ईशा कपूर l उम्र 23 साल l गौरा दूध के समान सफेद रंग l काली गहरी आंखे l जिसमें कोई भी खो जाए l आँखों मे कई ज़ज्बात l ईशा अपने परिवार के साथ मुंबई रहती थी l ईशा पढ़ाई मे बहुत अच्छी है l लेकिन घर में हो रही है उसकी शादी की बात l ईशा अभी इस शादी के... ईशा कपूर l उम्र 23 साल l गौरा दूध के समान सफेद रंग l काली गहरी आंखे l जिसमें कोई भी खो जाए l आँखों मे कई ज़ज्बात l ईशा अपने परिवार के साथ मुंबई रहती थी l ईशा पढ़ाई मे बहुत अच्छी है l लेकिन घर में हो रही है उसकी शादी की बात l ईशा अभी इस शादी के लिए तैयार नहीं है l ईशा को बनाना है उसका करियर l क्या ईशा को मिल पाएगा एक अच्छा हमसफ़र जो उसका साथ दे l या फिर ईशा की कहानी घर की चार दीवारों के बीच कैद में रह जाएगी l
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दिल्ली ,,
कमरे की एक खिड़की से सूरज की हल्की किरण अंदर आ रही थी l बेड पर सोई हुई लड़की का दुध की भाँति गौरा रंग और भी चमक रहा था l
कमरा बहुत ही खूबसूरती से सजा हुआ था l कमरे के बीच मे इक बड़ा सा बेड था l बेड की दाई और अलमारी और बाई और स्टडी टेबल और सोफा था l कमरे मे हल्के नीले और सफेद रंग के पर्दे थे l कमरे मे ढेर सारी तस्वीरे थी l कमरे मे स्टडी टेबल के पास एक बुक शेल्फ भी था l किताबों को बहुत प्यार से सजाया हुआ था l
तभी उस कमरे की शांति को भंग करने के लिए एक 45 साल की उम्र की औरत आती है l उसने हल्की पिंक कलर की सारी पहनी हुई थी जिसमें डार्क गुलाब की डिज़ाइन बनी हुई थी l यह आरती कपूर है l
आरती जी हल्के गुस्से में कहती हैं l
आरती जी _ " अरे ! देखो तो इस लड़की को अभी तक सो रही है l ईशा .... ईशा ..... l "
वह लड़की जिसका नाम ईशा था l 23 साल उम्र l लंबे बाल जो कमर तक आ रहे थे l वह उसकी खूबसूरती मे चार चांद लगा रहे थे l वह अपनी आंखे खोलती है l आधी खुली हुई आंखो से वह सामने देखती हैं l अचानक से वह हडबडी मैं उठ जाती है l
ईशा _ " अरे ! चाचीजी आप l सॉरी मुजे उठने मे जरा लेट हो गया l "
आरती जी उसकी तरफ अपनी आंखे छोटी छोटी कर देखती हैं l
आरती जी उसके कान को खिंचते हुए कहती हैं l
आरती जी _ " चाचीजी की बच्ची l तू तो एसे बिहेव कर रही है जैसे कि मे तुझे बहुत टॉर्चर करती हू l "
ईशा _ " आह ! आह ! अरे चाची दर्द हो रहा है l छोड़ो ना प्लीज l मे तो मज़ाक कर रही थीं l बस और कुछ नहीं l अच्छा सॉरी l सॉरी l जाने भी दो l "
आरती जी उसका कान छोड़ देती है l
आरती जी _ " ईशा l मेने कहा था कि आज लड़के वाले तुम्हें देखने आ रहे हैं l लेकिन तुम हो कि किसी की सुननी ही नहीं है l वे लोग दो घंटे बाद आने वाले हैं l "
ईशा बच्चों की तरह मुह बनाकर कहती हैं l
ईशा _ " लेकिन मुजे शादी नहीं करनी हैं l प्लीज l "
आरती जी के चहरे पर सख्त एक्सप्रेशन आ जाते हैं l
आरती जी _ " ईशा l ये क्या तुमने गलत जिद लगा रखी है l बहुत अच्छा रिश्ता आया है l लड़के का नाम गौरव सिन्हा है l लड़का टेक्सी चलाता है l और संस्कारी है l तुम जल्दी से तैयार हो जाओ l आखिर कब तक मे इस बोझ को ...... l तुम तैयार हो जाओ l "
ईशा को अपनी चाची की कड़वी बातों से बहुत दुख पहुचा था l
ईशा आरती जी का हाथ पकड़ कर कहती हैं l
ईशा _ " आप मुझसे गुस्सा हो क्या ? चाची l "
आरती जी _ " ईशा l अब तुम बड़ी हो गई हो l तुम्हें अब सभी बातों को समझना चाहिए l वैसे भी वह लोग बिना दहेज के शादी करने के लिए तैयार है l तुम्हारे जाने के बाद मुजे सुकून से जीना है l तुम्हारे चाचा मुजे यहा से ले जाएगे l तुम्हारी वज़ह से वह मुझसे दूर है l अगर तुमको मेरी थोड़ी भी परवाह हो तो तैयार हो जाना l "
इतना कहकर आरती जी कमरे में से बाहर चली जाती हैं l कमरे मे से बाहर आते ही उनकी आँखों मे से एक आंसू का कतरा बह जाता हैं l
कमरे मे बैठी ईशा भी घुटनों मे अपना सिर छुपाकर सिसकते हुए कहती हैं l
ईशा _ " चाची l ईशा आपसे बहुत प्यार करती है l मे ये शादी सिर्फ आपके लिए ही करूंगी l मे अपनी खुशी के लिए आपकी खुशिया दाव पर नहीं लगा सकती l "
कुछ देर तक ईशा यू ही घुटनों मे अपना सर छुपाई सिसकती है l और फिर उठकर फ्रेश होने के लिए बाथरूम मैं चली जाती हैं l
आरती जी भी अपने कमरे में जाकर कमरे का दरवाजा बंद कर देती हैं और कमरे के दरवाजे से पीठ लगाकर अपनी आंखे मूँद लेती हैं l
तभी उनका फोन बजता हैं l
आरती जी अपने आंसू साफ़ कर फोन को उठाती है l सामने से प्रकाश कपूर जो आरती जी के हसबैंड और ईशा के चाचा थे उनकी आवाज आती हैं l
प्रकाश जी _ " वह मान गई ? "
आरती जी _ " हाँ l शायद l प्रकाश क्या कोई और रास्ता नहीं है l ईशा अभी शादी नहीं करना चाहती हैं l "
प्रकाश जी _ " नहीं l हमारे पास यही रास्ता है l "
आरती जी _ " लेकिन इसकी क्या गारंटी है कि ईशा वहां खुश रहेगी ? "
प्रकाश जी _ " यह निर्मल भाई का फैसला है l हम कूछ नहीं कर सकते हैं l गौरव अच्छा लड़का है और वह हमारी ईशा को बहुत खुश रखेगा l शादी के बाद शायद ईशा के सर से खतरा मंडरा रहा है वो दूर हो जाए l "
आरती जी इसके आगे और कुछ नहीं कहती और ओके कहकर कॉल कट कर देती है l
आरती जी फिर अपने चहरे को साफ़ कर किचन में जाकर लड़के वाले के आने की तैयारियां करने लग जाती है l
वहीं ईशा भी हल्के आसमानी रंग का anarakali सूट पहन कर तैयार हो रही थी l कानो मे झूमर और गले में पतली सी लॉकेट वालीं चेन l हाथों मे मैच करती हुई चूडिय़ां और पैर मैं पतली सी कम बजे इसी पायल l
आँखों में हल्का काजल और होठों पर हल्की लिपस्टिक l ईशा जैसे आसमान से उतरी हुई अप्सरा हो एसे लग रही थी l उसने अपने बालों की चोटी बनाई हुई थी l
कहानी कैसी लगी यह पढ़कर जरूर बताएगा l देखते हैं कि ईशा की जिंदगी क्या मोड़ लेती है l क्या है आरती जी की मजबूरी जो वह अपने पति के साथ नहीं रहती l इन सभी सवालों के जवाब समीक्षा कर जरूर बताए
दिल्ली में एक कमरे में ईशा सो रही थी। आरती कपूर उसे जगाती हैं और बताती हैं कि लड़के वाले आने वाले हैं। ईशा शादी नहीं करना चाहती, लेकिन आरती जी ज़ोर देती हैं। आरती जी ईशा को गौरव सिन्हा से शादी करने के लिए कहती हैं, जो एक टैक्सी ड्राइवर है। ईशा दुखी होती है, पर चाची की बात मान जाती है। आरती जी अपने पति से बात करती हैं और फिर लड़के वालों के लिए तैयारी करने लगती हैं। ईशा भी तैयार होती है।
Now Next
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ईशा अपने ही ख्यालो मे खोई हुई थी l तभी वहा प्रिया आती है l प्रिया ईशा की बचपन की सहेली थी l प्रिया और ईशा दोनों बहने की तरह थी l
प्रिया कमरे का दरवाजा खोलकर अंदर आती है l वह ईशा के पास जाती है l ईशा को ख्यालो मे खोया देख प्रिया के दिमाग मे कोई शरारत आने लगती है l
प्रिया कमरे में इधर उधर देखती हैं l वह कूछ ढूंढने लगती है l तभी अचानक से उसके हाथ एक पालीथीन बेग आती है l वह तिरछा मुस्कराती है और उस पालीथीन बेग को अपने मुह से लगाकर फुलाकर ईशा के पास जाती है l दूसरे हाथ से वह अपने बालों मे से पिन निकाल कर उस पालीथीन बेग को ईशा के कान के पास जाकर पिन से उस बेग को फोड़ देती है l
ईशा अचानक से हुई इस आवाज से डर जाती है l वह आह जैसी आवाज कर जैसे ही पिछे मुड़ती है सामने प्रिया को देखकर और जोर से चिल्लाती है l
ईशा _ " आह l भ .... भ .... भ ... भू .... त ... l "
ईशा पिछे मुड़ती इससे पहले प्रिया ने अपने बालों को आगे कर अपने चहरे को ढक दिया था l और उसने अपने हाथों को भी एसी पोजीशन में रखा हुआ था कि जैसे वह कोई भूत हो l
ईशा डर कर भागने को हुई कि प्रिया ने उसका हाथ पकड़ लिया था l तभी किसी मैग्नेट के टच होने की आवाज आती हैं l
ईशा प्रिया के बाल खिंचते हुए कहती हैं l
ईशा _ " अच्छा तो तुम मुजे डरा हो l रुको अभी बताती हूं l "
इतना कहकर ईशा प्रिया के बालों को छोड़ देती हैं l
प्रिया _ " उफ्फ l यह कड़ा हर बार तुम्हारे पास आने पर बजता हैं l "
ईशा _ " ह्म्म l सही है l वर्ना तेरा बस चले तो मुजे हार्ट अटेक ही दे दे l "
प्रिया _ " अरे ! अभी तो तुझे मेरे बेटे की सास बनना है l एसे कैसे मे तुमको हार्ट अटेक दे दु l "
ईशा _ " अच्छा बेटा जी पहले आप करो शादी l इसके बाद मुजे कहना l "
प्रिया _ " तेरी तो हो ही रही है l जलदी से मेरे लिए भी ढूढ़ लेना l "
शादी की बात सुनकर ईशा के चहरे पर उदासी आ जाती है l
प्रिया _ " क्या हुआ l तुम एसे उदास क्यों लग रही हो l "
ईशा आज सुबह की सारी बातें प्रिया को बता देती है l
प्रिया कुछ कहती इससे पहले ही वहा आरती जी आ जाती है l
आरती जी _ " ईशा चलो l मेरे साथ l लड़के वाले आ गए हैं और प्रिया तुम यहाँ क्या कर रही हो l तुम्हें तुम्हारी मम्मा बुला रही है l फिर से घर के काम किए बिना आ गई l चलो अब जाओ जल्दी l "
प्रिया अपनी आंखे बड़ी करती है और अपने सिर पर अपना हाथ मारते हुए कहती हैं l
प्रिया _ " मे अभी जाकर आती हूं l "
इतना कहकर प्रिया वहा से चली जाती हैं l आरती जी ईशा को अपने साथ नीचे ले जाती है l
ईशा का दिल जोरों से धड़क रहा था l नीचे एक 60 साल की उम्र की औरत बैठी हुई थीं l उसने हरे रंग की सारी पहनी हुई थी l जिसमे ब्राउन रंग की बॉर्डर बनी हुई थी l बड़ी सी गोल बिंदी लगाई हुई थी I उसके चहरे पर कठोरता झलक रही थीं l
ईशा वहा जाकर उसके पेर छुते हुए कहती हैं l
ईशा _ " नमस्ते l "
वह औरत ईशा को सामने बैठने का इशारा करती हैं l ईशा डरते डरते वहा बैठ जाती हैं l
उस औरत का नाम कालिंदी सिन्हा था l
कालिंदी जी _ " तुम्हारा नाम क्या है l "
ईशा _ " जी ईशा l "
कालिंदी जी _ " हम गौरव की दादी है l घर का सारा काम कर लेती हो l "
ईशा _ " जी "
कालिंदी जी _ " हमारा बेटा नहीं आएगा l आज उसे कोई काम है l "
उसके बाद वहा कुछ पल के लिए सन्नाटा छा जाता है l
उसके बाद कालिंदी जी , आरती जी की और देखते हुए कहती हैं l
कालिंदी जी _ " बिटिया को हम आज ही ले जा रहे हैं l वहा वह गौरव से मिल ले और उसके बाद हम अच्छा सा मुहूर्त देखकर उन दोनों शादी करवा देगे l "
कालिंदी जी की बात सुनकर ईशा के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक जाती है l
आरती जी _ " जी हाँ l ईशा तुम चलो मे तुम्हारी मदद कर देती हूं l "
ईशा आरती जी के साथ कमरे मे चली जाती हैं l
कमरे में आकर ईशा कहती हैं l
ईशा _ " चाची मे कहीं नहीं जा रही l "
आरती जी गुस्से में कहती हैं l
आरती जी _ " मे तुम्हें पूछ नहीं रही l बता रही हूं l एक बात मेरी सुनो मेने तुम्हारी परवरिश की है l तुम्हें इतने सालों तक सम्भाला l अब तुम्हारी बारी l मे कर्ज मे डूब गई थी तब मेने कर्जा लिया था l और उस कर्जे को चुकाना अब मेरे बस मे नही है l कालिंदी जी ने उस कर्जे को माफ़ कर दिया है l लेकिन उसके बदले उन्होंने गौरव के लिए तुम्हें चुना है l अगर तुमने सच मे कभी भी मुजे माँ माना है तो उनके साथ चली जाओ और अपनी मनहूस शक़्ल कभी भी मुजे मत दिखाना l "
इतना कहकर आरती जी वहा से चली जाती हैं l आरती जी के शब्द ईशा के दिल में तीर की तरह चुभ रहे थे l
अब आगे क्या होगा ईशा का फेसला? क्या ईशा जाएगी कालिंदी जी के साथ l
पिछले अध्याय में आपने देखा कि ईशा शादी करने से इनकार करती है। आरती जी उसे गौरव सिन्हा से शादी करने के लिए मनाने की कोशिश करती हैं। फिर, प्रिया आती है, जो ईशा की बचपन की दोस्त है। प्रिया ईशा को डराती है, जिसके बाद वे दोनों बात करते हैं। आरती जी आती हैं और प्रिया को जाने के लिए कहती हैं, जबकि ईशा को लड़के वालों के सामने जाने के लिए तैयार करती हैं। कालिंदी जी, गौरव की दादी, ईशा से मिलती हैं और उसे अपने साथ ले जाने का फैसला करती हैं। आरती जी ईशा को जाने के लिए कहती हैं क्योंकि उन्होंने कर्ज चुकाने के लिए कालिंदी जी से वादा किया था।
अब आगे
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ईशा अपने आप को सम्हाले हुए खड़ी होती है और फिर एक बेग मैं अपने कुछ कपड़े और किताबे रख देती हैं l ईशा अपना बेग लेकर आगे बढ़ती है और कमरे की दहलीज पर आकर रुक जाती है l वह एक बार अपने पूरे कमरे को देखती हैं और फिर खुदको सम्हाल नीचे आ जाती हैं l
वह पूरे घर को देख रही थीं l उसका बचपन इसी घर में बीता था और इस घर से उसकी बहुत सारी यादे जुड़ी हुई भी थी l तभी कालिंदी जी की आवाज आती हैं l
कालिंदी जी _ " ईशा l चलो l "
ईशा _ " एक बार मे चाची से मिल लू l "
कालिंदी जी _ " वो यहा आई थी l वह तुमसे नहीं मिलना चाहती है l "
ईशा कालिंदी जी की तरफ आशा भरी निगाहों से देखती हैं l कालिंदी जी उसका हाथ पकड़ ती हैं और उसको अपने साथ ले जाती है l
ईशा और कालिंदी जी दोनों कार मैं बैठ जाते हैं l पूरे रास्ते ईशा और कालिंदी जी एक दूसरे से कोई भी बातें नहीं करते हैं l
तक़रीबन आधे घंटे के बाद कार एक सुनसान रास्ते पर रुक जाती है l कार से नीचे उतरकर ईशा देखती हैं कि यह एक सुनसान रास्ता है l
ईशा सवालिया नजरो से कालिंदी जी की तरफ देखती हैं कि तभी वहा एक हेलिकॉप्टर आता हैं l कालिंदी जी ईशा को उसमे बैठ ने का इशारा करती हैं l ईशा और कालिंदी जी दोनों उस हेलीकॉप्टर में बैठ जाते हैं l
तक़रीबन डेढ़ घंटे बाद वह हेलिकॉप्टर लैण्ड होता है l
ईशा अपने चारो ओर देखती हैं l यह कोई जंगल का इलाक़ा था l दूर दूर तक सिर्फ पेड़ और पौधे ही दिखाई दे रहे थे l चारो ओर हरियाली ही हरियाली छाई हुई थी l अभी दोपहर का समय था l दिन मे वह जंगल और भी खूबसूरत दिखाई दे रहा था l
ईशा कालिंदी जी की और देखती हैं l
ईशा _ " ये हम कहा है ? "
कालिंदी जी _ " हम अभी फॉरेस्ट मे है l कूछ दिनों तक तुम्हें यही रहना होगा l यह मेरी बेटी का घर है l "
कालिंदी जी ईशा को चलते हुए सारी बातें बता रही थी l
कालिंदी जी _ " गौरव और तुम्हारी कुंडली देख कर पंडित जी ने कहा कि अगले 6 महीने तक कोई शुभ मुहूर्त नहीं है और इतने महीने काफी होते हैं एक दूसरे को पहचानने के लिए l हो सके तो ज्यादा से ज्यादा समय गौरव के साथ बिताना l वह अच्छा लड़का है l "
वे दोनों घर के मैन डोर तक पहुच जाते हैं l कालिंदी जी सामने खड़ी मेड को इशारा करती है l मेड जल्दी से वहा पर आती हैं l
कालिंदी जी _ " यह हमारे घर की बहू है l इसका ध्यान रखना l "
इतना कहकर कालिंदी जी वहा से जाने लगती हैं l ईशा उनको पिछे से आवाज लगाती है l
ईशा _ " दादी ! "
कालिंदी जी ईशा की तरफ मुड़ती है l वह आँखों ही आँखों में ईशा को बोलने का इशारा करती हैं l
ईशा _ " आप l यहा नहीं .... l मेरे कहने का मतलब है कि..... l "
कालिंदी जी _ " इसके आगे का सफर तुम्हें खुद अकेले ही तय करना होगा l मेरे पति मेरा इंतजार कर रहे हैं l मुजे जाना होगा l "
इतना कहकर दादी वहा से चली जाती हैं l ईशा अपना निचला होंठ बाहर निकाल कर कहती हैं l
ईशा _ " अब मे यहा क्या करूँ l कैसे रहूंगी l मे तो किसी को भी नहीं पहचान ती हूं l "
तभी ईशा को एक लड़की की आवाज आती हैं l ईशा उसकी तरफ देखती हैं l उस लड़की ने ग्रे बिजनैस सूट पहन रखा था l उसकी कंधे से थोड़े नीचे तक बाल थे l उसने अपने एक हाथ में घड़ी पहनी हुई थी l वह लड़की परफेक्ट बिजनेस वुमन लग रही थी l
ट्विंकल _ " हैलो l मे ट्विंकल सिन्हा l तुम्हारी होने वालीं सिस्टर इन लो l "
ट्विंकल ईशा के पास आकर प्यार से उसकी आंख मे से काजल निकाल कर ईशा के कान के पिछे लगाकार कहती है l
ट्विंकल _ " अरे वाह l तुम तो फोटो से भी ज्यादा खूबसूरत हो l चलो मे तुम्हें तुम्हारा कमरा दिखा देती हूं l "
ईशा भी ट्विंकल से मिलकर खुश हुई l क्योंकि ट्विंकल का बिहेवियर फ्रेंडली था l बहुत जल्दी वे दोनों एक दूसरे के साथ बहुत अच्छे से घुलने मिलने लगी थी l
ट्विंकल उसको एक कमरे में ले जाती हैं l
ट्विंकल _ " यह मास्टर बेडरुम है l गौरव का कमरा है l तुम्हें इसी कमरे में गौरव के साथ रहना है l "
ईशा को यह सुनकर तेज zatka लगता है l उसके मुह से अचानक से निकल जाता हैं l
ईशा _ " what ! "
इतना कहकर ईशा बेहोश हो जाती हैं l
आगे देखते हैं l क्या मोड़ लेती है ईशा और गौरव की कहानी l आखिरकार ईशा के जीवन में आए इस बड़े बदलाव को क्या ईशा सहन कर पाएगी l क्या होगा जब ईशा गौरव से मिलेगी l आखिर क्या छिपा रहे हैं सिन्हा फॅमिली ईशा से l इन सभी प्रश्नों के जवाब जानना चाहते हैं तो कहानी को पढ़ते रहे l और फॉलो करना ना भूले l
पिछले अध्याय में आपने देखा कि ईशा शादी से इनकार करती है और उसे गौरव से शादी करने के लिए मनाने की कोशिश की जाती है। प्रिया के आने से ईशा डर जाती है और वे बात करते हैं। आरती जी प्रिया को जाने के लिए कहती हैं, जबकि ईशा को लड़के वालों के सामने जाने के लिए तैयार करती हैं। कालिंदी जी, गौरव की दादी, ईशा को अपने साथ ले जाती हैं क्योंकि आरती जी ने कर्ज चुकाने के लिए कालिंदी जी से वादा किया था।
ईशा अपने कपड़े और किताबें लेकर घर छोड़ देती है। कालिंदी जी उसे एक सुनसान जगह पर ले जाती हैं जहाँ वे हेलीकॉप्टर से जंगल में जाते हैं। कालिंदी जी बताती हैं कि गौरव और ईशा को कुछ महीने साथ बिताने होंगे। वे घर पहुँचते हैं जहाँ ट्विंकल, गौरव की बहन, ईशा से मिलती है और उसे अपना कमरा दिखाती है। ट्विंकल बताती हैं कि ईशा को गौरव के साथ उसी कमरे में रहना होगा, जिससे ईशा बेहोश हो जाती है।
अब आगे
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ईशा सदमे से बेहोश हो गई थी I उसकी जिन्दगी एक ही दिन में कहा से कहा तक पहुच गई थी l वह बाहर से खुदको मजबूत बनाने की कोशिश कर रही थीं और अंदर से टूटा हुआ महसूस कर रही थीं l
ईशा को धीरे धीरे होश आता हैं l वह खुदको उसी मास्टर बेडरुम में पाती है l ईशा छोटे बच्चे जैसा मुह बनाकर बैठ जाती हैं l तभी वह खिड़की से देखती हैं l ईशा की आंखे बड़ी हो जाती है l
ईशा _ " ओह शीट l शाम हो भी गई l "
तभी उसके पेट में से कुछ आवाज आती हैं l
ईशा _ " मुजे भूख लग रही है l "
तभी उसे कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज आती हैं l कमरे मे हल्का अंधेरा था l अचानक से बाहर बारिश शरू हो जाती है l ईशा सामने देखती है तो उसे एक 23 साल का लड़का दिखाई देता है l
कमरे के बाहर रोशनी थी इसीलिए ईशा को एक लड़का दिखाई दे रहा था l वह लड़का कमरे के अंदर आकर दरवाजा बंद कर देता हैं l
लड़का जैसे ही लाइट ऑन कर्ता है l सामने बैठी लड़की को देखकर वह जोर से चिल्लाता है l
लड़के की चीख सुनकर ईशा भी जोर से चिल्लाती है l
ईशा अपने अगल बगल में देखती है l वह बिस्तर पर से खड़ी होती है और नाइट लैम्प के पास पडी flower वास को उठाकर लड़के के ऊपर फेंकती है l
लड़का जैसे तैसे उस flower वास को पकड़ता है l लड़का कुछ बोलने वाले होता है कि तभी ईशा एक एक कर सारे समान को उठाकर लड़के की तरफ फेंकने लगती है l
ईशा गुस्से में कहती हैं l
ईशा _ " चोर कहीं के l तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मेरे कमरे मे आने की l तुम भी जिंदगी भर याद रखो गे l चोरी करने आए थे और किसीसे पाला पद गया l "
बातें करते करते ईशा सारी चीजें उस लड़के के ऊपर फेंकती जा रही थी l वह लड़का धीरे धीरे ईशा के पास आ रहा था l
ईशा _ " दे... देखो l आगे मत बढ़ना वर्ना ... वर्ना .... l "
लड़का _ " वर्ना क्या ..... "
ईशा घबराकर कहती हैं l
ईशा _ " ह ... l "
लड़का _ " वर्ना क्या करोगी तुम l "
ईशा _ " वर्ना मे तुम्हें गंजा कर दूंगी l "
लड़का ईशा की धमकी सुनकर लड़का ठहाका लगाकर हसने लगता हैं l
लड़के को हस्ता देख ईशा को और भी गुस्सा आ जाता हैं l
ईशा _ " तुम ..... l "
लड़का _ " जी हाँ l मे क्या l "
ईशा _ " देखो तुम यहाँ से जाओ l मेरे पति अभी आते ही होगे l "
लड़का अपनी आंखे छोटी छोटी कर ईशा की तरफ देखता हैं l
लड़का _ " अच्छा l जरा मुजे भी बताओ तुम्हारे पति का नाम क्या है l "
ईशा _ " गौरव सिन्हा l सुना l अब जाओ यहाँ से l "
यह सुनकर लड़के के चहरे पर एक तिरछी मुस्कराहट आ जाती है l
वह अपनी एक आईब्रो को ऊपर करते हुए कहता हैं l
लड़का _ " क्या सच में l "
ईशा उसकी नजरो को अपने ऊपर महसूस कर हकला कर कहती हैं l
ईशा _ " ना .. वो हमारे .... l "
लड़का उसके और करीब आते हुए कहता हैं l
लड़का _ " मे तुम्हारा क्या ? "
डर की वज़ह से ईशा उसकी बातों पर कोई ध्यान नहीं देती हैं l
ईशा _ " वो हमारे होने वाले पति है l "
वह लड़का ईशा के और करीब पहुंच जाता है l तभी कमरे पर कोई नोक करता हैं l
वह लड़का ईशा की तरफ एक बार देखता हैं और फिर दरवाजे की और जाकर दरवाजा खोल देता है l
ईशा भी उसके पिछे आती है l
दरवाजे पर ट्विंकल थी l
ट्विंकल _ " तुम दोनों क्या कर रहे हों l कमरे को देखो क्या हालत बनाई हुई है l "
वह लड़का कूछ कहता इससे पहले ही ईशा आगे आकर कहती हैं l
ईशा _ " अच्छा हुआ आप यहा आगई l "
ट्विंकल उस लड़के क़ी तरफ घूरती है l
ट्विंकल _ " गौरव ! तुम ने इसे परेशान तो नहीं किया न ? "
तभी ईशा कहती हैं l
ईशा _ " अरे ! दीदी .... l "
तभी उसको ख्याल आता है कि अभी ट्विंकल ने उस लड़के को गौरव कहा है l
ईशा बड़ी बड़ी आंखे कर कभी गौरव को तो कभी ट्विंकल को देखती हैं l
ट्विंकल कुछ कहती इससे पहले ही गौरव बोल पड़ता है l
गौरव _ '' ट्विंकल l वो तो इसे कोई चूहा देख लिया था l इसीलिए हम चूहे को पकड़ रहे थे l क्यु है न ! "
इतना कहकर गौरव ईशा की और घूरता है l
ईशा भी जल्दी जल्दी मे अपना सिर हाँ मैं हिला देती हैं l
गौरव _ " अच्छा अब आप जाए l आपको सो जाना चाहिए l "
गौरव ट्विंकल की बात सुने बिना ही दरवाजा बंद कर देता हैं l बाहर खड़ी ट्विंकल और ईशा उस दरवाजे को देखती रहती हैं l
तभी दरवाजा फिर से थोड़ा खुलता है और एक हाथ ईशा का हाथ पकड़ उसे कमरे में खींच लेता है l और दरवाजा वापस बंद हो जाता है l
ट्विंकल भी टेढ़े मेढ़े मुह बनाकर वहा से चली जाती हैं l
पिछले अध्याय में आपने देखा कि ईशा शादी से इनकार करती है और गौरव से शादी करने के लिए मजबूर हो जाती है। कालिंदी जी ईशा को अपने साथ ले जाती हैं और उसे गौरव के साथ कुछ महीने बिताने के लिए एक सुनसान जगह पर ले जाती हैं। ट्विंकल, गौरव की बहन, ईशा को अपना कमरा दिखाती है, जहाँ ईशा को गौरव के साथ रहना होता है, जिससे वह बेहोश हो जाती है।
इस अध्याय में, ईशा को होश आता है और वह खुद को उसी कमरे में पाती है। वह भूखी है और तभी एक लड़का कमरे में आता है। वह लड़का गौरव निकलता है, और ईशा उसे चोर समझकर उस पर हमला करती है। गौरव उसे बताता है कि वह गौरव है। ट्विंकल आती है, और गौरव ईशा को समझाता है कि वे एक चूहे को पकड़ रहे थे। गौरव ईशा को कमरे में खींचता है, जबकि ट्विंकल चली जाती है।
Now Next
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कमरे में ,,,
ईशा गौरव के सामने अपने हाथ बांधे सर झुकाकर किसी छोटे बच्चे की तरह खड़ी हो जाती है l गौरव अपने हाथ बाँधकर उसकी और घूरता है l
गौरव _ " अच्छा l अब क्या हुआ l कूछ देर पहले तो तुम बहुत बोल रही थीं l "
ईशा _ '' वो ... मुजे माफ़ करना l मुजे पता नहीं था कि आप गौरव जी है l "
गौरव _ " अब गलती की है तो सजा तो मिलेगी l "
ईशा अपनी मासूम शक़्ल बनाकर गौरव की और देखती हैं l
गौरव _ " ठीक हैं l चलो अब सो जाओ l हम कल बात करते हैं l "
ईशा और गौरव दोनों बेड की और देखते हैं l कमरा पूरा बिखरा हुआ था l
गौरव एक ठंडी आह भरकर ईशा को अपने पिछे चलने का इशारा कर्ता है l
ईशा गौरव के पीछे चल रही थी l बुक शेल्फ मे से गौरव एक बुक निकालता है l तभी बुक शेल्फ साइड मे हो जाता है l वहां पर दूसरे कमरे मे जाने का रास्ता था l
ईशा आंखे बड़ी बड़ी कर उस कमरे को देखने लगती हैं l
गौरव _ " अब जाओ और सो जाओ l कल बात करेगे l "
ईशा अपना सिर जल्दी जल्दी हाँ मैं हिलती है और बिस्तर पर जाकर सो जाती हैं l
फिर ईशा कंबल मे से अपना थोड़ा सिर बाहर निकाल कर कहती हैं l
ईशा _ " आप सोफ़े पर सो जाना l मे सोफ़े पर से गिर जाती हूं l "
इतना कहकर ईशा वापस कंबल ओढ़कर सो जाती है l गौरव ईशा की तरफ मुह बनाकर देखता रहता है l
फिर वह भी अलमारी मैं से दूसरा कंबल लेकर सो जाता है l
अगली सुबह ,, ,, ,, ,, ,,
ईशा अपनी आंखें खोलती है l वह तैयार होकर नीचे आती हैं l
ईशा घर में यहा वहा गौरव और ट्विंकल को ढूंढ रही थीं l तभी वहा एक मेड आती है l
मेड _ " छोटी मालकिन , गौरव भाई और ट्विंकल दीदी कुछ काम के लिए कुछ दिनों के लिए बाहर गए हैं और वे परसों आ जाएगे l "
ईशा को मेड की बात सुनकर थोड़ा बुरा लगता है कि वे उसे अकेले छोड़कर चले गए हैं l
तभी उसको पीछे से आवाज आती हैं l
वह पीछे मुड़ती है तो वहां एक 24 साल का लड़का खड़ा हुआ था l उसने प्रोफेशनल कपडे पहन रखे थे l वह किसी बिजनेस मेन की तरह दिखाई दे रहा था l
विकास _ " मेरा नाम विकास है l मे गौरव का बचपन का दोस्त हूं l आप मुजे विकास कहकर बुला सकतीं हैं l "
ईशा _ " जी नमस्ते l आए l "
विकास ईशा को एक तक देखे जा रहा था l उसने अभी लोंग जींस और क्रॉप टॉप पहना हुआ था l आँखों मे काजल और उसने अपने बालों का बन बनाया हुआ था l
ईशा इससे थोड़ी असहज महसूस करने लगती हैं l
ईशा _ " आप बेठे l हमे कुछ काम है l मे बाद में आती हूं l "
इतना कहकर ईशा वहा से जाने को होती है तभी