Novel Cover Image

His innocent obsession

User Avatar

unicorngirl

Comments

0

Views

25

Ratings

0

Read Now

Description

कभी-कभी गलत चीज भी हमें सही राह पर ले जाती है। ऐसा ही कुछ हुआ है कॉल सेंटर में काम करने वाली मयूरी के साथ। एक गलत रॉन्ग नंबर ने मयूरी की पूरी जिंदगी बदल कर रख दी है। गलती से रॉन्ग नंबर पर मयूरी ने मदद की अंडरवर्ल्ड के किंग तक्षक राणे की। पर उसे क्या...

Total Chapters (25)

Page 1 of 2

  • 1. कॉल सेंटर गर्ल

    Words: 1743

    Estimated Reading Time: 11 min

    नाइट क्लब मरीना...

    क्लब के एक प्राइवेट एरिया में दो ब्लैक कलर के कपड़ों में बॉडीगार्ड खड़े थे और सोफे पर एक शख्स बैठा हुआ था। वे दोनों बॉडीगार्ड एक दूसरे को देखते हैं और फिर उस सोफे पर बैठे हुए आदमी को देखकर एक बॉडीगार्ड कहता है।

    “ बॉस, मीटिंग का टाइम हो गया है। सामने वाली पार्टी ने दो बार फोन कर दिया है। उन्हें क्या कहना है? आप मीटिंग में आ रहे हैं या नहीं ।”

    सोफे पर बैठा हुआ वह शख्स अपने सामने रखे हुए ड्रिंक का ग्लास उठाता है और उसे झटके से खत्म करते हुए वापस टेबल पर पटकते हुए अपनी लाल और नशीली आंखों से उस बॉडीगार्ड को गुस्से में देखता है और एक सर्द आवाज के साथ उससे कहता है, “ लगता है तुम नए हो यहां पर। इसीलिए तक्षक राणा के साथ सवाल जवाब करने की हिम्मत रख रहे हो।”

    दूसरा बॉडीगार्ड जल्दी से सामने आता है और उस पहले बॉडीगार्ड को पीछे करते हुए अपना सर झुकाता है और तक्षक को देखते हुए कहता है, “ सॉरी बॉस, ये सच में आज ही आया है काम पर। इसलिए पता नहीं, कि आपके साथ कैसे बात करनी है। मैं इसकी तरफ से माफी मांगता हूं। वह क्या है ना सामने वाली डीलर पार्टी ने दो बार फोन कर दिया है। और वे लोग आपका इंतजार कर रहे हैं। वे लोग पैसा लेकर लोकेशन पर पहुंच गए हैं और आपके आने का इंतजार कर रहे हैं।”

    तक्षक अपनी जगह से खड़ा होता है और घूर कर उस पहले बॉडीगार्ड को देखते हुए कहता है, “ आज से तुम्हारी ड्यूटी मेरे गार्डन में लगी। जहां पर तुम फूलों की देखभाल करोगे। क्योंकि तुम्हारे चेहरे पर जो डर है, वह तक्षक का बॉडीगार्ड बनने लायक नहीं है।”

    उस बॉडीगार्ड की हालत खराब हो गई थी। सच में उसके माथे पर पसीना आ गया था, जब तक्षक ने उसे घूर कर देखा। उसने जल्दी से अपना पसीना पोंछा और हां में सर हिलाया। तक्षक अपने हाथों में वाइन की बोतल लेता है और प्राइवेट एरिया से निकल जाता है।

    वह क्लब से बाहर निकलने ही वाला होता है, कि तभी एक शख्स उससे टकरा जाता है। क्योंकि तक्षक ने ड्रिंक की हुई थी, इसलिए वह थोड़ा संभल नहीं पाया और लड़खड़ा गया। उसके हाथों में जो वाइन की बोतल थी, उसमें से थोड़ी सी वाइन छलक कर सामने वाले के कपड़ों पर गिर जाती है।

    पर वह लड़का जो सामने तक्षक से टकराया था, शायद किसी बड़े बाप की बिगड़ी हुई औलाद थी। उसने तुरंत खुद को संभाला और अगले ही पल तक्षक का गिरेबान पकड़ कर उसे गुस्से में कहने लगा, “ साले देखता नहीं है क्या? अंधा हो गया है? तूने मेरी इतनी महंगी जैकेट खराब कर दी।”

    तक्षक की निगाहें सर्द हो गई थीं। उसने अपने गिरेबान को देखा, जिसे उस लड़के ने पकड़ा हुआ था, और अगले ही पल पूरे क्लब में सन्नाटा छा जाता है। म्यूजिक बंद हो गया था और जो लोग अपनी जगह पर नाच रहे थे, वे अपनी जगह पर ही रुक गए थे। सबके चेहरे पर डर और माथे पर पसीना आ गया था, क्योंकि एक गन शॉट की आवाज ने वहां के मस्ती भरे माहौल को डरावना कर दिया था।

    वह लड़का जिसने तक्षक का गिरेबान पकड़ा था, वह जमीन पर पड़ा हुआ था और उसके माथे के बीचो-बीच से खून निकल रहा था। तक्षक के हाथों में एक गन थी। जैसे ही उस लड़के ने तक्षक का गिरेबान पकड़ा, तक्षक अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाया और अगले ही पल उसने कमर के पीछे से अपनी गन निकाली और अगले ही पल उस लड़के के माथे के बीचो-बीच गोली मार दी।

    उस बंदे की मौत वहीं पर हो गई थी और उसकी लाश जमीन पर पड़ी हुई थी। सर के बीचो-बीच गोली लगी थी, वहां से खून निकल रहा था और उसका पूरा सर खून से भर गया था। आंखें खुल गई थीं और जबान बाहर आ गई थी।

    तक्षक अपने पंजों के बल बैठता है और उसकी लाश को देखकर डरावनी तरीके से कहता है, “खिलौने से खेलने की उम्र में, बाप से पंगा नहीं लेना चाहिए।”

    क्लब में एकदम शांति पसर गई थी। हालांकि बहुत सी आंखों ने तक्षक को यह मर्डर करते हुए देखा था, पर किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी, कि वह तक्षक के खिलाफ कुछ बोल सके। मैनेजर जल्दी से वहां आते हैं और तक्षक को घबरा कर देखते हुए कहते हैं, “ सर, आप क्यों परेशान हो रहे हैं? आप जाइए यहां से। मैं ये सब हैंडल कर लूंगा।”

    तक्षक खड़ा होता है और उस मैनेजर के कंधे थपथपाते हुए कहता है, “ इसीलिए तो तुम्हें हड्डी देता हूं, ताकि तुम गंदगी साफ कर सको।”

    तक्षक वहां से निकल जाता है और मैनेजर घबराते हुए उस लाश को देखकर परेशान होते हुए कहता है, “ अब इसका मैं क्या करूं? ये कोई छोटा-मोटा इंसान थोड़ी ना था। पॉलिटिशियन का बेटा था। एक तरफ माफिया, दूसरी तरफ पॉलिटिशियन। मतलब एक तरफ कुआं, दूसरी तरफ खाई। पर कुछ भी हो मुझे इसकी लाश इसके घर तो भेजनी ही होगी ना।”

    मुंबई.. माता का मंदिर

    एक लड़की जिसने चूड़ीदार सूट सलवार पहन रखा था, वह माता के मंदिर की सीढ़ियां नंगे पैर चढ़ रही थी। उसके दोनों हाथ जुड़े हुए थे और उसके खुले बाल हवा में लहरा रहे थे। और कानों में पड़ी कुंदन की बालियां हवा में इधर-उधर झूल रही थीं।

    सर्दी तो नहीं लगी थी, लेकिन वह अपनी नाक को बार-बार ऊपर की तरफ खींच रही थी। शायद अपने आंसुओं को रोकने की कोशिश कर रही थी। गुलाबी लिप ग्लोज में लिपटे हुए उसके होंठ धीरे-धीरे बुदबुदा रहे थे, शायद वह कोई शिकायत कर रही थी या फिर कोई मंत्र पढ़ रही थी। अब ये तो वही जाने की मंदिर की सीढ़ियां चढ़ते वक्त वह क्या कह रही थी।

    जैसे ही सारी सीढ़ियां खत्म हो जाती हैं और उसे माता की प्रतिमा नजर आती है, वह गुस्से में भड़कती हुई माता की प्रतिमा के पास जाती है और अपना एक हाथ उठाकर मंदिर के घंटे को बार-बार बजाने लगती है। करीब 10 से 15 बार जब उसने मंदिर की घंटी को बजाया, उसके बाद उसने गुस्से में माता रानी को देखा और अपने दोनों हाथ गुस्से में जोड़ते हुए बोली।

    “ मम्मी क्या मांगा था मैंने आपसे? मेरी छोटी सी विश आप पूरी नहीं कर सकती हैं? मतलब हद होती है, लोग आप से इतना सब कुछ मांगते हैं और बदले में आपका हाल-चाल भी नहीं पूछते हैं।

    मैं तो रोज आकर आप से यही कहती हूं, मम्मी आप ठीक हो ना? आपको कोई परेशानी तो नहीं है ना? आपने ठीक से खाना खाया? आपको सर्दी तो नहीं लगी है ना? गर्मी में आपको पसीना तो नहीं आता है ना? मेरी सैलरी मिलेगी, तो मैं आपके लिए पक्का नई साड़ी लेकर आऊंगी। बस मेरी नौकरी बचाए रखना।

    लेकिन मम्मी आपने तो मेरी ऐसी हालत कर दी है, जहां पर वे लोग मुझे इस महीने के आखिरी में नौकरी से निकालने वाले थे, वहीं पर मुझे आज कल में निकालने की बात कर रहे हैं। मतलब आप मेरी एक छोटी सी नौकरी भी नहीं बचा कर रख सकती हैं। ज्यादा नहीं कम से कम में एक क्रेडिट कार्ड तो बेचने दिया होता ना।

    पूरे महीने जीरो पर कौन रहता है? आप जानती हैं मम्मी मैं एक कॉल सेंटर में काम करती हूं। वहां पर मुझे रोज़ एक नया क्रेडिट कार्ड बेचना होता है। लेकिन मैं पिछले 1 महीने से कोई सेल कर ही नहीं पाई हूं। पिछला महीना तो जैसे तैसे गुजर गया, क्योंकि मैं नई एम्पलाई थी। तो कंपनी ने मुझे एक महीने का टाइम दिया था सीखने के लिए। और उस एक महीने में भी मैंने कोई क्रेडिट कार्ड नहीं बेचा था और इस महीने तो हद हो गई है।

    मतलब जो लोग मेरे बाद आए थे, वे भी 10-10 क्रेडिट कार्ड बेच कर बैठे हुए हैं और मैंने एक भी क्रेडिट कार्ड नहीं बेचा है। मुझे तो मैनेजर साहब ने बोल भी दिया है, कि अगर महीना खत्म होने से पहले मैंने एक क्रेडिट कार्ड नहीं बेचा तो वह मुझे नौकरी से निकाल देंगे। आप तो जानती हैं ना मम्मी ये नौकरी मेरे लिए कितनी जरूरी है। आप तो सब जानती हैं और सब कुछ जानती हैं।

    इस समय मुझे नौकरी की कितनी जरूरत है और मैं इस नौकरी को खो नहीं सकती हूं। अगर ऐसा हुआ तो बहुत प्रॉब्लम हो जाएगी। प्लीज मम्मी आपसे रिक्वेस्ट है, कि आज कैसे भी करके मेरा एक क्रेडिट कार्ड बिकवा देना। ताकि मेरी नौकरी बची रहे। महीना खत्म होने में अभी भी चार दिन बाकी हैं। इस महीने सबसे ज्यादा क्रेडिट कार्ड बेचने वाली बबीता है। पूरे महीने में 40 क्रेडिट कार्ड बेचे हैं। मैं ये नहीं कह रही हूं, मुझे बबीता से आगे जाना है। बस मेरी नौकरी बची रहे इतना कर दीजिए मम्मी।”

    माता रानी से अपने दिल की बात कह कर वह लड़की हाथ जोड़ती है और पलट कर जाने ही वाली होती है, कि तभी पुजारी जी उसको देख कर मुस्कुराते हुए कहते हैं, “ फिर से अपनी मां से शिकायत कर रही थी? मयूरी बेटा…”

    मयूरी मुस्कुराते हुए पंडित जी के पास आती है और हां में सर हिलाते हुए कहती है, “ और क्या करूं पंडित जी? मेरी बातें सुनने वाला यहां है ही कौन? इसीलिए अपनी मां से ही अपने दिल की बात करती हूं। मां के जाने के बाद तो यही मेरी मां है। जानती हूं ये जगत की माता है। मेरे लिए तो ये मेरी मम्मी है। बस पंडित जी किसी तरीके से इतने सारे बच्चों के बीच मम्मी तक मेरी भी आवाज चली जाए और वह मेरी नौकरी बचा ले।”

    पंडित जी हंसते हुए मयूरी के हाथ में प्रसाद रखते हैं और एक कलावा उठा कर उसके हाथ में बांधते हुए कहते हैं, “ तुम फिकर मत करो बेटा। माता अपने भक्तों की हमेशा सुनती है और तुमने तो माता रानी को अपनी मां कहा है। तुम्हारी बात भी वो जरूर सुनेगी। देखना तुम्हारी नौकरी नहीं जाएगी।”

    माता रानी का कलावा अपने हाथ में बंधा हुआ देख कर मयूरी मुस्कुरा देती है और प्रणाम करते हुए मंदिर से चली जाती है। जाने से पहले वह पलट कर एक बार माता रानी की उस मुस्कुराती हुई प्रतिमा को देखती है, जैसे माता की वह मुस्कुराती हुई मूर्ति मयूरी से कह रही हो, कि तुम फिकर मत करो मैं तुम्हारे साथ हूं।

    मंदिर से निकलकर मयूरी जल्दी से ऑटो लेती है और क्रेडिट कार्ड सेल कंपनी मैं जाती है, क्योंकि मयूरी वहां के कॉल सेंटर पर एक टेलीकॉलर की जॉब करती थी।

  • 2. पैसों में आग लगा दी

    Words: 2055

    Estimated Reading Time: 13 min

    मयूरी जैसे ही कॉल सेंटर के सामने उतरती है, वह घबराकर अपनी घड़ी में टाइम देखती है। लगभग 10 बज रहे थे और उसका टाइम भी 10:00 का ही है। अगर वह 10:05 पर भी पहुंचेगी, तो उसकी टीम लीडर उसे बहुत सुनाएगी।

    मयूरी जल्दी से अपने पर्स में से ₹20 निकालती है और ऑटो वाले के हाथ में रख कर वहां से जल्दी से निकलने को होती है। पर तभी ऑटो वाला उसे रोकते हुए कहता है, “अरे मैडम ₹20 कहां दे रहे हो? ₹30 और दो। ₹50 बनते हैं। मंदिर से यहां तक के ₹50 किराया है।”

    मयूरी अपने दोनों हाथ कमर पर रखती है और मुंह बनाते हुए कहती है, “घाटकोपर से आई हूं क्या मैं? जो मुझे बेवकूफ बना दोगे। रोज का आना जाना है मेरा। ये शान पट्टी किसी और को दिखाना जा कर। मंदिर से यहां तक के ₹20 ही लगते हैं और मैं 20 ही दूंगी। चाहिए तो बोलो वरना मैं वह भी नहीं दूंगी।”

    ऑटो वाला बाहर निकलता है और मयूरी को घूर कर देखते हुए कहता है, “देखो मैडम, लड़की हो, इसीलिए तमीज से बात कर रहा हूं। वरना अपने पैसे निकालना मैं बहुत अच्छी तरह से जानता हूं।”

    मयूरी चिल्लाते हुए कहती है, “धमकी दे रहे हो? मुझे धमकी दे रहे हो? बताऊं अभी? बुलाऊं पुलिस को? ₹20 के लिए कोर्ट कचहरी के चक्कर काटते फिरोगे।”

    ऑटो वाला हैरानी से मयूरी को देखता है और कहता है, “पागल हो क्या ₹20 के लिए पुलिस बुलाने की धमकी दे रही हो? इतनी बड़ी कंपनी है पीछे और ₹20 के लिए बहस कर रही हो।”

    कंपनी की ऊंचाई देख कर मयूरी हैरानी से कहती है, “अरे ये कंपनी क्या मेरे ससुर की है? काम करती हूं यहां पर। मुझे दहेज में नहीं मिल रही है ये कंपनी।”

    तभी मयूरी के कंधे पर एक नाजुक सा हाथ आता है और एक लड़की मयूरी के गले में टंगते हुए कहती है, “हां ये काम करती है यहां पर। लेकिन अगर अगले 5 मिनट में ये अपने वर्कस्टेशन पर नहीं पहुंची ना, तो इसके ससुर जी कंपनी से इसे निकाल दिया जाएगा।”

    उस लड़की ने अपने पर्स में से ₹30 निकाले और ऑटो वाले के हाथ में रखते हुए कहा, “चलो निकलो यहां से और आज के बाद इस कंपनी के आसपास दिखे मत जाना। वरना सवारी मिलना तो दूर की बात है, ये लड़की तुम्हारा ऑटो ही तोड़ देगी।”

    वो ऑटो वाला जल्दी से उस ऑटो को लेकर चला जाता है और मयूरी उस लड़की को देखते हुए कहती है, “श्रुति क्या जरूरत थी उसे पैसे देने की? तुझे पता है, वह ₹30 एक्स्ट्रा मांग रहा था।”

    श्रुति हंसते हुए अपना माथा पीट लेती है और कहती है, “मयूरी देशमुख, एक समय पर देशमुख ग्रुप का इंडस्ट्री के मालिक विजय सिंह देशमुख की बेटी जो करोड़ों में खेला करती थी। आज ₹30 के लिए ऑटो वाले से झगड़ा कर रही है।”

    मयूरी का चेहरा मायूसी से नीचे लटक जाता है और वह कहती है, “क्या करूं श्रुति? हालत की बात है। तब हालात कुछ और थे और अब कुछ और हैं। अब पापा नहीं रहे और उनकी प्रॉपर्टी भी अब मेरी नहीं रही। इस प्रॉपर्टी के लिए तो केस लड़ रही हूं और लॉयर को देने के लिए पैसों की जरूरत है जिसके लिए मुझे काम करना पड़ता है।”

    मयूरी की बात सुन कर श्रुति ने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसे समझाते हुए कहा, “तू क्यों फ़िक्र कर रही है? देख मैं जहां तक तेरी मदद कर सकती थी, मैंने किया। मैंने तुझे अपनी कंपनी में जॉब लगवाई। अब ये सेल्स डिपार्टमेंट है और तूने पूरे महीने में एक भी सेल्स नहीं किए हैं, टीम लीडर से लेकर मैनेजर तक तुझसे नाराज हैं ऊपर से आज भी तुझ पर भड़के हुए भी हैं। क्योंकि तू लेट काम पर आई है। तुझे लगता है, तू सबसे हैंडल कर लेगी?”

    श्रुति की बात सुन कर मयूरी की आंखें एकदम से बड़ी हो जाती हैं और वह कंपनी के अंदर भागते हुए कहती है, “अरे तूने कहा मुझे बातों में लगा लिया है? एक तो मैं वैसे ही लेट हो गई हूं, ऊपर से अतुल सर मेरी और डांट लगाएंगे।”

    श्रुति भी हंसते हुए मयूरी के पीछे-पीछे कंपनी के अंदर जाने लगती है। यहां पर मयूरी ₹30 के लिए ऑटो वाले के साथ झगड़ा कर रही थी, तो वहीं दूसरी तरफ अपने गोदाम में बैठा हुआ तक्षक अपने सामने नोटों की गड्डी से भरा हुआ बैग तीखी निगाहों से देख रहा था।

    उसके सामने दो लड़के खड़े थे और दोनों घबराए हुए थे। एक लड़का कहता है, “बॉस हम सच कह रहे हैं। हमने इसमें से एक पैसा नहीं निकाला है। ये सारा पैसा हम पार्टी को ही देने गए थे, पर उसने कहा है, कि पूरे पैसे नहीं हैं।”

    तक्षक कुर्सी पर टिक कर बैठा हुआ था। उसके एक हाथ की कोहनी कुर्सी के हैंडल पर टिकी हुई थी और वह अपने दुसरे हाथ पर अपनी गन को गोल-गोल घूमाते हुए उन दोनों लड़कों को देख रहा था। जब उस लड़के ने अपनी बात खत्म की, तो तक्षक की निगाहें दूसरे लड़के के ऊपर जाती हैं, जिसके चेहरे पर पसीना टपकने लगा था।

    तक्षक घूरते हुए उस लड़के को देखता है और कहता है, “क्या तुम्हें कुछ कहना है?”

    वह लड़का अपने दोनों हाथ जोड़ कर घुटनों के बल बैठ जाता है और गिड़गिड़ाते हुए कहता है, “बॉस मुझे माफ कर दीजिए। मुझसे गलती हो गई। मैंने इस बैग में से ₹2000 निकाले थे। मेरी बहन की स्कूल की फीस भरनी थी। उसे बहुत जरूरत थी। मुझे लगा जब तक कि पैसे जाएंगे, तब तक मैं पैसों का अरेंजमेंट कर दूंगा। लेकिन मैं नहीं कर पाया। पर मुझे लगा इसमें इतने सारे पैसे हैं। ₹2000 किसी को क्या ही पता चलेंगे? लेकिन मैं गलत था। बॉस प्लीज मुझे माफ कर दीजिए। मुझसे गलती हो गई है।”

    वह लड़का जो खड़ा था, उसके चेहरे पर घबराहट आ जाती है। क्योंकि उसे पता था तक्षक को धंधे में बेईमानी पसंद नहीं है। तक्षक के पीछे खड़े बॉडीगार्ड भी घबरा जाते हैं। क्योंकि अब इस लड़के का मरना तय था। तक्षक अपनी जगह पर खड़ा होता है और चलता हुआ उस लड़के के पास आता है। वह उस लड़के के बालों को पकड़ता है और उसे खींच कर खड़ा करता है।

    उस लड़के के मुंह से एक चीख निकल जाती है। तक्षक उसकी आंखों में उसे देख कर कहता है, “मांग लिया होता तो भीख समझ कर तुझे दे सकता था। तूने जो किया है, उसे चोरी कहते हैं। तेरी चोरी की वजह से सामने वाली पार्टी ने मुझे गलत ठहराया है। तुझे पता है इसका मतलब क्या है?”

    लड़का डरते हुए तक्षक की आंखों में देख रहा था। तो तक्षक ने अपनी तीखी निगाहों से उसे देखते हुए कहा, “इसका मतलब ये है, कि उस पार्टी को लगेगा मैं धंधे में बेईमानी की है। जान बूझकर इतने बड़ी रकम में ₹2000 कम भेजे हैं। बात ₹2000 की नहीं है, बात तक्षक राणे के ईमान की है। सौदे में घाटा मंजूर है मुझे, पर फायदे में किसी का झूठ नहीं खाता हूं।

    मेरे यहां से एक सौदे के रूप में पैसे गए थे, लेकिन वह पैसे पार्टी तक नहीं पहुंचे बल्कि वापस आ गए हैं। इसका मतलब ये है, कि कागज के इन चंद टुकड़ों ने मेरी कीमत बताई है।”

    वह लड़का अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए गिड़गिड़ाता है और तक्षक से कहता है, “बॉस माफ कर दीजिए, मुझसे गलती हो गई। आप मुझे कुछ भी सजा देंगे, मुझे मंजूर होगा। बस मुझे जान से मत मारना। मेरी छोटी बहन… उसका इस दुनिया में मेरे अलावा और कोई नहीं है। मैं पढ़ा लिखा नहीं हूं, इसीलिए मुझे कोई ढंग का काम नहीं मिल रहा था। इसलिए मैं आपके पास काम करने आ गया। पर मैं चाहता हूं, मैं अपनी बहन को खूब पढ़ाऊं। उसे डॉक्टर बनाऊं। मैं आपके सामने हाथ जोड़ता हूं। बॉस मुझे जान से मत मारना।”

    तक्षक ने उस लड़के के बालों को जोर से दूर धकेल दिया। वह लड़का दीवार से जा कर लगता है। उसके सर पर चोट लग जाती है, पर वह खुद को संभाल लेता है। तक्षक गुस्से में उसे पैसों से भरे बॉक्स के पास आता है और उसे घूर कर देखते हुए कहता है, “दुनिया की कोई भी दौलत तक्षक राणा की कीमत नहीं लगा सकती है।”

    और ये कहते हुए तक्षक अपनी जेब से लाइटर निकालता है और अगले ही पल उस पैसों से भरे ब्रीफकेस को आग लगा देता है। लाखों रुपए धुएं की तरह तक्षक के सामने जल कर राख हो रहे थे।

    एक तरफ थी मयूरी जो ₹30 के लिए ऑटो वाले के साथ झगड़ा कर रही थी और दूसरी तरफ था तक्षक राणा जिसके लिए लाखों रुपए भी कोई मायने नहीं रख रहे थे।

    मयूरी जल्दी से अपना आई कार्ड गले में टांगते हुए अपने डिपार्टमेंट में पहुंचती है। पर जैसे ही वह ऑफिस के अंदर इंटर होती है, उसका टीम लीडर अतुल दरवाजे पर ही मयूरी पर भड़कते हुए कहता है, “वहीं पर रुक जाओ मयूरी देशमुख। तुम पूरे 10 मिनट लेट हो।”

    मयूरी जल्दी से अतुल की तरफ देखती है और कहती है, “सॉरी सर वह मंदिर से आते वक्त देर हो गई थी। आगे से नहीं होगी। प्लीज इस बार माफ कर दीजिए।”

    अतुल गुस्से में मयूरी के पास आता है और कहता है, “आगे से गलती होने का सवाल ही पैदा नहीं होता है, मिस देशमुख। क्योंकि हो सकता है आगे का मौका आपको मिले ही ना। आज आपका इस ऑफिस में आखिरी दिन हो।”

    अतुल के ऐसा कहने पर मयूरी के चेहरे पर मासूमियत आ जाती है और वह जल्दी से कहती है, “अतुल सर प्लीज ऐसा मत कीजिए। मेरे लिए ये नौकरी बहुत जरूरी है।”

    अतुल ने एटीट्यूड के साथ अपने दोनों हाथ बांधे और मयूरी से कहता है, “अगर तुम्हारे लिए नौकरी इतनी जरूरी है, तो फिर तुम ढंग से अपना काम क्यों नहीं करती हो? पूरा एक महीना हो गया है तुम्हें सिस्टम पर बैठे हुए, पर एक महीने में तुमने एक भी क्रेडिट कार्ड सेल नहीं किया है। तुम्हें पता है ना? ये सेल्स डिपार्टमेंट है। एक तुम हो जो सारा दिन सिस्टम पर बैठी रहती हो और कोई काम करके नहीं देती हो। दूसरी तरफ बबीता है जिसे एक दिन में चार-चार गोल्ड क्रेडिट कार्ड सेल किए हैं। अगर काम नहीं करना है, तो चली जाओ यहां से। तुम्हारी जगह मैं किसी नई लड़की को काम पर बिठा दूंगा।”

    बाहर रिसेप्शन पर बैठी हुई श्रुति मयूरी को देख रही थी। उसे मयूरी के लिए बुरा जरूर लग रहा था, लेकिन वह इस वक्त कुछ नहीं कर सकती थी।

    मयूरी उदासी के साथ कहती है, “आई एम सॉरी सर। प्लीज मुझे इस महीने के आखिरी तक वक्त दे दीजिए। मैं वादा करती हूं आपको। कम से कम एक क्रेडिट कार्ड तो मैं आपको बेच कर ही दिखाऊंगी। जिस कंपनी ने मुझे इतना सपोर्ट किया है, उस कंपनी को मैं बिना कुछ दिए यहां से नहीं जा सकती हूं।”

    अतुल गुस्से में मयूरी को देखता है और कहता है, “ठीक है। जाओ जाकर अपने सिस्टम पर बैठो और शाम तक मुझे तुमसे कम से काम नहीं तो एक क्रेडिट कार्ड की सेल चाहिए। वरना समझ लेना मैनेजमेंट से बात करके मैं तुम्हें आज ही कंपनी से बाहर निकाल दूंगा।”

    मयूरी की आंखों में आंसू आ गए और उसने जल्दी से हां में सर हिलाया। वह धीरे से अपने सिस्टम पर जाती है और वहां बैठ जाती है। उसने अपना कंप्यूटर ऑन किया और आज का काम शुरू करने के लिए उसने सारा सिस्टम अपनी जगह पर सेट किया। तभी मयूरी के साथ बैठी हुई एक दूसरी सेल्स गर्ल थोड़ी उम्र में बड़ी थी, वह मयूरी से कहती है, “क्या बात है मयूरी? कोई प्रॉब्लम हो रही है क्या? पूरे महीने तुमने एक भी सेल नहीं किया है। ऐसे में कैसे काम चलेगा?”

    मयूरी की आंखों से आंसू आ जाते हैं और वह रोते हुए उसको कहने लगी, “किरण दीदी मुझे खुद भी बहुत बुरा लगता है, जब शाम को सब लोग कहते हैं, कि आज उनकी 10 सेल हुई है, दो सेल हुई हैं या पांच सेल हुई हैं और मेरा नंबर जीरो पर आता है। पर मैं क्या करूं? मुझे जो भी नंबर मिलते हैं, उन्हे पूरे डिपार्टमेंट से 10 10 बार कॉल जा चुकी होती है। ऐसे में कोई भी मेरी बात सुनने को तैयार ही नहीं होता है। आप ही बताइए एक इंसान के पास अगर 10 बार कॉल जाएगी, तो वह आपकी कॉल पर कैसे बात करेगा?”

  • 3. खतरे में तक्षक की जान

    Words: 2087

    Estimated Reading Time: 13 min

    मयूरी को रोता हुआ देख किरण हैरान हो जाती है और कहती है, “अरे मयूरी तुम रो क्यों रही हो? देखो, ये सबके पास भी तो वही नंबर आते हैं जो मौजूद हैं। अब इसके अलावा हम बाहर से नंबर लाकर तो क्रेडिट कार्ड नहीं बेच सकते हैं ना? कोशिश करो, हो जाएगा तुमसे भी एक सेल।”

    तभी पूरे फ्लोर पर फिर से तालियां बजने लगती हैं। क्योंकि इस फ्लोर की टॉपर बबीता ने फिर से सुबह-सुबह एक सेल कर दी थी। और उसके नाम पर सब लोग तालियां बजा रहे थे। यहां तक कि मैनेजर साहब भी बबीता को देख कर कहते हैं, “वेल डन बबीता। हमें तुमसे ऐसे ही काम की उम्मीद है।”

    और उसके बाद मैनेजर साहब मयूरी की तरफ देखते हुए बोले, “बाकी लोगों को तुमसे कुछ सीखना चाहिए।”

    मयूरी अपना चेहरा शर्म से नीचे कर लेती है। सब लोग फिर से अपने-अपने काम पर बैठ जाते हैं। लेकिन किरण दीदी गुस्से में बबीता की तरफ दिखती है और कहती है, “बीच कहीं की… क्या मुझे नहीं पता ये इतने सारे क्रेडिट कार्ड कैसे बेच लेती है? हम सब पागल हैं। सुबह से शाम तक यहां पर कस्टमर के साथ बात कर-करके उनकी गलियां खा खा के एक क्रेडिट कार्ड नहीं बेच पाते हैं और ये आने के साथ ही क्रेडिट कार्ड बेच देती है। कस्टमर केयर इसके मां का लड़का है? जो इससे कुछ खरीदेगा?”

    मयूरी ने हैरानी से कहा, “क्या मतलब है दीदी, कि बबीता हमसे अलग काम करती है। पर है तो वह भी सेल्स गर्ल। उसका भी काम क्रेडिट कार्ड बेचना है। तो फिर वह अलग कैसे हुई? हो सकता है वह सेल्स में अच्छी हो।”

    किरण दीदी ने मयूरी से कहा, “अरे कोई अच्छी वच्छी नहीं है। वह तो हमसे भी बड़ी गोबर है। कस्टमर से बात तक करना नहीं आता है। फिर भी इस महीने की सबसे ज्यादा सेल करके बैठी हुई है। क्या तुझे नहीं पता, कि उसने इतने सारे सेल कैसे किए हैं।”

    मयूरी हैरान हो जाती है और हैरानी से वह बबीता को देखने लगती है, जो मुस्कुराते हुए अपने वर्कस्टेशन पर बैठ कर नेल पेंट लग रही थी। उसे बबीता से कभी कोई प्रॉब्लम नहीं रही है। मयूरी बस अपना काम करती थी। ये बात मयूरी अच्छी तरह से महसूस कर पा रही थी। जहां पर इस फ्लोर पर और भी 20 लड़कियां हैं, वे सब मिलकर भी दिन के चार से पांच सेल नहीं कर पाती थीं। तो वहीं बबीता अकेली ही 10 सेल कर दिया करती थी। आज इस बात को सोच कर मयूरी हैरान हो जाती है और हैरानी से किरण दीदी से कहती है, “किरण दीदी बबीता हमारे जैसा काम नहीं करती है क्या?”

    किरण दीदी अपना सर पीट लेती है और कहती है, “अरे काम तो हमारे जैसा ही करती है। लेकिन उसके काम करने का तरीका अलग है और काम मांगने का भी।”

    मयूरी को तो कुछ समझ नहीं आ रहा था। तो किरण दीदी ने धीरे से मयूरी का सर बबीता की तरफ किया और कहा, “ज़रा देखो वह बैठी कहां है और ज़रा देखो उसके चेहरे के एक्सप्रेशन।”

    मयूरी तिरछी नजरों से बबीता को देखा। तो उसके बैठने की जगह सीधी मैनेजर साहब के कमरे के सामने थी और उन दोनों के बीच में सिर्फ एक कांच की खिड़की थी। तभी मयूरी देखती है, कि बबीता अपनी आंखों से कुछ इशारे कर रही है। और वही इशारा मैनेजर साहब अपने अंदर बैठे खिड़की से भी कर रहे हैं।

    मयूरी ने हैरान होते हुए कहा, “इसका क्या मतलब है?” किरण दीदी ने कहा, “इसका मतलब ये है, कि इन दोनों का कोई सीन चल रहा है। तुम्हें क्या लगता है, मयूरी मैनेजर साहब कोई दूध के धुले हुए हैं? शादीशुदा हैं। एक बच्चे के बाप हैं और उसके बाद भी बबीता के साथ चक्कर चला रहे हैं। तुम्हें क्या लगता है बबीता यूं ही टॉप पर है? अरे नहीं। इसके पीछे मैनेजर साहब का हाथ है।

    हमें जो नंबर मिलते हैं, वे तो छोटे-मोटे नौकरी करने वाले और छोटे-मोटे व्यापारियों के होते हैं। ज़्यादा से ज़्यादा रिक्शा चलाते हैं। जॉब करते हैं या फिर अपना कोई छोटा-मोटा कारोबार होता है। जैसे कोई बनिया हो गया या फिर कोई कपड़े वाला हो गया। तुम्हें क्या लगता है? जो लोग रोज़ स्ट्रगल करते हैं, उन्हें क्रेडिट कार्ड की ज़रूरत पड़ती होगी? उन्हें तो पता है क्रेडिट कार्ड एक तरह का नशा है और ये एक जुआ है।

    नहीं मयूरी ऐसे लोग बहुत मुश्किल से क्रेडिट कार्ड लेते हैं। और जहां तक हो सके, तो नहीं लेते हैं। पर बबीता के अलग ही रंग हैं। उसे कभी भी ऐसे छोटे लोगों से बात नहीं करनी पड़ती है। क्योंकि मैनेजर साहब बबीता को अलग से नंबर देते हैं। बड़े बिजनेसमैन, हाई प्रोफाइल लोग। जो लाखों करोड़ों की डील की मीटिंग में बैठे होते हैं। ऐसे लोग लेते हैं क्रेडिट कार्ड। और बबीता बस उन्हें ही फोन करती है।

    क्योंकि मैनेजर साहब बबीता को अलग से नंबर देते हैं। बिजनेसमैन के नंबर। शहर के जाने-माने लोगों के नंबर। और ये नंबर वह हमारी तरह उन्हें सिस्टम या कंप्यूटर पर नहीं देते हैं। क्योंकि ऐसा देंगे तो पकड़े जाएंगे। इसलिए बबीता कभी भी अपना कंप्यूटर ऑन करके काम नहीं करती है। उसका सारा नंबर और डाटा एक कागज़ में जाता है। वह देखो उसके टेबल के ऊपर रखा हुआ है।”

    मयूरी ने अपना चेहरा उठा कर देखा, तो सच में टेबल के ऊपर एक पेपर रखा हुआ था। और उसके ऊपर एक पेन रखा हुआ था। इसका मतलब बबीता को सच में अलग से वीआईपी नंबर मिलते थे। मैनेजर साहब और बबीता की इस हरकत पर मयूरी को गुस्सा आ जाता है। वह गुस्से में अपने हाथ पटकते हुए कहती है।

    “लेकिन किरण दीदी ये बात तो बिल्कुल गलत है ना? हमने पूरे महीने मेहनत की है। सुबह से लेकर शाम तक यहां बैठ कर कस्टमर की गलियां खाई हैं। और ऐसे में कोई और आकर मलाई खा जा रहा है।”

    किरण दीदी अपने कंधे ऊंचकाते कहती है, “अब हम क्या ही कर सकते हैं? ये तो सेल्स का काम है। ऊपर चढ़ने के लिए हर किसी को सीडीओ की ज़रूरत होती है। बबीता ने मैनेजर साहब को अपनी सीढ़ी बनाई है।”

    लेकिन मयूरी उदास चेहरे के साथ कहने लगी, “लेकिन इस सीढ़ी के चक्कर में ये लोग मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन तक खींच ले रहे हैं। मेरी नौकरी पर बात आ गई है। अब आप ही बताइए, मैं क्या करूं? शाम तक अगर मैंने इन्हें एक सेल करके नहीं दी, तो ये लोग तो मुझे नौकरी से निकालने के लिए एक पैर पर खड़े हैं।”

    किरण दीदी को मयूरी की हालत पर बुरा तो लग रहा था। लेकिन वह कर भी क्या सकती थी? उन्होंने चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा, “मैं समझ सकती हूं मयूरी। लेकिन फिलहाल मैं तुम्हारी कोई हेल्प नहीं कर सकती हूं। मैं भी तो तुम्हारी तरह एक मामूली सी सेल्स गर्ल हूं। वैसे अगर तुम्हें सबसे अच्छी सेल करनी है और सबसे जल्दी करनी है। तो तुम बबीता का वह वीआईपी नंबर वाला पेपर ले आओ। उसमें से ज़रूर तुम्हारी कोई ना कोई सेल हो जाएगी।”

    किरण दीदी ने ये बात बेफिक्री के साथ यूं ही मयूरी का मूड सही करने के लिए कहा था। लेकिन मयूरी को इस बात में प्लान नज़र आया। वह हैरानी से बबीता की तरफ देखती है। उसने धीरे से किरण दी का हाथ पकड़ा और कहा, “अगर ऐसी बात है तो ठीक है। आज शाम तक आपकी भी सेल होगी और मेरी भी। ज़्यादा नहीं कम से कम हम दोनों मिलकर एक क्रेडिट कार्ड तो बेचेंगे ही।”

    मयूरी ये कहते हुए अपनी जगह से खड़ी होती है और धीरे-धीरे कदमों से वह बबीता की तरफ बढ़ने लगती है। और उसे ऐसा करता देख किरण दी की आंखें बड़ी हो जाती हैं, “मरवाएगी ये लड़की।”

    वहीं दूसरी तरफ तक्षक अपनी गाड़ी ड्राइव करता हुआ कहीं जा रहा था। इस वक़्त वह पूरी तरह से अकेला था। ना तो उसने अपने साथ बॉडीगार्ड रखे थे और ना हीं कोई सिक्योरिटी। वह अकेले ही ड्राइव करता जा रहा था। ये जीप तक्षक की पर्सनल जीप थी। जिसका इस्तेमाल ज़्यादातर तक्षक अपने पर्सनल काम के लिए ही करता है। वरना वह ज़्यादातर अपने लोगों के साथ ही गाड़ी में जाया करता था। लेकिन इस वक़्त वह जीप में था और जीप हाईवे पर फुल स्पीड से चल रही थी।

    तक्षक जैसे ही अपना फोन निकालता है और फोन का लॉक खोलता है, वैसे ही उसके आसपास फायरिंग होने लगती है। तक्षक हैरान हो जाता है और देखने लगता है। आसपास से अचानक से दो-तीन काली स्कॉर्पियो तक्षक के पीछे आ रही थीं और उन्होंने तक्षक को दोनों तरफ से घेर लिया था।

    स्कॉर्पियो के अंदर से तक्षक के ऊपर फायरिंग हो रही थी। तक्षक हैरान हो गया। उसने जल्दी से अपनी गन निकाली और फायरिंग का जवाब देने लगा। लेकिन स्कॉर्पियो के अंदर से अंधाधुंध गोलियां चल रही थीं। तभी एक गोली जाकर तक्षक की पीठ को छूकर निकली थी। लेकिन वहां पर ज़ख्म बन जाता है। तक्षक के हाथ स्टीयरिंग व्हील पर लड़खड़ा जाते हैं।

    तक्षक ने माहौल को समझा। स्कॉर्पियो की कार ने उसे दोनों तरफ से घेर लिया था और उस पर अंधाधुंध फायरिंग की जा रही थी। तक्षक इस वक़्त अकेला था और उसके हाथों में सिर्फ एक ही गन थी, जिसकी बुलेट भी खत्म हो चुकी थी। उसे अपने आदमियों को बुलाना होगा। लेकिन स्कॉर्पियो में मौजूद गुंडों ने तक्षक को 1 मिनट तक का टाइम नहीं दिया। उनकी फायरिंग रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी।

    तक्षक ने अपनी गाड़ी की दिशा मोडी और अपने साथ में चल रहे स्कॉर्पियो को टक्कर मार कर दूसरी तरफ कर दिया। तक्षक की गाड़ी अब हाईवे से उतर कर जंगल की तरफ चली जाती है। और वह जंगल के अंदर तेज़ी से अपनी गाड़ी भगाने लगता है।

    स्कार्पियो ने भी अपनी दिशा मोडी और खुद को जंगल की तरफ कर लिया। वे भी तक्षक का पीछा करते हुए जंगल में अपनी गाड़ी भगा रहे थे। लेकिन तक्षक जंगल के अंदर उन स्कॉर्पियो में मौजूद गुंडों को चकमा देने में कामयाब हो गया। वह घने जंगल और पेड़ों के बीच में से अपनी गाड़ियों को ऐसे लेकर जाता है, कि उन्हें पहियों के निशान तक नहीं मिलते हैं।

    गाड़ी एक जगह पर आकर रुक जाती है और उसमें से गुंडे बाहर निकलते हैं। वे अपनी खतरनाक नज़रों से इधर-उधर देखते हुए तक्षक को ढूंढने लगते हैं। उन गुंडों का लीडर चिल्लाते हुए कहता है, “जल्दी से ढूंढो उसे। उसका मिलना बहुत ज़रूरी है। उस आदमी ने मिनिस्टर साहब के बेटे को मारा है और मिनिस्टर साहब को उस आदमी की लाश चाहिए। खाली हाथ गए तो, मिनिस्टर साहब हमें लाश बना देंगे।”

    क्लब में तकक्ष ने जिस लड़के को मारा था, ये उसके बाप के गुंडे थे। जिसने अपने बेटे की मौत का बदला लेने के लिए तक्षक के पीछे अपने आदमियों को छोड़ा हुआ था। तक्षक अपनी जीप घने जंगलों के बीच ड्राइव करता हुआ अंदर की तरफ ले जाता है। उसे सामने की तरफ एक टूटा फूटा खंडहर सा नज़र आता है। उसकी पीठ पर चोट लगी थी और वहां से बहुत ज़्यादा खून निकल रहा था। अभी कुछ समय पहले ही एक माफिया गैंग वॉर में तक्षक को पीठ पर ही बहुत ज़ोर से चोट आई थी। और वहां पर बैक टू बैक दो गोलियां लगी थीं। जिसकी वजह से वह एक महीने तक अस्पताल में भी एडमिट रहा था। लेकिन उसने जल्दी से रिकवर कर लिया था और वापस काम पर आ गया था।

    पर अब उसे उसी जगह पर दोबारा से चोट लगी है। उसके पिछले घाव का दर्द अभी तक ठीक से ठीक भी नहीं हुआ था। लेकिन दोबारा से उसी जगह पर ज़ख्म बन गया था। उसका खून रोकने का नाम ही नहीं ले रहा था और तक्षक का दर्द बढ़ता जा रहा था। अपनी जीभ को उस खंडहर के पास रोक कर तक्षक खंडहर के अंदर चला जाता है। वह लड़खड़ाते हुए कदमों से खुद को संभालता है और अंदर खंडहर के किसी कोने में जाकर उसने अपने आदमियों को फोन करना सही समझा।

    ज़ोरो से सांस लेता हुआ तक्षक के पूरे चेहरे पर पसीना आ गया था और उसकी सांसे भी तेज़ी से चल रही थीं। उसे दूर-दूर तक अपने कानों में स्कॉर्पियो की आवाज़ नहीं सुनाई दे रही थी। पर खतरा अभी टला नहीं था। उसे महसूस हो गया था, कि ये लोग उसकी जान के दुश्मन हैं। और उसे जान से मारने ही आए हैं। जितनी जल्दी हो सके उसे अपने आदमियों को यहां बुलाना ही होगा। तक्षक अपना फोन निकालता है, तो उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती हैं क्योंकि उसके फोन में नेटवर्क ही नहीं था।

  • 4. रॉन्ग नंबर

    Words: 2144

    Estimated Reading Time: 13 min

    पिछले 2 घंटे से बबीता मैनेजर साहब के केबिन में बैठ कर परेशान हो रही थी और मैनेजर साहब के केबिन के अंदर से उस पर गुस्से में कुछ कह रहे थे। वे आपस में क्या बातें कर रहे थे, ये तो किसी को सुनाई नहीं दे रहा था, क्योंकि उनका केबिन साउंड प्रूफ था। बस कांच की उस खिड़की से अंदर हो रही उस टेंशन वाले माहौल को सब देख पा रहे थे।

    बस एक मयूरी ही थी और उसके साथ किरण दीदी, जो उन दोनों को इस तरीके से टेंशन में देख मजे ले रही थी। किरण दीदी ने धीरे से मयूरी का हाथ पकड़ा और उनसे कहा, “मयूरी तुमने तो इन्हें पूरी तरह से टेंशन में डाल दिया है। पर जरा संभल कर, अगर इन्हें पता चल गया ना कि बबीता का पेपर तुमने चुराया है तो मैनेजर साहब तुम्हें छोड़ेंगे नहीं।”

    मयूरी ने भी अपनी आंखें छोटी की और मुंह बनाते हुए किरण दीदी घूर कर कहती है, “मेरा चोरी करना चोरी नहीं कहलाता है। वे लोग खुद भी तो चोरी कर रहे थे ना। हम सब सुबह से शाम तक यहां पर गला फाड़ फाड़ कर चिल्लाते रहते थे और वह मैडम अलग से मलाई खा रही थी, थोड़ी मलाई खाने का हक तो हमें भी है ना? ज्यादा कुछ नहीं बस मुझे उतने पैसे ही तो मिलने चाहिए ना, जितनी कि मुझे जरूरत है। आप जानती हैं ना मुझे पैसों की कितनी जरूरत है और इस नौकरी की भी। आप एक काम कीजिए, इसमें 20 नंबर हैं। एक काम करते हैं, 10 नंबर पर मैं कॉल करती हूं और 10 नंबर पर आप कॉल कीजिए। शाम तक ज्यादा नहीं एक-एक क्रेडिट कार्ड तो बेच ही देंगे।”

    किरण दीदी घबरा कर मयूरी को देखने लगती है। मयूरी अपनी पर्स में हाथ डालती है और धीरे से वह पेपर निकालती है। वह जल्दी से उस पेपर को बीच में से फोल्ड करती है और उस पेपर को बीच में से फाड़ देती है, जिससे 10-10 नंबरों के दो पेपर बन जाते हैं। वह एक पेपर किरण दीदी की तरफ करती है और कहती है, “बेस्ट ऑफ़ लक।”

    किरण दीदी हंसते हुए हां में सर हिलाती है। मयूरी और किरण दीदी अपने-अपने सिस्टम पर ठीक से बैठ जाती हैं और उस पेपर को छुपा कर उसमें से नंबर डायल करके कस्टमर के साथ बात करने लगती हैं।

    तभी फ्लोर पर एक पियून आता है, जिसके हाथ में चाय और कॉफी के कप थे। वह सब के वर्कस्टेशन पर कॉफी का कप रख रहा था। यहां पर सुबह सबको चाय और कॉफी दी जाती थी। पियून एक-एक कर के सबके वर्क स्टेशन पर आकर कॉफ़ी के कप को रखता है और आगे बढ़ता जाता है। इसी तरीके से वह मयूरी के पास भी आता है। वह पहले किरण दीदी के पास चाय रखता है, क्योंकि वह चाय पीती हैं और उसके बाद वह मयूरी के पास आता है और उसके पास चाय का कप रख देता है। फिर तभी उसे याद आता है और कहता है, “सॉरी मैडम आप तो कॉफी पीती हैं ना?”

    पियून ने उस चाय के कप को उठाया और अगला कप कॉफी का रखने को ही होता है, कि मयूरी ने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया था कि उसके वर्क स्टेशन पर चाय कॉफ़ी रखने के लिए पियून उसके ठीक पीछे खड़ा है। मयूरी ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और उस समय पियून ने भी अपना हाथ कॉफ़ी के कप के साथ आगे बढ़ाया था। मयूरी का हाथ कॉफ़ी के कप में लग जाता है और सारी कॉफी उसके वर्क स्टेशन पर फैल जाती है।

    मयूरी जल्दी से खड़ी हो जाती है, क्योंकि थोड़ी सी कॉफी उसके हाथ पर भी गिर गई थी और बाकी सारी उस टेबल पर। पियून घबरा जाता है। उसने जल्दी से सारी कॉफी साफ करने के लिए अपने कंधे पर पड़ा हुआ कपड़ा लिया और जल्दी से उस वर्क स्टेशन को साफ करने लगा।

    “गलती से हाथ लगा। सॉरी मैडम प्लीज आप मेरी कंप्लेंट मत करना।” पियून घबराते हुए मंदिर से कहता है। तो मयूरी अपने हाथों को साफ करते हुए कहती है, “कोई बात नहीं भैया आप जाइए।”

    टेबल को साफ कर के पियून वहां से चला जाता है और मयूरी फिर से अपनी सीट पर बैठ जाती है। किरण दीदी मयूरी का हाथ पकड़ते हुए कहती है, “हाथ तो ठीक है ना तुम्हारा? जला तो नहीं ज्यादा? अगर ऐसा हुआ तो हम नीचे मेडिकल रूम में जा सकते हैं।”

    मयूरी ना में सर हिलाते हुए कहती है, “हाथ तो ठीक है, लेकिन वह पेपर खराब हो गया है। मयूरी अपने कीबोर्ड के नीचे से पेपर निकालती है, तो देखती है उस सारे पेपर में कॉफ़ी फैल चुकी है और अब उसमें बहुत मुश्किल से ही नंबर नजर आ रहे हैं।

    किरण दीदी परेशान हो जाती है और मयूरी भी परेशान हो जाती है। किरण दीदी उस पेपर पर नजर डालते हुए कहा, “क्या तुमने अभी तक एक भी नंबर पर कॉल नहीं किया था?”

    मयूरी ने ना में सर हिलाते हुए कहा, “नहीं दीदी मैंने सच में किसी नंबर पर कॉल ही नहीं किया था। मैं तो देख रही थी कि कहां से शुरू करूं, तब तक यह सब कुछ हो गया। अब मैं क्या करूं?”

    मयूरी को इतना परेशान देख किरण दीदी ने अपने पास रखा हुआ आधा नंबर वाला पेपर उसके पास बढ़ाते हुए कहा, “तुम इससे काम करो। मैं वैसे ही काम कर लूंगी, जैसे रोज करती थी।”

    लेकिन मयूरी ना में सर हिलाती है और उस पेपर को वापस किरण दीदी की तरफ करते हुए कहती है, “नहीं दीदी, आपको भी तो पैसों की जरूरत है। आपके पति ने जब से आपको छोड़ा है, तब से आप अपने बच्चे की परवरिश अकेले ही कर रही हैं।”

    किरण दीदी ने कहा, “और तुम्हें भी तो पैसा चाहिए ना। तुम भी तो कितनी मेहनत कर रही हो। वकीलों की फीस, आने जाने का खर्चा, तुम्हारा खर्च, ये सब तुम भी तो अकेले ही मैनेज कर रही हो।”

    मयूरी फीकी मुस्कान के साथ कहती है, “कोई बात नहीं दीदी। जो होगा देखा जाएगा। वैसे भी आज मैं अपनी मम्मी से बात करके आई हूं। मुझे पता है, मेरी मम्मी मेरे लिए अच्छा ही सोच कर बैठी होगी और मैंने जो आपको आधा नंबर दिया है, आप उसमें से काम कीजिए, क्योंकि मैं बाकी नंबर से काम कर लूंगी। हां, इस पर कॉफ़ी गिर गई है और नंबर दिख नही रहे हैं, लेकिन कोई बात नहीं। मैं कोशिश कर लूंगी कि नंबर कौन सा है। थोड़ा-थोड़ा जो दिख रहा है, उसी से काम कर लूंगी।”

    मयूरी ने उस पेपर को अपने सामने किया और उसमें से नंबर देखने लगी। उसने डायलर को कंप्यूटर पर लगाया और अगले ही पल उसमें से नंबर डायल करने लगी।

    खंडहर पर घायल हालत में बैठा तक्षक काफी देर से अपने किसी साथी को या फिर अपनी सिक्योरिटी को कांटेक्ट करने की कोशिश कर रहा था। लेकिन यहां पर कभी नेटवर्क आता तो कभी नेटवर्क चला जाता। एक सेकंड के लिए नेटवर्क आता, तो अगले ही पल नेटवर्क पूरी तरह से गायब हो जाता। तक्षक परेशान हो गया था। उसे पता था कि जो लोग उसके पीछे पड़े हैं वे अभी तक गए नहीं हैं और अभी भी उसे ढूंढ रहे होंगे। उसे जल्द से जल्द अपने किसी आदमी तक को कांटेक्ट करना था। वह अपने फोन को अपने हाथ में लिए अपने हाथ को ऊपर की तरफ करते हुए नेटवर्क ढूंढने की कोशिश कर रहा था, लेकिन नेटवर्क यहां मिलना बहुत ही मुश्किल हो रहा था।

    वहीं दूसरी तरफ मयूरी पहले नंबर पर कॉल करने ही वाली थी, लेकिन उसे नंबर ही समझ में नहीं आ रहा था। किरण दीदी उसकी मदद कर रही थी, “मयूरी ये 7 है।”

    “पक्का ना किरण दीदी? ये 7 होगा ना।” मयूरी ने टेंशन में किरण दीदी की तरफ देखते हुए कहा। तो किरण दीदी ने कहा, “दिख तो 7 की तरह ही रहा है।”

    मयूरी ने डायलर पर 7 नंबर दबा दिया और वह नंबर डायल होने लगा। मयूरी खुश हो गई और कहा, “ये 7 ही था।” तभी कस्टमर ने फोन उठा लिया और मयूरी कस्टमर के साथ नॉर्मल तरीके से बात करने लगी, लेकिन इस कस्टमर के पास पहले से ही बहुत सारे क्रेडिट कार्ड थे और उसने मयूरी को मना कर दिया कि उसे और क्रेडिट कार्ड नहीं चाहिए।

    अपने दूसरे नंबर के साथ मयूरी ने फिर से ट्राई किया, लेकिन इस नंबर पर उसे कुछ ठीक से नजर ही नहीं आ रहा था। उसने फिर से किरण दीदी को मदद के लिए बुलाया, “किरण दीदी अब ये बताइए ना, ये क्या है? ये तीन है या आठ है? मुझे पता ही नहीं चल रहा है।”

    किरण दीदी ने अपना चश्मा ठीक करते हुए कहा, “ये तो मुझे भी पता नहीं चल रहा है कि तीन है या आठ है। शायद तीन है। दिख तो आठ की तरह लग रहा है।”

    एक नंबर के लिए इतना परेशान होती हुई मयूरी को अपने टेबल के पास लगी हुई माता रानी की छोटी सी फोटो नजर आती है। वह धीरे से उस तस्वीर को देखती हैं और अब मन में कहती है, “मम्मी ये क्या कर रही हैं आप? मुश्किल से तो नौकरी बचाने का एक जरिया मिला है और उसमें भी इतनी प्रॉब्लम है। कुछ तो कीजिए। मेरी लाइफ में कितनी सारी प्रॉब्लम्स हैं। आप उसे सॉल्व नहीं करेंगे तो और कौन करेगा? इस दुनिया में आपके सिवा मेरा है ही कौन?”

    “मयूरी ये आठ है।” किरण दीदी ने अपना चश्मा सही करते हुए कहा। तो मयूरी कहती है, “पक्का ना किरण दीदी 8 ही है ना?”

    किरण दीदी ने हां में सर हिलाया और मयूरी से कहा, “बिल्कुल ये आठ ही है। तुम बेफिक्र रहो और इस नंबर पर कॉल करो।”

    मयूरी एक गहरी सांस छोड़ती है और फिर अपने कानों पर हेडफोन लगाती है। वह डायलर से नंबर डायल करती है और डायलर ने नंबर उठाया, उस नंबर को डिक्लाइन बता दिया।

    “आप जिस नंबर पर संपर्क करना चाहते हैं, वह कवरेज क्षेत्र से बाहर है।” मयूरी को यही मैसेज सुनाई दे रहा था। उसने इधर से कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। किरण दीदी ने कहा, “क्या हुआ तुमने फोन क्यों काट दिया?” मयूरी कहती है, “अरे ये नंबर तो आउट ऑफ कवरेज बता रहा है।”

    किरण दीदी ने दोबारा से डायलर पर नंबर रिडाययल करते हुए कहा, “हां तो क्या हो गया? एक बार फिर से ट्राई कर लो। हमारे पास 10 ही तो नंबर हैं। इस तरीके से सारे नंबर्स को छोड़ दोगी तो कैसे काम चलेगा?”

    डायलर ने फिर से नंबर उठाया और उस पर कॉल भेजने लगा। मयूरी ने फिर से अपना हेडफोन पहन लिया।

    वहीं दूसरी तरफ तक्षक नेटवर्क ढूंढने की कोशिश कर रहा था। उसे 1 मिनट में जैसे ही नेटवर्क मिलता है, वह तुरंत अपनी स्क्रीन पर उंगली रखने ही वाला था, कि अगले ही पल उसके फोन पर फोन आने लगता है।

    तक्षक उस फोन को काटने ही वाला था, लेकिन तभी उसे अपने कानों में उन लोगों की आवाज सुनाई देती है, जो शायद आसपास ही थे। तक्षक जल्दी से एक कोने में छुप जाता है और देखता है। उसका फोन अभी भी वाइब्रेट कर रहा है। इसका मतलब कॉल अभी भी चल रही है। तक्षक के पास ये आखिरी मौका था। यहां से निकलने का। उसने जल्दी से फोन उठाया और अपने कान पर लगाते हुए कहा, “हेलो।”

    “गुड आफ्टरनून सर, मैं CTB बैंक से मयूरी बात कर रही हूं। सर हमारी कंपनी बहुत अच्छी स्कीम के साथ क्रेडिट कार्ड लेकर आई है। क्या आपको क्रेडिट कार्ड की जरूरत है?”

    “685928**** इस नंबर पर मेरी लोकेशन भेजो।” तक्षक ने एकदम से कहा तो मयूरी हैरान हो जाती है और हैरानी से डायलर पर चल रहे नंबर को देखती हैं। नंबर तो कस्टमर का ही है, पर ये कस्टमर क्या बोल जा रहा है?

    “आई एम सॉरी सर। आप क्या कह रहे हैं, मैं कुछ समझी नहीं। मैं आपको क्रेडिट कार्ड के बारे में बता रही थी। क्या आपको कोई क्रेडिट कार्ड चाहिए? गोल्ड, प्लेटिनम या सिल्वर।”

    लोगों की आवाज़ तक्षक के कानों में और नजदीक से सुनाई देने लगी थी। तक्षक ने जल्दी से मयूरी से फोन पर कहा, “मैंने तुम्हें जो नंबर बताया है, उस नंबर पर मेरा करंट लोकेशन भेजो अभी इसी वक़्त और उसके बाद तुम्हारी कंपनी का जो सबसे महंगा क्रेडिट कार्ड होगा, मैं उसका कॉरपोरेट कनेक्शन खरीद लूंगा। तुमने ऐसा नहीं किया, तो मैं तुम्हारी कंपनी को रातों रात बरबाद कर दूंगा। इसलिए जल्दी से इस नंबर पर मेरे लोकेशन भेजो।”

    पर तभी तक्षक का नेटवर्क फिर से चला जाता है और कॉल अपने आप डिस्कनेक्ट हो जाती है। मयूरी हैरान हो जाती है और हैरानी से उस डिस्कनेक्ट कॉल पर चल रहे नंबर को देखती हैं। वह हैरानी से उसकी कहीं बात सोचने लगती है।

    किरण दीदी जब उसके चेहरे का उड़ा हुआ रंग देखती है तो कहती है, “क्या हुआ मयूरी?”

    “पता नहीं दीदी, शायद किसी पागल के पास कॉल कनेक्ट हो गई थी।” मयूरी ने भी बेफिक्री के साथ अगला नंबर डायल करते हुए कहा।

  • 5. Private number

    Words: 2098

    Estimated Reading Time: 13 min

    “ पता नहीं दीदी ! ये लगता है किसी पागल के पास कॉल कनेक्ट हो गई थी। मुझे कोई नंबर बता रहा था और कह रहा था, मुझे उस नंबर पर उसकी करंट लोकेशन भेजनी है। अगर मैंने ऐसा कर दिया, तो वह बदले में हमारी कंपनी का सबसे महंगा कॉर्पोरेट कनेक्शन खरीदेगा। बताओ ऐसा भी कभी होता है क्या ?”

    मयूरी ने इस बात को पूरी तरह से इग्नोर कर दिया था और इस बात को एक मजाक में टाल दिया था। वह अपने डायलॉग को फिर से सेट करने लगी थी। लेकिन किरण काफी समय से सेल्स में काम करती थी और उन्हें सेल्स की अच्छी नॉलेज भी थी। जब उन्होंने मयूरी की बात सुनी और देखा, कि मयूरी इस बात को लेकर सीरियस नहीं है । तो उन्होंने मयूरी का हाथ पकड़ा और उसे देखकर कहने लगी, “ मयूरी तुम्हें लगता है ? ये बात मजाक है।”

    मयूरी हंसते हुए अपना हेडफोन दोबारा पहनने वाली थी और कहती है, “ हां दीदी और क्या ये बात मजाक ही तो थी । मतलब मैं किसी नंबर पर उस आदमी का करंट लोकेशन भेजूंगी और बदले में वह आदमी मेरी कंपनी के सारे कॉर्पोरेट कनेक्शन खरीद लेगा। आपको इसका मतलब भी मालूम है ? कोई मुझसे ये मजाक क्यों करेगा ?”

    लेकिन जैसे ही मयूरी ने डायलर पर अपना हाथ रखा किरण दीदी ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, “ अरे लड़की पागल मत बनो। तुम्हें पता भी है ये नंबर कितनी इंपोर्टेंट है । इन नंबर पर सिर्फ देश के जाने-माने लोग और वीआईपी लोगों के नंबर ही है। और कॉर्पोरेट कनेक्शन खरीदने का मतलब है, तुम्हारी पूरे महीने की छोड़ो पूरे साल की सेल्स इसमें काउंट की जाएगी। तुम पूरे साल यहां पर सिर्फ बैठी भी रहोगी ना, तो भी तुमसे कोई सवाल नहीं करेगा। जानती हो ना ?

    और तुम्हें क्या लगता है? इतनी जरूरी नंबर पर कोई तुमसे मजाक करेगा? क्या वह बड़ा बिजनेसमैन हो सकता है, बड़ा इन्वेस्टर हो सकता है या किसी बड़ी कंपनी का सीईओ हो सकता है । वह तुमसे मजाक क्यों करेगा? उसके पास और भी काम है ।”

    मयूरी ने गहरी सांस छोड़ते हुए कहा, “ वह तो मुझे पता नहीं दीदी, लेकिन मुझे लग रहा है ये मजाक है । वैसे भी मेरी जिंदगी में बहुत कुछ मजाक के जैसा ही है । ऐसे में एक और मजाक मेरे साथ हुआ तो कौन सी बड़ी बात है? छोड़िए मुझे काम करने दीजिए।”

    मयूरी दोबारा डायलर पर अपनी उंगली रखती है । लेकिन इस बार वह नंबर डायल कर सके उससे पहले ही किरण दीदी ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ किया और कहा, “ अरे पागल लड़की अगर दूसरे नंबर पर डायल करोगी, तो पहले वाला नंबर डिलीट हो जाएगा। देखो मेरी बात मानो। मैं अपने एक्सपीरियंस से कह रही हूं।

    इस आदमी को जरूर तुम्हारी मदद की जरूरत है । इसीलिए इसने तुमसे सिर्फ इतना ही कहा है, कि एक इमरजेंसी नंबर पर उसकी करंट लोकेशन भेजो। तुम एक बार ट्राई करके तो देखो। देखो अगर उस आदमी को सच में मदद की जरूरत हुई, तो तुम किसी जरूरतमंद की मदद करोगी ना। और अगर ऐसा हुआ और कॉर्पोरेट कनेक्शन बिक गए, तो तुम्हारा ही फायदा हुआ और नहीं हुआ तो ठीक है। ये बात सच में ही एक मजाक थी। पर मेरे कहने पर एक बार ये कर कर देखो।”

    मयूरी हैरानी से किरण दीदी को देखती हैं । जो हा में सर हिलाती है। मयूरी ने हा में सर हिलाते हुए कहा, “ ठीक है दीदी। मैं आपके लिए ये करती हूं।”

    उसके बाद मयूरी ने लास्ट डायल नंबर से देखा, कि ये नंबर कौन से लोकेशन पर ट्रैक है। और अपने फोन से उसने तक्षक के बताए हुए नंबर को डायल किया । जैसे ही ऐड करती है, वह नंबर प्राइवेट बताता है। मयूरी ने हैरानी से किरण दीदी की तरफ देखते हुए कहा, “ ये नंबर तो प्राइवेट है अब।”

    दीदी ने अपना सर पीटते हुए कहा, “ अरे तुम्हें कौन से उससे बात करनी है। अपना जीजा बनाना है ? इस पर इस नंबर को मैसेज कर दो और लोकेशन के साथ कह दो, इमरजेंसी। बस तुम्हारा काम हुआ था।”

    मयूरी ने हा में सर हिलाया । उसने उस प्राइवेट नंबर पर तक्षक का नंबर सेंड कर दिया और उसके लोकेशन के साथ नीचे एक मैसेज कर दिया, “ इमरजेंसी। अगले 2 मिनट में ही उसे नंबर को रीड कर लिया गया था”

    तभी मयूरी देखती है,कि मैनेजर साहब फ्लोर की तरफ आ रहे हैं। मयूरी ने जल्दी से वह पेपर फोन और बाकी सारा सामान अपने पर्स में रख कर उसे बंद कर दिया था। वह सीधे हो कर बैठ जाती है और अपना काम करने लगती है।

    किरण दीदी ने भी अपना पेपर छुपा दिया था और वह भी अपना काम करने लगती है। जैसे-जैसे मैनेजर साहब उनके करीब आ रहे थे उन दोनों के चेहरे पर घबराहट साफ नजर आ रही थी। जिसे वह पूरी तरह से छुपाने की कोशिश कर रही थी। मैनेजर साहब उसके बगल में से निकल जाते हैं। तब कहीं जाकर वे दोनों एक चैन की सांस लेती हैं । पूरे दिन मयूरी और किरण दीदी अपने वर्क स्टेशन पर आराम से काम कर रही थी

    किरण दीदी ने तो फिर भी दो क्रेडिट कार्ड को बेच दिए थे। लेकिन मयूरी को कस्टमर ने टाल के रख दिया था । मैडम कल लेंगे। मैडम परसों लेंगे। ये बोल कर सारे कस्टमर ने मयूरी का दिन खराब कर दिया था। शाम तक मयूरी की एक भी सेल नहीं हुई थी। और हमेशा की तरह मैनेजर अतुल ने उसे बहुत सुनाया था। उन लोगों की बातें सुनते हुए मयूरी अपने ऑफिस से बाहर निकलती है। बाहर ही उसे श्रुति मिल जाती है और कहती है, “ मयूरी कैसा रहा तेरा आज का दिन?”

    मयूरी बहुत परेशान थी। उसके चेहरे पर बहुत ज्यादा थकान और निराशा थी। वह श्रुति को देखती हैं और कहती है, “ श्रुति मुझे विवान को पैसे देने थे । उसे पैसों की बहुत जरूरत है। ऊपर से आज मैनेजर साहब ने इतनी डांट लगा दी कहा, कि अगर इस महीने की आखिरी तक मैंने एक भी क्रेडिट कार्ड नहीं बेचा तो वह मुझे कंपनी से बाहर निकाल देंगे और मुझे सैलरी भी नहीं देंगे। मुझे समझ नहीं आ रहा है, कि मैं विवान की मदद कैसे करूं ?”

    मयूरी को इतना परेशान देख कर श्रुति ने उसके हाथ को पकड़ा और उसे दिलासा देते हुए कहा, “ तू फिकर मत कर । हम जल्दी कुछ कर लेंगे और विवान को पैसों की ऐसी भी क्या जरुरत आ गई है, वह तो अपने घर में रहता है ना ? अपने पेरेंट्स के साथ उसे पैसों की क्या जरूरत है ? क्या उसे पता नहीं है, कि तेरे कितने बुरे दिन चल रहे हैं । ऐसे में वह तुझसे पैसे कैसे मांग सकता है ? यहां पर तो तेरी अपने ही खर्च पूरे नहीं हो पा रहे हैं । ऊपर से वकीलों की फीस।”

    मयूरी की आंखों से आंसू निकल आए थे और वह रोते हुए कहती है, “ मुझे नहीं पता श्रुति मैं कैसे ? इन सब चीजों को हैंडल करूंगी। लेकिन कुछ भी हो मैं विवान को नहीं छोड़ सकती हूं। तुझे पता है ना, वह मेरा एकमात्र सहारा है। जिसके सहारे मैं जिंदा हूं । वरना पापा के जाने के बाद तो मेरी जीने की इच्छा ही खत्म हो गई थी । अब विवान भी मुझसे दूर हो जाएगा । तो मैं कैसे रहूंगी श्रुति? मुझे समझ नहीं आ रहा मैं क्या करूं?”

    श्रुति ने मयूरी के कंधे पर हाथ रखते हुए उसे समझाते हुए कहा, “ यार मयूरी मुझसे भी तेरी हालत देखी नहीं जाती है । पर तू भी तो जानती है। मेरे पास भी पैसे उतने नहीं है, कि मैं तुझे कुछ दे सकूं। लेकिन हम कुछ कोशिश कर सकते हैं। एक काम करते हैं , मैनेजर साहब से बात करते हैं । हो सकता है वह हमारी कुछ मदद करें।”

    मयूरी हैरानी से श्रुति को देखती हैं, कि तभी उसका फोन बजने लगता है । मयूरी ने अपने पास से फोन निकाला । तो वह देखती है, उसके पापा की कंपनी के मैनेजर का फोन है । जब उसके पापा जिंदा थे , तो उनकी कंपनी में मिस्टर चौधरी ही मैनेजर की पोस्ट पर थे। वह जल्दी से फोन रिसीव करते हुए अपने कान पर लगाती है और कहती है, “ जी चौधरी अंकल, वकील साहब से बात करने के लिए संडे को जाऊंगी । उससे पहले मुझे ऑफिस से छुट्टी नहीं मिलेगी ना।”

    “ मयूरी बेटा मैं तुम्हें ये फोन ये कहने के लिए कहा है, कि विरोनीका मैडम ने तुम्हारे पापा की शुगर कंपनी को बेच दिया है। मुझे इस बात का आज ही पता चला है और उन्होंने इतनी बड़ी कंपनी को कोडियो की कीमत पर बेचा है । बेटा अगर ऐसा रहा, तो तुम्हारी पापा की मेहनत से खड़ा किए गए इतने बड़े बिजनेस को विरोनीका मैडम बर्बाद कर देगी।”

    मयूरी का ये सुन कर गुस्सा ज्यादा बढ़ गया था। उसने जल्दी से फोन रखा और श्रुति से कहती है, “ श्रुति मुझे मेंशन जाना होगा। मैं तुझसे बाद में मिलती हूं । और उसके बाद मयूरी सीधे ऑटो पकड़ती है और वहां से देशमुख मेंशन के लिए निकल जाती है। जो मुंबई के सबसे फेमस पाली हील इलाके में बना हुआ था।”

    देशमुख मेंशन में पहुंचने के साथ ही गार्डों ने मयूरी को देखा । वे मयूरी को रोकना चाहते थे। लेकिन वे अच्छी तरह से जानते थे, कि मयूरी पहले इस घर के मालिक की बेटी है। भले ही अब उसे इस घर से निकाल दिया गया है। लेकिन उन्होंने मयूरी को अपने सामने बड़ा होते हुए देखा है। और इस वक्त मयूरी का चेहरा गुस्से से भरा हुआ था। वह तेज कदमों से मेंशन के अंदर आती है और जल्दी से हॉल में पहुंचते हुए जोर से चिल्लाते हुए कहती, “ विरोनीका कहां हो तुम?”

    घर के सारे नौकर और सिक्योरिटी हॉल में इकट्ठा हो गए थे। और सब हैरानी से मयूरी को देखे जा रहे थे । इस घर की जो मेन नौकरानी थी, शीला आंटी वह मयूरी से कहती है, “ मयूरी बेटा , तुम यहां क्या कर रही हो ? तुम्हें यहां नहीं आना चाहिए था। तुम जाओ यहां से।”

    लेकिन मयूरी गुस्से में मेंशन के अंदर आती है और गुस्से में सबको देखते हुए कहती है, “ मैं कहीं नहीं जाऊंगी । उस विरोनीका को तो मैं अच्छे से सबक सिखाऊंगी । उसकी हिम्मत कैसे हुई ? मेरे पापा की शुगर कंपनी को कौड़ियों के दाम पर बेचने की। उसे क्या लगता है ये सारा पैसा उसके बाप का है । जो वह दहेज में लेकर आई थी।

    कहां है वह डायन ? वैसे उसे डायन कहना भी सही नहीं है। क्योंकि डायन भी सात घर छोड़ कर वार करती है। ये औरत तो शादी के नाम पर इसी घर को बर्बाद करने पर तुली हुई है। जिसने उसे सहारा दिया है, एक तो अपने से दौगुने उम्र के आदमी से शादी सिर्फ पैसों के लिए की थी । और मेरे पापा के मरने के बाद मुझे ही घर से निकाल दिया है। इसे क्या लगता है? सिर्फ एक पेपर दिखा कर ये मुझे मेरे पापा की प्रॉपर्टी से अलग कर सकती है ? क्या मुझे नहीं पता, ये कितने तेज रंग बदलती है।

    गिरगिट, दो मुहा सांप और जहरीली नागिन। इन सबको मिला कर ही बनती है विरोनीका।” ये कहते हुए मयूरी गुस्से में मेंशन के अंदर जाती है और तेज तेज कदमों से सीडीओ पर चढ़ने लगती है

    वह वहां से सीधे अपने पापा के कमरे में जाती है । वह कमरा जहां पर उसके और उसके पापा की बहुत सारी अच्छी यादें जुड़ी थी। लेकिन जब से विरोनीका इस घर में आई थी, तब से मयूरी ने उस कमरे की तरफ देखा नहीं था। पर आज उसके पापा के जाने के बाद वह इस सच को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी, कि एक औरत ने उसके पापा की मेहनत से खड़ी की गई कंपनी को बेच दिया ।

    वह जल्दी से अपने पापा के कमरे में जाती है और बिना किसी चेतावनी के वह जल्दी से एक झटके के साथ दरवाजा खोल देती है। और अपनी आंखों के सामने जो उसने देखा था, वह देखने के साथ उसके कदम अपनी जगह पर ही लड़खड़ा गए थे । विरोनीका बिना कपड़ों के बेड पर लेटी हुई थी और उसके ठीक ऊपर विवान, जो की मयूरी का मंगेतर है वह चढ़ा हुआ था।

    विरोनीका कि उड़ती हुई सांसे और पसीने से दरबदर शरीर साफ बता रहा था, कि उन दोनों के बीच क्या चल रहा है। और विवान जब उसने अपने सामने मयूरी को देखा, तो वह एकदम से हक्का-बक्का रह गया।

  • 6. इंसान की परख बुरे वक्त में होती है

    Words: 1968

    Estimated Reading Time: 12 min

    विवान और विरोनीका एक साथ लेटे हुए थे और वे जिस कंडीशन में थे, उसमें तो कोई भी उन्हें देख कर बता सकता है कि वे दोनों आपस में क्या कर रहे थे। मयूरी ने जब उन्हें ऐसा देखा तो उस का दिल चूर चूर हो जाता है। वह विवेक से बहुत प्यार करती थी। और हमेशा से ही उसने विवेक के साथ अपने फ्यूचर को देखा था। लेकिन आज विवेक का ये रूप देख कर मयूरी की आंखों से आंसू बहने लगते हैं। वह अगले ही पल अपना चेहरा दूसरी तरफ घूमा लेती है। इस पल तो वह ये भी भूल गई थी, कि वह यहां पर आई क्यों थी ।

    जैसे ही विवेक ने मयूरी को दरवाजे पर देखा उस की हालत खराब हो जाती है। वह जल्दी से विरोनीका के ऊपर से उठता है और आसपास अपने कपड़े ढूंढने लगता है । उसने जल्दी से अपने कपड़े उठाए और बेड की दूसरी तरफ जा कर उसे पहनने लगा । विरोनीका भी बेड से उठती है और अपनी हॉट वाली नाइटी ड्रेस को पहनने लगती है। हालांकि शर्म उसे भी आ रही थी। इस तरीके से कोई उस के कमरे में आ गया, लेकिन बेचारी शरम विरोनीका के चेहरे पर ज्यादा देर रुक नहीं पाई। वह वहां से चलती बनी और विरोनीका बेशर्म की तरह खड़े होते हुए मयूरी पर चिल्लाती है, “ तुम मेरे कमरे में क्या कर रही हो ?”

    मयूरी का दिन वैसे ही टूटा हुआ था। और आंखों से आंसू गिर रहे थे। पर फिर भी वह विरोनीका की तरफ हल्का सा पलट कर देखती हैं कहती है , “ ये तुम्हारा कमरा नहीं है ये मेरे पापा का कमरा है। जब तक वे जिंदा थे, ये उनका कमरा था। और तुमने इस कमरे की पवित्रता को खराब कर दिया है। तुम्हें शर्म नहीं आई , मेरे पापा के कमरे में ये गंदगी करते हुए।”

    “अपनी बकवास बंद करो और यहां आने की वजह बताओ।” विरोनीका सख्ती से मयूरी से सवाल करती है। तो मयूरी के आंसू और तेज हो गए थे । जिसे उसने अपने हाथों से पौंछ दिया। वह तो इस वक्त यहां आने की वजह भी भूल गई थी। वह तो भूल ही गई थी, कि वह यहां पर विरोनीका से लड़ने आई है अपने पापा की कंपनी को बचाने के लिए।

    लेकिन जब विरोनीका ने दोबारा सवाल किया, तो वह गुस्से से पलट कर पीछे देखती है। अब तक विवेक और विरोनीका दोनों ने कपड़े पहन लिए थे और गुस्से में मयूरी उन दोनों को देखते हुए विरोनीका से कहती हैं, “ तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे पापा की शुगर कंपनी को बीचने की? किससे पूछ कर तुमने वह कंपनी बेची है? वह तुम्हारी कंपनी थी? जो तुमने उसे मुंह उठा कर बेच दिया है। अपने साथ दहेज में लेकर आई थी क्या ?”

    “ अपनी ज़बान को लगाम दो मयूरी। कहीं ऐसा ना हो, कि मैं इसके लिए तुम पर लीगल एक्शन लूं ।” विरोनीका एकदम से गुस्से में भडकते हुए मयूरी से कहने लगी ।

    विरोनीका इतने ज्यादा गुस्से में मयूरी से ये बात कह रही थी। क्योंकि वह जानती थी, कि मयूरी ने दहेज वाली बात को जानबूझकर उठाया है। विरोनीका एक बी ग्रेड फिल्म एक्टर थी। एक्टर भी क्या थी ? वह बी ग्रेड फिल्मों में साइड सीन दिया करती थी । और बेड के सीन में बॉडी डबल का काम किया करती थी। ऐसे में ना तो उस के पास अच्छी खासी पापुलैरिटी थी और ना हीं पैसा था। इसके अलावा ऐसी फिल्मों में काम करने की वजह से विरोनीका के पैरंट्स ने भी उसे घर से निकाल दिया था।

    विरोनीका अकेले ही अपनी किस्मत आजमाने के लिए मुंबई आई थी । और यहां आ कर उसने इस पार्ट टाइम कॉलेज में एमबीए करना शुरू किया था। जहां पर उस की मुलाकात मयूरी से हुई थी । मयूरी से उस की मुलाकात जेनुइन हुई थी । वह कोई बहुत अच्छे दोस्त नहीं थी। क्योंकि मयूरी एक बड़े घर की बेटी थी, तो वह अक्सर अपने सारे क्लासमेट को पार्टी दिया करती थी । और यहीं से विरोनीका मयूरी से जलने लगी थी। उसे वह सब कुछ चाहिए था, जो मयूरी के पास है। उस की दौलत, उस का घर, उस की प्रॉपर्टी और यहां तक की विवेक भी।

    मयूरी अच्छी तरह से जानती है, कि विरोनीका ने उस के पिता को झूठे जाल सांज़ी में फंसा कर उनके साथ नकली शादी के डॉक्यूमेंट दुनिया को दिखाएं हैं। उस के पिता उस की मां से बहुत प्यार करते हैं । अगर उन्हें शादी करनी ही होती , तो वह तब करते जब मयूरी छोटी थी और उस की मां चल बसी थी। इतने साल वह बिना किसी साथी के अपनी जिंदगी गुजार रहे थे। और उम्र के इस पड़ाव में जब उन्हें खुद पता चल गया था, कि वे जल्द ही इस दुनिया को छोड़ने वाले हैं। ऐसे में अपनी बेटी की उम्र की लड़की से शादी नहीं करेंगे।

    पर हैरानी की बात तो तब थी, जब मयूरी के पिता मिस्टर मनमोहन देशमुख ने भी इस बात पर कोई रिएक्ट नहीं किया था। जब विरोनीका मनमोहन जी के साथ देशमुख मेंशन आई थी और अपने साथ मैरिज सर्टिफिकेट लेकर आई थी, तो मयूरी ने बहुत हंगामा मचाया था। लेकिन मनमोहन जी ने एक शब्द नहीं कहा था।

    मनमोहन जी की अचानक मौत से सब लोग सदमे में थे । यहां तक की मयूरी उस समय खुद को संभाल भी नहीं पा रही थी । पर उसे सबसे बड़ा सदमा तो उनके गुजरने के बाद लगा। एक महीने बाद जब विरोनीका ने वह नकली दस्तावेज मयूरी और बाकी सबके सामने रखें। ये कह कर कि मनमोहन जी अपनी सारी प्रॉपर्टी विरोनीका के नाम करके गए हैं। तो मयूरी को समझ ही नहीं आया, कि विरोनीका कौन सा सस्ता नशा करती है ?

    उस के पिता अपनी इकलौती बेटी को कुछ न देकर सारा कुछ विरोनीका के नाम करके नहीं जा सकते हैं। ऐसा वह चाह कर भी नहीं कर सकते हैं। लेकिन जिस तरीके के दस्तावेज विरोनीका ने दिखाए थे, मयूरी उस वक्त कुछ नहीं कर पाई।

    विरोनीका ने मयूरी को घर से निकाल दिया और सारी प्रॉपर्टी पर कब्जा करके बैठ गई। पिछले 1 साल से मयूरी यहां वहां छोटी मोटी नौकरियां करके वकीलों की फीस दिया करती थी । ताकि विरोनीका से अदालत में केस लड़ कर वह अपने पिता की सारी प्रॉपर्टी वापस हासिल कर सके।

    मनमोहन देशमुख इस इंसान का नाम एक वक्त पूरी मुंबई में फैला हुआ था । ये वह इंसान है जिस के दरवाजे से कोई खाली हाथ नहीं जाता था। उस की जिंदगी में सब कुछ था। बहुत बड़ा बिजनेस था, जिसमें उन्होंने सिर्फ ईमानदार लोगों को ही रखा हुआ था। पर जैसे ही मनमोहन जी गुजरते हैं, उस के कुछ महीनो बाद से ही उनके सारे लेवल पर काम कर रहे अधिकारी एक एक करके या तो कंपनी छोड़ देते हैं या फिर विरोनीका उन्हें खुद ही काम से निकाल देती है। सारी कंपनी अब करप्शन के हाथों देख चुकी थी।

    ये शुगर कंपनी जिसे विरोनीका ने अभी अभी बेचा था , उस कंपनी की पहली नीव मयूरी ने अपने हाथों से रखी थी। उसने अपने पिता के सामने उस कंपनी को बनते हुए देखा था। ये शुगर कंपनी मुंबई के पास एक छोटे से गांव के पास बनी हुई थी । जहां पर रोजगार का कोई भी साधन नहीं था। और वहां के लोग अक्सर रोजगार के लिए शहर की तरफ रुख किया करते थे । पर जब वहां पर शुगर कंपनी बनी, तो उन लोगों को एक रोजगार का साधन मिला और उन लोगों ने मयूरी और उस के पिता को वहां पर भगवान का दर्जा दिया था। पर आज वह शुगर कंपनी बिक चुकी है। मयूरी को इसी बात का सदमा लगा था, कि इतने प्यार से खड़ी की गई कंपनी जो नुकसान में भी नहीं जा रही थी उसे अचानक से क्यों बेच दिया गया है।

    मयूरी विरोनीका पर गुस्से में चिल्लाते हुए कहती है, “ तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई ? मेरे पापा की मेहनत से खड़ी की गई कंपनी को तुमने इस तरीके से बेच दिया है। तुम होती कौन हो उसे बेचने वाली ?”

    “ मिसेज विरोनीका देशमुख।” विरोनीका ने एक अकड़ के साथ कहा । तो मयूरी ने एक मजाकिया मुस्कान के साथ अपना चेहरा दूसरी तरफ किया और विरोनीका को देख कर कहती है, “ अपना ये झूठ कम से कम अपने आप से तो मत कहो विरोनीका। तुम मेरे पापा की वाइफ नहीं हो। वे दस्तावेज नकली थे । तुमने कैसे मेरे पापा को अपने जाल में फसाया है, मैं नहीं जानती हूं । लेकिन मैं ये साबित कर दूंगी, कि तुम्हारी और मेरे पापा की शादी नकली थी।

    और तुम जो ये मेरे पापा की प्रॉपर्टी को बेच रही हो ना, याद रखना कल को जब मैं ये चीज़ जीत जाऊंगी तो तुम्हें ये सारी प्रॉपर्टी मुझे वापस करनी होगी । इसी लिए अभी से खुद इस चीज़ के लिए तैयार कर दो।”

    विरोनीका हंसते हुए कहती है, “ तुम कितने अच्छे सपने देखते हो मयूरी । वह भी दिन में। जानती हो ये आंखों से तुम ये कभी साबित नहीं कर पाओगी, कि मेरी और तुम्हारे पापा की शादी झूठी थी। और ये प्रॉपर्टी तुम शायद बोल रही हो, कि तुम्हारे पापा ने मरने से पहले सारी प्रॉपर्टी मेरे नाम की थी और उन्होंने साफ़ साफ़ कहा था, कि तुम उनका बेटा नहीं हो। इस वजह से वे तुम्हें अपनी प्रॉपर्टी नहीं देंगे।

    तुम्हें क्या लगता है ? उम्र के इस मोड़ पर आकर उन्होंने मुझसे शादी क्यों की थी? क्योंकि उन्हें मुझसे एक बच्चा चाहिए था । एक बेटा जो उनकी प्रॉपर्टी का असली बारिश बनता। पर अफ़सोस मैं उन्हें वह दे पाती, उस से पहले ही वे गुज़र गए । इसी लिए तो उन्होंने अपनी प्रॉपर्टी में से तुम्हारा नाम हटा कर मेरा नाम डाला था। बेटी को कभी भी बाप की प्रॉपर्टी नहीं मिलती है।

    आज के बाद अगर तुम मेरे घर में इस तरीके से घुसी ना, तो मैं तुम पर लीगल एक्शन लूंगी। वैसे भी तुम कोर्ट के चक्कर काट रही हो। ऐसे में अगर पुलिस तुम्हें गिरफ्तार करके ले जाएगी, तो तो तुम अपने बारे में सोच सकती हो।”

    “ तुम जैसी दो कौड़ी की औरत जो खुद अपने मां बाप की नहीं हुई वह मेरे बाप को बच्चा कहां से देती ? और अगर तुम ऐसा कर भी सकती तो भी वह बच्चा मेरे पापा का तो बिल्कुल नहीं होता। इसी तरीके से अपने किसी यार को बुला कर तुमने बिस्तर रंग लिया होता। और मना कर मेरे भोले भाले पापा के पास अपनी नाजायज़ औलाद को ही दे देती।”

    विरोनीका को मयूरी की बात बिल्कुल पसंद नहीं । वह गुस्से में मयूरी की तरफ बढ़ती है और अगले ही पल उसने उस के कंधे पर धक्का देते हुए कहा, “ यू बीच, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे ये बकवास करने की ?”

    मयूरी लड़खड़ाकर गिरने वाली थी, पर उसने दरवाजे का सहारा ले लिया। विवान जो कि अब तक अपने कपड़े पहन कर वहां आ चुका था, उसने जब मयूरी को ऐसे गिरता हुआ देखा तो वह उसे संभालने के लिए आगे आता है और कहता है, “ मयूरी ।”

    पर मयूरी ने गुस्से में विवान की तरफ अपना चेहरा किया और अपना हाथ दिखा कर उसे वहीं पर रोक दिया । विवान मयूरी की तरफ देखता रह गया और मयूरी गुस्से में विवान को घूर कर देख रही थी। विवान और मयूरी कॉलेज से ही एक साथ थे। विवान कोई बड़े घर का लड़का नहीं था। लेकिन मयूरी को वह पसंद था।

    ये सोच कर कि विवान एक सिंपल सोच की पर्सनैलिटी का हिस्सा है। जब वे दोनों डेटिंग कर रहे थे, तब मयूरी ने अपने पिता को विवान के बारे में बता दिया। तो उस के पिता ने उस से कहा था, कि इंसान की परख बुरे वक्त में ही होती है। क्योंकि अच्छाई का मुखौटा तो दुनिया में सब ने पहना हुआ है।

  • 7. रूम नंबर 1010

    Words: 2055

    Estimated Reading Time: 13 min

    विवान जैसे ही मयूरी को संभालने के लिए आगे आता है, मयूरी उसे अपना हाथ दिखा कर रोकते हुए कहती है, “ मेरे करीब आने की कोशिश भी मत करना। तुम जैसे घटिया इंसान को मैं अपने आसपास बर्दाश्त नहीं कर सकती हूँ।”

      मयूरी की बात सुनकर विवान का चेहरा हैरानी से भर जाता है और वह अपने कदम पीछे ले लेता है। शर्मिंदगी उसके चेहरे पर नजर आने लगती है। उसे पैसों की जरूरत थी और मयूरी उसे इतने पैसे नहीं दे पा रही थी। इसीलिए उसने ये रास्ता चुना था। लेकिन अब उसे अपने किए पर पछतावा हो रहा था। पर मयूरी और विवान के रिश्ते में कभी भी वो लोग एक दूसरे के करीब नहीं आए थे।

      विवान जब भी कोशिश करता है, तो मयूरी उससे शादी का हवाला देकर अपने कदम पीछे ले लिया करती थी। विवान ने पूरी तरह से वफादार होने की कोशिश की। लेकिन जब उसे पैसों की जरूरत पड़ी, तो उसने मयूरी से कहा। मयूरी उसके लिए उतने पैसे का अरेंजमेंट नहीं कर पा रही थी। और वहीं दूसरी तरफ विरोनीका ने उसे पैसों के साथ-साथ एंजॉयमेंट का भी मौका दिया था। ऐसे में विवान अपने मर्द होने का फायदा कैसे नहीं उठाता?

      विरोनीका गुस्से में मयूरी के सामने आती है और चिल्लाते हुए कहती, “अभी इसी वक्त निकल जाओ मेरे घर से। वरना मैं पुलिस को बुलाऊँगी।”

      मयूरी भी चिल्लाते हुए कहती है, “ तुम्हारे जैसी घटिया औरत के सामने रहना भी कौन चाहता है? पर याद रखना जल्दी पुलिस यहाँ आएगी जरूर। पर वह मुझे पकड़ने नहीं आएगी, बल्कि तुम्हें गिरफ्तार करने आएगी। धोखाधड़ी और जालसाजी के केस में।”

     ये कहते हुए मयूरी पैर पटक कर वहां से चली जाती है। वह और यहाँ नहीं रहना चाहती थी। ये घर कभी उसकी जिंदगी का सबसे खास हिस्सा था। लेकिन अब इस घर में उसे सिर्फ घुटन महसूस होती है। उसके पापा के जाने के बाद उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई थी।

      वह एक छोटे से किराए के कमरे पर रहने के लिए मजबूर हो गई थी। जिस लड़की को उसने कभी अपने दोस्त का दर्जा दिया था, उस लड़की ने उसकी सारी संपत्ति पर कब्जा कर लिया था। और जिस इंसान को उसने दिल से चाहा था और उसके साथ अपनी जिंदगी गुजारने के सपना देखती थी, वह भी इंसान धोखेबाज निकला। चंद पैसों के लिए उसने अपना रिश्ता और अपने ईमान तक को बेच दिया। ऐसा इंसान आगे चल कर उसका क्या ही भविष्य सुधारेगा?

      मयूरी आज रात बहुत अकेली थी। वह सड़कों पर हताश हो कर चले जा रही थी। उसके पास कोई मंजिल नहीं थी और ना ही कोई ठिकाना था। वह उस घर में वापस नहीं जाना चाहती थी, जहाँ पर वह किराए पर रहती थी। क्योंकि वहाँ वह अकेली रहती थी और इस वक्त वह अकेले नहीं रहना चाहती थी। उसने अपना फोन निकाला और श्रुति को फोन कर दिया।

     “ श्रुति…”

      श्रुति जो नींद से अलसाई हुई आवाज में मयूरी की आवाज सुनती है, वह अचानक से जाग जाती है और कहती है, “ मयूरी क्या हुआ? तू ठीक तो है ना? तेरी आवाज इतनी परेशानी भरी क्यों है?”

      मयूरी ने सुबकते हुए कहा, “ कुछ भी नहीं। बस मुझे ना बहुत लोनली फील हो रहा है। क्या मैं तेरे घर पर आ सकती हूँ?”

      श्रुति हैरानी से कहती है, “ मयूरी तू आना चाहती है, मैं मना नहीं करूँगी। लेकिन वह क्या है ना, निखिल पूरे 2 महीने के बाद अब मुझसे मिलने आया है। और मैं उसके साथ हूँ। तू तो जानती ही है, मेरे पास एक ही कमरा है। अगर तू यहाँ आएगी तो मुझे निखिल को नीचे जमीन पर सुलाना होगा। पर कोई बात नहीं वह एडजस्ट कर लेगा, तू आजा। तू कहाँ पर है, मुझे बताओ, मैं तुझे लेने आती हूँ।”

      मयूरी कस के अपनी आँखें बंद कर लेती है और कहती है, “ नहीं कोई बात नहीं। तू निखिल के साथ टाइम स्पेंड कर। मैं कहीं और देख लूँगी।” श्रुति आगे कुछ कहती उससे पहले ही मयूरी ने फोन काट दिया। श्रुति और निखिल काफी लंबे समय से रिलेशनशिप में हैं। यहाँ तक की कॉलेज से पहले स्कूल के टाइम से ही श्रुति और उसका बॉयफ्रेंड निखिल स्कूल से ही एक दूसरे को जानते हैं। और कॉलेज के टाइम में एक दूसरे को डेट करना शुरू कर देते हैं।

      निखिल बाहर एक कंपनी में जॉब करता है। इसीलिए उसे छुट्टी कम मिलती है और जब छुट्टी मिलती है, तो वह सीधे श्रुति से मिलने के लिए उसके पास आ जाता है। श्रुति अपने ऑफिस से 2 दिन की छुट्टी लेती है। और वह पूरा टाइम सिर्फ निखिल को ही देती है।

     मयूरी को श्रुति की सिचुएशन पता थी। इसीलिए उसने इस वक्त उन्हें डिस्टर्ब करना सही नहीं समझा। क्योंकि एक बार जब निखिल वापस चला जाएगा, तो फिर पता नहीं महीने 2 महीने 3 महीने उसे कब छुट्टी मिलेगी। और वह कब श्रुति से मिल पाएगा।

      मयूरी खुद के ऊपर हँसते हुए कहती है, “ अपना प्यार तो संभाल नहीं पाई। कम से कम किसी और के बीच कबाब में हड्डी तो ना बनूँ।”

      मयूरी ने अपना चेहरा घूमा कर देखा, तो वह मुंबई के एक ऐसे इलाके पर थी जहाँ पर लग्जरियस और महंगे होटल थे। उनमें से एक होटल तो वह भी था, जहाँ पर वह अपने पापा के साथ अक्सर बिजनेस पार्टी में आया करती थी। अपने पापा को याद करते हुए मयूरी उस होटल के अंदर चली जाती है। आज उसके पास ना तो इतने पैसे थे और ना ही वह पहचान थी, कि वह इस होटल में एक कप कॉफी भी खरीद सके। लेकिन फिर भी आज वह अपने पापा को बहुत याद कर रही थी।

      होटल के अंदर पहुँच कर वह पूरे होटल को देख रही थी। उस होटल के हॉल में कितनी बार उसके पापा ने पार्टी रखी थी। अपने बिजनेस के सक्सेस की 25 एनिवर्सरी की कंपनी के सिल्वर जुबली होने की और स्टाफ के साथ अपने अच्छे व्यवहार के लिए, तो उन्होंने न जाने कितनी बार इस होटल में पार्टी रखी थी।

      लेकिन आज ये जगह उसे बहुत वीरान सी नजर आ रही है। यहाँ की चकाचौंध और रोशनी आज भी कायम थी। लेकिन मयूरी का मन इतना उदास हो गया है, कि इस रोशनी में उसके पापा शामिल नहीं है।

     वह धीरे से रिसेप्शन के पास जाती है। रिसेप्शनिस्ट मयूरी को पहचान लेती है और मुस्कुराते हुए कहती है, “ हेलो मैम, कैसी हैं आप? बहुत दिनों बाद आई हैं।”

      मयूरी ने हल्की मुस्कान के साथ हाँ सर हिलाते हुए कहा, “ मैं थोड़ी बिजी थी। इसलिए आ नहीं पाई।”

      उस रिसेप्शनिस्ट ने उदासी के साथ कहा, “ मिस्टर देशमुख के बारे में पता चला। सुन कर बहुत अफसोस हुआ। वह हमारे बहुत अच्छे क्लाइंट थे।”

      मयूरी भी निराशा के साथ हाँ में सर हिलाती है। तो वह रिसेप्शनिस्ट ने आगे मयूरी से कहा, “ आपको कोई प्राइवेट टेबल या फिर प्राइवेट रूम चाहिए मीटिंग के लिए?”

      मयूरी के चेहरे पर एक मजाकिया मुस्कान आ जाती है। सबको यही लगता है, कि इतने बड़े परिवार की बेटी अपने पिता के जाने के बाद उनका बिजनेस संभाल रही होगी। पर उन्हें क्या पता? कि मयूरी एक छोटे से कॉल सेंटर में काम करती है।

      मयूरी निराशा के साथ कहती है, “ मेरे पास पैसे नहीं है। मुझे आज रात अपने पापा की बहुत याद आ रही है। लेकिन अफसोस ये है, कि मेरे पास इतने पैसे भी नहीं है कि मैं अकेले बैठ कर अपने पापा को याद कर सकूँ।”

     रिसेप्शनिस्ट को मयूरी की बात सुनकर दया आ जाती है। उसने मयूरी को देखते हुए कहा, “ मैडम मैं भी इस होटल की एम्पलाई हूँ। चाहती हूँ कि आपके लिए कुछ कर सकूँ। पर मैं इससे ज्यादा आपके लिए कुछ नहीं कर सकती हूँ।”

     ये कहते हुए रिसेप्शन ने एक कमरे की चाबी मयूरी की तरफ बढ़ा दी। मयूरी हैरानी से उस की कार्ड को देख रही थी। और उसने रिसेप्शनिस्ट की तरफ देखा। तो वह हाँ में सर हिलाते हुए कह दिया, “ आपके फादर जब जिंदा थे, तो उन्होंने मेरी काफी बार मदद की थी। मैं उनके लिए इतना तो कर ही सकती हूँ। ये एक मामूली रूम है। इसमें कोई फैसिलिटी या फिर स्पेशल सर्विस नहीं है। पर मैं फिलहाल यही दे सकती हूँ। क्योंकि सारी वीआईपी कमरे इस वक्त बुक हो रखे हैं।

      लेकिन मैम आपको कल सुबह से पहले ये कमरा छोड़ना होगा। क्योंकि सुबह मेरी शिफ्ट खत्म हो जाएगी और उसके बाद पूरे कमरे की सफाई और चेकिंग की जाती है।”

      मयूरी ने हाँ में सर हिलाते हुए उस रिसेप्शन से वह की कार्ड लिया और उसे देख कर कहने लगी, “ हाँ बिल्कुल। मैं कल सुबह तक चली जाऊँगी। थैंक्स मुझे आज रात के लिए कमरा देने के लिए।” मयूरी अपनी आँखों से आँसू पोंछती है और लिफ्ट की तरफ चली जाती है।

      पर लिफ्ट में पहुँचने के साथ ही एक वाक्य उसके सामने आ जाता है। ये वही लिफ्ट है, जहाँ पर वह आखिरी बार अपने पापा के साथ वीआईपी फ्लोर की तरफ गई थी।

      तब मयूरी अपने पापा के साथ लिफ्ट में मौजूद थी और उस वक्त एक मोटा सा आदमी उस लिफ्ट में आ जाता है। उसने लिफ्ट बंद होने के साथ ही एक गैस छोड़ी और मयूरी और उसके पापा की आँखें एकदम से बड़ी हो जाती है। वह दोनों कस के अपना नाक बंद कर लेते हैं और एक दूसरे को देखने लगते हैं।

      वह तो शुक्र है, कि उस आदमी ने अगले ही फ्लोर पर लिफ्ट छोड़ दी। और जैसे ही उसने लिफ्ट छोड़ी और लिफ्ट का दरवाजा खुलता है, मयूरी उसके पापा दोनों ज़ोरों से साँस लेने लगते हैं।

      अपने पापा के साथ हुए उसे मजाकिया हादसे को याद कर के मयूरी के चेहरे पर दर्द भरी मुस्कान आ जाती है और आँखों से आँसू छलक जाते हैं। वह इतने दर्द में भी मुस्कुराते हुए अपने पापा के साथ अच्छे पलों को याद कर रही थी। उसकी आँखें धुंधली हो गई थी और सर दर्द से फटा जा रहा था। जब उसने अपने हाथ में पड़े की कार्ड को देखा, तो उसकी आँखें इतनी धुंधली हो गई थी कि उसे नंबर साफ नजर ही नहीं आ रहे थे।

      रिसेप्शनिस्ट ने मयूरी को नंबर दिया था, “ 10”

     और हताशा के कारण मयूरी को नजर आ रहा है, रूम नंबर 1010…

      वह इतनी ज़्यादा परेशानी और टेंशन में थी, कि उसे नंबर साफ नजर ही नहीं आ रहे थे। अपनी धुंधली आँखों से उसने रूम नंबर 1010 को देखते हुए उसने लिफ्ट का बटन दबाया और निराशा के साथ लिफ्ट से फ्लोर की तरफ चली जाती है। जैसे ही लिफ्ट उस फ्लोर पर ओपन होती है, मयूरी रोते हुए अपने आँसू साफ करती है और कमरे की तरफ बढ़ने लगती है। वह इतनी परेशान थी, कि उसने इस बात पर भी ध्यान नहीं दिया कि ये वीआईपी फ्लोर नहीं बल्कि VVIP फ्लोर है। वह रूम नंबर 1010 के सामने पहुँचती है…

      उसने कार्ड लगाया। लेकिन उसने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया, कि इस कार्ड के एक्सेस से दरवाजा नहीं खुला है। बल्कि वह दरवाजा तो पहले से ही खुला हुआ था। मयूरी इतनी परेशान थी, कि वह इन सब चीजों पर ध्यान ही नहीं दे पा रही थी। वह दरवाजा खोल कर अंदर चली जाती है। रूम इस वक्त पूरी तरह से खाली था। वह जाकर चुपचाप बेड पर बैठ जाती है। स्लीपर एक तरफ उतार कर वह अपने घुटने मोड़ कर बेड के ऊपर बैठ जाती है और अपने दोनों घुटनों के बीच अपने सर को दबाए रोने लगती है।

      कमरे में सिर्फ इमरजेंसी लाइट जल रही थी और पूरा कमरा अँधेरे से लिपटा हुआ था। मयूरी अपने दर्द में इतनी तड़प रही थी, कि उसे इस बात की परवाह नहीं थी कि अँधेरे में उसे डर भी लगता है।

     “ आई मिस यू पापा। आई मिस यू। मुझे आपकी बहुत याद आ रही है। आई मिस यू। आप कहाँ हैं? प्लीज़ आप वापस आ जाइए। मुझसे नही हैंडल हो रही है ये सब चीज।”

     मयूरी काफी टाइम से रो रही थी और काफी देर तक रोने की वजह से उसका सर इतना भारी हो गया था, कि वह बिस्तर में पड़ने के साथ ही हल्की-हल्की नींद की आगोश में जाने लगी थी। पर जैसे ही वह नींद की पहले झपकी की तरह अपनी आँखें बंद करती, उसी के साथ उसे एहसास होता है कि उसकी कमर पर एक भारी सा हाथ आ गया है। कोई कमर से उसके कपड़ों को पकड़ कर खींच रहा है।

  • 8. मजबूरी में बनी मयूरी डॉक्टर

    Words: 2481

    Estimated Reading Time: 15 min

    मयूरी काफी टाइम से होटल के कमरे में रो रही थी और काफी देर तक रोने की वजह से उसका सर इतना भारी हो गया था, कि वह बिस्तर में पड़ने के साथ ही हल्की-हल्की नींद की आगोश में जाने लगी थी।

    मयूरी धीरे-धीरे नींद की आगोश में समा रही थी। उस ने बस पहली झपकी ही ली थी, कि तभी उसे कुछ अजीब सा महसूस हुआ। अपने कानों के पास एक घरघराहट की आवाज से उस की नींद उड़ गई। डर के मारे उस की आंखें खुल गई। कहीं इस होटल के कमरे में कोई चुपके से घुस तो नहीं आया। यही सोचते हुए वह हैरानी से अपनी पलकें टिमटिमाने लगी।

    उस का बैग पास में ही तो है ना, उस ने धीरे से अपना सर उठा कर देखा तो उस का बैग साइड टेबल पर पड़ा हुआ था। लेकिन वह सुरक्षित था। मयूरी डर जाती है और धीरे से करवट बदल कर दूसरी तरफ देखती है। और जैसे ही वह दूसरी तरफ देखती है, उस की आंखें एकदम से बड़ी हो जाती हैं। एक आदमी बिस्तर पर उस के साथ लेटा हुआ था। उस की पीठ पर जख्म के निशान थे। जिसे उस ने एक कपड़े से बांधा हुआ था। लेकिन उस कमरे की हल्की रोशनी में भी उस आदमी का चेहरा मयूरी को साफ नजर आ रहा था। उस की पलकें बेचैनी से फड़फड़ा रही थी और होंठ हल्के दर्द की तरह से निकल रहे थे।

    मयूरी उठ कर बैठ जाती है और घबराहट के मारे अपनी उंगलियों से अपने बालों को नोचने लगती है। वह हैरानी से बेड पर लेटे हुए उस आदमी को देख रही थी। जो उस के बिस्तर पर पसर कर सो रहा था और उस का चेहरा दर्द से भरा हुआ था। मयूरी को बहुत गुस्सा आ रहा था। होटल वाले ऐसी लापरवाही कैसे कर सकते हैं? मयूरी ये सोचते हुए गुस्से में उस कमरे को देख रही थी और तभी उस ने देखा, कि उसे जो कमरा दिया है ये थोड़ा बड़ा और शानदार है। जबकि उसे तो नार्मल सा कमरा दिया गया था।

    दिमाग लगाने के बाद मयूरी को ये पता चलता है, कि ये वह कमरा नहीं है, जो उसे दिया गया था। ब्लैक एंड व्हाइट थीम का ये कमरा दिखने में काफी ज्यादा डार्क और अट्रैक्टिव था। क्योंकि मयूरी पहले भी इस होटल में आ चुकी है, इसी लिए यहां के सभी लो प्राइसेज कमरे को और हाय प्राइसेज रूम को वह पहचानती थी। और ये कमरा वीआईपी भी नहीं है। बल्कि वीवीआईपी कमरे के जैसा लग रहा है।

    मयूरी का एहसास हो जाता है, कि वह शायद गलत कमरे में है और ये कमरा उस इंसान का है, जो इस वक्त बेड पर लेटा हुआ है। ये सोचने के साथ ही उस का दिल जोरों से धड़कने लगता है। दिमाग तो वैसे ही आउट ऑफ कंट्रोल हो रहा था और अब उसमें दर्द भी होने लगा था। मयूरी गलत कमरे में है। अब वह यहां से भागने के बारे में सोच रही थी। उस ने धीरे से अपना हाथ बढ़ाया और टेबल पर रखा हुआ अपना हैंडबैग उठा लिया।

    उस ने बेड पर एक नजर डाली। जहां पर वह आदमी औंधे मुंह सो रहा था और उस का चेहरा हल्का-हल्का रोशनी में नजर आ रहा था। मयूरी दबे पांव बेड से उतरती है और धीरे-धीरे करके दरवाजे की तरफ बढ़ने लगती है। मयूरी ने एक नजर दरवाजे के पास पहुंच कर उस आदमी को देखा। जिस के चेहरे पर परेशानी और दर्द दोनों ही था। उस ने दरवाजे के हैंडल पर हाथ रखा और खोलने ही वाली थी, कि तभी उसे अपने कानों में एक गंभीर और दर्द में लिपटी हुई आवाज सुनाई देती है, “ मेरी मदद करो।”

    मयूरी के कान खड़े हो जाते हैं और उस की आंखें एकदम से बड़ी हो जाती हैं। वह एक झटके से पलट कर दरवाजे से लग जाती है। उस की सांसें तेजी से चल रही थी। क्या ये आदमी सो नहीं रहा है? लेकिन इसके पीठ पर तो चोट लगी है। शायद ये बेहोश होगा। पर अगर ऐसा है, तो फिर इसने मयूरी से मदद क्यों मांगी। मयूरी के साथ वैसे भी बहुत कुछ हो गया था। वह किसी नई मुसीबत में नहीं पड़ना चाहती थी। एक प्रेसिडेंशियल स्वीट में एक आदमी उस के सामने घायल हालत में लेटा हुआ है। शायद उस पर किसी ने हमला किया है या फिर ये भी हो तो हो सकता है, कि वह आदमी किसी माफिया का शिकार हुआ है या फिर कोई एक्सीडेंट हुआ है। मयूरी के दिमाग में यही सब बातें चल रही थी। लेकिन वह आदमी इस समय घायल था और मयूरी से मदद मांग रहा था।

    मयूरी उस आदमी को ऐसे भी तो नहीं छोड़ सकती थी। वह आदमी घायल हालत में मयूरी से मदद के लिए आवाज लगा रहा था। मयूरी का दिल बहुत कोमल था। किसी को दर्द में देख कर उसे भी उस दर्द का एहसास होने लगता था। उस ने एक गहरी सांस छोड़ी और धीरे-धीरे चलते हुए बेड के पास आती है उस ने देखा उस आदमी के जख्म से खून तो नहीं बह रहा है, लेकिन वह कपड़ा जिसे उस जख्म के ऊपर बांधा गया था, वह पूरा खून से लाल हो गया है। मयूरी जल्दी से रिसीवर के पास जाती है और उसे उठा लेती है। पर तभी उस की एक और गंभीर आवाज आती है, “ मत करो…”

    “ मैं आपकी हेल्प के लिए रूम सर्विस को कॉल कर रही हूं। आपके लिए डॉक्टर का अरेंजमेंट कर देंगे। सॉरी मैं गलती से आपके कमरे में आ गई थी। पर अब मैं यहां से जा रही हूं। आपको परेशान करने के लिए माफी चाहती हूं।”

    मयूरी डरते हुए लेकिन सच्चे दिल से उस से माफी मांग रही थी। वह शख्स एक करवट के साथ अपने एक तरफ हो कर लेट जाता है और अपनी अध खुली आंखों से मयूरी को देखते हुए कहता है, “ अगर…तुम….दरवाजे के बाहर…गई तो…तुम मारी… जाओगी।”

    उस ने धीमे और गंभीर स्वर में कहा। लेकिन उस की बात सुन कर मयूरी के होश उड़ गए। ये आदमी घायल हालत में उसे जान की धमकी दे रहा है। शायद ये बहुत ज्यादा डरा हुआ है। माफिया या किसी अंडरवर्ल्ड के लोगों ने इस डरा रखा है। लेकिन मयूरी का इन सब से क्या लेना देना। वह तो इसे जानती तक नहीं है।

    मयूरी ने रिसीवर नीचे रख दिया और अपने बैग से अपना फोन निकाल कर कोई कॉल करने लगी। उस ने जब मयूरी को अपने मोबाइल से कुछ करते हुए देखा, तो दर्द भरी आवाज में कहा, “ किसे कॉल कर रही हो?”

    “ मैं एंबुलेंस को कॉल कर रही हूं। आपको चोट लगी है ना, तो मैं एंबुलेंस को बुला लेती हूं। वह अस्पताल ले जाएंगे।” मयूरी खुद घबराई हुई थी। पर इस आदमी के सामने वह हिम्मत से उस से बातें करने की कोशिश कर रही थी। हालांकि ये सब उस ने पहले कभी नहीं देखा था। पर अपनी तरफ से वह इस घायल आदमी की मदद करने की कोशिश कर रही थी। बेचारी खुद ही इतनी डरी हुई थी और ऐसी सिचुएशन पर उसे जो समझ में आ रहा था वह कर रही थी।

    “ किसी को भी कॉल मत करना वरना वे लोग तुम्हें मार डालेंगे।” उस ने दर्द में भी मयूरी को धमकाने भरे अंदाज में ये कहा। तो मयूरी एकदम से हैरान हो जाती है। अब उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था। वह इतनी आशा है और हॉपलेस कैसे हो गई की, एक गलत कमरे में आकर एक नई मुसीबत में फंस गई थी। वैसे भी इन सब के पीछे वजह विरोनीका और विवान ही थे। मयूरी को अपने साथ साथ उन दोनों के ऊपर भी गुस्सा आ रहा था। जिस दिन हालात मयूरी के साथ होंगे, उस दिन सबसे पहले उन दोनों को अपने किए का हिसाब चुकाना पड़ेगा।”

    उस ने अपना फोन वापस बैग में डाल दिया और और घायल आदमी को देख कर कहती है, “ तो आप ही बता दीजिए, मैं आपकी मदद कैसे करूं? आपको डॉक्टर के पास ले जाना तो जरूरी है ना? तो आप ही बता दीजिए, मैं ऐसा क्या करूं? कि आपकी हेल्प हो जाए।”

    “ मेरे पास बैठी रहो और रात भर मुझे जगाए रखने में मेरी मदद करो। सुबह मेरे आदमी आएंगे और मुझे अस्पताल ले जाएंगे।” उस ने थोड़ा हिम्मत करते हुए अपनी कर्कश और भारी आवाज में मयूरी से कहा। हालांकि उस के शब्दों से ही पता चल रहा था, कि उस ने बोलने की भी ताकत नहीं है और दर्द की वजह से आंखें भी बार बार बंद हो रही थी।

    मयूरी जल्दी से कहती है, “ आपके आदमी कहां हैं? वे मुझे बताइए मैं उन्हें बुलाती हूं।”

    “ तुम बस मुझे इतना बताओ, कि क्या तुम मेरी मदद करोगी या नहीं?” अचानक से ही वह गुस्से में मयूरी की तरफ देखता है और अपने दर्द में भी वह मयूरी को डांटते हुए उस से सवाल करता है। उस के ऐसे चिल्लाने पर मयूरी की हालत और ज्यादा खराब हो जाती है और वह रोने के अंदाज में कहती है।

    “ अरे मैं कोई डॉक्टर थोड़ी ना हूं। आपके शोल्डर से खून बह रहा है और मैंने कभी भी किसी का इलाज करने की कोई ट्रेनिंग थोड़ी ना ली है।” मयूरी एकदम हताश और चिड़चिड़ापन के साथ उसे देखते हुए जवाब देती है।

    वह शख्स दोबारा बिस्तर पर औंधे में लेटते हुए कहता है, “ इन जख्मों की फिक्र मत करो। बस मेरे सर में दर्द हो रहा है और मुझे बुखार है। कुछ भी हो जाए मुझे सोने मत देना।” मयूरी हैरान हो जाती है, उस की बात सुन कर। उस ने जल्दी से अपना हाथ आगे बढ़ाया और उस के उसे चौड़े माथे के ऊपर आ रहे बालों को हटाकर धीरे से उस के माथे पर अपनी तीन उंगलियां रखी।

    सच में उस का माथा पूरी तरह से गर्म हो रखा था। इसका मतलब उसे बहुत तेज बुखार था। मयूरी को अपने हाथ में एक तेज गर्मी का एहसास होता है। वह अपने हाथ जल्दी से पीछे लेती है और घबराते हुए इधर-उधर देखने लगती है।

    मयूरी दया भाव से उस घायल आदमी को देखती हैं और अपने मन में कहती है, “ इस आदमी को देख कर तो मेरी खुद की हालत खराब होती हुई नजर आ रही है। किसने की है इसकी ये हालात। वैसे मेरे पापा के पीछे भी तो माफिया के लोग पड़े हुए थे वे भी उनसे बहुत मुश्किल से बच कर रहा करते थे। और मुझे उन सब से बहुत दूर रखा करते थे। पता नहीं ये माफिया के लोग कब लोगों को परेशान करना बंद करेंगे।”

    मयूरी ने देखा, कि उस घायल आदमी की आंखें धीरे-धीरे ओझल हो कर खुल रही है। और बंद हो रही है। शायद वह बेहोश होने वाला है पर मयूरी को उसे बेहोश नहीं होने देना है। वह इधर-उधर देखते हुए कुछ सोचने की कोशिश करती है। तभी उसे ध्यान आता है, कि उस के बैग में पैरासिटामोल रखा हुआ है। पर क्या पैरासिटामोल इस सिचुएशन में काम करेगी? अभी इस वक्त वह और क्या ही कर सकती है। जो उस के पास है उसी से काम चलाना होगा।

    अपने बैग में पैरासिटामोल ढूंढने की कोशिश की और आखिरकार उस के बैग से फोन का चार्जर, छोटी सी हनुमान चालीसा, लिपस्टिक, कंपैक्ट, चाबियों का छल्ला, एक छोटा सा शीशा ये सब तो मिल ही गया। लेकिन पैरासिटामोल उस ने कहां रखा है उसे मिल ही नहीं रहा था। अपने बैग के सारे सामान को उस ने टेबल पर पलट दिया। उसे छोटे से बाग में से ऐसा लग रहा था अलीबाबा का खजाना निकल रहा है। चीज खत्म ही नहीं हो रही थी 😂 और तब जाकर सबसे लास्ट में से उसमें पैरासिटामोल की एक छोटी सी टैबलेट निकलती है।

    मयूरी जल्दी से टैबलेट को अपने हाथ में लेती है और साइड में रखे हुए पानी के गिलास को अपने पास रखती है। वह जल्दी से बेड के किनारे पर बैठी और उस घायल आदमी को बाजू से उठाने की कोशिश करने लगी। वह आदमी भारी भरकम शरीर का था। और मयूरी के बस का नहीं था। मयूरी उसे खींचते हुए कहने लगती है, “ सर प्लीज अपने शरीर पर थोड़ा सा वजन लगाइए। मैं आपको उठा नहीं पाऊंगी। मुझे आपको दवाई खिलानी है। आप सो नहीं सकते हैं।”

    और अगले ही पल उस आदमी ने अपने हाथ के वजन से अपने शरीर को एक दर्द की सिसक के साथ बिस्तर पर उठा दिया और दूसरे ही पल मयूरी के कंधे पर लुढ़क जाता है। मयूरी खुद को बहुत मुश्किल से बेड के हेड रेस्ट पर टिका लेती है। वरना अगर उस के पीछे सहारा नहीं होता, तो वह इस आदमी को ले कर जमीन पर ही गिर जाती। उस ने बहुत मुश्किल से उस आदमी के मुंह के पास पैरासिटामोल ले जाते हुए कहा, “ सर प्लीज मुंह खोलें। दवाई खा लीजिए।”

    जोरों से हांफते हुए उस आदमी ने अपना मुंह खोला और मयूरी ने उस के मुंह के अंदर पैरासिटामोल की गोली रख दी। अगले ही पल उस का पूरा मुंह कड़वाहट से भर गया। मयूरी जल्दी से पानी का गिलास उस के होठों के सामने करते हुए कहती है, “ पानी पी लीजिए…”

    उस ने धीरे-धीरे खिसकते हुए पानी पिया और सारी मेडिसिन उस के गले से उतरकर नीचे चली जाती है। जितनी कोशिश वह आदमी अपनी आंखें खोलने की कर रहा था, उतनी ही कोशिश मयूरी भी उसे जगाए रखने की कर रही थी। एक बार दवाई खाने के बाद वह आदमी खुद ही बिस्तर पर औंधे मुंह दोबारा से लेट जाता है। मयूरी फिर परेशान हो जाती है। दवाई तो खिला दी है। लेकिन पैरासिटामोल या तो सर दर्द में काम करेगा या फिर बुखार में। लेकिन इसे जगाए रखने के लिए क्या करना चाहिए?

    उसे कुछ याद आता है और वह जल्दी से बाथरूम में भाग जाती है। एक छोटे से टॉवल को वह ठंडा पानी से गिला करके लाती है और उस आदमी के चेहरे पर रखने लगती है। जिस से कि उस की आंखें बार बार ओझल होने से बच रही थी। कभी वह गीले टॉवल को उस के हाथों पर रखती, तो कभी उस के माथे पर रख देती।

    जब भी उस की आंखें बंद होने की कोशिश करती ठंडेपन के एहसास के साथ वह एक गुड़गुराहट के साथ जाग जाता था। पर मयूरी ही जानती थी, कि वहां पर वह कितनी हिम्मत से बैठी हुई है। उस की नजर कभी उस आदमी के उस परेशानी से भरे दर्द में लिपटे हुए चेहरे पर जाती तो वह उसे दया की दृष्टि से देखने लगती। पर अगले ही पर जब उस की नज़रें उस के पीठ के जख्म पड़ जाती, तो उस का चेहरा डर से भर जाता। इतना बड़ा जख्म का निशान उस ने पहले कभी नहीं देखा था।

    सुबह होने में अभी टाइम है। तब तक मयूरी को इस इंसान की देखभाल करनी थी। उस ने एक हाथ से गिला टॉवल उस के चेहरे पर रखा और दूसरे हाथ से फोन पर गूगल सर्च करने लगी, घाव का इलाज कैसे करें।

  • 9. माफिया मेरे पीछे पड़ी है

    Words: 2338

    Estimated Reading Time: 15 min

    सुबह होने में अभी टाइम है। तब तक मयूरी को इस इंसान की देखभाल करनी थी। उस ने एक हाथ से गिला टॉवल उसके चेहरे पर रखा और दूसरे हाथ से फोन पर गूगल सर्च करने लगी, घाव का इलाज कैसे करें।

    उसने गूगल पर सर्च किया कि चोटों का इलाज कैसे किया जाता है? चोट के लिए तो उसे गूगल ने बहुत सारे ज्ञान दे दिए थे। लेकिन जो जख्म इस वक्त उस आदमी की पीठ पर था, वह किसी मामूली चोट का नहीं था। ऐसा लग रहा था कि कोई चीज उसकी स्किन को फाड़ कर अलग हुई है। जैसे की कोई चाकू या फिर कोई बंदूक की गोली।

    इतने बड़े जख्म को देख कर मयूरी की हालत वैसे ही खराब हो रही थी। ऊपर से गूगल भी उसका कुछ सही सा जवाब नहीं दे रहा था। लेकिन बहुत ढूंढने के बाद उसे एक ऐसा नुस्खा मिला, जिसमें लिखा था कि गर्म पानी के कपड़े को डेटॉल लगा कर अगर घाव के ऊपर रखा जाए तो कुछ समय के लिए राहत मिल जाती है।

    मयूरी जल्दी से वॉशरूम में चली जाती है। वहां पर वह देखती है कि एक छोटी सी डिटॉल की शीशी रखी हुई है। उसने जल्दी से गर्म पानी को एक मग में भरा और छोटे से टॉवल को उसमें डाल दिया। उसने आधे से ज्यादा डिटोल उस पानी के अंदर डाल दिया और उस गीले टॉवल को लेकर वह बेड के पास आती है। उसने वह डिटॉल के पानी वाला टावल सीधे उसके जख्म के ऊपर रख दिया। एक तेज चीख के साथ वह शख्स अपनी जगह पर उठ जाता है और चिल्लाते हुए कहता है, “पागल हो गई हो क्या?”

    मयूरी एक पल के लिए डर जाती है। लेकिन अगले ही पल उसने दोबारा से उस डिटॉल के कपड़े को घाव के ऊपर रखते हुए कहा, “नहीं पागल नहीं हो गई हूं। आप जख्म ठीक हो जाएगा। इसीलिए डिटॉल का कपड़ा लगा रही हूं। जब तक डॉक्टर इसका इलाज नहीं कर देते हैं, तब तक डिटॉल सेप्टिक रोकने में मदद करेगा।”

    उस आदमी ने एक तेज दर्द से अपनी आंखें बंद कर लीं और अपने होठों को कस के भींच लिया। उसके हाथ मुठियों में कसे हुए थे और वह दर्द से तड़प रहा था। ऐसा लग रहा था, जैसे उस जख्म के दर्द से ज्यादा दर्द तो उसे इस इलाज से हो रहा है।

    गर्म कपड़े को उसके जख्मों पर रखने के बाद मयूरी सोफे पर जा कर बैठ जाती है और वह शख्स बेड पर ही अपनी पीठ के बल बैठे हुए मयूरी को अपनी अधूरी आंखों से देख रहा था। मयूरी कल शाम को इतनी ज्यादा थक गई थी कि उसकी आंखें बार-बार ओझल हो रही थीं। और वह सोने की कोशिश कर रही थी। लेकिन हर बार उसकी नींद खुल जाती और वह फिर उठ कर बैठ जाती।

    जैसे ही बाहर हल्की सी रोशनी आती है और अंधेरा ढ़लता है, वैसे ही उस आदमी ने कर्कश लेकिन भारी आवाज में कहा, “जाओ यहां से।”

    मयूरी एक पल के लिए हैरान हो जाती है और हैरानी से उस आदमी को देखने लगती है। वह आदमी तेजी से सांस लेते हुए मयूरी को घूर कर देखता है और सख्त अंदाज में कहता है, “अभी के अभी निकलो मेरे कमरे से। और हां चाहे कुछ भी हो जाए पलट कर मत देखना।”

    मयूरी उसकी बात सुन कर घबरा जाती है। उसे लगा ये शख्स आराम से सिर्फ उसे देख रहा है। लेकिन उसके शब्दों ने मयूरी के हाथ पैर को कांपने पर मजबूर कर दिया था। मयूरी जल्दी से अपना बैग लेती है और उसके अंदर वह सारा सामान फिर से कूड़े की तरह डालने लगती है, जो उसने मेडिसिन ढूंढने के लिए पूरे टेबल पर गिरा दिया था और इसी बीच उसके हाथ में खून से सना हुआ वह कपड़ा भी आ जाता है, जो उसने उस शख्स के जख्म पर लगाए हुए थे। इतनी हड़बड़ी में मयूरी ने ध्यान ही नहीं दिया कि उसने वह खून से भरा हुआ कपड़ा भी अपने बैग के अंदर ठोस दिया है।

    वो जल्दी से अपनी जगह से खड़ी होती है और अगले ही पल दरवाजे की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगती है। पर जैसे ही वह दरवाजे की हैंडल पर अपना हाथ रखती है, पीछे से उस आदमी की दर्द से लिपटी हुई आवाज आती है, “लिफ्ट से मत जाना। सीडीओ का इस्तेमाल करना। और हां इसके बारे में किसी को मत बताना।”

    मयूरी डरते हुए उस आदमी को देख रही थी, जो भारी भरकम लेकिन घायल शरीर ले कर बेड पर पड़ा हुआ था। कल रात इतने दर्द में तड़पने के बाद भी उस आदमी ने हिम्मत नहीं हारी और खुद को जगाए रखने में पूरी हिम्मत दिखाई। मयूरी ने भी कोई कम हिम्मत नहीं दिखाई थी। उसके बस में जितना हो सका था, उसने किया था और इस आदमी को जगाए रखने में उसका भी हाथ था।

    एक बार उस कमरे से निकलने के बाद मयूरी ने पीछे पलट कर नहीं देखा। और तेज कदमों से वह लॉबी की तरफ बढ़ गई। लिफ्ट और सीढ़ियां उसे एक साथ नजर आ रही थीं, बिल्कुल दाएं बाएं चिपकी हुई। जाहिर सी बात है, एक बार धमकी मिलने के बाद उसमें इतनी हिम्मत तो थी नहीं कि वह लिफ्ट का इस्तेमाल करेगी।

    अपने कदमों को हिम्मत देते हुए मयूरी सीडीओ की तरफ बढ़ जाती है और पूरे 10 मंजिल वह सीडीओ से उतर कर नीचे ग्राउंड फ्लोर पर आती है। उसकी सांस फूल गई थी, पैर दर्द करने लगे थे। और चेहरा पसीने से भर गया था। उसकी सांसे ऊपर नीचे अस्थिर तरीके से भाग रही थीं। जाहिर सी बात है, 10 मंजिल सीडीओ से उतरना मामूली बात नहीं थी।

    जैसे ही वह लास्ट की मंजिल पर पहुंचती है, उसकी सांसे बहुत तेजी से उखड़ रही थीं और वह हताश के साथ इधर-उधर देख रही थी। तभी एक औरत ने उसकी तरफ छोटी सी पानी की बोतल बढ़ाते हुए कहा, “पानी पी लो गुड़िया।”

    मयूरी तेजी से सांस लेते हुए देखती है, तो एक उम्रदराज औरत उसके सामने थी, जिसने सिंपल सी साड़ी पहन रखी थी और उसके हाथों में वह पानी की बोतल थी। न जाने क्यों मयूरी को उस औरत को देख कर अच्छा लग रहा था। उसके चेहरे पर एक अलग ही आबादी और एक अलग ही सुकून था। मयूरी ने उसके हाथों से वह पानी ले लिया और मुस्कुराते हुए कहने लगी, “थैंक यू आंटी। मुझे पानी की बहुत जरूरत थी।”

    उस महिला ने मुस्कुराते हुए हां में सर हिलाया और फिर ऊपर सीडीओ की तरफ चली गई। मयूरी पानी पीते हुए उस औरत को देखते रह गई। जहां मयूरी की इस उम्र में उतरने में हालत खराब हो रही थी, तो वह औरत कम से कम नहीं तो 50 के आसपास की रही होगी। और वह सीडीओ से ऊपरी मंजिल पर जा रही है। मयूरी को अपनी कमजोर हड्डियों पर अब शर्म आ रही थी।

    होटल के रिसेप्शन एरिया से जाते हुए मयूरी देखती है कि जिस लड़की ने उसे कल रात कमरे की चाबी दी थी, वह लड़की अब रिसेप्शन पर नहीं है और उसकी जगह कोई दूसरी लड़की है। यह लड़की मयूरी को नहीं पहचानती थी। इसलिए मयूरी चुपचाप वहां से निकल जाती है। जैसे ही वह होटल के बाहर निकलती है, उसने एक सुकून की सांस ली। ऐसा लग रहा था कि कोई चीज उसके गले में फंसी हुई थी और वह न जाने कौन सी जंग जीत कर आई है।

    अभी-अभी सूरज की रोशनी पूरे जगह फैल ही रही थी। और अंधेरा ठीक से छुपा भी नहीं था। इतनी सुबह-सुबह उसे यहां पर कहीं ऑटो या कुछ भी नजर नहीं आएगा। तो वह घर कैसे जाएगी? यही सोचते हुए वह बस चले जा रही थी। लेकिन जैसे ही वह होटल के एरिया से निकल कर बाहर की तरफ आती है, उसे एक जानी पहचानी आवाज सुनाई देती है, “मयूरी।”

    मयूरी की आंखें एकदम हैरानी से बड़ी हो जाती हैं और वह पलट कर देखती है, तो श्रुति उसके पास एक ऑटो के साथ खड़ी थी। श्रुति को देख कर मयूरी की आंखें एकदम हैरान हो जाती हैं। और वह हैरानी से श्रुति के पास आ जाती है, उसने श्रुति को देखते हुए कहा, “तू यहां क्या कर रही है? और तुझे किसने बताया कि मैं यहां पर हूं। तूने मुझे ढूंढा कैसे?”

    “मैंने तुझे नहीं ढूंढा। अरे मैं यहां पर निखिल को ड्राप करने आई थी। मैं तो बस घर ही जा रही थी, कि तभी मेरी नजर तुझ पर पड़ी। मुझे पहले लगा था कि शायद यह मेरी आंखों का धोखा है। लेकिन जब मैंने तेरा चेहरा देखा तब यकीन हो गया कि यह मेरा धोखा नहीं है, बल्कि सच में तू ही है।

    लेकिन तू यहां क्या कर रही है? और तेरे चेहरे पर यह घबराहट कैसी है?” श्रुति ने उसके चेहरे पर हाथ रखते हुए कहा। लेकिन मयूरी जल्दी से ना में सर हिलाती है और ऑटो में बैठते हुए कहती है, “तुझे सब कुछ बताऊंगी। लेकिन अभी नहीं, घर पहुंच कर। फिलहाल यहां से चल।”

    उसके आगे श्रुति ने कोई सवाल नहीं किया। वह चुपचाप ऑटो में बैठी और ऑटो उनके घर की तरफ चला जाता है। पूरे रास्ते श्रुति मयूरी का डरा हुआ और घबराया हुआ चेहरा देख रही थी। वह देख रही थी, कितनी बुरी तरीके से उसने अपने पर्स की हैंडल को मरोड़ा हुआ है।

    एक बार श्रुति के घर में पहुंचने के बाद श्रुति बेड के ऊपर पालती मार कर बैठ जाती है। और ब्लैंकेट के अंदर अपने पैरों को छुपा लेती है। उसका चेहरा अभी भी डर और घबराहट से भरा हुआ था। श्रुति ने उसके सामने पानी का गिलास रखा और उससे पूछा, “क्या बात है? अब तो बता। जब से मिली है, तब से ही तेरे चेहरा पर डरा हुआ दिख रहा है। आखिर हुआ क्या है तेरे साथ?”

    अपने घबराते हुए चेहरे के साथ मयूरी जल्दी से श्रुति का हाथ पकड़ लेती है और उसे कहती है, “प्रॉब्लम हो गई है यार। बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो गई है। मुझे लगता है वह शख्स... वह किसी माफिया के चक्कर में है। और इसीलिए मैं भी कहीं उनकी नजर में ना आ जाऊं। श्रुति मुझे इन सब में शामिल नहीं होना है। मेरी लाइफ वैसे ही झंड हो रखी है। ऊपर से यह नया सिय्यापा मुझे अपनी लाइफ में नहीं चाहिए।”

    श्रुति हैरान थी और उसने हैरानी से कहा, “तु मुझे पूरी बात नहीं बताएगी, तो मैं तेरी मदद कैसे करूंगी? पहले आराम से सांस ले। देख मैंने पंखा चला दिया है, थोड़ी देर में कमरा भी ठंडा हो जाएगा। तब तक पानी पी और मुझे बता, क्या पिएगी? चाय या कॉफी। मैं तेरे लिए बनाती हूं और उसके बाद मुझे बताना कि तेरे साथ क्या हुआ है।”

    थोड़ी देर बाद श्रुति और मयूरी दोनों के हाथों में चाय का कप था और अपने कांपते हुए हल्के हल्के हाथों से मयूरी चाय पीने लगती है। अब तक उसने सब कुछ बता दिया था श्रुति को। वह किस तरीके से हताश अवस्था में किसी दूसरे कमरे में चली गई थी। और जहां पर उसकी मुलाकात एक घायल शख्स से होती है। शायद वह शख्स माफिया या फिर किसी अंडरवर्ल्ड के लोगों का शिकार हो चुका था। इसीलिए उस कमरे में छुप कर बैठा हुआ था। और अब उसने मयूरी को भी वहां से ऐसे भगा दिया था, जैसे कि मयूरी ने कोई क्राइम किया है।

    उसकी पूरी बात सुनने के बाद श्रुति कहती है, “अरे यार तूने तो बहुत अच्छा काम किया है। एक घायल इंसान की मदद की है। उसकी जान बचाई है। और तू जो सोच रही है, जरूरी थोड़ी ना है वही हो सकता है। वह कोई ऐसा आदमी हो, जो बाहर से हमारे शहर आया हो। और यहां आ कर मुसीबत में पड़ गया हो। इसलिए वह नहीं चाहता हो कि तेरे बारे में या फिर उसके बारे में किसी को पता चले। तू खामखा बहुत ज्यादा सोच रही है। चिल कर।”

    “तु मुझे चिल करने के लिए कैसे कह सकती है? जब मेरी लाइफ में चिली (मिर्ची) जैसे लोग, ऊपर से वह आदमी जो मुझे कल रात मिला था। अगर वह कोई विदेशी या फिर कोई बाहर का नहीं हुआ, बल्कि किसी माफिया से उसका कोई कांटेक्ट हुआ तो क्या होगा? यार मेरी तो शक्ल भी सीसीटीवी में आ गई होगी। माफिया के लोग कहीं मेरे पीछे ना पड़ जाएं। मुझे पता है उस आदमी ने मुझे अपने कमरे से बाहर निकालने से पहले क्या कहा था। उसने मुझसे कहा था, चाहे कुछ भी हो जाए पीछे पलट कर मत देखना।”

    मयूरी एकदम परेशान और हताश हालत में श्रुति से यह कह रही थी। उसकी बात सुन कर श्रुति ने कहा, “हां ठीक है। समझ गई। तू परेशान है। लेकिन फिर भी मैं यही कहूंगी, मुझे नहीं लगता है कि तूने कुछ गलत किया है। एक घायल आदमी की मदद की है। इसमें क्या बुरा है? अब तू इन सब के बारे में सोचना बंद कर। और यह सोच की आज महीने का आखिरी दिन है। अगर आज फ्लोर के सामने सबसे अच्छे सेल्स करने वालों का नाम लिया जाएगा, ऐसे में तुझे लगता है कि तेरा नंबर एक में भी आएगा। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो अतुल सर ने पहले ही बोल रखा है कि वह तुझे जॉब से निकाल देंगे। और उसके बाद तुझे एक नई जॉब ढूंढनी पड़ेगी।”

    श्रुति की बात से मयूरी को याद आता है कि उसके क्रेडिट कार्ड बेचने में पूरा महीना चला गया। लेकिन उसने एक भी कार्ड नहीं बेचा और आज महीने का आखिरी दिन है। यानी की आज उसकी नौकरी पर बात है। उसका और किरण दीदी वाला आइडिया भी कुछ खास काम नहीं किया। किरण दीदी ने तो फिर भी एक क्रेडिट कार्ड बेच दिया था। लेकिन मयूरी तो आज भी कुछ नहीं कर पाई। उसका वैसे भी दिमाग खराब हो रखा था। ऐसे में वह ऑफिस जा कर और अपना मूड नहीं खराब करना चाहती थी।

    “नहीं श्रुति मैं ऑफिस नहीं जाऊंगी। दरअसल मैं काम पर ही नहीं जाऊंगी। जब पता है कि वह लोग मुझे काम पर से निकाल देंगे, तो फिर क्यों वहां जा कर अपनी बेइज्जती करवाना? इससे अच्छा तो यही है कि मैं यहां पर रह कर अपने लिए दूसरी नौकरी तलाश करती हूं।”

  • 10. राणे इंडस्ट्री का नया वारिस

    Words: 2478

    Estimated Reading Time: 15 min

    श्रुति और मयूरी एक कमरे में एक दूसरे के सामने बैठे हुए थे। और मयूरी की परेशानी देख श्रुति भी परेशान हो रही थी। श्रुति की बात से मयूरी को याद आता है, कि उस के क्रेडिट कार्ड बेचने में पूरा महीना चला गया। लेकिन उसने एक भी कार्ड नहीं बेचा और आज महीने का आखिरी दिन है।

       यानी कि आज उस की नौकरी पर बात है। उस का और किरण दीदी वाला आइडिया भी कुछ खास काम नहीं किया। किरण दीदी ने तो फिर भी एक क्रेडिट कार्ड बेच दिया था। लेकिन मयूरी तो आज भी कुछ नहीं कर पाई। उस का वैसे भी दिमाग खराब हो रखा था। ऐसे में वह ऑफिस जा कर और अपना मूड नहीं खराब करना चाहती थी।

      मयूरी ने एक गहरी सांस छोड़ते हुए कहा “नहीं श्रुति मैं ऑफिस नहीं जाऊंगी। दरअसल मैं काम पर ही नहीं जाऊंगी। जब पता है, कि वे लोग मुझे काम पर से निकाल देंगे। तो फिर क्यों वहां जा कर अपनी बेइज्जती करवाना? इससे अच्छा तो यही है, कि मैं यहां पर रह कर अपने लिए दूसरी नौकरी तलाश करती हूं।

     यार मुझे एक नई जॉब ढूंढनी ही पड़ेगी। तुझे क्या लगता है, मैंने एक महीने कॉल सेंटर में काम किया है। वे लोग मुझे इसके पैसे देंगे? हालांकि मैंने उन्हें एक भी कार्ड बेच कर नहीं दिया है। तो भी क्या वे मुझे पैसे देंगे?”

     “ बिल्कुल देंगे। तू वहां पर टारगेट बेस पर थोड़ी ना काम कर रही थी। तेरी वहां पर सैलरी फिक्स थी। अब काम नहीं हुआ है, तो इसमें तेरी गलती नहीं है। देख हम लोग आज ऑफिस चलते हैं और मैनेजर साहब से बात करते हैं। वे बिल्कुल तेरी सैलरी तुझे देंगे। तू रुक जा मैं 1 मिनट में निखिल को इन्फॉर्म कर देती हूं, कि मैं तेरे साथ ऑफिस जा रही हूं।”

      जैसे ही निखिल का जिक्र होता है, मयूरी हैरानी से कहती है, “ अरे निखिल कहां है? वह तो तेरे पास था ना? तो फिर अब वह कहां पर है?”

      श्रुति ने हंसते हुए मैसेज सेंड किया और मयूरी से कहा निखिल किसी बड़ी कंपनी के सीईओ का मैनेजर है। तो इसके लिए उन्हें ज्यादातर सीईओ के साथ हर काम करना पड़ता है। लेकिन क्योंकि इन दिनों उनके सीईओ छुट्टी पर थे, तो निखिल भी मेरे पास आ गया था। लेकिन आज सुबह इमरजेंसी में निखिल को वापस बुला लिया गया था। अरे उसी को छोड़ने के लिए तो मैं होटल में गई थी। वह वहां पर अपने बॉस के पोते से मिलने गया है। और तुझे पता है क्या? जब मैं निखिल को कुछ लोगों से मिलते हुए देखा, तो मैं थोड़ी हैरान हो जाती हूं।

      क्योंकि वे लोग थोड़े बॉडीगार्ड टाइप के लग रहे थे। काले काले कपड़े पहन रखे थे, उनके कानों में एक ईयरफोन लगा हुआ था और ब्लैक कलर का गॉगल्स लगा रखे थे। इतनी सुबह-सुबह चश्मा लगा कर मुझे तो वे लोग अंधे नजर आ रहे थे। लेकिन निखिल को देख कर सब ने गुड मॉर्निंग कहा। ऐसा लग रहा था जैसे निखिल उन लोगों को बहुत अच्छी तरह से जानता है। और तुझे पता है मयूरी? निखिल का बिहेवियर मेरे साथ जैसा था, उन लोगों के साथ बिल्कुल बदल गया था। वह उनके सामने बहुत अकड़ के बात कर रहा था। ऐसे जैसे किसी बात पर उन्हें डांट रहा हो।”

      मयूरी जब यह सब सुनती है, तो हैरान होते हुए कहती है, “ क्या निखिल इतनी बड़ी कंपनी में काम करता है? हमें तो पता ही नहीं था। उसने कभी बताया ही नहीं था, कि उस की पोजीशन क्या है। और वह कहां पर काम करता है? वैसे निखिल किसके लिए काम करता है?”

    “ उनका नाम विशंभर राणे है। वह शहर के जाने-माने बिजनेसमैन है और दूसरे देशों में भी उनका बहुत बड़ा बिजनेस है। लेकिन अब सुनने में आ रहा है, कि वह अपने बिजनेस से रिटायर होने वाले हैं। और उनकी जगह उनका बिजनेस उनका पोता संभालने वाला है। लेकिन यह सब सिर्फ अफवाहें हैं। ऐसी अफवाहे तो पिछले कई सालों से चलती आ रही है। क्योंकि ना तो आज तक किसी ने उनके पोते को देखा है और ना ही कोई उस के बारे में ठीक से कुछ जानता है।

      और हां तुझे तो एक मजे की बात पता ही नहीं है। हमारी कंपनी भी राणे इंडस्ट्री का हिस्सा बन चुकी है। दरअसल पिछले महीने हमारी कंपनी उनकी कंपनी के साथ मर्जर हो गई है। एक तरह से देखा जाए, तो निखिल और मैं इसी कंपनी के लिए काम करते हैं। है ना?” श्रुति तो यह मजाक में रहते हुए हंस रही थी। जैसे कितनी एंटरटेनमेंट की बात है। लेकिन उस की बात सुन कर मयूरी का चेहरा पूरी तरह से गंभीर हो गया था।

      विशंभर राणे मयूरी इस नाम को सोचने लगती है। क्योंकि शायद यह नाम उसने पहले कहीं भी सुना हुआ है। लेकिन कहां? यह उसे याद नहीं आ रहा है। उसने अपने दिमाग पर जोर डाला और तभी उसे याद आता है, कि उस के पिता इस नाम का जिक्र किया करते थे। विशंभर राणे एक बहुत बड़े बिजनेसमैन हैं। जिनके साथ बिजनेस करना किसी के लिए भी फायदे का सौदा हो सकता है। लेकिन मयूरी के पिता ने कभी भी उनके साथ बिजनेस नहीं किया है।

      यहां तक कि राणे इंडस्ट्रीज के कई बड़े-बड़े प्रोजेक्ट जो उनके सामने आए थे, उन्होंने वे सारे ठुकरा दिए थे। वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्होंने कहा था, कि राणे इंडस्ट्री के साथ काम करना खतरनाक साबित हो सकता है। मयूरी के पिता हमेशा से ही राणे इंडस्ट्रीज के साथ काम करने से दूरी बनाते आए हैं। उनका कहना था, कि उन लोगों की ना तो दुश्मनी अच्छी है और ना ही दोस्ती अच्छी है। इसीलिए उनके साथ दूर रहना ही बेहतर है।

      और विशंभर राणे के लिए तो उनके विचार एकदम से ही अलग थे। उनका कहना था, कि वह आदमी भले ही उम्र से बूढ़ा हो गया हो लेकिन अपने दिमाग से वह अभी भी किसी तेज चीते की तरह सोचता है। और उस के बिजनेस की स्किल इतनी खतरनाक है, कि कोई भी उस की कंपनी को धोखा नहीं दे सकता है। मयूरी के पिता ने कभी भी राणे इंडस्ट्रीज के साथ या विशंभर राणे के साथ कोई भी लेना-देना नहीं रखा था। वे लोग इतने खतरनाक हैं, कि कभी भी किसी कंपनी को बर्बाद कर सकते हैं।

      मयूरी को इतनी गहरी सोच में देख कर श्रुति ने उस के कंधे पर हाथ रखा और उसे हिलाते हुए कहा, “ क्या हुआ? मयूरी क्या सोच रही है?”

      मयूरी जल्दी से ना में सर हिलाते हुए कहती है, “ नहीं कुछ भी नहीं। दरअसल मैं अपने पापा की कही बात याद कर रही थी। उन्होंने राणे इंडस्ट्री के बारे में मुझसे एक बार बहुत अच्छे विचार शेयर किए थे। बस वही बात याद आ गई थी। खैर यह सब छोड़ो और मुझे यह बताओ, अब आगे क्या करना चाहिए। देखो इतना तो है, कि कॉल सेंटर में मुझे अगले महीने से काम नहीं करने दिया जाएगा। इसके लिए मुझे जल्द से जल्द कोई नई नौकरी ढूंढनी होगी। पर एक प्रॉब्लम यह है, कि मेरी ग्रेजुएशन भी कंप्लीट नहीं है। ऐसे में मुझे नौकरी कौन देगा? ऊपर से पापा की कंपनी के ऊपर जो कोर्ट केस चल रहा है, उसको सुनने के बाद तो अच्छी-अच्छी कंपनी मुझे नौकरी नहीं देगी।”

      मयूरी की परेशानी को समझते हुए श्रुति कहती है, “ यार मयूरी तू बोले तो मैं निखिल से इस बारे में बात कर सकती हूं। हो सकता है, वह अपनी कंपनी में तेरे लिए कोई जॉब देख ले।”

      जैसे ही मयूरी राणे इंडस्ट्री का नाम सुनती है, वह जल्दी से अपने दोनों कान पकड़ते हुए कहती है, “ राणे इंडस्ट्री से तो मुझे दूर ही रखियो। मेरे पापा कहा करते थे, ये लोग ऊपर से जैसा दिखाते हैं अंदर से ऐसे हैं नहीं। ये लोग जितना बिजनेस में अपने आप को शरीफ दिखाने की कोशिश करते हैं ना, इनके अंदर उतनी ही रह छुपे हुए हैं। और उनके दूसरे कामों के बारे में तो कुछ लोग जानते भी नहीं हैं। लेकिन मेरे पापा को पता था, कि ये लोग अंदर ही अंदर क्या काम करते हैं। इसीलिए वह कभी भी इनके साथ बिजनेस नहीं करते थे।”

       पर श्रुति ने जल्दी से कहा, “ अरे नहीं यार ऐसा कुछ भी नहीं है। देख मुझे निखिल ने बताया है, कि विशंभर राणे बहुत जल्दी अपनी गद्दी छोड़ने वाला है। और उस की जगह उस का पोता बैठेगा। तो हो सकता है, कि अगर नया सीईओ कंपनी में आएगा तो कुछ नई पोस्ट भी उस के साथ आएगी। तो एक बार कोशिश तो कर, हो सकता है तुझे कॉल सेंटर से अच्छी जॉब मिल जाए, जो तेरे लिए फायदेमंद हो और सैलरी अच्छी होगी तो वकीलों के पैसे दे पाएगी।

      उनकी इतनी सारी कंपनी है। हो सकता है, कि निखिल तेरी जॉब किसी ऐसी जगह लगा दे, जो कि विशंभर राणे या फिर उनके पोते की पहुंच के भी बाहर हो। तू फिक्र क्यों कर रही है? तू रुक जा मैं निखिल से इस बारे में आज बात करती हूं।”

      मयूरी अपने बैग को साइड में पहनते हुए कहती है, “ मुझे फिलहाल इस बारे में कोई बात नहीं करनी है मुझे बहुत कस के नींद आ रही है। पूरी रात उस आदमी को जगाने के चक्कर में मैं खुद भी नहीं सो पाई हूं। और अब मुझे बहुत कस के नींद आ रही है।”

      मयूरी एक तेज अंगड़ाई लेते हुए उबासी लेने लगती है। उसे ऐसा करता देख श्रुति ने हंसते हुए कहा, “ हां ठीक है। सो जाना पहले एक काम कर फ्रेश हो जा। उस के बाद कुछ खा ले। उस के बाद चाहे तो कुछ घंटे सो सकती है।”

      होटल रूम नंबर 1010…

      उस घायल आदमी ने अभी भी अपने आप को जगाए रखने में पूरी हिम्मत रखी हुई थी। उस की आंखें ओझल हो रखी थी। तभी दरवाजा खुलता है और एक साथ चार पांच लोग कमरे में दाखिल होते हैं। एक आदमी उस बेड के पास आता है और झुक कर घायल आदमी को देखते हुए सबको देख कर कहता है, “ जिंदा है। कैप्टन जिंदा है।”

      निखिल सर डॉक्टर को बुलाए क्या? एक बॉडीगार्ड ने कहा। तो निखिल उसे घूर कर देखते हुए कहता है, “ तो अब क्या मुहूर्त निकालने का वेट कर रहे हो? जल्दी से डॉक्टर को इन्फॉर्म करो।”

     सिक्योरिटी हेड ने जल्दी से अपना फोन निकाला और डॉक्टर को इन्फॉर्म कर दिया। कुछ ही देर में वहां पर डॉक्टर आ जाते हैं और घायल व्यक्ति की जांच करने लगते हैं, “ इन पर हमला हुआ है।”

      डॉक्टर ने निखिल को देखते हुए कहा। तो निखिल हैरान हो जाता है और घबराते हुए कहने लगता है, “ कैप्टन पर हमला हुआ है? अगर यह बात बॉस को पता चल गई ना, तो वह तो हम सब की जान ही ले लेंगे। डॉ शर्मा कुछ भी हो जाए। कैप्टन के बारे में किसी को पता नहीं चलना चाहिए, कि उन पर हमला हुआ है। अगर ऐसा हुआ तो प्रॉब्लम हो जाएगी। आप समझ सकते हैं ना? आप तो उनके फैमिली डॉक्टर हैं।”

     डॉ शर्मा ने हां में सर हिलाते हुए स्टेटथस को अपने गले में टांगा और कहा, “ ठीक है मैं इस बात को बाहर नहीं आने दूंगा। लेकिन इनके जख्म बहुत ज्यादा गहरे हैं। इन्हें इमरजेंसी ट्रीटमेंट की जरूरत है। वैसे खून तो रुक गया है और यह अच्छी बात है, कि खून बहना बंद हो गया है। और डेटॉल लगाने की वजह से इन्हें सेप्टिक भी नहीं हुआ है। वरना इन्हें बचा पाना बहुत मुश्किल था।”

     निखिल हैरानी से कहता है, “ खून अपने आप बहना बंद हो गया है? और कप्तान ने अपने आप डेटॉल लगाया है? यह कैसे हो सकता है?”

      डॉ शर्मा ने बेफिक्री के साथ कंधे ऊंचकाते हुए कहा, “ वह तो मुझे पता नहीं। लेकिन जिस तरीके से इन्हें मेडिकल हेल्प दी गई है, वह सच में बहुत अच्छा था। क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता, तो शायद हालात और ज्यादा गंभीर हो सकते थे।”

       उस के बाद डॉ हैरानी से कहते हैं। “ 1 मिनट आपको कैसे पता चला? कि यह घायल है और इस होटल में है।” निखिल जो अपने कप्तान के लिए परेशान था उसने जल्दी से कहा।

      “ मुझे सुबह-सुबह युग सर का मैसेज मिला था, कि कैप्टन घायल हो चुके हैं। कल उन पर किसी ने हमला किया था और यह घायल हालत में ही इस होटल के एक प्राइवेट कमरे में रुके हुए हैं। उन्हें मेडिकल हेल्प की जरूरत है और मैं जल्दी से जल्दी यहां पहुंचूं। इसीलिए मैं यहां पर आ गया हूं। पर यहां आ कर देखा, कि कैप्टन की हालत बहुत ज्यादा खराब है।”

      निखिल की पूरी बात सुन कर डॉक्टर ने पहले तो एक नींद का इंजेक्शन दिया और एंटीसेप्टिक का इंजेक्शन दिया। और उस के बाद कहा, “ युग कहां है? मुझे उससे बात करनी है।”

     “ युग सर तो बड़े सर को लेने के लिए एयरपोर्ट गए हुए हैं। वे लोग थोड़ी ही देर में होटल पहुंच जाएंगे। बड़े सर को जब इस हमले के बारे में पता चला, तो वह जल्द से जल्द यहां आने के लिए निकल जाते हैं। उन्हें कप्तान की फिकर थी।”

     “ कोई फिक्र नहीं है विशंभर राणे को अपने पोते तक्षक राणे की। मैं सालों से इनका फैमिली डॉक्टर रहा हूं। इसलिए अच्छी तरह से जानता हूं, विशंभर राणे के लिए तक्षक राणे सिर्फ उनका उत्तराधिकारी है और माफिया का अगला लीडर है। इसीलिए वह बस इसे जिंदा देखना चाहते हैं।”

     डॉ शर्मा ने निखिल से कहा, तो निखिल अपना चेहरा नीचे करते हुए कहता है, “ इस बारे में तो सब जानते हैं। लेकिन सब इस बारे में बात करने से डरते हैं। क्योंकि बॉस को यह पसंद नहीं आता है, कि कोई उनके पारिवारिक मामलों में अपनी टांग अड़ाए। उनका कैप्टन के साथ जो भी प्रॉब्लम है, वह उनकी पर्सनल प्रॉब्लम है। लेकिन इस बात से भी तो इंकार नहीं किया जा सकता है, कि कैप्टन माफिया के अगले होने वाले किंग हैं।

      तभी गार्डस में हलचल होने लगती है और सारे गार्डस एक तरफ हो कर खड़े हो जाते हैं। वे सीधे तन कर खड़े हो गए थे और अपना चेहरा नीचे झुका लिया था। कमरे का दरवाजा एक बार फिर से खुलता है और इस बार वहां पर एक नौजवान के साथ एक बुजुर्ग आदमी कमरे में दाखिल होता है।

      उस बुजुर्ग आदमी ने सफेद रंग का सूट पहना हुआ था। लेकिन उस के चेहरे पर भयंकर पर्सनालिटी दिख रही थी। उस के सर के बाल सफेद हो गए थे और लंबी दाढ़ी जिसमें सफेद बाल थे।

      ये थे विशंभर राणे। तक्षक के दादाजी। उन्होंने बिना समय बर्बाद किए सीधे कमरे के अंदर अपने कदम बढ़ाए और सीधे बेड के पास चले गए। जहां पर वह तक्षक को औंधे मुंह लेटा हुआ देख रहे थे। और उस की पीठ पर एक बड़ा जख्म का निशान।

     विशंभर रराणे ने डॉक्टर की तरफ देखते हुए सख्ती से कहा, “ जिंदा है या मर गया?”

      डॉ घबराते हुए कहते हैं, “ नहीं वो जिंदा है। लेकिन हालत बहुत ज्यादा खराब है।”

  • 11. His innocent obsession - Chapter 11

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 12. His innocent obsession - Chapter 12

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 13. His innocent obsession - Chapter 13

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 14. His innocent obsession - Chapter 14

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 15. His innocent obsession - Chapter 15

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 16. His innocent obsession - Chapter 16

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 17. His innocent obsession - Chapter 17

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 18. His innocent obsession - Chapter 18

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 19. His innocent obsession - Chapter 19

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 20. His innocent obsession - Chapter 20

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min