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Unwanted love:A journey of love ❤️

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stuty Kumari

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शयन एक अठारह साल का कालेज स्टूडेंट है जो एक सनकी से बचने के लिए अपना शहर छोड कर दिल्ली आ जाता है । उस सनकी के आदमी उसका पीछा नही छोडते है । उनसे बचने के लिए वह एक लडकी का गेटअप ले लेता है । फिर उसकी सच्चाई से अंजान बिजनेसमैन वि...

Total Chapters (177)

Page 1 of 9

  • 1. Unwanted love:A journey of love ❤️ - Chapter 1

    Words: 1061

    Estimated Reading Time: 7 min

    जे के कालेज (पटना) (काल्पनिक नाम)

    आज जे के कालेज में नए स्टूडेंट आने वाले थे क्योंकि आज से नया बैच शुरू होने वाला था। सीनियर बहुत खुश थे कि अब वे फिर से रैगिंग कर सकेंगे। और नए स्टूडेंट अपने आने वाले भविष्य को लेकर उत्साहित थे।

    कालेज में स्टूडेंट का आना शुरू हो गया था। नए स्टूडेंट अपने ग्रुप के साथ थे और वहीं सीनियर अपने आप को तैयार कर रहे थे कि वे आने वाले नए स्टूडेंट की रैगिंग कैसे करें।

    उसी समय एक लगभग अठारह साल का लड़का कालेज कैंपस में आया। वह बहुत ही गोरा और नाजुक था। उसके बाल बड़े थे जिसे वह बार-बार पीछे कर रहा था। उसे देखकर सारे लोग कुछ न कुछ कमेंट कर रहे थे।

    वह लड़का बहुत ही दुबला-पतला था। उसकी आँखें नीली थीं जो उसे सुंदर बनाती थीं। उसकी आवाज़ भी बहुत पतली थी।

    वह लड़का दौड़ते हुए अंदर आया और एक पत्थर से टकराकर गिर गया। उसके हाथ से उसका बैग गिर गया और उसमें से सारे सामान नीचे जमीन पर फैल गए।

    एक लड़का आकर उसका आईडी कार्ड उठाकर पढ़ने लगा।

    नाम- शयन वर्मा
    पिता का नाम- स्व. नयन वर्मा
    माता का नाम- स्व. शीना वर्मा
    आयु- अठारह साल
    फैकल्टी- बिजनेस मैनेजमेंट (फर्स्ट ईयर)

    उसी समय एक लड़का, जिसका नाम अमन था और जो सीनियर भी था, शयन को उठाते हुए कहा- "तुम शयन हो?"

    "यस सर," शयन ने कहा।

    "तुम नया एडमिशन हो?" अमन ने पूछा।

    "यस सर," शयन ने डरते हुए जवाब दिया।

    "फिर तो इस कालेज का जो परम्परा है उसे तो पूरा करना ही होगा, है ना?"

    "यस सर," शयन ने कहा।

    "गुड बॉय। चलो जाकर जो भी इंसान अभी इस गेट से इस कालेज के अंदर आएगा, उसे तुम्हें लिप किस करना होगा। समझ गए?"

    "मैं यह नहीं कर सकता, प्लीज सर, कुछ और करा लीजिए," शयन ने विनती की।

    "करना तो वही पड़ेगा जो मैंने कहा, वर्ना मैं तुम्हारा इस कालेज में एक दिन भी रहना हेल बना दूँगा। स्कॉलरशिप पर आए हो ना, अब तक की सारी मेहनत बर्बाद कर दूँगा।"

    शयन के पास उसकी बात मानने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। उसके लिए कालेज पूरा करना बहुत जरूरी था।

    "सर, ठीक है, मैं तैयार हूँ," शयन ने कहा।

    "गुड बॉय," अमन ने कहा।

    शयन जाकर गेट के पास खड़ा हो जाता है। उसके पीछे सारे जूनियर और सीनियर भी खड़े थे। तभी उसे गेट के अंदर एक आदमी आता नज़र आता है। उसे देखकर सारे लोग शॉक थे। अमन जल्दी से शयन को रोकना चाहता है, पर वह जब तक रोक पाता, शयन उस इंसान के होठ पर अपने होठ रखकर किस कर अलग होने लगता है।

    उसी समय वह आदमी उसके कमर को पकड़कर अपनी ओर खींचकर उसके होठ पर अपने होठ रखकर पैशनेट होकर किस करने लगता है।

    यह देखकर सारे स्टूडेंट शॉक रह जाते हैं।

    "अरे यार, ये क्या हो गया! मेरे कारण वह बहुत बड़ी मुसीबत में फंस सकता है," अमन बोला।

    करीब पाँच मिनट तक वह आदमी शयन को किस करने के बाद अलग होता है। शयन का पूरा मुँह सूज गया था।

    "आई एम सॉरी सर, मेरा इरादा आपको किस करने का नहीं था। वह मजबूरी में करना पड़ा," शयन ने कहा।

    वह आदमी उसे देखते हुए मुस्कुराते हुए चला जाता है।

    शयन भी अपनी किताब और बैग लेकर अपने क्लास को खोजता हुआ चला जाता है।

    उसी समय अमन के पास उसका दोस्त तपन आता है। वह भी बहुत टेंशन में था। उसके साथ दो-तीन लड़के और थे।

    "अमन यार, ये तो बहुत बुरा हुआ। हमारे मस्ती-मजाक का यह असर होगा मैंने नहीं सोचा था। शयन हमारे कारण बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गया है। वह जैसे उसे देख रहे थे, शयन की लाइफ चेंज हो जाएगी," तपन ने कहा।

    "यार मैं क्या करूँ, मुझे खुद उसके लिए बहुत डर लग रहा है। बस हम इतना कर सकते हैं कि अभी उससे दूर रहें ताकि समय पड़ने पर उसकी मदद कर पाएँ, जिसकी ज़रूरत उसे ज़रूर पड़ेगी। ऐसे भी वह बहुत क्यूट और नाजुक है। पता नहीं वह यह सब बर्दाश्त कैसे करेगा। तू जानता है ना, वह इंसान कुछ भी कर सकता है," अमन ने कहा।

    दूसरी ओर वह आदमी अपने बड़े से केबिन में बैठकर सुबह जब उसे शयन ने किस किया था, उस समय को याद कर रहा था।

    शयन को याद करते हुए उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। वह अपने मन में कहता है- "बेबी बॉय, तुम जो कोई भी हो, आज और अभी से मेरे हो।"

    तभी वह आदमी अपने असिस्टेंट को बुलाता है और कहता है- "आधे घंटे के अंदर मुझे उस लड़के की पूरी डिटेल चाहिए जिसने आज कालेज में मुझे किस किया था।"

    "ओके बॉस," यह कहकर असिस्टेंट जल्दी से वहाँ से निकल जाता है।

    चलिए, अब आपको इस आदमी का परिचय दे देती हूँ।

    नाम- विकास
    उम्र- पैंतीस साल
    पेशा- बिजनेस मैन। इनकी कंपनी पूरे राज्य को कंट्रोल करती है। पर असलियत में ये एक बहुत बड़े माफिया हैं। पूरे राज्य पर इनका राज चलता है। इससे पुलिस भी डरती है। यह देखने में बहुत सुंदर है। इन्हें जो चीज़ पसंद आती है, वह उनकी हो जाती है। उसके खिलाफ जाने की गलती कोई नहीं कर पाता है। उसके खिलाफ जो जाता है, वह ज़िंदा नहीं बच पाता है। उसका नाम ही लोगों में दहशत पैदा करने के लिए काफी है।

    करीब पच्चीस मिनट के बाद उसका असिस्टेंट उसके पास आकर उसे एक फाइल देकर चला जाता है। इस फाइल में शयन की सारी इंफॉर्मेशन थी।

    विकास उस फाइल को खोलता है। उसमें शयन की फोटो होती है। वह उस फोटो को छूते हुए कहता है- "बेबी बॉय, यू आर ऑसम। अब से तुम सिर्फ मेरे हो। अच्छा हो कि तेरी कोई गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड ना हो, वर्ना वह कल का सूरज नहीं देखेगा।"

    यह कहकर वह उस फाइल को पढ़ने लगता है। जब वह फाइल पूरा पढ़ लेता है, तो अंगूठे को अपने होठ पर फिराते हुए कहता है- "तुम सिंगल हो। अच्छा है। कभी किसी रिलेशनशिप में नहीं रहे, ये तो और भी अच्छा है। कोई बात नहीं, अब से तुम मेरे बॉयफ्रेंड हो। माय बेबी, आई एम कमिंग। अब फिर से तुम्हें चखना है। अच्छा है कि तुम मुझे अपना बॉयफ्रेंड एक्सेप्ट कर लो, वर्ना मैं तो तुम्हें जबरदस्ती ही अपने पास रखूँगा।"

    यह कहकर वह पागलों की तरह हँसने लगता है।

    अगले भाग में जारी......

  • 2. Unwanted love:A journey of love ❤️ - Chapter 2

    Words: 1180

    Estimated Reading Time: 8 min

    शयन अपने जीवन में आने वाले खतरे से अनजान, अपने कमरे में सोया हुआ था। तभी उसके पास एक लड़का आकर उसे उठाते हुए कहता है, "शयन, उठ जा यार, शाम के छह बज गए हैं, तुम्हें कैफे भी तो जाना है।"

    शयन उसकी बात सुनकर उठ जाता है और स्माइल करते हुए कहता है, "मिहिर, थैंक्स यू यार, तू मेरी लाइफ की सबसे प्रेस्टीजियस चीज है। तूने मुझे अपने घर में रखा है और मेरा इतना ख्याल रखते हो।"

    यह मिहिर सक्सेना है। यह एक मिडिल क्लास फैमिली से आता है। इसकी आयु बीस साल है। इसके घर में इसकी माँ लता जी, जो लगभग पैंतालीस साल की होगी, और डैड नवल रहते हैं, जो पचास साल के हैं।
    यह दोनों टीचर हैं। इनकी एक बेटी भी है जो बारह साल की है।

    लगभग एक साल पहले शयन मिहिर को रास्ते पर मिला था। वह थोड़ा घायल था। वह बेहोश था। उसे लेकर मिहिर अपने घर आ गया था। उसके होश में आने पर उसने पूछा कि वह कौन है और उसकी ऐसी हालत कैसे हुई।

    शयन: "मैं शयन हूँ। थैंक्स यू मेरी मदद करने के लिए, अब मैं चलता हूँ।"

    मिहिर: "शयन, मैं मिहिर हूँ। तुम अभी घायल हो। तुम मुझे अपने घर का पता बता दो। मैं तुम्हें छोड़ दूँगा। तुम अपने घर वालों का फ़ोन नंबर दे दो, उन्हें भी सब बता दूँगा, वो लोग परेशान होंगे।"

    शयन: "मेरा कोई घर नहीं है। मैं अनाथ हूँ। मैं जहाँ रहता था वहाँ से टाइम पर रेंट नहीं देने के कारण उन लोगों ने निकाल दिया। कुछ दिन बाद, जब मेरा कैफे में काम करते हुए एक महीना पूरा हो जाएगा, तो सैलरी से एक नया रेंट ले लूँगा। अब मैं चलता हूँ।"

    मिहिर: "हे यार, ऐसी हालत में कहाँ जाएगा? तू यहीं रह जा, जो रेंट तू किसी और को देता, वही मुझे भी दे देना।"

    शयन उसकी बात मानकर उस घर में रहने के लिए मान जाता है। तब से वह वहीं रह रहा है। लता और नवल भी उसे अपने बेटे की तरह मानते हैं। शयन भी उन लोगों की बहुत केयर करता है।


    शयन जल्दी से तैयार होकर अपने कैफे के लिए निकल जाता है। वह लेट ना हो जाए इसलिए वह आज साइकिल चलाकर जाता है।

    वह जैसे ही कैफे पहुँचता है, उसकी नज़र सामने टेबल पर बैठे अमन और उसके दोस्तों पर जाती है।

    शयन उन्हें देखकर घबरा जाता है। फिर वह अपने कपड़े चेंज कर बाहर आकर लोगों से उनका ऑर्डर बुक करने लगता है।

    फिर वह अपने साथ काम करने वाले एक लड़के, रुप को, अमन के टेबल पर ऑर्डर बुक करने के लिए कहता है।

    रुप अमन के पास जाकर उसे ऑर्डर करने के लिए कहता है। अमन उसे देखकर स्माइल करता है और कहता है, "तुम जिसके बोलने पर मेरे पास आए हो उसे कहो कि वह खुद आकर मेरा ऑर्डर ले।"

    रुप शयन के पास जाकर बताता है कि टेबल नंबर 12 पर बैठे शख्स ने उसे ही ऑर्डर लेने को कहा है। उसकी बात सुनकर शयन अमन के पास जाने लगता है।

    शयन अमन के पास आकर खड़ा हो जाता है और उससे अपना ऑर्डर देने के लिए कहता है।

    शयन: "सर, प्लीज प्लेस योर ऑर्डर।" यह कहकर वह चुपचाप वहाँ पर खड़ा रहता है।

    अमन: "तुम यहाँ पर क्या कर रहे हो?"

    शयन: "मैं यहाँ जॉब करता हूँ।"

    अमन उसे आगे कुछ नहीं कहता और अपना और अपने दोस्तों का ऑर्डर दे देता है। कुछ देर बाद वे लोग वहाँ से चले जाते हैं। वहाँ से बाहर निकलकर अमन अपनी कार में बैठता है। उसके दोस्त भी उसके साथ थे।

    अमन के दोस्त: "कुछ भी कहो यार, शयन बहुत मेहनती है और क्यूट भी। पर आगे क्या होगा, यही सोचकर डर लग रहा है।"


    अमन: "पता किया कि उसके कोई रिश्तेदार हैं जहाँ उसे यहाँ से भेजा जा सके?"

    तपन: "नहीं यार, उसका कोई भी नहीं है। वह बिल्कुल अकेला है। अगर उसे कुछ हो भी जाए तो कोई कंप्लेंट भी नहीं करेगा।"

    अमन: "चुप कर अपनी बकवास। उसे हमें ही बचाना होगा। दुबारा मैं वह नहीं होने दे सकता जो पहले हो चुका है।"

    तपन: "टेंशन मत ले, हम सब मिलकर उसे बचा लेंगे।"


    वे लोग आपस में इस बारे में बात करते हुए चले जाते हैं।


    दूसरी ओर, विकास कल की सुबह का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था ताकि वह शयन को दुबारा अपने सामने देख सके। वह ऐसे ही उसे याद करते सो गया।


    शयन भी रात के करीब ग्यारह बजे घर पहुँचा। वह बिना आवाज किए अपने कमरे में जाने लगा। तभी घर की लाइट ऑन हो गई। सामने हाल में लता जी खाना लेकर बैठी थीं। वह शयन को देखकर मुस्कुराते हुए कहती हैं, "यह ले और खाकर ही सोना। भूखे पेट नींद नहीं आएगी।"

    शयन उसकी बात सुनकर अपना सिर हिला देता है। यह देखकर वह लाइट ऑफ कर अपने कमरे में चली जाती है। शयन की आँखों के कोनों में पानी भर गया था।

    वह जब छोटा था तभी उसके माँ-बाप नहीं रहे थे। आज इतने सालों बाद मिहिर और उसकी फैमिली से इतना प्यार पाकर वह खुश था। वह खाना खाकर सो जाता है।

    सुबह वह कॉलेज जाता है। आज से कॉलेज का लेक्चर शुरू था। वह तेजी से अपनी क्लास में जाने लगता है। कोई इंसान उसे तब से ही देख रहा था जब से वह कॉलेज आया था। इन सब से बेखबर वह अपनी क्लास का इंतज़ार कर रहा था।

    दूसरी तरफ, विकास अपने घर में तेजी से अपना ब्रेकफास्ट फ़िनिश कर रहा था। उसी समय उसके माँ-बाप उसके पास आकर बैठ जाते हैं।

    विकास के डैड: "बेटा, अब तुम्हें भी शादी करके सेटल हो जाना चाहिए। अब तुम सक्सेसफुल भी हो चुके हो।"


    विकास की माँ: "अगर तुम हाँ कहो तो मैं लड़कियाँ देखना शुरू कर दूँ।"

    विकास: "ओके माँ, पर उसे मुझे भी पसंद आना चाहिए।"

    विकास के माँ-बाप उसकी बात सुनकर बहुत खुश हो गए। कुछ देर इधर-उधर की बात कर ब्रेकफास्ट फ़िनिश कर वे लोग भी वहाँ से चले गए।



    विकास अपने आप से: "सारी बेबी बॉय पर तुम्हें मेरा पेट बनके रहना पड़ेगा। तुम्हें तो छोड़ नहीं सकता। तुम मेरी डिज़ायर को शांत करने के लिए हमेशा मेरे साथ रहोगे।" यह कहकर वह हँसने लगता है।

    "माय डियर बेबी, वेट फॉर मी, आई एम कमिंग।" यह कहकर वह अपने ड्राइवर को कार लेकर आने के लिए कहता है।

    वह कार में बैठकर ड्राइवर को कार कॉलेज ले जाने के लिए कहता है। वह बीच रास्ते में रहता है जहाँ उसका फ़ोन बजने लगता है।


    विकास: "हैलो, क्या बात है जो मुझे कॉल किया है?"

    असिस्टेंट: "सर, हमें फ़िलाडेल्फ़िया में बनने वाले होटल प्रोजेक्ट मिल गया है। हमें छह महीने के अंदर ही इसे कंप्लीट करना है। सर आपको वहाँ जाकर यह खुद हैंडिल करना पड़ेगा जिससे हमारी कंपनी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी एक अलग पहचान बना लेगी और कंपनी को बहुत फ़ायदा होगा।"

    विकास अपने ड्राइवर को कार एयरपोर्ट ले जाने के लिए कहता है।


    विकास अपने आप से: "बेबी बॉय, जस्ट वेट फ़ॉर सिक्स मंथ्स। फिर तू मेरे आँखों के सामने ही रहेगा। ताकि मैं अपनी छह महीने की प्यास बुझाऊँगा।" यह कहकर वह एयरपोर्ट के अंदर चला जाता है।


    अगले भाग में जारी.....

  • 3. Unwanted love:A journey of love ❤️ - Chapter 3

    Words: 1123

    Estimated Reading Time: 7 min

    विकास अपने बिज़नेस के सिलसिले में यूएस निकल गया। उसके माँ-बाप ने उसके लिए एक लड़की पसंद की, जो उसे भी बहुत पसंद आयी। उसने उस लड़की से शादी के लिए हाँ कर दिया।

    इधर, शयन अपने जीवन में आने वाले भूचाल से अनजान, आराम से अपना कॉलेज और काम अच्छे से मैनेज कर रहा था। लेकिन आज भी एक इंसान लगातार उस पर अपनी नज़र रखे हुए था। ऐसे ही छह महीने बीत गए। शयन ने अपनी एक सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी कर ली थी। वह पूरे क्लास में फर्स्ट आया था। अब उसे ट्रेनिंग के लिए किसी कंपनी को ज्वाइन करना था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह आगे क्या करेगा। उसकी तो कोई पहचान भी नहीं थी।

    विकास अब लौट आया था। आते ही उसने अपने माँ-बाप के पसंद की लड़की से इंगेजमेंट कर ली थी। वह अभी भी शयन को भुला नहीं था। वह आज भी शयन को पाना चाहता था।

    वह ऑफिस में अपने असिस्टेंट को बुलाकर फिर से शयन के पिछले छह महीने का रिकॉर्ड मँगवाता है। उसे यह जानना था कि इन दिनों शयन किसी रिलेशनशिप में तो नहीं आ गया है।

    असिस्टेंट उसकी बात मानकर उसके बारे में पता लगाने लगता है। असिस्टेंट अपने मन में सोचता है, "शयन, मुझे तेरे लिए बहुत बुरा लग रहा है। मैं जानता हूँ कि तू बहुत मासूम है। अपनी लाइफ में बहुत संघर्ष किया है। पर अब तेरा कुछ नहीं हो सकता है। वह सनकी खुद शादी कर रहा है पर तेरी लाइफ को कंट्रोल करके रहेगा।"

    थोड़ी देर बाद वह सब डिटेल के साथ वापस आ जाता है। उसने शयन के पिछले छह महीने की सारी डिटेल एक फाइल बनाकर दे दी थी।

    विकास ध्यान से फाइल पढ़ने लगता है। सारी डिटेल पढ़ने के बाद वह स्माइल करने लगता है। फिर वह पूरे एटीट्यूड के साथ ऑफिस से निकलकर कॉलेज आ जाता है।

    कॉलेज आते ही वह सबसे पहले शयन के क्लासरूम में आकर शयन का हाथ पकड़कर बाहर ले जाता है। शयन उसकी इस हरकत से शॉक रह गया था।

    "सर आप यहाँ? आपको मुझसे कोई काम था?" शयन ने पूछा।

    "हाँ, अब से तुम कॉलेज नहीं जाओगे। तुम मेरी कंपनी में काम करोगे। तुम्हारी सैलरी तीस हज़ार रुपए होगी।" विकास ने कहा।

    शयन जॉब और सैलरी सुनकर खुश हो जाता है। फिर वह बोलता है, "सर अगर मैं जॉब करूँगा तो क्लास कैसे करूँगा?"

    "अब तुम्हें सिर्फ अपना एग्ज़ाम देना होगा। चलो अभी मेरे साथ ऑफिस चलो।" यह कहकर वह उसे पकड़कर अपने साथ ले जाता है।

    उसके कॉलेज के सारे स्टाफ शयन के लिए बहुत दुखी थे। वे जानते थे कि अब वह विकास की नज़र में आ गया है। वह लोगों के साथ क्या करता है, पर उसके खिलाफ जाने की हिम्मत किसी में नहीं थी।

    विकास शयन को अपने ऑफिस में लाकर एक डेस्क पर बिठाकर काम करने को कहता है। फिर वह उससे कहता है कि, "तुम यहाँ मेरे अलावा किसी के करीब नहीं जाओगे।" उसकी बातों में अजीब तरह की सनक थी।

    जिसे महसूस कर शयन उसकी बात सुनकर डरते हुए कहता है, "मुझे यहाँ काम नहीं करना है। मैं जा रहा हूँ।" यह कहकर वह जाने लगता है।

    विकास उसका हाथ पकड़कर उसे रोकते हुए उसके गाल पर जोरदार थप्पड़ मारता है। वह थप्पड़ इतना जोर से पड़ा था कि वह गिरने लगा था, पर उसका हाथ विकास के हाथ में था, इसलिए सिर्फ़ झूलकर रह गया था।

    अब विकास उसका हाथ छोड़कर उसके बालों को पकड़कर कहता है, "तुम यहाँ से कहीं नहीं जा सकते। अगर यहाँ से जाने की कोशिश की तो तुझे पकड़कर कैद कर लूँगा। फिर अपनी पढ़ाई, करियर सब भूल जाना। तुम मेरे हो, इसलिए चुपचाप वही करो जो मैं कहता हूँ। दो महीने बाद हम शादी करेंगे। अभी दो महीने का टाइम तुम्हें मुझे जानने के लिए है। अब तुम यहाँ काम करोगे, भागने की कोशिश भी की तो पाताल से भी ढूँढ निकालूँगा।"

    शयन को उसकी हरकत ने डरा दिया था। वह ऑफिस में मौजूद लोगों की तरफ़ बेचारगी से देख रहा था, जैसे कह रहा हो कि मेरी मदद करो, मुझे बचा लो। उसकी नज़र देखकर सारे स्टाफ इधर-उधर देखने लगे और वहाँ से चले गए। कोई भी विकास के खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं कर सकता था।

    शयन समझ गया था कि कोई उसकी मदद नहीं करेगा। वह चुपचाप अपने डेस्क पर बैठकर अपना काम करने लगता है और उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे।

    उसे ऐसे देखकर विकास बहुत खुश था। वह लगातार शयन को ही देख रहा था। शाम को जब सब लोग चले जाते हैं तो वह शयन को अपने पास बुलाता है।

    उधर, ऑफिस से बाहर निकल सभी स्टाफ शयन की ही चिंता कर रहे थे क्योंकि उसे छुट्टी नहीं दी गई थी।

    शयन उसके केबिन में आता है। वह अभी भी रो रहा था। विकास उसके पास आकर उसकी आँखों के आँसू को बहुत रूडली पोछ देता है। फिर वह उसे अपने गले लगाकर उसके कानों में कहता है, "चुप हो जाओ। मुझे शांति चाहिए। मुझे रिलैक्स करने दो, अगर तेरे रोने की आवाज़ सुनाई दी मुझे तो सुबह से भी बुरा हाल कर दूँगा।" उसकी बात मानकर वह अपना रोना कंट्रोल करने लगता है। वह अपने हाथों से उसे छूने लगता है। उसके छुअन से शयन को बहुत गंदा लग रहा था, पर वह उसका विरोध नहीं कर पा रहा था क्योंकि वह उससे हर मामले में कमज़ोर था। जब उसका मन भर जाता है तो वह अलग हो जाता है।

    विकास फिर उसे पकड़कर किस करता है।

    "सुबह ऑफिस जल्दी आ जाना। आज तो सिर्फ हाथों से छुआ है। अगर मेरी बात नहीं मानी तो मैं और भी बहुत कुछ कर सकता हूँ। इसलिए अच्छे बच्चे की तरह मैं जो बोलूँ वह करो, वर्ना दिक्क़त तुझे ही होगी।" विकास ने कहा।

    शयन उसकी हरकत से इतना डर चुका था कि वह उसकी बात मानकर अपना सिर हिला देता है। वह तेज़ी से उसकी केबिन से निकलकर अपने घर जाता है। वहाँ पहुँचकर वह जल्दी से अपना दरवाज़ा बंद कर रोने लगता है। उसने अपना मुँह तकिए में छिपा रखा था ताकि उसके रोने की आवाज़ बाहर सुनाई न दे।

    वह नहीं चाहता था कि उसकी वजह से मिहिर या उसकी फैमिली परेशान हो। वह ऐसे ही रोते-रोते सो जाता है। अगली सुबह उसकी नींद नौ बजे टूटती है जब उसका फ़ोन बजता है। यह फ़ोन विकास का था, जिसे देखकर उसके पूरे शरीर में डर समा जाता है और वह कपकपा जाता है। वह टाइम देखकर डर के मारे गिरते-गिरते बचता है। वह जल्दी से फ़ोन उठाता है। उधर से आवाज़ आती है, "दस मिनट में बाहर आओ।"

    वह जल्दी से फ्रेश होकर बाहर चला जाता है। लता जी उसे आवाज़ देती हैं, पर वह कोई जवाब नहीं देता।

    अगले भाग में जारी........

  • 4. Unwanted love:A journey of love ❤️ - Chapter 4

    Words: 1239

    Estimated Reading Time: 8 min

    अपने घर से निकलकर शयन बाहर आया। उसने देखा कि विकास अपनी कार लेकर वहाँ खड़ा था। उसने शयन को कार के अंदर बैठने का इशारा किया। उसके इशारे को समझकर शयन ड्राइवर के बगल वाली सीट पर बैठ गया।

    यह देखकर विकास गुस्से से अपनी मुट्ठी बना लेता है। उसने उसे एकदम कोल्ड आवाज में पीछे आकर बैठने को कहा। उसकी आवाज में छुपी चेतावनी को समझकर शयन उसके पास आकर बैठ गया।

    वह शयन को पकड़कर खींचकर खुद में सटाकर बोला, "मैंने तुझे जल्दी आने को कहा था ना? तो तुम्हें इतनी देर कैसे हो गई?"

    शयन उसकी आवाज सुनकर डरते हुए बोला, "सोया रह गया। आई एम सॉरी।"

    विकास- "तेरी वजह से मुझे काम छोड़कर यहाँ आना पड़ा। मेरा समय बर्बाद हो गया। इसकी सजा तो मिलेगी ना? क्यों? सही कहा ना?"

    उसकी आवाज में मौजूद पागलपन को महसूस कर शयन बोला, "आगे से ऐसी गलती नहीं होगी, माफ़ कर दीजिए।"

    वह शयन से बोला, "बेबी बॉय, मेरे डिक्शनरी में माफ़ी का शब्द नहीं है। सजा तो मिलेगी ही कि दुबारा मेरी बात ना मानने की हिम्मत ना करे।"

    यह कहकर वह अपनी बेल्ट निकाल लेता है। फिर वह गाड़ी का पार्टीशन ऑन कर देता है। यह देखकर शयन डर से उसके पास से हटने लगा।

    वह हटते-हटते कार के डोर से सट गया। उसे ऐसा करते देखकर विकास के चेहरे पर डेविल स्माइल आ गई। वह बोला, "बेबी बॉय, डरते हुए तुम बहुत क्यूट लग रहे हो। यही डर मैं हमेशा तेरे चेहरे पर देखना चाहता हूँ।" यह कहकर वह उसके करीब जाकर उसके शर्ट को हटा देता है। अब शयन उसके सामने था; उसके ऊपरी बदन पर अब कुछ भी नहीं था क्योंकि उसके इनरवियर को भी उसने निकाल दिया था। शयन के विरोध का कोई असर नहीं हुआ। ऐसा करके वह हँस रहा था और शयन अपनी हालत पर रो रहा था। विकास के आगे वह बहुत कमजोर था।


    वह बहुत ही गंदे तरीके से उसे छू रहा था। जब इस बात से उसका मन भर जाता है, तो वह यह करना छोड़कर अपना बेल्ट उठा लेता है, जिसे थोड़ी देर पहले ही अपने पैंट से अलग कर लिया था। वह उसे लेकर शयन को मारने लगा। वह तब तक उसे मारता रहा जब तक वे लोग ऑफिस नहीं पहुँच जाते। जैसे ही वह ऑफिस पहुँचा, वह शयन को अपने कपड़े पहनने को बोला।

    विकास- "बेबी बॉय, जल्दी से अपने कपड़े पहनकर तैयार हो जाओ, तेरे बदन को ऐसे देखने का हक सिर्फ़ मेरा है। समझ गए या नहीं?"

    शयन उसकी बात पर अपना सिर हिला देता है।

    शयन किसी तरह अपने कपड़े पहनता है। वह भी विकास के साथ ऑफिस पहुँच जाता है। आज का सारा दिन भी उसका रोते ही बीतता है।


    विकास के साथ काम करते हुए डेढ़ महीने बीत गए थे। उसका ऑफिस में दिन की शुरुआत रोते हुए होती और अंत भी रोने से ही होता था। मिहिर, जो अपने मामा के पास गया हुआ था, वह वापस अपने घर आ जाता है।

    वह आते साथ शयन को खोजता है क्योंकि वह उसके लिए जैकेट लेकर आया था। वह उसे अपने कमरे में नहीं मिलता है।

    मिहिर- "माँ, कहाँ है ये शयन? कहाँ चला गया? अपने कमरे में भी नहीं है।"

    लता- "पता नहीं, आजकल यह लड़का कहाँ रहता है। सुबह-सुबह ही निकल जाता है और रात देर से घर आता है। खाना भी थोड़ा-बहुत खाता है। किसी से भी बात नहीं करता है।

    कल मैंने बात करने की कोशिश की तो 'थक गया हूँ' कहकर मुझे टाल दिया। वह बहुत परेशान है। वह अंदर ही अंदर घुट रहा है। तू तो उसकी आदत जानता है, वह किसी से ज़्यादा घुलता-मिलता नहीं है।"


    मिहिर- "ओके माँ, उसे आने दो, उससे बात करता हूँ।" वह वहीं हाल में बैठकर उसका इंतज़ार करने लगता है।

    रात के बारह बज गए थे। शयन अभी तक नहीं आया था। वह इंतज़ार करते-करते सो गया। उसकी नींद अगले दिन टूटी। उसके ऊपर कम्बल डला हुआ था। वह उठता है और फ्रेश होता है। फिर वह कम्बल को लेकर शयन के रूम में जाता है।

    शयन सोया हुआ था। आठ बज गए थे। वह उसे हिलाकर उठाने लगा। शयन उसके टच से सिहर गया और नींद में ही बड़बड़ाने लगा, "मुझे मत छुओ। मुझे मत मारो।"


    यह सुनकर मिहिर उसे झकझोर कर उठा देता है। शयन उसे अपने सामने देखकर जबरदस्ती की स्माइल करते हुए कहता है, "यार, कब आया तू? यहाँ क्या कर रहा है?"


    मिहिर- "पहले ये बताओ कि तुम्हें क्या परेशानी है।"

    शयन जबरदस्ती की मुस्कान अपने चेहरे पर लाते हुए कहता है, "मैं ठीक हूँ। तुम लोगों के साथ रहते हुए मुझे क्या होगा?"


    मिहिर को उसकी बात का यकीन नहीं हो रहा था। इन एक सालों में वह शयन को काफी अच्छे से जान चुका था।


    मिहिर उसका हाथ अपने सर पर रखकर कहता है, "मेरे सिर की कसम खाकर कह कि तू बिल्कुल ठीक है।"

    शयन अपना हाथ झटके से हटा लेता है और रोने लगता है। फिर वह कहता है, "मैं तेरी झूठी कसम नहीं खा सकता। मैं नहीं चाहता कि तुझे कुछ भी हो।"

    मिहिर- "सच-सच बताओ कि बात क्या है?"

    शयन उसे सब बात बता देता है।

    मिहिर- "अब क्या करेगा?"


    शयन- "मैं कुछ नहीं कर सकता। वह जैसे ही दो महीने हो जाएँगे, वह मुझे अपने पास रख लेगा। वह रोज़ मेरे साथ अपनी डिज़ायर पूरी करेगा।

    कल मैंने उसे अपने दोस्त से बात करते हुए सुना।" यह कहकर वह उसे बताने लगता है कि क्या हुआ।

    विकास का दोस्त- "तू क्या सच में उससे शादी करेगा?"

    विकास- "मैं पागल नहीं हूँ। इन दो महीनों में उसे इतना तड़पाता रहूँगा जितना शिकार करने के पहले शेर अपने शिकार को पस्त कर देता है। उसकी बेबसी देखकर अजीब सा सुकून मिलता है।

    जिस दिन दो महीने पूरे हो जाएँगे उसकी सारी हिम्मत खत्म हो जाएगी और वह चुपचाप मेरी बात मानकर रहेगा।"


    शयन- "मिहिर, मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा। मुझे अपने आप से नफ़रत हो चुकी है।"

    मिहिर- "शयन, तू ऐसे हार नहीं मान सकता। तुझे यहाँ से भागना होगा। तू इस तरह अपने आप को बर्बाद नहीं होने दे सकता है। वह रोज़ तेरे जिस्म से खेलेगा।

    तुझे हिम्मत से काम लेना होगा। ऐसे तू आज यहाँ कैसे है?"

    शयन- "वो आज एक मीटिंग के सिलसिले में बाहर गया है। इसलिए उसने मुझे ऑफिस आने से मना किया था। उसके गार्ड मेरे आस-पास ही होंगे और उनकी नज़र भी मेरे ऊपर होगी। वह मुझे अकेला नहीं छोड़ता है।"


    मिहिर और शयन जब आपस में बात कर रहे थे, उसी समय लता और नवल ने गलती से उनकी सारी बातें सुन ली थीं।


    लता- "बच्चा, इतना कुछ हो गया और हमें बताया भी नहीं। सब कुछ अकेले सहता रहा।"

    शयन- "मैं अपनी वजह से आप सब किसी मुसीबत में नहीं डालना चाहता था। मैं तो बर्बाद हो चुका, पर आप लोग सेफ रहिए।"

    मिहिर, लता और नवल शयन की मदद करना चाहते थे। उन्हें बहुत गुस्सा आ रहा था, पर वे बिना किसी प्लान के कुछ कर शयन की मुसीबत नहीं बढ़ाना चाहते थे।


    वह लोग उसे शहर से भगाने का सोच लेते हैं। धीरे-धीरे करके वे उसके भागने का इंतज़ाम करने लगते हैं कि किसी को कुछ भी पता ना चले।

    अगले भाग में जारी...

  • 5. Unwanted love:A journey of love ❤️ - Chapter 5

    Words: 1495

    Estimated Reading Time: 9 min

    वह लोग धीरे-धीरे शयन के भागने का इंतज़ाम कर रहे थे। वहीं दूसरी ओर, विकास का शयन को टॉर्चर करना बढ़ता जा रहा था।

    विकास की ऑफ़िस में ही अमन का एक दोस्त साहिल भी काम करता था। वह एक दिन अमन को मिलने बुलाता है। अमन के साथ तपन और बाकी दोस्त भी थे।

    "तूने यहाँ क्यों बुलाया?" अमन ने पूछा।

    "मैं यह बताना चाहता हूँ कि परसों विकास शादी कर रहा है। उसके बाद वह शयन को अपना 'पेट' बनाना चाहता है। उस कमीने ने उसका जीना मुहाल कर रखा है।" साहिल ने बताया।

    "वह उसे फिजिकली और मेंटली बहुत टॉर्चर कर रहा है। दो दिन बाद वह उसे सेक्सुअली अब्यूज़ करेगा।"

    "मेरा बस चले तो उसे अभी ही जान से मार दूँ। पर वह इतनी आसान मौत डिज़र्व नहीं करता। ठीक है, मैं उसे बचाने का उपाय करता हूँ।" अमन ने कहा। यह कहकर वह लोग चले जाते हैं।

    अगले दिन ऑफ़िस में विकास शयन को अपने केबिन में बुलाता है। फिर वह शयन को बहुत मारता है। कुछ देर बाद, जब उसका मन भर जाता है, तो छोड़ देता है।

    शयन, जिसे यह नहीं पता था कि उसे मार क्यों पड़ी, वह बहुत हिम्मत करके उससे पूछता है कि, "मुझे क्यों मारा?"

    "माय डियर बेबी बॉय, यू आर माय पेट। जब जो मेरा मन होगा, वो मैं तेरे साथ करूँगा। आज तेरी इतनी हिम्मत हो गई कि तुम मुझसे जवाब माँगो। चलो, इस हिम्मत का रिवॉर्ड ले लो।" विकास ने कहा।

    यह कहकर वह उसके शर्ट के बटन खोलकर उसे अलग कर देता है। फिर वह उसका पैंट भी खोल देता है। उसने उसके दोनों हाथों को पहले ही बाँध चुका था। शयन अब सिर्फ़ अंडरवियर में उसके सामने था। फिर वह उसके ऊपर आकर उसे किस करने लगता है। करीब दस मिनट बाद वह शांत होकर अलग होता है और उसके बालों को पकड़ते हुए कहता है, "चाहता तो अभी तेरे साथ इंटिमेट हो जाता, पर अभी मेरा मूड नहीं है।"

    "माय डियर बेबी बॉय, तू ऐसे ही जिएगा। बस भगवान से माँगो कि मेरा मन तुझसे जल्दी भर जाए, तब मैं तुझे छोड़ दूँगा।"

    "जब तक मेरा मन तुझसे नहीं भरता, तब तक तू ऐसी ही ज़िन्दगी जिएगा जो मैं चाहूँगा।" फिर वह उसके हाथ खोलते हुए कहता है, "जाकर अपने कपड़े पहन लो। वो भी यहीं पर, मेरे सामने।"

    शयन उसकी बात मानकर चुपचाप वही करता है। वह केबिन से बाहर आ जाता है। वह देखता है कि सारे लोग उसे ही देख रहे हैं। वह शर्मिंदा होकर अपना सिर झुकाकर अपने डेस्क पर बैठकर काम करने लगता है।

    सब को उसकी हालत पर तरस आ रहा था। इतने ही दिनों में वह बहुत बीमार लगने लगा था।

    उसी रात विकास उसे फिर से अपने केबिन में बुलाता है।

    "मे आई कम इन, सर?" शयन ने पूछा।

    "येस, कम इन।" विकास ने कहा।

    "सर, आपको मुझसे क्या काम था?" शयन ने पूछा।

    "मैं कल ही तुझसे शादी करूँगा। आज सुबह तेरे करीब आकर एहसास हुआ कि तू बहुत कमाल है। तू किसी और का ना हो सके, इसलिए आज और अभी तेरे साथ सुहागरात मनाऊँगा। ताकि तू किसी और के पास जाने लायक ना बचे।" विकास ने कहा।

    यह कहकर वह आगे बढ़कर उसके होंठों को बेरहमी से चूमने लगता है। शयन अपने को बचाने की कोशिश करता है, पर हमेशा की तरह कुछ नहीं कर पाता। ताकत और डर दोनों वजह से शयन सिर्फ़ बर्दाश्त कर रहा था। करीब दस मिनट तक किस करने के बाद वह उससे अलग होता है।

    फिर वह ज़बरदस्ती शयन का हाथ पकड़कर वहीं रखे काउच पर ले जाकर धकेल देता है और खुद उसके बगल में लेट जाता है। वह आगे कुछ करता, उसके पहले ही बेहोश हो जाता है।

    थोड़ी देर पहले ही शयन ने उसे पानी में मिलाकर बेहोशी की दवा दे दी थी, जिसके असर से वह सो जाता है।

    शयन जल्दी से केबिन से निकलकर ऑफ़िस से भागने लगता है। विकास का कोई भी गार्ड उसके पीछे नहीं जाता क्योंकि वह लोग भी चाहते थे कि शयन विकास के चंगुल से बच जाए।

    शयन सड़क पर बेतहाशा दौड़ रहा था। उसका पूरा चेहरा आँसुओं से भरा था। वह बहुत डरा हुआ था। वह जल्दी से घर पहुँच गया और जोर से दरवाजा खटखटाने लगा।

    "यार, जल्दी से दरवाज़ा खोलो। मैं बहुत बड़ी मुसीबत में हूँ।" शयन ने कहा।

    उसकी हरकत पर दरवाज़ा खुलता है। वह तेज़ी से अंदर आ जाता है। वह जाकर मिहिर के गले लग जाता है। हाल में मिहिका, लता और नवल भी थे। वह लोग भी शयन को ऐसे देखकर शॉक थे। लता मिहिका को उसके कमरे में छोड़कर आ जाती है।

    शयन कुछ बोल नहीं रहा था, वह सिर्फ़ रो रहा था।

    "शयन, क्या हुआ? तू ऐसे क्यों रो रहा है?" मिहिर ने पूछा।

    "शयन, बताओ भी क्या हो गया?" लता और नवल ने पूछा।

    शयन जवाब देने की जगह रो रहा था। उसकी हरकत से परेशान होकर मिहिर उसे एक जोरदार थप्पड़ मार देता है।

    उसके थप्पड़ से शयन होश में आ जाता है। शयन मिहिर के गले लगकर कहता है, "प्लीज़ मुझे बचा लो, वह आदमी कल मुझसे शादी कर लेगा। उसने आज मेरा रेप करने की कोशिश की।"

    यह कहकर वह सुबह से रात तक जो कुछ भी उसके साथ हुआ, सब बता देता है। उसकी बात सुनकर मिहिर का ध्यान उसके ऊपर जाता है। उसके पूरे चेहरे पर आँसुओं के निशान थे। उसका पूरा चेहरा लाल हो गया था। उसका पूरा होंठ सूज गया था। वह पूरा मैसी हुआ था। उसे देखकर मिहिर, लता और नवल को बहुत बुरा लग रहा था।

    "शयन, तुम्हें यहाँ से जाना होगा, वह इस शहर का राजा है। यहाँ रहोगे तो वह तुम्हें नहीं छोड़ेगा।" लता और नवल ने कहा।

    "आंटी, मैं कहाँ जाऊँगा? मैं तो किसी को जानता भी नहीं।" शयन ने कहा।

    "यह ले, मुंबई की टिकट। तू मुंबई चला जा। वह शहर बहुत बड़ा है। वहाँ मेरा एक दोस्त है, वह तेरी मदद कर देगा।" मिहिर ने कहा।

    "ये पैसे रख लो, तेरे काम आयेंगे। अब जल्दी से यहाँ से निकलो।" लता ने कहा।

    वह जब तक निकलता, उसी समय अमन अपने दोस्तों और विकास के असिस्टेंट के साथ आ जाता है। उन्हें देखकर शयन मिहिर के पीछे छिप जाता है।

    "शयन, मुझसे मत डरो, हम लोग तेरी मदद के लिए ही आए हैं। तू अभी इसी समय दिल्ली जा रहा है। वहाँ का सारा इंतज़ाम कर दिया है। जब तक मैं इस विकास को बर्बाद नहीं कर देता, तब तक तुम अपने को छिपाकर रखना।" अमन ने कहा।

    "मुझे आप पर विश्वास नहीं है। मैं मिहिर की बात मानूँगा।" शयन ने कहा।

    "ऐसे तुम हो कौन?" मिहिर ने पूछा।

    "वो मैं बाद में समझा दूँगा।" अमन ने कहा।

    फिर वह शयन का हाथ पकड़कर उसे जबरन कार में बिठा देता है। फिर वह ड्राइवर को कहता है, "इसे सही-सलामत पहुँचा देना, वर्ना मैं तुझे दूसरी दुनिया में पहुँचा दूँगा।"

    फिर वह शयन को कहता है, "अपना ख्याल रखना और मेरा इंतज़ार करना। इस विकास का खेल खत्म कर मैं तेरे पास आ जाऊँगा।"

    "मेरा ध्यान केवल विकास पर रहे, इसके लिए तेरी सेफ्टी बहुत ज़रूरी है। बाय एंड टेक केयर।" अमन ने कहा। वह कार शयन को लेकर चली जाती है।

    अमन मिहिर के हाथ से मुंबई का टिकट लेकर अपने एक आदमी को देकर कहता है कि, "तुम शयन के कपड़े पहनकर स्टेशन जाओ और आगे क्या करना है, तुम अच्छे से जानते हो।"

    "अब उस विकास को शयन को ढूँढने दो।" यह कहते हुए उसके चेहरे पर मिस्टीरियस स्माइल थी।

    दूसरी ओर, शयन दिल्ली पहुँच गया था। वह यह बात मिहिर को बताना चाहता था, पर उसने अपना फ़ोन वहीं छोड़ दिया था कि उसे कोई ट्रेस ना कर पाए। उसके रुकने का इंतज़ाम एक फ़्लैट पर किया गया था। वहाँ एक और लड़का रहता था।

    वह लड़का शयन के पास आकर कहता है, "हैलो हैंडसम, मेरा नाम भरत है। मुझे अमन ने तेरे साथ रहने कहा है। जाओ, जाकर फ़्रेश हो जाओ।"

    शयन उसकी बात मानकर बाथरूम में चला जाता है। उसी समय कुछ लोग उसकी तस्वीर लेकर भरत से पूछते हैं, "इसे कहीं देखा है?"

    "नहीं, ये है कौन?" भरत ने पूछा।

    "यह करोड़ों रुपये चुराकर भाग गया है।" वह आदमी ने कहा।

    "ठीक है, अगर दिखा तो बता दूँगा। अब आप लोग जाइए।" भरत ने कहा।

    वह लोग चले जाते हैं। उनके जाने के बाद शयन बाहर आता है। वह उन लोगों को देखकर छिप गया था।

    शयन भरत के पास आकर कहता है, "मेरा नाम शयन है। मैंने कोई चोरी नहीं की। मेरा यकीन करो।"

    "रिलेक्स, मुझे अमन ने सब बता दिया है। पर वह लोग यहाँ भी तुझे खोज रहे हैं। कुछ ऐसा करना पड़ेगा कि वह लोग तुझे पहचान ना पाएँ।" भरत ने कहा। फिर वह कुछ देर सोचने लगता है। फिर अचानक से चिल्लाकर कहता है, "आ गया आइडिया! अब कोई तुझे नहीं पहचान पाएगा।" यह कहकर वह शयन को देखने लगता है। शयन को उसका ऐसा देखना अजीब लगा, पर वह कुछ नहीं बोलता।

    वह उसे लंच करने का कहकर उसे बाहर से बंद कर चला जाता है।

    शयन को भी भूख लग गई थी। वह आराम से खाने लगता है। खाना खाकर वह हाथ-मुँह धोकर वहीं सोफ़े के पास कालीन पर बैठ जाता है। वह बहुत थक गया था, तो वहीं नीचे सो जाता है।

    अगले भाग में जारी...

  • 6. Unwanted love:A journey of love ❤️ - Chapter 6

    Words: 1369

    Estimated Reading Time: 9 min

    शयन वहीं पर सो गया था। थोड़ी देर बाद, जब भरत वापस आया, तो उसे वैसे ही सोया देखकर वह अपने मन में कहता है कि इतना बड़ा सोफा कम बेड था, तो वह उस पर न सोकर जमीन पर क्यों सोया है?

    वह उसे उठाने लगा। उसे छूते ही वह घबराकर अपनी आँखें खोल देता है। वह चौंक कर भरत को देखने लगता है।

    "आई एम सॉरी, तुम नीचे सो रहे थे इसलिए मैंने तुझे उठाया," भरत ने कहा।

    "आई एम सॉरी सर, पर मुझे किसी का टच बर्दाश्त नहीं हो पा रहा है," शयन ने उत्तर दिया।

    "इट्स ओके, तुम ऊपर सो जाओ," भरत ने कहा।

    शयन उसकी बात मानकर चुपचाप सोफे पर सो जाता है।

    उसके सोने के बाद भरत अमन को कॉल कर देता है। वह उसे बता देता है कि विकास के आदमी शयन को दिल्ली में भी खोज रहे हैं।

    "भरत यार, कुछ भी कर पर उसे कुछ नहीं होना चाहिए। मैं एक और इंसान को उस विकास की वजह से खो नहीं सकता," अमन ने कहा।

    "यार तू चिंता मत कर, मैं उसे प्रोटेक्ट करके रहूँगा," भरत ने आश्वासन दिया।

    "थैंक्स यार। अब मैं फोन रखता हूँ," यह कहकर अमन फोन रख देता है। वह अभी अपने फ्लैट में अपने कमरे में लेटा हुआ था।

    अमन अपने मेज के ड्रॉअर से एक फोटोफ्रेम लेकर अपने सीने से सटाते हुए कहता है, "तुझे खो चुका, पर उस विकास के कारण एक और इंसान अपनी ज़िंदगी से दूर नहीं होने दूँगा, यह मेरा वादा है तुझसे। उस विकास को बर्बाद करके रहूँगा। शादी कर रहा है। पर यह शादी उसकी ज़िंदगी में खुशियाँ नहीं, बर्बादी लेकर आएगी।"

    कुछ देर बाद शयन उठता है तो देखता है कि भरत उसके पास बैठा है। शयन उससे वहाँ रहने का कारण पूछता है।

    "शयन, तू मेरे लिए मेरे छोटे भाई जैसा है। अमन ने तेरी हिफ़ाज़त की ज़िम्मेदारी मुझे बहुत भरोसे के साथ सौंपी है," भरत ने कहा। "देख, यह तो तू भी जानता है कि विकास के आदमी तुझे यहाँ भी खोज रहे हैं।"

    "मैं जानता हूँ कि मेरा इतना दूर आना बेकार है। मुझे वो अपने साथ लेकर जाएगा," शयन ने कहा, रोने लगता है। फिर वह कहता है, "तुम मुझे ज़हर ला दो, उसके पास जाने से अच्छा मर जाना है।"

    "शयन, यह क्या बकवास कर रहा है? मरना किसी तरह का सॉल्यूशन नहीं होता है," भरत ने कहा। "देख, मैं जो कह रहा हूँ, तुम उसे मान जाओ; जब अमन सब ठीक कर लेगा, तो जो चाहे वो करना। ठीक है?"

    "मुझे क्या करना होगा?" शयन ने पूछा।

    "शयन, तेरी फ़िगर काफ़ी हद तक एक लड़की की तरह है। तुम जब तक यहाँ हो, तुम एक लड़की की तरह रहो। इस तरह के मेकओवर में कोई भी तुझे नहीं पहचान पाएगा," भरत ने समझाया।

    "पर यह तो धोखेबाज़ी होगी," शयन ने कहा।

    "यह सिर्फ़ अपने आप को बचाने के लिए है। देखो, यह करके तू उनकी नज़रों से बच सकता है," भरत ने कहा।

    उसकी बात पर शयन भी सोचने लगता है। काफ़ी देर तक भरत के समझाने के बाद शयन भी इस बात के लिए एग्री कर जाता है। वह सिर्फ़ किसी भी तरह विकास से दूर रहना चाहता था।

    भरत अपने कुछ भरोसेमंद लड़कियों को उसे मेकओवर करने के लिए बुलाता है और लड़कियों की तरह बात करने, चलने, फिरने और रहने की ट्रेनिंग दिलवाने लगता है।

    कुछ दिनों के बाद उसकी ट्रेनिंग खत्म हो जाती है। इतने दिनों से भरत ने भी उसे नहीं देखा था। एक दिन भरत कुछ काम के लिए बाहर गया था। वह जब भी बाहर जाता था, तो गेट को चाबी से लॉक कर जाता था।

    आज जब वह वापस आया, तो दरवाज़ा अंदर से बंद था और चाबी से नहीं खुल रहा था। वह खिड़की से अंदर जाने का सोचता है; उसे शयन की चिंता हो रही थी।

    वह ऐसा कुछ करता, उसके पहले ही गेट खुल जाता है। वह सामने खड़े शख्स को देखने लगता है। वह आगे कुछ बोलता, उसके पहले ही सामने वाला शख्स उससे बोल पड़ता है।

    "भैया, आजकल आप कहाँ रहते हैं? आज कितने दिनों के बाद मैं आपसे मिल रही हूँ।"

    "तुम कौन हो? मेरे घर में क्या कर रही हो? मेरा छोटा भाई कहाँ है? अगर उसे कुछ भी हुआ ना, तो मैं तेरा जान ले लूँगा। यह मत सोचना कि तू लड़की है तो ऐसा नहीं करूँगा," भरत ने गुस्से से कहा।

    तभी उसके सामने खड़ी लड़की हँसने लगती है और कहती है, "आई डोंट बिलीव दैट यू कैन्ट रेकॉग्नाइज़ मी। रियली आई लुक सो डिफरेंट फ्रॉम पास्ट।"

    उसकी बात सुनकर भरत की आँखें आश्चर्य से बड़ी हो जाती हैं। वह अपने सामने खड़े शख्स को लेकर अभी भी कंफ़्यूज़ हो रहा था।

    फिर वह कहता है, "क्या तुम सच में शयन ही हो?"

    उसकी बात पर सामने खड़ी लड़की हाँ में अपना सिर हिला देती है।

    उसकी बात पर भरत चिल्ला पड़ता है, "इट्स अ मिरकल! यू लुक टू गुड। मैंने कभी नहीं सोचा था कि तुम्हारा यह रूप इतना कातिल होगा।"

    "चलो, इस बात का एक ट्रेलर कर लेते हैं कि बाहर के लोग भी क्या मेरी तरह तुझे पहचान पाते हैं कि नहीं। अगर उन्होंने भी तुझे लड़की ही समझा, तो हमारी प्रॉब्लम ही सॉल्व हो जाएगी," भरत ने कहा।


    शयन भी उसकी बात पर एग्री कर तैयार होकर आ जाता है। आज उसने अपने आप को एक लड़की की तरह ही कैरी किया था।

    उसने ब्लैक जीन्स पहन रखा था। उसके साथ ही उसने रेड टॉप पहन रखा था। कान में छोटे-छोटे झुमके थे। उसने अपने बालों को खुला छोड़ रखा था। उसने पिंक कलर की लिपस्टिक लगा रखी थी। उसने हल्का मेकअप किया हुआ था। उसने नीचे ब्लैक कलर की सैंडल पहनी हुई थी।

    भरत उसे लेकर एक क्लब में आ जाता है। वह दोनों के लिए जूस मँगवाता है। फिर वह दोनों डांस फ़्लोर पर चले जाते हैं। शयन को डांस फ़्लोर देखना था। वह आज से पहले कभी क्लब नहीं आया था। वह दोनों एक-दूसरे के साथ डांस करने लगते हैं।

    भरत को यह जानकर अच्छा लग रहा था कि वहाँ मौजूद लोग शयन को लड़की ही समझ रहे थे और लड़के उसके साथ फ़्रेंडली होने की कोशिश कर रहे थे, जिससे शयन अच्छे से हैंडिल कर ले रहा था। क्योंकि भरत ने उसे सेल्फ़ डिफ़ेंस की ट्रेनिंग भी दिलवाई थी। इस कारण से शयन के अंदर का कॉन्फ़िडेंस बढ़ गया था।


    क्लब में दूसरी ओर लड़कों का एक ग्रुप बैठा हुआ था। उसमें से एक लड़के की नज़र लगातार शयन के ऊपर ही थी। वह लड़का बहुत ही हैंडसम और हॉट लग रहा था। उसके हाथ में बीयर कैन थी। वह छुट्टियों में अपने दोस्त के साथ इन्जॉय करने आया था। उसे शयन को देखते ही लव एट फ़र्स्ट साइट हो गया था। उसे उसके बगल में भरत बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था। वह सोच रहा था कि वह अभी जाकर उन दोनों को अलग कर दे। पर वह ऐसा नहीं कर सकता था। वह अपने मन में सोचता है, "हे भगवान! लाइफ़ में पहली बार कोई पसंद आई, पर वह किसी और के साथ है। हाय रे मेरी किस्मत! इतनी खराब क्यों है?"


    थोड़ी देर बाद जब भरत और शयन थक जाते हैं, तो वह दोनों भी उस लड़के के पास वाले टेबल पर बैठ जाते हैं और दो कोल्ड ड्रिंक मँगवाते हैं। वह लड़का अभी भी शयन को ही देख रहा था। वह चुपके से उसकी कुछ तस्वीरें ले लेता है।

    "भैया, अब मैं बहुत थक गई हूँ। चलिए हम वापस लौट जाते हैं," शयन ने कहा।

    भरत भी उसकी बात मानकर उसका हाथ पकड़कर क्लब से बाहर निकल जाता है और दोनों कार में बैठकर घर चले जाते हैं।

    दूसरी ओर, शयन के मुँह से भरत के लिए "भैया" सुनकर वह लड़का इतना खुश हो जाता है कि वह इस बात का ध्यान भी नहीं देता कि शयन वहाँ से चला गया है।

    थोड़ी देर बाद जब उसे होश आता है, तो वह देखता है कि दोनों वहाँ से जा चुके हैं। वह अपने मन में कहता है, "माय ड्रीम गर्ल, मैं तुझे खोज कर रहूँगा। आई लव यू।"

    उसकी बात पर उसके दोस्त आश्चर्य से उसे देखने लगते हैं क्योंकि एक्साइटमेंट के कारण उसने यह बात जोर से बोल दिया था, जिसे उसके दोस्तों ने भी सुना था।

    वह लोग शॉक थे क्योंकि आज पहली बार वह किसी लड़की को देख रहा था और उसे अपना बनाना चाहता था।

    वह लोग भी क्लब से निकल जाते हैं।

    अगले भाग में जारी...

  • 7. Unwanted love:A journey of love ❤️ - Chapter 7

    Words: 1221

    Estimated Reading Time: 8 min

    शयन और भरत घर आ गए। आज बहुत दिनों बाद शयन खुश था। आज उसने बहुत इन्जॉय किया था। वह भरत के पास आकर उसका हाथ पकड़कर उसके पास घुटनों के बल बैठ गया।

    उसे ऐसे बैठते देखकर भरत घबरा गया और उससे पूछा, "शयन, क्या हुआ? तुम ऐसे क्यों बैठे हो?"

    "थैंक्स यू भाई। आज मिहिर के बाद दूसरे इंसान हो जिसने मेरा इतना ख्याल रखा है। आज कितने दिनों के बाद आपके कारण ऐसा लगा कि मैं अभी भी ज़िंदा हूँ। मैं इंसान हूँ। मैं अपनी लाइफ जी सकता हूँ। मैं किसी का पेट नहीं हूँ।"

    "शयन, चिंता मत कर, मैं तेरा पूरा ख्याल रखूँगा। तेरी वजह से आज मुझे मेरी बहन मिल गई है। कल ही मैं तुम्हारे सारे डॉक्यूमेंट्स बनवा दूँगा। इनमें नाम क्या रखोगे बहना?"

    "अब आप मेरे बड़े भाई हैं तो मेरा नाम रखने का हक भी आपका है। जो भी नाम पसंद हो वह रख लीजिए।"

    भरत कुछ देर इस बारे में सोचने लगा। फिर वह बोला, "आज और अभी से तुम्हारा नाम श्रीति है।" शयन भी अपने थम्स अप के साइन के साथ इस नाम को मान लेता है।


    कुछ ही दिनों बाद भरत उसका श्रीति नाम से सारे डॉक्यूमेंट्स बनवा देता है। इस डॉक्यूमेंट्स के हिसाब से वह एक अनाथ थी और अनाथ आश्रम में ही पली-बढ़ी थी। ऐसा इसलिए किया गया कि अगर कोई श्रीति के बारे में पता करे तो यही सब पता लगे।

    एक दिन भरत और शयन ब्रेकफास्ट कर रहे थे। तब शयन भरत से कहता है, "भैया, मैं घर में बैठे-बैठे बोर हो जाता हूँ। मैं बाहर जॉब करना चाहता हूँ।"

    "ठीक है, पर तुम मेरे अंकल की कंपनी में ही काम करोगे। वहाँ रहने से मैं भी टेंशन फ्री हो जाऊँगा।"

    "ठीक है भैया।" यह कहकर वह चुपचाप ब्रेकफास्ट खत्म करने लगता है।

    अगले ही दिन शयन के पास इंटरव्यू का कॉल आता है। भरत ने अपने अंकल से बात कर ली थी। शयन का सिलेक्शन हो जाता है। उसे पर्सनल असिस्टेंट की जॉब पर रखा गया था। यह जानकर शयन को डर लगने लगता है कि कहीं यह भी विकास की तरह ना हो।


    भरत उसे समझाता है कि सारे लोग एक जैसे नहीं होते। "तुम कब तक इन सब से भागते रहोगे?" शयन को भी भरत की बात सही लगती है। वह यह जॉब करने के लिए तैयार हो जाता है।



    अगले दिन वह ऑफिस पहुँचता है। उसने सिंपल सी ब्लैक कलर की साड़ी पहन रखी थी। वह बहुत ही खूबसूरत लग रहा था। वह सीधे आकर रिसेप्शनिस्ट के पास जाता है।

    "हैलो मैम, माय सेल्फ श्रीति। मैं यहाँ पीए की जॉब के लिए आई हूँ। क्या आप बता सकती हैं कि मुझे क्या करना होगा?" यह कहकर वह अपना appointment letter उसकी ओर बढ़ा देती है।

    उसकी आवाज सुनकर वह रिसेप्शनिस्ट शॉक हो जाती है क्योंकि उसे वह आवाज बहुत मीठी लगी थी। वह अपना ध्यान श्रीति की ओर करती है। वह कुछ पल उसे देखती है, फिर कहती है, "श्रीति, आई एम प्रिया।"

    "नाइस नेम प्रिया।"

    "चलो मैं तुम्हें सर के केबिन तक छोड़ देती हूँ। फिर तुम अपना काम करना और मैं अपना काम करूँगी।" यह कहकर वह उसे बॉस के केबिन के पास ले जाकर छोड़ देती है।

    "मे आई कम इन सर।"

    "यस कम इन।"

    श्रीति अंदर आकर कहती है, "सर, मैं श्रीति हूँ और आपके पीए के रूप में अपॉइंट हुई हूँ।"

    उसके सामने की चेयर पर एक लगभग पचास साल का इंसान बैठा था जो एक रौबदार शख्सियत का मालिक था। उसे देखकर ही पता चल रहा था कि वह बहुत रिच है। उसका नाम विजय सिंधिया था।

    वह सिंधिया इंडस्ट्रीज ग्रुप का चेयरमैन था। चलिए इनके और इनकी फैमिली के बारे में बता देते हैं।

    सबसे पहले इनके बारे में ही जान लेते हैं। ये हैं:-


    नाम- विजय सिंधिया

    उम्र- पचास साल

    पेशा- बिजनेस

    इनके पिता घनपत सिंधिया हैं जो अभी स्टेट कैबिनेट में मिनिस्टर हैं। इनकी ऐज लगभग 75 साल है। ये बहुत बिजी रहते हैं।


    इनकी माँ का नाम पार्वती सिंधिया है जो लगभग सत्तर साल की है। ये एक सोशल वर्कर हैं। ये बहुत शांत रहती हैं।

    विजय की पत्नी का नाम मीना है। ये एक हाउस वाइफ हैं। ऐसा नहीं था कि ये पढ़ी-लिखी नहीं हैं। ये एक डॉक्टर हैं पर इन्होंने हाउस वाइफ बनना पसंद किया। ये बहुत सुंदर हैं।

    इन दोनों के चार बेटे-बेटियाँ हैं। इनकी सबसे बड़ी औलाद बेटी है। इसका नाम श्रेया है। ये भी अपनी माँ की तरह बहुत सुंदर है। इसका ऐज लगभग पच्चीस साल है।

    दूसरे नंबर पर आते हैं इस कहानी के लीड किरदार। इनका नाम श्रेष्ठ सिंधिया है। इसकी उम्र चौबीस साल है। ये अपनी हायर एजुकेशन के लिए लंदन में रहते थे। उसने अपने टैलेंट के दम पर स्टडी के साथ ही खुद की एक कंपनी भी खोल ली। वह कंपनी यूके की टॉप कंपनी में से एक है।

    ये लगभग छह फीट पाँच इंच की हाइट के मालिक हैं। ये रोज़ सुबह जिम जाकर अपनी बॉडी पर बहुत काम करते हैं। ये गोरे रंग के हैं। इनकी आँखों का रंग हल्का हरा है जो इनकी माँ की तरह है।

    ये हमेशा बिजनेस मैन के अवतार में ही रहते हैं। ये अपनी फैमिली को बहुत प्यार करते हैं। इनकी फिज़िक पर पूरी दुनिया मरती है। ये लंदन का टॉप एलिजिबल बैचलर माना जाता है। इतना होने पर भी इस शख्स का कोई भी अफेयर नहीं है। इन्होंने आज तक किसी को किस भी नहीं किया है। ये कभी किसी रिलेशनशिप में भी नहीं रहे हैं। ये सबसे ज़्यादा अपनी माँ-डैड को मानते हैं। ये उनकी पसंद की लड़की से ही शादी करेंगे। पर ये बहुत गुस्सैल हैं।

    इनका बाद दो और भाई हैं जो दोनों जुड़वा हैं। इन दोनों का नाम श्रेय और श्रेयस है। इनकी उम्र लगभग बीस साल है। ये दोनों भी अपनी माँ-डैड और भाई-बहन की तरह बहुत हैंडसम हैं। ये दोनों अभी मुंबई में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं।


    विजय जी की एक बहन है जिसका नाम अंवती है। इनकी उम्र लगभग पैतीस साल है। इनकी शादी हो चुकी है। इनके पति भी बिजनेस मैन हैं। ये इन्हें दीवाने की तरह चाहते हैं। ये अपने भतीजे और भतीजी के लिए एक बड़ी बहन और दोस्त जैसी हैं। ये अपने सारे भतीजे-भतीजी से बहुत प्यार करती हैं। इनका एक पाँच साल का बेटा भी है। इनकी शादी लव कम अरेंज मैरिज थी।

    इनसे बड़े दो भाई और हैं। ये दोनों भी जुड़वा हैं। इनकी उम्र लगभग पैंतालीस साल है। इनका नाम वैभव और विनय है।
    वैभव विनय से तीन मिनट बड़ा है।

    वैभव की वाइफ का नाम रोशनी है। इनको दो बेटे हैं जो अभी पढ़ाई कर रहे हैं। इनके छोटे बेटे तृण जिसकी उम्र इक्कीस साल और बड़ा बेटा मोहित जिसकी उम्र बाइस साल है।

    विनय की दो बेटियाँ और एक बेटा है। इनकी वाइफ का नाम मोहिनी है। इनकी बड़ी बेटी का नाम मृणालिनी, जो अभी बीस साल की है। छोटी बेटी विनी जो सोलह साल की है। बेटा विनीत अठारह साल का है जो यही दिल्ली में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहा है।

    अब वापस ऑफिस में लौटते हैं। विजय श्रीति को उसे क्या-क्या करना होगा वह सब उसे समझा देता है। यह समझकर वह अपना काम करने लगती है।



    अगले भाग में जारी...

  • 8. Unwanted love:A journey of love ❤️ - Chapter 8

    Words: 2102

    Estimated Reading Time: 13 min

    श्रीति के रूप में शयन के वहाँ काम करते हुए तीन महीने हो चुके थे। इतने दिनों में उसके काम से विजय और उसके दोनों भाई बहुत प्रभावित हुए थे। वह बहुत ही परफेक्शन के साथ अपना काम करता था।

    एक दिन शयन विजय के साथ एक मीटिंग के लिए जा रहा था, उसी समय उनकी कार एक डिवाइडर से टकरा गई। विजय और शयन को थोड़ी चोट आई, पर वे अपनी चोट की परवाह न करते हुए विजय जी को उनके घर ले गए क्योंकि वे हास्पिटल नहीं जाना चाहते थे।

    वह उन्हें घर पहुँचाकर चला गया। कुछ दिन बाद जब वह दुबारा ऑफिस ज्वाइन करते हैं, तो शयन उनका बहुत ख्याल रखता है। वह उसके साथ बहुत प्यार से पेश आता था।

    एक दिन मीना कुछ काम से ऑफिस आती है। वह जैसे ही विजय जी के केबिन में जाती है, तो देखती है कि श्रीति उन्हें लंच करा रही थी। न खाने पर ज़िद करके पूरा खाना खिला देती है। फिर दवा भी याद से खिलाती है। मीना को श्रीति का इस तरह विजय का ख्याल रखना बहुत अच्छा लगा। वह बिना कुछ कहे वहाँ से चली जाती है।

    रात को जब विजय बेडरूम में आते हैं, तो बहुत प्यार से मीना को पकड़कर अपने पास सटाते हुए कहते हैं—
    "आज बिना मिले क्यों चली आई?"
    "वह लड़की, श्रीति, मेरी बेटी जैसी है। वह मेरा बहुत ख्याल रखती है। मुझे उसका बिहेवियर बहुत पसंद है।"

    मीना—
    "विजय, उसे देखकर मुझे एक ख्याल मन में आया है। क्यों ना हम उसे अपनी बेटी बना लें।"

    विजय—
    "मैं तुम्हारे कहने का मतलब नहीं समझा।"

    मीना—
    "जानती हूँ, मेरे प्यारे भोलेनाथ। आप इतने आसानी से समझते नहीं हैं। मैं उसे अपनी बहू बनना चाहती हूँ। वह मुझे एक ही झलक में बहुत पसंद आ गई। वह हमारे बेटे श्रेष्ठ के लिए एकदम सही है।"

    विजय—
    "पर वह अनाथ है। उसके माता-पिता कौन हैं, इस बात का कोई पता नहीं है। क्या तुम ऐसी लड़की को अपनी बहू बना सकती हो?"

    मीना—
    "मुझे फ़र्क नहीं पड़ता। बस वह मेरी बहू बन जाए। वह बहुत सुलझी हुई लड़की है। वह हमारे घर को जोड़कर रखेगी। प्लीज़ आप मुझसे वादा कीजिए कि आप उसे मेरी बहू ज़रूर बनाकर रखेंगे।"
    विजय उसका हाथ पकड़कर हाँ में सिर हिला देता है।

    अगली सुबह ब्रेकफ़ास्ट पर वे दोनों अपने मन की बात सब को बता देते हैं। उनके इस डिसीज़न पर किसी को कोई प्रॉब्लम नहीं थी। वे लोग भी जानते थे कि अगर यह डिसीज़न लिया है, तो सोच-समझकर ही लिया गया होगा।

    विजय ऑफिस जाकर श्रीति को अपने पास बुलाकर कहता है—
    "श्रीति, आज मेरे घर में पूजा है। तुम्हें किसी भी दोस्त या जान-पहचान वालों के साथ मेरे घर आना है।"

    शयन को यह बात अजीब लगती है, पर वह इस बात पर ज़्यादा ध्यान नहीं देता है।

    शयन, श्रीति के रूप में, भरत के साथ सिंधिया विला में आती है। वह आकर सबको ग्रीट करती है। उसे देखकर सब बहुत खुश होते हैं। भरत और शयन दोनों को यह बात अजीब लग रही थी।

    मीना भरत को उसके साथ देखकर शॉक होती है। भरत विजय के फ्रेंड का बेटा था।

    मीना—
    "भरत, तुम श्रीति को कैसे जानते हो?"

    भरत—
    "वह मेरे लिए छोटी बहन जैसी है। यह मेरे साथ कॉलेज में पढ़ती थी। यह मेरी जूनियर है। वह ज़्यादा लोगों से मिलना पसंद नहीं करती है।"

    मीना—
    "क्या तुम उसके किसी रिश्तेदार को जानते हो जिससे हम बात कर पाएँ?"

    भरत—
    "उसका इस दुनिया में और कोई नहीं है।"

    मीना—
    "कोई बात नहीं, मैं डायरेक्ट उससे ही बात कर लेती हूँ। चलो अच्छा है कि वह हमसे दूर नहीं रहेगी।"


    भरत को उसकी बातें समझ नहीं आईं। वह बिना ज़्यादा सोचे उसके पीछे चला गया।

    मीना श्रीति के पास आकर कहती है—
    "श्रीति, मैंने तुझे अपनी बहू बनाने का निर्णय कर लिया है। तुम मुझे बहुत पसंद आई। इसलिए मैंने अपने बड़े बेटे श्रेष्ठ के लिए तुम्हें चुना है।"

    श्रीति—
    "मैम, ये आप क्या कह रही हैं? मैं यह शादी नहीं कर सकती।"

    मीना उसके सिर पर हाथ रखकर उसके सिर को सहलाते हुए कहती है—
    "मैं तुझसे पूछ नहीं, बता रही हूँ। कुछ देर बाद ही पंडित से पूछकर तेरी शादी की डेट फाइनल हो जाएगा। अब तुम आराम से बैठो। मैं थोड़ी देर में आती हूँ।"

    उसकी बात सुनकर शयन टेंशन में आ गया था। वह शादी कैसे कर सकता था? वह तो एक लड़का है, लड़की नहीं। वह जल्दी से भरत के पास जाने लगता है। भरत, जिसने मीना की बात सुन ली थी, वह भी शयन के पास आकर बैठ जाता है।


    शयन—
    "भाई, मेरी लाइफ़ ऐसी क्यों है? एक मुसीबत से पीछा छूटता है तो दूसरी तैयार मिलती है। मैं यह शादी कैसे कर सकता हूँ।"

    भरत—
    "बच्चा, तू शांत हो जाओ। हम दोनों अभी जाकर सारी सच्चाई बता देंगे। फिर सब ठीक हो जाएगा।"
    उसकी बात सुनकर शयन थोड़ा शांत होता है, पर उसे अभी भी डर लग रहा था।

    वे दोनों मिलकर विजय जी के पास पहुँचते हैं। भरत और श्रीति को देखकर वे भी बहुत खुश थे।

    श्रीति—
    "सर, मुझे आपसे बात करनी है। प्लीज़ पाँच मिनट के लिए आप अकेले में मिल सकते हैं।"

    विजय—
    "अरे श्रीति बेटा, तुम्हें मुझसे बात करनी है तो ठीक है। पर पहले मेरे दामाद से तो मिल लो। अब तुम मेरे इस घर की सदस्य बनने वाली हो, तो तुम्हें इस घर के सदस्यों के बारे में जानना चाहिए।"
    यह कहकर वह उसे लेकर एक शख्स के पास जाता है।

    "श्रीति बेटा, ये मेरे दामाद विकास आहूजा हैं, जो बहुत बड़े बिज़नेस मैन हैं।"

    शयन अपने सामने विकास को देखकर बहुत डर जाता है, पर अपने चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन आने नहीं देता है।

    विजय फिर विकास को श्रीति से मिलाने लगता है। विकास उन लोगों के सामने शरीफ़ बनकर बैठा था। शयन का मन वहाँ से भाग जाने का कर रहा था।

    विजय—
    "विकास, यह श्रीति है। इससे ही श्रेष्ठ की शादी तय हुई है।"

    विकास उसे बधाई देता है। वह शयन को नहीं पहचान पाया था। उसी समय उसे एक कॉल आ जाता है और वह उठकर वहाँ से चला जाता है।

    भरत विजय जी को बताने के लिए आगे बढ़ता है, तो शयन उसका हाथ पकड़कर रोक देता है। शयन के ऐसा करने से भरत शॉक होता है। उसके एक्सप्रेशन को देखकर शयन उसे लेकर एक कोने में आता है जहाँ कोई नहीं था।

    भरत—
    "क्या हुआ? तू मुझे यहाँ लेकर क्यों आया? हमें तो विजय अंकल से बात करनी थी। तू ये क्या कर रहा है?"

    शयन—
    "भाई, हम सर को कुछ भी नहीं बता सकते। वह इंसान जो सर के साथ था, वही विकास है जो मेरा बॉस था। विकास सर का दामाद है। आप ही बताइए कि कोई इंसान अपने घरवालों पर विश्वास करेगा या मुझ पर? अगर उन्होंने मेरी बात पर विश्वास ना कर विकास से इस बारे में पूछ लिया, तो वह मुझे यहाँ से ले जाएगा। वह मुझे बहुत हर्ट करता है। मुझे उसके टच से घृणा आती है। वह मुझे बहुत मारता भी है। मुझे दुबारा उसके पास नहीं जाना है। इस बार अगर मैं उसके हाथ लग गया, तो वह पता नहीं क्या करेगा।"
    यह कहकर वह रोने लगता है।


    भरत भी उसकी हालत अच्छे से समझ रहा था। वह उसके सिर को सहलाकर शांत करने लगता है।

    कुछ देर बाद वहाँ पंडित जी पहुँच जाते हैं। मीना जी उनके पास जाकर कहती हैं—
    "गुरु जी, मैंने अपने बेटे की शादी श्रीति से तय की है। आप इन दोनों की शादी की डेट फाइनल कर दीजिए।"
    यह कहकर वह श्रीति को अपने पास ले आती है।

    गुरु जी—
    "ज़रूर। आप दोनों की कुंडली मुझे दे दीजिए।"

    मीना श्रेष्ठ की कुंडली देती है। फिर वह शयन को अपनी कुंडली देने कहती है।

    श्रीति—
    "मेरे पास कुंडली नहीं है। मैं एक अनाथ हूँ। मेरी कुंडली किसी ने नहीं बनवाई।"

    गुरु जी—
    "कोई बात नहीं, मैं श्रेष्ठ की कुंडली के आधार पर ही डेट निकाल देता हूँ।"
    यह कहकर वह उसकी कुंडली देखने लगते हैं।

    फिर वह बोलते हैं कि दो दिन हैं जो शादी के लिए सही हैं।

    पहला आज से छह महीने बाद का है और दूसरा आज रात का है।

    शयन यह सुनकर खुश था कि चलो अब कम से कम छह महीने तक उसकी शादी नहीं होगी।

    मीना—
    "गुरु जी, मैं छह महीने का वेट नहीं कर सकती। आप प्लीज़ कोई और दिन बताइए।"

    गुरु जी—
    "बस यही दो दिन हैं। मैं आपको गलत नहीं बता सकता।"

    मीना यह सुनकर शॉक होती है और शयन खुश था। तभी विजय जी कहते हैं—
    "ठीक है, यह शादी आज ही होगी। श्रेष्ठ को कहो कि वह आज यहाँ पहुँचे।"
    इस बात ने भरत और शयन पर बम ब्लास्ट का असर किया।

    उनकी बात सुनकर शयन टेंशन में आकर कहता है—
    "मैं यह शादी नहीं कर सकती।"

    विजय—
    "वह तो तुम्हें करना ही होगा। सही से मान जाओ। देखो तुम्हें कोई दिक्कत नहीं होगी।"
    उसकी बातों में धमकी छिपी थी।

    भरत और शयन के समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि वे क्या करें। तभी शयन बोलता है—
    "सर, मेरा एक बॉयफ्रेंड है। मैं उससे ही शादी करूँगी। आप ऐसी लड़की से अपने बेटे की शादी क्यों कराना चाहते हैं जो किसी और रिलेशनशिप में हो?"

    विजय—
    "श्रीति, तेरी शादी मेरे बेटे से ही होगी। आज और अभी से तुम यह भूल जाओ कि तेरा कोई बॉयफ्रेंड है। विजय सिंधिया को तुम अपनी बहू के रूप में पसंद करो या ना करो, अब तुम मेरी ही बहू बनोगी। श्रेया, श्रीति को ले जाकर कमरे में बैठाओ।"
    श्रेया विजय की बात मानकर श्रीति के पास आ जाती है।

    श्रेया उसको लेकर एक कमरे में ले जाकर बैठा देती है। फिर वह उससे कहती है—
    "तेरी शादी तो मेरे भाई से हो रही है। इसे कोई नहीं रोक सकता। इसलिए आराम से डैड और मॉम की बात मान लो।"
    यह कहकर वह चली जाती है। भरत भी यह बात जानता था कि विजय जो चाहता है, वह हासिल कर लेता है। भरत शयन के पास आता है जो रो रहा था।

    भरत उसे हग करके कहता है—
    "देख, विजय अंकल और उनकी फैमिली को मैं जानता हूँ कि वह अपनी बातें मनवाकर ही रहेंगे। तुम यह शादी कर लो। जब हकीकत सामने आएगी, तो वह लोग खुद ही तुम्हें धक्के मारकर निकाल देंगे। और कोई उपाय नहीं है। तुम श्रेष्ठ को सब समझाने की कोशिश करना।"

    शयन—
    "अगर मेरी सच्चाई आज ही सबके सामने आ गई, तो क्या होगा? विकास भी तो वहीं पर होगा। मैं इतना बदनसीब क्यों हूँ? क्या गरीब और अनाथ होना इतना बड़ा जुर्म है जिसकी सज़ा मुझे मिल रही है?"


    शयन का रोना बंद नहीं हुआ था। भरत उसे चुप कराने लगता है। कुछ घंटों के बाद श्रेष्ठ वहाँ आ जाता है। मीना उसको बताती है कि उसे इसी वक्त शादी करनी है।

    श्रेष्ठ उसकी बात को मानकर तैयार होने चला जाता है। उसने एक बार भी श्रीति के बारे में जानने की कोशिश नहीं की। उसे अपने मॉम-डैड पर पूरा भरोसा था कि वे उसके लिए सही फ़ैसला ही करेंगे।


    वह ब्लू कलर का सूट में बहुत हैंडसम और हॉट लग रहा था। वह आकर मंडप में बैठ जाता है। उसके बाद शयन को लाया जाता है। उसने रेड कलर की साड़ी और उससे मैचिंग ज्वेलरी पहनी थी। वह बहुत सुंदर लग रही थी। उसे लाकर मंडप में बैठा दिया जाता है। पंडित कन्यादान के लिए लड़की के रिश्तेदार को बुलाता है। शयन यह सुनकर अपना सिर नीचे कर लेता है। तभी भरत आगे आकर कहता है कि वह श्रीति के बड़े भाई की हैसियत से यह काम करेगा।

    भरत उसका कन्यादान कर देता है। ऐसा करते समय उसकी आँख से आँसू निकल गए। वह शयन को कहता है—
    "जब भी मेरी ज़रूरत हो मुझे बुला लेना। तेरा यह भाई हमेशा तेरे साथ रहेगा।"
    शयन उसके गले लग जाता है। वह भी रो रहा था।

    विजय—
    "भरत, अब अपनी बहन की विदाई कर दो। बहुत रात हो चुकी है। सब को आराम भी करना है।"

    उसकी बात पर भरत शयन को छोड़ देता है। फिर वह उसका हाथ श्रेष्ठ के हाथ में दे देता है। फिर वह वहाँ से चला जाता है। उसे शयन के लिए डर लग रहा था।


    विजय श्रेष्ठ को श्रीति को लेकर अपने रूम में जाने के लिए कहता है। श्रेष्ठ अपने डैड की बात मानकर उसे अपने गोद में लिए हुए अपने रूम में जाता है। यह उसके घर की परंपरा थी। श्रेष्ठ ने अभी तक श्रीति को जानने की कोई कोशिश नहीं की थी।

    श्रीति के रूप में शयन की हालत खराब हो रही थी कि आज रात श्रेष्ठ को सब पता चल जाएगा, तो वह उसके साथ क्या करेगा? क्या वह उसे समझने की कोशिश करेगा? पर वह सोचने के अलावा और कुछ नहीं कर सकता था।



    अगले भाग में जारी...

  • 9. Unwanted love:A journey of love ❤️ - Chapter 9

    Words: 1023

    Estimated Reading Time: 7 min

    दूसरी ओर, आज अमन बहुत ज़्यादा बेचैन था। उसे बहुत ही अजीब सा दर्द हो रहा था। वह अपने कमरे से निकलकर बाहर लॉन में आ गया था। वह वहाँ मौजूद झूले पर बैठकर अपनी आँखें बंद कर लेता है। उसी समय, उसकी आँखों के सामने एक चेहरा आता है, जो लगभग अठारह साल की लड़की का था। उसे याद कर उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।

    फिर उसके सामने एक इमेज आता है जिसमें एक लड़की सफ़ेद कपड़ों से ढकी हुई थी। उसे देखते ही वह चिल्लाकर कहता है, "साक्षी…।" जैसे ही वह यह नाम कहता है, उसका ध्यान टूट जाता है। वह जोर-जोर से रोने लगता है। वह रोते हुए कहने लगता है, "क्यों चली गई? बहुत याद आती हो।"

    फिर वह अपने हाथ से मुक्का बनाकर लगातार ज़मीन में मारे जा रहा था और कह रहा था, "विकास, मैं तुझे इतनी बुरी मौत दूँगा जो तू डिजर्व करता है, पर उसके पहले तुझे बुरी तरह बर्बाद कर दूँगा।" फिर वह अपने आप को सही करता है और वापस अपने कमरे में चला जाता है।

    दूसरी तरफ, श्रेष्ठ अपने कमरे में श्रीति को गोद में लिए पहुँचता है। वह बहुत आराम से श्रीति को बेड पर रख देता है। फिर वह जाकर अपने कमरे का दरवाज़ा बंद कर देता है।

    श्रीति के रूप में शयन की धड़कनें यह देखकर बढ़ जाती हैं। वह अपने हाथों से अपनी साड़ी के पल्लू को जोर से दबाने लगती है।

    श्रेष्ठ दरवाज़ा बंद कर सीधे उसके पास आकर बैठ जाता है। यह देखकर शयन की साँसें रुक सी गई थीं।

    वह अपने हाथों में उसका चेहरा लेते हुए कहता है, "तुम सच में बहुत सुंदर हो। तुम्हारी ये आँखें बहुत प्यारी हैं।" यह कहते हुए वह उसके आँखों पर आ रहे बालों को पीछे कर देता है। फिर वह कहता है, "तुम ऐसे ही रहो, मैं फ़्रेश होकर आता हूँ।" यह कहकर वह वाशरूम में चला जाता है।

    बाहर शयन यह सोच रही थी कि वह अपने बारे में कैसे बताएगी। वह अपनी सोच में ही गुम थी। उसे पता भी नहीं चला कि कब श्रेष्ठ उसके पास आकर बैठ गया था। वह अपने हाथ से उसका चिन पकड़कर अपनी ओर घुमाकर कहता है, "श्री, आज से हमारी नई ज़िंदगी की शुरुआत हो रही है। इसलिए मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ कि तुम मेरी लाइफ़ में आने वाली पहली और आखिरी लड़की हो। मेरे लिए शादी लाइफ़टाइम के लिए है। आई लव यू।"

    यह कहकर वह अपने चेहरे को शयन के करीब लाता है और अपने होठों को उसके होठों से जोड़कर किस करने लगता है। उसकी इस हरकत पर शयन शॉक रह गई थी। वह बहुत प्यार और पैशन के साथ उसे किस कर रहा था।

    शयन को यह बात अजीब लगी कि उसे श्रेष्ठ का छूना बुरा नहीं लगा। उसे याद आता है कि जब भी उसे विकास ने किस किया था, तो उसे बहुत गंदा लगता था।

    श्रेष्ठ का उसे किस करना तब बंद हुआ जब उसका फ़ोन बजने लगा। वह उससे अलग होकर अपना फ़ोन रिसीव करते हुए "हैलो" कहता है। उसने अपना फ़ोन स्पीकर पर रखा था।

    उधर से आवाज़ आती है, "सर, कंपनी में बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो गई है। लेबर ने हड़ताल कर दी है। वह लोग तोड़फोड़ कर रहे हैं। दूसरी ओर, हमारे कुछ इन्वेस्टर ने अपना इन्वेस्टमेंट वापस ले लिया है।"

    श्रेष्ठ उसकी बात सुनकर कहता है, "तुम लोग कर क्या रहे थे? तुम्हें सैलरी किस बात का देता हूँ? अभी मुझे वहाँ से इंडिया आए बारह घंटे नहीं हुए और यह सब हो गया। तुम वहाँ सब संभालो, मैं अभी वापस आ रहा हूँ।"

    वह शयन की तरफ़ होते हुए कहता है, "श्री, आई एम सॉरी, मुझे अभी तुरंत निकलना होगा। मैं जानता हूँ कि मैं गलत कर रहा हूँ, पर मैंने वह कंपनी बहुत मेहनत से खड़ा किया है। जैसे अब तुम मेरी लाइफ़ बन गई हो, वैसे ही वह कंपनी मुझे बहुत प्यारी है। आई होप तुम नाराज़ नहीं होगी।"

    "इट्स ओके। काम सबसे ज़्यादा इम्पॉर्टेन्ट होता है। आप आराम से अपना काम कीजिए।"

    श्रेष्ठ उसके होठों पर एक बार फिर से किस कर अपने कपड़े पहनने चला जाता है, क्योंकि उसने अभी केवल बाथरोब पहन रखा था। वह करीब पाँच मिनट में ही पूरी तरह सूट पहनकर तैयार होकर आ जाता है।


    उसे इतनी रात में तैयार होकर जाते देखकर मीना और विजय शॉक थे। वह दोनों तेज़ी से उसके पास आते हैं।

    विजय- "तुम कहाँ जा रहे हो? आज ही तुम्हारी शादी हुई है। तुम्हें अभी अपनी पत्नी के पास होना चाहिए।"

    मीना- "श्रेयू, तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हारे डैड सही कह रहे हैं?"

    श्रेष्ठ कुछ भी जवाब देता, उसके पहले ही श्रीति की आवाज़ आती है, "सर और मैम, उनकी कंपनी में उनके नहीं रहने के कारण बहुत बड़ी मुसीबत आ गई है।" यह कहकर वह सब बता देती है जो भी उसने सुना था।

    उसकी बात सुनकर वे लोग फिर कुछ नहीं बोलते हैं। श्रेष्ठ अपने बड़ों से आशीर्वाद लेकर अपने प्राइवेट प्लेन में बैठकर चला जाता है।


    मीना शयन के पास आकर उसे उसके कमरे में ले जाकर उससे कहती है, "मैं अपने बेटे की तरफ़ से तुझसे माफ़ी माँगती हूँ और सुबह जो कुछ भी तुम्हारे साथ हुआ, उसके लिए भी। तुम मुझे बहुत पसंद आई थी। जब मैंने तुम्हें विजय का ख्याल रखते देखा तो मुझे मेरा बेटा याद आ गया। वह भी तेरी तरह ही हमारा बहुत ख्याल रखता है। वह हम सब से बहुत प्यार करता है। वह बहुत प्यारा है। वह तुम्हें भी बहुत प्यार करेगा। वह प्यार और नफ़रत दोनों बहुत शिद्दत से करता है। अगर उसकी मजबूरी नहीं होती तो वह ऐसे नहीं जाता। जैसे ही उसका काम ख़त्म हो जाएगा, वह तुरंत ही तेरे पास आ जाएगा। अब तुम आराम से सो जाओ। तुम्हारे लिए कपड़े भी कबर्ड में रखे हैं। तुम चेंज कर लो। सुबह उठकर तैयार हो जाना। मैंने तेरे सुबह के कपड़े एक पैकेट में करके रख दिए हैं। टेक केयर।" यह कहकर वह उसके माथे को चूम लेती है और वहाँ से चली जाती है।


    उसके जाने के बाद शयन भी अपने कपड़े चेंज कर दरवाज़ा बंद करके सो जाती है।


    अगले भाग में जारी…

  • 10. Unwanted love:A journey of love ❤️ - Chapter 10

    Words: 1616

    Estimated Reading Time: 10 min

    अगले दिन शयन की नींद उसके फ़ोन के बजने से टूटी। उसने देखा कि भरत उसे कॉल कर रहा है और सुबह के छह बज रहे थे। उसने जल्दी से कॉल उठाया।

    भरत: हैलो शयन, कैसा है?

    शयन: मैं ठीक हूँ भाई।

    भरत: श्रेष्ठ को तुमने अपनी सच्चाई बता दी?

    शयन: समय ही नहीं मिला, यह कहकर उसने उसे सारी बात बता दी।

    भरत: चलो अच्छा है कि मुसीबत टली।

    शयन: बस कुछ समय के लिए, भाई। मैं अपने फायदे के लिए सबको धोखा दे रहा हूँ। मुझे बहुत बुरा लग रहा है। श्रेष्ठ की लाइफ में कभी कोई नहीं रही, जब उसे सच्चाई पता चलेगी तो पता नहीं क्या होगा।

    भरत: तब की तब देखेंगे। जाओ जाकर आराम करो।

    शयन: नहीं भाई, मुझे फ्रेश होकर नीचे जाना है। ओके, बाय।

    वह जल्दी से जाकर फ्रेश हुआ और मीना के लिए लाए हुए कपड़े पहन लिए। साथ में मैचिंग ज्वैलरी भी थी जिसे उसने पहन लिया। वह अच्छे से तैयार होकर नीचे आया।

    उसे सब कुछ करते हुए लगभग सात बज गए थे। उस समय तक घर के सारे बड़े उठ गए थे। मीना जी सबके लिए ब्रेकफ़ास्ट तैयार कर रही थीं।

    शयन जाकर उन सब के पांव छूता है। मीना को यह सब अच्छा लगता है। वह उसे लेकर सोफ़े पर बैठ जाती है और सर्वेंट्स को ब्रेकफ़ास्ट डाइनिंग टेबल पर लगाने के लिए कह देती है।

    उसी समय शयन के पास पार्वती जी आती हैं।

    पार्वती: श्रीति, तुम इस घर की बड़ी बहू हो। इस घर में खाना घर की बहू-बेटियाँ ही बनाती हैं। पहले ये सारे काम मैं करती थी। तुम्हारी माम, रोशनी और मोहिनी के आने के बाद वे करने लगीं। अब से ये ज़िम्मेदारी तेरी है। तुम्हारी मदद के लिए सर्वेंट्स की कोई कमी नहीं है।

    तुम इस घर की बड़ी हो तो सबको कैसे साथ रखना है, इसे भी तुम्हें सोचना है। ये मत समझना कि तुम मेरे इस घर को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करोगी तो हम माफ़ कर देंगे, ऐसा नहीं होगा। सबसे मिलकर रहोगी तो तुम्हें हमारा ढेर सारा प्यार मिलेगा। अब जाओ जाकर हलवा बनाकर लाओ, आज तेरी पहली रसोई है।


    शयन अपने मन में कहता है- भगवान! मैंने आपका क्या बिगाड़ा था? ये क्या फैमिली है! सारे लोग धमकी भी इतने आराम से दे देते हैं। क्यों मुझे इस चक्कर में फँसा दिया?

    फिर वह जाकर गाजर का हलवा बनाने लगता है। थोड़ी देर बाद सारे लोग ब्रेकफ़ास्ट करते हुए हलवे की बहुत तारीफ़ करते हैं।

    तभी घनपत जी कहते हैं- बहू, तुमने बहुत अच्छा हलवा बनाया है, अब से रोज मेरे लिए हलवा बनाना। पार्वती बहू को उसका गिफ़्ट दे दो जो हम दोनों ने लिया है।

    उनकी बात सुनकर पार्वती जी श्रीति को एक खानदानी हार पहना देती हैं और साथ ही उसके दोनों हाथों में कंगन डाल देती हैं।


    श्रीति: मैम, इसकी कोई ज़रूरत नहीं है।

    घनपत: श्रीति बेटा, अब से मैं तुम्हारे मुँह से मैम या सर नहीं, बल्कि दादा और दादी सुनना चाहता हूँ। यही बात सबके साथ भी है। विजय और मीना भी उसे गिफ़्ट देते हैं। सब लोग उसके साथ बहुत अच्छे से बिहेव कर रहे थे।

    श्रीति मोहिनी के पास जाकर उसका पैर छूने लगती है तो वह धीरे से कहती है- "तुम मुझसे दूर ही रहा करो, मैं तुम जैसे लोगों के साथ नहीं रहना चाहती हूँ। पर क्या करूँ, तेरा जादू मेरे पर नहीं चलेगा। एक बात कान खोलकर सुन लो, यह बात घर में किसी को बताने की ज़रूरत नहीं है। ऐसा कुछ करने से पहले अपने अंजाम के बारे में सोच लेना।"


    श्रीति: मुझे चुगली करने की आदत नहीं है। मैं अपने मैटर खुद ही सॉल्व करती हूँ। आप बड़ी हैं, इसलिए आपकी इज़्ज़त करना मेरा फ़र्ज़ है, वो मैं करती रहूँगी।

    यह कहकर वह वहाँ से चली गई।


    वह अपने कमरे में जाकर कहता है- शयन, तेरी जैसी किस्मत भगवान ने किसी को नहीं दी होगी। अगर तू लड़की होता तो आज कितना खुशनसीब होता, ये परिवार तुझसे बहुत प्यार करता।

    पर तू एक लड़का है। यह सच्चाई जानकर पता नहीं तेरे साथ क्या होगा। अब क्या करेगा? उसी समय उसका फ़ोन रिंग करने लगता है। वह देखता है कि यह एक अननोन नंबर से कॉल है। उसकी हालत ख़राब होती है पर वह उसे उठा लेता है।

    श्रीति: हैलो, आई एम श्रीति। हू आर यू?

    श्रेष्ठ: हे श्री, आई एम श्रेष्ठ। मैं पहुँच गया हूँ। यही बताना था।

    श्रीति: आप ठीक हैं? शयन ने किसी तरह यह पूछा।

    श्रेष्ठ: ऑफ़कोर्स श्री, मैं जल्दी से अपना काम ख़त्म कर वापस लौटकर आ जाऊँगा। वेट फॉर मी। आई लव यू। श्री, तुमने कुछ नहीं कहा।

    श्रीति: आप कब तक आएँगे?

    श्रेष्ठ: जितनी जल्दी काम ख़त्म कर सकूँ। अच्छा अब मैं थोड़ी देर रेस्ट करने जा रहा हूँ।

    श्रीति: आप अपना ख्याल रखिए। बाय।

    यह कहकर वह फ़ोन रख देता है।

    शयन: हे भगवान! मैं तो इस आदमी के सामने बोल भी नहीं पाता। पता नहीं अब क्या होगा। वह इंसान विकास, काश मेरी लाइफ में नहीं आया होता तो मैं आज मिहिर और अंकल-आंटी के साथ आराम से रहता। मुझे उनकी बहुत याद आती है। इतने दिनों में एक बार भी बात नहीं हो पाई। फिर वह बेड पर लेट जाता है और सो जाता है।


    दूसरी ओर मिहिर, लता और नवल शयन के बारे में जानना चाहते थे कि वह अब कैसा है। इन दिनों उन लोगों को विकास के आदमियों ने बहुत परेशान किया। वे लोग बार-बार आकर शयन के बारे में पूछते थे। उनका एक ही जवाब था कि वह बिना बताए भाग गया है और मेरा रेंट भी नहीं दिया है।

    एक दिन मौका पाकर मिहिर अमन के पास आता है। अमन उसे अपने घर में देखकर चौंक जाता है।

    अमन: तुम यहाँ क्या करने आए हो?

    मिहिर: मुझे शयन से मिलना है।

    अमन: तुम नहीं मिल सकते। विकास के लोग तुम्हारे पीछे पड़े हैं।

    मिहिर: मुझे जानना है कि वह अब कैसा है। वह सेफ है या नहीं। उस दिन तो हड़बड़ाहट में मैंने उसे तेरे साथ भेज दिया। मुझे तो लगता है कि कहीं विकास की तरह तुम भी तो उसका फ़ायदा नहीं उठा रहे।

    उसकी बात सुनकर अमन उसका कॉलर पकड़कर कहता है- "आज के बाद कभी मुझे उस विकास से कंपेयर मत करना, मैं कभी किसी के साथ विकास की तरह की हरकत नहीं की है।"

    शयन मेरे फ़्रेंड के साथ है। वह बिलकुल सेफ है। जैसे ही विकास का ध्यान उस पर से कम होता है हम शयन से मिलने चलेंगे। मिहिर, उसकी परवाह हमें भी है। उसकी सेफ़्टी के लिए ज़रूरी है हम अभी उससे कोई भी कांटेक्ट ना करें। दिल्ली में भी उसके आदमी शयन को खोज रहे हैं।

    मिहिर: ठीक है। अभी तो आपकी बात मानकर मैं यहाँ से जा रहा हूँ। उसकी सेफ़्टी के लिए उससे दूर रहना होगा तो वह भी करूँगा। मेरे लिए उसकी सेफ़्टी सबसे ज़रूरी है। पर एक बात कान खोलकर सुन लो, अगर शयन को कुछ भी हुआ तो मैं तुम्हें और उस विकास को नहीं छोड़ूँगा। यह कहकर वह निकल जाता है।

    दूसरी ओर भरत आज सिंधिया विला आया था। उसे एक बार शयन को देखना था। वह आकर सबसे मिलता है।

    भरत पार्वती जी से कहता है- दादी, मैं कुछ दिन के लिए श्रीति को अपने साथ ले जाना चाहता हूँ। ऐसे भी श्रेष्ठ नहीं है तो वह यहाँ अकेले कैसे रहेगी?

    पार्वती जी: भरत जी, अब आप मेरे संबंधी हैं, इसलिए आप से रिक्वेस्ट है कि आप ऐसी कोई बात ना कहें जिसे हम नहीं मान सकते हैं। श्रीति को आप अभी कहीं लेकर नहीं जा सकते हैं। शादी के बाद लड़की पग-फेरे की रस्म के लिए ही पहली बार मायका जाती है। वह वापस अपने पति के साथ आती है। श्रेष्ठ अभी बाहर है, जब वह आ जाएगा तो श्रीति को आकर ले जाना। जाओ जाकर अपनी बहन से मिल लो। तुम श्रेष्ठ का रूम तो जानते ही हो।

    भरत उनकी बात पर उठकर शयन के पास चला जाता है। वह देखता है कि शयन कुछ सोच रहा है। वह उसके पास जाकर बैठ जाता है। शयन उसके गले लग जाता है।

    भरत: तुम एक बात जानती हो, तेरे आने के बाद मुझे अकेलापन महसूस नहीं होता। मैं अपनी माम-डैड की इकलौती औलाद था, फिर भी उन्हें बिज़नेस से फ़ुरसत नहीं मिलती थी। मुझे उस बड़े घर में बहुत अकेलापन महसूस होता था। इसलिए मैंने एक छोटा सा फ़्लैट लेकर उसमें रहने लगा।

    फिर कॉलेज में मेरी दोस्ती अमन से हुई। हम दोनों साथ रहने लगे। उसके साथ रहकर मैं बहुत खुश था। पर पता नहीं उसके साथ क्या हुआ कि वह अचानक ही वापस लौट गया और फिर कभी वापस लौटकर नहीं आया।

    एक दिन उसका फ़ोन मेरे पास आया। उसने मुझे तेरा ख्याल रखने को कहा। उसकी बात को मानकर ना चाहते हुए भी हाँ बोल दिया।

    अब देखो, तुम्हारे बिना तेरे इस भाई को घर काटने के लिए दौड़ रहा था। मुझे माफ़ कर दो, मेरी वजह से तू इस झंझट में फँस गया। ना मैं तुझे लड़की बनने का आइडिया देता और ना ये सब तेरे साथ होता। मैं श्रेष्ठ को सब समझाने की कोशिश करूँगा।

    शयन: भाई, इसमें गलती सिर्फ़ मेरी किस्मत की है। ना मैं विकास की नज़र में आता और ना मेरे साथ वो सब होता।

    अब यह बताएँ कि आप यहाँ क्या कर रहे हैं?

    भरत: तुझसे मिलने आया था, तुम्हें कोई भी परेशानी हो तो तुम मुझसे बात करोगे। वादा करो।

    शयन: मुझे कुछ भी परेशानी हुई तो आपको ही बताऊँगा।

    भरत: ठीक है, चलता हूँ। ऑफ़िस भी जाना है। यह कहकर वह वहाँ से चला जाता है। ऑफ़िस से आने के बाद कॉल करता हूँ। यह कहकर वह चला जाता है। उसके जाने के बाद शयन भी किचन में जाकर लंच की तैयारी करता है।


    अगले भाग में जारी...........

  • 11. Unwanted love:A journey of love ❤️ - Chapter 11

    Words: 1133

    Estimated Reading Time: 7 min

    शयन की शादी को तीन महीने हो चुके थे। सब उसे बहुत प्यार करते थे। उसकी बात रोज ही श्रेष्ठ से होती थी, पर वह अब भी श्रेष्ठ से ज़्यादा बात नहीं कर पाता था।

    एक दिन शयन खाना बना रहा था, उसी समय दो हाथ आकर पीछे से उसकी कमर को लपेट लेते हैं। यह देखकर डर से उसकी धड़कनें तेज हो जाती हैं। वह कुछ बोल पाता, उससे पहले ही उसके कानों में आवाज़ आती है— "श्री, आई लव यू।" यह कहकर वह उसके कानों पर किस कर हट जाता है। यह कोई और नहीं, श्रेष्ठ था।

    उसको अपने पास आया देखकर शयन के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।

    शयन: "आप कब आए? मैं सबको बता देती हूँ, सब आपका वेट कर रहे थे।"

    श्रेष्ठ उसका हाथ पकड़कर अपनी ओर खींचकर उसे खुद से सटा लेता है और कहता है, "तुमने याद किया या नहीं?" यह कहते हुए वह बहुत प्यार से उसे देख रहा था।

    शयन: "जी छोड़िए, कोई देख लेगा।"

    उसकी बात मानकर श्रेष्ठ उसे छोड़ देता है। वह शयन को बहुत प्यार से देख रहा था। शयन उसे ऐसा करता देख कहता है— "जी, आप जाकर फ्रेश हो जाइए। मैं सबके लिए ब्रेकफास्ट लगवाती हूँ।"

    श्रेष्ठ: "श्री, तुम मुझे 'जी' की जगह 'डार्लिंग' या 'स्वीटहार्ट' क्यों नहीं कहती हो?"

    उसकी बात सुनकर वह बिना कोई जवाब दिए ही वहाँ से चली जाती है। वह सबको यह बता देती है कि श्रेष्ठ वापस आ गया है। यह सुनकर सारे लोग अपने कमरों से हाल में आ जाते हैं। श्रेष्ठ उन सब की जान था। वह बहुत कम घर में रहता था।

    श्रेष्ठ के दादा: "तू अपना ख्याल क्यों नहीं रखता, कितना दुबला हो गया है।"

    श्रेष्ठ: "दादू, मैं बिल्कुल ठीक हूँ। ऐसे ही नहीं मोस्ट एलिजिबल बैचलर माना जाता था। अब मैं कहीं नहीं जा रहा, मैं यहीं रहूँगा। कभी-कभी वहाँ की कंपनी में जाऊँगा। माम कहाँ है? अभी तक आई भी नहीं।" यह कहकर वह अपना मुँह बना लेता है।

    मीना: "मैं तो कब से यहीं थी। अच्छा है कि तूने यहीं रहना पसंद किया। अगर तू नहीं भी चाहता तो भी इस बार तुझे अपने से दूर जाने नहीं देती।"

    श्रेष्ठ: "माम, मुझे बहुत भूख लग रही है। चलिए ब्रेकफास्ट करते हुए बात करते हैं।" उसकी बात पर सब एग्री करते हैं।

    श्रेष्ठ की बड़ी चाची: "आओ बेटा, मैं तेरे लिए खाना सर्व कर देती हूँ।" यह कहकर वह उसके लिए ब्रेकफास्ट निकालने लगती है।

    श्रेष्ठ जाकर बैठ जाता है। फिर सारे लोग भी बैठ जाते हैं। श्रीति सबको खाना सर्व करती है।

    श्रेष्ठ: "माम, आपने कोई कुक रखा है क्या? यह खाना आपके हाथों का बना नहीं है। ऐसे यह कुक खाना अच्छा बनाता है। आप मेरे तरफ़ से उसे कोई गिफ़्ट दे देना।"

    उसकी बात सुनकर मीना और पार्वती जी हँसने लगती हैं और कहती हैं— "पागल, तुझे पता है ना कि हमारे घर में खाना घर की बहू या बेटी ही बनाती है। यह सारा खाना तेरी वाइफ़ ने बनाया है।"

    यह सुनकर वह मुस्कुराने लगता है और श्रीति को देखकर थम्स अप का इशारा कर देता है। उसकी इस हरकत पर श्रेया कहती है— "श्रीति, मान गए तुमको। तुम्हारी वजह से यह सडू भी रोमांटिक हो रहा है। वर्ना इसे अपनी किताब, बिज़नेस और जिम से फुर्सत ही नहीं मिलता था। यह सडू हँसता भी नहीं था।"

    श्रेष्ठ: "दीदी, अब बस भी करो। इतना बुरा भी नहीं हूँ जितना आप बता रही हो। मेरी श्री भी आपकी बात सुनकर पता नहीं क्या सोचेगी।"

    श्रेया: "माम, देख लो, श्रेयू महाराज आज सबके बीच में मेरी श्री कह रहा है। सच में श्रीति, तुमने मेरे भाई पर जादू कर दिया है। वह इतना रोमांटिक है, मुझे तो पता नहीं था।"

    श्रेष्ठ: "कम ऑन दीदी, जब मैं किसी से प्यार करूँगा तभी ना रोमांटिक हूँगा। अब जब मेरी शादी हो गई है तो उससे थोड़ा बहुत रोमांस कर लूँगा। मैं जीजू की तरह नहीं हूँ कि मेरी जान कहते हुए श्री के आगे पीछे घूमूँ। जीजू इतने हॉट और हैंडसम हैं। इतने बड़े बिज़नेस मैन हैं, फिर भी कितने डाउन टू अर्थ हैं। उनकी सोच इतनी कमाल की है कि वह अपने साथ काम करने वाले सब लोगों का ख्याल रखते हैं।"


    श्रेष्ठ के मुँह से लगातार विकास की तारीफ़ सुनकर शयन परेशान हो गया था। वह वहाँ से अपने कमरे में आ जाता है।


    शयन: "मैंने तो सोचा था कि सारी सच्चाई उन्हें बता दूँगा, पर वो विकास से इतने ज़्यादा इंस्पायर्ड हैं कि उनकी तारीफ़ कर रहे हैं। उस इंसान ने मेरी लाइफ़ बर्बाद कर दी। कितना अच्छा है, उसकी वजह से मेरी पहचान तक छिन गई। मैं आज एक लड़की की तरह रहने को मजबूर हूँ। मैं दिन-रात इस टेंशन में रहता हूँ कि सच्चाई जानने के बाद मेरा क्या होगा। वह इंसान आराम से अपनी लाइफ़ की खुशियाँ एन्जॉय कर रहा है। लोग कहते हैं कि बुराई की हार होती है, पर इन सब में उसका तो कुछ भी नहीं बिगड़ा। ये लोग उस हैवान को कैसे नहीं समझ पाए।"


    उधर डिनर टेबल पर मीना श्रीति को खोज रही थी। "ये लड़की कहाँ चली गई? ऐसे ब्रेकफास्ट खत्म होने से पहले कहाँ चली गई? मुझे उससे बात करनी होगी।" यह सोचकर वह अपना ब्रेकफास्ट फ़िनिश करने लगती है।

    थोड़ी देर बाद श्रेष्ठ भी अपने कमरे में आता है। वह आते साथ शयन के कमर को पकड़कर अपने चेहरे को उसके कंधे पर रखकर अपनी आँखें बंद कर सेडक्टिव आवाज़ में कहता है, "तुम्हें महसूस कर मेरी सारी थकान खत्म हो जाती है।" यह कहकर वह उसके कोलरबोन पर किस कर लेता है। उसके किस करने से शयन को झुरझुरी सी लगती है। वह अपने हाथों से अपनी साड़ी को कसकर पकड़ लेता है।


    शयन अपने अंदर उठने वाली फीलिंग से खुद हैरान था। उसे उसका छूना अच्छा लग रहा था। उसी समय वह शयन को अपनी ओर घुमाकर उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर पैशनेट होकर किस करने लगता है। वह अपने इस किस के ज़रिए अपनी फीलिंग बता रहा था। वह लगभग पाँच मिनट किस करने के बाद उससे अलग होता है।

    वह आगे कुछ भी करता, उसके पहले ही उसके कमरे पर नॉक होता है। वह अपने और श्रीति को ठीक कर जाकर दरवाज़ा खोलता है। सामने दरवाज़े पर मृणालिनी थी।


    श्रेष्ठ: "क्या बात है बच्चा, कोई काम था क्या?"

    मृणालिनी: "भैया, वो बड़ी माम आप दोनों को बुला रही हैं।"

    श्रेष्ठ: "ठीक है, तुम जाओ, मैं और श्री अभी तुरंत आ रहे हैं।"

    यह कहकर वह श्री की तरफ़ पलटकर कहता है, "माम बुला रही है, चलो।"

    श्रीति कमरे से बाहर जाने लगती है। श्रेष्ठ उसका हाथ पकड़कर चलने लगता है। उसके टच से एक बार फिर से शयन अलग सा महसूस कर रहा था।


    अगले भाग में जारी...............

  • 12. Unwanted love:A journey of love ❤️ - Chapter 12

    Words: 1132

    Estimated Reading Time: 7 min

    श्रेष्ठ और श्रीति मीना के पास पहुँचे। वहाँ पार्वती जी भी थीं, जो गंभीर होकर बैठी थीं। दोनों को ऐसे देखकर श्रेष्ठ को कुछ समझ नहीं आ रहा था।

    उसी समय पार्वती जी बोलीं, "श्रीति, मुझे तुझसे बात करनी है। तुम बहू हो, इसलिए अपनी लिमिट मत भूलो। मुझे जरा भी पसंद नहीं कि कोई मेरे परिवार की परंपरा अनुसार काम ना करे। आज के बाद, जब तक सब लोग अपना खाना खत्म नहीं कर लेते, तुम वहाँ पर मौजूद रहोगी। तुम नई-नवेली दुल्हन हो, सज-धज कर रहो। मैं जानती हूँ कि शायद तुम्हें यह पसंद नहीं है, फिर भी यह करो।"

    "जी दादी जी, आगे से ख्याल रखूँगी।" श्रीति ने कहा।

    "दादी, क्या यह ज़रूरी है? जब उसे पसंद नहीं तो जैसे वह रहना चाहे, वैसे ही रहने दीजिए।" श्रेष्ठ बोला।

    "श्रेष्ठू बेटा, आपकी दादी सही कह रही हैं। कुछ बातें करनी ज़रूरी होती हैं। अब तुम कुछ नहीं कहोगे। श्रीति, जाकर तैयार होकर आओ।" मीना ने कहा।

    कुछ देर बाद वह आई। उसे देखकर श्रेष्ठ उसमें खो सा गया था। उसने रेड कलर की साड़ी, मैचिंग ज्वैलरी पहन रखी थी।

    "देखा मेरी बहू कितनी सुंदर है!" मीना ने कहा और उसके कान पर काजल लगा दिया।

    उसी समय श्रेष्ठ को ऑफिस से कॉल आ गया। वह प्यार से उसके माथे को चूमते हुए बोला, "ज़रूरी काम है। रात को मिलता हूँ।"

    शयन अपने कमरे में जाकर लेट गया। रात के समय डिनर करने के बाद शयन रूम में आया। श्रेष्ठ अभी तक वापस नहीं आया था। उसकी एक डिनर पार्टी थी जिसमें वह गया था।

    वह रूम में श्रेष्ठ का इंतज़ार करने लगा। इंतज़ार करते हुए ही उसे झपकी आ गई। थोड़ी देर बाद, जब उसे अपने ऊपर किसी की साँसें महसूस हुईं, तो उसने अपनी आँखें खोलीं। उसने देखा कि श्रेष्ठ उसके करीब बैठकर एकटक उसे देख रहा था।

    "आप कब आए? मुझे उठा देते।" शयन ने कहा।

    "मैं तो कुछ देर पहले ही आ गया था और अपनी स्लीपिंग ब्यूटी को देख रहा था।" श्रेष्ठ ने कहा।

    यह कहते हुए वह आगे झुककर उसकी साड़ी की पल्लू को पकड़कर खींच दिया। अब शयन सिर्फ़ ब्लाउज़ और साड़ी में सामने खड़ा था। उसे ऐसे देखकर श्रेष्ठ की धड़कन तेज हो गई थी। उसने शयन को कमर से पकड़कर अपनी ओर खींचकर अपने में सटा लिया। वह उसके कॉलरबोन पर किस करते हुए एक हाथ से उसका कमर पकड़े रहा और दूसरे हाथ से ब्लाउज़ का बटन खोलने लगा।

    तभी शयन ने उसका हाथ रोकते हुए कहा, "श्रेष्ठ, यह सब रोक दीजिए, मैं एक लड़का हूँ।"

    उसकी बात सुनकर श्रेष्ठ को एक झटका लगा। वह तुरंत ही उससे अलग हो गया।

    "ये क्या बकवास है?" श्रेष्ठ ने पूछा।

    "ये सच है। मैं एक लड़का हूँ। मैं एक अनाथ हूँ। मैं किसी तरह मेहनत कर अपनी पढ़ाई कर रहा था। कॉलेज के पहले ही दिन एक सनकी से मेरी मुलाक़ात हुई और उसने मुझे बहुत टॉर्चर किया। उसने मेरा रेप करने की कोशिश की। किसी तरह उस दिन मैंने अपने आप को बचाया। फिर उससे बचने के लिए मैंने अपना शहर छोड़ दिया और दिल्ली आ गया। उसके आदमी मुझे खोजते हुए दिल्ली भी पहुँच गए। इसलिए मैं अपनी पहचान बदलकर लड़की बन गया जिससे वह मुझे पकड़ ना पाए।" शयन ने बताया।

    उसकी बात सुनकर श्रेष्ठ बोला, "धोखेबाज़ हो तुम, सबको अच्छा धोखा दिया।"

    "मैं झूठ नहीं बोल रहा, यही सच्चाई है जो मैंने आपको बताई है।" शयन ने कहा।

    वह उसे खींचकर एक थप्पड़ मारते हुए बोला, "ठीक है तो तुम मुझे सारी डिटेल दो जिससे मैं सब पता कर सकूँ।"

    "यह मैं नहीं बता सकता। आपको मेरी बात नहीं माननी तो मैं यहाँ से चला जाऊँगा।" शयन ने कहा।

    "मुझे तेरी किसी बात पर भरोसा नहीं है। चलो एक बार के लिए मैं तेरी बात मान लेता हूँ कि तू सही है, फिर भी तूने यह शादी क्यों की? मना कर देता, क्यों नहीं किया?" श्रेष्ठ ने पूछा।

    "मुझे यह शादी ज़बरदस्ती करनी पड़ी। आपके डैड और माम ने मेरे लिए कोई चारा नहीं छोड़ा था। मैं अपनी सच्चाई नहीं बता सकता था। मैंने तो यह भी कहा कि मेरा बॉयफ्रेंड है, पर वो नहीं माने।" शयन ने समझाया।

    श्रेष्ठ ने उसे फिर से एक जोरदार थप्पड़ मारा।

    "बकवास बंद कर अपनी, अपने धोखे और लालच को छिपाना चाहता है। तूने सोचा कि मैं श्रेष्ठ सिंधिया से शादी करके आराम की ज़िंदगी बिताऊँगा। फिर अपनी सच्चाई पता चलने पर उसे दुखभरी कहानी सुनाकर बेवकूफ बना दूँगा। इतने दिनों में तो बहुत पैसे जमा कर लिए होंगे। पर तुम जो कोई भी हो, अब यहाँ से कहीं नहीं जा सकते हो। तुम यहीं मेरे साथ रहोगे। दुनिया की नज़र में तू मेरा पत्नी है तो तुझे वही बनकर रहना होगा। तेरी सच्चाई सिर्फ़ मेरे तक ही रहेगी।" श्रेष्ठ ने गुस्से से कहा।

    "आप पागल तो नहीं हो गए? मैं ये नहीं कर सकता। आप मुझे डाइवोर्स दे दीजिए। फिर आराम से दूसरी शादी करके खुश रहिए।" शयन ने कहा।

    "डाइवोर्स दे दूँ, ताकि मेरे माम-डैड इस गिल्ट में रहें कि उनकी वजह से मेरी लाइफ़ बर्बाद हो गई। अगर तेरी सच्चाई उनके सामने आई तो वो अपने आप को मेरा गुनाहगार मानने लगेंगे। तेरी धोखेबाज़ी की सज़ा मैं अपने घरवालों को नहीं दे सकता हूँ। यह श्रेष्ठ सिंधिया अपनी यह शादी निभाएगा। मिसेज़ सिंधिया, अपने आप को तैयार कर लो, अब यह घर तुम्हारे लिए एक कैद की तरह होगी। हमारे घर में डाइवोर्स नहीं होता है। इसलिए ज़िंदगी भर इस रिश्ते को निभाना ही पड़ेगा। तेरी वजह से मेरे सारे सपने टूट गए। इसका हर्जाना तो देना पड़ेगा। तुम अपनी सलामती चाहती हो तो एक अच्छी बहू बनने का नाटक जारी रखना। मेक श्योर कि तुम एक लड़का हो यह सच्चाई किसी के सामने ना आए। अगर कुछ भी चालाकी की या मेरी बात नहीं मानी तो मैं तेरे उस भाई भरत को जान से मार दूँगा। आखिर उसने भी मुझे धोखा देने की हिम्मत की है।"

    "भाई की कोई गलती नहीं है। उन्हें कुछ भी नहीं पता है। मैं आपकी सारी बातें मानूँगा। आप जैसा कहेंगे वैसा करूँगा।" शयन ने डरते हुए कहा।

    "तुम एक अच्छी बहू और पत्नी होने का नाटक करोगे। इस रूम में तेरी हैसियत एक नौकर जितनी होगी। आज से तुम नीचे ज़मीन पर सोओगे। मेरे सारे काम तुम करोगे। मुझसे पूछे बिना कहीं नहीं जाओगे। अब तुम मेरे हो तो किसी और के करीब मत जाना। क्योंकि मैं नहीं चाहता कि तेरी वजह से कोई हमारे खानदान पर उंगली उठाए। समझ गए? आगे जो भी बात होगी बता दूँगा। यह लो ब्लैंकेट और तकिया और चादर। चुपचाप जाकर उस पर नीचे सो जाओ। सुबह आकर मेरे बेड पर लेट जाना ताकि सुबह कोई कमरे में आए तो उन्हें कोई शक ना हो।"

    शयन उसकी बात मानकर चुपचाप चादर बिछाकर सो गया।


    To be continued.....

  • 13. Unwanted love:A journey of love ❤️ - Chapter 13

    Words: 1300

    Estimated Reading Time: 8 min

    सुबह शयन जमीन से उठकर बेड के एक किनारे आकर सो गया। थोड़ी देर बाद श्रेष्ठ भी उठकर फ्रेश होने गया। उसने शयन को सोया देख उसे झकझोर कर उठाते हुए कहा, "मैं जिम में जा रहा हूँ। मेरे लिए प्रोटीन शेक तैयार रखना। मुझे वह जिम करने के तुरंत बाद चाहिए होता है। उसके बाद मेरे कपड़े तैयार रहने चाहिए। साथ ही मेरा ब्रेकफास्ट भी मुझे चाहिए। मुझे आठ बजे तक आफिस जाना है।"

    शयन- "सुनिए, मुझे प्रोटीन शेक बनाना नहीं आता।"

    श्रेष्ठ- "ये तेरी प्रॉब्लम है मेरी नहीं। इसलिए ये तुम सोचो कि तुम यह कैसे बनाओगे। अब जाओ।"

    "एक मिनट रुको। अभी एक काम करना बाकी है।"

    शयन जब तक कुछ समझ पाता, श्रेष्ठ उसके कोलरबोन पर बाइट कर लेता है। फिर वह उसके लोअर लिप पर बाइट कर लेता है।

    शयन आश्चर्य से उसे देखने लगा। उसके मन के भावों को समझकर श्रेष्ठ ने कहा, "कल हमारी फर्स्ट नाइट थी तो तेरे बदन पर ऐसे निशानियाँ होना ज़रूरी है। ताकि किसी को यह न लगे कि हमारे बीच कुछ ना हुआ है।"

    शयन चुपचाप वहाँ से किचन में चला गया। उसने वहाँ मौजूद सर्वेंट से पूछकर प्रोटीन शेक तैयार करना शुरू कर दिया। फिर वह जल्दी-जल्दी सैंडविच बनाने की तैयारी करता है।

    फिर वह श्रेष्ठ का प्रोटीन शेक लेकर कमरे में गया। श्रेष्ठ जिम से आ चुका था। एक्सरसाइज़ करने के कारण उसका पूरा बदन पसीने से भीगा हुआ था। उसने अभी सिर्फ़ लोअर पहन रखा था। ऊपर उसने कुछ भी नहीं पहना था। जिससे उसकी कमाल की बॉडी शो हो रही थी। उसके एट पैक एब्स उसे कातिल बना रहे थे, उसके ऊपर पसीने के कारण भीगे बालों से पसीने की बूँदें टपक कर इसे और बढ़ा रही थीं।

    शयन उसे देखकर मुड़ जाता है और कहता है, "मैं आपके लिए प्रोटीन शेक लेकर आया हूँ।"

    श्रेष्ठ- "श्री, इधर घूमो, बेड पर से तौलिया लेकर मेरे पसीने को पोछो। और प्रोटीन शेक को मेरे हाथ में दे दो।"

    शयन उसकी बात मानकर चुपचाप तौलिया लेकर उसके बदन को पोछने लगा। तभी अचानक ही श्रेष्ठ ने उसके गर्दन में अपने हाथ डालकर अपनी ओर खींच लिया जिससे वह अपने आप को संभाल नहीं पाया और सीधे श्रेष्ठ की गोद में गिर गया। उसी समय वह उसके गालों पर किस करके हट गया।

    फिर वह गेट की तरफ़ अपना सिर करते हुए कहता है, "हे माम, आप कब आईं?" यह कहते हुए वह शयन को खड़ा करके कहता है, "मैं तैयार होने जा रहा हूँ। मुझे आफिस जल्दी जाना है। मेरे कपड़े निकाल दो। माम, मैं आपसे आकर बात करता हूँ।" यह कहते हुए वह बाथरूम में चला जाता है।


    मीना - "श्रीति, बाहर बुआ आई हैं। वह तुमसे मिलना चाहती हैं। इसलिए मैं तुम्हें बुलाने आई थी। जल्दी से जाकर ब्रेकफास्ट तैयार करो।"


    श्रीति- "जी, अभी आई। बस इनके लिए कपड़े निकाल कर आती हूँ।"


    यह कहकर वह श्रेष्ठ के कपड़े निकालकर बाहर आकर बुआ जी को प्रणाम करती है।

    बुआ- "सौभाग्यवती रहो। बहू, जाकर मेरे लिए आलू के पराठे और खीर, साथ ही एक अच्छी सी सब्जी बना दे।"

    शयन- "जी बुआ, अभी तैयार करती हूँ।" वह जैसे ही किचन में जाने लगती है कि उसे श्रेष्ठ की आवाज सुनाई देती है, "श्री, मेरे मोजे कहाँ हैं?"


    श्रीति जल्दी से मोजे देकर सैंडविच बनाने लगती है। श्रेष्ठ जैसे ही तैयार होकर आता है तो उसे ब्रेकफास्ट करने को कहता है।

    श्रेष्ठ जल्दी से ब्रेकफास्ट खत्म करके कहता है, "दोपहर में मेरे फ्रेंड लंच पर आ रहे हैं। सब तैयारी रखना।"

    शयन- "जी, ठीक है। आपको शिकायत का कोई मौका नहीं दूँगी।"

    तभी श्रेष्ठ उसके गले लगते हुए धीरे से कहता है, "गलती तो करने की कोशिश भी मत करना, वर्ना तेरा वो सो कोल्ड भाई..."

    शयन- "कोई गलती नहीं होगी।"

    श्रेष्ठ- "दैट्स लाइक माय गुड वाइफ।"

    शयन जाकर अपना सारा काम खत्म कर अपने कमरे में जाती है जिसे पूरा मैसी किया हुआ था। अलमारी के सारे कपड़े उससे निकालकर नीचे पड़े थे।

    वह धीरे-धीरे कर सारा कमरा ठीक करती है तभी उसके पास भरत का कॉल आता है। उसे देखकर शयन अपने आप को कंट्रोल करके फोन उठा लेती है।

    शयन- "हैलो भाई, कैसे हैं आप?"

    भरत- "ठीक हूँ।"

    शयन- "भाई, आपका बिज़नेस सही चल रहा है ना? आपको मेरी कसम झूठ नहीं बोलिएगा।"

    भरत- "सब सही है, ऐसे अचानक ये सवाल क्यों पूछा? वहाँ कुछ हुआ है क्या?"

    शयन बात बदलते हुए कहती है कि सुबह बहुत बुरा सपना देखा इसलिए पूछा। फिर वह इधर-उधर की बात करके फोन रख देती है।

    शयन अपने आप से- "तेरी फ़ूटी किस्मत का असर भाई पर नहीं पड़ना चाहिए। तुझे श्रेष्ठ की हर बात माननी होगी। वह भाई को आराम से नुकसान पहुँचा सकता है।"

    "पता नहीं पटना में मिहिर और अंकल-आंटी कैसे हैं? विकास ने उन्हें तो हर्ट नहीं किया होगा ना? पता नहीं मैं इतनी मनहूस क्यों हूँ जिसके भी आस-पास रहती हूँ, मुसीबत बाहें फैलाकर उसका स्वागत करती है।"

    तभी शयन के फ़ोन पर श्रेष्ठ का मैसेज आता है- "अगले बीस मिनट में आ रहा हूँ। सब तैयार रहना चाहिए। तुम अच्छे से तैयार रहना।"

    शयन जाकर तैयार हो जाती है। वह बाहर हाल में बुआ जी और बाकी लोगों का ख्याल रखती है। करीब दस मिनट बाद श्रेष्ठ तीन-चार लोगों के साथ अंदर आता है।

    वह सब उसके बचपन के दोस्त थे। श्रेष्ठ उन्हें सोफ़े पर बिठाकर कहता है, "श्री, मेरे फ्रेंड आए हैं। तुम क्या कर रही हो? आकर सबका स्वागत करो।"

    मीना को श्रेष्ठ के इस तरह श्रीति से बात करना पसंद नहीं आया। पर वह बाहर वालों के सामने तमाशा नहीं करना चाहती थी।

    श्रेष्ठ को इस तरह श्रीति के साथ बिहेव करता देख उसकी चाची और बुआ बहुत खुश थीं। बुआ- "अच्छा है यह लड़की अपनी औक़ात में रहेगी।"

    तभी पाँच मिनट के बाद श्रीति कुछ स्नैक्स के साथ चाय लेकर आती है।

    श्रेष्ठ- "श्री, जब मैंने तुझे कहा था कि सब तैयार रखने को कहा था तो इतनी देर क्यों हुई?"

    श्रीति- "वो चाय गरम पीते हैं इसलिए वो बनाकर अभी आई। आई एम सॉरी।"


    श्रेष्ठ- "आज के बाद यह गलती नहीं होनी चाहिए। चलो मेरे दोस्तों से मिल लो। यह संजय, शमित, पवन और गौरव हैं।"

    श्रीति- "नाइस टू मीट यू।" यह कहकर वह सबके आगे हाथ जोड़कर खड़ी हो जाती है।

    श्रेष्ठ उसका हाथ पकड़कर अपने पास बैठाते हुए कहता है, "यह श्रीति है जिससे मैंने शादी की है।"

    गौरव- "भाभी आप क्या करती हो?"

    श्रेष्ठ श्रीति को देखते हुए कहता है, "यह कुछ नहीं करती है। इसकी केवल एक पहचान है कि यह श्रीति श्रेष्ठ सिंधिया है। जाओ जाकर लंच लगा दो, मुझे भूख लगी है।"


    शयन चुपचाप श्रेष्ठ जो भी कह रहा था मान रही थी। कुछ देर बाद श्रेष्ठ के दोस्त चले जाते हैं। श्रेष्ठ उनके साथ नहीं गया था। वह अपने कमरे में चला जाता है।


    मीना उसके पास आती है और कहती है, "बेटा, आज तुमने यह किस तरह श्री से बात की? ऐसा करना सही नहीं है।"

    श्रेष्ठ- "आई एम सॉरी, वो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं कि मेरी वाइफ को कोई और देखे, इसलिए मुझे गुस्सा आ गया।"

    "पर माम, वो यहीं घर पर ही रहेगी। मैं नहीं चाहता कि वह बाहर काम करे। डैड को भी बता देना कि वह अब आफिस नहीं जाएगी।"

    मीना- "ये सही नहीं है, ऐसे तुम उसकी ज़िंदगी के फैसले नहीं ले सकते हो।"

    श्रेष्ठ- "उसे मेरी बात माननी ही होगी। आप परेशान मत हो, मैं उसे मना लूँगा।"

    मीना आगे कुछ ना कहकर चली जाती है। श्रेष्ठ भी काउच पर सोचने लगता है।

    फिर वह कहता है, "बहुत शौक था ना मेरी वाइफ़ बनने का, अब तुम ज़िंदगी भर इस बात का रिग्रेट करोगी कि मैंने ऐसा क्यों किया।" फिर वह लैपटॉप लेकर अपना काम करने लगता है।


    To be continue in next part

  • 14. Unwanted love:A journey of love ❤️ - Chapter 14

    Words: 1051

    Estimated Reading Time: 7 min

    थोड़ी देर बाद शयन अपना सारा काम खत्म कर वापस कमरे में आया। वह बहुत थक गया था। उसने कमरे का दरवाजा बंद कर वहीं फर्श पर लेट गया।

    उसी समय श्रेष्ठ की आवाज आई। "यहाँ आकर मेरे पैर दबाओ, बीबी हो मेरी, ये तो तेरा फर्ज़ है।"

    शयन- "सुनिए, मैं बहुत थक गया हूँ। पाँच मिनट रेस्ट कर, दबा देता हूँ।"

    श्रेष्ठ- "तुम मेरे पास आकर मैंने जो कहा है, चुपचाप करो। मेरे पास पूरा दिन नहीं है तुमसे बात करने के लिए।"

    शयन आकर उसके पैर दबाने लगा। उसे बिल्कुल भी यह नहीं करना था, पर वह कर रहा था। उसकी आँखों में आँसू आने लगे थे।

    शयन को रोते देखकर श्रेष्ठ बोला, "जब मुझे तेरी सच्चाई पता चली थी ना, तो मुझे भी रोना आ गया था, पर मैं रोने वाला नहीं, रुलाने वाला हूँ। देखो, तुम रो रहे हो और तुम्हें ऐसे देखकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।"

    "तुम लोग अपनी लालच को मजबूरी का नाम देते हो। अपनी मेहनत के दम पर कुछ भी अचीव किया जा सकता है। आदमी की सफलता उसके अपने हाथों में होती है।"

    शयन- "जब आपके पास फैमिली हो, लोग आपको प्यार करें, प्रोटेक्ट करने के लिए लोग हों, तो यह कहना बहुत आसान होता है।"

    "आपको कोई छू तक नहीं सकता क्योंकि आप घनपत सिंधिया के पोते और विजय सिंधिया के बेटे हैं। आपको सबका सामना करना सिखाया गया है। पर कुछ लोग ऐसे होते हैं कि बिना गलती के भी माफ़ी माँगकर झुकना पड़ता है। आप भले काम पर टाइम से पहुँचकर टाइम के बाद तक लगातार काम करें, पर आपका मालिक आपको कामचोर कहकर कभी भी पूरी सैलरी नहीं देता है और आप उसे लड़ भी नहीं सकते क्योंकि खाना खाने के लिए पैसे चाहिए होते हैं। आपको पढ़ाई करनी होती है और किराया देना होता है। दूसरा जॉब भी आसानी से नहीं मिलता है। उसके बाद जाकर स्कूल की पढ़ाई भी कीजिए और अपना खाना भी बनाइए।"

    "रहने दीजिए, बड़ी-बड़ी बातें करना बहुत आसान होता है। फिर कोई सनकी आपके पीछे पड़ जाए तो आपको अपनी सालों की मेहनत बर्बाद कर भाग जाना पड़ता है।"

    श्रेष्ठ- "वाह यार! तुझे तो मोटिवेशनल स्पीकर बन जाना चाहिए। क्या स्पीच देते हो! चुपचाप होकर अपना काम करो।"

    शयन चुपचाप उसका पैर दबाने लगा। वह यही सोच रहा था कि काश उसके माँ-डैड भी उसके साथ होते, तो उसे यह सब फेस नहीं करना पड़ता। उसके सोच को विराम तब लगा जब किसी ने दरवाजे पर नॉक किया। श्रेष्ठ शयन के साड़ी के पल्लू को झटके से खींचकर नीचे कर देता है और जाकर गेट खोलने लगा।

    श्रेष्ठ- "मृणि, तू इस समय यहाँ क्या कर रही है?" तभी उसके पीछे से विनी, श्रेया, विनीत और तृण भी थे। वे लोग रूम के अंदर आते हुए बेड पर बैठ जाते हैं।

    तृण- "आपकी शादी को इतने दिन हो गए, फिर भी हम सब भाभी से बॉन्ड नहीं बना पाए हैं। आज हम सब यहाँ भाभी से बात करने आए हैं।"

    विनी- "भाभी, आपने किस चीज़ की पढ़ाई की है?"

    शयन- "बिजनेस मैनेजमेंट।"

    तृण- "तब तो आपको मेरी कंपनी ज्वाइन कर लेनी चाहिए और मुझे गाइडेंस देना चाहिए।"

    श्रेष्ठ- "यह ऑफ़िस में काम नहीं करेगी। मुझे मेरी वाइफ मेरे सामने चाहिए।"

    श्रेया- "चलो, मेरा भाई भी पोज़ेसिव हसबैंड बन गया है। तेरी बीबी है, जो करना है करो, पर अभी उसे मेरे साथ जाने दो। हम सब शॉपिंग पर जा रहे हैं। माँ ने कहा कि जब से शादी हुई है, वह घर से बाहर भी नहीं निकली।"

    श्रेष्ठ- "ओके, पर मैं भी साथ चलूँगा।"

    मृणालिनी- "हाय हाय! भाई, आप तो पूरे चेंज हो गए हो! भाभी से दूर ही नहीं रहा जाता।"

    श्रेष्ठ- "तीन महीने तो दूर रहा गया, अब और कितना दूर रहूँ।"

    विनीत- "भाभी, आप बहुत लकी हो। आज के ज़माने में आपको भाई जैसा हमसफ़र मिला है। भाई अखंड सिंगल थे। उन्होंने अपना किस्सा तक बचाकर रखा था। भाई कभी आपका हाथ नहीं छोड़ेंगे। आप उनकी लाइफ में आने वाली पहली और आखिरी लड़की हो।"

    श्रेष्ठ- "अब मेरी खिंचाई करना बंद करो और शॉपिंग पर चलो। दीदी, आपकी बात मोहित से हुई? वह कब आ रहा है? कितने दिन हो गए उससे मिले हुए? जब वह दिल्ली आया था, तो मैं नहीं था। मेरी शादी भी इतनी जल्दी हुई कि कोई नहीं आ पाया।"

    श्रेया- "खुद ही बात क्यों नहीं कर लेता? उसे बुला ले, तेरी बात सुनकर वह दौड़ा चला आएगा।"

    श्रेष्ठ- "ओके, मैं बात करता हूँ। श्रीति, तुम भी तैयार होकर आ जाना। हम सब बाहर वेट कर रहे हैं। जल्दी आना।"

    विनी- "हाँ, भाभी, जल्दी आना, आपको देखे बिना भाई कैसे रहेगा।"


    शयन- "हम तुरंत ही आते हैं।"

    यह कहकर वह तैयार होने चला गया। थोड़ी देर बाद वह बाहर आया। उसने पर्पल कलर की नेट की साड़ी पहन रखी थी। उसने अपने बालों को क्लच के साथ सेट किया था। सामने के बाल कर्ली थे जो उसके चेहरे पर आ रहे थे। उसने डायमंड इयररिंग और नोज़ पिन पहन रखा था। उसने रेड लिपस्टिक लगा रखी थी।

    उसे देखकर श्रेष्ठ का दिल धक से रह गया था। वह एकटक उसे देखे जा रहा था। उस साड़ी से उसका फिगर बहुत सेक्सी लग रहा था। विनीत और तृण भी लगातार बस श्रीति को ही देख रहे थे।

    उन तीनों का रिएक्शन देखकर मृणालिनी बोली, "भाभी, पटाखा लग रही हो! तीन लोग तो ऐसे ही मर मिटे हैं आप पर! मुझे नहीं पता था कि बड़े भाई भी ऐसे आँखें फाड़कर आपको देख रहे हैं जैसे वह अपनी पत्नी को नहीं, किसी और को देख रहे हैं।"

    उसकी बात सुनकर श्रेष्ठ होश में आता है और अपना कोट शयन के ऊपर डालकर उसके सारे बटन बंद कर देता है। फिर वह उसके साड़ी पिन खोलकर उसके साड़ी के पल्लू को बड़ा कर देता है। फिर कहता है, "अब चलो।"

    शयन को उसका रिएक्शन अजीब लगा, पर वह ज़्यादा ध्यान नहीं देते हुए आगे बढ़ जाता है।

    दूसरी तरफ श्रेष्ठ भी यही सोच रहा था कि उसे श्रीति का खुला कमर देखकर बुरा क्यों लगा? उसे उस पर गुस्सा क्यों आया? पर वह भी इस बारे में ज़्यादा ना सोचकर अपने भाई-बहनों के साथ जाने लगता है।

    अगले भाग में जारी.......

  • 15. Unwanted love:A journey of love ❤️ - Chapter 15

    Words: 1187

    Estimated Reading Time: 8 min

    श्रेष्ठ और अपने भाई-बहनों के साथ मॉल गया। शयन इतने बड़े मॉल को देखकर शॉक हो गया। वह आज से पहले कभी इतने बड़े मॉल में नहीं आया था।

    तभी श्रेया उसका हाथ पकड़कर उसे अपने साथ वीमेंस सेक्शन में ले गई। उनके साथ विनी और मृणालिनी भी थीं।

    वह लोग अपने लिए कपड़े देखने लगीं। तभी श्रेया श्रीति को अपने पास बुलाकर उसे एक छोटी सी नाइटी देते हुए कहती है, "रात को इसे पहनना, तुम पर अच्छा लगेगा।"

    उसी समय एक आदमी उनके पास आकर उनके बहुत करीब खड़ा हो जाता है और श्रीति से बदतमीजी करते हुए कहता है-
    "बेबी, एक बार इसे भी तो ट्राय कर लो। हम भी तो देखें यह कैसा लग रहा है।"

    "माइंड योर ओन बिजनेस। आप यहाँ से जाइए।" श्रीति ने कहा।

    वह आदमी उसका हाथ पकड़कर कहता है, "ऐसे कैसे चले जाएँ, पहले यह पहनकर तो दिखा दे मेरी जान।"

    "ओ मिस्टर, अपनी बदतमीजी बंद कीजिए और यहाँ से जाइए। हमें अपनी शॉपिंग करने दीजिए।" श्रेया ने कहा।

    "तू भी कम खूबसूरत नहीं है। ऐसा कर कि तू ही मेरी इच्छा पूरी कर दे।" वह आदमी बोला।

    उसकी बात पर श्रीति ने एक थप्पड़ खींचकर उसे मारते हुए कहा, "मेरे ख्याल से अब होश आ गया होगा, अगर नहीं तो दूसरा थप्पड़ लगा दूँ।"

    "तेरी इतनी हिम्मत, मुझे थप्पड़ मारा! तुझे तो मैं नहीं छोड़ूँगा। रुको अभी बताता हूँ।" यह कहकर वह श्रीति के हाथ पकड़कर उसे अपनी ओर घुमाकर उसके बाल को कसकर पकड़कर किस करने के लिए बढ़ने लगता है।

    उसके इस मूव से श्रीति शॉक हो गई थी। तभी एक जोरदार मुक्का उस आदमी के मुँह पर पड़ता है। वह आदमी नीचे गिर जाता है।

    वह आदमी दुबारा उठ पाता कि एक लात उसके पेट पर पड़ती है।

    उस आदमी को मारने वाला और कोई नहीं, श्रेष्ठ था। उसे श्रेया से कुछ काम था। इसलिए वह उसे खोजते हुए वीमेंस सेक्शन में आता है तो देखता है कि आदमी बदतमीजी कर रहा था।

    श्रेष्ठ नीचे झुककर उस आदमी के कॉलर पकड़कर अपनी ओर खींचकर फिर से एक पंच मारता है।

    "तू कौन है और मुझे क्यों मार रहा है?" वह आदमी पूछता है।

    "जिसे छूने की कोशिश कर रहा था, वह मेरी वाइफ है। तेरी इतनी हिम्मत कि तू श्रेष्ठ सिंधिया की वाइफ पर अपनी नज़र डाले!" यह कहकर वह लगातार उसे मारता जा रहा था।

    शोर सुनकर तृण और विनीत, मृणालिनी और विनी भी आ गए थे। उन लोगों ने आज पहली बार श्रेष्ठ को इस तरह लड़ते देखा था। वह बहुत शांत होकर किसी भी सिचुएशन को हैंडल करता था।

    श्रेष्ठ ने उसे इतना मारा था कि उसका चेहरा लहूलुहान हो गया था। शयन श्रेष्ठ के पास जाकर उसे रोकते हुए कहता है, "रुक जाइए, वर्ना वो मर जाएगा।"

    श्रेष्ठ नहीं रुकता है और उसे मारता जाता है। श्रेया और बाकी लोग भी आकर उसे रोकने लगते हैं।

    "आप लोग जाइए, आज मैं इसकी जान ले लूँगा।" श्रेष्ठ कहता है।

    "रुक जाइए, प्लीज। वह मर जाएगा। आपका नाम खराब हो जाएगा।" शयन ने कहा।

    "ये इसे तुम्हें छूने से पहले सोचना था। आज इसे नहीं छोड़ूँगा।" श्रेष्ठ ने कहा।

    "रुक जाइए, आपको मेरी कसम। मैं ठीक हूँ।" शयन ने कहा।

    उसकी बात मानकर वह रुक जाता है। तृण अपने बॉडीगार्ड बुलाकर उस आदमी को वहाँ से ले जाने को कहता है।

    "तूने मुझे अपनी कसम क्यों दी? मैं तो आज इसे मार डालता।" श्रेष्ठ कहता है।

    तभी शयन की नज़र उसके हाथों पर जाती है, उसके हाथों से ब्लड आ रहा था। वह अपने रुमाल से उसका हाथ बाँध देता है।

    शयन श्रेष्ठ से कहता है, "आपने ऐसा क्यों किया?"

    "श्री, आई हैट यू। क्योंकि मुझे धोखेबाज़ से नफ़रत है। पर तू सिर्फ़ मेरा है। तुझे कोई और हर्ट नहीं कर सकता।" यह कहकर वह उसके बालों को उसके कान के पीछे कर देता है।

    "अब जाओ, शॉपिंग पूरी कर लो।" श्रेष्ठ कहता है।

    "वो हमें भूख लग गई है।" शयन कहता है।

    तभी विनीत कहता है, "हाँ भाई, मुझे भी भूख लग गई है। बगल के फ़ूड कोर्ट में चलते हैं।"

    "ठीक है, चलो।" श्रेष्ठ कहता है।

    उसके बाद सब लोग बैठकर अपने लिए ऑर्डर कर देते हैं। श्रीति बस मेन्यू कार्ड देख रही थी। वहाँ सब चीज़ का दाम इतना था कि उसकी हिम्मत ही नहीं हो रही थी।

    श्रेष्ठ उसके बदले में ऑर्डर देते हुए कहता है, "दो व्हाइट पास्ता और एक प्लेट नूडल्स। साथ में दो ऑरेंज जूस भी। सबसे पहले एक वेजिटेबल सूप ले आओ।"

    कुछ ही देर में खाना आ जाता है और सब लोग खाने लगते हैं। श्रेष्ठ अपने और श्रीति के प्लेट में खाना सर्व करके खाने लगता है। शयन को लगता है कि यह सब श्रेष्ठ की फ़ेवरेट है। कुछ देर बाद सब लोग खा लेते हैं।

    फिर सब अपने पसंद की डेज़र्ट मँगवाते हैं। श्रेष्ठ गुलाब जामुन और आइसक्रीम मँगवाता है।

    "एक बात पूछूँ?" विनी कहता है।

    "हाँ, पूछ ना।" श्रेष्ठ कहता है।

    "भाई, आज आप नूडल्स और पास्ता खा रहे थे। आपको तो यह खाना पसंद नहीं और तो और गुलाब जामुन और आइसक्रीम भी खा रहे हैं।" विनी कहता है।

    श्रेष्ठ हँसते हुए जवाब देता है, "तेरी भाभी को ये सब खाना पसंद है। वह अकेले खाती तो अनकम्फ़र्टेबल हो जाती, इसलिए मैंने उसे कंपनी दी। सिंपल। बाकी जहाँ तक मेरी पसंद की बात है तो यह बात आज भी सच है कि मुझे यह सब पसंद नहीं है।"

    अब जब सबका खाना हो गया तो शॉपिंग कंटिन्यू करते हैं। यह कहकर वह शयन का हाथ पकड़कर अपने साथ लेकर लेडीज़ सेक्शन में जाकर कपड़े पसंद करने लगता है। फिर मेंस सेक्शन में जाकर कपड़े लेता है।

    फिर वह एक सुंदर सा पिंक कलर का नाइट सूट खरीदता है जो शयन की साइज़ का था। वह सबके लिए गिफ़्ट खरीदता है।

    वो लोग जैसे ही वापस लौटकर घर पहुँचते हैं कि देखते हैं कि उनके दादा, दादी, पापा, मम्मी और चाचा, चाची, बुआ, फ़ूफ़ा सब हॉल में बैठे उन सब का वेट कर रहे थे।

    जैसे ही श्रेष्ठ अपने दादा जी के पास जाता है कि एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर पड़ता है। यह थप्पड़ उसे उसके दादा ने मारा था।

    श्रेष्ठ समझ जाता है कि उसे थप्पड़ क्यों पड़ा है। वह आराम से शांत होकर अपना सिर झुकाकर खड़ा हो जाता है।

    तभी विजय एक और थप्पड़ उसे मारते हैं और कहते हैं, "मुझे तुझसे यह उम्मीद नहीं थी कि तू गुंडों की तरह मारामारी करेगा। कल की हेडलाइन्स बनेंगी जो कुछ तुमने किया। आज क्या हो गया था जो ऐसा किया?" यह कहकर वह एक थप्पड़ और मार देते हैं।

    "सॉरी दादू और डैड। अगर कोई मेरी फैमिली के साथ गलत करेगा तो उसे नहीं छोड़ूँगा।" श्रेष्ठ कहता है।

    "ऐसा क्या हो गया था कि तूने ऐसा किया?" विजय पूछते हैं।

    "उसने श्री के साथ बदतमीजी करने की कोशिश की।" श्रेष्ठ जवाब देता है।

    तभी मोहिनी कहती है, "मैंने तो पहले ही कहा था कि श्रेष्ठ ऐसा नहीं कर सकता। यह लड़की की वजह से ही सब हो रहा है।"

    "छोटी माम, मेरे सामने अगर किसी ने फिर से उसे छुआ तो जो आज किया वो दुबारा भी कर सकता हूँ। मेरी वजह से जो हुआ उसके लिए फिर से सबसे माफ़ी माँगता हूँ।" श्रेष्ठ कहता है।

    यह कहकर वह शयन का हाथ पकड़कर वहाँ से अंदर अपने कमरे में ले जाता है।

    अगले भाग में जारी......

  • 16. Unwanted love:A journey of love ❤️ - Chapter 16

    Words: 1502

    Estimated Reading Time: 10 min

    श्रेष्ठ समझ गया कि उसे थप्पड़ क्यों पड़ा है। वह आराम से, शांत होकर, सिर झुकाए खड़ा हो गया।

    तभी विजय ने एक और थप्पड़ मारा और कहा, "मुझे तुझसे यह उम्मीद नहीं थी कि तू गुंडों की तरह मारामारी करेगा। कल की हेडलाइंस बनेगी जो कुछ तुमने किया। आज क्या हो गया था जो ऐसा किया?" यह कहकर उसने एक थप्पड़ और मार दिया।

    "सॉरी दादू और डैड। अगर कोई मेरी फैमिली के साथ गलत करेगा तो उसे नहीं छोड़ूँगा।" श्रेष्ठ ने कहा।

    "ऐसा क्या हो गया था कि तूने ऐसा किया?" विजय ने पूछा।

    "उसने श्री के साथ बदतमीजी करने की कोशिश की।" श्रेष्ठ ने उत्तर दिया।

    तभी मोहिनी बोली, "मैंने तो पहले ही कहा था कि श्रेष्ठ ऐसा नहीं कर सकता। यह लड़की की वजह से ही सब हो रहा है।"

    "छोटी माम, मेरे सामने अगर किसी ने फिर से उसे छुआ तो जो आज किया वो दुबारा भी कर सकता हूँ। मेरी वजह से जो हुआ उसके लिए फिर से सबसे माफी माँगता हूँ।" श्रेष्ठ ने कहा।

    यह कहकर वह शयन का हाथ पकड़कर वहाँ से अंदर अपने कमरे में ले गया।


    श्रेष्ठ अपने कमरे में पहुँचकर गुस्से में अपनी घड़ी खोलकर बेड पर फेंक दी और फ्रेश होने बाथरूम में चला गया। उसने बाथरूम का डोर भी जोर से बंद कर दिया।

    शयन भी अपने कपड़े चेंज करके किचन में चला गया और बाकी लोगों के लिए रात का डिनर बनाने लगा।

    हॉल में सारे लोग अभी भी जो कुछ भी हुआ, उसके बारे में ही सोच रहे थे। श्रेष्ठ के सारे भाई-बहन इस बात पर दुखी थे कि आज बिना गलती के ही श्रेष्ठ को मार पड़ी।

    श्रेया अपने दादा जी के पास बैठते हुए बोली, "दादू आपको श्रेष्ठ को ऐसे नहीं मारना चाहिए। उसकी गलती क्या थी?"

    "उसे मार-पीट करने की क्या ज़रूरत थी? श्रीति के लिए यह सब कौन सी नई बात होगी? इसलिए मैं इस रिश्ते के खिलाफ थी।" मोहिनी ने कहा।

    "छोटी माम, इसमें भाभी की क्या गलती है?" तृण ने पूछा।

    "उसने तो मेरे साथ भी बदतमीजी करने की कोशिश की जिसके कारण श्रीति ने उसे थप्पड़ मार दिया और वह श्रीति को किस करने की कोशिश करने लगा। आप लोग ही बताइए कि श्रेष्ठ क्या करता, कोई भी हसबैंड ऐसे ही रिएक्ट करेगा।" श्रेया ने कहा।

    "पापा आप तो जानते हैं कि इस घर में सबसे ज़्यादा घर की इज़्जत का ख्याल श्रीयू ही रखता है। इतने सालों में वह कभी किसी रिलेशनशिप में नहीं गया क्योंकि उसे डर था कि वह किसी ऐसे को ना चुन ले जो सही ना हो। वह आज तक कभी अपने बाकी भाई-बहनों की तरह कभी भी क्लब नहीं गया। उसने कभी शराब नहीं पी। उसने अपने आप को अकेले भी ऐसे संभाला था कि कोई भी उसके बारे में एक सिंगल गलत वर्ड ना बोल सके। उसने अपने आप से ज़्यादा इस परिवार के बारे में सोचा। हम सब उसका मज़ाक बनाते हुए कहते थे कि यह संत है।"

    "आप लोगों ने बिना कुछ पूछे उसे गुनाहगार मान लिया और सज़ा भी दे दी। कोई भी हसबैंड अपनी वाइफ के साथ इस तरह की बदतमीजी बर्दाश्त नहीं करेगा।" श्रेया ने आगे कहा।

    उसी समय श्रीति सबको डिनर करने के लिए बुलाती है। वह सबके पास आकर कहती है, "आज जो भी हुआ उसके लिए माफ़ी चाहती हूँ। मैं पूरा ख्याल रखूँगी कि आगे ऐसा कुछ ना हो।"


    सब लोग मिलकर डिनर कंप्लीट कर सोने चले जाते हैं। शयन भी किचन समेटकर अपने कमरे में जाता है। सामने देखकर वह शॉक रह जाता है।


    वहीं दूसरी ओर अमन के घर में तपन, मिहिर और उसके बाकी दोस्त बैठे थे। वे सब आपस में मीटिंग कर रहे थे। मिहिर और अमन के मिलने पर किसी को शक ना हो, इसलिए मिहिर ने अमन की कंपनी ज्वाइन कर ली थी।


    "सर, आजकल विकास के आदमियों ने मुझसे पूछना छोड़ दिया है। आजकल वह घर भी नहीं आ रहे हैं। मुझे लगता है कि अपनी शादी के बाद वह शयन को भूल गया है।" मिहिर ने कहा।


    अमन गुस्से से अपने हाथ की मुट्ठी बाँधकर कहता है, "ऐसे लोग इतनी आसानी से किसी का पीछा नहीं छोड़ते हैं। वह ज़रूर कुछ बड़ा प्लान कर रहा होगा। ऐसे इस बारे में बाद में बात करेंगे।"

    "मैं कल एक डील के लिए दिल्ली जा रहा हूँ। वहाँ दो-तीन दिन रुककर वापस आऊँगा।" अमन ने कहा।

    मिहिर और तपन भी दिल्ली का नाम सुनकर एक्साइटेड हो गए। वे दोनों एक साथ कहते हैं, "हम दोनों भी साथ जाएँगे। मुझे भी शयन से मिलना है। बहुत दिन से उसे नहीं देखा है। उसने तो हमसे कांटेक्ट करने की कोशिश भी नहीं की। सबको भूल गया। वहाँ जाकर उसे दो थप्पड़ लगाऊँगा। आप अपने जाने के बारे में मत बताना, हम सब उसे सरप्राइज करेंगे।"

    "ठीक है, जैसा तुम लोग चाहते हो वही होगा। पर अभी यह काम कंप्लीट कर लो।" अमन ने कहा। यह कहकर वे लोग फिर से अपने काम में लग जाते हैं।


    थोड़ी देर बाद मिहिर अपने घर पहुँचता है। वह घर में जैसे ही पहुँचता है, शॉक रह जाता है।

    उसके घर के हॉल के सोफे पर विकास अपने असिस्टेंट के साथ बैठा चाय पी रहा था। उसे घर आया देखकर विकास सोफे से उठकर उसके पास आकर उसका हाथ पकड़कर उसे अपने पास बैठा लेता है और अपनी कोल्ड आवाज में कहता है, "शयन को गए छह महीने से अधिक हो गए हैं। शयन बिना किसी की मदद के इतने दिनों तक मुझसे छुप नहीं सकता है। उस चूजे की इतनी औकात नहीं कि वह मुझसे भाग सके। कोई तो है जो उसकी मदद कर रहा है।"

    "अगर उसके भगाने में तुम्हारा हाथ हुआ तो मैं तुम्हें जान से मार दूँगा। अगर उसके बारे में जानते हो तो बता दो, तेरे लिए अच्छा होगा। वह सिर्फ मेरा है। वह सिर्फ मुझे सेटिस्फाय करने के लिए पैदा हुआ है।" विकास ने कहा।

    यह सब सुनकर मिहिर शॉक में चला जाता है। फिर वह कहता है कि वह शयन के बारे में नहीं जानता है।

    उसे ऐसे देखकर विकास डेविल स्माइल करता है और टेबल से एक चाय का कप उठाकर उसके हाथ में देकर चला जाता है। जाने के पहले वह एक नज़र मिहिर को देखता है। उसकी नज़रों को देखकर मिहिर को भी डर लगता है।

    उसके जाने के बाद मिहिर जल्दी से अपने घर का गेट बंद कर लेता है। उसकी साँसें अभी भी तेज़ चल रही थीं।

    वह अपनी माँ से पूछता है, "माँ, यह कब आया और क्या कह रहा था?"

    "करीब एक घंटे पहले ही आया था। वह इतना ज़्यादा हड़बड़ी में था कि उसने एक मिनट में ही दस बार घंटी बजा दी थी। जब मैंने गेट खोला तो वह अंदर आकर बैठ गया। फिर मैंने उसे चाय दी। चाय पीते हुए वह मुझसे बोला, 'आप बैठ जाइए, मुझे आपसे बात करनी है।' इसलिए उसकी बात मानकर चुपचाप मैं बैठ गई।" लता ने बताया।

    विकास ने कहा, "मुझे बचपन से आदत है कि जो चीज़ मुझे पसंद आ जाती है वह मेरी हो जाती है। मैं उसे पाकर ही रहता हूँ। शयन, माय डियर बेबी, वो मेरा फेवरेट चीज़ थी। उसके लिए मेरी डिजायर को आप नहीं समझ सकते। पर मेरा वो बेबी भाग गया। यह सही नहीं हुआ। छह महीने से ऊपर हो गए जब मैंने उसे आखिरी बार छुआ था। मेरा समय बहुत कीमती है। अगर आपको पता है कि वह कहाँ है तो बता दो, अगर बाद में मुझे पता चला कि इसमें आप लोग का हाथ है तो मैं किसी को नहीं छोड़ूँगा। इसलिए आज मैं खुद चलकर आया हूँ। उस चूजे की इतनी औकात नहीं थी कि वह बिना किसी की मदद से मुझसे दूर जाए। वह मासूम तो मुझे देखकर ही शेक करने लगता है। उसे मुझे मना करने की हिम्मत मैंने उसमें छोड़ी ही नहीं थी। इसलिए उससे कहो कि चुपचाप वापस मेरे पास आ जाए, और अगर मैंने ढूँढ कर निकाला ना तो मौत से बदतर ज़िंदगी जियेगा। उसके बाद तुम आ गए। मिहिर, शयन को लेकर इसकी सनक बढ़ती जा रही है। कुछ भी करो, वर्ना शयन फिर से शिकार बन जाएगा।"


    मिहिर भी अब शयन को लेकर बहुत परेशान हो गया था। वह सबसे बात करने का सोचकर अपने कमरे में चला जाता है। वह किसी को कॉल नहीं करता क्योंकि उसे डर था कि कहीं उसका फ़ोन टैप ना हो रहा हो। वह दिल्ली जाते समय ही सारी बात करने का निर्णय लेता है।


    अगले भाग में जारी......

  • 17. Unwanted love:A journey of love ❤️ - Chapter 17

    Words: 1254

    Estimated Reading Time: 8 min

    शयन अपने कमरे में आया तो देखा कि श्रेष्ठ बदहवास सा लगातार पंचिंग बैग पर घूँसे मार रहा था। उसके बाल बिखरे हुए थे। उसकी आँखें लाल थीं। इससे साफ़ पता चल रहा था कि वह रो रहा था। शयन ने उसे कभी इस तरह नहीं देखा था। वह हमेशा जॉली मूड में रहता था। उसकी हालत देखकर शयन जल्दी से उसे रोकने गया।

    शयन- आप क्या कर रहे हैं? इस तरह अपने आप को चोट क्यों पहुँचा रहे हैं?

    श्रेष्ठ- बताओ, मैंने क्या गलत किया? बचपन से सिर्फ़ वही किया जिससे मेरे घरवाले खुश रहें। हर एक्टिविटी में नंबर वन पर रहा। माँ-डैड मुझे बिज़नेसमैन बनाना चाहते थे, इसलिए मैंने अपनी ड्रीम, डॉक्टर बनना, छोड़ दी। मैं माँ की तरह डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करना चाहता था। मैं कभी रिलेशनशिप में नहीं रहा क्योंकि मैं ऐसा कुछ नहीं चाहता था जो माँ-डैड को हर्ट करे। मैंने तेरे अलावा कभी किसी के करीब भी नहीं आया। माँ-डैड के कहने पर बिना किसी सवाल-जवाब के यह शादी कर ली। मैंने तो अपनी लाइफ़ पार्टनर के लिए अपनी पूरी लाइफ़ रखी थी कि कोई यह ना बोल सके कि उसके अलावा भी मेरी लाइफ़ में कोई था।

    शादी के बाद तीन महीने में अपनी पत्नी के प्यार के लिए तरसा। बचपन से ही मैंने बहुत कुछ सोचा था कि मैं अपनी पार्टनर को दुनिया की हर खुशी देने की कोशिश करूँगा। उसे बहुत प्यार करूँगा। मैं अपने सारे डिज़ायर पूरे करूँगा। उसे इतना प्यार दूँगा कि वह अपने आप को सबसे लकी समझेगी। पर मेरे साथ इतना बड़ा धोखा हो गया। मैं दुनिया का सबसे अच्छा पति बनूँगा, पर आज मैं अपने ही लाइफ़ पार्टनर के साथ सबसे ज़्यादा रूड हूँ।

    "बोलो ना, क्यों धोखा दिया? मैंने क्या बिगाड़ा था? आज दादू और डैड को भी मुझ पर यह विश्वास नहीं था। वह यह सोचते हैं कि श्रेष्ठ गलत नहीं है, अगर उसने ऐसा किया है तो कोई कारण होगा।"

    "श्री, बताओ मुझे, मैंने क्या गलत किया? अपने परिवार को प्यार करना गलत है? माँ-डैड की सारी बातें मानना गलत है?"

    शयन- आप गलत नहीं हैं। सिर्फ़ हालात गलत हैं। चलिए, अच्छे बच्चे की तरह सो जाइए।

    यह कहकर वह उसे पकड़कर बेड की तरफ़ ले जाने लगा।

    तभी श्रेष्ठ उसके चेहरे को अपने हाथों में भरकर बोला, "इस चेहरे से मैंने दीवानों की तरह प्यार किया है। किसी को हक नहीं है जो इसे किस करे या हर्ट करे। जो भी ऐसा करेगा उसे नहीं छोड़ूँगा। तुझे हर्ट करने का हक सिर्फ़ मेरा है। मैं अपना हक किसी को नहीं देता हूँ।" यह कहकर वह उसके चेहरे को प्यार से सहलाने लगा।

    "तुम सिर्फ़ मेरे हो।" यह कहकर वह उसके होंठों पर अपने होंठ रख देता है और पैशनेट होकर किस करने लगता है। फिर वह उससे अलग होकर कहता है- "श्री, जानते हो मेरा दिल आज भी तुझसे प्यार करता है। तू मेरी लाइफ़ का पहला प्यार है। क्यों पहली ही रात अपनी सच्चाई नहीं बताई? उस समय सच्चाई बता देते तो इन तीन महीने तुझसे दूर होकर जो प्यार बढ़ता रहा, वो तो नहीं होता ना।"

    शयन- सॉरी, मैं आपके सामने बैठकर सच्चाई बताना चाहता था। मैं किसी को धोखा देना नहीं चाहता था, पर मैं अपनी सच्चाई बता नहीं सकता हूँ।

    तभी शयन का ध्यान श्रेष्ठ पर जाता है जो सो चुका था और नींद में बातें कर रहा था- "श्री, आई लव यू। श्री, तेरी आँखें बहुत सुंदर हैं।" फिर वह गहरी नींद में सो जाता है। शयन कुछ देर उसे देखते हुए उसके बंद आँखों पर लाइट किस करके हट जाता है।

    अगली सुबह शयन की नींद डोर नॉक की आवाज़ से खुली। वह जल्दी से चादर, ब्लैंकेट और पिलो को कबर्ड में ठूसकर गेट खोलता है।

    श्रेष्ठ नींद में ही कहता है- "श्री, मेरे लिए कॉफी लाओ।"

    तभी उसके माँ और डैड अंदर आकर उसके पास बैठकर उसके सिर को सहलाने लगते हैं। उनके ऐसे करने से ही श्रेष्ठ उठकर बैठ जाता है। विजय उसे अपने गले लगाकर कहते हैं- "सॉरी बेटा, मैंने तुझ पर हाथ उठाया। क्या करता तेरे से मुझे यह उम्मीद नहीं थी। तेरी जगह पर तेरे दोनों नालायक भाई के बारे में यह पता चलता तो मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता।"

    "माफ़ कर दे, मैं यह भूल गया था कि मेरा यह बेटा हमसे इतना प्यार करता है कि वो ऐसा कुछ नहीं करेगा जो हमारी इज़्ज़त के लिए सही ना हो। बहुत रोया है।"

    श्रेष्ठ- आपको माफ़ी माँगने की ज़रूरत नहीं है। आप जब चाहे मुझे मार सकते हैं, मैं उफ़ तक नहीं करूँगा। पर फिर कभी ऐसा मत कहिएगा कि मैंने आपकी इज़्ज़त को चोट पहुँचायी। मेरे लिए खुद से भी ज़्यादा आप सब ज़रूरी हैं।

    मीना- श्रीयु, यह चाय पी लो, मैंने बनाया है। अच्छा फील होगा। यह कहकर वह उसके सिर को सहलाने लगती है।

    मीना- श्रीति, तुम भरत को बुला लो। वो आकर तुम्हें ले जाएँगे। तुम्हारी पगफेरे की रस्म अभी भी बाकी है।

    श्रीति- जी, मैं उन्हें कॉल कर देती हूँ। वह कुछ समय में ही आ जाएँगे।

    श्रेष्ठ- शाम को तैयार रहना, मैं जाकर तुझे ले आऊँगा।

    मीना- उसे एक-दो दिन तो अपने भाई के साथ रहने दे।

    श्रेष्ठ- ठीक है, जो आप चाहती हो वैसा ही होगा। श्री, जाकर तैयार हो जाओ। ब्रेकफ़ास्ट तैयार कर लेना। भाई भी आ रहे हैं ना।

    विजय और मीना श्रेष्ठ के साथ कमरे से बाहर निकल गए।

    शयन जल्दी से तैयार होकर ब्रेकफ़ास्ट तैयार करने लगता है। वह आज बहुत खुश था कि वह आज अपना समय भरत के साथ बिता पाएगा।

    थोड़ी देर बाद भरत आता है। वह भी बहुत खुश लग रहा था।

    भरत आकर विजय और मीना जी के पास आकर कहता है- "आंटी, क्या मैं श्रीति को ले जा सकता हूँ?"

    मीना- हाँ, पर पहले ब्रेकफ़ास्ट कर लो, फिर आराम से जाना।

    उसी समय श्रेष्ठ भी आ जाता है।

    भरत- जी, ठीक है। यह कहकर वह ब्रेकफ़ास्ट करने लगता है।

    श्रेष्ठ- भाई, मैं शाम को आऊँगा। यह कहकर वह ऑफ़िस निकल जाता है।

    भरत भी श्रीति को लेकर घर आता है। फिर वह शयन को प्यार से हग करते हुए कहता है- "कैसा है तू? सॉरी, तुझसे मिलने नहीं आ पाया। क्या करता इधर? वर्क लोड बहुत था।"

    शयन- भाई, मैं ठीक हूँ। पर एक बात समझ नहीं आती कि श्रेष्ठ क्या चाहता है।

    यह कहकर वह सारी बात बता देता है।

    शयन की बात पर भरत भी चिंता में आ जाता है। फिर वह कहता है कि चिंता मत कर, तेरा यह भाई हर समय तेरे साथ खड़ा है।

    "अब यह सब छोड़, हम दोनों साथ हैं तो चलो कुछ मस्ती करते हैं।" यह कहकर वह एक कुशन लेकर शयन पर फेंक देता है। थोड़ी देर में ही दोनों के बीच पिलो फ़ाइट शुरू हो जाती है। वे दोनों एक साथ कुछ देर तक यह करने के बाद थक जाते हैं। उनकी इस फ़ाइट की वजह से रूम पूरा गंदा हो गया था।

    शयन उसे साफ़ करने जाता है तो भरत उसे रोकते हुए कहता है- "मेरी प्रिंसेस सिर्फ़ इन्जॉय करने के लिए है। तू आराम से मायके का मज़ा ले, सारा काम तेरा यह भाई करेगा।"

    शयन उसकी बात पर उसके गले लग जाता है।

    भरत- जाओ यहाँ से, मुझे सफ़ाई करनी है।

    शयन फिर से उसे हग कर कहता है- "भाई, एक कप कॉफ़ी बना देना।"

    भरत- ठीक है, तू जा, मैं दस मिनट में आता हूँ।

    ऐसे ही दोनों के बीच हँसी-मज़ाक हो रहा था। आज वे दोनों बहुत खुश थे।

    अगले भाग में जारी......

  • 18. Unwanted love:A journey of love ❤️ - Chapter 18

    Words: 1002

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे:-

    प्यार से हग करते हुए कहा, "कैसा है तू? सॉरी, तुझसे मिलने नहीं आ पाया। क्या करता है इधर? वर्क लोड बहुत था।"

    शयन ने कहा, "भाई, मैं ठीक हूँ। पर एक बात समझ नहीं आती कि श्रेष्ठ क्या चाहता है।" यह कहकर उसने सारी बात बता दी।

    शयन की बात पर भरत भी चिंता में आ गया। फिर वह बोला, "चिंता मत कर, तेरा यह भाई हर समय तेरे साथ खड़ा है।"

    "अब यह सब छोड़, हम दोनों साथ हैं तो चलो कुछ मस्ती करते हैं।" यह कहकर उसने एक कुशन लेकर शयन पर फेंक दिया। थोड़ी देर में ही दोनों के बीच पिलो फाइट शुरू हो गई। वह दोनों एक साथ कुछ देर तक यह करने के बाद थक गए। उनकी इस फाइट की वजह से रूम पूरा गंदा हो गया था।

    शयन उसे साफ करने जाता है तो भरत उसे रोकते हुए कहता है, "मेरी प्रिंसेज सिर्फ इंजॉय करने के लिए है। तू आराम से मायके का मज़ा ले, सारा काम तेरा यह भाई करेगा।"

    शयन उसकी बात पर उसके गले लग गया।

    भरत ने कहा, "जाओ यहाँ से, मुझे सफाई करनी है।"

    शयन फिर से उसे हग करके बोला, "भाई, एक कप कॉफ़ी बना देना।"

    भरत ने कहा, "ठीक है, तू जा। मैं दस मिनट में आता हूँ।"

    ऐसे ही दोनों के बीच हँसी-मज़ाक हो रहा था। आज वे दोनों बहुत खुश थे।


    शाम के समय शयन और भरत बैठकर कॉफ़ी के साथ स्नैक्स का मज़ा ले रहे थे। वे लोग साथ में बैठकर मूवीज़ का मज़ा ले रहे थे।

    उसी समय डोरबेल बजती है। शयन तेज़ी से उठकर गेट खोलने जाने लगता है। तब भरत उसका हाथ पकड़कर रोकते हुए कहता है, "नफ़रत है तब तू उसके आने से इतना खुश हो गया?"

    शयन ने कहा, "मैं तो बस गेट खोलने जा रहा था। आप मुझे टीज़ करना बंद करो।"

    भरत ने कहा, "तू आराम से बैठ, मैं गेट खोलकर तेरे हस्बैंड को लेकर आता हूँ।"

    भरत गेट खोलकर देखता है तो वह शॉक रह जाता है। सामने अमन, मिहिर और तपन खड़े थे। अमन और तपन को इतने साल बाद देखकर वह बहुत खुश था।

    अमन ने कहा, "अरे यार, अंदर आने देगा या नहीं? लगता है गेट पर ही रखने का मन है।"

    भरत ने कहा, "तू यहाँ क्यों आया है? वापस लौट जाओ। मैं तुझे अंदर नहीं बुलाऊँगा।"

    अमन उसे धक्का देकर अंदर आ गया।

    भरत ने कहा, "यहाँ क्यों आया? बिना बताए छोड़कर चला गया था। कभी कांटेक्ट भी नहीं किया और उस दिन मुझसे मदद मांग ली।"


    अमन ने कहा, "क्या यार, एक तो इतने साल बाद मिल रहा हूँ और शिकायत लेकर बैठा है।"

    भरत ने कहा, "तुझे आज भी मेरी याद यहाँ नहीं लाई। तू सिर्फ शयन के लिए आया है। तुझे कोई फर्क नहीं पड़ता मेरे होने या नहीं होने से। तू बस यहाँ से जा, मुझे बात नहीं..."

    इससे आगे की बात उसके मुँह में रह गई थी। अमन ने अपने होठों से उसका मुँह बंद कर किस करने लगा। भरत पहले उसे दूर करता है पर फिर वह उसे किस करने लगा।

    तपन ने कहा, "अरे बेशर्म, कुछ तो शर्म करो।"

    भरत और अमन एक-दूसरे से अलग होते हैं। मिहिर और शयन उन दोनों को ऐसे देखकर शॉक थे।

    भरत ने कहा, "सच बताओ, कहीं तूने शादी तो नहीं कर ली?"

    अमन ने कहा, "पागल है क्या? मैं सिर्फ तेरा हूँ।"

    भरत ने कहा, "मुझे छोड़कर क्यों गया? जानता था ना मैं कितना अकेला हूँ। मॉम-डैड ने भी कभी मुझे एक्सेप्ट नहीं किया।"

    अमन ने कहा, "उस दिन अचानक ही मुझे घर से फोन आया कि मेरी बहन की जान को खतरा है। मैं जल्दी से निकल गया।"

    "पर मैं उसे नहीं बचा पाया। मैं किसी को नहीं बचा पाया। उस राक्षस ने मुझसे मेरी सारी खुशियाँ छीन ली।"

    भरत ने कहा, "खुलकर बता कि क्या हुआ?"

    अमन ने कहा, "आकृति ने उस विकास से खुद को बचाने के लिए अपनी जान दे दी। वह आदमी कॉलेज में उसे देखकर पागल हो गया था। वह उसे रोज परेशान करता था। उसने उसका साँस लेना भी दूभर कर दिया था। एक दिन उसने उसे प्रपोज़ कर दिया, आकृति के इंकार करने पर विकास ने उसका किडनैप कर लिया। वह उसे जबरदस्ती अपना बनाना चाहता था, अपनी इज़्ज़त को बचाने के लिए मेरी बहन उसके रूम की खिड़की से कूद गई। वह नहीं बच पाई।"

    "उसे कोई सज़ा नहीं हुई। उसने अपनी ताकत के दम पर कोई केस ही नहीं होने दिया। मेरी बहन की मौत को खुदकुशी कहकर केस क्लोज़ हो गया। मुझे उसे बर्बाद करना है।"

    "उसे तो मैं नहीं छोड़ूँगा पर उसे बर्बाद करने के लिए मुझे समय चाहिए। यह सब छोड़, यह बता शयन कहाँ है? उसकी हालत देखकर मुझे मेरी बहन याद आती थी। मैं जानता था कि वो विकास कितना बड़ा सनकी है। इसलिए मैं हमेशा उस पर नज़र रखता था। फिर भी मैं उसे भी आकृति की तरह नहीं बचा पाया। बस मैं यह नहीं चाहता था कि उसके सनक से परेशान होकर शयन भी कोई गलत कदम उठा ले।"

    "जब मुझे पता चला कि उस कमीने ने शयन के साथ भी वही करने की कोशिश की जो उसने आकृति के साथ की थी तो मैंने उसे तेरे पास भेज दिया। तेरे अलावा किसी और पर भरोसा नहीं था। वह इस हालत में नहीं था कि वह उससे छिप पाए।"

    "पर अब मुझे डर लग रहा है, उसको बर्बाद करने में अभी भी समय है पर वह कमीना अब भी उसे ढूँढ़ रहा है। ऐसे वह सेफ तो है ना?"

    भरत ने कहा, "हाँ, वह सेफ है। वह अभी तुमसे नहीं मिल सकता है। यह उसकी सेफ्टी के लिए ज़रूरी है। उसने श्रेष्ठ को आते देख लिया था।"

    उसी समय श्रेष्ठ आ जाता है। उसे देखकर भरत शयन के बारे में बातें करना बंद कर देता है।

    अगले भाग में जारी......

  • 19. Unwanted love:A journey of love ❤️ - Chapter 19

    Words: 1136

    Estimated Reading Time: 7 min

    भरत ने श्रेष्ठ को सोफ़े पर बैठाया और कहा, "श्रीति श्रेष्ठ आये हैं। उनके लिए कॉफ़ी लेते आना।"

    उसी समय शयन सबके लिए कॉफ़ी और स्नैक्स ले आया। उसे देखकर अमन हैरान रह गया।

    अमन- "ये कौन है और तू इसकी इतनी खातिर क्यों कर रहा है?"

    भरत- "अमन, तू अपना मुँह बंद ही रखना। यह श्रेष्ठ है। यह मेरा दामाद है। यह मेरी मुँहबोली बहन का पति है। तू तो जानता ही है कि हमारे घर में दामाद की इज़्ज़त की जाती है।"

    भरत- "श्रीति, तुम इन्हें अपने कमरे में ले जाकर फ्रेश होने को कहो, तब तक मैं डिनर तैयार करता हूँ।"

    शयन- "भाई, मैं भी आती हूँ।"

    भरत- "तू श्रेष्ठ के साथ रहो। वह पहली बार अपनी ससुराल आया है, तो उसे अनकम्फ़र्टेबल फील होगा। गीज़र ऑन कर देना। तौलिया अलमारी में ही होगा। शैम्पू, साबुन सब नए रख दिए हैं।"

    श्रेष्ठ- "भरत भाई, आप तो ऐसे बात कर रहे हैं जैसे पहली बार मिले हैं। हम दोनों एक-दूसरे को सालों से जानते हैं।"

    भरत- "श्रेष्ठ, उस समय मैं सिर्फ़ एक फ़्रेंड था, पर आज आप मेरे दामाद हैं। आपको कुछ भी प्रॉब्लम न हो, यह देखना मेरा फ़र्ज़ है।"

    श्रेष्ठ- "श्री, चलो, मुझे मेरा कमरा दिखा दो। मुझे फ्रेश होना है।" उसकी बात मानकर शयन उसे लेकर कमरे में चला गया।

    श्रेष्ठ नहा रहा था, तभी उसकी जोर से चीख सुनाई दी। शयन कुछ और न सोचते हुए वाशरूम में चला गया। श्रेष्ठ नीचे गिर गया था और टैप से टकराकर उसके हाथ से खून बह रहा था। शयन उसे उठाकर बाहर लाया। श्रेष्ठ ने केवल तौलिया लपेटा हुआ था।

    शयन उसका फ़र्स्ट एड करने लगा। फिर वह एक और तौलिया लेकर उसके सिर पोछने लगा। यह करते हुए शयन उसके बहुत करीब था, जिससे उसकी खुशबू श्रेष्ठ को अपनी साँसों में समाती नज़र आ रही थी। उसका ध्यान शयन पर गया, जिसका सारा कपड़ा उसके बदन से चिपकने के कारण उसके सारे कर्व दिखाई दे रहे थे। उसे वैसे देखकर श्रेष्ठ ने कहा, "श्री, तुम जाकर चेंज कर लो। तुम्हारा कपड़ा बहुत ज़्यादा रिवीलिंग हो गया है। मैं नहीं चाहता कि ऐसे हालत में कोई तुम्हें देखे।"

    शयन उसकी बात पर स्माइल करने लगा और जाकर अपने कपड़े चेंज कर लिया। जब तक वह आया, श्रेष्ठ भी तैयार हो चुका था।

    भरत के साथ अमन डिनर बना रहा था।

    अमन- "तू श्रीति से कब मिला जो उसे अपनी बहन बना लिया?"

    भरत- "लगभग सात महीने पहले। उसके आने के बाद मेरी लाइफ़ बदल गई। वह जबसे मेरे पास आई है, तब से मैं तरक्क़ी कर रहा हूँ।"

    अमन- "पता नहीं मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि तू मुझसे कुछ छिपा रहा है। यार, बता ना शयन कहाँ है? मुझे बस एक बार उसे देखना है और उससे बात करना है। मिहिर और तपन भी सिर्फ़ उससे मिलने आए हैं। और एक तू है जो हम लोगों को उससे मिलवाने को तैयार ही नहीं है। पूरे तीन दिन की छुट्टी है। प्लीज़ एक बार उससे मिलवा दे।"


    भरत- "ठीक है, पर उससे मिलकर तुम लोगों को झटका लग सकता है, तो अपने आप को संभाल लेना। पर मैं आज यह नहीं कर सकता हूँ। अब चलो जल्दी से डाइनिंग टेबल पर डिनर अरेंज करो।"

    अमन- "आजकल तू बहुत ऑर्डर देना सीख गया है। बहुत दिन से बेड एक्सरसाइज़ नहीं हुआ, तो मेरी प्यारी वाइफ़ी तैयार रहना, आज नहीं छोड़ूँगा।"

    भरत- "मैंने अभी तक तुम्हें माफ़ नहीं किया।"

    अमन- "माफ़ी बाद में माँग लूँगा, रात को अपनी वाइफ़ी को पहले जी भरकर प्यार कर लूँगा।"

    भरत श्रेष्ठ को बुलाकर डिनर सर्व किया। सब लोग डिनर करने लगे।

    श्रेष्ठ- "भाई, आपसे एक बात पूछूँ, ये कौन हैं?"

    भरत- "यह मिहिर है, जो कि अमन के फ़्रेंड और उनकी कंपनी में काम करते हैं। यह तपन है, जो मेरा और अमन का कॉलेज फ़्रेंड है। यह अमन है, जो मेरा पति है।"

    श्रेष्ठ- "मुझे लगा ही था, जिस तरह वो आपको देख रहे थे।" उसी समय उसके गले में खाना फँस गया था, जिससे उसकी साँस रुकने लगी। शयन जल्दी से पानी पिलाते हुए बोला, "चुपचाप डिनर कंप्लीट कीजिए। बातें बाद में कीजिए। आपको कुछ हो जाता, तो मेरा क्या होता?"


    श्रेष्ठ- "सॉरी श्री, आगे से ध्यान रखूँगा।" फिर वह डिनर करने लगा।

    डिनर कंप्लीट कर वह अपने कमरे में चला गया। शयन प्लेट उठाकर धोने ले गया। उसके पीछे भरत भी आ गया।


    भरत- "श्रीति, क्या तुम श्रेष्ठ को पसंद करने लगे हो?"

    शयन- "पता नहीं।"

    भरत फिर आगे कुछ और नहीं पूछता है। शयन किचन समेटकर अपने कमरे में चला जाता है। भरत भी वहाँ से चला जाता है।

    भरत अपने कमरे में आया, तभी किसी ने कमरे का दरवाज़ा लॉक कर उसे कमर से पकड़कर अपनी ओर खींचकर किस करने लगा।

    भरत- "अमन, छोड़ो मुझे, बात नहीं करनी है।"

    अमन- "बात किसे करनी है? मुझे तो कुछ और करना है।" फिर वह भरत को गोद में उठाकर बेड पर ले आया। थोड़ी देर बाद उस कमरे में भरत की सिसकियाँ गूंज रही थीं।

    अगली सुबह ब्रेकफ़ास्ट करते हुए श्रेष्ठ को एक कॉल आता है और वह एक्साइटमेंट से कहता है कि वह तुरंत ही आता है।

    फिर वह भरत से कहता है, "भाई, माफ़ी चाहता हूँ, पर मैं आपकी बहन को लेकर घर जा रहा हूँ। घर में मेरी बुआ और छोटा भाई आए हैं, वो दोनों श्री से मिलना चाहते हैं। आई एम सॉरी, पर मुझे जाना होगा।"

    भरत- "इट्स ओके।" यह कहकर वह अंदर जाकर दो पैकेट लेकर आता है। "यह आपके लिए गिफ़्ट है। आप मना नहीं कर सकते हैं।"

    श्रेष्ठ- "मैं इसे ज़रूर लूँगा। आख़िर पहला गिफ़्ट है जो ससुराल से मिला है।" फिर वह शयन को साथ लेकर चला जाता है।

    भरत- "इस मोहित के बच्चे को आज ही आना ज़रूरी था? कल भी तो आ सकता था।"

    अमन- "भरत, शयन कहाँ है? चलो ना उससे मिलते हैं।"

    भरत- "श्रीति ही शयन है।" यह कहकर वह सबको सारी बात बता देता है।

    अमन- "वह सब ठीक है कि शयन अभी सेफ़ है, पर आगे क्या होगा? कहीं वह सच में कुछ कर न बैठे। विकास ने अगर उसे पहचान लिया, तो बहुत बड़ी परेशानी हो जाएगी।"

    भरत- "हमें उस विकास के बच्चे का परमानेंट इलाज खोजना होगा। उसकी सच्चाई सबके सामने लानी होगी।"

    मिहिर- "चलो अच्छा है कि वह सेफ़ है। वरना उस विकास ने मुझे जिस तरह धमकी दी थी, वो कभी उसे नहीं छोड़ेगा। मुझे समझ नहीं आता कि वह इस तरह उसके पीछे क्यों पड़ गया है। वह कभी उसे चैन से जीने नहीं देगा।"

    भरत- "अच्छा क्या है? उस बेचारे से तो सब कुछ छीन लिया है उस विकास ने। मैंने देखा है वो रोज किस ट्रॉमा से गुज़रता था। मेरा बस चले तो उसे मार दूँ। खैर, इस बात को छोड़ो, हम सब शॉपिंग करने चलते हैं।"


    अगले भाग में जारी.....

  • 20. Unwanted love:A journey of love ❤️ - Chapter 20

    Words: 1118

    Estimated Reading Time: 7 min

    अगली सुबह, नाश्ते के समय श्रेष्ठ को एक कॉल आया और वह उत्साह से बोला कि वह तुरंत आ रहा है।

    फिर उसने भरत से कहा- "भाई, माफ़ी चाहता हूँ, पर मैं आपकी बहन को लेकर घर जा रहा हूँ। घर में मेरी बुआ और छोटा भाई आए हैं, वो दोनों श्रीति से मिलना चाहते हैं। आई एम सॉरी, पर मुझे जाना होगा।"

    भरत- "इट्स ओके।" यह कहकर वह अंदर जाकर दो पैकेट लेकर आया। "ये आपके लिए गिफ्ट हैं। आप मना नहीं कर सकते हैं।"

    श्रेष्ठ- "मैं इसे ज़रूर लूँगा। आखिर पहला गिफ्ट है जो ससुराल से मिला है।" फिर वह शयन को साथ लेकर चला गया।

    भरत- "इस मोहित के बच्चे को आज ही आना ज़रूरी था? कल भी तो आ सकता था।"

    अमन- "भरत, शयन कहाँ है? चलो ना उससे मिलते हैं।"

    भरत- "श्रीति ही शयन है।" यह कहकर उसने सबको सारी बात बता दी।

    अमन- "वह सब ठीक है कि शयन अभी सेफ़ है, पर आगे क्या होगा? कहीं वह सच में कुछ कर ना बैठे। विकास ने अगर उसे पहचान लिया तो बहुत बड़ी परेशानी हो जाएगी।"

    भरत- "हमें उस विकास के बच्चे का परमानेंट इलाज खोजना होगा। उसकी सच्चाई सबके सामने लानी होगी।"

    मिहिर- "चलो अच्छा है कि वह सेफ़ है। वर्ना उस विकास ने मुझे जिस तरह धमकी दी थी, वो कभी उसे नहीं छोड़ेगा। मुझे समझ नहीं आता कि वह इस तरह उसके पीछे क्यों पड़ गया है। वह कभी उसे चैन से जीने नहीं देगा।"

    भरत- "अच्छा क्या है? उस बेचारे से तो सब कुछ छीन लिया है उस विकास ने। मैंने देखा है वो रोज़ किस ट्रॉमा से गुज़रता था। मेरा बस चले तो उसे मार दूँ। खैर, इस बात को छोड़ो, हम सब शॉपिंग करने चलते हैं।"


    श्रेष्ठ शयन को लेकर घर आ गया। सारे लोग हाल में ही बैठे थे। तभी मीना की नज़र श्रीति पर गई तो वह बोली- "श्रीति, सबके लिए चाय-नाश्ता तैयार कर दो। अभी तक किसी ने ब्रेकफास्ट नहीं किया है। दामाद जी भी आने वाले हैं तो स्पेशल ब्रेकफास्ट तैयार कर दो।"

    श्रेष्ठ- "माँ, वो अभी बाहर से आई है। उसने तो अभी तक चेंज भी नहीं किया। कोई और भी तो बना सकता था।"

    मोहिनी- "श्रेष्ठ बेटा, वह अपने भाई के घर से आ रही है, वहाँ तो आराम ही किया होगा। ज़्यादा आराम करेगी तो आदत छूट जाएगा।"

    श्रेष्ठ कुछ और कहता, उससे पहले ही मोहित आकर उसके गले लग गया।

    श्रेष्ठ- "आज अचानक यहाँ क्या कर रहा है? किसकी याद यहाँ ले आई?"

    मोहित- "भाई, कोई है जिसने पिछले छह महीने से मेरी नींद चुरा ली है। बस एक बार मिल जाए तो उसे अपनी बाहों में भरकर प्यार कर लूँगा।"

    श्रेष्ठ- "ये तो अच्छी बात है। मैं अभी मंझली माँ से बात करता हूँ।"

    मोहित- "इतनी हड़बड़ी नहीं है।"

    उसी समय श्रीति मीना के पास आकर बोली, "ब्रेकफास्ट तैयार है।" उसी समय विकास भी आया। वह सबसे मिला। वह एक हाथ से श्रीति के कमर को छूते हुए हट गया। शयन की आँखों में आँसू आ गए।

    तभी श्रेष्ठ विकास के पास आकर उसके कानों में बोला- "जीजा जी, मुझे पसंद नहीं कि कोई मेरी वाइफ को टच करे।" यह कहते हुए उसका लहजा बहुत ठंडा था।

    विकास बात संभालते हुए बोला, "मैं तो मज़ाक कर रहा था। वैसे भी इतना तो चलता है। अगर तुम्हें पसंद नहीं तो ठीक है।"

    मीना- "श्रीति, चलो तुम्हें नए लोगों से मिलवाती हूँ, जिससे पहली बार मिलोगी। यह अवंती है। यह मेरी ननद और श्रेष्ठ की बुआ है।" शयन पैर छूकर प्रणाम करता है।

    अवंती- "अपने नाम की तरह ही सुंदर और संस्कारी।"

    मीना- "ये नवीन है, श्रेष्ठ के फूफा जी।"

    शयन उसका भी पैर छूता है।

    मीना- "चलो अब तुम्हें तुम्हारे देवरों से मिलवा देती हूँ।"

    श्रेष्ठ- "माँ, यहाँ तो सिर्फ़ मोहित आया है। बाकी सब तो अभी आए नहीं हैं। तृण और विनीत तो यहाँ हैं ही।"

    तभी सरप्राइज़ कहते हुए उसके सारे भाई-बहन वहाँ आ गए।


    श्रेय- "माँ, आप रहने दो, हम अपने तरीके से अपने आप को इंट्रोड्यूस करा लेंगे। हाय ब्यूटीफुल! मैं श्रेय हूँ, भाई का छोटा भाई। आपने हड़बड़ी में गलत च्वाइस कर ली। आपको मेरे जैसा इंटेलिजेंट ढूँढना था। मैं अभी भी तैयार हूँ।"

    श्रीति- "आप मुझे पसंद आए। देर किस बात की है? चलिए प्यार का इज़हार कर देते हैं।"

    श्रेय- "ऐसा किया तो भाई मुझे मार डालेंगे।"

    तभी श्रेयस उसके गले लगकर कहता है- "सेक्सी लेडी, मैं तैयार हूँ।"

    श्रेष्ठ- "श्रेयस, वो बड़ी भाभी है। मुझे इस तरह की बात पसंद नहीं है। उसे भाभी कहकर ही पुकारो। ये अमेरिका नहीं है।"

    श्रेयस- "सॉरी भाई, मैं सिर्फ़ मज़ाक कर रहा था। भाभी, मेरा नाम श्रेयस है। मैं इन दोनों से छोटा हूँ, तो आपका फ़ेवरेट मुझे ही बनाना। चलिए, अब आपको मोहित भाई से मिलवा देता हूँ। ये है हमारे मोहित भाई। भाई के बाद अगर कोई इस घर का संस्कारी औलाद है तो वो ये है। बस भाई की तरह इन्हें क्लब और पार्टी से कोई प्रॉब्लम नहीं है। मोहित भाई, ये है हमारी प्यारी भाभी।"

    मोहित शयन को वहाँ देखकर शॉक रह गया। वह कुछ बोल ही नहीं पा रहा था। तभी विनीत उसे टैप करते हुए कहता है- "क्लीन बोल्ड हो गए ना? हमारी भाभी है ही ऐसी।"

    मोहित- "सही कहा, शी इज़ सो ब्यूटीफुल। इस दुनिया की सबसे प्रेस्टीजियस चीज़ जो अब मेरे भाई की हो गई है। एक्सक्यूज़ मी, मैं चेंज कर आता हूँ।" यह कहकर वह अपने रूम में चला गया।

    वह गेट बंद कर रोने लगा। मोहित वही लड़का था जो उस दिन क्लब में शयन को देखकर उसे पसंद करने लगा था।

    थोड़ी देर बाद वह अपने आप को संभालकर बाहर आ गया। श्रीति किचन में चली जाती है।

    श्रेष्ठ- "हाँ, अब बताओ कि वह कैसी दिखती है। मैं उसे ढूँढने की कोशिश करता हूँ।"

    मोहित- "भाई, मैं तो मज़ाक कर रहा था। ऐसी बात नहीं है। वह बस मेरा अट्रैक्शन था।"

    उसी समय उसके दोस्त भी आ जाते हैं। श्रीति नाश्ता करने के लिए सबको बुलाने आती है। उसे देखते ही मोहित का फ्रेंड उससे कहता है- "वाह यार, तू तो छुपा रुस्तम निकला। उस क्लब वाली लड़की को ढूँढ भी लिया और अपने घर भी ले आया।"


    श्रेष्ठ- "तुम लोग किस बारे में बात कर रहे हो?"

    मोहित- "भाई, कोई बात नहीं है। यह तो पागल है, ऐसे ही बकवास करता है।"

    श्रेष्ठ- "तुझे मेरी कसम है।"

    मोहित- "भाभी ही वो लड़की है जिसे मैं खोज रहा था। वह पहली नज़र में ही पसंद आ गई थी।"

    यह सुनकर वह शॉक रह गया। उसे अपने भाई के लिए बुरा लग रहा था।

    अगले भाग में जारी...