10 साल तक जहर बनी शादी झेलने के बाद राही ने तय किया—अब बस। वह विक्रांत की कैद से बाहर निकलकर अपनी बेटी चिकी के साथ नई जिंदगी शुरू करेगी। लेकिन तलाक आसान नहीं था। विक्रांत ने कागज़ों पर साइन करने से मना कर दिया। उसकी जिद साफ थी—राही को आज़ादी चाहिए तो... 10 साल तक जहर बनी शादी झेलने के बाद राही ने तय किया—अब बस। वह विक्रांत की कैद से बाहर निकलकर अपनी बेटी चिकी के साथ नई जिंदगी शुरू करेगी। लेकिन तलाक आसान नहीं था। विक्रांत ने कागज़ों पर साइन करने से मना कर दिया। उसकी जिद साफ थी—राही को आज़ादी चाहिए तो मिले, लेकिन उसकी दौलत पर हक नहीं। राही को दौलत नहीं चाहिए थी, पर बिना पैसों के वह चिकी को कैसे बचाती? मजबूर होकर उसने मदद मांगी अधिकार से—अपनी बेस्ट फ्रेंड के मंगेतर से। अधिकार, जो उम्र में उससे छोटा था और जिसके सामने वह सिर्फ नौकरी की उम्मीद लेकर गई थी। पर राही को क्या मालूम था कि जिस दरवाजे पर वह दस्तक दे रही है, वही उसे एक और अंधेरी कैद की ओर धकेल देगा। अब सवाल यह है—क्या राही विक्रांत के शिकंजे से निकलकर अधिकार के जाल में फंस चुकी है? या कहीं ऐसा तो नहीं कि भागने की हर कोशिश उसे और गहरे अंधेरे में खींच रही है?
Page 1 of 3
मुंबई के सबसे पोर्स इलाके पाली हिल में बने एक खूबसूरत बंगले में इस वक्त उदासी छाई हुई थी। हालांकि उस बंगले की सजावट को देखकर कोई भी बता सकता था, कि यहां पर बर्थडे पार्टी की तैयारी की गई है। लेकिन उस कमरे में बैठी एक औरत और उसकी छोटी सी बच्ची उदासी के साथ दरवाजे पर टकटकी लगाए देख रहे थे।
30 साल की राही अपनी बेटी चिक्की के पांचवे जन्मदिन पर शाम से ही अपने पति विक्रांत मेहरा का इंतजार कर रही थी।
हालांकि विक्रांत मेहरा ने आज फोन कर के चिक्की से यह वादा किया था, कि वह आज रात को घर जरूर आएगा और चिक्की के जन्मदिन पर गिफ्ट भी जरूर लेकर आएगा।
चिक्की शाम से ही अपने पिता के घर आने की राह देख रही थी । और बड़ी आशाओं के साथ वह दरवाजे पर टकटकी लगाए बैठी थी। शाम से धीरे धीरे रात हो गई और धीरे धीरे चिक्की की आशाएं भी निराशा में बदल गई थी ।
अब रात के 11:00 बजने को आए थे। चिक्की को नींद आने लगी थी। उसकी आंखें ओझल हो रही थी। पर वह अपने पापा का इंतजार करना चाहती थी। लेकिन राही ने उसे डांट कर सुला दिया था। लेकिन उसकी डांट थोड़ी सौम्य थी वह बस चाहती थी, कि चिक्की और ज्यादा परेशान ना हो । और अपने पापा का ज्यादा इंतजार ना करें ।
इसीलिए उसने अपनी बेटी को गोद में उठाया और इधर से उधर टहलते हुए उसे सुला दिया। एक बार जब चिक्की सो गई, तो वह उसे उसके कमरे में बेड पर सुलाती है और उसे ब्लैंकेट से कवर कर देती है।
चिक्की के सोने के बाद राही के चेहरे पर गुस्सा आ जाता है। वो कमरे से बाहर आती है। और उसका डोर क्लोज कर देती है। ताकि उसके कमरे तक आवाज न जाए। वह सीधे लिविंग रूम में आती है और अपना फोन उठा कर सीधे विक्रांत को फोन कर देती है।
विक्रांत के फोन पर घंटी जा रही थी। विक्रांत के कॉल रिसीव करते ही राही ने गुस्से में भड़कते हुए कहा, “ तुमसे तो मैंने कोई उम्मीद करनी ही छोड़ दी है विक्रांत। लेकिन अब कम से कम अपनी बेटी को तो तुम वो दे ही सकते हो ना, जिसकी उसे उम्मीद है ।”
“ अपनी बकवास बंद करो। तुमने इस वक्त मुझे यह कहने के लिए फोन किया है क्या ? मैंने तुम्हें गोल्ड कार्ड दिया हुआ है ना। तो जाओ उसके लिए कुछ गिफ्ट खरीद लो या फिर कुछ भी ऐसा जो उसे पसंद आता हो। उसे जो चीज खुशी देती हो वह उसके लिए खरीद लो। और मुझे परेशान करना बंद करो...।” विक्रांत की हल्की सी लड़खड़ाती हुई जुबान के साथ राही को उसकी बातें सुनाई दे रही थी।
राही ने गुस्से में भड़कते हुए कहा, “सच में तुम्हें नहीं पता कि तुम्हारी बेटी को किस चीज से खुशी मिलेगी।”
राही का गुस्सा आउट ऑफ़ कंट्रोल हो गया था। पिछले 5 साल से वह विक्रांत की बेवफाई झेल रही थी । लेकिन उसने कभी सोचा नहीं था, कि विक्रांत का ऐसा रवैया कभी चिक्की के लिए भी होगा।
रही गुस्से में कुछ कहने ही वाली थी, कि तभी उस फोन पर दूसरी तरफ से किसी लड़की की आवाज सुनाई देती है,
“ क्या हुआ बेबी? तुम किस से फोन पर बात कर रहे हो ? कौन है जो हमारे इस प्राइवेट पल को खराब कर रहा है? कहीं यह तुम्हारी वह बदसूरत सी वाईफ तो नहीं है ना ?”
इस आवाज को सुनने के साथ ही राही की आंखें एकदम से बड़ी हो जाती है और उसकी आंखों में आंसू आ जाता है । लेकिन विक्रांत अपने साथ सोई उस लड़की को चुप रहने का इशारा करता है।
पर वह लड़की ब्लैंकेट को अपने सीने से ढलते हुए बेड पर बैठ जाती है और विक्रांत को घूर कर देखते हुए कहती है, “ कम ऑन बेबी। तुम किससे छुपाने की कोशिश कर रहे हो? तुम्हारी बीवी ने हम दोनों को एक साथ देख रखा है, ऑफिस बोर्ड रूम में। तुम्हें बॉडी मसाज दे रही थी और तुम्हारी बीवी ने वहां आकर भी हमारा मूड खराब कर दिया था।”
विक्रांत गुस्से में उस लड़की को देखने लगा। तो उस लड़की ने विक्रांत के हाथों से फोन छीन लिया और फोन स्पीकर पर रखते हुए राही से कहने लगी,
“ सुनो बेवकूफ औरत मैं और विक्रांत इस समय एक होटल के रूम में है और हम दोनों एक दूसरे के साथ एंजॉय कर रहे हैं। लेकिन फिलहाल तुम हमारे एंजॉयमेंट को खराब कर रही हो। तुम खुद तो इसे वो दे नहीं सकती हो। और जब यह मुझसे अपनी नीड फलफिल कर रहा है, तो तुम हमें परेशान कर रही हो।”
राही की आंखों से आंसू बह रहे थे और उसका चेहरा लाल हो गया था । वह गुस्से में कुछ बोलने वाली थी, कि सामने से उस लड़की ने आगे राही से कहा, “ तुम मुझे और विक्रांत को कई बार एक साथ देख चुकी हो और विक्रांत के केबिन में तो तुमने हम दोनों को बहुत अच्छी तरह से देखा था ना ? बिना कपड़ों के । तो तभी तुम्हे समझ नहीं आया, कि हम दोनों को प्राइवेसी चाहिए होती है। लेकिन इस कॉल के बाद तुम्हें अच्छी तरह से समझ में आ जाएगा, कि जब विक्रांत घर नहीं आता है तो वह मेरे साथ होता है । और तुम्हें उसे परेशान नहीं करना चाहिए और इस वक्त तुम हमें परेशान कर रही हो।
अब दोबारा कॉल करके हमें परेशान मत करना। वैसे भी तुम्हारी वजह से हमारा अच्छा भला एंजॉयमेंट का मूड खराब हो गया है।” यह कह कर उस लड़की ने कॉल काट दिया और फोन पर दूसरी तरफ से बीप की आवाज आने लगी।
राही का पूरा शरीर कांप रहा था। उसके हाथों की उंगलियां तक कांप रही थी । उसने फोन पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली और अगले ही पल उसने फोन को सोफे पर फेंक दिया। वह नीचे फर्श पर बैठ गई और अपने मुंह पर हाथ रख कर रोने लगी, ताकि उसके रोने की आवाज से चिक्की जाग न जाए।
वह नहीं चाहती थी, कि चिक्की को यह पता चले कि उसके माता-पिता के बीच कितने तनाव हैं। पर जितना वह इस बात को चिक्की से छुपाने की कोशिश करती थी राही का दिल उतना ही दुखता था। राही को पता था, कि विक्रांत से उम्मीद लगाना बेवकूफी है । लेकिन फिर भी बस वह चिक्की के लिए अपनी शादी को बचाना चाहती थी।
राही का मन भारी हो रहा था। उसकी आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे 10 साल पहले उसकी विक्रांत के साथ लव मैरिज हुई थी। लेकिन अब उनके रिलेशन में ना तो लव हे और ना ही मैरिज।
पिछले 1 साल से विक्रांत सिर्फ गिने-चुने दीनों पर ही घर आता था। राही ने उससे कई बार सवाल किए थे, तो विक्रांत उसे बिजनेस और काम का बहाना दे कर टाल देता था। लेकिन राही को अच्छी तरह से पता है, कि विक्रांत किसी बिजनेस मीटिंग या फिर बिजनेस ट्रिप पर नहीं जाता है । बल्कि उसने एक होटल के रूम को परमानेंट अपना कमरा बना कर रखा हुआ है। हर महीने राही के पास जब विक्रांत के क्रेडिट कार्ड का बिल आता है, तो उसमें होटल रूम का रेंट भी शामिल होता है।
राही अपनी टूटी हुई शादी को एक डोर के सहारे बांधने की कोशिश कर रही थी । लेकिन विक्रांत की बेवफाई उसे तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी।
यह कोई पहली बार नहीं था, जब विक्रांत ने राही और चिक्की से किया हुआ अपना वादा तोड़ा है । चिक्की ने कई बार अपने स्कूल प्रोजेक्ट में फर्स्ट किया है। क्लास में टॉप किया है। और कई कंपटीशन में वह विनर रही है। लेकिन उन सब के बावजूद भी विक्रांत बस एक वादा कर देता है, कि वह जल्दी आ कर उसकी खुशियां सेलिब्रेट करेगा। पर वह कभी नहीं आता है। लेकिन आज राही ने अपनी बेटी का निराशा और मायूस चेहरा देखा है। जहां पर वह अपने पांचवे जन्मदिन पर अपने पिता का इंतजार करते करते सो गई थी।
राही अपना चेहरा उठाती है । जो बुरी तरह से हताशा से लाल हो गया था। उसने अपने आंसुओं को पौंछा और अपने मन में विचार करने लगी, “ विक्रांत एक अच्छा पति नहीं बन सका है। लेकिन अब वह एक अच्छा पिता भी साबित नहीं हो पा रहा है। अगर वह एक अच्छा नहीं बन सकता है, तो इस रिश्ते का वजूद ही खत्म हो गया है। क्योंकि इस रिश्ते को बांधने वाली सिर्फ एकमात्र डोर है चिक्की।”
राही भी शायद अब थक गई थी। उसे भी इन सब से आजादी चाहिए थी । उसे भी विक्रांत की बेवफाई से रिहाई चाहिए थी। शायद अब वक्त आ चुका था, कि राही अपने इस टॉक्सिक रिलेशनशिप से बाहर निकल जाये।
राही अपने कमरे में जाती है और अलमारी से एक फाइल निकालती है। वह उसमें से डाइवोर्स पेपर बाहर निकालती है। यह पेपर उसने 2 साल पहले बनवाया था। लेकिन कभी इस पर साइन करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई थी। उसे लगा शायद विक्रम देर सवेर सुधर जाएगा और उनकी शादी बच जाएगी। लेकिन आज शायद यह आखिरी उम्मीद भी टूट चुकी थी।
राही चिक्की के बेड के किनारे पर बैठी हुई थी और उसके हाथों में वह डाइवोर्स पेपर था । जिसे वह पिछले 2 घंटे से घूर रही थी। राही ने इस पेपर पर साइन कर दिया, तो उसकी तरफ से यह शादी खत्म हो जाएग। और वह इस घुटन भरी जिंदगी से आजाद हो जाएगी।
लेकिन इंडिया में लव मैरिज करना जितना मुश्किल है, उससे कहीं ज्यादा मुश्किल है उसे मैरिज को खत्म करना। समाज, लोग, परिवार, दोस्त, रिश्तेदार सबके ताने सुनने को मिलेंगे। हजारों उंगलियां उठेंगी। हजारों सवाल होंगे। शायद इन्हीं सबसे बचने के कारण आज भी हमारे समाज में कई ऐसी शादियां है, जो निभाई जा रही है।
राही के मन में भी यही डर था। लोग और समाज से पहले उसे अपने परिवार का डर था। क्योंकि उसके परिवार के लिए विक्रांत एक आदर्श पिता है और एक अच्छा पति है। और एक अच्छा दामाद साबित हुआ है।
लेकिन असल में वह कैसा है?, यह बात सिर्फ राही ही जानती थी। पर वह आज तक सिर्फ चिक्की की वजह से चुप रही थी। उसे खुद से ज्यादा चिक्की की चिंता थी। वह नहीं चाहती थी, कि चिक्की का इस बात पर गहरा असर पड़े।
मां-बाप का अलग हो जाना बच्चों के लिए बहुत बड़ा सदमा होता है। और यह बात राही अच्छी तरह से महसूस कर सकती थी। क्योंकि उसके माता-पिता का भी डायवोर्स उसके बचपन में हो गया था । और उसने अपनी मां को अकेले संघर्ष करते हुए देखा था।
लेकिन वह अपनी बेटी को इस माहौल में भी बड़ा नहीं कर सकती थी । जहां पर वह धीरे-धीरे उम्र के साथ अपने पिता की बेवफाई के बारे में जाने और वह अपने पिता से नफरत करने लगे।
राही ने एक नजर चिक्की को देखा और उसकी आंखों में आंसू आ गए । उसने धीरे से पेन उठाया और जहां उसे साइन करना था, वहां पर उस पेन की नॉक को रख दिया। लेकिन वह क्या लिखे ?क्या वह अब अपना नाम राही मेहरा लिखेगी? वो इस नाम से भी आजादी चाहती थी। वह विक्रांत का कुछ भी अपने पास नहीं रखना चाहती थी। उसने एक गहरी सांस ली और पेन की नॉक को डाइवोर्स पेपर पर रख कर उसने अपना नया नाम लिखा। जिससे वह पहचानी जाएगी और अब अपना नाम वह इसी नाम से बनाएगी।
“ राही शर्मा....।”
विक्रांत अपनी कार में था और उसकी कार उसके घर के सामने खड़ी थी। वह अपनी लाल आंखों के साथ अपने घर को देख रहा था। उसका सर दर्द से फटा जा रहा था। उसे ऐसा लग रहा था , कि कोई उसके सर पर हथोड़ा मार रहा है।
कल रात वह होटल के कमरे में अपनी बिजनेस पार्टनर साईना अडानी के साथ था। साईना और विक्रांत पिछले 4 साल से एक साथ अफेयर में है। और इन चार सालों में उनकी कई रातें एक दूसरे के साथ होटल के कमरे में बीती है। 4 साल के लंबे अफेयर के बाद भी साईना विक्रांत को छोड़ना नहीं चाहती थी । उसे शायद विक्रांत से शादी की उम्मीद है।
विक्रांत ने कश के अपनी आंखें बंद की और अपना सर स्टीयरिंग व्हील पर रख लिया। कल रात उसे इतनी नहीं पीनी चाहिए थी। लेकिन साईना के साथ वह खुद को संभाल नहीं पाता है। और आज सुबह जब उसकी नींद बिस्तर पर साईना की बाहों में खुली तब उसे याद आया, कि कल रात आखिरकार हुआ क्या था।
( “ तुम अपनी बेवकूफ बीवी से कहो, कि वह तुम्हें तलाक दे। ना तो तुम दोनों के बीच प्यार है और ना ही तुम उसे पसंद करते हो । तो फिर क्यों शादी में रह रहे हो? तुम अपनी बीवी को देखना तक पसंद नहीं करते हो। फिर पता नहीं क्यों ? उसे अपने गले में बांध कर रखा है।”
राही को डायवोर्स देना पूरी तरह से बेवकूफी वाली बात है। ऐसा नहीं है , कि साईना ने पहली बार विक्रांत से यह बात कही है । लेकिन हर बार जब भी साईना राही को तलाक देने की बात करती थी, तो विक्रांत या तो उसकी बात टाल देता था, या फिर नजर अंदाज कर देता था।
आज भी विक्रांत ने वैसा ही किया। उसने गुस्से में साईना को देखते हुए कहा, “ बकवास मत करो । मैं राही को नहीं छोड़ सकता हूं । क्योंकि वह एक बहुत अच्छी मां है और मेरा घर बहुत अच्छे से संभालती है। वह पहले ऐसी नहीं थी। पर जब वह प्रेग्नेंट हुई और उसने चिक्की को जन्म दिया , उसके बाद उसका शरीर कुछ अजीब सा हो गया था। जिसकी वजह से मैंने उसे पसंद करना छोड़ दिया है।
लेकिन सबसे बड़ी बात यह है, कि पूरी दुनिया के सामने वह आज भी मेरी वाइफ है। अगर मैंने उसे डाइवोर्स दिया, तो यह बात मीडिया में जाएगी और मेरी बदनामी होगी।”
यह बात थोड़ी अजीब है। लेकिन जब भी साईना राही को कुछ भी गलत कहती थी, तो हमेशा विक्रांत उसका साइड लेता था। विक्रांत की यही बात साईना को पसंद नहीं आती थी। उसने अपनी एक आईब्रो चढ़ाते हुए कहा,
“ और अगर मैं हमारे अफेयर की बात प्रेस में बताऊंगी, तो यह भी तो अच्छी बात नहीं होगी ना।”
साईना के यह कहने पर विक्रांत ने खतरनाक नजरों से साईना को देखा। विक्रांत की नजरों को समझते हुए साईना ने जल्दी से अपनी बात को पलट दिया और हंसते हुए कहने लगी, “ अरे छोड़ो ना । तुम क्यों उसकी इतनी परवाह कर रहे हो? तुम मुझसे शादी कर लो। उसके बाद मैं तुम्हारी पत्नी बन जाऊंगी।
सोचो कल की मीडिया में कितनी बड़ी न्यूज़ छपेगी, जब तुम्हारी और मेरी शादी की खबरें लोगों के सामने आएगी। और यह हमारे बिजनेस के लिए भी अच्छा है। लेकिन अगर तुम सिर्फ अपनी वाइफ को इसीलिए रखना चाहते हो, क्योंकि वह तुम्हारे घर में साफ सफाई करती है। तो टू बी ऑनेस्ट उसके लिए मेड और सर्वेंट होते हैं। जाहिर सी बात है, इतने बड़े बिजनेस अंपायर के होने के बावजूद मैं घर के काम तो नहीं करूंगी ना। ऐसे काम तुम्हारी बीवी को शूट करते हैं..।”
उसके बाद साईना थोड़ी सी विक्रांत के पास और आती है और उसके सीने पर अपने हाथ रखकर उसे सहलाते हुए कहती है कमल विक्रम समझने की कोशिश करो हम दोनों चार साल से एक साथ हैं। मैं तुम्हें हर तरीके से सेटिस्फाई करती हूं। फिर क्या वजह है ? कि तुम अभी भी अपनी वाइफ को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हो।”
विक्रांत की आंखें बंद थी और उसका सर हेड रेस्ट से लगा हुआ था। लेकिन उसने साईना की बातों का कोई जवाब नहीं दिया । ऐसा नहीं था, कि उसने साईना की बात सुनी नहीं थी। लेकिन यह पहली बार नहीं था, जब वह इसे सुन कर अनसुना कर रहा था।
विक्रांत का जवाब न पाकर साईना चिढ़ जाती है। वह विक्रांत के सीने से अपने हाथ को हटाती है और गुस्से में उसे देखते हुए कहती है, “ मैं तुम्हें लास्ट टाइम बता रही हूं, विक्रांत में हमेशा तुम्हारे साथ इस अफेयर में नहीं रह सकती हूं। मुझे हमारे रिश्ते में कमिटमेंट चाहिए। मुझे तुम्हारी बीवी का टैग चाहिए। और अगर तुमने ऐसा नहीं किया ना, तो मैं प्रेस में जाऊंगी। याद रखना अगर मैंने आवाज उठाई, तो तुम्हारी कंपनी रातों-रात बर्बाद हो जाएगी।....)
और इसी के साथ गाड़ी में बैठा विक्रांत होश में आता है । कल रात उसकी और साईना के बीच जो भी बहस हुई थी, वह याद करके विक्रांत का सर और ज्यादा दर्द करने लगा था। वह अपने घर के सामने गाड़ी में बैठा हुआ था। लेकिन वह अपने घर नहीं जाना चाहता था । वो राही को देखना ही नहीं चाहता था। लेकिन चिक्की के लिए उसे घर जाना ही था।
विक्रांत ने गाड़ी स्टार्ट की और अपनी कार को पार्किंग में जा कर पार्क करता है। नशे में होने की वजह से उसकी कार एक पेड़ से टकरा जाती है। लेकिन विक्रांत को इस बात की परवाह नहीं थी। क्योंकि फिलहाल बस वो चिक्की को देखना चाहता था। उसे कल के लिए दोषी महसूस हो रहा था। वह कल चिक्की के जन्मदिन पर घर नहीं आ पाया था। उसकी छोटी सी बेटी कितनी मायूस हुई होगी। साईना के हुस्न के जाल में वह इतना फस गया था, कि बच्चे के बारे में भूल ही गया था।
हल्के लड़खड़ाते कदमों के साथ विक्रांत अपने घर में दाखिल होता है। लेकिन हॉल में इंटर करने के साथ ही वह चारों तरफ अपनी नज़रें दौड़ा कर चिक्की को ढूंढ रहा था। लेकिन उसे पूरे हॉल में चिक्की कहीं नजर नहीं आई। अगर कोई नजर आई थी, तो वह थी सोफे पर बैठी हुई राही । जो अपनी घूरती हुई निगाहों से विक्रांत को ही देख राही थी।
राही को देख कर विक्रांत का चेहरा गुस्से से भर जाता है वह अपना चेहरा दूसरी तरफ करता है और खुद को शांत करने की कोशिश करता है । क्योंकि राही की बदसूरत सी शक्ल देखना ही नहीं चाहता था।
“ वेलकम होम डियर हसबैंड..” राही ने विक्रांत को देखते हुए कहा। उसकी आवाज बिल्कुल शांत थी। राही सोफे से खड़ी होती है और अपने दोनों हाथ बजाते हुए विक्रांत से कहती है, “ क्या तुम्हें पता है इस समय टाइम क्या हो रहा है? क्योंकि तुम्हे इस वक्त घर पर देखकर मुझे बहुत हैरानी हो राही है । मुझे तो लगा, कि शायद तुम मुझे और चिक्की को भूल गए हो।”
राही की आवाज सुनकर विक्रांत का सर दर्द और बढ़ा जा रहा था। वह उसकी शक्ल नहीं देखना चाहता था और ना ही उसकी आवाज सुनना चाहता था । उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ किया और अपने सर दर्द को कंट्रोल करते हुए उसने बिना राही की तरफ देखते हुए कहा, “चिक्की कहां है? मैं उसे मॉल लेकर जा रहा हूं।”
“ नीरज ( राही का भाई ) चिक्की को अपने साथ लेकर गया है मेरी मम्मी के घर पर।” विक्रांत ने घूरते हुए राही को देखा। तो राही ने आगे कहा।
“ उसे उस तरीके का बर्थडे नहीं मिला जैसा कि उसने सोचा था। इसलिए वह थोड़ी सी उदास हो गई थी। और इसी वजह से मैंने उसे नीरज के साथ अपनी मम्मी के घर पर भेज दिया है। ताकि वहां पर वह मेरे भाई के बच्चों के साथ और मेरी मां के साथ रहकर थोड़ा सा एंजॉय कर सके और उसका मन हल्का हो।”
विक्रांत की आईब्रो चढ़ गई थी और उसने गुस्से में राही से कहा, “ तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या ? तुमने उसे अपनी मां के घर पर क्यों भेज दिया है? हम उसका जन्मदिन हर साल एक साथ मनाते हैं ना। मैं बस एक ही दिन तो लेट हूं।”
“ एक दिन?..” राही ने विक्रांत को घूरते हुए देखा। और फिर अपनी उंगलियों पर कुछ गिनने लगी। उसने दिन गिनते हुए कहा, “ तुम्हें याद नहीं विक्रांत, कि तुम एक दिन नहीं बल्कि 3 महीने लेट हो। तुम पिछले 3 महीने से कितनी बार घर आए हो ? और कितनी बार तुमने चिक्की के साथ समय बिताया है? क्योंकि तुम्हारा ज्यादातर समय तो तुम्हारी बिजनेस पार्टनर की बेड पर गुजरता है।”
“ अपनी बकवास बंद करो राही । मैं यह सब सुनने के लिए घर नहीं आया हूं ठीक है । मैं वैसे भी काम से बहुत ज्यादा थक गया हूं। मैं किसके साथ क्या करता हूं, इससे तुम्हारा कोई मतलब नहीं है। इसीलिए बात को ज्यादा बढ़ाने से बेहतर यही है, कि तुम इसे यहीं पर खत्म कर दो। तुम्हारे साथ झगड़ा करने के मूड में नहीं हूं। मेरा सर दर्द हो रहा है। और तुम्हें देख कर तो यह और ज्यादा बढ़ गया है।”
विक्रांत की बात सुन कर राही का सब्र टूट गया था । कैसे विक्रांत आसानी से इस बात को भूल जाने की बात कह सकता है ? जबकि कल पूरी रात राही विक्रांत की हरकतों से कितनी आहट हुई थी उसे यह भी याद नहीं, कि वह कितनी आहट हुई है । और उसके आंसू कितनी बार सूख चुके है यह भी याद नहीं । बाहर जब भी कोई गाड़ियों की आवाज सुनती तो राही को यही लगता था, कि विक्रांत घर वापस आया है। लेकिन हमेशा की तरह उसे निराशा ही हाथ लगती थी । और अब यह आदमी उससे कह रहा है, कि वह सारी बातों को आसानी से भूल जाए।
भले विक्रांत के लिए बड़ी बात नहीं है । वह चिक्की का पांचवा जन्मदिन भूल गया है। इससे पहले भी कई बार वह चिक्की के इंपोर्टेंट दिन पर शामिल नहीं हुआ है। वह भी सिर्फ इसीलिए क्योंकि वह अपने बिजनेस पार्टनर के साथ बेड पर रंगरलिया मना रहा था।
लेकिन शायद यह दर्द की इंतहा थी। इसके आगे शायद राही भी इन सबको बर्दाश्त नहीं कर सकती थी। उसने खुद के अंदर हिम्मत को बटोरा और एक गहरी सांस छोड़ी।
राही टेबल पर से वह पेपर उठाती है और उसे एक नजर देखती है, डाइवोर्स पेपर। राही उस पेपर को लेकर सीधे विक्रांत के पास जाती है। और उसके सीने पर वह पेपर रख देती है । विक्रांत लड़खड़ा जाता है और हैरानी से राही को देखने लगता है। उसने जल्दी से अपने सीने को संभालते हुए उस पेपर को अपने हाथों में लिया। और हैरानी से राही को देखकर कहा, “क्या है यह ?”
राही ने विक्रांत की आंखों में देखते हुए अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा, “ मैं थक गई हूं इन सब चीजों से। और अब मुझे इन सब चीजों को यहीं खत्म करना है । तुमने ठीक कहा। मैं जितना इस बात को बढ़ाऊंगी यह बात उतनी ही बढ़ती जाएगी । इसीलिए मैं बात को यहीं खत्म करने जा राही हूं। हर वह बात जो तुम्हारे और मेरे बीच हुई थी, वह यहीं पर खत्म होती है।
मैंने साइन कर दिए हैं। मुझे उम्मीद है, कि तुम भी साइन कर दोगे। क्योंकि तुम नहीं चाहोगे कि तुम अपना कीमती बिजनेस छोड़ कर कोर्ट कचहरी के चक्कर काटो। इसीलिए सीधी तौर पर हम दोनों के बीच यह हो जाए तो ज्यादा बेहतर है।”
विक्रांत की आंखें छोटी हो जाती है और वह राही को घूर कर देखने लगता है। उसने अपने हाथ में पड़े हुए पेपर को सामने से देखा, तो उसकी आंखें एकदम से फटी की फटी रह गई। डाइवोर्स पेपर।
तलाक...
विक्रांत के कदम लड़खड़ा गए थे। वह हैरान नजरों से राही को देख रहा था। उसे उम्मीद नहीं थी, कि राही उससे तलाक मांगेगी ।उसके चेहरे पर विश्वास साफ नजर आ रहा था।
“ हां तलाक । मुझे तुमसे तलाक चाहिए।” राही ने अपने धोखेबाज पति के सामने दृढ़ता से खड़े रहते हुए उससे तलाक की मांग करते हुए कहा।
राही को अच्छी तरह से याद है, कि जब वह 7 महीने की प्रेग्नेंट थी तब से ही विक्रांत उसे धोखा देता आ रहा है। अपनी फैसले को मजबूत करने के लिए राही को विक्रांत का धोखा याद करना पड़ा था। जिसे वह कभी याद नहीं करना चाहती थी। उसने विक्रांत के सामने खुद को मजबूत दिखाने की पूरी कोशिश की थी । लेकिन यह बात तो राही का दिल ही अच्छी तरह से जानता था, कि तलाक के पेपर विक्रांत को देते समय उसकी क्या हालत थी।
विक्रांत के हाथों में डिवोर्स पेपर थे। वह हैरानी से उन पेपर को देख रहा था । राही मजाक नहीं कर रही थी। उसे सच में डिवोर्स चाहिए था। पहले जब राही ने उसे डाइवोर्स के लिए कहा था, तो उसे लगा शायद वह मजाक कर रही है। कल रात की वजह से राही नाराज है। जिस वजह से वह विक्रांत से यह कह रही है। लेकिन अब तो शक की कोई गुंजाइश ही नहीं रह गई थी। उसे यकीन था, कि राही पूरी जिंदगी में कभी भी उसे तलाक देने के बारे में तो नहीं सोचेगी।
विक्रांत राही को छोड़ना नहीं चाहता था। अपने धोखे के बावजूद भी वह राही को अपनी पत्नी के रूप में चाहता था। विक्रांत ने राही को वह सब कुछ दिया, जो उसके लिए जरूरी था। एक आरामदायक जिंदगी। एक ऐसी जिंदगी जिसका सपना शायद हर लड़की देखती होगी। इतने सबके बावजूद भी राही उससे तलाक मांग राही है।
हालांकि विक्रांत यह बात अच्छी तरह से जानता था, कि राही कभी भी कोई फिजूल खर्ची नहीं करती थी। वरना बाकी लड़कियां तो विक्रांत के गोल्ड कार्ड का बहुत अच्छे से इस्तेमाल करना जानती थी । लेकिन एक राही ही थी, जिसने विक्रांत के पैसों में कभी कोई इंटरेस्ट नहीं दिखाया था।
विक्रांत हैरान नजरों से राही को देखता है और कहता है, “ तुम मजाक कर रही हो ना ? यह तलाक के कागजात नकली है ना ? तुम झूठ बोल रही हो ना? देखो अगर यह सिर्फ इसीलिए है, क्योंकि मैं किसी और के साथ था। तो वह बात इतनी इंपोर्टेंट नहीं है। तुम एक काम करो तुम शॉपिंग पर क्यों नहीं जाती हो?
शायद तुम्हें कुछ खरीदना होगा। महंगे कपड़े, जूते, ज्वैलरीज जो भी तुम चाहो। चाहे तो अपनी किसी फ्रेंड को भी ले जा सकती हो। लेकिन अगर यह डिवोर्स एक मजाक है, तो मुझे बिल्कुल भी हंसी नहीं आ राही है।”
राही ने अपना चेहरा नॉर्मल रखते हुए विक्रांत से कहा, “ तुम डिवोर्स पेपर पर मेरे साइन देख सकते हो । मैंने पहले ही इस पर साइन कर दिए हैं। और हां यह डाइवोर्स पेपर नकली नहीं है। और ना ही कोई मजाक है । बल्कि मजाक तो तुमने मेरी जिंदगी का बना कर रखा हुआ है।
लेकिन तुम्हारी किए हुए मजाक में मैंने अपनी जिंदगी के 10 साल बहुत अच्छे से हंसते हुए बिताएं हैं। अब मुझे अपनी जिंदगी थोड़ी सीरियस हो कर जीनी है। इसलिए मुझे तुमसे बस डाइवोर्स चाहिए।”
“ अपनी बकवास बंद करो। मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है। मैं तुमसे लड़ाई करने के बिल्कुल मूड में नहीं हूं ।” विक्रांत ने लगभग राही पर चिल्लाते हुए कहा।
लेकिन राही का रिएक्शन अभी भी वैसा ही था। राही के चेहरे पर अब भी कोई भाव नहीं बदले थे। विक्रांत की आंखें सख्त हो गई । राही सीरियस थी। वह सच में उसे डिवोर्स देने की बात कह रही थी। और सच में वह उससे अलग होना चाहती थी।
विक्रांत बौखला गया। उसने चिल्लाते हुए कहा, “ तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या? क्या कमी रखी तुम्हारे पास घर, गाड़ी, बंगला, पैसा ऐश ओ आराम सब कुछ है तुम्हारे पास। और क्या चाहिए ?”
राही की आंखों में आंसू आ गए थे । यह इंसान उसके जज्बातों को पैसों में तोल रहा था। शादी के 10 साल और बेवफाई के 5 साल।
पिछले 10 सालों से राही एक हाउसवाइफ की तरह विक्रांत का घर संभाल रही है। उसके बच्चे को पाल राही है। चिक्की की देखभाल और परवरिश राही अकेले करती है। जबकि विक्रांत अपनी रातें होटल के कमरे में किसी लड़की के साथ रंगीन करता रहता है। चिक्की की परवरिश में विक्रांत का हाथ नहीं है । इन सब के बावजूद भी विक्रांत ने जो किया है, उसे इस बात का बिल्कुल भी पछतावा नहीं है ।
“ मैंने तुम्हें एक आलीशान जिंदगी दी है। इतना बड़ा घर दिया है। तुम्हें पैसे, गाड़ी, लग्जरी लाइफ सब दी है। इसके बावजूद भी तुम मुझे डाइवोर्स चाहती हो ? और क्या चाहिए तुम्हें? मुझे डाइवोर्स के नाम पर ब्लैकमेल करना बंद करो । और साफ साफ बताओ, कि तुम चाहती क्या हो ?” विक्रांत ने लगभग चिल्लाते हुए राही से सवाल किया।
“ मुझे तुमसे कुछ भी नहीं चाहिए ।शिवाय डिवोर्स के….” विक्रांत का चेहरा गुस्से में भर गया था। राही अपनी बातों पर अड़ी हुई थी। मतलब वह तलाक को लेकर सीरियस थी। विक्रांत का चेहरा गुस्से में कांपने लगा था।
और उसने गुस्से में राही को देखते हुए कहा, “पागल मत बनो राही। दिमाग से काम लो। अगर नहीं सोच पा राही हो, तो मैं तुम्हें याद दिलाता हूं भूल गई हो, कि तुम कहां से आई हो? तुम एक ऐसी जगह से आई हो जहां पर पैसों के लिए तुम्हें दिन रात संघर्ष करना पड़ रहा था।
भूल गई कॉलेज के वह दिन ? जब तुम अपने प्रोजेक्ट के लिए पैसे इकट्ठे कर रही थी, तब मैंने तुम्हारी मदद की थी। अगर मैं तब पैसों से तुम्हारी मदद नहीं करता, तो तुम कभी कॉलेज कंप्लीट ही नहीं कर पाती । शादी से लेकर अब तक तुम सिर्फ मेरे पैसों पर ही पलती आई हो।
तुम्हें लगता है कि मुझसे अलग होकर तुम यह जिंदगी जी सकती हो ? तुमसे शादी करके मैंने तुम पर एहसान किया है। और बदले में तुम क्या कर रही हो ? किस बात की नाराजगी है तुम्हें हां? इस बात के लिए कि मैं रातों में घर नहीं आता हूं , मेरा रिश्ता किसी और औरत के साथ है, तो इससे तुम्हें क्या फर्क पड़ता है ?
मैंने तुम्हारे लिए अपनी जिम्मेदारियां से कभी मुंह तो नहीं मोड है ना। तुम बताओ क्या मैंने कभी भी अपने बाहर चल रहे अफेयर्स की परछाई अपने घर पर पडने दी है?
क्या मैंने कभी चिक्की के ऊपर इन सब का प्रभाव पडने दिया है ? मैंने तुम्हारे और चिक्की के लिए अपनी जिम्मेदारियां नहीं निभाई है। पैसों में, ऐश ओ आराम में मैंने कभी भी तुम दोनों को कमी आने दी है क्या ?
तो तुम मुझे बताओ, इन सबके बावजूद भी तलाक लेने का क्या कारण है? और अगर फिर भी तुम मुझसे तलाक चाहती हो, तो मैं तुम्हें बता दूं कि मुझसे अलग होने के बाद तुम्हारे पास कुछ भी नहीं रहेगा।”
राही हैरान नजरों से विक्रांत को देखते रह जाती है । और उसकी बातों को सुनकर तो वह दंग रह गई थी। उसे एक पल के लिए तो यकीन ही नहीं हो रहा था, कि यह वही इंसान है जिसे कॉलेज में वह कितना प्यार किया करती थी। यह वही है, जिसके साथ उसने अपनी जिंदगी बनानी थी। उसके बच्चे की मां बनी, उसे एक प्यारी सी बेटी दी और उसने यह वादा भी किया था, कि वह सारी जिंदगी उसका साथ निभाएगा।
राही की आंखों से आंसू आ गए थे। विक्रांत ने चिल्लाते हुए कहा, “ अब यह रोकर मेलोड्रामा करने की जरूरत नहीं है । बताओ इतने सबके बावजूद भी तुम्हें क्या चाहिए ? जो मांगोगी मैं तुम्हें देने को तैयार हूं।”
“ प्यार....” राही ने अपनी आंखों में आंसू पोछते हुए विक्रांत से कहा । तो विक्रांत हैरान हो जाता है।
“ क्या…?”
“ प्यार। मुझे प्यार चाहिए विक्रांत। कहो दे सकते हो मुझे प्यार?” राही के सवाल से विक्रांत पूरी तरह से चुप हो गया था। उसके पास राही के सवालों का जवाब नहीं था। ऐसा नहीं था, कि विक्रांत ने शुरू से ही राही को धोखे में रखना शुरू कर दिया था। शुरू शुरू में वो राही से बहुत प्यार करता था। और विक्रांत ने यही सोचा था, कि वह हमेशा से सिर्फ राही से ही प्यार करेगा। उनके बहुत सारे बच्चे होंगे। ज्यादा नहीं तो कम से कम तीन तो होंगे ही।
लेकिन जब राही प्रेग्नेंट हुई, तो उसकी प्रेगनेंसी कॉम्प्लिकेटेड थी। इसीलिए डॉक्टर ने पाचवें महीने के बाद फिजिकल रिलेशन बनाने के लिए मना कर दिया था । पर विक्रांत की नीड को यह बात समझ में नहीं आ रही थी। उसकी बॉडी फिजिकल रिलेशन बनाने के लिए पागल हो रही थी । क्योंकि शादी के 5 साल तक विक्रांत ने राही का खूब इस्तेमाल किया था। अचानक से राही की प्रेगनेंसी की वजह से वह खुद को हैंडल नहीं कर पा रहा था।
;इसीलिए खुद को राहत देने के लिए विक्रांत सबसे पहले प्रॉस्टिट्यूशन के पास गया। जहां उसे बहुत राहत मिली थी।
लेकिन एक बार के बाद ही विक्रांत ने पलट कर दोबारा नहीं देखा। वह इन सब का आदी हो गया था। उसने राही को धोखा देना शुरू कर दिया था । पहले एक, दो और फिर न जाने कितनी लड़कियां विक्रांत की जिंदगी में आई और उसके बिस्तर से होकर चली गई।
राही की डिलीवरी के बाद उसका सारा ध्यान चिक्की की परवरिश में ही लग गया था । क्योंकि चिक्की की परवरिश वह अकेले ही कर रही थी। और डिलीवरी के तुरंत बाद राही का बॉडी शेप उसके पहले की बॉडी शेप के जैसा भी नहीं था।
लेकिन अब शायद इन सब का कोई फायदा नहीं था । विक्रांत बहुत आगे निकल गया था। वो वापस पलट कर राही को और अपने परिवार को नहीं देख रहा था। अगर आज विक्रांत राही से यह कहता है, कि वह उससे प्यार करता है। तो शायद यह राही को दिए गए धोखे से भी बड़ा धोखा होगा।
विक्रांत ने कुछ नहीं कहा। उसके होंठ सिल चुके थे। वह राही को इस सवाल का जवाब नहीं देना चाहता था। पर राही को उसकी चुपी में ही उसका जवाब मिल गया था। उसने आंखों में आंसू लिए और चेहरे पर मजाकिया मुस्कान रखते हुए विक्रांत को देखकर कह, “ इतना टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। मुझे पता है तुम्हारा जवाब क्या है ।
चलो ठीक है, मैं तुम्हारे लिए इन सब चीजों को और आसान बना देती हूं। मुझे एक बात बताओ। क्या तुम मुझे बेड पर वैसे ही प्यार करोगे ? जैसा चिक्की के जन्म से पहले करते थे। बस मेरे इस सवाल का जवाब दे दो।”
विक्रांत झूठ नहीं बोलना चाहता था। लेकिन सच तो यही था, कि जब राही प्रेग्नेंट हुई तो धीरे धीरे उसका वजन बढ़ता गया और फिर जब वह अपनी प्रेगनेंसी के फुल मंथ में थी, तो किसी मोटे ढोल की तरह लगने लगी थी। उसका बॉडी शेप बहुत अजीब हो गया था और विक्रांत को वह बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था।
हालांकि उसे पता है, कि प्रेगनेंसी के बाद यह ठीक हो जाएगा । लेकिन फिर भी विक्रांत के लिए यह बहुत अजीब था। उसे राही के पास जाने में भी घिन्न आने लगी थी। चिक्की की डिलीवरी के बाद भी एक लंबे समय तक राही का शरीर उसके सही आकार में नहीं था। चिक्की की देखभाल करने के चक्कर में राही अपने ऊपर ध्यान ही नहीं दे पाती थी। और उसका शरीर धीरे धीरे बेडौल होता गया।
जब पहली बार राही को विक्रांत के अफेयर के बारे में पता चला था, तो उसने बहुत हंगामा किया था । तब विक्रांत ने उसे यह कहा, कि वह अब पहले की तरह आकर्षित और सुंदर नहीं लगती है । जिसकी वजह से राही पूरी तरह से टूट गई थी। उसने फिर से खुद पर और अपनी बॉडी शेप पर ध्यान देना शुरू कर दिया था। लेकिन वह फिर भी कामयाब नहीं हो पा राही थी। क्योंकि जहां उसे एक पल खुद के लिए मिलता, तो उसे बाकी का समय चिक्की को देना पड़ता था।
विक्रांत चुप हो गया था । उसके पास राही के सवालों का जवाब नहीं थे। राही के चेहरे पर एक सारकास्टिक मुस्कान आ जाती है और उसने विक्रांत से कहा, “ मुझे अपने सवालों के जवाब मिल गए हैं।”
विक्रांत ने राही को देखते हुए गुस्से में कहा, “ठीक है तलाक लेने के लिए यह एक वजह हो सकती है। लेकिन मैं सिर्फ इस वजह से ही तुम्हें तलाक नहीं दूंगा।”
राही हैरान नजरों से विक्रांत को देखने लगती है। वह कितने विश्वास के साथ यह बात कह रहा था। राही ने घूरते हुए विक्रांत से कहा, “ तो तुम क्या चाहते हो ? ऐसी नाम की शादी जिसमें हम दोनों के बीच प्यार ही नहीं है, तुम ऐसी शादी को क्यों रखना चाहते हो ? अगर यह चिक्की के बारे में है । तो मैं बता देती हूं, कि हम चिक्की की परवरिश बारी-बारी से कर सकते हैं।
विक्रांत चुप हो गया था । उसके पास राही के सवालों का जवाब नहीं थे। राही के चेहरे पर एक सारकास्टिक मुस्कान आ जाती है और उसने विक्रांत से कहा, “ मुझे अपने सवालों के जवाब मिल गए हैं।”
विक्रांत ने राही को देखते हुए गुस्से में कहा, “ठीक है तलाक लेने के लिए यह एक वजह हो सकती है। लेकिन मैं सिर्फ इस वजह से ही तुम्हें तलाक नहीं दूंगा।”
राही हैरान नजरों से विक्रांत को देखने लगती है। वह कितने विश्वास के साथ यह बात कह रहा था। राही ने घूरते हुए विक्रांत से कहा, “ तो तुम क्या चाहते हो ? ऐसी नाम की शादी जिसमें हम दोनों के बीच प्यार ही नहीं है, तुम ऐसी शादी को क्यों रखना चाहते हो ? अगर यह चिक्की के बारे में है । तो मैं बता देती हूं, कि हम चिक्की की परवरिश बारी-बारी से कर सकते हैं।
इससे चिक्की को कभी यह भी पता नहीं चलेगा, कि हम दोनों के बीच कोई प्रॉब्लम है। लेकिन उम्र के साथ उसे इस बारे में पता चल जाएगा । पर फिक्र मत करो, मैं कभी भी तुम्हें उसकी नजरों में गिरने नहीं दूंगी। इसके अलावा मेरे पास तुम्हारे साथ रहने की कोई वजह नहीं है। मैं अपनी सारी जिंदगी ऐसे नहीं बिता सकती हूं । घर के एक कोने में कोई फर्नीचर का सामान बनकर। और तुम बाहर अपनी रातें रंगीन करते हो ।”
राही ने विक्रांत पर इल्जाम लगाते हुए कहा। तो विक्रांत की नजरे तीखी हो जाती है और वह राही से कहता है, “ बकवास बंद करो अपनी। तुम्हें क्या लगता है? मैं नहीं जानता हूं, कि तुम मुझसे डाइवोर्स क्यों चाहती हो ? ताकि डाइवोर्स के बाद मेरा आधा पैसा और आधी प्रॉपर्टी तुम्हारी हो जाए। और तुम मेरे पैसों से दूसरे आदमियों के साथ अपने शोक पूरे कर सको। यह सच नहीं है । इसलिए तो तुमने यह डाइवोर्स पेपर पहले से बना कर रखा हुआ था । ताकि वक्त आने पर मुझसे तलाक मांग सको।”
राही के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है। जैसे वह खुद के ऊपर ही हंस रही थी। और ऐसे दिखा रही थी, जैसे उसने कोई मजेदार सा जोक सुना है । उसने हंसते हुए विक्रांत को देख कर कहा, “ अफसोस विक्रांत । 10 साल के रिश्ते में तुम मुझे इतना भी नहीं समझ पाए हो। कि मुझे तुम्हारे पैसों की कोई जरूरत नहीं है। यहां से बस वही लेकर जाऊंगी, जो मेरा अपना है। और हां मैं चिक्की को अपने साथ ले जाऊंगी। इसके अलावा मुझे तुमसे कुछ भी नहीं चाहिए।”
उसके बाद राही वहां पर एक और मिनट नहीं रुकती है । वह तुरंत वहां से कमरे में चली जाती है और अपना बैग पैक करने लगती है। उसने अपने कपड़े रखे थे लेकिन वही कपड़े जो उसने शादी से पहले लिए थे उसने विक्रांत का दिया हुआ कुछ भी अपने साथ नहीं रखा था। आज उसे इस बात का शुक्र था, कि पुरानी चीजों को संभाल कर रखने की इस आदत ने उसके कपड़ों को अभी तक बचा कर रखा हुआ है।
अपने हाथों में वह छोटा सा बैग लेकर वह वापस हॉल में आती है। जहां पर विक्रांत पहले से ही खड़ा था और उसकी नज़रें राही के ऊपर ही थी।
राही दरवाजे की तरफ बढ़ ही रही थी, कि विक्रांत ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा, “ डाइवोर्स पेपर पर साइन नहीं किए है मैंने अभी तक।”
राही रुक जाती है और पलट कर विक्रांत को देखते हुए कहती है, “ तुम पहले डाइवोर्स पेपर पर साइन करोगे। उसके बाद उसे कोर्ट में सबमिट करोगे। और फिर कोर्ट हमारे डाइवोर्स को लीगल करेगा। इतने समय तक मैं तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहती हूं। इसीलिए मैं अभी और इसी वक्त तुम्हारा घर छोड़ कर जा रही हूं। डाइवोर्स पेपर पर साइन कर के तुम कोर्ट में सबमिट करवा देना।”
“ तो आखिरकार तुमने फैसला कर ही लिया है। ठीक है अगर तुम यह घर छोड़ कर जाना ही चाहती हो, तो क्या तुम मुझे बताओगी ? कि यहां से निकलकर तुम कहां जाओगी?” विक्रांत गुस्से में उबलता हुआ राही से सवाल कर रहा था।
राही ने भी विक्रांत को देख कर सिंपल शब्दों में उसे जवाब देते हुए कहा, “ कहीं भी, कोई भी जगह इस नर्क से तो बेहतर ही होगी। फिलहाल मैं बस अपना सामान लेकर जा राही हूं। चिक्की का सामान और उसके कपड़े अभी भी यहीं पर हैं। रहने के लिए जैसे ही मुझे कोई अच्छी जगह मिलती है, मैं उसका सामान भी अपने साथ ले जाऊंगी।”
विक्रांत गुस्से में राही के सामने आता है और चिल्लाते हुए कहता है, “ दिमाग खराब हो गया क्या तुम्हारा राही? सड़क पर भटकती रहोगी लेकिन तुम्हें कहीं भी सहारा नहीं मिलेगा। तुम्हें क्या लगता है? तुम कोई कॉलेज की लड़की हो, जिसे कोई भी काम दे देगा । और रहने के लिए जगह दे देगा । अकल से काम लो। तुम एक 30 साल की औरत हो एक बच्चे की मां हो। और तुम जैसी औरतों को लोग बुढ़ापे के रूप में देखते हैं। बच्चे तुम्हें आंटी कह कर बुलाते हैं।”
राही के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान थी और उसने विक्रांत को देखते हुए, “ तो इससे तुम्हारा कोई लेना-देना नहीं है कि मेरी उम्र क्या है? और बच्चे मुझे किस नाम से बुलाते हैं। अगर तुम्हारे लिए मैं एक बदसूरत औरत हूं । तो मुझे यकीन है, कि अपनी नई बीवी को भी तुम यही कहोगे। क्योंकि मैंने सुना है, उसकी उम्र भी 29 इयर्स की है।”
विक्रांत की आंखें एकदम से बड़ी हो जाती है। राही मुस्कुराते हुए अपना बैग उठाती है और अगले ही पल वह मेहरा मेंशन से चली जाती है।
घर के बाहर पहुंच कर उसने टैक्सी ली और उसमें बैठ कर वह वहां से चली गई । उसने पीछे मुड़ कर उस घर को देखा। जिसे संभालने में उसने 10 साल लगाए थे। इस घर से उसकी बहुत सारी अच्छी यादें जुड़ी हुई है। और साथ में उसकी बुरी यादें भी। वह उसका खूबसूरत सा घर है, जिसे वह अपने हाथों से सजाया करती थी। लेकिन अब वह उसका घर नहीं था।
राही की आंखों से आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे । वह बार-बार दुपट्टे से अपने आंसुओं को पौछ राही थी। तो ड्राइवर ने कहा, “ मैडम कहां जाना है?”
राही ने खुद को संभालते हुए ड्राइवर से कहा, “ किसी भी सस्ते से लॉज में ले चलो।”
ड्राइवर ने गाड़ी मोड़ दी और राही को एक सस्ते लॉज की तरफ ले जाने लगा । लेकिन वहीं पर विक्रम सोफे पर बैठा हुआ था और उसके हाथों में डाइवोर्स पेपर थे। उसकी आंखें गुस्से से कांप रही थी। और उसके हाथ कांप रहे थे। उसे यकीन नहीं हो रहा था, कि राही ने सच में उसे डाइवोर्स दे दिया है और वह घर छोड़ कर चली गई है।
विक्रम अपना गुस्सा कंट्रोल नहीं कर पा रहा था। वह औरत उसे छोड़ कर चली गई है, जिसे विक्रम ने सब कुछ दिया था। उसकी अंतरात्मा के लिए यह उसका अपमान था। राही ने उसकी बेइज्जती की है। वह उसे नहीं छोड़ सकती है। भले ही विक्रम राही से प्यार करता है या नहीं करता है। लेकिन फिर भी राही उसे नहीं छोड़ सकती है । वह कभी राही को अपनी प्रॉपर्टी का कोई हिस्सा नहीं देगा।
हालांकि विक्रम बहुत ही पैसे वाले परिवार से ताल्लुक रखता था। अगर राही को वह कोई एक कंपनी भी दे दे, तो भी विक्रम के लिए यह मायने नहीं रखेगा। डाइवोर्स पेपर पर साइन करने का मतलब है, कि अब विक्रम पूरी तरह से आजाद है । वह किसी के साथ भी कैसे भी रिश्ता रख सकता है । अब उसे रोकने वाला कोई नहीं है। और ना ही कोई उस सवाल करेगा।
राही ने पहले ही कह दिया था कि वह चिक्की को अपने साथ ले जाना चाहती है। इसका मतलब विक्रम के ऊपर कोई भी जिम्मेदारी नहीं खड़ी होगी।
लेकिन फिर भी विक्रम के हाथों की मुठिया कसी हुई थी। वह राही को डाइवोर्स नहीं देना चाहता था। वह तलाक के पेपर पर साइन नहीं करना चाहता था । या फिर यूं कह ले, कि उसे साइन हो ही नहीं रहे थे।
जेब में रखा हुआ विक्रम का फोन बजता है। विक्रम को लगा शायद राही फोन कर रही है। उसका मन बदल गया है और आधे घंटे में ही उसे पता चल गया होगा, कि इस दुनिया में वह पैसों के बिना और विक्रम के नाम के बिना नहीं रह सकती है।
विक्रम जल्दी से अपना फोन निकाल कर देखता है। तो उसकी आंखें छोटी हो जाती है। फोन के ऊपर प्राइवेट नंबर शो हो रहा था। विक्रम हैरानी से फोन रिसीव करते हुए अपने कान से लगाता है और कहता है, “ कौन बोल रहा है ?”
“ हेलो ब्रदर…” इस आवाज के साथ ही विक्रम की आंखें एकदम से बड़ी हो जाती है और उसके हाथों की मुठिया कस जाती हैं।
गाड़ी में बैठ कर भी राही का दिमाग बार-बार सिर्फ चिक्की के बारे में ही सोच रहा था। वह चिक्की को डायरेक्ट नहीं बता सकती है, कि वह उसके पापा से अलग हो गई है। लेकिन वह धीरे-धीरे चिक्की को इस बात का एहसास करवाएगी। ताकि उस पर ज्यादा प्रभाव न पड़े।
राही अच्छी तरह से समझ सकती थी इस बात को। क्योंकि जब वह छोटी थी और उसके माता-पिता अलग हुए थे, तब इस बात को वह बर्दाश्त नहीं कर पा राही थी।
अचानक से एक झटके के साथ गाड़ी रूकती है और ड्राइवर कहता है, “ मैडम यह लॉज सबसे सस्ता भी है और इस इलाके का सबसे अच्छा लॉज भी है।”
राही ने हा में सर हिलाया और टैक्सी से बाहर निकल गई । उसने टैक्सी वाले को किराया दिया और लॉज के अंदर चली गई। सामने बैठे हुए दो-तीन अजीब अजीब लोगों को देख कर वह हैरान हो गई थी। क्योंकि कुछ लड़के थे और लड़कियों ने अपना मुंह ढक कर के रखा हुआ था।
राही जानती थी, कि लोच को घंटे के हिसाब से किराए पर दिया जाता है। लेकिन उसके पास इतना पैसा नहीं था, कि वह किसी बड़े होटल में जाकर रह सके। इसीलिए उसने सस्ते लॉज में रहने का ही डिसीजन लिया था
राही ने अपने लिए एक कमरा बुक किया और उस कमरे में चली गई। पर उस कमरे की हालत देख कर राही का मन बेचैन हो गया था। दीवारों के रंग उखड़ रहे थे । गंदी सी बेडशीट बिछी हुई थी और पूरे कमरे में अजीब सी बदबू आ रही थी, जैसे कोई सस्ता सा फिनायल का पोछा लगाया गया है।
राही को अपनी फिक्र नहीं थी। लेकिन उसे चिक्की की फिक्र थी। चिक्की एक आलीशान घर में रहती थी। उसका खुद का कमरा था और उस कमरे को प्रिंसेस की तरह डिजाइन किया गया था। चिक्की के पास एक से एक कपड़े थे और उसके बेडशीट पर भी मिकी माउस बना हुआ था। ऐसे में चिक्की इस जगह पर कैसे रहेगी ? राही को जल्द से जल्द कोई दूसरी जगह ढूंढनी होगी रहने के लिए।
कमरे के अंदर जा कर अपना बैग टेबल पर रखते हुए राही ने उस कमरे को देखा और अपने मन में कहा, “ मुझे कुछ समय के लिए चिक्की को मम्मी के पास ही रखना होगा। बस जब तक मैं उसके लिए कोई दूसरी जगह नहीं ढूंढ लेती।
राही ने एक हफ्ते के लिए लॉज में कमरा बुक किया था। और उसे उम्मीद थी, कि उसे कुछ दिनों में एक अच्छी नौकरी मिल जाएगी। आखरी बार जब वह अपनी मम्मी के घर गई थी, तो उसकी मम्मी ने उसके हाथ में ₹5000 रखे थे। वह उन्ही पैसों को अपने साथ लेकर आई थी। ताकि वह कुछ दिन इन पैसों से काम चल सके।
राही कमरे की बाथरूम में जाती है और वहां मुंह धोने लगती है। अचानक से राही का ध्यान अपने शरीर के ऊपर गया था । चिक्की के जन्म के बाद वह मोटी हो गई थी और उसका शरीर भी अजीब आकार में बढ़ रहा था । लेकिन जब उसे यह पता चला, कि विक्रम उसे सिर्फ इसीलिए धोखा दे रहा है क्योंकि वह अजीब दिखती है। तो उसने खुद के ऊपर ध्यान देना शुरू किया था। लेकिन यह मुमकिन नहीं हो सका और विक्रम के धोखे की वजह से उसकी हालत गिरती चली गई । उसका खाना भी कम हो गया था । जिसकी वजह से अब वह बहुत ज्यादा कमजोर दिखने लगी थी।
अचानक से कम खाना खाने की वजह से राही का वजन भी गिरता चला गया। और विक्रांत के धोखे के बाद तो उसके अंदर कुछ एनर्जी भी नहीं बची थी। और ना ही उसका कुछ खाने पीने का मन करता था। जिसकी वजह से उसकी हालत और ज्यादा खराब होती गई। जैसे-जैसे चिक्की बड़ी हो रही थी, वैसे-वैसे ही उसका वजन बेडौल सा बढ़ता जा रहा था।
राही को याद आता है, कि जब चिक्की दूध पीती थी तब डॉक्टर ने राही को सब कुछ खाने की हिदायत दी थी। क्योंकि जो वह खाएगी वही चिक्की को लगेगा। इसीलिए राही ने बहुत सारा खाना खाना शुरू कर दिया था। ताकि चिक्की की सेहत सही रहे। लेकिन उसे इतना खाता देख विक्रांत उसे डांटते हुए कहता था, कि वह पहले ही बहुत अजीब आकार में बढ़ रही थीं।
अगर इस तरीके से वह खाना खाती रहेगी, तो और ज्यादा ढोल हो जाएगी। विक्रांत के ताने के बाद राही का खाना छुट्टता चला गया। वह चिक्की के लिए थोड़ा बहुत खा लिया करती थी, लेकिन जब चिक्की का दूध छूटा तो उसके बाद से तो उसने खाने को जैसे छोड़ ही दिया था।
और धीरे धीरे उसकी आदत यह हो गई है, कि वह एक रोटी भी ठीक से नहीं खा पाती है। अब उसका शरीर बहुत ज्यादा पतला हो गया है। यहां तक की उसकी कलाई पकड़ने पर हड्डियां फिल होती है।
राही शीशे में खुद को देख रही थी और खुद के ऊपर हंसते हुए उसने अपने मन में कहा, “ क्या फायदा मेरे इस शरीर के आकार का ? जब मैं अपने पति को ही अपने पास रखने में नाकामयाब साबित रही तो। विक्रांत को एक दुबली पतली लड़की चाहिए थी। और देखो मेरा शरीर पहले के आकार से भी ज्यादा दुबला पतला हो गया है।”
काफी समय बाद आज राही ने खुद को आईने में देखा था और उसके इस अजीबोगरीब शरीर के आकार को देख कर वह और ज्यादा हैरान हो गई थी। सच में वह जिस तरीके से अपने शरीर को देख पा रही थी, उसे लग रहा था जैसे वह किसी की पत्नी बनने योग्य ही नहीं है। इसीलिए इसके आगे आईने में खुद को देखने की उसकी हिम्मत ही नहीं हो रही थी। उसकी आंखों में आंसू थे और होठों पर एक कड़वी मुस्कान थी।
लेकिन फिर अगले ही पल उसकी मुस्कान सच्ची और असली थी। जब उसने चिक्की को याद किया । उसने आईने में खुद को देखते हुए कहा, “ बहुत दिन हो गए मैंने चिक्की के चेहरे पर भी एक ऐसी मुस्कान नहीं देखी है, जो मैं हमेशा उसके चेहरे पर देखना चाहती थी। भले ही लोग यह क्यों ना कहे ? कि मैं दुनिया की सबसे बदसूरत औरत हूं । लेकिन मुझे पता है मेरी बेटी के लिए मैं इस दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत हूं।
एक बच्चे के लिए उसकी मां से ज्यादा सुंदर और कौन हो सकता है? इसलिए मुझे और किसी के लिए नहीं अब अपनी बेटी के लिए खुद का ख्याल रखना होगा। और इसके लिए सबसे जरूरी है, एक नौकरी । मुझे एक नौकरी की जरूरत है । हां मुझे एक नौकरी चाहिए। ताकि मैं चिक्की की परवरिश अच्छे से कर सकूं। तो क्या हुआ मुझे एक नौकरी मिल सकती है। क्योंकि मैं एक ग्रेजुएट लड़की हु। मैंने अच्छे मार्क्स के साथ अपना कॉलेज कंप्लीट किया है।
लेकिन क्या मुझे एक नौकरी मिल सकती है? क्योंकि पिछले 10 साल से मैं सिर्फ हाउसवाइफ हूं । और मुझे किसी काम का कोई एक्सपीरियंस भी नहीं है। जब मैं 21 साल की थी, तब मेरा ग्रेजुएशन कंप्लीट हो गया था और उसके तुरंत बाद मैं विक्रांत से शादी कर ली थी। अगर ग्रेजुएशन के बाद मैंने शादी नहीं की होती, तो शायद मुझे कोई नौकरी मिल सकती थी।
और मेरे पास थोड़ा बहुत एक्सपीरियंस भी होता । पर प्यार में अंधी होकर मैंने विक्रांत के साथ शादी कर ली। और उसका घर संभालने लगी। आज मुझे अपने उस गलत फैसले पर अफसोस हो रहा है। और यह सोच कर अफसोस हो रहा है , कि क्यों मैंने अपने करियर पर ध्यान नहीं दिया ? पर उससे क्या होता है? लोग ही तो कहते हैं, जब जागो तब सवेरा।
मेरे पास अभी भी मेरे मार्कशीट रखे हुए हैं। इतने अच्छे मार्क्स देख कर तो मुझे कोई भी कंपनी काम पर रख लेगी। भले ही शुरू में सैलरी थोड़ी कम होगी लेकिन मैं धीरे-धीरे अच्छा काम करूंगी और चिक्की के लिए एक बेहतर भविष्य बनाऊंगी ।”
राही मुस्कुराते हुए वापस कमरे में आती है। उस छोटे से कमरे को देख कर राही को खुद भी अजीब लग रहा था । क्योंकि वह 10 साल तक एक मास्टर बेडरूम में रही है। इसके बावजूद यह कमरा उसके लिए थोड़ा सा अनकंफरटेबल जरूर था। लेकिन अपनी जिंदगी की नई शुरुआत के लिए उतना भी बुरा नहीं था। राही ने अपने हैंडबैग से अपना फोन निकाला और अपनी मां को फोन कर दिया।
“ राही....” राही की मां ने फोन उठाते हुए कहा। तो मुस्कुराते हुए राही भी उससे कहती है, “ हां मां मैं ही हूं। मां मुझे आपसे कुछ कहना था।”
“ बोलो मैं सुन रही हूं।” राही की मां ने सामने से कहा । तो राही कहती है, “ मां चिक्की अभी भी आपके पास ही है ना ?”
उसकी मां थोड़ी हैरान होती है और कहती है, “ क्या हुआ राही? तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो? और थोड़ी परेशान भी लग रही हो। तुम्हारी आवाज से पता चल रहा है, कि तुम परेशान हो। सब ठीक तो है ना?”
अचानक से राही को घबराहट होने लगती है। वह अपनी मां को अचानक से नहीं बता सकती है, कि वह विक्रांत से अलग हो चुकी है। उसकी मां की तबीयत वैसे ही ठीक नहीं रहती है। ऐसे में यह बात उन पर गहरा असर करेगी। इसलिए उसने जल्दी से बात को संभालते हुए कहा, “ हां मां सब ठीक है। आप खामखा परेशान हो जाती हैं । मैं तो बस आपसे यह कहना चाहती थी, कि चिक्की को अभी आप कुछ दिनों के लिए अपने पास ही रख लीजिए। उसके कमरे का रिनोवेशन चल रहा है। जिसकी वजह से मैं उसे अभी अपने साथ नहीं रख सकती हूं।”
राही अपनी बात खत्म करती, उससे पहले ही उसकी मां कहती है, “ यह तुम क्या कह रही हो? चिक्की को अपने पास कैसे रख सकती हूं? अभी आधे घंटे पहले ही तो विक्रांत बेटा यहां आया था। और वह चिक्की को अपने साथ ले गया है। उसने कहा, कि वह चिक्की को उसके जन्मदिन का गिफ्ट दिलवाने के लिए लेकर जा रहा है। तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए तुम्हें अपने साथ नहीं लाया है।”
विक्रांत चिक्की को अपने साथ ले गया है। यह सुन कर ही राही की आंखें एकदम से हैरानी से बड़ी हो जाती है।
ठीक है!चिक्की अपने पापा को जरा फोन दो.। राही ने जैसे ही यह कहा चिक्की ने फोन वापस विक्रांत के हाथ में रख दिया और अपने लिए कुछ नया खिलौना देखने लगी !
“ हां…अब क्या कहना चाहती हो तुम। विक्रांत ने सीधे तौर पर और हल्की आवाज में उससे बात की लेकिन राही का चेहरा गुस्से से भर गया था. गुस्से में विक्रांत के ऊपर चिल्लाते हुए कहती है विक्रांत अब तुम्हें क्या चाहिए ।
कहना क्या चाहती हो तुम ? कि मुझे क्या चाहिए ? अरे मैं बिजी था बस इसलिए अपनी बेटी का जन्मदिन नहीं माना सका। बेशक मुझे उस से किया हुआ वादा याद है और अब मैं उसे निभा भी रहा हु। विक्रांत ने एक बेशर्मी के साथ जवाब दिया ।
सच में तुम बस इसीलिए चिक्की के साथ समय बिता रहे हो क्या ? तुम्हें सच में लगता है कि मैं तुम्हारी बेवकूफो वाली बातों पर यकीन करूंगी, देखो विक्रांत मैंने डाइवोर्स पेपर पर साइन कर दिया है, तुम चाहो तो इसे आसानी से खत्म कर सकते हो, वरना मैं कोर्ट केस लड़ने के लिए भी तैयार हूं।.. राही भड़कते हुए कहती है. तो विक्रांत भी कहां पीछे रहने वाला था वह भी गुस्से में कहता है.. “ ओ शटअप राही…. मै कोई बेवकूफ नहीं हूं अगर हमें तलाक मिल जाता है, तो मुझे पूरा यकीन है कि तुम मुझे चिक्की से कभी मिलने नहीं दोगी। इसके अलावा तुम अपने और चिक्की के खर्चे के लिए मुझ से जो पैसे मांगेगी वह अलग है..
मेरी बेटी के जरिए तुम मुझसे पैसे हड़पना चाहती हो… पता चल गया है कि तुम्हारे उस बेवकूफ दिमाग में आखिर चल क्या रहा है। तुम्हें पैसे ही चाहिए ना तो सीधे तरीके से कह दो पर इसके लिए तुम चिक्की का इस्तेमाल नहीं करोगी।
“ अपनी बकवास बंद करो विक्रांत मेहरा! क्योंकि मैं अब वह राही नहीं रही हूं जिस के साथ तुम ये सारी बकवास कर सको। और वह चुपचाप सुन लेगी एक बात कान खोल कर सुन लो, तुम चिक्की को अपने पास चाहकर भी नहीं रख सकते हो ।
क्योंकि यह बात तो तुम भी अच्छी तरह से जानते हो कि तुम उसकी परवरिश अच्छे से नहीं कर सकते हो , इसके लिए तुम्हें मेरी मदद की जरूरत होगी। और अगर ऐसा नहीं होता तो इतने साल तुम बाहर गुलछरे नहीं उड़ा रहे होते। तुम्हें पता था कि घर पर एक औरत है, जो तुम्हारी बेटी का बहुत अच्छे से ख्याल रख सकती है। इसलिए तुम बाहर अपनी मनमानी कर रहे थे ।
राही ने गुस्से में भड़कते हुए कहा और उसके यह शब्द विक्रांत के लिए उसकी बेइज्जती करना ही था। उसका मन तो कर रहा था कि अभी इसी वक्त राही को अच्छा खासा सुना दे लेकिन एक तरफ चिक्की थी, और दूसरी तरफ वह एक मॉल में था जहां पर बहुत सारे लोग भी थे, वह यहां पर कोई सीन क्रिएट नहीं करना चाहता था ।
राही ने अपना गुस्सा शांत किया और बहुत हिम्मत करके उसने विक्रांत से कहा.. “ विक्रांत मुझे बताओ कि, तुम चिक्की को लेकर कौन से मॉल में गए हो ताकि मैं उसे लेने के लिए आ सकूं।
“ कहां जाओगी तुम चिक्की को लेकर उस घटिया से लॉज में जहां की दीवारों पर ठीक से पेंट भी नहीं है। तुम चाहो तो ऐसी गंदगी में अकेली रह सकती हो मेरी बेटी ऐसी जगह बिल्कुल नहीं रहेगी। वह राजकुमारी की तरह अपने खुद के कमरे में रही है, उसके कमरे का इंटीरियर इतना महंगा है जितनी उस पूरे होटल की कीमत नहीं है। और तुम चाहती हो कि मैं ऐसी जगह पर अपनी बेटी को भेजूं ।बिल्कुल नहीं तुम चाहो तो वहां पर अकेली रह सकती हो.. विक्रांत गुस्से में भड़कते हुए कहता है तो राही उसके जवाब में विक्रांत से कहती है.. ।
“ कोई भी जगह बेहतर होगी ऐसी जगह से जहां पर तुम मौजूद रहोगे, तुम्हारे साथ रहने से बेहतर यह है कि हम किसी ऐसी जगह पर रहे जहां पर ठीक से कोई सुविधा मौजूद नहीं होगी। लेकिन मैं और चिक्की वहां पर खुश रहेंगे ” ..
विक्रांत के चेहरे पर एक तिरछी और खतरनाक मुस्कान आ जाती है, उसने राही से कहा। “ठीक है ! अगर यही तुम्हारी ज़िद है , तो यही सही, मैं चिक्की को तुम्हारे साथ भेजने के लिए तैयार हूं, पर तुम्हें चिक्की को लेने के लिए घर आना होगा।
“मैं उस घर में कभी भी कदम नहीं रखूंगी”. जैसे ही राही ने यह कहा वैसे ही विक्रांत के हंसने की आवाज उसके कानों में आती है। विक्रांत हंसते हुए कहता है..” मैंने तुम्हें कब कहा कि मैं तुम्हें अपने घर आने के लिए कह रहा हूं ??..
राही हैरान हो गई विक्रांत के कहने का मतलब अगर उसके घर से नहीं था, तो फिर क्या था ?
विक्रांत आगे कहता है “ मैं ने तुमसे यह कहा है कि तुम्हें चिक्की चाहिए। तो इसके लिए तुम्हें घर आना होगा पर वह मेरा घर नहीं है, तुम्हें घर आना होगा यानी के मेरी मां के घर आना होगा, तुम चाहो तो कल मेरी मां के जन्मदिन पर उनके घर आ सकती हो, और वहां से अगर चिक्की तुम्हारे साथ आना चाहे तो वह बिल्कुल जा सकती है।, मैं वादा करता हूं उसे नहीं रोकूंगा मेरी मां से परमिशन ले लो और ले जाओ उनकी पोती को” ।
राही हैरान हो जाती है, उसको समझ नहीं आ रहा था कि विक्रांत अचानक से ऐसा क्यों कह रहा है, उसे इतना तो पता ही था कि विक्रांत की मां राही को कुछ खास पसंद नहीं करती है, क्योंकि राही और विक्रांत की लव मैरिज हुई थी और राही उनके स्टैंडर्ड की लड़की नहीं थी, जिसकी वजह से विक्रांत की मां शुरू से ही शादी के खिलाफ थी। लेकिन फिर भी विक्रांत ने राही से शादी की और वह शुरू से ही राही को नापसंद करती थी। भले ही विक्रांत की मां शालिनी मेहरा, राही को पसंद नहीं करती थी , लेकिन वह अपने बेटे और अपनी पोती से बहुत प्यार करती थी….।
राही अभी भी अपनी सोच में गुम थी के आगे से विक्रांत ने उससे कहा.. “तो बताओ राही! तुम्हारा क्या फैसला है ?..
जाहिर तौर पर राही विक्रांत के घर में वापस नहीं जाना चाहती थी , क्योंकि वह उस घर से अपनी यादों को अलग नहीं कर पा रही थी, और एक बार फिर से वह उन सब का सामना नहीं कर सकती थी । वहां की मौजूद हर एक चीज उसे अपने गुजरे हुए कल की याद दिलाएगा जिसे वह याद नहीं करना चाहती थी.. वह अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना चाहती थी और उसकी शुरुआत उसने कर ही ली है..।
विक्रांत ने राही से कहा कि, अगर उसे चिक्की चाहिए तो उसे विक्रांत की मां के घर उसके जन्मदिन पर आना होगा और अगर चिक्की उनके साथ जाना चाहती है तो विक्रांत उसे नहीं रोकेगा।
इस बात से राही हैरान हो जाती है, वह चाह कर भी विक्रांत की मां का सामना नहीं करना चाहती थ क्योंकि विक्रांत की मां एक मौका नहीं छोड़ती है राही को नीचा दिखाने का... और अगर उसे यह पता चल गया कि विक्रांत और राही अलग हो चुके हैं तो वह इसका जिम्मेदार भी राही को ही ठहराएगी
राही ने विक्रांत का मजाक उड़ाने वाले अंदाज में उससे कहा “ वाह! विक्रांत तुम इन सब के बारे में क्यों सोच रहे हो अरे ! मुझे तो लगा था कि जब मैं तुम्हारी जिंदगी से चली जाऊंगी तो तुम पार्टी करोगे सेलिब्रेट करोगे और अपनी उसे गर्लफ्रेंड या फिर तुम्हारी बिजनेस पार्टनर वो जो भी है, उसके साथ होटल में फन करोगे .. यह मौका तुम्हारे लिए किसी गोल्डन ऑपच्यरुनिटी से कम नहीं होगा.. और वैसे भी अब तो तुम्हारे घर पर भी कोई नहीं है तो फिर तुम अपनी वह बिजनेस पार्टनर या फिर किसी और को घर ला सकते हो.. तुम्हें तो होटल में भी जाने की जरूरत नहीं है,
राही की बात से विक्रांत बुरी तरह से चिढ़ गया था, उसके हाथों की मुठिया कस गई थी और उसने हा में सर हिलाते हुए, “ बिल्कुल ठीक कहा तुमने! मैं अब किसी होटल मैं नहीं जाऊंगा, बल्कि अब मैं लड़कियों को घर पर ही ला सकता हूं और तुम फिक्र मत करो यहां से घर जाने के बाद एक लड़की पहले से ही घर पर मेरा इंतजार कर रही होगी.. इसीलिए तो मैं चिक्की को यहां से सीधे मां के घर ले जा रहा हूं, ताकि उसे इस बारे में कुछ भी ना पता चले” विक्रांत ने भी राही की बेइज्जती करते हुए उसे ये बात कही..
“अगर इतनी ही फिक्र तुम्हें अपनी बेटी की पहले होती ना विक्रांत तो आज हम दोनों के बीच यह दूरियां नहीं होती, एक बात है जो मैं चिक्की के लिए कहना चाहूंगी, कि वो अपनी मां को कभी नहीं खोएगी पर हां, वह अपने बाप को बहुत पहले ही खो चुकी है.. ठीक है ! अगर तुम यही चाहते हो तो यही सही.. मैं चिक्की को लेने के लिए तुम्हारी मां के जन्मदिन की पार्टी में आऊंगी और वहां से चिक्की को तुम सबके सामने से ले जाऊंगी, वह खुद मेरे साथ आना चाहेगी ।
राही ने दांत पीसते हुए. विक्रांत से गुस्से में यह कहा और अपने फोन को डिस्कनेक्ट करके उसने बेड पर फेंक दिया.. उसने हिम्मत करके यह सब बोल तो दिया था , लेकिन अब उसका दिल जोरो से धड़क रहा था उसका चेहरा रोने सा हो गया था, और थोड़ी ही देर में उसकी आंखों से आंसू बहने लगे थे, वह अपना चेहरा अपने हाथों में छुपा कर फूट - फूट के रोने लगी थी.. उसे शर्म नहीं आई.. अपनी बेटी का इस्तेमाल करते हुए.. राही यही सोच राही थी..
लेकिन फिर भी राही ने खुद को संभाला और खुद को समझाया अब उसे नाटक करना था, एक अच्छी बीवी होने का और एक अच्छे परिवार की बहू होने का , क्योंकि विक्रांत की मां के जन्मदिन के अवसर पर शहर की जाने माने लोग जरूर आएंगे, और उन सबको अभी तक राही और विक्रांत के अलग हो जाने के बारे में कुछ भी नहीं पता है..
राही को अपनी सास की एक चीज थी जो नपसंद थी, वो है राही से हर चीज की उम्मीद करना कि वह बेहतर करेगी अरे, राही इंसान है कोई मशीन थोड़ी ना है जो हर चीज परफेक्ट करेगी,मशीन भी एक बार को खराब हो जाती है. लेकिन राही उस बेचारी को किसी भी काम में गलती करने की इजाजत नहीं थी.. और इसी की वजह से विक्रांत की मां राही की बेज्जती कहीं भी कर देती थी और किसी के भी सामने कर देती थी..
बहुत देर तक रोने के बाद राही अपनी जगह से खड़ी होती है मुंह धोने के बाद वह खुद को थोड़ा सा फ्रेश महसूस करती है , वो खुद को हिम्मत देते हुए गहरी- गहरी सांस लेती है और खुद से ही कहती है।
कोई बात नहीं राही , ये बस आखरी बार है जब तुम्हें इस परिवार का सामना करना है. वह भी बस इसीलिए क्योंकि तुम्हें अपनी बेटी को वापस लाना है.. याद रखना तुम वहां पर अपनी सास की बहू बनकर नहीं जा रही हो, सिर्फ चिक्की की मां बनकर जा रही हो. तुम वहां जाओगी और एकदम गूंगी और बहरी बन जाओगी। तुम्हारा काम होगा सिर्फ चिक्की को लेना और वहां से वापस आ जाना, इसके अलावा तुम्हें किसी के साथ कोई बहस नहीं करनी है।
राही खुद से ही बातें कर रही थी और खुद को ही हिम्मत दे रही थी, वहीं दूसरी तरफ मॉल में किड्स सेक्शन में चिक्की ने बहुत सारे खिलौने खरीदे थे। विक्रांत का बैग लगभग आधे खिलौनों से भर गया था।
चिक्की ने एक और खिलौना उठाते हुए कहा डैडी मुझे यह भी चाहिए.. विक्रांत चिक्की को देखकर मुस्कुराता है वो खिलौना लेता है, और उसे उलट पलट कर देखते हुए कहता है ठीक है मेरी प्रिंसेस अगर तुम्हें यह भी चाहिए तो डैडी इसे भी कार्ट में रख देंगे। लेकिन पहले डैडी को यह बताओ कि तुम्हें यह छोटा बेबी जैसा डॉल क्यों चाहिए क्या तुम एक छोटे बच्चे की देखभाल करना चाहती हो..
नहीं डैडी ये तो मम्मी के लिए है.. मैं और मम्मी मिलकर इसकी देखभाल करेंगे. मेरा छोटा भाई आएगा ना तो हम दोनों मिलकर उसकी देखभाल करेंगे तब तक मैं इस पर प्रैक्टिस कर लूंगी.. चिक्की ने मासूमियत के साथ विक्रांत से कहा तो विक्रांत घुटनों के बल उसके सामने बैठ जाता है , और उसे छोटे से बेबी टॉय को देखते हुए कहता है, सिर्फ मम्मी और चिक्की ही क्यों उसकी देखभाल करेंगी ? डैडी भी तो कर सकते हैं ना..
“नहीं डैडी इसकी देखभाल नहीं कर सकते हैं.. चिक्की ने मासूमियत से कहा तो विक्रांत हैरानी से कहता है.. "क्यों डैडी क्यों नहीं कर सकते हैं इसकी देखभाल..
क्योंकि डैडी कभी भी घर नहीं आते हैं और उनके पास चिक्की के लिए भी टाइम नहीं होता है, तो चिक्की के छोटे भाई के लिए कहां से टाइम होगा। जैसे मैं अकेली रहती हूं वैसे ही मेरा छोटा भाई भी अकेला हो जाएगा.. इसीलिए उसके पास मैं रहूंगी और मैं उसे कभी भी डैडी की याद नहीं आने दूंगी ।
चिक्की की बात ने विक्रांत को हैरान कर दिया था क्या सच में उसने अपनी जिंदगी के सबसे सुनहरे दिन को खो दिया था..
राही इस वक्त टैक्सी में बैठी हुई थी । और उसकी टैक्सी मेहरा मेंशन की तरफ जा रही थी। राही के चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी । राही ने अपने पर्स में से अपना फोन निकाला और विक्रांत को कॉल कर दिया सामने से विक्रांत फोन उठाता है और कहता है, बोलो.
“ विक्रांत तुम अभी कहां हो? मैं इस वक्त मेहरा मेंशन तरफ जा रही हूं..
राही ने सड़क की तरफ देखते हुए विक्रांत से कहा, तो विक्रांत कहता है, “ठीक है तुम आ जाओ पार्टी शुरू होने ही वाली है। इस वक्त मां के साथ है वैसे भी मां तुम्हारे बारे में पूछ रही थी. जब मैं चिक्की को उनके पास लेकर गया तो उन्होंने मुझसे सवाल किया कि मैं और चिक्की ही आए हैं? तुम कहां हो, तो मैंने उसे कहा कि तुम्हारी तबीयत कुछ ठीक नहीं है । इसलिए तुमने चिक्की को अकेली भेज दिया है तो तुम्हें पता है मेरी मां ने क्या कहा है ? उन्होंने कहा है तुम एक आलसी औरत हो जो अपनी बेटी का ठीक से ध्यान भी नहीं रख सकती हो इसलिए उसे अकेले भेज दिया ।
राही को गुस्सा तो बहुत आ रहा था। पर उसने फोन रख दिया था, क्योंकि वो इस वक्त लड़ना नहीं चाहती थी. फोन रखने के बाद विक्रांत को एहसास होता है, कि उसने जो कुछ भी कहा है राही का उस पर कोई असर नहीं हुआ है।
राही की टैक्सी मेहरा मेंशन के सामने आकर रूकती है। राही टैक्सी से बाहर आती है और उसे पुश्तैनी घर को देखने लेती है । यह पीढ़ी बहुत समय से अमीरी वाली जिंदगी की रही थी.. और अपने पति की मौत के बाद राही की सास यानी की विक्रांत की मां इस पूरी संपत्ति की इकलौती मालकिन बन गई थी.
शालिनी मेहरा इस समय पूरे मेहरा इंडस्ट्री और अंपायर की अकेली मालकिन थी । और उनके साथ इस पूरी संपत्ति का इकलौता वारिस है, विक्रांत मेहरा जो है उनका इकलौता बेटा ।
गार्डन एरिया में पार्टी चल रही थी.. सभी बड़े और रईस लोग दिखावा करने में पीछे नहीं रह रहे थे. सबके हाथों में महंगी शराब के गिलास थे और सब एक दूसरे के साथ गपशप कर रहे थे । कुछ सोसाइटी की औरते राही की ओर ही को देखकर उसकी चुगली कर रही थी लेकिन अब राही को इन सब की आदत हो गई थी ।
राही को पता था , कि इस वक्त इन औरतों की चर्चा का विषय राही के कपड़े होंगे क्योंकि उसने बिल्कुल सिंपल और साधारण से कपड़े पहने हुए थे. पर अब इन सबसे कोई फर्क नहीं पड़ता था जब वह महंगे और डिजाइनर कपड़े पहनकर यहां आई थी तब कौन सा उसकी तारीफ होती थी ।
राही इस वक्त वह कपड़े पहने हुए थी, जो वह अपने कॉलेज के दिनों में पहना करती थी । यह उसकी सबसे फेवरेट गाउन हुआ करती थी । और यही उसके पास सबसे महंगी गाउन थी जिसकी कीमत पूरे 5000 की थी, उसके बाद विक्रांत से शादी होने के बाद उसने लाखों के कपड़े पहने होंगे लेकिन उसने आज तक इस गाउन को संभाल कर रखा हुआ था क्योंकि यह गाउन उसे बहुत प्यारा था..
वह जैसे ही हवेली के दरवाजे पर पहुंचती है । वैसे ही विक्रांत अंदर से बाहर आता है और दरवाजे पर ही उन दोनों की टक्कर हो जाती है । वह दोनों एक दूसरे के सामने खड़े थे, विक्रांत हैरानी से राही को ऊपर से लेकर नीचे तक घूरता है और फिर उसे देखकर कहता है । “ तुम सच में आ गई? मुझे तो लगा तुम मजाक कर रही हो.. तुमने पहना हुआ क्या है कोई पुराना सा पोछा.. इससे अच्छा तो तुम पोछा ही पहन लेती” ।
राही हैरानी से विक्रांत को देखने लगी । यह ड्रेस को वह पोछा कैसे कह सकता है। इस ड्रेस में राही उसे कॉलेज के दिनों में कितनी अच्छी लगा करती थी । उसने विक्रांत से कहा.. “ तुम्हें यह ड्रेस याद नहीं है क्या ? मैं इसे कॉलेज एनुअल डे पर पहना था और तुमने कहा था कि मैं इसमें दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की नजर आ रही हूं” ।
विक्रांत हंसते हुए कहता है.. “ अच्छा, तो तुम यहां पर कॉलेज स्टूडेंट बन कर आई हो लेकिन अफसोस इस ड्रेस में भी तुम्हारी उम्र नहीं छुपा रही है तुम्हारे चेहरे का बुढ़ापा अभी भी दिख रहा है”.
अपनी बकवास बंद करो विक्रांत ! मैं यहां पर तुम्हारे साथ पुरानी यादें ताजा करने नहीं आई हूं, अपनी बेटी को लेने आई हूं कहां है वो.. राही ने घूरते हुए उससे कहा तो उस आदमी के चेहरे पर एक अहंकारी भरी मुस्कान थी.. उसने हंसते हुए राही को एक तरफ इशारा किया, और उसे दिखाते हुए कहा चिक्की मां के कमरे में है..
तभी पार्टी में से एक लड़की विक्रांत को देखती है । विक्रांत उसे लड़की को देखकर भी हेलो कहता है । और फिर बेशर्मी से राही को देखकर पार्टी की तरफ चला जाता है ।
राही हवेली के अंदर आती है. और हर एक बढ़ते कदम के साथ वह उसे हवेली को देख रही थी । संगमरमर के टीले से उस हवेली को बनाया गया था लाल कालीन पूरे हवेली के कारपेट की तरह बिछाए गए थे। गलियारे में फूलों की और महंगे इंटीरियर की सजावट की गई थी।
उसे पता था कि उसकी सास का कमरा कौन सा है.. वह कमरे के दरवाजे के बाहर खड़ी थी । एक गहरी सांस छोड़ते हुए, उसने खुद को हिम्मत दी और हैंडल को घुमाया वह कमरा खोलकर कमरे में दाखिल होती है । वह थोड़ा सा अंदर झांक कर देखती है, तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है.. एक बुजुर्ग महिला बैठी हुई थी और उसके गोद में चिक्की वह चिक्की को प्यार से केक खिला रही थी और चिक्की मुस्कुराते हुए अपनी दादी से बात कर रही थी !
चिक्की को मुस्कुराता हुआ देख राही के चेहरे पर भी मुस्कान आ जाती है। राही कमरे में दाखिल होती है और दरवाजा के पास खड़े होते हुए ही कहती है.. जन्मदिन मुबारक हो मम्मी जी!
शालिनी मेहरा ने एक तिरछी हुई नजर से दरवाजे की तरफ देखा, लेकिन राही को अपने सामने देखकर उसने अपनी नज़रें फेर ली और दोबारा से प्लेट में रखे हुए केक को चम्मच से उठाकर चिक्की को खिलाने लगी उसने राही से एक शब्द भी नहीं कहा और ना उसके मुबारक बाद का कोई जवाब दिया ।
मम्मा आप आ गई ! आपको पता है, पार्टी में कितना मजा आ रहा है । दादी ने मुझे कितने सारे चॉकलेट दिए हैं और अब वह मुझे केक भी खिला रही है।
राही मुस्कुराते हुए .. हा में सर हिलाती है.. शालिनी देवी चिक्की के मुंह को नैपकिन से साफ करते हुए कहती है, चिक्की तुम गार्डन में जाओ और पार्टी में आए बच्चों के साथ जाकर खेलो लेकिन ज्यादा दूर मत जाना. मुझे तुम्हारी मां के साथ अकेले में कुछ बात करनी है ।
ठीक है दादी मैं जा रही हूं। लेकिन मुझे और चॉकलेट चाहिए .. शालिनी देवी मुस्कुराते हुए चॉकलेट का पैकेट चिक्की को दे देती है। चिक्की चॉकलेट लेकर भागते हुए राही के पास आती है और कहती है “ मम्मी आप इतनी देर से क्यों आई” ?
राही झुक कर चिक्की को अपनी गोदी में लेती है और उसके माथे को चूमते हुए कहती है, “ सॉरी बेटा, मम्मी को कुछ काम था । इसलिए लेट हो गई अब बाहर जाकर खेलो मम्मी थोड़ी देर में आती है फिर हमें घर भी तो जाना है ना” ।
चिक्की के जाने के बाद अब उस कमरे में सिर्फ दो ही औरतें थी । शालिनी देवी और राही ।
राही को पता था, कि उसकी सास की नजरों में उसकी कोई इज्जत नहीं होगी और वह इस बात को महसूस भी कर सकती थी ।
शालिनी देवी ने एक बहुत सुंदर शिफॉन की साड़ी पहनी हुई थी । हालांकि वह विधवा थी, पर फिर भी उन्होंने हल्के रंग के कपड़े पहनना बंद नहीं किया था । और इस समय भी उन्होंने हल्की नीले रंग की शिफॉन की साड़ी जिसमें गोल्डन बॉर्डर लगा हुआ था वह पहनी हुई थी, और साथ में उनके गले में पड़ा हुआ वह पतला सा नेकलेस जिसके हर एक दाने में हीरे लगे हुए थे और उसी से मैचिंग उन्होंने इयररिंग्स भी पहन रखे थे। हाथों में जो बैंगल्स थे उसमें भी असली हीरे थे।..
शालिनी देवी पूरी की पूरी रईसी की मालकिन थी... 56 वे जन्मदिन पर भी यह औरत कहीं से भी बुढ़ापे की तरफ जाती हुई नजर नहीं आ रही है । चेहरे पर एक भी झुर्रियां नहीं है, वह महंगे ब्यूटी ट्रीटमेंट लेती है । और वो अपने स्क्रीन को जवान रखने के लिए बाहर जाकर भी अपना इलाज करवाना पड़े तो भी वह पीछे नहीं हटती है। भले ही इसमें कितना पैसा ही क्यों न लग जाए, वह हमेशा खुद को जवान रखती आई है । और इस समय वह 56 साल की है लेकिन फिर भी राही के साथ खड़ी हो जाए तो उसकी बड़ी बहन ही लगेगी ।
“ इतनी बड़ी पार्टी में क्या तुम हम सबको शर्मिंदा करने के लिए आई हो” ? शालिनी देवी सोफे पर एक रुबाब के साथ बैठते हुए कहती है. क्योंकि जब से राही कमरे में दाखिल हुई थी, तब से ही शालिनी देवी की नजर राही को ऊपर से लेकर नीचे तक घूरे जा रही थी।
शालिनी देवी राही को देखते हुए कहती है, “क्या तुम्हारे पास पहनने के लिए कपड़े नहीं है ? और अगर नहीं है तो मेरे बेटे से कह दिया होता, तो वो तुम्हारे सामने कपड़ों की लाइन लगा के रख सकता था और मुझे नहीं लगता कि विक्रांत ने तुम्हें डिजाइनर कपड़े नहीं दिलवाए होंगे तो फिर तुम्हरे यह मामूली सी ड्रेस पहन कर आने का क्या मतलब है” ।
“ मेरा इस मामूली से ड्रेस को पहन कर आने का मतलब यह है, कि मुझे आपके बेटे से कुछ भी नहीं चाहिए”।
शालिनी देवी की आंखें थोड़ी सी छोटी हो जाती है और वह घूरते हुए राही को देखकर कहती है, “ मेरे बेटे से कुछ भी नहीं चाहिए? तुम्हारा कहने का मतलब यह है, तुम अपने पति की बात कर रही हो । अपने पति से चीजे नहीं लोगी तो और किस से लोगी । कौन है जो तुम्हारी ज़रूरतें पूरी करेगा” ?
राही घूरते हुए अपनी सास को देखती हैं, और अपना एक कदम कमरे के अंदर के तरफ रखते हुए कहती है, “ जी हां ! सही सुना आपने मैंने यही कहा कि, मैं आपके बेटे से कुछ भी नहीं लूंगी, क्योंकि उससे मुझे कुछ लेने का कोई हक ही नहीं है, और जहां तक बात नहीं मेरे पति की तो अब वह मेरा पति नहीं है, मैंने डायवोर्स पेपर पर साइन कर दिया है. और मैं इस रिश्ते से पूरी तरह से आजाद हूं आपके बेटे से मेरा कोई रिश्ता नहीं है” ।
राही की बात सुनकर शालिनी देवी एक झटके से खड़ी होती है। और घूर कर राही को देखते हुए कहती है ।
“ क्या बकवास कर रही हो तुम ? तुमने विक्रांत को डाइवोर्स दे दिया है, लेकिन कब और क्यों ? और विक्रांत ने हमें यह बात बताई क्यों नहीं..
भले ही शालिनी देवी राही को पसंद नहीं करती थी । लेकिन वह विक्रांत से और चिक्की से बहुत प्यार करती थी , इसीलिए उन्होंने कभी भी उन लोगों को खुद से अलग नहीं माना, क्योंकि चिक्की उनके बेटे का ही खून है.
पर राही ने जिस तरीके से उनसे डिवोर्स की बात की थी, शालिनी देवी को जरा भी यकीन नहीं हुआ वह हंसने लगती है, ओर उस कमरे में सिर्फ उनकी हंसी की आवाज गूंज रही थी ऐसा लग रहा था जैसे कि वह राही का मजाक उड़ा रही है।
राही उनकी हंसी का मतलब समझ रही थी । वह गुस्से में अपनी सास को देखती हैं, और कहती है “मैं झूठ नहीं बोल रही हूं मैं सच में यहां पर सिर्फ चिक्की को लेने आई हूं विक्रांत ने मुझसे कहा था, कि अगर मुझे चिक्की चाहिए , तो मुझे यहां आकर चिक्की को लेकर जाना होगा इसलिए मैं यहां चिक्की को अपने साथ ले जाने के लिए आई हूं ।
शालिनी देवी हंसते हुए राही को देखती हैं, और अपने एक हाथ को हल्का सा इतराते हुए कहती है. “ओह राही तुम इतना अच्छा मजाक कर लेती हो, सच में किसी और काम की हो चाहे ना हो लेकिन मुझे हंसाने का काम बहुत अच्छा कर लिया है तुमने, जाओ अब जाकर पार्टी इंजॉय करो और मुझे तुम्हारे इस मजाक पर हंसने दो” । शालिनी देवी ने भी अपने इस एटीट्यूड वाले अंदाज में कहा ।
लेकिन राही को उनका हंसना बिल्कुल भी पसंद नहीं आता है वह सख्ती से कहती है, “मैंने जो कुछ भी कहा है वह सच है अब आप इसे नहीं मान रही है यह आपकी प्रॉब्लम है मेरी नहीं” ।
शालिनी देवी की हंसी धीरे-धीरे फीकी पड़ जाती है, और उनका चेहरा नॉर्मल हो जाता है, वो राही को देखते हुए कहती है, “ तो तुम सच कह रही हो मतलब तुम और विक्रांत सच में अलग हो रहे हैं ”?
राही दृढ़ता से हां में सर हिलाती है, तो शालिनी देवी के चेहरे पर एक मजाकिया मुस्कान आ जाती है, और वह कहती है “ चलो अच्छा ही है कि तुम दोनों अलग हो रहे हो, वैसे सच कहूं तो मुझे फर्क नहीं पड़ा था , कि विक्रांत तुमसे शादी कर रहा है । या फिर किसी सड़क छाप किसी लड़की से मुझे सिर्फ इतना चाहिए था
कि जो लड़की इस घर में आए वह इस विक्रांत को संभाले और इस घर को एक वारिस दे” ।
हालांकि तुमने चिक्की को जन्म दिया है, लेकिन फिर भी मुझे तुमसे शिकायत नहीं है । मुझे इस विरासत के लिए एक उत्तराधिकारी चाहिए था और वह मुझे मिल गया है.. यहा पर तुम्हारा काम पूरा हो गया अब तुम चाहो तो यहां से जा सकती हो” ।
“ मुझे बस अपनी प्रॉपर्टी के लिए एक वारिश चाहिए था। एक तरह से देखा जाए, तो विक्रांत ने एक अच्छा बेटा होने का फर्ज निभाया है। उसने अपने पिता की संतत्ति को बढ़ाने के लिए एक उत्तराधिकारी दिया है। भले ही वह पोती ही हो । लेकिन उसने मेरे खानदान की पीढ़ी को बढ़ाया है।
उसने हमारे खानदान को एक सुंदर सी पोती दी है। और साथ ही मेरे स्वर्गीय पति के बिजनेस को बढ़ाने में भी मदद की है। और अब बात की जाती है तुम्हारी तो। एक औरत होने के रूप में तुमने अपना काम पूरा कर दिया है। हमारे खानदान को एक पोती दे दी है। अब तुम चाहो तो यहां से जा सकती है।”
राही की आंखें हैरान हो जाती है। मतलब क्या था कि क्या वह सिर्फ एक बच्चा पैदा करने की कोई मशीन थी? इसके अलावा उसका और कोई अस्तित्व नहीं था और अब जबकि उसने मेहरा खानदान को एक वारिस दे दिया था, तो अब उसका यहां रोल खत्म होता है ? क्या वह कोई समान थी?
शालिनी देवी ने एक नजर राही को देखा और फिर सोफे पर शान से बैठ जाती है । वह सोफे के नीचे एक ड्रोर में से वाइन की बोतल निकलती है और एक गिलास निकालती है।
राही हैरान हो जाती है। शालिनी देवी शराब पीती है। उसे इस बारे में नहीं पता था। लेकिन उन्होंने शराब की बोतल खोली और उसे गिलास में डालते हुए कहने लगी,
“ तुम चाहो तो यहां से जा सकती हो राही। लेकिन एक औरत होने के नाते मैं तुमसे एक बात जरूर कहना चाहती हूं। किटी पार्टी में मैं जिन औरतों से मिलती हूं, तुम उनकी बहू के जैसी रईस और अमीर परिवारों से नहीं आती हो।
ना हीं तुम कोई बहुत बड़ी सेलिब्रिटी हो जिसके पास बहुत सारा पैसा होगा। और ना हीं तुम्हारे पास कोई ऐसी खास क्वालिफिकेशन है, जो तुम्हें लोगों से अलग बनाती है । तो एक तरह से देखा जाए , तो तुम्हारे पास अपना खुद का कुछ भी नहीं है। तुम एक गरीब परिवार की लड़की हो और हमारे नाम के बिना तुम्हारा कोई अस्तित्व ही नहीं है ।
कोई नहीं है, तो अगर तुम एक बेहतर जिंदगी चाहती हो तो चुपचाप से विक्रांत के पास वापस चली जाओ । क्योंकि जो जिंदगी विक्रांत तुम्हें दे सकता है, वह तुम सारी जिंदगी नाक रगड़कर और एडिया रगड़कर काम करोगी तभी नहीं मिलेगी । इसीलिए अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट को डस्टबिन में डालो और चुपचाप मेरे बेटे के पास वापस चली जाओ।”
“ भले ही वह एक ऐसा इंसान हो जो अपनी बीवी और बच्चे के होते हुए भी बाहर दूसरी लड़कियों के साथ संबंध बनाते हो।” राही ने गुस्से में उबलते हुए कहा।
तो शालिनी देवी के हाथ उसके गिलास पर रुक जाते हैं और वह घुरकर राही को देखने लगती है। पर फिर अगले ही पल वह अपनी नज़रें दोबारा से अपनी वाइन के गिलास में डालती हैं ।
वह स्टाइल से उस ग्लास को उठाती है और अपने होठों से लगाते हुए एक सिप लेकर उसे वापस टेबल पर रखते हुए कहती है, “ इससे क्या फर्क पड़ता है ? क्या एक पति होने के नाते वह अपनी जिम्मेदारियां पूरी नहीं कर रहा है? क्या तुम्हें किसी चीज की कमी होने दी है उसने? और इसके अलावा वह बाहर अपने लिए अगर थोड़ा रिलैक्स चाहता है, तो इसमें हर्ज ही क्या है?
और इसमें मैं विक्रांत की गलती भी पूरी तरह से नहीं दे सकती हूं। क्योंकि तुम एक औरत हो और औरत होने के नाते तुम अपने पति को अपने पास रखने में नाकामयाब रही हो। तो मेरे बेटे को गलत ठहराने से पहले तुम अपने अंदर झांक कर देखो। की क्या तुम उसे वह खुशी दे सकती हो? जो ढूंढने के लिए वह बाहर गया है।
तो इससे क्या फर्क पड़ता है ? वह बाहर जाकर कितनी भी लड़कियों के साथ रिश्ता रख सकता है। पर लौटकर तो वापस घर को ही आता है ना ? उसने लोगों के सामने तो तुम्हें ही अपनी बीवी के रूप में पेश किया हुआ है। तो सभी जानते हैं, कि तुम उसकी बीवी हो। और बड़े-बड़े बिजनेस में ऐसा होता ही रहता है।
थोड़े से प्रॉफिट के लिए लोगों को कंप्रोमाइज करना ही पड़ता है। अगर क्या हुआ विक्रांत ने भी थोड़ा सा कंप्रोमाइज कर दिया तो..? अगर उसका बिज़नेस बढ़ेगा, तो तुम्हारा भी तो नाम होगा । तुम्हारे पास भी तो ऐश ओ आराम की सारी सुविधाएं होंगी । इसलिए बेहतर यही होगा, कि तुम सिर्फ अपने सुख पर ध्यान दो । अगर विक्रांत के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर को तुम नजरअंदाज कर दोगी, तो तुम्हारे लिए जिंदगी ज्यादा आसान हो जाएगी।”
राही को यकीन नहीं हो रहा था, कि उसकी सास ऐसी बातें कर रही है ? वह अपने बेटे का साइड ले रही है। यह जानते हुए भी, कि वह गलत है। वह हैरान हो गई थी । सच में औरत ही औरत की दुश्मन है । एक मां को अपना बेटा कभी गलत नजर नहीं आता है। भले ही गलती उसकी आंखों के सामने ही हो । यह तो बिल्कुल वैसा ही है, कि जहर सामने रखा है और उसे पीने को कहा जा रहा है।
“ आप ऐसा कह भी कैसे सकती हैं? क्या आपके लिए सिर्फ आपका बेटा ही मायने रखता है ? एक औरत की फिलिंग्स आपके लिए कोई मायने नहीं रखती है ? क्या होता अगर यह सब मेरे साथ होने की जगह आपके साथ हुआ होता तो ? तो क्या आप इन सबको माफ कर देती?”
राही ने भी गुस्से में भड़कते हुए शालिनी देवी से कहा । तो शालिनी देवी बहुत आराम से एक पैर पर दूसरा पैर चढ़ाती है और सोफे पर अपने दोनों हाथों को फ्लेट करते हुए कहती है, “ मेरे पति की एक नाजायज औलाद है।”
राही की आंखें एकदम से बड़ी हो जाती है और वह हैरानी से शालिनी देवी को देखने लगती है। शालिनी देवी अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर दोबारा से उसे वाइन के गिलास को उठाती है और उसे गोल-गोल घूमाते हुए अपने चेहरे के सामने करते हुए कहती है, “ पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है, कि मेरे पति ने अपने दिनों में मुझे कितनी बार धोखा दिया था।
मेरी वफादारी उसके साथ सिर्फ तब तक है, जब तक वह मुझे पैसे दे रहा था। इसके अलावा उसने अपनी जिंदगी में जितने भी ऐश मौज करते हैं, वह उसका निजी मामला था । मुझे पैसे मिलते रहे और उसे उसकी आजादी मिलती रही।
और एक और चीज जो मुझे मिली थी, वह थी मेरे पति का नाम । मैं हर जगह पर मिसेज मेहरा के नाम से ही जानी जाती थी । और वह नाम मेरे अलावा और किसी का भी नहीं था। इसीलिए एक बीवी एक बीवी होती है और दूसरी औरत दूसरी औरत होती है।
बेहतर यही होगा, कि तुम एक बीवी बन कर ही रहो। क्योंकि विक्रांत से अलग होने के बाद तुम्हें एक छोड़ी हुई औरत का टैग मिल जाएगा।”
“तुम्हें पता है राही, मेरे स्वर्गीय पति ने मुझे न जाने कितनी बार धोखा दिया है, शायद विक्रांत से भी ज्यादा बार लेकिन मेरी वफादारी सिर्फ तब तक थी जब तक की उन्होंने मुझे पैसे दिए ।
मुझे ऐसे ऐसे ऐश आराम दिए जिसकी मुझे जरूरत थी और जो मैं चाहती थी. हम औरतों को अपनी जिंदगी में पैसों से बढ़कर और क्या चाहिए होता है। बस पैसा ही होना चाहिए जो हमें अपनी जरूरत को पूरा करने में मदद करता है ।
इसके अलावा इंसान की इच्छाओं का क्या है वह तो हर घड़ी बदलती ही रहती है। विक्रांत अपनी खुशी के लिए कहीं और रिश्ता बना रहा है , तुम चाहो तो तुम भी अपनी खुशी के लिए कहीं और सुकून तलाश कर सकती हो. इसमें कोई बड़ी बात नहीं है हाई सोसाइटी में यह सब बहुत आम बात है” ।
शालिनी देवी की ऐसी बेतुकी बातें सुनकर राही का गुस्सा और ज्यादा बढ़ गया था , उसके हाथों की मुठिया कस गई थी और वह गुस्से में बहुत कुछ कहना चाहती थी ।
लेकिन उसके अंदर संस्कार अभी भी थे । जो उसे मर्यादा में रहने पर मजबूर कर रहे थे । और यह बता रहे थे कि सामने मौजूद यह बेगैरत औरत और कोई नहीं बल्कि उसकी सास है और वह उम्र में उससे बड़ी है।
पर राही को जवाब भी तो देना था । अगर वह ऐसे ही चुप रहेगी, तो यह सिर्फ उसकी ही नहीं बल्कि उन तमाम औरतों की बेइज्जती होगी जो इस वक्त अपने पति का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर बर्दाश्त कर रही है, राही ने गुस्से में अपनी सास की तरफ देखते हुए कहा
“ आप बहुत महान है, मम्मी जी ! शायद आपके जैसी महान औरत तो मैंने आज तक देखी नहीं है.जो अपने पति के चल रहे अफेयर से भी दुखी नहीं होती हैं, लेकिन मैं ऐसी नहीं हूं. मैं ऐसे इंसान के साथ पूरी जिंदगी नहीं बिता सकती हूं, जिसके दिल में मेरे लिए कोई प्यार ही नहीं है” ।
“ सिर्फ प्यार के सहारे जिंदगी नहीं बिताई जाती है राही और यह बात तुम्हें जल्दी पता चल जाएगी..।खैर तुम्हारा जो भी फैसला है, उसे सुनने में मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं है मैं तुम्हारी बेवकूफी वाली बातों को सुनकर अपना जन्मदिन का अवसर खराब नहीं करना चाहती हूं, जाओ जाकर खाना खा लो, और उसके बाद बिना किसी बहस के चली जाना यहां से” .. शालिनी देवी ने एक घमंड के साथ कहा ।
राही भी गुस्से में रहती है, “ आपको यह बताने की जरूरत नहीं है मम्मी जी, मैं वैसे भी यहां पर रुकने नहीं आई हूं । मैं बस यहां पर चिक्की को लेने आई थी. और उसे लेकर यहां से जा रही हूं और आपका खाना, आई एम सॉरी ! आपकी पर प्लेट की कॉस्ट बहुत ज्यादा होगी मैं अफोर्ड नहीं कर सकती हूं” ।..
यह कहते हुए राही पलटती है और तेज कदमों से उस कमरे से बाहर निकल जाती है, उसे कमरे में अब से शालिनी देवी ही रह गई थी । और वह गुस्से में खाली दरवाजे को देख रही थी ।
शालिनी देवी दीवार पर लगी हुई एक तस्वीर को देख रही थी जहां पर उनके पति की एक शानदार सोफे पर बैठे हुए थे, और उनके पीछे शालिनी देवी खड़ी थी यह तस्वीर तब की है, जब उनके पति जिंदा थे । और उनकी एक शान मौजूद थी लेकिन यह तस्वीर कितनी झूठी है यह बस वही जानती है, क्योंकि यह तस्वीर तब ली गई थी जब शालिनी देवी को पता चल गया था कि उनके पति का कहीं और अफेयर चल रहा है और उनका एक नाजायज बच्चा भी है ।
आज इतने सालों बाद वह फिर से उस तस्वीर को देख रही थी । और उनका पुराना दर्द फिर से हरा हो रहा था । आज वही सब फिर से दोहराया जा रहा है जो वो इतने सालों पहले अपने साथ झेल चुकी थी..
वही राही गैलरी से भाग रही थी , वह पूरी गैलरी में अपने आंसुओं को छुपाने की कोशिश कर रही थी । उसका दुपट्टा पूरा भीग चुका था। पर उसके आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे उसे पता था, कि यहां उसे जलील किया जाएगा, लेकिन यहां उसकी गरिमा को भी मिट्टी में मिलाया जा रहा था और उसे यह कहा जा रहा था, कि वह अपने आत्मसम्मान को मार कर जिंदा रहने की कोशिश करें । उसने सोचा नहीं था कि विक्रांत की मां भी विक्रांत के जैसी ही सोच रखनी वाली होगी, वह एक औरत होकर भी दूसरे औरत की फिलिंग्स को नहीं समझ पा रही थी.
अब तो वह बिल्कुल भी चिक्की को यहां नहीं रहने दे सकती थी , और ना ही कभी चिक्की को इस परिवार में वापस नही आने देगी. वह जल्दी से चिक्की को ढूंढने लगती हैं ताकि उसे अपने साथ लेकर यहां से कहीं दूर भाग जाए ।
वह तेज कदमों से सीढ़ियों से उतरती है, और दरवाजे की तरफ भागने लगती है, क्योंकि पार्टी गार्डन में चल रही थी । पर जैसे ही वह सीढ़ीयो से नीचे कदम रखती ही है, वह इतनी तेज भागती है, कि उसने सामने से आ रहे किसी इंसान पर ध्यान भी नहीं दिया और वह सामने से आने वाले से जाकर टकरा जाती है उसे लगा कि वह किसी तेज दीवार से टकराई है, और वह संभाल नहीं पाती है. सीधे सीढ़ियों के पहली सीढ़ी पर जाकर वह गिर जाती है, लेकिन उसने रेलिंग को पकड़ कर खुद को संभाल लिया था ।
उसके हाथ में चोट लगी थी, और वह घबरा गई थी । उसे लगा शायद उसका सर फूट जाएगा या फिर उसे और ज्यादा चोट भी लगेगी लेकिन उसने देखा कि उसके हाथ में हल्का सा दर्द होता है । वह खुद को संभाल कर सीढ़ी पर बैठ जाती है और सामने देखने लगती है।
उसकी नजर नीचे जमीन पर महंगे जूते पर जाती है।
और फिर उन जूते से होते हुए एक काली पैंट पर उसकी नजरों के सामने आती है. वह धीरे से अपना चेहरा धीरे-धीरे ऊपर करके देखने लगती है.. और तभी उसके सामने एक चेहरा आ जाता है..
एक चमकदार अट्रैक्टिव सा फेस कट जिसकी काली काली आंखें थी, और वह उन काली आंखों से राही को ही देख रहा था. उसने अपनी गहरी निगाहों से राही को कल्पनाओं में डूबा हुआ देखा।
राही उस आदमी को खोई हुई नजरों से देख रही थी.. उसका चेहरा काफी ज्यादा अट्रैक्टिव था काली आंखों में बड़ी-बड़ी पलकें जिसे वह झपक रहा था, हल्के डार्क लिप्स और लंबी सी नाक उसकी जॉलाइन एकदम परफेक्ट थी . चेहरे पर हल्की सी बीएड और उसके हवा में लहराते शोल्डर तक के बाल ।
वह आदमी दिखने में ऐसा लग रहा था कि खुद कामदेव उसके सामने खड़ा है.. राही उसे एक नजर देख कर अपनी नज़रें उस पर से हटा ही नहीं पा रही थी.
कुछ देर तक तो उस आदमी ने भी राही को गहरी निगाहों से देखा और फिर धीरे से झुक कर उसे कहता है “आप ठीक हैं” ?
उसकी वह गहरी और भारी आवाज सुनकर राही अपने ख्यालों से बाहर आती है । और जल्दी से इधर-उधर देखने लगती है, वह जल्दी से हां में सर हिलाती है.. उस आदमी ने अपना एक हाथ आगे बढ़ाया, कि राही की उठने में मदद कर सके राही हैरान हो जाती है।.
वह अनजान आदमी को अपना हाथ देने से झिझक रही थी । लेकिन उसकी आंखों में एक ऐसी कशिश थी, जो राही को अपनी तरफ खींच रही थी । राही ने धीरे से अपना हाथ बढ़ाकर उसके हाथों में रख दिया, और उसे आदमी ने राही का हाथ खींच कर उसे खड़ा कर दिया लेकिन अचानक से खींचे जाने पर राही संभाल नहीं पाती है, इससे पहले कि वह डगमगा कर गिरती उस आदमी ने राही के पीठ पर अपने हाथ रख दिया और उसे संभाल लिया ।
वह आदमी जो इस समय राही के साथ उसकी मदद कर रहा था खड़े होने में, जैसे ही राही के कदम लतखड़ाते हैं, वह उसकी पीठ पर अपने हाथ रखकर उसको सहारा देता है । उसके हाथों की गर्माहट अपनी पीठ पर महसूस होते ही राही हैरान हो जाती है, और उस आदमी को देखने लगती है, जिनकी उंगलियां उसके सूट के डोरियों के बीच फिसल रही थी ।
“ सॉरी मैं गलती से”.. राही जल्दी से उससे अलग होती है और उसे यह कहती है लेकिन वह अपने शब्द बीच में ही रोक देती है, और हैरानी से उस आदमी को देखते हुए कहती है, “ क्या हम पहले कभी मिल चुके हैं?”
उस आदमी के हाथ अब आजाद थे, क्योंकि राही उसकी बाहों से आजाद थी । लेकिन वह राही को देखकर मुस्कुराता है और एक कदम पीछे हटता है, वह अपने दोनों हाथ अपने पैंट की पॉकेट में डालते हुए कहता है.. “ तुम्हारे कदम लड़खड़ा रहे हैं वह भी तब जब तुमने हील नहीं पहनी हुई है, इसका मतलब यह रास्ते ही खराब है । थोड़े संभाल कर चला करो ” ।
राही हैरानी से उस आदमी को देखने लगती है, वह उसकी बातों को समझने की कोशिश कर रही थी उसने राही के सवालों का जवाब नहीं दिया, कि वह लोग पहले कहीं मिल चुके हैं या नहीं, लेकिन उसने उल्टा राही को एक भ्रमजाल में फंसा दिया था वह समझ ही नहीं पा रही थी कि यह कहना क्या चाहता है? राही उस इंसान को घुर कर देखती है, और फिर वहां से उसको क्रॉस करते हुए आगे बढ़ जाती है। लेकिन राही उसके बारे में सोच रही थी और तभी उसे अचानक से याद आता है, कि यह तो वही शख्स है जिसकी फोटो आए दिन मैगजीन और न्यूज़पेपर में छपती रहती है । और इसके तो कितने सारे इंटरव्यूज उसने व्यापार बिज़नेस न्यूज़ चैनल पर देखे थे । जहां पर वो विक्रांत का न्यूज़ इंटरव्यू देखना चाहती थी वहीं पर कई जगह पर इस आदमी का न्यूज़ इंटरव्यू चल रहा था ।
लेकिन इसका नाम क्या है, इस वक्त राही को याद नहीं आ रहा था। राही ने कई बार न्यूज़ चैनल लगाया था ताकि विक्रांत का इंटरव्यू देख सके लेकिन कई बार ऐसा हुआ था, कि विक्रांत का इंटरव्यू कैंसल होकर इस आदमी का इंटरव्यू दिखाया जा रहा था । और जब राही विक्रांत का इंटरव्यू नहीं देखती थी तो टीवी बंद कर देती थी, उसने शायद कुछ ही झलक इस आदमी की देखी होगी टेलीविजन पर, लेकिन फिर भी टीवी से ज्यादा हैंडसम यह आदमी सामने से नजर आता है ।
एक तरह से देखा जाए तो वह टीवी पर थोड़ा बच्चा सा लगता है, और असल में भी वह राही से छोटा ही था, राही की उम्र 30 साल की थी और यह शख्स इस समय शायद 26 - 27 साल का होगा यह राही से 4 साल छोटा है नजर आ रहा है या यूं कहें कि यह तो दिखने में भी बच्चा लग रहा है. इसका चेहरा थोड़ा अट्रैक्टिव है लेकिन जो इसकी उम्र है ऐसे में अट्रैक्टिव चेहरा होना कौन सी बड़ी बात है पर इतनी छोटी उम्र में भी यह बिजनेस की एक ऊंचाइयों पर है और कामयाबी का उम्र से कोई लेना देना नहीं है ।
पर राही जैसे ही दरवाजे के पास पहुंचती है कि उसके कदम रुक जाते हैं, क्योंकि पीछे से उस शख्स ने आवाज दी “एक्सक्यूज मी” .
राही रुक जाती है और हैरानी से उस शख्स को पलट कर देखने लगती है वह शख्स तेज कदमों से चलता हुआ राही के पास आता है, और अपने जेब से एक गोल्ड बिजनेस कार्ड निकाल कर राही को देखते हुए कहता है.. “ कभी सही रास्ता ना मिले तो इस नंबर पर कॉल करना” .
राही हैरानी से उस गोल्ड बिजनेस कार्ड को देखती हैं और कांपते हुए हाथों से उसे पकड़ लेती है, वह शख्स मुस्कुराता हुआ , राही को वह बिजनेस कार्ड पकड़ता है और उसके बाद सीढ़ियों से होता हुआ ऊपर की तरफ चला जाता है , राही बस दरवाजे पर खड़े हुए उस बिजनेस कार्ड को ही देख रही थी । पर जब उसने पलट कर देखा तो उसके सामने जो नाम आया उसे देखकर वह थोड़ी हैरान हो गई..
अधिकार.M ... मरीन ग्रुप का CEO
मरीन ग्रुप का कंपनी इस समय पूरे एशिया की नंबर वन कंपनी है इनका अपना टेक्सटाइल का बिजनेस है । और इंपोर्ट एक्सपोर्ट में भी इन्होंने अच्छा खासा नाम कमाया हुआ है। एंटरटेनमेंट से लेकर शेयर मार्केट तक इस समय मरीन ग्रुप का ही बोलबाला है, और इतने बड़े कंपनी का सीईओ है यह छोटा सा बच्चा जिसकी उम्र ठीक से 30 साल भी नहीं है।
गोल्ड बिजनेस कार्ड में मरीन ग्रुप के सारे इंर्पोटेंट कॉन्टैक्ट नंबर थे, लेकिन जिस पर उसकी नजर जाकर ठहर थी है वह था एक प्राइवेट नंबर.. क्योंकि उसे अलग से हाईलाइट किया गया था।
पर उस नंबर के लास्ट के 7 डिजिटल को देखकर राही हैरान हो जाती है।. 1271991
वह हैरानी से उस नंबर को देखते हैं और कहती है,
“ नहीं ऐसा नहीं हो सकता है यह तो... ऐसा कैसे हो सकता है, यह कोई इत्तेफाक है और मैं इस बारे में कुछ ज्यादा ही सोच रही हूं?”
राही ने उस बिजनेस कार्ड को फोल्ड करके अपने पर्स के एक कोने में रख दिया और पार्टी में आकर वह चिक्की को ढूंढने लगते हैं, वह पार्टी के एक कोने में खड़ी थी और वहां पर आ रहे जा रहे लोगों के बीच में से चिक्की को ढूंढने की कोशिश कर रही थी, उसका विक्रांत या उसके परिवार से कोई लेना देना नहीं था.
बहुत देर तक ढूंढने के बाद जब उसे चिक्की नहीं मिली तो वह पार्टी में अंदर की तरफ जाती है। जहां पर लोग मौजूद थे। और वहां पर जाकर चिक्की को तलाश करने की कोशिश करने लगती है. जब वह बहुत ढूंढने पर भी वह उसे नहीं मिली तो वह थोड़ी परेशान हो गई।
लेकिन तभी उसने ध्यान दिया की पार्टी में चिक्की और विक्रांत दोनों ही नहीं है.. वह गुस्से में विक्रांत के बारे में सोचने लगती है, कहीं विक्रांत फिर से कोई नया गेम तो नहीं खेल रहा है। वह अपना फोन निकाल कर विक्रांत को कॉल करती उससे पहले ही उसके नंबर पर विक्रांत की कॉल आ जाती है । वह गुस्से में फोन रिसीव करती है और कहती है, “ यह क्या मजाक है विक्रांत? तुमने तो कहा था पार्टी में आओ और चिक्की को अपने साथ ले जाओ मैं पार्टी में आ गई हूं अब मुझे चिक्की को अपने साथ ले जाने दो” ।
“ रिलैक्स तुम इतना भड़क क्यों रही हो? मैंने कब मना किया कि तुम चिक्की को अपने साथ नहीं ले जा सकती हो वो क्या है ना मुझे लगा ही था कि तुम पार्टी में चिक्की को ढूंढ रही होगी, और उसे ना पाकर तुम परेशान हो जाओगी तो तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है , वह ठीक है मेरे साथ है मेरे कमरे में है” ।
राही गुस्से में फोन रख देती है, और वापस हवेली की तरफ मुड़ जाती है । वह विक्रांत के कमरे की तरफ चली जाती है जहां विक्रांत शादी से पहले रहा करता था । वह यहां बिल्कुल नहीं आना चाहती थी, लेकिन अभी उसके पास और कोई ऑप्शन नहीं था.
कमरे के हैंडल को घुमाते हुए राही एक गहरी सांस छोड़ती है, और फिर सीधे कमरे के अंदर दाखिल हो जाती है।
विक्रांत ने राही से कहा, कि अगर उसे चिक्की चाहिए, तो उसके कमरे में आकर ले जाए। वो कमरे में नहीं जाना चाहती थी । यह वही कमरा है, जो कमरा विक्रांत का शादी से पहले हुआ करता था। जिस कमरे में राही कितनी बार विक्रांत के साथ आई थी। और हमेशा ही उसे कमरे में रहने के बारे में उसके साथ बातें किया करती थी। पर जब उन दोनों की शादी हुई, तो विक्रांत की मां ने उसे घर से निकाल दिया था। और विक्रांत अपने दूसरे घर में राही के साथ रहने लगा।
राही डरते हुए उस कमरे की तरफ जाती है। और उसका दरवाजा खोल कर अंदर देखती है। तो विक्रांत सोफे पर बैठा हुआ था। राही दरवाजे के पास ही खड़ी थी । उसे ऐसा देख कर विक्रांत सारकास्टिक वे में कहता है, “ तुम वहां क्यों खड़ी हो? अंदर आओ।”
“ चिक्की कहां है.. ?” राही ने सीधे तौर पर विक्रांत से मुद्दे की बात करते हुए कहा । भले ही इस कमरे के साथ विक्रांत के साथ उसकी बहुत सारी अच्छी यादें जुड़ी हुई थी। लेकिन उन कुछ अच्छी यादों के बदले वह उन कड़वी यादव को कैसे भुला दे? जो उसने इतने सालों तक जेली थी। बस इसीलिए वह इस कमरे के अंदर नहीं आना चाहती थी।
“ चिक्की दूसरे कमरे में है। वह तुम्हें ढूंढ रही थी । लेकिन मुझे तुमसे कुछ बात करनी थी। इसलिए मैंने तुम्हें यहां बुलाया है। मुझे बस 2 मिनट तुमसे बात करनी है। क्या तुम बस थोड़ी देर के लिए अंदर नहीं आ सकती हो ?”
राही को गुस्सा तो बहुत आ रहा था। लेकिन इस वक्त वह विक्रांत से बहस नहीं करना चाहती थी । इसीलिए वह बेडरूम के अंदर आ जाती है। उसके अंदर आते ही विक्रांत पीछे की तरफ इशारा करते हुए राही से कहता है, “ प्लीज दरवाजा बंद कर दो।”
“ नहीं मैं दरवाजा बंद नहीं करूंगी । मुझे पता है, कि दरवाजा बंद होते ही तुम क्या करोगे?” राही ने उसे गुस्से में घूर कर देखते हुए कहा । तो उसकी बात सुन कर विक्रांत हंसने लगता है। वह उस तरीके से हंस रहा था, जैसे राही ने कोई मजेदार चुटकुला सुनाया है। वह हंसते हुए राही से कहता है, “ अच्छा तो तुम्हें याद है, कि हम यहां पर क्या-क्या क्या करते थे? पर डोंट वरी यह कॉलेज के दिन नहीं है । जहां पर मैं तुम्हें अपने कमरे में लाता था और फिर दरवाजा बंद करने के बाद तुम्हारे कपड़े उतारना शुरू कर दिया करता था।
सच बताऊं तो तुम्हारे साथ रह कर मुझे ऐसा लगता था, जैसे कि तुम ही हो जो मुझे वह खुशी दे सकती हो। जिसकी मुझे तलाश है । पर जब मैं तुमसे अलग बहुत सी लड़कियों के साथ रिलेशन रखा ना, तब मुझे पता चला कि तुम में तो कोई बात ही नहीं थी। वह लड़कियां बहुत ज्यादा खूबसूरत थी और उन्हें एंटरटेन भी बहुत अच्छे से करना आता था।
इसीलिए डॉन'ट वरी इस कमरे में अकेले होने के बावजूद भी मेरा इंटरेस्ट तुम्हारी तरफ नहीं जाएगा। तुमने वह कहावत नहीं सुनी है, कि आदमियों की उम्र शराब की तरह होती है। जितनी पुरानी होती है नशा उतना ही अच्छा होता है. और औरतों की उम्र दूध के जैसी होती है, दो दिन रखो तो खराब हो जाती है।”
राही ने अपनी मुठिया भींज ली थी । विक्रांत के ईस तरीके के शब्द उसके लिए अपमान जनक थे। वह यहां पर अपनी बेइज्जती करवाने नहीं आई थी । ना ही विक्रांत से और ना ही उसकी मां से। वह बस जल्द से जल्द यहां से निकलना चाहती थी। उसने गुस्से में विक्रांत की तरफ देखते हुए कहा, “ अब तुम मुझे बताओगे, की चिक्की कहां है ? या मैं खुद जाकर उसे ढूंढ लूं ।”
विक्रांत स्टाइल से अपनी जगह से उठता है और धीरे से चल कर बेड के पास आता है। वह उस बेड के हेड रेस्ट को प्यार से छूते हुए उस बेडशीट को देखता है और बहुत ही नरम अंदाज में कहता है, “ सच में राही क्या तुम्हें यह कमरा याद नहीं है ? यह बेड देखो और याद करने की कोशिश करो । कुछ याद आया ?
यह वही कमरा है, जहां पर हम दोनों पहली बार एक दूसरे के करीब आए थे। याद है ? हम लोग कॉलेज से घर आए थे और फर्स्ट टाइम मैंने तुम्हें यहीं पर प्यार किया था।”
“ अगर तुमने मुझे यहां पर यह सब बकवास बातें करने के लिए बुलाया है, तो आई एम नॉट इंटरेस्टेड । मैं यहां पर सिर्फ यह पूछ रही हूं, कि मेरी बेटी कहां है ? और मुझे लगता है, कि तुम्हें नहीं पता है कि वह कहां है। इसलिए मैं खुद जा रही हूं उसे ढूंढने के लिए।”
राही गुस्से में चिल्लाती है । तो विक्रांत भी उसकी तरफ देखते हुए सख्ती से कहता है, “मैंने तुम्हें यहां पर यह सब कहने के लिए नहीं बुलाया है । बल्कि मैं तुम्हें याद दिला रहा हूं, कि उस दिन के बाद से तुम मेरे लिए कितनी पागल हो गई थी। तुम कैसे भीख मांग रही थी , कि मैं तुमसे शादी करूं . क्योंकि तुमने अपना फर्स्ट टाइम मुझे दिया था।
तुम्हारे लिए तुम्हारी सेल्फ रिस्पेक्ट कितनी बड़ी थी और तुमने उसे मेरे नाम कर दिया था। लेकिन उसके बाद जब मैं दो दिन तक कॉलेज नहीं आया था, तो तुम मेरे घर आ गई थी। और कैसे मेरे पैरों पर गिर के मुझसे यह कह रही थी, कि मैं तुमसे शादी कर लूं । वरना तुम कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगी । याद आया कुछ ?”
विक्रांत यह कहता हुआ राही की तरफ अपने कदम बढ़ा रहा था। राही अपने कदम पीछे लेती है और गुस्से में कहती है, “ अपने कदम पीछे लो। वरना में चिल्लाऊंगी ।”
“ किस बात के लिए चिल्लाओगी? और किसके लिए चिल्लाओगी? यह मेरा घर है। यह मेरी हवेली है। याद है तुम्हें ? यहां पर तुम्हारी आवाज सुनने वाला कोई नहीं है। क्या तुम भूल गई तुम्हारा फर्स्ट टाइम? पर जब मैं तुम्हारे करीब आया था, तो तुम कितनी तेज चिल्लाई थी । लेकिन फिर भी यहां पर किसी ने कोई आवाज नहीं सुनी । और ना ही कोई तुम्हारी मदद के लिए आया था।
मैं बस तुम्हें यह कह रहा हूं, कि जहां पर तुमने एक बार खुद को मुझे सौंपने के बाद मुझसे शादी करने के लिए मेरे पैरों पर गिर गई थी। ताकि दुनिया वाले तुम पर उंगली ना उठाए। तो आज तुम इतना बड़ा फैसला कैसे ले सकती हो? जब तुम मुझसे अलग हो जाओगी, तो क्या तुम्हें लगता है दुनिया वाले तुम पर उंगली नहीं उठाएंगे? तुम से सवाल नहीं करेंगे? तुम्हारे चरित्र पर उंगली नहीं उठाएंगे ?”
“ मुझे फर्क नहीं पड़ता है, कि अब मेरे साथ क्या होगा ? और क्या नहीं ? मैंने जो फैसला कर लिया है, मैं उसे नहीं बदलने वाली हूं विक्रांत । मैं तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहती हूं। मैं ऐसी जिंदगी नहीं चाहती हूं। हमारी शादी बहुत पहले ही खत्म हो चुकी थी। और मैं ऐसे झूठे रिश्ते का बोझ अब नहीं उठाना चाहती हूं।”
राही गुस्से में चिल्लाते हुए विक्रांत से कहती है। तो विक्रांत के कदम अपनी जगह पर ही रुक गए थे । उसने कभी भी राही को इस तरीके से नहीं देखा था। उसे लगा, कि यह सब बात कर वह राही को मेनू प्लेट कर देगा। लेकिन राही अपनी फैसले पर अटल लग रही थी। और विक्रांत की बात को उसने सरासर नजरअंदाज कर दिया था।
विक्रांत अपने कदम पीछे लेता है और अपने दोनों हाथ अपने पेंट की जेब में डालते हुए एटीट्यूड के साथ कहता है, “ चिक्की अगले कमरे में है । वह अपना फेवरेट कार्टून देख रही है। लेकिन उसे अपने साथ ले जाने से पहले मैं तुम्हें बता देता हूं, कि तुम चिक्की का ख्याल रखोगी । उसे किसी भी सामान की जरूरत होगी, वह उसके पास होनी चाहिए। उसके कपड़े और बाकी जरूरत का सामान तुम अपने साथ ले जाओगी । और अगर पैसों की वजह से तुम्हें कभी भी चिक्की के लिए समझौता करना पड़े, तो तुम मेरे पास वापस आओगी।
यह मेरा तुम्हारे लिए एक आखरी चेतावनी है याद रखना। अगर तुम वापस आई, तो दोबारा तुम्हारे लिए लौटने के सारे दरवाजे हमेशा हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे।”
“ तुम्हारे पास वापस आने का सवाल ही पैदा नहीं होता है।” यह कहते हुए राही दरवाजे की तरफ घूमती है और तेज़ कदमों से वहां से निकल जाती है।
वह जैसे ही दूसरे कमरे में जाती है, उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है । क्योंकि चिक्की सच में ही सोफे पर बैठी हुई थी और सामने अपना फेवरेट कार्टून देख रही थी । राही को देख कर चिक्की जोर से उछलती है और भागते हुए राही के पास आकर रहती है, “ मम्मी आप कहां थी ?”
राही चिक्की को अपनी गोद में उठाती है और उसके गालों को चूमते हुए कहती है, “ कहीं नहीं बेटा। मम्मा बस आपको ढूंढ राही थी। आपने खाना खाया ?”
राही ने पूछा तो चिक्की ने हां में सर हिलाया। लेकिन उसका चेहरा थोड़ा सा नींद से ओझल हो रहा था। उसने राही के कंधे पर सर रखते हुए कहा, “ मम्मी मुझे नींद आ रही है। मुझे घर ले चलो ना। मुझे आपकी गोद में सोना है।”
राही चिक्की को अपनी गोद में उठा लेती है और ठीक से उसके सर को अपने कंधे पर रख लेती है । वह दरवाजे की तरफ बढ़ने लगती है। तभी उसके कदम दरवाजे के पास आकर रुक जाते हैं । वह अपने कमरे के दरवाजे पर खड़े विक्रांत को देखती हैं। जो गुस्से भरी नजरों से राही को ही देख रहा था । और उसके बाद राही की नजर ऊपर जाती है ।
जहां सीडीओ पर शालिनी देवी खड़ी थी । वह भी घूरती हुई नजरों से राही को देख रही थी। लेकिन राही ने उन दोनों की नजरों की परवाह नहीं की और वह चिक्की को अपने साथ लेकर चली गई।
राही अपनी बेटी को लेकर होटल की तरफ निकल चुकी थी । वह टैक्सी में बैठी हुई थी, और चिक्की उसकी गोद में थी । लेकिन जब चिक्की देखती है कि गाड़ी कहीं और जा रही है। यह उसके घर का रास्ता नहीं है तो वह हैरानी से राही से कहती है “ मम्मी हम कहां जा रहे हैं यह रास्ता हमारे घर पर नहीं जाता है हम नानी के घर जा रहे हैं क्या ?”
चिक्की की बात सुनकर राही ने मुस्कुराते हुए ना में सर हिलाया और उससे कहा “ नहीं बेटा हम नानी के घर नहीं जा रहे हैं और हम इस वक्त आपके डैडी के घर भी नहीं जा रहे हैं एक्चुअली हम लोग कहीं और जा रहे हैं किसी दूसरी जगह पर ”
चिकी हैरानी से कहती है “ दूसरी जगह , पर कौन सी? जगह पर, और आपने मुझे पहले क्यों नहीं बताया ”
“ क्योंकि मम्मी आपको सरप्राइस देना चाहती थी । एक्चुअली मम्मी आपको लेकर एक गेम खेल रही है, और इस गेम में वह आपको लेकर कुछ दिनों तक दूसरी जगह पर रहेगी, जहां पर कोई हमें नहीं ढूंढ पाएगा. और अगर किसी ने हमें ढूंढ लिया तो हम हार जाएंगे..
राही अपनी बेटी को बहकाने की कोशिश करती है । और शायद चिक्की बहक भी रही थी, वह अपनी मां की बात सुनकर खुश हो जाती है और खुशी से उछलते हुए कहती है, “ सच्ची मम्मी हम गेम खेल रहे हैं. मुझे बहुत अच्छा लगता है यह गेम जिसमें मैं छुपती हूं और सब मुझे पकड़ते हैं , आपको पता है मेरे स्कूल के फ्रेंड्स मुझे पकड़ भी नहीं पाते हैं.. अच्छा मम्मी यह गेम खेलने के लिए हम डैडी को अपने साथ रख ले डैडी हमारे साथ रहेंगे तो इस गेम में और मजा आएगा ”
चिक्की ने मासूमियत के साथ कहा तो राही के चेहरे पर एक निराशाजनक मुस्कान आ जाती है ।
वह ना में सर हिलाती है, और कहती है, “ नहीं बेटा आपके डैडी इस गेम का हिस्सा नहीं है, क्योंकि उनके पास टाइम बहुत कम है ना वह बहुत ज्यादा बिजी रहते हैं. और मैं तो आपको एक बात बताना भूल ही गई एक्चुअली हम आपके डैडी से ही तो चुप रहे हैं आपके डैडी हमें ना ढूंढ सके इसलिए हम दूसरी जगह जा रहे हैं तो आपको याद रखना है गलती से भी डैडी को यह नहीं बताना है कि आप कहां पर हो वरना वह आपको ढूंढ लेंगे आप समझ गई ना ”
चिक्की मुस्कुराते हुए ना में सर हिलाती है.. उनकी गाड़ी उसे सस्ते से होटल के सामने आकर रूकती है. गाड़ी की पेमेंट करने के बाद राही, चिक्की को अपनी गोद में लेती है । और होटल के अंदर आती है रिसेप्शन पर मौजूद लड़का जब राही को देखता है तो मुस्कुराते हुए उसके कमरे की चाबी उसकी तरह बढ़ा देता है । राही वह कमरे की चाबी लेती है और सीधे सीढ़ियों से होते हुए अपने कमरे की तरफ बढ़ जाती है ।
जब से वो लोग होटल में आए थे चिक्की हैरानी से उस जगह को देख रही थी । वहां पर उसे धूल मिट्टी और गंदगी का ही एहसास हो रहा था । दीवारों से उखड़ते हुए पैंट और टूटी-फूट दीवारें उसे बहुत गंदा लग रहा था, और उसे ऐसा लग रहा था जैसे यहां पर न जाने कितने दिनों से सफाई नहीं हुई है ।
“ मम्मी यह हम कहां पर आ गए हैं यह जगह तो बहुत गंदी है मुझे यहां पर अच्छा नहीं लग रहा मुझे यहां पर डर लग रहा है” .. चिकी डरते हुए कहती है तो राही चिक्की को बेड पर बिठाती है, और उसके बालों को सही करते हुए उससे कहा “ बेटा तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है मम्मी है ना यहां पर. और मैं तुम्हें बताया ना कि हम गेम खेल रहे हैं तो जब तक यह गेम खत्म नहीं हो जाता हमें यहीं पर रहना होगा ”
चिक्की हैरानी से उस छोटे से कमरे को देखती हैं इतनी टूटी-फूटी दीवारों को पेंट से पोता गया था । उसे तो बहुत अजीब लग रहा था यह कमरा बहुत छोटा है. उसने उदासी से कहा “ मम्मी हम यहां कैसे रहेंगे यहां पर तो कुछ भी नहीं है मेरा टेडी बियर भी नहीं है और बेडशीट भी नहीं है” ।
राही कुछ कहती उससे पहले ही की दरवाजे पर किसी की दस्तक होने लगती है, राही ने जाकर दरवाजा खोला तो सामने होटल का एक स्टाफ था ।एल और उसके हाथों में राही का बैग था । दरअसल यह सामान चिक्की का था, जो विक्रांत ने चिक्की के लिए पहले से ही पैक करके रखवा रखा था, वह जानता था कि राही को भले ही इन सब चीजों की जरूरत नहीं होगी। लेकिन चिक्की को इन सब चीजों की जरूरत पड़ सकती है इसीलिए राही, चिक्की का सामान अपने साथ लेकर आई थी. उसने जब वह बैग ओपन किया तो वह हैरान हो गई इसमें एक बेडशीट राही। की स्कूल यूनिफॉर्म उसकी किताबें उसकी वॉटर बॉटल और यहां तक की उसका फेवरेट टेडी बियर भी रखा हुआ था ।
राही ने चिक्की की बेडशीट को बेड पर बिछाया और उसके टेडी बेयर को उसके हाथ में दिया चिक्की थक भी गई थी, आखिरकार अपने टेडी बेयर को पाकर वह खुश हो जाती है । वह बेड पर बैठ जाती है और राही उसके सर को अपने सीने से लगाकर थपकी देने लगती है धीरे-धीरे जब चिक्की सो जाती है । तो राही उसे आराम से सुला कर ब्लैंकेट से कवर कर देती है, यह ब्लैंकेट भी राही का ही था , जो विक्रांत ने उसके सामान के साथ भिजवाया था । अपनी बेटी की जरूरत का हर सामान उसने उस सूटकेस में रखा हुआ था, विक्रांत भले ही एक अच्छा पति साबित ना हो सका हो लेकिन वो अपनी बच्ची से बहुत प्यार करता था और इस बात पर राही को कभी शक नहीं था।
चिक्की को अपने सामान के साथ देख राही थोड़ी हैरान हो जाती है । और परेशान भी क्योंकि , अब उसे अपनी जिंदगी चिक्की के साथ अकेले गुजारनी थी उसे चिक्की का ख्याल अच्छे से रखना था ताकि हालत उसे इतना मजबूर ना कर दें कि उसे विक्रांत के पास वापस लौटना पड़े।
इस कमरे में आने के बाद चिक्की कितनी अनकंफरटेबल हो गई थी । यह राही देख सकती थी। लेकिन अपने सामान के साथ वह कितने सुकून से सो रही थी । इस बात का एहसास उसे हो चुका था कि चिक्की को विक्रांत के दिए जिंदगी की कितनी आदत हो गई है। और ऐसी ही जिंदगी अब राही उसे देने की सोच रही थी । पर इसके लिए चाहिए था पैसा और पैसों के लिए सबसे जरूरी था एक नौकरी का होना ।
चिक्की विक्रांत के घर से खाना खाकर आई थी । इसलिए उसने इस वक्त खाने के लिए कुछ भी नहीं मांगा था । पर राही ने विक्रांत की मां के जन्मदिन की पार्टी पर कुछ भी नहीं खाया था । और इस वक्त उसे भूख लग रही थी, उसने मैगी का पैकेट निकाला और कमरे में रखें इलेक्ट्रिकल गैस में रखकर उसे पकाने लगी लेकिन जब तक मैगी बना रही थी । तब तक राही सिर्फ अपने आने वाले कल के बारे में सोच रही थी, कल का सूरज उसके लिए एक नई चुनौतियों के साथ आएगा । कल से उसे सिर्फ अपने लिए ही नहीं अपनी बेटी के लिए भी जीना था, और उसके लिए सरवाइव करना था उसे चिक्की को एक अच्छी जिंदगी देनी थी.. चाहे हालात कितने ही मुश्किल क्यों ना हो वह उन सारे हालातो से लड़ेगी और चिक्की के लिए एक अच्छा भविष्य बनाएगी ।
सुबह का वक्त होटल का कमरा.
राही ने एक पास के रेस्टोरेंट से खाना ऑर्डर किया था। और इस वक्त वह बेड पर बैठकर चिक्की को खाना खिला रही थी । चिक्की का सारा सामान एक तरफ रखा हुआ था । राही, चिक्की के मुंह में खाना डालते हुए कहती है, “ चिक्की तुम्हारा होमवर्क पूरा हो गया है ना ?”
चिक्की खाना खाते हुए कहती “ हां मम्मा सब कुछ हो गया है बस थोड़ा सा रह गया है मैं अभी कर लेती हूं ”
चिक्की को नाश्ता करवाने के बाद राही उसकी यूनिफार्म सेट करने लगती है, और चिक्की भी बेड पर बैठकर अपना होमवर्क कंप्लीट करने लगती है. यूनिफॉर्म देखकर राही एक नजर चिक्की को देखती हैं और अपनी बेटी को देखकर उसका चेहरा उदास हो जाता है । वह चिक्की को ऐसे नहीं रख सकती थी । इस कमरे में इस जगह पर, चिक्की कंफर्टेबल नहीं है । और यह जगह उसके लिए सही भी नहीं है, वह जिस तरीके की जिंदगी जीती थी. राही पहले दिन से ही उसे वह जिंदगी नहीं दे पा रही थी । उसे कल से ही घर की याद आ रही थी, उसे कल से ही उस जिंदगी की आदत दिखने लगी थी वह ऐसे में चिक्की को ज्यादा दिन तक यहां नहीं रख सकती है उसे जल्दी कोई नौकरी ढूंढनी होगी ।
चिक्की जब तक अपना होमवर्क कंप्लीट करती तब तक । राही ने अपना फोन लिया और इंटरनेट पर वह जब एप्लीकेशंस को तलाश करने लगती है, उसने कुछ ऑनलाइन फॉर्म्स भरे थे । और कुछ ऑनलाइन कंपनी के एडवर्टाइजमेंट को देखा.. ज़्यादातर जॉब इंटरव्यू में कम से कम 2 साल का एक्सपीरियंस रखा गया था. और वहां पर कैंडिडेट की उम्र भी 30 साल से कम रखी गई थी..लेकिन राही के पास ना तो कोई जॉब एक्सपीरियंस था नहीं. और ना ही उसकी उम्र 30 साल से कम की थी । उल्टा वह तो इस साल 31 साल की होने वाली थी, लेकिन फिर भी उसने कुछ कंपनी में अपनी रिज्यूम भेज दिया था ।
राही को इस बात की परवाह नहीं है, कि जो रिक्वायरमेंट जॉब के लिए मांगी गई थी उनमें वह पूरी नहीं हो पा रही थी । ना तो वह एक्सपीरियंस थी और ना ही उसकी उम्र कम थी लेकिन फिर भी अपनी बेटी के लिए वह एक कोशिश तो कर ही सकती थी.. वैसे भी उसने कही सुना था कि कॉरपोरेट वर्ल्ड में जॉब काबिलियत देखकर भी देते हैं । राही को लगा कि क्यों ना वह अपनी काबिलियत साबित करें तो उसे भी एक अच्छी जॉब मिल जाएगी ।
चिक्की को उसके स्कूल ड्रॉप करके, राही अपनी जॉब इंटरव्यू के लिए जाती है । वह अब तक दो कंपनी में रिजेक्ट होकर बाहर आ गई थी , और तीसरे कंपनी में अपनी किस्मत आजमाने गई । वह देखी है कि, सामने रिसेप्शन पर एक लड़की मौजूद है वह उसके पास जाकर अपना बायोडाटा देती है, रिसेप्शन पर बैठी लड़की उस पर्ची को देखते हुए कहती है, “ आंटी आप जॉब इंटरव्यू के लिए आई है” ।
राही हैरान हो जाती है । वह सिर्फ 30 साल की ही तो थी, पर वह आंटी बिल्कुल भी नहीं थी. और ना ही वह आंटी टाइप लगती थी लेकिन यह बात वह किस-किस को समझाएगी उसने मुस्कुरा कर इस बात की है में जानकारी दी, क्योंकि वह अपने शरीर के बेड़ंगे अंदाज से आंटी ही तो नजर आ रही थी.. उसे इस बात को स्वीकार करना होगा, कि वह 30 की हो गई है और उम्र के इस पड़ाव में तो उसे हर, आधी उम्र का इंसान आंटी ही बुलाएगा ।
उसने हां में सर हिलाया और कहां जी मैं इस जॉब इंटरव्यू के लिए आई हूं.. रिसेप्शन फॉर्म को देखते हुए फिर से रही से कहती है आयुष और आपके काम कर लेगी. दरअसल हमें फ्रंट डेस्क के लिए एक 25 साल की लड़की चाहिए थी और आपको देखकर कहीं से भी नहीं लगता है कि आप 25 साल की हैं मुझे नहीं लगता कि आपको इस इंटरव्यू के लिए जाना चाहिए वह लोग आपको देखते ही रिजेक्ट कर देंगे।
रही है रानी से उसे लड़की को देखते हैं तो वह लड़की रहती है मैं यहां से कुछ दिनों से जाने वाली हूं इसलिए यहां पर फर्नांडिस के लिए इंटरव्यू चल रहे हैं और उन्हें लड़की भी मेरे जैसी ही चाहिए जो फ्रंट डेस्क पर एक अच्छा एग्जांपल बने.. राही ने फिर भी कोशिश करना चाहा वह अंदर इंटरव्यू देने के लिए जाती है, लोग इंटरव्यू तो लेते हैं। लेकिन राही को देखकर वह उसे रिजेक्ट कर देते हैं । राही हार कर थककर वापस अपने होटल आ जाती है, तीन दिन हो गए थे. वह इसी तरीके से नौकरी के लिए धक्के खा रही थी, उसकी आशा खोने लगी थी । और विक्रांत की कही बाते उसके कानों में गूंज रही थी, कि वह पैसों के लिए मोहताज हो जाएगी और कुछ ऐसा भी हो रहा था उसके पैसे खत्म हो रहे थे, और चिक्की वह तो रोज उसे एक ही सवाल पूछती है कि वह घर कब जाएंगे और यह गेम कब खत्म होगा.
आज चौथा दिन था । राही फिर से नौकरी की तलाश में इधर-उधर भटक रही थी. उसके पास काम करने की इच्छा थी । उसे कोई भी नौकरी मिल जाती वह उसे काम को बहुत अच्छे से करती उसे कोई भी नौकरी चलती, वह छोटे से छोटा काम भी बहुत लगन से करती लेकिन यहां उसे कोई काम देने को तैयार ही नहीं था । एक कंपनी से रिजेक्ट होकर राही बाहर कंपनी के पार्किंग एरिया में बैठी थी, वह देखती है उसके छोटे से वाटर बोतल में पानी भी खत्म हो गया है, सामने एक फवारा था. राही धीरे-धीरे अपने कदम फव्वारे की तरफ बढ़ने लगती है उसने सोचा फव्वारे से मुंह धोने लगी और इसी में पानी भरकर रख लेगी । लेकिन हर बढ़ते कदम के साथ वह गुजरे हुए दिनों को सोच रही थी । उसे विक्रांत के पास वापस नहीं लौटना था लेकिन विक्रांत की बात सोच रही थी, बिना पैसों के वह बाहर सिर्फ एक बेसहारा औरत ही थी. उसने सही कहा था बिना एक्सपीरियंस के कोई भी काम नहीं देता है. क्योंकि राही की उम्र थी उसे काम मिलना बहुत मुश्किल हो रहा था ।
“ देखना एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब तुम वापस आओगी. पैरों में गिरकर मुझसे भीख मांगोगी कि मैं तुम्हें वापस अपना लूं” विक्रांत के यह आखिरी शब्दों को राही महसूस कर पा रही थी, लेकिन वह उसके पास वापस नहीं जाना चाहती थी उसने ऊपर आसमान की तरफ देखते हुए भगवान से कहा ।
“ मेरा आप पर विश्वास अभी भी बना हुआ है. अगर आप मेरी परीक्षा ले रहे हैं तो मैं इस परीक्षा के लिए तैयार हूं लेकिन मेरी इस कठिन परीक्षा में आप मेरी बेटी को शामिल मत कीजिए” ..
राही निराश हो गई थी । वह टूट गई थी असहाय हो गई थी । एक नौकरी जो उसे कहीं मिल भी नहीं रही थी । उसने हिम्मत नहीं हारी और एक आखिरी कोशिश करनी चाहिए. महंगी गाड़ियों में घूमने वाली राही आज डीटीसी बस पर मोहताज हो गई थी उसने बस पकड़ी और चिक्की के स्कूल चली गई क्योंकि उसे स्कूल से वापस भी लेना था जैसे ही चिक्की के स्कूल की छुट्टी होती है वह उसे स्कूल से बाहर आता हुआ देखते हैं
। लेकिन अगले ही पल वह चिकी के चेहरे पर नाराज की देख सकती थी उसे महसूस हो रहा था कि चिकी किसी बात से नाराज है ।
जैसे ही चिक्की राही के पास आती है राही झुक कर उसके गालों को अपने हाथों में भरते हुए कहती है “चिक्की क्या हुआ आप गुस्सा क्यों हैं।”
“मम्मा मैंने उस जय सोनी को बहुत मारा”.. चिक्की ने जब यह कहा तो राही हैरानी से कहती है “जय सोनी वह तो आपका दोस्त है ना तो आपने उसे क्यों मारा”..
“क्योंकि जय ने कहा कि मेरे डैडी उसकी मम्मी के साथ थे और वह उसकी मम्मी को किस कर रहे थे” ।
चिक्की की बात सुनकर राही हैरान हो जाती है । लेकिन उसे पता था, कि इस बात में सच्चाई हो सकती है वैसे भी वह विक्रांत को बहुत अच्छी तरह से जानती थी । उसके जाने के बाद ऐसा हो ही नहीं सकता है कि विक्रांत कहीं पर अपने शौक पूरे ना करें और ऐसे में अगर वह अपनी फैमिली फ्रेंड्स के साथ देखा गया है तो इसमें कौन सी बड़ी बात है ।
जय सोनी, राही इसे जानती थी । यह बच्चा चिक्की के क्लास में ही पड़ता था । और इसके पेरेंट्स से राही पिछले साल पेरेंट्स टीचर मीटिंग में मिली थी. इत्तेफाक से उस दिन विक्रांत भी पेरेंट्स टीचर मीटिंग में आया था । लेकिन उसकी नजर बार बार जय सोनी की मां, आशा सोनी पर बनी हुई थी। और ठीक है 1 महीने बाद राही के पास आशा का फोन आता है । जो उसे कहती कहती है कि, उन दोनों के बीच अफेयर चल रहा है.
राही हैरान हो गई थी आशा की बात सुनकर ।
आशा ने उसे आगे बताया कि जब वह और विक्रांत अपने अफेयर की शुरुआत कर रहे थे तो विक्रांत ने उसे बताया था, कि राही कई बार उसके अफेयर्स को पकड़ चुकी है । इसीलिए उसके लिए यह सब आम बात हो गई है । उसे विक्रांत के अफेयर से फर्क नहीं पड़ता है. यही वजह थी की आशा ने उसे यह बात पहले से बता कर रखी थी कि, अगर भविष्य में कभी वह और विक्रांत एक साथ हो तो उसे ज्यादा गहरा सदमा ना हो लेकिन आशा सोनी के ख्याली पुलाव ख्याल में ही रहें. दो-तीन महीने उसे यूज करने के बाद विक्रांत ने उसे भी छोड़ दिया था ।
विक्रांत आशा के पास सिर्फ अपना मन बहलाने के लिए गया होगा और आशा को शायद कोई महंगा तोहफा चाहिए होगा इसीलिए वह विक्रांत के साथ थी. राही को इन सबसे अब कोई मतलब नहीं था उसने चिक्की को अपनी गोद में उठाया और उसका स्कूल बैग अपने हाथ में लेते हुए कहा कि “आपको इन सब बारे में सोचने की जरूरत नहीं है, जय सोनी झूठ बोल रहा है” ।
चिक्की का चेहरा उदास हो गया था । उसने रूवासी आवाज में कहा “लेकिन मां वह मुझे ऐसा झूठ क्यों बोलेगा वह तो मेरा सबसे अच्छा दोस्त था ना, तो फिर उसने मुझे ऐसा झूठ क्यों कहा” ..
“ हो सकता है, जय आपके साथ मजाक कर रहा हो आप तो जानते ही हैं . डैडी के पास टाइम ही कहां है वह तो घर ही इतनी मुश्किल से आते हैं तो फिर वह किसी और के घर क्यों जाएंगे। डैडी काम में बहुत ज्यादा बिजी हैं और वह आपको ढूंढ भी रहे हैं इसलिए हमें छुपकर रहना है। समझ में आई आपको मेरी बात?”.. राही ने अपनी बेटी को बहकाने की कोशिश करते हुए कहा । चिक्की मासूम थी और भोली भी वह जल्दी से उसकी बात मान जाती है..
चिक्की तो मासूम थी, लेकिन राही बेवकूफ नहीं थी. उसे पता था कि विक्रांत की आदत कैसी है, ऐसे में वह कैसे उम्मीद कर सकती है कि, विक्रांत एक अच्छा पिता साबित होगा जबकि वह अच्छी तरह से जानती है कि विक्रांत की आदत है हर जगह मुंह मारने की ऐसे में वह चिक्की के लिए एक आदर्श पिता नहीं बन सकता है। उसे चिक्की को विक्रांत से दूर रखना ही होगा ।
राही, चिक्की को लेकर ऑटो में बैठ जाती है । और होटल की तरफ निकल जाती है। होटल के रास्ते में जाता हुआ देख चिक्की परेशान हो जाती है, और राही से कहती है “मां हमें यहां और कब तक रहना है”.
“क्यों बेटा आपको यहां रहना अच्छा नहीं लगता है क्या” राही ने पूछा तो चिक्की ने ना में सर हिलाते हुए कहा “नहीं मां मुझे वह जगह बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती है, वह जगह बहुत गंदी है” वहां से बहुत अजीब सी बदबू आती है मुझे घर जाना है, मुझे अब यह गेम नहीं खेलना है।
इस गेम में मुझे अच्छा नहीं लग रहा है. डैडी मुझे ढूंढ लेंगे तो मुझे आउट होने का भी दुख नहीं होगा पर मुझे घर जाना है” ।
चिक्की की बात सुनकर राही परेशान हो जाती है। चिक्की 2 दिन में ही इस जगह से परेशान हो गई थी । और अभी तो राही को ऐसा लग रहा था कि, मंजिल अभी दूर है उसने चिक्की को समझाते हुए कहा कि “बेटा हम अभी घर नहीं जा सकते हैं। वह क्या है ना कि घर में प्रेस कंट्रोल वाले आ रहे हैं पूरे घर में बहुत सारे कॉकरोच हो गए थे ना तो उन्होंने पूरे घर को सील कर दिया है और डैडी भी काम के सिलसिले में बाहर गए हुए हैं, तो हम घर कैसे जा सकते हैं डैडी ने मुझे कहा है कि मैं चिक्की को लेकर जहां छुपी हुई हूं वहीं पर छुपी रहूं जब डैडी आएंगे तो हमें ढूंढ लेंगे” ।
“ तो मम्मी हम इस गेम को कहीं और खेलते हैं ना मुझे वह जगह बिल्कुल अच्छी नहीं लग रही है चिक्की ने बिल्कुल उदास मन के साथ कहा”. राही चिक्की की मनोदशा समझ सकती थी। उसने चिक्की की सर को अपने सीने से लगा दिया और धीरे से उसको संभालते हुए कहने लगी “नहीं बेटा हम अभी कहीं और नहीं जा सकते हैं हमें इसके लिए इंतजार करना होगा” ।
दरअसल राही चिक्की को अपने आंसू नहीं दिखाना चाहती थी । वह जानती थी कि यह समय बहुत मुश्किल है पर इस वक्त राही असहाय हो गई थी. उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि कहीं और जाकर रह सके और यह जगह कैसी है यह बात तो वह भी अच्छी तरह से जानती थी । वह अपनी मां के घर नहीं जा सकती थी क्योंकि उसकी मां उसे वापस विक्रांत के पास भेजने की ज़िद करेगी और इसके अलावा उसकी छोटी बहन और छोटे भाई भी उसकी मां के साथ रहते हैं ऐसे में वह उनके पास जाकर और बोझ नहीं बनना चाहती थी ।
घर आने तक चिक्की सो चुकी थी । राही ने उसे बेड पर लेटाया और ब्लैंकेट से ढक दिया.. पर तभी राही का ध्यान अपने हैंडबैग पर जाता है। जिसकी एक डंडी टूट गई थी । आज डीटीसी बस पकड़ने के चक्कर में राही इतनी तेज भाग के उसके बैग की डोरी ही टूट गई अब यह बैग उसके किसी काम का नहीं था । वह इस बैक को लेकर तो जॉब इंटरव्यू के लिए नहीं जा सकती है ना! यही सोचते हुए उसने अपने बैग में से सारा सामान निकाल कर टेबल पर रखना शुरू कर दिया उसने सारे सामान को अपने बैग से निकाल कर टेबल पर फैला दिया था । और उस बैग को डस्टबिन में फेंक दिया । तभी राही की नजर उस समान के बीच में से एक गोल्ड बिजनेस कार्ड पर जाती है , जिसे देखकर वह हैरान हो जाती है उसे अचानक से पार्टी वाली रात याद आती है । और वह अनजान शख्स जो राही से टकराया था और उसने राही को अपना बिजनेस कार्ड दिया था ।
राही ने उस कार्ड को उठाया और उसे पलट कर देखती है उस पर लिखा हुआ था अधिकार M.
(सीईओ ऑफ़ मरीन ग्रुप) ।
राही के दिल में अजीब सी हलचल होने लगी थी वह आदमी दिखने में काफी अमीर लग रहा था, और इस बिजनेस कार्ड के मुताबिक वह मरीन ग्रुप का सीईओ है, इसका मतलब वह बहुत बड़ी कंपनी का मालिक है क्या राही उससे एक नौकरी की उम्मीद कर सकती है.. कोई भी नौकरी छोटी से छोटी नौकरी भी उसके लिए इस समय बहुत बड़ी होगी ।
राही ने अपना मोबाइल निकाला और इंटरनेट पर वह मरीन ग्रुप के सीईओ के बारे में सर्च करने लगी । सामने अधिकार की फोटो आती है और उसके साथ ही उसका पूरा बायोडाटा आ जाता है.. बायोडाटा में ज्यादातर अधिकार के बिजनेस के बारे में ही था.. उसके फैमिली बैकग्राउंड का यहां पर कोई जिक्र नहीं था लेकिन उसने जो अवार्ड जीते थे। और उसे जो पुरस्कार मिले थे उन सब की डिटेल्स यहां पर मौजूद थी। साथ में जो अधिकार का फोटो फ्रंट पर लगा हुआ था उसे देखकर तो राही फोन स्क्रोल करना ही भूल जाती है।
गोल सा क्लीन शेव चेहरा.. काली गहरी आंखें और काले बाल जो जेल से सेट थे. उसकी जॉलाइन इतनी परफेक्ट थी कि यह इंसान अगर बिजनेस में नहीं होता तो किसी बड़ी एजेंसी में मॉडल हो सकता था। क्या कोई फिल्म स्टार वैसे दिखने में फिल्म स्टार से कम भी नहीं है.
लेकिन उसकी वह काली आंखें किसी गहरी राज को दफन किए हुए थी । ऐसा लग रहा था कि वह तस्वीर में से ही राही को घूर रहा है। राही खुद के अंदर एक बेचैनी सी महसूस करने लगती है । भले ही यह इंटरनेट की एक तस्वीर हो लेकिन फिर भी राही को घबराहट होने लगती है । वह जल्दी से फोन बंद करके पलट के रख देती है । पर उसके हाथों में वह बिजनेस कार्ड अभी भी था, जिस पर एक वीआईपी नंबर था जिसके लास्ट के डिजिटल ने राही को फिर से हैरान कर दिया था 1271991.
जो भी हो इस अंधेरे में उसे मदद की एक किरण नजर आ रही थी. और इस वक्त राही के लिए चिक्की से बढ़कर कुछ भी नहीं था. अगर वह नौकरी के एक कोशिश करें तो क्या उसे अधिकार के पास कोई काम मिल सकता है. वह इतनी बड़ी कंपनी का मालिक है राही के लिए एक छोटी सी जॉब उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं होगी.
उसने अपना फोन उठाया और उसमें मौजूद नंबर डायल करने लगी लेकिन उसने वह वीआईपी नंबर नहीं डायल किया जिसके पीछे के डिजिट उसे बेचैन कर रहे थे । बल्कि उसके बदले उसने दूसरा नंबर डायल किया जो कार्ड के दूसरे कोने पर लिखा हुआ था.
2 घंटे के बाद फोन उठता है और सामने से एक आदमी की आवाज आती है.. मरीन ग्रुप में कॉल करने के लिए धन्यवाद. मैं आपकी किस तरीके से मदद कर सकता हूं ।
राही हैरान हो जाती है । यह सच में मरीन ग्रुप का ही नंबर था और फोन मरीन ग्रुप के ऑफिस में लगा था वह हैरान हो जाती है पर अब उसके मुंह से एक शब्द नहीं निकल रहा था ।
सामने से दो बार हेलो हेलो की आवाज आती है। लेकिन राही इतनी डर गई थी, कि उसे कुछ बोला ही नहीं गया उसने तुरंत फोन काट दिया और वह घबरा गई।
उसने कार्ड को दोबारा से अपने सामान के बीच में फेंक दिया वह बहुत ज्यादा घबरा गई थी. छोटी मोटी कंपनी में इंटरव्यू देने में तो उसकी हालत खराब हो रही थी । यहां पर मरीन ग्रुप जैसे बड़े कंपनी में वह बात भी नहीं कर पाई.
अगले दिन..चिक्की को स्कूल छोड़कर राही फिर से इंटरव्यू के लिए निकल जाती है। दोपहर तक उसने तीन कंपनी में इंटरव्यू दे दिया था और वह बहुत ज्यादा थक गई थी . क्योंकि आज उसके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह ठीक से नाश्ता कर पाती उसने राही को ठीक से नाश्ता करवा दिया था लेकिन खुद उसने सिर्फ एक गिलास पानी पी लिया था. और वह सुबह से सिर्फ पानी पी रही थी, और अब तो उसकी वाटर बोतल में पानी भी खत्म हो गया था ।
राही ने अपना बैग खोला और उसमें देखा तो उसमें सिर्फ आखरी ₹50 का नोट रखा हुआ था अगर राही यहां से अगले इंटरव्यू पर जाती तो उसके यह पैसे भी खत्म हो जाते पर उसे चिक्की को लेने स्कूल भी जाना था और उसके बाद वापस होटल भी ।
राही थके हुए कदमों के साथ बस स्टैंड की तरफ बढ़ने लगती है । पर धीरे-धीरे वह अपने कदम आगे बढ़ा रही थी सूरज की रोशनी इतनी तेज थी कि वह सीधे राही के सर पर पड़ रही थी। राही का सर घूम रहा था उसकी आंखें भारी होने लगी थी । वह इतनी ज्यादा परेशान थी और ऊपर से बाहर मौसम इतना ज्यादा गर्म था कि , राही खुद को संभाल नहीं पाती है, और बेहोश हो जाती है उसके बेहोश होते ही वहा पर मौजूद लोग घबरा जाते हैं और राही के पास आकर उसकी मदद करने लगते हैं पर तभी वहां से एक गाड़ी अंदर आती है. वह ठीक, उस भीड़ के सामने आकर रूकती है.
उस गाड़ी का दरवाजा खुलता है और बैक सीट में से एक लड़की बाहर निकलती है वह उन लोगों को हटाकर जब सामने बेहोश पड़ी लड़की को देखती हैं तो वह हैरान हो जाती है..
लड़की के मुंह से धीरे से निकलता है.... राही !
राही होश में आ चुकी थी। और इस वक्त किसी बड़े से घर के बड़े से कमरे में किंग साइज बेड पर बैठी हुई थी, उसके हाथों में एक जूस का ग्लास था ।
उस कमरे में राही के साथ एक लड़की भी मौजूद थी जो इस समय खिड़की के सामने थी उस लड़की ने लॉन्ग प्लाजो सूट सलवार पहना हुआ था और उसने बालों को चोटी में गूथा हुआ था.
राही हल्की घबराहट के साथ उस लड़की को देखती हैं और हल्की सी आवाज में कहती है.. “शानू तू परेशान मत हो”..
“मैंने थप्पड़ मार देना है तेरे. मुझे तेरे मुंह से एक आवाज नहीं चाहिए”.. यह कहते हुए शानू ने अपना फोन निकाला और फोन करने लगी उसने किसी को फोन किया और उसे कहती है “अच्छा ठीक है. तुम उसे लेकर सीधे घर पहुंचे”.
शानू ने अपना फोन रखा और गुस्से में राही को देखकर कहने लगी “मेरा ड्राइवर गया है,चिक्की के स्कूल मे वह चिक्की को लेकर सीधे घर आ जाएगा और आज के बाद तुम और चिक्की यहीं पर रहोगे”।
शानू एकदम गुस्से में भड़कते हुए राही से कहती है तो राही उदासी से अपना चेहरा नीचे करते हुए उसने शानू से कहा “मैं तुझे परेशान नहीं करना चाहती हूं”।
शानू भी गुस्से में राही को देखते हुए बोली “परेशान तो तू मुझे अब कर रही है यह बकवास करके। तुझे नहीं रहना है ना मेरे साथ, ठीक है निकल जा मेरे घर से लेकिन चिक्की यही रहेगी वह मेरे साथ मेरे घर में रहेगी तेरे साथ इतना सब कुछ हो गया राही और तूने मुझे कुछ भी बताना जरूरी तक नहीं समझा। तुझे पता है तू मुझे कहां मिली है सड़क पर.. बेहोशी की हालत में। तुझे घर लेकर आई डॉक्टर को बुलाया तो पता चला कि तुमने दो दिन से ठीक से खाना नहीं खाया है और कमजोरी की वजह से तुझे चक्कर आ गए हैं राही अपनी हालत देख कैसी हो गई है तू सड़क पर बेहोश पड़ी हुई थी। तेरे साथ इतना सब कुछ हो गया तूने मुझे इस लायक भी नहीं समझा कि मुझे एक बार बता दे कि तेरी जिंदगी में चल क्या रहा है” ।
शानू की बात सुनकर राही की आंखों से आंसू बहने लगते हैं । उसने उदासीनता के साथ शानू को देखा और उससे कहा “क्या बताती तुझे और क्या कहती, यही कि सबके समझाने के बावजूद मैं विक्रांत के साथ शादी करके गलती की और 10 साल बाद मुझे अपनी गलती का एहसास हो रहा है। कॉलेज में तुम मेरी जूनियर थी. और मेरी जितनी भी जूनियर फ्रेंड्स थे । उन सब ने मुझे यह समझाया था कि मैं विक्रांत को चुनकर गलती कर रही हूं। पर मैं प्यार में इतनी अंधी हो गई थी कि मैंने किसी की बात ही नहीं मानी अपने परिवार की भी नहीं लोगों की भी नहीं विक्रांत के झूठे प्यार के दिखावे में आकर मैंने अपना सब कुछ गवा दिया और आज हालात ऐसे हैं कि मुझे सड़कों पर ठोकर खानी पड़ रही है”।
राही को इतना परेशान देखकर शानू उसके पास आती है और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहती है “माना कि हम सब उम्र में तुझसे छोटे थे । लेकिन हम सब देख सकते थे, कि वह विक्रांत तेरे लिए सही इंसान नहीं है । तेरे साथ होने के बावजूद भी वह दूसरी लड़कियों को किस नजरों से देखा करता था हालांकि उसने कभी किसी लड़की के साथ कुछ किया नहीं लेकिन फिर भी हमें उसकी नज़रें अच्छी नहीं लगती थी.. कॉलेज से निकलने के बाद तुम दोनों ने शादी कर ली और हम सब अपने आगे की पढ़ाई के लिए विदेश चले गए लेकिन फिर भी मैं हमेशा तेरी फिक्र लगी रहती थी । और मुझे हमेशा तेरी परवाह थी तुझे पता है, इंटरनेट पर जब मुझे यह पता चला कि तूने एक बेटी को जन्म दिया है तो मुझे कितनी खुशी हुई.. इंटरनेट पर चिक्की की तस्वीर देखी है और वह कितनी प्यारी लगती है कि मैंने तो सोच लिया था इंडिया आने के साथ ही मैं तुमसे और चिक्की से मिलने जरूर आऊंगी पर मुझे क्या पता था कि मेरी तुमसे मुलाकात ऐसे होगी”।
राही हम लोग सोशल मीडिया पर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं तो कम से कम मुझे एक बार बता तो सकती थी ना मेरा नंबर भी तेरे पास था तूने एक बार मुझे बताना जरूरी भी नहीं समझा कि तू किस हालातो से गुजर रही है।
राही रोते हुए शानू के गले लग जाती है, और कहती है “मुझे माफ कर दे शानू मुझे माफ कर दे । मे इतनी परेशान थी कि मुझे समझ ही नहीं आया कि मैं क्या कर रही हूं और क्या नहीं प्लीज मुझे माफ कर दे”
शानू ने राही को संभाला और उसके आंसू साफ करते हुए कहने लगी “ठीक है मैंने तुझे माफ किया वह भी सिर्फ चिक्की के लिए, अब चल पहले खाना खा ले. डॉक्टर ने कहा है बिना कुछ खाए तू मेडिसिन नहीं खा सकती है इसलिए जल्दी-जल्दी खाना खा ले उसके बाद मेडिसिन ले”..
राही चेहरा घुमा कर साइड टेबल पर रखी खाने की प्लेट देखती है,लेकिन मायूसी के साथ ना में सर हिलाते हुए कहने लगी “मैं खाना नहीं खा सकती हूं चिक्की भूखी होगी”.
उसकी बात सुनकर शानू जल्दी से कहती है “अरे चिक्की की फिक्र क्यों कर रही है,मेरा ड्राइवर गया है ना उसे स्कूल से लाने के लिए जैसे ही वह घर आएगी मैं उसे खाना खिला दूंगी पर तुझे दवाई लेनी है तू जल्दी-जल्दी खाना खा ले”।
शानू खुद अपने हाथ में खाने की प्लेट लेती है. और एक निवाला बनाकर राही की तरफ करती है राही अपनी आंखों में आंसू लिए शानू को देखते हैं तो शानू उसे घूर कर देखते हुए बोली “यह रोने धोने का कार्यक्रम तू बाद में कर लेना पहले खाना खा ले। उसके बाद तेरा जितना मन चाहे तू रो सकती है तुझे नहीं रोकूंगी. क्योंकि जितना तू रोएगी उतना तेरे मन का दर्द हल्का होगा” ।
राही को खाना खिलाने के बाद शानू ने उसे दवाई दी और आराम करने के लिए कहा लेकिन जब तक चिक्की नहीं आ जाती तब तक राही को चैन कहा था वह हॉल में शानू के साथ बैठी हुई थी और उसकी नज़रें बार-बार दरवाजे की तरफ जा रही थी ।
राही को इतना परेशान होता शानू कहती है “इतना परेशान क्यों हो रही है ड्राइवर गया हुआ है ना चिक्की को लेने के लिए वह चिक्की को लेकर घर ही आएगा चिक्की ड्राइवर के साथ ही है मेरी उससे बात हो गई है”।
राही फिर भी परेशान थी फिर भी वो हां में सर हिलाती है तभी उसके फोन पर एक नोटिफिकेशन आता है राही ने नोटिफिकेशन देखा तो उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई उसे इस तरीके से मुस्कुराता देख शानू ने जल्दी से कहा “क्या बात है लगता है कोई गुड न्यूज़ है तभी तेरे चेहरे पर इतनी प्यारी मुस्कान आई है इसी मुस्कान को देखने के लिए तो मैं कब से इंतजार कर रही हूं” ।
राही ने मुस्कुराते हुए शानू की तरफ देख कर कहा “हां दरअसल मैं जॉब इंटरव्यू के लिए ऑनलाइन एप्लीकेशन दिया था तो वहां कल मुझे इंटरव्यू के लिए बुलाया गया है. बस मुझे यह नौकरी मिल जाए, उसके बाद मेरी सारी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी”।
शानू उसकी बात सुनती रहती है “तू नौकरी के लिए भटक रही है? लेकिन क्यों विक्रांत ने तुझे एलुमनी नही दी क्या ?इतना बड़ा बिजनेस है डाइवोर्स के बाद चिक्की की परवरिश के लिए तुझे एलुमनी तो मिलनी चाहिए ना”
राही ने मासूमियत के साथ ना में सर हिलाया और कहा “नहीं मुझे विक्रम से कुछ भी नहीं चाहिए. मुझे बस उससे आजादी चाहिए और उसने अभी तक डाइवोर्स पेपर साइन नहीं किया है। और ना हीं उसे कोर्ट में सबमिट किया है मैं बस इंतजार कर रही हूं कि, कब वह डाइवोर्स पेपर सेंड करके कोर्ट में सबमिट करें और मैं कानून तौर पर उसके नाम से आजाद हो जाऊं।
विक्रांत ने पहले ही कह दिया था कि, मैं उससे अलग होती हूं तो वह मुझे एक फूटी कौड़ी नहीं देगा मुझे उससे एक पैसा नहीं मिलेगा. अगर मुझे ऐश्वर्या राय वाली जिंदगी चाहिए तो मुझे विक्रांत के साथ ही रहना होगा । उसके घर में जो मैं नहीं करना चाहती हूं इसलिए मैंने बिना किसी समझौते के विक्रम से अलग होने का फैसला किया, चिक्की की परवरिश में अकेले करूंगी।
बस इसीलिए पिछले 4 दिनों से मैं डर-डर भटककर एक नौकरी ढूंढ रही हूं । लेकिन मुझे कोई नौकरी मिल ही नहीं रही है पहले मेरी उम्र की वजह से और दूसरा मेरे हालात की वजह से शानू मुझे इस वक्त सिर्फ एक नौकरी की जरूरत है कोई भी नौकरी कहीं भी चलेगी बस मुझे एक अच्छी सी नौकरी मिल जाए ताकि मैं मेरी बेटी को उस होटल से निकालकर किसी ढंग की जगह पर रख सकू. यह जॉब इंटरव्यू मेरे लिए बहुत जरूरी है बस कल मुझे यह नौकरी मिल जाए”
।
राही की पूरी बात सुनकर शानू हैरानी से उसे देखने लगती है और फिर वह कुछ सोचते हुए कहती है “वैसे ही तेरा जॉब इंटरव्यू कहां पर है”?
कपूर ग्रुप का इंडस्ट्रीज.. मुझे वहां की रिसेप्शनिस्ट के लिए कल इंटरव्यू पर जाना है.. राही ने कहा तो शानू अपना एक्सप्रेशन को अजीब सा करते हुए कहती है “तू पागल हो गई है क्या? कपूर ग्रुप का इंडस्ट्रीज तुझे पता भी है कितनी बड़ी कंपनी है और वह लोग तुझे ऐसे ही नौकरी दे देंगे तूने कभी वहां की रिसेप्शनिस्ट को देखा है जो इस वक्त उनके फ्रंट डेस्क पर काम कर रही है वह लड़की एक मॉडल रह चुकी है। जरा सोच जो कंपनी सिर्फ रिसेप्शन पर बिठाने के लिए किसी मॉडल को रख सकते हैं और तुझे क्यों रखेंगे.. और जहां तक मैंने सुना है उन लोगों ने कैंडिडेट हायर भी कर दिया होगा यह इंटरव्यू वह बस लोगों को दिखाने के लिए रख रहे होंगे मेरी मान तो तेरा वहां जाना बेकार है तेरे हाथ कुछ नहीं लगेगा”।
राही के चेहरे पर अब तक जो मुस्कान थी और जो उम्मीद थी वह टूट जाती है, और वह मायूसी के साथ कहती है “ नहीं शानू ऐसा मत कह मुझे नौकरी की बहुत जरूरत है, अगर यह नौकरी मुझे नहीं मिली तो पता नहीं मैं क्या करूंगी मेरे पास तो इतने पैसे भी नहीं है कि मैं दूसरी जगह जॉब के लिए अप्लाई कर सकूं मेरे लिए नौकरी बहुत जरूरी है” ।
राही बहुत परेशान थी। और उसके चेहरे पर हताशा भी थी शानू ने जब उसे इतना परेशान देखा तो वह भी उसके बारे में सोचने लगी सच में राही की हालत बहुत ज्यादा खराब थी। ऐसे में अगर शानू उसकी मदद नहीं करेगी तो राही आगे कैसे रह पाएगी और चिक्की का क्या होगा ।
तभी शानू के दिमाग में कुछ आता है और वह जल्दी से राही के हाथों को पकड़ते हुए कहती है “राही तुझे जॉब चाहिए ना ! मैं तुझे जॉब दिलवाऊंगी और वह भी बिना इंटरव्यू के”।
शानू की बात सुनकर राही एकदम से हैरान हो जाती है और हैरानी से कहती है “बिना इंटरव्यू के जॉब यह तू क्या कह रही है शानू मुझे यहां इंटरव्यू देकर कोई नौकरी देने को तैयार नहीं हो रहा है और तू कह रही है कि बिना इंटरव्यू के मुझे जॉब दिलवाएगी यह पॉसिबल कैसे हो सकता है”.
शानू जल्दी से अपना मोबाइल निकालती है और कहती है “बिल्कुल पॉसिबल है तुझे अब चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है तुझे जॉब चाहिए ना मिल जाएगी बस मुझ पर भरोसा रख”..
“ मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है लेकिन, फिर भी मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि बिना इंटरव्यू किए कोई मुझे नौकरी क्यों देगा और तू कहां नौकरी की बात कर रही है”। राही ने परेशान होते हुए पूछा तो शानू ने कुछ इरिटेशन वाले एक्सप्रेशन के साथ कहा “राही तू कैसे फालतू के सवाल करती रहती है जब मैंने कहा ना मुझ पर भरोसा रख तो तुझे क्यों जानना है कि मैं तुझे कहां नौकरी दिलवा रही हूं” ।
उसके बाद शानू ने एक गहरी सांस छोड़ी और राही से कहा “अच्छा ठीक है बताती हूं मैं तुझे अपने मंगेतर की कंपनी में जॉब दिलवा रही हूं”।
राही की आंखें एकदम से बड़ी हो जाती है और वह हैरानी से कहती है “मंगेतर की कंपनी मतलब मैं कुछ समझी नहीं तेरी सगाई हो गई है क्या”?
शानू मुस्कुराते हुए हां में सर हिलाती है और कहती है “हां मेरी इंगेजमेंट हो गई है, अभी 6 महीने पहले ही मेरी इंगेजमेंट हो गई है एक्चुअली पापा को इंगेजमेंट की इतनी जल्दी थी कि उन्होंने किसी को कुछ बताने का मौका ही नहीं दिया है। और मेरे फिआंसे उनका तो बहुत बड़ा बिजनेस है मैं उन्हीं की कंपनी में तुझे जॉब दिलवा रही हूं और जब मैं उनसे कहूंगी कि जॉब मेरी फ्रेंड को चाहिए । तो वह बिना किसी इंटरव्यू के तुझे अपनी कंपनी में एक अच्छी सी पोजीशन पर जॉब दे देंगे तुझे फिक्र करने की जरूरत नहीं है वह बहुत अच्छे हैं मैं उनसे तेरे लिए बात करूंगी” ।
राही हैरान हो जाती है पर इस तरीके से जॉब मिलना उसके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था वैसे राही खुद भी इन सब चीजों में यकीन नहीं रखती थी । और उसे सिफारिश से लगे हुए लोगों पर बहुत गुस्सा भी आता था । मतलब बिना किसी काबिलियत के लोग सिफारिश से कहां पर दाखिल हो जाते हैं लेकिन आज अपने हालात को देखकर राही को यह काम भी सही लगने लगा था ।
शानू अपना फोन लेती है और खिड़की के पास जाती है वह अपना फोन कान पर लगाती है सामने से कोई फोन रिसीव करता है, और राही सिर्फ शानू को देखने लगती है। उसे सामने वाले की बात सुनाई नहीं दे रही थी पर वह शानू की सारी बात सुन रही थी शानू किसी से राही के बारे में कह रही थी। और उसने कहा कि उसकी एक फ्रेंड को जॉब की जरूरत है अगर उनकी कंपनी में कोई पोजीशन खाली है तो वह उसकी फ्रेंड को दे सकते हैं उसे नौकरी की बहुत जरूरत है।
2 मिनट बात करने के बाद शानू ने फोन रख दिया और मुस्कुरा कर राही को देखने लगी उसने राही से कहा. “राही तेरी जॉब पक्की” ।
उस ने देखा लकड़ी की उस बहुत खूबसूरत से सेंट्रल टेबल के उसे तरफ कोई शख्स बैठा हुआ है। जिसकी पीठ राही की तरफ है । क्योंकि वह कुर्सी घुमा कर बैठा हुआ था । राही आराम से खड़ी हो जाती है और खुद के अंदर एक कॉन्फिडेंस लाते हुए कहती है “गुड मॉर्निंग सर” ।
तभी कुर्सी पलटती है, और उस पर बैठा शख्स कहता है "गुड मॉर्निंग मिस.....
राही की आंखें एकदम से बड़ी हो जाती है . और वह शख्स भी हैरान हो जाता है. वह दोनों एक दूसरे को ही देख रहे थे। वह शख्स जो अब तक कुर्सी पर ही बैठा था वह खड़ा होते हुए कहता है “आप” !
राही भी हैरान हो जाती है । उसका मुंह खुला का खुला रह जाता है वह जल्दी से खुद को संभालते हुए कहती है “आप.. आप तो वही है ना, जो उस रात मुझे पार्टी में मिले थे।”
उसके बाद राही याद करने लगती है। उस शख्स ने अपना बिजनेस कार्ड दिया था। और उस पर वह नाम लिखा हुआ था । अधिकार M.
राही ने उस आदमी को देखते हुए कहा “मिस्टर अधिकार”..
अधिकार के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. और वह राही को देखते हुए कहने लगा “ तो इसका मतलब आपने मेरा बिजनेस कार्ड पढ़ा था । इसलिए आपको मेरा नाम याद है. और अगर आपको मेरा नाम याद था. तो आपको यह भी याद रहा होगा कि मैंने आपसे कहा था कि अगर लाइफ में कभी भी जरूरत पड़े तो आप मुझे मेरे नंबर पर कॉल कर सकते हैं. पर फिर भी आपने मेरी मंगेतर की रेफरेंस से मुझ से नौकरी मांगी है..स्ट्रेंज
राही अपना चेहरा नीचे करते हुए कहती है "आप..! मुझे नहीं पता था कि आप शानू के, मेरा मतलब शनाया की मंगेतर है ।
अधिकार मुस्कराने लगता है । वह अपना एक हाथ आगे करते हुए राही कोई इशारा करता है और कहता है. आइए बैठिए ।
राही धीरे-धीरे कुर्सी के पास आती है । और अधिकार के सामने बैठ जाती है। अधिकार भी उस के सामने बैठ गया था । लेकिन वह अपनी कुर्सी पर पीछे पीट टिका कर बैठा हुआ था । उसकी गहरी निगाहें राही के ऊपर ही थी । और वह राही को देख रहा था पर राही की नजर झुकी हुई थी ।
अधिकार ने मुस्कुराते हुए कहा “ तो आखिरकार आपको मुझ तक आना ही पड़ा” ..
राही हैरान हो जाती है और अधिकार को देखने लगती है । तो अधिकार जल्दी से कहता है “मेरा मतलब है नौकरी के लिए! आपको नौकरी के लिए तो मुझ तक आना ही पड़ा है । भले ही आप अपनी मर्जी से आई हो या फिर किसी के सिफारिश से। ”
“आई एम सॉरी मिस्टर अधिकार ! दरअसल मुझे एक नौकरी की जरूरत है इसीलिए मैं यहां पर आई हूं। मुझे नहीं पता था कि आप शानू की मंगेतर. मुझे पता होता तो मैं”..
“तो मैं यहां कभी नहीं आती. और आप से नौकरी कभी नहीं मांगती । यही कहना चाहती है ना आप । मिसेस मेहरा”.. अधिकार ने राही की आंखों में देखते हुए कहा तो राही घबरा जाती है।
वह जल्दी से ना में सर हिलाते हुए कहती है । “नहीं ऐसी बात नहीं है, दरअसल मुझे सच में नहीं पता था कि आप शानू की मंगेतर है. उस रात पार्टी में अचानक से मिलने की वजह से मैं बस थोड़ी सी अनकंफरटेबल हो गई थी।”
“शानू ने मुझे आप का नाम नहीं बताया था. इसलिए मैं आपको पहचान नहीं पाई. और शानू”....
“मैसेस मेहरा… आप यहां मेरे सामने बैठी हैं.और मैं यहां आपके सामने बैठा हूं आपको नहीं लगता है कि आपको अपने बारे में कुछ बताना चाहिए। शानू मेरा मतलब मेरी मंगेतर शनाया उसके बारे में बहुत कुछ जानता हूं । आपको उसके बारे में कुछ बताने की जरूरत नहीं है . आप अपने बारे में बताइए क्योंकि नौकरी मुझे आपको देनी है।”
अधिकार ने जब यह कहा तो राही पूरी तरह से सख्त हो गई । अधिकार के शब्दों में एक कठोरता थी। वह ऐसा लग रहा था । जैसे राही को कोई ऑर्डर दे रहा है ।
राही जल्दी से एक लंबी सांस ली और अधिकार से कहने लगी । “जी सर मैं आपको अपने बारे में तब बताऊंगी और आप इंटरव्यू से जुड़ा जो भी सवाल कहेंगे मैं उसका जवाब भी दूंगी. लेकिन उससे पहले मेरी आपसे एक रिक्वेस्ट है प्लीज आप मुझे मिसेस मेहरा कह कर मत बुलाए”.
अधिकार की आंखें छोटी हो जाती है । और वह घूर कर राही को देखते हुए कहता है । “मिसेस मेहरा कह कर ना बुलाऊं ऐसा क्यों. आप तो मिस्टर विक्रांत मेहरा की वाइफ है ना । वैसे मैं एक सवाल करना तो भूल ही गया आप से. इतने बड़े अमीर बिजनेसमैन की बीवी होने के बावजूद आपको जॉब की क्या जरुरत आ गई.”
राही ने अफसोस के साथ अपना चेहरा नीचे करते हुए। कहा “अब मैं उनकी वाइफ नहीं हूं! हमारा जल्दी डिवोर्स होने वाला है. और यह नौकरी में अपने लिए करना चाहती हूं । मेरा नाम अब मिसेस मेहरा नहीं है, बल्कि मिस शर्मा है.. अपने पति से अलग होने के बाद मुझे सिर्फ एक नौकरी की जरूरत है। क्या मैं आप से इसकी उम्मीद कर सकती हूं. मैं बहुत ईमानदारी से काम करूंगी।”
अधिकार अपने पैन को घुमाते हुआ राही की सारी बात सुन रहा था । उस ने अपनी एक आईब्रो सिकुड़ कर।और कुछ सोचते हुए कहा “नौकरी ..! वैसे नौकरी तो मैं आपको दे सकता हूं लेकिन मैं आपको नौकरी में क्या ही दूंगा। मतलब आप के पति जितने आप के ऊपर खर्च करते होगे मेरी छोटी सी कंपनी उस के सामने कुछ भी नहीं है। मैं आप को बहुत मामूली सी रकम दे सकता हूं. मुझे नहीं लगता कि आप उस जॉब में कंफर्टेबल होगी?”
पर राही ने जल्दी से ना में सर हिलाते हुए कहा. "नहीं ऐसा कुछ नहीं है “मुझे कोई भी जॉब चलेगी और किसी भी सैलरी में। मुझे बस एक नौकरी की जरूरत है मैं बहुत ईमानदारी से काम करूंगी. और आप को कोई शिकायत का मौका नहीं दूंगी. लेकिन मेरे पास कोई जॉब एक्सपीरियंस नहीं है. मैं सालों तक हाउस वाइफ ही रही हूं. इसलिए मैंने कभी कोई जॉब नहीं किया है। पर मुझे पता है कि मेरे अंदर काम करने की लगन है. मैं हर काम को बहुत ईमानदारी से करूंगी और आप मुझे जो काम भी देंगे. उसमें मैं आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगी”..
राही ने पूरे विश्वास के साथ कहा. उस के ऐसा कहने पर अधिकार के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है । और वह हां में सर हिलाते हुए कहता है “चलो यह तो अच्छी बात है कि तु खुद को साबित करने के लिए नौकरी करना चाहती हो. लेकिन हाउसवाइफ होना भी कोई मामूली काम नहीं है । वह भी एक बहुत मुश्किल काम है।
मेरे ख्याल से हाउसवाइफ होना दुनिया का सबसे मुश्किल काम है। मतलब बिना सैलरी के बिना किसी इंक्रीमेंट के और बिना किसी मतलब के. आप सारी जिंदगी एक परिवार की देखभाल करते हैं। यह कोई छोटा-मोटा काम नहीं होता है.. बिजनेस में कंपनी में तो फिर भी 8 घंटे के बाद एम्पलाइज को छुट्टी दे दी जाती है। लेकिन हाउसवाइफ को तो साल की 365 दिन हफ्ते के सात दिन.हर दिन के 24 घंटे काम करने होते हैं। तो एक कंपनी चलाने से ज्यादा मुश्किल एक घर चलना होता है।”