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इल्ज़ाम ए इश्क - बेदर्द मोहब्बत

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rimjhim Sharma

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Description

कहानी शुरू होती हैं 1980 के दशक में लखनऊ की उन तंग गलियों में जहां रोशनी सिर्फ रातों में होती थी । दिन के उजाले सिर्फ अंधेरा ही लेकर आते थे ....और उन ही तंग गलियों की एक कमसिन तवायफ , जिसका नाम था नूर ....सिर्फ नूर .....पूरे कोठे की शान लेकिन हर गन्द...

Total Chapters (1)

Page 1 of 1

  • 1. सजा ए इश्क - बेदर्द मोहब्बत - Chapter 1

    Words: 176

    Estimated Reading Time: 2 min

    उन तंग गलियों का सबसे अदाकारी कोठा ....रानो बाई का कोठा .....आज फिर रोशनी से जगमगा रहा था । चारों तरफ लोगों की भीड़ उमड़ी थी । जो चेहरे समाज के इज्जतदार चेहरों में शामिल थे ......इस महफिल में रुआब के साथ जाम पर जाम चढ़ा रहे थे और उनकी वह लाल पटकती आंखें पर बस उन हसीन चेहरों पर टिकी थी जो पूरी महफिल की जान लूट रही थी ......रानो बाई का कोठा ... लखनऊ का इकलौता कोटि था जहां मर्द सिर्फ नजरों से जाम पी सकते थे किसी भी तवायफ को छूना इजाजत से बाहर था और जब बात रानो बाई की आती तो कोई ऐसा करने के बारे में सोच भी नहीं सकता था और अगर सोचने भर का ख्याल सभी आता तो बस गर्दन , धड़ से अलग हो जाती हैं ।
    वैसे इस महफिल की जान , बेकरार दिलों का चैन , सुकून सब कुछ थी - नूर ....जैसा दिल वैसी ही हसीं ...एकदम शांत और सुंदर और साथ ही पढ़ी लिखी लड़की....जो इस कोठे पर क्यों थी कोई नहीं जानता