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रूहों का सफ़र 👌

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Sadia khanam

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रूहों का सफ़र 👌👌 एक छोटे से कस्बे की हवाओं में हमेशा एक अजीब-सी नमी रहती थी। वहाँ रहती थी आयशा—एक सीधी-सादी लड़की, जो बाहर से तो खुशमिजाज़ दिखती थी, लेकिन अंदर ही अंदर उसके दिल में सवालों का तूफ़ान पल रहा था। बचपन से ही उसे रातों में अजीब सपने आते...

Total Chapters (8)

Page 1 of 1

  • 1. रूहों का सफ़र 👌 - Chapter 1

    Words: 1013

    Estimated Reading Time: 7 min

    और उस रात, तारे पहले से ज़्यादा चमक रहे थे…

    मानो आसमान ख़ुद कोई राज़ छुपाए बैठा हो।

    अयान अपने घर की छत पर अकेला बैठा था। हवाओं की सरसराहट में भी उसे किसी अनजाने एहसास की आहट सुनाई दे रही थी। उसका दिल अजीब तरह से धड़क रहा था, जैसे किसी अनदेखी मंज़िल की ओर खींचा जा रहा हो।

    “कभी-कभी तारे, इंसान की किस्मत का रास्ता दिखाते हैं…” दादी की बातें उसके कानों में गूँजने लगीं।

    उसी पल, ठंडी हवा का एक झोंका आया और उसके सामने सफ़ेद पन्ने जैसा एक काग़ज़ उड़कर आ गिरा। अयान ने उठाकर देखा—उस पर लिखा था:

    “रूहों का सफ़र शुरू हो चुका है… क्या तुम तैयार हो?”

    अयान के हाथ काँप उठे। उसने इधर-उधर देखा, पर छत पर उसके सिवा कोई नहीं था।

    लेकिन अचानक उसे लगा कि कोई नज़रें उसकी रूह के आर-पार देख रही हैं।

    नीचे गली से पायल की धीमी-सी आवाज़ आई। उसने झुककर देखा तो एक लड़की सफ़ेद लिबास में खड़ी थी। उसका चेहरा धुंध में छुपा हुआ था, लेकिन उसकी आँखों की चमक उन सितारों से भी ज़्यादा थी जो उस रात आसमान में जगमगा रहे थे।

    लड़की ने धीरे से सिर उठाकर कहा—

    “अयान… अब सफ़र शुरू होता है।”

    उसकी आवाज़ दिल के अंदर तक उतर गई।

    अयान समझ नहीं पा रहा था—ये सपना है, या सच?

    लेकिन इतना तय था—वो रात अब उसकी ज़िंदगी बदलने वाली थी।अयान की धड़कनें तेज़ हो गईं। उसने लड़की को पुकारना चाहा, मगर आवाज़ गले में अटक गई। सफ़ेद लिबास वाली लड़की धीरे-धीरे गली की ओर बढ़ने लगी। उसकी चाल ऐसी थी मानो वो ज़मीन पर नहीं बल्कि हवा पर चल रही हो।

    अयान बिना सोचे-समझे सीढ़ियाँ उतरकर नीचे आया और उसके पीछे चल पड़ा। गली बिल्कुल सुनसान थी, लेकिन चारों तरफ़ अजीब-सी ठंडी धुंध फैल गई थी। हर कदम पर ऐसा लग रहा था मानो कोई अदृश्य दुनिया उसके आसपास जाग रही हो।

    लड़की एक पुराने, जर्जर हवेली के सामने आकर रुक गई। हवेली का दरवाज़ा खुद-ब-खुद चरमराकर खुल गया। अंदर अंधेरा था, लेकिन अयान को लगा कि कोई ताक़त उसे खींच रही है।

    वो सावधानी से अंदर दाख़िल हुआ। दीवारों पर जाले थे, और हर कोने से अजीब फुसफुसाहट सुनाई दे रही थी। अचानक, लड़की उसकी ओर मुड़ी। अब उसका चेहरा साफ़ दिख रहा था—नाज़ुक, मासूम, मगर आँखों में सदियों का दर्द भरा हुआ।

    उसने धीरे से कहा—

    “मेरा नाम सायरा है… मैं ज़िंदा नहीं हूँ। मेरी रूह यहाँ कैद है। और तुम्हें चुना गया है, मुझे आज़ाद कराने के लिए।”

    अयान के पैरों तले ज़मीन खिसक गई।

    “ये… ये मुमकिन नहीं!” उसने बुदबुदाया।

    सायरा की आँखों से आँसू की जगह हल्की-सी चमक टपकी, जो फ़र्श पर गिरते ही बुझ गई।

    “मुमकिन है, अयान। रूहों का सफ़र आसान नहीं होता। लेकिन अगर तुम पीछे हटे… तो तुम्हारी रूह भी हमेशा के लिए भटक जाएगी।”

    हवेली की दीवारें अचानक ज़ोर से हिलने लगीं, जैसे कोई अदृश्य ताक़त गुस्से में गरज रही हो। अयान घबराया, मगर उसी वक़्त उसके दिल ने कहा—

    “यही है तेरी मंज़िल… यही है तेरी किस्मत।”

    उसने सायरा की ओर हाथ बढ़ाया।

    “मैं तुम्हें आज़ाद करूँगा।”

    सायरा की आँखों में पहली बार उम्मीद की चमक जगमगाई।

    लेकिन हवेली के अंधेरों ने मानो उनकी क़सम सुन ली हो… और चारों तरफ़ काले साये घूमने लगे।अयान अपने घर की छत पर अकेला बैठा था। हवाओं की सरसराहट में भी उसे किसी अनजाने एहसास की आहट सुनाई दे रही थी। उसका दिल अजीब तरह से धड़क रहा था, जैसे किसी अनदेखी मंज़िल की ओर खींचा जा रहा हो।

    “कभी-कभी तारे, इंसान की किस्मत का रास्ता दिखाते हैं…” — दादी की बातें उसके कानों में गूँजने लगीं।

    उसी पल, ठंडी हवा का एक झोंका आया और उसके सामने सफ़ेद पन्ने जैसा एक काग़ज़ उड़कर आ गिरा। अयान ने उठाकर देखा—उस पर लिखा था:

    “रूहों का सफ़र शुरू हो चुका है… क्या तुम तैयार हो?”

    उसका दिल धड़कनों से बाहर निकलने को था। उसने इधर-उधर देखा, लेकिन छत पर उसके सिवा कोई नहीं था। तभी अचानक गली से पायल की धीमी-सी आवाज़ सुनाई दी।

    अयान ने झुककर नीचे देखा—एक लड़की सफ़ेद लिबास में खड़ी थी। उसका चेहरा धुंध में छुपा हुआ था, लेकिन उसकी आँखों की चमक उन सितारों से भी ज़्यादा थी।

    लड़की ने धीरे से सिर उठाकर कहा—

    “अयान… अब सफ़र शुरू होता है।”

    अयान के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। वो समझ नहीं पा रहा था—ये सपना है या सच? लेकिन इतना तय था—उस रात की ये मुलाक़ात उसकी ज़िंदगी की सबसे रहस्यमयी शुरुआत बनने वाली थी।और उस रात, तारे पहले से ज़्यादा चमक रहे थे…

    मानो आसमान की हर किरण अयान की रूह को छू रही हो।

    वो देर तक छत पर बैठा उन्हें देखता रहा। शहर की हलचल से दूर, इस सन्नाटे में सिर्फ़ उसकी धड़कनें और हवाओं की आवाज़ थी। लेकिन आज हवाओं में भी कुछ अलग था—एक अजीब-सा रहस्य, जो उसकी साँसों में घुलता जा रहा था।

    अचानक, उसकी नज़र छत के कोने पर पड़ी। वहाँ धूल में आधा दबा हुआ एक छोटा-सा ताबीज़ पड़ा था। अयान ने उसे उठाया—ताबीज़ पुराना था, उस पर नुकीले अक्षरों में कुछ लिखा था जो वो समझ नहीं पाया। जैसे ही उसने उसे छुआ, उसकी उंगलियों में एक ठंडी सिहरन दौड़ गई।

    तभी हवा का तेज़ झोंका आया और एक काग़ज़ उसके पैरों के पास आ गिरा। उस पर साफ़ लिखा था—

    “रूहों का सफ़र शुरू हो चुका है… क्या तुम तैयार हो?”

    अयान की आँखें फैल गईं। किसने लिखा ये? और क्यों?

    उसके कानों में अचानक फुसफुसाहट गूँजने लगी, जैसे कोई बहुत पास आकर कह रहा हो—

    “तुम्हें चुना गया है…”

    उसका दिल तेजी से धड़कने लगा। वो घबराकर खड़ा हुआ और छत से नीचे झाँका। गली सुनसान थी, मगर धुंध फैलने लगी थी। धुंध के बीच एक परछाईं साफ़ होती गई—एक लड़की, सफ़ेद लिबास में।

    वो धीरे-धीरे सिर उठाती है। उसकी आँखें तारे जैसी चमक रही थीं।

    उसने अयान को देखा और बेहद धीमी आवाज़ में कहा—

    “अयान… अब सफ़र शुरू होता है।”

    अयान हिल भी न पाया। वो समझ नहीं पा रहा था—ये सपना है, कोई वहम… या सच?

    लेकिन उसकी रूह को मालूम था—उस रात कुछ ऐसा खुलने वाला है जो उसकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल देगा।

  • 2. रूहों का सफ़र 👌 - Chapter 2

    Words: 1041

    Estimated Reading Time: 7 min

    लेकिन उसकी रूह को मालूम था—उस रात कुछ ऐसा खुलने वाला है जो उसकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल देगा। कमरे के अँधेरे को चीरती हुई ठंडी हवा ने जैसे उसे चेतावनी दी। उसने धीरे-धीरे आँखें खोलीं और महसूस किया कि कुछ असामान्य है। कमरे की दीवारों पर बिखरे चित्र धुंधले, और उनके चेहरे जैसे हल्की मुस्कान के साथ उसे घूर रहे थे।

    रिया ने खुद को शांत करने की कोशिश की, पर उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो रही थीं। तभी, कमरे के एक कोने में चमकती हुई रौशनी ने उसका ध्यान खींचा। वह रौशनी धीरे-धीरे आकार ले रही थी—मानो किसी ने एक पुराने दर्पण में प्राचीन शक्ति जमा दी हो।

    रौशनी के पास पहुँचते ही रिया को अजीब सी गर्माहट और सुकून का एहसास हुआ। उसकी आँखों के सामने अचानक एक छवि आई—एक बीते हुए समय की झलक। वह खुद को एक अलग जीवन में देख रही थी, जहाँ उसकी पसंद और उसके फैसलों ने उसे अलग राह दिखाई थी।

    पर उस अनुभव में कुछ डरावना भी था। जैसे ही उसने उस छवि को पकड़ने की कोशिश की, दर्पण के भीतर से एक आवाज़ सुनाई दी—धीमी, मगर स्पष्ट:
    "सब कुछ देखना और समझना तुम्हारे लिए आसान नहीं होगा, पर यही तुम्हारा सफ़र है।"

    रिया ने खुद से कहा, "मुझे जानना ही होगा। चाहे सच कितना भी कठिन क्यों न हो।"

    तभी, दर्पण की रौशनी अचानक फैल गई और कमरे को पूरी तरह से घेरे में ले लिया। रिया महसूस करने लगी कि अब उसके सामने सिर्फ़ भूत या यादें नहीं, बल्कि उसके भीतर छुपी हुई शक्तियाँ और चुनौतियाँ हैं।

    उस रात, रिया की आत्मा ने पहली बार महसूस किया कि उसका सफ़र सिर्फ़ खुद की नहीं, बल्कि उन सभी रहस्यों की ओर है, जो उसके जीवन को नए अर्थ देंगे। और इसी शुरुआत थी उस रहस्य की, जो उसकी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदलने वाला था।लेकिन उसकी रूह को मालूम था—उस रात कुछ ऐसा खुलने वाला है जो उसकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल देगा। कमरे की खिड़कियों से हल्की-हल्की ठंडी हवा आ रही थी, और रिया की सांसें तेजी से बढ़ रही थीं। उसने अपने चारों ओर देखा—कमरा वैसे ही शांत और सुनसान था, पर आज उस शांत वातावरण में एक अजीब सी ऊर्जा महसूस हो रही थी।

    राहुल की गैर-मौजूदगी में, रिया अकेली थी, पर उसकी आत्मा ने महसूस किया कि कोई अदृश्य शक्ति उसे देखने के लिए तैयार खड़ी थी। उसके सामने रखे पुराने दर्पण में अचानक हल्की सी चमक उभर आई। पहले तो वह सामान्य सा लगा, पर जब उसने नज़दीक जाकर देखा, तो उसके चेहरे की झलक जैसे दर्पण में अलग और ज़िंदा लग रही थी।

    रिया ने डर और उत्सुकता के मिश्रित भावों के साथ दर्पण को छूने की कोशिश की। जैसे ही उसकी उँगलियाँ शीशे को छूईं, दर्पण के भीतर एक और दुनिया खुल गई। वह जगह अजीब थी—ना पूरी तरह अंधेरा, ना पूरी तरह रोशनी से भरी। वहाँ पुरानी यादें, अधूरी कहानियाँ, और छिपी हुई भावनाएँ एक साथ बह रही थीं।

    रिया ने देखा कि वह खुद को अपने पिछले जीवन की यादों में घूमते हुए पा रही है। हर अनुभव, हर निर्णय और हर खोया हुआ सपना दर्पण के माध्यम से उसके सामने आ रहा था। वह महसूस कर रही थी कि ये सिर्फ़ यादें नहीं, बल्कि उसका स्वयं का अतीत और भविष्य का मिलन था।

    तभी दर्पण के भीतर से एक गहरी, गंभीर आवाज़ गूँजी—
    "तुमने जो देखा, वह सिर्फ़ शुरुआत है। असली सच सामने आने वाला है, और तुम्हारे साहस की परीक्षा अब होगी।"

    रिया ने पीछे हटने की कोशिश की, पर उसके कदम जैसे जकड़े हुए थे। वह जानती थी कि पीछे हटना अब संभव नहीं। उसकी आत्मा ने उसे हिम्मत दी। उसने भीतर की गहराइयों में जाकर अपने डर का सामना किया और धीरे-धीरे दर्पण के भीतर की दुनिया में कदम रखा।

    जैसे ही उसने कदम रखा, उसके चारों ओर की ऊर्जा बदल गई। उसे महसूस हुआ कि उसकी सोच, उसके भाव, और उसकी इच्छाएँ अब उस दर्पण की दुनिया को आकार दे रही थीं। वह समझ गई कि अब वह सिर्फ़ देख रही नहीं, बल्कि उस दुनिया का हिस्सा बन चुकी थी।

    उसने देखा कि उसके सामने उसकी खुद की आत्मा प्रकट हुई थी—शक्तिशाली, निडर, और स्वतंत्र। रिया ने खुद से कहा, "यह मैं हूँ… मेरी असली शक्ति, जो मेरे भीतर हमेशा छिपी रही।"

    लेकिन दर्पण की दुनिया ने उसे एक और चुनौती दी। उसकी आत्मा ने पूछा,
    "क्या तुम तैयार हो? जो सच सामने आएगा, वह तुम्हारी उम्मीदों और भय दोनों को बदल देगा।"

    रिया ने दृढ़ता से सिर हिलाया। उसे पता था कि अब उसे अपने डर, अपने अतीत और अपनी असली पहचान से सामना करना होगा। वह जानती थी कि इस सफ़र के बाद, उसकी ज़िंदगी पहले जैसी कभी नहीं रहेगी।

    रात पूरी तरह गहरी हो चुकी थी, पर रिया की आत्मा जाग रही थी। उसकी आँखों में दृढ़ता, साहस और एक अजीब सी शांति झलक रही थी। अब वह तैयार थी—अज्ञात रहस्यों, खोए हुए सपनों और अपनी छुपी हुई शक्तियों से मिलने के लिए।

    और इस तरह, रिया का सफ़र केवल शुरू हुआ था—एक ऐसा सफ़र जो उसे उसके अतीत, वर्तमान और भविष्य से जोड़ने वाला था। उस रात की ठंडी हवा, रौशनी और दर्पण की रहस्यमयी ऊर्जा ने उसे एक नया जीवन दिया—एक ऐसा जीवन, जिसमें अब कोई भय नहीं, केवल खोज और समझ थी।रिया ने धीरे-धीरे दर्पण के सामने खड़े होकर अपने भीतर की ताकत को महसूस किया। हर डर, हर संशय, हर अधूरी ख्वाहिश अब उसके साथ नहीं, बल्कि उसके नियंत्रण में थी। दर्पण की चमक धीरे-धीरे फीकी पड़ने लगी, और कमरे में फिर वही शांत अँधेरा लौट आया।

    पर रिया अब पहले जैसी नहीं रही। उसकी आत्मा ने उस रात का सामना किया, और उसने सीखा कि असली साहस सिर्फ़ बाहरी दुनिया में नहीं, बल्कि अपने भीतर के अँधेरों में ढूँढा जाता है।

    वह बाहर खिड़की से चाँद की रौशनी में झाँक रही थी, और महसूस कर रही थी कि उसका सफ़र अभी खत्म नहीं हुआ। यह केवल शुरुआत थी—एक नई ज़िंदगी, नई संभावनाओं और नए रहस्यों की।

    और रिया की आत्मा जान चुकी थी कि चाहे रास्ता कितना भी कठिन क्यों न हो, वह अब कभी अकेली नहीं थी—क्योंकि उसका सबसे बड़ा साथी उसका खुद का साहस और उसकी आत्मा थी।

    और इस तरह, रात खत्म हुई, पर रिया का असली सफ़र अभी शुरू हुआ।

  • 3. रूहों का सफ़र 👌 - Chapter 3

    Words: 1045

    Estimated Reading Time: 7 min

    रात के सन्नाटे में, हवाओं की सरसराहट मानो रिया के कानों में कोई अनकहा संदेश फुसफुसा रही थी। उसने महसूस किया कि यह सफ़र अब सिर्फ़ एक रहस्य नहीं, बल्कि उसकी तक़दीर बनने वाला है।

    सुबह की हल्की रोशनी जब उसकी खिड़की से भीतर आई, रिया की आँखें अपने आप खुल गईं। मगर आज उसकी आँखों में अजीब सी चमक थी, जैसे किसी नई दुनिया का दरवाज़ा उसके सामने खुलने वाला हो।

    कॉलेज जाते समय उसे बार-बार वो सपना याद आ रहा था—वो काली छाया, जो हर रात उसके चारों ओर मंडराती थी। लेकिन अब उस छाया के साथ एक चेहरा भी उभरने लगा था… एक युवक का चेहरा, जिसकी आँखों में दर्द और रहस्य दोनों झलकते थे।

    लाइब्रेरी के कोने में बैठकर जब रिया किताब पढ़ रही थी, अचानक बत्ती झपकी और बुझ गई। सब कुछ अंधेरा हो गया। रिया ने दिल थाम लिया। तभी उसके सामने वही परछाईं खड़ी थी—लेकिन इस बार वो डरावनी नहीं, बल्कि किसी अपने जैसी लग रही थी।

    परछाईं से एक धीमी आवाज़ आई,
    “रिया… ये सफ़र तेरा नहीं, हमारा है। अब तुझे सच जानना ही होगा…”

    रिया के होंठ काँप उठे, पर शब्द नहीं निकले। तभी अचानक पास की टेबल पर रखी किताब अपने आप खुल गई। उसके पन्नों पर ख़ून से लिखे अक्षर चमरिया की ज़िंदगी अब पूरी तरह बदल चुकी थी। वो अब जान चुकी थी कि उसके सपनों में आने वाला रहस्यमयी चेहरा कोई और नहीं, बल्कि अयान था—एक ऐसी
    रिया अब समझ चुकी थी कि वो परछाईं और वो रहस्यमयी लड़का कोई और नहीं, बल्कि उसकी किस्मत से जुड़ी एक अधूरी रूह थी।

    उस रूह का नाम आरव था—सदियों पहले एक हादसे में उसकी जान चली गई थी, लेकिन उसकी आत्मा अधूरी रही। उसकी अधूरी दुआ, अधूरा इश्क़ और अधूरी कहानी रिया के साथ जुड़ी हुई थी। रिया ही वो कड़ी थी, जिसके ज़रिए आरव की रूह को मुक्ति मिल सकती थी।

    आरव ने रिया से कहा,
    “मुझे मुकम्मल होने के लिए तेरी मदद चाहिए। तेरे दिल की सच्चाई ही मेरी आज़ादी है।”

    रिया के सामने दो रास्ते थे—

    1. सब कुछ भूलकर अपनी ज़िंदगी सामान्य जी ले।


    2. या फिर उस रूह को चैन दिलाने के लिए अपनी आत्मा और दिल को दाँव पर लगा दे।



    उसने दूसरा रास्ता चुना।

    एक अमावस की रात, झील के किनारे, जहाँ चाँदनी भी पहुँचने से डरती थी, रिया ने अपनी हथेली काटकर खून की एक बूँद उस किताब पर टपकाई, जिसमें “रूहों का सफ़र” लिखा था। उसी पल हवाएँ तेज़ हो गईं, आसमान गड़गड़ाया, और आरव की रूह उसके सामने रोशनी का रूप लेकर खड़ी हो गई।

    उसने आख़िरी बार रिया का हाथ पकड़ा और कहा—
    “अब मेरा सफ़र पूरा हुआ, लेकिन तेरा सफ़र अभी शुरू है। याद रखना… हम हमेशा एक-दूसरे की रूह में ज़िंदा रहेंगे।”

    धीरे-धीरे आरव की रूह उजाले में बदलकर आसमान में समा गई। चारों तरफ़ शांति छा गई, और रिया की आँखों से आँसू बह निकले।

    उस रात के बाद रिया की ज़िंदगी बदल गई। वो पहले जैसी मासूम लड़की नहीं रही। अब उसके भीतर हिम्मत, ताक़त और एक अनकही मोहब्बत की रोशनी बस गई थी।

    उसने आसमान की ओर देखा और मुस्कुराकर फुसफुसाई—
    “तेरा सफ़र पूरा हुआ आरव… अब मेरी बारी है।”

    और इस तरह, रूहों का सफ़र हमेशा के लिए मुकम्मल हो गया।रिया अब अकेली थी, लेकिन उसकी रूह में अब डर नहीं था। उसने सब कुछ देख लिया—अंधेरा, रहस्य, धोखा और एक ऐसी मोहब्बत, जो मौत के बाद भी ज़िंदा थी।

    आरव की रूह के जाने के बाद, उसके कमरे में अजीब सी ख़ामोशी छा गई। खिड़की से आती हवा मानो उसके गालों को छूकर कह रही थी कि वो अकेली नहीं है।

    रिया ने आईने में खुद को देखा। उसकी आँखों में अब मासूमियत के साथ-साथ एक सच्चाई भी थी। उसने महसूस किया कि आरव उसकी रूह का हिस्सा बन चुका है, और जब तक वो ज़िंदा है, आरव भी उसकी साँसों में ज़िंदा रहेगा।

    समय बीता… लेकिन हर रात जब चाँद अपनी रोशनी बिखेरता, रिया को ऐसा लगता जैसे आसमान से कोई उसकी तरफ़ मुस्कुरा रहा हो।

    उसकी ज़िंदगी में बहुत लोग आए और गए, लेकिन आरव की याद और उसका एहसास कभी कम नहीं हुआ।

    और आख़िरकार, एक दिन जब रिया की आँखें हमेशा के लिए बंद हुईं, लोगों ने देखा कि उसके चेहरे पर मुस्कान थी—जैसे वो किसी का हाथ थामे हुए चैन से सो गई हो।

    उसकी आत्मा जैसे ही शरीर से निकली, सामने आरव खड़ा था। वही आँखें, वही मुस्कान, और वही मोहब्बत।

    आरव ने हाथ बढ़ाया और कहा,
    “अब तेरा और मेरा सफ़र… हमेशा के लिए एक हो गया।”

    रिया ने उसका हाथ थाम लिया। दोनों रूहें आसमान की रोशनी में समा गईं, और हमेशा के लिए एक हो गईं।रिया की ज़िंदगी ने जितने उतार-चढ़ाव देखे थे, उतना शायद ही किसी ने देखा हो। मौत और ज़िंदगी के बीच की उस रहस्यमयी डगर पर उसने चलकर यह सीखा था कि सच्चा रिश्ता रूहों का होता है, जिस पर समय और मौत का कोई असर नहीं होता।

    आरव की रूह को मुक्ति मिलने के बाद भी रिया का दिल खाली नहीं हुआ। उसके भीतर आरव की मौजूदगी बनी रही। वो जब भी अकेली होती, उसके कानों में वही आवाज़ गूंजती—
    “मैं हमेशा तेरे साथ हूँ।”

    साल गुजरते गए… रिया की ज़िंदगी में बाहरी तौर पर सब कुछ सामान्य हो गया। लोग उसे एक मज़बूत और ख़ामोश लड़की के रूप में जानते थे, लेकिन उसके दिल का राज़ कोई नहीं जानता था।

    हर रात जब सितारे चमकते, रिया आसमान की ओर देखती और उसकी आँखें भर आतीं। उसे लगता कि वो सितारों की रोशनी में आरव की परछाईं देख रही है।

    आख़िरकार, एक दिन आया जब रिया का भी सफ़र पूरा होने लगा। उसकी साँसें धीमी हो गईं, लेकिन चेहरे पर एक अजीब-सी शांति और मुस्कान थी।

    उसने आँखें बंद कीं और अचानक सब कुछ बदल गया—
    उसके सामने रोशनी का एक विशाल दरवाज़ा था। उस दरवाज़े के पार आरव खड़ा था, वही मुस्कान, वही मोहब्बत, और वही इंतज़ार।

    रिया के होंठों पर आख़िरी बार सिर्फ़ यही शब्द निकले—
    “अब मेरा सफ़र भी पूरा हुआ।”

    आरव ने उसका हाथ थामा, और दोनों रूहें मिलकर उस उजाले में समा गईं।

    उस पल, न कोई अंधेरा था, न कोई डर, सिर्फ़ अमर इश्क़ की रोशनी थी।

    🌙✨
    “रूहों का सफ़र ख़त्म नहीं हुआ… बल्कि अमर हो गया।”

    🌙✨
    “रूहों का सफ़र… यहीं मुकम्मल हुआ।”

    🌙✨

  • 4. रूहों का सफ़र 👌 - Chapter 4

    Words: 1001

    Estimated Reading Time: 7 min

    रूहों का सफ़र ख़त्म नहीं हुआ… बल्कि अमर हो गया।
    🌙✨

    चाँद की मंद रोशनी में, वह जगह जैसे समय के परे थी। हवाओं में एक अजीब सी ठंडक थी, जो न सिर्फ़ शरीर को बल्कि आत्मा को भी छू रही थी। आकाश में तारे ऐसे चमक रहे थे जैसे पुरानी कहानियाँ फुसफुसा रही हों।

    माया और आरव दोनों वहीं खड़े थे। उनकी आँखों में डर नहीं, बल्कि एक अजीब सी समझदारी और शांति थी। उनकी आत्माएँ अब दुनिया की बंदिशों से मुक्त हो चुकी थीं।

    “देखो,” माया ने धीरे से कहा, “रूहें केवल हमारी यादों में जीती हैं… और यादें कभी नहीं मरती।”

    आरव ने सिर हिलाया। “हमारा सफ़र यहीं खत्म नहीं हुआ… यह सिर्फ़ एक नए अध्याय की शुरुआत है।”

    जैसे ही उन्होंने हाथ में हाथ डाला, चारों ओर हल्की रोशनी फैल गई। उनके चारों ओर हवा में स्वर्णिम धागे बुन रहे थे, जो अतीत और भविष्य के बीच एक पुल बना रहे थे।

    और फिर, एक अजीब सी खामोशी।

    “रूहों का सफ़र… यहीं मुकम्मल हुआ।”

    लेकिन उनकी मुस्कान में कोई अंत नहीं था—बल्कि अनंत का अहसास था।

    कहीं दूर, नर्म हवाओं में कोई आवाज़ गूंज रही थी:
    “सफर खत्म नहीं हुआ… बस रूप बदल गया।”

    माया और आरव अब सिर्फ़ नाम नहीं थे। वे स्मृतियों, प्यार और अमर आत्माओं का प्रतीक बन चुके थे। और यहीं, रात की चादर में, उनकी रूहें अनंत काल तक अपने सफ़र पर चलती रहीं।रात की चादर अभी भी फैली हुई थी, लेकिन अब वह जगह सिर्फ़ धरती की सीमाओं में नहीं थी। माया और आरव ने महसूस किया कि उनकी आत्माएँ अब किसी भी रूप में सीमित नहीं थीं। हवा, प्रकाश, और समय—सभी उनके साथ जुड़ चुके थे।

    “हम अब सिर्फ़ यहाँ नहीं हैं,” आरव ने कहा। “हम हर जगह हैं… हर स्मृति, हर एहसास, हर कहानी में।”

    माया ने धीरे से मुस्कराते हुए कहा, “और यही तो असली सफ़र है। जो मरता नहीं… जो बदलता नहीं… जो अमर होता है।”

    उनके चारों ओर अब न केवल रोशनी बल्कि रंग भी नाच रहे थे। हर रंग एक अलग दुनिया की कहानी कह रहा था—कुछ पुरानी खुशियों की, कुछ अधूरी उम्मीदों की, और कुछ भविष्य की अनजान राहों की।

    अचानक, हवा में हल्की सी फुसफुसाहट गूँज उठी:
    “आपका सफ़र यहीं खत्म नहीं हुआ… नए आयाम आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं।”

    माया और आरव ने एक-दूसरे का हाथ मजबूत किया। उनके लिए डर अब केवल एक शब्द था, क्योंकि वे जानते थे कि उनके भीतर और उनके बीच की शक्ति अब अनंत थी।

    और फिर, जैसे ही उन्होंने कदम आगे बढ़ाया, उन्होंने महसूस किया कि हर उनकी स्मृति, हर उनके अहसास ने एक नई दुनिया की नींव रख दी थी।
    रूहों का यह सफ़र अब सिर्फ़ उनके लिए नहीं, बल्कि उन सभी के लिए था, जो कभी प्यार, विश्वास और सच्चाई में बँधे।

    🌌✨
    उनकी मुस्कान अब हवा और तारों में घुल चुकी थी, और वही मुस्कान अमर बन गई।

    “हमारा सफ़र यहीं मुकम्मल नहीं हुआ… यह तो बस नई दुनिया की शुरुआत है।”
    चाँद की मंद रोशनी में, वह जगह जैसे समय के परे थी। हवाओं में एक अजीब सी ठंडक थी, जो न सिर्फ़ शरीर को बल्कि आत्मा को भी छू रही थी। आकाश में तारे ऐसे चमक रहे थे जैसे पुरानी कहानियाँ फुसफुसा रही हों।

    माया और आरव दोनों वहीं खड़े थे। उनकी आँखों में डर नहीं, बल्कि एक अजीब सी समझदारी और शांति थी। उनकी आत्माएँ अब दुनिया की बंदिशों से मुक्त हो चुकी थीं।

    “देखो,” माया ने धीरे से कहा, “रूहें केवल हमारी यादों में जीती हैं… और यादें कभी नहीं मरती।”

    आरव ने सिर हिलाया। “हमारा सफ़र यहीं खत्म नहीं हुआ… यह सिर्फ़ एक नए अध्याय की शुरुआत है।”

    जैसे ही उन्होंने हाथ में हाथ डाला, चारों ओर हल्की रोशनी फैल गई। उनके चारों ओर हवा में स्वर्णिम धागे बुन रहे थे, जो अतीत और भविष्य के बीच एक पुल बना रहे थे।

    और फिर, एक अजीब सी खामोशी।

    “रूहों का सफ़र… यहीं मुकम्मल हुआ।”

    लेकिन उनकी मुस्कान में कोई अंत नहीं था—बल्कि अनंत का अहसास था।

    कहीं दूर, नर्म हवाओं में कोई आवाज़ गूंज रही थी:
    “सफर खत्म नहीं हुआ… बस रूप बदल गया।”

    माया और आरव अब सिर्फ़ नाम नहीं थे। वे स्मृतियों, प्यार और अमर आत्माओं का प्रतीक बन चुके थे। और यहीं, रात की चादर में, उनकी रूहें अनंत काल तक अपने सफ़र पर चलती रहीं।
    चाँद की मंद रोशनी में, वह जगह जैसे समय के परे थी। हवाओं में एक अजीब सी ठंडक थी, जो न सिर्फ़ शरीर को बल्कि आत्मा को भी छू रही थी। आकाश में तारे ऐसे चमक रहे थे जैसे पुरानी कहानियाँ फुसफुसा रही हों।

    माया और आरव दोनों वहीं खड़े थे। उनकी आँखों में डर नहीं, बल्कि एक अजीब सी समझदारी और शांति थी। उनकी आत्माएँ अब दुनिया की बंदिशों से मुक्त हो चुकी थीं।

    “देखो,” माया ने धीरे से कहा, “रूहें केवल हमारी यादों में जीती हैं… और यादें कभी नहीं मरती।”

    आरव ने सिर हिलाया। “हमारा सफ़र यहीं खत्म नहीं हुआ… यह सिर्फ़ एक नए अध्याय की शुरुआत है।”

    जैसे ही उन्होंने हाथ में हाथ डाला, चारों ओर हल्की रोशनी फैल गई। उनके चारों ओर हवा में स्वर्णिम धागे बुन रहे थे, जो अतीत और भविष्य के बीच एक पुल बना रहे थे।

    और फिर, एक अजीब सी खामोशी।

    “रूहों का सफ़र… यहीं मुकम्मल हुआ।”

    लेकिन उनकी मुस्कान में कोई अंत नहीं था—बल्कि अनंत का अहसास था।

    कहीं दूर, नर्म हवाओं में कोई आवाज़ गूँज रही थी:
    “सफर खत्म नहीं हुआ… बस रूप बदल गया।”

    माया और आरव अब सिर्फ़ नाम नहीं थे। वे स्मृतियों, प्यार और अमर आत्माओं का प्रतीक बन चुके थे। और यहीं, रात की चादर में, उनकी रूहें अनंत काल तक अपने सफ़र पर चलती रहीं।

    उनकी मौजूदगी अब हर उस जगह में महसूस की जा सकती थी जहाँ प्यार, विश्वास और सच्चाई का नाम होता। हर स्मृति, हर अहसास, हर दिल की धड़कन में उनका प्रतिबिंब था।

    🌌✨
    “रूहों का सफ़र… यहीं मुकम्मल हुआ।”

    और इस तरह, उनका सफ़र खत्म हुआ—लेकिन वह अंत नहीं था। वह अमरता बन गया, उन सभी के लिए जो कभी प्यार और विश्वास में बंधे थे।

  • 5. रूहों का सफ़र 👌 - Chapter 5

    Words: 1051

    Estimated Reading Time: 7 min

    रात की ख़ामोशी में हवाओं की सरसराहट जैसे किसी पुराने राज़ की गवाही दे रही थी। ठंडी हवा, पुराने हवेली के टूटे दरवाज़ों से टकराकर अजीब सी आवाज़ें पैदा कर रही थी। हर कोई उस जगह से दूर रहना चाहता था — क्योंकि कहते हैं, वहाँ रूहें अब भी भटकती हैं…

    पर आज, एक साया फिर उस हवेली के बाहर रुका था।

    वो थी आर्या — वही आर्या जिसने एक ज़माने में अपनी रूह का हिस्सा आरव में देखा था। कई साल बीत गए थे, लेकिन उसकी आँखों में वही दर्द, वही सवाल अब भी जिंदा थे।

    “आरव…” उसने हवेली की तरफ़ देखा, जैसे किसी अदृश्य आवाज़ को पुकार रही हो।

    धीरे-धीरे दरवाज़ा चरमराया। भीतर अँधेरा था, पर उस अँधेरे में एक चमकती रोशनी झिलमिला रही थी — मानो कोई पुराना दीपक अब भी किसी इंतज़ार में जल रहा हो।

    आर्या के कदम भारी हो चले, पर उसका दिल उस उम्मीद से भरा था कि शायद… आज उसे जवाब मिल जाए।




    कभी यही हवेली आरव और आर्या के प्यार की साक्षी थी।
    दो रूहें, जो एक-दूसरे में सुकून ढूँढती थीं।

    आरव, जो हमेशा कहता था —

    > “रूहें कभी जुदा नहीं होतीं, बस वक़्त उन्हें अलग-अलग रास्तों पर भेज देता है।”

    हवेली की दीवारों पर अब सन्नाटा नहीं था, बल्कि एक सुकून भरी ख़ामोशी थी।
    जिस जगह कभी दर्द की गूँज सुनाई देती थी, वहाँ अब शांति की लहर थी।

    आर्या और आरव की रूहें अब भटकती नहीं थीं।
    उन्होंने अपना मुकाम पा लिया था — एक-दूसरे में, और उस अमर प्रेम में जो वक़्त की सीमाओं से परे था।

    गाँव वाले कहते हैं, “जब रात बहुत शांत होती है, तो हवेली के पास से हल्की-सी आवाज़ आती है — जैसे कोई हँस रहा हो… या कोई किसी से कह रहा हो, ‘हम फिर मिलेंगे।’”

    कभी-कभी फूलों की खुशबू हवा में तैर जाती है, और दीपक अपने आप जल उठता है।
    लोग कहते हैं, वो आरव और आर्या का इशारा है — कि प्यार कभी मरता नहीं।

    उनकी कहानी अब सिर्फ़ हवेली की नहीं रही —
    वो हर उस दिल में बस गई, जो सच्चे इश्क़ पर यक़ीन करता है।

    और यूँ,

    > “रूहों का सफ़र… यहीं मुकम्मल हुआ।”



    पर हर नई मोहब्बत में,
    हर नई कहानी में,
    उनकी रूहें अब भी ज़िंदा हैं…
    एक अनंत प्रेम के रूप में। 💫❤️

    लेकिन एक हादसे ने सब कुछ बदल दिया।

    वो तूफानी रात थी, जब आरव की कार उस पुरानी पहाड़ी सड़क से फिसलकर नीचे गिर गई थी। आर्या चीखती रह गई, पर सब कुछ खत्म हो गया। सिर्फ़ हवेली बची थी — और उसके भीतर कैद वो आख़िरी मुलाक़ात की गूँज।


    ---



    आर्या ने हवेली के अंदर कदम रखा।
    दीवारों पर धूल जमी थी, पर एक कमरे में अब भी गुलाब की हल्की खुशबू फैली थी।

    “तुम लौट आईं…”
    एक धीमी, पर जानी-पहचानी आवाज़ गूंजी।

    आर्या ठिठक गई।
    “आरव?”

    वो मुड़ी — सामने कोई नहीं था, बस एक हल्की रौशनी दीवार पर पड़ी और धीरे-धीरे एक साया बनने लगी।
    वो वही था — आरव की रूह, जैसे वक़्त ने उसे थाम रखा हो।

    > “मैं यहीं था, आर्या… तुम्हारे इंतज़ार में। तुम्हारी हर दुआ, हर आँसू मुझे यहाँ बाँधे रखता था।”



    आर्या की आँखों से आँसू बह निकले।
    “तुम गए क्यों थे? क्यों छोड़ा मुझे अधूरा?”

    आरव मुस्कुराया —

    > “शायद मेरी मौत तय थी, पर हमारा रिश्ता नहीं। मैं तब भी तुम्हारे पास था, जब तुमने पहली बार अपनी किताब में मेरा नाम लिखा था… जब तुमने उस पुराने मंदिर में मोमबत्ती जलाकर मेरी तस्वीर रखी थी।”



    आर्या ने काँपते हुए कहा, “क्या हम फिर एक हो सकते हैं?”

    > “रूहें हमेशा एक होती हैं, आर्या। बस जिस्म उन्हें बांधते हैं, और वक़्त उन्हें अलग करता है। लेकिन अब… शायद वक़्त भी थक गया है।”




    उस कमरे में अचानक हल्की हवा चली। मोमबत्तियाँ जल उठीं।
    दीवारों पर आरव-आर्या की पुरानी तस्वीरें झिलमिलाने लगीं — जैसे हवेली भी उनकी कहानी याद कर रही हो।

    आर्या ने आरव की रूह की तरफ़ कदम बढ़ाए।
    वो हवा की तरह पास आया और उसकी आँखों में झाँकने लगा।

    > “क्या तुम सच में जाना चाहती हो, आर्या? ये सफ़र… सिर्फ़ मौत का नहीं, अमरता का होगा।”



    आर्या ने सिर हिलाया, “मैं जहाँ तुम हो, वहीं रहना चाहती हूँ।”

    आरव ने हाथ फैलाया — और अगले ही पल, जैसे दो रूहें आपस में घुल गईं।

    हवेली में नूर छा गया।
    चारों तरफ़ सफेद रोशनी फैली, जैसे किसी ने सारे दर्द, सारे अँधेरे को मिटा दिया हो।


    ---

    अगली सुबह, गाँव के लोगों ने देखा — हवेली अब पहले जैसी नहीं थी।
    जहाँ पहले वीरानी थी, अब फूल खिले थे।
    दीवारों से धूल मिट चुकी थी, और अंदर जलता दीपक अब पहले से ज़्यादा उजला था।

    किसी ने कहा, “शायद वो दोनों अब चैन में हैं…”
    तो किसी ने फुसफुसाया, “नहीं, वो अब भी यहीं हैं — हवेली की रूहें बनकर, एक-दूसरे के साथ।”


    ---



    एक लेखिका ने उस हवेली पर किताब लिखी —
    “रूहों का सफ़र”

    कहानी में लिखा था —

    > “जब प्यार सच्चा हो, तो वो मौत से भी नहीं डरता। वो रूह बनकर भी जिंदा रहता है, किसी याद, किसी खुशबू, या किसी दीपक की लौ में।”



    लोगों ने उस किताब को पढ़ा और महसूस किया कि हर पन्ना जैसे किसी सच्ची मोहब्बत की धड़कन है।
    कई पाठकों ने बताया कि जब उन्होंने वो किताब पढ़ी, तो उन्हें एक अजीब-सी शांति महसूस हुई — जैसे कोई उनके पास बैठा हो… मुस्कुरा रहा हो।


    ---



    वर्षों बाद, जब हवेली को तोड़ने का आदेश आया, तो मजदूरों ने दीवार में कुछ पुरानी चीज़ें पाईं —
    एक पुरानी डायरी, जिसमें लिखा था:

    > “हमारा सफ़र खत्म नहीं हुआ।
    वो बस एक रूप बदल गया है।
    हर हवा की सरसराहट में, हर बारिश की बूंद में — हम ज़िंदा हैं।
    अगर कोई सच्चे दिल से हमें पुकारेगा,
    हम फिर लौट आएंगे…”



    नीचे दो नाम लिखे थे —
    आरव ❤️ आर्या


    ---


    कहते हैं, रूहें भटकती नहीं…
    वो वहीं ठहरती हैं जहाँ उन्हें प्यार मिला हो।

    आरव और आर्या की रूहें अब हवेली की दीवारों में नहीं, बल्कि उन दिलों में बसती हैं जो प्यार पर यक़ीन करते हैं।
    जब कोई अकेले में आँखें बंद करके सच्चे मन से किसी खोए हुए को याद करता है —
    वो दोनों वहीं होते हैं,
    हल्की हवा में, किसी मोमबत्ती की लौ में,
    मुस्कुराते हुए…

    > “रूहों का सफ़र… यहीं मुकम्मल हुआ।”
    लेकिन उनका प्यार — अब अमर हो गया।

  • 6. रूहों का सफ़र 👌 - Chapter 6

    Words: 1268

    Estimated Reading Time: 8 min

    हल्की हवा में किसी मोमबत्ती की लौ हौले-हौले काँप रही थी।
    रात स्याह थी, मगर उस लौ के चारों ओर एक अजीब-सी रौशनी फैली थी—
    जैसे वो सिर्फ़ दीया नहीं, किसी अधूरी कहानी की आख़िरी सांस हो।

    वक़्त जैसे थम गया था।
    कमरे के कोने में वो पुरानी तस्वीर अब भी थी—आरव और नायरा की—
    जिसे किसी ने बरसों से छुआ तक नहीं था।
    लेकिन आज, उस तस्वीर से मानो कोई एहसास निकलकर हवा में घुल रहा था।


    ---

    आरव की रूह खिड़की के पास थी।
    उसने धीरे से आसमान की ओर देखा—
    वो तारे जो कभी नायरा को गिनना पसंद था,
    आज कुछ ज़्यादा चमक रहे थे।

    “नायरा…”
    उसकी आवाज़ हवा में खो गई,
    पर अगले ही पल एक नरम सी फुसफुसाहट लौटी—
    “हाँ आरव, मैं यहीं हूँ…”

    वो लौ अचानक स्थिर हो गई।
    उसके पास नायरा की रूह खड़ी थी,
    सफ़ेद हल्की आभा में लिपटी हुई, जैसे चाँदनी ज़मीन पर उतर आई हो।


    ---

    “इतना सन्नाटा क्यों है आज?” आरव ने पूछा।
    नायरा मुस्कुराई—
    “क्योंकि आज सन्नाटा भी सुन रहा है कि रूहों की एक अधूरी कहानी मुकम्मल होने जा रही है।”

    आरव ने उसकी ओर देखा।
    वो अब भी वैसी ही थी—
    शांत, कोमल, और आँखों में वही वक़्त जो एक बार ठहर गया था।
    “तुम जानती हो न, मैंने कभी तुम्हें जाना ही नहीं छोड़ा।”
    “मुझे मालूम है,” नायरा ने कहा,
    “रूहों के सफ़र में जुदाई का मतलब ख़त्म होना नहीं होता।”


    ---

    उनके चारों ओर हवा तेज़ हुई।
    पुराने घर की दीवारें जैसे बीते लम्हों की गूँज दोहरा रही थीं—
    “मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता…”
    “और मैं तुम्हें छोड़ नहीं सकती…”

    दोनों मुस्कुराए, जैसे किसी ने वही पल लौटा दिया हो।
    अब न शरीर थे, न आँसू…
    सिर्फ़ एहसास था — उतना ही सच्चा जितना उनका प्यार।


    ---

    नायरा ने आगे बढ़कर कहा —
    “याद है, जब हमने कहा था कि अगर कभी दुनिया हमें जुदा कर देगी,
    तो हम हवा में मिलेंगे?”

    आरव ने मुस्कुराकर कहा —
    “हाँ… और अब वो वक़्त आ गया है।”

    उसने अपना हाथ उसकी ओर बढ़ाया।
    नायरा ने वो हाथ थाम लिया—
    ना कोई ताप था, ना ठंडक… बस एक पवित्र ऊर्जा थी,
    जो दोनों रूहों के बीच बहने लगी।

    धीरे-धीरे वो घर, वो दीवारें, वो तस्वीर — सब धुंधला होने लगा।
    उनकी रूहें ऊपर उठने लगीं,
    चाँदनी के साथ, जैसे आसमान खुद उन्हें अपनाने आया हो।


    ---

    नीचे ज़मीन पर मोमबत्ती बुझ चुकी थी,
    पर उसकी राख से एक हल्की सुगंध उठ रही थी।
    वो सुगंध वैसी ही थी, जैसी नायरा को पसंद थी —
    “सफेद चंपा” की ख़ुशबू।

    वो ख़ुशबू अब पूरे कमरे में फैल रही थी,
    और उस कमरे में जो कोई भी आता,
    वो कहता —
    “यहाँ कोई है… जो अब भी साँस लेता है, एहसासों में।”


    ---

    वक़्त बीत गया…
    सालों बाद, उसी जगह एक छोटा मंदिर बना दिया गया।
    लोग उसे “रूहों का दीप” कहते थे।
    कहा जाता था कि जो वहाँ सच्चे दिल से किसी अपने को याद करता,
    वो उसकी रूह से मिल पाता है —
    बस एक पल के लिए, मगर अमर याद बनकर।


    ---

    एक रात एक नौजवान वहाँ आया।
    उसने मोमबत्ती जलाई और आँखें बंद कर प्रार्थना की —
    “अगर सच में प्यार अमर होता है,
    तो मुझे कोई निशानी दो…”

    उसके सामने लौ कांपी —
    और हवा में दो आवाज़ें गूँजीं, बहुत हल्की, बहुत सच्ची—

    > “रूहों का सफ़र यहीं मुकम्मल हुआ…”
    “लेकिन हमारा प्यार — अब अमर हो गया।”




    ---

    उस नौजवान ने आँखें खोलीं।
    सामने दीवार पर आरव और नायरा की वही पुरानी तस्वीर टंगी थी।
    पर इस बार तस्वीर में दोनों मुस्कुरा रहे थे —
    ऐसे जैसे वो हमेशा से वहीं हों,
    हर आने वाले दिल को सिखाने कि प्यार वक़्त नहीं, रूह में बसता है।


    ---

    और उस दिन से जब भी हल्की हवा चलती,
    किसी मोमबत्ती की लौ काँपती,
    लोग धीरे से मुस्कुरा देते —

    > “शायद आरव और नायरा फिर मिल गए हैं…”



    क्योंकि कुछ रूहें…
    जुदा होकर भी कभी जुदा नहीं होतीं।
    रात की ठंडी हवा खामोश थी।
    बस एक मोमबत्ती जल रही थी—हल्की, थरथराती हुई।
    उसकी लौ कभी काँपती, कभी स्थिर हो जाती—
    जैसे किसी दिल की आख़िरी सांसें ज़िंदा हों।

    वो कमरा अब भी वैसा ही था—दीवारों पर वही पुरानी तस्वीरें,
    टूटी खिड़की से आती हवा में वो परिचित खुशबू—
    वो खुशबू जो कभी नायरा की थी।

    आरव की रूह वहीँ खड़ी थी,
    जहाँ उसने आख़िरी बार नायरा को “वादा” कहा था।
    उसकी आँखों में अब कोई आँसू नहीं थे,
    बस एक सुकून था—कि इंतज़ार ख़त्म होने वाला है।


    ---

    “नायरा…” उसकी आवाज़ हवा में खोई,
    मगर इस बार, जवाब आया—
    बहुत हल्का, बहुत मधुर—
    “मैं यहीं हूँ, आरव…”

    वो लौ अचानक स्थिर हो गई।
    मोम की एक बूँद नीचे गिरी, और उसके साथ जैसे समय ठहर गया।
    आरव ने देखा—
    सामने धुंध से एक आकृति उभरी,
    सफ़ेद आभा में लिपटी हुई,
    नर्म मुस्कान लिए हुए—नायरा।


    ---

    “तुम आ गई…”
    “मैं तो कभी गई ही नहीं,” नायरा ने कहा।
    “तुमने जो यादें छोड़ी थीं, मैं उनमें ही बसती रही।”

    आरव मुस्कुरा दिया—
    “फिर चलो, अब लौट चलते हैं… वहीं, जहाँ से सफ़र शुरू हुआ था।”


    ---

    धीरे-धीरे दोनों रूहें कमरे से निकलकर बाहर आईं।
    हवा में एक हल्की सी चमक थी।
    आसमान में चाँद पूरा था—ठंडा, शांत,
    और उनके ऊपर तारे ऐसे झिलमिला रहे थे जैसे कोई रास्ता दिखा रहे हों।

    आरव ने कहा—
    “हमने ज़िन्दगी में बहुत कुछ खोया, लेकिन शायद रूहें कुछ नहीं खोतीं।”
    नायरा ने सिर झुकाया, “क्योंकि प्यार जो रूहों से हो, वो वक़्त से नहीं मरता।”


    ---

    नीचे ज़मीन पर मोमबत्ती बुझ चुकी थी,
    पर उसकी राख में हल्की सी रौशनी अब भी बाकी थी।
    वो रौशनी अब उनके कदमों के साथ आसमान में उठने लगी—
    धीरे-धीरे, मानो किसी अनदेखे दरवाज़े की ओर बढ़ रही हो।

    वो दरवाज़ा उजाले से बना था।
    उसके पार एक ऐसी शांति थी,
    जिसमें न दर्द था, न इंतज़ार—
    बस एहसास था कि अब सब पूरा हो गया।


    ---

    जैसे ही दोनों रूहें उस उजाले में घुलीं,
    धरती पर एक हल्की हवा चली।
    उस हवा के साथ गुलाब की पंखुड़ियाँ उड़ने लगीं,
    और दूर मंदिर की घंटी अपने आप बज उठी।

    लोगों ने कहा—
    “कोई रूह घर लौट आई है।”


    ---

    वक़्त बीता।
    सालों बाद उसी जगह एक छोटा “दीप मंदिर” बन गया।
    लोग वहाँ मोमबत्तियाँ जलाते और कहते—
    “यहाँ आरव और नायरा की आत्माएँ रहती हैं।”

    कहा जाता था,
    जो सच्चे दिल से वहाँ किसी अपने को याद करे,
    वो एक हल्की हवा महसूस करता—
    जो कानों में फुसफुसाती—

    > “रूहों का सफ़र यहीं मुकम्मल हुआ…”
    “लेकिन उनका प्यार — अब अमर हो गया।”




    ---

    एक रात एक लड़की वहाँ आई।
    उसके हाथ में एक अधूरी चिट्ठी थी—
    जिसे उसने किसी अपने को कभी भेजा ही नहीं था।
    वो रोते हुए बोली—
    “क्या प्यार लौट सकता है?”

    उसी पल हवा चली।
    मोमबत्ती की लौ झिलमिलाई, और दो परछाइयाँ उसपर झलकीं—
    आरव और नायरा की।

    वो मुस्कुरा रहे थे—
    जैसे कह रहे हों,
    “प्यार लौटता नहीं, बस रास्ता बदल लेता है।”


    ---

    लड़की ने मुस्कुराकर आँसू पोंछे।
    उसने वो चिट्ठी लौ के पास रख दी।
    हवा ने उसे जला दिया, पर राख उड़कर आसमान में बिखर गई—
    शायद किसी और रूह तक पहुँचने के लिए।

    और उस रात के बाद,
    वो लड़की अक्सर कहती थी—
    “कभी-कभी मुझे हवा में दो आवाज़ें सुनाई देती हैं…
    जो कहती हैं — हम अब भी साथ हैं…”


    ---

    आज भी जब उस पहाड़ी के मंदिर में मोमबत्तियाँ जलती हैं,
    लोग मानते हैं कि दो रूहें वहाँ नाचती हैं—
    हल्की हवा में, चमकते आसमान के नीचे।

    वो लौ अब बुझती नहीं।
    क्योंकि वो सिर्फ़ मोम की नहीं,
    दो रूहों के प्यार की है।


    ---

    > “रूहों का सफ़र… यहीं मुकम्मल हुआ।”
    “पर उनका प्यार — अब अमर हो गया।” 🌙✨

  • 7. रूहों का सफ़र 👌 - Chapter 7

    Words: 1011

    Estimated Reading Time: 7 min

    हवा में अब भी वही नमी थी… वही अधूरापन, जो किसी की अधूरी दुआ के साथ रह गया था।
    पुरानी हवेली की दीवारों पर चाँद की रोशनी झिलमिला रही थी, और मोमबत्ती की लौ फिर से जल उठी —
    पर इस बार, बिना किसी हाथ के।

    आयरा धीरे-धीरे कमरे में दाख़िल हुई।
    वो कमरा, जहाँ कभी आरव उसकी रूह से बातें किया करता था।
    अब सन्नाटा था — पर दिल के भीतर, किसी की आवाज़ अब भी गूंजती थी,

    > “मैंने कहा था न… हम अमर हैं।”



    उसकी आँखों से एक हल्की मुस्कान फिसल पड़ी।
    वो मोम की मूर्ति जो आरव ने उसके लिए बनाई थी — अब धूप में पिघल नहीं रही थी।
    वो ठोस थी… जैसे किसी ने उसे अमरता का वरदान दे दिया हो।


    ---


    रात के तीसरे पहर में, हवेली के पीछे वाला पुराना बगीचा चमकने लगा।
    पेड़ों की पत्तियों के बीच हल्की नीली रोशनी फैल गई —
    आयरा को लगा जैसे आरव वहीं खड़ा हो…
    उसी सफ़ेद शर्ट में, मुस्कुराता हुआ।

    > “वक़्त हमें मिटा नहीं सकता, आयरा,”
    उसकी रूह की आवाज़ आई,
    “क्योंकि हम वक़्त से नहीं, वजूद से जुड़े हैं।”



    आयरा ने हाथ बढ़ाया…
    और इस बार, उसने महसूस किया — एक गर्माहट,
    जो किसी ज़िंदा सांस की तरह थी।

    उसकी आँखें भीग गईं,
    पर होंठों पर शांति थी — जैसे वो जानती हो,
    अब जुदाई नाम की कोई चीज़ बाकी नहीं।


    ---

    सुबह की पहली किरणों ने जब उस मोम की मूर्ति को छुआ,
    वो अचानक चमकने लगी।
    सारी हवेली में एक हल्की सी रोशनी भर गई —
    दीवारों पर उकेरे हुए निशान जीवित हो उठे।

    हर दीवार, हर झरोखा जैसे उनके प्यार की कहानी कह रहा था।
    लोग कहते हैं, उस हवेली में आज भी रात को हल्की हँसी की गूंज सुनाई देती है —
    कभी आरव की, कभी आयरा की।

    वो दोनों अब रूह नहीं रहे,
    बल्कि उस जगह की साँसें बन गए।


    ---



    “रूहों का सफ़र यहीं खत्म नहीं हुआ,”
    एक बूढ़ा साधु कभी कहता है,
    “क्योंकि जब प्यार सच्चा हो —
    तो उसका हर अंत,
    एक नई शुरुआत बन जाता है।”

    मोम की लौ अब भी जल रही है,
    और उसके बीच — दो परछाइयाँ,
    हमेशा के लिए एक-दूसरे में विलीन।


    ---



    ✨रात की खामोशी में हवेली की दीवारें अब भी वही किस्से फुसफुसाती थीं,
    जो दो रूहों ने कभी अपनी सांसों में बुन दिए थे।
    आयरा उस हवेली में लौट आई थी — जहाँ हर ईंट में आरव की याद दर्ज थी।
    वो जानती थी, यह उसकी आख़िरी यात्रा है… इस ज़िंदगी की नहीं, बल्कि उस अधूरे वादे की।

    मोम की वो मूर्ति अब धूप में पिघलती नहीं थी।
    उसमें एक अजीब सी ऊर्जा थी — जैसे किसी ने उसे आत्मा का अंश बना दिया हो।
    आयरा ने उसे छुआ, और उसकी उंगलियों के नीचे से एक हल्की गर्माहट उठी।
    वो ठंडी नहीं थी — वो ज़िंदा थी।

    > “आरव… क्या तुम यहीं हो?”
    उसने फुसफुसाया।



    और हवा में फिर वही पुरानी खुशबू फैल गई —
    चमेली, बारिश और अधूरी मोहब्बत की।
    कहीं दूर किसी दीपक की लौ टिमटिमाई… और एक धीमी आवाज़ आई,

    > “हमेशा से… आयरा। तुम्हारी सांसों में, तुम्हारी धड़कनों में।”



    आयरा मुस्कुराई, उसकी पलकों से आँसू गिरे —
    वो आँसू नहीं, जैसे दो रूहों का मिलन था।


    ---


    उस रात, हवेली में चाँदनी बिखरी थी।
    झील के पास खड़ा पुराना पेड़ — जिस पर कभी आरव ने उनका नाम उकेरा था,
    अब फिर से नया सा लग रहा था, जैसे किसी ने उसे जीवन दे दिया हो।

    आयरा उस पेड़ के नीचे पहुँची।
    हवा धीरे-धीरे उसके चारों ओर घूमने लगी —
    जैसे कोई उसे बाँहों में भर रहा हो।

    > “तुमने कहा था न, आरव,” उसने मुस्कुराकर कहा,
    “अगर दुनिया हमें जुदा करेगी, तो रूहें हमें मिलाएँगी।”



    पेड़ के नीचे ज़मीन पर हल्की नीली रोशनी उभरी।
    और वहाँ — आरव खड़ा था।
    उसी नज़र, वही मुस्कान, पर अब वो रूह नहीं था —
    वो चमक थी, शुद्ध, पारदर्शी, दिव्यता से भरी हुई।

    > “मैं लौटा हूँ, अपने वादे के साथ,” आरव ने कहा।
    “हमारा सफ़र कभी खत्म नहीं हुआ, आयरा… बस एक वक़्त रुका था।”



    उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया।
    आयरा ने बिना झिझक उसके हाथ में हाथ रख दिया।
    दोनों की रूहें एक-दूसरे में घुलने लगीं —
    जैसे दो लपटें एक लौ बन जाएँ।


    ---



    जब सुबह का पहला सूरज उगा,
    हवेली के ऊपर एक सुनहरी किरण ठहर गई।
    लोगों ने देखा — मोम की वो मूर्ति अब इंसानी आकार में नहीं रही,
    वो एक पारदर्शी क्रिस्टल की लौ बन गई थी, जो लगातार जल रही थी।

    उस लौ के भीतर —
    दो परछाइयाँ थीं, जो कभी अलग नहीं होतीं।

    कई साल बीत गए…
    हवेली अब खंडहर हो चुकी थी,
    पर उस क्रिस्टल की लौ अब भी जल रही थी —
    न हवा से बुझती, न बारिश से थमती।

    कहते हैं, जो भी प्रेमी वहाँ जाकर हाथ जोड़ता है,
    उसे अपने बिछड़े हुए प्रेम की एक झलक ज़रूर मिलती है।

    लोग उसे कहते हैं —

    > “रूहों का मंदिर।”




    --

    एक रात, सदियों बाद…
    हवा में फिर वही पुरानी खुशबू आई।
    झील के पास दो आकृतियाँ दिखाई दीं —
    एक आयरा, दूसरी आरव।

    वे अब इंसान नहीं थे, पर ऊर्जा थे —
    एक पवित्र एहसास, जो हर उस आत्मा में उतर जाता है
    जो सच्चे दिल से किसी को चाहता है।

    > “हम अब हर जगह हैं,” आरव की रूह ने कहा,
    “हर उस जगह जहाँ प्यार सांस लेता है।”



    > “और जहाँ जुदाई, बस एक छलावा बन जाती है…” आयरा ने मुस्कुराकर जोड़ा।



    दोनों एक-दूसरे की ओर झुके —
    और धीरे-धीरे नीली रौशनी में विलीन हो गए।

    झील की लहरों ने कुछ देर तक उन्हें थामा,
    फिर चाँद की परछाई में समा लिया।


    ---



    सदियों बाद भी, जब कोई उस हवेली के पास से गुज़रता है,
    तो उसे लगता है जैसे हवा में किसी के हँसने की हल्की गूंज है —
    जैसे कोई अब भी कह रहा हो,

    > “रूहों का सफ़र खत्म नहीं हुआ…”



    क्योंकि वो सिर्फ़ मोम की नहीं,
    दो रूहों के प्यार की लौ थी।

    और वो लौ —
    आज भी जल रही है।


    ---

    🌙
    “रूहों का सफ़र… अब वक़्त से परे, अमर हो चुका है।”
    🌙

  • 8. रूहों का सफ़र 👌 - Chapter 8

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