माफी चाहिए,.....आईनो मेरा भाई कितना बुरा है ,चलिऐ जल्दी से 108 बार उठक बैठक किजिऐ आपने जो गड़बड़ की है उसकी भरपाई तो करनी पड़ेगी ना!" ये सुन अंकुर की हैरानी से आखें फैल गयी वो कान से हाथ हटाकर कमर पर रखते हुए-"ये कुछ ज्यादा नहीं हो गया किश्शु!" "आपको ही माफी चाहिए?" "और वो 108 बार उठक बैठक कर सॉरी का जाप किए बिना....माफी नहीं दोगी तुम!" "सवाल ही पैदा नहीं होता?" "तो मैनैं ये टॉफी दी पांच तुझे ये क्यों खा रही है,जब सॉरी एक्सेप्ट ही नहीं कर रही मेरी,यह मैं तुझे मनाने के लिऐ लाया ताकि तू मान जाए और माफ कर दे!"अंकुर ने मुंह बनाते कहा, "पर मैं अभी नहीं मानी हूं भाई और ये टॉफीज मेरी फेवरेट है इसलिऐ खा रही हूं और मैं एक इंस्पेक्टर की बेटी हूं तो रिश्वत लेना मेरी शान के खिलाफ है!"काश्वी ने अपनी हथेली में रखी टॉफियों से खेलते बोली! "ओह हेल्लों मैं भी एक पुलिस वाले का बेटा हूं आई बड़ी शान के खिलाफ बात करने वाली,मैं भी रिश्वत नहीं देता और ये रिश्वत नहीं प्यार है मेरा पर तुझ जैसी निर्दयी बहन कहां समझेगी मुझे,इतना लाड़ करता हूं फिर भी भाव खाती है थोड़ी तो शर्म करो ,बड़ा भाई हूं थोड़ी तो इज्जत कर लो!" "उठक बैठक किजिए ,जल्दी गर माफी चाहिए तो वरना आप अपने रास्ते मैं अपने!"काश्वी कंधे उचकाते बोली, तो "करता हूं?"कहते अंकुर ने उसे घूरा और कान पकड़ उठक बैठक करने ही लगा कि वो नीचे बैठता उससे पहले काश्वी ने उसको स्कूटी से उतरकर रोक लिया, अंकुर ने उसकी तरफ देखा तो वो अंकुर को सीधा खड़ा कर सीधा उसके हाथ ना में सिर हिलाते नीचे कर देती है और खुद अपने कान पकड़कर घुटनों के बल अंकुर के सामने बैठ जाती है -"एम सॉरी भईया,एम रियली सॉरी, आप बड़े है मुझसे, आप भला चाहते है मेरा,आप समझाते है मुझे,आपको फिक्र है मेरी!" "माना आपको मेरा काम पंसद नहीं ज्यादा, मुझे थका परेशान जो नहीं देख सकते पर मैं अच्छे से जानती हूं आप अपनी छुटकी अपनी किश्शु से बहुत प्यार करते है और हमेशा- हर कदम पर उसके साथ खड़े है लव यू सो मच भाई एंड दिल से सॉरी मैनैं आपको हर्ट किया ना आपको गुस्सा दिलाया ना प्लीज माफ करदो अपनी छोटी बहन (होठों पर हल्की मुस्कान आखों में नमी लेकर)को!" ये देख अंकुर की आंख छलक गयी ,उसने काश्वी को फट से कंधो से पकड़ खड़ा किया और उसके गाल पर हल्की सी चपत लगाते बोला-पागल हो तुम किश्शु,मैंं भी जानता हूं मेरी बहन मुझसे सबसे ज्यादा प्यार करती है, मैं ही मेरी बहन का फेवरेट हूं,चाहे फिर कुछ हो जाए वो मेरा साथ कभी नहीं छोड़ेगी,मेरी नन्ही सी प्यारी सी जान (चेहरा हाथों में भरते)मेरी छुटकी जो मेरे लिए दुनिया से लड़ जाती है वो मुझे कभी हर्ट कर ही नहीं सकती है,ये सब तो चलता रहता है ना,होता (मुस्कुराते आखें पौंछते)रहता है!" "तो भाई आपने मुझे कर दिया माफ!"काश्वी मुस्कुराते बोली! "हम्म(सोचने की एक्टिंग करते)पहले एक टॉफी दे?" अंकुर ने अपना हाथ आगे करते कहा, "एक ही दूंगी, कहते काश्वी ने एक टॉफी खोलकर अंकुर के मुंह में डाल दी, अंकुर ने काश्वी को अपने सीने से लगा लिया और सिर चूमते हुए-"लव यू किश्शु!" काश्वी ने भी अपनी आखों के किन्नारे साफ कर लव यू टू कहा,और थोड़ा पीछे हटकर अंकुर की तरफ देखते बोली-"आप बहुत खराब हो?" "भाई भी तो तेरा हूं तुम कौन सी दूध की धूली हो,तुम खराब से खराब हो,खुद को तुम अच्छी समझने की भूल कभी मत करना!"अंकुर बोला, ये सुन काश्वी उसे गुस्से वाली शक्ल बनाकर घूरने लगी कि अंकुर ने उसको हल्का सा थप्पड़ लगा दिया-"अब ड्रामा मत कर ऑलरेडी आज पहले ही बहुत ड्रामा हो चुका है!" काश्वी बड़ी बड़ी आखें कर-"हां सच में,भयानक वाला ड्रामा!" तभी दोनों ने मुस्कुराते फिर अपने कान पकड़ लिये और फिर हंस पड़े तभी काश्वी बोली-"मुझे नहीं पता था आप आज मुझे इतनी जल्दी मना लेगें!" "लेट मनाऊं या जल्दी ,मनाना तो मुझे ही होता है,तेरे नखरे कम थोड़ी है!" "हाआ,,,,,चार पांच टॉफी से तो मान जाती हूं ,कहां नखरे करती हूं!"काश्वी ने गर्दन झटकाई, "ओह हेल्लो सिर्फ टॉफी से काम नहीं चलता है,उसके साथ भारी भारी अल्फाज जज्बात भी तो काम में लाने पड़ते है तब जाकर पिघलती हो,वैसे मैनैं सोचा सुबह सुबह तेरा मूड ऑफ कर दिय और सड़े मूड के साथ रहेगी तू आज पूरा दिन तो मेरा भी कहां काम में मन लगेगा,,,,सो जल्दी से सही करके मूड काम पर जाते है अपने अपने,और मैन इम्पोर्टेंट बात तो वेडिंग प्लानर है लॉयर नहीं,पता चले अपने खराब मूड के चलते शादी करवाने गयी थी ब्रेकअप करवाकर आ गयी,शादी से पहले ही तलाक करवाकर दुल्हा दुल्हन को जुदा कर दिया तो मुझे जिनकी शादी है उन पर तरस आ गया!" ये सुन काश्वी खिलखिलाकर हंस पड़ी,अंकुर ने उसकी गाल छूते-"ऐसे ही हंसती रह कर अच्छी लगती है!" "आप भी हंसते रहा किजिए और मुझे भी रहने दिया किजिऐ !" "तुम ताने मारने से बाज नहीं आओगी ना!" "नेवर काश्वी ने अंकुर के पेट में हल्का सा मुक्का दे मारा और"लाईऐ अब मेरा हेलमेट लेट हो रहा मुझे?"हेलमेट की तरफ इशारा कर काश्वी बोली! "हां",,,कह अंकुर ने हेलमेट उठाकर काश्वी को पहनाया -"ध्यान से जाना और ख्याल रखना!" काश्वी एक और टॉफी मुंह में डालते-"हां आप भी!" "अच्छा एक टॉफी और दे दे मुझे?" काश्वी ने बैग में टॉफी रखी और बैंग टांगते हुए-"नो!" "एक तो दे दो यार....अभी भी दो बाकी है!" "हां तो एक खुद खाऊंगी एक उस अचूक को दूंगी!" "उसे देना जरूरी है क्या,कौन सा मेरा जीजा लगता है जो भाई को मना कर रही है उसे दूंगी बोलकर!" "कुछ नहीं लगता आपके,बस बच्चा है मेरा खुश हो जाएगा टॉफी पाकर!"काश्वी स्कूटी पर बैठते बोली! ये सुन अंकुर हंस दिया-"किश्शू तेरा कुछ नहीं हो सकता,,,,अच्छा ये तो बता दे आज दीनानाथ जी से क्या मांगा?" काश्वी टेढी़ नजरों से उसे देखते-"कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे भाईसाहब!" ये सुन ही अंकुर ने अपने हाथ खड़े कर लिए-"गलती माफ करें!" "करदी अच्छा ये तो बताईऐ आपकी प्रेमिका के क्या हाल चाल है ,ज्यादा तंग तो नहीं करती है ना वो मेरे भाई को?" "अब कायदे से बाहर कौन जा रहा है बेटा?" "मैं तो नहीं जा रहीं,,,,,है तो रिश्ते से भाभी ही ना मेरी, अभी मानूं या ना मानूं वो अलग बात है,वैसे सच बताओ कहीं निहारिका मैडम ने फिर आपसे लड़ाई तो नहीं की ना,गर ऐसा है तो बता देना मैं मुंह तोड़ दूंगी उनका!", काश्वी अपनी कलाई घुमाते बोली, "तुम भी ना किश्शू कुछ भी बोलती हो,और हम क्यों लड़ेगें,वो ठीक है और कभी कभार हो जाते है इश्यूज पर वो इतनी भी बड़ी बात नहीं होती कि फिर हमारे बीच ठीक नहीं होता है ,अब हम भी तो लड़ते झगड़ते रहते है ना यार इट्स नोर्मल नॉट ए बिग डील ओके और एक बात समझ नहीं आती जब वो हम दोनों के बीच नहीं बोलती तो तुम क्यों ऐसे रियेक्ट करती हो?"अंकुर ने भोहें उचकाते कहा तो काश्वी इधर उधर देखते बोली- "मैं बहन हूं बस ,नहीं बर्दाश्त होता मुझसे,अगर वो बिगाड़ा ठीक नहीं कर सकती है तो कोई जरूरत नहीं आपको बेवजह परेशान करें और इस मामले में मैं आपकी भी नहीं सुनूंगी फिर वो क्या चीज है!" अंकुर काश्वी की ओर देखते-"ये कुछ ज्यादा हो रहा है किश्शू!" काश्वी-"एनीवे,,,अब मूड ऑफ नहीं करते है डोंट वेरी सब ठीक हो जाएगा,चलिऐ चलते है और हां अपनी निहारिका को मेरा प्रेम से भरा नमस्कार कहना,बोलना बहुत याद कर रही हूं मैं उनको,हिचकी विचकी आए तो पानी पी ले,पानी अच्छा होता है ना हेल्थ के लिए!" (बतीसी सी दिखाते) ये सुन अंकुर हंस पड़ा-"अच्छा अब ये तो बता दे मेरी शादी कब करवाएगी?" काश्वी स्कूटी स्टार्ट करते-"अभी आपका मंगल भारी है ,,,,बाय इतना बोल काश्वी वहां से चली गयी, अंकुर हंस पड़ा-" पूरी दुनिया के लगन करवा सकती है ये लड़की बस मेरे ही मामले में इसके हाथ तंग है बोलते अंकुर ने अपना बैग उठाया और गाड़ी में बैठ ऑफिस के लिऐ निकल गया!" ये सब अपने रूम की खिड़की पर खड़े विरेन्द्र जी और विशाखा जी दोनों देख और सुन लेते है उनके जाते ही दोनों ने एक दूजे की ओर मुस्कुरा कर देखा, विशाखा जी ने कहा-"हमें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है विरेन्द्र जी हमारे बच्चे कुछ भी हो जाए ना तो परिवार छोड़ेगे और ना ही एक दूजे का साथ......देखा ना अंदर चूहे बिल्ली जैसे लड़ रहे थे,बाहर मानों कुछ हुआ ही ना हो,उनका प्यार, बातें हंसी मजाक कभी उनके रिश्ते में नाराजगी को ज्यादा देर ठहरने नहीं देगा!" विरेन्द्र जी ने हां में सिर हिलाया-"मैं अपने बच्चों से बहुत बहुत प्यार करता हूं विशाखा,कभी मैनैं दुरव्यवहार नहीं किया,जानबूझकर तो कभी नहीं,पर अगर अनजाने में हुआ है कुछ गलत मुझसे तो मैं माफी मांगता हूं अपने बच्चों से,पर जैसा अंकुर को लगता है वैसा कुछ नह़ी है,मुझे उसकी भी परवाह है उससे भी उम्मीदे है उस पर मुझे बहुत गर्व है,मेरे बच्चें मेरा गरूर है विशाखा गरूर, बहुत नाज है मुझे दोनों पर!" विशाखा जी उनके हाथ अपने हाथ में लेते-"ये बात हमारे बच्चे बखूबी जानते है और समझते है विरेन्द्र जी,आप खामख्वाह परेशान हो रहे है,हम अपने बच्चों को समझते है तो वो भी हमें अच्छे से समझते है ,हां अंकुर काश्वी जैसे आपसे जता नहीं पाता है पर ये आप भी जानते है ना कि वो आपको कितना मानता है वो आपसे बहुत प्यार करता है,आप जिस चीज से खुश नहीं,वो चीज नहीं करता है चाहे वो उसके लिऐ सबसे बड़ी खुशी की बात क्यों न हो,आपके खिलाफ जाकर कुछ न किया हमारे बच्चों ने ,हमारी मर्जी उनके फैसलों में शामिल रहती है ना,कभी कभी उसका गुस्सा बाहर निकल जाता है......वो ज्यादा कहां किसी से कह पाता है ,उसको हमसे उम्मीदें है ,आप समझ रहे है ना मैं जो कह रही हूं!" विरेन्द्र जी ने हां में सिर हिलाया-"हां समझ रहा हूं पर मैनैं जो फैसला ले रखा है वो गलत नहीं है विशाखा उसका भला है उसमें,काश वो इस बात को समझें तो बेहतर है उसके लिऐ पिता हूं उसका ,दुश्मन नहीं!" ये सुन विशाखा जी ने कुछ नहीं कहना बेहतर समझा और मुस्कुराते बोली-"मैं आपके लिऐ अच्छी सी चाय लाती हूं,नाश्ते के बाद आपको चाय पंसद है ना!" इतना कह विशाखा जी जाने लगी कि विरेन्द्र जी ने उनका हाथ पकड़ लिया-"थोड़ी देर रूकोगी यहां?" ये सुन विशाखा जी पास आई और बाहं पकड़ हंसते बोली-"मैं तो हमेशा के लिऐ यहीं रूकी हुई हूं आप पर......ये सुन विरेन्द्र जी ने अपनी बाहं विशाखा जी के कंधे पर डाल ली,वो भी अपना सिर उनके सीने से टिका लेती है!" (क्रमशः)
अंकुर अपने ऑफिस पहुंचता है उसके मन में घर वाली बातें चल रही थी जिसको लेकर वो थोड़ा परेशान था,पापा के सामने उसने ऊंची आवाज में बात की ये सोच कर निराश-"तुझे ऐसा नहीं करना चाहिऐ था,एम सॉरी पापा, काश्वी जितनी हिम्मत तो नहीं कि आपके सामने आकर अपनी गलती एक्सेप्ट कर सकूं,मैं तो आपके साथ कभी अपनी खुशी भी नहीं बांट सकता, समझ ही नहीं आता क्यों चाहकर भी कुछ नहीं कह पाता और जब गुस्सा आता है तो पता नहीं चलता क्या क्या बोल जाता हूं प्लीज माफ कर देना मुझे,आप भी जानते है ना मेरा इरादा नहीं होता है आपको ठेस पहुंचाने का,बस गलती हो जाती है जिसका मुझे भी बहुत पछतावा होता है!"मन ही मन खुद से बोलते वो अपने कैबिन की तरफ बढ़ रहा था! उसका ध्यान किसी पर नहीं गया जो उसको गुड मॉर्निंग सर,हेल्लो सर बोल रहे थे......वो सबको इग्नोर करता यानि ध्यान नहीं देकर सीधा अपने कैबिन में चला गया,अंकुर के ऐसे रियेक्ट से सब एम्प्लॉयज ने एक दूजे की तरफ हैरानी से देखा और फिर अपने अपने काम लग गये,अंकुर अपने कैबिन में पहुंचा तो उसके कैबिन में एक लड़की पहले से मौजूद थी ,अंकुर के आते ही वो उसकी तरफ मुड़ी,जिसे देख अंकुर के होठ़ों पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गयी ,वो अपना बैग टेबल पर रखते-"हाय निहू यानि की निहारिका वालिया!" निहारिका अंकुर की ओर आते-"हेल्लो मिस्टर श्रीवास्तव,आर यू लेट!" "हम्म एम लेट!"अंकुर ने हामी भरी, "मैं कब से कॉल कर रही हूं पता भी है एक बार भी कॉल पिक न किया,कॉल बेक तो क्या एक मैसेज तक न भेजा मुझे,मैं कबसे वेट कर रही हूं तुम्हारा और तुमको पता है ना आज इम्पोर्टेंट मिटिंग है,क्लाइंट बस आते ही होगें!"निहारिका अंकुर के सामने हाथ बांध खड़े होते बोली! "हां पता है मिंटिग का,वो ड्राईव कर रहा था सो पिक न कर पाया,सॉरी और ऑफिस ही आ रहा था और कहीं तो जा नहीं रहा था!"अंकुर टेबल से सटकर खड़ा होते बोले.....तभी निहारिका ने उसकी गाल पर हाथ रखा-"क्या हुआ अंकुर,तुम ठीक हो ना,अपसेट लग रहे हो,घर पर कुछ हुआ क्या,,,पापा के साथ.......!" वो बोल ही रही थी कि अंकुर ने उसका हाथ अपनी गाल से हटा दिया-"या सब ओके है डोंट वेरी एम फाइन!" "या दिख रहा है सब ओके है,,,,एनीवे टेक केयर और अपना मूड भी ठीक करों,मिंटिग की तैयारी हो चुकी है ,मैं तुम्हारे लिऐ कॉफी भिजवाती हूं! "निहारिका ने अंकुर की बांह पर हाथ रखा और वहां से जाने लगी, अंकुर ने उसका हाथ पकड़ लिया-"तुमको जाने को किसने कहा!" निहारिका उसकी तरफ देखते-"तो रूककर भी क्या करूंगी,हमेशा की तरह कुछ न कहोगे ना ही बताओगें, बस अंदर ही अंदर परेशान होते रहोगे,और मैं कौन सा कुछ जानती नहीं जबकि अच्छे से पता है जो भी इश्यूज है .....वजह तो मैं ही हूं ना!" ये सुन अंकुर का जबड़ा कस गया, निहारिका को उसने अपनी तरफ खींचा और कंधो से पकड़कर जोर से बोला-"शटअप निहू..... आई से शटअप,कितना बार कहना पड़ेगा? तुम वजह नहीं हो ,बाकि सब तो कहते अब तुम भी खुद को कहने कसूरवार कहने लगी होष व्हाई?" निहारिका की आखों में नमी उतर आई-"बट हकीकत तो यहीं है अंकुर!"तभी अंकुर ने उसे बाहों में भर अपने सीने से लगा लिया,निहारिका अपना चेहरा अंकुर की गर्दन में छुपाते उससे लिपट जाती है,अंकुर ने उसका सिर सहलाया-"ऐसा कुछ नहीं है निहू प्लीज समझो मेरी बात को,बलीव करो ना यार सब ठीक कर दूंगा....!" तभी निहारिका उससे दूर हुई और अपने आंसू पौंछ बोली-"खुद से ज्यादा भरोसा है मुझे तुम पर अंकुर और ये भी जानती हूं आज नहीं तो कल जरूर सब ठीक होगा,तुम जो कोशिशें कर रहे हो एक दिन जरूर सफल होगें हम,हमारा प्यार हमारा साथ सब ठीक कर देगा, राईट!!" "हम्म कहते अंकुर ने निहारिका की गाल को प्यार से छुआ तो वो मुस्कुरा दी-रिलेक्स,ओके,मैं आती हूं,इतना बोल वो जाने को हुई,अकुंर ने उसकी कमर पर हाथ टिका लिऐ! निहारिका उसकी तरफ देखते-"व्हाट?" "कहा है ना जब तक जाने को न बोलूं मत जाया करो?" "मैं कॉफी लेने जा रही हूं ,कॉफी पिओगे तो फ्रेश हो जाओगे,मैं नहीं चाहती क्लाइंट के सामने मेरा बॉस ऐसे सड़े से फेस के साथ जाए!" "हां तो फ्रेश होने के लिऐ कॉफी की जरूरत किसे है,तुम हो ना!".....अंकुर ने निहारिका को अपने करीब करते कहा,ये देख निहारिका नो नो कहते अपना सिर ना में हिलाने लगी कि तभी येस येस कहते अंकुर ने उसका चेहरा कसकर अपने हाथों में भर लिया! निहारिका दरवाजे की ओर देखते-"कोई आ जाएगा अंकुर प्लीज समझो ना!" "डोर लॉक है और जब तक मैं परमिशन न दूं तब तक मेरे कैबिन में कोई एंटर भी नहीं कर सकता है सिवाये तुम्हारे!" "अच्छा और मैं क्यों बिना परमिशन के एंटर कर सकती हूं बताना!"निहारिका ने अंकुर के सीने पर हाथ रख भोहें उचकाते कहा, "लाईफ में एंटर कर चुकी हो ,कैबिन और मैं खुद तुमसे अछूते कैसे रह सकते है........ कह अंकुर मुस्कुराया और अपने होंठ निहारिका के होठों पर रख दिए!" __________ सिंघानिया मेंशन काश्वी मुस्कुराते हुए अचूक के कंधे पर कोहनी टिकाते इधर उधर देखते -"अनू की हल्दी के सब अरेंजमेंट अच्छे से,टाइम पर हो गये ना अचूक!" "हां यार माना भागना पड़ा पर फाइनली सब हो गया जैसा इनको चाहिऐ था और हमनें भी तो अपना बेस्ट दिया ,देख दुल्हन कितनी हैप्पी लग रही है अपने हल्दी के फंक्शन में !".......अचूक सामने बैठी अनु सिंघानिया की तरफ इशारा कर बोला, ये सुन काश्वी सामने लगे सेटअप की ओर देखती है जहां अनु पीले लंहगा और पीले फूलों वाली ज्वेलरी पहने पाट पर बैठी थी जिसे सब बारी - बारी हल्दी लगा रहे थे और वो खिलखिलाकर हंस रही होती है-"हां ,सच में बहुत खुश है अनु अपनी शादी को लेकर ,कह रही थी कि मुझे सबसे अच्छा लाईफपार्टनर मिल रहा है मिस इंदौरी,,,जिससे मैं बहुत प्यार करती हूं और मैं अपनी शादी का हर मूंमेट फुल इंजोय करना चाहती हूं,सबकुछ बेस्ट चाहिऐ मुझे अपनी शादी में हल्दी से लेकर फैरों तक सबकुछ,उसने ही तो अपने पापा से हमारे बारें में बात की थी कि उसकी शादी हम प्लान करें तभी तो अनु की शादी का कांट्रेक्ट हमें मिला!" "ओह मतलब हमें फंसाने वाली अपने पापा के साथ ये अनु सिंघानिया है ,वैसे ये पक्का है यार इसके पापा को हम ना मिलते ना तो पता नहीं कौन सा वेंडिंग प्लानर ढूंढ कर लाते और अब तक तो बेचारा हॉस्पिटल पहुंच जाता वो भी पागलों के,,,,बस तेरे दीनानाथ जी की महर है जो हम सहनशीलता वाले प्राणी है वरना अब तक हमारा भी बेड़ा गर्क हो जाता!" अचूक ने हवा में हाथ उठाते कहा तो काश्वी ने उसके हाथ फट से नीचे कर दिया और धीरे से बोली-"क्या बोल रहा है तेरा घर नहीं है ये ,मुंह बंद रख,किसी ने सुन लिया तो,जिसके बारें में बात कर रहा यानि कि मिस्टर सिंघानिया उनके ही घर में है हम और हां माना अनु के पापा थोड़े ज्यादा चिकचिक वाले है सुबह मुझे भी गुस्सा आया,तीन बार सेटअप की डेकोरेशन भी चेंज करवाई मुझसे,मन तो किया भाग जाऊं यहां से पर जब अनु से बात हुई तो मैनैं ठान लिया कि चाहे कुछ भी शादी करवाकर ही जाएगें,बीच में छोड़ कर भागना ये हमें सूट नहीं करता और अनु का बहुत मन है उसकी शादी मिस इंदौरी वेंडिंग प्लानर के अंडर हो तो मैं उसको निराश नहीं कर सकती,उसकी हैप्पीनेस और रिकवेस्ट का मान रख रही हूं वरना मिस्टर सिंघानिया की मैं एक ना सुनूं,वैसे देखे तो बाकि सब अच्छे है बस एक उनको छोड़कर तो थोड़ा एडजेस्ट(मुस्कुराते) कर ही लेगें यार!" "ओके बॉस,सही कहा अनु की एक्साइटमेंट देख कर ही मैंने खुद को रोक रखा है वरना अब तक भाग जाता मै यहां से!" "तेरी टांगे नहीं तोड़ देती मैं!"काश्वी उसे घूरते बोली, "तभी तो हिला ही नहीं,वैसे दुल्हा कौन है ?" "लड़का है!" "वाह लड़की दुल्हन है तो लड़का दुल्हा ही होगा ना, एनीवे नाम क्या है ये ही बता दें!" "पता नहीं बोल तो रही थी ,शायद ठीक से सुना नहीं मैनैं यार याद नहीं आ रहा है?"काश्वी सिर खुजाते बोली!! अचूक उसके सिर पर मारते-"तेरा कुछ नहीं हो सकता काश्वी ,कुछ तो याद रखा कर!" "जितनी जरूरत है उतना याद रखती हूं फालतू का मुझे कुछ भी रखने का शौंक नहीं,,,ना याद ना इंसान!" ये सुन अचूक ने हाथ जोड़ दिए,तभी काश्वी मुस्कुराते बोली-"वैसे मैं खुश हूं यार बहुत ,अनु ने छोटी सी भी शिकायत न की,ब्लकि भर भर कर तारीफ की,बोली येस मुझे ऐसा ही चाहिए था अपनी हल्दी का फंक्शन!" तभी अचूक की नजर सामने पड़ी,उसकी आखें फैल गयी वो काश्वी के कंधे पर हाथ मारने लगा,मार क्यों रहा है काश्वी ने चिढ़ते कहा तो सामने की तरफ इशारा कर बोला-वो शिकायतों वाला पिटारा आ रहा है हमारी ओर आईमीन मिस्टर सिंघानिया!" ये सुन काश्वी ने उस ओर देखा तो मन ही मन खुद से बोली-"ये दीनानाथ जी अब कौन सी आफत आ गयी, सबकुछ तो इनके हिसाब से करके दिया है ,ना जाने इनके शिकायतो वाले पिटारे से अब कौन सी शिकायत अब बाहर निकलेगी!" "मैं जा रहा हूं तुम करों हैंडल कह अचूक वहां से भागने को हुआ कि काश्वी ने उसका हाथ पकड़ लिया-"सोचना भी मत,वरना यहीं इसी वक्त तुझे जमीन में गाड़ दूंगी, आग में जब दोनों कूदे है तो लपटों में सिर्फ मैं झुलसूं ये तो जायज बात नहीं,तुम ना तो अकेले यहां से भाग सकते हो ना बच सकते हो,,,,साथ जिएगें साथ मरेगें!" अचूक म़ुंह बनाकर बड़बड़ाते हुए-"लास्ट वाली लाइन हजम हो वो तो बोल लो आई बड़ी साथ जिऐगें साथ मरेगें कहने वाली,तुम तो वो हो आगे गढ्ढा आ जाए तो कहोगी अचूक जरा देखो गिरकर सेफ है या नहीं,अगर सेफ नहीं है तो दूसरे रास्ते से चलेगें ,ये नहीं पहले ही दूसरा रास्ता चुन लूं मेरी बलि चढ़ाना भी तो जरूरी है ना!" काश्वी उसके पेट में कोहनी मारते-"बकवास हो गयी हो तो मुंह बंद रख ,तभी मिस्टर सिंघानिया उनके पास चले आए,दोनों उनकी तरफ देखते मुस्कुराते है,पर उनको मुस्कुराते देखकर मिस्टर सिंघानिया दोनों पर चिल्ला पड़े-"मुस्कुराना बंद करों दोनों कोई शाबाशी वाला अच्छा काम नहीं किया है!" काश्वी -"क्या हुआ सर?" मिस्टर सिंघानिया -"कुछ हुआ भी तो नहीं है?" अचूक काश्वी की तरफ देखते-"क्या नहीं हुआ है सर!" मिस्टर सिंघानिया दोनों को घूरते हुए-"कोई काम ठीक से करना भी आता है क्या तुम दोनों को,या बस पैसे लुटने के लिऐ ये बिजनेस शुरू कर रखा है,अगर मेरी बेटी की फरमाइश ना होती तो मैं ना तुम दोनों को कभी इस शादी का कांट्रेक्ट ही नहीं देता,अनु ने कहा पापा मेरी शादी के सारे हां सारे अरेंजमेंट मिस इंदौरी को दे दो,वो बहुत अच्छी वेंडिंग प्लानर है,बहुत ही अच्छा काम है उनका,अच्छी डेकोरेशन करती है उनकी टीम, डेकोरेशन के नाम पर चार फूल लगा दिये बस हो गयी ना डेकोरेशन,ऐसे होते है क्या अरेंजमेंट?" "अगर मेरी अनु का मन नहीं होता ना तो मैं तुम दोनों को पूछता तक नहीं,बेटी के आगे हार गया वरना कमी नहीं है इंदौर में वेंडिंग प्लानर्स की,बाहर से भी बेस्ट वेंडिंग प्लानर मंगवा सकता था साफ साफ कहा था मैनैं मेरी बेटी की शादी में मुझे किसी भी तरह की कमी नहीं चाहिए पर तुम दोनों को तो सुनना ही नहीं,जब अपनी ही करनी है तो पैसे मुझसे किस बात के लोगे,काश मैनैं ये काम अच्छे हाथों में सौंपा होता तो..... तुम जैसें नौसिखियों से तो पाला ना पड़ता मेरा!" काश्वी उनकी तरफ देखते उनकी बातें सुन रही थी, अचूक को उनकी बातें सुनकर गुस्सा आ रहा था वो कुछ कहने हुआ कि काश्वी ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया और कसकर अपनी आखें मूंद ली और मन ही मन खुद से बोलती है-"शांत काश्वी श्रीवास्तव शांत, शादी का माहौल है रायता नहीं फैलाना है ,अभी गुस्सा महाराज जी वापस लौट जाईए ,अभी आपका बाहर आना सही नहींकंट्रोल काश्वी कंट्रोल!"(लंबी लंबी सांसे लेते) उसको ऐसा करतें देख मिस्टर सिंघानिया हैरान हो गये और अचूक की तरफ देखते बोले-"क्या कर रही है ये!" अचूक मुस्कुराते हुए-"प्राणायाम कर रही है सर,आप करते हो प्राणायम,नहीं करते है तो किया किजिऐ,शांत रहने की शक्ति मिलती है और?"अचूक बोल रहा था कि मिस्टर सिंघानिया जोर से चिल्लाऐ-"बस!" उनका चिल्लाना सुन अनु समेत सबका ध्यान उनकी तरफ चला आया,सब उनकी ओर हैरानी से देखने लगे , अनु थोड़ा घबराते हुऐ-"ओह गॉड पापा गुस्से में क्यों है?" तभी मिस्टर सिंघानिया फिर से चिल्लाऐ-"मिस इंदौरी, पर काश्वी अभी भी आखें मूंदे खड़ी थी!!" (क्रमशः)
काश्वी को आखें मूंदे देख मिस्टर सिंघानिया अचूक से बोले-"पागल है क्या ये लड़की!" अचूक कुछ बोलता तभी काश्वी ने अपनी आखें खोल ली पर जैसे ही वो कुछ कहने को हुई उस की नजर मिस्टर सिंघानिया के पीछे खड़ी उनकी पत्नी यानि की अनु की मां पर पड़ी जो अपने हाथ जोड़ कर सिच्युएशन हैंडल करने का इशारा कर रही होती है मतलब की कोई तमाशा न बने,ये देखकर काश्वी ने अनु की ओर देखा जिसका चेहरा लटका हुआ था और बाकि मेहमान भी हैरान परेशान होते खुसर पुसर करने लग गये थे तभी काश्वी मुस्कुराते हुए बोली-"मुझे सब पागल ही कहते है सर एनीवे बताईऐ कहां पर कमी रह गयी,कौन सा काम हमनें सही से और अच्छे से नहीं किया,आप जैसा कहेगें वैसे करके देगें,फिर से करने को कहेगें तो फिर से और अभी कर देते है बताईऐ करना क्या है और हां आप फिक्र मत किजिए अनु की शादी का हर फंक्शन बहुत ही अच्छा होगा!" मिस्टर सिंघानिया गर्दन झटकाते-"वो तो दिख ही रहा है कितने अच्छा होगें मेरी बेटी की शादी के फंक्शन,पहला हल्दी का फंक्शन उसमें भी ऐसे अरेजमेंट हुऊं,आखिरी बार कह रहा हूं मैं कोई कमी- कोई लापरवाही नहीं चाहिऐ मुझे,जैसा काम करोगे वैसा दाम मिलेगा,और जब शादी घर में हो रही है तो पूरे घर की डेकोरेशन तो होनी चाहिऐ ना,या सिर्फ जहां हल्दी मेंहदी,फेरे हो वहीं का करना होता है,मैनैं साफ कहा था कि मुझे मेरे पूरे घर की बेस्ट डेकोरेशन चाहिए,लेफ्ट साइड वाली जगह सारी वैसी की वैसी ही पड़ी है और उस साईड भी(दाई और इशारा करते) एक दुका फूल लगाकर काम खत्म कर दिया!" ये सुन अचूक बोल पड़ा-"सर जहां नहीं हुई है वहां आपको दिख है और जहां पर की है हमनें डेकोरेशन उसका नाम तक नहीं.... तभी मिस्टर सिंघानिया बोल पड़े-"हां तो जहां नहीं होगी उसका ही कहूंगा ना,और क्या वहां की करने के लिऐ दूसरा वेंडिंग प्लानर बुलवाऊं बता दो अगर तुम दोनों से नहीं होता है तो!" अचूक फिर बोलने को हुआ कि काश्वी ने उसको घूरा तो वो बस गुस्से का घूंट पीकर रह गया और दूसरी तरफ देखने लगा तभी काश्वी बोली-"नहीं सर वो भी हम ही करेगें,वो पैंडिंग है जो हम ही करने वाले थे एक्चुअली डेकोरेशन का सामान मंगवाया है जो जस्ट आने ही वाला है उसका ही वेट कर रहे है,घर का हर कोना डेकोरेट होगा डोंट वेरी सर और जैसा आप चाहे वैसा,हम बेस्ट दे रहे है अपना,ऐसा नहीं है हम कर नहीं रहे,बस सामान आ जाए अभी कर देगें सॉरी फॉर लेट आईथिंक ट्रॉफिक की वजह से....... तभी मिस्टर सिंघानिया ने काश्वी की बात काट दी -"मुझे एक्सक्यूज नहीं चाहिए,सबकुछ टाइम पर और जल्द चाहिए,यह तुम्हारी रिसपांसबिल्टी है सब पहले से रेडी रखो वरना मुझे बिल्कुल देर न लगेगी मिस इंदौरी के हाथ से शादी का कांट्रेक्ट वापस लेने में,वो बोल ही रहे थे कि तभी उनका फोन बज गया और वो काश्वी अचूक को घूरते वहां से चले गये,उनके जाते ही काश्वी ने राहत की शांत ली तभी अनु की मां वहां चली आई- "सॉरी बेटा ये थोड़े गुस्से वाले है,बहुत जल्दी हाईपर हो जाते है ,छोटी सी बात हो तो बड़ी बना देते है ,इनके सामने शांत रहने में भलाई है तभी चुप होते है वरना इनका बीपी बढ़ जाता है और फिर सब पर चिल्राते रहते है,थैक्यूं मेरी बात समझने के लिऐ तुमनें शांति से बात की,जानती हूं तुम दोनों को बुरा लगा,और गुस्सा आना भी लाजमी है,हमें कोई शिकायत नहीं सब अच्छा हो रहा है बेटा!" काश्वी हल्का सा मुस्कुराते हुए-"इट्स ओके मैम, आई अंडरस्टैंड,,,,मैं सब देख लूंगी आप जाईऐ फंक्शन शुरू किजिए ,अनु की हल्दी है किसी भी वजह से उसका(अनु की ओर देखते) मूड ऑफ नहीं होना चाहिऐ!" अनु की मॉम ने हां में सिर हिलाया और वहां से चली गयी,तभी अचूक ने काश्वी की बाहं पकड़ी और उसे साइड में ले आया -"क्या है ये काश्वी, हम अच्छा काम करे उसकी कोई तारीफ नहीं बस इतु सा रह जाए,,,,छोड़ा नहीं सामान आ रहा है करके ही देगें फिर भी हम पर चिल्लाकर चले गये और तुम बुत बने सुनती रही,और बार बार सेम ही बात रपीट कर रहे है सुबह से चार बार सुन चुका हूं उनके सेम डायलॉग ,जैसे हमें तो कोई और शादी का कांट्रेक्ट मिलेगा ही नहीं ,इनको दूसरा वेडिंग प्लानर मिल सकता है तो हमें भी काम की कमी नहीं,फिर भी बार बार पैसे न देने की धमकी!" और हमनें वो उधर वाली डेकोरेशन क्यों नहीं कि वजह भी तो ये मिस्टर सिंघानिया ही है ना,तीन बार हल्दी के सेटअप की डेकोरेशन चेंज करवाई खुद की चोईस ही नहीं पता इनको,क्या चाहिए कैसा चाहिए बस हुक्म चलाए जा रहे है जैसे हम नौकर है,अगर सामान खराब न होता ना बार बार डेकोरेशन करने की वजह से तो अबतक पूरा घर सज चुका होता,हद होती है यार किसी चीज की, आज तक ऐसे इंसान से पाला नही पड़ा,बेटी की शादी भी ए वन करनी है और कंजूसी भी करनी है,ना सुननी ना समझनी बस अपनी चलानी है, अब चुप क्यों है कुछ बोलेगी!" "पहले तुम तो बोल लो ,जब तुम्हारा कोट पूरा हो जाएगा तब मैं बोल लूंगी!"काश्वी कमर पर हाथ टिकाए इधर उधर देखते बोली! "देख मैं मजाक के मूड में नहीं हूं,वहां पर कुछ बोलने नही दिया और गुस्सा मेरा जायज है,तुम क्यों सह रही हो उनकी बकवास ,ना जाने हमें हमारे काम को क्या क्या बोले जा रहे है वो ,हमें नौसिखिया कह रहे है ,हजारो लोगों के बीच बस एक इन महाशय को ही भर भर कर हर चीज से शिकायत है और तुम ऐसे तो किसी की एक नहीं सुनती ,वो तुमको चार सुनाकर चले गये,काम की हमारी इंसल्ट करके चले गये और यह सही नहीं था ,बता मुझे क्यों चुप रही तू जवाब होते है तेरे पास तो उनको जवाब क्यों नहीं दिया तुमने,क्यों बकवास करने दी!" "उम्र का लिहाज कर रही थी यार !" "रहने दे तुम्हारे पास छोटे बड़े सबसे बात करने का लहजा है ,आई बड़ी लिहाज करने वाली, अगर तुम सही हो ना तो तुम हिम्मत रखती हो काश्वी आखों में आखें डालकर बात करने की, छोटे बड़ो का कोई मेटर नहीं रहता!" "अरें यार छोड़ ना सुना ना तुमनें वो बल्डप्रेशर पेशेंट है,अनु भी बता रही थी कि पापा का छोटी सी बात पर पारा चढ़ जाता है,तो बस उन्हीं के बल्डप्रेशर के चलते कुछ नहीं कहना बेटर लगा कहीं और ज्यादा हाई हो जाता तो?"काश्वी भोहें उचकाते बोली! "अच्छा जी ,जैसे तेरे बल्डप्रेशर के बारें में तो मैं जानता ही नहीं,गुस्सा तेरा भी बड़ा खतरनाक, हाईलेवल वाला है जो पल भर में भड़क उठता है,पता नहीं आज कैसे तूने अपने गुस्से को रोक लिया!"अचूक उसे घूरते बोला!" "रोका नहीं वापस भेज दिया था यार,आखें मूंद ली थी मैनैं ताकि आ रहे गुस्से को कंट्रोल करलूं, और मुझे गुस्सा करना भी आता है और कंट्रोल करना भी,और ये सब मैनैं अनु के लिऐ किया वो सेंटी टाइप की लड़की है,अभी जो भी हुआ उस वजह से उसका चेहरा लटक गया,और हम क्यों उसका मूड ऑफ करें यार,खुशी मनाने के दिन है और हमारा तो काम ही यहीं है ना क्लाइंट जैसा चाहे वैसा करके देना,उनकी शिकायतें दूर करना तो अब चिल कर,मैंनें नहीं गुस्सा किया तो तुम उबाले मार रहे हो रिलेक्स!"हल्का सा मुस्कुराते अचूक के कंधे पर हाथ रखते हुऐ काश्वी बोली! पर अचूक उसका हाथ झटका देता है-"यह जो क्लाइंट है ना ,ना तो इनको खुद पता क्या चाहिए ना इनकी हम शिकायतें दूर कर सकते है,एक दूर करेंगे चार लेकर आ जाएगें,ये जनाब शिकायतों का पिटारा है,मिस्टर सिंघानिया ऐसे इंसान है जो समझ से बाहर है,यार मेरा बिल्कुल मन नहीं कर रहा है इनका काम करने का!" तभी काश्वी ने अनु की ओर इशारा किया-"उस की खुशी के लिऐ भी नहीं,उसका मन है हम ये काम करें,देख कितनी खुश है वो ,क्या चाहता है ना बोलकर उसे सेड कर दे!" अचूक ने अनु की ओर देखा जो डांस कर रही थी ,उसे देख अचूक काश्वी की तरफ देखकर बोला-"तुम बहुत खराब हो यार!" "पता है खराब हूं अच्छा बनकर कौन सा ताज जीत लूंगी!"काश्वी कंधे उचकाते बोली!" "ताज नहीं तुम लोगों का दिल जीतने के लिऐ बनी हो,ये जो तुम्हारी अच्छाई है ना जो दूसरों को खुशी देने के लिऐ कभी कभी दिखाई पड़ती है मुझे,वैसे तो इसे तुम छुपाने में बखूबी माहिर हो पर सच में एम रियली प्राऊड ऑफ यू काश्वी श्रीवास्तव,अपनी खुशी का तो सब सोच लेते है पर दूसरों की खुशी का सोचने के लिए जिगरा चाहिए ,जो तेरे पास है!"अचूक ने काश्वी का चेहरा हाथों म़ें भरते कहा! ये सुन काश्वी एकटक अचूक की तरफ देखने लगी....."क्या हुआ?"अचूक ने पूछा! "कुछ नहीं माना कि दूसरो को खुशी देना अच्छी बात है ,पर खुद क़ो खुश रखना भी बेहद जरूरी है ,बेशक दूसरों को खुशी देकर हमें भी तो खुशी मिलती है पर कभी कभी हमारी दरियादिली भी हम पर भारी पड़ जाती है यार,दूसरों को ही खुश करने के चक्कर म़ें हम खुद की खुशी को नजर-अंदाज कर देते है और ये बात सही नहीं होती है इसलिए हर चीज लिमिट में होनी चाहिए और सो ऑफ भी नहीं करनी चाहिए अपनी दरियादिली को वरना इसका फायदा उठाने वालों की कोई कमी नहीं है दुनिया में,बस इतना करो किसी का जिससे आपको नुकसान न पहुंचे,वरना दूसरों का भला कर खुद क़ो खाई में पाना ,इट्स नॉट गुड!" "और जो मैं यहां पर कर रही हूं आईमीन अनु की खुशी देखकर उसके पापा को सह रही हूं इसमें हमें ज्यादा नुकसान नहीं,थोड़ा एडजस्ट थोड़ा इग्नोरेंस से काम चल जाएगा!"कह काश्वी ने अचूक की तरफ देखा जो हाथ बांधे उसकी तरफ देख रहा था ,काश्वी उसके पास हुई और भोहें उचकाते बोली-"अब तुझे क्या हुआ?" तभी अचूक ने उसकी कमर में बाहं फंसाई और काश्वी को अपने करीब कर बोला-"अभी जो भी तुमने ज्ञान भरी बातें की उसका मतलब मुझको बताओगी?" ये सुन काश्वी मुस्कुरा दी-"तेरे मतलब की बात नहीं,और अब गुस्सा फुर्र हो गया तो चल काम करते है वरना फिर लेक्चर सुनना पड़ेगा!" अचूक मुंह बनाकर ना में सिर हिलाते-"नहीं करना यार!" तभी काश्वी ने उसकी गाल पर हाथ रखा-"प्लीज यार मेरे लिऐ !" ये सुन अचूक काश्वी के चेहरे के करीब अपना चेहरा ले जाकर-"तेरे लिऐ तो कुछ भी!"(आंख मारते) तभी काश्वी ने उसे धक्का दे दिया और उसके पैर पर अपनी लात दे मारी,आऊच कहते अचूक पैर ऊपर कर चिल्लाया तभी काश्वी हाथ बांधते हुऐ बोली-"कायदे म़े रहोगे तो बेटा फायदे में रहोगें!" अचूक हंसते हुए-"सबका भला करना बस इस भलेमानुस का ना करना!" काश्वी-"तू लायक नहीं समझा जो मेरे हाथों तेरा भला हो!" अचूक इतराते हुए-"ठीक है तो मैं जा रहा ,ढूढ़ने उसको जिसके हाथों मेरा भला होगा!" "शौंक से बस मेरा काम करके जाना!" "सोच ले शादी वाला घर है लड़कियों की कमी नहीं है?" "अपनी हरकतें और बकवास बातें बंद करो,मैं दोस्त हूं इसलिए झेल लेती हूं तुझे किसी लड़की पर नजर भी डाली ना तो तेरी आखें निकालकर गोटियां खेलेगी ,और तेरे इस हट्टे कट्टे शरीर के टुकड़े करवाकर तुझे कुत्तों को डाल देगें मिस्टर सिंघानिया ,उनको तो वैसे भी मौका चाहिए फुट्टी आंख नहीं भाता तू,सोच ले तेरी इन हरकतों का अंजाम जो तुम करने का मन बना रहे हो अचूक वर्मा!" ये सुन अचूक ने इधर उधर देखा और फट से काश्वी के पास होकर उसकी बांह को पकड़ते मासूमियत से बोला-"माफ कर दे यार गलती हो गयी,कुत्तों का भोजन नहीं बनना ना अभी मुझे,कुवांरा तो बिल्कुल नहीं मरना है,सच्ची में काश्वी शिकायतों वाले पिटारा जी का गुस्सा बहुत डेंजर है कुछ सुनते ही नहीं,पता चला उनके प्रेशर के चक्कर में मेरी सिट्टी बज जाए,पक्का मैं किसी लड़की की तरफ नहीं देखूंगा,दुल्हन समेत इस शादी की सब लड़कियां मेरी बहन ,किसी और शादी में ट्राई करूंगा,यहां नहीं ओके!" ये सुन काश्वी हंस पड़ी-"क्या सब बहन ,मैं भी!" अचूक मुक्का दिखाते-"मै मुंह तोड़ दूंगा तेरा गर बकवास की तो!" "ओके चलो मिस्टर सिंघानिया की वजह से तुमनें अपनी बकवास तो बंद की,खुद से ही यहां की सब लड़कियो़ को बहन बना लिया,मतलब यहां काम करके मुझे बिल्कुल घाटा नहीं हुआ,गुड बॉय!"काश्वी मुस्कुराते अचूक की गाल थपथपा देती है!" "क्या बात बड़ी खुश होए जा रही है मैनैं बहन क्या बोला लड़कियों को मैडम का चेहरा खिल गया,!"अचूक ने काश्वी के कंधा लगाते कहा, ये देख काश्वी बोलने को हुई, उसका फोन बज गया ,उसने अचूक को खुद से दूर किया और फोन रसीव कर बोली-"हेल्लों,अच्छा आ गया, ओके,हां हम आ रहे है!"इतना कह काश्वी कॉल डिस्कनेक्ट कर अचूक की तरफ देखती है जो गाल के हाथ लगाए उसे ही मुस्कुराते देख रहा था!" ये देख काश्वी ने अपना माथा पीट लिया-"ख्याली पुलाव बात में पकाना,सामान आ गया है जाओ काम देखो,मैं उस साइड गार्ड्न एरिया की ओर जा रही हूं ,वहां की डेकोरेशन बाकि है थोड़ी सी, सारा सामान सही से अंदर लाना ओके,और जो भी कम लगें, हाथो हाथ ऑडर कर देना!" "और कुछ?"अचूक भोहें उचकाते बोला! तभी काश्वी ने उसे अपना हाथ दिखाया-"बहुत कुछ है ,अब जाओ इतना कह वो वहां से चली गयी,अचूक भी हंसता हुआ काश्वी को "पागल लड़की" बोलते वहां से चला गया! काश्वी गार्ड्न एरिया की ओर आई ही ,जहां अनु को हल्दी लग रही होती है तभी अनु की नजर काश्वी पर पड़ी ,वो उसको आवाज देती है-"मिस इंदौरी!" काश्वी उसके पास गयी-"हां अनु!" "सबने मुझे हल्दी लगा दी,आप नहीं लगाएगी, ,मिस इंदौरी मुझे हल्दी लगाएगी तो मुझे अच्छा लगेगा?"अनु मुस्कुराते हुऐ बोली! ये सुन काश्वी मुस्कुरा दी और हां में सिर हिलाती हल्दी वाले बॉल से हाथों में थोड़ी हल्दी ली और अनु की गाल पर हल्दी लगाकर उसकी गाल छूते हुए-"कांग्रेचुलेशनस अनु,हमेशा ऐसे ही हंसते- मुस्कुराते रहना!" "थैक्यूं सो मच एंड रियली थैक्यूं सो मच फॉर दिश!"अनु ने डेकोरेशन की तरफ इशारा करते कहा!! "मॉस्ट वेलकम "काश्वी ने कहा और पास पड़ा टिशू पेपर उठाकर अपने हाथ पौंछने लगी ,पर हल्दी न उतरते देख खुद से बोली-"एक मिनट में ये तो रच ही गयी,लगता है पानी से साफ करने पड़ेगें हाथ,पेपर से तो साफ ही नहीं हो रही!" तभी काश्वी को जहमत करते देख अनु की मॉम मुस्कुराते हुए बोली-"लगता है बेटा जल्द तुमको भी हल्दी लगने वाली है,थोड़ी सी हल्दी ने तुम्हारे पूरे हाथ पीले कर दिऐ!" काश्वी अपने हाथों की ओर देखते-"हल्दी ने नहीं इस टिशू पेपर ने,अजीब सा है ये,मैनैं हल्दी साफ करना चाहा ये ही पीला हो गया और पूरे हाथों को पीला कर दिया!" तभी अनु की मॉम ने एक और टिशू पेपर उठाया और अपने हाथ पर लगी हल्दी पौंछ अपना हाथ काश्वी के सामने किया-"हो गया साफ,टिशू पेपर अजीब नहीं है,,,,,समझी कुछ!" ये सुन काश्वी हैरान होती उनके हाथ की ओर देख अपने हाथ की ओर देखती है और परेशान होते -"ये क्या लौचा है दीनानाथ जी!" (क्रमशः)
अनु की मॉम की बात सुन अपने हाथों को काश्वी घूरकर देखने लगी तो पास बैठी अनु उसके हाथों की हल्दी न उतरने पर और मुंह बनाते देख बोली -"लगता है मिस इंदौरी नेकस्ट नंबर आपका ही है ,आईथिंक आपको जल्द अपनी वेंडिंग प्लान करनी पड़ सकती है!" ये सुन काश्वी अनु की तरफ देखती है-"हम शादी करवाते है अनु,हमारी शादी कहां?(अपने हाथों की ओर देखते)काश्वी श्रीवास्तव की जिंदगी में ये दिन नहीं आने वाला,फिलहाल तो बिल्कुल नहीं? एक्सक्यूज मी".........इतना कह काश्वी वहां से चली गयी,अनु और उसकी मॉम हैरानी से काश्वी को जाते बस देखती रह गयी!! _________ काश्वी टीम के लोगों के साथ मंडप की डेकोरेशन कर रही थी तभी अचूक ने उसको आवाज दी-" काश्वी?" "ये जल्दी करो मैं आती हूं!"कह काश्वी अचूक की तरफ बढ़ गयी! काश्वी के पास आते ही अचूक बोला-"ये दुल्हा दुल्हन के नाम वाला पोस्टर कहां लगवाना है!" "तेरे में दिमाग नाम की चीज नहीं है ना ,मेरे सिर पर तो लगाने से रहा,यार एंट्री गेट के पास लगेगा और कहां लगेगा और अब तक तो ये लग जाना चाहिऐ था और तुम पूछ रहे हो कहां लगाना है?काश्वी ने अचूक के बाहं पर हाथ मारते बोली! "ओह हेल्लो जस्ट आया है और अभी मैं लगवा दूंगा वैसे देख तो सही मैनैं कितना अच्छा पोस्टर बनवाया है एक दम यूनीक ,आ कहते अचूक ने काश्वी की कलाई पकड़ी और उसको ले जाकर पोस्टर के सामने खड़ा कर दिया!" काश्वी की नजर जैसे ही पोस्टर पर पड़ी उसकी जुबान से एक लफ्ज लड़खड़ाते बाहर आया-" पु...पुनित!" अचूक पोस्टर की तरफ इशारा कर बोला-"येस पुनित वेड्स अनु,,अच्छा है ना पोस्टर,पर काश्वी एकटक उस पोस्टर की ओर देखे जा रही थी,उसे कुछ न कहता देख अचूक ने चुटकी बजाई-"क्या हुआ बता ना कैसा है!" "हां हां अच्छा है !"काश्वी उस पोस्टर से अपनी नजर हटा इधर उधर देख बोली ,तभी अचूक ने उसे कंधो से पकड़ अपने सामने किया-"कुछ तो हुआ है तुझे,बताएगी,पोस्टर देखते ही मतलब दुल्हें का नाम पढ़ते ही तुम हक्की बक्की सी रह गयी ,सेडनली परेशान क्यों हो गयी काश्वी!" काश्वी हल्का सा मुस्कुराते हुए-"परेशान मैं नहीं तो वो तो तुमने ये पोस्टर इतना अच्छा और प्यारा और यूनीक बनवाया है ना तो बस सरप्राइज हो गयी दट्स इट!" ये सुन अचूक मुस्करा दिया-"झूठ बोलना नहीं आता है तो बोलती क्यों है,इस नाम से तेरा कुछ लेना देना है ना!" काश्वी ने पुनित नाम की तरफ देखा-"लेना देना है नहीं था कभी,और जरूरी थोड़ी है एक नाम का एक ही शख्स हो,ये अनु का पुनित है और तेरे मेरे नाम के भी तो हजारों लोग मिल जाएगें,एनीवे इसे सेट कर दें मैं उधर के काम देखती हूं कह काश्वी वहां से चली गयी,उसको जाते देख अचूक ने आहं भरी-"क्या होगा यार तेरा काश्वी,ज्यादा जताती नहीं पर तेरे भी सीने में दिल है तकलीफ तो तुझे भी होती है,हर दिन कुछ न कुछ ऐसा हो ही जाता है जो तुझे तेरे बीते कल की याद दिला देता है बेशक तू खुद को संभाल लेती है पर पलभर ही सही तू फंस ही जाती है बीती यादों में,ना जाने कितने राज और कितनी कहानियां है तेरी,जो काश्वी श्रीवास्तव से मिस इंदौरी बनने का कारण है और तो और तेरे लवर्स की भी कोई गिनती नहीं है जिसमें एक तो मैं भी शामिल हूं(मुस्कुराते हुए)ना जाने क्यों तेरे पास सबके लिऐ एक ही जवाब होता है ना बाबा ना, खैर तुमने कहा है वक्त आने पर सब बताऊंगी तो कर रहे इंतजार उस वक्त का जब हर हर राज से (काश्वी के बारे में सोचते हुए)पर्दा उठेगा!" __________ शादी वाला दिन काश्वी फुलों की टोकरी संभाले सिंघानिया मेंशन के अंदर यानि की घर की तरफ बढ़ रही थी तभी वो एक लड़के से टकरा गयी और सारे फूल नीचे जा गिरे!! काश्वी जमीन पर गिरे फूलों और हाथ में रही खाली टोकरी की ओर देख उस लड़के की ओर देखती है-"ये क्या किया तुमनें,काम बढ़ा दिया ना मेरा!" तभी उस लड़के ने फट से अपने कान पकड़ लिये-"सॉरी मिस इंदौरी,आईनो गलती मेरी है मैं ही भागकर बाहर आया,सो सॉरी,अभी फूल उठा देता हूं सारे "कह उसने काश्वी के हाथ से टोकरी ली और उसे नीचे रख उसमें जमीन पर गिरे फूल उठाकर जल्दी जल्दी डालने लगा! ये देख काश्वी मुस्कुरा दी और उसके साथ मिल कर फूल उठाने लगीं-"बड़े अच्छे मैनर्स है तुम्हारे पास तो ,गलती भी मान ली और हेल्प भी कर रहे दट्स गुड,वैसे नाम क्या है बच्चू तुम्हारा!" ये सुन वो लड़का मुस्कुरा दिया-"मेरा नाम कबीर सिंघानिया!" "कबीर सिंघानिया,तुम अनु के भाई हो?"काश्वी बोली, "येस मैं अनु दी का छोटा भाई हूं,जस्ट अभी मुंबई से आया,वो मेरा एग्जाम था तो आने में लेट हो गया,बट थैंक्स गॉड दी के शादी वाले दिन आ गया वरना उम्र भर ताना देना था कि कैसा भाई जो मेरी शादी में भी न आया(हंसते हुऐ)और दी से मिलने की जल्दी आईमीन उनको ढूंढ रहा था वो अंदर थी नहीं तो भागकर बाहर आया और आपसे टकरा गया,रियली सॉरी!"कबीर फिर से अपना एक कान पकड़ काश्वी से माफी मांगता है! "इट्स ओके,इतनी बार सॉरी मत कहो पहली बार वाला ही एक्सेप्ट कर लिया था मैनैं और अनु अपनी फ्रेंडस के साथ गार्डन में है!"काश्वी गार्डन की तरफ इशारा कर बोली, "थैक्यूं मिस इंदौरी,सच में दी ने सही बताया था आपके बारें में कि आप बहुत अच्छी है,रियली यू आर ओसम!"कहते कबीर फूलों वाली टोकरी लेकर खड़ा हो गया, काश्वी भी उठी और उससे टोकरी लेते -"तुम जानते हो मेरे बारें में?" तभी कबीर ने कोट से अपना फोन निकाल काश्वी के सामने कर दिया-"कुछ दी ने बताया और(कंधे उचकाते) कुछ?" काश्वी उसे घूरते हुए-"ओह तो मेरे बारें में छानबीन करके आये हो तुम!" "नो नो वो बस दी से सुना था और इंदौर में सब जानते है मिस इंदौरी को,नाम तो मैनैं भी सुना था बस थोड़ा सा कन्फर्म करने के लिऐ इंटरनेट की हेल्प ले ली,सोचा मिलूंगा तो कुछ तो पता होना चाहिए ना,एंड रियली नाईस टू मीट यू!"कबीर ने अपना हाथ काश्वी के ओर बढ़ाते कहा तो काश्वी ने अपने दोनों हाथों में फूलो वाली टोकरी पकड़ी थी-"सॉरी!" "नो प्रोब्लम!"कबीर मुस्कुराया, "मुझे भी तुमसे मिलकर अच्छा लगा,चलो अनु के जैसा कोई और भी है यहां ?वरना कोई तो?" काश्वी ने इधर उधर देखते बोला, "पापा,पापा से आप परेशान हो गयी क्या,वो ऐसे ही है मिस इंदौरी,कभी कभी तो मुझे भी गुस्सा आता है उनके बिहेव पर,कुछ कहे तो उल्टा चार सुना देते है और पापा है बड़े है ज्यादा कह भी नहीं सकते,यू नो!"कबीर ने हल्का सा मुस्कुराते बोला! "इट्स ओके आई अंडरस्टैंड,पापा जैसे भी हो अच्छे ही होते है,मेरे पापा भी गर्म मिजाज है और तुम्हारे एक्सट्रा मिजाज,एनीवे जाओ अनु से मिल लो मैं भी अपना काम देख लेती हूं!" "या बाय?"कबीर बोला कि तभी वहां मिस्टर सिंघानिया चले आए और आते ही बोले-"मेरी बेटी की शादी आज ही है और तुम यहां बातों में लगी हो?" "नो सर मैं बस जा रही थी वो अंदर की साइड वाली डेकोरेशन के लिऐ,वो फूल गिर गये थे ?" काश्वी बोली कि मिस्टर सिंघानिया उसपर गुस्से से चिल्लाने लगे-"क्या फूल गिरा दिये,ध्यान से काम नहीं होता है क्या मिस इंदौरी तुमसे,सोच लो कुछ भी फालतू में वेस्ट हुआ उसकी भरपाई तुम खुद करोगी एक पैसा नहीं दूंगा मैं और गर आज कोई कमी रही तो जितना एंडवास दिया है उसमें ही खुश हो लेना उससे ज्यादा एक रूं ना मिलेगा तुमको!" "पापा फूल मेरी वजह से,कबीर कहने को हुआ कि काश्वी बोल पड़ी-"बस मिस्टर सिंघानिया,हम अपना काम कर रहे है,आपको कोई जरूरत नहीं है हमें हमारा काम समझाने की,सब तो कर रहे है सर जानते है अच्छे से आपकी बेटी की शादी है और हम कोई कमी भी नहीं रख रहे है ,और रही बात एंडवास की तो वो कोई हमने अपनी पोकट में नहीं रखा,जो सामान आया है उसी से आया है और रही बात पूरी पेमेंट की वो तो शादी के बाद देखेगें क्या होता है प्लीज अभी हमें हमारा काम करने दिजिए आई रिक्वेस्ट बार बार ऐसे बीच में आकर या कुछ भी गलत कहकर गड़बड़ मत किजिए आप बड़े है उम्र का लिहाज कर रहे है हम वरना आजतक कोई पैदा नहीं हुआ जो मिस इंदौरी के सही होते भी उसको दो बातें सुना कर चला जाए सो प्लीज अपनी बेटी की शादी इंजोय किजिए और उसके साथ थोड़ा सा वक्त बिताईऐ जल्द उसकी विदाई हो जाएगी,बहसबाजी करने से ना आपको कुछ हासिल होगा ना हमें ,क्योकि जो हो रहा है वो होकर ही रहेगा मिस इंदौरी ही आपकी बेटी की शादी करवाएगीं".....इतना कह काश्वी अंदर चली गयी! मिस्टर सिंघानिया कबीर की ओर देखते है वो कुछ कहने को हुआ कि इस लड़की को तो देख लूंगा एक बार ये शादी हो जाएं,"कहते वहां से चले गये!" "ये पापा भी ना ,मिस इंदौरी का तो कोई फॉल्ट भी न था,वैसे भी पापा को तो चिल्लाना होता है सही गलत कहां सुनते है,हॉप सो ये बुरा ना माने, अनु दी,जल्दी दी से मिल लेता हूं वरना वो भी चिल्लाऐगी" कहते कबीर ने एक नजर अंदर की तरफ देखा और फिर वहां से चला गया!! _________ अंकुर अपने कैबिन में सोफे से सिर टिकाए बैठा था तभी निहारिका कैबिन में आ गयी,अंकुर को आंख बंद किऐ सोफे पर लेटे देख वो उसके पास आती है और पीछे से गालों पर हाथ रखते-"क्या हुआ ऑल वेल!" अंकुर ने मुस्कुराते आखें खोली ओर अपने ऊपर खड़ी निहारिका की ओर देख मुस्कुरा दिया, निहारिका भोहें उचकाते-"मैनैं पूछा क्या हुआ!" "कुछ भी तो नहीं?" "घर नहीं जाना,,,,मिस्टर टाइम देखो आज लेट हो गये हो तुम घर जाने में,अब तक जिनको घर होना चाहिए था वो जनाब ऑफिस में ही बैठे है! "निहारिका सोफे के सहारे थोड़ा सा अंकुर पर झुकते बोली! "हां तो क्या हुआ ,रोज जल्दी जाता हूं मैं आज थोड़ा लेट चला जाऊंगा,वैसे मेरा मन कर रहा है आज घर जाऊं ही ना?"अंकुर ने निहारिका की हथेली चूमते बोला! ये सुन निहारिका थोड़ी सी परेशान हो गयी और अंकुर के पास आकर बैठते बोली-"आज फिर कुछ हुआ था क्या घर पर अंकुर!" "नहीं तो?"अ़ंकुर ने निहारिका की तरफ देखते बोला, "तो फिर क्यों नहीं जाना घर?"निहारिका हैरानी से बोली कि तभी अ़ंकुर उसके पास हुआ और गाल छूते हुए-"क्योकिं तुम जो नहीं हो वहां?" "तो ले चलों मुझे अपने साथ?"निहारिका अंकुर की आखों में आंख डाल बोली! "काश!ले जाता पाता वो भी धुमधाम से !" "मुझे भी इंतजार है उस दिन का..... बेसब्री से अंकुर!" उस पल दोनों की आखों में नमी उतर आई ,दोनों ने एक पल न लिया एक दूजे को बाहों में भरनें में "आई लव यू निहू?"अंकुर निहारिका पर अपनी बाहें कसते बोली! "आई लव यू टू अंकुर"कहते निहारिका ने अपनी आखें मूंद ली,तभी उसकी आखों से आसूं लुढ़क कर उसकी गालों पर आ गये,अंकुर निहारिका से दूर हुआ और आसूं पौंछ चेहरा हाथों में भरते हुए -"जानती हो ना मुझे यह बर्दाश्त नहीं ,नहीं देख सकता मैं तुमको रोते हुऐ,कमाल होती हो तुम लड़कियां भी, बात बात पर आसूं बहा देती हो , आसूं की टंकी रेडी ही रखती हो कुछ हुआ नहीं टेंप खोल देती हो,जिससे टप टप बहने लगते है ये मोटे मोटे आसूं,इट्स नॉट फेयर!" तभी निहारिका ने चिढ़ते हुए अकुंर को खुद से दूर धकेल दिया-"क्या है और मैं रो नहीं रही तुम ज्यादा मत बनों अंकुर श्रीवास्तव ,और कोई कैसे रो सकता है तुम्हारे रहते,तुमको बर्दाश्त नहीं मेरा रोना और तुम्हारे सिवा मेरा कोई खास नहीं,सी मैं नहीं रो रही(अपनी आखों के किन्नारे साफ कर मुस्कुराते हुऐ)देखो कहां रो रही हूं!" निहारिका कि इन बातों पर अंकुर हंसने लगा -"तुम एक नंबर की पागल लड़की हो?" इस बात पर निहारिका और चिढ़ गयी-"हां हूं और जा रही ये पागल लड़की अब तुम भी जाओ अपने घर!"कह निहारिका उठने लगी कि अंकुर ने उसका हाथ पकड़ उसे अपने ऊपर गिरा लिया -"भूल क्यों जाती हो ,जब तक ना कहूं जाने को मत जाया करों,और मुझे अभी नहीं जाना,थोड़े पल इस लड़की के साथ बिताने है,बीते दिनों में हमनें एक दूजे को कहां वक्त दिया निहू तो प्लीज थोड़ा सा वक्त हम अपने लिए निकाल सकते है ना!" ये सुन निहारिका ने अंकुर की गाल चूम ली-" बिल्कुल मेरा तो सारा वक्त तुम्हारा है,जब तुम काम बोलो तो काम ,अदरवाइज साथ बोलों तो हम आपके साथ!" "साथ ही नहीं प्यार भी तो चाहिऐ निहारिका वालिया!"अकुंर अपनी बाहें निहारिका की कमर पर बांधते बोला! "वो तो नहीं मिल सकता ,उसके लिऐ पता है ना क्या करना पड़ता है!"निहारिका बोली, "क्या?" "ज्यादा कुछ नहीं शाहजहां ने अपनी मुमताज के लिऐ ताजमहल बनाया था,आप मेरे लिऐ छोटा सा आशियाना बना दिजिए बस,फिर बहुत सारा प्यार ही प्यार आपके लिऐ!" "ओह पर मैनैं सुना है मुमताज के जाने के बाद ताजमहल बना पर यार तुम तो अभी जिंदा हो? बनवाने को तो मैं भी ताजमहल बनवा दूं पर वो अभी कैसे पॉसीबल है"अंकुर सोचने की एक्टिंग करते बोला, ये सुन निहारिका ने उसे गुस्से से घूरा और सीने पर मुक्का दे मारा-"छोड़ो तुम प्यार के नहीं मार के ही लायक हो,तभी अंकुर हंस पड़ा निहारिका खुद को छुड़ाने कि कोशिश करती है पर अंकुर ने उसको नहीं छोड़ा उल्टा और कसकर हग कर लिया और माथा चूम बोला- मैं तुम्हारे लिऐ प्यारा सा आशियाना बना दूंगा जिसमें हम सब साथ रहेगें और वो भी तुम्हारे जीते जी मेरी मुमताज!" ये सुन निहारिका भी हंस पड़ी और अपना सिर अंकुर के सीने पर टिका लिया!! तभी अंकुर निहारिका के चेहरे की ओर देखता है जिसके होठों पर प्यारी सी मुस्कान थी ,वो मन ही मन खुद से बोला-"ताजमहल से भी मुश्किल है एक घर बनाना,ताजमहल तो दुनिया देखती है पर घर में तो पूरी जिंदगी गुजरती है यार हमारी, तुम्हारी ये मुस्कुराहट बरकरार रखने के लिऐ और जो सपनें तुमने़ हमारे साथ के देखे है मैनैं उनको हकीकत बनाने के लिऐ मैं पूरी कोशिश करूंगा,निहारिका वालिया से तुम निहारिका श्रीवास्तव बनकर रहोगी तुम!" (क्रमशः)
अनु की बारात आने वाली थी सारी तैयारियां हो चुकी थी,एक तरफ अनु सजकर दुल्हन बन चुकी थी तो दूजी तरफ सिंघानिया मेंशन को काश्वी ने अपनी टीम के साथ मिलकर दुल्हन की भांति ही सजा दिया था ,जो भी इधर उधर नजर दौड़ाता मुस्कुराते बस देखता रह जाता है ,सबकुछ बहुत ही यूनीक और बहुत ही खूबसूरत लग रहा था इतना कि मिस्टर सिंघानिया के सामने जब सबनें अरेंजमेंट डेकोरेशन की तारीफ की तो वो खुशी से फूल गये उनके होठों पर भी स्माईल आ गयी ये देख अनु की मॉम और कबीर दोनों बहुत खुश हुए गये! दूर खड़ी काश्वी जो यह नजारा देख रही थी वो मुस्कुराते मन ही मन बोली-"चलो पहली बार ही सही सर को मुस्कुराते तो देखा इनको कुछ रास तो आया,आज की डेकोरेशन में इन्होनें कमी तो नहीं निकाली ना कोई शिकायत की,मेहनत चलो सफल हुई हमारी,अचूक अगर यह सब देखता तो पक्का उसे हार्ट अटैक ही आ जाता शुक्र है यहां नहीं है(सोचते)वैसे है कहां घंटा भर का बोलकर गया था अब तक तो आ जाना चाहिऐ था इसके अर्जेंट काम भी इसको एंड मूमेंट पर याद आते है पता नहीं ये लड़का कब सुधरेगा,आ जाए अच्छे से कलास लूंगी,गया तब लेट हो रहा था तो कुछ कहा नहीं,भला इतनी कौन लापरवाही करता है इम्पोर्टेंट कामों में,बस काश्वी आज शादी है अनु की ,लास्ट फंक्शन है कहीं कुछ भी गड़बड़ नहीं होनी चाहिए,बस दीनानाथ जी सब बेस्ट टू बेस्ट जाना चाहिए!" काश्वी हाथ जोड़ आसमां की ओर देख रही थी कि तभी वहां पर कबीर आ गया-"किस बात के लिए थैक्यूं बोला जा रहा है मिस इंदौरी!" काश्वी कबीर की ओर देखते-"तुम्हारे पापा खुश है इस बात के लिऐ,नहीं तो वो मुझे जिंदगी भर शिकायत कर ताना ही देते रहते कि मिस इंदौरी तुम्हारी वजह से मेरी बेटी की शादी में मेरी एक भी फोटोज अच्छी नहीं आई,काश मैनैं अच्छा वेडिंग प्लानर हॉअर किया होता तो ना मैं परेशान होता ना परेशानी की लकीरें माथे पर सजी रहती और ना (कंधे उचकाते)तस्वीरें खराब आती!" ये सुन कबीर हंस पड़ा-"आप भी ना मिस इंदौरी वैसे सही कहा पापा खुश है आपके काम से और हो भी क्यों ना आपका काम बेस्ट जो हैं आपके जैसे ही!" काश्वी हाथ बांधते-"तुमको कुछ ज्यादा ही पंसद नहीं आ रही मैं और मेरा काम!" ये सुन कबीर झेंप गया और गर्दन पर हाथ फैर इधर उधर देखने लगे,कबीर के चेहरे की इस कद्र अचानक हवाईयां उड़ी देख काश्वी अपनी हंसी रोक न पाई ,और हंसते हुए बोली-"नजरें चुराना बंद करों,तारीफ की तुमनें मेरी,मेरा कत्ल नहीं!" "अरें........अच्छा आप रेडी क्यों नहीं हुई अभी तक?"कबीर ने काश्वी से भोचें उचकाते पूछा, "रेडी क्यों होना ,मेरी कौन सी शादी हैं?" "तो हम सबकी कौन सी शादी है,सब रेडी हुए है अब जिसने इतनी अच्छी वैंडिंग प्लान की है उस वेडिंग प्लानर को भी तो रेडी होना चाहिऐ,किसी को बेस्ट वेंडिंगप्लानर मिस इंदौरी के साथ सेल्फी लेनी होगी तो किसी ने ऑटोग्राफ मांगा तो?और इस अवतार में थोड़ा संवरना बनता है ना मैडम" कबीर ने मुस्कुराते कहा! "क्यूं बिखरे अंदाज़ में अच्छी नहीं लगती क्या?" काश्वी ने अपनी कमर से हाथ टिकाते कहा, "नहीं नहीं मैं ऐसा कब कहा ,अच्छी नहीं लगती आप बहुत अच्छी है रियली ब्यूटीफुल!" "ओह तो ये बात है वैसे मैं जा रही थी रेडी होने इधर का थोड़ा काम था बस वहीं देखने आई थी कह काश्वी वहां से चली गयी! थोड़ी देर बाद काश्वी ब्लू लंहगा रेड दुपट्टा पहन रेडी होकर लोन में वापस चली आई तो कबीर फिर उसकी तरफ चला आया-"मिस इंदौरी क्या बात है!" काश्वी भोहें उचकाते-"क्या बात है!" कबीर-"लुकिंग सो प्रीटी👌" "थैक्यूं सो मच"काश्वी ने कहा,तभी बारात आने की आवाज दोनों के कानों में पड़ी और दोनों की नजर एंट्रीगेट यानि की मेनगेट पर चली गयी!! कबीर खुश होते-"अनु दी की बारात आ गयी!" काश्वी-"तो जाओ करो बारात का स्वागत!" कबीर-"आप नहीं आएगीं?" काश्वी कुछ बोलती कि उसका फोन रिंग किया , "वो एक्सक्यूज मी" कहकर साइड में चली गयी तभी कबीर को किसी ने आवाज दी वो भी आया बोलते"वहां से भागकर चली गयी,काश्वी जैसे ही फोन पर बात कर हटी उसके चेहरे का रंग उड़ चुका था वो अपनी हथेली सिर पर रखकर म़ुंह बनाते बोली-"क्यों दीनानाथ जी ये गड़बड़ अभी ही होनी थी क्या?होनी ही थी तो थोड़ा पहले हो जाती इसी वक्त क्यों,बारात दरवाजे पर है और इस अचूक के बच्चे को बुखार अभी आना था, तुम्हारा बुखार तो मैं उतारूगीं अगर मुझसे बचने का ये बहाना हुआ ना तुम्हारा(गुस्सियाते)तो तुम तो गये बेटा!" "एक इम्पोर्टेंट काम दिया था, वरमाला का बोल देना ठोक कर टाइम से रेडी मिले और सिंघानिया मेंशन पहुंचा दे जल्दी से,और अब फोन कर कह रहा है मैं ऑर्डर देना भूल गया और अब वरमाला बनाने वाले कॉल न उठा रहे,बेटा लापरवाही नहीं स्यापा कर दिया,अगर ये बात मिस्टर सिंघानिया को पता चली कि वरमाला है ही नहीं तो काश्वी तू तो गयी,और वरमाला तो बारात के आते ही ह़ोने वाली रस्म है,तुझे ही अब कुछ करना पड़ेगा काश्वी श्रीवास्तव ,बीच मझधार छोड़ वो अचूक का बच्चा तो चला गया अब सोच कैसे तू नईया पार लगाएगी अपनी ?"कह काश्वी ने इधर उधर देखा और लंहगा संभालती वहां से भागी!! _______ शादी के मंडप में दुल्हा -दुल्हन यानि की अनु और पुनित दोनों एक दूजे के सामने खड़े थे तभी पंडित जी ने दोनों को वरमाला की रस्म करने को कहा तो दोनों इधर उधर देख अपने खाली हाथ हिलाते बोले- अनु हैरानी से-"वरमाला के बिना वरमाला की रस्म कैसे होगी?" पुनित हां में सिर हिलाते-"हां....यहां तो वरमाला है ही नहीं पंडित जी!" पंडित जी हैरानी से-"क्या वरमाला नहीं है?" तो अनु पुनित दोनों ने दायें बायें गर्दन हिला दी और तभी वहां शोर सा मच गया -"वरमाला कहां है?किसी ने वरमाला देखी है क्या?वरमाला का मुहूर्त निकल जाएगा?वरमाला किसने रखी थी?कौन ले गया वरमाला?वरमाला मंगवाई थी या नहीं?ऐसे कैसे खो गयी वरमाला?ढूंढो वरमाला को,मिली क्या वरमाला?" हर कोई वरमाला ढूंढने में लगा हुआ था पंडित जी बार बार "जल्दी किजिए यजमान"चिल्ला रहे थे मानो अगर अभी वरमाला न मिली तो ना जाने कौन सा तुफान आ जाएगा,सब वरमाला ढूंढने में ऐसे लगे थे जैसे वरमाला नहीं वो कोई कुबेर का खजाना हो गया हो?बुलेट ट्रेन से भी तेज सब इधर उधर भाग रहे और अनु पुनित एक दूजे की ओर देख सबकी ओर खड़े बस ताक रहे थे!! तभी अनु की मॉम मंडप की ओर आते बोली-" अरें वो वैडिंग प्लानर कहां है,उसे पूछो वरमाला के बारें में?" अनु के पापा मिस्टर सिघांनिया,जैसे ही उनके कानों में वरमाला नहीं मिल रही की बात पड़ी उनका पारा चढ़ चुका था वो भी उसी ओर आते बोले-"हां उसको ही तो सारे अरेंजमेंट करने को बोला था,शादी के सब काम उसने ही तो किए है डेकोरेशन,मंडप,तो वरमाला भी तो मंगवाई होगी ना?पूछो उस लड़की से कहां है वो लड़की!" तभी अनु जोर से बोलते हुए-"ऑफकोर्स मंगवाई होगी पापा,मुझे डिजाइन भी दिखाए थे उन्होनें मम्मी,शादी के कॉन्ट्रैक्ट में सारे अरेंजमेंट उनके अंडर ही तो थे हल्दी से लेकर विदाई तक,कोई उनको बुलाओ ,पूछो ना हमारी वरमाला कहां है?" "हां दी पर कहीं वो वरमाला मंगवाना भूल तो नहीं गयी,,,,माना सब अरेंजमेंट अच्छे क्या बहुत अच्छे किए है पर वरमाला न मंगवाने वाली भूल तो नहीं हो गयी ना उनसें,कहीं मिल ही नहीं रही वरमाला और वो दिखाई भी नहीं दे रही?"कबीर उनके पास आकर बोला! ये सुनते ही सबके चेहरे पर परेशानी की लकीरें उभर आई और सब इधर - उधर देखने लगे कि तभी अनु की मॉम अपने माथे पर हथेली रखते बोली-"कबीर जल्दी जाओ ढूंढो?" कबीर-"किसको वरमाला या वेडिंग प्लानर?" "वेंडिंग प्लानर को, वो मिल गयी तो वरमाला का भी पता चल जाएगा?"अनु की मॉम ये कहकर वहां से चली गयी! "हां कबीर ढूंढो उस लड़की को,हद है वरमाला छोड़ अब उसे ढूंढे?अगर उसकी वजह से शादी सही महुर्त पर ना हुई मेरी बेटी की और इज्जत उछली ना हमारी लड़के वालों के सामने तो मैं छोडूंगा नहीं उसको?"....मिस्टर सिघांनिया भी बड़बड़ाते हुए वहां से चले गये! तभी कबीर अनु से -"दी कहीं वो वेडिंग प्लानर आईमीन मिस इंदौरी आपकी शादी बीच में ही छोड़ भाग तो नहीं गयी?पापा से उनकी सुबह थोड़ी बहस हो गयी थी ना?और कहीं पापा ने फिर से कुछ कह दिया हो उन्हें बुरा लग गया हो क्योकि थोड़ी देर पहले यहीं पर (परेशान होते) थी और अब नहीं है!" "ऐसे कैसे भाग जाएगी,रिसपॉन्सबिल्टी ली है उसने और एंडवास भी तो लिया है और वो पूरी पेमेंट लेकर ही जाएगी बीच में से भागने वालों में नहीं है यार वो, बहुत अच्छी है वो मेरी पूरी शादी करवाकर जाएगी चाहे पापा कुछ भी कहे उसे , उसने खुद कहा था मुझसे,कबीर तुम जाकर ढूंढो उसको,फिर वेडिंग प्लानर क्या वरमाला भी मिल जाएगी?" "ओके दी!"कह कबीर वहां से भाग कर चला गया! तभी पुनित धीरे से अनु से बोला-"ऐसी कैसी वेडिंग प्लानर रखी है जो वरमाला तक नहीं अरेंज कर पाई?" "ऐसा नहीं है पुनित,वो वेडिंग प्लानर तो बहुत अच्छी है देखो ना सब अरेंजमेंट कितने अच्छे है थोड़ी देर पहले तुम भी कितनी तारीफ कर रहे थे वरमाला आ जाएगी......अच्छा सुनो तुम अपनी फैमिली को संभाल लोगे ना,देखो तो सब खुसर फुसर करने लग गये है कहीं कुछ गड़बड़ ना हो जाए,अब यह तो है नहीं कि हमनें जानबूझकर वरमाला नहीं मंगवाई है या हमनें खो दी,प्लीज पुनित संभाल लेना!" पुनित अपनी फैमिली की ओर देखते-"डोंट वेरी अनु मैं संभाल लूंगा,बस जल्दी से वरमाला मिल जाए यार!" अनु हामी भरते-"हां पुनित वरना ये शादी आगे बढ़ने की वजह रूक जाऐगी,पापा गुस्सा हो रहे है और बाकि सब भी परेशान ,कहां पर हो मिस इंदौरी,मेरी शादी का जिम्मा तुमने उठाया है तो सिरे भी तो लगवाओ ना!" तभी सबको "मैं आ गयी-मैं आ गयी"........की आवाज सुनाई पड़ी और सबकी नजर गार्डन के एंट्री गेट की ओर चली गयी,एक लड़की हाथ में वरमाला वाली थाल पकड़े मंडप की ओर भागे आ रही थी वो कोई और नहीं काश्वी ही थी,उसे देख सब के होठों पर मुस्कान आ गयी,अब वो मुस्कान काश्वी को देखकर थी या वरमाला को वो तो वहां मौजूद मुस्कराने वाले ही जाने! वो गार्डन एरिया में बने शादी के मंडप पर आई पंडित जी के हाथों में थाल थमाया और दोनों वरमाला अलग करते हांफते हुऐ बोली-"पंडित जी मंत्रो का उच्चारण शुरू किजिऐ,अभी भी दस मिनट बाकि है वरमाला के शुभ मुहूर्त के बीतने में,माफ करना वरमाला आने में देरी हो गयी ,वो खुद जाकर अपने हाथों से बनाकर लाई हूं ,सच में बड़ा टफ काम है और जिसको काम सौंपा था उस को सेडनली बुखार आ गया,कोई ना उसका बुखार तो बाद में उतार दूंगी,पहले वरमाला करते है....लो अनू वरमाला पकड़ो कहते काश्वी ने अनु को वरमाला दी और दूजी वरमाला दुल्हें की ओर बढ़ाते हुऐ-"जल्दी पहना दिजिऐ दुल्हें मियां अनु को वरमाला!" पर जैसे ही उसकी नजर दुल्हें पर पड़ी यानि की पुनित पर उसके हाथ से वरमाला छूट गयी,नीचे गिरती उससे पहले मंडप के पास खड़े कबीर ने पकड़ ली-"क्या कर रही हो मिस इंदौरी?" पंडित जी-"संभालकर बेटा,वरमाला को गिराते नहीं!" पुनित एकटक काश्वी को देख रहा था वो कुछ बोल पाती कि तभी पुनित बोल पड़ा-"काश्वी श्रीवास्तव!" काश्वी पुनित को फटी आखों से देखे जा रही थी पुनित को सामने देख वो अपनी पलकें झपकाना भूल गयी,उसके होठों ने पुनित कहना चाहा पर होठ बस हिलकर ही रह गये ,लफ्ज बाहर ही न निकल पाए और उसका मुंह खुला रह गया! तभी अनु ने दोनों की ओर देख हैरानी से कहा- "आप दोनों एक दुजे को जानते है!" पुनित काश्वी की ओर देखते-"हां" काश्वी अपने लंहगे को मुठ्ठी में भींचते-"ना!" दोनों की एक साथ हां ना सुनकर अनु ने फिर सवाल किया-"हां या ना?" पुनित और काश्वी दोनों एक दूजे की ओर देख रहे थे तभी काश्वी ने अनु की ओर देख ना कहा और कबीर से वरमाला लेकर पुनित की ओर बढ़ा दी -"वरमाला,मुहुर्त बीत रहा है!" पुनित हल्का सा मुस्कुराते हुए-"रियली,सो पहना दूं?" काश्वी मुस्कुराते हुए हां में सिर हिला देती है!! पुनित ने वरमाला हाथों में पकड़ काश्वी के सामने की जिसके बीच से काश्वी मुस्कुराते हुऐ नजर आ रही थी हालाकिं उसकी आंखो में हल्की सी नमी उतर आई थी!! पुनित फिर काश्वी से सवाल करते-"पहना दूं?" "कब से इंतजार हो रहा है अब और इंतजार मत करवाओ,पहना दो?"काश्वी ने पुनित की तरफ एकटक देखते बोला! (क्रमशः)
जैसे ही काश्वी ने पुनित से कहा कि और इंतजार मत करवाओ पहना दो तो पुनित ने मुस्कुराते हुऐ हां में सिर हिलाया और अनु के गले में वरमाला डाल दी!" "तालियां बजाओ गाईज!"कहते काश्वी मंडप से नीचे उतर कबीर के पास आकर खड़ी हो गयी, पंडित जी अनु को वरमाला पहनाने को कहते है, वो मुस्कुराते हुऐ पुनित के गले में वरमाला डाल देती है,सब जोरों से तालियां बजाते है और अनु पुनित पर फूल बरसाते है! "फूल!"कबीर ने अपना फूलों से भरा हाथ काश्वी के सामने करते कहा तो काश्वी ने उसके हाथ से मुस्कुराते फूल लिये और पुनित - अनु पर उछाल दिये,तभी उसे कबीर बोला-"शुक्र है आप जल्दी वरमाला लेकर आ गयी!" "सॉरी हां,वो बाय मिसटेक हो गया, ये वरमाला वाला लोचा पता नहीं हमेशा क्यों होता है मेरे साथ कभी आर्डर करना रह जाता है तो कभी खो जाती है!"काश्वी अपने माथे पर हथेली रख बोली! "इट्स ओके रिलेक्स,सब टाइम पर हो गया,एंड डोंट वेरी पापा को मैं हैंडल कर लूंगा!"कबीर मुस्कुराते बोला तो काश्वी भी हल्का सा मुस्कुरा दी-"हैंडल करना ही पड़ेगा यार,वरमाला वाला भूचाल और किसी को ना सही पर तुम्हारे पापा को तो भड़काकर रख दिया होगा ना!" कबीर को हंसी आने लगी पर वो अपनी हंसी रोकते -"आप भी ना मिस इंदौरी!" तभी काश्वी की नजर पुनित पर पड़ी जो उसकी ओर देख रहा था ये देखकर काश्वी अपने लहगें पर अपनी मुठ्ठियां भींच लेती है और"मैं आती हूं कह वो वहां से जाने लगी तभी मिस्टर सिंघानियां उसकी तरफ आने लगे कि मिसिज सिंघानियां ने उनको रोक दिया-"मेहमान है जी थोड़ा तो ध्यान दिजिऐ,फेरे शुरू होने वाले है अनु के खामख्वाह माहौल खराब हो जाएगा!" ये सुन वो वहीं पर रूक गये और काश्वी की ओर घूरते बोले-"इससे तो बाद में बात करूंगा एक बार अनु की शादी हो जाऐ,अनु की मॉम उनको शांत कर काश्वी की तरफ देखते मुस्कुराईं,काश्वी वहां से चली गयी तभी पुनित अनु से बोला-"अनु मैं अभी आता हूं,अनु कुछ भी कहती कि पुनित भागते हुए वहां से काश्वी की ओर चला आया-" काश्वी!" काश्वी ने मुड़कर पुनित की ओर देखा तो पुनित मुस्कुराते बोला-"मुझे नहीं पता था मिस इंदौरी काश्वी श्रीवास्तव ही है!" "अब तो जान गये ना!"काश्वी हाथ बांधते बोली, "कमाल है ना जिससे शादी करना चाहता था मैं वहीं मेरी शादी करवा रही है?"पुनित एकटक काश्वी की तरफ देखते बोला, "इतना हैरान होने की भी बात नहीं है ,काम है ये मेरा एनीवे कांग्रेचुलेशनस पुनित!" "काश्वी अभी भी मौका है आज भी मैं तुमसे प् पुनित बोल रहा था, काश्वी ने अपना हाथ आगे कर दिया-"अब पागल मत बनों,शादी हो रही है तुम्हारीं,बारात लेकर आ चुके हो,वरमाला हो गयी है,जो भी बोलना है आसपास का माहौल देखकर और सोच समझकर ही बोलो खामख्वाह तमाशा बन जाएगा और जो तुम कहने जा रहे हो ना वो कल भी पॉसीबल नहीं था और आज,....अब तो बिल्कुल भी नहीं,क्या बोला तुमनें,आज भी तुमसें वो होता ना पुनित तो आज यहां नहीं होते तुम, देखो कहां खड़े हो तुम,मेरे इंतजार में नहीं,किसी और को अपना हमसफर बनाने के मोड़ पे खड़े हो,देखो?और ये सही भी है मैं खुश हूं तुम आगे बढ़ रहे हो वो भी खुशी खुशी,अच्छा सुनो अनु तुमसे बहुत प्यार करती है बहुत खास भी हो तुम उसके लिए इतना कि वो तुम्हें अपना मान चुकी है और खुद को तुम्हारी(मुस्कुराते)खुश रखना उसे और बहुत प्यार देना!" ये सुन पुनित ने गर्दन घुमाकर कर अनु की ओर देखा जो मुस्कुराते उनकी ओर देख रही थी यह देख पुनित मुस्कुरा दिया,काश्वी की ओर वापस देखते वो बोला-"प्रोमिस मैं उसे खुश रखूंगा और कभी हर्ट नहीं करूंगा,मेबी मेरे लायक अनु बनी है काश्वी नहीं,वैसे इंतजार रहेगा मुझे उसका जो काश्वी श्रीवास्तव के लायक होगा,कभी मिलाना जरूर !" काश्वी अनु की तरफ इशारा कर-"जाओ इंतजार कर रही है वो तुम्हारा,नये सफर पर खुशी खुशी आगे बढ़ो,बीता सब भूलकर!" पुनित ने हां में सिर हिलाया -"हम्म बीतें कल से तो चाहकर भी नहीं जुड़ सकता पर मेरा आज और आने वाला कल ,मुझसे जुड़ने के तैयार है हमेशा के ल़िए,.....इतना कह वो अनु की तरफ चला गया और अनु का हाथ थामकर काश्वी की ओर देखा तो वो मुस्कुराते थंब दिखा देती है तभी अनु बोली-"क्या हुआ और तुम क्या बात कर रहे थे उससे?" "कुछ नहीं हुआ और बात ये की मैनैं उनसें,एक तो थैक्यूं बोला, हमारी शादी की इतनी अच्छी तैयारियां जो की है मिस इंदौरी ने ,वरमाला भी देखो कितनी प्यारी है ,सच कहा था तुमनें बेस्ट वेंडिंग प्लानर है ये,बात करके देखा सचमें अच्छी है यार तो मैं बोलकर आया था कि आगे कभी मुझे कुछ डेकोरेशन करवानी हुई थी वो ही करें मुझे उनका काम बहुत पंसद आया सो!"पुनित ने मुस्कुराते कहा! अनु मुस्कुराते हुए-"हम्म ये तो काम बहुत अच्छा है मिस इंदौरी का,हम नेक्स्ट टाइम फिर कांटेक्ट जरूर करेगें जब भी कोई फंक्शन होगा!" पुनित ने हम्म कहा और मन ही मन बोला-"एम सॉरी अनु पर काश्वी चाहती है सब भूलकर आगे बढूं ,सही भी है पर प्रोमिस है मेरा तुमसे अपना बीता कल का कुछ भी हावी नहीं होने दूंगा,हमारे जुड़ रहे इस रिश्ते पर,तुम ही अब मेरे लिऐ सब कुछ रहोगी सबकुछ,काश्वी के अलावा मैनैं किसी के बारें में नहीं सोचा था पर अब तुम्हारे अलावा किसी और का ख्याल भी न आएगा मुझे काश्वी श्रीवास्तव का भी नहीं!" तभी पंडित जी ने अनु - पुनित को फेरों के लिऐ बैठने को कहा तो दोनों मुस्कुराते मंडप पर बैठ गये ,पंडित जी मंत्रो का उच्चारण करने लगे और दोनों की शादी होने लगी,काश्वी अभी भी उसी जगह खड़ी थी तभी उसके सामने कुछ धुंधला सा दिखाई देना लगा,काश्वी ने आखें मूंद ली उसे अब साफ साफ दिखाई देने लगा! __________ कहानी अतीत में "पुनित कहां ले जा रहे हो तुम मुझे?".।....काश्वी अपने आखों पर बंधी हुई पट्टी को छूते बोली तो पुनित मुस्कुराते बोला-"बस पांच मिनट काश्वी, पहुंचने ही वाले है,......कह पुनित ने एक पहाड़ी जैसी जगह पर ले जाकर गाड़ी रोक दी!" "पहुंच गये क्या?" "हां पर तुम पट्टी मत हटाना!"कह पुनित गाड़ी से उतरा और भागकर काश्वी की साइड आकर उसे गाड़ी से बाहर निकाला! काश्वी गाड़ी से निकलकर-"अब तो हटा दो यह पट्टी,कब से गंधारी बनाकर रखा है तुमनें मुझे?" पुनित हंसते हुए-"बस दो मिनट" कह वो काश्वी को थोड़ा आगे ले गया और फिर एक जगह पर ठहराकर,पीछे जाकर उसकी आखों की पट्टी हटा देता है! काश्वी ने मुंह से फूंकाऔर पलकें झपकाते हुऐ अपनी आखें खोली तभी पुनित उसके कंधो पर हाथ रख आगे की ओर इशारा करते हुऐ बोला- "देखो?" ये सुन काश्वी ने सामने देखकर चारों और नजर दौड़ाई तो उसका चेहरा खिल गया,वो एक छोटी सी खूबसूरत सी पहाड़ी थी जिसके चारों तरफ ग्रीनरी थी,ठंडी ठंडी हवा भी चल रही थी जिसमें काश्वी के बाल झूलने लगे,तभी काश्वी मुस्कुराते हुऐ चारों और घूमते बोली-" वाव पुनित ये सब कितना प्यारा है!" पुनित हाथ बांधते काश्वी की ओर देखते-"हम्म तभी तो लाया हूं यहां ,कैसी लगी ये जगह?" काश्वी पुनित की ओर देखते-"बहुत ही अच्छी, इतना कह काश्वी उस जगह को इधर उधर चलते देखने लगी,उसकी खुशी का कोई ठिकाना नही था,तभी पुनित जोर से चिल्लाया-"आई लव यू काश्वी श्रीवास्तव!" ये जैसे ही काश्वी ने सुना वो फट से पुनित की ओर मुड़ गयी,पुनित की आवाज उस पहाड़ी पर गूंज रही थी,तभी पुनित ने फिर जोर से बोला-" आई लव यू काश्वी!" ये सुन और आवाजें गूंजती देख काश्वी ने अपने कानों पर हाथ रख लिऐ,ये देख पुनित हैरान हो गया वो भागकर काश्वी के पास आया और कंधे पर हाथ रखते बोला-"क्या हुआ काश्वी?" काश्वी ने उसका हाथ अपने कंधे से हटाया और हैरानी से बोली-"ये क्या है पुनित, क्या कर रहे हो तुम!" "मतलब काश्वी मैं तुमसे प्यार करता हूं और मैं इजहार कर रहा हूं अपने प्यार का,और क्या?" पुनित काश्वी का हाथ पकड़ते बोला कि उसने अपना हाथ झटका लिया-"क्या ,दिमाग सही है तुम्हारा ,हमें मिले दस दिन नहीं हुए पुनित और प्यार?" "तो प्यार का दिनों से क्या लेना देना यार,ये तो कभी भी कहीं भी हो जाता है और तुम भी तो मुझसे....."पुनित बोल रहा था कि काश्वी बोल पड़ी-"क्या मैं तुमसें,मैं तुमसे प्यार नहीं करती हूं पुनित!" "तो किससे करती हो?"पुनित ने सवाल किया, "किसी से नहीं करती मैं!" "तो फिर मुझसे क्या दिक्कत है मैं प्यार करता हूं तुमसे काश्वी और तुमको भी तो पंसद हूं ना मैं!" पुनित ने खींजते कहा कि तभी काश्वी ने अपना सिर पकड़ लिया-"पुनित पंसद और प्यार में फर्क होता है ,तुम मेरे लिऐ फिलहाल दोस्त हो सिर्फ दोस्त,मुझे नहीं पता तुम क्या फील करते हो पर मैं तुम्हारे लिऐ वैसा कुछ फील नहीं करती हूं,यार दस दिन नहीं हुऐ हमें मिले,एक दूजे को ना जाना,और प्यार कैसे!" "लो कमाल है यार दस के सौ दिन भी हो जाएगें काश्वी,प्यार नहीं है अभी तुमको तो क्या हुआ मैं पंसद तो हूं ना और प्यार भी हो जाऐगा,और हम साथ रहेगें तो जान लेंगे पहचान लेगें नो प्रोब्लम, पर सच में यार मुझे तुमसे पहली नजर में प्यार हो गया था,पहले दिन ही जब मिले थे हम और आज मैं तुमको यहां यहीं बताने लाया हूं!"पुनित ने अपनी बात कही, "मुझे आना ही नहीं चाहिए था,कल क्या हो मुझे नहीं पता आज वैसा कुछ नहीं है मेरी ओर से तो वैसा कुछ नहीं है,मैं तुम्हारी फिलिंग की रिस्पेक्ट करती हूं पुनित बट जो तुम चाहते हो वैसा नहीं हो सकता,और मुझे नहीं लगता जैसा तुम फील करते हो वैसा मैं कभी कर पाऊंगी तुमको लेकर, दस दिन में ठीक से हमारी दोस्ती भी नहीं हुई है अभी और तुम ख्वाहिश प्यार की कर रहे हो,एम सॉरी.... इतना कह काश्वी वहां से जाने लगी कि पुनित ने उसका हाथ पकड़ लिया! "हाथ छोड़ो मेरा"काश्वी बोली कि पुनित ने उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसका चेहरा हाथों में भरते बोला-"ऐसा नहीं हो सकता यार,मैनैं भी देखा है तुम्हारी आखों में अपने लिऐ प्यार,मैं ही नहीं तुम भी फील करती हो प्लीज समझो उस फिलिग्स को,तुम केयर भी तो कितनी करती हो मेरी!" ये सुनते ही काश्वी पुनित के हाथ अपने गाल से झटका दिये और उस की आखों में देखते बोली -"केयर को प्यार का नाम देना बंद करो ,दोस्त माना है तो जो किया है उस रिश्ते से,किसी और इरादे से नहीं किया पुनित,पता नहीं तुमको कैसे गलतफहमी हो गयी,तुम मेरी नजर में सिर्फ मेरे दोस्त हो लवर नहीं!" ये सुन पुनित के कदम पीछे की तरफ लड़खड़ा गये और दोनों एक दूसरे की आखों में देखने लगे उस वक्त दोनों की आखों में हल्की सी नमी आ गयी थी!! पुनित कुछ कहने को हुआ काश्वी ने अपने कदम पीछे लिऐ -"किसी को दोस्त माने तो दोस्ती रास नहीं आती है,थोड़ा प्यार से क्या पेश आओ ,प्यार समझने लग जाते है,हर किसी को बस लवर ही बनना है मेरा,और भी तो रिश्ते होते है पर नहीं उनकी तो धज्जियां उड़ा देते है अपनी फिलिग्स के चक्कर में,फिलिग्स सिर्फ प्यार इश्क महोब्बत की होती है क्या दोस्ती की नहीं पर नहीं सबको उल्टा ही चलना है!" इतना कह काश्वी वहां से जाने लगी कि पुनित काश्वी की आवाज देशे लगा-"काश्वी सुनो मेरी बात,रूको यार सच में बहुत प्यार करता हूं मैं तुमसे,हमेशा करूंगा,इंतजार भी करूंगा,ऐसे तो मत जाओ,मैं सिर्फ प्यार ही नहीं तुमसे शादी भी करना चाहता हूं काश्वी श्रीवास्तव सुन रही हो ना तुम!" "मै ऐसा कुछ नहीं चाहती!"कह काश्वी वहां से चली गयी! (क्रमशः)
कहानी वर्तमान में "जो तुमनें कहा था वो महज बातें थी प्यार नहीं" काश्वी पुनित के साथ बीतें कल की उस याद के बारें में सोचते खुद से कहती है कि तभी कबीर उसके पास चला आया और कंधे पर हल्का सा टच कर बोला-"मिस इंदौरी?" काश्वी का ध्यान उस पर गया-"हां!" "कहां खोई है आप?"कबीर ने सवाल किया, "कहीं भी नहीं?"काश्वी ने उसकी तरफ देखा, "झूठ!"कबीर तपाक से बोला, "कैसा झूठ?"काश्वी उसे थोड़ा घूरकर बोली तो कबीर हंस दिया-"अरें यहीं झूठ जो आप बोल रही हो,कहीं तो आप खोई थी,कुछ तो आप सोच रही थी,मुझे बताएं नहीं वो बात अलग है और मैं जानना भी नहीं चाहता!" ये सुन काश्वी ने ना में सिर हिलाया और सामने देखा तो पुनित अनु फेरे ले रहे होते है-"फेरे शुरू हो गये है हम जाकर अपना काम देखते है जल्द विदाई की रस्म भी होगी ना!" "मैं आपकी कोई हेल्प करदूं!"कबीर ने पूछा, "हां,तुम जाकर शादी इंजोये करो,बहन है अनु तुम्हारी,जल्द चली जाएगी विदा होकर,जब तक आखों के सामने है इस वक्त को जी लो, जी भर कर फिर तो बस मिलना मिलाना होगा,घर में हर जगह नजर नहीं आएगी तुम्हारी अनु दी,जिसको तुम आवाज दोगे और वो फटसे कहेगी यहां हूं!" ये सुन कबीर ने अनु की तरफ देखा तो उसकी आखों में नमी उतर आई,काश्वी ने उसके कंधे पर हाथ रखा तो कबीर ने मुस्कुराते हां में सिर हिला दिया और वापस मंडप की तरफ चला गया और काश्वी एक बार फिर से पुनित को देखते बोली-" आखिर अपने एक और लवर की शादी करवा ही थी तुमनें काश्वी श्रीवास्तव!" _________ अनु की शादी अच्छे से हो जाती है,अनु पुनित के साथ बाकि सब भी बहुत खुश नजर आ रहे थे, सबका फोटोसेशन चल रहा होता है,अनु पुनित सोफे पर बैठे थे,सब अनु पुनित के साथ फोटो ले रहे थे,....काश्वी विदाई का काम देख रही होती है तभी कबीर भागा उसके पास चला आया-"मिस इंदौरी आप फोटो नहीं करवाएगी,मेरे दी जीजू के साथ!" काश्वी कुछ बोलती कि कबीर ने उसकी कलाई पकड़ी -"जिसने इतनी वंडरफुल शादी करवाई है,एक फोटो तो बनता है ना वेडिंग प्लानर मिस इंदौरी के साथ,ताकि नाम के साथ चेहरा भी याद रहे,जब फोटो देखे वो लोग तो कहे हमारी शादी के अरेंजमेंट मिस इंदौरी ने किऐ थे!"इतना कह कबीर काश्वी को खींचकर वहां से ले गया और जहां फोटोसेशन चल रहा था वहां जाकर कबीर काश्वी को लेकर अनु पुनित के पीछे जाकर खड़ा हो गया और फोटोग्राफर से बोला-"एक अच्छी सी फोटो हमारी भी वेडिंग प्लानर मिस इंदौरी के साथ!" फोटोग्राफर ने हां में सिर हिलाया...... तभी अनु बोली-"अच्छी सी फोटो लेना और उसने काश्वी की तरफ मुस्कुरा कर देखा,काश्वी भी मुस्कुरा दी फोटो खिंचवाकर काश्वी ने अनु पुनित दोनों को कांग्रेचुलेशनस बोला और वहां से चली गयी! थोड़ी देर बाद अनु की विदाई भी हो गयी और वो पुनित के साथ अपने ससुराल को चली गयी, काश्वी दूर खड़ी मिस्टर सिंघानियां और मिसिज सिंघानियां की तरफ देख रही होती है जो अनु की विदाई के बाद अकेले में खड़े थोड़े भावुक नजर आ रहे थे,काश्वी ने अपनी घड़ी की तरफ देखा -"जाना भी है,पर पमेंट भी तो लेनी है,कल आकर लू क्या?पर काश्वी तेरी मेहनत की कमाई है कल पर क्यों छोड़ना,माना यहां माहौल थोड़ा इमोशन से भरा है पर ये देखकर तू पीछे तो नहीं हट सकती है,और पमेंट के लिए कल क्यों आना आज ही जब काम हो सकता है तो?" "थोड़ी देर रूकती हूं यहीं फिर मिस्टर सिंघानियां से बात करते है अगर बिना पेमेंट लिये गये तो वो अचूक का बच्चा जान खा जाएगा मेरी,,बोलेगा तेरे कौन से रिश्तेदार थे जो छोड़ आई पैसे,कल किसने देखा है,प्रोफेशन में इमोशन बीच में नहीं आना चाहिए,सो उसके लेक्चर सुनने से अच्छा है अपने पैसे लेकर ही जाऊं!" तभी कबीर की नजर काश्वी पर पड़ी,जो अपने मम्मी पापा को पानी पिला रहा होता है,उनको पानी देकर वो काश्वी की तरफ आया,तो काश्वी बोली-"ठीक हो तुम!" "हम्म ठीक हूं और खुश भी, वो बात अलग है अनु दी चले गये जीजू के साथ,अपने ससुराल, यहां से ज्यादा,हम सबके साथ से ज्यादा वो वहां रहेगें,तो बस थोड़ा अजीब सा लग रहा है ,मिस भी कर रहें!"कबीर आखों में नमी और होठों पर मुस्कान लाते बोला! काश्वी ने उसके कंधे पर प्यार से हाथ रखा ,तभी कबीर बोला-"आप यहां क्यों खड़ी है,पापा से आपको पेमेंट लेनी थी ना!" काश्वी-"हां वो..... "वो ठीक है चलिऐ,कह कबीर काश्वी को लेकर मिस्टर सिंघानियां की तरफ चला आया,कबीर ने वहां जाते ही काश्वी की तरफ इशारा करते कहा- "पापा मिस इंदौरी की पेमैंट!" इतना सुनते ही मिस्टर सिंघानिया ने काश्वी की ओर देखा और उसे थोड़ा घूरते हुऐ अपनी जेब से चेक निकाल उसकी तरफ बढ़ा दिया,काश्वी ने चेक पकड़ कर उस पर नजर डाली तो काश्वी की भोहें सिकुड़ गयी.....,वो हैरानी से चेक की तरफ देखते मिस्टर सिंघानियां की तरफ देखती है -"ये क्या है सर!" "जितने बनते है उससे ज्यादा ही है?"मिस्टर सिंघानियां अकड़ के साथ बोले, "सिरियशली सर,जितने में बात हुई थी हमारी, उस से अगर थोड़ा सा कम होता ना तो भी हम थैक्यूं कहकर चले जाते पर आपने पचास हजार कम कर दिये,पचास हजार और ये कोई हजार रूपये नहीं है,आपने इतने कम पैसे क्यों दिये है?काश्वी ने उनसे सवाल किया, "जैसा काम किया है ना तुमनें ,उसी हिसाब से बिल्कुल सही है और शुक्र मनाओ मैनैं जो सिर्फ इतने ही कट किये है वरना तुम जैसे नौसिखियों को तो जितना मैनैं दिया है उतने भी ना मिले!" मिस्टर सिंघानियां ये बोले तो काश्वी मुस्कुरा दी तभी मिसिज सिंघानिया बोली-"आप यह क्या बोल रहे है जी देखिऐ ना सब कितने अच्छे से हुआ है!" मिस्टर सिंघानिया ने उनकी तरफ घूरकर देखा तो वो चुप हो गयी तभी कबीर काश्वी का पक्ष लेते बोला-"पापा आप क्या कह रहे है ,इन्होनें काम किया है ,इनकी मेहनत की कमाई है ,और क़ोई कमी नहीं रखी इन्होनें, सबक़ो सबकुछ पंसद आया,सब तारीफ ही कर रहे थे,जितने में बात हुई थी उतना देना तो बनता है ना!" मिस्टर सिंघानियां कबीर पर चिल्लाते-"तुमक़ो बीच में बोलने की जरूरत नहीं है,चुप रहो तुम!" तभी काश्वी बोल पड़ी-"हां कबीर तुम बीच में मत बोलो पर हां तुमको सबके बीच में हम उठवा सकते है!" ये सुन तीनों ने हैरानी से काश्वी की ओर देखा तो काश्वी बोली-"सच में हम ऐसा कर सकते है,हम सिर्फ वेंडिंग प्लानर नहीं जिसे शादियां करवाने का शौंक हो ,हमें किडनेपिंग करना का भी बहुत शौंक है,.....और हम तो जानते ही है जो मिस्टर सिंघानियां अपनी बेटी की शादी में करोड़ो खर्च कर सकते है वो अपने बेटे को......किडनेपर से बचाने के लिऐ मुंह मांगी रकम भी दे ही सकते है पचास हजार क्या तुम्हारे पापा की जेब से हम कबीर पांच लाख रूं भी निकाल सकते है,बहुत पैसा है तुम्हारे पापा के पास,(हाथ बांधते)है ना सर!" ये सुनते ही मिस्टर सिंघानियां चिल्लाए-"क्या बकवास कर रही हो,तुम जैसी लड़की मेरे बेटे का किडनेम करेगी!" "हां कर सकते है बिल्कुल भी मुश्किल नहीं होगी और तो और आपकी पुलिस भी मदद नहीं करेगी आखिरकार हम भी पुलिस वाले की बेटी है,और जाबांज इस्पेंक्टर विरेन्द्र श्रीवास्तव की बेटी पर भला कौन शक करेगा!"काश्वी ने भोहें उचकाते कहा तभी कबीर जोर से बोला-"आपके पापा इंस्पेक्टर है ,मतलब विरेन्द्र श्रीवास्तव सर आपके पापा है जिनको पूरा इंदौर जानता है,शक्ल देख कर वो अपराधी पकड़ लेते है,अपनी बेस्ट ड्यूटी देने पर जिनको हमेशा सम्मानित किया जाता है, कोई भी क्रिमिनल उनकी पकड़ से आजतक छूट नहीं पाया,आप उनकी बेटी है मिस इंदौरी!" "हां,,लगता है काफी जानते हो तुम पापा के बारें में?" "उनको कौन नहीं जानता मिस इंदौरी,बहुत नाम सुना है उनका,इंदौर में भी और इंदौर के बाहर भी!" "हां तो मेरे पापा बहुत काबिल ऑफिसर है,खैर मुद्दे की बात करते है,अगर किडनेम करें तुम्हारा हम तब भी हमें हमारा पैसा मिल सकता है और अगर हमारी पेमेंट न देने के लिए तुम्हारे पापा पर केस करें तब भी हमें हमारा पैसा मिल सकता है!"काश्वी ने कंधे उचकाते मिस्टर सिंघानियां की तरफ देखा जो काश्वी को गुस्से से देख रहे थे!" (क्रमशः)
काश्वी ने देखा मिस्टर सिंघानियां उसकी तरफ गुस्से से घूर रहे है तो वो उनके सामने जा खड़ी हुई और अपने कान पकड़ते बोली-"एम सॉरी सर,अभी जो कहा वो सिर्फ मजाक था हम वैसा कोई काम नहीं करने वाले आईमिन किडनेपिंग और ना ही कभी अपने पापा की पहुंच, उनके पद का फायदा उठाएगें,उनके आड़े कम कोई गलत काम नहीं करेगें,हमें हमारे पापा पर प्राऊड है ,बहुत मान सम्मान है उनका जिसे हम कभी अपनी किसी बेवकूफी की वजह से ठेस नहीं पहुंचाएगें!" "और आप भी हमारे पापा समान है इसलिए आपके साथ भी हम कुछ गलत सलत न बोलेगें, अगर मुंह से कुछ ऐसा वैसा निकल गया हो जिस से आप को ठेस पहुंची हो तो माफी(हाथ जोड़ते )एक्चुअली जितना गुस्सा आपको आता है ना उससे ज्यादा हमें आते है वो तो हम सामने देख लेते है कौन है और लिहाज कर लेते है थोड़ी तो अपने गुस्से से कह देते है यहां मत आओ यहां बड़े हैआप और हम सब जानते है आपको काम भी पंसद आया है हमारा और आपने शिकायतें भी बहुत की है सिर्फ आपने वरना सब के मुंह से हमारे लिए तारीफ के बोल ही फूटे है और इस शादी को देखकर हमें आगे भी काम मिल गया है(मुस्कुराते हुए)जैसे यहां बेस्ट दिया है अपना वहां भी देगें!" "आपकी हर शिकायत दूर की हमनें चाहे आप का डांटना गुस्सा करना सब झेला,मेरी टीम तो पहले दिन भागने को तैयार थी पर अनु चाहती थी कि मिस इंदौरी उसकी शादी प्लान करे तो बस हमनें सबको रोके रखा और सब अच्छे से किया पर लगता है आपको कहीं न कहीं कमी नजर आ ही गयी,जिसके चलते आपने पेमेंट का इतना बड़ा हिस्सा कट कर लिया,हमें अपने लिऐ या अपनी टीम के लिऐ बुरा नहीं लगा ,बुरा लग रहा है तो उन बच्चों के लिए जिनके हिस्से हमारी कमाई का साठ % जाता है आईमीन जो साथ काम करते है उनको तो देना ही पड़ता ना वरना काम कौन करेगा हमारे साथ तो उनका हिस्सा देकर हमारे पास जो बचता है उसका हम 60% अनाथालय में दे देते है,थोड़ा सा अपने लिऐ रख लेते है जिससे हमारा काम चल जाता है!" "पर आज सोच रहे है वो सब जो हमारी खुशी में शामिल होते है दुआ देते है जब हम बोलते है हम शादी करवाकर आए है एक जोड़े की,उसवक्त वो जो मुस्कान खुशी झलकती है उन बच्चों के चेहरे से देखने लायक होती है, जब मिठाई खिलाते है उनको तो उछलने लगते है वो लोग ,अब आप सोच ही सकते है आपने जो हिस्सा कट किया है उससे क्या होगा ,पूरे पंद्रह बीस दिन निकल जाते है उन पैसों से उनका,,,,उनकी पढाई से लेकर दो वक्त का खाना मिल जाता है उनको,पर हमें तो हमारी मेहनत की पूरी कमाई ही ना मिली आज तो इस बार कैसे उनके लिए उनकी सुख सुविधा हम अरेंज करेगे पर कोई बात नहीं सर कुछ न कुछ तो करेगें ना!" "सिर्फ अपने लिऐ थोड़ी कमाते है हम उनके लिऐ भी कमाते है जिनसे हमारा दिल से रिश्ता है और हम आपको ये बात इसलिए नहीं बता रहे है कि आप हमें हमारे पैसे दे दे ,नहीं चाहिए आपके पैसे हालाकिं हम अच्छे से निकालना भी जानते है अपना पैसा पर आप सोच से गरीब है जिनके पास बहुत सारा पैसा होने के बावजूद भी हमारा मेहनताना नहीं देते,अजीब लगा जो लोग करोड़ो खर्च कर देते है अपनी एक बेटी पर ,वहां कमाई काटकर हमारी,दस बच्चों से उनका हिस्सा छीन लेते है ताजुब की बात तो है ना,,आपको होती है हैरानी या नहीं पता हमें तो बहुत होती है!" "पर खुशी है हमें हम बड़े लोगों जैसे बड़ा होने का दिखावा नहीं करते सच्ची खुशियां बांटते है ,जितनी रौनक आपके यहां की बड़ी शादी में होती है ना उससे ज्यादा खुश तो हमनें मंदिर में शादी करने वाले लोगों को देखा है,,,,उस गरीब पिता को देखा है जिसके पास सिर्फ एक जोड़ा है बेटी को देने के लिए और आशीर्वाद ,जिसको देकर वो कन्यादान कर सकून पा लेता है,आप जैसे बड़े लोग करोड़ो खर्च कर ,कन्यादान कर भी परेशान होते है क्योकि उनको करोड़ो लग गये इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है बस हजारों और लगे ये बात हजम नहीं होती,है ना!" "माफ करना हम सिर्फ अपनी बात रख रहे है जितनी किचकिच आपने हमारे साथ की है पैसों को लेकर उससे अच्छा अनु के साथ वक्त बिताते तो और अच्छा रहता,बस इतना कहेगें और नहीं, आप बड़े है ,समझदार है बेटी विदा की है आपने हम भी एक बेटी है समझ सकते है पापा बेटी का रिश्ता तो बस इस नौसिखिया लड़की की तरफ से जय दीनानाथ जी,चलते है कह काश्वी वहां से चली गयी!!! उसको जाता देख मिस्टर सिंघानिया ने कबीर और मिसिज सिघांनिया की तरफ देखा जिनकी आखों में हल्की नमी थी,काश्वी की बात सुनकर और उन दोनों की तरफ देख मिस्टर सिंघानिया ने अपनी नजरें झुका ली तभी कबीर बोला-"पापा उन्होनें कुछ गलत तो नहीं कहा ना!" तभी मिसिज सिंघानियां बोल पड़ी-"बिल्कुल भी बुरा नहीं कहा उसने कबीर,अगर हम ज्यादा खर्च करना अपनी खुशी समझते है तो वो लोग भी अपने हक का पाकर खुश होते है और किसी की खुशी छीनने का हमारा कोई हक नहीं बनता!" मिस्टर सिंघानियां को अपनी गलती का अहसास हो जाता है वो जल्दी से अपने कोट से अपनी चेक बुक निकालते है और साइन कर कबीर को पकड़ाते-" ये जल्दी देकर आओ उसे,और कहना उसका काम बहुत अच्छा है सच में!" कबीर चेक की ओर देख-"पापा एक(हैरान होते) लाख" मिस्टर सिंघानियां नम आखों से-"जब मैं अपनी बेटी की खुशी के लिऐ करोड़ो लगा सकता हूं तो ये तो उन बच्चों की खुशियां है जो हमारी अनु को ढेर सारी दुआ देगें,,गलती हुई है मुझसे अच्छे को अच्छा कहना चाहिए ना कि बेईज्ज़ती करनी चाहिऐ उसकीहां हूं मैं बड़ा पर (काश्वी के बारे में सोचते हुए)लड़की जितना ना बड़प्पन है मुझमें और ना ही समझदारी,जाते जाते एक बात सिखा गयी,महत्व रखती है तो खुशियां ना की पैसा!" ये सुन मिसिज सिंघानिया ने मिस्टर सिंघानिया ने बाहं पर हाथ रखा और"मैं आता हूं!"बोल कबीर वहां से भागते चला गया,काश्वी सिघांनिया मेंशन से बाहर निकली ही थी कबीर ने पीछे से आवाज दी-"मिस इंदौरी!" काश्वी अपने कदम रोकते हुए-"लगता है मिस्टर सिंघानिया का ह्रदय परिवर्तन करने में मैं सफल रही,मन ही मन बोल काश्वी पीछे मुड़ी तो कबीर हांफते हुऐ सामने आ खड़ा हुआ-"यार कितनी तेज चलती हो तुम दो मिनट पहले अंदर थी आप और अभी बाहर ,वाकई में(हंसते ,हांफते ,मुंह से फूंकते हुए)क्या स्पीड है!" "रिलेक्स ऐसी कौन सी ट्रेन छूट रही है,तुम पहले सांस तो ले लो फिर बोल लेना!"काश्वी कबीर की हालत देख बोली तो कबीर अपनी कमर पर हाथ टिकाते-"यही समझो ट्रेन छूट जाती ,मिस इंदौरी नाम की,एनीवे ये आपकी पैमेंट,मान ही गये मिस इंदौरी सही बोला था अनु दी ने आप अपना एड -वांस तो क्या पूरी पैमेंट लेकर ही यहां से जाएगीं टैलेंट की दात देनी पड़ेगी,गलत को गलती भी समझा दी,सही का फर्क भी बता दिया,खुशी का नया पाठ भी सिखा दिया,और तो और अपनी बात इस तरीके से कही कि बुरी भी न लगी!" ये सुन काश्वी अपना सिर खुझाते हुऐ इधर उधर देखने लगी तो कबीर फिर बोला-"अरें क्या हुआ सच में आपने कुछ गलत नहीं कहा,कभी कभी घी सीधी अंगुली से नहीं निकले तो अगुंली टेढी़ करनी पड़ती है और यहां बात ये नहीं कि वो मेरे पापा है बात सही गलत की है,हक की है,आपने काम किया है उस हिसाब से आप पैमेंट डिजर्व करती है लिजिऐ!" काश्वी चेक पकड़ते हुए-"काफी समझदार हो इतु सी उम्र में भी,अच्छी सोच रखते हो कह काश्वी ने चेक की ओर देखा तो उसकी आखें फैल गयी,वो "ये"कहते कबीर की ओर देखती है तो कबीर मुस्कुराते हुऐ बोला-"पापा ने अपने मन से दिये है ,उन बच्चों के लिए जिनके साथ आप शादी की खुशियां बांटती हो,पापा चाहते है अनु दी को बहुत सारी दुआ मिले!" "ओह तो यहां भी साबित कर लिया तुम्हारे पापा ने कि वो लालची है ,काश्वी ने ये कहा तो कबीर उसे घूरने लगा कि काश्वी अपना एक कान पकड़ "सॉरी ह़ां मजाक कर रही थी मैं,और रही बात इतने पैसों की तो ये मैं नहीं ले सकती ,जितना बनता है हमारा उतना ही लेगें,,,,कहते काश्वी ने अपने बैग से एक पैकेट निकाला और कबीर के हाथ में थमा दिया-"चाहो तो गिन लो पूरे पचास हजार है!" कबीर ने पैकेट की ओर देखते काश्वी की ओर देखा-"पर मिस इंदौरी!" "पर वर कुछ नहीं हम इतना ही लेगें,अगर सच में आप चाहते हो वो बच्चे आपकी खुशी में भी शामिल हो तो खुद ही जाकर उनकी झोली में खुशियां डालकर आना,खिलोने ,किताबें,कपड़े जो मर्जी ले जानाइसी चलते उनकी खुशी सामने से देखने को मिल जाएगी,समझ रहे हो ना जो कह रही हूं!" कबीर मुस्कुराया और अपने कोट में पैसे रखते -"जब कोई इतने प्यार से समझाऐ तो कैसे समझ ना आएगा बॉस,हम खुद जाएगें!" "गुड....और हां हम मजाक कर रहे थे सच में किडनेप नहीं करने वाले थे तुम्हारा,सो डरना मत हमसें और आज अगर तुम्हारे पापा पैसे ना देते हमारा तो भी हम अपना पैसा निकाल लेते,वो भी तुम्हारीं शादी के टाइम,पर अपना पैसा नहीं छोड़ते,,,,...काश्वी ह़ंसते हुए बोली तो कबीर भी हाथ जोड़ हंस दिया!!! तभी "चलते है" बोल काश्वी वहां से जाने लगी कि कबीर बोल पड़ा-"मिस इंदौरी!" काश्वी उसकी ओर देखती है ,वो उसे एकटक देख रहा था,काश्वी उसे गौर से देखते हुए-"क्या हुआ?" कबीर अपनी गर्दन पर हाथ फैरते-"वो कुछ कहना है!" "क्या?"काश्वी भोहें उचकाते बोली, तो कबीर फट से बोल पड़ा -"आई लव यू मिस इंदौरी ,,,....,ये सुन काश्वी चौंक गयी और अपने माथे पर हथेली मारते बोली-"बस यहीं कहने को मिला तुमको?" कबीर -"मतलब!" "मतलब इतनी अच्छी शादी करवाई अनु की, थैक्यू बोल देते,पर बोला भी तो ये,लगा ही था कि कुछ ऐसा ही बोलोगें तुम,वैसे कोई नहीं बात नहीं है हमारे लिऐ, अक्सर सुनने को मिलता है हमें ये वाक्य ये अल्फाज(हंसते हुए)जिनको बोल कर हाय भी न कहे उनको भी मुझसे प्यार हो जाता है तो तुम्हारें साथ तो लाइक फ्रेंड थोड़ा टाइम बिताया है सो ये तो होना ही था!"काश्वी कंधे उचकाते बोली, "पता नहीं जायज है या नहीं,सही किया कहकर या गलत,आपको अच्छा लगा या बुरा आई डोंट नो,,,पर इतने से वक्त में किसी लड़की को जानने की पहचानने की कोशिश की है,आईमीन पहली बार क्रश आया है वो भी आप पर.,इतना अच्छा तो स्कूल फ्रेंड,कॉलेजफ्रेड के साथ भी नहीं लगा बात करके कभी,गर्लफ्रेंड्स तो है नहीं,किताबों के अलावा कहीं ध्यान नहीं दिया पर सच में आप से मिलकर बात करके बहुत अच्छा लगा!"कबीर मासूमियत से बोला, "और प्यार भी हो गया,अच्छा फील हुआ तो उसे लव वाली फिलिग्स से जोड़ लिया,सच्ची में तुम लड़के भी ना,उम्र देखी है अपनी पागल!" "पंसद आए कोई प्यार हो उसमें उम्र कौन देखता है और आप बड़ी है आईनों मैं छोटा,आप मुझको तुम कहलो,मैं आप कह लूंगा!".......कबीर कंचे उचकाते बोला तो काश्वी हंस पड़ी और कबीर के गाल खींचते बोली-"हॉऊ क्यूट.... बट सॉरी डूड, अभी छोटे हो तुम तो पढाई पर ही ध्यान दो,इन सब बातों में कुछ नहीं रखा है ओके,तुम बहुत अच्छे हो हमेशा ऐसे ही रहना ज्यादा कुछ तुमको बोलने की भी जरूरत नहीं है!" "और हां अपने पापा को बोलना तुम थोड़ा सा गुस्सा कम करे सेहत के लिऐ अच्छा होगा,और तुम्हारीं शादी भी मिस इंदौरी ही प्लान करेगी,पर तुमसे शादी नहीं करेगी क्योकि गुस्से वाले सर चल सकते है यार बट ससुर नहीं,चार दिन झेल सकते है लाइफ टाइम नहीं तुम्हारे पापा(हाथ कानों के लगाते)तोबा तोबा!" ये सुन कबीर हंस पड़ा तो काश्वी भी मुस्कुराते बोली-"ऐसे ही हंसते रहना और ममी पापा का ख्याल रखना आज उनको अनु की याद आ रही होगी!" "हम्म कहते कबीर ने हां में सिर हिलाया,और मुस्कुराते बोला-"एक बार गले तो लग सकता हूं ना पहली क्रश हो आप मेरी जो हमेशा रहोगी?" "मरवा रहे हो दीनानाथ जी,एक और नया लवर जिसकी शादी फ्यूचर में हम करवाएगें!"काश्वी खुद से बड़बड़ाई और स्योर बोलते कबीर को हग करने दिया और फिर कबीर को बाय बोल अपनी स्कूटी लेकर वहां से चली गयी और कबीर वहीं पर खड़ा काश्वी को जाते देखता रहा,जब तक वो उसकी आखों से ओझल नहीं हो गयी!! (क्रमशः)
काश्वी स्कूटी से घर लौट रही थी-"क्या दीनानाथ जी ,आपकी मुझसे ऐसी भी क्या दुश्मनी,खुश तो बड़े होते होगें ना ,मेरे ही लवर की मेरे ही हाथों शादी करवाकर,कितने ही हाथ पैर जोड़ ले आप के आगे पर आपको तो मेरे ही मजे लेने है,हद ही होती है ऐसा भी क्या बिगाड़ा है मैनैं,काश शक्ल ऐसी देते जो किसी का भी हम पर दिल ना आता दिल इतु सा दुखता है यार मेरा ऐसी सिचुएशन से सामना करके,इंसान हूं मैं भी पर आप कहां समझोगे,आप तो मेरी बैंड बजाने के मूड में जो हो,खुद की शादी का बैंड पता भी नहीं मेरा कब बजेगा पर ये सब जो होता रहता है वेरी बेड दिल हम पर आता है लोग शादी किसी और से कर लेते है ,उम्र भर इंतजार करने का प्यार करने का वादा करते है पर थोड़े ही वक्त बाद पलटी मार जाते है!" "अच्छा है हम ऐसों को ना कह देते है,अजमाते नहीं है किसी को पर वक्त सच सामने खुद ही ला देता है हमें तो बस कोई ऐसा चाहिए जो प्यार भी हमसे करें और शादी भी इतना ही नहीं जब तक हमारे सपने,हमारे मकसद पूरा नहीं हो जाता जो बनना चाहते है करना चाहते है कर नहीं लेते तब तक शिद्दत से हमारा इंतजार करे,जब उन चीजों से फ्री हो जाते और मुड़कर देखे तो वो हमें हमारे लिऐ वहीं खड़ा मिले वो भी अकेला ना कि वर- माला मंगलसूत्र हाथ में लिऐ वो भी किसी ओर को पहनाते हुएक्षऔर जिस दिन ऐसा कोई मिल गया ना उसे ना नहीं कहेगें,बिल्कुल भी मना नहीं करेगें,अब तक हम मना इसलिए करते आए है सबको क्योकि किसी को देख मिलकर ऐसा नहीं लगा कि ये वहीं है जो हमें चाहिए!" "बस इतना कहते है जिसकी हम आखिरी चोईस हो हमारे बाद कोई ना हो उसकी जिंदगी में जो हमारी जगह ले सके उसे काश्वी श्रीवास्तव अपनी जिंदगी बना लेगी पर सच में आज मेरा मूड बड़ा ऑफ है,वजह भी है अपने लवर की शादी करवा कर आए है!" काश्वी खुद से बड़बड़ाते अपने मोहल्ले में पहुंची ही अचानक एक साईकिल वाला लड़का उसके सामने आ गया,काश्वी स्कूटी रोकते हुए-"दिखता नहीं है ना,अंधे हो जो अंदर घुसे जा रहे हो,मरना ही है तो शौंक से मरो पर यहां नहीं रेल की पटरी पर जाकर,यहां तो हड्डिया़ ही टूटेगी जो तकलीफ ही देगी ना चल पाओगे ना ठीक से टूटे हाथों से खा पाओगे बता रहे है तुमको बिट्टू!" साईकिल वाला यानि कि बिट्टू साइड होते-"सॉरी दीदी गलती हो गयी,आगे से ध्यान से चलाऊंगा, जल्दी में नहीं!" "नहीं नहीं बेटा साइकिल थोड़ी है हवाई जहाज है उड़ाओ तुम इसे,,,,हम्म!"काश्वी ने फिर घूरते कहा तो बिट्टू ने फट से अपना एक कान पकड़ा और नजरे झुका ली!" "निकलो यहां से अगली बार तुम दिखे ना ऐसी हरकत करते तो बता रहे है साईकिल ही नहीं तुम्हें भी तोड़कर रख देगें और हॉस्पिटल में भर्ती करवा आएगें और संभालेगें भी नहीं जाएगें!" "ये सुनते ही फिर सॉरी बोल बिट्टू वहां से निकल गया "एक तो पहले ही दिमाग खराब ऊपर से और खराब करने आ जाते है ,सच में किसी को अपनी परवाह नहीं है बस हीरो बनना है" कहते काश्वी स्कूटी स्टार्ट करने लगी कि पास से गुजर रहा सब्जी वाला हंसते बोला-"क्या हुआ काश्वी दीदी ,बड़े अंगारे बरस रहे है!" "हां बरस रहे है,गर चाहते हो आपकी सब्जियां ना जले तो निकल लो जल्दी से वरना आप जिन खराब सब्जियो़ को अच्छी सब्जियो़ के साथ में रखते हो उनको जलाकर राख कर देगें!"काश्वी ने सब्जी वाले को डपटते कहा तो वो भी वहां से भाग निकला तभी गोलगप्पे वाला बोला-"कमाल हो दीदी जब भी कलास लगाने पर आती हो तो सबको लपेट लेती हो!" काश्वी उसकी तरफ देखती है जो अपने ठेले पर ग्राहकों को गोलगप्पे खिला रहा था-"गलत लपेटते है तो बोलो!" "नहीं नहीं बिल्कुल नहीं हम तो कितनी बार बोले उस बिट्टू से या तो खुद मरोगे या औरों को मारोगें गली में ऐसे कौन साईकिल चलाता है भला पर उसे आपकी ही भाषा समझ आती है और इस सब्जी वाले को भी ठीक ही सुनाया आपने,आलू देख रहे थे थोड़ी देर पहले सारे के सारे सड़े के सड़े मैनैं तो कह दिया उसे कि हम मार्केट से ले आएगें आलू पर ऐसा ही चला तो ज्यादा दिन भैया यहां ना टिकोगे!" "सही बोला राजू,समझाकर देख रहे है कुछ दिन ना माना तो एंट्री बंद करवा देगें,ढंग की सब्जियां लाएगा तो टिक जाएगा,मत ही लेना तुम इससे आलू वरना तुम्हारा ठेला बंद पड़ जाएगा!" "नहीं नहीं ऐसा दिन नहीं आएगा,अच्छा आप खाएगीं गोलगप्पे मूड भी ठीक हो जाएगा,बना दूं एक प्लेट?"राजू ने कहा, "नहीं मन नहीं है इन सबको ही खिलाओ?" कह काश्वी वहां से चली गयी,......उसके जाते ही एक आदमी राजू से बोला-"लगता है आज ये लड़की फिर अपने लवर की शादी करवाकर आई है तब ही तो उखड़ी और भड़की हुई है!" "जुंबा पर ताले रखो काका जी,गोलगप्पे खाकर जाकर अपनी आईसक्रीम बेचो,वरना सुन लिया ना काश्वी श्रीवास्तव ने तो लेने के देने पड़ जाएगें राजू ने उससे कहा तो उसने गोलगप्पा अपने मुंह में रखते हां में सिर हिला दिया!! ________ घर जाते ही काश्वी ने अपना बैग टेबल पर फैंका और सोफे पर पसर गयी-"माते एक चाय!" विशाखा जी काश्वी की आवाज सुनकर अपने कमरे से बाहर आई-"आ गयी तुम?" "नहीं रास्ते में है जब तक चाय बनकर रेडी होगी आ जाएगें?" ये सुन विशाखा जी मुस्कुरा दी तभी दूसरे कमरे से निकलकर विरेंद्र जी आ गये,विशाखा जी ने काश्वी की तरफ इशारा किया और वो किचन में चली गयी!" विरेन्द्र जी काश्वी की ओर आते-"दिन की शादी थी क्या बेटा!" काश्वी ने सिर से हाथ हटाया और "पापा "कहते सोफे पर बैठ गयी-"हां पापा दिन की थी तो रात होने से पहले लौट आए,रात की होती तो सुबह ही आते!" विरेन्द्र जी सोफे पर आकर बैठ गये और गाल पर हाथ रखते-"थक गया मेरा बच्चा!" काश्वी ने मासूमियत से हां में सिर हिलाया और उनकी गोद में सिर रखकर लेट गयी,विरेन्द्र जी ने झुककर सर चूमा ओर सिर सहलाने लगे तभी अंकुर भी ऑफिस से लौट आया और अपना बैग टेबल पर रखकर पास वाले सोफे पर बैठते हुए- "क्या हुआ तुझे ?" काश्वी बिना आखें खोले -"कुछ भी तो नहीं?" "कुछ तो हुआ है,बता ना बहन क्या हुआ है बता दे ना आज तो शादी करवाकर आई है ,बोल ना किश्शू.....देख अब तक इस शादी को लेकर कुछ नहीं पूछा मैनै और मां ने तुमसे आज तो बता दो ना एम वेरी एक्साइटेड मेरी प्यारी बहना!"अंकुर मंद मंद हंसते हुए बोला, "पापा इनको बोलो मुझे तंग ना करे,...मेरा मूड आलरेडी ऑफ है अगर इन्होनें मेरे मूड का और कबाड़ा किया ना तो बहुत बुरा होगा......"काश्वी आखें खोल अंकुर को घूरते बोली, विरेन्द्र जी ने अंकुर की तरफ देखा तो अंकुर एक नजर विरेन्द्र जी को देख काश्वी की तरफ देखते विशाखा जी को आवाज देता है-"मां लगता है हमारी काश्वी आज अपने किसी लवर की शादी करवाकर आई है तभी तो देखो सड़े बैगन जैसी शक्ल ही नहीं हालत भी बना रखी है इसनें,सच में बहुत बुरा लगता है ना,दिल के अरमान(गाते हुऐ)आसुओं में बह गये,नहीं नहीं यह वाला नहीं दूसरा गाना कौन सा है वो"तू प्यार है किसी और का तुझे.....आगे अ़ंकुर कुछ गा पाता कि काश्वी ने पिलो उठाकर उसके मुंह पर दे मारा! और चिढ़ते हुऐ विरेन्द्र जी की तरफ देखते बोली -"आप इनको कुछ बोल क्यों नहीं रहे है पापा ये मेरा मजाक बना रहे है और आप चुप बैठे है!" अंकुर की हंसी नहीं रूक रही थी वो हंसते बोला -"पापा क्या बोलेगें पापा भी तो जानते है उनकी लाडली अपने आशिक के फेरे करवाकर आई है तेरे चेहरे पर बारह बजे देख ही ये तो समझ गये होगें!" काश्वी दूसरा पिलों उठाकर फैंकती है कि अंकुर सोफे से उठकर साइड में हो गया-"हां जान गये होगें पर आप जैसे नहीं है,आपको तो मजा आता है मेरे जख्मों पर नमक मिर्च छिड़कने में!" "सच में यार बहुत मजा आता है.....गाना तो पूरा करने दे.........तू प्यार है किसी और का.....ऐसे नहीं...... तू प्यार करता था मुझ से तू शादी कर रहा है किसी ओर से!"(राग लंबी लेते हुए) (क्रमशः)
अंकुर काश्वी को छेड़ रहा था, काश्वी उससे चिढ़ गयी और सोफे से उठने लगी-"रुको अभी बनाते है आपको गायक!"तभी विरेंद्र जी ने उसे पकड़ लिया और वापस सोफे पर बिठाते-"मजाक कर रहा है बेटा जानते हुए भी चिढ़ रही हो तुम!" काश्वी अंकुर की ओर घूरते-"सिच्युएशन मजाक के लायक है क्या पापा,आलरेडी दिमाग खराब है मेरा ऊपर से और कर रहे है भाई!" विरेन्द्र जी अंकुर की तरफ देखते-"दिमाग खराब नहीं तुम्हारा मूड सही करने की कोशिश कर रहा है,ताकि जिस बात से तुम परेशान हो उस बात से तुम्हारा ध्यान हटे और दूसरी बात पर ध्यान दो!" काश्वी विरेंद्र जी की ओर आखें फाड़े देखते हुए- "आप भाई की साइड ले रहे हो?" तभी सोफे पर हाथ रखते अंकुर मुस्कुराते बोला- "एक यही तो मूमेंट होता है किश्शु जब मैं तेरा मूड सही करने की कोशिश करता हूं जब पापा मेरे साथ और मेरी बात से सहमत होते है,तुमको चिढा़ने पर मुझे टोकने की वजह ये चुप रहते है वरना उनकी लाडली क़ो तंग करने के जुर्म में ये मुझे उसी वक्त सलाकों के पीछे डाल दे ये कहना भी गलत नहीं होगा!" ये सुन काश्वी और विरेन्द्र जी ने अंकुर की तरफ देख एक दूजे की ओर देखा कि अंकुर फिर बोल पड़ा-"तुम भी पागल हो किश्शू तुम उस बात से परेशान होती हो जिससे नहीं होना चाहिए,तुम्हारे वो लवर्स तुम्हारे लायक ही नहीं होते!" तभी विशाखा जी चली आई और चाय वाली ट्रे टेबल पर रख चाय का कप उठाकर काश्वी की ओर बढ़ाते बोली-"जब इतना ही दुख होता है तो उनको ना क्यों कहती है ,हां कह दिया कर किसी को तो फिर उनकी शादी किसी और से करवाने की जगह ,तुमसे हो जाए,किसी एक को हां कह देती तो अब जो दुख हो रहा है वो न होता,चाहे फिर कितनों की ही शादी करवाती!" काश्वी मुंह बनाकर चाय का घूंट भरते-"मुझे नहीं करनी हां ऐसो को,और ना चाहिए मुझे ऐसे और हां मुझे कोई दुख नहीं है मां,ऐसों के लिए क्या ही दुख मनाना जो मेरे लिऐ थे ही नहीं!" तभी विरेंद्र जी ने काश्वी का चेहरा हाथों में भरा और मुस्कुराते हुए बोले-"हां,जो भी लायक होगा मेरी बेटी के लिऐ उसे ही हां कहेगी और वो फिर किसी और से नहीं सिर्फ मेरी राजकुमारी से प्यार करेगा और इसी से शादी,जिस भी दिन हमारी लाडली को ऐसा मिल गया कोई,देखना वो औरों की शादी जितने धूमधाम से करवाती है उससे भी दस गुना(गाल पर हल्की सी चपत लगाते) ज्यादा धूमधाम से खुद की शादी करवाएगी ये मिस इंदौरी! अंकुर हामी भरते-"हम्म और वो होगा मेरी बहन का सच्चा लवर ,जिससे खुद शादी रचाएगी ना कि उसकी किसी और से करवाएगी,जो किसी और से शादी करने के लिऐ मंडप में खड़ा हो वो काश्वी श्रीवास्तव के लिए बेस्ट हो ही नहीं सकता इसको तो ओनली फॉर मी वाला(भोहें उचकाते) चाहिए ना किश्शु!" ये सुन काश्वी मुस्कुरा दी-"येस,मैं बस थोड़ा सा हैरान हो जाती हूं उन लड़को की थिंकिंग पर जो साथ जीने मरने की कसमें खाते है,प्यार में वादे करते है की तुम्हारे ही रहेगें,तुम्हारे बिना नहीं रह सकते ना ही किसी और के हो सकते,वेट करना पड़ा तो करेगें बट ऐसा कुछ नही होता है आखिर मिलता क्या है ऐसा करके,मेरी नजर में प्यार यह तो नहीं है,मेरा नजरिया अलग है और जिस दिन मेरे नजरियें से मेल खाता कोई मिल गया ना मां आप उस दिन भर भर के नजर उतारोगी हमारी! काश्वी की बात से सहमत होते विरेंद्र जी अंकुर एक साथ बोल पड़े-"येस!" तभी विशाखा जी ने एक कप चाय का विरेन्द्र जी के आगे रखा और दूजा कप अंकुर को थमाकर किचन की ओर चल दी-"आप तीनों के तीनों ना मेरी समझ से बाहर है,पता ही नहीं वो दिन कब आएगा,और वो लड़के भी तो गलत नहीं होते ना कहेगी तो शादी तो किसी ओर से करेगें ही ना, सारी उम्र इसके लिए थोड़ी रूकेगें,कुंवारे तो नहीं रह सकते है उम्र भर इसके चक्कर में,आगे बढ़ने का फैसला सही होता है उन सबका जिनकी ये शादी करवाकर आती है,पता नहीं क्या चाहती है ,खुद माने ये तो वो इससे शादी कर ले पर ये मानती कहां है ,ना जाने इसे कौन से अजूबे का इंतजार है!" विशाखा जी किचन से बड़बड़ा रही थी ,काश्वी ने विरेन्द्र जी और अंकुर की तरफ देखा और तीनो़ हंस पड़े ,तभी विरेन्द्र जी ने"हीशशश"कहा और तीनो़ चुपचाप चाय पीने लगे विशाखा जी किचन के दरवाजे पर आकर-"हां हां हंस लो रुक क्यों गये,मैं तो चुटकुला सुना रही हूं ना!" काश्वी उनकी तरफ देखते-"बस करो माताराम, क्यों अपना खून जला रहे हो,वैसै एक बात बोलू मां चाहे पापा और भाई मेरे मूड को ठीक करने की लाख कोशिश कर ले,ठीक तो आपकी एक प्यारी सी चाय से ही होता है,थैक्यूं मां चाय बहुत अच्छी बनी है मजा आ गया!" "हां हां लगा ले मसका ,बात बदलने के लिऐ तो तेरे पास सौ बातें होती है बस जो बात चल रही होती है उस पर बोलना ही नहीं!"कह विशाखा जी फिर किचन में चली गयी, काश्वी चाय का कप टेबल पर छोड़कर उनको आवाज देते-"फिक्र मत करो मां जिस अजूबे का इंतजार मुझे है ना,आने दो फिर आप भी देखते रह जाओगे,बलाएं लेते ना थकोगी, जिस विषय पर बात करने को कह रहे हो आप,हम सामने से आकर करेगें आपसे बात!" अंकुर जल्दी से सोफे पर आ बैठा-"सच में ऐसा होगा क्या?" ये सुन काश्वी ने अंकुर की बाहं पर हाथ दे मारा और अंकुर हंस पड़ा!" काश्वी-"फिलहाल तो मां को ठंडा करने की कोशिश कर रही हूं!" अंकुर वहां से उठकर किचन की ओर जाते- "तुझसे नहीं होगा,मैं आता हूं मां को लेकर!" उसके जाते ही काश्वी ने विरेन्द्र जी की ओर देखा ,जो प्यार से उसके सिर पर अपना हाथ रखते है और वो मुस्कुराते हुऐ उनके सीने से लग जाती है ,थोड़ी देर में ही अंकुर विशाखा जी को ले आता और लाकर सोफे पर बिठाते हुए -"जब सब यहां है मां तो आप अंदर कैसे रह सकती है!" विशाखा जी काश्वी की ओर घूरते-"जब किसी को मेरी सुननी ही नहीं तो मैं यहां रूककर क्या करूं....सबके विचार अलग है मेरे विचारों से मेल खाता कोई नहीं!"(गर्दन झटकाते हुए) तभी काश्वी उनके पास चली आई और सोफे के हैंडल पर बैठकर उनके साइड हग करते हुए-" लव यू मां!" विशाखा जी ने काश्वी से खुद को छुड़ाने की तो कोशिश की पर उसने नहीं छोड़ा, काश्वी उनका चेहरा हाथों में भर-"मत रूठो ना मां .....प्लीज फिर से मूड ऑफ हो जाएगा मेरा और आप फिर चाय ना बनाकर दोगे!" ये सुन विशाखा जी ने उसकी तरफ देखा-"तुम नहीं सुधरोगी ना!" "आप सुधर जाओ हम भी सुधर जाएगें?"काश्वी ने कंधे उचकाते कहा तो विशाखा जी ने उसके बाहं पर थप्पड़ मारा-"कैसी लड़की है मां को ऐसे बोलते है क्या,देख लिजिऐ आपकी इस बेटी को!" काश्वी विरेन्द्र जी के पास बैठते-"हां हां देख लिजिए अपनी बीवी को!" इस बात पर सब जोर से हंस पड़े तभी अंकुर सबसे बोला-"अरें एक बात तो बताना ही भूल गया,किश्शु तेरे लिऐ मेरे पास कुछ है?" काश्वी चहकते हुऐ-"क्या?" अंकुर-"जिसे देखकर तेरा मूड जो अभी अभी ठीक हुआ है और ज्यादा ठीक हो जाएगा!" काश्वी मुस्कुराते हुऐ-"ऐसा क्या है भाई ?और आपके पास तो ऐसा कुछ दिखाई भी नहीं पड़ रहा है!" अंकुर माथे पर हाथ मारते-"इतनी भी बड़ी चीज नहीं है जो तुझे मेरे पास दिखाई दे,रूको जरा?" कहते अंकुर अपने बैग की तरफ गया और एक कार्ड निकालकर लाया -"ये देख!" काश्वी ने कार्ड पकड़ा और उसे देखते हुए-" विकास त्रिवेदी.....ये तो वहीं विकास भईया है ना जो आपके दोस्त है दिल्ली से!" "हां वहीं विकास,तेरे लिऐ शादी का नया कांट्रेक्ट इसकी बहन की शादी है वो पिया,पिया याद है ना तुझे!" काश्वी-"हां याद है!" अंकुर-"हां तो विकास चाहता है पिया की शादी तुम प्लान करो,तुमको ये कांट्रेक्ट दिया है उसने, मैनैं हां कह दिया किश्शु कि मिस इंदौरी करेगी ये वेडिंग प्लान........कर लोगी ना ,इंदौर से दिल्ली जाना पड़ेगा तुमको ,चली जाओगी ना!"(उम्मीद से काश्वी की ओर देखते) ये सुन काश्वी ने एक नजर कार्ड पर डाली और फिर विरेन्द्र जी की ओर देखा जो मुस्कुरा रहे थे , ये देख काश्वी ने विशाखा जी की ओर देखा-" आप क्या कहते हो मां?" विशाखा जी विरेन्द्र की ओर देखते-"जब इन्होनें हां कह दी ,मैं कैसे ना कह सकती हूं.....और यह पिया वहीं है ना जो काश्वी से छोटी है अंकुर ,देख लो वो भी शादी कर रही है और इसके हाथ में उसकी शादी करवाने का कार्ड थमा दिया,बहुत अच्छे भाई हो ,इस विजिटिंग कार्ड की जगह शादी का कार्ड लेकर आते अपनी बहन के लिऐ तो ज्यादा अच्छा नहीं होता!" अंकुर ये सुन इधर उधर देखने लगा तो विशाखा जी वहां से उठकर अपने कमरे की तरफ चली गयी ,अंकुर उनको आवाज देते-"मेरी बहन को हां तो बोलने दो मां ,इसके लिऐ रिश्तों की लाइन क्या सबसे अच्छे शादी के कार्ड भी छपवा दूंगा इतना कह अंकुर ने काश्वी की ओर देखा जो उस विजिटिंग कार्ड की ओर देख रही थी अंकुर उस के पास आया-"क्या सोच रही है जाएगी ना!" काश्वी उसकी ओर देखते-"चले जाएगें,आपने हां कह दी है तो ना कहने का सवाल ही पैदा नहीं होता भाई,कह दिजिए विकास भईया से,वैडिंग प्लानर मिस इंदौरी इंदौर से दिल्ली आ रही है!" ये सुनते ही अंकुर ने खुश होते उसका माथा चूम लिया और साथ ही बोला-"एक बेस्ट बात और, वहां तेरा कोई लवर भी नहीं होगा जिसकी शादी तुझे करवानी(हंसते हंसते अपने कदम पीछे लेते) पड़े!" ये सुन काश्वी ने उसकी तरफ घूरा और उसकी तरफ बढी़ कि अंकुर वहां से भाग गया,काश्वी उसके पीछे भागने लगी .....दोनों को यूं भागते हंसते देख बच्चों की तरह विरेन्द्र जी मुस्कुरा रहे थे कि तभी उनको विशाखा जी का ख्याल आया वो उठकर अपने कमरे की तरफ चले गये,जैसे ही अंकुर काश्वी दोनों भागकर थक गये,हांफते हुऐ पास चले आये!! "आप बहुत खराब हो भाई?"काश्वी ने हांफते हुऐ कहा, अंकुर उसे अपने सीने से लगाते-"आई नो बट तुमसे कम....और दोनों हंस पड़े!! "अच्छा सुन,तैयारी कर लो,कल निकलना होगा, मैं टिकिट करवा दूंगा दिल्ली के लिए,अपनी टीम रेडी करो और उस अचूक से भी बात कर लो?" अंकुर ने कहा, ये सुन काश्वी अंकुर से अलग हुई-"ओह तेरी मुझे तो अचूक से बात करनी थी,पता नहीं अब उस की तबियत कैसी है?" "क्या हुआ उसको?" "बुखार आ गया था भाई उसे,पूछूं तो जरा बुखार उतरा के नहीं?".....कहते काश्वी अपने फोन की तरफ बढ़ी और फोन लेकर अपने कमरे की ओर जाते-"मैं जरा बात करके आई भाई!" काश्वी के वहां से जाते ही अंकुर कुछ सोचकर विरेन्द्र जी विशाखा जी के कमरे की तरफ बढ़ गया,दरवाजे पर जाते ही उसने डोर नॉक किया तो विरेन्द्र जी विशाखा जी ने उसकी ओर देखा! "अंदर आ जाऊं!"अंकुर बोला, दोनों ने हां में हिलाया,अंकुर उनके सामने जा खड़ा हुआ और दोनों की तरफ देखते हुए-"वो मुझे आपसे कुछ बात करनी है मतलब मुझे कुछ बताना है,मैं नहीं चाहता,मैं आप दोनों को बताए बिना कुछ करूं,किश्शु को तो नहीं बता सकता और आप दोनों से छुपा नहीं सकता!" ये सुन विरेन्द्र जी - विशाखा जी ने एक दूजे की ओर देख अंकुर की ओर देखा जो उनको ही देख रहा था!" (क्रमशः)
अंकुर दोनों से -"वो मैं काश्वी को सिर्फ पिया की वेडिंग प्लान करने के लिऐ दिल्ली नहीं भेज रहा हूं?" विशाखा जी विरेंद्र जी की ओर देखते-"तो?" "वो एक लड़का है वहां विकास की पहचान में , उसका दोस्त भी है ,अच्छा लड़का है जैसा हमें चाहिए काश्वी के लिए,परिवार भी बहुत अच्छा है विकास मिल भी चुका है सबसे,तो उसने काश्वी के लिए उसके रिश्ते का सुझाव दिया है,हमनें काश्वी की लाइफ का ये डिसिजन उस पर छोड़ा है ना तो चाहता हूं उससे मिलकर एक बार देख ले काश्वी ,क्या पता पंसद आ जाए,तो विकास ने कहा वो मिलवा देगा दोनों को और मैनैं भी अभी कुछ नहीं बताया किश्शू को इस बारें में,मैं नहीं चाहता,वो जाने से मना कर दे,वहां जाकर खुद ही देख लेगी, जान लेगी,अच्छा लगा तो हम बात आगे बढ़ा लेगें!" अंकुर जैसे ही ये कहकर चुप हुआ तो विशाखा जी खुश होते बोली-"ये तो बहुत अच्छी बात है, विकास बता रहा है तो लड़का- उसका परिवार अच्छा ही होगा,ये सही सोचा तुमनें अंकुर,मिलेगी जानेगी तो पंसद भी आ जाऐगा ,हमारी काश्वी का भी घर बस जाएगा, है ना जी?"कह विशाखा जी ने विरेन्द्र जी की ओर देखा जो कि अंकुर की ओर एकटक देख रहे थे! उनको अपनी तरफ देखता पाकर अंकुर बोला- "क्या हुआ पापा,मैं जो ये कर रहा हूं गलत है क्या?" विशाखा जी-"कैसी बात कर रहे हो,गलत कहां है,सब सही तो है,मंडप में नहीं बिठा रहे हो तुम अपनी बहन को उसकी मर्जी के खिलाफ,ब्लकि लड़के से मिलने को कहा है जहां उसकी मर्जी होगी तब ही बात आगे बढ़ेगी,और बिल्कुल सही सोचा ,अगर अभी बता देते काश्वी को तो वो फट से मना कर देती और टाल भी देती,उसका कोई भरोसा नहीं,मैं तो कहती हूं जो किया है ठीक ही किया है अंकुर तुमनें हम सब भी चाहते है उस की शादी हो,हमें कोई एतराज नहीं और ना ही तुम्हारे पापा को होगा,फिक्र बेशक हो सकती है इनको अपनी लाडली की पर ये जानते है अच्छे से वो अपना ख्याल बखूबी(विरेन्द्र जी की बाहं पर हाथ रखते) रख सकती है!" तभी विरेन्द्र जी बोले-"नाम क्या है लड़के का, परिवार और काम?" अंकुर मुस्कुराते हुए-" नकुल कोशिक,लॉयर है पापा,और परिवार भी अच्छा है और छोटा सा, परिवार में नकुल और उसके मॉम डैड है,विकास बता रहा था बहुत ही प्यारे लोग है और लड़का तो बहुत ज्यादा बाकि हमारी काश्वी मिलेगी तो खुद ही बता देगी हमें ,आप तो जानते है उसकी आखों की परख,इंसान का चेहरा देख उसका मन पढ़ लेती है!" तभी वहां पापा मां बोलते काश्वी आ गयी,उसके आते ही तीनों एक दूसरे की ओर देखते काश्वी की ओर देखने लगे तो काश्वी हैरान होते बोली- "क्या हुआ?" विशाखा जी मुस्कुराते हुए-"हमें तो कुछ नहीं हुआ तुम बताओ तुझे क्या हुआ?" "मुझे भी कुछ नहीं हुआ उस अचूक क़ो हुआ है बुखार,उसे बहुत तेज बुखार है मां,मैनैं बात की मुंह से उसके आवाज भी नहीं निकल रही थी, अकेला है कोई पास भी नहीं है,पता नहीं कुछ खाया भी होगा या नहीं ,खाऐगा नहीं तो दवा कैसे लेगा और दवा नहीं लेगा तो ठीक कैसे होगा?सो मुझे उसके पास जाना है मैं जाऊं,उसे मेरी जरूरत है पापा!"काश्वी एक ही सांस में बोलकर सबकी तरफ देखती है! विरेन्द्र जी उसके कंधे पर हाथ रखते हुए-"शांत बेटा,चले जाना पर उसने डॉक्टर को दिखाया!" "पता नहीं पापा,बोला ना मुंह से आवाज ही नहीं निकल रही थी उसके!".....काश्वी ने परेशान होते कहा, "हां बुखार तेज होगा ना तो हो जाता है उससे,ना बोला जाता ना ही चला जाता,सुन जा पर उसके सिर पर ठंडे पानी की पट्टियां रखना उससे बुखार उतर जाएगा,और कुछ खिलाकर दवा देना खाली पेट नहीं!"विशाखा जी ने समझाया, "हां मां,पर जाऊं तो सही पहले,काश्वी बोली तो अंकुर बोल पड़ा-"चल मैं भी चलता हूं साथ में, डॉक्टर भी लेकर चलेगें साथ!" "गुड आईडिया भाई जल्दी चल़ो?"काश्वी बोली और दोनों गाड़ी से अचूक के घर के लिऐ निकल गये,विशाखा जी हाथ जोड़ प्रार्थना करते हुए-"हे दीनानाथ जी,अचूक की तबीयत ठीक करदो वो भी जल्दी,नहीं तो काश्वी दिल्ली जाना कैंसल कर देगी!" विरेन्द्र जी ने उनके कंधे पर हाथ रखा-"चिंता मत किजिऐ ,अचूक भी ठीक हो जाएगा और काश्वी भी डेली(दिल्ली) जाएगी!" ये सुन विशाखा जी हल्का सा मुस्कुरा दी!! _________ काश्वी अंकुर के साथ डॉक्टर को लेकर अचूक के घर पहुंची,काश्वी ने डोर नॉक किया पर दरवाजा नहीं खुला,काश्वी परेशान होते-"ये डोर क्यों नहीं खोल रहा है ?" अंकुर -"फोन लगा? क्या पता सो रहा हो?" "हां और आने की जल्दी में उसे बताया भी तो नहीं मैंनें कि मैं आ रही हूं कह काश्वी ने अचूक को फोन लगाया पर उसने फोन भी नहीं उठाया तो काश्वी ने अंकुर की तरफ देखते ना में सिर हिला दिया तो अंकुर चौंकते हुए बोला-"अब? वो ठीक तो होगा ना,अब हम अंदर कैसे जाएगें?किश्शू!" ये सुन काश्वी ने सोचते इधर उधर देखा-"ठीक होता तो अब तक दरवाजा खोल देता भाई,पर वो कैसा है जानने के लिए हमें अंदर तो जाना पड़ेगा ना,,,,कहते काश्वी की नजर खिड़की पर पड़ी और वो उसकी तरफ बढ़ते बोली-"मिल गया रास्ता?" खिड़की के पास जाकर काश्वी ने बिना एक पल की देरी किए ,पास पड़ी ईंट उठाई और खिड़की के कांच पर दे मारी,ये देखकर अंकुर और उनके साथ आया डॉक्टर दोनों चौंक गये,शीशा टूटते ही काश्वी ने अंदर की साइड हाथ डालकर जल्दी से खिड़की खोली!" अंकुर-"ध्यान से किश्शू कांच लग ना जाए!" "हां भाई कह काश्वी ध्यान से खिड़की पर चढी़ और फट से अंदर की तरफ कूद गयी,अंदर जाते ही उसने अचूक को आवाज दी और साथ साथ दरवाजा खोला जिससे अंकुर और डॉक्टर अंदर चले आए,,,,,उनको लेकर वो अचूक के कमरे़ की तरफ बढ़ी-"यहां तो नहीं दिख रहा कमरें में ही होगा!" जैसे ही वो तीनों अचूक के कमरें में पहुंचे तो पाया अचूक औंधे मुंह बैड पर पड़ा था ,काश्वी भागकर उसके पास गयी,उसे सीधा किया और चेहरे पर हाथ रख उसको हिलाते हुए-"अचूक तुम ठीक हो ना अचूक!"पर वो कुछ नहीं बोला, उसकी आखें भी बंद थी,उसे कुछ ना कहता देख काश्वी घबरा गयी उसने अंकुर की तरफ देखा- "भाई ये बोल क्यों नहीं रहा है!" अंकुर ने अपने हाथ में पकड़ा बैग टेबल पर रखा और अचूक की तरफ आकर-"तुम उठो किश्शू , इसे सही से लेटाने दो,और डॉक्टर को देखने दो डोंट वेरी डॉक्टर है ना हमारे साथ,आईथिक तेज बुखार की वजह से ये बेहोश हो गया है!" "क्या बहोश?"काश्वी बैड से उठते अचूक की तरफ देखते बोली! डॉक्टर दूसरी साइड से आगे आते हुए-"हां यह पॉसिबल है ,वक्त पर खाया पिये नहीं ,और दवा ना ले तो तेज बुखार और वीकनेस की वजह से बेहोश हो सकते है,,,,अंकुर ने अचूक को सही से लेटाया और डॉक्टर उसका चेकअप करने लगा! काश्वी अचूक को घूरते-"ये वक्त पर करता क्या है,सारे काम बेवक्त ही तो होते है इसके,अकेला पड़े मर जाए ,कोई संभालने नहीं आएगा,साथ भी कोई नहीं रहता ये जानते हुए भी टाइम पर ये नहीं कि कुछ खाकर दवा ले लूं जो ये बुखार में बहोश तो ना हो,पर नहीं आलसी जो ठहरा एक नंबर का,खुद का भी ख्याल नहीं!" तभी डॉक्टर बोला-"बर्फ का पानी,ठंडे पानी से पट्टिया करनी पड़ेगी पहले तभी मैं इंजेक्शन दे पाऊंगा,बुखार तेज है पहले बुखार कम करना होगा!" "हां मां ने भी कहा था,मैं अभी लाई कह काश्वी वहां से भागकर चली गयी,और जल्दी से बर्फ का पानी और एक कपड़ा ले आई और डॉक्टर के कहे अनुसार वो अचूक के सिरहाने बैठ उसके सिर पर ठंडे पानी कि पट्टियां रखने लगी,तभी अंकुर का फोन बज उठा वो फोन की तरफ देख -"पापा का है!....."इतना कह अंकुर बाहर चला गया,काश्वी उसके सिर पर बार बार ठंडे पानी की पट्टियां रखने लगी,डॉक्टर भी बार बार अचूक का बुखार चेक कर रहा होता है! काश्वी अंकुर की तरफ देखते-"इसे होश में आने दो भाई फिर मैं बताती हूं ,इसकी लापरवाही की इसको सजा ना दी ना तो मेरा नाम भी काश्वी श्रीवास्तव नहीं?" अंकुर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए-"पहले ठीक ह़ो जाने दे इसे फिर जो मर्जी कर लेना!" लगातार ठंडे पानी की पट्टियां रखने से अचूक की बॉडी का हाई टेम्परेचर कम हो गया,डॉक्टर ने उसका फिर से चेकअप किया और काश्वी की तरफ देखते बोले-"अब इंजेक्शन दे सकते है हम!" काश्वी-"तो दिजिऐ ना,कौन से मुहूर्त का इंतजार कर रहे है आप,बुखार कम हुआ ना तो ट्रीटमेंट किजिऐ इसका जल्दी!" ये सुन डॉक्टर ने अचूक को इंजेक्शन दिया और बोले-"इंजेक्शन दे दिया है ,थोड़ी देर में होश आ जाऐगा,फिर कुछ खिलाकर ये दवा दे देना टाइम से,तीन दिन की दवा है टाइम टू टाइम देगें तो इसे फिर फीवर भी नहीं आएगा और जल्द पूरी तरफ ठीक भी हो जाएगा!" ये सुन काश्वी अचूक की तरफ देखने लगी और अंकुर डॉक्टर से थैक्यूं बोला तभी काश्वी डॉक्टर से बोली-"डॉक्टर प्लीज आप अभी यहीं रूक जाईऐ,इसके होश में आते ही एक बार और चेकअप कर लेना प्लीज!" डॉक्टर ने अंकुर की तरफ देखा तो अंकुर भी बोला-"ह़ां डॉक्टर ,आप यहां रहेगें तो अच्छा रहेगा फिर मैं आपको छोड़ दूंगा.....डॉक्टर ने ठीक है कहा और काश्वी की तरफ देखते-"डोंट वेरी अभी थोड़ी देर में होश आ जाएगा!" काश्वी ने हां में सिर हिलाया,डॉक्टर को अंकुर अपने हाथ लेकर बाहर हॉल में चला गया,दोनों जैसै ही बाहर पहुंचे तो डॉक्टर अचूक के घर की हालत देखकर अंकुर की तरफ देखता है अंकुर बतीसी दिखाते हुए-"बच्चा है बच्चे तो ऐसे ही होते है ना......आईऐ बैठिऐ......बोलते अंकुर ने सोफे पर पड़े कपड़े उठाऐ और वहां डॉक्टर को बिठाया और मैं पानी लाता हूं आपके लिए ?" बोल किचन की तरफ चला गया जैसे ही किचन में पहुंचा तो वहां कि हालत देख अंकुर ने आह भर ली-"ओएमजी,इस लड़के को तो ना खुद का ध्यान रखना आता है और ना ही घर का,कबाड़ -खाना बना रखा है,इतना तो सामान नहीं घर में सही से रखे तो अच्छा लगे वरना ये थोड़ा सामान भी कचरा लग रहा है,कलास लगानी ही पड़ेगी इसकी सही कहती है किश्शू!"बोल अंकुर फ्रिज से बोटल निकाल गिलास में पानी भरने लगा!" उधर काश्वी अचूक के सिर पर अभी भी पट्टियां रख रही थी -"ये करती रहूंगी तो बुखार जल्दी उतर जाऐगा,जल्दी होश में आ जा यार फिर कुछ खाकर दवा भी लेनी है तुझे और मुझे डांटना भी है तुझे " "अगर तू ना डांटे तो अभी होश में आ जाऊं?" अचूक काश्वी की बात सुन बोला, अचूक को बोलते देखते काश्वी खुश होते उसकी गाल पर हाथ रखते बोली-"अचूक तुम ठीक हो ना?" तभी अचूक ने अपनी धीरे धीरे से आखें खोली और सामने काश्वी को देख अधखुली आखों से मुस्कुरा दिया तभी काश्वी ने भाई कहते अंकुर को आवाज दी-"भाई होश आ गया अचूक को?" काश्वी की आवाज सुन अकुंर डॉक्टर के साथ रूम में चला आया डॉक्टर ने फिर से उसका चेकअप किया और ध्यान रखने को बोला!! तभी अंकुर टेबल पर रखे बैग की ओर इशारा कर काश्वी से बोला-"किश्शू तुम इसको कुछ खिला दो और फिर दवा दे दो जैसा डॉक्टर ने कहा है जल्दी से,तब तक मैं डॉक्टर को छोड़ आता हूं!" ये सुन काश्वी ने हां में सिर हिलाया और अंकुर डॉक्टर को लेकर वहां से चला गया,काश्वी अचूक के पास से उठते हुए-"चल तुझे जल्दी से खिला पिलाकर दवा देती हूं जब तक भाई आते है तब तक तेरे अंदर एनर्जी डाल देती हूं,हम चले जाएगें हमारे पीछे से फिर बहोश तो नहीं होगा ना और हां डांटूगी तुझे जरूर ,पर आज नहीं कल आज तुम बीमार हो ना तो आज तुझे बख्स दिया पर कल पक्का हिसाब करूंगी!" तभी अचूक ने काश्वी की कलाई पकड़ ली,काश्वी ने उसकी तरफ देखा तो अचूक धीरे से बोला-"तू "यहीं रूकेगी आज मेरे पास,यहां रूककर मेरा ख्याल रखेगी तो मैं जल्दी पूरी तरह से ठीक हो जाऊंगा,अगर तू खिलाकर दवा देकर चली गयी और फिर मैं बुखार में बेहोश हो गया तो?सोच" (मासूमियत भरे लहजे से)फिर से तुझे भागकर आना पड़ेगा,चाहे तो डांट लेना,मार भी लेना पर रूक आज यहीं!" ये सुन काश्वी ने अपनी कलाई छुड़ाई और फोन उठाकर अंकुर को फोन लगाया-"हेल्लो भाई आप डॉक्टर को छोड़कर घर चले जाना,मैं आज यहीं रूकूंगी अचूक के पास,इसको जरूरत पड़ी तो,पास में क़ोई तो होना चाहिए ना,नहीं नहीं मैं रख लूंगी इसका ध्यान अच्छे से आपको आने की जरूरत नहीं है,दोस्त है मेरा भाई,मैं अकेला नहीं छोड़ सकती हूं इसे,मां पापा को कह देना ठीक है ये अब और मैं सुबह ही घर आऊंगी,ओके बाय भाई!"इतना कह काश्वी ने अपना फोन बैड पर फैंका और हाथ बांधते बोली-"खुश?" अचूक मुस्कुराते हुए-"बहुत?" "तो चल बैठ ,मैं तेरे लिऐ अभी दूध गर्म करके लाई?"कह काश्वी वहां से बैग उठाकर चली गयी तो अचूक आवाज देते बोला-"सहारा तो दो यार बैठने के लिऐ!" "खुद बैठ जा,,,सिर्फ बुखार हुआ है,हड्डियां ना टूटी तेरी?"काश्वी बाहर से बोली तो अचूक हंस दिया-"बड़ी खराब है ये लड़की!" (क्रमशः)
अचूक के कहने पर काश्वी उसके पास रूकजाती है,काश्वी ने अचूक को दूध और फल खिलाए वो भी अपने हाथों से अचूक की जिद्द पर कहलो या मांग पर और फिर उसे दवा दी,दवा देकर काश्वी ने अचूक को फिर लेटा दिया हालाकिं वो सोना नहीं चाहता था पर काश्वी की डांट पर और मैं जा रही हूं नाम की ब्लैकमेलिंग पर उसको लेटना ही पड़ा पर सोया नहीं,वो काश्वी को अपनी नॉन स्टॉप बातों से पकाता रहा,काश्वी ने भी उसको आज नहीं टोका,अचूक की बातों से उसके सिर में दर्द होने लगा पर वो उल्टा उसके सिरहाने बैठ उसका सिर दबा रही थी बीच बीच में वो उसकी बुखार भी चैक कर रही थी,...बोलतें बोलतें दवा का असर होने पर अचूक सो गया,उसके शांत होते ही काश्वी ने राहत की सांस ली और मन ही मन खुद से कहा-"चलो इसकी बकबक नाम की गाड़ी तो रूकी,थोड़ा सो लेगा तो आराम भी आ जाएगा और दवा का भी असर ज्यादा होगा!" काश्वी ने उसके पास से उठकर उसको कंबल औढाया और रूम की लाइट बंद कर खुद बाहर सोफे पर आकर बैठ गयी,जैसे उसकी नजर घर में इधर उधर बिखरे सामान पर पड़ी तो काश्वी हंस दी-"सच्ची में दीनानाथ जी इस लड़के का कुछ नहीं हो सकता!" तभी उसका फोन बजा,फोन अंकुर का होता है, काश्वी ने कॉल रसीव किया-"हां भाई!" आगे से अंकुर-"कैसा है अब वो?" "ठीक है भाई उसका बुखार भी उतर गया,खिला पिलाकर सुला भी दिया!" "अच्छी बात है तुमने उसकी कलास तो नहीं ली ना?" "अभी तो नहीं ,अभी उसे आराम की जरूरत है, मैं डांटती,बहस करती ,लड़ती उसके साथ तो वो सोता थोड़ ,और अभी उसका सोना बहुत जरूरी था ताकि दवा जल्दी असर करें पर हां कलास तो लूंगी उसकी ,बाद में ही सही!" "हां जरूर लेना,हेल्थ का ध्यान रखने के साथ साथ थोड़ा सफाई अभियान का भी पाठ सीखा देना,बहुत ज्यादा जरूरत है !"आगे से अंकुर बोला, ये सुन काश्वी हंस पड़ी-"सच में भाई,पर असर हो तब ना बहुत बार कह चुकी हूं!" अंकुर-"थोड़ी अच्छे से कलास लेना तब मानेगा, मेरी तो आखें फटी की फटी रह गयी,उसकी क्या उसके घर की हालत देख,अगर हम ऐसा करें तो पता है ना हमारे साथ क्या होगा?" "पता है भाई ,मां धक्का देकर बाहर निकाल देगें बोलेगें निकलों ऐसें नालायकों की मेरे घर में कोई जरूरत नहीं?" इस बात पर दोनों हंस पड़े!! तभी अंकुर बोला-"ध्यान रखना और हां मां ने कहा कि तुझे बोल दूं अचूक को खिचड़ी बनाकर खिला दे,सेहत के लिऐ फायदेमंद होती है हल्का धान बीमारी से जल्द आराम!" ये सुन काश्वी ने पहले तो मुंह बनाया और फिर बोली-"एक तो बंदा पहले से बीमार ऊपर से ये मां लोग खिचड़ी दलिया बीमारों वाला खाना भी रखते है तैयार,मुझे नहीं आती है भाई खिचड़ी बनानी आपको तो पता है ना!" अंकुर-"पता है कि तुझे बनाया हुआ खाना भी गर्म करना नहीं आता ,बनाएगी क्या,मां ने बोला और मैनैं बता दिया,बाकि तुम जानो वैसे भी जो खुद ना खाती खिचड़ी उसे क्या खिलाएगी?" काश्वी-"आपका फर्ज था बताना आपने बता दिया,बाकि मैं देख लूंगी!" "हम्म चल बाय,कोई भी प्रोब्लम हो तो कॉल मी ओके ,टेक केयर कह अंकुर ने फोन रख दिया, काश्वी फोन की तरफ देख-"मेरी मां की उम्मीदों का कुछ नहीं हो सकता है पता है कि मुझे खाना बनाना नहीं आता फिर भी कह दिया अचूक को खिचड़ी खिला दूं?विशाखा श्रीवास्तव आपकी बेटी में ये गुण नहीं है(अपने हाथों की तरफ देख) कि वो कुछ बना ले आप भूल क्यों जाते हो?" _________ अंकुर कपड़े चेंज कर आकर बैड पर लेट गया, तभी उसे विकास का ख्याल आया,उसने बैड पर पड़ा अपना फोन उठाया-"विकास को बता देता हूं कि टिकट्स करवा दी है मैनैं काश्वी और उसके साथ आने वालों की,कल आ जाऐगी दिल्ली तो वो काश्वी- नकुल कौशिक की अच्छे से मुलाकात करवा दे!"......खुद से बोल अंकुर ने विकास को कॉल लगाया और उसे काश्वी के दिल्ली आने की खबर दे, उससे काश्वी और नकुल को लेकर बात की!" विकास-"फिक्र मत कर यार,मेरी बहन जैसी है काश्वी,मैं ख्याल रखूंगा उसका,भले ही वो वैंडिंग प्लानर बन कर आ रही है यहां पर मैं ये बात नहीं भूलूंगा वो मेरे दोस्त की बहन है और मेरे लिए पिया जैसी है तो मुझे उसका पूरा ख्याल रखना है!" ये सुन अंकुर मुस्कुरा दिया-"हम्म थैक्ंस यार!" "थैक्यूं छोड़ तुम बताओ कब आ रहे हो काश्वी तो वैंडिंग प्लान करेगी तो वो वन वीक पहले आ रही है दिल्ली,पर भूलो मत तुमको और अंकल आंटी को भी आना है पिया की शादी में!"आगे से विकास बोला, "हां तो हम आएगें ना,डोंट वेरी शादी से दो दिन पहले आ जाएगें ,अभी अर्जेट काम है ,पापा भी बिजी है थोड़े ,,,,तो नहीं आ पा रहा हूं यार वरना काश्वी के साथ ही आ जाता और पिया मेरी बहन जैसी है तुम भी ये मत भूलो मैं अपनी बहन की शादी में जरूर आऊंगा वो भी मम्मी पापा के साथ!"अंकुर ने कहा, "गुड मैं वेट कर रहा हूं जल्द आना,हम भी मिल लेगें कितने टाइम से मिल भी नहीं पाए?"विकास बोला! "हम्म बाकि याद रखना जो जो कहा है मैनैं,सब बातों का ध्यान रखना,अगर मैं पहले आता तो खुद संभाल लेता पर मैं खुद ही लेट आऊंगा तो चाहता ह़ूं ये सात -आठ दिन काश्वी नकुल से अच्छे से मिलकर देख ले जान ले क्या पता बात बन जाऐ,एंड सो सॉरी यार पिया की शादी की रिसपांसबिल्टी है तेरे पर मैनैं एक काम और बढ़ा दिया तेरा?" ये सुन विकास अंकुर पर डपटते बोला-"पिटना है तो साफ बोल दो,और जो तुमने काम कहा है वो इतना भी मुश्किल नहीं है,मैं कर लूंगा ,चल फोन रख ,शादी का घर है हजारों काम होते है तुझे तो थैक्यू सॉरी से फुर्सत नहीं पर मुझे सांस लेने की भी फुर्सत नहीं और हां अपनी गर्लफ्रैंड को भी लेकर आना शादी में,भाभी तो पता नहीं कब मनाएगा उसे!" अंकुर हंस पड़ा-"चल ठीक है बाय,जल्द मिलते है,,,,"कह अंकुर ने फोन कट किया और बैड पर लेट गया और खुश होते-"बस अब काश्वी और नकुल की मुलाकात अच्छे से हो जाए!" तभी उसका फोन फिर बज उठा ,अंकुर ने फोन की तरफ देखा तो मुस्कुरा दिया ,फोन निहारिका का था,अंकुर ने फट से कॉल रसीव की-"हां निहू!" "क्या बात है बड़े खुश नजर आ रहे हो ,ऐसा कौन सा तीर मार लिया मिस्टर श्रीवास्तव जो आपकी खुशी की गूंज फोन के इस पार भी सुनाई दे रही हैं!"आगे से निहारिका ने पूछा! तभी अंकुर ने फोन को चुमा और मुस्कुराते बोला-"आई लव यू निहू!" ये सुन निहारिका तपाक से बोली-"व्हाट!" "क्या व्हाट मैनैं जो बोला उसका रिटर्न व्हाट नहीं होता?"अंकुर मुंह बनाते बोला तो निहारिका हंस पड़ी! "मुझे नहीं करनी बात,तुम हंसती रहो?मैं फोन रख रहा हूं,"अंकुर ने जैसे ये कहा तो निहारिका अपनी हंसी रोक बोली-"अच्छा बाबा आई लव यू टू एंड मिस यू!" ये सुन अंकुर मुस्कुरा दिया-"ये हुई ना बात,सच में मिस कर रही हो क्या म़ुझे तुम निहू!" "हम्म सच में!" "तो आ जाऊं?" "नहीं नहीं इतना भी नहीं कर रही!" और इस बात पर दोनों हंस पड़े,अंकुर ने काश्वी के दिल्ली जाने की बात निहारिका को बताई और फिर ये भी कहा कि विकास ने तुमको भी इंवाइट किया है!" अंकुर की बात सुन निहारिका चुप हो गयी तो अंकुर ने उससे पूछा-"क्या हुआ निहू,बोलो ना तुम आओगी डेली मेरे साथ!" "नहीं ,मैं नहीं आऊंगी अंकुर!" " क्यूं निहू!" "मुझे नहीं आना अंकुर तुम जाओ ममी पापा के साथ!" ये सुनते ही अंकुर का जबड़ा कस गया-"सही है निहू जब तुम साथ होती हो तो ममी पापा साथ नहीं होते,जब वो साथ होते है तो तुम नहीं होती, ऐसा दिन कब आएगा जब ममी पापा और तुम सब मेरे साथ होगें,मैं चाहूं भी ना....तब भी तुम लोग मुझे ऐसा करने नहीं देते,कभी वो मना कर देते है तो कभी तुम पीछे हट जाती हो!" "मेरी बात सुनों अंकुर?"निहारका बोल रही थी कि अंकुर बोल पड़ा-"नहीं करनी बात,करों सब अपनी मर्जी!"इतना कह अंकुर ने फोन कट कर बैड पर फैंक दिया और लाइट बंद कर मुंह ढक कर सो गया!! निहारिका ने अपने फोन की ओर देखा और आह भर ली-"जानती हूं अंकुर मेरा साथ आना तुमको अच्छा लगेगा पर मैं ये भी जानती हूं कि मम्मी पापा को अच्छा नहीं लगेगा ,पापा को पंसद नहीं आएगा मेरा साथ आना,मेरा साथ आना मतलब तुम्हारा उनसें दूर होना और ये मैं कभी न चाहूंगी अंकुर,एम सॉरी बेबी!" _________ काश्वी सोफे पर बैठी अपने फोन में गेम खेल रही थी कि तभी अंगडाई लेते अचूक अपने कमरे से बाहर आ गया-"हेल्लों मिस तानाशाह!" ये सुन काश्वी ने फट से उसकी तरफ देखा और फोन सोफे पर छोड़ उठते हुऐ बोली-"तुम उठ गये,कैसे हो अब,फीवर तो नहीं(पास जाकर माथा छूकर देखते हुऐ) ये देख अचूक मुस्कुरा दिया-"तुमनें जो छुआ फीवर मुझसे दूर हुआ?" ये सुन काश्वी ने अपनी कमर पर हाथ टिकाये- "अब तुम सच में बिल्कुल ठीक हो!" "हां तो होना ही था जब कोई इतने प्यार से मेरा ख्याल रखेगा तो मजाल बुखार का नामोनिशान भी रह जाएगा,सब फुर्र हो गया तेरे पास आते ही ?"अचूक ने काश्वी के कंधे पर बाहें डालते कहा, ये सुन काश्वी उसके पेट में मुक्का दे मारती है-" ज्यादा उड़ो मत ,दवा का असर है और ये जो दो घंटे की नींद लेकर उठे हो न उससे तंदुरुस्त फील कर रहे हो ,प्रोपर ख्याल रखो खाओ पिओ दवा लो वरना फीवर फिर जकड़ लेगा बुखार तुमको और फिर बहोसी की हालत में इधर उधर पड़े नजर (अचूक की बाहं अपने कंधे से हटाते हुऐ) आओगे!" ये सुन अचूक उसको मुंह बनाकर घूरने लगा तो काश्वी उसकी तरफ देखते बोली-"अच्छा बता क्या खाना खाएगा?" अचूक -"तुम बनाओगी?" काश्वी हाथ बांधते हुऐ-"ऐसा तो हो नहीं सकता है तो सोचो भी मतवो मैं आर्डर कर रही हूं खाना,(अपना फोन उठाते हुए)ना बनाना आता और ना ही तेरे किचन की ऐसी हालत जहां मैं कुछ बना सकूं,अभी देखकर आई हूं तेरे किचन की हालत ना नमक का पता ना चिन्नी का पता,दस डिब्बे चेक किऐ जिसमें से पांच खाली,सबसे लास्ट वाले में चीनी नजर आई जो तेरे दूध में डाली!" ये सुन अचूक हंस दिया-"हां तो तुझे पता नहीं ना मेरी रसोई का,और वो खाली डिब्बे इसलिऐ है क्योकि सामान लाया पड़ा है वो डालना बाकि है और सबकुछ है किचन में ,चल हम दोनों साथ मिलकर बनाते है खाना,मैं बताता हूं तुमको कहां क्या रखा है!" "नहीं नहीं रहने दे,हम दोनों बनाने भी गये ना तो खाना बनाने से ज्यादा चीजे़ ढूंढने में ही वक्त लग जाएगा,ना मुझे बनाना आता है और तुझे आराम की जरूरत है तो आज नो किचन में जाना,तुम बस बत़ाओ क्या आर्डर करूं तुम्हारे लिऐ,और मुझे भी बहुत भूख लगी है तो जल्दी बोल!" "ठीक है जो तुझे सही लगे कर ले आर्डर हम खा लेगें!"कह अचूक जाकर सोफे पर पसर गया, काश्वी उसकी तरफ देख मुस्कुराईं और खाने का आर्डर देकर फोन टेबल पर रखा-"पंद्रह मिनट में खाना आ जाएगा!" "हां तो आजा तब तक बैठ जा!"बोल अचूक ने काश्वी का हाथ पकड़ अपने पास बिठा लिया और अपना सिर काश्वी के कंधे से टिका लिया-"थैक्यूं काश्वी यहां रूकने के लिए!" काश्वी ने उसका सिर सहलाया-"बीमार ना पड़ा करो,थोड़ा बहुत चलता है पर इतना भी नहीं कि हम अपना खुद का ख्याल नहीं रख सके,कोई हमारे लिऐ आगे आए या ना आए,हमारी परवाह करे या ना करें,हमें खुद की परवाह सबसे पहले करनी चाहिऐ अचूक!" ये सुन अचूक मुस्कुरा दिया और वो सोफे पर पलाथी लगाकर बैठ गया और काश्वी को अपनी तरफ घुमाकर उसका चेहरा हाथों में भरा-"माना मेरा इस दुनिया में कोई अपना नहीं पर मेरे पास तुम हो ना ,सब अपनों से भी बढ़कर मेरा ख्याल रखने के लिऐ मेरी परवाह करने के लिऐ!" (क्रमशः)