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Ceo's Herbeat ( contract of love )

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Arina

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Description

तू पास आए, तो साँसें बगावत कर जाएं तेरी खुशबू से मेरी रगों में तूफान उतर आए जिस छूने से मैं बरसों डरता रहा आज उसी छुअन की चाहत में खुद को खोता जा रहा मेरा जुनून अब तेरी हाँ या ना का मोहताज नहीं… दो ऐसे शक्श जिनकी दुनिया है अलग एक एंटरटेनमेंट की दुनिय...

Characters

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इनाया सिंह

Heroine

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आरव्यन राजवंश

Hero

Total Chapters (13)

Page 1 of 1

  • 1. Ahhh please leave me - Chapter 1

    Words: 1376

    Estimated Reading Time: 9 min

    हल्की-हल्की बारिश की बूंदें होटल की खिड़की से टकरा रही थीं। बाहर अंधेरा गहराता जा रहा था और अंदर होटल के एक प्राइवेट सुइट में डिम लाइट बिखरी हुई थी कमरे में हल्की शराब और महंगे परफ्यूम की खुशबू घुली हुई थी ।

    वो लड़की जिसकी आंखों में उलझन और हल्का नशा था कमरे के दरवाजे के पास खड़ी थी उसे उसकी दोस्त ने जबरदस्ती यहां भेज दिया था कहकर कि एक छोटा सा प्रैंक है लेकिन अंदर का माहौल कुछ और ही था वो अब यहां से निकलने के बहाने सोच रही थी लेकिन उसका शरीर भी अजीब सी सुस्ती से भरा था।

    एक लड़का कमरे के बीचों-बीच खड़ा था। उसकी आंखों में नशे की गहराई थी चेहरे पर अजीब सी बेचैनी और साँसें भारी थीं उसे बस इतना याद था कि किसी ने उसे ड्रिंक ऑफर की थी और अब उसका दिमाग उसकी सुन नहीं रहा था।

    जैसे ही वह कमरे में दाखल हुई उसके कदम लड़खड़ा गए। अचानक एक लड़के ने उसे पकड़ लिया। उसकी मजबूत बाँहों ने उसे गिरने से बचा लिया लेकिन नशे में धुत्त दोनों के बीच की दूरी मिट गई आर्या की साँसें तेज़ हो गईं और अथर्व की आँखों में एक अलग सी चमक थी—एक नशे की एक पागलपन की।

    "तुम कौन हो?" उस ने धीमी लेकिन भारी आवाज़ में पूछा।

    लड़की खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन उसका सिर चकरा रहा था उसे सिर्फ धुंधला सा दिखाई दे रहा था ।

    मुझे... नहीं पता मैं यहाँ नहीं आना चाहती थी...उसने धीरे से कहा लेकिन लड़के ने उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम लिया।

    फिर आई क्यों? उसकी आवाज़ में नशा साफ झलक रहा था उस लड़की के बदन से आती खुशबू उसे उसकी और खींच रही थीं वह धीरे धीरे अपने कंट्रोल खो रहा था। लड़की कुछ बोलती इससे पहले ही लड़के ने उसका सिर अपनी ओर खींच लिया और उसे किस करने लगा नशे में धुत्त वह अब खुद पर कंट्रोल नहीं कर पा रहा था।

    बिना झिझक... उसकी उंगलियां लड़की के बालों में उलझने लगीं लड़की ने खुद को रोकने की कोशिश की लेकिन नशा उस पर भी हावी हो चुका था। उसके शरीर ने मानो हार मान ली थी।

    लड़की कोई रिस्पॉन्स नहीं दे रही थीं लेकिन रोक भी नहीं पा रहीं थीं लेकिन अचानक उस लड़की ने उसे धक्का दे दिया जिससे वह लड़का पीछे हट गया उसे काफी गुस्सा आ गया था उसकी इस हरकत की वजह से एक तो उसे उसकी जरूरत थी वो उसे खुद से दूर कर रही थीं लड़की जैसे ही मुड़ी लड़के ने पीछे से उसको पकड़ कर उसकी ड्रेस ही फाड़ दी थी जो अब उसके हाथ में थी।

    वहीं लड़की अपने हाथों से अपने बदन को ढकने की कोशिश कर रही थी क्यूंकि सिर्फ दो कपड़े ही उसके बदन से थे वहीं लड़का उस लड़की के खूबसूरत बदन को अपनी ललचाई नजरों से देख रहा था रेड कलर की ब्रा और अंडरवियर में कयामत दिख रही थी वह .... उसे पीछे से पकड़ कर वह उसकी गर्दन पर किस किए जा रहा था और उसके उभारों को मुट्ठी में भर दबाए .....

    लड़की अपने उभारों को उसके हाथों से छुड़ाने की कोशिश करती है लेकिन लड़के के ताकत के आगे कहा उसकी चलने वाली थी उल्टा वह और जोर से उन्हें प्रेस करता है और लड़की की दर्द भरी आवाज निकल जाती हैं आह्ह.... Please leave me......

    लड़का पीछे से उनकी ब्रा खोल उसे दीवार से सटा कर उसके उभारों को मुंह में भर सक करने लगता हैं और अपने हाथों से लडकी के हर बदन के हिस्से को अपने हाथों के साथ महसूस करने लगता हैं ।

    कुछ मिनिटों बाद लड़का वापस उसे किस करने लगता हैं लड़की की अंडरवियर थोड़ा नीचे कर अपने अपनी पेंट खोल कर उसे ऊपर उठा देता हैं और अपना प्राइवेट पार्ट उसमें सेट कर उसमें समा जाता हैं ।"

    आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह्ह्ह........ लड़की की आवाज उसके मुंह में ही रह जाती हैं। लड़का अब अपनी कमर मूव किया जा रहा था चांद नी रात में एक कमरे में दो अजनबी जो नशे की गिरफ्त में थे लड़की की दर्द भरी सिसकियां वहां गूंज रही थीं।











    ..................................

    do comments and follow me

    thank you



    हल्की-हल्की बारिश की बूंदें होटल की खिड़की से टकरा रही थीं। बाहर अंधेरा गहराता जा रहा था और अंदर होटल के एक प्राइवेट सुइट में डिम लाइट बिखरी हुई थी कमरे में हल्की शराब और महंगे परफ्यूम की खुशबू घुली हुई थी ।

    वो लड़की जिसकी आंखों में उलझन और हल्का नशा था कमरे के दरवाजे के पास खड़ी थी उसे उसकी दोस्त ने जबरदस्ती यहां भेज दिया था कहकर कि एक छोटा सा प्रैंक है लेकिन अंदर का माहौल कुछ और ही था वो अब यहां से निकलने के बहाने सोच रही थी लेकिन उसका शरीर भी अजीब सी सुस्ती से भरा था।

    एक लड़का कमरे के बीचों-बीच खड़ा था। उसकी आंखों में नशे की गहराई थी चेहरे पर अजीब सी बेचैनी और साँसें भारी थीं उसे बस इतना याद था कि किसी ने उसे ड्रिंक ऑफर की थी और अब उसका दिमाग उसकी सुन नहीं रहा था।

    जैसे ही वह कमरे में दाखल हुई उसके कदम लड़खड़ा गए। अचानक एक लड़के ने उसे पकड़ लिया। उसकी मजबूत बाँहों ने उसे गिरने से बचा लिया लेकिन नशे में धुत्त दोनों के बीच की दूरी मिट गई आर्या की साँसें तेज़ हो गईं और अथर्व की आँखों में एक अलग सी चमक थी—एक नशे की एक पागलपन की।

    "तुम कौन हो?" उस ने धीमी लेकिन भारी आवाज़ में पूछा।

    लड़की खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन उसका सिर चकरा रहा था उसे सिर्फ धुंधला सा दिखाई दे रहा था ।

    मुझे... नहीं पता मैं यहाँ नहीं आना चाहती थी...उसने धीरे से कहा लेकिन लड़के ने उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम लिया।

    फिर आई क्यों? उसकी आवाज़ में नशा साफ झलक रहा था उस लड़की के बदन से आती खुशबू उसे उसकी और खींच रही थीं वह धीरे धीरे अपने कंट्रोल खो रहा था। लड़की कुछ बोलती इससे पहले ही लड़के ने उसका सिर अपनी ओर खींच लिया और उसे किस करने लगा नशे में धुत्त वह अब खुद पर कंट्रोल नहीं कर पा रहा था।

    बिना झिझक... उसकी उंगलियां लड़की के बालों में उलझने लगीं लड़की ने खुद को रोकने की कोशिश की लेकिन नशा उस पर भी हावी हो चुका था। उसके शरीर ने मानो हार मान ली थी।

    लड़की कोई रिस्पॉन्स नहीं दे रही थीं लेकिन रोक भी नहीं पा रहीं थीं लेकिन अचानक उस लड़की ने उसे धक्का दे दिया जिससे वह लड़का पीछे हट गया उसे काफी गुस्सा आ गया था उसकी इस हरकत की वजह से एक तो उसे उसकी जरूरत थी वो उसे खुद से दूर कर रही थीं लड़की जैसे ही मुड़ी लड़के ने पीछे से उसको पकड़ कर उसकी ड्रेस ही फाड़ दी थी जो अब उसके हाथ में थी।

    वहीं लड़की अपने हाथों से अपने बदन को ढकने की कोशिश कर रही थी क्यूंकि सिर्फ दो कपड़े ही उसके बदन से थे वहीं लड़का उस लड़की के खूबसूरत बदन को अपनी ललचाई नजरों से देख रहा था रेड कलर की ब्रा और अंडरवियर में कयामत दिख रही थी वह .... उसे पीछे से पकड़ कर वह उसकी गर्दन पर किस किए जा रहा था और उसके उभारों को मुट्ठी में भर दबाए .....

    लड़की अपने उभारों को उसके हाथों से छुड़ाने की कोशिश करती है लेकिन लड़के के ताकत के आगे कहा उसकी चलने वाली थी उल्टा वह और जोर से उन्हें प्रेस करता है और लड़की की दर्द भरी आवाज निकल जाती हैं आह्ह.... Please leave me......

    लड़का पीछे से उनकी ब्रा खोल उसे दीवार से सटा कर उसके उभारों को मुंह में भर सक करने लगता हैं और अपने हाथों से लडकी के हर बदन के हिस्से को अपने हाथों के साथ महसूस करने लगता हैं ।

    कुछ मिनिटों बाद लड़का वापस उसे किस करने लगता हैं लड़की की अंडरवियर थोड़ा नीचे कर अपने अपनी पेंट खोल कर उसे ऊपर उठा देता हैं और अपना प्राइवेट पार्ट उसमें सेट कर उसमें समा जाता हैं ।"

    आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह्ह्ह........ लड़की की आवाज उसके मुंह में ही रह जाती हैं। लड़का अब अपनी कमर मूव किया जा रहा था चांद नी रात में एक कमरे में दो अजनबी जो नशे की गिरफ्त में थे लड़की की दर्द भरी सिसकियां वहां गूंज रही थीं।

  • 2. मेरा फर्स्ट टाइम किसी अजनबी के साथ ?" - Chapter 2

    Words: 1000

    Estimated Reading Time: 6 min

    अब आगे.........




    सूरज की हल्की रोशनी खिड़की से छनकर कमरे में फैल रही थी। उसकी भारी पलकों ने धीरे-धीरे खुलने की कोशिश की मगर जैसे ही उसने हिलने की कोशिश की एक अजीब-सा दर्द उसके शरीर में दौड़ गया। उसका सिर भारी था हल्की-हल्की सिरदर्द के साथ उसने अपनी सांसें रोकीं और अपने शरीर को महसूस करने लगी।



    अभी वह हल्की निंद में ही थीं यह क्या हो रहा है उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। उसने धीरे से अपने हाथों को हिलाया और महसूस किया कि उसके बदन पर सिर्फ एक चादर थी बाकी कुछ उसे महसूस नहीं हो रहा था वह बोली नहीं... उसकी सांस अटक गई।



    उसने झटके से अपनी आँखें खोलीं कमरा अजनबी था लेकिन काफी लक्जरी था उसकी धड़कनें और तेज़ हो गईं। लेकिन उससे ज्यादा खतरनाक था साथ में सोया हुआ शख्स उसका पूरा शरीर जैसे सुन्न हो गया। उसकी साँसों की रफ़्तार बढ़ गई। मैं... मैं यहाँ कैसे?"


    उसकी नज़र सामने सोए आदमी पर गई। वह उल्टे लेटा हुआ था, चौड़े कंधे, परफेक्ट बॉडी, और हल्के बिखरे हुए बाल। उसकी पीठ खुली हुई थी उसका चेहरा एक तरफ थी जिससे वह उस आदमी का चेहरा नहीं देख पाई लेकिन उसकी बॉडी देख वह समझ गई कि आदमी था तो बड़ा कमाल का उसने शुक्र मनाया कि आदमी काफी ज्यादा उम्र का नहीं लग रहा था यही कुछ 26, 27 का लग रहा थायह सोचकर उसे थोड़ी राहत मिली मगर अगले ही पल उसकी आँखों में आँसू आ गए उसकी आँखें लाल हो गईंवह मन ही मन उसकी सौतेली बहन को कोसने लगी उसकी वजह से हुआ था यह सब।"


    मेरा फर्स्ट टाइम... किसी अजनबी के साथ?" नहीं यह एक बुरा सपना होगा। हाँ सिर्फ एक बुरा सपना उसने धीरे से खुद को चादर में लपेटा और धीरे-धीरे उठने लगी उसका हर अंग भारी था, खास कर उसके पेट के निचले हिस्से पर लेकिन उसे यहाँ से जाना था इस आदमी के उठने से पहले जैसे-तैसे वह बिस्तर से उतरी और कपड़े ढूँढने लगी बिखरे हुए कपड़े देखकर उसकी आँखें फिर नम हो गईं।



    क्या मैंने खुद से ऐसा होने दिया उसने मन ही मन सोचा उसने जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहने अपने गीले बालों को समेटा और दुपट्टा अपने चेहरे पर लपेट लिया।



    वह कमरे से बाहर निकली ही थी कि तभी कदमों की आवाज़ सुनाई दी उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं कौन है?" उसने उस कर देखा जहां एक आदमी उसी तरफ बढ़ रहा था वह जल्दी से वहां से आगे बढ़ने लगीं तभी उस आदमी की भी नजर उस पर पड़ी और वह रुक गया और बोला तुम कौन हो?" वह हैरानी से बोला।



    वह डर के मारे घबरा गई और तुरंत उसके बाजू से निकलने लगी। लड़के की भौहें तन गईं उसने पीछे मुड़कर देखा और फिर उसके दिमाग में कुछ हिट हुआ और थोड़ा जोर से बोला रुको मगर वह लड़की तब तक भाग चुकी थी।



    वहीं कमरे में......


    कमरे में सोए हुए शख्श की आंखे अब धीरे धीरे खुलने लगी थी लेकिन उसका सिर अब भी भारी लग रहा था उसे लेकिन जैसे ही उसने आसपास देखा उसके चेहरे के हाव भाव बदलने लगे कमरे की हालत देखकर उसके माथे पर लकीरें खिंच गईं यह सब क्या है?"



    पूरा कमरा तहस नहस था किसी को भी समझने में देरी नहीं लगती कि यहां क्या हुआ था वहां उसके कपड़े बिखरे हुए थे। कमरे में हल्की मदहोश कर देने वाली खुशबू थी और सबसे बड़ी बात वह यहाँ अकेला था।



    यह सब कैसे हुआ उसे सिर्फ इतना याद था कि मीटिंग पूरी होने के बाद जब वह रूम में आया था तब उसने वहां रखे पानी पिया था और तब से ही उसे अजीब सा फिल हो रहा था उसका शरीर गर्म हो रहा था उसे किसी की जरूरत थी। उसका गुस्सा धीरे-धीरे बढ़ने लगा।


    तभी दरवाजे पर किसी ने नॉक किया। सर यह था रजत उसका सेक्रेटरी ।


    वह उठा और अपनी पैंट पहन कर दरवाजे की और बढ़ गया उसके दरवाजा खोलते ही रजत ने जब कमरे की हालत देखी तो उसका मुँह खुला रह गया यह... उससे पहले कि वह कुछ कहता उसने किसी की गुस्से से भरी निगाहों की तपिश महसूस होने लगी।



    आदमी _ कमरे को घूरने आए हो?"


    रजत हड़बड़ा गया और बोला _नहीं सर बस... काफी वक्त हो गया था इसलिए देखने आया था और ऑफिस लेकिन यहाँ तो रजत को लगा उसकी बात अधूरी ही रह जाएगी क्योंकि उसके बॉस की आँखें पहले ही खतरनाक तरीके से लाल हो चुकी थीं।


    वह आदमी जोर से चिल्लाया _GET OUT !"


    रजत एक झटके में बाहर भाग गया मगर उसके मन में सवाल ही सवाल थे आखिर कौन थी वह लड़की जो अपना मुंह ढके भाग गई थीं उसे देख लेकिन वह पूछ भी तो नहीं सकता था वरना उसके बॉस उसे छोड़ते नहीं वह जल्दी से वहां से चला गया।



    आदमी ने धीरे से अपनी आँखें बंद कीं अपने सिर को झटका और वॉशरूम की तरफ बढ़ गया मुझे सब याद क्यों नहीं आ रहा हा लेकिन उसे लड़की का चेहरा जरूर याद था जिसे वह भुला नहीं था उसे काफी गुस्सा आ रहा था उसकी हिम्मत कैसे हुई यह सब करने की और उसके उठने से पहली ही भाग गई थीं।



    पानी की ठंडी धार उसके सिर पर गिरी मगर उसका दिमाग अब भी सवालों से भरा हुआ था वह लड़की कौन थी और सब से बड़ी बात उसे कुछ हुआ नहीं था ऐसा कैसे हो सकता है?



    Did I really give my first touch to a stranger और गुस्से से दीवार पर एक मुक्का दे मारा उसने।"





    ............................................
    do comments and follow me
    thank you
    please meri novel ko read kar comment jarur kare kaisi lag rahi hai novel or follow karna na bhule.....
    nayi hu isiliye support kare please sabhi it's a request.....
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    follow kar lena please please please please please please please please please please please please please

  • 3. आरव्यन राजवंश - Chapter 3

    Words: 1001

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे........


    एक नाम जो सिर्फ कानाफूसी में लिया जाता है...


    दुनिया में ताकत के कई रूप होते हैं कोई अपनी दौलत से राज करता है कोई अपनी ताकत से तो कोई अपने खौफ से मगर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो इन तीनों चीजों का मेल होते हैं खौफ,
    ताकत और रहस्य और उनमें सबसे बड़ा नाम वही था जिसकी सिर्फ मौजूदगी ही काफी थी किसी भी इंसान के घुटनों में कमजोरी भरने के लिए।



    आरव्यन राजवंश 27 साल का वह शख्स जिसे दुनिया का सबसे यंगेस्ट बिजनेस टायकून कहा जाता था। कोई नहीं जानता था कि वह कैसा दिखता है क्योंकि उसे आजतक देखा नहीं था ना ही उसकी कोई तस्वीर सोशल मीडिया पर थी न ही इंटरव्यूज़ में उसके चेहरे की झलक मिलती थी उसने खुद को दुनिया से छिपा रखा था फिर भी दुनिया उसके इशारों पर चलती थी।



    बिजनेस वर्ल्ड के हर कोने में उसका नाम था वह शुद्ध बर्फ की तरह ठंडा, समुद्र की गहराइयों की तरह रहस्यमय और आग की तरह खतरनाक था। उसकी आवाज़ इतनी सख्त थी कि लोग बिना सवाल किए उसके हर हुक्म का पालन करते थे। उसकी मौजूदगी ही इतनी भारी थी कि बड़े-बड़े कॉर्पोरेट दिग्गज उसके सामने बोलने से पहले दो बार सोचते थे।



    राजवंश परिवार जो बेहद अमीर और पावरफुल था दुनिया भर में नाम था उसका वहीं हर कोई उनके बारे में जानता था उनके परिवार के बारे में सिवाय एक इंसान को छोड़ वह था उनका दूसरा बड़ा बेटा जिसका नाम था आरव्यन राजवंश उसके किस्से तो कई सुने थे लेकिन आजतक कोई देख नहीं पाया था उसका चेहरा भले ही दुनिया से छिपा हो मगर उसके बारे में अफवाहें हर जगह थीं वह बेहद हैंडसम है उसकी पर्सनालिटी ऐसी है कि कोई भी उसे देखे तो बस देखता ही रह जाए मगर अफवाहें अफवाहें ही थीं।



    उसके पास दौलत की कोई कमी नहीं थी वह इतना अमीर था कि चाहता तो पूरी दुनिया खरीद सकता था उसका बिजनेस सिर्फ एक देश में नहीं बल्कि कई देशों में फैला था। हजारों कंपनियों का मालिक एक ऐसा टाइकून जिसके पास सत्ता और पैसा दोनों थे किसी भी कंपनी का अस्तित्व खत्म हो सकता था।



    मगर सबसे अजीब बात यह थी कि उसने कभी किसी लड़की को छुआ नहीं उसे एक बीमारी थी जिसका पता किसी को भी नहीं था सिर्फ उसके परिवार को छोड़ जो उसके पिता को भी जिसने उसे 18 साल की उम्र में जकड़ लिया था इस बीमारी के कारण वह किसी भी लड़की के स्पर्श से बचता था क्योंकि उसे रेशेस होते थे इस बीमारी का इलाज ढूंढने की कोशिश की जा रही थी लेकिन अब तक कोई इलाज नहीं मिल पाया था ।




    अब जानते हैं इनकी फैमिली के बारे में परिवार की जड़ें गहरी थीं अश्विन राजवंश 75 साल के इस परिवार के हेड थे कड़क मिजाज, अनुशासनप्रिय, और बेहद सख्त उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी बिजनेस को इस ऊँचाई तक पहुँचाने में लगा दी थी। पर उनके लिए अब भी एक चीज अधूरी थी आरव्यन की शादी क्योंकि सब से ज्यादा प्यार वह उससे ही करते थे उनका छोटा पोता तो अभी मानता नहीं घर पर कम ही आता था वहीं बड़ा पोता अपनी पॉलिटिकल दुनिया में था इस फ्यूचर में इस सब का वारिश वहीं होने वाला था परिवार का हेड उन्होंने अब तक अपनी कंपनी आरव्यन के नाम नहीं कि थीं उनकी इच्छा थी अपने परपोतों को देखने की और इसीलिए जब तक वह शादी नहीं करता तब तक वे उसे असली वारिस नहीं मान सकते थे।




    उसके पिता प्रकाश राजवंश 48 और मा रिधिमा राजवंश जिनकी शांति और सख्ती का मेल अनोखा था वह परिवार की रीढ़ थीं मगर उन्होंने कभी अपने बेटे के जीवन में हस्तक्षेप नहीं किया उससे प्यार करते थे पर उसका अलग-थलग स्वभाव उन्हें भी तकलीफ देता था वे चाहते थे कि वह परिवार के करीब आए लेकिन आरव्यन को यह मंजूर नहीं था वह हर किसी से दूर अपनी ही दुनिया में जीता था।



    उसका बड़ा भाई रणवीर राजवंश 30 देश का प्रेसिडेंट था सख्त दमदार और एक आदर्श नेता वह अपने देश को संभालने में व्यस्त था लेकिन आरव्यन से उसका गहरा रिश्ता था हालाँकि दोनों शायद ही कभी आमने-सामने बैठकर बात करते दोनों कोही वक्त की कमी रहती थी।



    छोटा भाई ashvat राजवंश 25 जो एक फेमस एक्टर था उसकी जिंदगी ग्लैमर और चकाचौंध से भरी थी वह भी अपने अलग बंगले में रहता था तीनों भाइयों की दुनिया अलग-अलग थी।



    इन सबसे अलग एक गोद ली हुई बहन भी अहाना उम्र 23 साल जो फिलहाल लंदन में अपने बिजनेस को सँभाल रही थी और अपनी मंगेतर के साथ वहीं रह रही थी वह इस परिवार की सबसे कोमल कड़ी थी जो सबसे जुड़ी थी ।"



    इस विशाल परिवार के बावजूद, आरव्यन अकेला था। वह किसी के करीब नहीं जाता था और किसी को अपने करीब आने नहीं देता था। उसकी जिंदगी एक रहस्य थी और उसकी दुनिया में सिर्फ वही लोग दाखिल हो सकते थे जिन्हें उसने खुद इजाजत दी हो उसकी ताकत, उसका पैसा, उसका रुतबा सब बेमिसाल थे। लेकिन उसकी सबसे बड़ी कमजोरी थी वह किसी लड़की को छू नहीं सकता था और यही उसकी सबसे बड़ी कड़वी सच्चाई थी जिसने उसे बाकी दुनिया से अलग कर दिया थाकोई उसे हरा नहीं सकता था, कोई उसे झुका नहीं सकता था मगर कहते हैं न कि हर कहानी में एक मोड़ आता है। एक ऐसा मोड़ जो सबसे अजेय इंसान को भी हिला कर रख देता है।














    . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . Do comments and follow me
    Thank you . . . . . .

  • 4. "बेशर्म लड़की शर्म थी भी या नहीं"- Chapter 4

    Words: 1362

    Estimated Reading Time: 9 min

    अब आगे.......




    सुबह के दस बज चुके थे सूरज अपनी पूरी तपिश के साथ आसमान पर चमक रहा था लेकिन एक लड़की की जिंदगी में अंधेरा ही अंधेरा था। उसकी चाल लड़खड़ा रही थी, उसकी आँखें सुजी हुई थी और होंठ सूखे हुए थे कपड़े अस्त-व्यस्त और शरीर दर्द से टूट रहा था उसका।


    वह होटल के बाहर आते ही एक पल को रुकी। तेज़ धूप उसकी आँखों को चुभ रही थी लेकिन इससे ज़्यादा जलन उसे अपने अंदर महसूस हो रही थी। उसे अपने पैर भी सुन्न लग रहे थे पर वह वहाँ और नहीं ठहर सकती थी। वह धीरे-धीरे सड़क पर आ गई आसपास के लोग उसे अजीब निगाहों से देख रहे थे।


    "दिशा... यह सब तेरा ही किया धरा है!" उसकी कांपती आवाज़ में दर्द था।


    उसने अपने गाल पर हाथ फेरा जहाँ रात के ज़ुल्मों की छाप अभी भी महसूस हो रही थी। अंदरूनी दर्द उससे सहा नहीं जा रहा था। पर वह रोई नहीं उसकी आँखों में आँसू थे मगर वह गिरने से पहले ही सूख जाते थे। वह किसी तरह अपने कदम बढ़ाते हुए एक टैक्सी के पास पहुँची और लड़खड़ाती आवाज़ में बोली

    सिंह हाउस चलो..."


    सिंह हाउस जहाँ उसे कोई अपनाने वाला नहीं था शहर के सबसे अमीर और रसूखदार परिवारों में से एक का घर जहाँ उसकी परछाई तक से लोगों को नफरत थी।


    वहीं अंदर का माहौल गर्म था संजय सिंह हॉल में गुस्से में इधर-उधर घूम रहे थे उनकी पत्नी दर्शना जो हमेशा अपनी सगी बेटियों को इनाया से ऊपर मानती थीं गुस्से में आग बबूला हो रही थीं।


    देखा मैंने कहा था ना कि यह लड़की एक दिन अपनी सच्चाई दिखा ही देगी दर्शन की आवाज़ में गुस्सा और तिरस्कार भरा था।


    वहीं सामने सोफे पर बैठी दिशा जो रोने का नाटक कर रही थी वहीं भव्या उसे संभाल रही थीं।


    दिशा रोते हुए बोली डैड मैंने तो सिर्फ उसे पार्टी के लिए बुलाया था सोचा थोड़ा इंजॉय कर लेगी। आखिर... सगी ना सही है तो हमारी बहन ही ना लेकिन उसने उल्टा मेरी ही बेइज्जती कर दी। जब मैंने उसे उस लड़के से बचाने की कोशिश की तो वह मुझे ही बुरा-भला कहकर वहाँ से चली गई उस लड़के के साथ।


    दिशा के झूठे आँसू गिर रहे थे लेकिन उसके चेहरे पर एक अजीब सा सेटिस्फेक्शन था।

    और यह सुनकर संजय का गुस्सा और बढ़ गया वो गुस्से से बोले आज इस लड़की की खैर नहीं....!"

    दर्शना ने तुरंत उनका साथ दिया आप सही कह रहे हैं मेरी बच्ची के इरादे गलत नहीं थे फिर भी इसने उसकी बेइज्जती कर दी बल्कि यह दोनों उसकी इतनी परवाह करते हैं।


    उसी वक्त बाहर एक गाड़ी के रुकने की आवाज़ आई कुछ पलों बाद हॉल का दरवाजा खुला और एक लड़की अंदर आई।


    वहीं उस लड़की की हालत देखकर सब दंग रह गए। उसके कपड़े अस्त-व्यस्त थे, आंखें सूजी हुई , और गले पर लाल निशान थे जो , जो साफ बता रही थीं कि उसके साथ क्या हुआ था किन हालातों से गुजरी थी।


    लेकिन उसे देखकर किसी की आँखों में दया नहीं थी संजय गुस्से में आग-बबूला हो गए। वह बिना कुछ सोचे-समझे उसके पास गए और एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया।

    बेशर्म लड़की शर्म थीं भी या नहीं तुम्हें जो अपना मुंह उठाकर वापस यहां चली आई ।

    थप्पड़ इतना ज़ोरदार था कि उसका का सिर एक तरफ झुक गया। उसकी आँखें नम हो गईं, लेकिन उसने अब भी खुद को संभाले रखा।


    तीनों मां बेटी के चेहरे पर खुशी थी।

    देख लिया डैड इस लड़की की सच्चाई?" भव्या ने एक और चाल चली और एक फोटो सामने रख दी।


    फोटो में एक लड़का लड़की को पकड़कर खड़ा था जो काफी नजदीक लग रहे थे यही है वह लड़का जिसके साथ यह रातभर होटल में थी। अब आप ही बताइए इसमें गलती दिशा की थी या इसकी?"


    दर्शना ने झट से कहा आपने इसे अपनी बेटी मानकर बड़ा किया इतना सब कुछ दिया फिर भी इस हद तक गिर गई!"


    इनाया का दिल चाहा कि चिल्ला-चिल्लाकर कहे मैंने कुछ नहीं किया यह जाल था मुझे फँसाया गया पर उसकी आवाज़ जैसे कहीं गुम हो गई थी।


    इसका यही अंजाम होना था इतनी खूबसूरत लड़की... आखिर एक दिन ऐसा कुछ करेगी ही पता नहीं इसकी मां भी इसी की तरह बदचलन रह चुकी होगी तभी तो इसे छोड़ दिया होगा ना जाने किस की नाजायज औलाद होगी जिसे पापा घर उठा लाए
    दर्शना के शब्द बहुत जहरीले थे।


    इनाया के होंठ कांपे तो क्या मेरी गलती सिर्फ यह है कि मैं खूबसूरत हूँ?" लेकिन उसे बहुत बुरा लगा था जो उसकी मां के बारे में कहा गया था ।

    उसे आज फिर वही एहसास हुआ इस घर में उसे कभी अपनाया ही नहीं गया था जिसकी अब उसे आदत हो गई थी संजय का गुस्सा सातवें आसमान पर था। भव्या और दर्शना उसे नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ रही थीं।

    दिशा जो सब कुछ देख रही थीं वह उसके करीब आई आँखों में नकली सिंपैथी लिए।

    उसका हाथ पकड़ कर इनाया... मैंने तुम्हें पहले ही समझाया था लेकिन तुमने मेरी एक न सुनी दिशा ने धीमे लेकिन बेहद ज़हरीले लहज़े में कहा।


    इनाया ने गुस्से से उसकी ओर देखा उसके चेहरे पर एक अजीब-सी मुस्कान थी एक विजयी मुस्कान।


    मुझे तुम्हारी हमदर्दी की जरूरत नहीं इनाया ठंडे स्वर में कहा तुमने यह सब पहले से ही प्लान कर रखा था है ना?"


    दिशा का चेहरा एक पल को सख्त हुआ लेकिन फिर वह हंस पड़ी स्मार्ट गर्ल लेकिन अब यह जानकर तुम्हें कोई फायदा नहीं मिलेगा।"


    इनाया ने झटके से अपना हाथ छुड़ा लिया तुम्हारी हरकतें कितनी भी चालाकी से क्यों न की गई हों लेकिन मैं इतनी भी बेवकूफ नहीं कि तुम्हारी असलियत न समझ सकूँ। पर अफसोस इस घर में कोई मेरी बात सुनने वाला नहीं है।"

    जब अपनों ने ही ठुकरा दिया ।

    बहुत हुआ यह नाटक संजय ने गुस्से भरी आवाज में कहा वह तेज़ी से इनाया की ओर बढ़े और उसके सामने खड़े हो गए। उनकी आँखों में वह सख्ती थी जो हर बार केवल इनाया के लिए ही निकलती थी।

    मैंने पापा को बहुत समझाया था लेकिन वह नहीं माने और देखो लड़की के रंग दिखने लगे पाला-पोसा और हमारी इज्जत ही उछालने चली थी ।"

    इनाया की आँखों में आँसू आ गए लेकिन उसने उन्हें गिरने नहीं दिया। उसने अपने होंठों को हल्का-सा दबाया और एक कड़वी हंसी हंस दी।

    क्या कहा आपने?" उसकी आवाज़ हल्की थी लेकिन उसमें ऐसा दर्द था जो सीधे दिल को भेद जाता । आपने मुझे पाला-पोसा? अपना नाम तक तो नहीं दिया ।

    संजय का चेहरा एक पल को काला हो गया।

    तो बताइए मैंने आपसे मांगा क्या था?" इनाया ने सीधा सवाल किया। प्यार? अपनापन? नहीं मुझे सिर्फ रहने की एक जगह चाहिए थी जिसे आप लोगों ने कभी मेरा होने ही नहीं दिया आप लोगों ने सिर्फ मतलब के लिए ही रखा था यहां !"

    दर्शना जो अब तक चुपचाप खड़ी थी गुस्से में बोली बस बहुत हुआ तेरी शक्ल तक हमें नहीं देखनी अब। निकल जा यहाँ से ।

    इनाया बस उन्हें देखती रही इन्हें कुछ भी कहने का मतलब नहीं था वह चाहकर भी एक शब्द नहीं कह पाई।

    अब इस घर में तेरी कोई जगह नहीं!" दर्शना ने जलन और नफरत सेकहा और एक बैग लाकर उसके सामने पटक दिया।भव्या ने उसे घूरते हुए एक झटके में उसका बैग उठा लिया और इनाया के पैरों के पास फेंक दिया।

    दर्शना ने घृणा से बैग को अपने पैरों से ठोकर मारी। निकल अब कभी अपनी शक्ल मत दिखाना ।


    इनाया ने खुद को कमजोर नहीं पड़ने दिया अब ना ही उसे अब उनलोगों की बातों से फर्क पड़ रहा था उसने अपना बैग उठाया और एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।


    लेकिन जैसे ही वह घर से बाहर निकली उसकी आँखों से बहे आँसू उसकी बेबसी की गवाही देने लगे लेकिन फिर भी उसने अपने आंसू पौंछ कर कहा नहीं इनाया तुम इतनी कमजोर नहीं हो तुम भी खुशी डिजर्व करती हो और बहुत जल्द तुम इस लायक बन जाओगी कि इन लोगों की शक्ल तक ना देखनी पड़े।










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  • 5. इनाया - Chapter 5

    Words: 1000

    Estimated Reading Time: 6 min

    अब आगे........



    अब थोड़ा सा हमारी नायिका के बारे में भी जान ले.....


    इनाया —एक बेमिसाल खूबसूरती का नाम

    इनाया सिंह, सिर्फ 20 साल की उम्र में ही एक ऐसी खूबसूरती की मिसाल थी जिसे शब्दों में बयाँ कर पाना मुश्किल था। वह सच में किसी अप्सरा की तरह लगती थी, जैसे भगवान ने उसे खुद अपने हाथों से गढ़ा हो। उसकी गोरी रंगत इतनी निखरी हुई थी कि दूध भी उसके सामने फीका लगे। उसकी त्वचा इतनी कोमल और मुलायम थी कि लगता था जैसे हल्की-सी छुअन से ही उस पर निशान पड़ जाएगा।

    उसकी बड़ी-बड़ी हिरणी जैसी आँखें जिनमें एक अजीब-सा जादू था। जो भी एक बार उसकी आँखों में देखता, वहीं ठहर जाता। गुलाबी होंठों की कोमलता और उनकी नैचुरल चमक किसी को भी मदहोश करने के लिए काफी थी।


    उसके लंबे, रेशमी काले बाल जब हवा में लहराते, तो हर कोई बस उसे ही देखता रह जाता। उसकी पतली कमर, नाज़ुक कंधे और लंबी गर्दन उसकी सुंदरता में चार चाँद लगाते थे। हर हाव-भाव, हर चलने-फिरने का अंदाज़ इतना आकर्षक था कि लोग अनायास ही उसे देखते रह जाते।

    वह इतनी दिलकश थी कि कई बार लोग उसे देखकर अपनी नज़रों को झुका लेते थे, क्योंकि इतनी बेइंतिहा खूबसूरती को देखने की हिम्मत हर किसी में नहीं होती।


    लेकिन यह खूबसूरती उसके लिए एक अभिशाप भी थी। लोग उसकी तारीफें तो करते, लेकिन उसके दर्द को कोई नहीं समझता था। उसकी दोनों बहने और दर्शना ,जो उससे ईर्ष्या रखती थी, हमेशा उसके लिए मुश्किलें खड़ी करती रहती।


    दिशा को इनाया की मासूमियत, उसकी सहज सुंदरता और लोगों का उसकी ओर आकर्षित होना बिल्कुल पसंद नहीं था। वह चाहती थी कि इनाया को कभी भी सफलता न मिले, और इसी वजह से वह उसकी हर राह में काँटे बिछाने से पीछे नहीं हटती थी।


    इनाया का सपना था एक सफल एक्ट्रेस बनना, लेकिन उसकी राह आसान नहीं थी। उसके लिए हर दिन एक नई जंग थी, और सबसे बड़ी जंग तो उसे अपने ही परिवार से लड़नी पड़ रही थी।
    लेकिन अब उसके फैसला ले कर लिया था इस जालिम दुनिया में कोई किसी का नहीं होता उसके अच्छे होने का ना जाने कितनो ने फायदा उठाया था।



    अब दोपहर हो चुकी थी। चिलचिलाती धूप में इनाया सड़क पर अकेली खड़ी थी। उसके चेहरे पर दर्द और बेबसी की परछाई साफ झलक रही थी लेकिन उसकी आँखों में अब भी एक अदृश्य चमक थी एक ऐसी रोशनी, जो उसे हारने नहीं दे रही थी।


    उसका बैग हाथ में था जिसमें सिर्फ कपड़े थे और जरूरी सामान था जेब में पड़े थोड़े-से पैसे उसके लिए बस एक अस्थायी सहारा थे।


    "अब कहाँ जाऊँ?" उसने खुद से ही कहा।

    हर रास्ता उसे अजनबी लग रहा था। हर दिशा में सिर्फ अंधेरा सा ही दिख रहा था।

    उसे अपने दादा जी याद आए, जिनकी बदौलत वह इस घर में रह पाई थी। लेकिन उनके जाने के बाद तो जैसे सब कुछ बदल ही गया था। उनकी गैरमौजूदगी ने उसे अकेला बना दिया था।


    और अब, वह पूरी तरह से अनाथ हो चुकी थी।

    वह जानती थी कि उसे मजबूत बनना होगा। उसे हार नहीं माननी थी तभी उसे कुछ याद आता है और अपने पर्स में एक छोटा सा बॉक्स था जो उसके दादा जी ने उसे दिया था और कहा था बेटा इनाया इसे जरूरत पड़ने पर ही खोलना। वह बॉक्स को निकाल ती है और खोलकर देखती हैं जिसमें चाबी थीं और उसके नीचे एक लेटर भी रखा था जिसे खोल कर वह देखती हैं......


    आज वही ज़रूरत आ चुकी थी।छोटा-सा लकड़ी का, बेहद सुंदर बॉक्स था उसने धीरे से उसे खोला...अंदर एक चाबी रखी थी। चाबी के ठीक नीचे एक लेटर तह करके रखा था।उसने काँपते हाथों से लेटर खोला और पढ़ना शुरू किया

    मेरी प्यारी इनाया

    जब तुम यह खत पढ़ रही होगी तब शायद मैं इस दुनिया में नहीं रहूँगा। लेकिन मैं जानता हूँ कि मेरी इनाया कमजोर नहीं है।


    बेटा मुझे हमेशा से यह डर था कि मेरे जाने के बाद तुम्हें इस घर में अपनी जगह बनाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ेगा। मैंने सोचा था कि दर्शना तुम्हें एक दिन अपनी बेटी की तरह अपनाएगी लेकिन अगर तुम यह खत पढ़ रही हो तो मुझे यकीन हो जाएगा कि मेरा वह विश्वास टूट चुका है।


    बेटा तुम्हारा कोई कसूर नहीं है। अगर कोई कसूरवार है तो वह मैं हूँ। मैंने ही तुम्हें इस घर में लाकर रखा यह सोचकर कि तुम्हें भी वही प्यार मिलेगा जो एक बेटी को मिलना चाहिए। लेकिन शायद मैं गलत था शायद अगर मैं तुम्हें यहाँ न लाता तो तुम्हारी ज़िंदगी आज कहीं बेहतर होती।

    मुझे माफ कर देना इनाया।


    पर बेटा, याद रखना तुम इस दुनिया में अकेली नहीं हो। तुम कमजोर नहीं हो। और सबसे ज़रूरी बात तुम्हारी ज़िंदगी तुम्हारी अपनी है। तुम मेरी बहादुर बच्ची हो, इनाया डरो मत , झुको मत, हार मत मानो हमेशा तुम्हारे साथ है तुम्हारे दादाजी।


    इनाया ने लेटर पढ़ते ही उसे अपने सीने से लगा लिया।

    उसकी आँखों से लगातार आँसू गिर रहे थे।


    इतने सालों तक उसने खुद को इस घर में बर्दाश्त किया, यह सोचकर कि शायद एक दिन सब ठीक हो जाएगा। लेकिन दादा जी को पहले ही पता था लग गया था कि ऐसा कभी नहीं होगा उनकी उम्मीद भी खत्म हो चुकी थी शायद।


    उन्होंने पहले ही उसके लिए एक नया घर दिया था । ताकि कभी उसे दर दर भटकना ने पड़े।


    उसने अपनी आँखें पोंछी और खुद को संभाला। कही दूसरी जगह उसने तेजी से सड़क किनारे खड़ी एक टैक्सी रोकी।


    संजीवनी अपार्टमेंट, फ्लैट नंबर 307," उसने ड्राइवर से कहा टैक्सी शहर के दूसरी ओर बढ़ने लगी।



    . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
    क्या दादाजी ने उसके लिए कुछ और प्लान किया था? उसी समय, आरव्यन को क्या नया फैसला लेना पड़ेगा? यह भाग आपको कैसा लगा? जरूर बताइए मिलते है नेक्स्ट पार्ट में
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  • 6. दादा जी का आरव्यन को शादी के लिए कहना- Chapter 6

    Words: 1422

    Estimated Reading Time: 9 min

    अब आगे........


    वहीं राजवंश पैलेस के बड़े से गेट के सामने छह से सात लक्जरी गाड़ियाँ आकर रुकती हैं गेट पर खड़े बॉडीगार्ड तुरंत अलर्ट हो जाते हैं। दरवाजा खुलते ही एक लंबा गठीला, बेहद हैंडसम और रोबीला शख्स बाहर निकलता है।


    उसके तीखे नैन-नक्श, बर्फ जैसी ठंडी आँखें और उसकी चाल में एक राजसी ठाठ था उसका और ही ऐसा था जिससे पूरा पैलेस जैसे सिहर गया था।



    सर्वेंट्स और गार्ड्स ने झुककर उसे ग्रीट किया लेकिन उसने सभी को नज़रअंदाज़ करते हुए सीधे हॉल की ओर कदम बढ़ाए।



    हॉल में प्रकाश जी और रिद्धिमा जी पहले से ही मौजूद हु थे।

    प्रकाश जी वही पुरानी सख्ती चेहरे पर कोई भाव नहीं लिए वहीं रिद्धिमा जी हल्की टेंशन के बावजूद बेटे को देखकर उनकी आँखों में ममता चमक उठी।


    जैसे ही आरव्यन अंदर आया उसकी माँ रिद्धिमा जी तेजी से उसकी ओर बढ़ीं आरव्यन तुम्हें हमारी याद भी नहीं आती? इतना बुलाने पर भी नहीं आते?"


    आरव्यन अपनी भारी मर्दाना आवाज़ में _मां आपको पता है ना कि मुझे अकेले रहना पसंद है। और बिज़नेस के चलते मुझे वक्त नहीं मिलता।"


    रिद्धिमा जी को उसकी बेरुखी चुभी लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा। वहीं उसके प्रकाश जी जो हमेशा अपने बेटे को लेकर गर्व महसूस करते थे लेकिन उनके बेटे का स्वभाव से उन्हें पता था इसीलिए उन्होंने ने भी कुछ नहीं कहा।


    आरव्यन की निगाहें पूरे हॉल में घूमीं और फिर उसने कड़क आवाज़ में पूछा दादाजी कहाँ हैं?"


    प्रकाश जी ने उसे अपने साथ आने का इशारा किया और दोनों अश्विन जी के कमरे की ओर बढ़ गए। अश्विन जी की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी इसलिए उन्होंने अपना कमरा बदल लिया था।
    उनकी आँखों में हल्की नमी आई लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा।




    अश्विन जी एक समय के सबसे ताकतवर व्यक्ति जिन्होंने अपनी जिंदगी में कई लड़ाइयाँ लड़ी थीं और अपने बिजनेस को इस मुकाम तक पहुंचाया था जिसे आरव्यन ने आज दुनिया के हर हिस्से में फैला दिया था इंडिया की नहीं बल्कि एशिया की नंबर वन कंपनी लेकिन अब उम्र के साथ उनकी तबीयत भी कमजोर हो रही थी इसीलिए उन्होंने अपना कमरा हॉल के नज़दीक वाले हिस्से में शिफ्ट कर लिया था।


    जैसे ही आरव्यन कमरे में दाखिल हुआ अश्विन जी ने उसे घूरकर देखा।


    दादा जी _तुम्हें पता है कि तुम्हें क्यों बुलाया?"


    आरव्यन ने कंधे उचकाते हुए कहा _अगर आप मुझे ब्लैकमेल करने वाले हैं तो पहले ही बता दें ताकि मैं अपने जवाब पर कोई बदलाव न करूँ।"


    तुम्हें अंदाज़ा भी नहीं है कि तुमने क्या किया है लड़के अश्विन जी की आवाज़ में वही पुरानी गूंज थी।


    आरव्यन_क्या किया है मैंने?"


    दादा जी _कल रात जो तुमने किया है उसके बारे में हमें सब पता है।"


    आरव्यन का जबड़ा कस गया। उसे समझ नहीं आया कि उसके दादा जी को यह कैसे पता वह उन्हें घूर कर बोला आप मुझपर नजर रखवा रहे हैं वैसे भी वह सिर्फ एक हादसा था।"


    दादा जी _ में कुछ नहीं जानता तुम्हे क्या लगा मुझे अपने तीनों पोतों की खबर नहीं रहती कौन क्या कर रहा है और वह इत्तेफाक नहीं था तुम इस लड़की से शादी करोगे।"


    आरव्यन गुस्से से _मैं किसी से शादी नहीं कर सकता आप जानते हैं मेरी बीमारी... मैं किसी लड़की को छू भी नहीं सकता।"


    लेकिन अब इलाज खुद तुम्हारे पास चलकर आया है दादाजी की आवाज़ में एक अलग ही विश्वास था।


    आरव्यन ने गहरी साँस ली लेकिन उसकी आँखें और भी ठंडी हो गईं आप चाहते हैं कि मैं एक हादसे की वजह से शादी कर लूँ? और वो भी उस लड़की से जिसे मैं जानता तक नहीं?"


    अश्विन जी ने गहरी सांस ली और बोले तुम्हारी बीमारी का इलाज हमारे पास नहीं था कबसे इसकी रिसर्च हो रही है लेकिन अब इलाज खुद तुम्हारे पास चलकर आ गया है। तुम इस मौके को हाथ से जाने नहीं दे सकते तुम्हें इस लड़की से शादी करनी होगी ठीक है अगर तुमने शादी नहीं की तो तुम्हें इस परिवार से अलग कर दिया जाएगा।"



    आरव्यन ने अपनी उँगलियाँ कड़काई और गुस्से से पास रखे महंगे वास को उठाकर दीवार पर दे मारा। काँच के टुकड़े पूरे फर्श पर बिखर गए लेकिन अश्विन जी अपनी जगह से हिले तक नहीं।


    तुम अपनी शर्तों पर ज़िद कर सकते हो लेकिन मेरे फैसले को नहीं बदल सकते अश्विन जी ने शांत लेकिन सख्त स्वर में कहा।


    आरव्यन ने गहरी साँस ली ठीक है मैं इस लड़की से शादी के लिए तैयार हूँ... लेकिन एक बात याद रखिए दादाजी... मैं अपनी तरीके से जीता हूं कोई मुझे मजबूर नहीं कर सकता और अगर मैं शादी न भी करूँ तब भी सब कुछ मेरा ही होने वाला है। यह मत समझना कि आपने मुझे हरा दिया।


    अश्विन जी के चेहरे पर हल्की मुस्कान आई लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।


    प्रकाश जी जो अब तक चुप थे वह बोले अब वक्त आ गया है कि तुम अपने अतीत को पीछे छोड़ो मैं जानता हूँ कि तुम्हारी बीमारी ने तुम्हें तोड़ दिया लेकिन शायद यही लड़की तुम्हारा इलाज हो जैसे तुम्हारी मां मेरे लिए है।



    आरव्यन के कमरे से बाहर निकलते ही रिद्धिमा जी उसकी ओर बढ़ी रिद्धिमा जी कुछ कहना चाहती थीं लेकिन आरव्यन ने हाथ दिखाते हुए कहा मा मैं अभी कुछ सुनना नहीं चाहता।"


    इतना कहकर वह गुस्से में बाहर चला गया और सीधा गाड़ी में बैठ
    कंपनी की ओर चलने को कहता है।


    सभी गाड़ीया स्पीड में राजवंश पैलेस से बाहर निकल गई।



    वहीं दूसरी और......




    अपार्टमेंट में कदम रखते ही इनाया ने गहरी सांस ली और अपने चारों ओर देखा हद है कम से कम मुझे धक्के मारने से पहले एक लग्जरी फ्लैट तो दे देते आखिर उनकी इज्जत मैं ही उछाल रही थी ना?" उसने खुद से बड़बड़ाते हुए कहा।


    अपने बैग को ज़ोर से जमीन पर पटका और किचन में जाकर गैस ऑन कर दिया लेकिन जैसे ही उसने पतीला उठाने की कोशिश की वह जल गया।


    उफ्फ वाह इनाया आज किस्मत भी तेरे साथ साजिश कर रही है! चल अब यही कमी थी वह झल्ला गई और अपनी उंगली पर फूंकने लगी।


    फिर उसे अचानक दर्शना की बातें याद आ गईं। उसकी आँखें लाल हो गईं और वह सीधे अपने बैग के पास जाकर बैठ गई।


    वाह मिसेज दर्शना तुम तो ऐसी एक्टिंग कर रही थी जैसे मैं सच में तुम्हारी बेटी बनना चाहती थी मैं भी तो देखूँ कैसे तुम अपनी बड़ी-बड़ी बातें लेकर अब आराम से जीती हो!"


    फिर उसने संजय का चेहरा याद किया और तड़पकर कहा और मिस्टर संजय सिंह आपको क्या लगा था कि आपके पालन-पोषण के नाम पर मैं ज़िंदगी भर आपकी गुलामी करूँगी? ओह हेल्लो मैं आपकी बेटी नहीं थी और वैसे भी जब मुझे बेटी माना था एक एहसान थी और अब उस एहसान का बदला चुका दिया आपने तो अब कभी शक्ल भी नहीं देखनी।


    फिर उसे दिशा की याद आई और उसका खून खौल उठा और तुझे क्या लगा दिशा? तू हर बार मेरी ज़िंदगी में ज़हर घोलकर मज़े लेगी खुद को इतनी स्मार्ट समझती है ना देखना जिस दिन तेरा नकली मास्क उतरेगा तुझसे ज़्यादा बेइज्जत कोई नहीं होगा और मेरी प्यारी भव्या तुम्हे कैसे भूलूं कमनी कही की तीनों मां बेटी एक जैसे ही है।


    फिर अचानक ही उसने हंसते हुए खुद से कहा पर मैं भी कमाल की हू एक मिनट में रोती हू दूसरे मिनट में गालियाँ देती हू और तीसरे मिनट में भूख लग जाती है ।


    इतना कहकर वह फिर से किचन में गई लेकिन जैसे ही फ्रिज खोला उसमें सिर्फ पानी और एक टमाटर रखा मिला।


    क्या ! इतना बड़ा अपार्टमेंट और इसमें सिर्फ टमाटर कोई दया करो मेरी इस गरीब आत्मा पर ।"


    वह पैर पटकते हुए वापस बैठी और गहरी सांस ली ठीक है इनाया तुझे अब अकेले ही जीना है तो ऐसे रोने से कुछ नहीं होगा। अब आगे की सोच।"




    दादा जी... आपको सच में पता था कि ये सब होने वाला है... आपने इतना बड़ा अपार्टमेंट दिया लेकिन उसमें कुछ खाने के लिए भी रखते ना वह कैसे भूल गए आप?" और अभी तो सफाई भी करनी है हाए मेरी किस्मत बस बहुत हुआ इनाया अब तुझे किसी की दया नहीं चाहिए अब तू अपनी किस्मत खुद बनाएगी चल झाड़ू ले और लग जा काम पर इतना बोलकर वह साफ सफाई करने लग जाती हैं।"





    ............................
    कैसी है स्टोरी और कैसा लगा पार्ट जरूर बताना एक छोटा सा ही सही कॉमेंट की उम्मीद करती हूं वो भी नहीं करते....
    उसमें कंजूसी क्यों करते हैं सब लोग प्यारी सी लेखिका की बात मान तो ले ........
    जल्दी पार्ट चाहिए तो कॉमेंट करिए
    मिलते हैं इसके नेक्स्ट पार्ट में
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  • 7. मुझे फंसाकर बच नहीं सकती - Chapter 7

    Words: 1005

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे...........



    इनाया ने पूरा अपार्टमेंट साफ कर दिया था लेकिन उसे सफाई करते-करते उसे शाम हो गई थी। वह बुरी तरह थक चुकी थी। कमरे के कोने में रखे सोफे पर बैठते ही उसकी पीठ दर्द से चटकने लगी उसके पास अब ज़्यादा सामान भी नहीं था लेकिन कुछ ज़रूरी चीजें उसे लानी थीं।

    मार्केट कब जाऊँगी और कब आऊँगी?" वह बुदबुदाई।

    थकान के कारण बाहर जाने की हिम्मत नहीं थी इसलिए उसने ऑनलाइन खाना ऑर्डर कर दिया। बस तभी उसका फोन बज उठा जब उसने स्क्रीन पर देखा तो वह रितु का थे रितु उसकी मैनेजर थी।"


    जैसे ही इनाया ने फोन रिसीव किया दूसरी तरफ से तेज़ आवाज़ आई कहाँ थी तुम? कब से तुम्हें कॉल कर रही थी और तुम उठा भी नहीं रही तुम्हे पता भी है कल से तुम्हे कॉल कर रही हु।


    रितु की आवाज़ में गुस्सा था लेकिन इनाया कुछ देर चुप रही फिर धीमी आवाज़ में बोली वो कुछ नहीं घर का थोड़ा काम था वही कर रही थी उसने वहां से निकलने के बाद एक बार भी अपने फोन में नहीं देखा था।



    वहीं रितु उसकी चुप्पी को समझ गई उसे पता था कि इनाया के घरवाले उससे कैसा व्यवहार करते हैं लेकिन उसे यह नहीं पता था कि वे उसे घर से निकाल चुके हैं।


    रितु ने खुद को शांत करते हुए कहा मैंने कंपनी में बात की है एक फेमस ड्रामा का ऑडिशन है जिससे मैंने बड़ी मुश्किल से तुम्हारे लिए कनेक्शन बनाया है जिसका ऑडीशन परसो होने वाला है लोकेशन भेज दूंगी आ टाइम से वहाँ पहुंच जाना वरना मुझे नहीं लगता कि तुम आगे बढ़ पाओगी।"


    इनाया को यह सुनकर थोड़ी राहत मिली। वह एक अच्छी एक्ट्रेस थी लेकिन अब तक जितने भी छोटे-मोटे रोल किए थे उनसे उसे ज्यादा पहचान नहीं मिली थी। उसी के कंपेरिजन में दिया काफी आगे निकल चुकी थी क्या पता इस ड्रामा से उसकी जिंदगी बदल जाए सुनने में आया था कि इसमें काफ़ी ज्यादा फेमस ऐक्टर थे लेकिन अभी तक उनका नाम सामने नही आया था।


    ठीक है मैं समझ गई इनाया ने कहा और फोन रख दिया।


    रितु कभी-कभी गुस्सा हो जाती थी लेकिन वह इनाया के भले के लिए ही उसे डांटती थी। उसने उसे हमेशा अपनी छोटी बहन की तरह माना था उसने एक लंबी साँस ली और खुद को थोड़ा संभालने के लिए वॉशरूम चली गई ठंडे पानी के छींटे मारकर उसने अपने चेहरे को तरोताजा किया और जब बाहर निकली तभी डोरबेल बज उठी।


    खाना आ गया उसने खुद से कहा और जल्दी से जाकर उसने दरवाजा खोला पैकेट लेकर वह वापस हॉल में आ गई पूरे दिन की थकान और तनाव के बाद उसे अब बहुत भूख लगी थी। बिना ज़्यादा सोचे-समझे वह वहीं सोफे पर बैठकर खाने लगी।



    दूसरी ओर ........ AR ग्रुप ऑफ कंपनी




    आरव्यन अपने केबिन में बैठा था सामने सौरव खड़ा था हाथ में टैबलेट और एक फाइल पकड़े हुए ।

    बॉस यह उस लड़की वह इतना ही बोला था कि आरव्यन उसे खा जाने वाली नजरों से देखता है वहीं अपनी ओर ऐसे देख वह डर जाता हैं और डरते हुए बोला वो... वो बॉस मेरा मतलब है कि मैडम के बारे में पूरी जानकारी है वहीं सौरव ने कहा और टैबलेट स्क्रीन पर कुछ दिखाने लगा ।


    आरव्यन ने बिना देखे बस उंगलियों से इशारा किया बोलो।"

    सौरव ने हल्की साँस ली और बोलना शुरू किया नाम इनाया... उम्र 20 साल... पढ़ाई पूरी हो चुकी है। उसने एक्टिंग के लिए प्रोफेशनल ट्रेनिंग ली है और एक फेमस ड्रामा स्कूल से ग्रैजुएट की है कुछ छोटे-मोटे रोल किए हैं लेकिन अभी तक इंडस्ट्री में कोई बड़ा नाम नहीं कमा पाई।"


    आरव्यन ने हल्के से सिर झुकाया और फाइल को खोलकर देखने लगा। लेकिन उसकी आँखों में कोई खास इंट्रेस्ट नहीं था अब तक ।

    सौरव आगे बोला मैडम सिंह फैमिली से ताल्लुक रखती है जानी-मानी रईस फैमिली है लेकिन..." वह थोड़ा रुका।


    आरव्यन ने एक भौं ऊँची की लेकिन क्या?"


    सौरव तुरंत संभलकर बोला लेकिन... उसका अपने परिवार से रिश्ता ठीक नहीं है खासकर उसकी सौतेले मा और पिता से उसकी स्टेप सिस्टर्स काफी फेमस है उन्होंने ही आज तक मैडम को आगे बढ़ने नहीं दिया एक एक्ट्रेस और दूसरी म्यूजिक डायरेक्टर लेकिन उसके करियर को कभी सपोर्ट नहीं किया गया।"


    आरव्यन ने अब फाइल में से एक फोटो निकाली और गौर से देखा इनाया की मासूम सी शक्ल बड़ी-बड़ी गहरी आँखें और दूध जैसी गोरी त्वचा एक पल के लिए वह भी उसमें खो गया था लेकिन मासूमियत के पीछे एक अलग ही दर्द छिपा था।


    दिलचस्प वह हल्के से बुदबुदाया।


    सौरव ने अब थोड़ा असहज होते हुए कहा और... बॉस जब वो होटल में आपके साथ थी... उस रात के बाद जैसे ही वो अपने घर पहुँची उन्हें घर से निकाल दिया गया।"


    इतना कहकर सौरव चुप हो गया। उसे महसूस हो रहा था कि उसके सामने बैठे इंसान के अंदर कुछ खतरनाक खौल रहा था आरव्यन ने अपनी आँखें उठाईं सीधी और गहरी सौरव को लगा जैसे उसने कुछ गलत कह दिया हो।


    कमरे में सन्नाटा छा गया। आरव्यन ने फाइल को धीरे से बंद किया अपनी उंगलियों को मेज पर टिकाया और बहुत हल्की आवाज़ में कहा ।


    तो अब उसके पास कुछ भी नहीं बचा?"


    सौरव ने धीरे से सिर हिलाया जी बॉस अभी वह अपने दादा जी के दिए गए अपार्टमेंट है जिसकी खबर उनके फैमिली को नहीं है।"


    एक पल को ऐसा लगा जैसे आरव्यन ने अपनी साँस रोकी हो फिर उसने अपने होंठों पर एक हल्की मगर रहस्यमयी मुस्कान आने दी और बोला Interesting…"

    फिर उसने फाइल उठाई अपने कोट को सही किया और खड़ा हो गया।

    मुझे फँसाकर मुझसे बच नहीं सकती मिस इनाया मिलते हैं कल तुमसे।"


    सौरव जानता था कि अब कुछ बहुत बड़ा होने वाला है वह भी उसके पीछे पीछे चला जाता हैं।"





    ......................
    कैसी लग रही है स्टोरी बताना जरुर अगर जल्दी पार्ट चाहिए तो कॉमेंट करो..…....
    अब क्या होने वाला है कल? क्या करना चाहता है आरव्यन इनाया के साथ?
    आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए मिलते हैं नेक्स्ट पार्ट में
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  • 8. forcefully kiss..!! - Chapter 8

    Words: 1120

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे........




    अगली सुबह इनाया आईने के सामने खड़ी थी उसने पिंक टॉप और जींस पहनी थी उसके बालों को उसने एक हाई पोनीटेल में बांध रखा था जिससे उसकी नाज़ुक गर्दन साफ दिख रही थी हल्का मेकअप किया था बस हल्का सा पिंक लिप बाम लगाकर अपने होंठों की खूबसूरती और निखार दी थी।

    वह तैयार हो रही थी कि अचानक डोरबेल बजी।


    अरे आ रही हू इतना क्यों बजा रहे हो दरवाजा तोड़ ही डालोगे क्या?" इनाया गुस्से से बड़बड़ाई और दरवाजे की ओर बढ़ी।


    लेकिन जैसे ही उसने दरवाजा खोला उसकी आँखें हैरानी से चौड़ी हो गईं। सामने ब्लैक सूट पहने बॉडीबिल्डर्स जैसे गार्ड्स खड़े थे जिनके कपड़ों पर R का बैज लगा था एक लंबा गठीला आदमी अंदर की ओर बढ़ा और कुछ गार्ड भी उसके पीछे-पीछे घर में दाखिल हो गए।


    अरे-अरे यह क्या बदतमीज़ी हैं कौन हो तुम लोग ऐसे कैसे मेरे घर में घुस आए इनाया का गुस्सा सातवें आसमान पर था लेकिन गार्ड्स बिना कुछ कहे चुपचाप खड़े रहे तभी वह आदमी जो आगे गया था मुड़ा और उसकी ओर देखा।


    उसने इनाया को देखते हुए कहा हैलो मैडम कैसी हैं आप?"


    इनाया ने कंफ्यूजन भरी नज़रों से उसकी तरफ देखा फिर देखा कि गार्ड्स के हाथ में बैग्स थे जिन्हें उन्होंने टेबल पर रख दिया था।

    ये सब क्या है और तुम लोग कौन हो?" इनाया अब तक घबरा चुकी थी।


    वह आदमी एक हल्की सी मुस्कान के साथ बोला मेरा नाम सौरव है। हमें यहाँ हमारे बॉस ने भेजा है... और आपको उनसे शादी करनी होगी।"


    क्या ?" इनाया को लगा जैसे उसके कानों ने गलत सुना हो। उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं।


    उसने सौरव को अजीब नज़रों से देखा और गुस्से से बोली तुम लोग पागल हो गए हो क्या ये कैसी बकवास कर रहे हो? कौन है तुम्हारा बॉस? और मैं क्यों करूँ शादी उससे?"


    सौरव उसकी बिहेवियर पर शांत खड़ा रहा और सिर्फ इतना बोला आप खुद ही जान जाएँगी कि वह कौन हैं।"


    तभी कमरे में एक तेज़ आहट हुई दरवाजे से एक आदमी तेज़ क़दमों से अंदर आया।


    उसका रुतबा, उसका स्टाइल, उसकी मजबूत बॉडी, और सबसे ऊपर, उसकी तेज़ और खतरनाक आँखें… हर चीज़ में एक अलग ही अदा थी। उसने एक महँगा बिजनेस सूट पहन रखा था जो उसकी पावरफुल पर्सनैलिटी को और निखार रहा था।


    सामने खड़ा आदमी... उसकी मौजूदगी ही इतनी भारी थी कि पूरे कमरे का माहौल बदल गया हे भगवान... इनाया एक पल के लिए ठिठक गई।


    उसने इतना हैंडसम आदमी कभी नहीं देखा था। उसकी तेज़ आँखें हैंडसम सा फेस और शातिर मुस्कान... वह अलग ही लेवल का चार्म लिए खड़ा था ये इंसान... इतना हैंडसम... लेकिन इतना डरावना क्यों लग रहा है?" उसने सोचा।



    उसकी गहरी आँखें इनाया के चेहरे को स्कैन करने लगीं जैसे हर एक्सप्रेशन को पढ़ रही हों। एक हसीन लड़की उसके सामने खड़ी थी आरव्यन की नजरें इनाया पर टिक गईं खूबसूरती की मल्लिका दूध-सी गोरी, गुलाबी होठ, मासूम आँखें ।


    उसकी नज़रें इनाया के चेहरे से होती हुई उसके हल्के से कांपते होंठों तक गईं इंट्रेस्टिंग आरव्यन के होठों पर एक इविल स्माइल आई।


    धीरे-धीरे वह उसकी ओर बढ़ा।


    उसके कदमों की आहट से इनाया जैसे होश में लौटी उसने खुद को झटका और गुस्से से डरते हुए बोली तुम सभी... कौन हो और यहाँ क्या कर रहे हो?"


    आरव्यन ने एक इशारा किया, और सौरव सहित सारे गार्ड्स बाहर चले गए अब कमरे में सिर्फ वह दो थे।


    आरव्यन बेहद करीब आकर बोला सच में? तुम मुझे नहीं जानती हमारी हसीन रात इतनी जल्दी भूल गईं?"


    इनाया का दिमाग घूम गया हसीन रात फिर अचानक यादों का तूफान उस पर टूट पड़ा वो होटल... वो नशा... वो पल... उसकी आँखें चौड़ी हो गईं नहीं... नहीं... ये नहीं हो सकता!" उसने खुद से कहा।


    लेकिन आरव्यन की तेज़ और खतरनाक आँखें उसे देखने लगीं जैसे उसकी हर सोच को पढ़ रही हों।


    मेरा कोई कसूर नहीं था वो बस एक हादसा था इनाया ने हड़बड़ाकर कहा।


    आरव्यन ने एक आईब्रो उठाई उसकी आँखों में खतरनाक चमक थी सच में बस एक हादसा था?"


    वह एक कदम और करीब आया उसका मजबूत शरीर अब लगभग इनाया को छूने ही वाला था क्या तुमने मेरा फायदा नहीं उठाया?" उसने धीमे मगर शातिर लहज़े में कहा।


    बकवास मैंने आपका कोई फायदा नहीं उठाया इनाया गुस्से से बोली।


    ये तो मैं भी कह सकती हूँ कि आपने मेरा फायदा उठाया जबकि मुझे तो कोई होश भी नहीं था ।


    आरव्यन की जबड़े की नसें तन गईं तुम नशे में थी या सिर्फ नाटक कर रही थी उसकी आवाज़ अब ठंडी और सख्त हो गई थी।


    इनाया को डर लगने लगा। लेकिन उसने हिम्मत करके कहा हा मैं नशे में थी लेकिन आप कैसे कह सकते हैं कि आप नशे में नहीं थे इसका मतलब तो ये हुआ कि आपने मेरा फायदा उठाया ।


    अब आरव्यन का गुस्सा चरम पर था चुप बिल्कुल चुप मुझ पर इल्ज़ाम लगाने की हिम्मत मत करना ।


    वह आगे बढ़ा और इनाया की कलाई इतनी ज़ोर से पकड़ी कि उसकी आँखों में दर्द छलक आया।


    तुम्हारी वजह से मेरा परिवार मेरे पीछे पड़ गया है और इसकी वजह सिर्फ तुम हो ।


    उसने इनाया का हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचा उसकी मजबूत पकड़ से इनाया का पूरा शरीर सिहर उठा।


    आरव्यन_तो अब तुम मुझसे शादी करोगी।"


    क्या ?" इनाया की सांसें रुक गईं।


    मैं किसी से शादी नहीं करने वाली उसने ज़ोर से कहा।


    उसके होंठ काँपे लेकिन आरव्यन ने एक भी सेकंड बर्बाद नहीं किया एक झटके में उसने इनाया की कलाई पकड़ ली इतनी मजबूती से कि उसकी नाजुक त्वचा पर लाल निशान उभर आए।


    वह खुद को छुड़ाने के लिए छटपटाई लेकिन अगले ही पल उसके होंठों पर एक सख्त तीखी पकड़ महसूस हुई आरव्यन ने बेरहमी से उसके कोमल होंठों को अपने दाँतों के बीच जकड़ लिया।


    पहले हल्का दबाव... फिर धीरे-धीरे दर्द भरी गर्माहट।


    "उह्ह...!"


    इनाया का बदन जकड़ गया उसने उसे काट लिया था ।


    आरव्यन ने होठों को नोचते हुए उन्हें और भी भींच लिया जैसे उसे यकीन दिलाना चाहता हो कि अब वह बच नहीं सकती उससे।


    इनाया की आँखें बंद हो गईं उसकी उंगलियाँ आरव्यन के सीने को जोर से धकेलने की कोशिश करने लगीं लेकिन वह हिला भी नहीं।


    उसकी गरम साँसें इनाया के गालों को छू रही थीं और वह हर पल उसे और गहराई से महसूस कर रही थी।


    जब उसने उसके निचले होंठ को जोर से चूसा तो इनाया के मुँह से एक हल्की चीख निकल गई।


    "आह...!"


    आरव्यन के चेहरे पर खतरनाक संतुष्टि थी वह बोला अगर ज्यादा बोली तो अंजाम इससे भी बुरा हो सकता है।




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  • 9. तुम क्या चाहती हो कि में तुम्हे अपने हाथों से तैयार करू?" - Chapter 9

    Words: 1233

    Estimated Reading Time: 8 min

    अब आगे........


    उसकी गरम साँसें इनाया के गालों को छू रही थीं और वह हर पल उसे और गहराई से महसूस कर रही थी।


    जब उसने उसके निचले होंठ को जोर से चूसा तो इनाया के मुँह से एक हल्की चीख निकल गई।


    "आह...!" 😣


    आरव्यन के चेहरे पर खतरनाक संतुष्टि थी वह बोला अगर ज्यादा बोली तो अंजाम इससे भी बुरा हो सकता है। 🔥



    आरव्यन ने धीरे से कहा हम एक कॉन्ट्रैक्ट साइन करेंगे। कुछ सालों बाद हम डाइवोर्स ले लेंगे और तुम्हें इसकी क़ीमत मिलेगी। जितनी तुम चाहोगी।"


    क-कीमत?" इनाया हल्के से बुदबुदाई।


    हा सारी जिंदगी काम नहीं भी करोगी तब भी आराम से रह सकती हो तुम वैसे भी कभी ना कभी पता चल ही जाएगा सिंह फैमिली को सच तो यह है कि तुम्हारे पास इस फ्लैट के अलावा और कोई जगह नहीं है।"



    उसके लहजे में सर्दी थी मगर जो शब्द उसने कहे थे, वो इनाया की नसों में आग की तरह दौड़ गए।



    "अगर तुम्हारे परिवार वालों को यह पता चल गया कि तुम्हारे पास इतना बड़ा अपार्टमेंट है तो वे यह भी तुमसे छीन लेंगे।"



    इनाया की आँखों में चमकते आँसू अब गुस्से में बदलने लगे थे।



    तुम्हारे पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि तुम कहीं और रह सको तुम्हारे पास कोई ढंग का काम भी नहीं है आरव्यन का हर शब्द उसके दिल पर वार कर रहा था।



    आरव्यन _अगर तुम मेरी बात मान लेती हो तो मैं तुम्हारी मदद करूँगा। तुम्हें उसकी क़ीमत मिलेगी। सोच लो वह लोग कभी भी इंटरफेयर नहीं कर सकेंगे तुम्हारी लाइफ में ना ही तुम्हे कोई परेशान करेगा जब तक तुम मेरे साथ हो कोई तुम्हे छू भी नहीं सकता। 🔥



    उसके मन में अचानक अपने परिवार की कड़वी यादें उमड़ने लगीं उनके लिए वो हमेशा एक पराई थी लेकिन अब अगर उसने इस शादी के लिए हाँ कर दी, तो वह अपनी ज़िंदगी के फैसले खुद ले सकती थी।



    लेकिन... यह आदमी... यह मेरी ज़िंदगी में तूफ़ान बनकर आया है। क्या मैं इसके साथ रहने को तैयार हूँ? इनाया के मन में उथल-पुथल मच गई।



    तभी उसे याद आया कि इस आदमी ने उसे अभी किस की थी उसने मुझे किस किया था..."


    उसका गाल अब भी हल्का-सा गर्म महसूस हो रहा था। 😳


    वह सोचने लगी नहीं मुझे इस इंसान से दूर रहना होगा लेकिन जो कुछ भी उसने कहा था वह सच ही था अगर उन्हे पता चल गया तो सच में वह लोग उसका जीना हराम कर देंगे।


    ठीक है उसने गहरी सांस लेते हुए कहा लेकिन मेरी कुछ शर्तें हैं ।


    आरव्यन ने सवालिया नजरों से उसे देखा फिर मुस्कराया एक ठंडी, बेरहम मुस्कान उसके चेहरे पर थीं। 😈


    ओह शर्तें? चलो सुनाता हूँ।" 🔥


    इनाया ने ठहर कर कहा मेरी पहली शर्त आप मेरे पास नहीं आएंगे। मेरा मतलब है आप मुझे छू नहीं सकते कोई शारीरिक संबंध नहीं ये सिर्फ एक contract marriage होगी इसका मतलब husband-wife वाला कोई रिश्ता नहीं होगा। आप मुझे जबरदस्ती छू नहीं सकते।"


    आरव्यन _ हम सिर्फ मेरी फैमिली को दिखाने के लिए साथ रहेंगे। इससे ज्यादा कुछ नहीं।"


    उसका लहजा इतना काटने वाला था कि इनाया को अपने शब्द खुद बेवकूफी भरे लगने लगे वह नजरे चुराते हुए बोली_


    मेरी दूसरी शर्त मेरे करियर की आज़ादी मुझे अपने एक्टिंग करियर पर पूरा हक होगा आप मुझे जबरदस्ती रोक नहीं सकते न ही किसी फिल्म से निकलवा सकते है आप मेरे करियर के बीच नहीं आ सकते।


    मेरी तीसरी शर्त अगर किसी को इस contract marriage का सच पता चला तो आप खुद मेरा नाम क्लियर करोगे ताकि मेरी इमेज खराब न हो।"



    मेरी चौथी शर्त जब contract खत्म होगा तो आप मुझे बिना किसी रोक-टोक के मेरी ज़िंदगी जीने दोगे बिना किसी दबाव के।"



    मेरी पांचवीं शर्त आप ने जितने मुझे पैसे कहे हैं आपको उतने देने होगे।


    आरव्यन ने अपनी खतरनाक नजरों से उसकी और देखा और बोला ठीक है लेकिन याद रहे तुम सिर्फ मेरी बीवी बनोगी जब पूरी तरह से तुम मेरी हो किसी और के साथ नाम नहीं जुड़ना चाहिए अगर कुछ भी ऐसा हुआ तो अंजाम अच्छा नहीं होगा और हा मेरी फैमिली के सामने अच्छी एक्टिंग करना ताकि उन्हें सक ना हो कि यह एक कॉन्ट्रैक्ट की शादी है खास कर मेरे दादाजी के सामने।" 🔥


    इनाया _ हा हा मे अच्छे से जानती हूं मुझे क्या करना है वैसे भी मे काफी अच्छी ऐक्ट्रेस हु वैसे शादी सीक्रेट ही होगी ना?"


    आरव्यन ने एक आईब्रो ऊपर उठाई।


    सच में?" 🔥


    हा मैं नहीं चाहती कि किसी को पता चले कि मैं एक ऐसे आदमी से शादी कर रही हूँ जो हैंडसम तो है, लेकिन बात करने की तमीज़ भी नहीं रखता ।



    अब आरव्यन का चेहरा अचानक गुस्से से कस गया संभलकर बात करो वरना मैं तुम्हारी हर शर्त अभी तोड़ दूँगा।" 😡


    उसकी आवाज इतनी खतरनाक थी कि इनाया को लगा कि उसकी सांस अटक गई।


    फिर उसने लंबी सांस लेते हुए कहा ठीक है मैं शादी के लिए तैयार हूँ।"



    आरव्यन _अच्छा फैसला लिया है। 😈


    सौरव आरव्यन ने जोर से कहा l


    सौरव अंदर आया और बोला यस बॉस?"


    इसे तैयार करना है और कोर्ट में अरेंजमेंट हो चुका है या नहीं?"


    सौरव _ यस बॉस सब क कुछ रेडी हो चुका है जैसा आपने कहा था।"


    इनाया ने चौंककर कहा इतनी जल्दी?"


    आरव्यन ने बिना किसी भाव के बोला _ मुझे वक्त बरबाद करना पसंद नहीं।" 🔥


    तभी दो सुंदर और स्टाइलिश लड़कियां अंदर आईं।


    इनाया आश्चर्य से उन्हें देखने लगी ये... ये तो इंडिया की टॉप ब्यूटीशियन हैं वो लड़कियाँ सिर्फ बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज का मेकअप करती थीं।


    इनाया चौंक गई थीं उन्हें देख कर अपने इन्हें मेरे लिए बुलाया?"


    आरव्यन ने कोल्ड एक्सप्रेशन के साथ कहा हा मेरी बीवी बदसूरत नहीं दिख सकती भले ही यह शादी नकली क्यों न हो।"



    इनाया गुस्से से सुलग उठी मुझे आपके हेल्प की जरूरत नहीं ।


    मेरी हेल्प?" आरव्यन ने एक खतरनाक हंसी हंसते हुए कहा तुम सच में बहुत भोली हो । यह सब सिर्फ मेरी इमेज के लिए है मैं किसी को अपनी बीवी को बेस्वाद कपड़ों में देखने नहीं दूँगा।"



    इनाया ने मजबूरी में लड़कियों की तरफ देखा अब क्या ही कर सकती थी वह इस आदमी से तो वह जितने से रही।


    एक लड़की ने मुस्कुराकर कहा मैम प्लीज़ हमारे साथ आइए। हमे आपका मेकअप करना है।



    इनाया ने खुद को आईने में देखा क्या वह पहले से सुंदर नहीं थी? आज तक सब ने उसकी खुबसूरती की तारीफ ही करी थी सुंदरता की देवी थीं किसी को भी एक नजर में दीवाना बना दे। पर अब वापसी का कोई रास्ता नहीं था।



    वहीं उसे ऐसे ही खड़े देख आरव्यन बोला तुम क्या चाहती हो कि में तुम्हे अपने हाथों से तैयार करू?" 😈


    वहीं उसकी बात सुनकर इनाया झेप गई और वह धीरे-धीरे उन लड़कियों के साथ कमरे में चली गई।


    पीछे आरव्यन ने सोफे पर अपने पैर फैलाए और एक राजा की तरह बैठ गया।


    उसकी नज़र दरवाजे की ओर थी जहाँ से इनाया अंदर गई थी।


    उसके होठों पर एक खतरनाक मुस्कान खेल गई ।🔥


    "अब खेल शुरू होगा ..." 🔥






    ..........................
    कैसा लगा पार्ट जरूर बताना और हा हर बार कहते कहते थक जाती हु समझ जाना कॉमेंट करना है सभी को......
    आगे जानना है ना तो कॉमेंट करो और दूसरों तक भी पहुंचाए स्टोरी ताकि ज्यादा रीडर्स रीड करे स्टोरी को और मुझे भी सपोर्ट मिले सभी का.....
    आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए मिलते हैं नेक्स्ट पार्ट में
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  • 10. आप कोई आम इंसान नहीं हैं मिस्टर राजवंश- Chapter 10

    Words: 1474

    Estimated Reading Time: 9 min

    अब आगे........




    इनाया जैसे ही तैयार होकर शीशे के सामने खड़ी हुई उसकी खूबसूरती किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। लाल जोड़े में लिपटी वह किसी राजकुमारी जैसी लग रही थी जो अभी-अभी अपने महल से बाहर निकली हो।


    उसके माथे पर रखा मांगटीका उसकी मासूमियत को और निखार रहा था और उसकी गहरी काजल लगी आँखें जादू बिखेर रही थीं।


    इनाया को देखते ही दोनों ब्यूटीशियन जो इंडिया की टॉप मेकअप आर्टिस्ट्स थीं एक-दूसरे को देखकर हैरान रह गईं।


    ओ माय गॉड मैम आपको तो मेकअप की ज़रूरत ही नहीं थी पहली ब्यूटीशियन बोली जिसकी आँखें इनाया की नेचुरल सुंदरता पर टिकी थीं।


    दूसरी ने सिर हिलाते हुए कहा _सच में आपने हमें बेवजह बुला लिया। आप तो पहले से ही इतनी खूबसूरत हैं कि कोई भी आपको देखे बिना नहीं रह सकता।



    पहली लड़की ने हल्की मुस्कान के साथ इनाया के कंधे पर हाथ रखा और बोली सर बहुत ही लकी हैं, जो उन्हें आप जैसी पत्नी उन्हें मिलने वाली हैं।


    दूसरी ने भी हंसते हुए कहा इतनी बेमिसाल खूबसूरती किसी-किसी को ही मिलती है। अगर कोई भी आदमी आपको देख ले तो वह आपकी आँखों में ही खो जाएगा।"


    इनाया का चेहरा हल्का गुलाबी हो गया लेकिन उसने तुरंत अपना भाव छुपा लिया। वह मन ही मन सोच रही थी काश यह सच होता... लेकिन मेरे पति को तो मेरी सुंदरता से कोई फर्क ही नहीं पड़ता और वैसे भी यह सादी बस समझौता है और कुछ नहीं।


    इनाया ने गहरी सांस लेते हुए खुद को शीशे में देखा। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। वह पहली बार किसी के लिए तैयार हुई लेकिन वह जानती थी कि जिस इंसान के लिए वह इतनी खूबसूरत लग रही है उसे शायद कोई फर्क नहीं पड़ेगा कितना बेसिल इंसान था वह।


    लेकिन उसे क्या पता था कि नीचे बैठा आरव्यन जब उसे देखेगा, तो उसकी ठहरी हुई निगाहें एक पल को भी इनाया से हट नहीं पाएंगी ।"



    आरव्यन इस समय सोफे पर आराम से बैठा था। उसकी आँखों में वही ठंडापन था जो हर किसी को उससे दूर रखता था। लेकिन जैसे ही कमरे का दरवाजा खुला उसकी नज़रों ने अनायास ही दरवाजे की और चली गई ।


    वह जो हमेशा बेवजह किसी को देखने में दिलचस्पी नहीं रखता था आज उसकी आँखें एक पल के लिए भी इनाया से नहीं हटीं।


    इनाया लाल जोड़े में किसी हूर से कम नहीं लग रही थी। उसका लहंगा हल्की रोशनी में दमक रहा था उसकी ज्वेलरी उसके नाज़ुक रूप को और निखार रही थी। उसके माथे पर सजी बिंदी और मांगटीका उसकी मासूमियत में एक राजसी ठाठ जोड़ रहे थे।


    आरव्यन की आँखें कुछ पलों के लिए गहरी होती चली गईं। उसके चेहरे पर एक पल के लिए एक अजीब सा खिंचाव आया जिसे सौरव ने भी देख कर महसूस किया।


    "बॉस...?" सौरव ने हल्की आवाज़ में कहा लेकिन आरव्यन ने उसकी बात को पूरी तरह अनसुना कर दिया।



    इनाया धीमे कदमों से चलकर आरव्यन के पास आई। वह जानती थी कि उसे बस इस रिश्ते में कागज़ी तौर पर बंधना है और इससे ज़्यादा कुछ नहीं।


    उसकी चाल में एक अजीब सा नाज़ था लेकिन उसके अंदर एक तूफान चल रहा था।


    आरव्यन ने अपने ठंडे अंदाज़ में टेबल पर पेपर्स रख दिए और बिना उसकी तरफ देखे गंभीर लहजे में बोला
    "इस पर साइन करो वक्त की कमी है शादी भी करनी है अभी हमें।"🔥


    इनाया ने हल्की भौंहें चढ़ाई और मुंह बिगाड़ लिया ओर अपने मन में ये इंसान इतने खडूस क्यों है क्या हैंडसम इंसान ऐसे ही होते हैं? क्या कभी रोमांटिक नहीं हो सकते ऐसे अजीब से ख्याल उसके मन में आ रहे थे।


    वहीं आरव्यन फिर से तुम्हे समझ नहीं आता है क्या? 😠


    इनाया जल्दी से होश में आती हैं उसकी आवाज सुनकर इनाया ने बिना ज़्यादा सोच-विचार किए कागज़ उठा लिए और बिना पढ़े ही उन पर साइन कर दिए।


    यह देखकर आरव्यन की भौंहें हल्की सी सिकुड़ीं तुमने पढ़ा भी नहीं और साइन कर दिए?"


    इनाया ने ठंडी सांस भरते हुए कहा मुझे नहीं लगता कि आप कोई गद्दारी करेंगे मेरे साथ आखिरकार आप इतने बड़े बिज़नेसमैन हैं इतना तो भरोसा कर ही सकती हूँ।"


    आरव्यन ने हल्का सा सिर टेढ़ा किया जैसे यह जानने की कोशिश कर रहा हो कि वह कितनी भोली है।


    इतनी जल्दी ट्रस्ट मत किया करो दुनिया में सब तुम्हारी तरह सीधे नहीं होते।" 🔥


    लेकिन इनाया हल्के से मुस्कराई और बोली पर आप कोई आम इंसान नहीं हैं मिस्टर राजवंश।"



    वकील ने पेपर्स उठाए और सिर झुकाकर बोला काम हो गया सर। अब मैं चलता हूँ।"


    आरव्यन ने बस सिर हिलाया और बिना कुछ कहे कमरे से बाहर निकल गया।


    इनाया हैरानी से उसके जाते हुए कद को देखती रही और फिर खुद ही बड़बड़ाई अरे रुकिए मेरी मदद तो कर दो। इतने भारी लहंगे में कैसे चलूँ?"


    वह बड़बड़ाते हुए बोली ये नहीं कि अपनी होने वाली बीवी थोड़ी मदद कर दे .... नाजुक सी लड़की हु ऊपर से यह भारी लहंगा
    वह जल्दी-जल्दी अपनी भारी लहंगे संभालती हुई उसके पीछे-पीछे चलने लगी।


    लेकिन इनाया यह नहीं जानती थी कि जो इंसान अभी उसके लिए रुका नहीं वही इंसान कुछ समय बाद उसके बिना एक पल भी रह नही सकेगा ।



    आरव्यन तेज़ी से कमरे से बाहर निकल चुका था लेकिन इनाया, जो भारी लहंगे में खुद को संभालते हुए उसके पीछे-पीछे चलने की कोशिश कर रही थी, आखिरकार झुंझला गई।


    "अरे सुनिए तो क्या आपको ज़रा भी एहसास नहीं कि मैं इतनी भारी ड्रेस में हूँ?"


    लेकिन आरव्यन ने बिना रुके अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ना जारी रखा।


    उफ़ कितने बेरुख़े इंसान हो आप!" इनाया बड़बड़ाई और किसी तरह तेज़ी से चलने लगी।


    लेकिन भारी लहंगा और ऊँची हील्स ने उसे धोखा दे दिया। उसका संतुलन बिगड़ने लगा और वो लगभग गिरने ही वाली थी कि एक मजबूत हथेली ने उसे थाम लिया।


    आरव्यन ने बिना किसी झिझक के उसे कमर से पकड़कर खींच लिया। इनाया उसकी बाहों में गिरने से बच गई, लेकिन अब वह उसकी मजबूत छाती के करीब आ चुकी थी।


    "तुम हर बार गिरने का प्लान बनाकर ही चलती हो क्या?" उसकी आवाज़ में हल्की चिढ़ थी, लेकिन इनाया उसकी आँखों में देख रही थी।


    कुछ सेकंड के लिए दोनों के बीच सिर्फ़ खामोशी थी।


    आरव्यन की गहरी आँखें उसके चेहरे पर टिकी थीं वहीं इनाया की नज़रों में झेंप थी। उसकी नाक में से हल्की-हल्की खुशबू आ रही थी, जो शायद महंगे परफ्यूम की थी। लेकिन उस समय इनाया के पास ध्यान देने का समय नहीं था।


    वह जल्दी से सीधी हुई और अपने कपड़े ठीक करने लगी।


    थ..थैंक यू उसने धीरे से कहा और दूसरी तरफ देखने लगी।


    लेकिन आरव्यन ने कोई जवाब नहीं दिया। बस अपनी कार की ओर बढ़ गया वहीं गार्ड दरवाजे खोले खड़ा था वह सीधा जाकर सीट पर बैठ गया।


    बैठो उसने उसकी ओर देख कड़क आवाज़ में कहा।


    इनाया ने एक नखरे भरी नज़र डाली और फिर धीरे से गाड़ी में बैठ गई।


    गाड़ी जैसे ही आगे बढ़ी अंदर एक अजीब सा सन्नाटा छा गया।


    इनाया को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बात करे। लेकिन तभी एक झटका लगा और गाड़ी हल्का सा हिल गई।


    अरे इनाया घबराकर झट से आरव्यन की बाजू पकड़ ली।


    आरव्यन जो अपने ख्यालों में कहीं खोया था अचानक उसके स्पर्श से ना जाने क्यों उसे अजीब सा सुकून महसूस हुआ उसकी पकड़ मजबूत थी जैसे वो उसके बिना गिर जाएगी।


    उसने हल्की सी भौंहें चढ़ाईं लेकिन कुछ नहीं कहा।


    जब इनाया को एहसास हुआ कि वो अब भी उसे पकड़े हुए है उसने झेंपते हुए झट से हाथ हटा लिया।


    "सॉरी... मुझे लगा कि गाड़ी पलटने वाली थी।"


    आरव्यन ने हल्के से सिर हिलाया और कहा इतनी जल्दी डर जाती हो?" 🔥


    इनाया ने होंठ दबा लिए और धीरे से कहा मैं डरती नहीं हूँ... बस अचानक से हो गया।"


    उसकी आवाज़ में हल्की झेंप थी और आरव्यन को यह पसंद आया या नहीं वो खुद नहीं जानता था।


    गाड़ी अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ रही थी लेकिन गाड़ी के अंदर एक अजीब सी नर्मी थी जो दोनों के लिए नई थी।


    इनाया खिड़की की तरफ देखने लगी और आरव्यन ने एक नज़र उसकी तरफ डाली।


    शायद यह शादी सिर्फ एक समझौता थी... लेकिन कुछ रिश्ते अनजाने में ही बन जाते हैं।







    .........................
    स्टोरी कैसी लग रही है आप सभी लोगों को बताना जरुर और आज के पार्ट पर कॉमेंट करना ना भूलें.....
    मैंने नोटिक किया है अब इस स्टोरी पर नाही ज्यादा व्यू आ रहे हैं जो अभी के पार्ट अपलोड करे है उनपर.....😕
    ऐसा क्यों भला?
    जो पहले के पार्ट है उनपर तो है तो अभी किए गए पार्ट नहीं पढ़ रहे हैं क्या?
    स्टोरी में रोमांस के अलावा भी होता है उसे भी पढ़ ले रोमांस तो जरूर मिलेगा मगर बाकी की स्टोरी पर भी फोकस करें ना.... 🥺
    आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए मिलते है नेक्स्ट पार्ट में...😔
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  • 11. " शादी.... और ग्रह प्रवेश..!! - Chapter 11

    Words: 1898

    Estimated Reading Time: 12 min

    अब आगे.......



    गाड़ी तेज़ी से मंदिर की ओर बढ़ रही थी चारों तरफ शांति थी लेकिन इनाया के दिल में अजीब सी बेचैनी हो रही थी। क्या वो सही कर रही थी? क्या इस शादी का कोई मतलब था? लेकिन फिर भी उसे अपनी ज़िंदगी के लिए यह कदम उठाना ही था।


    हम पहुँच गए 🔥 आरव्यन की गहरी आवाज़ गूंज उठी।


    जैसे ही उनकी कार मंदिर के मुख्य द्वार पर आकर रुकी, वहाँ का नज़ारा हर तरफ़ गार्ड्स तैनात थे पूरे मंदिर परिसर में सुरक्षा का इंतज़ाम चाक-चौबंद था।


    गार्ड्स ने अपनी पोज़िशन संभाली और जैसे ही कार रुकी दोनों तरफ़ से दरवाजे खोले गए।



    इनाया ने धीरे-धीरे अपनी नाजुक उंगलियों से लहंगे का पल्लू ठीक किया और कार से बाहर कदम रखा वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी उसके चेहरे पर हल्की घबराहट भरी मासूमियत साफ झलक दिखाई दे रही थीं ।


    वहीं दूसरी तरफ, आरव्यन ने अपनी सूट की कॉलर ठीक की और बिना किसी इमोशन के गाड़ी से बाहर निकला। उसकी आँखें सामने मंदिर की सीढ़ियों पर जमी हुई थी ।



    मंदिर के अंदर पंडित जी पहले से ही सारी तैयारी कर चुके थे पवित्र हवन कुंड जल रहा था फेरे लेने के लिए मंडप को फूलों से सजाया गया था लाल और सुनहरी रोशनी में पूरा मंदिर नहा रहा था चारों तरफ एक पवित्र ऊर्जा थी, लेकिन इनाया को कुछ अलग ही महसूस हो रहा था।



    आरव्यन ने बिना कुछ कहे अपनी जेब से फोन निकाला और एक नज़र स्क्रीन पर डाली। फिर वह इनाया की ओर मुड़ा और अपनी भारी लहज़े में बोला


    चलो, समय बर्बाद मत करो।" 🔥


    इनाया ने उसे देखा उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था इतनी भी क्या जल्दी है? शादी हो रही है या कोई बिज़नेस डील?" इनाया ने हल्की चिढ़ के साथ धीरे से कहा।


    आरव्यन ने उसकी तरफ़ एक तीखी नज़र डाली और आगे बढ़ गया।


    गार्ड्स ने मंदिर का मुख्य दरवाजा खोल दिया और दोनों अंदर की तरफ बढ़ने लगे उनके पीछे पीछे सौरव भी बढ़ रहा था।


    अब यहाँ से वो सफ़र शुरू होने वाला था जिसका अंजाम किसी को नहीं पता था...


    दोनों के वहां जाते ही पंडित जी ने उन्हें मंडप में बैठने को कहा पंडित जी ने सबसे पहले वरमाला की रस्म शुरू करने के लिए कहा।


    इनाया ने आरव्यन की ओर देखा। उसकी आँखों में न प्यार था, न गुस्सा बस एक ठंडी शांति।


    जैसे ही इनाया ने अपने कोमल हाथों से वरमाला उठाई, आरव्यन ने हल्की नज़रों से उसे देखा इनाया ने कांपते हाथों से उसे वरमाला पहनाई आरव्यन ने भी बिना किसी भाव के वरमाला उसके गले में डाल दी।


    अब सात फेरे लिए जाएँ पंडित जी की आवाज़ गूंजी।सौरव ने ही दोनों का गढ़जोड़ा कर दिया था।


    आरव्यन और इनाया दोनों हवन कुंड के पास आए पंडित जी मंत्र पढ़ने लगे


    "पहले फेरे में दंपति यह संकल्प लेते हैं कि वे हमेशा एक-दूसरे की भलाई के लिए कार्य करेंगे..."


    इनाया ने धीरे-धीरे पहला फेरा उठाया। उसके लहंगे का भारी घेरा घूमते ही फूलों की पंखुड़ियाँ उस पर बरस पड़ीं।


    "दूसरे फेरे में वे एक-दूसरे की सुरक्षा का वचन देते हैं..."


    आरव्यन ने गहरी नज़रों से इनाया को देखा। उसकी चाल भले ही धीमी थी, लेकिन उसकी आँखों में एक अलग ही दृढ़ता थी।


    "तीसरे फेरे में वे संकल्प लेते हैं कि वे जीवन में हर सुख-दुख में एक-दूसरे के साथ रहेंगे..."


    इनाया को लगा कि यह रिश्ता किसी भी मायने में साधारण नहीं था। यह शादी, यह रिश्ते... यह सब कुछ पहले से तय था, लेकिन इनका भविष्य अनिश्चित था।


    "चौथे, पाँचवे, छठे और सातवें फेरे पूरे होते ही यह विवाह पूर्ण माना जाएगा..."


    आखिरकार, सातवें फेरे के साथ दोनों का बंधन हमेशा के लिए बंध चुका था।



    अब दूल्हा दुल्हन की मांग में सिंदूर भरे और मंगलसूत्र पहनाए," पंडित जी बोले।


    सौरव ने अपने अपने हाथ में पकड़ी थाल आगे करी जिसमें सिंदूर था इनाया ने पलकें झुका लीं थीं जैसे ही आरव्यन ने उसके मांग में सिंदूर भरा उसके चेहरे पर हल्की सुर्खी दौड़ गई। वह इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं थी लेकिन अब यह बंधन अटूट था।


    इसके बाद, आरव्यन ने अपनी जेब में से सुंदर मंगलसूत्र निकाला जो यूनिक डायमंड का था वह इनाया के कोमल गले में पहना दिया इसके बाद ही पंडित जी ने घोषणा की अब से आप दोनों पति-पत्नी हैं। आपका यह विवाह विधि-विधान से पूर्ण हुआ।"



    सब कुछ हो चुका था। इनाया ने धीरे से अपने हाथों को देखा, जो अब तक कंपकपा रहे थे। उसकी आँखें हल्की सी नम थीं लेकिन वह खुद को संभाले खड़ी थी।


    वहीं, आरव्यन ने उसकी तरफ़ एक गहरी नज़र डाली। उसकी आँखों में न मोह था, न खुशी, लेकिन एक अधिकार था... एक ऐसा अधिकार जिससे इनाया अब चाहकर भी बच नहीं सकती थी। यह शादी अब केवल एक नाममात्र का रिश्ता नहीं था। यह एक ऐसी डोर थी, जिसमें भावनाएँ बाद में आएँगी, लेकिन बंधन हमेशा के लिए बन चुका था...




    शादी की सभी रस्में पूरी हो चुकी थीं। मंदिर के बाहर खड़ी लंबी काली गाड़ियों की कतार खड़ी थीं आरव्यन ने बिना कोई समय गंवाए इनाया को गाड़ी में बैठने का इशारा किया।


    इनाया ने भारी लहंगे को संभालते हुए गाड़ी में जगह बनाई। वह अब तक यह समझने की कोशिश कर रही थी कि आखिर उसकी ज़िंदगी ने इतनी तेज़ी से करवट कैसे ले ली। गाड़ी की खिड़की से बाहर झांकते हुए उसने मंदिर को एक आखिरी बार देखा और फिर उसकी नजर आरव्यन पर पड़ी जो अपने फोन में बिज़ी था।


    जैसे ही इनाया की नज़र कार की खिड़की से बाहर गई उसकी सांसें थम गईं। सामने जो दृश्य था, वह किसी कल्पना से कम नहीं था। एक विशाल महल जैसा मेंशन, चमचमाती रोशनी में नहाया हुआ, और चारों ओर अनगिनत फव्वारे और पूल। मेंशन की भव्यता किसी रॉयल पैलेस से कम नहीं थी।


    उसकी आँखें आश्चर्य से फैल गईं और वह मन ही मन बुदबुदाई यह घर है ? इतना बड़ा वह तो यहां गुम ही हो जाने वाली थी ।


    "ये... ये तुम्हारा घर है?" उसने धीमे स्वर में कहा।


    आरव्यन ने बिना उसकी ओर देखे ठंडी आवाज़ में कहा हम्म।"🔥


    कार धीरे-धीरे मुख्य द्वार तक पहुंची जहां पहले से ही कई गार्ड्स कतार में खड़े थे। जैसे ही गाड़ी रुकी, गार्ड्स ने झुककर ग्रीट किया और तुरंत आरव्यन के लिए दरवाजा खोला। वह अपनी रॉयल एटीट्यूड के साथ बाहर निकला और अपनी घड़ी देखने लगा मानो वक्त बर्बाद करने का उसे कोई शौक नहीं।


    फिर एक गार्ड ने इनाया के लिए दरवाजा खोला। वह हल्के झिझकते हुए बाहर निकली, लेकिन उसकी नज़रें अब भी चारों ओर के भव्य नज़ारे में उलझी हुई थीं।


    "ये तो किसी राजा के महल जितना आलीशान और लक्जरी लगता है… इतनी अमीरी यह आदमी कितना अमीर है!" उसने मन ही मन सोचा और एक गहरी सांस ली।



    जैसे ही गाड़ी रुकी, प्रकाश जी और रिद्धिमा जी दरवाजे के पास खड़े नजर आए। उनके चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी।


    इनाया ने देखा कि कैसे रिद्धिमा जी की आँखों में अपने बेटे और नई बहू को देखकर चमक आ गई थी उसे समझते देर नहीं लगी कि वो दोनो कौन थे । प्रकाश जी भी संतोष भरी निगाहों से उन्हें देख रहे थे।


    रिद्धिमा जी आगे बढ़ीं और अपनी सुंदर बहु का हाथ पकड़कर उसे दरवाजे तक ले गईं।


    बेटा पहले ये गृह प्रवेश की रस्म पूरी करो उन्होंने प्यार से कहा।


    दरवाजे पर चावल से भरा कलश रखा हुआ था। इनाया ने आरव्यन की ओर देखा लेकिन वह बस एक तरफ खड़ा, सब कुछ चुपचाप देख रहा था।


    उसने धीरे से अपने नाजुक पैरों से कलश को ठोकर मारी और अंदर कदम रखा। जैसे ही उसने चौखट पार की इसके बाद रिद्धिमा जी ने उसकी आरती उतारी और लाल रंग का घोल लाकर जमीन पर रख दिया।


    अब अपने पैरों को रंग में डुबोकर अंदर चलो जिससे तुम्हारे कदमों के निशान घर में रह जाएँ।"


    इनाया ने धीरे से ऐसा ही किया और जैसे ही वह अंदर बढ़ी उसके पीछे गुलाब की पंखुड़ियाँ उड़ाई गईं।



    गृह प्रवेश की रस्में पूरी होने के बाद माहौल थोड़ा हल्का हो गया था। सर्वेंट्स अपने काम में लग गए थे लेकिन रिद्धिमा जी की नजरें बार-बार इनाया पर टिक रही थीं।


    आओ बेटा उन्होंने प्यार से कहा और इनाया का हाथ पकड़कर उसे सोफे पर बिठाया।


    इनाया अब तक थोड़ी झिझकी हुई थी इतनी जल्दी शादी हो जाने के बाद वह खुद को संभालने की कोशिश कर रही थी। लेकिन रिद्धिमा जी की आँखों में एक अलग तरह की ममता झलक रही थी जिसने इनाया के दिल को थोड़ा सुकून दिया।


    रिद्धिमा जी ने उसे सिर से पाँव तक गौर से देखा और हल्के से मुस्कुराईं।



    तुम सच में बहुत खूबसूरत हो मैंने बहुत सी लड़कियाँ देखी हैं लेकिन तुम्हारी मासूमियत और खूबसूरती बेमिसाल है। मेरे बेटे की पसंद इतनी अच्छी होगी ये मैंने नहीं सोचा था उन्होंने हल्की मुस्कान के साथ कहा।


    इनाया हल्का सा मुस्कुरा दी लेकिन उसके मन में एक सवाल कौंधा क्या आरव्यन ने वाकई इसे अपनी पसंद से शादी माना था? या यह सब सिर्फ एक मजबूरी थी?



    रिद्धिमा जी ने इनाया का हाथ थामा और धीमे स्वर में बोलीं जानती हूँ शादी बहुत जल्दबाजी में हुई है। लेकिन मेरे बेटे ने कोई भी फैसला बिना सोचे नहीं लिया होगा। वह बहुत समझदार है बस... थोड़ा गुस्से वाला है।"


    गुस्सा ज्यादा करता है लेकिन दिल का बुरा नहीं है," उन्होंने आगे कहा। "तुम उसे समझने की कोशिश करना, इनाया। कभी-कभी वह ज्यादा कठोर लग सकता है, लेकिन जब किसी से जुड़ जाता है, तो उसे टूटने नहीं देता।"


    इनाया ने पहली बार किसी को अपने पति की इतनी अच्छी बातें कहते सुना था वहीं उसने अभी तक उसे केवल उसका कठोर और रूखा रूप ही देखने को मिला था।


    रिद्धिमा जी ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा और कहा तुम इस घर की बहू हो लेकिन उससे भी ज्यादा मैं चाहती हूँ कि तुम इसे अपना घर समझो।"


    उनकी बातें सुनकर इनाया का गला थोड़ा भर आया लेकिन उसने खुद को संभाल लिया।



    रिद्धिमा जी ने इनाया से बातें करने के बाद प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा और फिर प्रकाश जी की ओर देखा। वे दोनों भी काफी देर से इनाया को निहार रहे थे।


    अच्छा बेटा अब हमें चलना चाहिए प्रकाश जी ने गहरी आवाज़ में कहा।


    रिद्धिमा जी ने इनाया की ओर देखा और मुस्कुराकर बोलीं, "जल्द ही तुम्हें पेलेस आना होगा, बहू। वहाँ सब तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। और हाँ..." उन्होंने आरव्यन की ओर देखा और हल्के चिढ़ाने वाले लहज़े में बोलीं यह मत कहना कि वक्त की कमी है या फिर कोई काम का बहाना बनाना।"


    प्रकाश जी ने भी सिर हिलाया और कहा, "अब तुम इस परिवार का हिस्सा हो।



    आरव्यन चुपचाप खड़ा था उसकी आँखों में वही ठंडापन था, लेकिन वह माता-पिता की बातों का कोई विरोध भी नहीं कर रहा था।


    चलो हमें निकलना चाहिए। दादाजी की तबियत भी देखनी है प्रकाश जी ने कहा और फिर दोनों दरवाजे की ओर बढ़ गए।


    रिद्धिमा जी ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा और बोलीं खुश रहना बहू और मेरे बेटे को भी खुश रखना।



    फिर दोनों कार में बैठकर रवाना हो गए leaving Inaya standing at the doorway lost in thoughts about what was to come next…





    ........................
    काफी लंबा पार्ट दिया है तो कॉमेंट भी करना उसमें कंजूसी मत करना.......
    कैसी लगी स्टोरी और आज का पार्ट बताना जरुर.....
    आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए......
    मिलते हैं नेक्स्ट पार्ट में
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    Thank you

  • 12. every inch of you is mine to explore - Chapter 12

    Words: 1479

    Estimated Reading Time: 9 min

    अब आगे..........



    इनाया ने जैसे ही प्रकाश जी और रिद्धिमा जी को विदा किया, उसकी नज़र आरव्यन पर गई वह बिना कुछ कहे आगे बढ़ गया था। उसकी चौड़ रौबदार चाल और अकड़ देखते ही इनाया ने लंबी सांस भरी।


    "अब कहाँ जा रहे हैं यह मुझे अकेला छोड़ ?" वह मन ही मन बड़बड़ाई और अनजाने में ही उसके पीछे-पीछे चल दी।


    आरव्यन अपने कमरे में दाखिल हुआ और उसके पीछे आती इनाया भी अंदर चली जाती हैं जैसे ही उसने कमरे में कदम रखा, उसकी आँखें खुली की खुली रह गईं।


    कमरा बेहद बड़ा और लग्जरियस था। बड़े-बड़े झूमर, मखमली पर्दे, दीवारों पर महंगे पेंटिंग्स और सामने एक खूबसूरत किंग-साइज़ बेड हर चीजे परफेक्शन से सजी हुई थीं।


    वह चारों तरफ नज़रें घुमाकर देख ही रही थी कि आरव्यन की गहरी आवाज़ में कहा


    "अब से हम दोनों यही रहेंगे।" 🔥


    इनाया ने चौंककर उसकी ओर देखा। "लेकिन… जितना मुझे समझ आया, आपके मॉम-डैड यहाँ नहीं रहते, तो फिर क्यों?"


    आरव्यन ने ठंडी नज़रों से उसकी ओर देखा और कहा _ "क्योंकि मुझे पता है, मेरे दादा जी ने हम पर नज़र रखवाई होगी कि हम कैसे रहते हैं और मैं नहीं चाहता कि उन्हें कुछ भी शक हो ओर इस शादी के बारे में पता चले।



    इनाया ने बिना ज़्यादा बहस किए हा में सिर हिला दिया। लेकिन जैसे ही वह कुछ और कहने लगी आरव्यन ने गुस्से से उसकी बात काट दी बस अब और कुछ नहीं!" 🔥


    इनाया ने मन ही मनउसकी बातें सुनकर हल्की सी मुस्कान दबाती है, "हे भगवान, कितना गुस्सा करते हैं बिन वजह... उफ्फ ! कैसे रहूं इनके साथ? अकडू कहीं के अरे आज ही शादी हुई है।"


    तभी आरव्यन की गहरी नजरें उस पर टिक जाती हैं। वह एक कदम उसकी ओर बढ़ता है और ठंडी आवाज़ में पूछता है, "क्या कहा तुमने?" 😠


    इनाया के चेहरे पर हल्की शैतानी मुस्कान आ जाती है। वह कंधे उचकाते हुए बोलती है, "सच ही तो कहा आज शादी हुई है... तो आज हमारी फर्स्ट नाइट है है ना?"।


    आरव्यन धीरे-धीरे अपनी जैकेट उतारते हुए इनाया की ओर बढ़ा उसकी आँखों में एक शरारती चमक थी।


    तो, आज हमारी फर्स्ट नाइट है, है ना?" 😈अरे नहीं, तुम तो पहले ही मेरे साथ एक रात मना चुकी हो चलो फिर… आज दूसरी नाइट होगी ।


    इनाया घबराकर पीछे हटने लगी लेकिन उसकी शरारती मुस्कान और गहरी आवाज़ ने उसके रोंगटे खड़े कर दिए।


    You can run, sweetheart, but you can't hide... Because tonight, every inch of you is mine to explore 🔥


    इनाया की साँस अटक गई उसके गाल गर्म हो गए।


    आरव्यन ने उसकी ओर एक और कदम बढ़ाया, उसकी नज़रों में कुछ ऐसा था कि इनाया का पूरा बदन सुन्न पड़ गया।



    And trust me, darling... I'll make sure you feel me long after this night is over."😈


    इनाया का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा, और बिना एक पल गंवाए, वह बाथरूम की ओर भाग गई।



    बाहर आरव्यन खड़ा था जिसके चेहरे पर कोई भाव नहीं दिख रहा था उसे खुद समझ नहीं आ रहा था उसने ऐसा क्यों कहा था वह गुस्से से बोल आखिर क्यों मैने वो सब कहा क्यों यह लड़की को देख मुझे अजीब सा महसूस होने लगता हैं 😡



    वह वहां से गुस्से से निकल कर अपने स्टडी रूम के वॉशरूम में फ्रेश होने चला गया।



    इनाया ने शीशे में अपनी घबराई हुई शक्ल देखी और लंबी सांस ली। यह तो बहुत खतरनाक इंसान है बचकर रहना होगा इनसे वहीं वह वॉशरूम को भी ध्यान से देखने लगी उफ़ कितने ही अमीर है यह वॉशरूम भी इतना बड़ा था उसके पुराने घर के कमरे से भी बड़ा था यही सब सोचते हुए।


    उसने जल्दी-जल्दी अपने गहने उतारे और शावर ऑन कर दिया। गर्म पानी की बूँदें उसके थके हुए बदन को राहत दे रही थीं लेकिन जैसे ही उसने शॉवर बंद किया, एक नयी मुसीबत सामने आ गई ओह नहीं वह बड़बड़ाई मेरे पास पहनने के कपड़े ही नहीं हैं!"



    इतना ही नहीं… "ओह गॉड मेरे पास अपने अंडरगारमेंट्स भी नहीं है वह अपने हालात पर गुस्से से झुंझला रही थी ।



    वहीं आरव्यन भी कमरे में आ चुका था उसने टीशर्ट और ट्राउजर पहन रखा था काफी देर हो गई थीं इनाया को अंदर गए हुए थोड़ी देर इंतजार करने के बाद आरव्यन की आवाज़ आई तुम्हें और कितनी देर लगेगी?"


    लेकिन इनाया ने जवाब नहीं दिया।


    कुछ सेकंड बाद फिर वही गुस्से से भरी आवाज़ आई मैं तुमसे बात कर रहा हूँ कब तक अंदर रहोगी?" 😠



    अबकी बार इनाया डर गई और झिझकते हुए बोली वो… मेरे पास कपड़े नहीं हैं पहनने के लिए वह पूरी नेक्ड थीं।


    आरव्यन कुछ पल चुप रहा फिर तीखे स्वर में कहा बाहर आओ 🔥


    इनाया घबरा गई न-नहीं! मैं ऐसे बिना कपड़ों के नहीं आ सकती!"


    यह सुनते ही आरव्यन की आँखों में गुस्से की लपटें भड़क उठीं अगर मैं तुम अभी बाहर नहीं आई तो मैं अन्दर आ जाऊंगा।


    इनाया _ यह आदमी पागल है!"


    वह डरकर झटपट बाथरोब पहनती है और धीरे-धीरे दरवाजा खोलकर बाहर आती है आरव्यन उसे घूरकर देखता है, उसकी नज़रें इनाया के भीगे चेहरे और हल्की गीली जुल्फों पर अटक जाती हैं।


    वह बिना कुछ कहे एक दरवाजे की ओर इशारा करता है जाओ वहाँ ।🔥


    इनाया ने अनजाने में उसकी आँखों की आग को पढ़ लिया और बिना कोई सवाल किए दरवाजे की ओर बढ़ गई।


    जैसे ही उसने दरवाजा खोला वह स्तब्ध रह गई यह एक वॉक-इन क्लोसेट था लेकिन कोई साधारण क्लोसेट नहीं हर तरफ़ आलीशान कपड़े… इंडियन, वेस्टर्न, ट्रेडिशनल, कैजुअल, पार्टी वियर— हर डिज़ाइन, हर ब्रांड के कपड़े वहां थे और बाकी जरूरी सामान भी इनाया के होश उड़ चुके थे वह इस बात से ज़्यादा हैरान नहीं थी कि इतने महंगे कपड़े और सामान उसके लिए थे बल्कि इस बात से थी कि आरव्यन ने पहले से ही ये सब उसके लिए तैयार करवा रखा था!


    "क्या उन्होंने पहले से ही यह शादी तय कर चुके थे?"


    उसके मन में सवाल घूम रहे थे।


    वह धीरे-धीरे अलमारियों में टंगे कपड़ों को छूने लगी। हर एक कपड़ा उसकी नर्मी और क्वालिटी चीख-चीख कर बता रही थी कि ये बेहद महंगे और एक्सक्लूसिव डिज़ाइनर ड्रेसेस हैं।


    "यह सब मेरे लिए?" वह बुदबुदाई।



    तभी पीछे से ठंडी मगर बेहद सख्त आवाज़ आई हा सब तुम्हारा है। अब फालतू सवाल मत करो और जल्दी से अपने लिए कपड़े निकालो।


    इनाया उसकी तरफ़ मुड़ी और कुछ पल उसे घूरती रही कैसे आदमी है ये?"


    वह कभी भी प्यार से बात नहीं कर सकते मुझे तो ऐसे बात कर रहा है, जैसे कोई गुलाम हूँ!"


    लेकिन उसने इस बहस में पड़ने के बजाय, कपड़े उठाए और वॉशरूम की ओर बढ़ गई इनाया ने जैसे ही दरवाजा बंद किया, उसने चैन की सांस ली।


    "हे भगवान ये आदमी कितने खतरनाक है!"


    वह आईने में खुद को देखने लगी। शादी की रस्मों और दिनभर की थकान के बाद वह निढाल महसूस कर रही थी।


    उसने अपने बालों को सुलझाया, चेहरा धोया और कपड़े बदलने लगी। लेकिन तभी… उफ़्फ़!"


    उसकी आँखें हैरानी से फैल गईं।


    वह जिस लॉन्जरी को पहनने के लिए उठाने जा रही थी वह इतनी… इतनी… बोल्ड थी कि उसके गाल शर्म से लाल हो गए ।


    "यह… यह कैसे अंडरगार्मेंट है?"


    हर एक चीज़ इतनी सेक्सी थी कि वह सोच भी नहीं सकती थी कि ये कोई नई नवेली दुल्हन पहनेगी ओह गॉड क्या किसने रखे हैं यह सब।


    उसने कुछ देर तक सोचा फिर आखिरकार सबसे कम बोल्ड ड्रेस उठाई और जल्दी से पहन ली जब इनाया कमरे से बाहर आई, तो उसकी चाल में थोड़ी झिझक थी।


    वह हल्की स्काई-ब्लू साटन की नाइटी पहने हुए थी जो घुटनों तक थी और हल्के नेट के साथ थी। उसके गीले बालों से पानी की कुछ बूँदें उसकी गर्दन से नीचे गिर रही थीं।


    आरव्यन, जो अब तक अपने फोन में कुछ देख रहा था जैसे ही उसने इनाया को देखा, वह कुछ पल के लिए रुक सा गया।



    उसकी नज़रें एक पल के लिए इनाया के खुले बालों और कोमल चेहरे पर टिक गईं।


    लेकिन… अगले ही पल, वह वापस उसी ठंडे अंदाज़ में बोला अब जाकर सो जाओ, और बकवास मत करना ।



    इनाया का मूड खराब हो गया ओह, कितनी विनम्रता है इनकी बातों में!" वह ताने मारते हुए बड़बड़ाई।


    आरव्यन की भौंहें सिकुड़ गईं क्या कहा तुमने?"


    इनाया ने मुस्कुराकर कहा कुछ नहीं मैं कह रही थी, गुड नाइट ।


    वह जल्दी से बेड के किनारे जाकर सोने की कोशिश करने लगी लेकिन आरव्यन अब भी उसे देख रहा था। क्या सोच रहे है ये?"


    कुछ पल बाद इनाया को नीद आ गई वहीं आरव्यन वहां से चला जाता हैं ।





    ..........................
    सुनो सभी...... जिसको भी रोमांस पसंद है वह मुझे बता देना.....
    इसमें में सोच रही हु ओर लिखूंगी भी लेकिन धीरे धीरे लिखूंगी....
    अगर पढ़ना पसंद है तो कॉमेंट कर बताना होगा इग्नोर करके मत चले जाना.....🙂🤧
    आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए....
    मिलते हैं नेक्स्ट पार्ट में......
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  • 13. इनाया का ऑडिशन के लिए जाना - Chapter 13

    Words: 1032

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे........



    अगले दिन सुबह ...


    धीरे-धीरे इनाया की पलकें खुलीं उसके सिरहाने से धूप की हल्की किरणें पर्दे के किनारे से कमरे में फैल रही थीं कुछ पल तक वो छत को खाली-खाली नज़रों से देखती रही बिल्कुल खामोशी जैसे कोई सपना देख रही हो पर नहीं ये सपना नहीं था।



    ओह गॉड मैं सच में शादीशुदा हूँ...उसने खुद से फुसफुसाते हुए कहा और झट से उठ बैठी ।



    कुछ पल खुद को प्रोसेस करने में लगे वो आरव्यन के घर में उसके कमरे में और अब उसकी पत्नी थी इस सोच पर एक हल्की सी हँसी आ गई अरे इनाया तुझसे ज़्यादा बेवकूफ कोई नहीं तुझे अपने हसबैंड का नाम तक नहीं पता... और तूने शादी भी कर ली वाह क्या बात है उसने खुद को ही आईने में देखते हुए कहा।


    ऊपर से पता नहीं कल रात कहाँ गायब हो गए थे हुह वैसे भी... इतने गुस्सैल हैं मेरा क्या ही होगा इनसे यह कहते हुए वो लंबी सांस लेकर वॉशरूम में चली गई।


    फ्रेश होकर, उसने अपने बाल बाँधे और क्लोज़ेट रूम की ओर गई आज उसका ऑडिशन था और वो किसी भी हाल में लेट नहीं होना चाहती थी इंडियन और वेस्टर्न दोनों तरह के कपड़े सामने रखे थे लेकिन उसने एक सिंपल पेस्टल कुर्ती और डेनिम पहने बाल हल्के-से खुले, कानों में छोटे स्टड्स हल्का मेकअप कर वो नीचे आई।



    आज ऑडिशन है... और मुझे किसी भी कीमत पर देर नहीं करनी उसने सोचते हुए बैग उठाया और नीचे आई नीचे सन्नाटा था डाइनिंग टेबल सजी थी लेकिन वहाँ कोई नहीं था उसने आस-पास देखा और फिर पास खड़ी मेड से पूछा सर कहाँ हैं?"



    मेड ने विनम्र मुस्कान के साथ जवाब दिया सर तो सुबह जल्दी ही ऑफिस के लिए निकल गए अब तो दस बजने को आए हैं।"



    इनाया के चेहरे पर हल्की शर्म की लकीरें दौड़ गईं मतलब... वो जा चुके हैं? और मुझे उठाया भी नहीं उसे थोड़ा अजीब भी लगा और कहीं न कहीं बुरा भी नार्मल कपल्स ऐसे होते हैं क्या? कम से कम एक गुड मॉर्निंग तो कह देते...उसने अपने आप से मन ही मन कहा फिर सोचा शायद... ये शादी नार्मल लोगों जैसी है ही कहाँ।"



    उसने जल्दी से ब्रेकफास्ट किया औरर बैग लेकर बाहर निकलने लगी बाहर कार पहले से खड़ी थी ड्राइवर ने उसे देखते ही दरवाज़ा खोला मैडम कहां चलना है में आपको ले चलता हु।



    इनाया ने हाथ उठाकर मना किया नहीं मैं खुद चली जाऊंगी थैंक यू।"


    लेकिन ड्राइवर ने तुरंत सीरियस होकर कहा मैडममाफ कीजिएगा लेकिन सर का सख्त ऑर्डर है अगर मैंने आपको अकेले जाने दिया तो मेरी नौकरी चली जाएगी।"



    इनाया कुछ पल के लिए चुप रह गई उसे लगा जैसे हर जगह आरव्यन की पकड़ हैउफ्फ... ये इंसान हर में अपने कंट्रोल चाहिए क्या उन्हें..लेकिन उसने कुछ नहीं कहा चुपचाप कार में बैठ गई और लोकेशन शेयर कर दी।



    थोड़ी देर बाद उसने कहा थोड़ा दूर छोड़ देना मैं खुद चली जाऊंगी अंदर।"



    ड्राइवर ने सर हिलाकर हाँ कहा।



    रास्ते भर वो खिड़की से बाहर देखती रही शहर की चहल-पहल रफ्तार और उसकी अपनी उलझनों के बीच एक गहरी चुप्पी उसके अंदर थी।



    अब यही मेरी जिंदगी है... हर कदम पर उस आदमी की शेडो... जिसको मैं जानती भी नहीं उसका मन कहीं बेचैन था लेकिन चेहरा शांत।




    इनाया जैसे ही लोकेशन पर पहुंचती है बाहर एक बड़ी सी बिल्डिंग दिखाई देती है, जिसके अंदर ऑडिशन चल रहे थे। ड्राइवर ने उसे थोड़ी दूरी पर उतारा ओर कहा मैडम में आपका यही इंतजार करता हु इनाया हल्के से मुस्कुरा दी और धीरे-धीरे ऑडिशन हॉल की ओर बढ़ी चेहरे पर एक हल्की सी घबराहट थी लेकिन आँखों में एक मजबूत चमक।



    हॉल में एंटर करते ही उसे चारों ओर लड़कियाँ दिखीं कुछ लाइन में लगी हुई कुछ अपनी स्क्रिप्ट याद कर रही थीं तो कोई आईने में खुद को देख रही थीं। तभी एक जानी-पहचानी आवाज़ आती है "Finally Where were you girl?


    इनाया मुड़ती है तो सामने उसकी मैनेजर रितु खड़ी थी स्लीक पोनीटेल, एक फॉर्मल पैंटसूट में ।



    Sorry मैं लेट हो गई दरअसल…" इनाया कुछ बोलती उससे पहले ही रितु उसे स्क्रिप्ट थमाते हुए बोली बहाने बाद में जल्दी से स्क्रिप्ट देख ले ये तो तू साइड कैरेक्टर के लिए आई थी लेकिन आज मेन रोल का भी ऑडिशन चल रहा है।"



    मेन रोल?" इनाया की आंखें हैरानी से खुली।


    हा, लेकिन तू वही साइड वाला दे अभी इतना नहीं हुआ है तेरे लिए। चल अब लाइन में लग और कॉन्फिडेंट दिखना।"


    इनाया स्क्रिप्ट देखने लगती है और वो उसमें डूब ही रही होती है कि अचानक एक लड़की उसके सामने आ खड़ी होती है उसकी हाई हील्स की आवाज़, मेकअप से सजी हुई परफेक्ट फेस, और ऑरा ऐसा जैसे हर किसी को खुद से नीचे दिखाने का।


    "Excuse me लड़की ने तंज कसते हुए कहा।


    इनाया ने नजरें उठाईं, और सामने देखती है दिशा उसकी सौतेली बहन तुम?" इनाया एक पल को पहचान नहीं पाई।


    दिशा बोली हा मेरी प्यारी बहना वैसे मानना पड़ेगा इतनी जिल्लत सहने के बाद भी तुम यहां मुंह उठाकर चली आई क्या बात हैं लगी रहो वैसे भी तुम आगे तो बढ़ने वाली नहीं दिशा ने हंसते हुए कहा और फिर बिना जवाब सुने ही मुंह फेर कर आगे बढ़ गई।



    इनाया को उसकी बात चुभ गई लेकिन वह कुछ नहीं बोली दिशा ने जाते-जाते रितु को भी देखा और बोली You really are wasting your time Ritu तुम्हारे पास कितना टैलेंट है लेकिन तुम ऐसे चेहरों पर टाइम वेस्ट करती हो।"


    रितु ने भी मुस्कान में जवाब दिया लेकिन अंदर ही अंदर वह समझ गई कि दिशा अभी भी insecure है उसे पता था इनाया और दिशा का क्या रिश्ता है और उसे भी वह बिल्कुल पसंद नहीं थी।


    Ignore her रितु ने इनाया से कहा वो अपने आपको हीरोइन समझती है लेकिन इस बार हम दिखा देंगे कौन सच में टैलेंटेड है।"


    इनाया ने गहरी सांस ली और स्क्रिप्ट हाथ में लेकर सोचने लगी चाहे साइड रोल हो या मेन मैं अब पीछे नहीं हटूंगी।"






    .........................
    कैसा लगा पार्ट जरूर बताना....
    ओर प्लीज स्टोरी को सपोर्ट करे और कॉमेंट जरूर से करे छोटा सा ही सही लेकिन कर दिया करे ना......
    आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए
    मिलते हैं नेक्स्ट पार्ट में......
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    Thank you