आसमान में घने काले बादल छाए हुए थे, जो बिजली की चमक के साथ अपना गुस्सा दिखा रहे थे। तूफान की तेज़ हवा ने पेड़ों को हिला दिया था, और उनकी शाखाएं टूटने की कगार पर थीं। लोनावला की ऊंची पहाड़ियां में होती सुनसान सड़क पर एक तेज रफ्तार कार सन्नाटे को चीरते... आसमान में घने काले बादल छाए हुए थे, जो बिजली की चमक के साथ अपना गुस्सा दिखा रहे थे। तूफान की तेज़ हवा ने पेड़ों को हिला दिया था, और उनकी शाखाएं टूटने की कगार पर थीं। लोनावला की ऊंची पहाड़ियां में होती सुनसान सड़क पर एक तेज रफ्तार कार सन्नाटे को चीरते हुए अरही थी । अचानक ही उसमें बैठे लोग घबरा गए थे क्योंकि बारिश अब रौद्र रूप ले चुकी थी । बिजली की कड़क ने रात के अंधेरे को और भी भयानक बना दिया था। बारिश की बूंदें जोर से जमीन पर गिर रही थीं, जिससे एक अजीब सी आवाज निकल रही थी। रात की इस भयानकता में भी एक सन्नाटा पसरा हुआ था जो तूफान की शक्ति और प्रकृति की अद्भुतता को दर्शा रहा था। यह रात याद दिला रही थी कि प्रकृति कितनी शक्तिशाली है और हमें उसके सामने नतमस्तक होना ही पड़ता है।" अभी कार चलने वाला इंसान कार को सम्हाल ही रहा था कि तभी अचानक एक पुराना पेड़ टूटकर सड़क पर गिर गया। कार ड्राइवर ने ब्रेक लगाने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कार पेड़ से टकरा गई और बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। कार के अंदर बैठे माता-पिता ने अपनी दो छोटी बच्चियों को बचाने की कोशिश की, लेकिन वे खुद ही गंभीर रूप से घायल हो गए। कुछ ही देर में दोनों ने दम तोड़ दिया। दोनों बच्चियाँ, जिनकी उम्र शायद 5 साल थी और एक छोटी सी बच्ची जो अभी अपना पहला जन्म दिन भी न माना पाई थी ,बड़ी बेटी रोते हुए अपनी माँ और पिताजी को पुकारने लगीं। लेकिन उनकी आवाज सुनने वाला वहां कोई नहीं था। सड़क सुनसान थी, और वे दोनों अनाथ हो गई थीं। बड़ी बच्ची ने अपनी छोटी बहन को गोद में लेकर बैठ गई और रोते हुए बोली, "पापा... मम्मा... कहाँ चले गए? हमें छोड़कर क्यों चले गए?" छोटी बच्ची ने अपनी बड़ी बहन के गले में हाथ डालकर उसको अपनी नीली आंखों से देखा था । उनकी आवाजें सुनसान सड़क पर गूंज रही थीं, लेकिन वहां उन्हें बचाने वाला कोई नहीं था। दोनों बच्चियों की आँखों में आंसू थे, और उनके दिल में दर्द और डर था। वे नहीं जानती थीं कि अब उनका क्या होगा, और कौन उनकी देखभाल करेगा। यह दृश्य दिल को तोड़ देने वाला था। दोनों बच्चियों की मासूमियत और उनके माता-पिता की अनुपस्थिति ने सबको रुला दिया। यह हादसा एक दर्दनाक याद बन गया, जो कभी भुलाया नहीं जा सकता। सुबह का दृश्य: सुनसान सड़क पर अभी भी उस हादसे के निशान बिखरे हुए थे। कार के टुकड़े और पेड़ की शाखाएं सड़क पर फैली हुई थीं। पुलिस की गाड़ी और एंबुलेंस के पहियों के निशान सड़क पर दिखाई दे रहे थे। दोनों बच्चियों को पुलिस ने एक अनाथालय में भेज दिया था, जहां वे अब अपने भविष्य की राह तलाशेंगी। सड़क के किनारे खड़े लोग उस हादसे के बारे में बातें कर रहे थे। किसी के चेहरे पर हादसे की गहराई साफ दिखाई दे रही थी। सूरज की
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आसमान में घने काले बादल छाए हुए थे, जो बिजली की चमक के साथ अपना गुस्सा दिखा रहे थे। तूफान की तेज़ हवा ने पेड़ों को हिला दिया था, और उनकी शाखाएं टूटने की कगार पर थीं।
लोनावला की ऊंची पहाड़ियां में होती सुनसान सड़क पर एक तेज रफ्तार कार सन्नाटे को चीरते हुए अरही थी ।
अचानक ही उसमें बैठे लोग घबरा गए थे क्योंकि बारिश अब रौद्र रूप ले चुकी थी ।
बिजली की कड़क ने रात के अंधेरे को और भी भयानक बना दिया था। बारिश की बूंदें जोर से जमीन पर गिर रही थीं, जिससे एक अजीब सी आवाज निकल रही थी।
रात की इस भयानकता में भी एक सन्नाटा पसरा हुआ था जो तूफान की शक्ति और प्रकृति की अद्भुतता को दर्शा रहा था। यह रात याद दिला रही थी कि प्रकृति कितनी शक्तिशाली है और हमें उसके सामने नतमस्तक होना ही पड़ता है।"
अभी कार चलने वाला इंसान कार को सम्हाल ही रहा था कि तभी अचानक एक पुराना पेड़ टूटकर सड़क पर गिर गया। कार ड्राइवर ने ब्रेक लगाने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कार पेड़ से टकरा गई और बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई।
कार के अंदर बैठे माता-पिता ने अपनी दो छोटी बच्चियों को बचाने की कोशिश की, लेकिन वे खुद ही गंभीर रूप से घायल हो गए। कुछ ही देर में दोनों ने दम तोड़ दिया।
दोनों बच्चियाँ, जिनकी उम्र शायद 5 साल थी और एक छोटी सी बच्ची जो अभी अपना पहला जन्म दिन भी न माना पाई थी ,बड़ी बेटी रोते हुए अपनी माँ और पिताजी को पुकारने लगीं। लेकिन उनकी आवाज सुनने वाला वहां कोई नहीं था। सड़क सुनसान थी, और वे दोनों अनाथ हो गई थीं।
बड़ी बच्ची ने अपनी छोटी बहन को गोद में लेकर बैठ गई और रोते हुए बोली, "पापा... मम्मा... कहाँ चले गए? हमें छोड़कर क्यों चले गए?" छोटी बच्ची ने अपनी बड़ी बहन के गले में हाथ डालकर उसको अपनी नीली आंखों से देखा था ।
उनकी आवाजें सुनसान सड़क पर गूंज रही थीं, लेकिन वहां उन्हें बचाने वाला कोई नहीं था। दोनों बच्चियों की आँखों में आंसू थे, और उनके दिल में दर्द और डर था। वे नहीं जानती थीं कि अब उनका क्या होगा, और कौन उनकी देखभाल करेगा।
यह दृश्य दिल को तोड़ देने वाला था। दोनों बच्चियों की मासूमियत और उनके माता-पिता की अनुपस्थिति ने सबको रुला दिया। यह हादसा एक दर्दनाक याद बन गया, जो कभी भुलाया नहीं जा सकता।
सुबह का दृश्य:
सुनसान सड़क पर अभी भी उस हादसे के निशान बिखरे हुए थे। कार के टुकड़े और पेड़ की शाखाएं सड़क पर फैली हुई थीं। पुलिस की गाड़ी और एंबुलेंस के पहियों के निशान सड़क पर दिखाई दे रहे थे।
दोनों बच्चियों को पुलिस ने एक अनाथालय में भेज दिया था, जहां वे अब अपने भविष्य की राह तलाशेंगी। सड़क के किनारे खड़े लोग उस हादसे के बारे में बातें कर रहे थे। किसी के चेहरे पर हादसे की गहराई साफ दिखाई दे रही थी।
सूरज की किरणें धीरे-धीरे सड़क पर फैलने लगी थीं, लेकिन वहां का माहौल अभी भी उदासी और शोक से भरा हुआ था। लोग अपने काम पर जाने के लिए जल्दी में थे, लेकिन उनकी बातों में उस हादसे की चर्चा जरूर थी।
सड़क के किनारे लगे पेड़ों की पत्तियां हल्की हवा में हिल रही थीं, जैसे कि वे भी उस हादसे के बारे में कुछ कहना चाहती हों। सुबह की शांति और सुंदरता के बीच, उस हादसे की दर्दनाक यादें अभी भी ताजा थीं।
हादसे के बाद, बड़े भाई यानी अंकल ने अपनी भतीजियों को खोजने की कोशिश शुरू की। उन्होंने पुलिस से संपर्क किया, अस्पतालों में पता किया, और आसपास के लोगों से पूछताछ की। आखिरकार, उन्हें पता चला कि बड़ी बेटी को उन्होंने खुद अपने साथ ले लिया था, लेकिन छोटी बेटी को एक अनाथालय से एक औरत ने गोद ले लिया था।
अंकल ने बड़ी बेटी को अपने साथ ले जाकर उसे संभाला, उसे ढांढस बंधाया। उन्होंने अपनी भतीजी को समझाया कि वह अब उनके साथ रहेगी और वे उसकी देखभाल करेंगे।
इसके बाद, अंकल ने अपने भाई और भाभी का क्रिया कर्म किया। उन्होंने पारंपरिक तरीके से उनकी आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ और दान-दक्षिणा किया। इस दौरान, उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों और मित्रों को भी आमंत्रित किया, जिन्होंने इस दुख की घड़ी में उनका साथ दिया।
क्रिया कर्म के बाद, अंकल ने अपनी भतीजियों के भविष्य के बारे में सोचना शुरू किया। उन्होंने बड़ी बेटी के साथ एक नया जीवन शुरू करने की योजना बनाई, और छोटी बेटी को भी खोजने का फैसला किया, ताकि वह भी अपने परिवार के साथ रह सके।
18 साल बाद
एक सुनहरी सुबह ख़ुसूरत से बंगले की बालकनी से होकर जाती धूप जो उस रूम के बेड पे लेटी शख्सियत को उठाने में कामयाब नहीं हो पाई थी ।
कमरे में हर तरफ ढेर सारे पेपरो का अंबार बिखरा पड़ा था जिस बात की गवाही दे रहा था की रात भर मेहनत करने वाले को अपनी मेहनत पसंद नहीं आई थी।
उसकी सुंदरता अद्वितीय थी। वह एक कामयाब बिजनेस वुमन बन गई थी, जिसकी आँखें हरी और गहरी थीं। उसके बाल रेशमी और लंबे थे, जो उसकी पीठ पर झूलते हुए एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत करते थे। उसके चेहरे पर आत्मविश्वास और सफलता की चमक थी, जो उसे और भी आकर्षक बनाती थी।
वह एक अप्सरा की तरह सुंदर थी, जिसकी सुंदरता और व्यक्तित्व दोनों अद्वितीय थे। उसकी हरी आँखें जैसे कि एक जादुई दुनिया की खिड़की थीं, जो उसकी गहराई और भावनाओं को दर्शाती थीं।
तभी उसके दरवाजे पर नौकरी और वह गुस्से में अपनी हरि आपको खोलते हुए उठ बैठी थी किसी की हिम्मत नहीं थी उसके घर में कि उसे इस वक्त उठा देता।
उसने रिमोट का बटन प्रेस किया सामने उसकी सेक्रेटरी जारा खड़ी थी।
अपने हाथों को बने सब को झुकाए वह कहती है"मैं सॉरी तो डिस्टर्ब यू बट क्या करती अभी 1 घंटे बाद आपकी ऑस्ट्रेलिया वाले लोगों से मीटिंग है" और आपने ही कहा था, की यह मीटिंग आप .......आप खुद अटेंड करेंगी "
आज दिन में आपकी लगभग तीन मिली है इसके बाद 1:00 बजे इटली वाली डेलिगेट्स के साथ मीटिंग है और शाम में 3:00 बजे के करीब मशहूर बिजनेसमैन जो अभी-अभी यहां शिफ्ट हुए हैं लंदन से उनके साथ मीटिंगहै"
उसकी सारी बातें सुनकर सामने बैठकर बैठी हुई लड़की ने अपने बालों को पड़कर लपेटा औरबोली"मुझे अच्छे से पता है मेरी कब कितने बजे किसके साथ हुई है तुम्हें टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है"
उसके अंदाज पर जारा अपना पसीना पूछते हुए घबरा कर वहां से जाने लगी थी क्योंकि सामने बैठी लड़की कोई और नहीं उसकी कंपनी की सीईओ के साथ डायरेक्टर भी हो गई थी।
काफी डरती भी क्यों नहीं क्योंकि सामने बैठी लड़की कोई और नहीं एक टाइम के जाने माने बिजनेसमैन अंबानी की बड़ी बेटी कनक अंबानी थी ।
वही मुंबई के छोटे से फ्लैट में
ओ कर्मजली कहां मर गई अब तक चाय नहीं मिली "
एक बहुत ही बदतमीज टाइप की औरत हाल में बैठी हुई थी जो किसी को बुरी तरह से गालियां देकर चिल्ला रही थी।
कुछ ही देर में वहां एक लड़की आती है जो बेहद खूबसूरत थी जिसकी आंखें मिली थी खूबसूरती ऐसी की चांद भी शर्मा जाए अपने हाथों में चाय लिए कांप रही थी।
"वह वह गैस खत्म हो गई थी इसलिए मुझे देर हो गई मां उसने उसके हाथों में चाय पकड़े उसे औरत ने एक नजर मीरा के चेहरे को दिखा और गुस्से से कुछ सोचने लगी मेरा उसको चाय दे कर वापस किचन में लौट आई थी।
मीरा की सौतेली मां उसकी सुंदरता को देखकर जल की थी क्योंकि उसकी अपनी बेटी उसे जैसी नहीं थी वह कभी नहीं चाहती थी कि मीरा अच्छी दिखे।
मीरा की सौतेली मां ने उसकी सुंदरता को छुपाने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया। उसने मीरा के चेहरे और शरीर पर काले रंग का पेंट लगा दिया, ताकि उसकी सुंदरता छुप जाए। मीरा को यह देखकर बहुत दुख हुआ और वह रोने लगी।
मीरा की सौतेली मां ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह अपनी बेटी से ज्यादा सुंदर थी और उसे लगता था कि मीरा की सुंदरता उसकी बेटी को हीन भावना से भर देगी। लेकिन मीरा की सुंदरता उसकी आंतरिक सुंदरता से भी ज्यादा थी, जो अब भी चमक रही थी।
मीरा ने अपने आप को इस स्थिति में पाकर बहुत ही दुखी महसूस किया, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने सोचा कि वह एक दिन अपनी सुंदरता को फिर से पा लेगी और अपनी सौतेली मां के इस कृत्य का जवाब देगी।