मुंबई की चमचमाती सोसायटी में दो ताक़तवर वारिस आमने-सामने आते हैं—अयान मल्होत्रा, निर्दयी और डॉमिनेंट, और सिमरन कपूर, निडर और बाग़ी। उनकी पहली मुलाक़ात सिर्फ़ आकर्षण नहीं, बल्कि एक खतरनाक खेल की शुरुआत है—जहाँ जुनून, पावर और कैद एक-दूसरे से टकराते हैं... मुंबई की चमचमाती सोसायटी में दो ताक़तवर वारिस आमने-सामने आते हैं—अयान मल्होत्रा, निर्दयी और डॉमिनेंट, और सिमरन कपूर, निडर और बाग़ी। उनकी पहली मुलाक़ात सिर्फ़ आकर्षण नहीं, बल्कि एक खतरनाक खेल की शुरुआत है—जहाँ जुनून, पावर और कैद एक-दूसरे से टकराते हैं। परिवार की विरासत, पुराने राज़ और चालाक दुश्मनों के बीच, उनका रिश्ता धीरे-धीरे एक ऐसी कैद बन जाता है जिससे बचना नामुमकिन है। “Caged by Love” मोहब्बत और डॉमिनेशन की वो जंग है, जहाँ दिल ही सबसे बड़ा कैदखाना साबित होता है। जानने के लिए पढ़े CAGEd in Love सिर्फ स्टोरी मनिया पर आपकी अपनी भैरवी चौधरी के साथ.....
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मुंबई.... एक पॉश सोसायटी का इंटरनेशनल बिज़नेस गाला।
मुंबई की रातें उस दिन कुछ अलग सी चमक रही थीं। स्काईलाइन पर लाइटें हर तरफ फैली थीं, और समुद्र की हवा बिलकुल ठंडी न होने के बावजूद सॉफ़्ट नज़र आ रही थी। सोसायटी के बड़े ग्रैंड हॉल के काँच-झूमर किसी महल की तरह झिलमिला रहे थे; थोड़ी दूर पर कारों की हेडलाइट्स सिल्वर-लाइन्स की तरह गुजर रही थीं। अंदर, रेड कार्पेट पर कदम रिसेप्शन-डेस्क तक खाढ़े थे और हर कोई एक-दूसरे की मौजूदगी को नाप रहा था—कौन किस जगह का हक़दार है, कौन किस लाइन में खड़ा है।
हॉल में संगीत धीमा था — बैकग्राउंड में सुरीले पियानो के नोट, और किसी कोने से विनाइल रिकॉर्ड की तरह पुराने जैज़ के टच। वेटर सिलेंडर-ग्लास के साथ घूम रहे थे, और हर टेबल पर हल्की-सी चमकदार centerpiece ने माहौल को और भव्य बना दिया था। पर असल चमक वहां थी—हज़ारों निगाहें, फुसफुसाहटें और बिना बोले ही किए जाने वाले हिसाब-किताब।
सभी लोगों की भीड़ में एक लड़की थी जो अलग तरह की शांति और परख रखे हुए थी—सिमरन कपूर। काले सिल्क के गाउन में वह सहज, पर चुनी हुई शख्सियत की तरह दिख रही थी। उसके खुले बाल उसके कंधों पर नरम लहरों में गिरे थे; उसकी आँखों में एक ऐसी ठहराव वाली चमक थी जैसे सामने बैठे हर आदमी की मन की परतें पढ़ सकती हो। पर वह नाज़ुक नहीं थी—उसमें आत्मविश्वास था, और वही आत्मविश्वास उसके चारों ओर की हवा को दबी हुई कर रहा था।
उसके बगल में हँसी-मज़ाक के बीच से दो-तीन महिलाएँ बातें कर रही थीं—पर हर बार जब भीड़ कम होती, सिमरन की नजरें अपने पिता की तरफ़ जातीं। अरविंद कपूर, कपूर एंटरप्राइज़ के प्रमुख, एक कोने में शांत मुद्रा में अन्य व्यापारिक नेताओं से बातचीत कर रहे थे। उनका चेहरा कड़ा, पर संतुलित था; उनकी हर मुस्कान सोच-समझकर की गई थी। दूसरी तरफ, माया कपूर, सिमरन की माँ, सटीक और सूझबूझ वाली, हर किसी की बॉडी लैंग्वेज पढ़ रही थी—उनकी निगाहों में एक सूक्ष्म गर्व और साथ-साथ भविष्य की परवाह थी। कपूर घराना फैशन और मीडिया के दिग्गजों में गिना जाता था; उनके presence से साफ़ था कि सिमरन सिर्फ़ सौंदर्य नहीं, जिम्मेदारी भी लेकर आई थी।
भीड़ में अचानक हलचल हुई — दरवाज़ा खुला और एक चिर-परिचित ठहराव ने पूरे हॉल को काट दिया। अयान मल्होत्रा अंदर आए। उनका कद लंबा, चाल हठीले पर नाज़ुक, और काले फिल-सूट में उनकी पोशाक कुछ इस तरह फिट थी कि हर सिलाई में उनकी आदतों का अक्स दिखता था—सटीक, असरदार, बिना फालतू के। उनकी आँखें ठंडी थीं; पर वह ठंडक उस तरह की थी जिससे आग और भी तेज़ जलती है।
मल्होत्रा परिवार की मौजूदगी भी स्पष्ट थी—राजीव मल्होत्रा, कंपनी के संस्थापक-पुत्र, एक रहे-हुए बिझनेस टाइकोन, अपनी एक-नज़र वाली निगाह से पूरे हॉल को नाप रहे थे। उनकी पत्नी, नीरा मल्होत्रा, शिष्ट और प्रभावशाली, अपने अंदाज़ में दुनिया को बताती थीं कि मल्होत्रा नाम के पीछे कितना पावर है। मल्होत्रा ग्रुप का रियल-एस्टेट, लक्ज़री हॉटील चेन और इंटरनेशनल ट्रेड में प्रभुत्व किसी से छिपा नहीं था; और अयान उसी विरासत का वाहक था—एक लड़का जिसे बचपन से ही पावर की भाषा सिखाई गई थी।
अयान की निगाहें भीड़ को चीरती हुई किसी एक बिंदु पर थम गईं—और वह बिंदु सिमरन पर था। वह अचानक महसूस हुआ—न सिर्फ़ देखना, बल्कि देखने का तरीका अलग था: वो भीतर तक झांकने वाला था। सिमरन के दिल में एक अजीब-सा खिंचाव हुआ; उसके होंठों पर हल्की-सी मुस्कान रही, पर आँखें अनैच्छिक रूप से चौड़ी हो गईं।
अयान शांत-सल्टी सी चलकर सिमरन की तरफ़ आए — उनके कदमों का मिज़ाज ऐसे थे मानो हर कदम से कोई कटाव लिखा जा रहा हो। भीड़ के शोर में, दोनों के बीच की हवा अचानक शांत हो गई — मानो सब कुछ पीछे हट गया हो और सिर्फ़ वही दो लोग बचे हों।
पास में खड़ी रिया, सिमरन की बचपन की सहेली और सबसे भरोसेमंद दोस्त, उसकी गरदन के पास से नज़रें फिराकर मुस्कुरा रही थी।
जब अयान सिमरन के सामने रुके, उन्होंने बिना किसी औपचारिकता के सिर्फ़ एक आवाज़ में कहा—धीमी, पर प्रभावी:
“तुम्हें लगता है कि तुम सबको अपने इशारों पर चला सकती हो?”
सिमरन की हंसी संकुचित रही—उसमें घमंड भी था, और आत्मविश्वास भी: “और अगर मैं कहूँ कि मुझे कंट्रोल होने की आदत नहीं है?” उसने जवाब दिया, उनकी आवाज़ हल्की पर ठोस थी।
अयान की आँखों में कुछ चमका—कोई फैसला, कोई खोज। वह झुके और बस इतना फुसफुसाए कि सिमरन के कानों में शब्दों की आंच उतर आई: “आदतें बदलती हैं… और मैं ये बखूबी कर सकता हूँ।” उसकी आवाज़ में कोई ज़ोर नहीं था, पर हर शब्द का वजन भारी था।
सिमरन की सांसें अनायास रुक-सी गईं। गर्दन के पीछे से एक हल्की-सी गर्माहट उठी—ना भय, पर एक सचेत आग—जो उसे बताती थी कि यह मुलाक़ात सिर्फ़ एक सामान्य बातचीत नहीं है। वह पल था जब दोनों ने बिना कुछ कहे एक दूसरे की सीमाएँ नाप लीं—अयान ने देखा कि सिमरन में चुनौती है; सिमरन ने महसूस किया कि अयान में वह ठहराव है जो किसी को अपने हिसाब से मोड़ देना जानता है।
हॉल के कोने में बैठे अरविंद ने धीरे-से चेहरा सिमटाया, पर उसकी आँखों में एक अभिमान झलक गया। माया ने अपने होंठ दबा लिए—वह जानती थी कि यह युहीं नज़र का मिलन नहीं, बल्कि किसी तरह की परीक्षा है। राजीव ने पीछे से अयान को देखा और एक छोटी-सी इजाज़त भरी हल्की टकटकी दी—जा, पर संभाल कर। नीरा की आँखों में काफ़ी कुछ था; वह मौन में यह तय कर रही थी कि अयान को कैसे उपयोग में लाया जाए।
भीड़ में कुछ लोग इशारे से टोक रहे थे—“देखो, दो वारिस मिल रहे हैं।” पर जो माहौल सिमरन और अयान के बीच बन चुका था, वह सामान्य लोगों के लिए पढ़ना मुश्किल था। वहां एक तरह की खामोशना थी, जिसमें भविष्य के फैसले टटोले जा रहे थे।
अयान ने धीरे से सिमरन का हाथ छुआ—सिर्फ़ वह स्पर्श ही था, पर वह स्पर्श कठोर नहीं था; वह सॉफ्ट था। उसकी उँगलियाँ कलाई पर रुककर चली गईं, और हमलों से परे, वह स्पर्श कुछ कह देना चाहता था
“तो यह खेल अब किस मोड़ पर जाएगा?” सिमरन ने आवाज़ में तेवर भर कर पूछा—यह सवाल चुनौती भी था और निमंत्रण भी। अयान ने थोड़ा मुस्कुराया—मगर उस मुस्कान में नरमी नहीं थी, केवल निर्णय था। “देखना,” वह बोला, “पर समझ लेना—यह तुम्हारे लिए आसान नहीं होगा।”
रात का गाला धीरे-धीरे खत्म होने लगा। लोग बिखरने लगे, मगर दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ था, वह हवा में तरल बनकर रह गया—एक वादा, बिना शब्दों के। सिमरन ने जाते समय पीछे मुड़कर देखा—अयान की आँखों में किसी तरह की प्रतिबद्धता थी; वह जानता था कि उसे पाना सिर्फ आकर्षण नहीं, बल्कि एक प्रोजेक्ट होगा, और प्रोजेक्ट के नियम कठोर होते हैं।
होटल की वैल्ट से बाहर निकलते हुए सिमरन को रिया ने पकड़कर कहा, “तुम ठीक हो? मैं सच में कह रही हूँ—सावधान रहना।” सिमरन ने हल्की हँसी में जवाब दिया, पर उसकी हँसी में अब थोड़ा-सा विचार था—उसकी दुनिया अब पहले जैसी शायद न रहे। दूसरी तरफ विक्रम ने अपने फोन पर अयान को कॉल किया; फोन उठाने के साथ ही उसके चेहरे पर वही पुराना स्मिर्क था—पर इस बार उसमें चिंता का कोई अंश छिपा था।
रात अपनी धीमी चाल में आगे बढ़ी; लोग अपने-अपने घरों की ओर लौटे। पर जो कुछ भी उस हॉल में हुआ था—वह सिमरन और अयान के बीच एक कतरा नहीं, बल्कि एक बीज था—जो अब उगने वाला था। और दोनों की आँखों में, अलग-अलग तवर पर, वही सच था: किसी को जीतना होगा, किसी को हार माननी पड़े—या फिर दोनों को एक नए नियम के तहत जीना होगा।
वो रात, उनकी पहली मुलाक़ात, एक अहसास बनकर छूट गई—कि प्यार भी कैद कर सकता है, और पावर भी। और अब उस कैद के भीतर, वे दोनों अपनी-अपनी तरकीबों और इच्छाओं को तोलेंगे।
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पिछले अध्याय में आपने देखा कि मुंबई में एक अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय समारोह हो रहा था। समारोह में सिमरन कपूर, जो एक शांत और आत्मविश्वास वाली लड़की थी, और अयान मल्होत्रा, जो एक प्रभावशाली और प्रतिस्पर्धी व्यक्ति थे, शामिल हुए। उनकी पहली मुलाकात में, दोनों ने एक-दूसरे को चुनौती दी और एक-दूसरे की सीमाओं को परखा। उनके बीच एक खामोश टकराव हुआ, जिसमें दोनों ने एक-दूसरे को लुभाने और हावी होने की कोशिश की।
अब आगे
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अगली सुबह, सिमरन देर तक बिस्तर पर लेटी रही। रात की गाला पार्टी अभी भी उसके दिमाग़ में घूम रही थी। झूमरों की चमक, शराब की खुशबू, भीड़ का शोर… और बीच में वो अयान मल्होत्रा। उसकी आँखें, उसका अंदाज़—कुछ तो था जो चैन से बैठने नहीं दे रहा था।
फोन की घंटी बजी। स्क्रीन पर रिया का नाम चमका।
“हैलो, तू जागी?” रिया की आवाज़ हमेशा की तरह तेज़ थी।
“हाँ…” सिमरन ने लंबी साँस खींची।
“कल की रात का hangover अभी भी है क्या? तू चुप क्यों है?”
सिमरन हल्के से हँसी। “नशा शराब का नहीं था रिया… किसी और चीज़ का था।”
रिया एक पल चुप रही, फिर बोली, “मतलब?”
“मतलब… वो अयान मल्होत्रा।”
दूसरे छोर पर हल्की हँसी आई। “मैं समझी थी। पर सुन, सावधान रहना। उसके बारे में मैंने बहुत कुछ सुना है। वो आदमी smooth है, पर… थोड़ा dangerous भी।”
सिमरन ने हल्के से मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “Dangerous? तो मज़ा भी तो तभी है।”
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शाम तक कपूर हाउस में डिनर की तैयारियाँ शुरू हो चुकी थीं। उनके पिता, अरविंद कपूर, एक साफ-सुथरे बिज़नेसमैन थे। उन्होंने हमेशा परिवार की इज़्ज़त को प्राथमिकता दी थी। माँ, मधु कपूर, ज़्यादा मिलनसार और gentle स्वभाव की थीं।
टेबल पर सब बैठे थे—सिमरन, उसका छोटा भाई कबीर, और पेरेंट्स। बातचीत का विषय गाला ही था।
अरविंद ने धीरे-धीरे कहा, “अयान मल्होत्रा… वो कल तुझसे बात कर रहा था न?”
सिमरन ने नज़रें झुका लीं। “हाँ, थोड़ी-सी।”
अरविंद ने गहरी साँस ली। “देखो सिमरन, ये परिवार बहुत बड़ा है। उनके साथ अच्छे रिश्ते रहना ज़रूरी है। लेकिन…” वो रुक गए।
“लेकिन?” सिमरन ने पूछा।
“लेकिन ज़रूरी नहीं कि हर रिश्ता व्यक्तिगत भी हो। समझी?”
मधु ने बीच में बात संभाली, “सिमरन, तुझे खुद पर भरोसा है न? तो फैसला भी तेरा ही होगा। हम दबाव नहीं डालेंगे।”
कबीर ने तुरंत कहा, “और मैं हमेशा दीदी के साथ हूँ। चाहे जो हो।”
सिमरन को सब सुनकर हल्की गर्माहट महसूस हुई, पर उसके अंदर कहीं न कहीं हल्की उलझन भी थी।
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दूसरी तरफ़, उसी शाम मल्होत्रा हाउस में माहौल कुछ और था।
अयान अपने स्टडी में बैठा था। सामने उसके चाचा और बिज़नेस पार्टनर विक्रम। विक्रम का अंदाज़ हमेशा प्रैक्टिकल था।
“अयान, मुझे समझ नहीं आता तू इस लड़की में इतना इंटरेस्ट क्यों ले रहा है। कपूर फैमिली respectable है, agreed… लेकिन हमारे लिए कई और alliances भी हैं। यहाँ risk है।”
अयान ने कॉफ़ी कप टेबल पर रखा और ठंडे स्वर में कहा, “Risk? जिंदगी बिना risk के कैसी? और ये लड़की… उसमें कुछ है। वो बाकी सबकी तरह डरती नहीं। आँखों में जवाब देती है।”
विक्रम ने भौंहें चढ़ाई। “और अगर ये सब तेरे control से बाहर चला गया तो?”
अयान ने हल्की-सी मुस्कान दी। “तो उसे control में लाना मेरी आदत है। मैंने कभी हार नहीं मानी, विक्रम।”
कमरे में सन्नाटा फैल गया। विक्रम ने समझ लिया कि अयान का मन बन चुका है।
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अगले दिन शाम को एक छोटा-सा corporate cocktail party रखा गया था। शहर के चुनिंदा लोग आए थे।
सिमरन वहाँ पहुँची तो माहौल थोड़ा formal था—लोग drink ले रहे थे, deal की बातें हो रही थीं।
कमरे के दूसरे कोने से अयान ने उसे देखा। उसने बाकी सबको अनदेखा किया और सीधे उसकी ओर बढ़ा।
“तुम आ ही गईं,” उसने धीमी आवाज़ में कहा।
सिमरन ने आँखें मिलाते हुए जवाब दिया, “लगता है तुम्हें पूरा भरोसा था कि मैं आऊँगी।”
“और मैंने गलत सोचा क्या?” अयान के होंठों पर हल्की मुस्कान आई।
कुछ देर तक दोनों खामोश खड़े रहे। चारों ओर लोग थे, पर दोनों के बीच का माहौल अलग ही था—जैसे कमरे की सारी आवाज़ें धुंधली हो गई हों।
सिमरन ने चुप्पी तोड़ी, “तुम हर किसी से ऐसे बात करते हो, या सिर्फ़ मुझसे?”
अयान थोड़ा झुककर बोला, “हर किसी से? नहीं। पर तुमसे… हाँ, शायद इसलिए क्योंकि तुम ordinary नहीं हो।”
उसके शब्द सिमरन के कानों में गूंजे। उसने महसूस किया कि वो चाहे जितनी भी strong बने, अयान की नज़रों में कुछ ऐसा है जो उसे बेचैन कर देता है।
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विक्रम थोड़ी दूरी से दोनों को देख रहा था। उसके चेहरे पर साफ़ लिखा था कि उसे ये सब पसंद नहीं। वो आगे बढ़ा और अयान के पास आकर बोला, “Guests इंतज़ार कर रहे हैं, तुम्हें सबसे मिलना चाहिए।”
अयान ने बिना नज़र हटाए जवाब दिया, “मिल लूँगा। पहले ये बात पूरी कर लूँ।”
सिमरन हल्के से मुस्कुराई। “तुम्हारे दोस्त को ये सब अच्छा नहीं लग रहा।”
“वो मेरा दोस्त है और बिज़नेस पार्टनर भी ,” अयान ने कहा। “और उसकी चिंता मुझे रोक नहीं सकती।”
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रात थोड़ी गहरी हुई तो लोग धीरे-धीरे जाने लगे। बाहर की हवा ठंडी थी। अयान और सिमरन बालकनी की तरफ़ खड़े हो गए।
“तुम्हें पता है, लोग तुम्हारे बारे में क्या कहते हैं?” सिमरन ने पूछा।
“कहते रहो, मुझे फर्क नहीं पड़ता ज़ब एक शेर मैदान मे आता है तो उसकी चर्चा सब तरफ होती है।” अयान ने ठंडे स्वर में कहा। “लोगों की राय मेरे फैसले तय नहीं करती।”
“और अगर मैं कहूँ कि मुझे control होना पसंद नहीं?” सिमरन ने उसकी तरफ़ सीधा देखा।
अयान करीब आया। उसकी आवाज़ धीमी हो गई। “तो शायद मैं वो इंसान हूँ जो तुम्हें मजबूर कर देगा तुमहे control में रहने के लिए।”
सिमरन का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने चाहा कि पीछे हटे, पर पैरों ने उसे वहीं रोक दिया।
उस पल, दोनों की आँखों में जैसे कोई अनकहा वादा तैर रहा था।
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घर लौटकर, खिड़की पर खड़ी सिमरन ने नीचे शहर की रौशनियाँ देखीं। उसके कानों में अभी भी अयान की आवाज़ गूंज रही थी। दिल कह रहा था—खतरनाक है। पर दिल ही ये भी कह रहा था—यही तो चाहिए।
उसने खुद से बुदबुदाया, खेल सुरु हो चूका है और तुम्हे हारना ही होगा "simi"
“खेल? हाँ — यह दिलों की जंग थी, और अब वे दोनों मैदान में उतर चुके थै।
जानने के लिए बने रहे मेरे साथ caged in love मे...
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मुंबई.....
मुंबई की शामें हमेशा शोरगुल से भरी होती थीं, पर उस दिन सिमरन के लिए शहर जैसे थोड़ा धीमा लग रहा था। पार्टी और मुलाकातों के बाद उसके दिमाग़ में एक ही नाम घूम रहा था—अयान मल्होत्रा। वो चाहकर भी इस इंसान को अपने ख्यालों से निकाल नहीं पा रही थी।
पर जिंदगी सिर्फ़ उसके और अयान के इर्द-गिर्द नहीं घूम रही थी। परिवार, दोस्त और काम सब अपनी जगह मौजूद थे।
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रिया ने उसी शाम सिमरन को फोन किया।
“आज फुर्सत है क्या? कैफ़े चलते हैं,” उसने कहा।
सिमरन को वैसे भी किसी से बात करनी थी, तो उसने हाँ कर दी।
दोनों अपनी पसंदीदा जगह, बांद्रा के एक छोटे से कैफ़े पहुँचीं।
रिया का मूड थोड़ा गंभीर था। उसने कॉफ़ी का पहला sip लिया और बोली, “सिमरन, मैं तुझसे कुछ share करना चाहती हूँ। पर वादा कर, मजाक नहीं उड़ाएगी।”
सिमरन हँस दी, “तूने कब से सीरियस बातें छुपानी शुरू कीं?”
रिया ने आँखें झुका लीं। “असल में, विक्रम से मेरी मुलाक़ात पहले से हो चुकी है।”
सिमरन चौंक गई। “क्या? कब?”
“कुछ महीने पहले… एक मीटिंग में। वो charm तो करता है, पर उसमें एक अजीब-सी बेचैनी है। और मुझे लगता है, वो तुझ पर अयान की नज़र पसंद नहीं करता। शायद… jealousy है।”
सिमरन थोड़ी देर चुप रही। “तो तू कहना चाहती है कि विक्रम मुझे लेकर सिरदर्द बनाएगा?”
रिया ने सिर हिलाया। “शायद। और मैं बस चाहती हूँ तू alert रहे।”
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कपूर हाउस...
उधर, कपूर हाउस में कबीर अपने दोस्तों के साथ startup के ideas में उलझा हुआ था। उसे family business में घुसना उतना आकर्षक नहीं लगता था। वो tech और digital platforms की तरफ़ ज्यादा झुकाव रखता था।
शाम को उसने पापा से बात छेड़ी।
“डैड, मैं सोच रहा हूँ कि family company join करने से पहले अपना कुछ शुरू करूँ।”
अरविंद कपूर ने अख़बार से नज़र उठाई। “कबीर, experiment करना बुरा नहीं है, पर stability भी ज़रूरी है। हमारा नाम जुड़ा है। गलत फैसला सिर्फ़ तेरा नहीं होगा, पूरा परिवार affect होगा।”
कबीर ने तर्क दिया, “लेकिन हर generation को अपनी पहचान खुद बनानी चाहिए। दीदी भी तो अपने तरीके से decisions ले रही है।”
अरविंद ने बस गहरी साँस ली।
सिमरन ये बातचीत दरवाज़े के पास से सुन रही थी। उसे समझ आया कि परिवार के हर सदस्य की अपनी लड़ाई है।
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मल्होत्रा हाउस
मल्होत्रा हाउस में माहौल उतना सरल नहीं था। अयान का दिमाग़ साफ़ था—वो सिमरन को अपनी तरफ़ खींचना चाहता था। पर विक्रम की नज़रें हर समय चौकस रहतीं।
एक रात दोनों स्टडी में मिले।
“अयान, मैं खुलकर कहूँगा। तू सिमरन में डूब रहा है। और ये चीज़ बिज़नेस को affect करेगी,” विक्रम बोला।
अयान ने गहरी आवाज़ में कहा, “बिज़नेस को कौन चला रहा है, विक्रम? मैं या तुम?”
“तू… पर मैं warning दे रहा हूँ। कपूर परिवार हमारे लिए पार्टनर हैं, खिलौना नहीं।”
अयान की आँखें सिकुड़ गईं। “तुझे लगता है मैं खिलवाड़ कर रहा हूँ?”
विक्रम चुप हो गया।
“मैं सिर्फ़ वो लेता हूँ जो मेरा हक़ है,” अयान ने धीरे से कहा।
विक्रम के होंठों पर हल्की-सी कड़वी मुस्कान आई।
“हक़… या ज़िद?”
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कुछ दिन ऐसे ही बीत गए सब अपने बिज़नेस मे बिजी हो गए। एक दिन शाम को अयान ने सिमरन को कॉल किया।
“Dinner?” उसने सिर्फ़ इतना कहा।
सिमरन ने थोड़ी झिझक दिखाई, पर आखिरकार हामी भर दी।
वो दोनों एक समुद्र किनारे के रेस्त्रां में मिले। माहौल शांत था, हवा में नमक की खुशबू थी।
“तो तुमने बुलाया मुझे, बिना किसी formal plan के,” सिमरन ने छेड़ते हुए कहा।
“मुझे formalities पसंद नहीं,” अयान ने wine का glass उठाते हुए जवाब दिया।
थोड़ी देर तक दोनों ने सिर्फ़ casually बातें कीं पर फिर अचानक अयान का चेहरा गंभीर हो गया।
“सिमरन, मैं सीधा बोलता हूँ। मुझे तुम्हारी ज़रूरत है। और हाँ, इसमें choice भी है और challenge भी। मैं चाहता हूँ तुम मेरी दुनिया का हिस्सा बनो।”
सिमरन ने भौंहें उठाईं। “और अगर मैं मना कर दूँ?”
अयान झुका और धीमे स्वर में बोला, “तो मैं मान लूँगा कि तुम challenge से भाग गई।”
उसकी आँखों में वो intensity थी जिसने सिमरन को चुप करा दिया।
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उस रात जब वो घर लौटी, तो माँ ने धीरे से पूछा, “कहाँ थी?”
सिमरन ने बस मुस्कुराकर कहा, “Dinner पर।”
माँ ने कुछ और नहीं पूछा, पर उनकी आँखों में चिंता साफ़ दिख रही थी।
अरविंद ने भी साफ़ कर दिया, “सिमरन, याद रखना। Kapoor नाम सिर्फ़ तेरा नहीं, सबका है। फैसले सोच-समझकर लेना।”
सिमरन ने सिर हिलाया, पर उसके अंदर का तूफ़ान बढ़ता ही जा रहा था।
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कपूर हाउस....
रिया कपूर हाउस आई। उसने कबीर से भी लंबी बात की।
कबीर ने casually पूछा, “तुझे क्या लगता है? दीदी को अयान के करीब जाना चाहिए?”
रिया ने थोड़ी देर सोचा। “दिल कहता है हाँ… पर दिमाग़ कहता है सावधान। अयान मल्होत्रा आसान इंसान नहीं है। और विक्रम? मुझे उस पर ज़रा भी भरोसा नहीं।”
कबीर ने गंभीर स्वर में कहा, “अगर कुछ गलत हुआ तो मैं चुप नहीं बैठूँगा।”
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इसी बीच, विक्रम ने अपने sources से पता लगाया कि अयान ने सिमरन को डिनर पर बुलाया था। उसकी आँखों में जलन साफ़ थी।
एक रात उसने अयान से सीधा सवाल किया।
“क्या तू सच में सिमरन से जुड़ना चाहता है, या ये बस एक और game है?”
अयान ने सीधा जवाब दिया, “Game? हाँ, ये game है। पर इसमें rules मेरे होंगे। और जीत… मेरी।”
विक्रम ने गुस्से से कहा, “तू गलत कर रहा है।”
अयान ने उसकी ओर देखा और ठंडे स्वर में कहा, “शायद। पर history हमेशा जीतने वाले लिखते हैं।”
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रात को अपने कमरे में बैठी सिमरन ने diary खोली। उसने लिखा:
"वो मुझे चुनौती देता है। हर बार उसकी आँखें कहती हैं कि मैं उससे भाग नहीं पाऊँगी। क्या मैं सच में बंध रही हूँ, या ये मेरे अपने दिल की क़ैद है? रिया सही कहती है, खतरनाक है ये रास्ता… लेकिन शायद मैं यही चाहती हूँ।"
उसके शब्द धीरे-धीरे आँसू की तरह कागज़ पर गिरते चले गए।
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मुंबई की बारिश शुरू हो चुकी थी। खिड़की से पानी की बूँदें गिर रही थीं।
सिमरन खड़ी थी, सोचों में डूबी। तभी उसके फोन पर मैसेज आया।
“Tomorrow. Be ready. – A.M.”
उसके होंठों पर हल्की मुस्कान आई, लेकिन दिल की धड़कन तेज़ हो गई।
उसने खुद से कहा—
“अब ये सिर्फ़ attraction नहीं रहा। ये दिलों की जंग है… और मैं पीछे नहीं हटने वाली।”
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अब तक...
विक्रम के गुस्से और अयान के प्रति आकर्षण के बीच, सिमरन एक ऐसी लड़ाई की तैयारी कर रही थी जिसमें दिल शामिल था।
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मुंबई रात के समय...
मुंबई की बारिश उस रात जैसे थमने का नाम ही नहीं ले रही थी। सिमरन खिड़की के पास खड़ी थी, हाथ में फोन पकड़े। स्क्रीन पर वही छोटा-सा मैसेज चमक रहा था—“Tomorrow. Be ready. – A.M.”
दिल ने जैसे और तेज़ धड़कना शुरू कर दिया। वह समझ नहीं पा रही थी कि ये बेचैनी डर की है या किसी अजीब-सी चाह की।
अगली शाम उसने खुद को आईने में देखा। नीले रंग की ड्रेस पहनी थी, हल्का मेकअप किया और बाल खुले छोड़ दिए। खुद को संभालते हुए उसने गहरी साँस ली और बाहर निकल गई।
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रेस्त्रां में कदम रखते ही सिमरन ने देखा कि अयान पहले से मौजूद था। हमेशा की तरह शांत, confident, और ऐसा लगता था जैसे सबकुछ उसी के इशारों पर चलता हो। उसने उठकर उसके लिए कुर्सी खींची।
“तुम हमेशा वक्त से पहले आ जाते हो,” सिमरन ने हल्की मुस्कान के साथ कहा।
“और तुम हमेशा वक्त लेती हो तय करने में कि आना है या नहीं,” अयान ने सीधी नजरों से जवाब दिया।
सिमरन ने महसूस किया कि उसकी आवाज़ में हल्का-सा तंज भी था और आकर्षण भी।
“सिमरन, तुम्हें लगता है तुम अपने फैसले खुद लेती हो?” अचानक अयान ने पूछा।
सवाल सुनकर सिमरन थोड़ी हैरान हुई। “बिलकुल। क्यों?”
“क्योंकि कभी-कभी फैसले हमारे नहीं होते, हालात के होते हैं। और हालात… मैं बदल देता हूँ।”
उसके चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान थी। सिमरन ने पल भर उसे देखा, फिर मुस्कुराई, “तो शायद मुझे हालात से खेलना आता है।”
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उधर कपूर हाउस में कबीर अपने नए startup के लिए investors से मिलने में लगा था। उसे लग रहा था कि परिवार कभी उसकी सोच को गंभीरता से नहीं लेगा, इसलिए उसने अपनी पहचान खुद बनाने की ठानी। माँ-पापा चिंतित थे, पर सिमरन जानती थी कि उसका भाई ज़िद्दी है।
रिया भी अक्सर कपूर हाउस आती-जाती रहती थी। वह सिमरन की confidant बन गई थी। उस दिन जब सिमरन डिनर से लौटी, तो उसने रिया को कॉल किया।
“पता है, आज फिर उससे मिली मैं।”
रिया ने तुरंत कहा, “मतलब अयान से? और?”
सिमरन ने धीमी आवाज़ में कहा, “वो… अलग है। डराता भी है और खींचता भी है। समझ नहीं आती, दूर रहूँ या पास।”
रिया ने गहरी साँस ली। “सुन, बस ये याद रखना। attraction खतरनाक होता है जब उसमें power जुड़ जाए। और अयान power का दूसरा नाम है।”
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दूसरी तरफ मल्होत्रा हाउस में भी हलचल थी। विक्रम लगातार अयान पर नजर रख रहा था। उसे सिमरन की मौजूदगी खल रही थी। वह जानता था कि अगर अयान और सिमरन करीब आए, तो उसका influence कम हो जाएगा।
एक शाम उसने रिया को अचानक एक event पर देखा। दोनों की मुलाक़ात पहले भी हो चुकी थी। विक्रम ने मौका देखकर बात शुरू की।
“रिया, तुम भी अक्सर कपूर हाउस जाती हो न?”
रिया ने उसकी ओर देखा और ठंडे लहजे में बोली, “हाँ। क्यों?”
विक्रम मुस्कुराया। “बस यूँ ही। मुझे लगता है हम दोनों को एक-दूसरे को समझना चाहिए। आखिर तुम्हारी दोस्त और मेरी family… जुड़ सकती हैं।”
रिया ने तुरंत तंज कसते हुए कहा, “या शायद टकरा सकती हैं।”
विक्रम उसकी सीधी बात सुनकर चुप रह गया, लेकिन उसकी आँखों में एक नई चालाकी झलक उठी।
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कुछ दिनों बाद अयान ने सिमरन को अपने ऑफिस बुलाया। मल्होत्रा ग्रुप का मुख्य दफ़्तर—ऊँची बिल्डिंग, शीशे की दीवारें और ऐसा माहौल जिसमें हर कोई उसकी authority को महसूस करता था।
सिमरन रिसेप्शन से होते हुए जब उसके ऑफिस में पहुँची, तो उसने पहली बार अयान को उस जगह देखा जहाँ वो राजा की तरह बैठता था।
“Welcome to my world,” अयान ने कहा।
सिमरन ने इधर-उधर देखा—शानदार इंटीरियर, बड़ी खिड़कियों से दिखता पूरा मुंबई, और मेज़ पर करीने से रखे फाइल्स।
“Impressive,” उसने कहा।
अयान उसकी आँखों में देखते हुए बोला, “Impression बनाने नहीं बुलाया तुम्हें। दिखाना चाहता था कि मेरी दुनिया कितनी बड़ी है… और इसमें तुम्हारी जगह कितनी अहम हो सकती है।”
सिमरन ने उसे गौर से देखा। “तुम मुझे अपनी दुनिया में क्यों चाहते हो, अयान?”
अयान ने कुर्सी से उठकर उसके करीब कदम बढ़ाए। उसकी आवाज़ धीमी थी लेकिन असरदार।
“क्योंकि जब तुम पास होती हो, तो मुझे लगता है सब कुछ मेरे कंट्रोल में है। और जब दूर होती हो, तो ये कंट्रोल टूटने लगता है।”
सिमरन का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने नज़रें झुका लीं।
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शाम को घर लौटते वक्त सिमरन के मन में सवालों का तूफ़ान था। क्या वो सच में अयान की दुनिया का हिस्सा बनना चाहती है? या ये सब बस उसकी dominance का illusion है?
वो खिड़की से बाहर बारिश को देख रही थी और खुद से पूछ रही थी—क्या ये प्यार है, या एक खेल?
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उधर कबीर investors से मिलकर लौटा तो उसके चेहरे पर थोड़ी खुशी थी। “शायद किसी ने मेरे app में interest दिखाया है,” उसने सिमरन को बताया।
सिमरन खुश हुई, “देखा, मेहनत कभी बेकार नहीं जाती।”
माँ ने मगर अभी भी चिंता जताई। “कबीर, मैं बस चाहती हूँ तुम किसी मुसीबत में मत फँसो।”
कबीर ने मुस्कुराकर कहा, “माँ, मैं समझदारी से चल रहा हूँ। और दीदी है न मेरे साथ।”
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रिया, जो अब अक्सर कपूर हाउस में आती थी, उसने सिमरन से साफ़ कहा, “देख, तू चाहे कुछ भी कर, पर अकेली मत रहना। अयान का charm बहुत dangerous है।”
सिमरन ने बस धीरे से जवाब दिया, “शायद मैं खुद danger ढूँढ रही हूँ।”
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रात को सिमरन बिस्तर पर लेटी थी। कमरे में सन्नाटा था। उसने diary उठाई और लिखा—
"उसकी आँखों में एक अजीब-सी दुनिया है। मैं चाहकर भी बाहर नहीं निकल पा रही। कभी लगता है वो मुझे कैद कर रहा है, कभी लगता है मैं खुद उसके पास कैद होना चाहती हूँ।"
कल क्या होगा, ये उसे नहीं पता था। लेकिन इतना साफ़ था कि अब पीछे मुड़ने का रास्ता नहीं बचा था।
यदि पसंद आये तो और कमैंट्स जरुर करे आपके कमैंट्स का इंतजार रहेगा।
to bi continue ✍️✍️...
अब तक... इस अध्याय में, सिमरन अयान के प्रति आकर्षित महसूस कर रही थी, जो उसे डराता भी था और आकर्षित भी करता था। अयान ने उसे अपनी दुनिया में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया, जबकि विक्रम उसे दूर रखने की कोशिश कर रहा था। कबीर अपने स्टार्टअप के लिए मेहनत कर रहा था, और रिया सिमरन को अयान से सावधान रहने की सलाह दे रही थी। सिमरन असमंजस में थी, और वह खुद से सवाल कर रही थी कि क्या यह प्यार है या एक खेल।
अब आगे....
Mumbai...
मुंबई की बारिश पिछले दो-तीन दिनों से रुक ही नहीं रही थी। हवा में नमी थी और सड़कें पानी से चमक रही थीं। सिमरन अपने कमरे में बैठी थी, फोन बार-बार देख रही थी।
स्क्रीन पर छोटा-सा मैसेज चमक रहा था—
“Lunch. My place. No excuses. – A.M.”
उसने फोन मेज़ पर रख दिया और खिड़की से बाहर देखने लगी। अंदर ही अंदर सोच रही थी, “ये आदमी हमेशा ऐसे बोलता है जैसे हुक्म दे रहा हो… लेकिन पता नहीं क्यों, मैं फिर भी मना नहीं कर पाती।”
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अगली दोपहर उसने हल्के नीले रंग की ड्रेस पहनी। ज्यादा तैयार नहीं हुई, पर आईने में देखकर उसे खुद पर थोड़ा अजीब-सा confidence महसूस हुआ।
जब वो अयान के पेंटहाउस पहुँची तो दरवाज़ा उसी ने खोला। हमेशा की तरह calm और confident।
“Welcome,” उसने कहा।
सिमरन ने अंदर कदम रखा। पहली बार उसने उस घर को देखा। हर चीज़ perfect, महँगी और classy। बड़ी खिड़कियों से समंदर साफ़ दिख रहा था।
“Impressive,” उसने धीरे से कहा।
अयान ने उसकी तरफ देखकर हल्की मुस्कान दी। “मैंने कहा था, यहाँ सब कुछ control में रहता है।”
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टेबल पर simple lunch रखा था—salad, pasta और wine। लेकिन खाने से ज्यादा भारी माहौल था। अयान बार-बार उसे ऐसे देख रहा था जैसे उसकी आँखों के पीछे तक पढ़ लेना चाहता हो।
थोड़ी देर बाद उसने पूछा, “तुम मुझसे डरती हो?”
सवाल सुनकर सिमरन चौंकी। “शायद हाँ… पर पता नहीं क्यों, डर के साथ खिंचाव भी है।”
अयान थोड़ा झुककर बोला, “यही फर्क है। लोग डरकर भागते हैं, और तुम डरकर भी पास आती हो।”
सिमरन ने नजरें चुरा लीं। उसका दिल तेज़ धड़क रहा था, लेकिन उसने खुद को संभालने की कोशिश की।
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उधर कपूर हाउस में कबीर अपनी meetings और startup की tension में लगा हुआ था। वह investors से मिलकर लौटा तो थका हुआ दिख रहा था, पर आँखों में चमक थी।
“दीदी, एक कंपनी funding करने को ready लग रही है,” उसने खुशी से बताया।
सिमरन ने उसे गले लगा लिया। “मैं जानती थी तू कर लेगा।”
कबीर थोड़ा serious हो गया। “डैड से अभी नहीं कहा। वो चाहते हैं मैं family business संभालूँ। उन्हें लगता है startup risk है।”
सिमरन ने धीरे से कहा, “लेकिन तू अपनी राह बना रहा है, और ये आसान नहीं होता। मैं तेरे साथ हूँ।”
कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा, “तू ही है जो मुझे समझती है।”
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दूसरी तरफ, रिया और विक्रम की मुलाक़ात फिर से एक charity event में हुई। माहौल classy था, लेकिन उनकी बातचीत बिलकुल सीधी।
विक्रम बोला, “रिया कपूर… हमें बार-बार मिलना लिखा है लगता है।”
रिया ने उसकी ओर देखा और तंज भरे लहजे में कहा, “Coincidence हर बार नहीं होता, विक्रम।”
विक्रम हँसा। “तुम्हें लगता है मैं जानबूझकर रास्ते में आता हूँ?”
रिया ने wine का sip लिया। “मुझे लगता है तुम हर चीज़ control करना चाहते हो… जैसे तुम्हारा भाई।”
विक्रम का चेहरा गम्भीर हो गया। “Difference ये है कि मैं लोगों को समझकर control करता हूँ। अयान उन्हें दबाकर।”
रिया ने कहा, “और मुझे control करने आए हो?”
विक्रम ने हल्की मुस्कान दी। “शायद।”
रिया ने बस सिर हिलाया। वो जानती थी मल्होत्रा भाई किसी खेल में लगे हुए हैं। और खेल dangerous था।
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लंच के बाद अयान सिमरन को terrace पर ले आया। वहाँ से पूरा समंदर दिख रहा था। हवा तेज़ थी, बारिश थम चुकी थी।
अयान ने कहा, “ज़िंदगी सिर्फ़ deals और power नहीं है। कभी-कभी कोई ऐसा इंसान मिलता है जो game बदल देता है।”
सिमरन ने उसकी तरफ देखा। “और तुम्हारे लिए मैं वही हूँ?”
अयान ने बिना सोचे कहा, “हाँ। तुम मुझे weak बना सकती हो, और मैं weakness बर्दाश्त नहीं करता। इसलिए तुम्हें अपने पास चाहता हूँ।”
सिमरन चुप रही। उसकी आँखों में पहली बार अयान की vulnerability दिखी।
उसने हिम्मत जुटाकर कहा, “तुम्हें लगता है मैं इतनी easily तुम्हारे control में आ जाऊँगी?”
अयान उसके और करीब आया। “तुम पहले ही आ चुकी हो।”
ये सुनकर सिमरन की सांस अटक-सी गई। उसने महसूस किया कि उसके पास जवाब नहीं है।
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उस रात जब वो घर लौटी, तो माँ ने पूछा, “कहाँ थी?”
“Dinner पर,” सिमरन ने casually कहा।
पर माँ की आँखों में चिंता साफ थी। अरविंद कपूर ने भी अगली सुबह साफ कहा, “सिमरन, family name याद रखना। फैसले सोच-समझकर लेना।”
सिमरन ने सिर्फ़ सिर हिलाया, पर भीतर कहीं वो जानती थी कि वो पहले ही इस जाल में फँस चुकी है।
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अगले दिन रिया उससे मिलने आई। उसने बिना घुमाए-फिराए कहा, “देख, मैं तुझे साफ़ बता रही हूँ। विक्रम कुछ प्लान कर रहा है। और अयान… वो तुझे जीतना चाहता है चाहे कुछ भी हो। दोनों भाई अलग हैं लेकिन game एक ही है—power।”
सिमरन ने उसकी आँखों में देखा। “शायद यही खेल है जिसमें मैं खुद को खींच रही हूँ।”
रिया ने उसका हाथ पकड़ा। “फर्क समझ… वरना तू सच में cage में फँस जाएगी।”
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रात को सिमरन बिस्तर पर लेटी थी। खिड़की से बारिश की बूंदें गिर रही थीं। उसने diary उठाई और लिखा—
“अयान मुझे अपनी दुनिया में खींच रहा है। कभी लगता है मैं उसके लिए trophy हूँ, कभी लगता है वो सच में मुझे चाहता है। रिया सही कहती है, ये dangerous है। पर मैं फिर भी उससे दूर नहीं जाना चाहती। शायद यही मेरी cage है… और शायद यही मेरी चाह भी।”
फोन की स्क्रीन चमकी। अयान का नया मैसेज था—
“Tomorrow. A drive. Midnight.”
सिमरन ने फोन हाथ में पकड़ा और हल्की मुस्कान दी।
उसने खुद से धीरे से कहा, “दिलों की जंग अब और गहरी होने वाली है।”
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to bi continue...
plz yar comment to kro koi samiksha do orjo chij psnd nhi aa rhi vo btao jisse me bdlav kr sku...
अब तक...
इस अध्याय में, सिमरन अयान के साथ लंच पर जाती है, जो उसे अपनी दुनिया में आकर्षित करता है। अयान उसे बताता है कि वह उसे कमजोर कर सकता है, जबकि कबीर अपने स्टार्टअप के लिए संघर्ष कर रहा है। रिया विक्रम से मिलती है, जो अयान और उसके इरादों के बारे में चेतावनी देती है। सिमरन अपने अहसास को लेकर उलझन में है। अयान उसको कल रात को long drive के लिए invite करता है जिसे सिमरन मना नहीं कर पाती है क्युकी वो अयान की तरफ attract हो रही थी जो की उसके आने वाले कल के सही नहीं था।
अब आगे...
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बारिश थम चुकी थी, लेकिन रात अभी भी गहरी और रहस्यमयी थी। खिड़कियों पर चिपके पानी की बूंदें हल्की रोशनी में चमक रही थीं। सिमरन बिस्तर पर लेटी थी, लेकिन नींद उससे कोसों दूर थी। दिमाग में बस वही आख़िरी मैसेज गूंज रहा था—
“Tomorrow. A drive. Midnight.”
दिल की धड़कनें तेज़ थीं। डर और उत्सुकता, दोनों साथ-साथ चल रहे थे।
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सुबह घर पर सब नॉर्मल था। माँ उसकी शादी को लेकर बातें कर रही थी, पापा अख़बार पढ़ रहे थे। लेकिन सिमरन का मन कहीं और ही अटका हुआ था। वो बार-बार घड़ी देखती और खुद से सवाल करती:
“क्या मुझे जाना चाहिए? या ये सिर्फ़ एक trap है?”
रिया कमरे में आई और बोली, “तू फिर से खोई हुई लग रही है। अयान का मैसेज आया था न?”
सिमरन ने नज़रें झुका लीं।
रिया ने उसके कंधे पर हाथ रखा, “सिमरन, मैं तुझे रोक नहीं सकती। लेकिन याद रख, अयान के आसपास सब कुछ ग्लैमरस दिखता है, पर भीतर का खेल… खतरनाक है।”
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घड़ी ने बारह बजाए और दिल की धड़कनें और तेज़ हो गईं। सिमरन धीरे-धीरे घर से बाहर निकली। सड़क पर सन्नाटा था। थोड़ी दूर पर अयान की काली कार खड़ी थी।
कार का दरवाज़ा खुला और अयान हमेशा की तरह कॉन्फिडेंट मुस्कान के साथ बोला,
“Come on, Simran. आज की रात सिर्फ़ हमारी होगी।”
कार में बैठते ही हल्की-सी महक आई—महंगे परफ़्यूम और लेदर की।
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शहर की लाइट्स पीछे छूटती जा रही थीं। कार तेज़ रफ़्तार से हाईवे पर निकल चुकी थी। खिड़की से ठंडी हवा अंदर आ रही थी, लेकिन सिमरन का दिल गर्म लावा जैसा धड़क रहा था।
“तुम इतनी चुप क्यों हो?” अयान ने पूछा।
सिमरन बोली, “पता नहीं… बस ये सोच रही हूँ कि ये सब सही है या नहीं।”
अयान हंसा, “सही और ग़लत ज़िंदगी के खेल हैं। जो हम चाहें वही सही बन जाता है।”
सिमरन ने उसकी ओर देखा। उसकी आँखों में अजीब-सी चमक थी—जैसे वो कुछ छुपा रहा हो।
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करीब आधे घंटे बाद कार शहर से बहुत दूर, एक पुराने किले जैसे बंगले के सामने रुकी। दरवाज़े पर बड़े-बड़े गेट, जिनपर लताएँ चढ़ी हुई थीं।
“यहाँ?” सिमरन ने घबराकर पूछा।
अयान ने मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, ये मेरी दुनिया का दूसरा चेहरा है। चलो, आज तुझे सब दिखाता हूँ।”
गेट अपने आप खुल गए, जैसे किसी ने पहले से इंतज़ाम किया हो।
मल्होत्रा विला....
बंगला अंदर से शानदार था। ऊँची छतें, पुराने झूमर, और दीवारों पर लगी पेंटिंग्स जो जैसे कुछ कहना चाहती हों। लेकिन इस आलीशान माहौल में भी सिमरन को एक ठंडी सिहरन महसूस हुई।
अयान उसे हॉल में ले गया। टेबल पर नक्शे और कुछ फ़ाइलें फैली हुई थीं।
सिमरन ने ध्यान से देखा—ये सब बिज़नेस पेपर्स नहीं थे, बल्कि प्रॉपर्टीज़ और डील्स से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट्स थे, जिनपर लाल पेन से मार्क किया गया था।
सिमरन ने धीरे से पूछा, “ये सब क्या है, अयान?”
अयान ने उसकी आँखों में देखकर कहा, “ये power का खेल है, सिमरन। जो लोग इसे खेलना जानते हैं, वही जीतते हैं। और मैं हार मानने वालों में से नहीं हूँ।”
सिमरन का दिल धड़कने लगा। उसे रिया की बातें याद आईं—“अयान तुझे जीतना चाहता है, चाहे कुछ भी हो।”
उसने काँपती आवाज़ में पूछा, “और मैं? तुम्हारे इस खेल में मेरी जगह क्या है?”
अयान ने पास आकर उसके हाथ थाम लिए।
“तुम मेरी सबसे बड़ी ताक़त हो। पर साथ ही… मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी भी।”
उसकी पकड़ मज़बूत थी, इतनी कि सिमरन को डर लगने लगा।
अचानक दरवाज़े पर दस्तक हुई। अयान का चेहरा बदल गया। उसने तुरंत सिमरन को एक कमरे में धकेलते हुए कहा,
“यहाँ रहो। बाहर मत निकलना।”
सिमरन हक्का-बक्का रह गई। दरवाज़े के बाहर से मर्दाना आवाज़ें सुनाई दे रही थीं।
“डील का टाइम निकल रहा है, अयान। हमें यहीं जवाब चाहिए।”
सिमरन का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। उसने दरवाज़े की दरार से झाँकने की कोशिश की, लेकिन अंधेरे में सिर्फ़ परछाइयाँ दिखीं।
करीब आधे घंटे तक आवाज़ें आती रहीं—कभी तेज़, कभी धीमी। ऐसा लग रहा था जैसे किसी गुप्त समझौते पर बात चल रही हो।
फिर अचानक सन्नाटा छा गया। दरवाज़ा खुला और अयान अंदर आया। उसका चेहरा गुस्से और तनाव से भरा था।
“तुमने कुछ सुना?” उसने तेज़ आवाज़ में पूछा।
सिमरन डर गई, “न-नहीं…”
अयान ने गहरी सांस ली और बोला, “अच्छा है। कुछ बातें अभी तुम्हें जाननी नहीं चाहिए।”
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सुबह होने लगी थी। कार फिर शहर की ओर लौट रही थी। सिमरन खिड़की से बाहर देख रही थी, लेकिन दिमाग में सवालों का तूफ़ान था।
कौन लोग थे वो? कैसी डील थी? और क्यों अयान उसे सब से छुपा रहा था?
अयान ने चुप्पी तोड़ी, “तुम सोच रही हो न, कि तुम किस जाल में फँस रही हो?”
सिमरन चौंकी।
“हाँ,” उसने धीमे से कहा।
अयान ने मुस्कुराकर कहा, “तो याद रखना… cage प्यार का हो या power का, एक बार क़ैद हो गए तो बाहर निकलना आसान नहीं होता।”
क्लिफहैंगर....
घर के पास पहुँचते ही सिमरन का फ़ोन वाइब्रेट हुआ। एक मैसेज था—
“वो जो दिखा रहा है, उस पर भरोसा मत करना। सच उससे कहीं ज़्यादा खतरनाक है।”
सिमरन ने स्क्रीन पर देखा और उसकी रूह काँप गई। ये मैसेज अज्ञात नंबर से आया था।
उसने अयान की तरफ़ देखा। वो बेफ़िक्री से ड्राइव कर रहा था, लेकिन उसकी मुस्कान में अब उसे रहस्य और ख़तरा दोनों दिख रहे थे।
पसंद आये तो समीक्षा और कमैंट्स मे अपनी राय जरुर साझा करे....
💠 To be continued…
अब तक...
इस अध्याय में, सिमरन अयान के साथ एक लंबी ड्राइव पर जाती है। अयान उसे अपनी दुनिया में दिखाता है, जो शक्ति और धोखे से भरी है। सिमरन रिया की चेतावनियों को याद करती है और अयान के वास्तविक इरादों पर सवाल उठाती है। वह एक ऐसी दुनिया की झलक देखती है जहाँ वह अयान की सबसे बड़ी ताकत और कमजोरी दोनों है।
अब आगे...
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सुबह का समय कपूर विला....
सुबह का पहला उजाला धीरे-धीरे कमरे में फैल रहा था। खिड़की पर लगे कांच पर बारिश की बूंदें अभी भी टिकी थीं, और उनकी हल्की-हल्की चमक कमरे को एक शांत सी एहसास दे रही थी। सिमरन अपने किंग साइज बेड पर सो रही थी, उसके सिल्की हेयर बेड पर बिखरे हुए थै और वो सोते हुए बहुत सुन्दर लग रही थी। तभी सिमरन की मम्मी सरिता जी हाथ मे चाय की ट्राय लेकर आती है और उसको साइड मे रख कर सिमरन को बेहद प्यार से जगाती है सिमरन उनको गुडमॉर्निंग मॉर्निंग बोलकर फ्रेश होने चली जाती है और फ्रेश होकर आती है और चाय का कप हाथ में लिए अपने कमरे की बालकनी मे चली जाती है और वो चाय पीते हुए बाहर की सुंदरता में खोई हुई थी क्युकी कल पूरी रात बारिश हुई थी जिससे मौसम काफ़ी सुहावना हो गया था। उसकी आँखों में आज कुछ अलग सी बेचैनी थी। वह चुपचाप चाय पी रही थी, मानो हर घूँट में अपने मन के सवालों को डूबा रही हो।
वो चाय पिकर रूम मे आती है तो सामने टेबल पर उसका लैपटॉप खुला था। उसके बिज़नेस का एक नया प्रोजेक्ट तैयार हो चुका था — कपड़ों के कलेक्शन का डिज़ाइन, जिसमें उसने अपने दिल और दिमाग का हर हिस्सा डाल दिया था। वह दिन भर अपने कर्मचारियों के साथ मीटिंग्स में व्यस्त रहती, लेकिन आज उसका मन कहीं और था। बार-बार उसकी निगाह फोन पर जाती, और हर बार वह उसे बिना देखे रख देती।कुछ देर बाद वो रेडी होकर ऑफिस के लिए निकल जाती है।
ऑफिस पहुँचते ही उसने गहरी सांस ली और काम में लग गई। दिनभर कपड़ों के नए पैटर्न, फैब्रिक और मार्केटिंग स्ट्रेटेजी पर ध्यान लगाना था। बीच-बीच में वह खिड़की से बाहर देखती — शहर की हल्की धुंध और धूप का खेल उसके मन को बेचैन कर रहा था।
दोपहर में, जैसे ही उसका काम कुछ कम हुआ, सिमरन अपने पसंदीदा कैफ़े में चली गई। वह हमेशा इस कैफ़े को पसंद करती थी क्योंकि यहाँ की चाय और माहौल दोनों उसे एक अलग तरह की शांति देते थे। चाय पीते हुए वह अपना नोटबुक खोलकर नए डिज़ाइन के विचार लिख रही थी। तभी उसका फोन वाइब्रेट हुआ। स्क्रीन पर अयान का नाम था — "शाम को मिलते हैं।" उसने जवाब नहीं दिया, लेकिन एक अजीब सी मुस्कान उसके चेहरे पर उभर गई।
शाम होते-होते कैफ़े का माहौल बदल चुका था। हल्की रोशनी, धीमा संगीत और ताज़ा चाय की खुशबू चारों ओर थी। अयान पहले से ही वहाँ था। उसका लुक गंभीर था, लेकिन उसकी आँखों में हमेशा की तरह एक तेज़ चमक थी।
"तुम आ गई," उसने धीरे कहा।
"हाँ… लेकिन इतनी चुप क्यों हो?" सिमरन ने पूछा।
अयान ने गहरी सांस ली, "कभी-कभी सच्चाई इतनी कड़वी होती है कि उसे शब्दों में कहना मुश्किल हो जाता है।" उसकी आवाज़ में रहस्य था।
सिमरन ने चुप रहकर चाय पी। कुछ पल का सन्नाटा उनके बीच था, जिसमें सिर्फ चाय के कपों की आवाज़ थी। फिर उसने कहा, "और तुम… अपनी दुनिया के बारे में कितना छुपाते हो?"
अयान ने हल्की हँसी दी, "तुम्हें पता है, सिमरन — हर इंसान के पास एक छुपा हुआ चेहरा होता है।"
रात करीब दस बजे, अयान और सिमरन कार में थे। सड़क पर हल्की धुंध थी, हवा ठंडी और नमी भरी। शहर की रोशनी पीछे छूट रही थी, और कार में केवल धीमा म्यूजिक और अयान की साँसें थीं।
"तुम इतनी चुप क्यों हो?" अयान ने पूछा।
"मैं सोच रही हूँ कि ये सब सही है या नहीं," सिमरन ने धीरे कहा।
अयान ने हल्की हँसी दी, "कभी-कभी सही और गलत की परिभाषा हमारी खुद की सोच पर निर्भर करती है।"
करीब आधे घंटे बाद वे शहर से दूर, एक पुराने बंगले के सामने रुके। ये वही बंगला था जहाँ अयान कल सिमरन को लेकर आया था और आज बि अयान सिमरन को लेकर आया था, (पर क्यों ये तो आपको आगे पढ़ने पर पता chlega🤭)गेट अपने आप खुल गए। अंदर एक अजीब सी ठंडक और रहस्यमयी माहौल था।
बंगला अंदर से शानदार था—ऊँची छतें, झूमर, दीवारों पर पेंटिंग्स। अयान ने सिमरन को एक कमरे में ले जाकर दस्तावेज़ दिखाए।
"ये सब क्या है?" सिमरन ने पूछा।
"ये मेरी दुनिया का खेल है," अयान ने गंभीर स्वर में कहा।
सिमरन के मन में डर और जिज्ञासा दोनों उठे। तभी अचानक दरवाज़े पर जोरदार दस्तक हुई। अयान का चेहरा बदल गया।
"छिप जाओ," उसने फुसफुसाया।
सिमरन कमरे के एक कोने में खड़ी हो गई। बाहर से गहरी आवाज़ें आती रहीं, कभी तेज़ तो कभी धीमी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई गुप्त समझौता हो रहा हो।
तब अचानक सन्नाटा छा गया। दरवाज़ा खुला और अयान अंदर आया, चेहरे पर तनाव था।
"कुछ सुना?" उसने पूछा।
"नहीं…" सिमरन ने धीरे कहा।
"अच्छा है… कुछ बातें अभी तुम्हें पता नहीं होनी चाहिए," उसने कहा, और उसकी आवाज़ में एक अजीब कसक थी।
कार धीरे-धीरे शहर की ओर लौट रही थी। सिमरन खिड़की से बाहर देख रही थी, मन में सवाल और बेचैनी थी। रात का सन्नाटा, अयान की चुप्पी और उसका रहस्य—सब कुछ मिलकर उसे एक अजीब जाल में फँसा रहा था।
तभी उसका फोन वाइब्रेट हुआ। एक अज्ञात नंबर से मैसेज आया—"तुम अब जाल में फँस चुकी हो।"
अयान बिना कुछ कहे ड्राइव कर रहा था। सिमरन ने उसकी ओर देखा—उसकी मुस्कान में रहस्य और खतरा दोनों थे।
शहर के हल्की रोशनी में कार रुकी। सिमरन ने दरवाज़ा खोला और बाहर कदम रखा। बारिश की खुशबू हवा में घुली हुई थी। अयान चुपचाप कार में बैठा रहा।
सिमरन ने एक बार पीछे मुड़कर देखा—उसके दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी, जैसे आज की रात से उसके जीवन का रास्ता बदल जाएगा।
पसंद आये तो समीक्षा और कमैंट्स जरुर दे।
💠 To be continue ✍️✍️...
अब तक...
इस अध्याय में, सिमरन अयान के साथ लंबी ड्राइव पर जाती है और उसकी दुनिया का अनुभव करती है। वह रिया की चेतावनियों को याद करती है और अयान के इरादों पर सवाल उठाती है। सिमरन एक ऐसी दुनिया की झलक देखती है जहाँ वह अयान की ताकत और कमजोरी दोनों है।
अब आगे...
रात का समय....
सिमरन की आँखों में अभी भी रात भर का डर और सवाल थे। अयान की मुस्कान के पीछे छुपा रहस्य, और वो अज्ञात नंबर से आया संदेश — दोनों उसके दिमाग में गूँज रहे थे। उसने चुपचाप फोन स्क्रीन को देखा, लेकिन किसी को कुछ बताने की हिम्मत नहीं थी।
अयान ने ड्राइव धीमी कर दी। कार अब शहर के किनारे एक सुनसान पार्किंग में रुकी। अयान ने दरवाज़ा खोला, और बिना कुछ कहे बाहर निकल गया। सिमरन ने अपनी सीट बेल्ट खोली, दिल की धड़कन तेज़ थी।
“कहाँ जा रहे हो?” उसने धीरे से पूछा।
अयान ने पीछे मुड़कर देखा, उसकी आँखों में अजीब सी चमक थी।
“तुम्हें अभी नहीं पता होना चाहिए, Simran. पर थोड़ा इंतज़ार करो… सब पता चलेगा।”
सिमरन ने सिर हिलाया लेकिन भीतर से बेचैन थी। उसने फोन खोला और अज्ञात नंबर से आये मैसेज को फिर से पढ़ा — “वो जो दिखा रहा है, उस पर भरोसा मत करना। सच उससे कहीं ज़्यादा खतरनाक है।”
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सुबह की शुरुआत
अगली सुबह, सिमरन ने देर से उठने का फैसला किया। उसे नींद तो आई, पर मन अभी भी अशांत था। उसने धीरे-धीरे उठकर खिड़की के पास खड़ा होकर चाय बनाई। कप में चाय की भाप उठ रही थी और सिमरन को ऐसा लग रहा था जैसे हर चुस्की उसके दिल के सवालों को हल्का कर रही हो।
रिया सुबह के नाश्ते में आई और मुस्कुरा कर बोली,
“तू ठीक लग रही है, Simran?”
सिमरन ने हल्की सी हँसी दी, “हाँ… बस कुछ सोचा रही थी।”
रिया ने जानबूझ कर कुछ न कहा, पर उसकी आँखों में चिंता साफ़ दिख रही थी।
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सिमरन का बिज़नेस और दिन भर का सफ़र
सिमरन का खुद का छोटा सा कैफे था — एक शांत सी जगह शहर के कोने में। आज वह वहाँ जा रही थी, अपने काम में खो जाने के लिए। कैफे में पहुँचते ही उसे अपने कर्मचारियों के बीच हल्की हलचल महसूस हुई। उसने मुस्कुरा कर कहा,
“अरे, आज तो मैंने देर कर दी!”
उसका असली काम उसे यहाँ शांति देता था, और यही वजह थी कि वह अक्सर यहाँ खुद को बचा लेती थी। लेकिन आज उसका मन कहीं और था — अयान और पिछले रात का रहस्य।
काम करते-करते वह बार-बार अपने फोन की ओर देखती रही। हर समय उसका दिल तेज़ धड़कता, जैसे किसी बड़े सच का इंतज़ार कर रहा हो।
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अयान की दुनिया
दूसरी ओर, अयान अपने ऑफिस में था। उसके ऑफिस का माहौल हमेशा व्यस्त और गंभीर होता था। आज वह एक नए सौदे पर मीटिंग में व्यस्त था। लेकिन अयान के चेहरे पर हल्की बेचैनी थी, जो उसने खुद पर भी छुपा रखी थी।
मीटिंग खत्म होते ही उसने अपने निजी असिस्टेंट को बुलाया और कहा,
“अभी शाम को वह सब तय करना है। Simran को इसका पता नहीं होना चाहिए।”
असिस्टेंट ने सिर हिलाया और निकल गया। अयान खिड़की से बाहर देखता रहा, जैसे किसी गहरे प्लान को सोच रहा हो।
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शाम को सिमरन अपने कैफे seवापस घर लौट रही थी वैसे तो उसका अपना फैशन डिजाइन का बिज़नेस था पर पर उसने ये कैफे अपनी पसंद से बनवाया था उसको यहां आकर थोड़ी शांति मिलती थी अपने पसंद के काम को करके क्युकी उसको बेकिंग करना बहुत पसंद था,रास्ते में उसका फोन बजा। स्क्रीन पर अयान का नाम था।
“हैलो,” सिमरन ने हल्की हिचक के साथ कहा।
“Simran, आज रात मिलते हैं,” अयान की आवाज़ में हल्की गंभीरता थी।
“कहाँ?” उसने पूछा।
“वो वही जगह जहाँ कल रात थी,” अयान ने कहा।
सिमरन ने फोन रखते ही एक गहरी साँस ली। उसे पता था कि आज रात कुछ बड़ा होगा।
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अयान के कहे अनुसार सिमरन आधी रात को वहाँ पहुँची। जगह वही पुराना किला सा बंगला था, जिसकी कहानी अभी भी अधूरी थी। अयान पहले से ही वहाँ खड़ा था।
“तुमने सोचा?” उसने पूछा, बिना मुस्कुराए।
“हाँ… और डर भी लग रहा है,” सिमरन ने धीरे कहा।
अयान ने उसका हाथ पकड़कर कहा,
“डर का मतलब है कि तुम जिंदा हो। और जिंदा रहना है तो तुम्हें सच जानना होगा।”
सिमरन की आँखों में सवाल और डर दोनों झलके। अयान उसे अंदर ले गया।
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बंगले में राज़...
बंगले के अंदर, अयान ने सिमरन को एक कमरे में बुलाया जहाँ बड़ी सी मेज़ पर कागज़ों और फ़ाइलों का ढेर था। उसने एक फ़ाइल खोली और अंदर से कुछ फोटो और डॉक्यूमेंट्स निकाले।
“ये देखो,” अयान ने कहा, “ये सब वही है जो मैं छुपा रहा था। ये सिर्फ़ बिज़नेस डील्स नहीं हैं — इसमें कुछ बहुत बड़ा है, Simran। कुछ ऐसा जो तुम्हें पूरी तरह बदल देगा।”
सिमरन ने डर के साथ फ़ाइल को देखा। वह तस्वीरें, नक्शे और कुछ नोट्स पढ़ रही थी, जिनमें अयान के कई नाम और जगहें जुड़ी थीं।
“ये सब… क्या है?” उसने कांपती आवाज़ में पूछा।
अयान ने धीमे से कहा,
“ये मेरा राज़ है। और तुम अब इसके बीच में हो।”
सिमरन कमरे में अकेली बैठी रही। उसके हाथ में अभी भी अयान की दी हुई फ़ाइल थी और दिल की धड़कन जैसे तेज़ हो गई थी। बाहर हवाओं की सरसराहट थी, जैसे किसी रहस्य की कहानी फुसफुसा रही हो। अचानक उसने खिड़की से बाहर देखा — दूर बंगले के पीछे एक हल्की रोशनी चमक रही थी, जो किसी अनजाने रास्ते की तरफ इशारा कर रही थी। सिमरन को लगा कि ये सिर्फ़ रोशनी नहीं, बल्कि एक संकेत है… किसी नई शुरुआत का। उसने फ़ाइल को कसकर पकड़ लिया और अपने आप से कहा,
“कल तक मैं इसका जवाब ढूँढूँगी।”
क्या करना चाहती है सिमरन क्या वो अयान के राज तक पहुंच पाएगी जानने के लिए बने रहे मेरे साथ।
📌 To be continued…
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पसंद आये तो समीक्षा और कमैंट्स जरुर करे मिलते है next पार्ट मे.....