आरव, जिसे सब प्यार से ‘नीर’ कहते थे, उतना ही गहरा और शांत था जैसे कोई अथाह झील। उसके शब्द कम थे, मगर आँखों में हजारों अनकही बातें छुपी रहती थीं। दूसरी ओर मीरा, सबकी ‘झिलमिल’, हमेशा मुस्कुराती, खिलखिलाती और बेफिक्र थी। उसकी हंसी जैसे हर कोने में रौशनी... आरव, जिसे सब प्यार से ‘नीर’ कहते थे, उतना ही गहरा और शांत था जैसे कोई अथाह झील। उसके शब्द कम थे, मगर आँखों में हजारों अनकही बातें छुपी रहती थीं। दूसरी ओर मीरा, सबकी ‘झिलमिल’, हमेशा मुस्कुराती, खिलखिलाती और बेफिक्र थी। उसकी हंसी जैसे हर कोने में रौशनी भर देती। बचपन से दोनों का रिश्ता खेलों, नोकझोंक और मनुहार से पनपता आया था। कॉलेज में कदम रखते ही जैसे उनकी दुनिया ही बदल गई। अब नीर की खामोशी में छुपा प्यार झिलमिल की मासूम हंसी में ढलकर चमकने लगा। वे घंटों साथ रहते, पर दिल की गहराईयों में छिपे जज़्बात जुबां तक नहीं पहुंच पाते। नीर की निगाहें अक्सर मीरा पर टिक जातीं, और मीरा अनजाने ही उसके साये में सुकून ढूंढ लेती। धीरे-धीरे दोनों को एहसास होने लगा कि एक-दूसरे के बिना उनकी दुनिया अधूरी है। निगाहों की खामोश बातें दिल तक तो पहुंचतीं, मगर जुबां पर ताले जमे रहते। दोस्ती की मासूमियत और प्यार की खामोश आहट के बीच उनका रिश्ता झूलता रहा। सवाल अब भी अधूरा था—क्या वे अपने दिल की आवाज़ सुन पाएंगे या खामोशियों में ही हमेशा के लिए दफ्न कर देंगे?
Page 1 of 1
----------- l
खामोश प्यार की कहानी
बचपन की शुरुआत
आरव और मीरा… दो नाम, पर जैसे दो रूहें जो बचपन से ही एक-दूसरे से जुड़ी हुई थीं। आरव जिसे सब “नीर” बुलाते थे, अपने नाम की तरह ही गहरा और शांत। उसकी आँखों में हमेशा एक अनकही गहराई रहती थी, मगर चेहरे पर चुप्पी। वहीं मीरा, जिसे सब प्यार से “झिलमिल” कहते थे, नाम की तरह ही रोशन और खिलखिलाती। उसकी हँसी में जादू था, जो आस-पास का माहौल हल्का कर देती।
उनकी दोस्ती पहली कक्षा से ही शुरू हुई थी। उस दिन नीर अकेला-सा बेंच पर बैठा था, किताब में सिर झुकाए। मीरा ने आते ही मासूमियत से पूछा—
“तुम अकेले क्यों बैठे हो?”
नीर ने कुछ जवाब नहीं दिया, बस किताब के पन्ने पलटता रहा।
मीरा हँसी और बोली—“चलो, अब से हम दोनों दोस्त। मेरा नाम मीरा है… लेकिन सब मुझे झिलमिल कहते हैं।”
नीर ने हल्की मुस्कान दी और सिर हिला दिया। उस सिर हिलाने ने उनकी दोस्ती की नींव रख दी।
स्कूल के दिनों में दोनों हमेशा साथ रहते। क्लास में जब मीरा होमवर्क करना भूल जाती तो नीर अपनी कॉपी आगे सरका देता। खेलों में जब नीर पीछे रह जाता, तो मीरा उसका हाथ पकड़कर खींच लेती। टीचर की डाँट भी दोनों ने बराबर खाई।
वार्षिक समारोहों में मीरा स्टेज पर नाचती और नीर परदे के पीछे से चुपचाप ताली बजाता। पिकनिक पर मीरा सबको हँसाती, और नीर उसका ध्यान रखता कि वो कहीं गिर न जाए।
धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि स्कूल में सब कहने लगे—“नीर और झिलमिल को कभी अलग देखा ही नहीं।”
---
किशोरावस्था का रंग
जैसे-जैसे क्लासें बढ़ीं, दोस्ती में भी नए रंग भरने लगे। अब वो सिर्फ़ खेल और शरारत तक सीमित नहीं रहे थे।
नीर जब बीमार पड़कर स्कूल नहीं आता, तो मीरा बेचैन हो जाती। वो अगले दिन उसके लिए कॉपी में सारे नोट्स बना लाती। वहीं जब मीरा उदास होती, तो नीर उसकी ओर चुपचाप टॉफी सरका देता।
फेयरवेल के करीब आते-आते दोनों को एहसास हुआ कि उनकी दोस्ती सिर्फ़ दोस्ती नहीं रही। उनके बीच एक अनकहा लगाव था।
फेयरवेल की रात मीरा ने अपनी ड्रेस में झिलमिलाते हुए पूछा—“नीर, जब हम अलग हो जाएँगे तो भी दोस्त रहोगे न?”
नीर ने उसकी ओर गहरी नज़र से देखा और बस इतना कहा—“हाँ।”
उस “हाँ” में कितना कुछ छुपा था, ये मीरा ने महसूस किया, पर दोनों ने चुप्पी बनाए रखी।
---
कॉलेज की दहलीज़
स्कूल के बाद दोनों ने एक ही कॉलेज चुना। नए चेहरे, नया माहौल, मगर दोनों का साथ वही।
कॉलेज की शुरुआत थोड़ी हिचकिचाहट से हुई। रैगिंग, नए प्रोफ़ेसर, नए दोस्त—सब कुछ बदल रहा था। मगर नीर और झिलमिल के लिए सबसे बड़ी राहत यह थी कि वे एक-दूसरे के साथ थे।
कैंटीन की हलचल में जब मीरा दोस्तों संग हँसती, तो नीर को बस वही सुनाई देता। लाइब्रेरी में जब मीरा धीमे से कहती—“नीर, ये चैप्टर समझा दो न”—तो नीर के गाल लाल हो जाते।
ग्रुप प्रोजेक्ट्स में जब दोनों साथ काम करते, तो मीरा मज़ाक करती रहती और नीर चुपचाप उसकी बातें सुनता। मीरा हँसते-हँसते कह देती—“तुम इतने सीरियस क्यों रहते हो, नीर? कभी तो खुलकर हँसा करो।”
नीर हल्की मुस्कान के अलावा कुछ न कहता।
---
अनकहे एहसास
बारिश का मौसम उनकी दोस्ती को और गहरा कर गया।
एक दिन कॉलेज से लौटते वक्त अचानक बारिश शुरू हो गई। मीरा छतरी निकालते-निकालते भीग चुकी थी। नीर ने बिना कुछ कहे अपनी छतरी उसके ऊपर कर दी। दोनों एक-दूसरे से सटे चलने लगे। उस छोटे-से सफ़र में नीर का दिल इतनी ज़ोर से धड़क रहा था कि उसे लगा मीरा सुन लेगी।
उस रात उसने डायरी में लिखा—
“आज बारिश में उसके साथ चलना किसी सपने जैसा था। काश, ये रास्ता कभी ख़त्म न होता।”
मीरा भी उस दिन खिड़की पर बैठी सोच रही थी—“नीर की खामोशी में कोई जादू है। वो कुछ कहता नहीं, पर मैं सब महसूस करती हूँ।”
---
कॉलेज की यादें
कॉलेज के तीन सालों में कितनी ही छोटी-बड़ी यादें जमा हुईं।
जन्मदिन पर नीर हमेशा मीरा को किताब गिफ़्ट करता।
मीरा बदले में उसे चॉकलेट्स देती और कहती—“तुम्हारी खामोशी को मीठा करने के लिए।”
कॉलेज फेस्ट में मीरा स्टेज पर एंकरिंग करती और नीर ऑडियंस में बैठा उसकी आँखों से ही ताली बजाता।
दोस्तों की महफ़िल में जब सब गाना गाते, तो नीर चुप रहता। पर मीरा मज़ाक में कहती—“नीर, तुम्हारी खामोशी ही सबसे सुरीला गाना है।”
धीरे-धीरे यह साफ़ हो गया कि दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। मगर किसी ने भी इज़हार नहीं किया।
---
आख़िरी साल और फेयरवेल
समय पंख लगाकर उड़ गया और कॉलेज का आख़िरी साल आ पहुँचा। सब अपने-अपने करियर की तैयारी में लग गए।
मीरा को डर सताने लगा—“अब ये साथ भी छिन जाएगा?”
नीर की डायरी में भी वही चिंता लिखी जाने लगी—“क्या वो मुझसे दूर चली जाएगी?”
फेयरवेल पार्टी की रात हॉल रोशनी और संगीत से भरा था। सब नाच-गा रहे थे। मीरा ने नीले गाउन में आकर धीरे से नीर से कहा—
“नीर, कभी सोचा है कि अगर हम अलग हो गए तो क्या होगा?”
नीर ने उसकी आँखों में देखा, जैसे सब कहना चाहता हो, पर होंठ सी दिए।
मीरा ने हल्की मुस्कान दी—“तुम्हारी खामोशी ही तुम्हारी पहचान है। शायद एक दिन तुम बोल पाओ… और शायद तब तक मैं इंतज़ार करूँगी।”
उस रात उनकी तस्वीरें खिंचीं, सब हँसे, सबने गले लगाया। मगर नीर और मीरा की आँखों में अधूरी मोहब्बत का साया था।
---
अधूरी मोहब्बत
कॉलेज ख़त्म हो गया, और दोनों अपने-अपने रास्तों पर निकल पड़े।
नीर अपने खामोश प्यार को शब्दों में न कह पाया। मीरा अपने दिल के सवालों को मुस्कान में छुपाकर चली गई।
लेकिन दोनों जानते थे—उनकी कहानी वहीं खत्म नहीं हुई। वो खामोशियाँ अब भी उनके बीच जिंदा थीं।
वह दोनो कॉलेज की डिग्री हासिल तो कर चुके थे पर उनकी दिल की चाहत अभी अधूरी थी।।
--------
क्या वह दोनो फिर कभी मिल पाएंगे..?
क्या उन दोनों में से कोई इज़हार कर पाएगा ..?
पहले मीरा अपनी मज़ाकिया आदत से कह पाएगी या
आरव अपनी चुप्पी तोड़ेगा..????
क्या उनकी दोस्ती मोहब्बत में बदल पाएगी ..??
See the next chapter to know the full story.
thank you...😊