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Faisla or Fasla ( फासला जा फैसला)

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Ramandeep Kaur

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सॉरी आंटी जी मेने जान भुझ कर नही किया ,,,, ये रूम तो प्रीत दी का था ना ,,तो बस उसी चक्कर में ये सब होगया ,,,, वर्ना मुझे कोन सा पागल कुत्ते ने काटा है के ,, ,मै ये सब करू,,,,,,, राविया आशा जी से बोली जो उस समय रसोई में स्लेब पर बैठी मटर खाने में लगी...

Total Chapters (6)

Page 1 of 1

  • 1. Faisla or Fasla ( फासला जा फैसला) - Chapter 1

    Words: 1002

    Estimated Reading Time: 7 min

    दोपहर के बारह बजे

    सर्दियो में दोपहर का मजा तो धूप में ही आता है ,,,,,, ओर उसी धूप का आनंद मान रही एक औरत जो चारपाई पर बैठी मटर निकाल रही थी ,,,ओर साथ ही खुश भी थी ,,,,, प्रीत जल्दी कर ना आती ही होगी ,,, वो औरत बोली ,,,, हां मां सब हो गया अब तो उस के आने की देर है देखना केसे रोनक आती है घर में ,,,, लड़की अंदर से बाहर आते हूए बोली जिस का नाम प्रीत है ,,,,, हा जी ओर ये बता के सब कुछ सही से हो गया ना मतलब उस का रूम तैयार करवा दिया ना ,,,,,,, औरत बोली ।हां मम्मी हो गया अच्छा मम्मी मुझे जाना होगा बुटीक से फोन आ रहा है ,,,,,,, जल्दी आ जाउ गी

    बोलते हूय प्रीत ने अपनी स्कूटी निकाली ओर घर का मेंन गेट खोलते हूए बाहर चली गई।  पता नही कब तक ये काम खत्म होगे ,,,, वो औरत बोलते हूये वापस से मटर निकालने लगी ,,,, मैं तो भुल ही गई पनीर तो मंगाया ही नही ,,औरत फोन उठाते हूए बोली ,,,,,,,,,,

    अजी सुनिए आते हूए पनीर भी ले आना ओर हा कब तक आ रहे हो ,,,,औरत बोली ,,,

    अजी आशा जी ,,,, ट्रेन लेट है ,,,,, आराम से तैयारी करो ,,, दूसरी तरफ से बोला गया

    ,,,,,,

    जब भी मेरी बेटी को आना होता हे तो ये टरेन के पहीये पहले ही पंचर हो जाते है ,,,आशा  जी झल्लाते हूए बोली ।

    अजी टरेन के पहीये नही होते है देवी जी ,,,, दूसरी तरफ से आदमी हस्ते हूय बोली ,,, हस लो हस लो  बलबीर जी ,,,,,,, आ रही है पता चल ही जाये गा ,,,,,,,,, औरत जानी के आशा जी बोली ।वो तो ठीक है ,,,,,,आपके साहबजादे उठे के नही सुरज सिर पर चड़ आया है ,,,,,, नही अब तो छुपने की स्थिति में है वो  क्या कर रहे है ,,,,,,, बलबीर जी बोले ।

    पुरी रात जागा है ,,,,,,,, सुब्ह ही सोया था ,,,तो मेने भी नही जगाया ,,, आशाजी उठते हूए बोली ,,,,, ओर  मटर रसोई में रख कर आ गई।  ठीक है घर आ कर मिलते है ,,,,,,,,,,,,,, बलबीर जी बोली ओर फोन रख दिया ,,,,, कैसी रही मेरी एक्टिंग,,,, बलबीर जी पास बैठी हूई लड़की को देख कर अपने कालर पकड़ उठाते हूए बोले ,,,, ,ओरिजनल,,, एक पल भी नही लगा के आप एक्टिंग कर रहे हो ,,,, वो लड़की बलबीर जी के कालर ठीक करते हूय बोली ,,,,,,,, अच्छा पुत्तर बैठ मै ना पनीर लेकर आता हूं ,,,,बलबीर जी बोले ओर गाड़ी एक तरफ लगा कर सामने की दूकान से पनीर लेने चले गए,,,,,,,,,,,

    गाड़ी  एक बड़े से घर के बाहर आकर कर रूकी ,,,, उस में से एक 19 साल की लड़की जिस ने रेड कलर का सुट ओर उसी कलर की कोटी पहनी हूई थी पैरो में बुट जो ठंड से बचने के लिए ही थे ,,,,,,,, वो उतरी ओर उस बड़े से दरवाजे को पार करके अंदर चली आई,,,,,,, धीरे धीरे चलती वो लड़की आशा जी के पीछे जा कर खड़ी हो गई,,,,,,,,, ओर उनको पीछे से गले लगाते हूए,,,,, ,कैसी है आप आंटी वो लड़की बोली ,,,,,, ,तो आशा जी हैरानी से उसे अपने आगे करते हूय,,,, राविया पुत्तर तु केसे आई ,,, तेरी ट्रेन तो बोलते हूय आशा जी ने राविया को गले से लगा लिया ,,,, झुठ बोला मुझ से ,,, आशा जी राविया का चेहरा अपने हाथो में लेते हूये बोली ,,, ओर नही तो क्या करती ,,,, ये जो खुशी मिली है ना इसे देखने के लिए ही तो किया मेने ,,,, राविया बोली ,,,,,,,, वही पीछे से बलबीर जी आते हूए,,,, लो जी आ गई आपकी बेटी अब तो ठीक है ना ,,, बलबीर जी उसी चारपाई पर बैठ गये ,,, जिस पर कुछ देर पहले आशा जी बेठी थी ,,,, अरे ये क्या है आशा जी ,,, तुस्सी शिलके नही चुक्के ,, बलबीर जी बोले ओर साथ ही सीरी को आवाज लगा दी ,,,,,,,,,,,, वही तो उठाने जा रही थी के तभी याद आया के ,,, आपको को बोल दू के आते हूए ढंगर डॉक्टर को लेते आये ,,,,,, ये भैंस कुछ ठीक नही लग रही सीरी(काम करने वाला जो खेत के ओर पशूयो की देख रेख के लिए रखा जाता है )ने बताया था मुझे ,,,,,,आशा जी बोली ,,,,,,, ,वही रविया हस्ते हूय ,,,, आंटी वेटरनी डॉक्टर बोलते है ,,,,,,, राविया बोली ,,,,,,,,,,, अच्छा दी अंदर है क्या मैं उन से मिल कर आती हूं ,,,,, रविया उठते हूये बोली ओर अंदर की तरफ चली गई,,,,, ये भी ना बिल्कुल नही बदली ,,, ,आशा जी बोलते हूय बलबीर जी को देखने लगी ,,,, क्या हूया आप क्या सोच रहे हो ,,, आशा जी बोली ,,कुछ नही बस इस प्यारी बच्ची के बारे में सोच रहा हूं ,,,,,,,, बस प्रीत की शादी के लिये आई है ,,,,,, पुरे चार साल बाद,,,, ,बलबीर जी बोले ,,,,,,,,, हा आप सही कह रहे है ,,,,, आशा जी बोली ,,,,,,,

    के तभी किसी के चिलाने की आवाज आई ,,,,,,,,,, ये क्या हूया ,,, बलबीर जी बोले पता नही प्रीत तो घर पर नही है ,,, आशा जी बोली ,,,,,,, तो फिर राविया क्यू चिलाइ,,, बलबीर जी बोले,,,,,,,

    किसी के चिलाने की आवाज आई ,,,,,,,,,, ये क्या हूया ,,, बलबीर जी बोले पता नही प्रीत तो घर पर नही है ,,, आशा जी बोली ,,,,,,, तो फिर राविया क्यू चिलाइ,,, बलबीर जी बोले,,,,,,,

    दोनो अंदर की तरफ चल दिए,,,,,,, तो किसी  के बोलने की आवाज आ रही थी ,,,,, ये क्या हे ,,, आशा जी रूम में आते हूए बोली ,,,,,,, इस की हिम्मत केसे हूई मेरे रूम में आने की ,,, आइ तो आइ ,,,मेरे उपर नाचने लगी ,,,,, इसे दिखा नही के मैं सो रहा हूं ,,, और ये यहां मेरी पीठ पर सटेपू खेलने लग गई,,,

    एक लड़का जो उम्र में कुछ 21- 22 का होगा ,,,, वो राविया को देखते हूए गुस्से में बोला ,,,ओर साथ ही उसे घुरे भी जा रहा था ,,,, वही राविया जो कुछ देर पहले चिलाइ थी वो एक तरफ कोने में खड़ी नजरें नीचे करे हूए थी

    रब राखा

  • 2. Faisla or Fasla ( फासला जा फैसला) - Chapter 2

    Words: 1067

    Estimated Reading Time: 7 min

    किसी के चिलाने की आवाज आई ,,,,,,,,,, ये क्या हूया ,,, बलबीर जी बोले पता नही प्रीत तो घर पर नही है ,,, आशा जी बोली ,,,,,,, तो फिर राविया क्यू चिलाइ,,, बलबीर जी बोले,,,,,,,

    दोनो अंदर की तरफ चल दिए,,,,,,, तो किसी  के बोलने की आवाज आ रही थी ,,,,, ये क्या हे ,,, आशा जी रूम में आते हूए बोली ,,,,,,, इस की हिम्मत केसे हूई मेरे रूम में आने की ,,, आइ तो आइ ,,,मेरे उपर नाचने लगी ,,,,, इसे दिखा नही के मैं सो रहा हूं ,,, और ये यहां मेरी पीठ पर सटेपू खेलने लग गई,,, एक लड़का जो उम्र में कुछ 21- 22 का होगा ,,,, वो राविया को देखते हूए गुस्से में बोला ,,,ओर साथ ही उसे घुरे भी जा रहा था ,,,, वही राविया जो कुछ देर पहले चिलाइ थी वो एक तरफ कोने में खड़ी नजरें नीचे करे हूए थी ,,ओर शायद मुस्कुरा भी रही थी ,,,, क्या सटेपू खेला  राविया ने ,,,, आशा जी हैरान होकर बोली ,,,ओर साथ ही राविया को देखने लगी ,,,,,,,,, हा यही कह रहा हूं में ,,,वो लड़का राविया को घुरते हूये बोला ,,,,,,,,,,, पर पुत्तर तु तो सो रहा था ना ,,, तो राविया स्टेप केसे खेल सकती है तुम्हारे साथ,,,,,,,, बलबीर जी बोले ,,,,, हसी तो उनको भी आ रही थी ,,,,, पापा आप भी,,,, बोला तो मेरी पीठ पर स्टेपू खेल रही थी ये ,,, ,,,वो लड़का राविया को घुरते हूये बोला ।

    चल कोई बात नही फतेह,,,,वेसे भी तो अब उठना ही था ना ,,,,, तो राविया ने उठा दिया ,,,,,,, चल कोई ना ,,, ,जा फ्रेश होजा ,,,फिर तूम दोनो नाश्ता कर लो ,,,,, आशा जी लड़के जानी फतेह के चेहरे को सहलाते हूए बोली ,,, ओर राविया को अपने साथ लेकर चली गई,,,,,,,

    राविया ,,, तो ये है रविया जिस की बाते पापा मम्मी करते है ,,,,,,, फतेह वही बेड पर बेठे हूए बोला ,,,, ओर जब उठने लगा तो पीठ में दर्द हूया ,,, तुम्हे तो छोड़ूंगा नही में ,,,,, फतेह बोला ,,,,,,,,ओर उठ कर बाथरूम  में चला गया ।

    सॉरी आंटी जी मेने जान भुझ कर नही किया ,,,, ये रूम तो प्रीत दी का था ना ,,तो बस उसी चक्कर में ये सब होगया ,,,, वर्ना मुझे कोन सा पागल कुत्ते ने काटा है के ,, ,मै ये सब करू,,,,,,, राविया आशा जी से बोली जो उस समय रसोई में स्लेब पर बैठी मटर खाने में लगी हूई थी ,,,,,,,,, कोई बात नही ,,,,,,,,,, ,तुम लोग पहले मिले नही हो ना ,,,जब तुम पीछली बार आई थी ,,,,, तब फतेह दोस्तो के साथ घुमने गया था ,,,,,,,, ओर वो रूम प्रीत का ही था ,,,, पर दीवाली पर घर को पेंट किया तो दोनो ने रूम बदल लिए,,, आशा जी आलू के पराठे बनाते हूये बोली ,,,,,,,,, वही राविया मजे से स्लेब पर बैठी अपने पैर हिलाते हूए मटर खाने में  लगी हूई थी ।

    मम्मी भुख लगी है मुझे ,,,, जल्दी करो ,,, बाहर से आवाज आई ,,तो रविया जो पैर हिला रही थी ,,,, वो रूक गई,,,,,,,,, हा ला रही हूं बोलते हूये आशा जी फतेह को नाश्ता देने लगी ,,, राविया चल आ तू भी खा ले ,,, आशा जी बोली ,,,,,,,तो राविया बाहर आई ओर बीना फतेह की तरफ देखे ,,,,,, चुप चाप खाने लगी ,,, वही फतेह पुरे एटीट्यूड में उसे ही देखे जा रहा था ,,,,,,,,,,,,

    आइये जानते है इनके बारे में ,,,,,, फतेह देखने में ही हीरो के जेसे ,,,,,,,, अकड़ भी उतनी ही ,,,,,,,,, उस का बस चलता तो राविया को वो घर में आने ही नही देता ,,,, कयूके अपने मम्मी पापा से हमेशा ही उस की बातें सुनता था जिस से उसे चिढ़ होने लगी राविया नाम से ही ,,,,,ओर दुश्मन मान बेठा था उसे ।

    राविया देखने में ठीक ठाक सी ,,, रंगा गेहूया,,,, ओर ओसत लंबाई,,,,,, पर कुछ तो था उस के चेहरे में  के कोई देखे तो फिर से देखने के लिये जरूर मुड़ कर देखे ,,,,,,,,,

    मम्मी दी का फोन आया था उनकी स्कूटी खराब हो गई है तो मैं उनको लेकर आता हूं ,,,,, फतेह खाना खा कर उठा ओर बोलते हूये चला गया ,,,,,, राविया ने भी एक बार उसे नही देखा ,,,,,,,,, ओर वो उसे घुरते हूये ही गया ,,,,,,,, कुछ देर बाद बाहर से बुलेट की आवाज आने लगी ,,, जानी के फतेह जी चलेगये ,,,तो राविया ने गहरी सांस ली ,,,,,,, आंटी जी चाये मिले गी ,,, राविया बोली ,,,,,मै तो भुल ही गई के तुझे खाने के साथ चाये पीनी होती है ,,,,,आशा जी चाये का कप टेबल पर रखते हूए बोली ,,,,,,,,,, ओर खुद भी चाये पीने लगी ।

    ये रहा रूम अब तुम भी आराम कर लो ,,,,,, आशा जी राविया को रूम दिखाते हूए बोली ,,,,, बहुत सुंदर है ,,,,,राविया बोली ,,,,, चलो ठीक है ,, तुम आराम करो ,,,,,, आशा जी बोलते हूय बाहर चली गई।

    राविया अपना सामान बेड पर रखने लगी जिस में उस के कपड़े ओर किताबें थी ,,बस यही सामान वो अपने साथ लाई थी ,,,,,,, के तभी उसे बाहर से बुलेट की आवाज आई ,,,, ओर राविया जल्दी से बाहर की तरफ चल दी ,,,,, प्रीत उसे बाहर ही मिल गई,,,

    दी ,, राविया बोलते हूय प्रीत के गले लग गई ओर प्रीत ने भी राविया को गले लगा लिया ,, दोनो आपस में बाते करती हुई रूम में आ गई,,, ,वही फतेह जिस के हाथ में बैग थे वो बस देखता ही रह गया ,,,,,,,, ये क्या बात हूई वो अब आइ है ओर दी मुझे भुल गई,,, वो खुद से ही बोला ,,,,,, ओर अंदर की तरफ चल दिया ,,,,,, फतेह प्रीत के रूम में पहुंचा तो देखा के राविया ओर प्रीत दोनो बाते करने में बिजी थी ,,, तो फतेह बैग को वही बेड पर रख कर वापस निकल गया उसे अब बहुत गुस्सा आने लगा था पर वो खुद को शांत ही बनाये रखा ,,,,, इसे क्या हूआ,,,, ,प्रीत फतेह को जाता हूया देख कर बोली ,,,, वो दी मुझे लगा के आपका रूम है ओर मैं बस उसी रूम में चली गई ओर बीना देखे ,,,,,,, इस महाशय पर कूदने लगी ,,,, बस उसी का गुस्सा है ,,,,,, राविया बोली तो प्रीत भी हैरान सी उसे देखने लगी ,,,,, ,सच्च में ,,,प्रीत बोली तो राविया ने हां में सिर हिला दिया ,,,, दोनो हसने लगी ,,,,,, इतना के लोट पोट हो गई,,, पागल है तू ,,,,,, प्रीत राविया के सिर पर हल्के से मारते हूए बोली ,,,,,,,,,,

    रब राखा

  • 3. Faisla or Fasla ( फासला जा फैसला) - Chapter 3

    Words: 1020

    Estimated Reading Time: 7 min

    रात के खाने के बाद सब लोग बैठे थे सिवाय फतेह के ,,,,,,,,, अच्छा राविया बेटा कहां सलेक्शन हूया तू बोल रही थी के यहां आ कर बताओ गी ,,, अब बता ,,,,,- बलबीर जी बोली ,, ,सारे आग के चारो तरफ बैठे हूए थे ,,,,,,, जी अंकल जी ,, GNDU MCAमें हूया है ,,, राविया मुंफली को शिलते हूये बोली ।,, तो सब के चेहरे पर स्माईल आ गई,,,,,,,,,, चलो ये ठीक है ,,,,,,, अब तो घर की बात हो गई,,, फतेह भी वही जाता है ,,,, वो चौथे साल में है ,,,,,,, बलबीर जी बोले ,,,, ओर नही तो क्या घर से जायेगी ओर घर ही आजाये गी,,, आशा जी बोली । मैं अभी फतेह को बुला कर लाती हूं ,,,,, प्रीत बोलते हूय चली गई,,, पर दी मेरी बात तो सुनो राविया बोलती ही रह गई,,,,,, क्या हूया तु परेशान लग रही है ,,,,, आशा जी राविया के सिर पर हाथ रख कर बोली ,,,,,,, आंटी जी मैं घर पर नही रह सकती ,,,मै हॉस्टल में रह लूगी ,,,,, आप सब को खामखा परेशानी होगी ,,,,, राविया बोली ।


    लगता है अभी तक तूने हमे अपना नही समझ,,, इस लिए ये सब बोल रही है ,,,, आशाजी बोली ।नही आंटी जी एसी कोई बात नही है ,,, आप ही तो है जिने में जानती हूं ,,,, राविया आशा जी के हाथ पकड़कर बोली ।तो फिर यहां रहने में क्या प्रॉब्लम है ,,,, पीछली बार भी हमने नही रोका था ,,, ओर अब तो हमारे पास रह कर भी दूर रहेगी ये सही नही है ,,,,, बलबीर जी बोले ।

    ओर प्रीत भी तो अब कुछ दिनो में चली जायेगी ससुराल मैं तो अकेली हो जाऊ गी ना ,,,,,,मुझ से तो कोई बात भी नही करता ,,, आशाजी भावुक होते हूये  बोली ,,,,,,, तो बलबीर जी के चेहरे पर स्माईल आ गई,,,वही राविया उनको देख कर परेशान हो गई,,, ठीक है आंटी जी आप ऐसा मत करो मैं यही रहूंगी बस आप रोना मत , राविया बोली । सच्च में ,,,,, आशाजी बोली ,,,, हा जी सच्च में ,,,, राविया बोली ।तो आशा जी ने उसे अपने गले से लगा लिया ,,, तभी वहा फतेह का हाथ पकड़े प्रीत उसे ला रही थी ।


    वाह आज फतेह जी अपने रूम से बाहर कैसे ,,,, बलबीर जी बोले ,,,,,,, आप तो जानते है मैं दी को नही टाल सकता बस आ गया ,, फतेह बैठते हूए बोला ,,,,,,,,,,, बोलिये दी क्या बात करनी है ,,, फतेह मुंफली खाते हूए बोला ,,,, बात ये है कि मैरी शादी है ,,, ,प्रीत हाथ आग के आगे करते हूय बोली । क्या दी मैं ना अपना काम छोड़ कर आया हूं तो कोई काम की बात हो तो बताये ,,,, फतेह बोला ।


    काम की बात है कि ,,,, राविया को भी ,,,,,,, GNDU में सीट मिली है ओर ,,,ओर उसने भी ऐम सी ए लिया है ,,,,, प्रीत खुश होते हूए बोली । तो इस में खुश होने वाली कोन सी बात है ,,,,, हर साल बहुत बच्चे अप्लाई करते है ,,, फतेह ने राविया को  देखा जो नीचे ही देख रही थी ,,, ,ओर फिर प्रीत को देखने लगा ,,,,,,,,,  चलो कोई बात नही कल तू राविया के साथ चले जाना ओर सारी फोरमेलटी पुरी कर आना ,,,,,,,, बलबीर जी बोले ,,पर पापा मै क्यू ,, फतेह बोला ,,,, बस ये एक काम कर दे फिर तूमहे कुछ नही कहने वाला ,,,,, बलबीर जी बोले । ठीक है ,,,, कल तैयार रहना आठ बजे,,,, जाने में भी एक घंटा लगेगा ,,,,,,,,,,,,, ओर अपने सारे डाक्यूमेंट ले लेना ,,,,,, फतेह बोला ।तो रविया ने हा में सिर हिला दिया ,,,,,,,,, चलो अब बहुत ठंड हो गई सब लोग रूम में चलो ,,, बलबीर जी बोले ।सब लोग उठ कर चले गये ,,,,,,,



    अब ये महारानी यहा रहे गी ,,,उपर से पापा की लाडली ,,,,,,अब तो कालेज भी सेम है ,,,,,,पक्का सुबह तक कोई ओर ऑर्डर आयोगा पापा से  ,,, फतेह अपने रूम में आकर, बोला ,,,,,, ओर साथ ही अपना लॉपटाप उठा कर साइड किया ओर लेट गया । फोन पर बीप हूई तो फोन देखा तो उस पर मेसेज था ,,,,,,, तुम्हे भी सुबह ही देखूंगा अभी तो सोना है ,,,, फतेह फोन साईड रखते हूए बोला ।




    अरे तुम तैयार भी हो गई,,, ,आशा जी राविया को देख कर बोली ,,, हां आंटी जी रात को बता दिया था तो हो गई तैयार राविया अपना बैग देखते हुए बोली ,,,,, चल चाये पी ले,,,,,,,  ठीक है आंटी जी बोलते हूय राविया उनके पीछे पीछे चल दी ,,,,,,,



    अच्छे से कवर करके जाना बाहर बहुत ठंड है ,,,,,,,,,,, आशाजी बोली ,,,,,,,, मम्मी मै तो रोज जाता हूं मुझे तो कभी कहा नही ,,,,,,,, फतेह गुस्से से बोला ,,,,  रोज तो बोलती हूं तूझे पर तू तो अपनी फटफटी पर बैठ कर निकल जाता है ,,,,,, आशा जी बोली । बुलेट है फटी फटी नही ,,,,,,,,फतेह आशा जी को देख कर बोला ।अच्छा फतेह किस से जायेगा फटफटी से जा कार से बलबीर जी डाइनिंग चेयर पर बैठ  ते हूये बोले ,,, तो राविया जो इतनी देर से चुप बैठी थी उस की हसी निकल गई,,,, ओर फतेह उसे घुर कर देख ने लगा ।पापा बुलेट है वो मेरी ,,,, फतेह गुस्सा करते बोला ,,, हां वही ,,,, पर आवाज तो फटी सी ही रहती है ना ,,,, बलबीर जी सब्जी अपनी प्लेट में रखते हूए बोले ,,,,,, कार से ही जाऊंगा ,,, आपकी प्यारी महमान भी तो जाये गी साथ,,,, फतेह बोला ,,,, चल ठीक है गुड़ के दो पैकेट रखे है ,,,, ताजा बना है तो दूकान पर छोड़ देना ,,,,, बलबीर जी खाना खाते हूए बोले । ठीक है पापा ,,,, बोलते हूय फतेह उठा ओर अपने रूम में चला गया ,,, वहां से अपनी जरूरी बुक्स लेकर वो बाहर आया ओर कार की चाबी लेते ,,,,,,,,हूये खाना  होगया हो तो आ जान बाहर,,,, फतेह बोला ओर बाहर की तरफ चला गया ,,,,,,,, अच्छा आंटी जी मैं चलती हूं बोलते हूये राविया उठी ,,, बेटा एक मिनट,,बलबीर जी बोले ,,,,,, तो राविया उनकी तरफ चल दी ,,, ये रख ले जरूरत पड़े गी ,,,,,, बलबीर जी राविया के हाथ में एक पेकिट रखते हूये बोले ,,,,,,,,,,,,,,,


    रब राखा

  • 4. Faisla or Fasla ( फासला जा फैसला) - Chapter 4

    Words: 1036

    Estimated Reading Time: 7 min

    क्या अंकल जी पता तो है आपको मेरे अकाउंट में हर महीने पेसे आ जाते है ,,,,, राविया बोली ,,,पर बेटा ये रख ले ना ,,,,,, काम आये गे ,,, बलबीर जी बोले ,,,,,,,,,,,,, ठीक है अभी तो आप ही रखो मुझे जब जरूरत हो गई तब ले लूगी,,,,,,,,,,राविया बोली ,,,,, पर बेटा ,,, बस अंकल जी अब ओर कोई बात नही ,,,, ,मुझे जाना है देर हो रही है ,,,, राविया बोली ओर बाहर निकल गई,,,, आशा जी ने बलबीर जी के कंधे पर हाथ रख दिया ,,,,,,,,,,, मां बाप के  गलत फैसलो में बच्चे पीस जाते है   ,,,आशा ,,, जिस की उदाहरण राविया है ,,,,,,, बलबीर जी उदास मन से बोले ,,,,,,, हम है ना उस के साथ आशा जी बोली ,,,,,, ओर बलबीर जी सिर हिला कर खाना खाने लगे ,,,,,,,



    आ गये आप दी ,,, राविया प्रीत से बोली ,,, जो उस समय गुरूद्वारे  से माथा टेक कर आ रही थी ,,, हा ओर ये ले प्रसाद ,,, प्रीत अपने हाथ में पकड़ी कटोरी में से प्रसाद राविया को देते हूया बोली ,,,,,,,, ठीक है दी शाम को बात करते है ,,,राविया जाते हुए बोली ओर प्रीत अंदर की तरफ चल दी ,,,,,,,

    फतेह ने गुड़ के पैकेट पीछली सीट पर रख दिए थे ,,,,, ओर वो बैठने ही वाला था के ,, राविया भी आ गई,,,,,, फतेह ने उसे घुरते हूए देखा ओर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया ,,,,,,, राविया ने पहले पीछली सीट को देखा जो पहले ही भरी हुई थी ,,, ओर फिर आगे का दरवाजा खोल कर बैठ गई। कल से रावाया आई थी ,,,पर दोनो में एक भी बात नही हूई थी ,,, सावाये फतेह के साथ हुये उस वाक्य से जिस में राविया फतेह की पीठ पर स्टेपू खेली थी ,,, फतेह की जुबान से ।

    दोनो गाड़ी में बेठे थे तो वही फतेह ने गीत लगाए हूए थे ,,,,,,, पर राविया को कुछ अच्छे नही लगे तो उस ने कानो में लीड लगाइ ओर फोन से कुछ गाने सेट करके सूनने लगी ,, ,वही फतेह उसे ही देख रहा था ,,ओर अब तो गुस्सा भी आ गया था ,,, एक तो फतेह उसे अपने साथ ले कर आया ओर कल के लिए इस लड़की ने सॉरी भी नही कहा ,,, वो मन ही मन बड़बडा रहा था ।पर राविया इस सब से बेखबर बाहर की तरफ देख रही थी ,,,,,,,।



    गाड़ी एक गांव से दूसरे गांव से होकर निकली तो फतेह ने एक सुपर स्टोर के आगे गाड़ी रोक दी ,,,,,, ओर उतर के उस सुपर स्टोर में चला गया ,,,राविया कुछ नही बोली ,,,, कुछ देर में दो लड़के आये ओर पीछे की सीट से गुड़ के फैक्ट निकलकर अंदर चले गये ,,,ओर फतेह ने फिर से गाड़ी चला दी ,,, आगे का रास्ता भी ख़ामोशी में ही कट गया ,,,,,,,, कालज कैंपस में गाड़ी पार्क की ,,,, ओर फतेह वहा से निकल कर एक तरफ रूक गया वही राविया भी उस के पीछे ही आने वाली थी के फतेह ने उसे वही रोक दिया ,,,,,, मेरे पीछे आने की जरूरत नही है ,,,,,, मैं तुम्हे ओर तुम मुझे बिल्कुल भी नही जानती हो ,,, ओर हा यहा पर जान पहचान बनाने की जरूरत नही है मुझ से तो दूर ही रहना , ओर आखरी बात,,, वो रही बिल्डिंग यहां पर तुम्हारे सारे काम करने है ,,,,, समझी ,, फतेह सब कुछ बोल गया ओर राविया का जवाब सुने बनने ही वहां से चला गया ।


    हैं ये है क्या,,,,, राविया जाते हूए फतेह को देख कर बोली ,,,, ओर अपना सिर झटक कर ,,,,,,, उस बिल्डिंग की तरफ चल दी ,,,,,राविया को उमीद थी के ऐसा ही होगा,,,तो वैसा ही हूया ,,,,,,,, वही फतेह अपने ग्रूप की तरफ चला गया जिस में चरन ओर कुकु थे ,,,,,,,ये दोनो फतेह के जिगरी दोस्त है ,,,,,, ओर फतेह के जेसे ही डेशिग भी  ,,,,,,,,, क्या हूया तेरा मुह क्यू उतरा है ,,,,,, चरन फतेह को आता देख कर बोला ,,,, तो कुकू ने भी उसे देखा ,,, आज कोन सी नई बात है ,,,कुकु बोला ,,,, हा वेसे बात तो नई नही है पर फिर भी पुछना तो बनता है ना ,,,कही बंदा हमसे ही नाराज ना होकर बैठा रहे ,,,,,चरन बोला । बहुत मजा आ रहा है ना तुम दोनो को  ,,, फतेह बोला । क्या करे तेरा चेहरा ही बता देता है कि तु कोन से मुड़  में है ,,,,,,,,कुकु बोला ।अच्छा तुने तो जेसे पी एच डी कर रखी है ना के चेहरा देख कर ही जान जाता है के सामने वाला किस मुड़ में है ,,,,,  फतेह बोला ,,,,अच्छा बाकी की बाते बाद में कर लेना अभी तो ये बताओ के तुम दोनो ने प्रोजेक्ट बनाया के नही ,,,,,,,,,,,चरन दोनो को देख कर बोला ,, मेरा प्रोजेक्ट तो पुरा है ,,,,,,, तुम दोनो अपना देखो ,,,,,, मेने तो कर लिया है ,,,,,,, फतेह मुस्कुरा कर बोला ।तु तो हर बार कर ही लेता है पर हम लोग  क्या करे ,,, चरन बोला ,, ,कल तक सबमिट करवाना है तो ,, मेरा तो हो जाये गा ,,,,,,, कुकु बोला । मै तो आज तेरे घर आ रहा हूं ,,,, ओर तु ही मेरा प्रोजेक्ट बनाये गा ,,, चरन बोला मै भी आ रहा हूं ,,,,,,, कुकु चहकते हूए बोला ,,,,, घर है मेरा ,,,, समझे हर तीसरे दिन पहुंच जाते हो भुखड़ कही के ,, फतेह बोला ,,, क्या करे यार आंटी जी के हाथ की बनी चाये ओर पकोड़े आ हहहहा,,,,, चरन अपनीया ऊंगलीया लिक करते हूय बोला जेसे वो पकोड़े ओर चाये उस के सामने ही हो ,,,,,, हा चलो आज फिर तेरे घर अडे है ,,,, कुकु बोला ,,, पहले अपने फोन से तो बाहर निकल,,,,, जब देखो उसी में घुसा रहता है ,,,,,,, फतह कुकु के सिर पर हल्के हाथ से मारते हूए बोला ,,,, ,ओर तीनो अपने डिपार्टमेंट की और चल दिए,,,, फतेह तो पुरी तरह से राविया को भुल गया था ,,,,,,

    वही दूसरी तरफ राविया अपने काम में लगी हूई थी ,,,,,,,, उस ने सारी फोरमेलटी पुरी कर ली थी ,,,,, ओर फतेह के बताये मुताबिक अभी समये था जाने में  तो राविया लाइब्रेरी कार्ड भी बनाने चली गई। वो खुश थी के उस का काम हो गया है ,,,, अब वो भी कालेज आया करेगी इसी बात से वो खुश थी ,,,,,,,,,,,,,,,,


    रब राखा

  • 5. Faisla or Fasla ( फासला जा फैसला) - Chapter 5

    Words: 1102

    Estimated Reading Time: 7 min

    राविया कुछ देर तक लाइब्रेरी में ही रही ,,,,,,, उस ने कुछ बुक्स इशू करवा ली थी ,,,,,,   और फिर समय देखा तो एक घंटा था जाने में ,,,,, ,,,,,, तो वेसे भी किसी को जानती तो नही थी इस लिए अकेले ही कैंटीन चली गई,,,,,,,

    राविया बैठी गर्म चाय की चुस्की ले रही थी ,,,,,,,,,,,, ओर बाहर की धूप में बैठी हूई अपने फोन में कुछ देख रही थी ,,,,,,,,,, इसी बीच उसे एक आवाज सुनाई दी जो उसे कल से ही सुनाई दे रही थी ,,,, ,रविया ने उस तरफ देखा तो फतेह अपने दोनो दोस्तो के साथ बैठा बाते कर रहा था ,,,,,, ,राविया ज्यादा ध्यान ना देती ,,,,पर उस का ध्यान तब उस तरफ ज्यादा गया ,,,,,,, जब एक लड़की आकर फतेह की साइड वाली कुर्सी पर बैठ गई,,,,,,, ओर फतेह का हाथ पकड़ लिया,,,, ओ तो इस सड़ू की गर्ल फ्रेंड भी है ,,,राविया ने उन दोनो को देखते हूए कहा ,,,,, सुंदर तो बहुत है ,,,,, राविया मन ही मन बोली ,,,,,, कयूक वो लड़की की हाईट फतेह से मेल खाती थी ,,,,,ओर रंग रूप से भी एक दम हिरोइन जेसे लग रही थी ,,,,,,,,,, तो राविया ने वापस से अपना ध्यान अपनी चाय पर लगा लिया ,,,,,,,,



    जस तु कब आई ,,,, चरन उस लड़की को देख कर बोला ,,, जस (जसप्रीत) बस अभी अभी आई हूं ,,,, वो आज भाई के साथ ही आइ हूं वो भी सिलेक्ट हो गया है ,,,,, तो बस उसी का काम कर रही थी ,,, जस बोली । ओर फतेह को देख कर ,,,,, रात में तुमने मेसेज का रिप्लाई नही किया क्या बात है ,,,, जस नाराज सी बोली ओर फतेह की चाये उठा कर पीने लगी । कूछ नही बस थोड़ा थक गया था ,,,, ,फतेह ने साफ झुठ बोला ,,, असल में जस की बात से उसे याद आया के उस के साथ राविया आई है ,,,, ओर अब वो चरन ओर कुकु को अपने साथ ले कर जाने वाला था ,,,, ,अब सब को पता चल जाये गा ,,, वो मन ही मन सोच रहा था ।


    चलो ठीक है फतेह मैं तुम से कल मिलती हूं ,,,,,, भाई बाहर वेट कर रहा है ,,, ,जस अपने फोन को देखते हूए बोली ओर तीनो को बाये बोल कर चली गई। चलो तुम लोगो को भी छोड़ना है ,,, फतेह चरन ओर कुकु से बोला ,,, तो तीनो भी उठ कर चल दिए,,,,वही उसी समय राविया ने वापस पलट कर देखा क्यूक अब समय हो गया था जाने का पर फतेह वहां नही था ,,,,,,,, राविया ने इधर उधर देखा तो फतेह उसे जाता दिखाई दिया ,,,, राविया अपना बैग संभालते हूए,,,,,,,उस के पीछे पीछे ही चल दी ,,,, फतेह की बात उसे याद थी के किसी को पता ना चले के वो उस के साथ आई है ,,,तो इसी बात को ध्यान में रखते हूए राविया ने फतेह को आवाज भी नही लगाई ,,,,,,,,,पर ये क्या फतेह तो बैठ कर अपने दोस्तो के साथ निकल गया ओर कार बिल्कुल राविया के पास से ही निकाली ,,,,,,,,, ओर राविया तो बस देखती ही रह गई,,,,,,,,, ये है क्या सच्च में सड़ू है ये ,,, राविया जाती हूई कार को देख कर बोली ,,,,,,,,,,,,,,, वही फतेह जो ड्राइव कर रहा था ओर साइड मिरर से  राविया को देख कर स्माईल कर रहा था ,,,,, तुम्हे तो घर से निकाल कर ही रहूंगा,,, वो मन ही मन बोला ।ओर फिर गाड़ी आगे बड़ा दी ।



    राविया ने उसी समय कैब बुक की ,,,, ,ओर चल पड़ी अंकल के घर की ओर ,,,,,,,,,,, वो खुद में ही हस रही थी ,,, ओर साथ ही सिर झटक कर बाहर की ओर देखने लगी ,,,,,,,,,,,,



    राविया गेट के बाहर उतरी ओर ड्राइवर को पेसे दिये ,,, जेसे ही वो अंदर आने लगी तभी फतेह भी अपनी कार लिए आ गया ,,,,,,,, ओर रावाया को देख कर गाड़ी का दरवाजा खोल दिया ,,,,,,,,, पहले तो वो समझी नही पर जब फतेह ने उसे घुर कर देखा तो वो जल्दी से बैठ गई,,,,,,,,ओर फतेह ने गाड़ी घर के अंदर ले ली ,,,,,,,,,,, आगये तुम दोनो ,,,, आशा जी दोनो को देख कर बोली ,,, ओर केसा रहा आज का दिन ,,,,,,,,,,, आशा जी राविया से बोली ,,, बहुत अच्छा ,,,राविया बोली ,,,,,,,,,,,,,,

    फतेह तो बस चिढ़ कर ही रह गया के उस की मम्मी पहले उसे पुछती थी आज इस लड़की को पुछ रही है ,,, वो बस  देखता ही रह गया ,,, ,अच्छा आंटी जी में चेंज करके आती हूं ,,,, राविया बोली ओर उपर के रूम में चली गई,, ,जिसे राविया के लिये ही सेट किया गया था ,,,,,,,,,,,,,


    मम्मी आप ना बदल गये हो ,,,, वो लड़की पता नही कोन है वो कल आइ है ,,,, ओर आप मुझे भुल गये ,,, ,बस  वही लड़की रह गई है सब कुछ आपके लिए फतेह खिजते हूए बोला ,,,,,,,,ओर अपने रूम की ओर चला गया ,,,,,, अब एसे कहा हूया,,, राविया ने उपर रेलिंग से देखा ,,,ओर फिर अपने रूम में चली गई। वही आशा जी  फतेह की  बात  सून हैरान रह गई अब इसे क्या हूआ,,, वो बोली ओर रसोई की ओर,,,,,चली गई।




    आज का दिन केसा रहा ,,,,प्रीत जो राविया के रूम में आ रही थी ,,,,,,, ओर दरवाजे पर खड़ी थी वो बोली ,,,, बहुत अच्छा रहा दी ,,राविया बोलते हूय बैड से उठी ओर प्रीत का हाथ पकड़कर उसे अपने पास ही बैठा लिया ,,,,ये दूद पी ले गुड़ वाला है ,,,,,प्रीत दूद का गिलास राविया की तरफ बढ़ाते हूए बोली । गुड़ वाला दूद ये तो पुरा पीयू गी   राविया खुश होकर बोली ,,,, ओर प्रीत उस का चेहरा देख रही थी ।तु कैब से क्यू आई ,,,,, प्रीत ने साफ साफ शब्दों में पूछा,,,,,,,,, आप क्या कह रही है दी ,,,,,,, राविया बोली ,,, देख मुझ से झुठ ना ही बोल तो सही है ,,,, मैं छत पर थी पुनीत से बात कर रही थी तभी मैने तुम्हे कैब से उतरते हूए देखा ,,, प्रीत बोली ।


    ओये होये जीजू से बात कर रहे थे आप ,,, ,तो ध्यान भी उधर ही देते इधर उधर क्यू दे रही थी ,,,, राविया बोली ओर फिर दूद पीने लगी ,,,,,,,, क्या हूया राविया ,,,फतेह ने कुछ कहा है क्या ,,, प्रीत बोली ।अरे दी वो सड़ू को ना ,,,,मतलब आपके भाई को ना अपने दोस्तो के साथ जाना था तो मेने कैब कर ली ,,, राविया प्रीत के हाथ पकड़कर बोली,,, पक्का ना ,,, प्रीत बोली ।हा  पक्का,,राविया बोली ,, चल सो जाओ अब ,,,, ओर हां कल हम सब बाजार जा रहे है तो तैयार रहना तुझे कैंपस से लेलेगे ,,,,,, प्रीत बोली ओर चली गई,,,, राविया भी दूद का गिलास पीकर लेट गई।



    रब राखा

  • 6. Faisla or Fasla ( फासला जा फैसला) - Chapter 6

    Words: 1008

    Estimated Reading Time: 7 min

    क्या कर रही है तू ,,,, ,आशा जी रसोई में आते हूए बोली ,,, कुछ नही आंटी जी बस चाये बना रही थी ,,,,,,,, राविया बोली । बेटा अभी छः  बजे है ,,,,,,,, ओर बाहर ठंढ है तु क्यू इतनी जल्दी उठ गई,,,,, आशा जी बोली जिनके हाथ में दूद की बाल्टी थी ,,,,, उसे स्लेब पर रखते हुए बोली ,,,,,, ,हां वो जल्दी आंख खुल गई थी ,,,,, राविया बोली ।

    बहुत ठंढ है मैने तो सीरी को भी बोल दिया के बाकी काम बाद में कर ले ,,,,, अभी सो जाये जाकर ,,,, आशा जी गैस पर ही हाथ सेकते हूए बोली ,,,,,,,,,,,,,, तो राविया हस दी ,,,,, चलो चाये पीते है ,,, राविया ने चाये कप में डाली ओर बाहर की तरफ चल दी ,,,,,,,,,, अरे अपने अंकल के लिए भी ले जा ,,,,,, आशा जी बोली ,,, ,अंकल जी उठ गये ,,, राविया हैरान होते हूए बोली ,,,, हां वो तो सुब्ह ही उठ जाते है ,,, गुरूद्वारे गये है आते ही होगे ,,,आशा जी बोली तभी बलबीर जी भी रसोई में ही आ गये ,,,,,, जिन्होने लोई( शोल) की की बुकल मारी थी ,,,,,,,,,,,, प्रसाद आशा जी ओर राविया को देते हूय,,,,,,,,,राविया पुत्तर तु क्यू उठ गई,,,, बलबीर जी बोले ,,,,,,बस एसे ही ,,, राविया बोली ओर तीनो बलबीर जी के रूम में ही चले गये ओर रजाई में बैठ कर चाये का मजा लेने लगे ,,,,,,,,,, ओर गप्पे मारने लगे । 

    राविया क्या हूया रात को नींद नही आई क्या ,,,,,,, बलबीर जी बोले ,,,,, नही अंकल जी वो बस नई जगह हे  तो आदत हो जाए गी,,,, राविया बोली ।दिसंबर छुरू हो गया है ,,,,,,ओर बस एक महीना ही रह गया है ,,,,,,,, तो जो भी तैयारी हो वो कर लो आप ,,,,,,, बलबीर जी आशा जी से बोले ,,,,,,,,,, पर शादी तो छः जनवरी  की है ना ,,,,,,, राविया जो चाये पी रही थी वो बोली ,,,, पांच दिन तो फिर रस्मो में ही निकल जाये गें ,,,,,,, बलबीर जी बोले तो राविया ने हां में सिर हिला दिया,,,,,,,

    मम्मी वो मुझे ,, ,बोलते हूय फतेह  रूम में आया तो सामने राविया को देख कर उसे घुरने लगा ,,,,,,, हां क्या हूया ,,, आशा जी बोली ,,,,,, वो मम्मी आज मेरा लेक्चर लेट है तो यही बताना था के में नौ बजे जाउ गा ,,,,,,,, जिसे बताना हो बता देना ,,,, ,बोलते हूय फतेह ने एक नजर राविया को देखा ओर वहां से चला गया ,,,,,वही राविया उसे देखती ही रह गई,,,,,, इसे क्या हूआ,,, बलबीर जी बोले ,,,,,,,, ओर आशा जी हस कर ,,,,, साफ साफ बोल कर गया है के राविया अपने जाने का इंतजाम कर ले ,,, आशा जी बोली ।

    वेसे आंटी जी ,,, हॉस्पिटल में कही बदल तो नही गया था ना आपका फतेह,,,,, राविया बोली तो आशा जी ओर बलबीर दोनो उसे देखने लगे ,,,,,, मेरे कहने का मतलब के बस ये ही है एक नंबर का सड़ू बाकी आप सब तो कितने प्यारे हो ,,,,,,,,, इस लिए पुछा कही आपका फतेह बदल गया हो बचपन में ,,,,राविया बड़े मजे से बोल रही थी ,,,तो वही आशा जी ओर बलबीर जी दोनो ही उस की बात सून कर हस रहे थे ,,,,,,,,,,,,, नही वो एसा ही है ,,,,,,,,, दिल का भी अच्छा है ,,, तुम अभी अभी आई हो ना बस इस लिए तुम्हे लगा होगा ,,आशा जी बोली ,,,, तो राविया ने हां में  सिर हिला दिया ओर ट्रे उठा कर रसोई में चल दी ,,,, वह फतेह ने राविया की बात सुन ली थी वो बाहर ही खड़ा था जब राविया ने कहा था ,,,,वो गुस्से से अपने रूम में चक्कर काट रहा था,,,, उस की हिम्मत केसे हूई मुझे ये सब कहने की ,,,,,,,, उसे तो में ना बोलते हूय वो अपने बेड पर बैठ गया ,,,,,,,,,,,,,,,,, ओर फिर उस के चेहरे पर स्माईल आ गई ओर किसी को फोन लगा दिया ,,,,,,,,,,,,,

    दूसरी तरफ फतेह तैयार होकर बैठा नाश्ता कर रहा था ,,,,,, तो राविया ने उसे देखा ओर ओर अपना सिर झटक कर चेयर पर बैठ गई ओर नाश्ता करने लगी ,,,,,,, अच्छा  आंटी जी मेरा हो गया अब में चलती हूं ,,, राविया बोली ,,,,,,, सुन शॉपिंग पर जाना है याद रखना ,,,प्रीत आते हूए बोली तो राविया ने हां में सिर हिला दिया ,,,,,, ओर बाहर निकल गई,,,,,, चलो मैं भी जा रहा हूं तो तूम भी चलो ,,, फतेह राविया के पास आकर बोला तो राविया उसे हैरानी से देखने लगी ,,,,,,

    क्या हूया ,,,,,फतेह राविया से बोला जो उसे ही देख रही थी  ,,,,, सुब्ह ही तो तुमने बोला था ना ,,,बोलते हूय राविया चुप कर गई,,,क्यूक फतेह उसे ही घूर कर देख रहा था ,,,, कितने साल की हो तूम ,,,,, फतेह बोला ,,,,,हां ,,,,, राविया चौक कर बोली । तूम कितने साल की हो ,,, फतेह एक एक शब्द पर जोर डालते हूए बोला ,,,,,,,, उन्नीस की ,,राविया बोली ,,,,,,,, तीन साल बड़ा हूं तो  तुम करके बात मत करना ,,,, समझी फतेह बोला ।तो राविया ने हां में सिर हिला दिया ।

    फतेह गाड़ी में बैठ गया ओर राविया भी ,,,,,,, पर आज राविया को फतेह का मिजाज कुछ अलग लग रहा था ,,,,,,, पता नही क्यू राविया इस से बच कर रहना पड़े गा ,,,ये सही नही है ,,,,,, राविया मन ही मन बोली ,,,ओर बाहर की तरफ देखने लगी ,,,,,,,, वही फतेह के चेहरे पर स्माईल थी ,,,,,,,,, हो ना हो फतेह ने जरूर कोई खिचड़ी पकाई थी ,,,,,,,,,,,,,,,

    GNDU के बाहर,,,मेरे साथ आना है तो यही तक का साथ है हमारा समझी बोलते हूय फतेह ने राविया को वही उतार दिया ,,,,,,,, सड़ू कही का ,,,, राविया फतेह की गाड़ी को जाता देख कर बोली ,,,,,,,,,,,,, ओर चल दी कैंपस के अंदर की ओर ,,,,,,,,,, अपने डिपार्टमेंट तक पहुंचते हूय उसे आधा घंटा लग गया ,,,,,,,,, ओर पहला दिन उसे कुछ ज्यादा पता भी नही था ,,,,,,,,,,, तभी उसे सामने से कुछ स्टूडेंट्स आते हूए दिखे ,,,,,,,,,, नई हो तूम ,,,, उन में से एक बोला ,,,तो राविया ने हां में सिर हिला दिया ,,,,,, चलो उस तरफ दूसरा बोला तो राविया उसे तरफ चल दी ,,,,,,,,,,,

    रब राखा