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षड्यंत्र या भ्रम

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Neha Diwan natkhat writer

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धर्मपुरा, एक काल्पनिक गाँव, जहाँ 1940 के दशक में समृद्धि और खुशियाँ बसती थीं। राजा-महाराजाओं का शासन था, और राजा धर्मेंद्र प्रताप धर्मपुरा के राज्य पर काबिज थे। राजमहल में कई लोग रहते थे, लेकिन राजा की तीन पत्नियाँ थीं। पहली पत्नी, उनके माता-पिता ने...

Total Chapters (4)

Page 1 of 1

  • 1. षड्यंत्र या भ्रम - Chapter 1

    Words: 2791

    Estimated Reading Time: 17 min

    षड्यंत्र या भ्रम भाग 1





    (यह कहानी काल्पनिक है इसका सत्य से कोई वास्ता नहीं कहानी में दिए गए नाम और जगह काल्पनिक है अगर कोई माध्यम जोड़ता है तो बस वह संजोग से होगा। )

    धर्मपुरा (काल्पनिक नाम) बहुत ही खूबसूरत सा गांव जहां पर सुख समृद्धि और दुनिया की हर खुशी थी।। समय  था 1940 का, जब राजा महाराजा  गांव की और आसपास के सारे क्षेत्र पर राज करते थे।



    धर्मपुरा गांव के राज्य में भी राजा धर्मेंद्र प्रताप काफी समय से राज्य पर बैठे हुए थे राज्य गद्दी उनके हवाले थी राजमहल में बहुत सारे लोग रहते थे लेकिन धर्मेंद्र प्रताप की तीन पत्नियों थी,, सबसे पहले पत्नी उनकी माता-पिता ने उनके लिए चुन्नी थी और उसके बाद दो लड़कियां राजा किसी जंग में जीत लाया था जिनसे उनसे शादी कर ली

    राजा थोड़ा आशिक मिजाज टाइप था गांव की कई लड़कियों पर भी उसका दिल आ जाता और बहुत सारे लोगों से खुश करने के लिए खुद को समर्पित भी कर देते । आज भी राजा अपनी प्रजा के साथ जंगल का दौरा करने निकला था

    शिकार का शौकीन अपनी बड़ी रानी चंद्रलेखा की तरफ देखकर वह कहता है हम कल शाम तक वापस आ जाएंगे बड़ी रानी के पद के कारण चंद्रलेखा हमेशा राजा के हर काम में आगे रहती थी

    बाकी दो रानियां भी बहुत ही जवान थी इसलिए वह हमेशा पीछे ही रहती और उसका एक कारण यह भी था की सबसे तीसरी रानी जो पढ़ी-लिखी शहर की लड़की थी वह यहां घूमने आई और फस गई ,,राजा को वह पसंद आई और राजा ने उसे जबरदस्ती शादी की ।

    अब वह मां बनने वाली है उसका 6 महीना चल रहा था और दूसरी रानी मंदाकिनी बहुत ही चालक किस्म की औरत थी पर वह राजा से नफरत करती थी क्योंकि उसे राजा ने किसी जंग में जीता था और फिर उससे शादी कर उसे अपने महल की एक रानी बनाकर छोड़ दिया

    राजा को उस रानी से दो लड़कियां हुई इसलिए राजा को कभी उसे दोबारा प्यार नहीं हो पाया वह बस जरूरत के व्यक्ति मंदाकिनी के कमरे में जाता लेकिन राजा को सबसे प्रिया रानी थी तीसरी रानी जिसकी उम्र बहुत ही कम थी जो अभी बहुत ही जवान थी शायद राजा की पहली रानी के बच्चों की जितनी।

    राजा को पहले रानी से तीन बच्चे थे एक लड़का और दो लड़कियां और इसीलिए हमेशा इस महल में चंद्रलेखा की ही बात सुनी जाती थी।।

    राजा की तीसरी रानी नीलिमा इतनी खूबसूरत थी कि हर कोई उसका दीवाना हो सकता था पर आज हमेशा उसे छुपा कर रखना शिकार पर जाने से पहले राजा उसके कमरे में जाता है उसकी छोटी रानी खिड़की से बाहर उजाले को देख रही थी और मन में कुछ चल रहा था यह वह समा है जब ना ही मोबाइल थे और ना ही कोई बड़ी चीज

    आज भी घोड़े के साथ ही आगे बढ़ा जाता था राजा को देखकर उसने कुछ भी नहीं कहा राजा नीलिमा की चेहरे को पकड़कर अपनी तरफ करते हुए कहता है तुम्हे अपनी रानी बनाकर लाया हूं जब भी मैं तुम्हारे सामने आऊं तो तुम्हारा सिर झुका होना चाहिए

    नीलिमा की आंखों में आंसू आ गए उसने बहुत ही शांत भाव से कहा मैं तो आपके सामने झुक जाऊंगी पर ऐसा कोई ना कोई जरूर आएगा जो आपको आपके किए की सजा देगा।।  राजा को बहुत गुस्सा आता है वह नीलिमा के चेहरे को गुस्से से पकड़ता है और कहता है तुम्हें मैं अपने घुटनों के बल बिठाकर तुमसे वह सब कराऊंगा जो मैं कराना चाहता हूं


    मैं शिकार पर जा रहा हूं बस यह पूछने आया था कि तुम्हें कुछ चाहिए मां बनने वाली हो कोई अच्छा है तो बताओ  नीलिमा ने कुछ भी नहीं कहा उसके सामने खड़ा राजा उसे कितनी बड़ी उम्र का है और फिर भी उसके साथ कितना गलत करता आयाहै।

    नीलिमा की चुप्पी देख धर्मेंद्र वहां से चला गया था लेकिन आज वह अपनी शिकार पर नहीं बल्कि खुद शिकार होने जा रहा था नीलिमा में आसमान को देखकर बस रोते हुए इतना कह रही थी कि काश कोई ऐसा आ जाए इस इंसान को सबक सीखा पाए इसके घमंड को तोड़ पाए।

    पर नीलिमा को नहीं पता था कि उसकी यह बात सच होने वाली है घोड़े अपनी तेजी से जंगल की और बढ़ रहे थे काफी देर सफर करने के बाद राजा का शाही सवारी एक जगह पर रुक जाती है राजा के विश्राम की जगह तैयार की जा रही थी पर आसपास सब कुछ खूबसूरत था जंगल था

    और बहुत कुछ था लेकिन उनकी नजर बिल्कुल पास पड़े एक झरने पर गई जहां से बहुत हंसने की आवाज आ रही थी राजा का दिल मोहित हो उठा किसी मासूम सी लड़की की हंसने की आवाज थी राजा को अपने रंगीन रातों के सपने आने लगे

    वह उठा और अपने सैनिकों के साथ उसे तरफ बढ़ गया लेकिन फिर एक पल उसने उन सैनिकों को देखकर रोक दिया और फिर वह अकेले ही आगे बढ़ा ,,सामने का नजारा को ज्यादा ही खूबसूरत था कुछ लड़कियां झरने के नीचे नहा रही थी उनके पहने हुए कपड़े उनके जिस्म पर चिपके हुए थे शायद वह किसी समुदाय से थी।

    राजा उने बहुत ही अजीब और गंदी नजरों से देख रहा था कि तभी एक लड़की की नजर वहां पड़ गई उसने अपनी साथ आई लड़की को कहा मयूरी चलो यहां से यहां पर कोई है ,, वह खूबसूरत सी लड़की जो सिर्फ 16 साल की थी वह पलट कर देखती है।

    सामने एक घमंडी राजा दिखाई दिया वह जानती थी कि यह कौन है इसके बारे में उसने सुना हुआ है और देखा है इसका वेहशीपन उसने खुद को ठीक किया और अपने कपड़ों को लपेटे हुए वहां से जानेलगी।

    राजा हंसते कोई आगे बढ़ाकर उसे लड़की का हाथ पकड़ते हुए कहता है हम धरमपुरा के राजा हैं हमें झुककर प्रणाम करना चाहिए हमारे शाही वस्त्र देखकर तुम समझ नहीं पाई लड़की,,



    तुम बहुत खूबसूरत हो तुम किस समुदाय से हो,, हमने तुम्हें कभी गांव में नहीं देखा मयूरी अपना हाथ छुड़ाकर बहुत ही इज्जत से कहती है माफ कीजिए राजा जी हम यहां के कबीले से हैं कबीला सुनकर पता नहीं क्यों पर धर्मेंद्र की आंखों में गुस्सा बढ़ गया था।

    यहां के लोग बहुत ही बदतमीज थे कभी भी उसके सामने झुकते नहीं थे उनका एक अलग ही समाज बना हुआ था पर उसे कबीले की लड़कियां इतनी सुंदर के हैं उसे पता क्योंनहीं।

    राजा ने बहुत ही मुस्कुराहट के साथ कहा तुम हमें अच्छी लग रही हो आज रात तुम्हें हमें खुश करना होगा यह सुनकर मयूरी को बहुत गुस्सा आता है मेमोरी बहुत ही खूबसूरत और बहुत ही गुस्से वाली लड़की थी

    अपने कबीले के राजा की बेटी थी मतलब उसमें भी एक राजकुमारी का घमंड था धर्मपुर उनके क्षेत्र से बाहर था इसलिए वह धर्मेंद्र से नहीं डरती उल्टा से धक्का मारते हुए कहती है अपनी हद में रहे,, मेरे बाबा हमारे कबीले के राजा हैं

    और अगर उन्हें पता चला तो आपको मौत मिलेगीऔर हम किसी और से मोहब्बत करते हैं तो अपनी जिंदगी और अपना प्यार उसी इंसान के हवाले करेंगे।।  इतना कहकर मयूरी अपनी दोस्त के साथ वहां से चली गई पर राजा की आंखों में गुसा भर गई।


    राजा को कोई कैसे मना कर सकता था राजा ने अपनी सैनिकों से कबीले में कुछ तोहफे भेजने  को कहा और मयूरी को रात अपने पास गुजारने के लिए कहा जैसे ही यह बात काबिले के लोगों को और कबीले के राजा को पता चली उसने सारे तोहफे वापस करते हुए खून से भरा एक पत्र भेज दिया जिसमें लिखा था कि अपनी मौत प्यारी है तो यहां आना वरना यहां से दूर रहना।

    कबीला बहुत बड़ा था और बहुत ही सुरक्षित था राजा आप गुस्से से पागल हो चुका था वह सिर्फ एक दिन के लिए शिकार पर गया था लेकिन अब वह वहां पर रुक गया कबीले के बारे में हर चीज पता करनी शुरू की।

    काबिले में से लोगों को हर खरीदने की कोशिश की पर हर कोई बहुत ही ज्यादा ईमानदार था बहुत मेहनत के बाद 15 दिन बाद उन्हें जाकर पता चला कि आज मयूरी की शादी है कबीले की सेनापति से और वह अगला राजा बनेगा

    मयूरी अब धर्मेंद्र की ख्वाहिश नहीं बल्कि उसकी जिद बन गई थी उसने अपनी पूरी सेना को बुला लिया था ताकि वह काबिले पर कब्जा कर सके और मयूरी को उठाकर ले आए बस उसे पाना था और अपनी पैरों के नीचे रौंद देना था।

    राजा बिना सोचे समझे ही अगले दिन सुबह कबीले में अपने सैनिकों के साथ घुसने की तैयारी कर रहा था तो वही कबीले में बहुत खूबसूरती से आज कबीला सजाया गया था मयूरी की शादी थी

    जिससे वह प्यार करती थी कबीले के सेनापति से कबीले में हर चीज बहुत खूबसूरती से हो रही थी शादी की सारी तैयारियां, एक कमरे में काम मयूरी तैयार होते हुए हंस रही थी कि उसकी सारी सहेलियों से छेड़ रही थी वह लोग जंगल के बीच में रहते थे यह जंगल उनके घर था मयूरी के पिता भावुक थे उसकी मां नहीं थी

    उन्होंने अकेले ही इसे पाला था भले ही उनकी बेटी उनके पास रहेगी लेकिन फिर भी वह थोड़े उदास थे शादी के उत्सव में सब लोग अपने हथियारों को खुद से दूर कर देते हैं वह हथियार जिन पर जहर लगा होता है पता नहीं था कि आज यहां पर मौत का तांडव होने वाला था

    मयूरी काफी खुश थी वह बहुत सुंदर लग रही थी 15 दिन हुए पहले उसे हादसे को वह भूल गई थी कि उसने उसे राजा को जलील किया था ।।सब काफी बेहतर था रस्मों के साथ वह लोग शादी की तैयारी कर रहे थे मयूरी और उसका प्रेमी विशाख दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे

    मयूरी ने अपने बालों में एक बहुत ही खूबसूरत सा क्लिप लगाया था जो लकड़ी का था लेकिन बहुत खूबसूरत था यह रिवाज था इस क्लिप को शादी के बाद मयूरी का पति ही निकालेगा  वह काफी खुश थी दोनों अभी एक दूसरे को हार पहनाने ही वाले थे कि एकदम से कबीले पर हमला हो गया तीरों से सब को मारना शुरू कर दिया

    जंगल में छुपे सैनिक एकदम से पता नहीं कहां पर से आ गए घोड़े पर बैठकर उनके पास हथियार थे और वह कबीले के हर इंसान को मारने लगे यह इतनी जल्दी हुआ कि कबीले के लोगों को समझ नहीं और संभालने का मौका नहीं मिला

    उन लोगों ने किसी बूढ़े या किसी बच्चे को भी नहीं छोड़ा जब तक वह समझ पाते तब तक पूरे कबीले को आग लगा दी गई थी एकदम से चीखे शुरू हो गई मयूरी अपने सामने खड़े उसे लड़के को देख रही थी जिसके पीठ में बहुत सारे तीर लगा चुके थे और उसके मुंह से खून निकल रहा था

    उसकी आंखों के सामने उसका प्रेमी मार रहा था वह बिल्कुल सुन हो गई थी उसकी सहेली जमीन पर थी उसके पिता जो पीछे खड़े थे वह मर चुके थे यह इतनी जल्दी हुआ कि कोई समझ नहीं पाया शायद उन लोगों ने पूरे कबीले को घेरा हुआ था कोई पेड़ पर बैठा था तो कोई छुप कर।

    यह बहुत ही दयनीय था और बहुत ही डरावना जब तक मयूरी समझ पाती  की उसे सिर्फ हंसने की आवाज समझ आई किसी ने उसे बाजू पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया उसने अपनी भरी हुई आंखों से देखा तो सामने वही राजा था जिसे उसने जलील किया था

    राजा ने बहुत ही अहंकार के साथ कहा तुम्हें पाना था पूरे कबीले को मारना पढ़ा ,पर मुझे जरा सा दुख नहीं क्योंकि अब तुम मेरे पैरों के तले भी खुद को पाने के काबिल नहीं हो समझी।

    मयूरी कुछ समझ नहीं पाई उसकी मोहब्बत मर चुकी थी वह भी बचपन की उसका सपना था शादी करने का राजा ने अपनी हवस में पूरे कबीले को मार दिया 200 से भी ज्यादा लोग मरे थे पूरी आग में चीखों की आवाज गूंज रही थी।


    और यह सामने खड़ा राजा घमंड से अभी भी मुस्कुरा रहा था मयूरी ने अपने बालों में लगा लकड़ी का किल्प निकाला और एकदम से राजा के दिल में खोप दिया इसके लिए राजा तैयार नहीं था जितना उसे पता था कि सबके पास हथियार नहीं होंगे

    इस लड़की के पास हथियार था और उसमें जहर भी था राजा दो कदम पीछे हो गया मयूरी की आंखों में लावा उभर रहा था उस मंडप की आग में एकदम से खड़ी हो जाती है और फिर वह गुस्से से कहती है तुमने सब खत्म कर दिया,, तुमने मुझसे मेरी मोहब्बत छीन ली।।




    तो मैं तुमसे तुम्हारा सब कुछ छीन लूंगी मैं  जलती हुई अग्नि को साक्षी मानकर वचन देती हूं तुम्हें और तुम्हारे वंश का कोई आदमी नहीं बचेगा,, राजा को कुछ समझ नहीं आया उसके सैनिक उसे संभालने की कोशिश कर रहे थे वह किल्प निकाल दिया गया था।।

    सब लोग डरते हुए उसे लड़की को देख रहे थे वह आग में जल रही थी लेकिन फिर भी उसके शब्द इतने कड़वे थे वह दर्द से चीख नहीं रही थी ।।शायद उसे जलन महसूस ना हो रही हो सामने का नजारा बहुत डरावना था



    उस लड़की की बॉडी जल रही थी उसकी चीख राजा के कानों में दर्द भर रही थी वह बार-बार कह रही थी तुम्हारा वंश खत्म हो जाएगा,, मैं तुम्हारे महल में तबाही मचा दूंगी ।

    आज से तुम्हारा गांव सिर्फ दर्द में ही रहेगा राजा के कहने पर उन लोगों ने कबीले में आग लगाई थी कबीला पूरी तरह जल गया और उसके साथ वह जंगल भी।। राजा बेहोश हो गया इसलिए उसके सैनिक उस महल वापस ले आए ,,वेद जी ने बताया कि जहर पूरी बॉडी में फैल गया है ज्यादा से ज्यादा एक या दो दिन ही निकल सकते हैं।

    हर कोई हैरान था 15 दिनों से राजा महल में नहीं आया था उस जंगल में था जब आया तो इस साल में मृत्यु के किनारे ,,बार-बार पूछने पर सेनापति ने सब कुछ बताया और वह इतना बड़ा था कि कोई सोच भी नहीं सकता था ।।नीलिमा को जब पता चला कि राजा मृत्यु के मौत पर खड़ा है तो उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं आए शायद उसके कहे शब्द सच हो गए थे

    उधर मयूरी की मौत के बाद पूरा जंगल जल के राख हो गया था एक भी इंसान नहीं बचा था कोई नहीं जानता था कि उसे जंगल में क्या हुआ वह आग बहुत भयानक थी लेकिन उस रात के बाद उसे जंगल में से शोर की आवाज हर रात आने लगी थी।


    अगले दिन राजा सुबह नहीं देख पाया उसकी मौत हो गई इसीलिए पहले रानी के बेटे को जो अभी 21 साल का था उसका राज तिलक कर दिया गया और उसे राजा की कुर्सी पर बैठा दिया गया पूरा गांव पूरा क्षेत्र शोग में डूब गया था ।

    कोई नहीं जानता था कि अब आने वाले वक्त में क्या होगा सब लोग नहीं जानते थे कि यह नया राजा कैसा होगा अभी राजा की चिता शायद ठंडी नहीं हुई थी की रात को फिर से एक मौत का तांडव हुआ।

    पहली रानी अपने बेटे के कमरे में उसके लिए खाना लेकर गई थी लेकिन सामने का नजारा काफी डरावना था उनका बेटा वहां पर जमीन पर खून से भरा पड़ा था ।।उसका सिर और धड़ से अलग था ।

    और कोई नहीं जानता था कि यह षड्यंत्र था या फिर भ्रम था लेकिन सब ने कहा कि यह मयूरी ने किया है क्योंकि सेना में से एक आदमी ने गांव में सब कुछ बता दिया और सब लोग डरने लगे उसे जंगल से और उसे महलसे।

    अपने बेटे की मौत के बाद बड़ी रानी बुरी तरह पागल हो गई वह इस हद तक पागल हो गई कि उसे होश नहीं था छोटी रानी के पास तो पहले ही बेटा नहीं था और सब की उम्मीद है अब तीसरी रानी पर थी लेकिन तीसरी रानी ने छुपके-छुपाते अपनी एक दासी की मदद से अपने पिता को एक पत्र लिख दिया था

    उसके पिता शहर में थी और एक बिजनेसमैन थे जो अपनी बेटी को इस नर्क से ले जाने के लिए आ गए बहुत कुछ हुआ लेकिन उन्होंने बड़े अधिकारियों की मदद से नीलिमा को इस महल से बाहर निकाल लिया और प्रेगनेंसी की हालत में ही उसे ले गए।

    लेकिन जाते वक्त नीलिमा एक काम कर गई गांव जंगल और महल को पंडित जी के साथ मिलकर शुद्ध धागों के साथ बांध गई क्योंकि अगर उसे मयूरी के कहे शब्द सत्य थे तो फिर उसके बच्चे पर भी खतरा आएगा।।


    फेंटेसी थ्रिलर और हॉरर सब कांबिनेशन एक स्टोरी में, एक कहानी की मयूरी और इस कहानी का राजा इनकी दुश्मनी से यह कहानी शुरू हुई है अंत के साथ आरंभ होगा।।

    अब आपको धीरे-धीरे पता चल ही जाएगा कि कौन लौट कर आएगा और कौन बदला लेने के लिए किस हद तक जाएगा।। सपोर्ट जरूर करिएगा पहली बार ऐसा कुछ लिखने का सोच रही हूं।।

  • 2. षड्यंत्र या भ्रम - Chapter 2

    Words: 1683

    Estimated Reading Time: 11 min

    21वीं सदी।।

    धर्मपुरा गांव

    गांव के बीच बने पुराने घर और उन्हें एक बुढी सी अम्मा,, एक लड़की अम्मा को आवाज देते हुए कहती है अम्मा ओ री अम्मा कहां छुप जाती हो तुम इस झोपड़ी में ,,इतनी बड़ी तो है भी नहीं, जरा बाहर तो आओ।।

    देखो यह अंग्रेज बाबू शहर से आए हैं वही पुराने महल के बारे में जानकारी लेने के लिए,, कह रहे हैं किसी अखबार में छापनी है इनको अब तुमको अगर पता है तो बता दो मैं तो चली मेरे कितने काम पड़े हैं

    एक बुजुर्ग सी अम्मा उस कमरे से बाहर निकली वह झोपड़ी गांव के बीचों बीच बनी हुई थी वह बाहर निकली तो वह अंग्रेज हाथ जोड़कर कहता है ,,उसे हिंदी आती थी तो उसने हिंदी में ही कहा नमस्ते,, मेरा नाम जोनस है मुझे थोड़ी सी इनफार्मेशन चाहिए थी क्या आप मुझे दे सकतीहैं।।वह लड़की बता रही थी  उस महल के बारे में यहां पर सिर्फ पुराने लोगों को पता है।।

    मैं जानना चाहता हूं वह महल इतना खूबसूरत है पर वह बंद पड़ा है,,  इतने सालों से ,, हमारे लोग वहां पर एक होटल बनाना चाहते हैं तो क्या थोड़ी इनफार्मेशन मिल सकती है मैं इसके बदले आपको पैसे दे सकता हूं जितने आपचाहे।

    वह अम्मा हंसते हुए कहती है अरे अंग्रेज बाबू तुम्हारे पैसों का मैं करूंगी क्या वैसे भी मेरी उम्र कितनी है आज रहूं या कल मुझे पता नहीं,, पैर तो मेरे कब्रिस्तान में ही पड़े हैं।।  बताओ तुम्हें क्या जानना है वैसे भी हर बार कोई ना कोई आता है और वही बात दोबारा पूछता है,

    उसे अम्मा ने एक पुरानी सी टूटी हुई कुर्सी बाहर रख दी और वह अंग्रेज इस पर बैठ गया उसके हाथ में मोबाइल था जिस पर वह रिकॉर्डिंग कर रहा था वह बुद्धि अम्मा पूछना तो चाहती थी कि वह क्या कर रहा है क्योंकि उसने मोबाइल पहले नहीं देखा था इससे पहले जो भी लोग पूछने के लिए आते थे वह कागज पेंसिल या बड़ा सा कैमरा लेकर आते थे ,, पर फिर भी उसने बताना शुरू किया।

    तीसरी रानी के जाने के कुछ दिन बाद ही पहले रानी अपनी दोनों बेटियों के साथ कहीं गायब हो गई थी।। और दूसरी रानी ने महल पर कब्जा करने के लिए अपने आदमियों को कह दिया था।

    पर उसे महल का आधा हिस्सा मंत्र उच्चारण से बंधा हुआ था,,  इसलिए दूसरी रानी को सिर्फ और सिर्फ आधा महल मिल पाया बाकी का महल बंद था ।। गांव के लोगों ने बड़ी रानी को ढूंढने की बहुत कोशिश की थी पर चंद्रलेखा रानी का कुछ पता ही ना चला।

    उधर से जंगल की राख उड़ कर गांव में आ रही थी समुदायों जलकर खत्म हो गया था लेकिन वहां की कहानी सच होती जा रही थी जंगल में कोई पशु या पंछी नहीं बचा था सिवाय डर के ,,वहां पर कुछ भी नहीं ।।

    हम जैसे गरीब वहां पर जो चीज लेने जाते थे वह भी बंद हो गई थी,, राजा मर गया था तो गांव की इज्जत और गांव की जिम्मेदारियां कोई मायने नहीं रखती थी।।  दूसरी रानी सिर्फ जुल्म करती थी और राजा का सारा गुस्सा जनता पर उतार देती,, वक्त के साथ दूसरी रानी बूढी हो गई उसकी दोनों बेटियां विदेश चली गई पढ़ने और फिर वह कभी वापस ना आए।

    उधर पहले रानी की दोनों बेटियों का क्या हुआ किसी को पता नहीं है लेकिन हर बार जब भी कोई जंगल में जाता तो उसकी लाश ही मिलती कोई नहीं जानता था कि क्या मयूरी की बात सच थी,, क्या वह अपना बदला लेने के लिए गांव पर भी जुल्म ढा रही थी पर हमेशा रात को वहां से गाने की आवाज जरूर आया करती और उसमें दर्द के साथ तकलीफ और बदला लेने की भावना जरूरहोती।

    इतने साल बीत गए और महल का एक हिस्सा आज भी बंद है जहां पर राजा रहता था सुना है बड़ी रानी कहीं जंगल में ही मर गई होगी ,,क्योंकि वह डर गई थी और पागल हो गई थी और अपनी बेटियों को बचाने के लिए लेकर भागी थी ।

    और जो तीसरी रानी मंदाकिनी थी उसने किसी बेटे को जन्म दिया था लेकिन वह कभी इंडिया नहीं आई सुना है अब वह विदेश में ही रहती है इससे ज्यादा तो मुझे ना पता है अंग्रेज बाबू।

    जोनस ने अपना फोन बंद करते हुए कहा इतनी की इनफार्मेशन मुझे पहले भी मिल चुकी है इससे ज्यादा की इनफार्मेशन चाहिए मुझे वह महल खरीदना है मेरे बॉस को खरीदना है क्या आप बता सकती हैं की तीसरी रानी या दूसरी रानी के बच्चों के कोई इनफॉरमेशन हो।

    तो बूढी औरत ने कहा देखो भाई हम तो गरीब से लोग हैं इस गांव में जरा भी तरक्की ना हुई है जब से मयूरी की मौत हुई है इस गांव में एक एट पत्थर भी ना लग पाया।।

    तो महल में होटल बनाने का तो सवाल ही पैदा ना हो गई तुम घूम कर देख लो तुम्हें पक्की सड़क ना मिल पाएगी इस गांव में आज भी लोग पुरानी जिंदगी को जीते हैं क्योंकि वह मयूरी यहां कुछ नया आने ही नहीं देती जोनस हंसने लगा उसे इन सब चीजों में कोई भरोसा नहीं था।

    यह कहानी 1940 में शुरू हुई थी जब धर्मपुरा गांव के राजा की मौत हो गई थी ,,और पूरा जंगल जला दिया गया था अब वह उसे जमाने के जितने भी लोग थे या तो मर चुके थे या फिर वह कहानी बन गए थे

    लेकिन बूढी औरत ने जोनस को एक पता बता दिया था पास वाले गांव के सरपंच का पता ,,क्योंकि इस समय उस गांव का जो सरपंच था वह उसे समय के सेनापति का पोता था तो पक्का उसके पास कोई ना कोई नॉलेज तोहोती।

    जब वह सेनापति मरा तो उसके बेटे को उसने काफी कुछ बताया था और उन्होंने उसे गांव को और उसे जंगल को बांध दिया था और वहां जाने के हर रास्ते को बंद कर दिया गया था बहुत ऐसी चीज थी जिन्हें छुपाया गया था, और तो और इकलौता पुल था वह भी तोड़ दिया गया था ताकि कोई उस पर कोई ना जा सके, क्योंकि जब भी कोई जाता तो वह मारकर ही वापसआता। अब जंगल में जाने का सिर्फ जंगली रास्ता था जहां से जाने की लोगों की हिम्मत ही नहीं थी

    जोनस अपनी जीप में आकर बैठ गया और अपने ड्राइवर से कहा पास वाले गांव चलो ड्राइवर ने कुछ भी नहीं कहा वह काफी खामोश नजर आ रहा था जोन्स के जाते ही वह अम्मा गुस्से से कहती है अपनी जान प्यारी नहीं है ऐसे,, खुद ही मरने के लिए आ गया है और वह अंदर की ओर चलीगई।

    जैसे-जैसे गाड़ी आगे बढ़ रही थी रास्ता खूबसूरती के साथ डरावना हो रहा था वहां की शांति इतनी थी कि आपको पत्तों की सरसराहट भी सुनाई दे जाए।।



    जोनास को किसी भी तरह उसे महल को खरीदना है अपने बॉस के लिए और उसे नहीं पता कि उसके बॉस को इस महल में क्या इंटरेस्ट है यह शहर से कम से कम 100 किलोमीटर दूर है ।

    और उस महल में ऐसा क्या खजाना है कि उसका बस पागल हो चुका है वह 3 सालों में चौथी बार वापस आया है सिर्फ इस महल की इनफार्मेशन ढूंढने और अब तक यहां का एक भी वारिस उसे नहीं मिला।

    तो वहीं दूसरी तरफ लंदन में,,

    बहुत ही खूबसूरत और जवान सा एक लड़का अपनी जिम में पसीना बहा रहा था आसपास जितनी भी टीम खड़ी थी बस उसे देखे जा रही थी ऐसा लग रहा था जैसे कि वह दुनिया का सबसे हसीन आदमी हो

    लड़कियां तो मोहित हो रही थी तभी एक लड़की जो इस घर में काम करती है वह धीरे से कहती है पिछले 9 साल से यहां हूं पर सर तो कभी देखते ही नहीं है मुझे यकीन नहीं होता कि ने लड़कों में इंटरेस्टहै।

    तभी दूसरी लेडी रहती है ऐसा बिल्कुल नहीं है उन्हें लड़कियां ही पसंद है हम जैसी लड़कियां नहीं अमीर घरों की लड़कियां हर रोज तो अखबार में उनके किस्से छपे होते हैं वह इस दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं और तुम सोच रही हो कि वह हम जैसी कामवालियों पर ध्यान देंगे।

    तभी एक लड़का उन्हें डांटते हुए कहता है तुम लोग यहां क्या कर रही हो बॉस को ताड़ रही हो चलो यहां से जो बाकी का काम निपटाओ और वह लड़का चलकर अंदर आते हुए कहता है मिस्टर हर्षवर्धन 11:00 बजे आपकी मीटिंग है।।

    यह हमारी कहानी का हीरो हर्षवर्धन,, हर्षवर्धन चौहान धर्मपुर राजा का इकलौता वारिस ,,जो अभी भी अपनी प्रॉपर्टी और अपने नाम से दूर है मंदाकिनी का पर पोता।

    मंदाकिनी हमेशा के लिए लंदन आ गई थी अपने पिता की मदद से यहां कर उसने एक बेटे को जन्म दिया और हमेशा उसने उसे बेटे को उसे महल और उन लोगों से दूर रखा और फिर मंदाकिनी के बेटे महावीर ने यही लंदन में शादी कर ली

    और अपनी मां के कहने पर वह कभी इंडिया भी नहीं गए लेकिन 11 साल पहले मंदाकिनी इस दुनिया से चली गई थी लेकिन अपने बेटे को हर राज बता गई थी वह हर चीज जो वह उनसे छुपा कर रखी हुई थी।

    और मंदाकिनी का बेटा महावीर और उसकी बहू मोहिनी का सबसे बड़ा बेटा और चौहान खानदान का राजा हर्षवर्धन चौहान ,,आज भी अपने महल के किस्सों से वाकिफ नहीं था

    क्योंकि उसकी मां और पिता ने उसे इन सब चीजों से दूर रखा था और वह मंदाकिनी की हर बात पर यकीन करते थे वह जानते थे वह कभी झूठ नहीं बोल सकती वह अपने अंत के समय में उन्हें सब कुछ बता कर गई थी।

    महावीर जी ने अपनी बिजनेस को लंदन में सेट कर लिया था और अब उनका बेटा जो अब 32 साल का है वह सारा बिजनेस संभाल रहा है और बहुत कुछ था उसकी आंखों में वह आम बच्चों की तरह नहीं था वह एक अलग एनर्जी और ऊर्जा लेकर पैदा हुआ था जिसके बारे में किसी को पता ही नहीं था।।

    आगे क्या होगा यह कहानी  सस्पेंस और थ्रिलर बेस्ड है जहां तक मुझे लगता है आप लोगों को यह अच्छी लगेगी अगर पसंद आए तो प्यार जरूर दीजिएगा यह मैंने बहुत दिल से लिखीहै।।

  • 3. षड्यंत्र या भ्रम - Chapter 3

    Words: 1910

    Estimated Reading Time: 12 min

    मयूरी आज भी है इन हवाओं में,,

    जोनस की गाड़ी जंगल के बीचो-बीच से ही गुजर रही थी पर यह वह जंगल नहीं था जहां मयूरी को जलाया गया था यह वह समुदाय का जंगल नहीं था बल्कि यह दूसरी जंगल की दिशा थी पर फिर भी इतना डरावना माहौल था अंधेरा हो गया था

    गाड़ी की रोशनी के अलावा कुछ भी नहीं था चांद के बीच-बीच कभी-कभी बादल आ जाते ड्राइवर ने अपनी माथे पर पसीने को साफ करते हुए कहा क्या हम सुबह नहीं जा सकते दूसरा गांव काफी दूर है पर वह कहने के लिए हीपास है

    असल में वहां पर कोई पक्की सड़क नहीं थी इसलिए गाड़ियां आराम से जा नहीं पा रही थी,, जोनस जो आंखें बंद किए हुए,,  बाहर की और था वह अपनी आंखें खोल कर कहता है कितना समय लगेगा अगर मैं जिंदा वापस जाना चाहता हूं तो मुझे उस महल के बारे में इनफार्मेशन चाहिए वरना मेरा बॉस मुझे मार देगा और मैं तुम्हें ,,वह मयूरी हमें मारे ना मारे लेकिन मेरा बाॅस पक्का मार देगा वह आज का राक्षस है।

    ड्राइवर में सोचा उसने बहुत बड़ी गलती की इस आदमी का ड्राइवर बनाकर उसे बस पैसे चाहिए वह ऐसे गांव में क्यों ही आ गया वैसे तो वह शहर का है लेकिन पुरानी बातें सुन सुनकर उसका दिमाग खराब हो गया था जानवरों की आवाजों के साथ जंगल भरा हुआ था वह सोच रहा था यह सब डरावना माहौल उसे क्यों मिल रहा है।।

    वह लोग शाम को चले थे और कुछ मील का सफर भी उन्हें इतने घंटे में पार करना पड़ रहा था और यह सिर्फ इसलिए क्योंकि सड़क नहींथी उसने सोचा आज भी इस गांव के लोग पता नहीं कैसे अपनी जिंदगी को जी रहे हैं वह भी इतने पुराने से ख्यालों के साथ ।।

    जब वह दूसरे गांव पहुंचा तो वहां पर काफी डेवलपमेंट हो चुकी थी वहां पर पक्की सड़क थी लाइट लगी हुई थी बैठने का इंतजाम था और एक धर्मशाला भी थी उसने सांस ली कि वह लोग जिंदा बच गए हैं सबसे पहले उन्होंने सरपंच के घर का पता निकाला

    और वहां गए घर बंद था आज पड़ोस के लोग जो वहां पर थे उन्होंने बताया कि सरपंच तो अपनी पूरे परिवार के साथ किसी काम के लिए शहर गया हुआ है और 2 दिन से पहले वापस नहीं आएगा जोन्स का दिमाग खराब हो रहा था,, दो दिन यहां पर इंतजार नहीं कर सकता था पर बिना सरपंच के मिले बिना भी नहीं जा सकता था इसलिए धर्मशाला में रहने का ख्याल उसे सही लगताहै।।

    वही इस वक्तलंदन में

    चौहान मेंशन,,

    एक खूबसूरत सी औरत डाइनिंग टेबल पर खाना लगाते हुए हंसते हुए कहती है महावीर जी आपका लंच कब से लग चुका है पता नहीं आप कौन सी दुनिया में रहते हैं तो महावीर जी हंसते हुए कहते हैं मोहिनी जी हम तो आपके ख्यालों में रहते हैं ,,तो मोहिनी जी हंसते हुए कहती है आपको शर्म आनी चाहिए 32 साल का बेटा हो गया है आपका उसकी शादी की उम्र है और आपको रोमांस सुझ रहा है।

    सच कहूं तो मुझे उसकी चिंता होती है वह इस दुनिया से अलग रहता है बचपन से ही हमने उसे कभी भी इंडिया भी नहीं जाने दिया वह हम सबसे दूर-दूर रहता है अपने भाई बहनों से भी ज्यादा बात नहीं करता तो महावीर जी कहते हैं तुम क्यों चिंता करती हो मोहिनी वह आम बच्चों की तरह नहीं है,, वह आम लोगों की तरह पैदा नहीं हुआ है

    उसके पास जादुई शक्तियां है बस उसका इस्तेमाल करने के लिए उसे इंडिया जाना चाहिए पर जो मैं करना नहीं चाहता मां जब सब कुछ बात कर गई तो मुझे विश्वास नहीं हुआ लेकिन जब मैंने पता लगाया तो वह सच निकला तुमने तो मां की बातों को मान लिया था

    पर मुझे 10% झूठ लग रहा था हो सकता है यह कहानी हो लेकिन अब मैं जानता हूं मेरी मां सच कह कर गई थी उन्होंने बर्दाश्त किया था मुझ में किसी राजा का खून है यह सोचकर भी मुझे शर्म आती है।।  एक ऐसे राजा जो वेहशी था जो मेरी मां के साथ भी गलत करता था। वैसे मैंने तुम्हें बताया नहीं वह मिस्टर सलूजा अपनी बेटी का रिश्ता दो बार भेज चुके हैं पर तुम्हारे लाड साहब मना कर देते हैं।

    मुझे तो समझ नहीं आता हर्षवर्धन को कौन सी लड़की पसंद आएगी ,,उसे लड़कियां पसंद भी है कि नहीं बस मीडिया के लिए ही वह यह दिखावा करता है।। तभी सीडीओ से आती हो एक लड़की हंसते हुए कहती है डैड भाई को लड़कियां ही पसंद है बस उन्हें कोई उनके टाइप की लड़की नहीं मिल रही

    उन्हें यह चालू लड़कियां पसंद नहीं है मुझे लगता है उन्हें कैसी लड़की चाहिए जो उनके पैसे से नहीं उन्हें प्यार करें और वैसे भी 32 साल कोई ज्यादा ही उम्र तो नहीं होती आपने जब शादी की थी तो आप 35 साल के थे,, तो मोहिनी जी कहती है लेकिन तुम्हारे डैड ने और मैंने सगाई तो बहुत पहले कर ली थी और तुम क्या कहना चाहती हो कि उसे भी 35 साल तक कुंवारा बैठना चाहिए।

    यह चौहान खानदान की लाडली और इकलौती बेटी रिहाना चौहान।। रिहाना एक नंबर की लड़ाकू और खडूस किस्म की लड़की है पैसे का घमंड है पर लोगों की इज्जत करना भी आता है बस जो लोग अपने आप को ज्यादा समझते हैं उनकी यह इज्जत उतार देतीहै।

    बस एक ही चीज की कमी है गुस्सा बहुत जल्दी आता है और किसी को मारने से पहले सोचती नहीं है क्योंकि पता है पीछे भाई खड़ाहै।। चौहान नाम ही इतना डरावना बन चुका था यहां पर।। रिहाना भी बिजनेस में काफी कुछ कर रही है और आजकल यह सब इंडिया में बिजनेस प्लान कर रहे हैं और इसके बारे में इन्होंने अपने डैड को और मोम को नहीं बताया रिहाना ने अपने भाई को प्रॉमिस किया था कि वह इसका जिक्र किसी से नहीं करेंगे।।

    उधर दूसरी तरफ समुदाय के जंगलमें,

    एक खूबसूरत सी मूर्ति जो काफी पुरानी लग रही है एक आदमी उसकी आरती करते हुए कुछ गुनगुना रहा था उसके पास एक 15 साल की लड़की खड़ी थी जो पूछता है बाबा हम यहां क्यों आते हैं हर साल यहां पर कोई नहीं आता सब कहते हैं मयूरी है वह मार देगी हमें तो,,  वह आदमी हंसते हुए कहता है वह हमें नहीं मारेगी हम उसके समुदाय से हैं

    और तुम उसके समुदाय से हो उस दिन हम बच गए थे तो हमारा फर्ज है अपने मंदिर में पूजा करने का लोग नहीं जानते हम बचे हैं हमने अपना कर्तव्य निभाना ही होगा मुझे नहीं पता कि क्या हुआ है बहुत साल बीत गए हैं मेरे बाबा बताते थे कि वह अपने दर्द और बदले के लिए वापस आएगी।।

    लेकिन इस मूर्ति की रक्षा करना हमारा फर्ज है अच्छा है जंगल में कोई नहीं आता तो कोई जान नहीं पाएगा हम पूजा के लिए आते हैं आज तुम नहीं गाने वाली कुछ,, आज तो तुम्हारी दीदी भी नहीं आईहै।

    उस लड़की ने हंसते हुए कहा मैं क्या गुनगुनाऊं मेरी आवाज तो इतनी अच्छी नहीं है लेकिन दीदी की आवाज बहुत अच्छी है उनकी आवाज कानों को सुकून भरा जाती है अब चले,, रात बहुत हो गई है वैसे दिन में पूजा करते हैं सारे मंदिरों में हम आधी रात को आतेहैं।।

    वह आदमी हंसते हुए कहता है मेरी शैतान बेटी वह इसलिए ताकि कोई हमें देख ना सके आप चलो और जंगल से क्या डरना यह हमारे अपने लोगों का जंगल है जिन्हें उस राजा ने नष्ट कर दिया था।

    मैं पिछले 45 साल से यहां आता हूं जब मैं सिर्फ दो साल का था तो अपने बाबा के साथ आता था और तब से कभी भी मुझे नहीं लगा कि मयूरी का डर मुझे है वह बुरे लोगों को नुकसान पहुंचती है ना कि अच्छे लोगों को।।

    चलिए आपको मिलवा देती हूं यह लोग कौन है,, अमरचंद उम्र यही कोई 45 के आसपास होगी शायद थोड़ी ज्यादा यह समुदाय के आखिरी कुछ बचे हुए लोगों में से जो विवाह में शामिल होने के लिए नहीं आए थे असल में जब जंगल में आग लगाई गई तो कुछ लोग उसे वक्त कुछ रस्मों का इंतजाम करने के लिए गए हुए थे

    और यही गलती राजा से हुई उसे समुदाय के रस्मों रिवाज का पता नहीं था कुछ 20 से ज्यादा लोग बच गए थे और वह छुप गए थे जंगल को बचाने की आखिरी कोशिश उन्होंने की थी लेकिन हो नहीं पाया था और दूसरे गांव में जाकर बस गए अलग नाम और अलग दुनियामें।।

    लेकिन बहुत सारे लोग थे जो मंदिर में आरती के लिए आते उनका अपना एक पूजा अर्चना का समय होता था लेकिन कुछ लोग मयूरी के डर से नहीं आते,, पर अमरचंद की जी के पिता और उनके दादाजी आते थे और अब अमरचंद जी आ रहे थे अपनी बेटियों को लेकर वह भी रोज हर रात।

    अमरचंद जी की छोटी बेटी जो सिर्फ 15 साल की थी, भाग्य हंसते हुए कहती है बाबा दीदी को लेकर आया करो वह इतना गुनगुनाती है कि जंगल डरावना नहीं लगता।। तो उन्होंने हंसते हुए कहते हैं अच्छा ठीक है तुम्हारी दीदी को लेकर आया करूंगा वह अंबिका को बुखार है इसलिए नहीं लाया मैंउसे।

    तभी भाग्य फिर से कहती है अंबिका दीदी तो शुरू से आती है ना यहां, तो अमर चंद जी दोबारा से कहते हैं हां हां तुम्हारी दीदी शुरू से आती है जब वह पैदा हुई थी तभी से लेकर आता हूं वह कभी नहीं डरती है इस जंगल से उसे बहुत प्यार है

    और फिर वह मन में सोचने लगे कि उसका तो जन्मी यहां हुआ था उन्हें याद है जब उनकी पत्नी को दर्द शुरू हुआ तो उन्हें कोई भी हाथ लगाने को तैयार नहीं था और यहां पर कोई गाड़ी नहीं थी कि वह अस्पताल ले जासकते।

    पुल टूटने के कारण दूसरे गांव जाना बहुत मुश्किल था तो वह बस जंगल के रास्ते ही उसे ले जा सकते थे लेकिन रास्ते में ही लेबर पेन शुरू हो गया था और फिर जंगल में ही अंबिका पैदा हुई थी,,  वह भी बिल्कुल सही सलामत यह एक चमत्कारी था कि जब उसकी सांसे रुक गई थी पैदा होते ही तो बाद में वह रोपड़ी थी।।

    लेकिन इस जंगल में पैदा होने के बाद भी वह हमेशा मुस्कुराती रहती और उसे दिन के बाद जैसे कोई उसके हमेशा आसपास रहता हो वह हमेशा हंसती रहती और यहां आकर वह गया करती उसकी आवाज में वही खुशबू होती थी जो हमेशा महसूस हुआ करती थी।।

    अमरचंद जी ने यह राज पूरे गांव से छुपाया था कि अंबिका का जन्म जंगल में हुई थी वह इतनी खूबसूरत थी कि कोई मोहित हो सकता था और अपनी बेटी को छुपाने के लिए वह हमेशा उसके चेहरे पर हमेशा एक घूंघट रखवाते।। उसकी वह नीली सी आंखें किसी को भी अपनी और आकर्षित कर सकती थी।।

    और अमरचंद जी को नहीं पता था कि उनकी बेटी का जन्म किस लिए हुआ था।। अंबिका बहुत खूबसूरत थी अपने पिता अपनी मां और अपनी बहन से बहुत प्यार करती थी पर इस जंगल से भी बहुत प्यार करती थी जब भी वह गाती तो उसकी आंखें भीग जाती ऐसा लगता है वह अपनी मोहब्बत के लिए तड़प रही हो।।

    लेकिन अमरचंद जी इस बात को निराशा में शामिल करते कि उनकी बेटी पुनर्जन्म नहीं हो सकती अगर ऐसा होता तो फिर बहुत बुरा होता।।

    अंबिका हमारी कहानी की नायिका अब यह मयूरी से जुड़ी है या नहीं यह तो आपको आगे पता चलेगा।।। यह कहानी सस्पेंस और थ्रिलर है मिलते हैं अगले भाग में।।

  • 4. षड्यंत्र या भ्रम - Chapter 4

    Words: 1836

    Estimated Reading Time: 12 min

    अंबिका की खूबसूरती

    आधी रात को अमरचंद जी के घर पर

    अमरचंद जी का गांव बहुत ही पिछड़ा हुआ था लेकिन फिर भी यहां पर थोड़ी बहुत आधुनिक चीज आ चुकी थी अभी भी गाड़ियां या फोन का आविष्कार तो यहां नहीं हुए थे अभी तक यहां पर किसी के पास मोबाइल तक नहीं था क्योंकि यह गांव भी मयूरी के समुदाय के लोगों के साथ जुड़ा हुआ था

    तो आज भी लोग पुरानी चीजों को महत्व देते थे अमरचंद जी अपनी दूसरी बेटी भाग्य के साथ घर पहुंचे तो अंबिका और उनकी पत्नी आंगन में ही चारपाई लगाकर लेटे हुए थे और तारों को देख रहे थे

    अंबिका की तरफ देखकर अमरचंद जी नाराज होकर कहते हैं तुम्हें बुखार था और तुम यहां ठंड में चारपाई लगा कर बैठी हो तुम को आराम करना चाहिए वह अपनी पत्नी की तरफ देखकर कहते हैं चंदा तू भी पागल है बेटी को मारना है क्या,, तो चंदा भी हंसते हुए बोलते हैं तुम्हारी बेटी मेरी सुने तभी ना वह तुमसे नाराज होकर बैठी है कि तुम मुझे जंगल ना लेकर गए

    पता नहीं इस जंगल से ऐसी कौन सा प्यार है तुम लोगों की,, पूजा हो गई हो तो खाना खाया 12:00 का ऊपर का समय हो गया है इससे तो दवाई बिना खाए हैं जो वेद जी से लेकर आई थी।।

    यह सुनकर अंबिका मुंह बनाकर कहती है मुझे ना खानी दवाई उसका कोई सवाद ही नाहै, तो अमरचंद जी हंसते हुए कहते हैं अच्छा ठीक है कल मैं तुझे शहर ले जाऊंगा वहां से दवाई ले लेना यह सुनकर अंबिका खुश हो जाती है उसे शहर जाना बहुत अच्छा लगता है

    कोई सोच नहीं सकता की 21मी सदी में भी यह गांव इतना पीछे रह चुका है यहां पर अभी तक भी कोई गाड़ी की सुविधा नहीं है काफी चलने के बाद उन्हें बस मिलती है और फिर वह बस उन्हें गांव से ले जाती है लेकिन यहां से बाहर निकलना है इतना आसान नहीं था कच्चा रास्ता और बहुत मुश्किल से उन्हें पहाड़ पर करना पड़ता था।

    वह लोग सोचते थे कि अगर वह हादसा ना हुआ तो तो आज उनका गांव कहां से कहां पहुंच जाता लेकिन आज भी मयूरी के डर से यहां पर कोई आता ही नहीं आज से 10 20 साल पहले सड़क बनना शुरू हुई थी लेकिन एक-एक कर हर आदमी को लटका कर चौराहे पर टांग दिया गया था और भाग गए थे सब ,,मुड़ के कोई ना आया सड़क बनाने।।

    सब ने इसका इल्ज़ाम मयूरी पर डाला पर वह क्या सड़क बनाने से भी रोक देगी कोई नहीं जानता था सच क्या था और झूठ क्या था यह षड्यंत्र था या फिर भ्रम था।

    अमरचंद जी जानते थे इस गांव के आसपास 19 गांव ऐसे थे जो कबीले के जंगल से जुड़े थे और हर गांव का अपना एक राज था। उन्हें यह भी पता था कि कुछ बड़ा है जो पिछले काफी सालों से हो रहा है लगभग 100 साल से इस गांव में कोई तरक्की करने ही नहीं देता।।

    बस एक दिशा है जहां पर थोड़ी तरक्की हुई है गांव में बस जाने लगीहै। वहां पर लाइट लग गई है रात को अंधेरा नहीं रहता गांव में पक्की सड़क बन चुकी है और यह वही गांव था जहां का इस वक्त सरपंच सेनापति का पोता था।।

    रायपुर गांव काल्पनिक नाम। बाकी गांव में से सिर्फ रायपुर गांव ऐसा था जहां पर रहने की सुविधा थी बैठने के लिए जगह थी और खाने पीने का इंतजाम शहर की तरह था।

    बाकी सारे गांव अभी भी पिछड़े हुए थे पिछले जमाने में जी रहे थे। गांव के लोग तो बस मयूरी को दोष दे देते कि वह इस गांव की तरक्की होने नहीं देती पर पिछले कितने सालों से किसी ने उसे महसूस तक नहीं किया था।

    अमरचंद जी अपनी गहरी सोच में डूबे हुए थे कि तभी उनकी पत्नी चंदा रहती है ऐ जी कहां खो जाते होआप। चलो अब खाना लगती हूं आधी रात को पता नहीं कौन सा खाना खाना होता है सबने।। वह अंबिका का हाथ पकड़े रहती है चल रही तू भी मेरे साथ इतनी ठंड में बाहर चारपाई लगा करबैठी थी।

    रात के १:00 बजे के आसपास वह लोग सोने अपने-अपने कमरों में गए थे भाग्य और अंबिका अलग कमरे में आराम से लेट गए थे अभी ठंड ही थी अंबिका बाहर देख रही थी वह खिड़की खुली रखती है रात को,

    तो भाग्य ने कहा दीदी इतनी ठंडी हवा आ रही है इसे बंद क्यों नहीं करदेते।। तो अंबिका ने मुस्कुरा कर कहा फिर मुझे वह धुन कैसे सुनाई देगी जो रात को सुननी होती है मुझे। भाग्य अपनी बहन की तरफ देखकर कहती है सच-सच बताओ क्या तुम्हें कभी मयूरी दिखाई दी है तुम उसी की तरह गाती हो तुम उसकी तरह उदास होजाती हो।

    अंबिका हंसते हुए कहती है चल रे पगली मैंने उसे कभी नहीं देखा अगर देखा होता तो मैं उसे जरूर पूछती कि उसके साथ क्या हुआ है बाबा ने यह बताया वह बहुत ही दर्दनाक है एक 16 साल की लड़की को जिंदा जला दिया गया था सिर्फ अपने हवस के कारण।।

    मयूरी और विशाख की कहानी अधूरी रह गई थी। वह जरूर पूरी होगी भाग्य ने बस हैरान होकर सोचा कि उसकी दीदी यह शब्द हमेशा से कहती है पर यह कैसे पॉसिबल है यह कहानी 1940 में ही खत्म हो गई थी जब दो लोग मर चुके थे बस उनकी यादें और उनकी बातें अभी भी जिंदा थी वह कहानियों के जरिए लोगों के दिल में बैठी हुई थी।

    भाग्य और अंबिका दोनों ही सो गए थे अगले दिन सुबह 8:00 बजे के आसपास भाग्य की मां ने उसे उठाया क्योंकि उसके स्कूल जाने का समय हो रहा था और उधर अंबिका को बुखार था इसलिए वह आराम से अभी भी सोई हुईथी।

    अंबिका ज्यादा पड़ी है कि नहीं है उसकी एक वजह यह भी थी कि वह अलग थी आम बच्चियों की तरह नहीं थी स्कूल के दसवीं कक्षा पास करने के बाद उसे बड़े स्कूल भेजना कि अमरचंद जी ने हिम्मत नहीं की बल्कि वह तो उसे छुपा कर रखते हैं इसका चेहरा भी कोई ना देख पाए इसीलिए हमेशा घुंघट से ढका रहता है।

    उधर लंदन में,,

    एक बहुत ही बड़े क्लब के अंदर हर्षवर्धन चौहान किसी मीटिंग के लिए आया हुआ था उसके साथ उसके 50 से भी ज्यादा गार्ड से वह हमेशा लोगों के साथ भरा रहता था।। उसके सामने बैठा आदमी हंसते हुए कहता है मिस्टर चौहान आपके साथ मीटिंग करना मेरे लिए बहुत ही शुक्रगुजार जैसा है अब आप बताइए कि हम उसे प्रोजेक्ट पर कब काम कर रहे हैं मुझे आप बर्दाश्त नहीं हो रहा है यह सब 2 साल से हम लोग इंतजार कर रहे हैं।

    हर्षवर्धन ने अपना गिलास नीचे रखते हुए कहा मेरा आदमी काम कर रहा है मिस्टर सिगांल यह इतना भी आसान नहीं है यह प्रोजेक्ट मेरा सपना है 2 साल से मैंने अपने आदमी लगा रखे हैं इतना पैसा खर्च किया है थोड़ा सबर रखें हम इस पर काम जल्दी ही शुरू करेंगे मुझे लगता है बस कुछ महीने फिर मैं इंडिया जाऊंगा और इस बार मेरे डैड मुझे रोक नहीं पाएंगे।

    हर्षवर्धन जब रात को घर आया तो उसकी मां और उसके पिता दोनों ही उसका इंतजार कर रहे थे महावीर जी थोड़ा नाराज होकर कहते हैं हर्षवर्धन यहां बैठिए हमें आपसे कुछ बात करनी है,, हर्षवर्धन की आंखें ठंडी थी वह 32 साल का एक मैच्योर इंसान था पर कभी भी किसी रिश्ते में खुद को बांध नहीं पाया था वह किसी रिश्ते से प्यार ही नहीं करता था।

    यह हैरानी भरा था कि वह अपने मां-बाप से भी हमेशा दूर रहा था बचपनसे ही। सबसे ज्यादा प्यार उसे अपनी नानी मंदाकिनी से था जब 10 साल पहले वह इस दुनिया से गई तो हर्षवर्धन एक पत्थर सा हो गया ऐसा कुछ था जो उसे पता चल गया था जो नहीं पता चलना चाहिए था या फिर वह एक दिखावा कर रहा था सबसे दूर होनेका।

    महावीर जी की बातों से उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं आए वह सोफे पर टांग पर टांग चढ़ा कर बैठ गया। मोहिनी थी अपने पति के कंधे पर हाथ रखो ने आंखों से शांत रहने का इशारा करती है इस इंसान से लड़ना उनके बस में नहीं है ,,जो बिजनेस महावीर जी ने शुरू किया था उसे सिर्फ 10 साल में ही हर्षवर्धन पूरी दुनिया में फैलाया  था वह ऐसे ऐसे प्रोजेक्ट बनाता था कि दुनिया उसकी फैन हो जातीथी।

    वह दुनिया में आर्किटेक्ट का बादशाह कहलाया जाने लगा था उसके ड्रीम प्रोजेक्ट इतने खास थे कि लोगों से देखने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर देतेथे, उसकी बनाई होटल और कंपनी इतनी शानदार होती थी कि लोगों के लिए लाइन लगाकर खड़े रहते थे कि कब वह उनके लिए कामकरेगा।

    लेकिन उसकी बस एक ही दिक्कत थी घमंड और गुस्सा उसके नाक पर हमेशा ही भरा रहता,, वह अपने पिता को ऐसे देख रहा था जैसे पूछ रहा हूं क्या आपको कुछ कहना है आधी रात हो गई है आप लोग क्योंजाग रहे हैं।

    महावीर जी ने नाराज होकर कहा हम बूढ़े हो गए हैं हम हमेशा जिंदा नहीं रहेंगे हमें तुम्हारी फिक्र है हम सोच रहे हैं कि तुम्हारे लिए एक लड़की देखी और तुम्हारी शादी कर दे,, हर्षवर्धन जो अपने फोन में कुछ देख रहा था वह मुस्कराया इतना डरावना की मोहिनी जी की तो आत्मा ही कांप गई। उन्होंने नर्वस होकर कहा अगर तुम्हें कोई लड़की पसंद है तो तुम हमें बता सकतेहो।।

    हर्षवर्धन अपना फोन अपनी पॉकेट में डालते हुए कहता है आप लोग मेरी शादी करने के सपने देख रहे हैं पर यह पॉसिबल नहीं है मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट जब तक पूरा नहीं होता मैं किसी रिश्ते में खुद को नहीं रखना चाहता

    और मैं इंडिया जा रहा हूं अगले महीने और इस बार आप मुझे रोक नहीं सकते महावीर जी अंदर तक दर्द से भर गया ,,उन्होंने डरते हुए कहा तुम नहीं जा सकते मतलब नहीं जा सकते और यह मेरा आखिरी फैसला है।


    अब हर्षवर्धन की आंखें लाल हो गई थी वह 32 सालों से यही सुनता आया है वह दुनिया के हर कोने में घुम आया लेकिन उसे अपने ही देश जाने की इजाजत क्यों नहीं उसके पिता इस तरह क्यों कर रहेहैं।।

    वह विदेश में पैदा हुआ लेकिन फिर भी उसे हिंदी प्यारी है उसे अपना देश घूमना है उसका देश सोने जैसा है।। वह जानता है कि वहां की मिट्टी में अलग से खुशबू है और हमेशा उसे कोई बुलाता है कोई आवाज से अपनी तरफ अट्रैक्ट करती है।

    उसने इस बात कि जिकर अपने पिता के सामने तो नहीं किया पर अपनी नानी मंदाकिनी को इस बारे में बहुत बार बताया था और उसने कहा था कि वह नहीं जा सकता।।

    हर्षवर्धन ने जोर से अपना हाथ टेबल पर मारा और बहुत गुस्से से कहा आप लोग मुझे क्यों रोक रहे हैं क्या आप लोग वहां पर कोई गुनाह करके आए हैं जिस पर मैं वाकिफ नहीं हूं।

    महावीर जी ने लंबी सांस लेकर कहा तुम जानना चाहते हो तो मैं तुम्हें अब सब कुछ बता दूंगा मुझे नहीं लगता अब कुछ छुपाने के लिए बचा है।।