ईशा कपूर l उम्र 23 साल l गौरा दूध के समान सफेद रंग l काली गहरी आंखे l जिसमें कोई भी खो जाए l आँखों मे कई ज़ज्बात l ईशा अपने परिवार के साथ मुंबई रहती थी l ईशा पढ़ाई मे बहुत अच्छी है l लेकिन घर में हो रही है उसकी शादी की बात l ईशा अभी इस शादी के... ईशा कपूर l उम्र 23 साल l गौरा दूध के समान सफेद रंग l काली गहरी आंखे l जिसमें कोई भी खो जाए l आँखों मे कई ज़ज्बात l ईशा अपने परिवार के साथ मुंबई रहती थी l ईशा पढ़ाई मे बहुत अच्छी है l लेकिन घर में हो रही है उसकी शादी की बात l ईशा अभी इस शादी के लिए तैयार नहीं है l ईशा को बनाना है उसका करियर l क्या ईशा को मिल पाएगा एक अच्छा हमसफ़र जो उसका साथ दे l या फिर ईशा की कहानी घर की चार दीवारों के बीच कैद में रह जाएगी l
Page 1 of 1
दिल्ली ,,
कमरे की एक खिड़की से सूरज की हल्की किरण अंदर आ रही थी l बेड पर सोई हुई लड़की का दुध की भाँति गौरा रंग और भी चमक रहा था l
कमरा बहुत ही खूबसूरती से सजा हुआ था l कमरे के बीच मे इक बड़ा सा बेड था l बेड की दाई और अलमारी और बाई और स्टडी टेबल और सोफा था l कमरे मे हल्के नीले और सफेद रंग के पर्दे थे l कमरे मे ढेर सारी तस्वीरे थी l कमरे मे स्टडी टेबल के पास एक बुक शेल्फ भी था l किताबों को बहुत प्यार से सजाया हुआ था l
तभी उस कमरे की शांति को भंग करने के लिए एक 45 साल की उम्र की औरत आती है l उसने हल्की पिंक कलर की सारी पहनी हुई थी जिसमें डार्क गुलाब की डिज़ाइन बनी हुई थी l यह आरती कपूर है l
आरती जी हल्के गुस्से में कहती हैं l
आरती जी _ " अरे ! देखो तो इस लड़की को अभी तक सो रही है l ईशा .... ईशा ..... l "
वह लड़की जिसका नाम ईशा था l 23 साल उम्र l लंबे बाल जो कमर तक आ रहे थे l वह उसकी खूबसूरती मे चार चांद लगा रहे थे l वह अपनी आंखे खोलती है l आधी खुली हुई आंखो से वह सामने देखती हैं l अचानक से वह हडबडी मैं उठ जाती है l
ईशा _ " अरे ! चाचीजी आप l सॉरी मुजे उठने मे जरा लेट हो गया l "
आरती जी उसकी तरफ अपनी आंखे छोटी छोटी कर देखती हैं l
आरती जी उसके कान को खिंचते हुए कहती हैं l
आरती जी _ " चाचीजी की बच्ची l तू तो एसे बिहेव कर रही है जैसे कि मे तुझे बहुत टॉर्चर करती हू l "
ईशा _ " आह ! आह ! अरे चाची दर्द हो रहा है l छोड़ो ना प्लीज l मे तो मज़ाक कर रही थीं l बस और कुछ नहीं l अच्छा सॉरी l सॉरी l जाने भी दो l "
आरती जी उसका कान छोड़ देती है l
आरती जी _ " ईशा l मेने कहा था कि आज लड़के वाले तुम्हें देखने आ रहे हैं l लेकिन तुम हो कि किसी की सुननी ही नहीं है l वे लोग दो घंटे बाद आने वाले हैं l "
ईशा बच्चों की तरह मुह बनाकर कहती हैं l
ईशा _ " लेकिन मुजे शादी नहीं करनी हैं l प्लीज l "
आरती जी के चहरे पर सख्त एक्सप्रेशन आ जाते हैं l
आरती जी _ " ईशा l ये क्या तुमने गलत जिद लगा रखी है l बहुत अच्छा रिश्ता आया है l लड़के का नाम गौरव सिन्हा है l लड़का टेक्सी चलाता है l और संस्कारी है l तुम जल्दी से तैयार हो जाओ l आखिर कब तक मे इस बोझ को ...... l तुम तैयार हो जाओ l "
ईशा को अपनी चाची की कड़वी बातों से बहुत दुख पहुचा था l
ईशा आरती जी का हाथ पकड़ कर कहती हैं l
ईशा _ " आप मुझसे गुस्सा हो क्या ? चाची l "
आरती जी _ " ईशा l अब तुम बड़ी हो गई हो l तुम्हें अब सभी बातों को समझना चाहिए l वैसे भी वह लोग बिना दहेज के शादी करने के लिए तैयार है l तुम्हारे जाने के बाद मुजे सुकून से जीना है l तुम्हारे चाचा मुजे यहा से ले जाएगे l तुम्हारी वज़ह से वह मुझसे दूर है l अगर तुमको मेरी थोड़ी भी परवाह हो तो तैयार हो जाना l "
इतना कहकर आरती जी कमरे में से बाहर चली जाती हैं l कमरे मे से बाहर आते ही उनकी आँखों मे से एक आंसू का कतरा बह जाता हैं l
कमरे मे बैठी ईशा भी घुटनों मे अपना सिर छुपाकर सिसकते हुए कहती हैं l
ईशा _ " चाची l ईशा आपसे बहुत प्यार करती है l मे ये शादी सिर्फ आपके लिए ही करूंगी l मे अपनी खुशी के लिए आपकी खुशिया दाव पर नहीं लगा सकती l "
कुछ देर तक ईशा यू ही घुटनों मे अपना सर छुपाई सिसकती है l और फिर उठकर फ्रेश होने के लिए बाथरूम मैं चली जाती हैं l
आरती जी भी अपने कमरे में जाकर कमरे का दरवाजा बंद कर देती हैं और कमरे के दरवाजे से पीठ लगाकर अपनी आंखे मूँद लेती हैं l
तभी उनका फोन बजता हैं l
आरती जी अपने आंसू साफ़ कर फोन को उठाती है l सामने से प्रकाश कपूर जो आरती जी के हसबैंड और ईशा के चाचा थे उनकी आवाज आती हैं l
प्रकाश जी _ " वह मान गई ? "
आरती जी _ " हाँ l शायद l प्रकाश क्या कोई और रास्ता नहीं है l ईशा अभी शादी नहीं करना चाहती हैं l "
प्रकाश जी _ " नहीं l हमारे पास यही रास्ता है l "
आरती जी _ " लेकिन इसकी क्या गारंटी है कि ईशा वहां खुश रहेगी ? "
प्रकाश जी _ " यह निर्मल भाई का फैसला है l हम कूछ नहीं कर सकते हैं l गौरव अच्छा लड़का है और वह हमारी ईशा को बहुत खुश रखेगा l शादी के बाद शायद ईशा के सर से खतरा मंडरा रहा है वो दूर हो जाए l "
आरती जी इसके आगे और कुछ नहीं कहती और ओके कहकर कॉल कट कर देती है l
आरती जी फिर अपने चहरे को साफ़ कर किचन में जाकर लड़के वाले के आने की तैयारियां करने लग जाती है l
वहीं ईशा भी हल्के आसमानी रंग का anarakali सूट पहन कर तैयार हो रही थी l कानो मे झूमर और गले में पतली सी लॉकेट वालीं चेन l हाथों मे मैच करती हुई चूडिय़ां और पैर मैं पतली सी कम बजे इसी पायल l
आँखों में हल्का काजल और होठों पर हल्की लिपस्टिक l ईशा जैसे आसमान से उतरी हुई अप्सरा हो एसे लग रही थी l उसने अपने बालों की चोटी बनाई हुई थी l
कहानी कैसी लगी यह पढ़कर जरूर बताएगा l देखते हैं कि ईशा की जिंदगी क्या मोड़ लेती है l क्या है आरती जी की मजबूरी जो वह अपने पति के साथ नहीं रहती l इन सभी सवालों के जवाब समीक्षा कर जरूर बताए
दिल्ली में एक कमरे में ईशा सो रही थी। आरती कपूर उसे जगाती हैं और बताती हैं कि लड़के वाले आने वाले हैं। ईशा शादी नहीं करना चाहती, लेकिन आरती जी ज़ोर देती हैं। आरती जी ईशा को गौरव सिन्हा से शादी करने के लिए कहती हैं, जो एक टैक्सी ड्राइवर है। ईशा दुखी होती है, पर चाची की बात मान जाती है। आरती जी अपने पति से बात करती हैं और फिर लड़के वालों के लिए तैयारी करने लगती हैं। ईशा भी तैयार होती है।
Now Next
--------
ईशा अपने ही ख्यालो मे खोई हुई थी l तभी वहा प्रिया आती है l प्रिया ईशा की बचपन की सहेली थी l प्रिया और ईशा दोनों बहने की तरह थी l
प्रिया कमरे का दरवाजा खोलकर अंदर आती है l वह ईशा के पास जाती है l ईशा को ख्यालो मे खोया देख प्रिया के दिमाग मे कोई शरारत आने लगती है l
प्रिया कमरे में इधर उधर देखती हैं l वह कूछ ढूंढने लगती है l तभी अचानक से उसके हाथ एक पालीथीन बेग आती है l वह तिरछा मुस्कराती है और उस पालीथीन बेग को अपने मुह से लगाकर फुलाकर ईशा के पास जाती है l दूसरे हाथ से वह अपने बालों मे से पिन निकाल कर उस पालीथीन बेग को ईशा के कान के पास जाकर पिन से उस बेग को फोड़ देती है l
ईशा अचानक से हुई इस आवाज से डर जाती है l वह आह जैसी आवाज कर जैसे ही पिछे मुड़ती है सामने प्रिया को देखकर और जोर से चिल्लाती है l
ईशा _ " आह l भ .... भ .... भ ... भू .... त ... l "
ईशा पिछे मुड़ती इससे पहले प्रिया ने अपने बालों को आगे कर अपने चहरे को ढक दिया था l और उसने अपने हाथों को भी एसी पोजीशन में रखा हुआ था कि जैसे वह कोई भूत हो l
ईशा डर कर भागने को हुई कि प्रिया ने उसका हाथ पकड़ लिया था l तभी किसी मैग्नेट के टच होने की आवाज आती हैं l
ईशा प्रिया के बाल खिंचते हुए कहती हैं l
ईशा _ " अच्छा तो तुम मुजे डरा हो l रुको अभी बताती हूं l "
इतना कहकर ईशा प्रिया के बालों को छोड़ देती हैं l
प्रिया _ " उफ्फ l यह कड़ा हर बार तुम्हारे पास आने पर बजता हैं l "
ईशा _ " ह्म्म l सही है l वर्ना तेरा बस चले तो मुजे हार्ट अटेक ही दे दे l "
प्रिया _ " अरे ! अभी तो तुझे मेरे बेटे की सास बनना है l एसे कैसे मे तुमको हार्ट अटेक दे दु l "
ईशा _ " अच्छा बेटा जी पहले आप करो शादी l इसके बाद मुजे कहना l "
प्रिया _ " तेरी तो हो ही रही है l जलदी से मेरे लिए भी ढूढ़ लेना l "
शादी की बात सुनकर ईशा के चहरे पर उदासी आ जाती है l
प्रिया _ " क्या हुआ l तुम एसे उदास क्यों लग रही हो l "
ईशा आज सुबह की सारी बातें प्रिया को बता देती है l
प्रिया कुछ कहती इससे पहले ही वहा आरती जी आ जाती है l
आरती जी _ " ईशा चलो l मेरे साथ l लड़के वाले आ गए हैं और प्रिया तुम यहाँ क्या कर रही हो l तुम्हें तुम्हारी मम्मा बुला रही है l फिर से घर के काम किए बिना आ गई l चलो अब जाओ जल्दी l "
प्रिया अपनी आंखे बड़ी करती है और अपने सिर पर अपना हाथ मारते हुए कहती हैं l
प्रिया _ " मे अभी जाकर आती हूं l "
इतना कहकर प्रिया वहा से चली जाती हैं l आरती जी ईशा को अपने साथ नीचे ले जाती है l
ईशा का दिल जोरों से धड़क रहा था l नीचे एक 60 साल की उम्र की औरत बैठी हुई थीं l उसने हरे रंग की सारी पहनी हुई थी l जिसमे ब्राउन रंग की बॉर्डर बनी हुई थी l बड़ी सी गोल बिंदी लगाई हुई थी I उसके चहरे पर कठोरता झलक रही थीं l
ईशा वहा जाकर उसके पेर छुते हुए कहती हैं l
ईशा _ " नमस्ते l "
वह औरत ईशा को सामने बैठने का इशारा करती हैं l ईशा डरते डरते वहा बैठ जाती हैं l
उस औरत का नाम कालिंदी सिन्हा था l
कालिंदी जी _ " तुम्हारा नाम क्या है l "
ईशा _ " जी ईशा l "
कालिंदी जी _ " हम गौरव की दादी है l घर का सारा काम कर लेती हो l "
ईशा _ " जी "
कालिंदी जी _ " हमारा बेटा नहीं आएगा l आज उसे कोई काम है l "
उसके बाद वहा कुछ पल के लिए सन्नाटा छा जाता है l
उसके बाद कालिंदी जी , आरती जी की और देखते हुए कहती हैं l
कालिंदी जी _ " बिटिया को हम आज ही ले जा रहे हैं l वहा वह गौरव से मिल ले और उसके बाद हम अच्छा सा मुहूर्त देखकर उन दोनों शादी करवा देगे l "
कालिंदी जी की बात सुनकर ईशा के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक जाती है l
आरती जी _ " जी हाँ l ईशा तुम चलो मे तुम्हारी मदद कर देती हूं l "
ईशा आरती जी के साथ कमरे मे चली जाती हैं l
कमरे में आकर ईशा कहती हैं l
ईशा _ " चाची मे कहीं नहीं जा रही l "
आरती जी गुस्से में कहती हैं l
आरती जी _ " मे तुम्हें पूछ नहीं रही l बता रही हूं l एक बात मेरी सुनो मेने तुम्हारी परवरिश की है l तुम्हें इतने सालों तक सम्भाला l अब तुम्हारी बारी l मे कर्ज मे डूब गई थी तब मेने कर्जा लिया था l और उस कर्जे को चुकाना अब मेरे बस मे नही है l कालिंदी जी ने उस कर्जे को माफ़ कर दिया है l लेकिन उसके बदले उन्होंने गौरव के लिए तुम्हें चुना है l अगर तुमने सच मे कभी भी मुजे माँ माना है तो उनके साथ चली जाओ और अपनी मनहूस शक़्ल कभी भी मुजे मत दिखाना l "
इतना कहकर आरती जी वहा से चली जाती हैं l आरती जी के शब्द ईशा के दिल में तीर की तरह चुभ रहे थे l
अब आगे क्या होगा ईशा का फेसला? क्या ईशा जाएगी कालिंदी जी के साथ l
पिछले अध्याय में आपने देखा कि ईशा शादी करने से इनकार करती है। आरती जी उसे गौरव सिन्हा से शादी करने के लिए मनाने की कोशिश करती हैं। फिर, प्रिया आती है, जो ईशा की बचपन की दोस्त है। प्रिया ईशा को डराती है, जिसके बाद वे दोनों बात करते हैं। आरती जी आती हैं और प्रिया को जाने के लिए कहती हैं, जबकि ईशा को लड़के वालों के सामने जाने के लिए तैयार करती हैं। कालिंदी जी, गौरव की दादी, ईशा से मिलती हैं और उसे अपने साथ ले जाने का फैसला करती हैं। आरती जी ईशा को जाने के लिए कहती हैं क्योंकि उन्होंने कर्ज चुकाने के लिए कालिंदी जी से वादा किया था।
अब आगे
--------
ईशा अपने आप को सम्हाले हुए खड़ी होती है और फिर एक बेग मैं अपने कुछ कपड़े और किताबे रख देती हैं l ईशा अपना बेग लेकर आगे बढ़ती है और कमरे की दहलीज पर आकर रुक जाती है l वह एक बार अपने पूरे कमरे को देखती हैं और फिर खुदको सम्हाल नीचे आ जाती हैं l
वह पूरे घर को देख रही थीं l उसका बचपन इसी घर में बीता था और इस घर से उसकी बहुत सारी यादे जुड़ी हुई भी थी l तभी कालिंदी जी की आवाज आती हैं l
कालिंदी जी _ " ईशा l चलो l "
ईशा _ " एक बार मे चाची से मिल लू l "
कालिंदी जी _ " वो यहा आई थी l वह तुमसे नहीं मिलना चाहती है l "
ईशा कालिंदी जी की तरफ आशा भरी निगाहों से देखती हैं l कालिंदी जी उसका हाथ पकड़ ती हैं और उसको अपने साथ ले जाती है l
ईशा और कालिंदी जी दोनों कार मैं बैठ जाते हैं l पूरे रास्ते ईशा और कालिंदी जी एक दूसरे से कोई भी बातें नहीं करते हैं l
तक़रीबन आधे घंटे के बाद कार एक सुनसान रास्ते पर रुक जाती है l कार से नीचे उतरकर ईशा देखती हैं कि यह एक सुनसान रास्ता है l
ईशा सवालिया नजरो से कालिंदी जी की तरफ देखती हैं कि तभी वहा एक हेलिकॉप्टर आता हैं l कालिंदी जी ईशा को उसमे बैठ ने का इशारा करती हैं l ईशा और कालिंदी जी दोनों उस हेलीकॉप्टर में बैठ जाते हैं l
तक़रीबन डेढ़ घंटे बाद वह हेलिकॉप्टर लैण्ड होता है l
ईशा अपने चारो ओर देखती हैं l यह कोई जंगल का इलाक़ा था l दूर दूर तक सिर्फ पेड़ और पौधे ही दिखाई दे रहे थे l चारो ओर हरियाली ही हरियाली छाई हुई थी l अभी दोपहर का समय था l दिन मे वह जंगल और भी खूबसूरत दिखाई दे रहा था l
ईशा कालिंदी जी की और देखती हैं l
ईशा _ " ये हम कहा है ? "
कालिंदी जी _ " हम अभी फॉरेस्ट मे है l कूछ दिनों तक तुम्हें यही रहना होगा l यह मेरी बेटी का घर है l "
कालिंदी जी ईशा को चलते हुए सारी बातें बता रही थी l
कालिंदी जी _ " गौरव और तुम्हारी कुंडली देख कर पंडित जी ने कहा कि अगले 6 महीने तक कोई शुभ मुहूर्त नहीं है और इतने महीने काफी होते हैं एक दूसरे को पहचानने के लिए l हो सके तो ज्यादा से ज्यादा समय गौरव के साथ बिताना l वह अच्छा लड़का है l "
वे दोनों घर के मैन डोर तक पहुच जाते हैं l कालिंदी जी सामने खड़ी मेड को इशारा करती है l मेड जल्दी से वहा पर आती हैं l
कालिंदी जी _ " यह हमारे घर की बहू है l इसका ध्यान रखना l "
इतना कहकर कालिंदी जी वहा से जाने लगती हैं l ईशा उनको पिछे से आवाज लगाती है l
ईशा _ " दादी ! "
कालिंदी जी ईशा की तरफ मुड़ती है l वह आँखों ही आँखों में ईशा को बोलने का इशारा करती हैं l
ईशा _ " आप l यहा नहीं .... l मेरे कहने का मतलब है कि..... l "
कालिंदी जी _ " इसके आगे का सफर तुम्हें खुद अकेले ही तय करना होगा l मेरे पति मेरा इंतजार कर रहे हैं l मुजे जाना होगा l "
इतना कहकर दादी वहा से चली जाती हैं l ईशा अपना निचला होंठ बाहर निकाल कर कहती हैं l
ईशा _ " अब मे यहा क्या करूँ l कैसे रहूंगी l मे तो किसी को भी नहीं पहचान ती हूं l "
तभी ईशा को एक लड़की की आवाज आती हैं l ईशा उसकी तरफ देखती हैं l उस लड़की ने ग्रे बिजनैस सूट पहन रखा था l उसकी कंधे से थोड़े नीचे तक बाल थे l उसने अपने एक हाथ में घड़ी पहनी हुई थी l वह लड़की परफेक्ट बिजनेस वुमन लग रही थी l
ट्विंकल _ " हैलो l मे ट्विंकल सिन्हा l तुम्हारी होने वालीं सिस्टर इन लो l "
ट्विंकल ईशा के पास आकर प्यार से उसकी आंख मे से काजल निकाल कर ईशा के कान के पिछे लगाकार कहती है l
ट्विंकल _ " अरे वाह l तुम तो फोटो से भी ज्यादा खूबसूरत हो l चलो मे तुम्हें तुम्हारा कमरा दिखा देती हूं l "
ईशा भी ट्विंकल से मिलकर खुश हुई l क्योंकि ट्विंकल का बिहेवियर फ्रेंडली था l बहुत जल्दी वे दोनों एक दूसरे के साथ बहुत अच्छे से घुलने मिलने लगी थी l
ट्विंकल उसको एक कमरे में ले जाती हैं l
ट्विंकल _ " यह मास्टर बेडरुम है l गौरव का कमरा है l तुम्हें इसी कमरे में गौरव के साथ रहना है l "
ईशा को यह सुनकर तेज zatka लगता है l उसके मुह से अचानक से निकल जाता हैं l
ईशा _ " what ! "
इतना कहकर ईशा बेहोश हो जाती हैं l
आगे देखते हैं l क्या मोड़ लेती है ईशा और गौरव की कहानी l आखिरकार ईशा के जीवन में आए इस बड़े बदलाव को क्या ईशा सहन कर पाएगी l क्या होगा जब ईशा गौरव से मिलेगी l आखिर क्या छिपा रहे हैं सिन्हा फॅमिली ईशा से l इन सभी प्रश्नों के जवाब जानना चाहते हैं तो कहानी को पढ़ते रहे l और फॉलो करना ना भूले l