आर्या रायचंद, 20 साल, सिसोदिया परिवार का हिस्सा रही, अब अपने असली घर लौट आई है। उसकी आँखों में गहरे राज़ छिपे हैं, उसकी आत्मा में दफ़न कई रहस्य हैं। उसके कुछ ऐसे सीक्रेट्स है जो उसके सिवा कोई नहीं जनता। वापसी के बाद, आर्या का दिल एक ऐसे इंसान क... आर्या रायचंद, 20 साल, सिसोदिया परिवार का हिस्सा रही, अब अपने असली घर लौट आई है। उसकी आँखों में गहरे राज़ छिपे हैं, उसकी आत्मा में दफ़न कई रहस्य हैं। उसके कुछ ऐसे सीक्रेट्स है जो उसके सिवा कोई नहीं जनता। वापसी के बाद, आर्या का दिल एक ऐसे इंसान के लिए दीवाना हो गया, जिसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। लेकिन क्या उसका ये प्यार उसे अपने छुपे हुए मक़सद से भटका देगा? क्या वो अपने अतीत के साये से उबर पाएगी और अपने इरादों को पूरा कर पाएगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए, "तेरी दीवानी"! **Stay Tuned…**
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रात का वक़्त था। एक कार तेज़ी से मुंबई की सड़कों पर दौड़ रही थी। आसपास जंगल जैसा एरिया था। चारों तरफ़ घना अंधेरा और सन्नाटा पसरा हुआ था, फिर भी कार ड्राइव कर रही लड़की को किसी भी चीज़ का डर नहीं था।
उसकी सिल्वर ग्रे आँखें लगातार सामने देख रही थीं। चेहरे को देख समझा नहीं जा सकता था कि वह क्या सोच रही है। उसकी उन इमोशनलेस आँखों में कुछ तो था जो समझ पाना मुश्किल था।
वह बिना आसपास ध्यान दिए लगातार कार की स्पीड बढ़ा रही थी कि तभी सामने से एक ब्लैक कार तेज़ी से आकर उस लड़की की कार से हिट कर गयी। हिट करने के कारण उस लड़की की कार बुरी तरह से डैमेज हो गयी थी।
टक्कर इतनी ज़ोर की थी कार ड्राइव कर रही लड़की का सिर सामने डैशबोर्ड से टकरा गया। डैशबोर्ड से टकराने की वजह से उसके सिर से खून बहने लगा, फिर भी वह स्माइल कर रही थी, जैसे उसे पता हो कि इसके बाद क्या होने वाला है।
वह अपने होश खो रही थी। उसने अपनी धुंधली आँखों से सामने खड़ी कार को देखा जिसमें से एक आदमी निकल रहा था। उसके फेस पर एक तिरछी स्माइल थी जिसे देख वह लड़की भी स्माइल करने लगी और अगले ही पल उसकी आँखें बंद हो गयीं।
वह आदमी चलकर कार के पास आया और उस लड़की को देखने लगा। उसके फेस पर अभी भी वह स्माइल थी। उसने झुककर उस लड़की के पास अपना चेहरा ले जाते हुए कुछ कहा जैसे उसे पता हो कि वो लड़की उसकी बातें सुन रही है।
फिर वो वापस अपनी कार की तरफ़ चला गया। कार के पास रुककर उसने एक नज़र अपनी सामने खड़ी कार को देखा और अपनी गाड़ी में बैठकर वहाँ से निकल गया।
उसके जाते ही सुनसान रास्ते पर घना अंधेरा और गहरा हो गया और वह लड़की अभी भी खून से सनी कार में बेहोश पड़ी थी।
दूसरी तरफ़,
एक बड़े से विला के स्टडी रूम के अंदर, एक शख्स अपने सामने खड़े आदमी से कुछ पूछ रहा था। "क्या हुआ पीटर?"
सामने खड़े पीटर ने जवाब दिया, "बॉस, वही हुआ जो आप चाहते थे।"
पीटर की बात सुन उस शख्स के चेहरे पर एक मिस्टीरियस स्माइल आ गयी और उसने पीटर से कहा, "वेल डन पीटर। मुझे तुमसे यही उम्मीद थी।" अपने बॉस की बात सुन पीटर ने सिर हिला दिया।
उस शख्स ने पीटर को जाने का इशारा किया तो पीटर बाहर चला गया। बाहर आकर पीटर ने कुछ पल दरवाज़े को देखा फिर विला से बाहर निकल गया।
वही स्टडी रूम में,
वह शख्स अपनी रिवॉल्विंग चेयर को घुमाते हुए कुछ सोच रहा था। इस वक़्त उसके चेहरे पर कई एक्सप्रेशन थे जिन्हें समझ पाना शायद ही पॉसिबल था।
वह कुछ सोचते हुए बुदबुदाया, "जैसा उन्होंने करने को कहा था, वैसे कर तो दिया मैंने। पर पता नहीं आगे क्या होगा, जब उसे पता चलेगा यह सब उन्होंने करवाया है या शायद उसे पता हो।"
अगली सुबह,
मुंबई, इंडिया,
आज इस सुबह में कुछ तो ख़ास बात थी, जैसे कुछ होने वाला हो। जिसकी ख़बर किसी को न थी या फिर शायद थी।
सुबह की चिलचिलाती धूप, एक कमरे में सो रही लड़की पर पड़ी। बालकनी से आ रहे धूप के कारण, उस लड़की की नींद जैसे टूट रही थी।
उसने धीरे धीरे अपनी आँखें खोलीं। उसकी वह सिल्वर ग्रे आँखें एकटक सीलिंग को घूर रही थीं। उसे कल रात का मंज़र याद आ रहा था। अचानक उसके चेहरे पर एक क्रीपी स्माइल आ गयी।
वो ऐसे स्माइल कर रही थी जैसे पिछली रात के बारे में सोचकर उसे खुशी मिल रही हो। जैसे उसका प्लान successful हो गया हो। उसके माथे पर बंधा बैंडेज बता रहा था कि उसे कितनी गहरी चोट लगी है। लेकिन उसे देख लग नहीं रहा था कि उसे दर्द हो रहा है।
इस वक़्त कमरे में कोई नहीं था। कुछ पल सीलिंग को घूरने के बाद उसने अपनी नज़रें रूम में घुमाईं। रूम काफ़ी luxurious था। वो अभी रूम explore कर ही रही थी कि उसे एक middle-aged वुमन रूम में एंटर करती दिखी।
उनके ड्रेसिंग और औरा से पता चल रहा था वो कोई आम इंसान नहीं है। उन्होंने उस लड़की को होश में देखा तो पूछा, "उठ गयी आप? अब कैसा फ़ील हो रहा है? कोई दर्द तो नहीं हो रहा?"
उस लड़की ने ना में सिर हिला दिया। उसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं था। वो धीरे-धीरे उठकर headrest से सिर टिकाकर बैठ गयी।
उस औरत ने फिर कहा, "वैसे आप कल रात उस सुनसान जगह पर क्या कर रही थीं, वो भी इस हालत में? वो तो अच्छा हुआ हम वहाँ से गुज़र रहे थे, तो आप मिल गयीं वरना पता नहीं क्या होता।"
बोलकर वह रुकी जैसे कुछ याद आया हो। "अरे! हम तो आपका नाम पूछना ही भूल गए। क्या है आपका नाम?"
बेड पर बैठी लड़की बिना कुछ कहे उनकी बातें सुन रही थी। उनका सवाल सुन, उसने जवाब दिया, "आर्या....!"
आर्या की बात सुन उन्होंने कहा, "बहोत प्यारा नाम है आपका। हम हैं मीरा राठौर।"
उनकी बात सुन, आर्या ने सिर हिला दिया। उसे पता था मीरा राठौर कौन है और उनका फ़ैमिली बैकग्राउंड क्या है।
मीरा जी आगे कुछ बोलतीं कि तभी एक सर्वेंट ने आकर उन्हें इन्फ़ॉर्म किया कि रायचंद फ़ैमिली आई है। मीरा जी ने सिर हिलाकर सर्वेंट को जाने का इशारा किया और आर्या से बोलीं, "आप फ्रेश हो जाइए। आपकी ज़रूरत की सारी चीज़ें हमने वाशरूम में रखवा दी हैं। आप फ्रेश होकर नीचे आइए फिर बात करते हैं।" ये बोल वो कमरे से निकल गयीं।
उनको जाते देख आर्या के चेहरे पर एक मिस्टीरियस स्माइल आ गयी।
तभी रूम में फ़ोन रिंग होने की आवाज़ आई। साइड टेबल पर रखा उसका फ़ोन रिंग कर रहा था। एक नज़र फ़ोन स्क्रीन को देख, उसने कॉल pick कर लिया।
फ़ोन के दूसरे साइड से एक लड़की की आवाज़ आई, "आर्या, आप ठीक हैं? आपको तो अब तक न्यूज़ मिल गयी होगी उन लोगों के आने की। आर्या आप sure हैं आपको ये करना है? आप जानती हैं ना इन सब से आपकी फ़ैमिली पर असर पड़ेगा।"
आर्या ने बिना किसी एक्सप्रेशन के कहा, "मैं जो कर रही हूँ सबकी भलाई के लिए कर रही हूँ समायरा और जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी इंसान को अपनों का सच जान लेना चाहिए वरना यही लोग आपको ऐसा दर्द देते हैं जिसे सहना बहुत मुश्किल होता है और यहाँ तो खुद के लोगों की बात है, तो ऑब्वियस्ली हर्ट तो होना पड़ेगा, फ़्यूचर में खुश रहना है तो।"
उसकी बात सुन समायरा बोली, " तुम जानती हो ना, तुम जो भी करोगी मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ। एंड अपना ध्यान रखना, वो जाहिल इंसान भी वहा हो सकता है, इसलिए बी केयरफूल। मैं आती हूँ थोड़ी देर में यहाँ का काम फ़िनिश करके।"
आर्या उसकी बात सुन बोली, "आई कॅन टेक केयर ऑफ़ माय सेल्फ। डोन्ट वरी।"
समायरा बोली, "आय नो, बट स्टिल। आय डोन्ट बिलीव दॅट मॅन। वो कुछ भी कर सकता है। एंड आय ऑल्सो बिलीव यू। ओके बाय, आय विल ट्राय टू कम इन ऐन अवर।"
समायरा से बात करने के बाद, आर्या ने किसी को मैसेज किया फिर फ्रेश होने चली गयी।
नीचे, हॉल में,
पूरी रायचंद फ़ैमिली आई हुई थी। मीरा जी नीचे आकर उन्हें वेलकम करती हैं और उन्हें सोफ़े पर बैठाती हैं। और सर्वेंट को स्नॅक्स एंड ज्यूस लाने का ऑर्डर देती हैं।
मीरा जी एक middle-aged वुमन जो लगभग 48 ईयर्स की होंगी, उनको देख बोलीं, "प्रीता आज इतने दिनों बाद। कुछ हुआ है क्या? आप सब ठीक नहीं दिख रहे। क्या हुआ है बताओ।"
प्रीता जी आँखों में आँसू लिए बोलीं, "हम यहा अपनी बेटी से मिलने आए हैं।"
मीरा जी ने कन्फ़्यूज़न में कहा, "बेटी! कौनसी बेटी?"
फिर स्माइल करते हुए कहा, "अच्छा तुम आरोही की बात कर रही हो। वो तो अभी सो रही है और अगर तुम्हें उससे मिलना ही है तो इसमे रोने वाली कौनसी बात है। मैं अभी उसे बुला लेती हूँ।"
तभी एक 50 साल के middle-aged मॅन उनकी बात सुन बोले, "नहीं हम यहा आरोही के लिए नहीं, आर्या के लिए आए हैं।"
अब तक पूरी राठौर फ़ैमिली लिविंग रूम में आ चुकी थीं। सुबह का वक़्त था इसलिए सभी लोग घर पर ही थे।
एक आदमी आते हुए बोले, "आर्या? ये कौन है आरव और तुम उसे अपनी बेटी क्यों बोल रहे हो? तुम्हारी बेटी तो पैदा होते ही दूर हो गयी थी, तो इतने सालों बाद तुम ये बातें क्यों कर रहे हो?"
तभी एकदम से मीरा जी बोलीं, " एक मिनट आदित्य, भाई कहीं आप उस आर्या की बात तो नहीं कर रहे जिसे मैं कल रात को ज़ख्मी हालत में घर ले आई थी?"
उनकी बात सुन सब लोग उन्हें देखने लगे और प्रीता जी रोते हुए बोलीं, "हम उसी की बात कर रहे हैं। वो आज इतने सालों बाद हमें मिली है। जैसे ही हमें उसके बारे में पता चला हम यहा आ गए।"
उनकी बात सुन एक 23 साल का लड़का बोला, "आप sure हैं मामी की वही आपकी बेटी है? आय मीन कहीं कोई फ़्रॉड तो नहीं!"
इसपर आरव जी बोले, "हमें भी सुबह ही पता चला अरनव। किसी ने हमारे नाम का courier भेजा था। भेजने वाले का नाम नहीं था। मैंने ट्रैक करने की कोशिश की पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ। पहले पहले तो मुझे भी यक़ीन नहीं हुआ बट फिर डीएनए रिपोर्ट जो attached थे उसे देखा लेकिन doubt क्लेअर करने के लिए मैंने हमारे फ़ैमिली डॉक्टर को रिपोर्ट दिखाए एंड गेस व्हॉट, इट्स रियल।"
वो आगे बोले, "और हमें जैसे पता चला कल रात क्या हुआ और वो अभी कहाँ है तो हम सीधे यही आ गए।"
तभी सबको कदमों की आवाज़ सुनाई दी। सबने आवाज़ की तरफ़ देखा तो आर्या सीढ़ियों से उतर रही थी। इस वक़्त उसने ब्लैक ड्रेस कैरी की हुई थी जो उसकी फेयर कॉम्प्लेक्सन को complement कर रही थी। उसके काले लंबे बाल कमर के नीचे तक लहरा रहे थे जो उसे और attractive बना रहे थे।
उसे देख कुछ के चेहरों पर खुशी के एक्सप्रेशन थे तो कुछ के चेहरे के एक्सप्रेशन समझ पाना मुश्किल था।
आर्या अब तक सभी के पास आ चुकी थी। उसने सबकी तरफ़ देखा और उसकी सिल्वर ग्रे आँखें आरव जी की सिल्वर ग्रे आँखों से जा टकराईं जिनमे कुछ आँसू तो कुछ मिक्स्ड इमोशंस थे जिन्हें समझना मुश्किल था, बट फ़ॉर आर्या, नॉट एट ऑल।
उसने कुछ पल आरव जी की आँखों में देखा फिर अपनी नज़रें फेर लीं।
उसे देख प्रीता जी उसके पास आईं और उसके गालों को छूते हुए बोलीं, "मेरी बच्ची! कैसी हैं आप? मैं आपकी सगी माँ हूँ।"
फिर आरव जी की तरफ़ इशारा कर, "और ये आपके पापा।"
उनकी बात सुन आर्या के चेहरे पर ऐसे एक्सप्रेशन थे जैसे वो बहुत कन्फ़्यूज हो और समझ ना पा रही हो कि क्या हो रहा है।
उसके एक्स्प्रेशन्स देख आरव जी ने अब तक की सारी situation, की कैसे उसे पैदा होते ही उसकी फ़ैमिली से दूर कर दिया गया और इतने सालों के खोज के बाद कैसे वो उन्हें मिली, ये सब एक्सप्लेन कर दिया।
सारी बात सुन आर्या के चेहरे पर एक mysterious स्माइल आ गयी जिसे उसने किसी के देखने से पहले छुपा लिया। लेकिन शायद कोई था जिसने उसके एक्स्प्रेशन्स नोटिस कर लिए थे।
सारी बात क्लिअर होने के बाद सब लोग सोफ़े पर बैठ गए और आर्या से सवाल पूछने लगे। जैसे कि वो कैसी है? क्या करती है एंड ऑल।
हालांकि राठौर और रायचंद फ़ैमिली में अबतक सबको उसके बारे में पता चल गया था कि वो अब तक कहाँ थी एंड किसके घर थी बट उसकी पास्ट लाइफ़ अभी भी मिस्टरी थी उनके लिए।
आर्या भी सभी सवालों के जवाब शांति से दे रही थी।
तभी एक लड़की हडबडी में आती हुई दिखाई दी। उसे देख सब कन्फ़्यूज हो गए और सोचने लगे कि यह कौन है।
वो लड़की आकर सीधे आर्या के गले लग गयी। पर अचानक कुछ याद आते ही उससे दूर हो गयी।
सभी लोग उन्हें ही देख रहे थे। तभी सबका ध्यान आर्या पर गया जिसके स्किन पर रेड rashes आने लगे थे।
उसे देख प्रीता जी घबराते हुए बोलीं, "आर्या ये, ये क्या हो रहा है आपकी बॉडी को?" सभी लोग घबरा गए ये देखकर।
आर्या प्रीता जी से बोलीं, "कुछ नहीं हुआ है मुझे। अभी ठीक हो जाएगा ये। आप लोग घबराएँ नहीं।"
फिर उस लड़की को घूर कर देखते हुए बोली, "समायरा क्या करती हो तुम? तुम्हें पता है ना फिर भी। कब सुधरोगी तुम?"
समायरा उसकी बात सुन नकली हँसी हँसते हुए बोली, "सॉरी! सॉरी, वो तुम्हारे एक्सीडेंट के बारे सुना और तुम यहाँ हो, ये जानकर मैं घबरा गयी थी और इसी चक्कर में ये हो गया। बट तुम रुको मेरे पास इसका antidote है। मैं अभी तुम्हें देती हूँ।"
बोलकर उसने अपने बैग से एक इंजेक्शन निकाला और आर्या के बॉडी में inject कर दिया। थोड़ी देर में उसकी बॉडी नॉर्मल हो गयी। ये देख सबको रिलीफ फ़ील हुआ।
आदित्य जी जो सब कुछ देख रहे थे उन्होंने पूछा, "वैसे बेटा आपकी स्किन को क्या हो गया था? समायरा ने तो आपको सिर्फ़ हग किया था।"
उनका सवाल सुन सभी लोग आर्या को देखने लगे। उनके मन में भी यही सवाल चल रहा था। आदित्य जी का सवाल सुन आर्या और समायरा एक दूसरे को देखने लगे।
वही कोई था जो फर्स्ट फ़्लोर के रेलिंग के पास खड़ा सब देख और सुन रहा था जबसे आर्या नीचे आयी थी।
तो क्या हुआ था आर्या को? कौन खड़ा था फर्स्ट फ़्लोर पर और कौन था वह शख्स जो पीटर को ऑर्डर दे रहा था?
जानने के लिए पढ़ते रहिए 'तेरी दीवानी'।
क्रमशः
पिछले अध्याय में आपने देखा कि एक लड़की, आर्या, एक कार दुर्घटना का शिकार होती है। वह बेहोश हो जाती है और एक आदमी उसे देखता है। फिर, एक विला में, एक आदमी अपने सहयोगी से बात करता है और एक रहस्यमय योजना का खुलासा होता है। अगले दिन, आर्या उठती है और उसकी मुलाकात मीरा राठौर से होती है। आर्या को अपने माता-पिता मिलते हैं जो रायचंद परिवार से हैं। आर्या की दोस्त, समायरा, आती है और आर्या की स्किन पर रैशेज आ जाते हैं। समायरा एक इंजेक्शन लगाती है और सब ठीक हो जाता है।
अब Next
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आदित्य जी का सवाल सुन दोनों एक दूसरे को देख रहे थे और सब लोग उन्हें। फर्स्ट फ्लोर पर खड़े इंसान की midnight ब्लू आंखें भी लगातार आर्या पर टिकी हुई थीं।
आरव जी ने दोनों को देखते हुए पूछा, "क्या हुआ? बता क्यों नहीं रही? कोई सीरियस प्रॉब्लम है क्या? अगर ऐसा है तो हम बेस्ट डॉक्टर्स से कंसल्ट करेंगे।"
उनकी बात पर प्रीता जी हां में हां मिलाते हुए बोली, "हाँ, बिल्कुल।"
आर्या आरव जी की आंखों में देखते हुए बिना किसी एक्सप्रेशन के बोली, "इसे DRS मीन्स Dermal rejection Syndrome कहते हैं, आसान भाषा में कहा जाए तो एक ऐसी बीमारी जिसमें ह्यूमन टच से एलर्जी होती है एंड इसका कोई परमानेंट सोल्यूशन नहीं है।"
ये सुन सब शॉक रह गए। किसी ने सोचा भी नहीं था कि आर्या को ऐसी एलर्जी हो सकती है। एंड पता भी कैसे होगा जब उन्हें उसके पास्ट के बारे में कुछ नहीं पता।
मीरा जी कुछ सोचते हुए बोली, "बट जब प्रीता ने आपको टच किया, उस वक्त आपको कुछ नहीं हुआ तो फिर समायरा के टच करने से क्यों? एंड मैंने भी आपको लास्ट नाइट टच किया था जब घर ला रही थी, तो फिर अब क्यों?"
उनकी बात का समायरा ने जवाब देते हुए कहा, "ये इसलिए आंटी क्योंकि प्रीता आंटी आर्या की बायोलॉजिकल मदर है एंड अगर आरव अंकल भी इसे टच करेंगे तो इसे कुछ नहीं होगा।"
समायरा की बात को continue करते हुए आर्या बोली, "और जब आपने कल रात मेरी हेल्प की थी उस वक्त मैंने खुद को अच्छे से कवर किया हुआ था एंड आपका टच मेरी स्किन के डायरेक्ट कॉन्टैक्ट में नहीं आया था, इसलिए मुझे कुछ नहीं हुआ।"
प्रीता जी चिंतित स्वर में बोली, "लेकिन कोई तो होगा जो इसे ठीक कर सके। कोई और क्यों रिध्यांश है ना, उससे बात करते हैं। वो बहुत अच्छा डॉक्टर है, शायद वो परमानेंट इलाज बता दे।"
आदित्य जी इसपर बोले, "प्रीता बिल्कुल ठीक कह रही हैं। वो शायद कोई हेल्प कर दे।"
फिर उन्होंने एक सर्वेंट को ऑर्डर देते हुए बोले, "जाओ, जाकर रिध्यांश को बुलाकर लाओ।"
उनकी बात सुन सर्वेंट जाने को हुआ कि फर्स्ट फ्लोर पर खड़ा इंसान नीचे आते हुए बोला, "व्हॉट हॅपन डैड? क्यों बुला रहे है मुझे?"
उसकी बात सुन सबने उसे देखा जो बिल्कुल रेडी होकर अपना व्हाइट डॉक्टर कोट हाथ में लिए नीचे आ रहा था। उसकी औरा ऐसा था कि कोई भी उसके सामने खड़े होने की हिम्मत नहीं करता था सिवाय उसके फैमिली के।
आदित्य जी उसे देखते हुए बोले, "यहां आओ बेटा और इससे मिलो, ये है आरव और प्रीता की बेटी आर्या रायचंद जो इतने सालों बाद वापस इन्हें मिली है और तुम्हारी फिऑन्सी जिसके साथ तुम्हारी शादी हमने इसके बर्थ के टाइम ही तय कर दी थी। पर किस्मत को कुछ और मंजूर था और ये हम सब से दूर हो गयी।
वो आगे बोले, "इसलिए आजतक हमने कभी इस बारे में बात नहीं की पर अब जब ये वापस आ गयी है तो तुम्हारी शादी इसी से होंगी। ये हम चारों ने मिलकर डिसाइड किया था एंड डोन्ट टेक टेंशन, हम अभी तुम्हारी शादी नहीं कराने वाले। टेक योर टाइम टू नो एंड अंडरस्टैंड इच अदर एंड देन यू कैन गेट मैरिड इन वन और टू इयर्स। बट यू बोथ हैव टू गेट एंगेज एंड वो हम डिसाइड करेंगे कब तुम्हारी एंगेजमेंट करानी है।"
उनकी बात सुन आर्या, रिध्यांश और बाकी सब शांत थे जबकि समायरा, अरनव और आरोही जो थोड़ी देर पहले नीचे आयी थी, उनके चेहरे पर शॉक्ड एक्सप्रेशन थे। उन्हें तो इस बारे में कुछ पता ही नहीं था।
यहां तक कि रिध्यांश के बेस्ट फ्रेंड्स ईशान और कबीर जो अभी अभी मेन डोर से इंटर किए थे, वो भी ये सुन कर शॉक्ड रह गए।
समायरा ने आर्या को देखा जो कबसे रिध्यांश को देखे या दूसरी भाषा में कहा जाए तो ताड़ जा रही थी। उसके एक्सप्रेशन बिल्कुल काम थे जैसे उसे ये सब पहले से पता हो।
उसे ऐसे देख समायरा हैरान हो गयी क्योंकि ये पहली बार था जब आर्या ऐसे किसी लड़के को देख रही थी। फिर उसने रिध्यांश को देखा जो शांति से सोफे पर बैठा अपना फोन use कर रहा था जैसे उसे इन सब से कोई फर्क़ नहीं पड़ता हो।
अब तक कबीर और ईशान भी आकर रिध्यांश के पास बैठ गए थे। वे लोग अभी भी हैरान थे।
तभी मीरा जी बोली, "अभी ये बात करने का टाइम नहीं है। इस बारे में बाद में डिस्कस करेंगे, अभी जो इम्पोर्टेन्ट वो बात करते हैं।"
उनकी बात सुन सबका अटेंशन उनकी तरफ चला गया। लेकिन आर्या अभी भी तिरछी नज़रों से रिध्यांश को देख रही थी जिसका एहसास रिध्यांश को हो रहा था।
मीरा जी की बात पर आरोही ने पूछा, "क्या बात है मॉम? क्या इम्पोर्टेन्ट बात करनी है?" वो थोड़ी देर पहले नीचे आयी थी इसलिए उसे ज़्यादा कुछ पता नहीं था। उसकी बात पर कबीर और ईशान भी मीरा जी को देखने लगे।
मीरा जी की बात सुन रिध्यांश बोला, "हां मॉम बोलिए, क्या हुआ।" हालांकि उसने फर्स्ट फ्लोर से सब कुछ सुन लिया था बट स्टिल ही वाज़ प्रिटेंडिंग लाइक ही नोज़ नथिंग।
रिध्यांश की बात पर प्रीता जी ने आर्या की सिचुएशन के बारे सब कुछ बता दिया, जिसे सुन इशान, कबीर और आरोही और भी ज्यादा शॉक्ड हो गए। उन्हें ऐसा फील हो रहा था जैसे आज ही उन्हें हार्ट अटैक आ जाएगा। और ऐसा लगता भी क्यों न, पहले उन्हें आर्या के एक्सिस्टेंस बारे में पता चला देन एंगेजमेंट के बारे में और अब आर्या की बीमारी के बारे में।
प्रीता जी की बात सुन रिध्यांश के भाव सीरियस हो गए। उसे ऐसे देख आर्या और समायरा को छोड़ सभी लोग घबरा गए।
आरव जी बोले, "बेटा क्या बात है? तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहे? इसका कोई परमानेंट सोल्यूशन है?"
उनकी बात पर रिध्यांश ने शांति से जवाब दिया, "नहीं, इसका कोई परमानेंट सोल्यूशन नहीं है। इसे सिर्फ एंटीडोट्स के थ्रू कुछ वक्त के लिए ठीक किया जा सकता बट परमानेंटली नहीं।"
उसकी बात सुन सबकी जो थोड़ी बहुत थी उम्मीद वो भी टूट गयी। सभी बड़ों के चेहरे पर उदासी छा गयी।
अरनव ने सबका मूड ठीक करने की कोशिश करते हुए कहा, "कोई बात नहीं। एटलीस्ट भाभी हमारे पास वापस आ गयी है, इस बात की खुशी होनी चाहिए हम सब को।"
उसकी बात सुन सबने इस बात से परेशान न होकर आर्या के वापस आने की खुशी में वेलकम पार्टी थ्रो करने का सोचा।
वही भाभी सुन आर्या और रिध्यांश एक दूसरे को देखने लगे और बाकी youngsters उन्हें क्योंकि बड़े तो अपनी बातों में बिजी थे।
सभी एल्डर्स पार्टी के बारे डिस्कस कर रहे थे कि आर्या ने उन्हें रोकते हुए कहा, "मैं नहीं चाहती अभी किसी को मेरे रायचंद फैमिली की बेटी होने के बारे में पता चले। मुझे कुछ पर्सनल चीजों को शॉर्ट आउट करना है और कुछ काम भी पूरे करने है।"
उसकी बात पर किसी ने कुछ नहीं पूछा बस हां में सिर हिला दिया।
तभी अचानक आरोही ने पूछा, "वैसे भाभी आपको ये एलर्जी कैसे हुई? आय मीन कोई तो रीजन होगा इसके पीछे!"
इस अचानक किए गए सवाल से सबका ध्यान अपनी बातों से हटकर इसपर आ गया। अब सभी लोग आर्या को देख रहे थे जिसके एक्सप्रेशन कोल्ड हो गए थे। उसे ऐसे देख आरोही डर गयी। यहां तक कि बड़ों ने भी कुछ बोलने की हिम्मत नहीं की।
रिध्यांश भी एकटक आर्या को देख रहा था, वही समायरा को डर लग रहा था कहीं आर्या आरोही को कुछ बोल ना दे क्योंकि वो जानती थी आर्या ऐसी क्यों है।
वही ये सवाल सुन आर्या के आंखों के सामने कुछ flashes आने लगे एंड उसका औरा बिल्कुल बर्फ की तरह ठंडा हो गया। उसकी सिल्वर ग्रे आइस बिल्कुल ब्लड रेड हो गई थी।
सब लोग उसे ही देख रहे थे और समझने की कोशिश कर रहे थे कि आर्या को क्या हो गया? रिध्यांश भी उसे देख रहा था। शायद वो समझने की कोशिश कर रहा था आर्या के इस बिहेवियर का कारण।
आर्या ने अपने एक्सप्रेशन नार्मल किए और उठकर बोली, "मुझे कुछ इम्पोर्टेन्ट काम है। मैं आप लोगों से बाद में मिलती हूं।"
फिर प्रीता जी और आरव जी को देखते हुए बोली, "मैं कल तक रायचंद विला में शिफ्ट हो जाऊंगी। लेने आने की ज़रूरत नहीं है। अगर ड्राइवर भेज रहे है तो याद रखियेगा, उसे देख ऐसा लगना चाहिए जैसे वो नार्मल मिडिल क्लास फैमिली का ड्राइवर है। मैं नहीं चाहती कि मेरी रियल आइडेंटिटी किसी को भी पता चले एंड मेरा नंबर आप समायरा से ले सकते है, वो आपको मेरा रीसेंट एड्रेस बता देगी।"
अपनी बात कह आर्या ने एक शिद्दत भरी नज़र रिध्यांश को देखा और वहां से निकल गयी सबको कन्फ्यूज़न मे छोड़!
उसकी बात सुन सब कन्फ्यूज हो गए थे। भला वो ऐसा क्यों चाहती है? उसकी जगह कोई और होता तो पूरे देश को बताता फिरता कि वो कितने अमीर परिवार से बिलोंग करता है और यहां आर्या ऐसा कुछ नहीं चाहती।
क्यों चाहती है आर्या अपनी रियल आइडेंटिटी छुपाना?
क्यों उसने ऐसी अजीब कंडीशन रखी अपने पैरेंट्स के सामने?
क्या राज है उसके बीमारी का?
जानने के लिए पढ़ते रहिए 'तेरी दीवानी'।
क्रमशः
आदित्य जी का सवाल सुनकर सब चौंक गए। आर्या ने बताया कि उसे DRS (Dermal Rejection Syndrome) है, जो ह्यूमन टच से एलर्जी है और इसका कोई परमानेंट इलाज नहीं है। रिध्यांश ने भी इस बात की पुष्टि की। इसके बाद, आदित्य जी ने रिध्यांश को आर्या से मिलवाया और बताया कि दोनों की शादी तय हो चुकी है। यह सुनकर सब हैरान थे। मीरा जी ने बीमारी के बारे में बात की, और आर्या ने अपनी पहचान छुपाने और रायचंद विला में शिफ्ट होने की बात की, जिससे सब और भी उलझन में पड़ गए।
Now Next
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आर्या के जाने के बाद सभी लोग Samaira को देखने लगे जैसे पूछना चाहते हो उसका मतलब क्या था।
Samaira ने सभी को देखा फिर प्रीता जी को देखते हुए बोली, " आंटी मैं आपको ज्यादा कुछ नहीं बता सकती बट इतना बोलूंगी की आपलोग वो जैसा केह रहीं है वैसा कीजिए।
वो सबको देखते हुए आगे बोली, "एंड प्लीज उससे, उसकी allergy या पस्त लाइफ के बारे में कोई भी कभी कुछ मत पूछना। टाइम आने पर वो खुद सबको सब कुछ बता देगी। "
फिर अपना फोन निकालते हुए बोली, "एंड येस दिस इस अवर अड्रेस एंड फोन नंबर। आप ड्राइवर इस अड्रेस पर भेज देना।"
Samaira के दिए अड्रेस को देख, आरव जी ने पूछा, "इम्पीरियल कॉलेज होस्टेल? वहां क्यों? जहां तक मुझे पता वो तो सिसोदिया विला में अपने adoptive पेरेंट्स के साथ रहती है।"
प्रीता जी ने भी पूछा, "और वो इम्पीरियल कॉलेज में क्या रही है जो वो वहां के होस्टेल में रहती है?"
उनकी बात पर Samaira ने कहा, "वो इसलिए क्योंकि हम
इम्पीरियल college के स्टूडेंट्स है एंड answer ऑफ योर question अंकल, सिसोदिया फॅमिली ने आर्या को उसकी दादी के डेथ के बाद घर से निकाल दिया था। उस वक्त तक हमने इम्पीरियल कॉलेज में admission ले लिया था, इसलिए वहां रहते हैं।"
उसकी बात सुन सभी को सिसोदिया फॅमिली पर बहुत गुस्सा आया।
मीरा जी गुस्से से बोली, "वो लोग ऐसा कैसे कर सकते हैं। उन्हें थोड़ी भी दया नहीं इन मासूम बच्चियों पर।"
मीरा जी की बात पर Samaira ने मन में कहा, "मासूम? वो भी हम? व्हॉट अ जोक!"
आदित्य जी भी गुस्से में बोले, "इनको तो इनके किए की सजा देनी पड़ेगी। "
आरव जी उनकी बात से सहमत होते हुए बोले, "या, यू आर राइट। दे विल हैव टू पे फॉर दिस। इन्हें बताना पड़ेगा राठौर और रायचंद क्या कर सकते हैं अगर कोई हमारी फॅमिली को हर्ट करे तो।"
Samaira उनकी बात सुन, उन्हें जल्दी से बीच में रोकते हुए बोली, "वेट अंकल , आप लोग कुछ नहीं करेंगे। शायद इसलिए भी आर्या ने अपनी आइडेंटिटी reveal करने से मना किया है।
आप नहीं जानते सिसोदिया फॅमिली में सब कितने लालची और मतलबी है। सिर्फ दादा-दादी अच्छे थे। उनकी डेथ के बाद बाकी फॅमिली ने अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए।"
उसकी बात सुन, आरव जी बोले, "लेकिन बेटा हमे उन्हें सजा तो देनी चाहिए।"
Samaira जल्दी से बोली, "येस अंकल बट जो भी करना है आर्या करेगी। अगर आप उसकी हेल्प करना चाहते है तो बस उसे खूब सारा प्यार और केयर दीजिए। अच्छा अब मैं चलती हू, मुझे लेट हो रहा है।"
उसकी बात पर मीरा जी उसे रोकते हुए बोली, "बेटा प्लीज, ब्रेकफास्ट करके जाओ।"
Samaira उन्हें मना करते हुए बोली, "नहीं आंटी, फिर कभी। अभी मुझे लेट हो रहा है और अगर मैं और लेट हुई तो मेरा खडूस बॉस मेरी पेमेंट कट कर लेगा।"
उसकी बात सुन, अरनव जो कबसे सबकी बाते सुन रहा था, वो बोला, "बट आपने तो कहा कि आप कॉलेज में है तो फिर ये बॉस? कुछ समझ नहीं आया मुझे। "
उसकी बात पर सबने सवालिया नज़रो से Samaira को देखा।
Samaira उसकी बात पर बोली, "अरे! मैं कॉलेज के साथ साथ जॉब भी करती हू अपने expanses के लिए। वैसे तो आर्या मुझे पैसे देती है बट मुझे अच्छा नहीं लगता उससे पैसे लेना इसलिए मैं जॉब करती हू।"
उसकी बात सुन कोई भी बता सकता था कि वह और आर्या किन किन situations से गुज़र चुकी है। पर क्या सच में ऐसा था? नहीं, बिल्कुल नहीं! पर ये सिर्फ Samaira और आर्या ही जानते थे।
वहां मौजूद सभी लोगों को उसके और आर्या के लिए बुरे के साथ गिल्टी भी फील हो रहा था। गिल्टी इसलिए कि उनके घर की बेटी जिसे प्रिन्सेस की तरह लक्झरी में रहना चाहिए था वो इतने सालों से मुश्किल भरी जिंदगी जी रही थी अपनी इतनी अच्छी दोस्त के साथ।
मन ही मन सभी बड़ो ने डिसाइड किया कि वो अब से आर्या और उससे जुड़े लोगो का अच्छे से ख्याल रखेंगे।
उसकी बात सुन इसबार आदित्य जी उसे अप्रोच करते हुए बोले, "प्लीज बेटा ब्रेकफास्ट कर लो। हमे बहोत अच्छा लगेगा। प्लीज!"
उनकी बात पर Samaira जल्दी से बोली, "अंकल डोन्ट से प्लीज। ऐसे अच्छा नहीं लगता। मैं ब्रेकफास्ट कर लेती हूं बट प्रॉमिस मी आप दूबारा request नहीं करेंगे। आप बड़े है आपको तो ऑर्डर देना चाहिए।"
उसकी बात पर सभी के चहरे पर स्माइल आ गयी। मीरा जी खुश होते हुए बोली, "चलिए सब ब्रेकफास्ट करते है। कबीर, ईशान तुम दोनों भी आओ।"
थोडी देर बाद,
डायनिंग रूम,
सभी लोग अपना अपना ब्रेकफास्ट कर रहे थे। इस पूरे incident के दौरान Ridhyansh और उसके friends शांत थे। तीनों में से किसी ने कुछ नहीं कहा।
आर्या के जाने के बाद, पूरे टाइम Ridhyansh आर्या के बारे मे सोच रहा था। आर्या का उसे यूँ देखना उसके दिल मे हलचल कर रहा था। वो भी आर्या की ब्यूटी से mesmerized हो गया था। ऐसा उसके साथ पहली बार हो रहा था।
तभी अचानक आदित्य जी कुछ याद करते हुए बोले, "आरव, राजवीर नहीं आया? उसे पता है ना आर्या के बारे में?"
राजवीर नाम सुनते ही Samaira के भाव अजीब हो गए और उसकी आंखे डार्क हो गयी। उसने जल्दी से अपने एक्सप्रेशन ठीक किए और एक नज़र सबको देखा कि कहीं किसी ने उसके एक्सप्रेशन नोटिस तो नहीं कर लिए। पर सबका ध्यान आदित्य जी की बातों में देख, उसने एक गहरी सांस ली।
आरव जी आदित्य जी की बात का जवाब देते हुए बोले, "वो किसी डील के लिए आउट ऑफ टाउन गया है। हमे सुबह ही आर्या के बारे में पता चला और फिर इतनी सारी चीजें हो गयी कि मुझे मौका ही नहीं मिला उसे बताने का। बट डोन्ट वरी, वो कल तक वापस आ जाएगा तब उसे सब कुछ बता दूँगा।" आदित्य जी ने हाँ में सिर हिला दिया।
आरोही ने Samaira को देखते हुए पूछा, "दी, आपने और आर्या भाभी ने कौनसे कोर्स में admission लिया है और ईयर कौनसा है आप दोनों का? Actually मैं भी imperial कॉलेज में हू। मैं फैशन डिझायनिंग फर्स्ट ईयर में हू। मैंने कभी आप दोनों को कॉलेज में नहीं देखा पहले।"
Samaira ने उसकी बात का मुस्कराते हुए जवाब दिया, " मैं इंटेरियर डिझायनिंग के सेकंड ईयर में हू और आर्या फैशन डिझायनिंग के सेकंड ईयर में। एंड रही ना दिखने की बात तो हम दोनों पहले रेग्युलर नहीं जाते थे कुछ reasons की वजह से। हमने सेकंड ईयर से ही रेग्युलर जाना स्टार्ट किया है एंड अब हम रोज मिल सकते हैं। "
प्रीता जी ने Samaira से पूछा, "वैसे आप कहा काम करती है बेटा?"
Samaira ने politely जवाब दिया, "जी luxora interiors में आंटी। वहां मैं सीईओ की पर्सनल assistant हू औए इंटेरियर डिझायनर भी। "
उसकी बात पर प्रीता जी खुश होते हुए बोली, "अरे! यह तो बहुत अच्छी बात है क्योंकि luxora interiors हमारे ईशान की कंपनी है जिसे इसके पापा और कभी-कभी ये सांभालता है। अगर तुम्हें कभी कोई प्रॉब्लेम हो तो ईशान से कह देना, वो तुम्हारी हेल्प कर देगा।"
उनकी बात पर Samaira ने सिर हिला दिया। और अपना ब्रेकफास्ट करने लगी।
ब्रेकफास्ट के बाद सभी लोग अपने अपने काम के लिए चले गए। क्योंकि Samaira को ऑफिस जाना था तो मीरा जी ने ईशान को उसे अपने साथ ले जाने को कहा। पहले तो समायरा ने मन किया बट मीरा जी के बार बार इंसिस्ट करने पर मान गई। ईशान को भी ऑफिस का कुछ था इसलिए वो भी मान गया।
आज कॉलेज की छुट्टी थी तो आरोही अपने फ्रेंड्स के साथ शॉपिंग पर चली गयी और बाकी लोग अपने काम पर।
दूसरी तरफ,
आर्या राठौर विला से निकलने के बाद, मुंबई के आउटर एरिया में आई। वहां जंगल के बीच एक charcoal ब्लैक कलर का विला बना हुआ था जो बाहर से देखने में क्रिपी वाइब्ज दे रहा था। इसके अंदर क्या था यह तो आर्या ही जाने।
विला जितना बाहर से देखने में सुंदर था उससे कही ज्यादा अन्दर से था। विला को देख एक पल को कोई भी अपने नजरे न हटा पाए।
विला के चारों तरफ जंगल था और साथ ही बहुत टाइट सिक्योरिटी। चारों तरफ गार्ड्स फैले हुए था। पता नहीं क्या था ऐसा इस विला में जो इतनी सिक्योरिटी थी।
विला के बेसमेंट में सेल्स बने हुए थे। उन्हीं सेल्स में से एक सेल में एक आदमी किसी को बुरी तरह टॉर्चर कर रहा था तभी उसने आर्या के आने की खबर सुनी।
वो ज़ख्मी आदमी को देख बोला, "लगता है भगवान भी चाहते हैं तुम आज ही मर जाओ, इसलिए बॉस को यहा भेजा है।"
उसकी बात सुन उस आदमी की आँखें खौफ से फैल गई और शरीर डर के मारे काँपने लगा।
दुसरा आदमी वहां से निकल लिविंग एरिया में आया जहा आर्या अपना mysterious और dominating औरा लिए बैठी थी। उसके हाथ में रेड वाइन का ग्लास था।
उस आदमी को देख, वो बोली, "कहो स्टीफन, क्या हुआ? कुछ बोला उसने कि किसके कहने पर उसने हमारे साथ ये किया?"
स्टीफन बिना किसी एक्सप्रेशन के बोला, "नो बॉस। कल से टॉर्चर कर रहे है पर ये है कि मुँह ही नहीं खोल रहा।"
उसकी बात पर आर्या शांति से बोली, "मुझे ऐसा लग रहा है स्टीफन की अब तुम अपनी जिंदगी से बोर हो गये हो, तभी तो तुमसे एक छोटा सा काम भी नहीं हो रहा।"
स्टीफन घबराते हुए बोला, "बॉस बस एक लास्ट चान्स दे दीजिए। कल तक सारी इन्फॉर्मेशन आपको मिल जाएगी।"
आर्या वाइन का सीप लेते हुए आराम से बोली, "ह्म्म, कल रात तक का वक्त है तुम्हारे पास। कैसे भी करके मुझे इन्फॉर्मेशन दो otherwise अपनी कब्र खुद खोद लेना। गॉट इट!"
स्टीफन बोला, "येस बॉस।" और फिरसे एक्सप्रेशनलेस्ली खडा हो गया।
आर्या उठते हुए बोली, "नाऊ गेट बॅक टू योर एंड remember सिर्फ कल तक का वक्त है तुम्हारे पास।"
उसकी बात पर स्टीफन सिर हिलाकर, वापस बेसमेंट में चला गया। आर्या ने विला के बाहर आकर एक नज़र नेमप्लेट पर डाली जिसपे बोल्ड लेटर्स में हेल विला लिखा हुआ था, जिसमें कई राज दफन थे। जिसके बारे में कुछ को ही पता था।
कौन था वो आदमी? क्या हुआ है आर्या के साथ? और कौनसे राज दफन है हेल विला में?
जानने के लिए पढ़ते रहिए 'तेरी दीवानी'।
क्रमशः
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पिछले चैप्टर में, आपने देखा कि आदित्य जी के सवाल सुनने के बाद सभी चौंक गए। आर्या ने खुलासा किया कि उसे डीआरएस है, जो कि एक ऐसी एलर्जी है जो ह्यूमन टच से होती है और इसका कोई परमानेंट इलाज नहीं है। इसके बाद, आदित्य जी ने सभी को बताया कि आर्या और रिध्यांश की सगाई हो गई है। समायरा ने उन्हें सलाह दी कि वे आर्या की एलर्जी या अतीत के बारे में कुछ न पूछें। उसने यह भी बताया कि आर्या को सिसोदिया परिवार ने निकाल दिया था। इससे सभी गुस्सा हो गए और आदित्य जी और आरव जी उन्हें पनिश करना चाहते थे। लेकिन समायरा ने उन्हें रोका और उनसे कहा कि वे आर्या को प्यार और देखभाल देकर उसका सपोर्ट करें।
Now Next
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ईशान की कार में,
कार में बिल्कुल शांति थी। दोनों में से कोई कुछ नहीं बोल रहा था। ईशान ने कार ड्राइव करते हुए एक नज़र Samaira को देखा जो विंडों से बाहर देख रही थी।
उसकी लाइट beige स्किन, धूप के कारण ग्लो कर रही। उसे ऐसे देख ईशान एक पल के लिए उसके चेहरे में खो गया। लेकिन जल्दी ही उसने अपने आप को सम्भाल लिया और फिर से ड्राइविंग पर फोकस करने लगा।
ईशान ने चुप्पी तोड़ते हुए पूछा, "वैसे आप कबसे जॉब कर रही है? मैंने कभी देखा नहीं आपको ऑफिस में पहले।"
उसकी बात पर Samaira उसकी तरफ मुड़ी तो उसकी ओशन ब्लू आंखे, ईशान की charcoal ब्लैक आँखों से जा टकराई।
उसने कुछ पल ईशान की आँखों में देखा फिर बाहर देखते हुए बोली, "अभी 2 मंथ्स ही हुए है। एंड जब भी आप आते थे तो मैं दूसरे काम में बिजी होती थी बट मैंने आपको देखा है।"
उसकी बात सुन इशान ने सिर हिला दिया। थोड़ी देर बाद दोनों luxora interiors पहुचें। कार से उतरकर दोनों सीधे लिफ्ट से उस फ्लोर पर गए जहा सीईओ और चेयरमैन का कैबिन था।
इस बिल्डिंग के लास्ट फ्लोर पर एक पेंटहाउस बना हुआ था ताकि अगर एक्स्ट्रा वर्क हो तो कंपनी के सीईओ मिन्स ईशान या फिर उसके पापा यहा लेट नाइट रुक सके।
चेयरमैन के कैबिन के बाहर आकर Samaira ने डोर नॉक किया। ईशान भी उसके साथ ही था। तभी अंदर से आवाज आई, "कम इन। "
Permission मिलते ही ईशान ने डोर ओपन किया और Samaira को अंदर जाने का इशारा किया। उसे एक स्वीट स्माइल देते हुए Samaira अंदर चली गई और उसके पीछे ईशान भी।
Samaira को देख अर्जुन जी सार्कास्टिकली बोले, "बहुत जल्दी आ गयी आप मिस Samaira। थोडा और देर से आती क्योंकि बॉस तो आप है यहा की!"
उनकी बात पर जहा ईशान के चेहरे पर हल्की मुस्कराहट आ गई वही Samaira माफी मांगते हुए बोली, " आय एम सो सॉरी, सर। आगे से ऐसा फिर नहीं होगा।"
अर्जुन जी उसे देखते हुए बोले, "ये बात आपने कमसे कम 50 बार तो बोल दिया होगा अबतक। ये लास्ट चान्स है, अगर अगली बार ऐसा हुआ तो अपना resignation लेटर देकर जा सकती है।"
उनकी बात सुन ईशान उन्हें रोकते हुए जल्दी से बोला, "डैड डोन्ट स्कोल्ड हर। वो तो जल्दी आ रही थी बट मीरा आंटी ने उसे ब्रेकफास्ट के लिए रोक लिया था। otherwise वो पहले ही आ गयी होती।"
उसकी बात पर अर्जुन जी कन्फ्यूजन से बोले, "मीरा ने रोक लिया, मतलब? और ये राठौर विला में क्या कर रही थीं? "
उनकी बात का जवाब देते हुए ईशान ने उन्हें सारी बातें और जो भी राठौर विला में हुआ सब बता दिया।
अर्जुन जी ये सुन शॉक्ड होते हुए बोले, "आर यू टेलिंग मी ट्रूथ? आय कांट believe इट!"
ईशान हा में सिर हिलाते हुए बोला, "ऑफकोर्स डॅड, इट्स ट्रू, यू कॅन ask आदित्य अंकल ऑलसो। एंड इसी वजह से मिस Samaira लेट हो गयी। सो डोन्ट स्कोल्ड हर।"
अर्जुन जी उसकी बात सुन Samaira को देखते हुए बोले, "सॉरी बेटा फॉर स्कोल्डिंग यू। बट स्टिल डोन्ट गेट लेट फ्रॉम टुमारो। understand?" उनकी बात पर Samaira ने हा में सिर हिला दिया।
अर्जुन जी आगे बोले, "नाऊ गेट बैक टू योर वर्क।" उनकी बात सुन Samaira कैबिन से निकल गयी और ईशान, अर्जुन जी से उनके अपकमिंग प्रोजेक्ट के बारे में डिस्कस करने लगा।
दूसरी तरफ,
आर्या की कार में,
हेल विला से निकल आर्या अपने adoptive पेरेंट्स के घर जा रही थी क्योंकि वहां उसके कुछ important डॉक्युमेंट्स और उसके ग्रँडपेरेंट्स की कुछ चीजें थी जो उन्होंने आर्या के लिए छोड़ा था।
अभी वो ड्राइव कर ही रही थी कि उसका फोन रिंग हुआ। उसने एक नज़र फोन स्क्रीन को देखा फिर ब्लूटूथ कनेक्ट करके कॉल पीक करते हुए बोली, "ह्म्म्म क्या हुआ?"
दूसरी साइड वाला इंसान बोला, "बॉस जैसा आप कह रही है मैं वैसा ही कर रहा हूं बट अभीतक कुछ important पता नहीं चला। बॉस क्या हमे अपना प्लॅन चेंज करना चाहिए?"
सामने वाले की बात सुन आर्या कोल्डली बोली, "नो नीड। जितना मैंने कहा है तुम सिर्फ़ उतना करो। एंड हेव पेशंश। बस ध्यान रखना उसे तुम्हारे बारे में पता न चले अदरवाइस काॅनसीक्वेनसेस विल बी हार्ष फॉर यू।"
सामने वाला इंसान जल्दी से बोला, "समझ गया बॉस।"
उसकी बात पर आर्या ने बिना कुछ कहे कॉल कट कर दिया।
सिसोदिया मॅन्शन,
थोडी देर बाद उसकी कार सिसोदिया मॅन्शन के सामने आकर रुकी। कार से उतरकर, वो अपने फोन में कुछ करते हुए अंदर जा रही थी कि तभी वो किसी से टकरा गयी।
उसने फोन से नज़र हटाकर सामने देखा तो एक 20-21 साल की लडकी थाइज तक शॉर्ट ड्रेस पहने और फेस पर 40 किलों का मेकअप पोते उसे घूर रही थीं।
सामने खडी लडकी आर्या को अपनी इंडेक्स फिंगर दिखाते हुए रूडली बोली, "यू! तुम देख कर नहीं चल सकती। अभी तुम्हारी वजह से मेरी ड्रेस खराब हो जाती। जानती भी हो कितनी महंगी ड्रेस है मेरी। तुम्हारे पास पैसे भी है इतनी महंगी ड्रेस खरीदने के।
एंड बाय दी वे, तुम यहा क्या कर रही हो? तुम्हें तो डॅड ने घर से निकाल दिया था ना, तो तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहा वापस आने की!"
उसकी बात पर आर्या ने कोई ध्यान नहीं दिया और घर के अंदर जाने लगी। उसे खुद को इग्नोर करता देख वो लडकी गुस्से से काँपने लगी। आजतक किसी ने भी उसे इग्नोर करने की हिम्मत नहीं की थी और आर्या के ऐसा करने से उसे इनसलटेड फील हो रहा था।
वो आर्या के पीछे आते हुए चिल्लाकर बोली, "यू, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे, दिव्या सिसोदिया को इग्नोर करने की। खुद को समझती क्या हो तुम?"
आवाज सुनकर अबतक सभी लोग लिविंग एरिया में आ चुके थे। अभी सुबह के 10 बज रहे थे और जैसे इस फॅमिली के लोग थे, कंपनी के बॉस होने के नाते ऑफिस लेट ही जाते थे।
आर्या को देख एक 48 साल की औरत ने रूखे स्वर में पूछा, "तुम यहा क्या कर रही हो? और तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई घर के अंदर आने की? भूल गयी कि तुम्हारा सिसोदिया फॅमिली से कोई रिश्ता नहीं है।"
दिव्या उनकी बात पर बोली, "मैं भी कबसे यही पूछ रही हूँ मॉम बट इसने मुझे और मेरी बातों को इग्नोर कर दिया और घर के अंदर आ गई।"
दिव्या की बात पर वो औरत आर्या को घूरते हुए बोली, "बहुत पर नही निकल आए है तुम्हारे जो तुम मेरी बेटी की बात को अनसुना करो।"
फिर चिल्लाते हुए आगे बोली, "अब चुप क्यों हो? बताओ भी क्यों आई हो यहा?"
आर्या ने उनकी बात का शांति से जवाब दिया, "मैं यहा अपने कुछ डॉक्युमेंट्स लेने आई हूँ। वो लेके तुरंत चली जाऊँगी।"
उसकी बात पर वहां मौजूद दूसरी औरत जो लगभग 50 साल की लग रही थी, उन्होंने ने कहा, "और हम कैसे भरोसा कर ले कि तुम यहा डॉक्युमेंट्स लेने आई हो? चलों ये बात मान भी लिया तो इसकी क्या गारंटी है कि तुम यहा वापस आने के बहाने से अपनी कोई चीज़ नहीं छोड़ोगी या फिर तुमने कुछ चुरा लिया तो? वैसे भी यहा बहुत सी महंगी चीजें है जो तुम खरीदना अफोर्ड नहीं कर सकती।"
उनकी बात पर आर्या ने एक्सप्रेशनलेसली कहा, "आपको भरोसा करना है तो करिए, नहीं तो मत करिए। इससे मेरा कुछ लेना देना नहीं है। और रही बात यहा वापस आने की तो वो कभी नहीं होगा क्योंकि मुझे मेरी असली फॅमिली के बारे मे पता चल गया है और मैं कल ही उनके घर शिफ्ट हो जाऊँगी। सो यू डोन्ट हेव टू वरी मिसेस अंजली सिसोदिया!"
उसकी बात पर वहां मौजूद लोगों में से किसी को भरोसा नहीं हुआ उसकी बात पर क्योंकि आजतक तो उसे ढूंढ़ते हुए कोई नही आया तो फिर अचानक आज कैसे?
तभी वहां बैठे एक आदमी ने कहा, "हम कैसे मान ले तुम सच कह रही हो? कहीं कोई झूठ तो नहीं बोल रही?"
उनकी बात पर समर्थन करते हुए उनके पास बैठे दूसरे आदमी ने आर्या को ऊपर से लेकर नीचे तक अजीब नजरों से घूरते हुए कहा, "हाँ, अजय बिल्कुल सही कह रहा है। हम कैसे विश्वास करले तुम्हारा।?"
उस आदमी को देख आर्या की सिल्वर ग्रे आइस बिल्कुल कोल्ड हो गयी। वो उस आदमी की नजरो को बखूबी समझ रही थी।
उस आदमी को देख आर्या बोली, "मिस्टर विक्रम सिसोदिया आपके विश्वास न करने से मेरा कुछ नही जाता। लेकिन फिर भी आपको सबूत चाहिए तो मैं आज रात यही रुक जाती हूँ। कल जब वो मुझे लेने आयेंगे तो आप खुद देख लेना।"
उसकी बात पर अंजली जी बोली, "ठीक है फिर। हम भी तो देखे तुम सच कह रही हो या झूठ।"
उनकी बात पर आर्या ने पूछा, "अब मैं अपने डॉक्युमेंट्स ले लू?" अजय जी बोले, "हाँ तुम जाओ।"
उनकी बात पर आर्या सिर हिलाकर वहां से चली गयी।
उसके जाने के बाद दिव्या की मॉम अंजली जी को देखते हुए बोली, "भाभी आपने उसे यहा क्यों रोक लिया? जाने वाली थी तो जाने देती। मुझे तो रत्ती भर पसंद नहीं है ये लडकी।
पता नहीं कौनसा मनहूस टाइम जब माँ पापा इसे घर लेकर आए थे। अच्छा हुआ जो हमने इसे घर से निकाल दिया।"
उनकी बात सुन अंजली जी उन्हें समझाते हुए बोली, "तुम्हें क्या लगता कविता मुझे ये लडकी बहुत पसंद है? अरे! मेरा बस चले तो मैं इसे एक नज़र ना देखू कभी। और रही बात उसे रोकने की तो मैं भी जानना चाहती हूं कौन है इसके पेरेंट्स?
वो लोग अमीर हुए तो? हमें देखना होगा कि इसके साथ हमारा क्या फायदा हो सकता है। शायद इसके असली परिवार से कुछ मदद मिल जाए। वैसे मुझे लगता तो नहीं कि ये किसी अमीर परिवार से होंगी क्योंकि अगर ऐसा होता तो भला इसके पेरेंट्स इसे यूं मंदिर में क्यों छोड़ते। पर फिर भी हमें एक बार देखना चाहिए शायद हमारा कोई फायदा हो जाए।"
उनकी बात समझ सबकी आँखों में चमक आ गई और सभी ने उनकी बात पर हा में सिर हिला दिया।
वो लोग अभी बात कर ही रहे थे कि दिव्या ने देखा एक लडकी जिसने फॉर्मल ड्रेस कैरी किया हुआ था और दिव्या के जितनी ही एज होगी उसकी, वो घर के अंदर आ रही थी।
उसे देख दिव्या ने सभी को चुप होने का इशारा किया। उसकी बात समझ सभी ने उस लडकी की तरफ देखा।
तो कौन थी ये लडकी? क्यों इसे देख सब चुप हो गए? विक्रम जी को देख, आर्या के भाव क्यों बदल गए?
जानने के लिए पढ़ते रहिए 'तेरी दीवानी'।
क्रमशः
पिछले चैप्टर में, आपने देखा कि आर्या ने अपनी एलर्जी और सगाई के बारे में बताया, जिसके बाद समायरा ने उन्हें आर्या की मदद करने के लिए कहा। ईशान और समायरा के बीच बातचीत हुई और वे सीईओ के कैबिन गए, जहाँ अर्जुन जी ने उन्हें डांटा, लेकिन बाद में ईशान ने सब कुछ बता दिया। आर्या अपने माता-पिता के घर जा रही थी, और उसे फोन आया, जिससे पता चला कि वह कुछ प्लान कर रही है। फिर, आर्या सिसोदिया मैन्शन गई, जहाँ उसकी दिव्या से बहस हुई। आर्या ने बताया कि वह अपने डॉक्यूमेंट्स लेने आई है और जल्द ही चली जाएगी। सिसोदिया परिवार को उस पर विश्वास नहीं था और उन्होंने उसे रुकने के लिए कहा ताकि वे उसके असली माता-पिता के बारे में जान सकें।
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मुंबई, इंडिया,
सिसोदिया मेंशन,
सभी लोग उस लड़की को देख रहे थे। उस लड़की को देख अंजली जी ने पूछा, "तारा, तुम? इस वक्त तो तुम्हें ऑफिस में होना चाहिए था।"
उनकी बात पर तारा ने कहा, "मॉम, वो actually एक important फाईल घर पर छुट गई थी। वही लेने आई हूँ।
मैं फाईल लेके आती हू।"
अपनी बात कह, उसने एक नज़र सभी को देखा फिर सेकंड फ्लोर पर चली गई जहां उसका कमरा था।
वही मॅन्शन के स्टोर रूम में,
आर्या स्टोर रूम में आई जहा सारी फालतू की चीजें रखी हुई थी। उसे घर से निकालने के बाद, कविता जी ने उसका जो भी समान यहा था उसे स्टोर रूम में रखवा दिया था।
रूम के एक कोने में उसका सारा समान कचरे की तरह फेका हुआ था। उसने एक गहरी नज़र रूम में डाली और अपने डॉक्युमेंट्स ले रूम से निकल गयी।
ग्राउंड फ्लोर पर ही उसके दादा-दादी का रूम था। वो स्टोर रूम से निकल उनके कमरे में आई और दरवाजे को अच्छे से अन्दर से लाक कर लिया। वैसे भी रूम साउंड प्रूफ था तो अंदर क्या हो रहा पता चलना मुश्किल था।
आर्या आकर एक वॉल के सामने रुकी। वॉल को देखते हुए उसके चेहरे पर एविल स्माइल थी।
उसने एक नज़र वॉल पर डाली और फिर वही वॉल के कॉर्नर साइड में लगी खूबसूरत पेंटिंग को उतार उसके पीछे लगे मुश्किल से दिखने वाले छोटे से बटन को प्रेस किया। प्रेस करते ही साइड की वो वॉल, एक डोर की तरह खुल गयी।
वॉल के उस साइड एक कैबिनेट थी। कैबिनेट में कयी सारे डॉक्युमेंट्स रखे हुए थे। वही कॉर्नर में एक डिजिटल सेफ भी था जिसपे आई स्कैन लॉक लगा हुआ था।
आर्या सेफ के सामने जाकर खडी हो गयी। उसने आई स्कैनर से अपनी आइस स्कैन की। उसके ऐसा करते ही, कुछ ही पलों में वह सेफ ओपन हो गया। सेफ के अंदर एक वूडन बॉक्स रखा हुआ था।
उसने वो वूडन बॉक्स और कैबिनेट में रखे हुए डॉक्युमेंट्स लिए। उसने फिर से साइड में उस छोटे से बटन को प्रेस किया तो वॉल पहले जैसा हो गया।
उसने फिर एक नजर रूम में डाली और बेड के साइड टेबल पर रखे हुए अपने ग्रँड पेरेंट्स की फोटोफ्रेम लेकर अपने बॅग में रख लिया।
जाने से पहले उसने एक बार फिर रूम को देखा। उसने अपनी जिन्दगी का ज्यादा समय अपने दादू और दादी के साथ बिताया था। इस घर में उसे दादू - दादी ही लेकर आए थे।
उनके सिवाय कुछ लोगों को छोड़कर सिसोदिया परिवार में कोई भी उसे पसंद नहीं करता था। एक तरह से बाकी लोगों के लिए बोझ की तरह थी वो।
भले ही आर्या कैसी भी हो पर अपने दादू-दादी से बहुत अटैच थी। एक तरह से उसकी परवरिश उन दोनों ने ही की थी।
उसने पूरे कमरे को ध्यान से देखा। शायद ही वो दोबारा कभी इस रूम में वापस आए। उसने किसी तरह खुद को संभाला और वहां से निकल गयी।
जब तक वह लिविंग रूम में आयी तबतक तारा भी अपने रूम से आ गयी थी।
आर्या को बाहर जाता देख, अंजली जी बोली, "तुम बाहर कहा जा रही हो? क्या तुम आज रात यहा नहीं रुकने वाली थी?"
अबतक अजय जी और विक्रम जी ऑफिस जा चुके थे। दिव्या भी डे आउट के लिए अपने फ्रेंड्स के साथ जा चुकी थी। इस वक्त वहां अंजली जी, कविता जी और कुछ सर्वेंट्स ही मौजूद थे।
अंजली जी की बात पर आर्या ने बिना पीछे मुड़े कहा, "मुझे कुछ काम है। मैं शाम तक वापस आ जाऊँगी।" इतना बोल, बिना किसी जवाब का इंतजार किए वो मॅन्शन से बाहर निकल गयी।
उसे जाते ही तारा भी शाम तक आने का बोल चली गई।
कविता जी आर्या के बारे में बुरा-भला कहते हुए बोली, " देखा भाभी, इस लड़की में कितना attitude भरा हुआ है।
अच्छा हुआ जो हमने इसे हमारे घर से निकाल दिया, वरना पता नहीं कितना सहना पडता इस लड़की को। "
उनकी बात का अंजली जी ने कोई जवाब नहीं दिया। वो अभी भी आर्या जिस डायरेक्शन में गयी थी, वहीं देख रही थीं।
उन्हें ऐसे देख कविता जी बोली, "क्या हुआ भाभी? क्या सोच रही है?"
उनकी बात पर अंजली जी ने ना में सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं, कुछ नहीं।" फिर वो दोनों अपनी बातों में बिजी हो गए।
यहा मॅन्शन के बाहर तारा आर्या के पीछे आते हुए बोली, "दी, वेट। कुछ बात करनी है आपसे।"
आर्या बिना रुके बोली, "यहां नहीं। मेंशन के कुछ दूर मेरा वेट करो, वही बात करेंगे।" उसकी बात पर तारा सिर हिलाकर, अपनी कार में बैठ मेंशन से बाहर निकल गयी।
उसके जाने के बाद आर्या ने चारो तरफ नज़र घुमाई और सिसोदिया मेंशन को एक नजर देख वो भी वहां से निकल गयी।
कुछ दूर जाकर उसने कार रोकी। वहां पहले से एक कार खडी थी।
दूसरी कार से तारा निकल कर आर्या की कार की तरफ आई और डोर खोल पैसेंजर सीट पर बैठ गयी। उसके हाथ में एक ब्लॅक कलर की फाइल थीं।
उसने वो फाइल आर्या की तरफ बढ़ाते हुए कहा, " मुझे यह इन्फॉर्मेशन डॅड के स्टडी रूम से मिली है। उन्हें शक ना हो इसलिए फाइल की कॉपी करवा ली। इसमें आपको शायद कुछ important मिल जाए।
एंड आज एक important मीटिंग है जिसमें आपका होना ज़रूरी है। मैंने मैसेज किया था बट आपका कोई रिप्लाय नहीं आया। अच्छा, अब मैं चलती हू। आप जल्दी आ जाना एंड बी केयरफूल।" उसकी बात पर आर्या ने हा में सिर हिला दिया।
तारा उसकी कार से उतर, अपनी कार में आई और कार स्टार्ट कर वहां से चली गयी।
उसके जाने के बाद आर्या ने एक बार उस फाइल को देखा, एंड उसे पॅसेंजर सीट पर रख दिया। उसने अपने फोन में किसी को मैसेज किया और जहां तारा गयी थी वहां के लिए निकल गयी।
दूसरी तरफ,
रायचंद पॅलेस में,
लिविंग रूम के वॉल पर एक attractive पेंटिंग लगी हुई थी जिसे देख कोई भी, उसे बनाने वाले की तारीफ करने से खुद को न रोक पाए। वही कुछ हँडमेड आर्टिफैक्ट्स रखे थे जिन्हें देखकर ही पता चल रहा था कि वो कितने एक्सपेनसीव होंगे। ओवरऑल रूम बहुत क्लासि और elegant लग रहा था।
साइड में लगे सोफा पर बैठे आरव जी फोन पर किसी से बात कर रहे थे। वो सामने वाले इंसान से बोले, "राजवीर भाई वहां का काम हुआ? डील फाइनल हो गयी ना?"
सामने से राजवीर जी की आवाज आई, "हाँ आरव, सब हो गया, तुम टेंशन मत लो एंड मैं कल तक वापस आ जाऊँगा।"
उनकी बात पर आरव जी खुश होते हुए बोले, " यह तो बहुत अच्छी बात है। ठीक है भाई, आप जल्दी वापस आइए। मुझे आपको कुछ बताना है। सिर्फ बताना नहीं इनफॅक्ट आपको किसी से मिलवाना भी है।"
आरव जी की बात सुन राजवीर जी बोले, " ओके मैं जितनी जल्दी हो सके आता हूं। और मैं भी तो देखूं तुम किससे मिलवाने वाले हो। अच्छा बाय, कल मिलते हैं। " इतना बोल उन्होंने कॉल कट कर दिया।
प्रीता जी ने एक्साइटमेंट में आरव जी से पूछा, "क्या बोला बड़े भैय्या ने? कब तक आ रहे हैं वो।" उन्हें इतना एक्साईट देख आरव जी के फेस पर स्माइल आ गयी।
उन्होंने जवाब में कहा, "बोल रहे थे डील फाइनल हो गया है और वो कल तक आ जाएंगे।"
वो दोनों अभी बात कर ही रहे थे कि प्रीता जी के फोन में नोटिफिकेशन आया। उन्होंने चेक किया तो Samaira का मैसेज था।
वो मैसेज पढ़ते हुए बोली, "Samaira का मैसेज आया है। उसने आर्या को सिसोदिया मॅन्शन से पीक करने को कहा है। और कहा है कि जैसा आर्या ने करने को कहा था हम वैसा ही करें।"
उनकी बात सुन आरव जी कन्फ्यूज होते हुए बोले, "सिसोदिया मॅन्शन क्यों? आर्या वहां है क्या और वो वहां क्या कर रही है?"
प्रीता जी उनकी बात पर बोली, "वो तो Samaira ने नहीं बताया। कोई बात नहीं, हम कल डायरेक्ट आर्या से ही पूछ लेंगे। आप फिक्र मत कीजिए।" उनकी बात पर आरव जी कुछ नहीं बोले।
मुंबई के
लाइफ केयर हॉस्पिटल में,
इस हॉस्पिटल के एक कैबिन में दो लोग बैठे बात कर रहे थे।
कैबिन को देखकर ही पता चल रहा था कि यह जिसका भी है उसे क्लीनलीनेस कितनी पसंद है। टेबल पर एक नेम प्लेट रखा हुआ था जिसपर कर्सिव में डॉ. रिध्यांश राठौर लिखा हुआ था।
केबिन में इस वक्त कबीर और रिध्यांश बैठे आज जो कुछ भी राठौर मेंशन में हुआ वो डिसकस कर रहे थे।
कबीर रिध्यांश को देखते हुए बोला, "तो क्या सोचा है तूने?"
उसकी बात पर रिध्यांश अपनी भौंह चढ़ाते हुए बोला, "किस बारे में सोचना है मुझे?"
कबीर जवाब देते हुए बोला, "किस बारे में मतलब? अरे अपनी फिआंसी ऊर्फ आर्या रायचंद के बारे में। और कुछ है इसके अलावा तेरे पास सोचने के लिए?"
फिर शरारत से बोला, "वैसे तो बहुत खूबसूरत है वो। जो भी उन्हें एक बार देखे तो शायद ही कभी भूल पाए। और देख इतनी खूबसूरत लड़की तेरी fiancée है। तुझे तो खुश होना चाहिए पर तुझे तो कोई फर्क़ ही नहीं पड रहा।"
रिध्यांश उसकी बात पर उसे घूरते हुए बोला, "तुझे बड़ी खुशी हो रही है उससे मिलकर। कहीं तुझे पसंद तो नहीं आ गयी? अगर ऐसा है तो अपने दिमाग से ये ख्याल निकाल दे। "
कबीर उसकी बात पर मुस्कराते हुए बोला, "पसंद तो आ गयी पर भाभी के तौर पर। एंड वाई आर यू गेटिंग जेलस।
ऐसा तो नहीं की तुझे वो पहली नज़र में पसंद आ गयी हो। देखा था मैंने कैसे उसे देख तेरे चेहरे पर चमक आ गयी थी।"
उसकी बात सुन रिध्यांश कुछ सोचते हुए बोला, " पसंद का पता नहीं, लेकिन उसकी तरफ एक खिंचाव जरूर महसूस हुआ। वैसे भी डॅड का ऑर्डर है तो मुझे मानना ही पड़ेगा। लेकिन वो न मुझे कुछ जानी पहचानी लगी। ऐसा लगा जैसे मैंने उसे पहले भी कहीं देखा है।"
फिर कबीर को देखते हुए बोला, " तू एक काम कर, उसकी इन्फॉर्मेशन निकलवा। हम भी जाने उसे अच्छे से।"
उसकी बात सुन कबीर अपनी जगह से उठते हुए बोला, "ठीक है, मैं किसी से कहकर उसकी इन्फॉर्मेशन निकलवाता
हू।"
फिर अपनी रिस्ट वॉच में टाइम देखते हुए बोला, "चल मैं चलता हू, मुझे पेशंट को चेक करना है। तू अपना वर्क कर। वैसे भी ईशान तो शाम तक ही आएगा एंड जैसे ही मुझे आर्या के बारे में पता चलता है मैं तुझे इन्फॉर्म कर दूंगा।"
इतना बोल कबीर कैबिन से बाहर निकल गया और रिध्यांश भी अपने काम में बिजी हो गया।
यहा दूसरी तरफ,
आर्या की कार आकार एक बिल्डिंग के सामने रुकी जिसके ऊपर बोल्ड लेटर्स में 'एमबर & ग्रेस' लिखा हुआ था। यह 30 मंजिला बिल्डिंग फैशन डिझायनिंग कंपनी थी जहां जॉब करना बहुत से फैशन डिजाइनर्स का सपना था।
आर्या ने अपनी कार पार्क की और उतरने से पहले अपना फेस मास्क से कवर कर लिया। वो प्राइवेट लिफ्ट से 29 फ्लोर पर पहुंची जहा तारा पहले से ही उसका इन्तज़ार कर रही थी।
उसे देख तारा प्रोफेशनली उसे ग्रीट करते हुए बोली, "बॉस वो लोग मीटिंग रूम में आपका वेट कर रहे हैं। मीटिंग के लिए मिस्टर सिंह के बेटे समीर सिंह आए है।"
उसकी बात पर आर्या ने सिर हिला दिया। वो दोनों अबतक मीटिंग रूम के पास पहुंच चुके थे। तारा ने आगे बढ़कर डोर ओपन किया और आर्या के अंदर जाने के बाद वो भी उसके पीछे अंदर आ गयी।
आर्या को देख रूम में मौजूद सभी लोग खड़े हो गए। सबने उसे विश किया। समीर सिंह आगे आते हुए बोले, "हैलो मिस आर्या। आपसे मिलकर अच्छा लगा।"
उनकी बात पर आर्या ने हा में सिर हिला दिया और सभी को बैठने का इशारा किया। सभी के बैठते ही मीटिंग स्टार्ट हो गयी। यह मीटिंग कंपनी के लिए important थी इसलिए आर्या पर्सनली अटेंड कर रही थी।
मीटिंग लगभग 3 घंटे तक चली। अभी लगभग दिन के 3 बज रहे थे। मीटिंग ओवर होने के बाद मिस्टर सिंह आर्या से बोले, "सो मिस आर्या व्हॉट दू यू थिंक अबाउट दिस प्रेजेंटेशन।"
तो क्या जवाब देगी आर्या समीर को? क्या रिध्यांश जान पायेगा आर्या के बारे में? और क्या है उस वूडन बॉक्स में?
जानने के लिए पढ़ते रहिए 'तेरी दीवानी'।
क्रमशः
[A/N : जानती हु आपको कैरेक्टर्स को लेकर शायद कुछ कन्फ्यूजन हो। इसलिए स्टोरी के कैरेक्टर्स के इंट्रोडक्शन मैं आपको एक दो चैप्टर्स के बाद दे दूंगी।]
तब तक के लिए stay tuned....
सो रीडर्स,
ये चैप्टर में मैंने सभी कैरेक्टर्स का डिस्क्रिप्शन दिया है। जिनके बारे में अब तक कहानी में आपने पढ़ा और जो आगे आने वाले चैप्टर्स में पड़ेंगे।
आर्या रायचंद: हमारी कहानी की फीमेल लीड। एज 21 इयर्स। स्वभाव से बिल्कुल शांत और खतरनाक। अभी इम्पीरियल कॉलेज की फैशन डिजाइनिंग की 2nd ईयर स्टूडेंट। और इनकी खुद की फैशन डिजाइनिंग कंपनी है जो टॉप है। इन्हें स्किन एलर्जी है जिसमें ये किसी को भी टच नहीं कर सकती वरना इन्हें पूरे बॉडी पर रैशेज होने लगते है।
BIOLOGICAL FAMILY -
दादा जी: सीताराम रायचंद। एज 70 इयर्स। स्वभाव से बिल्कुल मजाकिया और बच्चे जैसे है। परिवार वालों के लिए अच्छे और बाहर वाले के लिए स्ट्रिक्ट।
इन्होंने ही रायचंद फैमिली बिजनेस यानी रायचंद एम्पायर की नींव रखी थी।
दादी मां: अन्नपूर्णा रायचंद। एज 66 इयर्स। स्वभाव से शांत और प्यारी। ये भी एक वक्त पर बहुत अच्छी बिजनेस वुमन थी। अपने परिवार से बहुत प्यार करती है।
बड़े पापा: राजवीर रायचंद। एज 55 इयर्स। ये सीताराम रायचंद के बड़े भाई जगन्नाथ रायचंद के बेटे है। एक हादसे में इनका पूरा परिवार मारा गया। बहुत मुश्किल से ये बचे थे। तब इन्हें सीताराम रायचंद ने गोद ले लिया। स्वभाव से लालची है पर परिवार के सामने बिल्कुल सच्चे बनते है इसलिए इनकी असलियत कुछ लोगों छोड़ किसी को नहीं पता। रायचंद एम्पायर में MD के पोस्ट पर है।
बड़ी मां: विद्या रायचंद। इनकी डेथ हो चुकी है।
पापा: आरव रायचंद। एज 50 इयर्स। स्वभाव से बिल्कुल खतरनाक पर सिर्फ बुरे लोगों के लिए। ये अभी रायचंद एम्पायर के चेयरपर्सन है।
मां: प्रीता रायचंद। एज 48 इयर्स। जितनी खूबसूरत ये सूरत है उतना ही खूबसूरत इनकी सीरत है। आर्या को उसकी खूबसूरती इन्हीं से मिली है। बेटी के खो जाने से उनकी हेल्थ अभी अच्छी नहीं रहती।
अदिति रायचंद: एज 22 इयर्स। राजवीर रायचंद और विद्या रायचंद की इकलौती बेटी। स्वभाव से बिलकुल अपने पापा पर गई है। खुद को रायचंद फैमिली की प्रिंसेस समझती है इसलिए खुद पर बहुत घमंड है।
रियान रायचंद: एज 26 इयर्स। आरव और प्रीता रायचंद के बड़े बेटे। सीईओ ऑफ रायचंद एम्पायर। ये रिध्यांश के बेस्टफ्रेंड कबीर मल्होत्रा की बहन, आयशा मल्होत्रा से प्यार करते है।
विहान रायचंद: एज 24 इयर्स। आरव और प्रीता रायचंद के छोटे बेटे। और अभी रायचंद एम्पायर में अपने बड़े भाई के असिस्टेंट के तौर पर काम कर रहे है ताकि एक्सपीरियंस गेन कर सके।
समायरा कपूर: एज 21 इयर्स। बेस्टफ्रेंड ऑफ आर्या। ये एक अनाथ है। 5 साल की उम्र में आर्या से मिली थी तबसे दोनों साथ है। स्वभाव बिल्कुल बच्चों जैसा।
ADOPTIVE FAMILY-
दादा जी: वीर सिसोदिया। इनकी डेथ हो चुकी है जब आर्या 17 की थी। इन्होंने ही आर्या को सब कुछ सिखाया है। ये आर्या से बहुत प्यार करते थे। इनका रियल एस्टेट्स का फैमिली बिजनेस है।
दादी मां: राजेश्वरी सिसोदिया। इनकी भी डेथ हो चुकी है जब आर्या 20 की हुई। ये भी आर्या से बहुत प्यार करती थी और अपने पति की डेथ के बाद इन्होंने ही आर्या को सेफ रखा अपने परिवार से। इन्हें और इनके पति को अपने परिवार के बारे में सब पता था।
अजय सिसोदिया: एज 50 इयर्स। एडॉप्टिव फादर ऑफ आर्या। लालची, मैनिपुलेटिव इंसान। इनके लिए सबसे ज्यादा जरूरी पैसे है। इन्हें अपने सिसोदिया होने का बहुत घमंड है। क्योंकि सिसोदिया फैमिली भी मुंबई की रिच फैमिली में से एक है बट रायचंद और राठौर के सामने कुछ भी नहीं। ये अभी सिसोदिया रियल एस्टेट्स के सीईओ है।
कविता सिसोदिया: एज 47 इयर्स। एडॉप्टिव मदर ऑफ आर्या। ये भी बिल्कुल अपने पति की तरह है। अपनी बेटी से बहुत प्यार करती है इसलिए उसकी हर जायज़- नाजायज़ मांग को पूरी करने की कोशिश करती है।
दिव्य सिसोदिया: एज 21 इयर्स। अजय और कविता की इकलौती बेटी। स्वभाव से बिल्कुल घमंडी बिल्कुल अपनी मां की तरह और आर्या से नफ़रत करती है क्योंकि वो हर चीज में उनसे अच्छी है।
विक्रम सिसोदिया: एज 54 इयर्स। अजय सिसोदिया के बड़े भाई। अपने भाई की तरह है ये भी। ये अभी सिसोदिया रियल एस्टेट्स चेयरपर्सन है।
अंजली सिसोदिया: एज 51 इयर्स। विक्रम सिसोदिया की वाइफ। इनका स्वभाव भी कविता की तरह है।
विक्रांत सिसोदिया: एज 26 इयर्स। ये विक्रम और अंजली के बड़े बेटे हैं। ये भी बिल्कुल अपने पिता और चाचा की तरह है। ये अभी सिसोदिया कंपनी में एस अ मैनेजिंग डायरेक्टर काम करता है।
तारा सिसोदिया: एज 21 इयर्स। ये आर्या से कुछ महीने छोटी है। ये एक अच्छी इंसान है। इन्होंने अपना ज्यादा समय अपने दादा- दादी और आर्या के साथ बिताया है इसलिए ये आर्या से बहुत अटैच है और उसे अपनी बड़ी बहन मानती है।
ये भी आर्या के साथ उसी कॉलेज में पढ़ती है। और आर्या की PA भी है। इसके बारे में इनके परिवार में किसी को नहीं पता।
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रिध्यांश राठौड़: हमारी कहानी के मेन लीड है। एज 25 इयर्स। प्रोफेशन से डॉक्टर है। ये कार्डियोलॉजी और न्यूरोलॉजी में स्पेशलिस्ट है। पर कभी कभी बिजनेस में भी हेल्प कर देते है। स्वभाव से खडूस और रूड। पर अपने परिवार से बहुत प्यार करते खास कर अपने भाई और बहन से।
इनकी और आर्या की फैमिली सालों से फ्रेंड्स है।
FAMILY -
दादा जी: शिवनाथ राठौर। एज 70 इयर्स। ये स्वभाव से थोड़े स्ट्रिक्ट पर अपने पोते और पोती के लिए स्वीट है। इन्होंने ही राठौर फैमिली बिजनेस की शुरुआत की थी।
दादी मां: सावित्री राठौर। एज 67 इयर्स। ये स्वभाव से एक साफ दिल की औरत है।
पापा: आदित्य राठौर। एज 52 इयर्स। चेयरपर्सन ऑफ राठौर बिजनेस। ये भी बिल्कुल अपने पापा पर गए है।
मां: मीरा राठौर। एज 50 इयर्स। ये एक सोशल वर्कर है। इनके बहुत सारे NGOs है जो ये प्रीता जी के साथ मिलकर चलाती है।
आरोही राठौर: एज 20 इयर्स। रिध्यांश की लाडली बहन। इनका स्वभाव बिल्कुल बच्चों जैसा है। और ये अपने परिवार की प्रिंसेस है। ये अपने भाई के दोस्त कबीर मल्होत्रा से प्यार करती पर डरती भी है बताने से।
अर्णव राठौर: एज 23 इयर्स। ये रिध्यांश के छोटे भाई हैं। ये राठौर एम्पायर के सीईओ है। ये आरोही की बेस्टफ्रेंड स्मृति जायसवाल से प्यार करते हैं और दोनों रिलेशनशिप में भी है पर कुछ लोगों को ही पता इस बारे में।
स्मृति जायसवाल: आरोही की बेस्टफ्रेंड और अर्णव की गर्लफ्रेंड। इनकी फैमिली का भी खुद का बिजनेस है जो रेस्टोरेंट एंड होटल्स का है।
BEST FRIENDS OF MALE LEAD-
ईशान मेहरा: एज 25 इयर्स। ये रिध्यांश के बेस्ट फ्रेंड है। ये भी एक डॉक्टर है। ये स्वभाव से शांत और स्ट्रिक्ट है। इनका फैमिली बिजनेस इंटीरियर डिजाइनिंग का है। इनकी कंपनी का नाम LUXORA INTERIORS है जहां के ये सीईओ है। पर ज्यादातर बिजनेस इनके फादर हैंडल करते है।
पापा: अर्जुन मेहरा। एज 51 इयर्स। ऑनर ऑफ LUXORA INTERIORS। इनका नेचर जॉली जॉली टाइप है।
मां: सुनैना मेहरा। आहे 47 इयर्स। ये भी मीरा जी के साथ सोशल वर्क में मदद करती है। इनका स्वभाव स्ट्रिक्ट है।
कबीर मल्होत्रा: एज 25 इयर्स। ये भी रिद्धांश के बेस्ट फ्रेंड है। ये स्वभाव से एक चीयरफुल और ईजी गोइंग पर्सन है पर सिर्फ अपनों के लिए। इनका फैमिली बिजनेस ज्वैलरी का है जिसका नाम MALHOTRA JEWELS है।
पापा: राजेन्द्र मल्होत्रा। एज 50 इयर्स। चेयरपर्सन ऑफ मल्होत्रा कंपनी।
मां: प्रिया मल्होत्रा। एज 52 इयर्स। ये अपने समय की फेमस ज्वैलरी डिजाइनर रह चुकी है और अभी भी फैमिली बिजनेस में हेल्प करती है।
बहन: आयशा मल्होत्रा। एज 24 इयर्स। ये कबीर की बहन है। सीईओ ऑफ मलहोत्रा ज्वेल्स कंपनी। ये और आर्या का भाई रियान रायचंद क्लासमेट्स रह चुके है और ये रियान से प्यार भी करती है। इन्होंने कॉलेज खत्म होने के बाद ही उन्हें प्रोपोज किया था और तबसे दोनों रिलेशनशिप में है। इनके रिलेशन के बारे सिर्फ कुछ लोगों को पता है।
रायचंद फैमिली, राठौर फैमिली, मेहरा फैमिली और मल्होत्रा फैमिली, चारों फैमिली सालों से फैमिली फ्रेंड्स है और सभी की आर्या के घूम होने के बारे में पता है।
दुनिया को नहीं पता कि रायचंदस की कोई बेटी भी है। ये न्यूज़ इन्होंने बहुत कॉन्फिडेंशियल रखी है।
मुंबई, इंडिया,
एमबर & ग्रेस फॅशन कंपनी ,
मीटिंग रूम में मिस्टर सिंह बेसब्री से आर्या के जवाब का इंतजार कर रहे थे। आर्या ने एक बार उन्हें देखा और फिर टेबल पर टैप करते हुए बोली, "ह्म्म, इट्स गुड। बट आई वंट टू रिव्यू इट वन्स मोर।
आप मेरी पी.ए. को कॉन्ट्रैक्ट दे दीजिए, मैं साईन करके आपके ऑफिस भिजवा दूंगी।" इतना बोल तारा को कुछ इशारा कर वो रूम से बाहर निकल गयी।
उसका इशारा समझ तारा ने मिस्टर सिंह से कॉन्ट्रैक्ट लेते हुए उन्हें अभी भी परेशान देख कहा," डोंट वरी मिस्टर सिंह, बॉस ने अगर फिरसे रिव्यू करने का बोला मिन्स दिस डील इस योर्स।"
उसकी बात सुन, मिस्टर सिंह ने मुस्कुरा कर सिर हिला दिया और अपनी टीम के साथ रूम से बाहर चले गए।
तारा भी वहां से निकल सीधे सीईओ केबिन के सामने आई। उसने एक गहरी लंबी सांस ली और डोर नॉक किया।
अंदर से आर्या की शांत आवाज आई, " कम इन।"
परमीशन मिलते ही तारा केबिन में एंटर हुई। केबिन का माहौल बहुत शांत था। रूम के बीचोंबीच वर्किंग डेस्क रखा हुआ था।
वही साइड में सोफा और उसके सामने कॉफी टेबल रखा हुआ था। केबिन के अंदर एक प्राइवेट रूम भी था। जो आर्या के रेस्ट के लिए करने के लिए था। वहां आर्या कपड़े और कुछ जरूरी चीजें रखी हुई थी।
केबिन का थीम ब्लैक एंड ग्रे था जो आर्या के mysterious
औरा को शो कर रहा था।
डेस्क के पीछे की वॉल पूरी ग्लास की थी जिससे बाहर का नज़ारा साफ़ देखा जा सकता था।
आर्या वॉल के पास खडी थी। उसने अपना मास्क उतार दिया थीं, शायद उसे पता था कि बाहर कौन है।
उसके एक्सप्रेशन बिल्कुल शांत थे। वो कुछ सोच रही थी और इस वक़्त उसके आँखों में एक कोल्ड चमक थी जैसे पता नहीं क्या ही मिल गया हो उसे।
तारा अंदर आयी और कॉन्ट्रैक्ट को डेस्क पर रख खडी हो गयी। वो आर्या को देख रही थीं जैसे उसे समझने की कोशिश कर रही हो।
आर्या बाहर देखते हुए बोली, "व्हॉट इफ तुम्हारे डॅड की कार का एक्सीडेंट हो जाए? या फिर कोई उन्हें शूट करदे?"
बोलते हुए वो पीछे मुडी। उसके होंठों की क्रिपी स्माइल बता रही थी कि उसके दिमाग में कुछ खतरनाक चल रहा था।
उसकी बात सुन, तारा ने कुछ पल उसे देखा फिर सिर नीचे करते हुए कहा, "आए डोन्ट केयर। वैसे भी उनके जैसे इंसान का रहना धरती पर बोझ है।"
फिर आर्या की आँखों में देखते हुए बोली, "आप उनके साथ जो भी करना चाहें कर सकती है। मैं कुछ नहीं बोलूंगी।"
उसकी बात सुन आर्या तिरछा मुस्कराते हुए बोली, "कहना आसान होता है लेकिन जब सच में ऐसे हो जाए तो ये सारी बातें धरी की धरी रह जाती है। "
फिर सिरियस होते हुए तारा से कुछ पूछा जिसके जवाब में उसने सिर हिला दिया।
आर्या ने उसे जाने का इशारा किया और अपनी चेयर पर आकर बैठ गयी। उसके इशारे को समझ तारा केबिन से चली गयी ।
आर्या अपना काम कर रही थी और काम करते उसे पता ही नहीं चला कि शाम कब हो गयी।
अभी वो काम कर ही रही थी कि केबिन का डोर ओपन हुआ। उसने सिर उठाकर सामने देखा तो Samaira खड़ी थी।
उसे एक नजर देख वो वापस अपने काम में बिजी हो गयी।
उसे खुद को इग्नोर करता देख Samaira मुह बनाते हुए बोली, "क्या यार जब देखो इन फाइल्स और कंप्युटर में घुसी रहती है।
कभी मेरी तरह चिल भी कर लिया कर। जब देखो काम काम और काम। तुझे बोर नहीं होता इन फाइल्स को हर वक्त देखने से? मैं तो कुछ घंटों में ही बोर हो जाती हूँ।"
उसकी बात को अनसुना कर आर्या ने पूछा, "तुम यहा क्या कर रही हो? तुम्हें तो अभी ऑफिस में होना चाहिए था।"
उसकी बात पर Samaira सोफ़े पर बैठते हुए बोली, "क्या कर रही हूँ से क्या मतलब है? अरे मैं भी तेरे साथ जाऊँगी सिसोदिया मॅन्शन। अगर तू वहां अकेली गयी और उन लोगों ने तुझे कुछ कर दिया तो।"
फिर अपना हाथ हवा में हिलाते हुए नौटंकी करते हुए बोली, "ना बाबा ना, मैं ये रिस्क नहीं ले सकती। एक ही तो दोस्त है मेरी, अगर उसे भी कुछ हो गया तो मैं कैसे रहूंगी अकेली, तेरे बिना इस जालिम दुनिया में!"
उसकी ओवरएक्टिंग देख आर्या ने न में सिर हिला दिया जैसे बोल रही हो इसका कुछ नहीं हो सकता।
फिर शांति से बोली, "तुम मेरे साथ नहीं आ रही। तुम्हें अब से रायचंद विला में मेरे साथ रहना है। इसलिए अभी इसी वक्त तुम वहां जा रही हो।"
उसकी बात सुन Samaira ने जल्दी से कुछ बोलने की कोशिश की लेकिन आर्या ने उसे बीच में रोकते हुए कहा, "मना करने की हिम्मत भी मत करना वरना तुम तो जानती हो कि मैं क्या कर सकती हूं।"
Samaira उसकी बात पर चिढ़ते हुए बोली, "तुम हमेशा यही करती हो, अपनी इन खतरनाक आँखों और बातों से सबको डराती रहती हो।"
फिर आर्या को देख अपने नकली आंसू बहाते हुए कहा, "वो तो मैं हूं जो तुम्हें अब तक झेल रही है वरना जैसी तुम्हारी हरकतें है ना, कोई और होता तो कबका छोड़ कर चला गया होता। हाँ नहीं तो!"
उसकी बात सुन आर्या ने उसे घूरते हुए कहा, "हो गया तुम्हारा तो यहा से जाओ और हाँ किसी से कहकर रिध्यांश राठौर की सारी इन्फॉर्मेशन निकलवाओ।"
उसकी बात पर Samaira अपने होठों पर शरारती मुस्कान लिए बोली, "क्यों उसकी इन्फॉर्मेशन किस लिए, कहीं दिल तो नहीं आ गया उसपर। वैसे भी वो तो अब तुम्हारा fiancé है।"
आर्या उसकी बात पर बोली, "गेट लाॅस्ट और जो कहा है वो हो जाना चाहिए। समझी?"
यह सुन Samaira उसे घूरते हुए अपनी जगह से उठी और केबिन से बाहर निकलते हुए बोली, "जा रही हू, जब देखा तब मुझे भगाती रहती हो। मेरी तो कोई कद्र ही नहीं तुम्हे, हूँ।
फिर सीरियस होते हुए बोली, " कल तक इन्फॉर्मेशन तेरे पास होगी, डोंट वरी। एंड प्लीज वहां अपना ख्याल रखना, मुझे उन लोगों पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं है।"
इतना बोल वो चली गई। उसकी बात पर आर्या के चेहरे पर हल्की स्माइल आ गई और वो फिर से अपने काम में बिजी हो गयी।
करीब एक घंटे बाद तारा ने आकर उसे इन्फॉर्म किया कि सब लोग चले गए है और उन्हें भी जाना चाहिए।
उसकी बात पर आर्या ने उसे जाने को कहा और अपना फोन ले केबिन से निकल गयी। ऑफिस से निकल उसने गार्ड को ऑफिस लॉक करने को कहा और अपनी कार की तरफ बढ़ गयी।
तारा भी उसके साथ ही थी। अपनी कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ, उसने तारा को कुछ कहा और कार स्टार्ट कर सिसोदिया मॅन्शन की तरफ अपनी गाड़ी मोड़ ली।
उसके जाते ही तारा भी वहां से निकल गयी।
आधे घंटे बाद दोनों एक साथ सिसोदिया मॅन्शन पहुंचे। कार पार्क कर आर्या घर के अंदर गयी, उसके पीछे तारा भी।
अब तक सब लोग वापस आ चुके थे। और डिनर के लिए डायनिंग टेबल पर बैठे थे। डायनिंग रूम के बीचोंबीच एक झूमर लगा हुआ जिसकी रोशनी चारो तरफ फैल रही थी।
डायनिंग टेबल पर इम्पोर्टेड cutlery का सेट लगा हुआ था और सर्वेंट्स डिनर सर्व कर रहे थे।
दोनों सीधे वही आकर बैठ गयी। आर्या को वहां बैठे देख, दिव्या बोली, "तुम यहा कैसे बैठ गयी? क्या तुम भूल गयी हो तुम इस फॅमिली की मेंबर नहीं हो?"
उसकी बात पर आर्या ने शांति से कहा, "तुम्हारी बड़ी मॉम ने मुझे यहां रुकने को कहा है। तुम्हें कोई प्रॉब्लेम है तो उनसे कहो।"
फिर अंजली जी की तरफ मुड़ते हुए बोली, "और मुझे सोने के लिए रूम भी चाहिए, क्योंकि आई एम श्योर आप लोगों ने तो अबतक मेरे रूम को स्टोर रूम में बदल दिया होगा। "
उसकी बात पर किसी ने कुछ नहीं कहा लेकिन दिव्या भडकते हुए बोली, "क्यों? तुम्हें रूम क्यों चाहिए? तुम कही की महारानी हो क्या जो हम तुम्हारी बात माने।
सोना है तो लिविंग रूम में रखे सोफ़े पर सो जाना। कोई रूम नहीं मिलेगा तुम्हें। और वैसे भी तुम कोई हमारी फैमिली नहीं हो जो हम तुम्हारे बारे में सोचे। "
उसे शांत कराते हुए अंजली जी ने कहा, "कोई बात नहीं दिव्या। एक दिन की तो बात है। फिर कल तो यह अपने असली फॅमिली के पास चली जाएगी"
फिर आर्या को देखते हुए बोली, "तुम गेस्ट रूम में रह सकती हो पर कोई हरकत करने की कोशिश भी मत करना, समझी?"
उनकी बात पर आर्या ने कुछ नहीं कहा। वही कोई था जो आर्या को जबसे वो आई थी तब से घूर रहा था।
उस इंसान की नजरे आर्या खुद पर महसूस कर रही थी और वो जानती थी ये कौन है। पर उसने कुछ नहीं कहा।
थोड़ी देर में सबका डिनर हो चुका था। सब अपने अपने कमरे की तरफ चले गए। आर्या अपने रूम में आई जो सेकंड फ्लोर पर ही था। वो अभी वॉशरूम जा ही रही थी कि उसके रूम का डोर नॉक हुआ।
उसने दरवाजा खोल कर देखा तो सामने तारा अपने हाथों में कुछ कपड़े लिए खडी थी।
वो सबसे छुपकर यहा आई था वरना कोई देख लेता तो फिर हंगामा होता।
उसने वो कपड़े आर्या की तरफ बढ़ाते हुए कहा, "दी, मैं आपके लिए कुछ कपड़े लेकर आई थी, आप चेंज करके यह पहन लेना और इसमे सुबह के लिए भी ड्रेस है।"
उसकी बात सुन आर्या कपड़े लेते हुए बोली, "थँक्यू।"
उसकी बात पर तारा उसे गुड नाइट बोल कर अपने रूम में चली गई।
उसके जाने के बाद आर्या ने डोर लॉक किया और नाइट ड्रेस लेकर चेंज करने वॉशरूम में चली गयी।
थोडी देर में वो फ्रेस होकर और चेंज करके बाहर आई। उसने अपना फोन जो साइड टेबल पर रखा हुआ था, वो उठाया और बेड पर बैठ गयी।
वो अभी बेड पर बैठी ही थी और अपना फोन ऑन किया ही था कि रूम में फोन रिंग होने की आवाज आई।
आर्या ने अपनी फोन की स्क्रीन पर देखा तो एक अननोन नंबर से कॉल आ रहा था।
किसका कॉल आया है आर्या को? कौन था जो आर्या को घूर रहा था? और क्या हो गया है उसे रिध्यांश से प्यार?
जानने के लिए पढ़ते रहिए 'तेरी दीवानी'।
क्रमशः