Novel Cover Image

रूहों का सफ़र 👌

User Avatar

Sadia khanam

Comments

4

Views

10

Ratings

4

Read Now

Description

रूहों का सफ़र 👌👌 एक छोटे से कस्बे की हवाओं में हमेशा एक अजीब-सी नमी रहती थी। वहाँ रहती थी आयशा—एक सीधी-सादी लड़की, जो बाहर से तो खुशमिजाज़ दिखती थी, लेकिन अंदर ही अंदर उसके दिल में सवालों का तूफ़ान पल रहा था। बचपन से ही उसे रातों में अजीब सपने आते...

Total Chapters (3)

Page 1 of 1

  • 1. रूहों का सफ़र 👌 - Chapter 1

    Words: 1013

    Estimated Reading Time: 7 min

    और उस रात, तारे पहले से ज़्यादा चमक रहे थे…

    मानो आसमान ख़ुद कोई राज़ छुपाए बैठा हो।

    अयान अपने घर की छत पर अकेला बैठा था। हवाओं की सरसराहट में भी उसे किसी अनजाने एहसास की आहट सुनाई दे रही थी। उसका दिल अजीब तरह से धड़क रहा था, जैसे किसी अनदेखी मंज़िल की ओर खींचा जा रहा हो।

    “कभी-कभी तारे, इंसान की किस्मत का रास्ता दिखाते हैं…” दादी की बातें उसके कानों में गूँजने लगीं।

    उसी पल, ठंडी हवा का एक झोंका आया और उसके सामने सफ़ेद पन्ने जैसा एक काग़ज़ उड़कर आ गिरा। अयान ने उठाकर देखा—उस पर लिखा था:

    “रूहों का सफ़र शुरू हो चुका है… क्या तुम तैयार हो?”

    अयान के हाथ काँप उठे। उसने इधर-उधर देखा, पर छत पर उसके सिवा कोई नहीं था।

    लेकिन अचानक उसे लगा कि कोई नज़रें उसकी रूह के आर-पार देख रही हैं।

    नीचे गली से पायल की धीमी-सी आवाज़ आई। उसने झुककर देखा तो एक लड़की सफ़ेद लिबास में खड़ी थी। उसका चेहरा धुंध में छुपा हुआ था, लेकिन उसकी आँखों की चमक उन सितारों से भी ज़्यादा थी जो उस रात आसमान में जगमगा रहे थे।

    लड़की ने धीरे से सिर उठाकर कहा—

    “अयान… अब सफ़र शुरू होता है।”

    उसकी आवाज़ दिल के अंदर तक उतर गई।

    अयान समझ नहीं पा रहा था—ये सपना है, या सच?

    लेकिन इतना तय था—वो रात अब उसकी ज़िंदगी बदलने वाली थी।अयान की धड़कनें तेज़ हो गईं। उसने लड़की को पुकारना चाहा, मगर आवाज़ गले में अटक गई। सफ़ेद लिबास वाली लड़की धीरे-धीरे गली की ओर बढ़ने लगी। उसकी चाल ऐसी थी मानो वो ज़मीन पर नहीं बल्कि हवा पर चल रही हो।

    अयान बिना सोचे-समझे सीढ़ियाँ उतरकर नीचे आया और उसके पीछे चल पड़ा। गली बिल्कुल सुनसान थी, लेकिन चारों तरफ़ अजीब-सी ठंडी धुंध फैल गई थी। हर कदम पर ऐसा लग रहा था मानो कोई अदृश्य दुनिया उसके आसपास जाग रही हो।

    लड़की एक पुराने, जर्जर हवेली के सामने आकर रुक गई। हवेली का दरवाज़ा खुद-ब-खुद चरमराकर खुल गया। अंदर अंधेरा था, लेकिन अयान को लगा कि कोई ताक़त उसे खींच रही है।

    वो सावधानी से अंदर दाख़िल हुआ। दीवारों पर जाले थे, और हर कोने से अजीब फुसफुसाहट सुनाई दे रही थी। अचानक, लड़की उसकी ओर मुड़ी। अब उसका चेहरा साफ़ दिख रहा था—नाज़ुक, मासूम, मगर आँखों में सदियों का दर्द भरा हुआ।

    उसने धीरे से कहा—

    “मेरा नाम सायरा है… मैं ज़िंदा नहीं हूँ। मेरी रूह यहाँ कैद है। और तुम्हें चुना गया है, मुझे आज़ाद कराने के लिए।”

    अयान के पैरों तले ज़मीन खिसक गई।

    “ये… ये मुमकिन नहीं!” उसने बुदबुदाया।

    सायरा की आँखों से आँसू की जगह हल्की-सी चमक टपकी, जो फ़र्श पर गिरते ही बुझ गई।

    “मुमकिन है, अयान। रूहों का सफ़र आसान नहीं होता। लेकिन अगर तुम पीछे हटे… तो तुम्हारी रूह भी हमेशा के लिए भटक जाएगी।”

    हवेली की दीवारें अचानक ज़ोर से हिलने लगीं, जैसे कोई अदृश्य ताक़त गुस्से में गरज रही हो। अयान घबराया, मगर उसी वक़्त उसके दिल ने कहा—

    “यही है तेरी मंज़िल… यही है तेरी किस्मत।”

    उसने सायरा की ओर हाथ बढ़ाया।

    “मैं तुम्हें आज़ाद करूँगा।”

    सायरा की आँखों में पहली बार उम्मीद की चमक जगमगाई।

    लेकिन हवेली के अंधेरों ने मानो उनकी क़सम सुन ली हो… और चारों तरफ़ काले साये घूमने लगे।अयान अपने घर की छत पर अकेला बैठा था। हवाओं की सरसराहट में भी उसे किसी अनजाने एहसास की आहट सुनाई दे रही थी। उसका दिल अजीब तरह से धड़क रहा था, जैसे किसी अनदेखी मंज़िल की ओर खींचा जा रहा हो।

    “कभी-कभी तारे, इंसान की किस्मत का रास्ता दिखाते हैं…” — दादी की बातें उसके कानों में गूँजने लगीं।

    उसी पल, ठंडी हवा का एक झोंका आया और उसके सामने सफ़ेद पन्ने जैसा एक काग़ज़ उड़कर आ गिरा। अयान ने उठाकर देखा—उस पर लिखा था:

    “रूहों का सफ़र शुरू हो चुका है… क्या तुम तैयार हो?”

    उसका दिल धड़कनों से बाहर निकलने को था। उसने इधर-उधर देखा, लेकिन छत पर उसके सिवा कोई नहीं था। तभी अचानक गली से पायल की धीमी-सी आवाज़ सुनाई दी।

    अयान ने झुककर नीचे देखा—एक लड़की सफ़ेद लिबास में खड़ी थी। उसका चेहरा धुंध में छुपा हुआ था, लेकिन उसकी आँखों की चमक उन सितारों से भी ज़्यादा थी।

    लड़की ने धीरे से सिर उठाकर कहा—

    “अयान… अब सफ़र शुरू होता है।”

    अयान के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। वो समझ नहीं पा रहा था—ये सपना है या सच? लेकिन इतना तय था—उस रात की ये मुलाक़ात उसकी ज़िंदगी की सबसे रहस्यमयी शुरुआत बनने वाली थी।और उस रात, तारे पहले से ज़्यादा चमक रहे थे…

    मानो आसमान की हर किरण अयान की रूह को छू रही हो।

    वो देर तक छत पर बैठा उन्हें देखता रहा। शहर की हलचल से दूर, इस सन्नाटे में सिर्फ़ उसकी धड़कनें और हवाओं की आवाज़ थी। लेकिन आज हवाओं में भी कुछ अलग था—एक अजीब-सा रहस्य, जो उसकी साँसों में घुलता जा रहा था।

    अचानक, उसकी नज़र छत के कोने पर पड़ी। वहाँ धूल में आधा दबा हुआ एक छोटा-सा ताबीज़ पड़ा था। अयान ने उसे उठाया—ताबीज़ पुराना था, उस पर नुकीले अक्षरों में कुछ लिखा था जो वो समझ नहीं पाया। जैसे ही उसने उसे छुआ, उसकी उंगलियों में एक ठंडी सिहरन दौड़ गई।

    तभी हवा का तेज़ झोंका आया और एक काग़ज़ उसके पैरों के पास आ गिरा। उस पर साफ़ लिखा था—

    “रूहों का सफ़र शुरू हो चुका है… क्या तुम तैयार हो?”

    अयान की आँखें फैल गईं। किसने लिखा ये? और क्यों?

    उसके कानों में अचानक फुसफुसाहट गूँजने लगी, जैसे कोई बहुत पास आकर कह रहा हो—

    “तुम्हें चुना गया है…”

    उसका दिल तेजी से धड़कने लगा। वो घबराकर खड़ा हुआ और छत से नीचे झाँका। गली सुनसान थी, मगर धुंध फैलने लगी थी। धुंध के बीच एक परछाईं साफ़ होती गई—एक लड़की, सफ़ेद लिबास में।

    वो धीरे-धीरे सिर उठाती है। उसकी आँखें तारे जैसी चमक रही थीं।

    उसने अयान को देखा और बेहद धीमी आवाज़ में कहा—

    “अयान… अब सफ़र शुरू होता है।”

    अयान हिल भी न पाया। वो समझ नहीं पा रहा था—ये सपना है, कोई वहम… या सच?

    लेकिन उसकी रूह को मालूम था—उस रात कुछ ऐसा खुलने वाला है जो उसकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल देगा।

  • 2. रूहों का सफ़र 👌 - Chapter 2

    Words: 1041

    Estimated Reading Time: 7 min

    लेकिन उसकी रूह को मालूम था—उस रात कुछ ऐसा खुलने वाला है जो उसकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल देगा। कमरे के अँधेरे को चीरती हुई ठंडी हवा ने जैसे उसे चेतावनी दी। उसने धीरे-धीरे आँखें खोलीं और महसूस किया कि कुछ असामान्य है। कमरे की दीवारों पर बिखरे चित्र धुंधले, और उनके चेहरे जैसे हल्की मुस्कान के साथ उसे घूर रहे थे।

    रिया ने खुद को शांत करने की कोशिश की, पर उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो रही थीं। तभी, कमरे के एक कोने में चमकती हुई रौशनी ने उसका ध्यान खींचा। वह रौशनी धीरे-धीरे आकार ले रही थी—मानो किसी ने एक पुराने दर्पण में प्राचीन शक्ति जमा दी हो।

    रौशनी के पास पहुँचते ही रिया को अजीब सी गर्माहट और सुकून का एहसास हुआ। उसकी आँखों के सामने अचानक एक छवि आई—एक बीते हुए समय की झलक। वह खुद को एक अलग जीवन में देख रही थी, जहाँ उसकी पसंद और उसके फैसलों ने उसे अलग राह दिखाई थी।

    पर उस अनुभव में कुछ डरावना भी था। जैसे ही उसने उस छवि को पकड़ने की कोशिश की, दर्पण के भीतर से एक आवाज़ सुनाई दी—धीमी, मगर स्पष्ट:
    "सब कुछ देखना और समझना तुम्हारे लिए आसान नहीं होगा, पर यही तुम्हारा सफ़र है।"

    रिया ने खुद से कहा, "मुझे जानना ही होगा। चाहे सच कितना भी कठिन क्यों न हो।"

    तभी, दर्पण की रौशनी अचानक फैल गई और कमरे को पूरी तरह से घेरे में ले लिया। रिया महसूस करने लगी कि अब उसके सामने सिर्फ़ भूत या यादें नहीं, बल्कि उसके भीतर छुपी हुई शक्तियाँ और चुनौतियाँ हैं।

    उस रात, रिया की आत्मा ने पहली बार महसूस किया कि उसका सफ़र सिर्फ़ खुद की नहीं, बल्कि उन सभी रहस्यों की ओर है, जो उसके जीवन को नए अर्थ देंगे। और इसी शुरुआत थी उस रहस्य की, जो उसकी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदलने वाला था।लेकिन उसकी रूह को मालूम था—उस रात कुछ ऐसा खुलने वाला है जो उसकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल देगा। कमरे की खिड़कियों से हल्की-हल्की ठंडी हवा आ रही थी, और रिया की सांसें तेजी से बढ़ रही थीं। उसने अपने चारों ओर देखा—कमरा वैसे ही शांत और सुनसान था, पर आज उस शांत वातावरण में एक अजीब सी ऊर्जा महसूस हो रही थी।

    राहुल की गैर-मौजूदगी में, रिया अकेली थी, पर उसकी आत्मा ने महसूस किया कि कोई अदृश्य शक्ति उसे देखने के लिए तैयार खड़ी थी। उसके सामने रखे पुराने दर्पण में अचानक हल्की सी चमक उभर आई। पहले तो वह सामान्य सा लगा, पर जब उसने नज़दीक जाकर देखा, तो उसके चेहरे की झलक जैसे दर्पण में अलग और ज़िंदा लग रही थी।

    रिया ने डर और उत्सुकता के मिश्रित भावों के साथ दर्पण को छूने की कोशिश की। जैसे ही उसकी उँगलियाँ शीशे को छूईं, दर्पण के भीतर एक और दुनिया खुल गई। वह जगह अजीब थी—ना पूरी तरह अंधेरा, ना पूरी तरह रोशनी से भरी। वहाँ पुरानी यादें, अधूरी कहानियाँ, और छिपी हुई भावनाएँ एक साथ बह रही थीं।

    रिया ने देखा कि वह खुद को अपने पिछले जीवन की यादों में घूमते हुए पा रही है। हर अनुभव, हर निर्णय और हर खोया हुआ सपना दर्पण के माध्यम से उसके सामने आ रहा था। वह महसूस कर रही थी कि ये सिर्फ़ यादें नहीं, बल्कि उसका स्वयं का अतीत और भविष्य का मिलन था।

    तभी दर्पण के भीतर से एक गहरी, गंभीर आवाज़ गूँजी—
    "तुमने जो देखा, वह सिर्फ़ शुरुआत है। असली सच सामने आने वाला है, और तुम्हारे साहस की परीक्षा अब होगी।"

    रिया ने पीछे हटने की कोशिश की, पर उसके कदम जैसे जकड़े हुए थे। वह जानती थी कि पीछे हटना अब संभव नहीं। उसकी आत्मा ने उसे हिम्मत दी। उसने भीतर की गहराइयों में जाकर अपने डर का सामना किया और धीरे-धीरे दर्पण के भीतर की दुनिया में कदम रखा।

    जैसे ही उसने कदम रखा, उसके चारों ओर की ऊर्जा बदल गई। उसे महसूस हुआ कि उसकी सोच, उसके भाव, और उसकी इच्छाएँ अब उस दर्पण की दुनिया को आकार दे रही थीं। वह समझ गई कि अब वह सिर्फ़ देख रही नहीं, बल्कि उस दुनिया का हिस्सा बन चुकी थी।

    उसने देखा कि उसके सामने उसकी खुद की आत्मा प्रकट हुई थी—शक्तिशाली, निडर, और स्वतंत्र। रिया ने खुद से कहा, "यह मैं हूँ… मेरी असली शक्ति, जो मेरे भीतर हमेशा छिपी रही।"

    लेकिन दर्पण की दुनिया ने उसे एक और चुनौती दी। उसकी आत्मा ने पूछा,
    "क्या तुम तैयार हो? जो सच सामने आएगा, वह तुम्हारी उम्मीदों और भय दोनों को बदल देगा।"

    रिया ने दृढ़ता से सिर हिलाया। उसे पता था कि अब उसे अपने डर, अपने अतीत और अपनी असली पहचान से सामना करना होगा। वह जानती थी कि इस सफ़र के बाद, उसकी ज़िंदगी पहले जैसी कभी नहीं रहेगी।

    रात पूरी तरह गहरी हो चुकी थी, पर रिया की आत्मा जाग रही थी। उसकी आँखों में दृढ़ता, साहस और एक अजीब सी शांति झलक रही थी। अब वह तैयार थी—अज्ञात रहस्यों, खोए हुए सपनों और अपनी छुपी हुई शक्तियों से मिलने के लिए।

    और इस तरह, रिया का सफ़र केवल शुरू हुआ था—एक ऐसा सफ़र जो उसे उसके अतीत, वर्तमान और भविष्य से जोड़ने वाला था। उस रात की ठंडी हवा, रौशनी और दर्पण की रहस्यमयी ऊर्जा ने उसे एक नया जीवन दिया—एक ऐसा जीवन, जिसमें अब कोई भय नहीं, केवल खोज और समझ थी।रिया ने धीरे-धीरे दर्पण के सामने खड़े होकर अपने भीतर की ताकत को महसूस किया। हर डर, हर संशय, हर अधूरी ख्वाहिश अब उसके साथ नहीं, बल्कि उसके नियंत्रण में थी। दर्पण की चमक धीरे-धीरे फीकी पड़ने लगी, और कमरे में फिर वही शांत अँधेरा लौट आया।

    पर रिया अब पहले जैसी नहीं रही। उसकी आत्मा ने उस रात का सामना किया, और उसने सीखा कि असली साहस सिर्फ़ बाहरी दुनिया में नहीं, बल्कि अपने भीतर के अँधेरों में ढूँढा जाता है।

    वह बाहर खिड़की से चाँद की रौशनी में झाँक रही थी, और महसूस कर रही थी कि उसका सफ़र अभी खत्म नहीं हुआ। यह केवल शुरुआत थी—एक नई ज़िंदगी, नई संभावनाओं और नए रहस्यों की।

    और रिया की आत्मा जान चुकी थी कि चाहे रास्ता कितना भी कठिन क्यों न हो, वह अब कभी अकेली नहीं थी—क्योंकि उसका सबसे बड़ा साथी उसका खुद का साहस और उसकी आत्मा थी।

    और इस तरह, रात खत्म हुई, पर रिया का असली सफ़र अभी शुरू हुआ।

  • 3. रूहों का सफ़र 👌 - Chapter 3

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min