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Practice

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Total Chapters (7)

Page 1 of 1

  • 1. Practice - Chapter 1

    Words: 2040

    Estimated Reading Time: 13 min

    Chapter 8:-

    अब बारी आखिरी पहली को सुलझाने की थी। जिसे शुभ ने पढ़ा : " सबको हंसाता हु। सबको रुलाता हु।"

    इस पर कुणाल मुंह चढ़ा कर बोला : " ये तो मै हु। लेकिन यहां मेरा सिम्बोल ही नहीं है। ( नाटक करते हुए ) अलसी लोग।"

    ये सुन पायल तंज कसते हुए बोली : " हा उनके क्रिएटर ने भी बोल दिया होगा। ( नाटक करते हुए ) छी। इतनी गंदी चीज मै नहीं बनात।"

    वो लोग झगड़ ही रहे थे। की तभी नैना ओर शुभ एक साथ बोले : " किताब।"

    फिर उन दोनों ने चौक कर एक दूसरे को देखा। ये देख कुणाल बोरियत से बोला : " अबे अपनी ये लैला मजनू की फिल्म बाहर जाकर दिखा देना। अभी जल्दी चलो। वरना कोई ओर जीत जाएगा।"

    ये सुन वो दोनों ही झेंप गए। और उनकी हालत पर पायल को भी हसी आने लगी। उन लोगों ने वो चारों सिम्बोल दबा दिए। तो दरवाजा खुल गया। जब उन्होंने सामने देखा। तो वहां 10 गुफाएं थी। ओर उसके ऊपर लिखा था। " WHISPERING OF SHADOWS।"

    ये पढ़ वो कुछ समझ पाते कि तभी एक परछाई वहां आकर बोली : " इधर आओ।"

    उसके तुरंत बाद नैना के पीछे से एक परछाई की आवाज आई : " नहीं नहीं इस तरफ।"

    ये सुन नैना ने डर कर शुभ का हाथ पकड़ लिया। तो शुभ ने उसके हाथ को कस कर पकड़कर बोला : " मै हु ना। डरो मत तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा।"

    ये सुन नैना के चेहरे पर एक लाल रंगत आ गई। उसे उसका गाल जलते हुए महसूस हुआ। तो वो अपने गालों को छू कर मन मै बोली : " कही मुझे बुखार तो नहीं हो गया।"

    तभी वहां शुभ की आवाज आई। वो अपने चेहरा पर एक दिलकश मुस्कान लिए बोला : " मैने कही पढ़ा था कि सच्चाई को शोर करने की जरूरत नहीं पड़ती। वो खामोश रहती है। "

    तो कुणाल ने उसे तंज कसते हुए कहा : " लगता है प्यार का बुखार तेरे सर चढ़ गया है। यहां इस भूतिया जगह से बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिल रहा। ओर ये हमारे सामने ज्ञान पैल रहा है।"

    तो शुभ उसे गुस्से से घूरते हुए बोला : " अबे मंद बुद्धि। मै रास्ता ही बता रहा हु। वो देख उस तरफ एक परछाई चुप चाप खड़ी है। ओर बाकी सारी परछाइयां हमे अपनी तरफ बुला रही है। इसका मतलब हमे उसके पीछे जाना है।"

    ये सुन सब जैसे ही उस तरफ बढ़े वो परछाई वहां से जाने लगी। तो कुणाल बोला : " कही ये भी तो रास्ता भूल ना गई। इसलिए पतली गली से निकल रही है।"

    तभी शुभ उस परछाई का पीछा करते हुए बोला : " अबे गली से नहीं पतली गुफा से।"

    वो लोग ऐसे ही बकवास करते हुए उस परछाई के पीछे भागते हुए बाहर आ पहुंचे। जैसे ही वो चारों बाहर आए उन पर फुल गिरने लगे। तो कुणाल हैरानी से बोला : " अबे कही गुफा स्वर्ग से तो नहीं जुड़ी हुई थी।"

    तो शुभ आस पास देखते हुए बोला : " नहीं। क्योंकि तेरी हरकते नहीं है स्वर्ग जाने वाली। मुझे तो लग रहा है ये बकरे को हलाल करने से पहले उसका स्वागत कर रहे है। देखना अभी थोड़ी देर मै गरम तेल की कढ़ाई लेकर आयेंगे।"

    शुभ के मुंह से ऐसी बातें सुन कर पायल उसे हैरानी से देखने लगी। लेकिन नैना को अब इसकी आदत पड़ गई थी। उनके निकलने के 10 sec बाद ही NSC का ग्रुप भी निकल गया। जब उन्होंने उनसे पहले किसी और ग्रुप को वहां देखा तो वो लोग हैरान रह गए।

    इस वक्त पंजाब यूनिवर्सिटी के प्राचार्य ओर शुभ, नैना, पायल, कुणाल स्टेज पर खड़े थे। प्राचार्य के चेहरे पर प्राऊड वाली मुस्कान थी। वहीं NSC के प्राचार्य अपने ग्रुप को गुस्से मै घूर रहे थे। वहां आए बिजनेस मैन ने सभी को उनकी ट्रॉफी दी। शुभ को लीडर की ट्रॉफी मिली थी। ओर बाकी तीनों को टीममेट्स की। लेकिन तभी शुभ ने मुस्कुराते हुए अपनी ट्रॉफी नैना को दे दी। ओर उसकी ट्रॉफी खुद ले ली। ये देख नैना उसे हैरानी से देखने लगी। वो उससे कुछ कहती की तभी वहां भीड़ जम गई। वहां का माहौल जश्न जैसा हो गया। ओर नैना को शुभ से बात करना का टाइम ही नहीं मिला।

    रात का समय... शुभ का घर..

    वो लोग सुबह गए थे। लेकिन उन्हें लौटने मै रात हो गई थी। वहीं दोपहर से ही जोरो की बारिश भी शुरू हो गई थी। नीलम, केशव ओर मेहर के चेहरे की खुशी छुपाए नहीं छुप रही थी। नीलम ने तो शुभ को दरवाजे पर ही रोक दिया। ओर उसकी आरती करके उसे घर मै ले लिया।

    नीलम ने शुभ को गले लगा कर कहा : " मेरा बेटा। किसी की नजर ना लगे।" फिर उसके माथे पर किस किया।

    तभी केशव सोफे पर बैठते हुए बोले : " नजर तो लग गई है नीलम। अब तुम अपने बेटे को नैना से कैसे बचाओगी?"

    ये सुन नीलम आंखे बड़ी कर चेहरे पर झूठी हैरानी लाकर बोली : " मै तो भूल ही गई थी।"

    वहीं नैना सुन कर शुभ ने मेहर को घूरा। तो मेहर ने अपने दोनों हाथ खड़े कर दिए। तभी नीलम ने शुभ के कान पकड़ कर पूछा : " क्यों साहबजादे। कुछ ज्यादा ही आशिकी नहीं चढ़ी रही आपको?"

    ये सुन शुभ कान छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोला : " आह मां छोड़ दो ना।"

    ये देख मेहर हसने लगी। तो नीलम उसका भी कान पकड़ कर बोली : " और तू वैसे तो हर वक्त इसकी बुराई करती है। लेकिन इसकी बाते छुपाने मै माहिर है।"

    तो केशव हस्ते हुए बोले : " अब छोड़ भी दो नीलम।"

    तो नीलम ने उनके कान छोड़ दिए। शुभ अपने कान मसलते हुए बोला : " एक min क्या आप दोनों को नैना से कोई एतराज नहीं है?"

    ये सुन उन दोनों ने एक दूसरे को देखा। फिर मुस्कुरा कर ना मै सर हिलाते दिया।

    2 हफ्ते बाद.. शाम का समय.. पंजाब यूनिवर्सिटी..

    दो हफ्तों से लगादार जोरो से बारिश हो रही थी। पंजाब मै जल्द ही रेड अलर्ट जारी करने वाले थे। इसलिए प्राचार्य ने स्टेट लेवल कंपटीशन जितने की खुशी मै और रुकी हुई फ्रेशर्स पार्टी करवाने के लिए आज ये पार्टी रखी थी। नैना एक बेहद ही खूबसूरत गहरे लाल ओर काले रंग का गाऊन पहना हुआ था। इसके बाल जुड़े मै बंधे हुए थे। ओर बालों की कुछ लटे उसके चेहरे पर आ रही थी।

    नैना ने हल्का सा मेकअप किया था। जो उसकी खूबसूरती को ओर भी बढ़ा रहा था। नैना अपना गाऊन पकड़े पार्टी में यहां वहां किसी को ढूंढ रही थी।

    वहीं एक साइड में शुभ खड़ा था। उसने काले रंग का शर्ट और ऊपर रेड कलर का कोट पहना हुआ था। वो काफी हैंडसम लग रहा था। लेकिन उसके चेहरे पर नर्वसनेस भी साफ दिख रही थी। उसके हाथ में एक लाल रंग की छोटी सी डिब्बी भी थी। तभी कुणाल ने उसके कंधे पर हाथ रख कर उसे हौसला देते हुए कहा : " शुभ तू इतना क्यों डर रहा है। वो ऑलरेडी तेरी गर्लफ्रेंड है। अपनी गर्लफ्रेंड को दोबारा प्रपोज करने मै इतना कौन डरता है।"

    तो शुभ उसे देख बेचारगी से बोला : " मै इस दुनिया में दो ही औरतों से डरता हु। एक मेरी मां ओर दूसरी उनकी होने वाली बहु से। दोनों ही गुस्से में बड़ी डरावनी लगती है।"

    ये सुन कुणाल ने उसे आगे धकेलते हुए कहा: " अबे डर के आगे ही नैना है। चल जा मेरे शेर तू कर लेगा। देख अभी पार्टी शुरू नहीं हुई। अगर एक बार सब शुरू हुआ। तो तुझे बोलने का मौका ही नहीं मिलेगा। और ऊपर से वो प्राचार्य तुझे स्टेज पर अपने बगल में बैठा लेगा। तो अभी जा।"

    नैना को देख पायल ने उसे आवाज लगाई। लेकिन नैना उसे नजरअंदाज कर किसी को ढूंढते हुए जाने लगी। तो पायल ने उसका हाथ पकड़ उसे अपने सामने किया। ये देख नैना ने चीड़ कर पूछा : " क्या हुआ है पायल?"

    तो पायल बोली : " वही तो मै तुझसे पूछना चाहती हु। तुझे क्या हुआ है? कब से देख रही हु यहां वहां देखते हुए जा रही है। हमारे बुलाने पर भी नहीं आई।"

    ये सुन नैना जाते हुए बोली : " में किसी को ढूंढ रही हु?"

    तभी पायल की आवाज आती है पीछे से : " शुभ को?"

    ये सुन नैना रुक गई। और उसे पीछे मूड कर देखने लगी। तो पायल उसे सख्त नजरों से देखते हुए बोली : " शायद तू भूल रही है नि ये सब सिर्फ एक खेल था। तू अपना डेयर पूरा करते करते कही सच में उसके प्यार में तो नहीं गिर गई ना।"

    उसकी बात सुन नैना अपना सर ना मै हिलाते हुए बोली : " पायल तू गलत समझ रही है।"

    लेकिन पायल ने उसे रोकते हुए कहा : " मैं कुछ गलत नहीं समझ रही। अगर तू भूल गई है तो तुझे याद दिला दूं। तुझे मैने डेयर दिया था उसे प्यार मै फंसा कर आज के दिन उसका दिल तोड़ने का। तू उसके साथ थी क्योंकि तुझे स्टेट लेवल कॉम्पटीशन जितना था। तुझे क्लास में टॉप करना था। कॉम्पिटिशन तू जीत चुकी है। ओर रही बात टॉप करने की। तो अब तेरा हाथ पढ़ाई पर कस गया है। अब वक्त आ गया है। की तू अपना डेयर पूरा करे। तुझे शुभ के चेहरे से मासूमियत का नकाब निकालना है। जा और उसे बता दे कि तू बस नाटक कर रही थी।"

    ये कहते हुए उसकी आवाज धीमी होती चली गई। उसकी आंखे बड़ी हो गई। वो एक टक नैना के पीछे देख रही थी। उसे ऐसे एक टक अपने पीछे देखता देख नैना भी मुड़ी। तो उसकी आंखे भी हैरानी से बड़ी हो गई। उसके सामने शुभ खड़ा था। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। वो एक टक नैना की आंखों मै देख रहा था। और नैना भी उसे ही देख रही थी। दोनों के लिए ये वक्त रुक गया था। शुभ की आंखों में दर्द ओर निराशा थी। तो नैना की आंखों मै बेबसी और पछतावा था। शुभ के पास पूछने के लिए सवाल ही सवाल थे। और नैना के पास समझाने के लिए बोहोत सी बातें।

    लेकिन कुदरत को कुछ और ही करना था। इससे पहले कि वो अपनी नाराजगी, प्यार, गुस्सा, दर्द जता पाते। तभी अचानक वहां पानी भरने लगा। अचानक इतना पानी आता देख सभी हैरान ओर कन्फ्यूज़ हो गए। सभी बच्चे हड़बड़ाते हुए यहां वहां भागने लगे। पानी तेजी से बढ़ रहा था। सब चिल्लाने लगे : " बाढ़ आ रही है।"

    ये सुन शुभ ने अपनी नाराजगी, गुस्सा एक तरफ किया। और नैना का हाथ पकड़ उसे स्टेज पर ऊपर की तरफ ले जाने लगा। वो लोग मैदान में थे। जहां ऊपर से कवर किया गया था। बाढ़ का पानी ओर तेज हो गया। जिसकी वजह से कुछ लोग पानी के साथ ही बहने लगे। थोड़ी ही देर मै वहां रेस्क्यू के लोग भी आ गए। बाढ़ का पानी आज सब कुछ अपने साथ बहा ले जाने के लिए तैयार था। तभी एक नाव उनके पास आई। तो शुभ ने पहले नैना को चढ़ा दिया। फिर खुद चढ़ने लगा। लेकिन तभी नैना का पैर फिसल गया। और वो गिरने को हुई।

    लेकिन शुभ ने ऐन वक्त पर उसे पकड़ लिया। शुभ ने उसका हाथ कस कर पकड़ उसे अपनी तरफ खींचते हुए कहा : " कहा था ना। तुम्हे कभी गिरने नहीं दूंगा।"

    जल्द ही वो नाव भर गई। नैना और शुभ नाव के एंड में थे। हालात ऐसे हो गए थे कि अब वहां शुभ या नैना मै से एक ही खड़ा हो सकता था। नैना एक बार फिर से गिरने को हुई। तो शुभ उसे पकड़ लिया। वहीं कुणाल जो दूसरी नाव मै था। वो वहां से चिला कर बोला: " अबे यहां जान पर बन आई है। और तुझे टाइटैनिक का पोज मारना है।"

    लेकिन तभी शुभ का पैर फिसल गया। तो शुभ ने नैना को बचाने के लिए उसे खुद से दूर कर दिया। और इसी के चक्कर में वो खुद उस पानी में गिर गया। नैना का वो हाथ जो उसने उसे पकड़ने के लिए बढ़ाया था। वो खाली ही रह गया। ये देख वो जोर से चिल्लाई: " शुभ।"

    क्या शुभ बच पाएगा?

    क्या यही अंत था नैना और शुभ की कहानी का?

    क्या रह जाएगी ये कहानी अधूरी?

  • 2. Practice - Chapter 2

    Words: 1709

    Estimated Reading Time: 11 min

    Chapter 8

    अब बारी आखिरी पहेली को सुलझाने की थी, जिसे शुभ ने पढ़ा: "सबको हंसाता हूं, सबको रुलाता हूं।"

    इस पर कुणाल ने मुंह चढ़ाकर कहा: "ये तो मैं हूं। लेकिन यहां मेरा सिम्बोल ही नहीं है।" (नाटक करते हुए) "अलसी लोग!"

    ये सुन पायल ने तंज कसते हुए कहा: "हां, उनके क्रिएटर ने भी कहा होगा, छी… इतनी गंदी चीज मैं नहीं बनाती।"

    वो लोग झगड़ ही रहे थे कि तभी नैना और शुभ एक साथ बोले: "किताब।"

    फिर दोनों चौंककर एक-दूसरे को देखने लगे। ये देख कुणाल बोरियत से बोला: "अबे, अपनी ये लैला-मजनू की फिल्म बाहर जाकर दिखा देना। अभी जल्दी चलो, वरना कोई और जीत जाएगा।"

    ये सुन दोनों झेंप गए। उनकी हालत पर पायल को भी हंसी आ गई। वो लोग चारों सिम्बोल दबा देते हैं और दरवाजा खुल जाता है। सामने जब देखा तो वहां 10 गुफाएं थीं और उसके ऊपर लिखा था: “WHISPERING OF SHADOWS।”

    ये पढ़कर वो कुछ समझ ही रहे थे कि तभी एक परछाई आकर बोली: "इधर आओ।"

    तुरंत फिर नैना के पीछे से दूसरी परछाई की आवाज आई: "नहीं, नहीं इस तरफ।"

    ये सुन नैना डर गई और उसने शुभ का हाथ पकड़ लिया। शुभ ने भी कसकर उसका हाथ थामते हुए कहा: "मैं हूं ना। डरो मत, तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा।"

    ये सुन नैना के चेहरे पर लालिमा आ गई। उसे अपने गाल तपते हुए महसूस हुए। उसने गालों को छूते हुए मन ही मन सोचा: "कहीं मुझे बुखार तो नहीं हो गया?"

    उसी वक्त शुभ दिलकश मुस्कान लिए बोला: "मैंने पढ़ा था कि सच्चाई को शोर करने की जरूरत नहीं होती। वो खामोश रहती है।"

    तो कुणाल तंज कसते हुए बोला: "लगता है प्यार का बुखार तेरे सर चढ़ गया है। यहां तो भूतिया जगह से बाहर का रास्ता नहीं मिल रहा और ये ज्ञान बांट रहा है।"

    शुभ ने गुस्से से घूरकर कहा: "अबे मंद बुद्धि, मैं रास्ता बता रहा हूं। वो देख, उस तरफ एक परछाई चुपचाप खड़ी है और बाकी परछाइयां हमें अपनी तरफ बुला रही हैं। मतलब हमें उसी के पीछे जाना है।"

    जैसे ही सब उस तरफ बढ़े, परछाई वहां से जाने लगी। कुणाल बोला: "कहीं ये भी तो रास्ता भूलकर न जा रही हो?"

    शुभ उसका पीछा करते हुए बोला: "अबे गली से नहीं, पतली गुफा से!"

    वो लोग बकवास करते-करते परछाई के पीछे बाहर पहुंच गए। बाहर आते ही उन पर फूल बरसने लगे। कुणाल हैरानी से बोला: "अबे, कहीं ये गुफा स्वर्ग से तो नहीं जुड़ी हुई थी?"

    शुभ ने चारों तरफ देखते हुए कहा: "नहीं। क्योंकि तेरी हरकतें स्वर्ग जाने लायक नहीं हैं। मुझे तो लग रहा है ये बकरे को हलाल करने से पहले उसका स्वागत कर रहे हैं। देखना, अभी थोड़ी देर में गरम तेल की कढ़ाई लेकर आएंगे।"

    ये सुनकर पायल ने शुभ को हैरानी से देखा। लेकिन नैना अब उसकी बातें सुनने की आदी हो गई थी।

    उनके निकलने के दस सेकंड बाद ही NSC का ग्रुप भी बाहर आ निकला। उन्हें देखकर वो लोग हैरान रह गए।

    अब पंजाब यूनिवर्सिटी के प्राचार्य और शुभ, नैना, पायल, कुणाल स्टेज पर खड़े थे। प्राचार्य के चेहरे पर गर्व की मुस्कान थी। वहीं NSC के प्राचार्य गुस्से से अपने ग्रुप को घूर रहे थे। आए हुए बिजनेसमैन ने सभी को ट्रॉफी दी। शुभ को लीडर की ट्रॉफी मिली, बाकी तीनों को टीममेट्स की। लेकिन शुभ मुस्कुराते हुए अपनी ट्रॉफी नैना को देकर उसकी ट्रॉफी अपने पास ले लिया।

    ये देखकर नैना हैरान रह गई। वो कुछ कहती, उससे पहले ही वहां जश्न जैसा माहौल बन गया और नैना को शुभ से बात करने का मौका ही नहीं मिला।

    ***

    रात का समय… शुभ का घर…

    सुबह से निकले वो लोग रात को लौटे। दोपहर से ही जोरदार बारिश हो रही थी। नीलम, केशव और मेहर अपनी खुशी छुपा नहीं पा रहे थे। नीलम ने तो शुभ का द्वार पर ही स्वागत करते हुए उसकी आरती की और घर में ले आई।

    नीलम ने शुभ को गले लगाकर कहा: "मेरा बेटा… किसी की नज़र ना लगे।" और उसके माथे पर किस किया।

    केशव सोफे पर बैठते हुए बोले: "नज़र तो लग गई है, नीलम। अब तुम अपने बेटे को नैना से कैसे बचाओगी?"

    ये सुन नीलम ने आंखे बड़ी कर नकली हैरानी जताते हुए कहा: "अरे, मैं तो भूल ही गई थी।"

    नैना सुन रही थी, और शुभ मेहर को घूर रहा था। मेहर दोनों हाथ उठाकर पीछे हट गई। तभी नीलम ने शुभ के कान पकड़कर पूछा: "क्यों जनाब, कुछ ज्यादा ही आशिकी चढ़ रही है ना?"

    शुभ कान छुड़ाते हुए बोला: "आह मां, छोड़ो ना!"

    मेहर हंसने लगी। नीलम ने उसका भी कान पकड़ लिया और बोली: "और तू! हर वक्त इसकी बुराई करती है, लेकिन छुपाने में माहिर है।"

    केशव हंसते हुए बोले: "अब छोड़ भी दो, नीलम।"

    नीलम ने उनके कान छोड़ दिए। शुभ कान मसलते हुए बोला: "एक मिनट, क्या आप दोनों को नैना से कोई एतराज नहीं है?"

    दोनों ने एक-दूसरे को देखते हुए मुस्कुराकर सर ना में हिला दिया।

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    ठीक है, मैं अब "दो हफ्ते बाद वाली पार्टी" से लेकर बाढ़ वाले पूरे सीन को भी past tense और audiobook narration स्टाइल में एडिट करके देता हूं।

    ***

    ### Chapter 8 (Audiobook Format – Past Tense, Part 2)

    दो हफ्ते बाद… शाम का समय… पंजाब यूनिवर्सिटी…

    पिछले दो हफ्तों से लगातार तेज बारिश हो रही थी। पंजाब में जल्द ही रेड अलर्ट जारी होने वाला था। लेकिन प्राचार्य ने स्टेट लेवल कॉम्पिटिशन जीतने की खुशी और रुकी हुई फ्रेशर्स पार्टी को मिलाकर आज पार्टी रखी थी।

    नैना ने गहरे लाल और काले रंग का खूबसूरत गाउन पहना था। उसके बाल जूड़े में बंधे हुए थे और कुछ लटें चेहरे पर गिर रही थीं। हल्के मेकअप ने उसकी खूबसूरती और बढ़ा दी थी। वो अपना गाउन थामे किसी को ढूंढती हुई इधर-उधर देख रही थी।

    वहीं दूसरी ओर शुभ खड़ा था। उसने काली शर्ट और ऊपर लाल कोट पहना हुआ था। वो काफी हैंडसम लग रहा था, लेकिन उसके चेहरे पर घबराहट साफ झलक रही थी। उसके हाथ में लाल रंग की एक छोटी डिब्बी थी।

    कुणाल ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा: "शुभ, इतना क्यों डर रहा है? वो पहले ही तेरी गर्लफ्रेंड है। अपनी गर्लफ्रेंड को दोबारा प्रपोज करने में इतना कौन डरता है?"

    शुभ बेचारगी से बोला: "मैं इस दुनिया में सिर्फ दो औरतों से डरता हूं। एक मेरी मां और दूसरी उनकी होने वाली बहु से। दोनों ही गुस्से में बड़ी डरावनी लगती हैं।"

    कुणाल ने उसे आगे धकेलते हुए कहा: "अबे डर के आगे ही नैना है। जा मेरे शेर, तू कर लेगा। देख, अभी पार्टी शुरू नहीं हुई है। अगर सब शुरू हो गया तो तुझे मौका ही नहीं मिलेगा। और ऊपर से प्राचार्य तुझे स्टेज पर अपने साथ बैठा लेगा। तो अभी जा।"

    ***

    नैना उधर पायल को नजरअंदाज करते हुए किसी को ढूंढ रही थी। पायल ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोका।

    नैना ने चिढ़कर पूछा: "क्या हुआ है पायल?"

    पायल बोली: "वही तो मै तुझसे पूछना चाहती हु। तुझे क्या हुआ है? कब से देख रही हु यहां वहां देखते हुए जा रही है। हमारे बुलाने पर भी नहीं आई।"

    नैना जल्दी से बोली: "मैं किसी को ढूंढ रही हूं।"

    पीछे से पायल की आवाज आई: "शुभ को?"

    नैना रुक गई और मुड़कर उसे देखने लगी। पायल सख्त नजरों से देख रही थी: "शायद तू भूल गई है कि ये सब सिर्फ एक खेल था। कहीं तू सच में उसके प्यार में तो नहीं गिर गई?"

    नैना ने सर ना में हिलाते हुए कहा: "पायल, तू गलत समझ रही है।"

    लेकिन पायल ने रोकते हुए कहा: " मैं कुछ गलत नहीं समझ रही। अगर तू भूल गई है तो तुझे याद दिला दूं। तुझे मैने डेयर दिया था उसे प्यार मै फंसा कर आज के दिन उसका दिल तोड़ने का। तू उसके साथ थी क्योंकि तुझे स्टेट लेवल कॉम्पटीशन जितना था। तुझे क्लास मै टॉप करना था। कॉम्पिटिशन तू जीत चुकी है। ओर रही बात टॉप करने की। तो अब तेरा हाथ पढ़ाई पर कस गया है। अब वक्त आ गया है। की तू अपना डेयर पूरा करे। तुझे शुभ के चेहरे से मासूमियत का नकाब निकालना है। जा और उसे बता दे कि तू बस नाटक कर रही थी।"

    पायल की आवाज धीमी पड़ गई। उसकी आंखें बड़ी हो गईं और वो नैना के पीछे देखती रह गई। नैना ने भी मुड़कर देखा।

    उसके सामने शुभ खड़ा था। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। वो एकटक नैना की आंखों में देख रहा था। उसकी आंखों में निराशा और दर्द था। जबकि नैना की आंखों में बेबसी और पछतावा। वक्त जैसे थम गया था।

    शुभ के पास सवालों की भरमार थी और नैना के पास सफाई देने के लिए बहुत सी बातें…

    लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। इससे पहले कि वो अपनी नाराजगी, प्यार, गुस्सा और दर्द बांट पाते, तभी अचानक वहां पानी भरने लगा।

    ***

    भीड़ घबराकर चिल्लाने लगी: "बाढ़ आ रही है!"

    पानी तेजी से बढ़ रहा था। अफरा-तफरी मच गई। लोग इधर-उधर भागने लगे। कई लोग पानी के तेज बहाव में गिरकर बहने लगे।

    शुभ ने अपनी सारी नाराजगी भूलकर नैना का हाथ कसकर पकड़ लिया और उसे स्टेज की तरफ खींचते हुए ऊपर चढ़ा दिया। मैदान का निचला हिस्सा पानी से भर रहा था।

    रेस्क्यू टीम भी वहां पहुंच चुकी थी। नावें लोगों को बाहर निकालने लगीं। एक नाव उनके पास आई। शुभ ने पहले नैना को उसमें चढ़ाया और फिर खुद भी चढ़ने लगा। तभी नैना का पैर फिसल गया, लेकिन शुभ ने उसे संभाल लिया।

    वो कसकर उसका हाथ पकड़ बोला: "कहा था ना, तुम्हें कभी गिरने नहीं दूंगा।"

    नाव भर चुकी थी। नैना और शुभ पीछे की ओर खड़े थे। हालात ऐसे हो गए थे कि दोनों एक साथ नहीं टिक सकते थे। नैना दोबारा गिरने लगी तो शुभ ने उसे संभाला।

    उधर दूसरी नाव में बैठे कुणाल ने चिल्लाकर कहा: "अबे! यहां जान पर बन आई है और तुझे टाइटैनिक का पोज मारना है!"

    इतना कहते ही शुभ का पैर फिसल गया। नैना को बचाने के लिए उसने उसे जोर से आगे धकेल दिया। लेकिन खुद पानी में गिर गया।

    नैना ने उसका हाथ पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया, लेकिन वो खाली रह गया। शुभ पानी में बह गया।

    नैना जोर से चिल्लाई: "शुभ!"

    क्या शुभ बच पाया?

    क्या यही अंत था नैना और शुभ की कहानी का?

    क्या रह जाएगी ये कहानी अधूरी?

  • 3. Practice - Chapter 3

    Words: 1

    Estimated Reading Time: 1 min

    k

  • 4. Practice - Chapter 4

    Words: 1

    Estimated Reading Time: 1 min

    o

  • 5. Practice - Chapter 5

    Words: 1

    Estimated Reading Time: 1 min

    m

  • 6. Practice - Chapter 6

    Words: 2032

    Estimated Reading Time: 13 min

    Chapter 9 :-
    2 साल बाद

    2 साल बाद... मुंबई...

    " शुभ।": ये चिल्लाते हुए एक लड़की नींद से उठ बैठी। उसके चेहरे पर पसीना था। आंखों मै आंसू थे। चेहरे पर दर्द था। उसकी आवाज सुन अमन कमरे मै भाग कर आ गया। उसने नैना को गले लगा कर कहा : " shhh। शांत हो जाओ। लंबी लंबी सांसे लो।"

    अमन को देख नैना ने भी उसे गले लगा लिया। वो धीरे धीरे शांत हो गई। ये पिछले दो सालों से होता आ रहा था। शुभ को गए हुए 2 साल बीत गए थे। लेकिन आज भी नैना उस दर्द से उभर नहीं पाई थी। उस बाढ़ ने नैना से उसका सब कुछ छीन लिया था। अमन ने उससे दूर होकर उसके आंसुओं को साफ करते हुए कहा : " फ्रेश हो जाओ। मैने आज तुम्हारे लिए भिंडी की सब्जी बनाई है। चलो जल्दी उठ जाओ ऑफिस के पहिले दिन ही लेट होने का इरादा है क्या?"

    थोड़ी देर बाद नैना नहा कर बाहर आई। उसने ब्लैक कलर का कुर्ता पहना हुआ था। नीचे ब्ल्यू जींस और गले के आस पास एक स्टॉल लपेटा हुआ था। उसके बाल खुले थे। आंखों मै काजल लगाया हुआ था। होठों पर लिपबॉम लगाई हुई थी। तभी उसकी नजर अपने गले मै पहने चैन पर गई। जिसमें उसने पिन लगाई हुई थी। उसे देख वो वापस उन दो सालों की यादों मै चली गई।

    ......

    शुभ चिल्लाते हुए वो बेहोश हो गई। लेकिन वहां खड़े लोगों ने उसे नीचे गिरने से बचा लिया। उसके बाद एक हफ्ते तक नैना हॉस्पिटल मै एडमिट थी। उसे एक हफ्ते बाद होश आया था। वो उठते ही शुभ के बारे मै पूछने लगी थी। लेकिन कोई कुछ नहीं कहता। नैना ने उस दिन अपनी जान लेने की कोशिश की थी। लेकिन उसे बचा लिया गया था। 2 महीने बाद उसे हॉस्पिटल से घर लाया गया। पंजाब मै आई बाढ़ की वजह से जो जो नुकसान हो गया था। वो पूरी तरह ठीक तो नहीं हुआ था। लेकिन चीजें काफी हद तक संभाली गई थी।

    अपनी बेटी को मरता देख सुनीता और दीपक का दिल पहली बार अपनी बेटी के लिए पसीज गया था। उन्हें हमेशा लगता था कि उन्होंने नैना को हमेशा एक अच्छी लाइफ स्टाइल दी थी। लेकिन कभी उन्होंने ध्यान ही नहीं दिया कि बस खाना, कपड़े और पैसे देने का मतलब ही बच्चों को बड़ा करना नहीं होता। प्यार और टाइम भी देना पड़ता है। दीपक को लगा कि अगर नैना की शादी हो गई। तो वो शुभ को भूल जाएगी। और इसी लिए उन्होंने नैना की शादी करने का फैसला ले लिया।

    ये सुन पहली बार अमन उनके खिलाफ चल गया था। उसने नैना को लेकर घर छोड़ने की भी बात की थी। अमन की जिद देख कर दीपक भी मान गए। दीपक चाहते तो उसे शर्त हारने की बात पर नैना को शादी के लिए तैयार करवा सकते थे। लेकिन उन्होंने कभी भी नैना से उस शर्त के बारे मै बात नहीं की। नैना ने अब तक 10 से भी ज्यादा बार अपनी जान लेने की कोशिश की थी। लेकिन हर बार कोई ना कोई उसे बचा ही लेता।

    एक दिन अमन ने ये चैन उसे पहनाते हुए कहा था : " नैना अगली बार खुद की जान लेने से पहले ये जरूर सोच लेना कि शुभ ने तेरी जान बचाने के लिए अपनी जान दे दी थी। तू अपनी जान लेकर उसके sacrifice की बेइज्जती कर रही है। अगली बार जब अपनी जान लेने की कोशिश करो ना तो इस चैन को देख लेना।"

    नैना शुभ के जाने से उभर नहीं पाई थी। उसका ध्यान भटकाने के लिए एक महीने पहले अमन उसे मुंबई लेकर आया था। उसके बाद नैना ने एक कंपनी मै इंटरव्यू दिया। जो एक्सेप्ट भी जो गया था। और आज उसका पहला दिन था काम पर।

    ......

    उस चैन को देखते हुए ही उसके आंखों से आंसू बह रहे थे। जो शुभ उसे हमेशा हस्ते हुए देखना चाहता था। आज वही उसके आंसुओं की वजह था। नैना रोते हुए बोली : " क्यों शुभ क्यों किया तुमने ऐसा। ना मुझे अपनी बात समझने का मौका दिया। ना अपने दिल की बात बताने के लिए वक्त। गलती तुम्हारी भी नहीं थी। गलती तो मेरी है। प्यार का एहसास भी तब हुआ जब प्यार दूर चला गया। क्यों मुझे अपने साथ नहीं ले गए। क्यों अपनी नयन को यहां अकेले छोड़ दिया। और अगर जाना ही था। तो आए क्यों थे। रहने देते ना जैसी भी थी। तुमने मुझे बताया कि कोई मुझसे भी प्यार कर सकता है। इतना की मेरे लिए अपनी जान तक दे दे। लेकिन अब तुमने मुझे किसी से प्यार करने लायक भी नहीं छोड़ा। शुभ देखो में तुम्हे निकनेम से बुला रही हु।"

    तभी अमन ने बाहर से आवाज दी : " नैना बच्चा आ जाओ लेट हो रहा है।"

    तो नैना ने अपने आंसू पोंछ कर कहा : " 2 min भाई।"

    नैना डाइनिंग टेबल पर बैठ कर भिंडी की सब्जी खा रही थी। कहते है जब इंसान प्यार मै होता है तो अपने पार्टनर की पसंद उसकी पसंद बन जाती है। जो नैना के साथ भी हो रहा था।

    अमन ने नैना को खोए हुए देख टीवी ऑन किया। ताकि उसका ध्यान बट जाए। टीवी पर न्यूज चल रही थी। " फेमस बिजनेस मैन शिवाय लूथरा करने वाले है आज रात स्टार क्लब मै इंगेजमेंट। जी हा ये वही बिजनेस मैन है। जिन्होंने डेढ़ साल मै इतना बड़ा एम्पायर खड़ा कर दिया। आज तक इनका चेहरा कभी दिखाया नहीं गया। लेकिन सूत्रों से जानकारी मिली है। की आज ये अपना चेहरा दिखाने वाले है। अगर बात करे इनकी मंगेतर की तो शिवाय लूथरा की मंगेतर कोई और नहीं अग्निहोत्री कॉरपोरेशन की इकलौती मालकिन माया अग्निहोत्री है। अक्सर इन दोनों के नाम साथ में लिए जाते आए है। लेकिन आज ये दोनों अपने रिश्ते को आगे बढ़ाने वाले है।"

    ये देख कर अमन बोला : " नैना ये शिवाय लूथरा तेरा बॉस है ना।"

    तो नैना जो टीवी को बड़े ध्यान से देख रही थी। वो बस हा मै सर हिला देती है। शिवाय लूथरा ये नाम जब भी वो सुनती तो उसे एक अलग ही एहसास होता था।

    SN group of industries.....

    एक लड़का जिसने थ्री पिस सूट पहना हुआ था। बालों को जल से सेट किया हुआ था। जो दिखने मै बेहद हैंडसम था। वो चल रहा था। तभी एक लड़की जो दिखने मै खूबसूरत थी। उसने भी पिंक सूट पहना हुआ था। वो उसके पीछे चलते हुए बोली : " शिव आज हमारी इंगेजमेंट है। और तुम्हारे चेहरे पर कही से भी कोई एक्साइटमेंट नहीं दिख रही।"

    तो शिवाय जाते हुए बोला : " क्योंकि नहीं हो रही मुझे excitement। मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मै कुछ बहुत गलत करने जा रहा हु।"

    ये सुन माया ने उसके सामने आते हुए अपने हाथ फैला कर गुस्से मै पूछा : " तुम कहना क्या चाहते हो? मुझसे इंगेजमेंट करके तुम बुरा कर रहे हो?"

    तो शिवाय उसके कांधे पर हाथ रख कर उसे समझाते हुए बोला : " नहीं माया। लेकिन तुम जानती हो मुझे अपने बारे मै कुछ भी याद नहीं है। सिवाय उस एक नाम के। तो में.."

    वो कह ही रहा था कि माया गुस्से मै बोली : " हा जिस नाम को तुमने अपने नाम के साथ लगा कर इस कंपनी के नाम में जगह दी है। रहने दो मुझे तुमसे बात ही नहीं करनी।"

    ये सुन शिवाय एक गहरी सांस लेकर बोला: " अच्छा तो तुम्हे मनाने के लिए क्या करु? मै तुम्हारे लिए अपने हाथों से खाना बनाऊ। वो तो तुम्हे काफी पसंद है ना।"

    तो माया उसे गुस्से मै घूरते हुए बोली : " सीरियसली शिव। तुम्हे सिर्फ आलू के पराठे बनाने आते है। उसके सिवाय तो तुम्हे चाय तक बनानी नहीं आती। और इतने वक्त मै तुम्हे ये भी नहीं पता चला कि मुझे आलू के पराठे नहीं पसंद। मै वो सिर्फ इसलिए खाती थी क्योंकि वो तुम्हे पसंद है। इस रिश्ते को सिर्फ मै निभा रही हु। तुम तो कभी इस रिश्ते मै थे ही नहीं। सच तो ये है कि तुम मुझसे शादी करके सिर्फ मेरे एहसानो को उतार रहे हो।"

    ये कह कर माया रोते हुए वहां से चली गई। तो शिवाय अपने माथे वो सहला कर गुस्से मै बोला : " शीट पता नहीं मै उसे इतना गुस्सा क्यों दिलाता हु।" फिर उसे समझाते हुए उसके पीछे गया।

    उनके जाते ही नैना कंपनी मै आई। उसके आने के बाद रिसेप्शन पर बैठी लड़की ने उसे मैनेजर के ऑफिस मै भेज दिया। मैनेजर ने नैना को उसका काम समझा कर कहा : " और हा मिस नैना आज रात बॉस की इंगेजमेंट पार्टी है। तो तुम्हे वहां आना है। ओर चाहे तो अपने परिवार को भी ला सकती हो।"

    इसी तरह दिन बीत गया।

    नैना का अपार्टमेंट...

    नैना ने जब पार्टी इन्विटेशन की बात अमन को बताई। तो अमन ने सोचा : " अगर ये पार्टी मै जाएगी तो हो सकता है। इससे अच्छा लगे। वैसे भी इसकी थेरेपिस्ट ने इसे लोगो के बीच ले जाने को कहा है।" ये सोच अमन ने उससे कहा : " हम चलेंगे ना। तुझे तो पता है मुझे पार्टीज मै जाना कितना पसंद है। तो तू अपने लिए जल्दी से ड्रेस निकाल कर तैयार हो जा। मै भी तैयार होकर आया।"

    जब अमन कमरे मै आया तो उसे दीपक का कॉल आया। उसके कॉल उठा लिया तो उसे पता चला कि दीपक और सुनीता नैना से मिलने के लिए मुंबई आए थे। ये सुन अमन ने उन्हें डायरेक्ट पार्टी मै आने को कह दिया। उसे डर था अगर वो लोग घर आए तो नैना बाहर जाने से मना कर देगी।

    स्टार क्लब....

    पूरे क्लब को रेड कलर से सजाया गया था। माया जो एक कमरे मै तैयार हो रही थी। उसने रेड कलर का गाऊन पहना हुआ था। तभी उसकी एक दोस्त अपने नाखूनों पर फूंकते हुए बोली : " माया ये सब रेड रेड क्यों कर रहा है। तुझे तो ग्रे कलर पसंद है ना।"

    तो माया मुस्कुराते हुए अपने आप को शीशे मै देखते हुए बोली : " क्योंकि शिवाय को रेड कलर पसंद है।"

    तो उसकी दोस्त अनोइंग सा फेस बना कर बोली : " शिवाय। शिवाय। शिवाय। कम ऑन माया। जब से ये शिवाय आया है। तब से तू जैसे खुद को भी भूल गई है। बेब इस दुनिया मै शिवाय के अलावा भी बहुत से लोग है।"

    तो माया मुस्कुराते हुए बोली : " लेकिन मुझे तो बस मेरे शिव से मतलब है।"

    तो वो लड़की अपने आंखों को रोल करते हुए बोली : " लेकिन उसे तो उस नयन से.."

    वो आगे कुछ कहती की माया गुस्से मै अपनी जगह से उठते हुए बोली : " स्टॉप ईट किया। मुझे आज उसका नाम भी नहीं सुनना।"

    तो किया बेड से उठ कर उसके सामने आते हुए बोली : " इतना गुस्सा। माया भगवान ना करे लेकिन अगर किसी दिन कोई आकर तुझसे तेरे शिव को छिन ले तो।"

    तो माया गुस्से मै उसे घूरते हुए अपने दांत पिस कर बोली : " ऐसा कभी नहीं होगा। क्योंकि मै अपने शिव को किसी को नहीं दूंगी। वो सिर्फ मेरा है। सिर्फ मेरा।"

    वो दोनों कह ही रहे थे। की तभी वहां एक सर्वेंट उसे बुलाने आई। थोड़ी देर बाद। नैना एक ब्लैक गाऊन पहने अमन के साथ पार्टी हॉल में आई। अमन ने भी ब्ल्यू सूट पहना हुआ था। वो दोनों आकर पार्टी मै खड़े थे। की तभी वहां एक अनाउंस होने लगी। अनाउंसर बोला : " now please welcome Mr shivay Luthra and to be Mrs Luthra।"

    ये सुन सब सामने देखने लगे। शिवाय रेड सूट पहने माया का हाथ पकड़ सीढ़ियों से नीचे उतर रहा था। उन दोनों पर फोकस लाइट पड़ रही थी। शिवाय के चेहरे पर एक जबरदस्ती की मुस्कान थी। वहीं माया दिल से मुस्कुरा रही थी। दोनों साथ मै प्यारे लग रहे थे। लेकिन पार्टी मै कोई और भी था। जिसकी नजरे शिवाय से हट ही नहीं रही थी। ये नैना थी। नैना हैरानी से अपने सामने सीढ़ियों से उतर रहे शिवाय को देख रही थी। नैना की आंखे जो हैरानी से बड़ी हो गई थी। उनमें पानी भरने लगा था। वो अपने कांपते हुए होठों से धीमे से बोली : " शुभ।"

    क्यों कहा नैना ने शिवाय को शुभ?
    किस एहसान की बात कर रही थी माया?
    क्या है SN का मतलब?

  • 7. Practice - Chapter 7

    Words: 1609

    Estimated Reading Time: 10 min

    Chapter 10

    तभी हॉल की लाइट वापस ऑन हो गई। और शिवाय की नजरे सीधा अपने सामने खड़ी नैना से मिली। जैसे ही उसकी नजरे नैना से मिली। उसके सर मै तेज दर्द उठने लगा। उसके सामने कुछ ब्लर तस्वीरें आने लगी। एक स्कार्फ पहनी हुई लड़की की। बाढ़ की। और भी ऐसी बहुत सी तस्वीरें जो ब्लर थी। शिवाय ने अपने सिर को पकड़ लिया।

    वहीं नैना के कदम पीछे होने लगे। वो किसी से टकरा गई। उसने पीछे मूड कर देखा तो सामने दीपक थे। तो नैना ने रोते हुए उन्हें गले लगा लिया। दीपक ने भी उन्हें दुनिया से बचा कर अपनी बाहों मै छुपा लिया। लेकिन नैना ने उन्हें खुद से दूर किया और वहां से बाहर की तरफ भाग गई। जब शिवाय ने ये देखा तो वो भी उसके पीछे भागने लगा। दीपक और अमन जो नैना के पीछे जाने को थे। वो ये देख हैरान हो वही रुक गए। फिर वो भी अपनी हैरानी से निकल उनके पीछे गए। वहां आए सभी मेहमान और माया और उसका परिवार भी ये सब देख हैरान रह गए।

    राहुल जो अपनी कार को चलाते हुए कही जा रहा था। वो उसके बगल मै रखी उसकी गन को देखते हुए बोला : " आज तो मै तुम्हे नहीं छोडूंगा नैना। तुम्हारे बाप ने मुझसे छुपा कर तुम्हे यहां भेजा था ना। लेकिन आज या तो तुम मेरी होगी या मैं तुम्हारी जान ले लूंगा।"

    ये कहते हुए वो जा ही रहा था। की तभी उसे अपने सामने रोते हुए आ रही नैना दिखी। ये देख राहुल की आंखों मै गुस्सा उतर गया। और उसने अपनी गाड़ी तेजी से उसकी तरफ बढ़ा दी। नैना जो रोते हुए सड़क पर भाग रही थी। उसका ध्यान अपने आस पास बिल्कुल नहीं था। लेकिन तभी उसे अपनी तरफ तेजी से बढ़ती कार दिखी। उसका दिमाक ब्लैंक हो गया। वो गाड़ी उसे छू पाती की किसी ने उसे धक्का दे दिया।

    12 घंटे बाद.... हॉस्पिटल..

    नैना की आंख खुली तो वो इस वक्त हॉस्पिटल में थी। सुनीता रोते हुए उसके पास बैठी हुई थी। अमन और दीपक के चेहरे पर भी परेशानी साफ दिख रही थी। नैना के सर पर बैंडेज लगाई हुई थी। हाथों पर भी कही जगह बैंडेज लगी हुई थी। उसे होश में देख सुनीता ने उसे गले लगा लिया। अमन और दीपक के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई। अमन डॉ को बुलाने के लिए चला गया। वहीं दीपक मै उन्हें बता कर आता हु कह कर चले गए।

    तभी एक नर्स ने सुनीता को बुला लिया। उनके जाते ही नैना ने टेबल पर रखा पेन ओर एक पेपर उठा कर उसमें लिखा : " में घर जा रही हु।"

    ये कह कर नैना बेड से उठ कर वहां से हल्का लंगड़ाते हुए निकल गई। जब से नैना होश मै आई थी। उसके चेहरे पर कोई भी इमोशंस नहीं थे। ना आंखों मै आंसू। ना चेहरे पर दर्द की शिकन। वो किसी जिंदा लाश की तरह बर्ताव कर रही थी।

    छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल्स...

    नैना चुप चाप खड़ी थी। तभी अनाउंसमेंट हुई। " मुंबई से पंजाब जाने वाली ट्रेन आ गई है।"

    ये सुन नैना आगे बढ़ने लगी। तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रख दिया। उसने पीछे मूड कर देखा। तो सामने माया खड़ी थी। माया बुरी तरह से हाफ रही थी। वो इतनी बुरी तरह हाफ रही थी कि उसके मुंह से आवाज भी नहीं निकल रही थी। वो उसे देखते हुए अपना सर ना मै हिला रही थी।

    माया ने खुद को थोड़ा शांत किया। फिर वो नैना से बोली : " मत जाओ। उसे तुम्हारी जरूरत है। वो तुम्हारे बिना नहीं जी पाएगा।"

    ये सुन नैना उसे हैरानी से देखने लगी। तो माया ने उसे समझाते हुए कहा : " मेरा शिवाय तुम्हारा शुभ है। 2 साल पहले मेरी टीम और मै पंजाब में एक मीटिंग के लिए गए थे। वहीं वो मिला था मुझे। बाढ़ मै फसने के बावजूद भी वो जिंदा था।"

    ये सुन नैना के आंखों मै चमक आ गई थी। जैसे किसी को जीने की वजह मिल गई हो।

    ये बात माया ने भी नोटिस की थी। वो अपनी बात जारी रखते हुए बोली : " मैने उसे हॉस्पिटल मै एडमिट किया। लेकिन डॉक्टर ने कहा कि उसे बड़े हॉस्पिटल मै मूव करना होगा। तो मै उसे मुंबई लेकर आ गईं। होश मै आते ही उसके मुंह से एक ही शब्द निकला। पता है वो क्या था?"

    तो नैना ने उसे देखते हुए ना मै सर हिला दिया। तो माया ने बेबसी, दर्द और मुस्कान लिए कहा : " नयन। सिर्फ एक नाम। उसके सिवा उसे कुछ याद नहीं था। ना खुद के बारे में। ना इस नयन के बारे में। किसी के बारे मै भी नहीं।"

    उसके बाद माया उससे थोड़ी दूर होकर अपने आंसुओं को छुपाते हुए बोली : " वो मेरी पहली मोहब्बत की तरह दिखता था। उसका चेहरा शिवाय से काफी मिलता जुलता था। तो मैने उसे शिवाय का नाम दे दिया। उसका दिमाक बिजनेस में काफी चलता था। तो पापा ने उसे स्टार्ट अप के लिए पैसे दे दिए।"

    नैना चुप चाप उसकी बाते सुन रही थी।

    माया उन यादों मै खोए हुए ही बोली : " उसने कम वक्त मै ही अपना बिजनेस बड़ा दिया। पापा के पैसे 4 गुना करके लौटा दिए। और अब मेरा एहसान चुकाने के लिए मुझसे शादी करने को भी तैयार था।"

    तभी नैना जिसकी आंखे नम थी। ओर उसमें हैरानी भी भरी हुई थी। उसने उसे कन्फ्यूजन मै पूछा : " तो ये सब मुझे क्यों बता रही हो? प्यार करती हो ना उससे? तो चली जाओ उसके पास। उसे हमेशा खुश रखना। उसे कभी मत बताना कि उसकी जिंदगी मै कोई नैना भी थी। वो तुम्हारी जैसी लड़की डिजर्व करता है। जो उससे प्यार करे। मेरी तरह नहीं जो बस उसे दर्द ही दें।"

    ये कहते हुए नैना की आंखों से आंसू बहने लगे थे। लेकिन उसने खुद को संभालते हुए कहा: " मुझे नहीं पता तुम्हे मेरे बारे मै किसने बताया? लेकिन मै वादा करती हु तुमसे। तुम दोनों के बीच नहीं आऊंगी। मेरा शुभ कब का इस दुनिया से जा चुका है। वो तुम्हारा शिवाय है। और उसकी जिंदगी पर मेरी मनहूस परछाई नहीं पड़ने दूंगी मै। अगर वो तुम्हारे साथ रह कर खुश है। तो मै तुम दोनों के बीच कभी नहीं आऊंगी।"

    ये कह कर नैना जाने लगी। तो माया रोते हुए बोली : " हा प्यार करती हु मै उससे। लेकिन वो सिर्फ तुमसे प्यार करता है। चाहे कितना भी प्यार कर लू मै उससे। लेकिन कभी भी उसके दिल से, उसकी जिंदगी से नैना का नाम नहीं मिटा पाऊंगी।"

    फिर माया उसकी आंखों मै आंखे डाल कर बोली : " उसे तुम याद नहीं हो। वो खुद को भूल चुका है। यहां तक कि अपनी पसंद नापसंद भी भूल चुका है। लेकिन पता है अगर तुम उससे उसकी पसंदीदा चीजें पूछोगी ना। तो वो तुम्हे अपना पसंदीदा रंग लाल बताएगा।"

    ये सुन नैना उसे हैरानी से देखने लगी। तो काव्या ने अपनी बात जारी रखते हुए ही कहा : " अपना पसंदीदा फूल मोगरा बताएगा। जिस इंसान को आलू के पराठे कभी पसंद नहीं आते। अब वो इंसान उन्हीं पराठों को चाव से खाता है। यहां तक कि जिस इंसान को चाय बनानी भी नहीं आती। उसने वो पराठे बनाने सीखे है।"

    नैना अब भी उसे आंखे फाड़े देख रही थी। माया उसके पास आकर उसके कंधे पर हाथ रख कर बोली : " वो सब भूल गया था। लेकिन कभी तुम्हें भुला नहीं पाया। अब जिसकी याद नियति भी उसके दिल, दिमाक से निकाल नहीं पाई। तो वो यादें भला माया कैसे निकाल पाएगी। और हा हमारी इंगेजमेंट नहीं हुई है। कल वो भी तुम्हारे पीछे भगा था। तुम्हे ऐन वक्त पर धकेलना वाला भी वही था। और वो अभी हॉस्पिटल मै है।"

    ये सुनते ही नैना की आंखे बड़ी हो गई। वो सब कुछ भूल कर वहा से हॉस्पिटल के लिए निकल गई। वो इतनी तेजी से गई थी। की उसे देख माया उस पर मुस्कुरा कर बोली : " और कह रही थी। उसकी जिंदगी मै कभी नहीं आएगी।"

    हॉस्पिटल...

    नैना ऑटो से निकल, पागलों की तरह भागते हुए, रिसेप्शनिस्ट से उसके वार्ड का पता पूछ, उसके वार्ड मै चली गई। जैसे ही नैना ने वार्ड का दरवाजा खोला। तो उसके सामने सभी थे। केशव, नीलम, मेहर, कुणाल, पायल, दीपक, सुनीता, अमन, शिवानी, सोहम।

    और बेड पर शुभ था। जिसे धीरे धीरे होश आ रहा था। वो होश मै आते हुए बुदबुदा रहा था : " नयन, नयन।"

    जैसे ही शुभ की आंख खुली। उसकी नजर सबसे पहले नैना पर पड़ी। जिसे देख उसने धीरे से कहा : " नयन।" तो नैना रोते हुए भाग कर उसके गले जा लगी। शुभ ने भी उसे कस कर अपने गले से लगा लिया। दोनों एक दूसरे को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे। तो घर वाले ही उन्हें अकेला छोड़ कर बाहर आ गए।

    उनके बाहर निकलते ही उन्हें माया दिखी। एक्सीडेंट के बाद दीपक ने केशव को फोन करके शुभ के जिंदा होने की बात बता दी थी। ओर इन 12 घंटों मै मेहर ने माया को शुभ और नैना के रिश्ते के बारे मै सब बता दिया था। थोड़ी देर बाद सब अंदर चले गए।

    तो कुणाल ने उन्हें अब भी गले मिले देख बोला : " अबे लैला मजनू का मिलन हो गया हो। तो परिवार मिलन भी कर लो।"

    ये सुन सबके रोते हुए चेहरे पर मुस्कान आ गई।

    डॉ ने शुभ को चेक करके बता दिया कि उसकी याददाश्त वापस आ गई। शुभ भी अपनी मां के गले लग गया। फिर अपने पापा और मेहर के भी लगा। मेहर तो रोए ही जा रही थी। कुणाल ने भी शुभ को गले लगा लिया। शुभ के जाने के बाद कुणाल ने ही शुभ के परिवार