यह कहानी है एक कुख्यात गैंगस्टर और एक तेज़-तर्रार सीक्रेट ऑफिसर की—दो दुश्मन, जिनकी दुनिया एक-दूसरे के खून से रंगी हुई है। गैंगस्टर, जिसका नाम लेते ही अंडरवर्ल्ड कांप उठता है, और ऑफिसर, जो अपने अडिग इरादों और फौलादी हौसले के लिए जाना जाता है।... यह कहानी है एक कुख्यात गैंगस्टर और एक तेज़-तर्रार सीक्रेट ऑफिसर की—दो दुश्मन, जिनकी दुनिया एक-दूसरे के खून से रंगी हुई है। गैंगस्टर, जिसका नाम लेते ही अंडरवर्ल्ड कांप उठता है, और ऑफिसर, जो अपने अडिग इरादों और फौलादी हौसले के लिए जाना जाता है। उनकी पहली मुलाकात ही जंग का ऐलान होती है—चालाकी, टकराव और बर्बादी। एक-दूसरे को मात देने के लिए वे हर दांव खेलते हैं, हर चाल चलते हैं। लेकिन जैसे-जैसे उनकी राहें बार-बार टकराती हैं, नफरत की लकीरें धुंधली होने लगती हैं। तकरार के बीच कभी अनकही समझदारी जन्म लेती है, तो कभी एक अजीब सा खिंचाव। क्या यह केवल दुश्मनी की तीव्रता का एक नया रूप है, या फिर कुछ और? जब तक वे इस सवाल का जवाब खोज पाते, हालात ऐसा मोड़ लेते हैं कि उन्हें अपनी सीमाओं को परखना पड़ता है। जब नफरत और वफादारी की परिभाषाएं बदलने लगती हैं, तब क्या ये दोनों दुश्मन एक ही मोर्चे पर खड़े हो सकते हैं?
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गोवा, भारत का सबसे छोटा राज्य, जहाँ देश-विदेश से लोग घूमने आते हैं, अपने कल्चर, बीचों और नाइट पार्टी के लिए जाना जाता है। १० साल पहले, इटली की एक माफिया गैंग, "ब्लू मून", ने गोवा में अपने कदम रखे। उनके गोवा में कदम रखते ही गोवा की पूरी हवा बदल गई। उनके गोवा में आते ही और भी बाहरी गैंग गोवा में आने लगीं। जिस वजह से अचानक से गोवा में क्राइम रेट बहुत बढ़ गया था। आए दिन कोई न कोई गैंग आपस में भिड़ती रहती थी। इस सब की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ ब्लू मून थी; उनकी वजह से ही बाकी गैंग्स गोवा में आईं। ब्लू मून गोवा की सबसे बड़ी माफिया गैंग थी, जिसके तार इटली से भी जुड़े हुए थे। बहुत गैंग्स आई थीं, उन्हें हराने पर सब नाकामयाब रहीं। ब्लू मून का सफ़ाया करने के लिए ७ दोस्त साथ में आए और उन्होंने अपनी गैंग बनाई, जिसका नाम था टीम रॉय, जिसका हेड था कबीर रॉय। उसी ने ही इस टीम को बनाया था। कबीर को माफिया शब्द से भी नफ़रत थी। सिर्फ़ उसे ही नहीं, टीम रॉय के हर सदस्य को माफियाज़ से नफ़रत थी। सबके नफ़रत करने के अलग-अलग कारण थे।
टीम रॉय ने कसम खाई थी कि आने वाले ५ सालों में वो ब्लू मून का पूरी तरह सफ़ाया कर देंगे, फिर वो कभी किसी दूसरी गैंग को गोवा में नहीं आने देंगे।
टीम रॉय:
१. कबीर रॉय (कार्पोरेट वर्कर)
२. समर सरिन (Struggling actor)
३. संकल्प मिश्रा (डॉक्टर)
४. अनिरुद्ध बनिक (ACP)
५. ऋषभ मित्तल (जर्नलिस्ट)
६. विवान बत्रा (लॉयर)
७. वीर (स्टूडेंट)
ब्लू मून:
१. लियोनार्डो अल्बर्टो (father ऑफ़ अल्बर्टो ब्रदर्स एंड हेड ऑफ़ ब्लू मून)
२. नील अल्बर्टो (बिज़नेसमैन + सेकंड हेड ऑफ़ ब्लू मून)
३. निक अल्बर्टो (डायरेक्टर + प्रोड्यूसर इन बॉलीवुड)
४. इहान अल्बर्टो (नील का सबसे छोटा भाई, कॉलेज स्टूडेंट)
५. जैक अल्फांसो (बिज़नेसमैन)
६. अग्नि शेट्टी (लॉयर), निक का बेस्ट फ्रेंड
७. विक्रम चौहान (पॉलिटिशियन)
८. अरहान कपूर (नील का बेस्ट फ्रेंड + बिज़नेस पार्टनर)
रेड नाइट गैंग के बारे में आपको आगे पता चलेगा।
कबीर अपनी बालकनी की रेलिंग पर बैठा, सिगरेट के कश लगाते हुए, समुद्र की लहरों को देख रहा था। उसकी आँखों में एक खालीपन नज़र आ रहा था। चेहरा एकदम शांत नज़र आ रहा था, पर अंदर बहुत कुछ चल रहा था उसके दिमाग़ में।
दस साल का था वो, जब उसके पिता की मौत हुई थी। दस साल का मासूम कबीर, खुशी के मारे कूदते हुए, स्कूल से घर आ रहा था। उसके पापा ने उससे वादा किया था कि अगर इस बार वो अच्छे नंबरों से पास होगा, तो वो उसे नई साइकिल देंगे। कबीर ने क्लास में टॉप किया था; वो बहुत खुश था।
कबीर जैसे ही घर पहुँचा, एकदम से उसके चेहरे की मुस्कान गायब हो गई। जब वो अपने पापा को एक सफ़ेद चादर में लिपटे हुए, बेजान पड़ा देखता है, उनका चेहरा पूरा जला हुआ था। बस उनके कपड़ों और हाथ में पहनी हुई अंगूठी से ही उनकी पहचान हो पा रही थी।
उसकी माँ चीख रही थी, चिल्ला रही थी। सभी औरतें उन्हें संभालने की कोशिश कर रही थीं, पर वो सब मिलकर भी उन्हें संभाल नहीं पा रही थीं। वहीं एक कोने में उसके दादाजी बैठे थे, जो ना तो कुछ बोल रहे थे, ना तो कुछ सुन रहे थे। गहरा सदमा लगा था उन्हें। अपने सामने अपने जवान बेटे की लाश को देख, एक पिता पर क्या गुज़रती होगी, उस दर्द का कोई अंदाज़ा भी नहीं लगा सकता। कबीर की दादी की मौत २ साल पहले कैंसर की वजह से हुई थी, लेकिन अगर आज वो ज़िंदा होती, तो शायद ये सब देख सदमे से मर जाती।
कबीर के कदम लड़खड़ा गए। ये मंज़र देख वो गिरता, उससे पहले ही उसके चाचा उसे संभाल लेते हैं। वो कबीर को गोद में उठा, वहाँ से अपने घर ले जाते हैं, क्योंकि वो माहौल उसके लिए सही नहीं था।
वहाँ ले जाते ही कबीर बेहोश हो गया था। करीब दो घंटे बाद उसे होश आता है। होश आते ही उसे उसके चाचा-चाची की आवाज़ आती है।
उसके चाचा-चाची कुछ समझाने की कोशिश कर रहे थे, पर चाची जी कुछ सुनना नहीं चाह रही थीं।
"काजल, तुम समझ क्यों नहीं रही? विजय का अंतिम संस्कार कबीर को ही करना होगा। वो बेटा है उसका; ये उसी का ही हक़ है और उसी की ही ज़िम्मेदारी है..."
"मैं समझ रही हूँ, देव, लेकिन आप नहीं समझ रहे। आप क्या कहना चाह रहे हो? पर कबीर बच्चा है अभी। तुम जानते हो वो विजय से कितना प्यार करता है। वो बहुत सेंसिटिव है; उसके लिए बहुत मुश्किल होने वाला है।"
"मुश्किल तो होगा, पर उसे ये करना होगा।" काजल अभी भी इसके लिए तैयार नहीं थी।
कबीर ये सब सुन रहा था। कुछ देर बाद वो बेड पर से उठता है और बाहर हॉल में उनके पास जाता है। कबीर को देख वो दोनों एकदम चुप हो जाते हैं।
कबीर बोला, "चाची, मैं पापा का अंतिम संस्कार करूँगा और एक बेटे होने का फ़र्ज़ भी निभाऊँगा।"
कबीर की बात सुन देव और काजल हैरानी से उसे देखते हैं। उन्हें कबीर से ये बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी। उन्हें लगा नहीं था इस सिचुएशन में कबीर इतना मैच्योर बिहेव करेगा। देव कबीर के पास जाते हैं और उसे अपने गले से लगा लेते हैं। देव और काजल कबीर को लेकर उसके घर जाते हैं। जब वो वहाँ पहुँचते हैं, तो देखते हैं वहाँ पुलिस आई हुई थी। पुलिस को यहाँ देख देव को हैरानी होती है।
देव कबीर को लेकर उनके पास जाता है। "इंस्पेक्टर साहब, आप यहाँ?"
"जी, हमें मिस्टर विजय रॉय की मौत से जुड़ी एक खबर का पता चला है। दरअसल, इनकी मौत का कारण ब्लू मून और रेड नाइट की फ़ाइट है। उनके बीच की फ़ाइट के कारण ही इनकी मौत हुई है और सिर्फ़ इनकी ही नहीं, इनके साथ और १०० लोगों की मौत भी हुई है। उन्होंने अपनी लड़ाई में बहुत इनोसेंट लोगों को लपेट लिया।"
"मिस्टर देव, जब से इन इटैलियन माफियाज़ ने गोवा की ज़मीन पर कदम रखा है, गोवा की तो पूरी हवा ही बदल गई है... हर जगह क्राइम बढ़ रहा है..."
"अगर ऐसा है, तो आप लोग कुछ करते क्यों नहीं?"
"हम पूरी कोशिश कर रहे हैं, मिस्टर देव, पर हमारे हाथ बंधे हुए हैं। जब खुद गवर्नमेंट उनके साथ मिली हुई है, तो हम सब लोग भी क्या ही कर सकते हैं। हम कुछ भी करने की कोशिश करते हैं, तो आगे से ऑर्डर आ जाते हैं। अभी तक जितने भी अफ़सरों ने उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करना शुरू किया, सब का ट्रांसफ़र कर दिया गया। हम मजबूर हैं; हम तो बस सरकार की कठपुतली हैं; वो हमें अपने हिसाब से नचवाते हैं..."
वही, ये सब सुन कबीर के मन में माफियाज़ के लिए एक अलग सी नफ़रत पैदा हो गई। उसके दिमाग़ में पुलिस इंस्पेक्टर की एक ही बात गूंज रही थी: उसके पिता की मौत का कारण इटैलियन माफियाज़ थे।
"खैर, ये तो एक लंबी और बेफ़िज़ूल बहस है, जिस पर घंटों बहस करने के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकलने वाला। आप तो बस अपने परिवार का ध्यान रखो। अब मैं चलता हूँ!!"
देव उन्हें बाहर तक छोड़ने जाता है। उन्हें बाहर छोड़ने के बाद देव वापस आते हैं। सभी लोग अर्थी को उठाते हैं और उन्हें श्मशान घाट ले जाते हैं। कबीर सारे रिचुअल्स को पूरा करता है, फिर उनकी चिता को आग लगाता है।
कबीर की आँखों में इस वक़्त आँसू नहीं थे; उसकी आँखों में आग थी, जो सब कुछ जलाकर राख कर देना चाहती थी। अपने पापा की जलती चिता को देख कबीर ने कसम खाई थी कि वो एक दिन इन माफिया को गोवा की ज़मीन से उखाड़ फेंकेगा और फिर कभी उन्हें गोवा में कदम नहीं रखने देगा।
कबीर अतीत की यादों में खोया हुआ था, तभी पीछे से कोई उसके कंधे पर हाथ रखता है। कबीर पीछे मुड़कर देखता है; अनिरुद्ध (ACP)।
अनिरुद्ध भी उसके बगल में जाकर बैठ जाता है। "हम्म, क्या सोच रहे हो?"
"कुछ नहीं!!"
"आज फिर से जॉब से निकाल दिया गया क्या??"
कबीर हाँ में सर हिलाता है।
अनिरुद्ध हँसते हुए कहता है, "करते क्या हो तुम? पिछले एक महीने में १५ से ज़्यादा कंपनीज़ से निकाले जा चुके हो!!"
कबीर स्ट्रेट फ़ेस के साथ कहता है, "वो लोग वहाँ एम्प्लॉई को एम्प्लॉई नहीं, अपना पालतू कुत्ता समझते हैं। वो जैसे चाहे वैसा उसके साथ बिहेव करते हैं। वो गुलामी करवाते हैं; अपनी हाँ में हाँ मिलाना चाहते हैं। मैं उनकी हाँ में हाँ नहीं मिला सकता और ना ही उनकी चापलूसी करना चाहता।"
"फ़िर क्या? ज़िंदगी भर ऐसे ही जॉब बदलते रहने का इरादा है? इस ऐटिट्यूड के साथ तो तुम्हें कोई जॉब नहीं मिलने वाली!"
"नहीं मिले तो नहीं मिले, पर मैं किसी का पालतू कुत्ता तो नहीं बनने वाला!!"
"अच्छा भाई, मत बनना!!"
"मेरी छोड़ो, तुम अपनी बताओ। तुम्हारा क्या चल रहा है? वो जैक अल्फांसो का क्या हुआ? अभी जेल में है या फिर से बाहर आ गया??"
जैक का नाम सुनते ही अनिरुद्ध को गुस्सा आ जाता है। वो दाँत पीसते हुए कहता है, "फ़िर से बाहर आ गया, कमीना! उसका वो दोस्त, अग्नि शेट्टी, बार-बार उसकी बेल करवा लेता है!!"
"तुम उसके ख़िलाफ़ कोई ठोस सबूत क्यों नहीं ढूँढ़ते?"
"कोई फ़ायदा नहीं। उसका बेस्ट फ़्रेंड, अग्नि शेट्टी, बार-बार उसे बचा लेता है।"
"अच्छा, फिर अपना विवान (लॉयर), वो कुछ क्यों नहीं करता? वो भी तो लॉयर है?"
"कबीर, वो अभी सिर्फ़ नाम का ही लॉयर है। कुछ नहीं आता उसे; उसके पास कोई एक्सपीरियंस नहीं है अभी। वहीं उसके अपोज़िट अग्नि शेट्टी पिछले ८ सालों से इस फ़ील्ड में है। उसके लेवल तक पहुँचने में विवान को अभी काफ़ी टाइम है।"
"पता नहीं उस कमीने आदमी का क्या चक्कर है। जब मैं उसे अरेस्ट करके लॉकअप में लाता हूँ, तो वो मुस्कुराता रहता है। वो पहला आदमी देखा है मैंने जो जेल में आकर खुश होता है। कभी-कभी तो लगता है उसे बाहर से ज़्यादा जेल में रहना पसंद है। कसम से, जब वो हँसता है ना, तो मन करता है उसके दाँतों को हथौड़ा मार तोड़ दूँ!!"
"अब हाल कुछ ऐसा हो गया है कि पुलिस स्टेशन में काम करने वाला चपरासी भी उसे पहचानने लगा है। वो आधा महीना अपने घर रहता है और आधा पुलिस स्टेशन में रहता है... नहीं-नहीं, गलत! वो आधे से ज़्यादा टाइम लॉकअप में गुज़ारता है।"
कबीर उसे सिगरेट देते हुए कहता है, "रिलैक्स करो। सारा दिन तो स्ट्रेस लेते ही हो; कम से कम रात को तो सुकून से बिताओ।"
"आगे क्या प्लान है?"
"कुछ ख़ास नहीं है। एक-दो कंपनी में CV अपलोड कर रखी है। कल इंटरव्यू है; देखते हैं क्या होता है। होगा तो ठीक है, नहीं तो पापा और दादाजी की पेंशन तो है ही; उससे काम चल ही जाएगा।"
वो दोनों बात ही रहे थे कि तभी वहाँ समर (स्ट्रगलिंग एक्टर) आता है। "क्या चल रहा है, गाइस? मेरे बिना ही पार्टी कर रहे हो?"
अनिरुद्ध उसे घूरता है। "किस एंगल से तुम्हें लग रहा है हम पार्टी कर रहे हैं?"
"लग तो नहीं रहा!!"
"फ़िर क्यों पूछ रहे हो?"
"गुस्सा क्यों हो रहे हो, यार? मैं तो ऐसे ही पूछ रहा था।"
"सॉरी, वो मैं थोड़ा फ़्रस्ट्रेट था!!"
"क्यों? जैक अल्फांसो को फिर बेल मिल गई?"
"हाँ..."
ये सुन समर को हँसी आ जाती है। "अनिरुद्ध, कभी-कभी तो लगता है तुमने पुलिस फ़ोर्स ज्वाइन ही उसे अरेस्ट करने के लिए की है। तुम सिर्फ़ उसी के ही पीछे पड़े रहते हो!!"
"उस बला का नाम लेकर मेरा मूड मत ख़राब करो, कमीना! हर बार बचकर निकल जाता है, पर एक ना एक दिन तो मैं उसे पकड़कर ही रहूँगा!!" अनिरुद्ध चिढ़कर कहता है।
"छोड़ो ये सब। काम पर फ़ोकस करो। कल मेरा इंटरव्यू है, तो मैं सोने जा रहा हूँ।"
"मुझे भी ऑडिशन के लिए जाना है, तो मैं भी चलता हूँ।"
"मुझे तो ड्यूटी पर जाना है, तो मैं चलता हूँ।"
एक-दूसरे को बाय बोल वो वहाँ से निकल जाते हैं।
जंगल के अंदर से एक रास्ता निकल रहा था, जो जंगल को बिलकुल बराबर दो हिस्सों में बाँट रहा था। वो रास्ता बिलकुल सुनसान रहता था। पिछले कुछ सालों में वहाँ पर बहुत हादसे हुए थे। लोगों के कटे हुए शव पेड़ों पर लटके मिले; कुछों की तो बॉडी भी जली हुई मिली थी और कुछ का तो आज तक पता नहीं चला था। डर के मारे पुलिस ने भी अब वहाँ जाना छोड़ दिया था। शुरु-शुरु में कुछ पुलिस वाले वहाँ जाँच के लिए गए थे, पर उनमें से कोई वापस नहीं लौटा; अगले दिन उनकी लाशें पुलिस स्टेशन में मिलीं। उस हादसे के बाद दोबारा कभी किसी पुलिस वाले ने वहाँ अपने कदम नहीं रखे।
डर के मारे लोगों ने भी वहाँ से आना-जाना बंद कर दिया था। दिन में तो कभी-कभार लोग उस रास्ते से चले भी जाते थे, पर रात को तो गलती से भी कोई वहाँ से नहीं जाता था।
लोगों के मन में उस रास्ते के लिए अलग सा डर बैठ गया था। उस रास्ते को लेकर सब की अलग-अलग राय थी। कुछ लोगों को लगता था वो रास्ता नर्क की ओर जाता है; कुछ को लगता था वहाँ कोई शैतानी आत्मा है। सब ने अपने-अपने हिसाब से कुछ न कुछ धारणाएँ बना रखी थीं। सच क्या था, ये कोई नहीं जानता था और ना ही लोगों ने कभी सच जानने की कोशिश की।
डर के मारे लोगों ने वहाँ से आना-जाना बंद कर दिया था। दिन में तो कभी-कभार लोग उस रास्ते से चले भी जाते थे, पर रात को तो गलती से भी कोई वहाँ से नहीं जाता था।
लोगों के मन में उस रास्ते के लिए अलग सा डर बैठ गया था। उस रास्ते को लेकर सबकी अलग-अलग राय थी। कुछ लोगों को लगता था वो रास्ता नर्क की ओर जाता है, कुछ को लगता था वहाँ कोई शैतानी आत्मा है। सब ने अपने-अपने हिसाब से कुछ न कुछ धारणाएँ बना रखी थीं। सच क्या था, ये कोई नहीं जानता था और न ही लोगों ने कभी सच जानने की कोशिश की।
रात के करीब 11 बजे एक कार तेज रफ़्तार से वहाँ से गुजर रही थी। कार के अंदर एक लड़का था, जिसके फेस पर एक weird मास्क पहना हुआ था। उसके मास्क पर भेड़िये का शेप प्रिंट था। यह कोई साधारण सा मास्क नहीं था, यह एक स्पेशल मास्क था जो किसी गैंग को रिप्रेजेंट कर रहा था। सभी माफिया गैंग का अपना एक लोगो होता है, अपना एक सिंबल होता है।
भेड़िये का लोगो एक स्पेशल गैंग को रिप्रेजेंट करता था। उसके मास्क से यह तो पता चल गया था कि वह रेड नाइट गैंग से था। कुछ दूरी पर चलते हुए अचानक उसकी कार चलते-चलते रुक जाती है। कार के बंद होते ही लड़का गुस्से में स्टीयरिंग पर मुक्का मार देता है।
"Not again!" वह बुरे तरीके से चिढ़ जाता है। साफ-साफ चिढ़ उसके चेहरे पर देखी जा सकती थी।
वह कार को स्टार्ट करने की कोशिश करता है, पर वह होती नहीं। जब कार स्टार्ट नहीं होती, तो वह लड़का बाहर जाकर चेक करने की सोचता है। वह सीट बेल्ट खोलने ही वाला होता है कि तभी अचानक सामने से एक कार फुल स्पीड से आती है और उसकी कार को टक्कर मारती है। वह लड़का संभल पाता, उससे पहले ही दोबारा वह कार उसकी कार को टक्कर मारती है। इस बार पिछली बार से तेज टक्कर मारी थी, जिस वजह से कार बुरे तरीके से डैमेज हो गई थी। कार का फ्रंट मिरर टूट चुका था। उसके कांच के टुकड़े अंदर बैठे लड़के के शरीर पर लग जाते हैं। आँखों पर ग्लासेज होने की वजह से उसकी आँखें बच जाती हैं, लेकिन बाकी शरीर बहुत ज़ख्मी हो जाता है। लड़का दर्द में कराहते हुए बोलता है,
"Is he psycho??"
क्योंकि जितना नुकसान उसका हुआ था, उतना ही सामने वाले का भी हुआ था। उसका फ्रंट मिरर भी टूटकर चकनाचूर हो गया था।
वह कार पीछे की ओर जाने लगती है। यह देख वह लड़का राहत की साँस लेता है। तभी अचानक से वह कार वापस तेजी से उसकी ओर बढ़ती है। लड़का कसकर अपनी आँखें बंद कर लेता है। क्योंकि वह कार नहीं, साक्षात यमराज थी। अब उसका बच पाना मुश्किल था।
वह कार फुल स्पीड से उसकी ओर आती है, पर तभी कुछ दूरी पर आकर वह एकदम से रुक जाती है। कार के अंदर बैठे आदमी के फेस पर ईविल एक्सप्रेशन थे।
वहीं जब उस लड़के को एहसास होता है कि सामने वाली कार ने उसे टक्कर नहीं मारी, वह धीरे से अपनी आँखें खोलता है। उसकी नज़र सीधे कार के अंदर बैठे आदमी पर जाती है। उसके फेस पर एक ईगल लोगो का मास्क था। ईगल ब्लू मून का सिंबल था। सामने बैठा लड़का उसे देख तिरछा मुस्कुरा रहा था।
वह आदमी उसे हाथों से कुछ गंदे इशारे करता है, फिर कार को बैक करके वहाँ से चला जाता है।
लड़का गुस्से में चिल्लाता है, "बास्टर्ड!!"
वह लड़का किसी को कॉल मिलाता है। एक-दो रिंग के बाद सामने वाला शख्स फोन उठा लेता है।
"हेय बनी!! I am stuck!!"
"What?? Again??"
"Yeah!!"
"Ok wait i am coming!!"
"Come fast!!!" यह कह वह फोन काट देता है।
20 मिनट बाद एक कार वहाँ आती है। कार के अंदर बैठा लड़का अपने पॉकेट से अपनी गन निकालता है। वह बड़े केयरफुल्ली कार से उतरता है और अपने आस-पास नज़रें फिराता है। जब सब कुछ ठीक लगता है, तो वह उस लड़के के कार के पास जाता है।
"हेय MJ, जल्दी बाहर आओ। यहाँ ज़्यादा देर रुकना रिस्की हो सकता है!!"
"बनी, हाथ दो, मुझे खड़ा हुआ नहीं जा रहा!!"
"हाँ, रुको।" बनी उसकी तरफ हाथ बढ़ाता है। उसका हाथ पकड़ वह बाहर आता है। उसकी बॉडी काफ़ी इंजर्ड हो गई थी। बनी उसे पकड़ अपनी कार में ले जाता है। उसे बैक सीट पर लेटा वह जल्दी से ड्राइवर सीट पर आ जाता है और जल्दी से कार स्टार्ट कर वहाँ से निकल जाता है।
उनकी कार वहाँ से जाते ही वह कार वापस वहाँ आती है। कार के अंदर बैठा आदमी बाहर आता है। वह आस-पास अपनी नज़रें फिराता है, फिर उस लड़के की कार के पास जाता है। वह कार बुरे तरीके से इंजर्ड थी। वह आदमी उस कार को अच्छे से देखता है, फिर उसके अंदर जाकर एक पैकेट निकालकर लाता है। उसे देख उसका फेस एकदम से डार्क हो जाता है। पैकेट ले वह अपनी कार में बैठकर तुरंत वहाँ से निकल जाता है।
MJ और बनी की कार शहर से कुछ दूर एक पहाड़ी एरिया में बने एक बड़े से बंगले के बाहर आकर रुकती है। बनी MJ की उतरने में हेल्प करता है। बंगले के बाहर बहुत टाइट सिक्योरिटी थी। कोई परिंदा भी वहाँ अपने कदम नहीं रख सकता था।
बनी और MJ सीधा अंदर चले जाते हैं। हॉल के अंदर जाते ही उन्हें सामने सीढ़ियों से उतरता एक आदमी नज़र आता है। उस आदमी को देख लग रहा था वह कहीं जाने की तैयारी में था। उसने भी एक वेयरवोल्फ प्रिंट का मास्क पहना हुआ था। उसके हाथ में एक पिस्तौल थी, जिसमें वह बुलेट लोड कर रहा था।
MJ को इंजर्ड देख वह जल्दी से उसके पास आता है। MJ को इंजर्ड देख उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आती हैं।
"MJ, ये तुम्हें क्या हुआ है? किसने किया है ये? बताओ अभी के अभी! मैं उसे ऐसी मौत दूँगा कि वह अपने पैदा होने पर अफ़सोस करेगा!!" यह कहते वक्त उसकी आँखें एकदम लाल हो गई थीं, मानो उनमें खून उतर आया हो।
MJ उसका गुस्सा शांत करते हुए कहता है,
"रिलैक्स, एडवर्ड। ड्राइव करते हुए मुझे नींद आ गई थी। इस वजह से छोटा सा एक्सीडेंट हो गया था?"
एडवर्ड आँखें छोटी करते हुए कहता है,
"छोटा सा एक्सीडेंट??"
यह सुन MJ सकपका जाता है।
"मेरा मतलब थोड़ा बड़ा एक्सीडेंट हो गया!!"
एडवर्ड गुस्से से उसे देखते हुए कहता है,
"तुम इतने लापरवाह कैसे हो सकते हो, MJ? अगर तुम्हें नींद आ रही थी, तो किसी को बुला लेते। खुद ड्राइव करने की क्या ज़रूरत थी?"
"क्योंकि इसे मुसीबत में पड़ने का शॉक है!!" मेन गेट से एक आदमी अंदर आते हुए कहता है।
वह आवाज सुनते ही एडवर्ड की आँखों में गुस्सा और चिढ़ एक साथ नज़र आते हैं।
MJ आँखों ही आँखों उसे चुप रहने को कहता है।
वह आदमी चलकर उनके पास आता है।
उसे देख MJ अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए सॉफ्ट वॉइस में कहता है,
"हैलो, ड्रैगन।"
ड्रैगन उसे इग्नोर कर एडवर्ड के पास जाता है।
"काफी लापरवाह लोग को पाल रखा है तुमने, एडवर्ड!!"
एडवर्ड पूरी कोशिश कर रहा था अपना गुस्सा कंट्रोल करने की, पर ड्रैगन की बातें उसे गुस्सा करने पर मजबूर कर रही थीं।
"ज़ुबान संभालकर बात करो, ड्रैगन। वह मेरे लिए काम करता है। उसके बदले उसे सैलरी मिलती है। वह कोई मेरा पालतू जानवर नहीं है!!"
"तुम मानो या ना मानो, उसकी हैसियत है तो एक गुलाम की ही। तुम्हारी पुरानी गंदी आदत है। बचपन में भी तुम बिलकुल ऐसे ही थे। सड़क पर से कुत्ते का पिल्ला लेकर आते थे, फिर उसे घर लाकर नेहलाते थे, उसको खाना खिलाते थे। तुम अभी भी वही कर रहे हो। तुम बड़े हो गए, लेकिन तुम्हारी हरकतें आज भी वही हैं। अभी भी तुम सड़क से गंदे पिल्लों को उठाकर घर लाते हो और उनका पूरा ख्याल रखते हो।" यह बात उसने MJ की तरफ देखते हुए कही थी।
MJ को बुरा तो बहुत लग रहा था, पर वह कुछ बोलता नहीं है। बनी को भी उस पर बहुत गुस्सा आ रहा था। MJ ने उसका हाथ पकड़ उसे रोका हुआ था।
एडवर्ड को उसकी बात सुन बहुत गुस्सा आता है। गुस्से में उसका हाथ ड्रैगन पर उठ जाता है। वह थप्पड़ मारता, उससे पहले ही पीछे से एक सख्त आवाज आती है,
"स्टॉप, एडवर्ड!!"
आवाज सुन एडवर्ड का हाथ हवा में ही रह जाता है। एक मिडिल उम्र का आदमी उसके सामने जाकर खड़ा हो जाता है।
"बेहव, एडवर्ड! तुम शायद भूल रहे हो, वह हमारा गेस्ट है!!"
"मेरा नहीं, सिर्फ़ आपका गेस्ट है!!"
"मेरा भी है, लेकिन गेस्ट तो है। तुम्हें अपनी तमीज़ नहीं भूलनी चाहिए। Say sorry to him!!"
"No way! I am not gonna say sorry to him. He doesn't deserve this!!"
"एडवर्ड!!"
"डोंट शाउट एट मी, डैड!! आपके इस गेस्ट ने पहले बदतमीज़ी की थी। इसने MJ के बारे में उल्टी-सीधी बकवास शुरू की!! इसे समझा दो, अपनी हद में रहे। बिज़नेस पार्टनर है तो बिज़नेस पार्टनर बनकर रहे। मेरे पर्सनल मैटर्स में इसे बोलने का कोई हक नहीं है!!"
ड्रैगन गुस्से से उसे घूरते हुए कहता है,
"ऐसा क्या है इस लड़के में जो तुम्हें इसकी इतनी चिंता है? ऐसा क्या रिश्ता है इसका तुम्हारे साथ?"
"रिश्तों की बात तुम तो ना ही करो, ड्रैगन। जो अपने सगे बाप का नहीं हो सका, वो किसी और का क्या होगा!!"
"एडवर्ड!!" ड्रैगन गुस्से में चिल्लाते हुए कहता है।
"बुरा लगा ना? मुझे भी लगता है जब तुम मेरे करीबी लोगों के बारे में उल्टा-सीधा बकवास करते हो!!"
"मैं सब कुछ बर्दाश्त कर सकता हूँ, पर मेरे MJ को कोई कुछ भी कहे, ये मुझसे बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं होगा!!"
"मेरे MJ..." सुन ड्रैगन के सीने में दर्द सा होता है।
"एडवर्ड, MJ, बस करो! अब बहुत हो गया है!!"
एडवर्ड MJ का हाथ पकड़ उसे अपने साथ ऊपर ले जाता है।
उसके डैड पीछे से चिल्लाते हैं,
"एडवर्ड, कहाँ जा रहे हो? हमें कुछ इम्पॉर्टेन्ट डिस्कशन करना है। उसी के लिए ड्रैगन यहाँ आया है!!"
"आप और आपका स्पेशल गेस्ट ही सब डिसाइड कर लो!! मेरी क्या ज़रूरत है?" यह कह एडवर्ड MJ को लेकर वहाँ से चला जाता है।
उसके डैड और MJ को साथ जाता देख ड्रैगन की गुस्से से मुट्ठी बँध जाती है। वह भी गुस्से में वहाँ से बाहर चला जाता है।
उन दोनों को देख मार्कस (डैड) अपना सर पकड़ लेता है। वह उन दोनों के झगड़ों से परेशान हो जाता है। हमेशा की तरह झगड़े का कारण MJ ही होता है।
बनी सिचुएशन को समझते हुए तुरंत वहाँ से निकल लेता है, वरना उस पर कभी भी बॉम्ब फट सकता था।
मार्कस भी गुस्से में वहाँ से निकल जाता है।
घर से बाहर आ ड्रैगन गुस्से में अपनी कार को जोर से लात मारता है। बार-बार उसके कानों में एडवर्ड के कहे शब्द गूंज रहे थे। "मेरे MJ..." यह वाक्य याद करके उसे बहुत गुस्सा आ रहा था।
"ये सब उस MJ की वजह से हुआ है। अगर वो ना होता, तो आज एडवर्ड मेरे पास होता। उसने मेरे एडवर्ड को मुझसे छीन लिया। जान ले लूँगा मैं उसकी। उसके मरने के बाद एडवर्ड को मेरा होने से कोई नहीं रोक पाएगा।"
वहीं MJ एडवर्ड को ऊपर रूम में ले आता है और उसकी ड्रेसिंग करने लगता है।
"एडवर्ड, तुम्हें ये नहीं करना चाहिए था?"
एडवर्ड बिना किसी भाव के साथ कहता है,
"क्या नहीं करना चाहिए था?"
"तुम्हें अपने डैड और ड्रैगन से मिसबिहेव नहीं करना चाहिए था। और इतने क्रिटिकल समय में उनके साथ मिलकर काम करना चाहिए। ब्लू मून लगातार हमारे इलाके में घुस रहा है। हमें उन्हें रोकना होगा!!"
"MJ, तुम्हें अभी इस बारे में सोचने की ज़रूरत नहीं है। तुम फ़िलहाल खुद पर ध्यान दो। अगर इतने लापरवाह रहोगे, तो एक दिन जंगल में किसी पेड़ की डाली पर लटके हुए मिलोगे। इस काली दुनिया में सिर्फ़ अँधेरा ही अँधेरा है। इसमें रहम की बिलकुल भी उम्मीद मत करना। कोई तुम पर रहम नहीं खाएगा!! अगर मेरी मानो तो ये सब छोड़ दो, चले जाओ यहाँ से। बहुत कुछ नहीं रखा है यहाँ!!"
"फिर तुम क्यों यहाँ रुके हुए हो?"
"क्योंकि मैं चाहकर भी इन सब चीज़ों से भाग नहीं सकता। ये मेरे खून में है!! मेरे अपने डैड मेरे सगे नहीं हैं। वो मुझे अपने साथ रखते हैं क्योंकि उन्हें मेरी ज़रूरत है!! जिस दिन ये ज़रूरत ख़त्म होगी, मुझे मारने में वो एक पल के लिए भी नहीं सोचेंगे!!" यह कहते-कहते एडवर्ड की आँखें नम हो जाती हैं। एडवर्ड अपनी फ़ीलिंग्स सिर्फ़ MJ के सामने ही जाहिर करता था। उसके अलावा उसे किसी पर भी ट्रस्ट नहीं था।
MJ उसके कंधे पर हाथ रख उसे अपनेपन का एहसास दिलाता है।
"Are you fine??"
"Yeah!!"
"तुम रेस्ट करो। इतने में तुम्हारे लिए खाने के लिए कुछ लेकर आता हूँ!!"
MJ सर हिला देता है।
एडवर्ड के जाने के बाद MJ कहता है,
"एक दिन मैं तुम्हें इन सब से बाहर निकालकर रहूँगा। You deserve better!!"
नील अल्बर्टओ, अल्बर्टओ इंडस्ट्रीज़ के नए सीईओ बने थे। हर न्यूज़ चैनल पर यही बात चल रही थी। लोगों के मन में कई सवाल थे: क्या नील अपने पिता लियोनार्डो की तरह अल्बर्टओ इंडस्ट्रीज़ को ऊँचाई पर ले जा पाएगा?
नील का आज सीईओ के तौर पर ऑफिस में पहला दिन था। नील अभी तक ऑफिस नहीं आया था। पूरे ऑफिस में उसी की चर्चा हो रही थी, खासकर लड़कियों के बीच में तो वह कुछ ज्यादा ही चर्चा का विषय बना हुआ था। चर्चा का विषय बने भी क्यों न, वह तो नील अल्बर्टओ था; जिसे एक बार कोई देख ले, तो अपनी नज़रें उस पर से न हटा पाए! कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, नील एशिया का सबसे हैंडसम मैन था।
नील आज पहली बार ऑफिस आ रहा था। उससे पहले तो लोगों ने उसे सिर्फ तस्वीरों में ही देखा था। नील को इंडिया आए कुछ ही समय हुआ था। दो साल पहले वह बिज़नेस ट्रेनिंग लेने जर्मनी गया हुआ था।
नील के बारे में एक और बात थी जो अभी तक कोई नहीं जानता था: नील को प्यार से सख्त चिढ़ थी। उसे लगता था प्यार इंसान को कमज़ोर बनाता है, उसे बेज़ान बना देता है... इसलिए उसने सोच लिया था कि प्यार जैसी फालतू चीज़ में वह कभी नहीं पड़ेगा।
ऑफिस के लोग बड़ी बेसब्री से नील का इंतज़ार कर रहे थे। आज उनका नया सीईओ आने वाला था।
कुछ देर बाद नील की गाड़ी ऑफिस के बाहर आकर रुकी। यह देख गार्ड फ़ौरन अंदर आया। ऑफिस में आज बहुत शोर-शराबा हो रखा था। वह सबको चुप करवाता है। "सभी चुप हो जाओ! उन्हें यह शोर-शराबा बिलकुल भी पसंद नहीं है।" उसकी बात सुन डर के मारे कुछ लोग चुप हो जाते हैं, पर ज्यादातर लोग अभी भी बातों में ही लगे हुए थे।
उनकी आवाज़ें बाहर तक जा रही थीं।
नील का बॉडीगार्ड, व्योम, सबसे पहले कार से उतरा। फिर वह तेज़ी से गेट का दरवाज़ा खोला।
नील ने अपने गॉगल्स आँखों पर चढ़ाए, फिर फ़ुल ऐटिट्यूड के साथ कार से बाहर उतरा। कार से बाहर उतरते ही उसे ऑफिस के अंदर से चीखने-चिल्लाने की आवाज़ आई। जिसे सुनकर एकदम से नील की आँखें सर्द हो गईं। उसकी आँखों से ही अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि वह इस वक़्त कितने गुस्से में है।
नील को गुस्से में देख व्योम मन में कहता है, "इनकी तो शामत आ गई।"
नील तेज़ गुस्से में अंदर गया। उसके अंदर आते ही सब लोग एक साथ चुप हो गए।
नील के आते ही वहाँ का सबसे सीनियर मैनेजर उसके पास आया। उसके हाथ में बुके था। वह उसे नील की तरफ़ बढ़ाते हुए कहता है, "वेलकम सर!!" उसने इतना ही कहा था कि इतने में नील उसके हाथ से बुके छीनकर ज़मीन पर फेंक मारता है और बड़ी बेरहमी से उसे मसलना शुरू कर देता है। यह देख सबकी आँखें हैरानी से चौड़ी हो जाती हैं।
सीनियर मैनेजर तो सदमे में जाते-जाते बचा! उसकी तो हिम्मत ही नहीं हो रही थी नील से नज़रें मिलाने की!
नील सर्द आँखों से सबको देखता है, फिर अंत में उसकी नज़रें मैनेजर पर आकर रुकती हैं।
"यह ऑफिस है या चिड़ियाघर??"
मैनेजर हैरानी से उसे देखता है। "जी??"
नील ने आवाज़ धीमी करते हुए कहा, "सुनाई कम देता है क्या? मैंने पूछा कि यह ऑफिस है या चिड़ियाघर??"
नील के गुस्से को देख मैनेजर बहुत ज़्यादा डर जाता है। उसके मुँह से आवाज़ तक नहीं निकल रही थी। बड़ी हिम्मत जुटाकर वह धीरे से कहता है, "ऑफिस है सर!"
"नहीं, ऑफिस नहीं है, यह चिड़ियाघर है जहाँ पर तरह-तरह के जानवर हैं!! कुत्तों की तरह भौंक रहे हो!! सब बाहर तक तुम्हारी भौंकने की आवाज़ आ रही थी!!"
नील के मुँह से यह सब सुन सब शर्म से सर झुकाकर खड़े हो जाते हैं। लाइफ़ में पहली बार किसी ने उनकी इतनी बेइज़्ज़ती की थी, खुलेआम उनके मुँह पर उन्हें कुत्ता कहा जा रहा था। दुःख तो इस बात का था कि वे कुछ बोल भी नहीं सकते थे। माना उन्होंने गलती की थी, पर उन्हें यह बात आराम से भी समझाई जा सकती थी। उन्हें इतना बेइज़्ज़त करने की ज़रूरत तो नहीं थी। वे सालों से यहाँ काम कर रहे थे; इतने सालों की मेहनत के बदले उन्हें यह मिला। यह तो वे डेज़र्व नहीं करते थे।
नील एक नज़र उन सब पर फिराता है, फिर मैनेजर की तरफ़ देखते हुए कहता है, "मुझे अपने ऑफिस में इंसान चाहिए, जानवर नहीं। इन सब को इनकी सैलरी दो और निकलो यहाँ से। मुझे इनमें से एक भी इस ऑफिस में दिखना नहीं चाहिए। अगर इनमें से मुझे कोई भी दिखा, तो तुम फिर कभी किसी को इस दुनिया में नहीं दिखोगे... और हाँ, इन सब को निकालने के बाद खुद भी अपना रेज़िग्नेशन लेटर दे देना।"
नील की धमकी से मैनेजर का शरीर काँप जाता है।
अपनी बात कह नील वहाँ से चला जाता है। उसके पीछे-पीछे व्योम भी वहाँ से चला जाता है।
सारे ऑफिस में एक सन्नाटा सा छा गया था। किसी को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। कुछ देर पहले तक तो सब कितने खुश थे; एकदम से ऑफिस में मातम छा गया। नील ने किसी पर रहम नहीं खाया। एक छोटी सी गलती की वजह से उन्हें इतना बेइज़्ज़त किया; उससे भी मन नहीं भरा तो उन्हें जॉब से ही निकाल दिया।
नील अपनी प्राइवेट लिफ़्ट से अपने केबिन में जाता है। वह लिफ़्ट सिर्फ़ उसके लिए थी; उसमें उसके अलावा कोई और नहीं जा सकता था, यहाँ तक कि व्योम भी नहीं। व्योम बेचारा सीढ़ियों से भागते हुए ऊपर आ रहा था। अगर थोड़ी भी लेट हो जाता, तो वह नील का अगला शिकार बन जाता। इस वक़्त तो वैसे भी वह बहुत गुस्से में था; व्योम कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था।
व्योम फ़ुल स्पीड से सीढ़ियों से ऊपर आ रहा था। वह सिर्फ़ 10 सेकंड में ऊपर पहुँच जाता है। ऊपर पहुँच व्योम राहत की साँस लेता है क्योंकि लकिली नील अभी तक ऊपर नहीं पहुँचा था। व्योम की साँसें फूल गई थीं। 3 सेकंड बाद नील वहाँ आ जाता है। नील एक नज़र व्योम को देखता है, फिर अपने केबिन में चला जाता है।
नील भी उसके पीछे-पीछे अंदर चला जाता है। नील अपनी चेयर पर बैठते हुए कहता है, "दो दिन के अंदर मुझे नए एम्प्लॉय चाहिए!!"
"दो दिन?" व्योम की आँखें बड़ी हो जाती हैं। "सर, दो दिन??"
नील उसे घूरते हुए कहता है, "नहीं, 48 घंटे। अब ठीक है!!"
"पर सर?" वह आगे कुछ बोलता है, उससे पहले ही नील उसे गुस्से भरी आँखें दिखाता है जिससे वह चुप हो जाता है। "Ok सर, हो जाएगा।"
"तुम अब यहाँ से जा सकते हो!"
"जी सर!!"
व्योम गोली की स्पीड से उसके केबिन से बाहर आ जाता है। "ये सर के दिमाग़ में कुछ लोचा है क्या? दो दिन में सब कैसे होगा? एक तो लोग हायर करने होते, तो कोई दिक्क़त नहीं थी, पर इन्होंने तो पूरा ऑफिस ही खाली कर दिया। अब दो दिन में नए लोगों को कहाँ से लाऊँ!! कुछ तो करना ही होगा!! सभी हायरिंग प्लेटफ़ॉर्म से कांटेक्ट करना होगा। हम्म, यही सही है। वैसे भी इस देश में नौकरियों की बहुत कमी है; कोई न कोई तो मिल ही जाएँगे।"
ऑफिस के लोग मायूस हो अपना-अपना सामान पैक करने लगते हैं। सभी के मन में नील के लिए नफ़रत सी पैदा हो गई थी। एक सीनियर एम्प्लॉय अपने साथी एम्प्लॉय से कहता है, "बहुत घमंड है इस आदमी में!! भगवान के मंदिर में देर है, पर अंधेर नहीं। एक दिन कोई आएगा जो इसका यह गुरूर तोड़कर रख देगा।"
निक अल्बर्टओ, बॉलीवुड का मशहूर डायरेक्टर-प्रोड्यूसर, अपने काम के साथ-साथ अपने फ़्लर्टी नेचर के लिए भी मशहूर था। शायद इंडस्ट्री में कोई ही बचा होगा जिसके साथ उसने फ़्लर्ट न किया हो। उसकी इमेज इस वजह से काफी ख़राब हो चुकी थी। इंडस्ट्री से बाहर के लोग उसे प्लेबॉय कहते थे; उनका कहना गलत भी नहीं था। निक का आए दिन किसी के साथ अफ़ेयर की खबर मीडिया में आती रहती थी। इसमें कितनी सच्चाई थी, वह तो निक ही जानता था।
निक की दो पर्सनालिटी थीं: एक बिलकुल कूल, जॉली; वहीं दूसरी एकदम डार्क। निक की दूसरी पर्सनालिटी के बारे में कोई नहीं जानता था; जो जानता था, वह अब इस दुनिया में नहीं था। जिसने भी निक का वह रूप देखा, उसने अपनी जान से हाथ धो दिया।
निक अपने केबिन में एक फिल्म की नई स्क्रिप्ट पढ़ रहा था। उसका असिस्टेंट, राहुल, भी वहीं था।
निक के सामने और दो असिस्टेंट डायरेक्टर और स्क्रिप्ट राइटर बैठे थे।
स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद वह उसे साइड में रख देता है।
"सर, तो आपने क्या सोचा?" असिस्टेंट डायरेक्टर बोलता है।
निक कुछ सोचकर कहता है, "ठीक है, पर मैं इस नॉर्मल गर्ल-बॉय लव स्टोरी से बोर हो गया हूँ। इस बार मुझे कुछ अलग ट्राई करना है..."
डायरेक्टर हैरानी से उसे देखता है। "मैं कुछ समझा नहीं?"
"जब मैंने कुछ समझाया ही नहीं, तो कैसे समझोगे? मैं इस बार कुछ अलग करना चाहता हूँ। मैं इस बार एक gay love story बनाना चाहता हूँ..."
यह सुन वे तीनों हैरानी से उसे देखते हैं। "What?? सर, ये क्या कह रहे हो आप?? gay love story??"
"हाँ, कोई दिक्क़त है इसमें?"
"सर, ऑडियंस रिजेक्ट कर देगी। उन्हें ये सब पसंद नहीं आएगा।"
"तुम यह कैसे कह सकते हो कि उन्हें यह पसंद नहीं आएगा?"
"सर, लोगों की सोच अभी इतनी विकसित नहीं हुई है। अभी हमारे देश में वह सब इसे एक बीमारी समझते हैं..."
"हाँ, इसीलिए तो मैं यह मूवी बनाना चाहता हूँ। मैं उन्हें अवेयर करना चाहता हूँ। जब तक उन्हें इस बारे में पता ही नहीं चलेगा, वे इसे समझेंगे कैसे? मैंने डिसीड कर लिया है, मैं इस बार एक gay love story ही बनाऊँगा।"
"सर, वह तो ठीक है, पर क्या कोई एक्टर इसके लिए तैयार होगा? आप तो जानते ही हैं ये एक्टर्स कितने इमेज कॉन्शियस होते हैं। वे कभी यह फिल्म करने के लिए तैयार नहीं होंगे।"
"जानता हूँ। मुझे इस फिल्म के लिए कोई न्यू एक्टर चाहिए। उनका ऑडिशन मैं खुद लूँगा...... तुम ऑडिशन की तैयारी करो।"
"जी सर!!" वे तीनों वहाँ से चले जाते हैं।
कबीर अनिरुद्ध के साथ नाईट फेस्टिवल में जाता है। गोवा में हर साल दिसंबर के महीने में एक नाईट फेस्टिवल सेलिब्रेट किया जाता था। यह फेस्टिवल बीच के पास सेलिब्रेट किया जाता था। पूरे एरिया को कलरफुल लाइट्स से डेकोरेट किया गया था। वहाँ पर तरह-तरह के ड्रिंक्स सर्व किए जाते थे; DJ की भी व्यवस्था थी। यहाँ सब अपनी टेंशन, स्ट्रेस को दूर करने आते थे। फेस्टिवल जैसे-जैसे एंड होने लगता, वहाँ पर भीड़ बढ़ने लगती थी। आज क्रिसमस था, तो भीड़ और सेलिब्रेशन दोनों ही दुगने थे।
कबीर कई दिनों से अपनी प्रोफेशनल लाइफ़ से परेशान था, इसलिए अनिरुद्ध उसे यहाँ लेकर आया था।
अनिरुद्ध को डांस करना पसंद था, इसलिए वह डांस करने चला जाता है। वहीं कबीर को ड्रिंक करने में इंटरेस्ट था, इसलिए वह ड्रिंक करने लग जाता है।
अनिरुद्ध भीड़ में घुसकर डांस करने लग जाता है। तभी उसे अपनी कमर पर किसी का हाथ महसूस होता है। अनिरुद्ध तुरंत पीछे पलटता है। एक व्हाइट लड़का उसे देख मुस्कुरा रहा था। "ओह, आई एम सॉरी!! गलती से हो गया!!"
अनिरुद्ध उसे घूरता है, पर कुछ कहता नहीं। उसे भी लगा शायद गलती से हो गया होगा। वह उसे इग्नोर कर वापस से डांस करने लग जाता है। कुछ देर बाद उसे फिर से अपनी कमर पर किसी का हाथ महसूस होता है। अनिरुद्ध पीछे पलटता है, तो वही लड़का होता है! इस बार अनिरुद्ध को गुस्सा आ जाता है। वह अपने पॉकेट से अपनी गन निकालकर उसके पेट पर रख देता है। गन देख वह लड़का डर जाता है। "डोंट यू डेयर! आई एम अ कॉप!!" जैसे ही उस लड़के को पता चलता है अनिरुद्ध एक कॉप है, वह तुरंत उससे सॉरी बोलता है। अनिरुद्ध धमकी दे उसे छोड़ देता है। वह लड़का तुरंत वहाँ से निकल लेता है। उसके जाने के बाद अनिरुद्ध वापस अपने डांस पर फोकस करना शुरू कर देता है। कुछ देर बाद उसका फ़ोन रिंग होता है। अनिरुद्ध फ़ोन चेक करता है, तो एक अननोन नंबर से कॉल आ रहा था। अनिरुद्ध एक पुलिस ऑफिसर था, तो उसे हर कॉल को उठाना पड़ता था; पता नहीं किसे कोई इमरजेंसी हो?
अनिरुद्ध DJ से कुछ दूर एक खाली एरिया में आता है और फ़ोन रिसीव करता है।
फ़ोन उठाते ही सामने से एक भारी आवाज़ आती है, "हैलो मिस्टर अनिरुद्ध बनिक!!"
"जी, बोलिए!!"
"आई हैव अ सरप्राइज़ फॉर यू!! Your surprise is waiting for you in your car, go get it!!" इतना कह वह आदमी तुरंत फ़ोन कट कर देता है।
"हैलो, हैलो, कौन बोल रहा है..." अनिरुद्ध बोलता रहता है, पर अब काफी देर हो चुकी थी; वह फ़ोन कट कर चुका था।
अनिरुद्ध परेशान हो गया था। उसे समझ नहीं आ रहा था उसे जाना चाहिए या नहीं; क्यों कि यह कोई ट्रैप भी हो सकता है। अनिरुद्ध ने अपने अब तक के करियर में दुश्मन ज़्यादा, दोस्त कम बनाए हैं। बहुत लोगों के आँखों का काँटा बना हुआ था वह; जिसे निकाल फेंकने के लिए सब एक मौके की तलाश में थे।
"तुम्हारे लिए एक सरप्राइज़ है!! तुम्हारी कार में तुम्हारा सरप्राइज़ इंतज़ार कर रहा है, जाकर ले आओ!!" इतना कहकर वह आदमी तुरंत फ़ोन काट देता है।
"हैलो, हैलो, कौन बोल रहा है...?" अनिरुद्ध बोलता रहा, पर अब काफ़ी देर हो चुकी थी; वह फ़ोन कट चुका था।
अनिरुद्ध परेशान हो गया था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे जाना चाहिए या नहीं, क्योंकि यह कोई ट्रैप भी हो सकता था। अनिरुद्ध ने अपने अब तक के करियर में दुश्मन ज़्यादा, दोस्त कम बनाए थे। वह बहुत लोगों की आँखों का काँटा बना हुआ था, जिसे निकाल फेंकने के लिए सब एक मौके की तलाश में थे।
अनिरुद्ध गहरी सोच में पड़ गया। कौन था यह, और कार में क्या सरप्राइज़ होगा? यहाँ खड़े होकर सोचने से अच्छा, मुझे वहाँ जाकर ही चेक करना चाहिए।
अनिरुद्ध तेज़ी से अपनी कार की ओर बढ़ा। कार का दरवाज़ा पहले से ही खुला था। यह देख अनिरुद्ध को हैरानी हुई। अनिरुद्ध को पैसेंजर सीट पर एक लाल रंग का बॉक्स मिला। अनिरुद्ध ने उसे हाथ में पकड़ा। वह कुछ देर बॉक्स को ऐसे ही देखता रहा, फिर उसे खोला। बॉक्स खोलते ही उसकी चीख निकल गई। बॉक्स उसके हाथ से छूटकर नीचे गिर गया। बॉक्स के अंदर एक कटा हुआ हाथ था। अनिरुद्ध की दिल की धड़कनें एकदम से तेज हो गई थीं। वह धीरे-धीरे सामान्य हो रहा था। अनिरुद्ध ने देखा कि बॉक्स के अंदर एक पेपर था। उसने बॉक्स को उठाया और उस पेपर को बाहर निकाला। उस पर खून से कुछ लिखा हुआ था। अनिरुद्ध ने उसे पढ़ना शुरू किया।
"सॉरी बेबी बॉय, तुम्हें डराने का इरादा नहीं था मेरा! यह हाथ मैंने तुम्हें इसलिए भेजा है ताकि मैं तुम्हें यह एहसास दिला सकूँ कि तुम्हारी तरफ़ बढ़ने वाले हर क़दम का यही हश्र होगा! यह हाथ आज तुम्हारी तरह बढ़ा था; मैंने इसे हमेशा-हमेशा के लिए रोक दिया!"
उस हाथ को देख अनिरुद्ध को कुछ याद आया। उसकी उंगली में ब्लैक डायमंड की अंगूठी थी। उसे देख उसे याद आया कि थोड़ी देर पहले जिस लड़के ने उसके साथ बदतमीज़ी की थी, उसने यही अंगूठी पहनी हुई थी! अनिरुद्ध का चेहरा एकदम से सफ़ेद पड़ गया! उसने बॉक्स को साइड में फेंक दिया और इधर-उधर अपनी नज़रें घुमाने लगा। उसे लगा कि शायद बॉक्स रखने वाला वहाँ आस-पास ही हो। वह चारों ओर देखता रहा, पर उसे कुछ नज़र नहीं आया। पर तभी अचानक उसकी नज़र कार के मिरर पर गई। मिरर में उसे एक साया नज़र आया। अंधेरे में होने की वजह से उसका चेहरा नज़र नहीं आ रहा था। उसे देखने के लिए अनिरुद्ध पीछे पलटा। वह साया तेज़ी से झाड़ियों के पीछे छिप गया। अनिरुद्ध भी उसी दिशा में जाने लगा, पर जैसे ही वह वहाँ पहुँचा, तो देखा कि वहाँ कोई नहीं था। वह जाने के लिए पलटा ही था कि तभी उसकी नज़र किसी चीज़ पर गई... झाड़ियों के अंदर एक पेपर फँसा हुआ था। अनिरुद्ध ने सावधानी से उसे निकाला ताकि वह फट न जाए।
पेपर निकालकर अनिरुद्ध ने उसे पढ़ा।
"अभी हमारी मुलाक़ात का समय नहीं आया है, लेकिन जल्द ही तुमसे मुलाक़ात होगी।"
अनिरुद्ध गुस्से में उस पेपर को फाड़कर फेंक देता है और दौड़ते हुए वहाँ से निकल जाता है। उसके जाने के बाद वह साया एक पेड़ के पीछे से निकलकर आता है... उसके चेहरे पर एक खौफनाक मुस्कान थी।
अनिरुद्ध वापस कार के पास गया। वहाँ पहुँचकर उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं। वह हाथ जल रहा था। यह देख अनिरुद्ध को सर्दी में भी पसीना आने लगा!
ऐसा नहीं था कि अनिरुद्ध ने पहले कभी ऐसा नहीं देखा था, पर यह कुछ ज़्यादा ही अजीब था।
अनिरुद्ध ने कार को फिर से लॉक किया और वापस पार्टी में चला गया।
कबीर ड्रिंक कर रहा था। ड्रिंक करने के साथ ही उसकी नज़र डांस फ़्लोर पर भी थी, जहाँ खूबसूरत-खूबसूरत लड़कियाँ डांस कर रही थीं। कबीर को इंटरनेशनल ब्यूटीज़ बहुत पसंद थीं। कबीर की चॉइस बाकी लोगों से थोड़ी अलग थी। जहाँ लोगों को गोरी लड़कियाँ पसंद होती हैं, वहाँ कबीर को बिल्कुल उल्टा, ब्राउन और ब्लैक गर्ल्स ज़्यादा पसंद थीं; वह उन्हें ज़्यादा हॉट लगती थीं। कबीर की नज़र इस वक़्त एक ब्लैक ब्यूटी पर थी। कबीर कई देर से उस पर नज़र बनाए हुए था। उसे लगा कहीं उसका ऑलरेडी बॉयफ्रेंड हो, तो वह एक बार कन्फर्म करना चाहता था। कई देर के निरीक्षण के बाद कबीर अपनी चेयर से उठा। वह दो क़दम उसकी ओर चलता ही था कि तभी एक व्हाइट लड़का आया और उसकी ब्लैक ब्यूटी को किस करता है। यह देख कबीर आँखें घुमा लेता है।
"बैड लक," पीछे से एक आवाज़ आई।
कबीर पीछे मुड़ता है तो उसे मास्क पहने एक लड़का नज़र आता है।
"हाय ब्रो, ऊपर करता है?"
वह लड़का मास्क के अंदर से ही मुस्कुराता है और अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहता है, "हाय, ईवान!"
कबीर हिचकिचाते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाता है, "कबीर!"
ईवान को मास्क में देख कबीर को थोड़ी हैरानी होती है।
"एक बात पूछ सकता हूँ?"
ईवान मुस्कुराते हुए कहता है, "मुझे मास्क क्यों पहना है, यही पूछना है ना?"
"हाँ!"
"बस ऐसे ही पसंद है मुझे!"
"तुम हमेशा ऐसे मास्क में रहते हो?"
"हाँ, बस एक जगह को छोड़कर।"
कबीर सवालिया नज़रों से उसे देखता है, "एक जगह? कौन सी जगह?"
ईवान कबीर के एकदम नज़दीक जाकर धीमी पर इंटेंस वॉइस में कहता है, "बेड पर!"
कबीर नासमझी से उसे देखता है, "बेड पर? ओह, मतलब सोते हुए तुम मास्क हटाते हो?"
ईवान मुस्कराहट मेंटेन रखते हुए कहता है, "नहीं!"
कबीर उसकी बातों से कन्फ्यूज हो रहा था, "तुम कहना क्या चाह रहे हो, समझ नहीं आ रहा?"
ईवान की आँखों में एक शरारत थी। वह स्माइल के साथ कहता है, "ओके, तुम्हारे लिए इज़ी कर देता हूँ। मैं सिर्फ़ मास्क तब हटाता हूँ जब मैं किसी के साथ बेड पर होता हूँ। उस वक़्त मास्क लगाना मुझे पसंद नहीं आता।"
"तुम्हें क्या, किसी को भी पसंद नहीं आएगा!"
"तुम हमेशा यहाँ आते हो?"
"हाँ!"
"क्यों?"
ईवान की आँखें एकदम से गंभीर हो जाती हैं, "शिकार की तलाश में!"
कबीर हैरानी से उसे देखता है, "व्हाट?"
ईवान स्माइल के साथ कहता है, "मेरा मतलब, यहाँ देश-विदेश से खूबसूरत लड़कियाँ आती हैं, तो उनके साथ कुछ क्वालिटी टाइम बिताने के लिए आ जाता हूँ!"
कबीर स्मर्क के साथ कहता है, "बातचीत करने के लिए या कुछ और करने के लिए?"
ईवान हँसते हुए कहता है, "काफ़ी समझदार हो तुम, बिन बोले समझ गए! वैसे, तुम यहाँ क्यों आते हो? वही जो मैं करने आता हूँ?"
"नहीं! मैं वो नहीं करने आता। मुझे बस उनसे बात करना अच्छा लगता है, थोड़ा-बहुत फ़्लर्ट भी कर लेता हूँ, पर उससे ज़्यादा कुछ नहीं। मैं लड़कियों की बहुत रेस्पेक्ट करता हूँ। मैं हमेशा उन्हें इज़्ज़त की नज़रों से देखता हूँ! हाँ, कभी-कभी मेरी नियत डगमगा जाती है, पर वक़्त रहते मैं खुद को संभाल लेता हूँ!"
"कभी किसी लड़के के बारे में सोचा है?"
कबीर हैरानी से उसे देखता है, "नहीं!"
"सोचो, लड़के भी काफ़ी हॉट होते हैं।"
कबीर मुस्कुरा देता है।
कबीर का फ़ोन रिंग होता है। वहाँ आवाज़ नहीं आ रही थी, इसलिए फ़ोन अटेंड करने के लिए वह कुछ दूरी पर चला जाता है। ईवान उसे जाते देख रहा था। जैसे ही कबीर उसकी आँखों से ओझल हो जाता है, ईवान की आँखें एकदम से सर्द हो जाती हैं। उसकी नज़र उस लड़की पर जाती है जिसे कुछ देर पहले कबीर देख रहा था।
दो-तीन मिनट बाद कबीर वापस वहाँ आता है। ईवान वहाँ से जा चुका था। कबीर को थोड़ी हैरानी होती है। वह बिना उसे बताए वहाँ से चला गया था। कबीर उसे इग्नोर करके वापस से ड्रिंक करना शुरू कर देता है। थोड़ी देर बाद अनिरुद्ध भागते हुए उसके पास आता है। उसे ऐसे देख कबीर उसके पास जाता है।
"अनिरुद्ध, क्या हुआ?"
अनिरुद्ध उसके सवाल को इग्नोर करते हुए कहता है, "कबीर, अभी के अभी यहाँ से चलो!"
"अनिरुद्ध, क्या हुआ है? आर यू ओके?"
"कबीर, ये सब बाद में पूछना, तुम पहले यहाँ से चलो!"
ना चाहते हुए भी कबीर उसके साथ वहाँ से निकल जाता है। अनिरुद्ध पैसेंजर सीट पर जाकर बैठ जाता है। कबीर भी जल्दी से जाकर पैसेंजर सीट पर बैठ जाता है।
ड्राइव करते हुए कबीर कहता है, "अभी तो बताओ क्या हुआ है?"
"अनिरुद्ध, आज मेरे साथ बहुत अजीब सी चीज़ हुई।"
"क्या अजीब सी चीज़ हुई?"
अनिरुद्ध उसे शुरू से आखिर तक सब कुछ बता देता है। यह सब सुन कबीर के चेहरे पर भी चिंता की लकीरें आ जाती हैं।
"अनिरुद्ध, तुम्हें वहाँ कुछ और दिखा?"
"नहीं, मैंने उसे ढूँढने की कोशिश की, पर पता नहीं अचानक से कहाँ ग़ायब हो गया!"
"अनिरुद्ध, दिस इज़ वैरी सीरियस! यू हैव टू बी केयरफुल!"
"आई नो, कबीर!"
"कौन हो सकता है वो?"
"रिलैक्स, डोंट वरी। हमने इससे भी क्रिटिकल सिचुएशन हैंडल की है! तुम अभी इस बारे में मत सोचो, हम घर जाकर इस बारे में सोचते हैं..."
अनिरुद्ध सिर हिला देता है।
अनिरुद्ध और कबीर बात करने में इतने बिजी हो गए थे कि उन्हें ख्याल ही नहीं रहा कि एक कार लगातार उनका पीछा कर रही है। कुछ देर बाद उनकी कार एक छोटे से घर के बाहर रुकती है। उनको कार रुकता देख वह कार भी रुक जाती है।
अनिरुद्ध और कबीर कार से उतरकर तेज़ी से घर के अंदर जाते हैं। कार में बैठा आदमी उन्हें जाते देखता रहता है। जैसे ही वे घर के अंदर चले जाते हैं, वह भी अपनी कार को यू-टर्न मारकर वहाँ से निकल जाता है।
एक पुरानी सी खंडहर बिल्डिंग के अंदर से लगातार एक लड़की के जोर-जोर से चिल्लाने की आवाज़ें आ रही थीं।
एक लड़की को रस्सी के सहारे उल्टा लटकाया हुआ था। लड़की के शरीर पर कोई कपड़े नहीं थे। उसके पूरे शरीर पर जगह-जगह कट लगे हुए थे, जिनसे खून निकल रहा था।
उसके सामने एक लड़का कुर्सी पर बैठा हुआ था। वह लड़का कोई और नहीं, ईवान ही था। और जो लड़की इस वक़्त वहाँ थी, वह वही ब्लैक ब्यूटी थी जिसमें कबीर को इंटरेस्ट था।
ईवान के हाथ में एक बड़ा चाकू था। ईवान लड़की को देख मुस्कुरा रहा था। वह अपनी चेयर से खड़ा होता है और उस लड़की के पास जाता है। ईवान के करीब आते ही वह लड़की डर से काँप जाती है। उस लड़की को डरते देख ईवान की आँखें चमक जाती हैं। वह उसके बाल पकड़कर उसका चेहरा अपने करीब लाता है, "बेबी गर्ल, यही डर तो मैं देखना चाहता था तुम्हारी आँखों में!"
लड़की रोते हुए कहती है, "प्लीज़, मुझे छोड़ दो!"
"नहीं छोड़ सकता। ना, अगर अब मैंने तुम्हें छोड़ दिया, तो तुम बाहर जाकर सबको मेरे बारे में बता दोगी ना?"
"मैं किसी को नहीं बताऊँगी!"
"मैं कैसे तुम पर ट्रस्ट करूँ? आई डोंट ट्रस्ट लेडीज़! एक पल के लिए तुम किसी जंगली जानवर पर भरोसा कर सकते हो, पर एक औरत पर नहीं! औरतें विश्वास के लायक नहीं होती!" ईवान की आँखें एकदम से सर्द हो गई थीं। "आई हेट वूमेन!" गुस्से में ईवान की पकड़ उसके बालों पर कस गई थी।
ईवान अपने हाथ में पकड़े चाकू की तरफ़ देखता है, फिर उस लड़की की पीठ पर उससे कुछ लिखने लग जाता है। लड़की की क़दरद भरी चीख गूंजने लग जाती है। दर्द के मारे वह बेहोश हो जाती है! कुछ देर बाद ईवान के हाथ रुकते हैं।
ईवान लड़की को नीचे उतारता है और उस पर पानी डालकर उसे होश में लाता है।
"बेबी गर्ल, तुम तो इतनी जल्दी बेहोश हो गई। तुम अब तक की सब से कमज़ोर शिकार रही हो मेरी!" यह सुन वह लड़की डर से काँप जाती है। मतलब इससे पहले भी वह यह कई लड़कियों के साथ कर चुका है।
"बेबी गर्ल, बहुत देख ली दुनिया, अब ऊपर जाने की तैयारी करो!" ईवान की पकड़ अपने चाकू पर कस जाती है। लड़की ना-ना करते हुए सिर हिलाती है। "नहीं, प्लीज़, नहीं!" वह ईवान के आगे हाथ जोड़ लेती है, पर ईवान तो इस वक़्त पूरा जानवर बन चुका था। उसे उसके दर्द का कोई एहसास नहीं था, या वह एहसास करना ही नहीं चाहता था। ईवान उसके मुँह पर अपना हाथ रखता है और एक झटके से चाकू से उसका गला चीर देता है। एक दर्दनाक चीख के साथ लड़की अपना दम तोड़ देती है।
ईवान का पूरा चेहरा खून से सन गया था। वह वाशरूम में जाकर अपना चेहरा धोता है... फिर वापस बाहर आता है। पास में एक बड़ा सा बैग रखा था। ईवान लड़की को उठाकर उसमें डालता है, फिर बैग लेकर बाहर चला जाता है। बाहर उसकी कार खड़ी थी। कार की डिग्गी में अपना बैग रखकर ड्राइवर सीट पर आकर बैठ जाता है। आधे घंटे बाद उसकी कार एक खाई के पास आकर रुकती है। ईवान डिग्गी से बैग को निकालता है और उसे खाई में फेंक देता है। यह कर उसके चेहरे पर एक अलग सा सुकून था। वह कुछ देर वहीं खड़ा रहता है, फिर वहाँ से चला जाता है।
अनिरुद्ध हाउस…
आज पूरी रॉय टीम काफ़ी समय बाद एक साथ मौजूद थी। अनिरुद्ध (ACP), कबीर, समर (स्ट्रगलिंग एक्टर), विवान (वकील), ऋषभ (जर्नलिस्ट), वीर (स्टूडेंट), संकल्प (डॉक्टर)।
फ़ेस्टिवल के दौरान अनिरुद्ध के साथ जो कुछ हुआ, वो सब कबीर ने उन सबको बता दिया।
संकल्प परेशान होते हुए बोला, "अब ये क्या नयी मुसीबत है गाइस? मैं अभी भी तुम सबको समझा रहा हूँ, मत पड़ो इन चक्कर में! हम सब चाहकर भी उन माफ़ियाओं का कुछ नहीं बिगाड़ सकते!! उनके पास पावर है, लोग हैं, पैसा है, हथियार हैं और हमारे पास इन चारों चीज़ों में से कुछ नहीं है। कभी-कभी तो लगता है हमारी बच्चों वाली गैंग है!!"
कबीर उसे घूरता है।
"ऐसे घूरने की ज़रूरत नहीं है। कुछ गलत नहीं बोल रहा मैं। क्या है हमारे पास? ना पैसा है, ना लोग हैं? मेरी और अनिरुद्ध की सैलरी से हम सब का खर्चा चलता है। बाकी तुम तो हर दिन कंपनियाँ बदलते हो, और ये समर दो साल से ऑडिशन दे रहा है फिर भी अब तक इसका कुछ नहीं हुआ, और विवान इसका भी धंधा चौपट पड़ा है। एक केस नहीं आता इसके पास और वीर ये तो स्टूडेंट है, इससे तो कोई उम्मीद कर नहीं सकते!!"
"देखो मेरी भी अपनी लाइफ़ है। मैं अब और तुम सब के इस मिशन 'माफ़िया भगाओ' के चक्कर में परेशान नहीं होना चाहता। अच्छा यही होगा तुम सब इसे छोड़ अपने-अपने करियर पर फ़ोकस करो। ज़िन्दगी भर मैं तुम्हारा खर्चा नहीं उठा सकता!!"
संकल्प की बात सुन सब मायूस होने के बजाय जोर-जोर से हँसने लग जाते हैं।
ये देख संकल्प चिढ़ जाता है और गुस्से में उनके ऊपर तकिया फेंक मारता है। "कैसे कमीने आदमी हो तुम सब? सेल्फ़ रेस्पेक्ट नाम की चीज़ है या नहीं तुममें? इतना सुनाया फिर भी कोई असर नहीं हुआ तुम सब पर?"
ऋषभ उसके कंधे पर अपना हाथ रखते हुए कहता है, "नाइस एक्टिंग डूड! समर की जगह तुम्हें एक्टर बनना चाहिए!!"
ये सुन संकल्प सकपका जाता है। वो तुरंत ऋषभ का हाथ खुद पर से झटकते हुए कहता है, "क्या बकवास है?? मैंने कहाँ कुछ झूठ बोला है??"
ऋषभ हँसते हुए कहता है, "मैंने कब कहाँ तुमने झूठ बोला है!! मैंने तो ये कहा कि तुम एक्टिंग अच्छी करते हो!!"
ये सुन संकल्प इधर-उधर देखने लग जाता है। अनजाने ही उसने अपने मुँह से खुद ही सच बता दिया।
कबीर संकल्प के पास जाता है और उसके कंधे पर अपना हाथ रख प्यार से कहता है, "संकल्प, हम सब जानते हैं तुमने जो बोला वो सब झूठ था। मैं जानता हूँ तुम्हें हमारी चिंता है, इस लिए तुम ये सब बोल रहे हो!!"
"जब जानते हो तो फिर ये सब छोड़ क्यों नहीं देते कबीर? मैं अनाथ हूँ। अपने माँ-बाप का चेहरा तक देखना मुझे नसीब नहीं हुआ!! मेरे पास फैमिली के नाम पर बस तुम सब हो। मैं तुम्हें नहीं खोना चाहता। मुझे अपनी चिंता नहीं है, मुझे तुम्हारी चिंता है। अगर तुम सब को कुछ हो गया ना, मैं मर जाऊँगा!!" ये कहते-कहते संकल्प की आँखें नम हो जाती हैं। उसे ऐसे इमोशनल देख सब आकर उसके गले लग जाते हैं।
कुछ देर बाद वो उससे दूर हो जाते हैं।
ऋषभ उसके गाल पिंच करते हुए कहता है, "डॉक्टर साहब इतना क्यों डरते हो? अगर हम मर भी गए तो भूत बनकर वापस तुम्हारी ज़िन्दगी में लौट आयेंगे। कभी तुम्हें अकेले नहीं छोड़ेंगे!! तुम चाहो भी तो भी हम तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ेंगे!!!"
संकल्प मुस्कुरा देता है, "ठीक ठीक है, बस बहुत हुआ। हो गया, मैं कन्विन्स हो गया हूँ!"
"वो तो होना ही था। हम तो मुर्दे से भी अपनी बात मनवा लेते हैं, तुम तो फिर भी इंसान हो।" विवान हँसते हुए कहता है।
संकल्प उसे घूरते हुए कहता है, "वकालत के अलावा तो तुमसे सब कुछ हो जाता है। कभी एक-दो केस जीतकर हमारा नाम भी रोशन करो!!"
विवान मुँह बनाते हुए कहता है, "हाँ हाँ, एक दिन एक केस तो जीत ही जाऊँगा।"
उसकी बात सुन सबको हँसी आ जाती है। अनिरुद्ध हँसते हुए कहता है, "नालायक आदमी! कम से कम ख्वाब तो बड़े देख ले। ख्वाब में भी एक ही केस जीतने की बात कर रहा है। कम से कम ख्वाब में तो एक अच्छे लॉयर बनो!!"
समर हँसते हुए कहता है, "अनिरुद्ध सही तो कह रहा है। बेचारा अपनी औक़ात के हिसाब से ही सपना देखा है। इसे अच्छे से पता है इसके बस का कुछ नहीं!!"
विवान गुस्से से समर के बगल पर लात मारता है। समर के एकदम सामने वीर खड़ा था। विवान के लात मारने से समर वीर पर आकर गिरता है। गलती से उसके हाथ वीर के पजामा पर लग जाते हैं, जिससे उसका पजामा सरक कर नीचे आ जाता है।
ये देख सबकी जोरदार हँसी छूट जाती है।
बेचारा वीर तो शर्मसार हो जाता है। शर्म के मारे वो अपने मुँह को अपने दोनों हाथों से छुपा लेता है।
उसकी इस हरकत पर सबको और हँसी आ जाती है।
कबीर उसके हाथ हटाते हुए कहता है, "रिलैक्स पांडा! कुछ नहीं हुआ है। पजामा ही तो निकला है। हंगामा तो तब होता जब तुम्हारी चड्डी निकल जाती।" ये कह कबीर जोर-जोर से हँसने लग जाता है।
उन सब के हँसने से वीर चिढ़ जाता है और चिढ़कर वहाँ से चला जाता है।
सब उसे रोकते हैं पर वो रुकता नहीं।
ऋषभ कहता है, "लगता है पांडा ज़्यादा नाराज़ हो गया है!!"
अनिरुद्ध कहता है, "दो मिनट में वापस आ जाएगा!!"
समर हँसते हुए कहता है, "दो मिनट? वो देखो, 15 सेकंड में ही आ गया!!"
वीर उन सब को देखता है, फिर अपने पॉकेट से एक सिगरेट का पैकेट निकालता है।
उसके हाथ में सिगरेट का पैकेट देख सबकी आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती हैं।
कबीर हल्के गुस्से में कहता है, "वीर, क्या है ये? तुमने इतनी जल्दी सिगरेट पीना शुरू कर दिया? गलत बात है ये। सिगरेट पीना अच्छी बात नहीं है। ये जहर होती है, पूरे शरीर को अंदर ही अंदर खा जाती है…"
उसकी बातें सुन अनिरुद्ध और बाकी सबको बहुत हँसी आ रही थी। जो इंसान एक दिन बिना सिगरेट के रह नहीं सकता, वो सिगरेट के नुकसान के बारे में बोल रहा है।
"फेंको इसे अभी के अभी! ये गलत चीज़ है!"
वीर आँखें छोटी करते हुए कहता है, "अच्छा, अगर ये इतनी ही खराब है तो ये आपके पैंट के पॉकेट में क्या कर रही थी!!"
ये सुन कबीर सकपका जाता है। "क्या? ये तुम्हें मेरी पैंट में मिला? ऐसा कैसे हो सकता है? ये कहाँ से मेरे पैंट में आ गया…!"
"तो आप क्या कहना चाहते हो? ये आपका नहीं है?"
"हाँ, बिलकुल! मैं यही कहना चाहता हूँ!!" कबीर नहीं चाहता था वीर को इस बारे में कुछ भी पता चले। वीर बहुत बड़बोला किस्म का था। वो ये बात जाकर सीधा कबीर के माँ और चाचा को बताकर आता और एक बार उन्हें ये पता चला तो आज तो कबीर की शामत आना तय थी।
इसलिए कबीर उससे सब छुपाता था।
"अच्छा, अगर ये आपका नहीं है तो मैं इसे कचरे में फेंक देता हूँ।" वीर कचरे की तरफ़ बढ़ ही रहा था कि तभी कबीर जोर से चिल्लाता है, "नहीं!!" कबीर जल्दी से उसके पास जाता है और उसके हाथ से पैकेट छीन लेता है। "क्या कर रहे हो पांडा? तुम्हें पता है कितना महँगा है ये? स्पेन से मँगवाया था, वो भी हज़ार पापड़ बेल्ट!!"
ये सुन वीर की बोहें तन जाती हैं।
कबीर फ़्लो में सब बोल गया था। उसे बिलकुल भी एहसास नहीं रहा उसने अपने मुँह से खुद सच्चाई उगल दी।
कबीर का जब ध्यान आता है वो कसकर आँखें भींच लेता है।
"आपने तो कहा था ये आपका नहीं है?"
"हाँ, तो सही कहा था मैंने। ये मेरे नहीं है। ये तो अनिरुद्ध का है!!"
अनिरुद्ध आँखें फाड़ कबीर को देखता है। "ओह कबीर! अपना बॉम्ब मेरे सर मत फोड़! वीर, ये इसका ही है!!"
कबीर गुस्से में अनिरुद्ध को देखता है। "अच्छा, मेरे अकेले का है ना ये? ठीक है तो फिर रात को ये टिंडे सा मुँह लेकर मेरे पास सिगरेट मत माँगने आना!!"
ये सुन अनिरुद्ध सकपका जाता है। "नहीं नहीं वीर, ये मेरा ही है। मैंने ही इसे कबीर की पॉकेट में डाला था।"
कबीर के चेहरे पर जीत भरी मुस्कान आ जाती है। बदमाश कहीं का! एक सिगरेट के लिए पलट गया!
अनिरुद्ध का तो मन कर रहा था अभी के अभी कबीर के हाथ-पैर बाँध उसे ज़बरदस्ती गोभी खिला दें (कबीर की गोभी से कट्टर दुश्मनी थी)। बेचारा अनिरुद्ध एक सिगरेट के लालच में खुद पर सारा इल्ज़ाम ले लेता है।
वीर उसे घूरते हुए कहता है, "पक्का ये आपकी ही है?"
अनिरुद्ध चिढ़ते हुए कहता है, "हाँ मेरी ही है। अब क्या? गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में लिखवाऊँ!!"
पीछे से समर हँसते हुए कहता है, "लिखवा ही दो। दुनिया का पहला आदमी जो सिर्फ़ एक सिगरेट के लिए अपने सर पर इतना बड़ा इल्ज़ाम ले लेता है… मतलब इतना बेशर्म तो कोई नहीं होगा। लालची तो मैं भी हूँ, पर एक सिगरेट के लिए इतना बड़ा बलिदान नहीं दे सकता!!"
अनिरुद्ध चिढ़ते हुए कहता है, "बहुत बकवास करनी आ रही है तुम्हें, फ़्लॉप एक्टर! जाओ अपनी एक्टिंग सुधारो। दुनिया के सबसे टेरिबल एक्टर हो तुम। तुम्हारी एक्टिंग देख तो मुर्दा भी कब्र से बाहर आकर टीवी बंद कर देगा! अरे, जिस टीवी पर तुम्हारी फ़िल्म आएगी ना, वो भी छलांग मारकर सुसाइड कर लेगा… नहीं नहीं, गलती हो गई। पहले तुम्हें फ़िल्म तो मिले… दो साल से भटक रहे हो, एक रोल तक नहीं मिला है तुम्हें अब तक!!"
"एक मिनट, लेट मी करेक्ट यू मिस्टर अनिरुद्ध बनिक। मुझे रोल मिला है!!"
"अच्छा? कौन सा रोल मिला है तुम्हें?"
"पिछले हफ़्ते आयी फ़िल्म 'सांस आयी तो साँस रुकी' में मैंने एक्टिंग की थी।"
विवान सर खुजाते हुए कहता है, "समर, कुछ समझ नहीं आया। ये कैसी फ़िल्म है 'सांस आयी तो साँस रुकी'? क्या है ये?"
"रुको, एक्सप्लेन करता हूँ। इस फ़िल्म में एक साँस है और एक बहू है। साँस बहू को बहुत परेशान करती थी। इसलिए परेशान होकर बहू ने एक दिन रात को साँस को गुलाब जामुन में ज़हर मिलाकर दे दिया, जिससे साँस की मौत हो गई!!"
"वेट! पर बहू ने उसे गुलाब जामुन में ज़हर मिला क्यों दिया? मतलब वो किसी और में भी तो ज़हर मिलाकर दे सकती थी। गुलाब जामुन में ही क्यों मिलाकर दिया?"
"विवान, साँस को गुलाब जामुन बहुत पसंद थे। तो बहू ने सोचा उसकी पसंदीदा चीज़ खिला ही उसे मौत दे जाए!!"
"वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह! कितनी अच्छी बहू है! कितना सोचती है अपने साँस के बारे में!"
ऋषभ उसे घूरता है। "विवान, इसीलिए तू आज तक एक केस नहीं जीत पाया। बेवकूफ़ आदमी! इतना ही अच्छा सोचती है साँस के बारे में तो उसे मारा ही क्यों?"
विवान अपने सर पर टपली मारते हुए कहता है, "ओह हाँ, ये तो मैं भूल ही गया था।"
"विवान, तुम कुछ ज़्यादा ही नहीं भूलते। मतलब एक दिन तो तुम ये तक भूल गए थे कि तुम किसके लिए केस लड़ रहे हो। अपोज़िट वाले का सपोर्ट करने लग गए थे!!"
ये सुन विवान सकपका जाता है। खुद पर से ध्यान हटाने के लिए विवान कहता है, "समर, तुमने बताया नहीं कि आगे क्या हुआ?"
"हाँ तो, साँस मर जाती है। बहू को लगा अब उसकी बल्ले-बल्ले। पूरे घर पर अकेले राज करेगी। पर कुछ घंटों बाद ही उसकी सास वापस आ जाती है, भूत बनकर, और फिर से उसे परेशान करना शुरू कर देती है… बेचारी बहू एक दिन भी खुशी नहीं बना पाई!!"
अनिरुद्ध कहता है, "वो सब तो ठीक है, पर अब तुम ये बताने का कष्ट करो तुम्हें फ़िल्म में क्या रोल मिला था?"
समर कुछ देर चुप रहता है, फिर अचानक से कहता है, "सांस का!! मैंने साँस का रोल किया था।"
उसकी बात सुन एकदम से वहाँ शांति सी छा जाती है… पर अगले ही पल जोरदार ठहाके की आवाज़ चारों ओर गूंज जाती है। सभी पेट पकड़कर हँसने लग जाते हैं।
अनिरुद्ध और कबीर इस में सबसे आगे थे। अनिरुद्ध मुश्किल से अपनी हँसी कंट्रोल करते हुए कहता है, "तुम्हें साँस का रोल मिला? मुझे ये बताओ तुम्हारी कास्टिंग किसने की? साँस के रोल के लिए मुझे उसके पैर पकड़ने हैं। सही कहा है, किसी ने हीरे की पहचान जोहरी ही कर सकता है। मतलब क्या खूब पहचाना है उसने तुम्हें! तुम्हारी पर्सनालिटी को सूट करता रोल दिया है!!"
"वैसे कहाँ मिलेगी ये फ़िल्म? मुझे देखनी है!!"
"कहीं नहीं!!"
"कहीं नहीं? मतलब?"
"फ़िल्म को रिलीज़ ही नहीं किया गया!!"
ये सुन अनिरुद्ध की दोबारा तेज हँसी छूट जाती है!! "समर, तुम सच में पनौती हो! पूरे फ़िल्म को ही खा गए!!"
समर को अनिरुद्ध पर तेज गुस्सा आ जाता है। वो अपने पैर से अपना चप्पल निकालता है और उसे लेकर अनिरुद्ध की ओर भागने लगता है। अनिरुद्ध मार से बचने के लिए तेज़ी से आगे की ओर दौड़ता है…
"रुक अनिरुद्ध! के बच्चे! बड़ी जुबान चल रही है तेरी! आज अभी ठीक करता हूँ तुझे! भाग क्यों रहा है?"
अनिरुद्ध भागते हुए कहता है, "भागूँ ना तो क्या? वहाँ खड़ा तेरे चप्पल की मार खाऊँ!! और तुम सब खड़े-खड़े तमाशा क्या देख रहे हो? कोई इसे रोको?"
सभी अपने हाथ खड़े कर देते हैं। "तुम्हारा आपसी मामला है, तुम देखो!!"
अनिरुद्ध उन सबको घूरते हुए गुस्से से कहता है, "वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बेटा वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह! जब खाने की बात हो तो कुछ पर्सनल नहीं रहता, लेकिन जब मार खाने की बात आए तो सब अचानक से पर्सनल हो जाता है… बहुत कमीने हो तुम सब! एक-एक को पकड़कर जेल में डालूँगा!!"
समर भागते-भागते तेज आवाज़ में कहता है, "हाँ, हमें ही पकड़कर जेल में डालोगे? क्योंकि बाकियों को तो पकड़ने की तुम्हारी हिम्मत नहीं है!! एक साल से उस जैक अल्फ़ांसो के साथ घर-घर खेल रहे हो… वो आदमी तुम्हारे मुँह पर हर तीसरे दिन तमाचा जड़ता है… बाहर निकलकर!!!"
वाह्ह्हह्ह्ह्ह्ह जब खाने की बात हो तो कुछ पर्सनल नहीं रहता, लेकिन जब मार खाने की बात आये तो सब अचानक से पर्सनल हो जाता है। "बहुत कमीने हो तुम सब! एक-एक को पकड़ कर जेल में डालूँगा!!"
समर भागते-भागते तेज आवाज में कहता है, "हाँ, हमें ही पकड़ कर जेल में डालोगे? क्योंकि बाकियों को तो पकड़ने की तुम्हारी हिम्मत नहीं है!! एक साल से उस जैक अल्फाँसों के साथ घर-घर खेल रहे हो!! वो आदमी तुम्हारे मुँह पर हर तीसरे दिन तमाचा जड़ता है... बाहर निकल कर!!!"
जैक का नाम सुन अनिरुद्ध एकदम से रुक जाता है और गुस्से में समर की तरफ पलटता है। उसके रुकते ही समर भी रुक जाता है।
जैक का नाम सुनते ही अनिरुद्ध का दिमाग़ ख़राब हो जाता था।
अनिरुद्ध समर की तरफ उंगली पॉइंट करते हुए कहता है, "देखो समर, तुम्हें जो कहना है कह दो, लेकिन उस आदमी का नाम मेरे सामने मत लिया करो। मुझे वो बेहद घटिया किस्म का इंसान लगता है। जब भी उसे अरेस्ट करने जाता हूँ, हर बार उसकी नई-नई असिस्टेंट मिलती है... कपड़ों की तरह असिस्टेंट बदलता है। I just hate him!!"
कबीर उसके पास आता है। "ओके, नहीं लेंगे उसका नाम। क्यों फ़ालतू में अपना BP बढ़ा रहे हो!!"
"थैंक्स कबीर, एक तू ही है जो मुझे समझता है..." अनिरुद्ध छोटी सी मुस्कान के साथ कहता है।
कबीर सर हिला देता है। "वैसे, जैक अल्फाँसों को दोबारा कब अरेस्ट कर रहा है?"
अनिरुद्ध गुस्से में उसके पैरों के बीच में लात मारता है।
कबीर की दर्द भरी चीख निकल जाती है। "पागल हो गए हो क्या अनिरुद्ध? अभी तो मेरे छोटे-नन्हें बच्चे भी नहीं हुए हैं!! तुम तो मेरे वंश ख़त्म करने की कोशिश की!! कैसा दोस्त है!!"
अनिरुद्ध चिढ़ते हुए कहता है, "नौटंकी बंद कर अपनी! इतना भी जोर से नहीं मारा कि तेरा खानदान ख़तरे में आ जाए!!"
कबीर चिढ़ते हुए कहता है, "अगर मेरा कुछ बिगड़ जाता ना, तो याद रखना, तेरा भी सब कुछ बिगाड़ देता।"
सबको झगड़ते देख संकल्प बीच में आता है। "बस करो गाइज़, आज के लिए बहुत हुआ। बाकी कल कर लेना!! चलो अब सब अपने-अपने काम-धंधे पर लग जाओ!!"
अनिरुद्ध और कबीर एक-दूसरे को घूरते हैं, फिर अपनी नज़रें फेर लेते हैं।
संकल्प की बात सब सुन रहे थे, इसलिए उसके कहने पर कोई आगे कुछ नहीं बोलता। संकल्प के कहते ही सब इधर-उधर हो जाते हैं।
एडवार्ड क्लब आया हुआ था, MJ भी उसके साथ था। MJ ने अभी भी मास्क लगा हुआ था।
एडवार्ड ड्रिंक पर ड्रिंक किए जा रहा था। शाम को उसका झगड़ा हो गया था उसके डैड से, तभी से ही उसका मूड बहुत ऑफ था। उसका मूड लाइट करने के लिए MJ उसे क्लब लेकर आया था।
वहीं कोई और भी था जो उनके पीछे-पीछे यहाँ आ गया था। ड्रैगन उनसे कुछ दूरी पर खड़ा, जलती आँखों से MJ और एडवार्ड को देख रहा था। एडवार्ड ने अपना हाथ MJ के गले में डाला हुआ था, जिसे देख ड्रैगन का रोंगटा-रोंगटा जल रहा था। उसने बस चलो तो वो अभी के अभी MJ की जान ले ले, पर वो ऐसा नहीं कर सकता। अगर उसने MJ को जरा भी हर्ट करने की कोशिश की, तो एडवार्ड उसकी जान लेने से पहले एक बार भी नहीं सोचेगा। लेकिन ड्रैगन को डर इस बात का नहीं था; डर उसे एडवार्ड की नफ़रत से लगता था। पहले उनके बीच में इतनी ज़्यादा स्ट्रेसफ़ुल सिचुएशन है। अगर उसने अभी कुछ किया, तो उनके बीच की नफ़रत और ज़्यादा गहरी हो जाएगी, जो ड्रैगन कभी नहीं चाहता। वह एडवार्ड का गुस्सा बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन उसकी आँखों में अपने लिए नफ़रत नहीं!
एडवार्ड ने ओवर ड्रिंक कर ली थी, जिससे उसे नशा होने लगा था। MJ उसे और ड्रिंक करने से रोकता है, पर एडवार्ड उसकी एक नहीं सुनता।
एडवार्ड को इतने नशे में देख ड्रैगन को उसकी चिंता होने लगती है। वह उसकी ओर अपने क़दम बढ़ाता है। दो क़दम चलने के बाद अचानक कुछ सोचकर उसके क़दम वहीं ठहर जाते हैं। उसे डर था कहीं एडवार्ड उसके पास जाने से गुस्सा ना हो जाए! यह सोच वह वापस अपने क़दम पीछे खींच लेता है। वैसे भी वह अकेला नहीं था; MJ था उसके साथ। ड्रैगन को MJ पसंद नहीं था, पर उसे उस पर पूरा विश्वास था कि वह एडवार्ड का पूरा ध्यान रखेगा।
MJ एडवार्ड को संभालकर वहाँ से बाहर ले जाता है। बाहर ही उनकी कार खड़ी थी। MJ उसे बैकसीट पर लेटा देता है, फिर खुद तेज़ी से आगे वाली सीट पर आकर बैठ जाता है। वो दोनों अकेले ही यहाँ आए थे। एडवार्ड को कुछ देर सब चीज़ों से दूर रहना था, इसलिए वो किसी को अपने साथ नहीं लाता।
MJ कार स्टार्ट कर वहाँ से निकल जाता है। उनकी कार के वहाँ से निकलते ही ड्रैगन भी वहाँ से निकल जाता है।
एडवार्ड बेहोश हो चुका था।
देर रात हो रही थी। रोड्स पर ना के बराबर गाड़ियाँ चल रही थीं। ट्रैफ़िक ना होने की वजह से MJ तेज़ स्पीड में कार ड्राइव कर रहा था। अब तक तो सब कुछ सही चल रहा था, लेकिन MJ को कहीं ना कहीं कुछ डाउट हो रहा था, इसलिए वो अलर्ट था। लेकिन जब कई देर तक कुछ नहीं होता, तो MJ रिलैक्स हो जाता है। उसे रिलैक्स हुए एक मिनट नहीं हुई थी कि तभी शीशे पर आकर एक बुलेट लगती है। MJ एकदम से अलर्ट हो जाता है। वो जल्दी से अपनी कार निकालता है। इतने में एक और बुलेट आकर शीशे पर लगती है। देखते ही देखते गोलियों की बारिश होना शुरू हो जाती है।
MJ देखता है, उनके दोनों तरफ़ कुछ लोग बाइक पर थे। उन्होंने हेलमेट लगाया हुआ था, इसलिए उनका चेहरा नज़र नहीं आ रहा था। वो लोग लगातार कार पर फ़ायर कर रहे थे। शीशे पर लगातार फ़ायर होने से वो कमज़ोर पड़ रहे थे। अगर और कुछ देर ऐसे ही गोली चलती रही, तो शीशा टूट जाएगा।
MJ कार की स्पीड बढ़ा देता है। वो अकेला होता, तो वो आसानी से बचकर निकल सकता था, लेकिन एडवार्ड भी था उसके साथ, वो भी बेहोशी की हालत में। उसे ऐसे छोड़ नहीं सकता था।
जैसे ही MJ कार की स्पीड बढ़ाता है, बाइक सवार भी अपनी स्पीड बढ़ा लेते हैं। MJ बुरे तरीक़े से चिढ़ चुका था। वो गुस्से में स्टेरिंग पर मुक्का जड़ देता है। "ब्लडी हैल!!"
MJ उन्हें कार से टक्कर मारने की कोशिश करता है, पर उसका भी कोई फ़ायदा नहीं होता। वो जैसे ही उन्हें हिट करने की सोचता, वो अपनी स्पीड बढ़ा आगे निकल जाते हैं।
साइड से तो फ़ायरिंग हो ही रही थी, लेकिन MJ की मुसीबत तब बढ़ी जब पीछे से भी फ़ायरिंग होने लगी। MJ एडवार्ड को देखता है, जो बिना किसी टेंशन के आराम फ़रमा रहा था।
MJ पीछे देखता है, वहाँ तीन-चार बाइक उनके पीछे और थीं। वो भी लगातार फ़ायरिंग कर रही थीं। MJ स्पीड और बढ़ा देता है। तभी अचानक से कार का पीछे वाला मिरर टूट जाता है। MJ तेज़ी से पीछे की ओर पलटता है। उसके दिल की धड़कन एकदम से तेज़ हो जाती है, क्योंकि पीछे एडवार्ड था।
सबसे पहले उसकी नज़र एडवार्ड पर जाती है। एडवार्ड एकदम सेफ़ था; मिरर के टुकड़े उस तक नहीं पहुँच पाए थे। MJ राहत की साँस लेता है। वो आगे मुड़ता ही है कि उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती हैं। सामने से तेज़ स्पीड से एक ट्रक उनकी ओर आ रहा था। MJ कुछ कर पाता उससे पहले ही ट्रक उनके बिलकुल क़रीब आ चुका था। MJ कसकर अपनी आँखें बंद कर लेता है। ट्रक कार को टक्कर मारने ही वाला होता है कि तभी तेज़ी से एक कार उनके बीच आ जाती है। ट्रक की टक्कर उस कार से हो जाती है। वो कार बुरे तरीक़े से इंजर्ड हो जाती है।
टक्कर मार वो ट्रक जल्दी से बैक जाता है और यू-टर्न ले वहाँ से चला जाता है। वो बाइक सवार भी वहाँ से निकल जाते हैं, क्योंकि पीछे से 30-40 कारों का काफ़िला आ रहा था। अब उनका यहाँ रुकना सेफ़ नहीं था।
MJ एक झटके से अपनी आँखें खोलता है। सामने का नज़ारा देख उसका मुँह खुल जाता है... ड्रैगन!!
MJ तेज़ी से कार से बाहर उतरता है और जल्दी से ड्रैगन की कार का डोर ओपन करता है। लकीली, ड्रैगन को कुछ नहीं हुआ था। सही टाइम पर एयर बैग्स ओपन हो गए थे, जिससे उसकी जान बच गई। वर्ना इतनी भयंकर टक्कर के बाद उसका बचना नामुमकिन था। ड्रैगन को बस हल्की-फुल्की ख़रोच आई थी। ड्रैगन कार से बाहर उतरता है और सीधा एडवार्ड के पास जाता है। एडवार्ड को सही-सलामत देख उसे रिलीफ़ मिलता है। अगर आज एडवार्ड को जरा भी ख़रोच आ जाती, तो ड्रैगन ख़ून की होली खेलता।
ड्रैगन एडवार्ड को कार से बाहर निकालने लगता है। यह देख MJ उसके पास जाता है। "ड्रैगन, क्या कर रहे हो?"
MJ को ऐसे टोकने से ड्रैगन को बड़ा गुस्सा आता है, पर इस वक़्त उसके लिए सबसे ज़रूरी एडवार्ड था। इसलिए वो अपना गुस्सा कंट्रोल कर लेता है और शांत आवाज़ में कहता है, "मैं एडवार्ड को अपने साथ ले जा रहा हूँ!!"
"वो मैं भी उसे ले जा सकता हूँ!!"
ड्रैगन कई देर से अपना गुस्सा कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अब उससे और कंट्रोल नहीं होता। वो ठंडी आवाज़ में कहता है, "तुमसे पहले से उसे जानता हूँ। सिर्फ़ दो साल से उसे जानते हो। मैं उसे कई सालों से जानता हूँ। हमारे बीच कुछ मिसअंडरस्टैंडिंग्स हैं जो जल्द ही क्लियर भी हो जाएँगी। इसका फ़ायदा उठाने की कोशिश मत करो। एडवार्ड मेरा था और मेरा ही रहेगा। Stay away from him!!" यह कह ड्रैगन एडवार्ड को गोद में लिए हुए वहाँ से चला जाता है।
MJ उन्हें जाते हुए देखता रहता है। उसके फ़ेस पर छोटी सी मुस्कान थी। "क्रेज़ी मैन!!"
ड्रैगन एडवार्ड को लिए कार की बैकसीट पर बैठ जाता है। उनके बैठते ही ड्राइवर कार स्टार्ट कर देता है।
20 मिनट बाद कार एक बंगले के बाहर आकर रुकती है। ड्रैगन एडवार्ड की तरफ़ देखता है, जो सोते हुए बहुत इनोसेंट लग रहा था। ड्रैगन उसके फ़ोरहेड पर किस करता है, फिर उसे ले कार से बाहर उतरता है और उसे ले सीधा अंदर चला जाता है। बंगले के अंदर एकदम अंधेरा था। ड्रैगन लाइट ऑन करता है। ड्रैगन अपने घर में अकेले ही रहता था। उसे अपने आस-पास ज़्यादा लोग पसंद नहीं आते थे। सर्वेंट दोपहर के समय घर में आते थे और पूरा घर क्लीन करते थे, क्योंकि उस टाइम वो घर पर नहीं होता था। जिस दिन वो दोपहर में घर में रहता, उस दिन घर की क्लीनिंग नहीं होती।
वो उसे ले अपने रूम में चला जाता है। रूम में भी एकदम अंधेरा था। लाइट ऑन कर ड्रैगन उसे आराम से बेड पर लेटा देता है।
वो बाथरूम में जाता है और एक छोटा बकेट और कपड़ा लेकर आता है। कपड़े को गीला कर वो उससे एडवार्ड के बॉडी क्लीन करता है। क्लीनिंग के बाद वह बकेट को बाथरूम में रख, वो भी शावर ले लेता है। शावर ले वो टीशर्ट-लोअर पहन बाहर आ जाता है। वैसे तो उसे शॉर्ट्स में सोने की आदत थी, लेकिन एडवार्ड अनकम्फ़र्टेबल ना हो, इसलिए वो पूरे कपड़े पहन लेता है।
ड्रैगन एडवार्ड को चादर ओढ़ा, खुद सोफ़े पर आकर लेट जाता है। वो कोई चांस नहीं लेना चाहता। अगर एडवार्ड ने उसे गलती से भी अपने बगल में सोता हुआ देख लिया, तो वो तबाही मचा देगा। ड्रैगन उसे बिलकुल भी गुस्सा नहीं दिलाना चाहता था। पहले ही उसे यहाँ लाकर उसने बहुत बड़ा रिस्क ले लिया था। अब इसका अंजाम क्या होगा, वो तो सुबह ही पता चलेगा।
अरहान कपूर को कॉरपोरेट का शार्क माना जाता है। कम ही समय में उसने अपना इतना बड़ा बिज़नेस खड़ा कर दिया। एक मिडिल क्लास लड़का इतना आगे तक पहुँच जाएगा, यह उम्मीद किसी ने नहीं की थी।
अरहान कपूर के बारे में एक बात बहुत ख़ास थी: वो कभी अपनी पर्सनल लाइफ़ को किसी के सामने नहीं आने देता था। वो बहुत प्राइवेट रहने वाला आदमी था।
अरहान का नेचर बहुत ख़राब था। उसके आस-पास काम करने वाले लोग उसे बिलकुल भी पसंद नहीं करते थे। वो बेहद ही घमंडी किस्म का इंसान था। वो खुद से ऊपर किसी को नहीं समझता था, और उसका गुस्सा तो बस पूछो ही मत!! उसका एक भी असिस्टेंट 1 हफ़्ते से ज़्यादा नहीं टिकता था। क्योंकि वह हद से ज़्यादा प्रेशर डाल देता था अरहान उन पर। अरहान उन्हें इंसान नहीं, मशीन समझता था जो दिन-रात काम करे, लेकिन थके नहीं।
अरहान को अब तक सिर्फ़ एक इंसान ने झेला था, वो था उसका बॉडीगार्ड, धैर्य। धैर्य साये की तरह अरहान के साथ रहता था। धैर्य बिज़नेस के बारे में कुछ नहीं जानता था, वर्ना असिस्टेंट का काम भी वही कर लेता।
धैर्य के सिर्फ़ नाम में ही नहीं, धैर्य था उसके अंदर भी बहुत धैर्य। तभी तो वो अब तक अरहान को झेल रहा था।
अरहान अपने एक नए 7-स्टार होटल के इनाग्रेशन में जा रहा था। अरहान बैकसीट पर था, वहीं धैर्य ड्राइव कर रहा था। कार में एकदम ख़ामोशी छाई हुई थी, क्योंकि ना अरहान को बोलना पसंद था, ना धैर्य को। इसी वजह से इतने सालों तक उनकी बनी हुई है। धैर्य अरहान का कॉलेज फ़्रेंड था; वो उसे बहुत अच्छे से समझता था।
रोड पर ज़्यादा भीड़ नहीं थी, इसलिए धैर्य कार की स्पीड बढ़ा देता है।
वाह्ह्हह्ह्ह्ह्ह जब खाने की बात हो तो कुछ पर्सनल नहीं रहता, लेकिन जब मार खाने की बात आए तो सब अचानक से पर्सनल हो जाता है। "बहुत कमीने हो तुम सब! एक-एक को पकड़ कर जेल में डालूँगा!!"
समर भागते-भागते तेज आवाज में कहता है, "हाँ, हमें ही पकड़ कर जेल में डालोगे? क्योंकि बाकियों को तो पकड़ने की तुम्हारी हिम्मत नहीं है!! एक साल से उस जैक अल्फाँसों के साथ घर-घर खेल रहे हो!! वो आदमी तुम्हारे मुँह पर हर तीसरे दिन तमाचा जड़ता है... बाहर निकल कर!!!"
जैक का नाम सुन अनिरुद्ध एकदम से रुक जाता है और गुस्से में समर की तरफ पलटता है। उसके रुकते ही समर भी रुक जाता है।
जैक का नाम सुनते ही अनिरुद्ध का दिमाग़ ख़राब हो जाता था।
अनिरुद्ध समर की तरफ उँगली पॉइंट करते हुए कहता है, "देखो समर, तुम्हें जो कहना है कह दो, लेकिन उस आदमी का नाम मेरे सामने मत लिया करो। मुझे वो बेहद घटिया किस्म का इंसान लगता है। जब भी उसे अरेस्ट करने जाता हूँ, हर बार उसकी नई-नई असिस्टेंट मिलती है... कपड़ों की तरह असिस्टेंट बदलता है। I just hate him!!"
कबीर उसके पास आता है। "ओके, नहीं लेंगे उसका नाम। क्यों फ़ालतू में अपना BP बढ़ा रहे हो?"
"थैंक्स कबीर, एक तू ही है जो मुझे समझता है..." अनिरुद्ध छोटी सी मुस्कान के साथ कहता है।
कबीर सर हिला देता है। "वैसे जैक अल्फाँसों को दोबारा कब अरेस्ट कर रहे हो?"
अनिरुद्ध गुस्से में उसके पैरों के बीच में लात मारता है।
कबीर की दर्द भरी चीख निकल जाती है। "पागल हो गए हो क्या अनिरुद्ध? अभी तो मेरे छोटे नन्हें मुन्ने बच्चे भी नहीं हुए हैं!! तुम तो मेरे वंश ख़त्म करने की कोशिश की!! कैसा दोस्त है!!"
अनिरुद्ध चिढ़ते हुए कहता है, "नाटंकी बंद कर अपनी! इतना भी ज़ोर से नहीं मारा कि तेरा ख़ानदान ख़तरे में आ जाए!!"
कबीर चिढ़ते हुए कहता है, "अगर मेरा कुछ बिगड़ जाता ना, तो याद रखना तेरा भी सब कुछ बिगाड़ देता।"
सबको झगड़ते देख संकल्प बीच में आता है। "बस करो गाइज़! आज के लिए बहुत हुआ, बाक़ी कल कर लेना!! चलो अब सब अपने-अपने काम-धंधे पर लग जाओ!!"
अनिरुद्ध और कबीर एक-दूसरे को घूरते हैं, फिर अपनी नज़रें फेर लेते हैं।
संकल्प की बात सब सुन रहे थे, इसलिए उसके कहने पर कोई आगे कुछ नहीं बोलता। संकल्प के कहते ही सब इधर-उधर हो जाते हैं।
एडवार्ड क्लब आया हुआ था, MJ भी उसके साथ था। MJ ने अभी भी मास्क लगाया हुआ था।
एडवार्ड ड्रिंक पर ड्रिंक किए जा रहा था। शाम को उसका झगड़ा हो गया था उसके डैड से, तभी से ही उसका मूड बहुत ऑफ़ था। उसका मूड लाइट करने के लिए MJ उसे क्लब लेकर आया था।
वहीं कोई और भी था जो उनके पीछे-पीछे यहाँ आ गया था। ड्रैगन उनसे कुछ दूरी पर खड़ा, जलती आँखों से MJ और एडवार्ड को देख रहा था। एडवार्ड ने अपना हाथ MJ के गर्दन में डाला हुआ था, जिसे देख ड्रैगन का रोम-रोम जल रहा था। उसको बस चलो तो वो अभी के अभी MJ की जान ले ले, पर वो ऐसा नहीं कर सकता। अगर उसने MJ को जरा भी हर्ट करने की कोशिश की, तो एडवार्ड उसकी जान लेने से पहले एक बार भी नहीं सोचेगा। लेकिन ड्रैगन को डर इस बात का नहीं था; डर उसे एडवार्ड की नफ़रत से लगता था। पहले उनके बीच में इतनी ज़्यादा स्ट्रेसफुल सिचुएशन है; अगर उसने अभी कुछ किया, तो उनके बीच की नफ़रत और ज़्यादा गहरी हो जाएगी, जो ड्रैगन कभी नहीं चाहता। वह एडवार्ड का गुस्सा बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन उसकी आँखों में अपने लिए नफ़रत नहीं!
एडवार्ड ने ओवर ड्रिंक कर ली थी, जिससे उसे नशा होने लगा था। MJ उसे और ड्रिंक करने से रोकता है, पर एडवार्ड उसकी एक नहीं सुनता।
एडवार्ड को इतने नशे में देख ड्रैगन को उसकी चिंता होने लगती है। वो उसकी ओर अपने क़दम बढ़ाता है। दो क़दम चलने के बाद अचानक कुछ सोचकर उसके क़दम वहीं ठहर जाते हैं। उसे डर था कहीं एडवार्ड उसके पास जाने से गुस्सा ना हो जाए! ये सोच वो वापस अपने क़दम पीछे खींच लेता है। वैसे भी वो अकेला नहीं था, MJ था उसके साथ। ड्रैगन को MJ पसंद नहीं था, पर उसे उस पर पूरा विश्वास था; वो एडवार्ड का पूरा ध्यान रखेगा।
MJ एडवार्ड को संभाल कर वहाँ से बाहर ले जाता है। बाहर ही उनकी कार खड़ी थी। MJ उसे बैकसीट पर लेटा देता है, फिर खुद तेज़ी से आगे वाली सीट पर आकर बैठ जाता है। वो दोनों अकेले ही यहाँ आए थे। एडवार्ड को कुछ देर सब चीज़ों से दूर रहना था, इसलिए वो किसी को अपने साथ नहीं लाया।
MJ कार स्टार्ट कर वहाँ से निकल जाता है। उनकी कार के वहाँ से निकलते ही ड्रैगन भी वहाँ से निकल जाता है।
एडवार्ड बेहोश हो चुका था।
देर रात हो रही थी। रोड्स पर ना के बराबर गाड़ियाँ चल रही थीं। ट्रैफ़िक ना होने की वजह से MJ तेज स्पीड में कार ड्राइव कर रहा था। अब तक तो सब कुछ सही चल रहा था, लेकिन MJ को कहीं ना कहीं कुछ डाउट हो रहा था, इसलिए वो अलर्ट था। लेकिन जब कई देर तक कुछ नहीं होता, तो MJ रिलैक्स हो जाता है। उसे रिलैक्स हुए एक मिनट नहीं हुई थी कि तभी शीशे पर आकर एक बुलेट लगती है। MJ एकदम से अलर्ट हो जाता है। वो जल्दी से अपनी कार निकालता है। इतने में एक और बुलेट आकर शीशे पर लगती है। देखते ही देखते गोलियों की बारिश होना शुरू हो जाती है।
MJ देखता है उनके दोनों तरफ़ कुछ लोग बाइक पर थे। उन्होंने हेलमेट लगाया हुआ था, इसलिए उनका चेहरा नज़र नहीं आ रहा था। वो लोग लगातार कार पर फ़ायर कर रहे थे। शीशे पर लगातार फ़ायर होने से वो कमज़ोर पड़ रहे थे। अगर और कुछ देर ऐसे ही गोली चलती रही, तो शीशा टूट जाएगा।
MJ कार की स्पीड बढ़ा देता है। वो अकेला होता, तो वो आसानी से बचकर निकल सकता था, लेकिन एडवार्ड भी था उसके साथ, वो भी बेहोशी की हालत में। उसे ऐसे छोड़ नहीं सकता था।
जैसे ही MJ कार की स्पीड बढ़ाता है, बाइक सवार भी अपनी स्पीड बढ़ा लेते हैं। MJ बुरे तरीक़े से चिढ़ चुका था। वो गुस्से में स्टीयरिंग पर मुक्का जड़ देता है। "ब्लडी हैल!!"
MJ उन्हें कार से टक्कर मारने की कोशिश करता है, पर उसका भी कोई फ़ायदा नहीं होता। वो जैसे ही उन्हें हिट करने की सोचता, वो अपनी स्पीड बढ़ा आगे निकल जाते।
साइड से तो फ़ायरिंग हो ही रही थी, लेकिन MJ की मुसीबत तब बढ़ी जब पीछे से भी फ़ायरिंग होने लगी। MJ एडवार्ड को देखता है, जो बिना किसी टेंशन के आराम फ़रमा रहा था।
MJ पीछे देखता है, वहाँ तीन-चार बाइक उनके पीछे और थीं। वो भी लगातार फ़ायरिंग कर रही थीं। MJ स्पीड और बढ़ा देता है। तभी अचानक से कार का पीछे वाला मिरर टूट जाता है। MJ तेज़ी से पीछे की ओर पलटता है। उसके दिल की धड़कन एकदम से तेज हो जाती है, क्योंकि पीछे एडवार्ड था।
सबसे पहले उसकी नज़र एडवार्ड पर जाती है। एडवार्ड एकदम सेफ़ था; मिरर के टुकड़े उस तक नहीं पहुँच पाए थे। MJ राहत की साँस लेता है। वो आगे मुड़ता ही है कि उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती हैं; सामने से तेज स्पीड से एक ट्रक उनकी ओर आ रहा था। MJ कुछ कर पाता उससे पहले ही ट्रक उनके बिलकुल करीब आ चुका था। MJ कसकर अपनी आँखें बंद कर लेता है। ट्रक कार को टक्कर मारने ही वाला होता है कि तभी तेज़ी से एक कार उनके बीच आ जाती है। ट्रक की टक्कर उस कार से हो जाती है। वो कार बुरे तरीक़े से इंजर्ड हो जाती है।
टक्कर मार वो ट्रक जल्दी से बैक जाता है और यू-टर्न ले वहाँ से चला जाता है। वो बाइक सवार भी वहाँ से निकल जाते हैं, क्योंकि पीछे से 30-40 कारों का काफ़िला आ रहा था। अब उनका यहाँ रुकना सेफ़ नहीं था।
MJ एक झटके से अपनी आँखें खोलता है। सामने का नज़ारा देख उसका मुँह खुल जाता है... ड्रैगन!!
MJ तेज़ी से कार से बाहर उतरता है और जल्दी से ड्रैगन की कार का डोर ओपन करता है। लक़ीली ड्रैगन को कुछ नहीं हुआ था; सही टाइम पर एयर बैग्स ओपन हो गए थे, जिससे उसकी जान बच गई। वरना इतनी भयंकर टक्कर के बाद उसका बचना नामुमकिन था। ड्रैगन को बस हल्की-फुल्की ख़रोच आई थी। ड्रैगन कार से बाहर उतरता है और सीधा एडवार्ड के पास जाता है। एडवार्ड को सही-सलामत देख उसे रिलीफ़ मिलता है। अगर आज एडवार्ड को जरा भी ख़रोच आ जाती, तो ड्रैगन ख़ून की होली खेलता।
ड्रैगन एडवार्ड को कार से बाहर निकालने लगता है। ये देख MJ उसके पास जाता है। "ड्रैगन, क्या कर रहे हो?"
MJ को ऐसे टोकने से ड्रैगन को बड़ा गुस्सा आता है, पर इस वक़्त उसके लिए सबसे ज़रूरी एडवार्ड था, इसलिए वो अपना गुस्सा कण्ट्रोल कर लेता है और शांत आवाज़ में कहता है, "मैं एडवार्ड को अपने साथ ले जा रहा हूँ!!"
"वो मैं भी उसे ले जा सकता हूँ!!"
ड्रैगन कई देर से अपना गुस्सा कण्ट्रोल करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अब उससे और कण्ट्रोल नहीं होता। वो ठंडी आवाज़ में कहता है, "तुमसे पहले से उसे जानता हूँ। सिर्फ़ दो साल से उसे जानते हो। मैं उसे कई सालों से जानता हूँ। हमारे बीच कुछ मिसअंडरस्टैंडिंग्स हैं, जो जल्द ही क्लियर भी हो जाएंगी। इसका फ़ायदा उठाने की कोशिश मत करो। एडवार्ड मेरा था और मेरा ही रहेगा। स्टे अवे फ्रॉम हिम!!" ये कह ड्रैगन एडवार्ड को गोद में लिए हुए वहाँ से चला जाता है।
MJ उन्हें जाते हुए देखता रहता है। उसके फ़ेस पर छोटी सी मुस्कान थी। "क्रेज़ी मैन!!"
ड्रैगन एडवार्ड को लिए कार की बैक सीट पर बैठ जाता है। उनके बैठते ही ड्राइवर कार स्टार्ट कर देता है।
20 मिनट बाद कार एक बंगले के बाहर आकर रुकती है। ड्रैगन एडवार्ड की तरफ़ देखता है, जो सोते हुए बहुत इनोसेंट लग रहा था। ड्रैगन उसके फ़ोरहेड पर किस करता है, फिर उसे ले कार से बाहर उतरता है और उसे ले सीधा अंदर चला जाता है। बंगले के अंदर एकदम अंधेरा था। ड्रैगन लाइट ऑन करता है। ड्रैगन अपने घर में अकेले ही रहता था। उसे अपने आस-पास ज़्यादा लोग पसंद नहीं आते थे। सर्वेंट दोपहर के समय घर में आते थे और पूरा घर क्लीन करते थे, क्योंकि उस टाइम वो घर पर नहीं होता था। जिस दिन वो दोपहर में घर में रहता, उस दिन घर की क्लीनिंग नहीं होती।
वो उसे ले अपने रूम में चला जाता है। रूम में भी एकदम अंधेरा था। लाइट ऑन कर ड्रैगन उसे आराम से बेड पर लेटा देता है।
वो बाथरूम में जाता है और एक छोटा बकेट और कपड़ा लेकर आता है। कपड़े को गीला कर वो उससे एडवार्ड के बॉडी क्लीन करता है। क्लीनिंग के बाद वो बकेट को बाथरूम में रख वो भी शावर ले लेता है। शावर ले वो टीशर्ट-लोअर पहन बाहर आ जाता है। वैसे तो उसे शॉर्ट्स में सोने की आदत थी, लेकिन एडवार्ड अनकम्फ़र्टेबल ना हो, इसलिए वो पूरे कपड़े पहन लेता है।
ड्रैगन एडवार्ड को चादर ओढ़ा, खुद सोफ़ा पर आकर लेट जाता है। वो कोई चांस नहीं लेना चाहता। अगर एडवार्ड ने उसे गलती से भी अपने बगल में सोता हुआ देख लिया, तो वो तबाही मचा देगा। ड्रैगन उसे बिलकुल भी गुस्सा नहीं दिलाना चाहता था। पहले ही उसे यहाँ लाकर उसने बहुत बड़ा रिस्क ले लिया था। अब इसका अंजाम क्या होगा, वो तो सुबह ही पता चलेगा।
अरहान कपूर को कॉर्पोरेट का शार्क माना जाता है। कम ही समय में उसने अपना इतना बड़ा बिज़नेस खड़ा कर दिया। एक मिडिल क्लास लड़का इतना आगे तक पहुँच जाएगा, ये उम्मीद किसी ने नहीं की थी।
अरहान कपूर के बारे में एक बात बहुत ख़ास थी; वो कभी अपनी पर्सनल लाइफ़ को किसी के सामने नहीं आने देता था। वो बहुत प्राइवेट रहने वाला आदमी था।
अरहान का नेचर बहुत ख़राब था। उसके आस-पास काम करने वाले लोग उसे बिलकुल भी पसंद नहीं करते थे। वो बेहद ही घमंडी किस्म का इंसान था। वो खुद से ऊपर किसी को नहीं समझता था, और उसका गुस्सा तो बस पूछो ही मत!! उसका एक भी असिस्टेंट 1 हफ़्ते से ज़्यादा नहीं टिकता था। क्योंकि हद से ज़्यादा प्रेशर डाल देता था अरहान उन पर। अरहान उन्हें इंसान नहीं, मशीन समझता था, जो दिन-रात काम करे, लेकिन थके नहीं।
अरहान को अब तक सिर्फ़ एक इंसान ने झेला था; वो था उसका बॉडीगार्ड, धैर्य!! धैर्य साये की तरह अरहान के साथ रहता था। धैर्य बिज़नेस के बारे में कुछ नहीं जानता था, वरना असिस्टेंट का काम भी वही कर लेता।
धैर्य के सिर्फ़ नाम में ही नहीं, धैर्य था। उसके अंदर भी बहुत धैर्य था, तभी तो वो अब तक अरहान को झेल रहा था।
अरहान अपने एक न्यू 7 स्टार होटल के इनाग्रेशन में जा रहा था। अरहान बैक सीट पर था, वहीं धैर्य ड्राइव कर रहा था। कार में एकदम ख़ामोशी छाया हुआ थी, क्योंकि ना अरहान को बोलना पसंद था, ना धैर्य को। इसी वजह से इतने सालों तक उनकी बनी हुई है। धैर्य अरहान का कॉलेज फ़्रेंड था; वो उसे बहुत अच्छे से समझता था।
रोड पर ज़्यादा भीड़ नहीं थी, इसलिए धैर्य कार की स्पीड बढ़ा देता है।
ये सुनकर गुस्से में आरहान के हाथ दरवाजे पर कस गए। उसकी आँखें ठंडी हो गई थीं। उसे लियोनार्डो ने जल्द से जल्द बुलाया था, वरना वो संकल्प को अभी के अभी उसकी सात पुश्तें याद दिला देता!
वही संकल्प की बात सुनकर धैर्य अपना सर पीट लेता है। "ये लड़का इतना अड़ियल क्यों है? अच्छा-खासा अरहान जा रहा था, क्यों उसे छेड़कर जबरदस्ती मुसीबत को गले लगा रहा है? ये बुरा फँसने वाला है!!" धैर्य अफ़सोस के साथ सर हिला देता है।
अब वो भी कुछ नहीं कर सकता था।
अरहान एक गहरी मुस्कान के साथ संकल्प की तरफ देखता है। एकदम से उसके चेहरे पर गुस्सा गायब हो जाता है, और एक अजीब सी स्माइल आ जाती है। जिसे देखकर धैर्य घबराने लग जाता है, क्योंकि धैर्य के गुस्से से ज़्यादा खतरनाक उसकी ये स्माइल थी। अब संकल्प को उसके प्रकोप से वो भी नहीं बचा सकता था, वो तो क्या, अब तो लियोनार्डो भी उसे नहीं बचा सकता था!
अरहान को अचानक से यूँ स्माइल करते देख संकल्प की आँखें छोटी हो जाती हैं!
अरहान संकल्प के पास जाता है। "सही कहा तुमने, मैं बिलकुल भूखे शेर की तरह लपका था। तुम पर मुझे लगा कि एक फुल कोर्स मील है, जिसे खाने में बड़ा मज़ा आएगा। लेकिन जब मैं तुम्हारे पास आया तो मैंने देखा ये फुल कोर्स मील नहीं है, ये तो एक मांस का टुकड़ा है, वो भी सड़ा हुआ। ये तो मेरे मुँह लगाने के लायक ही नहीं, इसलिए मैंने अपने कदम वापस पीछे खींच लिए।"
ये सुनकर संकल्प का मुँह खुला का खुला रह जाता है। इतनी बुरी बेइज़्ज़ती तो उसकी कभी किसी ने नहीं की थी!
उसके चेहरे के उड़े रंग को देखकर अरहान की मुस्कान गहरी हो जाती है। वो अपना गोगल आँखों पर चढ़ाकर वहाँ से चला जाता है। कार में बैठने से पहले वो एक नज़र संकल्प की ओर देखता है, फिर फुर्ती से कार में बैठ जाता है। उसके बैठते ही धैर्य जल्दी से कार स्टार्ट करके वहाँ से निकल जाता है, क्योंकि वो नहीं चाहता था कि दोबारा संकल्प और अरहान के बीच कुछ हो। इससे अरहान का तो कुछ बिगड़ने वाला नहीं था, लेकिन संकल्प अपनी ज़िंदगी से हाथ धो देता, क्योंकि एक बार जो अरहान की नज़र में आ जाए तो वो उसकी ज़िंदगी नर्क से भी बदतर बना देता था।
संकल्प मुँह खोले कार को जाते देखता रहता है। "इसने मेरी इतनी बुरी बेइज़्ज़ती की! इसने मुझे मांस का सड़ा टुकड़ा कहा! अगर मैं मांस का सड़ा टुकड़ा हूँ तो ये भी सड़ा हुआ टिंडा है, नहीं, ये तो कीड़े लगा हुआ सड़ा बासी बैंगन है... खैर, अभी बोलने का क्या फायदा? ये तो मुझे उसके मुँह पर बोलना था। पता नहीं उस वक़्त दिमाग में क्यों नहीं आया! ये दिमाग भी ना कभी कोई चीज़ टाइम पर याद नहीं दिलाता। लगता है इसे भी मज़ा आता है मेरी बेइज़्ज़ती सुनने में। खैर, जो होना तो हो गया, अब क्यों मैं फ़ालतू में अपना खून जलाऊँ? एक काम करता हूँ, लिख लेता हूँ, अगली बार मिलेगा तो सुना दूँगा।" संकल्प अभी भी बीच रोड में खड़ा था, अपने आप से बात करने में वो इतना खो गया था कि उसे कुछ एहसास ही नहीं रहा।
कैफ़े ओनर का बेटा दीपक अभी कुछ देर पहले ही कैफ़े आया था। जैसे ही उसकी नज़र संकल्प पर जाती है, उसकी भौंहें तन जाती हैं। ये संकल्प बीच रोड में खड़ा होकर किससे बात कर रहा है?
दीपक उसके पास जाता है और उसके कंधे पर हाथ रखता है। "संकल्प, यहाँ क्यों खड़े हो?" संकल्प उसकी बात अनसुनी कर देता है। उसके दिमाग में तो अभी सिर्फ़ अरहान की एक ही बात गूंज रही थी: "तुम मुँह लगाने लायक नहीं हो!"
दीपक उसके कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे झकझोरता है। तब जाकर संकल्प अपने होश में वापस लौटता है!
"हाँ, दीपक, बोलो क्या हुआ?"
दीपक उसे घूरते हुए कहता है, "मैं नहीं, तुम बोलो क्या हुआ? यूँ बीच सड़क पर किन ख़यालों में खोए हुए हो?"
"कुछ नहीं!" संकल्प इस मैटर पर बात नहीं करना चाहता था। इस मैटर पर तो वो रात को अपने दोस्तों के साथ बात करेगा, वो भी डिटेल में। फिर वो सब निकम्मे उसे उलटे-सीधे आइडियाज़ देंगे बदला लेने के, जिन्हें वो पूरी तरह इग्नोर करेगा।
"दीपक, तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तुम्हारी तो आज मॉर्निंग शिफ्ट थी ना?"
"हाँ, थी, पर मैंने चेंज करवा ली।"
"चेंज करवा ली? क्यों? मॉर्निंग शिफ्ट तो बेहतर होती है?" संकल्प भौंहें चढ़ाते हुए कहता है।
"हाँ, पर आज मेरा मॉर्निंग में जाने का मूड नहीं था। वैसे तुम्हारी भी आज नाईट शिफ्ट है ना?"
"हाँ!"
"ठीक है, तो मैं तुम्हें लेने आ जाऊँगा!"
"नहीं-नहीं दीपक, इसकी ज़रूरत नहीं है। मैं कबीर के साथ आ जाऊँगा! थैंक यू फ़ॉर आस्किंग!" संकल्प छोटी सी मुस्कान के साथ कहता है।
"Ok! नो प्रॉब्लम!" दीपक भी छोटी सी मुस्कान के साथ कहता है।
"ठीक है, तो मैं अब चलता हूँ!"
"इतने जल्दी?"
"जल्दी कहाँ दीपक? मुझे यहाँ आए काफ़ी टाइम हो गया है!"
"क्या तुमने मुझे बताया क्यों नहीं? तुम यहाँ आए हुए हो?"
"वो, मुझे लगा तुम ड्यूटी पे होंगे, इसलिए मैंने तुम्हें कॉल नहीं किया!"
दीपक नाराज़ होकर कहता है, "एक बार मुझे कॉल करके पूछ लिया करो?"
उसे यूँ नाराज़ देख संकल्प उससे माफ़ी माँगता है। "सॉरी यार, अगली बार कॉल करके तुझे बता दूँगा!"
"ठीक है!"
"Ok, बाय। अब मैं चलता हूँ, घर का पूरा काम बचा हुआ है!"
दीपक सर हिला देता है।
संकल्प पप्पी को फ़ीड करके अपनी साइकिल लेकर वहाँ से चला जाता है। यहाँ से उसका घर ज़्यादा दूर नहीं था, इसलिए वो साइकिल लेकर ही आ गया था।
दीपक उसे जाते हुए देख रहा था, तब तक उसे देखता रहा जब तक संकल्प उसकी आँखों से ओझल नहीं हो गया! उसके जाने के बाद वो भी वापस अपने काम पर चला जाता है।
सुबह के 9 बज रहे थे। अनिरुद्ध गहरी नींद में सोया हुआ था। 10 बजे से उसकी ड्यूटी शुरू थी। पुलिस स्टेशन उसके घर से 18 किलोमीटर की दूरी पर था। वहाँ पहुँचने में उसे आधे घंटे से ज़्यादा लगने वाला था। सब चिंता से मुक्त अनिरुद्ध तो मस्त सो रहा था। उसने अलार्म लगाया था, पर वो किसी कारणवश बजा नहीं!
अलार्म तो नहीं, पर अनिरुद्ध का फ़ोन ज़रूर बज जाता है। फ़ोन के रिंग होने से अनिरुद्ध की नींद खुल जाती है। बिना कॉलर ID चेक किए अनिरुद्ध कॉल पिक कर लेता है। अनिरुद्ध नींद भरी आवाज़ में कहता है, "हैलो!"
सामने से एक गहरी आवाज़ आती है, "हाय बाय लव!" ये सुनकर एकदम से अनिरुद्ध की नींद खुल जाती है। "हैलो, कौन बोल रहा है?"
सामने से हँसने की आवाज़ आती है! ये देख अनिरुद्ध इरिटेट हो जाता है। वो तेज आवाज़ में कहता है, "मैंने पूछा कौन हो तुम?"
हँसी की आवाज़ एकदम से बंद हो जाती है और एक गंभीर आवाज़ आती है, "मेरे बारे में बाद में जान लेना ACP अनिरुद्ध बनिक, पहले जरा अपनी घड़ी चेक करो। 9:15 हो गए हैं, दस बजे तुम्हारी ड्यूटी है, तुम लेट हो रहे हो। अलार्म लगाने के बाद उसे क्रॉस चेक किया करो, तुमने गलती से कल का अलार्म लगा दिया है।"
ये सुनकर अनिरुद्ध का मुँह और आँखें बड़ी हो जाती हैं। वो कान को अपने फ़ोन से दूर करता है। "इसे कैसे पता ये सब?" अनिरुद्ध वापस फ़ोन कान पर लगाता है। "तुम्हें मेरे बारे में इतना सब कैसे पता? कौन हो तुम?"
"सही वक़्त आने पर तुम्हारे सामने आ जाऊँगा! तब तक ऐसे ही मुलाक़ातें होती रहेंगी माय लव!" ये कह वो फ़ोन काट देता है। अनिरुद्ध जल्दी से उसे दोबारा कॉल करता है, फ़ोन स्विच ऑफ़ बताता है। "अभी 5 सेकंड पहले तो बात हुई, इतनी जल्दी फ़ोन स्विच ऑफ़ भी कर दिया? कौन हो सकता है ये?"
"इसे बाद में देखता हूँ, पहले तैयार हो जाता हूँ, ड्यूटी का टाइम हो रहा है।" अनिरुद्ध टॉवल लेकर बाथरूम में चला जाता है।
वही एक अंधेरे कमरे में बैठा एक आदमी उसे एक बड़ी सी स्क्रीन से देख रहा था। वो अनिरुद्ध पर अपनी नज़रें गढ़ाए बैठा था। अनिरुद्ध बाथरूम से टॉवल लपेटकर बाहर आता है और अलमारी से अपनी वर्दी निकालता है। कपड़े पहनने के लिए अनिरुद्ध अपना टॉवल निकालने लगता है। जैसे ही अनिरुद्ध टॉवल निकालने के लिए उस पर अपना हाथ रखता है, स्क्रीन के सामने बैठा आदमी अपनी आँखें बंद कर लेता है। वो अनिरुद्ध को ऐसे गलत तरीके से नहीं देखना चाहता था।
3 मिनट बाद वो आदमी अपनी आँखें खोलता है। अनिरुद्ध ने वर्दी पहन ली थी।
अनिरुद्ध को देख उस आदमी के चेहरे पर गहरी मुस्कान छा जाती है। "माय लव, अगर मैं चाहूँ तो तुम्हारे साथ ज़बरदस्ती कर तुम्हें अपना बना सकता हूँ, पर मैं ऐसा नहीं चाहता। मैं चाहता हूँ तुम खुद मेरे करीब आओ!"
अनिरुद्ध लेट हो रहा था। उसके पास खाना बनाने का समय नहीं था, इसलिए वो फ़्रीज़ से एक एप्पल निकालकर खाना शुरू कर देता है। पर तभी उसकी नज़र किचन स्लैब पर जाती है। वहाँ कुछ टिफ़िन बॉक्स रखे हुए थे। ये देख अनिरुद्ध की आँखें छोटी हो जाती हैं। "ये टिफ़िन यहाँ कैसे आए? मेरे तो नहीं हैं?" अनिरुद्ध एक-एक सभी टिफ़िन्स को ओपन करता है। जैसे-जैसे वो टिफ़िन ओपन कर रहा था, उसकी आँखें हैरान से फैलती जा रही थीं। टिफ़िन बॉक्स में उसके पसंद का नाश्ता था। आखिर टिफ़िन में एक लेटर था। अनिरुद्ध उसे बाहर निकालकर पढ़ना शुरू करता है। "माय लव, मुझे पता है तुम लेट हो रहे हो, इसलिए as usual तुम खाना बनाने की जगह फ़्रीज़ से एप्पल निकालकर खा रहे होंगे..." ये सुनकर अनिरुद्ध के हाथ से एप्पल छूटकर नीचे गिर जाता है। "...सब तुम्हारे पसंद का नाश्ता है। ठंडा होने से पहले खा लो और चिंता मत करो, लंच भी मैं तुम्हें पुलिस स्टेशन भिजवा दूँगा।"
अनिरुद्ध का सर चकराने लगा था। एक अनजान इंसान को उसके बारे में इतना सब कैसे पता हो सकता है? वो उसके घर के अंदर घुसकर खाना भी रखकर चला गया और उसे कुछ पता भी नहीं चला!
अनिरुद्ध सोच में पड़ जाता है। तभी उसे ध्यान आता है कि उसके घर में कैमरे भी लगे हुए हैं। वो जल्दी से अपना लैपटॉप निकालता है और फ़ुटेज चेक करने लगता है। 9:01 के आसपास एक आदमी घर के अंदर एंटर करता है। उसने एक काले रंग का लॉन्ग कोट पहना हुआ था, फ़ेस पर एक ब्लैक मास्क और आँखों पर ब्लू गोगल चढ़ाए हुए थे। उसके हाथ में टिफ़िन बॉक्स था। वो उसे किचन स्लैब पर रखता है, फिर तुरंत वहाँ से जाने के लिए मुड़ता है। पर तभी अचानक वो रुक जाता है और एक कैमरे के सामने खड़ा होकर अपने शर्ट के बटन खोलकर अपनी चेस्ट दिखाता है।
अनिरुद्ध की आँखें बाहर आने को हो जाती हैं। उसके चेस्ट पर उसका नाम लिखा हुआ था, वो भी चाकू से! अनिरुद्ध तुरंत लैपटॉप बंद कर देता है। उसकी साँसें एकदम से भारी हो गई थीं। वो फिर से जल्दी से पानी की बोतल निकालकर पानी पीता है। पानी पीने के बाद उसे थोड़ा अच्छा महसूस होता है! वो खाना-वाना सब छोड़ तेज़ी से घर से बाहर निकल जाता है। बाहर उसकी कार खड़ी थी। वो जल्दी से उसमें बैठ जाता है।
अनिरुद्ध कबीर को कॉल करता है। एक-दो रिंग के बाद कबीर फ़ोन उठा लेता है।
"हाँ बनिक, बोल!"
"कबीर, कहाँ है तू?"
"बाहर आया हुआ था। क्या हुआ? तू इतना घबराया हुआ क्यों है?"
कबीर के सवाल को इग्नोर करते हुए अनिरुद्ध कहता है, "कबीर, मुझे जल्दी से पुलिस स्टेशन मिल। कुछ इम्पॉर्टेन्ट बात करनी है!"
अनिरुद्ध को इतना पैनिक करते देख कबीर परेशान हो जाता है। "बनिक, तू ठीक तो है ना?"
"हाँ, ठीक हूँ! तू जल्दी आ!"
कुछ देर बाद...
कबीर पुलिस स्टेशन पहुँच चुका था। स्टेशन आते ही वो सीधा अनिरुद्ध के केबिन में जाता है। कबीर को वहाँ सब जानते थे, इसलिए कोई उसे अनिरुद्ध के केबिन में जाने से नहीं रोकता है।
अनिरुद्ध कुर्सी पर सर टिकाए बैठा था। उसे देख लग रहा था वो किसी गहरी सोच में डूबा हुआ है।
"हे बनिक, व्हाट्स अप?" कबीर अंदर आते हुए कहता है। अनिरुद्ध उसे कोई जवाब नहीं देता। वो तो अभी भी अपनी सोच में गुम था।
अनिरुद्ध को कोई जवाब ना देता देख कबीर उसके सामने जाकर खड़ा हो जाता है। "बनिक," वो उसके सामने चुटकी बजाते हुए कहता है।
अब जाकर अनिरुद्ध को उसके होने का एहसास होता है। "कबीर, तुम कब आए?"
कबीर आँखें रोल करते हुए कहता है, "बनिक, मुझे यहाँ आए 2 मिनट से ज़्यादा टाइम हो गया है। मैं जब आया तब तुम अपनी ख़्वाबों की दुनिया में खोए हुए थे! वैसे किसके ख़यालों में खोए हुए थे?" कबीर भौंहें उठाते हुए कहता है।
"किसी के भी नहीं!"
"पक्का?" कबीर भौंहें चढ़ाते हुए कहता है।
अनिरुद्ध उसे घूरता है। "अब क्या, पेपर पर लिखकर दूँ?"
"वैसे लिख सकते हो तो लिख ही दो!"
अनिरुद्ध गुस्से से उसे घूरता है।
"सॉरी जान, इतना गुस्सा क्यों हो रहे हो? मैं तो बस निर्दोष मज़ाक कर रहा था!"
"ये टाइम है मज़ाक करने का?"
"नहीं! ये टाइम तो प्यार करने का है। हो जाए एक किश!" ये कह कबीर आँख मार देता है।
अनिरुद्ध बड़ी आँखें करके उसे देखता है। "कबीर!" अनिरुद्ध तेज आवाज़ में कहता है।
"ओके जान, तुम इतना प्यार से कह रहे हो तो मैं मान जाता हूँ, लेकिन इसके बदले में मुझे भी तुम मुझे कुछ देना होगा!"
अनिरुद्ध नासमझी से उसे देखता है। "क्या चाहिए तुम्हें?"
नहीं!! ये टाइम तो प्यार करने का है, हो जाये एक किस! ये कहकर कबीर आँख मार देता है।
अनिरुद्ध बड़ी आँखें करके उसे देखता है।
"कबीर!!" अनिरुद्ध तेज आवाज में कहता है।
"ओके जान, तुम इतना प्यार से कह रहे हो तो मैं मान जाता हूँ, लेकिन इसके बदले में मुझे कुछ देना होगा!"
अनिरुद्ध नासमझी से उसे देखता है।
"क्या चाहिए तुम्हें???"
कबीर मुस्कुराते हुए कहता है, "बस एक छोटी सी किस!!" इतना कहता ही था कि तभी उसके पैर पर एक डंडा पड़ता है। कबीर की दर्द भरी चीख निकल जाती है।
अनिरुद्ध डंडा हाथ में लिए हुए गुस्से से उसे घूर रहा था।
"अगर तुम्हारे अंदर का रोमियो मर गया हो तो क्या हम अब काम की बात करें!!"
कबीर अपने पैर सहलाते हुए कहता है, "थिस इज सो रूड जान, मेरे प्यार की ये सजा मिल रही है मुझे..."
"लगता है तुम्हें एक डंडे की और ज़रूरत है!" अनिरुद्ध उसे घूरते हुए कहता है।
ये सुनकर कबीर एकदम से सीधा हो जाता है।
"क्या काम था? तुम्हारी वजह से मैं अपनी Nigerian ब्यूटी को कैफ़े में छोड़कर आया हूँ!!"
अनिरुद्ध उसे घूरता है।
"तुमने तो कहा था कि तुम किसी इम्पोर्टेन्ट काम से बाहर आये हो?"
"हाँ, तो ये इम्पोर्टेन्ट काम ही तो है!!"
अनिरुद्ध सर हिला देता है।
"तुम ये सब छोड़ो। तुम बताओ, तुमने मुझे यहाँ क्यों बुलाया? तुम फ़ोन पर काफ़ी घबराए हुए नज़र आ रहे थे?"
"कबीर, कोई है जो हर वक़्त मेरे पीछे है। वो हर वक़्त मुझ पर नज़र रखता है। मुझे हर पल ऐसा महसूस होता है जैसे कोई मुझे देख रहा है!!"
कबीर उसके कंधे पर अपना हाथ रखते हुए कहता है, "अनिरुद्ध, कल हमने हॉरर मूवी देखी थी। ये इसी वजह से हो रहा है। देखो, ये भूत-प्रेत कुछ नहीं होते। ये सब फ़ालतू बातें हैं। तुम्हें इनसे डरने की कोई ज़रूरत नहीं है... और तुम्हारे आगे-पीछे कोई नहीं है..."
अनिरुद्ध गुस्से से उसका हाथ झटकते हुए कहता है, "कबीर, आई एम सीरियस!!"
"अनिरुद्ध, तो मैं भी सीरियस ही हूँ। अक्सर हॉरर मूवीज़ देखने पर लोगों के साथ ऐसा होता है।"
"कबीर, तुम समझ नहीं रहे हो!!"
"हाँ, तो तुम ठीक हो, समझा भी नहीं रहे हो। अच्छा, एक काम करो, तुम शुरू से मुझे बताओ तुम्हारे साथ क्या-क्या हुआ है।"
अनिरुद्ध आज उसके साथ जो-जो हुआ, वो सब उसे डिटेल में बता देता है।
जैसे-जैसे वो बता रहा था, कबीर के चेहरे पर भी चिंता की लकीरें उभरने लगी थीं।
"अनिरुद्ध, ये तो काफ़ी सीरियस प्रॉब्लम है। वो इंसान तेरे घर में घुसकर खाना भी रख गया और तुझे पता भी नहीं चला!! अनिरुद्ध, कहीं ये वही आदमी तो नहीं है जो उस दिन फ़ेस्टिवल में तुझसे मिला था?"
कबीर की बात सुन अनिरुद्ध को ध्यान आता है।
"हाँ कबीर, मुझे भी लगता है ये वही इंसान है!!"
अनिरुद्ध सर पर हाथ रख लेता है।
"अनिरुद्ध, परेशान मत हो। मैं आज रात इमरजेंसी मीटिंग रखता हूँ। वहाँ तय करेंगे आगे इस मुसीबत से कैसे छुटकारा पाया जाए। वैसे तुझे किसी पर डाउट है?"
"कबीर, मैं पुलिस वाला हूँ। हर रोज़ नए-नए लोगों से मिलता हूँ। हज़ारों की संख्या में तो मेरे दुश्मन हैं। किस-किस पर शक करूँ? पता नहीं कौन होगा!!"
"रिलैक्स, अभी इस बारे में कुछ मत सोच!!"
"अनिरुद्ध हाँ," अनिरुद्ध सर हिलाता है।
"वैसे, सुबह जो नाश्ता उसने भेजा था, वो तूने खाया कि नहीं?"
अनिरुद्ध उसे घूरते हुए कहता है, "ओबवियसली नहीं!!"
"तो मतलब खाना तेरे घर पर ही रखा है!!!"
"हाँ!!"
"घर की चाबी निकाल!!"
अनिरुद्ध नासमझी से उसे देखता है।
"घर की चाबी क्यों?"
"वो तेरे घर पर जो खाना रखा है, उसे मैं खा लूँगा। खाने की बर्बादी सही नहीं है!!"
"कबीर, तुम मज़ाक कर रहे हो ना?"
"बिलकुल भी नहीं!!"
"कबीर, तुम ऐसे कैसे वो खाना खा सकते हो? वो सेफ़ नहीं है। पता नहीं उसने उसमें क्या मिलाया होगा। हो सकता है उसमें ज़हर हो?"
"अनिरुद्ध, अगर उसे तुझे मारना होता ना, तो उसे खाने में ज़हर मिलाने की ज़रूरत नहीं थी। वो नींद में तेरा गला भी दबा सकता था या तेरी ही गन से तुझे शूट भी कर सकता था। उसके लिए वो इतनी मेहनत क्यों करेगा!!"
"हम्म, पॉइंट है तुम्हारी बात में। वैसे, अब मेरे लिए खाना आ ही गया है तो मैं सोच रहा हूँ थोड़ा मैं भी चख लूँ!!"
कबीर मुस्कुरा देता है।
"तू चाबी दे, मैं घर से खाना लेकर आता हूँ। फिर हम दोनों यहीं साथ मिलकर खाएँगे!!"
अनिरुद्ध अपने पॉकेट से चाबी निकाल उसे देने ही वाला था कि इतने में उसे एक अननोन नंबर से कॉल आता है। बिना कुछ सोचे अनिरुद्ध कॉल रिसीव कर लेता है।
"हैल्लो!!"
सामने से एक गहरी आवाज आती है, "माय लव, तुम्हें ठंडा खाने की ज़रूरत नहीं है। मैं तुम्हारे लिए दूसरा खाना भेज रहा हूँ। तुम्हें किसी को अपने घर भेजने की, वो पुराना खाना मंगवाने की ज़रूरत नहीं है!!"
ये सुन अनिरुद्ध का मुँह खुल जाता है। वो तुरंत फ़ोन काट देता है और अपने चारों ओर नज़रें फिराने लग जाता है।
उसके चेहरे का उड़ा रंग देख कबीर समझ जाता है।
"अनिरुद्ध, उसका कॉल था क्या?"
अनिरुद्ध धीरे से हाँ में गर्दन हिलाता है।
"क्या बोला उस सनकी ने?"
अनिरुद्ध अजीब तरीके से उसे देखता है।
"हाँ, सनकी ही तो है। ऐसे काम कोई नॉर्मल इंसान तो करता नहीं है। क्या बोला उसने?"
उसके चेहरे का उड़ा रंग देख कबीर समझ गया। अनिरुद्ध का कॉल था क्या?
अनिरुद्ध ने धीरे से हाँ में गर्दन हिलाई।
"क्या बोला उस सनकी ने?"
अनिरुद्ध ने अजीब तरीके से उसे देखा।
"हाँ, सनकी ही तो है। ऐसे काम कोई नॉर्मल इंसान तो करता नहीं है। क्या बोला उसने?"
"उसने कहा, 'घर से खाना मंगवाने की ज़रूरत नहीं है। उसने मेरे लिए दूसरा खाना भिजवा दिया है।'"
"ये तो अच्छा हुआ। मुझे अब घर नहीं जाना पड़ेगा! वैसे, एक बात तो कहनी पड़ेगी, इस सनकी को तेरी चिंता तो बहुत है। तेरी इतनी चिंता तो कभी तेरे माँ-बाप ने भी नहीं की! लेकिन एक बात कान खोलकर सुन लो, तुम भले उसे तुम्हारी बहुत चिंता है पर प्यार तो सबसे ज़्यादा मैं ही तुमसे करता हूँ... ये सनकी तुम्हारा नहीं, मेरा दुश्मन है। वो मेरे प्यार के बीच में आ रहा है। बनिक, तुम सिर्फ़ मेरे हो, सिर्फ़ मेरे..."
अनिरुद्ध गुस्से से उसे घूर रहा था। "कबीर, तुझे ये सब मज़ाक लग रहा है? वो पागल आदमी हर वक्त मुझ पर नज़र रखे हुए है। उसकी हिम्मत तो देखो, वो यहाँ पुलिस स्टेशन में भी मुझ पर नज़र रख रहा है!!"
"अनिरुद्ध, मुझे लगता है शायद यहाँ कोई है जो उससे मिला हुआ है। वो हर वक्त यहाँ रहकर तुम पर नज़र रख रहा है। तुम्हें किसी पर डाउट है?"
"मुझे किसी पर डाउट नहीं है!! लेकिन अब से मैं सब पर नज़र रखूँगा।"
कबीर ने अनिरुद्ध को इशारा करके अपने पास बुलाया और धीरे से उसके कान में कहा, "अनिरुद्ध, तुम यहाँ पर और अपने घर पर सीक्रेट कैमरा लगा दो!! और जो पुराने कैमरे हैं, उन्हें हटा दो!!"
अनिरुद्ध नासमझी से उसे देख रहा था। "पुराने कैमरे हटाकर नए कैमरे क्यों लगाने?"
"अनिरुद्ध, मुझे लगता है उसने सारे कैमरे हैक कर लिए हैं। वो तुम्हारे ही लगाए हुए कैमरों से तुम पर नज़र रखता है..."
"पर इसका क्या फायदा? वो फिर से मेरे कैमरे को हैक कर लेगा..." अनिरुद्ध उसे घूरते हुए कहता है।
"नहीं!! इस बार तुम सीक्रेट कैमरा लगाना, जो किसी को नज़र ना आए... और हाँ, सभी कैमरे को अलग-अलग रखना!! उनको मिक्स मत करना। इससे अगर कभी एक कैमरा हैक हो भी गया तो कम से कम बाकी सेफ रह जाएँगे..."
"हम्म, ये ठीक है। वैसे, एक बात कहनी है, दिमाग़ तो बहुत है तुम्हारे अंदर..."
"मेरे अंदर तो तुम्हारे लिए बेशुमार प्यार भी है जान। उसे भी कभी देख लिया करो..."
"कबीर, ज़रा सोच-समझकर बोला करो। मेरा नया आशिक आ गया है, कहीं वो तुम्हें अपने लपेटे में ना ले ले!!!" अनिरुद्ध हँसते हुए कहता है।
"मुझे तुमसे कोई दूर नहीं कर सकता, तुम्हारा वो सनकी आशिक भी..." कबीर मुँह बनाते हुए कहता है।
विक्रम चौहान (पॉलिटिशियन) की पार्टी SPA द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी गई थी, जिसमें विक्रम के साथ-साथ पार्टी के बड़े-बड़े नेता भी शामिल थे।
पिछले कुछ समय से गोवा में बहुत सी घटनाएँ घटित हो रही थीं, जो गोवा के लोगों के लिए बिल्कुल सही नहीं थीं। पिछले कुछ समय से अपराधों की संख्या काफ़ी ज़्यादा मात्रा में बढ़ गई थी। अपराधिक मामले हर साल कम होने की बजाय उल्टा और बढ़ रहे थे!! पिछले साल 10% क्राइम रेट था और इस साल यह 10% से बढ़कर 14% पर आ गया था।
आम जनता सरकार को क्रिटिसाइज़ कर रही थी। उनका कहना था कि सरकार इतनी गंभीर समस्या को हल्के में ले रही है... उनका कहना था कि सरकार इन अपराधों को रोकने में पूर्ण रूप से नाकामयाब रही है!!
गोवा में जगह-जगह सरकार के खिलाफ़ प्रदर्शन हो रहे थे। नेताओं के पुतले फुंके जा रहे थे। आम जनता बुरे तरीके से सरकार पर भड़की हुई थी। लोगों के इस बढ़ते गुस्से को देख पार्टी ने इमरजेंसी प्रेस कॉन्फ्रेंस रखने का फ़ैसला किया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में देश के कोने-कोने से पत्रकार आए हुए थे।
सभी लोग आ चुके थे, सिवाय एक को छोड़कर। वो था विक्रम चौहान। सभी उसी के आने का इंतज़ार कर रहे थे।
कुछ देर बाद हॉल का दरवाज़ा खुलता है और एक गार्ड्स की टीम आती है और पूरे हॉल को कवर कर लेती है... सभी गार्ड्स के पोज़िशन लेने के बाद एक आदमी बाहरी कदमों से चलकर अंदर आता है। उसके अंदर कदम रखते ही हॉल में एकदम से सन्नाटा छा जाता है...
उस आदमी ने एक सफ़ेद कलर का कुर्ता और उसके नीचे सफ़ेद पजामा पहन रखा था। कुर्ते के ऊपर उसने ब्लैक कलर की स्लीवलेस जैकेट भी पहन रखी थी। उसने आँखों में काले रंग का चश्मा चढ़ाया हुआ था। वो अपने लिबाज़ से ही पॉलिटिशियन लग रहा था।
वो आदमी कोई और नहीं, विक्रम चौहान था। विक्रम के आते ही सब की नज़र उस पर आकर ठहर गई थी। ठहरे भी क्यों ना, विक्रम का औरा ही कुछ ऐसा था। उसकी काली, गहरी, नशीली आँखें, चेहरे पर सूर्य की तरह तेज, समुद्र सी गहरी आवाज़!! लोगों को मैग्नेट की तरह खींचती थी।
विक्रम एक नज़र सभी मीडिया पर्सन्स पर डालता है, फिर अपनी जगह जाकर बैठ जाता है...
उसके आते ही पार्टी के हेड विजयकांत मीडिया पर्सन्स की तरफ़ देखते हैं। "एक-एक कर आप सब लोग हमसे सवाल पूछ सकते हैं।"
सबसे पहले एक उम्रदराज़ पत्रकार विजयकांत से सवाल करता है। "मिस्टर विजयकांत, पिछले 10 साल से आपकी पार्टी गोवा में रूल कर रही है, और इन्हीं 10 साल में गोवा में क्राइम रेट में सबसे ज़्यादा बढ़ोतरी हुई है। इस बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?"
विजयकांत शांत लहजे में जवाब देते हैं। "देखिए, गोवा में हो रहे क्राइम्स का हमारी पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है... आप सब जानते हैं गोवा में क्राइम रेट बढ़ने की मेन वजह ब्लू मून और रेड नाइट जैसी माफ़िया गैंग है। ये सब उन्हीं के आने से शुरू हुआ है..."
विजयकांत की बात सुनते ही एक दूसरा पत्रकार सवाल करता है... "मिस्टर विजयकांत, हम जानते हैं क्राइम रेट बढ़ने के पीछे ब्लू मून, रेड नाइट का हाथ है। पर गोवा में आपकी सरकार यहाँ के लोगों की रक्षा करना आपका दायित्व है। लोगों की रक्षा करने में आपकी सरकार पूरी तरीके से नाकामयाब रही है। 2023 के आंकड़े देखें तो गोवा में पूरे साल में 2500 से ज़्यादा युवा लड़कों और लड़कियों का अपहरण हुआ है। अब तक उनका कुछ पता नहीं चला!! अभी कुछ दिन पहले, जनवरी में ही, रोहतांग की पुलिस स्टेशन के अंदर घुसकर ACP अभय को गोली मार दी गई!! यहाँ तो पुलिस ही सेफ नहीं है, और जब पुलिस ही सेफ नहीं है तो आम लोगों का क्या होगा? आपकी सरकार ने तो एकदम चुप्पी साध ली है। इसलिए लोगों ने आपको वोट देकर जिताया था। अगर आप लोगों को सुरक्षा देने में नाकामयाब हैं तो इस्तीफ़ा क्यों नहीं देते?"
पत्रकार के सवाल से कुछ देर हॉल में सन्नाटा छा जाता है!!
कुछ पल की शांति के बाद विजयकांत बोलना शुरू करते हैं। "देखिए, हम समझ रहे हैं आप सब का गुस्सा, लेकिन आप हम पर विश्वास रखें। हम जल्द से जल्द इस पर कार्रवाई करेंगे! हम गोवा की जनता को विश्वास दिलाते हैं, आने वाले 5 साल के अंदर-अंदर हम गोवा से इन माफ़िया गैंग्स को हमेशा-हमेशा के लिए बाहर निकाल फेंक देंगे!!"
एक-एक कर मीडिया पर्सन लगातार सवालों की लड़ी लगा देते हैं। अजीब बात थी कि गोवा का मुख्यमंत्री होने के बाद भी कोई भी विक्रम से कोई सवाल नहीं कर रहा था। सभी लोग बाकी पार्टी नेताओं से सवाल-जवाब कर रहे थे। इसके पीछे का कारण था विक्रम के प्रति लोगों का डर। सब लोग विक्रम से बहुत ज़्यादा डरते थे। उसके सामने किसी की जुबान नहीं चलती थी। हिम्मत करके कोई पत्रकार सवाल करने के लिए उठ भी जाता तो उसके पैर लड़खड़ाने लगते!! विक्रम की आँखों में एक अलग सा तेज था, जिसे कोई भी रजिस्टर नहीं कर पाता था।
करीब एक घंटे तक लगातार सवाल-जवाब चलते रहे। अंत में विजयकांत कहते हैं, "क्या किसी और को अब कोई सवाल पूछना है?" कुछ पल के लिए तो एकदम सन्नाटा छा जाता है हॉल में। तभी अचानक पीछे से एक हाथ उठता है। "मुझे पूछना है एक सवाल, मिस्टर विक्रम चौहान से..."
विक्रम का नाम सुनकर सभी पत्रकार पीछे मुड़कर देखना शुरू कर देते हैं, क्योंकि सब के मन में जिज्ञासा थी, ऐसा कौन बहादुर पत्रकार है जो विक्रम से सवाल करने की हिम्मत कर रहा है... विक्रम का भी ध्यान उस ओर जाता है...
एक यंग लड़का कुर्सी पर से खड़ा होता है और विक्रम को घूरता है...
विक्रम अपने गॉगल्स को हटाकर टेबल पर रखता है और उस लड़के की ओर देखकर, ठंडी आवाज़ में कहता है, "क्या पूछना है तुम्हें?"
वो लड़का तीखी मुस्कान के साथ कहता है, "पूछना तो बहुत कुछ है आपसे, मिस्टर विक्रम। वो क्या करें, आपके दर्शन होते ही बहुत कम हैं। आप गोवा से ज़्यादा तो वर्ल्ड टूर पर रहते हैं!! अगर बाहर घूमने से फुर्सत मिल जाए तो एक नज़र गोवा पर भी डाल लीजिए। आपको यहाँ के लोगों की सेवा करने के लिए रखा है, विदेशों में जाकर ऐश करने के लिए मुख्यमंत्री नहीं बनाया!!"
"आप जनता के सेवक हैं, ये बात अपने दिमाग़ से कभी निकालना मत!! मुझे आपसे बहुत सवाल पूछने हैं। उम्मीद करता हूँ आप ईमानदारी से उनका जवाब देंगे। वैसे, मुझे लगता नहीं कि आप ईमानदारी से जवाब देंगे। वो तो आपके खून में ही नहीं है!! आपके पिता ने क्या किया था, वो तो आपको याद होगा ही!!"
उसकी बात सुन सभी लोग उसे घूरने लग जाते हैं। आज पहली बार कोई विक्रम के सामने इस लहजे में बात कर रहा था।
उस लड़के की बात सुन विजयकांत कहते हैं, "हैलो, मिस्टर यंग बॉय, आप पर्सनल जा रहे हैं!!"
वो लड़का मुस्कुराता है। "पर्सनल? बहुत बुरा लगा ना आपको ये सुनकर? तो सोचा, कभी जब आपकी पार्टी के नेता ने सरेआम एक लड़की की इज़्ज़त उछाली थी, उसका MMS वायरल किया था, तब उस लड़की पर क्या गुज़री होगी, उसके परिवार पर क्या गुज़री होगी? तब तो आपने एक शब्द नहीं बोला। आपने और आपकी इस पार्टी ने मौन व्रत धारण कर लिया था। जब दूसरों की इज़्ज़त की बात आए तो चुप्पी ठान लो और जब बात खुद की इज़्ज़त पर आए तो पर्सनल कहते हो!! कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सज़ा सुनाई और आपकी पार्टी ने उसे बचाने के लिए उसे पैसे देकर विदेश भगा दिया!!"
ये सुन विजयकांत को गुस्सा आ जाता है। "आप बेबुनियाद इल्ज़ाम लगा रहे हैं हम पर। उसके भागने में हमारा कोई हाथ नहीं है!!"
वह लड़का व्यंग से मुस्कुराता है। "उसका यहाँ से भागना नामुमकिन था। उसे आपका सपोर्ट था, इसलिए वो यहाँ से भागने में कामयाब हो पाया!! खैर, मुझे अपने देश के न्यायालय पर भरोसा है। जल्द ही जनता के सामने सच होगा!!"
"गोइंग बैक टू मिस्टर विक्रम, आपकी गवर्नमेंट आने से पहले आपके मैनिफ़ेस्टो में कहाँ गया था आप गोवा में हो रहे क्राइम्स को कंट्रोल करेंगे? पर हमें तो कहीं से भी क्राइम कम होते नज़र नहीं आ रहे। उल्टा आपके आने के बाद क्राइम रेट दुगुनी स्पीड से बढ़ रहा है। तो क्या हम ये मानें कि इसके पीछे आपका हाथ है?"
विजयकांत फिर से बीच में बोल पड़ता है। "आप सरासर हम पर इल्ज़ाम लगा रहे हैं..."!!
"मिस्टर विजयकांत, मैंने सवाल इनसे किया है आपसे नहीं। आप बार-बार इनके सवालों का जवाब दे रहे हैं। इनके मुँह में क्या जुबान नहीं है? आप क्यों इनके स्पोकर्सन बने हुए हो? कुछ इन्हें भी बोलने दीजिए। और वैसे भी बहुत कम बार हमें इनकी आवाज़ सुनने का सौभाग्य मिलता है!! और हाँ, मैं इल्ज़ाम नहीं लगा रहा हूँ, मैं तो बस फैक्ट बता रहा हूँ।"
विक्रम उसकी ओर देखता है। "आपके इल्ज़ाम बेबुनियाद हैं। मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता।"
वो लड़का मुस्कुरा देता है। "ओके, बस आप मेरे आखिरी सवाल का जवाब दे दीजिए, फिर मैं आपसे कोई सवाल नहीं करूँगा!!"
विक्रम सर्द लहजे में कहता है, "पूछो?"
"सिंघा बहुत जाते हैं आप, कोई ख़ास वजह?"
"क्योंकि मुझे वहाँ जाना अच्छा लगता है!!"
"ये क्यों नहीं कह देते वहाँ आपकी आशिक़ों का ठिकाना है? सुना है रुमाल की तरह लड़कियाँ बदलते हो, इसीलिए शायद इतने व्यस्त रहते हो!!"
"अगर लड़कियों के साथ सोने से फुर्सत मिल जाए तो थोड़ा गोवा पर भी फ़ोकस कर लेना। इसी की बदौलत वहाँ ऐश कर रहे हो।"
विक्रम सर्द आँखों से उसे देखता है... उसकी आँखों से ही इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है वो इस वक्त कितने गुस्से में है....
उसकी मुस्कान देख एकदम से विक्रम अपने एक्सप्रेशन चेंज कर लेता है। वो गुस्सा हटाकर अपने चेहरे पर झूठी मुस्कान ले आता है... "आपको मुझसे लेकर कुछ ज़्यादा ही गलतफ़हमियाँ हैं। चिंता मत करना, मैं इन्हें जल्द ही क्लियर कर दूँगा!"
वो लड़का हँसते हुए कहता है, "मेरी गलतफ़हमी को क्लियर करेंगे या फिर मुझे ही क्लियर कर देंगे!!"
विक्रम उसकी बात का कोई जवाब नहीं देता। वो अपनी झूठी मुस्कान मेंटेन करते हुए आगे बोलता है, "क्या मैं आपका नाम जान सकता हूँ??"
"ऑफ़कोर्स, मेरा नाम ऋषभ है, ऋषभ मित्तल!!" ऋषभ थोड़ा ज़ोर लगाकर बोलता है...
"ऋषभ, आपके चेहरे को देख लग रहा है आपके मन में अभी भी बहुत सवाल हैं, पर आज मैं उनका जवाब नहीं दे सकता। क्यों ना आप कल मेरे घर आए और मेरा पर्सनल इंटरव्यू लें!!"
ये सुन सबको शॉक लगता है...
विक्रम ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। वह अपनी झूठी मुस्कान बनाए हुए आगे बोला, "क्या मैं आपका नाम जान सकता हूँ??"
"ऑफ्कौर्से। मेरा नाम ऋषभ है, ऋषभ मित्तल!!" ऋषभ थोड़ा जोर लगाकर बोला।
"ऋषभ, आपके चेहरे को देखकर लग रहा है आपके मन में अभी भी बहुत सवाल हैं, पर आज मैं उनके जवाब नहीं दे सकता। क्यों ना आप कल मेरे घर आएँ और मेरा पर्सनल इंटरव्यू लें!!"
यह सुनकर सभी मीडिया पर्सन और पार्टी के लोगों को बड़ा झटका लगा। किसी को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। विक्रम ऋषभ को अपने घर पर बुला रहा था इंटरव्यू के लिए! जो विक्रम अपने घर के 10 किलोमीटर दूर भी किसी को नहीं भटकने देता, वह आज किसी को सामने से अपने घर बुला रहा है। आज तक उसने कभी अपने पार्टी के लोगों को भी अपने घर नहीं बुलाया था।
विक्रम अपनी जगह से खड़ा हुआ और तेजी से वहाँ से निकल गया। उसके पीछे-पीछे उसका असिस्टेंट सैम भी वहाँ से निकल गया।
विक्रम हॉल से बाहर आ गया। बाहर उसकी गाड़ी पहले से तैयार खड़ी थी। सैम ने पहले ही ड्राइवर को कॉल करके बुला लिया था। विक्रम अभी बहुत ज्यादा गुस्से में था। अगर कार समय से नहीं आती तो उसका सारा गुस्सा सैम पर ही निकलता।
सैम आगे बढ़कर उसके लिए दरवाजा खोला। विक्रम तेजी से कार में जाकर बैठ गया। ऐसा लग रहा था कि अगर वह एक मिनट और यहाँ रुक गया तो बड़ा कांड हो जाता। उसके बैठते ही सैम भी जल्दी से ड्राइविंग सीट पर जाकर बैठ गया।
विक्रम का चेहरा भावहीन था। उसके चेहरे को देखकर उसके मूड का कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता था।
वह दिखने में तो शांत नज़र आ रहा था, लेकिन उसके अंदर इस वक्त ज्वालामुखी फट रहा था जिसकी गर्माहट सैम महसूस कर पा रहा था।
कार 500 मीटर चली होगी कि तभी विक्रम अचानक से सैम को कार रोकने को कहता है। "कार रोको!!" विक्रम ठंडी आवाज़ में कहता है।
सैम तुरंत कार को रोक देता है और बिना कुछ बोले पैसेंजर सीट पर बैठ जाता है। उसके हटते ही विक्रम ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है। सैम सीट से सटकर बैठ जाता है। उसके चेहरे पर घबराहट साफ-साफ नज़र आ रही थी क्योंकि अब कार चलने वाली नहीं, उड़ने वाली थी!
विक्रम को जब हद से ज़्यादा गुस्सा आता था तो वह फ़ास्ट एंड हार्श ड्राइविंग करता था।
विक्रम ने कार को फुल स्पीड में दौड़ा दिया। सैम ने तो डर के मारे कसकर आँखें बंद कर ली थीं। करीब बीस मिनट बाद कार एक बंगले के बाहर आकर रुकती है। कार रुकते ही सैम की साँस में साँस आती है। पिछले बीस मिनट से उसकी साँस अटकी हुई थी। पेट में बटरफ्लाई उड़ रही थीं, बिलकुल वैसे ही जैसे किसी रोलर कोस्टर राइड के बाद होती हैं।
विक्रम ने कार को फुल स्पीड में दौड़ा दिया। एक घंटे के सफ़र को उसने बस 20 मिनट में कवर कर लिया था। बंगले पहुँच विक्रम सीधा बेसमेंट में बने एक कमरे के अंदर चला जाता है। वहाँ पर रोशनी के नाम पर बस एक लाल बल्ब जल रहा था। विक्रम अकेला ही अंदर जाता है। सैम वहीं रुक जाता है। उसके अंदर जाने की हिम्मत नहीं थी।
विक्रम जब गुस्से में होता था, वह हैवान बन जाता था। उसे डिज़ऑर्डर था। वह अपने गुस्से को कंट्रोल नहीं कर पाता था।
अंदर एक आदमी को रस्सी के सहारे उल्टा लटकाया हुआ था जो बुरे तरीके से ज़ख्मी था। उसके बदन पर कोई कपड़ा नहीं था। पूरे शरीर पर कट लगे हुए थे जिनसे खून बह रहा था। विक्रम का गुस्सा अभी उस पर निकलने वाला था।
बेसमेंट में हमेशा कोई ना कोई जरूर होता था जिससे विक्रम का मनोरंजन हो सके और वह अपना गुस्सा कंट्रोल कर सके। बेसमेंट में हमेशा कोई उपलब्ध रहे, यह सुनिश्चित करना सैम की ज़िम्मेदारी थी।
पॉलिटिक्स में होने की वजह से विक्रम के कई दुश्मन थे जो अक्सर उस पर अटैक करवाते रहते थे। जिनकी अच्छी किस्मत होती थी, वे ऑन दी स्पॉट पर मर जाते थे और जिनकी किस्मत बुरी होती थी, वे यहाँ बेसमेंट में आ जाते थे।
विक्रम एक बॉक्स के अंदर से काँटे वाला चाबुक निकालता है। चाबुक पर छोटे-छोटे लोहे के काँटे लगे हुए थे।
विक्रम की आँखें खून सी लाल थीं। उसके दिमाग़ में ऋषभ की कुछ बातें टेप रिकॉर्डर की तरह बार-बार बज रही थीं जिससे उसका गुस्सा आउट ऑफ़ कंट्रोल होता जा रहा था।
वह आदमी पहले से ही अधमरा था। चाबुक को देखकर तो उसकी बची-कुची जान भी निकलने लगी थी। वह ना तो गर्दन हिलाता है, मुँह से बोलने तक की हिम्मत नहीं थी उसमें! पर विक्रम कहाँ उसकी सुनने वाला था? उस पर तो उसकी सनक भारी थी। वह कसकर चाबुक को पकड़ता है और पूरी जान लगाकर उस पर मारता है, फिर उसे उतनी ही फुर्ती से वापस खींच लेता है। उसकी दर्द भरी चीख पूरे बेसमेंट में गूंज जाती है। चाबुक के अंदर काँटे थे। जब विक्रम ने उस पर चाबुक मारा तो वे उसके खाल में धँस गए और जब उसने वापस उसे खींचा तो वे काँटे उसके मांस को खुरदते हुए बाहर आए।
वही उस आदमी की चीख सुनकर सैम जल्दी से कान में इयरफ़ोन लगा लेता है। "हे भगवान! उस लड़के को बचा लेना इस सनकी से! कितना सुंदर था ये आदमी! उसकी पूरी शक्ल बिगाड़ देगा!"
एडवर्ड की नींद सुबह के 11 बजे खुली। नींद खुलते ही उसका सर भारी-भारी सा महसूस होता है। वह उठकर सीधा अपनी पीठ लगाकर बैठ जाता है। वह अपने सर को पकड़ते हुए कहता है, "लगता है कल कुछ ज़्यादा हो गई!!"
एडवर्ड बिना देखे टेबल पर अपने हाथ मारने लगता है। ऐसा लग रहा था वह कुछ ढूँढ़ रहा है। "ये बटन कहाँ गया?" (एडवर्ड के रूम में टेबल पर एक बटन होता था जिसे प्रेस करने पर सर्वेंट उसके रूम में आ जाते थे।)
एडवर्ड टेबल की ओर देखता है। उसकी भौंहें चढ़ जाती हैं। "ये तो मेरी टेबल नहीं है!" फिर वह अपने चारों ओर नज़रें फेरता है। "टेबल क्या, ये रूम भी मेरा नहीं है! मैं हूँ कहाँ?" वह गौर से चारों ओर देखने लगता है। अचानक ही उसकी आँखों में गुस्सा उतर आता है जब वह दीवार पर ड्रैगन की पिक्चर देखता है।
वह गुस्से से बिस्तर पर से उठता है और बाहर जाकर जोर से चिल्लाने लग जाता है। "ड्रैगन, यू बास्टर्ड! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे यहाँ लाने की? कहाँ छुपे बैठे हो? आज तो मैं तुम्हारी जान ले लूँगा!!"
एडवर्ड गुस्से में इधर-उधर घूम रहा था। मैंशन बहुत बड़ा था।
किचन में कॉफी बना रहे ड्रैगन को जब एडवर्ड की आवाज़ आती है तो वह अफ़सोस के साथ सर हिला देता है। "जाग गया शैतान!!" ड्रैगन किचन से बाहर हॉल में आ जाता है और एडवर्ड को आवाज़ लगाता है, "किचन में हूँ, नीचे आ जाओ।"
एडवर्ड ऊपर से उसे खा जाने वाली नज़रों से देख रहा था।
"ब्रेकफ़ास्ट बन गया है, मुझे खाने के बजाय उसे खा लेना।" कहकर ड्रैगन वापस किचन में चला जाता है। एडवर्ड पैर पटकते हुए किचन में जाता है। वह कुछ बोलता, उससे पहले ही ड्रैगन बोल पड़ता है, "अपने दिमाग़ में तुम कुछ उटपटांग सोचो उससे पहले मैं क्लियर कर देता हूँ। रात को क्लब से निकलने के बाद तुम पर अटैक हुआ था और तुम्हारा वो प्यारा MJ तुम्हें बचाने में पूरी तरह नाकामयाब रहा! इसलिए मुझे बीच में आना पड़ा। मुझे MJ पर भरोसा नहीं था इसलिए मैं तुम्हें यहाँ ले आया!!"
ड्रैगन की बात सुन एडवर्ड एकदम चुप हो गया था क्योंकि इसमें कहीं ना कहीं उसकी ही गलती थी। उसे ओवरड्रिंक नहीं करना चाहिए था।
एडवर्ड के चेहरे को देख ड्रैगन समझ जाता है एडवर्ड को अपनी गलती का पछतावा है।
एडवर्ड के चेहरे को देख ड्रैगन समझ जाता है एडवर्ड को अपनी गलती का पछतावा है।
एडवर्ड को देखते हुए ड्रैगन कहता है, "अगर गलती का पछतावा हो रहा है तो माफ़ी माँग सकते हो मुझसे, मैं बुरा नहीं मानूँगा।"
एडवर्ड आँखें छोटी करते हुए कहता है, "मुझे पछतावा है, लेकिन इस बात का नहीं कि मैंने तुम्हारे ऊपर चिल्लाया। पछतावा तो इस बात का है मेरे ज़्यादा ड्रिंक करने की वजह से ना चाहते हुए भी तुम्हारा एहसान हो गया मुझ पर!!"
एडवर्ड की बात ड्रैगन को चुभ जाती है। उसके प्यार को, उसकी केयर को एडवर्ड एहसान का नाम दे रहा था।
ड्रैगन के चेहरे की मायूसी को एडवर्ड ने देख लिया था, पर उसे उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ा।
एडवर्ड एक नज़र ड्रैगन को देखता है, फिर तेज़ी से वहाँ से निकल जाता है। ड्रैगन उसे रोकता नहीं क्योंकि अभी एडवर्ड का मूड ठीक नहीं था। वह उसे फिर कुछ ऐसा बोल सकता जिससे वह हर्ट हो सकता था। इसलिए ड्रैगन उसे जाने देता है।
ड्रैगन खाली आँखों से दरवाज़े को देखता रहता है।
उसने एडवर्ड के लिए उसके पसंद का नाश्ता बनाया था। उसने सोचा एडवर्ड अपने पसंद का नाश्ता देखेगा तो उसके चेहरे पर मुस्कान खिल जाएगी।
ड्रैगन कॉफ़ी के मग को साइड में रखता है। उसका भी मन नहीं था अब कुछ खाने का।
एडवर्ड गुस्से में मैंशन से बाहर आता है। उसके बाहर आते ही उसके गार्ड्स उसे चारों ओर से घेर लेते हैं। एडवर्ड ठंडी नज़र उन पर डालता है, "लीव!!"
सभी गार्ड्स वहाँ से चले जाते हैं। एडवर्ड को कुछ पल के लिए अकेले रहना था। एडवर्ड बेसुध होकर रोड पर चल रहा था। वह कहाँ जा रहा था, उसे भी नहीं पता था। चलते-चलते अचानक उसे कुछ याद आता है और वह जंगल के अंदर घुस जाता है। कुछ देर चलने के बाद उसे एक झरना नज़र आता है। एडवर्ड शूज़ निकाल पानी में उतर जाता है। वहाँ कई सारे पत्थर पड़े थे। वह उनमें से ही एक पर बैठ जाता है। यह एक हिडन प्लेस था जिसके बारे में सिर्फ़ एडवर्ड, ड्रैगन और MJ को पता था।
एडवर्ड की आँखों में अब गुस्सा नहीं, बल्कि एक अजीब सी उदासी थी। एक समय था जब एडवर्ड यहाँ ड्रैगन के साथ आता था। वे घंटों-घंटों यहाँ बैठकर समय बिताते थे। ना कोई ज़िम्मेदारी थी, ना कोई टेंशन, बेफ़िक्री की ज़िंदगी थी।
झरने को देख एडवर्ड अतीत की यादों में खो जाता है।
कॉलेज से निकलते ही एडवर्ड और ड्रैगन झरने पर आ गए थे। एडवर्ड को पानी से बहुत डर लगता था। उसे बिल्कुल भी तैरना नहीं आता था। वह जब 8 साल का था तो होली के टाइम उसके एक दोस्त ने मज़ाक-मज़ाक में उसे पूल में धक्का मार दिया था। एडवर्ड हाथ-पैर मारने लगा। उसने उठने की कोशिश की पर वह उठ नहीं पा रहा था। वह तो वक़्त रहते वहाँ एक गार्ड आ गया, उसने उसे बाहर निकाल लिया।
उसके मुँह, कान, नाक में पानी भर गया था जिससे उसे बहुत तकलीफ़ हो गई थी। उस दिन के बाद से एडवर्ड के मन में पानी को लेकर डर बैठ गया था।
एडवर्ड कोने में एक पत्थर पर बैठ गया था। वहीं ड्रैगन तो शर्ट-पैंट उतार पानी में कूद गया। उसे तैरना पसंद भी था और उसे तैरना आता भी था।
ड्रैगन बार-बार एडवर्ड को पानी में आने के लिए कह रहा था पर एडवर्ड को तो पानी को देखते ही घबराहट होने लगती थी।
"एडी बेबी, कब तक वहाँ बैठे रहोगे? एक बार पानी में आओ, बहुत मज़ा आ रहा है!!"
"नहीं, मुझे नहीं आना। मैं डूब जाऊँगा!"
"नहीं, डूबोगे नहीं। मैं हूँ ना। मैं तुम्हें कभी डूबने नहीं दूँगा!!"
"नहीं-नहीं, मुझे नहीं आना!!"
ड्रैगन तैरते हुए उसके पास जाता है और उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहता है, "एडी, कब तक अपने डर से दूर भागोगे? जितना तुम डर से डरोगे, वह तुम्हें उतना ही और डराएगा। तुम्हें मुझ पर विश्वास है?"
एडवर्ड धीरे से गर्दन हिलाता है।
ड्रैगन एडवर्ड का हाथ पकड़ उसे पानी में उतार देता है। वहाँ पानी गहरा नहीं था।
"कम्फ़र्टेबल हो?"
"हाँ!!"
ड्रैगन उसका हाथ पकड़ उसे गहरे पानी की ओर ले जाता है। जैसे-जैसे पानी गहरा होता जा रहा था, एडवर्ड डर के मारे ड्रैगन के कंधे को कसकर पकड़ लेता है। "ड्रैगन, बस यहीं रुक जाओ। मुझे डर लग रहा है। आगे पानी बहुत गहरा है!"
ड्रैगन वहीं रुक जाता है। इससे ज़्यादा एडवर्ड पर दबाव बनाना सही नहीं था।
ड्रैगन एडवर्ड की तरफ़ मुड़ता है और अचानक से उसे अपनी गोद में उठा लेता है!! उसकी इस हरकत से एडवर्ड की आँखें बड़ी हो जाती हैं!!
ड्रैगन एडवर्ड को वापस से वहीं ले जाता है जहाँ एडवर्ड पहले बैठा था। वहाँ पर पानी का लेवल बहुत कम था। पानी सिर्फ़ उनकी कमर तक पहुँच रहा था। वहाँ ऊपर से झरना भी बह रहा था। ड्रैगन उसे झरने के नीचे खड़ा कर देता है। जैसे ही एडवर्ड पर झरने का पानी पड़ता है, एकदम से उसकी आह निकल जाती है।
झरने का पानी बर्फ़ सा ठंडा था। ऊपर से हाइट से गिरने की वजह से वह बॉडी पर ज़ोर से लग भी रहा था।
ड्रैगन तेज़ी से एडवर्ड को पकड़ अपने अंदर छुपा लेता है जिससे अब झरने का पानी उसके पीठ पर पड़ रहा था। उसने छोटे बच्चे की तरह एडवर्ड को अपने अंदर छुपा लिया था।
एडवर्ड को पकड़े हुए ही ड्रैगन वहाँ से बाहर आ जाता है। वे दोनों एक बड़े से पत्थर के ऊपर बैठ जाते हैं। ड्रैगन टॉवल से एडवर्ड का सर सुखाने लग जाता है। उसे डर था कहीं एडवर्ड बीमार ना पड़ जाए। वह हेल्थ के मामले में बहुत सेंसिटिव था। उसकी इम्यूनिटी थोड़ी वीक थी इसलिए उसके बीमार होने के चांस थोड़े ज़्यादा रहते थे।
ड्रैगन ने तेजी से एडवार्ड को पकड़कर अपने अंदर छिपा लिया। झरने का पानी अब उसकी पीठ पर पड़ रहा था। उसने छोटे बच्चे की तरह एडवार्ड को अपने अंदर छिपा लिया था।
एडवार्ड को पकड़े हुए ही ड्रैगन वहाँ से बाहर आ गया। वे दोनों एक बड़े पत्थर पर बैठ गए। ड्रैगन ने तौलिए से एडवार्ड का सिर सुखाना शुरू कर दिया। उसे डर था कहीं एडवार्ड बीमार न पड़ जाए। वह हेल्थ के मामले में बहुत सेंसिटिव था; उसकी इम्युनिटी थोड़ी वीक थी, इसलिए उसके बीमार होने के चांस थोड़े ज्यादा रहते थे।
ड्रैगन एडवार्ड को वापस वहीं ले गया जहाँ एडवार्ड पहले बैठा था। वहाँ पानी का लेवल बहुत कम था; पानी सिर्फ़ उनकी कमर तक पहुँच रहा था। वहाँ ऊपर से झरना भी बह रहा था। ड्रैगन ने उसे झरने के नीचे खड़ा कर दिया। जैसे ही एडवार्ड पर झरने का पानी पड़ा, एकदम से उसकी आह निकल गई।
झरने का पानी बर्फ सा ठंडा था। ऊपर से गिरने की वजह से वह बॉडी पर जोर से लग भी रहा था।
ड्रैगन ने तेजी से एडवार्ड को पकड़कर अपने अंदर छिपा लिया, जिससे अब झरने का पानी उसकी पीठ पर पड़ रहा था। उसने छोटे बच्चे की तरह एडवार्ड को अपने अंदर छिपा लिया था। एडवार्ड को पकड़े हुए ही ड्रैगन वहाँ से बाहर आ गया। वे दोनों एक बड़े पत्थर पर बैठ गए।
ड्रैगन ने तौलिए से एडवार्ड का सिर सुखाना शुरू कर दिया। उसे डर था कहीं एडवार्ड बीमार न पड़ जाए। वह हेल्थ के मामले में बहुत सेंसिटिव था; उसकी इम्युनिटी थोड़ी वीक थी, इसलिए उसके बीमार होने के चांस थोड़े ज्यादा रहते थे।
एडवार्ड ने ड्रैगन के दोनों हाथों को पकड़कर बारी-बारी से चूमा।
"आई लव यू ड्रैगन, तुम कभी मुझे छोड़कर मत जाना। मुझे तुम्हारी आदत लग गई है। मुझे तुम्हारे बिना जीना मुश्किल हो गया है!! तुम वादा करो कभी मुझे छोड़कर नहीं जाओगे?"
ड्रैगन ने उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में थाम लिया और प्यार से उसके माथे पर किस किया।
"मैं वादा करता हूँ मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ूँगा एडी। मैं तो तुम्हें कभी नहीं छोड़ूँगा। हाँ, अगर तुम खुद मुझसे दूर जाना चाहोगे तो मैं कुछ नहीं कर पाऊँगा।"
एडवार्ड नाराज़ होते हुए बोला,
"मैं क्यों तुम्हें छोड़ूँगा? मैं तो एक पल भी तुम्हारे बिना नहीं रह सकता।"
एडवार्ड का मुँह गुस्से से लाल टमाटर हो गया था। उसके लाल टमाटर जैसे गाल देखकर ड्रैगन के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई। वह उसके दोनों गालों को पिंच करते हुए बोला,
"एडी, तुम जब गुस्सा होते हो ना, तुम्हारे ये गाल लाल टमाटर की तरह हो जाते हैं। मन करता है इन्हें खा जाऊँ!!"
यह सुनकर एडवार्ड ने उसे पीछे धकेल दिया।
"खबरदार! जो तुमने मेरे गालों को खाने वाली नज़रों से देखा तो!"
"अच्छा, देखा तो क्या करोगे?"
एडवार्ड कुछ सोचा, फिर अचानक हाथ में पानी भरकर उसके ऊपर उछाल दिया।
ड्रैगन मुस्कुराया।
"अच्छा, मेरे साथ होशियारी? अभी बताता हूँ..." ड्रैगन उसकी कमर पर गुदगुदी करने लगा। एडवार्ड जोर-जोर से हँसने लगा। एडवार्ड भी उसे गुदगुदी करने लगा।
उन दोनों के हँसने की आवाज़ें चारों ओर गूंजने लगीं।
अतीत के पल याद कर एडवार्ड के चेहरे पर मुस्कान खिल गई...पर अगले ही पल वह मुस्कान उसके चेहरे से गायब हो गई और वापस से उदासी उसके चेहरे को घेर लेती है।
"ड्रैगन, तुमने मुझसे वादा किया था तुम कभी मुझे छोड़कर नहीं जाओगे, पर तुमने अपना वादा तोड़ दिया। जब मुझे तुम्हारी सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी, तुम मुझे छोड़कर चले गए। और अब जब इतने मुश्किल से मैंने तुम्हारे बिना जीना सीखा, तुम वापस मेरी ज़िन्दगी में आ गए। तुम इतना कैसे बदल गए?"
"वक़्त के साथ सब कुछ बदल जाता है, एडवार्ड।" पीछे से एक आवाज़ आई। एडवार्ड पीछे पलट देखने की भी मेहनत नहीं करता; वह जानता था पीछे कौन है।
MJ एडवार्ड के बगल में आकर बैठ गया।
"एडवार्ड, वक़्त के साथ सब कुछ बदल जाता है, इंसान भी। तुम खुद को ही देख लो। आज से 3 साल पहले तुम बिलकुल कितने अलग थे। तुम जरा सा खून देख लेते थे तो तुम्हारा सिर चकराने लग जाता था, और अब देखो तुम खून की होली खेलते हो। एक सीधा-साधा लड़का इटली की सबसे पावरफुल माफ़िया गैंग 'रेड नाइट' का सेकंड लीडर बन गया।"
एडवार्ड व्यंग्य से मुस्कुराते हुए बोला, "बना नहीं था, ज़बरदस्ती बनाया गया। मैं कभी इस काली दुनिया में नहीं आना चाहता था। ड्रैगन के धोखे ने मुझे यहाँ लाकर कैद कर दिया। मैं ड्रैगन को इसके लिए कभी माफ़ नहीं करूँगा। उसी की वजह से मैंने ये अँधेरी दुनिया चुनी।"
"एडवार्ड, मैं जानता हूँ तुम्हारे और ड्रैगन के बीच बोलने का हक़ नहीं है मुझे, पर मैं तुमसे फिर भी कहना चाहता हूँ, तुम्हें एक बार ड्रैगन से बैठकर बात कर लेनी चाहिए। शायद तुम्हें कोई मिसअंडरस्टैंडिंग हुई हो।"
"मुझे कोई मिसअंडरस्टैंडिंग नहीं हुई है, MJ। अगर वो गलत नहीं था तो यहाँ से भागा क्यों? मेरा सामना क्यों नहीं किया? उसने रातों-रात गायब हो गया। इतने कॉल किये, मैसेज किये, कोई रिप्लाई नहीं आया उसका। फिर अचानक एक साल बाद वापस आता है और अचानक से डैड का बिज़नेस पार्टनर बन जाता है। सब कुछ मेरे समझ से परे है। वो पहले वाला ड्रैगन नहीं रहा; वो बिलकुल बदल गया है।"
MJ आगे कुछ नहीं बोला। एडवार्ड अभी काफ़ी गुस्से में था; उसे अभी कुछ भी समझाना व्यर्थ था।
समर आज फिर से ऑडिशन देने आया था। वह साइड कैरेक्टर के लिए ऑडिशन देने आया था क्योंकि मैन लीड उसे मिलने वाला नहीं था, ऐसा उसे लगता था और कहीं न कहीं यह बात सच भी थी। समर की एक्टिंग अभी इतनी अच्छी नहीं थी कि वह मैन लीड का रोल प्ले कर सके। वहाँ पर फिल्म के सभी किरदारों के ऑडिशन चल रहे थे। एक बड़ा सा हॉल था जिसके केंद्र में बहुत सारे सोफ़े थे। ऑडिशन देने वाले सभी लोग वहीं पर बैठे थे। सामने छह रूम थे, जिनके अंदर ऑडिशन्स चल रहे थे। एक-एक कर सभी को अंदर बुलाया जा रहा था। समर दो कैरेक्टर्स के लिए ऑडिशन दे रहा था।
समर का २४वाँ नंबर था। अभी २३वाँ चल रहा था। कुछ देर बाद नंबर २३ बाहर आ गया। उसके बाहर आते ही एक लड़की वहाँ आई और कहा, "नंबर २४, समर सरीन।" अपना नाम सुनकर समर तुरंत खड़ा हो गया।
"येस मैम!"
"आपका नंबर आ गया है। रूम नंबर ४ में जाइए।"
समर तेजी से रूम के अंदर चला गया। समर रूम के अंदर एंटर करता है। वहाँ एकदम शांति थी। सेंटर में सोफ़े पर दो लोग बैठे हुए थे। उनके सामने एक छोटा सा स्टेज था। उन्होंने इशारे से समर को वहाँ जाने के लिए कहा। उनका इशारा समझकर समर स्टेज पर चला गया।
समर अपने पॉकेट से स्क्रिप्ट निकाली और उसे एक बार पढ़ा। पढ़ने के बाद वह वापस उसे पॉकेट में रख देता है।
उन आदमियों में से एक आदमी बोला, "शुरू करो।"
समर अपनी लाइन्स बोलना शुरू करता है।
समर की एक्टिंग देख उन दोनों के चेहरे पर हल्की सी चिढ़ नज़र आ रही थी। उन्हें देखकर लग रहा था कि वे समर की एक्टिंग से बिल्कुल भी खुश नहीं हैं।
उनमें से एक समर को बीच में ही रोक देता है।
"क्या कर रहे हो? एक्टिंग कर रहे हो या किसी छोटे बच्चे को कहानी सुना रहे हो? कोई एक्सप्रेशन ही नहीं है। ऐसे एक्ट करते हैं? सिर्फ़ अच्छी शक्ल होने से एक्टर नहीं बन जाता। शक्ल के साथ-साथ और भी बहुत कुछ चाहिए होता है..."
उनकी बात सुन समर एकदम से मायूस हो जाता है। उसने इस बार बहुत मेहनत की थी। मायूस होकर वह वहाँ से जाने लगता है, पर तभी उनमें से एक आदमी बोलता है, "रुको।"
समर पीछे पलटता है तो वह आदमी उंगली से इशारा करके अपने पास बुलाता है।
"तुम्हें एक्टिंग तो बिल्कुल भी नहीं आती है। अगर यही हाल रहा तो ज़िंदगी भर ऑडिशन ही देते रहोगे। लेकिन तुम्हारे पास एक प्लस पॉइंट है, वो है तुम्हारा ये चेहरा। मैं तुम्हें एक ऑफर देता हूँ। मैं तुम्हारी मदद करूँगा। मैं तुम्हें साइड कैरेक्टर नहीं, मैन लीड का रोल दिला दूँगा। उसके साथ-साथ मैं तुम्हें फ्री एक्टिंग क्लास भी दिला दूँगा। पर इस सब के बदले तुम्हें भी मुझे कुछ देना होगा!!"
उस आदमी के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ जाती है। उसकी मुस्कान देख समर सब समझ जाता है। इतना बेवकूफ़ नहीं था वह। इतने समय से ऑडिशन देकर वह यहाँ के लोगों को अच्छे से समझने लगा था।
समर स्ट्रेट फ़ेस के साथ कहता है, "आपको जो मुझसे चाहिए, वो मैं आपको देने में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं हूँ!!"
"सोच समझकर फैसला लो, लड़के। मेरे इस इंडस्ट्री में बहुत सारे कॉन्टैक्ट्स हैं। मैं रातों-रात बड़े-बड़े डायरेक्टर्स की फिल्म तुम्हें दिला सकता हूँ।" वो आदमी हल्की तेज आवाज़ में कहता है।
समर हल्के गुस्से में कहता है, "नहीं चाहिए मुझे ऐसी फ़िल्में जिनके लिए मुझे अपनी इज़्ज़त गँवानी पड़े!!"
समर को अकड़ते देख वो आदमी गुस्से से आग बबूला हो जाता है।
"तुम जानते हो मैं कौन हूँ? मैं विपिन अरोड़ा हूँ। आज तक मैंने इतने सेलेब्स का करियर बनाया है। तुम्हारे पास एक गोल्डन ऑपॉर्च्युनिटी थी, तुमने उसे मिस कर दी!!"
समर चिढ़ते हुए कहता है, "उसे गोल्डन ऑपॉर्च्युनिटी नहीं, ब्लैक ऑपॉर्च्युनिटी कहते हैं। आप अपनी ये ऑपॉर्च्युनिटी अपने पास ही रखें और किसी बिकाऊ को दे देना जो तुम्हारे साथ सोने को तैयार हो जाए।"
"तुम जैसे बूढ़े, मोटे टोंडू के साथ सोने से अच्छा मैं ज़हर खा लूँ। पेट देखा है कभी अपना? ध्यान रखना कोई सुई-बार सारी गैस न निकाल दे। बड़ा आया मेरे साथ सोने वाला! पता नहीं किसने तुम्हें यहाँ बिठा दिया। मैं तो तुम्हें अपना दुश्मन भी न रखूँ!!" समर को उस पर तेज गुस्सा आया हुआ था। ऐसे गंदे लोग पता नहीं कितने मासूम लोगों को ज़िंदगी भर का ट्रॉमा दे देते हैं। समर को रोल तो मिलने वाला नहीं था, इसलिए उसने सोचा जाते-जाते इसकी बैंड बजा दे।
समर उसे अच्छे से सुनाकर बाहर चला जाता है। विपिन अरोड़ा उसे जाते हुए देखता रहता है।
"इस लड़के की इतनी हिम्मत! ये मेरे मुँह पर मेरी बेइज़्ज़ती करे! अब मैं भी देखता हूँ अब कैसे ये इंडस्ट्री में आएगा। इसके इंडस्ट्री में आने के सारे रास्ते बंद कर दूँगा। फिर देखना कैसे गिड़गिड़ाते हुए मेरे पास आता है।"
समर गुस्से से केबिन से बाहर आ जाता है। इस वक्त उसको बहुत ज़्यादा गुस्सा आ रहा था। उसका मन तो कर रहा था उसे विपिन का मुँह तोड़ दें।
समर का मन अभी के अभी यहाँ से निकल जाने का कर रहा था, पर अभी वह नहीं जा सकता था। उसका एक और ऑडिशन बाकी था। समर अपने आप को कूल करने के लिए एक कोका-कोला की बोतल ले आता है और सोफ़े पर पसर जाता है। कोला पीने के बाद उसका गुस्सा काफ़ी हद तक कम हो जाता है।
तभी उसके बगल में मास्क लगाए हुए एक लड़का आकर बैठता है। समर उसकी ओर देखता है।
"शक्ल कैसी है तुम्हारी?"
वो लड़का हैरानी से उसे देखता है।
"एक्सक्यूज़ मी!"
"मास्क लगा रखा है, वरना मैं खुद ही देख लेता। बताओ कैसी शक्ल है तुम्हारी? हैंडसम हो या नहीं?" समर भौंहें चढ़ाते हुए कहता है।
वो लड़का अजीब तरीके से उसे देखता है। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था समर क्या कह रहा है।
"आप कहना क्या चाहते हैं? कुछ समझ नहीं आ रहा?" वो भौंहें चढ़ाते हुए कहता है।
समर ठंडी साँस छोड़ते हुए कहता है, "बताना तो नहीं चाहिए, पर बता देता हूँ। तुम सीधे लग रहे हो, सिर्फ़ इस वजह से तुम्हें बता रहा हूँ, वरना टेढ़े लोगों को तो मैं खुद कूड़े में धक्का देकर गिरा दूँ। सुनो, उस रूम नंबर ४ में एक ठग बैठा है जो लोगों की शक्ल देख उन्हें काम दे रहा है। अगर तुम्हारी अच्छी शक्ल है तो अंदर मत जाना, वो तुम्हें खुद के साथ सोने का ऑफर देगा। अगर तुम उसके साथ सोने को तैयार हो तो बेशक जाओ, उसे तुम्हारे जैसे ही लोग चाहिए। और अगर तुम उसके साथ सोना नहीं चाहते तो अंदर मत जाना। अगर तुम उसका प्रपोज़ल रिजेक्ट कर दोगे तो वो तुम्हें इस इंडस्ट्री में कहीं कभी भी घुसने नहीं देगा। इसलिए सोच समझकर फ़ैसला लो। अगर तुम्हें उसके साथ सोने से कोई दिक्कत नहीं है तो तुम ज़रूर अंदर जाओ, लेकिन अगर तुम उसके साथ सोना नहीं चाहते तो बिल्कुल भी अंदर मत जाना। ख़ामख़ा अपने करियर को शुरू होने से पहले ही बर्बाद कर लोगे। ऑडिशन तो होते रहेंगे!!"
समर की बात सुन उस लड़के की आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती हैं। वो अजीब नज़रों से समर को देख रहा था।
खुद को यूँ घूरता पाकर समर कहता है, "क्या हुआ? ऐसे क्यों देख रहे हो? विश्वास नहीं है तो मुझसे पहले जिन लोगों ने ऑडिशन दिए हैं उनसे पूछ लो!!" समर कंधे उठाते हुए कहता है।
वो लड़का समर को घूरते हुए कहता है, "उसने तुम्हें भी प्रपोज़ल दिया था क्या?"
समर घमंड के साथ कहता है, "मैंने कहाँ ना? वो खूबसूरत लोगों को ऑफर दे रहा है तो यूं वो मुझे भी ऑफर देगा ही ना। मैं तो बिल्कुल एंजेल जैसा दिखता हूँ। कभी-कभी तो मुझे लगता है भगवान ने मुझे बड़ी फ़ुरसत से बनाया है। लुक एट मी, हाउ गॉर्जियस आई एम!! 😂 😂 (समर हैंडसम)"
समर की बातें सुन उस लड़के को हँसी आ जाती है।
वह लड़का समर को घूरते हुए कहता है, "उसने तुम्हें भी प्रपोजल दिया था क्या?"
समर घमंड के साथ कहता है, "मैंने कहाँ ना? वो खूबसूरत लोगों को ऑफ़र दे रहा है, तो obviously वो मुझे भी ऑफ़र देगा ही ना। मैं तो बिलकुल एंजेल जैसा दिखता हूँ। कभी-कभी तो मुझे लगता है भगवान ने मुझे बड़ी फुरसत से बनाया है। Look at me, how gorgeous I am!! 😂😂 (समर हैंडसम)"
समर की बातें सुन उस लड़के को हँसी आ जाती है।
खुद को यूँ घूरता पाकर समर कहता है, "क्या हुआ? ऐसे क्यों देख रहे हो? विश्वास नहीं है तो मुझसे पहले जिन लोगों ने ऑडिशन दिए हैं उनसे पूछ लो!!" समर कंधे उठाते हुए कहता है।
वह लड़का समर को घूरते हुए कहता है, "उसने तुम्हें भी प्रपोजल दिया था क्या?"
समर घमंड के साथ कहता है, "मैंने कहाँ ना? वो खूबसूरत लोगों को ऑफ़र दे रहा है, तो obviously वो मुझे भी ऑफ़र देगा ही ना। मैं तो बिलकुल एंजेल जैसा दिखता हूँ। कभी-कभी तो मुझे लगता है भगवान ने मुझे बड़ी फुरसत से बनाया है। Look at me, how gorgeous I am!! 😂😂 (समर हैंडसम)"
समर की बातें सुन उस लड़के को हँसी आ जाती है।
समर की बातें सुन उस लड़के को हँसी आ जाती है।
"तुम खुद को कुछ ज़्यादा ही पसंद करते हो??"
समर बड़ी सी मुस्कान के साथ कहता है, "हाँ, और करना भी चाहिए। जो इंसान खुद से प्यार नहीं कर सकता, वो कभी किसी और से भी प्यार नहीं कर सकता। ये मेरी सोच है!! खुद से प्यार करने का मतलब ये बिलकुल भी नहीं है कि आप सेल्फ़िश बन जाओ और दूसरों के साथ गलत व्यवहार करो। बस मैं चाहता हूँ सभी बाकी सभी के साथ, खुद से भी प्यार करें।"
"आप खुद को जानो, पहचानो। इससे चीजों को समझने की समझ आती है।" बोलते-बोलते एकदम से समर रुक जाता है।
उसे ऐसे रुकता देख वह लड़का कहता है, "क्या हुआ? तुम अचानक से यूँ चुप क्यों हो गए?"
समर मुँह बिचकाकर कहता है, "मुझे लगा मैं मोटिवेशनल स्पीकर की तरह साउंड कर रहा हूँ, जो मेरे लिए काफी अजीब है। मुझे नहीं पसंद ये मोटिवेशनल स्पीकर... क्योंकि इनका दिया मोटिवेशन दो मिनट तक नहीं टिकता... मेरी नज़र में सबसे बड़ा मोटिवेशन पैसा है... पैसे के लिए इंसान कुछ भी करने को तैयार हो जाता है.... मुझे ही देख लो, पैसों के लिए मैंने एक फिल्म में खड़ूस साँस का रोल किया... Look at me, मेरा जैसा हैंडसम लड़का कैसा लगा होगा साँस के रोल में? Weird!" समर मुँह बनाते हुए कहता है।
"पैसा इंसान से बहुत कुछ गलत भी करवा देता है, इसलिए उसका बहुत ज़्यादा मोह अच्छा नहीं है... वेट, मैं फिर से मोटिवेशनल स्पीकर की तरह बात कर रहा हूँ। हो क्या गया है आज मुझे? मेरे अंदर से ये अच्छी-अच्छी बातें कैसे निकल रही हैं? कहीं मेरी तबियत तो ख़राब नहीं हो गई? मैं ऐसा तो बिलकुल भी नहीं था। बस अब और इस मुद्दे पे बात नहीं होगी।" समर अपने होठों पर उँगली रख देता है।
उसकी हरकतों पर उस लड़के को बहुत हँसी आ रही थी।
"वैसे तुम यहाँ सपोर्टिंग रोल के लिए ऑडिशन देने आए थे?"
समर हाँ में सर हिलाता है।
"क्यों?"
समर उसे घूरता है, "क्यों? मैं नहीं दे सकता?"
"नहीं, मेरा वो मतलब नहीं था। I mean, तुमने मेन लीड के लिए क्यों अप्लाई नहीं किया?"
समर उसे घूरते हुए कहता है, "यहाँ मेरी एक्टिंग देख कोई मुझे साइड कैरेक्टर का रोल भी नहीं दे रहा। तुम्हें लगता है कि मुझे मेन लीड का रोल देगा? कहना awkward लग रहा है, पर मेन लीड अभी मेरी औक़ात से बाहर है।"
"तुम खुद को इतना अंडर कॉन्फिडेंट क्यों समझ रहे हो??"
"मैं अंडर कॉन्फिडेंट नहीं हूँ!! मैं ईमानदार हूँ अपने आप से। मैं जानता हूँ मेरी एक्टिंग कैसी है। मुझे अभी बहुत improve करने की ज़रूरत है।"
यह सुन वह लड़का मुस्कुरा देता है, "तुम ज़रूरत से ज़्यादा ऑनेस्ट हो।"
"हम्म, वो तो मैं हूँ!! इसी वजह से अक्सर मैं प्रॉब्लम्स में फँस जाता हूँ, जैसे कुछ देर पहले फँसा था।" समर मुस्कुराते हुए कहता है।
समर आगे कहता है, "मैंने यहाँ बहुत ऑडिशन्स दिए हैं। मैं अब काफी हद तक इस इंडस्ट्री के लोगों को जानने लगा हूँ।"
"अच्छा, किसे-किसे जानने लगे हो?" लड़का बोलते हुए चढ़ता है।
"बहुतों को!!" समर सामने लगी निक की फ़ोटो को देखते हुए कहता है।
"नाम बता सकते हो उनके?"
"नाम क्या? मैं तो उनके कर्मकांड भी बता सकता हूँ!" समर मुँह बनाते हुए कहता है।
"अच्छा, फिर बताओ?"
समर लंबी साँस अंदर भरता है, फिर उसे छोड़ते हुए कहना शुरू करता है, "सबसे पहले तो ये विनय चोपड़ा, एक नंबर का कमिना। नए लड़कों को स्टार बनाने का ऑफ़र देता है। वो बेवकूफ़ लड़के इसकी बातों में आ जाते हैं। उनके साथ कुछ रातें बिताता है। जब इसका मन भर जाता है तो उन्हें यूज़्ड टिश्यू की तरह फेंक देता है।"
"एक वो कामिनी आडवाणी, एक नंबर की घमंडी औरत। उसे अगर कोई मैम ना कहे तो आँखें फेंक कर मारती है। ऐसा लगता है आँखों से ही कत्ल कर देगी। बहुत ज़्यादा घमंड भरा पड़ा।"
"और वो संजय राणा, न्यू कमर्स लड़कियों को गंदी नज़रों से देखता है... ये पूरी इंडस्ट्री ऐसे ही लोगों से भरी पड़ी है। बहुत कम लोग हैं यहाँ जो अच्छे हैं।"
वह लड़का कुछ देर शांत रहता है, फिर कहता है, "निक अल्बर्टो के बारे में क्या ख्याल है तुम्हारा?"
निक का नाम सुनते ही समर के एक्सप्रेशन एकदम से चेंज हो जाते हैं।
"क्या हुआ? उसके बारे में कुछ नहीं कहना? वो तुम्हें अच्छा लगता है?"
समर मुँह बिगाड़ते हुए कहता है, "सी सी क्या बोल रहे हो? वो और अच्छा बिलकुल भी नहीं। एक नंबर का बिगड़ैल, नकचड़ा, ईगो से भरा, ऐटिटूड तो उसका सातवें आसमान पर होता है। हर तीसरे दिन नई-नई एक्ट्रेस के साथ उसकी लिंकअप की खबर आती रहती है। प्रोड्यूसर है तब ये हाल है, एक्टर होता तो पता नहीं अपनी को-स्टार्स के साथ क्या-क्या करता। भगवान का शुक्र है वो एक्टर नहीं है। अगर वो एक्टर होता तो उसके साथ काम करना मुश्किल हो जाता। कोई नहीं झेल सकता उस आदमी को, मैं तो बिलकुल भी नहीं!!" समर आँखें घुमाते हुए कहता है।
समर आगे कहता है, "उसकी तो आवाज से ही गंदेपन की गंध आती है और उसके चेहरे को देखते ही पता चल जाता है वो कितना पापी है। ये निक तो सब से गया-गुजरा है। मैं तो कपड़े में नाक देकर मर जाना पसंद करूँगा पर इसके साथ कभी काम नहीं करूँगा।"
जैसे-जैसे समर निक के बारे में बोलता जा रहा था, उस लड़के के चेहरे के भाव एकदम बदलते जा रहे थे। उसकी आँखों में गुस्सा नज़र आने लगा था।
वह गुस्से से सोफे पर से उठता है और वहाँ से तेज़ी से बाहर निकल जाता है।
उसे अचानक यूँ जाते देख समर को थोड़ा अजीब लगता है। "इसे क्या हुआ? ऐसे बुलेट ट्रेन की स्पीड से क्यों निकल गया? लगता है उस निक का नाम सुनकर उसका भी मूड ऑफ हो गया है!!"
वो लड़का हॉल से बाहर आकर एक केबिन में घुस जाता है। वहाँ एक आदमी पहले से मौजूद था। वो लड़का गुस्से में अपने चेहरे पर से मास्क हटाता है और उसे नीचे फेंक देता है। उसकी आँखें इस वक़्त एकदम सर्द थीं। ये देख सोफे पर बैठा आदमी कहता है, "निक, क्या हुआ? तुम इतने गुस्से में क्यों लग रहे हो?"
निक उसकी बात का कोई जवाब नहीं देता।
वो आदमी फिर से अपना सवाल दोहराता है, "क्या हुआ निक?"
निक उसके सवाल को इग्नोर करते हुए तेज़ आवाज़ में कहता है, "संजय! मेन लीड ऑडिशन अभी के अभी बंद करवाओ!!" संजय हैरानी से उसे देखता है, "व्हाट? पर क्यों??"
निक उसे घूरते हुए कहता है, "क्योंकि मुझे मेन लीड मिल गया है!! अब ऑडिशन की कोई ज़रूरत नहीं है।"
संजय ना-समझी से उसे देखता है, "निक, तुम भी हद करते हो! आधे घंटे पहले तो तुम मुझे और कैंडीडेट्स लाने को कह रहे थे ऑडिशन्स के लिए। अब अचानक तुम कह रहे हो तुम्हें मेन लीड मिल गया। चल क्या रहा है तुम्हारे दिमाग़ में?" संजय हैरानी भरी नज़रों से उसे देख रहा था।
"हाँ, मैंने कहा था और अब भी मैं ही कह रहा हूँ, मुझे मेन लीड मिल गया है, सो मुझे अब और ऑडिशन्स नहीं लेने।"
"अच्छा, ठीक है। मैं ऑडिशन बंद करवा देता हूँ, पर तुम ये तो बताओ तुमने किसे सेलेक्ट किया है?"
"हाल ही में एक लड़का है जिसने ब्लू कलर की शर्ट, व्हाइट कलर की पैंट पहन रखी है। नीचे उसने रेड कलर के शूज़ पहने हैं। उसके लेफ्ट हाथ में एक सिल्वर कलर की रिंग है, राइट हाथ में एक ब्लू कलर की वॉच है। शू लेस खुले हुए हैं। एक पुराना सा सैमसंग का फोन है... गर्दन के पीछे एक ऑयल का टैटू है। मैंने उसे ही एज़ ए मेन लीड सेलेक्ट किया है।" निक एक साँस में सब कह जाता है।
निक की बात सुन संजय का मुँह खुल गया था। "निक, तुमने उसे इतना डीपली नोटिस किया था?" संजय बोहे चढ़ाते हुए कहता है।
ये सुन निक को कुछ खटकता है। "व्हाट? मैंने उसे इतना डीपली नोटिस किया था? क्यों?" निक अपने आप से ही सवाल करता है।
निक की बातें सुन संजय का सर घूमने लग जाता है। वो कई सालों से निक के साथ काम कर रहा था। कभी-कभी तो निक उसे बिलकुल समझ नहीं आता था।
निक की बातें सुन संजय का सर घूमने लग जाता है। वो कई सालों से निक के साथ काम कर रहा था। कभी-कभी तो निक उसे बिलकुल समझ नहीं आता था।
निक कहता है, "और शाम तक मुझे उस लड़के की सारी इनफॉर्मेशन चाहिए। कहाँ रहता है? क्या करता है? क्या खाता है? कहाँ-कहाँ घूमने जाता है? कौन-कौन दोस्त है? सिंगल है या नहीं? अच्छा होगा अगर वो सिंगल हो तो, वरना मुझे उसे डबल से वापस सिंगल करने की मेहनत करनी पड़ेगी।"
ये सुन संजय हैरानी से उसे देखता है, "व्हाट? निक, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। तुम्हें उसके सिंगल होने या ना होने से क्या फर्क पड़ता है? तुम उसे फिल्म में मेन लीड का रोल दे रहे हो या अपनी ज़िंदगी में?" संजय आँखें छोटी कर कहता है।
"दोनों में!!" निक एक्सप्रेशनलेस फ़ेस के साथ कहता है।
ये सुन संजय का मुँह खुल जाता है, "व्हाट आर यू सीरियस?"
निक गुस्से से उसे घूरते हुए कहता है, "आई एम डैम सीरियस!! मुझे वो चाहिए हर कीमत पर!! He called me बदमाश, लॉफर, गंदा गेट्स..." संजय मुँह बनाते हुए कहता है, "वो तो हर कोई तुम्हें कहता है!! मीडिया में तुम्हारी इमेज ही ऐसी है। और वैसे तुम्हें तो कभी इस चीज़ से फ़र्क नहीं पड़ा तो आज उस मामूली से लड़के के कहने से इतना क्यों फ़र्क पड़ रहा है? इग्नोर करो?"
"आई कांट। मुझे किसी के कहने से फ़र्क नहीं पड़ता, पर पता नहीं उसके कहने से क्यों फ़र्क पड़ रहा है!!" निक तेज़ आवाज़ में कहता है।
"उसने मुझे नकचड़ा भी कहा है!!"
"हाँ, वो तो तुम हो!! इस में बुरा मानने वाली क्या बात है? कुछ झूठ थोड़ी ना कहा है? तुम्हें भी पता है तुम ऐसे हो।" संजय हाथ झटकते हुए कहता है।
निक मुँह बनाकर कहता है, "हाँ, हूँ। पर वो कौन होता है मुझे ये सब कहने वाला!!"
"निक, मुझे लगता है तुम्हारा दिमाग़ आज कुछ ठीक नहीं है। तुम उस लड़के को कुछ ज़्यादा ही इम्पॉर्टेंस दे रहे हो!!"
निक गुस्से में कहता है, "उसने ये भी कहा है कि वो मर जाना पसंद करेगा पर कभी मेरे साथ काम नहीं करेगा!!"
"उसने ऐसा कहा?" संजय मुँह पर हाथ रखते हुए कहता है।
"हाँ!!" निक गुस्से से कहता है।
"ये तो अब ज़्यादा हो गया। उसे ऐसा नहीं कहना चाहिए था। तो इस लिए तुमने उसे मेन लीड का रोल दिया है!!"
"हाँ!!" निक ठंडी साँस छोड़ते हुए कहता है।
संजय गुस्से में कहता है, "अच्छा, ठीक है। मैं बाहर देखकर आता हूँ कौन है जिसने तुम्हें इतना भला-बुरा बोलने की हिम्मत की है।"
निक हाँ में सर हिला देता है।
संजय गुस्से में कमरे से बाहर जाता है। लेकिन रूम से बाहर निकलते ही उसके चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ जाती है। "कौन है वो एंजेल है जिसने इस सनकी को परेशान करके रख दिया? सबको इर्रिटेट करने वाला 'द निक अल्बर्टो' को इर्रिटेट करना इतना आसान नहीं है। पक्का कुछ तो बात होगी उसमें!! लगता है मेरी अच्छी जमेगी इसके साथ..."
संजय हॉल में चारों ओर अपनी नज़रें फिराता है। "हम्म, ब्लू शर्ट कहाँ हो तुम?" तभी उसकी नज़र कोने में बैठे एक लड़के पर पड़ती है। संजय उसे अच्छे से देखता है। निक ने जो उसे बताया था वो सब उस लड़के में था।
"हम्म, तो ये है वो एंजेल..."
"इंटरेस्टिंग लग रहा है काफ़ी। इसके साथ दोस्ती करनी पड़ेगी।"
संजय मुस्कुराता है, फिर सर झटक वहाँ से बाहर चला जाता है।
अनिरुद्ध ने एरिया का राउंड मारकर वापस पुलिस स्टेशन में प्रवेश किया। जैसे ही वह अपने केबिन में आया, उसने देखा कि उसके टेबल पर एक सिल्वर कलर का बॉक्स रखा हुआ था। अनिरुद्ध हैरानी से बॉक्स को देखने लगा। "ये बॉक्स यहाँ किसने रखा है?"
अनिरुद्ध ने हवलदार को आवाज लगाई। 10 सेकंड बाद, एक 27-28 वर्षीय आदमी अंदर आया। "जी सर!!"
"रुप, ये बॉक्स यहाँ कौन रखकर गया है?" अनिरुद्ध ने सख्त आवाज में कहा।
बॉक्स को देखकर रुप सरकाने लगा। "पता नहीं सर!!"
"अच्छा, बाकी सबको बुलाओ!"
"जी सर!!" रुप तुरंत केबिन से बाहर चला गया।
कुछ देर में रुप सभी लोगों को बुलाकर ले आया।
अनिरुद्ध ने सबकी तरफ देखते हुए कहा, "किसी को पता है ये बॉक्स मेरे केबिन में कैसे आया? कोई आया था मेरे केबिन में मेरे जाने के बाद?"
सब ने ना में सिर हिला दिया। यह देख अनिरुद्ध को गुस्सा आ गया। अनिरुद्ध गुस्से से उन सब को घूरते हुए बोला, "क्या बात है! दिन-दहाड़े पुलिस स्टेशन के अंदर आकर मेरे केबिन में कोई यह बॉक्स रखकर चला गया और किसी को पता ही नहीं! क्या कर रहे थे सब!!"
सभी सिर झुकाकर खड़े हो गए।
अनिरुद्ध को उन सब पर बहुत गुस्सा आया, पर उम्र का लिहाज करते हुए वह चुप हो गया। वे सब उससे बड़े थे।
"जाइए आप सब यहाँ से!!" अनिरुद्ध चिढ़कर बोला।
सब गोली की स्पीड से वहाँ से निकल गए।
उन सब के जाने के बाद अनिरुद्ध ने बॉक्स खोला। उसके अंदर एक रेड रोज़ निकला। गुलाब के नीचे एक लेटर भी था। अनिरुद्ध ने लेटर पढ़ना शुरू किया... "Love!! तुम्हें गुलाब बहुत पसंद है ना!!"
अनिरुद्ध मुँह बनाते हुए बोला, "लेकिन अब पसंद नहीं है।" यह कहकर वह गुस्से में उस गुलाब को कचरे के डब्बे में फेंक दिया।
अनिरुद्ध ने लेटर को भी आगे नहीं पढ़ा। उसने उसे भी फाड़कर कचरे के डब्बे में फेंक दिया।
"प्रॉब्लम क्या है इस आदमी की? क्यों मेरे पीछे पड़ा हुआ है? हर वक्त अपने होने का एहसास दिलाता रहता है!! ज़रूरत से ज़्यादा मेरी लाइफ में एंटर होने की कोशिश कर रहा है। कुछ तो करना होगा इसका!!"
अल्बर्टो मैंशन....
लीओनार्डो (अल्बर्टो का पिता) बार एरिया में बैठकर ड्रिंक कर रहा था। लियोनार्डो की उम्र 42 वर्ष थी, पर वह दिखने में किसी भी एंगल से 42 का नहीं लगता था। उसे देखकर लगता था कि वह अभी सिर्फ 30 साल का है।
उसके बगल में एकदम 29 साल का लड़का भी खड़ा था। लियोनार्डो की तबियत कुछ दिन से खराब चल रही थी। डॉक्टर ने उसे ड्रिंक करने से साफ-साफ मना किया था, पर फिर भी वह ड्रिंक कर रहा था। उसके बगल में खड़े लड़के के चेहरे पर हल्का गुस्सा नज़र आ रहा था।
"बस भी कीजिए अब और कितना पिएंगे आप? डॉक्टर ने मना किया था ड्रिंक करने से..." वो लड़का हल्की चिढ़ के साथ बोला।
लियोनार्डो के चेहरे पर मुस्कान आ गई। "तुम्हें मेरी चिंता है नीर?"
नीर ने बिना किसी भाव के कहा, "चिंता तो होगी ही ना। आप मालिक हो मेरे। खरीदा है आपने मुझे!! आप का गुलाम हूँ अब। जिंदगी भर मुझे आप की चिंता तो करनी ही पड़ेगी, चाहे मेरी मर्ज़ी हो या नहीं?"
नीर की बातें सुनकर लियोनार्डो के चेहरे पर आई मुस्कान एकदम से फीकी पड़ गई।
लियोनार्डो की आँखों में उदासी छा गई। "कब तक मुझसे नाराज़ रहोगे?"
नीर व्यंग्य से मुस्कुराते हुए बोला, "मैं आपसे नाराज़ कैसे हो सकता हूँ? एक गुलाम को अपने मालिक से नाराज़ होने का हक़ नहीं होता।"
"क्यों कर रहे हो तुम ऐसा मेरे साथ? भूल क्यों नहीं जाते पुरानी बातें?"
"मैं तो भूल ही गया हूँ। याद है तो बस एक चीज़ की- मेरी हैसियत सिर्फ एक गुलाम की!!"
नीर की तीखी बात सुनकर लियोनार्डो का सब्र टूट गया। वह गुस्से में दीवार पर कांच का ग्लास फेंक मारा।
उसके इस हरकत से नीर घबरा गया।
लियोनार्डो गुस्से से उसकी बाजू पकड़ते हुए बोला, "प्रॉब्लम क्या है तुम्हारी? तुम जानते हो इन बातों से मैं हर्ट होता हूँ, फिर भी जानबूझकर मुझे तकलीफ देने के लिए तुम ये सब बातें बोलते हो। मुझे हर्ट करना है तो किसी और तरीके से कर लो। खुद को बार-बार ज़लील क्यों करते हो? प्लीज़, मुझे तकलीफ देने के लिए खुद को अपनी नज़रों में मत गिराओ!!"
नीर की आँखों में पानी जमा हो गया। वह पूरी कोशिश कर रहा था कि वह रोए ना।
लियो ने झटके से उसका हाथ छोड़ दिया और तेज़ी से वहाँ से बाहर चला गया।
उसके जाते ही नीर की आँखों में जमा पानी बह गया। वह फूट-फूट कर रोने लगा।
दरवाज़े के बाहर खड़ा लियोनार्डो उसे रोते हुए देख रहा था। उसका दिल कर रहा था कि वह अभी के अभी उसके पास चला जाए और अपने सीने से लगाकर उसे शांत करवा दे, पर इस वक्त उसका नीर के पास जाना सही नहीं था।
"बहुत जिद्दी है ये लड़का। खुद को तकलीफ देने में पता नहीं कौन सा मज़ा आता है इसे!!"
"छुप-छुप कर रोता रहेगा। मेरे सामने एक आँसू नहीं निकालता!! मुझे लगता था मेरे बेटे सबसे अड़ियल जिद्दी हैं, पर ये तो उनका भी बाप निकला।"
कुछ देर रोने के बाद नीर खड़ा हुआ और कांच के टुकड़े उठाने लगा। वह हड़बड़ी में टुकड़े उठा रहा था, जिस वजह से उसके हाथ में कांच चुभ गया। वह दर्द से कराह उठा। उसके कराहने की आवाज़ सुनकर लियो उसकी तरफ दौड़ा, पर अचानक ही वह रुक गया और वापस बाहर चला गया। बाहर जाते ही उसने एक सर्वेंट को फ़र्स्ट ऐड बॉक्स लेकर अंदर जाने को कहा क्योंकि नीर कभी उससे पट्टी नहीं करवाता। उसके लिए उसकी जिद उसके दर्द से ज़्यादा बड़ी थी।
सर्वेंट जल्दी से उसके पास गया और उसे पट्टी करने लगा। सर्वेंट का नीर को छूना लियो के तन-बदन में आग लगा रहा था।
"बहुत परेशान कर रहा है ये लड़का मुझे। एक दिन जब इसकी ये नाराज़गी ख़त्म होगी, तब मेरी नाराज़गी शुरू होगी। अपनी हर तकलीफ का बराबर बदला लूँगा इससे..."
कबीर इंटरव्यू के लिए आया हुआ था। इंटरव्यू का टाइम 1 बजे का था, पर 2 बजने को आए थे, अभी तक इंटरव्यू स्टार्ट नहीं हुआ था। इर्रिटेट होकर कबीर इधर-उधर चक्कर काटने लगा। पाँच मिनट चक्कर काटने के बाद कबीर रिसेप्शन पर गया। "एक्सक्यूज़ मी, ब्यूटीफुल लेडी, मेरा इंटरव्यू 1 बजे होने वाला था। अभी 2:30 बज गए हैं। मेरा इंटरव्यू आज होगा कि नहीं? आप के बॉस को टाइम की जरा भी क़द्र नहीं है क्या? इतने बड़े ऑफ़िस पे होकर इतना अनप्रोफ़ेशनल बिहेवियर!! वो बॉस होकर खुद ही लेट आएंगे तो एम्प्लॉई से क्या उम्मीद रखेंगे!!"
रिसेप्शन पर एक सुंदर सी लड़की थी। जिसकी ब्यूटी से कबीर बिल्कुल इम्प्रेस नहीं था। कबीर का टाइप सब से अलग था। अक्सर उसे वो लड़कियाँ पसंद आती थीं जो मेजॉरिटी ऑफ़ लोगों को पसंद नहीं आती थीं।
वह लड़की कुछ पल के लिए तो कबीर की खूबसूरती में ही खो गई थी। कबीर लगातार उससे कुछ-कुछ बोल रहा था, जिस पर उसका बिल्कुल भी ध्यान नहीं था।
कबीर कई देर से बोल रहा था। 10 मिनट लगातार बोलने के बाद उसे एहसास हुआ कि वह लड़की तो उसकी बात सुन ही नहीं रही थी। उसका ध्यान तो उसके चेहरे को निहारने में था।
कबीर उसकी आँखों के सामने चुटकी बजाते हुए बोला, "शर्म नहीं आती हाँ क्या आप को? घर में भाई-बाप नहीं हैं? सरेआम अबला लड़के को गंदी नज़रों से देख रही हो। मैं बता देता हूँ, मैं ऐसा-वैसा लड़का नहीं हूँ। हाँ, कभी-कभी ऐसा-वैसा लड़का बन जाता हूँ, पर आज मैं इंटरव्यू देने आया हूँ, वो भी सीधा-साधा लड़का बनकर। सो प्लीज़, आँखों से मेरी इज़्ज़त ना लूटो!! मैं अच्छे घर का लड़का हूँ..."
कबीर की बात सुनकर वह लड़की हड़बड़ा गई। "सॉरी सर, आप गलत समझ रहे हैं। मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था।"
कबीर हाथ दिखाते हुए बोला, "बस कीजिए मैडम। आप जैसी लड़कियों को अच्छे से जानता हूँ। खूबसूरत लड़का देखा नहीं कि हो गई शुरू..."
उन दोनों की बहस की आवाज़ सुनकर एक लड़का वहाँ आया। "क्या हुआ काव्या?"
कबीर ने कहा, "उसे छोड़िये, पहले आप ये बताइये, ये इंटरव्यू कब होगा? इतनी देर से मैं आपसे बात करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन आप तो अपने केबिन से बाहर कदम ही नहीं रख रहे थे। बताइये, कब होगा इंटरव्यू? 1 बजे का बोला था, अभी तो 3 बज गए हैं। ऐसे कौन से ट्रैफिक में फँसे हुए हैं वो, जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा।"
कबीर को बिगड़ते देख, वो लड़का बोला, "सॉरी, पर इंटरव्यू 3:30 का था। आप टाइम से आ जाओ, इसलिए आपको टाइम से पहले बुला लिया। दरअसल, हमारे बॉस कुछ ज़्यादा ही स्ट्रिक्ट हैं। उन्हें अर्जेंटली एक असिस्टेंट की ज़रूरत है। पिछले 1 हफ़्ते से हम उनके लिए असिस्टेंट खोज रहे हैं। बहुत लोगों ने इंटरव्यू दिए, पर कोई सिलेक्ट नहीं हो पाया। बॉस बहुत ज़्यादा गुस्से में हो गए हैं। उन्हें अब जल्द से जल्द असिस्टेंट चाहिए। उन्होंने आज आखिरी डे दिया है हमें। कोई गड़बड़ ना हो, इसलिए हमने आपको जल्दी बुला लिया। हमारी जॉब खतरे में आ सकती है अगर आज कुछ गड़बड़ हुई..." उस आदमी के एक्सप्रेशन देख ही कबीर समझ गया कि वो कितना घबराया हुआ है। कबीर को उस पर तरस आ गया।
"ओके, ओके... तो फ़ाइनली मुझे ये बताओ, इंटरव्यू कब है?"
"3:30!!!"
"ओके!!"
वो लड़का वहाँ से चला गया। उसके जाने के बाद, कबीर ने काव्या से माफ़ी माँगी।
"सॉरी, मिस काव्या।"
काव्या हैरानी से उसे देखने लगी।
"किसलिए?"
"वो... मैंने आपके साथ बदतमीज़ी की। दरअसल, मुझे मैनेजर से बात करनी थी। गार्ड मुझे उसके केबिन के अंदर नहीं जाने दे रहा था, इसलिए मैंने आपसे ज़बरदस्ती झगड़ा शुरू किया, ताकि झगड़े की आवाज़ सुनकर वो बाहर आ जाए। और देखो, मेरा प्लान सक्सेसफुल भी रहा। झगड़े की आवाज़ सुनते ही वो बाहर आ गया।"
काव्या का मुँह खुल गया।
"आप खूबसूरत होने के साथ-साथ बड़े चालाक भी हैं।"
कबीर ने हाथ बालों में फिराते हुए कहा, "अब मेरी इतनी भी तारीफ़ मत कीजिये।"
कबीर की नौटंकी देख काव्या के चेहरे पर मुस्कान आ गई।
"भगवान से दुआ करती हूँ कि तुम्हारा सिलेक्शन हो जाए। अगर आप ऑफिस में रहेंगे, तो मन लगा रहेगा।"
कबीर मुस्कुराते हुए बोला, "बिलकुल, मैं इस पूरे ऑफिस का माहौल बदलकर रख दूँगा।"
"हम्म, केयरफुल। बॉस हद से ज़्यादा ही स्ट्रिक्ट हैं।"
"अच्छा, देखते हैं!! वैसे, मैं कोशिश पूरी करूँगा सब बदलने की।"
काव्या हँसते हुए बोली, "कहीं बॉस तुम्हें ही ना बदल दें?"
"नो चांस। मुझे बदलने वाला तो अभी पैदा ही नहीं हुआ है। अभी हाँ, फ़्यूचर में हो सकता है।"
काव्या क्यूरियस होकर पूछी, "कौन?"
"जूनियर कबीर। एक वही है जो मुझे फ़्यूचर में बदल सकता है। ऐसे 100% चांस नहीं हैं, पर थोड़े तो हैं।"
"अच्छा, वैसे शादी का क्या ख्याल है तुम्हारा?"
"शादी-वादी के बारे में मैं अभी नहीं सोचा। अभी तो मेरे खेलने-कूदने की उम्र है... अभी शादी करके अपनी ज़िंदगी नर्क थोड़ी ना बनानी है?"
"हम्म, बात तो सही है तुम्हारी।"
वो दोनों बात ही रहे थे, तभी हवा के झोंके की तरह कोई उनके पीछे से गुज़रा। काव्या एकदम से सीधी हो गई। काव्या को यूँ हड़बड़ाता सा देख, कबीर ने कहा, "क्या हुआ? तुम ऐसे क्यों रिएक्ट कर रही हो, जैसे तुमने कोई भूत देख लिया हो।"
काव्या धीरे से बोली, "भूत से भी कुछ डेंजरस देख लिया।"
कबीर बोह चढ़ाते हुए बोला, "ऐसा क्या देख लिया?"
"बॉस! वो बस कुछ देर पहले इधर से गुज़रे हैं। शुक्र है उनकी नज़र हम पर नहीं गई, वरना इंटरव्यू देने से पहले ही तुम रिजेक्ट हो जाते! अब तुम चुपचाप जाकर सोफ़े पर बैठ जाओ।"
कबीर अच्छे बच्चे की तरह उसकी बात मानकर सोफ़े पर बैठ गया। वह बैठा ही था, तभी मैनेजर आया। वह कुछ बोलता, उससे पहले ही कबीर ने कहा, "आपके बॉस आ गए हैं ना?"
ये सुन मैनेजर हैरानी से उसे देखने लगा।
"तुम्हें कैसे पता चला वो आ गए?"
कबीर हँसते हुए बोला, "आपकी शक्ल पर जो 12 बजे हैं, उन्हें देख मैंने अंदाज़ा लगा लिया था।"
"ओह, अच्छा। बहुत अच्छा। बॉस को प्रेजेंस ऑफ़ माइंड वाले लोग बहुत अच्छे लगते हैं।"
"बॉस आ चुके हैं। वो केबिन में तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं... जल्दी चलो।"
कबीर मुँह बनाते हुए बोला, "मैं उसका तीन घंटे इंतज़ार कर सकता हूँ, वो मेरा 1 मिनट इंतज़ार नहीं कर सकते?"
"वो बॉस हैं। उन्हें इंतज़ार करने की नहीं, करवाने की आदत है।"
"हाँ, तो अगर वो इस ऑफिस के बॉस हैं, तो मैं भी अपनी ज़िंदगी का बॉस हूँ। मैं भी उन्हें इंतज़ार करवाऊँगा।" कबीर अकड़ते हुए बोला।
कबीर की बात सुन मैनेजर परेशान हो गया। अगर कुछ भी गड़बड़ होती, तो बम उस पर ही फूटता।
"देखो, तुम अपना ये गुस्सा बाद में निकाल लेना। प्लीज़, अभी इंटरव्यू देने चले जाओ। उनके लिए नहीं, कम से कम मेरे लिए ही। मेरी नौकरी खतरे में आ जाएगी। बड़ी मुश्किल से ये जॉब मिली है।"
कबीर को उस पर तरस आ गया।
"ठीक है, ठीक है। तुम्हारी नौकरी बचाने के लिए मैं अपनी ईगो को कुछ टाइम के लिए बैकसीट पर रख देता हूँ।"
मैनेजर उसके आगे हाथ जोड़ लेता है।
"थैंक यू।"
कबीर हाथ ऊपर करते हुए बोला, "ओके, ओके। वैसे, थैंक्स बोलने की ज़रूरत बिलकुल थी। अब आप मुझे अपने बॉस का केबिन दिखाने का कष्ट करें।"
कबीर को उस पर तरस आ गया। "ठीक है, ठीक है। तुम्हारी नौकरी बचाने के लिए मैं अपनी एगो को कुछ टाइम के लिए बैकसीट पर रख देता हूँ…"
मैनेजर ने उसके आगे हाथ जोड़ लिए। "थैंक यू!!"
कबीर ने हाथ ऊपर करते हुए कहा, "ओके, ओके। वैसे थैंक्स बोलने की ज़रूरत बिलकुल थी। अब आप मुझे अपने बॉस का केबिन दिखाने का कष्ट करें!!"
"हाँ हाँ, काव्या इसे केबिन दिखाओ, जल्दी!!"
"जी सर।" काव्या कबीर को वहाँ से लेकर चली गई। उसके जाने के बाद मैनेजर ने अपने दिल पर हाथ रख लिया। "भगवान! अजीब बला है ये लड़का! इंटरव्यू देने आया है, तभी मेरा BP हाई हो गया। परमानेंट आ गया तो मुझे हार्ट अटैक देकर ही मानेगा। वैसे इस का रवैया देख लग नहीं रहा ये इंटरव्यू पास कर पाएगा। दो हाई ईगो वाले पर्सन एक साथ काम नहीं कर सकते।"
सर हिलाकर मैनेजर अपने काम पर वापस लग गया।
काव्या कबीर को लेकर जैसे ही उस के बॉस के फ्लोर पर पहुँची, एकदम से माहौल बदल गया। जहाँ नीचे वाले फ्लोर पर काफ़ी आवाज़ें आ रही थीं, वहीं ऊपर आते ही एकदम से शांति छा गई। वहाँ इतनी शांति थी कि अपनी दिल की धड़कन की भी आवाज़ सुन सकते थे।
कबीर ने काव्या से कहा, "हे काव्या, यहाँ इतनी शांति क्यों है? इतनी शांति तो पहाड़ों पर भी नहीं होती होगी! ये तुम्हारे बॉस क्या पहले हिमालय पर तपस्या करते थे क्या? यहाँ का माहौल बिलकुल वैसा ही है, एकदम ठंडा और शांति से परिपूर्ण!!"
"कबीर, तुम बहुत ज़्यादा बोलते हो! पता नहीं क्या होगा। तुम्हारा बॉस बहुत स्ट्रिक्ट है। तुम समझ क्यों नहीं रहे इस बात को?"
"इसमें समझने वाली कौन सी बात है? ज़्यादा से ज़्यादा क्या होगा? जॉब नहीं देंगे, और इसके अलावा तो कुछ कर नहीं सकते!! वो कोई वैम्पायर तो नहीं है जो मेरा खून चूस जाएँगे।"
काव्या ने अफ़सोस के साथ सर हिला दिया। कबीर को समझाना व्यर्थ था।
काव्या कबीर को बॉस के ऑफ़िस के बाहर छोड़कर चली गई। काव्या के जाने के बाद कबीर ने दरवाज़े की तरफ़ देखा। उस पर ब्लैक डायमंड से 'नील अल्बर्टो' लिखा हुआ था। कबीर की निगाहें उसी पर ठहर गई थीं। वो आज लाइफ़ में पहली बार डायमंड देख रहा था, वो भी इतने पास से… "वाह! कितना खूबसूरत है ये ब्लैक डायमंड! तो सबसे खूबसूरत है, काफ़ी एक्सपेंसिव लग रहा है। अजीब बात है, यहाँ मैं सालों से एक नॉर्मल डायमंड रिंग नहीं ले पा रहा और इस आदमी ने अपनी नेम प्लेट डायमंड की बना रखी है… लगता है बहुत ज़्यादा पैसा है इसके पास… कोई बात नहीं, एक दिन मेरे पास भी इतना पैसा होगा…" कबीर ने कॉन्फ़िडेंस के साथ कहा।
कबीर ने लंबी साँस ली, फिर धीरे से उसे छोड़ा और दरवाज़ा नॉक किया।
"कम इन," अंदर से एक इंटेंस आवाज़ आई।
कबीर ने दरवाज़ा खोला और अंदर गया। अंदर एंटर करते ही उसे एक कोल्ड वाइब्स आई। कबीर चारों ओर अपनी नज़रें फिराता है। केबिन काफ़ी बड़ा और अजीब था। वहाँ का टेम्परेचर कुछ ज़्यादा ही कम था। ब्लेज़र पहनने के बाद भी कबीर को हल्की-हल्की ठंड महसूस होने लगी थी।
कबीर चारों ओर नज़र घुमा ही रहा था कि एकदम से उसकी नज़र किसी चीज़ पर आकर रुक जाती है। "व्हाट द हैल?" हैरानी से उसका मुँह खुल गया। उसके सामने एक बड़ा सा एक्वेरियम था, जिसके अंदर दो बड़ी शार्क थीं। उनका साइज़ कबीर से भी बड़ा था। कबीर ने आज पहली बार शार्क को देखा था, वो भी इतने करीब से… वो काफ़ी डेंजरस लग रही थीं। उनके दाँत तो कुछ ज़्यादा ही नुकीले नज़र आ रहे थे।
कबीर शार्क को देखने में इतना खो गया कि उसे इस बात का एहसास ही नहीं रहा कि वो यहाँ किस वजह से आया था। तभी पीछे से उसके कानों में एक ठंडी आवाज़ सुनाई पड़ी… कबीर तुरंत पीछे पलटा। उसके बिलकुल पीछे नील खड़ा था। अचानक से उसे देख कबीर चौंक गया। उसके कदम लड़खड़ा गए। वो गिरता, उससे पहले ही दो मज़बूत बाहें उसे थाम लेती हैं। कबीर सामने देखता है तो उसे नील नज़र आता है, जो उसे ठंडी नज़रों से देख रहा था। कुछ पल के लिए तो कबीर उसकी समुद्र सी गहरी आँखों में खो गया था, पर अगले ही पल नील की सर्द आवाज़ सुनकर एकदम से वो आँखों के समुद्र से बाहर आ जाता है…
नील उसे ऊपर उठाता है और एक झटके से उसे छोड़ देता है। नील उसे घूरता है। "बैठ…" फिर कुर्सी पर जाकर बैठ जाता है और एक फ़ाइल को पढ़ने लग जाता है, जिसमें कबीर की सारी इनफ़ॉर्मेशन थी।
कुछ देर बाद कबीर उसके सामने वाली कुर्सी पर जाकर बैठ जाता है।
नील फ़ाइल पढ़ते हुए कहता है, "गिव मी योर क्विक इंट्रो!!"
"आई एम कबीर!!" इतना बोल वो चुप हो जाता है।
ये सुन नील की भौंहें तन जाती हैं। वो फ़ाइल को साइड में रखता है।
"आपने कहाँ क्विक इंट्रो दो?!" कबीर मुस्कराहट के साथ जवाब देता है।
नील आँखें घुमा लेता है। "टेल मी अबाउट योरसेल्फ!!"
"अबाउट व्हाट? आई मीन फैमिली के बारे में, फ़्रेंड्स के बारे में, हॉबीज़ के बारे में, या फिर अपनी डेटिंग लाइफ़ के बारे में?!"
लास्ट बात सुन नील उसे अजीब नज़रों से देखता है।
नील आँखें रोल करते हुए कहता है, "अपनी हॉबीज़, पसंद, नापसंद के बारे में बताओ!!"
"ओके, पर मैं यहाँ मार्केटिंग हेड के लिए इंटरव्यू देने आया हूँ। आप मुझसे पर्सनल सवाल क्यों पूछ रहे हैं?" कबीर भौंहें चढ़ाते हुए कहता है।
नील उसे घूरते हुए कहता है, "आई थिंक मिस्टर कबीर, आपको कोई गलतफ़हमी हुई है। मैं आपको इंटरव्यू अपनी असिस्टेंट की पोस्ट के लिए ले रहा हूँ। मार्केटिंग हेड ऑलरेडी हायर किया जा चुका है।"
"व्हाट? पर मैंने तो फ़ॉर्म में मार्केटिंग हेड के लिए अप्लाई किया था!!"
"आई डोंट नो एंड आई डोंट केयर। अगर आपको असिस्टेंट की पोस्ट के लिए अप्लाई नहीं करना तो आप जा सकते हैं। अगर आपको कुछ देर सोचने के लिए वक़्त चाहिए तो आप कुछ समय ले सकते हैं। आप कोई फ़ैसला ले, उससे पहले मैं आपको कुछ बता दूँ। मैं आपको पर मंथ 2 लाख सैलरी दूँगा और अगर तुम 1 महीने से ज़्यादा यहाँ पर टिक गए तो सैलरी डबल!!"
ये सुन कबीर की आँखें बड़ी हो जाती हैं, शॉक के मारे…
कबीर सोच में पड़ गया। कुछ देर के चिंतन के बाद उसने फैसला किया कि वह इंटरव्यू देगा क्योंकि उसे अभी नौकरी की सख्त ज़रूरत थी। लेकिन इंटरव्यू देने का यह उसका मुख्य कारण नहीं था। कहीं और भी उसे नौकरी मिल जाती, पर यहाँ जितना पैसा उसे कहीं नहीं मिल सकता था। दो लाख उसके लिए बहुत ज़्यादा थे। इतने में तो वह अपने सारे बच्चों (विवान, समर, वीर) का खर्च उठा सकता था।
वीर का तो कॉलेज में एडमिशन भी करवाना था। उसके कॉलेज की फीस बहुत ज़्यादा थी। कॉलेज शहर का सबसे बड़ा कॉलेज था।
कबीर ने अपना डिसीज़न नील को बता दिया।
"आई एम रेडी!!"
नील आगे बोला, "अब मेरे सवाल का जवाब दो।"
"वो तो मैं दे दूँगा, पर यह बताओ आपको यह सब क्यों जानना है? मेरे पर्सनल लाइफ को जानने में आपको इतनी क्या दिलचस्पी है? कहीं मैं आपको पसंद तो नहीं आ गया? अगर आप भी मुझे पसंद करते हैं तो कोई बड़ी बात नहीं है। अक्सर लोगों को मुझसे पहली नज़र में प्यार हो जाता है..." कबीर नील की आँखों में देखते हुए बोला। उसके चेहरे पर मुस्कान थी।
"तुम मेरे असिस्टेंट की पोस्ट के लिए रिजेक्ट होते हो।" नील ठंडी नज़रों से उसे घूरते हुए बोला।
यह सुनकर कबीर की आँखें बड़ी हो गईं।
"व्हाट? पर क्यों?"
"मैं तुम्हें दूसरी जॉब ऑफर कर रहा हूँ।"
यह सुनकर कबीर की भौहें तन गईं।
"कैसी जॉब?"
"मुझे फ़ेक बॉयफ़्रेंड चाहिए एक महीने के लिए। मैं चाहता हूँ तुम एक हफ़्ते तक मेरे बॉयफ़्रेंड बनने की एक्टिंग करो।"
"बॉयफ़्रेंड" नाम सुनते ही कबीर की आँखें बड़ी हो गईं।
"एक्सक्यूज़ मी, मैं उस टाइप का आदमी नहीं हूँ।" कबीर हल्के गुस्से में बोला।
"तो तुम किस टाइप के आदमी हो?" नील आइब्रो उठाते हुए बोला।
"मैं निहायती शरीफ़, ईमानदार, खुदा का आदमी हूँ।" कबीर घमंड के साथ बोला।
"फिर तो तुम इस जॉब के लिए एकदम परफ़ेक्ट हो।" नील ठंडी साँस छोड़ते हुए बोला।
"मुझे यह जॉब नहीं करनी। मैं कैसे किसी के बॉयफ़्रेंड बनने की एक्टिंग कर सकता हूँ?"
"5 करोड़!! 5 करोड़ दूँगा मैं तुम्हें इस काम के लिए।" नील कुर्सी पर झुकते हुए बोला।
"5 करोड़" सुनकर कबीर का दिल उसके सीने को फाड़कर बाहर आने को हो गया था।
"मैं यह कर सकता हूँ।" कबीर जल्दी से बोला। "5 करोड़ के लिए कुछ पल के लिए मैं अपने उसूलों को बैकसीट पर डाल सकता हूँ। मुझे मंज़ूर है।"
नील के चेहरे पर तिरछी मुस्कान फैल गई। उसने जितना सोचा था उससे पहले ही कबीर ने हाँ कर दी थी।
"ओके, मैं कॉन्ट्रैक्ट रेडी करवा देता हूँ।"
"कॉन्ट्रैक्ट" का नाम सुनकर कबीर थोड़ा असहज हो गया।
"कॉन्ट्रैक्ट की क्या ज़रूरत है?"
"पैसे लेने के बाद तुम भाग गए, या फिर तुमने मना कर दिया तो?" नील उसे गहरी नज़रों से देखते हुए बोला।
यह सुनकर कबीर को गुस्सा आ गया।
"एक्सक्यूज़ मी, मिस्टर नीक!!"
"नील!!" नील उसे करेक्ट करते हुए बोला।
"हाँ हाँ, मिस्टर नील, मैं कोई भगोड़ा नहीं हूँ जो आपके पैसे लेकर भाग जाऊँगा। मेरे भी कुछ उसूल हैं। मैं ऐसे किसी के पैसे लेकर नहीं भाग सकता।"
"वही उसूल जिन्हें एक मिनट पहले ही तुमने बैकसीट पर डाला था।" नील भौंहें चढ़ाते हुए बोला।
यह सुनकर कबीर सकपका गया।
"हाँ, तो एक बार उसूलों के साथ कॉम्प्रोमाइज़ कर लिया, इसका यह मतलब तो नहीं है कि मैं बार-बार ऐसा करूँ..."
"मेरे भी कुछ उसूल हैं और मैं कभी उनके साथ कॉम्प्रोमाइज़ नहीं कर सकता। कॉन्ट्रैक्ट तो तुम्हें साइन करना ही होगा।"
"ओके, फ़ाइन, कर दूँगा।" कबीर हाथ उठाकर बोला।
"मैं आज कॉन्ट्रैक्ट बनवाकर तुम्हारे घर भेज दूँगा।"
"नहीं, घर भेजने की ज़रूरत नहीं। मैं कल ऑफ़िस में आकर ही साइन कर दूँगा।" कबीर नहीं चाहता था कि कॉन्ट्रैक्ट उसके घर जाए। वह इस बारे में किसी को भी नहीं बताना चाहता था, अनिरुद्ध को भी नहीं, क्योंकि अगर अनिरुद्ध को इस बारे में पता चल गया तो वह उसे पहले रगड़-रगड़ के मारेगा, फिर उससे यह सब न करने को कहेगा।
"कल कॉन्ट्रैक्ट साइन करने के तुरंत बाद तुम्हें मेरे बॉयफ़्रेंड बनने की एक्टिंग शुरू कर देनी है।"
कबीर सर हिला देता है।
"वैसे, एक सवाल पूछ सकता हूँ आपसे?"
नील कुछ कहने के लिए मुँह खोलता ही है कि उससे पहले ही कबीर बोल पड़ता है, "आपका नकली बॉयफ़्रेंड हूँ, बिलकुल आपसे सवाल पूछ सकता हूँ... आप यह क्यों कर रहे हैं? नकली बॉयफ़्रेंड की जगह असली बॉयफ़्रेंड भी तो बना सकते हो ना?"
नील उसे घूरता है, फिर ठंडी आवाज़ में कहता है, "मैं तुम्हें इसका जवाब देना ज़रूरी नहीं समझता। तुम्हें इससे कोई मतलब नहीं होना चाहिए। तुम्हें जो काम दिया गया है, तुम बस वही करो।"
नील की बात सुनकर कबीर का मुँह बन गया। वह आगे कुछ नहीं बोला। 5 करोड़ की बात थी, वरना वह किसी के पापा की न सुनता।
कबीर कुर्सी पर से खड़े होते हुए कहता है, "ओके, तो मैं कल आता हूँ।" कहकर कबीर फ़ुल स्पीड में वहाँ से निकल गया। अब एक मिनट और वह वहाँ रुकना चाहता था। ऑफ़िस से बाहर आते ही उसकी मुलाक़ात काव्या से हुई।
"हे कबीर, क्या हुआ अंदर? बॉस ने तुम्हें सेलेक्ट किया?"
कबीर ना में सर हिलाता है।
"उन्होंने मुझे रिजेक्ट कर दिया।"
"मैंने तो पहले ही कहा था तुमसे। पक्का तुमने उनके सामने और कॉन्फिडेंस दिखाया होगा। उन्हें ऐसे लोग बिल्कुल भी पसंद नहीं।"
"तो उन्हें कैसे लोग पसंद हैं?" कबीर आइब्रो ऊपर करते हुए कहता है।
"उन्हें..." काव्या सोच में पड़ जाती है। वह अपने मन में कहती है, 'बॉस को कैसे लोग पसंद हैं? नील को क्या पसंद है, यह तो उसे भी नहीं पता था।' कुछ देर सोचने के बाद काव्या कहती है, "एक्चुअली कबीर, उन्हें लोग ही पसंद नहीं हैं।"
"एक्सैक्टली, मैं यही तुम्हें बताना चाह रहा था कि उन्हें लोग ही पसंद नहीं। पता नहीं इनका परिवार कैसे झेलता होगा इसे। हर वक्त इतना सड़ू चेहरा बनाकर रखना ज़रूरी है। मतलब इन्हें क्या लगता है, ऐसा सड़ू चेहरा नहीं बनाकर रखेंगे तो क्या लोग इन्हें बॉस नहीं समझेंगे? पता नहीं कहाँ से लाता है इतना एटीट्यूड। फ़ैमिली बिज़नेस ही तो हैंडल कर रहा है, कौन सा इसने खुद स्टार्ट किया था यह बिज़नेस।"
काव्या मायूस होते हुए कहती है, "मुझे बुरा लगा तुम सेलेक्ट नहीं हुए।"
"मैं सेलेक्ट हो गया।"
काव्या एकदम से उसे देखती है।
"व्हाट?"
कबीर हाँ में गर्दन हिलाता है।
"अगर सेलेक्ट हो गए थे तो कुछ देर पहले यूँ क्यों कहा कि तुम रिजेक्ट हो गए?" काव्या नाराज़गी में कहती है।
"सही ही कहा था मैंने। मैं नहीं हुआ सेलेक्ट!!"
काव्या हैरानी से उसे देखती है।
"क्या बोल रहे हो तुम? कभी कुछ बोलते हो, कभी कुछ। ये बॉस के साथ एक घंटे के इंटरव्यू में तुम्हारा ऐसा हाल हो गया! लगता है तुम्हारा दिमाग़ हिल गया है।"
"मेरा दिमाग़ बिलकुल ठीक है। दरअसल उन्होंने मुझे अपना असिस्टेंट बनाने के लिए मना कर दिया, पर इसके बदले उन्होंने मुझे दूसरी जॉब दे दी।"
"दूसरी जॉब?" काव्या भौंहें उठाते हुए कहती है।
"हाँ, उन्होंने मुझे छह महीने तक उनका नकली बॉयफ़्रेंड बनने की जॉब दी है।"
यह सुनकर काव्या का हैरानी से मुँह खुल जाता है।
"क्या?" वह जोर से चिल्लाती है।
काव्या हैरानी से उसे देखती रही। "क्या बोल रहे हो तुम? कभी कुछ बोलते हो, कभी कुछ। ये बॉस के साथ 1 घंटे के इंटरव्यू में तुम्हारा ऐसा हाल हो गया!! लगता है तुम्हारा दिमाग़ हिल गया है..."
"मेरा दिमाग़ बिलकुल ठीक है... दरअसल, उन्होंने मुझे अपना असिस्टेंट बनाने के लिए मना कर दिया, पर इसके बदले उन्होंने मुझे दूसरी जॉब दे दी!!"
"दूसरी जॉब?" काव्या भौंहें उठाते हुए कहती है।
"हाँ, उन्होंने मुझे 6 महीने तक उनका नकली बॉयफ्रेंड बनने की जॉब दी है..."
ये सुनकर काव्या का हैरानी से मुँह खुल गया। "क्या?!!" वो जोर से चिल्लाती है।
"ये देख!" कबीर तुरंत उसके मुँह पर हाथ रख देता है। "क्या कर रही हो? जोर-जोर से बोल। सबको स्कीम मत बताओ..."
काव्या जब शांत होती है, तो कबीर अपना हाथ उसके मुँह पर से हटा लेता है। काव्या अभी भी सदमे में थी। ये बात वो चाहकर भी पचा नहीं पा रही थी।
"कबीर, तुम सच कह रहे हो ना?" काव्या आँखें छोटी करते हुए कहती है।
"तुम्हारी कसम!!" कबीर उसके सर पर हाथ रखकर कहता है।
काव्या चिढ़कर उसका हाथ अपने ऊपर से हटाती है। "मेरी कसम क्यों खा रहे हो? अपनी खाओ। मुझे इतने जल्दी नहीं मरना!!"
"वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह! वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह! मतलब अब इतना भी ट्रस्ट नहीं है मुझ पर?" कबीर मुँह बनाकर कहता है।
"कसम के मामले में अच्छे-अच्छों पर से विश्वास उठ जाता है। तुम्हें तो मैं फिर भी बस कुछ घंटों से जानती हूँ। जब मैं अपने भाई-बहनों पर विश्वास नहीं करती, तुम पर घंटा करूंगी? अपनी कसम खाकर बताओ!"
कबीर उसे घूरता है। फिर अपने सर पर हाथ रखते हुए कहता है, "मेरी कसम, मैं झूठ नहीं बोल रहा। उन्होंने मुझे 6 महीने तक उनका नकली बॉयफ्रेंड बनने को कहा है। इसके बदले वो मुझे 5 करोड़ रुपये देंगे..."
"5 करोड़?" सुनकर काव्या का मुँह खुल जाता है। "क्या कहा तुमने? 5 करोड़..."
"हाँ, 5 करोड़ उर्फ़ 50 मिलियन...!!"
"ये बॉस को बॉयफ्रेंड क्यों बनाना है? गर्लफ्रेंड भी तो बना सकते थे ना? अच्छा-खासा मौका हाथ से निकल गया। काश मैं लड़की ना होकर लड़का होती!" काव्या चिढ़कर कहती है।
उसकी बात सुन कबीर को हँसी आ जाती है। "5 करोड़ के लिए तुम अपना जेंडर बदलने को तैयार हो?"
"और क्या? 5 करोड़ क्या छोटी रकम होती है? इससे तो मेरी ज़िंदगी निकल जाएगी। मुझे कुछ भी नहीं करना पड़ेगा... वैसे, तुमने उन्हें हाँ कर दिया है ना?"
कबीर हाँ में सर हिलाता है।
"शुक्र है! वरना अगर तुम ना कर देते ना, तो मैं तुम्हारा मुँह तोड़ देती। वैसे, पैसे मिल जाएँ तो मुझे छोटी सी पार्टी दे देना!!" काव्या छोटी सी मुस्कान के साथ कहती है।
"छोटी सी नहीं, तुम्हें तो मैं 5 स्टार में पार्टी दूँगा।" कबीर मुस्कुराते हुए कहता है।
"सच में?" काव्या खुश होते हुए कहती है।
"हाँ, सच में। लेकिन पैसे आने के बाद ही। कहीं मैं पार्टी पहले कर लूँ और ये मुझे पैसे देने के लिए मना कर दें, तो फाइव स्टार का बिल भरते-भरते मेरा घर बिक जाएगा..."
"नहीं-नहीं, जब तुम्हारे अकाउंट में पूरा पैसा आ जाए, तभी पार्टी देना..."
कबीर मुस्कुरा देता है।
"क्या हो रहा है यहाँ?" वो दोनों बात ही कर रहे थे कि तभी किसी की ठंडी आवाज़ उनके कानों में पड़ती है।
वो दोनों तुरंत आवाज़ की दिशा की ओर पलटते हैं।
नील अपने पैंट के पॉकेट में हाथ डाले हुए उन्हें ठंडी नज़रों से देख रहा था। नील को अचानक वहाँ देख काव्या और कबीर दोनों ही हड़बड़ा गए थे। कबीर तो फिर भी ठीक था, लेकिन काव्या तो कुछ ज़्यादा ही डर गई थी। उसके पैर भी लड़खड़ाने लगे थे।
नील ठंडी आवाज़ में कहता है, "तुम्हें काम करने के लिए यहाँ रखा है या टाइम पास करने के लिए रखा है...?" काव्या उसकी आवाज़ सुन इतना ज़्यादा डर गई थी कि उसके मुँह से शब्द तक नहीं निकल रहा था। काव्या का हाथ कबीर की बाजू से टच हो रहा था, जिससे कबीर को पता चलता है कि वो बुरे तरीके से काँप रही थी। काव्या तो अभी इस हालत में नहीं थी कि वो कोई जवाब दे सके, इसलिए कबीर आगे आते हुए कहता है, "...आप गलत समझ रहे हैं। काव्या यहाँ टाइम पास नहीं कर रही थी। वो तो मुझे बस ऑफिस के बारे में कुछ बता रही थी..."
"तुम ऑफिस में काम करने वाले हो?" नील भौंहें उठाते हुए कहता है।
ये सुन कबीर सकपका जाता है। वो धीरे से ना में सर हिलाता है।
"जब तुम्हें ऑफिस में काम ही नहीं करना, तो यहाँ के बारे में जानने की कोशिश क्यों कर रहे हो? यहाँ-वहाँ टाइम पास करने के बजाय एक अच्छे बॉयफ्रेंड बनने की प्रैक्टिस करो।"
कबीर हैरानी से उसे देखता है। "प्रैक्टिस? अब इसमें प्रैक्टिस करने जैसा क्या है?"
नील उसे घूरता है, फिर आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ उसे खींचकर अपने केबिन के अंदर ले जाने लगता है। काव्या हैरानी से उन दोनों को जाते देख रही थी। वो कुछ देर वहाँ रुकती है, फिर वो भी वहाँ से निकल जाती है। एक बार नील की नज़र में आ चुकी थी, अब दोबारा नहीं आना चाहती थी।
वहीं नील कबीर को अपने केबिन के अंदर बने एक सीक्रेट कमरे के अंदर ले जाता है और उसका हाथ छोड़ देता है।
केबिन के अंदर भी एक रूम है? ये देख कबीर काफ़ी ज़्यादा शॉक हो गया था।
रूम केबिन से काफ़ी बड़ा था। वहाँ रोशनी नामात्र थी, बस एक छोटा सा बल्ब जल रहा था। रूम के सेंटर में एक किंग साइज़ बेड था, जिस पर ब्लैक बेडशीट बिछी हुई थी। जिसे देख कबीर को काफ़ी हैरानी होती है। "ब्लैक बेडशीट कौन रखता है?" कबीर अपने मन में कहता है।
"मैं रखता हूँ। मुझे ब्लैक कलर बहुत पसंद है।" नील उसे घूरते हुए कहता है।
ये सुन कबीर की आँखें बड़ी हो जाती हैं।
नील तिरछा मुस्कुराता है। "मैं लोगों के मन की बात भी जान लेता हूँ, इसलिए मेरे सामने कभी मुझे धोखा देने की कोशिश मत करना।"
"मैं आपको धोखा क्यों दूँगा? मैं कोई आपका बॉयफ्रेंड थोड़ी ना हूँ..."
"क्या भरोसा, फ़्यूचर में बन जाओ।" नील उसके करीब आते हुए कहता है।
"नॉट पॉसिबल। आप मेरे टाइप के नहीं हो।" कबीर अकड़ के साथ कहता है।
नील गुस्से से उसे घूरता है। "बहुत ज़्यादा अकड़ है तुम में?"
"होनी भी चाहिए।" कबीर छोटी सी मुस्कान के साथ कहता है। "क्या आप ये बताइए, आप मुझे यहाँ क्यों लाए हैं?"
"यह मेरा पर्सनल रूम है। यहाँ पर मेरे अलावा किसी को भी आने की परमिशन नहीं है, लेकिन अब तुम इस रूम में आ सकते हो।"
ये सुन कबीर की भौंहें तन जाती हैं। "किसी को परमिशन नहीं है, पर मुझे है? मुझ पर इतनी मेहरबानी क्यों?"
"क्योंकि तुम मेरे होने वाले बॉयफ्रेंड हो..."
"नकली बॉयफ्रेंड!!" कबीर उसकी बात को बीच में काटते हुए कहता है।
"व्हाटएवर। जब तक ऑफ़िस में रहूँगा, तो तुम इस रूम में रह सकते हो। और कभी मैं मीटिंग में बाहर जाऊँ, तो भी तुम इसी रूम में रहोगे!!"
"क्यों? मैं बाहर भी तो जा सकता हूँ..."
"नहीं जा सकते हो!!"
"क्यों नहीं जा सकता?"
"तुम्हारा नाम मुझसे जुड़ने जा रहा है। मेरी एक रेपुटेशन है। मैं नहीं चाहता किसी को ये पता चलेगा कि मेरा बॉयफ्रेंड गली-गली भटकता फिरता है। तुम्हें अपनी हर हरकतों पर कंट्रोल रखना होगा।"
नील की बात सुन कबीर को गुस्सा तो बहुत आता है, पर 5 करोड़ की वजह से वो चुप रहता है।
"यहाँ तुम्हारी ज़रूरत का हर सामान मौजूद होगा। यहाँ पर एक मोबाइल फ़ोन भी है। तुम्हें कुछ चाहिए तो तुम ऑर्डर कर सकते हो... लेकिन ऑर्डर लेने तुम्हें रूम से बाहर जाना होगा, क्योंकि मैं यहाँ किसी और को बर्दाश्त नहीं कर सकता।"
"ओके, फ़ाइन। समझ गया सब। अब मैं जा सकता हूँ? मुझे एक इम्पोर्टेन्ट काम है!!"
नील हाँ में सर हिला देता है।